भारत क जलवाय ु - allgovtjobsindia.in · 2 भ ा र ती य ज ल व...

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1 पाठको, ऑल गवनमट जॉब इंडया आपके लए महवपूण भूगोल वषय से भारत जलवायु पर टडी नोस ले कर आए िजस के Educator - Raj Holkar है उहने इस वषय पर बह सरल शद वषय एक एक बंद को तुत कया है , आप इस नोस के वारा UPSC, IAS, MPPSC & Other State PSC's परा सफलता हेतु उम पाएंगे अगर आप कसी वषय पर लखना चाहते तो हम संपक कर - [email protected] आशा है आप को यह लेख पसंद आएगा अगर हां तो हम कमट बॉस जर लख और यद कोई सुझाव या शकायत हो तो comment box बताइये भारत जलवाय जलवायुः कसी थान अथवा देश लबे समय के तापमान, वषा, वायुमडलय दबाव तथा पवन दशा वेग का अययन वलेषण जलावयु कहलाता है सपूण भारत को जलवायु वािट से उण कटबंधीय मानसूनी जलवायु वाला देश माना जाता है भारत उणकटबंधीय मानसूनी जलवायु पायी जाती है मानसून शद उपत अरबी भाषा के ' मौसम' शद से है मौसम शद का अथ : पवन दशा का मौसम के अनुसार उट जाना होता है भारत अरब सगार एवं बंगाल खाडी से चलने वाल हवाओं दशा ऋतुत ् परवतन हो जाता है , इसी संदभ भारतीय जलवायु को मानसूनी जलवायु कहा जाता है Downlod From: www.allgovtjobsindia.in

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    ��य पाठको, ऑल गवन�म�ट जॉब इं�डया आपके �लए मह�वपणू� भगूोल �वषय से भारत क� जलवाय ुपर

    �टडी नो�स ले कर आए ह� िजस के Educator - Raj Holkar है। उ�ह�ने इस �वषय पर बहुत ह� सरल

    श�द� म� �वषय एक एक �बदं ुको ��ततु �कया है, आप इस नो�स के �वारा UPSC, IAS, MPPSC &

    Other State PSC's क� पर��ा क� सफलता हेत ुउ�म पाएंगे।

    अगर आप �कसी �वषय पर �लखना चाहत ेह� तो हम� संपक� कर� - [email protected]

    आशा है आप को यह लेख पसंद आएगा अगर हां तो हम� कम�ट बॉ�स म� ज�र �लख�। और य�द कोई

    सझुाव या �शकायत हो तो comment box म� बताइये।

    भारत क� जलवाय ु जलवायःु �कसी �थान अथवा देश म� ल�बे समय के तापमान, वषा�, वायमु�डल�य दबाव तथा पवन� क�

    �दशा व वेग का अ�ययन व �व�लेषण जलावय ुकहलाता है। स�पणू� भारत को जलवाय ुक� �वाि�ट से

    उ�ण क�टबंधीय मानसनूी जलवाय ुवाला देश माना जाता है।

    भारत म� उ�णक�टबंधीय मानसनूी जलवाय ुपायी जाती है। मानसनू श�द क� उ�प�त अरबी भाषा के '

    मौ�सम' श�द से हुई है।

    मौ�सम श�द का अथ� : पवन� क� �दशा का मौसम के अनसुार उ�ट जाना होता है। भारत म� अरब सगार

    एवं बंगाल क� खाडी से चलने वाल� हवाओ ंक� �दशा म� ऋततु ्प�रवत�न हो जाता है, इसी सदंभ� म� भारतीय

    जलवाय ुको मानसनूी जलवाय ुकहा जाता है।

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    भारतीय जलवाय ुको �भा�वत करने वाले कारकः

    ¡) ि�थ�त एवं अ�ांशीय �व�तारः - भारत उ�र� गोला��ध म� ि�थत है एवं कक� रेखा भारत के लगभग

    म�य से होकर गजुरती है अतः यहाँ का तापमान उ�च रहता है। ये भारत को उ�णका�टबंधीय जलवाय ु

    वाला �े� बनाती है।

    ii) सम�ु से दरू� : भारत तीन ओर से सम�ु से �घरा हुआ है भारत के पी�चमी तट, पवू� तट एवं द��ण

    भारतीय �े� पर सम�ु�य जलवाय ुका �भाव पड़ता है �क�त ुउ�र� भारत, उ�र� पि�चमी भारत एव ंउ�र�

    - पवू� भारत पर समु�ं� जलवाय ुका �भाव नग�य है।

    iii) उ�र� पव�तीय �े�णया : �हमालयी �े� भारत क� जलवाय ुको �भा�वत करता है यह मानसनू क�

    अव�ध म� भारतीय �े� म� वषा� का कारण भी बनता है तथा शीत ऋत ुम� �त�बतीय �े� से आने वाल�

    अ�यंत शीत लहर� म� �कावट पदैा कर भारत को शीत लहर के �भाव� से बचाने के �लए आवरण या द�वार

    क� भ�ूमका �नभाता है।

    iv) भ ू- आकृ�त: - भारत क� भ-ू आकृ�तक सरंचना पहाड़, पठार, मदैान एवं रे�ग�तान भी भारत क�

    जलवाय ुको �भा�वत करत ेह�। अरावल� पव�त माला का पि�चमी भाग एवं पि�चमी घाट का पवू� भाग

