119-249-full

13
भमालजी की अकारादि वणाानुमणणका (भणरसबोणधनीटीका एवं वैणवदासजी कृ त माहाय सणहत) ~ अंकुरनागपाल (दिली) ारा सपादित () अदास हᳯरभजन णबन मू.४१ () आसुधीर उोतकर मू.९१ () नददास आनद णनणध मू.११० () रघुनाथ गुसा गरड मू.७१ () रणसकमुराᳯर उदार अणत मू.९५ () राधाचरण धान मू.९० () राधारमन सुनन मू.४४ () ऱप सनातन भणजल मू.९३ () णवठलेश सुत सुऻद् मू.८० () हᳯरवंश गुसा भजन मू.९० अगुरी मरोᳯर कही बडो .२३७ अंकु श अबर कु णलश मू.अंी अबुज पांशु को मू.११ अंब अह नये णस मू.५४ अू र आᳰद ुव भये .६९ अर मधुर और मधुर .१५१ अर मुधरताई अनुास .अगय पुलय पुलह मू.१६ अदेव आा दई भन मू.अचरज कहा यह बात मू.७४ अचरज दयो नयो .११ अचरज देणख चख लगै .१०४ अचरज दोऊ नृप पास .१५७ अचरज भयो तह एक मू.६६ अचरज मानत जगत् मू.६२ अजगर घूणम झूणम-झूणम .१६७ अजर धमा आचयौ लोक मू.११९ अजामेल परसंग यह मू.अजू मग चयो जात .२३६ अान धवांत अतᳲह करन मू.७८ अणत अपमान ᳰकयो ᳰकयो .१४९ अणत उदार दपणत याणग मू.६६ अणत उदार णनतार सुजस मू.८८ अनतानद कबीर सुखा मू.३६ अनणमल बात कौन दीणजयै .१८१ अनायास रघुपणत मू.१९ अनुचर आा माणग को मू.५८ अनुरागी अू र सदा उव मू.१५ अतरंग अनुचर हᳯर जू मू.अतरणन नृपाल इक परम मू.५७ अतरयामी नाम मेरो चेरो .१८२ अतᳯर अर चमस मू.१३ परचाव दूध दही .२४७ अब लीला लणलताᳰद बणलत मू.८८ अब सोधे सब अथा मू.७० अणभलाष अणधक पूरन करन मू .९९ अणभलाष अंगद कौ मू .११३ अभैराम एक रसᳲह नेम मू .११७ अमल करी सब अवणन मू .८२ अमूरणत अर रणतदेव मू .१२ अबरीष कᳱ जो .३९ अजुान और भीमसेन चलेई .७९ अजुान के गवा भयो .८८ अजुान ुव अबरीष मू .१५ अाचर षकोन मीन मू .अयो पद णनवाान सोक मू .३८ अलग इणह णवणध रहै मू .५७ अलरक कᳱ कᳱरणत .९३ अवतार णवᳰदत पूरब मही मू .७२ अवलोकत रह के णल सखी मू .९१ अशोक सरा आनद मू .१९ अ᳡कमल बासुकᳱ अणजत मू .२७ अकोन ैकोन इरधनु मू .अकोन षटकोन .१८ अपदी अयास कै तेᳲह मू .४४ अहो रणतदेव नृप संत .९४ अहो षीके श करौ मेरे .२२७ आगन नब तापै .१०६ आइ गयो काल मोह .२४ आइ णमली आणलन .६३ आई जगदया लणग परयो .१०० आई दुबराई सुणध .५५ आई वह बेर लै कराही .१३० आई सुणध यारे कᳱ .५४ आई सुणन बधू पाछ .१७८ आगमो णशवसंणहता मू .२७ आचारज इक बात तोᳲह मू .५८ आचारज कही चढाओ .१२६ आचारज को जामात बात .११० आचारज जामात कᳱ कथा मू .३३ आचारज हᳯरदास अतुल मू .४८ आजु हᳯरबासर सो तासर .८५ आा तब देई .११ आा भु दई जाह .६९ आा भु दई मत .१४९ आᳰद अत मंगल मू .आनदकद ीनद सुत मू .७६ आणन कहे आप पाये .१६० आणन परयो पाय भु .१३६ आणनकै बैठायो पाकशाल .८१ आभरन नाम हᳯर .आमेर अछत कू रम कौ मू .११६ आय खुनसाय कही .३७ आय गई आम .३६ आयकै साद पावै फे ᳯर .२३० आयकै णवचार ᳰकयौ जानी .२२१ आयुध-छत तन अनुग के मू .५३ आये आपु गोद शीश .३८ आये ईश जाणन दुखमाणन .११५ आये गुर घर देणख .१९८ आये गुर घर सुणन .२२३ आये घर माझ तऊ .१८६ आये घर याये पूछ .२३४ आये देणख नाभाजू ने .१२३ आये देणख पारषद गयो .११३ आये णनज ाम वह .५७ आये नृपराजणन को देणख .७९ आये पुर सत आइ .२०९ आये भु टहलुवा ऱप .१८१ आये बणनजारे लैन देख .११७ आये जवासी पठ वृषभ .२४६ आये वामदेव पाछ पूछ .१३३ आये वाही ठौर भर .२०४ आये वेई ठग माला .१५४ आये सारंगपाणन शोकसागर मू .५५ आये हᳯर घर देणख .७३ आयो एक जन धाय .१०५ आयो घर जाणन ᳰकयो .६२ आयो ढग पणत बोणल .२०१ आयो तहा राजा एक .१५३ आयो सऱप फे ᳯर .२४१ आयो णनणश माᳯरबेको .११८ आयो णपता नीच सुणन .६४ आयो भोर राना सेतबार .२२९ आयो रोष भारी तब .२०२ आयो वाको पणत ᳇ार .१७१ आयौ वृदावन वनवासी .२४० आऱढ दसा वै जगत् पर मू .६० आवत अनेक साधु णनपट .२१९ आवत अनेक साधु भावत .१८३ आवत सुने वन .३७ आवत ही कही मोणह .७२ आवत ही राजा देणख .४६ आवत ही लोᳯट गयो .२४९ आवै एक ेत मो .१९४ आवो णजणन धयान करौ .१६३ आशय अगाध दोऊ .२१२ आशय सो गभीर संतधीर .१२६ आशा पास उदारधी मू .१८ आशै अगाध दुह मू .५१ आस पास वा बगर के जह मू .२१

Upload: ankurnagpal108

Post on 19-Jan-2016

36 views

Category:

Documents


0 download

DESCRIPTION

119-249-Full

TRANSCRIPT

Page 1: 119-249-Full

श्रीभक्तमालजी की अकारादिवणाानुक्रमणणका (भणक्तरसबोणधनीटीका एवं वैष्णवदासजी कृत माहात्म्य सणहत) ~ अंकुरनागपाल (दिल्ली) द्वारा सम्पादित

(श्री) अग्रदास हररभजन णबन मू.४१

(श्री) आसुधीर उद्योतकर मू.९१

(श्री) नन्ददास आनन्द णनणध मू.११०

(श्री) रघुनाथ गुसााँईं गरुड मू.७१

(श्री) रणसकमुरारर उदार अणत मू.९५

(श्री) राधाचरण प्रधान हृदैं मू.९०

(श्री) राधारमन प्रसन्न सुनन मू.४४

(श्री) रूप सनातन भणक्तजल मू.९३

(श्री) णवट्ठलेश सुत सुहृद ् मू.८०

(श्री) हररवंश गुसााँईं भजन मू.९०

अाँगुरी मरोरर कही बडो णप्र.२३७

अंकुश अ्बर कुणलश मू.६

अंघ्री अ्बुज पांशु को मू.११

अंब अल्ह कौं नये प्रणसद्ध मू.५४

अकू्रर आदद ध्रुव भये णप्र.६९

अक्षर मधुर और मधुर णप्र.१५१

अक्षर मुधरताई अनुप्रास णप्र.२

अगस्तत्मय पुलस्तत्मय पुलह मू.१६

अग्रदवे आज्ञा दई भक्तन मू.४

अचरज कहा यह बात मू.७४

अचरज दयो नयो णप्र.११

अचरज दणेख चख लग ै णप्र.१०४

अचरज दोऊ नृप पास णप्र.१५७

अचरज भयो तहाँ एक मू.६६

अचरज मानत जगत् में मू.६२

अजगर घूणम झूणम-झूणम णप्र.१६७

अजर धमा आचयौ लोक मू.११९

अजामेल परसंग यह मू.७

अजू मग चल्यो जात णप्र.२३६

अज्ञान धवांत अन्तहह करन मू.७८

अणत अपमान दकयो दकयो णप्र.१४९

अणत उदार द्पणत त्मयाणग मू.६६

अणत उदार णनस्ततार सुजस मू.८८

अनन्तानन्द कबीर सुखा मू.३६

अनणमल बात कौन दीणजयै णप्र.१८१

अनायास रघुपणत प्रसन्न मू.१९

अनुचर आज्ञा मााँणग कह्यो मू.५८

अनुरागी अकू्रर सदा उद्धव मू.१५

अन्तरंग अनुचर हरर जू मू.७

अन्तरणनष्ठ नृपाल इक परम मू.५७

अन्तरयामी नाम मेरो चेरो णप्र.१८२

अन्तररक्ष अरु चमस मू.१३

अन्न परचावैं दधू दही णप्र.२४७

अब लीला लणलतादद बणलत मू.८८

अब सोधे सब ग्रन्थ अथा मू.७०

अणभलाष अणधक पूरन करन मू.९९

अणभलाष भक्त अंगद कौ मू.११३

अभैराम एक रसहह नेम मू.११७

अमल करी सब अवणन मू.८२

अमूरणत अरु रणन्तदवे मू.१२

अ्बरीष भक्त की जो णप्र.३९

अजुान और भीमसेन चलेई णप्र.७९

अजुान के गवा भयो णप्र.८८

अजुान ध्रुव अ्बरीष मू.१५

अद्धाचन्र षट्कोन मीन मू.६

अर्प्यो पद णनवाान सोक मू.३८

अलग न इणह णवणध रह ै मू.५७

अलरक की कीरणत में णप्र.९३

अवतार णवददत पूरब मही मू.७२

अवलोकत रहैं केणल सखी मू.९१

अशोक सरा आनन्द मू.१९

अश्वकमल बासुकी अणजत मू.२७

अष्टकोन त्रैकोन इन्रधन ु मू.६

अष्टकोन षटकोन औ णप्र.१८

अष्टपदी अभ्यास कै तेहह मू.४४

अहो रणन्तदवे नृप संत णप्र.९४

अहो हृषीकेश करौ मेरे णप्र.२२७

आाँगन में नींब ताप ै णप्र.१०६

आइ गयो काल मोह णप्र.२४

आइ णमली आणलन में णप्र.६३

आई जगदया लणग परयो णप्र.१००

आई दबुराई सुणध णप्र.५५

आई वह बेर लै कराही णप्र.१३०

आई सुणध र्प्यारे की णप्र.५४

आई सुणन बधू पाछें णप्र.१७८

आगमोक्त णशवसंणहता मू.२७

आचारज इक बात तोहह मू.५८

आचारज कही यों चढाओ णप्र.१२६

आचारज को जामात बात णप्र.११०

आचारज जामात की कथा मू.३३

आचारज हररदास अतुल मू.४८

आजु हररबासर सो तासर णप्र.८५

आज्ञा तब दईे णप्र.११

आज्ञा प्रभु दई जाहु णप्र.६९

आज्ञा प्रभु दई मत णप्र.१४९

आदद अन्त लौं मंगल मू.७

आनन्दकन्द श्रीनन्द सुत मू.७६

आणन कह ेआप पाये णप्र.१६०

आणन परयो पााँय प्रभु णप्र.१३६

आणनकै बैठायो पाकशाल णप्र.८१

आभरन नाम हरर णप्र.३

आमेर अछत कूरम कौ मू.११६

आय खुनसाय कही णप्र.३७

आय गई आश्रम में णप्र.३६

आयकै प्रसाद पाव ैफेरर णप्र.२३०

आयकै णवचार दकयौ जानी णप्र.२२१

आयुध-छत तन अनुग के मू.५३

आये आपु गोद शीश णप्र.३८

आये ईश जाणन दखुमाणन णप्र.११५

आये गुरु घर दणेख णप्र.१९८

आये गुरु घर सुणन णप्र.२२३

आये घर मााँझ तऊ णप्र.१८६

आये घर ल्याये पूछैं णप्र.२३४

आये दणेख नाभाजू ने णप्र.१२३

आये दणेख पारषद गयो णप्र.११३

आये णनज ग्राम वह णप्र.५७

आये नृपराजणन को दणेख णप्र.७९

आये पुर सन्त आइ णप्र.२०९

आये प्रभु टहलुवा रूप णप्र.१८१

आये बणनजारे लैन दखे णप्र.११७

आये ब्रजवासी पैंठ वृषभ णप्र.२४६

आये वामदवे पाछैं पूछैं णप्र.१३३

आये वाही ठौर भौंर णप्र.२०४

आये वेई ठग माला णप्र.१५४

आये सारंगपाणन शोकसागर मू.५५

आये हरर घर दणेख णप्र.७३

आयो एक जन धाय णप्र.१०५

आयो घर जाणन दकयो णप्र.६२

आयो ढढग पणत बोणल णप्र.२०१

आयो तहााँ राजा एक णप्र.१५३

आयो न सरूप फेरर णप्र.२४१

आयो णनणश माररबेको णप्र.११८

आयो णपता नीच सुणन णप्र.६४

आयो भोर राना सेतबार णप्र.२२९

आयो रोष भारी तब णप्र.२०२

आयो वाको पणत द्वार णप्र.१७१

आयौ वृन्दावन वनवासी णप्र.२४०

आरूढ दसा ह्वै जगत् पर मू.६०

आवत अनेक साधु णनपट णप्र.२१९

आवत अनेक साधु भावत णप्र.१८३

आवत सुने हैं वन णप्र.३७

आवत ही कही मोणह णप्र.७२

आवत ही राजा दणेख णप्र.४६

आवत ही लोरट गयो णप्र.२४९

आवै एक प्रेत मो णप्र.१९४

आवो णजणन धयान करौ णप्र.१६३

आशय अगाध दोऊ भक्त णप्र.२१२

आशय सो गाँभीर संतधीर णप्र.१२६

आशा पास उदारधी मू.१८

आशै अगाध दहुुाँ भक्त मू.५१

आस पास वा बगर के जहाँ मू.२१

Page 2: 119-249-Full

श्रीभक्तमालजी की अकारादिवणाानुक्रमणणका (भणक्तरसबोणधनीटीका एवं वैष्णवदासजी कृत माहात्म्य सणहत) ~ अंकुरनागपाल (दिल्ली) द्वारा सम्पादित

