क lकण रेलवे कì राजभाषा...

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कŌकण रेलवे कì राजभाषा पिýका अंक - 14 सतंबर, 2019 कŌकण रेलवे कॉपōरेशन िलिमटेड राजभाषा कìितェ प रヨकार 2018-19 ख-アेý के उपøमŌ के िलए िĬतीय पुरヨकार कŌकण रेलवे कॉपōरेशन िलिमटेड

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  • क कण रेलवे क राजभाषा पि का

    अकं - 14 सतंबर, 2019

    क कण रेलवे कॉप रेशन िलिमटडे

    राजभाषा क ित पुर कार 2018-19 ख- े के उप म के िलए

    ि तीय पुर कारक कण रलेवे कॉप रेशन िलिमटेड

  • अ य एवं बंध िनदेशक जी का संदेश'' '' क कण ग रमा राजभाषा पि का का चौदहवां अंक बु पाठक को स पते हए मुझे अ यंत

    स नता हो रही है। इसके काशन म सहयोग दान करने वाले रचनाकार लेखक एवं /रेलकिमय को मेरी ओर से हािदक बधाई।

    मुझे सभी को अवगत कराते हए अ यंत हष होता है िक क कण रेलवे प रचालन, प रयोजना और या ी संतुि काय के साथ राजभाषा काया वयन म भी सव कृ योगदान दे रही है। इसके फल व प क कण रेलवे को अिखल भारतीय तर पर उ कृ राजभाषा काय-िन पादन के िलए िहंदी िदवस के अवसर पर भारत सरकार के माननीय गृह मं ी, ी अिमत शाह के कर-कमल ारा ि तीय थान क राजभाषा क ित पुर कार शी ड से स मािनत िकया गया। क कण रेलवे को यह पुर कार पांचवी बार ा हआ है, िजसके िलए आप सभी बधाई के पा ह।

    साथ ही गौरव क बात है िक क कण रेलवे िपछले दो वष से नराकास, नवी मुंबई का काय-संचालन कर रही है और नराकास, नवी मुंबई को सव कृ राजभाषा काया वयन के िलए िहंदी िदवस के अवसर पर भारत सरकार के माननीय गृह मं ी, ी अिमत शाह के कर-कमल ारा थम थान क राजभाषा क ित पुर कार शी ड से स मािनत िकया गया।

    क कण रेलवे का अिधकार े ''ख" एवं "ग'' वग म होने के बावजूद भी कमचा रय म राजभाषा के ित एक अतु य उ साह िदखाई देता है। -मेरा क कण रेल किमय से यह आ ह है िक वे अपने दैिनक काय कलाप के साथ साथ राजभाषा िहंदी के बेहतर काया वयन म भी अपना काय िनरंतर आगे बढ़ाने के िलए हमेशा ितब -रह।

    मुझे पूण िव ास है िक क कण ग रमा राजभाषा पि का को और अिधक िचकर एवं ानवधक बनाने म आप '' '' अपना पूरा योगदान देते रहगे। म उ मीद करता हं िक यह पि का न केवल रेल प रवार म बि क िहंदी के यापक

    े म मह वपूण भूिमका का िनवहन करेगी। म पि का के िनरंतर काशन और उ जवल भिव य क सुखद कामना करता हं ।

    जय िह द ।

    ( )संजय गु ा अ य एव ं बंध िनदेशक

    क कण रेलवे कॉप रेशन िलिमटेड

  • सर�क ंसजंय ग�ा ु

    अ�य� एव ं�बधं िनदशेक : परामश� :

    अिमताभ बैनज� िनदशेक (िव�)एच. डी. गजराती ु

    िनदशेक (प�रचालन एव ंवािण�य)सभाष चदं ग�ा ु ु

    िनदशेक (रलेपथ एव ंकाय�): माग�दश�न :

    डॉ. दीपक ि�पाठी म�य राजभाषा अिधकारी एवंुम�य यांि�क इंजीिनयर ु

    : सपंादक : सी.जे.महामलकर ु

    व�र� राजभाषा अिधकारी : सपंादन सहयोगी: सदानदं िचतले

    सहायक राजभाषा अिधकारीसीताराम दबेु

    राजभाषा अनवादकु�ीमती ि�या पोकलेकिन� अनवादकु

    �ीमती �येा काकडेव�र� िलिपक

    रचनाकार� स ेअनरोध ु• “क�कण ग�रमा” पि�का हेत टाइप क� गई ुरचनाए ंिभजवाए ं।

    • रचनाए ं�तरीय एव ं�काशन यो�य ह�।• रचनाकार� के �काशन के सबंधं म� कोई प�ाचार नह� िकया जाएगा ।

    रचनाए ंभेजन ेका पता : सपंादक, “क�कण ग�रमा” राजभाषा िवभाग,

    कमरा नं. 417, क�कण रलेवे कॉप�रशेन िलिमटेड, कॉप�रटे काया�लय, बेलापर भवन, ुसे�टर - 11, सी. बी. डी. बेलापर,ु

    नवी मंबई - 400 614.ुफोन 022-87572015-18 िव�तार-365

    अक - 14ं

    क�कण ग�रमा क�कण रलेवे क� राजभाषा पि�का

    वष� : 2019अक : 14ं

    “क�कण ग�रमा” म� �कािशत साम�ी म� �य� िवचार लेखक� के अपने ह� । रले �शासन को उनसे सहमत होना, आव�यक नह� है। �यि�गत आलेख� एव ंकिवताओ ंके लेखक अपने कॉपीराइट के िलए �वय ं िज�मेदार ह�गे । “क�कण ग�रमा” म� �कािशत साम�ी का िकसी भी अ�य �प म� उपयोग करने से पव� राजभाषा िवभाग से पव� अनमित �ा� करना आव�यक है ।ू ू ु

    – सपंादक 1

    �सतंबर, 2019

    इस अक म�ं िवषय सची प�ू ृ

    अ�य� एव ं�बधं िनदशेक का सदंशे

    1. सपंादक�य 2

    2. िनदशेक (िव�) क� कलम से 3

    3. म�य राजभाषा अिधकारी क� कलम से 4ु

    राजभाषा और तकनीक� लेख 4. यांि�क िवभाग: अतीत, वत�मान और भिव�य दीपक ि�पाठी 5डॉ.

    5. काननी िहदंी का �भाव सी.जे.महामलकर 10ू ु6. िहदंी क� उ�पि� और िवकास सदानंद िचतले 14

    7. 5जी (5G) एक नए पव� क� श�आत िवजय मे�ी 17ु8. राजभाषा पखवाड़ा - 2019 20

    9. बचपन क� अमीरी सतीश धरी 22ु10. �योजनमलक िहदंी रिव �काश 23ू

    सािहि�यक लेख 11. सकारा�मक सोच.. सफलता का मं� सतंोष पाटोले 25

    12. पदसोपान सय� शेखर 27ू13. ज�म – क�मीर अन�छेद 370 और 35 एू ु के बार ेम� कछ ज�री बात� अरिवदं िसहं.जी.राव 29ु14. "गया समय िफर हाथ नह� आता" सीताराम दबे 31ु15. �ोन को िमला नया आसमान ि�या िनकेत पोकले 33

    16. �व�छता एक नयी �ि� �ेया काकडे 37

    पय�टन

    17. क�कण रलेवे पर पय�टन : गोवा के पय�टन �थल �मोद कमार िसहं 41ु �वा��य

    18. पचंत�व आधा�रत भोजन �णाली उ�म डी. जगताप 43

  • ‘''क�कण ग�रमा'' का चौदहवां अकं �ब� पाठक� के स�मख ��तत करते ह�ए मझे अपार हष� क� अनभित हो रही ु ु ु ु ु ूहै।

    प�रचालन,प�रयोजना और �ाहक सतंि� के साथ-साथ अब राजभाषा िहदंी क�कण रले किम�य� क� पहचान बन चक� है। िहदंी ु ुरा�� क� सामािजक और सां�कितक धरोहर क� सवंािहका है और रा�� क� तथा हमार ेक�कण रले क� भी एकता और ृअखंडता क� मह�वपण� कड़ी है। यह िनरतंर �यास रहेगा िक राजभाषा िहदंी केवल िहदंी अिधका�रय� और अनवादक� तक ू ुसीिमत न रहकर सभी अिधका�रय� एव ंकम�चा�रय� के काय� क� भाषा बने और अपनी वा�तिवक छिव �ा� कर ल� ।

