गीता बजरंग कणवजे पोयसर म न पा उ...

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गीता बजरंग कणवजे पोयसर . . पा. . . हंदी शाला मांक बि. पी. . काााल बिबडग गोडाऊन, सी-बग, बिसरा माळा, ९० फीट रोड, ठाकु र कॉलेस, पोसर, कादीली (पू .), मु िई-१०१. ईमेल पा : [email protected]/ [email protected]

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  • गीता बजरंग कणवजे

    पोयसर म. न. पा. उ. प्रा. ह ंदी शाला क्रमांक – १

    बि. पी. ओ. कार्ाालर् बिब्डिंग गोडाऊन, सी-ब िंग, बिसरा माळा, ९० फीट रोड, ठाकुर कॉम्प्लेक्स, पोर्सर, कािंदी ली (प.ू), मुिंिई-१०१.

    ईमेल पत्ता : [email protected]/ [email protected]

  • मैं प्रधानाध्र्ाबपका इस पद पर २०११ फर री से इस स्कुल में कार्ारि ह ूँ। २०११ से २०१५ िक म. न. पा. शाला इमारि में पाठशाला

    चल रही थी। र्ह इमारि धोकादार्क घोबिि होन ेके कारण पाठशाला का स्थानािंिरण बकर्ा गर्ा। पाठशाला सन २०१६ अपै्रल को पनुिाांधणी हिेू

    स्थलािंिरण कों गई| इस पाठशाला का ािा रण िािंधणी प्रबिकुल होन ेपर भी अध्र्ापक, पालक छात्रों ने बहम्पमि नही हारी क्र्ोंकी उनको

    हमेशा हर पररबस्थबि पर माि करिे हुए आगे िढ़न ेके बलए प्रोत्साबहि बकर्ा गर्ा।

    शाला का ािा रण िना रहन ेके बलए पालक सिंपका िहुि ही काम आर्ा। िथा पालकोंद ारा सहर्ोग बशक्षकों द्वारा कार्ा करन ेका

    हौसला काम आर्ा । िथा सभी कमाचारीओ िं ने बमलकर ब परीि परीबस्थिी पर माि करिे हुए पाठशाला के प्रगिी हिेू सराहबनर् कार्ा बकर्ा

    इसबलए हमेशा पाठशाला का नाम प्रथम स्थान पर रहा।

  • शाला की सहंिप्त मे जानकारी हनम्नवत - कुल कक्षाएूँ – १६, कुल कमरें – २०, ऑबफस-०१, अध्र्ापक सिंख्र्ा – १२, ब शेि अध्र्ापक – ०३, बशपाई – ०२ पाठशाला की भौगोबलक बस्थिी - पाठशाला ९० फीट रोड ठाकुर कॉम्प्लेक्स में बस्थि िी. पी. ओ. कार्ाालर् में बिसरे माले पर सी ब िंग में गोडाऊन में बस्थि ह।ै पाठशाला के एक िरफ पोर्सर झोपडपट्टी ह ैके दसुरी िरफ िडी-िडी इमारिे िथा कॉनव््हने्ट

    स्कूल ह।ै

    पाठशाला में आने ाले िहुसिंख्र् छात्र झोपडपट्टी से हैं। पालक गा सामान्र् िथा अबिसामान्र् ह।ै सभी पालक का सहर्ोग सराहबनर् ह ै

    िथा उनकी एकिा बदखाई दिेी है| पाठशाला के प्रगिी के बलए उनका महत् पणूा र्ोगदान हैं। एक प्रधानाध्र्ाबपका की सिसे िड़ी िाकद उसके

    पालक ही होिे ह।ै उनके माध्र्म से छात्रों अध्र्ापकों को एकजटु मजिुि िनार्ा जा सकिा ह।ै शालेर् सिंस्कृिी बशक्षा का िालमेल बिठाना

    उसकी प ूािर्ारी करना िथा उसका बनर्ोजन करना, इसके बलर् ेप्रधानाध्र्ाबपका के रूप मे पाठशाला के सभी घटकों का ब चार करना पड़ा।

    सिंििंबधि िािों पर आराखडा िनार्ा गर्ा और समर्-समर् पर उसकी नोंद की गर्ी।

    छात्र अध्र्ापक के अला ा जो गबिब बधर्ािं होिी हैं उसमे ज्र्ादा रुबच लेिे बदखाई बदर्े| मैंन ेइस िाि को ध्र्ान में रखिे अनेक

