दोषपूण चम कारonline.wsj.com/public/resources/documents/flawedmiracle.pdf ·...

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1 दोषपूण चमकार भारत ारा अपनी केिकृत-योजनाब अथयवःथा को छोड़कर सुधार क एक पूर क पूर ौंखला को अपनाए हुए 20 साल बीत चुके ह। सुधार क इस ौंखला का ताना-बाना मु बाज़ार, तुरंत शु हुए आिथक वकास, वदेशी िनवेश म बढ़ोतर और सामाजक- आिथक पैमाने पर भारत के उच और िनचले तबके क जंदिगय म परवतन से संब था। द वॉल ःशट जनलका भारतीय यूरो इस साल इससे सबधत लेख क एक ौंखला ःतुत कर रहा है, जसम इस बात क पड़ताल क जा रह है क ये दो दशक आधुिनक भारत के िलए या-कुछ लेकर आए। कई साल से जब अथयवःथा उछाल मार रह थी, तब भारत क संभावनाओं को लेकर पूरे व म काफ उसाह था: देश म वदेशी िनवेश क बाढ़ आ गई थी और समाजशाी सैकड़-लाख भारतीय के गरबी के दलदल से बाहर िनकलने का ज मना रहे थे। लेकन हाल ह म देश क आम- छव और वदेश म उसक छव मिलन हुई है। पछले 20 साल के दौरान हुए फायद पर िचह लग गए ह। िनसंदेह आिथक वकास सुढ़ हुआ है, लेकन मुिा-ःफित म भी वृ हुई है, जो गरब क जेब पर भार पड़ रह है। िशा को लेकर भारत ने जस तरह का समपण दखाया है, उसे िनत तौर पर दुिनया भर म सराहा जाता है, लेकन भारत के अंदर िशा से जुड़ ऐसी कई गंभीर समःयाएं ह, जसके कारण ःनातक क एक ऐसी पीढ़ तैयार हो रह है, जो ौम बल म शािमल होने के िलए तैयार ह नहं है। गरब को राहत दान करने के िलए बनाई गई सरकार नीितयां ाचार से छलनी हो रह ह। आधारभूत सेवाएं-जो कुछ मायन म जनता के जीवन म परवतन लाने क सरकार क सफलता क अंतरम सूचक होती ह--ीण होने क अवःथा म ह और बेहतर जंदगी के वायदे का माखौल उड़ाती तीत होती ह। इह 1991 म शु हुए सुधार के दौरान सहारा िमला था। ये सभी लेख डयूएसजे के थम पृ पर कािशत हो चुके ह, जो यूएस का सबसे यादा सार वाला दैिनक अखबार है। यह सुिनत करने के िलए क हम भारत के भवय को लेकर अंदर और बाहर चल रह बहस म यापक तौर जतना संभव हो अथपूण ढंग से सहयोग दगे, हम इन लेख के हंद अनुवाद को पीडएफ ाप म पेश कर रहे ह। हम उमीद करते ह क आप इह पढ़गे, इनसे ान अजन करगे, इनके ारा उेजत हगे और इह चार ओर सारत करगे। जैसे ह अखबार म नए लेख कािशत हगे, वैसे ह हम इस दःतावेज़ को नयापन दगे। हम इंडया रयल टाइम, हंद के टपणी अनुभाग म आपके फडबैक का ःवागत करगे। धयवाद सहत पॉल बैकेट दण-एिशया यूरो चीफ द वॉल ःशट जनल, नई दली जुलाई 30, 2011

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  • 1

    दोषपणू� चम�कार

    भारत �ारा अपनी के�ि�कृत-योजनाब� अथ� यवःथा को छोड़कर सुधार( क) एक पूर� क)