    ''क�कण ग�रमा'' के इस अकं म� सभी अिधका�रय� एव ंकम�चा�रय� के िलए �िचपण�, रचना�मक साम�ी के ज�रए राजभाषा ूिहदंी से जड़ने का �यास िकया है । इस �ि� से हम� परा िव�ास है िक िपछले अकं क� तरह यह अकं भी आपको बह�त पसदं ु ूआएगा। इस अकं म� िवशेष �प से यांि�क िवभाग-अतीत, वत�मान, और भिव�य; काननी िह�दी का �भाव,िहदंी क� उ�पि� ूऔर िवकास,राजभाषा पखवाड़े क� झलिकयां,5जी एक नए पव� क� श�आत, �योजनमलक िहदंी, पदसोपान, क�कण रलेवे ु ूपर पय�टन और �वा��य सबंधंी �ानवध�क लेख� को सि�मिलत िकया गया है।

    ''क�कण ग�रमा'' आपक� अपनी पि�का है। क�कण रलेवे के तथा अ�य प�रवारजन� एव ंसभी पाठक� से हमारा पनः आ�ह है ुिक इस पि�का म� �कािशत लेख, रचनाओ ंअ�य साम�ी आिद के बार ेम� अपनी िट�पिणयां एव ं�िति�याओ ंसे हम� अव�य अवगत कराए,ं िजससे िक हम आपक� �िच के अनसार पि�का �कािशत करते रह� । आशा है िक आपक� पि�का क� िवकास ुया�ा म� आप अपना परा योगदान दग� े।ू

    अतं म� यह भी अनरोध रहेगा िक ''क�कण ग�रमा'' का अिधक से अिधक �चार-�सार िकया जाए, तािक पि�का से ुअिधकािधक पाठक जड़ सक� ।ु

    - सपादक ं

    सपादक�यं

    2

    अक - 14ं �सतंबर, 2019

  • मझे यह जानकर �स�नता हो रही है िक क�कण रलेवे क� राजभाषा गह पि�का "क�कण ग�रमा" के �काशन क� ु ृ

    �खंला म� और एक कड़ी चौदहव� अकं के �प म� जड़ रही है।ृ ु

    जहां एक ओर क�कण रलेवे अपनी तकनीक� काय�-कलाप�,�ाहक सतंि�,िविभ�न प�रयोजनाओ ं और गाड़ी ुप�रचालन से सबंिंधत सभी गितिविधय� के मा�यम से समाज क�याण म� लगी ह�ई है, वह� दसरी ओर सवैंधािनक ूदािय�व� को परा करने के �म म� भारत सरकार क� राजभाषा नीित के काया��वयन को सिनि�त करने क� ू ुिज�मेदारी का िनव�हन भी कर रही है । राजभाषा काया��वयन म� भी सव��क� योगदान के िलए क�कण रलेवे को ृअिखल भारतीय �तर पर ि�तीय �थान क� राजभाषा क�ित� पर�कार शी�ड से स�मािनत िकया गया है। साथ ही ुसाथ सव��क� राजभाषा काया��वयन के िलए नराकास, नवी मंबई को भी �थम �थान क� राजभाषा क�ित� पर�कार ृ ु ुशी�ड से स�मािनत िकया गया। आप सभी के सि�मिलत �यास और सि�य सहयोग से ही यह सभंव ह�आ है । इसिलए आप सभी का हािद�क अिभनंदन।

    मझे आशा है िक ��तािवत अकं के मा�यम से पाठक� को सचना�द, उपयोगी एव ं�ानवध�क जानकारी �ा� होगी। ु ू"क�कण ग�रमा" म� सािहि�यक िवषय� के लेख� के अलावा तकनीक� िवषय� को भी �मख �थान िदए जाने क� ुप�रपाटी रही है, जो इस पि�का के �तर को ऊंचा उठाती है और प�रपण� बनाती है। ू

    क�कण रलेवे म� राजभाषा �चार-�सार और उसके �गामी �योग को सिनि�त करते ह�ए िविभ�न �ो�साहन योजनाए ंुलाग क� गई ह�। सभी से मेरा आ�ह है िक इनम� भाग लेकर राजभाषा नीित के काया��वयन म� अपना योगदान द।� ूमझे िव�ास है िक सभी पदािधकारी इस िदशा म� �य�न करते ह�ए अपने सवैंधािनक दािय�व को परी िन�ा से ु ूिनभाएगें।

    "क�कण ग�रमा" के सफल �काशन हेत सपंादक मंडल और सभी रचनाकार� को हािद�क बधाई। ु

    - अिमताभ बैनज�

    िनदशक (िव�) क� कलम स ….....े े

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    अक - 14ं �सतंबर, 2019

  • यह हष� का िवषय है िक क�कण रलेवे कॉप�रशेन िलिमटेड �ारा अपनी राजभाषा गह पि�का "क�कण ग�रमा" के ृचौदहव� अकं का �काशन िकया जा रहा है।

    परातन काल से 'िहदंी' हमार ेरा��ीय �यि��व का �ितिनिध�व करती आ रही है और आज वह भारतीय स�ंकित के ु ृमल त�व� क� अिभ�यि� का मा�यम होने से सिंवधान म� विण�त भावना�मक एकता को मजबत करने का भी ू ूमा�यम है। इसी मा�यम से अपने सवैंधािनक दािय�व� का बेहतर िनव�हन करते ह�ए क�कण रलेवे ने रा��ीय �तर पर इस वष� पांचवी बार और नराकास, नवी मंबई ने पहली बार राजभाषा क�ित� पर�कार �ा� करते ह�ए एक �विण�म ु ुइितहास रचा है।

    िपछली छमाही म� राजभाषा काया��वयन हेत काय�शाला,�िश�ण के साथ कई उ�लेखनीय काय� िकए गए। साथ-साथ ुिहदंी िदवस के उपल�य म� 13 से 27 िसतंबर, 2019 तक 'राजभाषा पखवाड़े' का भी आयोजन िकया गया। इसम� दो चरण� म� िनबधं, वाक और िट�पण आलेखन �ितयोिगताओ ं का आयोजन िकया गया। इसके साथ यिनकोड ् ूटाइिपगं �िश�ण और ��-मंच �ितयोिगता का सफलतापव�क आयोजन िकया गया। नराकास के त�वावधान म� ूयिनकोड टाइिपगं और सम�वय पि�का के िलए लेख �ितयोिगता का भी आयोजन िकया गया। ू

    "क�कण ग�रमा" के इस अकं को क�कण रलेवे के इंजीिनयर� के तकनीक� और कम�चा�रय� के �ानवध�क एव ंसचना�द लेख� से सजाते ह�ए राजभाषा िहदंी म� �कािशत िकया जा रहा है। इसम� राजभाषा सबंधंी सरकारी नीितय� ूक� काया��वयन सबंधंी जानकारी एव ं िविवध बि�जीवी रचनाकार� के मौिलक िचतंन क� सजनशीलता पठनीय है। ु ृइस अकं म� िहदंी भािषय� के साथ-साथ िहदंीतर भािषय� का भी अम�य योगदान है। ू

    "क�कण ग�रमा" न केवल कॉप�रटे काया�लय म� बि�क इसक� सभी इकाइय� म� राजभाषा िहदंी के �चार एव ं�सार म� मह�वपण� भिमका का िनवा�ह करगेी। इस शभकामना के साथ म� "क�कण ग�रमा" के सभी लेखक�, रचनाकार� और ू ू ुसपंादक मंडल को हािद�क बधाई दतेा ह�।ं