आसकरन पूरन नृपणत भीषम मू.१०२

आस-पास कृणषकार खेत मू.६२

आसाधर द्यौराजनीर सधना मू.९६

आस्तय सो वदन नाम णप्र.१०७

इंददरा पद्धणत उदारधी सभा मू.३२

इच्छा भगवान मुख्य गौन णप्र.२१९

इतने ही मााँझ सुनी णप्र.३७

इन मंजन इस पान हृदय मू.३४

इनकी कृपा और पुणन मू.७

इनके पद बंदन दकये मू.१

इन्र औ अणगन गये णप्र.८६

इन्हैं अब जान दवेो णप्र.११२

इला पत्र मुख अनन्त अनन्त मू.२७

इलावर्त्ा अधीस संकषान मू.२५

इष्ट को स्तवरूप णप्र.२१

ईश्वर अखैराज रायमल मू.११७

ईश्वरांश अवतार मणह मू.४२

उअणि वरष पााँच णप्र.१२

उणक्त चोज अनुप्रास वरन मू.७३

उग्र तेज ऊदार सुघर मू.८५

उठत साँवारे कहैं णप्र.३१

उरठ बहुमान दकयो ददयों णप्र.१७६

उठ्यो चन्रहास णजणह पास णप्र.६४

उत श्रृंखल अज्ञान णजत े मू.४२

उत्मकषा णतलक अरु दाम कौ मू.९२

उत्मकल दशे उडीसा नगर मू.७१

उर्त्म भो लगाय मोर मरकट मू.९१

उत्मसव में सुत दान कमा मू.८४

उनकी तौ बात बणन णप्र.१८६

उनको हजार सोहैं हमको णप्र.१४५

उपजीवी इन नाम के मू.१४

उपजे बणनक कुल सेवें णप्र.१८०

उपदशेे नृपहसह रहत णनत मू.७८

उरग अष्टकुल द्वारपाल मू.२७

उलरट राव भयो णशष्य मू.६३

उल्का सुभट सुषेन दरीमुख मू.२०

ऊाँ चे तें भयौ पात मू.११२

ऊपर दकवार लगे परयो णप्र.१६७

ऊसर तें सर दकयौ मू.१०८

ॠणषराज सोणच कह्यो नारर मू.५७

ए सात प्रगट णवभु भजन मू.८०

एक कह ैडारौ मार णप्र.१५३

एक ददन गई ही णप्र.१८४

एक नृपसुता सुणन णप्र.४३

एक भूप भागौत की कथा मू.५६

एक मोको दीजै दान णप्र.९२

एक समै अधवा चलत मू.६५

एक समै संकष्ट लेय मू.११३

एकन कें यह रीणत नेम मू.९२

एकादशी व्रत की सचाई णप्र.८५

ऐंणच णलयौ एक तामें णप्र.२२९

ऐंसे भूप नारर पणत णप्र.२११

ऐपै तणज दवेो दक्रयो दणेख णप्र.१२०

ऐपै तनु नूनताई णप्र.३५

ऐसी करी सेवा जासों णप्र.२१३

ऐसी भणक्त होइ जोपै णप्र.८७

ऐसे कुल उत्मपन्न भयौ मू.१०८

ऐसे नरनारी णजते णतनही मू.१०

ऐसे प्रभु भाव पग े णप्र.२१

ऐसे प्रभु लीन नहीं काल णप्र.१२२

ऐसे बार दोय चारर णप्र.२४६

ऐसे ही कटायो बार तीणन णप्र.१२२

ऐसे ही करत मास तेरह णप्र.१८३

ऐसे ही करत वृन्दावन घन णप्र.१७४

ऐसे ही कुणलश णप्र.१५

ऐसे ही बरस एक णप्र.२२५

ऐसे ही बहुत ददन णप्र.३५

ऐसै पुत्र आदद आये सााँचे णप्र.१०५

ऐसैं ददन बीते दोय णप्र.१३२

ऐसो हररदासपुर आस पास णप्र.७७

ऐसौ एक आप कणह णप्र.१६०

ऐसौ तुम कहौ जामें णप्र.७८

औचकहीं घर मााँझ सााँझ णप्र.१३८

और एक भाई तानै णप्र.२२५

और और ठौर दफरर णप्र.२३८

और भूप कोउ छ्व ैसकै मू.११९

और युगन तें कमलनयन मू.५५

औरौ णशष्य प्रणशष्य एक मू.३६

औषधी णपसाये अंग अंगणन णप्र.२१७

कछु ददन बााँणच बन्द मा.७

कथा कहन को दफरर मा.७

कपट कुचाल मायाबल णप्र.१६

कपट-धमा रणच जैन-रव्यणहत मू.५१

कबीर काणन राखी नहीं मू.६०

कबीर कृपा तें परमतत्त्व मू.६८

कमध्रुज के कणप चारु णचता मू.५२

कमला गरुड जा्बवान णप्र.२६

कमला गरुड सुनन्द आदद मू.९

कमलाकर भट्ट जगत् में मू.८६

करकोटक तक्षक सुभट मू.२७

करणामृत सुकणवर्त् उणक्त मू.४६

करत करत अनुराग बदढ णप्र.१९८

करत टहल प्रभु वेणग णप्र.१२७

करत णवचार वारर धार णप्र.१६६

करत णवचार शोच सागर णप्र.११६

करत हैं सोच सब णप्र.३७

करणत हसगार दफर आपु णप्र.४७

करतैं दौना भयो स्तयाम मू.५०

करनामृत ग्रन्थ हृद ैग्रणन्थ णप्र.१७५

करमचन्द कश्यप सदन बहुरर मू.७८

करमशील सुरतान भगवान ् मू.११७

करमा सुनाम एक णखचरी णप्र.१९७

करयो ऐसो राज सब णप्र.६८

करयो हठ भारी णमणल णप्र.१४२

करर अणभमान दान दने णप्र.८७

करर गोठ कुण्ड जाय णप्र.२२५

करर दई संग भरी णप्र.२०१

करर पररहास काहू णप्र.२३

करर समाधान णनज ग्राम णप्र.१६२

कररकै अलाप चारी णप्र.४९

कररकै समाज साधु मधय यों णप्र.१२२

करी ऐसी रीणत डारे णप्र.६४

करी ल ैणनदास दसे णप्र.२१८

करी वही बात मूणस णप्र.२०२

करी वाही भााँणत आयौ णप्र.२४३

करुणाणनधान कही सब णप्र.१०७

करुणाणसन्धु कृतज्ञ भये मू.७२

करुना छाया भणक्तफल ए मू.९७

करेऊ उपाय पात पला णप्र.१४१

करै घरी दस तामैं णप्र.२३१

करै णद्वज द्वषे तासों णप्र.२४८

करै णनत चोरी अहो णप्र.३२

करैं हरर भली प्रभु णप्र.२३१

करो समाधान सन्त मैं णप्र.२३६

करो णसन्धु पार णप्र.२९

करौ यह राज जू णप्र.९५

करौ हरर साधु सेवा णप्र.१५४

कदाम अणत्र ररचीक गगा मू.१६

कमाठ ज्ञानी ऐंणच अथा मू.४५

कमाा धमाानन्द अनुज मू.२१

कलश सुधा को णप्र.१७

कला लखा कृतगढौ मानमती मू.१०४

कणल जीव जञ्जाली कारनै मू.४७

कणलजुग जुवतीजन भक्तराज मू.१०४

कणलजुग भणक्त करी कमान मू.११९

कणलयुग धमापालक प्रगट मू.४२

कणव हरर करभाजन भणक्त मू.१३

कणवत नोख णनदोष नाथ मू.८१

कहाँ तक भई साँभार मा.७

कहत तो कही गई णप्र.२२७

कहत समथा गयो णप्र.१०

कहा नाम कहााँ ठांम णप्र.७७

कहा पररहास करो ढरो णप्र.१४०

कहा भयो कर छुटे बदौं मू.४६

Page 3: 119-249-Full

श्रीभक्तमालजी की अकारादिवणाानुक्रमणणका (भणक्तरसबोणधनीटीका एवं वैष्णवदासजी कृत माहात्म्य सणहत) ~ अंकुरनागपाल (दिल्ली) द्वारा सम्पादित

