नयक ( द्वाऩयमगु कलरमुग स्वगग .... pdf articles/02. bk...

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वगग औय नयक भ कॊ ाट ( बेद ) नयक ( वाऩयम कलरम ) वगग ( सतम ेताम )

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  • स्वगग औय नयक भें कॊ ट्रास्ट ( बेद ) नयक ( द्वाऩयमगु – कलरमगु ) स्वगग ( सतमगु – त्रतेामगु )

  • स्वगग औय नयक भें कॊ ट्रास्ट ( बेद ) नयक ( द्वाऩयमगु – कलरमगु ) स्वगग ( सतमगु – त्रतेामगु )

    द्वाऩय से यावण याज्म अथागत नकग का द्वाय खरुता है औय कलरमुग अॊत तक चरता है जफ आत्भा भें गुणों की कभी होने के कायण ५ ववकायों की प्रवेशता हो जाती है । यावण के आने से बक्तत शुरू हो जाती है। ववकाय आयम्ब हो जाते हैं ।

    महाॉ ऩय हैं १६ करा अऩूणग, ननगुगणी, भमागदाहीन, हहॊसक ववकायी आसुयी भनुष्म । सबी धभग भ्रष्ट, कभग भ्रष्ट फन जाते हैं । महाॉ धयती ऩय ऩाऩात्भाओॊ का ककतना फोझ है । सयसों लभसर ककतने ढेय भनुष्म हैं । कुर जनसॉख्मा फढ़ते फढ़ते रगबग ७००-७२५ कयोड़ तक ऩहुॉच गमी है ।

    मह कलरमुगी दनुनमा झूठी भ्रष्टाचायी, कुम्बीऩाक नयक, दु् ख का धाभ , ब्रह्भा की यात , डवेवर पायेस्ट है जहाॉ बक्तत के धतके खाते हैं । इसे द्वैत याज्म, अधभग का याज्म, अथवा कौयव याज्म कहेंगे । मह है यावण की रॊका, यावण की वॊडय बूलभ । साये वर्लडग ऩय यावण का याज्म है यावण के दस सय इन्ही ऩाॉच ववकायों के प्रतीक है (५ ऩुरुष व ५ स्त्री के ) ।

    बायत इस सभम काटों का जॊगर फन गमा है । मह है ऩुयानी ऩाऩात्भाओॊ की दनुनमा जहाॉ है दगुगनत । सबी भनुष्मभात्र हैं सदा दबुागग्मशारी । कलरमुग भें है भहान त ेभहान दु् ख । इन फातों को कोई सभझते नहीॊ । यावण याज्म भें सफ देह-अलबभान के कायण भूढ़भनत, तुच्छ-फुवि हो जाते हैं । ऩुजायी नकग के नाथ फन जाते हैं । महाॉ ऩय तो जभीन, ऩानी, आकाश का टुकड़ा हो गमा है । अऩयभअऩाय ग्रानन हेर की कयेंगे । मह है ह्मूभन वर्लडग । महाॉ झूठे ऩुरुष ऩाऩात्भा होत ेहैं । महाॉ ऩय हैं ऩुजायी, कारे क्जससे दु् खधाभ के भालरक फनते हैं । यावण याज्म भें कहेंगे ऩनतत आसुयी सॊप्रदाम ( dynasty) ।

    सतमुग स े याभयाज्म अथवा स्वगीम दनुनमा शुरू होता है औय त्रतेा मुग के अॊत तक चरता है । सतमुग भें फहुत थोड़ ेभनुष्म हैं । वहाॉ हय चीज सस्ती यहती है । शुरू भें जनसॉख्मा रगबग ९ राख होती है ।

    वहाॉ ऩय हैं १६ करा सॊऩणूग, सवगगुण सॊऩन्न, सॊऩणूग ननववगकायी, भमागदा ऩुरुषोत्तभ, सॊऩूणग अहहॊसक देवी-देवतामें । सबी के धभग औय कभग शे्रष्ठ थे । देवतामें थे सदा सौबाग्मशारी । वहाॉ ऩय अद्वैत याज्म था जहाॉ ऩय एक धभग, एक याज्म, एक बाषा, एक भत होती है । साये सागय, ऩथृ्वी, आकाश के भालरक यहते हैं ।

    सतमुग है ईश्वयीम गोर्लडन एज माने ईश्वय का स्थाऩन ककमा हुआ वॊडय बूलभ । बायत तफ दैवी पूरों का ऩरयस्तान था क्जसे सुख का धाभ, ब्रह्भा का हदन, अद्वैत याज्म, धभग का याज्म अथवा याभयाज्म कहेंगे । सतमगु भें बक्तत के धतके नहीॊ, है ही सद्गनत । वहाॉ ऋवष भुनन होत ेनहीॊ । वहाॉ रयरीक्जमस भाइॊडडे की फात ही नहीॊ यहती । तऩस्मा कयन ेकी बी दयकाय नहीॊ । वह है ही तऩस्मा का पर । जहाॉ बक्तत है वहाॉ दु् ख है । ऩाॊच ववकायों की अववद्मा यहती है ।

    वह सतमुगी दनुनमा सच्चा शे्रष्ठाचायी स्वगग, पूरों का फगीचा अथवा डीटी गाडगन है जहाॉ नतर भात्र बी दु् ख नहीॊ तमोंकक ववकाय नहीॊ, ब्रह्भा का हदन है जहाॉ बक्तत के धतके नहीॊ, कोई योग शोक नहीॊ । देवतामें ऩूज्म वैकुण्ठ नाथ थे । वह थी नमी ऩुण्मात्भाओॊ की दनुनमा । इन फातों को कोटों भें कोई बाग्मशारी ही सभझेंगे। अऩयभअऩाय भहहभा है ही हेववन की । वह है डीटी वर्लडग । वहाॉ गोये सत्ऩुरुष ऩुण्मात्भा, धभागत्भा होते हैं । याभ याज्म भें कहेंगे ऩावन दैवी सॊप्रदाम ( dynasty ) । वहाॉ कुर आहद की फात नहीॊ होती । एक ही देवताओॊ के कुर होता है ववष्णु सॊप्रदाम । रक्ष्भी नायामण के तख़्त के ऩीछे ववष्णु का चचत्र यहता है ।

  • स्वगग औय नयक भें कॊ ट्रास्ट ( बेद ) नयक ( द्वाऩयमगु – कलरमगु ) स्वगग ( सतमगु – त्रतेामगु )

    १. भतृ्मरुोक भें है आहद-भध्म-अॊत दु् ख माने अऩाय दु् ख, १००% दु् ख है । महाॉ एक बी ऩणूग सखुी नहीॊ होता । महाॉ ऩय ५% सखु है तो ९५% दु् ख है ववकायों के कायण ही इनको नयक कहा जाता है ।

    २. भतृ्मरुोक को कब्रब्रस्तान कहा जाता है । महाॉ की याजधानी देहरी है ( नई औय ऩयुानी ) । ऩय नई देहरी तो सतमगु भें ही होती है जफ दनुनमा नई है ।

    ३. कलरमगु भें सबी unrighteous (भ्रष्टाचायी ) हैं । महाॉ है criminalization ( फयेु असभ्म सॊस्काय ) ।

    महाॉ की है असत्म भमागदा, रोक राज कुर की भमागदा । महाॉ है द्वतै याज्म (अनेक याज्म), अनेक धभ ंअनेक बाषा, अनेक भत (ववचाय) ।

    ४. महाॉ है कभगफॊधन अथवा दु् ख का फॊधन क्जससे दु् ख की उत्ऩक्त्त होती है । महाॉ ऩय सारा, चाचा, भाभा, आहद अनेक सम्फन्ध होत ेहैं ।

    ५. कलरमगु है ऩत्थयों की दनुनमा जहाॉ भनषु्म अधभी ऩत्थयफवुि होत े हैं । महाॉ भखु से कड़वे फोर, गालरमाॉ ननकारत ेहैं, ऩाऩ कयत ेयहत ेहैं, अन्दय एक फाहय दसूये होत ेहैं । एक दसूये का नकुसान ऩहुॊचात ेहैं । मह सफ है यावण याज्म की गन्दी चॊचरता ।

    ६. कलरमगु है बोगी दनुनमा इसलरए महाॉ ननफगर, अर्लऩाम ु होत े हैं औय फहुत जन्भ होत े हैं । महाॉ भनषु्म की एवयेज आम ु ४०-४५ वषग यहती है। कोई कोई की कयके १०० वषग होती है । कोई ववयरा फड़ी आम ुवारे होत ेहैं फाकी तो योगी फन ऩड़त ेहैं । अबी सबी भनषु्मों की है ऩनतत कीचड़ ेका कामा । शयीय को तॊदरुुस्त यखने के लरए हठमोग ( आसन, प्राणामाभ आहद ) कयत ेयहत ेहैं ।

