अधयाय 23 - ncert

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जनस चार माधयम—ब िन, विाइन एउतपादन अधयाय 23 अधिगम उश इस अधयाय को पने के बाद वशाथ— जनस ार माधयम की योजना और ब धन के महव को जान सकगे, वयवहार परवतन स ार के म और काये को समझ सकगे, ार माधयम स धी शोध, विाइन, ववकास और उतपादन की वयाववध को समझ सकगे। सवन आज के समाज को सँवारने म स ार माधयम (मीविया) महतवपूण भू वमका वनभाते ह। भारत म सभी जगह सभी आयु-वग के िोग टेिीवन देखना पस द करते ह। वकसी समाार-प ववेता के पास जाइए, आप पाएँगे वक उसके पास िगभग एक दशक पहिे की तुिना म आज कह ़यादा समाार-प और पवकाएँ उपिध ह। बे शहर म, बहुत से िोग वैसे परधान पहनना और केश सजा ाहते ह, जैसा वे टेिीवन अथवा वफम म अवभनेताओ /अवभनेवय को देखते ह। इस कार जनस ार माधयम ववभनन महतवपूण मु पर सावजवनक बोध को भाववत करते ह तथा ववास, मूय और पर पराआ के एक ववशेर सवप का यन और वण करके आधुवनक स सक वत के ववशट प का ववकास करते ह। मु वत और इिेाॅवनक ार माधयम वयवत के दैवनक जीवन का वहससा बन ुके ह। स ार माधयम म वकसी भी ववरय म सफिता और भाव ात करने के विए, उनह भिीभाँवत वनयोवजत, विाइन और उतपावदत या सतुत करना पता है। ये वयाएँ स ार माधयम ब धन के भाग ह। स ार माधयम ब धन को वकसी भी ाेतसाहन कायनीव2021-22

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जनसचार माधयम—पबिन, विजाइन एव उतपादन

अधयाय

23

अधिगम उददशय इस अधयाय को पढन क बाद वशषिाथथी—• जनसचार माधयमो की योजना और परबधन क महतव को जान सक ग,• वयवहार पररवतषन सचार क पररिम और कायषषितर को समझ सक ग, • सचार माधयमो सबधी शोध, विजाइन, ववकास और उतपादन की वरियावववध को समझ सक ग।

परसतावनताआज क समाज को सवारन म सचार माधयम (मीविया) महतवपणष भवमका वनभात ह। भारत म सभी जगह सभी आय-वगषो क िोग टिीववजन दखना पसद करत ह। वकसी समाचार-पतर ववरिता क पास जाइए, आप पाएग वक उसक पास िगभग एक दशक पहि की तिना म आज कही यादा समाचार-पतर और पवतरकाए उपिध ह। बड शहरो म, बहत स िोग वस पररधान पहनना और कश सजा चाहत ह, जसा व टिीववजन अथवा व फलमो म अवभनताओ/अवभनवतरयो को दखत ह। इस परकार जनसचार माधयम वववभनन महतवपणष मदो पर सावषजवनक बोध को परभाववत करत ह तथा वव‍वासो, मलयो और परपराआ क एक ववशर सवरप का चयन और वचतरण करक आधवनक ससकक वत क वववशषट रप का ववकास करत ह। मवदरत और इिक‍टावनक सचार माधयम वयवकत क दवनक जीवन का वहससा बन चक ह। सचार माधयमो म वकसी भी ववरय म सफिता और परभाव परापत करन क विए, उनह भिीभावत वनयोवजत, विजाइन और उतपावदत या परसतत करना पडता ह। य परवरियाए सचार माधयम परबधन क भाग ह। सचार माधयम परबधन को वकसी भी परातसाहन कायषनीवत

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का एक अति महत‍वपरण अग समझा जािा ह। वय‍वसायो अथ‍वा सामातजक अतियानो क परचार अतियान की सफलिा काफी सीमा िक अतियानो की सचार माधयम आयोजना और परबधन पर तनिणर करिी ह। आजकल इनक सथान पर अतधक वयापक शबदो जस – सचार माधयम कायणनीति अथ‍वा सचार आयोजना का िी परयोग तकया जािा ह।

महततव‍वश‍वीकरर और उदारीकरर क यग म जनसचार माधयम महत‍वपरण ितमका तनिाि ह। समाज म सचार माधयमो की ितमका मल रप स ‍वह परकायण ह जो यह बिािा ह तक समाज सचार माधयमो का उपयोग तकस उदशय क तलए करिा ह। समाज का सचार माधयमो स सबध स‍वणसमा‍वशी आतम‍वाचक (स‍वआतरिि) और परर‍विती दोनो परकार का ह। जनसचार माधयम समाज को िो परिात‍वि करिा ही ह, साथ ही स‍वय िी समाज दारा परिात‍वि होिा ह। सचार माधयमो क कायण और किणवय तदन-परतितदन बढि जा रह ह, अि: सचार माधयम परबधन, तिजाइन और उतपादन या परसििीकरर बहि महत‍वपरण ह।

मलभत सकलपनाए1. सचार माध‍यम — यह एक ऐसा शबद ह तजसम आपस म और अनय लोगो स मतरिि और परसाररि दोना ही रप म सपरषर शातमल ह। य सचना क सगरहर और सचार क साधन ह।

चितर 23.1 — व‍यापक शब‍द क रप म मीचि‍या क उ‍दयाहरण

मदरण परसारण घर क बाहर अन‍ययोन‍य करि‍यातमक

समाचार पतर

पततरकाए रतियो बलतिन बोिण

इिरनि फसबक, ि‍वीिर, इसिागराम, गगल मीि, जम कॉल जस सोशाल

मीतिया मच पर बड पमान पर उपयोग तकया जािा ह

िलीफोन (वयत‍िगि सपकण )