कही जगन्नाथदवे लै प्रसाद णप्र.१९५

कही जावो वाही ठौर णप्र.१८९

कही णजती बात आदद णप्र.६८

कही णजती बात सुणन णप्र.१५७

कही जू पधारो पााँव णप्र.१७१

कही दवेै णवप्र सुता णप्र.१४४

कही नृप भलैं चौकी णप्र.१९४

कही पुजारी सौं यह मा.७

कही भक्तराज तुम कृपा णप्र.११४

कही भली बात सब णप्र.५३

कही युग सुई ल्यावो णप्र.१७२

कही वही साधु सों जु णप्र.१९७

कही णवप्र जाय णप्र.४५

कही शुकदवे जू सों णप्र.९७

कही सब रीणत सुणन णप्र.८१

कही समुझाइ वोई णप्र.११

कही हरे बात मेरे णप्र.२१०

कह ैअहो नाथ सब णप्र.१३८

कह ैदशे भूणम में णप्र.६१

कह ैसोई करैं अब पााँय णप्र.२०३

कह ैसोई करैं दगृ णप्र.२०९

कहैं जन भक्त कहा णप्र.१८६

कहैं मोकों भक्त दक्रया णप्र.२२४

कहो कहा जेवों कछू णप्र.८०

कहो तुम जाय रानी बैठीं णप्र.४३

कहौ को उपाय स्तवगा णप्र.८३

कह्यो जोई दकयो सााँचो णप्र.१०२

कह्यो तेरो द्वषेी याणह णप्र.६७

कह्यो नव मणन्दर में णप्र.४५

कह्यो नृपसुतासों जु णप्र.४४

कह्यो बहु भााँणत ऐप ै णप्र.१६२

कह्यो सुत कहााँ अजू णप्र.२२३

काछ वाच णनकलंक मनौ मू.११६

काजी अणजत अनेक दणेख मू.७५

कारट णलयो शीश ईश णप्र.२१५

कारट लेवौ शीश ईश णप्र.२१४

कारटबो खडग जल बोररबो णप्र.९९

काट ैहाथ कौन मेरो णप्र.१९४

कादढकै ददखाई मानौं णप्र.२२६

कात्मयायणन सांखल्य मू.१८

कान दकैैं सुनो अब णप्र.१३७

काम क्रोध लोभ मद णप्र.६८

कामरी पन्हयैााँ सब नई णप्र.१८२

कामहू णनशाचर के णप्र.१७

काव्य की बडाई णप्र.२

काशीश्वर अवधूत कृष्ण ढककर मू.९६

काश्मीरर की छाप पाप मू.७५

काहू कान कही सुत णप्र.६७

काहू के आराधय मच्छ मू.९२

काहू भााँणत छोडो नृप णप्र.९०

काहू सौं न कहौ यह णप्र.१८४

काह ेकौ माँगाये पच्छी णप्र.२१७

ढकपुरुष राम कणप भरत मू.२५

दकन्दणुबल्व ग्राम तामें णप्र.१४४

दकये परशंस मानो हसं णप्र.११४

दकये सब भक्त हरर साधु णप्र.२०४

दकयो अपराध हम साधू णप्र.१७३

दकयो मद पान सो णप्र.२३

दकयो रूप ब्राह्मन कों णप्र.१४२

दकयो सो महोच्छो ज्ञाणत णप्र.१११

दकयो हो जो द्वार णप्र.२१४

दकील्ह अगर केवल चरण मू.३९

कीणजये कणवर्त् बंद णप्र.१

कीणजये जु कछु अंगीकार णप्र.१३९

कीणजये परीक्षा उर आनी णप्र.९७

कीणजये णवचार अणधकार णप्र.१४५

कीजै कोरट गुनी प्रीणत णप्र.११०

कीनी वही रीणत दगृधारा णप्र.२१०

कीने हररदास मैं तौ णप्र.१८६

कीन्ह्यो वाही भााँणत अहो णप्र.९१

कीरणतदा वृषभानु कुाँ अरर मू.२२

कील्ह औ अगर णप्र.१२

कंुजकेणल द्पणर्त् तहााँ की मू.९०

कुन्ती करतूणत ऐसी करै णप्र.७०

कुरु बराह भूभृत्मय वषा मू.२५

कुरुतारक णशष्य प्रथम मू.३१

कुश पणवत्र पुणन क्रौंच कौन मू.२४

कृपणपाल करुणा समुर मू.३१

कृष्ण कृपा कोपर प्रगट मू.४६

कृष्ण दाम बााँधे सुने णतणह मू.४९

कृष्णकृपा कणह बेणल फणलत मू.४७

कृष्णदास (कृपाकरर) भणक्तदर्त् मू.४१

कृष्णदास पणण्डत उभै मू.९४

कृष्णवेना तीर एक णद्वज णप्र.१६५

केणतक हजार ल ैबजार णप्र.२३५

केशणन कुरटलताई ऐसे णप्र.१४

केशवभट नरमुकुटमणण णजनकी मू.७५

केसौ पुणन हररनाथ भीम मू.१०१

कैसे करर ल्यावैं वैतौ णप्र.२१६

कैसे ये प्रवीन ईश णप्र.२०

कैसो अपकार करै तऊ णप्र.१५८

कोउ ददन बीते नृप णप्र.६१

कोउ मालाधारी मृतक मू.३३

कोऊ कहैं द्वषे कोऊ णप्र.१९२

कोऊ भेषधारी सो व्योपारी णप्र.१२०

कोक काव्य नव रस सरस मू.४४

कोरट ग्रन्थ को अथा तेरह मू.४७

कोढी भयो राजा दकये णप्र.२१६

कौन वह बेर जेणह णप्र.१३०

कौन वह णवथा ताकौ णप्र.२०२

कौषारव कुन्ती बधू पट मू.९

कौषारव नाम सो बखान णप्र.६९

क्रम सौं णनहारर कही णप्र.२२६

दक्रया सब कूप करै णप्र.११५

खाय सो खबावो सुख णप्र.१८३

णखरकी जु मणन्दर के णप्र.२४२

खुणल गई आाँखैं अणभलाखैं णप्र.१६९

खुणल गईं आाँखैं अणभलाखैं णप्र.१८९

खुणल गये नैन ज्यौं णप्र.१७५

खेचर नर की णशष्य मू.७७

खेत पर जाय वाही णप्र.२४८

खेम श्रीरंग नन्द णवष्णु मू.१००

खेमालरतन राठौर के अटल मू.११८

खेलत णखलौना रीणत प्रीणत णप्र.१२९

खेलणत सहणेलन सों आइ णप्र.६३

खेलै भूप चौपरर कों णप्र.१९३

खैंणच लई गााँरठ मूरठ णप्र.५६

खोणल डारी करटपट भवन णप्र.२०६

गंगा गौरी कवरर उबीठा मू.१०४

गई आस टूरट तन णप्र.२०५

गई पै पास स्तवास णप्र.१७२

गई वाही गााँव जहााँ णप्र.२००

गद्गद णगरा गुदार स्तयाम मू.७४

ग्भीरे अजुान जनादान गोणवन्द मू.१०५

गये चणल मणन्दर लौं णप्र.४८

गये जहााँ हसं संत णप्र.२१७

गये ढढग गााँव की णप्र.२४१

गये दवुाासा ॠणष वन णप्र.७१

गये नीलाचल जगन्नाथ जू णप्र.१०८

गये पुर पास बाग णप्र.६२

गये वाके प्रान रोय णप्र.२०९

गये वाही ठौर णशरमौर णप्र.२२३

गयो जा णलवाय ल्याय णप्र.१५९

गयो तहााँ साधु माणन णप्र.१९६

गयो मेरो सन्त रीणत णप्र.१९७

गयो लै महल मााँझ णप्र.१५५

गयौ अणभमान आणन मंददर णप्र.११३

गरुड को आज्ञा दई णप्र.१०९

गरुड नारदी भणवष्य मू.१७

गभा ते णनकणस चले णप्र.९८

गलते प्रगट साधुसेवा णप्र.१३

गणह लीयो कर णजणन णप्र.१३२

गही प्रणतकूलताई जौ णप्र.२५

गह्यो कर रानी सुखसानी णप्र.५६

Page 4: 119-249-Full

श्रीभक्तमालजी की अकारादिवणाानुक्रमणणका (भणक्तरसबोणधनीटीका एवं वैष्णवदासजी कृत माहात्म्य सणहत) ~ अंकुरनागपाल (दिल्ली) द्वारा सम्पादित

गााँरठ में मुहर मग णप्र.१५२

गांगेय मृत्मयु गंज्यो नहीं त्मयों मू.४०

गान कला गन्धवा स्तयाम मू.९१

गावत बजावत लै नीर णप्र.११०

णगरा गंग उनहारर काव्य मू.४८

णगरा गददत लीला मधुर मू.१०९

णगररधरन रीणझ कृष्णदास मू.८१

णगरी जो जलेबी थार णप्र.११९

णगरे मुरझाइ दया आइ णप्र.६०

णगयो भूणम मुरछा ह्वै णप्र.२२९

गुंजामाली णचत उर्त्म मू.१०३

गुण असंख्य णनमोल सन्त मू.६१

गुण पै अपार णप्र.७

गुनणनणध जस गोपाल दइे मू.१०१

गुरु उपदणेश मन्त्र कह्यो णप्र.१०७

गुरु की णगरा णवश्वास मू.५८

गुरु को णवयोग णहये णप्र.३४

गुरु गंगा में प्रणवणश मू.३४

गुरु गददत वचन णशष सत्मय मू.५८

गुरु गमन दकयो परदशे मू.३४

गुरु गुरुताई की णप्र.९

गुरु भरमावैं नीणत कणह णप्र.१०२

गोकुल के दणेखबे कौं णप्र.१८८

गोद में उठाइ णलयो णप्र.१००

गोपद सो ह्वैहैं णप्र.१६

गोपुर ह्वै आरूढ उच्च स्तवर मू.३१

गोर्प्य स्तथल मथुरा मण्डल मू.८७

गोणवन्द गंगा रामलाल मू.१०२

गौड दशेवासी उभै णवप्र णप्र.२३८

गौडदशे पाखण्ड मेरट दकयौ मू.७२

गौडदशे बंगाल हुते सबही मू.८९

घण्टा लै बजावैं नीके णप्र.१२९

घमण्डी युगलदकशोर भृत्मय मू.९४

घर आये हररदास णतनहह मू.६२

घर झर लकरी नाहह शणक्त मू.६७

घर ही णवराजे आप णप्र.२४५

घरतें णनकणस चले वन णप्र.२१२

घृत-सणहत भैंस चौगुनी मू.५२

घोष णनवाणसन की कृपा मू.२२

चक्र दखु माणनलै णप्र.३९

चढ्यो हो जहाज णप्र.१०

चण्ड प्रचण्ड णवनीत मू.८

चतुर महतं ददग्गज चतुर मू.३२

चतुरभुज चररत्र णवष्णुदास मू.१०३

चतुथा तहााँ अणभनन्द नन्द मू.२१

चतुभुाज नृपणत की भणक्त मू.११४

चन्रहास अग्रज सुहृद ्परम मू.११०

चन्रहास णचत्रकेतु ग्राह मू.९

चन्रहास जू सों भाष्यौ णप्र.६५

चरण णचह्न रघुवीर के मू.६

चरण प्रछाल संत णप्र.१३

चलत चलत वामदवेजू के णप्र.१२८

चलत जहाज परर अटदक णप्र.२८

चली यै हसगार करर णप्र.१७२

चली लै णलवाय चेरी णप्र.२१०

चले अकरूर मधुपुरी ते णप्र.१०१

चले अनखाय गणह पााँय णप्र.९१

चले अनखाय पााँय गणह णप्र.८९

चले ई अधर पग धरै णप्र.११६

चले जात अल्ह मग णप्र.२४९

चले जात मग उभै णप्र.२२

चले जात मग ठग णप्र.२३४

चले तहााँ धाइ भूप णप्र.१९५

चले प्रभु गााँव णजणन तजो णप्र.११५

चले भौन मााँझ मन णप्र.१७१

चले लै गहाय कर छाया णप्र.१७४

चले लैके न्हान संग गंग णप्र.११६

चले वृन्दावन मन कह ै णप्र.१७०

चले श्री आचारज पै णप्र.११२

चले सुख पाय दगृ णप्र.१७३

चले सुखपाय दासी आगे णप्र.२१०

चलो आगे दखेौ कोऊ णप्र.१०५

चलो दखेौं अहो यह णप्र.१६८

चल्यो ततकाल दणेख णगरयो णप्र.६७

चल्यो णद्वज तहााँ जहााँ णप्र.१४५

चल्यो प्रभु पास लै णप्र.१३१

चल्योई करन पूजा दशेपणत णप्र.६६

चल्यौ अनखाइ समझाइ णप्र.१४६

चल्यौ दौरर राजा जहााँ णप्र.२४९

चातुरी अवणध नेकु आतुरी णप्र.१८७

चारर बरन आश्रम सबही मू.३५

चाररहू बरन की जु णप्र.१८२

चारौ युग चतुभुाज सदा मू.५२

चाणलस औ आठ ददन णप्र.९४

चाहत मुखारणवन्द अणत णप्र.२९

णचउडा णछपाये कााँख णप्र.५६

णचत्रकेतु प्रेमकेतु भागवत णप्र.६९

णचन्तामणण साँग पायकै मू.४६

णचन्तामणन सुनी वन मााँझ णप्र.१७६

चोपणन के ढेर लाणग णप्र.१३०

चोरी गये बैल ताकी णप्र.२४६

चोरी त्मयागी दई अणत णप्र.२४७

चौदह बरष पीछे आये णप्र.९६

चौबीस प्रथम हरर बपु मू.२८

चौबीस रूप लीला रुणचर मू.५

छपन भोग तैं पणहल मू.५०

छाडो उपहास अब करो णप्र.११४

छाती खोणल रोये संत णप्र.२०७

णछनु में सभीत णप्र.१६

णछप्र छुडहरी गही पाणन मू.६३

छीतम द्वारकादास माधव मू.१००

छीपा वामदवे हररदवेजू को णप्र.१२७

छुयो गयो नेकु कहूाँ णप्र.३४

छूट्डो तन वन राम णप्र.२३०

छोंकर के वृक्ष पर बटुवा णप्र.१८८

जग मंगल आधार भणक्त मू.३६

जगत् णवददत नरसी भगत मू.१०८

जगन्नाथ इष्ट वैराग्य सींव मू.७०

जगन्नाथ के द्वार दाँडौतणन मू.१०७

जगन्नाथ छेत्र मााँझ बैठे णप्र.१७७

जगन्नाथ पद प्रीणत णनरन्तर मू.७१

जगन्नाथदवे आपु भोजन णप्र.१९६

जगन्नाथदवेजू की आज्ञा णप्र.१४५

जतीरामरावणल्ल श्यामखोजी मू.९७

जनम करम गुन रूप मू.७३

जनम करम भागवत धरम मू.२८

जन्म पुणन जन्म को णप्र.७४

जप तप तीरथ नाम नाम मू.६८

जमुना कोली रामा मृगा मू.१०४

ज्बु और पलच्छ सालमणल मू.२४

जय जय मीन बराह मू.५

जयदवे कणव नृप चक्कवै मू.४४

जयन्त धारा रूपा अनुभई मू.१०५

जयन्ती नन्दन जगत् के मू.१३

जयपुरवासी सुणनवे मा.७

जल अन्हवाय सूखे पट णप्र.१६७

जल चदढ आयो नाव णप्र.१२५

जल तैं णनकाणस बहु णप्र.१३५

जल सो रुणधर भयो णप्र.३४

जव हतेु सुनो णप्र.१६

जसू नाम स्तवामी गंगा णप्र.२४६

जसूस्तवाणम के वृषभ चोरर मू.५४

जहााँ णवराजत गोणवन्द मा.७

जाऊाँ एक गााँव दफरर णप्र.१२९

जाओ णनहशंक वे प्रसाद णप्र.११२

जाके तुलसी हैं ऐसे णप्र.१४०

जाके णसर कर धरयो णप्र.११९

जाके णसर कर धयो तासु मू.३८

जाके हम चाकर हैं णप्र.२३०

जाको जो स्तवरूप णप्र.७

जागरन एकादशी करे णप्र.२४२

जागरन मााँझ हरर भक्तन णप्र.१४३

जाणगकै णनहारे ठौर और णप्र.१०९

जाडा चाचागुरू सवाई मू.९७

Page 5: 119-249-Full

श्रीभक्तमालजी की अकारादिवणाानुक्रमणणका (भणक्तरसबोणधनीटीका एवं वैष्णवदासजी कृत माहात्म्य सणहत) ~ अंकुरनागपाल (दिल्ली) द्वारा सम्पादित

