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Page 1 of 26 सॊԌृ त विबाग जावभमा वभवӑमा इԩावभमा, नई वदӑी B.A. (Hons.) in Sanskrit ऩाभ सॊयचना (Academic Year 2017-18 Onwards) सेभेԐय ऩ भ विियण 1. थभ ऩ सॊԌृत नीवत सावहΟ(चाणनीवत:, नीवतशतकभ ) वϡतीम ऩ Ӝािहावयक सॊԌृत (वरवित एिॊ भौविक) 2. तृतीम ऩ सॊԌृ त ऩϞकाӜ (यघुिॊशभहाकाӜभ -थभ सग , वकयाताज ु गनीमभ -थभ सग ) चत ुथ ग ऩ सॊԌृ त गϞकाӜ (कादҨयी-शुकनाशोऩदेश, ऩतІ-काकोळकीमभ ) 3. ऩभ ऩ सॊԌृ त Ӝाकयण षӺ ऩ गीता भ आΝ फОन सљभ ऩ सॊԌृ त नाटक (अवबऻानशाकुϿरभ , नाशाԖीम ऩावयबावषक शѾािरी) 4. अӴभ ऩ आधुवनक सॊԌृत सावहΟ : ऩϞकाӜ निभ ऩ बायतीम िैऻावनक वनवध दशभ ऩ सॊԌृत सावहΟ का इवतहास 5. एकादश ऩ सॊԌृत सावहΟ भ ऩमागियण चेतना ϡादश ऩ बायतीम साभावजक सॊԚाएॊ एिॊ याजशाԖ मोदश ऩ बायतीमदशगनविभशग (बायतीम दशगन ऩवयचम, तकगसह) चतुदगश ऩ वनफО, अनुिाद, छД, यचनाΝक रेिन ऩदश ऩ ि कवӆक ऩ (०१) सॊԌृ त यभ ि कवӆक ऩ (०२) सॊԌृत ऩकावयता ि कवӆक ऩ (०३) बाषाविऻान 6. षोडश ऩ आधुवनक सॊԌृत सावहΟ : गϞकाӜ एिॊ नाटक सљदश ऩ बायतीम ऩुयावरवऩ एिॊ अवबरे िशाԖ अӴादश ऩ ि वदकसावहΟ एकोनिश ऩ सॊԌृतसावहΟशाԖ एिॊ सभारोचना िश ऩ ि कवӆक ऩ (०१) सॊԌृत सावहΟ भ तकनीकी विऻान ि कवӆक ऩ (०२) फ़ायसी एिॊ सॊԌृत का अϿसҨО ि कवӆक ऩ (०३) सणकीम सॊԌृत

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    सॊसृ्कत विबाग जावभमा वभविमा इस्लावभमा, नई वदिी

    B.A. (Hons.) in Sanskrit ऩाठ्यक्रभ सॊयचना

    (Academic Year 2017-18 Onwards)

    सभेसे्टय ऩत्र क्रभ विियण 1. प्रथभ ऩत्र सॊसृ्कत नीवत सावहत्य (चाणक्यनीवत:, नीवतशतकभ)्

    वितीम ऩत्र व्यािहावयक सॊसृ्कत (वरवित एिॊ भौविक) 2. ततृीम ऩत्र सॊसृ्कत ऩद्यकाव्य (यघिुॊशभहाकाव्यभ-्प्रथभ सग ग, वकयाताज ुगनीमभ-्प्रथभ सग ग)

    चतथु ग ऩत्र सॊसृ्कत गद्यकाव्य (कादम्बयी-शकुनाशोऩदशे्, ऩञ्चतन्त्र-काकोरॄकीमभ)् 3. ऩञ्चभ ऩत्र सॊसृ्कत व्याकयण

    षष्ठ ऩत्र गीता भें आत्म प्रफन्धन सप्तभ ऩत्र सॊसृ्कत नाटक (अवबऻानशाकुन्तरभ ्, नाट्यशास्त्रीम ऩावयबावषक शब्दािरी)

    4. अष्टभ ऩत्र आधवुनक सॊसृ्कत सावहत्य : ऩद्यकाव्य निभ ऩत्र बायतीम िऻैावनक वनवध दशभ ऩत्र सॊसृ्कत सावहत्य का इवतहास

    5. एकादश ऩत्र सॊसृ्कत सावहत्य भें ऩमा गियण चतेना िादश ऩत्र बायतीम साभावजक सॊस्थाएॊ एिॊ याजशास्त्र

    त्रमोदश ऩत्र बायतीमदशगनविभशग (बायतीम दशगन ऩवयचम, तकगसङ्ग्रह) चतदु गश ऩत्र वनफन्ध, अनिुाद, छन्द, यचनात्मक रेिन ऩञ्चदश ऩत्र िकैविक ऩत्र (०१) सॊसृ्कत यङ्गभञ्च

    िकैविक ऩत्र (०२) सॊसृ्कत ऩत्रकावयता िकैविक ऩत्र (०३) बाषाविऻान

    6. षोडश ऩत्र आधवुनक सॊसृ्कत सावहत्य : गद्यकाव्य एिॊ नाटक सप्तदश ऩत्र बायतीम ऩयुावरवऩ एिॊ अवबरेिशास्त्र अष्टादश ऩत्र िवैदकसावहत्य

    एकोनविश ऩत्र सॊसृ्कतसावहत्यशास्त्र एिॊ सभारोचना विश ऩत्र िकैविक ऩत्र (०१) सॊसृ्कत सावहत्य भें तकनीकी विऻान

    िकैविक ऩत्र (०२) फ़ायसी एिॊ सॊसृ्कत का अन्त्सम्बन्ध िकैविक ऩत्र (०३) सङ्गणकीम सॊसृ्कत

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    सॊसृ्कत विबाग जावभमा वभविमा इस्लावभमा, नई वदिी

    B.A. (Hons.) in Sanskrit ऩाठ्यक्रभ विियण

    सभेसे्टय-01: प्रथभ ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    सॊसृ्कत नीवत सावहत्य (चाणक्यनीवत:, नीवतशतकभ)्

    इकाई ०१: चाणक्यनीवत श्लोक १-२५ अनिुाद, व्याख्या,व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न २०

    इकाई ०२: चाणक्यनीवत श्लोक २६-५० अनिुाद, व्याख्या,व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न २०

    इकाई ०३: नीवतशतकभ ् श्लोक १-२५ अनिुाद, व्याख्या,व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न २०

    इकाई ०४ : नीवतशतकभ ् २६-५०-अनिुाद, व्याख्या एिॊ व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :-

    1. बतृ गहवय कृत नीवतशतकभ ्, विभरचविकासॊसृ्कत टीका ि वहन्दी व्याख्या सवहत, विष्णदुत्त शभा ग (व्या.), ऻानप्रकाश, भयेठ, सॊित ् २०३४

    2. नीवतशतकभ ् (सॊसृ्कतटीका, वहन्दी-अॊग्रजेी व्याख्या, अनिुाद सवहत), तावयणीश झा (व्या.), याभनायामणरार िणेीभाधि इराहाफाद, १९७६

    3. बतृ गहवय कृत नीवतशतकभ ्, भनोयभा वहन्दी व्याख्या सवहत, ओभप्रकाश ऩाण्डमे (व्या.), चौिम्बा अभयबायती प्रकाशन, िायाणसी, १९८२

    4. बतृ गहवय कृत नीवतशतकभ ्, फाफयूाभ वत्रऩाठी (सम्पा.), भहारक्ष्मी प्रकाशन, आगया, १९८६ 5. बतृ गहवयवियवचतभ ् नीवतशतकभ ् (वहन्दी सॊसृ्कत व्याख्या सवहत), डॉ. याकेश शास्त्री, ऩवयभर ऩविकेशन्स, वदिी, १९९८ 6. बतृ गहवय:शतकत्रमभ ्, ऩ.ु गोऩीनाथ, याविम सॊसृ्कत सॊस्थान, नई वदिी, २०१० 7. Nitishatakam of Bhartrihari, M. R. Kale (Ed.), Motilal Banarsidass, Delhi 8. Chanakya Neeti, B.K. Chaturvedi, MLBD, Delhi, 9. Chanakya Niti Darpana, Ed. by Gunjeswar Chaudhury, Chowkhamba Sanskrit

    Pratisthan, Varanasi 10. Chanakya in You, Radhakrishnan Pillai, Jaico books 11. Viduraniti (from Mahabharata-Udyoga Parva), Hindi Translated by Gunjeswar

    Chaudhury, Chowkhamba Sanskrit Pratisthan, Varanasi

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    सभेसे्टय-01: वितीम ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    व्यािहावयक सॊसृ्कत (वरवित एिॊ भौविक)

    इकाई ०१: िाग्व्व्यिहाय-शब्दरूऩ, धातरुूऩ, सॊमोजक; कायक ऩय आधावयत िाक्य सॊयचना एिॊ साभान्य व्यिहाय भें प्रमोग २०

    इकाई ०२: भ्वावदगण की धातओु ॊ के आधाय ऩय िाक्य सॊयचना एिॊ साभान्य व्यिहाय भें प्रमोग (रट,् रृट,् रोट,् रङ,् विवधवरङ्ग रकायों भें ऩयस्मऩैद प्रमोग)