    -डॉ. दीपक ि�पाठी

    म�य राजभाषा अिधकारी क� कलम स.....ेु

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    अक - 14ं �सतंबर, 2019

  • अक - 14ं

    5

    रले� म� है हमारी एक अनठी रले,ू

    इंजीिनयरी प�रयोजना का चम�कार ही है,

    पहाड़� निदय� और समंदर को पार करती ह�ई,ु

    उ�र से दि�ण के िदल� को जोड़ती है क�कण रले।

    भारत का पि�मी तट �ाकितक स�दय� से प�रपण� है। यहा के ृ ँू�व�छ, मनोहर सम� िकनार,े जैव िविवधता, ना�रयल ुसपारी के ऊंचे ऊंचे पेड़, हर-ेभर ेखेत, स�ाि� पव�त पर ुिविभ�न पेड़-पौधे, यहा के व�, लताए, छोटी-मोटी निदयां, ँ ृ ँहर िकसी को मं�म�ध कर जाती ह�। क�कण का हापस आम ु ूऔर काज सार ेिव� म� �िस� ह�। �कित ने तो दोन� हाथ� से ृूइस �े� को सदंरता बहाल क� है।ु

    मन को लभानेवाला यह �े� पय�टक� को कई वष� से आक� ु ृकरता रहा था। लेिकन यहा यातायात के साधन पया�� नह� ँथे। यहा के पहाड़� से गजरने वाली छोटी सड़क� या�ा को ँ ुकिठन बनाती थ�। इस वजह से या�ा म� समय �यादा लगता था और इसी कारणवश इस �े� का िवकास भी धीमी गित से हो रहा था। �े� के िवकास को ती� गित �दान करने के िलए क�कणवािसय� �ारा रलेमाग� क� मांग कई वष� से क� जा रही थी। लेिकन यहा के पहाड़ और निदय� क� वजह से ँरलेमाग� का िनमा�ण करना मि�कल था। अ�ेंज� के शासन ुकाल म� एक बार इस �े� म� रलेमाग� िनमा�ण करने का िवचार िकया गया, लेिकन उ�ह� यहा के भ-िव�ान, पहाड़ और ँ ूनिदय� क� वजह से रलेमाग� का िनमा�ण लगभग असभंव �तीत ह�आ और इस कारण यह िवचार �याग िदया गया।

    भारत �वतं� होने के प�ात इस रलेमाग� के िलए पनः पनः ु ुमांग क� जाने लगी। भारतीय रले नेटवक� म� यह �े� एक ‘िमिसगं िलंक’ के �प म� दखेा जाता था �य�िक इसे रले से

    जोड़ने पर उ�र भारत से दि�ण भारत के �ांत� तक रले या�ा म� लगने वाली दरेी को लगभग 15-20 घटें से कम करना सभंव था। इसी महान और चनौतीपण� अिभ�ाय के ु ूिलए भारत के पि�मी तट पर महारा�� और केरल को रले नेटवक� के मा�यम से जोड़ने क� �ि� से क�कण रलेवे कॉप�रशेन िलिमटे़ड का भारत सरकार के उप�म के �प म� गठन िकया गया।

    ‘क�कण रलेवे कॉप�रशेन िलिमटे़ड’ को इस पि�म तटीय �े� के पि�मी घाट के च�ानी भ-भाग म� बड़ी स�ंया म� लंबी ूसरगं� और पल� का िनमा�ण और कल 760 िकलोमीटर ु ु ुलंबाई क� �ॉड गेज लाइन का िनमा�ण करते समय कई अनोखी चनौितय� का सामना करना पड़ा। यहा के लेटराइट ँुप�थर और लाल िम�ी वाले पहाड़ भारी वषा� के कारण िफसलते रहे, सरगं� िगरती रह�, लेिकन िफर भी क�कण ुरलेवे कॉप�रशेन िलिमटे़ड ने अपने नए तकनीक के मा�यम से इन बाधाओ ंको पार करते ह�ए इंजीिनयरी चम�कार के �प म� इस लाइन का िनमा�ण िकया। इसे पर े िव� म� ूअि�तीय और अ�त प�रयोजना के �प म� �िसि� भी ुिमली।

    ‘याि�क िवभाग’ इस प�रयोजना का एक अिभ�न िह�सा ंथा । प�रयोजना चरण के दौरान िनमा�ण काय� म� लगी कई आधिनक मशीन� के िन�पादन और रख-रखाव से लेकर ुप�रचालन चरण के दौरान यांि�क िवभाग ने कई अतलनीय ुकाय� िकए । इसके िलए यांि�क िवभाग ने न केवल क�कण रलेवे अिपत भारतीय रले म� अपनी एक अलग छिव बनाई है।ु

    �ारिभक �व�प:ं

    िकसी भी रलेवे का यांि�क िवभाग गाड़ी प�रचालन और

    - डॉ. दीपक ि�पाठी म�य राजभाषा अिधकारी एवंु

    म�य यांि�क इंजीिनयरु

    �सतंबर, 2019

    याि�क िवभाग : अतीत, वतमान और भिव�य�ं

  • अक - 14ं

    6

    रोिलंग �टॉक से सबंि�धत योजना, उ�पादन और रख-रखाव इ�यािद पारपं�रक काय� करता है। रोिलंग �टॉक का सरि�त परी�ण, � �बधंन, ईधंन �बधंन, या�ी सिवधाओ ंु ू ुके साथ-साथ आपदा �बधंन इ�यािद इस िवभाग के मल ूिन�पादन �े� होते ह�। इन काय� के �ार�भ होने से पहले, िवभाग को क�कण रलेवे म� प�रयोजना चरण के दौरान आयाितत टनिलंग मशीनरी और गैस �ेशर वेि�डंग उपकरण जैसे िवशेष उपकरण� का सचंालन और रख-रखाव का काय� भी स�पा गया था ।

    क�कण रलेवे म� कल 88 िकलोमीटर लंबाई के साथ 92 ुसरगं� ह�। उनम� से कई 02 िकलोमीटर से अिधक लंबी ह�। इस ुिवशाल िनमा�ण प�रयोजना क� चनौती को �वीकार करते ुह�ए, �वीडन से ि�िलंग जबंो और लोडर के नौ सेट आयात करने का िनण�य िलया गया। बमस� / लोडर� क� आपित� करने ू ूवाले ठेकेदार इन उपकरण को काया�ि�वत करने के िलए आगे नह� आए। इस बड़ी बाधा को पार करने के िलए और इस आशय के साथ िक प�रयोजना म� िवलंब न हो, यांि�क िवभाग ने बमर / लोडर को किमशन िकया और काय� �ारभं ूिकया। इस सफल �यास से उ�सािहत होकर, िवभाग ने इन मशीन� को िवभागीय �प से सचंािलत करने और रख-रखाव करने क� चनौती भी �वीकार क�।ु

    क�कण रलेवे ने अपने रले वेि�डंग के िलए ‘गैस �ेशर वेि�डंग’ जैसी नई तकनीक को अपनाया था, जो �ैक िबछाने के काय� म� एक बह�त ही मह�वपण� गितिविध थी। ू�ारभं म� ये उपकरण चीन से आयात िकए गए थे। इस तकनीक म� अ�यिधक �म और िविश� कौशल क� आव�यकता थी। इस सम�या से बचने के िलए, गैस �ेशर वेि�डंग क� जापानी प�ित को अपनाया गया और 18 ऐसे सयं�ं आयात िकए गए। इनके काया��वयन के साथ यांि�क िवभाग ने न केवल इन उपकरण� के रख-रखाव का बीड़ा उठाया, बि�क इस �ि�या म� कई और �वदशेी वेि�डंग �लांट भी िवकिसत िकए और सबंि�धत सभी काय� सफलतापव�क िकए गए।ू

    भारतीय रलेवे के काय�प�ित से हटकर इस िवभाग ने श�आत से ही अपने �ि�कोण को रचना�मक और लचीला ुबनाया और यही इसक� म�य �मता बन गई। इसी �म म� ु‘�व-चािलत चार पिहया रले वाहन, �ोटोटाइप ग�गस� लॉरी का उपयोग �ैक के रख-रखाव हेत कम�चारी तथा साम�ी के ुप�रवहन के िलए िकया जाता है। यह क�कण रलेवे क� अपनी ही एक िवशेषता है, िजसे अब भारतीय रले भी अपना रही है। यांि�क िवभाग �ारा अब ऐसे दस वाहन� का रख-रखाव िकया जाता है। इस काय� के साथ-साथ इस िवभाग ने �ैक मशीन� के सचंालन और रख-रखाव का काय� भी सभंाला है।