जाणत को सोनार पर णप्र.११८

जानकी हरण दकयो णप्र.३८

जानकीरवन दोऊ दशान णप्र.१९१

जाणन गई भक्तबधू चाहणत णप्र.१६१

जाणन लई बात खोणल णप्र.१५२

जाणन लई बात णनणध णप्र.१७७

जाणन सुखमाणन हरर णप्र.८

जाणनकै आवेश तन णशष्यन्नैं णप्र.१२५

जाणनकै णछपाई बात माता णप्र.२३३

जानी इन कोऊ नाहह णप्र.२३४

जानी जब भई णतया णप्र.१४७

जानीऊाँ न जाणत जाणत णप्र.२०७

जानों णनजमणत ऐप ै णप्र.१

जान्यो जब नााँव ठााँव णप्र.१५८

जाबाणल यमदणि मायादशा मू.१६

जाय लग्यो टापू ताणह णप्र.२८

जायके णनशंक यह णप्र.४४

जावो एकबार वह वदन णप्र.५३

जावो बालमीक घर बडो णप्र.७८

जासु सुजस सणस ऊदै मू.७६

जाहीं रूप मांझ णप्र.१४

णजते अवतार सुखसागर णप्र.१४

णजते मेरे साधु कभूाँ णप्र.७८

णजते व्रत दान और स्नान णप्र.१४१

णजते साधु संग णतन्हें णप्र.७३

णजनके न अश्रुपात णप्र.४

णजनही के हरर णनत णप्र.७३

णजन्हें जग गाय दकहूाँ सकै णप्र.७४

णजमींदार सुता ताके भये णप्र.१९९

जुग जेवा कीकी कमला मू.१०४

जुगल नाम सौं नेम जपत मू.९१

जूठणन लै डारौं सदा णप्र.८०

जे बसे बसत मथुरा मण्डल मू.१०३

जेंवत दखेे सबणन जात काहू मू.३३

जेणतक प्रकार सब व्यंजन णप्र.८१

जेणतक वे सोती मोती णप्र.१३७

जेणतक हरर अवतार सबै मू.८६

जेबरी लै फााँणस ददयो णप्र.२१४

जैमल के जुणध मााँणह अश्व मू.५२

जैसे रंग भोणज रही णप्र.४९

जैसो मन मेरे हाड णप्र.१६८

जोग जग्य व्रत दान भजन मू.६०

जोपै कहौ भक्त नाहीं णप्र.७६

जोपै तन त्मयाग करौं णप्र.२१५

जोपै बुणधवन्त रसवन्तरूप णप्र.१९

जोपै लै णपछान कहूाँ णप्र.१५३

जोबनेर गोपाल के भक्त मू.१०६

जोरावर भक्त सों बसाइ णप्र.१०९

जौलौं रहैं दरू णप्र.४

ज्ञान स्तमारत पच्छ कौं मू.८७

ज्यों-ज्यों बल करैं णप्र.१७४

ज्यौं जोगेश्वर मधय मनो मू.७७

झनक मनक जाइ जोरर णप्र.१७२

झाररकै पतौबा गये बाणहर णप्र.१२३

झूठे स्बन्धहू तैं नाम णप्र.२२८

टहलुवा न कोई साधु णप्र.१८०

टीका को चमत्मकार णप्र.४

टोडे भजन णनधान रामचन्र मू.११७

डरपत णहयो ड्योढी णप्र.५४

डरे णशव अज आदद णप्र.१००

डारर ददयो पीत पट णप्र.५१

डारौं याणह मार याको णप्र.५९

डोरठ हू न सोहीं णप्र.३३

डोलैं जगन्नाथ पाछें काछें णप्र.१५०

तऊ दरुाराधय कोऊ णप्र.८

तऊ दढृ कीनी दफरर णप्र.१०८

तऊ न प्रसन्न होत णप्र.२९

तणजकै शरीर काहू नृप में णप्र.१२४

तजी लोकलाज णहये वाही णप्र.१६५

तजे उन प्रान पाये वेणग णप्र.८५

तज्यो जल अन्न अब णप्र.२०३

तत्मवा जीवा दणक्षण दशे मू.६९

तन मन धन पररवार मू.९५

तब तो पठायो प्रहलाद णप्र.१००

तब तौ णखसाने भये णप्र.२४५

तब तौ प्रसन्न नृप पााँव णप्र.१२६

तब तौ लजानौ णहये णप्र.८०

तब दफरर आयकै णप्र.२१

तबही पूरी कथा सुनाऊाँ मा.७

तस्तय राघवाननद भये भक्तन मू.३५

तहाँ श्रीराधारमन पुजारी मा.७

तहााँ दोय इणतहास हैं मा.६

ताको अनुभाव शुभ शंख णप्र.७५

ताको तो प्रमान भगवान णप्र.१६४

ताकौ साधुन के कह े मा.२

तात मात डर खेत थोथ मू.६२

तादशृ ह्वै णतहह काल मू.६३

तामें गई सेवा इन बडोई णप्र.१९९

ताही के प्रताप आप णप्र.१३४

ताही ठौर बैठ्यो मानो णप्र.३०

ताही समय नाभाजू णप्र.१

णततनेई गुरुदवे पधणत मू.३१

णतन चरण धूरर मो मू.१२

णतन णतनकौं राखो मा.७

णतन तैसें परतच्छ भूणम मू.६५

णतन पर स्तवामी णखजे वमन मू.६५

णतनके दरशन काज गये मू.२६

णतनके दशान को गमन े मा.७

णतनके नरहरर उददत मुददत मू.३७

णतनके रामानन्द प्रगट णवश्व मू.३५

णतया रंग भीनी संग णप्र.५७

णतया सकुचाय कर णप्र.५२

णतया सुणन कह ैकृष्णरूप णप्र.५४

णतरलोक पुखरदी णबज्जुली मू.९८

णतलक दाम की सकुच मू.५१

णतलक दाम धरर कोइ ताणह मू.५६

णतलक दाम सौं प्रीणत मू.८४

तीणन कांड एकत्मव साणन मू.४५

तु्हरो भवन और सकै णप्र.१३८

ते दकये नारायण प्रगट मू.८७

ते श्रीभक्तमाल रंग छाये मा.७

तेज पुञ्ज बल भजन महामुणन मू.३८

तेरे जे मनोरथ हैं पूरन णप्र.१२७

तेरेई नगर मााँझ णनणश णप्र.७७

तेहह मारग बल्लभ णवददत मू.४८

तैसेई दइेये श्याम वरष ददन मू.५४

तोही को ददखाई दई णप्र.२३२

णत्रभुवन छीणन णलये ददये णप्र.८७

थानेश्वरी जगन्नाथ लोकनाथ मू.९४

दई कर पाती बात णप्र.६४

दई दास की दादद हुण्डी मू.१०७

दई प्रभु सैन णजणन आवो णप्र.१०३

दई बेटी ब्याणह कणह णप्र.२२२

दई णलणख चीठी जाओ णप्र.६२

दई लै णजवाय गाय णप्र.१३४

दई लै ददकाय दहे णप्र.२२०

दणक्षण में रंगनाथ नाम णप्र.२१२

दणधमुख णद्वणवद मयन्द मू.२०

दरसन आयो राना रूप णप्र.२२७

दरसन काज महाराज मान णप्र.१२३

दलहा पद्म मनोरथ रााँका मू.९७

दश आठ स्तमृणत णजन मू.१८

दशधा स्पणत सन्त बल मू.११८

दशम श्लोक सुणन णप्र.९८

दशरथ वत मान दकयो णप्र.३८

दसधारस आक्राणन्त महत् मू.७२

दामोदर सााँणपले गदा ईश्वर मू.१०५

दारुण णवयोग अकुलात णप्र.९५

दारुमई तरवार सारमय रची मू.५२

दास प्रयाग लोहगं गुपाल मू.१००

दासकों जु डारी चोट णप्र.२४४

दासणनको दास अणभमान णप्र.७६

दाह कृत्मय जों बन्धु न्यौणत मू.३३

दाणहमा वंश ददनकर उदय मू.३८

Page 6: 119-249-Full

श्रीभक्तमालजी की अकारादिवणाानुक्रमणणका (भणक्तरसबोणधनीटीका एवं वैष्णवदासजी कृत माहात्म्य सणहत) ~ अंकुरनागपाल (दिल्ली) द्वारा सम्पादित