    २०

    इकाई ०३: अव्यम- उऩसग ग, कायक एिॊ विबवि आधाय ऩय िाक्य सॊयचना एिॊ साभान्य व्यिहाय भें प्रमोग. (रट,् रृट,् रोट,् रङ,् विवधवरङ्ग रकायों भें)

    २०

    इकाई ०४: सॊसृ्कत िाता गराऩ एिॊ सम्भाषण का अभ्यास १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ : १. सम्भाषणभ ् (प्रथभा दीऺा), िमे्पवट कुटुम्बशास्त्री, याविमसॊसृ्कतसॊस्थानभ ्, नि दहेरी २. िाक्यविस्तय् (प्रथभा दीऺा), िमे्पवट कुटुम्बशास्त्री, याविमसॊसृ्कतसॊस्थानभ ्, नि दहेरी ३. व्यिहायप्रदीऩ्-प्रथभ् बाग् (वितीमा दीऺा), िमे्पवट कुटुम्बशास्त्री, याविमसॊसृ्कतसॊस्थानभ ्, नि दहेरी ४. सॊसृ्कत वशऺण सयणी , आचाम ग याभप्रताऩ शास्त्री ५. सॊसृ्कत व्यिहाय साहस्री , सॊसृ्कत बायती ,भाता भॊवदय गरी ,झॊडिेारान ,नई वदिी ६. स्वमभिे सॊसृ्कत वशऺणभ ् , डॉ. जीतयाभ बट्ट,डॉ. गोस्वाभी वगवयधायी रार शास्त्री प्राच्य विद्या प्रवतष्ठानभ ्, नई वदिी, २०१४ ७. रघवुसद्धान्तकौभदुी, धयानन्द शास्त्री (व्या.), भरू एिॊ वहन्दी व्याख्या, भोतीरार फनायसी दास, वदिी ८. फहृद ्अनिुाद चविका, चक्रधय नौवटमार ‘हॊस’, भोतीरार फनायसीदास, वदिी ९. प्रौढ यचनानिुाद कौभदुी, कवऩरदिे वििदेी,विश्वविद्यारम प्रकाशन , िायाणसी १०. सॊसृ्कत सम्भाषण वशऺक , डॉ.श्रीित्स शास्त्री , िणा गश्रभ सॊघ, गरुुकुर प्रबात आश्रभ,उत्तय प्रदशे, ततृीम सॊस्कयण २०१६. ११. The Students Gide To sanskrit Composition, V.S. Apte, Chaukh amba Sanskrit Series

    Office, Varanasi १२. Higher Sanskrit Grammar, M.R. Kale, Motilal Banarsidass, Delhi

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    सभेसे्टय-०२: ततृीम ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    सॊसृ्कत ऩद्यकाव्य (यघिुॊशभहाकाव्यभ-्प्रथभ सग ग, वकयाताज ुगनीमभ-्प्रथभ सग ग)

    इकाई ०१: यघिुॊशभहाकाव्यभ-्प्रथभसग ग-श्लोक सॊ.०१-५०, अनिुाद, व्याख्या, व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न २० इकाई ०२: यघिुॊशभहाकाव्यभ-्प्रथभ सग ग- श्लोक सॊ. ५१-सग ग सभावप्त ऩम गन्त- अनिुाद , व्याख्या, व्याकयण विभशग एिॊ

    आरोचनात्मक प्रश्न

    २०

    इकाई ०३: वकयाताज ुगनीमभ-्प्रथभ सग ग- श्लोक सॊ. ०१-२५, अनिुाद, व्याख्या, व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न

    २०

    इकाई ०४: वकयाताज ुगनीमभ-्प्रथभ सग ग- श्लोक सॊ. २६-४६, अनिुाद, व्याख्या, व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न १५ ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :-

    1. यघिुॊशभ-्भविनाथ कृत सॊजीिनी टीका, कृष्णभवण वत्रऩाठी (सम्पा.), चौिम्भा सयुबायती प्रकाशन, िायाणसी 2. बायविकृत वकयाताज ुगनीमभ ्, जनाद गन शास्त्री (अन.ु), भोती रार फनायसी दास, वदिी 3. भहाकवि-बायवि-वियवचतभ ् वकयाताज ुगनीमभ ्, डॉ. सावित्री गपु्ता (व्या.), विद्यावनवध प्रकाशन, वदिी, २००२ 4. Raghuvansham of Kalidas, C.R. Devadhar (Ed.), Motilal Banarsidass, Delhi 5. Raghuvansham of Kalidas, M.R. Kale, Motilal Banarsidass, Delhi 6. Raghuvansham of Kalidas, Gopal Raghunath Nandargikar (Ed.), Motilal Banarsidass,

    Delhi 7. Kiratarjuniyam of Bharavi, M.R. Kale (Ed.), Motilal Banarsidass, Delhi

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    सभेसे्टय-०२: चतथु ग ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    सॊसृ्कत गद्यकाव्य (कादम्बयी-शकुनाशोऩदशे,् ऩञ्चतन्त्र-काकोरॄकीमभ)् इकाई ०१: कादम्बयी-शकुनाशोऩदशे-एिभभवतक्राभत्स ुस ेकज्जरभवरनभिे कभ ग केिभरृिभवत ऩम गन्त ( अनिुाद,

    व्याख्या, व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न) २०

    इकाई ०२: कादम्बयी-शकुनाशोऩदशे-तथावह इमॊ सॊिध गनिावयधाया स ेबितीत्यतेािदवबधामोऩशशाभ ऩम गन्त (अनिुाद, व्याख्या, व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न)

    २०

    इकाई ०३: ऩञ्चतन्त्र (ततृीमतन्त्र-काकोरॄकीमभ)् : काकोरॄकियैकथा,शशकवऩञ्जरकथा (अनिुाद , व्याख्या, व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न)

    २०

    इकाई ०४: ऩञ्चतन्त्र (ततृीमतन्त्र-काकोरॄकीमभ)् : धतू गब्राह्मणछागकथा, यथकायिधकूथा (अनिुाद, व्याख्या, व्याकयण विभशग एिॊ आरोचनात्मक प्रश्न)

    १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :- 1. शकुनाशोऩदशे, याभऩार शास्त्री, चौिम्बा ओवयमन्टावरमा, वदिी 2. शकुनाशोऩदशे, यभाकान्त झा, चौिम्बा विद्याबिन, िायाणसी 3. श्रीविष्णशुभगप्रणीतॊ ऩञ्चतन्त्रभ ्, श्माभचयण ऩाण्डमे, भोतीरार फनायसीदास, वदिी 4. The Kadambari of Bana, C.M. Ridding, MLBD, Delhi 5. Panchatantra-Five Wise Lessons, Krishna Dharma, MLBD, Delhi 6. Panchatantra (Translated from the Sanskrit by Arthur W. Ryder, MLBD, Delhi 7. Panchatantra or Gems of Indian Thought, Vijay Narain, Chaukhambha Sanskrit

    Pratishthan, Varanasi

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    सभेसे्टय-०३: ऩञ्चभ ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क सॊसृ्कत व्याकयण

    इकाई ०१: रघवुसद्धान्तकौभदुी :सॊऻाप्रकयण, अच ् सवन्ध-मण, गणु, अमावद, िवृद्ध, ऩिू गरूऩ २० इकाई ०२: रघवुसद्धान्तकौभदुी: हर ्एिॊ विसग ग सवन्ध (श्चतु्व, ष्टतु्व, अननुावसकत्व, छत्व, जश्त्व, सत्व, उत्व, रोऩ, रुत्व ) २०

    इकाई ०३: रघवुसद्धान्तकौभदुी : सभास प्रकयण २०

    इकाई ०४: रघवुसद्धान्तकौभदुी : प्रत्यम(वनष्ठा, तभुनु ्, क्त्वा, ल्यऩ ्, शत,ृ शानच ् ) १५ ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :- 1. रघवुसद्धान्तकौभदुी, धयानन्द शास्त्री (व्या.), भरू एिॊ वहन्दी व्याख्या, भोतीरार फनायसी दास, वदिी 2. रघवुसद्धान्तकौभदुी-बभैी व्याख्या (बाग-१), बीभसने शास्त्री, बभैी प्रकाशन, वदिी 3. व्याकयण चिोदम (बाग १-३), चारूदिे शास्त्री, भोतीरार फनायसी दास, वदिी 4. रघवुसद्धान्तकौभदुी-प्रकावशका नाम्नी वहन्दी व्याख्या सवहता, सत्यऩार वसह, वशिावरक ऩविकेशन्स, वदिी 5. Higher Sanskrit Grammar, M.R. Kale, Motilal Banarsidass, Delhi 6. Laghusiddhantakaumudi (Vol. 01) Kanshiram, Motilal Banarsidass, Delhi

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    सभेसे्टय-०३ : षष्ठ ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    गीता भें आत्म प्रफन्धन इकाई ०१: भन औय उसके काम ग: भन की प्रकृवत (३/४२,६/१५,७/४,७/१५,९/ ३,१०/२०,१०/२२),