    माध्र्मों द्वारा उसके र्ोग्र् उपर्ोग से सिंििंबधि िािों को जोडकरही न बनबमािी िथा उसके बलए हर कार्ाक्रम सबमिी स्थापन की गई।

    प्रथम अध्र्ापक अन्र् कमाचाररर्ों की सभा लेकर उनको अपने-अपन ेकार्ा के िारे में जागिृ बकर्ा पालकसभा लेकर पालकों से

    पाठशाला आराखडा पर चचाा की गर्ी, पालकों से अच्छा सहर्ोग बमला। उन्होंन ेअपन ेभी ब चार रखे। पाठशाला हिे ूजो सिंस्कृिी बशक्षा इस

    ब िर् का चर्न बकर्ा गर्ा उसपर ध्र्ान देकर उनसे सिंििंबधि शालेर् स्पधााओ िं का सालभर का बनर्ोजन बकर्ा गर्ा।

    जनू - स् की पहचान, कक्षा स् च्छिा स्पधाा।

    जलैु- बनििंध स्पधाा।

    अगस्ि- बचत्रकला स्पधाा, नाग मिुी िनाना स्पधाा, िालनाट्र् स्पधाा, राखी िनाना स्पधाा।

    बसििंिर- मकुुट िनाना स्पधाा, गणेश मबूिा िनाना स्पधाा, भेटकाडा िनाना स्पधाा, नतृ्र् स्पधाा

    अक्टूिर- बदर्ा सजाना स्पधाा, रािंगोली िनाना स्पधाा, गरिा नतृ्र् स्पधाा, गार्न स्पधाा आदी।

    इससे सभी मािा-पालक खशु हुए। और इन स्पधााओ िं में स् र्िं भी शाबमल हुए। िथा इसमें जो जरुरि लगेंगी उसके बलए िैर्ार रहिे थे।

    सिन ेअपने-अपन ेव्र् सार् से सिंििंबधि मदि की जैस े–

  • टेलर- बसलाई स्पधाा

    कडीर्ा काम - घर िनाना स्पधाा

    रददी िेचने ाले - टाकाऊ से बटकाऊ स्िुएिं िनाना स्पधाा

    कुमार - मटका सजा ट स्पधाा, थाली सजा ट, गणपिी मिुी िनाना स्पधाा

    मेहिंदी पालार - मेहिंदी बनकालना स्पधाा, रिंगोली िनाना स्पधाा, िोरण िनाना स्पधाा

    माली- फूलों की मालाएूँ िनाना स्पधाा

    बप्रिंटींग प्रेस - कागज बप्रिंटीग करना आबद।

    ऐसे अनेक पालकों ने सहार्िा के बलए अपन ेहाथ आगे िढ़ारे्।

  • बशक्षा और सिंस्कृिी शाबददक रूप से दो अलग अलग सिंक्पना हैं। बशक्षा आजी न चलन े ाली प्रबकर्ा हैं। व्र्क्ती जन्म से मतृ्र् ूिक

    बनरिंिर बशक्षा लेिा रहिा हैं। बशक्षा के दो रुप हैं - १) औपचाररक बशक्षा २) अनौपचाररक बशक्षा। औपचाररक बशक्षा एक बनबिि पाठ्र्क्रम और

    सबुनर्ोबजि बशक्षकों बदर्ा जािा हैं। परिंिु अनौपचाररक बशक्षा घर, परर ार, समाज से ग्रहण करिा हैं।

    बकसी भी देश की रीबिरर ाज, धमा, परिंपरा, सिंस्कार आदी को सिंस्कृबि कहिे हैं। बशक्षा में सिंस्कृिी के पहलओु िं को शाबमल बकर्ा जािा

    हैं। बकसी भी देश के शैक्षबणक बनबिर्ों के बनधाारण में सािंस्कृबिक बििंदओु िं का समा ेश बकर्ा जािा हैं। बशक्षा और सिंस्कृिी का बमबिि रुप ही बकसी

    भी देश के ब कास के बलए अपररहार्ा हैं। बकसी भी देश के सािंस्कृबिक ब रासि को देखके उसकी समबृि और उसकी ब शालिा का पिा चलिा हैं।

    बशक्षा और सिंस्कृबि एक ही बसक्के के दो पहल ूहैं। भारिीर् बशक्षा प्रणाली में हमेशा अपनी सिंस्कृिी को स ोपरर रखा गर्ा हैं। भारिीर्

    सिंस्कृिी ने हमेशा शैक्षबणक और उससे सिंििंबधि सिंस्थानों को ब द्या मिंबदर का सन्मानजन्र् स्थान बदर्ा हैं| बशक्षा एक आजी न चलन े ाली प्रबकर्ा