    ७. अबी ५ तत्व बी तभोप्रधन होने के कायण शयीय बी ऐसे सावये, कोई टेढ़ा, कोई ररूा रॊगड़ा आहद फनत ेयहत े हैं । महाॉ के शयीय तो कीटाणुओॊ से बये हुए योगी हैं । इनको कहा जाता है नकग । बर ककतना बी कोई पैशन कये, ऩाउडय आहद रगामे कपय बी है तो नयक भें ना । इस सभम है डूफन का याज्म । क्जतना श्रृॊगायत ेहैं उतना ही चगयत ेजात ेहैं ।

    १. अभयरोक भें है आहद-भध्म-अॊत सखु माने अऩाय सखु, १००% सखु है । वहाॉ एक बी दखुी नहीॊ होता । ववकाय न होने के कायण ही उनको स्वगग कहा जाता ।

    २. अभयरोक को ऩरयस्तान कहा जाता है क्जसकी याजधानी देहरी ही यहती है जो सतमगु भें ऩरयस्तान थी । मही देहरी तफ जभनुा का कॊ ठा होगा क्जस ऩय भहर फनेंगे ।

    ३. सतमगु-त्रतेा भें सबी righteous (शे्रष्ठाचायी) होत ेहैं वहाॉ है civilization (अच्छे सभ्म सॊस्काय)। वहाॉ की भमागदा को सत्म भमागदा कहा जाता है । वहाॉ है एक याज्म, एक देवी-देवता धभग, एक बाषा, एक भत ।

    ४. सतमगु भें है सखु का सम्फन्ध क्जससे सखु की प्राक्तत होती है । सम्फन्ध फहुत हर्लका होता है ज्मादा नहीॊ ।

    ५. सतमगु है ऩायस दनुनमा जहाॉ भनषु्म धभागत्भा ऩायस फवुि होत ेहैं । मह अशिु अऺय (गारी वगयेै ) सतमगु भें काभ नहीॊ आत ेहैं । वहाॉ कफ कड़वा फोरत ेनहीॊ, ऩाऩ कयत ेनहीॊ, चोयी आहद नहीॊ कयेंगे, अन्दय फाहय साफ़ यहता है । एक दसूये को नकुसान ऩहुॉचाने की वकृ्त्त नहीॊ होती । वहाॉ सफ कभेक्न्िमाॉ वश भें यहती है कोई चॊचरता नहीॊ होती न भखु, न हाथ की, न कान की ।

    ६. सतमगु है मोगी दनुनमा, वहाॉ ऩववत्रता का फर यहता है इसलरए देवतामें दीघागम ुऔय फरवान होत ेहैं व जन्भ कभ होत ेहैं । वहाॉ देवी-देवताओॊ की एवयेज आम ु१५० वषग यहती है । सतमगु भें देवताओॊ की कॊ चन कामा थी । ५ तत्व की बी नेचुयर ब्मटूी यहती है । आत्भा औय शयीय दोनों ऩववत्र एवॊ सुॊदय यहत ेहैं । वहाॉ सदैव तॊदरुुस्त यहत ेहैं । सतमगु भें न भनषु्म फीभाय होत ेहैं, न जानवय । जानवयों को बी सतमगु भें दु् ख वा अकारे भतृ्म ुनहीॊ होती ।

    ७.सतमगु भें शयीय ववष से नहीॊ फनता । वहाॉ मह दवाईमाॊ आहद कुछ नहीॊ होती । शयीय चभकता यहता है । चेहये की कोई ऩोलरश वगयेै नहीॊ कयत े। वहाॉ तो अॊग अॊग भें खुश्फ ू होती है । वहाॉ तो फढ़ेू के बी दाॊत फहुत अच्छे यहत ेहै । टूट जामे तो disfigure हो जामे ना । वहाॉ ररेू, रॊगड़ ेहोत ेनहीॊ । किलभनर दृक्ष्ट होती नहीॊ कपय बी सबी के अॊग सफ ढके हुए होत ेहैं । रक्ष्भी- नायामण जैसा नेचुयर सुॊदय तो कोई हो न सके । वहाॉ सदैव तॊदरुुस्त यहत ेहैं । देवताओॊ की ऩहयवाइस फड़ी सनु्दय होती है । पस्टग तरास कऩड़ ेहोत ेहैं क्जसे धोने की बी जरूयत नहीॊ ऩड़ती ।

  • स्वगग औय नयक भें कॊ ट्रास्ट ( बेद ) नयक ( द्वाऩयमगु – कलरमगु ) स्वगग ( सतमगु – त्रतेामगु )

    ८. कलरमगु भें सफ चीजें जेड तवालरटी की होती है । इस दनुनमा की जो बी चीजें हैं सफ ववनाशी है । सतमगु की कोई चीज महाॉ हो न सके । स्वगग के आगे मह ऩयुानी दनुनमा जैसे गोफय की दनुनमा है इनसे फाॊस आती है । महाॉ तो शिु दधू ऩीने के लरमे बी नहीॊ लभरता, ऩाउडय लभरता है । महाॉ ऩय तो सच्ची चीज लभरती ही नहीॊ । शुि दधू व घी की जगह लभरावटी भार ब्रफकता है । हय वस्त ुभें लभरावट यहती है । हय चीज से essence ननकार देता हैं, गाम को खाना बी ठीक नहीॊ लभरता महाॉ तो लभटटी की ईटें बी भकु्श्कर से लभरती हैं । भफु्त भें तो महाॉ कोई बी चीज नहीॊ लभरती है । महाॉ सच नछऩा हुआ है, झूठ ही झठू चरता है । साइॊस सखु-दु् ख दोनों के लरए है । महाॉ सफ है आहटगपीलसमर झठूी उन्ननत ।

    ९. अबी तो ५ तत्व (प्रकृनत) बी तभोप्रधान है। मह तत्व आहद सफ दशु्भन हैं । कबी फहुत गभी, कबी फहुत ठॊडी, कबी असभम फयसात । भसूराधाय फयसात ऩड़गेी तो सायी खेती आहद ऩानी भें डूफ जामेगी । नेचुयर कैरेलभहटज़ आ जाती है । महाॉ ऩय अच्छी पसर ऩदैावाय होने के लरए जभीन भें बी खाद डारत े हैं । कोई बी चीज भें ताकत नहीॊ हैं । हय एक चीज ब्रफरकुर powerless अथागत शक्ततहीन हो गई है । रयफे्रश होने के लरए हहर स्टेशन वा ववदेश के यभणीम स्थरों भें घभूने जात ेहैं ।

    १०. द्वाऩय से ढूॉढना शरुू होता है ,जभीन खोदने ऩय ऩयुानी चीजे ननकर आती है । महाॉ भनषु्म सकृ्ष्ट का अॊत ऩाने का ऩरुुषाथग कयत े हैं । वहाॉ कोई ऩरुुषाथग नहीॊ कयत े।

    ८. सतमगु भें सफ चीजें ए वन तवालरटी की होती है । हय चीज purest form माने शिुतभ रूऩ भें होती है । वहाॉ चीजें ही ऐसी फनेगी जो टूटने का नाभ ही नहीॊ होगा । कलरमगु की कोई चीज वहाॉ हो न सके । वहाॉ तो इन जेवयों आहद से सज ेसजामे यहेंगे । अथाह धन होता है । सफ सखुी ही सखुी यहत ेहैं । वहाॉ तो साइॊस से सखु ही सखु है । वऻैाननक आत्माधुननक औय सुॊदय भशीनों का ननभागण कयेंगे । सबी कुछ सयुक्षऺत एवॊ शिु आक्ण्वक औय सौय उजाग ऩय काभ कयेगा । वहाॉ होती है सच्ची उन्ननत । वह है ऺीय सागय, सोने की दनुनमा । सतमगु भें व्मवहाय धॊधा बी सच्चा चरता है । वहाॉ झूठ आहद फोरने की दयकाय नहीॊ यहती तमोंकक ऩसैे कभाने का रोब नहीॊ होता । वहाॉ तो अथाह ऩसै ेलभरत ेहैं । अनाज आहद का कोई दाभ नहीॊ यहता ।

