कार्यवाही वृतान्त प्रथम कार्यकारी...

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कायवाही वृतात थम कायकारी मंडल बैठक (साधारण अधवेशन 28वां स) 20 अगत 2017 रवववार भापद कृ ण वतथथ ोदशी ॥Ȣ॥ महȡमȲȢ कȡȡाल, जȪधपǕर बसȲत पȲचमȢ ǒिम सित ् 2074 तǕसȡर ǑिनȡȲक 22 जनिरȣ 2018 कȪ जȡरȣ महȡसभȡ कȯ 28 िɅ कȧ थम कȡाकȡǐरमȲडल बȰठक (सȡधȡरण अǓििȯ िन)इस बȰठक मɅ महȡसभȡ, Ǖिȡ सȲगठन, मǑहलȡ सȲगठन कȡाकȡǐरमȲडल कȧ थम सȡमǗǑहक बȰठक हȪतȢ हȰ। एक ǑििसȢ बȰठक, ǑिनȡȲक 20, अगत, 2017 रǒििȡर कȪ िȡȲǓतसȯिȡ धȡमछठȤ कȡरȡ िǙ Ȳिȡिन मɅ आȪǔजत कȧ हǕई। ǑिनȡȲक 20 अगत, रǒििȡर कȪ ȡतȬ 9.30 बजȯ बȰठक ȡरभ हǕई।बȰठक कȡ आȪजन उरȡȲचल कȧ पȡȲचȪ िȯ ि सभȡ Ʈȡरȡ सȡमǗǑहक Ǿप सȯ आȪǔजत Ǒकȡ गȡ अȲत हȣ सǕȲिर िथȡओȲ कȯ सȡथ इस बȰठक कȡ आȪजन Ǒकȡ गȡ। महȡसभȡ पिȡǓधकȡरȣ Ȣ ȡमसǕȲिर सȪनȢ (सभȡपǓतजȢ),Ȣ सिȣप कȡबरȡ(महȡमȲȢ),Ȣ आर एल कȡबरȡ (अथा मȲȢ),Ȣ अज कȡबरȡ(सȲगठन मȲȢ),Ȣ रमȯि तȡपǑिȡ(उपसभȡपǓत पǗिȡɍचल),Ȣ अिȪक सȪमȡनȢ(उपसभȡपǓत उरȡȲचल),Ȣ मȪहन रȡठȤ(उपसभȡपǓत मधȡȲचल),Ȣ ि ȯ िकरण गगि(उपसभȡपǓत पǔƱमȡȲचल),Ȣ अिȪक बȲग (उपसभȡपǓत िǔिणȡचल),Ȣ िरि गटȡनȢ(सȲǕ मȲȢ मधȡȲचल)Ȣ ȡम मȲȢ (सȲǕ मȲȢ पǔƱमȡȲचल),Ȣ सतȢि चरखȡ (सǕ मȲȢ िǔिणȡचल)Ȣ सजन मȪहतȡ (कȡȡाल मȲȢ सभȡपǓत जȢ)Ȣ जǕगल सȪमȡनȢ (कȡȡाल मȲȢ महȡमȲȢ) अनǕपǔथत Ȣ कȫिल ǑकिȪर जȢ पȡलतȡǓन(सǕ मȲȢ उरȡȲचल),Ȣ नȲिǑकिȪर लȡखȪǑटȡ(सǕ मȲȢ पǗिȡɍचल) कȡासǓमǓत सि पिȯन; Ȣ रȡमपȡल सȪनȢ भȢलिȡिȡ,(पǗिा सभȡपǓत),Ȣ रȡजकǕ मȡर कȡȡ गǕलȡबपǕरȡ(अधि Ǖिȡ सȲगठन),Ȣ कȡि बȡहȯतȢ (कɅ ȣ चǕनȡि सȡǓमǓत),Ȣ रतनलȡल निलखȡ(Ȫफȯ िनल सȯल),Ȣ लमȢनȡरȡण सȪमȡनȢधि मȡहȯƳरȣ बȪडा ),Ȣ िȲकरलȡल सȪमȡनȢ(जȡजǗ ),ȢसǕरȯ मȡनधनȢ(बȡȲगि मȯǑडकल),Ȣ िȢरȯ भǕरȡǑिȡ(सहिǙत),Ȣ ओमजȢ रȡठȤ जȪरहट,Ȣ पǕǾषȪतम मǗȲििȡ जȪधपǕर, Ȣ रȡमȡितȡर जȡजǗ इȲिȫर,(सभȡपǓतजȢ Ʈȡरȡ मनȪनȢत) Ȣ रȡमǓनिȡस मȡनधनȢ औरȲगȡबȡि(मǕबई छȡȡिȡस),Ȣ भȢकǕ लȡल मिȡा (पǗनȡ छȡȡिȡस),ȢनȲिǑकिȪर करिȡ (ि ȯ हलȢ छȡȡिȡस)Ȣ डȣडȣ भǗतिȡ (Ǔभलȡई छȡȡिȡस),Ȣ भरत सȡरिȡ(इȲिȫर छȡȡिȡस)ȢमȲतȢ आिȡ मȡहȯƳरȣ (महȡमȲȡǔण मǑहलȡ सȲगठन),Ȣ िȢण सȪमȡनȢ (महȡमȲȢ Ǖिȡ सȲगठन) मȡननȢ कȡा सȡǓमǓत सि(ǓनिȡाǓचत) Ȣ ȡम रȡठȤ कȪलकȪतȡ, Ȣ िȣनिȡल कȡणȢ बȲगȡल,Ȣ ǒिनȪि कǕ मȡर खटȪि ǒबहȡर,Ȣ आनȲि मȡǾ नȯपȡल,Ȣ लȡलचȲि मȪहतȡ ओǑडसȡ,Ȣ ओमकȡि रȡठȤ आसȡम,Ȣ लȪकȯ करिȡ पǗिȸ उरिȯ ि, Ȣ कȯ िȡर चȡȲडक मध उरिȯ ि, ȢǒिǓनत कȯ लȡ उर िȯ ि,ȢरȡधǑकिन सȪमȡनȢ ि ȯ हलȢ,Ȣिȣप पȯिȣिȡल पȲजȡब हǐरȡणȡ, Ȣ बǙजǑकिȪर सǕरजन,Ȣ आिǕतȪष मȡहȯƳरȣ,Ȣ महȯि तȪतलȡ,Ȣ ȡम सǕȲिर रȡठȤ,Ȣ बȡबǗलȡल मȪहतȡ,Ȣ बजरȲग जȡखȪǑटȡ, Ȣ महȡिȢर ǒबिȡिȡ, Ȣ रȡजȯि ǒबिलȡ, Ȣ Ȣ Ǔनिȡस मȪिȡनȢ,Ȣ रतनलȡल डȡगȡ, Ȣ सǕरȯि झȲिर, Ȣ चȲकȡि मȡलपȡनȢ, Ȣ नȲिǑकिȪर मȡलǗ ,Ȣ हȣरȡलȡल मȡलǗ ,Ȣ सनȡरȡण लȡहȫटȣ, मȡननȢ िȯ ि अधि जȢ Ȣ भिर जȢ रȡठȤ (कȪलकȡतȡ),Ȣ जǑकिन मȡहȯƳरȣ (पǔƱम बȲगȡल),ǒिन ǑकिȪर (ǒबहȡर झȡरखȲड),Ȣ जǑकिन सȡरिȡ (नȯपȡल) Ȣ बȣ महȯƳिरȣ (रȡउरकȯ लȡ उिȣसȡ),Ȣ ओम धǗत (आसȡम)Ȣ ǒिनȪि महȯƳिरȣ(पǗिȸ उर िȯ ि)Ȣ गȪपȡल लȡȡ(मध उर िȯ ि),Ȣ कमलȯ मȡहȯƳरȣ(पǔƱम उर िȯ ि),Ȣ ओम कȡि पसȡरȣ(पȲजȡब हǐरȡणȡ) डȨ एस एन चȡȲडक (ि ȯ हलȢ), Ȣ ǒिठल

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  • कार्यवाही वतृान्त प्रथम कार्यकारी मडंल बठैक (साधारण अधधवशेन 28वा ंसत्र)

    20 अगस्त 2017 रवववार भाद्रपद कृष्ण वतथथ त्रर्ोदशी

    ॥श्री॥

    महामंत्री कार्ाालर्, जोधपुर बसंत पंचमी विक्रम सम्ित ्2074 तद्नसुार दिनांक 22 जनिरी 2018 को जारी