    श�आत म� मैसस� �लासर इंिडया से खरीदी गई तीन टाई ुट�िपगं मशीन� का रख-रखाव और सचंालन यांि�क िवभाग �ारा िकया जाता था। वत�मान म� यह िवभाग 09 िविभ�न �कार के �ैक अनर�ण मशीन� का सचंालन और रख-ुरखाव करता है और इनम� और दो मशीन शी� ही शािमल िकए जाने क� उ�मीद है। यांि�क िवभाग �ारा �ैक मशीन का यह काय� परी भारतीय रले म� सराहा गया है।ू

    �सतंबर, 2019

  • अक - 14ं

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    याि�क िवभाग और रले प�रचालन:ं

    लोकोमोिटव, कोच और �ेट �टॉक के रख-रखाव के िलए माल और या�ी सेवाओ ं को चलाने के िलए बिनयादी ुसरंचनाए ंऔर ससंाधन� क� आव�यकता होती है। इसके िलए र�नािगरी, मडगांव, वेणा� और िचपलण म� आव�यक ूबिनयादी सरंचनाए ंबनाई गई। ंलोकोमोिटव और डीजल ुइलेि��क म�टीपल यिनटस (DEMU) के रख-रखाव के ्ूिलए वेणा� म� डीजल रोिलंग �टॉक िडपो श� िकया गया। ुमडगांव और र�नािगरी म� या�ी गाड़ी के रख-रखाव क� सिवधा बनाई गई। अित�र� या�ी सेवाओ ंको शािमल करने ुके साथ एक अित�र� पीट लाइन का िनमा�ण मडगांव कोिचगं िडपो म� िकया गया और इंटरमीिडएट ओवरहॉल (IOH) शेड भी काया�ि�वत क� गई है। मडगांव िडपो ने एलएचबी कोच और बायो-टॉयलेट जैसे उ�नत �ौ�ोिगक� के रख-रखाव के िलए भी �वयं को ससि�जत िकया है।ु

    मडगांव-मंगल� और कारवार-पेडण ेके बीच या�ी सेवा के ुिलए श�आत म� 700 एचपी �मता के केवल दो डेम रके ु ूचलाए जाते थे। अब 1400 एचपी तथा 1600 एचपी के और तीन रके भी शािमल िकए गए ह�। इसके साथ वेणा� िडपो डी.एम.य. और मेम सेवाओ ंके िलए एक �मख क� � के �प ू ू ुम� िवकिसत होने क� अपे�ा है।

    वेणा� म� मालगाड़ी परी�ण और रख-रखाव सिवधाओ ंको ुिवकिसत िकया गया है और इसके प�ात एचपीसीएल के िलए पे�ोिलयम और एलपीजी रके के रख-रखाव हेत ठोकर ु ुम� वैगन परी�ण और अनर�ण िडपो भी बनाया गया। ुवत�मान प�र��य म� यह िडपो एचपीसीएल के िलए पीओएल और एलपीजी के �लोज सिक� ट रके क� समिप�त सेवा को बनाए रखता है। साथ ही र�नािगरी म� चना प�थर के लदान ूक� आव�यकता को परा करने के िलए िचपलण म� वैगन ू ूरख-रखाव के िलए अित�र� सिवधाए ंभी बनाई गई। ंइन ुकाय� के साथ इंजन के िलए डीजल क� आपित� करने के ूिलए मडगांव, वेणा�, र�नािगरी और िचपलण म� मैसस� ू

    इंिडयन ऑयल के मा�यम से ईधंन पॉइंट भी काया�ि�वत िकए गए। अब इन �थान� से �ित वष� लगभग 40,000 के.एल. ईधंन इ�य िकया जाता है।ू

    क�कण रलेवे का िनमा�ण काय� परा होने पर �ेन प�रचालन ू�ारभं िकया गया। इस माग� पर पैस�जर और मेल / ए�स�ेस गािड़य� को डायवट� िकया गया। इसके प�रणाम�व�प चालक दल क� आव�यकता अचानक बढ़ गई। उस समय क�कण रलेवे के पास सीिमत स�ंया म� ही चालक दल उपल�ध थे। इस कमी को परा करने के िलए �े�ीय रले� से ूकम�चा�रय� को �ितिनयि� पर भेजने के िलए अनरोध ु ुिकया गया। तथािप, उनसे अपेि�त �िति�या न िमलने के कारण क�कण रलेवे ने सेवािनव� लोको िनरी�क� और ृचालक दल को सलाहकार के �प म� भत� िकया और यातायात को कशलता से सभंाला। वत�मान म� इस िवभाग के ुपास 400 से अिधक रिनंग कम�चारी ह�, िज�ह� सभी �कार क� उ�नत �ौ�ोिगक� से सस�जीत इंजन� को चलाने के ुिलए �िशि�त िकया गया है। श�आती दौर म� इन ुकम�चा�रय� के �िश�ण क� �यव�था �े�ीय �िश�ण क� �, भसावल म� क� जा रही थी। अब क�कण रलेवे अकादमी ु(के.आर.ए.), मडगाव म� पन�या� और पदो�नित पाठय�म ँ ्ुसिहत सभी �कार के �िश�ण िदए जाते ह�। साथ ही साथ इन सभी कम�चा�रय� को िव�त कष�ण के िलए तैयार करने ुहेत भी �िश�ण िदया जा रहा है।ु

    उ� काय� क� िज़�मेदारी सभंालते ह�ए यह िवभाग रले दघ�टनाओ ंके मामले म� बचाव काय� के िलए भी उ�रदायी ुहै। इस उ�े�य से वेणा� म� 140 टन �ेकडाउन �ेन सिहत एक दघ�टना राहत गाड़ी भी उपल�ध कराई गई है। साथ ही साथ ुवेणा� एव ं र�नािगरी म� सभी सिवधाओ ं से य� ु ु‘एसपीएआरएमवी’ भी उपल�ध कराई गयी ह� ।

    क�कण रलेवे क� एक िवशेष पहल, िजसक� रा���यापी सराहना क� गई, वह है रोल-ऑन रोल-ऑफ (RORO) सेवा। यह सेवा जनवरी,1999 म� पहली बार क�कण रलेवे

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    पर सरतकल और कोलाड �टेशन� के बीच श� क� गई। ु ुइसम� िमिलटरी / डीबीकेएम वैगन का उपयोग िकया गया था। इस सेवा म� सड़क पर चलाने वाले �क� को समतल वैगन� पर लोड करके ले जाया जाता था। कछ वष� िमिलटरी ु/ डीबीकेएम वैगन का उपयोग करने के प�ात इस सेवा को सचंािलत करने के िलए िवभाग �ारा उपय� सशंोधन िकया ुगया। बाद म� इस रो-रो सेवा के िलए BRN वैगन� का उपयोग िकया गया। इसके भी आगे कदम रखते ह�ए, प�रवहन क� सम� लागत को बचाने के िलए और �ित गाड़ी म� अिधक �क� को ले जाने के िलए रो-रो सेवा म� उपयोग करने के िलए पराने BOXN �टॉक के �पांतरण का काय� श� िकया ु ुगया। अब तक कल 177 BOXN वैगन� को ऐसे तीन रके� म� ुप�रवित�त िकया गया है। इन िनरतंर �यास� के साथ, क�कण रलेवे ने 6 रो-रो रके तैयार िकए ह�। सरतकल ु(केआरसीएल) और करमबेली (पि�म रलेवे) के बीच श� ुक� गई नई सेवा के सपोट� के िलए और एक रके प�रवित�त करने क� योजना है। यह अनठी रो-रो सेवा रलेवे, सड़क ूप�रवहन के साथ-साथ रा�� के िलए भी फायदमेंद है।

    यांि�क िवभाग ने �ौ�ोिगक� को सकारा�मक �प से अपनाया है। नए िडज़ाइन क� �ेन, जैसे िक एलएचबी, तेजस, डबल डेकर, िव�टाडोम, डीईएमय इ�यािद, ूकं�यटीकत � �बधंन �णाली (CMS), कोच �बधंन ृू ू�णाली (CMM) एव ं�ैक मशीन म�टेन�स �णाली ऐसी ही कछ सफलतापण� पहल ह�।ु ू