    ९. सतमगु भें ५ तत्व (प्रकृनत) बी सतोप्रधान है। स्वगग भें न गभी, ने ठण्डी, सदैव फहायी भौसभ होगा । तत्व बी आडगय भें यहते हैं । सूमग बी सतोप्रधान फन जाता है । कबी तऩत नहीॊ हदखात े हैं । वहाॉ ५ तत्व बी देवताओॊ के गरुाभ फन जात े हैं । कबी फेकामदे फयसात नहीॊ ऩड़ती । कबी नदी उछर नहीॊ खाती । वहाॉ तो गौऊओॊ के गोफय भें बी ककतनी ताकत यहती है । वहाॉ ऐसे ककचड़ े ( खाद ) आहद ऩय खेती नहीॊ होती है । वहाॉ तो नई लभट्टी होती है । सतमगु भें पर पूर फहुत फड़ े होत े हैं । क्जतनी महाॉ ईटें ऩसैे से लभरती है, उतनी ईटें वहाॉ भफु्त भें लभरती है । वहाॉ तो दधू घी की नहदमाॉ फहती है । वहाॉ तो गभी होती नहीॊ जो कश्भीय, लशभरा आहद जाना ऩड़ े। स्वगग भें सदा रयफे्रश यहत ेहैं । कबी उफासी आहद आमेगी नहीॊ वहाॉ इतने जॊगर, ऩहाड़ड़माॉ आहद कुछ नहीॊ होगी । छोटा सा स्वगग होगा । फहुत अच्छे अच्छे फगीचे होंगे, खुशफ ूआती यहेगी, फहुत अच्छी हवामें रगती यहती है महाॉ तो ऩानी का बी सोचत ेयहत,े वहाॉ तो झयनों भें नहामेंगे । वहाॉ की नहदमाॉ बी फड़ी साफ़ स्वच्छ होगी, कचड़ा आहद कुछ बी नहीॊ यहता । स्वगग भें कोई गन्दी चीज होती नहीॊ, क्जसभें हाथ-ऩाॉव अथवा कऩड़ ेआहद भरेै हों अथवा क्जसे देख कय घणृा आमे । तरास कऩड ेहोंगे क्जसे धोने की बी दयकाय नहीॊ ।

    १०. वहाॉ ऩयुानी चीजें फठै ढूॉढत ेनहीॊ । ऩेट बया हुआ यहता है । वहाॉ तो सोने की खाननमाॉ बयऩयू यहती हैं । जभीन खोदने की जरुयत नहीॊ यहती ।

  • स्वगग औय नयक भें कॊ ट्रास्ट ( बेद ) नयक ( द्वाऩयमगु – कलरमगु ) स्वगग ( सतमगु – त्रतेामगु )

    ११. महाॉ भतृ्मरुोक भें तो ककतनी गन्दगी है, चायों तयप गॊद कयत े यहत े हैं, ५ तत्वों को बी प्रदवूषत कय देत े हैं । महाॉ तो ऩशु ऩऺी बी गॊद कयते यहत ेहैं । जानवयों को बी ऩकाकय खा रेत े हैं । बोजन के लरए प्राकृनतक स्त्रोत को नष्ट कयत े यहत े हैं क्जससे ऩमागवयण को बायी नकुसान होता है ।

    १२. महाॉ अनेक प्रकाय की मोननमाॉ है क्जसभें कई गॊदे व हहॊसक प्राणी की शे्रणीमाॉ हैं । महाॉ तो कोई कोई जानवय की बी फहुत अच्छी सेवा होती है जो भनषु्म की बी नहीॊ होती । कुत्ते को, घोड़ ेको, गाम को तमाय कयत ेहैं । कुत्तों की exhibition रगती है ।

    १३. द्वाऩय-कलरमगु भें बक्तत की शरुुआत होती है, दसूये अनेक धभगस्थाऩन होत ेहैं । अनेक भॊहदय , भक्स्जद , गरुुद्वाया, चचग इत्माहद का ननभागण होता है । ऩसु्तकें , वेद, शास्त्र, धभग ग्रन्थ आहद फनत ेहैं । अनेक धभग ही वजह से रड़ाई, झगड़ ेहोत ेहैं । ऩयभात्भा को, देवी देवताओॊ को माद कयत ेहैं तमोंकक दु् ख अशाॊनत , अप्राक्तत, चचॊता फढ़ती है ।

    १४. यावण याज्म भें तो अनेक प्रकाय की ववद्मा ऩढाई जाती है, फच्चों ऩय ऩढाई का फोझ फना यहता है ऩढाई बी धीये धीये ननैतक भरू्लमों व चरयत्र ननभागण से हटकय बौनतक सखु प्राक्तत ऩय केक्न्ित हो जाता है ।

    ११. सतमुग है साफ़ सुथया ऩावन बूभी । वहाॉ कोई बी गन्दगी की चीज होती नहीॊ । शिु शाकाहायी बोजन ही खात ेहैं तमोंकक वे ही सच्चे वषै्णव है माने भन औय तन दोनों से ऩववत्र हैं । वहाॉ तमाज, रहसनु आहद तभोप्रधान चीज अथवा खट्टी, फाॊसी चीज होती नहीॊ । वहाॉ बोजन के लरए रकड़ड़माॉ आहद नहीॊ जरात े। सोरय उजाग से सबी कामग होत े हैं । वहाॉ फ-ेटाइभ कबी खात े नहीॊ । फड़ी यॉमर्लटी से, शाॊनत से खात ेहैं ।

    १२. सतमगु भें इतनी मोननमाॉ नहीॊ होती, थोड़ी वयैामटी होती है । वहाॉ कोई खौपनाक, गॊद कयने वारी वा दु् ख देने वारे जानवय, भतखी, भच्छय आहद होत े नहीॊ व साॉऩ आहद हहॊसक प्राणी नहीॊ होत ेजो ककसको डसें । शये आहद नहीॊ होंगे । देवी देवतामें कुत्त ेनहीॊ ऩारत े । वहाॉ घोड़ ेआहद जानवय ऐसे नहीॊ होत ेजो भनषु्म उनकी सेवा कयें ।

    १३. सतमगु-त्रतेा भें कोई धभग स्थाऩन नहीॊ होता, वहाॉ कोई ऩजुायी होत े नहीॊ, न ही कोई ऩत्थय की भनूत ग होती । गामन, भहहभा इत्माहद होती नहीॊ । मह केवर बक्तत भागग भें होता है । न वहाॉ कोई ऩसु्तक, ग्रन्थ, शास्त्र इत्माहद होत े हैं औय न ही भॊहदय , भक्स्जद , गरुुद्वाया , चचग इत्माहद का ननभागण होता है तमोंकक वहाॉ एक भात्र आहद सनातन देवी देवता धभग ही होता है, कोई दु् ख अशाॊनत , अप्राक्तत, चचॊता की फात नहीॊ यहती इसलरए न ही ऩयभात्भा को जानत े हैं औय न ही बगवान ् मा गरुु को माद कयेंगे । वहाॉ तो सद्गनत ऩाई हुई है । वहाॉ तो लसपग अऩनी आत्भा को माद ककमा जाता है, हभ आत्भा एक शयीय छोड़ दसूया रेगी, ऩनत ही सफ कुछ है । वहाॉ न गरुु न वजीय यहता है ।

    १४. सतमगु भें बी फच्च ेयाजववद्मा ऩढने स्कूर भें जामेंगे । वहाॉ फरैयस्टयी, इॊजीननमयी, ,, डॉतटयी आहद ऩढ़ने की दयकाय नहीॊ । ऑटोभेहटकरी फवुि सतोप्रधान यहती है । स्वर्णगभ मगु भें लशऺा एक प्रकाय का आभोद –प्रभोद होगी, फोझ यहहत । देवताओॊ के फच्चे खेर के भाध्मभ से लशऺा प्रातत कयेंगे । याजनीती एवॊ प्रफॊधन सीखेंगे ककन्त ु करा की लशऺा भखु्म होगी । चचत्रकरा, सॊगीत, नतृ्म व यॊगभॊच की कराएॊ होंगी । वहाॉ वप्र ॊस वप्र ॊसेस का अरग अरग कॉरजे होता है । कॉरेज जाने के लरमे ऩदैर बी नहीॊ कयना ऩड़ता । एतसीडेंट प्रपू ववभानों भें फठैकय जात ेहैं । भहर से ननकरे फटन दफामा औय मह उड़ा , कोई तकरीप नहीॊ । वहाॉ तो जीवन ननवागह हेत ुधन कभाने के लरमे ऩढाई नहीॊ ऩढेंगे ।अबी के ऩरुुषाथग से अकीचाय धन लभरता है ।

  • स्वगग औय नयक भें कॊ ट्रास्ट ( बेद ) नयक ( द्वाऩयमगु – कलरमगु ) स्वगग ( सतमगु – त्रतेामगु )

