kendriya vidyalaya sangathan dehradun region...क य वद य लय-स गठन kendriya...

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कɅ िीय िवालय-संगठन KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN 1 देहरादून-संभाग DEHRADUN REGION अययन-साममी STUDY MATERIAL का: 12 CLASS: 12 िहंदी(कɅ ििक) HINDI (CORE) 2012-13 कɅ िीय िवालय-संगठन देहरादून-संभाग

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Page 1: KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN DEHRADUN REGION...क य वद य लय-स गठन KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN 1 द हर द न-स भ ग DEHRADUN REGION ब ध) 15+5=20

क िीय िवदयालय-सगठन KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN

1

दहरादन-सभाग

DEHRADUN REGION

अधययन-साममी STUDY MATERIAL

ककषा 12

CLASS 12

िहदी(क ििक) HINDI (CORE)

2012-13

क िीय िवदयालय-सगठन

दहरादन-सभाग

अधययन-साममी ककषा-12 िहदी(क ििक)

2012-13

मखय सरकषक ौी अिवनाश दीिकषत

आयकत क िीय िवदयालय-सगठन नई िदलली सरकषक ौी नरनि िसह राणा उपायकत क िीय िवदयालय-सगठनदहरादन-सभाग

सलाहकार ौी सरदार िसह चौहानसहायक आयकत क िीय िवदयालय-सगठन दहरादन-सभाग

िनदरशक ौी दवी साद ममगाईाचायर क िीय िवदयालय बमाक-२

भासिव हाथीबडकला दहरादन

सह िनदरशक ौीमती भारती दवी राणा ाचायर क िीय िवदयालय आइएमएदहरादन

क िीय िवदयालय-सगठन दहरादन-सभाग

अधययन-साममी ककषा-12 िहदी(क ििक) 2012-13

सरकषक ौी नरनि िसह राणा उपायकत क िीय िवदयालय-सगठन दहरादन-सभाग

सलाहकार ौी सरदार िसह चौहान सहायक आयकत क िीय िवदयालय-सगठन दहरादन-सभाग

िनदरशक ौी दवी साद ममगाई ाचायर क िीय िवदयालय बमाक-२ भासिव हाथीबडकला

2

दहरादन

सह िनदरशक ौीमती भारती दवी राणा ाचायर क िीय िवदयालय आइएमएदहरादन

समनवयक

ौी अशोक कमार वाणरय उप ाचायर क िीय िवदयालय आइएमएदहरादन

साममी-िवनयास डॉ नीलम सरीन ःनातकोततर िशिकषकाक िीय िवदयालय आयध-िनमारणी रायपर दहरादन डॉ िवजय राम पाणडय ःनातकोततर िशकषकक िीय िवदयालय अपरक प दहरादन

डॉ सरनि कमार शमारःनातकोततर िशकषकक िीय िवदयालय बमाक-२ भासिव

हाथीबडकला दहरादन

ौीमती रजनी िसहःनातकोततर िशिकषका क िीयिवदयालय आइएमएदहरादन

ौीमती कमला िनखपारःनातकोततर िशिकषका क िीय िवदयालय एफआरआईदहरादन

िहनदी (किनिक) - पाठयबम

कोड स 302

ककषा XII (बारहवी )

अपिठत बोध (गदयाश और कावयाश-बोध) 15+5=20 रचनातमक-लखन एव जनसचार माधयम अिभवयिकत और माधयम (िट माधयम समपादकीय िरपोटर आलख फीचर-लखन) 5+5+5+5+5= 25

पाठयपःतक ndash आरोह भाग-२ (कावयाश‐20 गदयाश‐20) 40 परक-पःतक िवतान भाग-२ 15 कल अक 100

(क) अपिठत बोध 20 शन 1-कावयाश बोध पर आधािरत पाच लघततरातमक शन 15= 5 शन 2-गदयाश बोध पर आधािरत बोध योग रचनानतरण शीषरक आिद पर लघततरातमक शन 15

(ख) रचनातमक-लखन एव जनसचार माधयम 25

शन 3- िनबध (िकसी एक िवषय पर) 5

शन 4- कायारलय पऽ (िवकलप सिहत) 5

3

शन 5-(अ) िट माधयम समपादकीय िरपोटर आलख आिद पर पाच अित लघततरातमक शन 15=5 (आ) आलख (िकसी एक िवषय पर) 5 शन 6- फीचर लखन (जीवन-सनदभोर स जडी घटनाओ और िःथितयो पर फीचर लखन िवकलप सिहत) 5

(ग) आरोह भाग-२ (कावय भाग और गदय भाग) (20+20) =40 शन 7- दो कावयाशो म स िकसी एक पर अथर महण क ४ शन 8 शन 8- कावयाश क सौदयर-बोध पर दो कावयाशो म िवकलप िदया जाएगा तथा िकसी एक कावयाश क तीनो शनो क उततर दन होग | 6

शन 9- किवताओ की िवषयवःत स सबिधत तीन म स दो लघततरातमक शन (3+3)= 6 शन 10- दो म स िकसी एक गदयाश पर आधािरत अथर-महण क चार शन (2+2+2+2) =8 शन 11- पाठो की िवषयवःत पर आधािरत पाच म चार बोधातमक शन (3+3+3+3)=12 परक पःतक िवतान भाग -२ 15

शन 12-पाठो की िवषयवःत पर आधािरत तीन म स दो बोधातमक शन (3+3)=6 शन 13-िवचारसदश पर आधािरत तीन म स दो लघततरातमक शन (2+2)=4 शन 14- िवषयवःत पर आधािरत दो म स एक िनबधातमक शन 5 िनधारिरत पःतक (i) आरोह भाग-२ (एनसीईआरटी दवारा कािशत) (ii) िवतान भाग-२ (एनसीईआरटी दवारा कािशत) (ii) अिभवयिकत और माधयम (एनसीईआरटी दवारा कािशत)

4

1

अधययन-साममी

िहदी (क ििक) २०१२-१३ अपिठतिनधारिरत अक २० (गदय क िलए १५ तथा पदय क िलए ५ अक िनधारिरत ह) अपिठत अश को हल करन क िलए आवयक िनदरश

अपिठत अश म २० अको क शन पछ जाएग जो गदय और पदय दो रपो म होग| य शन एक या दो अको क होत ह | उततर दत समय िनमन बातो को धयान म रख कर उततर दीिजए ndash

१ िदए गए गदयाश अथवा पदयाश कोपछ गए शनो क साथ धयान पवरक दो बार पिढ़ए | २ शनो क उततर दन क िलए सबस पहल सरलतम शन का उततर दीिजए और िमलन पर

उसको रखािकत कर शन सखया िलख दीिजए िफर सरलतम स सरलतर को बम स छाट कर रखािकत कर शन सखया िलखत जाए |

३ उततर की भाषा आपकी अपनी भाषा होनी चािहए | ४ गदयाश म वयाकरण स तथा कावयाश म सौदयर-बोध स सबिधत शनो को भी पछा जाता

ह इसिलए वयाकरण और कावयाग की सामानय जानकारी को अदयतन रख | ५ उततर को अिधक िवःतार न दकर सकषप म िलख| ६ पछ गए अश क कथय म िजस तथय को बार-बार उठाया गया ह उसी क आधार पर

शीषरक िलख | शीषरक एक या दो शबदो का होना चािहए | १ अपिठत गदयाश का नमना- िनधारिरत अक १५

म िजस समाज की कलपना करता ह उसम गहःथ सनयासी और सनयासी गहःथ होग अथारत सनयास और गहःथ क बीच वह दरी नही रहगी जो परपरा स चलती आ रही ह| सनयासी उततम कोिट का मनय होता ह कयोिक उसम सचय की वितत नही होती लोभ और ःवाथर नही होता | यही गण गहःथ म भी होना चािहए | सनयासी भी वही ौषठ ह जो समाज क िलए कछ काम कर| जञान और कमर को िभनन करोग तो समाज म िवषमता उतपनन होगी ही |मख म किवता और करघ पर हाथ यह आदशर मझ पसद था |इसी की िशकषा म दसरो को भी दता ह और तमन सना ह या नही की नानक न एक अमीर लडक क हाथ स पानी पीना अःवीकार कर िदया था | लोगो न कहा ETH गर जी यह लड़का तो अतयत स ात कल का ह इसक हाथ का पानी पीन म कया दोष ह नानक बोल- तलहतथी म महनत क िनशाननही ह | िजसक हाथ म महनत क ठल पड़ नही होत उसक हाथ का पानी पीन म म दोष मानता ह | नानक ठीक थ | ौषठ समाज वह ह िजसक सदःय जी खोलकर महनत करत ह और तब भी जररत स जयादा धन पर अिधकार जमान की उनकी इचछा नही होती |

शनो का नमना- (क) Ocircगहःथ सनयासी और सनयासी गहःथ होगOtilde स लखक का कया आशय ह २

(ख) सनयासी को उततम कोिट का मनय कहा गया ह कयो १

2

(ग) ौषठ समाज क कया लकषण बताए गए ह १ (घ) नानक न अमीर लड़क क हाथ स पानी पीना कयो अःवीकार िकया २

(ङ) Ocircमख म किवता और करघ पर हाथOtilde- यह उिकत िकसक िलए योग की गई ह और कयो २

(च) ौषठ सनयासी क कया गण बताए गए ह १

(छ) समाज म िवषमता स आप कया समझत ह और यह कब उतपनन होती ह २

(ज) सनयासी शबद का सिध-िवचछद कीिजए | १

(झ) िवषमता शबद का िवलोम िलख कर उसम यकत तयय अलग कीिजए | २

(ञ) गदयाश का उपयकत शीषरक दीिजए | १ उततर ndash

(क) गहःथ जन सनयािसयो की भाित धन-समह और मोह स मकत रह तथा सनयासी जन गहःथो की भाित सामािजक कमोर म सहयोग कर िनठलल न रह |

(ख) सनयासी लोभ ःवाथर और सचय स अलग रहता ह | (ग) ौषठ समाज क सदःय भरपर पिरौम करत ह तथा आवयकता स अिधक धन पर

अपना अिधकार नही जमात | (घ) अमीर लड़क क हाथो म महनतकश क हाथो की तरह महनत करन क िनशान नही

थ और नानक महनत करना अिनवायर मानत थ | (ङ) मख म किवता और करघ म हाथOtilde कबीर क िलए कहा गया ह | कयोिक उसक घर

म जलाह का कायर होता था और किवता करना उनका ःवभाव था | (च) ौषठ सनयासी समाज क िलए भी कायर करता ह | (छ) समाज म जब जञान और कमर को िभनन मानकर आचरण िकए जात ह तब उस

समाज म िवषमता मान ली जाती ह |जञान और कमर को अलग करन पर ही समाज म िवषमता फलती ह |

(ज) सम + नयासी

(झ) िवषमता ETH समता OcircताOtilde तयय

(ञ) सनयास-गहःथ

२ अपिठत कावयाश का नमना- िनधारिरत अक ५ तम भारत हम भारतीय ह तम माता हम बट िकसकी िहममत ह िक तमह दषटता-दिषट स दख | ओ माता तम एक अरब स अिधक भजाओ वाली सबकी रकषा म तम सकषम हो अदमय बलशाली |

3

भाषा वश दश िभनन ह िफर भी भाई-भाई भारत की साझी सःकित म पलत भारतवासी | सिदनो म हम एक साथ हसत गात सोत ह दिदरन म भी साथ-साथ जागत पौरष धोत ह | तम हो शःय-यामला खतो म तम लहराती हो कित ाणमयी साम-गानमयी तम न िकस भाती हो | तम न अगर होती तो धरती वसधा कयो कहलाती

गगा कहा बहा करती गीता कयो गाई जाती

शन नमना (क) साझी सःकित का कया भाव ह १

(ख) भारत को अदमय बलशाली कयो कहा गया ह १

(ग) सख-दःख क िदनो म भारतीयो का परःपर सहयोग कसा होता ह १

(घ) साम-गानमयी का कया तातपयर ह १

(ङ) Ocircओ माता तम एक अरब स अिधक भजाओ वालीOtilde म कौन-सा अलकार

ह१

उततर ndash (क) भाषा वश दश िभनन होत हए भी सभी क सख-दःख एक ह | (ख) भारत की एक अरब स अिधक जनता अपनी मजबत भजाओ स सबकी सरकषा करन

म समथर ह | (ग) भारतीयो का वयवहार आपसी सहयोग और अपनपन स भरा ह सब सग-सग हसत-

गात ह और सग-सग किठनाइयो स जझत ह | (घ) समधर सगीत स यकत | (ङ) रपक |

३ िनबध-लखन - िनधारिरत अक ५

िनबध-लखन करत समय छाऽोको िनमन बात धयान म रखनी चािहए ndash

bull िदए गए िवषय की एक रपरखा बना ल | bull रपरखा-लखन क समय पवारपर सबध क िनयम का िनवारह िकया जाए | पवारपर

सबध क िनवारह का अथर ह िक ऊपर की बात उसक ठीक नीच की बात स जड़ी होनी चािहए िजसस िवषय का बम बना रह |

bull पनरावितत दोष न आए | bull भाषा सरल सहज और बोधगमय हो | bull िनबध का ारमभ िकसी कहावत उिकत सिकत आिद स िकया जाए |

4

bull िवषय को ामािणक बनान क उददय स िहनदी सःकत अमजीउदर की सिकतयाएव उदधरण भी बीच-बीच म दत रहना चािहए |

bull भिमकाःतावना म िवषय का सामानय पिरचय तथा उपसहार म िवषय का िनकषर होना चािहए |

िनबध हत नमना रपरखा िवजञान वरदान या अिभशाप

१ भिमका ःतावना

२ िवजञान का अथर

३ िवजञान वरदान ह ndash

bull िशकषा क कषऽ म

bull िचिकतसा क कषऽ म

bull मनोरजन क कषऽ म

bull किष क कषऽ म

bull यातायात क कषऽ म

४ िवजञान अिभशाप ह ndash

bull िशकषा क कषऽ म

bull िचिकतसा क कषऽ म

bull मनोरजन क कषऽ म

bull किष क कषऽ म

bull यातायात क कषऽ म

५ िवजञान क ित हमार उततरदाियतव

६ उपसहार

िवशष उकत रपरखा को आवयकता क अनरप िविभनन कषऽो को जोड़कर बढ़ाया जा सकता ह |

अभयास हत िनबध-

१ महानगरीय जीवन अिभशाप या वरदान

२ आधिनक िशकषा-पदधित गण व दोष

३ िवजञान व कला ४ बदलत जीवन मलय

५ नई सदी नया समाज

६ कामकाजी मिहलाओ की समःयाए दश की गित म मिहलाओ का योगदान

5

७राषटर-िनमारण म यवा पीढ़ी का योगदान

८ इटरनट की दिनया ९ पराधीन सपनह सख नाही १० लोकतऽ म मीिडया की भिमका ११ गित क पथ पर भारत

१२ जन आदोलन और सरकार १३ षटाचार समःया और समाधान १४ महगाई की मार १५ खल-कद म उतरता भारत ऑलिपक २०१२

४ पऽ-लखन-िनधारिरत अक ५ िवचारो भावो सदशो एव सचनाओ क स षण क िलए पऽ सहज सरल तथा पारपिरक माधयम ह पऽ अनक कार क हो सकत ह पर ाय परीकषाओ म िशकायती-पऽ आवदन-पऽ तथा सपादक क नाम पऽ पछ जात ह इन पऽो को िलखत समय िनमन बातो का धयान रखा जाना चािहए

पऽ-लखन क अग- १ पता और िदनाक- पऽ क ऊपर बाई ओर षक का पता व िदनाक िलखा जाता ह

(छाऽ पत क िलए परीकषा-भवन ही िलख) २ सबोधन और पताndash िजसको पऽ िलखा जारहा ह उसको यथानरप सबोिधत िकया

जाता ह औपचािरक पऽो म पद-नाम और कायारलयी पता रहता ह | ३ िवषय ETH कवल औपचािरक पऽो म योग कर (पऽ क कथय का सिकषपत रप िजस

पढ़ कर पऽ की साममी का सकत िमल जाता ह ) ४ पऽ की साममी ndash यह पऽ का मल िवषय ह इस सकषप म सारगिभरत और िवषय क

ःपषटीकरण क साथ िलखा जाए | ५ पऽ की समािपत ndash इसम धनयवाद आभार सिहत अथवा साभार जस शबद िलख कर

लखक अपन हःताकषर और नाम िलखता ह | धयान द छाऽ पऽ म कही अपना अिभजञान (नाम-पता) न द | औपचािरक पऽो म िवषयानरप ही अपनी बात कह | िदव-अथरक और बोिझल शबदावली स बच |

६ भाषा शदध सरल ःपषट िवषयानरप तथा भावकारी होनी चािहए पऽ का नमना अःपताल क बधन पर सतोष वयकत करत हए िचिकतसा-अधीकषक को पऽ िलिखए | परीकषा-भवन

6

िदनाक ----- मानाथर िचिकतसा-अधीकषक कोरोनशन अःपताल दहरादन | िवषय अःपताल क बधन पर सतोष वयकत करन क सदभर म - मानयवर इस पऽ क माधयम स म आपक िचिकतसालय क स बधन स भािवत हो कर आपको धनयवाद द रहा ह | गत सपताह मर िपता जी हदय-आघात स पीिड़त होकर आपक यहा दािखल हए थ | आपक िचिकतसको और सहयोगी ःटाफ न िजस ततपरता कतरवयिनषठा और ईमानदारी स उनकी दखभाल तथा िचिकतसा की उसस हम सभी पिरवारी जन सतषट ह | हमारा िवशवास बढ़ा ह | आपक िचिकतसालय का अनशासन शसनीय ह | आशा ह जब हम पनपररीकषण हत आएग तब भी वसी ही सवयवःथा िमलगी | साभार भवदीय क ख ग अभयासाथर शन-

१ िकसी दिनक समाचार-पऽ क सपादक क नाम पऽ िलिखए िजसम वकषो की कटाई को रोकन क िलए सरकार का धयान आकिषरत िकया गया हो

२ िहसा-धान िफ़लमो को दख कर बालवगर पर पड़न वाल द भाव का वणरन करत

हए िकसी दिनक पऽ क सपादक क नाम पऽ िलिखए ३ अिनयिमत डाक-िवतरण की िशकायत करत हए पोःटमाःटर को पऽ िलिखए ४ िलिपक पद हत िवदयालय क ाचायर को आवदन-पऽ िलिखए ५ अपन कषऽ म िबजली-सकट स उतपनन किठनाइयो का वणरन करत हए अिधशासी अिभयनता िवदयत-बोडर को पऽ िलिखए ७ दिनक पऽ क सपादक को पऽ िलिखए िजसम िहदी भाषा की िदव-रपता को

समापत करन क सझाव िदए गए हो |

५ (क) अिभवयिकतऔरमाधयम (एक-एक अक क ५ शन पछ जाएग तथा उततर सकषप म िदए जाएग )

उततम अक ापत करन क िलए धयान दन योगय बात- १ अिभवयिकत और माधयम स सबिधत शन िवशष रप स तथयपरक होत ह अत उततर

7

िलखत समय सही तथयो को धयान म रख २ उततर िबदवार िलख मखय िबद को सबस पहल िलख द ३ शदध वतरनी का धयान रख ४ लख साफ़-सथरा एवम पठनीय हो ५ उततर म अनावयक बात न िलख ६ िनबधातमक शनो म बमबदधता तथा िवषय क पवारपर सबध का धयान रख तथयो तथा

िवचारो की पनरावितत न कर जनसचारमाधयम

१ सचार िकस कहत ह OcircसचारOtilde शबद चर धात क साथ सम उपसगर जोड़न स बना ह- इसका अथर ह चलना या एक ःथान स दसर ःथान तक पहचना |सचार सदशो का आदान-दान ह | सचनाओ िवचारो और भावनाओ का िलिखत मौिखक या दय-ौवय माधयमो क जिरय सफ़लता पवरक आदान-दान करना या एक जगह स दसरी जगह पहचाना सचार ह

२ सचार अनभवो की साझदारी ह - िकसन कहा ह िसदध सचार शासतरी िवलबर ौम न |

३ सचार माधयम स आप कया समझत ह सचार-िबया को सपनन करन म सहयोगी तरीक तथा उपकरण सचार क माधयम कहलात ह

४ सचार क मल तततव िलिखए | bull सचारक या ॐोत

bull एनकोिडग (कटीकरण )

bull सदश ( िजस सचारक ापतकतार तक पहचाना चाहता ह)

bull माधयम (सदश को ापतकतार तक पहचान वाला माधयम होता ह जस- धविन-तरग वाय-तरग टलीफोन समाचारपऽ रिडयो टी वी आिद)

bull ापतकततार (डीकोिडग कर सदश को ापत करन वाला)

bull फीडबक (सचार िबया म ापतकततार की ितिबया) bull शोर (सचार िबया म आन वाली बाधा)

५ सचारकमखकारोकाउललखकीिजए bull साकितकसचार bull मौिखकसचार bull अमौिखक सचार

bull अतवयिकतकसचार bull अतरवयिकतकसचार bull समहसचार

8

-पऽ और पिऽका

१३ पहल कौन-कौन स ह

१४ कायर कौन करता ह

१५ की शरआत कब और िकसस हई क बगाल गजट स

bull जनसचार ६ जनसचारसआपकयासमझतह

तयकष सवाद क बजाय िकसी तकनीकी या यािऽक माधयम क दवारा समाज क एकिवशाल वगरस सवाद कायम करना जनसचार कहलाता ह

७ जनसचार क मख माधयमो का उललख कीिजए | अखबार रिडयो टीवी इटरनट िसनमा आिद

८ जनसचार की मखिवशषताए िलिखए | bull इसम फ़ीडबक तरत ापत नही होता bull इसक सदशो की कित सावरजिनक होती ह bull सचारक और ापतकततार क बीच कोई सीधा सबध नही होता bull जनसचार क िलए एक औपचािरक सगठन की आवयकता होती ह bull इसमढर सार दवारपाल काम करत ह

९ जनसचार क मख कायर कौन-कौनसह bull सचना दना bull िशिकषत करना bull मनोरजन करना bull िनगरानी करना bull एजडा तय करना bull िवचार-िवमशर क िलए मच उपलबध कराना

१० लाइव स कया अिभाय ह िकसी घटना का घटना-ःथल स सीधा सारण लाइव कहलाता ह |

११ भारत का पहला समाचार वाचक िकस माना जाता ह दविषर नारद

१२ जन सचार का सबस पहला महततवपणर तथा सवारिधक िवःतत माधयम कौन सा था समाचार िट मीिडया क मख तीन

bull समाचारो को सकिलत करना

bull सपादन करना

bull मिण तथा सार समाचारो को सकिलत करन कासवाददाता भारत म पऽकािरताभारत म पऽकािरता की शरआत सन १७८० म जमस आगःट िहकीहई जो कलकतता स िनकला था |

9

१६ माना जाता ह ा ह जो कलकतता स पिडत

१७मालवीय गणश शकर िवदयाथीर

१८ दी स पवर क मख समाचार-पऽो और पिऽकाओ क नाम िलिखए | द |

१९ उजाला

नदःतान िदनमान रिववार इिडया टड आउट

- अजञय रघवीर सहाय धमरवीर भारती मनोहरयाम जोशी राजनि माथर

अनय म

िहदी का पहला सापतािहक पऽ िकसिहदी का पहला सापतािहक पऽ Ocircउदत मातरडOtilde को माना जातजगल िकशोर शकल क सपादन म िनकला था | आजादी स पवर कौन-कौन मख पऽकार हए महातमा गाधी लोकमानय ितलक मदन मोहन माखनलाल चतवरदी महावीर साद िदववदी ताप नारायण िमौ बाल मकद गपत आिद हए | आजाकसरी िहनदःतान सरःवती हस कमरवीर आज ताप दीप िवशाल भारत आि आजादी क बाद की मख पऽ-पिऽकाओ तथा पऽकारो क नाम िलखए | मख पऽ ---- नव भारत टाइमस जनसतता नई दिनया िहनदःतान अमरदिनक भाःकर दिनक जागरण आिद | मख पिऽकाए ETH धमरयग सापतािहक िहलक आिद | मख पऽकारभाष जोशी आिद हततवपणर शन

१ जनसचार और समह सचार का अतर ःपषट कीिजए

ाश डािलए

कया समझत ह

को कया कहत ह

२ कटवाचन स आप कया समझत ह

३ कटीकरण िकस कहत ह

४ सचारक की भिमका पर क५ फीडबक स आप कया समझत ह

६ शोर स कया तातपयर ह

७ औपचािरक सगठन स आप८ सनसनीखज समाचारो स समबिधत पऽकािरता ९ कोई घटना समाचार कस बनती ह

१० सपादकीय पषठ स आप कया समझत ११ मीिडया की भाषा म दवारपाल िकस कहत ह पऽकािरता क िविवध आयाम

१ पऽकािरताकयाह ऐसी सचनाओ का सकलन एव सपादन कर आम पाठको तक पहचाना िजनम अिधक स अिधक लोगो की रिच हो तथा जो अिधक स अिधक लोगो को भािवत करती हो पऽकािरताकहलाता ह(दश-िवदश म घटन वाली घटनाओ की सचनाओ को सकिलत एव सपािदत कर समाचार क रप म पाठको तक पहचान की िबयािवधा को पऽकािरता

10

२ लखन तथा सािहितयक सजनातमक लखन म कया अतर ह थयो की धानता

३ कन और काटोरमाफ़ |

४ ी ताजा घटना िवचार या समःया की िरपोटर हिजसम अिधक स

५ घटना समःया व िवचार को समाचार का रप धारण

६ सआपकयासमझतह माचारो को कवर करन क िलए िनधारिरत समय-सीमा

७ ाय ह -साममी स उसकी अशिदधयो को दर करक पठनीय तथा

८ ी मख घटना या समःया पर िलख गए िवचारातमक लख को िजस

ता

ा-

रता

महततव क मामलोजस-षटाचार अिनयिमतताओ

कहत ह) पऽकारीय पऽकारीय लखन का मख उददय सचना दान करना होता ह इसम तहोती ह जबिक सािहितयक सजनातमक लखन भाव कलपना एव सौदयर-धान होता ह पऽकािरता क मख आयाम कौन-कौन स ह सपादकीय फ़ोटो पऽकािरता काटरन कोना रखासमाचारिकसकहतह समाचार िकसी भी ऐसअिधक लोगो की रिच हो और िजसका अिधक स अिधक लोगो पर भाव पड़ता हो समाचारक तततवो को िलिखए | पऽकािरता की दिषट स िकसी भीकरन क िलए उसम िनमन तततवो म स अिधकाश या सभी का होना आवयक होता ह- नवीनता िनकटता भाव जनरिच सघषर महततवपणर लोग उपयोगी जानकािरया अनोखापआिद डडलाइनसमाचार माधयमो क िलए सकोडडलाइनकहत ह सपादन स कया अिभकाशन क िलए ापत समाचारकाशन योगय बनाना सपादन कहलाता ह सपादकीयकयाह सपादक दवारा िकससबिधत समाचारपऽ की राय भी कहा जाता ह सपादकीय कहत हसपादकीय िकसी एक वयिकत का िवचार या राय न होकर समम पऽ-समह की राय होता ह इसिलए सपादकीय म सपादक अथवा लखक का नाम नही िलखा जाता पऽकािरता क मखकारिलिखए |

bull खोजी पऽकािरता bull िवशषीकत पऽकािरbull वॉचडॉग पऽकािरता bull एडवोकसी पऽकािरतbull पीतपऽकािरता bull पज ाी पऽकाि

१० खोजी पऽकािरता कयाह िजसमआम तौर पर सावरजिनक

11

११ वॉचडॉग का मखय उततरदाियतव सरकार क

१२ एडवोक िकसी खास मदद या िवचारधारा क पकष म

१३ पीतपऽक ह फ़वाहो आरोपो-तयारोपो मसबधो आिद स

१४ पज ाी कािरता िकसकहतह ीरो की पािटरयो महिफ़लो और जानमान लोगो

१५ पऽकािर हता ह

१६ कािरता कया ह नकारी दत हए उसका िवशलषण करना िवशषीकत

१७ वकिलप स कहत ह मीिडया ःथािपत वयवःथा क िवकलप को

१८ िवशषीक ा क मख कषऽो का उललख कीिजए |

ास पऽकािरता

और गड़बिड़यो की गहराई स छानबीन कर सामन लान की कोिशश की जाती ह िःटग ऑपरशन खोजी पऽकािरता का ही एक नया रप ह पऽकािरता स आप कया समझत ह लोकतऽ म पऽकािरता और समाचार मीिडयाकामकाज पर िनगाह रखना ह और कोई गड़बड़ी होन पर उसका परदाफ़ाश करना होता ह परपरागत रप स इस वॉचडॉग पऽकािरता कहत ह सी पऽकािरता िकसकहतह इस पकषधर पऽकािरता भी कहत हजनमत बनान किलए लगातार अिभयान चलान वाली पऽकािरता को एडवोकसी पऽकािरता कहत ह

ािरतासआपकयासमझतपाठको को लभान क िलए झठी असबिधत सनसनीखज समाचारो स सबिधत पऽकािरता को पीतपऽकािरता कहत ह पऽऐसी पऽकािरता िजसम फ़शन अमक िनजी जीवन क बार म बताया जाता ह ता क िवकास म कौन-सा मल भाव सिबय र

िजजञासा का िवशषीकत पऽ

िकसी िवशष कषऽ की िवशष जापऽकािरता ह | क पऽकािरता िकमखय धारा क मीिडया क िवपरीत जोसामन लाकर उसक अनकल सोच को अिभवयकत करता ह उस वकिलपक पऽकािरता कहा जाता ह आम तौर पर इस तरह क मीिडया को सरकार और बड़ीपजी का समथरन ापत नही होता और न ही उस बड़ी कपिनयो क िवजञापन िमलत ह त पऽकािरत

bull ससदीय पऽकािरता bull नयायालय पऽकािरतbull आिथरक पऽकािरता

bull खल पऽकािरता bull िवजञान और िवक

12

ऽकािरता अनय

bull अपराध पऽकािरता

bull फशन और िफलम प महततवपणर शन

१ पऽकािरता क िवकास म कौन-सा मल भाव सिबय रहता ह

को तक पहचान की िबया को कया कहत ह

नयज

२ कोई घटना समाचार कस बनती ह

३ सचनाओ का सकलन सपादन कर पाठ४ समपादकीय म समपादक का नाम कयो नही िलखा जाता

५ िनमन क बार म िलिखए ndash

(क) डड लाइन

(ख) फलशिकग(ग) गाइड लाइन

(घ) लीड

13

िविभनन माधयमो क िलए लखन िट माधयम (मिित माधयम)-

१ िट मीिडया स कया आशय ह छपाई वाल सचार माधयम को िट मीिडया कहत ह | इस मिण-माधयम भी कहा जाता ह | समाचार-पऽ पिऽकाए पःतक आिद इसक मख रप ह |

२ जनसचार क आधिनक माधयमो म सबस पराना माधयम कौन-सा ह जनसचार क आधिनक माधयमो म सबस पराना माधयम िट माधयम ह |

३ आधिनक छापाखान का आिवकार िकसन िकया आधिनक छापाखान का आिवकार जमरनी क गटनबगर न िकया

४ भारत म पहला छापाखाना कब और कहा पर खला था भारत म पहला छापाखाना सन १५५६ म गोवा म खला इस ईसाई िमशनिरयो न धमर-चार की पःतक छापन क िलए खोला था |

५ जनसचार क मिित माधयम कौन-कौन स ह मिित माधयमो क अनतगरत अखबार पिऽकाए पःतक आिद आती ह ६ मिित माधयम की िवशषताए िलिखए |

bull छप हए शबदो म ःथाियतव होता ह इनह सिवधानसार िकसी भी कार स पढा जा सकता ह

bull यह माधयम िलिखत भाषा का िवःतार ह bull यह िचतन िवचार- िवशलषण का माधयम ह

७ मिित माधयम की सीमाए (दोष) िलिखए | bull िनरकषरो क िलए मिित माधयम िकसी काम क नही होत bull य तरत घटी घटनाओ को सचािलत नही कर सकत bull इसम ःपस तथा शबद सीमा का धयान रखना पड़ता ह bull इसम एक बार समाचार छप जान क बाद अशिदध-सधार नही िकया जा सकता

८ मिित माधयमो क लखन क िलए िलखत समय िकन-िकन बातो का धयान रखा जाना चािहए | bull भाषागत शदधता का धयान रखा जाना चािहए bull चिलत भाषा का योग िकया जाए bull समय शबद व ःथान की सीमा का धयान रखा जाना चािहए bull लखन म तारतमयता एव सहज वाह होना चािहए

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रिडयो (आकाशवाणी) १ इलकशािनक माधयम स कया तातपयर ह

िजस जन सचार म इलकशािनक उपकरणो का सहारा िलया जाता ह इलकशािनक माधयम कहत ह रिडयो दरदशरन इटरनट मख इलकशािनक माधयम ह

२ आल इिडया रिडयो की िविधवत ःथापना कब हई सन १९३६ म

३ एफ़एम रिडयो की शरआत कब स हई एफ़एम (ि६कवसी माडयलशन) रिडयो की शरआत सन १९९३ स हई

४ रिडयो िकस कार का माधयम ह रिडयो एक इलकशोिनक ौवय माधयम ह इसम शबद एव आवाज का महततव होता ह यह एक एक रखीय माधयम ह

५ रिडयो समाचार िकस शली पर आधािरत होत ह रिडयो समाचार की सरचना उलटािपरािमड शली पर आधािरत होती ह

६ उलटा िपरािमड शली कया ह यह िकतन भागो म बटी होती ह िजसम तथयो को महततव क बम स ःतत िकया जाता ह सवर थम सबस जयादा महततवपणर तथय को तथा उसक उपरात महततव की दिषट स घटत बम म तथयो को रखा जाता ह उस उलटा िपरािमड शली कहत ह उलटािपरािमड शली म समाचार को तीन भागो म बाटा जाता ह-इशो बाडी और समापन

७ रिडयो समाचार-लखन क िलए िकन-िकन बिनयादी बातो पर धयान िदया जाना चािहए bull समाचार वाचन क िलए तयार की गई कापी साफ़-सथरी ओ टाइपड कॉपी हो bull कॉपी को िशपल ःपस म टाइप िकया जाना चािहए bull पयारपत हािशया छोडा जाना चािहए bull अको को िलखन म सावधानी रखनी चािहए

bull सिकषपताकषरो क योग स बचा जाना चािहए टलीिवजन(दरदशरन)

१ दरदशरन जन सचार का िकस कार का माधयम ह दरदशरन जनसचार का सबस लोकिय व सशकत माधयम ह इसम धविनयो क साथ-साथ दयो का भी समावश होता ह इसक िलए समाचार िलखत समय इस बात का धयान रखा जाता ह िक शबद व पदर पर िदखन वाल दय म समानता हो

२ भारत म टलीिवजन का आरभ और िवकास िकस कार हआ भारत म टलीिवजन का ारभ १५ िसतबर १९५९ को हआ यनःको की एक शिकषक पिरयोजना क अनतगरत िदलली क आसपास क एक गाव म दो टीवी सट लगाए गए िजनह २०० लोगो न दखा १९६५ क बाद िविधवत टीवी सवा आरभ हई १९७६ म दरदशरन नामक िनकाय की ःथापना हई

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३ टी०वी० खबरो क िविभनन चरणो को िलिखए दरदशरन म कोई भी सचना िनमन चरणो या सोपानो को पार कर दशरको तक पहचती

ह (१) झलश या िकग नयज (समाचार को कम-स-कम शबदो म दशरको तक ततकाल

पहचाना) (२)साई एकर (एकर दवारा शबदो म खबर क िवषय म बताया जाता ह) (३) फ़ोन इन (एकर िरपोटरर स फ़ोन पर बात कर दशरको तक सचनाए पहचाता ह ) (४) एकर-िवजअल(समाचार क साथ-साथ सबिधत दयो को िदखाया जाना) (५) एकर-बाइट(एकर का तयकषदशीर या सबिधत वयिकत क कथन या बातचीत

दवारा ामािणक खबर ःतत करना) (६) लाइव(घटनाःथल स खबर का सीधा सारण) (७) एकर-पकज (इसम एकर दवारा ःतत सचनाए सबिधत घटना क दय बाइट मािफ़कस आिद दवारा वयविःथत ढग स िदखाई जाती ह) इटरनट

१ इटर नट कया ह इसक गण-दोषो पर काश डािलए इटरनट िवशववयापी अतजारल ह यह जनसचार का सबस नवीन व लोकिय माधयम ह इसम जनसचार क सभी माधयमो क गण समािहत ह यह जहा सचना मनोरजन जञान और वयिकतगत एव सावरजिनक सवादो क आदान-दान क िलए ौषठ माधयम ह वही अशलीलता द चारव गदगी फ़लान का भी जिरया ह

२ इटरनट पऽकािरताकया ह

इटरनट(िवशववयापी अतजारल) पर समाचारो का काशन या आदान-दान इटरनट पऽकािरता कहलाता ह इटरनट पऽकािरता दो रपो म होती ह थम- समाचार स षण क िलए नट का योग करना दसरा- िरपोटरर अपन समाचार को ई-मल दवारा अनयऽ भजन व समाचार को सकिलत करन तथा उसकी सतयतािवशवसनीयता िसदध करन क िलए करता ह

३ इटरनट पऽकािरता को और िकन-िकन नामो स जाना जाता ह ऑनलाइन पऽकािरता साइबरपऽकािरतावब पऽकािरता आिद नामो स

४ िवशव-ःतर पर इटरनट पऽकािरता का िवकास िकन-िकन चरणो म हआ िवशव-ःतर पर इटरनट पऽकािरता का िवकास िनमनिलिखत चरणो म हआ-

bull थम चरण------- १९८२ स १९९२

bull िदवतीय चरण------- १९९३ स २००१ bull ततीय चरण------- २००२ स अब तक

५ भारत म इटरनट पऽकािरता का ारमभ कब स हआ

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पहला चरण १९९३ स तथा दसरा चरण २००३ स शर माना जाता ह भारत म सचच अथोर म वब पऽकािरता करन वाली साइट rsquoरीिडफ़ डॉट कॉमrsquo

इिडयाइफ़ोलाइनrsquoवrsquoसीफ़ीrsquoह रीिडफ़ को भारत की पहली साइट कहा जाता ह

६ वब साइट पर िवशदध पऽकािरता शर करन का ौय िकसको जाता ह rsquoतहलका डॉटकॉमrsquo

७ भारत म सचच अथोर म वब पऽकािरता करन वाली साइटो क नाम िलिखए | rsquoरीिडफ़ डॉट कॉमrsquoइिडयाइफ़ोलाइनrsquoवrsquoसीफ़ीrsquo

८ भारत म कौन-कौन स समाचार-पऽ इटरनट पर उपलबध ह टाइमस आफ़ इिडया िहदःतान टाइमस इिडयन एकसस िहद िशबयन आिद

९ भारत की कौन-सी नट-साइट भगतान दकर दखी जा सकती ह Otildeइिडया टडOtilde

१० भारत की पहली साइट कौन-सी ह जो इटरनट पर पऽकािरता कर रही ह रीिडफ़

११ िसफ़र नट पर उपलबध अखबार का नाम िलिखए भा साकषीOtilde नाम का अखबार िट रप म न होकर िसफ़र नट पर उपलबध ह

१२ पऽकािरता क िलहाज स िहदी की सवरौषठ साइट कौन-सी ह पऽकािरता क िलहाज स िहनदी की सवरौषठ साइट बीबीसी की ह जो इटरनट क

मानदडो क अनसार चल रही ह १३ िहदी वब जगत म कौन-कौनसी सािहितयक पिऽकाए चल रही ह

िहदी वब जगत म rsquoअनभितrsquo अिभवयिकत िहदी नःट सराय आिद सािहितयक पिऽकाए चल रही ह

१४ िहदी वब जगत की सबस बड़ी समःया कया ह िहनदी वब जगत की सबस बडी समःया मानक की-बोडर तथा फ़ोट की ह डायनिमक फ़ोट क अभाव क कारण िहनदी की जयादातर साइट खलती ही नही ह

अभयासाथर शन १ भारत म पहला छापाखान िकस उददय स खोला गया

२ गटनबगर को िकस कषऽ म योगदान क िलए याद िकया जाता ह

३ रिडयो समाचर िकस शली म िलख जात ह

४ रिडयो तथा टलीिवजन माधयमो म मखय अतर कया ह

५ एकर बाईट कया ह

६ समाचार को सकिलत करन वाला वयिकत कया कहलाता ह

७ नट साउड िकस कहत ह

८ िकग नयज स आप कया समझत ह

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पऽकारीय लखन क िविभनन रप और लखन िबया १ पऽकारीय लखन कया ह

समाचार माधयमो म काम करन वाल पऽकार अपन पाठको तथा ौोताओ तक सचनाए पहचान क िलए लखन क िविभनन रपो का इःतमाल करत ह इस ही पऽकारीय लखन कहत ह पऽकारीय लखन का सबध समसामियक िवषयो िवचारो व घटनाओ स ह पऽकार को िलखत समय यह धयान रखना चािहए वह सामानय जनता क िलए िलख रहा ह इसिलए उसकी भाषा सरल व रोचक होनी चािहए वाकय छोट व सहज हो किठन भाषा का योग नही िकया जाना चािहए भाषा को भावी बनान क िलए अनावयक िवशषणोजागरनस(अचिलत शबदावली) और कलीश (िपषटोिकत दोहराव) का योग नही होना चिहए

२ पऽकारीय लखन क अतगरत कया-कया आता ह पऽकिरता या पऽकारीय लखन क अनतगरत समपादकीय समाचार आलख िरपोटर फ़ीचर ःतमभ तथा काटरन आिद आत ह

३ पऽकारीय लखन का मखय उददय कया होता ह पऽकारीय लखन का मख उददय ह- सचना दना िशिकषत करना तथा मनोरजन आ करना आिद होता ह |

४ पऽकारीय लखन क कार िलखए | पऽकारीय लखन क कईकार ह यथा- खोजपरक पऽकािरताrsquo वॉचडॉग पऽकािरता और एडवोकसी पऽकािरता आिद

५ पऽकारिकतन कार क होत ह

पऽकार तीन कार क होत ह- bull पणर कािलक

bull अशकािलक (िःशगर)

bull ६ीलासर या ःवतऽ पऽकार ६ समाचार िकस शली म िलख जात ह

समाचार उलटा िपरािमड शली म िलख जात ह यह समाचार लखन की सबस उपयोगी और लोकिय शली ह इस शली का िवकास अमिरका म गह यदध क दौरान हआ इसम महततवपणर घटना का वणरन पहल ःतत िकया जाता ह उसक बाद महततव की दिषट स घटत बम म घटनाओ को ःतत कर समाचार का अत िकया जाता ह समाचार म इशो बॉडी और समापन क बम म घटनाए ःतत की जाती ह

७ समाचार क छह ककार कौन-कौन स ह समाचार िलखत समय मखय रप स छह शनो- कया कौन कहा कब कयो और कस का उततर दन की कोिशश की जाती ह इनह समाचार क छह ककार कहा जाता ह थम चार शनो क उततर इशो म तथा अनय दो क उततर समापन स पवर बॉडी वाल भाग म िदए जात

18

ह ८ फ़ीचर कया ह

फ़ीचर एक कार का सवयविःथत सजनातमक और आतमिनषठ लखन ह ९ फ़ीचर लखन का कया उददय होता ह फ़ीचर का उददय मखय रप स पाठको को सचना दना िशिकषत करना तथा उनका

मनोरजन करना होता ह १० फ़ीचर और समचार म कया अतर ह

समाचार म िरपोटरर को अपन िवचारो को डालन की ःवतऽता नही होती जबिक फ़ीचर म लखक को अपनी राय दिषटकोण और भावनाओ को जािहर करन का अवसर होता ह समाचार उलटा िपरािमड शली म िलख जात ह जबिक फ़ीचर लखन की कोई सिनिशचत शली नही होती फ़ीचर म समाचारो की तरह शबदो की सीमा नही होती आमतौर पर फ़ीचर समाचार िरपोटर स बड़ होत ह पऽ-पिऽकाओ म ाय २५० स २००० शबदो तक क फ़ीचर छपत ह

११ िवशष िरपोटर स आप कया समझत ह सामानय समाचारो स अलग व िवशष समाचार जो गहरी छान-बीन िवशलषण और वयाखया क आधार पर कािशत िकए जात ह िवशष िरपोटर कहलात ह

१२ िवशष िरपोटर क िविभनन कारो को ःपषट कीिजए खोजी िरपोटर इसम अनपलबध तथयो को गहरी छान-बीन कर सावरजिनक िकया जाता ह (२)इनडपथ िरपोटर सावरजािनक रप स ापत तथयो की गहरी छान-बीन कर उसक महततवपणर पकषो को पाठको क सामन लाया जाता ह (३) िवशलषणातमक िरपोटर इसम िकसी घटना या समःया का िववरण सआमता क साथ िवःतार स िदया जाता ह िरपोटर अिधक िवःतत होन पर कई िदनो तक िकःतो म कािशत की जाती ह (४)िववरणातमक िरपोटर इसम िकसी घटना या समःया को िवःतार एव बारीकी क

साथ ःतत िकया जाता ह

१३ िवचारपरक लखन िकस कहत ह िजस लखन म िवचार एव िचतन की धानता होती ह उस िवचार परक लखन कहा जाता हसमाचार-पऽो म समाचार एव फ़ीचर क अितिरकत सपादकीय लख पऽ िटपपणी विरषठपऽकारो व िवशषजञो क ःतभ छपत ह य सभी िवचारपरक लखन क अतगरत आत ह

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१४ सपादकीय स कया अिभाय ह सपादक दवारा िकसी मख घटना या समःया पर िलख गए िवचारातमक लख को िजससबिधत समाचारपऽ की राय भी कहा जाता ह सपादकीय कहत ह सपादकीय िकसी एक वयिकत का िवचार या राय न होकर समम पऽ-समह की राय होता ह इसिलए सपादकीय म सपादक अथवा लखक का नाम नही िलखा जाता

१५ ःतभलखन स कया तातपयर ह यह एक कार का िवचारातमक लखन ह कछ महततवपणर लखक अपन खास वचािरक रझान एव लखन शली क िलए जान जात ह ऐस लखको की लोकियता को दखकर समाचरपऽ उनह अपन पऽ म िनयिमत ःतभ-लखन की िजममदारी दान करत ह इस कार िकसी समाचार-पऽ म िकसी ऐस लखक दवारा िकया गया िविशषट एव िनयिमत लखन जो अपनी िविशषट शली एव वचािरक रझान क कारण समाज म खयाित-ापत हो ःतभ लखन कहा जाता ह

१६ सपादक क नाम पऽ स आप कया समझत ह समाचार पऽो म सपादकीय पषठ पर तथा पिऽकाओ की शरआत म सपादक क नाम आए पऽ कािशत िकए जात ह यह तयक समाचारपऽ का िनयिमत ःतभ होता ह इसक माधयम स समाचार-पऽ अपन पाठको को जनसमःयाओ तथा मददो पर अपन िवचार एवमराय वयकत करन का अवसर दान करता ह

१७ साकषातकारइटरवय स कया अिभाय ह िकसी पऽकार क दवारा अपन समाचारपऽ म कािशत करन क िलए िकसी वयिकत िवशष स उसक िवषय म अथवा िकसी िवषय या मदद पर िकया गया शनोततरातमक सवाद साकषातकार कहलाता ह

अनय महततवपणर शन १ सामानय लखन तथा पऽकारीय लखन म कया अतर ह

२ पऽकारीय लखन क उददय िलिखए ३ पऽकार िकतन कार क होत ह

४ उलटा िपरािमड शली का िवकास कब और कयो हआ

५ समाचार क ककारो क नाम िलिखए | ६ बाडी कया ह

७ फ़ीचर िकस शली म िलखा जाता ह

८ फ़ीचर व समाचार म कया अतर ह

९ िवशष िरपोटर स आप कया समझत ह

१० िवशष िरपोटर क भद िलिखए ११ इनडपथ िरपोटर िकस कहत ह

१२ िवचारपरक लखन कया ह तथा उसक अनतगरत िकस कार क लख आत ह

20

१३ ःवतऽ पऽकार िकस कहत ह

१४ पणरकािलक पऽकार स कया अिभाय ह

१५ अशकािलक पऽकार कया होता ह

िवशष लखन ःवरप और कार १ िवशष लखन िकस कहत ह

िवशष लखनिकसी खास िवषय पर सामानय लखन स हट कर िकया गया लखन ह िजसम राजनीितक आिथरक अपराध खल िफ़लमकिष कानन िवजञान और अनय िकसी भी महततवपणर िवषय स सबिधत िवःतत सचनाए दान की जाती ह

२ डःककया ह समाचारपऽ पिऽकाओ टीवी और रिडयो चनलो म अलग-अलग िवषयो पर िवशष लखन क िलए िनधारिरत ःथल को डःक कहत ह और उस िवशष डःक पर काम करन वाल पऽकारो का भी अलग समह होता ह यथा-वयापार तथा कारोबार क िलए अलग तथा खल की खबरो क िलए अलग डःक िनधारिरत होता ह

३ बीटस कया तातपयर ह िविभनन िवषयो स जड़ समाचारो क िलए सवाददाताओ क बीच काम का िवभाजन आम तौर पर उनकी िदलचःपी और जञान को धयान म रख कर िकया जाता ह मीिडया की भाषा म इस बीट कहत ह

४ बीट िरपोिटरग तथा िवशषीकत िरपोिटरग म कया अनतर ह बीट िरपोिटरग क िलए सवाददाता म उस कषऽ क बार म जानकारी व िदलचःपी का होना पयारपत ह साथ ही उस आम तौर पर अपनी बीट स जड़ीसामानय खबर ही िलखनी होती ह िकनत िवशषीकत िरपोिटरग म सामानय समाचारो स आग बढ़कर सबिधत िवशष कषऽ या िवषय स जड़ी घटनाओ समःयाओ और मददो का बारीकी स िवशलषण कर ःततीकरण िकया जाता ह बीट कवर करन वाल िरपोटरर को सवाददाता तथा िवशषीकत िरपोिटरग करन वाल िरपोटरर को िवशष सवाददाता कहा जाता ह

५ िवशष लखन की भाषा-शली पर काश डािलए | िवशष लखन की भाषा-शली सामानय लखन स अलग होती ह इसम सवाददाता को सबिधत िवषय की तकनीकी शबदावली का जञान होना आवयक होता ह साथ ही यह भी आवयक होता ह िक वह पाठको को उस शबदावली स पिरिचत कराए िजसस पाठक िरपोटर को समझ सक िवशष लखन की कोई िनिशचत शली नही होती

६ िवशष लखन क कषऽ कौन-कौन स हो सकत ह िवशष लखन क अनक कषऽ होत ह यथा- अथर-वयापार खल िवजञान-ौदयोिगकी किष

िवदश रकषा पयारवरण िशकषा ःवाःथय िफ़लम-मनोरजन अपराध कानन व सामािजक मदद आिद

अभयासाथर महततवपणर शन

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१ िकसी खास िवषय पर िकए गए लखन को कया कहत ह

२ िवशष लखन क कषऽ िलिखए ४पऽकारीय भाषा म लखन क िलए िनधारिरत ःथल को कया कहत ह

५ बीट स आप कया समझत ह

६ बीट िरपोिटरग कया ह

७ बीट िरपोिटरग तथा िवशषीकत िरपोिटरग म कया अतर ह

८ िवशष सवाददाता िकस कहत ह

बोडर परीकषा म पछ गए शन एव अनय महततवपणर पषटवय शनो का कोश

१ िट माधयम िकस कहत ह

२ जनसचार क चिलत माधयमो म सबस पराना माधयम कया ह

३ िकनही दो मिित माधयमो क नाम िलिखए | ४ छापाखान क आिवकार का ौय िकसको जाता ह

५ िहदी का पहला समाचार-पऽ कब कहा स िकसक दवारा कािशत िकया गया

६ िहदी म कािशत होन वाल दो दिनक समाचार-पऽो तथा पिऽकाओ क नाम िलिखए | ७ रिडयो की अपकषा टीवी समाचारो की लोकियता क दो कारण िलिखए | ८ पऽकारीय लखन तथा सािहितयक सजनातमक लखन का अतर बताइए | ९ पऽकािरता का मलततव कया ह

१० ःतभलखन स कया तातपयर ह

११ पीत पऽकािरता िकस कहत ह

१२ खोजी पऽकािरता का आशय ःपषट कीिजए | १३ समाचार शबद को पिरभािषत कीिजए | १४ उलटा िपरािमड शली कया ह

१५ समाचार लखन म छह ककारो का कया महततव ह

१६ मिित माधयमो की िकनही दो िवशषताओ का उललख कीिजए | १७ डड लाइन कया ह

१८ रिडयो नाटक स आप कया समझत ह

१९ रिडयो समाचार की भाषा की दो िवशषताए िलिखए

२० एकर बाईट िकस कहत ह

२१ टलीिवजन समाचारो म एकर बाईट कयो जररी ह

२२ मिित माधयम को ःथायी माधयम कयो कहा जाता ह

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२३ िकनही दो समाचार चनलो क नाम िलिखए | २४ इटरनट पऽकािरता क लोकिय होन क कया कारण ह

२५ भारत क िकनही चार समाचार-पऽो क नाम िलिखए जो इटरनट पर उपलबध ह

२६ पऽकािरता की भाषा म बीट िकस कहत ह

२७ िवशष िरपोटर क दो कारो का उललख कीिजए | २८ िवशष लखन क िकनही दो कारो का नामोललख कीिजए | २९ िवशष िरपोटर क लखन म िकन बातो पर अिधक बल िदया जाता ह

३० बीट िरपोटरर िकस कहत ह

३१ िरपोटर लखन की भाषा की दो िवशषताए िलिखए | ३२ सपादकीय क साथ सपादन-लखक का नाम कयो नही िदया जाता

३३ सपादकीय लखन कया होता ह

अथवा

सपादकीय स कया तातपयर ह

३४ सपादक क दो मख उततरदाियतवो का उललख कीिजए | ३५ ऑप-एड पषठ िकस कहत ह

३६ नयजपग कया ह

३७ आिडएस स आप कया समझत ह

३८ इलकशोिनक मीिडया कया ह

३९ काटरन कोना कया ह

४० भारत म िनयिमत अपडट साइटो क नाम बताइए ४१ कमपयटर क लोकिय होन का मख कारण बताइए ४२ िवजञापन िकस कहत ह

४३ फीडबक स कया अिभाय ह

४४ जनसचार स आप कया समझत ह

४५ समाचार और फीचर म कया अतर ह

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(ख)आलखिरपोटर ndash िनधारिरत अक५

आलख आलख-लखन हत महततवपणर बात

१ िकसी िवषय पर सवारगपणर जानकारी जो तथयातमक िवशलषणातमक अथवा िवचारातमक हो आलख कहलाती ह |

२ आलख का आकार सिकषपत होता ह | ३ इसम िवचारो और तथयो की ःपषटता रहती ह य िवचार बमबदध रप म होन चािहए| ४ िवचार या तथय की पनरावितत न हो | ५ आलख की शली िववचन िवशलषण अथवा िवचार-धान हो सकती ह | ६ जवलत मददो समःयाओ अवसरो चिरऽ पर आलख िलख जा सकत ह | ७ आलख गभीर अधययन पर आधािरत ामािणक रचना होती ह |

नमना आलख शर का घर िजमकाबरट नशनल पाकर ndash जगली जीवो की िविभनन जाितयो को सरकषण दन तथा उनकी सखया को बढान क उददय स िहमालय की तराई स लग उततराखड क पौड़ी और ननीताल िजल म भारतीय महादवीप क पहल राषटरीय अभयारणय की ःथापना िसदध अगरजी लखक िजम काबरट क नाम पर की गई | िजम काबरट नशनल पाकर ननीताल स एक सौ पनिह िकलोमीटर और िदलली स २९० िकलोमीटर दर ह यह अभयारणय पाच सौ इककीस िकलोमीटर कषऽ म फला ह | नवमबर स जन क बीच यहा घमन-िफरन का सवोरततम समय ह | यह अभयारणय चार सौ स गयारह सौ मीटर की ऊचाई पर ह | िढकाला इस पाकर का मख मदानी ःथल ह और काडा सबस ऊचा ःथान ह| जगल जानवर पहाड़ और हरी-भरी वािदयो क वरदान स िजमकाबरट पाकर दिनया क अनठ पाकोर म ह | रायल बगाल टाइगर और एिशयाई हाथी पसदीदा घर ह | यह एिशया का सबस पहला सरिकषत जगल ह | राम गगा नदी इसकी जीवन-धारा ह | यहा एक सौ दस तरह क पड़-पौध पचास तरह क ःतनधारी जीव पचचीस जाितयो क सरीसप और छह सौ तरह क रग-िवरग पकषी ह | िहमालयन तदआ िहरन भाल जगली कतत भिड़य बदर लगर जगली भस जस जानवरो स यह जगल आबाद ह | हर वषर लाखो पयरटक यहा आत ह | शाल वकषो स िघर लब-लब वन-पथ और हर-भर घास क मदान इसक ाकितक सौदयर म चार चाद लगा दत ह | िनमनिलिखत िवषयो पर आलख िलिखए-

bull बढ़ती आबादी दश की बरबादी bull सादाियकसदभावना bull कजर म डबा िकसान

bull आतकवाद की समःया

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bull डॉकटर हड़ताल पर मरीज परशान

bull वतरमान परीकषा-णाली

bull बजट और बचत

bull शिकत सयम और साहस

bull िरशवत का रोग

bull सपना सच हो अपना

िरपोटरितवदन िरपोटरितवदन का सामानय अथर सचनाओ क तथयपरक आदान-दान को िरपोटर या िरपोिटरग कहत ह | ितवदन इसका िहदी रपातरण ह | िरपोटर िकसी सःथा आयोजन या कायरबम की तथयातमक जानकारी ह | बड़ी-बड़ी कपिनया अपन अशधारको को वािषरक अदधरवािषरक गित िरपोटर भजा करती ह| िरपोटर क गण

bull तथयो की जानकारी ःपषट सटीक ामािणक हो | bull सःथा िवभाग क नाम का उललख हो | bull अधयकष आिद पदािधकािरयो क नाम | bull गितिविधया चलानवालो क नाम | bull कायरबम का उददय | bull आयोजन-ःथल िदनाक िदन तथा समय | bull उपिःथत लोगो की जानकारी | bull िदए गए भाषणो क मख अश | bull िलय गए िनणरयो की जानकारी | bull भाषा आलकािरक या सािहितयक न हो कर सचनातमक होनी चािहए | bull सचनाए अनयपरष शली म दी जाती ह | म या हम का योग नही होता | bull सिकषपतता और बिमकता िरपोटर क गण ह | bull नई बात नए अनचछद स िलख | bull ितवदक या िरपोटरर क हःताकषर |

िनमनिलिखत िवषयो पर िरपोटर तयार कीिजए- १ पजा-ःथलो पर दशरनािथरयो की अिनयिऽत भीड़

२ दश की महगी होती वयावसाियक िशकषा ३ मतदान कनि का दय

४ आए िदन होती सड़क दघरटनाए

५ आकिःमक बाढ़ स हई जनधन की कषित

६फीचर लखन- िनधारिरत अक५ समकालीन घटना तथा िकसी भी कषऽ िवशष की िविशषट जानकारी क सिचऽ तथा मोहक

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िववरण को फीचर कहत ह |फीचर मनोरजक ढग स तथयो को ःतत करन की कला ह | वःतत फीचर मनोरजन की उगली थाम कर जानकारी परोसता ह| इस कार मानवीय रिच क िवषयो क साथ सीिमत समाचार जब चटपटा लख बन जाता ह तो वह फीचर कहा जाता ह | अथारत- जञान + मनोरजन = फीचर | फीचर म अतीत वतरमान और भिवय की रणा होती ह | फीचर लखक पाठक को वतरमान दशा स जोड़ता ह अतीत म ल जाता ह और भिवय क सपन भी बनता ह | फीचर लखन की शली िविशषट होती ह | शली की यह िभननता ही फीचर को समाचार आलख या िरपोटर स अलग ौणी म ला कर खडा करती ह | फीचर लखन को अिधक ःपषट रप स समझन क िलए िनमन बातो का धयान रख ndash

१ समाचार साधारण जनभाषा म ःतत होता ह और फीचर एक िवशष वगर व िवचारधारा पर क िित रहत हए िविशषट शली म िलखा जाता ह |

२ एक समाचार हर एक पऽ म एक ही ःवरप म रहता ह परनत एक ही िवषय पर फीचर अलग-अलग पऽोम अलग-अलग ःतित िलय होत ह | फीचर क साथ लखक का नाम रहता ह |

३ फीचर म अितिरकत साज-सजजा तथयो और कलपना का रोचक िमौण रहता ह | ४ घटना क पिरवश िविवध ितिबयाए वउनक दरगामी पिरणाम भी फीचर म रहा करत

ह | ५ उददय की दिषट स फीचर तथयो की खोज क साथ मागरदशरन और मनोरजन की दिनया

भी ःतत करता ह | ६ फीचर फोटो-ःतित स अिधक भावशाली बन जाता ह |

नमना फीचर िपयककड़ तोता

सगत का असर आता ह िफर चाह वह आदमी हो या तोता | िटन म एक तोत को अपन मािलक की सगत म शराब की ऐसी लत लगी िक उसन घर वालो और पड़ोिसयो का जीना बहाल कर िदया | जब तोत को सधारन क सार हथकड फल हो गए तो मजबरन मािलक को ही शराब छोड़नी पड़ी | माकर बटोिकयो न अीकी जाित का तोता मिलरन पाला| माकर यदा-कदा शराब पी लत | िगलास म बची शराब मिलरन चट कर जाता | धीर-धीर मिलरन की तलब बढ़न लगी| वह वकत-बवकत शराब मागन लगा |-------------------------------

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िनमनिलिखत िवषयो पर फ़ीचरिलिखए bull चनावी वायद

bull महगाई क बोझतल मजदर bull वाहनो की बढ़ती सखया bull विरषठ नागिरको क ित हमारा नजिरया bull िकसान का एक िदन

bull बाित क ःवपन-िषटा अबदलकलाम

bull िबकट का नया सःकरण टवटी-टवटी

bull बहतर ससाधन बन सकती ह जनसखया

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अधययन-साममी

ककषा दवादश- िहदी (क ििक)

पदय खड

इस खड स तीन कार क शन पछ जाएग ndash

शन -७ िदए गए कावयाश म स अथर महण सबधी चार शन- २४ = ८ अक

शन ८ - िदए गए कावयाश म स सौदयर-बोध सबधी तीन शन -२३= ६ अक

शन ९ -िवषय-वःत पर आधािरत तीन शनो म स दो शनो क उततर -३२=६ अक

अिधक अक-ािपत हत धयान दन योगय बात -

bull किव किवता का नाम एक दो वाकयो म सगिठत सग या पिकतयो का सार अिनवायर रप स याद होना चािहए

bull वतरनी एव वाकय गठन की अशिदधया ० ( जीरो) रखन क िलए उततरो का िलिखत अभयास अिनवायर ह

bull तीन अक क शन क उततर म अिनवायरत तीन िवचार-िबद शीषरक बना कर रखािकत करत हए बमबदध रप स उततर िलखा जाना चािहए अनय शनो क उततरो म भी इसी कार अको क अनसार िवचार-िबदओ की सखया होनी चािहए

bull समय पर पणर शन-पऽ हल करन क िलए उततरो क मखय िबद बम स याद होन चािहए bull उततरो क िवचार-िबनदओ एव वाकयो का िनिशचत बम होना चािहए जो पहल स उततर याद

िकए िबना सभव नही होता

bull कावय-सोदयर सबधी शनो म अलकार छद आिद िवशषताए किवता म स उदाहरण अश िलख कर ःपषट की जानी चािहए

bull भाव-सामय क रप म अथर स िमलती-जलती अनय किवयो की पिकतया िलखना उपयकत ह

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bull किव एव किवता की प ठभिम िशकषक की सहायता स अिनवायर रप स समझ ल | उपयकत ःथान पर इस उततर म सकितत भी कर

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1 किवता ndash आतम पिरचय

हिरवश राय बचचन

OcircआतमपिरचयOtilde- Ocircिनशा िनमऽणOtilde गीत-समह का एक गीत

सार -

१ ःवय को जानना दिनया को जानन स अिधक किठन भी ह और आवयक भी

२ वयिकत क िलए समाज स िनरपकष एव उदासीन रहना न तो सभव ह न ही उिचत ह दिनया अपन वयगय बाणो शासन ETHशासन स चाह िकतना कषट द पर दिनया स कट कर वयिकत अपनी पहचान नही बना सकता पिरवश ही वयिकत को बनाता ह ढालता ह

३ इस किवता म किव न समाज एव पिरवश स म एव सघषर का सबध िनभात हए जीवन म सामजःय ःथािपत करन की बात की ह

४ छायावादोततर गीित कावय म ीित-कलह का यह िवरोधाभास िदखाई दता ह वयिकत और समाज का सबध इसी कार म और सघषर का ह िजसम किव आलोचना की परवाह न करत हए सतलन ःथािपत करत हए चलता ह

५ Ocircनादान वही ह हाय जहा पर दानाOtilde पिकत क माधयम स किव सतय की खोज क िलए अहकार को तयाग कर नई सोच अपनान पर जोर द रहा ह

कावय-खड पर आधािरत दो कार क शन पछ जाएग ETH अथरमहण-सबधी एव सौदयर-बोध-सबधी

अथरमहण-सबधी शन

1‐ म जग-जीवन का भार िलए िफरता ह

िफर भी जीवन म पयार िलए िफरता ह

कर िदया िकसी न झकत िजनको छकर

म सासो क दो तार िलए िफरता ह

शन १-किव अपन हदय म कया - कया िलए िफरता ह

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उततर- किव अपन सासािरक अनभवो क सख - दख हदय म िलए िफरता ह

शन २- किव का जग स कसा िरता ह

उततर- किव का जगजीवन स खटटामीठा िरता ह

शन३- पिरवश का वयिकत स कया सबध ह म सासो क दो तार िलए िफरता ह क माधयम स किव कया कहना चाहता ह

उततर- ससार म रह कर ससार स िनरपकषता सभव नहीह कयोिक पिरवश म रहकर ही वयिकत की पहचान बनती हउसकी अिःमता सरिकषत रहती ह

शन४- िवरोधो क बीच किव का जीवन िकस कार वयतीत होता ह

उततर-दिनया क साथ सघषरपणर सबध क चलत किव का जीवन-िवरोधो क बीच सामजःय करत हए वयतीत होता ह

सौदयर-बोध सबधी शन

ldquo म ःनह-सरा का पान िकया करता ह

म कभी न जग का धयान िकया करता ह

जग पछ रहा उनको जो जग की गात

म अपन मन का गान िकया करता हrdquo

शन १- किवता की इन पिकतयो स अलकार छाट कर िलिखए|

उततर -ःनह- सराndash रपक अलकार

शन २- किवता म यकत महावर िलिखए -

उततर -Ocircजग पछ रहाOtildesbquo Ocircजग की गातOtildesbquo Ocircमन का गानOtilde आिद महावरो का योग

शन३- किवता म यकत शली का नाम िलख |

उततर - गीित-शली

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किवता

आतम-पिरचय

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१-किव कौन-कौन-सी िःथितयो म मःत रहता ह और कयो

उततर- किव सासािरक सख-दख की दोनो पिरिःथितयो म मगन रहता ह उसक पास म की सातवना दाियनी अमलय िनिध ह

शन२-किव भव-सागर स तरन क िलए कया उपाय अपना रहा ह

उततर- ससार क कषटो को सहत हए हम यह धयान रखना चािहए िक कषटो को सहना पड़गा इसक िलए मनय को हस कर कषट सहना चािहए

शन३-Otildeअपन मन का गानOtilde का कया आशय ह

उततर- ससार उन लोगो को आदर दता ह जो उसकी बनाई लीक पर चलत ह परत किव कवल वही कायर करता ह जो उसक मन बिदध और िववक को अचछा लगता ह

शन४- Otildeनादान वही ह हाय जहा पर दानाOtilde का कया आशय ह

उततर- जहा कही मनय को िवदवतता का अहकार ह वाःतव म वही नादानी का सबस बड़ा लकषण ह

शन५- Otildeरोदन म रागOtilde कस सभव ह

उततर- किव की रचनाओ म वयकत पीड़ा वाःतव म उसक हदय म मानव माऽ क ित वयापत म का ही सचक ह

शन६- म फट पड़ा तम कहत छद बनानाrdquo का अथर ःपषट कीिजए

उततर- किव की ौषठ रचनाए वाःतव म उसक मन की पीड़ा की ही अिभवयिकत ह िजनकी सराहना ससार ौषठ सािहतय कहकर िकया करता ह

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किवता

िदन जलरदी जलदी ढलता ह

ःतत किवता म किव बचचन कहत ह िक समय बीतत जान का एहसास हम लआय-ािपत क िलए यास करन क िलए िरत करता ह

मागर पर चलन वाला राही यह सोचकर अपनी मिजल की ओर कदम बढ़ाता ह िक कही राःत म ही रात न हो जाए

पिकषयो को भी िदन बीतन क साथ यह एहसास होता ह िक उनक बचच कछ पान की आशा म घोसलो स झाक रह होग यह सोचकर उनक पखो म गित आ जाती ह िक व जलदी स अपन बचचो स िमल सक

किवता म आशावादी ःवर हगतवय का ःमरण पिथक क कदमो म ःफितर भर दता हआशा की िकरण जीवन की जड़ता को समापत कर दती ह वयिकतक अनभित का किव होन पर भी बचचन जी की रचनाए िकसी सकारातमक सोच तक ल जान का यास ह

अथरमहण-सबधी शन

बचच तयाशा म होग

नीड़ो स झाक रह होग यह धयान परो म िचिड़या क

भरता िकतनी चचलता हrdquo शन १ -पथ और रात स कया तातपयर ह

उततर -जीवन रपी पथ म मतय रपी रात स सचत रहन क िलए कहा गया ह

शन२ -पिथक क परो की गित िकस कार बढ़ जाती ह

उततर -मिजल क पास होन का अहसासsbquo वयिकत क मन म ःफितर भर दता ह

शन३ -िचिड़या की चचलता का कया कारण ह

उततर -िचिड़या क बचच उसकी तीकषा करत होग यह िवचार िचिड़या क पखो म गित भर कर उस चचल बना दता ह

शन४ -यासो म तजी लान क िलए मनय को कया करना चािहए

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उततर - यासो म तजी लान क िलए मनय को जीवन म एक िनिशचत मधर लआय ःथािपत करना चािहए

2 पतग

आलोक धनवा

पतग किवता म किव आलोक धनवा बचचो की बाल सलभ इचछाओ और उमगो तथा कित क साथ उनक रागातमक सबधो का अतयत सनदर िचऽण िकया हभादो मास गजर जान क बाद शरद ऋत का आगमन होता हचारो ओर काश फल जाता हसवर क सयर का काश लाल चमकीला हो जाता हशरद ऋत क आगमन स उतसाह एव उमग का माहौल बन जाता ह

शरद ऋत का यह चमकीला इशारा बचचो को पतग उड़ान क िलए बलाता ह और पतग उड़ान क िलए मद मद वाय चलाकर आकाश को इस योगय बनाता ह िक दिनया की सबस हलक रगीन कागज और बास की सबस पतली कमानी स बनी पतग आकाश की ऊचाइयो म उड़ सकlsquoबचचो क पावो की कोमलता स आकिषरत हो कर मानो धरती उनक पास आती ह अनयथा उनक पाव धरती पर पड़त ही नही| ऐसा लगता ह मानो व हवा म उड़त जा रह हपतग उड़ात समय बचच रोमािचत होत ह |एक सगीतमय ताल पर उनक शरीर हवा म लहरात हव िकसी भी खतर स िबलकल बखबर होत हबाल मनोिवजञान बाल िबयाndash कलापो एव बाल सलभ इचछाओ का सदर िबबो क माधयम स अकन िकया गया ह

सौदयर-बोध सबधी शन

Ocircजनम स ही लात ह अपन साथ कपासOtilde-

Ocircिदशाओ को मदग की बजात हएOtilde

Ocircऔर भी िनडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हOtilde

Ocircछतो को और भी नरम बनात हएOtilde

Ocircजब व पग भरत हए चल आत ह

डाल की तरह लचील वग स अकसरOcirc

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शन १- Ocircजनम स ही लात ह अपन साथ कपासOtilde-

इस पिकत की भाषा सबधी िवशषता िलिखए |

उततर - इस पिकत की भाषा सबधी िवशषता िनमनिलिखत ह -

नए तीको का योग -कपास-कोमलता

शन२- इस पिकत म यकत लाकषिणक अथर को ःपषट कीिजए|

उततर - लाकषिणकता -Ocircिदशाओ को मदग की बजात हएOtilde-सगीतमय वातावरण की सिषट

शन३ - सनहला सरज तीक का अथर िलख |

उततर - सनहल सरज क सामन ETH िनडर उतसाह स भर होना

3 किवता क बहान

कवर नारायण

कवर नारायणकी रचनाओ म सयमsbquo पिरकार एव साफ सथरापन हयथाथर का कलातमक सवदनापणर िचऽण उनकी रचनाओ की िवशषता हउनकी रचनाए जीवन को समझन की िजजञासा ह यथाथरndash ािपत की घोषणा नहीवयिकतक एव सामािजक तनाव वयजनापणर ढ़ग स उनकी रचनाओ म ःथान म पाता हःतत किवता म किवतव शिकत का वणरन ह किवता िचिड़या की उड़ान की तरह कलपना की उड़ान ह लिकन िचिड़या क उड़न की अपनी सीमा ह जबिक किव अपनी कलपना क पख पसारकर दश और काल की सीमाओ स पर उड़ जाता ह

फल किवता िलखन की रणा तो बनता ह लिकन किवता तो िबना मरझाए हर यग म अपनी खशब िबखरती रहती ह

किवता बचचो क खल क समान ह और समय और काल की सीमाओ की परवाह िकए िबना अपनी कलपना क पख पसारकर उड़न की कला बचच भी जानत ह

bull मानवी िबबो क माधयम स कावय रचनाndash िबया को ःतत िकया गया ह bull किवता म िचिड़या फल और बचच क तीको क माधयम स बचच की रचनातमक ऊजार

की तलना किवता-रचना स की गई ह िचिड़या की उड़ान फल का िवकास अपनी सीमा म आबदध ह परनत किव की कलपना शिकत एव बालक क ःवपन व ऊजार असीम ह

35

bull सािहतय का महतवsbquo ाकितक सौनदयर की अपकषा मानव क भाव-सौनदयर की ौषठता का ितपादन िकया गया ह

किवता की उड़ान ह िचिड़या क बहान

किवता की उड़ान भला िचिड़या कया जान

बाहर भीतर

इस घर उस घर

किवता क पख लगा उड़न क मान

िचिड़या कया जान

शन १- इन पिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िलिखए |

उततर - इन पिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िनमनिलिखत ह -

१ नए तीक -िचिड़याsbquo

२ महावरो का सटीक योग ndashसब घर एक कर दनाsbquo किव की कलपना की उवरर शिकत िजसका योग करन म किव जमीन-आसमान एक कर दता ह |

शन २ किवता की उड़ान ETHका लाकषिणक अथर ःपषट कीिजए |

उततर -कावय की सआम अथर िनरपण शिकत किव की कलपना का िवःतार

शन - किवता क पख िकसका तीक ह

उततर -किव की कलपना शिकत का |

36

3 किवता क बहान

कवर नारायण

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१-िचिड़या की उड़ान एव किवता की उड़ान म कया समानता ह

उततर -उपकरणो की समानता - िचिड़या एक घोसल का सजन ितनक एकऽ करक करती ह| किव भी उसी कार अनक भावो एव िवचारो का समह करक कावय रचना करता ह

कषमता की समानता - िचिड़या की उड़ान और किव की कलपना की उड़ान दोनो दर तक जाती ह|

शन२ - किवता की उड़ान िचिड़या की समझ स पर कयो ह

उततर - किवता की उड़ान िचिड़या की उड़ान स कही अिधक सआम और महततवपणर होती ह

शन३ -ldquoफल मरझा जात ह पर किवता नहीrdquo कयो ःपषट कीिजए

उततर - किवता कालजयी होती ह उसका मलय शाशवत होता ह जबिक फल बहत जलदी कमहला जात ह

शन४ -ldquoबचच की उछल-कद सब घर एक कर दनाrsquo एव lsquoकिव का किवता िलखनाrsquo दोनो म कया समानता एव िवषमता ह

उततर -बचचा खल-खल म घर का सारा सामान अःतवयःत कर दता ह सब कछ टटोलता ह एक ःथान पर एकऽ कर लता ह कावरय रचना-िबया म किव भी परा मानव जीवन खगाल लता ह एक जगह िपरोता ह पर िफर भी दोनो क यासो म बाल-िबयाओ का आनद किव नही समझ सकता

किवता ndash बात सीधी थी पर

ःतत किवता म भाव क अनरप भाषा क महततव पर बल िदया गया ह

किव कहत ह िक एक बार वह सरल सीध कथय की अिभवयिकत म भी भाषा क चककर म ऐसा फस गया िक उस कथय ही बदला -बदला सा लगन लगा किव कहता ह िक िजस कार जोर

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जबरदःती करन स कील की चड़ी मर जाती ह और तब चड़ीदार कील को चड़ीिवहीन कील की तरह ठोकना पड़ता ह उसी कार कथय क अनकल भाषा क अभाव म भावहीन भाषा म भाव को अिभवयिकत िकया जाता ह

अत म भाव न एक शरारती बचच क समान किव स पछा िक तन कया अभी तक भाषा का ःवाभािवक योग नही सीखा

bull इस किवता म भाषा की स षण-शिकत का महततव दशारया गया ह bull किऽमता एव भाषा की अनावयक पचचीकारी स भाषा की पकड़ कमज़ोर हो जाती ह शबद अपनी अथरवतता खो बठता ह bull उनकी किवता म वयथर का उलझाव अखबारी सतहीपन और वचािरक धध क बजाय

सयम पिरकार और साफ़-सथरापन ह

आिखरकार वही हआ िजसका मझ डर था

ज़ोर ज़बरदःती स

बात की चड़ी मर गई

और वह भाषा म बकार घमन लगी

हार कर मन उस कील की तरह ठोक िदया

ऊपर स ठीकठाक

पर अदर स

न तो उसम कसाव था

न ताकत

बात न जो एक शरारती बचच की तरह

मझस खल रही थी

मझ पसीना पोछत दखकर पछा ndash

कया तमन भाषा को

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सहिलयत स बरतना कभी नही सीखा

शन१- इनपिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िलिखए |

उततर - इनपिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िनमनिलिखतह -

१ िबब महावरो का योग

२ नए उपमान

शन २ कावयाश म आए महावरो का अथर ःपषट कीिजए|

उततर -

bull िबब महावरो का अथर - बात की चड़ी मर जाना ETHबात म कसावट न होना

बात का शरारती बचच की तरह खलना ETHबात का पकड़

म न आना

पच को कील की तरह ठोक दना ETHबात का भावहीन

हो जाना

शन ३ - कावयाश म आएउपमानो को ःपषट कीिजए|

उततर-

नए उपमान ndash अमतर उपमय भाषा क िलए मतर उपमान कील का योग बात क िलए शरारती बचच का उपमान

किवताndash

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बात सीधी थी पर

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन १ - भाषा क चककर म बात कस फस जाती ह

उततर -आडबरपणर भाषा का योग करन स बात का अथर समझना किठन हो जाता ह

शन२ - भाषा को अथर की पिरणित तक पहचान क िलए किव कया कया यास करत ह

उततर - भाषा को अथर की पिरणित तक पहचान क िलए किव उस नाना कार क अलकरणो स

सजाता ह कई कार क भाषा और अलकार सबधी योग करता ह

शन३- भाषा म पच कसना कया ह

उततर -भाषा को चामतकािरक बनान क िलए िविभनन योग करना भाषा म पच कसना ह

परत इसस भाषा का पच जयादा कस जाता ह अथारत कथय एव शबदो म कोई तालमल नही बठता बात समझ म ही नही आती

शन४- किव िकस चमतकार क बल पर वाहवाही की उममीद करता ह

उततर -किव शबदो क चामतकािरक योग क बल पर वाहवाही की उममीद करता ह

शन५-बात एव शरारती बचच का िबब ःपषट कीिजए

उततर -िजस कार एक शरारती बचचा िकसी की पकड़ म नही आता उसी कार एक उलझा दी गई बात तमाम कोिशशो क बावजद समझन क योगय नही रह जाती चाह उसक िलए िकतन यास िकए जाएवह एक शरारती बचच की तरह हाथो स िफसल जाती ह

४ कमर म बद अपािहज

रघवीर सहाय

अथर-महण-सबधी शन

हम दरदशरन पर बोलग

40

हम समथर शिकतवान

हम एक दबरल को लाएग

एक बद कमर म

उसस पछ ग तो आप कया अपािहज ह

तो आप कयो अपािहज ह

शन १- Ocircहम दरदशरन पर बोलग हम समथर शिकतवानOtilde-का िनिहत अथर ःपषट कीिजए |

उततर - इन पिकतयो म अह की धविनत अिभवयिकत ह sbquo पऽकािरता का बढ़ता वचरःव दशारया गया ह

शन२- हम एक दबरल को लाएगndash पिकत का वयगयाथर ःपषट कीिजए |

उततर - पऽकािरता क कषऽ म करणा का खोखला दशरन एक पिरपाटी बन गई ह|

शन३- आप कया अपािहज ह

तो आप कयो अपािहज ह पिकत दवारा किव िकस िविशषट अथर की अिभवयिकत करन म सफल हआ ह

उततर - पऽकािरता म वयावसाियकता क चलत सवदनहीनता बढ़ती जा रही ह | यहा अपिकषत उततर ापत करन का अधयर वयकत हआ ह

सौदयर-बोध-महण सबधी अनय शन

शन १- इन पिकतयो का लाकषिणक अथर ःपषट कीिजए |

िफर हम परद पर िदखलाएग

फली हई ऑख की एक बड़ी तःवीर

बहत बड़ी तःवीर

और उसक होठो पर एक कसमसाहट भी

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उततर- - लाकषिणक अथर - दय माधयम का योग कलातमक कावयातमक साकितक ःतित का माऽ िदखावा

कमरा बस करो

नही हआ

रहन दो

लाकषिणक अथर - वयावसाियक उददय परा न होन की खीझ

परद पर वकत की कीमत ह ndash

लाकषिणक अथर -- सऽ वाकय sbquoबर वयावसाियक उददय का उदघाटन

शन२ - रघवीर सहाय की कावय कला की िवशषताए िलिखए |

उततर - रघवीर सहाय की कावय कला की िवशषताएिनमनिलिखत ह -

bull कहानीपन और नाटकीयता

bull बोलचाल की भाषा क शबदःndash बनान क वाःतsbquo सग रलान ह bull साकितकताndash परद पर वकत की कीमत ह bull िबब ndashफली हई आख की एक बड़ी तःवीर

कमर म बद अपािहज

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- दरदशरन पर एक अपािहज का साकषातकार िकस उददय स िदखाया जाता ह

उततर -दरदशरन पर एक अपािहज का साकषातकारsbquo वयावसाियक उददयो को परा करन क िलए िदखाया जाता ह

शन२- अध को अधा कहना िकस मानिसकता का पिरचायक ह

उततर -अध को अधा कहनाsbquo बर और सवदनाशनय मानिसकता का पिरचायक ह

शन३ -किवता म यह मनोवित िकस कार उदघािटत हई ह

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उततर - दरदशरन पर एक अपािहज वयिकत को दशरन की वःत मान कर उसक मन की पीड़ा को करदा जाता हsbquo साकषातकारकतरता को उसक िनजी सखदख स कछ लनादना नही होता ह

शन४ -lsquoहम समथर शिकतवान एव हम एक दबरल को लाएगrsquo म िनिहताथर ःपषट कीिजए

उततर -साकषातकारकतार ःवय को पणर मान करsbquo एक अपािहज वयिकत को दबरल समझन का अहकार पाल हए ह

शन५- अपािहज की शबदहीन पीड़ा को मीिडयाकमीर िकस कार अिभवयकत कराना चाहता ह

उततर -मीिडयाकमीर अपािहज की लाल सजी हई ऑखो कोsbquo पीड़ा की साकितक अिभवयिकत क रप म ःतत करना चाहता ह

शन६-कयामीिडयाकमीर सफल होता हsbquo यिद नही तो कयो

उततर -मीिडयाकमीर सफल नही होता कयो िक सारण समय समापत हो जाता ह और सारण समय क बाद यिद अपािहज वयिकत रो भी दता तो उसस मीिडयाकमीर का वयावसाियक उददय परा नही हो सकता था उसिलए अब उस अपािहज वयिकत क आसओ म कोई िदलचःपी नही थी

शन७- नाटकीय किवता की अितम पिरणित िकस रप म होती ह

उततर -बार बार यास करन पर भी मीिडयाकमीरsbquo अपािहज वयिकत को रोता हआ नही िदखा पातावह खीझ जाता ह और िखिसयानी मःकराहट क साथ कायरबम समापत कर दता ह |Otildeसामािजक उददय स यकत कायरबमOtildeशबदो म वयगय ह कयोिक मीिडया क छदम वयावसाियक उददय की पितर नही हो पाती |

शन८ -lsquoपरद पर वकत की कीमत हrsquo म िनिहत सकताथर को ःपषट कीिजए

उततर -सारण समय म रोचक साममी परोस पाना ही मीिडया किमरयो का एकमाऽ उददय होता हअनयथा उनक सामािजक सरोकार माऽ एक िदखावा ह

5 सहषर ःवीकारा ह

गजानन माधव मिकतबोध

सार

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bull किवता म जीवन क सखndash दखsbquo सघषरndash अवसादsbquo उठाndash पटक को समान रप स ःवीकार करन की बात कही गई ह

bull ःनह की गाढ़ता अपनी चरम सीमा पर पहच कर िवयोग की कलपना माऽ स ऽःत हो उठती ह

bull मालबन अथारत ियजन पर यह भावपणर िनभररताsbquo किव क मन म िवःमित की चाह उतपनन करती हवह अपन िय को पणरतया भल जाना चाहता ह |

bull वःततः िवःमित की चाह भी ःमित का ही रप ह यह िवःमित भी ःमितयो क धधलक स अछती नही हिय की याद िकसी न िकसी रप म बनी ही रहती ह|

bull परत किव दोनो ही पिरिःथितयो को उस परम सतता की परछाई मानता हइस पिरिःथित को खशी ETHखशी ःवीकार करता ह |दःख-सख सघषर ETHअवसाद उठा ETHपटक िमलन-िबछोह को समान भाव स ःवीकार करता ह|िय क सामन न होन पर भी उसक आस-पास होन का अहसास बना रहता ह|

bull भावना की ःमित िवचार बनकर िवशव की गितथया सलझान म मदद करती ह| ःनह म थोड़ी िनःसगता भी जररी ह |अित िकसी चीज की अचछी नही |OtildeवहOtilde यहा कोई भी हो सकता ह िदवगत मा िय या अनय |कबीर क राम की तरह वडसरवथर की मातमना कित की तरह यह म सवरवयापी होना चाहता ह |

मःकाता चाद जयो धरती पर रात भर मझ पर तयो तमहारा ही िखलता वह चहरा ह

bull छायावाद क वतरक साद की लखनी स यह ःवर इस कार धविनत हआ ह ndash

दख की िपछली रजनी बीच िवकसता सख का नवल भात एक परदा यह झीना नील िछपाए ह िजसम सख गात यह किवता Ocircनई किवताOtilde म वयकत रागातमकता को आधयाितमकता क ःतर पर ःतत करती ह

अथरमहण-सबधी शन

िज़दगी म जो कछ भी ह

सहषर ःवीकारा ह इसिलए िक जो कछ भी मरा ह

वह तमह पयारा ह|

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गरबीली गरीबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव िवचार सब

दढ़ता यहभीतर की सिरता यह अिभनव सब

मौिलक ह मौिलक ह

इसिलए िक पल-पल म जो कछ भी जामत ह अपलक ह-

सवदन तमहारा ह शन १- किव और किवता का नाम िलिखए|

उततर- किव- गजानन माधव मिकतबोध

किवताndash सहषर ःवीकारा ह

शन२- गरबीली गरीबीभीतर की सिरता आिद योगो का अथर ःपषट कीिजए |

उततर -गरबीली गरीबीndash िनधरनता का ःवािभमानी रप किव क िवचारो की मौिलकता अनभवो की गहराई दढ़ता हदय का म उसक गवर करन का कारण ह |

शन३ - किव अपन िय को िकस बात का ौय द रहा ह

उततर- िनजी जीवन क म का सबल किव को िवशव वयापी म स जड़न की रणा दता ह |अत किव इसका ौय अपन िय को दता ह |

45

सौदयर-बोध-महण सबधी शन

जान कया िरता ह जान कया नाता ह

िजतना भी उडलता ह भर ETHभर िफर आता ह

िदल म कया झरना ह

मीठ पानी का सोता ह

भीतर वह ऊपर तम

मःकाता चाद जयो धरती पर रात- भर

मझ पर तयो तमहारा ही िखलता वह चहरा ह |

शन१- किवता की भाषा सबधी दो िवशषताए िलिखए |

उततर- १-सटीक तीको

२- नय उपमानो का योग

शन२ - िदल म कया झरना ह

मीठ पानी का सोता ह - -क लाकषिणक अथर को ःपषट कीिजए |

उततर - िदल म कया झरना ह-हदय क अथाह म का पिरचायक

मीठ पानी का सोता ह -अिवरल कभी समापत होन वाला म

शन३- किवता म यकत िबब का उदाहरण िलिखए |

दय िबबndash मःकाता चाद जयो धरती पर रात भर मझ पर तमहारा ही िखलता वह चहरा

46

5 सहषर ःवीकारा ह

गजानन माधव मिकतबोध

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१-किव न िकस सहषर ःवीकारा ह

उततर- bull किवता म जीवन क सखndash दखsbquo सघषरndash अवसादsbquo उठाndash पटक को समान रप स ःवीकार

करन की बात कही गई ह bull िय स िबछड़ कर भी उसकी ःमितयो को वयापक ःतर पर ल जाकर िवशव चतना म

िमला दन की बात कही गई ह | शन२- किव को अपन अनभव िविशषट एव मौिलक कयो लगत ह

उततर- किव को अपनी ःवािभमानयकत गरीबी जीवन क गमभीर अनभव िवचारो का वभव वयिकततव की दढ़ता मन की भावनाओ की नदी यह सब नए रप म मौिलक लगत ह कयो िक उसक जीवन म जो कछ भी घटता ह वह जामत ह िवशव उपयोगी ह अत उसकी उपलिबध ह और वह उसकी िया की रणा स ही सभव हआ ह उसक जीवन का तयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई िदशा ही दता रहा ह |

शन३- ldquoिदल का झरनाrdquo का साकितक अथर ःपषट कीिजए

उततर-िजस कार झरन म चारो ओर की पहािड़यो स पानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कभी खतम न होन वाल ॐोत क रप म योग िकया जा सकता ह उसी कार किव क िदल म िःथत म उमड़ता ह कभी समापत नही होता जीवन का िसचन करता ह| वयिकतगत ःवाथर स दर पर समाज क िलए जीवनदायी हो जाता ह |

शन४- lsquoिजतना भी उड़लता ह भर-भर िफर आता ह का िवरोधाभास ःपषट कीिजए

उततर-हदय म िःथत म की िवशषता यह ह िक िजतना अिधक वयकत िकया जाए उतना ही बढ़ता जाता ह

शन५- वह रमणीय उजाला कया ह िजस किव सहन नही कर पाता

47

उततर-किव न ियतमा की आभा सम क सखद भावो स सदव िघर रहन की िःथित को उजाल क रप म िचिऽत िकया ह इन ःमितयो स िघर रहना आनददायी होत हए भी किव क िलए असहनीय हो गया ह कयोिक इस आनद स विचत हो जान का भय भी उस सदव सताता रहता ह

6 उषा

शमशर बहादर िसह

सार

उषा किवता म सयोरदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणरन िकया गया ह सयोरदय क पवर ातःकालीन आकाश नील शख की तरह बहत नीला होता ह भोरकालीन नभ की तलना काली िसल स की गयी ह िजस अभी-अभी कसर पीसकर धो िदया गया ह कभी किव को वह राख स लीप चौक क समान लगता ह जो अभी गीला पड़ा ह नील गगन म सयर की पहली िकरण ऐसी िदखाई दती ह मानो कोई सदरी नील जल म नहा रही हो और उसका गोरा शरीर जल की लहरो क साथ िझलिमला रहा हो

ातकालीन पिरवतरनशील सौदयर का दय िबब ाकितक पिरवतरनो को मानवीय िबयाकलापो क माधयम स वयकत िकया गया ह यथाथर जीवन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली िसलनीला शख ःलटलाल खिड़या चाक आिद का योग साद की कित ndashबीती िवभावरी जाग री स तलना की जा सकती ह

किवताndash उषा

अथर-महण-सबधी शन

ात नभ था बहत नीला शख जस

भोर का नभ

राख स लीपा चौका

(अभी गीला पड़ा ह ) बहत काली िसल ज़रा स लाल कसर

स िक जस धल गई हो ःलट पर या लाल खिड़या चाक

मल दी हो िकसी न

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नील जल म या िकसी की

गौर िझलिमल दह

जस िहल रही हो | और

जाद टटता ह इस उषा का अब

सयोरदय हो रहा ह|

शन१ -उषा किवता म सयोरदय क िकस रप को िचिऽत िकया गया ह

उततर -किव न ातःकालीन पिरवतरनशील सौदयर का दय िबब मानवीय िबयाकलापो क माधयम स वयकत िकया ह

शन२ -भोर क नभ और राख स लीप गए चौक म कया समानता ह

उततर -भोर क नभ और राख स लीप गए चौक म यह समानता ह िक दोनो ही गहर सलटी रग क हपिवऽ ह नमी स यकत ह

शन३ - ःलट पर लाल पिकत का अथर ःपषट कीिजए|

उततर - भोर का नभ लािलमा स यकत ःयाही िलए हए होता ह | अत लाल खिड़या चाक स मली गई ःलट जसा तीत होता ह |

शन४- उषा का जाद िकस कहा गया ह

उततर िविवध रप रग बदलती सबह वयिकत पर जादई भाव डालत हए उस मऽ मगध कर दती ह |

सौदयर-बोध-सबधी िवशषताए

शन१- किवता म यकत उपमानो को ःपषट कीिजए

bull भोर का नभ राख स लीपा चौका दोनो ही गहर सलटी रग क हपिवऽ हनमी स यकत ह

49

bull काली िसल भोर का नभ और लालकसर स धली काली िसल दोनो ही लािलमा स यकत ह

bull काली िसलट जो लाल खिड़या चाक स मल दी गई हो और भोर का नभ दोनो ही लािलमा स यकत ह

bull ातः काल क ःवचछ िनमरल आकाश म सयर ऐसा तीत होता ह मानो नीलजल म कोई ःविणरम दह नहा रही हो

शन२- किवता की भाषा एव अिभवयिकत सबधी िवशषताए िलिखए

उततर -१ यथाथर जीवन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दयिबब

शन ३ किवता म आए अलकारो को छॉटकर िलिखए

उततर - उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लीपा चौका

उतकषा अलकार-

ldquo बहत काली िसल जरा स लाल कसर स िक जस धल गई हो

नील जल म या िकसी की

गौर िझलिमल दह

जस िहल रही हो ldquo

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- किवता क िकन उपमानो को दख कर कहा जा सकता ह िक उषा गाव की सबह का गितशील शबद िचऽ ह

उततर -किवता म नील नभ को राख स िलप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर िबब म उसकी तलना काली िसल स की गई ह| तीसर म ःलट पर लाल खिड़या चाक का उपमान ह|लीपा हआ आगन काली िसल या ःलट गाव क पिरवश स ही िलए गए ह |ात कालीन सौदयर बमश िवकिसत होता ह | सवर थम राख स लीपा चौका जो गीली राख क कारण गहर ःलटी रग का अहसास दता ह और पौ फटन क समय आकाश क गहर ःलटी रग स मल खाता

50

ह |उसक पशचात तिनक लािलमा क िमौण स काली िसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ह तथा सयर की लािलमा क रात की काली ःयाही म घल जान का सदर िबब ःतत करता ह | धीर ETHधीर लािलमा भी समापत हो जाती ह और सबह का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर की ःविणरम आभा गौरवणीर दह क नील जल म नहा कर िनकलन की उपमा को साथरक िसदध करती ह | शन२ -

भोर का नभ

राख स लीपा चौका

(अभी गीला पड़ा ह ) नयी किवता म कोषठक िवराम िचहनो और पिकतयो क बीच का ःथान भी किवता को अथर दता ह |उपयरकत पिकतयो म कोषठक स किवता म कया िवशष अथर पदा हआ ह समझाइए |

उततर - नई किवता योग धमीर ह |इसम भाषा- िशलप क ःतर पर हर नए योग स अथर की अिभवयिकत की जाती ह|ाय कोषठक अितिरकत जञान की सचना दता ह|यहा अभी गीला पड़ा ह क माधयम स किव गीलपन की ताजगी को ःपषट कर रहा ह |ताजा गीलापन ःलटी रग को अिधक गहरा बना दता ह जबिक सखन क बाद राख हलक ःलटी रग की हो जाती ह|

7 बादल राग

सयरकात िऽपाठी िनराला

िनराला की यह किवता अनािमका म छह खडो म कािशत हयहा उसका छठा खड िलया गया ह|आम आदमी क दःख स ऽःत किव पिरवतरन क िलए बाित रपी बादल का आहवान करता ह |इस किवता म बादल बाित या िवपलव का तीक ह किव िवपलव क बादल को सबोिधत करत हए कहता ह िक जन मन की आकाकषाओ स भरी-तरी नाव समीर रपी सागर पर तर रही ह अिःथर सख पर दःख की छाया तरती िदखाई दती ह ससार क लोगो क हदय दगध ह(दःखी) उन पर िनदरयी िवपलव अथारत बाित की माया फली हई ह बादलो क गजरन स पथवी क गभर म सोए अकर बाहर िनकल आत ह अथारत शोिषत वगर सावधान हो जाता ह और आशा भरी दिषट स बाित की ओर दखन लगता ह उनकी आशा बाित पर ही िटकी ह बादलो की गजरना और मसलाधार वषार म बड़ -बड़ पवरत वकष घबरा जात हउनको उखड़कर िगर जान का भय होता ह |बाित की हकार स पजीपित घबरा उठत ह व िदल थाम कर रह जात ह बाित को तो छोट-

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छोट लोग बलात ह िजस कार छोट छोट पौध हाथ िहलाकर-बादलो क आगमन का ःवागत करत ह वस ही शोिषत वगर बाित क आगमन का ःवागत करता ह

छायावादी किव िनराला सामयवादी भाव स भी जड़ हमकत छद िहनदी को उनही की दन हशोिषत वगर की समःयाओ को समापत करन क िलए बाित रपी बादल का आहवान िकया गया ह

अथर-महण-सबधी शन

किवताndash

बादल राग

ितरती ह समीर-सागर पर

अिःथर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

िनदरय िवपलव की पलािवत माया-

यह तरी रण-तरी

भरी आकाकषाओ स

घन भरी ETHगजरन स सजग सपत अकर

उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन की ऊचा कर िसर

ताक रह ह ऐ िवपलव क बादल

िफर ETHिफर

बार ETHबार गजरन

वषरण ह मसलधार

हदय थाम लता ससार

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सन- सन घोर वळ हकार |

अशिन पात स शाियत शत-शत वीर

कषत ETHिवकषत हत अचल शरीर

गगन- ःपशीर ःपदधार धीर |

शन१- किवता म बादल िकस का तीक हऔर कयो

उततर -बादलराग बाित का तीक ह इन दोनो क आगमन क उपरात िवशव हरा- भरा समदध और ःवःथ हो जाता ह

शन २ -सख को अिःथर कयो कहा गया ह

उततर -सख सदव बना नही रहता अतः उस अिःथर कहा जाता ह

शन३ -िवपलवी बादल की यदध रपी नौका की कया- कया िवशषताए ह

उततर -बादलो क अदर आम आदमी की इचछाए भरी हई हिजस तरह स यदरध नौका म यदध की साममी भरी होती हयदध की तरह बादल क आगमन पर रणभरी बजती ह सामानयजन की आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह

शन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन िवनाश की आशका स भयभीत हो उठता ह

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सौदयर-बोध-सबधी शन

हसत ह छोट पौध लघभार-

शःय अपार

िहल िहल

िखल िखल

हाथ िहलात

तझ बलात

िवपलव रव स छोट ही ह शोभा पात|

शन १- िनमन िलिखत तीको को ःपषट कीिजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोिषत वगर सपत अकर- आशाए

शन२- Ocircहसत ह छोट पौधOtilde-का तीकाथर ःपषट कीिजए |

उततर -सनन िचतत िनधरन वगर जो बाित की सभावना माऽ स िखल उठता ह

शन३-Ocircछोट ही ह शोभा पातOtilde म िनिहत लाकषिणकता कया ह

उततर-बचपन म मनय िनिशचत होता ह िनधरन मनय उस बचच क समान ह जो बाित क समय भी िनभरय होता ह और अतत लाभािनवत होता ह

किवताndash

बादल राग

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- पजीपितयो की अटटािलकाओ को आतक भवन कयो कहा गया ह

उततर -बादलो की गजरना और मसलाधार वषार म बड़ -बड़ पवरत वकष घबरा जात हउनको उखड़कर िगर जान का भय होता ह |उसी कार बाित की हकार स पजीपित घबरा उठत ह व

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िदल थाम कर रह जात हउनह अपनी सपितत एव सतता क िछन जान का भय होता ह | उनकी अटटािलकाए मजबती का म उतपनन करती ह पर वाःतव म व अपन भवनो म आतिकत होकर रहत ह|

शन२- किव न िकसान का जो शबद-िचऽ िदया ह उस अपन शबदो म िलिखए |

उततर - िकसान क जीवन का रस शोषको न चस िलया ह आशा और उतसाह की सजीवनी समापत हो चकी ह |शरीर स भी वह दबरल एव खोखला हो चका ह | बाित का िबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ह |वह िखलिखला कर बादल रपी बाित का ःवागत करता ह |

शन३- अशिन पात कया ह

उततर- बादल की गजरना क साथ िबजली िगरन स बड़ ETHबड़ वकष जल कर राख हो जात ह | उसी कार बाित की आधी आन स शोषक धनी वगर की सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह |

शन४- पथवी म सोय अकर िकस आशा स ताक रह ह

उततर - बादल क बरसन स बीज अकिरत हो लहलहान लगत ह | अत बादल की गजरन उनम आशाए उतपनन करती ह | व िसर ऊचा कर बादल क आन की राह िनहारत ह | ठीक उसी कार िनधरन वयिकत शोषक क अतयाचार स मिकत पान और अपन जीवन की खशहाली की आशा म बाित रपी बादल की तीकषा करत ह |

शन५- रदध कोष ह कषबदध तोष ETHिकसक िलए कहा गया ह और कयो

उततर - बाित होन पर पजीपित वगर का धन िछन जाता हकोष िरकत हो जाता ह | उसक धन की आमद समापत हो जाती ह | उसका सतोष भी अब Ocircबीत िदनो की बातOtilde हो जाता ह |

शन६- अिःथर सख पर दःख की छाया का भाव ःपषट कीिजए |

उततर - मानव-जीवन म सख सदा बना नही रहता ह उस पर दःख की छाया सदा मडराती रहती ह |

शन७- बादल िकस का तीक ह

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उततर - बादल इस किवता म बाित का तीक ह | िजस कार बादल कित िकसान और आम आदमी क जीवन म आनद का उपहार ल कर आता ह उसी कार बाित िनधरन शोिषत वगर क जीवन म समानता का अिधकार व सपननता ल कर आता ह

शन८- बादल को जीवन का पारावार कयो कहा गया ह

उततर - बाित रपी बादल का आगमन जीवनदायी सखद होता ह -पारावार अथारत सागर | वह जीवन म खिशयो का खजाना लकर आता ह | िनधरन वगर को समानता का अिधकार दता ह |सख समिदध का कारक बनकर अतयाचार की अिगन स मकत करता ह |

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8 किवतावली

तलसीदास

सार

ौीरामजी को समिपरत मनथ ौीरामचिरतमानस उततर भारत म बड़ भिकतभाव स पढ़ा जाता ह लआमण -मचछार और राम का िवलाप

रावण पऽ मघनाद दवारा शिकत बाण स मिछरत हए लआमण को दखकर राम वयाकल हो जात हसषण वदय न सजीवनी बटी लान क िलए हनमान को िहमालय पवरत पर भजाआधी रात वयतीत होन पर जब हनमान नही आएतब राम न अपन छोटभाई लआमण को उठाकर हदय स लगा िलया और साधारण मनय की भाित िवलाप करन लगराम बोल ह भाई तम मझ कभी दखी नही दख सकत थतमहारा ःवभाव सदा स ही कोमल थातमन मर िलए माता िपता को भी छोड़ िदया और मर साथ वन म सदीरगमीर और िविभनन कार की िवपरीत पिरिःथितयो को भी सहा|जस पख िबना पकषीमिण िबना सपर और सड िबना ौषठ हाथी अतयत दीन हो जात हह भाईयिद म जीिवत रहता ह तो मरी दशा भी वसी ही हो जाएगी

म अपनी पतनी क िलए अपन िय भाई को खोकर कौन सा मह लकर अयोधया जाऊगाइस बदनामी को भल ही सह लता िक राम कायर ह और अपनी पतनी को खो बठा सतरी की हािन िवशष कषित नही हपरनत भाई को खोना अपरणीय कषित ह

lsquoरामचिरतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गही लआमण को शिकत बाण लगन का सग किव की मािमरक ःथलो की पहचान का एक ौषठ नमना ह भाई क शोक म िवगिलत राम का िवलाप धीर -धीर लाप म बदल जाता ह िजसम लआमण क ित राम क अतर म िछप म क कई कोण सहसा अनावत हो जात हयह सग ईशवर राम म मानव सलभ गणो का समनवय कर दता ह | हनमान का सजीवनी लकर आ जाना करण रस म वीर रस का उदय हो जान क समान ह|

िवनय पिऽका एक अनय महततवपणर तलसीदासकत कावय ह

किवतत और सवया

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सार

इस शीषरक क अतगरत दो किवतत और एक सवया सकिलत ह lsquoकिवतावलीrsquo स अवतिरत इन किवततो म किव तलसी का िविवध िवषमताओ स मःत किलकालतलसी का यगीन यथाथर ह

िजसम व कपाल भ राम व रामराजय का ःवपन रचत ह यग और उसम अपन जीवन का न िसफर उनह गहरा बोध ह बिलक उसकी अिभवयिकत म भी व अपन समकालीन किवयो स आग ह यहा पाठ म ःतत lsquoकिवतावलीrsquo क छद इसक माण -ःवरप ह पहल छद rdquoिकसवी िकसान ldquo म उनहोन िदखलाया ह िक ससार क अचछ बर समःत-लीला पचो का आधार-lsquoपट की आगrsquoका गहन यथाथर ह िजसका समाधान व राम की भिकत म दखत ह दिरिजन की वयथा दर करन क िलए राम रपी घनयाम का आहवान िकया गया ह पट की आग बझान क िलए राम रपी वषार का जल अिनवायर हइसक िलए अनितक कायर करन की आवयकता नही हOcirc इस कार उनकी राम भिकत पट की आग बझान वाली यानी जीवन क यथाथर सकटो का समाधान करन वाली ह न िक कवल आधयाितमक मिकत दन वाली| गरीबी की पीड़ा रावण क समान दखदायी हो गई ह

तीसर छद )rdquoधत कहौldquo) म भिकत की गहनता और सघनता म उपज भकतहदय क आतमिवशवास का सजीव िचऽण ह िजसस समाज म वयापत जातपात और दरामहो क ितरःकार का साहस -पदा होता ह इस कार भिकत की रचनातमक भिमका का सकत यहा ह जो आज क भदभाव मलक यग म अिधक ासिगक ह |

अथर-महण-सबधी शन

उहा राम लिछमनिह िनहारी बोल बचन मनज अनसारी

अधर राित गइ किप निह आयउ राम उठाइ अनज उर लायउ

सकह न दिखत दिख मोिह काऊ बध सदा तव मदल सभाऊ

मम िहत लािग तजह िपत माता सहह िबिपन िहम आतप बाता

सो अनराग कहा अब भाई उठह न सिन मम बच िबकलाई

जौ जनतउ बन बध िबछोह िपता बचन मनतउ निह ओह

सत िबत नािर भवन पिरवारा होिह जािह जग बारिह बारा

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अस िबचािर िजय जागह ताता िमलइ न जगत सहोदर ाता

जथा पख िबन खग अित दीना मिन िबन फिन किरबर कर हीना

अस मम िजवन बध िबन तोही जौ जड़ दव िजआव मोही

जहउ अवध कवन मह लाई नािर हत िय भाइ गवाई

बर अपजस सहतउ जग माही नािर हािन िबसष छित नाही

अब अपलोक सोक सत तोरा सिहिह िनठर कठोर उर मोरा

िनज जननी क एक कमारा तात तास तमह ान अधारा

सौपिस मोिह तमहिह गिह पानी सब िबिध सखद परम िहत जानी

उतर काह दहउ तिह जाई उिठ िकन मोिह िसखावह भाई

शन१-Ocircबोल बचन मनज अनसारीOtilde- का तातपयर कया ह

उततर - भाई क शोक म िवगिलत राम का िवलाप धीर- -धीर लाप म बदल जाता ह िजसम लआमण क ित राम क अतर म िछप म क कई कोण सहसा अनावत हो जात ह यह सग ईशवर राम म मानव सलभ गणो का समनवय कर दता ह| व मनय की भाित िवचिलत हो कर ऐस वचन कहत ह जो मानवीय कित को ही शोभा दत ह |

शन२- राम न लआमण क िकन गणो का वणरन िकया ह

उततर -राम न लआमण क इन गणो का वणरन िकया ह-

bull लआमण राम स बहत ःनह करत ह | bull उनहोन भाई क िलए अपन माता ETHिपता का भी तयाग कर िदया | bull व वन म वषार िहम धप आिद कषटो को सहन कर रह ह | bull उनका ःवभाव बहत मदल ह |व भाई क दःख को नही दख सकत |

शन३- राम क अनसार कौन सी वःतओ की हािन बड़ी हािन नही ह और कयो

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उततर -राम क अनसार धन पऽ एव नारी की हािन बड़ी हािन नही ह कयोिक य सब खो जान पर पन ापत िकय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन ापत नही िकया जा सकता |