    पूर� ौखंला को अपनाए हुए 20 साल बीत चुके ह2। सुधार( क) इस ौखंला का ताना-बाना

    मु5 बाज़ार, तुरंत शु9 हुए आिथ�क

  • 2

    अथ� यवःथा । 30 माच�, 2011

    उभरता हुआ भारत दोराहे पर खड़ा

    - पॉल बकेैट

    गेट� इमेजेज़

    नई Lद^ली म= एक मLहला िनमा�ण काय� म= जुट� हुई। इस बात पर िचंता य5 क) जा रह� है Lक भारत

    के तेज़ आिथ�क

  • 3

    सॉnटवेयर सेवा के Vेऽ म= काम करने वाली बड़� कंपनी

  • 4

    1991 म= Lकए गए आिथ�क सुधार( म= अहम भूिमका िनभाने वाले त�कालीन गहृ मंऽी पलानीअeपन

    िचदJबरम ने एक साVा�कार म= कहा, ‘हम= पहले क) भांित Uढ़ ूितc होकर िनभxक फैसले लेने चाLहए।

    जो मुझे लगता है Lक हम ज़9र ल=ग= ।’ उ�ह(ने कहा Lक सरकार ने हाल ह� म= गर�ब( क) मदद के िलए

    कई कदम उठाए ह2। मसलन ःकूल( म= दोपहर का भोजन देना और भोजन तक पहंुच को मौिलक अिधकार(

    म= शुमार करने हेतु कानूनी ूःताव पेश करना।

    कुछ Lदन( पहले तक माइबोसॉnट कॉरपोरेशन क) भारतीय इकाई के चेयरमेन रहे र

  • 5

    @जसक) वजह है इसके

  • 6

    खाw संबंधी महंगाई आज दस फ)सद� स ेऊपर है और सामा�य 8 फ)सद� से ऊपर।

    Lद^ली म= EरMशा चलाने वाले 44 वषxय मनोहर िसंह कहते ह2, ‘महंगाई का सबसे `यादा असर हम पर पड़ा

    है, अमीर लोग( को महंगाई से बामु@ँकल फक� पड़ता है।‘ वह कहते ह2, ‘मेरे पास इतना पैसा नह�ं Lक म2

    अपनी ट�बी क) बीमार� इलाज करवा सकंू। मुझे कुछ समय पहले ह� इस बीमार� के होने का पता चला है।

    हम अपने बCच( को खाना @खलाने म= सVम नह�ं ह2, इलाज पर आने वाले खचg और ःकूल भेजने के खचg

    क) बात को तो छोड़ ह� द�@जए।‘

    वह कहते ह2 Lक @जस शhस से उ�ह(ने EरMशा Lकराए पर िलया है उसने उसका भाड़ा बढ़ा Lदया है, लेLकन

    माहक `यादा पैसा देने से इ�कार कर देते ह2।

    राजनीित को उदार�करण क) राह पर रोड़े अटकाने के िलए कुछ हद तक उdरदायी ठहराया जा सकता है।

    मेट

  • 7

    नई Lद^ली के जवाहर लाल नेह9

  • 8

    दशक( पुराना माओवाद भारतीय सरकार क) सdा उखाड़ फ= कना चाहता है। भारत के ूधानमंऽी ने चरमपंथी

    वामपंिथय( के

  • 9

    िशVा । 5 अूैल, 2011

    भारत म= लाख( ःनातक, लेLकन कुछ ह� भतx के िलए उपय5ु

    - गीता आनदं

    द वॉल ःश�ट जन�ल के िलए

  • 10

    खतरे के 9प म= देखे जाते ह2। अमेEरक) राqपित बराक ओबामा ने भारतीय( क) ग@णत म= होिशयार� को

    अमेEरका के िमल रह� ूितःपधx चुनौितय( क) वजह बताया है।

    Lफर भी 24/7-कःटमर का अनुभव एक अलग कहानी बयां करता है। भारत म= योय कम�चाEरय( को ढंूढने

    म= आ रह� मु@ँकल( के पEरणामःव9प कंपनी अपनी खोज को Lफिलपींस और िनकारागआु तक ले जाने पर