    महासभा के 28 िें सत्र की प्रथम कार्ाकाररमंडल बैठक (साधारण अशििेिन)इस बैठक में महासभा, र्ुिा संगठन, मदहला संगठन कार्ाकाररमंडल की प्रथम सामूदहक बैठक होती है। एक दििसीर् र्ह बैठक, दिनांक 20, अगस्त, 2017 रवििार को “िांशतसेिा धाम” छठी कारा ि ंिािन में आर्ोजजत की हुई। दिनांक 20 अगस्त, रवििार को प्रातः 9.30 बजे बैठक प्रारम्भ हुई।बैठक का आर्ोजन उत्तरांचल की पांचो प्रिेि सभा द्वारा सामूदहक रूप से आर्ोजजत दकर्ा गर्ा अत्र्ंत ही सुंिर व्र्िस्थाओ ंके साथ इस बैठक का आर्ोजन दकर्ा गर्ा। महासभा पिाशधकारी श्री श्र्ामसुंिर सोनी (सभापशतजी),श्री सन्िीप काबरा(महामंन्त्री),श्री आर एल काबरा (अथा मंत्री),श्री अजर् काबरा(संगठन मंत्री),श्री रमेि तापदिर्ा(उपसभापशत पूिाांन्चल),श्री अिोक सोमानी(उपसभापशत उत्तरांचल),श्री मोहन राठी(उपसभापशत मधर्ांचल),श्री िेिकरण गगि(उपसभापशत पजिमांचल),श्री अिोक बंग (उपसभापशत िजिणाचल),श्री िरि गट्टानी(संर्ुक्त मंत्री मधर्ांचल)श्री श्र्ाम मंत्री (संर्ुक्त मंत्री पजिमांचल),श्री सतीि चरखा (सर्ुक्त मंत्री िजिणाचल)श्री सज्जन मोहता (कार्ाालर् मंत्री सभापशत जी)श्री जुगल सोमानी (कार्ाालर् मंत्री महामंन्त्री) अनुपजस्थत श्री कौिल दकिोर जी पालताशन(सर्ुक्त मंत्री उत्तरांचल),श्री नंिदकिोर लाखोदटर्ा(सर्ुक्त मंत्री पूिाांन्चल) कार्ासशमशत सिस्र् पिेन; श्री रामपाल सोनी भीलिािा,(पूिा सभापशत),श्री राजकुमार काल्र्ा गुलाबपुरा(अधर्ि र्ुिा संगठन),श्री प्रकाि बाहेती (कें द्रीर् चुनाि साशमशत),श्री रतनलाल निलखा(प्रोफेिनल सेल),श्री लक्ष्मीनारार्ण सोमानीधर्ि माहेश्वरी बोडा),श्री िंकरलाल सोमानी(जाज ूट्रस्ट),श्रीसुरेन्द्र मानधनी(बांगि मेदडकल),श्री िीरेन्द्र भुरादिर्ा(सहि त),श्री ओमजी राठी जोरहट,श्री पुरूषोतम मूंििा जोधपुर, श्री रामाितार जाज ूइंिौर,(सभापशतजी द्वारा मनोनीत) श्री रामशनिास मानधनी औरंगाबाि(मुम्बई छात्रािास),श्री भीकुलाल मिाा(पूना छात्रािास),श्रीनंिदकिोर करिा (िेहली छात्रािास)श्री डीडी भूतिा (शभलाई छात्रािास),श्री भरत सारिा(इंिौर छात्रािास)श्रीमंती आिा माहेश्वरी (महामंत्राजण मदहला संगठन),श्री प्रिीण सोमानी (महामंन्त्री र्ुिा संगठन) माननीर् कार्ा साशमशत सिस्र्(शनिााशचत) श्री श्र्ाम राठी कोलकोता, श्री िीनिर्ाल कल्र्ाणी प बंगाल,श्री विनोि कुमार खटोि वबहार,श्री आनंि मारू नेपाल,श्री लालचंि मोहता ओदडसा,श्री ओमप्रकाि राठी आसाम,श्री लोकेन्द्र करिा पूिी उत्तरप्रिेि, श्री केिार चांडक मधर् उत्तरप्रिेि, श्रीविशनत केला प उत्तर प्रिेि,श्रीराधदकिन सोमानी िेहली,श्रीप्रिीप पेिीिाल पंजाब हररर्ाणा, श्री ब जदकिोर सुरजन,श्री आिुतोष माहेश्वरी,श्री महेि तोतला,श्री श्र्ाम सुंिर राठी,श्री बाबूलाल मोहता,श्री बजरंग जाखोदटर्ा, श्री महािीर वबिािा, श्री राजेि वबिला, श्री श्री शनिास मोिानी,श्री रतनलाल डागा, श्री सुरेि झंिर, श्री चंद्रप्रकाि मालपानी, श्री नंिदकिोर माल,ूश्री हीरालाल मालू,श्री सत्र्नारार्ण लाहौटी, माननीर् प्रिेि अधर्ि जी श्री भिर जी राठी (कोलकाता),श्री जर्दकिन माहेश्वरी (पजिम बंगाल),श्रविनर् दकिोर (वबहार झारखंड),श्री जर्दकिन सारिा (नेपाल) श्री बद्री महेश्विरी (राउरकेला उिीसा),श्री ओम धूत (आसाम)श्री विनोि महेश्विरी(पूिी उत्तर प्रिेि)श्री गोपाल लार्ा(मधर् उत्तर प्रिेि),श्री कमलेन्द्र माहेश्वरी(पजिम उत्तर प्रिेि),श्री ओम प्रकाि पसारी(पंजाब हररर्ाणा) डॉ एस एन चांडक (िेहली), श्री विट्ठल

  • भूतिा(छत्तीसगढ़),श्रीविजर् राठी(पूिा मधर् प्रिेि),श्री राजेन्द्र इंनानी(प.मधर् प्रिेि)श्री वत्रभुिन काबरा (गुजरात),श्री मिन मालपानी(वििभा)श्री सोहनलाल गट्टानी(उत्तरी राजस्थान),श्री कैलाि सोनी(पूिोत्तर राज.) श्री केसरीचंि तापदिर्ा (मधर् राजस्थान),श्री कैलाि कोठरी(िजिण राजस्थान),श्री जे एम बूब (पजिम राजस्थान) श्री अम तलाल चांडक(तशमलनाडु केरल),श्री पुरुषोत्तम ईनाणी(कनााटक गोिा),श्री मधुसूिन गााँधी(महाराष्ट्र) माननीर् प्रिेि मंत्री जी नंिदकिोर लढ़ा कोलकोता,श्री लशलत आगीिाल वबहार झारखंड, श्री विमंल राठी नेपाल,श्री सुिीलकुमार राठी उिीसा,श्री सुिील कालानी आसाम,श्री नंिदकिोर श्री झिंर पूिी उत्तरप्रिेि, श्री चंद्रप्रकाि सोमानी मधर् उत्तरप्रिेि, श्री कांशत राठी पजिम उत्तरप्रिेि, श्री अनूप माहेश्वरी िेहली,श्री महेि राठी हररर्ाणा पंजाब,श्री नारार्ण राठी छत्तीसगढ़, श्री लिमेंद्र माहेश्वरी पूिा मधर्प्रिेि,श्री पुष्प माहेश्वरी प मधर्प्रिेि, श्री क ष्ण कुमार चांडक गुजरात,श्री िामोिर सारिा वििभा,श्री दकसन मूंििा उत्तरीराजस्थान, श्री रमेि परिाल पूिोत्तर राजस्थान, श्रीविजर् िंकर मूंििा मधर् राजस्थान, श्री घनिर्ाम लाठी पूिी राजस्थान, श्री भगिान राठी प राजस्थान, श्री सिील माहेश्वरी मुम्बई,श्री पे्रम वबसानी तशमलनाडु केरल, श्री रमेि बाहेती कनााटक गोिा,श्री अंजनी मूंििा महाराष्ट्र, बैठक में कार्ाकारी मंडल के र्ुिा एिं मदहला संगठन समेत कुल 969 सिस्र्ों ने पंजजर्न करार्ा स्थानीर् कार्ाकताा एिं अशतशथ सहर्ोगीर्ों की संख्र्ा अशतररक्त है, संपूणा उपजस्थशत पंजजका प्रिेि: बनाकर पूिा में भेजी जा चुदक है पंजजका के बारे में संपूणा जानकारी महासभा कार्ाालर् में उपलब्ध है।