    नई टे�नोलॉजी नए �यवसाय:

    पण�-िवकिसत रले �णाली के सचंालन के अित�र�, ूक�कण रलेवे ने सरं�ा मानक� म� सधार करते ह�ए रलेवे पर ुरख-रखाव और सचंालन को उ�नत करने के उ�े�य से िविभ�न �ौ�ोिगक� आधा�रत प�रयोजनाओ ं को भी शािमल िकया है।

    ऐसी ही एक प�रयोजना थी एटी कोिलजन िडवाइस ं

    (ACD) या र�ा कवच। यह क�कण रलेवे �ारा िवकिसत एक �वयं काय� करने वाला माइ�ो�ोसेसर आधा�रत सचंार उपकरण है। इसे लोकोमोिटव, �ेक वैन, एसएलआर, �टेशन� और मानव सिहत / मानव रिहत लेवल �ॉिसगं फाटक� पर �थािपत िकए जाने पर यह �णाली से�शन के बीच, �टेशन �े� और समपार फाटक� पर ती� गित के टकराव को रोकती है, िजससे अम�य जीवन क� र�ा हो ूजाती है। �ेिकंग क� अिंतम ि�या ऑटो �ेिकंग यिनट ू(ABU) के मा�यम से होती है, िजसे यांि�क िवभाग �ारा िवकिसत िकया गया है। यह �णाली परी तरह से �वदशेी है ूऔर इसे सफलतापव�क एन.एफ. रलेवे पर काया�ि�वत ूिकया गया है। क�कण रलेवे के यांि�क िवभाग के मौजदा ूससंाधन� से िविभ�न शेड� के इंजन� पर ABU क� �थापना का काय� भी िवभागीय �प से िकया गया था। बाद म�, नए िडजाइन एचएचपी इंजन� के िलए एन.एफ. रलेवे म� सफल परी�ण� सिहत नए िडजाइन एचएचपी इंजन� के िलए एबीय ू�ौ�ोिगक� भी िवकिसत क� गई थी।

    इसके साथ इस िवभाग क� और एक मह�वपण� पहल है ू‘�वचािलत कोच वॉिशगं �लांट।‘ इसक� क�पना और िवकास इन हाउस िकया गया तथा इसे मडगांव और र�नािगरी कोिचगं िडपो म� �थािपत िकया गया है। इस प�रयोजना से �ा� अनभव के आधार पर, 'ऑटोमैिटक ुकोच वॉिशगं �लांट' का एक नया िडज़ाइन िवकिसत िकया गया और 2012 म� कोच केयर स�टर, मडगाव तथा 2013 म� ँकोलकाता मे�ो म� सफलतापव�क �थािपत और काया�ि�वत ूिकया गया। यह िडज़ाइन आयाितत क� तलना म� काफ� ुिकफ़ायती है। दिषत जल का (ए��यएटं) उपचार सयं�ं ुूऔर जल मदकरण (सॉ�टिनंग) सयं�ं जैसी पया�वरण के ृ ुअनकल �णाली के मा�यम से पनच��ण भी िकया जाता है। ु ू ुइस �लांट के िलए �ाहक� के ��ताव म� वि� करने के �म म� ृइसक� लागत लगभग 20% से कम क� गई है और िविभ�न उ�पाद मॉडल अब िवकिसत िकए गए ह�।

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    साथ-साथ यांि�क िवभाग ने वष� 2015 म� र�नािगरी म� '�वचािलत �ेन परी�ण �णाली (ATES)' क� �थापना क�। इ��ारडे स�सर और हाई �पीड कैमर� पर आधा�रत यह �णाली, क�कण रलेवे के यांि�क िवभाग ने िनिम�त क�, िजसे अब भारत सरकार �ारा पेट�ट भी �ा� हो चका है। यह ु�णाली गािड़य� का परी�ण �वचािलत �प से करती है और इससे सरं�ा और िव�सनीयता म� भी काफ� सधार ुहोने क� अपे�ा है। आयाितत �ौ�ोिगिकय� क� अपे�ा कम लागत वाले �वदशेी िवक�प �दान करने के िलए इस प�रयोजना को और आगे बढ़ाने क� योजना है। आज हमने क�कण रलेवे, म�य रलेवे और पि�म रलेवे म� पांच �थान� पर यह �णाली �थािपत क� है।

    यांि�क िवभाग ने रोिलंग �टॉक इं�ा���चर डेवलपम�ट, प�रचालन और म�टेन�स जैसी प�रयोजनाओ ंको हािसल करने के िलए कई बड़े कदम उठाये ह�। 410 करोड़ �पए क� प�रयोजना लागत पर भारतीय रलेवे के िलए िचपलण म� ूरोिलंग �टॉक कंपोन�ट फै�टरी के िनमा�ण क� प�रयोजना श� क� है। इसके साथ यह िवभाग भारत और िवदशे� म� ुरोिलंग �टॉक सबंि�धत �यवसाय के िलए भी कई �यास कर रहा है। िजसम� नेपाल को डीईएमय �ेन क� स�लाई और ूरले प�रचालन, �माट� याड� प�रयोजना इ�यािद शािमल ह�।

    भिव�य �ि�- िवभाग ने हमेशा अपने किम�य� के साम�य� पर हमेशा िव�ास िकया है और िकसी भी काय� को परा करने के ूिलए स�म तथा बह�आयामी किम�य� को एकि�त िकया गया है। सभी �कार के रोिलंग �टॉक और �ैक मशीन� के िलए �ॉस िडसी�लीन म�टीपल ि�कल म� इस िवभाग के किम�य� को �िशि�त िकया गया है। रोिलंग �टॉक म� नई तकनीक� का सचंालन और रख-रखाव के िलए उ�ह� पारगंत भी िकया जा रहा ह�। डी.ई.एम.य. का सिनयोिजत इंड�शन, ू ुआधिनक माइ�ो�ोसेसर आधा�रत इंजन, एलएचबी कोच, ुबायो-टॉयलेट और नवीनतम तकनीकय� �ैक मशीन� के ुकशल सचंालन �ारा इसक� पि� क� जा सकती है।ु ु

    इस िवभाग का उ�े�य अपने �वाभािवक लचीलेपन और नवो�मेषी काय��णाली के साथ कशल तथा समिप�त ुकम�चा�रय� के सहयोग से सही अथ� म� एक िश�ारत उ�म (learning organization) बनकर अपनी िवरासत को आगे बढ़ाना है। िन�न म�य उ�े�य� के साथ अपने काय�भार ुऔर �ौ�ोिगक� दोन� के सदंभ� म� क�कण रलेवे का यांि�क िवभाग, िनरतंर सधार के िस�ांत� पर काय� करते ह�ए ुभिव�य क� चनौितय� को �वीकार करने के िलए तैयार हैु

    1. लीन �बधंन अ�यास से म�य विध�त सेवाए ं �दान ूकरना।

    2. रोिलंग �टॉक और �ैक मशीन �बधंन म� उपल�धता, िव�सनीयता और सर�ा मानक� म� लगातार सधार करना।ु ु

    3. �िश�ण, िवकास और सशि�करण के मा�यम से मानव ससंाधन �मताओ ंका िनमा�ण करना।

    4. स�म चेन पाट�नर बनाने के िलए िव�ेताओ ंऔर �यापार भागीदार� को स�म करना।

    5. उ�ोग 4.0 हेत समेिकत प�रवत�न के िलए उ�पाद, ु�ि�या और सचना �ौ�ोिगिकय� का िवकास करना और ूअपनाना।

    6. �यवसाय िवकास और प�रयोजनाओ ंके िन�पादन क� िदशा म� �यापक �यास करना।

    इन उ�े�य� के साथ यांि�क िवभाग िनरतंर समिप�त �प से काय� करगेा और क�कण रलेवे के उ�े�य� को �ा� करते ह�ए पर े िव� म� अपने अतलनीय काय� से एक क�ित�मान ू ु�थािपत करगेा। इस िवभाग �ारा िकए गए काय� से क�कण रलेवे ही नह� बि�क भारतीय रले और परा भारत दशे ूगौरवाि�वत महसस करगेा ।ू

