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• हमारे सबसे आस- पाकस संुदर और आकर्ष�क प्रकृति� है जो हमें खुश रख�ी है और स्वस्थ जीवन
जीने के लि!ये एक प्राकृति�क पया�वरण उप!ब्झ करा�ी है। हमारी प्रकृति� हमें कई प्रकार के संुदर
फू!, आकर्ष�क पक्षी, जानवर, हरे वनस्पति�, नी!ाआकाश, भूमिम, समुद्र, जंग!, पहाड़, पठार आदिद
प्रदान कर�ी है। हमारे स्वस्थ जीवन के लि!ये ईश्वर ने हमें एक बेहद संुदर प्रकृति� बना कर दी है। जो भी चीजें हम अपने जीवन के लि!ये इस्�ेमा! कर�े
है वो प्रकृति� की ही संपलि; है जिजसे हमें सहेज कर रखना चातिहये।
प्रकृति�क lkSSUn;
भार� का प्राकृति�क सोंदय� अनुपम और तिवतिवध है। कश्मीर से !ेकर कन्याकुमारी और गुजरा� से !ेकर अरुणाच! प्रदेश �क भार� मे प्राकृति�क सोंदय� के अद्भ�ु दश�न हो�े है। हर प्रदेश अपने अंदर सुंदर प्राकृति�क सोंदय� को सजोए हुए है। शिशम!ा , मना!ी, नैनी�ा! ,कश्मीर , दार्जिजHलि!Hग , उंटी , गोवा आदिद प्राकृति�क स्थ! न केव! भार� बल्किLक पूरे तिवश्व मे अपने सोंदय� के लि!ए प्रलिसद्ध है। !ाखोतिवदेशी पय�टक हर सा! भार� के प्राकृति�क स्थ!ों का !ुत्फ उठाने आ�े है। गंगा , यमुना , नम�दा , ब्रह्मपुत्र , कृष्णा , गोदावरिर आदिद बड़ी बड़ी नदिदयां प्राकृति�क सोंदय� को बढ़ाने का काम कर�ी है। यहाँ प्राकृति�क तिवतिवध�ा के मनोहारी दश�न हो�े है। जहां एक ओर रेतिगस्�ान है �ो दूसरी ओर बफ� के पव�� है। समुद्री �ट के साथ साथ हरे भरे मैदानी प्रदेश भी है। झरने , जंग! ,पव�� , रेतिगस्�ान , बफY!े प्रदेश आदिद सभी प्रकार के प्राकृति�क स्थ! भार� मे मौजूद हैं । प्राकृति�क सोंदय� के अद्भ�ु नजारे भार� मे देखने को मिम!�े है। केर! , उ;रपूव� , छ;ीश्गढ़ आदिद की हरिरया!ी , प्राकृति�क सोंदय� का एक मनमोहन उदाहरण है। सभी प्रकार से भार� का प्राकृति�क सोंदय� अ!ौतिकक , अद्भ�ु और मन को आनंदिद� करने वा!ा है। हम भार�वालिसयों को प्रकृति� के इस उपहार को सहेज के रखना चातिहए।
भार� का प्राकृति�क सोंदय�
धरती पर जीवन जीने के लि ये भगवान से हमें बहुमूल्य और कीमती उपहार के रुप में प्रकृतित मिम ी है। दैतिनक जीवन के लि ये उप ब्ध सभी संसाधनों के द्वारा प्रकृतित हमारे जीवन को आसान बना देती है। एक माँ की तरह हमारा ा न-पा न, मदद, और ध्यान देने के लि ये हमें अपने प्रकृतित का धन्यवाद करना चातिहये। अगर हम सुबह के समय शांतित से बगीचे में बैठे तो हम प्रकृतित की मीठी आवाज और खूबसूरती का आनन्द े सकते है। हमारी कुदरत ढे़र सारी प्राकृतितक सुंदरता से सुशोभिभत है जिजसका हम तिकसी भी समय रस े सकते है। पृथ्वी के पास भौगोलि क सुंदरता है और इसे स्वग= या शहरों का बगीचा भी कहा जाता है। ेतिकन ये दुख की बात है तिक भगवान के द्वारा इंसानों को दिदये गये इस सुंदर उपहार में बढ़ती तकनीकी उन्नतित और मानव जातित के अज्ञानता की वजह से गातार ह्रास हो रहा है।
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• प्रकृतित के पास हमारे लि ये सब कुछ है ेतिकन हमारे पास उसके लि ये कुछ नहीं है बल्किल्क हम उसकी दी गई संपभिH को अपने तिनजी स्वार्थोंJ के लि ये दिदनों-दिदन बरबाद कर रहे है। आज के आधुतिनक तकनीकी युग में रोज बहुत सारे आतिवष्कार हो रहे जिजसका हमारी पृथ्वी के प्रतित फायदे-नुकसान के बारे में नहीं सोचा जा रहा है। धरती पर हमेशा जीवन के अल्किस्तत्व को संभव बनाने के लि ये हमारी प्रकृतित द्वारा प्रदH् संपभिH के तिगरते स्तर को बचाने की जिजम्मेदारी हमारी है। अगर हम ोग अपने कुदरत को बचाने के लि ये अभी कोई कदम नहीं उठाते है तो ये हमारी आने वा ी पीढ़ी के लि ये खतरा उत्पन्न कर देगा। हमें इसके महत्व और कीमत को समझना चातिहये इसके वास्ततिवक स्वरुप को बनाये रखने की कोलिशश करनी चातिहये।
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• प्रकृतित के पास हमारे लि ये सब कुछ है ेतिकन हमारे पास उसके लि ये कुछ नहीं है बल्किल्क हम उसकी दी गई संपभिH को अपने तिनजी स्वार्थोंJ के लि ये दिदनों-दिदन बरबाद कर रहे है। आज के आधुतिनक तकनीकी युग में रोज बहुत सारे आतिवष्कार हो रहे जिजसका हमारी पृथ्वी के प्रतित फायदे-नुकसान के बारे में नहीं सोचा जा रहा है। धरती पर हमेशा जीवन के अल्किस्तत्व को संभव बनाने के लि ये हमारी प्रकृतित द्वारा प्रदH् संपभिH के तिगरते स्तर को बचाने की जिजम्मेदारी हमारी है। अगर हम ोग अपने कुदरत को बचाने के लि ये अभी कोई कदम नहीं उठाते है तो ये हमारी आने वा ी पीढ़ी के लि ये खतरा उत्पन्न कर देगा। हमें इसके महत्व और कीमत को समझना चातिहये इसके वास्ततिवक स्वरुप को बनाये रखने की कोलिशश करनी चातिहये।
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