    हैं बजसके द्वारा हम कार्ा और ब चार की नई पध्दबिर्ाूँ सीखिे रहिे हैं। और इसी से हमारी सिंस्कृिी को फलने-फुलने का स-ुअ सर बमलिा ह।ै

    बशक्षा और सिंस्कृिी का मलु उद्देश व्र्बक्तत् का समग्र ब कास हैं। सिंस्कृिी सिंरचना एक बदन में न होकर शिाददी ओिं की साधना का सपुरीणाम हैं।

    िामान में बशक्षा व्र् स्था सिंस्कृिी की अपेक्षा सभ्र्िाबनष्ठ अबधक हैं अथााि िामान बशक्षा ब चारप्रधान मू् र्प्रधान की अपेक्षा ज्ञानाजान प्रधान

    हैं। मेरा स्कुल बशक्षा सिंस्कृिी का िालमेल कहा जािा हैं। इसके बलए मेरे सहर्ोगी अध्र्ापक, छात्र, पालक िथा प्रशिंसा करनेसे न थकने ाले

    अबधकारी गा हैं।

    पाठशाला में सभी त्र्ोहार उत्स अध्र्र्न-अध्र्ापन को ध्र्ान में रखिे हुए मनाए जािे हैं। बजससे छात्रों की उपबस्थिी िढ़न ेलगी हैं।

    पालकों ने भी पाठशाला की िरफ अपना ध्र्ान ज्र्ादा लगा बदर्ा हैं। अपन ेमािा बपिा को स्कूल के कार्ाकम में शाबमल देखकर िच्चों का उत्साह

    बद्वगुणीि होिा हैं। और ह ज्र्ादा मेहनि से पढाई करिे हैं। बशक्षा कार्ा ए िं सिंस्कृिी से ही समाज को नई बदशा बमलने के साथ ब कास ए िं उन्नबि

    की ओर जाने का मागा सरलिाप ूाक उपलदध हो सकिा हैं।

    प्रधानाध्र्ापक एक प्रमखु भबूमका बनभािा हैं। जो अपन ेबशक्षकों और कमाचाररर्ों को मागादशान करिे हुए आगे चलन ेका र्ोग्र् मागा

    ििाने का कार्ा करिा हैं। नेिा का अथा, हुकुम चलाना नहीं हैं। ि्की अपन ेसहर्ोगी को ब जर् की और ले जाने ाला मागादशाक होिा हैं। जो

    अपन ेआप में एक आदशा होिा हैं। नेिा ो हैं जो अपने उत्तरदाबर्त् को र्ाद रखिे हुए अपने ध्रे्र् की ओर सिको एक-साथ लेकर बनरिंिर चलिे

    रहिा हैं। र्शस् ी मागापर चलिे समर् हर रास्िे में आने ाली हर कठीनाई, समस्र्ा र्ा चुनौबिर्ों को पार करने ाला का काम नेिा करिा हैं।

    पाठशाला का नेिा उसका प्रधानाध्र्ापक ही होिा हैं। इसबलए कहा जािा है की ‘र्था राजा िथा प्रजा’ र्ह पिंक्ती के अनसुार जैसे प्रधानाध्र्ापक ैसे

    उसकी पाठशाला। इसबलए एक प्रधानाध्र्ापक को पाठशाला व्र् स्थापन समझ आ गर्ा िो ह एक र्शस् ी प्रधानाध्र्ापक हो सकिा हैं।

    मझुे मेरे स्कूल में जो जो कबठनाई आई, उन कबठनाईओ िं को बनर्ोजनिध्द पध्दिीसे सिकी सहाय्र्िासे सलुझाकर मागा बनकाला गर्ा।

  • प्रथम िो सालभर का ऐसा बनर्ोजन बकर्ा जािा हैं की कोई समस्र्ा न आर् े। लेकीन कुछ-कुछ समस्र्ाएूँ ऐसी होिी ह ैबक जो ऐन

    मौके पर उत्पन हो जािी हैं और उसपर िुरिंि बनणार् लेना पड़िा हैं। और िुरिंि अमिंलिजा णी होना भी अबन ार्ा होिा हैं। शालेर् स्िर पर आने ाली

    हर समस्र्ा का बनणार् सोच समझकर लेना पड़िा ह।ै क्र्ों की पाठशाला एक सिंस्था हैं|

    मेरी पाठशाला बहिंदी माध्र्म की ह।ै इसमें उत्तर भारिीर् समाज के लोग ९९.९% प्रबिशि हैं। पालक, ब द्याथी, अध्र्ापक सिकी