    १५. कलरमगुी दनुनमा का सखु काग ववष्टा (अर्लऩकार) सभान है । महाॉ है आहटगपीलसमर सखु । महाॉ ऩय भनषु्म प्रकृनत के दास फन गए हैं । मह भामा का बबका है । फहुभॊक्जरे इभायतें फनत े यहती हैं । लसतकों के भरू्लम चगयत ेजात ेहैं । सफ चीजें साया याज्म भरुम्भे का है । रूण्म का ऩानी (भगृतषृ्णा) सभान है, इसभें भनषु्म खुश होत े हैं । सभझत े हैं इससे सखु लभरेगा ऩयन्त ुइन सफसे दु् ख ही लभरेगा । मह aero plane ( हवाई जहाज) बी द:ुखदामी फन ऩड़ेंगे । महाॉ एमयोतरेन भें सखु है तो दु् ख बी । कर एतसीडेंट हो जाम , स्टीभय डूफ जाता है, टे्रन का एतसीडेंट हो जाता है । फठेै फठेै बी भनषु्म हाटग पेर हो जात ेहैं , bombs (फाम्ब्स) चगयामेंगे, dams पटेंगे, earthquake (बकूॊ ऩ) होगी, सभिु नीच े से धयती को खा जामेगा, फयसात ऊऩय से धयती को खा जामेगी ।

    १६. बर एमयोतरेन भें घभूत े हैं । फड़ ेफड़ ेभकान है । ऩयन्त ुमह तो सफ ऽत्भ होने वारा है । मह है रूण्म का ऩानी (भगृतषृ्णा) लभसर याज्म । फाहय से देखने भें बबका फहुत है अन्दय ऩोरभऩोर है । बर ककतना फड़ा साहूकाय है, फीभाय हुआ, अॊधा हुआ, एतसीडेंट हुआ तो दु् ख होता है ना । फड़ े फड़ ेऑकपससग को बी भाय देत ेहैं । कोई को डय नहीॊ । सखु के फजाम औय दु् ख है । चोय बी रटूत ेयहत ेहैं । कैसे कैसे भाय ऩीटकय ऩसेै रटू रे जात ेहैं । ऐसी ऐसी दवाइमाॉ हैं जो सुॊघाकय फेहोश कय देत ेहैं । कोई का याजा तो कोई का डाकू खा जात ेहैं ।

    १५. सतमगु भें है नेचुयर सखु सदा कार का । सतमगु भें देवतामें प्रकृनत के भालरक होत े हैं । वहाॉ भामा की ताकत नहीॊ यहती जो फेइज्जती कये, धयती की ताकत नहीॊ जो हहर सके । महाॉ तो ऩानी का बी सोचत ेयहत,े वहाॊ तो झयनों भें नहामेंगे । वहाॉ की नहदमाॉ बी फड़ी साफ़ स्वच्छ होगी, कचड़ा आहद कुछ बी नहीॊ यहता । वहाॉ कोई ऐसी गन्दी, फीभायी, आहद कुछ नहीॊ होता । भनषु्म फड़,े साफ़ शिु यहत ेहैं । वहाॉ ऐसी लभट्टी नहीॊ, हवा नहीॊ, जो भकान खयाफ कयें । भहर भें जया बी ककचड़ा नहीॊ । वहाॉ फड़ी खफयदायी यहती है । ऩहये ऩय यहत ेहैं, कबी कोई जानवय आहद अन्दय घसु न सके । फड़ी सपाई यहती है । वहाॉ घी आहद खयीदना नहीॊ ऩड़गेा । सफके ऩास अच्छी गामें पस्टग तरास होंगी । गामें फहुत सतोप्रधान सुॊदय होती हैं । वहाॉ ताॊफा, ऩीतर, रोहा आहद होता नहीॊ है । सोने के लसतके ही चरन भें आत ेहैं । वहाॉ भकान फहुत फड़ ेहोत ेहैं । साये आफ ू क्जतनी जभीन एक एक याजा की होगी । वहाॉ पनीचय बी सोने जड़ड़त पस्टग तरास होगा । वहाॉ भीठे ऩानी ऩय भहर होंगे । कहाॉ ऩहाड़ड़मों ऩय जाने की दयकाय नहीॊ । वहाॉ ऩय इतनी भॊक्जर ेहोती नहीॊ, डफर स्टोयी बी नहीॊ होती । महाॉ ही फनात ेहैं ८-१० भॊक्जरे तमोंकक जभीन नहीॊ है । भकानों भें बी सोना, चाॉदी , हीया रगता है । योशनी ऐसी यहती है जो फत्ती हदखाई नहीॊ ऩड़गेी, लसपग योशनी हदखाई ऩड़गेी । सोने के भहर आहद फनाने भें वहाॉ कोई देयी नहीॊ रगती । भशीनयी ऩय झट गराकय टाइर्लस फनात ेहैं । झट सोने के, भाफगर के भकान फनत ेजामेंगे । इॊक्जननमय आहद सफ होलशमाय होत े हैं । सतमगु भें ववभान, ब्रफजलरमों की जरुयत ऩड़गेी । स्टीभय आहद होत ेनहीॊ । वहाॉ मह येर आहद बी नहीॊ होगी, जरुयत ही नहीॊ, छोटा शहय होगा । ववभान बी वहाॉ पुर प्रपू होत ेहैं । कबी टूट न सके । कबी भशीन आहद ऽयाफ न हो सके । एतसीडेंट होना ही नहीॊ है , कोई बी ककस्भ का । स्वर्णगभ मगु का ववऻान फहुत ववकलसत होगा ।

    १६. स्वगग भें कभगबोग की फात होती नहीॊ, कोई फीभायी, एतसीडेंट, भायाभायी, रटूऩाट आहद की फात नहीॊ तमोंकक सबी ऩणु्म आत्भामें होत ेहै, वहाॉ ऩय ववकाय ही नहीॊ होत,े ककसी बी चीज की कभी नहीॊ होती जो चोयी, रटूभाय आहद कयें ।

  • स्वगग औय नयक भें कॊ ट्रास्ट ( बेद ) नयक ( द्वाऩयमगु – कलरमगु ) स्वगग ( सतमगु – त्रतेामगु )

    १७. महाॉ है अर्लऩकार का ऺणबॊगयु याज्म । कोई याज्म नहीॊ है । याज्म तो उनको कहा जामे जहाॉ कोई ककॊ ग- तवीन हो । मह तो प्रजा का प्रजा ऩय याज्म है । इसलरए अनयाइहटमस याज्म है । एक गवनगभेंट नहीॊ ।

    १८. महाॉ सबी बर धनवान है कपय बी योगी फीभाय हैं । महाॉ के साहूकायों भें बर ककतने बी फड़ ेफड़ ेयाजामें थे, धन फहुत था ऩयन्त ु हैं तो ववकायी ना । महाॉ हेर्लथ है तो वेर्लथ नहीॊ वेर्लथ है तो हेर्लथ नहीॊ इसलरम हैतऩीनेस (सखु) नहीॊ । साहूकाय औय प्रजा दोनों दु् ख बोगत ेहैं । महाॉ ऩय कौड़ड़माॉ हैं । यावण याज्म भें ककतना घाटा ऩड़ता है ।

    १९. महाॉ भनोयॊजन के लरए ववकायी साधनों का इस्तभेार कयत ेयहत ेहैं ।

    २०. महाॉ कुछ न कुछ कभी जरूय यहती है, ईश्वय से ऩतु्र धन सॊऩक्त्त इत्माहद भाॊगत े यहत े हैं । महाॉ पजूर खचाग फहुत है । महाॉ चीज हदन ऩय हदन भहॉगी होती जाती है ।

    २१. यावणयाज्म भें गभ बी है तो ऽुशी बी है। अबी अबी ऽुशी, अबी अबी गभ । मह गभ की दनुनमा है । ववश्व स्वीट कहाॉ है । फयोफय अबी यात है । यात दु् ख की होती है । महाॉ हय एक फात quick होती है । भौत बी quick होती यहती है । आज ककसको फच्चा हुआ तो ऽुशी होगी कर भय गमा तो दु् ख । महाॉ भहहरामें बी ऩढ़ती हैं नौकयी कयने के लरमे तमोंकक ऩनत भय गमा तो सॊबार कौन कयें ? अफ मह है orphan (अनाथ) की दनुनमा । सायी दनुनमा का कोई धनी धोणी नहीॊ है। भनषु्म भनषु्म से रड़त ेहैं। । बर ऩसैे वारे हैं , वह बी अर्लऩकार के लरए । महाॉ सफ दगुगनत भें हैं । ऻान देने वारा कोई नहीॊ है । सबी भनषु्म भात्र नाक्स्तक ननधन के हैं । फाऩ को जानत ेनहीॊ, यड़डमाॊ भयत ेयहत ेहैं ।