आउि लक / इतिया िि

िलीत‍वजनपोसिर

बी.एस.एन.एल. एयरिल, िािा इतिकॉम और िली माकक तिग

एच.आई.‍वी. िथा परर‍वार कलयार पर

जान िी‍वी/ लोकल कबल/

िािा सकाई

िाइमस ऑफ इतिया / दतनक

जागरर

एफ.एम.रतियो/समदाय/आल इतिया रतियो

कॉलज पततरका तकसान जानकारी

बलतिन

www.google .com/ e-mails

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मीविया को दो सदभषो म समझा जा सकता ह —1. अवतम उतपाद या अवभयान विजाइन क रप म मीविया 2. एक चनि या वाहक या माधयम क रप म मीविया

मीविया को एक अवतम उतपाद और चनि/वाहक क रप म समझन क विए आग वदए गए इन दो पोसटरो को दवखए—

वकसी भी उतपाद को तब तक अचछी गणवतता वािा नही माना जा सकता, जब तक वक योजना क सतर स ही पयाषपत परयास न वकए गए हो। सचार माधयम क वयवसावययो को कोई भी कायषरिम तयार करन क विए उसकी योजना पर बहत अवधक काम करना पडता ह।

2. सचार माधयम आयोजना — यह एक ऐसी परवकया ह, वजसम पहि स वनधाषररत वकए गए उद‍यो को परापत करन क विए यह तय वकया जाता ह वक कम िागत म कौन-कौन स माधयमो को शावमि वकया जाए। यह कारषवाई क रिम को विजाइन करन की ऐसी परवकया ह जो दशाषती ह वक वकस परकार ववजापन और ववपणन क उद‍यो को परापत करन क विए ववजापन समय और सथान का उपयोग वकया जा सकता ह। सचार माधयमो की आयोजना म ववजापन क विए मातरा माधयम का चयन करना ही पयाषपत नही ह, बवलक ववजापनो की ववसतार सीमाओ का वव‍िरण करना भी आव‍यक ह। बहत स सचार माधयम योजनाकार ववजापन करन क अपरपरागत तरीको का चयन करत ह जस – चि वाहनो दारा ववजापन और खदरा वबरिी ववजापन।

उतपादक कोई भी हो, िागत एक महतवपणष कारक ह, कयोवक उसक पास असीवमत धन नही होता और उस बजट क भीतर ही वयवसथा करनी पडती ह। उदाहरण क विए, वसतरो की वबरिी क विए दकानदार षितर म पचम बटवा सकता ह या एक उपयकत सथान पर बडा बनर / पोसटर िगवा सकता ह या टीवी क विए ववजापन तयार करवा सकता ह। सचार माधयम योजनाकार सचार माधयम क बजट और उसकी पहच को दखत हए वकसी सचार माधयम का चयन करगा। अवधकतम पहच वाि सबस ससत सचार माधयम का चयन वकया जाता ह। इसी परकार अतर महाववदयािय समारोह क विए ववदयाथथी सबस ससता और सबस अवधक पहच वािा सचार माधयम चनग। इसका अथष ह उतपादन की िागत नयनतम करन क साथ-साथ सचार माधयम

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क परभाव को अवधकतम करना, अत: सचना सपररण क विए सचार माधयम आयोजना की जाती ह, तावक वावछत पररवतषन िाए जा सक सचार माधयम योजनाकार चार मखय मानदिो पर धयान द सकता ह — पहच, बारबारता, वनरतरता और िागत

वकसी सचार माधयम की कायषनीवत को तयार करन क विए और आयोजना, विजाइन करन, उतपादन क विए और अत म वकसी सचार माधयम सदश/कायषनीवत क परबधन (कायाषवनवत करन) क विए वननविवखत कछ आव‍यक बात धयान म रखनी चावहए। य ह —

शोाओ की आवशयकाओ और अविरवचयो को समझना — जानकारी वह होनी चावहए जो शोता चाहत ह, न वक जो सचारकताष दना चाहता ह —• जानकारी का परकार वजसकी आव‍यकता ह।• जानकारी की मातरा वजसकी आव‍यकता ह।• जानकारी का उद‍य • शोताओ क समझन और बोध का सतर

समय और अववि – इसम सवमवित ह —• षिण (वनव‍चत समय) जब सचार-माधयम, सदश या सचना का परमोचन वकया जाएगा और उसको

अभीषट शोताओ तक पहचा वदया जाएगा।• अववध (सदश पहचान क विए वनयत समय) वजसम सचार-माधयम, सदश या सचार-उतपाद को

िवषित शोतावगष क सामन िाया या परसतत वकया जाएगा। • आवकवतत — वह सखया ह वजतनी बार सचार माधयम, सदश अथवा सचार उतपाद शोताओ तक

पहचाया जाएगा।

शोाओ की मनोदशा (भावातमक अथवा मानवसक अवसथा) —• उस समय की मनोदशा जब शोता सचार माधयम, सदश अथवा सचार उतपाद को परापत करत ह या उस

उनक समषि परसतत वकया जाता ह। यह वकसी अवभयान/ववजापन क रप म हो सकता ह।• उस समय की मनोदशा जब शोता सचार माधयम, सदश अथवा सचार उतपाद क परवत अपनी अनवरिया

