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NAVRATRI HAVAN VIDHI
नवरातरी हवन वववध
आगचछ तव महादवव। सथान चातर ससथरा भव।
यावत ऩजा कररषयामम तावत तव ससननधौ भव।।
''शरी जगदमब दगाा दवय नम:।''
शरी दगाादवी - अवाहयावम - फल, चावल चढाए।
''शरी जगदमब दगाा दवय नम:।''
शरी दगाादवी - असनाथ पषपानी समपायावम।- भगवती को असन द।
''शरी जगदमब दगाा दवय नम:।''
शरी दगाादवी - पादयम, ऄरधया, अचमन, सनानाथा जल समपायावम।-अचमन गरहण कर।
''शरी जगदमब दगाा दवय नम:।''
शरी दगाादवी दगध समपायावम - दध चढाए।
''शरी जगदमब दगाा दवय नम:।''
शरी दगाादवी दही समपायावम - दही चढाए।
''शरी जगदमब दगाा दवय नम:।''
शरी दगाादवी घत समपायावम - घी चढाए।
''शरी जगदमब दगाा दवय नम:।''
शरी दगाादवी मध समपायावम - शहद चढाए।
''शरी जगदमब दगाा दवय नम:।''
शरी दगाादवी शका रा समपायावम - शककर चढाए।
''शरी जगदमब दगाा दवय नम:।''
शरी दगाादवी पचामत समपायावम - पचामत चढाए।
''शरी जगदमब दगाा दवय नम:।''
शरी दगाादवी गधोदक समपायावम - गध चढाए।
''शरी जगदमब दगाा दवय नम:।''
शरी दगाा दवी शदधोदक सनानम समपायावम - जल चढाए - अचमन क वलए जल ल।
''शरी जगदमब दगाा दवय नम:।''
शरी दगाादवी वसतरम समपायावम - वसतर, उपवसतर चढाए।
''शरी जगदमब दगाा दवय नम:।''
शरी दगाादवी सौभागय सतरम समपायावम - सौभागय-सतर चढाए।
''शरी जगदमब दगाा दवय नम:।''
शरी दगाा-दवय पषपमालाम समपायावम-फल, फलमाला, वबलव पतर, दवाा चढाए।
''शरी जगदमब दगाा दवय नम:।''
शरी दगाा-दवय नवदयम वनवदयावम-आसक बाद हाथ धोकर भगवती को भोग लगाए।
''शरी जगदमब दगाा दवय नम:।''
शरी दगाा दवय फलम समपायावम- फल चढाए।
''शरी जगदमब दगाा दवय नम:।''
शरी दगाा-दवय तामबल समपायावम - ताबल (सपारी, लग, आलायची) चढाए।
मा दगाा दवी की अरती कर……..।
मतर:-
1.पापनाश और भवि परावि क वलए मा दगाा की वदना आस मतर क दवारा करना चावहए-
नतभयः सवादा भकतया चवडिक दररतापह |
रप दवह जय दवह यशो दवह वदवषो जवह ||
2.सवगा और मोकष की परावि क वलए मा दगाा की सतवत आस मतर क दवारा करना चावहए-
सवाभता यदा दवी सवगामविपरदावयनी |
व सतता सततय का वा भवनत परमोियः ||
3.परसननता परावि क वलए मा दगाा की अराधना आस मतर क दवारा करना चावहए-
परणताना परसीद व दवव ववशवारततहाररवण |
तरलोकतयवावसनामीडय लोकाना वरदा भव ||
4.जीवन म अरोगय और सौभागय की परावि क वलए मा दगाा की अराधना आस मतर स करना
चावहए-
दवह सौभागयमारोगय दवह म परम सखम |
रप दवह जय दवह यशो दवह वदवषो जवह ||
5.ऄपन पाप को वमटान क वलय आस मनतर क दवारा मा दगाा की ऄराधना करना चावहए-
वहनवसत दयतजावस सवननापया या जगत |
सा घडटा पात नो दवव पापभयोनः सतावनव ||
6.आस मतर क दवारा ववशव क ऄशभ तथा भय का ववनाश करन क वलए मा दगाा की सतवत करना
चावहए-
यसयाः परभावमतल भगवानननतो बरहमा हरशच न वह विमल बल च |
सा चवडिकावखलजगपररपालनाय नाशाय चाशभभयसय मतित करोत ||
7.सामवहक कलयाण क वलए मा दगाा की वदना आस मतर क दवारा करना चावहए-
दवया यया ततवमद जगदामशकतया वनशशषदवगणशविसमहमयाा |
तामवमबकामवखलदव महरतषपजया भकतया नताः सम ववदधात शभावन सा नः ||