गाजर 2
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गाजर को उसके प्राकृति क रूप यानी कच्चा खाना लाभदायक हो ा है। भी र का पीलापन भाग नहीं खाना चातिहए। क्योंतिक, वह अत्यघि$क गरम हो ा है। इससे छा ी में जलन हो ी है।1. शि*वरात्री क गाजर का सेवन लाभकारी है।2. गाजर के रस का एक तिगलास पूर्ण. भोजन है। इसके सेवन से रक्त में वृशि0 हो ी है।3. यह पीलिलया की प्राकृति क औषलि5 है। इसका सेवन ल्यूकेघिमया (ब्लड कैं सर ) और पेट के कैं सर में भी लाभदायक है। इसके सेवन से कोषों और 5मतिनयों को संजीवन घिमल ा है। गाजर में ति<टा-केरोटिटन नामक औष5ीय त्व हो ा है, जो कैं सर पर तिनयंत्रर्ण करने में उपयोगी है।4. गाजर ह्दय के लिलए लाभकारी है, रक्तको *ु0 करने वाली है , वा दोषना*क है, पुति@व0.क था टिदमाग और नस-नाडि़Cडयों के लिलए <लव$.क है था <वासीर, पेट के रोगों, सूजन, पथरी था दु<.ल ा का ना* करने वाली है।5. गाजर के <ीज गरम हो े हैं। अ : गभ.व ी मतिहलाओं को उनका प्रयोग नहीं करना चातिहए।6. कैडि़ल्*यम और केरोटीन की प्रचुर मात्रा होने के कारर्ण छोटे <च्चों के लिलए यह उत्तम आहार है। गाजर से आं ों के हातिनकारक कीडे़ न@ हो जा े हैं।7. इसमें तिवटाघिमन ए काफी मात्रा में पाया जा ा है। यह नेत्र रोगों में लाभदायक है।8. गाजर रक्तको *ु0 करने वाली हो ी है। 10-15 टिदन गाजर का रस पीने से रक्ततिवकार, गांठ, सूजन और त्वचा के रोगों में लाभ घिमल ा है इसमें लौह त्व भी अत्यघि$क मात्रा में पाया जा ा है। गाजर खू< च<ा-च<ा कर खाने से दां भी मज<ू , स्वच्छ और चमकीले हो े हैं। मसूढे़ मज<ू हो े हैं।9. रोजाना गाजर का रस पीने से टिदमागी कमजोरी दूर हो ी है।10. गाजर को कद्दकूस करके नमक घिमलाकर खाने से खाज-खुजली में फायदा हो ा है।11. गाजर के रस में नमक, $तिनया पत्ती, जीरा, काली घिमच., नी<ू का रस डालकर पीने से पाचन सं<ं$ी गड़<ड़ी दूर हो ी है।12. ह्दय की कमजोरी अथवा $ड़कनें <ढ़ जाने पर गाजर को भूनकर खाने पर लाभ हो ा है।13. गमS में गाजर का मुरब्<ा टिदमाग के लिलए फायदेमंद हो ा है।