    भानवसक विप्रवतऩवत्त (१/१,२/६०,२/६७,३/३६-३८,३/४०,१६/२१), भानवसक विप्रवतऩवत्त के कायक तत्त्व (२/६२-६३ , १६/२१), कभग एिॊ स्वबाि के कायक तत्व ( १८/१३-१६)

    २०

    इकाई ०२: भन औय फवुद्ध की दुफ गरता : इविम वनमभन औय फवुद्ध का भहत्व (२/३.२/४९,५२,५५,६२,६५,६७.४/३८,३९,४२,.१८/३-३२,६३), भन की चॊचरता औय उसके वनमॊत्रण के उऩाम:( ६/११-१४,२५-२६,३४,३६), मोगवसवद्ध के कायक तत्त्व ( ३/८,१२,१३.६/३,१६,-१७,३६.१७/८-१०,१४-१९)

    २०

    इकाई ०३: कभग का भहत्त्व : आत्मा की प्रकृवत औय जगत स ेउसकी वबन्नता (२/१९-२६ ), ऻान भें कभ गमोग का अिदान (२/४०-४४,४७-५०) वनष्काभ कभगमोग भें बविमोग का अिदान (१२/१९-२०), रोक सॊग्रह ( ३/१८-२५)

    २०

    इकाई ०४: दिेत्व औय चतैन्य का सम्बन्ध ( ७/१२ ,१०/४,४१,१३/३१-३२ , १८/५१-६६,७८) १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :-

    1. श्रीभद्भगिद्गीता, वहन्दी-अॊग्रजेी अनिुाद सवहत, गीताप्रसे, गोयिऩयु 2. श्रीभद्भगिद्गीतायहस्य , फारगॊगाधय वतरक ,१९६५ 3. श्रीभद्भगिद्गीता (ग्व्मायह टीकाओ ॊ के साथ ), गजानन शम्भ ुसाधरे , ऩवयभर ऩविकेशन, वदिी,२०१० 4. श्रीभद्भगिदगीता-मथारूऩ, प्रबऩुाद, भ ुॊफई 5. The Holy Geeta, Chinmayanand, Chinmaya Publication, Mumbai,2015 6. Essays on Gita, Shri Aurobindo, Shri Aravind Ashram, Pondichery, 1987 7. Managing Oneself (Shrimad Bhagavadgita:Theory and Practice), V.R. Panchmukhi,

    Panchmukhi Indological Centre, New Delhi, 2001 8. Essence of Shrimad Bhagavadgita: Health and Fitness, N.K. Shrinivasan, Pustak Mahal,

    Delhi, 2006

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    सभेसे्टय-०३: सप्तभ ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    सॊसृ्कत नाटक (अवबऻानशाकुन्तरभ ्, नाट्यशास्त्रीम ऩावयबावषक शब्दािरी) इकाई ०१: अवबऻानशाकुन्तरभ ् : प्रथभ, वितीम एिभ ् ततृीम अङ्क- अनिुाद, व्याख्या, नाट्यशास्त्रीम सभीऺा २० इकाई ०२: अवबऻानशाकुन्तरभ ् : चतथु ग एिॊ ऩञ्चभ अङ्क-अनिुाद, व्याख्या, नाट्यशास्त्रीम सभीऺा २०

    इकाई ०३: अवबऻानशाकुन्तरभ ् : षष्ठ एिॊ सप्तभ अङ्क-अनिुाद, व्याख्या, नाट्यशास्त्रीम सभीऺा २०

    इकाई ०४: नाट्यशास्त्रीम ऩावयबावषक शब्दािरी-रूऩक, नाटक, नामक,नान्दी, सतू्रधाय, प्रस्तािना, प्रिशेक, बयतिाक्य, विष्कम्भक, ऩताका, नऩेथ्य, ऩञ्चसवन्ध, कॊ चकुी, विदूषक, आकाशबावषत

    १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :- 1. अवबऻानशाकुन्तरभ ्, कवऩरदिे वििदेी, विश्व बायती अनसुन्धान ऩवयषद,् ऻानऩयु(िायाणसी) 2. अवबऻानशाकुन्तरभ ्, सफुोधचि ऩन्त (व्या.), भोतीरार फनायसी दास, वदिी 3. अवबऻानशाकुन्तरभ ्, सयुेि दिे शास्त्री (व्या.), याभनायामण िणेी प्रसाद, इराहाफाद 4. छन्दोsरॊकायसौयबभ ् , डॉ.सावित्री गपु्ता ,विद्यावनवध प्रकाशन ,वदिी,२०१५ 5. Abhigyanshakuntalam, C.R. Devadhar (Ed.), Motilal Banarsidass, Delhi 6. Abhigyanshakuntalam, M.R. Kale (Ed.), Motilal Banarsidass, Delhi

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    सभेसे्टय-०४: अष्टभ ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    आधवुनक सॊसृ्कत सावहत्य : ऩद्यकाव्य इकाई ०१: ऩद्य- जानकी ििब शास्त्री (बायतीमिसॊतगीवत्, स्नहेगीतभ ् ), प्रो० फच्चरूार अिस्थी ( शकुितृ्तभ)्, प्रो०

    याभकयण शभा ग ( नतून ेित्सये : श्लोक ०१-२० ), प्रो०श्रीवनिास यथ (विऻाननौका,तदिे गगनॊ सिै धया ), प्रो० येिा प्रसाद वििदेी (अहभ ् स्वतन्त्र्), प्रो०वभवथरा प्रसाद वत्रऩाठी ( सॊसृ्कत यचना ), प्रो० हवययाभ आचाम ग (सॊकि गीवत्),डॉ. ऩषु्पा दीवऺत (नयास्त ेके, ब्रवूह कोऽवस्मन ् मगु ेकावरदासामत)े, प्रो०िदेकुभायी घई (कृषकश्रवभकवबऺकुा्)

    २०

    इकाई ०२: डॉ. यभाकाॊत शकु्ल (बावत भ ेबायतभ-्१५ ऩद्यावन), प्रो०जगदीश प्रसाद सभेिार (विडम्बना-विरास: ऩद्य १-४,९,१३,१६-१९,२१,२८,२९,३३,३६,३७), प्रो० हवयदत्त शभा ग ( उरॄकोत्त्थानभ)्, प्रो० सी. नायामण येड्डी (प्रऩञ्चऩदी), प्रो० याधाििब वत्र ऩाठी ( धीियगीवत्- प्रथभा एिॊ वितीमा गीवत्), इच्छायाभ वििदेी ‘प्रणि्’ (विरीमत,े न शोबत े), डॉ. फरयाभ शकु्ल (विडम्बना)

    २०

    इकाई ०३: आधवुनक सॊसृ्कत सावहत्य का सिेऺ ण (ऩद्यकाव्य)-बट्ट भथयुानाथ शास्त्री, ऩवण्डता ऺभायाि, जानकी ििब शास्त्री, फच्चरूार अिस्थी ‘ऻान’, एस.फी. िणकेय, जगन्नाथ ऩाठक, याभकयण शभा ग, िदे कुभायी घई, याभजी उऩाध्याम, श्रीवनिास यथ, येिा प्रसाद वििदेी, हवययाभ आचाम ग, कभरेश दत्त वत्रऩाठी

    २०

    इकाई ०४ आधवुनक सॊसृ्कत सावहत्य का सिेऺ ण (ऩद्यकाव्य) यवसक विहायी जोशी, सत्यव्रत शास्त्री, डॉ. कृष्णरार, अवबयाज याजेंद्र वभश्र, वशिजी उऩाध्याम, ऩषु्पा दीवऺत, हवयदत्त शभा ग, यभाकान्त शकु्ल, याधाििब वत्रऩाठी, शॊकय दिे अितये, हष गदिे भाधि, ऩयभानन्द झा एिॊ फरयाभ शकु्ल

    १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :-

    1. आधवुनक सॊसृ्कत सावहत्य सॊचमन, डॉ. वगयीशचि ऩन्त (सम्पा.), विद्यावनवध प्रकाशन, वदिी, २००८ 2. आधवुनक सॊसृ्कत सावहत्य, भतै्रमेी कुभायी, विद्यावनवध प्रकाशन, वदिी, २०१७ 3. अिा गचीन सॊसृ्कत सावहत्य, याजभॊगर मादि, ज.ेऩी. ऩविवशग हाउस, वदिी, २०१५ 4. अिा गचीन सॊसृ्कत सावहत्य, याजभॊगर मादि, ज.ेऩी. ऩविवशग हाउस, वदिी, २०१७ 5. किििी (सभकारीन सॊसृ्कत काव्य सॊकरन), अवबयाज याजिे वभश्र, सावहत्य अकादभी, नई वदिी, २०१३ 6. निस्पन्द्, याधाििब वत्रऩाठी, भध्यप्रदशे वहन्दी ग्रन्थ अकादभी, बोऩार 7. तदिे गगनॊ सिै धया (काव्य सॊग्रह), श्रीवनिास यथ, याविम सॊसृ्कत सॊस्थान, नई वदिी 8. विशशताब्दी-सॊसृ्कत-काव्याभतृभ-्बाग ०१ सॊकरन, वदिी सॊसृ्कत अकादभी, वदिी 9. सॊसृ्कत सावहत्य:फींसिी शताब्दी, प्रो० याधाििब वत्रऩाठी , याविम सॊसृ्कत सॊस्थान, नई वदिी, १९९९ 10. आधवुनक सॊसृ्कत सावहत्य, दमानन्द बाग गि, याजस्थानी ग्रन्थागाय, जोधऩयु, १९८७ 11. आधवुनक सॊसृ्कत सावहत्य, हीयारार शकु्ल, यचना प्रकाशन, इराहाफाद, १९७१ 12. Sanskrit Dramas of the Twentieth Century, Satyavrat Usha, Mehar Chand Lachhamandas,