    क�कण रलेवे करती है,

    सादर सेवा ।

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    बढ़ते वै�ीकरण क� चनौती और कॉप�रटे �े� क� ुआव�यकता ने अ�ेंजी भाषा से जहां �गित,िवकास और पदो�नित को जोड़ िदया है, वह� समय-समय पर इस म�े ुने जोर पकड़ा है िक कानन या �याय �शासन के िलए ूिहदंी भाषा का होना बह�त आव�यक है, िजसे लोग� �ारा आसानी से समझी जा सके।

    19 अग�त, 2014 अिधव�ा ितवारी ने काननी िहदंी के ूप� म� यािचका दायर क� और स�ीम कोट� ने उस ुयािचका पर क� � सरकार को नोिटस जारी िकया तथा जवाब मांगा िजसम� अदालत क� काय�वाही के सचंालन के िलए िहदंी को आिधका�रक भाषा बनाने हेत सिंवधान ुके अन�छेद 348 म� सशंोधन क� बात क� गई है।ु

    उ�चतम �यायालय के पव� �यायाधीश माक� डेय काटज ने ू ूतिमलनाड म� िहदंी भाषा िवरोधी आदंोलन के दौरान ुिहदंी के अिधरोपण का िवरोध िकया, िकंत चे�नई म� ुिव�िव�ालय के समारोह म� तिमल� को िहदंी सीखने क� सलाह दी, �य�िक िहदंी का �े� बह�त �यापक है।

    काननी िहदंी का �भाव सिंवधान क� भावना के अनकल ू ु ूनह� है, इसिलए भारत के सिंवधान ने िहदंी को दशे के राजकाज क� भाषा तथा अ�य भारतीय भाषाओ ं को �दशे के राजकाज क� भाषा का �थान िदया है जो सिंवधान क� उ�ेिशका म� विण�त भारत के लोकतांि�क रा�य के �व�न के िलए आव�यकता था, िक�त ु�यायपािलका के िलए सिंवधान क� भावना के अनकल ु ूखद को ढाल सकना सभंव नह� हो सका, िजसके अनेक ु

    ��ांत िन�नानसार ह�-ु

    मध िलमये बनाम वेदमित� मामला- इस मामले म� �ी ु ूराजनारायण अपना िनवेदन िहदंी म� ��तत करना चाहते ुथे,कछ �यायाधीश िहदंी म� िदए गए तक� को समझ नह� ुपा रहे थे अतएव अदालत ने उनके सामने तीन िवक�प रखे-एक अ�ेंजी म� तक� कर,� दसरा, वे अपने वक�ल को ूऐसा करने क� अनमित द,ेया तीसरा, वे अपनी बात ुिलिखत �प म� अ�ेंजी म� द,� परतं �ी राजनारायण को ये ुशत� मंजर नह� थ�। उ�चतम �यायालय ने यह िनण�य ूिदया िक चिंक अन�छेद 348 के अनसार �यायालय क� ू ु ुभाषा केवल अ�ेंजी है, इसिलए �ी राजनारायण को अपनी बात िहदंी म� रखने क� अनमित नह� दी जा सकती ुहै। सिंवधान के अन�छेद 19(1) (क) �ारा �ा� ुमलािधकार के नाम पर यिद इसक� अनमित द ेदी जाए ू ुतो असिमया, कोई गजराती,कोई तिमल, तो कोई बगंला ुम� तक� करगेा और �यायािधश� के िलए यह असमंजस का कारण बनेगा।

    �ी राजनारायण ने �यव�था तथा सिवधा क� �ि� से ुिकसी क� एक ही भाषा जैसे अ�ेंजी का होना ठीक माना, िक�त इस आधार पर िहदंी को अदालत से बाहर रखना ु�यायोिचत नह� माना, िव�यात सिंवधान िवशेष� क� एच.एम.सीरवाई ने गजरात िव�िव�ालय बनाम �ी ुक�णमधोलकर के मामले पर अपनी राय दतेे ह�ए कहा िक ृिहदंी क� सिंवधान म� एक िविश� ि�थित है,इसिलए इसक� तलना अ�य भारतीय भाषाओ ं के साथ नह� क� ुजानी चािहए।

    - सी.जे.महामलकरु व�र� राजभाषा अिधकारी

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    काननी िहदी का �भावंू

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    डॉ�टर सभाष सी.क�यप �ारा उि�लिखत िकया गया ुिक यािचका इस कारण खा�रज हो गई है िक वह अ�ेंजी म� नह� वरन िहदंी म� है।

    िपछले िदन� उ�च �यायालय ने िद�ली िव�िव�ालय क� एल.एल.बी �वेश �ितयोगी परी�ा को अ�ेंजी के साथ-साथ िहदंी म� भी करने क� यािचका को खा�रज कर िदया।

    गजरात िव�िव�ालय बनाम �ी क�ण म� उ�चतम ु ृ�यायालय ने िनण�य िदया िक िश�ा का मा�यम िकसी िवषय सची म� विण�त नह� है। रा�य िवधाियका �ाथिमक ूएव ंमा�यिमक िश�ा के बार ेम� भाषा िनधा��रत करने का अन�य अिधकार रखती है। उ�च िश�ा तथा वै�ािनक और तकनीक� िश�ा म� िश�ण का मा�यम िनधा��रत करने क� शि� ससंद म� है। 42व� सशंोधन अिधिनयम, 1976 के बाद िश�ा समवत� सची का िवषय बन गई है, ूय�िप रा�य का रा�यपाल,रा��पित क� पव� स�मित से ूरा�य के �यायालय क� भाषा सिनि�त करने क� शि� ुरखता है। परतं सीरवआ महोदय के अनसार, इस तरह ु ुक� सहमित सभंवतः कभी नह� दी जाएगी, �य�िक इसम� �याय�शासन,�यायालय और बार म� एकता सिनि�त ुनह� क� जा सकेगी। सघं सची 1 क� �िवि� 78 अिभय� ू ु�प से ससंद को यह शि� दतेी है िक उ�च �यायालय� म� वकालत करने के सबंधं म� कानन बनाए।ं इसके ूअनसरण म� अिधव�ा अिधिनयम 1961 बनाया गया। ुइस अिधिनयम �ारा एक ऐसे बार क� �थापना ह�ई,िजसम� भाषा को लेकर एक�पता है अथा�त अभी भाषा नीित ऐसी है िक दशे के एक उ�च �यायालय म� काया��वयन करने वाला अिधव�ा िकसी अ�य उ�च �यायालय म� भी वकालत करना किठनाई नह� पाता है।

    सिंवधान के अन�छेद 348 के अनसार उ�च �यायालय ु ु

    और उ�च �यायालय� के िनण�य,िड�� या आदशे के सबंधं म� इन �यायालय� क� यह बा�यता है िक वे हर प�रि�थित म� अपना िनण�य ,िड�� व आदशे अ�ेंजी म� ही द,� जब तक िक ससंद िविध �ारा कोई अ�य �यव�था नह� कर दतेी। �याियक और अध� �याियक काय� म� सलं�न सरकारी िवभाग� क� बड़ी स�ंया िहदंी म� आदशे पा�रत करने म� अ�म ह� िकंत सरकारी अिधका�रय� �ारा ुिहदंी म� आदशे पा�रत करने म� उ�ह� कोई नह� रोकता।

    भारत के िविध आयोग क� 216व� �रपोट� सरकार को ��तत क� गई। भारत के िविध आयोग ने अन�छेद 348 ु ुम� सशंोधन करने क� ससंदीय सिमित क� िसफा�रश को अ�वीकार कर िदया, �य�िक सम�त उ�च �यायालय� क� भाषा िभ�न ह�ई, तो उ�च �यायालय� क� भाषा-िभ�नता वक�ल� के दशे म� कह� भी वकालत करने का अिधकार को का�पिनक बना दगेी। जैसे यिद चे�नई उ�च �यायालय म� केवल तिमल म� ही काय�वाही हो तो उ�र भारत का विकल वहां वकालत नह� कर सकेगा। उसी �कार यिद इलाहाबाद उ�च �यायालय क� भाषा िसफ� िहदंी हो जाए,तो चे�नई का वक�ल इलाहाबाद उ�च �यायालय म� वकालत नह� कर सकेगा। उ�च �यायालय के िनण�य� म� भाषा सबंधंी िभ�नता होने से एक उ�च �यायालय सभंवतः अ�य उ�च नायालय के िनण�य के लाभ से विंचत हो जाएगा।