का परदशषन करत ह। यह वकसी अवभयान/ववजापन क रप म हो सकता ह।

शोाओ की मन: वसथव (सोचन क रीक) — यह बहत स कारको दारा वनयवतरत होती ह, जस –सामावजक-सासकक वतक, आवथषक, राजनीवतक पकषिभवम, वशषिा, आय, सतरी-परर होना, अनय पयाषवरणीय कारक जस – अवधगम और अनय अवसर, साथ ही शोताओ की समझ और बोध का सतर इतयावद। इसम सामावजक ववपणन मदा और सामावजक सचार ततरजाि (नटवकष ) स सबवधत सरोकार भी सवमवित ह।

मीविया — माधयम अथवा चनि अथवा वाहक और सचार माधयम वमशण/वयवहार पररवतषन सचार/सचना वशषिा तथा सचार वववधया, वजनह उपयोग म िाना ह। इसम अभीषट शोताओ तक सचार माधयम, सदश अथवा सचार उतपाद दन अथवा पहचान क उपयोग म िाई जान वािी वववध तथा चनि सवमवित ह। जसा हम पहि ही सचार माधयमो क िषिणो म बता चक ह, वववभनन सचार माधयमो क सदश पहचान क वभनन-वभनन तरीक होत ह। िवषित शोताओ का सतर, उपिधता और पहच तथा सचार माधयम की समवचत

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जानकारी आवद की वभननता क कारण कोई अकिा सचार साधन सभी िवषित शोताओ तक शायद ही कभी पहच पाता ह। इसम वननविवखत शावमि ह —• अभीषट शोताओ की आव‍यकता क अनसार, शोताओ क परकार, बजट, पहच, परव‍यता और चनि

की उपिधता की सववधा क वहसाब स ‘एक परसततीकरण (उतपादन) म एक या अवधक सचार माधयम साधनो की सखया’ क उपयोग पर वनणषय।

• सभी सचार माधयम चनिो क उपयोग को अवधकतम करन/ परभाव बढान क विए ‘पररणाम अवभमखी सचार माधयम वनयोजको’ क उपयोग पर वनणषय, जो पन: सचार माधयम, सदश या सचार उतपाद की पहच को बढान क विए शोताओ स जोडता ह।

• एक ववजातीय शोता समह म सदश को आसानी स समझन की सभावना को अवधकतम करन की आव‍यकता, शोताओ क परकार, बजट, सचार माधयम की पहच और उपिधता क अनसार ‘एक परसतवत (उतपाद) म एक या अवधक सखया म सचार माधयम वववधयो क वमशण’ की उपयोवगता पर वनणषय।

• ऐस सभी परकार क सचार माधयम वमशण क उपयोग को अवधकतम करन क विए पररणाम अवभमखी सचार माधयम योजनाकारो क उपयोग पर वनणषय जो शोताओ क साथ पन: जड सक और एक ववजातीय शोताओ क समह म सदशो को अवधक बोधगय बनान क विए ववववधता उपिध करा सक ।

पवपादन — यह वह वववध और सवरप ह वजसक दारा सचार माधयम, सदश अथवा सचार माधयम उतपाद को अभीषट शोताओ तक पहचाया जाता ह। इसका सवरप बवद सगत या भावातमक, िोक सबधी आवदवासी या आधवनक, सगीतमय या नाटकीय, सरि अतय पवकत (टगिाइन)/परभावी पवकत (पचिाइन)म या वणषनातमक/कथनातमक, शवय या द‍य या दोनो परकार का हो सकता ह।

अत: यहा सरप (फॉममट) महतवपणष ह, वजसम शोता जानकारी चाहत ह । यह हो सकता ह —• सचार माधयम पकज क पर सट क विए• एक अकि सचार माधयम, सदश अथवा सचार उतपाद क विए

ववषय-वस का पकार था सपषटायह वह सीमा ह जहा तक कोई मीविया (सचार माधयम), सदश या सचार उतपाद अवधारणा या मद को अपन अभीषट अथष और वासतववक बोध क साथ सही रप म और सरितापवषक पहचा सकन म सषिम हो । यह िवषित शोताओ क विए वनयोवजत था । िवषित शोताओ क विए सचार माधयम, सदश या सपररण उतपादन की ववरय-वसत पर वनणषय िन हत वननविवखत वबदओ पर ववचार वकया जाना चावहए —• शावमि वकए जान वािी ववरय-वसत क उपयोग सबधी वनणषय• भारा की वकसम और परकार क उपयोग सबधी वनणषय• अवधारणा या मद की ववरय-वसत को सपषट रप स वयकत करन क विए तरीक (कवि मौवखक द‍य

या वमिजि) सबधी वनणषय• अवधारणा या मद की ववरय-वसत को सपषट रप स वयकत करन क विए विवखत (पाणिविवप) अथवा

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वचतर यकत परसततीकरण (वचतरो क परकार, सवरप और गणवतता) सबधी वनणषय

अत: सदश की परसतव त क यथासभव सपषटता क साथ,सभी परयास वकए जान चावहए, तावक उस अभीषट शोता अभीषट अथष क साथ समझ सक ।

अहि बचिस — जीहिता मतानस स हिए अहि िताथ अथिता ए बोझ

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वरियाकलाप 23.1

•पररवार वनयोजन पर एक ववजापन अवभयान की योजना बनान को धयान म रखत हए पोसटर ‘अवधक बचच — जीववका कमान क विए अवधक हाथ अथवा बोझ’ पर अपनी वटपपवणया विवखए।

•गामीण षितरो/ आवदवासी षितरो / अथवा वनकटवतथी झगगी-झोपडी म रहन वाि िोगो को यह पोसटर (शीरषक वछपाकर) वदखाए और उनह इसकी वयाखया और वटपपणी करन को कह।

ववशवसनीया — वकसी ऐस परयास की सवीकक वत और परभाव पराथवमक रप स वननविवखत पर भी वनभषर करता ह —