    मजबूर हो गई। उसके 8,000 कम�चाEरय( म= से `यादातर अब भारत से बाहर के ह2।

    एक ऐसा देश @जसने ऑफशोEरंग (आउटसोिसग) को घर-घर म= ूचिलत कर Lदया है, वहां 24/7 कंपनी को

    ूितभाओं क) इतनी कमी महसूस हो रह� है Lक उसे भी ऑफशोEरंग करना पड़ा रहा है।

    कंपनी के संःथापक एस. नागराजन कहते ह2 Lक भारत क) जनसंhया को देखते हुए कम�चाEरय( को ढंूढना

    एक आसान काय� होना चाLहए, "लेLकन इसके बावजूद हम= कोने-कोने म= तलाश करनी पड़ती है।"

    ऐसी उJमीद क) जा रह� थी Lक भारत का आिथ�क

  • 11

    ःनातक भारत के उCच-

  • 12

    बाक) ने कहा Lक नकल बहुत `यादा होती है और अकसर टेःट म= मेड देने वाले के सहयोग से क) जाती

    है। 26 साल के द�पक शमा� Lद^ली के बाहर एक टॉप के इंजीिनयEरंग कॉलेज म= दा@खला पाने से पहले

    कई इ@Jतहान( म= असफल रहे। आ@खरकार उ�ह= पास होने क) तरक)ब समझ म= आ गई और ये थी पर�Vा

    पऽ पर अपना मोबाइल नंबर िलखकर आ जाना।

    उ�ह(ने इसका इःतेमाल योर�-ऑफ कॉJपट�शन के पेपर के िलए Lकया। वह बताते ह2 Lक कुछ Lदन( के

    पWात ह� पर�Vक ने उ�ह= बुलाया और उ�ह= और उनके दोःत( को पास करने का ूःताव Lदया। लेLकन

    इसक) एवज़ म= उनम= से ू�येक को पर�Vक को दस हज़ार 9पए (250 डॉलर) देने थे। उ�ह(ने और उनके

    दोःत( ने पैसे इकrठे Lकए और सभी ने टेःट पास भी कर िलया।

    ौी शमा� कहते ह2, “मुझे 99 फ)सद� भरोसा था Lक अगर म2 पर�Vक को पसैा नह�ं देता हंू, तो म2 एक बार

    Lफर पर�Vा म= फेल हो जाऊंगा।”

    आईट�एम

  • 13

    राजन कुमार नाम के एक अ�य आवेदक ने कहा Lक उसने कर�ब दो साल पहले इंजीिनयEरंग म= ःनातक

    क) Lडमी हािसल क)। उसक) vिच Lबकेट देखने म= है और समय क) पाबंद� उसका सबस ेबड़ा गुण है।

    साVा�कार लेने वाले ने उसक) Lडमी को देखते हुए जानना चाहा Lक वो आ@खर तकनीक के Vेऽ म= नौकर�

    पाने क) कोिशश Mय( नह�ं कर रहा। इसके जवाब म= उसने कहा, “Lफलहाल तो म2 यहां हंू।” इस ःपZीकरण

    को अपया�t माना गया और ौी कुमार को भी बाहर िनकाल Lदया गया।

    22 साल का एक युवा @जसका नाम चौधर� लआमीकांत दाश था उसने भी

  • 14

  • 15

    अथ� यवःथा । 29 अूैल, 2011

    तेज़ी से आगे बढ़ते भारत म= गर�ब दरLकनार

    - टॉम राइट और हष� गtुा

    नकरासरनकरासरनकरासरनकरासर, , , , भारतभारतभारतभारत-अमेEरका के

  • 16

    अितEर5 अनाज खर�दने के काम ज9र आएंगे, लेLकन उसस े`यादा कुछ नह�ं। जनता के िलए @जस तरह

    क) संप

  • 17

    जुड़� पEरयोजना क) िनगरानी करना औऱ Lहसाब क) जांच सुिन@Wत करना है, वो कई मामल( म= ॅZाचार