    Delhi 1987 13. ऩयीिाह:, फरयाभशकु्ल, सावहत्य अकादभेी, नई वदिी, २०१६

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    सभेसे्टय-०६: निभ ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    बायतीम िऻैावनक वनवध इकाई ०१:

    सॊसृ्कत औय भनोविऻान :बायतीम तत्व वचन्तन औय भनोविऻान-बायतीम दाश गवनक एिॊ भनोिऻैावनक वचतन धया का प्रायम्भ ,साॊख्यभनोविऻान, मोगभनोविऻान ,न्याम-िशैवेषक दश गन औय भनोविऻान ,िदेाॊत दश गन एिॊ भनोविऻान, जनै भनोविऻान, फौद्धभनोविऻान

    २०

    इकाई ०२:

    इविमाॊ औय अॊत:कयण-चतेना-भानिशयीय (सकू्ष्म शयीय, भनोभम शयीय, कायण शयीय), इविमाॉ (ऻानवेिम, कभवेिम, अॊत्कयण), भन औय प्राण, भन की अिस्थाएॊ, अनबुवूतमाॉ, िासना औय सॊस्काय, वचत्त औय वचत्तबवूभमाॉ (वऺप्त, भढूािस्था, विवऺप्त, एकाग्र, वनरुद्ध), वचत्तिवृत्तमाॉ, स्मवृत, फवुद्ध, अहॊकाय ऻान- ऻान की उत्पवत्त, प्रभा एिॊ अप्रभा मोगाॊग एिॊ वसवद्धमाॉ-अष्टाॊगमोग (मभ, वनमभ, आसन, प्राणामाभ, प्रत्याहाय, धायणा, ध्यान औय सभावध)

    २०

    इकाई ०३:

    िवैदक गवणत- िवैदक गवणत का इवतहास, िवैदक गवणत के प्रभिु आचाम ग स्वाभी श्री बायतीकृष्णतीथ ग प्रवतऩावदत िवैदक गवणत के सतू्र (सतू्र १-४)

    २०

    इकाई ०४:

    िृऺ आमिुदे – ियाहवभवहय १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :- १. साॊख्यकावयका , ईश्वयकृष्ण २. मोगसतू्र ,ऩतॊजवर ३. बायतीम भनोविऻान , डॉ श्रीभती रक्ष्मी शकु्ला ,ईस्टन ग फकु वरकस ग ,वदिी,२००९. ४. भहाबायत-बगिद्गीता , शाॊवतऩि ग, गीताप्रसे, गोयिऩयु

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    सभेसे्टय-०४: दशभ ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    सॊसृ्कत सावहत्य का इवतहास इकाई ०१: ऩद्यकाव्य : उऩजीव्य काव्य-याभामण, भहाबायत; भहाकाव्य: कावरदास, अश्वघोष, बायवि, भाघ, श्रीहष ग;

    नीवतकाव्य: चाणक्य नीवत, बतृ गहवय-शतकत्रम; गीवतकाव्य: भघेदूत, गीतगोविन्द २०

    इकाई ०२: गद्य तथा चम्प ूकाव्य : सफुन्ध,ु फाणबट्ट, दण्डी, विश्वशे्वय ऩाण्डमे, अवम्बकादत्त व्यास, नरचम्प,ू मशवस्तरक चम्प ू

    २०

    इकाई ०३: रूऩक : बास, कावरदास, विशािदत्त, शदू्रक, हष गिध गन, बट्टनायामण, बिबवूत, याजशे्वय, ऺभेीश्वय, जमदिे २०

    इकाई ०४:

    कथासावहत्य : फहृत्कथा, फहृत्कथाभञ्जयी, कथासवयत्सागय, ऩञ्चतन्त्र, वहतोऩदशे, फतेारऩञ्चविशवत, विक्रभचवयत, शकुसप्तवत

    १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :- 1. सॊसृ्कत सावहत्य का इवतहास, फरदिे उऩाध्याम, शायदा वनकेतन, िायाणसी 2. िवैदक सावहत्य औय सॊसृ्कवत, फरदिे उऩाध्याम, िायाणसी 3. सॊसृ्कत सावहत्य का इवतहास, प्रीवतप्रबा गोमर, याजस्थानी ग्रन्थागाय, जोधऩयु 4. सॊसृ्कत सावहत्य का इवतहास, उभाशॊकय शभा ग ऋवष, चौिम्बा बायती अकादभी, िायाणसी 5. सॊसृ्कत सावहत्य का अवबनि इवतहास, याधाििब वत्रऩाठी, विश्वविद्यारम प्रकाशन, िायाणसी 6. History of Classical Sanskrit Literature, M. Krishnamachariar, Motilal Banarsidas, Delhi 7. History of Sanskrit Literature, A.B. Keith, Motilal Banarsidass, Delhi 8. Gaurinath Shastri, A Concise History of Sanskrit Literature, Motilal Banarsidas, Delhi 9. Maurice Winternitz, Indian Literature (Vol. I-III), Motilal Banarsidas, Delhi

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    सभेसे्टय-०४: एकादश ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    सॊसृ्कत सावहत्य भें ऩमा गियण चतेना इकाई ०१:

    ऩवयचम एिॊ बवूभका : भानिसभ्यता भें ऩमा गियण की बवूभका, ऩमा गियण-अथ ग एिॊ ऩवयबाषा, ऩावयवस्थवतकी , प्रकृवत-विऻान, ऩमा गियण के भखु्य घटक (जिै जगत ्, बौवतक ऩदाथ ग, स्थरू तत्त्व, जवैिक तत्त्व एिॊ साॊसृ्कवतक तत्त्व) , ऩमा गियण की सभसाभवमक चनुौवतमाॊ, बभूण्डरीम ताऩक्रभ िवृद्ध , जरिाम ुऩवयित गन , ओज़ोन अिऺम , प्रदूषण भें अप्रत्यावशत िवृद्ध, बगूब ग जर का ह्रास, नदी प्रदूषण, वनि गनीकयण , प्राकृवतक आऩदाएॊ (फाढ़, बकूम्प), सॊसृ्कत िाङ्मम भें ऩमा गियण की अिधायणा (‘ब-ूभाता’ की अिधायणा, िदेों भें नवदमों की उऩासना, प्राकृवतक शवि का सॊयऺण, िृऺ ायोऩण, जर सॊयऺण के उऩाम), ऩावयवस्थवतकी तन्त्र, ऩश-ुऩवऺमों को रेकय फौद्ध एिॊ जनै भत

    २०

    इकाई ०२:

    िवैदक सावहत्य भें ऩमा गियण की सङ्किना : ऩमा गियण का आवधदवैिक ऩऺ, ऩवयवस्थवतकीम घटकों का सभन्वम, ‘ऋत’ की साि गबौवभक अिधायणा (ऋग्व्िदे-१०.८५.१), अथि गिदे भें ऩमा गियण के तत्त्व (ितृाितृ-१२.१.५२, अवबियाह-१.३२.४, अितृाह-१०.१.३०,ऩवयितृ-१०.८.३१), ऩमा गियण के सन्दब ग भें ऩञ्चतत्त्व की सङ्किना (ऐतयेम उऩवनषद ्३.३), ‘छन्दाॊवस’ की अिधायणा-जर, िाम,ुओषवध (अथिगिदे-१८.१.१७), जर के ऩञ्चभरूबतू रूऩ-वदव्या्,स्रिवन्त,िावनवत्रभा्, स्वमॊजा्, सभदु्राता ग् (ऋग्व्िदे-७.४९.२) िवैदक सावहत्य भें ऩमा गियण सॊयऺण : ऩमा गियण सॊयऺण के ऩञ्चस्रोत-ऩि गत, सोभ, िाम,ु ऩज गन्य, अवि (अथिगिदे-३.२१.१०), समू ग िाया ऩमा गियण सॊयऺण (ऋग्व्िदे-१.१९१.१-१६, अथिगिदे-२.३२.१-६, मजिुदे-४.४.,१०.६), समू गयवश्भमों एिॊ ओषवधमों के सभन्वम स ेआमषु्यिद्धगन (अथिगिदे-५.२८.५), ओजोनऩटर की िवैदक अिधायणा (ऋग्व्िदे-१०.५१.१, अथिगिदे-४.२.८), बभूण्डरीम ऩावयवस्थकी के सॊयऺण भें िनस्पवतमों एिॊ जन्तओु ॊ का मोगदान (मजिुदे-१३.३७), ऩमा गियण के सॊयऺण भें जवैिकतत्त्वों का मोगदान-उऩनीषदीमदृवष्ट (फहृदायण्मक उऩवनषद-्३.९.२८, तवैत्तयीम उऩवनषद-्५.१०१, ईशािास्योऩवनषद-्१.१)

