mera bharat mahaan
Post on 06-Mar-2016
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my own written poem
TRANSCRIPT
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वह ीं देशवासियों के सिए पैिे कम पड़ जाते है
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जह ाँ अनेकत में एकत दिख ई है ज ती
वह ाँ अनेकत तो है परंत ुएकत नह ं प ई ज ती
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सही मायने मेंबनाओ
अब भी वक़्त है
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