    और िनमा�ण कायg के अधूरा रहने के िलए दोषी ह2।

    कई गांव( को नई पEरयोजनाओं के िलए नए

  • 18

    वॉल ःश�ट जन�ल के िलए संजीत दास

    राजःथान के एक गांव के कामगार कहते ह2 Lक उ�ह= इस रोज़गार काय�बम से थोड़ा बहुत ह� फायदा

    हुआ है। इस काय�बम के तहत Lकसी बड़� बुिनयाद� संरचना का िनमा�ण नह�ं हुआ है और साल म= उ�ह=

    इसके ज़Eरए थोड़ा बहुत ह� अितEर5 धन ूाt हो पाया है।

    राजःथान ऐसा पहला रा`य था, @जसे काय�बम शु9 होने के बाद सबसे पहले फंड ूाt हुआ। यह रा`य

    भारत के गर�ब रा`य( म= एक है। यहां कर�ब 50 फ)सद� मLहलाएं िश@Vत नह�ं ह2। Lकसान ऊंट गाड़� पर

    सवार� कर अनाज वाल ेखेत( म= राःता तय करते ह2। माच� 31 को ख�म हुए

  • 19

    मतलब नह�ं है। इसक) बजाय सरकार को अCछs सड़क( का िनमा�ण करना चाLहए।" अ�य का कहना था

    Lक मशीन के इःतेमाल पर ूितबंध लगाने से सड़क( पर बजर�

  • 20

    कुछ बनाया जाए। उJमीद थी Lक ये नेता मoय ःतर के नौकरशाह( से `यादा बेहतर काय� कर=गे। Mय(Lक

    यह गांव के ूितिनिध ह2, वह�ं से चुनकर आते ह2 िलहाज़ा इनक) गांववाल( के ूित जवाबदेह� होगी। आपको

    बता द= Lक इस काय�बम के तहत साल के 100 Lदन( म= Lकसी पEरवार के एक सदःय को कामकाज Lदया

    जाता है। @जसके तहत ूितLदन 100 (2 डॉलर) 9पए ूदान Lकए जाते ह2।

    लेLकन फरवर� 2006 म= `य( ह� यह नई यवःथा लागू क) गई, उसके कुछ समय बाद ह� कामगार( ने

    िशकायत= करनी शु9 कर द�ं। मसलन ःथानीय नेता उनका पैसा काट लेते ह2 और जॉब काड� देने क) एवज़

    म= उनसे EरPत क) मांग करते ह2। के�ि�य सरकार ने इस समःया से िनबटने के िलए 2008 म= सीधे

    कामगार( के ब2क खाते म= काम क) एवज़ म= Lदया जाने वाला पैसा डालना शु9 कर Lदया। लेLकन कामगार(

    और Lहसाब Lकताब क) जांच करने वाल( के मुता

  • 21

    िशVा । 4 जून, 2011

    वग� संघष�: अमीर और गर�ब के बीच क) खाई पाटने क) कोिशश

    - गीता आनदं

    नई Lद^लीनई Lद^लीनई Lद^लीनई Lद^ली - गली म= बाहर बCच( के साथ Lबकेट खेलने क) बजाय 4 साल का सुिमत झा अपने एक

    कमरे वाले घर म= पसीना बहा रहा है।

  • 22

    वॉल ःश�ट जन�ल के िलए मनूीत रोमाना

    सुौी मिनका शमा� कहती ह2 Lक उ�ह= यह जानकर झटका लगा था Lक उनके घर के फश� को साफ करने

    वाली मLहला ने अपने बCचे का दा@खला उसी ःकूल म= करवाया है, जहां क) वो ूधानाचाया� ह2।

    सरकार क) इस कवायद के बीच अभी तक जो पEरणाम सामने आए ह2, वो ूो�साLहत नह�ं िनराश और

    हतो�साLहत करते हुए `यादा ूतीत होते ह2। इसक) वजह वो िभ�नता है, जो भारतीय समाज के ताने-बाने