शन४- पख क िबना पकषी और सड क िबना हाथी की कया दशा होती ह कावय सग म इनका उललख कयो िकया गया ह

उततर - राम िवलाप करत हए अपनी भावी िःथित का वणरन कर रह ह िक जस पख क िबना पकषी और सड क िबना हाथी पीिड़त हो जाता ह उनका अिःततव नगणय हो जाता ह वसा ही असहनीय कषट राम को लआमण क न होन स होगा |

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सौदयर-बोध-सबधी शन

शन१- कावयाश की भाषा सौदयर सबधी दो िवशषताओ का उलललख कीिजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतकषा अलकारndash

मन करणा मह बीर रस

जागा िनिसचर दिखअ कसामानह काल दह धिर बसा

दषटात अलकार - जथा पख िबन खग अित दीनामिन िबन फिन किरबर कर हीना

अस मन िजवन बध िबन तोहीजो जड़ दव िजआव मोही

िवरोधाभास अलकार -बहिबिध सोचत सोच िबमोचन

शन२- कावयाश की भाषा का नाम िलिखए |

उततर - अवधी भाषा

शन३- कावयाश म यकत छद कौन ETHसा ह

उततर- १६१६ माऽाओ का सम मािऽक चौपाई छद |

सौदयर-बोध-सबधी शन

िकसबी िकसान-कल बिनक िभखारी भाट चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गढ़त चढ़त िगिर अटत गहन ETHगन अहन अखटकी|

ऊच ETHनीच करम धरम ETHअधरम किर पट ही को पचत बचत बटा ETHबटकी |

OcircतलसीOtilde बझाई एक राम घनःयाम ही त आिग बड़वािगत बड़ी ह आिग पटकी|

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शन१- किवतावली िकस भाषा म िलखी गई ह

उततर - ज भाषा

शन२- किवतावली म यकत छद एव रस को ःपषट कीिजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणोर का चार चरणो वाला समविणरक किवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वणोर पर िवराम होता ह

शन३- किवतत म यकत अलकारो को छाट कर िलिखए

१ अनास अलकारndash

िकसबी िकसान-कल बिनक िभखारी भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनयाम

३ अितशयोिकत अलकारndash आिग बड़वािग त बिड़ ह आग पट की

लआमण- मचछार और राम का िवलाप

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन १-Ocircतव ताप उर रािख भ म िकसक ताप का उललख िकया गया हOtildeऔर कयो

उततर -इन पिकतयो म भरत क ताप का उललख िकया गया ह हनमानजी उनक ताप का ःमरण करत हए अयोधया क ऊपर स उड़त हए सजीवनी ल कर लका की ओर चल जा रह ह

शन२- राम िवलाप म लआमण की कौन सी िवशषताए उदघिटत हई ह

उततर -लआमण का ात म तयागमय जीवन इन पिकतयो क माधयम स उदघािटत हआ ह

शन३- बोल वचन मनज अनसारी स किव का कया तातपयर ह

उततर -भगवान राम एक साधारण मनय की तरह िवलाप कर रह ह िकसी अवतारी मनय की तरह नही ात म का िचऽण िकया गया हतलसीदास की मानवीय भावो पर सशकत पकड़ हदवीय वयिकततव का लीला रप ईशवर राम को मानवीय भावो स समिनवत कर दता ह

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शन४- भाई क ित राम क म की गाढ़ता उनक िकन िवचारो स वयकत हई ह

उततर - जथा पख िबन खग अित दीना

मिन िबन फिन किरबर कर हीना

अस मम िजवन बध िबन तोही

जो जड़ दव िजआव मोही

शन५- Ocircबहिविध सोचत सोचिवमोचनOtilde का िवरोधाभास ःपषट कीिजए

उततर -दीनजन को शोक स मकत करन वाल भगवान राम ःवय बहत कार स सोच म पड़कर दखी हो रह ह

शन६- हनमान का आगमन करणा म वीर रस का आना िकस कार कहा जा सकता ह

उततर -रदन करत वानर समाज म हनमान उतसाह का सचार करन वाल वीर रस क रप म आ गए करणा की नदी हनमान दवारा सजीवनी ल आन पर मगलमयी हो उठती ह

किवतत और सवया

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- पट की भख शात करन क िलए लोग कया कया करत ह

उततर -पट की आग बझान क िलए लोग अनितक कायर करत ह

शन२- तलसीदास की दिषट म सासािरक दखो स िनवितत का सवोरततम उपाय कया ह

उततर - पट की आग बझान क िलए राम कपा रपी वषार का जल अिनवायर हइसक िलए अनितक कायर करन की आवयकता नही ह

शन३- तलसी क यग की समःयाओ का िचऽण कीिजए

उततर - तलसी क यग म ाकितक और शासिनक वषमय क चलत उतपनन पीडा दिरिजन क िलए रावण क समान दखदायी हो गई ह

शन४- तलसीदास की भिकत का कौन सा ःवरप ःतत किवततो म अिभवयकत हआ ह

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उततर - तलसीदास की भिकत का दाःय भाव ःवरप ःतत किवततो म अिभवयकत हआ ह

9 रबाइया

िफ़राक गोरखपरी

मल नामndash रघपित सहाय िफ़राक

उदर शायरी की िरवायत क िवपरीत िफराक गोरखपरी क सािहतय म लोक जीवन एव कित की झलक िमलती ह सामािजक सवदना वयिकतक अनभित बन कर उनकी रचनाओ म वयकत हई हजीवन का कठोर यथाथर उनकी रचनाओ म ःथान पाता हउनहोन लोक भाषा क तीको का योग िकया ह लाकषिणक योग उनकी भाषा की िवशषता हिफ़राक की रबाईयो म घरल िहदी का रप िदखता ह |

रबाई उदर और फ़ारसी का एक छद या लखन शली ह िजसम चार पिकतया होती ह |इसकी पहली दसरी और चौथी पिकत म तक (कािफ़या)िमलाया जाता ह तथा तीसरी पिकत ःवचछद होती ह |

वो रपवती मखड़ प इक नमर दमक

बचच क घरोद म जलाती ह िदए

रकषाबधन की सबह रस की पतली

िबजली की तरह चमक रह ह लचछ

भाई क ह बाधती चमकती राखी - जस योग उनकी भाषा की सशकतता क नमन क तौर पर दख जा सकत ह |

सार

रबाइया

रकषाबधन एक मीठा बधन ह रकषाबधन क कचच धागो पर िबजली क लचछ ह सावन म रकषाबधन आता ह सावन का जो सबध झीनी घटा स ह घटा का जो सबध िबजली स ह वही सबध भाई का बहन स होता ह

गज़ल

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पाठ म िफराक की एक गज़ल भी शािमल ह रबाइयो की तरह ही िफराक की गजलो म भी िहदी समाज और उदर शायरी की परपरा भरपर ह इसका अदभत नमना ह यह गज़ल यह गज़ल कछ इस तरह बोलती ह िक िजसम ददर भी ह एक शायर की ठसक भी ह और साथ ही ह कावय-िशलप की वह ऊचाई जो गज़ल की िवशषता मानी जाती ह

अथर-महण-सबधी शन

आगन म िलए चाद क टकड़ को खड़ी

हाथो प झलाती ह उस गोद-भरी

रह-रह क हवा म जो लोका दती ह

गज उठती ह िखलिखलात बचच की हसी

शन१- Ocircचाद क टकड़Otildeका योग िकसक िलए हआ ह और कयो

उततर -बचच को चाद का टकड़ा कहा गया ह जो मा क िलए बहत पयारा होता ह

शन२- गोद-भरी योग की िवशषता को ःपषट कीिजए |

उततर - गोद-भरी शबद-योग मा क वातसलयपणर आनिदत उतसाह को कट करता ह |यह अतयत सदर दय िबब ह | सनी गोद क िवपरीत गोद का भरना मा क िलए असीम सौभागय का सचक ह |इसी सौभागय का सआम अहसास मा को तिपत द रहा ह|

शन३- लोका दना िकस कहत ह

उततर - जब मा बचच को बाहो म लकर हवा म उछालती ह इस लोका दना कहत ह|छोट बचचो को यह खल बहत अचछा लगता ह

शन४- बचचा मा की गोद म कसी ितिबया करता ह

उततर - हवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा मा का वातसलय पाकर सनन होता ह और िखलिखला कर हस पड़ता हबचच की िकलकािरया मा क आनद को दगना कर दती ह|

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सौदयर-बोध-सबधी शन

नहला क छलक-छलक िनमरल जल स

उलझ हए गसओ म कघी करक

िकस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटिनयो म लक ह िपनहाती कपड़

शन१- ःतत पिकतयो क भाव सौदयर को ःपषट कीिजए |

उततर - मा न अपन बचच को िनमरल जल स नहलाया उसक उलझ बालो म कघी की |मा क ःपशर एव नहान क आनद स बचचा सनन हो कर बड़ म स मा को िनहारता ह| ितिदन की एक ःवाभािवक िबया स कस मा-बचच का म िवकिसत होता ह और गाढ़ होता चला जाता ह इस भाव को इस रबाई म बड़ी सआमता क साथ ःतत िकया गया ह|

शन२- कावयाश म आए िबबो को ःपषट कीिजए |

उततर -१ नहला क छलक-छलक िनमरल जल स - इस योग दवारा किव न बालक की िनमरलता एव पिवऽता को जल की िनमरलता क माधयम स अिकत िकया ह | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक क शरीर पर छलछलान का सदर दय िबब ःतत करता ह |

२ Ocircघटिनयो म लक ह िपनहाती कपड़Otilde- इस योग म मा की बचच क ित सावधानी चचल बचच को चोट पहचाए िबना उस कपड़ पहनान स मा क माततव की कशलता िबिबतहोती ह |

३ िकस पयार स दखता ह बचचा मह को - पिकत म मा ETHबचच का वातसलय िबिबत हआ ह | मा स पयार ETHदलार ःपशर ETHसख नहलाए जान क आनद को अनभव करत हए बचचा मा को पयार भरी नजरो स दख कर उस सख की अिभवयिकत कर रहा ह |यह सआम भाव अतयत मनोरम बन पड़ा ह |सपणर रबाई म दय िबब ह|

शन ३-कावयाश क शबद-योग पर िटपपणी िलिखए |

उततर -गस ETHउदर शबदो का योग

घटिनयो िपनहाती ETH दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अिभवयिकत

छलक ETHछलक ETHशबद की पनरावितत स अभी ETHअभी नहलाए गए बचच क गील शरीर का िबब

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आिद िवलकषण योग रबाइयो को िविशषट बना दत ह | िहदीउदर और लोकभाषा क अनठ गठबधन की झलक िजस गाधीजी िहदःतानी क रप म पललिवत करना चाहत थदखन को िमलती ह |

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

रबाइया

शन १ -कावय म यकत िबबो का वणरन अपन शबदो म कीिजए

उततर -

bull दय िबब -बचच को गोद म लना हवा म उछालना ःनान कराना घटनो म लकर कपड़ पहनाना|

bull ौवयिबब - बचच का िखलिखला कर हस पड़ना bull ःपशर िबब -बचच को ःनान करात हए ःपशर करना |

शन २- आगन म ठनक रहा ह िज़दयाया ह बालक तो हई चाद प ललचाया हOtilde- म बालक की कौन सी िवशषता अिभवयकत हई ह

उततर - इन पिकतयो म बालक की हठ करन की िवशषता अिभवयकत हई ह बचच जब िजद पर आ जात ह तो अपनी इचछा परी करवान क िलए नाना कार की हरकत िकया करत ह| िज़दयाया शबद लोक भाषा का िवलकषण योग ह इसम बचच का ठनकना तनकना पाव पटकना रोना आिद सभी िबयाए शािमल ह |

शन ३ लचछ िकस कहा गया ह इनका सबध िकस तयौहार स ह

उततर - राखी क चमकील तारो को लचछ कहा गया ह रकषाबधन क कचच धागो पर िबजली क लचछ ह सावन म रकषाबधन आता ह सावन का जो सबध झीनी घटा स ह घटा का जो सबध िबजली स ह वही सबध भाई का बहन स होता ह|सावन म िबजली की चमक की तरह राखी क चमकील धागो की सदरता दखत ही बनती ह|

अथर-महण-सबधी शन

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गज़ल

िफ़राक गोरखपरी

नौरस गच पखिड़यो की नाज़क िगरह खोल ह

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ह |

शन१- OcircनौरसOtilde िवशषण दवारा किव िकस अथर की वयजना करना चाहता ह

उततर नौरस अथारत नया रस गच अथारत किलयो म नया ETHनया रस भर आया ह |

शन२- पखिड़यो की नाज़क िगरह खोलन का कया अिभाय ह

उततर - रस क भर जान स किलया िवकिसत हो रही ह |धीर-धीर उनकी पखिड़या अपनी बद गाठ खोल रही ह | किव क शबदो म नवरस ही उनकी बद गाठ खोल रहा ह|

शन३- Ocircरगो- ब गलशन म पर तौल हOtilde ETH का अथर ःपषट कीिजए|

उततर -रग और सगध दो पकषी ह जो किलयो म बद ह तथा उड़ जान क िलए अपन पख फड़फड़ा रह ह |यह िःथित किलयो क फल बन जान स पवर की ह जो फल बन जान की तीकषा म ह |Otildeपर तौलनाOtilde एक महावरा ह जो उड़ान की कषमता आकन क िलए योग िकया जाता ह |

शन४- इस शर का भाव-सौदयर वयकत कीिजए|

उततर -किलयो की नई-नई पखिड़या िखलन लगी ह उनम स रस मानो टपकना ही चाहता ह | वयसिध(िकशोरी)नाियका क ःफिटत होत सौदयर का तीकातमक िचऽण अतयत सदर बन पड़ा ह |

सौदयर-बोध-सबधी शन

हम हो या िकःमत हो हमारी दोनो को इक ही काम िमला िकःमत हम को रो लव ह हम िकःमत को रो ल ह| जो मझको बदनाम कर ह काश व इतना सोच सक

मरा पदार खोल ह या अपना पदार खोल ह | शन१- इन शरो की भाषा सबधी िवशषताए ःपषट कीिजए |

उततर- १ महावरो का योग ETHिकःमत का रोना ETHिनराशा का तीक

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२सरल अिभवयिकत भाषा म वाहमयता ह िकःमत और परदा शबदो की पनराविततया

मोहक ह| ३ िहदी का घरल रप

शन२- Ocircमरा परदा खोल ह या अपना परदा खोल ह Ocirc- की भािषक िवशषता िलिखए |

उततर -महावर क योग दवारा वयजनातमक अिभवयिकत | परदा खोलना ETH भद खोलना सचचाई बयान करना|

शन३-Ocircहम हो या िकःमत हो हमारी Ocirc ETHयोग की िवशषता बताइए |

उततर - हम और िकःमत दोनो शबद एक ही वयिकत अथारत िफ़राक क िलए यकत ह | हम और िकःमत म अभद ह यही िवशषता ह |

िफ़राक गोरखपरी

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- तार आख झपकाव ह ETHका तातपयर ःपषट कीिजए |

उततर- रािऽ का सननाटा भी कछ कह रहा हइसिलए तार पलक झपका रह ह िवयोग की िःथित म कित भी सवाद करती तीत होती ह |

शन२- Ocircहम हो या िकःमत हो हमारीOtilde म िकस भाव की अिभवयिकत हई ह

उततर- जीवन की िवडबना िकःमत को रोना-महावर क योग स सटीक अिभवयिकत ापत करती ह किव जीवन स सतषट नही ह | भागय स िशकायत का भाव इन पिकतयो म झलकता ह |

शन३- म क िकस िनयम की अिभवयिकत किव न की ह

उततर -ईशवर की ािपत सवरःव लटा दन पर होती ह म क ससार का भी यही िनयम ह|किव क शबदो म िफ़तरत का कायम ह तवाज़न आलम- हःनो ETHइक म भी

उसको उतना ही पात ह खद को िजतना खो ल ह |

१ भाव ETHसामय- कबीर -Ocircसीस उतार भई धर तब िमिलह करतारOcirc-अथारत -ःवय को खो कर ही म ािपत की जा सकती ह

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२ भाव सामय- कबीर ETHिजन ढढा ितन पाइया गहर पानी पिठ|

म बपरा बडन डरा रहा िकनार बिठ |

शन४- शराब की महिफल म शराबी को दर रात कया बात याद आती ह

उततर - शराब की महिफल म शराबी को दर रात याद आती ह िक आसमान म मनय क पापो का लखा-जोखा होता ह जस आधी रात क समय फिरत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ह वस ही रात क समय शराब पीत हए शायर को महबबा की याद हो आती ह मानो महबबा फिरतो की तरह पाप ःथल क आस पास ही ह

शन५- सदक िफ़राकndashndashndashइन पिकतयो का अथर ःपषट कीिजए |

उततर -सदक िफ़राकndashndashndashइन पिकतयो म िफ़राक कहत ह िक उनकी शायरी म मीर की शायरी की उतकषटता धविनत हो रही ह

शन६- पखिड़यो की नाज़क िगरह खोलना कया ह

उततर -पखिड़यो की नाजक िगरह खोलना उनका धीर -धीर िवकिसत होना ह

वयसिध(िकशोरी)नाियका क ःफिटत होत सौदयर की ओर सकत ह |

शन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल हrsquo भाव ःपषट कीिजए

उततर -किलयो की सवास उड़न क िलए मानो पर तौल रही होअथारत खशब का झोका रहndashरह कर उठता ह

शन८- किव दवारा विणरत रािऽ क दय का वणरन अपन शबदो म कीिजए

उततर - रािऽ का सननाटा भी कछ कह रहा हइसिलए तार पलक झपका रह हलगता ह िक कित का कण-कण कछ कह रहा ह |

शन९- किव अपन वयिकतक अनभव िकन पिकतयो म वयकत कर रहा ह

जीवन की िवडबना-Ocircिकःमत को रोनाOcirc महावर क योग स सटीक अिभवयिकत ापत करती ह

हम हो या िकःमत हो हमारी दोनो को इक ही काम िमला

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िकःमत हम को रो लव ह हम िकःमत को रो ल ह|

शन१०- शायर न दिनया क िकस दःतर का वणरन िकया ह

उततर -शायर न दिनया क इस दःतर का वणरन िकया ह िक लोग दसरो को बदनाम करत ह परत व नही जानत िक इस तरह व अपनी दषट कित को ही उदघािटत करत ह

शन११- म की िफ़तरत किव न िकन शबदो म अिभवयकत की ह

ःवय को खो कर ही म की ािपत की जा सकती ह ईशवर की ािपत सवरःव लटा दन पर होती ह म क ससार का भी यही िनयम ह

शन१२- िफ़राक गोरखपरी िकस भाषा क किव ह

उततर - उदर भाषा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोशी

(गजराती किव)

उमाशकर जोशी बीसवी सदी क गजराती क मधरनय किव सःकत वाङमय क िवदवान हउनहोन गजराती किवता को कित स जोड़ाआम आदमी क जीवन की झलक उनकी रचनाओ म िमलती ह

छोटा मरा खत

सार

खती क रपक दवारा कावय रचनाndash िबया को ःपषट िकया गया हकावय कित की रचना बीजndash

वपन स लकर पौध क पिपत होन क िविभनन चरणो स गजरती हअतर कवल इतना ह िक किव कमर की फसल कालजयी शाशवत होती हउसका रस-कषरण अकषय होता हकागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह किव को एक चौकोर खत की तरह लगता ह इस खत म िकसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क भाव स िकसी कषण एक बीज बोया जाता

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ह यह बीज-रचना िवचार और अिभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर िवकिसत होता ह और िबया म ःवय िवगिलत हो जाता ह उसस शबदो क अकर िनकलत ह और अततः कित एक पणर ःवरप महण करती ह जो किष-कमर क िलहाज स पललिवत -पिपत होन की िःथित ह सािहितयक कित स जो अलौिकक रस-धारा फटती ह वह कषण म होन वाली रोपाई का ही पिरणाम ह पर यह रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ह |

बगलो क पख

सार

बगलो क पख किवता एक चाकषष िबब की किवता ह सौदयर का अपिकषत भाव उतपनन करन क िलए किवयो न कई यिकतया अपनाई ह िजसम स सबस चिलत यिकत ह-सौदयर क वयौरो क िचऽातमक वणरन क साथ अपन मन पर पड़न वाल उसक भाव का वणरन और आतमगत क सयोग की यह यिकत पाठक को उस मल सौदयर क काफी िनकट ल जाती ह जोशी जी की इस किवता म ऐसा ही ह किव काल बादलो स भर आकाश म पिकत बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ह व कजरार बादलो म अटका-सा रह जाता ह वह इस माया स अपन को बचान की गहार लगाता ह कया यह सौदयर स बाधन और िवधन की चरम िःथित को वयकत करन का एक तरीका ह

कित का ःवतऽ (आलबन गत ) िचऽण आधिनक किवता की िवशषता हिचऽातमक वणरन दवारा किव न एक ओर काल बादलो पर उड़ती बगलो की शवत पिकत का िचऽ अिकत िकया ह तो दसरी ओर इस अितम दय क हदय पर पड़न वाल भाव को िचिऽत िकया हमऽ मगध किव इस दय क भाव स आतम िवःमित की िःथित तक पहच जाता हिवषय एव िवषयीगत सौनदयर क दोनो रप किवता म उदघािटत हए ह

अथर-महण-सबधी शन

छोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कही स आया

कषण का बीज वहा बोया गया|

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कलपना क रसायनो को पी

बीज गल गया िनशष शबद क अकर फट

पललव ETHपपो स निमत हआ िवशष |

शन १lsquoछोटा मरा खतrsquo िकसका तीक ह और कयो

उततर - शन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का तीक ह िजस पर किव अपनी किवता िलखता ह

शन २ किव खत म कौनndashसा बीज बोता ह

उततर - किव खत म अपनी कलपना का बीज बोता ह

शन ३ किव की कलपना स कौन स पललव अकिरत होत ह

उततर - किव की कलपना स शबद क पललव अकिरत होत ह

शन ४ उपयरकत पद का भाव-सौदयर ःपषट कीिजए |

उततर - खती क रपक दवारा कावय-रचनाndashिबया को ःपषट िकया गया हकावय कित की रचना बीजndash वपन स लकर पौध क पिपत होन क िविभनन चरणो स गजरती हअतर कवल इतना ह िक किव कमर की फसल कालजयी शाशवत होती हउसका रस-कषरण अकषय होता ह

सौदयर-बोध-सबधी शन

झमन लग फल

रस अलौिकक

अमत धाराए फटती

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रहन स जरा भी कम नही होती |

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रस का अकषय पाऽ सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |

शन इस किवता की भाषा सबधी िवशषताओ पर काश डािलए ndash

उततर - १ तीकातमकता

२ लाकषिणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पाऽ सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

शन २ रस अलौिकक अमत धाराए रोपाई ETH कटाई-तीको क अथर ःपषट कीिजए |

उततर - रस अलौिकक ETH कावय रस िनपितत

अमत धाराए- कावयानद

रोपाई ETH अनभित को शबदबदध करना

कटाई ETHरसाःवादन

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

किवता ndash

छोटा मरा खत

शन १ उमाशकर जोशी न िकस भाषा म किवताए िलखी ह

उततर - गजराती भाषा

शन२ किषndashकमर एव किवndashकमर म कया कया समानताए ह

उततर - किषndashकमर एव किवndashकमर म िनमनिलिखत समानताए ह-

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कावय कित की रचना बीजndash वपन स लकर पौध क पिपत होन क िविभनन चरणो स गजरती ह

किषndashकमर एव किवndashकमर म समानताए -

bull कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह किव को एक चौकोर खतलगता ह

bull इस खत म िकसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क भाव स िकसी कषण एक बीज बोया जाता ह यह बीज-रचना िवचार और अिभवयिकत का हो सकता ह

bull यह मल रप कलपना का सहारा लकर िवकिसत होता ह और िबया म ःवय िवगिलत हो जाता ह इसीकार बीज भी खाद पानी सयर की रोशनी हवा आिद लकर िवकिसत होता ह |

bull कावय ETHरचना स शबदो क अकर िनकलत ह और अततः कित एक पणर ःवरप महण करती ह जो किष-कमर क िलहाज स पललिवत ndashपिपत और फिलत होन की िःथित ह अथर-महण-सबधी शन

किवताndash बगलो क पख

नभ म पाती- बध बगलो क पख चराए िलए जाती व मरी आख |

कजरार बादलो की छाई नभ छाया हौलETHहौल जाती मझ बाध िनज माया स |

उस कोई तिनक रोक रकखो | वह तो चराए िलए जाती मरी आख

नभ म पाती- बधी बगलो की पाख | तरती साझ की सतज शवत काया|

शन१- इस किवता म किव न िकसका िचऽण िकया ह

उततर - किव न काल बादलो पर उड़ती बगलो की शवत पिकत का िचऽण िकया ह|

शन२- आख चरान का कया अथर ह

उततर - आख चरान का आशय ह ETHधयान परी तरह खीच लना एकटक दखना मऽमगध कर दना

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शन३-

कजरार बादलो की छाई नभ छाया

हौल ETHहौल जाती मझ बाध िनज माया स | - आशय ःपषट कीिजए |

उततर- काल बादलो क बीच साझ का सरमई वातावरण बहत सदर िदखता ह | ऐसा अितम सौदयर अपन आकषरण म किव को बाध लता ह |

शन ४ उस कोई तिनक रोक रकखो |Otilde- स किव का कया अिभाय ह

उततर - बगलो की पिकत आकाश म दर तक उड़ती जा रही ह किव की मऽमगध आख उनका पीछा कर रही ह | किव उन बगलो को रोक कर रखन की गहार लगा रहा ह िक कही व उसकी आख ही अपन साथ न ल जाए |

सौदयर-बोध-सबधी शन

शन १ किवता की भाषा सबधी दो िवशषताए िलिखए|

उततर -१ िचऽातमक भाषा

२ बोलचाल क शबदो का योग - हौल ETHहौल पाती कजरारसाझ

शन २ किवता म यकत अलकार चन कर िलिखए |

उततर - अनास अलकार - बध बगलो क पख

मानवीकरण अलकार - चराए िलए जाती व मरी आख |

शन ३ -Ocirc िनज मायाOtilde क लाकषिणक अथर को ःपषट कीिजए |

उततर - कित का अितम सौदयर वह माया ह जो किव को आतमिवभोर कर दती हयह पिकत भी शसातमक उिकत ह

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- lsquoचराए िलए जाती व मरी ऑखrsquo स किव का कया तातपयर ह

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उततर -िचऽातमक वणरन दवारा किव न एक ओर काल बादलो पर उड़ती बगलो की शवत पिकत का िचऽ अिकत िकया ह तथा इस अितम दय क हदय पर पड़न वाल भाव को िचिऽत िकया ह किव क अनसार यह दय उनकी आख चराए िलए जा रहा ह |मऽ मगध किव इस दय क भाव स आतम िवःमित की िःथित तक पहच जाता ह

शन२-किव िकस माया स बचन की बात कहता ह

उततर - माया िवशव को अपन आकषरण म बाध लन क िलए िसदध ह | कबीर न भी Ocircमाया महा ठिगनी हम जानीOtilde कहकर माया की शिकत को ितपािदत िकया ह | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर किव को अपन वश म कर रही ह |

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आरोह भाग-२ गदय-भाग

bull शन-सखया १०- गदय खड म िदए गए पिठत गदयाश स अथरमहण सबधी चार शन पछ जाएग िजनक िलए िनधारिरत अक (२४=८) ह |

bull शन-सखया ११- पाठो की िवषयवःत स सबिधत पाच म स चार शनो क उततर दन ह िजनक िलए िनधारिरत अक (३४=१२) ह|

परीकषा म अचछ अक ापत करन क िलए धयान दन योगय बात ndash

1 लख एव वतरनी की शदधता तथा वाकय-गठन पर धयान द | 2 हर पाठ का सारपषठभिमिवषयवःत तथाकथानक को समझना आवयक ह | अतिवदयाथीर

हर पाठ का साराश भलीभाित याद कर ल | 3 शनो को धयान स पढ़ तदनसार अपिकषत उततर िलख |

4 उततर िलखत समय सबिधत मखय िबदओ का शीषरकबनात हए उततर िलख यथा-तीन अक क शनो क उततर िलखत समय कम स कम तीन मखय उततर-िबदओ का उललख करत हए उततर ःपषट कर |

5 अक-योजना क अनसार िनधारिरत शबद-सीमा क अतगरत उततर िलख | परीकषाथीर कई बार एक अक क शन का उततर बहत लबा कई बार परा पषठ िलख दत ह जो समय और ऊजार की बबारदी ह |

6 धयान रह िक अिधक िलखन स अचछ अक नही आत बिलक सरल-सबोध भाषा म िलख गए सटीक उततर सारगिभरत तथय तथा उदाहरण क दवारा ःपषट िकए गए उततर भावशाली होत ह |

पाठ 11 - भिकतन

लिखका- महादवी वमार

पाठ का साराश- भिकतन िजसका वाःतिवक नाम लआमी थालिखका Ocircमहादवी वमारOtilde की सिवका ह | बचपन म ही भिकतन की मा की मतय हो गयी| सौतली मा न पाच वषर की आय म िववाह तथा नौ वषर की आय म गौना कर भिकतन को ससराल भज िदया| ससराल म भिकतन न तीन बिटयो को जनम िदया िजस कारण उस सास और िजठािनयो की उपकषा सहनी पड़ती थी| सास और िजठािनया आराम फरमाती थी और भिकतन तथा उसकी ननही बिटयो को घर और खतो का सारा काम करना पडता था| भिकतन का पित उस बहत चाहता था| अपन पित क ःनह क बल पर भिकतन न ससराल वालो स अलगौझा कर अपना अलग घर बसा िलया और सख स रहन लगी पर भिकतन का दभारगय अलपाय म ही उसक पित की मतय हो गई | ससराल वाल भिकतन

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की दसरी शादी कर उस घर स िनकालकर उसकी सपितत हड़पन की सािजश करन लग| ऐसी पिरिःथित म भिकतन न अपन कश मडा िलए और सनयािसन बन गई | भिकतन ःवािभमानी सघषरशील कमरठ और दढ सकलप वाली सतरी ह जो िपतसततातमक मानयताओ और छल-कपट स भर समाज म अपन और अपनी बिटयो क हक की लड़ाई लड़ती हघर गहःथी सभालन क िलए अपनी बड़ी बटी दामाद को बला िलया पर दभारगय न यहा भी भिकतन का पीछा नही छोड़ा अचानक उसक दामाद की भी मतय हो गयी| भिकतन क जठ-िजठौत न सािजश रचकर भिकतन की िवधवा बटी का िववाह जबरदःती अपन तीतरबाज साल स कर िदया| पचायत दवारा कराया गया यह सबध दखदायी रहा | दोनो मा-बटी का मन घर-गहःथी स उचट गया िनधरनता आ गयी लगान न चका पान क कारण जमीदार न भिकतन को िदन भर धप म खड़ा रखा| अपमािनत भिकतन पसा कमान क िलए गाव छोड़कर शहर आ जाती ह और महादवी की सिवका बन जाती ह| भिकतन क मन म महादवी क ित बहत आदर समपरण और अिभभावक क समान अिधकार भाव ह| वह छाया क समान महादवी क साथ रहती ह| वह रात-रात भर जागकर िचऽकारी या लखन जस कायर म वयःत अपनी मालिकन की सवा का अवसर ढढ लती ह| महादवी भिकतन को नही बदल पायी पर भिकतन न महादवी को बदल िदया| भिकतन क हाथ का मोटा-दहाती खाना खात-खात महादवी का ःवाद बदल गया भिकतन न महादवी को दहात क िकःस-कहािनया िकवदितया कठःथ करा दी| ःवभाव स महाकजस होन पर भी भिकतन पाई-पाई कर जोडी हई १०५ रपयो की रािश को सहषर महादवी को समिपरत कर दती ह| जल क नाम स थर-थर कापन वाली भिकतन अपनी मालिकन क साथ जल जान क िलए बड़ लाट साहब तक स लड़न को भी तयार हो जाती ह| भिकतन महादवी क जीवन पर छा जान वाली एक ऐसी सिवका ह िजस लिखका नही खोना चाहती

पाठ आधािरत शनोततर

नोट- उततर म िनिहत रखािकत वाकय मखय सकत िबद ह |

शन 1-भिकतन का वाःतिवक नाम कया था वह अपन नाम को कयो छपाना चाहती थी

उततर-भिकतन का वाःतिवक नाम लआमी था िहनदओ क अनसारलआमी धन की दवीह चिक भिकतन गरीब थी| उसक वाःतिवक नाम क अथर और उसक जीवन क यथाथर म िवरोधाभास ह

िनधरन भिकतन सबको अपना असली नाम लआमी बताकर उपहास का पाऽ नही बनना चाहती थी इसिलए वह अपना असली नाम छपाती थी

शन 2- लिखका न लआमी का नाम भिकतन कयो रखा

उततर-घटा हआ िसर गल म कठी माला और भकतो की तरह सादगीपणर वशभषा दखकर महादवी वमार न लआमी का नाम भिकतन रख िदया | यह नाम उसक वयिकततव स पणरत मल खाता था |

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शन 3-भिकतन क जीवन को िकतन पिरचछदो म िवभािजत िकया गया ह

उततर- भिकतन क जीवन को चार भागो म बाटा गया ह-

bull पहला पिरचछद-भिकतन का बचपन मा की मतय िवमाता क दवारा भिकतन का बाल-िववाह करा दना

bull िदवतीय पिरचछद-भिकतन का ववािहक जीवन सास तथा िजठािनयो का अनयायपणर वयवहार पिरवार स अलगौझा कर लना

bull ततीय पिरचछद- पित की मतय िवधवा क रप म सघषरशील जीवन bull चतथर पिरचछद- महादवी वमार की सिवका क रप म

शन 4- भिकतन पाठ क आधार पर भारतीय मामीण समाज म लड़क-लड़िकयो म िकय जान वाल भदभाव का उललख कीिजए |

भारतीय मामीण समाज म लड़क-लड़िकयो म भदभाव िकया जाता ह| लड़िकयो को खोटा िसकका या पराया धन माना जाता ह| भिकतन न तीन बिटयो को जनम िदया िजस कारण उस सास और िजठािनयो की उपकषा सहनी पड़ती थी| सास और िजठािनया आराम फरमाती थी कयोिक उनहोन लड़क पदा िकए थ और भिकतन तथा उसकी ननही बिटयो को घर और खतो का सारा काम करना पडता था| भिकतन और उसकी बिटयो को रखा-सखा मोटा अनाज खान को िमलता था जबिक उसकी िजठािनया और उनक काल-कलट बट दध-मलाई राब-चावल की दावत उड़ात थ

शन 5-भिकतन पाठ क आधार पर पचायत क नयाय पर िटपपणी कीिजए |

भिकतन की बटी क सनदभर म पचायत दवारा िकया गया नयाय तकर हीन और अध कानन पर आधािरतह | भिकतन क िजठौत न सपितत क लालच म षडयऽ कर भोली बचची को धोख स जाल म फसाया| पचायत न िनदोरष लड़की की कोई बात नही सनी और एक तरफ़ा फसला दकर उसका िववाह जबरदःती िजठौत क िनकमम तीतरबाज साल स कर िदया | पचायत क अध कानन स दषटो को लाभ हआ और िनदोरष को दड िमला |

शन 6-भिकतन की पाक-कला क बार म िटपपणी कीिजए |

भिकतन को ठठ दहाती सादा भोजन पसद था | रसोई म वह पाक छत को बहत महततव दती थी | सबह-सवर नहा-धोकर चौक की सफाई करक वह दवार पर कोयल की मोटी रखा खीच दती थी| िकसी को रसोईघर म वश करन नही दती थी| उस अपन बनाए भोजन पर बड़ा अिभमान था| वह अपन बनाए भोजन का ितरःकार नही सह सकती थी |

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शन 7- िसदध कीिजए िक भिकतन तकर -िवतकर करन म मािहर थी |

भिकतन तकर पट थी | कश मडान स मना िकए जान पर वह शासतरो का हवाला दत हए कहती ह Ocircतीरथ गए मडाए िसदधOtilde | घर म इधर-उधर रख गए पसो को वह चपचाप उठा कर छपा लती ह टोक जानपर वह वह इस चोरी नही मानती बिलक वह इस अपन घर म पड़ पसो को सभालकर रखना कहती ह| पढाई-िलखाई स बचन क िलए भी वह अचक तकर दती ह िक अगर म भी पढ़न लग तो घर का काम कौन दखगा

शन 8-भिकतन का दभारगय भी कम हठी नही था लिखका न ऐसा कयो कहा ह

उततर- भिकतन का दभारगय उसका पीछा नही छोड़ता था-

1- बचपन म ही मा की मतय 2- िवमाता की उपकषा 3- भिकतन(लआमी) का बालिववाह 4- िपता का िनधन 5- तीन-तीन बिटयो को जनम दन क कारण सास और िजठािनयो क दवारा भिकतन की उपकषा

6- पित की असमय मतय 7- दामाद का िनधन और पचायत क दवारा िनकमम तीतरबाज यवक स भिकतन की िवधवा

बटी का जबरन िववाह 8- लगान न चका पान पर जमीदार क दवारा भिकतन का अपमान

शन 9-भिकतन न महादवी वमार क जीवन पर कस भािवत िकया

उततर- भिकतन क साथ रहकर महादवी की जीवन-शली सरल हो गयी व अपनी सिवधाओ की चाह को िछपान लगी और असिवधाओ को सहन लगी भिकतन न उनह दहाती भोजन िखलाकर उनका ःवाद बदल िदया भिकतन माऽ एक सिवका न होकर महादवी की अिभभावक और आतमीय बन गयीभिकतन महादवी क जीवन पर छा जान वाली एक ऐसी सिवका ह िजस लिखका नही खोना चाहती

शन 10- भिकतन क चिरऽ की िवशषताओ का उललख कीिजए

उततर- महादवी वमार की सिवका भिकतन क वयिकततव की िवशषताए िनमनािकत ह-

bull समिपरत सिवका bull ःवािभमानी

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bull तकर शीला bull पिरौमी bull सघषरशील bull

शन 11-भिकतन क दगरणो का उललख कर

उततर- गणो क साथ-साथ भिकतन क वयिकततव म अनक दगरण भी िनिहत ह-

1 वह घर म इधर-उधर पड़ रपय-पस को भडार घर की मटकी म छपा दती ह और अपन इस कायर को चोरी नही मानती

2 महादवी क बोध स बचन क िलए भिकतन बात को इधर-उधर करक बतान को झठ नही मानती अपनी बात को सही िसदध करन क िलए वह तकर -िवतकर भी करती ह

3 वह दसरो को अपनी इचछानसार बदल दना चाहती ह पर ःवय िबलकल नही बदलती शन 12 िनमनािकत भाषा-योगो का अथर ःपषट कीिजए-

bull पहली कनया क दो और सःकरण कर डाल- भिकतन न अपनी पहली कनया क बाद उसक जसी दो और कनयाए पदा कर दी अथारत भिकतन क एक क बाद एक तीन बिटया पदा हो गयी |

bull खोट िसकको की टकसाल जसी पतनी- आज भी अिशिकषत मामीण समाज म बिटयो को

खोटा िसकका कहा जाता ह भिकतन न एक क बाद एक तीन बिटया पदा कर दी इसिलए उस खोट िसकक को ढालन वाली मशीन कहा गया

शन 13-भिकतन पाठ म लिखका न समाज की िकन समःयाओ का उललख िकया ह

उततर- भिकतन पाठ क माधयम स लिखका न भारतीय मामीण समाज की अनक समःयाओ का उललख िकया ह-

1 लड़क-लड़िकयो म िकया जान वाला भदभाव

2 िवधवाओ की समःया 3 नयाय क नाम पर पचायतो क दवारा िसतरयो क मानवािधकार को कचलना 4 अिशकषा और अधिवशवास

गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

पिरवार और पिरिःथितयो क कारण ःवभाव म जो िवषमताए उतपनन हो गई ह उनक भीतर स एक ःनह और सहानभित की आभा फटती रहती ह इसी स उसक सपकर म आनवाल वयिकत उसम जीवन की सहज मािमरकता ही पात ह छाऽावास की बािलकाओ म स कोई अपनी चाय बनवान क िलए दहली पर बठी रहती ह कोई बाहर खडी मर िलए नात को चखकर उसक ःवाद

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की िववचना करती रहती ह मर बाहर िनकलत ही सब िचिड़यो क समान उड़ जाती ह और भीतर आत ही यथाःथान िवराजमान हो जाती ह इनह आन म रकावट न हो सभवतः इसी स भिकतन अपना दोनो जन का भोजन सवर ही बनाकर ऊपर क आल म रख दती ह और खात समय चौक का एक कोना धोकर पाकETHछत क सनातन िनयम स समझौता कर लती ह

मर पिरिचतो और सािहितयक बधओ स भी भिकतन िवशष पिरिचत ह पर उनक ित भिकतन क सममान की माऽा मर ित उनक सममान की माऽा पर िनभरर ह और सदभाव उनक ित मर सदभाव स िनिशचत होता ह इस सबध म भिकतन की सहज बिदध िविःमत कर दन वाली ह

(क) भिकतन का ःवभाव पिरवार म रहकर कसा हो गया ह

उततर-िवषम पिरिःथितजनय उसक उम हठी और दरामही ःवभाव क बावजद भिकतन क भीतर ःनह और सहानभित की आभा फटती रहती ह उसक सपकर म आन वाल वयिकत उसम जीवन की सहज मािमरकता ही पात ह

(ख) भिकतन क पास छाऽावास की छाऽाए कयो आती ह

उततर- भिकतन क पास कोई छाऽा अपनी चाय बनवान आती ह और दहली पर बठी रहती ह कोई महादवी जी क िलए बन नात को चखकर उसक ःवाद की िववचना करती रहती ह महादवी को दखत ही सब छाऽाए भाग जाती ह उनक जात ही िफर वापस आ जाती ह भिकतन का सहज-ःनह पाकर िचिड़यो की तरह चहचहान लगती ह |

(ग) छाऽाओ क आन म रकावट न डालन क िलए भिकतन न कया उपाय िकया

उततर- छाऽाओ क आन म रकावट न डालन क िलए भिकतन न अपन पाक-छत क िनयम स समझौता कर िलया | भिकतन अपना दोनो वकत का खाना बनाकर सबह ही आल म रख दती और खात समय चौक का एक कोना धोकर वहा बठकर खा िलया करती थी तािक छाऽाए िबना रोक-टोक क उसक पास आ सक

(घ) सािहतयकारो क ित भिकतन क सममान का कया मापदड ह

उततर-भिकतन महादवी क सािहितयक िमऽ क ित सदभाव रखती थी िजसक ित महादवी ःवय सदभाव रखती थी | वह सभी स पिरिचत हपर उनक ित सममान की माऽा महादवी जी क सममान की माऽा पर िनभरर करती ह वह एक अदभत ढग स जान लती थी िक कौन िकतना सममान करता ह उसी अनपात म उसका ापय उस दती थी

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12 बाजार-दशरन

लखक- जनि कमार

पाठ का साराश बाजार-दशरन पाठ म बाजारवाद और उपभोकतावाद क साथ-साथ अथरनीित एव दशरन स सबिधत शनो को सलझान का यास िकया गया ह बाजार का जाद तभी असर करता ह जब मन खाली हो| बाजार क जाद को रोकन का उपाय यह ह िक बाजार जात समय मन खाली ना हो मन म लआय भरा हो| बाजार की असली कताथरता ह जररत क वकत काम आना| बाजार को वही मन य लाभ द सकता ह जो वाःतव म अपनी आवयकता क अनसार खरीदना चाहता ह| जो लोग अपन पसो क घमड म अपनी पचरिजग पावर को िदखान क िलए चीज खरीदत ह व बाजार को शतानी वयगय शिकत दत ह| ऐस लोग बाजारपन और कपट बढात ह | पस की यह वयगय शिकत वयिकत को अपन सग लोगो क ित भी कतघन बना सकती ह | साधारण जन का हदय लालसा ईयार और त णा स जलन लगता ह | दसरी ओर ऐसा वयिकत िजसक मन म लश माऽ भी लोभ और त णा नही ह सचय की इचछा नही ह वह इस वयगय-शिकत स बचा रहता ह | भगतजी ऐस ही आतमबल क धनी आदशर माहक और बचक ह िजन पर पस की वयगय-शिकत का कोई असर नही होता | अनक उदाहरणो क दवारा लखक न यह ःपषट िकया ह िक एक ओर बाजार लालची असतोषी और खोखल मन वाल वयिकतयो को लटन क िलए ह वही दसरी ओर सतोषी मन वालो क िलए बाजार की चमक-दमक उसका आकषरण कोई महततव नही रखता

शन१ - पचरिजग पावर िकस कहा गया ह बाजार पर इसका कया भाव पड़ता ह

उततर- पचरिजग पावर का अथर ह खरीदन की शिकत पचरिजग पावर क घमड म वयिकत िदखाव क िलए आवयकता स अिधक खरीदारीकरता ह और बाजार को शतानी वयगय-शिकत दता ह ऐस लोग बाजार का बाजारपन बढ़ात ह

शन२ -लखक न बाजार का जाद िकस कहा ह इसका कया भाव पड़ता ह

उततर- बाजार की चमक-दमक क चबकीय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आखो की राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण माहक सजी-धजी चीजो को आवयकता न होन पर भी खरीदन को िववश हो जात ह

शन३ -आशय ःपषट कर

bull मन खाली होना bull मन भरा होना bull मन बद होना

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उततर-मन खाली होना- मन म कोई िनिशचत वःत खरीदन का लआय न होना िनरददय बाजार जाना और वयथर की चीजो को खरीदकर लाना

मन भरा होना- मन लआय स भरा होना िजसका मन भरा हो वह भलीभाित जानता ह िक उस बाजार स कौन सी वःत खरीदनी ह अपनी आवयकता की चीज खरीदकर वह बाजार को साथरकता दान करता ह

मन बद होना-मन म िकसी भी कार की इचछा न होना अथारत अपन मन को शनय कर दना

शन४ - lsquoजहा त णा ह बटोर रखन की ःपहा ह वहा उस बल का बीज नही हrsquo यहा िकस बल की चचार की गयी ह

उततर- लखक न सतोषी ःवभाव क वयिकत क आतमबलकी चचार की ह दसर शबदो म यिद मन म सतोष हो तो वयिकत िदखाव और ईयार की भावना स दर रहता ह उसम सचय करन की वितत नही होती

शन५ - अथरशासतर अनीितशासतर कब बन जाता ह

उततर- जब बाजार म कपट और शोषण बढ़न लग खरीददार अपनी पचरिचग पावर क घमड म िदखाव क िलए खरीददारी कर | मनयो म परःपर भाईचारा समापत हो जाए| खरीददार और दकानदार एक दसर को ठगन की घात म लग रह एक की हािन म दसर को अपना लाभ िदखाई द तो बाजार का अथरशासतर अनीितशासतर बन जाता ह ऐस बाजार मानवता क िलए िवडबना ह

शन६-भगतजी बाजार और समाज को िकस कार साथरकता दान कर रह ह

उततर- भगतजी क मन म सासािरक आकषरणो क िलए कोई त णा नही ह व सचय लालच और िदखाव स दर रहत ह बाजार और वयापार उनक िलए आवयकताओ की पितर का साधन माऽ ह भगतजी क मन का सतोष और िनःपह भाव उनको ौषठ उपभोकता और िवबता बनात ह

शन ७ _ भगत जी क वयिकततव क सशकत पहलओ का उललख कीिजए |

उततर-िनमनािकत िबद उनक वयिकततव क सशकत पहल को उजागर करत ह

bull पसारी की दकान स कवल अपनी जररत का सामान (जीरा और नमक) खरीदना bull िनिशचत समय पर चरन बचन क िलए िनकलना bull छह आन की कमाई होत ही चरन बचना बद कर दना bull बच हए चरन को बचचो को मझत बाट दना bull सभी काजय-जय राम कहकर ःवागत करना

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bull बाजार की चमक-दमक स आकिषरत न होना bull समाज को सतोषी जीवन की िशकषा दना

शन7-बाजार की साथरकता िकसम ह

उततर- मनय की आवयकताओ की पितर करन म ही बाजार की साथरकता ह जो माहक अपनी आवयकताओ की चीज खरीदत ह व बाजार को साथरकता दान करत ह जो िवबता माहको का शोषण नही करत और छल-कपट स माहको को लभान का यास नही करत व भी बाजार को साथरक बनात ह

गदयाश-आधािरत अथरमहण-सबिधत शनोततर

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख की तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ही चलता ह वस ही इस जाद की भी मयारदा ह जब भरी हो और मन खाली हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाली पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाली ह तो बाजार की अनकानक चीजो का िनमऽण उस तक पहच जाएगा कही हई उस वकत जब भरी तब तो िफर वह मन िकसकी मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जररी और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद की सवारी उतरी िक पता चलता ह िक फ सी-चीजो की बहतायत आराम म मदद नही दती बिलक खलल ही डालती ह थोड़ी दर को ःवािभमान को जरर सक िमल जाता ह पर इसस अिभमान को िगलटी की खराक ही िमलती ह जकड़ रशमी डोरी की हो तो रशम क ःपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद की जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह िक बाजार जाओ तो खाली मन न हो मन खाली हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चािहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लआय स भरा हो तो बाजार फला का फला ही रह जाएगा तब वह घाव िबलकल नही द सकगा बिलक कछ आनद ही दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयोिक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार की असली कताथरता ह आवयकता क समय काम आना

शन-1 बाजार क जाद को लखक न कस ःपषट िकया ह

उततर- बाजार क रप का जाद आखो की राह स काम करता हआ हम आकिषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज माहक को अपनी ओर आकिषरत करती ह| इसी चमबकीय शिकत क कारण वयिकत िफजल सामान को भी खरीद लता ह |

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शन-2 जब भरी हो और मन खाली तो हमारी कया दशा होती ह

उततर- जब भरी हो और मन खाली हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाली ह तो बाजार की अनकानक चीजो का िनमऽण मन तक पहच जाता ह और उस समय यिद जब भरी हो तो मन हमार िनयऽण म नही रहता

शन-3 फ सी चीजो की बहतायत का कया पिरणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम की जगह आराम म वयवधान ही डालती ह थोड़ी दर को अिभमान को जरर सक िमल जाती ह पर िदखाव की वितत म विदध होती ह

शन-4 जाद की जकड़ स बचन का कया उपाय ह

उततर- जाद की जकड़ स बचन क िलए एक ही उपाय ह वह यह ह िक बाजार जाओ तो मन खाली न हो मन खाली हो तो बाजार मत जाओ

13 काल मघा पानी द

लखक-धमरवीर भारती

पाठ का साराश -lsquoकाल मघा पानी दrsquo िनबध लोकजीवन क िवशवास और िवजञान क तकर पर आधािरत ह जब भीषण गमीर क कारण वयाकल लोग वषार करान क िलए पजा-पाठ और कथा-िवधान कर थकETHहार जात ह तब वषार करान क िलए अितम उपाय क रप म इनदर सना िनकलती ह| इनदर सना नग-धड़ग बचचो की टोली ह जो कीचड़ म लथपथ होकर गली-मोहलल म पानी मागन िनकलती ह| लोग अपन घर की छतो-िखड़िकयो स इनदर सना पर पानी डालत ह | लोगो की मानयता ह िक इनि बादलो क ःवामी और वषार क दवता ह| इनि की सना पर पानी डालन स इनि भगवान सनन होकर पानी बरसाएग | लखक का तकर ह िक जब पानी की इतनी कमी ह तो लोग मिकल स जमा िकए पानी को बालटी भर-भरकर इनदर सना पर डालकर पानी को कयो बबारद करत ह आयरसमाजी िवचारधारा वाला लखक इस अधिवशवास मानता ह | इसक िवपरीत लखक की जीजी उस समझाती ह िक यह पानी की बबारदी नही बिलक पानी की बवाई ह | कछ पान क िलए कछ दना पड़ता ह | तयाग क िबना दान नही होता| ःतत िनबध म लखक न षटाचार की समःया को उठात हए कहा ह िक जीवन म कछ पान क िलए तयाग आवयक ह जो लोग तयाग और दान की महतता को नही मानत व ही षटाचार म िलपत रहकर दश और समाज को लटत ह| जीजी की आःथा भावनातमक सचचाई को पषट करती ह और तकर कवल वजञािनक तथय को सतय मानता ह जहा तकर यथाथर क कठोर धरातल पर सचचाई को परखता ह तो वही आःथा अनहोनी बात को भी ःवीकार कर मन को सःकािरत करती ह भारत की ःवतऽता क ५० साल बाद भी दश म वयापत भषटाचार और ःवाथर की भावना को दखकर लखक दखी ह | सरकार दवारा चलाई जा रही योजनाए गरीबो तक कयो

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नही पहच पा रही ह काल मघा क दल उमड़ रह ह पर आज भी गरीब की गगरी फटी हई कयो ह लखक न यह शन पाठको क िलए छोड़ िदया ह |

शन1-इनदर सना घर-घर जाकर पानी कयो मागती थी

उततर- गाव क लोग बािरश क िलए भगवान इि स ाथरना िकया करत थ जब पजा-पाठोत आिद उपाय असफ़ल हो जात थ तो भगवान इि को सनन करन क िलए गाव क िकशोर बचच कीचड़ म लथपथ होकर गली-गली घमकर लोगो स पानी मागत थ

शन2-इनदरसना को लखक मढक-मडली कयो कहता ह जीजी क बारETHबार कहन पर भी वह इनदरसना पर पानी फ कन को राजी कयो नही होता

उततर- इनदरसना का कायर आयरसमाजी िवचारधारा वाल लखक को अधिवशवास लगता ह उसका मानना ह िक यिद इदरसना दवता स पानी िदलवा सकती ह तो ःवय अपन िलए पानी कयो नही माग लती पानी की कमी होन पर भी लोग घर म एकऽ िकय हए पानी को इदरसना पर फ़ कत ह लखक इस पानी की िनमरम बरबादी मानता ह

शन3- रठ हए लखक को जीजी न िकस कार समझाया

उततर- जीजी न लखक को पयार स लडड-मठरी िखलात हए िनमन तकर िदए-

1- तयाग का महततव- कछ पान क िलए कछ दना पड़ता ह 2- दान की महतता- ॠिष-मिनयो न दान को सबस ऊचा ःथान िदया ह जो चीज अपन

पास भी कम हो और अपनी आवयकता को भलकर वह चीज दसरो को दान कर दना ही तयाग ह |

3- इिदव को जल का अधयर चढ़ाना- इदरसना पर पानी फ़ कना पानी की बरबादी नही बिलक इिदव को जल का अधयर चढ़ाना ह

4- पानी की बवाई करना- िजस कार िकसान फ़सल उगान क िलए जमीन पर बीज डालकर बवाई करता ह वस ही पानी वाल बादलो की फ़सल पान क िलए इनदर सना पर पानी डाल कर पानी की बवाई की जाती ह

शन4-निदयो का भारतीय सामािजक और साःकितक पिरवश म कया महतव ह

उततर- गगा भारतीय समाज म सबस पजय सदानीरा नदी ह िजसका भारतीय इितहास म धािमरक पौरािणक और साःकितक महतव ह | वह भारतीयो क िलए कवल एक नदी नही अिपत मा ह ःवगर की सीढ़ी ह मोकषदाियनी ह उसम पानी नही अिपत अमत तलय जल बहता ह भारतीय सःकित म निदयो क िकनार मानव सभयताए फली-फली ह| बड़-बड़ नगर तीथरःथान निदयो क िकनार ही िःथत ह ऐस पिरवश मभारतवासी सबस पहल गगा मया की जय ही

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बोलग निदया हमार जीवन का आधार ह हमारा दश किष धान ह निदयो क जल स ही भारत भिम हरी-भरी ह निदयो क िबना जीवन की कलपना नही कर सकत यही कारण ह िक हम भारतीय निदयो की पजा करत ह |

शन4-आजादी क पचास वषोर क बाद भी लखक कयो दखी ह उसक मन म कौन स शन उठ रह ह

उततर- आजादी क पचास वषोर बाद भी भारतीयो की सोच म सकारातमक बदलाव न दखकर लखक दखी ह उसक मन म कई शन उठ रह ह-

1 कया हम सचच अथोर म ःवतनऽ ह

2 कया हम अपन दश की सःकित और सभयता को समझ पाए ह

3 राषटर िनमारण म हम पीछ कयो ह हम दश क िलए कया कर रह ह

4 हम ःवाथर और षटाचार म िलपत रहत ह तयाग म िवशवास कयो नही करत

5 सरकार दवारा चलाई जा रही सधारवादी योजनाए गरीबो तक कयो नही पहचती ह

गदयाश पर आधािरत अथरमहण-सबिधत शनोततर

सचमच ऐस िदन होत जब गली-महलला गाव-शहर हर जगह लोग गरमी म भन-भन कर ऽािहमाम कर रह होत जठ क दसतपा बीतकर आषाढ का पहला पखवाड़ा बीत चका होता पर िकषितज पर कही बादलो की रख भी नही दीखती होती कए सखन लगत नलो म एक तो बहत कम पानी आता और आता भी तो आधी रात को वो भी खौलता हआ पानी हो | शहरो की तलना म गाव म और भी हालत खराब थी| जहा जताई होनी चािहए थी वहा खतो की िमटटी सखकर पतथर हो जाती िफर उसम पपड़ी पड़कर जमीन फटन लगती ल ऐसी िक चलत-चलत आदमी िगर पड़ | ढोर-डगर पयास क मार मरन लगत लिकन बािरश का कही नाम िनशान नही ऐस म पजा-पाठ कथा-िवधान सब करक लोग जब हार जात तब अितम उपाय क रप म िनकलती यह इनदर सना |

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शन१- वषार न होन पर लोगो की कया िःथित हो गयी थी उततर - वषार न होन पर गरमी क कारण लोग ल लगन स बहोश होन लग | गाव-शहर सभी जगह पानी का अभाव हो गया| कए सख गए खतो की िमटटी सखकर पतथर क समान कठोर होकर फट गयी| घरो म नलो म पानी बहत कम आता था | पश पयास क मार मरन लग थ | शन२- वषार क दवता कौन ह उनको सनन करन क िलए कया उपाय िकए जात थ उततर -वषार क दवता भगवान इनि ह| उनको सनन करन क िलए पजाETHपाठ कथा-िवधान कराए जात थ | तािक इनि दव सनन होकर बादलो की सना भजकर झमाझम बािरश कराए और लोगो क कषट दर हो | शन३- वषार करान क अितम उपाय क रप म कया िकया जाता था उततर ETHजब पजा-पाठ कथा-िवधान सब करक लोग हार जात थ तब अितम उपाय क रप म इनदर सना आती थी | नग-धडग कीचड़ म लथपथ Ocircकाल मघा पानी द पानी द गड़धानी दOtilde की टर लगाकर पयास स सखत गलो और सखत खतो क िलए मघो को पकारती हई टोली बनाकर िनकल पड़ती थी| शन४-आशय ःपषट कर ndash जठ क दसतपा बीतकर आषाढ़ का पहला पखवाड़ा बीत चका होता पर िकषितज म कही बादलो की रख भी नजर नही आती | आशय- जठ का महीना ह भीषण गरमी ह| तपत हए दस िदन बीत कर आषाढ का महीना भी आधा बीत गया पर पानी क िलए तड़पत वषार की आशा म आसमान की ओर ताकत लोगो को कही बादल नजर नही आ रह |

14 पहलवान की ढोलक

फ़णीशवरनाथ रण

पाठ का साराश ndashआचिलक कथाकार फ़णीशवरनाथ रण की कहानी पहलवान की ढोलक म कहानी क मखय पाऽ लटटन क माता-िपता का दहात उसक बचपन म ही हो गया था | अनाथ लटटन को उसकी िवधवा सास न पाल-पोसकर बड़ा िकया | उसकी सास को गाव वाल सतात थ | लोगो स बदला लन क िलए कती क दावपच सीखकर कसरत करक लटटन पहलवान बन गया |

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एक बार लटटन यामनगर मला दखन गया जहा ढोल की आवाज और कती क दावपच दखकर उसन जोश म आकर नामी पहलवान चादिसह को चनौती द दी | ढोल की आवाज स रणा पाकर लटटन न दाव लगाकर चाद िसह को पटककर हरा िदया और राज पहलवान बन गया | उसकी खयाित दर-दर तक फ़ल गयी| १५ वषोर तक पहलवान अजय बना रहा| उसक दो पऽ थ| लटटन न दोनो बटो को भी पहलवानी क गर िसखाए| राजा की मतय क बाद नए राजकमार न गददी सभाली राजकमार को घोड़ो की रस का शौक था मनजर न नय राजा को भड़काया पहलवान और उसक दोनो बटो क भोजनखचर को भयानक और िफ़जलखचर बताया फ़लःवरप नए राजा न कती को बद करवा िदया और पहलवान लटटनिसह को उसक दोनो बटो क साथ महल स िनकाल िदया

राजदरबार स िनकाल िदए जान क बाद लटटन िसह अपन दोनो बटो क साथ गाव म झोपड़ी बनाकर रहन लगा और गाव क लड़को को कती िसखान लगा| लटटन का ःकल जयादा िदन नही चला और जीिवकोपाजरन क िलए उसक दोनो बटो को मजदरी करनी पड़ी| इसी दौरान गाव म अकाल और महामारी क कारण ितिदन लाश उठन लगी| पहलवान महामारी स डर हए लोगो को ढोलक बजाकर बीमारी स लड़न की सजीवनी ताकत दता था| एक िदन पहलवान क दोनो बट भी महामारी की चपट म आकर मर गए पर उस रात भी पहलवान ढोलक बजाकर लोगो को िहममत बधा रहा था | इस घटना क चार-पाच िदन बाद पहलवान की भी मौत हो जाती ह|

पहलवान की ढोलक वयवःथा क बदलन क साथ लोक कलाकार क अासिगक हो जान की कहानी ह इस कहानी म लटटन नाम क पहलवान की िहममत और िजजीिवषा का वणरन िकया गया ह भख और महामारी अजय लटटन की पहलवानी को फ़ट ढोल म बदल दत ह इस करण ऽासदी म पहलवान लटटन कई सवाल छोड़ जाता ह िक कला का कोई ःवतऽ अिःततव ह या कला कवल वयवःथा की मोहताज ह

शन1- लटटन को पहलवान बनन की रणा कस िमली

उततर- लटटन जब नौ साल का था तो उसक माता-िपता का दहात हो गया था | सौभागय स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ लटटन को उसकी िवधवा सास न पाल-पोसकर बड़ा िकया | उसकी सास को गाव वाल परशान करत थ| लोगो स बदला लन क िलए उसन पहलवान बनन की ठानी| धारोण दध पीकर कसरत कर उसन अपना बदन गठीला और ताकतवर बना िलया | कती क दावपच सीखकर लटटन पहलवान बन गया |

शन2- रात क भयानक सननाट म लटटन की ढोलक कया किरमा करती थी

उततर- रात क भयानक सननाट मलटटन की ढोलक महामारी स जझत लोगो को िहममत बधाती थी | ढोलक की आवाज स रात की िवभीिषका और सननाटा कम होता था| महामारी स पीिड़त

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लोगो की नसो म िबजली सी दौड़ जाती थी उनकी आखो क सामन दगल का दय साकार हो जाता था और व अपनी पीड़ा भल खशी-खशी मौत को गल लगा लत थ इस कार ढोल की आवाज बीमार-मताय गाववालो की नसो म सजीवनी शिकत को भर बीमारी स लड़न की रणा दती थी

शन3- लटटन न सवारिधक िहममत कब िदखाई

उततर- लटटन िसह न सवारिधक िहममत तब िदखाई जब दोनो बटो की मतय पर वह रोया नही बिलक िहममत स काम लकर अकल उनका अितम सःकार िकया| यही नही िजस िदन पहलवान क दोनो बट महामारी की चपट म आकर मर गए पर उस रात को भी पहलवान ढोलक बजाकर लोगो को िहममत बधा रहा था| यामनगर क दगल म परा जनसमदाय चाद िसह क पकष म था चाद िसह को हरात समय लटटन न िहममत िदखाई और िबना हताश हए दगल म चाद िसह को िचत कर िदया |

शन4- लटटन िसह राज पहलवान कस बना

उततर- यामनगर क राजा कती क शौकीन थ उनहोन दगल का आयोजन िकया पहलवान लटटन िसह भी दगल दखन पहचा चादिसह नामक पहलवान जो शर क बचच क नाम स िसदध था कोई भी पहलवान उसस िभड़न की िहममत नही करता था चादिसह अखाड़ म अकला गरज रहा था लटटन िसह न चादिसह को चनौती द दी और चादिसह स िभड़ गयाढ़ोल की आवाज सनकर लटटन की नस-नस म जोश भर गयाउसन चादिसह को चारो खान िचत कर िदया राजासाहब न लटटन की वीरता स भािवत होकर उस राजपहलवान बना िदया

शन5- पहलवान की अितम इचछा कया थी

उततर- पहलवान की अितम इचछा थी िक उस िचता पर पट क बल िलटाया जाए कयोिक वह िजदगी म कभी िचत नही हआ था| उसकी दसरी इचछा थी िक उसकी िचता को आग दत समय ढोल अवय बजाया जाए |

शन6- ढोल की आवाज और लटटन क म दावपच सबध बताइए-

उततर- ढोल की आवाज और लटटन क दावपच म सबध -

bull चट धा िगड़ धाrarr आजा िभड़ जा | bull चटाक चट धाrarr उठाकर पटक द | bull चट िगड़ धाrarrमत डरना | bull धाक िधना ितरकट ितनाrarr दाव काटो बाहर हो जाओ |

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bull िधना िधना िधक िधनाrarr िचत करो

गदयाश-आधािरत अथरमहण-सबिधत शनोततर

अधरी रात चपचाप आस बहा रही थी | िनःतबधता करण िससिकयो और आहो को अपन हदय म ही बल पवरक दबान की चषटा कर रही थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कही काश का नाम नही| आकाश स टट कर यिद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसकी जयोित और शिकत राःत म ही शष हो जाती थी | अनय तार उसकी भावकता अथवा असफलता पर िखलिखलाकर हस पड़त थ | िसयारो का बदन और पचक की डरावनी आवाज रात की िनःतबधता को भग करती थी | गाव की झोपिडयो स कराहन और क करन की आवाज हर राम ह भगवान की टर सनाई पड़ती थी| बचच भी िनबरल कठो स मा ETHमा पकारकर रो पड़त थ |

(क) अधरी रात को आस बहात हए कयो िदखाया गया ह उततरndash गाव म हजा और मलिरया फला हआ था | महामारी की चपट म आकार लोग मर रह थ |चारो ओर मौत का सनाटा छाया था इसिलए अधरी रात भी चपचाप आस बहाती सी तीत हो रही थी|

(ख) तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह उततरndash तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह िक अकाल और महामारी स ऽःत गाव वालो की पीड़ा को दर करन वाला कोई नही था | कित भी गाव वालो क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यिद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसकी जयोित और शिकत राःत म ही शष हो जाती थी |

(ग) रात की िनःतबधता को कौन भग करता था उततरndash िसयारो की चीख-पकार पचक की डरावनी आवाज और कततो का सामिहक रदन िमलकर रात क सननाट को भग करत थ |

(घ) झोपिड़यो स कसी आवाज आ रही ह और कयो उततरndash झोपिड़यो स रोिगयो क कराहन क करन और रोन की आवाज आ रही ह कयोिक गाव क लोग मलिरया और हज स पीिड़त थ | अकाल क कारण अनन की कमी हो गयी थी| औषिध और पथय न िमलन क कारण लोगो की हालत इतनी बरी थी िक कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माETHमा पकारता था |

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15 चालीर चिपलन यानी हम सब

लखक-िवण खर

पाठ का साराश ndashचालीर चिपलन न हाःय कलाकार क रप म परी दिनया क बहत बड़ दशरक वगर को हसाया ह | उनकी िफलमो न िफलम कला को लोकतािऽक बनान क साथ-साथ दशको की वगर और वणर-वयवःथा को भी तोड़ा | चालीर न कला म बिदध की अपकषा भावना को महततव िदया ह | बचपन क सघषोर न चालीर क भावी िफलमो की भिम तयार कर दी थी| भारतीय कला और सौदयरशासतर म करणा का हाःय म पिरवतरन भारतीय परमपरा म नही िमलता लिकन चालीर एक ऐसा जादई वयिकततव ह जो हर दश सःकित और सभयता को अपना सा लगता ह| भारतीय जनता न भी उनह सहज भाव स ःवीकार िकया ह| ःवय पर हसना चालीर न ही िसखाया| भारतीय िसनमा जगत क स िसदध कलाकार राजकपर को चालीर का भारतीयकरण कहा गया ह | चालीर की अिधकाश िफ़लम मक ह इसिलए उनह अिधक मानवीय होना पड़ा | पाठ म हाःय िफलमो क महान अिभनता lsquoचालीर चिपलनrsquo की जादई िवशषताओ का उललख िकया गया ह िजसम उसन करणा और हाःय म सामजःय ःथािपत कर िफ़लमो को सावरभौिमक रप दान िकया

शन१ -चालीर क जीवन पर भाव डालन वाली मखय घटनाए कौन सी थी

उततर- चालीर क जीवन म दो ऐसी घटनाए घटी िजनहोन उनक भावी जीवन पर बहत भाव डाला |

पहली घटना - जब चालीर बीमार थ उनकी मा उनह ईसा मसीह की जीवनी पढ़कर सना रही थी | ईसा क सली पर चढ़न क सग तक आत-आत मा-बटा दोनो ही रोन लग| इस घटना न चालीर को ःनह करणा और मानवता जस उचच जीवन मलय िदए |

दसरी घटना हETH बालक चालीर कसाईखान क पास रहता था| वहा सकड़ो जानवरो को रोज मारा जाता था| एक िदन एक भड़ वहा स भाग िनकली| भड़ को पकड़न की कोिशश म कसाई कई बार िफसला| िजस दखकर लोग हसन लग ठहाक लगान लग| जब भड़ को कसाई न पकड़ िलया तो बालक चालीर रोन लगा| इस घटना न उसक भावी िफलमो म ऽासदी और हाःयोतपादक ततवो की भिमका तय कर दी |

शन२ ETH आशय ःपषट कीिजएndash

चिपलन न िसफर िफलमकला को ही लोकतािऽक नही बनाया बिलक दशरको की वगर तथा वणर-वयवःथा को भी तोड़ा|

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उततर- लोकतािऽक बनान का अथर ह िक िफलम कला को सभी क िलए लोकिय बनाना और वगर और वणर-वयवःथा को तोड़न का आशय ह- समाज म चिलत अमीर-गरीब वणर जाितधमर क भदभाव को समापत करना |चिपलन का चमतकार यह ह िक उनहोन िफलमकला को िबना िकसी भदभाव क सभी लोगो तक पहचाया| उनकी िफलमो न समय भगोल और सःकितयो की सीमाओ को लाघ कर सावरभौिमक लोकियता हािसल की | चालीर न यह िसदध कर िदया िक कला ःवतनऽ होती ह अपन िसदधात ःवय बनाती ह |

शन३ETH चालीर चिपलन की िफलमो म िनिहत ऽासदीकरणाहाःय का सामजःय भारतीय कला और सौदयरशासतर की पिरिध म कयो नही आता

उततर- चालीर चिपलन की िफलमो म िनिहत ऽासदीकरणाहाःय का सामजःय भारतीय कला और सौदयरशासतर की पिरिध म नही आताकयोिक भारतीय रस-िसदधात म करणा और हाःय का मल नही िदखाया जाता कयोिक भारतीय सौदयरशासतर म करणरस और हाःय रस को परःपर िवरोधी माना गया ह अथारत जहा करणा ह वहा हाःय नही हो सकता भारत म ःवय पर हसन की परपरा नही ह परत चालीर क पाऽ अपन पर हसतETHहसात ह चालीर की िफ़लमो क दय हसात-हसात रला दत ह तो कभी करण दय क बाद अचानक ही हसन पर मजबर कर दत ह

शन४ETH चालीर क िफलमो की िवशषताए बताइए |

उततर- चालीर की िफ़लमो म हाःय और करणा का अदभत सामजःय ह उनकी िफ़लमो म भाषा का योग बहत कम ह चालीर की िफ़लमो म बिदध की अपकषा भावना का महततव अिधक ह उनकी िफ़लमो म सावरभौिमकता ह चालीर िकसी भी सःकित को िवदशी नही लगत चालीर सबको अपन लगत ह चालीर न िफ़लमो को लोकतािऽक बनाया और िफ़लमो म वगर तथावणर-वयवःथा को तोड़ा अपनी िफलमो म चालीर सदव िचर यवा िदखता ह

गदयाश-आधािरत अथरमहण-सबधी शनोततर

गदयाश सकत ETHचालीर चिपलन यानी हम सब (पषठ १२० )

यिद यह वषर चिपलन की काफी कछ कहा जाएगा |

शन (क)-िवकासशील दशो म चिपलन कयो मशहर हो रह ह

उततर - िवकासशील दशो म जस-जस टलीिवजन और वीिडयो का सार हो रहा ह लोगो को उनकी िफलमो को दखन का अवसर िमल रहा ह |एक बहत बड़ा वगर नए िसर स चालीर को घड़ी सधारत और जत खान की कोिशश करत दख रहा ह इसीिलए चालीर िवकासशील दशो म लोकिय हो रह ह |

(ख)- पिशचम म चालीर का पनजीरवन कस होता रहता ह

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उततर - पिशचम म चालीर की िफलमो का दशरन होता रहता ह| उनकी कला स रणा पाकर हाःय िफ़लम बनती रहती ह | उनक दवारा िनभाए िकरदारो की नकल अनय कलाकार करत ह | पिशचम म चालीर का पनजीरवन होता रहता ह|

(ग)- चालीर को लोग बढ़ाप तक कयो याद रखग

उततर ETHहाःय कलाकार क रप म लोग चालीर को बढ़ाप तक याद रखग कयोिक उनकी कला समय भगोल और सःकितयो की सीमाओ को लाघकर लाखो लोगो को हसा रही ह|

(घ)- चालीर की िफलमो क बार म काफी कछ कहा जाना कयो बाक़ी ह

उततर ETHचिपलन की ऐसी कछ िफ़लम या इःतमाल न की गयी रील िमली ह िजनक बार म कोई नही जानता था | चालीर की भावनाधान हाःय िफलमो न कला क नए ितमान ःथािपत िकए ह अत चालीर की िफलमो क बार म अभी काफी कछ कहा जाना बाक़ी ह|

16 नमक

लिखका - रिजया सजजाद जहीर

साराश -lsquoनमकrsquoभारत-पाक िवभाजन पर िलिखत मािमरक कहानी ह | िवःथािपत हए लोगो म अपनETHअपन जनम ःथानो क ित आज भी लगाव ह| धािमरक आधार पर बनी राषटर-राजयो की सीमा-रखाए उनक अतमरन को अलग नही कर पाई ह | भारत म रहन वाली िसख बीवी लाहौर को अपना वतन मानती ह और भारतीय कःटम अिधकारी ढाका क नािरयल पानी को यादकर उस सवरौषठ बताता ह दोनो दशो क नागिरको क बीच महबबत का नमकीन ःवाद आज भी कायम ह इसीिलए सिफ़या भारत म रहन वाली अपनी महबोली मा िसख बीवी क िलए लाहौरी नमक लान क िलए कःटम और कानन की परवाह नही करती

शन1- OcircनमकOtilde पाठ क आधार पर बताइए िक सिफया और उसक भाई क िवचारो म कया अतर था

उततर- १-सिफया भावनाओ को बहतमहततव दती ह पर उसका भाई बौिदधक वितत का ह उसकी दिषट म कानन भावनाओ स ऊपर ह|

२-सिफया मानवीय सबधो को बहत महततव दती ह जबिक उसका भाई अलगाववादी िवचारधारा का ह िहःस-बखर की बात करता ह |

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३-सिफया का भाई कहता ह िक अदीबो(सािहतयकार) का िदमाग घमा हआ होता ह जबिक सिफया जो ःवय अदीब ह उसका मानना ह िक अगर सभी लोगो का िदमाग अदीबो की तरह घमा हआ होता तो दिनया कछ बहतर हो जाती |

शन२- नमक ल जात समय सिफ़या क मन म कया दिवधा थी

उततर-सिफया सयद मसलमान थी जो हर हाल म अपना वायदा िनभात ह| पािकःतान स लाहौरी नमक ल जाकर वह अपना वायदा परा करना चाहती थी परनत जब उस पता चला िक कःटम क िनयमो क अनसार सीमापार नमक ल जाना विजरत ह तो वह दिवधा म पड़ गई | सिफ़या का दवदव यह था िक वह अपनी िसख मा क िलए नमक कःटम अिधकािरयो को बताकरल जाए या िछपाकर|

शन३- पाठ क आधार पर सिफया की चािरिऽक िवशषताए बताइए |

उततर सकत ndash

१- भावक

२- ईमानदार

३- दढ़िनशचयी

४- िनडर ५- वायद को िनभान वाली

६- मानवीय मलयो को सवोरपिर मानन वाली सािहतयकार शन ४- OcircनमकOtilde पाठ म आए िकरदारो क माधयम स ःपषट कीिजए िक आज भी भारत और पािकःतान की जनता क बीच महबबत का नमकीन ःवाद घला हआ ह |

उततर ETH भल ही राजनीितक और धािमरक आधार पर भारत और पािकःतान को भौगोिलक रप स िवभािजत कर िदया गया ह लिकन दोनो दशो क लोगो क हदय म आज भी पारःपिरक भाईचारा सौहािर ःनह और सहानभित िवदयमान ह | राजनीितक तौर पर भल ही सबध तनावपणर हो पर सामािजक तौर पर आज भी जनता क बीच महबबत का नमकीन ःवाद घला हआ ह | अमतसर म रहन वाली िसख बीबी लाहौर को अपना वतन कहती ह और लाहौरी नमक का ःवाद नही भला पाती | पािकःतान का कःटम अिधकारी नमक की पिड़या सिफया को वापस दत हए कहता ह जामा मिःजद की सीिढ़यो को मरा सलाम कहना | भारतीय सीमा पर तनात कःटम अिधकारी ढाका की जमीन को और वहा क पानी क ःवाद को नही भल पाता |

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गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

गदयाश सकत- पाठETH नमक (पषठ १३४)

सिफया कःटम क जगल स दोनो क हाथो म थी |

(क) सिफया कःटम क जगल स िनकलकर दसर पलटफामर पर आ गयी व वही खड़ रहETH इस वाकय म OcircवOtilde शबद का योग िकसक िलए िकया गया ह

उततर- यहा OcircवOtilde शबद का योग पािकःतानी कःटम अिधकारी क िलए िकया गया ह जो िवभाजन स पवर िदलली म रहत थ और आज भी िदलली को ही अपना वतन मानत ह |

(ख) पलटफामर पर सिफया को िवदा करन कौन-कौन आए थ उनहोन सिफया को कस िवदाई दी

उततर- पलटफामर पर सिफया को िवदा करन उसक बहत सार िमऽ सग सबधी और भाई आए थ| उनहोन ठडी सास भरत हए िभच हए होठो क साथ आस बहात हए सिफया को िवदाई दी |

(ग) अटारी म रलगाड़ी म कया पिरवतरन हए उततर- अटारी म रलगाड़ी स पािकःतानी पिलस उतरी और िहनदःतानी पिलस सवार हो गई|

(घ) कौन सी बात सिफया की समझ म नही आ रही थी उततर- दोनो ओर एक सी जमीन एक जसा आसमान एक सी भाषा एक सा पहनावा और एक सी सरत क लोग िफर भी दोनो क हाथो म भरी हई बदक ह |

17 िशरीष क फल

आचायर हजारी साद िदववदी

साराश ndashOcircआचायर हजारी साद िदववदीOtilde िशरीष को अदभत अवधत मानत ह कयोिक सनयासी की भाित वह सख-दख की िचता नही करता गमीर ल वषार और आधी म भी अिवचल खड़ा रहता ह िशरीष क फ़ल क माधयम स मनय की अजय िजजीिवषा धयरशीलता और कतरवयिनषठ बन रहन क मानवीय मलयो को ःथािपत िकया गया हलखक न िशरीष क कोमल फलो और कठोर फलो क दवारा ःपषट िकया ह िक हदय की कोमलता बचान क िलए कभी-कभी वयवहार की कठोरता भी आवयक हो जाती ह| महान किव कािलदास और कबीर भी िशरीष की तरह बपरवाह अनासकत और सरस थ तभी उनहोन इतनी सनदर रचनाए ससार को दी| गाधीजी क वयिकततव म भी कोमलता और कठोरता का अदभत सगम था | लखक सोचता ह िक हमार दश म जो मार-काट अिगनदाह लट-पाट खन-खचचर का बवडर ह कया वह दश को िःथर नही रहन दगा गलामी अशाित और िवरोधी वातावरण क बीच अपन िसदधातो की रकषा करत हए गाधीजी जी िःथर रह सक थ तो दश भी रह सकता ह जीन की बल अिभलाषा क कारण िवषम

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पिरिःथतयो म भी यिद िशरीष िखल सकता ह तो हमारा दश भी िवषम पिरिःथितयो म िःथर रह कर िवकास कर सकता ह

शन1-िसदध कीिजए िक िशरीष कालजयी अवधत की भाित जीवन की अजयता क मऽ का चार करता ह

उततर- िशरीष कालजयी अवधत की भाित जीवन की अजयता क मऽ का चार करता ह| जब पथवी अिगन क समान तप रही होती ह वह तब भी कोमल फलो स लदा लहलहाता रहता ह|बाहरी गरमी धप वषार आधी ल उस भािवत नही करती इतना ही नही वह लब समय तक िखला रहता ह | िशरीष िवपरीत पिरिःथितयो म भी धयरशील रहन तथा अपनी अजय िजजीिवषा क साथ िनःपह भाव स चड गरमी म भी अिवचल खड़ा रहता ह

शन२-आरगवध (अमलतास) की तलना िशरीष स कयो नही की जा सकती

उततर- िशरीष क फल भयकर गरमी म िखलत ह और आषाढ़ तक िखलत रहत ह जबिक अमलतास का फल कवल पनिह-बीस िदनो क िलए िखलता ह | उसक बाद अमलतास क फल झड़ जात ह और पड़ िफर स ठठ का ठठ हो जाता ह | अमलतास अलपजीवी ह | िवपरीत पिरिःथितयो को झलता हआ ऊण वातावरण को हसकर झलता हआ िशरीष दीघरजीवी रहता ह | यही कारण ह िक िशरीष की तलना अमलतास स नही की जा सकती |

शन३-िशरीष क फलो को राजनताओ का रपक कयो िदया गया ह

उततर- िशरीष क फल उन बढ़ ढीठ और परान राजनताओ क तीक ह जो अपनी कसीर नही छोड़ना चाहत | अपनी अिधकार-िलपसा क िलए नए यवा नताओ को आग नही आन दत | िशरीष क नए फलो को जबरदःती परान फलो को धिकयाना पड़ता ह | राजनीित म भी नई यवा पीढ़ी परानी पीढ़ी को हराकर ःवय सतता सभाल लती ह |

शन४- काल दवता की मार स बचन का कया उपाय बताया गया ह

उततर- काल दवता िक मार स बचन का अथर हETH मतय स बचना | इसका एकमाऽ उपाय यह ह िक मनय िःथर न हो| गितशील पिरवतरनशील रह | लखक क अनसार िजनकी चतना सदा ऊधवरमखी (आधयातम की ओर) रहती ह व िटक जात ह |

शन५- गाधीजी और िशरीष की समानता कट कीिजए |

उततर- िजस कार िशरीष िचलिचलाती धप ल वषार और आधी म भी अिवचल खड़ा रहता ह अनासकत रहकर अपन वातावरण स रस खीचकर सरस कोमल बना रहता ह उसी कार गाधी जी न भी अपनी आखो क सामन आजादी क समाम म अनयाय भदभाव और िहसा को झला |

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उनक कोमल मन म एक ओर िनरीह जनता क ित असीम करणा जागी वही व अनयायी शासन क िवरोध म डटकर खड़ हो गए |

गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

गदयाश सकत- पाठ ETH िशरीष क फल (पषठ १४७)

कािलदास सौदयर क वह इशारा ह |

(क) कािलदास की सौदयरETHदिषट की कया िवशषता थी उततर-कािलदास की सौदयरETHदिषट बहत सआम अतभरदी और सपणर थी| व कवल बाहरी रप-रग और आकार को ही नही दखत थ बिलक अतमरन की सदरता क भी पारखी थ| कािलदास की सौदयर शारीिरक और मानिसक दोनो िवशषताओ स यकत था |

(ख) अनासिकत का कया आशय ह उततर- अनासिकत का आशय ह- वयिकतगत सख-दःख और राग-दवष स पर रहकर सौदयर क वाःतिवक ममर को जानना |

(ग) कािलदास पत और रवीिनाथ टगोर म कौन सा गण समान था महाकिव कािलदास सिमऽानदन पत और गरदव रवीिनाथ टगोर तीनो िःथरजञ और अनासकत किव थ | व िशरीष क समान सरस और मःत अवधत थ |

(घ) रवीिनाथ राजोदयान क िसहदवार क बार म कया सदश दत ह राजोदयान क बार म रवीिनाथ कहत ह राजोदयान का िसहदवार िकतना ही सदर और गगनचमबी कयो ना हो वह अितम पड़ाव नही ह| उसका सौदयर िकसी और उचचतम सौदयर की ओर िकया गया सकत माऽ ह िक असली सौदयर इस पार करन क बाद ह अत राजोदयान का िसहदवार हम आग बढ़न की रणा दता ह |

18ौम-िवभाजन और जाित-था

डॉ० भीमराव अबडकर

साराश ndash इस पाठ म लखक न जाितवाद क आधार पर िकए जान वाल भदभाव को सभय समाज क िलए हािनकारक बताया ह | जाित आधािरत ौम िवभाजन को अःवाभािवक और मानवता िवरोधी बताया गया ह यह सामािजक भदभाव को बढ़ाता ह जाितथा आधािरत ौम िवभाजन म वयिकत की रिच को महततव नही िदया जाता फलःवरप िववशता क साथ अपनाए

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गए पश म कायर-कशलता नही आ पाती | लापरवाही स िकए गए कायर म गणवतता नही आ पाती और आिथरक िवकास बरी तरह भािवत होता ह| आदशर समाज की नीव समता ःवतऽता और बधतव पर िटकी होती ह समाज क सभी सदःयो स अिधकतम उपयोिगता ापत करन क िलए सबको अपनी कषमता को िवकिसत करन तथा रिच क अनरप वयवसाय चनन की ःवतऽता होनी चािहए| राजनीितजञ को अपन वयवहार म एक वयवहायर िसदधात की आवयकता रहती ह और यह वयवहायर िसदधात यही होता ह िक सब मनयो क साथ समान वयवहार िकया जाए

शन1-डॉ० भीमराव अबडकर जाितथा को ौम-िवभाजन का ही रप कयो नही मानत ह

उततर ndash

१- कयोिक यह िवभाजन अःवाभािवक ह | २- यह मन य की रिच पर आधािरत नही ह | ३- वयिकत की कषमताओ की उपकषा की जाती ह | ४- वयिकत क जनम स पहल ही उसका पशा िनधारिरत कर िदया जाता ह | ५- वयिकत को अपना वयवसाय बदलन की अनमित नही दती | शन२- दासता की वयापक पिरभाषा दीिजए |

उततर ndash दासता कवल काननी पराधीनता नही ह| सामािजक दासता की िःथित म कछ वयिकतयो को दसर लोगो क दवारा तय िकए गए वयवहार और कतरवयो का पालन करन को िववश होना पड़ता ह | अपनी इचछा क िवरदध पतक पश अपनान पड़त ह |

शन३- मनय की कषमता िकन बातो पर िनभरर रहती ह

उततर ndashमनय की कषमता मखयत तीन बातो पर िनभरर रहती ह-

१- शारीिरक वश परपरा

२- सामािजक उततरािधकार

३- मनय क अपन यतन

लखक का मत ह िक शारीिरक वश परपरा तथा सामािजक उततरािधकार िकसी क वश म नही ह परनत मन य क अपन यतन उसक अपन वश म ह | अत मनय की मखय कषमता- उसक अपन यतनो को बढ़ावा िमलना चािहए |

शन४- समता का आशय ःपषट करत हए बताइए िक राजनीितजञ परष क सदभर म समता को कस ःपषट िकया गया ह

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जाित धमर स दाय स ऊपर उठकर मानवता अथारत मानव माऽ क ित समान वयवहार ही समता ह राजनता क पास असखय लोग आत ह उसक पास पयारपत जानकारी नही होती सबकी सामािजक पषठभिम कषमताए आवयकताए जान पाना उसक िलए सभव नही होता अतः उस समता और मानवता क आधार पर वयवहार क यास करन चािहए

गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

गदयाश सकत-पाठ ौम िवभाजन और जाित था (पषठ १५३) यह िवडमबनाबना दती ह | शन १-ौम िबभाजन िकस कहत ह

उततर ौम िवभाजन का अथर हETH मानवोपयोगी कायोर का वगीरकरण करना| तयक कायर को कशलता स करन क िलए योगयता क अनसार िविभनन कामो को आपस म बाट लना | कमर और मानव-कषमता पर आधािरत यह िवभाजन सभय समाज क िलए आवयक ह |

शन २ - ौम िवभाजन और ौिमक-िवभाजन का अतर ःपषट कीिजए |

उततर- ौम िवभाजन म कषमता और कायर-कशलता क आधार पर काम का बटवारा होता ह जबिक ौिमक िवभाजन म लोगो को जनम क आधार पर बाटकर पतक पश को अपनान क िलए बाधय िकया जाता ह| ौम-िवभाजन म वयिकत अपनी रिच क अनरप वयवसाय का चयन करता ह | ौिमक-िवभाजन म वयवसाय का चयन और वयवसाय-पिरवतरन की भी अनमित नही होती िजसस समाज म ऊच नीच का भदभाव पदा करता ह यह अःवाभािवक िवभाजन ह |

शन ३ ETHलखक न िकस बात को िवडमबना कहा ह

उततर लखक कहत ह िक आज क वजञािनक यग म भी कछ लोग ऐस ह जो जाितवाद का समथरन करत ह और उसको सभय समाज क िलए उिचत मानकर उसका पोषण करत ह| यह बात आधिनक सभय और लोकतािनऽक समाज क िलए िवडमबना ह | शन ४ भारत म ऎसी कौन-सी वयवःथा ह जो पर िवशव म और कही नही ह

उततर लखक क अनसार जनम क आधार पर िकसी का पशा तय कर दना जीवनभर एक ही पश स बध रहना जाित क आधार पर ऊच-नीच का भदभाव करना तथा बरोजगारी तथा भखमरी की िःथित म भी पशा बदलन की अनमित न होना ऐसी वयवःथा ह जो िवशव म कही नही ह |

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अधययन साममी

ककषा बारहवी - िवतान भाग-2

िवतान भाग -२ पःतक म स शनपऽ म तीन कार क शन पछ जाएग -

शन १२ अित लघततरातमक तीन शनो म स दो क उततर दन ह| िनधारिरत अक - २ २ = ४

शन १३ दो िनबधातमक शनो म स एक शन का उततर| िनधारिरत अक ETH ५

शन १४ तीन लघततरातमक शनो म स दो शनो क उततर| िनधारिरत अक ETH ३ २ = ६

अिधक अक ािपत हत धयान दन योगय बात ndash

१ परा पाठ पढ़ तथा पाठ की िवषयवःत मख पाऽ तथा सदश की ओर अवय धयान द |

२ शनो क उततर दत समय अनावयक न िलख| शन को धयानपवरक पढ़कर उसका सटीक उततर द |

३ शबदसीमा का धयान रख | ४ अको क अनसार उततर िलख | ५ पाच अक वाल उततरो म िविभनन िबदओ को उदाहरण सिहत ःतत कर |

पाठ 1िसलवर विडग ETH मनोहर याम जोशी

पाठ का सार-िसलवर विडगOtilde कहानी की रचना मनोहर याम जोशी न की ह| इस पाठ क माधयम स पीढ़ी क अतराल का मािमरक िचऽण िकया गया ह| आधिनकता क दौर म यशोधर बाबपरपरागत मलयो को हर हाल म जीिवत रखना चाहत ह| उनका उसलपसद होना दफतर एवम घर क लोगो क िलए सरददर बन गया था | यशोधर बाब को िदलली म अपन पाव जमान म िकशनदा न मदद की थी अतः व उनक आदशर बन गए|

दफतर म िववाह की पचचीसवी सालिगरह क िदन दफतर क कमरचारी मनन और चडढा उनस जलपान क िलए पस मागत ह | जो व बड़ अनमन ढग स दत ह कयोिक उनह िफजलखचीर पसद नही |यशोधर

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बाब क तीन बट ह| बड़ा बटा भषण िवजञापन कमपनी म काम करता ह| दसरा बटा आई ए एस की तयारी कर रहा ह और तीसरा छाऽवित क साथ अमिरका जा चका ह| बटी भी डाकटरी की पढ़ाई क िलए अमिरका जाना चाहती ह वह िववाह हत िकसी भी वर को पसद नही करती| यशोधर बाबबचचो की तरककी स खश ह िकत परपरागत सःकारो क कारण व दिवधा म ह| उनकी पतनी न ःवय को बचचो की सोच क साथ ढाल िलया ह| आधिनक न होत हए भी बचचो क ज़ोर दन पर व अिधक माडनर बन गई ह|

बचच घर पर िसलवर विडग की पाटीर रखत ह जो यशोधर बाब क उसलो क िखलाफ था| उनका बटा उनह सिसग गाउन भट करता ह तथा सबह दध लन जात समय उस ही पहन कर जान को कहता ह जो उनह अचछा नही लगता| बट का ज़ररत स एयादा तनखवाह पाना तनखवाह की रकम ःवय खचर करना उनस िकसी भी बात पर सलाह न मागना और दध लान का िजममा ःवय न लकर उनह सिसग गाउन पहनकर दध लन जान की बात कहना जसी बात यशोधर बाब को बरी लगती ह| जीवन क इस मोड़ पर व ःवय को अपन उसलो क साथ अकल पात ह |

शनोततर -

शन १ अपन घर और िवदयालय क आस-पास हो रह उन बदलावो क बार म िलख जो सिवधाजनक और आधिनक होत हए भी बजगोर को अचछ नही लगत अचछा न लगन क कया कारण हो सकत ह

उततरः आधिनक यग पिरवतरनशील एव अिधक सिवधाजनक ह आज क यवाआधिनकता और पिरवतरनशीलता को महततव दत ह इसीिलए व नई तकनीक और फशन की ओर आकिषरत होत ह व ततकाल नयी जानकािरया चाहत ह िजसक िलए उनक पास कमपयटर इनटरनट एव मोबाइल जस आधिनक तकनीकी साधन ह इनक माधयम स व कम समय म जयादा जानकारी एकऽ कर लत ह घर स िवदयालय जान क िलए अब उनक पास बिढ़या साईिकल एव मोटर साईिकल ह आज यवा लड़क और लड़िकयो क बीच का अनतराल काफी कम हो गया ह परान जमान म लड़िकया-लड़को क साथ पढ़ना और िमलना-जलना ठीक नही माना जाता था जस आज क पिरवश म ह यवा लड़को और लड़िकयो दवारा अग दशरन आज आम बात हो गई ह व एक

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साथ दर रात तक पािटरया करत ह इनटरनट क माधयम स असभय जानकािरया ापत करत ह य सारी बात उनह आधिनक एव सिवधाजनक लगती ह

दसरी ओर इस तरह की आधिनकताबज़गोर को रास नही आतीकयोिक जब व यवा थउस समय सचार क साधनो की कमी थी पािरवािरक पषठभिम क कारण व यवावःथाम अपनी भावनाओ को

काब म रखत थ और अिधक िजममदार होत थ अपन स बड़ो का आदर करत थ और परपराओ क अनसार चलत थ आधिनक पिरवश क यवा बड़-बढ़ो क साथ बहत कम समय वयतीत करत ह इसिलए सोच एव दिषटकोण म अिधक अनतर आ गया ह इसी अनतर को lsquoपीढ़ी का अनतरrsquo कहत ह यवा पीढ़ी की यही नई सोच बजगोर को अचछी नही लगती

२ यशोधर बाब की पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती हलिकन यशोधर बाब असफल रहत हऐसा कयो

उततरः यशोधर बाब अपन आदशर िकशनदा स अिधक भािवत ह और आधिनक पिरवश म बदलत हए जीवन-मलयो और सःकारो क िवरदध ह जबिक उनकी पतनीअपन बचचो क साथ खड़ी िदखाई दती ह वह अपन बचचो क आधिनक दिषटकोण स भािवत ह इसिलए यशोधर बाब की पतनी समय क साथ पिरवितरत होती ह लिकन यशोधर बाब अभी भी िकशनदा क सःकारो और परपराओ स िचपक हए ह

३rsquoिसलवर विडगrsquoकहानी क आधार पर पीढ़ी क अतराल स होन वाल पािरवािरक अलगाव पर अपन िवचार कट कीिजए

उततरः साःकितक सरकषण क िलए ःवःथ परपराओ की सरकषा आवयक ह िकत बदलत समय और पिरवश स सामजःय की भी उपकषा नही की जानी चािहए अनयथा िसलवर विडग क पाऽो की तरह िबखराव होन लगता ह

४rsquoिसलवर विडगrsquoकहानी को धयान म रखत हए परपराओ और साःकितक सरकषको की वतरमान म उपादयता पर अपन िवचार कट कीिजए

उततरःपरपराओ और सःकित स ही िकसी दश की पहचान कायम रहती ह सादगी स जीकर गहःथी को बचाया जा सकता ह यिद ऐसा न होता तो शायद यशोधर बाब की सतान पढ़-िलखकर योगय न बनती

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५ िसलवर विडगक कथानायक यशोधर बाब एक आदशर वयिकत ह और नई पीढ़ी दवारा उनक िवचारो को अपनाना ही उिचत ह| इस कथन क पकष-िवपकष म तकर दीिजए

उततरः- पकषः नयी पीढ़ी क यवा उनकी सादगी और वयिकततव क कछक रक पहलओ को लकर सफल व सःकारी नागिरक बन सकत ह अनयथा व अपनी पहचान खो बठ ग

िवपकषःपरानी रिढ़यो को छोड़कर ही नए समाज व नई पीढ़ी क साथ सामजःय िबठाया जा सकता हअनयथा िवलगाव सिनिशचत ह

६ िसलवर विडग कहानी की मल सवदना ःपषट कीिजए

उततरः - सकत-िबद-पीढ़ी क अनतराल स पदा हई िबखराव की पीड़ा

७ िकशनदा की कौन-सी छिव यशोधर बाब क मन म बसी हई थी

सकत िबनद- 1उनकी दफतर म िविभनन रपो की छिव

2सर पर िनकलन वाली छिव

३ एक आदशरवादी वयिकत क रप म

४ परोपकारी वयिकत |

८ Ocircिसलवर विडगrsquoकहानी का मख पाऽ बार-बार िकशनदा को कयो याद करता हइस आप कया मानत ह उसकी सामथयर या कमजोरीऔरकयो

उततरः सामथयर मानत ह व उनक रक थ उनस अलग अपन को सोचना भी यशोधर बाब क िलए मिकल था जीवन का रणा-ॐोत तो सदा शिकत एव सामथयरका सजरक होता ह

९ पाठ म lsquoजो हआ होगाrsquo वाकय की िकतनी अथर छिवया आप खोज सकत ह

उततरः यशोधर बाब यही िवचार करत ह िक िजनक बाल-बचच ही नही होतव वयिकत अकलपन क कारण ःवःथ िदखन क बाद भी बीमार-स हो जात ह और उनकी मतय हो जाती ह| िजसकार यशोधर बाब अपन आपको पिरवार स कटा और अकला पात ह उसीकार अकलपन स मःत होकर उनकी मतय हई होगी यह भी कारण हो सकता ह िक उनकी िबरादरी स घोर उपकषा

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िमली इस कारण व सख-सख कर मर गए | िकशनदा की मतय क सही कारणो का पता नही चल सका बस यशोधर बाब यही सोचत रह गए िक िकशनदा की मतय कस हईिजसका उततर िकसी क पास नही था

१० वतरमान समय म पिरवार की सरचनाःवरप स जड़ आपक अनभव इस कहानी स कहा तक सामजःय िबठा पात ह

उततरः यशोधर बाब और उनक बचचो की सोच म पीढ़ीजनय अतराल आ गया ह यशोधर सःकारो स जड़ना चाहत ह और सयकत पिरवार की सवदनाओ को अनभव करत ह जबिक उनक बचच अपन आप म जीना चाहत ह अतः जररत इस बात की ह िक यशोधर बाब को अपन बचचो की सकारातमक नई सोच का ःवागत करना चािहएपरनत यह भी अिनवायर ह िक आधिनक पीढ़ी क यवा भी वतरमान बतक सःकार और जीवन मलयो क ित आकिषरत न हो तथा परानी पीढी की अचछाइयो को महण कर यह शरआत दोनो तरफ स होनी चािहए तािक एक नए एव सःकारी समाज की ःथापना की जा सक

११ यशोधर बाब क चिरऽ की िवशषताए िलिखए

उततरः1 कमरठ एव पिरौमी ndashसकशन ऑिफसर होन क बावजद दफतर म दर तक काम करत थ | व अनय कमरचािरयो स अिधक कायर करत थ |

2 सवदनशील- यशोधर बाब अतयिधक सवदनशील थ | व यह बात ःवीकार नही कर पात िक उनका बटा उनकी इजाजत िलए िबना ही घर का सोफा सट आिद खरीद लाता ह उनका साईिकल स दफतर जान पर ऐतराज करता ह उनह दध लन जान म असिवधा न हो इसिलए सिसग गाउन भट करता ह| पतनी उनकी बात न मानकर बचचो क कह अनसार चलती ह | बटी िववाह क बधन म बधन स इकार करती ह और उसक वसतरो म शालीनता नही झलकती | पिरवारवालो स तालमल न बठन क कारण व अपना अिधकतर समय घर स बाहर मिदर म तथा सबजीमडी म सबज़ी खरीदत िबतात ह |

3 परपरावादी- व परपरावादी थ |आधिनक समाज म बदलत समीकरणो को ःवीकार करन को तयार नही थ इसिलए पिरवार क अनय सदःयो स उनका तालमल नही बठ पा रहा था |

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४ धािमरक वयिकत-यशोधर बाब एक धािमरक वयिकत थ| व अपना अिधकतर समय पजा-पाठ और मिदर म िबतात थ |

१२ यशोधर बाब जस लोग समय क साथ ढ़लन म असफल कयो होत ह

उततरः ऐस लोग साधारणतया िकसी न िकसी स भािवत होत ह जस यशोधर बाब िकशन दा स य परपरागत ढरर पर चलना पसनद करत ह तथा बदलाव पसनद नही करत अतः समय क साथ ढ़लन म असफल होत ह

१३ भर-पर पिरवार म यशोधर बाब ःवय को अधरा-सा कयो अनभव करत ह

उततरःसकत िबनद - अपन ाचीन दायर स बाहर न िनकल सकन क कारण व ःवय को अधरा अनभव करत ह

१४lsquolsquoअभी तमहार अबबा की इतनी साख ह िक सौ रपए उधार ल सक rsquorsquo िकन पिरिःथितयो म यशोधर बाब को यह कहना पड़ा

उततरःसकत िबनद- पऽ दवारा उनक िनकट सबधी की आिथरक सहायता क िलए मनाही स आहत होकर ऐसा कहना पड़ा

१५ Ocircिसलवर विडगrsquo कहानी क तथय का िवशलषण कीिजए

उततरः सकत िबनद - पीढ़ी क अतराल को उजागर कर वतरमान समाज की इस कार की सचचाई स पदार उठाया गया ह

१६अपन बचचो की तरककी स खश होन क बाद भी यशोधर बाब कयामहसस करत ह

उततरः उनक बचच गरीब िरतदारो क ित उपकषा का भाव रखत ह उनकी यह खशहाली अपनो क बीच परायापन पदा कर रही ह जो उनह अचछा नही लगता

१७आजकल िकशनदा जसी जीवन-शली अपनान वाल बहत कम लोग िमलत ह कयो

उततर िकशन दा जस लोग मःती स जीत ह िनःःवाथर दसरो की सहायता करत ह जबिक आजकल सभी सहायता क बदल कछ न कछ पान की आशा रखत ह िबना कछ पान की आशा रख सहायता करन वाल िबरल ही होत ह

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१८ यशोधर बाब क बचचो की कौन-सी बात शसनीय ह और कौन-सा पकष आपिततजनक ह

उततर- शसनीय बात- १) महतवाकाकषी और गितशील होना | २)जीवन म उननित करना |

३)समय और सामथयर क अनसार घर म आधिनक सिवधाए जटाना |

आपिततजनक बात - १) वयवहार २) िपता िरतदारो धमर और समाज क ित नकारातमक भाव

३) मानवीय समबनधो की गिरमा और सःकारो म रिच न लना |

१९आपकी दिषट म(पाठ स अलग) िसलवर विडग मनान क और कौन स तरीक हो सकत ह जो यशोधर बाब को अचछ लगत

उततरः मिदर जाकरपिरवार क साथ कही घमन जाकरपऽ-पिऽयो दवारा

माता-िपता को उपहार दकर आिद

२० िसलवर विडग म चटाई का लहगा िकस कहा गया ह

उततरः यह एक तीकातमक योग ह िजस यशोधर बाब अपनी पतनी क िलए योग करत ह उनकी पतनी परानी परपराओ को छोड़ आधिनकता म ढ़ल गई ह ःवय को मॉडनर समझती ह

इसिलए यशोधर बाब न उनह यह नाम िदया ह व उनह Ocircशानयल बिढ़याrsquo तथा Ocircबढ़ी मह महास

लोग कर तमासrsquo कह कर भी िचढ़ात ह

२१ यशोधर बाब पिरवार क बावजद ःवय को अधरा कयो मानत ह

उततर - यशोधर बाब परानी परपराओ को माननवाल ह जबिक उनका सारा पिरवार आधिनक िवचारधारा का ह पीढ़ीगत अतराल क कारण पिरवार क साथ ताल-मल न िबठा पान क कारण व ःवय को अधरा समझत ह

अनय महततवपणर अभयास-शन

1 दफतर म यशोधर बाब स कमरचारी कयो परशान रहत थ

2 यशोधर बाब का अपन बचचो क साथ कसा वयवहार था

3 दफतर क बाद पत जी कया-कया काम करत थ

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4 ऑिफस क सािथयो न यशोधर बाब को िकस बात की बधाइरर दी

5 यशोधर बाब तिकया कलाम क रप म िकस वाकय का योग करत थइस तिकया कलाम का उनक वयिकततव तथा कहानी क कथय स कया सबध ह

6 पीढ़ी क अतराल स वयिकत अकला हो जाता हrsquo- ःपषट कर

७ अपन बट की बड़ी नौकरी पर यशोधर बाब को कया आपितत थी

पाठ 2 जझ आनद यादव

पाठ का सार ndashOcircजझOtilde पाठ आनद यादव दवारा रिचत ःवय क जीवनETHसघषर की कहानी ह| पढ़ाई परी न कर पान क कारण उसका मन उस कचोटता रहता था |दादा न अपन ःवाथोर क कारण उसकी पढ़ाई छड़वा दी थी |वह जानता था िक दादा उस पाठशाला नही भजग | आनद जीवन म आग बढ़ना चाहता था | वह जनता था िक खती स कछ िमलन वाला नही |वह पढ़गा-िलखगा तो बिढ़या-सी नौकरी िमल जाएगी |

आनद न एक योजना बनाई िक वह मा को लकर गाव क ितिषठत वयिकत दतता जी राव क पास जाएगा| दतता जी राव न उनकी परी बात सनी और दादा को उनक पास भजन को कहा | दतता जी न उस खब फटकारा आनद को भी बलाया | दादा न भी कछ बात रखी िक आनद को खती क कायर म मदद करनी होगी| आनद न उनकी सभी बात सहषर मान ली| आनद की पढ़ाई शर हो गई| शर म कछ शरारती बचचो न उस तग िकया िकनत धीर-धीर उसका मन लगन लगा| उसन ककषा क मानीटर वसत पािटल स दोःती कर ली िजसस उस ठीक कार स पढ़ाई करन की रणा िमली| कई परशािनयो स जझत हए आनद न िशकषा का दामन नही छोड़ा| मराठी पढ़ान क िलए ौी सौदलगकर आए| उनहोन आनद क हदय म एक गहरी छाप छोड़ी| उसन भी किवताओ म रिच लनी ारमभ की| उसन खतो म काम करत ETHकरत किवताए कठःथ की| माःटर न उसकी किवता बड़ धयान स सनी| बालक का आतमिवशवास बढ़न लगा और उसकी कावय-ितभा म िनखार आन लगा |

शनोततर-

१ जझ कहानी क आधार पर दतता जी राव दसाई का चिरऽ-िचऽण कीिजए

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उततर 1 समझदार वयिकतETH दतता जी राव न छोट स बालक आनद की बातो को सना| िफर आनद क दादा को बलाया और आनद को िवदयालय भजन पर जोर िदया| उनहोन दादा स इस कार बात की िक उनह शक ही नही हआ िक य सब उनह आनद न बताया ह|

2 मामीणो क मददगार ETH दतता जी गाव क ितिषठत एवम भावशाली वयिकत थ िकत उनहोन अपनी ितषठा का दरपयोग नही िकया| मामीण उनक पास अपनी समःयाए लकर आत थ| दतता जी उनकी समःयाओ को हल करन का यास करत थ|

3भावशाली वयिकततवETH दतता जी गाव क ितिषठत वयिकत थ| सभी उनह बहत मान दत थ| उनका वयिकततव रोबीला था और मामीण उनकी बात मान जात थ|

२ जझ कहानी का उददय कया ह अथवा

Ocircिवषम पिरिःथितयो म भी िवकास सभव हrsquolsquoजझrsquo कहानी क आधार पर ःपषट कीिजए|

उततरः इस कहानी का मखय उददय ह िक मनय को सघषर करत रहना चािहए| कहानी म लखक क जीवन क सघषर को उसक पिरवश क साथ िदखलाया गया ह लखक का िशकषा-ािपत हत िपता स सघषरककषा म सघषरखती म सघषर और अत म उसकी सफलता कहानी क उददय को ःपषट करत ह अतः समःयाओ स भागना नही चािहए| पर आतमिवशवास स उनका मकाबला करना चािहए| सघषर करन वाल को सफलता अवय िमलती ह|