    आ�द वषा� क� कम मा�ा �ा�त करने वाले �े� ह�।

    V) मानसनूी हवाएं : मानसनूी हवाएं भी भारतीय जलवाय ुको �भा�वत करती है हवाओ ंम� आ��ता क�

    मा�ा, हवाओ ंक� �दशा एवं ग�त आ�द।

    VI) अ�व� वाय ुसंचरण ( जेट ���म ) : जेट ���म ऊपर� शोभमणल म� आम तौर पर म�य अ�ांश म�

    भ�ूम से 12 Km ऊपर पि�चम से पवू� ती� ग�त से चलने वाल� एक धारा का नाम है। इसक� गीत

    सामा�यत 150 - 300 Kmp क� होती है।

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    Vii) ऊ�ण क�टबधंीय च�वात और प�शचम �व�ोभ :- उ�ण क�टबधंीय च�वात का �नमा�ण बगंाल क�

    खाड़ी और अरब सगर म� होता है। और यह �ाय�वीपीय भारत के एक बड़ ेभ ूभाग को �भा�वत करता है।

    Viii) द��णी दोलन : - जब कभी भी �ह�द भी �ह�द महासागर के ऊपर� दवाब अ�धक हो जाता है, तब

    �शांत महासागर के ऊपर �न�न दबाव बनता है। और जब �शांत महासागर के ऊपर उ�च दबाव क� सिृ�ट

    होती है तब �ह�द महासागर के ऊपर �न�न दबाव बनता है। दोन� महासागर� के इस उ�च एव �न�न वाय ु

    दाबीय अ�तः स�ब�ध को ह� द��णी दोलन कहत ेह�।

    ix-एल �ननो : इसके �भाव के कारण भारत म� कम वषा� होती है।

    X- ला - नीना : यह एल - नीन� क� �वपर�त सकं�पना है। इसके �भाव म� भारत म� वषा� क� मा�ा अ�छ�

    रहती है।

    कोपेन का जलवाय ुवग�करण : कोपेन ने भारतीय जलवायवुीय �देश� को 9 भाग� म� �वभािजत �कया है -

    1. लघ ुकाल�न शीत ऋत ुस�हत मानसनूी जलवाय ु(AMW �कार) : - ऐसी जलवाय ुम�ुबई के

    द��ण म� प�शचमी तट�य �े�� म� पायी जाती है। इन �े�� म� द��ण - पि�चम मानसनू से

    �ी�म ऋत ुम� 250 - 300 cm से अ�धक वषा� होती है। इस जलवाय ु�देश म� आने वाले �े�

    -

    - मालावार, एवं क�कण तट, गोवा के द��ण तथा प�शचमी घाट पव�त क� प�शचमी ढाल।

    - उ�र पवू� भारत

    - अडंमान - �नकोबार �वीप समहू

    1. उ�ण क�तबंधीय सवाना जलवाय ु�देश ( AW �कार ) : - यह जलवाय ुकोरोम�डल एव ं

    मालावार तट�य �े�� के अलावा �ाय�वीपीय पठार के अ�धकांश भाग� म� पायी जाती है। इस

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    जलवाय ु�े� क� ऊपर� सीमा लगभग कक� रेखा से �मलती है अथा�त ्यह जलवाय ुकक� रेखा के

    द��ण म� ि�थत �ाय�वीपीय भारत के अ�धकांश भग� म� पायी जाती है। यहाँ सलाना हर �कार

    क� वन�प�त पायी जाती है। इस �कार के �देश म� �ी�मकाल मे द��ण - प�शचम मानसनू से

    लगभग 75 Cm वषा� होती है। शीत काल सखूा रहता है।

    3.श�ुक �ी�म ऋत,ु आ�� शीत ऋत ुस�हत मानसनूी जलवाय ु( AS �कार) : यह वह �देश है जहाँ

    शीतकाल म� वषा� होती है और �ी�म ऋत ुसखूा रहता है। यहाँ शीत ऋत ुम� उ�र - पवू� मानसनू ( लौटत े

    हुए मानसनू) से अ�धकांश वषा� होती है। वषा� ऋत ुक� मा�ा शीत काल मे लगभग 75-100 तक होती है।

    इसके अ�तग�त तट�य त�मलनाडु और आ�� �देश के सीमावत� �देश आत ेह�।

    4.अ��ध श�ुक �टेपी जलवाय ु( Bshw �कार) : यहाँ वषा� �ी�मकाल म� 30 - 60 cm होती है। शीत

    काल म� वषा� का अभाव रहता है। यहाँ �टेपी �कार क� वन�प�त पायी जाती ह�। इसके अ�तग�त -

    म�यवत� राज�थान, प�रचमी पंजाब, ह�रयाणा, गुजरात के सीमावत� �े� एवं पि�चमी घाट का विृ�ट