    प्रातः 9.30 बैठक प्रारम्भ 1. मंच आमंत्रण शनधााररत समर् अनुसार कार्ाक्रम के संचालक महासभा कार्ा सशमशत के सिस्र् श्री लोकें द्र करिाने सभी पिाशधकाररर्ों एिं सम्माशनत अशतशथर्ों को मंचासीन करिार्ा इस पूरी कार्ािाही में उत्तरांचल की पांचों प्रिेि सभाओ ंके सभी प्रमुख पिाशधकारी एिं कार्ाकतााओ ंने सहर्ोग दकर्ा। 2.िीप प्रज्िलन महेि िंिन, िन्िे मातरम (राष्ट्र गीत) : बैठक का प्रारम्भ भगिान महेि के समि िीप प्रजव्िलन कर एिं महेि िंिना के साथ हुई। माननीर् सभापशत श्री श्र्ाम सोनी,पूिा सभापशत रामपाल जी सोनी इस साधारण अशधिेिन के उद्घाटन सत्र के मुख्र् िक्ता उच्चतम न्र्ार्ालर् के पूिा मुख्र् न्र्ार्ाधीि माननीर् श्री रमेि चंद्र जी लाहोटी राजस्थान उच्च न्र्ार्ालर् के न्र्ार्ाशधपशत माननीर् श्री िीपक जी महेश्वरी महासभा की राजनीशतक प्रकोष्ठ के संर्ोजक और भारतीर् जनता पाटी के राष्ट्रीर् उपाधर्ि माननीर् श्री श्र्ाम जी जाज ूराजस्थान उच्च न्र्ार्ालर् के रजजस्ट्रार न्र्ार्ाशधपशत माननीर् श्री ब जेि जी डांगरा सीमा सुरिा बल के डीआईजी माननीर् श्री रवि मोहन जी गांधी भारतीर् दफल्म प्रमाणन बोडा के अशधकारी आईआईएस श्री संतोष अजमेरा सदहत , महामंत्री श्री संिीप काबरा, अथामंत्री श्री आर. एल. काबरा, संगठन मंत्री श्री अजर् काबरा, श्री अिोक सोमानी, उपसभापशत स्िागताधर्ि श्री डॉ. एस. एन. चांडक , उत्तरांचल की पांच प्रिेि के माननीर् प्रिेि अधर्ि पांचो प्रिेि सभाओ ंके माननीर् मंत्री महोिर् एिं पांचों ही प्रिेि सभाओ ंमें महासभा की कार्ासशमशत के सिस्र्ों ने सामूदहक रूप से िीप प्रज्जिल कर बैठक की विशधित िुरुआत की। वप्रर्कांत जू मंदिर पररसर के भव्र् सभागार में िीप प्रज्िलन के पिात सामूदहक महेि िंिना एिं िंिे मातरम राष्ट्रगान का आर्ोजन कर कार्ाक्रम की विशधित िुरुआत हुई। 2.आर्ोजक संस्था द्वारा िाजब्िक स्िागत। श्री अिोक सोमानी उप सभापशत उतरांचल, श्री अजर् काबरा संगठन मंत्री, डॉ. एस. एन. चांडक स्िागताधर्ि ने सभी आगन्तुक महानुभािों का िब्ि सुमन से हादिाक स्िागत दकर्ा। उन्तरान्चल की सभी पांचों प्रिेिों के प्रमुख कार्ाकताा की और से सभी आगन्तुकों का स्िागत दकर्ा गर्ा। कुल शमलाकर30 शमनट में उपरोक्त सभी कार्ों को पूणा कर शनधााररत समर् पर मंच को महासभा को दिर्ा गर्ा। इतनी बिी संख्र्ा की उपजस्थशत एिं समर् की पालना िेखते ही बनती थी, उत्तरांचल के सभी कार्ाकतााओ ंने सभाग ह में प्रिेि के िक्त ही सभी पधारे हुए सिस्र्ों को कािी विश्वनाथ के प्रसाि स्िरूप शतलक लगाकर एिं बांके वबहारी जी के आिीिााि स्िरुप िपुट्टा ओढ़ाकर आगमन के समर् है स्िागत दकर्ा एिं मंचीर् स्िागत औपचाररकता आदि को विराम दिर्ा िास्ति में महासभा की इस भािना को आर्ोजक संस्था ने मान दिर्ा दक सामाजजक कार्ाक्रमों में स्िागत सत्कार पुष्प मालाए ंिॉल साफा श्रीफल र्ा स्म शत शचन्ह इत्र्ादि लेने िेने को लेकर समर् खराब नहीं दकर्ा जाए महासभा की भािना का जो आिर आर्ोजक संस्था ने दकर्ा समर् अनुिासन दक जो पालना आर्ोजक संस्था ने की इस हेतु पूरे सिन में करतल धिशन से आर्ोजक संस्था के प्रशत आभार व्र्क्त दकर्ा। 3.दििंगत समाज बंधुओं को श्रद्ांजशल एिं िोक प्रस्ताि

  • विगत जोधपुर कार्ाकाररमंडल की बैठक के पिात ि ंिािन की बैठक के मधर् ज्ञात अज्ञात समाज के सभी बंधुओं को िेि की रिा में िहीि हुए हमारे िेि के िीर जिानों को जो हमारे बीच में नहीं रहे उन सभी के सम्मान में िो शमनट की मौन श्रद्ांजशल एिं िोक प्रस्ताि पाररत दकर्ा। 4.सभापशत जी का संबोधन: माननीर् सभापशत जी द्वारा अपने सम्बोधन को बहुत संिेप्त में बैठक में रखा गर्ा और उस समर् सीमा को समाज के शचंतन हेत ुसमवपात दकर्ा गर्ा। सभापशत जी द्वारा जो मुदद्रत मनोगत सभी को वितररत दकर्ा गर्ा उसे कार्ािाही वििरण में अिरि: छापा जा रहा है। मनोगत.... मान्र्िर समाज श्रवेष्ठर्ों, िंिन, अशभनंिन, स्िागत भारतीर् जनमानस के आराधर् आनंिकंि भगिान श्री क ष्ण की लीला नगरी ि ंिािन में आप सभी का स्िागत है। कहते हैं र्हां िैराग्र् और ज्ञान की जगह सलल शनमाल पे्रम की रसधार बहती है हम भी तो समाज में परस्पर स्नेह की रसधारा में आकंठ डूबने को तैर्ार बैठे हैं। आप सभी को मेरा पुनः पुनः िंिन नमन नमस्कार! मेरा विश्वास है दक आप सब पूणा शनष्ठा और समपाण भाि से समाज की सेिा, जजसके शलए हम सब चुने गए हैं, और अशधक उत्तम ढंग से कैसे की जा सकती हैं संबंधी विचार लेकर र्हां आए हैं। इस बीच विशभन्न पिों पर शनिााशचत लोग अपने कार्ाकलाप WhatsApp एिं ईमेल के माधर्म से आप तक पहंुचाते रहे हैं। अतः हम दकतना मैिान तर् कर चकेु हैं र्ह हम सब जानते ही हैं। मैं र्हां कुछ महत्िपूणा बातों की चचाा कर रहा हंू र्ह शलजखत पत्रक इसशलए दक सभापशत के संबोधन के शलए शनधााररत समर् में बचत हो तथा बचा हुआ समर् और िसूरी बातों में लगार्ा जा सके हजार लोगों की बैठक में हमें अत्र्ंत महत्िपूणा अनेकों विषर्ों पर चचाा करनी है और शनणार् लेने है। र्ह तभी संभि हो पाएगा जब हम सभा संचालन प्रोफेिनल ढंग से करें। समर्, श्रम और धन की बचत करने के उदे्दश्र् से ही महासभा ने स्िागत की लंबी किी को समाप्त दकर्ा है। जैसे हर किा के शलए अलग पाठ्र्क्रम होता है हर िका िाप र्ा सेशमनार के शलए अलग सहभागी िगा होता है िैसे ही हर र्ोजना के शलए एक अलग ही टारगेट गु्रप होता है। सोशिर्ो इकोनॉशमक सिेिण द्वारा हम समाज के उस जरूरतमंि भाग को खोज पाएंगे जजसे िास्ति में हमारी सेिाओ ंकी िरकार है। जरूरतमंि भी इतना आत्मसम्मान रखता है और हमें भी उसकी इस भािना की कद्र करनी चादहए दक िह स्िर्ं आगे बढ़कर कई बार सहार्ता की र्ाचना नहीं करता। हम समाज के सेिक हैं हमें ही अपने भाई-बहनों के िरिाजे पहंुचकर सेिा करनी है। सोशिर्ो इकानॉशमक डाटा इकट्टा करना सेिा का पहला किम है र्दि हम र्ही अपना कताव्र् पूरा नहीं कर पाए तो अगला किम कैसे उठेगा? ऐसे में इशतहास हमें कभी िमा नहीं करेगा। मैं आिा करता हंू दक सब लोग अपने अपने कार्ा िेत्र की जानकारी लेकर ही सभाकि में आए होगें। िचन िेने का समर् शनकल चुका है समर् कार्ा करने का है। हमारे शलए गार् मां है और को िगु्ध अम त दफर भी गिाला ही घर घर घूम कर िधू बाटता है। संगठन आपके द्वार द्वारा भी घर घर नगर नगर घूम कर अपनी सेिाओं के शलए खोज करनी है। महासभा के पिाशधकाररर्ों के भ्रमण, संगठन आपके द्वार र्ोजना के अंतगात, समाज को उपलब्ध सेिाओं के द्वारा सेिा पहंुचाने के लक्ष्र् को लेकर हुए हैं। र्हााँ मैं आपको र्ाि दिला िूं दक जहां भी 50 से अशधक माहेश्वरी पररिार बसते हैं िहां नगररर्ा जजला र्ा प्रिेि सभा के दकसी न दकसी पिाशधकारी का पहंुचना और समाज को महासभा की र्ोजनाओं से पररशचत करिाना आिश्र्क है। र्ह अपेिा मत रजखए दक कोई बलुाएगा तो मैं जाऊंगा प्रोग्राम बनाइए और सूचना िेकर पहंुच जाइए। पि ग्रहण करने के 244 दिनों में से मैं 194 दिन भ्रमण में रहा हंू मैं इस शलहाज से भाग्र्िाली हंू दक मेरी पूरी टीम सदक्रर् है, सजग है, समवपात है। सभी को धन्र्िाि हृिर् से धन्र्िाि अतः संगठन के हर स्तर पर शनिााशचत पिाशधकाररर्ों से र्ह अपेिा रखु ंदक उन्हें भी इस जागरण हिन में आहुशत िेनी है तो मैं िार्ि गलत शगना नहीं जाऊंगा। मेरा विश्वास है दक अब हर समाज बंध ुतक हमारी सभी र्ोजनाएं और कोषों की जानकारी पहंुच गई होगी कोषों में श्री बांगि माहेश्वरी मेदडकल िेलफेर्र सोसाइटी, श्री क ष्ण जाजू स्मारक ट्रस्ट, बद्रीलाल सोनी माहेश्वरी शििा सहर्ोग कें द्र की ररपोदटांग प्रशतमाह माहेश्वरी में प्रकाशित होती हैं अन्र् सभी कोषों से शनिेिन है दक िह भी समाज को अपनी गशतविशधर्ों से शनर्शमत रूप से पररशचत रखें इसमें समाज दक हमारे कार्ा में आस्था बढ़ती हैं। जजन िहर, जजला र्ा प्रिेि में आदित्र् वबिला व्र्ापार सहर्ोग कें द्र की राशि बकार्ा है िे संबंशधत लोगों से शमलकर प्रर्ास करें दक ऋण िेने और िापसी का क्रम बना रहे मेरा सुझाि है दक स्थानीर् स्तर पर िो सिस्र्ों की एक सशमशत ऋण लेने िालों के शनर्शमत संपका में रहे और व्र्ापार व्र्िसार् में उन्हें उशचत सलाह िेती रहे। र्ह सशमशत प्रशत महा अपनी पालक संस्था को ररपोदटांग करें आपको बताते हुए मुझे प्रसन्नता है दक नए ट्रस्टों के रजजस्टे्रिन का काम िुरु हो चुका है।