    अदालत म� भाषा नीित को �भािवत करने वाले कछ ुकारण िजसम� कॉमन लॉ �णाली िविधशा� के पव� ूिनण�य पर अवलंिबत है। पव� िनण�य िसफ� अ�ेंजी भाषा म� ूउपल�ध ह�। हमारी अदालत� �वतं�ता के साथ अ�ेंजी, अमेरीक� और रा��मंडल के पव� िनण�य को आधार ूबनाती है।हमार े �यायालय� के िनण�य� को आजकल िवदशेी अदालत� म� उि�लिखत िकए जा रहे ह�। दशे के

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    सभी भाग� म� िवधायी कानन और िनयम िहदंी भाषा म� ूउपल�ध नह� ह� न �यायाधीश� के िलए न बाहर के सद�य� के िलए और न ही वादी जनता के िलए उप��ध ह� ।

    भारत ने दसर े दशे� के साथ कराधान िविध ए�सेस ूअनलॉक के कई करार� पर ह�ता�र िकए ह�।कानन� का ूिनव�चन पर हमार े यहां िदन-रात काम होता है। राज�व कानन� के अलावा कछ नए िवषय जैसे सचना �ौ�ोिगक� ू ु ू�टेम सेल डेवलपम�ट और साइबर अपराध से सबंिंधत कानन,कराधान िविध आिद अ�ेंजी म� ही उपल�ध है। ूि�टेन, सयं� रा�य अमरीका,कॉमनवे�थ दशे आिद के ुकानन अ�ेंजी म� उपल�ध है।ू

    लोक-िविध, पि�लक लॉ, अतंरा���ीय मानवािधकार शासन, अतंरा���ीय बौि�क सपंदा और तेजी से िवकिसत होता जा रहा इकनॉिमक लॉ, सीमा पर लेन-दने क� �णाली आिद िवषय हम� िवरासत म� िमले ह�, उनका एक�करण अ�य दशे� तथा �यायालय क� काननी ू�णाली के साथ हो गया है।

    कर टै�स एव ं लेखा परी�क� के समदाय, िनवेशक सब ुअ�ेंजी म� कानन तैयार करना चाहते ह�, �य�िक बह�त से ूवा�यांश, िस�ांत और अिभ�यि� िसफ� अ�ेंजी भाषा म� ही उपल�ध है । आज लैिटन के इ�सो फै�टो(�वयमेंव ही) और इिनिशयो (आरभं से ही ) आिद स�� का �चलन ूहै।

    िट�पिणयां और काननी पि�काए ंया आिद िहदंी म� मि�त ू ुनह� है। �ािधकत �यादातर पाठय प�तक� अ�ेंजी म� ह�। ृ ् ुअ�य दशे� के कानन क� प�तक� और पि�काए ंजो िनण�य ू ुलेने क� �ि�या म� मददगार सािबत होते ह�, सब अ�ेंजी म� ह�। कं�यटर �ांित भी एक कारण है िक िविध सािह�य, ू

    काननी जानकारी क� सचना अ�ेंजी भाषा से �ा� करना ू ूअ�यतं सहज हो गया है।

    िव� �तर पर िहदंी के म�टर उपल�ध ह�, लेिकन उनक� स�ंया सीिमत है। ऑन लाइन और ऑफ लाइन दोन� �थोन� पर अ�ेंजी म�टस� बह�त बड़ी स�ंया म� उपल�ध ह�। अिहदंी भाषी िहदंी को िवधान क� भाषा �वीकारने के िलए तैयार नह� ह� । अन�छेद 351 �ारा िहदंी भाषा के ु�सार-�चार के िलए सघं को िदए गए जनादशे के बावजद दशे के कई िह�स� म� अब भी लोग िहदंी से परी ू ूतरह से प�रिचत नह� है।

    दि�णी रा�य िहदंी म� पा�रत आदशे,फरमान और िनण�य को �वीकार करने के िलए सहमत नह� ह�। ससंद के सद�य� क� एक बड़ी स�ंया, जो अिहदंी भाषी रा�य� से है, िहदंी �ा�पण को पढ़ने और समझने म� स�म नह� ह� और न ही स�म बनाना चाहते ह�।

    सकारा�मक प�रवत�न के ऐसे मामल� क� भी कमी नह� है, िजनम� िहदंी के �ित सवेंदनशीलता िदखलाई गई है। सन 1978 के भारत सघं बनाम मरासोली मारन मामले म� ुमाननीय सव��च �यायालय ने �प� अिभमत िदया िक िहदंी भाषा म� सरकारी काम करने वाले सरकारी कम�चा�रय� को �ो�सािहत करना सिंवधान के िकसी भी अन�छेद का उ�लंघन नह� करता, बि�क यह सिंवधान ुके अन�छेद 343 और 344 क� भावना को मत� �प ु ू�दान करता है। इस मामले म� ��यिथ�य� ने उ�च �यायालय म� �रट िपिटशन फाइल िकया और घोषणा क� िक 1962 म� जो रा��पित आदशे जारी िकया गया तथा उसके अनसरण म� जो अ�य आदशे प�रप� और �ापन ुजारी िकए गए, वे राजभाषा अिधिनयम,1963 क� यथा-सशंोिधत धारा 4(3) असगंत थे, �य�िक उ�ह�ने िहदंी

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    भाषा म� �वीण न होने के कारण उन �यि�य� को अलाभकारी ि�थित म� रख िदया था जो िपिटशनर� के स�श थे। उ�च �यायालय ने उनक� दलील �वीकार कर ली और आदशे को असवैंधािनक घोिषत कर िदया। इस िनण�य के िव�� उ�चतम �यायालय म� अपील फाइल क�, उ�चतम �यायालय ने अिभिनधा��रत िकया िक रा��पतीय आदशे िविध मा�य है, रा��पतीय आदशे भाषा-अिधिनयम के पास होने के प�ात अिविध मा�य नह� हो गया है । रा��पित आदशे म� िहदंी भाषा को राजभाषा बनाने के अि�तम उ�ेश पर �यान रखा गया है। िकंत साथ-साथ दशे क� प�रि�थितय� को भी �यान म� ुरखा गया है िक प�रवत�न �िमक होना चािहए। रा��पित आदशे का �योजन िहदंी भाषा क� �सार वि� करना ृऔर क� �ीय सरकार के कम�चा�रय� को सेवा म� रहते ह�ए िहदंी भाषा का �िश�ण लेने क� सिवधाए ंदनेा है।ु

    1976-77 म� आर.आर.दलवाई बनाम तिमलनाड रा�य ुमामले म� िहदंी क� �गित म� उ�चतम �यायालय के योगदान क� सजगता �वतः ही िदखलाई पड़ती है। तिमलनाड सरकार ने िहदंी िवरोधी आदंोलनका�रय� को ुप�शन दनेे क� योजना बनाई। अपीलाथ� ने अन�छेद ु226 के अधीन तिमलनाड सरकार के िहदंी िवरोधी ुआदंोलनका�रय� को प�शन �दान करने क� शि� को चनौती दतेे ह�ए उ�च �यायालय म� आवेदन िकया। उसने ुरा�य क� शि� को भी चनौती दी िक रा�य कोष का ुउपयोग ऐसी सिंवधान िवरोधी बात के िलए नह� िकया जा सकता, �य�िक भारत के सिंवधान का अन�छेद 351 ुदो टक श�द� म� िहदंी भाषा के िवकास के िलए िनदश� ूदतेा है, परतं उ�च �यायालय ने आवेदन खा�रज कर ुिदया और कहा िक तिमलनाड सरकार ऐसा कर सकती ुहै। िफर इसे सव�च �यायालय लाया गया, उ�चतम �यायालय ने अपने िनण�य म� कहा, तिमलनाड सरकार ु