    छाया �देश। शा�मल ह�।

    1. उ�ण म��थल�य जलवाय ु(Bwhw): यहाँ वषा� काफ� कम होती है ( 30 cm से भी कम ),

    तापमान अ�धक रहता है। यहाँ �ाकृ�तक वन�प�त कम ( नग�य ) होती ह� एव ंकांटेदार

    म��थलयी वन�प�त पायी जाती है इस �देश के अतं�गत - राज�थान का प�शचमी �े�, उ�र�

    गुजरात, एवं ह�रयाणा का द��णी भाग शा�मल ह�।

    2. श�ुक शीत ऋत ुक� मानसनूी जलवाय ु(cwg �कार) : इस �कार क� जलवाय ुगंगा के

    अ�धकांश मदैानी इलाक�, पवू� राज�थान, असम और मालवा के पठार� भाग� म� पायी जाती

    है। यहाँ गम� म� तापमान 40 ℃ तक बढ़ जाता है जो शीतकाल म� 27 ℃ तक पहंुच जाता है।

    वषा� म�ुयत: �ी�म ऋत ुम� होती है शीत काल श�ुक है।

    3. लघ ु�ी�म काल य�ुत शीत आ��ध जलवाय ु(Dfc �कार) : - इस �कार क� जलवाय ु

    �सि�कम, अ�णाचल �देश और असम ( �हमालय का पवू� भाग) के �ह�स� म� पायी जाती है।

    शीत काल ठ�डा, आ��ध एवं लबंी अव�ध का होता है। शीत काल म� तापमान 10 ℃ तक होता

    है।

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    4. टु��ा त�ुय जलवाय ु(ET �कार) - यहाँ तापमान सालभर 10 ℃ से कम रहता हैै। शीतकाल

    म� �हमपात के �प म� वष� होती है। इसके अतंग�त - अ�राख�ड के पव�तीय �े�, क�मीर,

    ल�दाख, �हमाचल �देश के 3000 से 5000 मी॰ ऊँचाई वाले �े� शा�मल ह�।

    5. �वीय त�ुय जलवाय ु(E �कार) : यहाँ तापमान साल भर 0 ℃ से कम (�हमा�छा�रत �देश

    ) होता है। इसके अ�तग�त �हमालय के प�शचमी और म�यवत� भाग म� 5000 मी० से अ�धक

    ऊँचाई वाले �े�। [ J & K एवं H.P के उ�च ऊंचाई वाले �े� ]

    भारतीय मानसनू क� उ�प�त के �स�धांत मानसनू क� उ�प�त से संब�धत चार �मखु �स�धांत �दए गए ह�-

    1. तापीय �स�धांत

    2. �वषवुतीय पछुआ पवन �स�धांत

    3. जेट ���म �स�धांत

    4. अलनीनो �स�धांत

    मानसनू क� उ�प�त का ताल�य �स�धांत

    इस �स�धांत के अनसुार, मानसनूी पवन� क� उ�प�त का म�ुय कारण ता�पय�। �ी�म ऋत ुम� सयू� क�

    �करण� उ�र� गोला��ध म� ल�बवत पड़ती ह�। इससे यहाँ एक वहृत �न�न दाब (LP) का �नमा�ण होता है।

    इस �न�न दाब के कारण उ�र पवू� �यापा�रक पवन� अनपुि�थत हो जाती ह� जो �क 5° से 30° उ�र� एव ं

    द��णी अ�ांश� के बीच सालभर चलती ह�।

    तापीय �वषवुत रेखा उ�र क� ओर �खसक जाती है इस कारण द० प०ू �यापा�रक पवन� �वषवुत रेखा को

    पार कर उ�र� गोला��ध म� आ जाती ह�। फेरेल के �नयमानसुार उ�र� गोला��ध म� आने पर ये पवन अपनी

    दां�हनी और (Right Hand side) अथा�त ्उ�र पवू� क� ओर मड़ु जाती ह� तथा सपंणू� भारतीय

    उपमहा�वीप पर �वा�हत होने लगती ह�। चू�ंक ये पवन ल�बी समु�ं� या�ा कर आ रह� होती ह� अतः

    जलवा�प य�ुत होती है।

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    ये द० प०ू मानसनूी पवन भारतीय उपमहा�वीप म� दो भाग� म� बंटकर वषा� ऋत ुलाती ह�।�थम, अरब

    सागर शाखा पि�चमी घाट के पि�चमी दाल पर तथा ��वतीय, बंगाल क� खाड़ी शाखा के �वारा अडंमान

    �नकोबार �वीप समहू एवं उ�र पवू� भारत म� भार� वषा� होती है।

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    बंगाल क� खाड़ी शाखा उ�र - �प�चम भारत के �न�न दाब �े� क� और अ�भस�रत होती है। पवू� से

    पी�चम क� ओर जलवा�प क� कमी के साथ ह� वषा� क� मा�ा म� भी कमी होती जाती है।

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    �याप�रक पवन� - �भापा�रक पवन� 5° से 30 ° उ�र� एवं द��णी अ�ांशो के बीच चलने वाल� पवन� ह� जो

    35° उ�र� एवं द��णी अ�ांश (उ�च दाब) से O ° असांश (�न�न दाब) के बीच चलती है।

    शीत ऋत ुम� सयू� क� �करण� मकर रेखा पर सीधी पड़ती ह�। इससे भारत के उ�र पि�चमी भाग म� अरब

    सागर व बंगाल क� खाड़ी के तलुना म� अ�धक ठ�ड होने के कारण उ�च दाब �े� का �नमा�ण ( उ�र -

    पि�चम भारत म�) एवं अरब सागर तथा बंगाल क� खाड़ी म� �न�न दाब �नमा�ण ( ठ�ड कम होने के कारण

    ) होता है इस कारण मानसनूी पवन� �वपर�त �दशा म� (H.P.से L.P क� तरफ) बहने लगती है।

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    जाड़ ेक� ऋत ुम� उ�र पवू� �यापा�रक पवन� पनुः चलने लगती ह�। यह उ�र पवू� मानसनू लेकर आता है।