  • समाज की आिश्र्कताओं को धर्ान में रखते हुए ही विशभन्न सशमशतर्ों का भी गठन दकर्ा गर्ा है उनके सरं्ोजकों से भी ररपोदटांग जरूरी है।Here too I will say planning period is over. Now time is to perform. It’s no more plan or perish it’s now perform or perish परफोमा करते समर् हमारी गशत को भी समर् और साधनों के साथ संर्ोजजत करना होगा। ईमेल, WhatsApp और इंटरनेट के जमाने में हम कबूतरों की सहार्ता से पत्र नहीं भेज सकते हैं, कहने का अथा है दक कार्ाकतााओं को भी िैसी ही त्िररत गशत से काम करना होगा जजस गशत से जमाना चल रहा है। हमने िेखा दक टे्रन में दकसी सहर्ात्री की तबीर्त खराब हो जाने पर माहेश्वरी कार्ाालर् के माधर्म से मुझे संपका दकर्ा गर्ा और मेरे मेसेज िेते ही िधाा स्टेिन पर कार्ाकताा हाजजर थे। गुजरात और राजस्थान की बाढ़ में तुरन्त मिि करने में समाज प्रस्तूत दिखा। दकसनगंज में बाढ़ से पीने के पानी की दकल्लत की खबर शमली िैसे ही शसलीगुिी का समाज सहार्ता हेतु प्रस्तुत हो गर्ा र्ाि रजखए वपछि गर्ा सो वपछि गर्ा। मदहला और र्ुिा संगठन मदहला और र्ुिा संगठन हमारे िो मजबतू साथी हैं मेरी उनसे भी प्राथाना है दक िह अपने कार्ाक्रमों के साथ महासभा की र्ोजनाओं को भी प्रचाररत-प्रसाररत करें संगठन र्ह काम आसानी से कर सकेगा। िास्ति में महासभा की सभी र्ोजनाए ंसमाज के जरूरतमंि भाई बहनों के शलए ही है। मातोश्री प्रकोष्ठों पूणातार्ा हमारी बहनों के शलए ही है और श्री क ष्ण िास जाजू ट्रस्ट का भी अशधक लाभ बहनों के दहस्से में ही जाता है, परंतु समाज और पिाशधकाररर्ों का िाशर्त्ि है दक हम िेखें दक सहार्ता िास्ति में जरूरतमंि तक पहंुचे। बहनों तक जानकारी पहंुचाने और प्रारंशभक जांच में मदहला संगठन का सहर्ोग िांशछत है। माहेश्वरी मखुपत्र महासभा के जन्म के पूिा से ही उसके जुििा भाई जैसा रहा है िह महासभा का अिर्ि और मुखपत्र है उस के माधर्म से महासभा प्रशतमाह समाज तक पहंुचती हैं आप सब का कताव्र् है दक आप इसके सिस्र् बने और बनाए माहेश्वरी कोई कॉमशिार्ल िेंचर नहीं है, र्ह समाज से समाज का माधर्म है। हमें माहेश्वरी से ही पता चला दक कहां-कहां महेि निमी मनाई गई, कौन से कार्ाक्रम हुए, दकतनों को जोिा गर्ा। इसी के माधर्म से हम समाज को भी शलखने के शलए प्रोत्सादहत करते हैं, Its more then a news letter. माहेश्वरी अपने आप में पूणा पवत्रका है। विगत 3 माह में हमने उन भाई बहनों को माहेश्वरी शनिुल्क भेजना प्रारंभ दकर्ा है जजन्हें महासभा की और से उसकी सेिा गशतविशधर्ों से अिगत कराना जरूरी है, और जो अभी सिस्र्ता व्र्र् िहन करने में असमथा हैं। इसशलए अब आप माहेश्वरी की सिस्र्ता ि वद् में सहर्ोगी बनते हैं र्ा विज्ञापन िेते हैं अथिा जुटाते हैं तब आप एक सेिा र्ज्ञ के साझेिार बनते हैं इसी लक्ष्र् को सामने रखकर माहेश्वरी के हर अंक में महासभा की दकसी भी र्ोजना र्ा ट्रस्ट की जानकारी और सहार्ता पाने के शलए भरा जाने िाला फॉमा छप रहा है माहेश्वरी में समाज की आिश्र्कता को धर्ान में रखते हुए माहेश्वरी छात्रािासों और भिनों की सूची भी प्रकाशित हुई है। महेश्वरी में आप सब ने रक्तिान और िेहिान, नेत्रिान के समाचार भी पढ़े हैं, मैं ऐसे सभी लोगों को नमन करता हंू जो अपने प्रिसंनीर् कार्ों द्वारा माहेश्वरी समाज को प्रशतष्ठा दिला रहे हैं। पर्ाािरण के प्रशत समाज स्ित: भी जाग त हुआ है जन जागरण भी कर रहा है। महासभा आरंभ से ही राष्ट्रीर् मामलों में जागरूक रही है, आज भी जरूरी है दक हम स्ििेिी और स्थाशनर् िस्तुओं के उपर्ोग को प्रोत्सादहत करें, और चीन में बनी िस्तुओं का बदहष्कार करें। इस बीच एक अशत उल्लेखनीर् उपलजब्ध दिल्ली में महासभा के विधान के अनुरूप िेत्रीर् सभाओं का गठन होना भी है महासभा, नेत त्ि तथा काम करने की इच्छा और शनष्ठा को परखते हुए समाज ने भी सहर्ोग दकर्ा और 30 िषों के अंतराल के बाि संगठन सिाव्र्ापी बन सका है, कहते हैं, जहां चाह है, िहां राह है। कोल्कता में मेरे द्वारा प्रस्तावित कुछ बातें हम पूरी कर पाए हैं। इसमें मैं लातूर का उल्लेख अिश्र् करना चाहंूगा मैंने कहा था दक जहां 2,000 से अशधक माहेश्वरी पररिार शनिास करते हो ऐसे जजलों में समाज का अपना कार्ाालर् भिन हो। अभी हाल ही में मुझे लातूर के भिन का लोकापाण करने का सौभाग्र् शमला है परंतु इस पर रखना होगा दक अभी काम बाकी है। चशलए अभी भी विलम्ब नहीं हुआ है र्ह मानकर समर्बद् कार्ाक्रम बनाइए और काम में लग जाइए। अगली बार में नाम लेकर बताऊंगा दक दकसने क्र्ा काम दकर्ा है और कौन कुसी पर बैठने को कताव्र्ों की इशतश्री मान बैठा है। 5.गत बैठक की कार्ािाही की पुवि गत जोधपुर कार्ाकाररमंडल की बैठक की कार्ािाही ररपोटा सिन में महामंत्री द्वारा रखी गई साथ ही र्ह भी कहा दक एक माह पूिा इस ररपोटा को पीडीएफ फोमेट में सभी माननीर् सिस्र्ों को भेज दिर्ा गर्ा था। दकसी प्रकार के संिोधन का सुझाि कहीं से नहीं आर्ा र्दि सिन चाहे तो संिोधन हेतु सुझाि आमंवत्रत है। सिन ने धिशनमत से कार्ािाही ररपोटा को पाररत करने हेतु भगिान महेि का जर्घोष दकर्ा। इस पर महामंत्री संिीप काबरा ने सभी का ह्रिर् से आभार व्र्क्त करते हुरे् जोधपुर की बैठक की ऐशतहाशसक व्र्िस्था के शलरे् िहााँ के प्रिेिाधर्ि, प्रिेिमंत्री, कार्ासशमशत सिस्र् एिं जोधपुर जजला सभा के सभी कार्ाकतााओ ंके प्रशत आभार व्र्क्त दकर्ा महामंत्री