• मद पर अवभयान चिान वािा वयवकत अथवा ससथा

• सदश परापत करन वाि क विए मद की परासवगकता

• शोताओ की वयवकतगत पसद और नापसद

• चयवनत परसग और इसक परसततीकरण का तरीका

• अभीषट शोताओ क विए सचार-माधयम, सदश या सचार सबधी उतपाद क सपररण का माधयम ।

वयव‍, उतपाद अथवा मॉिल का उपयोि — इसम वननविवखत क विए वनणषय सवमवित ह —

• मद या ववरय-वसत को परसतत करन क विए वकस वयवकत, उतपाद या मॉिि का उपयोग वकया जाएगा,

• सचार-माधयम, सदश या सचार उतपाद या पकज दारा एक वववशषट मद या उतपाद की पराननवत क विए वकस परकार और वकस सवरप वािी बातो को जोडा जाना ह।

लताग और सचतार मताधयम बजट सचार माधयम, सदश अथवा सचार उतपाद क ववकास और उतपादन म धन वयय करना पडता ह। सचार माधयम अवभयान ववकास म अकसर काफी बड बजट की आव‍यकता पडती ह और ववसतार वशषिा म सामावजक ववकास क मदो स सबवधत वकसी भी सामावजक सचार अवभयान म अतयवधक वयय करना पडता ह। यवद बजट म रावश उपिध हो तो वकसी भी ववजापन अवभयान म एक स अवधक सचार माधयमो को वमिाकर उपयोग म िना उवचत रहता ह।

नीच एक परवाह चाटष वदया जा रहा ह, वजसम ‘सचार माधयम आयोजना की परवरिया परदवशषत की गई ह’ यह सचार माधयम आयोजना क चरण, परतयक चरण पर तय वकए जान वाि महतवपणष वबद और परतयक चरण को परा करन क विए साधन या कायषो को परदवशषत करता ह।

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सचार माधयम आयोजना पवरिया

• िवषित शोताओ का परकार • िवषित शोताओ की सखया• उनकी अनभव की गई आव‍यकताए, अवभरवचया, ररवाज,

सामावजक परवतमानक• उसी या सबवधत मदो पर वपछि अवभयानो स िवषित

शोताओ की परवतवरियाए/परवतपवषट

• िवषित शोताओ का आकडा सचय (िाटाबस) अथवा वनदमश-वचहन/मानक

• वववभनन पराचिो दारा शोताओ का पकथककरण जस – आय, सतरी-परर (जिर), आय समह, वनवास-सथान और भौगोविक षितर, सामावजक, आवथषक और सासकक वतक पकषिभवम

• समान ववरय पर आकडा सचय• मदा-आधाररत ववजापन तथा अवभयान,

जो पहि आयोवजत वकए गए ह

चरण पतयक चरण म वनिायरर वकए जान वाल मखय वबद

सािन/पयोजय की जान वाली कारयवाई

1. समह की पहचान करना (सचार माधयम लवक/शोाओ क ोट-ोट समह बनाना)

2. सचार माधयमो क उदशयो को वनिायरर और पररिावष करना

• िवषित शोताओ तक पहच और परव‍यता• अववध, वजसक विए परारवभक और आवतथी सचार माधयम की

आव‍यकता ह और सवीकायष ह।• अववध, वजसम मीविया को शर करन और दोहरान की

आव‍यकता और सवीकक वत ह।• सचार माधयम को वकतना अनावरण वदया जाना चावहए• वकतन सचार माधयम साधनो और वववधयो का उपयोग होगा,

यवद सभी िवषित शोताओ क विए इनका उपयोग समान रप स करना ह।

• वपछि सचार माधयम पकज ।• सचार माधयम क कायषकताषओ, षितरगत

तथा ववसतार कवमषयो स वयवकतगत सपकष ।

• सचना वशषिा सचार और वयवहार पररवतषन सचार ववशरजा और कायषनीवत योजनाकारो क साथ अनभव बाटना ।

• पवषवतथी सचार माधयमो क परयासो का आकिन करन क विए पवषवतथी सचार माधयमो/ववजापन अवभयानो का पनरविोकन, वजसम अनय पररववतषयो को भी धयान म रखना चावहए ।

• सभी सभव सचार माधयमो, माधयम (साधनो) और वववधयो का पता िगाना चावहए ।

• वपछि अवभयानो क बजट का वव‍िरण और तदनसार िागत का आकिन ।

• उपिध ववववध सचार माधयमो क सात और उन तक शोताओ की पहच ।

• इसी परकार क पवषवतथी उद‍यो और कायषरिमो की परवतपवषट ।

• अवभयान चिान वािी एजसी अथवा सचार माधयम योजनाकार का पवष अनभव ।

3. सचार माधयमो की कायय नीवयो का वनिायरण और

ववकास

4. आि वनषपादन क वलए एक सचार माधयम अनसची या कायय योजना

(िाका) का ववकास करना

• सचार माधयमो क वनवश की बारबारता की अनसची बनाना — वनरतर (वकतन समय तक) बहध (वववरण द) अथवा कछ अतरािो क साथ (परतयक अतराि का वववरण द)।

• सचार माधयम क उतपाद की मातरा की अनसची द अथाषत परा कायषरिम अथवा भागो म बाटकर शोताओ को दना ह।

• सचार माधयमो को परापत करन वािो स सपकष की बारबारता।

• सचार माधयम अवभयान िाग करन या बद करन की अवतम अववध की वसथवत का वव‍िरण

• सचार माधयम अवभयान िाग करन या बद करन क विए वपछि अवभयानो क बजट का वव‍िरण

• सचार माधयमो का बजट या िागत।• सचार माधयमो क परकार, परतयक सचार माधयम क सचार

माधयम वमशण की सीमा, उपयोग म आन वािा वह सचार माधयम वमशण जो सववोततम तरीको स उद‍यो की पवतष करता ह।