    तथा बंगाल क� खाड़ी से जलवा�प �हण कर त�मलनाडु के तट पर वषा� करती ह�।

    2.मानसनू क� उ�प�त का �वषवुतीय पछुआ पवन �स�धांत या ��त�वषवुतीय पछुआ पवन �स�धांत :-

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    इसका ��तपादन �लोन के �वारा �कया गया है। इनके अनसुार �वषवुतीय पछुआ पवन ह� द��ण -

    प�शचम मानसनूी हवा है। इसक� उ�प�त अतंः ऊ�ण अ�भसरण के कारण होती है।

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    ITCZ :- उ० प०ू �यापा�रक पवन� एवं द० प०ू �यापा�रक पवन का �मलन �थल अतंर - उ�ण क�टबधंीय

    अ�भसरण �े� (ITCZ) होता है। यहाँ दोनो पवन� के �मलने �वषवुतीय पछुआ पवन� क� उ�प�त होती है।

    �लोन ने मानसनू क� उ�प�� हेत ुतापीय �भाव को �मखु माना है।

    ● - �ी�म काल म� तापीय �वषवुत रेखा के उ�र� �खसकान के कारण अतंः ऊ�ण अ�भसरण

    (ITCZ) �वषवुत रेखा के उ�र म� होता है। �वषवुतीय पछुवा पवन� अपनी �दशा संशो�धत कर

    भारतीय उपमहा�वीप पर बने �न�न दाब क� ओर �वा�हत होने लगती है। यह द��ण -

    पि�चम मानसनू को ज�म देती है।

    ● - शीत ऋत ुम� सयू� के द��णायन होने पर �न�न दाब �े�, उ�च दाब, �े� मे बदल जाता है

    तथा उ० प०ू �यापा�रक पवन� पनुः ग�तशील हो जाती ह�।

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    3.जेट ���म �स�धांत - इस �स�धांत का ��तपादन ये�ट ( yest) �वारा �कया गया है। जेट ���म ऊपर� वायमु�डल ( 9 - 18

    km) के बीच अ�त ती�गाती वाय ु�वाह �णाल� है। म�य भग म� इसक� ग�त अ�धकतम (340 Kmp

    hr) होती ह� जो �न�न वायमु�डल के मौसम को �भा�वत करती ह�।

    भारत म� आने वाले द��ण - पि�चम मानसनू का संबधं उ�ण पवू� जेट ���म से है। यह 8° N से 35 °

    N अ�ाशो के म�य चलती है। उ�र पवू� मानसनू का सबं�ध ( शीतकाल�न मानसनू ) उपो�ण प�शचमी

    (पछुआ)ं जेट ���म से है। यह 20° से 35 ° उ�र� एवं द��णी दोन� अ�ांशो के म�य चलती है।

  • 11

    - पछुआ ( उपो�ण पि�चमी ) जेट ���म �वारा उ�र पवू� मानसनू क� उ�प�तः

    शीतकाल म� उपो�ण पि�चमी (पछुआ) जेट ���म संपणू� पि�चमी तथा म�य ए�शया म� पि�चम से पवू�

    �दशा म� �वा�हत होती है। �त�बत का पठार इसके माग� म� अवरोधक का काय� करता है एव ंइसे दो।भाग� म�

    बांट देता है। एक शाखा �त�बत के पठार के उ�र से उसके समाना�तर बहने लगती है। दसूर�, द��णी

    शाखा �हमालय के द��ण म� पवू� क� ओर बहती है।

    द��णी शाखा क� मा�य ि�थ�त म� लगभग 25 °N अ�ांश के ऊपर होती है। इसका दाब �तर 200 से

    300 �मल� बार होता है। पि�चमी �व�ोभ जो भारत म� शीत ऋत ुमे अता है, इसी जेट पवन �वारा लाया

    जाता है। रात के तापमान म� व�ृ�ध इन �व�ेभ� के आने का सचूक है।

    प�शचमी जेट ���म ठ�डी हवा का �तंभ होता है जो सतह पर हवाओ ंको धकेलता है। इससे सतह पर उ�च

    दाब का �नमा�ण होता है [ भारत के उ�र पि�चमी भाग म� ] ये श�ुक हवाएं बंगाल क� खाड़ी [तलुना�मक

    �प से तापमान अ�धक होने के कारण �न�न दाब �े� ] क� ओर �वा�हत होती ह�। इन हवाओ ंके �वारा ह�

    शीतकाल म� उ�र �देश एवं �बहार म� शीत लहर चलती है। बंगाल क� खाड़ी म� पहंुचने के बाद ये हवाएँ

    अपने दा�हने मडु जाती ह� और मानसनू का �प ले लेती ह�। जब पवन त�मलनाडु के तट पर पहंुचती ह� तो

    बंगाल क� खाड़ी से �हण �कए जलवा�प क� वषा� त�मलनाडु म� करती है।

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  • 12

    - " उ�ण पवू� जेट ���म �वारा द��ण पि�चम मानसनू क� उ�पीतः -

    गम� म� पि�चमी जेट ���म भारतीय उपमहा�वीप पर नह�ं बहती है। इसका �खसकाव �त�बत के पठार के

    उ�र क� ओर हो जाता है। इस समय भारत के ऊपर� वायमु�डल म� ऊ�ण पवू� जेट ���म चलती है। उ�ण

    पवू� जेट ���म क� उ�प�त का कारण म�य ए�शया एवं �त�बत के पठार� भाग� के अ�य�धक गभ� होने को