  • जी ने बतार्ा दक जोधपुर बैठक महासभा के इशतहास दक सिोत्तम एिं सफलतम बैठकों के नाते र्ाि की जाएगी साथ ही जजस सािगी , भव्र्ता सौम्र्ता के साथ समाज के बंधुओ ंका समपाण समाज बंधुओ ंद्वारा मुक्त हस्त से जजस प्रकार का सहर्ोग दकर्ा गर्ा िह अविस्मरणीर् है दकसी बैठक में एक साथ दकतने बहुआर्ामी कार्ाक्रम हो सकते हैं जोधपुर बैठक उसकी शमसाल है। उनके शलए महासभा का संपूणा कार्ाकारी मंडल आभार व्र्क्त करता है मंच पर शनितामान सत्र के महामंत्री श्री रामकुमार जी भूतिा ने भी जोधपुर बैठक के शलए आभार व्र्क्त दकर्ा क्र्ोंदक र्ह बैठक 27 िे में आर्ोजजत की गई थी। सभी करतल धिनी से अशभिािन दकर्ा। 7. माननीर् श्री रमेि चंद्र जी लाहोटी पूिा मुख्र् न्र्ार्ाधीि उच्चतम न्र्ार्ालर् द्वारा हमारा संगठन हमारा िाशर्त्ि आिा एिं अपेिा विषर् पर मागाििान:

    रे् पंवक्तर्ााँ उच्चतम न्र्ार्ालर् के पुिा मुख्र् न्र्ार्ाधीि माननीर् श्री रमेि चन्द्र जी लाहोटी के महासभा में 20 अगस्त 2017 को ि ंिािन समागम में दिए गरे् सारगशभात व्र्ाख्र्ान से अिरिः उद् त की गई है :- (चुंदक अशधकांि सिस्र्ों की र्ह मांग थी दक श्रदे्र् लाहोटी जी के भाषण को अिरि: मुदद्रत दकर्ा जाए उसी भािना को दृविगत रखते हुए सम्पूणा संबोधन मुदद्रत दकर्ा जा रहा है।) िेविर्ों और सज्जन ि ंि! आज के कार्ाक्रम का िुभारंभ भगिान महेि की िंिना.... इसके पुिा उनके समि ज्र्ोशत के जागरण से हुआ। एक विचार मेरे मन मे आता है क्र्ा प्रत्रे्क कार्ाक्रम मे भगिान महेि की पूजा अचाना केिल एक औपचाररकता है? र्ा इसमें कोई संिेि है। हम र्दि अपने आपको भगिान महेि की संतान समझते हैं और मानते हैं दक माहेश्वरी िंिोत्पवत्त भगिान महेि से हुई है तो हमें र्ह मानना चादहऐ दक हमारे अंिर भी कहीं न कहीं भगिान महेि के जींस है। भगिान महेि के जींस है...और र्दि है... तो िे हमारे कौन से व्र्वक्तत्ि से मुखररत होनी चादहऐ ? भगिान महेि की 2-4-5 मोटी-मोटी बातें...आप सभी जानते है मैं भी जानता हुाँ...पर चचाा करते है। उनमें विष ग्रहण करने की िमता है...और इसीशलए नीलकंठ कहलाते हैं। प्रत्रे्क पिाशधकारी मे र्ह िमता होना चदहऐ। शनंिा,आलोचना,िुद्र बातों से उपर उठें और इन्हें इसी प्रकार आत्मसात करलें जैसे भगिान महेि ने विष के साथ दकर्ा था और कंठ में धारण कर लें.... नीचे ना उतरने िें। र्ह पहला गुण होना चादहरे् प्रत्रे्क उस व्र्वक्त का जजस पर नेत त्ि का िाशर्त्ि सौंपा गर्ा है और प्रत्रे्क कार्ाकताा का जजस पर कार्ा करने की जजम्मेिारी है। ....िसुरी बात......~संपुणा समाज को संिेि~ भगिान शिि जैसा कोई औढ़रिानी नही है...भगिान विष्ण ुको ले लीजजऐ...ब्रह्मा जी को ले लीजजऐ और भगिान महेि... भगिान महेि जैसी सरलता से प्रसन्न होते है.....और जो मााँगो सो िान िेते हैं। अपनी म त्र्ु की भी व्र्िस्था तक कर लेते हैं। रे् हमारी पौराजणक कथाओ ंसे आपको विदित होगा... औढ़रिानी होते हैं। हमारे समाज मे िान िेने की िमता होनी चादहऐ। कई लोग कहेंगें दक मेरे पास इतना अथा नही है दक मैं िान सकूाँ ....आिश्र्क नही की हम अथा का ही िान िें, हम बुवद् का िान िे सकते हैं, प्रशतभा का िान िे सकते हैं, कौिल का िान िे सकते हैं, समर् का िान िे सकते हैं, श्रम का िान िे सकते है... जजसके पास जो है िो िें। तीसरी बात...केिल भगिान महेि, इस वत्रमुशता में से एक हैं जो सिैि साधना मे लीन रहते हैं। भगित ्स्मरण करते रहते हैं...अपना काम करते रहते हैं। क्र्ा हम भगित ्स्मरण करते हुए अपने कताव्र् मे लीन हो सकते है? और अलमस्त! फक्कड! फकीर!...क्र्ा पहने है इसकी शचंता नही,िीखने मे कैसे लगते है इसकी शचंता नही। नारिजी ने... पािातीजी को जब िि-सुता के रुप मे जब जन्म शलर्ा था...तब वििरण दिर्ा दक इनका िर तो ऐसा होगा...तो कैसा खतरनाक खाका उन्होनें खींचा है...। भगिान महेि को उसकी शचंता नही..भगिान महेि अपना काम करते हैं। और अंशतम बात... सिा उशचत सलाह िेते हैं। िो दृिांत... रामचररत मानस आपने सबने पढ़ा है...िंकर जी ने पािातीजी को सलाह िी...मत जाओ...भगिान की परीिा मत लो...मानी नहीं। सलाह िेतें हैं..इसकी शचंता नही करते दक कोई उनकी मानेगा र्ा नही मानेगा। नारिजी को सलाह िी.. नही मानी... तो हमको ...जो समाज का नेत त्ि जो लोग करते हैं...म ैअभी आिरणीर् िेिों से भी चचाा कर रहा था... हमें अपनी बात कहनी चादहए। वबना मााँगे नही...कोई मााँगे तो सलाह िेनी चादहऐ। तो रे् बात समाज को भी लगती है, पररिार को भी लगती है। कोई माने र्ा न माने, इसकी शचंता नही करनी चादहऐ। तो भगिान शिि से हम इन बातों को सीखें और भगिान शिि के जीन्स हममें है तो दफर बात र्ाि रजखरे् दक हम सब समान हैं।कोई सम्पन्न है, कोई विपन्न है, इससे कोई अंतर नही पडता... क्र्ोदक : िह अमीर ही अमीर क्र्ा, जजसका दिल फकीर ना हो। और.... िह फकीर ही फकीर क्र्ा,