३ lsquoजझrsquo कहानी क शीषरक की साथरकता पर िटपपणी कीिजए

उततरः जझका अथर ह ndashसघषर| यह कथा कथानायक क जीवन भर क सघषर को दशारती ह| बचपन स अभावो म पला बालक िवपरीत पिरिःथितयो पर िवजय हािसल कर सका|अतः यिद मन म लगन हो भरपर आतमिवशवास हो तो सफलता कदम चमती ह |

४ OcircजझOtilde कहानी क आधार पर आनदा क चिरऽ की िवशषताए बताइए अथवा

lsquoजझrsquoशीषरक क औिचतय पर िवचार करत हए यह ःपषट कर िक कया यह शीषरक कथानायक की िकसी कनिीय चािरिऽक िवशषता को उजागर करता ह

उततरः 1 पढ़न की लालसा- आनदा िपता क साथ खती का काम सभालता था| लिकन पढ़न की तीो इचछा न उस जीवन का एक उददय द िदया और वह अपन भिवय को एक सही िदशा दन म सफल होता ह|

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2 वचनबदधता- आनदा न िवदयालय जान क िलए िपता की जो शतर मानी थी उनका पालन हमशा िकया| वह िवदयालय जान स पहल बःता लकर खतो म पानी दता| वह ढोर चरान भी जाता| िपता की बातो का अनपालन करता|

3 आतमिवशवासी एव कमरठ बालकETHआनदा क जीवन म अभाव ही थ| उसक िपता न ही उसका पाठशाला जाना बद करवा िदया था| िकत उसन िहममत नही हारी पर आतमिवशवास क साथ योजनाबदध तरीक स आग बढ़ा और सफल हआ|

४ किवता क ित झकाव- आनदा न माःटर सौदलगकर स भािवत होकर कावय म रिच लनी ारमभ की| वह खतो म पानी दता भस चरात समय भी किवताओ म खोया रहता था| धीर-धीर वह ःवय तकबदी करन लगा| किवताए िलखन स उसम आतमिवशवास बढ़ा|

५ आननदा क िपता की भाित आज भी अनक गरीब व कामगार िपता अपन बचचो को ःकल नही भजना चाहतथ कयो आपकी दिषट म उनह िकस कार िरत िकया जा सकता ह

उततरः अिधकतर लोग अिशिकषत होन क कारण िशकषा क महततव को नही समझत| अिधक बचच कम आमदनी दो अितिरकत हाथो स कमाई की लालसा आिद इसक मख कारण ह उनह िरत करन हत उनह जागरक करना िशकषा का महततव बतानािशिकषत होकर जीवन ःतर म सधार क िलए ोतसािहत िकया जा सकता ह

६ सकारातमक सजनातमकता स आतमिवशवास को दढ़ता िमलती ह जझ कहानी क आधार पर समझाइए

उततरः लखक न पढ़ाई म ःवय को िपछड़ता हआ पाया| िकत िशकषक सौदलगकर स िरत होकर लखक कछ तकबदी करन लगा| धीर ETHधीर उसम आतमिवशवास बढ़न लगा| सजनातमकता न उसक जीवन को नया मोड़ िदया| अतः लखक क दवारा किवता रच लन स उसम आतमिवशवास का सजन हआ

७ lsquoजझrsquoकहानी क आधार पर बताइए िक एक भावशाली िशकषक िकस तरह अपन िवदयाथीर का भिवय सवार सकता ह अथवा

आननदा स किव डॉ आननद यादव बनन की याऽा म माःटर सौनदलगकर की भिमका ःपषट कीिजए

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उततरः माःटर सौदलगकर कशल अधयापक मराठी क जञाता व किवसरील ढग स ःवय कीव दसरो की किवताए गात थ आननदा को किवता या तकबनदी िलखन क ारिमभक काल म उनहोन उसका मागरदशरन व सधार िकयाउसका आतमिवशवास बढ़ाया िजसस वह धीर-धीर किवताए िलखन म कशल हो कर ितिषठत किव बन गया

८ आननदा कोपनः ःकल जान पर कया-कया झलना पड़ा

उततरः ःवय स कम आय क छाऽो क साथ बठना पड़ावह अनय छाऽो की हसी का पाऽ बना तथा उस िपता की इचछा क कारण घर व ःकल दोनो म िनरतर काम करना पड़ा

९ ःकल म मानीटर न आनदा को सवारिधक भािवत िकया और कस

उततरः मानीटर बसत पािटल न उस सवारिधक भािवत िकया|वह शात व अधययनशील छाऽ था आनदा उसकी नकल कर हर काम करन लगाधीर-धीर एकामिचत व अधययनशील बनकर आननदा भी ककषा म सममान का पाऽ बन गया

१० आपक दिषट स पढ़ाई-िलखाई क समबनध म लखक और दतता जी राव का रवया सही था या लखक क िपता कातकर सिहत उतर दीिजए

उततरः लखक का मत ह िक जीवन भर खतो म काम करक कछ भी हाथ आन वाला नही ह पीढ़ी दर पीढ़ी खतो म काम करक कछ ापत नही हो सका व मानत ह िक यह खती हम गढढ म धकल रही ह अगर म पढ़-िलख गया तो कही मरी नौकरी लग जाएगी या कोई वयापार करक अपन जीवन को सफल बनाया जा सकता ह मा-बटा जब दतता जी राव क घर जाकर परी बात बतात ह तो दतता जी राव िपता जी को बलाकर खब डाटत ह और कहत ह िक त सारा िदन कया करता ह बट और पतनी को खतो म जोत कर त सारा िदन साड की तरह घमता रहता ह कल स बट को ःकल भज अगर पस नही ह तो फीस म दगा परनत िपता जी को यह सब कछ बरा लगा दतता जी राव क सामन lsquoहाrsquo करन क बावजद भी व आननद को ःकल भजन क पकष म नही थ इस कार लखक और उनक िपताजी की सोच म एक बड़ा अनतर ह हमार खयाल स पढ़ाई-िलखाई क समबनध म लखक और दतता जी राव का रवया लखक क िपता की सोच स जयादा ठीक ह कयोिक पढ़न-िलखन स वयिकत का सवारगीण िवकास होता ह

अनय महततवपणर अभयास-शन

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१ जझ पाठ क आधार पर बताइए िक कौन िकसस कहा जझ रहा ह तथा अपनी जझ म कौन सफल होता ह

२ आनदा का िपता कोलह जलदी कयो चलवाता था

३ पाठशाला म आनदा का पहला अनभव कसा रहा

४ दतता राव क सामन रतनपपा न आनदा को ःकल न भजन का कया कारण बताया

५ आनदा क िपता न उस पाठशाला भजन की सहमित िकस शतर पर दी

पाठ 3 अतीत म दब पाव ओम थानवी

पाठ का सारndashयहओम थानवी क याऽा-वततात और िरपोटर का िमला-जला रप ह|उनहोन इस पाठ म िवशव क सबस परान और िनयोिजत शहरो-मअनजो-दड़ो तथा हड़पपा का वणरन िकया ह | पािकःतान क िसध ात म मअनजो-दड़ो ओर पजाब ात म हड़पपा नाम क दो नगरो को पराततविवदो न खदाई क दौरान खोज िनकाला था|मअनजो-दड़ो ताकाल का सबस बड़ा शहर था |मअनजो-दड़ो अथारत मदोर का टीला| यह नगर मानव िनिमरत छोटETHछोट टीलो पर बना था |मअनजो-दड़ो म ाचीन और बड़ा बौदध ःतप ह | इसकी नगर योजना अिदवतीय ह| लखक न खडहर हो चक टीलो ःनानागार मद-भाडो कओETHतालाबो मकानो व मागोर का उललख िकया ह िजनस शहर की सदर िनयोजन वयवःथा का पता चलता ह| बःती म घरो क दरवाज मखय सड़क की ओर नही खलत हर घर म जल िनकासी की वयवःथा ह सभी नािलया की ढकी हई ह पककी ईटो का योग िकया गया ह|

नगर म चालीस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा एक महाकड भी ह |इसकी दीवार ओर तल पककी ईटो स बन ह | कड क पास आठ ःनानागार ह | कड म बाहर क अशदध पानी को न आन दन का धयान रखा गया | कड म पानी की वयवःथा क िलए कआ ह | एक िवशाल कोठार भी ह िजसम अनाज रखा जाता था |उननत खती क भी िनशान िदखत ह -कपास गह जौ सरसो बाजरा आिद क माण िमल ह|

िसध घाटी सभयता म न तो भवय राजमहल िमल ह ओर ही भवय मिदर| नरश क सर पर रखा मकट भी छोटा ह| मअनजो-दड़ो िसध घाटी का सबस बड़ा नगर ह िफर भी इसम भवयता व आडमबर का अभाव रहा ह| उस समय क लोगो न कला ओर सरिच को महततव िदया| नगर-िनयोजन धात एव पतथर की मितरया मद-भाड उन पर िचिऽत मानव ओर अनय

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आकितया महर उन पर बारीकी स की गई िचऽकारी| एक परातततववतता क मतािबक िसध सभयता की खबी उसका सौदयर-बोध ह जो राजपोिषत या धमरपोिषत न होकर समाजपोिषत था|

शनोततरndash

१ Ocircिसनध सभयता साधन समपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नही था |Otilde ःतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

उततरः दसरी सभयताए राजतऽ और धमरतऽ दवारा सचािलत थी वहा बड़-बड़ सनदर महल पजा ःथल भवय मितरया िपरािमड और मिनदर िमल ह राजाओ धमारचायोर की समािधया भी मौजद ह िकत िसनध सभयता एक साधन-समपनन सभयता थी परनत उसम राजसतता या धमरसतताक िचहन नही िमलत वहा की नगर योजनावाःतकलामहरोठपपोजल-वयवःथासाफ-सफाई और सामािजक वयवःथा आिद की एकरपतादवारा उनम अनशासन दखा जा सकता ह |साःकितक धरातलपर यह तथय सामन आता ह िक िसनध घाटी की सभयता दसरीसभयताओ स अलग एव ःवाभािवक

िकसी कार की किऽमता एव आडबररिहतथी जबिक अनय सभयताओ म राजतऽ और धमरतऽ की ताकत को िदखात हए भवय महल मिदर ओर मितरया बनाई गई िकत िसनध घाटी सभयता की खदाई म छोटी-छोटी मितरया िखलौन मद-भाड नाव िमली ह इस कार यह ःपषट ह िक िसनध सभयता समपनन थी परनत उसम भवयता का आडबर नही था

२ Ocircिसनध सभयता की खबी उसका सौनदयर बोध ह जो राजपोिषत न होकर समाज-पोिषत थाOcirc ऐसा कयो कहा गया ह

उततरः िसनध सभयता म औजार तो बहत िमलहपरत हिथयारो का भी योग होता रहा होगा इसका कोई माण नहीह व लोग अनशासनिय थ परनत यह अनशासन िकसी ताकत क बल क दवारा कायम नही िकया गयाबिलक लोग अपन मन और कमर स ही अनशासन िय थ मअनजो-दड़ो की खदाई म एक दाढ़ी वाल नरश की छोटी मितर िमली ह परनत यह मितर िकसी राजतऽ या धमरतऽ का माण नही कही जा सकती िवशव की अनय सभयताओ क साथ तलनातमक अधययन स भी यही अनमान लगाया जा सकता ह िक िसनध सभयता की खबी उसका सौनदयरबोध ह जो िक समाज पोिषत ह राजपोिषत या धमरपोिषत नही ह

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३ lsquoयह सच ह िक यहा िकसी आगन की टटी-फटी सीिढ़या अब आप को कही नही ल जातीव आकाश की तरफ अधरी रह जाती ह लिकन उन अधर पायदानो पर खड़ होकर अनभव िकया जा सकता ह िक आप दिनया की छत पर ह वहा स आप इितहास को नही उस क पार झाक रह हrsquo इसक पीछ लखक का कया आशय ह

उततरः इस कथन स लखक का आशय ह िक इन टट-फट घरो की सीिढ़यो पर खड़ होकर आप िवशव की सभयता क दशरनकर सकत ह कयोिक िसनध सभयता िवशव की महान सभयताओ म स एक ह िसनध सभयता आडबररिहत एव अनशासनिय ह खडहरो स िमल अवशषो और इन टट-फट घरो स कवल िसनध सभयता का इितहास ही नही दखा जा सकता ह बिलक उसस कही आग मानवता क िचहन ओर मानवजाित क बिमक िवकास को भी दखा जा सकता ह कई शन - ऐस कौन स कारण रह होग िक य महानगर आज कवल खडहर बन कर रह गए ह व बड़ महानगर कयो उजड़ गए उस जमान क लोगो की वाःतकला कला ओर जञान म रिच समाज क िलए आवयक मलय - अनशासन सादगी ःवचछता सहभािगता आिदहम मानवजाित क बिमक िवकास पर पनः िचतन करन पर मजबर कर दत ह इस कार हम इन सीिढ़यो पर चढ़कर िकसी इितहास की ही खोज नही करना चाहत बिलक िसनध सभयता क सभय मानवीय समाज को दखना चाहत ह

४ हम िसनध सभयता को जल-सःकित कस कह सकत ह

उततरःिसनध सभयता एक जल-सःकित थी | तयक घर म एक ःनानघरथा घर क भीतर स पानी या मला पानी नािलयो क माधयम स बाहर हौदी म आता ह और िफर बड़ी नािलयो म चला जाता ह कही-कही नािलया ऊपर स खली ह परनत अिधकतर नािलया ऊपर सबदह इनकी जलिनकासी वयवःथा बहत ही ऊच दजर की था | नगर म कओ का बध था य कए पककी ईटो क बन थ िसनध सभयता स जड़ इितहासकारो का मानना ह िक यह सभयता िवशव म पहली जञात सःकित ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ो नगर म सात सौ कए हयहा का महाकड लगभग चालीस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह|इस कार मअनजो-दड़ो म पानी की वयवःथा सभय समाज की पहचान ह

५ मअनजो-दड़ो की गह-िनमारण योजना पर सकषप म काश डािलए|

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उततर- मअनजो-दड़ो नगर की मखय सड़क क दोनो ओर घर ह परत िकसी भी घर का दरवाजामखय सड़क पर नही खलता घर जान क िलए मखय सड़क स गिलयो म जाना पड़ता हसभी घरो क िलए उिचत जल िनकासी वयवःथा ह घर पककी ईटो क बन ह|छोट घरो म िखड़िकया नही थी िकत बड़ घरो म आगन क भीतर चारो तरफ बन कमरो म िखड़िकया ह| घर छोट भी ह ओर बड़ भी िकत सभी घर कतार म बन ह|

६ lsquoिसनध सभयता ताकत स शािसत होन की अपकषा समझ स अनशािसत सभयता थीrsquo- ःपषट कीिजए

उततरःसकत िबद - खदाई स ापत अवशषो म औजार तो िमल ह िकत हिथयार नही| कोई खडग भाला धनष-बाण नही िमला|

तथा भवय महलो व समािधयो क न होन स कह सकत ह िक िसनध सभयता ताकत स नही समझ स अनशािसत थी

७ ससार की मखय ाचीन सभयताए कौन-कौन सी हाचीनतम सभयता कौन-सी ह उसकी मािणकता का आधार कया ह

उततरः िमॐ की नील घाटी की सभयता मसोपोटािमया की सभयता बबीलोन की सभयता िसनध घाटी की सभयता सबस ाचीन ह िसनध घाटी की सभयता माण ह 1922म िमल हड़पपा व

मअनजो-दड़ोनगरो क अवशष य नगर ईसा पवर क ह

८िसनध घाटी की सभयता की िविशषट पहचान कया ह

उततरः1 एक जस आकार की पककी ईटो का योग 2 जल िनकासी की उतकषट वयवःथा

3 ततकालीन वाःतकला 4 नगर का ौषठ िनयोजन

९ मअनजो-दड़ोम पयरटक कया-कया दख सकत ह

उततरः 1बौदध ःतप2 महाकड 3अजायबघर आिद

१० िसनध सभयता व आजकल की नगर िनमारण योजनाओ म सामय व अनतर बताइए

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उततरः सामय-1 अचछी जल िनकास योजनाढकी हई नािलया 2 नौकरो क िलए अलग आवास वयवःथा 3 पककी ईटो का योग

अनतर- नगर योजना आधिनक तकनीक का योग अतयाधिनक भवनETHिनमारण साममी का योग|

११कलधरा कहा हमअनजो-दड़ोक खणडहरो को दख कलधरा की याद कयोआती ह

उततरः कलधरा जसलमर क महान पर पील पतथरो स बन घरो वाला सनदर गाव ह कलधरा क िनवासी 150 वषर पवर राजा स तकरार होन पर गाव खाली करक चल गए उनक घर अब खणडहर बन चक ह परत ढ़ह नही |घरो की दीवार और िखड़िकया ऐसी ह मानो सबह लोग काम पर गए ह और साझ होत ही लौट आएग |मअनजो-दड़ोक खणडहरो को दखकर कछ ऐसा ही आभास होता ह वहा घरो क खणडहरो म घमत समय िकसी अजनबी घर म अनिधकार चहल-कदमी का अपराधबोध होता ह| पराताितवक खदाई अिभयान की यह खबी रही ह िक सभी वःतओ को बड़ सहज कर रखा गया | अतः कलधरा की बःती और मअनजो-दड़ोक खणडहर अपन काल क इितहास का दशरन करात ह

अनय महततवपणर अभयास-शन

१ िसनध घाटी क िनवासी खती करत थ- इस कथन को िसदध कीिजए

२ rsquoटट-फट खणडहर सभयता और सःकित क इितहास क साथ-साथ धड़कती िजनदिगयो क अनछए समयो का दःतावज होत हrsquo इस कथन का भाव ःपषट कीिजए

३आज जल सकट एक बड़ी समःया ह| ऐस म िसनध सभयता क महानगर मअनजो-दड़ो की जल वयवःथा स कया रणा लीजा सकती ह भावी जल सकट स िनपटन क िलए आप कया सझाव दग

४मअनजो-दड़ोक अजायबघर म कौन-कोन सी वःतए दिशरत थी

५िसध सभयता अनय सभयताओ स िकस कार िभनन ह

६मअनजो-दड़ोकी मख िवशषताए िलिखए

७ िसधघाटी की सभयता लो-ोफाइल ह-ःपषट कीिजए

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८ लखक न ाचीन लडःकप िकस कहा ह उसकी कया िवशषता ह

९ ताकाल क दो सबस बड़ िनयोिजत शहर िकनह माना गया ह और कयो

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पाठ 4 डायरी क पनन ऐन क

पाठ का सार ETH Ocircडायरी क पननOtilde पाठ म Ocircद डायरी ऑफ ए यग गलरOtilde नामक ऐन क की डायरी क कछ अश िदए गए ह| Ocircद डायरी ऑफ ए यग गलरOtilde ऐन क दवारा दो साल अजञातवास क दरमयान िलखी गई थी| १९३३ म कफटर क नगरिनगम चनाव म िहटलर की नाजी पाटीर जीत गई| ततपशचात यहदी-िवरोधी दशरन बढ़न लग | ऐन क का पिरवार असरिकषत महसस करत हए नीदरलड क एमसटडरम शहर म जा बसा |िदवतीय िवशवयदध की शरआत तक(१९३९) तो सब ठीक था| परत १९४० म नीदरलड पर जमरनी का कबज़ा हो गया ओर यहिदयो क उतपीड़न का दौर शर हो गया| इन पिरिःथितयो क कारण १९४२ क जलाई मास म क पिरवारिजसम माता-िपतातरह वषर की ऐन उसकी बड़ी बहन मागोरट तथा दसरा पिरवार ndashवानदान पिरवार ओर उनका बटा पीटरतथा इनक साथ एक अनय वयिकत िमःटर डसल दो साल तक गपत आवास म रह| गपत आवास म इनकी सहायता उन कमरचािरयो न की जो कभी िमःटर क क दफतर म काम करत थ||Ocircद डायरी ऑफ ए यग गलरOtilde ऐन क दवारा उस दो साल अजञातवास क दरमयान िलखी गई थी|अजञातवास उनक िपता िमःटर ऑटो क का दफतर ही था| ऐन क को तरहव जनमिदन पर एक डायरी उपहार म िमली थी ओर उसम उसन अपनी एक गिड़या-िकटटी को समबोिधत िकया ह|

ऐनअजञातवास म परा िदनETH पहिलया बझाती अमज़ी व च बोलती िकताबो की समीकषा करती राजसी पिरवारो की वशावली दखती िसनमा ओर िथएटर की पिऽका पढ़ती और उनम स नायक-नाियकाओ क िचऽ काटतिबताती थी| वह िमसज वानदान की हर कहानी को बार-बार सनकर बोर हो जाती थी ओर िम डसल भी परानी बातETH घोड़ो की दौड़ लीक करती नाव चार बरस की उ म तर सकन वाल बचच आिद सनात रहत|

उसन यदध सबधी जानकारी भी दी ह- किबनट मऽी िम बोलक ःटीन न लदन स डच सारण म यह घोषणा की थी िक यदध क बाद यदध क दौरान िलखी गई डायिरयो का समह िकया जाएगा

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वाययानो स तज़ गोलाबारी हज़ार िगलडर क नोट अवध घोिषत िकए गए | िहटलर क घायल सिनको म िहटलर स हाथ िमलान का जोश अराजकता का माहौल- कार साईिकल की चोरी घरो की िखड़की तोड़ कर चोरी गिलयो म लगी िबजली स चलन वाली घिड़या सावरजिनक टलीफोन चोरी कर िलए गए|

ऐन क न नारी ःवतऽता को महततव िदयाउसन नारी को एक िसपाही क बराबर सममान दन की बात कही| एक तरह वषीरय िकशोरी क मन की बचनी को भी वयकत िकया- जस िम डसल की ड़ाट-फटकार ओर उबाऊ भाषण दसरो की बात सनकर िमसज क का उसडाटना ओर उस पर अिवशवास करना बड़ो क दवारा उसक काम ओर कशसजजा पर टीका-िटपपणी करना िसनमा की पिऽका खरीदन पर िफज़लखचीर का आरोप लगाना पीटर दवारा उसक म को उजागर न करना आिद|

ऐन क की डायरी क दवारा िदवतीय िवशवयदध की िवभीिषका िहटलर एव नािजयो दवारा यहिदयो का उतपीड़न डर भखमरी गरीबी आतक मानवीय सवदनाए म घणा तरह साल की उ क सपन कलपनाए बाहरी दिनया स अलग-थलग पड़ जान की पीड़ा मानिसक ओर शारीिरक जररत हसी-मज़ाक अकलापन आिद का जीवत रप दखन को िमलता ह |

शनोततर ndash

१ lsquolsquoऐन की डायरी अगर एक ऐितहािसक दौर का जीवत दःतावज ह तो साथ ही उसक िनजी

सख-दःख और भावनातमक उथल-पथल का भी इन पषठो म दोनो का फकर िमट गया ह rsquorsquo इस कथन पर िवचार करत हए अपनी सहमित या असहमित तकर पवरक वयकत कर

उततरःऐन की डायरी अगर एक ऐितहािसक दौर का जीवत दःतावज ह तो साथ ही उसक िनजी सख-दःख और भावनातमक उथल-पथल का भी कयोिक इसम ऐन न िदवतीय िवशवयदध क समय हॉलड क यहदी पिरवारो की अकलपनीय यऽणाओ का वणरन करन क साथ-साथ वहा की राजनितक िःथित एव यदध की िवभीिषका का जीवत वणरन िकया हवाययानो स तज़ गोलाबारी हज़ार िगलडर क नोट अवध घोिषत िकए गए िहटलर क घायल सिनको म िहटलर स हाथ िमलान का जोश अराजकता का माहौलआिद| साथ हीयह डायरी ऐन क पािरवािरक सख-दःख और भावनातमक िःथित को कट करती ह- गरीबी भखमरीअजञातवास म जीवन वयतीत करना दिनया स िबलकल कट जाना पकड़ जान का डर आतक यह डायरी एक ओर वहा क राजनितक वातावरण म सिनको की िःथित आचरण व जनता पर होन वाल अतयाचार िदखाती

120

ह तो दसरी ओरएक तरह वषर की िकशोरी की मानिसकता कलपना का ससार ओर उलझन को भीिदखाती ह जो ऐन की आपबीती ह इस तरह यह डायरी ऐितहािसक दःतावज होन क साथ-साथ ऐन क जीवन क सख-दख का िचऽण भी ह

२ lsquolsquoयह साठ लाख लोगो की तरफ स बोलन वाली एक आवाज ह एक ऐसी आवाज जो िकसी सनत या किव की नही बिलक एक साधारण-सी लड़की की हrsquorsquo इलया इहरनबगर की इस िटपपणी क सदभर म ऐन क की डायरी क पिठत अशो पर िवचार कर

उततरः उस समय यरोप म लगभग साठ लाख यहदीथिदवतीय िवशवयदध म नीदरलड पर जमरनी का कबज़ा हो गया और िहटलर की नाजी फौज न यहिदयो को िविभनन कार स यऽणाए दन लग | उनह तरह-तरह क भदभाव पणर ओर अपमानजनक िनयम-कायदो को मानन क िलए बाधय िकया जान लगा |गःटापो (िहटलर की खिफया पिलस) छाप मारकर यहिदयो को अजञातवास स ढढ़ िनकालती ओर यातनागह म भज दती| अतः चारो तरफ अराजकता फली हई थी यहदी अजञातवास म िनरतर अधर कमरो म जीन को मजबरथउनह एक अमानवीय जीवन जीन को बाधय होना पड़ा|िहटलर की नाजी फौजका खौफ उनह हरवकत आतिकत करता रहता था | ऐन न डायरी क माधयम स न कवलिनजी सख-दःख और भावनाओ को वयकत िकयाबिलक लगभग साठ लाख यहदी समदाय की दख भरी िजनदगी को िलिपबदध िकया ह इसिलए इलया इहरनबगर की यह िटपपणी िक lsquolsquoयह साठ लाख लोगो की तरफ स बोलन वाली एक आवाज ह एक ऐसी आवाज जो िकसी सत या किव की नही बिलक एक साधारण-सी लड़की की हrsquoसवरमानय एव सतय ह

३ ऐन क कौन थीउसन अपनी डायरी म िकस काल की घटनाओ का िचऽण िकया हयह कयो महतवपणर ह

उततर ऐन क एक यहदी लड़की थी उसन अपनी डायरी म िदवतीय िवशवयदध (1939-

1945) क दौरान िहटलर की नाजी फौज न यहिदयो को िविभनन कार स यऽणाए दी| यह डायरी यदध क दौरान फली अराजकता और राजनितक पिरदय को दशारती ह| यह नािजयो दवारा यहिदयो पर िकए गए जलमो का एक ामािणक दःतावज ह और साथ ही साथ एक तरह वषीरय िकशोरी की भावनाए और मानिसकता को समझान म सहायक ह

४ डायरी क पनन पाठ म िम डसल एव पीटर का नाम कई बार आया ह इन दोनो का िववरणातमक पिरचय द

121

उततरः िमडसल- ऐन क िपता क साथ काम करत थ व ऐन व पिरवार क साथ अजञातवास म रह थ डसल उबाऊ लब-लब भाषण दत थ और अपन जमान क िकःस सनात रहत थ ऐन को अकसर डाटत थ व चगलखोर थ और ऐन की मममी स ऐन की सचची-झठी िशकायत करत थ

पीटर- िमःटर और िमसज वानदान का बटा था |वह ऐन का हमउ था ऐन का उसक ित आकषरण बढ़न लगा था और वह यह मानन लगी थी िक वह उसस म करती हऐन क जनमिदन पर पीटर न उस फलो का गलदःता भट िकया था| िकत पीटर सबक सामन म उजागर करन स डरता था| वह साधारणतया शाितिय सहज व आतमीय वयवहार करन वाला था

५ िकटटी कौन थीऐन क न िकटटी को सबोिधत कर डायरी कयो िलखी

उततरः OcircिकटटीOtildeऐन क की गिड़या थी गिड़या को िमऽ की भाित सबोिधत करन स गोपनीयता भग होन का डर न थाअनयथा नािजयो दवारा अतयाचार बढ़न का डर व उनह अजञातवास का पता लग सकता था| ऐन न ःवय (एक तरह वषीरय िकशोरी) क मन की बचनी को भी वयकत करन का ज़िरया िकटटी को बनाया |वह हदय म उठ रही कई भावनाओ को दसरो क साथ बाटना चाहती थी िकत अजञातवास म उसक िलए िकसी क पास समय नही था| िम डसल की ड़ाट-फटकार ओर उबाऊ भाषण दसरो क दवारा उसक बार म सनकर मममी (िमसज क) का उसड़ाटना ओर उस पर अिवशवास करना बड़ो का उस लापरवाह और तनकिमजाज मानना और उस छोटी समझकर उसक िवचारो को महततव न दना उसक दय को कचोटता था |अतः उसन िकटटी को अपना हमराज़ बनाकर डायरी म उस ही सबोिधत िकया|

६ lsquoऐन क की डायरी यहिदयो पर हए जलमो का जीवत दःतावज हrsquoपाठ क आधार पर यहिदयो पर हए अतयाचारो का िववरण द

उततरः िहटलर की नाजी सना न यहिदयो को कद कर यातना िशिवरो म डालकर यातनाए दी उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार िदया जाता था कई यहदी भयमःतहोकर अजञातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय पिरिःथितयो म जीना पड़ा| अजञातवास म उनह सनधमारो स भी िनबटना पड़ा उनकी यहदी सःकित को भी कचल डाला गया

122

७ lsquoडायरी क पननrsquoपाठ िकस पःतक स िलया गया हवह कब कािशत हईिकसन कािशत कराई

उततरः यह पाठ ऐन क दवारा डच भाषा म िलखी गई lsquoद डायरी ऑफ ए यग गलरrsquo नामक पःतक स िलया गया ह यह १९४७ म ऐन क की मतय क बाद उसक िपता िमःटर ऑटो क न कािशत कराई

अनय महततवपणर अभयास-शन

१ काश कोई तो होता जो मरी भावनाओ को गभीरता स समझ पाता| अफसोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नही िमला | कया आपको लगता ह िकऐन क इस कथन म उसक डायरी लखन का कारण छपा हआ ह

२ अजञातवास म उबाऊपन दर करन क िलए ऐन क व वान पिरवार कया करत थ

३ डच मऽी िक िकस घोषणा स ऐन रोमािचत हो उठी

४ ऐन क अनसार यदध म घायल सिनक गवर का अनभव कयो कर रह थ

५ Ocircहर कोई जानता था िक बलाव का कया मतलब होता हOtilde| ऐन की डायरी क आधार पर िलिखए |

६ lsquoकित ही तो एक ऐसा वरदान ह िजसका कोई सानी नही हrsquoऐसा कयो कहा गया ह

123

ितदशर न-पऽ

ककषा १२

िवषयिहनदी (क ििक) िनधारिरत समय ३ घट अिधकतम अक १००

खणड क

१ िनमनिलिखत गदयाश को धयान पवरक पिढ़ए तथा पछ गए शनो क सिकषपत उततर िलिखए लखक का काम काफी हद तक मधमिकखयो क काम स िमलता-जलता ह| मधमिकखया मकरद- समह करन क िलए कोसो दर तक चककर लगाती ह| व सदर और अचछ फलो का रसपान करती ह |तभी तो उनक मध म ससार का सवरौषठ माधयर रहता ह | यिद आप अचछा लखक बनना चाहत ह तो आपको भी यही वितत अपनानी होगी | अचछ मथो का खब अधययन करना होगा और उनक िवचारो का मनन करना होगा | िफर आपकी रचनाओ म मध का-सा माधयर आन लगगा | कोई अचछी उिकत कोई अचछा िवचार भल ही दसरो स महण िकया गया हो लिकन उस पर यथषट मनन कर आप उस अपनी रचना म ःथान दग तो वह आपका ही हो जाएगा | मननपवरक िलखी हई वःत क सबध म िकसी को यह कहन का साहस नही होगा िक वह अमक ःथान स ली गई ह या उिचछषट ह | जो बात आप अचछी तरह आतमसात कर लग वह मौिलक हो जाएगी | (क) अचछा लखक बनन क िलए कया करना चािहए ३

(ख) मधमकखी एव अचछ लखक म कया समानताए होती ह ३

(ग) लखक अपनी रचनाओ म माधयर कस ला सकता ह ३

(घ) कोई भी बात मौिलक कस बनती ह २

(ङ) मधमिकखयो क मध म ससार की सवर ौषठ मधरता कस आती ह २

(च) यथषट तथा उिचछषट शबदो क अथर िलिखए | १ (छ) उपयरकत गदयाश का उपयकत शीषरक िलिखए | १

२ िनमनिलिखत कावयाश को धयान पवरक पढ़कर पछ गए शनो क उततर िलिखए १५=५ साकषी ह इितहास हमी पहल जाग ह जामत सब हो रह हमार ही आग ह शऽ हमार कहा नही भय स भाग

कायरता स कहा ाण हमन तयाग ह

ह हमी किमपत कर चक सरपित तक का भी हदय

124

िफर एक बार ह िवशव गाओ तम भारत की िवजय कहा कािशत नही रहा ह तज हमारा

दिलत कर चक शऽ सदा हम परो दवारा बतलाओ तम कौन नही जो हम स हारा

पर शरणागत हआ कहा कब हम न पयारा

बस यदध माऽ को छोड़कर कहा नही ह हम सदय िफर एक बार ह िवशव तम गाओ भारत की िवजय (क) Ocircहमी पहल जाग हOtilde स कया अिभाय ह

(ख) Ocircह हमी किमपत कर चक सरपित तक का भी भी हदयOtilde स भारतवािसयो की िकस िवशषता का पता लगता ह

(ग) हमारी दयालता का वणरन किवता की िकन पिकतयो म िकया गया ह

(घ) िकसक जयघोष करन क िलए कहा गया ह

(ङ) सरपित तथा शरणागत शबदो क अथर िलिखए |

खणड ख

३ िनमनिलिखत िवषयो म स िकसी एक पर िनबध िलिखए ५

(क) सचार-बाित और भारत

(ख) पिरौम सफलता की कजी

(ग) महगाई की समःया

(घ) पराधीन सपनह सख नाही

४ ःववतत (बायोडाटा) ःतत करत हए कनिीय िवदयालय िवकासपरी नई िदलली क ाचायर को पःतकालय सहायक क पद हत आवदन-पऽ िलिखए | ५

अथवा दरदशरन क कनि िनदशक को िकसी िवशष कायरबम की सराहना करत हए पऽ िलिखए

(क) िनमन शनो क सिकषपत उततर िलिखए- ५

(i) फ़ीडबक कया ह

ह(ii) जनसचार क मख माधयम कौन ETHकौन सत ह(iii) पऽकारीय लखन स आप कया समझ

(iv) समाचार क मख तततव िलिखए | (v) पीत पऽकािरता स कया अिभाय ह

(ख) एक िदवसीय हिरदवार याऽाOtilde अथवा बकार पदाथोर स उपयोगी वःतएOtilde िवषय पर ितवदन

125

६ Otildeबःत का बढ़ता बोझOtilde अथवा Otildeजातीयता क षय पर फ़ीचर िलिखए ५

खणड ग ७ ो पढ़कर पछ गए शनो क उततर िलिखए- २४

का कया तातपयर ह

ग किव को ससार अचछा कयो नही लगता

कर भी खशी का माहौल कस बनाया जा सकता ह

भाट

यो बताया गया ह

८ ाश पर पछ गए शनो क उततर िलिखए ETH २३=६

िलिखए

ा िवषOtilde िव

िनमनिलिखत म स िकसी कावयाश क=८

म िनज उर क उदगार िलय िफ़रता हम िनज उर क उपहार िलय िफ़रता हयह अपणर ससार न मझको भाता म ःवपनो का ससार िलय िफ़रता ह म जला हदय म अिगन दहा करता हसख-दख दोनो म मगन रहा करता ह जग भव सागर तरन को नाव बनाए म भव मौजो पर मःत बहा करता ह (क) Otildeिनज उर क उद गार व उपहारOtilde- स किव (ख)किव न ससार को अपणर कयो कहा ( )

(घ) ससार म कषटो को सह

अथवा

िकसबी िकसान-कल बिनक िभखािर चाकर चपल नटचोर चार चटकी पट को पढतगन गढत चढत िगिरअटत गहन वन अहन अखटकी ऊच-नीच करमधरम अधरम किर पट ही को पचत बचत बटा-बटकी OcircतलसीOtilde बझाइ एक राम घनयाम ही त आिग बडवािगत बड़ी ह आिग पटकी ||

(क) पट भरन क िलए कया ETH कया करत ह

(ख)किव न िकन ETH िकन लोगो का वणरन िकया ह

(ग) किव क अनसार पट की आग कौन बझा सकता ह

(घ) पट की आग को बडवािगन स भी बड़ा किनमनिलिखत कावय

126

सका मझ डर था

लगी

(ख) कावयाश म यकत दोनो उपमाओ क य यर पर िटपपणी कीिजए | (ग) की कया समःया थी

अथवा ह

िलखा गया ह तथा उसकी कया िवशषता ह

९ ढापना

यर ःपषट कीिजए

१०

सकगा छ-न-कछ सचचा

वयकता क साथ काम आना |

का सीधा ETH सा उपाय कया ह

कयो

(ग)

(घ) बाजार स कब आनद िमलता ह

आिखरकार वही हआ िजजोर जबरदःती स

बात की चड़ी मर गई

और वह भाषा म बकार घमनहार कर मन उस कील की तरह

उसी जगह ठोक िदया | (क) बात की चड़ी मर जान व बकार घमन स किव का कया आशय

ोग सौदरचनाकार क सामन कथय और माधयम

आगन म ठनक रहा ह िजदयाया बालक तो हई चाद प ललचाया ह दपरण उस द क कह रही ह मा

दख आइन म चाद उतर आया ह (क) कावयाश की भाषा की दो िवशषताओ का उललख कीिजए (ख) यह कावयाश िकस छद म(ग) Otildeदख आइन म चाद उतर आया हOtilde-कथन क सौदयर को ःपषट कीिजए

िकनही दो शनो क उततर दीिजए ETH३२=६ (क) बािनत की गरजना का शोषक-वगर पर कया भाव पड़ता ह उनका मख

िकस मानिसकता का दयोतक ह

(ख) िफ़राक की रबाइयो म उभर घरल जीवन क िबबो का सौद(ग) कमर म बद किवता म िनिहत वयगय को उजागर कीिजए गदयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए ETH २४=८

पर उस जाद की जकड़ स बचन का सीधा ETH सा उपाय ह | वह यह िक बाजार जाओ तो खाली मन न हो | मन खाली हो तब बाजार न जाओ | कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चािहए | पानी भीतर हो ल का ल-पन वयथर हो जाता ह | मन लआय म भरा हो तो बाजार भी फला ETHका- फला ही रह जाएगा | तब वह घाव िबलकल नही द बिलक कछ आनद ही दगा | तब बाजार तमस कताथर होगा कयोिक तम कलाभ उस दोग | बाजार की असली कताथरता ह आ(क) बाजार क जाद की पकड़ स बचन (ख) बाजार कब नही जाना चािहए और

बाजार की साथरकता िकसम ह

127

म नही बन सका जो किव ह

ी क अनसार िशरीष कस जीिवत रहता ह

रचनाए िनकली हOtilde- आशय

चिपलन कौन था उसक भारतीयकरण स लखक का कया आशय ह

तततवो म स एक ातता को रखकर लखक न अपन आदशर ह अथवा नही आप इस ातता शबद स

ो क उततर दीिजए ETH ३२=६

अथवा

एक बार मझ मालम होता ह िक यह िशरीष एक अदभत अवधत ह | दःख हो या सखवह हार नही मानता | न ऊधो का लना न माधो का दना | जब धरती और आसमान जलत रहत ह तब भी यह हजरत न जान कहा स अपना रस खीचत रहत ह | मौज म आठो याम मःत रहत ह | एक वनःपितशासतरी न मझ बताया ह िक यह उस ौणी का पड़ ह जो वायमडल स अपना रस खीचता ह| जरर खीचता होगा | नही तो भयकर ल क समय इतन कोमल ततजाल और ऐस सकमार कसर को कस उगा सकता था अवधतो क मह स ही ससार की सबस सरस रचनाए िनकली ह | कबीर बहत कछ इस िशरीष क समान थ मःत और बपरवा पर सरस और मादक | कािलदास भी अनासकत योगी रह होग | िशरीष क फल फककड़ाना मःती स ही उपज सकत ह और OcircमघदतOcirc का कावय उसी कार क अनासकत अनािवल उनमकत हदयउमड़ सकता ह | जो किव अनासकत नही रह सका जोफककड़िकए ETH िकराए का लखा- जोखा िमलान म उलझ गया वह कया(क) लखक न िशरीष को कया सजञा दी ह तथा कयो

(ख) वनःपितशासतर(ग) Ocircअवधतो क मह स ही ससार की सबस सरस

ःपषट कर | (घ) लखक न सचच किव क बार म कया बताया ह

११ िकनही चार शनो क उततर दीिजए ETH३४=१२

(क) चालीर (ख) भिकतन दवारा शासतर क शन को सिवधा स सलझा लन का कया उदाहरण लिखका न िदया

(ग) Ocircगगरी फटी बल िपयासाOtilde इनदर सना क इस खलगीत म बलो को पयासा रहन की बातकयो मखिरत हई ह

(घ) लटटन क राजपहलवान लटटन िसह बन जान क बाद की िदनचयार पर कश डािलए (ङ) आदशर समाज क तीन

समाज िसतरयो को भी सिममिलत िकयाकहा तक सहमत ह

१२ िकनही दो शन(क) डायरी क पननOtilde क आधार पर मिहलाओ क बार म ऐन क िवचारो पर िटपपणी

कीिजए

128

ऐसा कयो

ो की नगर-योजना दशरको को अिभभत

) ऐसी दो िवशषताओ का उललख कीिजए कसन ऑिफसर वाईडी पत को अपन रोल

१४ स ापत जानकािरयो क आधार पर िसनध-सभयता की िवशषताओ र एक लख िलिखए ५

अथवा

वयिकततव की चार िवशषताओ पर सोदाहरण कश डािलए

(ख) अपन घर म अपनी Otildeिसलवर विडगOtilde क आयोजन म भी यशोधर बाब की अनक बात Otildeसम हाउ इोपरOtilde लग रही थी

(ग) OcircजझOtilde शीषरक को उपयकत ठहरान क िलए तीन तकर दीिजए १३ िकनही दो शनो क उततर सकषप म दीिजए-२२=४

(क) िसनध-सभयता क सबस बड़ शहर मअन-जोदड़कयो करती ह ःपषट कीिजए

(ख) OtildeजझOtilde कहानी म दसाई सरकार की भिमका पर कश डािलए (ग जो स

मॉडल िकसन दा स उततरािधकार म िमली थी Ocircमअनजोदड़ोOtilde क खननप

Otildeिसलवर विडगOtilde कहानी क आधार पर यशोधर बाब क

129

ितदशर शन-पऽ-२ ककषा बारहवी

िवषय- िहनदी(किनिक)

िनधारिरत समय3घणट अिधकतम अक-100

िनदरश िवदयाथीर जाच कर ल िकndash

शनपऽ म कल १४ शन ह |

सभी शन ठीक स छप ह

शन का उततर िलखन स पवर शन का बमाक अवय िलख इस शन पऽ को पढ़न क िलए 15 िमनट का समय िदया गया ह

खणड-क

शन-1 िनमनिलिखत कावयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए- (15=5)

तफानो की ओर घमा दो

नािवक िनज पतवार

आज िसध न िवष उगला ह

लहरो का यौवन मचला ह

आज हदय म और िसध म

साथ उठा ह जवार

तफानो की ओर घमा दो

नािवक िनज पतवार

लहरो क ःवर म कछ बोलो

इस अधड म साहस तोलो

कभी-कभी िमलता जीवन म

तफानो को पयार

130

तफानो की ओर घमा दो

नािवक िनज पतवार

यह असीमिनज सीमा जान

सागर भी तो यह पहचान

िमटटी क पतल मानव न

कभी न मानी हार

bull (क) उपयरकतकावयाशकाउपयकतशीषरकदीिजए (1) bull (ख) किवकहदयऔरिसधमकयासमानताह (1) bull (ग) जबजीवनमतफानोकापयारिमलतोकयाकरनाचािहएऔरकयो (1) bull (घ) किवसागरकोकयासमझानाचाहताह (1) bull (ड) ःततकावयाशकामलभावकयाह (1)

शन-2 िनमनिलिखत गदयाश को पढकर पछ गए शनो क उततर दीिजए (15)

सचािरतरय क दो सशकत ःतभ ह-थम ससःकार और िदवतीयसतसगित ससःकार भी पवर जीवन की सतसगित व सतकमोर की अिजरत सपितत ह और सतसगित वतरमान जीवन की दलरभ िवभित हिजस कार कधात की कठोरता और कािलख पारस क ःपशर माऽ स कोमलता और कमनीयता म बदल जाती हठीक उसी कार कमागीर का कालःय सतसगित स ःविणरम आभा म पिरवितरत हो जाता हसतत सतसगित स िवचारो को नई िदशा िमलती ह और अचछ िवचार मनय को अचछ कायोर म िरत करत हपिरणामत सचिरऽ का िनमारण होता ह आचायर हजारी साद िदववदी न िलखा ह- महाकिव टगोर क पास बठन माऽ स ऐसा तीत होता था मानो भीतर का दवता जाग गया हो

वःतत चिरऽ स ही जीवन की साथरकता हचिरऽवान वयिकतसमाज की शोभा ह शिकत हसचािरतरय स वयिकत ही नहीसमाज भी सवािसत होता ह और इस सवास स राषटर यशःवी बनता ह िवदरजी की उिकत अकषरश सतय ह िक सचिरऽ क बीज हम भल ही वश-परपरा स ापत हो सकत ह पर चिरऽ-िनमारण वयिकत क अपन बलबत पर िनभरर ह आनविशक परपरापिरवश और

131

पिरिःथित उस कवल रणा द सकत ह पर उसका अजरन नही कर सकत वह वयिकत को उततरािधकार म ापत नही होता

वयिकत-िवशष क िशिथल चिरऽ होन स पर राषटर पर चिरऽ-सकट उपिःथत हो जाता ह कयोिक वयिकत पर राषटर का एक घटक हअनक वयिकतयो स िमलकर एक पिरवारअनक पिरवारो स एक कल अनक कलो स एक जाित या समाज और अनकानक जाितयो और समाज-समदायो स िमलकर ही एक राषटर बनता ह आज जब लोग राषटरीय चिरऽ-िनमारण की बात करत ह तब व ःवय उस राषटर क एक आचरक घटक ह- इस बात को िवःमत कर दत ह

1 सतसगितकमागीरकोकससधारतीहसोदाहरणःपषटकीिजए (2) 2 चिरऽकबारमिवदरककयािवचारह (2) 3 वयिकत-िवशषकाचिरऽसमचराषटरकोकसभािवतकरताह (2) 4 वयिकतकचािरऽ-िनमारणमिकस-िकसकायोगदानहोताह (2) 5 सगितकसदभरमपारसकउललखसलखककयाितपािदतकरनाचाहताह(2)

6 वयिकतससःकतकसबनताहःपषटकीिजए (1) 7 आचरणउचचबनानकिलएवयिकतकोकयायासकरनाचािहए (1)

8 गदयाशकाउपयकतशीषरकदीिजए (1)

9 rsquoसrsquoऔरrsquoकrsquoउपसगोरसएक-एकशबदबनाइए (1) 10 rsquoचिरऽवानrsquoऔरlsquoपिरवशrsquoमयकतउपसगरऔरतययअलगकीिजए (1)

खणड- ख

शन-3 िनमनिलिखत म स िकसी एक िवषय पर िनबध िलिखए- (5) (क) षटाचार कारण और िनवारण

(ख) इककीसवी सदी का भारत

(ग) बदलत समाज म मिहलाओ की िःथित

(घ) बढता दषण और जन-ःवाःथय

132

शन-4 िकसी दिनक समाचार-पऽ क समपादक को जानहवी की ओर स एक पऽ िलिखएिजसम िनरतर महगी होती िशकषा को लकर िचता कट की गई हो (5)

अथवा रल याऽा क दौरान साधारण ौणी क यािऽयो को ःटशनो एव चलती गािडयो म िमलन वाली खान-पान की साममी सतोषजनक नही होती इस समःया की ओर अिधकािरयो का धयान आकषट करन क िलए अधीकषकखान-पान िवभागरल भवननई िदलली क नाम पऽ िलिखए

शन-5 (अ)िनमनिलिखत शनो क सिकषपत उततर दीिजए- bull (क) rsquoउलटािपरािमडrsquoशलीसआपकयासमझतह

(1) bull (ख) lsquoवॉचडॉगrsquoपऽकािरतासकयाआशयह

(1) bull (ग) लाइविकसकहतह

(1) bull (घ) िहदीकिकनहीदोराषटरीयसमाचारपऽोकनामिलिखए

(1) bull (ड) जनसचारकिकनहीतीनकायोरकाउललखकीिजए (1)

(आ) िनमनिलिखत म स िकसी एक िवषय पर आलख िलिखए (5)

(क) खतीकी जमीन पर फकटरी लगान को लकर चलन वाली बहस म भाग लत हए आलख िलिखए

(ख) आजादी क साठ सालो म गणतािऽक मलयो का ास हआ ह षटाचार न हर कषऽ को मःत कर रखा हETHइस िवषय पर एक आलख तयार कीिजए

शन-6 Ocircओलिमपक खलOtildeअथवा Ocircमहानगरो म बढ़त अपराध की समःयाOtilde पर लगभग 150 शबदो म एक फीचर तयार कीिजए (5)

133

134

खणड-ग

शन-7 िनमनिलिखत म स िकसी एक कावयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए- (२4=8)

म यौवन का उनमाद िलए िफरता ह

उनमादो म अवसाद िलए िफरता ह

जो मझको बाहर हसा रलाती भीतर

म हाय िकसी की याद िलए िफरता ह

कर यतन िमट सबसतय िकसी न जाना

नादान वही ह हाय जहा पर दाना

िफर मढ न कया जग जो इस पर भी सीख

म सीख रहा ह सीखा जञान भलाना

(क)किव जीवन म कया िलए घमता ह (2)

(ख)किव को बाहर-भीतर कया हसाता-रलाता ह (2)

(ग)lsquoनादान वही ह हायजहा पर दानाrsquoETHकिव न ऐसा कयो कहा होगा (2)

(घ) किव न यह कयो कहा िक सतय िकसी न नही जाना

(2)

अथवा

खती न िकसान कोिभखारी न भीखबिल

बिनक को बिनजन चाकर को चाकरी

जीिवका िबहीन लोग सीदयमान सोच बस

कह एक एकन सो lsquoकहा जाई का करी rsquo

बदह परान कही लोकह िबलोिकअत

135

साकर सब प राम रावर कपा करी

दािरद-दसानन दबाई दनी दीनबध

दिरत-दहन दिख तलसी हहा करी

(क) यपिकतयािकसकिवतासलीगईहऔरइसककिवकौनह (२)

(ख) तलसीकसमयकीआिथरकदशाकसीथी (2)

(ग) वदोमकयाकहागयाह (2)

(घ)तलसीनरावणकीतलनािकससकीहऔरकयो (2)

शन-8 िनमनिलिखत कावयाश पर पछ गए शनो क उततर दीिजए (२3=6)

ात नभ था बहत नीला शख जस

भोर का नभ

राख स लीपा हआ चौका

(अभी गीला पड़ा ह)

बहत काली िसल जरा स लाल कसर स

िक जस धल गई हो

ःलट पर या लाल खिड़या चाक

मल दी हो िकसी न

(क)ःतत कावयाश का भाव-सौदयर ःपषट कीिजए

(ख)कवयाश म यकत उपमा अलकार का उदाहरण चनकर िलिखए

(ग)उपयरकत कावयाश की भाषा की दो िवशषताए बताइए

अथवा

136

नहला क छलक-छलक िनमरल जल स

उलझ हए गसओ म कघी करक

िकस पयार स दखता ह बचचा मह को

जब घटिनयो म ल क ह िपनहाती कपड़

(क) ःतत कावयाश का भाव-सौदयर ःपषट कीिजए

(ख) ःतत कावयाश की भाषा सबधी िवशषताए बताइए

(ग)पनरिकत काश व अनास अलकार छािटए

शन-9 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- (3+3) (क) lsquoभाषा को सहिलयतrsquo स बरतन स कया अिभाय ह

(ख) किव क पास जो कछ अचछा-बरा ह वह िविशषट और मौिलक कस ह lsquoसहषर ःवीकारा हrsquo किवता क आधार पर उततर दीिजए

(ग) lsquoकमर म बद अपािहजrsquo करणा क मखौट म िछपी बरता की किवता ह ETH िवचार कीिजए

शन-10 िनमनिलिखत म स िकसी एक गदयाश को पढकर पछ गए शनो क उततर दीिजए -- (२4=8)

बाजार म एक जाद हवह जाद आख की राह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ही चलता हवस ही इस जाद की भी मयारदा हजब भरी हो और मन खाली हो ऐसी हालात म जाद का असर खब होता हजब खाली पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जायगा मन खाली ह तो बाजार की अनकानक चीजो का िनमऽण उस तक पहच जाएगाकही उस वकत जब भरी हो तब तो िफर वह मन िकसकी मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी लसभी सामान जररी और आराम को बढान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर हजाद की सवारी उतरी िक फ सी चीजो की बहतायत आराम म मदद नही दती बिलक खलल ही डालती ह

(क)बाजार क जाद को lsquoरप का जादrsquo कयो कहा गया ह

137

(ख)बाजार क जाद की मयारदा ःपषट कीिजए

(ग)बाजार का जाद िकस कार क लोगो को लभाता ह

(घ)इस जाद क बधन स बचन का कया उपाय हो सकता ह

अथवा

चालीर की अिधकाश िफलम भाषा का इःतमाल नही करती इसिलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना पडासवाक िचऽपट पर कई बड-बड कॉमिडयन हए ह लिकन व चिपलन की सावरभौिमकता तक कयो नही पहच पाए इसकी पड़ताल अभी होन को ह चालीर का िचर-यवा होना या बचचो जसा िदखना एक िवशषता तो ह हीसबस बड़ी िवशषता शायद यह ह िक व िकसी भी सःकित को िवदशी नही लगत यानी उनक आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आिद रहत ह व एक सतत lsquoिवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चालीर क सार सकटो म हम यह भी लगता ह िक यह lsquoमrsquo भी हो सकता ह लिकन lsquoमrsquo स जयादा चालीर हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह िक कछ अथोर म lsquoबःटर कीटनrsquo चालीर चिपलन स बड़ी हाःय-ितभा हो लिकन कीटन हाःय का काफका ह जबिक चिपलन मचद क जयादा नजदीक ह

(क)चालीर की िफलमो को मानवीय कयो होना पड़ा

(ख)चालीर चिपलन की सावरभौिमकता का कया कारण ह

(ग) चालीर की िफलमो की िवशषता कया ह

(घ) चालीर क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कयो लगत ह

शन-11 िनमनिलिखत म स िकनही चार शनो क उततर दीिजए- (४3=12)

(क)भिकतन और लिखका क बीच कसा सबध था lsquoभिकतनrsquo पाठ क आधार पर बताइए

(ख)िदनो-िदन गहरात पानी क सकट स िनपटन क िलए कया आज का यवावगर lsquoकाल मघापानी दrsquo की इदर सना की तजर पर कोई सामिहक आदोलन ारमभ कर सकता ह अपन िवचार िलिखए

138

(ग)लटटन पहलवान न ऐसा कयो कहा होगा िक मरा गर कोई पहलवान नही यही ढ़ोल ह

(घ) lsquoमानिचऽ पर एक लकीर खीच दन भर स जमीन और जनता बट नही जातीहrsquo- उिचत तकोर व उदाहरणो क जिरए इसकी पिषट कीिजए

(ड)िदववदी जी न िशरीष को कालजयी अवधत(सनयासी) की तरह कयो कहा ह

शन-12 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- (3+3=6) (क) lsquoिसलवरविडगrsquo म यशोधर बाब एक ओर जहा बचचोकी तरककी स खश होत हवही

कछ lsquoसमहाउइॉपरrsquo भी अनभवकरत ह ऐसा कयो

(ख) मोहजोदडो की गह-िनमारण योजना पर सकषप म काश डािलए (ग) ऐन क कौन थी उसकी डायरी कयो िसदध ह

शन-13 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- (2+2=4)

(क)सौदलगकर कौन थ तथा उनकी कया िवशषता थी

(ख)यशोधर बाब िकसस भािवत थ

(ग़)ऐन न 13जन 1944 क िदन िलखी अपनी डायरी म कया बताया ह

शन-14 िनमनिलिखत म स िकसी एक शन का उततर दीिजए- (5)

lsquoिसध सभयता की खबी उसका सौदयर-बोध ह जो राज-पोिषत या धमर-पोिषत न होकर समाज-पोिषत थाlsquo ऐसा कयो कहा गया

अथवा

lsquoिसलवर विडगrsquo कहानी क आधार पर यशोधर बाब क चिरऽ की िवशषताओ पर काश डािलए

139

ितदशर शन-पऽ-३

िहनदी (किनिक)

ककषा-बारह

िनधारिरत समय- 3 घणट अिधकतम अक-100

िनदरशः-इस शन पऽ म तीन खड ह- क ख और ग सभी खडो क उततर िलखना अिनवायर ह कपया शन का उततर िलखना शर करन स पहल शन का बमाक अवय िलख

खणड-क

0-1 िनमनिलिखत कावयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए-

पर िजनहोन ःवाथरवश जीवन िवषाकत बना िदया ह

कोिट-कोिट बभिकषतो का कौर तलक छीन िलया ह

लाभ-शभ िलखकर जमान का हदय चसा िजनहोन

और कल बगालवाली लाश पर थका िजनहोन

िबलखत िशश की वयथा पर दिषट तक िजनन न फरी

यिद कषमा कर द इनह िधककार मा की कोख मरी

चाहता ह धवस कर दना िवषमता की कहानी

हो सलभ सबको जगत म वसतरभोजनअनन पानी

नव-भवन िनमारण िहत म जजरिरत ाचीनता का

गढ़ ढहाता जा रहा ह

पर तमह भला नही ह

िवशवास बढ़ता ही गया

क) थम चार पिकतयो म भारत की िकन राजनीितक और सामािजक िःथित का वणरन ह1

140

ख) किव िकन लोगो को कषमा नही करना चाहता 1

ग) किव जगत क िहत क िलए कया करना चाहता ह 1

घ) पर तमह भला नही ह िकसक िलए सबोधन ह 1

ङ) कावयाश का उपयकत शीषरक दीिजए 1

0-2 िनमनिलिखत गदयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए

आज गाधी िचतन की शाशवतता महतता एव ासिगकता उनक अिहसा दशरन क कारण ही ह महातमा गाधी क दशरन की नीव अिहसा की वयापकता को वयिकतक आचरण तक सीिमत न करक जीवन क तयक कषऽ-धािमरक नितक सामािजक आिथरक और राजनितक कषऽो म सफलतापवरक यकत िकया

भारत म ही नही वरन ससार क अनय धमोर म भी अिहसा क िसदधानत को महततव दान िकया गया ह इःलाम धमर क वतरक हजरत महममद साहब क उपदशो म अिहसा क पालन का आमह ह यहिदयो क धमरमनथो का महततवपणर ःथान रहा ह ईसा मसीह का सपणर जीवन अिहसा का अिभवयकतीकरण ह सकरात क अिहसा पालन का उदाहरण अिवःमरणीय ह अतः ःपषट ह िक अिहसा का िसदधात अिपत इितहास म उसक सदभर की कहानी बहत ाचीन और िवःतत ह

यदयिप अिहसा भारतीय दशरन व धमर क िलए अित ाचीन ह परनत गाधी की िवशषता इस तथय म ह िक उनहोन अिहसा क परमपरागत िसदधात को आतमसात कर अपन अनभव स उसकी ःमितयो को नया आयाम िदया उनहोन अिहसा को वयिकतगत जीवन का ही नही वरन सामािजक जीवन का िनयम बनाकर उसका वयावहािरक योग िकया

क) lsquoआजrsquoस यहा कया तातपयर हगाधी िचतन rsquoस आप कया समझत ह 2

ख) अिहसा का िसदधात िवशव क अनय िकन धमरशासतरो म भी विणरत ह 2

घ) गदयाश क दसर अनचछद को पढ़कर अिहसा क िसदधात क बार म आपकी कया धारणा बनती ह 2

ङ) गाधी जी क अिहसा िसदधानत की कया िवशषता हजो परपरागत तरीको स हटकर ह 2

च) अिहसा क वयावहािरक योग स आप कया समझत ह2

141

छ) गदयाश क िलए उपयकत शीषरक दीिजए 1

ज) उपसगर और तयय अलग कीिजए

अिहसासामािजक 1

झ) रचना क अनसार वाकय भद बताइए

ईसा मसीह का समपणर जीवन अिहसा का अिभवयकतीकरण ह 1

ङ) िवशषण बनाइए-

शाशवतता ासिगकता 1

खणड-ख

0-3 िवदयालय म खल सामिमयो की कमी की िशकायत करत हए ाचायर को पऽ िलिखए

अथवा

िवदयालय क चौराह पर अराजक ततवो की भीड़ की िशकायत करत हए पिलस अधीकषक को पऽ िलिखए 5

0-4 िकसी एक िवषय पर िनबध िलिखए- 5

क) भारत की वजञािनक उपलिबधया

ख) सवरिशकषा अिभयान

ग) सामादाियकता एक अिभशाप

घ) कमपयटर का महतव

0-5(अ) गगा दषण क ित जागरकता पदा करन क िलए िकसी दिनक समाचार पऽ क िलए सपादकीय तयार कीिजए

अथवा

Ocircमिहला आरकषण समाज की आवयकताOtilde शीषरक पर आलख ःतत कीिजए 5

142

ब) िनमनिलिखत शनो क सिकषपत उततर िलिखए- 1

क) एडवोकसी पऽकािरता िकस कहत ह

ख) छापाखाना का आिवकार कब हआ

(ग) इटरनट पर कािशत होन वाला पहला समाचार-पऽ कौन था

(घ) पऽकािरता का छः ककार कया ह

(ङ) सपादक िकस कहत ह

0-6 विरषठ नागिरको क ित िजममदारी िवषय पर फीचर आलख तयार कीिजए

अथवा

पोिलयो बथ क दय की िरपोटर तयार कीिजए 5

खणड-ग

0-7 िनमनिलिखत कावयाश क आधार पर पछ गए शनो क उततर िलिखए

बात सीधी थी पर एक बार

भाषा क चककर म

जरा टढ़ी फस गई

उस पान की कोिशश म

भाषा को उलटा पलटा

तोड़ा मरोड़ा

घमाया िफराया

िक बात या तो बन

या िफर भाषा स बाहर आए-

लिकन इसस भाषा क साथ-साथ

143

बात और भी पचीदा होती चली गई

(क) बात िकस कार भाषा क चककर म फस जाती ह

(ख) भाषा को तोड़न मरोड़न क पीछ किव का कया योजन था

(ग) उपयरकत पिकत म िनिहत वयगय को ःपषट कर

(घ) किव न बात को बन जान क िलए कया सझाव िदया ह

अथवा

जनम स ही व अपन साथ लात ह कपास

पथवी घमती हई आती ह उनक बचन परो क पास

जब व दौड़त ह बसध

छतो को भी नरम बनात हए

िदशाओ को मदग की तरह बजात हए

जब व पग भरत हए चल आत ह

डाल की तरह लचील वग स अकसर

0-8 हो जाए न पथ म रात कही

मिजल भी ह तो दर नही

यह सोच थका िदन का पथी भी जलदी-जलदी कयो चलता ह 2

(क) कावयाश की भाषा की िवशषताओ का उललख कर

(ख) पथ शबद एव मिजल शबद का योग िकस रप म िकया गया ह

(ग) िदन का पथी जलदी-जलदी कयो चलता ह

अथवा

आगन म ढनक रहा ह िज़दयाया ह

144

बालक तो हई चाद प ललचाया ह

दपरण उस द द क कह रही ह मा

दख आइन म चाद उतर आया ह

(क) य पिकतया िकस छद म िलखी गई ह पद की िवशषता को ःपषट कर

(ख) भाषागत सौदयर की िकनही दो िवशषताओ का उललख कर

(ग) उपयरकत पिकतयो का भाव सौदयर ःपषट कर

0-9 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- 3

(क) भोर क नभ को राख स लीपा हआ चौका कयो कहा गया ह

(ख) किव को बहलाती सहलाती आतमीयता बरदाःत कयो नही होती ह

(ग) किव न िकस सहषर ःवीकारा ह

0-10 नीच िदए गए गदयाश क आधार पर पछ गए शनो क उततर द- 2

भोजन क समय जब मन अपनी िनिशचत सीमा क भीतर िनिदरषट ःथान महण कर िलया तब भिकतन न सननता स लबालब दिषट और आतमतिषट स आपलािवत मःकराहट क साथ मरी फल की थाली म एक अगल मोटी और गहरी काली िचततीदार चार रोिटया रखकर उस टढ़ी कर गाढ़ी दाल परोस दी पर जब उसक उतसाह पर तषारापात करत हए मन रआस भाव स कहा- यह कया बनाया हतब हो वह हतबिदध हो रही

(क) लिखका की थाली म कसी रोिटया थी रोिटयो क िचततीदार होन क कया कारण हो सकत ह

(ख) भिकतन की सननता स लबालब दिषट एव आतमतिषट क कया कारण हो सकत ह

(ग) खान क आसन पर लिखका कयो रआसी हो गई

(घ) भिकतन कयो हतबिदध हो गई

अथवा

145

अब तक सिफया का गःसा उतर चका था भावना क ःथान पर बिदध धीर-धीर उस ःथान पर हावी हो रही थी नमक की पिड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कःटम वालो क सामन सबस पहल इसी को रख दलिकन अगर कःटमवालो न न जान िदया तो मजबरी ह छोड़ दग लिकन िफर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स िकया थाहम अपन को सयद कहत ह िफर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा अगर इस कीनओ की टोकरी म सबस नीच रख िलया जाए तो इतन कीनओ क ढर म भला कौन इस दखगा और अगर दख िलया नही जीफलो की टोकिरया तो आत वकत भी िकसी की नही दखी जा रही थी इधर स कल इधर स कीन सब ही ला रह थ ल जा रह थ यही ठीक हिफर दखा जाएगा

(क) सिफया का गःसा कयो उतर गया था

(ख) सिफया की कया भावना थी और वह उसकी बिदध क सामन िकस कार पराःत हो गई

(ग) सिफया की उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सिफया न िकस वायद को परा करन की बात की हउस उसन िकस कार परा िकया

0-11 िनमनिलिखत शनो म स िकनही चार शनो क उततर दीिजए - 3

(क) लखक न िकस उददय स भगत जी का उललख िकया हउनका कौन-सा वयिकततव उभरकर हमार सामन आया ह

(ख) इनदर सना सबस पहल गगा भया की जय कयो बोलती हनिदयो का भारतीय सामािजकसाःकितकपिरवश म कया महतव ह

(ग) लटटन पहलवान ढोलक को ही अपना गर कयो मानता ह

(घ) लखक न िशरीष क पड़ को कालजयी अवधत की तरह कयो माना ह

(ङ) लखक िकन तकोर क आधार पर जाित था को अमानवीय एव अलोकतािऽक बताया ह

0-12 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर िलिखए 3

(क) Ocircडायरी क पननrsquoपाठ क आधार पर मिहलाओ क ित ऐन क क दिषटकोण को ःपषट कीिजए

146

(ख) जझrsquoकहानी का ितपादय सकषप म ःपषट कीिजए

(ग) Ocircिसलवर विडगOtilde कहानी क आधार पर िसदध कीिजए िक िकशन दा की परपरा िनभात हए यशोधर पत वतरमान क साथ नही चल पाए

0-13 ौी सौदलगकर क वयिकततव की उन िवशषताओ पर काश डािलए िजनक कारण जझrsquoक लखक क मन म किवता क ित लगाव उतपनन हआ

अथवा

lsquoिसलवर विडगrsquoम एक ओर िःथित को जयो-का-तयो ःवीकार लन का भाव ह तो दसरी ओर अिनणरय की िःथित भी कहानी क इस दवनदव को ःपषट कीिजए 5

0-14 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर सकषप म दीिजए 2

(क) Ocircिसलवर विडगrsquoक आधार पर यशोधर बाब क सामन आई िकनही दो Ocircसमहाव इॉपरrsquoिःथितयो का उललख कीिजए

(ख) Ocircऐन की डायरीrsquoउसकी िनजी भावनातमक उथल-पथल का दःतावज भी ह इस कथन की िववचना कीिजए

ग) कया िसध घाटी की सभयता को जल सःकित कह सकत ह ःपषट कीिजए

147

उपयोगी सािहितयक बबसाईट

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ltFEFF00550073006100720065002000710075006500730074006500200069006d0070006f007300740061007a0069006f006e00690020007000650072002000630072006500610072006500200064006f00630075006d0065006e007400690020005000440046002000610064006100740074006900200070006500720020006c00610020007300740061006d00700061002000650020006c0061002000760069007300750061006c0069007a007a0061007a0069006f006e006500200064006900200064006f00630075006d0065006e0074006900200061007a00690065006e00640061006c0069002e0020004900200064006f00630075006d0065006e00740069002000500044004600200070006f00730073006f006e006f0020006500730073006500720065002000610070006500720074006900200063006f006e0020004100630072006f00620061007400200065002000520065006100640065007200200035002e003000200065002000760065007200730069006f006e006900200073007500630063006500730073006900760065002egt NOR 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Page 2: KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN DEHRADUN REGION...क य वद य लय-स गठन KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN 1 द हर द न-स भ ग DEHRADUN REGION ब ध) 15+5=20

अधययन-साममी ककषा-12 िहदी(क ििक)

2012-13

मखय सरकषक ौी अिवनाश दीिकषत

आयकत क िीय िवदयालय-सगठन नई िदलली सरकषक ौी नरनि िसह राणा उपायकत क िीय िवदयालय-सगठनदहरादन-सभाग

सलाहकार ौी सरदार िसह चौहानसहायक आयकत क िीय िवदयालय-सगठन दहरादन-सभाग

िनदरशक ौी दवी साद ममगाईाचायर क िीय िवदयालय बमाक-२

भासिव हाथीबडकला दहरादन

सह िनदरशक ौीमती भारती दवी राणा ाचायर क िीय िवदयालय आइएमएदहरादन

क िीय िवदयालय-सगठन दहरादन-सभाग

अधययन-साममी ककषा-12 िहदी(क ििक) 2012-13

सरकषक ौी नरनि िसह राणा उपायकत क िीय िवदयालय-सगठन दहरादन-सभाग

सलाहकार ौी सरदार िसह चौहान सहायक आयकत क िीय िवदयालय-सगठन दहरादन-सभाग

िनदरशक ौी दवी साद ममगाई ाचायर क िीय िवदयालय बमाक-२ भासिव हाथीबडकला

2

दहरादन

सह िनदरशक ौीमती भारती दवी राणा ाचायर क िीय िवदयालय आइएमएदहरादन

समनवयक

ौी अशोक कमार वाणरय उप ाचायर क िीय िवदयालय आइएमएदहरादन

साममी-िवनयास डॉ नीलम सरीन ःनातकोततर िशिकषकाक िीय िवदयालय आयध-िनमारणी रायपर दहरादन डॉ िवजय राम पाणडय ःनातकोततर िशकषकक िीय िवदयालय अपरक प दहरादन

डॉ सरनि कमार शमारःनातकोततर िशकषकक िीय िवदयालय बमाक-२ भासिव

हाथीबडकला दहरादन

ौीमती रजनी िसहःनातकोततर िशिकषका क िीयिवदयालय आइएमएदहरादन

ौीमती कमला िनखपारःनातकोततर िशिकषका क िीय िवदयालय एफआरआईदहरादन

िहनदी (किनिक) - पाठयबम

कोड स 302

ककषा XII (बारहवी )

अपिठत बोध (गदयाश और कावयाश-बोध) 15+5=20 रचनातमक-लखन एव जनसचार माधयम अिभवयिकत और माधयम (िट माधयम समपादकीय िरपोटर आलख फीचर-लखन) 5+5+5+5+5= 25

पाठयपःतक ndash आरोह भाग-२ (कावयाश‐20 गदयाश‐20) 40 परक-पःतक िवतान भाग-२ 15 कल अक 100

(क) अपिठत बोध 20 शन 1-कावयाश बोध पर आधािरत पाच लघततरातमक शन 15= 5 शन 2-गदयाश बोध पर आधािरत बोध योग रचनानतरण शीषरक आिद पर लघततरातमक शन 15

(ख) रचनातमक-लखन एव जनसचार माधयम 25

शन 3- िनबध (िकसी एक िवषय पर) 5

शन 4- कायारलय पऽ (िवकलप सिहत) 5

3

शन 5-(अ) िट माधयम समपादकीय िरपोटर आलख आिद पर पाच अित लघततरातमक शन 15=5 (आ) आलख (िकसी एक िवषय पर) 5 शन 6- फीचर लखन (जीवन-सनदभोर स जडी घटनाओ और िःथितयो पर फीचर लखन िवकलप सिहत) 5

(ग) आरोह भाग-२ (कावय भाग और गदय भाग) (20+20) =40 शन 7- दो कावयाशो म स िकसी एक पर अथर महण क ४ शन 8 शन 8- कावयाश क सौदयर-बोध पर दो कावयाशो म िवकलप िदया जाएगा तथा िकसी एक कावयाश क तीनो शनो क उततर दन होग | 6

शन 9- किवताओ की िवषयवःत स सबिधत तीन म स दो लघततरातमक शन (3+3)= 6 शन 10- दो म स िकसी एक गदयाश पर आधािरत अथर-महण क चार शन (2+2+2+2) =8 शन 11- पाठो की िवषयवःत पर आधािरत पाच म चार बोधातमक शन (3+3+3+3)=12 परक पःतक िवतान भाग -२ 15

शन 12-पाठो की िवषयवःत पर आधािरत तीन म स दो बोधातमक शन (3+3)=6 शन 13-िवचारसदश पर आधािरत तीन म स दो लघततरातमक शन (2+2)=4 शन 14- िवषयवःत पर आधािरत दो म स एक िनबधातमक शन 5 िनधारिरत पःतक (i) आरोह भाग-२ (एनसीईआरटी दवारा कािशत) (ii) िवतान भाग-२ (एनसीईआरटी दवारा कािशत) (ii) अिभवयिकत और माधयम (एनसीईआरटी दवारा कािशत)

4

1

अधययन-साममी

िहदी (क ििक) २०१२-१३ अपिठतिनधारिरत अक २० (गदय क िलए १५ तथा पदय क िलए ५ अक िनधारिरत ह) अपिठत अश को हल करन क िलए आवयक िनदरश

अपिठत अश म २० अको क शन पछ जाएग जो गदय और पदय दो रपो म होग| य शन एक या दो अको क होत ह | उततर दत समय िनमन बातो को धयान म रख कर उततर दीिजए ndash

१ िदए गए गदयाश अथवा पदयाश कोपछ गए शनो क साथ धयान पवरक दो बार पिढ़ए | २ शनो क उततर दन क िलए सबस पहल सरलतम शन का उततर दीिजए और िमलन पर

उसको रखािकत कर शन सखया िलख दीिजए िफर सरलतम स सरलतर को बम स छाट कर रखािकत कर शन सखया िलखत जाए |

३ उततर की भाषा आपकी अपनी भाषा होनी चािहए | ४ गदयाश म वयाकरण स तथा कावयाश म सौदयर-बोध स सबिधत शनो को भी पछा जाता

ह इसिलए वयाकरण और कावयाग की सामानय जानकारी को अदयतन रख | ५ उततर को अिधक िवःतार न दकर सकषप म िलख| ६ पछ गए अश क कथय म िजस तथय को बार-बार उठाया गया ह उसी क आधार पर

शीषरक िलख | शीषरक एक या दो शबदो का होना चािहए | १ अपिठत गदयाश का नमना- िनधारिरत अक १५

म िजस समाज की कलपना करता ह उसम गहःथ सनयासी और सनयासी गहःथ होग अथारत सनयास और गहःथ क बीच वह दरी नही रहगी जो परपरा स चलती आ रही ह| सनयासी उततम कोिट का मनय होता ह कयोिक उसम सचय की वितत नही होती लोभ और ःवाथर नही होता | यही गण गहःथ म भी होना चािहए | सनयासी भी वही ौषठ ह जो समाज क िलए कछ काम कर| जञान और कमर को िभनन करोग तो समाज म िवषमता उतपनन होगी ही |मख म किवता और करघ पर हाथ यह आदशर मझ पसद था |इसी की िशकषा म दसरो को भी दता ह और तमन सना ह या नही की नानक न एक अमीर लडक क हाथ स पानी पीना अःवीकार कर िदया था | लोगो न कहा ETH गर जी यह लड़का तो अतयत स ात कल का ह इसक हाथ का पानी पीन म कया दोष ह नानक बोल- तलहतथी म महनत क िनशाननही ह | िजसक हाथ म महनत क ठल पड़ नही होत उसक हाथ का पानी पीन म म दोष मानता ह | नानक ठीक थ | ौषठ समाज वह ह िजसक सदःय जी खोलकर महनत करत ह और तब भी जररत स जयादा धन पर अिधकार जमान की उनकी इचछा नही होती |

शनो का नमना- (क) Ocircगहःथ सनयासी और सनयासी गहःथ होगOtilde स लखक का कया आशय ह २

(ख) सनयासी को उततम कोिट का मनय कहा गया ह कयो १

2

(ग) ौषठ समाज क कया लकषण बताए गए ह १ (घ) नानक न अमीर लड़क क हाथ स पानी पीना कयो अःवीकार िकया २

(ङ) Ocircमख म किवता और करघ पर हाथOtilde- यह उिकत िकसक िलए योग की गई ह और कयो २

(च) ौषठ सनयासी क कया गण बताए गए ह १

(छ) समाज म िवषमता स आप कया समझत ह और यह कब उतपनन होती ह २

(ज) सनयासी शबद का सिध-िवचछद कीिजए | १

(झ) िवषमता शबद का िवलोम िलख कर उसम यकत तयय अलग कीिजए | २

(ञ) गदयाश का उपयकत शीषरक दीिजए | १ उततर ndash

(क) गहःथ जन सनयािसयो की भाित धन-समह और मोह स मकत रह तथा सनयासी जन गहःथो की भाित सामािजक कमोर म सहयोग कर िनठलल न रह |

(ख) सनयासी लोभ ःवाथर और सचय स अलग रहता ह | (ग) ौषठ समाज क सदःय भरपर पिरौम करत ह तथा आवयकता स अिधक धन पर

अपना अिधकार नही जमात | (घ) अमीर लड़क क हाथो म महनतकश क हाथो की तरह महनत करन क िनशान नही

थ और नानक महनत करना अिनवायर मानत थ | (ङ) मख म किवता और करघ म हाथOtilde कबीर क िलए कहा गया ह | कयोिक उसक घर

म जलाह का कायर होता था और किवता करना उनका ःवभाव था | (च) ौषठ सनयासी समाज क िलए भी कायर करता ह | (छ) समाज म जब जञान और कमर को िभनन मानकर आचरण िकए जात ह तब उस

समाज म िवषमता मान ली जाती ह |जञान और कमर को अलग करन पर ही समाज म िवषमता फलती ह |

(ज) सम + नयासी

(झ) िवषमता ETH समता OcircताOtilde तयय

(ञ) सनयास-गहःथ

२ अपिठत कावयाश का नमना- िनधारिरत अक ५ तम भारत हम भारतीय ह तम माता हम बट िकसकी िहममत ह िक तमह दषटता-दिषट स दख | ओ माता तम एक अरब स अिधक भजाओ वाली सबकी रकषा म तम सकषम हो अदमय बलशाली |

3

भाषा वश दश िभनन ह िफर भी भाई-भाई भारत की साझी सःकित म पलत भारतवासी | सिदनो म हम एक साथ हसत गात सोत ह दिदरन म भी साथ-साथ जागत पौरष धोत ह | तम हो शःय-यामला खतो म तम लहराती हो कित ाणमयी साम-गानमयी तम न िकस भाती हो | तम न अगर होती तो धरती वसधा कयो कहलाती

गगा कहा बहा करती गीता कयो गाई जाती

शन नमना (क) साझी सःकित का कया भाव ह १

(ख) भारत को अदमय बलशाली कयो कहा गया ह १

(ग) सख-दःख क िदनो म भारतीयो का परःपर सहयोग कसा होता ह १

(घ) साम-गानमयी का कया तातपयर ह १

(ङ) Ocircओ माता तम एक अरब स अिधक भजाओ वालीOtilde म कौन-सा अलकार

ह१

उततर ndash (क) भाषा वश दश िभनन होत हए भी सभी क सख-दःख एक ह | (ख) भारत की एक अरब स अिधक जनता अपनी मजबत भजाओ स सबकी सरकषा करन

म समथर ह | (ग) भारतीयो का वयवहार आपसी सहयोग और अपनपन स भरा ह सब सग-सग हसत-

गात ह और सग-सग किठनाइयो स जझत ह | (घ) समधर सगीत स यकत | (ङ) रपक |

३ िनबध-लखन - िनधारिरत अक ५

िनबध-लखन करत समय छाऽोको िनमन बात धयान म रखनी चािहए ndash

bull िदए गए िवषय की एक रपरखा बना ल | bull रपरखा-लखन क समय पवारपर सबध क िनयम का िनवारह िकया जाए | पवारपर

सबध क िनवारह का अथर ह िक ऊपर की बात उसक ठीक नीच की बात स जड़ी होनी चािहए िजसस िवषय का बम बना रह |

bull पनरावितत दोष न आए | bull भाषा सरल सहज और बोधगमय हो | bull िनबध का ारमभ िकसी कहावत उिकत सिकत आिद स िकया जाए |

4

bull िवषय को ामािणक बनान क उददय स िहनदी सःकत अमजीउदर की सिकतयाएव उदधरण भी बीच-बीच म दत रहना चािहए |

bull भिमकाःतावना म िवषय का सामानय पिरचय तथा उपसहार म िवषय का िनकषर होना चािहए |

िनबध हत नमना रपरखा िवजञान वरदान या अिभशाप

१ भिमका ःतावना

२ िवजञान का अथर

३ िवजञान वरदान ह ndash

bull िशकषा क कषऽ म

bull िचिकतसा क कषऽ म

bull मनोरजन क कषऽ म

bull किष क कषऽ म

bull यातायात क कषऽ म

४ िवजञान अिभशाप ह ndash

bull िशकषा क कषऽ म

bull िचिकतसा क कषऽ म

bull मनोरजन क कषऽ म

bull किष क कषऽ म

bull यातायात क कषऽ म

५ िवजञान क ित हमार उततरदाियतव

६ उपसहार

िवशष उकत रपरखा को आवयकता क अनरप िविभनन कषऽो को जोड़कर बढ़ाया जा सकता ह |

अभयास हत िनबध-

१ महानगरीय जीवन अिभशाप या वरदान

२ आधिनक िशकषा-पदधित गण व दोष

३ िवजञान व कला ४ बदलत जीवन मलय

५ नई सदी नया समाज

६ कामकाजी मिहलाओ की समःयाए दश की गित म मिहलाओ का योगदान

5

७राषटर-िनमारण म यवा पीढ़ी का योगदान

८ इटरनट की दिनया ९ पराधीन सपनह सख नाही १० लोकतऽ म मीिडया की भिमका ११ गित क पथ पर भारत

१२ जन आदोलन और सरकार १३ षटाचार समःया और समाधान १४ महगाई की मार १५ खल-कद म उतरता भारत ऑलिपक २०१२

४ पऽ-लखन-िनधारिरत अक ५ िवचारो भावो सदशो एव सचनाओ क स षण क िलए पऽ सहज सरल तथा पारपिरक माधयम ह पऽ अनक कार क हो सकत ह पर ाय परीकषाओ म िशकायती-पऽ आवदन-पऽ तथा सपादक क नाम पऽ पछ जात ह इन पऽो को िलखत समय िनमन बातो का धयान रखा जाना चािहए

पऽ-लखन क अग- १ पता और िदनाक- पऽ क ऊपर बाई ओर षक का पता व िदनाक िलखा जाता ह

(छाऽ पत क िलए परीकषा-भवन ही िलख) २ सबोधन और पताndash िजसको पऽ िलखा जारहा ह उसको यथानरप सबोिधत िकया

जाता ह औपचािरक पऽो म पद-नाम और कायारलयी पता रहता ह | ३ िवषय ETH कवल औपचािरक पऽो म योग कर (पऽ क कथय का सिकषपत रप िजस

पढ़ कर पऽ की साममी का सकत िमल जाता ह ) ४ पऽ की साममी ndash यह पऽ का मल िवषय ह इस सकषप म सारगिभरत और िवषय क

ःपषटीकरण क साथ िलखा जाए | ५ पऽ की समािपत ndash इसम धनयवाद आभार सिहत अथवा साभार जस शबद िलख कर

लखक अपन हःताकषर और नाम िलखता ह | धयान द छाऽ पऽ म कही अपना अिभजञान (नाम-पता) न द | औपचािरक पऽो म िवषयानरप ही अपनी बात कह | िदव-अथरक और बोिझल शबदावली स बच |

६ भाषा शदध सरल ःपषट िवषयानरप तथा भावकारी होनी चािहए पऽ का नमना अःपताल क बधन पर सतोष वयकत करत हए िचिकतसा-अधीकषक को पऽ िलिखए | परीकषा-भवन

6

िदनाक ----- मानाथर िचिकतसा-अधीकषक कोरोनशन अःपताल दहरादन | िवषय अःपताल क बधन पर सतोष वयकत करन क सदभर म - मानयवर इस पऽ क माधयम स म आपक िचिकतसालय क स बधन स भािवत हो कर आपको धनयवाद द रहा ह | गत सपताह मर िपता जी हदय-आघात स पीिड़त होकर आपक यहा दािखल हए थ | आपक िचिकतसको और सहयोगी ःटाफ न िजस ततपरता कतरवयिनषठा और ईमानदारी स उनकी दखभाल तथा िचिकतसा की उसस हम सभी पिरवारी जन सतषट ह | हमारा िवशवास बढ़ा ह | आपक िचिकतसालय का अनशासन शसनीय ह | आशा ह जब हम पनपररीकषण हत आएग तब भी वसी ही सवयवःथा िमलगी | साभार भवदीय क ख ग अभयासाथर शन-

१ िकसी दिनक समाचार-पऽ क सपादक क नाम पऽ िलिखए िजसम वकषो की कटाई को रोकन क िलए सरकार का धयान आकिषरत िकया गया हो

२ िहसा-धान िफ़लमो को दख कर बालवगर पर पड़न वाल द भाव का वणरन करत

हए िकसी दिनक पऽ क सपादक क नाम पऽ िलिखए ३ अिनयिमत डाक-िवतरण की िशकायत करत हए पोःटमाःटर को पऽ िलिखए ४ िलिपक पद हत िवदयालय क ाचायर को आवदन-पऽ िलिखए ५ अपन कषऽ म िबजली-सकट स उतपनन किठनाइयो का वणरन करत हए अिधशासी अिभयनता िवदयत-बोडर को पऽ िलिखए ७ दिनक पऽ क सपादक को पऽ िलिखए िजसम िहदी भाषा की िदव-रपता को

समापत करन क सझाव िदए गए हो |

५ (क) अिभवयिकतऔरमाधयम (एक-एक अक क ५ शन पछ जाएग तथा उततर सकषप म िदए जाएग )

उततम अक ापत करन क िलए धयान दन योगय बात- १ अिभवयिकत और माधयम स सबिधत शन िवशष रप स तथयपरक होत ह अत उततर

7

िलखत समय सही तथयो को धयान म रख २ उततर िबदवार िलख मखय िबद को सबस पहल िलख द ३ शदध वतरनी का धयान रख ४ लख साफ़-सथरा एवम पठनीय हो ५ उततर म अनावयक बात न िलख ६ िनबधातमक शनो म बमबदधता तथा िवषय क पवारपर सबध का धयान रख तथयो तथा

िवचारो की पनरावितत न कर जनसचारमाधयम

१ सचार िकस कहत ह OcircसचारOtilde शबद चर धात क साथ सम उपसगर जोड़न स बना ह- इसका अथर ह चलना या एक ःथान स दसर ःथान तक पहचना |सचार सदशो का आदान-दान ह | सचनाओ िवचारो और भावनाओ का िलिखत मौिखक या दय-ौवय माधयमो क जिरय सफ़लता पवरक आदान-दान करना या एक जगह स दसरी जगह पहचाना सचार ह

२ सचार अनभवो की साझदारी ह - िकसन कहा ह िसदध सचार शासतरी िवलबर ौम न |

३ सचार माधयम स आप कया समझत ह सचार-िबया को सपनन करन म सहयोगी तरीक तथा उपकरण सचार क माधयम कहलात ह

४ सचार क मल तततव िलिखए | bull सचारक या ॐोत

bull एनकोिडग (कटीकरण )

bull सदश ( िजस सचारक ापतकतार तक पहचाना चाहता ह)

bull माधयम (सदश को ापतकतार तक पहचान वाला माधयम होता ह जस- धविन-तरग वाय-तरग टलीफोन समाचारपऽ रिडयो टी वी आिद)

bull ापतकततार (डीकोिडग कर सदश को ापत करन वाला)

bull फीडबक (सचार िबया म ापतकततार की ितिबया) bull शोर (सचार िबया म आन वाली बाधा)

५ सचारकमखकारोकाउललखकीिजए bull साकितकसचार bull मौिखकसचार bull अमौिखक सचार

bull अतवयिकतकसचार bull अतरवयिकतकसचार bull समहसचार

8

-पऽ और पिऽका

१३ पहल कौन-कौन स ह

१४ कायर कौन करता ह

१५ की शरआत कब और िकसस हई क बगाल गजट स

bull जनसचार ६ जनसचारसआपकयासमझतह

तयकष सवाद क बजाय िकसी तकनीकी या यािऽक माधयम क दवारा समाज क एकिवशाल वगरस सवाद कायम करना जनसचार कहलाता ह

७ जनसचार क मख माधयमो का उललख कीिजए | अखबार रिडयो टीवी इटरनट िसनमा आिद

८ जनसचार की मखिवशषताए िलिखए | bull इसम फ़ीडबक तरत ापत नही होता bull इसक सदशो की कित सावरजिनक होती ह bull सचारक और ापतकततार क बीच कोई सीधा सबध नही होता bull जनसचार क िलए एक औपचािरक सगठन की आवयकता होती ह bull इसमढर सार दवारपाल काम करत ह

९ जनसचार क मख कायर कौन-कौनसह bull सचना दना bull िशिकषत करना bull मनोरजन करना bull िनगरानी करना bull एजडा तय करना bull िवचार-िवमशर क िलए मच उपलबध कराना

१० लाइव स कया अिभाय ह िकसी घटना का घटना-ःथल स सीधा सारण लाइव कहलाता ह |

११ भारत का पहला समाचार वाचक िकस माना जाता ह दविषर नारद

१२ जन सचार का सबस पहला महततवपणर तथा सवारिधक िवःतत माधयम कौन सा था समाचार िट मीिडया क मख तीन

bull समाचारो को सकिलत करना

bull सपादन करना

bull मिण तथा सार समाचारो को सकिलत करन कासवाददाता भारत म पऽकािरताभारत म पऽकािरता की शरआत सन १७८० म जमस आगःट िहकीहई जो कलकतता स िनकला था |

9

१६ माना जाता ह ा ह जो कलकतता स पिडत

१७मालवीय गणश शकर िवदयाथीर

१८ दी स पवर क मख समाचार-पऽो और पिऽकाओ क नाम िलिखए | द |

१९ उजाला

नदःतान िदनमान रिववार इिडया टड आउट

- अजञय रघवीर सहाय धमरवीर भारती मनोहरयाम जोशी राजनि माथर

अनय म

िहदी का पहला सापतािहक पऽ िकसिहदी का पहला सापतािहक पऽ Ocircउदत मातरडOtilde को माना जातजगल िकशोर शकल क सपादन म िनकला था | आजादी स पवर कौन-कौन मख पऽकार हए महातमा गाधी लोकमानय ितलक मदन मोहन माखनलाल चतवरदी महावीर साद िदववदी ताप नारायण िमौ बाल मकद गपत आिद हए | आजाकसरी िहनदःतान सरःवती हस कमरवीर आज ताप दीप िवशाल भारत आि आजादी क बाद की मख पऽ-पिऽकाओ तथा पऽकारो क नाम िलखए | मख पऽ ---- नव भारत टाइमस जनसतता नई दिनया िहनदःतान अमरदिनक भाःकर दिनक जागरण आिद | मख पिऽकाए ETH धमरयग सापतािहक िहलक आिद | मख पऽकारभाष जोशी आिद हततवपणर शन

१ जनसचार और समह सचार का अतर ःपषट कीिजए

ाश डािलए

कया समझत ह

को कया कहत ह

२ कटवाचन स आप कया समझत ह

३ कटीकरण िकस कहत ह

४ सचारक की भिमका पर क५ फीडबक स आप कया समझत ह

६ शोर स कया तातपयर ह

७ औपचािरक सगठन स आप८ सनसनीखज समाचारो स समबिधत पऽकािरता ९ कोई घटना समाचार कस बनती ह

१० सपादकीय पषठ स आप कया समझत ११ मीिडया की भाषा म दवारपाल िकस कहत ह पऽकािरता क िविवध आयाम

१ पऽकािरताकयाह ऐसी सचनाओ का सकलन एव सपादन कर आम पाठको तक पहचाना िजनम अिधक स अिधक लोगो की रिच हो तथा जो अिधक स अिधक लोगो को भािवत करती हो पऽकािरताकहलाता ह(दश-िवदश म घटन वाली घटनाओ की सचनाओ को सकिलत एव सपािदत कर समाचार क रप म पाठको तक पहचान की िबयािवधा को पऽकािरता

10

२ लखन तथा सािहितयक सजनातमक लखन म कया अतर ह थयो की धानता

३ कन और काटोरमाफ़ |

४ ी ताजा घटना िवचार या समःया की िरपोटर हिजसम अिधक स

५ घटना समःया व िवचार को समाचार का रप धारण

६ सआपकयासमझतह माचारो को कवर करन क िलए िनधारिरत समय-सीमा

७ ाय ह -साममी स उसकी अशिदधयो को दर करक पठनीय तथा

८ ी मख घटना या समःया पर िलख गए िवचारातमक लख को िजस

ता

ा-

रता

महततव क मामलोजस-षटाचार अिनयिमतताओ

कहत ह) पऽकारीय पऽकारीय लखन का मख उददय सचना दान करना होता ह इसम तहोती ह जबिक सािहितयक सजनातमक लखन भाव कलपना एव सौदयर-धान होता ह पऽकािरता क मख आयाम कौन-कौन स ह सपादकीय फ़ोटो पऽकािरता काटरन कोना रखासमाचारिकसकहतह समाचार िकसी भी ऐसअिधक लोगो की रिच हो और िजसका अिधक स अिधक लोगो पर भाव पड़ता हो समाचारक तततवो को िलिखए | पऽकािरता की दिषट स िकसी भीकरन क िलए उसम िनमन तततवो म स अिधकाश या सभी का होना आवयक होता ह- नवीनता िनकटता भाव जनरिच सघषर महततवपणर लोग उपयोगी जानकािरया अनोखापआिद डडलाइनसमाचार माधयमो क िलए सकोडडलाइनकहत ह सपादन स कया अिभकाशन क िलए ापत समाचारकाशन योगय बनाना सपादन कहलाता ह सपादकीयकयाह सपादक दवारा िकससबिधत समाचारपऽ की राय भी कहा जाता ह सपादकीय कहत हसपादकीय िकसी एक वयिकत का िवचार या राय न होकर समम पऽ-समह की राय होता ह इसिलए सपादकीय म सपादक अथवा लखक का नाम नही िलखा जाता पऽकािरता क मखकारिलिखए |

bull खोजी पऽकािरता bull िवशषीकत पऽकािरbull वॉचडॉग पऽकािरता bull एडवोकसी पऽकािरतbull पीतपऽकािरता bull पज ाी पऽकाि

१० खोजी पऽकािरता कयाह िजसमआम तौर पर सावरजिनक

11

११ वॉचडॉग का मखय उततरदाियतव सरकार क

१२ एडवोक िकसी खास मदद या िवचारधारा क पकष म

१३ पीतपऽक ह फ़वाहो आरोपो-तयारोपो मसबधो आिद स

१४ पज ाी कािरता िकसकहतह ीरो की पािटरयो महिफ़लो और जानमान लोगो

१५ पऽकािर हता ह

१६ कािरता कया ह नकारी दत हए उसका िवशलषण करना िवशषीकत

१७ वकिलप स कहत ह मीिडया ःथािपत वयवःथा क िवकलप को

१८ िवशषीक ा क मख कषऽो का उललख कीिजए |

ास पऽकािरता

और गड़बिड़यो की गहराई स छानबीन कर सामन लान की कोिशश की जाती ह िःटग ऑपरशन खोजी पऽकािरता का ही एक नया रप ह पऽकािरता स आप कया समझत ह लोकतऽ म पऽकािरता और समाचार मीिडयाकामकाज पर िनगाह रखना ह और कोई गड़बड़ी होन पर उसका परदाफ़ाश करना होता ह परपरागत रप स इस वॉचडॉग पऽकािरता कहत ह सी पऽकािरता िकसकहतह इस पकषधर पऽकािरता भी कहत हजनमत बनान किलए लगातार अिभयान चलान वाली पऽकािरता को एडवोकसी पऽकािरता कहत ह

ािरतासआपकयासमझतपाठको को लभान क िलए झठी असबिधत सनसनीखज समाचारो स सबिधत पऽकािरता को पीतपऽकािरता कहत ह पऽऐसी पऽकािरता िजसम फ़शन अमक िनजी जीवन क बार म बताया जाता ह ता क िवकास म कौन-सा मल भाव सिबय र

िजजञासा का िवशषीकत पऽ

िकसी िवशष कषऽ की िवशष जापऽकािरता ह | क पऽकािरता िकमखय धारा क मीिडया क िवपरीत जोसामन लाकर उसक अनकल सोच को अिभवयकत करता ह उस वकिलपक पऽकािरता कहा जाता ह आम तौर पर इस तरह क मीिडया को सरकार और बड़ीपजी का समथरन ापत नही होता और न ही उस बड़ी कपिनयो क िवजञापन िमलत ह त पऽकािरत

bull ससदीय पऽकािरता bull नयायालय पऽकािरतbull आिथरक पऽकािरता

bull खल पऽकािरता bull िवजञान और िवक

12

ऽकािरता अनय

bull अपराध पऽकािरता

bull फशन और िफलम प महततवपणर शन

१ पऽकािरता क िवकास म कौन-सा मल भाव सिबय रहता ह

को तक पहचान की िबया को कया कहत ह

नयज

२ कोई घटना समाचार कस बनती ह

३ सचनाओ का सकलन सपादन कर पाठ४ समपादकीय म समपादक का नाम कयो नही िलखा जाता

५ िनमन क बार म िलिखए ndash

(क) डड लाइन

(ख) फलशिकग(ग) गाइड लाइन

(घ) लीड

13

िविभनन माधयमो क िलए लखन िट माधयम (मिित माधयम)-

१ िट मीिडया स कया आशय ह छपाई वाल सचार माधयम को िट मीिडया कहत ह | इस मिण-माधयम भी कहा जाता ह | समाचार-पऽ पिऽकाए पःतक आिद इसक मख रप ह |

२ जनसचार क आधिनक माधयमो म सबस पराना माधयम कौन-सा ह जनसचार क आधिनक माधयमो म सबस पराना माधयम िट माधयम ह |

३ आधिनक छापाखान का आिवकार िकसन िकया आधिनक छापाखान का आिवकार जमरनी क गटनबगर न िकया

४ भारत म पहला छापाखाना कब और कहा पर खला था भारत म पहला छापाखाना सन १५५६ म गोवा म खला इस ईसाई िमशनिरयो न धमर-चार की पःतक छापन क िलए खोला था |

५ जनसचार क मिित माधयम कौन-कौन स ह मिित माधयमो क अनतगरत अखबार पिऽकाए पःतक आिद आती ह ६ मिित माधयम की िवशषताए िलिखए |

bull छप हए शबदो म ःथाियतव होता ह इनह सिवधानसार िकसी भी कार स पढा जा सकता ह

bull यह माधयम िलिखत भाषा का िवःतार ह bull यह िचतन िवचार- िवशलषण का माधयम ह

७ मिित माधयम की सीमाए (दोष) िलिखए | bull िनरकषरो क िलए मिित माधयम िकसी काम क नही होत bull य तरत घटी घटनाओ को सचािलत नही कर सकत bull इसम ःपस तथा शबद सीमा का धयान रखना पड़ता ह bull इसम एक बार समाचार छप जान क बाद अशिदध-सधार नही िकया जा सकता

८ मिित माधयमो क लखन क िलए िलखत समय िकन-िकन बातो का धयान रखा जाना चािहए | bull भाषागत शदधता का धयान रखा जाना चािहए bull चिलत भाषा का योग िकया जाए bull समय शबद व ःथान की सीमा का धयान रखा जाना चािहए bull लखन म तारतमयता एव सहज वाह होना चािहए

14

रिडयो (आकाशवाणी) १ इलकशािनक माधयम स कया तातपयर ह

िजस जन सचार म इलकशािनक उपकरणो का सहारा िलया जाता ह इलकशािनक माधयम कहत ह रिडयो दरदशरन इटरनट मख इलकशािनक माधयम ह

२ आल इिडया रिडयो की िविधवत ःथापना कब हई सन १९३६ म

३ एफ़एम रिडयो की शरआत कब स हई एफ़एम (ि६कवसी माडयलशन) रिडयो की शरआत सन १९९३ स हई

४ रिडयो िकस कार का माधयम ह रिडयो एक इलकशोिनक ौवय माधयम ह इसम शबद एव आवाज का महततव होता ह यह एक एक रखीय माधयम ह

५ रिडयो समाचार िकस शली पर आधािरत होत ह रिडयो समाचार की सरचना उलटािपरािमड शली पर आधािरत होती ह

६ उलटा िपरािमड शली कया ह यह िकतन भागो म बटी होती ह िजसम तथयो को महततव क बम स ःतत िकया जाता ह सवर थम सबस जयादा महततवपणर तथय को तथा उसक उपरात महततव की दिषट स घटत बम म तथयो को रखा जाता ह उस उलटा िपरािमड शली कहत ह उलटािपरािमड शली म समाचार को तीन भागो म बाटा जाता ह-इशो बाडी और समापन

७ रिडयो समाचार-लखन क िलए िकन-िकन बिनयादी बातो पर धयान िदया जाना चािहए bull समाचार वाचन क िलए तयार की गई कापी साफ़-सथरी ओ टाइपड कॉपी हो bull कॉपी को िशपल ःपस म टाइप िकया जाना चािहए bull पयारपत हािशया छोडा जाना चािहए bull अको को िलखन म सावधानी रखनी चािहए

bull सिकषपताकषरो क योग स बचा जाना चािहए टलीिवजन(दरदशरन)

१ दरदशरन जन सचार का िकस कार का माधयम ह दरदशरन जनसचार का सबस लोकिय व सशकत माधयम ह इसम धविनयो क साथ-साथ दयो का भी समावश होता ह इसक िलए समाचार िलखत समय इस बात का धयान रखा जाता ह िक शबद व पदर पर िदखन वाल दय म समानता हो

२ भारत म टलीिवजन का आरभ और िवकास िकस कार हआ भारत म टलीिवजन का ारभ १५ िसतबर १९५९ को हआ यनःको की एक शिकषक पिरयोजना क अनतगरत िदलली क आसपास क एक गाव म दो टीवी सट लगाए गए िजनह २०० लोगो न दखा १९६५ क बाद िविधवत टीवी सवा आरभ हई १९७६ म दरदशरन नामक िनकाय की ःथापना हई

15

३ टी०वी० खबरो क िविभनन चरणो को िलिखए दरदशरन म कोई भी सचना िनमन चरणो या सोपानो को पार कर दशरको तक पहचती

ह (१) झलश या िकग नयज (समाचार को कम-स-कम शबदो म दशरको तक ततकाल

पहचाना) (२)साई एकर (एकर दवारा शबदो म खबर क िवषय म बताया जाता ह) (३) फ़ोन इन (एकर िरपोटरर स फ़ोन पर बात कर दशरको तक सचनाए पहचाता ह ) (४) एकर-िवजअल(समाचार क साथ-साथ सबिधत दयो को िदखाया जाना) (५) एकर-बाइट(एकर का तयकषदशीर या सबिधत वयिकत क कथन या बातचीत

दवारा ामािणक खबर ःतत करना) (६) लाइव(घटनाःथल स खबर का सीधा सारण) (७) एकर-पकज (इसम एकर दवारा ःतत सचनाए सबिधत घटना क दय बाइट मािफ़कस आिद दवारा वयविःथत ढग स िदखाई जाती ह) इटरनट

१ इटर नट कया ह इसक गण-दोषो पर काश डािलए इटरनट िवशववयापी अतजारल ह यह जनसचार का सबस नवीन व लोकिय माधयम ह इसम जनसचार क सभी माधयमो क गण समािहत ह यह जहा सचना मनोरजन जञान और वयिकतगत एव सावरजिनक सवादो क आदान-दान क िलए ौषठ माधयम ह वही अशलीलता द चारव गदगी फ़लान का भी जिरया ह

२ इटरनट पऽकािरताकया ह

इटरनट(िवशववयापी अतजारल) पर समाचारो का काशन या आदान-दान इटरनट पऽकािरता कहलाता ह इटरनट पऽकािरता दो रपो म होती ह थम- समाचार स षण क िलए नट का योग करना दसरा- िरपोटरर अपन समाचार को ई-मल दवारा अनयऽ भजन व समाचार को सकिलत करन तथा उसकी सतयतािवशवसनीयता िसदध करन क िलए करता ह

३ इटरनट पऽकािरता को और िकन-िकन नामो स जाना जाता ह ऑनलाइन पऽकािरता साइबरपऽकािरतावब पऽकािरता आिद नामो स

४ िवशव-ःतर पर इटरनट पऽकािरता का िवकास िकन-िकन चरणो म हआ िवशव-ःतर पर इटरनट पऽकािरता का िवकास िनमनिलिखत चरणो म हआ-

bull थम चरण------- १९८२ स १९९२

bull िदवतीय चरण------- १९९३ स २००१ bull ततीय चरण------- २००२ स अब तक

५ भारत म इटरनट पऽकािरता का ारमभ कब स हआ

16

पहला चरण १९९३ स तथा दसरा चरण २००३ स शर माना जाता ह भारत म सचच अथोर म वब पऽकािरता करन वाली साइट rsquoरीिडफ़ डॉट कॉमrsquo

इिडयाइफ़ोलाइनrsquoवrsquoसीफ़ीrsquoह रीिडफ़ को भारत की पहली साइट कहा जाता ह

६ वब साइट पर िवशदध पऽकािरता शर करन का ौय िकसको जाता ह rsquoतहलका डॉटकॉमrsquo

७ भारत म सचच अथोर म वब पऽकािरता करन वाली साइटो क नाम िलिखए | rsquoरीिडफ़ डॉट कॉमrsquoइिडयाइफ़ोलाइनrsquoवrsquoसीफ़ीrsquo

८ भारत म कौन-कौन स समाचार-पऽ इटरनट पर उपलबध ह टाइमस आफ़ इिडया िहदःतान टाइमस इिडयन एकसस िहद िशबयन आिद

९ भारत की कौन-सी नट-साइट भगतान दकर दखी जा सकती ह Otildeइिडया टडOtilde

१० भारत की पहली साइट कौन-सी ह जो इटरनट पर पऽकािरता कर रही ह रीिडफ़

११ िसफ़र नट पर उपलबध अखबार का नाम िलिखए भा साकषीOtilde नाम का अखबार िट रप म न होकर िसफ़र नट पर उपलबध ह

१२ पऽकािरता क िलहाज स िहदी की सवरौषठ साइट कौन-सी ह पऽकािरता क िलहाज स िहनदी की सवरौषठ साइट बीबीसी की ह जो इटरनट क

मानदडो क अनसार चल रही ह १३ िहदी वब जगत म कौन-कौनसी सािहितयक पिऽकाए चल रही ह

िहदी वब जगत म rsquoअनभितrsquo अिभवयिकत िहदी नःट सराय आिद सािहितयक पिऽकाए चल रही ह

१४ िहदी वब जगत की सबस बड़ी समःया कया ह िहनदी वब जगत की सबस बडी समःया मानक की-बोडर तथा फ़ोट की ह डायनिमक फ़ोट क अभाव क कारण िहनदी की जयादातर साइट खलती ही नही ह

अभयासाथर शन १ भारत म पहला छापाखान िकस उददय स खोला गया

२ गटनबगर को िकस कषऽ म योगदान क िलए याद िकया जाता ह

३ रिडयो समाचर िकस शली म िलख जात ह

४ रिडयो तथा टलीिवजन माधयमो म मखय अतर कया ह

५ एकर बाईट कया ह

६ समाचार को सकिलत करन वाला वयिकत कया कहलाता ह

७ नट साउड िकस कहत ह

८ िकग नयज स आप कया समझत ह

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पऽकारीय लखन क िविभनन रप और लखन िबया १ पऽकारीय लखन कया ह

समाचार माधयमो म काम करन वाल पऽकार अपन पाठको तथा ौोताओ तक सचनाए पहचान क िलए लखन क िविभनन रपो का इःतमाल करत ह इस ही पऽकारीय लखन कहत ह पऽकारीय लखन का सबध समसामियक िवषयो िवचारो व घटनाओ स ह पऽकार को िलखत समय यह धयान रखना चािहए वह सामानय जनता क िलए िलख रहा ह इसिलए उसकी भाषा सरल व रोचक होनी चािहए वाकय छोट व सहज हो किठन भाषा का योग नही िकया जाना चािहए भाषा को भावी बनान क िलए अनावयक िवशषणोजागरनस(अचिलत शबदावली) और कलीश (िपषटोिकत दोहराव) का योग नही होना चिहए

२ पऽकारीय लखन क अतगरत कया-कया आता ह पऽकिरता या पऽकारीय लखन क अनतगरत समपादकीय समाचार आलख िरपोटर फ़ीचर ःतमभ तथा काटरन आिद आत ह

३ पऽकारीय लखन का मखय उददय कया होता ह पऽकारीय लखन का मख उददय ह- सचना दना िशिकषत करना तथा मनोरजन आ करना आिद होता ह |