    २०

    इकाई ०३:

    रौवकक सॊसृ्कत सावहत्य भें ऩमा गियण सॊयऺण : िृऺ ायोऩण स ेसम्बद्ध ऩमा गियण की जागरूकता- िृऺ ायोऩण-एक धार्मभक कत्त गव्य (भत्स्यऩयुाण-५९.१५९,१५३.५१२; ियाहऩयुाण-१७२.३९), याजा िाया योवऩत औषधीम िृऺ (शकु्रनीवत-४.५८-६२), याजा के कत्त गव्य के रूऩ भें निीन िृऺ ायोऩण एिॊ ऩयुान ेका सॊयऺण (अथ गशास्त्र-२.१.२०), िनस्पवतमों को उजाड़न ेके वरए दण्ड का विधान (अथ गशास्त्र ३.१९), बजूरसॊयऺण के वरए िृऺ ायोऩण (फहृत्सॊवहता ५४.११९) ऩमा गियण जागरूकता एिॊ जरसॊयऺण : वसचाई व्यिस्था-कुल्य, नदीवभत्र, भिुकुल्य, ऩि गतऩाश्व ग िर्मतनी कुल्य, जर के स्रोतों का सॊयऺण- िावऩ,कूऩ, तड़ाग (अविऩयुाण-२०९.२, याभामण-२.८०.१०-११), जरसॊयऺण (अथ गशास्त्र-२.१.२०-२१), बगूब ग जरविऻान (फहृत्सॊवहता-दकागा गराध्याम-अध्याम ५४)

    २०

    इकाई ०४:

    कावरदास के सावहत्य भें ऩमा गियण स ेसम्बद्ध साि गबौवभक विषम : ऩमा गियण के आठ भरू वसद्धान्त-अष्टाभरू्मतवशि (अवबऻानशाकुन्तरभ ् १/१), िन सॊयऺण, जरसॊयऺण, प्राकृवतकस्रोत, ऩश ुएिॊ ऩऺी, अवबऻानशाकुन्तरभ ् भें ऩमा गियण सॊयऺण, भघेदूत भें बायतीम भानसनू का सन्दब ग, ऋतसुॊहाय भें बायतीम उऩभहािीऩ की ऋत-ुसॊफॊधी चचा ग, कुभायसम्भि भें वहभारम ऺते्र की ऩावयवस्थवतकी , यघिुॊश (सग ग १३) भें सभदु्र-विऻान

    १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :- 1. फहृत्सॊवहता, फरदिे प्रसाद वभश्र (वहन्दीअनिुाद), िभेयाज श्रीकृष्णदास प्रकाशन, भमु्बई 2. शकु्रनीवत, ब्रह्मशॊकय वभश्र (वहन्दी अनिुाद), चौिम्बा सॊसृ्कत सीवयज, िायाणसी १९६८

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    3. िाल्मीवकयाभामण-बाग १-२, जानकी नाथ शभा ग (सम्पा.),गीता प्रसे, गोयिऩयु 4. िदेों भें बायतीम सॊसृ्कवत, आद्यादत्त ठाकुय, वहन्दी सवभवत, रिनऊ, १९६८ 5. प्राचीन बायतीम शासनव्यिस्था औय याजशास्त्र, विद्यारॊकाय सत्यकेत,ु सयस्वती सदन, भसैयू,१९६८ 6. विऻान औय िदे, डी.डी. ओझा, साइॊवटवपक ऩविशस ग, जोधऩयु, २००५ 7. िदेों भें विऻान, कवऩरदिे वििदेी, विख्यावत अनसुन्धान ऩवयषद,् हयदोई, २००५ 8. सॊसृ्कतिाङ्मम ेकृवषविऻानभ ्, श्रीकृष्ण सभेिार, वदिी सॊसृ्कत अकादभी, वदिी, २००६ 9. The Essence of Vedas, OP Dwivedi, Vishwa Bharati Research Institute, Gyanpur,

    Varanasi, 1990 10. Environmental Pollution and Control, PR Trivedi, APH Publishing Corporation, New

    Delhi 2004

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    सभेसे्टय-०६: िादश ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    बायतीम साभावजक सॊस्थाएॊ एिॊ याजशास्त्र इकाई ०१:

    बायतीम साभावजक सॊस्थाएॉ : ऩवयबाषा एिॊ ऺते्र, साभावजक सॊस्थाएॉ एिॊ धभ गशास्त्र सावहत्य २०

    इकाई ०२: िण गव्यिस्था एिॊ जावतव्यिस्था, सभाज भें वस्त्रमों की वस्थवत, साभावजक भलू्य २०

    इकाई ०३:

    बायतीम याजतन्त्र : उत्पवत्त एिॊ विकास-िवैदककार स ेफौद्धकार ऩम गन्त, कौवटल्य स ेभहात्मा गाॉधी ऩम गन्त २०

    इकाई ०४:

    बायतीम याजतन्त्र के प्रभिु विचायक एिॊ आधायबतू वसद्धान्त १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :- 1. कौवटरीम अथ गशास्त्र-बाग-०१ (सॊसृ्कत भरू), आय.ऩी. काॊगरे (सम्पा.), भोतीरार फनायसीदास, वदिी, १९९७ 2. कौवटरीम अथ गशास्त्र-बाग-०१, उदमिीय शास्त्री (वहन्दी अनिुाद), भहेयचि रछभन दास, वदिी १९६८ 3. फहृत्सॊवहता, फरदिेप्रसाद वभश्र (वहन्दी अनिुाद), िभेयाज श्रीकृष्ण दास, वदिी १९८७ 4. भनसु्मवृत, याभशे्वय बट्ट (वहन्दी अनिुाद), यािीम सॊसृ्कत सॊस्थान, नई वदिी, २००३ 5. माऻिल्क्यस्मवृत (िीयवभत्रोदम एिॊ वभताऺया टीका सवहत), चौिम्बा सॊसृ्कत सीयीज, िायाणसी, सॊित ्, १९६८ 6. शकु्रनीवत, ब्रह्माशॊकय वभश्र (वहन्दी अनिुाद), चौिम्बा सॊसृ्कत सीयीज, िायाणसी 7. इिकृत गाॊधीगीता, याजहॊस प्रकाशन, वदिी 8. प्राचीन बायतीम साभावजक एिॊ आर्मथक सॊस्थाएॊ (ऩषृ्ठ सॊ. १-२३), कैराश चि जनै, भध्यप्रदशे वहन्दी ग्रन्थ अकादभी, बोऩार,

    १९७६ 9. जनै सॊसृ्कत भहाकाव्यों भें बायतीम सभाज (ऩषृ्ठ सॊ. १-२५), भोहन चन्द, ईस्टन ग फकु वरकस ग, वदिी, १९८९ 10. धभगशास्त्र का इवतहास (बाग-०१ िण्ड ०२), ऩी.िी. काण,े वहन्दी अनिुाद अज ुगन चौफ ेकश्मऩ, उत्तय प्रदशे वहन्दी सॊस्थान,

    रिनऊ 11. प्राचीन बायत का आर्मथक एिॊ साभावजक इवतहास(ऩषृ्ठ सॊ. २३-७२), वशिस्वरुऩ सहाम, भोतीरार फनायसीदास, वदिी, २०१२ 12. सॊसृ्कत सावहत्य भें याििाद औय बायतीम याजशास्त्र (ऩषृ्ठ सॊ. २०४-२५८), शवश वतिायी, विद्यावनवध प्रकाशन, २०१३ 13. प्राचीन बायतीम याजनवैतक विचायक (ऩषृ्ठ सॊ १४५-२५३), वकयण टण्डन, ईस्टन ग फकु वरकस ग, वदिी, १९८८ 14. Teaching of Dharmashastra (pp 1-25), J.R. Gharpure, Lucknow University, Lucknow, 1956 15. Hindu Social Organisation(pp 257-283) , P.H. Prabhu, Popular Prakashan, Mumbai, 1998 16. State and Government in Ancient India (pp 1-25), A.S. Altekar, MLBD, Delhi, 1972

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    सभेसे्टय-०५: त्रमोदश ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    बायतीमदशगनविभशग (बायतीम दशगन ऩवयचम, तकगसङ्ग्रह) इकाई ०१: बायतीम दशगन ऩवयचम : न्यामदशगन (ऻानभीभाॊसा, प्रभाण, कायणिाद, ईश्वय,तकग ), िशैवेषक (तत्त्वभीभाॊसा,

    सप्तऩदाथ ग, ऩयभाणिुाद), साॊख्य (काम ग-कायणिाद, प्रकृवत, ऩरुुष, सग ग, सवृष्टक्रभ, फन्धनभोऺ, ईश्वय), मोग (वचत्त औय उसकी िवृत्तमाॉ, अष्टाॊगमोग, ईश्वय), ऩिू गभीभाॊसा (साभान्य ऩवयचम, अथा गऩवत्त, अनऩुरवि प्रभाण, धभग की अिधायणा, प्रभाण्मिाद, ख्यावतिाद, तत्त्वभीभाॊसा), उत्तयभीभाॊसा (ब्रह्म, आत्मा, भामा, भोऺ)