    माना जाता है।

    �त�बत के पठार से गम� होकर ऊपर उठने वाल� हवाओ म� शोभम�डल के म�य भाग म� घाड़ी क� सईु क�

    �दशा म� च��य प�रसंचरण �ार�भ हो जाता है। यह ऊपर उठती वाय ु�ोभ सीमा के पास दो अलग - अलग

    धाराओ ंम� बट जाती है। इनम� से एक �वषवुत व�ृ क� ओर पवू� जेट ���म के �प म� चलती है तथा दसूर�

    �वु क� ओर पि�चमी जेट ���म के �प म� चलती है।

    पवू� जेट ���म भारत के ऊपर� वायमु�डल म� द० प० �दशा क� ओर बहती हुई अरब सागर म� नीचे बठैने

    लगती है। इससे वहाँ वहृत उ�च दाब का �नमा�ण होता है। इसके �वपर�त भारतीय उपमहा�वीप के ऊपर

    जब ये गम� जेट ���म चलती है। इसके �वपर�त भारतीय उपमहा�वीप के ऊपर क� ओर खींच लेती हैै। यहाँ

  • 13

    वहृत �न�न दाब का �नमा�ण करती है। इस �न�न दाब को भरने के �लए अरब सांगर के उ�च भार �े� से

    हवाएं उ�र पवू� क� ओर चलने लगाती ह�। यह� द��ण पि�चमी मानसनू पवन है।

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  • 14

    उ�ण पवू� जेट ���म �वारा द० प० मानसनू क� उ�प�� - उ�ण पवू� जेट ���म के कारण ह� भारत म� मानसनू - पवू� उ�ण क�तबंधीय च�वात आत ेहै। वरन ्

    अ�नय�मत भी है। जब यह भारत के वहृत �े� के ऊपर ल�बी अव�ध तक चलती है तो बाद क� ि�थ�त

    बनती है। जब ये हवाएं कमजोर होती ह� तो सखूा आता हैै।

    1. एल�ननो �स�धांत - लगभग 3 से 8 वष� के अ�तरात पर महासागर� तथा वायमु�डल म� एक

    �व�श�ट उथल पथुल होती है। इसक� श�ुआत पवू� �शांत महासागर के पे� के तट से होती है।

  • 15

    पे� के तट पर ह�बो�ट या पे� क� जलधारा ( ठ�डी जलधारा ) �वा�हत होती है। यह जल

    धारा द��ण अमे�रका तट से दरू उ�र क� ओर �वा�हत होती है। ह�बो�ट जलधारा क�

    �वशषेता श�तल जल का गहरई से ऊपर क� ओर आना (upwelling) है। �वषवुत रेखा के पास

    यह द��ण �वषवुत रेखा जलधारा के �प म� �शांत महासागर के आर पार पि�चम क� ओर

    मड़ु जाती है।

    एंलनीयो के आने के साथ ह� ठ�ड ेपानी का गहराई से ऊपर आना बंद दो जाता है एवं ठ�ड ेपानी का

    ��त�थापन पि�चम से आने वाले गम� जल से हो जाता है। अब पे� क� ठ�डी जलधारा का तापमान बढ़

    जाता है। इसके गम� जल के �भाव से �थमतः द��णी �वषवुतीय गम� जलधारा का तापमान बढ़ जाता है

    अतः स�पणू� म�य �शांत का जल गम� हो जाता हैै तथा वहाँ �न�न दाब का �नमा�ण होता है। जब कभी इस

    �न�न दाब का �व�तार �ह�द महासागर के पवू� म�यवत� �े� तक होता है तो यह भारतीय मानसनू क�

    �दशा को संशो�धत कर देती है। इस �न�न दाब क� तलुना म� भारतीय उपमहा�वीप के �थल�य भाग पर

    बना �न�न दाब (�ी�म ऋत ुम�) तलुना�मक �प से कम होता है। अतः अरब सागर के उ�च दाब �े� �े�

    से हवाओ का �वाह, द��ण- पवू� �हदंमहासागर क� ओर होने लगता है। इससे भारतीय उपमहा�वीप म�

    सखेू क� ि�थ�त बनती है। इसके �वपर�त जब एल�ननो धारा का �भाव म�यवत� �शांत तक सी�मत रहता

    है तो द० प० मानसनू पवन� का माग� बा�धत नह�ं होता तथा भारत म� भरपरू वषा� होती है।

  • 16

    द��ण - प�शचम मानसनू :-

    सामा�यतः भारत म� मानसनू का समय जनू से �सत�बर तक रहता है। इस समय उ�र पि�चमी भारत

    तथा पा�क�तान म� �न�न वायदुाब का �े� बन जाता है। अतं उ�ण क�टबंधीय अ�भसरण �े� (ITCZ)

    उ�र क� ओर �खसकता हुआ �शवा�लक के पव�त पार तक चला जाता है। इसके कारण भारतीय

    उपमहा�वीप के ऊपर �सधं ुगंगा मदैान म� एक ल�बाकार �न�न दाबीय मेखला का �नमा�ण होता है, िजसे

    मानसनू गत� (trough) ह�। इस �न�न ढाब को भरने के �लए द��णी गोला��ध म� चलने वाल� द० प०ू

    वा�णि�यक पवन (Trade winds) �वषवुत रेखा को पार का पवू� क� ओर मड़ु जाती है। (फेरेल के