    समस्र्ा अलग-अलग। लेकीन सिका िालमेल बिठाकर समस्र्ाओ िं का समाधान करना पड़िा हैं। पाठशाला में प्रशासबकर् समस्र्ाएूँ, भौबिक

    समस्र्ाएूँ, सामाबजक समस्र्ाएूँ आदी रहिी ह।ै लेकीन इन समस्र्ाओ िं को सुलझािे समर् मैं छात्रों की सरुक्षा स् ास््र् इसपर प्रथम ध्र्ान देिी ह ूँ।

    पाठशाला का भौगोबलक ािा रण, इमारि प्रबिकुल पररबस्थिी में होनेपर भी अध्र्ापक, छात्र िथा पालक इनको बशकार्ि का मौका

    नहीं बदर्ा गर्ा मैंन ेप्रधानाध्र्ापक के पद का सही इस्िेमाल कर प्रशासबकर् िािो का पत्रव्र् हार बकर्ा| शालेर् िैठक व्र् स्था िथा ािा रण में

    सधुार लान ेका सफलिाप ूाक प्रर्ास बकर्ा। सामबजक सिंस्थाओ िं का सहभाग बलर्ा गर्ा NGO िथा समाज कार्ा का पररचर् देकर उनसे छात्रों

    के बलए लोक सहभाग से शालेर् स्िुएूँ प्राप्त की गई।

  • पाठशाला की कक्षा पढ़ाने के हिेु से िनाई नही गई थी िथा र्ह व्र् स्था पर्ाार्ी स् रूप में थी। एक कमरें में दो कक्षाओिं पढ़ाना

    मबुककल काम था| इसके बलर् े बनर्ोजन बकर्ा गर्ा। और समस्र्ा हल हो गर्ी िथा ज्ञानरचना ाद पर आधाररि अध्र्र्न अध्र्ापन होन ेलगा।

    बनर्ोजन में छात्र और अध्र्ापक दोनों का ब चार बकर्ा गर्ा। समर्-समर् पर पालकों का सहर्ोग भी बलर्ा गर्ा । पालक सभा लेकर सभी

    पालकों से पाठशाला की भौबिक सधुार के बलए आ ाहन बकर्ा गर्ा। पाठशाला ािा रण पाठशाला के अनरुूप न होिे हुए भी पढाई का दजाा उत्तम होने कारण पालकों का मेरे प्रबि ब श्वास था इसबलए आगे आकर िहुिािंश पालकों ने पाठशाला के इस कार्ा में सहार्िा की| म. न. पा.

    पाठशाला का बशक्षास्िर उच्च होन ेपर ब श्वास बकर्ा। मेरी पाठशाला की पालक सभा में पालकों की उपबस्थिी अबधकिम रहिी हैं। शाला के सभी

    कार्ाकम में भी सहर्ोग देिे ह।ै

    सभी पालकों के बलए ाचनालर् खलुा रहिा ह।ै पालक खदु ाचनालर् में रूबच बदखन ेके कारण छात्र भी स् र्िंस्फुिीसे रुची बदखा रहे

    हैं| पाठशाला में ाचन कोना भी हैं। जहाूँ छात्र अपन ेबहसाि से मकु्त पठन कर सकिे हैं। पाठशाला ब ब ध स्पधााओ िं का भी आर्ोजन बकर्ा जािा

    हैं। हर माह में आने ाल ेत्र्ोहार का बनर्ोजन बकर्ा गर्ा हैं। जो शाला के सिंस्कृिी का दपाण हैं। सिंस्कृिी के साथ बदर्ा गर्ा बशक्षा एक मजिुि नी

    होिी हैं।

    मािा-पालक सिंघ ब शेि कार्ा करिा हैं। पाठशाला बनर्ोजन में मैं मेरे ररष्ठ अबधकारीर्ों को भी सलाह लेकर अिंमल में लािी ह ूँ। मेरे

    बलए उनका सहर्ोग भी पाठशाला प्रगिी में उपर्ोगी हैं। म. न. पा. स्िर पर भी इन िािों को ध्र्ान में बलर्ा जािा हैं। कौन से अध्र्ापक में कौनसी

    ब शेििाए हैं ह जानकर ही उसी अनुरूप अध्र्ापक पर बजम्पमेदारी दी जािी हैं। एक में कोई ना कोई गुण होिा हैं। जो पाठशाला की प्रगिी के बकए