४ पऽकारीय लखन क कार िलखए | पऽकारीय लखन क कईकार ह यथा- खोजपरक पऽकािरताrsquo वॉचडॉग पऽकािरता और एडवोकसी पऽकािरता आिद

५ पऽकारिकतन कार क होत ह

पऽकार तीन कार क होत ह- bull पणर कािलक

bull अशकािलक (िःशगर)

bull ६ीलासर या ःवतऽ पऽकार ६ समाचार िकस शली म िलख जात ह

समाचार उलटा िपरािमड शली म िलख जात ह यह समाचार लखन की सबस उपयोगी और लोकिय शली ह इस शली का िवकास अमिरका म गह यदध क दौरान हआ इसम महततवपणर घटना का वणरन पहल ःतत िकया जाता ह उसक बाद महततव की दिषट स घटत बम म घटनाओ को ःतत कर समाचार का अत िकया जाता ह समाचार म इशो बॉडी और समापन क बम म घटनाए ःतत की जाती ह

७ समाचार क छह ककार कौन-कौन स ह समाचार िलखत समय मखय रप स छह शनो- कया कौन कहा कब कयो और कस का उततर दन की कोिशश की जाती ह इनह समाचार क छह ककार कहा जाता ह थम चार शनो क उततर इशो म तथा अनय दो क उततर समापन स पवर बॉडी वाल भाग म िदए जात

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ह ८ फ़ीचर कया ह

फ़ीचर एक कार का सवयविःथत सजनातमक और आतमिनषठ लखन ह ९ फ़ीचर लखन का कया उददय होता ह फ़ीचर का उददय मखय रप स पाठको को सचना दना िशिकषत करना तथा उनका

मनोरजन करना होता ह १० फ़ीचर और समचार म कया अतर ह

समाचार म िरपोटरर को अपन िवचारो को डालन की ःवतऽता नही होती जबिक फ़ीचर म लखक को अपनी राय दिषटकोण और भावनाओ को जािहर करन का अवसर होता ह समाचार उलटा िपरािमड शली म िलख जात ह जबिक फ़ीचर लखन की कोई सिनिशचत शली नही होती फ़ीचर म समाचारो की तरह शबदो की सीमा नही होती आमतौर पर फ़ीचर समाचार िरपोटर स बड़ होत ह पऽ-पिऽकाओ म ाय २५० स २००० शबदो तक क फ़ीचर छपत ह

११ िवशष िरपोटर स आप कया समझत ह सामानय समाचारो स अलग व िवशष समाचार जो गहरी छान-बीन िवशलषण और वयाखया क आधार पर कािशत िकए जात ह िवशष िरपोटर कहलात ह

१२ िवशष िरपोटर क िविभनन कारो को ःपषट कीिजए खोजी िरपोटर इसम अनपलबध तथयो को गहरी छान-बीन कर सावरजिनक िकया जाता ह (२)इनडपथ िरपोटर सावरजािनक रप स ापत तथयो की गहरी छान-बीन कर उसक महततवपणर पकषो को पाठको क सामन लाया जाता ह (३) िवशलषणातमक िरपोटर इसम िकसी घटना या समःया का िववरण सआमता क साथ िवःतार स िदया जाता ह िरपोटर अिधक िवःतत होन पर कई िदनो तक िकःतो म कािशत की जाती ह (४)िववरणातमक िरपोटर इसम िकसी घटना या समःया को िवःतार एव बारीकी क

साथ ःतत िकया जाता ह

१३ िवचारपरक लखन िकस कहत ह िजस लखन म िवचार एव िचतन की धानता होती ह उस िवचार परक लखन कहा जाता हसमाचार-पऽो म समाचार एव फ़ीचर क अितिरकत सपादकीय लख पऽ िटपपणी विरषठपऽकारो व िवशषजञो क ःतभ छपत ह य सभी िवचारपरक लखन क अतगरत आत ह

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१४ सपादकीय स कया अिभाय ह सपादक दवारा िकसी मख घटना या समःया पर िलख गए िवचारातमक लख को िजससबिधत समाचारपऽ की राय भी कहा जाता ह सपादकीय कहत ह सपादकीय िकसी एक वयिकत का िवचार या राय न होकर समम पऽ-समह की राय होता ह इसिलए सपादकीय म सपादक अथवा लखक का नाम नही िलखा जाता

१५ ःतभलखन स कया तातपयर ह यह एक कार का िवचारातमक लखन ह कछ महततवपणर लखक अपन खास वचािरक रझान एव लखन शली क िलए जान जात ह ऐस लखको की लोकियता को दखकर समाचरपऽ उनह अपन पऽ म िनयिमत ःतभ-लखन की िजममदारी दान करत ह इस कार िकसी समाचार-पऽ म िकसी ऐस लखक दवारा िकया गया िविशषट एव िनयिमत लखन जो अपनी िविशषट शली एव वचािरक रझान क कारण समाज म खयाित-ापत हो ःतभ लखन कहा जाता ह

१६ सपादक क नाम पऽ स आप कया समझत ह समाचार पऽो म सपादकीय पषठ पर तथा पिऽकाओ की शरआत म सपादक क नाम आए पऽ कािशत िकए जात ह यह तयक समाचारपऽ का िनयिमत ःतभ होता ह इसक माधयम स समाचार-पऽ अपन पाठको को जनसमःयाओ तथा मददो पर अपन िवचार एवमराय वयकत करन का अवसर दान करता ह

१७ साकषातकारइटरवय स कया अिभाय ह िकसी पऽकार क दवारा अपन समाचारपऽ म कािशत करन क िलए िकसी वयिकत िवशष स उसक िवषय म अथवा िकसी िवषय या मदद पर िकया गया शनोततरातमक सवाद साकषातकार कहलाता ह

अनय महततवपणर शन १ सामानय लखन तथा पऽकारीय लखन म कया अतर ह

२ पऽकारीय लखन क उददय िलिखए ३ पऽकार िकतन कार क होत ह

४ उलटा िपरािमड शली का िवकास कब और कयो हआ

५ समाचार क ककारो क नाम िलिखए | ६ बाडी कया ह

७ फ़ीचर िकस शली म िलखा जाता ह

८ फ़ीचर व समाचार म कया अतर ह

९ िवशष िरपोटर स आप कया समझत ह

१० िवशष िरपोटर क भद िलिखए ११ इनडपथ िरपोटर िकस कहत ह

१२ िवचारपरक लखन कया ह तथा उसक अनतगरत िकस कार क लख आत ह

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१३ ःवतऽ पऽकार िकस कहत ह

१४ पणरकािलक पऽकार स कया अिभाय ह

१५ अशकािलक पऽकार कया होता ह

िवशष लखन ःवरप और कार १ िवशष लखन िकस कहत ह

िवशष लखनिकसी खास िवषय पर सामानय लखन स हट कर िकया गया लखन ह िजसम राजनीितक आिथरक अपराध खल िफ़लमकिष कानन िवजञान और अनय िकसी भी महततवपणर िवषय स सबिधत िवःतत सचनाए दान की जाती ह

२ डःककया ह समाचारपऽ पिऽकाओ टीवी और रिडयो चनलो म अलग-अलग िवषयो पर िवशष लखन क िलए िनधारिरत ःथल को डःक कहत ह और उस िवशष डःक पर काम करन वाल पऽकारो का भी अलग समह होता ह यथा-वयापार तथा कारोबार क िलए अलग तथा खल की खबरो क िलए अलग डःक िनधारिरत होता ह

३ बीटस कया तातपयर ह िविभनन िवषयो स जड़ समाचारो क िलए सवाददाताओ क बीच काम का िवभाजन आम तौर पर उनकी िदलचःपी और जञान को धयान म रख कर िकया जाता ह मीिडया की भाषा म इस बीट कहत ह

४ बीट िरपोिटरग तथा िवशषीकत िरपोिटरग म कया अनतर ह बीट िरपोिटरग क िलए सवाददाता म उस कषऽ क बार म जानकारी व िदलचःपी का होना पयारपत ह साथ ही उस आम तौर पर अपनी बीट स जड़ीसामानय खबर ही िलखनी होती ह िकनत िवशषीकत िरपोिटरग म सामानय समाचारो स आग बढ़कर सबिधत िवशष कषऽ या िवषय स जड़ी घटनाओ समःयाओ और मददो का बारीकी स िवशलषण कर ःततीकरण िकया जाता ह बीट कवर करन वाल िरपोटरर को सवाददाता तथा िवशषीकत िरपोिटरग करन वाल िरपोटरर को िवशष सवाददाता कहा जाता ह

५ िवशष लखन की भाषा-शली पर काश डािलए | िवशष लखन की भाषा-शली सामानय लखन स अलग होती ह इसम सवाददाता को सबिधत िवषय की तकनीकी शबदावली का जञान होना आवयक होता ह साथ ही यह भी आवयक होता ह िक वह पाठको को उस शबदावली स पिरिचत कराए िजसस पाठक िरपोटर को समझ सक िवशष लखन की कोई िनिशचत शली नही होती

६ िवशष लखन क कषऽ कौन-कौन स हो सकत ह िवशष लखन क अनक कषऽ होत ह यथा- अथर-वयापार खल िवजञान-ौदयोिगकी किष

िवदश रकषा पयारवरण िशकषा ःवाःथय िफ़लम-मनोरजन अपराध कानन व सामािजक मदद आिद

अभयासाथर महततवपणर शन

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१ िकसी खास िवषय पर िकए गए लखन को कया कहत ह

२ िवशष लखन क कषऽ िलिखए ४पऽकारीय भाषा म लखन क िलए िनधारिरत ःथल को कया कहत ह

५ बीट स आप कया समझत ह

६ बीट िरपोिटरग कया ह

७ बीट िरपोिटरग तथा िवशषीकत िरपोिटरग म कया अतर ह

८ िवशष सवाददाता िकस कहत ह

बोडर परीकषा म पछ गए शन एव अनय महततवपणर पषटवय शनो का कोश

१ िट माधयम िकस कहत ह

२ जनसचार क चिलत माधयमो म सबस पराना माधयम कया ह

३ िकनही दो मिित माधयमो क नाम िलिखए | ४ छापाखान क आिवकार का ौय िकसको जाता ह

५ िहदी का पहला समाचार-पऽ कब कहा स िकसक दवारा कािशत िकया गया

६ िहदी म कािशत होन वाल दो दिनक समाचार-पऽो तथा पिऽकाओ क नाम िलिखए | ७ रिडयो की अपकषा टीवी समाचारो की लोकियता क दो कारण िलिखए | ८ पऽकारीय लखन तथा सािहितयक सजनातमक लखन का अतर बताइए | ९ पऽकािरता का मलततव कया ह

१० ःतभलखन स कया तातपयर ह

११ पीत पऽकािरता िकस कहत ह

१२ खोजी पऽकािरता का आशय ःपषट कीिजए | १३ समाचार शबद को पिरभािषत कीिजए | १४ उलटा िपरािमड शली कया ह

१५ समाचार लखन म छह ककारो का कया महततव ह

१६ मिित माधयमो की िकनही दो िवशषताओ का उललख कीिजए | १७ डड लाइन कया ह

१८ रिडयो नाटक स आप कया समझत ह

१९ रिडयो समाचार की भाषा की दो िवशषताए िलिखए

२० एकर बाईट िकस कहत ह

२१ टलीिवजन समाचारो म एकर बाईट कयो जररी ह

२२ मिित माधयम को ःथायी माधयम कयो कहा जाता ह

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२३ िकनही दो समाचार चनलो क नाम िलिखए | २४ इटरनट पऽकािरता क लोकिय होन क कया कारण ह

२५ भारत क िकनही चार समाचार-पऽो क नाम िलिखए जो इटरनट पर उपलबध ह

२६ पऽकािरता की भाषा म बीट िकस कहत ह

२७ िवशष िरपोटर क दो कारो का उललख कीिजए | २८ िवशष लखन क िकनही दो कारो का नामोललख कीिजए | २९ िवशष िरपोटर क लखन म िकन बातो पर अिधक बल िदया जाता ह

३० बीट िरपोटरर िकस कहत ह

३१ िरपोटर लखन की भाषा की दो िवशषताए िलिखए | ३२ सपादकीय क साथ सपादन-लखक का नाम कयो नही िदया जाता

३३ सपादकीय लखन कया होता ह

अथवा

सपादकीय स कया तातपयर ह

३४ सपादक क दो मख उततरदाियतवो का उललख कीिजए | ३५ ऑप-एड पषठ िकस कहत ह

३६ नयजपग कया ह

३७ आिडएस स आप कया समझत ह

३८ इलकशोिनक मीिडया कया ह

३९ काटरन कोना कया ह

४० भारत म िनयिमत अपडट साइटो क नाम बताइए ४१ कमपयटर क लोकिय होन का मख कारण बताइए ४२ िवजञापन िकस कहत ह

४३ फीडबक स कया अिभाय ह

४४ जनसचार स आप कया समझत ह

४५ समाचार और फीचर म कया अतर ह

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(ख)आलखिरपोटर ndash िनधारिरत अक५

आलख आलख-लखन हत महततवपणर बात

१ िकसी िवषय पर सवारगपणर जानकारी जो तथयातमक िवशलषणातमक अथवा िवचारातमक हो आलख कहलाती ह |

२ आलख का आकार सिकषपत होता ह | ३ इसम िवचारो और तथयो की ःपषटता रहती ह य िवचार बमबदध रप म होन चािहए| ४ िवचार या तथय की पनरावितत न हो | ५ आलख की शली िववचन िवशलषण अथवा िवचार-धान हो सकती ह | ६ जवलत मददो समःयाओ अवसरो चिरऽ पर आलख िलख जा सकत ह | ७ आलख गभीर अधययन पर आधािरत ामािणक रचना होती ह |

नमना आलख शर का घर िजमकाबरट नशनल पाकर ndash जगली जीवो की िविभनन जाितयो को सरकषण दन तथा उनकी सखया को बढान क उददय स िहमालय की तराई स लग उततराखड क पौड़ी और ननीताल िजल म भारतीय महादवीप क पहल राषटरीय अभयारणय की ःथापना िसदध अगरजी लखक िजम काबरट क नाम पर की गई | िजम काबरट नशनल पाकर ननीताल स एक सौ पनिह िकलोमीटर और िदलली स २९० िकलोमीटर दर ह यह अभयारणय पाच सौ इककीस िकलोमीटर कषऽ म फला ह | नवमबर स जन क बीच यहा घमन-िफरन का सवोरततम समय ह | यह अभयारणय चार सौ स गयारह सौ मीटर की ऊचाई पर ह | िढकाला इस पाकर का मख मदानी ःथल ह और काडा सबस ऊचा ःथान ह| जगल जानवर पहाड़ और हरी-भरी वािदयो क वरदान स िजमकाबरट पाकर दिनया क अनठ पाकोर म ह | रायल बगाल टाइगर और एिशयाई हाथी पसदीदा घर ह | यह एिशया का सबस पहला सरिकषत जगल ह | राम गगा नदी इसकी जीवन-धारा ह | यहा एक सौ दस तरह क पड़-पौध पचास तरह क ःतनधारी जीव पचचीस जाितयो क सरीसप और छह सौ तरह क रग-िवरग पकषी ह | िहमालयन तदआ िहरन भाल जगली कतत भिड़य बदर लगर जगली भस जस जानवरो स यह जगल आबाद ह | हर वषर लाखो पयरटक यहा आत ह | शाल वकषो स िघर लब-लब वन-पथ और हर-भर घास क मदान इसक ाकितक सौदयर म चार चाद लगा दत ह | िनमनिलिखत िवषयो पर आलख िलिखए-

bull बढ़ती आबादी दश की बरबादी bull सादाियकसदभावना bull कजर म डबा िकसान

bull आतकवाद की समःया

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bull डॉकटर हड़ताल पर मरीज परशान

bull वतरमान परीकषा-णाली

bull बजट और बचत

bull शिकत सयम और साहस

bull िरशवत का रोग

bull सपना सच हो अपना

िरपोटरितवदन िरपोटरितवदन का सामानय अथर सचनाओ क तथयपरक आदान-दान को िरपोटर या िरपोिटरग कहत ह | ितवदन इसका िहदी रपातरण ह | िरपोटर िकसी सःथा आयोजन या कायरबम की तथयातमक जानकारी ह | बड़ी-बड़ी कपिनया अपन अशधारको को वािषरक अदधरवािषरक गित िरपोटर भजा करती ह| िरपोटर क गण

bull तथयो की जानकारी ःपषट सटीक ामािणक हो | bull सःथा िवभाग क नाम का उललख हो | bull अधयकष आिद पदािधकािरयो क नाम | bull गितिविधया चलानवालो क नाम | bull कायरबम का उददय | bull आयोजन-ःथल िदनाक िदन तथा समय | bull उपिःथत लोगो की जानकारी | bull िदए गए भाषणो क मख अश | bull िलय गए िनणरयो की जानकारी | bull भाषा आलकािरक या सािहितयक न हो कर सचनातमक होनी चािहए | bull सचनाए अनयपरष शली म दी जाती ह | म या हम का योग नही होता | bull सिकषपतता और बिमकता िरपोटर क गण ह | bull नई बात नए अनचछद स िलख | bull ितवदक या िरपोटरर क हःताकषर |

िनमनिलिखत िवषयो पर िरपोटर तयार कीिजए- १ पजा-ःथलो पर दशरनािथरयो की अिनयिऽत भीड़

२ दश की महगी होती वयावसाियक िशकषा ३ मतदान कनि का दय

४ आए िदन होती सड़क दघरटनाए

५ आकिःमक बाढ़ स हई जनधन की कषित

६फीचर लखन- िनधारिरत अक५ समकालीन घटना तथा िकसी भी कषऽ िवशष की िविशषट जानकारी क सिचऽ तथा मोहक

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िववरण को फीचर कहत ह |फीचर मनोरजक ढग स तथयो को ःतत करन की कला ह | वःतत फीचर मनोरजन की उगली थाम कर जानकारी परोसता ह| इस कार मानवीय रिच क िवषयो क साथ सीिमत समाचार जब चटपटा लख बन जाता ह तो वह फीचर कहा जाता ह | अथारत- जञान + मनोरजन = फीचर | फीचर म अतीत वतरमान और भिवय की रणा होती ह | फीचर लखक पाठक को वतरमान दशा स जोड़ता ह अतीत म ल जाता ह और भिवय क सपन भी बनता ह | फीचर लखन की शली िविशषट होती ह | शली की यह िभननता ही फीचर को समाचार आलख या िरपोटर स अलग ौणी म ला कर खडा करती ह | फीचर लखन को अिधक ःपषट रप स समझन क िलए िनमन बातो का धयान रख ndash

१ समाचार साधारण जनभाषा म ःतत होता ह और फीचर एक िवशष वगर व िवचारधारा पर क िित रहत हए िविशषट शली म िलखा जाता ह |

२ एक समाचार हर एक पऽ म एक ही ःवरप म रहता ह परनत एक ही िवषय पर फीचर अलग-अलग पऽोम अलग-अलग ःतित िलय होत ह | फीचर क साथ लखक का नाम रहता ह |

३ फीचर म अितिरकत साज-सजजा तथयो और कलपना का रोचक िमौण रहता ह | ४ घटना क पिरवश िविवध ितिबयाए वउनक दरगामी पिरणाम भी फीचर म रहा करत

ह | ५ उददय की दिषट स फीचर तथयो की खोज क साथ मागरदशरन और मनोरजन की दिनया

भी ःतत करता ह | ६ फीचर फोटो-ःतित स अिधक भावशाली बन जाता ह |

नमना फीचर िपयककड़ तोता

सगत का असर आता ह िफर चाह वह आदमी हो या तोता | िटन म एक तोत को अपन मािलक की सगत म शराब की ऐसी लत लगी िक उसन घर वालो और पड़ोिसयो का जीना बहाल कर िदया | जब तोत को सधारन क सार हथकड फल हो गए तो मजबरन मािलक को ही शराब छोड़नी पड़ी | माकर बटोिकयो न अीकी जाित का तोता मिलरन पाला| माकर यदा-कदा शराब पी लत | िगलास म बची शराब मिलरन चट कर जाता | धीर-धीर मिलरन की तलब बढ़न लगी| वह वकत-बवकत शराब मागन लगा |-------------------------------

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िनमनिलिखत िवषयो पर फ़ीचरिलिखए bull चनावी वायद

bull महगाई क बोझतल मजदर bull वाहनो की बढ़ती सखया bull विरषठ नागिरको क ित हमारा नजिरया bull िकसान का एक िदन

bull बाित क ःवपन-िषटा अबदलकलाम

bull िबकट का नया सःकरण टवटी-टवटी

bull बहतर ससाधन बन सकती ह जनसखया

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अधययन-साममी

ककषा दवादश- िहदी (क ििक)

पदय खड

इस खड स तीन कार क शन पछ जाएग ndash

शन -७ िदए गए कावयाश म स अथर महण सबधी चार शन- २४ = ८ अक

शन ८ - िदए गए कावयाश म स सौदयर-बोध सबधी तीन शन -२३= ६ अक

शन ९ -िवषय-वःत पर आधािरत तीन शनो म स दो शनो क उततर -३२=६ अक

अिधक अक-ािपत हत धयान दन योगय बात -

bull किव किवता का नाम एक दो वाकयो म सगिठत सग या पिकतयो का सार अिनवायर रप स याद होना चािहए

bull वतरनी एव वाकय गठन की अशिदधया ० ( जीरो) रखन क िलए उततरो का िलिखत अभयास अिनवायर ह

bull तीन अक क शन क उततर म अिनवायरत तीन िवचार-िबद शीषरक बना कर रखािकत करत हए बमबदध रप स उततर िलखा जाना चािहए अनय शनो क उततरो म भी इसी कार अको क अनसार िवचार-िबदओ की सखया होनी चािहए

bull समय पर पणर शन-पऽ हल करन क िलए उततरो क मखय िबद बम स याद होन चािहए bull उततरो क िवचार-िबनदओ एव वाकयो का िनिशचत बम होना चािहए जो पहल स उततर याद

िकए िबना सभव नही होता

bull कावय-सोदयर सबधी शनो म अलकार छद आिद िवशषताए किवता म स उदाहरण अश िलख कर ःपषट की जानी चािहए

bull भाव-सामय क रप म अथर स िमलती-जलती अनय किवयो की पिकतया िलखना उपयकत ह

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bull किव एव किवता की प ठभिम िशकषक की सहायता स अिनवायर रप स समझ ल | उपयकत ःथान पर इस उततर म सकितत भी कर

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1 किवता ndash आतम पिरचय

हिरवश राय बचचन

OcircआतमपिरचयOtilde- Ocircिनशा िनमऽणOtilde गीत-समह का एक गीत

सार -

१ ःवय को जानना दिनया को जानन स अिधक किठन भी ह और आवयक भी

२ वयिकत क िलए समाज स िनरपकष एव उदासीन रहना न तो सभव ह न ही उिचत ह दिनया अपन वयगय बाणो शासन ETHशासन स चाह िकतना कषट द पर दिनया स कट कर वयिकत अपनी पहचान नही बना सकता पिरवश ही वयिकत को बनाता ह ढालता ह

३ इस किवता म किव न समाज एव पिरवश स म एव सघषर का सबध िनभात हए जीवन म सामजःय ःथािपत करन की बात की ह

४ छायावादोततर गीित कावय म ीित-कलह का यह िवरोधाभास िदखाई दता ह वयिकत और समाज का सबध इसी कार म और सघषर का ह िजसम किव आलोचना की परवाह न करत हए सतलन ःथािपत करत हए चलता ह

५ Ocircनादान वही ह हाय जहा पर दानाOtilde पिकत क माधयम स किव सतय की खोज क िलए अहकार को तयाग कर नई सोच अपनान पर जोर द रहा ह

कावय-खड पर आधािरत दो कार क शन पछ जाएग ETH अथरमहण-सबधी एव सौदयर-बोध-सबधी

अथरमहण-सबधी शन

1‐ म जग-जीवन का भार िलए िफरता ह

िफर भी जीवन म पयार िलए िफरता ह

कर िदया िकसी न झकत िजनको छकर

म सासो क दो तार िलए िफरता ह

शन १-किव अपन हदय म कया - कया िलए िफरता ह

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उततर- किव अपन सासािरक अनभवो क सख - दख हदय म िलए िफरता ह

शन २- किव का जग स कसा िरता ह

उततर- किव का जगजीवन स खटटामीठा िरता ह

शन३- पिरवश का वयिकत स कया सबध ह म सासो क दो तार िलए िफरता ह क माधयम स किव कया कहना चाहता ह

उततर- ससार म रह कर ससार स िनरपकषता सभव नहीह कयोिक पिरवश म रहकर ही वयिकत की पहचान बनती हउसकी अिःमता सरिकषत रहती ह

शन४- िवरोधो क बीच किव का जीवन िकस कार वयतीत होता ह

उततर-दिनया क साथ सघषरपणर सबध क चलत किव का जीवन-िवरोधो क बीच सामजःय करत हए वयतीत होता ह

सौदयर-बोध सबधी शन

ldquo म ःनह-सरा का पान िकया करता ह

म कभी न जग का धयान िकया करता ह

जग पछ रहा उनको जो जग की गात

म अपन मन का गान िकया करता हrdquo

शन १- किवता की इन पिकतयो स अलकार छाट कर िलिखए|

उततर -ःनह- सराndash रपक अलकार

शन २- किवता म यकत महावर िलिखए -

उततर -Ocircजग पछ रहाOtildesbquo Ocircजग की गातOtildesbquo Ocircमन का गानOtilde आिद महावरो का योग

शन३- किवता म यकत शली का नाम िलख |

उततर - गीित-शली

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किवता

आतम-पिरचय

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१-किव कौन-कौन-सी िःथितयो म मःत रहता ह और कयो

उततर- किव सासािरक सख-दख की दोनो पिरिःथितयो म मगन रहता ह उसक पास म की सातवना दाियनी अमलय िनिध ह

शन२-किव भव-सागर स तरन क िलए कया उपाय अपना रहा ह

उततर- ससार क कषटो को सहत हए हम यह धयान रखना चािहए िक कषटो को सहना पड़गा इसक िलए मनय को हस कर कषट सहना चािहए

शन३-Otildeअपन मन का गानOtilde का कया आशय ह

उततर- ससार उन लोगो को आदर दता ह जो उसकी बनाई लीक पर चलत ह परत किव कवल वही कायर करता ह जो उसक मन बिदध और िववक को अचछा लगता ह

शन४- Otildeनादान वही ह हाय जहा पर दानाOtilde का कया आशय ह

उततर- जहा कही मनय को िवदवतता का अहकार ह वाःतव म वही नादानी का सबस बड़ा लकषण ह

शन५- Otildeरोदन म रागOtilde कस सभव ह

उततर- किव की रचनाओ म वयकत पीड़ा वाःतव म उसक हदय म मानव माऽ क ित वयापत म का ही सचक ह

शन६- म फट पड़ा तम कहत छद बनानाrdquo का अथर ःपषट कीिजए

उततर- किव की ौषठ रचनाए वाःतव म उसक मन की पीड़ा की ही अिभवयिकत ह िजनकी सराहना ससार ौषठ सािहतय कहकर िकया करता ह

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किवता

िदन जलरदी जलदी ढलता ह

ःतत किवता म किव बचचन कहत ह िक समय बीतत जान का एहसास हम लआय-ािपत क िलए यास करन क िलए िरत करता ह

मागर पर चलन वाला राही यह सोचकर अपनी मिजल की ओर कदम बढ़ाता ह िक कही राःत म ही रात न हो जाए

पिकषयो को भी िदन बीतन क साथ यह एहसास होता ह िक उनक बचच कछ पान की आशा म घोसलो स झाक रह होग यह सोचकर उनक पखो म गित आ जाती ह िक व जलदी स अपन बचचो स िमल सक

किवता म आशावादी ःवर हगतवय का ःमरण पिथक क कदमो म ःफितर भर दता हआशा की िकरण जीवन की जड़ता को समापत कर दती ह वयिकतक अनभित का किव होन पर भी बचचन जी की रचनाए िकसी सकारातमक सोच तक ल जान का यास ह

अथरमहण-सबधी शन

बचच तयाशा म होग

नीड़ो स झाक रह होग यह धयान परो म िचिड़या क

भरता िकतनी चचलता हrdquo शन १ -पथ और रात स कया तातपयर ह

उततर -जीवन रपी पथ म मतय रपी रात स सचत रहन क िलए कहा गया ह

शन२ -पिथक क परो की गित िकस कार बढ़ जाती ह

उततर -मिजल क पास होन का अहसासsbquo वयिकत क मन म ःफितर भर दता ह

शन३ -िचिड़या की चचलता का कया कारण ह

उततर -िचिड़या क बचच उसकी तीकषा करत होग यह िवचार िचिड़या क पखो म गित भर कर उस चचल बना दता ह

शन४ -यासो म तजी लान क िलए मनय को कया करना चािहए

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उततर - यासो म तजी लान क िलए मनय को जीवन म एक िनिशचत मधर लआय ःथािपत करना चािहए

2 पतग

आलोक धनवा

पतग किवता म किव आलोक धनवा बचचो की बाल सलभ इचछाओ और उमगो तथा कित क साथ उनक रागातमक सबधो का अतयत सनदर िचऽण िकया हभादो मास गजर जान क बाद शरद ऋत का आगमन होता हचारो ओर काश फल जाता हसवर क सयर का काश लाल चमकीला हो जाता हशरद ऋत क आगमन स उतसाह एव उमग का माहौल बन जाता ह

शरद ऋत का यह चमकीला इशारा बचचो को पतग उड़ान क िलए बलाता ह और पतग उड़ान क िलए मद मद वाय चलाकर आकाश को इस योगय बनाता ह िक दिनया की सबस हलक रगीन कागज और बास की सबस पतली कमानी स बनी पतग आकाश की ऊचाइयो म उड़ सकlsquoबचचो क पावो की कोमलता स आकिषरत हो कर मानो धरती उनक पास आती ह अनयथा उनक पाव धरती पर पड़त ही नही| ऐसा लगता ह मानो व हवा म उड़त जा रह हपतग उड़ात समय बचच रोमािचत होत ह |एक सगीतमय ताल पर उनक शरीर हवा म लहरात हव िकसी भी खतर स िबलकल बखबर होत हबाल मनोिवजञान बाल िबयाndash कलापो एव बाल सलभ इचछाओ का सदर िबबो क माधयम स अकन िकया गया ह

सौदयर-बोध सबधी शन

Ocircजनम स ही लात ह अपन साथ कपासOtilde-

Ocircिदशाओ को मदग की बजात हएOtilde

Ocircऔर भी िनडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हOtilde

Ocircछतो को और भी नरम बनात हएOtilde

Ocircजब व पग भरत हए चल आत ह

डाल की तरह लचील वग स अकसरOcirc

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शन १- Ocircजनम स ही लात ह अपन साथ कपासOtilde-

इस पिकत की भाषा सबधी िवशषता िलिखए |

उततर - इस पिकत की भाषा सबधी िवशषता िनमनिलिखत ह -

नए तीको का योग -कपास-कोमलता

शन२- इस पिकत म यकत लाकषिणक अथर को ःपषट कीिजए|

उततर - लाकषिणकता -Ocircिदशाओ को मदग की बजात हएOtilde-सगीतमय वातावरण की सिषट

शन३ - सनहला सरज तीक का अथर िलख |

उततर - सनहल सरज क सामन ETH िनडर उतसाह स भर होना

3 किवता क बहान

कवर नारायण

कवर नारायणकी रचनाओ म सयमsbquo पिरकार एव साफ सथरापन हयथाथर का कलातमक सवदनापणर िचऽण उनकी रचनाओ की िवशषता हउनकी रचनाए जीवन को समझन की िजजञासा ह यथाथरndash ािपत की घोषणा नहीवयिकतक एव सामािजक तनाव वयजनापणर ढ़ग स उनकी रचनाओ म ःथान म पाता हःतत किवता म किवतव शिकत का वणरन ह किवता िचिड़या की उड़ान की तरह कलपना की उड़ान ह लिकन िचिड़या क उड़न की अपनी सीमा ह जबिक किव अपनी कलपना क पख पसारकर दश और काल की सीमाओ स पर उड़ जाता ह

फल किवता िलखन की रणा तो बनता ह लिकन किवता तो िबना मरझाए हर यग म अपनी खशब िबखरती रहती ह

किवता बचचो क खल क समान ह और समय और काल की सीमाओ की परवाह िकए िबना अपनी कलपना क पख पसारकर उड़न की कला बचच भी जानत ह

bull मानवी िबबो क माधयम स कावय रचनाndash िबया को ःतत िकया गया ह bull किवता म िचिड़या फल और बचच क तीको क माधयम स बचच की रचनातमक ऊजार

की तलना किवता-रचना स की गई ह िचिड़या की उड़ान फल का िवकास अपनी सीमा म आबदध ह परनत किव की कलपना शिकत एव बालक क ःवपन व ऊजार असीम ह

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bull सािहतय का महतवsbquo ाकितक सौनदयर की अपकषा मानव क भाव-सौनदयर की ौषठता का ितपादन िकया गया ह

किवता की उड़ान ह िचिड़या क बहान

किवता की उड़ान भला िचिड़या कया जान

बाहर भीतर

इस घर उस घर

किवता क पख लगा उड़न क मान

िचिड़या कया जान

शन १- इन पिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िलिखए |

उततर - इन पिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िनमनिलिखत ह -

१ नए तीक -िचिड़याsbquo

२ महावरो का सटीक योग ndashसब घर एक कर दनाsbquo किव की कलपना की उवरर शिकत िजसका योग करन म किव जमीन-आसमान एक कर दता ह |

शन २ किवता की उड़ान ETHका लाकषिणक अथर ःपषट कीिजए |

उततर -कावय की सआम अथर िनरपण शिकत किव की कलपना का िवःतार

शन - किवता क पख िकसका तीक ह

उततर -किव की कलपना शिकत का |

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3 किवता क बहान

कवर नारायण

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१-िचिड़या की उड़ान एव किवता की उड़ान म कया समानता ह

उततर -उपकरणो की समानता - िचिड़या एक घोसल का सजन ितनक एकऽ करक करती ह| किव भी उसी कार अनक भावो एव िवचारो का समह करक कावय रचना करता ह

कषमता की समानता - िचिड़या की उड़ान और किव की कलपना की उड़ान दोनो दर तक जाती ह|

शन२ - किवता की उड़ान िचिड़या की समझ स पर कयो ह

उततर - किवता की उड़ान िचिड़या की उड़ान स कही अिधक सआम और महततवपणर होती ह

शन३ -ldquoफल मरझा जात ह पर किवता नहीrdquo कयो ःपषट कीिजए

उततर - किवता कालजयी होती ह उसका मलय शाशवत होता ह जबिक फल बहत जलदी कमहला जात ह

शन४ -ldquoबचच की उछल-कद सब घर एक कर दनाrsquo एव lsquoकिव का किवता िलखनाrsquo दोनो म कया समानता एव िवषमता ह

उततर -बचचा खल-खल म घर का सारा सामान अःतवयःत कर दता ह सब कछ टटोलता ह एक ःथान पर एकऽ कर लता ह कावरय रचना-िबया म किव भी परा मानव जीवन खगाल लता ह एक जगह िपरोता ह पर िफर भी दोनो क यासो म बाल-िबयाओ का आनद किव नही समझ सकता

किवता ndash बात सीधी थी पर

ःतत किवता म भाव क अनरप भाषा क महततव पर बल िदया गया ह

किव कहत ह िक एक बार वह सरल सीध कथय की अिभवयिकत म भी भाषा क चककर म ऐसा फस गया िक उस कथय ही बदला -बदला सा लगन लगा किव कहता ह िक िजस कार जोर

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जबरदःती करन स कील की चड़ी मर जाती ह और तब चड़ीदार कील को चड़ीिवहीन कील की तरह ठोकना पड़ता ह उसी कार कथय क अनकल भाषा क अभाव म भावहीन भाषा म भाव को अिभवयिकत िकया जाता ह

अत म भाव न एक शरारती बचच क समान किव स पछा िक तन कया अभी तक भाषा का ःवाभािवक योग नही सीखा

bull इस किवता म भाषा की स षण-शिकत का महततव दशारया गया ह bull किऽमता एव भाषा की अनावयक पचचीकारी स भाषा की पकड़ कमज़ोर हो जाती ह शबद अपनी अथरवतता खो बठता ह bull उनकी किवता म वयथर का उलझाव अखबारी सतहीपन और वचािरक धध क बजाय

सयम पिरकार और साफ़-सथरापन ह

आिखरकार वही हआ िजसका मझ डर था

ज़ोर ज़बरदःती स

बात की चड़ी मर गई

और वह भाषा म बकार घमन लगी

हार कर मन उस कील की तरह ठोक िदया

ऊपर स ठीकठाक

पर अदर स

न तो उसम कसाव था

न ताकत

बात न जो एक शरारती बचच की तरह

मझस खल रही थी

मझ पसीना पोछत दखकर पछा ndash

कया तमन भाषा को

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सहिलयत स बरतना कभी नही सीखा

शन१- इनपिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िलिखए |

उततर - इनपिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िनमनिलिखतह -

१ िबब महावरो का योग

२ नए उपमान

शन २ कावयाश म आए महावरो का अथर ःपषट कीिजए|

उततर -

bull िबब महावरो का अथर - बात की चड़ी मर जाना ETHबात म कसावट न होना

बात का शरारती बचच की तरह खलना ETHबात का पकड़

म न आना

पच को कील की तरह ठोक दना ETHबात का भावहीन

हो जाना

शन ३ - कावयाश म आएउपमानो को ःपषट कीिजए|

उततर-

नए उपमान ndash अमतर उपमय भाषा क िलए मतर उपमान कील का योग बात क िलए शरारती बचच का उपमान

किवताndash

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बात सीधी थी पर

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन १ - भाषा क चककर म बात कस फस जाती ह

उततर -आडबरपणर भाषा का योग करन स बात का अथर समझना किठन हो जाता ह

शन२ - भाषा को अथर की पिरणित तक पहचान क िलए किव कया कया यास करत ह

उततर - भाषा को अथर की पिरणित तक पहचान क िलए किव उस नाना कार क अलकरणो स

सजाता ह कई कार क भाषा और अलकार सबधी योग करता ह

शन३- भाषा म पच कसना कया ह

उततर -भाषा को चामतकािरक बनान क िलए िविभनन योग करना भाषा म पच कसना ह

परत इसस भाषा का पच जयादा कस जाता ह अथारत कथय एव शबदो म कोई तालमल नही बठता बात समझ म ही नही आती

शन४- किव िकस चमतकार क बल पर वाहवाही की उममीद करता ह

उततर -किव शबदो क चामतकािरक योग क बल पर वाहवाही की उममीद करता ह

शन५-बात एव शरारती बचच का िबब ःपषट कीिजए

उततर -िजस कार एक शरारती बचचा िकसी की पकड़ म नही आता उसी कार एक उलझा दी गई बात तमाम कोिशशो क बावजद समझन क योगय नही रह जाती चाह उसक िलए िकतन यास िकए जाएवह एक शरारती बचच की तरह हाथो स िफसल जाती ह

४ कमर म बद अपािहज

रघवीर सहाय

अथर-महण-सबधी शन

हम दरदशरन पर बोलग

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हम समथर शिकतवान

हम एक दबरल को लाएग

एक बद कमर म

उसस पछ ग तो आप कया अपािहज ह

तो आप कयो अपािहज ह

शन १- Ocircहम दरदशरन पर बोलग हम समथर शिकतवानOtilde-का िनिहत अथर ःपषट कीिजए |

उततर - इन पिकतयो म अह की धविनत अिभवयिकत ह sbquo पऽकािरता का बढ़ता वचरःव दशारया गया ह

शन२- हम एक दबरल को लाएगndash पिकत का वयगयाथर ःपषट कीिजए |

उततर - पऽकािरता क कषऽ म करणा का खोखला दशरन एक पिरपाटी बन गई ह|

शन३- आप कया अपािहज ह

तो आप कयो अपािहज ह पिकत दवारा किव िकस िविशषट अथर की अिभवयिकत करन म सफल हआ ह

उततर - पऽकािरता म वयावसाियकता क चलत सवदनहीनता बढ़ती जा रही ह | यहा अपिकषत उततर ापत करन का अधयर वयकत हआ ह

सौदयर-बोध-महण सबधी अनय शन

शन १- इन पिकतयो का लाकषिणक अथर ःपषट कीिजए |

िफर हम परद पर िदखलाएग

फली हई ऑख की एक बड़ी तःवीर

बहत बड़ी तःवीर

और उसक होठो पर एक कसमसाहट भी

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उततर- - लाकषिणक अथर - दय माधयम का योग कलातमक कावयातमक साकितक ःतित का माऽ िदखावा

कमरा बस करो

नही हआ

रहन दो

लाकषिणक अथर - वयावसाियक उददय परा न होन की खीझ

परद पर वकत की कीमत ह ndash

लाकषिणक अथर -- सऽ वाकय sbquoबर वयावसाियक उददय का उदघाटन

शन२ - रघवीर सहाय की कावय कला की िवशषताए िलिखए |

उततर - रघवीर सहाय की कावय कला की िवशषताएिनमनिलिखत ह -

bull कहानीपन और नाटकीयता

bull बोलचाल की भाषा क शबदःndash बनान क वाःतsbquo सग रलान ह bull साकितकताndash परद पर वकत की कीमत ह bull िबब ndashफली हई आख की एक बड़ी तःवीर

कमर म बद अपािहज

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- दरदशरन पर एक अपािहज का साकषातकार िकस उददय स िदखाया जाता ह

उततर -दरदशरन पर एक अपािहज का साकषातकारsbquo वयावसाियक उददयो को परा करन क िलए िदखाया जाता ह

शन२- अध को अधा कहना िकस मानिसकता का पिरचायक ह

उततर -अध को अधा कहनाsbquo बर और सवदनाशनय मानिसकता का पिरचायक ह

शन३ -किवता म यह मनोवित िकस कार उदघािटत हई ह

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उततर - दरदशरन पर एक अपािहज वयिकत को दशरन की वःत मान कर उसक मन की पीड़ा को करदा जाता हsbquo साकषातकारकतरता को उसक िनजी सखदख स कछ लनादना नही होता ह

शन४ -lsquoहम समथर शिकतवान एव हम एक दबरल को लाएगrsquo म िनिहताथर ःपषट कीिजए

उततर -साकषातकारकतार ःवय को पणर मान करsbquo एक अपािहज वयिकत को दबरल समझन का अहकार पाल हए ह

शन५- अपािहज की शबदहीन पीड़ा को मीिडयाकमीर िकस कार अिभवयकत कराना चाहता ह

उततर -मीिडयाकमीर अपािहज की लाल सजी हई ऑखो कोsbquo पीड़ा की साकितक अिभवयिकत क रप म ःतत करना चाहता ह

शन६-कयामीिडयाकमीर सफल होता हsbquo यिद नही तो कयो

उततर -मीिडयाकमीर सफल नही होता कयो िक सारण समय समापत हो जाता ह और सारण समय क बाद यिद अपािहज वयिकत रो भी दता तो उसस मीिडयाकमीर का वयावसाियक उददय परा नही हो सकता था उसिलए अब उस अपािहज वयिकत क आसओ म कोई िदलचःपी नही थी

शन७- नाटकीय किवता की अितम पिरणित िकस रप म होती ह

उततर -बार बार यास करन पर भी मीिडयाकमीरsbquo अपािहज वयिकत को रोता हआ नही िदखा पातावह खीझ जाता ह और िखिसयानी मःकराहट क साथ कायरबम समापत कर दता ह |Otildeसामािजक उददय स यकत कायरबमOtildeशबदो म वयगय ह कयोिक मीिडया क छदम वयावसाियक उददय की पितर नही हो पाती |

शन८ -lsquoपरद पर वकत की कीमत हrsquo म िनिहत सकताथर को ःपषट कीिजए

उततर -सारण समय म रोचक साममी परोस पाना ही मीिडया किमरयो का एकमाऽ उददय होता हअनयथा उनक सामािजक सरोकार माऽ एक िदखावा ह

5 सहषर ःवीकारा ह

गजानन माधव मिकतबोध

सार

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bull किवता म जीवन क सखndash दखsbquo सघषरndash अवसादsbquo उठाndash पटक को समान रप स ःवीकार करन की बात कही गई ह

bull ःनह की गाढ़ता अपनी चरम सीमा पर पहच कर िवयोग की कलपना माऽ स ऽःत हो उठती ह

bull मालबन अथारत ियजन पर यह भावपणर िनभररताsbquo किव क मन म िवःमित की चाह उतपनन करती हवह अपन िय को पणरतया भल जाना चाहता ह |

bull वःततः िवःमित की चाह भी ःमित का ही रप ह यह िवःमित भी ःमितयो क धधलक स अछती नही हिय की याद िकसी न िकसी रप म बनी ही रहती ह|

bull परत किव दोनो ही पिरिःथितयो को उस परम सतता की परछाई मानता हइस पिरिःथित को खशी ETHखशी ःवीकार करता ह |दःख-सख सघषर ETHअवसाद उठा ETHपटक िमलन-िबछोह को समान भाव स ःवीकार करता ह|िय क सामन न होन पर भी उसक आस-पास होन का अहसास बना रहता ह|

bull भावना की ःमित िवचार बनकर िवशव की गितथया सलझान म मदद करती ह| ःनह म थोड़ी िनःसगता भी जररी ह |अित िकसी चीज की अचछी नही |OtildeवहOtilde यहा कोई भी हो सकता ह िदवगत मा िय या अनय |कबीर क राम की तरह वडसरवथर की मातमना कित की तरह यह म सवरवयापी होना चाहता ह |

मःकाता चाद जयो धरती पर रात भर मझ पर तयो तमहारा ही िखलता वह चहरा ह

bull छायावाद क वतरक साद की लखनी स यह ःवर इस कार धविनत हआ ह ndash

दख की िपछली रजनी बीच िवकसता सख का नवल भात एक परदा यह झीना नील िछपाए ह िजसम सख गात यह किवता Ocircनई किवताOtilde म वयकत रागातमकता को आधयाितमकता क ःतर पर ःतत करती ह

अथरमहण-सबधी शन

िज़दगी म जो कछ भी ह

सहषर ःवीकारा ह इसिलए िक जो कछ भी मरा ह

वह तमह पयारा ह|

44

गरबीली गरीबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव िवचार सब

दढ़ता यहभीतर की सिरता यह अिभनव सब

मौिलक ह मौिलक ह

इसिलए िक पल-पल म जो कछ भी जामत ह अपलक ह-

सवदन तमहारा ह शन १- किव और किवता का नाम िलिखए|

उततर- किव- गजानन माधव मिकतबोध

किवताndash सहषर ःवीकारा ह

शन२- गरबीली गरीबीभीतर की सिरता आिद योगो का अथर ःपषट कीिजए |

उततर -गरबीली गरीबीndash िनधरनता का ःवािभमानी रप किव क िवचारो की मौिलकता अनभवो की गहराई दढ़ता हदय का म उसक गवर करन का कारण ह |

शन३ - किव अपन िय को िकस बात का ौय द रहा ह

उततर- िनजी जीवन क म का सबल किव को िवशव वयापी म स जड़न की रणा दता ह |अत किव इसका ौय अपन िय को दता ह |

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सौदयर-बोध-महण सबधी शन

जान कया िरता ह जान कया नाता ह

िजतना भी उडलता ह भर ETHभर िफर आता ह

िदल म कया झरना ह

मीठ पानी का सोता ह

भीतर वह ऊपर तम

मःकाता चाद जयो धरती पर रात- भर

मझ पर तयो तमहारा ही िखलता वह चहरा ह |

शन१- किवता की भाषा सबधी दो िवशषताए िलिखए |

उततर- १-सटीक तीको

२- नय उपमानो का योग

शन२ - िदल म कया झरना ह

मीठ पानी का सोता ह - -क लाकषिणक अथर को ःपषट कीिजए |

उततर - िदल म कया झरना ह-हदय क अथाह म का पिरचायक

मीठ पानी का सोता ह -अिवरल कभी समापत होन वाला म

शन३- किवता म यकत िबब का उदाहरण िलिखए |

दय िबबndash मःकाता चाद जयो धरती पर रात भर मझ पर तमहारा ही िखलता वह चहरा

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5 सहषर ःवीकारा ह

गजानन माधव मिकतबोध

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१-किव न िकस सहषर ःवीकारा ह

उततर- bull किवता म जीवन क सखndash दखsbquo सघषरndash अवसादsbquo उठाndash पटक को समान रप स ःवीकार

करन की बात कही गई ह bull िय स िबछड़ कर भी उसकी ःमितयो को वयापक ःतर पर ल जाकर िवशव चतना म

िमला दन की बात कही गई ह | शन२- किव को अपन अनभव िविशषट एव मौिलक कयो लगत ह

उततर- किव को अपनी ःवािभमानयकत गरीबी जीवन क गमभीर अनभव िवचारो का वभव वयिकततव की दढ़ता मन की भावनाओ की नदी यह सब नए रप म मौिलक लगत ह कयो िक उसक जीवन म जो कछ भी घटता ह वह जामत ह िवशव उपयोगी ह अत उसकी उपलिबध ह और वह उसकी िया की रणा स ही सभव हआ ह उसक जीवन का तयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई िदशा ही दता रहा ह |

शन३- ldquoिदल का झरनाrdquo का साकितक अथर ःपषट कीिजए

उततर-िजस कार झरन म चारो ओर की पहािड़यो स पानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कभी खतम न होन वाल ॐोत क रप म योग िकया जा सकता ह उसी कार किव क िदल म िःथत म उमड़ता ह कभी समापत नही होता जीवन का िसचन करता ह| वयिकतगत ःवाथर स दर पर समाज क िलए जीवनदायी हो जाता ह |

शन४- lsquoिजतना भी उड़लता ह भर-भर िफर आता ह का िवरोधाभास ःपषट कीिजए

उततर-हदय म िःथत म की िवशषता यह ह िक िजतना अिधक वयकत िकया जाए उतना ही बढ़ता जाता ह

शन५- वह रमणीय उजाला कया ह िजस किव सहन नही कर पाता

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उततर-किव न ियतमा की आभा सम क सखद भावो स सदव िघर रहन की िःथित को उजाल क रप म िचिऽत िकया ह इन ःमितयो स िघर रहना आनददायी होत हए भी किव क िलए असहनीय हो गया ह कयोिक इस आनद स विचत हो जान का भय भी उस सदव सताता रहता ह

6 उषा

शमशर बहादर िसह

सार

उषा किवता म सयोरदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणरन िकया गया ह सयोरदय क पवर ातःकालीन आकाश नील शख की तरह बहत नीला होता ह भोरकालीन नभ की तलना काली िसल स की गयी ह िजस अभी-अभी कसर पीसकर धो िदया गया ह कभी किव को वह राख स लीप चौक क समान लगता ह जो अभी गीला पड़ा ह नील गगन म सयर की पहली िकरण ऐसी िदखाई दती ह मानो कोई सदरी नील जल म नहा रही हो और उसका गोरा शरीर जल की लहरो क साथ िझलिमला रहा हो

ातकालीन पिरवतरनशील सौदयर का दय िबब ाकितक पिरवतरनो को मानवीय िबयाकलापो क माधयम स वयकत िकया गया ह यथाथर जीवन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली िसलनीला शख ःलटलाल खिड़या चाक आिद का योग साद की कित ndashबीती िवभावरी जाग री स तलना की जा सकती ह

किवताndash उषा

अथर-महण-सबधी शन

ात नभ था बहत नीला शख जस

भोर का नभ

राख स लीपा चौका

(अभी गीला पड़ा ह ) बहत काली िसल ज़रा स लाल कसर

स िक जस धल गई हो ःलट पर या लाल खिड़या चाक

मल दी हो िकसी न

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नील जल म या िकसी की

गौर िझलिमल दह

जस िहल रही हो | और

जाद टटता ह इस उषा का अब

सयोरदय हो रहा ह|

शन१ -उषा किवता म सयोरदय क िकस रप को िचिऽत िकया गया ह

उततर -किव न ातःकालीन पिरवतरनशील सौदयर का दय िबब मानवीय िबयाकलापो क माधयम स वयकत िकया ह

शन२ -भोर क नभ और राख स लीप गए चौक म कया समानता ह

उततर -भोर क नभ और राख स लीप गए चौक म यह समानता ह िक दोनो ही गहर सलटी रग क हपिवऽ ह नमी स यकत ह

शन३ - ःलट पर लाल पिकत का अथर ःपषट कीिजए|

उततर - भोर का नभ लािलमा स यकत ःयाही िलए हए होता ह | अत लाल खिड़या चाक स मली गई ःलट जसा तीत होता ह |

शन४- उषा का जाद िकस कहा गया ह

उततर िविवध रप रग बदलती सबह वयिकत पर जादई भाव डालत हए उस मऽ मगध कर दती ह |

सौदयर-बोध-सबधी िवशषताए

शन१- किवता म यकत उपमानो को ःपषट कीिजए

bull भोर का नभ राख स लीपा चौका दोनो ही गहर सलटी रग क हपिवऽ हनमी स यकत ह

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bull काली िसल भोर का नभ और लालकसर स धली काली िसल दोनो ही लािलमा स यकत ह

bull काली िसलट जो लाल खिड़या चाक स मल दी गई हो और भोर का नभ दोनो ही लािलमा स यकत ह

bull ातः काल क ःवचछ िनमरल आकाश म सयर ऐसा तीत होता ह मानो नीलजल म कोई ःविणरम दह नहा रही हो

शन२- किवता की भाषा एव अिभवयिकत सबधी िवशषताए िलिखए

उततर -१ यथाथर जीवन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दयिबब

शन ३ किवता म आए अलकारो को छॉटकर िलिखए

उततर - उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लीपा चौका

उतकषा अलकार-

ldquo बहत काली िसल जरा स लाल कसर स िक जस धल गई हो

नील जल म या िकसी की

गौर िझलिमल दह

जस िहल रही हो ldquo

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- किवता क िकन उपमानो को दख कर कहा जा सकता ह िक उषा गाव की सबह का गितशील शबद िचऽ ह

उततर -किवता म नील नभ को राख स िलप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर िबब म उसकी तलना काली िसल स की गई ह| तीसर म ःलट पर लाल खिड़या चाक का उपमान ह|लीपा हआ आगन काली िसल या ःलट गाव क पिरवश स ही िलए गए ह |ात कालीन सौदयर बमश िवकिसत होता ह | सवर थम राख स लीपा चौका जो गीली राख क कारण गहर ःलटी रग का अहसास दता ह और पौ फटन क समय आकाश क गहर ःलटी रग स मल खाता

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ह |उसक पशचात तिनक लािलमा क िमौण स काली िसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ह तथा सयर की लािलमा क रात की काली ःयाही म घल जान का सदर िबब ःतत करता ह | धीर ETHधीर लािलमा भी समापत हो जाती ह और सबह का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर की ःविणरम आभा गौरवणीर दह क नील जल म नहा कर िनकलन की उपमा को साथरक िसदध करती ह | शन२ -

भोर का नभ

राख स लीपा चौका

(अभी गीला पड़ा ह ) नयी किवता म कोषठक िवराम िचहनो और पिकतयो क बीच का ःथान भी किवता को अथर दता ह |उपयरकत पिकतयो म कोषठक स किवता म कया िवशष अथर पदा हआ ह समझाइए |

उततर - नई किवता योग धमीर ह |इसम भाषा- िशलप क ःतर पर हर नए योग स अथर की अिभवयिकत की जाती ह|ाय कोषठक अितिरकत जञान की सचना दता ह|यहा अभी गीला पड़ा ह क माधयम स किव गीलपन की ताजगी को ःपषट कर रहा ह |ताजा गीलापन ःलटी रग को अिधक गहरा बना दता ह जबिक सखन क बाद राख हलक ःलटी रग की हो जाती ह|

7 बादल राग

सयरकात िऽपाठी िनराला

िनराला की यह किवता अनािमका म छह खडो म कािशत हयहा उसका छठा खड िलया गया ह|आम आदमी क दःख स ऽःत किव पिरवतरन क िलए बाित रपी बादल का आहवान करता ह |इस किवता म बादल बाित या िवपलव का तीक ह किव िवपलव क बादल को सबोिधत करत हए कहता ह िक जन मन की आकाकषाओ स भरी-तरी नाव समीर रपी सागर पर तर रही ह अिःथर सख पर दःख की छाया तरती िदखाई दती ह ससार क लोगो क हदय दगध ह(दःखी) उन पर िनदरयी िवपलव अथारत बाित की माया फली हई ह बादलो क गजरन स पथवी क गभर म सोए अकर बाहर िनकल आत ह अथारत शोिषत वगर सावधान हो जाता ह और आशा भरी दिषट स बाित की ओर दखन लगता ह उनकी आशा बाित पर ही िटकी ह बादलो की गजरना और मसलाधार वषार म बड़ -बड़ पवरत वकष घबरा जात हउनको उखड़कर िगर जान का भय होता ह |बाित की हकार स पजीपित घबरा उठत ह व िदल थाम कर रह जात ह बाित को तो छोट-

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छोट लोग बलात ह िजस कार छोट छोट पौध हाथ िहलाकर-बादलो क आगमन का ःवागत करत ह वस ही शोिषत वगर बाित क आगमन का ःवागत करता ह

छायावादी किव िनराला सामयवादी भाव स भी जड़ हमकत छद िहनदी को उनही की दन हशोिषत वगर की समःयाओ को समापत करन क िलए बाित रपी बादल का आहवान िकया गया ह

अथर-महण-सबधी शन

किवताndash

बादल राग

ितरती ह समीर-सागर पर

अिःथर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

िनदरय िवपलव की पलािवत माया-

यह तरी रण-तरी

भरी आकाकषाओ स

घन भरी ETHगजरन स सजग सपत अकर

उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन की ऊचा कर िसर

ताक रह ह ऐ िवपलव क बादल

िफर ETHिफर

बार ETHबार गजरन

वषरण ह मसलधार

हदय थाम लता ससार

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सन- सन घोर वळ हकार |

अशिन पात स शाियत शत-शत वीर

कषत ETHिवकषत हत अचल शरीर

गगन- ःपशीर ःपदधार धीर |

शन१- किवता म बादल िकस का तीक हऔर कयो

उततर -बादलराग बाित का तीक ह इन दोनो क आगमन क उपरात िवशव हरा- भरा समदध और ःवःथ हो जाता ह

शन २ -सख को अिःथर कयो कहा गया ह

उततर -सख सदव बना नही रहता अतः उस अिःथर कहा जाता ह

शन३ -िवपलवी बादल की यदध रपी नौका की कया- कया िवशषताए ह

उततर -बादलो क अदर आम आदमी की इचछाए भरी हई हिजस तरह स यदरध नौका म यदध की साममी भरी होती हयदध की तरह बादल क आगमन पर रणभरी बजती ह सामानयजन की आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह

शन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन िवनाश की आशका स भयभीत हो उठता ह

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सौदयर-बोध-सबधी शन

हसत ह छोट पौध लघभार-

शःय अपार

िहल िहल

िखल िखल

हाथ िहलात

तझ बलात

िवपलव रव स छोट ही ह शोभा पात|

शन १- िनमन िलिखत तीको को ःपषट कीिजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोिषत वगर सपत अकर- आशाए

शन२- Ocircहसत ह छोट पौधOtilde-का तीकाथर ःपषट कीिजए |

उततर -सनन िचतत िनधरन वगर जो बाित की सभावना माऽ स िखल उठता ह

शन३-Ocircछोट ही ह शोभा पातOtilde म िनिहत लाकषिणकता कया ह

उततर-बचपन म मनय िनिशचत होता ह िनधरन मनय उस बचच क समान ह जो बाित क समय भी िनभरय होता ह और अतत लाभािनवत होता ह

किवताndash

बादल राग

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- पजीपितयो की अटटािलकाओ को आतक भवन कयो कहा गया ह

उततर -बादलो की गजरना और मसलाधार वषार म बड़ -बड़ पवरत वकष घबरा जात हउनको उखड़कर िगर जान का भय होता ह |उसी कार बाित की हकार स पजीपित घबरा उठत ह व

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िदल थाम कर रह जात हउनह अपनी सपितत एव सतता क िछन जान का भय होता ह | उनकी अटटािलकाए मजबती का म उतपनन करती ह पर वाःतव म व अपन भवनो म आतिकत होकर रहत ह|

शन२- किव न िकसान का जो शबद-िचऽ िदया ह उस अपन शबदो म िलिखए |

उततर - िकसान क जीवन का रस शोषको न चस िलया ह आशा और उतसाह की सजीवनी समापत हो चकी ह |शरीर स भी वह दबरल एव खोखला हो चका ह | बाित का िबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ह |वह िखलिखला कर बादल रपी बाित का ःवागत करता ह |

शन३- अशिन पात कया ह

उततर- बादल की गजरना क साथ िबजली िगरन स बड़ ETHबड़ वकष जल कर राख हो जात ह | उसी कार बाित की आधी आन स शोषक धनी वगर की सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह |

शन४- पथवी म सोय अकर िकस आशा स ताक रह ह

उततर - बादल क बरसन स बीज अकिरत हो लहलहान लगत ह | अत बादल की गजरन उनम आशाए उतपनन करती ह | व िसर ऊचा कर बादल क आन की राह िनहारत ह | ठीक उसी कार िनधरन वयिकत शोषक क अतयाचार स मिकत पान और अपन जीवन की खशहाली की आशा म बाित रपी बादल की तीकषा करत ह |

शन५- रदध कोष ह कषबदध तोष ETHिकसक िलए कहा गया ह और कयो

उततर - बाित होन पर पजीपित वगर का धन िछन जाता हकोष िरकत हो जाता ह | उसक धन की आमद समापत हो जाती ह | उसका सतोष भी अब Ocircबीत िदनो की बातOtilde हो जाता ह |

शन६- अिःथर सख पर दःख की छाया का भाव ःपषट कीिजए |

उततर - मानव-जीवन म सख सदा बना नही रहता ह उस पर दःख की छाया सदा मडराती रहती ह |

शन७- बादल िकस का तीक ह

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उततर - बादल इस किवता म बाित का तीक ह | िजस कार बादल कित िकसान और आम आदमी क जीवन म आनद का उपहार ल कर आता ह उसी कार बाित िनधरन शोिषत वगर क जीवन म समानता का अिधकार व सपननता ल कर आता ह

शन८- बादल को जीवन का पारावार कयो कहा गया ह

उततर - बाित रपी बादल का आगमन जीवनदायी सखद होता ह -पारावार अथारत सागर | वह जीवन म खिशयो का खजाना लकर आता ह | िनधरन वगर को समानता का अिधकार दता ह |सख समिदध का कारक बनकर अतयाचार की अिगन स मकत करता ह |

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8 किवतावली

तलसीदास

सार

ौीरामजी को समिपरत मनथ ौीरामचिरतमानस उततर भारत म बड़ भिकतभाव स पढ़ा जाता ह लआमण -मचछार और राम का िवलाप

रावण पऽ मघनाद दवारा शिकत बाण स मिछरत हए लआमण को दखकर राम वयाकल हो जात हसषण वदय न सजीवनी बटी लान क िलए हनमान को िहमालय पवरत पर भजाआधी रात वयतीत होन पर जब हनमान नही आएतब राम न अपन छोटभाई लआमण को उठाकर हदय स लगा िलया और साधारण मनय की भाित िवलाप करन लगराम बोल ह भाई तम मझ कभी दखी नही दख सकत थतमहारा ःवभाव सदा स ही कोमल थातमन मर िलए माता िपता को भी छोड़ िदया और मर साथ वन म सदीरगमीर और िविभनन कार की िवपरीत पिरिःथितयो को भी सहा|जस पख िबना पकषीमिण िबना सपर और सड िबना ौषठ हाथी अतयत दीन हो जात हह भाईयिद म जीिवत रहता ह तो मरी दशा भी वसी ही हो जाएगी

म अपनी पतनी क िलए अपन िय भाई को खोकर कौन सा मह लकर अयोधया जाऊगाइस बदनामी को भल ही सह लता िक राम कायर ह और अपनी पतनी को खो बठा सतरी की हािन िवशष कषित नही हपरनत भाई को खोना अपरणीय कषित ह

lsquoरामचिरतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गही लआमण को शिकत बाण लगन का सग किव की मािमरक ःथलो की पहचान का एक ौषठ नमना ह भाई क शोक म िवगिलत राम का िवलाप धीर -धीर लाप म बदल जाता ह िजसम लआमण क ित राम क अतर म िछप म क कई कोण सहसा अनावत हो जात हयह सग ईशवर राम म मानव सलभ गणो का समनवय कर दता ह | हनमान का सजीवनी लकर आ जाना करण रस म वीर रस का उदय हो जान क समान ह|

िवनय पिऽका एक अनय महततवपणर तलसीदासकत कावय ह

किवतत और सवया

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सार

इस शीषरक क अतगरत दो किवतत और एक सवया सकिलत ह lsquoकिवतावलीrsquo स अवतिरत इन किवततो म किव तलसी का िविवध िवषमताओ स मःत किलकालतलसी का यगीन यथाथर ह

िजसम व कपाल भ राम व रामराजय का ःवपन रचत ह यग और उसम अपन जीवन का न िसफर उनह गहरा बोध ह बिलक उसकी अिभवयिकत म भी व अपन समकालीन किवयो स आग ह यहा पाठ म ःतत lsquoकिवतावलीrsquo क छद इसक माण -ःवरप ह पहल छद rdquoिकसवी िकसान ldquo म उनहोन िदखलाया ह िक ससार क अचछ बर समःत-लीला पचो का आधार-lsquoपट की आगrsquoका गहन यथाथर ह िजसका समाधान व राम की भिकत म दखत ह दिरिजन की वयथा दर करन क िलए राम रपी घनयाम का आहवान िकया गया ह पट की आग बझान क िलए राम रपी वषार का जल अिनवायर हइसक िलए अनितक कायर करन की आवयकता नही हOcirc इस कार उनकी राम भिकत पट की आग बझान वाली यानी जीवन क यथाथर सकटो का समाधान करन वाली ह न िक कवल आधयाितमक मिकत दन वाली| गरीबी की पीड़ा रावण क समान दखदायी हो गई ह

तीसर छद )rdquoधत कहौldquo) म भिकत की गहनता और सघनता म उपज भकतहदय क आतमिवशवास का सजीव िचऽण ह िजसस समाज म वयापत जातपात और दरामहो क ितरःकार का साहस -पदा होता ह इस कार भिकत की रचनातमक भिमका का सकत यहा ह जो आज क भदभाव मलक यग म अिधक ासिगक ह |

अथर-महण-सबधी शन

उहा राम लिछमनिह िनहारी बोल बचन मनज अनसारी

अधर राित गइ किप निह आयउ राम उठाइ अनज उर लायउ

सकह न दिखत दिख मोिह काऊ बध सदा तव मदल सभाऊ

मम िहत लािग तजह िपत माता सहह िबिपन िहम आतप बाता

सो अनराग कहा अब भाई उठह न सिन मम बच िबकलाई

जौ जनतउ बन बध िबछोह िपता बचन मनतउ निह ओह

सत िबत नािर भवन पिरवारा होिह जािह जग बारिह बारा

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अस िबचािर िजय जागह ताता िमलइ न जगत सहोदर ाता

जथा पख िबन खग अित दीना मिन िबन फिन किरबर कर हीना

अस मम िजवन बध िबन तोही जौ जड़ दव िजआव मोही

जहउ अवध कवन मह लाई नािर हत िय भाइ गवाई

बर अपजस सहतउ जग माही नािर हािन िबसष छित नाही

अब अपलोक सोक सत तोरा सिहिह िनठर कठोर उर मोरा

िनज जननी क एक कमारा तात तास तमह ान अधारा

सौपिस मोिह तमहिह गिह पानी सब िबिध सखद परम िहत जानी

उतर काह दहउ तिह जाई उिठ िकन मोिह िसखावह भाई

शन१-Ocircबोल बचन मनज अनसारीOtilde- का तातपयर कया ह

उततर - भाई क शोक म िवगिलत राम का िवलाप धीर- -धीर लाप म बदल जाता ह िजसम लआमण क ित राम क अतर म िछप म क कई कोण सहसा अनावत हो जात ह यह सग ईशवर राम म मानव सलभ गणो का समनवय कर दता ह| व मनय की भाित िवचिलत हो कर ऐस वचन कहत ह जो मानवीय कित को ही शोभा दत ह |

शन२- राम न लआमण क िकन गणो का वणरन िकया ह

उततर -राम न लआमण क इन गणो का वणरन िकया ह-

bull लआमण राम स बहत ःनह करत ह | bull उनहोन भाई क िलए अपन माता ETHिपता का भी तयाग कर िदया | bull व वन म वषार िहम धप आिद कषटो को सहन कर रह ह | bull उनका ःवभाव बहत मदल ह |व भाई क दःख को नही दख सकत |

शन३- राम क अनसार कौन सी वःतओ की हािन बड़ी हािन नही ह और कयो

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उततर -राम क अनसार धन पऽ एव नारी की हािन बड़ी हािन नही ह कयोिक य सब खो जान पर पन ापत िकय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन ापत नही िकया जा सकता |

शन४- पख क िबना पकषी और सड क िबना हाथी की कया दशा होती ह कावय सग म इनका उललख कयो िकया गया ह

उततर - राम िवलाप करत हए अपनी भावी िःथित का वणरन कर रह ह िक जस पख क िबना पकषी और सड क िबना हाथी पीिड़त हो जाता ह उनका अिःततव नगणय हो जाता ह वसा ही असहनीय कषट राम को लआमण क न होन स होगा |

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सौदयर-बोध-सबधी शन

शन१- कावयाश की भाषा सौदयर सबधी दो िवशषताओ का उलललख कीिजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतकषा अलकारndash

मन करणा मह बीर रस

जागा िनिसचर दिखअ कसामानह काल दह धिर बसा

दषटात अलकार - जथा पख िबन खग अित दीनामिन िबन फिन किरबर कर हीना

अस मन िजवन बध िबन तोहीजो जड़ दव िजआव मोही

िवरोधाभास अलकार -बहिबिध सोचत सोच िबमोचन

शन२- कावयाश की भाषा का नाम िलिखए |

उततर - अवधी भाषा

शन३- कावयाश म यकत छद कौन ETHसा ह

उततर- १६१६ माऽाओ का सम मािऽक चौपाई छद |

सौदयर-बोध-सबधी शन

िकसबी िकसान-कल बिनक िभखारी भाट चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गढ़त चढ़त िगिर अटत गहन ETHगन अहन अखटकी|

ऊच ETHनीच करम धरम ETHअधरम किर पट ही को पचत बचत बटा ETHबटकी |

OcircतलसीOtilde बझाई एक राम घनःयाम ही त आिग बड़वािगत बड़ी ह आिग पटकी|

61

शन१- किवतावली िकस भाषा म िलखी गई ह

उततर - ज भाषा

शन२- किवतावली म यकत छद एव रस को ःपषट कीिजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणोर का चार चरणो वाला समविणरक किवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वणोर पर िवराम होता ह

शन३- किवतत म यकत अलकारो को छाट कर िलिखए

१ अनास अलकारndash

िकसबी िकसान-कल बिनक िभखारी भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनयाम

३ अितशयोिकत अलकारndash आिग बड़वािग त बिड़ ह आग पट की

लआमण- मचछार और राम का िवलाप

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन १-Ocircतव ताप उर रािख भ म िकसक ताप का उललख िकया गया हOtildeऔर कयो

उततर -इन पिकतयो म भरत क ताप का उललख िकया गया ह हनमानजी उनक ताप का ःमरण करत हए अयोधया क ऊपर स उड़त हए सजीवनी ल कर लका की ओर चल जा रह ह

शन२- राम िवलाप म लआमण की कौन सी िवशषताए उदघिटत हई ह

उततर -लआमण का ात म तयागमय जीवन इन पिकतयो क माधयम स उदघािटत हआ ह

शन३- बोल वचन मनज अनसारी स किव का कया तातपयर ह

उततर -भगवान राम एक साधारण मनय की तरह िवलाप कर रह ह िकसी अवतारी मनय की तरह नही ात म का िचऽण िकया गया हतलसीदास की मानवीय भावो पर सशकत पकड़ हदवीय वयिकततव का लीला रप ईशवर राम को मानवीय भावो स समिनवत कर दता ह

62

शन४- भाई क ित राम क म की गाढ़ता उनक िकन िवचारो स वयकत हई ह

उततर - जथा पख िबन खग अित दीना

मिन िबन फिन किरबर कर हीना

अस मम िजवन बध िबन तोही

जो जड़ दव िजआव मोही

शन५- Ocircबहिविध सोचत सोचिवमोचनOtilde का िवरोधाभास ःपषट कीिजए

उततर -दीनजन को शोक स मकत करन वाल भगवान राम ःवय बहत कार स सोच म पड़कर दखी हो रह ह

शन६- हनमान का आगमन करणा म वीर रस का आना िकस कार कहा जा सकता ह

उततर -रदन करत वानर समाज म हनमान उतसाह का सचार करन वाल वीर रस क रप म आ गए करणा की नदी हनमान दवारा सजीवनी ल आन पर मगलमयी हो उठती ह

किवतत और सवया

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- पट की भख शात करन क िलए लोग कया कया करत ह

उततर -पट की आग बझान क िलए लोग अनितक कायर करत ह

शन२- तलसीदास की दिषट म सासािरक दखो स िनवितत का सवोरततम उपाय कया ह

उततर - पट की आग बझान क िलए राम कपा रपी वषार का जल अिनवायर हइसक िलए अनितक कायर करन की आवयकता नही ह

शन३- तलसी क यग की समःयाओ का िचऽण कीिजए

उततर - तलसी क यग म ाकितक और शासिनक वषमय क चलत उतपनन पीडा दिरिजन क िलए रावण क समान दखदायी हो गई ह

शन४- तलसीदास की भिकत का कौन सा ःवरप ःतत किवततो म अिभवयकत हआ ह

63

उततर - तलसीदास की भिकत का दाःय भाव ःवरप ःतत किवततो म अिभवयकत हआ ह

9 रबाइया

िफ़राक गोरखपरी

मल नामndash रघपित सहाय िफ़राक

उदर शायरी की िरवायत क िवपरीत िफराक गोरखपरी क सािहतय म लोक जीवन एव कित की झलक िमलती ह सामािजक सवदना वयिकतक अनभित बन कर उनकी रचनाओ म वयकत हई हजीवन का कठोर यथाथर उनकी रचनाओ म ःथान पाता हउनहोन लोक भाषा क तीको का योग िकया ह लाकषिणक योग उनकी भाषा की िवशषता हिफ़राक की रबाईयो म घरल िहदी का रप िदखता ह |

रबाई उदर और फ़ारसी का एक छद या लखन शली ह िजसम चार पिकतया होती ह |इसकी पहली दसरी और चौथी पिकत म तक (कािफ़या)िमलाया जाता ह तथा तीसरी पिकत ःवचछद होती ह |

वो रपवती मखड़ प इक नमर दमक

बचच क घरोद म जलाती ह िदए

रकषाबधन की सबह रस की पतली

िबजली की तरह चमक रह ह लचछ

भाई क ह बाधती चमकती राखी - जस योग उनकी भाषा की सशकतता क नमन क तौर पर दख जा सकत ह |

सार

रबाइया

रकषाबधन एक मीठा बधन ह रकषाबधन क कचच धागो पर िबजली क लचछ ह सावन म रकषाबधन आता ह सावन का जो सबध झीनी घटा स ह घटा का जो सबध िबजली स ह वही सबध भाई का बहन स होता ह

गज़ल

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पाठ म िफराक की एक गज़ल भी शािमल ह रबाइयो की तरह ही िफराक की गजलो म भी िहदी समाज और उदर शायरी की परपरा भरपर ह इसका अदभत नमना ह यह गज़ल यह गज़ल कछ इस तरह बोलती ह िक िजसम ददर भी ह एक शायर की ठसक भी ह और साथ ही ह कावय-िशलप की वह ऊचाई जो गज़ल की िवशषता मानी जाती ह

अथर-महण-सबधी शन

आगन म िलए चाद क टकड़ को खड़ी

हाथो प झलाती ह उस गोद-भरी

रह-रह क हवा म जो लोका दती ह

गज उठती ह िखलिखलात बचच की हसी

शन१- Ocircचाद क टकड़Otildeका योग िकसक िलए हआ ह और कयो

उततर -बचच को चाद का टकड़ा कहा गया ह जो मा क िलए बहत पयारा होता ह

शन२- गोद-भरी योग की िवशषता को ःपषट कीिजए |

उततर - गोद-भरी शबद-योग मा क वातसलयपणर आनिदत उतसाह को कट करता ह |यह अतयत सदर दय िबब ह | सनी गोद क िवपरीत गोद का भरना मा क िलए असीम सौभागय का सचक ह |इसी सौभागय का सआम अहसास मा को तिपत द रहा ह|

शन३- लोका दना िकस कहत ह

उततर - जब मा बचच को बाहो म लकर हवा म उछालती ह इस लोका दना कहत ह|छोट बचचो को यह खल बहत अचछा लगता ह

शन४- बचचा मा की गोद म कसी ितिबया करता ह

उततर - हवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा मा का वातसलय पाकर सनन होता ह और िखलिखला कर हस पड़ता हबचच की िकलकािरया मा क आनद को दगना कर दती ह|

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सौदयर-बोध-सबधी शन

नहला क छलक-छलक िनमरल जल स

उलझ हए गसओ म कघी करक

िकस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटिनयो म लक ह िपनहाती कपड़

शन१- ःतत पिकतयो क भाव सौदयर को ःपषट कीिजए |

उततर - मा न अपन बचच को िनमरल जल स नहलाया उसक उलझ बालो म कघी की |मा क ःपशर एव नहान क आनद स बचचा सनन हो कर बड़ म स मा को िनहारता ह| ितिदन की एक ःवाभािवक िबया स कस मा-बचच का म िवकिसत होता ह और गाढ़ होता चला जाता ह इस भाव को इस रबाई म बड़ी सआमता क साथ ःतत िकया गया ह|

शन२- कावयाश म आए िबबो को ःपषट कीिजए |

उततर -१ नहला क छलक-छलक िनमरल जल स - इस योग दवारा किव न बालक की िनमरलता एव पिवऽता को जल की िनमरलता क माधयम स अिकत िकया ह | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक क शरीर पर छलछलान का सदर दय िबब ःतत करता ह |

२ Ocircघटिनयो म लक ह िपनहाती कपड़Otilde- इस योग म मा की बचच क ित सावधानी चचल बचच को चोट पहचाए िबना उस कपड़ पहनान स मा क माततव की कशलता िबिबतहोती ह |

३ िकस पयार स दखता ह बचचा मह को - पिकत म मा ETHबचच का वातसलय िबिबत हआ ह | मा स पयार ETHदलार ःपशर ETHसख नहलाए जान क आनद को अनभव करत हए बचचा मा को पयार भरी नजरो स दख कर उस सख की अिभवयिकत कर रहा ह |यह सआम भाव अतयत मनोरम बन पड़ा ह |सपणर रबाई म दय िबब ह|

शन ३-कावयाश क शबद-योग पर िटपपणी िलिखए |

उततर -गस ETHउदर शबदो का योग

घटिनयो िपनहाती ETH दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अिभवयिकत

छलक ETHछलक ETHशबद की पनरावितत स अभी ETHअभी नहलाए गए बचच क गील शरीर का िबब

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आिद िवलकषण योग रबाइयो को िविशषट बना दत ह | िहदीउदर और लोकभाषा क अनठ गठबधन की झलक िजस गाधीजी िहदःतानी क रप म पललिवत करना चाहत थदखन को िमलती ह |

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

रबाइया

शन १ -कावय म यकत िबबो का वणरन अपन शबदो म कीिजए

उततर -

bull दय िबब -बचच को गोद म लना हवा म उछालना ःनान कराना घटनो म लकर कपड़ पहनाना|

bull ौवयिबब - बचच का िखलिखला कर हस पड़ना bull ःपशर िबब -बचच को ःनान करात हए ःपशर करना |

शन २- आगन म ठनक रहा ह िज़दयाया ह बालक तो हई चाद प ललचाया हOtilde- म बालक की कौन सी िवशषता अिभवयकत हई ह

उततर - इन पिकतयो म बालक की हठ करन की िवशषता अिभवयकत हई ह बचच जब िजद पर आ जात ह तो अपनी इचछा परी करवान क िलए नाना कार की हरकत िकया करत ह| िज़दयाया शबद लोक भाषा का िवलकषण योग ह इसम बचच का ठनकना तनकना पाव पटकना रोना आिद सभी िबयाए शािमल ह |

शन ३ लचछ िकस कहा गया ह इनका सबध िकस तयौहार स ह

उततर - राखी क चमकील तारो को लचछ कहा गया ह रकषाबधन क कचच धागो पर िबजली क लचछ ह सावन म रकषाबधन आता ह सावन का जो सबध झीनी घटा स ह घटा का जो सबध िबजली स ह वही सबध भाई का बहन स होता ह|सावन म िबजली की चमक की तरह राखी क चमकील धागो की सदरता दखत ही बनती ह|

अथर-महण-सबधी शन

67

गज़ल

िफ़राक गोरखपरी

नौरस गच पखिड़यो की नाज़क िगरह खोल ह

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ह |

शन१- OcircनौरसOtilde िवशषण दवारा किव िकस अथर की वयजना करना चाहता ह

उततर नौरस अथारत नया रस गच अथारत किलयो म नया ETHनया रस भर आया ह |

शन२- पखिड़यो की नाज़क िगरह खोलन का कया अिभाय ह

उततर - रस क भर जान स किलया िवकिसत हो रही ह |धीर-धीर उनकी पखिड़या अपनी बद गाठ खोल रही ह | किव क शबदो म नवरस ही उनकी बद गाठ खोल रहा ह|

शन३- Ocircरगो- ब गलशन म पर तौल हOtilde ETH का अथर ःपषट कीिजए|

उततर -रग और सगध दो पकषी ह जो किलयो म बद ह तथा उड़ जान क िलए अपन पख फड़फड़ा रह ह |यह िःथित किलयो क फल बन जान स पवर की ह जो फल बन जान की तीकषा म ह |Otildeपर तौलनाOtilde एक महावरा ह जो उड़ान की कषमता आकन क िलए योग िकया जाता ह |

शन४- इस शर का भाव-सौदयर वयकत कीिजए|

उततर -किलयो की नई-नई पखिड़या िखलन लगी ह उनम स रस मानो टपकना ही चाहता ह | वयसिध(िकशोरी)नाियका क ःफिटत होत सौदयर का तीकातमक िचऽण अतयत सदर बन पड़ा ह |

सौदयर-बोध-सबधी शन

हम हो या िकःमत हो हमारी दोनो को इक ही काम िमला िकःमत हम को रो लव ह हम िकःमत को रो ल ह| जो मझको बदनाम कर ह काश व इतना सोच सक

मरा पदार खोल ह या अपना पदार खोल ह | शन१- इन शरो की भाषा सबधी िवशषताए ःपषट कीिजए |

उततर- १ महावरो का योग ETHिकःमत का रोना ETHिनराशा का तीक

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२सरल अिभवयिकत भाषा म वाहमयता ह िकःमत और परदा शबदो की पनराविततया

मोहक ह| ३ िहदी का घरल रप

शन२- Ocircमरा परदा खोल ह या अपना परदा खोल ह Ocirc- की भािषक िवशषता िलिखए |

उततर -महावर क योग दवारा वयजनातमक अिभवयिकत | परदा खोलना ETH भद खोलना सचचाई बयान करना|

शन३-Ocircहम हो या िकःमत हो हमारी Ocirc ETHयोग की िवशषता बताइए |

उततर - हम और िकःमत दोनो शबद एक ही वयिकत अथारत िफ़राक क िलए यकत ह | हम और िकःमत म अभद ह यही िवशषता ह |

िफ़राक गोरखपरी

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- तार आख झपकाव ह ETHका तातपयर ःपषट कीिजए |

उततर- रािऽ का सननाटा भी कछ कह रहा हइसिलए तार पलक झपका रह ह िवयोग की िःथित म कित भी सवाद करती तीत होती ह |

शन२- Ocircहम हो या िकःमत हो हमारीOtilde म िकस भाव की अिभवयिकत हई ह

उततर- जीवन की िवडबना िकःमत को रोना-महावर क योग स सटीक अिभवयिकत ापत करती ह किव जीवन स सतषट नही ह | भागय स िशकायत का भाव इन पिकतयो म झलकता ह |

शन३- म क िकस िनयम की अिभवयिकत किव न की ह

उततर -ईशवर की ािपत सवरःव लटा दन पर होती ह म क ससार का भी यही िनयम ह|किव क शबदो म िफ़तरत का कायम ह तवाज़न आलम- हःनो ETHइक म भी

उसको उतना ही पात ह खद को िजतना खो ल ह |

१ भाव ETHसामय- कबीर -Ocircसीस उतार भई धर तब िमिलह करतारOcirc-अथारत -ःवय को खो कर ही म ािपत की जा सकती ह

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२ भाव सामय- कबीर ETHिजन ढढा ितन पाइया गहर पानी पिठ|

म बपरा बडन डरा रहा िकनार बिठ |

शन४- शराब की महिफल म शराबी को दर रात कया बात याद आती ह

उततर - शराब की महिफल म शराबी को दर रात याद आती ह िक आसमान म मनय क पापो का लखा-जोखा होता ह जस आधी रात क समय फिरत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ह वस ही रात क समय शराब पीत हए शायर को महबबा की याद हो आती ह मानो महबबा फिरतो की तरह पाप ःथल क आस पास ही ह

शन५- सदक िफ़राकndashndashndashइन पिकतयो का अथर ःपषट कीिजए |

उततर -सदक िफ़राकndashndashndashइन पिकतयो म िफ़राक कहत ह िक उनकी शायरी म मीर की शायरी की उतकषटता धविनत हो रही ह

शन६- पखिड़यो की नाज़क िगरह खोलना कया ह

उततर -पखिड़यो की नाजक िगरह खोलना उनका धीर -धीर िवकिसत होना ह

वयसिध(िकशोरी)नाियका क ःफिटत होत सौदयर की ओर सकत ह |

शन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल हrsquo भाव ःपषट कीिजए

उततर -किलयो की सवास उड़न क िलए मानो पर तौल रही होअथारत खशब का झोका रहndashरह कर उठता ह

शन८- किव दवारा विणरत रािऽ क दय का वणरन अपन शबदो म कीिजए

उततर - रािऽ का सननाटा भी कछ कह रहा हइसिलए तार पलक झपका रह हलगता ह िक कित का कण-कण कछ कह रहा ह |

शन९- किव अपन वयिकतक अनभव िकन पिकतयो म वयकत कर रहा ह

जीवन की िवडबना-Ocircिकःमत को रोनाOcirc महावर क योग स सटीक अिभवयिकत ापत करती ह

हम हो या िकःमत हो हमारी दोनो को इक ही काम िमला

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िकःमत हम को रो लव ह हम िकःमत को रो ल ह|

शन१०- शायर न दिनया क िकस दःतर का वणरन िकया ह

उततर -शायर न दिनया क इस दःतर का वणरन िकया ह िक लोग दसरो को बदनाम करत ह परत व नही जानत िक इस तरह व अपनी दषट कित को ही उदघािटत करत ह

शन११- म की िफ़तरत किव न िकन शबदो म अिभवयकत की ह

ःवय को खो कर ही म की ािपत की जा सकती ह ईशवर की ािपत सवरःव लटा दन पर होती ह म क ससार का भी यही िनयम ह

शन१२- िफ़राक गोरखपरी िकस भाषा क किव ह

उततर - उदर भाषा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोशी

(गजराती किव)

उमाशकर जोशी बीसवी सदी क गजराती क मधरनय किव सःकत वाङमय क िवदवान हउनहोन गजराती किवता को कित स जोड़ाआम आदमी क जीवन की झलक उनकी रचनाओ म िमलती ह

छोटा मरा खत

सार

खती क रपक दवारा कावय रचनाndash िबया को ःपषट िकया गया हकावय कित की रचना बीजndash

वपन स लकर पौध क पिपत होन क िविभनन चरणो स गजरती हअतर कवल इतना ह िक किव कमर की फसल कालजयी शाशवत होती हउसका रस-कषरण अकषय होता हकागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह किव को एक चौकोर खत की तरह लगता ह इस खत म िकसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क भाव स िकसी कषण एक बीज बोया जाता

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ह यह बीज-रचना िवचार और अिभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर िवकिसत होता ह और िबया म ःवय िवगिलत हो जाता ह उसस शबदो क अकर िनकलत ह और अततः कित एक पणर ःवरप महण करती ह जो किष-कमर क िलहाज स पललिवत -पिपत होन की िःथित ह सािहितयक कित स जो अलौिकक रस-धारा फटती ह वह कषण म होन वाली रोपाई का ही पिरणाम ह पर यह रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ह |

बगलो क पख

सार

बगलो क पख किवता एक चाकषष िबब की किवता ह सौदयर का अपिकषत भाव उतपनन करन क िलए किवयो न कई यिकतया अपनाई ह िजसम स सबस चिलत यिकत ह-सौदयर क वयौरो क िचऽातमक वणरन क साथ अपन मन पर पड़न वाल उसक भाव का वणरन और आतमगत क सयोग की यह यिकत पाठक को उस मल सौदयर क काफी िनकट ल जाती ह जोशी जी की इस किवता म ऐसा ही ह किव काल बादलो स भर आकाश म पिकत बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ह व कजरार बादलो म अटका-सा रह जाता ह वह इस माया स अपन को बचान की गहार लगाता ह कया यह सौदयर स बाधन और िवधन की चरम िःथित को वयकत करन का एक तरीका ह

कित का ःवतऽ (आलबन गत ) िचऽण आधिनक किवता की िवशषता हिचऽातमक वणरन दवारा किव न एक ओर काल बादलो पर उड़ती बगलो की शवत पिकत का िचऽ अिकत िकया ह तो दसरी ओर इस अितम दय क हदय पर पड़न वाल भाव को िचिऽत िकया हमऽ मगध किव इस दय क भाव स आतम िवःमित की िःथित तक पहच जाता हिवषय एव िवषयीगत सौनदयर क दोनो रप किवता म उदघािटत हए ह

अथर-महण-सबधी शन

छोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कही स आया

कषण का बीज वहा बोया गया|

72

कलपना क रसायनो को पी

बीज गल गया िनशष शबद क अकर फट

पललव ETHपपो स निमत हआ िवशष |

शन १lsquoछोटा मरा खतrsquo िकसका तीक ह और कयो

उततर - शन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का तीक ह िजस पर किव अपनी किवता िलखता ह

शन २ किव खत म कौनndashसा बीज बोता ह

उततर - किव खत म अपनी कलपना का बीज बोता ह

शन ३ किव की कलपना स कौन स पललव अकिरत होत ह

उततर - किव की कलपना स शबद क पललव अकिरत होत ह

शन ४ उपयरकत पद का भाव-सौदयर ःपषट कीिजए |

उततर - खती क रपक दवारा कावय-रचनाndashिबया को ःपषट िकया गया हकावय कित की रचना बीजndash वपन स लकर पौध क पिपत होन क िविभनन चरणो स गजरती हअतर कवल इतना ह िक किव कमर की फसल कालजयी शाशवत होती हउसका रस-कषरण अकषय होता ह

सौदयर-बोध-सबधी शन

झमन लग फल

रस अलौिकक

अमत धाराए फटती

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रहन स जरा भी कम नही होती |

73

रस का अकषय पाऽ सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |

शन इस किवता की भाषा सबधी िवशषताओ पर काश डािलए ndash

उततर - १ तीकातमकता

२ लाकषिणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पाऽ सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

शन २ रस अलौिकक अमत धाराए रोपाई ETH कटाई-तीको क अथर ःपषट कीिजए |

उततर - रस अलौिकक ETH कावय रस िनपितत

अमत धाराए- कावयानद

रोपाई ETH अनभित को शबदबदध करना

कटाई ETHरसाःवादन

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

किवता ndash

छोटा मरा खत

शन १ उमाशकर जोशी न िकस भाषा म किवताए िलखी ह

उततर - गजराती भाषा

शन२ किषndashकमर एव किवndashकमर म कया कया समानताए ह

उततर - किषndashकमर एव किवndashकमर म िनमनिलिखत समानताए ह-

74

कावय कित की रचना बीजndash वपन स लकर पौध क पिपत होन क िविभनन चरणो स गजरती ह

किषndashकमर एव किवndashकमर म समानताए -

bull कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह किव को एक चौकोर खतलगता ह

bull इस खत म िकसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क भाव स िकसी कषण एक बीज बोया जाता ह यह बीज-रचना िवचार और अिभवयिकत का हो सकता ह

bull यह मल रप कलपना का सहारा लकर िवकिसत होता ह और िबया म ःवय िवगिलत हो जाता ह इसीकार बीज भी खाद पानी सयर की रोशनी हवा आिद लकर िवकिसत होता ह |

bull कावय ETHरचना स शबदो क अकर िनकलत ह और अततः कित एक पणर ःवरप महण करती ह जो किष-कमर क िलहाज स पललिवत ndashपिपत और फिलत होन की िःथित ह अथर-महण-सबधी शन

किवताndash बगलो क पख

नभ म पाती- बध बगलो क पख चराए िलए जाती व मरी आख |

कजरार बादलो की छाई नभ छाया हौलETHहौल जाती मझ बाध िनज माया स |

उस कोई तिनक रोक रकखो | वह तो चराए िलए जाती मरी आख

नभ म पाती- बधी बगलो की पाख | तरती साझ की सतज शवत काया|

शन१- इस किवता म किव न िकसका िचऽण िकया ह

उततर - किव न काल बादलो पर उड़ती बगलो की शवत पिकत का िचऽण िकया ह|

शन२- आख चरान का कया अथर ह

उततर - आख चरान का आशय ह ETHधयान परी तरह खीच लना एकटक दखना मऽमगध कर दना

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शन३-

कजरार बादलो की छाई नभ छाया

हौल ETHहौल जाती मझ बाध िनज माया स | - आशय ःपषट कीिजए |

उततर- काल बादलो क बीच साझ का सरमई वातावरण बहत सदर िदखता ह | ऐसा अितम सौदयर अपन आकषरण म किव को बाध लता ह |

शन ४ उस कोई तिनक रोक रकखो |Otilde- स किव का कया अिभाय ह

उततर - बगलो की पिकत आकाश म दर तक उड़ती जा रही ह किव की मऽमगध आख उनका पीछा कर रही ह | किव उन बगलो को रोक कर रखन की गहार लगा रहा ह िक कही व उसकी आख ही अपन साथ न ल जाए |

सौदयर-बोध-सबधी शन

शन १ किवता की भाषा सबधी दो िवशषताए िलिखए|

उततर -१ िचऽातमक भाषा

२ बोलचाल क शबदो का योग - हौल ETHहौल पाती कजरारसाझ

शन २ किवता म यकत अलकार चन कर िलिखए |

उततर - अनास अलकार - बध बगलो क पख

मानवीकरण अलकार - चराए िलए जाती व मरी आख |

शन ३ -Ocirc िनज मायाOtilde क लाकषिणक अथर को ःपषट कीिजए |

उततर - कित का अितम सौदयर वह माया ह जो किव को आतमिवभोर कर दती हयह पिकत भी शसातमक उिकत ह

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- lsquoचराए िलए जाती व मरी ऑखrsquo स किव का कया तातपयर ह

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उततर -िचऽातमक वणरन दवारा किव न एक ओर काल बादलो पर उड़ती बगलो की शवत पिकत का िचऽ अिकत िकया ह तथा इस अितम दय क हदय पर पड़न वाल भाव को िचिऽत िकया ह किव क अनसार यह दय उनकी आख चराए िलए जा रहा ह |मऽ मगध किव इस दय क भाव स आतम िवःमित की िःथित तक पहच जाता ह

शन२-किव िकस माया स बचन की बात कहता ह

उततर - माया िवशव को अपन आकषरण म बाध लन क िलए िसदध ह | कबीर न भी Ocircमाया महा ठिगनी हम जानीOtilde कहकर माया की शिकत को ितपािदत िकया ह | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर किव को अपन वश म कर रही ह |

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आरोह भाग-२ गदय-भाग

bull शन-सखया १०- गदय खड म िदए गए पिठत गदयाश स अथरमहण सबधी चार शन पछ जाएग िजनक िलए िनधारिरत अक (२४=८) ह |

bull शन-सखया ११- पाठो की िवषयवःत स सबिधत पाच म स चार शनो क उततर दन ह िजनक िलए िनधारिरत अक (३४=१२) ह|

परीकषा म अचछ अक ापत करन क िलए धयान दन योगय बात ndash

1 लख एव वतरनी की शदधता तथा वाकय-गठन पर धयान द | 2 हर पाठ का सारपषठभिमिवषयवःत तथाकथानक को समझना आवयक ह | अतिवदयाथीर

हर पाठ का साराश भलीभाित याद कर ल | 3 शनो को धयान स पढ़ तदनसार अपिकषत उततर िलख |

4 उततर िलखत समय सबिधत मखय िबदओ का शीषरकबनात हए उततर िलख यथा-तीन अक क शनो क उततर िलखत समय कम स कम तीन मखय उततर-िबदओ का उललख करत हए उततर ःपषट कर |

5 अक-योजना क अनसार िनधारिरत शबद-सीमा क अतगरत उततर िलख | परीकषाथीर कई बार एक अक क शन का उततर बहत लबा कई बार परा पषठ िलख दत ह जो समय और ऊजार की बबारदी ह |

6 धयान रह िक अिधक िलखन स अचछ अक नही आत बिलक सरल-सबोध भाषा म िलख गए सटीक उततर सारगिभरत तथय तथा उदाहरण क दवारा ःपषट िकए गए उततर भावशाली होत ह |

पाठ 11 - भिकतन

लिखका- महादवी वमार

पाठ का साराश- भिकतन िजसका वाःतिवक नाम लआमी थालिखका Ocircमहादवी वमारOtilde की सिवका ह | बचपन म ही भिकतन की मा की मतय हो गयी| सौतली मा न पाच वषर की आय म िववाह तथा नौ वषर की आय म गौना कर भिकतन को ससराल भज िदया| ससराल म भिकतन न तीन बिटयो को जनम िदया िजस कारण उस सास और िजठािनयो की उपकषा सहनी पड़ती थी| सास और िजठािनया आराम फरमाती थी और भिकतन तथा उसकी ननही बिटयो को घर और खतो का सारा काम करना पडता था| भिकतन का पित उस बहत चाहता था| अपन पित क ःनह क बल पर भिकतन न ससराल वालो स अलगौझा कर अपना अलग घर बसा िलया और सख स रहन लगी पर भिकतन का दभारगय अलपाय म ही उसक पित की मतय हो गई | ससराल वाल भिकतन

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की दसरी शादी कर उस घर स िनकालकर उसकी सपितत हड़पन की सािजश करन लग| ऐसी पिरिःथित म भिकतन न अपन कश मडा िलए और सनयािसन बन गई | भिकतन ःवािभमानी सघषरशील कमरठ और दढ सकलप वाली सतरी ह जो िपतसततातमक मानयताओ और छल-कपट स भर समाज म अपन और अपनी बिटयो क हक की लड़ाई लड़ती हघर गहःथी सभालन क िलए अपनी बड़ी बटी दामाद को बला िलया पर दभारगय न यहा भी भिकतन का पीछा नही छोड़ा अचानक उसक दामाद की भी मतय हो गयी| भिकतन क जठ-िजठौत न सािजश रचकर भिकतन की िवधवा बटी का िववाह जबरदःती अपन तीतरबाज साल स कर िदया| पचायत दवारा कराया गया यह सबध दखदायी रहा | दोनो मा-बटी का मन घर-गहःथी स उचट गया िनधरनता आ गयी लगान न चका पान क कारण जमीदार न भिकतन को िदन भर धप म खड़ा रखा| अपमािनत भिकतन पसा कमान क िलए गाव छोड़कर शहर आ जाती ह और महादवी की सिवका बन जाती ह| भिकतन क मन म महादवी क ित बहत आदर समपरण और अिभभावक क समान अिधकार भाव ह| वह छाया क समान महादवी क साथ रहती ह| वह रात-रात भर जागकर िचऽकारी या लखन जस कायर म वयःत अपनी मालिकन की सवा का अवसर ढढ लती ह| महादवी भिकतन को नही बदल पायी पर भिकतन न महादवी को बदल िदया| भिकतन क हाथ का मोटा-दहाती खाना खात-खात महादवी का ःवाद बदल गया भिकतन न महादवी को दहात क िकःस-कहािनया िकवदितया कठःथ करा दी| ःवभाव स महाकजस होन पर भी भिकतन पाई-पाई कर जोडी हई १०५ रपयो की रािश को सहषर महादवी को समिपरत कर दती ह| जल क नाम स थर-थर कापन वाली भिकतन अपनी मालिकन क साथ जल जान क िलए बड़ लाट साहब तक स लड़न को भी तयार हो जाती ह| भिकतन महादवी क जीवन पर छा जान वाली एक ऐसी सिवका ह िजस लिखका नही खोना चाहती

पाठ आधािरत शनोततर

नोट- उततर म िनिहत रखािकत वाकय मखय सकत िबद ह |

शन 1-भिकतन का वाःतिवक नाम कया था वह अपन नाम को कयो छपाना चाहती थी

उततर-भिकतन का वाःतिवक नाम लआमी था िहनदओ क अनसारलआमी धन की दवीह चिक भिकतन गरीब थी| उसक वाःतिवक नाम क अथर और उसक जीवन क यथाथर म िवरोधाभास ह

िनधरन भिकतन सबको अपना असली नाम लआमी बताकर उपहास का पाऽ नही बनना चाहती थी इसिलए वह अपना असली नाम छपाती थी

शन 2- लिखका न लआमी का नाम भिकतन कयो रखा

उततर-घटा हआ िसर गल म कठी माला और भकतो की तरह सादगीपणर वशभषा दखकर महादवी वमार न लआमी का नाम भिकतन रख िदया | यह नाम उसक वयिकततव स पणरत मल खाता था |

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शन 3-भिकतन क जीवन को िकतन पिरचछदो म िवभािजत िकया गया ह

उततर- भिकतन क जीवन को चार भागो म बाटा गया ह-

bull पहला पिरचछद-भिकतन का बचपन मा की मतय िवमाता क दवारा भिकतन का बाल-िववाह करा दना

bull िदवतीय पिरचछद-भिकतन का ववािहक जीवन सास तथा िजठािनयो का अनयायपणर वयवहार पिरवार स अलगौझा कर लना

bull ततीय पिरचछद- पित की मतय िवधवा क रप म सघषरशील जीवन bull चतथर पिरचछद- महादवी वमार की सिवका क रप म

शन 4- भिकतन पाठ क आधार पर भारतीय मामीण समाज म लड़क-लड़िकयो म िकय जान वाल भदभाव का उललख कीिजए |

भारतीय मामीण समाज म लड़क-लड़िकयो म भदभाव िकया जाता ह| लड़िकयो को खोटा िसकका या पराया धन माना जाता ह| भिकतन न तीन बिटयो को जनम िदया िजस कारण उस सास और िजठािनयो की उपकषा सहनी पड़ती थी| सास और िजठािनया आराम फरमाती थी कयोिक उनहोन लड़क पदा िकए थ और भिकतन तथा उसकी ननही बिटयो को घर और खतो का सारा काम करना पडता था| भिकतन और उसकी बिटयो को रखा-सखा मोटा अनाज खान को िमलता था जबिक उसकी िजठािनया और उनक काल-कलट बट दध-मलाई राब-चावल की दावत उड़ात थ

शन 5-भिकतन पाठ क आधार पर पचायत क नयाय पर िटपपणी कीिजए |

भिकतन की बटी क सनदभर म पचायत दवारा िकया गया नयाय तकर हीन और अध कानन पर आधािरतह | भिकतन क िजठौत न सपितत क लालच म षडयऽ कर भोली बचची को धोख स जाल म फसाया| पचायत न िनदोरष लड़की की कोई बात नही सनी और एक तरफ़ा फसला दकर उसका िववाह जबरदःती िजठौत क िनकमम तीतरबाज साल स कर िदया | पचायत क अध कानन स दषटो को लाभ हआ और िनदोरष को दड िमला |

शन 6-भिकतन की पाक-कला क बार म िटपपणी कीिजए |

भिकतन को ठठ दहाती सादा भोजन पसद था | रसोई म वह पाक छत को बहत महततव दती थी | सबह-सवर नहा-धोकर चौक की सफाई करक वह दवार पर कोयल की मोटी रखा खीच दती थी| िकसी को रसोईघर म वश करन नही दती थी| उस अपन बनाए भोजन पर बड़ा अिभमान था| वह अपन बनाए भोजन का ितरःकार नही सह सकती थी |

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शन 7- िसदध कीिजए िक भिकतन तकर -िवतकर करन म मािहर थी |

भिकतन तकर पट थी | कश मडान स मना िकए जान पर वह शासतरो का हवाला दत हए कहती ह Ocircतीरथ गए मडाए िसदधOtilde | घर म इधर-उधर रख गए पसो को वह चपचाप उठा कर छपा लती ह टोक जानपर वह वह इस चोरी नही मानती बिलक वह इस अपन घर म पड़ पसो को सभालकर रखना कहती ह| पढाई-िलखाई स बचन क िलए भी वह अचक तकर दती ह िक अगर म भी पढ़न लग तो घर का काम कौन दखगा

शन 8-भिकतन का दभारगय भी कम हठी नही था लिखका न ऐसा कयो कहा ह

उततर- भिकतन का दभारगय उसका पीछा नही छोड़ता था-

1- बचपन म ही मा की मतय 2- िवमाता की उपकषा 3- भिकतन(लआमी) का बालिववाह 4- िपता का िनधन 5- तीन-तीन बिटयो को जनम दन क कारण सास और िजठािनयो क दवारा भिकतन की उपकषा

6- पित की असमय मतय 7- दामाद का िनधन और पचायत क दवारा िनकमम तीतरबाज यवक स भिकतन की िवधवा

बटी का जबरन िववाह 8- लगान न चका पान पर जमीदार क दवारा भिकतन का अपमान

शन 9-भिकतन न महादवी वमार क जीवन पर कस भािवत िकया

उततर- भिकतन क साथ रहकर महादवी की जीवन-शली सरल हो गयी व अपनी सिवधाओ की चाह को िछपान लगी और असिवधाओ को सहन लगी भिकतन न उनह दहाती भोजन िखलाकर उनका ःवाद बदल िदया भिकतन माऽ एक सिवका न होकर महादवी की अिभभावक और आतमीय बन गयीभिकतन महादवी क जीवन पर छा जान वाली एक ऐसी सिवका ह िजस लिखका नही खोना चाहती

शन 10- भिकतन क चिरऽ की िवशषताओ का उललख कीिजए

उततर- महादवी वमार की सिवका भिकतन क वयिकततव की िवशषताए िनमनािकत ह-

bull समिपरत सिवका bull ःवािभमानी

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bull तकर शीला bull पिरौमी bull सघषरशील bull

शन 11-भिकतन क दगरणो का उललख कर

उततर- गणो क साथ-साथ भिकतन क वयिकततव म अनक दगरण भी िनिहत ह-

1 वह घर म इधर-उधर पड़ रपय-पस को भडार घर की मटकी म छपा दती ह और अपन इस कायर को चोरी नही मानती

2 महादवी क बोध स बचन क िलए भिकतन बात को इधर-उधर करक बतान को झठ नही मानती अपनी बात को सही िसदध करन क िलए वह तकर -िवतकर भी करती ह

3 वह दसरो को अपनी इचछानसार बदल दना चाहती ह पर ःवय िबलकल नही बदलती शन 12 िनमनािकत भाषा-योगो का अथर ःपषट कीिजए-

bull पहली कनया क दो और सःकरण कर डाल- भिकतन न अपनी पहली कनया क बाद उसक जसी दो और कनयाए पदा कर दी अथारत भिकतन क एक क बाद एक तीन बिटया पदा हो गयी |

bull खोट िसकको की टकसाल जसी पतनी- आज भी अिशिकषत मामीण समाज म बिटयो को

खोटा िसकका कहा जाता ह भिकतन न एक क बाद एक तीन बिटया पदा कर दी इसिलए उस खोट िसकक को ढालन वाली मशीन कहा गया

शन 13-भिकतन पाठ म लिखका न समाज की िकन समःयाओ का उललख िकया ह

उततर- भिकतन पाठ क माधयम स लिखका न भारतीय मामीण समाज की अनक समःयाओ का उललख िकया ह-

1 लड़क-लड़िकयो म िकया जान वाला भदभाव

2 िवधवाओ की समःया 3 नयाय क नाम पर पचायतो क दवारा िसतरयो क मानवािधकार को कचलना 4 अिशकषा और अधिवशवास

गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

पिरवार और पिरिःथितयो क कारण ःवभाव म जो िवषमताए उतपनन हो गई ह उनक भीतर स एक ःनह और सहानभित की आभा फटती रहती ह इसी स उसक सपकर म आनवाल वयिकत उसम जीवन की सहज मािमरकता ही पात ह छाऽावास की बािलकाओ म स कोई अपनी चाय बनवान क िलए दहली पर बठी रहती ह कोई बाहर खडी मर िलए नात को चखकर उसक ःवाद

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की िववचना करती रहती ह मर बाहर िनकलत ही सब िचिड़यो क समान उड़ जाती ह और भीतर आत ही यथाःथान िवराजमान हो जाती ह इनह आन म रकावट न हो सभवतः इसी स भिकतन अपना दोनो जन का भोजन सवर ही बनाकर ऊपर क आल म रख दती ह और खात समय चौक का एक कोना धोकर पाकETHछत क सनातन िनयम स समझौता कर लती ह

मर पिरिचतो और सािहितयक बधओ स भी भिकतन िवशष पिरिचत ह पर उनक ित भिकतन क सममान की माऽा मर ित उनक सममान की माऽा पर िनभरर ह और सदभाव उनक ित मर सदभाव स िनिशचत होता ह इस सबध म भिकतन की सहज बिदध िविःमत कर दन वाली ह

(क) भिकतन का ःवभाव पिरवार म रहकर कसा हो गया ह

उततर-िवषम पिरिःथितजनय उसक उम हठी और दरामही ःवभाव क बावजद भिकतन क भीतर ःनह और सहानभित की आभा फटती रहती ह उसक सपकर म आन वाल वयिकत उसम जीवन की सहज मािमरकता ही पात ह