ददन ददन प्रणत रूख णप्र.१४४

ददन ददन बढ्यो कछू णप्र.१२८

ददन हो ददवारी कौ णप्र.२३३

ददनकरसुत हररराज मू.२०

ददयो चरणामृत लै दकयो णप्र.११८

ददयो वास आश्रम में णप्र.३३

ददयो सरबसु करर अणत णप्र.१०२

ददयो णसलाटूक लैके नाम णप्र.१९८

ददयो सुत णवष रानी णप्र.२०६

ददयो सौंणप भार तब णप्र.२१३

ददवदास वंश जसोधर सदन मू.१०९

ददव्य भोग आरती अणधक मू.९५

दीजै आज्ञा मोहह सोई णप्र.८९

दीपक बराइ जोपै दखैे णप्र.१६७

दरुवासा ॠणष सीख णप्र.३९

दषु्ट दकये णनजीव सब मू.५५

दषु्ट डारयो मारर गरे णप्र.९९

दषु्टणन दोष णवचारर मृत्मयु मू.११५

दषु्टणन समुणझ कही कीनी णप्र.१५२

दढृ हररभणक्त कुठार आन मू.७५

दखेत णवमुख जाय पााँय णप्र.२११

दखेत हसहासन ते कूदद णप्र.२८

दखेत ही उणड जात णप्र.२१६

दखेत ही ॠणष जल णप्र.३२

दखेा-दखेी णशष्य णतनहुाँ मू.६५

दणेख द्वार भीर पगदासी णप्र.१३६

दणेख पणत सासु आदद जगत णप्र.२०४

दणेख णबकलाई प्रभु णप्र.७०

दणेख भणक्तभाव चाव भयो णप्र.१७९

दणेख लीनी वेई काहू णप्र.१३६

दणेख सो सचाई सुखदाई णप्र.१४३

दणेखके मगन भयो लयो णप्र.१८९

दणेखकै लजानौं कहा दकयौं णप्र.१९५

दणेखकै णवकलताई सदा णप्र.४२

दणेखकै णवभुणत सुख णप्र.५४

दखेी ददन तीणन फेरर णप्र.४६

दखेे चहुाँददणश गाडी कहुाँ णप्र.२४४

दखेे नभ भूणम द्वार णप्र.११२

दखेे सेतबार जानी कृपा णप्र.२२८

दखैे महतारी मग बेटा णप्र.२२०

दखैे हााँफै घोरो अहो णप्र.२३२

दखेैं आइ नाहीं प्रभु णप्र.१८८

दखेैं जो नुहार माला णप्र.२३७

दखेो श्याम आयो णमत्र णप्र.५५

दखेौ बढवारर जाणह णप्र.६

दखेौ साधुताई धरी शीश णप्र.२२२

दखे्यो एक सर खग रह्यो णप्र.१०३

दखे्यो मुख चाहौं लाल णप्र.७०

दखे्यौ मृद ुहास कोरट णप्र.१३१

दवेधुनी तीर सो कुटीर णप्र.११५

दवेधुनी सोत हो अठारै णप्र.१६३

दवेल उलट्डो दणेख सकुणच मू.४३

दवेा णहत णसतकेश प्रणतज्ञा मू.५२

दवेा हमे कल्यान गंगा मू.३९

दवेाचारज णद्वतीय महामणहमा मू.३५

दवेानन्द नरहररयानन्द मू.१००

दवेी अपमान ते न णप्र.६६

दवेे की प्रणतज्ञा करो णप्र.९०

दकैैं बहु भााँणत सो णप्र.१५५

दौरयौ सुख पाइ चाइ णप्र.६६

दौररकै णनशंक णलयो णप्र.६१

द्यौसा एक गााँव तहााँ णप्र.११७

रौपदी सती की बात णप्र.७१

द्वादश प्रणसद्ध भक्तराज णप्र.२०

द्वादश बरष मााँझ भयो णप्र.१२७

द्वादश सुश्लोक णलणख दीजे णप्र.१४९

द्वादशी की आधी रात णप्र.२४३

द्वार पै रह्यौ न णप्र.४८

द्वारका के नाथ जब णप्र.७१

द्वाररका के ढढग ही णप्र.२४२

णद्वज कह ैनाहीं कैसे णप्र.२३९

णद्वजन बुलाई कही यही णप्र.१४८

द्व ैसुत दीजै मोहह कणवत मू.१०९

धन के जतन दफरे णप्र.२१२

धनु पद मांणह णप्र.१९

धनुष बान सौं प्रीणत मू.८३

धन्य धना के भजन को मू.६२

धरयौ णपतु मातु नाम णप्र.२३

धरयौ पै न पीयैं अरयो णप्र.१३३

धरानन्द ध्रुवनन्द तृणतय मू.२१

धरर लई सीस दऊेाँ संग णप्र.१३५

धरी दोऊ मणन्दर में णप्र.१४८

धरीही णपटारी फूल माला णप्र.१२२

धरे सब जाय प्रभु सुकर णप्र.१६४

धाम धन वाम सुत णप्र.४१

धारी उर र्प्यारी णप्र.५

धुणन तेरे कान परै णप्र.२४०

धूप दीप नैवेद्य बहुरर मू.११४

धृष्टी णवजय जयन्त नीणत मू.१९

धयान चतुभुाज णचत धयो मू.१६

ध्रुव उद्धव अ्बरीष मू.९

नग अमोल इक ताणह मू.११३

नदी चढी रही भारी णप्र.१६५

नन्द गोप उपनन्द ध्रुव मू.२२

नन्द सुनन्द सुभर भर मू.८

नन्दसुवन की छाप कणवत मू.१०२

नरपणत कै दढृ नेम ताणह मू.५६

नरबाहन बाहन बरीस जाप ू मू.१०५

नरहसह कौ अनुकरन होइ मू.४९

नरहड ग्राम णनवास दशे मू.१११

नरहररदास जनक भीषम मू.७

नवधा प्रधान सेवा सुदढृ मू.४८

नवधा भजन प्रबोध अनन्य मू.१११

नहुश जजाणत ददलीप मू.१२

नाक सकोचहह णवप्र तबहह मू.३३

नाम अजाणमल साणख नाम मू.६८

नाम अणधक रघुनाथ तें मू.६८

नाम णतलोचन णशष्य सूर मू.४८

नाम प्रीणत नाम बैर नाम मू.६८

नाम महाणनणध मन्त्र नाम मू.६८

नाम लेत णनहपाप दरुरत णतहह मू.७२

नामदवे प्रणतज्ञा णनबाही ज्यों मू.४३

नामा की तो बात णप्र.१८०

नामा ज्यौं नाँददास मुई मू.५४

नारायण आख्यान दढृ तहाँ मू.२६

नारायन आधीन हैं मैं मा.३

नारर सों कह्यो ह ै णप्र.१७१

णनकट णनरन्तर रहत होत मू.८३

णनकट बरेली गााँव तामें णप्र.२४८

णनकसत धाय चाय पग णप्र.११६

णनकसत पूछैं अहो कहााँ णप्र.१८१

णनकस्तयौ णवणपन आणन णप्र.६१

णनतहीं चलत ऐपै चलन णप्र.२०५

णनत्मयान्त (कृष्ण) चैतन्य की मू.७२

णनरावस सो भूप वदन ते मू.५७

णनन्दकजन अणनराय कहा मू.११९

णनपट अधीन दीन भाणष णप्र.२४७

णनपट नरहररयानन्द कौ मू.६७

णनपट णबचारी बुरी दते णप्र.१६०

णनणम अरु नव योगेश्वरा मू.१३

णन्बाददत्मय आददत्मय कुहर मू.२८

णन्बाददत्मय नाम जाते भयो णप्र.१०६

णन्बाददत्मय सनकाददका मू.२९

णनरअंकुश अणत णनडर रणसक मू.११५

णनरखत हरकत हृद ैप्रेम मू.७६

णनरगुन सगुन णनरूप णतणमर मू.११६

णनजान वन में जाय दषु्ट मू.५५

णनभाय अनणन उदार रणसक मू.११८

णनवेद अवणध कणल कृष्णदास मू.३८

णनणसददन प्रेम प्रवाह रवत मू.६४

णनणसददन लग्यौ पग्यौ जग्यौ णप्र.१८९

णनहदकञ्चन इक दास तासु मू.५३

नीर खीर णववरन परम मू.५९

नील मोरधवज तािधवज मू.११

Page 7: 119-249-Full

श्रीभक्तमालजी की अकारादिवणाानुक्रमणणका (भणक्तरसबोणधनीटीका एवं वैष्णवदासजी कृत माहात्म्य सणहत) ~ अंकुरनागपाल (दिल्ली) द्वारा सम्पादित

नीलाचल धाम तहााँ लीला णप्र.१९२

नीलाचल धाम तामें णप्र.१४८

नृत्मय करत नहह तन मू.११२

नृत्मय गान गुन णनपुन मू.८८

नृप न प्रतीणत करै णप्र.२२५

नृप सो मलेछ बोणल णप्र.१३४

नृपणत द्वार ठाढ ेरहैं मू.९१

नृपणत बुलाइ कही णहये णप्र.१५५

नृपसुत भक्त बडो अबलौं णप्र.१२०

नृपहू सुनत अब लाणग णप्र.४७

नैंनणन नीर प्रवाह रहत मू.७४

नौका पठवाई द्वार लाव णप्र.१६८

नौगुण तोरर नूपुर गुह्यौ मू.९२

न्हाइबे को मग झारर णप्र.३१

न्हाइवे की बाट णनणश णप्र.३४

न्हात ही णवदरु नारर णप्र.५१

पंचरस रस सोई णप्र.५

पंणडत समाज बड-ेबड े णप्र.१६४

पदक रह ेआाँब मााँगे णप्र.२४९

पक्व वृक्ष ज्यौं नाय मू.७८

पक्षपात नहह वचन सबही मू.६०

पट्टा दनूा-दनू पावौ णप्र.२२६

पट्टा युगलाख खात सेवा णप्र.२२४

पदढ सााँभरर की रामणत मा.७

पण्डा गोपीनाथ मुकुन्दा मू.१०१

पणण्डत कला प्रवीन अणधक मू.८६

पण्ढरनाथ कृत अनुग ज्यों मू.४३

पणत को णनहोरो तात े णप्र.९३

पत्रावल्ब पृणथवी करी व मू.३५

पद रचना गुरु मन्त्र मनौं मू.६४

पदपंकज बााँछौ सदा मू.१०

पदपराग करुणा करौ जे मू.१४

पदम पदारथ राम दास मू.९६

पद्म अठारह यूथपाल राम मू.२०

पद्म संकु पन प्रगट धयान मू.२७

पद्मखण्ड पद्मा पद्धणत मू.६९

पद्मनाभ गोपाल टेल टीला मू.३९

पयद बकुल रसदान मू.२३

पर अथा परायन भक्त ये मू.९८

परम धमा श्रीमुख कणथत मू.१७

परम रसज्ञ अनन्य कृष्णलीला मू.८७

परमहसं वंशणन में भयौ मू.१०७

परमहसं संणहता णवददत टीका मू.४५

परमानन्द प्रसाद तें माधौ मू.४५

परयो णद्वज दखुी णनज णप्र.१९०

परयो नीर कूदद नेकु णप्र.३०

परयो बडो सोर दगृ णप्र.१७०

परयो सोच भारी दुुःख णप्र.१४१

परयो सोच भारी नृप णप्र.१४९

परयौ सोचभारी कहा णप्र.५९

परवत कन्दरा में दरसन णप्र.११९

परशुराम रघुवीर कृष्ण मू.५

परणस णपछाने लपटान े णप्र.९६

परणस प्रणाली सरस भई मू.६१

पराचीनबर्हह आदद कथा णप्र.७४

पररपाटी धवज णवजै सदशृ मू.८६

परे कूदद नीर कछु सुणध णप्र.१६६

पयो बधू पााँय तेरी णप्र.२२१

पवात लोकालोक ओक मू.२४

पलक परै जो बीच कोरट मू.२६

पल्यो साधु सीथ सौं णप्र.२०८

पणहले वेद णवभाग कणथत मू.७०

पहुाँचत भाष्यो जाइ णप्र.८८

पहुाँचे भवन आइ दई णप्र.२०३

पहुाँचे भवन जाइ चहुाँ णप्र.७९

पहुाँचे वैकुण्ठ जाय णप्र.४०

पााँइ लपटाय अंग धूरर में णप्र.११४

पााँच दोय सत कोस ते मू.११३

पााँयणन को धाररयो जू णप्र.७९

पांय परर आाँसू णप्र.१३

पाक को अबार भई णप्र.१०६

पाग मणध पाती छणबमाती णप्र.६३

पाणछले कणवर्त् मााँझ दहुुाँन णप्र.१९९

पाण्डवन मधय मुख्य णप्र.७५

पाती लैके चल्यो णवप्र णप्र.४३

पाद प्रछालन सुहथ राय मू.११४

पादपद्म ता ददन प्रगट मू.३४

पायो पकवान वन मधय णप्र.२३३

पायो लै प्रसाद स्तवाद कणह णप्र.११३

पायो हम सब अब णप्र.२१८

पारषद मुख्य कह े णप्र.२५

पावाती पूछें दकये णप्र.२२

पालकी णबठाइ णलये णप्र.१५४

पावै जो प्रसाद तब जीभ णप्र.१०४

पावैं प्रभु सुख हम णप्र.२१३

पावैं भणक्त अनपाणयनी जे मू.१९

णपता को सराध नेकु णप्र.१६५

णपता गृह त्मयाणग आइ णप्र.१७८

णपता घर आयो पणत णप्र.८५

णपतासों णनशंक ह्वै कै णप्र.४३

णपर्प्पल रणुमल प्रणसद्ध मू.१३

णपर्प्पल णनणम भरद्वाज मू.१२

पीतर पटतर णवगत णनकष मू.४७

पीपा प्रताप जग वासना मू.६१

पीपा भावानन्द रैदास धना मू.३६

पीयो सुख दीयो जब णप्र.१३३

पुणन ताकी टीका करी मा.१

पुरुष णवशेष पदकमल णप्र.१९

पुरुषोर्त्म सौं सााँच चतुर मू.९७

पूाँछे ते कही ह ैबालमीदक णप्र.८२

पूणछ पूणछ आये तहााँ णप्र.३६

पूणछकै पठाय ददयौ वानै णप्र.२३२

पूछी चले कहााँ कही णप्र.२३६

पूछी प्रभु भयो कहा णप्र.१९७

पूछे ते बतायो ख्भ णप्र.९९

पूछे नृप बोल ेकासों कैसे णप्र.१२१

पूछे भक्त भूप ठौर णप्र.९८

पूछैं आणन लोग कौन े णप्र.१३८

पूछैं नृप नर कोऊ णप्र.१५६

पूछैं बार-बार सीस णप्र.१५७

पूछ्यो भूप णतयासौं जू णप्र.२०६

पूरब जनम कोऊ मेरे णप्र.४५

पूरबजा ज्यौं रीणत प्रीणत मू.६९

पृथ ुपरीणक्षत शेष सूत मू.१०

पृथ्वीराज परचौ प्रगट मू.११६

पैयत न पार तन हारर णप्र.१६६

पैहारी परसाद तें णशष्य मू.३९

पोथी की तो बात णप्र.१५२

पोथी को प्रताप स्तवगा णप्र.१५१

पोथी लेखन पान अघट मू.९३

पौगण्ड बाल कैशोर गोप मू.७४

र्प्याइबे की आस करर णप्र.१३१

प्रगट ददखायो रूप सुन्दर णप्र.२३७

प्रगट प्रभाव दणेख जान्यो णप्र.१०६

प्रगट णवभौ जहााँ घोष मू.७९

प्रचुर पयध लौं सुजस मू.११०

प्रचुर भयो णतहुाँ लोक मू.४४

प्रणतणबण्बत ददणव दणृष्ट मू.७३

प्रथम भवानी भक्त मुणक्त मू.६१

प्रबुध प्रेम की राणश मू.१३

प्रभु ने परीक्षा लई णप्र.२२३

प्रभु सों सचाई जग णप्र.२६

प्रभु ही जनाई मन णप्र.१५०

प्रभू दास के काज रूप मू.६३

प्रभो णतहारी वस्ततु वदन मू.११३

प्रसाद अवज्ञा जाणनकैं पाणण मू.५०

प्रसाद की अवज्ञा तैं णप्र.१९३

प्रणसद्ध प्रेम की राणश मू.११२

प्रणसध बाग सों प्रीणत मू.४१

प्राचीनबर्हह सत्मयव्रत मू.११

णप्रयदयाल परसराम भक्त मू.१०२

णप्रयादास जू के सुणमत्र मा.७

प्रीणत की न रीणत णप्र.१५९

प्रीणत रसरूप भई णप्र.४९

Page 8: 119-249-Full

श्रीभक्तमालजी की अकारादिवणाानुक्रमणणका (भणक्तरसबोणधनीटीका एवं वैष्णवदासजी कृत माहात्म्य सणहत) ~ अंकुरनागपाल (दिल्ली) द्वारा सम्पादित