    १७. वहाॉ एक ही याजा यानी का याज्म था । प्रजा का प्रजा ऩय याज्म नहीॊ । इसलरए याइहटमस याज्म था । उस सभम अभेरयका, मयूोऩ आहद कुछ नहीॊ होता । फॉम्फे बी नहीॊ होती । वहाॉ सतमगु भें समूगवॊशी रक्ष्भी नायामण दी पस्टग, सेकॊ ड, थडग ऐसे ८ गद्दी चरती है कपय ऺब्रत्रम धभग माने त्रतेा मगु भें बी पस्टग, सकेॊ ड, थडग ऐसे १२ गद्दी चरती है । सतमगु भें मथा याजा यानी तथा प्रजा सबी की इन रक्ष्भी-नायामण जैसी ड्रसे यहती है । ऩीताम्फय – मह है सतमगुी समूगवॊशी की ड्रसे । त्रतेा भें याभयाज्म भें कपय दसूयी ड्रसे होती है । रक्ष्भी नायामण के भहरों भें हीयें जवाहयात होत ेहैं । फड़ी दयफाय रगती है । याज-ेयजवाड़ े आऩस भें लभरत े हैं क्जस े रक्ष्भी नायामण के याजधानी की सबा कहेंगे । र्खडककमों ऩय सोने, हीये, जवाहयों का फड़ा अच्छा श्रृॊगाय होता है

    १८. स्वगग भें हेर्लथ औय वरे्लथ दोनों हैं इसलरमे हैतऩीनेस (सखु) है । वहाॉ बर गयीफ हो कपय बी ऩसैे की चचॊता नहीॊ । प्रजा औय साहूकाय दोनों सखुी यहत ेहैं महाॉ के धनवानों से वहाॉ की साधायण प्रजा बी फहुत ऊॊ च फनती है । वहाॉ घाटे की कोई फात नहीॊ ।

    १९. सतमगु भें फाइस्कोऩ आहद होत ेनहीॊ । भनोयॊजन के लरए नाटकशारामें होत े हैं । देवतामें ऽुशी भें खेरऩार माने यास कयत ेहैं ।

    २०. सतमगु भें कोई चीज की कभी नहीॊ यहती, वहाॉ ऩय हय चीज की बयऩयूता है । कुछ भाॉगने की जरुयत नहीॊ यहती । वहाॉ पजूर (व्मथग ) खचाग नहीॊ कयेंगे । वहाॉ हय चीज सस्ती यहती है ।

    २१. याभयाज्म भें खुलशमाॉ ही खुलशमाॉ हैं, गभ की कोई फात नहीॊ । वहाॉ अकार भतृ्म ुहोती नहीॊ । भाताओॊ को जीववका के लरए नौकयी की चचॊता नहीॊ कयनी ऩड़ती । वह है स्वीट दनुनमा । वहाॉ अकारे भतृ्म ुहोती नहीॊ । भयने की फात नहीॊ । फाकी चोरा तो फदरेंगे न । जैसे सऩग एक खार उताय दसूयी रेत ेहैं वहाॉ है सदैव सनाथ । सबी सद्गनत भें माने सदा सखु, शाक्न्त, सॊऩक्त्त से बयऩयू होत ेहैं

  • स्वगग औय नयक भें कॊ ट्रास्ट ( बेद ) नयक ( द्वाऩयमगु – कलरमगु ) स्वगग ( सतमगु – त्रतेामगु )

    २२. महाॉ कलरमगु भें भहान (घोय) दु् ख है । दु् ख के ऩहाड़ चगयत े यहत े हैं । इसलरए योत े यहत े हैं । इस सभम सायी दनुनमा जीती जागती नयक है जहाॉ भनषु्म दु् खी योगी हैं ।

    २३. कलरमगु है अकर्लमाणकायी नकग । महाॉ अनेक प्रकाय के घटुके खात ेहैं । भनसा – वाचा - कभगणा भें हहॊसा जरुय आता है, एक दसूये से नपयत है, रड़त ेझगड़ते हैं । महाॉ तो तमाय का नाभ नहीॊ, भाय है । रड़ना झगड़ना तो आयपन्स (अनाथों ) का काभ है । महाॉ ऩय सफ भनषु्म हैं रनूऩानी । अबी तो है ऩॊचामती याजस्थान (प्रजास्थान ) । मह है ही आसयुी दनुनमा, फहुत corruption (भ्रष्टाचाय) रगी हुई है। भनषु्म यावण भत ऩय चर ककतने जूठे हो गए हैं इसलरम मह झूठखॊड फन गमा है । झूठी भामा झूठी कामा ... महाॉ घोय अॉचधमाया है। इसको अॊधेय नगयी कहा जाता है ।

    २४. महाॉ धन के वऩछाड़ी चोयी कयने रग ऩड़त ेहैं । दो ऩसैा दो तो फड़ े लभननस्टय को बी भाय डारत ेहैं । महाॉ कोई ऩय बी बयोसा नहीॊ कय सकत े हैं महाॉ भनषु्मों का धॊदा है एक दो को रड़ाना सफ एक दो के दशु्भन फन जात ेहैं फच्चा फाऩ का औय फाऩ फच्च ेका दशु्भन फन ऩड़त े हैं । महाॉ योना ऩीटना रड़ाई झगड़ा रगा यहता है । कर लभलरट्री ब्रफगड़ती है तो फादशाह को बी कैदी फना देत ेहैं कोई को बी भाय डारत ेहैं । महाॉ कोई बी सेफ्टी नहीॊ है । कहीॊ न कहीॊ भामा के चम्फे भें पॉ स ऩड़त ेहै ।

    २५. सायी सकृ्ष्ट ही ऩनतत हो गमी है, इसे ऩनतत दनुनमा ही कहेंगे। ऩनतत दनुनमा भें एक बी ऩावन हो नहीॊ सकता । अफ हो गमा है अऩववत्र प्रवकृ्त्त भागग, ववकायी प्रवकृ्त्त भागग कहा जाता है । ऩववत्र गहृस्थ आश्रभ नहीॊ यहा । घय घय भें झगड़ा रगा ऩड़ा है ववकायों के कायण । इस दनुनमा भें न तमाय है न साय है ।

    २२. सतमगु भें दु् ख का नाभोननशान नहीॊ । वहाॉ है घोय सखु । वह है हॉसने वारी दनुनमा । वहाॉ ऐसे नहीॊ कहेंगे की याजी ऽुशी हो ? तफीमत ठीक है ? मह अऺय वहाॉ होती नहीॊ तमोंकक सखु की दनुनमा है । वहाॉ योने की फात ही नहीॊ होती । शयीय छोड़ने सभम बी फाज ेफजत ेहैं, जन्भ रेने सभम बी फजत ेहैं । वहाॉ कबी नहीॊ कहेंगे कक मह ऽयाफ है, मह ऐसा है । वहाॉ फयेु रऺण कोई होत ेनहीॊ । हाॉ, साहूकाय औय गयीफ हो सकत े हैं । फाकी अच्छे वा फयेु गणुों की बेंट वहाॉ होती नहीॊ, सबी सखुी यहत े हैं दु् ख की फात नहीॊ, नाभ ही है सखुधाभ ।

    २३. सतमगु है कर्लमाणकायी स्वगग । वहाॉ घटुके खाने की कोई फात नहीॊ । भनसा भें बी हहॊसा के ववचाय नहीॊ आत े । सतमगु भें देवताओॊ की चरन ऊॉ ची औय यॉमर है । एक दसूये से ऩारयवारयक स्नेह सॊफॊध यहता है , कबी आऩस भें रड़त ेझगड़त ेनहीॊ । सतमगु भें आऻा न भानने की फात ही नहीॊ । वहाॉ तो सफ तमाय से चरत े हैं । वहाॉ याजा-यानी का बी फहुत तमाय होता है , फच्चों का बी, तमाय बी फेहद का । जानवयों का बी आऩस भें रव यहता है । सबी ऺीयखॊड होकय यहत ेहैं । वहाॉ है सदैव सनाथ । वह है सच्चा याजस्थान , शे्रष्ठाचायी दनुनमा, सचखॊड ।

    २४. देवी-देवताओॊ के याज्म भें ककर े आहद नहीॊ होत े

    तमोंकक वहाॉ कोई सेफ्टी की चचॊता नहीॊ यहती । कोई शत्र ुनहीॊ होता जो चढाई कये ।

    २५. स्वगग है ऩावन दनुनमा जहाॉ एक बी ऩनतत नहीॊ होते वहाॉ रॉ नहीॊ है ककसको अऩववत्र फनाना । सबी चीजें वहाॉ ऩववत्र होती है । वहाॉ था ऩववत्र प्रवकृ्त्त भागग ऩववत्र गहृस्थ आश्रभ तमोंकक ववकायी दु् ख के सम्फन्ध नहीॊ होत ेफक्र्लक स्नेहमतुत सखु के सम्फन्ध थे ।