    को पEरभा

  • 23

    सुिमत नाम का गर�ब बCचा ौीराम म= संघष� कर रहा है। ट�चर( ने उसके

  • 24

    सुौी शमा� कहती ह2, “म2 घबरा गई। मेरे ःकूल का एक अिभभावक मेरे घर म= पोछा लगा रहा है-म2 इस

    @ःथित को नह�ं संभाल सकती थी।” उ�ह(ने कहा, “म2 उस शhस के सामने मेज़ पर नह�ं बठै सकती, जो

    मेरे घर म= साफ-सफाई करता हो।”

    सुौी चैन कुमार� उस समय सौुी शमा� से मांगी माफ) को याद करती ह2, “मुझे माफ कर द�@जए, मेर�

    वजह से आप गुःसा हो ग। मुझे आपको नह�ं बताना चाLहए था।”

    सुौी शमा� कहती ह2 Lक उ�ह(ने चैन कुमार� को भरोसा Lदलाया Lक उसने कुछ गलत नह�ं Lकया है।

    उ�ह(ने इस मुे को चैन कुमार� को एक साल क) तनhवाह देकर सुलझा िलया और उससे कहा Lक वो

    अपनी नवजात बेट� और बेटे

  • 25

    इस साल ौीराम ने अपने परंपरागत सामा�य छाऽ( के िलए 2,288 ूाथ�ना पऽ( म= से 84 ःवीकार

    Lकए। इस तरह ये ःवीकार दर 3.7 फ)सद� होती है और यह हॉवड� कॉलेज �ारा ःवीकार Lकए जाने वाले

    ूाथ�ना पऽ( क) दर से भी कम है।

    ौीराम अपने छाऽ( से सालाना कर�ब 67,552 9पए (1,500 डॉलर) फ)स वसूलता है। ू�येक गर�ब छाऽ

    क) पढ़ने क) लागत सरकार कर�ब 13,510 9पए (300 डॉलर) आंकती है और वह� ःकूल को ूदान भी

    करती है।

    दिुनया के कई अCछे िनजी ःकूल होिशयार गर�ब छाऽ( को छाऽव

  • 26

    `यादातर अिभभावक( क) इस तरह क) ह� िशकायत= थीं। सुौी शमा� कहती ह2, “म2 उ�ह= दोष नह�ं देती।

    इस हक)कत को खाEरज नह�ं Lकया जा सकता Lक गर�ब बCच( को िसखाने क) ूLबया सामा�यत: धीमी

    होती है।”

    एक सुबह सुौी सुजाता गुtा और िश^क) सहानी नाम क) िश@Vकाओं ने अपने चार साल क) उॆ के

    बCच( वाली कVा म= ब2गनी चीज( के बारे म= िसखाने हेतु इसी रंग क) कुछ चीज( के नाम पूछे। अमीर

    बCचे िच^लाने लगे, Iलैकबेर� (जामुन) Iलैककरंट आइस ब)म और पोटािशयम परमागनेट (स@Iज़य(

    और फल( को धोने के िलए इःतेमाल Lकया जाने वाला एक कैिमकल)।

    कम आमदनी वाले घर( से आए सात बCच( म= से Lकसी ने भी हाथ नह�ं उठाया। अमीर छाऽ( क) तरह

    उ�ह= घर म= रंग( के बारे म= नह�ं समझाया गया है। वह अंमज़ेी नह�ं बोलते और उन चीज( के बारे म=

    सुनकर जो उ�ह(ने कभी देखी तक नह�ं ह2 और `यादा चकरा गए।

    िश@Vकाएं गर�ब बCच( के िलए हर चीज़ को Lहंद� म= दोहरा रह� थीं, उसके बाद उ�ह(ने बCच( से कहा

    Lक वो बCचा खड़ा हो जाए, @जसने ब2गनी रंग क) ट�-शट� पहनी है। इसके बाद बड़� आंख( वाला िनितन