• सपररण (एक तरफा या दो तरफा) का सवषशषि सतिन और सयोजन, जो सभव ह।

• िवषित शोताओ क जान, अवभवकवतत और वयवहार का सतर।• िवषित शोताओ तक पहचन क विए समय क द षटक स

सचार माधयम अनसची तय करना।• सदश सचार उतपाद अथवा ववजापन अवभयान क मदो क

सबध म सबस अवधक रचनातमक और पररवश क अनकि सचार माधयम वनधाषररत करना

• वश क अनकि सचार माधयम वनधाषररत करना• सचार माधयम पररवश, जो अवभयान क मद या उतपाद क

सबस अवधक अनकि ह।

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3. सचार माध‍यमो को डिजाइन करना और उनका उतादन

सचार माध‍यमो का डिजाइन और उतादन डिडिनन कारणो स डक‍या जाता ह। पारडिक जानकारी अथिा कोई सकलना, डिचार ‍या उताद, सदश डकसी डिचार, सदश ‍या उताद को पाननत करन, जागरकता उतनन करन, जान उलबध करान, कौशल पडशकषण उलबध करान और डिडिध महतिणण मदो को समथणन दन क डलए, जस – कडि, उदयडमता डिकास और आजीडिका उतनन करना, सिासथ‍य, ररिार कल‍याण, ोिण, डशकषा, जीिन की गणिता म सधार, सधारणी‍य डिकास और जीिन कौशल की पारडिक जानकारी तथा ररच‍य दना।

सचार माध‍यम डिजाइन और उतादन म कछ अतसथ चरण सडमडलत ह, डजनम डिडिध उचरण ह और उनम िी अलग िाग ह, रत ‍यहा हम उनक बार म सडकषपत बात करग—• शोताओ की हचान करना, सची बनाना और समझना — शोताओ की समझ को बढान म सचार

माध‍यम अनसधान पमख िडमका डनिाता ह। इसम सडमडलत सिी चरण लगिग िही ह। समस‍या को ररिाडित करना, अनसधान ‍योजना को डिजाइन करना, आकड एकडरित करना, आकडा का डिशलिण करना और ररोरण दना। सचार साधन अनसधान अथिा शोता अनसधान दो चरणो म डक‍या जाता ह, उतादन िण और पडतडषर क डलए डकर‍यानि‍यन क बाद

• सचार माध‍यमो/माध‍यम की पिाडिता की हचान करना• किरज (पसारण कषरि)— शोताओ का मान- औसतन लोग अन सचार माध‍यमो क साथ डबताए गए

सम‍य का 85 पडतशत पसारण माध‍यमो (रडि‍यो, रलीडिजन, उगरह सपिण) क साथ और किल 15 पडतशत मडरित सचार माध‍यमो ( समाचार-रिा, डरिकाओ, डसतकाओ, डििरडणकाओ, इत‍याडद) क साथ डबतात ह। पसाररत होन िाल डिजानो की घसठ मडरित सचार माध‍यम म डदए सदश स अडधक होती ह, क‍योडक सामाडजक मदो र का‍यणकरमो क डिजान एक क बाद एक धारा पिाह र म पसतत डकए जात ह। मडरित सचार माध‍यमो क ाठक कहाडन‍यो और डिजानो का च‍यन कर सकत ह अथिा छोड सकत ह अथिा ाठक इसी पकार ‍यह िी त‍य कर सकत ह डक ि क‍या चाहत ह और क‍या री तरह स छोड सकत ह।

• डितरण की दड षर स/सिाडमति की दड षर स सचार माध‍यमो/माध‍यम का किरज• डकसी सचार माध‍यम र डकतन अडिदाता ह और िह माध‍यम डकतनो क ास ह। • डकनही/डकसी सचार माध‍यमो/माध‍यम क ाठक/दखन िाल डकतन ह।• सचार माध‍यमो क सिाडमति ‍या हच का ध‍यान डकए डबना ‍यह जानना अडत महतिणण ह डक िासति

म डकतन लोग सचार माध‍यम को ढत ह ‍या दखत ह।• सचार माध‍यमो/माध‍यम की अगरसारण दर — रत ‍यहा डरिका क किल ाठको की सख‍या र ही नही

अगरसारण (ढकर दसर को ढन को दना) दर र िी ध‍यान डद‍या ग‍या ह। ‘अगरसारण दर’ उन लोगो की सख‍या ह, जो मडरित माध‍यम को िासतडिक डितरण अडिदाताओ और खरीददारो क अडतररकत ढत

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ह। यह वबरिी सखया स तीन गना स अवधक हो सकती ह। बहत स समाचार-पतरा की अपषिा पवतरकाओ की अगसारण दर बहत उचच होती ह।

• परचार माधयमो को दखन क सदभष म शोता मापन — वकसी परसारण सचार माधयम को दखन का मापन “वनधाषरण वबदओ” (रवटग पवाइटस) क पदो म वकया जाता ह।

• “वनधाषरण वबद” — यह सपररण का 1 परवतशत ह वह जो कवरज षितर या ववपणन सवमषट ह, वजनको सचार माधयम कायषरिम/सचार माधयम दारा परदशषन वकया जाता ह। उदाहरण क विए परसारण माधयमो क मामि म यह एक वववशषट समय म एक वववशषट सटशन/ चनि को सनन/दखन क विए रवियो/टीवी का उपयोग करन वाि पररवारो या िोगो का परवतशत ह।