    �ारा बनाई गई प�शन योजना म� िवघटन के त�व ह�। यह िवभाजनकारी �वि�य� को भड़काते ह�। यिद कोई रा�य ृिहदंी या िकसी अ�य भाषा के िव�� मनोभाव� को उ�ेिजत करने म� लगा ह�आ है तो ऐसी �ेरणा को आरभं म� ही न� करना होगा, �य�िक यह रा�� िवरोधी काय� है। ऐसा करने वाल� को �ो�साहन दनेे से िहदंी के �सार क� वि� म� गितरोध उ�प�न होता है और िवघटनकारी एव ंृिवभाजनकारी त�व� को बल िमलता है, अतः प�शन योजना अवैध और असवं ैधािनक है।

    जगदीश िसहं बनाम �ताप िसहं मामले म� उ�चतम �यायालय ने �प� िकया िक अपनी भाषा को बनाए रखने के िलए अतंग�त भाषा के िलए आदंोलन करने का अिधकार भी सि�मिलत है।

    िहदी का अतररा��ीय िवकास – चीनी भाषा के बाद ं ंिव� म� सबसे अिधक िहदंी भाषा बोली जाती है। आकंड़ो के अनसार िफजी, मॉ�रशस, गयाना, सरीनाम, ु ूि�िनदाद,चीन, िसगंापर, बमा�, �ीलंका, थाईल�ड, ुमलेिशया ित�बत भटान इंडोनेिशया, पािक�तान, ूबां�लादशे, मालदीव, दि�ण अ��का आिद क� अिधकतर जनता तथा नेपाल के कछ नाग�रक िहदंी बोलते ुह�,�य�िक यहां िहदंी भाषी प�रवार पीढ़ी दर पीढ़ी िनवास कर रहे ह�। अमेरीका, कनाडा, �ांस,इटली,�स,�वीडन, नाव�, हॉल�ड, पोल�ड,जम�नी, सऊदी अरब आिद दशे� म� पया�� मा�ा म� िहदंी भाषी जन िनवास कर रहे ह�। दबई ुक� अिधकांश जनता न केवल िहदंी बोलती ह� बि�क समझती भी है। �यावसाियक ज�रत ने भी िहदंी भाषा का इन दशे� म� �सार िकया है, �य�िक अिधकांश िवदशेी कंपिनय� म� िहदंी जानकार� के िलए नौकरी सलभ हो गई ुह� । इससे िनि�त ही िहदंी भाषा का सवंध�न िवकास और �सार हो रहा है।

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    िहदंी श�द का सामा�य अथ� है- िहदं का इस अथ� म� िहदं दशे म� बोली जाने वाली िकसी भी भाषा के िलए िहदंी श�द का �योग िकया जा सकता है लेिकन भाषा शा�ीय �ि� से िहदंी भाषा से ता�पय� है- खड़ी बोली से िवकिसत और नागरी िलिप म� िलखी जाने वाली वह भाषा, िजसे भारत क� राजभाषा होने का गौरव �ा� ह�आ है। आइए अब दखेते ह� िहदंी भाषा क� उ�पि� और िवकास:-

    ससंार का सबसे �ाचीन �थं ऋ�वेद है और इस �थं क� भाषा है स�ंकत ऋ�वेद िलखने से पहले भी सभंव है कोई ृअ�य भाषा िव�मान रही हो, परतं आज तक उसका ुकोई िलिखत �प नह� �ा� हो पाया। इससे यह अनमान ुलगाया जाता है िक सभंवतः आय� क� सबसे �ाचीन भाषा ऋ�वेद क� ही भाषा यानी वैिदक स�ंकत ही थी। ृिव�ान� का यह मत है िक ऋ�वेद क� भी एक काल म� अथवा एक �थान पर रचना नह� ह�ई है। इसके कछ मं�� ुक� रचना कंधार म�, कछ क� िसधं तट पर और कछ मं�� ु ु ुक� गगंा-यमना के तट पर ह�ई है। इस अनमान का आधार ु ुयह है िक इन मं�� म� कह� कंधार के राजा िदवोदास का वण�न है, तो कह� िसधं नरशे सदास का। इन दोन� ु ुराजाओ ंके शासन काल के बीच शताि�दय� का अतंर है। इससे यह अनमान लगाया जा सकता है िक ऋ�वेद क� ुरचना सैकड़� वष� के काल म� जाकर पण� ह�ई और बाद म� ूइसे सिंहत-(स�ंह)-ब� िकया गया। ऋ�वेद के उपरांत �ा�ण ��थ� तथा स� ��थ� का सजन ह�आ है और ृूइनक� भाषा ऋ�वेद क� भाषा से कई अशं� म� िभ�न है, िजसे लौिकक या �लािसकल स�ंकत कहा जा सकता ृहै। स� ��थ� के रचना काल म� भाषा का सािहि�यक �प ू�याकरण के िनयम� म� आब� हो गया था। तब यह भाषा

    िहदी क� उ�पि� और िवकासं

    स�ंकत कहलायी गई। तब वेद तथा लोक-भाषा ृ(लौिकक) म� पया�� अतंर �प� �प म� �कट ह�आ।

    डॉ. धीर�े� वमा� का मत है िक पतंजिल (पािणिन क� �याकरण अ�ा�यायी के महाभा�यकार) के समय म� �याकरण शा� जानने वाले िव�ान ही केवल श� ् ुस�ंकत बोलते थे, अ�य लोग अश� स�ंकत बोलते थे ृ ु ृतथा साधारण लोग �वाभािवक बोली बोलते थे, जो काला�तर म� �ाकत कहलायी गई। डॉ. च��बली पांडेय ृका मत है िक भाषा के इन दोन� वग� का �े�तम उदाहरण वा�मीिक रामायण म� िमलता है, जबिक अशोक वािटका म� पवन प� हनमान ने माता सीता से ि�जी ु ु(स�ंकत) भाषा म� बात न करके मानषी (�ाकत) भाषा म� ृ ु ृबातचीत क�। लेिकन डॉ. भोलानाथ ितवारी ने त�कालीन भाषा को पि�मो�री, म�य दशेी तथा पव� नाम से ूअिभिहत िकया है। परतं डॉ. रामिवलास शमा� आिद कछ ु ुिव�ान �ाकत को जनसाधारण क� लोक-भाषा न मानकर ् ृउसे एक कि�म सािहि�यक भाषा �वीकार करते ह�। ृउनका मत है िक �ाकत ने स�ंकत श�द� को िवकत ृ ृ ृकरने का िनयमहीन �य�न िकया। डॉ. �यामस�दर दास ुका मत है- वेदकालीन किथत भाषा से ही स�ंकत ृउ�प�न ह�ई और अनाय� के सपंक� म� आकार अ�य �ा�तीय बोिलया िवकिसत ह�ई। ंस�ंकत ने केवल चने ह�ए ँ ृ ु�चर �य�, �यवि�थत, �यापक श�द� से ही अपना ु ुभ�डार भरा, पर और� ने वैिदक भाषा क� �कित ृ�व�छा�दता को भरपेट अपनाया। यही उनके �ाकत ृकहलाने का कारण है।

    �याकरण के िविध िनषेध िनयम� से स�ंका�रत भाषा शी�

    - सदानद िचतले,ंसहायक राजभाषा अिधकारी

    भारत मा के भाल पर सजी �विण�म िबदी,ँ ंवो तो है आपक� अपनी िहदीं

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    ही स�य समाज क� �े� भाषा हो गई तथा यही �म कई शताि�दय� तक जारी रहा। य�िप महा�मा ब� के समय ुस�ंकत क� गित कछ िशिथल पड़ गई, परतं ग�काल म� ृ ु ु ुउसका िवकास पनः ती� गित से ह�आ और दीघ�काल ुतक स�ंकत ही रा��ीय भाषा के �प म� स�मािनत रही। ृजनसाधारण अ�प िशि�त वग� के िलए स�ंकत के ृिनयम� का अनसरण किठन था, अतः वे लोकभाषा का ुही �योग करते थे। इसीिलए महावीर �वामी ने जैन मत के तथा महा�मा ब� ने बौ� मत के �सार के िलए ुलोकभाषा को ही अपनी वाणी का मा�यम बनाया। इससे लोकभाषा को ऐसी �ित�ा का