    २०

    इकाई ०२: चािा गक ्भत (ऻानभीभाॊसा, तत्त्वभीभाॊसा, आचायभीभाॊसा, चािा गक ्भत के स्रोत), फौद्धदशगन (चाय आम गसत्य, अष्टाॊवगकभाग ग, प्रतीत्यसभतु्पाद, अनात्मिाद, वनिा गण), जनैदशगन (अनकेान्तिाद, स्यािाद, ऻान, फन्धन, भोऺ)

    २०

    इकाई ०३: तकगसङ्ग्रह : प्रभाण, प्रत्यऺ, अनभुान, उऩभान, शब्द २०

    इकाई ०४: तकगसङ्ग्रह : निद्रव्य (ऩवृथिी, अऩ, तजे, िाम,ु आकाश, कार, वदक,् आत्मन)्, ऩदाथ ग (द्रव्य, गणु, कभग, साभान्य, विशषे, सभिाम, अबाि)

    १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :- १. सिगदश गनसॊग्रह , भाधिाचाम ग , प्रो. उभाशॊकय शभा ग ‘ऋवष ‘(व्या.), चौिम्बा विद्याबिन , िायाणसी,२०१४ २. बायतीम दशगन ,िाचस्पवत गयैोरा ,रोकबायती प्रकाशन, इराहाफाद, १९८३ ३. बायतीम दशगन, चक्रधय शभा ग ४. बायतीम धभं एिॊ दश गन, फरदिे उऩाध्याम ,चौिम्बा ओवयमॊटावरमा, िायाणसी ५. तकगसॊग्रह , अन्नॊ बट्ट (दीवऩका एिॊ न्यामफोवधनी टीका ),भ ुॊफई ,१९३० ६. तकगसॊग्रह, नयेिकुभाय ( सॊऩा ), हॊसा प्रकाशन, जमऩयु ७. तकगसॊग्रह, ऩॊकज कुभाय वभश्र (व्या.),ऩवयभर ऩविकेशन,वदिी २००१ ८. बायतीम दशगन, ऩायसनाथ वििदेी , आगया , १९७४ ९. बायतीम दशगन की रूऩयेिा, हयेि प्रसाद वसन्हा , भोतीरार फनायसीदास , वदिी १०. M. Hiriyanna, Outline of Indian Philosophy, London, 1956 ११. Radhakrishnan, N.- Indian Philosophy, Oxford University Press, Delhi,1990 १२. Dasgupta S.N., History of Indian Philosophy, Cambridge University Press, Cambridge १३. Chatterjee, S.C. & Dutta D.M.- Introduction of Indian Philosophy, Culcutta १४. Pandey R.C.- Panorama of Indian Philosophy, MLBD, Delhi,1966 १५. Shrma Rammurti, Advaita Vedanta, Estern Book Linkars, Delhi, 1998

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    सभेसे्टय-०५ : चतदु गश ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    वनफन्ध, अनिुाद, छन्द, यचनात्मक रेिन इकाई ०१: अनिुाद- वहन्दी/अॊग्रजेी स ेसॊसृ्कत भें, सॊसृ्कत स ेवहन्दी/अॊग्रजेी भें २० इकाई ०२: वनफन्ध रेिन : साभावजक,याजनवैतक ,साॊसृ्कवतक , सभसाभवमक विषमों ऩय २०

    इकाई ०३: अनचु्छेद रेिन, प्रश्नोत्तय औय ऩत्र रेिन २०

    इकाई ०४: छन्द, सॊसृ्कत छन्दों का साभान्य ऩवयचम-अनषु्टऩु, आमा ग, इििज्रा, उऩिेिज्रा, उऩजावत, िॊशस्थ, भन्दाक्रान्ता, िसन्तवतरका, भावरनी, वशिवयणी, स्रग्व्धया, शादूगरविक्रीवडत, बनुजॊगप्रमात, छन्द यचना/सभस्याऩरू्मत

    १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :- १. फहृद अनिुाद चविका, चक्रधय नौवटमार ‘हॊस’, भोतीरार फनायसीदास, वदिी. २. प्रौढ यचनानिुाद कौभदुी, कवऩरदिे वििदेी,विश्वविद्यारम प्रकाशन , िायाणसी ३. िाद: िण्ड १ एिॊ २, भिु स्वाध्याम ऩीठॊभ ्, याविमसॊसृ्कत सॊस्थानभ ्, नमी वदिी, २०१५ ४. यचनाअनिुाद करा अथिा िाग्व्व्यिाहायादार्रश ग , भोतीरार फनायसीदास , वदिी ५. सॊसृ्कत वनफॊध शतकभ ् , कवऩर दिे वििदेी , विश्वविद्यारम प्रकाशन ,िायाणसी ६. सॊसृ्कत वनफॊधािरी, चौिम्बा विद्याबिन, िायाणसी ७. सॊसृ्कत छॊदों का उद्भि औय विकास , आचाम ग याभवकशोय वभश्र, ऻान प्रकाशन भयेठ ,२००२ ८. छॊद:कोयकभ ् , आचाम ग विद्यानॊद भदु्गर ,याभऩयु, उ०प्र०,१९७७ ९. छन्दो Sरॊकायसौयबभ ् , डॉ.सावित्री गपु्ता ,विद्यावनवध प्रकाशन ,वदिी,२०१५ १०. The Students Gide To sanskrit Composition, V.S. Apte, Chaukhmba Sanskrit Series Office,

    Varanasi ११. Higher Sanskrit Grammar , M. R. Kale, MLBD, Delhi

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    सभेसे्टय-०५: ऩञ्चदश ऩत्र (विकि ०१) आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    सॊसृ्कत यङ्गभञ्च इकाई ०१:

    यङ्गभञ्च-प्रकाय एिॊ सॊयचना : यङ्गभञ्च के प्रकाय (विकृष्ट, चतयुस्र, त्र्यस्र,ज्यषे्ठ,भध्यभ ,अिय), बवूभशोधन, भाऩ, भत्तिायणी, यङ्गऩीठ, यङ्गशीष ग,दारूकभग,नऩेथ्यगहृ,प्र ेऺ ोऩिशे,प्रिशे एिॊ वनकास के िाय

    २०

    इकाई ०२:

    नाटक-नाटक की ऩवयबाषा एिॊ प्रकाय (दृश्म,रूऩ, रूऩक), अवबनम (आॊवगक,िावचक,सावत्त्वक,आहाम ग) िस्त-ुआवधकावयक, प्रासॊवगक,अथ गप्रकृवत के ऩाॉचप्रकाय, कामा गिस्था, सवन्ध, अथोऩऺऩेक, सॊबाषण के प्रकाय (सिगश्राव्य/प्रकाश, अश्राव्य/स्वगत, वनमतश्राव्य-जनावन्तक, अऩिावयत, आकाशबावषत)

    २०

    इकाई ०३:

    नतेा-अवबनतेा के चाय प्रकाय, अवबनते्री के तीन प्रकाय, सतू्रधाय, ऩवयऩार्मश्वक, विदूषक, कॊ चकुी, प्रवतनामक यस-ऩवयबाषा एिॊ घटक, यसवनष्पवत्त के अिमि-बाि,विबाि,अनबुाि,सावत्त्वकबाि, स्थामीबाि, व्यवबचायीबाि, स्वाद, भानवसक अिस्थाओ ॊ के चाय प्रकाय-विकास,विस्ताय,ऺोब,विऺऩे

    २०

    इकाई ०४:

    बायतीम यङ्गभञ्च का इवतहास एिॊ ऩयम्पया : विवबन्न कार भें यङ्गभञ्च का उद्भि एिॊ विकास-प्रागवैतहावसक,िवैदककार,ऩौयावणक कार, याजसबा के यङ्गभञ्च, भवन्दय के यङ्गभञ्च, िरुा यङ्गभञ्च,आधवुनक यङ्गभञ्च, रोक यङ्गभञ्च, िावणज्य यङ्गभञ्च, याविम एिॊ याज्य स्तयीम यङ्गभञ्च