  • जजसका दिल अमीर ना हो। एक छोटा सा सूत्र है, जजससे हमारा सम्पूणा समाज एकरस हो सकता है। हमारे सभापशत जी ने कहा दक 244दिन में 194दिन उन्होने भ्रमण दकर्ा है। मैं बुरी बात तो नही कहना चाहता पर.... भाभीजी कहीं शमलेगी तो मै उनसे पूछुाँ गा दक आपको कैसा लगता है? 4/5 समर् बाहर िेतें हैं, और 1/5 समर् घर में... उसमे भी समाज का काम, आपके समर् 1/5 का... दकतना बटे दकतना आता है? तो मैं रे् तो नही कहुाँगा दक इस उम्र मे आकर तलाक की तैर्ारी तो कहीं नही कर रही है....ऐसा तो मैं नही कहुाँगा। पर हााँ...... जो व्र्वक्त... र्ाशन 5 मे से 4 दहस्सा काम और एक दहस्सा मुकाम ... जजसका र्ह सूत्र हो उसे िेखकर मुझे ऐसा लगता है....... श्र्ामजी सोनी से मेरा पहले से पररचर् है। मैने पहले भी उन्हे िेखा है और अब सभापशत के रुप मे िेख रहा हूाँ। तो मुझे ऐसा लगता है दक...उनका व्र्वक्तत्ि ऐसा ढ़ल गर्ा है... पहले मैं सुना करता था उनसे ...पहले बहुत आिाऐँ थी.. उमंग थी...बिा सोच था...और अब क्र्ा हो गरे्...? मुझे लगता है... मुझे लगता है... दक पहले कुछ और थे अरमान मरीजे गम के. (बिी इच्छाऐ ंथी... बिी तमन्नाऐं थी...) दक अब तो बस एक दक आराम न शमले... जो समर् शमला है जुटा रहूाँ, कुछ करता रहूाँ। पहला मैने सभापशत िेखा है जो IT सेिी है। सूचना प्रोद्योशगदक का भरपूर उपर्ोग करता है। िे कह रहे हैं मैं अपने समाज का Socio-economic Data तैर्ार करना चाहता हूाँ... और िेजखऐ... कैसे-कैसे अद्भतु प्रर्ोग कर रहे हैं.... समाज का मुखपत्र शनकलता है माहेश्वरी.... हमारे समाज के कुछ लोग ऐसे हैं, जो माहेश्वरी का िावषाक चंिा नहीं िे सकते। उन्होंने पता लगार्ा और रे् व्र्िस्था की...दक ऐसे पररिारों में माहेश्वरी पहुाँचे जो उसका िावषाक चंिा नहीं िे सकते...। उन्हे चंिा िेने की आिश्र्कता नही है, माहेश्वरी पवत्रका उनके र्हााँ पहुाँचे। दकतनी छोटी-छोटी बातों पर िे धर्ान िेते हैं। ...और एक नारा और िे दिर्ा... उनकी जो मनोगत है उसे पढ़ो...मैंनें पढ़ा है... दक िो समर् शनकल गर्ा जब हमसे कहा जाता था दक 'PROMISE OR PERISH' सोचो!....सोचो!...और कुछ करो अब िो समर् शनकल गर्ा है।...अब िो समर् है.. अब कम से कम मेरा कार्ाकाल है..... "PERFORM or PERISH" 'करो र्ा मरो'। काम करो। मरो से आिर् क्र्ा है?...मरो से आिर् म त्र्ु नहीं है, मरो से आिर् कुछ और है। मैं प्रर्ास करुाँ गा आपके सामने कुछ रखूाँ...िे चाहते हैं समर् के साथ चलो। हमारा समाज सम्पन्न भी है ....(कुल शमलाकर), सम द् है...संस्काररत है... सभ्र् है..., परंत ुसमर् के साथ चलने में कहीं न कहीं पीछे वबछुड रहा है तो क्र्ा संिेि है उनका.."आगे िेखएक मुक्तक के माधर्म से उनकी जो मनोगत है िो मैं आपके सामने रखना चाहता हूाँ...िे कहते है दक:- िक्त के माथे की लकीरों को पढ़ो... (जो समर् है िो समर् क्र्ा कह रहा है...? दक) िक्त के माथे की लकीरों को पढ़ो... शसफा सोचो नही अब कुछ करो र्ा मरो... और िक्त शमल जाऐ अगर दिल में जज़्बा हो मगर... तो कभी आओ हम जैसे फकीरों से शमलो...........और चलो। हम सब साथ चलेंगें,... हम सब साथ बढे गें.... जो संकल्प लेंगें उसे पूरा करेंगें.... अभी िो-एक बार चचाा हुई.....उन्होनें कुछ िो-एक बातें मुझसे कहीं...जो बातें उन्हे शचंशतत करती रहती हैं.... कमोबेि अपने अपने तरीके पर इस सभागार में जो भी उपजस्थत हैं...उन सभी को शचंशतत करती है। हमारे समाज की आबािी घट रही है.... र्दि जनसंख्र्ा का आकलन दकर्ा जाऐ.... तो घट रही है। तो जहााँ सिात्र पररिार शनर्ोजन का बोलबाला है.....आबािी कम करने पर जोर है.... तो हमारे समाज की आबािी कम हो रही है....

  • रे् हमें शचंशतत क्र्ों करती है ? इसके िो कारण हैपहला कारण तो रे् दक िशुनर्ा की आबािी बढ़ रही है, िेि की आबािी बढ़ रही है पर....समाज की आबािी कम हो रही है। इसीशलरे् सम्पूणा जनसंख्र्ा में माहेश्वरी समाज का अनुपात कम हो रहा है। तो कम होना शचंता की बात क्र्ो है ?....मैं अभी "सत्र्व्रत शसद्ांतालंकार गीता" पर व्र्ाख्र्ा पढ़ रहा था...उन्होने शलखा है.... "कोई भी समाज िो धुररर्ााँ पर दटका होता है। एक सभ्र्ता और एक संस्क शत।" सभ्र्ता िैजश्वक होती है...जब सभ्र्ता का विकास होता है तो सारी िशुनर्ा मे होता है। उिाहरण के शलरे्... कभी आिमी पैिल चलता था.... दफर कभी गािी मे चलने लगा.... रेल से चलने लगा... आज हिाई जहाज से चलता है। रे् सभ्र्ता का सूचक है। समाज की प्रगशत हो रही है, रे् दकसी एक िेि र्ा एक समाज की बपौती नही है। पर.... संस्क शत .... संस्क शत से समाज वििेष की पहचान होती है और र्ही संस्क शत के लिण हैं...जो एक समाज को िसूरे समाज से विभेदित करता है और सभ्र्ता चाहे दकतनी विकशसत हो जाऐ दकंत ुसमाज की संस्क शत अक्िुण्र् बनी रहती है। माहेश्वरी समाज की अपनी संस्क शत है। िेि में सभ्र्ता का विकास हो रहा है...पर हमारी संस्क शत में पररिशतात नहीं होना चादहऐ। विकास होना चादहऐ, पररितान नहीं होना चादहऐ ...और इस सुरिा को....इस अशभरिा को... आघात इस प्रकार लग रहा है दक जो लोग सभ्र् हैं सुसंस्क त हैं...संस्काररत समाज है उस समाज की जनसंख्र्ा कम हो रही हैं रे् शचंशतत करने की बात है। िसूरा.... पढ़े-शलखे लोग, र्ुिक-र्ुिशतर्ााँ बाहर जा रहे हैं। बाहर िो अथो में.... एक तो िेि के बाहर...BRAIN DRAIN और िसुरा समाज से बाहर... समाज से बाहर....अन्तजाातीर् संबंधों के कारण। और.... इसका कारण रे् है दक... हमारे समाज में... र्ोग्र् र्ुिक-र्ुिशतर्ों का... अभाि कहीं न कहीं लगने लगा है। आप िमा कीजजए.... थोिा इस पर विचार करने की आिश्र्क्ता है। आजकल समाज मुक्त हो रहा है। संबधं......! जो एक मर्ाािाऐ ंहोती थी..... कुछ हि तक शिशथल हो रहीं हैं। हमारे बच्चे तो बाहर जाते थे...... बजच्चर्ााँ भी बाहर जाने लगी हैं। इन्हे अिसर शमलता है, अन्र् समाज के र्ुिक-र्ुिशतर्ों से शमलने का....। आर् ुऐसी होती है दक कहीं न कहीं मन शमल जाता है और माता-वपता उस बात को स्िीकार कर लेते है, कोई विरोध नहीं करते हैं। क्र्ा हम इस न्र्ूनता की पूशता हमारे समाज के र्ुिक-र्ुिशतर्ों को एक मंच पर लाकर के पूरा कर सकते हैं...??? तादक उन्हें समाज के बाहर खोजना नही पिे। क्र्ा रे् संभि है? तीसरी बात.... पररिार प्रबुद् हो रहे हैं... सम द् हो रहे हैं....जजतने प्रबुद् हो रहे हैं... सम द् हो रहे.... शसकुि रहे हैं।...और... शसकुिने से ज्र्ािा शचंता करनेिाली बात र्ह है दक...विभक्त... हो रहे है। संर्ुक्त पररिार की प्रथा खतम हो रही है। र्ुिक-र्ुिती कमाई में पहले पढ़ने बाहर शनकल जाते हैं .... दफर अपने व्र्िसार् र्ा व्र्ापार के शलरे् बाहर शनकल जाते हैं,... माता-वपता बिी संख्र्ा में शनराशित हो रहे हैं।Metropolitan cities में..... मैं दिल्ली में रहता हूाँ, कुछ लोग बम्बई... जर्पुर...बिे िहरों में रहने िाले लोग.... कलकत्ता से आऐ लोग इस बात को स्िीकार करेंगें दक जैसे दकसी समर् अनाथ बच्चों की समस्र्ा हुई करती थी... ऐसी आज ि द् माता-वपताओ ंकी समस्र्ा महानगरों में विकशसत हो रही है। विकराल रुप लेती जा रही है। और... एक अंशतम प्रश्न... एक अंशतम शचन्ह... जजसका उल्लेख अभी दकर्ा भी गर्ा है और सभापशत जी की मनोगत में इस पर जोर दिर्ा गर्ा है। हमारे समाज मे विषमता है। किाशचत 30 िषा हो गरे् इस संगठन को..... परंत ुसमाज में आशथाक विषमता िरू नही हो पार्ी...प्रर्त्न करने के बाि भी िरू नही हो पार्ी। रे् जो चार-पााँच बातों का मैंनें जजक्र दकर्ा.....मैं आपसे पूछना चाहता हूाँ दक कार्ाकारी मंडल के जो महानुभाि.... जो र्हााँ उपजस्थत हैं....सभागार मे र्ा मंच पर..... और जो अपने अपने अंचल में... िेत्र में...अपने अपने समाज को नेत त्ि िे रहें हैं.... "क्र्ा उनके मजष्तष्क को झाँकझोंर िेने के शलरे्.... रे् वबंि ुपर्ााप्त नही है..???" मैं आपसे... सबसे... एक प्रश्न पूछना चहता हूाँ। पहली बात तो रे् ...क्र्ा आपका इन प्रश्नों से पररचर् है ? िसूरा.. क्र्ा आपके पास इन प्रश्नों के उत्तर हैं ? तीसरी बात.. र्दि आपके पास उत्तर है, तो क्र्ा आप अपने उस उत्तर को कार्ारुप में अनुदित करने के शलऐ तत्पर हैं ? चौथा... जो हमारे सभापशत जी जजस बात पर जोर िे रहे हैं....र्दि समाधान आपके पास है, तत्परता भी है आपके पास... तो क्र्ा समाधान सबके द्वार तक ले जाने के शलरे् आपकी तत्परता है ?....र्ा आप आज भी इन्तजार कर रहे हैं दक हमारे पास तो सब कुछ है...जो आऐगा उसे िे िेंगे। नहीं.....हमारे सभापशत जी कहते हैं दक मैं नही चाहता दक कोई आप तक आऐ....आप जाईरे्.... उसे खोजजरे्और दफर .....प्रत्रे्क कार्ाकताा और कार्ासशमती के अधर्ि को रे् सोचना चादहऐ दक एक अकेला चना भााँि नहीं फोि सकता।......हम छोटे थे तब से रे्