  • स्वगग औय नयक भें कॊ ट्रास्ट ( बेद ) नयक ( द्वाऩयमगु – कलरमगु ) स्वगग ( सतमगु – त्रतेामगु )

    २६. महाॉ बखू हड़तार, वऩकेहटॊग, स्ट्राइक आहद होती यहती है, ककतनी भायाभायी होती यहती है । एक दसुये को तॊग कयत े यहत े हैं, हत्मा कय देत े हैं । महाॉ भेहतय, भजदयू, ड्राइवय आहद स्ट्राइक कय देत ेहैं तो धॊदा ठहय जाता है । कहाॉ अनाज, सब्जी नहीॊ लभरेगी, दधू नहीॊ लभरेगा ।

    २७. घटु घटु कय भयना यावण याज्म भें होता है । भयना शब्द दु् ख का है । इस सभम सायी दनुनमा जीती जागती नयक है जहाॉ भनषु्म दु् खी योगी हैं । महाॉ अनेक भसुीफतें लसय ऩय है । देवारा, फीभारयमाॉ आहद फहुत है । अनेक प्रकाय की फीभारयमाॉ हो जाती है । अनेक प्रकाय की दवाइमाॉ ननकरती यहती हैं । अकार ेभतृ्म ु होती यहती है । कोई ववयरा फड़ी आम ु वारे होत ेहैं फाकी तो योगी फन ऩड़त ेहैं । महाॉ तो भनषु्म के शयीय छोड़ने ऩय उनकी लभट्टी रकेय यस्भ रयवाज कयेंगे, ब्राह्भणों को र्खरामेंगे, श्राि इत्माहद कयत ेयहेंगे ।

    २८. गाॊधीजी बायत भें याभयाज्म राना चाहत े थ े इस खानतय बायत को पोयेनेसग से छुड़ामा ऩयन्त ु कोई सखु तो नहीॊ हुआ औय ही दु् ख हो गमा । देश अॊग्रजों से तो भतुत हुआ ऩय ववकायों के चॊगरु से स्वतॊत्र हो न सका फक्र्लक औय ही उसके दरदर भें धॊसता गमा । महाॉ की दनुनमा भें फहुत र्खटर्खट हैं, गोयख धॊधे हैं । उऩिव आहद होत े यहत ेहैं । फहुत घभसान होती यहती है । देश व याज्म के अरग अरग टुकड़ ेकय देत ेहैं । अबी तो ककतनी partition है । अऩने अऩने प्रान्त की सॊबार कयत ेयहत ेहैं । महाॉ अनेक प्रकाय के लबन्न लबन्न धभग जानतमाॉ हैं । धभग जानत के नाभ ऩय रड़त ेझगड़त ेहैं । महाॉ सबी भनषु्मों की उतयती करा होती है । भनषु्मों की ववचाय शक्तत कुछ बी नहीॊ । फवुि को ब्रफरकुर तारा रगा हुआ है ।

    २६. स्वगग भें स्ट्राइक आहद की फात नहीॊ । वहाॉ तो अनाज, इतना हो जाता है जो ब्रफगय ऩसैे क्जतना चाहे उतना लभरता यहेगा । सब्जी दधू की बी बयऩयूता यहती है । वह है ही ऺीय सागय ।

    २७. सतमगु भें ऐसे नहीॊ कहत े कक पराना भय गमा । वहाॉ तो ऽुशी ऽुशी से शयीय छोड़त ेहैं । ऩयुाना शयीय छोड़ दसूया ककशोय अवस्था का शयीय रेत े हैं । आत्भा चरी गमी, खार तो कोई काभ की नहीॊ यही, शयीय चॊडार के हाथ दे हदमा, वह यस्भ रयवाज अनसुाय जरा देंगे । वहाॉ यस्भ इत्माहद भें ऩसेै नहीॊ रगामेंगे । वहाॉ शयीय का कोई भरू्लम नहीॊ यहता । ब्रफजरी ऩय यखा औय खरास । ऐसे नहीॊ शयीय को कहाॉ उठाकय रे जामेंगे । हड्ड़डमाॉ कोई नदी भें नहीॊ डारेंगे, न योमेंगे, न ब्राह्भण को र्खरामेंगे ।

    २८. सतमगु भें ऩाटीशन आहद कुछ नहीॊ होगी । वहाॉ आकाश, धयती सायी तमु्हायी होगी । वहाॉ सायी दनुनमा भें एक धभग होगा । ऐसे नहीॊ चीन, मयूोऩ नहीॊ होंगे, होंगे ऩयन्त ु देवता धभग वारे होंगे, औय धभग वारे नहीॊ होंगे । वहाॉ कामदे से याज्म चरता है । प्रकृनत आडगय भें चरती है । वहाॉ कोई उऩिव हो नहीॊ सकता ।

  • स्वगग औय नयक भें कॊ ट्रास्ट ( बेद ) नयक ( द्वाऩयमगु – कलरमगु ) स्वगग ( सतमगु – त्रतेामगु )

    २९. कोई तो तीथगमात्रा ऩय बी ऐसे शौ़ीन जात ेहै जो शयाफ आहद बी अऩने साथ वहाॉ रे जात ेहैं । फड़ ेआदभी इसके ब्रफगय यह नहीॊ सकत ेहैं । अबी वह तीथग तमा काभ के यहेंगे । तीथों ऩय बी वेश्मामें यहती हैं ।

    ३०. महाॉ कैसे कैसे फीभायी है, हॉक्स्ऩटर भें फीभायी भें ककतनी दगुगन्ध हो जाती है । नपयत आती है । कभगबोग ककतना है । इन सफ दखुों से छुटने के लरमे लशव फाऩ कहत ेहैं – लसपग भझुे माद कयो औय कोई तकरीप तभुको नहीॊ देता हूॉ ।

    ३१. ऩयुानी दनुनमा भें है दु् ख । फयसात भें ककतने भकान चगयत ेयहत ेहैं, ककतने डूफ जात ेहैं । धयती बी जोय से हहरती है । तफ़ूान, फयसात आहद सफ होता है । फोम्ब्स बी पेकत ेयहत ेहैं ।

    ३२. मह सायी दनुनमा फड़ ेत ेफड़ी हाक्स्ऩटर है , क्जसभें सफ भनषु्म ऩनतत योगी है । मह योचगमों की फड़ी हॉक्स्ऩटर हैं । योगी जरूय जर्लद भय जामेंगे । आम ुबी फहुत कभ होती है । अचानक भतृ्म ुको ऩा रेत ेहैं । फाऩ आकय ननयोगी फनात ेहैं

    ३३. बर ककतने बी कयोड़ऩनत, ऩदभऩनत हो ऩयन्त ुऩनतत दनुनमा तो जरुय कहेंगे ना । मह कॊ गार दखुी दनुनमा है, ववषम वतैयणी नदी भें गोता खात ेयहत ेहैं । मह बी नहीॊ सभझत ेकक ववकाय भें जाना ऩाऩ है । कहत ेहैं इसके ब्रफगय सकृ्ष्ट ववृि को कैसे ऩामेगी ।

    ३४. दनुनमा भें भनषु्म ककतना रड़त-ेझगड़त ेहैं । जीवन ही जैसे जहय लभसर कय देत ेहैं । आगे चर जीवन औय बी जहय होती जामेगी । मह है ही ववषम सागय । यौयव नयक भें सफ ऩड़ े है । इसको कहा जाता है dirty world । एक दो को दु् ख ही देत ेयहत ेहैं तमोंकक देह अलबभान का बतू है । मह बतू ही कारा भुॊह कयत ेहैं । काभ चचता ऩय फठै कारे फन जात े हैं तफ फाऩ कहत े हैं कपय हभ आकय ऻान की वषाग कयत ेहैं ।

    २९. सतमगु-त्रतेा भें कोई तीथगस्थान ऩय नहीॊ जात े तमों कक वहाॉ मे होत ेही नहीॊ । बायत के अरावा औय देश लसपग वऩकननक स्थान होत े हैं । वहाॉ सबी की ननयोगी आम ु , सदा मवुा यहत ेहैं, न अकार भतृ्म,ु न एतसीडेंट, न भॊहदय न शास्त्र होंगे, न अस्ऩतार न कोटग कचहयी न जेर होंग े । वहाॉ ऩय सबी ऩावन आत्भाएॊ होत ेहैं व ५ तत्व सतोप्रधान होने से कोई प्राकृनतक आऩदाएॊ नहीॊ आती,, , कोई भायाभायी, रड़ाई झगड़ े नहीॊ होत,े न कोई ककसी को तॊग कयता है भहायाजा - भहायानी ही केस सॉबारत ेहैं । केस होंगे बी न के फयाफय । वह है ही pure world – garden of flowers ( पूरों का फगीचा ) । वहाॉ ववकाय की अववद्मा यहती है तमोंकक है ही ननववगकायी दनुनमा । आत्भअलबभानी क्स्थनत भें यहत ेहैं ।