प्रेम को णवचार आपु णप्र.५२

प्रेम मुददत ह्वै मा.७

प्रेमकन्द मकरन्द सदा मू.२३

प्रेमकी जू बात क्यों हूाँ णप्र.९६

प्रेमपुंज रसराणस सदा गद्गद मू.८५

प्रेमी परम दकशोर उदार मू.११८

फट्डौ पट दणेख नृप णप्र.१५०

फारट गई भूणम सब णप्र.१५७

दफरे दखु पाइ जाइ कही णप्र.१०३

फूले दखेौ कंज तब णप्र.१६३

फें ट ते णनकासी ताल णप्र.१४३

फेरर नृप डौंडी सुणन णप्र.८४

फेररकै पठायो सुख णप्र.४४

फेरी नृप डौंडी यह णप्र.१५१

फेरी पुर डौंडी ताके णप्र.२२०

बच्छ हरन पाछैं णवददत सुनौ मू.५४

बडी कृपा करी आज णप्र.८९

बडी तू अभागी बात णप्र.१८५

बडी ये लडाई लीन्ही णप्र.३८

बडे भणक्तमान णनणशददन णप्र.८

बडे णसद्ध जल णप्र.१२

बडेई असंग वे मतंग णप्र.३२

बडेई दयाल सदा दीन णप्र.४१

बडेई दयाल सदा भक्त णप्र.२२८

बडेई प्रभाववान सकै णप्र.१५४

बडो णनसकाम सेर णप्र.५३

बडोई प्रभाव दखे्यो तैसे णप्र.२४७

बढै ददन ददन चाव णप्र.५०

बदले की बेगारर मूंड वाके मू.६७

बरीनाथ उडीसे द्वारका सेवक मू.१०१

बरीपणत दर्त् कणपलदवे मू.५

बणधक बुलाय कही वेग णप्र.२१६

बणधकणन जानी जासों खगणन णप्र.२१८

बरष हजार दश णप्र.२२

बरष हजार बीते भये णप्र.१०४

बणलबन्ध नाम प्रभु बााँधे णप्र.२४५

बल्लभजू नाम णलयो पृथ ु णप्र.१८७

बहुत काल बपु धाररकै मू.३६

बहुत ठौर परचै ददयौ मू.१०८

बााँणच आाँच लागी मैं णप्र.६५

बााँधे जसुमणत सुणन औरै णप्र.१९२

बात सुनी रानी और णप्र.५०

बाप महतारी मेरे कोऊ णप्र.१८१

बापी पधराय हााँदक जाय णप्र.२४३

बार न बााँकौ भयौ गरल मू.११५

बार बार कहैं नामदवे णप्र.१२९

बार बार पीवो कहूाँ णप्र.१३२

बाल वृद्ध नर नारर गोप मू.२२

बालक णनहारर जानी णवष णप्र.२११

बालकृष्ण जसवीर धीर मू.८०

बालकृष्ण बडभरथ अच्युत मू.१०१

बालदशा बीठल्य पाणन जाके मू.४३

बाल्मीदक णमणथलेश गये मू.११

बाल्मीदक वृद्धव्यास जगन मू.९९

बाहर णनकाणस मानो णप्र.१५३

बाणहरी टहल पात्र णप्र.४६

णबनस्तयो ब्रह्मत्मव कही श्रुणत णप्र.१७९

णबनु हररभणक्त सब जगत णप्र.११७

णबनै व्यास मनो प्रगट ह्वै मू.७०

णबन्धयाचल णतया सी न णप्र.८७

बीच ददये रघुनाथ भक्त मू.५५

बीच ददयो सो कहााँ राम मू.५५

बीणत गई राणत प्रात णप्र.१६९

बीते कैयो याम तब णप्र.२४०

बीते जाम चारर मरर णप्र.१४२

बीते ददन तीणन अन्न णप्र.१८५

बीन लै बजाई गाई णप्र.१६९

बीन लै बजाव ैगावै णप्र.४८

बुद्ध कलक्की व्यास पृथु मू.५

बुणध प्रवेश भागौत ग्रणन्थ मू.१११

बूाँदी बणनयााँ राम माँडौत े मू.१०६

बेला भजन सुपक्व कषाय मू.९३

बैजयंती दाम भाववती णप्र.५

बैठी दढग आइ केरा णप्र.५१

बैठे कृष्ण रुणक्मनी महल णप्र.२३६

बैठे दोऊ जन कोऊ णप्र.१७६

बैठे णनणश चौकी दते णप्र.३२

बैठे णपछवारे जाइ कीनी णप्र.१३७

बैठे मधुपुरी कील्ह मानहसह णप्र.१२१

बैठे वन मधय जाइ णप्र.१७३

बैठे सुख पाइ फल णप्र.३६

बैठे हुते एकान्त आय मू.६६

बैठ्यो लै इकान्त सुत णप्र.६५

बोणल उठी णतया अरधंगी णप्र.९०

बोणल उठे सब ैतेरी णप्र.५८

बोणल उठ्यो एक एणह णप्र.२४४

बोणल नीच जाणत बात णप्र.६५

बोणल णलयौ सन्त सुता णप्र.२२२

बोणलकै सुनाई साष पूजी णप्र.२४१

बोणलबो जौ चाहौं तौ णप्र.२०२

बोली अकुलाय एक जीव े णप्र.२०९

बोली अकुलाय मन णप्र.४४

बोली कर जोरी मेरो णप्र.१४६

बोली भक्तबधू अजू वे णप्र.१६०

बोली मुसुकाय वे टहलुवा णप्र.१८४

बोले अकुलाय तोणह णप्र.५९

बोले कृष्णदवे याको सुनो णप्र.७६

बोले णद्वज बालकी सों णप्र.१४६

बोले प्रभु वेई आवैं णप्र.१०८

बोले भरर भाय तेरौ णप्र.२४२

बोले मुसुकाय णवप्र णक्षप्र णप्र.१४८

बोले रीणझ श्याम णप्र.५२

बोले णवष्णुपुरी पुरी काशी णप्र.१७७

बोल्यो अकुलाय जाय णप्र.८२

बोल्यो अकुलाय मैं तौ णप्र.२२१

बोल्यो अब पाऊाँ कहााँ णप्र.९६

बोल्यो करजोरर याको णप्र.११

बोल्यो घरदासी सो तूाँ णप्र.१८३

बोल्यो छोटो णवप्र णछप्र णप्र.२३९

बोल्यो नृप अजु मोणह णप्र.१६२

बोल्यो भक्तराज तुम बडो णप्र.९२

बोल्यो सुखपाय अजू सााँवरो णप्र.२३२

बोल्यौ मुरझाय मैं तौ णप्र.२२२

बौद्ध कुतकी जैन और मू.४२

ब्याही ही णवमुख घर णप्र.२०१

ब्रज बडे गोप पजान्य के मू.२१

ब्रजबधू रीणत कणलयुग णवषैं मू.७४

ब्रजभूणम उपासक भट्ट सो मू.८७

ब्रजभूणम रहस्तय राधाकृष्ण मू.८९

ब्रजरज अणत आराधय वह ै मू.८१

ब्रजराज सुवन संग सदन मू.२३

ब्रजवल्लभ वल्लभ सुवन मू.८८

ब्रह्म णवष्णु णशव हलग मू.१७

ब्रह्मरन्ध्र करर गौन भये मू.४०

ब्रह्मा णशव कही यह णप्र.४०

भई आाँणख राती लागी णप्र.२००

भई उतकण्ठा भारी आये णप्र.१७४

भई एकादशी अन्न मााँगत णप्र.१४२

भई कहो आगे अब मा.७

भई तब छाया श्याम णप्र.१४७

भई नभ बानी तुम णप्र.१८५

भई बढवार राग भोग णप्र.४७

भई बढवारर ताकौ णप्र.१३

भई यों अवार दखेैं खोणलकैं णप्र.१९६

भई लाज भारी पुणन णप्र.१६१

भई सभा भारी पूछ्यो णप्र.२३९

भई सुणध आपकौं जु णप्र.१६१

भक्त आगमन सुनत सनमुख मू.११४

भक्त कर जोररकैं बचायौ णप्र.२२६

भक्त कृपा बांछी सदा मू.१११

भक्त चरणरज जााँणच णवशद ् मू.७८

भक्त णनसकाम कभूाँ णप्र.४२

भक्त नृप एक सुता णप्र.२०८

भक्त भणक्त भगवन्त गुरु मू.१

Page 9: 119-249-Full

श्रीभक्तमालजी की अकारादिवणाानुक्रमणणका (भणक्तरसबोणधनीटीका एवं वैष्णवदासजी कृत माहात्म्य सणहत) ~ अंकुरनागपाल (दिल्ली) द्वारा सम्पादित

भक्त भजे की रीणत प्रगट मू.६२

भक्तदास इक भूप श्रवन मू.४९

भक्तन की मणहमा कही मा.३

भक्तन की सेवा सो णप्र.१८२

भक्तन के णहत सुत णप्र.२०५

भक्तन को अपराध करै मू.८५

भक्तन को उत्मकषा जनम मू.८४

भक्तन सौं अनुराग दीन मू.८२

भक्तन णहत सुत णवष मू.५०

भक्तणन के संग भगवान णप्र.२३५

भक्तणन कौ आदर अणधक मू.११७

भक्तणन संग भगवाब णनत मू.५३

भक्तणन सौं अणत प्रेम मू.११२

भक्तपाल ददग्गज भगत ए मू.१००

भक्तमाल की गन्ध को मा.१०

भक्तमाल सुणनवै के मा.७

भणक्त को प्रताप ॠणष णप्र.३३

भणक्त को बढावै णप्र.१७

भणक्त छणव भार णप्र.५

भणक्त जो णवभीषण णप्र.२८

भणक्त तेज अणत भाल मू.१११

भणक्त दान भय हरन भुज मू.६४

भणक्त णनसान बजायकै काहू मू.११५

भणक्त महारानी कौ णप्र.३

भणक्त रस रूप णप्र.९

भणक्त णवमुख जो धमा सो मू.६०

भणक्त सुधा जल समुर भये मू.६९

भणक्त ही प्रचार पाछे णप्र.१२६

भणक्ततरु पौधा ताणह णप्र.६

भणक्तवश श्याम जैसैं कामवश णप्र.२०४

भणक्तसुधा कौ णसन्धु सदा मू.८७

भगवत कृपा प्रसाद परमगणत मू.५९

भगवत धमा उतंग आन मू.४७

भगवत् धमा प्रधान प्रसन्न मू.७१

भगवन्त भुक्त अवणशष्ट की मू.१५

भजन जसोदानन्द सन्त संघट मू.८२

भणजव ेको दोई सुघर मू.३

भराश्वग्रीवहय भरस्रव मू.२५

भये इकठौरे माया कीने णप्र.१११

भये उभै णशष्य नामदवे णप्र.१८०

भये चारर भाई करैं णप्र.२३०

भये पुत्र तीन तामें णप्र.१७९

भये णबन भोर बधू णप्र.२०६

भये भील संग भील णप्र.७४

भयो एक ग्वाल साधुसेवा णप्र.२३३

भयो एक भूप ताके णप्र.२०५

भयो जू प्रगट गीत णप्र.१४७

भयो जू प्रगट बाल नाम णप्र.१२८

भयो जू णवचार काशीपुरी णप्र.१६४

भयो जू सबारो दफरर णप्र.१३२

भयो तदाकार यों णनहार णप्र.६०

भयो तन वृद्ध तऊाँ णप्र.१६३

भयो ब्रह्मभोज कोई णप्र.५८

भयो मुख स्तवेत रानी णप्र.१६१

भयो शोक भारी हमें णप्र.२१५

भयौ चह ैहरर पााँणत मा.६

भरत दधीणच आदद भागवत णप्र.८६

भरत पुत्र भागौत सुमुख मू.११९

भरत प्रसंग ज्यौं काणलका मू.६७

भरर अाँकवारर णमले मणन्दर णप्र.२१५

भल नरहरर भगवान् मू.१००

भव णनस्ततारन हते ुदते मू.७६

भव प्रवाह णनस्ततार णहत मू.९६

भवसागर के तरन कौ मू.४

भााँड भक्त कौ भेष हााँणस मू.५६

भााँड भेष गाढो गह्यौ दरस मू.५६

भागवत संत रसवंत कोऊ णप्र.७६

भागवत-टीका करी श्रीधर णप्र.२३४

भाज्यो ददशा ददशा णप्र.४०

भारतादद भागौत मणथत मू.७०

भावन णवरही भरत नफर मू.९८

भीलन को राजा गुह णप्र.९५

भीषमभट्ट अंगज उदार मू.८२

भूखे को न दणेख सकैं णप्र.९४

भूप सुणन चौंक परयो णप्र.१३५

भूयो जू णववाह उत्मसाह णप्र.४५

भेक णवमुख ढढगहीं बसै मा.१०

भोग की न चाह ऐसे णप्र.५७

भोजन णनवारर णतया आइ णप्र.७१

भोर ही पधारौ अब णप्र.८०

मंगल आदद णवचारर मू.२

मंगल मुणन श्रीनाथ मू.३०

मंगलीक ज्बूफल फल णप्र.१७

मग अवलोदक उत परयो णप्र.१११

मग में श्रीगोणवन्ददवे मा.७

मगन प्रेम पीयूष पयध मू.९५

मण्डल ग्वाल अनेक श्याम मू.२२

मणत सुन्दर धीधांग श्रम मू.९७

मथुरा मधय मलेच्छ वाद मू.७५

मधुकण्ठौ मधुवर्त्ा रसाल मू.२३

मधुमंगल सुबल सुबाहु मू.२२

मधुर भाव सण्मणलत लणलत मू.७६

मधयदीप नवखण्ड में भक्त मू.२५

मधवाचारज मेघ भणक्त सर मू.२८

मन ही मतंग णप्र.१५

मनन सुनीर अन्हवाइ णप्र.३

मनुस्तमृणत अत्रेय वैष्णवी मू.१८

मन्त्री वया सुमन्त्र चतुजुाग मू.१९

मणन्दर अघारर दखेैं परो णप्र.२४३

मणन्दर सरावगी कौं प्रणतमा णप्र.२१३

मयानन्द मणहमा अनन्त मू.१०५

मरयो एक भाई वाकौ णप्र.१५९

महदा मुकुन्द गयेश णत्रणवक्रम मू.९९

महा महोत्मसव करत बहुत मू.८८

महा समुर भागौत तें मू.४७

महाजन सुनो सदाव्रती ताको णप्र.२१९

महाप्रभु कृष्णचैतन्य णप्र.१

महासती सत ऊपमा त्मयौं मू.६६

महासमारत लोग भणक्त मू.१०८

मणहमा अपार दणेख भूप णप्र.८४

मणहमा महा प्रसाद की मू.६५

मााँगे बार बार णवदा णप्र.१५५

मााँगौ वर कोरट चोट णप्र.९२

माडौठी जगदीसदास लछमन मू.१०६

माण्डव्य णवश्वाणमत्र मू.१६

माता कह ैटेरर करर णप्र.१३०

माता मन्दालसा की बडी णप्र.९३

माधव दढृ मणह ऊपरै मू.११२

मानसी स्तवरूप में णप्र.१०

माणन मत सार प्रभु णप्र.२१७

माणन राजात्रास दखुराणस णप्र.२२८

माणन लीन्हो बोल वे णप्र.६०

माणन सााँच बात जाणत णप्र.८२

माणनकै प्रताप णचन्तामणन णप्र.१७५

मानुस पठाये सुणध ल्याये णप्र.१२१

मानो एक तन भयो णप्र.५५

मामा रह्यो भीतर औ णप्र.२१४

मार मार करर कर खड्ग णप्र.१९१

मार मारकर खड्ग बाणज मू.४९

मारग में जाइ रह ै णप्र.३५

मारौ याणह काल दषु्ट णप्र.१९१

माका ण्डेय ब्रह्माण्ड कथा मू.१७

माला मुरा दणेख तासु की मू.१०८

मालाधारी साधु तनु सररता णप्र.११०

णमले राम कृष्ण णझले णप्र.१०१

णमल्यो मग हसह यणह णप्र.९०

मीन णबन्द ुरामचन्र णप्र.१८

मुदरका उघारी औ णनहारर णप्र.९३

मुणन मन मााँझ क्यों णप्र.९७

मुरधरखण्ड णनवास भूप मू.१०७

मुरली मधुर सुर राख्यो णप्र.१७५

मृगी पाछे परे करे णप्र.२२४

मृतक गऊ णजवाय परचौ मू.४३

मेरतै प्रथम वास जैमल णप्र.२३१

Page 10: 119-249-Full

१०

श्रीभक्तमालजी की अकारादिवणाानुक्रमणणका (भणक्तरसबोणधनीटीका एवं वैष्णवदासजी कृत माहात्म्य सणहत) ~ अंकुरनागपाल (दिल्ली) द्वारा सम्पादित