(ख) भिकतन क पास छाऽावास की छाऽाए कयो आती ह

उततर- भिकतन क पास कोई छाऽा अपनी चाय बनवान आती ह और दहली पर बठी रहती ह कोई महादवी जी क िलए बन नात को चखकर उसक ःवाद की िववचना करती रहती ह महादवी को दखत ही सब छाऽाए भाग जाती ह उनक जात ही िफर वापस आ जाती ह भिकतन का सहज-ःनह पाकर िचिड़यो की तरह चहचहान लगती ह |

(ग) छाऽाओ क आन म रकावट न डालन क िलए भिकतन न कया उपाय िकया

उततर- छाऽाओ क आन म रकावट न डालन क िलए भिकतन न अपन पाक-छत क िनयम स समझौता कर िलया | भिकतन अपना दोनो वकत का खाना बनाकर सबह ही आल म रख दती और खात समय चौक का एक कोना धोकर वहा बठकर खा िलया करती थी तािक छाऽाए िबना रोक-टोक क उसक पास आ सक

(घ) सािहतयकारो क ित भिकतन क सममान का कया मापदड ह

उततर-भिकतन महादवी क सािहितयक िमऽ क ित सदभाव रखती थी िजसक ित महादवी ःवय सदभाव रखती थी | वह सभी स पिरिचत हपर उनक ित सममान की माऽा महादवी जी क सममान की माऽा पर िनभरर करती ह वह एक अदभत ढग स जान लती थी िक कौन िकतना सममान करता ह उसी अनपात म उसका ापय उस दती थी

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12 बाजार-दशरन

लखक- जनि कमार

पाठ का साराश बाजार-दशरन पाठ म बाजारवाद और उपभोकतावाद क साथ-साथ अथरनीित एव दशरन स सबिधत शनो को सलझान का यास िकया गया ह बाजार का जाद तभी असर करता ह जब मन खाली हो| बाजार क जाद को रोकन का उपाय यह ह िक बाजार जात समय मन खाली ना हो मन म लआय भरा हो| बाजार की असली कताथरता ह जररत क वकत काम आना| बाजार को वही मन य लाभ द सकता ह जो वाःतव म अपनी आवयकता क अनसार खरीदना चाहता ह| जो लोग अपन पसो क घमड म अपनी पचरिजग पावर को िदखान क िलए चीज खरीदत ह व बाजार को शतानी वयगय शिकत दत ह| ऐस लोग बाजारपन और कपट बढात ह | पस की यह वयगय शिकत वयिकत को अपन सग लोगो क ित भी कतघन बना सकती ह | साधारण जन का हदय लालसा ईयार और त णा स जलन लगता ह | दसरी ओर ऐसा वयिकत िजसक मन म लश माऽ भी लोभ और त णा नही ह सचय की इचछा नही ह वह इस वयगय-शिकत स बचा रहता ह | भगतजी ऐस ही आतमबल क धनी आदशर माहक और बचक ह िजन पर पस की वयगय-शिकत का कोई असर नही होता | अनक उदाहरणो क दवारा लखक न यह ःपषट िकया ह िक एक ओर बाजार लालची असतोषी और खोखल मन वाल वयिकतयो को लटन क िलए ह वही दसरी ओर सतोषी मन वालो क िलए बाजार की चमक-दमक उसका आकषरण कोई महततव नही रखता

शन१ - पचरिजग पावर िकस कहा गया ह बाजार पर इसका कया भाव पड़ता ह

उततर- पचरिजग पावर का अथर ह खरीदन की शिकत पचरिजग पावर क घमड म वयिकत िदखाव क िलए आवयकता स अिधक खरीदारीकरता ह और बाजार को शतानी वयगय-शिकत दता ह ऐस लोग बाजार का बाजारपन बढ़ात ह

शन२ -लखक न बाजार का जाद िकस कहा ह इसका कया भाव पड़ता ह

उततर- बाजार की चमक-दमक क चबकीय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आखो की राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण माहक सजी-धजी चीजो को आवयकता न होन पर भी खरीदन को िववश हो जात ह

शन३ -आशय ःपषट कर

bull मन खाली होना bull मन भरा होना bull मन बद होना

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उततर-मन खाली होना- मन म कोई िनिशचत वःत खरीदन का लआय न होना िनरददय बाजार जाना और वयथर की चीजो को खरीदकर लाना

मन भरा होना- मन लआय स भरा होना िजसका मन भरा हो वह भलीभाित जानता ह िक उस बाजार स कौन सी वःत खरीदनी ह अपनी आवयकता की चीज खरीदकर वह बाजार को साथरकता दान करता ह

मन बद होना-मन म िकसी भी कार की इचछा न होना अथारत अपन मन को शनय कर दना

शन४ - lsquoजहा त णा ह बटोर रखन की ःपहा ह वहा उस बल का बीज नही हrsquo यहा िकस बल की चचार की गयी ह

उततर- लखक न सतोषी ःवभाव क वयिकत क आतमबलकी चचार की ह दसर शबदो म यिद मन म सतोष हो तो वयिकत िदखाव और ईयार की भावना स दर रहता ह उसम सचय करन की वितत नही होती

शन५ - अथरशासतर अनीितशासतर कब बन जाता ह

उततर- जब बाजार म कपट और शोषण बढ़न लग खरीददार अपनी पचरिचग पावर क घमड म िदखाव क िलए खरीददारी कर | मनयो म परःपर भाईचारा समापत हो जाए| खरीददार और दकानदार एक दसर को ठगन की घात म लग रह एक की हािन म दसर को अपना लाभ िदखाई द तो बाजार का अथरशासतर अनीितशासतर बन जाता ह ऐस बाजार मानवता क िलए िवडबना ह

शन६-भगतजी बाजार और समाज को िकस कार साथरकता दान कर रह ह

उततर- भगतजी क मन म सासािरक आकषरणो क िलए कोई त णा नही ह व सचय लालच और िदखाव स दर रहत ह बाजार और वयापार उनक िलए आवयकताओ की पितर का साधन माऽ ह भगतजी क मन का सतोष और िनःपह भाव उनको ौषठ उपभोकता और िवबता बनात ह

शन ७ _ भगत जी क वयिकततव क सशकत पहलओ का उललख कीिजए |

उततर-िनमनािकत िबद उनक वयिकततव क सशकत पहल को उजागर करत ह

bull पसारी की दकान स कवल अपनी जररत का सामान (जीरा और नमक) खरीदना bull िनिशचत समय पर चरन बचन क िलए िनकलना bull छह आन की कमाई होत ही चरन बचना बद कर दना bull बच हए चरन को बचचो को मझत बाट दना bull सभी काजय-जय राम कहकर ःवागत करना

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bull बाजार की चमक-दमक स आकिषरत न होना bull समाज को सतोषी जीवन की िशकषा दना

शन7-बाजार की साथरकता िकसम ह

उततर- मनय की आवयकताओ की पितर करन म ही बाजार की साथरकता ह जो माहक अपनी आवयकताओ की चीज खरीदत ह व बाजार को साथरकता दान करत ह जो िवबता माहको का शोषण नही करत और छल-कपट स माहको को लभान का यास नही करत व भी बाजार को साथरक बनात ह

गदयाश-आधािरत अथरमहण-सबिधत शनोततर

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख की तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ही चलता ह वस ही इस जाद की भी मयारदा ह जब भरी हो और मन खाली हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाली पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाली ह तो बाजार की अनकानक चीजो का िनमऽण उस तक पहच जाएगा कही हई उस वकत जब भरी तब तो िफर वह मन िकसकी मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जररी और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद की सवारी उतरी िक पता चलता ह िक फ सी-चीजो की बहतायत आराम म मदद नही दती बिलक खलल ही डालती ह थोड़ी दर को ःवािभमान को जरर सक िमल जाता ह पर इसस अिभमान को िगलटी की खराक ही िमलती ह जकड़ रशमी डोरी की हो तो रशम क ःपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद की जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह िक बाजार जाओ तो खाली मन न हो मन खाली हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चािहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लआय स भरा हो तो बाजार फला का फला ही रह जाएगा तब वह घाव िबलकल नही द सकगा बिलक कछ आनद ही दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयोिक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार की असली कताथरता ह आवयकता क समय काम आना

शन-1 बाजार क जाद को लखक न कस ःपषट िकया ह

उततर- बाजार क रप का जाद आखो की राह स काम करता हआ हम आकिषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज माहक को अपनी ओर आकिषरत करती ह| इसी चमबकीय शिकत क कारण वयिकत िफजल सामान को भी खरीद लता ह |

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शन-2 जब भरी हो और मन खाली तो हमारी कया दशा होती ह

उततर- जब भरी हो और मन खाली हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाली ह तो बाजार की अनकानक चीजो का िनमऽण मन तक पहच जाता ह और उस समय यिद जब भरी हो तो मन हमार िनयऽण म नही रहता

शन-3 फ सी चीजो की बहतायत का कया पिरणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम की जगह आराम म वयवधान ही डालती ह थोड़ी दर को अिभमान को जरर सक िमल जाती ह पर िदखाव की वितत म विदध होती ह

शन-4 जाद की जकड़ स बचन का कया उपाय ह

उततर- जाद की जकड़ स बचन क िलए एक ही उपाय ह वह यह ह िक बाजार जाओ तो मन खाली न हो मन खाली हो तो बाजार मत जाओ

13 काल मघा पानी द

लखक-धमरवीर भारती

पाठ का साराश -lsquoकाल मघा पानी दrsquo िनबध लोकजीवन क िवशवास और िवजञान क तकर पर आधािरत ह जब भीषण गमीर क कारण वयाकल लोग वषार करान क िलए पजा-पाठ और कथा-िवधान कर थकETHहार जात ह तब वषार करान क िलए अितम उपाय क रप म इनदर सना िनकलती ह| इनदर सना नग-धड़ग बचचो की टोली ह जो कीचड़ म लथपथ होकर गली-मोहलल म पानी मागन िनकलती ह| लोग अपन घर की छतो-िखड़िकयो स इनदर सना पर पानी डालत ह | लोगो की मानयता ह िक इनि बादलो क ःवामी और वषार क दवता ह| इनि की सना पर पानी डालन स इनि भगवान सनन होकर पानी बरसाएग | लखक का तकर ह िक जब पानी की इतनी कमी ह तो लोग मिकल स जमा िकए पानी को बालटी भर-भरकर इनदर सना पर डालकर पानी को कयो बबारद करत ह आयरसमाजी िवचारधारा वाला लखक इस अधिवशवास मानता ह | इसक िवपरीत लखक की जीजी उस समझाती ह िक यह पानी की बबारदी नही बिलक पानी की बवाई ह | कछ पान क िलए कछ दना पड़ता ह | तयाग क िबना दान नही होता| ःतत िनबध म लखक न षटाचार की समःया को उठात हए कहा ह िक जीवन म कछ पान क िलए तयाग आवयक ह जो लोग तयाग और दान की महतता को नही मानत व ही षटाचार म िलपत रहकर दश और समाज को लटत ह| जीजी की आःथा भावनातमक सचचाई को पषट करती ह और तकर कवल वजञािनक तथय को सतय मानता ह जहा तकर यथाथर क कठोर धरातल पर सचचाई को परखता ह तो वही आःथा अनहोनी बात को भी ःवीकार कर मन को सःकािरत करती ह भारत की ःवतऽता क ५० साल बाद भी दश म वयापत भषटाचार और ःवाथर की भावना को दखकर लखक दखी ह | सरकार दवारा चलाई जा रही योजनाए गरीबो तक कयो

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नही पहच पा रही ह काल मघा क दल उमड़ रह ह पर आज भी गरीब की गगरी फटी हई कयो ह लखक न यह शन पाठको क िलए छोड़ िदया ह |

शन1-इनदर सना घर-घर जाकर पानी कयो मागती थी

उततर- गाव क लोग बािरश क िलए भगवान इि स ाथरना िकया करत थ जब पजा-पाठोत आिद उपाय असफ़ल हो जात थ तो भगवान इि को सनन करन क िलए गाव क िकशोर बचच कीचड़ म लथपथ होकर गली-गली घमकर लोगो स पानी मागत थ

शन2-इनदरसना को लखक मढक-मडली कयो कहता ह जीजी क बारETHबार कहन पर भी वह इनदरसना पर पानी फ कन को राजी कयो नही होता

उततर- इनदरसना का कायर आयरसमाजी िवचारधारा वाल लखक को अधिवशवास लगता ह उसका मानना ह िक यिद इदरसना दवता स पानी िदलवा सकती ह तो ःवय अपन िलए पानी कयो नही माग लती पानी की कमी होन पर भी लोग घर म एकऽ िकय हए पानी को इदरसना पर फ़ कत ह लखक इस पानी की िनमरम बरबादी मानता ह

शन3- रठ हए लखक को जीजी न िकस कार समझाया

उततर- जीजी न लखक को पयार स लडड-मठरी िखलात हए िनमन तकर िदए-

1- तयाग का महततव- कछ पान क िलए कछ दना पड़ता ह 2- दान की महतता- ॠिष-मिनयो न दान को सबस ऊचा ःथान िदया ह जो चीज अपन

पास भी कम हो और अपनी आवयकता को भलकर वह चीज दसरो को दान कर दना ही तयाग ह |

3- इिदव को जल का अधयर चढ़ाना- इदरसना पर पानी फ़ कना पानी की बरबादी नही बिलक इिदव को जल का अधयर चढ़ाना ह

4- पानी की बवाई करना- िजस कार िकसान फ़सल उगान क िलए जमीन पर बीज डालकर बवाई करता ह वस ही पानी वाल बादलो की फ़सल पान क िलए इनदर सना पर पानी डाल कर पानी की बवाई की जाती ह

शन4-निदयो का भारतीय सामािजक और साःकितक पिरवश म कया महतव ह

उततर- गगा भारतीय समाज म सबस पजय सदानीरा नदी ह िजसका भारतीय इितहास म धािमरक पौरािणक और साःकितक महतव ह | वह भारतीयो क िलए कवल एक नदी नही अिपत मा ह ःवगर की सीढ़ी ह मोकषदाियनी ह उसम पानी नही अिपत अमत तलय जल बहता ह भारतीय सःकित म निदयो क िकनार मानव सभयताए फली-फली ह| बड़-बड़ नगर तीथरःथान निदयो क िकनार ही िःथत ह ऐस पिरवश मभारतवासी सबस पहल गगा मया की जय ही

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बोलग निदया हमार जीवन का आधार ह हमारा दश किष धान ह निदयो क जल स ही भारत भिम हरी-भरी ह निदयो क िबना जीवन की कलपना नही कर सकत यही कारण ह िक हम भारतीय निदयो की पजा करत ह |

शन4-आजादी क पचास वषोर क बाद भी लखक कयो दखी ह उसक मन म कौन स शन उठ रह ह

उततर- आजादी क पचास वषोर बाद भी भारतीयो की सोच म सकारातमक बदलाव न दखकर लखक दखी ह उसक मन म कई शन उठ रह ह-

1 कया हम सचच अथोर म ःवतनऽ ह

2 कया हम अपन दश की सःकित और सभयता को समझ पाए ह

3 राषटर िनमारण म हम पीछ कयो ह हम दश क िलए कया कर रह ह

4 हम ःवाथर और षटाचार म िलपत रहत ह तयाग म िवशवास कयो नही करत

5 सरकार दवारा चलाई जा रही सधारवादी योजनाए गरीबो तक कयो नही पहचती ह

गदयाश पर आधािरत अथरमहण-सबिधत शनोततर

सचमच ऐस िदन होत जब गली-महलला गाव-शहर हर जगह लोग गरमी म भन-भन कर ऽािहमाम कर रह होत जठ क दसतपा बीतकर आषाढ का पहला पखवाड़ा बीत चका होता पर िकषितज पर कही बादलो की रख भी नही दीखती होती कए सखन लगत नलो म एक तो बहत कम पानी आता और आता भी तो आधी रात को वो भी खौलता हआ पानी हो | शहरो की तलना म गाव म और भी हालत खराब थी| जहा जताई होनी चािहए थी वहा खतो की िमटटी सखकर पतथर हो जाती िफर उसम पपड़ी पड़कर जमीन फटन लगती ल ऐसी िक चलत-चलत आदमी िगर पड़ | ढोर-डगर पयास क मार मरन लगत लिकन बािरश का कही नाम िनशान नही ऐस म पजा-पाठ कथा-िवधान सब करक लोग जब हार जात तब अितम उपाय क रप म िनकलती यह इनदर सना |

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शन१- वषार न होन पर लोगो की कया िःथित हो गयी थी उततर - वषार न होन पर गरमी क कारण लोग ल लगन स बहोश होन लग | गाव-शहर सभी जगह पानी का अभाव हो गया| कए सख गए खतो की िमटटी सखकर पतथर क समान कठोर होकर फट गयी| घरो म नलो म पानी बहत कम आता था | पश पयास क मार मरन लग थ | शन२- वषार क दवता कौन ह उनको सनन करन क िलए कया उपाय िकए जात थ उततर -वषार क दवता भगवान इनि ह| उनको सनन करन क िलए पजाETHपाठ कथा-िवधान कराए जात थ | तािक इनि दव सनन होकर बादलो की सना भजकर झमाझम बािरश कराए और लोगो क कषट दर हो | शन३- वषार करान क अितम उपाय क रप म कया िकया जाता था उततर ETHजब पजा-पाठ कथा-िवधान सब करक लोग हार जात थ तब अितम उपाय क रप म इनदर सना आती थी | नग-धडग कीचड़ म लथपथ Ocircकाल मघा पानी द पानी द गड़धानी दOtilde की टर लगाकर पयास स सखत गलो और सखत खतो क िलए मघो को पकारती हई टोली बनाकर िनकल पड़ती थी| शन४-आशय ःपषट कर ndash जठ क दसतपा बीतकर आषाढ़ का पहला पखवाड़ा बीत चका होता पर िकषितज म कही बादलो की रख भी नजर नही आती | आशय- जठ का महीना ह भीषण गरमी ह| तपत हए दस िदन बीत कर आषाढ का महीना भी आधा बीत गया पर पानी क िलए तड़पत वषार की आशा म आसमान की ओर ताकत लोगो को कही बादल नजर नही आ रह |

14 पहलवान की ढोलक

फ़णीशवरनाथ रण

पाठ का साराश ndashआचिलक कथाकार फ़णीशवरनाथ रण की कहानी पहलवान की ढोलक म कहानी क मखय पाऽ लटटन क माता-िपता का दहात उसक बचपन म ही हो गया था | अनाथ लटटन को उसकी िवधवा सास न पाल-पोसकर बड़ा िकया | उसकी सास को गाव वाल सतात थ | लोगो स बदला लन क िलए कती क दावपच सीखकर कसरत करक लटटन पहलवान बन गया |

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एक बार लटटन यामनगर मला दखन गया जहा ढोल की आवाज और कती क दावपच दखकर उसन जोश म आकर नामी पहलवान चादिसह को चनौती द दी | ढोल की आवाज स रणा पाकर लटटन न दाव लगाकर चाद िसह को पटककर हरा िदया और राज पहलवान बन गया | उसकी खयाित दर-दर तक फ़ल गयी| १५ वषोर तक पहलवान अजय बना रहा| उसक दो पऽ थ| लटटन न दोनो बटो को भी पहलवानी क गर िसखाए| राजा की मतय क बाद नए राजकमार न गददी सभाली राजकमार को घोड़ो की रस का शौक था मनजर न नय राजा को भड़काया पहलवान और उसक दोनो बटो क भोजनखचर को भयानक और िफ़जलखचर बताया फ़लःवरप नए राजा न कती को बद करवा िदया और पहलवान लटटनिसह को उसक दोनो बटो क साथ महल स िनकाल िदया

राजदरबार स िनकाल िदए जान क बाद लटटन िसह अपन दोनो बटो क साथ गाव म झोपड़ी बनाकर रहन लगा और गाव क लड़को को कती िसखान लगा| लटटन का ःकल जयादा िदन नही चला और जीिवकोपाजरन क िलए उसक दोनो बटो को मजदरी करनी पड़ी| इसी दौरान गाव म अकाल और महामारी क कारण ितिदन लाश उठन लगी| पहलवान महामारी स डर हए लोगो को ढोलक बजाकर बीमारी स लड़न की सजीवनी ताकत दता था| एक िदन पहलवान क दोनो बट भी महामारी की चपट म आकर मर गए पर उस रात भी पहलवान ढोलक बजाकर लोगो को िहममत बधा रहा था | इस घटना क चार-पाच िदन बाद पहलवान की भी मौत हो जाती ह|

पहलवान की ढोलक वयवःथा क बदलन क साथ लोक कलाकार क अासिगक हो जान की कहानी ह इस कहानी म लटटन नाम क पहलवान की िहममत और िजजीिवषा का वणरन िकया गया ह भख और महामारी अजय लटटन की पहलवानी को फ़ट ढोल म बदल दत ह इस करण ऽासदी म पहलवान लटटन कई सवाल छोड़ जाता ह िक कला का कोई ःवतऽ अिःततव ह या कला कवल वयवःथा की मोहताज ह

शन1- लटटन को पहलवान बनन की रणा कस िमली

उततर- लटटन जब नौ साल का था तो उसक माता-िपता का दहात हो गया था | सौभागय स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ लटटन को उसकी िवधवा सास न पाल-पोसकर बड़ा िकया | उसकी सास को गाव वाल परशान करत थ| लोगो स बदला लन क िलए उसन पहलवान बनन की ठानी| धारोण दध पीकर कसरत कर उसन अपना बदन गठीला और ताकतवर बना िलया | कती क दावपच सीखकर लटटन पहलवान बन गया |

शन2- रात क भयानक सननाट म लटटन की ढोलक कया किरमा करती थी

उततर- रात क भयानक सननाट मलटटन की ढोलक महामारी स जझत लोगो को िहममत बधाती थी | ढोलक की आवाज स रात की िवभीिषका और सननाटा कम होता था| महामारी स पीिड़त

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लोगो की नसो म िबजली सी दौड़ जाती थी उनकी आखो क सामन दगल का दय साकार हो जाता था और व अपनी पीड़ा भल खशी-खशी मौत को गल लगा लत थ इस कार ढोल की आवाज बीमार-मताय गाववालो की नसो म सजीवनी शिकत को भर बीमारी स लड़न की रणा दती थी

शन3- लटटन न सवारिधक िहममत कब िदखाई

उततर- लटटन िसह न सवारिधक िहममत तब िदखाई जब दोनो बटो की मतय पर वह रोया नही बिलक िहममत स काम लकर अकल उनका अितम सःकार िकया| यही नही िजस िदन पहलवान क दोनो बट महामारी की चपट म आकर मर गए पर उस रात को भी पहलवान ढोलक बजाकर लोगो को िहममत बधा रहा था| यामनगर क दगल म परा जनसमदाय चाद िसह क पकष म था चाद िसह को हरात समय लटटन न िहममत िदखाई और िबना हताश हए दगल म चाद िसह को िचत कर िदया |

शन4- लटटन िसह राज पहलवान कस बना

उततर- यामनगर क राजा कती क शौकीन थ उनहोन दगल का आयोजन िकया पहलवान लटटन िसह भी दगल दखन पहचा चादिसह नामक पहलवान जो शर क बचच क नाम स िसदध था कोई भी पहलवान उसस िभड़न की िहममत नही करता था चादिसह अखाड़ म अकला गरज रहा था लटटन िसह न चादिसह को चनौती द दी और चादिसह स िभड़ गयाढ़ोल की आवाज सनकर लटटन की नस-नस म जोश भर गयाउसन चादिसह को चारो खान िचत कर िदया राजासाहब न लटटन की वीरता स भािवत होकर उस राजपहलवान बना िदया

शन5- पहलवान की अितम इचछा कया थी

उततर- पहलवान की अितम इचछा थी िक उस िचता पर पट क बल िलटाया जाए कयोिक वह िजदगी म कभी िचत नही हआ था| उसकी दसरी इचछा थी िक उसकी िचता को आग दत समय ढोल अवय बजाया जाए |

शन6- ढोल की आवाज और लटटन क म दावपच सबध बताइए-

उततर- ढोल की आवाज और लटटन क दावपच म सबध -

bull चट धा िगड़ धाrarr आजा िभड़ जा | bull चटाक चट धाrarr उठाकर पटक द | bull चट िगड़ धाrarrमत डरना | bull धाक िधना ितरकट ितनाrarr दाव काटो बाहर हो जाओ |

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bull िधना िधना िधक िधनाrarr िचत करो

गदयाश-आधािरत अथरमहण-सबिधत शनोततर

अधरी रात चपचाप आस बहा रही थी | िनःतबधता करण िससिकयो और आहो को अपन हदय म ही बल पवरक दबान की चषटा कर रही थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कही काश का नाम नही| आकाश स टट कर यिद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसकी जयोित और शिकत राःत म ही शष हो जाती थी | अनय तार उसकी भावकता अथवा असफलता पर िखलिखलाकर हस पड़त थ | िसयारो का बदन और पचक की डरावनी आवाज रात की िनःतबधता को भग करती थी | गाव की झोपिडयो स कराहन और क करन की आवाज हर राम ह भगवान की टर सनाई पड़ती थी| बचच भी िनबरल कठो स मा ETHमा पकारकर रो पड़त थ |

(क) अधरी रात को आस बहात हए कयो िदखाया गया ह उततरndash गाव म हजा और मलिरया फला हआ था | महामारी की चपट म आकार लोग मर रह थ |चारो ओर मौत का सनाटा छाया था इसिलए अधरी रात भी चपचाप आस बहाती सी तीत हो रही थी|

(ख) तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह उततरndash तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह िक अकाल और महामारी स ऽःत गाव वालो की पीड़ा को दर करन वाला कोई नही था | कित भी गाव वालो क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यिद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसकी जयोित और शिकत राःत म ही शष हो जाती थी |

(ग) रात की िनःतबधता को कौन भग करता था उततरndash िसयारो की चीख-पकार पचक की डरावनी आवाज और कततो का सामिहक रदन िमलकर रात क सननाट को भग करत थ |

(घ) झोपिड़यो स कसी आवाज आ रही ह और कयो उततरndash झोपिड़यो स रोिगयो क कराहन क करन और रोन की आवाज आ रही ह कयोिक गाव क लोग मलिरया और हज स पीिड़त थ | अकाल क कारण अनन की कमी हो गयी थी| औषिध और पथय न िमलन क कारण लोगो की हालत इतनी बरी थी िक कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माETHमा पकारता था |

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15 चालीर चिपलन यानी हम सब

लखक-िवण खर

पाठ का साराश ndashचालीर चिपलन न हाःय कलाकार क रप म परी दिनया क बहत बड़ दशरक वगर को हसाया ह | उनकी िफलमो न िफलम कला को लोकतािऽक बनान क साथ-साथ दशको की वगर और वणर-वयवःथा को भी तोड़ा | चालीर न कला म बिदध की अपकषा भावना को महततव िदया ह | बचपन क सघषोर न चालीर क भावी िफलमो की भिम तयार कर दी थी| भारतीय कला और सौदयरशासतर म करणा का हाःय म पिरवतरन भारतीय परमपरा म नही िमलता लिकन चालीर एक ऐसा जादई वयिकततव ह जो हर दश सःकित और सभयता को अपना सा लगता ह| भारतीय जनता न भी उनह सहज भाव स ःवीकार िकया ह| ःवय पर हसना चालीर न ही िसखाया| भारतीय िसनमा जगत क स िसदध कलाकार राजकपर को चालीर का भारतीयकरण कहा गया ह | चालीर की अिधकाश िफ़लम मक ह इसिलए उनह अिधक मानवीय होना पड़ा | पाठ म हाःय िफलमो क महान अिभनता lsquoचालीर चिपलनrsquo की जादई िवशषताओ का उललख िकया गया ह िजसम उसन करणा और हाःय म सामजःय ःथािपत कर िफ़लमो को सावरभौिमक रप दान िकया

शन१ -चालीर क जीवन पर भाव डालन वाली मखय घटनाए कौन सी थी

उततर- चालीर क जीवन म दो ऐसी घटनाए घटी िजनहोन उनक भावी जीवन पर बहत भाव डाला |

पहली घटना - जब चालीर बीमार थ उनकी मा उनह ईसा मसीह की जीवनी पढ़कर सना रही थी | ईसा क सली पर चढ़न क सग तक आत-आत मा-बटा दोनो ही रोन लग| इस घटना न चालीर को ःनह करणा और मानवता जस उचच जीवन मलय िदए |

दसरी घटना हETH बालक चालीर कसाईखान क पास रहता था| वहा सकड़ो जानवरो को रोज मारा जाता था| एक िदन एक भड़ वहा स भाग िनकली| भड़ को पकड़न की कोिशश म कसाई कई बार िफसला| िजस दखकर लोग हसन लग ठहाक लगान लग| जब भड़ को कसाई न पकड़ िलया तो बालक चालीर रोन लगा| इस घटना न उसक भावी िफलमो म ऽासदी और हाःयोतपादक ततवो की भिमका तय कर दी |

शन२ ETH आशय ःपषट कीिजएndash

चिपलन न िसफर िफलमकला को ही लोकतािऽक नही बनाया बिलक दशरको की वगर तथा वणर-वयवःथा को भी तोड़ा|

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उततर- लोकतािऽक बनान का अथर ह िक िफलम कला को सभी क िलए लोकिय बनाना और वगर और वणर-वयवःथा को तोड़न का आशय ह- समाज म चिलत अमीर-गरीब वणर जाितधमर क भदभाव को समापत करना |चिपलन का चमतकार यह ह िक उनहोन िफलमकला को िबना िकसी भदभाव क सभी लोगो तक पहचाया| उनकी िफलमो न समय भगोल और सःकितयो की सीमाओ को लाघ कर सावरभौिमक लोकियता हािसल की | चालीर न यह िसदध कर िदया िक कला ःवतनऽ होती ह अपन िसदधात ःवय बनाती ह |

शन३ETH चालीर चिपलन की िफलमो म िनिहत ऽासदीकरणाहाःय का सामजःय भारतीय कला और सौदयरशासतर की पिरिध म कयो नही आता

उततर- चालीर चिपलन की िफलमो म िनिहत ऽासदीकरणाहाःय का सामजःय भारतीय कला और सौदयरशासतर की पिरिध म नही आताकयोिक भारतीय रस-िसदधात म करणा और हाःय का मल नही िदखाया जाता कयोिक भारतीय सौदयरशासतर म करणरस और हाःय रस को परःपर िवरोधी माना गया ह अथारत जहा करणा ह वहा हाःय नही हो सकता भारत म ःवय पर हसन की परपरा नही ह परत चालीर क पाऽ अपन पर हसतETHहसात ह चालीर की िफ़लमो क दय हसात-हसात रला दत ह तो कभी करण दय क बाद अचानक ही हसन पर मजबर कर दत ह

शन४ETH चालीर क िफलमो की िवशषताए बताइए |

उततर- चालीर की िफ़लमो म हाःय और करणा का अदभत सामजःय ह उनकी िफ़लमो म भाषा का योग बहत कम ह चालीर की िफ़लमो म बिदध की अपकषा भावना का महततव अिधक ह उनकी िफ़लमो म सावरभौिमकता ह चालीर िकसी भी सःकित को िवदशी नही लगत चालीर सबको अपन लगत ह चालीर न िफ़लमो को लोकतािऽक बनाया और िफ़लमो म वगर तथावणर-वयवःथा को तोड़ा अपनी िफलमो म चालीर सदव िचर यवा िदखता ह

गदयाश-आधािरत अथरमहण-सबधी शनोततर

गदयाश सकत ETHचालीर चिपलन यानी हम सब (पषठ १२० )

यिद यह वषर चिपलन की काफी कछ कहा जाएगा |

शन (क)-िवकासशील दशो म चिपलन कयो मशहर हो रह ह

उततर - िवकासशील दशो म जस-जस टलीिवजन और वीिडयो का सार हो रहा ह लोगो को उनकी िफलमो को दखन का अवसर िमल रहा ह |एक बहत बड़ा वगर नए िसर स चालीर को घड़ी सधारत और जत खान की कोिशश करत दख रहा ह इसीिलए चालीर िवकासशील दशो म लोकिय हो रह ह |

(ख)- पिशचम म चालीर का पनजीरवन कस होता रहता ह

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उततर - पिशचम म चालीर की िफलमो का दशरन होता रहता ह| उनकी कला स रणा पाकर हाःय िफ़लम बनती रहती ह | उनक दवारा िनभाए िकरदारो की नकल अनय कलाकार करत ह | पिशचम म चालीर का पनजीरवन होता रहता ह|

(ग)- चालीर को लोग बढ़ाप तक कयो याद रखग

उततर ETHहाःय कलाकार क रप म लोग चालीर को बढ़ाप तक याद रखग कयोिक उनकी कला समय भगोल और सःकितयो की सीमाओ को लाघकर लाखो लोगो को हसा रही ह|

(घ)- चालीर की िफलमो क बार म काफी कछ कहा जाना कयो बाक़ी ह

उततर ETHचिपलन की ऐसी कछ िफ़लम या इःतमाल न की गयी रील िमली ह िजनक बार म कोई नही जानता था | चालीर की भावनाधान हाःय िफलमो न कला क नए ितमान ःथािपत िकए ह अत चालीर की िफलमो क बार म अभी काफी कछ कहा जाना बाक़ी ह|

16 नमक

लिखका - रिजया सजजाद जहीर

साराश -lsquoनमकrsquoभारत-पाक िवभाजन पर िलिखत मािमरक कहानी ह | िवःथािपत हए लोगो म अपनETHअपन जनम ःथानो क ित आज भी लगाव ह| धािमरक आधार पर बनी राषटर-राजयो की सीमा-रखाए उनक अतमरन को अलग नही कर पाई ह | भारत म रहन वाली िसख बीवी लाहौर को अपना वतन मानती ह और भारतीय कःटम अिधकारी ढाका क नािरयल पानी को यादकर उस सवरौषठ बताता ह दोनो दशो क नागिरको क बीच महबबत का नमकीन ःवाद आज भी कायम ह इसीिलए सिफ़या भारत म रहन वाली अपनी महबोली मा िसख बीवी क िलए लाहौरी नमक लान क िलए कःटम और कानन की परवाह नही करती

शन1- OcircनमकOtilde पाठ क आधार पर बताइए िक सिफया और उसक भाई क िवचारो म कया अतर था

उततर- १-सिफया भावनाओ को बहतमहततव दती ह पर उसका भाई बौिदधक वितत का ह उसकी दिषट म कानन भावनाओ स ऊपर ह|

२-सिफया मानवीय सबधो को बहत महततव दती ह जबिक उसका भाई अलगाववादी िवचारधारा का ह िहःस-बखर की बात करता ह |

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३-सिफया का भाई कहता ह िक अदीबो(सािहतयकार) का िदमाग घमा हआ होता ह जबिक सिफया जो ःवय अदीब ह उसका मानना ह िक अगर सभी लोगो का िदमाग अदीबो की तरह घमा हआ होता तो दिनया कछ बहतर हो जाती |

शन२- नमक ल जात समय सिफ़या क मन म कया दिवधा थी

उततर-सिफया सयद मसलमान थी जो हर हाल म अपना वायदा िनभात ह| पािकःतान स लाहौरी नमक ल जाकर वह अपना वायदा परा करना चाहती थी परनत जब उस पता चला िक कःटम क िनयमो क अनसार सीमापार नमक ल जाना विजरत ह तो वह दिवधा म पड़ गई | सिफ़या का दवदव यह था िक वह अपनी िसख मा क िलए नमक कःटम अिधकािरयो को बताकरल जाए या िछपाकर|

शन३- पाठ क आधार पर सिफया की चािरिऽक िवशषताए बताइए |

उततर सकत ndash

१- भावक

२- ईमानदार

३- दढ़िनशचयी

४- िनडर ५- वायद को िनभान वाली

६- मानवीय मलयो को सवोरपिर मानन वाली सािहतयकार शन ४- OcircनमकOtilde पाठ म आए िकरदारो क माधयम स ःपषट कीिजए िक आज भी भारत और पािकःतान की जनता क बीच महबबत का नमकीन ःवाद घला हआ ह |

उततर ETH भल ही राजनीितक और धािमरक आधार पर भारत और पािकःतान को भौगोिलक रप स िवभािजत कर िदया गया ह लिकन दोनो दशो क लोगो क हदय म आज भी पारःपिरक भाईचारा सौहािर ःनह और सहानभित िवदयमान ह | राजनीितक तौर पर भल ही सबध तनावपणर हो पर सामािजक तौर पर आज भी जनता क बीच महबबत का नमकीन ःवाद घला हआ ह | अमतसर म रहन वाली िसख बीबी लाहौर को अपना वतन कहती ह और लाहौरी नमक का ःवाद नही भला पाती | पािकःतान का कःटम अिधकारी नमक की पिड़या सिफया को वापस दत हए कहता ह जामा मिःजद की सीिढ़यो को मरा सलाम कहना | भारतीय सीमा पर तनात कःटम अिधकारी ढाका की जमीन को और वहा क पानी क ःवाद को नही भल पाता |

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गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

गदयाश सकत- पाठETH नमक (पषठ १३४)

सिफया कःटम क जगल स दोनो क हाथो म थी |

(क) सिफया कःटम क जगल स िनकलकर दसर पलटफामर पर आ गयी व वही खड़ रहETH इस वाकय म OcircवOtilde शबद का योग िकसक िलए िकया गया ह

उततर- यहा OcircवOtilde शबद का योग पािकःतानी कःटम अिधकारी क िलए िकया गया ह जो िवभाजन स पवर िदलली म रहत थ और आज भी िदलली को ही अपना वतन मानत ह |

(ख) पलटफामर पर सिफया को िवदा करन कौन-कौन आए थ उनहोन सिफया को कस िवदाई दी

उततर- पलटफामर पर सिफया को िवदा करन उसक बहत सार िमऽ सग सबधी और भाई आए थ| उनहोन ठडी सास भरत हए िभच हए होठो क साथ आस बहात हए सिफया को िवदाई दी |

(ग) अटारी म रलगाड़ी म कया पिरवतरन हए उततर- अटारी म रलगाड़ी स पािकःतानी पिलस उतरी और िहनदःतानी पिलस सवार हो गई|

(घ) कौन सी बात सिफया की समझ म नही आ रही थी उततर- दोनो ओर एक सी जमीन एक जसा आसमान एक सी भाषा एक सा पहनावा और एक सी सरत क लोग िफर भी दोनो क हाथो म भरी हई बदक ह |

17 िशरीष क फल

आचायर हजारी साद िदववदी

साराश ndashOcircआचायर हजारी साद िदववदीOtilde िशरीष को अदभत अवधत मानत ह कयोिक सनयासी की भाित वह सख-दख की िचता नही करता गमीर ल वषार और आधी म भी अिवचल खड़ा रहता ह िशरीष क फ़ल क माधयम स मनय की अजय िजजीिवषा धयरशीलता और कतरवयिनषठ बन रहन क मानवीय मलयो को ःथािपत िकया गया हलखक न िशरीष क कोमल फलो और कठोर फलो क दवारा ःपषट िकया ह िक हदय की कोमलता बचान क िलए कभी-कभी वयवहार की कठोरता भी आवयक हो जाती ह| महान किव कािलदास और कबीर भी िशरीष की तरह बपरवाह अनासकत और सरस थ तभी उनहोन इतनी सनदर रचनाए ससार को दी| गाधीजी क वयिकततव म भी कोमलता और कठोरता का अदभत सगम था | लखक सोचता ह िक हमार दश म जो मार-काट अिगनदाह लट-पाट खन-खचचर का बवडर ह कया वह दश को िःथर नही रहन दगा गलामी अशाित और िवरोधी वातावरण क बीच अपन िसदधातो की रकषा करत हए गाधीजी जी िःथर रह सक थ तो दश भी रह सकता ह जीन की बल अिभलाषा क कारण िवषम

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पिरिःथतयो म भी यिद िशरीष िखल सकता ह तो हमारा दश भी िवषम पिरिःथितयो म िःथर रह कर िवकास कर सकता ह

शन1-िसदध कीिजए िक िशरीष कालजयी अवधत की भाित जीवन की अजयता क मऽ का चार करता ह

उततर- िशरीष कालजयी अवधत की भाित जीवन की अजयता क मऽ का चार करता ह| जब पथवी अिगन क समान तप रही होती ह वह तब भी कोमल फलो स लदा लहलहाता रहता ह|बाहरी गरमी धप वषार आधी ल उस भािवत नही करती इतना ही नही वह लब समय तक िखला रहता ह | िशरीष िवपरीत पिरिःथितयो म भी धयरशील रहन तथा अपनी अजय िजजीिवषा क साथ िनःपह भाव स चड गरमी म भी अिवचल खड़ा रहता ह

शन२-आरगवध (अमलतास) की तलना िशरीष स कयो नही की जा सकती

उततर- िशरीष क फल भयकर गरमी म िखलत ह और आषाढ़ तक िखलत रहत ह जबिक अमलतास का फल कवल पनिह-बीस िदनो क िलए िखलता ह | उसक बाद अमलतास क फल झड़ जात ह और पड़ िफर स ठठ का ठठ हो जाता ह | अमलतास अलपजीवी ह | िवपरीत पिरिःथितयो को झलता हआ ऊण वातावरण को हसकर झलता हआ िशरीष दीघरजीवी रहता ह | यही कारण ह िक िशरीष की तलना अमलतास स नही की जा सकती |

शन३-िशरीष क फलो को राजनताओ का रपक कयो िदया गया ह

उततर- िशरीष क फल उन बढ़ ढीठ और परान राजनताओ क तीक ह जो अपनी कसीर नही छोड़ना चाहत | अपनी अिधकार-िलपसा क िलए नए यवा नताओ को आग नही आन दत | िशरीष क नए फलो को जबरदःती परान फलो को धिकयाना पड़ता ह | राजनीित म भी नई यवा पीढ़ी परानी पीढ़ी को हराकर ःवय सतता सभाल लती ह |

शन४- काल दवता की मार स बचन का कया उपाय बताया गया ह

उततर- काल दवता िक मार स बचन का अथर हETH मतय स बचना | इसका एकमाऽ उपाय यह ह िक मनय िःथर न हो| गितशील पिरवतरनशील रह | लखक क अनसार िजनकी चतना सदा ऊधवरमखी (आधयातम की ओर) रहती ह व िटक जात ह |

शन५- गाधीजी और िशरीष की समानता कट कीिजए |

उततर- िजस कार िशरीष िचलिचलाती धप ल वषार और आधी म भी अिवचल खड़ा रहता ह अनासकत रहकर अपन वातावरण स रस खीचकर सरस कोमल बना रहता ह उसी कार गाधी जी न भी अपनी आखो क सामन आजादी क समाम म अनयाय भदभाव और िहसा को झला |

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उनक कोमल मन म एक ओर िनरीह जनता क ित असीम करणा जागी वही व अनयायी शासन क िवरोध म डटकर खड़ हो गए |

गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

गदयाश सकत- पाठ ETH िशरीष क फल (पषठ १४७)

कािलदास सौदयर क वह इशारा ह |

(क) कािलदास की सौदयरETHदिषट की कया िवशषता थी उततर-कािलदास की सौदयरETHदिषट बहत सआम अतभरदी और सपणर थी| व कवल बाहरी रप-रग और आकार को ही नही दखत थ बिलक अतमरन की सदरता क भी पारखी थ| कािलदास की सौदयर शारीिरक और मानिसक दोनो िवशषताओ स यकत था |

(ख) अनासिकत का कया आशय ह उततर- अनासिकत का आशय ह- वयिकतगत सख-दःख और राग-दवष स पर रहकर सौदयर क वाःतिवक ममर को जानना |

(ग) कािलदास पत और रवीिनाथ टगोर म कौन सा गण समान था महाकिव कािलदास सिमऽानदन पत और गरदव रवीिनाथ टगोर तीनो िःथरजञ और अनासकत किव थ | व िशरीष क समान सरस और मःत अवधत थ |

(घ) रवीिनाथ राजोदयान क िसहदवार क बार म कया सदश दत ह राजोदयान क बार म रवीिनाथ कहत ह राजोदयान का िसहदवार िकतना ही सदर और गगनचमबी कयो ना हो वह अितम पड़ाव नही ह| उसका सौदयर िकसी और उचचतम सौदयर की ओर िकया गया सकत माऽ ह िक असली सौदयर इस पार करन क बाद ह अत राजोदयान का िसहदवार हम आग बढ़न की रणा दता ह |

18ौम-िवभाजन और जाित-था

डॉ० भीमराव अबडकर

साराश ndash इस पाठ म लखक न जाितवाद क आधार पर िकए जान वाल भदभाव को सभय समाज क िलए हािनकारक बताया ह | जाित आधािरत ौम िवभाजन को अःवाभािवक और मानवता िवरोधी बताया गया ह यह सामािजक भदभाव को बढ़ाता ह जाितथा आधािरत ौम िवभाजन म वयिकत की रिच को महततव नही िदया जाता फलःवरप िववशता क साथ अपनाए

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गए पश म कायर-कशलता नही आ पाती | लापरवाही स िकए गए कायर म गणवतता नही आ पाती और आिथरक िवकास बरी तरह भािवत होता ह| आदशर समाज की नीव समता ःवतऽता और बधतव पर िटकी होती ह समाज क सभी सदःयो स अिधकतम उपयोिगता ापत करन क िलए सबको अपनी कषमता को िवकिसत करन तथा रिच क अनरप वयवसाय चनन की ःवतऽता होनी चािहए| राजनीितजञ को अपन वयवहार म एक वयवहायर िसदधात की आवयकता रहती ह और यह वयवहायर िसदधात यही होता ह िक सब मनयो क साथ समान वयवहार िकया जाए

शन1-डॉ० भीमराव अबडकर जाितथा को ौम-िवभाजन का ही रप कयो नही मानत ह

उततर ndash

१- कयोिक यह िवभाजन अःवाभािवक ह | २- यह मन य की रिच पर आधािरत नही ह | ३- वयिकत की कषमताओ की उपकषा की जाती ह | ४- वयिकत क जनम स पहल ही उसका पशा िनधारिरत कर िदया जाता ह | ५- वयिकत को अपना वयवसाय बदलन की अनमित नही दती | शन२- दासता की वयापक पिरभाषा दीिजए |

उततर ndash दासता कवल काननी पराधीनता नही ह| सामािजक दासता की िःथित म कछ वयिकतयो को दसर लोगो क दवारा तय िकए गए वयवहार और कतरवयो का पालन करन को िववश होना पड़ता ह | अपनी इचछा क िवरदध पतक पश अपनान पड़त ह |

शन३- मनय की कषमता िकन बातो पर िनभरर रहती ह

उततर ndashमनय की कषमता मखयत तीन बातो पर िनभरर रहती ह-

१- शारीिरक वश परपरा

२- सामािजक उततरािधकार

३- मनय क अपन यतन

लखक का मत ह िक शारीिरक वश परपरा तथा सामािजक उततरािधकार िकसी क वश म नही ह परनत मन य क अपन यतन उसक अपन वश म ह | अत मनय की मखय कषमता- उसक अपन यतनो को बढ़ावा िमलना चािहए |

शन४- समता का आशय ःपषट करत हए बताइए िक राजनीितजञ परष क सदभर म समता को कस ःपषट िकया गया ह

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जाित धमर स दाय स ऊपर उठकर मानवता अथारत मानव माऽ क ित समान वयवहार ही समता ह राजनता क पास असखय लोग आत ह उसक पास पयारपत जानकारी नही होती सबकी सामािजक पषठभिम कषमताए आवयकताए जान पाना उसक िलए सभव नही होता अतः उस समता और मानवता क आधार पर वयवहार क यास करन चािहए

गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

गदयाश सकत-पाठ ौम िवभाजन और जाित था (पषठ १५३) यह िवडमबनाबना दती ह | शन १-ौम िबभाजन िकस कहत ह

उततर ौम िवभाजन का अथर हETH मानवोपयोगी कायोर का वगीरकरण करना| तयक कायर को कशलता स करन क िलए योगयता क अनसार िविभनन कामो को आपस म बाट लना | कमर और मानव-कषमता पर आधािरत यह िवभाजन सभय समाज क िलए आवयक ह |

शन २ - ौम िवभाजन और ौिमक-िवभाजन का अतर ःपषट कीिजए |

उततर- ौम िवभाजन म कषमता और कायर-कशलता क आधार पर काम का बटवारा होता ह जबिक ौिमक िवभाजन म लोगो को जनम क आधार पर बाटकर पतक पश को अपनान क िलए बाधय िकया जाता ह| ौम-िवभाजन म वयिकत अपनी रिच क अनरप वयवसाय का चयन करता ह | ौिमक-िवभाजन म वयवसाय का चयन और वयवसाय-पिरवतरन की भी अनमित नही होती िजसस समाज म ऊच नीच का भदभाव पदा करता ह यह अःवाभािवक िवभाजन ह |

शन ३ ETHलखक न िकस बात को िवडमबना कहा ह

उततर लखक कहत ह िक आज क वजञािनक यग म भी कछ लोग ऐस ह जो जाितवाद का समथरन करत ह और उसको सभय समाज क िलए उिचत मानकर उसका पोषण करत ह| यह बात आधिनक सभय और लोकतािनऽक समाज क िलए िवडमबना ह | शन ४ भारत म ऎसी कौन-सी वयवःथा ह जो पर िवशव म और कही नही ह

उततर लखक क अनसार जनम क आधार पर िकसी का पशा तय कर दना जीवनभर एक ही पश स बध रहना जाित क आधार पर ऊच-नीच का भदभाव करना तथा बरोजगारी तथा भखमरी की िःथित म भी पशा बदलन की अनमित न होना ऐसी वयवःथा ह जो िवशव म कही नही ह |

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अधययन साममी

ककषा बारहवी - िवतान भाग-2

िवतान भाग -२ पःतक म स शनपऽ म तीन कार क शन पछ जाएग -

शन १२ अित लघततरातमक तीन शनो म स दो क उततर दन ह| िनधारिरत अक - २ २ = ४

शन १३ दो िनबधातमक शनो म स एक शन का उततर| िनधारिरत अक ETH ५

शन १४ तीन लघततरातमक शनो म स दो शनो क उततर| िनधारिरत अक ETH ३ २ = ६

अिधक अक ािपत हत धयान दन योगय बात ndash

१ परा पाठ पढ़ तथा पाठ की िवषयवःत मख पाऽ तथा सदश की ओर अवय धयान द |

२ शनो क उततर दत समय अनावयक न िलख| शन को धयानपवरक पढ़कर उसका सटीक उततर द |

३ शबदसीमा का धयान रख | ४ अको क अनसार उततर िलख | ५ पाच अक वाल उततरो म िविभनन िबदओ को उदाहरण सिहत ःतत कर |

पाठ 1िसलवर विडग ETH मनोहर याम जोशी

पाठ का सार-िसलवर विडगOtilde कहानी की रचना मनोहर याम जोशी न की ह| इस पाठ क माधयम स पीढ़ी क अतराल का मािमरक िचऽण िकया गया ह| आधिनकता क दौर म यशोधर बाबपरपरागत मलयो को हर हाल म जीिवत रखना चाहत ह| उनका उसलपसद होना दफतर एवम घर क लोगो क िलए सरददर बन गया था | यशोधर बाब को िदलली म अपन पाव जमान म िकशनदा न मदद की थी अतः व उनक आदशर बन गए|

दफतर म िववाह की पचचीसवी सालिगरह क िदन दफतर क कमरचारी मनन और चडढा उनस जलपान क िलए पस मागत ह | जो व बड़ अनमन ढग स दत ह कयोिक उनह िफजलखचीर पसद नही |यशोधर

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बाब क तीन बट ह| बड़ा बटा भषण िवजञापन कमपनी म काम करता ह| दसरा बटा आई ए एस की तयारी कर रहा ह और तीसरा छाऽवित क साथ अमिरका जा चका ह| बटी भी डाकटरी की पढ़ाई क िलए अमिरका जाना चाहती ह वह िववाह हत िकसी भी वर को पसद नही करती| यशोधर बाबबचचो की तरककी स खश ह िकत परपरागत सःकारो क कारण व दिवधा म ह| उनकी पतनी न ःवय को बचचो की सोच क साथ ढाल िलया ह| आधिनक न होत हए भी बचचो क ज़ोर दन पर व अिधक माडनर बन गई ह|

बचच घर पर िसलवर विडग की पाटीर रखत ह जो यशोधर बाब क उसलो क िखलाफ था| उनका बटा उनह सिसग गाउन भट करता ह तथा सबह दध लन जात समय उस ही पहन कर जान को कहता ह जो उनह अचछा नही लगता| बट का ज़ररत स एयादा तनखवाह पाना तनखवाह की रकम ःवय खचर करना उनस िकसी भी बात पर सलाह न मागना और दध लान का िजममा ःवय न लकर उनह सिसग गाउन पहनकर दध लन जान की बात कहना जसी बात यशोधर बाब को बरी लगती ह| जीवन क इस मोड़ पर व ःवय को अपन उसलो क साथ अकल पात ह |

शनोततर -

शन १ अपन घर और िवदयालय क आस-पास हो रह उन बदलावो क बार म िलख जो सिवधाजनक और आधिनक होत हए भी बजगोर को अचछ नही लगत अचछा न लगन क कया कारण हो सकत ह

उततरः आधिनक यग पिरवतरनशील एव अिधक सिवधाजनक ह आज क यवाआधिनकता और पिरवतरनशीलता को महततव दत ह इसीिलए व नई तकनीक और फशन की ओर आकिषरत होत ह व ततकाल नयी जानकािरया चाहत ह िजसक िलए उनक पास कमपयटर इनटरनट एव मोबाइल जस आधिनक तकनीकी साधन ह इनक माधयम स व कम समय म जयादा जानकारी एकऽ कर लत ह घर स िवदयालय जान क िलए अब उनक पास बिढ़या साईिकल एव मोटर साईिकल ह आज यवा लड़क और लड़िकयो क बीच का अनतराल काफी कम हो गया ह परान जमान म लड़िकया-लड़को क साथ पढ़ना और िमलना-जलना ठीक नही माना जाता था जस आज क पिरवश म ह यवा लड़को और लड़िकयो दवारा अग दशरन आज आम बात हो गई ह व एक

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साथ दर रात तक पािटरया करत ह इनटरनट क माधयम स असभय जानकािरया ापत करत ह य सारी बात उनह आधिनक एव सिवधाजनक लगती ह

दसरी ओर इस तरह की आधिनकताबज़गोर को रास नही आतीकयोिक जब व यवा थउस समय सचार क साधनो की कमी थी पािरवािरक पषठभिम क कारण व यवावःथाम अपनी भावनाओ को

काब म रखत थ और अिधक िजममदार होत थ अपन स बड़ो का आदर करत थ और परपराओ क अनसार चलत थ आधिनक पिरवश क यवा बड़-बढ़ो क साथ बहत कम समय वयतीत करत ह इसिलए सोच एव दिषटकोण म अिधक अनतर आ गया ह इसी अनतर को lsquoपीढ़ी का अनतरrsquo कहत ह यवा पीढ़ी की यही नई सोच बजगोर को अचछी नही लगती

२ यशोधर बाब की पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती हलिकन यशोधर बाब असफल रहत हऐसा कयो

उततरः यशोधर बाब अपन आदशर िकशनदा स अिधक भािवत ह और आधिनक पिरवश म बदलत हए जीवन-मलयो और सःकारो क िवरदध ह जबिक उनकी पतनीअपन बचचो क साथ खड़ी िदखाई दती ह वह अपन बचचो क आधिनक दिषटकोण स भािवत ह इसिलए यशोधर बाब की पतनी समय क साथ पिरवितरत होती ह लिकन यशोधर बाब अभी भी िकशनदा क सःकारो और परपराओ स िचपक हए ह

३rsquoिसलवर विडगrsquoकहानी क आधार पर पीढ़ी क अतराल स होन वाल पािरवािरक अलगाव पर अपन िवचार कट कीिजए

उततरः साःकितक सरकषण क िलए ःवःथ परपराओ की सरकषा आवयक ह िकत बदलत समय और पिरवश स सामजःय की भी उपकषा नही की जानी चािहए अनयथा िसलवर विडग क पाऽो की तरह िबखराव होन लगता ह

४rsquoिसलवर विडगrsquoकहानी को धयान म रखत हए परपराओ और साःकितक सरकषको की वतरमान म उपादयता पर अपन िवचार कट कीिजए

उततरःपरपराओ और सःकित स ही िकसी दश की पहचान कायम रहती ह सादगी स जीकर गहःथी को बचाया जा सकता ह यिद ऐसा न होता तो शायद यशोधर बाब की सतान पढ़-िलखकर योगय न बनती

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५ िसलवर विडगक कथानायक यशोधर बाब एक आदशर वयिकत ह और नई पीढ़ी दवारा उनक िवचारो को अपनाना ही उिचत ह| इस कथन क पकष-िवपकष म तकर दीिजए

उततरः- पकषः नयी पीढ़ी क यवा उनकी सादगी और वयिकततव क कछक रक पहलओ को लकर सफल व सःकारी नागिरक बन सकत ह अनयथा व अपनी पहचान खो बठ ग

िवपकषःपरानी रिढ़यो को छोड़कर ही नए समाज व नई पीढ़ी क साथ सामजःय िबठाया जा सकता हअनयथा िवलगाव सिनिशचत ह

६ िसलवर विडग कहानी की मल सवदना ःपषट कीिजए

उततरः - सकत-िबद-पीढ़ी क अनतराल स पदा हई िबखराव की पीड़ा

७ िकशनदा की कौन-सी छिव यशोधर बाब क मन म बसी हई थी

सकत िबनद- 1उनकी दफतर म िविभनन रपो की छिव

2सर पर िनकलन वाली छिव

३ एक आदशरवादी वयिकत क रप म

४ परोपकारी वयिकत |

८ Ocircिसलवर विडगrsquoकहानी का मख पाऽ बार-बार िकशनदा को कयो याद करता हइस आप कया मानत ह उसकी सामथयर या कमजोरीऔरकयो

उततरः सामथयर मानत ह व उनक रक थ उनस अलग अपन को सोचना भी यशोधर बाब क िलए मिकल था जीवन का रणा-ॐोत तो सदा शिकत एव सामथयरका सजरक होता ह

९ पाठ म lsquoजो हआ होगाrsquo वाकय की िकतनी अथर छिवया आप खोज सकत ह

उततरः यशोधर बाब यही िवचार करत ह िक िजनक बाल-बचच ही नही होतव वयिकत अकलपन क कारण ःवःथ िदखन क बाद भी बीमार-स हो जात ह और उनकी मतय हो जाती ह| िजसकार यशोधर बाब अपन आपको पिरवार स कटा और अकला पात ह उसीकार अकलपन स मःत होकर उनकी मतय हई होगी यह भी कारण हो सकता ह िक उनकी िबरादरी स घोर उपकषा

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िमली इस कारण व सख-सख कर मर गए | िकशनदा की मतय क सही कारणो का पता नही चल सका बस यशोधर बाब यही सोचत रह गए िक िकशनदा की मतय कस हईिजसका उततर िकसी क पास नही था

१० वतरमान समय म पिरवार की सरचनाःवरप स जड़ आपक अनभव इस कहानी स कहा तक सामजःय िबठा पात ह

उततरः यशोधर बाब और उनक बचचो की सोच म पीढ़ीजनय अतराल आ गया ह यशोधर सःकारो स जड़ना चाहत ह और सयकत पिरवार की सवदनाओ को अनभव करत ह जबिक उनक बचच अपन आप म जीना चाहत ह अतः जररत इस बात की ह िक यशोधर बाब को अपन बचचो की सकारातमक नई सोच का ःवागत करना चािहएपरनत यह भी अिनवायर ह िक आधिनक पीढ़ी क यवा भी वतरमान बतक सःकार और जीवन मलयो क ित आकिषरत न हो तथा परानी पीढी की अचछाइयो को महण कर यह शरआत दोनो तरफ स होनी चािहए तािक एक नए एव सःकारी समाज की ःथापना की जा सक

११ यशोधर बाब क चिरऽ की िवशषताए िलिखए

उततरः1 कमरठ एव पिरौमी ndashसकशन ऑिफसर होन क बावजद दफतर म दर तक काम करत थ | व अनय कमरचािरयो स अिधक कायर करत थ |

2 सवदनशील- यशोधर बाब अतयिधक सवदनशील थ | व यह बात ःवीकार नही कर पात िक उनका बटा उनकी इजाजत िलए िबना ही घर का सोफा सट आिद खरीद लाता ह उनका साईिकल स दफतर जान पर ऐतराज करता ह उनह दध लन जान म असिवधा न हो इसिलए सिसग गाउन भट करता ह| पतनी उनकी बात न मानकर बचचो क कह अनसार चलती ह | बटी िववाह क बधन म बधन स इकार करती ह और उसक वसतरो म शालीनता नही झलकती | पिरवारवालो स तालमल न बठन क कारण व अपना अिधकतर समय घर स बाहर मिदर म तथा सबजीमडी म सबज़ी खरीदत िबतात ह |

3 परपरावादी- व परपरावादी थ |आधिनक समाज म बदलत समीकरणो को ःवीकार करन को तयार नही थ इसिलए पिरवार क अनय सदःयो स उनका तालमल नही बठ पा रहा था |

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४ धािमरक वयिकत-यशोधर बाब एक धािमरक वयिकत थ| व अपना अिधकतर समय पजा-पाठ और मिदर म िबतात थ |

१२ यशोधर बाब जस लोग समय क साथ ढ़लन म असफल कयो होत ह

उततरः ऐस लोग साधारणतया िकसी न िकसी स भािवत होत ह जस यशोधर बाब िकशन दा स य परपरागत ढरर पर चलना पसनद करत ह तथा बदलाव पसनद नही करत अतः समय क साथ ढ़लन म असफल होत ह

१३ भर-पर पिरवार म यशोधर बाब ःवय को अधरा-सा कयो अनभव करत ह

उततरःसकत िबनद - अपन ाचीन दायर स बाहर न िनकल सकन क कारण व ःवय को अधरा अनभव करत ह

१४lsquolsquoअभी तमहार अबबा की इतनी साख ह िक सौ रपए उधार ल सक rsquorsquo िकन पिरिःथितयो म यशोधर बाब को यह कहना पड़ा

उततरःसकत िबनद- पऽ दवारा उनक िनकट सबधी की आिथरक सहायता क िलए मनाही स आहत होकर ऐसा कहना पड़ा

१५ Ocircिसलवर विडगrsquo कहानी क तथय का िवशलषण कीिजए

उततरः सकत िबनद - पीढ़ी क अतराल को उजागर कर वतरमान समाज की इस कार की सचचाई स पदार उठाया गया ह

१६अपन बचचो की तरककी स खश होन क बाद भी यशोधर बाब कयामहसस करत ह

उततरः उनक बचच गरीब िरतदारो क ित उपकषा का भाव रखत ह उनकी यह खशहाली अपनो क बीच परायापन पदा कर रही ह जो उनह अचछा नही लगता

१७आजकल िकशनदा जसी जीवन-शली अपनान वाल बहत कम लोग िमलत ह कयो

उततर िकशन दा जस लोग मःती स जीत ह िनःःवाथर दसरो की सहायता करत ह जबिक आजकल सभी सहायता क बदल कछ न कछ पान की आशा रखत ह िबना कछ पान की आशा रख सहायता करन वाल िबरल ही होत ह

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१८ यशोधर बाब क बचचो की कौन-सी बात शसनीय ह और कौन-सा पकष आपिततजनक ह

उततर- शसनीय बात- १) महतवाकाकषी और गितशील होना | २)जीवन म उननित करना |

३)समय और सामथयर क अनसार घर म आधिनक सिवधाए जटाना |

आपिततजनक बात - १) वयवहार २) िपता िरतदारो धमर और समाज क ित नकारातमक भाव

३) मानवीय समबनधो की गिरमा और सःकारो म रिच न लना |

१९आपकी दिषट म(पाठ स अलग) िसलवर विडग मनान क और कौन स तरीक हो सकत ह जो यशोधर बाब को अचछ लगत

उततरः मिदर जाकरपिरवार क साथ कही घमन जाकरपऽ-पिऽयो दवारा

माता-िपता को उपहार दकर आिद

२० िसलवर विडग म चटाई का लहगा िकस कहा गया ह

उततरः यह एक तीकातमक योग ह िजस यशोधर बाब अपनी पतनी क िलए योग करत ह उनकी पतनी परानी परपराओ को छोड़ आधिनकता म ढ़ल गई ह ःवय को मॉडनर समझती ह

इसिलए यशोधर बाब न उनह यह नाम िदया ह व उनह Ocircशानयल बिढ़याrsquo तथा Ocircबढ़ी मह महास

लोग कर तमासrsquo कह कर भी िचढ़ात ह

२१ यशोधर बाब पिरवार क बावजद ःवय को अधरा कयो मानत ह

उततर - यशोधर बाब परानी परपराओ को माननवाल ह जबिक उनका सारा पिरवार आधिनक िवचारधारा का ह पीढ़ीगत अतराल क कारण पिरवार क साथ ताल-मल न िबठा पान क कारण व ःवय को अधरा समझत ह

अनय महततवपणर अभयास-शन

1 दफतर म यशोधर बाब स कमरचारी कयो परशान रहत थ

2 यशोधर बाब का अपन बचचो क साथ कसा वयवहार था

3 दफतर क बाद पत जी कया-कया काम करत थ

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4 ऑिफस क सािथयो न यशोधर बाब को िकस बात की बधाइरर दी

5 यशोधर बाब तिकया कलाम क रप म िकस वाकय का योग करत थइस तिकया कलाम का उनक वयिकततव तथा कहानी क कथय स कया सबध ह

6 पीढ़ी क अतराल स वयिकत अकला हो जाता हrsquo- ःपषट कर

७ अपन बट की बड़ी नौकरी पर यशोधर बाब को कया आपितत थी

पाठ 2 जझ आनद यादव

पाठ का सार ndashOcircजझOtilde पाठ आनद यादव दवारा रिचत ःवय क जीवनETHसघषर की कहानी ह| पढ़ाई परी न कर पान क कारण उसका मन उस कचोटता रहता था |दादा न अपन ःवाथोर क कारण उसकी पढ़ाई छड़वा दी थी |वह जानता था िक दादा उस पाठशाला नही भजग | आनद जीवन म आग बढ़ना चाहता था | वह जनता था िक खती स कछ िमलन वाला नही |वह पढ़गा-िलखगा तो बिढ़या-सी नौकरी िमल जाएगी |

आनद न एक योजना बनाई िक वह मा को लकर गाव क ितिषठत वयिकत दतता जी राव क पास जाएगा| दतता जी राव न उनकी परी बात सनी और दादा को उनक पास भजन को कहा | दतता जी न उस खब फटकारा आनद को भी बलाया | दादा न भी कछ बात रखी िक आनद को खती क कायर म मदद करनी होगी| आनद न उनकी सभी बात सहषर मान ली| आनद की पढ़ाई शर हो गई| शर म कछ शरारती बचचो न उस तग िकया िकनत धीर-धीर उसका मन लगन लगा| उसन ककषा क मानीटर वसत पािटल स दोःती कर ली िजसस उस ठीक कार स पढ़ाई करन की रणा िमली| कई परशािनयो स जझत हए आनद न िशकषा का दामन नही छोड़ा| मराठी पढ़ान क िलए ौी सौदलगकर आए| उनहोन आनद क हदय म एक गहरी छाप छोड़ी| उसन भी किवताओ म रिच लनी ारमभ की| उसन खतो म काम करत ETHकरत किवताए कठःथ की| माःटर न उसकी किवता बड़ धयान स सनी| बालक का आतमिवशवास बढ़न लगा और उसकी कावय-ितभा म िनखार आन लगा |

शनोततर-

१ जझ कहानी क आधार पर दतता जी राव दसाई का चिरऽ-िचऽण कीिजए

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उततर 1 समझदार वयिकतETH दतता जी राव न छोट स बालक आनद की बातो को सना| िफर आनद क दादा को बलाया और आनद को िवदयालय भजन पर जोर िदया| उनहोन दादा स इस कार बात की िक उनह शक ही नही हआ िक य सब उनह आनद न बताया ह|

2 मामीणो क मददगार ETH दतता जी गाव क ितिषठत एवम भावशाली वयिकत थ िकत उनहोन अपनी ितषठा का दरपयोग नही िकया| मामीण उनक पास अपनी समःयाए लकर आत थ| दतता जी उनकी समःयाओ को हल करन का यास करत थ|

3भावशाली वयिकततवETH दतता जी गाव क ितिषठत वयिकत थ| सभी उनह बहत मान दत थ| उनका वयिकततव रोबीला था और मामीण उनकी बात मान जात थ|

२ जझ कहानी का उददय कया ह अथवा

Ocircिवषम पिरिःथितयो म भी िवकास सभव हrsquolsquoजझrsquo कहानी क आधार पर ःपषट कीिजए|

उततरः इस कहानी का मखय उददय ह िक मनय को सघषर करत रहना चािहए| कहानी म लखक क जीवन क सघषर को उसक पिरवश क साथ िदखलाया गया ह लखक का िशकषा-ािपत हत िपता स सघषरककषा म सघषरखती म सघषर और अत म उसकी सफलता कहानी क उददय को ःपषट करत ह अतः समःयाओ स भागना नही चािहए| पर आतमिवशवास स उनका मकाबला करना चािहए| सघषर करन वाल को सफलता अवय िमलती ह|

३ lsquoजझrsquo कहानी क शीषरक की साथरकता पर िटपपणी कीिजए

उततरः जझका अथर ह ndashसघषर| यह कथा कथानायक क जीवन भर क सघषर को दशारती ह| बचपन स अभावो म पला बालक िवपरीत पिरिःथितयो पर िवजय हािसल कर सका|अतः यिद मन म लगन हो भरपर आतमिवशवास हो तो सफलता कदम चमती ह |

४ OcircजझOtilde कहानी क आधार पर आनदा क चिरऽ की िवशषताए बताइए अथवा

lsquoजझrsquoशीषरक क औिचतय पर िवचार करत हए यह ःपषट कर िक कया यह शीषरक कथानायक की िकसी कनिीय चािरिऽक िवशषता को उजागर करता ह

उततरः 1 पढ़न की लालसा- आनदा िपता क साथ खती का काम सभालता था| लिकन पढ़न की तीो इचछा न उस जीवन का एक उददय द िदया और वह अपन भिवय को एक सही िदशा दन म सफल होता ह|

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2 वचनबदधता- आनदा न िवदयालय जान क िलए िपता की जो शतर मानी थी उनका पालन हमशा िकया| वह िवदयालय जान स पहल बःता लकर खतो म पानी दता| वह ढोर चरान भी जाता| िपता की बातो का अनपालन करता|

3 आतमिवशवासी एव कमरठ बालकETHआनदा क जीवन म अभाव ही थ| उसक िपता न ही उसका पाठशाला जाना बद करवा िदया था| िकत उसन िहममत नही हारी पर आतमिवशवास क साथ योजनाबदध तरीक स आग बढ़ा और सफल हआ|

४ किवता क ित झकाव- आनदा न माःटर सौदलगकर स भािवत होकर कावय म रिच लनी ारमभ की| वह खतो म पानी दता भस चरात समय भी किवताओ म खोया रहता था| धीर-धीर वह ःवय तकबदी करन लगा| किवताए िलखन स उसम आतमिवशवास बढ़ा|

५ आननदा क िपता की भाित आज भी अनक गरीब व कामगार िपता अपन बचचो को ःकल नही भजना चाहतथ कयो आपकी दिषट म उनह िकस कार िरत िकया जा सकता ह

उततरः अिधकतर लोग अिशिकषत होन क कारण िशकषा क महततव को नही समझत| अिधक बचच कम आमदनी दो अितिरकत हाथो स कमाई की लालसा आिद इसक मख कारण ह उनह िरत करन हत उनह जागरक करना िशकषा का महततव बतानािशिकषत होकर जीवन ःतर म सधार क िलए ोतसािहत िकया जा सकता ह

६ सकारातमक सजनातमकता स आतमिवशवास को दढ़ता िमलती ह जझ कहानी क आधार पर समझाइए

उततरः लखक न पढ़ाई म ःवय को िपछड़ता हआ पाया| िकत िशकषक सौदलगकर स िरत होकर लखक कछ तकबदी करन लगा| धीर ETHधीर उसम आतमिवशवास बढ़न लगा| सजनातमकता न उसक जीवन को नया मोड़ िदया| अतः लखक क दवारा किवता रच लन स उसम आतमिवशवास का सजन हआ

७ lsquoजझrsquoकहानी क आधार पर बताइए िक एक भावशाली िशकषक िकस तरह अपन िवदयाथीर का भिवय सवार सकता ह अथवा

आननदा स किव डॉ आननद यादव बनन की याऽा म माःटर सौनदलगकर की भिमका ःपषट कीिजए

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उततरः माःटर सौदलगकर कशल अधयापक मराठी क जञाता व किवसरील ढग स ःवय कीव दसरो की किवताए गात थ आननदा को किवता या तकबनदी िलखन क ारिमभक काल म उनहोन उसका मागरदशरन व सधार िकयाउसका आतमिवशवास बढ़ाया िजसस वह धीर-धीर किवताए िलखन म कशल हो कर ितिषठत किव बन गया

८ आननदा कोपनः ःकल जान पर कया-कया झलना पड़ा

उततरः ःवय स कम आय क छाऽो क साथ बठना पड़ावह अनय छाऽो की हसी का पाऽ बना तथा उस िपता की इचछा क कारण घर व ःकल दोनो म िनरतर काम करना पड़ा

९ ःकल म मानीटर न आनदा को सवारिधक भािवत िकया और कस

उततरः मानीटर बसत पािटल न उस सवारिधक भािवत िकया|वह शात व अधययनशील छाऽ था आनदा उसकी नकल कर हर काम करन लगाधीर-धीर एकामिचत व अधययनशील बनकर आननदा भी ककषा म सममान का पाऽ बन गया

१० आपक दिषट स पढ़ाई-िलखाई क समबनध म लखक और दतता जी राव का रवया सही था या लखक क िपता कातकर सिहत उतर दीिजए

उततरः लखक का मत ह िक जीवन भर खतो म काम करक कछ भी हाथ आन वाला नही ह पीढ़ी दर पीढ़ी खतो म काम करक कछ ापत नही हो सका व मानत ह िक यह खती हम गढढ म धकल रही ह अगर म पढ़-िलख गया तो कही मरी नौकरी लग जाएगी या कोई वयापार करक अपन जीवन को सफल बनाया जा सकता ह मा-बटा जब दतता जी राव क घर जाकर परी बात बतात ह तो दतता जी राव िपता जी को बलाकर खब डाटत ह और कहत ह िक त सारा िदन कया करता ह बट और पतनी को खतो म जोत कर त सारा िदन साड की तरह घमता रहता ह कल स बट को ःकल भज अगर पस नही ह तो फीस म दगा परनत िपता जी को यह सब कछ बरा लगा दतता जी राव क सामन lsquoहाrsquo करन क बावजद भी व आननद को ःकल भजन क पकष म नही थ इस कार लखक और उनक िपताजी की सोच म एक बड़ा अनतर ह हमार खयाल स पढ़ाई-िलखाई क समबनध म लखक और दतता जी राव का रवया लखक क िपता की सोच स जयादा ठीक ह कयोिक पढ़न-िलखन स वयिकत का सवारगीण िवकास होता ह

अनय महततवपणर अभयास-शन

113

१ जझ पाठ क आधार पर बताइए िक कौन िकसस कहा जझ रहा ह तथा अपनी जझ म कौन सफल होता ह

२ आनदा का िपता कोलह जलदी कयो चलवाता था

३ पाठशाला म आनदा का पहला अनभव कसा रहा

४ दतता राव क सामन रतनपपा न आनदा को ःकल न भजन का कया कारण बताया

५ आनदा क िपता न उस पाठशाला भजन की सहमित िकस शतर पर दी

पाठ 3 अतीत म दब पाव ओम थानवी

पाठ का सारndashयहओम थानवी क याऽा-वततात और िरपोटर का िमला-जला रप ह|उनहोन इस पाठ म िवशव क सबस परान और िनयोिजत शहरो-मअनजो-दड़ो तथा हड़पपा का वणरन िकया ह | पािकःतान क िसध ात म मअनजो-दड़ो ओर पजाब ात म हड़पपा नाम क दो नगरो को पराततविवदो न खदाई क दौरान खोज िनकाला था|मअनजो-दड़ो ताकाल का सबस बड़ा शहर था |मअनजो-दड़ो अथारत मदोर का टीला| यह नगर मानव िनिमरत छोटETHछोट टीलो पर बना था |मअनजो-दड़ो म ाचीन और बड़ा बौदध ःतप ह | इसकी नगर योजना अिदवतीय ह| लखक न खडहर हो चक टीलो ःनानागार मद-भाडो कओETHतालाबो मकानो व मागोर का उललख िकया ह िजनस शहर की सदर िनयोजन वयवःथा का पता चलता ह| बःती म घरो क दरवाज मखय सड़क की ओर नही खलत हर घर म जल िनकासी की वयवःथा ह सभी नािलया की ढकी हई ह पककी ईटो का योग िकया गया ह|

नगर म चालीस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा एक महाकड भी ह |इसकी दीवार ओर तल पककी ईटो स बन ह | कड क पास आठ ःनानागार ह | कड म बाहर क अशदध पानी को न आन दन का धयान रखा गया | कड म पानी की वयवःथा क िलए कआ ह | एक िवशाल कोठार भी ह िजसम अनाज रखा जाता था |उननत खती क भी िनशान िदखत ह -कपास गह जौ सरसो बाजरा आिद क माण िमल ह|

िसध घाटी सभयता म न तो भवय राजमहल िमल ह ओर ही भवय मिदर| नरश क सर पर रखा मकट भी छोटा ह| मअनजो-दड़ो िसध घाटी का सबस बड़ा नगर ह िफर भी इसम भवयता व आडमबर का अभाव रहा ह| उस समय क लोगो न कला ओर सरिच को महततव िदया| नगर-िनयोजन धात एव पतथर की मितरया मद-भाड उन पर िचिऽत मानव ओर अनय

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आकितया महर उन पर बारीकी स की गई िचऽकारी| एक परातततववतता क मतािबक िसध सभयता की खबी उसका सौदयर-बोध ह जो राजपोिषत या धमरपोिषत न होकर समाजपोिषत था|

शनोततरndash

१ Ocircिसनध सभयता साधन समपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नही था |Otilde ःतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

उततरः दसरी सभयताए राजतऽ और धमरतऽ दवारा सचािलत थी वहा बड़-बड़ सनदर महल पजा ःथल भवय मितरया िपरािमड और मिनदर िमल ह राजाओ धमारचायोर की समािधया भी मौजद ह िकत िसनध सभयता एक साधन-समपनन सभयता थी परनत उसम राजसतता या धमरसतताक िचहन नही िमलत वहा की नगर योजनावाःतकलामहरोठपपोजल-वयवःथासाफ-सफाई और सामािजक वयवःथा आिद की एकरपतादवारा उनम अनशासन दखा जा सकता ह |साःकितक धरातलपर यह तथय सामन आता ह िक िसनध घाटी की सभयता दसरीसभयताओ स अलग एव ःवाभािवक

िकसी कार की किऽमता एव आडबररिहतथी जबिक अनय सभयताओ म राजतऽ और धमरतऽ की ताकत को िदखात हए भवय महल मिदर ओर मितरया बनाई गई िकत िसनध घाटी सभयता की खदाई म छोटी-छोटी मितरया िखलौन मद-भाड नाव िमली ह इस कार यह ःपषट ह िक िसनध सभयता समपनन थी परनत उसम भवयता का आडबर नही था

२ Ocircिसनध सभयता की खबी उसका सौनदयर बोध ह जो राजपोिषत न होकर समाज-पोिषत थाOcirc ऐसा कयो कहा गया ह

उततरः िसनध सभयता म औजार तो बहत िमलहपरत हिथयारो का भी योग होता रहा होगा इसका कोई माण नहीह व लोग अनशासनिय थ परनत यह अनशासन िकसी ताकत क बल क दवारा कायम नही िकया गयाबिलक लोग अपन मन और कमर स ही अनशासन िय थ मअनजो-दड़ो की खदाई म एक दाढ़ी वाल नरश की छोटी मितर िमली ह परनत यह मितर िकसी राजतऽ या धमरतऽ का माण नही कही जा सकती िवशव की अनय सभयताओ क साथ तलनातमक अधययन स भी यही अनमान लगाया जा सकता ह िक िसनध सभयता की खबी उसका सौनदयरबोध ह जो िक समाज पोिषत ह राजपोिषत या धमरपोिषत नही ह

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३ lsquoयह सच ह िक यहा िकसी आगन की टटी-फटी सीिढ़या अब आप को कही नही ल जातीव आकाश की तरफ अधरी रह जाती ह लिकन उन अधर पायदानो पर खड़ होकर अनभव िकया जा सकता ह िक आप दिनया की छत पर ह वहा स आप इितहास को नही उस क पार झाक रह हrsquo इसक पीछ लखक का कया आशय ह

उततरः इस कथन स लखक का आशय ह िक इन टट-फट घरो की सीिढ़यो पर खड़ होकर आप िवशव की सभयता क दशरनकर सकत ह कयोिक िसनध सभयता िवशव की महान सभयताओ म स एक ह िसनध सभयता आडबररिहत एव अनशासनिय ह खडहरो स िमल अवशषो और इन टट-फट घरो स कवल िसनध सभयता का इितहास ही नही दखा जा सकता ह बिलक उसस कही आग मानवता क िचहन ओर मानवजाित क बिमक िवकास को भी दखा जा सकता ह कई शन - ऐस कौन स कारण रह होग िक य महानगर आज कवल खडहर बन कर रह गए ह व बड़ महानगर कयो उजड़ गए उस जमान क लोगो की वाःतकला कला ओर जञान म रिच समाज क िलए आवयक मलय - अनशासन सादगी ःवचछता सहभािगता आिदहम मानवजाित क बिमक िवकास पर पनः िचतन करन पर मजबर कर दत ह इस कार हम इन सीिढ़यो पर चढ़कर िकसी इितहास की ही खोज नही करना चाहत बिलक िसनध सभयता क सभय मानवीय समाज को दखना चाहत ह

४ हम िसनध सभयता को जल-सःकित कस कह सकत ह

उततरःिसनध सभयता एक जल-सःकित थी | तयक घर म एक ःनानघरथा घर क भीतर स पानी या मला पानी नािलयो क माधयम स बाहर हौदी म आता ह और िफर बड़ी नािलयो म चला जाता ह कही-कही नािलया ऊपर स खली ह परनत अिधकतर नािलया ऊपर सबदह इनकी जलिनकासी वयवःथा बहत ही ऊच दजर की था | नगर म कओ का बध था य कए पककी ईटो क बन थ िसनध सभयता स जड़ इितहासकारो का मानना ह िक यह सभयता िवशव म पहली जञात सःकित ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ो नगर म सात सौ कए हयहा का महाकड लगभग चालीस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह|इस कार मअनजो-दड़ो म पानी की वयवःथा सभय समाज की पहचान ह

५ मअनजो-दड़ो की गह-िनमारण योजना पर सकषप म काश डािलए|

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उततर- मअनजो-दड़ो नगर की मखय सड़क क दोनो ओर घर ह परत िकसी भी घर का दरवाजामखय सड़क पर नही खलता घर जान क िलए मखय सड़क स गिलयो म जाना पड़ता हसभी घरो क िलए उिचत जल िनकासी वयवःथा ह घर पककी ईटो क बन ह|छोट घरो म िखड़िकया नही थी िकत बड़ घरो म आगन क भीतर चारो तरफ बन कमरो म िखड़िकया ह| घर छोट भी ह ओर बड़ भी िकत सभी घर कतार म बन ह|

६ lsquoिसनध सभयता ताकत स शािसत होन की अपकषा समझ स अनशािसत सभयता थीrsquo- ःपषट कीिजए

उततरःसकत िबद - खदाई स ापत अवशषो म औजार तो िमल ह िकत हिथयार नही| कोई खडग भाला धनष-बाण नही िमला|

तथा भवय महलो व समािधयो क न होन स कह सकत ह िक िसनध सभयता ताकत स नही समझ स अनशािसत थी

७ ससार की मखय ाचीन सभयताए कौन-कौन सी हाचीनतम सभयता कौन-सी ह उसकी मािणकता का आधार कया ह

उततरः िमॐ की नील घाटी की सभयता मसोपोटािमया की सभयता बबीलोन की सभयता िसनध घाटी की सभयता सबस ाचीन ह िसनध घाटी की सभयता माण ह 1922म िमल हड़पपा व

मअनजो-दड़ोनगरो क अवशष य नगर ईसा पवर क ह

८िसनध घाटी की सभयता की िविशषट पहचान कया ह

उततरः1 एक जस आकार की पककी ईटो का योग 2 जल िनकासी की उतकषट वयवःथा

3 ततकालीन वाःतकला 4 नगर का ौषठ िनयोजन

९ मअनजो-दड़ोम पयरटक कया-कया दख सकत ह

उततरः 1बौदध ःतप2 महाकड 3अजायबघर आिद

१० िसनध सभयता व आजकल की नगर िनमारण योजनाओ म सामय व अनतर बताइए

117

उततरः सामय-1 अचछी जल िनकास योजनाढकी हई नािलया 2 नौकरो क िलए अलग आवास वयवःथा 3 पककी ईटो का योग

अनतर- नगर योजना आधिनक तकनीक का योग अतयाधिनक भवनETHिनमारण साममी का योग|

११कलधरा कहा हमअनजो-दड़ोक खणडहरो को दख कलधरा की याद कयोआती ह

उततरः कलधरा जसलमर क महान पर पील पतथरो स बन घरो वाला सनदर गाव ह कलधरा क िनवासी 150 वषर पवर राजा स तकरार होन पर गाव खाली करक चल गए उनक घर अब खणडहर बन चक ह परत ढ़ह नही |घरो की दीवार और िखड़िकया ऐसी ह मानो सबह लोग काम पर गए ह और साझ होत ही लौट आएग |मअनजो-दड़ोक खणडहरो को दखकर कछ ऐसा ही आभास होता ह वहा घरो क खणडहरो म घमत समय िकसी अजनबी घर म अनिधकार चहल-कदमी का अपराधबोध होता ह| पराताितवक खदाई अिभयान की यह खबी रही ह िक सभी वःतओ को बड़ सहज कर रखा गया | अतः कलधरा की बःती और मअनजो-दड़ोक खणडहर अपन काल क इितहास का दशरन करात ह

अनय महततवपणर अभयास-शन

१ िसनध घाटी क िनवासी खती करत थ- इस कथन को िसदध कीिजए

२ rsquoटट-फट खणडहर सभयता और सःकित क इितहास क साथ-साथ धड़कती िजनदिगयो क अनछए समयो का दःतावज होत हrsquo इस कथन का भाव ःपषट कीिजए

३आज जल सकट एक बड़ी समःया ह| ऐस म िसनध सभयता क महानगर मअनजो-दड़ो की जल वयवःथा स कया रणा लीजा सकती ह भावी जल सकट स िनपटन क िलए आप कया सझाव दग

४मअनजो-दड़ोक अजायबघर म कौन-कोन सी वःतए दिशरत थी

५िसध सभयता अनय सभयताओ स िकस कार िभनन ह

६मअनजो-दड़ोकी मख िवशषताए िलिखए

७ िसधघाटी की सभयता लो-ोफाइल ह-ःपषट कीिजए

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८ लखक न ाचीन लडःकप िकस कहा ह उसकी कया िवशषता ह

९ ताकाल क दो सबस बड़ िनयोिजत शहर िकनह माना गया ह और कयो

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पाठ 4 डायरी क पनन ऐन क

पाठ का सार ETH Ocircडायरी क पननOtilde पाठ म Ocircद डायरी ऑफ ए यग गलरOtilde नामक ऐन क की डायरी क कछ अश िदए गए ह| Ocircद डायरी ऑफ ए यग गलरOtilde ऐन क दवारा दो साल अजञातवास क दरमयान िलखी गई थी| १९३३ म कफटर क नगरिनगम चनाव म िहटलर की नाजी पाटीर जीत गई| ततपशचात यहदी-िवरोधी दशरन बढ़न लग | ऐन क का पिरवार असरिकषत महसस करत हए नीदरलड क एमसटडरम शहर म जा बसा |िदवतीय िवशवयदध की शरआत तक(१९३९) तो सब ठीक था| परत १९४० म नीदरलड पर जमरनी का कबज़ा हो गया ओर यहिदयो क उतपीड़न का दौर शर हो गया| इन पिरिःथितयो क कारण १९४२ क जलाई मास म क पिरवारिजसम माता-िपतातरह वषर की ऐन उसकी बड़ी बहन मागोरट तथा दसरा पिरवार ndashवानदान पिरवार ओर उनका बटा पीटरतथा इनक साथ एक अनय वयिकत िमःटर डसल दो साल तक गपत आवास म रह| गपत आवास म इनकी सहायता उन कमरचािरयो न की जो कभी िमःटर क क दफतर म काम करत थ||Ocircद डायरी ऑफ ए यग गलरOtilde ऐन क दवारा उस दो साल अजञातवास क दरमयान िलखी गई थी|अजञातवास उनक िपता िमःटर ऑटो क का दफतर ही था| ऐन क को तरहव जनमिदन पर एक डायरी उपहार म िमली थी ओर उसम उसन अपनी एक गिड़या-िकटटी को समबोिधत िकया ह|

ऐनअजञातवास म परा िदनETH पहिलया बझाती अमज़ी व च बोलती िकताबो की समीकषा करती राजसी पिरवारो की वशावली दखती िसनमा ओर िथएटर की पिऽका पढ़ती और उनम स नायक-नाियकाओ क िचऽ काटतिबताती थी| वह िमसज वानदान की हर कहानी को बार-बार सनकर बोर हो जाती थी ओर िम डसल भी परानी बातETH घोड़ो की दौड़ लीक करती नाव चार बरस की उ म तर सकन वाल बचच आिद सनात रहत|

उसन यदध सबधी जानकारी भी दी ह- किबनट मऽी िम बोलक ःटीन न लदन स डच सारण म यह घोषणा की थी िक यदध क बाद यदध क दौरान िलखी गई डायिरयो का समह िकया जाएगा

119

वाययानो स तज़ गोलाबारी हज़ार िगलडर क नोट अवध घोिषत िकए गए | िहटलर क घायल सिनको म िहटलर स हाथ िमलान का जोश अराजकता का माहौल- कार साईिकल की चोरी घरो की िखड़की तोड़ कर चोरी गिलयो म लगी िबजली स चलन वाली घिड़या सावरजिनक टलीफोन चोरी कर िलए गए|

ऐन क न नारी ःवतऽता को महततव िदयाउसन नारी को एक िसपाही क बराबर सममान दन की बात कही| एक तरह वषीरय िकशोरी क मन की बचनी को भी वयकत िकया- जस िम डसल की ड़ाट-फटकार ओर उबाऊ भाषण दसरो की बात सनकर िमसज क का उसडाटना ओर उस पर अिवशवास करना बड़ो क दवारा उसक काम ओर कशसजजा पर टीका-िटपपणी करना िसनमा की पिऽका खरीदन पर िफज़लखचीर का आरोप लगाना पीटर दवारा उसक म को उजागर न करना आिद|

ऐन क की डायरी क दवारा िदवतीय िवशवयदध की िवभीिषका िहटलर एव नािजयो दवारा यहिदयो का उतपीड़न डर भखमरी गरीबी आतक मानवीय सवदनाए म घणा तरह साल की उ क सपन कलपनाए बाहरी दिनया स अलग-थलग पड़ जान की पीड़ा मानिसक ओर शारीिरक जररत हसी-मज़ाक अकलापन आिद का जीवत रप दखन को िमलता ह |

शनोततर ndash

१ lsquolsquoऐन की डायरी अगर एक ऐितहािसक दौर का जीवत दःतावज ह तो साथ ही उसक िनजी

सख-दःख और भावनातमक उथल-पथल का भी इन पषठो म दोनो का फकर िमट गया ह rsquorsquo इस कथन पर िवचार करत हए अपनी सहमित या असहमित तकर पवरक वयकत कर

उततरःऐन की डायरी अगर एक ऐितहािसक दौर का जीवत दःतावज ह तो साथ ही उसक िनजी सख-दःख और भावनातमक उथल-पथल का भी कयोिक इसम ऐन न िदवतीय िवशवयदध क समय हॉलड क यहदी पिरवारो की अकलपनीय यऽणाओ का वणरन करन क साथ-साथ वहा की राजनितक िःथित एव यदध की िवभीिषका का जीवत वणरन िकया हवाययानो स तज़ गोलाबारी हज़ार िगलडर क नोट अवध घोिषत िकए गए िहटलर क घायल सिनको म िहटलर स हाथ िमलान का जोश अराजकता का माहौलआिद| साथ हीयह डायरी ऐन क पािरवािरक सख-दःख और भावनातमक िःथित को कट करती ह- गरीबी भखमरीअजञातवास म जीवन वयतीत करना दिनया स िबलकल कट जाना पकड़ जान का डर आतक यह डायरी एक ओर वहा क राजनितक वातावरण म सिनको की िःथित आचरण व जनता पर होन वाल अतयाचार िदखाती

120

ह तो दसरी ओरएक तरह वषर की िकशोरी की मानिसकता कलपना का ससार ओर उलझन को भीिदखाती ह जो ऐन की आपबीती ह इस तरह यह डायरी ऐितहािसक दःतावज होन क साथ-साथ ऐन क जीवन क सख-दख का िचऽण भी ह

२ lsquolsquoयह साठ लाख लोगो की तरफ स बोलन वाली एक आवाज ह एक ऐसी आवाज जो िकसी सनत या किव की नही बिलक एक साधारण-सी लड़की की हrsquorsquo इलया इहरनबगर की इस िटपपणी क सदभर म ऐन क की डायरी क पिठत अशो पर िवचार कर

उततरः उस समय यरोप म लगभग साठ लाख यहदीथिदवतीय िवशवयदध म नीदरलड पर जमरनी का कबज़ा हो गया और िहटलर की नाजी फौज न यहिदयो को िविभनन कार स यऽणाए दन लग | उनह तरह-तरह क भदभाव पणर ओर अपमानजनक िनयम-कायदो को मानन क िलए बाधय िकया जान लगा |गःटापो (िहटलर की खिफया पिलस) छाप मारकर यहिदयो को अजञातवास स ढढ़ िनकालती ओर यातनागह म भज दती| अतः चारो तरफ अराजकता फली हई थी यहदी अजञातवास म िनरतर अधर कमरो म जीन को मजबरथउनह एक अमानवीय जीवन जीन को बाधय होना पड़ा|िहटलर की नाजी फौजका खौफ उनह हरवकत आतिकत करता रहता था | ऐन न डायरी क माधयम स न कवलिनजी सख-दःख और भावनाओ को वयकत िकयाबिलक लगभग साठ लाख यहदी समदाय की दख भरी िजनदगी को िलिपबदध िकया ह इसिलए इलया इहरनबगर की यह िटपपणी िक lsquolsquoयह साठ लाख लोगो की तरफ स बोलन वाली एक आवाज ह एक ऐसी आवाज जो िकसी सत या किव की नही बिलक एक साधारण-सी लड़की की हrsquoसवरमानय एव सतय ह

३ ऐन क कौन थीउसन अपनी डायरी म िकस काल की घटनाओ का िचऽण िकया हयह कयो महतवपणर ह

उततर ऐन क एक यहदी लड़की थी उसन अपनी डायरी म िदवतीय िवशवयदध (1939-

1945) क दौरान िहटलर की नाजी फौज न यहिदयो को िविभनन कार स यऽणाए दी| यह डायरी यदध क दौरान फली अराजकता और राजनितक पिरदय को दशारती ह| यह नािजयो दवारा यहिदयो पर िकए गए जलमो का एक ामािणक दःतावज ह और साथ ही साथ एक तरह वषीरय िकशोरी की भावनाए और मानिसकता को समझान म सहायक ह

४ डायरी क पनन पाठ म िम डसल एव पीटर का नाम कई बार आया ह इन दोनो का िववरणातमक पिरचय द

121

उततरः िमडसल- ऐन क िपता क साथ काम करत थ व ऐन व पिरवार क साथ अजञातवास म रह थ डसल उबाऊ लब-लब भाषण दत थ और अपन जमान क िकःस सनात रहत थ ऐन को अकसर डाटत थ व चगलखोर थ और ऐन की मममी स ऐन की सचची-झठी िशकायत करत थ

पीटर- िमःटर और िमसज वानदान का बटा था |वह ऐन का हमउ था ऐन का उसक ित आकषरण बढ़न लगा था और वह यह मानन लगी थी िक वह उसस म करती हऐन क जनमिदन पर पीटर न उस फलो का गलदःता भट िकया था| िकत पीटर सबक सामन म उजागर करन स डरता था| वह साधारणतया शाितिय सहज व आतमीय वयवहार करन वाला था

५ िकटटी कौन थीऐन क न िकटटी को सबोिधत कर डायरी कयो िलखी

उततरः OcircिकटटीOtildeऐन क की गिड़या थी गिड़या को िमऽ की भाित सबोिधत करन स गोपनीयता भग होन का डर न थाअनयथा नािजयो दवारा अतयाचार बढ़न का डर व उनह अजञातवास का पता लग सकता था| ऐन न ःवय (एक तरह वषीरय िकशोरी) क मन की बचनी को भी वयकत करन का ज़िरया िकटटी को बनाया |वह हदय म उठ रही कई भावनाओ को दसरो क साथ बाटना चाहती थी िकत अजञातवास म उसक िलए िकसी क पास समय नही था| िम डसल की ड़ाट-फटकार ओर उबाऊ भाषण दसरो क दवारा उसक बार म सनकर मममी (िमसज क) का उसड़ाटना ओर उस पर अिवशवास करना बड़ो का उस लापरवाह और तनकिमजाज मानना और उस छोटी समझकर उसक िवचारो को महततव न दना उसक दय को कचोटता था |अतः उसन िकटटी को अपना हमराज़ बनाकर डायरी म उस ही सबोिधत िकया|

६ lsquoऐन क की डायरी यहिदयो पर हए जलमो का जीवत दःतावज हrsquoपाठ क आधार पर यहिदयो पर हए अतयाचारो का िववरण द

उततरः िहटलर की नाजी सना न यहिदयो को कद कर यातना िशिवरो म डालकर यातनाए दी उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार िदया जाता था कई यहदी भयमःतहोकर अजञातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय पिरिःथितयो म जीना पड़ा| अजञातवास म उनह सनधमारो स भी िनबटना पड़ा उनकी यहदी सःकित को भी कचल डाला गया

122

७ lsquoडायरी क पननrsquoपाठ िकस पःतक स िलया गया हवह कब कािशत हईिकसन कािशत कराई

उततरः यह पाठ ऐन क दवारा डच भाषा म िलखी गई lsquoद डायरी ऑफ ए यग गलरrsquo नामक पःतक स िलया गया ह यह १९४७ म ऐन क की मतय क बाद उसक िपता िमःटर ऑटो क न कािशत कराई

अनय महततवपणर अभयास-शन

१ काश कोई तो होता जो मरी भावनाओ को गभीरता स समझ पाता| अफसोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नही िमला | कया आपको लगता ह िकऐन क इस कथन म उसक डायरी लखन का कारण छपा हआ ह

२ अजञातवास म उबाऊपन दर करन क िलए ऐन क व वान पिरवार कया करत थ

३ डच मऽी िक िकस घोषणा स ऐन रोमािचत हो उठी

४ ऐन क अनसार यदध म घायल सिनक गवर का अनभव कयो कर रह थ

५ Ocircहर कोई जानता था िक बलाव का कया मतलब होता हOtilde| ऐन की डायरी क आधार पर िलिखए |

६ lsquoकित ही तो एक ऐसा वरदान ह िजसका कोई सानी नही हrsquoऐसा कयो कहा गया ह

123

ितदशर न-पऽ

ककषा १२

िवषयिहनदी (क ििक) िनधारिरत समय ३ घट अिधकतम अक १००

खणड क

१ िनमनिलिखत गदयाश को धयान पवरक पिढ़ए तथा पछ गए शनो क सिकषपत उततर िलिखए लखक का काम काफी हद तक मधमिकखयो क काम स िमलता-जलता ह| मधमिकखया मकरद- समह करन क िलए कोसो दर तक चककर लगाती ह| व सदर और अचछ फलो का रसपान करती ह |तभी तो उनक मध म ससार का सवरौषठ माधयर रहता ह | यिद आप अचछा लखक बनना चाहत ह तो आपको भी यही वितत अपनानी होगी | अचछ मथो का खब अधययन करना होगा और उनक िवचारो का मनन करना होगा | िफर आपकी रचनाओ म मध का-सा माधयर आन लगगा | कोई अचछी उिकत कोई अचछा िवचार भल ही दसरो स महण िकया गया हो लिकन उस पर यथषट मनन कर आप उस अपनी रचना म ःथान दग तो वह आपका ही हो जाएगा | मननपवरक िलखी हई वःत क सबध म िकसी को यह कहन का साहस नही होगा िक वह अमक ःथान स ली गई ह या उिचछषट ह | जो बात आप अचछी तरह आतमसात कर लग वह मौिलक हो जाएगी | (क) अचछा लखक बनन क िलए कया करना चािहए ३

(ख) मधमकखी एव अचछ लखक म कया समानताए होती ह ३

(ग) लखक अपनी रचनाओ म माधयर कस ला सकता ह ३

(घ) कोई भी बात मौिलक कस बनती ह २

(ङ) मधमिकखयो क मध म ससार की सवर ौषठ मधरता कस आती ह २

(च) यथषट तथा उिचछषट शबदो क अथर िलिखए | १ (छ) उपयरकत गदयाश का उपयकत शीषरक िलिखए | १

२ िनमनिलिखत कावयाश को धयान पवरक पढ़कर पछ गए शनो क उततर िलिखए १५=५ साकषी ह इितहास हमी पहल जाग ह जामत सब हो रह हमार ही आग ह शऽ हमार कहा नही भय स भाग

कायरता स कहा ाण हमन तयाग ह

ह हमी किमपत कर चक सरपित तक का भी हदय

124

िफर एक बार ह िवशव गाओ तम भारत की िवजय कहा कािशत नही रहा ह तज हमारा

दिलत कर चक शऽ सदा हम परो दवारा बतलाओ तम कौन नही जो हम स हारा

पर शरणागत हआ कहा कब हम न पयारा

बस यदध माऽ को छोड़कर कहा नही ह हम सदय िफर एक बार ह िवशव तम गाओ भारत की िवजय (क) Ocircहमी पहल जाग हOtilde स कया अिभाय ह

(ख) Ocircह हमी किमपत कर चक सरपित तक का भी भी हदयOtilde स भारतवािसयो की िकस िवशषता का पता लगता ह

(ग) हमारी दयालता का वणरन किवता की िकन पिकतयो म िकया गया ह

(घ) िकसक जयघोष करन क िलए कहा गया ह

(ङ) सरपित तथा शरणागत शबदो क अथर िलिखए |

खणड ख

३ िनमनिलिखत िवषयो म स िकसी एक पर िनबध िलिखए ५

(क) सचार-बाित और भारत

(ख) पिरौम सफलता की कजी

(ग) महगाई की समःया

(घ) पराधीन सपनह सख नाही

४ ःववतत (बायोडाटा) ःतत करत हए कनिीय िवदयालय िवकासपरी नई िदलली क ाचायर को पःतकालय सहायक क पद हत आवदन-पऽ िलिखए | ५

अथवा दरदशरन क कनि िनदशक को िकसी िवशष कायरबम की सराहना करत हए पऽ िलिखए

(क) िनमन शनो क सिकषपत उततर िलिखए- ५

(i) फ़ीडबक कया ह

ह(ii) जनसचार क मख माधयम कौन ETHकौन सत ह(iii) पऽकारीय लखन स आप कया समझ

(iv) समाचार क मख तततव िलिखए | (v) पीत पऽकािरता स कया अिभाय ह

(ख) एक िदवसीय हिरदवार याऽाOtilde अथवा बकार पदाथोर स उपयोगी वःतएOtilde िवषय पर ितवदन

125

६ Otildeबःत का बढ़ता बोझOtilde अथवा Otildeजातीयता क षय पर फ़ीचर िलिखए ५

खणड ग ७ ो पढ़कर पछ गए शनो क उततर िलिखए- २४

का कया तातपयर ह

ग किव को ससार अचछा कयो नही लगता

कर भी खशी का माहौल कस बनाया जा सकता ह

भाट

यो बताया गया ह

८ ाश पर पछ गए शनो क उततर िलिखए ETH २३=६

िलिखए

ा िवषOtilde िव

िनमनिलिखत म स िकसी कावयाश क=८

म िनज उर क उदगार िलय िफ़रता हम िनज उर क उपहार िलय िफ़रता हयह अपणर ससार न मझको भाता म ःवपनो का ससार िलय िफ़रता ह म जला हदय म अिगन दहा करता हसख-दख दोनो म मगन रहा करता ह जग भव सागर तरन को नाव बनाए म भव मौजो पर मःत बहा करता ह (क) Otildeिनज उर क उद गार व उपहारOtilde- स किव (ख)किव न ससार को अपणर कयो कहा ( )

(घ) ससार म कषटो को सह

अथवा

िकसबी िकसान-कल बिनक िभखािर चाकर चपल नटचोर चार चटकी पट को पढतगन गढत चढत िगिरअटत गहन वन अहन अखटकी ऊच-नीच करमधरम अधरम किर पट ही को पचत बचत बटा-बटकी OcircतलसीOtilde बझाइ एक राम घनयाम ही त आिग बडवािगत बड़ी ह आिग पटकी ||

(क) पट भरन क िलए कया ETH कया करत ह

(ख)किव न िकन ETH िकन लोगो का वणरन िकया ह

(ग) किव क अनसार पट की आग कौन बझा सकता ह

(घ) पट की आग को बडवािगन स भी बड़ा किनमनिलिखत कावय

126

सका मझ डर था

लगी

(ख) कावयाश म यकत दोनो उपमाओ क य यर पर िटपपणी कीिजए | (ग) की कया समःया थी

अथवा ह

िलखा गया ह तथा उसकी कया िवशषता ह

९ ढापना

यर ःपषट कीिजए

१०

सकगा छ-न-कछ सचचा

वयकता क साथ काम आना |

का सीधा ETH सा उपाय कया ह

कयो

(ग)

(घ) बाजार स कब आनद िमलता ह

आिखरकार वही हआ िजजोर जबरदःती स

बात की चड़ी मर गई

और वह भाषा म बकार घमनहार कर मन उस कील की तरह

उसी जगह ठोक िदया | (क) बात की चड़ी मर जान व बकार घमन स किव का कया आशय

ोग सौदरचनाकार क सामन कथय और माधयम

आगन म ठनक रहा ह िजदयाया बालक तो हई चाद प ललचाया ह दपरण उस द क कह रही ह मा

दख आइन म चाद उतर आया ह (क) कावयाश की भाषा की दो िवशषताओ का उललख कीिजए (ख) यह कावयाश िकस छद म(ग) Otildeदख आइन म चाद उतर आया हOtilde-कथन क सौदयर को ःपषट कीिजए

िकनही दो शनो क उततर दीिजए ETH३२=६ (क) बािनत की गरजना का शोषक-वगर पर कया भाव पड़ता ह उनका मख

िकस मानिसकता का दयोतक ह

(ख) िफ़राक की रबाइयो म उभर घरल जीवन क िबबो का सौद(ग) कमर म बद किवता म िनिहत वयगय को उजागर कीिजए गदयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए ETH २४=८

पर उस जाद की जकड़ स बचन का सीधा ETH सा उपाय ह | वह यह िक बाजार जाओ तो खाली मन न हो | मन खाली हो तब बाजार न जाओ | कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चािहए | पानी भीतर हो ल का ल-पन वयथर हो जाता ह | मन लआय म भरा हो तो बाजार भी फला ETHका- फला ही रह जाएगा | तब वह घाव िबलकल नही द बिलक कछ आनद ही दगा | तब बाजार तमस कताथर होगा कयोिक तम कलाभ उस दोग | बाजार की असली कताथरता ह आ(क) बाजार क जाद की पकड़ स बचन (ख) बाजार कब नही जाना चािहए और

बाजार की साथरकता िकसम ह

127

म नही बन सका जो किव ह

ी क अनसार िशरीष कस जीिवत रहता ह

रचनाए िनकली हOtilde- आशय

चिपलन कौन था उसक भारतीयकरण स लखक का कया आशय ह

तततवो म स एक ातता को रखकर लखक न अपन आदशर ह अथवा नही आप इस ातता शबद स

ो क उततर दीिजए ETH ३२=६

अथवा

एक बार मझ मालम होता ह िक यह िशरीष एक अदभत अवधत ह | दःख हो या सखवह हार नही मानता | न ऊधो का लना न माधो का दना | जब धरती और आसमान जलत रहत ह तब भी यह हजरत न जान कहा स अपना रस खीचत रहत ह | मौज म आठो याम मःत रहत ह | एक वनःपितशासतरी न मझ बताया ह िक यह उस ौणी का पड़ ह जो वायमडल स अपना रस खीचता ह| जरर खीचता होगा | नही तो भयकर ल क समय इतन कोमल ततजाल और ऐस सकमार कसर को कस उगा सकता था अवधतो क मह स ही ससार की सबस सरस रचनाए िनकली ह | कबीर बहत कछ इस िशरीष क समान थ मःत और बपरवा पर सरस और मादक | कािलदास भी अनासकत योगी रह होग | िशरीष क फल फककड़ाना मःती स ही उपज सकत ह और OcircमघदतOcirc का कावय उसी कार क अनासकत अनािवल उनमकत हदयउमड़ सकता ह | जो किव अनासकत नही रह सका जोफककड़िकए ETH िकराए का लखा- जोखा िमलान म उलझ गया वह कया(क) लखक न िशरीष को कया सजञा दी ह तथा कयो

(ख) वनःपितशासतर(ग) Ocircअवधतो क मह स ही ससार की सबस सरस

ःपषट कर | (घ) लखक न सचच किव क बार म कया बताया ह

११ िकनही चार शनो क उततर दीिजए ETH३४=१२

(क) चालीर (ख) भिकतन दवारा शासतर क शन को सिवधा स सलझा लन का कया उदाहरण लिखका न िदया

(ग) Ocircगगरी फटी बल िपयासाOtilde इनदर सना क इस खलगीत म बलो को पयासा रहन की बातकयो मखिरत हई ह

(घ) लटटन क राजपहलवान लटटन िसह बन जान क बाद की िदनचयार पर कश डािलए (ङ) आदशर समाज क तीन

समाज िसतरयो को भी सिममिलत िकयाकहा तक सहमत ह

१२ िकनही दो शन(क) डायरी क पननOtilde क आधार पर मिहलाओ क बार म ऐन क िवचारो पर िटपपणी