  • स्वगग औय नयक भें कॊ ट्रास्ट ( बेद ) नयक ( द्वाऩयमगु – कलरमगु ) स्वगग ( सतमगु – त्रतेामगु )

    ३५. इस सभम सायी दनुनमा फेहद की रॊका है । चायों ओय ऩानी है ना क्जसभे यावण का याज्म है । इस सभम शोक ही शोक है । अशोक एक बी नहीॊ यहता । सायी दनुनमा इस सभम फेहद की शोक की होटर है । खान ऩान भनषु्मों की जानवयों लभसर है । तमा तमा चीजें खात ेयहत ेहैं । जानवयों की, भनषु्मों की फलर चढ़ती है ।

    ३६. मह दनुनमा बी ऩनतत है, भनषु्म बी ऩनतत है, ५ तत्व बी ऩनतत है । देवी दवताओॊ का आव्हान कयत ेहैं ऩयन्त ुवे महाॉ थोड़ ेही आ सकत ेहैं ।

    ३७. महाॉ ककतना भतबेद है । ऩानी ऩय, जभीन ऩय झगड़ा । ऩानी फॊद कय देत े हैं, तो ऩत्थय भायने रग ऩड़त े हैं । एक दो को अनाज नहीॊ देत े तो झगड़ा हो जाता है ।

    ३८. महाॉ है अशाॊनत का याज्म तमोंकक यावण याज्म है । असयुों को कबी शाॊनत होती नहीॊ । घय भें, दकुानों भें जहाॉ तहाॊ अशाॊनत ही अशाॊनत होगी । ५ ववकाय रूऩी यावण अशाॊनत पैरात ेहैं । बर साधु सॊत हैं, ऐसा नहीॊ कक उन्हें कोई दु् ख नहीॊ होता है । कोई ऩागर फन ऩड़त े हैं । फीभाय योगी बी होत े हैं । महाॉ साध-ुसॊत आहद सफ दखुी हैं । सफ शाॊनत चाहत े हैं । फीभायी तो उनको बी होती है । एतसीडेंट होती है । दनुनमा भें दु् ख के लसवाम औय कुछ तो है नहीॊ ।

    ३९. भनषु्मों को इस सभम कपकयात ही कपकयात है – फच्चा फीभाय हुआ, फच्चा भया, ककसी को फच्चा न हुआ तो कपकयात, कोई ने अनाज जास्ती यखा, ऩलुरस व इनकभ टैतस वारे आमे तो कपकयात । मह है ही डटी दनुनमा, दु् ख देने वारी । एमयोतरेन, टे्रन चगय ऩड़ती है । भौत ककतना सहज खड़ा है । धयती हहरती है तो अथगतवेक हो जाता है इसको कब्रब्रस्तान कहा जाता है जहाॉ अकारे भतृ्म ुहोती यहती है । यावण को हय वषग जरात ेयहत ेहैं ऩयन्त ुवह भयता ही नहीॊ ।

    ४०. महाॉ तो घय घय भें दु् ख है, कोई ऽुशी वा उभॊग उत्साह नहीॊ, इसलरमे तयह तयह के त्मोहाय अथवा उत्सव भनात ेयहत ेहैं ।

    ४१. अफ रड़ाई, भायाभायी तमा तमा हो यहा है, इसको कहा जाता है खूने नाहेक खेर । ब्रफना कोई कसयू के भौत देत ेयहत ेहैं । एक ही फभ ऐसा चगयामेंग ेक्जससे सफ खरास हो जामें ।

    ३०. सतमगु है सच्चा याभयाज्म जहाॉ धयती ऩय स्वगग होता है । देवी देवतामें प्रकै्तटकर भें याज्म कयत ेहैं । आत्भा व ५ तत्व दोनों ऩावन होत े हैं । वहाॉ ऩय health, wealth, happiness , purity, peace

    prosperity सबी यहती है , सबी के एक भत यहते हैं इसलरए कोई भतबेद नहीॊ, ककसी फात का शोक नहीॊ, ककसी चीज की कभी नहीॊ यहती, ५ ववकाय रूऩी यावण न होने से सवगत्र शाॊनत का ही साम्राज्म यहता है । साधु, सन्मासी अथवा भॊत्री के सझुाव की वहाॉ कोई जरुयत नहीॊ होती । ककसी फत की कपकयात नहीॊ होती ।

    ३१. वहाॉ दीऩभारा होती है कोयोनेशन ऩय । फाकी कलरमगुी दनुनमा के यस्भ रयवाज, त्मोहाय सतमगु भें नहीॊ होत े । वहाॉ तो सखु ही सखु होने से सदैव उत्सव ही है ।

  • स्वगग औय नयक भें कॊ ट्रास्ट ( बेद ) नयक ( द्वाऩयमगु – कलरमगु ) स्वगग ( सतमगु – त्रतेामगु )

    ४२. अबी धभग नहीॊ तो धभग भें ताकत नहीॊ यही इसलरए बायतवासी unrighteous, unlawful, insolvent फन ऩड़ ेहैं । No purity, No peace, No prosperity.

    ४३. मह कारी दनुनमा है । कारे अथागत सावयें (ऩनतत ) । गणु तो जो गोये ( ऩावन ) हैं उनभें ही होंगे ।

    ४४. महाॉ एक तो यावण का जेर कपय यावण की भत ऩय चरने वारे का जेर । बक्तत की बी जॊजीयें, गरुुओॊ की जॊजीयें कपय ऩनत की बी जॊजीयें । यावण की भत ऩय दखुी होत े हैं तो ऩकुायत े हैं । इस दनुनमा को फहुत कड़ा नाभ हदमा गमा है कुम्बीऩाक नकग क्जसभें ववषम वतैयणी नदी फहती है । सायी दनुनमा ही ववषम वतैयणी नदी है । सफ इस सभम दु् ख ऩा यहे हैं । सफ एक दो को दु् ख ही देत ेहैं । सभझत े सखु हैं, ऩयन्त ु वह है दु् ख । ऩयभात्भा फाऩ से सफको फेभखु कयत े हैं । यावण याज्म भें अर्लऩकार का सखु यहता है फाकक दु् ख ही दु् ख है क्जसको सन्मासी रोग कागववष्टा सभान सखु कहत ेहैं । तमोंकक ववकाय से ऩदैा होत ेहैं । ववकाय भें जाना दु् ख है तफ तो सन्मासी बी सन्मास कयत ेहैं । सभझत ेहैं स्त्री नाचगन है ,घय भें यहना गोमा नकग भें यहना, गोता खाना है ।

    ४५. मह आसयुी दनुनमा ककतनी कड़वी है, स्वीट नहीॊ । कड़वी चीज दु् ख देने वारी होती है । भात-वऩता, बाई-फहन सफ कड़वे तमोंकक देह अलबभानी औय ऩनतत हैं ।

    ४६. महाॉ सभझत ेहैं स्टूडेंट का नमा ब्रड है, मह फहुत भदद कयेंगे । इसलरए गवनगभेंट बी भेहनत कयती है उन्हों ऩय औय कपय ऩत्थय आहद बी वहीीँ भायत ेहैं । हॊगाभा भचाने भें ऩहरे ऩहरे स्टूडेंट ही आगे यहत ेहैं ।

    ४७. अबी ककतना दु् ख है । आगे इतना दु् ख नहीॊ था जफ से फाहय वारे आमे हैं तफ से मह याजामें रोग बी आऩस भें रड़ े हैं । जदुा जुदा हुए हैं । महाॉ ऩय ऩरुुष स्त्री भें, जाती धभग भें बेद फहुत होता यहता है क्जसके कायण रड़त ेझगड़त ेहैं, एक दो की हत्मा कयत ेहैं । भनषु्म की चरन गन्दी है । है ही ऩाऩात्भाओॊ की दनुनमा, तो सदाचायी कहाॉ से आमे भनषु्म को जो ऩसैा दो तो उससे ऩाऩ ही कयत ेहैं कपय दान ऩणु्म बी कयत ेहैं उससे सदाचायी तो नहीॊ हो जात े।

    ३२. सतमगु भें एक देवी-देवता धभग भें फड़ी ताकत यहती है । तफ बायत righteous, lawful, solvent था । purity, peace, prosperity थी । वहाॉ न भॊहदय न शास्त्र होंगे, न अस्ऩतार न कोटग कचहयी न जेर होंगे । वहाॉ ववकायी न होने से सखु के भीठे सम्फन्ध यहत ेहैं वहाॉ के फच्च ेबी सतोप्रधान, शरुुद फवुि वारे होत े हैं । कोई ककसी को दु् ख नहीॊ देत े , न कोई र्खटवऩट, झगड़ े आहद होत े हैं । सबी सदाचायी, शे्रष्ठाचायी ऩणु्म देवात्भा होत ेहैं ।