मेरी सम सोनो लेहु णप्र.२४४

मेरेऊ न संत णबनु णप्र.४१

मेरो एक भक्त आणह णप्र.८८

मैं तो भये भोर णप्र.१६८

मैं तो हौं अधीन तीणन णप्र.४०

मैं तौ हौं अधीन तेरे णप्र.१८५

मो णचर्त्वृणर्त् णनत मू.८

मोको अणत र्प्यारे साधु णप्र.४१

मोको परयो सोच यज्ञ णप्र.७८

मोपै तौ ददयो न जाय णप्र.९२

मोसौं न णपछााँणन ददन णप्र.१३३

यज्ञ ररषभ हयग्रीव मू.५

यज्ञपणि ब्रजनारर दकये मू.१०

यथा लाभ सन्तोष कुाँ ज मू.८९

यदनुन्दन रघुनाथ रामानन्द मू.१०३

यह रीणत करौलीधीश की मू.११४

यह सुख अणनत्मय णवचारर मू.८९

यही अब दण्ड राज णप्र.२२९

यही एक पद मुख णप्र.१४७

यह ैवचन परमान दास मू.१०६

याके श्रोता आप हैं मा.७

याज्ञवल्क्य अंणगरा शनैश्चर मू.१८

याते नहीं खात वाकी णप्र.१११

यामुन मुणन रामानुज णतणमर मू.३०

याही के प्रभाव भाव णप्र.८४

यो कणहकै भूखे रहे मा.८

योगानन्द गयेश करमचन्द मू.३७

योगी यती तपी तासों णप्र.२६

योगेश्वर आदद रस स्तवाद णप्र.७३

योगेश्वर श्रुणतदवे अंग मू.१०

रंगनाथ को सदन करन मू.५१

रक्तक पत्रक और पणत्र मू.२३

रघुकुल सदशृ सुभाव श्रेष्ठ मू.६९

रघुनन्दन को दास प्रगट मू.८३

रघुनाथ गोपीनाथ रामभर मू.१०३

रघुवर यदवुर गाइ णवमल मू.३७

रणचकै णचता को णवप्र णप्र.१४३

रणचकै हसहासन पै लै णप्र.२९

रची कणवताई सुखदाई णप्र.२

रजनी के शेष ॠणष णप्र.३१

रजनी के शेष पणत णप्र.४६

रतन अपार सारसागर णप्र.२७

रणत दगृ णबन सूझै मा.४

रमनक मछ मनु दास मू.२५

रमा पद्धणत रामानुज णवष्णु मू.२९

रवदक उठाइ लई णप्र.३६

रसना णनमाल नाम मनहुाँ मू.४१

रणसक जैदवे नाम मेरोई णप्र.१४४

रणसकजनन जीवन हृदय मू.४६

रहतो गुलाम गयो धमाराज णप्र.११७

रणह गई एक कााँटो णप्र.८३

रह ेनैन मूाँदद रघुनाथ णप्र.९५

रह ेसमुझाय याणह कछु णप्र.१९९

रह ेसो बरस रस सागर णप्र.१७०

रह ैजाके दशे सो णप्र.६२

रहौ अजू सेवा करौं णप्र.१७३

रह्यो कैसैं जाय अकुलाय णप्र.२०८

राखे हम णहतु जाणन णप्र.१५६

राग भोग णनत णवणवध मू.७९

राजहसहासन बैरठ ज्ञाणत मू.५९

राजा अणत अर गही णप्र.१५८

राजा कौ दीवान ताके णप्र.५८

राजा ढढग आणन करर णप्र.८४

राजा मग चाणह हारर णप्र.१२३

राजा लाज माणन मृद ु णप्र.४२

रानी पणत पर रीणझ बहुत मू.५७

राम चरण णचन्तवणन रहणत मू.४०

राम नाम णलणख सीस णप्र.३०

रामणत गये बगदद मा.७

रामदास के सदन राय मू.५३

रामदास परताप तें खेम मू.८३

राम-नाम णवश्वास भक्त मू.१०७

रामणबन कामकौन फोरर णप्र.२७

रामणमश्र रस राणस प्रगट मू.३०

रामानुज पद्धणत प्रताप अवणन मू.३५

राष्ट्र णववधान णनपुण मू.१९

ररभु इक्ष्वाकरु ऐल गाणध मू.१२

रीणझ गये सन्त प्रीणत णप्र.२११

रीझी बडो णद्वज णनज णप्र.२३८

रीझे प्रभु रह ेद्वार भये णप्र.१०२

रुक्मांगद बाग शुभ गन्ध णप्र.८३

रुक्मांगद हररचन्द भरत मू.११

रूप गुन भरर सह्योजात णप्र.९८

रैना पर गुण राम भजन मू.११८

लई उपजाय काल णप्र.३९

लई बात माणन मानो णप्र.४७

लई यही माणन फेरर णप्र.१३६

लई सो तराजू जासों णप्र.१४०

लक्ष्मण लफरा लडू सन्त मू.९८

लक्ष्मीपणत प्रीणन प्रवीन मू.८

लगी परोसी हौंस भवानी मू.६७

लगे जब तौणलबै कौं णप्र.२४५

लगे वाके पाछे कााँछे णप्र.१७०

लगेई दकनारे जाय चले णप्र.१६६

लग्यो शाक पत्र पात्र णप्र.७२

लघु मथुरा मेरता भक्त मू.११७

लाखा छीतर उद्धव कपूर मू.९९

लागे जब संग युग णप्र.२४०

लाग्योई बढन गोंदा णप्र.६

लाजणन को मारयो राजा णप्र.१६२

लालाचारज लक्षधा प्रचुर भई मू.३३

लावै वन बेर लागी णप्र.३५

णलखी प्रभु चीठी आपु णप्र.१७७

णलयो अनसन हाथ तजौं णप्र.१९३

णलयो कैसें जाइ तु्हें णप्र.१७६

णलयो पणहचाणन पूछ्यो णप्र.३०

लीणजयै णछनाइ यही वारर णप्र.२३७

लीजै बात माणन जल णप्र.१०४

लीला जै-जै जैणत गाय मू.७०

लीला पद रस रीणत मू.११०

लेवो जू णपछाणन तहाँ णप्र.२००

लेवो दशे गााँव जाते णप्र.१३५

लेवो भूणम गाउण बणल णप्र.२१८

लेवौ जू णलखाइ जोपै णप्र.२३९

लेवौ मणत नाम साधु णप्र.२२१

लै करर खडग ताणह णप्र.११९

लै गये ररसायकैं दफराय णप्र.१९३

लै ग्रन्थणन मत आधुणनक मा.२

लैकै गये दरू दणेख णप्र.५९

लैकैं कहााँ धरैं सरबरहू णप्र.१४१

लोकलाज कुल श्रृंखला तणज मू.११५

लोचन उघाररकै णनहारर णप्र.१०

लोमेश भृग ुदालभ्य मू.१६

ल्याई सो णलवाइ जाणत णप्र.१७८

ल्याये कर फूल ताके णप्र.१९५

ल्याये जा णलवाय कहै णप्र.८१

ल्यायो एक कााँटो लै णप्र.१४०

ल्यावौ जू बुलाइ एक णप्र.१३९

ल्यावौ जू बुलाय कह्यो णप्र.२४१

वचन प्रीणत णनवााह अथा मू.७३

वन में रहणत नाम णप्र.३१

वन्दन प्रवीन चाह णनपट णप्र.१०१

वन्दन सुफलकसुवन दास्तय मू.१४

वणााश्रम अणभमान तणज पद मू.५९

वद्धामान गंगल ग्भीर उभै मू.८२

वल्लभ सुत बल भजन के मू.७९

वह गोकुल वह नन्दसदन मू.७९

वही इन कही पणत दखे्यो णप्र.१०५

वही भगवंत संत णप्र.९

वह ैभयौ दसरत्मथ राम मू.४९

वह ैहरर धयान रूपमाधुरी णप्र.५७

वानी भोलाराम सुहृद ् मू.७८

वानी वणन्दत णवदषु सुजस मू.८१

वामन फरसा धरन सेतुबन्धन मू.९२

Page 11: 119-249-Full

११

श्रीभक्तमालजी की अकारादिवणाानुक्रमणणका (भणक्तरसबोणधनीटीका एवं वैष्णवदासजी कृत माहात्म्य सणहत) ~ अंकुरनागपाल (दिल्ली) द्वारा सम्पादित