कीिजए

128

ऐसा कयो

ो की नगर-योजना दशरको को अिभभत

) ऐसी दो िवशषताओ का उललख कीिजए कसन ऑिफसर वाईडी पत को अपन रोल

१४ स ापत जानकािरयो क आधार पर िसनध-सभयता की िवशषताओ र एक लख िलिखए ५

अथवा

वयिकततव की चार िवशषताओ पर सोदाहरण कश डािलए

(ख) अपन घर म अपनी Otildeिसलवर विडगOtilde क आयोजन म भी यशोधर बाब की अनक बात Otildeसम हाउ इोपरOtilde लग रही थी

(ग) OcircजझOtilde शीषरक को उपयकत ठहरान क िलए तीन तकर दीिजए १३ िकनही दो शनो क उततर सकषप म दीिजए-२२=४

(क) िसनध-सभयता क सबस बड़ शहर मअन-जोदड़कयो करती ह ःपषट कीिजए

(ख) OtildeजझOtilde कहानी म दसाई सरकार की भिमका पर कश डािलए (ग जो स

मॉडल िकसन दा स उततरािधकार म िमली थी Ocircमअनजोदड़ोOtilde क खननप

Otildeिसलवर विडगOtilde कहानी क आधार पर यशोधर बाब क

129

ितदशर शन-पऽ-२ ककषा बारहवी

िवषय- िहनदी(किनिक)

िनधारिरत समय3घणट अिधकतम अक-100

िनदरश िवदयाथीर जाच कर ल िकndash

शनपऽ म कल १४ शन ह |

सभी शन ठीक स छप ह

शन का उततर िलखन स पवर शन का बमाक अवय िलख इस शन पऽ को पढ़न क िलए 15 िमनट का समय िदया गया ह

खणड-क

शन-1 िनमनिलिखत कावयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए- (15=5)

तफानो की ओर घमा दो

नािवक िनज पतवार

आज िसध न िवष उगला ह

लहरो का यौवन मचला ह

आज हदय म और िसध म

साथ उठा ह जवार

तफानो की ओर घमा दो

नािवक िनज पतवार

लहरो क ःवर म कछ बोलो

इस अधड म साहस तोलो

कभी-कभी िमलता जीवन म

तफानो को पयार

130

तफानो की ओर घमा दो

नािवक िनज पतवार

यह असीमिनज सीमा जान

सागर भी तो यह पहचान

िमटटी क पतल मानव न

कभी न मानी हार

bull (क) उपयरकतकावयाशकाउपयकतशीषरकदीिजए (1) bull (ख) किवकहदयऔरिसधमकयासमानताह (1) bull (ग) जबजीवनमतफानोकापयारिमलतोकयाकरनाचािहएऔरकयो (1) bull (घ) किवसागरकोकयासमझानाचाहताह (1) bull (ड) ःततकावयाशकामलभावकयाह (1)

शन-2 िनमनिलिखत गदयाश को पढकर पछ गए शनो क उततर दीिजए (15)

सचािरतरय क दो सशकत ःतभ ह-थम ससःकार और िदवतीयसतसगित ससःकार भी पवर जीवन की सतसगित व सतकमोर की अिजरत सपितत ह और सतसगित वतरमान जीवन की दलरभ िवभित हिजस कार कधात की कठोरता और कािलख पारस क ःपशर माऽ स कोमलता और कमनीयता म बदल जाती हठीक उसी कार कमागीर का कालःय सतसगित स ःविणरम आभा म पिरवितरत हो जाता हसतत सतसगित स िवचारो को नई िदशा िमलती ह और अचछ िवचार मनय को अचछ कायोर म िरत करत हपिरणामत सचिरऽ का िनमारण होता ह आचायर हजारी साद िदववदी न िलखा ह- महाकिव टगोर क पास बठन माऽ स ऐसा तीत होता था मानो भीतर का दवता जाग गया हो

वःतत चिरऽ स ही जीवन की साथरकता हचिरऽवान वयिकतसमाज की शोभा ह शिकत हसचािरतरय स वयिकत ही नहीसमाज भी सवािसत होता ह और इस सवास स राषटर यशःवी बनता ह िवदरजी की उिकत अकषरश सतय ह िक सचिरऽ क बीज हम भल ही वश-परपरा स ापत हो सकत ह पर चिरऽ-िनमारण वयिकत क अपन बलबत पर िनभरर ह आनविशक परपरापिरवश और

131

पिरिःथित उस कवल रणा द सकत ह पर उसका अजरन नही कर सकत वह वयिकत को उततरािधकार म ापत नही होता

वयिकत-िवशष क िशिथल चिरऽ होन स पर राषटर पर चिरऽ-सकट उपिःथत हो जाता ह कयोिक वयिकत पर राषटर का एक घटक हअनक वयिकतयो स िमलकर एक पिरवारअनक पिरवारो स एक कल अनक कलो स एक जाित या समाज और अनकानक जाितयो और समाज-समदायो स िमलकर ही एक राषटर बनता ह आज जब लोग राषटरीय चिरऽ-िनमारण की बात करत ह तब व ःवय उस राषटर क एक आचरक घटक ह- इस बात को िवःमत कर दत ह

1 सतसगितकमागीरकोकससधारतीहसोदाहरणःपषटकीिजए (2) 2 चिरऽकबारमिवदरककयािवचारह (2) 3 वयिकत-िवशषकाचिरऽसमचराषटरकोकसभािवतकरताह (2) 4 वयिकतकचािरऽ-िनमारणमिकस-िकसकायोगदानहोताह (2) 5 सगितकसदभरमपारसकउललखसलखककयाितपािदतकरनाचाहताह(2)

6 वयिकतससःकतकसबनताहःपषटकीिजए (1) 7 आचरणउचचबनानकिलएवयिकतकोकयायासकरनाचािहए (1)

8 गदयाशकाउपयकतशीषरकदीिजए (1)

9 rsquoसrsquoऔरrsquoकrsquoउपसगोरसएक-एकशबदबनाइए (1) 10 rsquoचिरऽवानrsquoऔरlsquoपिरवशrsquoमयकतउपसगरऔरतययअलगकीिजए (1)

खणड- ख

शन-3 िनमनिलिखत म स िकसी एक िवषय पर िनबध िलिखए- (5) (क) षटाचार कारण और िनवारण

(ख) इककीसवी सदी का भारत

(ग) बदलत समाज म मिहलाओ की िःथित

(घ) बढता दषण और जन-ःवाःथय

132

शन-4 िकसी दिनक समाचार-पऽ क समपादक को जानहवी की ओर स एक पऽ िलिखएिजसम िनरतर महगी होती िशकषा को लकर िचता कट की गई हो (5)

अथवा रल याऽा क दौरान साधारण ौणी क यािऽयो को ःटशनो एव चलती गािडयो म िमलन वाली खान-पान की साममी सतोषजनक नही होती इस समःया की ओर अिधकािरयो का धयान आकषट करन क िलए अधीकषकखान-पान िवभागरल भवननई िदलली क नाम पऽ िलिखए

शन-5 (अ)िनमनिलिखत शनो क सिकषपत उततर दीिजए- bull (क) rsquoउलटािपरािमडrsquoशलीसआपकयासमझतह

(1) bull (ख) lsquoवॉचडॉगrsquoपऽकािरतासकयाआशयह

(1) bull (ग) लाइविकसकहतह

(1) bull (घ) िहदीकिकनहीदोराषटरीयसमाचारपऽोकनामिलिखए

(1) bull (ड) जनसचारकिकनहीतीनकायोरकाउललखकीिजए (1)

(आ) िनमनिलिखत म स िकसी एक िवषय पर आलख िलिखए (5)

(क) खतीकी जमीन पर फकटरी लगान को लकर चलन वाली बहस म भाग लत हए आलख िलिखए

(ख) आजादी क साठ सालो म गणतािऽक मलयो का ास हआ ह षटाचार न हर कषऽ को मःत कर रखा हETHइस िवषय पर एक आलख तयार कीिजए

शन-6 Ocircओलिमपक खलOtildeअथवा Ocircमहानगरो म बढ़त अपराध की समःयाOtilde पर लगभग 150 शबदो म एक फीचर तयार कीिजए (5)

133

134

खणड-ग

शन-7 िनमनिलिखत म स िकसी एक कावयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए- (२4=8)

म यौवन का उनमाद िलए िफरता ह

उनमादो म अवसाद िलए िफरता ह

जो मझको बाहर हसा रलाती भीतर

म हाय िकसी की याद िलए िफरता ह

कर यतन िमट सबसतय िकसी न जाना

नादान वही ह हाय जहा पर दाना

िफर मढ न कया जग जो इस पर भी सीख

म सीख रहा ह सीखा जञान भलाना

(क)किव जीवन म कया िलए घमता ह (2)

(ख)किव को बाहर-भीतर कया हसाता-रलाता ह (2)

(ग)lsquoनादान वही ह हायजहा पर दानाrsquoETHकिव न ऐसा कयो कहा होगा (2)

(घ) किव न यह कयो कहा िक सतय िकसी न नही जाना

(2)

अथवा

खती न िकसान कोिभखारी न भीखबिल

बिनक को बिनजन चाकर को चाकरी

जीिवका िबहीन लोग सीदयमान सोच बस

कह एक एकन सो lsquoकहा जाई का करी rsquo

बदह परान कही लोकह िबलोिकअत

135

साकर सब प राम रावर कपा करी

दािरद-दसानन दबाई दनी दीनबध

दिरत-दहन दिख तलसी हहा करी

(क) यपिकतयािकसकिवतासलीगईहऔरइसककिवकौनह (२)

(ख) तलसीकसमयकीआिथरकदशाकसीथी (2)

(ग) वदोमकयाकहागयाह (2)

(घ)तलसीनरावणकीतलनािकससकीहऔरकयो (2)

शन-8 िनमनिलिखत कावयाश पर पछ गए शनो क उततर दीिजए (२3=6)

ात नभ था बहत नीला शख जस

भोर का नभ

राख स लीपा हआ चौका

(अभी गीला पड़ा ह)

बहत काली िसल जरा स लाल कसर स

िक जस धल गई हो

ःलट पर या लाल खिड़या चाक

मल दी हो िकसी न

(क)ःतत कावयाश का भाव-सौदयर ःपषट कीिजए

(ख)कवयाश म यकत उपमा अलकार का उदाहरण चनकर िलिखए

(ग)उपयरकत कावयाश की भाषा की दो िवशषताए बताइए

अथवा

136

नहला क छलक-छलक िनमरल जल स

उलझ हए गसओ म कघी करक

िकस पयार स दखता ह बचचा मह को

जब घटिनयो म ल क ह िपनहाती कपड़

(क) ःतत कावयाश का भाव-सौदयर ःपषट कीिजए

(ख) ःतत कावयाश की भाषा सबधी िवशषताए बताइए

(ग)पनरिकत काश व अनास अलकार छािटए

शन-9 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- (3+3) (क) lsquoभाषा को सहिलयतrsquo स बरतन स कया अिभाय ह

(ख) किव क पास जो कछ अचछा-बरा ह वह िविशषट और मौिलक कस ह lsquoसहषर ःवीकारा हrsquo किवता क आधार पर उततर दीिजए

(ग) lsquoकमर म बद अपािहजrsquo करणा क मखौट म िछपी बरता की किवता ह ETH िवचार कीिजए

शन-10 िनमनिलिखत म स िकसी एक गदयाश को पढकर पछ गए शनो क उततर दीिजए -- (२4=8)

बाजार म एक जाद हवह जाद आख की राह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ही चलता हवस ही इस जाद की भी मयारदा हजब भरी हो और मन खाली हो ऐसी हालात म जाद का असर खब होता हजब खाली पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जायगा मन खाली ह तो बाजार की अनकानक चीजो का िनमऽण उस तक पहच जाएगाकही उस वकत जब भरी हो तब तो िफर वह मन िकसकी मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी लसभी सामान जररी और आराम को बढान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर हजाद की सवारी उतरी िक फ सी चीजो की बहतायत आराम म मदद नही दती बिलक खलल ही डालती ह

(क)बाजार क जाद को lsquoरप का जादrsquo कयो कहा गया ह

137

(ख)बाजार क जाद की मयारदा ःपषट कीिजए

(ग)बाजार का जाद िकस कार क लोगो को लभाता ह

(घ)इस जाद क बधन स बचन का कया उपाय हो सकता ह

अथवा

चालीर की अिधकाश िफलम भाषा का इःतमाल नही करती इसिलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना पडासवाक िचऽपट पर कई बड-बड कॉमिडयन हए ह लिकन व चिपलन की सावरभौिमकता तक कयो नही पहच पाए इसकी पड़ताल अभी होन को ह चालीर का िचर-यवा होना या बचचो जसा िदखना एक िवशषता तो ह हीसबस बड़ी िवशषता शायद यह ह िक व िकसी भी सःकित को िवदशी नही लगत यानी उनक आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आिद रहत ह व एक सतत lsquoिवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चालीर क सार सकटो म हम यह भी लगता ह िक यह lsquoमrsquo भी हो सकता ह लिकन lsquoमrsquo स जयादा चालीर हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह िक कछ अथोर म lsquoबःटर कीटनrsquo चालीर चिपलन स बड़ी हाःय-ितभा हो लिकन कीटन हाःय का काफका ह जबिक चिपलन मचद क जयादा नजदीक ह

(क)चालीर की िफलमो को मानवीय कयो होना पड़ा

(ख)चालीर चिपलन की सावरभौिमकता का कया कारण ह

(ग) चालीर की िफलमो की िवशषता कया ह

(घ) चालीर क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कयो लगत ह

शन-11 िनमनिलिखत म स िकनही चार शनो क उततर दीिजए- (४3=12)

(क)भिकतन और लिखका क बीच कसा सबध था lsquoभिकतनrsquo पाठ क आधार पर बताइए

(ख)िदनो-िदन गहरात पानी क सकट स िनपटन क िलए कया आज का यवावगर lsquoकाल मघापानी दrsquo की इदर सना की तजर पर कोई सामिहक आदोलन ारमभ कर सकता ह अपन िवचार िलिखए

138

(ग)लटटन पहलवान न ऐसा कयो कहा होगा िक मरा गर कोई पहलवान नही यही ढ़ोल ह

(घ) lsquoमानिचऽ पर एक लकीर खीच दन भर स जमीन और जनता बट नही जातीहrsquo- उिचत तकोर व उदाहरणो क जिरए इसकी पिषट कीिजए

(ड)िदववदी जी न िशरीष को कालजयी अवधत(सनयासी) की तरह कयो कहा ह

शन-12 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- (3+3=6) (क) lsquoिसलवरविडगrsquo म यशोधर बाब एक ओर जहा बचचोकी तरककी स खश होत हवही

कछ lsquoसमहाउइॉपरrsquo भी अनभवकरत ह ऐसा कयो

(ख) मोहजोदडो की गह-िनमारण योजना पर सकषप म काश डािलए (ग) ऐन क कौन थी उसकी डायरी कयो िसदध ह

शन-13 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- (2+2=4)

(क)सौदलगकर कौन थ तथा उनकी कया िवशषता थी

(ख)यशोधर बाब िकसस भािवत थ

(ग़)ऐन न 13जन 1944 क िदन िलखी अपनी डायरी म कया बताया ह

शन-14 िनमनिलिखत म स िकसी एक शन का उततर दीिजए- (5)

lsquoिसध सभयता की खबी उसका सौदयर-बोध ह जो राज-पोिषत या धमर-पोिषत न होकर समाज-पोिषत थाlsquo ऐसा कयो कहा गया

अथवा

lsquoिसलवर विडगrsquo कहानी क आधार पर यशोधर बाब क चिरऽ की िवशषताओ पर काश डािलए

139

ितदशर शन-पऽ-३

िहनदी (किनिक)

ककषा-बारह

िनधारिरत समय- 3 घणट अिधकतम अक-100

िनदरशः-इस शन पऽ म तीन खड ह- क ख और ग सभी खडो क उततर िलखना अिनवायर ह कपया शन का उततर िलखना शर करन स पहल शन का बमाक अवय िलख

खणड-क

0-1 िनमनिलिखत कावयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए-

पर िजनहोन ःवाथरवश जीवन िवषाकत बना िदया ह

कोिट-कोिट बभिकषतो का कौर तलक छीन िलया ह

लाभ-शभ िलखकर जमान का हदय चसा िजनहोन

और कल बगालवाली लाश पर थका िजनहोन

िबलखत िशश की वयथा पर दिषट तक िजनन न फरी

यिद कषमा कर द इनह िधककार मा की कोख मरी

चाहता ह धवस कर दना िवषमता की कहानी

हो सलभ सबको जगत म वसतरभोजनअनन पानी

नव-भवन िनमारण िहत म जजरिरत ाचीनता का

गढ़ ढहाता जा रहा ह

पर तमह भला नही ह

िवशवास बढ़ता ही गया

क) थम चार पिकतयो म भारत की िकन राजनीितक और सामािजक िःथित का वणरन ह1

140

ख) किव िकन लोगो को कषमा नही करना चाहता 1

ग) किव जगत क िहत क िलए कया करना चाहता ह 1

घ) पर तमह भला नही ह िकसक िलए सबोधन ह 1

ङ) कावयाश का उपयकत शीषरक दीिजए 1

0-2 िनमनिलिखत गदयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए

आज गाधी िचतन की शाशवतता महतता एव ासिगकता उनक अिहसा दशरन क कारण ही ह महातमा गाधी क दशरन की नीव अिहसा की वयापकता को वयिकतक आचरण तक सीिमत न करक जीवन क तयक कषऽ-धािमरक नितक सामािजक आिथरक और राजनितक कषऽो म सफलतापवरक यकत िकया

भारत म ही नही वरन ससार क अनय धमोर म भी अिहसा क िसदधानत को महततव दान िकया गया ह इःलाम धमर क वतरक हजरत महममद साहब क उपदशो म अिहसा क पालन का आमह ह यहिदयो क धमरमनथो का महततवपणर ःथान रहा ह ईसा मसीह का सपणर जीवन अिहसा का अिभवयकतीकरण ह सकरात क अिहसा पालन का उदाहरण अिवःमरणीय ह अतः ःपषट ह िक अिहसा का िसदधात अिपत इितहास म उसक सदभर की कहानी बहत ाचीन और िवःतत ह

यदयिप अिहसा भारतीय दशरन व धमर क िलए अित ाचीन ह परनत गाधी की िवशषता इस तथय म ह िक उनहोन अिहसा क परमपरागत िसदधात को आतमसात कर अपन अनभव स उसकी ःमितयो को नया आयाम िदया उनहोन अिहसा को वयिकतगत जीवन का ही नही वरन सामािजक जीवन का िनयम बनाकर उसका वयावहािरक योग िकया

क) lsquoआजrsquoस यहा कया तातपयर हगाधी िचतन rsquoस आप कया समझत ह 2

ख) अिहसा का िसदधात िवशव क अनय िकन धमरशासतरो म भी विणरत ह 2

घ) गदयाश क दसर अनचछद को पढ़कर अिहसा क िसदधात क बार म आपकी कया धारणा बनती ह 2

ङ) गाधी जी क अिहसा िसदधानत की कया िवशषता हजो परपरागत तरीको स हटकर ह 2

च) अिहसा क वयावहािरक योग स आप कया समझत ह2

141

छ) गदयाश क िलए उपयकत शीषरक दीिजए 1

ज) उपसगर और तयय अलग कीिजए

अिहसासामािजक 1

झ) रचना क अनसार वाकय भद बताइए

ईसा मसीह का समपणर जीवन अिहसा का अिभवयकतीकरण ह 1

ङ) िवशषण बनाइए-

शाशवतता ासिगकता 1

खणड-ख

0-3 िवदयालय म खल सामिमयो की कमी की िशकायत करत हए ाचायर को पऽ िलिखए

अथवा

िवदयालय क चौराह पर अराजक ततवो की भीड़ की िशकायत करत हए पिलस अधीकषक को पऽ िलिखए 5

0-4 िकसी एक िवषय पर िनबध िलिखए- 5

क) भारत की वजञािनक उपलिबधया

ख) सवरिशकषा अिभयान

ग) सामादाियकता एक अिभशाप

घ) कमपयटर का महतव

0-5(अ) गगा दषण क ित जागरकता पदा करन क िलए िकसी दिनक समाचार पऽ क िलए सपादकीय तयार कीिजए

अथवा

Ocircमिहला आरकषण समाज की आवयकताOtilde शीषरक पर आलख ःतत कीिजए 5

142

ब) िनमनिलिखत शनो क सिकषपत उततर िलिखए- 1

क) एडवोकसी पऽकािरता िकस कहत ह

ख) छापाखाना का आिवकार कब हआ

(ग) इटरनट पर कािशत होन वाला पहला समाचार-पऽ कौन था

(घ) पऽकािरता का छः ककार कया ह

(ङ) सपादक िकस कहत ह

0-6 विरषठ नागिरको क ित िजममदारी िवषय पर फीचर आलख तयार कीिजए

अथवा

पोिलयो बथ क दय की िरपोटर तयार कीिजए 5

खणड-ग

0-7 िनमनिलिखत कावयाश क आधार पर पछ गए शनो क उततर िलिखए

बात सीधी थी पर एक बार

भाषा क चककर म

जरा टढ़ी फस गई

उस पान की कोिशश म

भाषा को उलटा पलटा

तोड़ा मरोड़ा

घमाया िफराया

िक बात या तो बन

या िफर भाषा स बाहर आए-

लिकन इसस भाषा क साथ-साथ

143

बात और भी पचीदा होती चली गई

(क) बात िकस कार भाषा क चककर म फस जाती ह

(ख) भाषा को तोड़न मरोड़न क पीछ किव का कया योजन था

(ग) उपयरकत पिकत म िनिहत वयगय को ःपषट कर

(घ) किव न बात को बन जान क िलए कया सझाव िदया ह

अथवा

जनम स ही व अपन साथ लात ह कपास

पथवी घमती हई आती ह उनक बचन परो क पास

जब व दौड़त ह बसध

छतो को भी नरम बनात हए

िदशाओ को मदग की तरह बजात हए

जब व पग भरत हए चल आत ह

डाल की तरह लचील वग स अकसर

0-8 हो जाए न पथ म रात कही

मिजल भी ह तो दर नही

यह सोच थका िदन का पथी भी जलदी-जलदी कयो चलता ह 2

(क) कावयाश की भाषा की िवशषताओ का उललख कर

(ख) पथ शबद एव मिजल शबद का योग िकस रप म िकया गया ह

(ग) िदन का पथी जलदी-जलदी कयो चलता ह

अथवा

आगन म ढनक रहा ह िज़दयाया ह

144

बालक तो हई चाद प ललचाया ह

दपरण उस द द क कह रही ह मा

दख आइन म चाद उतर आया ह

(क) य पिकतया िकस छद म िलखी गई ह पद की िवशषता को ःपषट कर

(ख) भाषागत सौदयर की िकनही दो िवशषताओ का उललख कर

(ग) उपयरकत पिकतयो का भाव सौदयर ःपषट कर

0-9 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- 3

(क) भोर क नभ को राख स लीपा हआ चौका कयो कहा गया ह

(ख) किव को बहलाती सहलाती आतमीयता बरदाःत कयो नही होती ह

(ग) किव न िकस सहषर ःवीकारा ह

0-10 नीच िदए गए गदयाश क आधार पर पछ गए शनो क उततर द- 2

भोजन क समय जब मन अपनी िनिशचत सीमा क भीतर िनिदरषट ःथान महण कर िलया तब भिकतन न सननता स लबालब दिषट और आतमतिषट स आपलािवत मःकराहट क साथ मरी फल की थाली म एक अगल मोटी और गहरी काली िचततीदार चार रोिटया रखकर उस टढ़ी कर गाढ़ी दाल परोस दी पर जब उसक उतसाह पर तषारापात करत हए मन रआस भाव स कहा- यह कया बनाया हतब हो वह हतबिदध हो रही

(क) लिखका की थाली म कसी रोिटया थी रोिटयो क िचततीदार होन क कया कारण हो सकत ह

(ख) भिकतन की सननता स लबालब दिषट एव आतमतिषट क कया कारण हो सकत ह

(ग) खान क आसन पर लिखका कयो रआसी हो गई

(घ) भिकतन कयो हतबिदध हो गई

अथवा

145

अब तक सिफया का गःसा उतर चका था भावना क ःथान पर बिदध धीर-धीर उस ःथान पर हावी हो रही थी नमक की पिड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कःटम वालो क सामन सबस पहल इसी को रख दलिकन अगर कःटमवालो न न जान िदया तो मजबरी ह छोड़ दग लिकन िफर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स िकया थाहम अपन को सयद कहत ह िफर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा अगर इस कीनओ की टोकरी म सबस नीच रख िलया जाए तो इतन कीनओ क ढर म भला कौन इस दखगा और अगर दख िलया नही जीफलो की टोकिरया तो आत वकत भी िकसी की नही दखी जा रही थी इधर स कल इधर स कीन सब ही ला रह थ ल जा रह थ यही ठीक हिफर दखा जाएगा

(क) सिफया का गःसा कयो उतर गया था

(ख) सिफया की कया भावना थी और वह उसकी बिदध क सामन िकस कार पराःत हो गई

(ग) सिफया की उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सिफया न िकस वायद को परा करन की बात की हउस उसन िकस कार परा िकया

0-11 िनमनिलिखत शनो म स िकनही चार शनो क उततर दीिजए - 3

(क) लखक न िकस उददय स भगत जी का उललख िकया हउनका कौन-सा वयिकततव उभरकर हमार सामन आया ह

(ख) इनदर सना सबस पहल गगा भया की जय कयो बोलती हनिदयो का भारतीय सामािजकसाःकितकपिरवश म कया महतव ह

(ग) लटटन पहलवान ढोलक को ही अपना गर कयो मानता ह

(घ) लखक न िशरीष क पड़ को कालजयी अवधत की तरह कयो माना ह

(ङ) लखक िकन तकोर क आधार पर जाित था को अमानवीय एव अलोकतािऽक बताया ह

0-12 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर िलिखए 3

(क) Ocircडायरी क पननrsquoपाठ क आधार पर मिहलाओ क ित ऐन क क दिषटकोण को ःपषट कीिजए

146

(ख) जझrsquoकहानी का ितपादय सकषप म ःपषट कीिजए

(ग) Ocircिसलवर विडगOtilde कहानी क आधार पर िसदध कीिजए िक िकशन दा की परपरा िनभात हए यशोधर पत वतरमान क साथ नही चल पाए

0-13 ौी सौदलगकर क वयिकततव की उन िवशषताओ पर काश डािलए िजनक कारण जझrsquoक लखक क मन म किवता क ित लगाव उतपनन हआ

अथवा

lsquoिसलवर विडगrsquoम एक ओर िःथित को जयो-का-तयो ःवीकार लन का भाव ह तो दसरी ओर अिनणरय की िःथित भी कहानी क इस दवनदव को ःपषट कीिजए 5

0-14 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर सकषप म दीिजए 2

(क) Ocircिसलवर विडगrsquoक आधार पर यशोधर बाब क सामन आई िकनही दो Ocircसमहाव इॉपरrsquoिःथितयो का उललख कीिजए

(ख) Ocircऐन की डायरीrsquoउसकी िनजी भावनातमक उथल-पथल का दःतावज भी ह इस कथन की िववचना कीिजए

ग) कया िसध घाटी की सभयता को जल सःकित कह सकत ह ःपषट कीिजए

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उपयोगी सािहितयक बबसाईट

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48 httplamhon-ka-safarblogspotcom 49 httpaviramsahityablogspotcom 50 httpwwwhindisamaycom

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Page 3: KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN DEHRADUN REGION...क य वद य लय-स गठन KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN 1 द हर द न-स भ ग DEHRADUN REGION ब ध) 15+5=20

सह िनदरशक ौीमती भारती दवी राणा ाचायर क िीय िवदयालय आइएमएदहरादन

समनवयक

ौी अशोक कमार वाणरय उप ाचायर क िीय िवदयालय आइएमएदहरादन

साममी-िवनयास डॉ नीलम सरीन ःनातकोततर िशिकषकाक िीय िवदयालय आयध-िनमारणी रायपर दहरादन डॉ िवजय राम पाणडय ःनातकोततर िशकषकक िीय िवदयालय अपरक प दहरादन

डॉ सरनि कमार शमारःनातकोततर िशकषकक िीय िवदयालय बमाक-२ भासिव

हाथीबडकला दहरादन

ौीमती रजनी िसहःनातकोततर िशिकषका क िीयिवदयालय आइएमएदहरादन

ौीमती कमला िनखपारःनातकोततर िशिकषका क िीय िवदयालय एफआरआईदहरादन

िहनदी (किनिक) - पाठयबम

कोड स 302

ककषा XII (बारहवी )

अपिठत बोध (गदयाश और कावयाश-बोध) 15+5=20 रचनातमक-लखन एव जनसचार माधयम अिभवयिकत और माधयम (िट माधयम समपादकीय िरपोटर आलख फीचर-लखन) 5+5+5+5+5= 25

पाठयपःतक ndash आरोह भाग-२ (कावयाश‐20 गदयाश‐20) 40 परक-पःतक िवतान भाग-२ 15 कल अक 100

(क) अपिठत बोध 20 शन 1-कावयाश बोध पर आधािरत पाच लघततरातमक शन 15= 5 शन 2-गदयाश बोध पर आधािरत बोध योग रचनानतरण शीषरक आिद पर लघततरातमक शन 15

(ख) रचनातमक-लखन एव जनसचार माधयम 25

शन 3- िनबध (िकसी एक िवषय पर) 5

शन 4- कायारलय पऽ (िवकलप सिहत) 5

3

शन 5-(अ) िट माधयम समपादकीय िरपोटर आलख आिद पर पाच अित लघततरातमक शन 15=5 (आ) आलख (िकसी एक िवषय पर) 5 शन 6- फीचर लखन (जीवन-सनदभोर स जडी घटनाओ और िःथितयो पर फीचर लखन िवकलप सिहत) 5

(ग) आरोह भाग-२ (कावय भाग और गदय भाग) (20+20) =40 शन 7- दो कावयाशो म स िकसी एक पर अथर महण क ४ शन 8 शन 8- कावयाश क सौदयर-बोध पर दो कावयाशो म िवकलप िदया जाएगा तथा िकसी एक कावयाश क तीनो शनो क उततर दन होग | 6

शन 9- किवताओ की िवषयवःत स सबिधत तीन म स दो लघततरातमक शन (3+3)= 6 शन 10- दो म स िकसी एक गदयाश पर आधािरत अथर-महण क चार शन (2+2+2+2) =8 शन 11- पाठो की िवषयवःत पर आधािरत पाच म चार बोधातमक शन (3+3+3+3)=12 परक पःतक िवतान भाग -२ 15

शन 12-पाठो की िवषयवःत पर आधािरत तीन म स दो बोधातमक शन (3+3)=6 शन 13-िवचारसदश पर आधािरत तीन म स दो लघततरातमक शन (2+2)=4 शन 14- िवषयवःत पर आधािरत दो म स एक िनबधातमक शन 5 िनधारिरत पःतक (i) आरोह भाग-२ (एनसीईआरटी दवारा कािशत) (ii) िवतान भाग-२ (एनसीईआरटी दवारा कािशत) (ii) अिभवयिकत और माधयम (एनसीईआरटी दवारा कािशत)

4

1

अधययन-साममी

िहदी (क ििक) २०१२-१३ अपिठतिनधारिरत अक २० (गदय क िलए १५ तथा पदय क िलए ५ अक िनधारिरत ह) अपिठत अश को हल करन क िलए आवयक िनदरश

अपिठत अश म २० अको क शन पछ जाएग जो गदय और पदय दो रपो म होग| य शन एक या दो अको क होत ह | उततर दत समय िनमन बातो को धयान म रख कर उततर दीिजए ndash

१ िदए गए गदयाश अथवा पदयाश कोपछ गए शनो क साथ धयान पवरक दो बार पिढ़ए | २ शनो क उततर दन क िलए सबस पहल सरलतम शन का उततर दीिजए और िमलन पर

उसको रखािकत कर शन सखया िलख दीिजए िफर सरलतम स सरलतर को बम स छाट कर रखािकत कर शन सखया िलखत जाए |

३ उततर की भाषा आपकी अपनी भाषा होनी चािहए | ४ गदयाश म वयाकरण स तथा कावयाश म सौदयर-बोध स सबिधत शनो को भी पछा जाता

ह इसिलए वयाकरण और कावयाग की सामानय जानकारी को अदयतन रख | ५ उततर को अिधक िवःतार न दकर सकषप म िलख| ६ पछ गए अश क कथय म िजस तथय को बार-बार उठाया गया ह उसी क आधार पर

शीषरक िलख | शीषरक एक या दो शबदो का होना चािहए | १ अपिठत गदयाश का नमना- िनधारिरत अक १५

म िजस समाज की कलपना करता ह उसम गहःथ सनयासी और सनयासी गहःथ होग अथारत सनयास और गहःथ क बीच वह दरी नही रहगी जो परपरा स चलती आ रही ह| सनयासी उततम कोिट का मनय होता ह कयोिक उसम सचय की वितत नही होती लोभ और ःवाथर नही होता | यही गण गहःथ म भी होना चािहए | सनयासी भी वही ौषठ ह जो समाज क िलए कछ काम कर| जञान और कमर को िभनन करोग तो समाज म िवषमता उतपनन होगी ही |मख म किवता और करघ पर हाथ यह आदशर मझ पसद था |इसी की िशकषा म दसरो को भी दता ह और तमन सना ह या नही की नानक न एक अमीर लडक क हाथ स पानी पीना अःवीकार कर िदया था | लोगो न कहा ETH गर जी यह लड़का तो अतयत स ात कल का ह इसक हाथ का पानी पीन म कया दोष ह नानक बोल- तलहतथी म महनत क िनशाननही ह | िजसक हाथ म महनत क ठल पड़ नही होत उसक हाथ का पानी पीन म म दोष मानता ह | नानक ठीक थ | ौषठ समाज वह ह िजसक सदःय जी खोलकर महनत करत ह और तब भी जररत स जयादा धन पर अिधकार जमान की उनकी इचछा नही होती |

शनो का नमना- (क) Ocircगहःथ सनयासी और सनयासी गहःथ होगOtilde स लखक का कया आशय ह २

(ख) सनयासी को उततम कोिट का मनय कहा गया ह कयो १

2

(ग) ौषठ समाज क कया लकषण बताए गए ह १ (घ) नानक न अमीर लड़क क हाथ स पानी पीना कयो अःवीकार िकया २

(ङ) Ocircमख म किवता और करघ पर हाथOtilde- यह उिकत िकसक िलए योग की गई ह और कयो २

(च) ौषठ सनयासी क कया गण बताए गए ह १

(छ) समाज म िवषमता स आप कया समझत ह और यह कब उतपनन होती ह २

(ज) सनयासी शबद का सिध-िवचछद कीिजए | १

(झ) िवषमता शबद का िवलोम िलख कर उसम यकत तयय अलग कीिजए | २

(ञ) गदयाश का उपयकत शीषरक दीिजए | १ उततर ndash

(क) गहःथ जन सनयािसयो की भाित धन-समह और मोह स मकत रह तथा सनयासी जन गहःथो की भाित सामािजक कमोर म सहयोग कर िनठलल न रह |

(ख) सनयासी लोभ ःवाथर और सचय स अलग रहता ह | (ग) ौषठ समाज क सदःय भरपर पिरौम करत ह तथा आवयकता स अिधक धन पर

अपना अिधकार नही जमात | (घ) अमीर लड़क क हाथो म महनतकश क हाथो की तरह महनत करन क िनशान नही

थ और नानक महनत करना अिनवायर मानत थ | (ङ) मख म किवता और करघ म हाथOtilde कबीर क िलए कहा गया ह | कयोिक उसक घर

म जलाह का कायर होता था और किवता करना उनका ःवभाव था | (च) ौषठ सनयासी समाज क िलए भी कायर करता ह | (छ) समाज म जब जञान और कमर को िभनन मानकर आचरण िकए जात ह तब उस

समाज म िवषमता मान ली जाती ह |जञान और कमर को अलग करन पर ही समाज म िवषमता फलती ह |

(ज) सम + नयासी

(झ) िवषमता ETH समता OcircताOtilde तयय

(ञ) सनयास-गहःथ

२ अपिठत कावयाश का नमना- िनधारिरत अक ५ तम भारत हम भारतीय ह तम माता हम बट िकसकी िहममत ह िक तमह दषटता-दिषट स दख | ओ माता तम एक अरब स अिधक भजाओ वाली सबकी रकषा म तम सकषम हो अदमय बलशाली |

3

भाषा वश दश िभनन ह िफर भी भाई-भाई भारत की साझी सःकित म पलत भारतवासी | सिदनो म हम एक साथ हसत गात सोत ह दिदरन म भी साथ-साथ जागत पौरष धोत ह | तम हो शःय-यामला खतो म तम लहराती हो कित ाणमयी साम-गानमयी तम न िकस भाती हो | तम न अगर होती तो धरती वसधा कयो कहलाती

गगा कहा बहा करती गीता कयो गाई जाती

शन नमना (क) साझी सःकित का कया भाव ह १

(ख) भारत को अदमय बलशाली कयो कहा गया ह १

(ग) सख-दःख क िदनो म भारतीयो का परःपर सहयोग कसा होता ह १

(घ) साम-गानमयी का कया तातपयर ह १

(ङ) Ocircओ माता तम एक अरब स अिधक भजाओ वालीOtilde म कौन-सा अलकार

ह१

उततर ndash (क) भाषा वश दश िभनन होत हए भी सभी क सख-दःख एक ह | (ख) भारत की एक अरब स अिधक जनता अपनी मजबत भजाओ स सबकी सरकषा करन

म समथर ह | (ग) भारतीयो का वयवहार आपसी सहयोग और अपनपन स भरा ह सब सग-सग हसत-

गात ह और सग-सग किठनाइयो स जझत ह | (घ) समधर सगीत स यकत | (ङ) रपक |

३ िनबध-लखन - िनधारिरत अक ५

िनबध-लखन करत समय छाऽोको िनमन बात धयान म रखनी चािहए ndash

bull िदए गए िवषय की एक रपरखा बना ल | bull रपरखा-लखन क समय पवारपर सबध क िनयम का िनवारह िकया जाए | पवारपर

सबध क िनवारह का अथर ह िक ऊपर की बात उसक ठीक नीच की बात स जड़ी होनी चािहए िजसस िवषय का बम बना रह |

bull पनरावितत दोष न आए | bull भाषा सरल सहज और बोधगमय हो | bull िनबध का ारमभ िकसी कहावत उिकत सिकत आिद स िकया जाए |

4

bull िवषय को ामािणक बनान क उददय स िहनदी सःकत अमजीउदर की सिकतयाएव उदधरण भी बीच-बीच म दत रहना चािहए |

bull भिमकाःतावना म िवषय का सामानय पिरचय तथा उपसहार म िवषय का िनकषर होना चािहए |

िनबध हत नमना रपरखा िवजञान वरदान या अिभशाप

१ भिमका ःतावना

२ िवजञान का अथर

३ िवजञान वरदान ह ndash

bull िशकषा क कषऽ म

bull िचिकतसा क कषऽ म

bull मनोरजन क कषऽ म

bull किष क कषऽ म

bull यातायात क कषऽ म

४ िवजञान अिभशाप ह ndash

bull िशकषा क कषऽ म

bull िचिकतसा क कषऽ म

bull मनोरजन क कषऽ म

bull किष क कषऽ म

bull यातायात क कषऽ म

५ िवजञान क ित हमार उततरदाियतव

६ उपसहार

िवशष उकत रपरखा को आवयकता क अनरप िविभनन कषऽो को जोड़कर बढ़ाया जा सकता ह |

अभयास हत िनबध-

१ महानगरीय जीवन अिभशाप या वरदान

२ आधिनक िशकषा-पदधित गण व दोष

३ िवजञान व कला ४ बदलत जीवन मलय

५ नई सदी नया समाज

६ कामकाजी मिहलाओ की समःयाए दश की गित म मिहलाओ का योगदान

5

७राषटर-िनमारण म यवा पीढ़ी का योगदान

८ इटरनट की दिनया ९ पराधीन सपनह सख नाही १० लोकतऽ म मीिडया की भिमका ११ गित क पथ पर भारत

१२ जन आदोलन और सरकार १३ षटाचार समःया और समाधान १४ महगाई की मार १५ खल-कद म उतरता भारत ऑलिपक २०१२

४ पऽ-लखन-िनधारिरत अक ५ िवचारो भावो सदशो एव सचनाओ क स षण क िलए पऽ सहज सरल तथा पारपिरक माधयम ह पऽ अनक कार क हो सकत ह पर ाय परीकषाओ म िशकायती-पऽ आवदन-पऽ तथा सपादक क नाम पऽ पछ जात ह इन पऽो को िलखत समय िनमन बातो का धयान रखा जाना चािहए

पऽ-लखन क अग- १ पता और िदनाक- पऽ क ऊपर बाई ओर षक का पता व िदनाक िलखा जाता ह

(छाऽ पत क िलए परीकषा-भवन ही िलख) २ सबोधन और पताndash िजसको पऽ िलखा जारहा ह उसको यथानरप सबोिधत िकया

जाता ह औपचािरक पऽो म पद-नाम और कायारलयी पता रहता ह | ३ िवषय ETH कवल औपचािरक पऽो म योग कर (पऽ क कथय का सिकषपत रप िजस

पढ़ कर पऽ की साममी का सकत िमल जाता ह ) ४ पऽ की साममी ndash यह पऽ का मल िवषय ह इस सकषप म सारगिभरत और िवषय क

ःपषटीकरण क साथ िलखा जाए | ५ पऽ की समािपत ndash इसम धनयवाद आभार सिहत अथवा साभार जस शबद िलख कर

लखक अपन हःताकषर और नाम िलखता ह | धयान द छाऽ पऽ म कही अपना अिभजञान (नाम-पता) न द | औपचािरक पऽो म िवषयानरप ही अपनी बात कह | िदव-अथरक और बोिझल शबदावली स बच |

६ भाषा शदध सरल ःपषट िवषयानरप तथा भावकारी होनी चािहए पऽ का नमना अःपताल क बधन पर सतोष वयकत करत हए िचिकतसा-अधीकषक को पऽ िलिखए | परीकषा-भवन

6

िदनाक ----- मानाथर िचिकतसा-अधीकषक कोरोनशन अःपताल दहरादन | िवषय अःपताल क बधन पर सतोष वयकत करन क सदभर म - मानयवर इस पऽ क माधयम स म आपक िचिकतसालय क स बधन स भािवत हो कर आपको धनयवाद द रहा ह | गत सपताह मर िपता जी हदय-आघात स पीिड़त होकर आपक यहा दािखल हए थ | आपक िचिकतसको और सहयोगी ःटाफ न िजस ततपरता कतरवयिनषठा और ईमानदारी स उनकी दखभाल तथा िचिकतसा की उसस हम सभी पिरवारी जन सतषट ह | हमारा िवशवास बढ़ा ह | आपक िचिकतसालय का अनशासन शसनीय ह | आशा ह जब हम पनपररीकषण हत आएग तब भी वसी ही सवयवःथा िमलगी | साभार भवदीय क ख ग अभयासाथर शन-

१ िकसी दिनक समाचार-पऽ क सपादक क नाम पऽ िलिखए िजसम वकषो की कटाई को रोकन क िलए सरकार का धयान आकिषरत िकया गया हो

२ िहसा-धान िफ़लमो को दख कर बालवगर पर पड़न वाल द भाव का वणरन करत

हए िकसी दिनक पऽ क सपादक क नाम पऽ िलिखए ३ अिनयिमत डाक-िवतरण की िशकायत करत हए पोःटमाःटर को पऽ िलिखए ४ िलिपक पद हत िवदयालय क ाचायर को आवदन-पऽ िलिखए ५ अपन कषऽ म िबजली-सकट स उतपनन किठनाइयो का वणरन करत हए अिधशासी अिभयनता िवदयत-बोडर को पऽ िलिखए ७ दिनक पऽ क सपादक को पऽ िलिखए िजसम िहदी भाषा की िदव-रपता को

समापत करन क सझाव िदए गए हो |

५ (क) अिभवयिकतऔरमाधयम (एक-एक अक क ५ शन पछ जाएग तथा उततर सकषप म िदए जाएग )

उततम अक ापत करन क िलए धयान दन योगय बात- १ अिभवयिकत और माधयम स सबिधत शन िवशष रप स तथयपरक होत ह अत उततर

7

िलखत समय सही तथयो को धयान म रख २ उततर िबदवार िलख मखय िबद को सबस पहल िलख द ३ शदध वतरनी का धयान रख ४ लख साफ़-सथरा एवम पठनीय हो ५ उततर म अनावयक बात न िलख ६ िनबधातमक शनो म बमबदधता तथा िवषय क पवारपर सबध का धयान रख तथयो तथा

िवचारो की पनरावितत न कर जनसचारमाधयम

१ सचार िकस कहत ह OcircसचारOtilde शबद चर धात क साथ सम उपसगर जोड़न स बना ह- इसका अथर ह चलना या एक ःथान स दसर ःथान तक पहचना |सचार सदशो का आदान-दान ह | सचनाओ िवचारो और भावनाओ का िलिखत मौिखक या दय-ौवय माधयमो क जिरय सफ़लता पवरक आदान-दान करना या एक जगह स दसरी जगह पहचाना सचार ह

२ सचार अनभवो की साझदारी ह - िकसन कहा ह िसदध सचार शासतरी िवलबर ौम न |

३ सचार माधयम स आप कया समझत ह सचार-िबया को सपनन करन म सहयोगी तरीक तथा उपकरण सचार क माधयम कहलात ह

४ सचार क मल तततव िलिखए | bull सचारक या ॐोत

bull एनकोिडग (कटीकरण )

bull सदश ( िजस सचारक ापतकतार तक पहचाना चाहता ह)

bull माधयम (सदश को ापतकतार तक पहचान वाला माधयम होता ह जस- धविन-तरग वाय-तरग टलीफोन समाचारपऽ रिडयो टी वी आिद)

bull ापतकततार (डीकोिडग कर सदश को ापत करन वाला)

bull फीडबक (सचार िबया म ापतकततार की ितिबया) bull शोर (सचार िबया म आन वाली बाधा)

५ सचारकमखकारोकाउललखकीिजए bull साकितकसचार bull मौिखकसचार bull अमौिखक सचार

bull अतवयिकतकसचार bull अतरवयिकतकसचार bull समहसचार

8

-पऽ और पिऽका

१३ पहल कौन-कौन स ह

१४ कायर कौन करता ह

१५ की शरआत कब और िकसस हई क बगाल गजट स

bull जनसचार ६ जनसचारसआपकयासमझतह

तयकष सवाद क बजाय िकसी तकनीकी या यािऽक माधयम क दवारा समाज क एकिवशाल वगरस सवाद कायम करना जनसचार कहलाता ह

७ जनसचार क मख माधयमो का उललख कीिजए | अखबार रिडयो टीवी इटरनट िसनमा आिद

८ जनसचार की मखिवशषताए िलिखए | bull इसम फ़ीडबक तरत ापत नही होता bull इसक सदशो की कित सावरजिनक होती ह bull सचारक और ापतकततार क बीच कोई सीधा सबध नही होता bull जनसचार क िलए एक औपचािरक सगठन की आवयकता होती ह bull इसमढर सार दवारपाल काम करत ह

९ जनसचार क मख कायर कौन-कौनसह bull सचना दना bull िशिकषत करना bull मनोरजन करना bull िनगरानी करना bull एजडा तय करना bull िवचार-िवमशर क िलए मच उपलबध कराना

१० लाइव स कया अिभाय ह िकसी घटना का घटना-ःथल स सीधा सारण लाइव कहलाता ह |

११ भारत का पहला समाचार वाचक िकस माना जाता ह दविषर नारद

१२ जन सचार का सबस पहला महततवपणर तथा सवारिधक िवःतत माधयम कौन सा था समाचार िट मीिडया क मख तीन

bull समाचारो को सकिलत करना

bull सपादन करना

bull मिण तथा सार समाचारो को सकिलत करन कासवाददाता भारत म पऽकािरताभारत म पऽकािरता की शरआत सन १७८० म जमस आगःट िहकीहई जो कलकतता स िनकला था |

9

१६ माना जाता ह ा ह जो कलकतता स पिडत

१७मालवीय गणश शकर िवदयाथीर

१८ दी स पवर क मख समाचार-पऽो और पिऽकाओ क नाम िलिखए | द |

१९ उजाला

नदःतान िदनमान रिववार इिडया टड आउट

- अजञय रघवीर सहाय धमरवीर भारती मनोहरयाम जोशी राजनि माथर

अनय म

िहदी का पहला सापतािहक पऽ िकसिहदी का पहला सापतािहक पऽ Ocircउदत मातरडOtilde को माना जातजगल िकशोर शकल क सपादन म िनकला था | आजादी स पवर कौन-कौन मख पऽकार हए महातमा गाधी लोकमानय ितलक मदन मोहन माखनलाल चतवरदी महावीर साद िदववदी ताप नारायण िमौ बाल मकद गपत आिद हए | आजाकसरी िहनदःतान सरःवती हस कमरवीर आज ताप दीप िवशाल भारत आि आजादी क बाद की मख पऽ-पिऽकाओ तथा पऽकारो क नाम िलखए | मख पऽ ---- नव भारत टाइमस जनसतता नई दिनया िहनदःतान अमरदिनक भाःकर दिनक जागरण आिद | मख पिऽकाए ETH धमरयग सापतािहक िहलक आिद | मख पऽकारभाष जोशी आिद हततवपणर शन

१ जनसचार और समह सचार का अतर ःपषट कीिजए

ाश डािलए

कया समझत ह

को कया कहत ह

२ कटवाचन स आप कया समझत ह

३ कटीकरण िकस कहत ह

४ सचारक की भिमका पर क५ फीडबक स आप कया समझत ह

६ शोर स कया तातपयर ह

७ औपचािरक सगठन स आप८ सनसनीखज समाचारो स समबिधत पऽकािरता ९ कोई घटना समाचार कस बनती ह

१० सपादकीय पषठ स आप कया समझत ११ मीिडया की भाषा म दवारपाल िकस कहत ह पऽकािरता क िविवध आयाम

१ पऽकािरताकयाह ऐसी सचनाओ का सकलन एव सपादन कर आम पाठको तक पहचाना िजनम अिधक स अिधक लोगो की रिच हो तथा जो अिधक स अिधक लोगो को भािवत करती हो पऽकािरताकहलाता ह(दश-िवदश म घटन वाली घटनाओ की सचनाओ को सकिलत एव सपािदत कर समाचार क रप म पाठको तक पहचान की िबयािवधा को पऽकािरता

10

२ लखन तथा सािहितयक सजनातमक लखन म कया अतर ह थयो की धानता

३ कन और काटोरमाफ़ |

४ ी ताजा घटना िवचार या समःया की िरपोटर हिजसम अिधक स

५ घटना समःया व िवचार को समाचार का रप धारण

६ सआपकयासमझतह माचारो को कवर करन क िलए िनधारिरत समय-सीमा

७ ाय ह -साममी स उसकी अशिदधयो को दर करक पठनीय तथा

८ ी मख घटना या समःया पर िलख गए िवचारातमक लख को िजस

ता

ा-

रता

महततव क मामलोजस-षटाचार अिनयिमतताओ

कहत ह) पऽकारीय पऽकारीय लखन का मख उददय सचना दान करना होता ह इसम तहोती ह जबिक सािहितयक सजनातमक लखन भाव कलपना एव सौदयर-धान होता ह पऽकािरता क मख आयाम कौन-कौन स ह सपादकीय फ़ोटो पऽकािरता काटरन कोना रखासमाचारिकसकहतह समाचार िकसी भी ऐसअिधक लोगो की रिच हो और िजसका अिधक स अिधक लोगो पर भाव पड़ता हो समाचारक तततवो को िलिखए | पऽकािरता की दिषट स िकसी भीकरन क िलए उसम िनमन तततवो म स अिधकाश या सभी का होना आवयक होता ह- नवीनता िनकटता भाव जनरिच सघषर महततवपणर लोग उपयोगी जानकािरया अनोखापआिद डडलाइनसमाचार माधयमो क िलए सकोडडलाइनकहत ह सपादन स कया अिभकाशन क िलए ापत समाचारकाशन योगय बनाना सपादन कहलाता ह सपादकीयकयाह सपादक दवारा िकससबिधत समाचारपऽ की राय भी कहा जाता ह सपादकीय कहत हसपादकीय िकसी एक वयिकत का िवचार या राय न होकर समम पऽ-समह की राय होता ह इसिलए सपादकीय म सपादक अथवा लखक का नाम नही िलखा जाता पऽकािरता क मखकारिलिखए |

bull खोजी पऽकािरता bull िवशषीकत पऽकािरbull वॉचडॉग पऽकािरता bull एडवोकसी पऽकािरतbull पीतपऽकािरता bull पज ाी पऽकाि

१० खोजी पऽकािरता कयाह िजसमआम तौर पर सावरजिनक

11

११ वॉचडॉग का मखय उततरदाियतव सरकार क

१२ एडवोक िकसी खास मदद या िवचारधारा क पकष म

१३ पीतपऽक ह फ़वाहो आरोपो-तयारोपो मसबधो आिद स

१४ पज ाी कािरता िकसकहतह ीरो की पािटरयो महिफ़लो और जानमान लोगो

१५ पऽकािर हता ह

१६ कािरता कया ह नकारी दत हए उसका िवशलषण करना िवशषीकत

१७ वकिलप स कहत ह मीिडया ःथािपत वयवःथा क िवकलप को

१८ िवशषीक ा क मख कषऽो का उललख कीिजए |

ास पऽकािरता

और गड़बिड़यो की गहराई स छानबीन कर सामन लान की कोिशश की जाती ह िःटग ऑपरशन खोजी पऽकािरता का ही एक नया रप ह पऽकािरता स आप कया समझत ह लोकतऽ म पऽकािरता और समाचार मीिडयाकामकाज पर िनगाह रखना ह और कोई गड़बड़ी होन पर उसका परदाफ़ाश करना होता ह परपरागत रप स इस वॉचडॉग पऽकािरता कहत ह सी पऽकािरता िकसकहतह इस पकषधर पऽकािरता भी कहत हजनमत बनान किलए लगातार अिभयान चलान वाली पऽकािरता को एडवोकसी पऽकािरता कहत ह

ािरतासआपकयासमझतपाठको को लभान क िलए झठी असबिधत सनसनीखज समाचारो स सबिधत पऽकािरता को पीतपऽकािरता कहत ह पऽऐसी पऽकािरता िजसम फ़शन अमक िनजी जीवन क बार म बताया जाता ह ता क िवकास म कौन-सा मल भाव सिबय र

िजजञासा का िवशषीकत पऽ

िकसी िवशष कषऽ की िवशष जापऽकािरता ह | क पऽकािरता िकमखय धारा क मीिडया क िवपरीत जोसामन लाकर उसक अनकल सोच को अिभवयकत करता ह उस वकिलपक पऽकािरता कहा जाता ह आम तौर पर इस तरह क मीिडया को सरकार और बड़ीपजी का समथरन ापत नही होता और न ही उस बड़ी कपिनयो क िवजञापन िमलत ह त पऽकािरत

bull ससदीय पऽकािरता bull नयायालय पऽकािरतbull आिथरक पऽकािरता

bull खल पऽकािरता bull िवजञान और िवक

12

ऽकािरता अनय

bull अपराध पऽकािरता

bull फशन और िफलम प महततवपणर शन

१ पऽकािरता क िवकास म कौन-सा मल भाव सिबय रहता ह

को तक पहचान की िबया को कया कहत ह

नयज

२ कोई घटना समाचार कस बनती ह

३ सचनाओ का सकलन सपादन कर पाठ४ समपादकीय म समपादक का नाम कयो नही िलखा जाता

५ िनमन क बार म िलिखए ndash

(क) डड लाइन

(ख) फलशिकग(ग) गाइड लाइन

(घ) लीड

13

िविभनन माधयमो क िलए लखन िट माधयम (मिित माधयम)-

१ िट मीिडया स कया आशय ह छपाई वाल सचार माधयम को िट मीिडया कहत ह | इस मिण-माधयम भी कहा जाता ह | समाचार-पऽ पिऽकाए पःतक आिद इसक मख रप ह |

२ जनसचार क आधिनक माधयमो म सबस पराना माधयम कौन-सा ह जनसचार क आधिनक माधयमो म सबस पराना माधयम िट माधयम ह |

३ आधिनक छापाखान का आिवकार िकसन िकया आधिनक छापाखान का आिवकार जमरनी क गटनबगर न िकया

४ भारत म पहला छापाखाना कब और कहा पर खला था भारत म पहला छापाखाना सन १५५६ म गोवा म खला इस ईसाई िमशनिरयो न धमर-चार की पःतक छापन क िलए खोला था |

५ जनसचार क मिित माधयम कौन-कौन स ह मिित माधयमो क अनतगरत अखबार पिऽकाए पःतक आिद आती ह ६ मिित माधयम की िवशषताए िलिखए |

bull छप हए शबदो म ःथाियतव होता ह इनह सिवधानसार िकसी भी कार स पढा जा सकता ह

bull यह माधयम िलिखत भाषा का िवःतार ह bull यह िचतन िवचार- िवशलषण का माधयम ह

७ मिित माधयम की सीमाए (दोष) िलिखए | bull िनरकषरो क िलए मिित माधयम िकसी काम क नही होत bull य तरत घटी घटनाओ को सचािलत नही कर सकत bull इसम ःपस तथा शबद सीमा का धयान रखना पड़ता ह bull इसम एक बार समाचार छप जान क बाद अशिदध-सधार नही िकया जा सकता

८ मिित माधयमो क लखन क िलए िलखत समय िकन-िकन बातो का धयान रखा जाना चािहए | bull भाषागत शदधता का धयान रखा जाना चािहए bull चिलत भाषा का योग िकया जाए bull समय शबद व ःथान की सीमा का धयान रखा जाना चािहए bull लखन म तारतमयता एव सहज वाह होना चािहए

14

रिडयो (आकाशवाणी) १ इलकशािनक माधयम स कया तातपयर ह

िजस जन सचार म इलकशािनक उपकरणो का सहारा िलया जाता ह इलकशािनक माधयम कहत ह रिडयो दरदशरन इटरनट मख इलकशािनक माधयम ह

२ आल इिडया रिडयो की िविधवत ःथापना कब हई सन १९३६ म

३ एफ़एम रिडयो की शरआत कब स हई एफ़एम (ि६कवसी माडयलशन) रिडयो की शरआत सन १९९३ स हई

४ रिडयो िकस कार का माधयम ह रिडयो एक इलकशोिनक ौवय माधयम ह इसम शबद एव आवाज का महततव होता ह यह एक एक रखीय माधयम ह

५ रिडयो समाचार िकस शली पर आधािरत होत ह रिडयो समाचार की सरचना उलटािपरािमड शली पर आधािरत होती ह

६ उलटा िपरािमड शली कया ह यह िकतन भागो म बटी होती ह िजसम तथयो को महततव क बम स ःतत िकया जाता ह सवर थम सबस जयादा महततवपणर तथय को तथा उसक उपरात महततव की दिषट स घटत बम म तथयो को रखा जाता ह उस उलटा िपरािमड शली कहत ह उलटािपरािमड शली म समाचार को तीन भागो म बाटा जाता ह-इशो बाडी और समापन

७ रिडयो समाचार-लखन क िलए िकन-िकन बिनयादी बातो पर धयान िदया जाना चािहए bull समाचार वाचन क िलए तयार की गई कापी साफ़-सथरी ओ टाइपड कॉपी हो bull कॉपी को िशपल ःपस म टाइप िकया जाना चािहए bull पयारपत हािशया छोडा जाना चािहए bull अको को िलखन म सावधानी रखनी चािहए

bull सिकषपताकषरो क योग स बचा जाना चािहए टलीिवजन(दरदशरन)

१ दरदशरन जन सचार का िकस कार का माधयम ह दरदशरन जनसचार का सबस लोकिय व सशकत माधयम ह इसम धविनयो क साथ-साथ दयो का भी समावश होता ह इसक िलए समाचार िलखत समय इस बात का धयान रखा जाता ह िक शबद व पदर पर िदखन वाल दय म समानता हो

२ भारत म टलीिवजन का आरभ और िवकास िकस कार हआ भारत म टलीिवजन का ारभ १५ िसतबर १९५९ को हआ यनःको की एक शिकषक पिरयोजना क अनतगरत िदलली क आसपास क एक गाव म दो टीवी सट लगाए गए िजनह २०० लोगो न दखा १९६५ क बाद िविधवत टीवी सवा आरभ हई १९७६ म दरदशरन नामक िनकाय की ःथापना हई

15

३ टी०वी० खबरो क िविभनन चरणो को िलिखए दरदशरन म कोई भी सचना िनमन चरणो या सोपानो को पार कर दशरको तक पहचती

ह (१) झलश या िकग नयज (समाचार को कम-स-कम शबदो म दशरको तक ततकाल

पहचाना) (२)साई एकर (एकर दवारा शबदो म खबर क िवषय म बताया जाता ह) (३) फ़ोन इन (एकर िरपोटरर स फ़ोन पर बात कर दशरको तक सचनाए पहचाता ह ) (४) एकर-िवजअल(समाचार क साथ-साथ सबिधत दयो को िदखाया जाना) (५) एकर-बाइट(एकर का तयकषदशीर या सबिधत वयिकत क कथन या बातचीत

दवारा ामािणक खबर ःतत करना) (६) लाइव(घटनाःथल स खबर का सीधा सारण) (७) एकर-पकज (इसम एकर दवारा ःतत सचनाए सबिधत घटना क दय बाइट मािफ़कस आिद दवारा वयविःथत ढग स िदखाई जाती ह) इटरनट

१ इटर नट कया ह इसक गण-दोषो पर काश डािलए इटरनट िवशववयापी अतजारल ह यह जनसचार का सबस नवीन व लोकिय माधयम ह इसम जनसचार क सभी माधयमो क गण समािहत ह यह जहा सचना मनोरजन जञान और वयिकतगत एव सावरजिनक सवादो क आदान-दान क िलए ौषठ माधयम ह वही अशलीलता द चारव गदगी फ़लान का भी जिरया ह

२ इटरनट पऽकािरताकया ह

इटरनट(िवशववयापी अतजारल) पर समाचारो का काशन या आदान-दान इटरनट पऽकािरता कहलाता ह इटरनट पऽकािरता दो रपो म होती ह थम- समाचार स षण क िलए नट का योग करना दसरा- िरपोटरर अपन समाचार को ई-मल दवारा अनयऽ भजन व समाचार को सकिलत करन तथा उसकी सतयतािवशवसनीयता िसदध करन क िलए करता ह

३ इटरनट पऽकािरता को और िकन-िकन नामो स जाना जाता ह ऑनलाइन पऽकािरता साइबरपऽकािरतावब पऽकािरता आिद नामो स

४ िवशव-ःतर पर इटरनट पऽकािरता का िवकास िकन-िकन चरणो म हआ िवशव-ःतर पर इटरनट पऽकािरता का िवकास िनमनिलिखत चरणो म हआ-

bull थम चरण------- १९८२ स १९९२

bull िदवतीय चरण------- १९९३ स २००१ bull ततीय चरण------- २००२ स अब तक

५ भारत म इटरनट पऽकािरता का ारमभ कब स हआ

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पहला चरण १९९३ स तथा दसरा चरण २००३ स शर माना जाता ह भारत म सचच अथोर म वब पऽकािरता करन वाली साइट rsquoरीिडफ़ डॉट कॉमrsquo

इिडयाइफ़ोलाइनrsquoवrsquoसीफ़ीrsquoह रीिडफ़ को भारत की पहली साइट कहा जाता ह

६ वब साइट पर िवशदध पऽकािरता शर करन का ौय िकसको जाता ह rsquoतहलका डॉटकॉमrsquo

७ भारत म सचच अथोर म वब पऽकािरता करन वाली साइटो क नाम िलिखए | rsquoरीिडफ़ डॉट कॉमrsquoइिडयाइफ़ोलाइनrsquoवrsquoसीफ़ीrsquo

८ भारत म कौन-कौन स समाचार-पऽ इटरनट पर उपलबध ह टाइमस आफ़ इिडया िहदःतान टाइमस इिडयन एकसस िहद िशबयन आिद

९ भारत की कौन-सी नट-साइट भगतान दकर दखी जा सकती ह Otildeइिडया टडOtilde

१० भारत की पहली साइट कौन-सी ह जो इटरनट पर पऽकािरता कर रही ह रीिडफ़

११ िसफ़र नट पर उपलबध अखबार का नाम िलिखए भा साकषीOtilde नाम का अखबार िट रप म न होकर िसफ़र नट पर उपलबध ह

१२ पऽकािरता क िलहाज स िहदी की सवरौषठ साइट कौन-सी ह पऽकािरता क िलहाज स िहनदी की सवरौषठ साइट बीबीसी की ह जो इटरनट क

मानदडो क अनसार चल रही ह १३ िहदी वब जगत म कौन-कौनसी सािहितयक पिऽकाए चल रही ह

िहदी वब जगत म rsquoअनभितrsquo अिभवयिकत िहदी नःट सराय आिद सािहितयक पिऽकाए चल रही ह

१४ िहदी वब जगत की सबस बड़ी समःया कया ह िहनदी वब जगत की सबस बडी समःया मानक की-बोडर तथा फ़ोट की ह डायनिमक फ़ोट क अभाव क कारण िहनदी की जयादातर साइट खलती ही नही ह

अभयासाथर शन १ भारत म पहला छापाखान िकस उददय स खोला गया

२ गटनबगर को िकस कषऽ म योगदान क िलए याद िकया जाता ह

३ रिडयो समाचर िकस शली म िलख जात ह

४ रिडयो तथा टलीिवजन माधयमो म मखय अतर कया ह

५ एकर बाईट कया ह

६ समाचार को सकिलत करन वाला वयिकत कया कहलाता ह

७ नट साउड िकस कहत ह

८ िकग नयज स आप कया समझत ह

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पऽकारीय लखन क िविभनन रप और लखन िबया १ पऽकारीय लखन कया ह

समाचार माधयमो म काम करन वाल पऽकार अपन पाठको तथा ौोताओ तक सचनाए पहचान क िलए लखन क िविभनन रपो का इःतमाल करत ह इस ही पऽकारीय लखन कहत ह पऽकारीय लखन का सबध समसामियक िवषयो िवचारो व घटनाओ स ह पऽकार को िलखत समय यह धयान रखना चािहए वह सामानय जनता क िलए िलख रहा ह इसिलए उसकी भाषा सरल व रोचक होनी चािहए वाकय छोट व सहज हो किठन भाषा का योग नही िकया जाना चािहए भाषा को भावी बनान क िलए अनावयक िवशषणोजागरनस(अचिलत शबदावली) और कलीश (िपषटोिकत दोहराव) का योग नही होना चिहए

२ पऽकारीय लखन क अतगरत कया-कया आता ह पऽकिरता या पऽकारीय लखन क अनतगरत समपादकीय समाचार आलख िरपोटर फ़ीचर ःतमभ तथा काटरन आिद आत ह

३ पऽकारीय लखन का मखय उददय कया होता ह पऽकारीय लखन का मख उददय ह- सचना दना िशिकषत करना तथा मनोरजन आ करना आिद होता ह |

४ पऽकारीय लखन क कार िलखए | पऽकारीय लखन क कईकार ह यथा- खोजपरक पऽकािरताrsquo वॉचडॉग पऽकािरता और एडवोकसी पऽकािरता आिद

५ पऽकारिकतन कार क होत ह

पऽकार तीन कार क होत ह- bull पणर कािलक

bull अशकािलक (िःशगर)

bull ६ीलासर या ःवतऽ पऽकार ६ समाचार िकस शली म िलख जात ह

समाचार उलटा िपरािमड शली म िलख जात ह यह समाचार लखन की सबस उपयोगी और लोकिय शली ह इस शली का िवकास अमिरका म गह यदध क दौरान हआ इसम महततवपणर घटना का वणरन पहल ःतत िकया जाता ह उसक बाद महततव की दिषट स घटत बम म घटनाओ को ःतत कर समाचार का अत िकया जाता ह समाचार म इशो बॉडी और समापन क बम म घटनाए ःतत की जाती ह

७ समाचार क छह ककार कौन-कौन स ह समाचार िलखत समय मखय रप स छह शनो- कया कौन कहा कब कयो और कस का उततर दन की कोिशश की जाती ह इनह समाचार क छह ककार कहा जाता ह थम चार शनो क उततर इशो म तथा अनय दो क उततर समापन स पवर बॉडी वाल भाग म िदए जात

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ह ८ फ़ीचर कया ह

फ़ीचर एक कार का सवयविःथत सजनातमक और आतमिनषठ लखन ह ९ फ़ीचर लखन का कया उददय होता ह फ़ीचर का उददय मखय रप स पाठको को सचना दना िशिकषत करना तथा उनका

मनोरजन करना होता ह १० फ़ीचर और समचार म कया अतर ह

समाचार म िरपोटरर को अपन िवचारो को डालन की ःवतऽता नही होती जबिक फ़ीचर म लखक को अपनी राय दिषटकोण और भावनाओ को जािहर करन का अवसर होता ह समाचार उलटा िपरािमड शली म िलख जात ह जबिक फ़ीचर लखन की कोई सिनिशचत शली नही होती फ़ीचर म समाचारो की तरह शबदो की सीमा नही होती आमतौर पर फ़ीचर समाचार िरपोटर स बड़ होत ह पऽ-पिऽकाओ म ाय २५० स २००० शबदो तक क फ़ीचर छपत ह

११ िवशष िरपोटर स आप कया समझत ह सामानय समाचारो स अलग व िवशष समाचार जो गहरी छान-बीन िवशलषण और वयाखया क आधार पर कािशत िकए जात ह िवशष िरपोटर कहलात ह

१२ िवशष िरपोटर क िविभनन कारो को ःपषट कीिजए खोजी िरपोटर इसम अनपलबध तथयो को गहरी छान-बीन कर सावरजिनक िकया जाता ह (२)इनडपथ िरपोटर सावरजािनक रप स ापत तथयो की गहरी छान-बीन कर उसक महततवपणर पकषो को पाठको क सामन लाया जाता ह (३) िवशलषणातमक िरपोटर इसम िकसी घटना या समःया का िववरण सआमता क साथ िवःतार स िदया जाता ह िरपोटर अिधक िवःतत होन पर कई िदनो तक िकःतो म कािशत की जाती ह (४)िववरणातमक िरपोटर इसम िकसी घटना या समःया को िवःतार एव बारीकी क

साथ ःतत िकया जाता ह

१३ िवचारपरक लखन िकस कहत ह िजस लखन म िवचार एव िचतन की धानता होती ह उस िवचार परक लखन कहा जाता हसमाचार-पऽो म समाचार एव फ़ीचर क अितिरकत सपादकीय लख पऽ िटपपणी विरषठपऽकारो व िवशषजञो क ःतभ छपत ह य सभी िवचारपरक लखन क अतगरत आत ह

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१४ सपादकीय स कया अिभाय ह सपादक दवारा िकसी मख घटना या समःया पर िलख गए िवचारातमक लख को िजससबिधत समाचारपऽ की राय भी कहा जाता ह सपादकीय कहत ह सपादकीय िकसी एक वयिकत का िवचार या राय न होकर समम पऽ-समह की राय होता ह इसिलए सपादकीय म सपादक अथवा लखक का नाम नही िलखा जाता

१५ ःतभलखन स कया तातपयर ह यह एक कार का िवचारातमक लखन ह कछ महततवपणर लखक अपन खास वचािरक रझान एव लखन शली क िलए जान जात ह ऐस लखको की लोकियता को दखकर समाचरपऽ उनह अपन पऽ म िनयिमत ःतभ-लखन की िजममदारी दान करत ह इस कार िकसी समाचार-पऽ म िकसी ऐस लखक दवारा िकया गया िविशषट एव िनयिमत लखन जो अपनी िविशषट शली एव वचािरक रझान क कारण समाज म खयाित-ापत हो ःतभ लखन कहा जाता ह

१६ सपादक क नाम पऽ स आप कया समझत ह समाचार पऽो म सपादकीय पषठ पर तथा पिऽकाओ की शरआत म सपादक क नाम आए पऽ कािशत िकए जात ह यह तयक समाचारपऽ का िनयिमत ःतभ होता ह इसक माधयम स समाचार-पऽ अपन पाठको को जनसमःयाओ तथा मददो पर अपन िवचार एवमराय वयकत करन का अवसर दान करता ह

१७ साकषातकारइटरवय स कया अिभाय ह िकसी पऽकार क दवारा अपन समाचारपऽ म कािशत करन क िलए िकसी वयिकत िवशष स उसक िवषय म अथवा िकसी िवषय या मदद पर िकया गया शनोततरातमक सवाद साकषातकार कहलाता ह

अनय महततवपणर शन १ सामानय लखन तथा पऽकारीय लखन म कया अतर ह

२ पऽकारीय लखन क उददय िलिखए ३ पऽकार िकतन कार क होत ह

४ उलटा िपरािमड शली का िवकास कब और कयो हआ

५ समाचार क ककारो क नाम िलिखए | ६ बाडी कया ह

७ फ़ीचर िकस शली म िलखा जाता ह

८ फ़ीचर व समाचार म कया अतर ह

९ िवशष िरपोटर स आप कया समझत ह

१० िवशष िरपोटर क भद िलिखए ११ इनडपथ िरपोटर िकस कहत ह

१२ िवचारपरक लखन कया ह तथा उसक अनतगरत िकस कार क लख आत ह

20

१३ ःवतऽ पऽकार िकस कहत ह

१४ पणरकािलक पऽकार स कया अिभाय ह

१५ अशकािलक पऽकार कया होता ह

िवशष लखन ःवरप और कार १ िवशष लखन िकस कहत ह

िवशष लखनिकसी खास िवषय पर सामानय लखन स हट कर िकया गया लखन ह िजसम राजनीितक आिथरक अपराध खल िफ़लमकिष कानन िवजञान और अनय िकसी भी महततवपणर िवषय स सबिधत िवःतत सचनाए दान की जाती ह

२ डःककया ह समाचारपऽ पिऽकाओ टीवी और रिडयो चनलो म अलग-अलग िवषयो पर िवशष लखन क िलए िनधारिरत ःथल को डःक कहत ह और उस िवशष डःक पर काम करन वाल पऽकारो का भी अलग समह होता ह यथा-वयापार तथा कारोबार क िलए अलग तथा खल की खबरो क िलए अलग डःक िनधारिरत होता ह

३ बीटस कया तातपयर ह िविभनन िवषयो स जड़ समाचारो क िलए सवाददाताओ क बीच काम का िवभाजन आम तौर पर उनकी िदलचःपी और जञान को धयान म रख कर िकया जाता ह मीिडया की भाषा म इस बीट कहत ह

४ बीट िरपोिटरग तथा िवशषीकत िरपोिटरग म कया अनतर ह बीट िरपोिटरग क िलए सवाददाता म उस कषऽ क बार म जानकारी व िदलचःपी का होना पयारपत ह साथ ही उस आम तौर पर अपनी बीट स जड़ीसामानय खबर ही िलखनी होती ह िकनत िवशषीकत िरपोिटरग म सामानय समाचारो स आग बढ़कर सबिधत िवशष कषऽ या िवषय स जड़ी घटनाओ समःयाओ और मददो का बारीकी स िवशलषण कर ःततीकरण िकया जाता ह बीट कवर करन वाल िरपोटरर को सवाददाता तथा िवशषीकत िरपोिटरग करन वाल िरपोटरर को िवशष सवाददाता कहा जाता ह

५ िवशष लखन की भाषा-शली पर काश डािलए | िवशष लखन की भाषा-शली सामानय लखन स अलग होती ह इसम सवाददाता को सबिधत िवषय की तकनीकी शबदावली का जञान होना आवयक होता ह साथ ही यह भी आवयक होता ह िक वह पाठको को उस शबदावली स पिरिचत कराए िजसस पाठक िरपोटर को समझ सक िवशष लखन की कोई िनिशचत शली नही होती

६ िवशष लखन क कषऽ कौन-कौन स हो सकत ह िवशष लखन क अनक कषऽ होत ह यथा- अथर-वयापार खल िवजञान-ौदयोिगकी किष

िवदश रकषा पयारवरण िशकषा ःवाःथय िफ़लम-मनोरजन अपराध कानन व सामािजक मदद आिद

अभयासाथर महततवपणर शन

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१ िकसी खास िवषय पर िकए गए लखन को कया कहत ह

२ िवशष लखन क कषऽ िलिखए ४पऽकारीय भाषा म लखन क िलए िनधारिरत ःथल को कया कहत ह

५ बीट स आप कया समझत ह

६ बीट िरपोिटरग कया ह

७ बीट िरपोिटरग तथा िवशषीकत िरपोिटरग म कया अतर ह

८ िवशष सवाददाता िकस कहत ह

बोडर परीकषा म पछ गए शन एव अनय महततवपणर पषटवय शनो का कोश

१ िट माधयम िकस कहत ह

२ जनसचार क चिलत माधयमो म सबस पराना माधयम कया ह

३ िकनही दो मिित माधयमो क नाम िलिखए | ४ छापाखान क आिवकार का ौय िकसको जाता ह

५ िहदी का पहला समाचार-पऽ कब कहा स िकसक दवारा कािशत िकया गया

६ िहदी म कािशत होन वाल दो दिनक समाचार-पऽो तथा पिऽकाओ क नाम िलिखए | ७ रिडयो की अपकषा टीवी समाचारो की लोकियता क दो कारण िलिखए | ८ पऽकारीय लखन तथा सािहितयक सजनातमक लखन का अतर बताइए | ९ पऽकािरता का मलततव कया ह

१० ःतभलखन स कया तातपयर ह

११ पीत पऽकािरता िकस कहत ह

१२ खोजी पऽकािरता का आशय ःपषट कीिजए | १३ समाचार शबद को पिरभािषत कीिजए | १४ उलटा िपरािमड शली कया ह

१५ समाचार लखन म छह ककारो का कया महततव ह

१६ मिित माधयमो की िकनही दो िवशषताओ का उललख कीिजए | १७ डड लाइन कया ह

१८ रिडयो नाटक स आप कया समझत ह

१९ रिडयो समाचार की भाषा की दो िवशषताए िलिखए

२० एकर बाईट िकस कहत ह

२१ टलीिवजन समाचारो म एकर बाईट कयो जररी ह

२२ मिित माधयम को ःथायी माधयम कयो कहा जाता ह

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२३ िकनही दो समाचार चनलो क नाम िलिखए | २४ इटरनट पऽकािरता क लोकिय होन क कया कारण ह

२५ भारत क िकनही चार समाचार-पऽो क नाम िलिखए जो इटरनट पर उपलबध ह

२६ पऽकािरता की भाषा म बीट िकस कहत ह

२७ िवशष िरपोटर क दो कारो का उललख कीिजए | २८ िवशष लखन क िकनही दो कारो का नामोललख कीिजए | २९ िवशष िरपोटर क लखन म िकन बातो पर अिधक बल िदया जाता ह

३० बीट िरपोटरर िकस कहत ह

३१ िरपोटर लखन की भाषा की दो िवशषताए िलिखए | ३२ सपादकीय क साथ सपादन-लखक का नाम कयो नही िदया जाता

३३ सपादकीय लखन कया होता ह

अथवा

सपादकीय स कया तातपयर ह

३४ सपादक क दो मख उततरदाियतवो का उललख कीिजए | ३५ ऑप-एड पषठ िकस कहत ह

३६ नयजपग कया ह

३७ आिडएस स आप कया समझत ह

३८ इलकशोिनक मीिडया कया ह

३९ काटरन कोना कया ह

४० भारत म िनयिमत अपडट साइटो क नाम बताइए ४१ कमपयटर क लोकिय होन का मख कारण बताइए ४२ िवजञापन िकस कहत ह

४३ फीडबक स कया अिभाय ह

४४ जनसचार स आप कया समझत ह

४५ समाचार और फीचर म कया अतर ह

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(ख)आलखिरपोटर ndash िनधारिरत अक५

आलख आलख-लखन हत महततवपणर बात

१ िकसी िवषय पर सवारगपणर जानकारी जो तथयातमक िवशलषणातमक अथवा िवचारातमक हो आलख कहलाती ह |

२ आलख का आकार सिकषपत होता ह | ३ इसम िवचारो और तथयो की ःपषटता रहती ह य िवचार बमबदध रप म होन चािहए| ४ िवचार या तथय की पनरावितत न हो | ५ आलख की शली िववचन िवशलषण अथवा िवचार-धान हो सकती ह | ६ जवलत मददो समःयाओ अवसरो चिरऽ पर आलख िलख जा सकत ह | ७ आलख गभीर अधययन पर आधािरत ामािणक रचना होती ह |

नमना आलख शर का घर िजमकाबरट नशनल पाकर ndash जगली जीवो की िविभनन जाितयो को सरकषण दन तथा उनकी सखया को बढान क उददय स िहमालय की तराई स लग उततराखड क पौड़ी और ननीताल िजल म भारतीय महादवीप क पहल राषटरीय अभयारणय की ःथापना िसदध अगरजी लखक िजम काबरट क नाम पर की गई | िजम काबरट नशनल पाकर ननीताल स एक सौ पनिह िकलोमीटर और िदलली स २९० िकलोमीटर दर ह यह अभयारणय पाच सौ इककीस िकलोमीटर कषऽ म फला ह | नवमबर स जन क बीच यहा घमन-िफरन का सवोरततम समय ह | यह अभयारणय चार सौ स गयारह सौ मीटर की ऊचाई पर ह | िढकाला इस पाकर का मख मदानी ःथल ह और काडा सबस ऊचा ःथान ह| जगल जानवर पहाड़ और हरी-भरी वािदयो क वरदान स िजमकाबरट पाकर दिनया क अनठ पाकोर म ह | रायल बगाल टाइगर और एिशयाई हाथी पसदीदा घर ह | यह एिशया का सबस पहला सरिकषत जगल ह | राम गगा नदी इसकी जीवन-धारा ह | यहा एक सौ दस तरह क पड़-पौध पचास तरह क ःतनधारी जीव पचचीस जाितयो क सरीसप और छह सौ तरह क रग-िवरग पकषी ह | िहमालयन तदआ िहरन भाल जगली कतत भिड़य बदर लगर जगली भस जस जानवरो स यह जगल आबाद ह | हर वषर लाखो पयरटक यहा आत ह | शाल वकषो स िघर लब-लब वन-पथ और हर-भर घास क मदान इसक ाकितक सौदयर म चार चाद लगा दत ह | िनमनिलिखत िवषयो पर आलख िलिखए-

bull बढ़ती आबादी दश की बरबादी bull सादाियकसदभावना bull कजर म डबा िकसान

bull आतकवाद की समःया

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bull डॉकटर हड़ताल पर मरीज परशान

bull वतरमान परीकषा-णाली

bull बजट और बचत

bull शिकत सयम और साहस

bull िरशवत का रोग

bull सपना सच हो अपना

िरपोटरितवदन िरपोटरितवदन का सामानय अथर सचनाओ क तथयपरक आदान-दान को िरपोटर या िरपोिटरग कहत ह | ितवदन इसका िहदी रपातरण ह | िरपोटर िकसी सःथा आयोजन या कायरबम की तथयातमक जानकारी ह | बड़ी-बड़ी कपिनया अपन अशधारको को वािषरक अदधरवािषरक गित िरपोटर भजा करती ह| िरपोटर क गण

bull तथयो की जानकारी ःपषट सटीक ामािणक हो | bull सःथा िवभाग क नाम का उललख हो | bull अधयकष आिद पदािधकािरयो क नाम | bull गितिविधया चलानवालो क नाम | bull कायरबम का उददय | bull आयोजन-ःथल िदनाक िदन तथा समय | bull उपिःथत लोगो की जानकारी | bull िदए गए भाषणो क मख अश | bull िलय गए िनणरयो की जानकारी | bull भाषा आलकािरक या सािहितयक न हो कर सचनातमक होनी चािहए | bull सचनाए अनयपरष शली म दी जाती ह | म या हम का योग नही होता | bull सिकषपतता और बिमकता िरपोटर क गण ह | bull नई बात नए अनचछद स िलख | bull ितवदक या िरपोटरर क हःताकषर |

िनमनिलिखत िवषयो पर िरपोटर तयार कीिजए- १ पजा-ःथलो पर दशरनािथरयो की अिनयिऽत भीड़

२ दश की महगी होती वयावसाियक िशकषा ३ मतदान कनि का दय

४ आए िदन होती सड़क दघरटनाए

५ आकिःमक बाढ़ स हई जनधन की कषित

६फीचर लखन- िनधारिरत अक५ समकालीन घटना तथा िकसी भी कषऽ िवशष की िविशषट जानकारी क सिचऽ तथा मोहक

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िववरण को फीचर कहत ह |फीचर मनोरजक ढग स तथयो को ःतत करन की कला ह | वःतत फीचर मनोरजन की उगली थाम कर जानकारी परोसता ह| इस कार मानवीय रिच क िवषयो क साथ सीिमत समाचार जब चटपटा लख बन जाता ह तो वह फीचर कहा जाता ह | अथारत- जञान + मनोरजन = फीचर | फीचर म अतीत वतरमान और भिवय की रणा होती ह | फीचर लखक पाठक को वतरमान दशा स जोड़ता ह अतीत म ल जाता ह और भिवय क सपन भी बनता ह | फीचर लखन की शली िविशषट होती ह | शली की यह िभननता ही फीचर को समाचार आलख या िरपोटर स अलग ौणी म ला कर खडा करती ह | फीचर लखन को अिधक ःपषट रप स समझन क िलए िनमन बातो का धयान रख ndash

१ समाचार साधारण जनभाषा म ःतत होता ह और फीचर एक िवशष वगर व िवचारधारा पर क िित रहत हए िविशषट शली म िलखा जाता ह |

२ एक समाचार हर एक पऽ म एक ही ःवरप म रहता ह परनत एक ही िवषय पर फीचर अलग-अलग पऽोम अलग-अलग ःतित िलय होत ह | फीचर क साथ लखक का नाम रहता ह |

३ फीचर म अितिरकत साज-सजजा तथयो और कलपना का रोचक िमौण रहता ह | ४ घटना क पिरवश िविवध ितिबयाए वउनक दरगामी पिरणाम भी फीचर म रहा करत

ह | ५ उददय की दिषट स फीचर तथयो की खोज क साथ मागरदशरन और मनोरजन की दिनया

भी ःतत करता ह | ६ फीचर फोटो-ःतित स अिधक भावशाली बन जाता ह |

नमना फीचर िपयककड़ तोता

सगत का असर आता ह िफर चाह वह आदमी हो या तोता | िटन म एक तोत को अपन मािलक की सगत म शराब की ऐसी लत लगी िक उसन घर वालो और पड़ोिसयो का जीना बहाल कर िदया | जब तोत को सधारन क सार हथकड फल हो गए तो मजबरन मािलक को ही शराब छोड़नी पड़ी | माकर बटोिकयो न अीकी जाित का तोता मिलरन पाला| माकर यदा-कदा शराब पी लत | िगलास म बची शराब मिलरन चट कर जाता | धीर-धीर मिलरन की तलब बढ़न लगी| वह वकत-बवकत शराब मागन लगा |-------------------------------

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िनमनिलिखत िवषयो पर फ़ीचरिलिखए bull चनावी वायद

bull महगाई क बोझतल मजदर bull वाहनो की बढ़ती सखया bull विरषठ नागिरको क ित हमारा नजिरया bull िकसान का एक िदन

bull बाित क ःवपन-िषटा अबदलकलाम

bull िबकट का नया सःकरण टवटी-टवटी

bull बहतर ससाधन बन सकती ह जनसखया

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अधययन-साममी

ककषा दवादश- िहदी (क ििक)

पदय खड

इस खड स तीन कार क शन पछ जाएग ndash

शन -७ िदए गए कावयाश म स अथर महण सबधी चार शन- २४ = ८ अक

शन ८ - िदए गए कावयाश म स सौदयर-बोध सबधी तीन शन -२३= ६ अक

शन ९ -िवषय-वःत पर आधािरत तीन शनो म स दो शनो क उततर -३२=६ अक

अिधक अक-ािपत हत धयान दन योगय बात -

bull किव किवता का नाम एक दो वाकयो म सगिठत सग या पिकतयो का सार अिनवायर रप स याद होना चािहए

bull वतरनी एव वाकय गठन की अशिदधया ० ( जीरो) रखन क िलए उततरो का िलिखत अभयास अिनवायर ह

bull तीन अक क शन क उततर म अिनवायरत तीन िवचार-िबद शीषरक बना कर रखािकत करत हए बमबदध रप स उततर िलखा जाना चािहए अनय शनो क उततरो म भी इसी कार अको क अनसार िवचार-िबदओ की सखया होनी चािहए

bull समय पर पणर शन-पऽ हल करन क िलए उततरो क मखय िबद बम स याद होन चािहए bull उततरो क िवचार-िबनदओ एव वाकयो का िनिशचत बम होना चािहए जो पहल स उततर याद

िकए िबना सभव नही होता

bull कावय-सोदयर सबधी शनो म अलकार छद आिद िवशषताए किवता म स उदाहरण अश िलख कर ःपषट की जानी चािहए

bull भाव-सामय क रप म अथर स िमलती-जलती अनय किवयो की पिकतया िलखना उपयकत ह

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bull किव एव किवता की प ठभिम िशकषक की सहायता स अिनवायर रप स समझ ल | उपयकत ःथान पर इस उततर म सकितत भी कर

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1 किवता ndash आतम पिरचय

हिरवश राय बचचन

OcircआतमपिरचयOtilde- Ocircिनशा िनमऽणOtilde गीत-समह का एक गीत

सार -

१ ःवय को जानना दिनया को जानन स अिधक किठन भी ह और आवयक भी

२ वयिकत क िलए समाज स िनरपकष एव उदासीन रहना न तो सभव ह न ही उिचत ह दिनया अपन वयगय बाणो शासन ETHशासन स चाह िकतना कषट द पर दिनया स कट कर वयिकत अपनी पहचान नही बना सकता पिरवश ही वयिकत को बनाता ह ढालता ह

३ इस किवता म किव न समाज एव पिरवश स म एव सघषर का सबध िनभात हए जीवन म सामजःय ःथािपत करन की बात की ह

४ छायावादोततर गीित कावय म ीित-कलह का यह िवरोधाभास िदखाई दता ह वयिकत और समाज का सबध इसी कार म और सघषर का ह िजसम किव आलोचना की परवाह न करत हए सतलन ःथािपत करत हए चलता ह

५ Ocircनादान वही ह हाय जहा पर दानाOtilde पिकत क माधयम स किव सतय की खोज क िलए अहकार को तयाग कर नई सोच अपनान पर जोर द रहा ह

कावय-खड पर आधािरत दो कार क शन पछ जाएग ETH अथरमहण-सबधी एव सौदयर-बोध-सबधी

अथरमहण-सबधी शन

1‐ म जग-जीवन का भार िलए िफरता ह

िफर भी जीवन म पयार िलए िफरता ह

कर िदया िकसी न झकत िजनको छकर

म सासो क दो तार िलए िफरता ह

शन १-किव अपन हदय म कया - कया िलए िफरता ह

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उततर- किव अपन सासािरक अनभवो क सख - दख हदय म िलए िफरता ह

शन २- किव का जग स कसा िरता ह

उततर- किव का जगजीवन स खटटामीठा िरता ह

शन३- पिरवश का वयिकत स कया सबध ह म सासो क दो तार िलए िफरता ह क माधयम स किव कया कहना चाहता ह

उततर- ससार म रह कर ससार स िनरपकषता सभव नहीह कयोिक पिरवश म रहकर ही वयिकत की पहचान बनती हउसकी अिःमता सरिकषत रहती ह

शन४- िवरोधो क बीच किव का जीवन िकस कार वयतीत होता ह

उततर-दिनया क साथ सघषरपणर सबध क चलत किव का जीवन-िवरोधो क बीच सामजःय करत हए वयतीत होता ह

सौदयर-बोध सबधी शन

ldquo म ःनह-सरा का पान िकया करता ह

म कभी न जग का धयान िकया करता ह

जग पछ रहा उनको जो जग की गात

म अपन मन का गान िकया करता हrdquo

शन १- किवता की इन पिकतयो स अलकार छाट कर िलिखए|

उततर -ःनह- सराndash रपक अलकार

शन २- किवता म यकत महावर िलिखए -

उततर -Ocircजग पछ रहाOtildesbquo Ocircजग की गातOtildesbquo Ocircमन का गानOtilde आिद महावरो का योग

शन३- किवता म यकत शली का नाम िलख |

उततर - गीित-शली

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किवता

आतम-पिरचय

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१-किव कौन-कौन-सी िःथितयो म मःत रहता ह और कयो

उततर- किव सासािरक सख-दख की दोनो पिरिःथितयो म मगन रहता ह उसक पास म की सातवना दाियनी अमलय िनिध ह

शन२-किव भव-सागर स तरन क िलए कया उपाय अपना रहा ह

उततर- ससार क कषटो को सहत हए हम यह धयान रखना चािहए िक कषटो को सहना पड़गा इसक िलए मनय को हस कर कषट सहना चािहए

शन३-Otildeअपन मन का गानOtilde का कया आशय ह

उततर- ससार उन लोगो को आदर दता ह जो उसकी बनाई लीक पर चलत ह परत किव कवल वही कायर करता ह जो उसक मन बिदध और िववक को अचछा लगता ह

शन४- Otildeनादान वही ह हाय जहा पर दानाOtilde का कया आशय ह

उततर- जहा कही मनय को िवदवतता का अहकार ह वाःतव म वही नादानी का सबस बड़ा लकषण ह

शन५- Otildeरोदन म रागOtilde कस सभव ह

उततर- किव की रचनाओ म वयकत पीड़ा वाःतव म उसक हदय म मानव माऽ क ित वयापत म का ही सचक ह

शन६- म फट पड़ा तम कहत छद बनानाrdquo का अथर ःपषट कीिजए

उततर- किव की ौषठ रचनाए वाःतव म उसक मन की पीड़ा की ही अिभवयिकत ह िजनकी सराहना ससार ौषठ सािहतय कहकर िकया करता ह

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किवता

िदन जलरदी जलदी ढलता ह

ःतत किवता म किव बचचन कहत ह िक समय बीतत जान का एहसास हम लआय-ािपत क िलए यास करन क िलए िरत करता ह

मागर पर चलन वाला राही यह सोचकर अपनी मिजल की ओर कदम बढ़ाता ह िक कही राःत म ही रात न हो जाए

पिकषयो को भी िदन बीतन क साथ यह एहसास होता ह िक उनक बचच कछ पान की आशा म घोसलो स झाक रह होग यह सोचकर उनक पखो म गित आ जाती ह िक व जलदी स अपन बचचो स िमल सक

किवता म आशावादी ःवर हगतवय का ःमरण पिथक क कदमो म ःफितर भर दता हआशा की िकरण जीवन की जड़ता को समापत कर दती ह वयिकतक अनभित का किव होन पर भी बचचन जी की रचनाए िकसी सकारातमक सोच तक ल जान का यास ह

अथरमहण-सबधी शन

बचच तयाशा म होग

नीड़ो स झाक रह होग यह धयान परो म िचिड़या क

भरता िकतनी चचलता हrdquo शन १ -पथ और रात स कया तातपयर ह

उततर -जीवन रपी पथ म मतय रपी रात स सचत रहन क िलए कहा गया ह

शन२ -पिथक क परो की गित िकस कार बढ़ जाती ह

उततर -मिजल क पास होन का अहसासsbquo वयिकत क मन म ःफितर भर दता ह

शन३ -िचिड़या की चचलता का कया कारण ह

उततर -िचिड़या क बचच उसकी तीकषा करत होग यह िवचार िचिड़या क पखो म गित भर कर उस चचल बना दता ह

शन४ -यासो म तजी लान क िलए मनय को कया करना चािहए

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उततर - यासो म तजी लान क िलए मनय को जीवन म एक िनिशचत मधर लआय ःथािपत करना चािहए

2 पतग

आलोक धनवा

पतग किवता म किव आलोक धनवा बचचो की बाल सलभ इचछाओ और उमगो तथा कित क साथ उनक रागातमक सबधो का अतयत सनदर िचऽण िकया हभादो मास गजर जान क बाद शरद ऋत का आगमन होता हचारो ओर काश फल जाता हसवर क सयर का काश लाल चमकीला हो जाता हशरद ऋत क आगमन स उतसाह एव उमग का माहौल बन जाता ह

शरद ऋत का यह चमकीला इशारा बचचो को पतग उड़ान क िलए बलाता ह और पतग उड़ान क िलए मद मद वाय चलाकर आकाश को इस योगय बनाता ह िक दिनया की सबस हलक रगीन कागज और बास की सबस पतली कमानी स बनी पतग आकाश की ऊचाइयो म उड़ सकlsquoबचचो क पावो की कोमलता स आकिषरत हो कर मानो धरती उनक पास आती ह अनयथा उनक पाव धरती पर पड़त ही नही| ऐसा लगता ह मानो व हवा म उड़त जा रह हपतग उड़ात समय बचच रोमािचत होत ह |एक सगीतमय ताल पर उनक शरीर हवा म लहरात हव िकसी भी खतर स िबलकल बखबर होत हबाल मनोिवजञान बाल िबयाndash कलापो एव बाल सलभ इचछाओ का सदर िबबो क माधयम स अकन िकया गया ह

सौदयर-बोध सबधी शन

Ocircजनम स ही लात ह अपन साथ कपासOtilde-

Ocircिदशाओ को मदग की बजात हएOtilde

Ocircऔर भी िनडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हOtilde

Ocircछतो को और भी नरम बनात हएOtilde

Ocircजब व पग भरत हए चल आत ह

डाल की तरह लचील वग स अकसरOcirc

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शन १- Ocircजनम स ही लात ह अपन साथ कपासOtilde-

इस पिकत की भाषा सबधी िवशषता िलिखए |

उततर - इस पिकत की भाषा सबधी िवशषता िनमनिलिखत ह -

नए तीको का योग -कपास-कोमलता

शन२- इस पिकत म यकत लाकषिणक अथर को ःपषट कीिजए|

उततर - लाकषिणकता -Ocircिदशाओ को मदग की बजात हएOtilde-सगीतमय वातावरण की सिषट

शन३ - सनहला सरज तीक का अथर िलख |

उततर - सनहल सरज क सामन ETH िनडर उतसाह स भर होना

3 किवता क बहान

कवर नारायण

कवर नारायणकी रचनाओ म सयमsbquo पिरकार एव साफ सथरापन हयथाथर का कलातमक सवदनापणर िचऽण उनकी रचनाओ की िवशषता हउनकी रचनाए जीवन को समझन की िजजञासा ह यथाथरndash ािपत की घोषणा नहीवयिकतक एव सामािजक तनाव वयजनापणर ढ़ग स उनकी रचनाओ म ःथान म पाता हःतत किवता म किवतव शिकत का वणरन ह किवता िचिड़या की उड़ान की तरह कलपना की उड़ान ह लिकन िचिड़या क उड़न की अपनी सीमा ह जबिक किव अपनी कलपना क पख पसारकर दश और काल की सीमाओ स पर उड़ जाता ह

फल किवता िलखन की रणा तो बनता ह लिकन किवता तो िबना मरझाए हर यग म अपनी खशब िबखरती रहती ह

किवता बचचो क खल क समान ह और समय और काल की सीमाओ की परवाह िकए िबना अपनी कलपना क पख पसारकर उड़न की कला बचच भी जानत ह

bull मानवी िबबो क माधयम स कावय रचनाndash िबया को ःतत िकया गया ह bull किवता म िचिड़या फल और बचच क तीको क माधयम स बचच की रचनातमक ऊजार

की तलना किवता-रचना स की गई ह िचिड़या की उड़ान फल का िवकास अपनी सीमा म आबदध ह परनत किव की कलपना शिकत एव बालक क ःवपन व ऊजार असीम ह

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bull सािहतय का महतवsbquo ाकितक सौनदयर की अपकषा मानव क भाव-सौनदयर की ौषठता का ितपादन िकया गया ह

किवता की उड़ान ह िचिड़या क बहान

किवता की उड़ान भला िचिड़या कया जान

बाहर भीतर

इस घर उस घर

किवता क पख लगा उड़न क मान

िचिड़या कया जान

शन १- इन पिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िलिखए |

उततर - इन पिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िनमनिलिखत ह -

१ नए तीक -िचिड़याsbquo

२ महावरो का सटीक योग ndashसब घर एक कर दनाsbquo किव की कलपना की उवरर शिकत िजसका योग करन म किव जमीन-आसमान एक कर दता ह |

शन २ किवता की उड़ान ETHका लाकषिणक अथर ःपषट कीिजए |

उततर -कावय की सआम अथर िनरपण शिकत किव की कलपना का िवःतार

शन - किवता क पख िकसका तीक ह

उततर -किव की कलपना शिकत का |

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3 किवता क बहान

कवर नारायण

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१-िचिड़या की उड़ान एव किवता की उड़ान म कया समानता ह

उततर -उपकरणो की समानता - िचिड़या एक घोसल का सजन ितनक एकऽ करक करती ह| किव भी उसी कार अनक भावो एव िवचारो का समह करक कावय रचना करता ह

कषमता की समानता - िचिड़या की उड़ान और किव की कलपना की उड़ान दोनो दर तक जाती ह|

शन२ - किवता की उड़ान िचिड़या की समझ स पर कयो ह

उततर - किवता की उड़ान िचिड़या की उड़ान स कही अिधक सआम और महततवपणर होती ह

शन३ -ldquoफल मरझा जात ह पर किवता नहीrdquo कयो ःपषट कीिजए

उततर - किवता कालजयी होती ह उसका मलय शाशवत होता ह जबिक फल बहत जलदी कमहला जात ह

शन४ -ldquoबचच की उछल-कद सब घर एक कर दनाrsquo एव lsquoकिव का किवता िलखनाrsquo दोनो म कया समानता एव िवषमता ह

उततर -बचचा खल-खल म घर का सारा सामान अःतवयःत कर दता ह सब कछ टटोलता ह एक ःथान पर एकऽ कर लता ह कावरय रचना-िबया म किव भी परा मानव जीवन खगाल लता ह एक जगह िपरोता ह पर िफर भी दोनो क यासो म बाल-िबयाओ का आनद किव नही समझ सकता

किवता ndash बात सीधी थी पर

ःतत किवता म भाव क अनरप भाषा क महततव पर बल िदया गया ह

किव कहत ह िक एक बार वह सरल सीध कथय की अिभवयिकत म भी भाषा क चककर म ऐसा फस गया िक उस कथय ही बदला -बदला सा लगन लगा किव कहता ह िक िजस कार जोर

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जबरदःती करन स कील की चड़ी मर जाती ह और तब चड़ीदार कील को चड़ीिवहीन कील की तरह ठोकना पड़ता ह उसी कार कथय क अनकल भाषा क अभाव म भावहीन भाषा म भाव को अिभवयिकत िकया जाता ह

अत म भाव न एक शरारती बचच क समान किव स पछा िक तन कया अभी तक भाषा का ःवाभािवक योग नही सीखा

bull इस किवता म भाषा की स षण-शिकत का महततव दशारया गया ह bull किऽमता एव भाषा की अनावयक पचचीकारी स भाषा की पकड़ कमज़ोर हो जाती ह शबद अपनी अथरवतता खो बठता ह bull उनकी किवता म वयथर का उलझाव अखबारी सतहीपन और वचािरक धध क बजाय

सयम पिरकार और साफ़-सथरापन ह

आिखरकार वही हआ िजसका मझ डर था

ज़ोर ज़बरदःती स

बात की चड़ी मर गई

और वह भाषा म बकार घमन लगी

हार कर मन उस कील की तरह ठोक िदया

ऊपर स ठीकठाक

पर अदर स

न तो उसम कसाव था

न ताकत

बात न जो एक शरारती बचच की तरह

मझस खल रही थी

मझ पसीना पोछत दखकर पछा ndash

कया तमन भाषा को

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सहिलयत स बरतना कभी नही सीखा

शन१- इनपिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िलिखए |

उततर - इनपिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िनमनिलिखतह -

१ िबब महावरो का योग

२ नए उपमान

शन २ कावयाश म आए महावरो का अथर ःपषट कीिजए|

उततर -

bull िबब महावरो का अथर - बात की चड़ी मर जाना ETHबात म कसावट न होना

बात का शरारती बचच की तरह खलना ETHबात का पकड़

म न आना

पच को कील की तरह ठोक दना ETHबात का भावहीन

हो जाना

शन ३ - कावयाश म आएउपमानो को ःपषट कीिजए|

उततर-

नए उपमान ndash अमतर उपमय भाषा क िलए मतर उपमान कील का योग बात क िलए शरारती बचच का उपमान

किवताndash

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बात सीधी थी पर

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन १ - भाषा क चककर म बात कस फस जाती ह

उततर -आडबरपणर भाषा का योग करन स बात का अथर समझना किठन हो जाता ह

शन२ - भाषा को अथर की पिरणित तक पहचान क िलए किव कया कया यास करत ह

उततर - भाषा को अथर की पिरणित तक पहचान क िलए किव उस नाना कार क अलकरणो स

सजाता ह कई कार क भाषा और अलकार सबधी योग करता ह

शन३- भाषा म पच कसना कया ह

उततर -भाषा को चामतकािरक बनान क िलए िविभनन योग करना भाषा म पच कसना ह

परत इसस भाषा का पच जयादा कस जाता ह अथारत कथय एव शबदो म कोई तालमल नही बठता बात समझ म ही नही आती

शन४- किव िकस चमतकार क बल पर वाहवाही की उममीद करता ह

उततर -किव शबदो क चामतकािरक योग क बल पर वाहवाही की उममीद करता ह

शन५-बात एव शरारती बचच का िबब ःपषट कीिजए

उततर -िजस कार एक शरारती बचचा िकसी की पकड़ म नही आता उसी कार एक उलझा दी गई बात तमाम कोिशशो क बावजद समझन क योगय नही रह जाती चाह उसक िलए िकतन यास िकए जाएवह एक शरारती बचच की तरह हाथो स िफसल जाती ह

४ कमर म बद अपािहज

रघवीर सहाय

अथर-महण-सबधी शन

हम दरदशरन पर बोलग

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हम समथर शिकतवान

हम एक दबरल को लाएग

एक बद कमर म

उसस पछ ग तो आप कया अपािहज ह

तो आप कयो अपािहज ह

शन १- Ocircहम दरदशरन पर बोलग हम समथर शिकतवानOtilde-का िनिहत अथर ःपषट कीिजए |

उततर - इन पिकतयो म अह की धविनत अिभवयिकत ह sbquo पऽकािरता का बढ़ता वचरःव दशारया गया ह

शन२- हम एक दबरल को लाएगndash पिकत का वयगयाथर ःपषट कीिजए |

उततर - पऽकािरता क कषऽ म करणा का खोखला दशरन एक पिरपाटी बन गई ह|

शन३- आप कया अपािहज ह

तो आप कयो अपािहज ह पिकत दवारा किव िकस िविशषट अथर की अिभवयिकत करन म सफल हआ ह

उततर - पऽकािरता म वयावसाियकता क चलत सवदनहीनता बढ़ती जा रही ह | यहा अपिकषत उततर ापत करन का अधयर वयकत हआ ह

सौदयर-बोध-महण सबधी अनय शन

शन १- इन पिकतयो का लाकषिणक अथर ःपषट कीिजए |

िफर हम परद पर िदखलाएग

फली हई ऑख की एक बड़ी तःवीर

बहत बड़ी तःवीर

और उसक होठो पर एक कसमसाहट भी

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उततर- - लाकषिणक अथर - दय माधयम का योग कलातमक कावयातमक साकितक ःतित का माऽ िदखावा

कमरा बस करो

नही हआ

रहन दो

लाकषिणक अथर - वयावसाियक उददय परा न होन की खीझ

परद पर वकत की कीमत ह ndash

लाकषिणक अथर -- सऽ वाकय sbquoबर वयावसाियक उददय का उदघाटन

शन२ - रघवीर सहाय की कावय कला की िवशषताए िलिखए |

उततर - रघवीर सहाय की कावय कला की िवशषताएिनमनिलिखत ह -

bull कहानीपन और नाटकीयता

bull बोलचाल की भाषा क शबदःndash बनान क वाःतsbquo सग रलान ह bull साकितकताndash परद पर वकत की कीमत ह bull िबब ndashफली हई आख की एक बड़ी तःवीर

कमर म बद अपािहज

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- दरदशरन पर एक अपािहज का साकषातकार िकस उददय स िदखाया जाता ह

उततर -दरदशरन पर एक अपािहज का साकषातकारsbquo वयावसाियक उददयो को परा करन क िलए िदखाया जाता ह

शन२- अध को अधा कहना िकस मानिसकता का पिरचायक ह

उततर -अध को अधा कहनाsbquo बर और सवदनाशनय मानिसकता का पिरचायक ह

शन३ -किवता म यह मनोवित िकस कार उदघािटत हई ह

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उततर - दरदशरन पर एक अपािहज वयिकत को दशरन की वःत मान कर उसक मन की पीड़ा को करदा जाता हsbquo साकषातकारकतरता को उसक िनजी सखदख स कछ लनादना नही होता ह

शन४ -lsquoहम समथर शिकतवान एव हम एक दबरल को लाएगrsquo म िनिहताथर ःपषट कीिजए

उततर -साकषातकारकतार ःवय को पणर मान करsbquo एक अपािहज वयिकत को दबरल समझन का अहकार पाल हए ह

शन५- अपािहज की शबदहीन पीड़ा को मीिडयाकमीर िकस कार अिभवयकत कराना चाहता ह

उततर -मीिडयाकमीर अपािहज की लाल सजी हई ऑखो कोsbquo पीड़ा की साकितक अिभवयिकत क रप म ःतत करना चाहता ह

शन६-कयामीिडयाकमीर सफल होता हsbquo यिद नही तो कयो

उततर -मीिडयाकमीर सफल नही होता कयो िक सारण समय समापत हो जाता ह और सारण समय क बाद यिद अपािहज वयिकत रो भी दता तो उसस मीिडयाकमीर का वयावसाियक उददय परा नही हो सकता था उसिलए अब उस अपािहज वयिकत क आसओ म कोई िदलचःपी नही थी

शन७- नाटकीय किवता की अितम पिरणित िकस रप म होती ह

उततर -बार बार यास करन पर भी मीिडयाकमीरsbquo अपािहज वयिकत को रोता हआ नही िदखा पातावह खीझ जाता ह और िखिसयानी मःकराहट क साथ कायरबम समापत कर दता ह |Otildeसामािजक उददय स यकत कायरबमOtildeशबदो म वयगय ह कयोिक मीिडया क छदम वयावसाियक उददय की पितर नही हो पाती |