    राज @जसने हरे रंग क) ट�-शट� पहनी थी, खड़ा हो गया।

    सुौी गुtा ने कहा, वह कुछ भी नह�ं समझ रहा था।

    सुौी गुtा के मुता

  • 27

    िभनिभनाती रहती ह2। िनितन के घर म= एक ह� कमरा है, @जसम= उसके माता-

  • 28

    इस सलाह के बावजूद 39 साल के राजकुमार अपने बेटे Eरितक के िलए इस सुनहरे अवसर का मोह

    छोड़ नह�ं पाए। ौी राजकुमार एक झ(पड़� म= रहते ह2 और मह�ने म= कर�ब 5, 854 9पए (130 डॉलर)

    कमाते ह2।

    वह भरत राम पEरवार के बारे म= कहते ह2, “म2ने उनके बCच( के अनुशासन और यवहार को देखा है, म2

    चाहता हंू Lक मेरे बCचे भी वैसी ह� बात= सीख=।”

    ौी राजकुमार का बेटा और सौुी भरत राम का एक बेटा अब कVा म= साथ-साथ पढ़ते ह2।

    हाल ह� म= ःकूल म= आयो@जत Lकए गए बुक फेयर म= Eरितक ने अपने

  • 29

    वॉल ःश�ट जन�ल के िलए मनूीत रोमाना

  • 30

    अरमान कहता है

  • 31

    ःवाःय उwोग I 30 जुलाई, 2011

    एक उभरते हुए राq क) खराब सेहत

    - अमोल शमा�, गीता आनदं और मेघा बाहर�

    द वॉल ःश�ट जन�ल

    उdर� परगना @जले के एक अःपताल म= नस और एक

  • 32

    20 साल क) vखसाना ने वैल�ेटाइन डे पर एक बCची को ज�म Lदया। लेLकन vखसाना का र5Rाव vकने

    का नाम ह� नह�ं ले रहा था। उJमेद अःपताल अब संकट म= फंसने ह� वाला था: जCचा-बCचा वॉड� म= हर

    तरफ ूसूताओं क) रहःयमयी हालत म= मौत शु9 हो गई थी।

    कुछ Lदन( बाद vखसाना क) डॉMटर रंजना देसाई ने आEरफ को एक तरफ खींचा और कहा, "दवा के साथ

    उ�ह= (vखसाना) आपक) दआु क) भी ज़9रत है।"

    भारत के डॉMटर दिुनया के तमाम अःपताल( म= काय�रत ह2। भारत के अंदर भी एक संप�न िनजी ःवाःय

    सेवा उwोग (उभरते हुए मoयम वग� और धना य लोग( को सेवा ूदान कर रहा है) भारत के आिथ�क

    ूभाव का उपफल है। कुछ मह�वपूण� कदम( के ज़Eरए भारत क) ःवाःय ूणाली म= सुधार आ रहा है: दो

    दशक( म= आयु सीमा बढ़ गई है। 2008 म= ये 64 वष� तक पहंुच गई, जबLक 1991 म= 58 वष� हुआ करती

    थी। िशशु म�ृयु दर म= भी कमी आई है।

    इसके बावजूद भी मात ृऔर िशशु ःवाःय के Vेऽ म= भारत पीछे है। हाल ह� म=

  • 33

    भारत सरकार ने 2005 म= राqीय ःवाःय सेवा के खच को दगुुना यानी जीड�पी का 2 फ)सद� करने का

    लआय िनधा�Eरत Lकया। लेLकन अिधकाEरय( का कहना है Lक यह खचा� इससे काफ) कम रहा। इसक)

    आंिशक वजह िशVा जैसे अ�य सामा@जक काय�बम( म= सुधार क) आवँयकता रह�।

    मातृ�्व और िशशु से जुड़े मु( पर काम करने वाली ःवाःय मंऽालय क) वEर_ अिधकार� अनुराधा गुtा

    का कहना है, "हमारे आगे कई ूितःपधx सामा@जक ूाथिमकताएं ह2।"