    १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :- 1. नाट्यशास्त्र (प्रथभ,वितीम एिॊ षष्ठ अध्याम), ब्रजभोहन चतिुदेी, विद्यावनवध प्रकाशन, वदिी, २०१४ 2. नाट्यशास्त्र, यविशॊकय नागय (सम्पा.), ऩवयभर ऩविकेशॊस, वदिी 3. बायतीम नाट्यशास्त्र औय आज का यॊगभॊच, विश्वनाथ वभश्र, उत्तय प्रदशे वहन्दी सॊस्थान, रिनऊ, २००५ 4. नाट्यशास्त्र की बायतीम ऩयम्पया औय दशरूऩक, हजायी प्रसाद वििदेी, याजकभर प्रकाशन वदिी, १९६३ 5. बायतीम नाट्यशास्त्र की ऩयम्पया औय विश्वयॊगभॊच, याधाििब वत्रऩाठी ,प्रवतबा प्रकाशन, वदिी, १९९९ 6. सॊवऺप्त नाट्यशास्त्र, याधाििब वत्रऩाठी, िाणी प्रकाशन, वदिी, २००८ 7. नाटक औय यॊगभॊच, सीतायाभ झा, वफहाय यािबाषा ऩवयषद,् ऩटना, १९८१ 8. बयतकारीन कराएॊ, बायतने्दु वभश्र, प्रवतबा प्रकाशन, वदिी, २००४ 9. बायतीम नाट्य स्वरूऩ औय ऩयम्पया, याधाििब वत्रऩाठी, हयीवसह गौय विश्वविद्यारम, सागय, १९८८ 10. बायतीम नाट्य ऩयम्पया औय अवबनमदऩ गण, िाचस्पवत गयैोरा, इराहाफाद, १९६७ 11. दशरूऩकभ-्धवनक धनञ्जम, वहन्दी टीका सवहत, याभजी उऩाध्याम, बायतीम सॊसृ्कवत सॊस्थान, इराहाफाद, १९७९ 12. Natyashastra of Bharatmuni (Vol. 01), MM Ghosh, Manisha Granthalaya, Calcutta, 1967 13. Indian Theater: Traditions of Performance (Vol. 01), MLBD, Delhi, 2007 14. The Dasharoopak: A Treatise on Hindu Dramaturgy, Hass, Colambia University, New

    York, 1912

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    सभेसे्टय-०५: ऩञ्चदश ऩत्र (विकि ०२) आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    सॊसृ्कत ऩत्रकावयता इकाई ०१:

    सॊसृ्कत ऩत्रकावयता का उद्भि औय विकास २०

    इकाई ०२:

    सम्पादक औय सम्पादन के वसद्धाॊत २०

    इकाई ०३:

    आधवुनक सॊसृ्कत ऩत्रकावयता: सभस्या औय सभाधान २०

    इकाई ०४:

    आकाशिाणी औय दूयदशगन भें सॊसृ्कत िाता ग

    १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :- 1. ऩत्रकावयतामा् ऩवयचम् इवतहासश्च, भिुस्वाध्यामऩीठभ ्, याविमसॊसृ्कतसॊस्थानभ ्, नि दहेरी 2. सॊसृ्कतऩत्रकावयतामा् स्वरूऩॊ भहत्वॊ च, भिुस्वाध्यामऩीठभ ्, याविमसॊसृ्कतसॊस्थानभ ्, नि दहेरी 3. सॊसृ्कतऩत्रकावयता, अज ुगन वतिायी, सम्पणूा गनन्द सॊसृ्कत विश्वविद्यारम, िायाणसी

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    सभेसे्टय-०५: ऩञ्चदश ऩत्र (विकि ०३) आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    बाषाविऻान इकाई ०१:

    बाषा की ऩवयबाषा , स्वरूऩ एिॊ बाषा वक उत्पवत्त के वसद्धान्त २०

    इकाई ०२:

    बायतीम बाषा, वरवऩमाॉ तथा बायोऩीम बाषा ऩवयिाय २०

    इकाई ०३:

    ध्ववन विऻान , रूऩ विऻान, िाक्य विऻान एिॊ अथ ग विऻान २०

    इकाई ०४:

    सॊसृ्कत का आधवुनक बाषाविऻान भें मोगदान १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :- 1. बाषाविऻान –कवऩर दिे वििदेी , विश्वविद्यारम प्रकाशन,िायाणसी 2. बाषाविऻान, बोरानाथ वतिायी , वकताफ भहर ,इराहाॊफाद , १९९२. 3. तरुनात्मक बाषाविऻान, बोरानाथ वतिायी भोतीरार फनायसीदास, वदिी,१९७४ 4. बाषाविऻान कोश, बोरानाथ वतिायी. ऻानभॊडर वरवभटेड िायाणसी 5. सॊसृ्कत का बाषाशास्त्रीम अध्यमन, विश्वविद्यारम प्रकाशन ट्रस्ट ,िायाणसी 6. साभान्य बाषाविऻान, फाफयुाभ सक्सनेा ,वहन्दी सावहत्य सम्मरेन,प्रमाग, उ.प्र. 7. Linguistic Introduction to Sanskrit, V.K. Ghosh, Sanskrit Pustak, Calcutta 8. An Introduction to Sanskrit Linguistics, M. Shreeman Narayan Moorthy, VK Publication,

    Delhi, 1984 9. Elements of Science of Language, Taraporewala, Calcutta University Press, Calcutta, 1962

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    सभेसे्टय-०४: षोडश ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    आधवुनक सॊसृ्कत सावहत्य : गद्यकाव्य एिॊ नाटक इकाई ०१: आधवुनक सॊसृ्कत गद्यकाव्य एिॊ नाटक : प्रो०याजिे वभश्र (शतऩर्मिका), प्रो. बागीयथी नन्द (िक्रसयरता ,

    ऩॊ. भदन भोहन झा (भाराकाय:) २०

    इकाई ०२: नाटक- घनश्माभ भावणकरार वत्रिदेी (अथो वह ऩतु्र्ऩयकीम एि), प्रो० वि. याघिन ( अनाकगरी ) २०

    इकाई ०३: आधवुनक सॊसृ्कत गद्य काव्य का सिेऺ ण : ऩॊवडत अवम्बकादत्त व्यास ,ऩॊवडता ऺभायाि , याभजी उऩाध्याम , याभकयण शभा ग , अवबयाज याजेंद्र वभश्र , येिा प्रसाद वििदेी , अच्यतुानॊद दास , ब्रह्मवभत्र अिस्थी , प्रशस्य वभत्र शास्त्री , केशि चि दास , याधाििब वत्रऩाठी , िासदुिे शास्त्री िागिाडीकय , हवयनायामण वदवऺत , िनभारी विश्वार

    २०

    इकाई ०४: आधवुनक सॊसृ्कत नाटकों का सिेऺ ण: भहावरग शास्त्री,श्रीवनिास शास्त्री, हवयदास वसद्धान्त िागीश , भरूशॊकय भावणकरार मावऻक ,भथयुानाथ दीवऺत ,यभानाथ वभश्र ,विष्णऩुद बट्टाचाम ग,रीरायाि दमार ,मतीि वफभर चौधयुी ,िीयेिकुभाय बट्टाचाम ग,ओगटेी ऩयीवऺत शभा ग,िीणाऩाणी ऩाटनी,ऩयशयुाभ नायामण ऩाटनकय, िेंकट याघिन,

    १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :- 1. िक्रसयरता, बागीयथी नन्द , सॊसृ्कत प्रवतबा, उन्मषे -५४ ,जनियी –भाच ग २० 2. भाराकाय:( कथा सॊग्रह:) , ऩॊ. भदन भोहन झा , (सॊऩा.भोहन बायिाज ) वफहाय याज्य सॊसृ्कत अकादभी,ऩटना २०१३ . 3. आधवुनक सॊसृ्कत सावहत्य सॊचमन, डॉ. वगयीशचि ऩन्त (सम्पा.), विद्यावनवध प्रकाशन, वदिी, २००८ 4. आधवुनक सॊसृ्कत सावहत्य, भतै्रमेी कुभायी, विद्यावनवध प्रकाशन, वदिी, २०१७ 5. अिा गचीन सॊसृ्कत सावहत्य, याजभॊगर मादि, ज.ेऩी. ऩविवशग हाउस, वदिी, २०१५ 6. अिा गचीन सॊसृ्कत सावहत्य, याजभॊगर मादि, ज.ेऩी. ऩविवशग हाउस, वदिी, २०१७ 7. विशशताब्दी-सॊसृ्कत-काव्याभतृभ-्बाग ०१ (सॊकरन, वदिी सॊसृ्कत अकादभी, वदिी 8. सॊसृ्कत सावहत्य:फींसिी शताब्दी, प्रो० याधाििब वत्रऩाठी , याविम सॊसृ्कत सॊस्थान, नई वदिी, १९९९ 9. आधवुनक सॊसृ्कत सावहत्य, दमानन्द बाग गि, याजस्थानी ग्रन्थागाय, जोधऩयु, १९८७ 10. आधवुनक सॊसृ्कत सावहत्य, हीयारार शकु्ल, यचना प्रकाशन, इराहाफाद, १९७१ 11. Sanskrit Dramas of the Twentieth Century, Satyavrat Usha, Mehar Chand Lachnandas,

    Delhi 1987.

