ज्योतिष शास्त्र (ज्योतिष समस्या ऒर...

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 योतष  शा  (योतष  समया  ऒर  समाधान  ) योतष  सीखन  क  इछा  अधकतर  लोग   होती  ह। कन  उनक  सामन  समया  यह  होती   क  योतष  क  श    आत  कहा   क  जाय ? बह    त   पढ़ान  वाल  यो  क    डल -नमा ण   करत  ह। यादातर  िजास    क    डल -नमा ण  क  गणत   ह  घबरा  जात  ह। वह  बच -ख     भयात /भभोत  म    िकल  शद  स    नकर  भाग  खड़  ह  छोट  बात  पर  ग़ौर  कया  जाए , तो  आसानी   योतष  क  गहराइय  म     उतरा  जा  सकता  ह। खक  एव  कलन  कता : पपस ह  राठौड़  तोगावास  peptogawas.com FRIDAY, 25 JULY 2014 योतष   च  महाप    ष  योग  का  बह    त  महवप     थान योतष महाप   योग का बह   महवप    थान महाप   योग का योतष बह   महवप    थान ह।  योग चक,,हस,मालय,शश। जो मशः गल,ब   ,ग   ,श   व शन कारण बनत  ह    शन कारण बनन  वाल योग महाप   योग- . गल कारण चक योग - यद गल अपनी वराश या उच राश म    होकर क   म   ि थत हो तो "चक" नामक योग बनता ह। इस योग म    जम लन  वाला ियत साहसी होता ह। वह अपन  ग   कारण धन, पद तठा ात करता एव  जग सद होता ह। . ब   कारण "" योग - यद ब   अपनी वराश या उच राश म    होकर क   म  ि थत हो तो "" नामक योग बनता ह। इस योग म   जम लन  वाला ियत क   शा ब   िवाला होता ह। वह वता, भवशाल उचपदाधकार होता ह। . ग   कारण "हस" योग - यद ग   अपनी वराश या उच राश होकर िथत हो तो "हस" नामक योग बनता ह। इस योग जम  वाला ियत ब   िदमान आियामक होता एव  ववान वारा सनीय होता ह। . श   कारण "मालय" योग - यद श   अपनी वराश या उच राश म    होकर क   िथत हो तो "मालय" नामक योग बनता ह। इस योग म    जम लन  वाला ियत ववान, स   य   ,यशवी,शात चत,भवशाल,वाहन तान य   होता ह। . शन कारण "शश" योग यद शन अपनी वराश या उच राश म   होकर क   म  ि थत हो तो "शश" नामक योग बनता ह। इस योग म    जम  वाला ियत उचपदाधकार,राजन ता,यायाधपत होता ह। वह बलवान होता ह। वह धनी,स   खी दघा य    होता ह। गजक सर योग "गजक सरस जातत जवी धनधायवान।  म धावी ग   णस पनौ रायिातकरो भव त॥" यद ग   िथत हो तो "गजक सर योग" होता ह। इस योग जम वाला मन   जवी,धन-धाय  य   , धावी,ग   -पन रायाधकार होता ह। राजयोग राजयोग  योग होत  ह     जो मन   को ,धन,उच पद,तठा दत  ह    क   महवप    राजयोग इस कार बनत  ह    - - जब तीन या तीन  अधक अपनी उच राश या वराश म    होत  ह   म   ि थत ह। - जब कोई नीच राश िथत होकर और श   थान िथत हो। - तीन या चार को दबल ात हो। - िथत हो और ग   उस पर िट हो। - नवम दशमश का राश परवत हो। - नवम नवम म    व दशम दशम म    हो। - नवम दशमश नवम या दशम हो। नीचभ राजयोग जम क   डल म    जो नीच राश म   ि थत उस नीच राश का वामी अथवा उस राश का वामी िजसम    वह नीच उच का होता , यद लन अथवा म   ि थत हो तो "नीचभ राजयोग" का नमा होता ह। इस योग म    जम वाला मन   राजाधपत धनवान होता ह। वपरत राजयोग "शो ययषठगो,रप   पतौ रयय वा िथत  रःफ शोप तथ ररप    यियात ितमन वदत,  अयोय गता नरणय   ताचय रय   ता,  जातो सो पतः शत वभवो राजाधराज वरः॥ जब छठ,आठव  ,बारहव    घर वामी छठ , आठव,बारहव   भाव म    हो अथवा इन भाव म    अपनी राश म   ि थत और  ह वल परपर य   , कसी श   श   भाव वामी  य   अथवा ना तो "वपरत राजयोग" का नमा होता ह। इस योग म    जम लन  वाला मन   धनी,यशवी उच पदाधकार होता ह।  अखड सााय योग लाभश,नवम था धनइनम  कोई एक भी यद लन  अथवा लन थान िथत हो और साथ यद ग   वतीय,चम या एकादश भाव का वामी होकर उसी कार म   ि थत हो तो "अखड सााय योग" बनता ह। इस योग म    जम लन  वाल मन   को थायी सााय वप   धन िात होती ह।

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