• सचार माधयम बजट/ कीमत वनधाषरण कारक — सामानयत: वकसी सचार माधयम क रिय की िागत, सिॉट को दी गई समय अववध की मातरा स सीधी जडी हई ह। अनय महतवपणष कारक ह — आय, सामावजक सरचना की पकषिभवम, जीवन शिी, गामीण, शहरी, आवदवासी पररवश इतयावद। सचार बजट बनान क बढत महतव का कारण, बढती सचार माधयम िागत, परवतसपधाष म वकवद और कपनी परचािनो म उतपादकता पर शीरष परबधन दारा अवधक धयान वदया जाना हो सकता ह। इसक अवतररकत, िागत कम करन क विए परीषिण काि म सचार माधयम बजट परथम षितर ह वजस पर पनववषचार वकया जाना चावहए। इसन ससथा दारा सपररण क खचष क परभाव को अवधकतम करन क विए, सचार माधयम वनयोजको पर भारी दबाव िािा ह।

• उपिध माधयम का सरप (फॉममट) — उदाहरण क विए रवियो क विए वववभनन सरप ह, जस –समाचार सटशन, वाताष रवियो सगीत, कि सगीत शासतरीय और सगम सगीत, वादय सगीत इतयावद और परतयक एक वववशषट परकार क दशषको, शोताओ, आवद को आकवरषत करत ह।

• शोताओ, दशषको, पािको क परकार — इस परकार सचार माधयम का चयन और ववकास सचार माधयम क िषिणो, पहच और उपिधता, शोता पकथककरण पर आधाररत ह तथा आग वासतववक जीवन पररवसथवत म इसका परीषिण आव‍यक रप स होना चावहए।

वरियाकलाप 23.2

आप वजतनी वयापाररक और सामदावयक रवियो सवाओ को जानत ह उनकी सची तयार कीवजए। ऊपर वदए गए वबदओ को धयान म रखकर एक वयापाररक और एक सामदावयक रवियो परसारण का कस अधययन तयार कीवजए।

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3. काययनीवया

I. उपय‍ सचार माधयम चनल का चयन, उसकी आववतत ‍या होिी

II. शोाओ क ‘सपशय’ वबद

III. सदश वलविए।

4. सचार माधयम अनसची या कायष योजना (िवपरट) को विखना

(क) रचनातमक-अननय कायषनीवत पर आधाररत, वजस परकार शोता चाहत ह।

(ख) परतयक सदश क विए ववशर वववरण और अववध, इसक िकय, सामगी वजस सथान दना ह और उसका परवतपादन करना ह।

(ग) सदश क परतयक भाग क विए उपयोग म िाया जान वािा सचार माधयम

(घ) सभाववत पररणाम का उलिख कर।

(ि) सचार माधयमो की आिारनीव

5. सचार माधयम को विजाइन करना और उनका ववकास करना

सचार माधयम आयोजना परिम

सचार माधयमो की विजाइन पवरियाए और उतपादन परिम

6. सचार मॉिल और सामगी का ववकास

8. सदशो का रपारर और अवम ववस पमान पर उतपादन पारि करना

9. वरियानवयन/सचार माधयम का रिय

10. पवपवषट

2. वववशषट उदशय और मापन योगय लकयो का वनिायरण

1. सचार माधयम शोािण

(ड) वरियानवयन पशचा अनसिान-मलयाकन पिाव आकडा का सकलन

7. उतपादन-पवय अनसिान (पवय-परीकण)

सचार माधयम पबिन क चरण

सचार माधयम वनयोजन और उतपादन परिम को विजाइन करना —

(क) लकय शोाओ क वलए सचार माधयम अनसिान और सचार माधयम ववकलप

(i) अवियान क ववषय क बार म सब क सीिना

(ii) शोाओ की जीवन शली और सपषण अविमानो का ववशलषण करना

(iii) अवियान क ववषय क पररपकय म शोाओ की आवशयकाओ का ववशलषण करना

(घ) स वनिरानी पसव का अनवीकण करना और सचार माधयम पारि करन का वरियानवयन

(ि) मीविया

सचार माधयम लकण और शोा सपशय वबद

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परतयक परारप सदश का वासतववक षितर पररवसथवत म और शोताओ पर इनको समझन, अभीषट अथष म अवबोध, वव‍वसनीयता, वधता और िवषित शोताओ दारा परथम सवीकक वत क विए पवष-परीषिण कर िना चावहए और इसक बाद ही इसका बकहत पमान पर परसार क विए अवतम रप स उतपादन वकया जाए।

रिय वयवहार

शोताओ क वयवहार को समझना, ववजापनकताषओ को ववजापन अवभयान को परभावी रप स ववकवसत करन म मदद कर सकता ह। शोता खद भी रिम करन स पहि चरणो की एक �कखिा स गजरत ह। इन चरणो म समसया की पहचान, जानकारी की तिाश, वकवलपक मलयाकन और सवीकक वत/अपनान का वनणषय और बाद की सवीकक वत/अपनान का मलयाकन शावमि ह। समसया की पहचान तब होती ह जब शोताओ क वासतववक मामिो और अपवषित मामिो म पयाषपत वभननता होती ह।

4. सचार माधयम मलयाकन और पवपवषट कायायनवयन स पवय था बाद पवपवषट — दो परकार की परवतपवषटया ह —

(1) ततकाि परवतपवषट — ततकाि आदश, रिय, पर‍न पछना, सदह परकट करना अथवा सदश क परसततीकरण क बाद अवधक जानकारी परापत करन क विए इसी परकार की पारसपररक वरिया करना।