    �नयमानसुार) तथा द��णी - पि�चमी मानसनूी पवन का �प ले लेता है।

  • 17

    भारत म� द��णी - पि�चमी मानसनू क� उ�पती का संबधं उ�ण पवू� जेट ���म से है। द��णी - पि�चमी

    मानसनू भारत म� सव��थम अडंमान एवं �नकोबार तट पर 25 मई को पहंुचता है। �फर 1 जनू को चे�नई

    एवं �त�अन�तपरुम तक पहंुचता है। 5 से 10 जनू के बीच कोलकाता एव ंमुबंई को छूता है। 10 से 15

    जनू के बीच के बीच पटना, अहमदाबाद, नागपरु तक पहंुचता है। 15 जनू के बाद लखनऊ , �द�ल�,

    जयपरु जसेै शहर� म� पहंुचता है।

    �ाय�वीपीय भारत म� द�तक देने के बाद द��ण - पि�चम मानसनू मानसनू दो शाखाओ ंम� बंट जाता है-

    1. अरब सागर�य शाखा

    2.बंगाल क� खाड़ी शाखा

    1. भारतीय द० प० मानसनू क� अरब सागर�य शाखाः द० प० मानसनू क� यह शाखा प�शचमी

    घाट क� उ�च भ�ूम म� लगभग समकोण पर द�तक देती है। अरब सागर शाखा �वारा भारत के

    पि�चमी तट, पि�चमी घाट पव�त, महारा�� गजुराज एवं म�यपदेश के कुध �ह�स� म� वषा�

    होती है।

    - अब सागर शाखा �वारा भारत के पि�चमी घाट पव�त के पि�चमी ढाल पर तट�य भाग क� तलुना म�

    अ�धक वषा� होती है। उदाहरण�व�प महावले�वर म� 650 वषा� होती है जब�क मुलंई म� मा�ा 190 cm

    वषा� होती है। पि�चमी घाट पव�त के पवू� भाग म� वषा� क� मा�ा काफ� कम होती है �य��क यह विृ�ट छाया

    �देश (Rain shadow Area) है। पणेु म� मा� 60 cm वषा� होती है। अरब सागर शाखा राज�थान से

    गुजरती हुई �हमालय से टकारती है तथा ज�म ूक�मीर एवं �हमायल �देश के पव�तीय ढ़ाल� पर वषा� करती

    है। राज�थान से गुजरने के बावजदू इस मानसनूी शाखा �वारा यहाँ वषा� नह� हो पाती इसके दो �मखु

    कारण ह� -

  • 18

    ● अरावल� पव�त माला क� �दशा का इन मानसनूी पवन� के �वाह क� �दशा के समाना�तर होना।

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    ● �सधं �देश (पा�क�तान) से आने वाल� गम� एव ंश�ुक हवाएं मानसनूी पवन� क� सापे��क

    आ��धता को कम कर देती ह�। िजससे वाय ुसंत�ृत नह�ं हो पाती।

    1) अरब सागर�य शाखा का वाृि�ट छाया �े�ः पि�चमी घाट पार करने के प�चात ्वषा� लाने वाल� वाय ु

    धाराएं पवू� ढ़लान� पर ऊपर क� ओर चल� जाती ह�। इसके फल�व�प वाृि�ट छाया �े� ( Rain Shadow

    Area) का �नमा�ण होता है। पहाड़ क� ऊँचाई िजतनी अ�धक होगी, उतना ह� अ�धक वाृि�ट छाया �े� का

    �नमा�ण होगा।

    2) द० प० मानसनू क� बंगाल क� खाड़ी शाखाः

    मानसनू क� यह शाखा �ी लंका से इंडोने�शया �वीप समहू� के समुा�ा �वीप तक स��य रहती हैै। बंगाल

    क� खाड़ी शाखा दो धाराओ ंम� आगे बढ़ती है। इस शाखा क� उ�र� धारा मेघालय म� ि�थत खासी पहारड़ये�

    म� द�तक देती है तथा इसक� दसूर� धारा �न�न दबाव �ोणी ( trough ) के पवू� छोर पर बायीं ओर मड़ु

    जाती है। यहाँ से यह हवा क� धारा �हमालय क� �दशा के साथ साथ द��ण पवू� से उ�र - पि�चम �दशा म�

    बहती है। यह धारा भारत के मदैान �े�� म� वषा� करती है।

    - उ�र मदैानी �े� म� मानसनूी वषा� को पि�चम से बहने वाले च�वाती गत� या पि�चमी हवाओ से और

    अ�धक बल �मलता है।

    - मदैानी इलाक� को पवू� से पि�चम से बहने वाले च�वाती गत� या पि�चमी हवाओ ंसे और अ�धक बल

    �मलता है।

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  • 19

    - उ�र मदैानी �े� म� मानसनूी वषा� को पि�चम से बहने वाले च�वाती गत� या पि�चमी हवाओ ंसे और

    अ�धक बल �मलता है।

    - मदैानी इलाक� म� पवू� से पि�चम और उ�र से द��ण म� वषा� क� ती�ता म� कमी आती है। पि�चम म�

    वषा� म� कमी का कारण नमी के ��ोत से दरू� का बढ़ना है। दसूर� ओर उ�र से द��ण म� वषा� क� ती�ता म�

    कमी क� वजह नमी के ��ोत का पव�त� से इर� का बढ़ना है।

    - अरब सागर�य शाखा एवं बंगाल क� खाड़ी शाखा दोन� शाखाएं छोटा नागपरू के पठार म� �मलती ह�।