    देश के गर�ब रा`य( म= एक राजःथान के ऐितहािसक

    Lकल( वाले शहर जोधपुर के बीच(-बीच 1937 म= आट�

    डैको शैली म= उJमेद अःपताल तैयार Lकया गया था।

    इसे सरकार �ारा फंड Lदया जाता है। यह अःपताल

    गर�ब( को सेवाएं ूदान करता है और मLहला और बाल

    रोग से जुड़े मामल( म= ूवीण माना जाता है।

    अःपताल म= हर साल 20,000 Lडलीवर� क) जाती ह2

    (ू�येक 30 िमनट म= कर�ब एक Lडलीवर�) अःपताल

    के अधीVक डॉ. नरे�ि छंगाणी कहते ह2 Lक यह आंकड़ा

    2003 के बाद से ितगुना (@जतना अब है) हुआ।

    `यादातर िशशु @जस ूसूित कV म= ज�म लेते ह2, उसम=

  • 34

    जब वो 15 साल क) थीं, तो उनका आEरफ से

  • 35

    अःपताल के Iलड ब2क के पास `यादा खून नह�ं था। आEरफ कहते ह2 Lक डॉMटर( ने उनसे कहा Lक उ�ह=

    अपनी पी के िलए 10 बोतल खून का इंतज़ाम करना होगा। आEरफ इसके िलए अपने Eरँतेदार( और

    दोःत( के पास भागे।

    दोपहर देर बाद vखसाना को जोधपुर के एक दसूरे सरकार� अःपताल महा�मा गांधी म= िशnट कर Lदया

    गया। ये अःपताल गंभीर मामल( को संभालता है। डॉ.देसाई ने इस समःया क) जड़ का पता लगाने के

    िलए ऑनलाइन सच� क)। उ�ह(ने इसके िलए बोःटन के एक ूसूित

  • 36

    िलहाजा अःपताल के कम�चाEरय( ने गंभीर 9प से बीमार रोिगय( के Eरँतेदार( से कहा Lक वो यह सब चीज=

    खुद खर�द कर लाएं।

    मानवािधकार समूह, द पीपु^स यूिनयन फोर िस

  • 37

    महा�मा गांधी अःपताल के आईसीयू म= vखसाना Lकडनी खराब होने और गलाने वाले धMके से पीLढ़त हो

    ग, लेLकन वो @जंदा थीं।

    डॉ.छंगाणी ने द

  • 38

    आरोप म= िगरnतार Lकया। Lफलहाल वो ज़मानत पर ह2। उनके वक)ल महे�ि िसंघवी ने मामले पर Lटeपणी

    से इ�कार कर Lदया।

    एक व5 य म= पेरे�टरल के िनदेशक मनोज खंडेलवाल ने अःपताल पर यह कहते हुए आरोप लगाए Lक

    उJमेद अःपताल म= आईवी nलुएड क) बोतल( का खराब भडंारण उनम= बैMट�Eरया पनपने क) वजह हो

    सकता है। उ�ह(ने यह भी कहा Lक ऐसे कोई ठोस सुबूत नह�ं थे, जो यह बताते Lक nलुएड चढ़ाने से ह� ये

    मौत= हु।

    डॉ.छंगाणी अःपताल के भंडारण म= Lकसी तरह क) भूल से इ�कार करते ह2। वह कहते ह2 Lक फरवर� क)

    शु9आत म= पेरे�टरल से 4,000 आईवी nलुएड बोलत( क) एक खेप आई। इनक) इतनी सhत ज़9रत थी

    Lक वो ःटोर करने से पहले ह� लेबर वॉड� म= बांट द� ग।

    जोधपुर म= हुई मौत( क) रा`य सरकार �ारा कराई गई जांच म= अःपताल के कम�चाEरय( को दवाओं क)

    खर�द म= सुःती Lदखाने का आरोपी माना गया है। जांचकता�ओं ने एक अहम मुे को भी खोजा, जो था-

    पेरे�टरल अःपताल ःवीकृत आईवी