शन८ -lsquoपरद पर वकत की कीमत हrsquo म िनिहत सकताथर को ःपषट कीिजए

उततर -सारण समय म रोचक साममी परोस पाना ही मीिडया किमरयो का एकमाऽ उददय होता हअनयथा उनक सामािजक सरोकार माऽ एक िदखावा ह

5 सहषर ःवीकारा ह

गजानन माधव मिकतबोध

सार

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bull किवता म जीवन क सखndash दखsbquo सघषरndash अवसादsbquo उठाndash पटक को समान रप स ःवीकार करन की बात कही गई ह

bull ःनह की गाढ़ता अपनी चरम सीमा पर पहच कर िवयोग की कलपना माऽ स ऽःत हो उठती ह

bull मालबन अथारत ियजन पर यह भावपणर िनभररताsbquo किव क मन म िवःमित की चाह उतपनन करती हवह अपन िय को पणरतया भल जाना चाहता ह |

bull वःततः िवःमित की चाह भी ःमित का ही रप ह यह िवःमित भी ःमितयो क धधलक स अछती नही हिय की याद िकसी न िकसी रप म बनी ही रहती ह|

bull परत किव दोनो ही पिरिःथितयो को उस परम सतता की परछाई मानता हइस पिरिःथित को खशी ETHखशी ःवीकार करता ह |दःख-सख सघषर ETHअवसाद उठा ETHपटक िमलन-िबछोह को समान भाव स ःवीकार करता ह|िय क सामन न होन पर भी उसक आस-पास होन का अहसास बना रहता ह|

bull भावना की ःमित िवचार बनकर िवशव की गितथया सलझान म मदद करती ह| ःनह म थोड़ी िनःसगता भी जररी ह |अित िकसी चीज की अचछी नही |OtildeवहOtilde यहा कोई भी हो सकता ह िदवगत मा िय या अनय |कबीर क राम की तरह वडसरवथर की मातमना कित की तरह यह म सवरवयापी होना चाहता ह |

मःकाता चाद जयो धरती पर रात भर मझ पर तयो तमहारा ही िखलता वह चहरा ह

bull छायावाद क वतरक साद की लखनी स यह ःवर इस कार धविनत हआ ह ndash

दख की िपछली रजनी बीच िवकसता सख का नवल भात एक परदा यह झीना नील िछपाए ह िजसम सख गात यह किवता Ocircनई किवताOtilde म वयकत रागातमकता को आधयाितमकता क ःतर पर ःतत करती ह

अथरमहण-सबधी शन

िज़दगी म जो कछ भी ह

सहषर ःवीकारा ह इसिलए िक जो कछ भी मरा ह

वह तमह पयारा ह|

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गरबीली गरीबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव िवचार सब

दढ़ता यहभीतर की सिरता यह अिभनव सब

मौिलक ह मौिलक ह

इसिलए िक पल-पल म जो कछ भी जामत ह अपलक ह-

सवदन तमहारा ह शन १- किव और किवता का नाम िलिखए|

उततर- किव- गजानन माधव मिकतबोध

किवताndash सहषर ःवीकारा ह

शन२- गरबीली गरीबीभीतर की सिरता आिद योगो का अथर ःपषट कीिजए |

उततर -गरबीली गरीबीndash िनधरनता का ःवािभमानी रप किव क िवचारो की मौिलकता अनभवो की गहराई दढ़ता हदय का म उसक गवर करन का कारण ह |

शन३ - किव अपन िय को िकस बात का ौय द रहा ह

उततर- िनजी जीवन क म का सबल किव को िवशव वयापी म स जड़न की रणा दता ह |अत किव इसका ौय अपन िय को दता ह |

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सौदयर-बोध-महण सबधी शन

जान कया िरता ह जान कया नाता ह

िजतना भी उडलता ह भर ETHभर िफर आता ह

िदल म कया झरना ह

मीठ पानी का सोता ह

भीतर वह ऊपर तम

मःकाता चाद जयो धरती पर रात- भर

मझ पर तयो तमहारा ही िखलता वह चहरा ह |

शन१- किवता की भाषा सबधी दो िवशषताए िलिखए |

उततर- १-सटीक तीको

२- नय उपमानो का योग

शन२ - िदल म कया झरना ह

मीठ पानी का सोता ह - -क लाकषिणक अथर को ःपषट कीिजए |

उततर - िदल म कया झरना ह-हदय क अथाह म का पिरचायक

मीठ पानी का सोता ह -अिवरल कभी समापत होन वाला म

शन३- किवता म यकत िबब का उदाहरण िलिखए |

दय िबबndash मःकाता चाद जयो धरती पर रात भर मझ पर तमहारा ही िखलता वह चहरा

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5 सहषर ःवीकारा ह

गजानन माधव मिकतबोध

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१-किव न िकस सहषर ःवीकारा ह

उततर- bull किवता म जीवन क सखndash दखsbquo सघषरndash अवसादsbquo उठाndash पटक को समान रप स ःवीकार

करन की बात कही गई ह bull िय स िबछड़ कर भी उसकी ःमितयो को वयापक ःतर पर ल जाकर िवशव चतना म

िमला दन की बात कही गई ह | शन२- किव को अपन अनभव िविशषट एव मौिलक कयो लगत ह

उततर- किव को अपनी ःवािभमानयकत गरीबी जीवन क गमभीर अनभव िवचारो का वभव वयिकततव की दढ़ता मन की भावनाओ की नदी यह सब नए रप म मौिलक लगत ह कयो िक उसक जीवन म जो कछ भी घटता ह वह जामत ह िवशव उपयोगी ह अत उसकी उपलिबध ह और वह उसकी िया की रणा स ही सभव हआ ह उसक जीवन का तयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई िदशा ही दता रहा ह |

शन३- ldquoिदल का झरनाrdquo का साकितक अथर ःपषट कीिजए

उततर-िजस कार झरन म चारो ओर की पहािड़यो स पानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कभी खतम न होन वाल ॐोत क रप म योग िकया जा सकता ह उसी कार किव क िदल म िःथत म उमड़ता ह कभी समापत नही होता जीवन का िसचन करता ह| वयिकतगत ःवाथर स दर पर समाज क िलए जीवनदायी हो जाता ह |

शन४- lsquoिजतना भी उड़लता ह भर-भर िफर आता ह का िवरोधाभास ःपषट कीिजए

उततर-हदय म िःथत म की िवशषता यह ह िक िजतना अिधक वयकत िकया जाए उतना ही बढ़ता जाता ह

शन५- वह रमणीय उजाला कया ह िजस किव सहन नही कर पाता

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उततर-किव न ियतमा की आभा सम क सखद भावो स सदव िघर रहन की िःथित को उजाल क रप म िचिऽत िकया ह इन ःमितयो स िघर रहना आनददायी होत हए भी किव क िलए असहनीय हो गया ह कयोिक इस आनद स विचत हो जान का भय भी उस सदव सताता रहता ह

6 उषा

शमशर बहादर िसह

सार

उषा किवता म सयोरदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणरन िकया गया ह सयोरदय क पवर ातःकालीन आकाश नील शख की तरह बहत नीला होता ह भोरकालीन नभ की तलना काली िसल स की गयी ह िजस अभी-अभी कसर पीसकर धो िदया गया ह कभी किव को वह राख स लीप चौक क समान लगता ह जो अभी गीला पड़ा ह नील गगन म सयर की पहली िकरण ऐसी िदखाई दती ह मानो कोई सदरी नील जल म नहा रही हो और उसका गोरा शरीर जल की लहरो क साथ िझलिमला रहा हो

ातकालीन पिरवतरनशील सौदयर का दय िबब ाकितक पिरवतरनो को मानवीय िबयाकलापो क माधयम स वयकत िकया गया ह यथाथर जीवन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली िसलनीला शख ःलटलाल खिड़या चाक आिद का योग साद की कित ndashबीती िवभावरी जाग री स तलना की जा सकती ह

किवताndash उषा

अथर-महण-सबधी शन

ात नभ था बहत नीला शख जस

भोर का नभ

राख स लीपा चौका

(अभी गीला पड़ा ह ) बहत काली िसल ज़रा स लाल कसर

स िक जस धल गई हो ःलट पर या लाल खिड़या चाक

मल दी हो िकसी न

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नील जल म या िकसी की

गौर िझलिमल दह

जस िहल रही हो | और

जाद टटता ह इस उषा का अब

सयोरदय हो रहा ह|

शन१ -उषा किवता म सयोरदय क िकस रप को िचिऽत िकया गया ह

उततर -किव न ातःकालीन पिरवतरनशील सौदयर का दय िबब मानवीय िबयाकलापो क माधयम स वयकत िकया ह

शन२ -भोर क नभ और राख स लीप गए चौक म कया समानता ह

उततर -भोर क नभ और राख स लीप गए चौक म यह समानता ह िक दोनो ही गहर सलटी रग क हपिवऽ ह नमी स यकत ह

शन३ - ःलट पर लाल पिकत का अथर ःपषट कीिजए|

उततर - भोर का नभ लािलमा स यकत ःयाही िलए हए होता ह | अत लाल खिड़या चाक स मली गई ःलट जसा तीत होता ह |

शन४- उषा का जाद िकस कहा गया ह

उततर िविवध रप रग बदलती सबह वयिकत पर जादई भाव डालत हए उस मऽ मगध कर दती ह |

सौदयर-बोध-सबधी िवशषताए

शन१- किवता म यकत उपमानो को ःपषट कीिजए

bull भोर का नभ राख स लीपा चौका दोनो ही गहर सलटी रग क हपिवऽ हनमी स यकत ह

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bull काली िसल भोर का नभ और लालकसर स धली काली िसल दोनो ही लािलमा स यकत ह

bull काली िसलट जो लाल खिड़या चाक स मल दी गई हो और भोर का नभ दोनो ही लािलमा स यकत ह

bull ातः काल क ःवचछ िनमरल आकाश म सयर ऐसा तीत होता ह मानो नीलजल म कोई ःविणरम दह नहा रही हो

शन२- किवता की भाषा एव अिभवयिकत सबधी िवशषताए िलिखए

उततर -१ यथाथर जीवन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दयिबब

शन ३ किवता म आए अलकारो को छॉटकर िलिखए

उततर - उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लीपा चौका

उतकषा अलकार-

ldquo बहत काली िसल जरा स लाल कसर स िक जस धल गई हो

नील जल म या िकसी की

गौर िझलिमल दह

जस िहल रही हो ldquo

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- किवता क िकन उपमानो को दख कर कहा जा सकता ह िक उषा गाव की सबह का गितशील शबद िचऽ ह

उततर -किवता म नील नभ को राख स िलप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर िबब म उसकी तलना काली िसल स की गई ह| तीसर म ःलट पर लाल खिड़या चाक का उपमान ह|लीपा हआ आगन काली िसल या ःलट गाव क पिरवश स ही िलए गए ह |ात कालीन सौदयर बमश िवकिसत होता ह | सवर थम राख स लीपा चौका जो गीली राख क कारण गहर ःलटी रग का अहसास दता ह और पौ फटन क समय आकाश क गहर ःलटी रग स मल खाता

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ह |उसक पशचात तिनक लािलमा क िमौण स काली िसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ह तथा सयर की लािलमा क रात की काली ःयाही म घल जान का सदर िबब ःतत करता ह | धीर ETHधीर लािलमा भी समापत हो जाती ह और सबह का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर की ःविणरम आभा गौरवणीर दह क नील जल म नहा कर िनकलन की उपमा को साथरक िसदध करती ह | शन२ -

भोर का नभ

राख स लीपा चौका

(अभी गीला पड़ा ह ) नयी किवता म कोषठक िवराम िचहनो और पिकतयो क बीच का ःथान भी किवता को अथर दता ह |उपयरकत पिकतयो म कोषठक स किवता म कया िवशष अथर पदा हआ ह समझाइए |

उततर - नई किवता योग धमीर ह |इसम भाषा- िशलप क ःतर पर हर नए योग स अथर की अिभवयिकत की जाती ह|ाय कोषठक अितिरकत जञान की सचना दता ह|यहा अभी गीला पड़ा ह क माधयम स किव गीलपन की ताजगी को ःपषट कर रहा ह |ताजा गीलापन ःलटी रग को अिधक गहरा बना दता ह जबिक सखन क बाद राख हलक ःलटी रग की हो जाती ह|

7 बादल राग

सयरकात िऽपाठी िनराला

िनराला की यह किवता अनािमका म छह खडो म कािशत हयहा उसका छठा खड िलया गया ह|आम आदमी क दःख स ऽःत किव पिरवतरन क िलए बाित रपी बादल का आहवान करता ह |इस किवता म बादल बाित या िवपलव का तीक ह किव िवपलव क बादल को सबोिधत करत हए कहता ह िक जन मन की आकाकषाओ स भरी-तरी नाव समीर रपी सागर पर तर रही ह अिःथर सख पर दःख की छाया तरती िदखाई दती ह ससार क लोगो क हदय दगध ह(दःखी) उन पर िनदरयी िवपलव अथारत बाित की माया फली हई ह बादलो क गजरन स पथवी क गभर म सोए अकर बाहर िनकल आत ह अथारत शोिषत वगर सावधान हो जाता ह और आशा भरी दिषट स बाित की ओर दखन लगता ह उनकी आशा बाित पर ही िटकी ह बादलो की गजरना और मसलाधार वषार म बड़ -बड़ पवरत वकष घबरा जात हउनको उखड़कर िगर जान का भय होता ह |बाित की हकार स पजीपित घबरा उठत ह व िदल थाम कर रह जात ह बाित को तो छोट-

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छोट लोग बलात ह िजस कार छोट छोट पौध हाथ िहलाकर-बादलो क आगमन का ःवागत करत ह वस ही शोिषत वगर बाित क आगमन का ःवागत करता ह

छायावादी किव िनराला सामयवादी भाव स भी जड़ हमकत छद िहनदी को उनही की दन हशोिषत वगर की समःयाओ को समापत करन क िलए बाित रपी बादल का आहवान िकया गया ह

अथर-महण-सबधी शन

किवताndash

बादल राग

ितरती ह समीर-सागर पर

अिःथर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

िनदरय िवपलव की पलािवत माया-

यह तरी रण-तरी

भरी आकाकषाओ स

घन भरी ETHगजरन स सजग सपत अकर

उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन की ऊचा कर िसर

ताक रह ह ऐ िवपलव क बादल

िफर ETHिफर

बार ETHबार गजरन

वषरण ह मसलधार

हदय थाम लता ससार

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सन- सन घोर वळ हकार |

अशिन पात स शाियत शत-शत वीर

कषत ETHिवकषत हत अचल शरीर

गगन- ःपशीर ःपदधार धीर |

शन१- किवता म बादल िकस का तीक हऔर कयो

उततर -बादलराग बाित का तीक ह इन दोनो क आगमन क उपरात िवशव हरा- भरा समदध और ःवःथ हो जाता ह

शन २ -सख को अिःथर कयो कहा गया ह

उततर -सख सदव बना नही रहता अतः उस अिःथर कहा जाता ह

शन३ -िवपलवी बादल की यदध रपी नौका की कया- कया िवशषताए ह

उततर -बादलो क अदर आम आदमी की इचछाए भरी हई हिजस तरह स यदरध नौका म यदध की साममी भरी होती हयदध की तरह बादल क आगमन पर रणभरी बजती ह सामानयजन की आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह

शन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन िवनाश की आशका स भयभीत हो उठता ह

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सौदयर-बोध-सबधी शन

हसत ह छोट पौध लघभार-

शःय अपार

िहल िहल

िखल िखल

हाथ िहलात

तझ बलात

िवपलव रव स छोट ही ह शोभा पात|

शन १- िनमन िलिखत तीको को ःपषट कीिजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोिषत वगर सपत अकर- आशाए

शन२- Ocircहसत ह छोट पौधOtilde-का तीकाथर ःपषट कीिजए |

उततर -सनन िचतत िनधरन वगर जो बाित की सभावना माऽ स िखल उठता ह

शन३-Ocircछोट ही ह शोभा पातOtilde म िनिहत लाकषिणकता कया ह

उततर-बचपन म मनय िनिशचत होता ह िनधरन मनय उस बचच क समान ह जो बाित क समय भी िनभरय होता ह और अतत लाभािनवत होता ह

किवताndash

बादल राग

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- पजीपितयो की अटटािलकाओ को आतक भवन कयो कहा गया ह

उततर -बादलो की गजरना और मसलाधार वषार म बड़ -बड़ पवरत वकष घबरा जात हउनको उखड़कर िगर जान का भय होता ह |उसी कार बाित की हकार स पजीपित घबरा उठत ह व

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िदल थाम कर रह जात हउनह अपनी सपितत एव सतता क िछन जान का भय होता ह | उनकी अटटािलकाए मजबती का म उतपनन करती ह पर वाःतव म व अपन भवनो म आतिकत होकर रहत ह|

शन२- किव न िकसान का जो शबद-िचऽ िदया ह उस अपन शबदो म िलिखए |

उततर - िकसान क जीवन का रस शोषको न चस िलया ह आशा और उतसाह की सजीवनी समापत हो चकी ह |शरीर स भी वह दबरल एव खोखला हो चका ह | बाित का िबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ह |वह िखलिखला कर बादल रपी बाित का ःवागत करता ह |

शन३- अशिन पात कया ह

उततर- बादल की गजरना क साथ िबजली िगरन स बड़ ETHबड़ वकष जल कर राख हो जात ह | उसी कार बाित की आधी आन स शोषक धनी वगर की सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह |

शन४- पथवी म सोय अकर िकस आशा स ताक रह ह

उततर - बादल क बरसन स बीज अकिरत हो लहलहान लगत ह | अत बादल की गजरन उनम आशाए उतपनन करती ह | व िसर ऊचा कर बादल क आन की राह िनहारत ह | ठीक उसी कार िनधरन वयिकत शोषक क अतयाचार स मिकत पान और अपन जीवन की खशहाली की आशा म बाित रपी बादल की तीकषा करत ह |

शन५- रदध कोष ह कषबदध तोष ETHिकसक िलए कहा गया ह और कयो

उततर - बाित होन पर पजीपित वगर का धन िछन जाता हकोष िरकत हो जाता ह | उसक धन की आमद समापत हो जाती ह | उसका सतोष भी अब Ocircबीत िदनो की बातOtilde हो जाता ह |

शन६- अिःथर सख पर दःख की छाया का भाव ःपषट कीिजए |

उततर - मानव-जीवन म सख सदा बना नही रहता ह उस पर दःख की छाया सदा मडराती रहती ह |

शन७- बादल िकस का तीक ह

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उततर - बादल इस किवता म बाित का तीक ह | िजस कार बादल कित िकसान और आम आदमी क जीवन म आनद का उपहार ल कर आता ह उसी कार बाित िनधरन शोिषत वगर क जीवन म समानता का अिधकार व सपननता ल कर आता ह

शन८- बादल को जीवन का पारावार कयो कहा गया ह

उततर - बाित रपी बादल का आगमन जीवनदायी सखद होता ह -पारावार अथारत सागर | वह जीवन म खिशयो का खजाना लकर आता ह | िनधरन वगर को समानता का अिधकार दता ह |सख समिदध का कारक बनकर अतयाचार की अिगन स मकत करता ह |

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8 किवतावली

तलसीदास

सार

ौीरामजी को समिपरत मनथ ौीरामचिरतमानस उततर भारत म बड़ भिकतभाव स पढ़ा जाता ह लआमण -मचछार और राम का िवलाप

रावण पऽ मघनाद दवारा शिकत बाण स मिछरत हए लआमण को दखकर राम वयाकल हो जात हसषण वदय न सजीवनी बटी लान क िलए हनमान को िहमालय पवरत पर भजाआधी रात वयतीत होन पर जब हनमान नही आएतब राम न अपन छोटभाई लआमण को उठाकर हदय स लगा िलया और साधारण मनय की भाित िवलाप करन लगराम बोल ह भाई तम मझ कभी दखी नही दख सकत थतमहारा ःवभाव सदा स ही कोमल थातमन मर िलए माता िपता को भी छोड़ िदया और मर साथ वन म सदीरगमीर और िविभनन कार की िवपरीत पिरिःथितयो को भी सहा|जस पख िबना पकषीमिण िबना सपर और सड िबना ौषठ हाथी अतयत दीन हो जात हह भाईयिद म जीिवत रहता ह तो मरी दशा भी वसी ही हो जाएगी

म अपनी पतनी क िलए अपन िय भाई को खोकर कौन सा मह लकर अयोधया जाऊगाइस बदनामी को भल ही सह लता िक राम कायर ह और अपनी पतनी को खो बठा सतरी की हािन िवशष कषित नही हपरनत भाई को खोना अपरणीय कषित ह

lsquoरामचिरतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गही लआमण को शिकत बाण लगन का सग किव की मािमरक ःथलो की पहचान का एक ौषठ नमना ह भाई क शोक म िवगिलत राम का िवलाप धीर -धीर लाप म बदल जाता ह िजसम लआमण क ित राम क अतर म िछप म क कई कोण सहसा अनावत हो जात हयह सग ईशवर राम म मानव सलभ गणो का समनवय कर दता ह | हनमान का सजीवनी लकर आ जाना करण रस म वीर रस का उदय हो जान क समान ह|

िवनय पिऽका एक अनय महततवपणर तलसीदासकत कावय ह

किवतत और सवया

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सार

इस शीषरक क अतगरत दो किवतत और एक सवया सकिलत ह lsquoकिवतावलीrsquo स अवतिरत इन किवततो म किव तलसी का िविवध िवषमताओ स मःत किलकालतलसी का यगीन यथाथर ह

िजसम व कपाल भ राम व रामराजय का ःवपन रचत ह यग और उसम अपन जीवन का न िसफर उनह गहरा बोध ह बिलक उसकी अिभवयिकत म भी व अपन समकालीन किवयो स आग ह यहा पाठ म ःतत lsquoकिवतावलीrsquo क छद इसक माण -ःवरप ह पहल छद rdquoिकसवी िकसान ldquo म उनहोन िदखलाया ह िक ससार क अचछ बर समःत-लीला पचो का आधार-lsquoपट की आगrsquoका गहन यथाथर ह िजसका समाधान व राम की भिकत म दखत ह दिरिजन की वयथा दर करन क िलए राम रपी घनयाम का आहवान िकया गया ह पट की आग बझान क िलए राम रपी वषार का जल अिनवायर हइसक िलए अनितक कायर करन की आवयकता नही हOcirc इस कार उनकी राम भिकत पट की आग बझान वाली यानी जीवन क यथाथर सकटो का समाधान करन वाली ह न िक कवल आधयाितमक मिकत दन वाली| गरीबी की पीड़ा रावण क समान दखदायी हो गई ह

तीसर छद )rdquoधत कहौldquo) म भिकत की गहनता और सघनता म उपज भकतहदय क आतमिवशवास का सजीव िचऽण ह िजसस समाज म वयापत जातपात और दरामहो क ितरःकार का साहस -पदा होता ह इस कार भिकत की रचनातमक भिमका का सकत यहा ह जो आज क भदभाव मलक यग म अिधक ासिगक ह |

अथर-महण-सबधी शन

उहा राम लिछमनिह िनहारी बोल बचन मनज अनसारी

अधर राित गइ किप निह आयउ राम उठाइ अनज उर लायउ

सकह न दिखत दिख मोिह काऊ बध सदा तव मदल सभाऊ

मम िहत लािग तजह िपत माता सहह िबिपन िहम आतप बाता

सो अनराग कहा अब भाई उठह न सिन मम बच िबकलाई

जौ जनतउ बन बध िबछोह िपता बचन मनतउ निह ओह

सत िबत नािर भवन पिरवारा होिह जािह जग बारिह बारा

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अस िबचािर िजय जागह ताता िमलइ न जगत सहोदर ाता

जथा पख िबन खग अित दीना मिन िबन फिन किरबर कर हीना

अस मम िजवन बध िबन तोही जौ जड़ दव िजआव मोही

जहउ अवध कवन मह लाई नािर हत िय भाइ गवाई

बर अपजस सहतउ जग माही नािर हािन िबसष छित नाही

अब अपलोक सोक सत तोरा सिहिह िनठर कठोर उर मोरा

िनज जननी क एक कमारा तात तास तमह ान अधारा

सौपिस मोिह तमहिह गिह पानी सब िबिध सखद परम िहत जानी

उतर काह दहउ तिह जाई उिठ िकन मोिह िसखावह भाई

शन१-Ocircबोल बचन मनज अनसारीOtilde- का तातपयर कया ह

उततर - भाई क शोक म िवगिलत राम का िवलाप धीर- -धीर लाप म बदल जाता ह िजसम लआमण क ित राम क अतर म िछप म क कई कोण सहसा अनावत हो जात ह यह सग ईशवर राम म मानव सलभ गणो का समनवय कर दता ह| व मनय की भाित िवचिलत हो कर ऐस वचन कहत ह जो मानवीय कित को ही शोभा दत ह |

शन२- राम न लआमण क िकन गणो का वणरन िकया ह

उततर -राम न लआमण क इन गणो का वणरन िकया ह-

bull लआमण राम स बहत ःनह करत ह | bull उनहोन भाई क िलए अपन माता ETHिपता का भी तयाग कर िदया | bull व वन म वषार िहम धप आिद कषटो को सहन कर रह ह | bull उनका ःवभाव बहत मदल ह |व भाई क दःख को नही दख सकत |

शन३- राम क अनसार कौन सी वःतओ की हािन बड़ी हािन नही ह और कयो

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उततर -राम क अनसार धन पऽ एव नारी की हािन बड़ी हािन नही ह कयोिक य सब खो जान पर पन ापत िकय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन ापत नही िकया जा सकता |

शन४- पख क िबना पकषी और सड क िबना हाथी की कया दशा होती ह कावय सग म इनका उललख कयो िकया गया ह

उततर - राम िवलाप करत हए अपनी भावी िःथित का वणरन कर रह ह िक जस पख क िबना पकषी और सड क िबना हाथी पीिड़त हो जाता ह उनका अिःततव नगणय हो जाता ह वसा ही असहनीय कषट राम को लआमण क न होन स होगा |

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सौदयर-बोध-सबधी शन

शन१- कावयाश की भाषा सौदयर सबधी दो िवशषताओ का उलललख कीिजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतकषा अलकारndash

मन करणा मह बीर रस

जागा िनिसचर दिखअ कसामानह काल दह धिर बसा

दषटात अलकार - जथा पख िबन खग अित दीनामिन िबन फिन किरबर कर हीना

अस मन िजवन बध िबन तोहीजो जड़ दव िजआव मोही

िवरोधाभास अलकार -बहिबिध सोचत सोच िबमोचन

शन२- कावयाश की भाषा का नाम िलिखए |

उततर - अवधी भाषा

शन३- कावयाश म यकत छद कौन ETHसा ह

उततर- १६१६ माऽाओ का सम मािऽक चौपाई छद |

सौदयर-बोध-सबधी शन

िकसबी िकसान-कल बिनक िभखारी भाट चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गढ़त चढ़त िगिर अटत गहन ETHगन अहन अखटकी|

ऊच ETHनीच करम धरम ETHअधरम किर पट ही को पचत बचत बटा ETHबटकी |

OcircतलसीOtilde बझाई एक राम घनःयाम ही त आिग बड़वािगत बड़ी ह आिग पटकी|

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शन१- किवतावली िकस भाषा म िलखी गई ह

उततर - ज भाषा

शन२- किवतावली म यकत छद एव रस को ःपषट कीिजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणोर का चार चरणो वाला समविणरक किवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वणोर पर िवराम होता ह

शन३- किवतत म यकत अलकारो को छाट कर िलिखए

१ अनास अलकारndash

िकसबी िकसान-कल बिनक िभखारी भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनयाम

३ अितशयोिकत अलकारndash आिग बड़वािग त बिड़ ह आग पट की

लआमण- मचछार और राम का िवलाप

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन १-Ocircतव ताप उर रािख भ म िकसक ताप का उललख िकया गया हOtildeऔर कयो

उततर -इन पिकतयो म भरत क ताप का उललख िकया गया ह हनमानजी उनक ताप का ःमरण करत हए अयोधया क ऊपर स उड़त हए सजीवनी ल कर लका की ओर चल जा रह ह

शन२- राम िवलाप म लआमण की कौन सी िवशषताए उदघिटत हई ह

उततर -लआमण का ात म तयागमय जीवन इन पिकतयो क माधयम स उदघािटत हआ ह

शन३- बोल वचन मनज अनसारी स किव का कया तातपयर ह

उततर -भगवान राम एक साधारण मनय की तरह िवलाप कर रह ह िकसी अवतारी मनय की तरह नही ात म का िचऽण िकया गया हतलसीदास की मानवीय भावो पर सशकत पकड़ हदवीय वयिकततव का लीला रप ईशवर राम को मानवीय भावो स समिनवत कर दता ह

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शन४- भाई क ित राम क म की गाढ़ता उनक िकन िवचारो स वयकत हई ह

उततर - जथा पख िबन खग अित दीना

मिन िबन फिन किरबर कर हीना

अस मम िजवन बध िबन तोही

जो जड़ दव िजआव मोही

शन५- Ocircबहिविध सोचत सोचिवमोचनOtilde का िवरोधाभास ःपषट कीिजए

उततर -दीनजन को शोक स मकत करन वाल भगवान राम ःवय बहत कार स सोच म पड़कर दखी हो रह ह

शन६- हनमान का आगमन करणा म वीर रस का आना िकस कार कहा जा सकता ह

उततर -रदन करत वानर समाज म हनमान उतसाह का सचार करन वाल वीर रस क रप म आ गए करणा की नदी हनमान दवारा सजीवनी ल आन पर मगलमयी हो उठती ह

किवतत और सवया

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- पट की भख शात करन क िलए लोग कया कया करत ह

उततर -पट की आग बझान क िलए लोग अनितक कायर करत ह

शन२- तलसीदास की दिषट म सासािरक दखो स िनवितत का सवोरततम उपाय कया ह

उततर - पट की आग बझान क िलए राम कपा रपी वषार का जल अिनवायर हइसक िलए अनितक कायर करन की आवयकता नही ह

शन३- तलसी क यग की समःयाओ का िचऽण कीिजए

उततर - तलसी क यग म ाकितक और शासिनक वषमय क चलत उतपनन पीडा दिरिजन क िलए रावण क समान दखदायी हो गई ह

शन४- तलसीदास की भिकत का कौन सा ःवरप ःतत किवततो म अिभवयकत हआ ह

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उततर - तलसीदास की भिकत का दाःय भाव ःवरप ःतत किवततो म अिभवयकत हआ ह

9 रबाइया

िफ़राक गोरखपरी

मल नामndash रघपित सहाय िफ़राक

उदर शायरी की िरवायत क िवपरीत िफराक गोरखपरी क सािहतय म लोक जीवन एव कित की झलक िमलती ह सामािजक सवदना वयिकतक अनभित बन कर उनकी रचनाओ म वयकत हई हजीवन का कठोर यथाथर उनकी रचनाओ म ःथान पाता हउनहोन लोक भाषा क तीको का योग िकया ह लाकषिणक योग उनकी भाषा की िवशषता हिफ़राक की रबाईयो म घरल िहदी का रप िदखता ह |

रबाई उदर और फ़ारसी का एक छद या लखन शली ह िजसम चार पिकतया होती ह |इसकी पहली दसरी और चौथी पिकत म तक (कािफ़या)िमलाया जाता ह तथा तीसरी पिकत ःवचछद होती ह |

वो रपवती मखड़ प इक नमर दमक

बचच क घरोद म जलाती ह िदए

रकषाबधन की सबह रस की पतली

िबजली की तरह चमक रह ह लचछ

भाई क ह बाधती चमकती राखी - जस योग उनकी भाषा की सशकतता क नमन क तौर पर दख जा सकत ह |

सार

रबाइया

रकषाबधन एक मीठा बधन ह रकषाबधन क कचच धागो पर िबजली क लचछ ह सावन म रकषाबधन आता ह सावन का जो सबध झीनी घटा स ह घटा का जो सबध िबजली स ह वही सबध भाई का बहन स होता ह

गज़ल

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पाठ म िफराक की एक गज़ल भी शािमल ह रबाइयो की तरह ही िफराक की गजलो म भी िहदी समाज और उदर शायरी की परपरा भरपर ह इसका अदभत नमना ह यह गज़ल यह गज़ल कछ इस तरह बोलती ह िक िजसम ददर भी ह एक शायर की ठसक भी ह और साथ ही ह कावय-िशलप की वह ऊचाई जो गज़ल की िवशषता मानी जाती ह

अथर-महण-सबधी शन

आगन म िलए चाद क टकड़ को खड़ी

हाथो प झलाती ह उस गोद-भरी

रह-रह क हवा म जो लोका दती ह

गज उठती ह िखलिखलात बचच की हसी

शन१- Ocircचाद क टकड़Otildeका योग िकसक िलए हआ ह और कयो

उततर -बचच को चाद का टकड़ा कहा गया ह जो मा क िलए बहत पयारा होता ह

शन२- गोद-भरी योग की िवशषता को ःपषट कीिजए |

उततर - गोद-भरी शबद-योग मा क वातसलयपणर आनिदत उतसाह को कट करता ह |यह अतयत सदर दय िबब ह | सनी गोद क िवपरीत गोद का भरना मा क िलए असीम सौभागय का सचक ह |इसी सौभागय का सआम अहसास मा को तिपत द रहा ह|

शन३- लोका दना िकस कहत ह

उततर - जब मा बचच को बाहो म लकर हवा म उछालती ह इस लोका दना कहत ह|छोट बचचो को यह खल बहत अचछा लगता ह

शन४- बचचा मा की गोद म कसी ितिबया करता ह

उततर - हवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा मा का वातसलय पाकर सनन होता ह और िखलिखला कर हस पड़ता हबचच की िकलकािरया मा क आनद को दगना कर दती ह|

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सौदयर-बोध-सबधी शन

नहला क छलक-छलक िनमरल जल स

उलझ हए गसओ म कघी करक

िकस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटिनयो म लक ह िपनहाती कपड़

शन१- ःतत पिकतयो क भाव सौदयर को ःपषट कीिजए |

उततर - मा न अपन बचच को िनमरल जल स नहलाया उसक उलझ बालो म कघी की |मा क ःपशर एव नहान क आनद स बचचा सनन हो कर बड़ म स मा को िनहारता ह| ितिदन की एक ःवाभािवक िबया स कस मा-बचच का म िवकिसत होता ह और गाढ़ होता चला जाता ह इस भाव को इस रबाई म बड़ी सआमता क साथ ःतत िकया गया ह|

शन२- कावयाश म आए िबबो को ःपषट कीिजए |

उततर -१ नहला क छलक-छलक िनमरल जल स - इस योग दवारा किव न बालक की िनमरलता एव पिवऽता को जल की िनमरलता क माधयम स अिकत िकया ह | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक क शरीर पर छलछलान का सदर दय िबब ःतत करता ह |

२ Ocircघटिनयो म लक ह िपनहाती कपड़Otilde- इस योग म मा की बचच क ित सावधानी चचल बचच को चोट पहचाए िबना उस कपड़ पहनान स मा क माततव की कशलता िबिबतहोती ह |

३ िकस पयार स दखता ह बचचा मह को - पिकत म मा ETHबचच का वातसलय िबिबत हआ ह | मा स पयार ETHदलार ःपशर ETHसख नहलाए जान क आनद को अनभव करत हए बचचा मा को पयार भरी नजरो स दख कर उस सख की अिभवयिकत कर रहा ह |यह सआम भाव अतयत मनोरम बन पड़ा ह |सपणर रबाई म दय िबब ह|

शन ३-कावयाश क शबद-योग पर िटपपणी िलिखए |

उततर -गस ETHउदर शबदो का योग

घटिनयो िपनहाती ETH दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अिभवयिकत

छलक ETHछलक ETHशबद की पनरावितत स अभी ETHअभी नहलाए गए बचच क गील शरीर का िबब

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आिद िवलकषण योग रबाइयो को िविशषट बना दत ह | िहदीउदर और लोकभाषा क अनठ गठबधन की झलक िजस गाधीजी िहदःतानी क रप म पललिवत करना चाहत थदखन को िमलती ह |

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

रबाइया

शन १ -कावय म यकत िबबो का वणरन अपन शबदो म कीिजए

उततर -

bull दय िबब -बचच को गोद म लना हवा म उछालना ःनान कराना घटनो म लकर कपड़ पहनाना|

bull ौवयिबब - बचच का िखलिखला कर हस पड़ना bull ःपशर िबब -बचच को ःनान करात हए ःपशर करना |

शन २- आगन म ठनक रहा ह िज़दयाया ह बालक तो हई चाद प ललचाया हOtilde- म बालक की कौन सी िवशषता अिभवयकत हई ह

उततर - इन पिकतयो म बालक की हठ करन की िवशषता अिभवयकत हई ह बचच जब िजद पर आ जात ह तो अपनी इचछा परी करवान क िलए नाना कार की हरकत िकया करत ह| िज़दयाया शबद लोक भाषा का िवलकषण योग ह इसम बचच का ठनकना तनकना पाव पटकना रोना आिद सभी िबयाए शािमल ह |

शन ३ लचछ िकस कहा गया ह इनका सबध िकस तयौहार स ह

उततर - राखी क चमकील तारो को लचछ कहा गया ह रकषाबधन क कचच धागो पर िबजली क लचछ ह सावन म रकषाबधन आता ह सावन का जो सबध झीनी घटा स ह घटा का जो सबध िबजली स ह वही सबध भाई का बहन स होता ह|सावन म िबजली की चमक की तरह राखी क चमकील धागो की सदरता दखत ही बनती ह|

अथर-महण-सबधी शन

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गज़ल

िफ़राक गोरखपरी

नौरस गच पखिड़यो की नाज़क िगरह खोल ह

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ह |

शन१- OcircनौरसOtilde िवशषण दवारा किव िकस अथर की वयजना करना चाहता ह

उततर नौरस अथारत नया रस गच अथारत किलयो म नया ETHनया रस भर आया ह |

शन२- पखिड़यो की नाज़क िगरह खोलन का कया अिभाय ह

उततर - रस क भर जान स किलया िवकिसत हो रही ह |धीर-धीर उनकी पखिड़या अपनी बद गाठ खोल रही ह | किव क शबदो म नवरस ही उनकी बद गाठ खोल रहा ह|

शन३- Ocircरगो- ब गलशन म पर तौल हOtilde ETH का अथर ःपषट कीिजए|

उततर -रग और सगध दो पकषी ह जो किलयो म बद ह तथा उड़ जान क िलए अपन पख फड़फड़ा रह ह |यह िःथित किलयो क फल बन जान स पवर की ह जो फल बन जान की तीकषा म ह |Otildeपर तौलनाOtilde एक महावरा ह जो उड़ान की कषमता आकन क िलए योग िकया जाता ह |

शन४- इस शर का भाव-सौदयर वयकत कीिजए|

उततर -किलयो की नई-नई पखिड़या िखलन लगी ह उनम स रस मानो टपकना ही चाहता ह | वयसिध(िकशोरी)नाियका क ःफिटत होत सौदयर का तीकातमक िचऽण अतयत सदर बन पड़ा ह |

सौदयर-बोध-सबधी शन

हम हो या िकःमत हो हमारी दोनो को इक ही काम िमला िकःमत हम को रो लव ह हम िकःमत को रो ल ह| जो मझको बदनाम कर ह काश व इतना सोच सक

मरा पदार खोल ह या अपना पदार खोल ह | शन१- इन शरो की भाषा सबधी िवशषताए ःपषट कीिजए |

उततर- १ महावरो का योग ETHिकःमत का रोना ETHिनराशा का तीक

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२सरल अिभवयिकत भाषा म वाहमयता ह िकःमत और परदा शबदो की पनराविततया

मोहक ह| ३ िहदी का घरल रप

शन२- Ocircमरा परदा खोल ह या अपना परदा खोल ह Ocirc- की भािषक िवशषता िलिखए |

उततर -महावर क योग दवारा वयजनातमक अिभवयिकत | परदा खोलना ETH भद खोलना सचचाई बयान करना|

शन३-Ocircहम हो या िकःमत हो हमारी Ocirc ETHयोग की िवशषता बताइए |

उततर - हम और िकःमत दोनो शबद एक ही वयिकत अथारत िफ़राक क िलए यकत ह | हम और िकःमत म अभद ह यही िवशषता ह |

िफ़राक गोरखपरी

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- तार आख झपकाव ह ETHका तातपयर ःपषट कीिजए |

उततर- रािऽ का सननाटा भी कछ कह रहा हइसिलए तार पलक झपका रह ह िवयोग की िःथित म कित भी सवाद करती तीत होती ह |

शन२- Ocircहम हो या िकःमत हो हमारीOtilde म िकस भाव की अिभवयिकत हई ह

उततर- जीवन की िवडबना िकःमत को रोना-महावर क योग स सटीक अिभवयिकत ापत करती ह किव जीवन स सतषट नही ह | भागय स िशकायत का भाव इन पिकतयो म झलकता ह |

शन३- म क िकस िनयम की अिभवयिकत किव न की ह

उततर -ईशवर की ािपत सवरःव लटा दन पर होती ह म क ससार का भी यही िनयम ह|किव क शबदो म िफ़तरत का कायम ह तवाज़न आलम- हःनो ETHइक म भी

उसको उतना ही पात ह खद को िजतना खो ल ह |

१ भाव ETHसामय- कबीर -Ocircसीस उतार भई धर तब िमिलह करतारOcirc-अथारत -ःवय को खो कर ही म ािपत की जा सकती ह

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२ भाव सामय- कबीर ETHिजन ढढा ितन पाइया गहर पानी पिठ|

म बपरा बडन डरा रहा िकनार बिठ |

शन४- शराब की महिफल म शराबी को दर रात कया बात याद आती ह

उततर - शराब की महिफल म शराबी को दर रात याद आती ह िक आसमान म मनय क पापो का लखा-जोखा होता ह जस आधी रात क समय फिरत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ह वस ही रात क समय शराब पीत हए शायर को महबबा की याद हो आती ह मानो महबबा फिरतो की तरह पाप ःथल क आस पास ही ह

शन५- सदक िफ़राकndashndashndashइन पिकतयो का अथर ःपषट कीिजए |

उततर -सदक िफ़राकndashndashndashइन पिकतयो म िफ़राक कहत ह िक उनकी शायरी म मीर की शायरी की उतकषटता धविनत हो रही ह

शन६- पखिड़यो की नाज़क िगरह खोलना कया ह

उततर -पखिड़यो की नाजक िगरह खोलना उनका धीर -धीर िवकिसत होना ह

वयसिध(िकशोरी)नाियका क ःफिटत होत सौदयर की ओर सकत ह |

शन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल हrsquo भाव ःपषट कीिजए

उततर -किलयो की सवास उड़न क िलए मानो पर तौल रही होअथारत खशब का झोका रहndashरह कर उठता ह

शन८- किव दवारा विणरत रािऽ क दय का वणरन अपन शबदो म कीिजए

उततर - रािऽ का सननाटा भी कछ कह रहा हइसिलए तार पलक झपका रह हलगता ह िक कित का कण-कण कछ कह रहा ह |

शन९- किव अपन वयिकतक अनभव िकन पिकतयो म वयकत कर रहा ह

जीवन की िवडबना-Ocircिकःमत को रोनाOcirc महावर क योग स सटीक अिभवयिकत ापत करती ह

हम हो या िकःमत हो हमारी दोनो को इक ही काम िमला

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िकःमत हम को रो लव ह हम िकःमत को रो ल ह|

शन१०- शायर न दिनया क िकस दःतर का वणरन िकया ह

उततर -शायर न दिनया क इस दःतर का वणरन िकया ह िक लोग दसरो को बदनाम करत ह परत व नही जानत िक इस तरह व अपनी दषट कित को ही उदघािटत करत ह

शन११- म की िफ़तरत किव न िकन शबदो म अिभवयकत की ह

ःवय को खो कर ही म की ािपत की जा सकती ह ईशवर की ािपत सवरःव लटा दन पर होती ह म क ससार का भी यही िनयम ह

शन१२- िफ़राक गोरखपरी िकस भाषा क किव ह

उततर - उदर भाषा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोशी

(गजराती किव)

उमाशकर जोशी बीसवी सदी क गजराती क मधरनय किव सःकत वाङमय क िवदवान हउनहोन गजराती किवता को कित स जोड़ाआम आदमी क जीवन की झलक उनकी रचनाओ म िमलती ह

छोटा मरा खत

सार

खती क रपक दवारा कावय रचनाndash िबया को ःपषट िकया गया हकावय कित की रचना बीजndash

वपन स लकर पौध क पिपत होन क िविभनन चरणो स गजरती हअतर कवल इतना ह िक किव कमर की फसल कालजयी शाशवत होती हउसका रस-कषरण अकषय होता हकागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह किव को एक चौकोर खत की तरह लगता ह इस खत म िकसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क भाव स िकसी कषण एक बीज बोया जाता

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ह यह बीज-रचना िवचार और अिभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर िवकिसत होता ह और िबया म ःवय िवगिलत हो जाता ह उसस शबदो क अकर िनकलत ह और अततः कित एक पणर ःवरप महण करती ह जो किष-कमर क िलहाज स पललिवत -पिपत होन की िःथित ह सािहितयक कित स जो अलौिकक रस-धारा फटती ह वह कषण म होन वाली रोपाई का ही पिरणाम ह पर यह रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ह |

बगलो क पख

सार

बगलो क पख किवता एक चाकषष िबब की किवता ह सौदयर का अपिकषत भाव उतपनन करन क िलए किवयो न कई यिकतया अपनाई ह िजसम स सबस चिलत यिकत ह-सौदयर क वयौरो क िचऽातमक वणरन क साथ अपन मन पर पड़न वाल उसक भाव का वणरन और आतमगत क सयोग की यह यिकत पाठक को उस मल सौदयर क काफी िनकट ल जाती ह जोशी जी की इस किवता म ऐसा ही ह किव काल बादलो स भर आकाश म पिकत बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ह व कजरार बादलो म अटका-सा रह जाता ह वह इस माया स अपन को बचान की गहार लगाता ह कया यह सौदयर स बाधन और िवधन की चरम िःथित को वयकत करन का एक तरीका ह

कित का ःवतऽ (आलबन गत ) िचऽण आधिनक किवता की िवशषता हिचऽातमक वणरन दवारा किव न एक ओर काल बादलो पर उड़ती बगलो की शवत पिकत का िचऽ अिकत िकया ह तो दसरी ओर इस अितम दय क हदय पर पड़न वाल भाव को िचिऽत िकया हमऽ मगध किव इस दय क भाव स आतम िवःमित की िःथित तक पहच जाता हिवषय एव िवषयीगत सौनदयर क दोनो रप किवता म उदघािटत हए ह

अथर-महण-सबधी शन

छोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कही स आया

कषण का बीज वहा बोया गया|

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कलपना क रसायनो को पी

बीज गल गया िनशष शबद क अकर फट

पललव ETHपपो स निमत हआ िवशष |

शन १lsquoछोटा मरा खतrsquo िकसका तीक ह और कयो

उततर - शन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का तीक ह िजस पर किव अपनी किवता िलखता ह

शन २ किव खत म कौनndashसा बीज बोता ह

उततर - किव खत म अपनी कलपना का बीज बोता ह

शन ३ किव की कलपना स कौन स पललव अकिरत होत ह

उततर - किव की कलपना स शबद क पललव अकिरत होत ह

शन ४ उपयरकत पद का भाव-सौदयर ःपषट कीिजए |

उततर - खती क रपक दवारा कावय-रचनाndashिबया को ःपषट िकया गया हकावय कित की रचना बीजndash वपन स लकर पौध क पिपत होन क िविभनन चरणो स गजरती हअतर कवल इतना ह िक किव कमर की फसल कालजयी शाशवत होती हउसका रस-कषरण अकषय होता ह

सौदयर-बोध-सबधी शन

झमन लग फल

रस अलौिकक

अमत धाराए फटती

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रहन स जरा भी कम नही होती |

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रस का अकषय पाऽ सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |

शन इस किवता की भाषा सबधी िवशषताओ पर काश डािलए ndash

उततर - १ तीकातमकता

२ लाकषिणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पाऽ सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

शन २ रस अलौिकक अमत धाराए रोपाई ETH कटाई-तीको क अथर ःपषट कीिजए |

उततर - रस अलौिकक ETH कावय रस िनपितत

अमत धाराए- कावयानद

रोपाई ETH अनभित को शबदबदध करना

कटाई ETHरसाःवादन

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

किवता ndash

छोटा मरा खत

शन १ उमाशकर जोशी न िकस भाषा म किवताए िलखी ह

उततर - गजराती भाषा

शन२ किषndashकमर एव किवndashकमर म कया कया समानताए ह

उततर - किषndashकमर एव किवndashकमर म िनमनिलिखत समानताए ह-

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कावय कित की रचना बीजndash वपन स लकर पौध क पिपत होन क िविभनन चरणो स गजरती ह

किषndashकमर एव किवndashकमर म समानताए -

bull कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह किव को एक चौकोर खतलगता ह

bull इस खत म िकसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क भाव स िकसी कषण एक बीज बोया जाता ह यह बीज-रचना िवचार और अिभवयिकत का हो सकता ह

bull यह मल रप कलपना का सहारा लकर िवकिसत होता ह और िबया म ःवय िवगिलत हो जाता ह इसीकार बीज भी खाद पानी सयर की रोशनी हवा आिद लकर िवकिसत होता ह |

bull कावय ETHरचना स शबदो क अकर िनकलत ह और अततः कित एक पणर ःवरप महण करती ह जो किष-कमर क िलहाज स पललिवत ndashपिपत और फिलत होन की िःथित ह अथर-महण-सबधी शन

किवताndash बगलो क पख

नभ म पाती- बध बगलो क पख चराए िलए जाती व मरी आख |

कजरार बादलो की छाई नभ छाया हौलETHहौल जाती मझ बाध िनज माया स |

उस कोई तिनक रोक रकखो | वह तो चराए िलए जाती मरी आख

नभ म पाती- बधी बगलो की पाख | तरती साझ की सतज शवत काया|

शन१- इस किवता म किव न िकसका िचऽण िकया ह

उततर - किव न काल बादलो पर उड़ती बगलो की शवत पिकत का िचऽण िकया ह|

शन२- आख चरान का कया अथर ह

उततर - आख चरान का आशय ह ETHधयान परी तरह खीच लना एकटक दखना मऽमगध कर दना

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शन३-

कजरार बादलो की छाई नभ छाया

हौल ETHहौल जाती मझ बाध िनज माया स | - आशय ःपषट कीिजए |

उततर- काल बादलो क बीच साझ का सरमई वातावरण बहत सदर िदखता ह | ऐसा अितम सौदयर अपन आकषरण म किव को बाध लता ह |

शन ४ उस कोई तिनक रोक रकखो |Otilde- स किव का कया अिभाय ह

उततर - बगलो की पिकत आकाश म दर तक उड़ती जा रही ह किव की मऽमगध आख उनका पीछा कर रही ह | किव उन बगलो को रोक कर रखन की गहार लगा रहा ह िक कही व उसकी आख ही अपन साथ न ल जाए |

सौदयर-बोध-सबधी शन

शन १ किवता की भाषा सबधी दो िवशषताए िलिखए|

उततर -१ िचऽातमक भाषा

२ बोलचाल क शबदो का योग - हौल ETHहौल पाती कजरारसाझ

शन २ किवता म यकत अलकार चन कर िलिखए |

उततर - अनास अलकार - बध बगलो क पख

मानवीकरण अलकार - चराए िलए जाती व मरी आख |

शन ३ -Ocirc िनज मायाOtilde क लाकषिणक अथर को ःपषट कीिजए |

उततर - कित का अितम सौदयर वह माया ह जो किव को आतमिवभोर कर दती हयह पिकत भी शसातमक उिकत ह

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- lsquoचराए िलए जाती व मरी ऑखrsquo स किव का कया तातपयर ह

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उततर -िचऽातमक वणरन दवारा किव न एक ओर काल बादलो पर उड़ती बगलो की शवत पिकत का िचऽ अिकत िकया ह तथा इस अितम दय क हदय पर पड़न वाल भाव को िचिऽत िकया ह किव क अनसार यह दय उनकी आख चराए िलए जा रहा ह |मऽ मगध किव इस दय क भाव स आतम िवःमित की िःथित तक पहच जाता ह

शन२-किव िकस माया स बचन की बात कहता ह

उततर - माया िवशव को अपन आकषरण म बाध लन क िलए िसदध ह | कबीर न भी Ocircमाया महा ठिगनी हम जानीOtilde कहकर माया की शिकत को ितपािदत िकया ह | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर किव को अपन वश म कर रही ह |

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आरोह भाग-२ गदय-भाग

bull शन-सखया १०- गदय खड म िदए गए पिठत गदयाश स अथरमहण सबधी चार शन पछ जाएग िजनक िलए िनधारिरत अक (२४=८) ह |

bull शन-सखया ११- पाठो की िवषयवःत स सबिधत पाच म स चार शनो क उततर दन ह िजनक िलए िनधारिरत अक (३४=१२) ह|

परीकषा म अचछ अक ापत करन क िलए धयान दन योगय बात ndash

1 लख एव वतरनी की शदधता तथा वाकय-गठन पर धयान द | 2 हर पाठ का सारपषठभिमिवषयवःत तथाकथानक को समझना आवयक ह | अतिवदयाथीर

हर पाठ का साराश भलीभाित याद कर ल | 3 शनो को धयान स पढ़ तदनसार अपिकषत उततर िलख |

4 उततर िलखत समय सबिधत मखय िबदओ का शीषरकबनात हए उततर िलख यथा-तीन अक क शनो क उततर िलखत समय कम स कम तीन मखय उततर-िबदओ का उललख करत हए उततर ःपषट कर |

5 अक-योजना क अनसार िनधारिरत शबद-सीमा क अतगरत उततर िलख | परीकषाथीर कई बार एक अक क शन का उततर बहत लबा कई बार परा पषठ िलख दत ह जो समय और ऊजार की बबारदी ह |

6 धयान रह िक अिधक िलखन स अचछ अक नही आत बिलक सरल-सबोध भाषा म िलख गए सटीक उततर सारगिभरत तथय तथा उदाहरण क दवारा ःपषट िकए गए उततर भावशाली होत ह |

पाठ 11 - भिकतन

लिखका- महादवी वमार

पाठ का साराश- भिकतन िजसका वाःतिवक नाम लआमी थालिखका Ocircमहादवी वमारOtilde की सिवका ह | बचपन म ही भिकतन की मा की मतय हो गयी| सौतली मा न पाच वषर की आय म िववाह तथा नौ वषर की आय म गौना कर भिकतन को ससराल भज िदया| ससराल म भिकतन न तीन बिटयो को जनम िदया िजस कारण उस सास और िजठािनयो की उपकषा सहनी पड़ती थी| सास और िजठािनया आराम फरमाती थी और भिकतन तथा उसकी ननही बिटयो को घर और खतो का सारा काम करना पडता था| भिकतन का पित उस बहत चाहता था| अपन पित क ःनह क बल पर भिकतन न ससराल वालो स अलगौझा कर अपना अलग घर बसा िलया और सख स रहन लगी पर भिकतन का दभारगय अलपाय म ही उसक पित की मतय हो गई | ससराल वाल भिकतन

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की दसरी शादी कर उस घर स िनकालकर उसकी सपितत हड़पन की सािजश करन लग| ऐसी पिरिःथित म भिकतन न अपन कश मडा िलए और सनयािसन बन गई | भिकतन ःवािभमानी सघषरशील कमरठ और दढ सकलप वाली सतरी ह जो िपतसततातमक मानयताओ और छल-कपट स भर समाज म अपन और अपनी बिटयो क हक की लड़ाई लड़ती हघर गहःथी सभालन क िलए अपनी बड़ी बटी दामाद को बला िलया पर दभारगय न यहा भी भिकतन का पीछा नही छोड़ा अचानक उसक दामाद की भी मतय हो गयी| भिकतन क जठ-िजठौत न सािजश रचकर भिकतन की िवधवा बटी का िववाह जबरदःती अपन तीतरबाज साल स कर िदया| पचायत दवारा कराया गया यह सबध दखदायी रहा | दोनो मा-बटी का मन घर-गहःथी स उचट गया िनधरनता आ गयी लगान न चका पान क कारण जमीदार न भिकतन को िदन भर धप म खड़ा रखा| अपमािनत भिकतन पसा कमान क िलए गाव छोड़कर शहर आ जाती ह और महादवी की सिवका बन जाती ह| भिकतन क मन म महादवी क ित बहत आदर समपरण और अिभभावक क समान अिधकार भाव ह| वह छाया क समान महादवी क साथ रहती ह| वह रात-रात भर जागकर िचऽकारी या लखन जस कायर म वयःत अपनी मालिकन की सवा का अवसर ढढ लती ह| महादवी भिकतन को नही बदल पायी पर भिकतन न महादवी को बदल िदया| भिकतन क हाथ का मोटा-दहाती खाना खात-खात महादवी का ःवाद बदल गया भिकतन न महादवी को दहात क िकःस-कहािनया िकवदितया कठःथ करा दी| ःवभाव स महाकजस होन पर भी भिकतन पाई-पाई कर जोडी हई १०५ रपयो की रािश को सहषर महादवी को समिपरत कर दती ह| जल क नाम स थर-थर कापन वाली भिकतन अपनी मालिकन क साथ जल जान क िलए बड़ लाट साहब तक स लड़न को भी तयार हो जाती ह| भिकतन महादवी क जीवन पर छा जान वाली एक ऐसी सिवका ह िजस लिखका नही खोना चाहती

पाठ आधािरत शनोततर

नोट- उततर म िनिहत रखािकत वाकय मखय सकत िबद ह |

शन 1-भिकतन का वाःतिवक नाम कया था वह अपन नाम को कयो छपाना चाहती थी

उततर-भिकतन का वाःतिवक नाम लआमी था िहनदओ क अनसारलआमी धन की दवीह चिक भिकतन गरीब थी| उसक वाःतिवक नाम क अथर और उसक जीवन क यथाथर म िवरोधाभास ह

िनधरन भिकतन सबको अपना असली नाम लआमी बताकर उपहास का पाऽ नही बनना चाहती थी इसिलए वह अपना असली नाम छपाती थी

शन 2- लिखका न लआमी का नाम भिकतन कयो रखा

उततर-घटा हआ िसर गल म कठी माला और भकतो की तरह सादगीपणर वशभषा दखकर महादवी वमार न लआमी का नाम भिकतन रख िदया | यह नाम उसक वयिकततव स पणरत मल खाता था |

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शन 3-भिकतन क जीवन को िकतन पिरचछदो म िवभािजत िकया गया ह

उततर- भिकतन क जीवन को चार भागो म बाटा गया ह-

bull पहला पिरचछद-भिकतन का बचपन मा की मतय िवमाता क दवारा भिकतन का बाल-िववाह करा दना

bull िदवतीय पिरचछद-भिकतन का ववािहक जीवन सास तथा िजठािनयो का अनयायपणर वयवहार पिरवार स अलगौझा कर लना

bull ततीय पिरचछद- पित की मतय िवधवा क रप म सघषरशील जीवन bull चतथर पिरचछद- महादवी वमार की सिवका क रप म

शन 4- भिकतन पाठ क आधार पर भारतीय मामीण समाज म लड़क-लड़िकयो म िकय जान वाल भदभाव का उललख कीिजए |

भारतीय मामीण समाज म लड़क-लड़िकयो म भदभाव िकया जाता ह| लड़िकयो को खोटा िसकका या पराया धन माना जाता ह| भिकतन न तीन बिटयो को जनम िदया िजस कारण उस सास और िजठािनयो की उपकषा सहनी पड़ती थी| सास और िजठािनया आराम फरमाती थी कयोिक उनहोन लड़क पदा िकए थ और भिकतन तथा उसकी ननही बिटयो को घर और खतो का सारा काम करना पडता था| भिकतन और उसकी बिटयो को रखा-सखा मोटा अनाज खान को िमलता था जबिक उसकी िजठािनया और उनक काल-कलट बट दध-मलाई राब-चावल की दावत उड़ात थ

शन 5-भिकतन पाठ क आधार पर पचायत क नयाय पर िटपपणी कीिजए |

भिकतन की बटी क सनदभर म पचायत दवारा िकया गया नयाय तकर हीन और अध कानन पर आधािरतह | भिकतन क िजठौत न सपितत क लालच म षडयऽ कर भोली बचची को धोख स जाल म फसाया| पचायत न िनदोरष लड़की की कोई बात नही सनी और एक तरफ़ा फसला दकर उसका िववाह जबरदःती िजठौत क िनकमम तीतरबाज साल स कर िदया | पचायत क अध कानन स दषटो को लाभ हआ और िनदोरष को दड िमला |

शन 6-भिकतन की पाक-कला क बार म िटपपणी कीिजए |

भिकतन को ठठ दहाती सादा भोजन पसद था | रसोई म वह पाक छत को बहत महततव दती थी | सबह-सवर नहा-धोकर चौक की सफाई करक वह दवार पर कोयल की मोटी रखा खीच दती थी| िकसी को रसोईघर म वश करन नही दती थी| उस अपन बनाए भोजन पर बड़ा अिभमान था| वह अपन बनाए भोजन का ितरःकार नही सह सकती थी |

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शन 7- िसदध कीिजए िक भिकतन तकर -िवतकर करन म मािहर थी |

भिकतन तकर पट थी | कश मडान स मना िकए जान पर वह शासतरो का हवाला दत हए कहती ह Ocircतीरथ गए मडाए िसदधOtilde | घर म इधर-उधर रख गए पसो को वह चपचाप उठा कर छपा लती ह टोक जानपर वह वह इस चोरी नही मानती बिलक वह इस अपन घर म पड़ पसो को सभालकर रखना कहती ह| पढाई-िलखाई स बचन क िलए भी वह अचक तकर दती ह िक अगर म भी पढ़न लग तो घर का काम कौन दखगा

शन 8-भिकतन का दभारगय भी कम हठी नही था लिखका न ऐसा कयो कहा ह

उततर- भिकतन का दभारगय उसका पीछा नही छोड़ता था-

1- बचपन म ही मा की मतय 2- िवमाता की उपकषा 3- भिकतन(लआमी) का बालिववाह 4- िपता का िनधन 5- तीन-तीन बिटयो को जनम दन क कारण सास और िजठािनयो क दवारा भिकतन की उपकषा

6- पित की असमय मतय 7- दामाद का िनधन और पचायत क दवारा िनकमम तीतरबाज यवक स भिकतन की िवधवा

बटी का जबरन िववाह 8- लगान न चका पान पर जमीदार क दवारा भिकतन का अपमान

शन 9-भिकतन न महादवी वमार क जीवन पर कस भािवत िकया

उततर- भिकतन क साथ रहकर महादवी की जीवन-शली सरल हो गयी व अपनी सिवधाओ की चाह को िछपान लगी और असिवधाओ को सहन लगी भिकतन न उनह दहाती भोजन िखलाकर उनका ःवाद बदल िदया भिकतन माऽ एक सिवका न होकर महादवी की अिभभावक और आतमीय बन गयीभिकतन महादवी क जीवन पर छा जान वाली एक ऐसी सिवका ह िजस लिखका नही खोना चाहती

शन 10- भिकतन क चिरऽ की िवशषताओ का उललख कीिजए

उततर- महादवी वमार की सिवका भिकतन क वयिकततव की िवशषताए िनमनािकत ह-

bull समिपरत सिवका bull ःवािभमानी

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bull तकर शीला bull पिरौमी bull सघषरशील bull

शन 11-भिकतन क दगरणो का उललख कर

उततर- गणो क साथ-साथ भिकतन क वयिकततव म अनक दगरण भी िनिहत ह-

1 वह घर म इधर-उधर पड़ रपय-पस को भडार घर की मटकी म छपा दती ह और अपन इस कायर को चोरी नही मानती

2 महादवी क बोध स बचन क िलए भिकतन बात को इधर-उधर करक बतान को झठ नही मानती अपनी बात को सही िसदध करन क िलए वह तकर -िवतकर भी करती ह

3 वह दसरो को अपनी इचछानसार बदल दना चाहती ह पर ःवय िबलकल नही बदलती शन 12 िनमनािकत भाषा-योगो का अथर ःपषट कीिजए-

bull पहली कनया क दो और सःकरण कर डाल- भिकतन न अपनी पहली कनया क बाद उसक जसी दो और कनयाए पदा कर दी अथारत भिकतन क एक क बाद एक तीन बिटया पदा हो गयी |

bull खोट िसकको की टकसाल जसी पतनी- आज भी अिशिकषत मामीण समाज म बिटयो को

खोटा िसकका कहा जाता ह भिकतन न एक क बाद एक तीन बिटया पदा कर दी इसिलए उस खोट िसकक को ढालन वाली मशीन कहा गया

शन 13-भिकतन पाठ म लिखका न समाज की िकन समःयाओ का उललख िकया ह

उततर- भिकतन पाठ क माधयम स लिखका न भारतीय मामीण समाज की अनक समःयाओ का उललख िकया ह-

1 लड़क-लड़िकयो म िकया जान वाला भदभाव

2 िवधवाओ की समःया 3 नयाय क नाम पर पचायतो क दवारा िसतरयो क मानवािधकार को कचलना 4 अिशकषा और अधिवशवास

गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

पिरवार और पिरिःथितयो क कारण ःवभाव म जो िवषमताए उतपनन हो गई ह उनक भीतर स एक ःनह और सहानभित की आभा फटती रहती ह इसी स उसक सपकर म आनवाल वयिकत उसम जीवन की सहज मािमरकता ही पात ह छाऽावास की बािलकाओ म स कोई अपनी चाय बनवान क िलए दहली पर बठी रहती ह कोई बाहर खडी मर िलए नात को चखकर उसक ःवाद

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की िववचना करती रहती ह मर बाहर िनकलत ही सब िचिड़यो क समान उड़ जाती ह और भीतर आत ही यथाःथान िवराजमान हो जाती ह इनह आन म रकावट न हो सभवतः इसी स भिकतन अपना दोनो जन का भोजन सवर ही बनाकर ऊपर क आल म रख दती ह और खात समय चौक का एक कोना धोकर पाकETHछत क सनातन िनयम स समझौता कर लती ह

मर पिरिचतो और सािहितयक बधओ स भी भिकतन िवशष पिरिचत ह पर उनक ित भिकतन क सममान की माऽा मर ित उनक सममान की माऽा पर िनभरर ह और सदभाव उनक ित मर सदभाव स िनिशचत होता ह इस सबध म भिकतन की सहज बिदध िविःमत कर दन वाली ह

(क) भिकतन का ःवभाव पिरवार म रहकर कसा हो गया ह

उततर-िवषम पिरिःथितजनय उसक उम हठी और दरामही ःवभाव क बावजद भिकतन क भीतर ःनह और सहानभित की आभा फटती रहती ह उसक सपकर म आन वाल वयिकत उसम जीवन की सहज मािमरकता ही पात ह

(ख) भिकतन क पास छाऽावास की छाऽाए कयो आती ह

उततर- भिकतन क पास कोई छाऽा अपनी चाय बनवान आती ह और दहली पर बठी रहती ह कोई महादवी जी क िलए बन नात को चखकर उसक ःवाद की िववचना करती रहती ह महादवी को दखत ही सब छाऽाए भाग जाती ह उनक जात ही िफर वापस आ जाती ह भिकतन का सहज-ःनह पाकर िचिड़यो की तरह चहचहान लगती ह |

(ग) छाऽाओ क आन म रकावट न डालन क िलए भिकतन न कया उपाय िकया

उततर- छाऽाओ क आन म रकावट न डालन क िलए भिकतन न अपन पाक-छत क िनयम स समझौता कर िलया | भिकतन अपना दोनो वकत का खाना बनाकर सबह ही आल म रख दती और खात समय चौक का एक कोना धोकर वहा बठकर खा िलया करती थी तािक छाऽाए िबना रोक-टोक क उसक पास आ सक

(घ) सािहतयकारो क ित भिकतन क सममान का कया मापदड ह

उततर-भिकतन महादवी क सािहितयक िमऽ क ित सदभाव रखती थी िजसक ित महादवी ःवय सदभाव रखती थी | वह सभी स पिरिचत हपर उनक ित सममान की माऽा महादवी जी क सममान की माऽा पर िनभरर करती ह वह एक अदभत ढग स जान लती थी िक कौन िकतना सममान करता ह उसी अनपात म उसका ापय उस दती थी

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12 बाजार-दशरन

लखक- जनि कमार

पाठ का साराश बाजार-दशरन पाठ म बाजारवाद और उपभोकतावाद क साथ-साथ अथरनीित एव दशरन स सबिधत शनो को सलझान का यास िकया गया ह बाजार का जाद तभी असर करता ह जब मन खाली हो| बाजार क जाद को रोकन का उपाय यह ह िक बाजार जात समय मन खाली ना हो मन म लआय भरा हो| बाजार की असली कताथरता ह जररत क वकत काम आना| बाजार को वही मन य लाभ द सकता ह जो वाःतव म अपनी आवयकता क अनसार खरीदना चाहता ह| जो लोग अपन पसो क घमड म अपनी पचरिजग पावर को िदखान क िलए चीज खरीदत ह व बाजार को शतानी वयगय शिकत दत ह| ऐस लोग बाजारपन और कपट बढात ह | पस की यह वयगय शिकत वयिकत को अपन सग लोगो क ित भी कतघन बना सकती ह | साधारण जन का हदय लालसा ईयार और त णा स जलन लगता ह | दसरी ओर ऐसा वयिकत िजसक मन म लश माऽ भी लोभ और त णा नही ह सचय की इचछा नही ह वह इस वयगय-शिकत स बचा रहता ह | भगतजी ऐस ही आतमबल क धनी आदशर माहक और बचक ह िजन पर पस की वयगय-शिकत का कोई असर नही होता | अनक उदाहरणो क दवारा लखक न यह ःपषट िकया ह िक एक ओर बाजार लालची असतोषी और खोखल मन वाल वयिकतयो को लटन क िलए ह वही दसरी ओर सतोषी मन वालो क िलए बाजार की चमक-दमक उसका आकषरण कोई महततव नही रखता

शन१ - पचरिजग पावर िकस कहा गया ह बाजार पर इसका कया भाव पड़ता ह

उततर- पचरिजग पावर का अथर ह खरीदन की शिकत पचरिजग पावर क घमड म वयिकत िदखाव क िलए आवयकता स अिधक खरीदारीकरता ह और बाजार को शतानी वयगय-शिकत दता ह ऐस लोग बाजार का बाजारपन बढ़ात ह

शन२ -लखक न बाजार का जाद िकस कहा ह इसका कया भाव पड़ता ह

उततर- बाजार की चमक-दमक क चबकीय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आखो की राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण माहक सजी-धजी चीजो को आवयकता न होन पर भी खरीदन को िववश हो जात ह

शन३ -आशय ःपषट कर

bull मन खाली होना bull मन भरा होना bull मन बद होना

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उततर-मन खाली होना- मन म कोई िनिशचत वःत खरीदन का लआय न होना िनरददय बाजार जाना और वयथर की चीजो को खरीदकर लाना

मन भरा होना- मन लआय स भरा होना िजसका मन भरा हो वह भलीभाित जानता ह िक उस बाजार स कौन सी वःत खरीदनी ह अपनी आवयकता की चीज खरीदकर वह बाजार को साथरकता दान करता ह

मन बद होना-मन म िकसी भी कार की इचछा न होना अथारत अपन मन को शनय कर दना

शन४ - lsquoजहा त णा ह बटोर रखन की ःपहा ह वहा उस बल का बीज नही हrsquo यहा िकस बल की चचार की गयी ह

उततर- लखक न सतोषी ःवभाव क वयिकत क आतमबलकी चचार की ह दसर शबदो म यिद मन म सतोष हो तो वयिकत िदखाव और ईयार की भावना स दर रहता ह उसम सचय करन की वितत नही होती

शन५ - अथरशासतर अनीितशासतर कब बन जाता ह

उततर- जब बाजार म कपट और शोषण बढ़न लग खरीददार अपनी पचरिचग पावर क घमड म िदखाव क िलए खरीददारी कर | मनयो म परःपर भाईचारा समापत हो जाए| खरीददार और दकानदार एक दसर को ठगन की घात म लग रह एक की हािन म दसर को अपना लाभ िदखाई द तो बाजार का अथरशासतर अनीितशासतर बन जाता ह ऐस बाजार मानवता क िलए िवडबना ह

शन६-भगतजी बाजार और समाज को िकस कार साथरकता दान कर रह ह

उततर- भगतजी क मन म सासािरक आकषरणो क िलए कोई त णा नही ह व सचय लालच और िदखाव स दर रहत ह बाजार और वयापार उनक िलए आवयकताओ की पितर का साधन माऽ ह भगतजी क मन का सतोष और िनःपह भाव उनको ौषठ उपभोकता और िवबता बनात ह

शन ७ _ भगत जी क वयिकततव क सशकत पहलओ का उललख कीिजए |

उततर-िनमनािकत िबद उनक वयिकततव क सशकत पहल को उजागर करत ह

bull पसारी की दकान स कवल अपनी जररत का सामान (जीरा और नमक) खरीदना bull िनिशचत समय पर चरन बचन क िलए िनकलना bull छह आन की कमाई होत ही चरन बचना बद कर दना bull बच हए चरन को बचचो को मझत बाट दना bull सभी काजय-जय राम कहकर ःवागत करना

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bull बाजार की चमक-दमक स आकिषरत न होना bull समाज को सतोषी जीवन की िशकषा दना

शन7-बाजार की साथरकता िकसम ह

उततर- मनय की आवयकताओ की पितर करन म ही बाजार की साथरकता ह जो माहक अपनी आवयकताओ की चीज खरीदत ह व बाजार को साथरकता दान करत ह जो िवबता माहको का शोषण नही करत और छल-कपट स माहको को लभान का यास नही करत व भी बाजार को साथरक बनात ह

गदयाश-आधािरत अथरमहण-सबिधत शनोततर

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख की तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ही चलता ह वस ही इस जाद की भी मयारदा ह जब भरी हो और मन खाली हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाली पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाली ह तो बाजार की अनकानक चीजो का िनमऽण उस तक पहच जाएगा कही हई उस वकत जब भरी तब तो िफर वह मन िकसकी मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जररी और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद की सवारी उतरी िक पता चलता ह िक फ सी-चीजो की बहतायत आराम म मदद नही दती बिलक खलल ही डालती ह थोड़ी दर को ःवािभमान को जरर सक िमल जाता ह पर इसस अिभमान को िगलटी की खराक ही िमलती ह जकड़ रशमी डोरी की हो तो रशम क ःपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद की जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह िक बाजार जाओ तो खाली मन न हो मन खाली हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चािहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लआय स भरा हो तो बाजार फला का फला ही रह जाएगा तब वह घाव िबलकल नही द सकगा बिलक कछ आनद ही दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयोिक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार की असली कताथरता ह आवयकता क समय काम आना

शन-1 बाजार क जाद को लखक न कस ःपषट िकया ह

उततर- बाजार क रप का जाद आखो की राह स काम करता हआ हम आकिषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज माहक को अपनी ओर आकिषरत करती ह| इसी चमबकीय शिकत क कारण वयिकत िफजल सामान को भी खरीद लता ह |

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शन-2 जब भरी हो और मन खाली तो हमारी कया दशा होती ह

उततर- जब भरी हो और मन खाली हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाली ह तो बाजार की अनकानक चीजो का िनमऽण मन तक पहच जाता ह और उस समय यिद जब भरी हो तो मन हमार िनयऽण म नही रहता

शन-3 फ सी चीजो की बहतायत का कया पिरणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम की जगह आराम म वयवधान ही डालती ह थोड़ी दर को अिभमान को जरर सक िमल जाती ह पर िदखाव की वितत म विदध होती ह

शन-4 जाद की जकड़ स बचन का कया उपाय ह

उततर- जाद की जकड़ स बचन क िलए एक ही उपाय ह वह यह ह िक बाजार जाओ तो मन खाली न हो मन खाली हो तो बाजार मत जाओ

13 काल मघा पानी द

लखक-धमरवीर भारती

पाठ का साराश -lsquoकाल मघा पानी दrsquo िनबध लोकजीवन क िवशवास और िवजञान क तकर पर आधािरत ह जब भीषण गमीर क कारण वयाकल लोग वषार करान क िलए पजा-पाठ और कथा-िवधान कर थकETHहार जात ह तब वषार करान क िलए अितम उपाय क रप म इनदर सना िनकलती ह| इनदर सना नग-धड़ग बचचो की टोली ह जो कीचड़ म लथपथ होकर गली-मोहलल म पानी मागन िनकलती ह| लोग अपन घर की छतो-िखड़िकयो स इनदर सना पर पानी डालत ह | लोगो की मानयता ह िक इनि बादलो क ःवामी और वषार क दवता ह| इनि की सना पर पानी डालन स इनि भगवान सनन होकर पानी बरसाएग | लखक का तकर ह िक जब पानी की इतनी कमी ह तो लोग मिकल स जमा िकए पानी को बालटी भर-भरकर इनदर सना पर डालकर पानी को कयो बबारद करत ह आयरसमाजी िवचारधारा वाला लखक इस अधिवशवास मानता ह | इसक िवपरीत लखक की जीजी उस समझाती ह िक यह पानी की बबारदी नही बिलक पानी की बवाई ह | कछ पान क िलए कछ दना पड़ता ह | तयाग क िबना दान नही होता| ःतत िनबध म लखक न षटाचार की समःया को उठात हए कहा ह िक जीवन म कछ पान क िलए तयाग आवयक ह जो लोग तयाग और दान की महतता को नही मानत व ही षटाचार म िलपत रहकर दश और समाज को लटत ह| जीजी की आःथा भावनातमक सचचाई को पषट करती ह और तकर कवल वजञािनक तथय को सतय मानता ह जहा तकर यथाथर क कठोर धरातल पर सचचाई को परखता ह तो वही आःथा अनहोनी बात को भी ःवीकार कर मन को सःकािरत करती ह भारत की ःवतऽता क ५० साल बाद भी दश म वयापत भषटाचार और ःवाथर की भावना को दखकर लखक दखी ह | सरकार दवारा चलाई जा रही योजनाए गरीबो तक कयो

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नही पहच पा रही ह काल मघा क दल उमड़ रह ह पर आज भी गरीब की गगरी फटी हई कयो ह लखक न यह शन पाठको क िलए छोड़ िदया ह |

शन1-इनदर सना घर-घर जाकर पानी कयो मागती थी

उततर- गाव क लोग बािरश क िलए भगवान इि स ाथरना िकया करत थ जब पजा-पाठोत आिद उपाय असफ़ल हो जात थ तो भगवान इि को सनन करन क िलए गाव क िकशोर बचच कीचड़ म लथपथ होकर गली-गली घमकर लोगो स पानी मागत थ

शन2-इनदरसना को लखक मढक-मडली कयो कहता ह जीजी क बारETHबार कहन पर भी वह इनदरसना पर पानी फ कन को राजी कयो नही होता

उततर- इनदरसना का कायर आयरसमाजी िवचारधारा वाल लखक को अधिवशवास लगता ह उसका मानना ह िक यिद इदरसना दवता स पानी िदलवा सकती ह तो ःवय अपन िलए पानी कयो नही माग लती पानी की कमी होन पर भी लोग घर म एकऽ िकय हए पानी को इदरसना पर फ़ कत ह लखक इस पानी की िनमरम बरबादी मानता ह

शन3- रठ हए लखक को जीजी न िकस कार समझाया

उततर- जीजी न लखक को पयार स लडड-मठरी िखलात हए िनमन तकर िदए-

1- तयाग का महततव- कछ पान क िलए कछ दना पड़ता ह 2- दान की महतता- ॠिष-मिनयो न दान को सबस ऊचा ःथान िदया ह जो चीज अपन

पास भी कम हो और अपनी आवयकता को भलकर वह चीज दसरो को दान कर दना ही तयाग ह |

3- इिदव को जल का अधयर चढ़ाना- इदरसना पर पानी फ़ कना पानी की बरबादी नही बिलक इिदव को जल का अधयर चढ़ाना ह

4- पानी की बवाई करना- िजस कार िकसान फ़सल उगान क िलए जमीन पर बीज डालकर बवाई करता ह वस ही पानी वाल बादलो की फ़सल पान क िलए इनदर सना पर पानी डाल कर पानी की बवाई की जाती ह

शन4-निदयो का भारतीय सामािजक और साःकितक पिरवश म कया महतव ह

उततर- गगा भारतीय समाज म सबस पजय सदानीरा नदी ह िजसका भारतीय इितहास म धािमरक पौरािणक और साःकितक महतव ह | वह भारतीयो क िलए कवल एक नदी नही अिपत मा ह ःवगर की सीढ़ी ह मोकषदाियनी ह उसम पानी नही अिपत अमत तलय जल बहता ह भारतीय सःकित म निदयो क िकनार मानव सभयताए फली-फली ह| बड़-बड़ नगर तीथरःथान निदयो क िकनार ही िःथत ह ऐस पिरवश मभारतवासी सबस पहल गगा मया की जय ही

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बोलग निदया हमार जीवन का आधार ह हमारा दश किष धान ह निदयो क जल स ही भारत भिम हरी-भरी ह निदयो क िबना जीवन की कलपना नही कर सकत यही कारण ह िक हम भारतीय निदयो की पजा करत ह |

शन4-आजादी क पचास वषोर क बाद भी लखक कयो दखी ह उसक मन म कौन स शन उठ रह ह

उततर- आजादी क पचास वषोर बाद भी भारतीयो की सोच म सकारातमक बदलाव न दखकर लखक दखी ह उसक मन म कई शन उठ रह ह-

1 कया हम सचच अथोर म ःवतनऽ ह

2 कया हम अपन दश की सःकित और सभयता को समझ पाए ह

3 राषटर िनमारण म हम पीछ कयो ह हम दश क िलए कया कर रह ह

4 हम ःवाथर और षटाचार म िलपत रहत ह तयाग म िवशवास कयो नही करत

5 सरकार दवारा चलाई जा रही सधारवादी योजनाए गरीबो तक कयो नही पहचती ह

गदयाश पर आधािरत अथरमहण-सबिधत शनोततर

सचमच ऐस िदन होत जब गली-महलला गाव-शहर हर जगह लोग गरमी म भन-भन कर ऽािहमाम कर रह होत जठ क दसतपा बीतकर आषाढ का पहला पखवाड़ा बीत चका होता पर िकषितज पर कही बादलो की रख भी नही दीखती होती कए सखन लगत नलो म एक तो बहत कम पानी आता और आता भी तो आधी रात को वो भी खौलता हआ पानी हो | शहरो की तलना म गाव म और भी हालत खराब थी| जहा जताई होनी चािहए थी वहा खतो की िमटटी सखकर पतथर हो जाती िफर उसम पपड़ी पड़कर जमीन फटन लगती ल ऐसी िक चलत-चलत आदमी िगर पड़ | ढोर-डगर पयास क मार मरन लगत लिकन बािरश का कही नाम िनशान नही ऐस म पजा-पाठ कथा-िवधान सब करक लोग जब हार जात तब अितम उपाय क रप म िनकलती यह इनदर सना |

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शन१- वषार न होन पर लोगो की कया िःथित हो गयी थी उततर - वषार न होन पर गरमी क कारण लोग ल लगन स बहोश होन लग | गाव-शहर सभी जगह पानी का अभाव हो गया| कए सख गए खतो की िमटटी सखकर पतथर क समान कठोर होकर फट गयी| घरो म नलो म पानी बहत कम आता था | पश पयास क मार मरन लग थ | शन२- वषार क दवता कौन ह उनको सनन करन क िलए कया उपाय िकए जात थ उततर -वषार क दवता भगवान इनि ह| उनको सनन करन क िलए पजाETHपाठ कथा-िवधान कराए जात थ | तािक इनि दव सनन होकर बादलो की सना भजकर झमाझम बािरश कराए और लोगो क कषट दर हो | शन३- वषार करान क अितम उपाय क रप म कया िकया जाता था उततर ETHजब पजा-पाठ कथा-िवधान सब करक लोग हार जात थ तब अितम उपाय क रप म इनदर सना आती थी | नग-धडग कीचड़ म लथपथ Ocircकाल मघा पानी द पानी द गड़धानी दOtilde की टर लगाकर पयास स सखत गलो और सखत खतो क िलए मघो को पकारती हई टोली बनाकर िनकल पड़ती थी| शन४-आशय ःपषट कर ndash जठ क दसतपा बीतकर आषाढ़ का पहला पखवाड़ा बीत चका होता पर िकषितज म कही बादलो की रख भी नजर नही आती | आशय- जठ का महीना ह भीषण गरमी ह| तपत हए दस िदन बीत कर आषाढ का महीना भी आधा बीत गया पर पानी क िलए तड़पत वषार की आशा म आसमान की ओर ताकत लोगो को कही बादल नजर नही आ रह |

14 पहलवान की ढोलक

फ़णीशवरनाथ रण

पाठ का साराश ndashआचिलक कथाकार फ़णीशवरनाथ रण की कहानी पहलवान की ढोलक म कहानी क मखय पाऽ लटटन क माता-िपता का दहात उसक बचपन म ही हो गया था | अनाथ लटटन को उसकी िवधवा सास न पाल-पोसकर बड़ा िकया | उसकी सास को गाव वाल सतात थ | लोगो स बदला लन क िलए कती क दावपच सीखकर कसरत करक लटटन पहलवान बन गया |

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एक बार लटटन यामनगर मला दखन गया जहा ढोल की आवाज और कती क दावपच दखकर उसन जोश म आकर नामी पहलवान चादिसह को चनौती द दी | ढोल की आवाज स रणा पाकर लटटन न दाव लगाकर चाद िसह को पटककर हरा िदया और राज पहलवान बन गया | उसकी खयाित दर-दर तक फ़ल गयी| १५ वषोर तक पहलवान अजय बना रहा| उसक दो पऽ थ| लटटन न दोनो बटो को भी पहलवानी क गर िसखाए| राजा की मतय क बाद नए राजकमार न गददी सभाली राजकमार को घोड़ो की रस का शौक था मनजर न नय राजा को भड़काया पहलवान और उसक दोनो बटो क भोजनखचर को भयानक और िफ़जलखचर बताया फ़लःवरप नए राजा न कती को बद करवा िदया और पहलवान लटटनिसह को उसक दोनो बटो क साथ महल स िनकाल िदया

राजदरबार स िनकाल िदए जान क बाद लटटन िसह अपन दोनो बटो क साथ गाव म झोपड़ी बनाकर रहन लगा और गाव क लड़को को कती िसखान लगा| लटटन का ःकल जयादा िदन नही चला और जीिवकोपाजरन क िलए उसक दोनो बटो को मजदरी करनी पड़ी| इसी दौरान गाव म अकाल और महामारी क कारण ितिदन लाश उठन लगी| पहलवान महामारी स डर हए लोगो को ढोलक बजाकर बीमारी स लड़न की सजीवनी ताकत दता था| एक िदन पहलवान क दोनो बट भी महामारी की चपट म आकर मर गए पर उस रात भी पहलवान ढोलक बजाकर लोगो को िहममत बधा रहा था | इस घटना क चार-पाच िदन बाद पहलवान की भी मौत हो जाती ह|

पहलवान की ढोलक वयवःथा क बदलन क साथ लोक कलाकार क अासिगक हो जान की कहानी ह इस कहानी म लटटन नाम क पहलवान की िहममत और िजजीिवषा का वणरन िकया गया ह भख और महामारी अजय लटटन की पहलवानी को फ़ट ढोल म बदल दत ह इस करण ऽासदी म पहलवान लटटन कई सवाल छोड़ जाता ह िक कला का कोई ःवतऽ अिःततव ह या कला कवल वयवःथा की मोहताज ह

शन1- लटटन को पहलवान बनन की रणा कस िमली

उततर- लटटन जब नौ साल का था तो उसक माता-िपता का दहात हो गया था | सौभागय स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ लटटन को उसकी िवधवा सास न पाल-पोसकर बड़ा िकया | उसकी सास को गाव वाल परशान करत थ| लोगो स बदला लन क िलए उसन पहलवान बनन की ठानी| धारोण दध पीकर कसरत कर उसन अपना बदन गठीला और ताकतवर बना िलया | कती क दावपच सीखकर लटटन पहलवान बन गया |

शन2- रात क भयानक सननाट म लटटन की ढोलक कया किरमा करती थी

उततर- रात क भयानक सननाट मलटटन की ढोलक महामारी स जझत लोगो को िहममत बधाती थी | ढोलक की आवाज स रात की िवभीिषका और सननाटा कम होता था| महामारी स पीिड़त

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लोगो की नसो म िबजली सी दौड़ जाती थी उनकी आखो क सामन दगल का दय साकार हो जाता था और व अपनी पीड़ा भल खशी-खशी मौत को गल लगा लत थ इस कार ढोल की आवाज बीमार-मताय गाववालो की नसो म सजीवनी शिकत को भर बीमारी स लड़न की रणा दती थी

शन3- लटटन न सवारिधक िहममत कब िदखाई

उततर- लटटन िसह न सवारिधक िहममत तब िदखाई जब दोनो बटो की मतय पर वह रोया नही बिलक िहममत स काम लकर अकल उनका अितम सःकार िकया| यही नही िजस िदन पहलवान क दोनो बट महामारी की चपट म आकर मर गए पर उस रात को भी पहलवान ढोलक बजाकर लोगो को िहममत बधा रहा था| यामनगर क दगल म परा जनसमदाय चाद िसह क पकष म था चाद िसह को हरात समय लटटन न िहममत िदखाई और िबना हताश हए दगल म चाद िसह को िचत कर िदया |

शन4- लटटन िसह राज पहलवान कस बना

उततर- यामनगर क राजा कती क शौकीन थ उनहोन दगल का आयोजन िकया पहलवान लटटन िसह भी दगल दखन पहचा चादिसह नामक पहलवान जो शर क बचच क नाम स िसदध था कोई भी पहलवान उसस िभड़न की िहममत नही करता था चादिसह अखाड़ म अकला गरज रहा था लटटन िसह न चादिसह को चनौती द दी और चादिसह स िभड़ गयाढ़ोल की आवाज सनकर लटटन की नस-नस म जोश भर गयाउसन चादिसह को चारो खान िचत कर िदया राजासाहब न लटटन की वीरता स भािवत होकर उस राजपहलवान बना िदया

शन5- पहलवान की अितम इचछा कया थी

उततर- पहलवान की अितम इचछा थी िक उस िचता पर पट क बल िलटाया जाए कयोिक वह िजदगी म कभी िचत नही हआ था| उसकी दसरी इचछा थी िक उसकी िचता को आग दत समय ढोल अवय बजाया जाए |

शन6- ढोल की आवाज और लटटन क म दावपच सबध बताइए-

उततर- ढोल की आवाज और लटटन क दावपच म सबध -

bull चट धा िगड़ धाrarr आजा िभड़ जा | bull चटाक चट धाrarr उठाकर पटक द | bull चट िगड़ धाrarrमत डरना | bull धाक िधना ितरकट ितनाrarr दाव काटो बाहर हो जाओ |

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bull िधना िधना िधक िधनाrarr िचत करो

गदयाश-आधािरत अथरमहण-सबिधत शनोततर

अधरी रात चपचाप आस बहा रही थी | िनःतबधता करण िससिकयो और आहो को अपन हदय म ही बल पवरक दबान की चषटा कर रही थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कही काश का नाम नही| आकाश स टट कर यिद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसकी जयोित और शिकत राःत म ही शष हो जाती थी | अनय तार उसकी भावकता अथवा असफलता पर िखलिखलाकर हस पड़त थ | िसयारो का बदन और पचक की डरावनी आवाज रात की िनःतबधता को भग करती थी | गाव की झोपिडयो स कराहन और क करन की आवाज हर राम ह भगवान की टर सनाई पड़ती थी| बचच भी िनबरल कठो स मा ETHमा पकारकर रो पड़त थ |

(क) अधरी रात को आस बहात हए कयो िदखाया गया ह उततरndash गाव म हजा और मलिरया फला हआ था | महामारी की चपट म आकार लोग मर रह थ |चारो ओर मौत का सनाटा छाया था इसिलए अधरी रात भी चपचाप आस बहाती सी तीत हो रही थी|

(ख) तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह उततरndash तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह िक अकाल और महामारी स ऽःत गाव वालो की पीड़ा को दर करन वाला कोई नही था | कित भी गाव वालो क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यिद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसकी जयोित और शिकत राःत म ही शष हो जाती थी |

(ग) रात की िनःतबधता को कौन भग करता था उततरndash िसयारो की चीख-पकार पचक की डरावनी आवाज और कततो का सामिहक रदन िमलकर रात क सननाट को भग करत थ |

(घ) झोपिड़यो स कसी आवाज आ रही ह और कयो उततरndash झोपिड़यो स रोिगयो क कराहन क करन और रोन की आवाज आ रही ह कयोिक गाव क लोग मलिरया और हज स पीिड़त थ | अकाल क कारण अनन की कमी हो गयी थी| औषिध और पथय न िमलन क कारण लोगो की हालत इतनी बरी थी िक कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माETHमा पकारता था |

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15 चालीर चिपलन यानी हम सब

लखक-िवण खर

पाठ का साराश ndashचालीर चिपलन न हाःय कलाकार क रप म परी दिनया क बहत बड़ दशरक वगर को हसाया ह | उनकी िफलमो न िफलम कला को लोकतािऽक बनान क साथ-साथ दशको की वगर और वणर-वयवःथा को भी तोड़ा | चालीर न कला म बिदध की अपकषा भावना को महततव िदया ह | बचपन क सघषोर न चालीर क भावी िफलमो की भिम तयार कर दी थी| भारतीय कला और सौदयरशासतर म करणा का हाःय म पिरवतरन भारतीय परमपरा म नही िमलता लिकन चालीर एक ऐसा जादई वयिकततव ह जो हर दश सःकित और सभयता को अपना सा लगता ह| भारतीय जनता न भी उनह सहज भाव स ःवीकार िकया ह| ःवय पर हसना चालीर न ही िसखाया| भारतीय िसनमा जगत क स िसदध कलाकार राजकपर को चालीर का भारतीयकरण कहा गया ह | चालीर की अिधकाश िफ़लम मक ह इसिलए उनह अिधक मानवीय होना पड़ा | पाठ म हाःय िफलमो क महान अिभनता lsquoचालीर चिपलनrsquo की जादई िवशषताओ का उललख िकया गया ह िजसम उसन करणा और हाःय म सामजःय ःथािपत कर िफ़लमो को सावरभौिमक रप दान िकया

शन१ -चालीर क जीवन पर भाव डालन वाली मखय घटनाए कौन सी थी

उततर- चालीर क जीवन म दो ऐसी घटनाए घटी िजनहोन उनक भावी जीवन पर बहत भाव डाला |

पहली घटना - जब चालीर बीमार थ उनकी मा उनह ईसा मसीह की जीवनी पढ़कर सना रही थी | ईसा क सली पर चढ़न क सग तक आत-आत मा-बटा दोनो ही रोन लग| इस घटना न चालीर को ःनह करणा और मानवता जस उचच जीवन मलय िदए |

दसरी घटना हETH बालक चालीर कसाईखान क पास रहता था| वहा सकड़ो जानवरो को रोज मारा जाता था| एक िदन एक भड़ वहा स भाग िनकली| भड़ को पकड़न की कोिशश म कसाई कई बार िफसला| िजस दखकर लोग हसन लग ठहाक लगान लग| जब भड़ को कसाई न पकड़ िलया तो बालक चालीर रोन लगा| इस घटना न उसक भावी िफलमो म ऽासदी और हाःयोतपादक ततवो की भिमका तय कर दी |

शन२ ETH आशय ःपषट कीिजएndash

चिपलन न िसफर िफलमकला को ही लोकतािऽक नही बनाया बिलक दशरको की वगर तथा वणर-वयवःथा को भी तोड़ा|

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उततर- लोकतािऽक बनान का अथर ह िक िफलम कला को सभी क िलए लोकिय बनाना और वगर और वणर-वयवःथा को तोड़न का आशय ह- समाज म चिलत अमीर-गरीब वणर जाितधमर क भदभाव को समापत करना |चिपलन का चमतकार यह ह िक उनहोन िफलमकला को िबना िकसी भदभाव क सभी लोगो तक पहचाया| उनकी िफलमो न समय भगोल और सःकितयो की सीमाओ को लाघ कर सावरभौिमक लोकियता हािसल की | चालीर न यह िसदध कर िदया िक कला ःवतनऽ होती ह अपन िसदधात ःवय बनाती ह |

शन३ETH चालीर चिपलन की िफलमो म िनिहत ऽासदीकरणाहाःय का सामजःय भारतीय कला और सौदयरशासतर की पिरिध म कयो नही आता

उततर- चालीर चिपलन की िफलमो म िनिहत ऽासदीकरणाहाःय का सामजःय भारतीय कला और सौदयरशासतर की पिरिध म नही आताकयोिक भारतीय रस-िसदधात म करणा और हाःय का मल नही िदखाया जाता कयोिक भारतीय सौदयरशासतर म करणरस और हाःय रस को परःपर िवरोधी माना गया ह अथारत जहा करणा ह वहा हाःय नही हो सकता भारत म ःवय पर हसन की परपरा नही ह परत चालीर क पाऽ अपन पर हसतETHहसात ह चालीर की िफ़लमो क दय हसात-हसात रला दत ह तो कभी करण दय क बाद अचानक ही हसन पर मजबर कर दत ह

शन४ETH चालीर क िफलमो की िवशषताए बताइए |

उततर- चालीर की िफ़लमो म हाःय और करणा का अदभत सामजःय ह उनकी िफ़लमो म भाषा का योग बहत कम ह चालीर की िफ़लमो म बिदध की अपकषा भावना का महततव अिधक ह उनकी िफ़लमो म सावरभौिमकता ह चालीर िकसी भी सःकित को िवदशी नही लगत चालीर सबको अपन लगत ह चालीर न िफ़लमो को लोकतािऽक बनाया और िफ़लमो म वगर तथावणर-वयवःथा को तोड़ा अपनी िफलमो म चालीर सदव िचर यवा िदखता ह

गदयाश-आधािरत अथरमहण-सबधी शनोततर

गदयाश सकत ETHचालीर चिपलन यानी हम सब (पषठ १२० )

यिद यह वषर चिपलन की काफी कछ कहा जाएगा |

शन (क)-िवकासशील दशो म चिपलन कयो मशहर हो रह ह

उततर - िवकासशील दशो म जस-जस टलीिवजन और वीिडयो का सार हो रहा ह लोगो को उनकी िफलमो को दखन का अवसर िमल रहा ह |एक बहत बड़ा वगर नए िसर स चालीर को घड़ी सधारत और जत खान की कोिशश करत दख रहा ह इसीिलए चालीर िवकासशील दशो म लोकिय हो रह ह |

(ख)- पिशचम म चालीर का पनजीरवन कस होता रहता ह

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उततर - पिशचम म चालीर की िफलमो का दशरन होता रहता ह| उनकी कला स रणा पाकर हाःय िफ़लम बनती रहती ह | उनक दवारा िनभाए िकरदारो की नकल अनय कलाकार करत ह | पिशचम म चालीर का पनजीरवन होता रहता ह|

(ग)- चालीर को लोग बढ़ाप तक कयो याद रखग

उततर ETHहाःय कलाकार क रप म लोग चालीर को बढ़ाप तक याद रखग कयोिक उनकी कला समय भगोल और सःकितयो की सीमाओ को लाघकर लाखो लोगो को हसा रही ह|

(घ)- चालीर की िफलमो क बार म काफी कछ कहा जाना कयो बाक़ी ह

उततर ETHचिपलन की ऐसी कछ िफ़लम या इःतमाल न की गयी रील िमली ह िजनक बार म कोई नही जानता था | चालीर की भावनाधान हाःय िफलमो न कला क नए ितमान ःथािपत िकए ह अत चालीर की िफलमो क बार म अभी काफी कछ कहा जाना बाक़ी ह|

16 नमक

लिखका - रिजया सजजाद जहीर

साराश -lsquoनमकrsquoभारत-पाक िवभाजन पर िलिखत मािमरक कहानी ह | िवःथािपत हए लोगो म अपनETHअपन जनम ःथानो क ित आज भी लगाव ह| धािमरक आधार पर बनी राषटर-राजयो की सीमा-रखाए उनक अतमरन को अलग नही कर पाई ह | भारत म रहन वाली िसख बीवी लाहौर को अपना वतन मानती ह और भारतीय कःटम अिधकारी ढाका क नािरयल पानी को यादकर उस सवरौषठ बताता ह दोनो दशो क नागिरको क बीच महबबत का नमकीन ःवाद आज भी कायम ह इसीिलए सिफ़या भारत म रहन वाली अपनी महबोली मा िसख बीवी क िलए लाहौरी नमक लान क िलए कःटम और कानन की परवाह नही करती

शन1- OcircनमकOtilde पाठ क आधार पर बताइए िक सिफया और उसक भाई क िवचारो म कया अतर था

उततर- १-सिफया भावनाओ को बहतमहततव दती ह पर उसका भाई बौिदधक वितत का ह उसकी दिषट म कानन भावनाओ स ऊपर ह|

२-सिफया मानवीय सबधो को बहत महततव दती ह जबिक उसका भाई अलगाववादी िवचारधारा का ह िहःस-बखर की बात करता ह |

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३-सिफया का भाई कहता ह िक अदीबो(सािहतयकार) का िदमाग घमा हआ होता ह जबिक सिफया जो ःवय अदीब ह उसका मानना ह िक अगर सभी लोगो का िदमाग अदीबो की तरह घमा हआ होता तो दिनया कछ बहतर हो जाती |

शन२- नमक ल जात समय सिफ़या क मन म कया दिवधा थी

उततर-सिफया सयद मसलमान थी जो हर हाल म अपना वायदा िनभात ह| पािकःतान स लाहौरी नमक ल जाकर वह अपना वायदा परा करना चाहती थी परनत जब उस पता चला िक कःटम क िनयमो क अनसार सीमापार नमक ल जाना विजरत ह तो वह दिवधा म पड़ गई | सिफ़या का दवदव यह था िक वह अपनी िसख मा क िलए नमक कःटम अिधकािरयो को बताकरल जाए या िछपाकर|

शन३- पाठ क आधार पर सिफया की चािरिऽक िवशषताए बताइए |

उततर सकत ndash

१- भावक

२- ईमानदार

३- दढ़िनशचयी

४- िनडर ५- वायद को िनभान वाली

६- मानवीय मलयो को सवोरपिर मानन वाली सािहतयकार शन ४- OcircनमकOtilde पाठ म आए िकरदारो क माधयम स ःपषट कीिजए िक आज भी भारत और पािकःतान की जनता क बीच महबबत का नमकीन ःवाद घला हआ ह |

उततर ETH भल ही राजनीितक और धािमरक आधार पर भारत और पािकःतान को भौगोिलक रप स िवभािजत कर िदया गया ह लिकन दोनो दशो क लोगो क हदय म आज भी पारःपिरक भाईचारा सौहािर ःनह और सहानभित िवदयमान ह | राजनीितक तौर पर भल ही सबध तनावपणर हो पर सामािजक तौर पर आज भी जनता क बीच महबबत का नमकीन ःवाद घला हआ ह | अमतसर म रहन वाली िसख बीबी लाहौर को अपना वतन कहती ह और लाहौरी नमक का ःवाद नही भला पाती | पािकःतान का कःटम अिधकारी नमक की पिड़या सिफया को वापस दत हए कहता ह जामा मिःजद की सीिढ़यो को मरा सलाम कहना | भारतीय सीमा पर तनात कःटम अिधकारी ढाका की जमीन को और वहा क पानी क ःवाद को नही भल पाता |

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गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

गदयाश सकत- पाठETH नमक (पषठ १३४)

सिफया कःटम क जगल स दोनो क हाथो म थी |

(क) सिफया कःटम क जगल स िनकलकर दसर पलटफामर पर आ गयी व वही खड़ रहETH इस वाकय म OcircवOtilde शबद का योग िकसक िलए िकया गया ह

उततर- यहा OcircवOtilde शबद का योग पािकःतानी कःटम अिधकारी क िलए िकया गया ह जो िवभाजन स पवर िदलली म रहत थ और आज भी िदलली को ही अपना वतन मानत ह |

(ख) पलटफामर पर सिफया को िवदा करन कौन-कौन आए थ उनहोन सिफया को कस िवदाई दी

उततर- पलटफामर पर सिफया को िवदा करन उसक बहत सार िमऽ सग सबधी और भाई आए थ| उनहोन ठडी सास भरत हए िभच हए होठो क साथ आस बहात हए सिफया को िवदाई दी |

(ग) अटारी म रलगाड़ी म कया पिरवतरन हए उततर- अटारी म रलगाड़ी स पािकःतानी पिलस उतरी और िहनदःतानी पिलस सवार हो गई|

(घ) कौन सी बात सिफया की समझ म नही आ रही थी उततर- दोनो ओर एक सी जमीन एक जसा आसमान एक सी भाषा एक सा पहनावा और एक सी सरत क लोग िफर भी दोनो क हाथो म भरी हई बदक ह |

17 िशरीष क फल

आचायर हजारी साद िदववदी

साराश ndashOcircआचायर हजारी साद िदववदीOtilde िशरीष को अदभत अवधत मानत ह कयोिक सनयासी की भाित वह सख-दख की िचता नही करता गमीर ल वषार और आधी म भी अिवचल खड़ा रहता ह िशरीष क फ़ल क माधयम स मनय की अजय िजजीिवषा धयरशीलता और कतरवयिनषठ बन रहन क मानवीय मलयो को ःथािपत िकया गया हलखक न िशरीष क कोमल फलो और कठोर फलो क दवारा ःपषट िकया ह िक हदय की कोमलता बचान क िलए कभी-कभी वयवहार की कठोरता भी आवयक हो जाती ह| महान किव कािलदास और कबीर भी िशरीष की तरह बपरवाह अनासकत और सरस थ तभी उनहोन इतनी सनदर रचनाए ससार को दी| गाधीजी क वयिकततव म भी कोमलता और कठोरता का अदभत सगम था | लखक सोचता ह िक हमार दश म जो मार-काट अिगनदाह लट-पाट खन-खचचर का बवडर ह कया वह दश को िःथर नही रहन दगा गलामी अशाित और िवरोधी वातावरण क बीच अपन िसदधातो की रकषा करत हए गाधीजी जी िःथर रह सक थ तो दश भी रह सकता ह जीन की बल अिभलाषा क कारण िवषम

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पिरिःथतयो म भी यिद िशरीष िखल सकता ह तो हमारा दश भी िवषम पिरिःथितयो म िःथर रह कर िवकास कर सकता ह

शन1-िसदध कीिजए िक िशरीष कालजयी अवधत की भाित जीवन की अजयता क मऽ का चार करता ह

उततर- िशरीष कालजयी अवधत की भाित जीवन की अजयता क मऽ का चार करता ह| जब पथवी अिगन क समान तप रही होती ह वह तब भी कोमल फलो स लदा लहलहाता रहता ह|बाहरी गरमी धप वषार आधी ल उस भािवत नही करती इतना ही नही वह लब समय तक िखला रहता ह | िशरीष िवपरीत पिरिःथितयो म भी धयरशील रहन तथा अपनी अजय िजजीिवषा क साथ िनःपह भाव स चड गरमी म भी अिवचल खड़ा रहता ह

शन२-आरगवध (अमलतास) की तलना िशरीष स कयो नही की जा सकती

उततर- िशरीष क फल भयकर गरमी म िखलत ह और आषाढ़ तक िखलत रहत ह जबिक अमलतास का फल कवल पनिह-बीस िदनो क िलए िखलता ह | उसक बाद अमलतास क फल झड़ जात ह और पड़ िफर स ठठ का ठठ हो जाता ह | अमलतास अलपजीवी ह | िवपरीत पिरिःथितयो को झलता हआ ऊण वातावरण को हसकर झलता हआ िशरीष दीघरजीवी रहता ह | यही कारण ह िक िशरीष की तलना अमलतास स नही की जा सकती |

शन३-िशरीष क फलो को राजनताओ का रपक कयो िदया गया ह

उततर- िशरीष क फल उन बढ़ ढीठ और परान राजनताओ क तीक ह जो अपनी कसीर नही छोड़ना चाहत | अपनी अिधकार-िलपसा क िलए नए यवा नताओ को आग नही आन दत | िशरीष क नए फलो को जबरदःती परान फलो को धिकयाना पड़ता ह | राजनीित म भी नई यवा पीढ़ी परानी पीढ़ी को हराकर ःवय सतता सभाल लती ह |

शन४- काल दवता की मार स बचन का कया उपाय बताया गया ह

उततर- काल दवता िक मार स बचन का अथर हETH मतय स बचना | इसका एकमाऽ उपाय यह ह िक मनय िःथर न हो| गितशील पिरवतरनशील रह | लखक क अनसार िजनकी चतना सदा ऊधवरमखी (आधयातम की ओर) रहती ह व िटक जात ह |

शन५- गाधीजी और िशरीष की समानता कट कीिजए |

उततर- िजस कार िशरीष िचलिचलाती धप ल वषार और आधी म भी अिवचल खड़ा रहता ह अनासकत रहकर अपन वातावरण स रस खीचकर सरस कोमल बना रहता ह उसी कार गाधी जी न भी अपनी आखो क सामन आजादी क समाम म अनयाय भदभाव और िहसा को झला |

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उनक कोमल मन म एक ओर िनरीह जनता क ित असीम करणा जागी वही व अनयायी शासन क िवरोध म डटकर खड़ हो गए |

गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

गदयाश सकत- पाठ ETH िशरीष क फल (पषठ १४७)

कािलदास सौदयर क वह इशारा ह |

(क) कािलदास की सौदयरETHदिषट की कया िवशषता थी उततर-कािलदास की सौदयरETHदिषट बहत सआम अतभरदी और सपणर थी| व कवल बाहरी रप-रग और आकार को ही नही दखत थ बिलक अतमरन की सदरता क भी पारखी थ| कािलदास की सौदयर शारीिरक और मानिसक दोनो िवशषताओ स यकत था |

(ख) अनासिकत का कया आशय ह उततर- अनासिकत का आशय ह- वयिकतगत सख-दःख और राग-दवष स पर रहकर सौदयर क वाःतिवक ममर को जानना |

(ग) कािलदास पत और रवीिनाथ टगोर म कौन सा गण समान था महाकिव कािलदास सिमऽानदन पत और गरदव रवीिनाथ टगोर तीनो िःथरजञ और अनासकत किव थ | व िशरीष क समान सरस और मःत अवधत थ |