    - अरब सागर�य मानसनू शाखा, बंगाल क� खाड़ी शाखा से अ�धक शि�तशाल� है। इसके दो �मखु कारण

    ह� -

    ● अरब सागर बंगाल क� खाड़ी से आकार म� बड़ा है।

    ● अरब सागर क� अ�धकांश शाखा भारत म� पड़ती है जब�क बगंाल क� खाड़ी शाखा से �यांमार,

    मले�शया , और थाइल�ैड तक चल� जाती है।

    द��ण पि�चम मानसनू अव�ध के दौरान भारत का पवू� तट�य मदैान (�वशषे �प से त�मलनाडु)

    तलुना�मक �प से श�ुक रहता हैै। �य��क यह मानसनूी पवन� के समाना�तर ि�थत है और साथ ह� यह

    अरब सागर�य शाखा के विृ�ट छाया �े� म� पड़ता है।

    उ�र पवू� मानसनू या मानसनू क� वापसी

    �सता�बर के अतं तक उ�र पि�चम म� बना �न�न दवाब कमजोर होने लगता है और अ�ततः वह �वषवुत

    रेखीय �देश क� तरफ चला जाता है। च�वाती अव�थाओ ंके �थान पर ��त च�वाती अव�थाएं आ जाती

    ह�। प�रणाम�व�प, हवाएँ उ�र� �ेग से दरू बहना श�ु कर देती है। उसी समय �वषवुत रेखा के द��ण म�

    सरूज आगे बढ़ता नजर आता है। ( अ�तर उ�ण क�टबंधीय अ�भसरण �े� (ITCZ) भी �वषवुत रेखा क�

    ओर आगे बढ़ता है। उस समय भारतीय उपमहा�वीप म� हवांए उ�र पवू� से द��णी पि�चम �दशा म� बहती

  • 20

    है। यह ि�थ�त अ�टूबर से म�य �दस�बर तक लगातार बनी रहती है िजसे मानसनू क� वापसी या �फर

    उ�र पवू� मानसनू कहत ेह�। �दस�बंर के अतं तक, मानसनू परू� तरह से भारत से जा चकुा होता है।

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    बंगाल क� खाड़ी के ऊपर से वापस जा रहा मानसनू, माग� म� आद�ता नमी �हण कर लेता है िजससे

    अ�टूबर - नब�बर म� पवू� या तट�य उड़ीया, त�मलनाडु और कना�टक के कुछ �ह�से म� वषा� होती है।

    अ�टूबर म� बंगाल क� खाड़ी म� �न�न दवाब बनता है, जो द��ण क� ओर बढ़ जाता है और नव�बर म�

    उडीसा और त�मलनाडु तट के बीच फंस जाने से भार� वषा� होती है।

    मानसनू म� �कावट : वषा� ऋत ुम�, जलुाई और अग�त मह�ने म� कुछ ऐसे समय होता है जब मानसनू

    कमजोर पड़ जाता है। बादल� का बनना काम हो जाता है और �वशषे �प से �हमालयी पहाड़ी और द��ण

    पवू� �ायदु�प के ऊपर वषा� होनी ब�द हो जाती है �क ये �कावट� �त�बत के पठार क� कम ऊँचाई क� वजह

    से आती ह�। इससे मानसनू गत� उ�र क� ओर मडु जाता है।

    इस अव�ध म� जहाँ परेू देश को �बना वषा� के ह� संतोष करना पड़ता है तब उप �हमालयी �देश� एव ं

    �हमालय के द��णी ढलान� म� भार� वषा� होती ह�।

    - पि�चमी �व�ोभ ( Western Disturbance): आमतौर पर जब आकाश साफ रहता है पर�त ु

    पि�चम �दशा से हवाएं भमू�य सागर से आती है और इसका, ईरान अफगा�न�तन और पा�क�तान को

    पार करने के प�चात ्भारत म� �वेश करती ह�।

    ये हवाएं राज�थान, पंजाब और ह�रयाणा म� ती� ग�त से बहती अ�णाचल �देश तक पहंुच जाती ह� िजससे

    गंगा के मदैान इलक� मे ह�क� वषा� और �हमालयी प�ट� म� �हम वषा� होती है।

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  • 21

    यह हटना म�ुय �प से शीत ऋत ुम� होती है �य��क इस समय उ�र पि�चम भारत म� एक �ीण उ�च

    दाब का �नमा�ण होता है। इसी समय भारत पर 'पि�चमी जेट ���म ' का �भाव होता है जो भमू�य सागर

    से उठने वाले शीतो�ण च�वात को भारत म� लाती है। इसे ह� 'पि�चमी �व�ोभ' कहत ेहै। इससे म�ुय �प

    से �भा�वत रा�य पंजाब ह�रयाणा, पि�चमी उ�र�देश, राज�थान, �हमाचल �देश एव ंज�म ूक�मीर ह�।

    इससे होने वाल� वषा� रबी क� फसल ( गेहँू etc.) के �लए बहुत उपयोगी हैै। यह वषा� " मावठ" नाम से भी

    जानी जाती है।

    भारत क� ऋतएंु

    भारतीय मौसम �वभाग �वारा भारत क� जलवाय ुको चार अतओ ंम� �वभािजत �कया गया है-

    1) शीत ऋत ु

    2) �ी�म ऋत ु

    3) वष� ऋत ु

    4) शर� ऋत ु

    शीत ऋतःु इसका काल म�य �दस�बर से फरवर� �क माना जाता है। इस समय सयू� ि�थ�त द��णायन हो