    महत् पणूा ह।ै

    बशक्षा प्रभा ी में अध्र्ापक ही एक महत् पणूा भबूमका बनभािा हैं। िथा शाला के प्रगिी में चार चाूँद लगािा हैं।

    पाठशाला में मैं १० साल से ििौर प्रधानाध्र्ाबपका का कार्ा कर रही ह ूँ। सदर शाला में मझुे अमलुाग्र िदल बदखाई देिा हैं। िथा नाम

    के जैस ेही निं. ०१ पाठशाला मानी जािी ह।ै मेरे पत्रों ने २५ बनकि में प्रगिी की शाला को २५ बनकि पणूा करने ाली शाला का २०१८-१९

    का बशक्षा अबधकारी द ारा प्रमाणपत्र बमला।

  • प्रधानाध्र्ापक के रूप में मैं अपने आप को एक नेिा के रुप में देखिी हैं। लीडरशीप करना मिलि हुकुमशाही करना नहीं होिा हैं।

    अपन ेकिाव्र् को ध्र्ान में रखिे हुए अपने अबधकारों का सही इस्िेमाल करना होिा हैं।

    मेरी पाठशाला में कार्ारि हर व्र्बक्त का ध्र्ान रखना िथा उनका मान-सन्मान को ठेस न पहुूँचिा हुए उसके गुणों का िथार्ोग्र् उपर्ोग

    करना र्ह मेरा प्रथम किाव्र् हैं। ।पाठशाला का आराखडा बनर्ोजन का सही उपर्ोग कर ाना कमाचारीओ िं का कार्ा ाटप उनसे कार्ा कर ान ेका

    िरीका र्ह महत् पणूा हैं। मेरा स्कुल मेरा परर ार र्ह भा ना रखकर सभी के साथ र्ोग्र् न्र्ार् बदशा से काम करना इन िािों घ्र्ान रखना पड़िा

    हैं। इसकी फलििुी र्ह बमली हैं की, छात्रों ने २५ बनकि में प्रगिी की हैं| िथा पाठशाला को २५ बनकि पणूा करने ाली पाठशाला का २०१८-१९

    का बज्हा बशक्षणाबधकारी द्वारा शाला ने प्राप्त बकर्ा हैं। बशक्षा के्षत्र में स्कूल के बलए र्ह गौर पणूा िाि हैं। समर्, ध्रे्र् और उबद्दष्टों को सामन े

    रखकर छात्र िथा बशक्षकों का प्रथम महत् देिी ह ूँ। समाज में मेरे स्कूल का प्रभा िथा प्रबसध्दी हो इसका ध्र्ान रखिी ह ूँ। लोकसहभाग, स्पधााएूँ,

    आबथाक बनर्ोजन, शालेर् आराखडा आबद िािों िालमेल िनाने हिेु SMC की मदि लेकर कार्ा करिी ह ूँ। अध्र्ापकों को की समस्र्ा जहाूँ िक

    हो अपन ेस्िर पर ही हल करन ेका प्रर्ास करिी ह ूँ। अपने-आप को एक प्रभा ी आदशा िनाने हिेू अनेक शैक्षबणक पसु्िकों का ाचन, कोसास,

    प्रबशक्षणों के माध्र्म से अदर्ा ि करिी रहिी ह ूँ। िथा बशक्षकों को प्रोत्साहन देकर आगे िढन ेके बलए आत्मब श्वास बनमााण करिी रहिी ह ूँ। मझुे

    मेरे किाव्र् पर खरा उिरने हिेू बजन लोगों ने पे्ररणा दी उन सभी की मैं आभारी ह ूँ।

  • मेरी पाठशाला िथा पाठशाला ािा रण में बनर्ोजन प ूा ाला की बनम्पन िािों पर में स् र्िं ब चार ब मशा से कार्ा करिी ह ूँ। स् र्िं को

    नई-नई जानकारी लेने के अद्यर्ा ि रखना िथा स् र्िं को बशक्षको के सामन ेअपना आदशा रखने के बलए हमेशा प्रर्त्नशील रहिी ह ूँ। मैन ेशालेर्

    व्र् स्थापन DSM का अभ्र्ास बकर्ा िथा D. Ed. के िाद B. A., M. A. (मराठी) की पढाई परूी की हैं| िथा B. Ed. की पढ़ाई

    जारी रखी हैं। बजससे मेरा ज्ञान अबधक बृध्दगिंि हो रहा हैं।

    sss

    धन्र् ाद