  • स्वगग औय नयक भें कॊ ट्रास्ट ( बेद ) नयक ( द्वाऩयमगु – कलरमगु ) स्वगग ( सतमगु – त्रतेामगु )

    ४८. महाॉ छोटे फड़ ेसफ दु् ख देत ेहैं । गबग भें भाता को फच्चे दु् ख देत ेहैं । नकग भें गबग जेर भें पथकत ेहैं । महाॉ गबग जेर भें यहते हैं तफ कहत े हैं हभको फाहय ननकारो कपय हभ ऩाऩ नहीॊ कयेंगे कपय बी ऩाऩ कयने रग ऩड़त े हैं । आजकर तो १०-१२ फच्चें ऩदैा कयत ेयहत ेहैं । कोई कामदा ही नहीॊ यहा । महाॊ तो ५-७ फच्चे ऩटे चीयकय बी ननकारत ेहैं । ककतने तकरीप से फच्च े ऩदैा होता है । फाऩ ववकाय भें जाकय फच्चे ऩदैा कयत े हैं । महाॉ गबग जेर भें सजाएॊ खात े हैं । फाऩ फच्चों की सॊबार कय कपय उन्हें नकग भें ढकेर देत ेहैं । जफ वे ववषम वतैयणी नदी भें गोत ेखान ेरगत ेहैं तो इसभें फाऩ खुश होत ेहैं । औय महद फच्चों को ऩदैा कय खदु भय जात ेहैं तो शयीय ननवागह अथग सववगस कयनी ऩड़ े। फच्चा ऩदैा न हो तो दसुये का रेना ऩड़ े। मह है ही दु् खधाभ ।

    ४९. महाॉ गयीफ फचेाये गॊद भें, झोऩड़ों भें ऩड़ ेहैं क्जनको कपय तोड़ने भें बी देयी नहीॊ कयत ेहैं । जगह ऩयुानी होती है तो म्मनुनलसऩेलरटी वारे ऩहरे से ही खारी कया देत े हैं । उनको दसूयी जगह दे वह जगह फचत ेयहत ेहैं । गयीफ दखुी फहुत हैं, जो सखुी हैं वो बी स्थामी सखु नहीॊ । गवनगभेंट हय चीज ऩय इनकभ टैतस रगाती यहती है ।

    ५०. आज की दनुनमा भें एक दो को रॊगड़ा भान देत ेहैं, स्थाई ककसको लभरता नहीॊ । इस ऩनतत दनुनमा भें ऩनततों का ही भान है ।

    ५१. महाॉ तो क्जतने भनषु्म उसी अनसुाय चचत्र ननकरत ेयहत ेहैं । स्टैम्ऩ बी अनेक प्रकाय की फनती है ।

    ३३. वहाॉ १५० वषग की आम ुहोती है तो फच्चा आता तफ है जफ आधा राइप से थोडा आगे होंगे । वहाॊ कामदे अनसुाय एक फच्चा व एक फच्ची होती है उससे ज्मादा नहीॊ । ऩहरे भेर फच्चा कपय ८-१० वषग ऩश्चात पीभेर चाइर्लड आती है । वहाॉ फच्चे का बी इॊतजाय नहीॊ होता है । सभम अनसुाय आऩे ही साऺात्काय होता है । सतमगु भें रॉ फना हुआ है । जफ फच्चा होने के सभम होता है तो ऩहरे से ही दोनों को साऺात्काय हो जाता है कक अफ फच्चा होने वारा है । उसको कहा जाता है मोगफर, ऩयेू टाइभ ऩय फच्चा ऩदैा हो जाता है । सतमगु-त्रतेा भें कबी कोई योत ेनहीॊ, छोटे फच्च ेबी नहीॊ योत े । योने का हुतभ नहीॊ । वह है ही हवषगत यहने की दनुनमा । सतमगु भें न सजाओॊ वारा जेर न ही गबग जेर होता है । वहाॉ ऩाऩ ही नहीॊ होता तमोंकक वहाॉ ववकाय ही नहीॊ इसलरए वहाॉ गबग भहर कहा जाता है । फच्चा भौज भें फड़ ेआयाभ से गबग भहर भें यहता है ब्रफना ककसी तकरीप के । वहाॉ तो गबग भहर से फच्चा ननकरता है, गबग स ेननकरा औय दालसमाॉ उठा रेती है । फाजे फजने रग ऩड़त े है । वहाॉ फच्च ेautomatic अच्छी यीनत ऩरत ेहैं । दास दालसमाॉ तो आगे यहत ेही है ।

    ३४. वहाॉ तो अथाह धन होता है । जभीन बी ढेय होती है । जभीन का बाव रगता ही नहीॊ, न municipality का टैतस आहद रगता है । क्जतनी जभीन चाहहए र ेसकत े हैं । सफको अऩने अऩने खेती होती है । नहदमाॉ तो सफ होंगी, फाकी नारे नहीॊ होंगे ।

    ३५. भेर व पीभेर का status सभान यहता है । शतर

    बी रगबग सभान ही यहता है । लसपग पीभेर के केश औय चेहये भें थोडा पकग यहता है । वहाॉ सबी को सभान भान सम्भान यहता है । याजा व प्रजा एक ऩरयवाय की तयह होत ेहैं ।

    ३६. सतमगु भें लशव वा रक्ष्भी नायामण आहद का कोई चचत्र नहीॊ होता । तमोंकक वहाॉ ककसी का गामन-ऩजून नहीॊ होता । रक्ष्भी नायामण की स्टैम्ऩ ननकरती है |

  • स्वगग औय नयक भें कॊ ट्रास्ट ( बेद ) नयक ( द्वाऩयमगु – कलरमगु ) स्वगग ( सतमगु – त्रतेामगु )

    ५२. यावण याज्म भें यॊग रूऩ की भामा आकय चटकी । महाॉ तो है अनथग । सफ से फड़ा अनथग है एक दो

    ऩय काभ कटायी चराना क्जससे आहद भध्म अॊत दु् ख ऩात ेहैं । सफसे छी छी हहॊसा मह है इसलरए इनको नकग कहा जाता है । यावण याज्म भें ववकाय के ब्रफगय तो कोई का बी शयीय ऩदैा नहीॊ होता क्जसके लरए अऩने फच्चों को ढकेरत ेहैं । फच्चा शादी नहीॊ कयता तो ककतना ब्रफगड़त े हैं, ककतना अत्माचाय कयत ेहैं । महाॉ कुभाय-कुभारयमाॉ आहद सफ गॊद कयत े यहत े हैं । १२-१३ वषग की कुभारयमाॉ बी फच्चा ऩदैा कयेंगी ।

    अगय स्त्री ववकाय नहीॊ देती तो ककतना तॊग कयत ेहैं । भाथा भायत ेहैं । मह सायी दनुनमा फड़ा बायी ववष का सागय है क्जसभें भनषु्म गोत ेखात ेयहत ेहैं इसको ही ऩनतत भ्रष्टाचायी दनुनमा कहा जाता है ।

    ५३. आजकर दनुनमा भें पैशन की बी फहुत फड़ी भसुीफत है । तमा तमा पैशन ननकरा है । अऩने ऩय आलशक कयने के लरए शयीय को ककतना हटऩटॉऩ कयत ेहैं, आहटगपीलसमर श्रृॊगाय कयत ेहैं , कैसी कैसी ड्रसे ऩहनत े हैं । आगे भातामें फहुत ऩयदे भें यहती थी कक कोई की नजय नहीॊ ऩड़ े। अबी तो औय ही खुरा कय हदमा है तो जहाॉ तहाॉ गॊद फढ़ गमा है । ककसी को देखने स ेहदर रग जाती है कपय औय धभग वारों से बी शादी कय रेत ेहैं । इस सभम ऽूफसयूती भें बी भसुीफत है कन्माओॊ को बगात े यहत े हैं, कुकभग कयत े हैं । आजकर वानप्रस्थ अवस्था भें बी ववकाय ब्रफगय यह नहीॊ सकत ेब्रफरकुर ही तभोप्रधान हो गमे हैं

    ५४. महाॉ तो अथाह दु् ख है, रड़ाई, भौत ववधवाऩन, जीवघात कयना.... । गहृस्थी भें ककतना झॊझट होत े हैं कपय ककतना दखुी होत े हैं । घय घय भें अशाॊनत है, भाय ऩीट है �