    जाती है। अतः उ�र� गोला��ध म� ि�थत भारत का तापमान कम हो जाता है। इस ऋत ुम� समताम रेखाएं

    पवू� से पि�चम क� ओर �ायः सीधी रहती है। इस ऋत ुम� समताप रेखाएँ पवू� से पि�चम क� ओर �ायः

    सीधी रहती है। 20 ℃ क� समताप रेखा भारत के म�य भाग से गुजरती है। इस ऋत ुम� भमू�य सागर से

    उठने वाला शीतो�ण च�वात ' प�शचमी जेट ���म के सहारे भारत म� �वेश करता है। इसे पि�चमी जेट

    ���म के सहारे भारत म� �वेश करता है। इसे ' पि�चमी �व�ोभ' कहत ेह�। यह पंजाब, ह�रयाणा,

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    राज�थान, प० उ�र �देश, �हमाचल �देश एवं ज�म ूक�मीर म� वषा� करवाता है। शीतकाल म� होने वाल�

    यह वषा� "मावठ" कहलती है। यह वषा� रबी क� फसल के �लए उपयोगी है।

    - गी�म ऋत ु: यह ऋत ुमाच� से मई तक रहती है। सयू� के उ�रायण होने से सारे भारत म� तापमान बढ़

    जाता है। इस ऋत ुम� उ�र और उ�र प�रचमी भारत मे �दन के समय तजे गम� एव ंश�ुक हवाएँ चलती है।

    जो ' ल ू' के नाम से ��स�ध है। इस ऋत ुम� सयू� के �मशः उ�रायण होत ेजाने के कारण अ�तर उ�ण

    क�टबंधीय अ�भसरण �े� (ITCZ) उ�र क� ओर �खसकने लगता है एवं जलुाई म� 25 ° अ�ांश रेखा को

    पर कर जाता है।

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    इस ऋत ुम� �थल�य श�ुक एवं गम� पावन जब सम�ु� आई पवन� से �मलती है तो वो उन जगह� पर �च�ड

    तफूान क� उ�प�त होती है। इसे मानसनू सव� च�वात ( Pre Monsoon cyclone) के नाम से जाना

    जाता है।

    भारत म� मानसनू पवू� च�वात ( Pre Monsoon Cyclone) के �थानीय नामः

    नाव��टर - पवू� भारत ( प० बंगाल, �बहार, झासख�ड, उडीसा) यह चाय, जटु और चावल क� खेती के

    �लए लाभपद है।

    काल वशैाखी - प�रचम बंगाल ( नाव�ैटर का �थानीय नाम )

    चेर� �लाँसम - कना�टक एवं केरल ( काँफ� के फूल� के �खलने म� सहायक )

    आ� विृ�ट / आम ्बौछार, आम ्वषा� : द��ण भारत ( आम के ज�द� पकने म� सहाभक )

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  • 23

    बोड��च�ला - नाव�ैटर का असम म� �थानीय नाम

    3) वषा� ऋत:ु इस ऋत ुका समय जनू से �सत�बर तक रहता है। इस समय उ�र पि�चमी भारत तथा

    पा�क�तान म� �न�न वायदुान का �े� बन जाता है ( तापमान अ�धक होने के कारण )। अतः उ�ण

    क�टबंधीय अ�भसरण �े� (ITCZ) उ�र क� ओर �खसकता हुआ �शता�लक के पव�तवाद तक चला जाता

    है। एवं गंगा के मदैानी �े� म� �न�न दाव बन जाता है इस दाल को भरने के �लए द० प०ू �याप�रक पवन�

    �वषवुत रेखा को पार कर द० प० मानसनूी पवन� के �प म� भारत म� �वेश करती है। ये द० प० मानसनूी

    पवन� दो शाखाओ ंम� �वभािजत हो जाती ह�। पहल� शाखा, अरब सागर�य शाखा भारत के पि�चमी घाट

    पव�त, महारा��, गुजरात, म�य�देश, �हमाचल �देश एवं ज�म ूक�मीर म� वषा� करती हैै। दसूर� शाखा,

    बंगाल क� खाड़ी शाखा, उ�र - पवू� भारत, पवू� भारत एवं उ�र �देश, राज�थान, उ�राख�ड आ�द भाग�

    म� वषा� करती है।

    - गारो, खासी एवं �याि�तया पहा�डयां क� पनमुा आकृ�त म� फैल� ह�। एवं सम�ुध क� ओर खलु� हुई ह�।

    अतः बंगाल क� खाड़ी से आने वाल� हवाएँ यहाँ फस जाती ह� और अ�या�धक वषा� करती ह�।

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    - गोरा, खासी एवं जयाि�तया पहा�डया क� पनमुा आकृ�त म� फैल� ह�, एक सम�ु क� ओर खलु� हुए ह�।

    अतः बंगाल क� खड़ी से आने वाल� हवाएँ यहाँ फस जाती ह� और अ�य�धक वषा� करती ह�।

    - खासी पहाड़ी के द��णी भाग म� ि�थत ' मा�सनराम' ससंार का सवा��धक वषा� वाला �थान है।

    ● अगर आप �कसी �वषय पर �लखना चाहत ेह� तो हम� संपक� कर� -

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