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    सभेसे्टय-०६: सप्तदश ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    बायतीम ऩयुावरवऩ एिॊ अवबरेिशास्त्र इकाई ०१: बायतीम ऩयुावरवऩ का ऩवयचम एिॊ अवबरेिशास्त्र के प्रकाय, प्राचीन बायतीम इवतहास एिॊ सॊसृ्कवत के

    ऩनुर्मनभाण भें अवबरेिशास्त्र की बवूभका, बायत भें अवबरेिशास्त्र का इवतहास, बायत भें अवबरेिशास्त्र के अध्यमन की ऩयम्पया, ऩयुावरवऩ के ऺते्र भें वििानों का मोगदान - फ्रीट, कवनघभ,वप्रन्सऩे, फहु्लय, ओझा, सयकाय

    २०

    इकाई ०२: अवबरेिशास्त्र : रेिन शास्त्र की प्राचीन ऩयम्पया, रेिन के उऩकयण, प्राचीन रेिन साभग्री एिॊ ऩसु्तकारम, प्राचीन वरवऩमों का ऩवयचम

    २०

    इकाई ०३: प्रभिु अवबरेिों का अध्यमन : अशोक का वगयनाय आऻाऩत्र वशरा-१, अशोक के सायनाथ स्तम्भ का आऻाऩत्र, रुद्रदाभन का वगयनाय आऻाऩत्र, सभदु्रगपु्त का ईयन अवबरेि, भहेयौरी रौहस्तम्भ का चि-अवबरेि, वफशारदिे का वदिी-टोऩया आऻाऩत्र

    २०

    इकाई ०४ प्राचीन बायतीम कारक्रभ का ऩवयचम, अवबरेिों का वतवथ वनधा गयण (क्रोनोग्राभ), अवबरेिशास्त्र भें प्रमिु भखु्य सॊित ् (विक्रभ सॊित ्, शक सॊित ्, गपु्त कार)

    १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :- 1. अवबरेि भॊजषूा, यणजीत वसह सनैी, न्य ूबायतीम फकु काऩोयेशन, वदिी, २००० 2. उत्कीण गरेिनऩञ्चकभ ्, झा फन्ध,ु िायाणसी, १९६८ 3. उत्कीण गरेिस्तफकभ ्, वजमारार कम्बोज, ईस्टन ग फकु वरकस ग, वदिी 4. बायतीमअवबरेि, एस.एस. याणा, बायतीम विद्या प्रकाशन, वदिी, १९७८ 5. बायतीम प्राचीन वरवऩभारा, गौयीशॊकयहीयाचॊद ओझा, अजभये, १९१८ 6. प्राचीन बायतीम वरवऩशास्त्र औय अवबरेविकी, अिधवकशोय एिॊ ठाकुयप्रसाद िभा ग, िायाणसी, १९७० 7. बायतीम ऩयुावरवऩ, याजफरी ऩाण्डमे, रोक बायती प्रकाशन, इराहफाद, १९७८ 8. बायतीम ऩयुावरवऩशास्त्र, भॊगरनाथ वसह (वहन्दी अनिुाद), भोतीरार फनायसीदास, वदिी, १९६६ 9. अऺयकथा, गणुाकय भरेु, प्रकाशन विबाग, बायत सयकाय वदिी २००३ 10. रेिनकरा का इवतहास (िण्ड १-२), ईश्वयचन्द याही, उत्तयप्रदशे वहन्दी सॊस्थान, रिनऊ, १९८३ 11. बायतीम ऩयुावरवऩविद्या, भरू-डी.सी. सयकाय-वहन्दी अन.ु कृष्ण दत्त फाजऩमेी, विद्यावनवध प्रकाशन, वदिी १९९६ 12. Selected Inscriptions (Vol. 01-02), D.C. Sarkar, Calcutta, 1965

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    सभेसे्टय-०५: अष्टादश ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    िवैदकसावहत्य इकाई ०१: अवि सिू (ऋग्व्िदे-१.१), इि सिू (ऋग्व्िदे-१.३२), ऩरुुष सिू (ऋग्व्िदे-१०.९०), नासदीम सिू (ऋग्व्िदे-

    १०.१२९) : दिेता विषमक वटऩण्णी, सॊवहता ऩाठ, ऩदऩाठ, अन्वम, सयराथ ग, सामणबाष्य, व्यकायाणात्मक वटप्पणी

    २०

    इकाई ०२: वशिसॊकिसिू (मजिुदे ३४.१-६), बवूभसिू (१२.१-१२ , साभनस्य ३.३० , िरुण सिू (अथिगिदे ) : दिेता विषमक वटप्पणी, सॊवहता ऩाठ, ऩदऩाठ, अन्वम, सयराथ ग, सामणबाष्य, व्याकयणात्मक वटप्पणी

    २०

    इकाई ०३: कठोऩवनषद ्: अनिुाद, व्याख्या, विषमऩयक दीघ ग सभारोचना एिॊ वशऺा २०

    इकाई ०४: िवैदक सावहत्य का सॊवऺप्त सिेऺ ण : सॊवहता, ब्राह्मण, आयण्मक, उऩवनषद,् िदेाङ्ग १५ ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :- १ िवैदक सॊग्रह ,डॉ०कृष्णरार,ईस्टन ग फकु वरकस ग ,वदिी २ िदेिियी, ऩषु्पा गपु्ता, ईस्टन ग फकु वरकस ग, वदिी ३ िदेचमनभ ् , चौिम्बा प्रकाशन, िायाणसी ४ कठोऩवनषद शाॊकयबाष्य सवहत , वहन्दी-अॊग्रजेी अनिुाद सवहत (अनिुादक–डॉ. याभ यॊग शभा ग एिॊ भारती शभा ग ), बायतीम

    विद्या प्रकाशन ,िायाणसी, वदिी १९९५ ५ िवैदक सावहत्य एिॊ सॊसृ्कवत , आचाम ग फरदिे उऩाध्याम

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    सभेसे्टय-०६: एकोनविश ऩत्र आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    सॊसृ्कतसावहत्यशास्त्र एिॊ सभारोचना इकाई ०१: काव्यदीवऩका-प्रथभ, वितीम एिॊ ततृीम वशिा : काव्यप्रमोजन, काव्यरऺण, िाक्यस्वरुऩ, ऩदस्वरुऩ,

    शब्दविबाग, अथ गविबाग, अवबधा, रऺणा, व्यॊजना, ध्ववन एिॊ उसके बदे, यसस्वरुऩ औय बदे, गणुीबतू व्यॊग्व्म, वचत्रकाव्य

    २०

    इकाई ०२:

    काव्यदीवऩका- चतथु ग,ऩञ्चभ एिॊ षष्ठ वशिा : काव्यबदे, दृश्म एिॊ श्रव्य, नामक के रऺण, अॊगरऺण, ऩिू गयॊग, प्रस्तािना, कथोद्घात, प्रमोवगताशम रऺण, प्रितृ्तरऺण, अिगवरत, ऩताकास्थानक, अथोऩऺऩेक, सॊवधमाॉ, भहाकाव्य एिॊ िण्डकाव्य रऺण, गद्यरऺण, चम्परूऺण, दोषस्वरूऩ, ऩदगत, िाक्यगत दोष, अथ गदोष, यसदोष, गणुस्वरूऩ, भाधमु ग, ओज, प्रसाद

    २०

    इकाई ०३:

    काव्यदीवऩका- सप्तभ वशिा एिॊ अष्टभ वशिा : यीवत औय उसके बदे, अरॊकाय-स्वरूऩ, शब्दारॊकाय (अनपु्रास, मभक, श्लषे), अथा गरॊकाय (स्वबािोवि, उऩभा, रूऩक, उत्प्रेऺ ा, अवतशमोवि, व्यवतयेक, वनदशगना, दृष्टान्त, अथा गन्तयन्यास, तलु्यमोवगता, दीऩक, सन्दहे, भ्रावन्तभान, अऩहु्नवत, सभासोवि)

    २०

    इकाई ०४:

    सभारोचना : काव्यशास्त्र के षट ्सम्प्रदाम एिॊ उनके विबाजन का आधाय १५

    ऩाठ्य ऩसु्तकें एिॊ सन्दब ग ग्रन्थ :- 1. काव्यदीवऩका, विद्यायत्न कावन्तचि बट्टाचाम ग, भोतीरार फनायसीदास, वदिी, िायाणसी,ऩटना, १९६८ 2. अरॊकायशास्त्र की ऩयम्पया, याजहॊस सहाम ‘हीया’, चौिम्बा प्रकाशन, िायाणसी 3. बायतीम आरोचना शास्त्र, याजिॊस सहाम ‘हीया’, वफहाय वहन्दी ग्रन्थ अकादभी, ऩटना 4. सॊसृ्कत काव्यशास्त्र का इवतहास, ऩी. िी. काण,े भोतीरार फनायसीदास, वदिी 5. सॊसृ्कत आरोचना, फरदिे उऩाध्याम, वहन्दी सवभवत, सचूना विबाग, उत्तय प्रदशे, १९६३ 6. History of Sanskrit Poetics, S.K. De, K.L. Farma, Calcutta 7. History of Sanskrit Poetics, P.V. Kane, Motilal Banarasidas, Delhi

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    सभेसे्टय-०६: विश ऩत्र (विकि ०१) आन्तवयक भलू्याङ्कन: २५ अङ्क (प्रामोजना काम ग १५ अङ्क, कऺा ऩयीऺा १०),सत्र ऩयीऺा: ७५ अङ्क

    सॊसृ्कत सावहत्य भें तकनीकी विऻान इकाई ०१: बायतीम ज्योवतग गणना के आधायबतू वसद्धाॊत : (ज्योवतषचविका के आधाय ऩय) २० इकाई ०२: बायतीम िास्तवुिद्या के आधायबतू वसद्धाॊत : (फहृदसॊवहता-िास्त ुविद्याध्याम के आधाय ऩय) २०

    इकाई ०३:

    आमिुदे के आधायबतू वसद्धा