  • कहाित सुनते आ रहे हैं.....आजतक भी रे् कहाित..... सूवक्त.... गलत नहीं ठहरी है।इसशलरे् सभापशत जी कहते हैं...साथ चलेंगे....साथ चलेंगे..... िो कहानी आप सबको र्ाि होगी दक....एक लकिहारा से पूछा की तेरा जो लकिी का गठ्ठा है...एक पहलिान था...उसने कहा दक ... तोि सकता है ? ...उसने पूरी ताकत लगा िी.... नहीं टूटा....एक-एक लकिी अलग करना िुरु की.......टूटती चली गर्ी। तो हम क्र्ा साथ शमलने के शलरे्, एक साथ शमलकर आगे बढ़ने के शलऐ, सबको साथ लेकर चलने के शलरे् हमारा नेत त्ि तत्पर है ? रे् कुछ प्रश्न हैं....रे् आपके शचंतन के शलऐ मैं छोिता हूाँ।िेविर्ों एिं सज्जन ि ंि! दकसी भी संस्था में दकसी पि को प्राप्त करने के िो उदे्दश्र् होते हैं। एक तो पि प्राशप्त की लालसा र्ा िासना....... (कोइ पि प्राप्त हो गर्ा,तो समाज मे हमारी प्रशतष्ठा बढ़ जाऐगी......) तो एक तो होती है, पि प्राशप्त की िासना और एक होती है पि प्राशप्त की उपासना रे् पि मुझे शमला है, एक सीशमत समर् के शलरे् मुझे शमला है.... रे् मुझे सेिा करने का अिसर है।रे् पि इस समाज में एक ट्रि इस न्र्ास के रुप मे मुझे सौंपा है.... और मुझे इस न्र्ास का शनिाहन करना है। सच तो रे् है दक चुनाि होना ही नही चादहऐ। मैं दकसी की आलोचना नही करना चाहता..... रे् तो समर्-समर् का र्ुगधमा होता है। आपको र्ाि होगा दक हमारी महासभा के चुनाि हुऐ हैं, उस चुनाि में लोगों ने लाखों और करोिो रूपरे् खचा दकरे्..... मतिाताओ ंके आने जाने की व्र्िस्था की है...पर... एक सभापशत ऐसा आर्ा है दक जजसने न तो पैसा खचा दकर्ा है....न तो भोज दिर्ा .... न तो आिागमन की व्र्िस्था की....और.... समाज ने कहा...'क्र्ों परेिान होते हो रे् शनविारोध चुनाि होना एक संकेत है...एक संकेत है, एक र्ुग पररितान है.... इसे हमें समझना चादहर्' एक पि प्राप्त कर लेना मंजजल नही है। रे् तो एक stepping stone है।जो लोग समाज सेिा का संकल्प लेतें हैं.... िे दकसी पि पर र्दि आसीन होते हैं... तो िे नही कहते दक हमारी मंजजल हमें शमल गई...। िे कहतें हैं... अब हमको अगला अधर्ार् प्रारम्भ करना है। रे् पि हमारे शलरे् मंजजल नही शसफा एक पिाि है, एक मील का पत्थर है।हमें आगे बढ़ना है... दक मेरी मंजजल...मेरी जजंिगी तो एक मस्सलसल सफर है। (मस्सलसल मतलब शनरंतर, अनिरत) मेरी जजंिगी एक मस्सलसल सफर है.... दक जो मंजजल पर पहुाँचा..तो मंजजल बढ़ा िी। एक मंजजल पर पहुाँँाँचे ... अगली मंजजल। िसुरी मंजजल पे पहुाँचे...तीसरी मंजजल। मैंने आप सबसे कुछ प्रश्न दकरे् हैं .... एक अंशतम प्रश्न आप सबसे पुछना चाहता हूाँ और िो प्रश्न रे् है.... क्र्ा आप मे से प्रत्रे्क जो दकसी िेत्र र्ा दकसी अंचल को नेत त्ि िे रहें हैं.... िो अपने िेत्र र्ा अपने अंचल के शलऐ एक "Role Model" बन सकता है? एक आििा पुरुष बन सकता है? एक व्र्वक्तत्ि जजसे िेखकर लोगों को पे्ररणा शमले और अनुकरण करने की अन्तःकरण से आिाज उठे। र्दि है तो अच्छी बात है और नही तो भगिान बााँकेवबहारी की क्रीिा स्थली में रे् संकल्प लेकर लौदटरे् दक अब हम अपने िेत्र और अंचल मे लौट रहे है तो रे् संकल्प लेकर लौटे रहे है दक हममे से प्रत्रे्क अपने-अपने िेत्र के शलऐ एक आििा पुरुष बनेगा, एक आििा मदहला बनेगी, एक आििा व्र्वक्त बनेगें तादक हमारे समाज को हमारे से पे्ररणा शमल सके। िेविर्ों एि ंसज्जन ि ंि! मैंने कुछ सिाल आपके सामने इसशलरे् रक्खे.... दक समान्र्तः िक्ता तो उत्तर िेता है, प्रश्न नहीं पूछता। मैंने प्रश्न इसशलरे् पूछा दक कभी-कभी मुझे, मेरे मन मे जब कभीँ.े...ऐसे सुविज्ञ, कमाठ लोगों के बीच जब मौजूि होता हूाँ, तो मुझे रे् पे्ररणा होती है दक रे् कुछ कहने की ....और ऐसे विचार आपसे बााँटने की....कुछ प्रश्न पूछने की .... क्र्ों ....दक मेरे अपने मन की बात नही है, हममें से अशधकांि ....सब नहीं तो अशधकांि...जो र्हााँ बैठे हुरे् है...उन सबके मन मे रे् प्रश्न उठते रहते हैं। बस मुखर करने का साहस मैंने दकर्ा है। तो मैं जो कुछ कह रहा हूाँ, आपके मन की बात है। "शघरे हैं हम सिालों से दक अब जिाब चादहरे्... शघरे हैं हम सिालों से दक अब जिाब चादहरे्.... और जब जिाब ही बन गऐ हों सिाल तो......... इंकलाब चादहरे्" अब समर् आ गर्ा है दक सिालों का उत्तर िेना होगा और प्रत्रे्क उत्तर से नरे् प्रश्न उत्पन्न होंगे और नरे् प्रश्नों के उत्तर िेने के शलरे् दफर तत्पर होना होगा। रे् जजम्मेिारी हमारे समाज की है, नेत त्ि की है। छोटी बातों से ऊपर उठना होगा। चुनाि होते हैं, चुनाि कोई बुरी बात नही है। प्रजातंत्र का रे् तो एक शचन्ह है.... पर चुनाि होकर के जजस दिन चुनाि के पररणाम की घोषणा होती है...तो रे् भूल जाना चादहरे् दक चुनाि हुआ था। हम सबकी मंजजल एक है। क्र्ा अंतर पिता है दक श्र्ाम जी आगे चल रहे हैं र्ा घनश्र्ाम जी आगे चल रहे हैं। क ष्ण आगे हैं र्ा राम आगे हैं। इससे क्र्ा अंतर पिता है। हमें तो चलना है...आगे बढ़ना है। रे् भािना जजस दिन हो जाऐगी, उस दिन छोटी बातें समाज से बंि हो जाऐंगी।