वामन मीन वाराह अणि मू.१७

वारमुखी के मुकुट कौं मू.५४

णवट्ठलदास माथुर मुकुट भयौ मू.८४

णवट्ठलनाथ ब्रजराज ज्यौं लाल मू.७९

णवदा ह्वै पधारे नभ णप्र.११३

णवददत गान्धवी ब्याह दकयौ मू.११९

णवददत बटोही रूप भये मू.५३

णवददत बात जग जाणनयै मू.६३

णवददत बात संसार सन्त मू.७७

णवददत बात संसार सब मू.७५

णवद्यापणत ब्रह्मदास बहोरन मू.१०२

णवधवा को गभा ताकी णप्र.१२८

णवणध नारद शंकर मू.७

णवणध णनषेध नहह दास मू.९०

णवप्र सो सुनाव ैसीता णप्र.१९०

णवमल बुणद्ध गुन और मू.७३

णवमुख कौं लेत हररदास णप्र.२३५

णवमुख समूह लैकें दकये णप्र.१२४

णवमुखणन को ददयो दण्ड मू.४२

णवश्व के भरणहार धरे णप्र.७२

णवषया भुजंग बलमीक णप्र.१८

णवषया सुनाम अणभराम णप्र.६३

णवष्णु स्तवाणम बोणहत्मथ णसन्धु मू.२८

णवष्णुदास कन्हर रंगा चााँदन मू.३९

णवष्णुपदी भय माणन कमल मू.३४

णवष्णुस्तवाणम स्प्रदाई बडेई णप्र.१७८

णवष्णुस्तवाणम स्प्रदाय दढृ मू.४८

णवष्वक्सेन जय णवजय मू.८

णवष्वक्सेन प्रहलाद बणलर मू.१५

णवष्वक्सेन मुणनवर्यया सु मू.३०

वृन्दावन की माधुरी इन मू.९४

वृन्दावन दढृवास जुगल मू.९३

वेई सब सेवा करैं श्याम णप्र.१०९

वेणग द ैउतारर कर णप्र.२२७

वेणग द ैबताय दीजै णप्र.२२०

वेद न पढाव ेकोऊ कहैं णप्र.१७९

वेद शास्त्र के श्रवण मा.५

वैराणगन के वृन्द रहत मू.७७

वैसे ही बजाओ बीन णप्र.४९

वैसेई सरूप कई गई णप्र.१८८

वोपदवे भागवत लुप्त मू.३०

वोही सुत नारायन णप्र.२४

व्यास सुवन पथ अनुसरैं मू.९०

व्रत को तो नाम यणह णप्र.८३

शंकर शुक सनकादद मू.१५

शंख चक्र स्तवस्ततीक मू.६

शणक्त भक्त सौं बोणल ददनहह मू.६७

शांत दास्तय सख्य णप्र.४

णशवजी की बात णप्र.२०

णशवसंणहता प्रणीत ज्ञान मू.३२

णशषपन सााँचो करन कों मू.५८

णशष्यणन सों कह्यो कभंू दहे णप्र.१२४

शील सुशील सुषेन मू.८

शुभदणृष्ट वृणष्ट मोपर करौ मू.२०

शोणभत णतलक भाल णप्र.८

शौच गये अरर संग मू.७१

श्याम दई कर सैन उलरट मू.२६

श्यामजू णबचारर दीनी णप्र.५६

श्रद्धा ई फुलेल णप्र.३

श्रवण परीणक्षत सुमणत मू.१४

श्रवण णवयोग सुणन तनक णप्र.७०

श्रवणरणसक कहूाँ सुने न णप्र.९७

श्रीअंग सदा साणनणध रहैं मू.१०१

श्रीअनन्तानन्द पद परणसकै मू.३७

श्रीकृष्णदास उपदशे परतत्त्व मू.११६

श्रीणगररधर जू सरस शील मू.८०

श्रीगोवधाननाथ नाम कर मा.७

श्रीगोणवन्ददवे णवख्याता मा.७

श्रीघनश्याम जु पग ेप्रभू मू.८०

श्रीधर श्रीभागौत में परम मू.४५

श्रीनारायण भट्ट प्रभु परम मू.८८

श्रीनारायण वदन णनरंतर मू.२६

श्रीनारायणदास जू कृत मा.१

श्रीपणत नारायन के णप्र.२५

श्रीभट्ट चरण रज परस तें मू.७७

श्रीभट्ट सुभट प्रगट्डौ अघट मू.७६

श्रीभागौत बखाणन अमृतमय मू.८२

श्रीमारग उपदशे कृत स्रवण मू.३४

श्रीमुख पूजा सन्त की मू.१०६

श्रीरघुनाथ जु महाराज मू.८०

श्रीरामानन्द पद पाइ भयौ मू.६१

श्रीरामानन्द रघुनाथ ज्यों मू.३६

श्रीरामानुज उदार सुधाणनणध मू.२८

श्रीरामानुज गुरु बंधु णवददत मू.३२

श्रीरैदास भक्त की मा.७

श्रीवल्लभ गुरुदर्त् भजन मू.८१

श्रीवृन्दावनचन्द स्तयाम-स्तयामा मू.९५

श्रीसुमेरदवे णपता सूबे णप्र.१२१

श्रीहररणप्रय श्यामानन्दवर मू.९५

श्रुणत स्तमृणत स्मत पुरान मू.८६

श्रुणतधमाा श्रुणतउदणध पराणजत मू.३२

श्रुणतप्रज्ञा श्रुणतदवे ॠषभ मू.३२

श्रोतन त ेणनश्चय यह मा.७

श्रोता अरु वक्ता भ्रम मा.७

शे्वतदीप में दास जे श्रवण मू.२६

शे्वतदीप वासी सदा रूप णप्र.१०३

षट्दशानी अभाव सवाथा मू.५६

षट्शास्त्रणन अणवरुद्ध वेद मू.४५

संग के पठाय ददये रहे णप्र.२०७

संग लै हजार णशष्य णप्र.१०८

संजय समीक उर्त्ानपाद मू.१२

संत उर आलवाल णप्र.६

संत कंज पोषन णवमल मू.६४

संसार सकल व्यापक भई मू.१११

संसार स्तवाद सुख बांत मू.८९

सकल सुकुल स्बणलत मू.११०

सख्यत्मवे पारत्मथ समपान मू.१४

सगुन मनावैं एक दणेखबोई णप्र.१०१

सणचव सुवन सों जु णप्र.६६

सठता सताव ैशीत णप्र.१५

सतरूपा त्रयसुता सुनीणत मू.१०

सत्मय कह्यो णतहह शणक्त सुदढृ मू.६१

सदन आणन सत्मकार सदशृ मू.११४

सदाचार की सींव णवश्व मू.४२

सदाचार ज्यों सन्त प्राप्त मू.४१

सदाचार श्रुणत शास्त्र वचन मू.५९

सदशृ गोणपका प्रेम प्रगट मू.११५

सद्ग्रन्थणन कौ सार सबै मू.९३

सनकादद ददयो शाप णप्र.२५

सन्त बधू गभा दणेख उभै णप्र.१२०

सन्त सरोरुह खण्ड कों मू.४४

सन्त साणख जानैं कणलकाल णप्र.१९०

सन्त साणख जानैं सब ै मू.४९

सन्त सुख माणन रणह णप्र.२१९

सन्तणन सहाय काज णप्र.१५

सन्दहे ग्रणन्थ खण्डन णनपुन मू.५९

सन्दहे ग्रणन्थ छेदन समथा मू.९३

सप्तद्वीप में दास जे ते मेरे मू.२४

सब संसार सुआरसी मा.४

सब सन्तन णनणाय दकयौ मू.३

सब सुख साज रघुनाथ णप्र.२७

सबरी सों कह्यो तुम णप्र.३३

सबहीं हैं णनर्त् णप्र.१४

सभाही की चाह अवगाह णप्र.२७

स्प्रदाय णशरोमणण णसन्धुजा मू.३०

स्प्रदाय णसर छत्र णद्वतीय मू.८६

सर्यया भूषन वसन रणचत मू.७९

सरभ रु गवय गवाच्छ मू.२०

सरल हृद ैसन्तोष जहााँ मू.८४

सरस उणक्त जुत जुणक्त मू.११०

सवाभूत णसर नणमत सूर मू.४०

सवासु महा प्रसाद प्रणसद्ध मू.९०

सवासु राधारमन भट्ट गोपाल मू.९४

सवासु सीताराम और कछु मू.८३

Page 12: 119-249-Full

१२

श्रीभक्तमालजी की अकारादिवणाानुक्रमणणका (भणक्तरसबोणधनीटीका एवं वैष्णवदासजी कृत माहात्म्य सणहत) ~ अंकुरनागपाल (दिल्ली) द्वारा सम्पादित

सस्तफुट वकता जगत् में मू.८५

सहस्र आस्तय उपदशे करर मू.३१

सााँभरर की रामणत करर मा.७

सांख्ययोग मणत सुदढृ दकयो मू.४०

साक णवपुल णवस्ततार प्रणसध मू.२४

साखी द ैगोपाल अब णप्र.२३८

सागर संसार ताको णप्र.१८

साधन साधय सत्रह पुरान मू.१७

साधुता न तजै कभूाँ णप्र.१५८

साणन्नधय सदा हररदासवया मू.८१

साम दाम बहु करैं मू.११३

सारंग छाप ताकी भई मू.७४

सारी रामदास श्रीरंग अवणध मू.३७

साणष दने कौ स्तयाम खुरदहा मू.५३

सासु समुझाव ैकछु हाथ णप्र.२०३

णसलणपल्ले के कहत कुाँ अरर मू.५०

णसलणपल्ले भक्ता उभै णप्र.१९८

णसीत लगत सकलात मू.७१

सीत सीत प्रणत क्यों न णप्र.८२

सीता के णवयोग णप्र.२०

सीता झाली सुमणत सोभा मू.१०४

सीता ही सो रूप णप्र.२१

सीतापणत कौ सुजस प्रथम मू.१०९

सीतापणत पद णनत मू.६

सुकुल सुमोखन सुवन अच्युत मू.९२

सुखसागर की छाप राम मू.६४

सुरठ सुनन्द पशुपाल णनमाल मू.२१

सुरठ सुणमरन प्रहलाद मू.१४

सुत कलत्र स्मत सब ै मू.१०९

सुत को ददखाई दते भूत णप्र.११८

सुत नाती पुणन सदशृ मू.११२

सुतबध हररजन दणेखकै मू.५१

सुता एक माली की णप्र.१५०

सुतासों कहत तुम बैरठ णप्र.१४६

सुनत ही तज्यो तन णनज णप्र.१२५

सुनत ही नृपबधु णनपट णप्र.१५९

सुनत ही पाषाद आये णप्र.२४

सुनत ही स्तवर सुणध णप्र.५१

सुनत हीं आणन करर णप्र.१३७

सुनपथ में भगवान् सब ै मू.१०६

सुणन क्रोध गयो मोद णप्र.८९

सुणन चन्रहास चणल वेणग णप्र.६७

सुणन भरर आओ णहयो णप्र.९१

सुणन लई यणह नेकु णप्र.१८४

सुणन संत सभा णप्र.७

सुणन सब चौंदक परे णप्र.७७

सुणन सीणख णलयो यों णप्र.१०७

सुणन सु पुजारी के मा.७

सुणन सुख भयो गयौ णप्र.१९१

सुणन सोच परयो णहयो णप्र.५३

सुणनकै प्रभाव हररदासणन णप्र.२२

सुणनकै प्रसन्न भये णप्र.५०

सुनी यह रीणत एक णप्र.१५१

सुने ह ेअगर णप्र.७

सुनो एक बात सुत णप्र.९१

सुनौ और परचै जो णप्र.१३९

सुनौ कणलकाल बात और णप्र.२२४

सुनौ णचर्त्लाई बात दसूरी णप्र.२०८

सुनौ नृपसुता बात भणक्त णप्र.२०१

सुनौ हररचन्द कथा व्यथा णप्र.८६

सुन्यो भागवती को बचन णप्र.७२

सुपने चुरन ते कहैं मा.८

सुणमरन सााँचो दकयो णलयो णप्र.९९

सुणमरे साराँगपाणण रूप मू.६६

सुमेरदवे सुत जग णवददत मू.४०

सुरगुरु आताताणप पराशर मू.१८

सुरथ सुधन्वा जू सों णप्र.८६

सुरथ सुधन्वा णशणवर मू.११

सुरधुनी ओघ संसगा तैं मू.१०७

सुरसुरानन्द की घरणन कौ मू.६६

सुरसुरी सुवर पुणन उद्गले मू.६५

सूते नर परे जाणग बहर्त्रर मू.३१

सूधो मन सूधी णप्र.१९

सूर कणवत सुणन कौन मू.७३

सूर धीर ऊदार दयापर मू.६९

सूरज कु्भनदास णवमानी मू.९८

सूरज पुरुषां पृथ ूणतपुर मू.३९

सूरवीर हनुमत् सदशृ परम मू.८३

सेज पधराइ गुरु चरचा णप्र.५५

सेज सणलल ते कादढ पणहल मू.४३

सेवत चरण सरोज राय मू.३८

सेवत हरर हररदास रवत मू.१०९

सेवरा प्रबल वास केवरा णप्र.१२४

सेवरा हराये वादी आये णप्र.१२५

सेवा करर सावधान णप्र.२३

सेवा प्रभु करौं नेकु णप्र.८८

सेवा सुणमरण सावधान चरण मू.४१

सेवासमय णवचाररकै चारु मू.२३

सो याके श्रोता अहैं मा.५

सोई बात भई वह बाज्यो णप्र.७५

सोई लै प्रकाश घर घर णप्र.१८७

सोऊ ढढग आइ रहौं णप्र.१९४

सोझा सींवा अधार धीर मू.९६

सोभू ऊदाराम नाम डंगूर मू.९६

सोम भीम सोमनाथ णवको मू.९९

सोमणगरर नाम अणभराम णप्र.१६९

स्तयाम रहत सनमुख सदा मू.६३

स्तवामी जू सौं नातौ णप्र.१५६

स्तवामी रह्यो समाय दास मू.५८

हसं पकरनैं काज बणधक मू.५१

हत्मया कौं प्रसंग करैं णप्र.२४८

हनुमन्त जामवन्त सुग्रीव मू.९

हनूमान वंश ही णप्र.१२

हमहूाँ ल ैसेवा करैं णप्र.५०

हय गय भवन भण्डार णवभौ मू.८९

हरभूलाला हररदास बाहुबल मू.९९

हरर के जे वल्लभ णप्र.२६

हरर के स्मत जे भगत मू.१०५

हरर को णनहारैं उन णप्र.९४

हरर गुरु दासणन णप्र.९

हरर गोणवन्द जै-जै गोणवन्द मू.८४

हरर पकरायो हाथ बहुरर मू.४६

हरर पूजा प्रह्लाद धमाधवज मू.११६

हरर वल्लभ सब प्राथौं मू.९

हरर श्रोता णबन सबन मा.९

हरर सुजस प्रचुर कर मू.१०२

हरर सुणमरण हरर धयान मू.५७

हरर हरर नाम अणभराम णप्र.६८

हररगुण गाय साखी संतन णप्र.२०७

हररगुन कथा अगाध भाल मू.६४

हररजन को यश गावते मू.२

हररदास अयोधया चक्रपाणन मू.९८

हररदास णमश्र भगवान् मू.१०३

हररदासन के दास दसा मू.११८

हररपाल नाम णवप्र धाम णप्र.२३५

हररप्रसाद रस स्तवाद के मू.१५

हररणप्रय रणसक अनन्य मा.७

हररभणक्त णसन्धु बेला रचे मू.३७

हररभृत्मय बसत जे जे जहााँ मू.२४

हररराम हठीले भजनबल राणा मू.८५

हररव्यास तेज हररभजन बल मू.७७

हरे हरे पााँव धरै णप्र.४८

हाथ कंकनैं आरसी मा.९

हारे लै णबडारे जाइ णप्र.२४

णहत ही की बातें णप्र.५२

णहन्द ुतुरक प्रमान रमैनी मू.६०

णहये आइ लाग ेसब णप्र.२००

णहये में हुलास णनज णप्र.१३१

णहयें में सरूप सेवा करर णप्र.१८७

णहरण्यकणशपु प्रह्लाद प्रगट मू.८५

हुती एक बाई कृष्ण रूपसों णप्र.१९२

हुती एक बाई ताको णप्र.१९६

हुती छटी आाँगुरी सो णप्र.६०

हुते एक ठौर नृप णप्र.१५६

Page 13: 119-249-Full

१३

श्रीभक्तमालजी की अकारादिवणाानुक्रमणणका (भणक्तरसबोणधनीटीका एवं वैष्णवदासजी कृत माहात्म्य सणहत) ~ अंकुरनागपाल (दिल्ली) द्वारा सम्पादित

हुतो एक भाई बैरी णप्र.२३१

हुतो एक भूप राम रूप णप्र.१९०

हुतो एक साह तुलादान णप्र.१३९

हुतो नृप एक ताके णप्र.५८

हुतो बालमीदक एक सुपच णप्र.७५

हृद ैसरसाई जुपै णप्र.२

हृषीकेश भगवान् णवपुलबीठल मू.९४

हैं कहा कहौं बनाइ बात मू.५०

होन लगी तहाँ भक्त मा.७

होय करामात तोपै काह े णप्र.१३४

ह्वै करर णनरास ॠणष णप्र.४२

उपरोक्त सारणी केवल भक्तमालजी छ्र्प्पय

क्रमांक ११९, भणक्तरसबोणधनीटीका कणवर्त्

क्रमांक २४९ एवं वैष्णवदासजी कृत माहात्म्य

(स्पूणा) के आधार पर ही बनायी गयी ह।ै

~ सम्पािक - अंकुर नागपाल

4/10, ग्राउण्ड फ्लोर, डबल स्तटोरी, णवजय

नगर, ददल्ली – 110009

दरूभाष - 9871740762

ईमेल – [email protected]

फेसबुक – ankur.nagpal.108