(2) वविवबत परवतपवषट — बाद म दी गई अनवरिया इसका अथष यह नही ह वक सदश का कोई परभाव नही ह, बवलक उदाहरण क विए ववजापन म इसका परभाव तब होता ह, जब शोता खरीदारी की योजना बनाना चाहता ह अथवा अवतम वनणषय िना चाहता ह।

पमि सचार माधयमो की शव‍ और कवमया

माधयम शव‍ कमी

समाचारपतर पिन, वशषिा और आय घवटया परवतकक वत ववशर रप स रग

मतष वनरथषक समाचार

पािको की आदत, रायलटी दना पािको की घटती सखया

अलप मागषदशषन समय सचार माधयम अपवशषट

कम उतपादन िागत वयापक पािक

एक बार म कई वयवकतयो तक पहच

ववसतकत ववरय-वसत क विए अचछा माधयम

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पवतरकाए पािक चयनातमकता िबा मागषदशषन समय

ववशरजता का पररवश कम जनसखया तक पहच, महगा उतपादन

उचच गणवतता का पनरतपादन वनन आवकवतत

िबा समय सापतावहक, मावसक या तरमावसक

उचच वव‍वसनीयता

अचछी पहच

टिीववजन परभाव-द‍य धववन उलिख वयापक शोता/दशषक

सथानीय और राष‍टीय उचच उतपादन िागत

िवषित कबि चनि अतरभत

रवियोशोता चयनातमक पकषिभवम (कम धयान) कवि धववन

आवकवतत वनधाषरक सदश अलपकाविक

अपषिाकक त कम उतपाद िागत कम समय वाि सदश

बाहय-सथि सथानीकक त कम धयान

आवकवतत वनधाषरक कम उदभासन अववध

वदशा सकतक वनन परवतषिा (द‍य परदरण)

षितर परवतबध

सीधा िाक पररणअतयवधक चयनातमक अनाव‍यक िाक

मापयोगय पररणाम िाक का बोध

वयवकत ववशर क अनसार धयान दना

आव‍यक ह।

परवत सदश उचच िागत

िबा मागषदशषन समय

दर-ववपणन वयवकत ववशर क अनसार महगा

वासतववक समय पारसपररक वरिया

धयान आकवरषत करन वािा गहन

इटरनट मापन योगय पररणाम अनाव‍यक सदश

जन समहो का पररण योगय, वयवकतगत हो

सकता ह।

सीवमत पहच

अतयवधक कम िागत सीवमत रचनातमक ववकलप

पारसपररक वरिया सभव ह।

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कारयकषतरसचार माध‍यम का विष‍य कषतर अपनष विदावरथ‍यो का सचार माध‍यम परबधन सष पररच‍य कराता ह, अराथत कष स अध‍य‍यनो और परविकषता कष दारा विदारथी कष समानषदषिनो म इस इवतहास का विश‍षषण िावम‍ होता ह वक हमारष समाज पर सचार माध‍यमो का परभाि कसष महतिपणथ हआ और ‍यह कसष विकवसत हआ और इसम कसष परगवत हई।

बहत सष विदमान व‍यापार ‍यदवप अपनष मषख‍य व‍यापार कष व‍ए सचार माध‍यमो पर वििषष रप सष क वदरत नही ह, उनह भी ऐसष व‍यव‍त‍यो की आिश‍यकता होती ह जो सचार माध‍यमो को उनकष व‍यापार कष विजापन, उनन‍यन, परवतष‍ा वनमाथण और अपनष उदोग कष िधनथ कष व‍ए उप‍योग म ‍ा सक , वजससष िष इसष अपनी कपवन‍यो को सषधारनष और फ‍ानष कष व‍ए साधन कष रप म उप‍योग म ‍ष सक , अत: वजन ‍ोगो को सचार माध‍यम आ‍योजन और परबधन का अनषभि ह और वजनकष पास सचार माध‍यमो की विगी ह उनका उदोगो म बहत महति ह।

सचार माध‍यमो म जीविका आज पसद की जीविका बन चषकी ह। मषवदरत सचार माध‍यम, विजापन, जनसचार माध‍यम, इ‍ष‍टरॉवनक सचार माध‍यम, िषब परकािन और जनसपकथ , जसष — सामावजक मीवि‍या ‍योजना आर विवजट‍ विजाइन सफ‍ता की राह कष सार महाविदा‍‍यो कष ‍यषिा सनातको कष व‍ए रोजगार कष अिसरो की न‍यी �ख‍ा खो‍ दी ह। इस कषतर म परगवत कष अिसर, ऊधिाथधर और पा�शिक दोनो बहत उजजि‍ ह और टष‍ीविजन चन‍ो की अत‍यवधक िवदध सष अत‍यवधक हीन सचार माध‍यम िा‍ष व‍यव‍त‍यो की पहचान घर-घर म होनष ‍गी ह।

अत‍यवधक मातरा म टीिी चन‍ो का अवसतति म आना, वििषष रप सष 24/7 कष अनषक चन‍ो (जसष की नषटव‍‍स) नष इ‍ष‍टावनक सचार माध‍यमो म जीविका कष अिसर खो‍ वदए ह। दरदिथन और आ‍ इवि‍या रषवि‍यो जसी सािथजवनक परसारण ऐजवस‍यो अरिा वनजी परसारण कताथओ दारा जीविका कष विकलप उप‍बध कराए ह। कोई व‍यव‍त, कषतर-ररपोटथर, ‍षखक, सपादक, अनषसधानकताथ, सिाददाता और सटवि‍यो म सचा‍क, परसतषतकताथ और समाचार विश‍षषक बन सकता ह। ‍यष व‍यिसा‍यी अन‍य कषतरो म भी का‍यथ कर सकतष ह, जसष – वनददिन, उतपादन, कमरा, गावफ‍स, सपादन, धिवन, का‍यथकरम अनषसधान, आ‍षख ‍षखन, इत‍यावद। इसकष अ‍ािा व‍यव‍त अपना सि‍य का टी.िी./एफ.एम. रषवि‍यो चन‍ िषर कर सकता ह।