  • हमारे समाज पर ईश्वर की बहुत अनकंुपा है। अनेक लोग बहुत तरीके से सिम हैं......सम द् हैं..... मैनें अभी कहा आपसे......। िे लोग िेि की सेिा करतें हैं। कभी-कभी समाचार पत्रों में पढ़ने के शलरे् शमलता है और नाम के आगे माहेश्वरी गोत्र र्ा उप-गोत्र लगा होता है। हमें अच्छा लगता है दक इन्होंने िेि की सेिा की, दकतना िान दिर्ा र्ा कोई ऐसा कोई अस्पताल खोला.... पूरे िेि की, हमारी सेिा के शलऐ .....र्ा कोई अन्र् कोई प्रकल्प शलर्ा। परंतु...... मेरा कोई विरोध नही है.... मैं समथाक हूाँ इसका.... परंतु, जो बात मैं कहने जा रहा हुाँ, उसका ममा....... (मुझे आप गलत ना समझें..) उसका ममा पहचानने का प्रर्ास करें। हमें ,समाज की सेिा और िेि की सेिा.. िोनों के बीच एक संतुलन बनाना चादहऐ, अथाात र्दि हमारे पास साधन हैं और हम िेि की सेिा सीधे सीधे कर रहे हैं....तो...र्दि हम समाज के माधर्म से भी हम िेि की सेिा कर सकते हैं। तो हमें संतुलन बनाना चादहऐ।तो....अब रे् संतुलन 50/50 होगा... 75/25 होगा..... र्ा 90/10 होगा रे् मैं आपके वििेक पर छोिता हू। इस बात पर मैं जोर क्र्ों िे रहा हूाँ?मैं अपने मन की बात आपसे रखना चाहता हूाँ। रे् बहुत अच्छी बात है दक आप िेि की सेिा करते हैं.... पर िेि की सेिा करते हुऐ, हममें से अनेक अपने समाज को भूल जाते हैं। िो समझते हैं दक... म ैतो सारे िेि का हूाँ.... इस छोटे से माहेश्वरी समाज से मुझे क्र्ा अंतर पिना है... पर मैं कहता हूाँ.... दक अंतर पिता है।जरा कुछ शचंतन मेरे साथ कीजजरे्....पहली बात तो रे् दक र्दि आप सीधे-सीधे िेि की सेिा कर रहें हैं तो इसका अथा रे् हुआ दक... जहााँ आप सीढ़ी चढ़ कर जा सकते थे... िहााँ आप छलांग लगा करके पहुाँच गऐ हैं। इसमें कोई बुरी बात नही है.... अच्छी बात है दक आप छलांग लगा कर पहुाँच गरे्.... पर इसमें िशत क्र्ा हुई समाज की... र्दि आप सीढ़ी-सीढ़ी चढ़ते तो आपके अनेक बंधु आपके साथ-साथ चलते। हर एक में छलांग लगाने की िमता नही होती। इसशलऐ जब आपने छलांग मारी तो िो लोग पीछे रह गरे्....आपके साथ छलांग नही लगा सकते थे... र्ा लगा सकते थे पर... आपने साथ नहींँाँ शलर्ा। तीसरी बात.... किाशचत हमारे अंतमान में र्ि और प्रिजस्त पाने की चाह होती है....एक िबी हुई चाह।जो हमें पे्रररत करती है दक आज मैंने माहेश्वरी समाज को एक हजार रूपरे् िान दिरे्!...िस हजार रूपरे् िान दिर्ा!... लाख रूपरे् दिरे्!....कौन जानेगा? ज्र्ािा से ज्र्ािा माहेश्वरी पवत्रका में छप जाऐगा... जो पूरे समाज के लोग भी नही पढ़ते है ...बाहर तो लोग पढ़ते ही नही हैं।पर र्दि मैंने एक लाख रूपर्ा प्रधानमंत्री कोष में र्ा अन्र् दकसी रावष्ट्रर् कोष में दिर्ा तो अखबार में जब सूची छपेगी तो उसमे मेरा नाम भी छपेगा।आप पूशछरे्, अपने हृिर् पर हाथ रख करके दक लालसा कहीं ना कहीं काम करती है र्ा नही। मेरा सुझाि इसमें रे् है.... आपको अच्छा लगे तो स्िीकार कीजजरे्...दक िेि को सम द् करना है तो सबसे पहले स्िर्ं को सम द् कीजजरे्, ...स्िर्ं को सिक्त कीजजरे्.... और... सिक्त िरीर से नहीं ..... मन से.... िरीर और मन से भी नहीं ....साधनों से, पहले स्िर्ं को सम द् कीजजरे्। स्िर् ंको सम द् करने के बाि .... अपने पररिार को सम द् कीजजरे्... और जब आपका पररिार सम द् हो जाऐ ...तो अपने समाज को सम द् कीजजरे्... और जब आपका समाज सम द् हो जाऐ तो िेि को सम द् कीजजरे्...और सारे विश्व को सम द् कीजजरे्। ऐसा मैं क्र्ों कहता हूाँ....? इसके पीछे मेरा तका है। हम अपने समाज को िेि से अलग मानते हैं। र्दि हमारा समाज िेि का दहस्सा है और हमारे समाज को हमने सम द् बनार्ा... उसे र्ि और प्रिजस्त पाने के र्ोग्र् बनार्ा .... तो.... एक तो हमने िेि के ही एक दहस्से को सम द्ता प्रिान की....एक बात और िसूरी बात .... र्दि हमारा समाज जहााँ है िहीं रह जाऐ.... जरुरतमंि रह जाऐ.... विपन्न रह जाऐ... तो समाज ..... िेि के शलरे् भारस्िरुप होता है। इसशलरे् र्दि हम स्िर्ं को... हमारे पररिार को और हमारे समाज को सम द्, सिक्त बनाते हैं, तो इस प्रकार िेि का िजन कम करतें हैं और इसकी सम वद् में र्ोगिान िेते हैं। क पर्ा इस पर थोिा विचार कीजजरे्। आपने मुझे बहुत विषर् िे दिरे् है। एक मदहलाओ ंसे संबंशधत विषर् है। मदहलाओं की संख्र्ा तो इतनी न्र्ून है दक मैं उनसे क्र्ा बात करुाँ गा, क्र्ा क्र्ा कहूाँगा? मदहलाओं को शनमंत्रण िेना चाहता हूाँ... र्दि आप मुझे कभी र्ाि करेंगी तो मैं अिश्र् आपके बीच आकर कुछ कहना चाहूाँगाा, पर बस एक ही बात है। (.................... )मैं अिश्र् आऊाँ गा। मदहलाओ ंके प्रशत मेरे मन में अगाध....अगाध श्रद्ा है ..... अगाध श्रद्ा है और इसका कारण रे् है दक जैसे सारी िशुनर्ा.....भूगोल... पढ़ार्ा जाता है... एक धुरी पर ही...धुरी पर घूमती है...सारा पररिार एक धुरी पर घूमता है...जजस धुरी का नाम मदहला है। रे् मदहला है जो पररिार को जोिकर रखती है। मदहला ही पररिार को जोिने का कारण है... मदहला ही पररिार को तोिने का कारण बनती है। इ