जो भी व‍यव‍त सचार माध‍यम म परिषि की इचा रखता हो उसष मषहनती, आतमविशिासी, अभीषट कौि‍ो म वनपषण और इन सबसष अवधक, उसकष पास उततम सपरषषण कौि‍ होना चावहए। कष ि‍ िवकक कषतर कष अको अराथत परीका कष आधार पर ही नही, व‍यव‍त तभी सचार माध‍यमो म परिषि पानष ‍योग‍य हो सकता ह, जो अपनष आपको समह चचाथ सष ‍षकर साकातकार मषज पर ब‍कर का‍यथ करनष और कषतर म काम करकष अपनी परवतभा का परदिथन कर सकता ह। िष अपनी दवषट पा‍को, दिथको और उप‍योग कताथओ की आिश‍यकताओ और उनकी समझ कष सतर पर रखकर मषवदरत/इ‍ष‍टावनक/इटरनषट/िषब सचार माध‍यमो कष व‍ए सपषट रप सष सोच सक तरा व‍ख सक । उनका व‍खा आ‍षख उनकष ‍वकत शोताओ कष व‍ए सारथक होना चावहए।

अत: ऊपर वदए गए वििरण सष सपषट ह वक सचार माध‍यमो और इससष जषडष कषतरो म रोजगार और उदवमता कष भी व‍यापक अिसर ह। सचार माध‍यमो म सकम और पररणाम दषनष िा‍ष पषिषिरो की आिश‍यकता ह। ‍यहा सचार माध‍यमो कष सपणथ तर कष नीचष विविध कषतरो म विका और परविकण दषनष िा‍ष विशिविदा‍‍यो, महाविदा‍‍यो, व‍यािसाव‍यक ससराओ और वनका‍यो की महतिपणथ भवमका सामनष आती ह।

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सचार माधयमो कद परबधन , निजाइन और उतपादन कद कदतर म जीनवकाए—

• वयवसायो और उदयोगो म ववजापन, सवधषन, छवव वनमाषण, कपवनयो का आकार बढान और उनका ववसतार करन म सचार माधयमो का उपयोग करन क विए वयवकतयो की आव‍यकता होती ह।

• मवदरत सचार माधयम, ववजापन, जन-सचार माधयम, इिक‍टावनक सचार माधयम, वब परकाशन आवद म दरदशषन और आि इविया रवियो म अथवा वनजी परसारको क साथ।

• फीलि ररपोटषर, िखक, सपादक, अनसधानकताष, सवाददाता और सटवियो क अदर सचािक (ऐकर), परसततकताष और समाचार वव‍िरक।

• वनदमशन, उतपादन, फोटोगाफी, गाव फकस, सपादन, धववन, कायषरिम अनसधान, आिख िखन, इतयावद षितरो म।

• उदयमी क रप म कायष करना।

परमख शबद

सचार माधयम, सचार माधयम आयोजना, परवतपवषट, सचार माधयम अनसधान, सचार माधयम विजाइन और परबधन।

पनरवलोकन परशन

1. वयवकतयो को समझान-मनान क विए सचार साधन क रप म सचार माधयम आयोजना महतवपणष कयो हो गई ह?

2. सचार माधयम आयोजना क आव‍यक चरण कया ह?

3. ववदयािय जान वाि छोट बचचो क विए, सचार माधयम वनयोजन और विजाइवनग उतपाद म समझाई गई परवरिया क अनसार, इटरनट क सरवषित उपयोग/धमरपान ववजषत ह, जस ववचार क सवधषन क विए एक सचार माधयम अवभयान की योजना बनाइए।

परयोग

ववषय-वस — मवदरत सचार माधयमो का अधययन

कायय — एक सपताह क तीन समाचारपतरा क सपादकीय / पकषि / मख पकषि / मनोरजन पकषि/सामावजक सदश पवढए।

उदशय — ववदयावथषयो म क दर वबद, परसततीकरण, परादयोवगकी और िागत क सदभष म मवदरत सचार माधयम क चयवनत भाग गहण करन और समझन की योगयता ववकवसत करना।

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पयोि कराना — (1) कषिा म ववदयावथषयो की सखया क अनसार कषिा को 5-10 क समहो म ववभावजत कीवजए। एक समह को समाचार-पतर का एक भाग चनन द। समाचार-पतर अिग-अिग हो और अिग-अिग तारीखो क हो। कोई दो ववदयाथथी एक ही िख न पढ।

(2) समाचार-पतर क चयवनत भाग का अधययन क दर वबद, परसततीकरण, परादयोवगकी और िागत क दवषट कोण स कीवजए। ववदयाथथी अपन ववचार और परवतवरियाए विख। इसक बाद चचाष क रप म दसरो की परवतवरियाए परापत कीवजए। इसका ररकािष रखन का एक नमना नीच वदया गया ह। इसी आधार पर अपना ररकािष

बनाए।

ववषय-वस ववशलषण क मापदि

मवदरत सचार माधयम

समाचार पतर / पवतरका का नाम

वतवथ

ववजापन का आकार

ववकास क मद क ववजापन की बारबारता

पकषि सखया

ववरय-वसत

मदा

मि सदश

सदश वाहक / सगिन

सदश की सपषटता

सपािय

परसततीकरण

वचतर की उपवसथवत

वचतर क समथषन म शीरषक

ववजापन षितर

रग योजना

सतिन

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