(घ) रवीिनाथ राजोदयान क िसहदवार क बार म कया सदश दत ह राजोदयान क बार म रवीिनाथ कहत ह राजोदयान का िसहदवार िकतना ही सदर और गगनचमबी कयो ना हो वह अितम पड़ाव नही ह| उसका सौदयर िकसी और उचचतम सौदयर की ओर िकया गया सकत माऽ ह िक असली सौदयर इस पार करन क बाद ह अत राजोदयान का िसहदवार हम आग बढ़न की रणा दता ह |

18ौम-िवभाजन और जाित-था

डॉ० भीमराव अबडकर

साराश ndash इस पाठ म लखक न जाितवाद क आधार पर िकए जान वाल भदभाव को सभय समाज क िलए हािनकारक बताया ह | जाित आधािरत ौम िवभाजन को अःवाभािवक और मानवता िवरोधी बताया गया ह यह सामािजक भदभाव को बढ़ाता ह जाितथा आधािरत ौम िवभाजन म वयिकत की रिच को महततव नही िदया जाता फलःवरप िववशता क साथ अपनाए

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गए पश म कायर-कशलता नही आ पाती | लापरवाही स िकए गए कायर म गणवतता नही आ पाती और आिथरक िवकास बरी तरह भािवत होता ह| आदशर समाज की नीव समता ःवतऽता और बधतव पर िटकी होती ह समाज क सभी सदःयो स अिधकतम उपयोिगता ापत करन क िलए सबको अपनी कषमता को िवकिसत करन तथा रिच क अनरप वयवसाय चनन की ःवतऽता होनी चािहए| राजनीितजञ को अपन वयवहार म एक वयवहायर िसदधात की आवयकता रहती ह और यह वयवहायर िसदधात यही होता ह िक सब मनयो क साथ समान वयवहार िकया जाए

शन1-डॉ० भीमराव अबडकर जाितथा को ौम-िवभाजन का ही रप कयो नही मानत ह

उततर ndash

१- कयोिक यह िवभाजन अःवाभािवक ह | २- यह मन य की रिच पर आधािरत नही ह | ३- वयिकत की कषमताओ की उपकषा की जाती ह | ४- वयिकत क जनम स पहल ही उसका पशा िनधारिरत कर िदया जाता ह | ५- वयिकत को अपना वयवसाय बदलन की अनमित नही दती | शन२- दासता की वयापक पिरभाषा दीिजए |

उततर ndash दासता कवल काननी पराधीनता नही ह| सामािजक दासता की िःथित म कछ वयिकतयो को दसर लोगो क दवारा तय िकए गए वयवहार और कतरवयो का पालन करन को िववश होना पड़ता ह | अपनी इचछा क िवरदध पतक पश अपनान पड़त ह |

शन३- मनय की कषमता िकन बातो पर िनभरर रहती ह

उततर ndashमनय की कषमता मखयत तीन बातो पर िनभरर रहती ह-

१- शारीिरक वश परपरा

२- सामािजक उततरािधकार

३- मनय क अपन यतन

लखक का मत ह िक शारीिरक वश परपरा तथा सामािजक उततरािधकार िकसी क वश म नही ह परनत मन य क अपन यतन उसक अपन वश म ह | अत मनय की मखय कषमता- उसक अपन यतनो को बढ़ावा िमलना चािहए |

शन४- समता का आशय ःपषट करत हए बताइए िक राजनीितजञ परष क सदभर म समता को कस ःपषट िकया गया ह

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जाित धमर स दाय स ऊपर उठकर मानवता अथारत मानव माऽ क ित समान वयवहार ही समता ह राजनता क पास असखय लोग आत ह उसक पास पयारपत जानकारी नही होती सबकी सामािजक पषठभिम कषमताए आवयकताए जान पाना उसक िलए सभव नही होता अतः उस समता और मानवता क आधार पर वयवहार क यास करन चािहए

गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

गदयाश सकत-पाठ ौम िवभाजन और जाित था (पषठ १५३) यह िवडमबनाबना दती ह | शन १-ौम िबभाजन िकस कहत ह

उततर ौम िवभाजन का अथर हETH मानवोपयोगी कायोर का वगीरकरण करना| तयक कायर को कशलता स करन क िलए योगयता क अनसार िविभनन कामो को आपस म बाट लना | कमर और मानव-कषमता पर आधािरत यह िवभाजन सभय समाज क िलए आवयक ह |

शन २ - ौम िवभाजन और ौिमक-िवभाजन का अतर ःपषट कीिजए |

उततर- ौम िवभाजन म कषमता और कायर-कशलता क आधार पर काम का बटवारा होता ह जबिक ौिमक िवभाजन म लोगो को जनम क आधार पर बाटकर पतक पश को अपनान क िलए बाधय िकया जाता ह| ौम-िवभाजन म वयिकत अपनी रिच क अनरप वयवसाय का चयन करता ह | ौिमक-िवभाजन म वयवसाय का चयन और वयवसाय-पिरवतरन की भी अनमित नही होती िजसस समाज म ऊच नीच का भदभाव पदा करता ह यह अःवाभािवक िवभाजन ह |

शन ३ ETHलखक न िकस बात को िवडमबना कहा ह

उततर लखक कहत ह िक आज क वजञािनक यग म भी कछ लोग ऐस ह जो जाितवाद का समथरन करत ह और उसको सभय समाज क िलए उिचत मानकर उसका पोषण करत ह| यह बात आधिनक सभय और लोकतािनऽक समाज क िलए िवडमबना ह | शन ४ भारत म ऎसी कौन-सी वयवःथा ह जो पर िवशव म और कही नही ह

उततर लखक क अनसार जनम क आधार पर िकसी का पशा तय कर दना जीवनभर एक ही पश स बध रहना जाित क आधार पर ऊच-नीच का भदभाव करना तथा बरोजगारी तथा भखमरी की िःथित म भी पशा बदलन की अनमित न होना ऐसी वयवःथा ह जो िवशव म कही नही ह |

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अधययन साममी

ककषा बारहवी - िवतान भाग-2

िवतान भाग -२ पःतक म स शनपऽ म तीन कार क शन पछ जाएग -

शन १२ अित लघततरातमक तीन शनो म स दो क उततर दन ह| िनधारिरत अक - २ २ = ४

शन १३ दो िनबधातमक शनो म स एक शन का उततर| िनधारिरत अक ETH ५

शन १४ तीन लघततरातमक शनो म स दो शनो क उततर| िनधारिरत अक ETH ३ २ = ६

अिधक अक ािपत हत धयान दन योगय बात ndash

१ परा पाठ पढ़ तथा पाठ की िवषयवःत मख पाऽ तथा सदश की ओर अवय धयान द |

२ शनो क उततर दत समय अनावयक न िलख| शन को धयानपवरक पढ़कर उसका सटीक उततर द |

३ शबदसीमा का धयान रख | ४ अको क अनसार उततर िलख | ५ पाच अक वाल उततरो म िविभनन िबदओ को उदाहरण सिहत ःतत कर |

पाठ 1िसलवर विडग ETH मनोहर याम जोशी

पाठ का सार-िसलवर विडगOtilde कहानी की रचना मनोहर याम जोशी न की ह| इस पाठ क माधयम स पीढ़ी क अतराल का मािमरक िचऽण िकया गया ह| आधिनकता क दौर म यशोधर बाबपरपरागत मलयो को हर हाल म जीिवत रखना चाहत ह| उनका उसलपसद होना दफतर एवम घर क लोगो क िलए सरददर बन गया था | यशोधर बाब को िदलली म अपन पाव जमान म िकशनदा न मदद की थी अतः व उनक आदशर बन गए|

दफतर म िववाह की पचचीसवी सालिगरह क िदन दफतर क कमरचारी मनन और चडढा उनस जलपान क िलए पस मागत ह | जो व बड़ अनमन ढग स दत ह कयोिक उनह िफजलखचीर पसद नही |यशोधर

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बाब क तीन बट ह| बड़ा बटा भषण िवजञापन कमपनी म काम करता ह| दसरा बटा आई ए एस की तयारी कर रहा ह और तीसरा छाऽवित क साथ अमिरका जा चका ह| बटी भी डाकटरी की पढ़ाई क िलए अमिरका जाना चाहती ह वह िववाह हत िकसी भी वर को पसद नही करती| यशोधर बाबबचचो की तरककी स खश ह िकत परपरागत सःकारो क कारण व दिवधा म ह| उनकी पतनी न ःवय को बचचो की सोच क साथ ढाल िलया ह| आधिनक न होत हए भी बचचो क ज़ोर दन पर व अिधक माडनर बन गई ह|

बचच घर पर िसलवर विडग की पाटीर रखत ह जो यशोधर बाब क उसलो क िखलाफ था| उनका बटा उनह सिसग गाउन भट करता ह तथा सबह दध लन जात समय उस ही पहन कर जान को कहता ह जो उनह अचछा नही लगता| बट का ज़ररत स एयादा तनखवाह पाना तनखवाह की रकम ःवय खचर करना उनस िकसी भी बात पर सलाह न मागना और दध लान का िजममा ःवय न लकर उनह सिसग गाउन पहनकर दध लन जान की बात कहना जसी बात यशोधर बाब को बरी लगती ह| जीवन क इस मोड़ पर व ःवय को अपन उसलो क साथ अकल पात ह |

शनोततर -

शन १ अपन घर और िवदयालय क आस-पास हो रह उन बदलावो क बार म िलख जो सिवधाजनक और आधिनक होत हए भी बजगोर को अचछ नही लगत अचछा न लगन क कया कारण हो सकत ह

उततरः आधिनक यग पिरवतरनशील एव अिधक सिवधाजनक ह आज क यवाआधिनकता और पिरवतरनशीलता को महततव दत ह इसीिलए व नई तकनीक और फशन की ओर आकिषरत होत ह व ततकाल नयी जानकािरया चाहत ह िजसक िलए उनक पास कमपयटर इनटरनट एव मोबाइल जस आधिनक तकनीकी साधन ह इनक माधयम स व कम समय म जयादा जानकारी एकऽ कर लत ह घर स िवदयालय जान क िलए अब उनक पास बिढ़या साईिकल एव मोटर साईिकल ह आज यवा लड़क और लड़िकयो क बीच का अनतराल काफी कम हो गया ह परान जमान म लड़िकया-लड़को क साथ पढ़ना और िमलना-जलना ठीक नही माना जाता था जस आज क पिरवश म ह यवा लड़को और लड़िकयो दवारा अग दशरन आज आम बात हो गई ह व एक

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साथ दर रात तक पािटरया करत ह इनटरनट क माधयम स असभय जानकािरया ापत करत ह य सारी बात उनह आधिनक एव सिवधाजनक लगती ह

दसरी ओर इस तरह की आधिनकताबज़गोर को रास नही आतीकयोिक जब व यवा थउस समय सचार क साधनो की कमी थी पािरवािरक पषठभिम क कारण व यवावःथाम अपनी भावनाओ को

काब म रखत थ और अिधक िजममदार होत थ अपन स बड़ो का आदर करत थ और परपराओ क अनसार चलत थ आधिनक पिरवश क यवा बड़-बढ़ो क साथ बहत कम समय वयतीत करत ह इसिलए सोच एव दिषटकोण म अिधक अनतर आ गया ह इसी अनतर को lsquoपीढ़ी का अनतरrsquo कहत ह यवा पीढ़ी की यही नई सोच बजगोर को अचछी नही लगती

२ यशोधर बाब की पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती हलिकन यशोधर बाब असफल रहत हऐसा कयो

उततरः यशोधर बाब अपन आदशर िकशनदा स अिधक भािवत ह और आधिनक पिरवश म बदलत हए जीवन-मलयो और सःकारो क िवरदध ह जबिक उनकी पतनीअपन बचचो क साथ खड़ी िदखाई दती ह वह अपन बचचो क आधिनक दिषटकोण स भािवत ह इसिलए यशोधर बाब की पतनी समय क साथ पिरवितरत होती ह लिकन यशोधर बाब अभी भी िकशनदा क सःकारो और परपराओ स िचपक हए ह

३rsquoिसलवर विडगrsquoकहानी क आधार पर पीढ़ी क अतराल स होन वाल पािरवािरक अलगाव पर अपन िवचार कट कीिजए

उततरः साःकितक सरकषण क िलए ःवःथ परपराओ की सरकषा आवयक ह िकत बदलत समय और पिरवश स सामजःय की भी उपकषा नही की जानी चािहए अनयथा िसलवर विडग क पाऽो की तरह िबखराव होन लगता ह

४rsquoिसलवर विडगrsquoकहानी को धयान म रखत हए परपराओ और साःकितक सरकषको की वतरमान म उपादयता पर अपन िवचार कट कीिजए

उततरःपरपराओ और सःकित स ही िकसी दश की पहचान कायम रहती ह सादगी स जीकर गहःथी को बचाया जा सकता ह यिद ऐसा न होता तो शायद यशोधर बाब की सतान पढ़-िलखकर योगय न बनती

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५ िसलवर विडगक कथानायक यशोधर बाब एक आदशर वयिकत ह और नई पीढ़ी दवारा उनक िवचारो को अपनाना ही उिचत ह| इस कथन क पकष-िवपकष म तकर दीिजए

उततरः- पकषः नयी पीढ़ी क यवा उनकी सादगी और वयिकततव क कछक रक पहलओ को लकर सफल व सःकारी नागिरक बन सकत ह अनयथा व अपनी पहचान खो बठ ग

िवपकषःपरानी रिढ़यो को छोड़कर ही नए समाज व नई पीढ़ी क साथ सामजःय िबठाया जा सकता हअनयथा िवलगाव सिनिशचत ह

६ िसलवर विडग कहानी की मल सवदना ःपषट कीिजए

उततरः - सकत-िबद-पीढ़ी क अनतराल स पदा हई िबखराव की पीड़ा

७ िकशनदा की कौन-सी छिव यशोधर बाब क मन म बसी हई थी

सकत िबनद- 1उनकी दफतर म िविभनन रपो की छिव

2सर पर िनकलन वाली छिव

३ एक आदशरवादी वयिकत क रप म

४ परोपकारी वयिकत |

८ Ocircिसलवर विडगrsquoकहानी का मख पाऽ बार-बार िकशनदा को कयो याद करता हइस आप कया मानत ह उसकी सामथयर या कमजोरीऔरकयो

उततरः सामथयर मानत ह व उनक रक थ उनस अलग अपन को सोचना भी यशोधर बाब क िलए मिकल था जीवन का रणा-ॐोत तो सदा शिकत एव सामथयरका सजरक होता ह

९ पाठ म lsquoजो हआ होगाrsquo वाकय की िकतनी अथर छिवया आप खोज सकत ह

उततरः यशोधर बाब यही िवचार करत ह िक िजनक बाल-बचच ही नही होतव वयिकत अकलपन क कारण ःवःथ िदखन क बाद भी बीमार-स हो जात ह और उनकी मतय हो जाती ह| िजसकार यशोधर बाब अपन आपको पिरवार स कटा और अकला पात ह उसीकार अकलपन स मःत होकर उनकी मतय हई होगी यह भी कारण हो सकता ह िक उनकी िबरादरी स घोर उपकषा

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िमली इस कारण व सख-सख कर मर गए | िकशनदा की मतय क सही कारणो का पता नही चल सका बस यशोधर बाब यही सोचत रह गए िक िकशनदा की मतय कस हईिजसका उततर िकसी क पास नही था

१० वतरमान समय म पिरवार की सरचनाःवरप स जड़ आपक अनभव इस कहानी स कहा तक सामजःय िबठा पात ह

उततरः यशोधर बाब और उनक बचचो की सोच म पीढ़ीजनय अतराल आ गया ह यशोधर सःकारो स जड़ना चाहत ह और सयकत पिरवार की सवदनाओ को अनभव करत ह जबिक उनक बचच अपन आप म जीना चाहत ह अतः जररत इस बात की ह िक यशोधर बाब को अपन बचचो की सकारातमक नई सोच का ःवागत करना चािहएपरनत यह भी अिनवायर ह िक आधिनक पीढ़ी क यवा भी वतरमान बतक सःकार और जीवन मलयो क ित आकिषरत न हो तथा परानी पीढी की अचछाइयो को महण कर यह शरआत दोनो तरफ स होनी चािहए तािक एक नए एव सःकारी समाज की ःथापना की जा सक

११ यशोधर बाब क चिरऽ की िवशषताए िलिखए

उततरः1 कमरठ एव पिरौमी ndashसकशन ऑिफसर होन क बावजद दफतर म दर तक काम करत थ | व अनय कमरचािरयो स अिधक कायर करत थ |

2 सवदनशील- यशोधर बाब अतयिधक सवदनशील थ | व यह बात ःवीकार नही कर पात िक उनका बटा उनकी इजाजत िलए िबना ही घर का सोफा सट आिद खरीद लाता ह उनका साईिकल स दफतर जान पर ऐतराज करता ह उनह दध लन जान म असिवधा न हो इसिलए सिसग गाउन भट करता ह| पतनी उनकी बात न मानकर बचचो क कह अनसार चलती ह | बटी िववाह क बधन म बधन स इकार करती ह और उसक वसतरो म शालीनता नही झलकती | पिरवारवालो स तालमल न बठन क कारण व अपना अिधकतर समय घर स बाहर मिदर म तथा सबजीमडी म सबज़ी खरीदत िबतात ह |

3 परपरावादी- व परपरावादी थ |आधिनक समाज म बदलत समीकरणो को ःवीकार करन को तयार नही थ इसिलए पिरवार क अनय सदःयो स उनका तालमल नही बठ पा रहा था |

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४ धािमरक वयिकत-यशोधर बाब एक धािमरक वयिकत थ| व अपना अिधकतर समय पजा-पाठ और मिदर म िबतात थ |

१२ यशोधर बाब जस लोग समय क साथ ढ़लन म असफल कयो होत ह

उततरः ऐस लोग साधारणतया िकसी न िकसी स भािवत होत ह जस यशोधर बाब िकशन दा स य परपरागत ढरर पर चलना पसनद करत ह तथा बदलाव पसनद नही करत अतः समय क साथ ढ़लन म असफल होत ह

१३ भर-पर पिरवार म यशोधर बाब ःवय को अधरा-सा कयो अनभव करत ह

उततरःसकत िबनद - अपन ाचीन दायर स बाहर न िनकल सकन क कारण व ःवय को अधरा अनभव करत ह

१४lsquolsquoअभी तमहार अबबा की इतनी साख ह िक सौ रपए उधार ल सक rsquorsquo िकन पिरिःथितयो म यशोधर बाब को यह कहना पड़ा

उततरःसकत िबनद- पऽ दवारा उनक िनकट सबधी की आिथरक सहायता क िलए मनाही स आहत होकर ऐसा कहना पड़ा

१५ Ocircिसलवर विडगrsquo कहानी क तथय का िवशलषण कीिजए

उततरः सकत िबनद - पीढ़ी क अतराल को उजागर कर वतरमान समाज की इस कार की सचचाई स पदार उठाया गया ह

१६अपन बचचो की तरककी स खश होन क बाद भी यशोधर बाब कयामहसस करत ह

उततरः उनक बचच गरीब िरतदारो क ित उपकषा का भाव रखत ह उनकी यह खशहाली अपनो क बीच परायापन पदा कर रही ह जो उनह अचछा नही लगता

१७आजकल िकशनदा जसी जीवन-शली अपनान वाल बहत कम लोग िमलत ह कयो

उततर िकशन दा जस लोग मःती स जीत ह िनःःवाथर दसरो की सहायता करत ह जबिक आजकल सभी सहायता क बदल कछ न कछ पान की आशा रखत ह िबना कछ पान की आशा रख सहायता करन वाल िबरल ही होत ह

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१८ यशोधर बाब क बचचो की कौन-सी बात शसनीय ह और कौन-सा पकष आपिततजनक ह

उततर- शसनीय बात- १) महतवाकाकषी और गितशील होना | २)जीवन म उननित करना |

३)समय और सामथयर क अनसार घर म आधिनक सिवधाए जटाना |

आपिततजनक बात - १) वयवहार २) िपता िरतदारो धमर और समाज क ित नकारातमक भाव

३) मानवीय समबनधो की गिरमा और सःकारो म रिच न लना |

१९आपकी दिषट म(पाठ स अलग) िसलवर विडग मनान क और कौन स तरीक हो सकत ह जो यशोधर बाब को अचछ लगत

उततरः मिदर जाकरपिरवार क साथ कही घमन जाकरपऽ-पिऽयो दवारा

माता-िपता को उपहार दकर आिद

२० िसलवर विडग म चटाई का लहगा िकस कहा गया ह

उततरः यह एक तीकातमक योग ह िजस यशोधर बाब अपनी पतनी क िलए योग करत ह उनकी पतनी परानी परपराओ को छोड़ आधिनकता म ढ़ल गई ह ःवय को मॉडनर समझती ह

इसिलए यशोधर बाब न उनह यह नाम िदया ह व उनह Ocircशानयल बिढ़याrsquo तथा Ocircबढ़ी मह महास

लोग कर तमासrsquo कह कर भी िचढ़ात ह

२१ यशोधर बाब पिरवार क बावजद ःवय को अधरा कयो मानत ह

उततर - यशोधर बाब परानी परपराओ को माननवाल ह जबिक उनका सारा पिरवार आधिनक िवचारधारा का ह पीढ़ीगत अतराल क कारण पिरवार क साथ ताल-मल न िबठा पान क कारण व ःवय को अधरा समझत ह

अनय महततवपणर अभयास-शन

1 दफतर म यशोधर बाब स कमरचारी कयो परशान रहत थ

2 यशोधर बाब का अपन बचचो क साथ कसा वयवहार था

3 दफतर क बाद पत जी कया-कया काम करत थ

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4 ऑिफस क सािथयो न यशोधर बाब को िकस बात की बधाइरर दी

5 यशोधर बाब तिकया कलाम क रप म िकस वाकय का योग करत थइस तिकया कलाम का उनक वयिकततव तथा कहानी क कथय स कया सबध ह

6 पीढ़ी क अतराल स वयिकत अकला हो जाता हrsquo- ःपषट कर

७ अपन बट की बड़ी नौकरी पर यशोधर बाब को कया आपितत थी

पाठ 2 जझ आनद यादव

पाठ का सार ndashOcircजझOtilde पाठ आनद यादव दवारा रिचत ःवय क जीवनETHसघषर की कहानी ह| पढ़ाई परी न कर पान क कारण उसका मन उस कचोटता रहता था |दादा न अपन ःवाथोर क कारण उसकी पढ़ाई छड़वा दी थी |वह जानता था िक दादा उस पाठशाला नही भजग | आनद जीवन म आग बढ़ना चाहता था | वह जनता था िक खती स कछ िमलन वाला नही |वह पढ़गा-िलखगा तो बिढ़या-सी नौकरी िमल जाएगी |

आनद न एक योजना बनाई िक वह मा को लकर गाव क ितिषठत वयिकत दतता जी राव क पास जाएगा| दतता जी राव न उनकी परी बात सनी और दादा को उनक पास भजन को कहा | दतता जी न उस खब फटकारा आनद को भी बलाया | दादा न भी कछ बात रखी िक आनद को खती क कायर म मदद करनी होगी| आनद न उनकी सभी बात सहषर मान ली| आनद की पढ़ाई शर हो गई| शर म कछ शरारती बचचो न उस तग िकया िकनत धीर-धीर उसका मन लगन लगा| उसन ककषा क मानीटर वसत पािटल स दोःती कर ली िजसस उस ठीक कार स पढ़ाई करन की रणा िमली| कई परशािनयो स जझत हए आनद न िशकषा का दामन नही छोड़ा| मराठी पढ़ान क िलए ौी सौदलगकर आए| उनहोन आनद क हदय म एक गहरी छाप छोड़ी| उसन भी किवताओ म रिच लनी ारमभ की| उसन खतो म काम करत ETHकरत किवताए कठःथ की| माःटर न उसकी किवता बड़ धयान स सनी| बालक का आतमिवशवास बढ़न लगा और उसकी कावय-ितभा म िनखार आन लगा |

शनोततर-

१ जझ कहानी क आधार पर दतता जी राव दसाई का चिरऽ-िचऽण कीिजए

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उततर 1 समझदार वयिकतETH दतता जी राव न छोट स बालक आनद की बातो को सना| िफर आनद क दादा को बलाया और आनद को िवदयालय भजन पर जोर िदया| उनहोन दादा स इस कार बात की िक उनह शक ही नही हआ िक य सब उनह आनद न बताया ह|

2 मामीणो क मददगार ETH दतता जी गाव क ितिषठत एवम भावशाली वयिकत थ िकत उनहोन अपनी ितषठा का दरपयोग नही िकया| मामीण उनक पास अपनी समःयाए लकर आत थ| दतता जी उनकी समःयाओ को हल करन का यास करत थ|

3भावशाली वयिकततवETH दतता जी गाव क ितिषठत वयिकत थ| सभी उनह बहत मान दत थ| उनका वयिकततव रोबीला था और मामीण उनकी बात मान जात थ|

२ जझ कहानी का उददय कया ह अथवा

Ocircिवषम पिरिःथितयो म भी िवकास सभव हrsquolsquoजझrsquo कहानी क आधार पर ःपषट कीिजए|

उततरः इस कहानी का मखय उददय ह िक मनय को सघषर करत रहना चािहए| कहानी म लखक क जीवन क सघषर को उसक पिरवश क साथ िदखलाया गया ह लखक का िशकषा-ािपत हत िपता स सघषरककषा म सघषरखती म सघषर और अत म उसकी सफलता कहानी क उददय को ःपषट करत ह अतः समःयाओ स भागना नही चािहए| पर आतमिवशवास स उनका मकाबला करना चािहए| सघषर करन वाल को सफलता अवय िमलती ह|

३ lsquoजझrsquo कहानी क शीषरक की साथरकता पर िटपपणी कीिजए

उततरः जझका अथर ह ndashसघषर| यह कथा कथानायक क जीवन भर क सघषर को दशारती ह| बचपन स अभावो म पला बालक िवपरीत पिरिःथितयो पर िवजय हािसल कर सका|अतः यिद मन म लगन हो भरपर आतमिवशवास हो तो सफलता कदम चमती ह |

४ OcircजझOtilde कहानी क आधार पर आनदा क चिरऽ की िवशषताए बताइए अथवा

lsquoजझrsquoशीषरक क औिचतय पर िवचार करत हए यह ःपषट कर िक कया यह शीषरक कथानायक की िकसी कनिीय चािरिऽक िवशषता को उजागर करता ह

उततरः 1 पढ़न की लालसा- आनदा िपता क साथ खती का काम सभालता था| लिकन पढ़न की तीो इचछा न उस जीवन का एक उददय द िदया और वह अपन भिवय को एक सही िदशा दन म सफल होता ह|

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2 वचनबदधता- आनदा न िवदयालय जान क िलए िपता की जो शतर मानी थी उनका पालन हमशा िकया| वह िवदयालय जान स पहल बःता लकर खतो म पानी दता| वह ढोर चरान भी जाता| िपता की बातो का अनपालन करता|

3 आतमिवशवासी एव कमरठ बालकETHआनदा क जीवन म अभाव ही थ| उसक िपता न ही उसका पाठशाला जाना बद करवा िदया था| िकत उसन िहममत नही हारी पर आतमिवशवास क साथ योजनाबदध तरीक स आग बढ़ा और सफल हआ|

४ किवता क ित झकाव- आनदा न माःटर सौदलगकर स भािवत होकर कावय म रिच लनी ारमभ की| वह खतो म पानी दता भस चरात समय भी किवताओ म खोया रहता था| धीर-धीर वह ःवय तकबदी करन लगा| किवताए िलखन स उसम आतमिवशवास बढ़ा|

५ आननदा क िपता की भाित आज भी अनक गरीब व कामगार िपता अपन बचचो को ःकल नही भजना चाहतथ कयो आपकी दिषट म उनह िकस कार िरत िकया जा सकता ह

उततरः अिधकतर लोग अिशिकषत होन क कारण िशकषा क महततव को नही समझत| अिधक बचच कम आमदनी दो अितिरकत हाथो स कमाई की लालसा आिद इसक मख कारण ह उनह िरत करन हत उनह जागरक करना िशकषा का महततव बतानािशिकषत होकर जीवन ःतर म सधार क िलए ोतसािहत िकया जा सकता ह

६ सकारातमक सजनातमकता स आतमिवशवास को दढ़ता िमलती ह जझ कहानी क आधार पर समझाइए

उततरः लखक न पढ़ाई म ःवय को िपछड़ता हआ पाया| िकत िशकषक सौदलगकर स िरत होकर लखक कछ तकबदी करन लगा| धीर ETHधीर उसम आतमिवशवास बढ़न लगा| सजनातमकता न उसक जीवन को नया मोड़ िदया| अतः लखक क दवारा किवता रच लन स उसम आतमिवशवास का सजन हआ

७ lsquoजझrsquoकहानी क आधार पर बताइए िक एक भावशाली िशकषक िकस तरह अपन िवदयाथीर का भिवय सवार सकता ह अथवा

आननदा स किव डॉ आननद यादव बनन की याऽा म माःटर सौनदलगकर की भिमका ःपषट कीिजए

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उततरः माःटर सौदलगकर कशल अधयापक मराठी क जञाता व किवसरील ढग स ःवय कीव दसरो की किवताए गात थ आननदा को किवता या तकबनदी िलखन क ारिमभक काल म उनहोन उसका मागरदशरन व सधार िकयाउसका आतमिवशवास बढ़ाया िजसस वह धीर-धीर किवताए िलखन म कशल हो कर ितिषठत किव बन गया

८ आननदा कोपनः ःकल जान पर कया-कया झलना पड़ा

उततरः ःवय स कम आय क छाऽो क साथ बठना पड़ावह अनय छाऽो की हसी का पाऽ बना तथा उस िपता की इचछा क कारण घर व ःकल दोनो म िनरतर काम करना पड़ा

९ ःकल म मानीटर न आनदा को सवारिधक भािवत िकया और कस

उततरः मानीटर बसत पािटल न उस सवारिधक भािवत िकया|वह शात व अधययनशील छाऽ था आनदा उसकी नकल कर हर काम करन लगाधीर-धीर एकामिचत व अधययनशील बनकर आननदा भी ककषा म सममान का पाऽ बन गया

१० आपक दिषट स पढ़ाई-िलखाई क समबनध म लखक और दतता जी राव का रवया सही था या लखक क िपता कातकर सिहत उतर दीिजए

उततरः लखक का मत ह िक जीवन भर खतो म काम करक कछ भी हाथ आन वाला नही ह पीढ़ी दर पीढ़ी खतो म काम करक कछ ापत नही हो सका व मानत ह िक यह खती हम गढढ म धकल रही ह अगर म पढ़-िलख गया तो कही मरी नौकरी लग जाएगी या कोई वयापार करक अपन जीवन को सफल बनाया जा सकता ह मा-बटा जब दतता जी राव क घर जाकर परी बात बतात ह तो दतता जी राव िपता जी को बलाकर खब डाटत ह और कहत ह िक त सारा िदन कया करता ह बट और पतनी को खतो म जोत कर त सारा िदन साड की तरह घमता रहता ह कल स बट को ःकल भज अगर पस नही ह तो फीस म दगा परनत िपता जी को यह सब कछ बरा लगा दतता जी राव क सामन lsquoहाrsquo करन क बावजद भी व आननद को ःकल भजन क पकष म नही थ इस कार लखक और उनक िपताजी की सोच म एक बड़ा अनतर ह हमार खयाल स पढ़ाई-िलखाई क समबनध म लखक और दतता जी राव का रवया लखक क िपता की सोच स जयादा ठीक ह कयोिक पढ़न-िलखन स वयिकत का सवारगीण िवकास होता ह

अनय महततवपणर अभयास-शन

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१ जझ पाठ क आधार पर बताइए िक कौन िकसस कहा जझ रहा ह तथा अपनी जझ म कौन सफल होता ह

२ आनदा का िपता कोलह जलदी कयो चलवाता था

३ पाठशाला म आनदा का पहला अनभव कसा रहा

४ दतता राव क सामन रतनपपा न आनदा को ःकल न भजन का कया कारण बताया

५ आनदा क िपता न उस पाठशाला भजन की सहमित िकस शतर पर दी

पाठ 3 अतीत म दब पाव ओम थानवी

पाठ का सारndashयहओम थानवी क याऽा-वततात और िरपोटर का िमला-जला रप ह|उनहोन इस पाठ म िवशव क सबस परान और िनयोिजत शहरो-मअनजो-दड़ो तथा हड़पपा का वणरन िकया ह | पािकःतान क िसध ात म मअनजो-दड़ो ओर पजाब ात म हड़पपा नाम क दो नगरो को पराततविवदो न खदाई क दौरान खोज िनकाला था|मअनजो-दड़ो ताकाल का सबस बड़ा शहर था |मअनजो-दड़ो अथारत मदोर का टीला| यह नगर मानव िनिमरत छोटETHछोट टीलो पर बना था |मअनजो-दड़ो म ाचीन और बड़ा बौदध ःतप ह | इसकी नगर योजना अिदवतीय ह| लखक न खडहर हो चक टीलो ःनानागार मद-भाडो कओETHतालाबो मकानो व मागोर का उललख िकया ह िजनस शहर की सदर िनयोजन वयवःथा का पता चलता ह| बःती म घरो क दरवाज मखय सड़क की ओर नही खलत हर घर म जल िनकासी की वयवःथा ह सभी नािलया की ढकी हई ह पककी ईटो का योग िकया गया ह|

नगर म चालीस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा एक महाकड भी ह |इसकी दीवार ओर तल पककी ईटो स बन ह | कड क पास आठ ःनानागार ह | कड म बाहर क अशदध पानी को न आन दन का धयान रखा गया | कड म पानी की वयवःथा क िलए कआ ह | एक िवशाल कोठार भी ह िजसम अनाज रखा जाता था |उननत खती क भी िनशान िदखत ह -कपास गह जौ सरसो बाजरा आिद क माण िमल ह|

िसध घाटी सभयता म न तो भवय राजमहल िमल ह ओर ही भवय मिदर| नरश क सर पर रखा मकट भी छोटा ह| मअनजो-दड़ो िसध घाटी का सबस बड़ा नगर ह िफर भी इसम भवयता व आडमबर का अभाव रहा ह| उस समय क लोगो न कला ओर सरिच को महततव िदया| नगर-िनयोजन धात एव पतथर की मितरया मद-भाड उन पर िचिऽत मानव ओर अनय

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आकितया महर उन पर बारीकी स की गई िचऽकारी| एक परातततववतता क मतािबक िसध सभयता की खबी उसका सौदयर-बोध ह जो राजपोिषत या धमरपोिषत न होकर समाजपोिषत था|

शनोततरndash

१ Ocircिसनध सभयता साधन समपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नही था |Otilde ःतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

उततरः दसरी सभयताए राजतऽ और धमरतऽ दवारा सचािलत थी वहा बड़-बड़ सनदर महल पजा ःथल भवय मितरया िपरािमड और मिनदर िमल ह राजाओ धमारचायोर की समािधया भी मौजद ह िकत िसनध सभयता एक साधन-समपनन सभयता थी परनत उसम राजसतता या धमरसतताक िचहन नही िमलत वहा की नगर योजनावाःतकलामहरोठपपोजल-वयवःथासाफ-सफाई और सामािजक वयवःथा आिद की एकरपतादवारा उनम अनशासन दखा जा सकता ह |साःकितक धरातलपर यह तथय सामन आता ह िक िसनध घाटी की सभयता दसरीसभयताओ स अलग एव ःवाभािवक

िकसी कार की किऽमता एव आडबररिहतथी जबिक अनय सभयताओ म राजतऽ और धमरतऽ की ताकत को िदखात हए भवय महल मिदर ओर मितरया बनाई गई िकत िसनध घाटी सभयता की खदाई म छोटी-छोटी मितरया िखलौन मद-भाड नाव िमली ह इस कार यह ःपषट ह िक िसनध सभयता समपनन थी परनत उसम भवयता का आडबर नही था

२ Ocircिसनध सभयता की खबी उसका सौनदयर बोध ह जो राजपोिषत न होकर समाज-पोिषत थाOcirc ऐसा कयो कहा गया ह

उततरः िसनध सभयता म औजार तो बहत िमलहपरत हिथयारो का भी योग होता रहा होगा इसका कोई माण नहीह व लोग अनशासनिय थ परनत यह अनशासन िकसी ताकत क बल क दवारा कायम नही िकया गयाबिलक लोग अपन मन और कमर स ही अनशासन िय थ मअनजो-दड़ो की खदाई म एक दाढ़ी वाल नरश की छोटी मितर िमली ह परनत यह मितर िकसी राजतऽ या धमरतऽ का माण नही कही जा सकती िवशव की अनय सभयताओ क साथ तलनातमक अधययन स भी यही अनमान लगाया जा सकता ह िक िसनध सभयता की खबी उसका सौनदयरबोध ह जो िक समाज पोिषत ह राजपोिषत या धमरपोिषत नही ह

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३ lsquoयह सच ह िक यहा िकसी आगन की टटी-फटी सीिढ़या अब आप को कही नही ल जातीव आकाश की तरफ अधरी रह जाती ह लिकन उन अधर पायदानो पर खड़ होकर अनभव िकया जा सकता ह िक आप दिनया की छत पर ह वहा स आप इितहास को नही उस क पार झाक रह हrsquo इसक पीछ लखक का कया आशय ह

उततरः इस कथन स लखक का आशय ह िक इन टट-फट घरो की सीिढ़यो पर खड़ होकर आप िवशव की सभयता क दशरनकर सकत ह कयोिक िसनध सभयता िवशव की महान सभयताओ म स एक ह िसनध सभयता आडबररिहत एव अनशासनिय ह खडहरो स िमल अवशषो और इन टट-फट घरो स कवल िसनध सभयता का इितहास ही नही दखा जा सकता ह बिलक उसस कही आग मानवता क िचहन ओर मानवजाित क बिमक िवकास को भी दखा जा सकता ह कई शन - ऐस कौन स कारण रह होग िक य महानगर आज कवल खडहर बन कर रह गए ह व बड़ महानगर कयो उजड़ गए उस जमान क लोगो की वाःतकला कला ओर जञान म रिच समाज क िलए आवयक मलय - अनशासन सादगी ःवचछता सहभािगता आिदहम मानवजाित क बिमक िवकास पर पनः िचतन करन पर मजबर कर दत ह इस कार हम इन सीिढ़यो पर चढ़कर िकसी इितहास की ही खोज नही करना चाहत बिलक िसनध सभयता क सभय मानवीय समाज को दखना चाहत ह

४ हम िसनध सभयता को जल-सःकित कस कह सकत ह

उततरःिसनध सभयता एक जल-सःकित थी | तयक घर म एक ःनानघरथा घर क भीतर स पानी या मला पानी नािलयो क माधयम स बाहर हौदी म आता ह और िफर बड़ी नािलयो म चला जाता ह कही-कही नािलया ऊपर स खली ह परनत अिधकतर नािलया ऊपर सबदह इनकी जलिनकासी वयवःथा बहत ही ऊच दजर की था | नगर म कओ का बध था य कए पककी ईटो क बन थ िसनध सभयता स जड़ इितहासकारो का मानना ह िक यह सभयता िवशव म पहली जञात सःकित ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ो नगर म सात सौ कए हयहा का महाकड लगभग चालीस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह|इस कार मअनजो-दड़ो म पानी की वयवःथा सभय समाज की पहचान ह

५ मअनजो-दड़ो की गह-िनमारण योजना पर सकषप म काश डािलए|

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उततर- मअनजो-दड़ो नगर की मखय सड़क क दोनो ओर घर ह परत िकसी भी घर का दरवाजामखय सड़क पर नही खलता घर जान क िलए मखय सड़क स गिलयो म जाना पड़ता हसभी घरो क िलए उिचत जल िनकासी वयवःथा ह घर पककी ईटो क बन ह|छोट घरो म िखड़िकया नही थी िकत बड़ घरो म आगन क भीतर चारो तरफ बन कमरो म िखड़िकया ह| घर छोट भी ह ओर बड़ भी िकत सभी घर कतार म बन ह|

६ lsquoिसनध सभयता ताकत स शािसत होन की अपकषा समझ स अनशािसत सभयता थीrsquo- ःपषट कीिजए

उततरःसकत िबद - खदाई स ापत अवशषो म औजार तो िमल ह िकत हिथयार नही| कोई खडग भाला धनष-बाण नही िमला|

तथा भवय महलो व समािधयो क न होन स कह सकत ह िक िसनध सभयता ताकत स नही समझ स अनशािसत थी

७ ससार की मखय ाचीन सभयताए कौन-कौन सी हाचीनतम सभयता कौन-सी ह उसकी मािणकता का आधार कया ह

उततरः िमॐ की नील घाटी की सभयता मसोपोटािमया की सभयता बबीलोन की सभयता िसनध घाटी की सभयता सबस ाचीन ह िसनध घाटी की सभयता माण ह 1922म िमल हड़पपा व

मअनजो-दड़ोनगरो क अवशष य नगर ईसा पवर क ह

८िसनध घाटी की सभयता की िविशषट पहचान कया ह

उततरः1 एक जस आकार की पककी ईटो का योग 2 जल िनकासी की उतकषट वयवःथा

3 ततकालीन वाःतकला 4 नगर का ौषठ िनयोजन

९ मअनजो-दड़ोम पयरटक कया-कया दख सकत ह

उततरः 1बौदध ःतप2 महाकड 3अजायबघर आिद

१० िसनध सभयता व आजकल की नगर िनमारण योजनाओ म सामय व अनतर बताइए

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उततरः सामय-1 अचछी जल िनकास योजनाढकी हई नािलया 2 नौकरो क िलए अलग आवास वयवःथा 3 पककी ईटो का योग

अनतर- नगर योजना आधिनक तकनीक का योग अतयाधिनक भवनETHिनमारण साममी का योग|

११कलधरा कहा हमअनजो-दड़ोक खणडहरो को दख कलधरा की याद कयोआती ह

उततरः कलधरा जसलमर क महान पर पील पतथरो स बन घरो वाला सनदर गाव ह कलधरा क िनवासी 150 वषर पवर राजा स तकरार होन पर गाव खाली करक चल गए उनक घर अब खणडहर बन चक ह परत ढ़ह नही |घरो की दीवार और िखड़िकया ऐसी ह मानो सबह लोग काम पर गए ह और साझ होत ही लौट आएग |मअनजो-दड़ोक खणडहरो को दखकर कछ ऐसा ही आभास होता ह वहा घरो क खणडहरो म घमत समय िकसी अजनबी घर म अनिधकार चहल-कदमी का अपराधबोध होता ह| पराताितवक खदाई अिभयान की यह खबी रही ह िक सभी वःतओ को बड़ सहज कर रखा गया | अतः कलधरा की बःती और मअनजो-दड़ोक खणडहर अपन काल क इितहास का दशरन करात ह

अनय महततवपणर अभयास-शन

१ िसनध घाटी क िनवासी खती करत थ- इस कथन को िसदध कीिजए

२ rsquoटट-फट खणडहर सभयता और सःकित क इितहास क साथ-साथ धड़कती िजनदिगयो क अनछए समयो का दःतावज होत हrsquo इस कथन का भाव ःपषट कीिजए

३आज जल सकट एक बड़ी समःया ह| ऐस म िसनध सभयता क महानगर मअनजो-दड़ो की जल वयवःथा स कया रणा लीजा सकती ह भावी जल सकट स िनपटन क िलए आप कया सझाव दग

४मअनजो-दड़ोक अजायबघर म कौन-कोन सी वःतए दिशरत थी

५िसध सभयता अनय सभयताओ स िकस कार िभनन ह

६मअनजो-दड़ोकी मख िवशषताए िलिखए

७ िसधघाटी की सभयता लो-ोफाइल ह-ःपषट कीिजए

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८ लखक न ाचीन लडःकप िकस कहा ह उसकी कया िवशषता ह

९ ताकाल क दो सबस बड़ िनयोिजत शहर िकनह माना गया ह और कयो

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पाठ 4 डायरी क पनन ऐन क

पाठ का सार ETH Ocircडायरी क पननOtilde पाठ म Ocircद डायरी ऑफ ए यग गलरOtilde नामक ऐन क की डायरी क कछ अश िदए गए ह| Ocircद डायरी ऑफ ए यग गलरOtilde ऐन क दवारा दो साल अजञातवास क दरमयान िलखी गई थी| १९३३ म कफटर क नगरिनगम चनाव म िहटलर की नाजी पाटीर जीत गई| ततपशचात यहदी-िवरोधी दशरन बढ़न लग | ऐन क का पिरवार असरिकषत महसस करत हए नीदरलड क एमसटडरम शहर म जा बसा |िदवतीय िवशवयदध की शरआत तक(१९३९) तो सब ठीक था| परत १९४० म नीदरलड पर जमरनी का कबज़ा हो गया ओर यहिदयो क उतपीड़न का दौर शर हो गया| इन पिरिःथितयो क कारण १९४२ क जलाई मास म क पिरवारिजसम माता-िपतातरह वषर की ऐन उसकी बड़ी बहन मागोरट तथा दसरा पिरवार ndashवानदान पिरवार ओर उनका बटा पीटरतथा इनक साथ एक अनय वयिकत िमःटर डसल दो साल तक गपत आवास म रह| गपत आवास म इनकी सहायता उन कमरचािरयो न की जो कभी िमःटर क क दफतर म काम करत थ||Ocircद डायरी ऑफ ए यग गलरOtilde ऐन क दवारा उस दो साल अजञातवास क दरमयान िलखी गई थी|अजञातवास उनक िपता िमःटर ऑटो क का दफतर ही था| ऐन क को तरहव जनमिदन पर एक डायरी उपहार म िमली थी ओर उसम उसन अपनी एक गिड़या-िकटटी को समबोिधत िकया ह|

ऐनअजञातवास म परा िदनETH पहिलया बझाती अमज़ी व च बोलती िकताबो की समीकषा करती राजसी पिरवारो की वशावली दखती िसनमा ओर िथएटर की पिऽका पढ़ती और उनम स नायक-नाियकाओ क िचऽ काटतिबताती थी| वह िमसज वानदान की हर कहानी को बार-बार सनकर बोर हो जाती थी ओर िम डसल भी परानी बातETH घोड़ो की दौड़ लीक करती नाव चार बरस की उ म तर सकन वाल बचच आिद सनात रहत|

उसन यदध सबधी जानकारी भी दी ह- किबनट मऽी िम बोलक ःटीन न लदन स डच सारण म यह घोषणा की थी िक यदध क बाद यदध क दौरान िलखी गई डायिरयो का समह िकया जाएगा

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वाययानो स तज़ गोलाबारी हज़ार िगलडर क नोट अवध घोिषत िकए गए | िहटलर क घायल सिनको म िहटलर स हाथ िमलान का जोश अराजकता का माहौल- कार साईिकल की चोरी घरो की िखड़की तोड़ कर चोरी गिलयो म लगी िबजली स चलन वाली घिड़या सावरजिनक टलीफोन चोरी कर िलए गए|

ऐन क न नारी ःवतऽता को महततव िदयाउसन नारी को एक िसपाही क बराबर सममान दन की बात कही| एक तरह वषीरय िकशोरी क मन की बचनी को भी वयकत िकया- जस िम डसल की ड़ाट-फटकार ओर उबाऊ भाषण दसरो की बात सनकर िमसज क का उसडाटना ओर उस पर अिवशवास करना बड़ो क दवारा उसक काम ओर कशसजजा पर टीका-िटपपणी करना िसनमा की पिऽका खरीदन पर िफज़लखचीर का आरोप लगाना पीटर दवारा उसक म को उजागर न करना आिद|

ऐन क की डायरी क दवारा िदवतीय िवशवयदध की िवभीिषका िहटलर एव नािजयो दवारा यहिदयो का उतपीड़न डर भखमरी गरीबी आतक मानवीय सवदनाए म घणा तरह साल की उ क सपन कलपनाए बाहरी दिनया स अलग-थलग पड़ जान की पीड़ा मानिसक ओर शारीिरक जररत हसी-मज़ाक अकलापन आिद का जीवत रप दखन को िमलता ह |

शनोततर ndash

१ lsquolsquoऐन की डायरी अगर एक ऐितहािसक दौर का जीवत दःतावज ह तो साथ ही उसक िनजी

सख-दःख और भावनातमक उथल-पथल का भी इन पषठो म दोनो का फकर िमट गया ह rsquorsquo इस कथन पर िवचार करत हए अपनी सहमित या असहमित तकर पवरक वयकत कर

उततरःऐन की डायरी अगर एक ऐितहािसक दौर का जीवत दःतावज ह तो साथ ही उसक िनजी सख-दःख और भावनातमक उथल-पथल का भी कयोिक इसम ऐन न िदवतीय िवशवयदध क समय हॉलड क यहदी पिरवारो की अकलपनीय यऽणाओ का वणरन करन क साथ-साथ वहा की राजनितक िःथित एव यदध की िवभीिषका का जीवत वणरन िकया हवाययानो स तज़ गोलाबारी हज़ार िगलडर क नोट अवध घोिषत िकए गए िहटलर क घायल सिनको म िहटलर स हाथ िमलान का जोश अराजकता का माहौलआिद| साथ हीयह डायरी ऐन क पािरवािरक सख-दःख और भावनातमक िःथित को कट करती ह- गरीबी भखमरीअजञातवास म जीवन वयतीत करना दिनया स िबलकल कट जाना पकड़ जान का डर आतक यह डायरी एक ओर वहा क राजनितक वातावरण म सिनको की िःथित आचरण व जनता पर होन वाल अतयाचार िदखाती

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ह तो दसरी ओरएक तरह वषर की िकशोरी की मानिसकता कलपना का ससार ओर उलझन को भीिदखाती ह जो ऐन की आपबीती ह इस तरह यह डायरी ऐितहािसक दःतावज होन क साथ-साथ ऐन क जीवन क सख-दख का िचऽण भी ह

२ lsquolsquoयह साठ लाख लोगो की तरफ स बोलन वाली एक आवाज ह एक ऐसी आवाज जो िकसी सनत या किव की नही बिलक एक साधारण-सी लड़की की हrsquorsquo इलया इहरनबगर की इस िटपपणी क सदभर म ऐन क की डायरी क पिठत अशो पर िवचार कर

उततरः उस समय यरोप म लगभग साठ लाख यहदीथिदवतीय िवशवयदध म नीदरलड पर जमरनी का कबज़ा हो गया और िहटलर की नाजी फौज न यहिदयो को िविभनन कार स यऽणाए दन लग | उनह तरह-तरह क भदभाव पणर ओर अपमानजनक िनयम-कायदो को मानन क िलए बाधय िकया जान लगा |गःटापो (िहटलर की खिफया पिलस) छाप मारकर यहिदयो को अजञातवास स ढढ़ िनकालती ओर यातनागह म भज दती| अतः चारो तरफ अराजकता फली हई थी यहदी अजञातवास म िनरतर अधर कमरो म जीन को मजबरथउनह एक अमानवीय जीवन जीन को बाधय होना पड़ा|िहटलर की नाजी फौजका खौफ उनह हरवकत आतिकत करता रहता था | ऐन न डायरी क माधयम स न कवलिनजी सख-दःख और भावनाओ को वयकत िकयाबिलक लगभग साठ लाख यहदी समदाय की दख भरी िजनदगी को िलिपबदध िकया ह इसिलए इलया इहरनबगर की यह िटपपणी िक lsquolsquoयह साठ लाख लोगो की तरफ स बोलन वाली एक आवाज ह एक ऐसी आवाज जो िकसी सत या किव की नही बिलक एक साधारण-सी लड़की की हrsquoसवरमानय एव सतय ह

३ ऐन क कौन थीउसन अपनी डायरी म िकस काल की घटनाओ का िचऽण िकया हयह कयो महतवपणर ह

उततर ऐन क एक यहदी लड़की थी उसन अपनी डायरी म िदवतीय िवशवयदध (1939-

1945) क दौरान िहटलर की नाजी फौज न यहिदयो को िविभनन कार स यऽणाए दी| यह डायरी यदध क दौरान फली अराजकता और राजनितक पिरदय को दशारती ह| यह नािजयो दवारा यहिदयो पर िकए गए जलमो का एक ामािणक दःतावज ह और साथ ही साथ एक तरह वषीरय िकशोरी की भावनाए और मानिसकता को समझान म सहायक ह

४ डायरी क पनन पाठ म िम डसल एव पीटर का नाम कई बार आया ह इन दोनो का िववरणातमक पिरचय द

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उततरः िमडसल- ऐन क िपता क साथ काम करत थ व ऐन व पिरवार क साथ अजञातवास म रह थ डसल उबाऊ लब-लब भाषण दत थ और अपन जमान क िकःस सनात रहत थ ऐन को अकसर डाटत थ व चगलखोर थ और ऐन की मममी स ऐन की सचची-झठी िशकायत करत थ

पीटर- िमःटर और िमसज वानदान का बटा था |वह ऐन का हमउ था ऐन का उसक ित आकषरण बढ़न लगा था और वह यह मानन लगी थी िक वह उसस म करती हऐन क जनमिदन पर पीटर न उस फलो का गलदःता भट िकया था| िकत पीटर सबक सामन म उजागर करन स डरता था| वह साधारणतया शाितिय सहज व आतमीय वयवहार करन वाला था

५ िकटटी कौन थीऐन क न िकटटी को सबोिधत कर डायरी कयो िलखी

उततरः OcircिकटटीOtildeऐन क की गिड़या थी गिड़या को िमऽ की भाित सबोिधत करन स गोपनीयता भग होन का डर न थाअनयथा नािजयो दवारा अतयाचार बढ़न का डर व उनह अजञातवास का पता लग सकता था| ऐन न ःवय (एक तरह वषीरय िकशोरी) क मन की बचनी को भी वयकत करन का ज़िरया िकटटी को बनाया |वह हदय म उठ रही कई भावनाओ को दसरो क साथ बाटना चाहती थी िकत अजञातवास म उसक िलए िकसी क पास समय नही था| िम डसल की ड़ाट-फटकार ओर उबाऊ भाषण दसरो क दवारा उसक बार म सनकर मममी (िमसज क) का उसड़ाटना ओर उस पर अिवशवास करना बड़ो का उस लापरवाह और तनकिमजाज मानना और उस छोटी समझकर उसक िवचारो को महततव न दना उसक दय को कचोटता था |अतः उसन िकटटी को अपना हमराज़ बनाकर डायरी म उस ही सबोिधत िकया|

६ lsquoऐन क की डायरी यहिदयो पर हए जलमो का जीवत दःतावज हrsquoपाठ क आधार पर यहिदयो पर हए अतयाचारो का िववरण द

उततरः िहटलर की नाजी सना न यहिदयो को कद कर यातना िशिवरो म डालकर यातनाए दी उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार िदया जाता था कई यहदी भयमःतहोकर अजञातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय पिरिःथितयो म जीना पड़ा| अजञातवास म उनह सनधमारो स भी िनबटना पड़ा उनकी यहदी सःकित को भी कचल डाला गया

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७ lsquoडायरी क पननrsquoपाठ िकस पःतक स िलया गया हवह कब कािशत हईिकसन कािशत कराई

उततरः यह पाठ ऐन क दवारा डच भाषा म िलखी गई lsquoद डायरी ऑफ ए यग गलरrsquo नामक पःतक स िलया गया ह यह १९४७ म ऐन क की मतय क बाद उसक िपता िमःटर ऑटो क न कािशत कराई

अनय महततवपणर अभयास-शन

१ काश कोई तो होता जो मरी भावनाओ को गभीरता स समझ पाता| अफसोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नही िमला | कया आपको लगता ह िकऐन क इस कथन म उसक डायरी लखन का कारण छपा हआ ह

२ अजञातवास म उबाऊपन दर करन क िलए ऐन क व वान पिरवार कया करत थ

३ डच मऽी िक िकस घोषणा स ऐन रोमािचत हो उठी

४ ऐन क अनसार यदध म घायल सिनक गवर का अनभव कयो कर रह थ

५ Ocircहर कोई जानता था िक बलाव का कया मतलब होता हOtilde| ऐन की डायरी क आधार पर िलिखए |

६ lsquoकित ही तो एक ऐसा वरदान ह िजसका कोई सानी नही हrsquoऐसा कयो कहा गया ह

123

ितदशर न-पऽ

ककषा १२

िवषयिहनदी (क ििक) िनधारिरत समय ३ घट अिधकतम अक १००

खणड क

१ िनमनिलिखत गदयाश को धयान पवरक पिढ़ए तथा पछ गए शनो क सिकषपत उततर िलिखए लखक का काम काफी हद तक मधमिकखयो क काम स िमलता-जलता ह| मधमिकखया मकरद- समह करन क िलए कोसो दर तक चककर लगाती ह| व सदर और अचछ फलो का रसपान करती ह |तभी तो उनक मध म ससार का सवरौषठ माधयर रहता ह | यिद आप अचछा लखक बनना चाहत ह तो आपको भी यही वितत अपनानी होगी | अचछ मथो का खब अधययन करना होगा और उनक िवचारो का मनन करना होगा | िफर आपकी रचनाओ म मध का-सा माधयर आन लगगा | कोई अचछी उिकत कोई अचछा िवचार भल ही दसरो स महण िकया गया हो लिकन उस पर यथषट मनन कर आप उस अपनी रचना म ःथान दग तो वह आपका ही हो जाएगा | मननपवरक िलखी हई वःत क सबध म िकसी को यह कहन का साहस नही होगा िक वह अमक ःथान स ली गई ह या उिचछषट ह | जो बात आप अचछी तरह आतमसात कर लग वह मौिलक हो जाएगी | (क) अचछा लखक बनन क िलए कया करना चािहए ३

(ख) मधमकखी एव अचछ लखक म कया समानताए होती ह ३

(ग) लखक अपनी रचनाओ म माधयर कस ला सकता ह ३

(घ) कोई भी बात मौिलक कस बनती ह २

(ङ) मधमिकखयो क मध म ससार की सवर ौषठ मधरता कस आती ह २

(च) यथषट तथा उिचछषट शबदो क अथर िलिखए | १ (छ) उपयरकत गदयाश का उपयकत शीषरक िलिखए | १

२ िनमनिलिखत कावयाश को धयान पवरक पढ़कर पछ गए शनो क उततर िलिखए १५=५ साकषी ह इितहास हमी पहल जाग ह जामत सब हो रह हमार ही आग ह शऽ हमार कहा नही भय स भाग

कायरता स कहा ाण हमन तयाग ह

ह हमी किमपत कर चक सरपित तक का भी हदय

124

िफर एक बार ह िवशव गाओ तम भारत की िवजय कहा कािशत नही रहा ह तज हमारा

दिलत कर चक शऽ सदा हम परो दवारा बतलाओ तम कौन नही जो हम स हारा

पर शरणागत हआ कहा कब हम न पयारा

बस यदध माऽ को छोड़कर कहा नही ह हम सदय िफर एक बार ह िवशव तम गाओ भारत की िवजय (क) Ocircहमी पहल जाग हOtilde स कया अिभाय ह

(ख) Ocircह हमी किमपत कर चक सरपित तक का भी भी हदयOtilde स भारतवािसयो की िकस िवशषता का पता लगता ह

(ग) हमारी दयालता का वणरन किवता की िकन पिकतयो म िकया गया ह

(घ) िकसक जयघोष करन क िलए कहा गया ह

(ङ) सरपित तथा शरणागत शबदो क अथर िलिखए |

खणड ख

३ िनमनिलिखत िवषयो म स िकसी एक पर िनबध िलिखए ५

(क) सचार-बाित और भारत

(ख) पिरौम सफलता की कजी

(ग) महगाई की समःया

(घ) पराधीन सपनह सख नाही

४ ःववतत (बायोडाटा) ःतत करत हए कनिीय िवदयालय िवकासपरी नई िदलली क ाचायर को पःतकालय सहायक क पद हत आवदन-पऽ िलिखए | ५

अथवा दरदशरन क कनि िनदशक को िकसी िवशष कायरबम की सराहना करत हए पऽ िलिखए

(क) िनमन शनो क सिकषपत उततर िलिखए- ५

(i) फ़ीडबक कया ह

ह(ii) जनसचार क मख माधयम कौन ETHकौन सत ह(iii) पऽकारीय लखन स आप कया समझ

(iv) समाचार क मख तततव िलिखए | (v) पीत पऽकािरता स कया अिभाय ह

(ख) एक िदवसीय हिरदवार याऽाOtilde अथवा बकार पदाथोर स उपयोगी वःतएOtilde िवषय पर ितवदन

125

६ Otildeबःत का बढ़ता बोझOtilde अथवा Otildeजातीयता क षय पर फ़ीचर िलिखए ५

खणड ग ७ ो पढ़कर पछ गए शनो क उततर िलिखए- २४

का कया तातपयर ह

ग किव को ससार अचछा कयो नही लगता

कर भी खशी का माहौल कस बनाया जा सकता ह

भाट

यो बताया गया ह

८ ाश पर पछ गए शनो क उततर िलिखए ETH २३=६

िलिखए

ा िवषOtilde िव

िनमनिलिखत म स िकसी कावयाश क=८

म िनज उर क उदगार िलय िफ़रता हम िनज उर क उपहार िलय िफ़रता हयह अपणर ससार न मझको भाता म ःवपनो का ससार िलय िफ़रता ह म जला हदय म अिगन दहा करता हसख-दख दोनो म मगन रहा करता ह जग भव सागर तरन को नाव बनाए म भव मौजो पर मःत बहा करता ह (क) Otildeिनज उर क उद गार व उपहारOtilde- स किव (ख)किव न ससार को अपणर कयो कहा ( )

(घ) ससार म कषटो को सह

अथवा

िकसबी िकसान-कल बिनक िभखािर चाकर चपल नटचोर चार चटकी पट को पढतगन गढत चढत िगिरअटत गहन वन अहन अखटकी ऊच-नीच करमधरम अधरम किर पट ही को पचत बचत बटा-बटकी OcircतलसीOtilde बझाइ एक राम घनयाम ही त आिग बडवािगत बड़ी ह आिग पटकी ||

(क) पट भरन क िलए कया ETH कया करत ह

(ख)किव न िकन ETH िकन लोगो का वणरन िकया ह

(ग) किव क अनसार पट की आग कौन बझा सकता ह

(घ) पट की आग को बडवािगन स भी बड़ा किनमनिलिखत कावय

126

सका मझ डर था

लगी

(ख) कावयाश म यकत दोनो उपमाओ क य यर पर िटपपणी कीिजए | (ग) की कया समःया थी

अथवा ह

िलखा गया ह तथा उसकी कया िवशषता ह

९ ढापना

यर ःपषट कीिजए

१०

सकगा छ-न-कछ सचचा

वयकता क साथ काम आना |

का सीधा ETH सा उपाय कया ह

कयो

(ग)

(घ) बाजार स कब आनद िमलता ह

आिखरकार वही हआ िजजोर जबरदःती स

बात की चड़ी मर गई

और वह भाषा म बकार घमनहार कर मन उस कील की तरह

उसी जगह ठोक िदया | (क) बात की चड़ी मर जान व बकार घमन स किव का कया आशय

ोग सौदरचनाकार क सामन कथय और माधयम

आगन म ठनक रहा ह िजदयाया बालक तो हई चाद प ललचाया ह दपरण उस द क कह रही ह मा

दख आइन म चाद उतर आया ह (क) कावयाश की भाषा की दो िवशषताओ का उललख कीिजए (ख) यह कावयाश िकस छद म(ग) Otildeदख आइन म चाद उतर आया हOtilde-कथन क सौदयर को ःपषट कीिजए

िकनही दो शनो क उततर दीिजए ETH३२=६ (क) बािनत की गरजना का शोषक-वगर पर कया भाव पड़ता ह उनका मख

िकस मानिसकता का दयोतक ह

(ख) िफ़राक की रबाइयो म उभर घरल जीवन क िबबो का सौद(ग) कमर म बद किवता म िनिहत वयगय को उजागर कीिजए गदयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए ETH २४=८

पर उस जाद की जकड़ स बचन का सीधा ETH सा उपाय ह | वह यह िक बाजार जाओ तो खाली मन न हो | मन खाली हो तब बाजार न जाओ | कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चािहए | पानी भीतर हो ल का ल-पन वयथर हो जाता ह | मन लआय म भरा हो तो बाजार भी फला ETHका- फला ही रह जाएगा | तब वह घाव िबलकल नही द बिलक कछ आनद ही दगा | तब बाजार तमस कताथर होगा कयोिक तम कलाभ उस दोग | बाजार की असली कताथरता ह आ(क) बाजार क जाद की पकड़ स बचन (ख) बाजार कब नही जाना चािहए और

बाजार की साथरकता िकसम ह

127

म नही बन सका जो किव ह

ी क अनसार िशरीष कस जीिवत रहता ह

रचनाए िनकली हOtilde- आशय

चिपलन कौन था उसक भारतीयकरण स लखक का कया आशय ह

तततवो म स एक ातता को रखकर लखक न अपन आदशर ह अथवा नही आप इस ातता शबद स

ो क उततर दीिजए ETH ३२=६

अथवा

एक बार मझ मालम होता ह िक यह िशरीष एक अदभत अवधत ह | दःख हो या सखवह हार नही मानता | न ऊधो का लना न माधो का दना | जब धरती और आसमान जलत रहत ह तब भी यह हजरत न जान कहा स अपना रस खीचत रहत ह | मौज म आठो याम मःत रहत ह | एक वनःपितशासतरी न मझ बताया ह िक यह उस ौणी का पड़ ह जो वायमडल स अपना रस खीचता ह| जरर खीचता होगा | नही तो भयकर ल क समय इतन कोमल ततजाल और ऐस सकमार कसर को कस उगा सकता था अवधतो क मह स ही ससार की सबस सरस रचनाए िनकली ह | कबीर बहत कछ इस िशरीष क समान थ मःत और बपरवा पर सरस और मादक | कािलदास भी अनासकत योगी रह होग | िशरीष क फल फककड़ाना मःती स ही उपज सकत ह और OcircमघदतOcirc का कावय उसी कार क अनासकत अनािवल उनमकत हदयउमड़ सकता ह | जो किव अनासकत नही रह सका जोफककड़िकए ETH िकराए का लखा- जोखा िमलान म उलझ गया वह कया(क) लखक न िशरीष को कया सजञा दी ह तथा कयो

(ख) वनःपितशासतर(ग) Ocircअवधतो क मह स ही ससार की सबस सरस

ःपषट कर | (घ) लखक न सचच किव क बार म कया बताया ह

११ िकनही चार शनो क उततर दीिजए ETH३४=१२

(क) चालीर (ख) भिकतन दवारा शासतर क शन को सिवधा स सलझा लन का कया उदाहरण लिखका न िदया

(ग) Ocircगगरी फटी बल िपयासाOtilde इनदर सना क इस खलगीत म बलो को पयासा रहन की बातकयो मखिरत हई ह

(घ) लटटन क राजपहलवान लटटन िसह बन जान क बाद की िदनचयार पर कश डािलए (ङ) आदशर समाज क तीन

समाज िसतरयो को भी सिममिलत िकयाकहा तक सहमत ह

१२ िकनही दो शन(क) डायरी क पननOtilde क आधार पर मिहलाओ क बार म ऐन क िवचारो पर िटपपणी

कीिजए

128

ऐसा कयो

ो की नगर-योजना दशरको को अिभभत

) ऐसी दो िवशषताओ का उललख कीिजए कसन ऑिफसर वाईडी पत को अपन रोल

१४ स ापत जानकािरयो क आधार पर िसनध-सभयता की िवशषताओ र एक लख िलिखए ५

अथवा

वयिकततव की चार िवशषताओ पर सोदाहरण कश डािलए

(ख) अपन घर म अपनी Otildeिसलवर विडगOtilde क आयोजन म भी यशोधर बाब की अनक बात Otildeसम हाउ इोपरOtilde लग रही थी

(ग) OcircजझOtilde शीषरक को उपयकत ठहरान क िलए तीन तकर दीिजए १३ िकनही दो शनो क उततर सकषप म दीिजए-२२=४

(क) िसनध-सभयता क सबस बड़ शहर मअन-जोदड़कयो करती ह ःपषट कीिजए

(ख) OtildeजझOtilde कहानी म दसाई सरकार की भिमका पर कश डािलए (ग जो स

मॉडल िकसन दा स उततरािधकार म िमली थी Ocircमअनजोदड़ोOtilde क खननप

Otildeिसलवर विडगOtilde कहानी क आधार पर यशोधर बाब क

129

ितदशर शन-पऽ-२ ककषा बारहवी

िवषय- िहनदी(किनिक)

िनधारिरत समय3घणट अिधकतम अक-100

िनदरश िवदयाथीर जाच कर ल िकndash

शनपऽ म कल १४ शन ह |

सभी शन ठीक स छप ह

शन का उततर िलखन स पवर शन का बमाक अवय िलख इस शन पऽ को पढ़न क िलए 15 िमनट का समय िदया गया ह

खणड-क

शन-1 िनमनिलिखत कावयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए- (15=5)

तफानो की ओर घमा दो

नािवक िनज पतवार

आज िसध न िवष उगला ह

लहरो का यौवन मचला ह

आज हदय म और िसध म

साथ उठा ह जवार

तफानो की ओर घमा दो

नािवक िनज पतवार

लहरो क ःवर म कछ बोलो

इस अधड म साहस तोलो

कभी-कभी िमलता जीवन म

तफानो को पयार

130

तफानो की ओर घमा दो

नािवक िनज पतवार

यह असीमिनज सीमा जान

सागर भी तो यह पहचान

िमटटी क पतल मानव न

कभी न मानी हार

bull (क) उपयरकतकावयाशकाउपयकतशीषरकदीिजए (1) bull (ख) किवकहदयऔरिसधमकयासमानताह (1) bull (ग) जबजीवनमतफानोकापयारिमलतोकयाकरनाचािहएऔरकयो (1) bull (घ) किवसागरकोकयासमझानाचाहताह (1) bull (ड) ःततकावयाशकामलभावकयाह (1)

शन-2 िनमनिलिखत गदयाश को पढकर पछ गए शनो क उततर दीिजए (15)

सचािरतरय क दो सशकत ःतभ ह-थम ससःकार और िदवतीयसतसगित ससःकार भी पवर जीवन की सतसगित व सतकमोर की अिजरत सपितत ह और सतसगित वतरमान जीवन की दलरभ िवभित हिजस कार कधात की कठोरता और कािलख पारस क ःपशर माऽ स कोमलता और कमनीयता म बदल जाती हठीक उसी कार कमागीर का कालःय सतसगित स ःविणरम आभा म पिरवितरत हो जाता हसतत सतसगित स िवचारो को नई िदशा िमलती ह और अचछ िवचार मनय को अचछ कायोर म िरत करत हपिरणामत सचिरऽ का िनमारण होता ह आचायर हजारी साद िदववदी न िलखा ह- महाकिव टगोर क पास बठन माऽ स ऐसा तीत होता था मानो भीतर का दवता जाग गया हो

वःतत चिरऽ स ही जीवन की साथरकता हचिरऽवान वयिकतसमाज की शोभा ह शिकत हसचािरतरय स वयिकत ही नहीसमाज भी सवािसत होता ह और इस सवास स राषटर यशःवी बनता ह िवदरजी की उिकत अकषरश सतय ह िक सचिरऽ क बीज हम भल ही वश-परपरा स ापत हो सकत ह पर चिरऽ-िनमारण वयिकत क अपन बलबत पर िनभरर ह आनविशक परपरापिरवश और

131

पिरिःथित उस कवल रणा द सकत ह पर उसका अजरन नही कर सकत वह वयिकत को उततरािधकार म ापत नही होता

वयिकत-िवशष क िशिथल चिरऽ होन स पर राषटर पर चिरऽ-सकट उपिःथत हो जाता ह कयोिक वयिकत पर राषटर का एक घटक हअनक वयिकतयो स िमलकर एक पिरवारअनक पिरवारो स एक कल अनक कलो स एक जाित या समाज और अनकानक जाितयो और समाज-समदायो स िमलकर ही एक राषटर बनता ह आज जब लोग राषटरीय चिरऽ-िनमारण की बात करत ह तब व ःवय उस राषटर क एक आचरक घटक ह- इस बात को िवःमत कर दत ह

1 सतसगितकमागीरकोकससधारतीहसोदाहरणःपषटकीिजए (2) 2 चिरऽकबारमिवदरककयािवचारह (2) 3 वयिकत-िवशषकाचिरऽसमचराषटरकोकसभािवतकरताह (2) 4 वयिकतकचािरऽ-िनमारणमिकस-िकसकायोगदानहोताह (2) 5 सगितकसदभरमपारसकउललखसलखककयाितपािदतकरनाचाहताह(2)

6 वयिकतससःकतकसबनताहःपषटकीिजए (1) 7 आचरणउचचबनानकिलएवयिकतकोकयायासकरनाचािहए (1)

8 गदयाशकाउपयकतशीषरकदीिजए (1)

9 rsquoसrsquoऔरrsquoकrsquoउपसगोरसएक-एकशबदबनाइए (1) 10 rsquoचिरऽवानrsquoऔरlsquoपिरवशrsquoमयकतउपसगरऔरतययअलगकीिजए (1)

खणड- ख

शन-3 िनमनिलिखत म स िकसी एक िवषय पर िनबध िलिखए- (5) (क) षटाचार कारण और िनवारण

(ख) इककीसवी सदी का भारत

(ग) बदलत समाज म मिहलाओ की िःथित

(घ) बढता दषण और जन-ःवाःथय

132

शन-4 िकसी दिनक समाचार-पऽ क समपादक को जानहवी की ओर स एक पऽ िलिखएिजसम िनरतर महगी होती िशकषा को लकर िचता कट की गई हो (5)

अथवा रल याऽा क दौरान साधारण ौणी क यािऽयो को ःटशनो एव चलती गािडयो म िमलन वाली खान-पान की साममी सतोषजनक नही होती इस समःया की ओर अिधकािरयो का धयान आकषट करन क िलए अधीकषकखान-पान िवभागरल भवननई िदलली क नाम पऽ िलिखए

शन-5 (अ)िनमनिलिखत शनो क सिकषपत उततर दीिजए- bull (क) rsquoउलटािपरािमडrsquoशलीसआपकयासमझतह

(1) bull (ख) lsquoवॉचडॉगrsquoपऽकािरतासकयाआशयह

(1) bull (ग) लाइविकसकहतह

(1) bull (घ) िहदीकिकनहीदोराषटरीयसमाचारपऽोकनामिलिखए

(1) bull (ड) जनसचारकिकनहीतीनकायोरकाउललखकीिजए (1)

(आ) िनमनिलिखत म स िकसी एक िवषय पर आलख िलिखए (5)

(क) खतीकी जमीन पर फकटरी लगान को लकर चलन वाली बहस म भाग लत हए आलख िलिखए

(ख) आजादी क साठ सालो म गणतािऽक मलयो का ास हआ ह षटाचार न हर कषऽ को मःत कर रखा हETHइस िवषय पर एक आलख तयार कीिजए

शन-6 Ocircओलिमपक खलOtildeअथवा Ocircमहानगरो म बढ़त अपराध की समःयाOtilde पर लगभग 150 शबदो म एक फीचर तयार कीिजए (5)

133

134

खणड-ग

शन-7 िनमनिलिखत म स िकसी एक कावयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए- (२4=8)

म यौवन का उनमाद िलए िफरता ह

उनमादो म अवसाद िलए िफरता ह

जो मझको बाहर हसा रलाती भीतर

म हाय िकसी की याद िलए िफरता ह

कर यतन िमट सबसतय िकसी न जाना

नादान वही ह हाय जहा पर दाना

िफर मढ न कया जग जो इस पर भी सीख

म सीख रहा ह सीखा जञान भलाना

(क)किव जीवन म कया िलए घमता ह (2)

(ख)किव को बाहर-भीतर कया हसाता-रलाता ह (2)

(ग)lsquoनादान वही ह हायजहा पर दानाrsquoETHकिव न ऐसा कयो कहा होगा (2)

(घ) किव न यह कयो कहा िक सतय िकसी न नही जाना

(2)

अथवा

खती न िकसान कोिभखारी न भीखबिल

बिनक को बिनजन चाकर को चाकरी

जीिवका िबहीन लोग सीदयमान सोच बस

कह एक एकन सो lsquoकहा जाई का करी rsquo

बदह परान कही लोकह िबलोिकअत

135

साकर सब प राम रावर कपा करी

दािरद-दसानन दबाई दनी दीनबध

दिरत-दहन दिख तलसी हहा करी

(क) यपिकतयािकसकिवतासलीगईहऔरइसककिवकौनह (२)

(ख) तलसीकसमयकीआिथरकदशाकसीथी (2)

(ग) वदोमकयाकहागयाह (2)

(घ)तलसीनरावणकीतलनािकससकीहऔरकयो (2)

शन-8 िनमनिलिखत कावयाश पर पछ गए शनो क उततर दीिजए (२3=6)

ात नभ था बहत नीला शख जस

भोर का नभ

राख स लीपा हआ चौका

(अभी गीला पड़ा ह)

बहत काली िसल जरा स लाल कसर स

िक जस धल गई हो

ःलट पर या लाल खिड़या चाक

मल दी हो िकसी न

(क)ःतत कावयाश का भाव-सौदयर ःपषट कीिजए

(ख)कवयाश म यकत उपमा अलकार का उदाहरण चनकर िलिखए

(ग)उपयरकत कावयाश की भाषा की दो िवशषताए बताइए

अथवा

136

नहला क छलक-छलक िनमरल जल स

उलझ हए गसओ म कघी करक

िकस पयार स दखता ह बचचा मह को

जब घटिनयो म ल क ह िपनहाती कपड़

(क) ःतत कावयाश का भाव-सौदयर ःपषट कीिजए

(ख) ःतत कावयाश की भाषा सबधी िवशषताए बताइए

(ग)पनरिकत काश व अनास अलकार छािटए

शन-9 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- (3+3) (क) lsquoभाषा को सहिलयतrsquo स बरतन स कया अिभाय ह

(ख) किव क पास जो कछ अचछा-बरा ह वह िविशषट और मौिलक कस ह lsquoसहषर ःवीकारा हrsquo किवता क आधार पर उततर दीिजए

(ग) lsquoकमर म बद अपािहजrsquo करणा क मखौट म िछपी बरता की किवता ह ETH िवचार कीिजए

शन-10 िनमनिलिखत म स िकसी एक गदयाश को पढकर पछ गए शनो क उततर दीिजए -- (२4=8)

बाजार म एक जाद हवह जाद आख की राह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ही चलता हवस ही इस जाद की भी मयारदा हजब भरी हो और मन खाली हो ऐसी हालात म जाद का असर खब होता हजब खाली पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जायगा मन खाली ह तो बाजार की अनकानक चीजो का िनमऽण उस तक पहच जाएगाकही उस वकत जब भरी हो तब तो िफर वह मन िकसकी मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी लसभी सामान जररी और आराम को बढान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर हजाद की सवारी उतरी िक फ सी चीजो की बहतायत आराम म मदद नही दती बिलक खलल ही डालती ह

(क)बाजार क जाद को lsquoरप का जादrsquo कयो कहा गया ह

137

(ख)बाजार क जाद की मयारदा ःपषट कीिजए

(ग)बाजार का जाद िकस कार क लोगो को लभाता ह

(घ)इस जाद क बधन स बचन का कया उपाय हो सकता ह

अथवा

चालीर की अिधकाश िफलम भाषा का इःतमाल नही करती इसिलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना पडासवाक िचऽपट पर कई बड-बड कॉमिडयन हए ह लिकन व चिपलन की सावरभौिमकता तक कयो नही पहच पाए इसकी पड़ताल अभी होन को ह चालीर का िचर-यवा होना या बचचो जसा िदखना एक िवशषता तो ह हीसबस बड़ी िवशषता शायद यह ह िक व िकसी भी सःकित को िवदशी नही लगत यानी उनक आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आिद रहत ह व एक सतत lsquoिवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चालीर क सार सकटो म हम यह भी लगता ह िक यह lsquoमrsquo भी हो सकता ह लिकन lsquoमrsquo स जयादा चालीर हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह िक कछ अथोर म lsquoबःटर कीटनrsquo चालीर चिपलन स बड़ी हाःय-ितभा हो लिकन कीटन हाःय का काफका ह जबिक चिपलन मचद क जयादा नजदीक ह

(क)चालीर की िफलमो को मानवीय कयो होना पड़ा

(ख)चालीर चिपलन की सावरभौिमकता का कया कारण ह

(ग) चालीर की िफलमो की िवशषता कया ह

(घ) चालीर क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कयो लगत ह

शन-11 िनमनिलिखत म स िकनही चार शनो क उततर दीिजए- (४3=12)

(क)भिकतन और लिखका क बीच कसा सबध था lsquoभिकतनrsquo पाठ क आधार पर बताइए

(ख)िदनो-िदन गहरात पानी क सकट स िनपटन क िलए कया आज का यवावगर lsquoकाल मघापानी दrsquo की इदर सना की तजर पर कोई सामिहक आदोलन ारमभ कर सकता ह अपन िवचार िलिखए

138

(ग)लटटन पहलवान न ऐसा कयो कहा होगा िक मरा गर कोई पहलवान नही यही ढ़ोल ह

(घ) lsquoमानिचऽ पर एक लकीर खीच दन भर स जमीन और जनता बट नही जातीहrsquo- उिचत तकोर व उदाहरणो क जिरए इसकी पिषट कीिजए

(ड)िदववदी जी न िशरीष को कालजयी अवधत(सनयासी) की तरह कयो कहा ह

शन-12 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- (3+3=6) (क) lsquoिसलवरविडगrsquo म यशोधर बाब एक ओर जहा बचचोकी तरककी स खश होत हवही

कछ lsquoसमहाउइॉपरrsquo भी अनभवकरत ह ऐसा कयो

(ख) मोहजोदडो की गह-िनमारण योजना पर सकषप म काश डािलए (ग) ऐन क कौन थी उसकी डायरी कयो िसदध ह

शन-13 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- (2+2=4)

(क)सौदलगकर कौन थ तथा उनकी कया िवशषता थी

(ख)यशोधर बाब िकसस भािवत थ

(ग़)ऐन न 13जन 1944 क िदन िलखी अपनी डायरी म कया बताया ह

शन-14 िनमनिलिखत म स िकसी एक शन का उततर दीिजए- (5)

lsquoिसध सभयता की खबी उसका सौदयर-बोध ह जो राज-पोिषत या धमर-पोिषत न होकर समाज-पोिषत थाlsquo ऐसा कयो कहा गया

अथवा

lsquoिसलवर विडगrsquo कहानी क आधार पर यशोधर बाब क चिरऽ की िवशषताओ पर काश डािलए

139

ितदशर शन-पऽ-३

िहनदी (किनिक)

ककषा-बारह

िनधारिरत समय- 3 घणट अिधकतम अक-100

िनदरशः-इस शन पऽ म तीन खड ह- क ख और ग सभी खडो क उततर िलखना अिनवायर ह कपया शन का उततर िलखना शर करन स पहल शन का बमाक अवय िलख

खणड-क

0-1 िनमनिलिखत कावयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए-

पर िजनहोन ःवाथरवश जीवन िवषाकत बना िदया ह

कोिट-कोिट बभिकषतो का कौर तलक छीन िलया ह

लाभ-शभ िलखकर जमान का हदय चसा िजनहोन

और कल बगालवाली लाश पर थका िजनहोन

िबलखत िशश की वयथा पर दिषट तक िजनन न फरी

यिद कषमा कर द इनह िधककार मा की कोख मरी

चाहता ह धवस कर दना िवषमता की कहानी

हो सलभ सबको जगत म वसतरभोजनअनन पानी

नव-भवन िनमारण िहत म जजरिरत ाचीनता का

गढ़ ढहाता जा रहा ह

पर तमह भला नही ह

िवशवास बढ़ता ही गया

क) थम चार पिकतयो म भारत की िकन राजनीितक और सामािजक िःथित का वणरन ह1

140

ख) किव िकन लोगो को कषमा नही करना चाहता 1

ग) किव जगत क िहत क िलए कया करना चाहता ह 1

घ) पर तमह भला नही ह िकसक िलए सबोधन ह 1

ङ) कावयाश का उपयकत शीषरक दीिजए 1

0-2 िनमनिलिखत गदयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए

आज गाधी िचतन की शाशवतता महतता एव ासिगकता उनक अिहसा दशरन क कारण ही ह महातमा गाधी क दशरन की नीव अिहसा की वयापकता को वयिकतक आचरण तक सीिमत न करक जीवन क तयक कषऽ-धािमरक नितक सामािजक आिथरक और राजनितक कषऽो म सफलतापवरक यकत िकया

भारत म ही नही वरन ससार क अनय धमोर म भी अिहसा क िसदधानत को महततव दान िकया गया ह इःलाम धमर क वतरक हजरत महममद साहब क उपदशो म अिहसा क पालन का आमह ह यहिदयो क धमरमनथो का महततवपणर ःथान रहा ह ईसा मसीह का सपणर जीवन अिहसा का अिभवयकतीकरण ह सकरात क अिहसा पालन का उदाहरण अिवःमरणीय ह अतः ःपषट ह िक अिहसा का िसदधात अिपत इितहास म उसक सदभर की कहानी बहत ाचीन और िवःतत ह

यदयिप अिहसा भारतीय दशरन व धमर क िलए अित ाचीन ह परनत गाधी की िवशषता इस तथय म ह िक उनहोन अिहसा क परमपरागत िसदधात को आतमसात कर अपन अनभव स उसकी ःमितयो को नया आयाम िदया उनहोन अिहसा को वयिकतगत जीवन का ही नही वरन सामािजक जीवन का िनयम बनाकर उसका वयावहािरक योग िकया

क) lsquoआजrsquoस यहा कया तातपयर हगाधी िचतन rsquoस आप कया समझत ह 2

ख) अिहसा का िसदधात िवशव क अनय िकन धमरशासतरो म भी विणरत ह 2

घ) गदयाश क दसर अनचछद को पढ़कर अिहसा क िसदधात क बार म आपकी कया धारणा बनती ह 2

ङ) गाधी जी क अिहसा िसदधानत की कया िवशषता हजो परपरागत तरीको स हटकर ह 2

च) अिहसा क वयावहािरक योग स आप कया समझत ह2

141

छ) गदयाश क िलए उपयकत शीषरक दीिजए 1

ज) उपसगर और तयय अलग कीिजए

अिहसासामािजक 1

झ) रचना क अनसार वाकय भद बताइए

ईसा मसीह का समपणर जीवन अिहसा का अिभवयकतीकरण ह 1

ङ) िवशषण बनाइए-

शाशवतता ासिगकता 1

खणड-ख

0-3 िवदयालय म खल सामिमयो की कमी की िशकायत करत हए ाचायर को पऽ िलिखए

अथवा

िवदयालय क चौराह पर अराजक ततवो की भीड़ की िशकायत करत हए पिलस अधीकषक को पऽ िलिखए 5

0-4 िकसी एक िवषय पर िनबध िलिखए- 5

क) भारत की वजञािनक उपलिबधया

ख) सवरिशकषा अिभयान

ग) सामादाियकता एक अिभशाप

घ) कमपयटर का महतव

0-5(अ) गगा दषण क ित जागरकता पदा करन क िलए िकसी दिनक समाचार पऽ क िलए सपादकीय तयार कीिजए

अथवा

Ocircमिहला आरकषण समाज की आवयकताOtilde शीषरक पर आलख ःतत कीिजए 5

142

ब) िनमनिलिखत शनो क सिकषपत उततर िलिखए- 1

क) एडवोकसी पऽकािरता िकस कहत ह

ख) छापाखाना का आिवकार कब हआ

(ग) इटरनट पर कािशत होन वाला पहला समाचार-पऽ कौन था

(घ) पऽकािरता का छः ककार कया ह

(ङ) सपादक िकस कहत ह

0-6 विरषठ नागिरको क ित िजममदारी िवषय पर फीचर आलख तयार कीिजए

अथवा

पोिलयो बथ क दय की िरपोटर तयार कीिजए 5

खणड-ग

0-7 िनमनिलिखत कावयाश क आधार पर पछ गए शनो क उततर िलिखए

बात सीधी थी पर एक बार

भाषा क चककर म

जरा टढ़ी फस गई

उस पान की कोिशश म

भाषा को उलटा पलटा

तोड़ा मरोड़ा

घमाया िफराया

िक बात या तो बन

या िफर भाषा स बाहर आए-

लिकन इसस भाषा क साथ-साथ

143

बात और भी पचीदा होती चली गई

(क) बात िकस कार भाषा क चककर म फस जाती ह

(ख) भाषा को तोड़न मरोड़न क पीछ किव का कया योजन था

(ग) उपयरकत पिकत म िनिहत वयगय को ःपषट कर

(घ) किव न बात को बन जान क िलए कया सझाव िदया ह

अथवा

जनम स ही व अपन साथ लात ह कपास

पथवी घमती हई आती ह उनक बचन परो क पास

जब व दौड़त ह बसध

छतो को भी नरम बनात हए

िदशाओ को मदग की तरह बजात हए

जब व पग भरत हए चल आत ह

डाल की तरह लचील वग स अकसर

0-8 हो जाए न पथ म रात कही

मिजल भी ह तो दर नही

यह सोच थका िदन का पथी भी जलदी-जलदी कयो चलता ह 2

(क) कावयाश की भाषा की िवशषताओ का उललख कर

(ख) पथ शबद एव मिजल शबद का योग िकस रप म िकया गया ह

(ग) िदन का पथी जलदी-जलदी कयो चलता ह

अथवा

आगन म ढनक रहा ह िज़दयाया ह

144

बालक तो हई चाद प ललचाया ह

दपरण उस द द क कह रही ह मा

दख आइन म चाद उतर आया ह

(क) य पिकतया िकस छद म िलखी गई ह पद की िवशषता को ःपषट कर

(ख) भाषागत सौदयर की िकनही दो िवशषताओ का उललख कर

(ग) उपयरकत पिकतयो का भाव सौदयर ःपषट कर

0-9 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- 3

(क) भोर क नभ को राख स लीपा हआ चौका कयो कहा गया ह

(ख) किव को बहलाती सहलाती आतमीयता बरदाःत कयो नही होती ह

(ग) किव न िकस सहषर ःवीकारा ह

0-10 नीच िदए गए गदयाश क आधार पर पछ गए शनो क उततर द- 2

भोजन क समय जब मन अपनी िनिशचत सीमा क भीतर िनिदरषट ःथान महण कर िलया तब भिकतन न सननता स लबालब दिषट और आतमतिषट स आपलािवत मःकराहट क साथ मरी फल की थाली म एक अगल मोटी और गहरी काली िचततीदार चार रोिटया रखकर उस टढ़ी कर गाढ़ी दाल परोस दी पर जब उसक उतसाह पर तषारापात करत हए मन रआस भाव स कहा- यह कया बनाया हतब हो वह हतबिदध हो रही

(क) लिखका की थाली म कसी रोिटया थी रोिटयो क िचततीदार होन क कया कारण हो सकत ह

(ख) भिकतन की सननता स लबालब दिषट एव आतमतिषट क कया कारण हो सकत ह

(ग) खान क आसन पर लिखका कयो रआसी हो गई

(घ) भिकतन कयो हतबिदध हो गई

अथवा

145

अब तक सिफया का गःसा उतर चका था भावना क ःथान पर बिदध धीर-धीर उस ःथान पर हावी हो रही थी नमक की पिड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कःटम वालो क सामन सबस पहल इसी को रख दलिकन अगर कःटमवालो न न जान िदया तो मजबरी ह छोड़ दग लिकन िफर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स िकया थाहम अपन को सयद कहत ह िफर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा अगर इस कीनओ की टोकरी म सबस नीच रख िलया जाए तो इतन कीनओ क ढर म भला कौन इस दखगा और अगर दख िलया नही जीफलो की टोकिरया तो आत वकत भी िकसी की नही दखी जा रही थी इधर स कल इधर स कीन सब ही ला रह थ ल जा रह थ यही ठीक हिफर दखा जाएगा

(क) सिफया का गःसा कयो उतर गया था

(ख) सिफया की कया भावना थी और वह उसकी बिदध क सामन िकस कार पराःत हो गई

(ग) सिफया की उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सिफया न िकस वायद को परा करन की बात की हउस उसन िकस कार परा िकया

0-11 िनमनिलिखत शनो म स िकनही चार शनो क उततर दीिजए - 3

(क) लखक न िकस उददय स भगत जी का उललख िकया हउनका कौन-सा वयिकततव उभरकर हमार सामन आया ह

(ख) इनदर सना सबस पहल गगा भया की जय कयो बोलती हनिदयो का भारतीय सामािजकसाःकितकपिरवश म कया महतव ह

(ग) लटटन पहलवान ढोलक को ही अपना गर कयो मानता ह

(घ) लखक न िशरीष क पड़ को कालजयी अवधत की तरह कयो माना ह

(ङ) लखक िकन तकोर क आधार पर जाित था को अमानवीय एव अलोकतािऽक बताया ह

0-12 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर िलिखए 3

(क) Ocircडायरी क पननrsquoपाठ क आधार पर मिहलाओ क ित ऐन क क दिषटकोण को ःपषट कीिजए

146

(ख) जझrsquoकहानी का ितपादय सकषप म ःपषट कीिजए

(ग) Ocircिसलवर विडगOtilde कहानी क आधार पर िसदध कीिजए िक िकशन दा की परपरा िनभात हए यशोधर पत वतरमान क साथ नही चल पाए

0-13 ौी सौदलगकर क वयिकततव की उन िवशषताओ पर काश डािलए िजनक कारण जझrsquoक लखक क मन म किवता क ित लगाव उतपनन हआ

अथवा

lsquoिसलवर विडगrsquoम एक ओर िःथित को जयो-का-तयो ःवीकार लन का भाव ह तो दसरी ओर अिनणरय की िःथित भी कहानी क इस दवनदव को ःपषट कीिजए 5

0-14 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर सकषप म दीिजए 2

(क) Ocircिसलवर विडगrsquoक आधार पर यशोधर बाब क सामन आई िकनही दो Ocircसमहाव इॉपरrsquoिःथितयो का उललख कीिजए

(ख) Ocircऐन की डायरीrsquoउसकी िनजी भावनातमक उथल-पथल का दःतावज भी ह इस कथन की िववचना कीिजए

ग) कया िसध घाटी की सभयता को जल सःकित कह सकत ह ःपषट कीिजए

147

उपयोगी सािहितयक बबसाईट

1 wwwdownloadcom 2 wwwgooglecom 3 wwwfoldermarkercom 4 wwwwebduniacom 5 wwwholy-statuescom 6 wwwhindinestcom 7 wwwanubhuti-hindiorg 8 wwwabhivyakti-hindiorg 9 httpwwwsamvedanblogspotcom 10 httpwwwindianrailgovinindexhtml 11 wwwrachanakarblogspotcom 12 wwwcomputechpubcom 13 wwwdesktopvidepaboutcom 14 wwwtechnoraticom 15 wwwsahityakunjnet 16 wwwteachersdomainorg 17 wwwthisismyindiacom 18 wwwmathforumorg 19 wwwnirantarorg 20 wwwbloggercom 21 wwwhindiwriterorg 22 wwwbbccoukhindi 23 wwwsakshatacin 24 wwwsakshatignouacin 25 wwwincometaxindiagovin 26 wwwpitracom 27 wwweducation-worldcom 28 wwwgurunetedu 29 wwwkidsitesorg 30 wwwbartleybycom(Eng lit2 lac passages +22thousand quotations) 31 wwwnewdelhiusembassygov 32 editorspanstategov 33 wwwdilkedarmiyanblogspotcom 34 wwwsouth-asiacomembassy-India 35 wwwcareerlaunchercom 36 wwwrajbhashanicin 37 wwwhunkinsexperimentscom 38 wwwpresidentofindianicin 39 wwwfreetranslationcom 40 httpwwwkavitakoshorg 41 httpwwwudanticom 42 wwwlekhninet 43 httphindihaikuwordpresscom 44 httptrivenniblogspotcom 45 wwwkathakramin 46 httpwwwgarbhanalcom 47 httpyugchetnablogspotcom

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48 httplamhon-ka-safarblogspotcom 49 httpaviramsahityablogspotcom 50 httpwwwhindisamaycom

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Page 4: KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN DEHRADUN REGION...क य वद य लय-स गठन KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN 1 द हर द न-स भ ग DEHRADUN REGION ब ध) 15+5=20

शन 5-(अ) िट माधयम समपादकीय िरपोटर आलख आिद पर पाच अित लघततरातमक शन 15=5 (आ) आलख (िकसी एक िवषय पर) 5 शन 6- फीचर लखन (जीवन-सनदभोर स जडी घटनाओ और िःथितयो पर फीचर लखन िवकलप सिहत) 5

(ग) आरोह भाग-२ (कावय भाग और गदय भाग) (20+20) =40 शन 7- दो कावयाशो म स िकसी एक पर अथर महण क ४ शन 8 शन 8- कावयाश क सौदयर-बोध पर दो कावयाशो म िवकलप िदया जाएगा तथा िकसी एक कावयाश क तीनो शनो क उततर दन होग | 6

शन 9- किवताओ की िवषयवःत स सबिधत तीन म स दो लघततरातमक शन (3+3)= 6 शन 10- दो म स िकसी एक गदयाश पर आधािरत अथर-महण क चार शन (2+2+2+2) =8 शन 11- पाठो की िवषयवःत पर आधािरत पाच म चार बोधातमक शन (3+3+3+3)=12 परक पःतक िवतान भाग -२ 15

शन 12-पाठो की िवषयवःत पर आधािरत तीन म स दो बोधातमक शन (3+3)=6 शन 13-िवचारसदश पर आधािरत तीन म स दो लघततरातमक शन (2+2)=4 शन 14- िवषयवःत पर आधािरत दो म स एक िनबधातमक शन 5 िनधारिरत पःतक (i) आरोह भाग-२ (एनसीईआरटी दवारा कािशत) (ii) िवतान भाग-२ (एनसीईआरटी दवारा कािशत) (ii) अिभवयिकत और माधयम (एनसीईआरटी दवारा कािशत)

4

1

अधययन-साममी

िहदी (क ििक) २०१२-१३ अपिठतिनधारिरत अक २० (गदय क िलए १५ तथा पदय क िलए ५ अक िनधारिरत ह) अपिठत अश को हल करन क िलए आवयक िनदरश

अपिठत अश म २० अको क शन पछ जाएग जो गदय और पदय दो रपो म होग| य शन एक या दो अको क होत ह | उततर दत समय िनमन बातो को धयान म रख कर उततर दीिजए ndash

१ िदए गए गदयाश अथवा पदयाश कोपछ गए शनो क साथ धयान पवरक दो बार पिढ़ए | २ शनो क उततर दन क िलए सबस पहल सरलतम शन का उततर दीिजए और िमलन पर

उसको रखािकत कर शन सखया िलख दीिजए िफर सरलतम स सरलतर को बम स छाट कर रखािकत कर शन सखया िलखत जाए |

३ उततर की भाषा आपकी अपनी भाषा होनी चािहए | ४ गदयाश म वयाकरण स तथा कावयाश म सौदयर-बोध स सबिधत शनो को भी पछा जाता

ह इसिलए वयाकरण और कावयाग की सामानय जानकारी को अदयतन रख | ५ उततर को अिधक िवःतार न दकर सकषप म िलख| ६ पछ गए अश क कथय म िजस तथय को बार-बार उठाया गया ह उसी क आधार पर

शीषरक िलख | शीषरक एक या दो शबदो का होना चािहए | १ अपिठत गदयाश का नमना- िनधारिरत अक १५

म िजस समाज की कलपना करता ह उसम गहःथ सनयासी और सनयासी गहःथ होग अथारत सनयास और गहःथ क बीच वह दरी नही रहगी जो परपरा स चलती आ रही ह| सनयासी उततम कोिट का मनय होता ह कयोिक उसम सचय की वितत नही होती लोभ और ःवाथर नही होता | यही गण गहःथ म भी होना चािहए | सनयासी भी वही ौषठ ह जो समाज क िलए कछ काम कर| जञान और कमर को िभनन करोग तो समाज म िवषमता उतपनन होगी ही |मख म किवता और करघ पर हाथ यह आदशर मझ पसद था |इसी की िशकषा म दसरो को भी दता ह और तमन सना ह या नही की नानक न एक अमीर लडक क हाथ स पानी पीना अःवीकार कर िदया था | लोगो न कहा ETH गर जी यह लड़का तो अतयत स ात कल का ह इसक हाथ का पानी पीन म कया दोष ह नानक बोल- तलहतथी म महनत क िनशाननही ह | िजसक हाथ म महनत क ठल पड़ नही होत उसक हाथ का पानी पीन म म दोष मानता ह | नानक ठीक थ | ौषठ समाज वह ह िजसक सदःय जी खोलकर महनत करत ह और तब भी जररत स जयादा धन पर अिधकार जमान की उनकी इचछा नही होती |

शनो का नमना- (क) Ocircगहःथ सनयासी और सनयासी गहःथ होगOtilde स लखक का कया आशय ह २

(ख) सनयासी को उततम कोिट का मनय कहा गया ह कयो १

2

(ग) ौषठ समाज क कया लकषण बताए गए ह १ (घ) नानक न अमीर लड़क क हाथ स पानी पीना कयो अःवीकार िकया २

(ङ) Ocircमख म किवता और करघ पर हाथOtilde- यह उिकत िकसक िलए योग की गई ह और कयो २

(च) ौषठ सनयासी क कया गण बताए गए ह १

(छ) समाज म िवषमता स आप कया समझत ह और यह कब उतपनन होती ह २

(ज) सनयासी शबद का सिध-िवचछद कीिजए | १

(झ) िवषमता शबद का िवलोम िलख कर उसम यकत तयय अलग कीिजए | २

(ञ) गदयाश का उपयकत शीषरक दीिजए | १ उततर ndash

(क) गहःथ जन सनयािसयो की भाित धन-समह और मोह स मकत रह तथा सनयासी जन गहःथो की भाित सामािजक कमोर म सहयोग कर िनठलल न रह |

(ख) सनयासी लोभ ःवाथर और सचय स अलग रहता ह | (ग) ौषठ समाज क सदःय भरपर पिरौम करत ह तथा आवयकता स अिधक धन पर

अपना अिधकार नही जमात | (घ) अमीर लड़क क हाथो म महनतकश क हाथो की तरह महनत करन क िनशान नही

थ और नानक महनत करना अिनवायर मानत थ | (ङ) मख म किवता और करघ म हाथOtilde कबीर क िलए कहा गया ह | कयोिक उसक घर

म जलाह का कायर होता था और किवता करना उनका ःवभाव था | (च) ौषठ सनयासी समाज क िलए भी कायर करता ह | (छ) समाज म जब जञान और कमर को िभनन मानकर आचरण िकए जात ह तब उस

समाज म िवषमता मान ली जाती ह |जञान और कमर को अलग करन पर ही समाज म िवषमता फलती ह |

(ज) सम + नयासी

(झ) िवषमता ETH समता OcircताOtilde तयय

(ञ) सनयास-गहःथ

२ अपिठत कावयाश का नमना- िनधारिरत अक ५ तम भारत हम भारतीय ह तम माता हम बट िकसकी िहममत ह िक तमह दषटता-दिषट स दख | ओ माता तम एक अरब स अिधक भजाओ वाली सबकी रकषा म तम सकषम हो अदमय बलशाली |

3

भाषा वश दश िभनन ह िफर भी भाई-भाई भारत की साझी सःकित म पलत भारतवासी | सिदनो म हम एक साथ हसत गात सोत ह दिदरन म भी साथ-साथ जागत पौरष धोत ह | तम हो शःय-यामला खतो म तम लहराती हो कित ाणमयी साम-गानमयी तम न िकस भाती हो | तम न अगर होती तो धरती वसधा कयो कहलाती

गगा कहा बहा करती गीता कयो गाई जाती

शन नमना (क) साझी सःकित का कया भाव ह १

(ख) भारत को अदमय बलशाली कयो कहा गया ह १

(ग) सख-दःख क िदनो म भारतीयो का परःपर सहयोग कसा होता ह १

(घ) साम-गानमयी का कया तातपयर ह १

(ङ) Ocircओ माता तम एक अरब स अिधक भजाओ वालीOtilde म कौन-सा अलकार

ह१

उततर ndash (क) भाषा वश दश िभनन होत हए भी सभी क सख-दःख एक ह | (ख) भारत की एक अरब स अिधक जनता अपनी मजबत भजाओ स सबकी सरकषा करन

म समथर ह | (ग) भारतीयो का वयवहार आपसी सहयोग और अपनपन स भरा ह सब सग-सग हसत-

गात ह और सग-सग किठनाइयो स जझत ह | (घ) समधर सगीत स यकत | (ङ) रपक |

३ िनबध-लखन - िनधारिरत अक ५

िनबध-लखन करत समय छाऽोको िनमन बात धयान म रखनी चािहए ndash

bull िदए गए िवषय की एक रपरखा बना ल | bull रपरखा-लखन क समय पवारपर सबध क िनयम का िनवारह िकया जाए | पवारपर

सबध क िनवारह का अथर ह िक ऊपर की बात उसक ठीक नीच की बात स जड़ी होनी चािहए िजसस िवषय का बम बना रह |

bull पनरावितत दोष न आए | bull भाषा सरल सहज और बोधगमय हो | bull िनबध का ारमभ िकसी कहावत उिकत सिकत आिद स िकया जाए |

4

bull िवषय को ामािणक बनान क उददय स िहनदी सःकत अमजीउदर की सिकतयाएव उदधरण भी बीच-बीच म दत रहना चािहए |

bull भिमकाःतावना म िवषय का सामानय पिरचय तथा उपसहार म िवषय का िनकषर होना चािहए |

िनबध हत नमना रपरखा िवजञान वरदान या अिभशाप

१ भिमका ःतावना

२ िवजञान का अथर

३ िवजञान वरदान ह ndash

bull िशकषा क कषऽ म

bull िचिकतसा क कषऽ म

bull मनोरजन क कषऽ म

bull किष क कषऽ म

bull यातायात क कषऽ म

४ िवजञान अिभशाप ह ndash

bull िशकषा क कषऽ म

bull िचिकतसा क कषऽ म

bull मनोरजन क कषऽ म

bull किष क कषऽ म

bull यातायात क कषऽ म

५ िवजञान क ित हमार उततरदाियतव

६ उपसहार

िवशष उकत रपरखा को आवयकता क अनरप िविभनन कषऽो को जोड़कर बढ़ाया जा सकता ह |

अभयास हत िनबध-

१ महानगरीय जीवन अिभशाप या वरदान

२ आधिनक िशकषा-पदधित गण व दोष

३ िवजञान व कला ४ बदलत जीवन मलय

५ नई सदी नया समाज

६ कामकाजी मिहलाओ की समःयाए दश की गित म मिहलाओ का योगदान

5

७राषटर-िनमारण म यवा पीढ़ी का योगदान

८ इटरनट की दिनया ९ पराधीन सपनह सख नाही १० लोकतऽ म मीिडया की भिमका ११ गित क पथ पर भारत

१२ जन आदोलन और सरकार १३ षटाचार समःया और समाधान १४ महगाई की मार १५ खल-कद म उतरता भारत ऑलिपक २०१२

४ पऽ-लखन-िनधारिरत अक ५ िवचारो भावो सदशो एव सचनाओ क स षण क िलए पऽ सहज सरल तथा पारपिरक माधयम ह पऽ अनक कार क हो सकत ह पर ाय परीकषाओ म िशकायती-पऽ आवदन-पऽ तथा सपादक क नाम पऽ पछ जात ह इन पऽो को िलखत समय िनमन बातो का धयान रखा जाना चािहए

पऽ-लखन क अग- १ पता और िदनाक- पऽ क ऊपर बाई ओर षक का पता व िदनाक िलखा जाता ह

(छाऽ पत क िलए परीकषा-भवन ही िलख) २ सबोधन और पताndash िजसको पऽ िलखा जारहा ह उसको यथानरप सबोिधत िकया

जाता ह औपचािरक पऽो म पद-नाम और कायारलयी पता रहता ह | ३ िवषय ETH कवल औपचािरक पऽो म योग कर (पऽ क कथय का सिकषपत रप िजस

पढ़ कर पऽ की साममी का सकत िमल जाता ह ) ४ पऽ की साममी ndash यह पऽ का मल िवषय ह इस सकषप म सारगिभरत और िवषय क

ःपषटीकरण क साथ िलखा जाए | ५ पऽ की समािपत ndash इसम धनयवाद आभार सिहत अथवा साभार जस शबद िलख कर

लखक अपन हःताकषर और नाम िलखता ह | धयान द छाऽ पऽ म कही अपना अिभजञान (नाम-पता) न द | औपचािरक पऽो म िवषयानरप ही अपनी बात कह | िदव-अथरक और बोिझल शबदावली स बच |

६ भाषा शदध सरल ःपषट िवषयानरप तथा भावकारी होनी चािहए पऽ का नमना अःपताल क बधन पर सतोष वयकत करत हए िचिकतसा-अधीकषक को पऽ िलिखए | परीकषा-भवन

6

िदनाक ----- मानाथर िचिकतसा-अधीकषक कोरोनशन अःपताल दहरादन | िवषय अःपताल क बधन पर सतोष वयकत करन क सदभर म - मानयवर इस पऽ क माधयम स म आपक िचिकतसालय क स बधन स भािवत हो कर आपको धनयवाद द रहा ह | गत सपताह मर िपता जी हदय-आघात स पीिड़त होकर आपक यहा दािखल हए थ | आपक िचिकतसको और सहयोगी ःटाफ न िजस ततपरता कतरवयिनषठा और ईमानदारी स उनकी दखभाल तथा िचिकतसा की उसस हम सभी पिरवारी जन सतषट ह | हमारा िवशवास बढ़ा ह | आपक िचिकतसालय का अनशासन शसनीय ह | आशा ह जब हम पनपररीकषण हत आएग तब भी वसी ही सवयवःथा िमलगी | साभार भवदीय क ख ग अभयासाथर शन-

१ िकसी दिनक समाचार-पऽ क सपादक क नाम पऽ िलिखए िजसम वकषो की कटाई को रोकन क िलए सरकार का धयान आकिषरत िकया गया हो

२ िहसा-धान िफ़लमो को दख कर बालवगर पर पड़न वाल द भाव का वणरन करत

हए िकसी दिनक पऽ क सपादक क नाम पऽ िलिखए ३ अिनयिमत डाक-िवतरण की िशकायत करत हए पोःटमाःटर को पऽ िलिखए ४ िलिपक पद हत िवदयालय क ाचायर को आवदन-पऽ िलिखए ५ अपन कषऽ म िबजली-सकट स उतपनन किठनाइयो का वणरन करत हए अिधशासी अिभयनता िवदयत-बोडर को पऽ िलिखए ७ दिनक पऽ क सपादक को पऽ िलिखए िजसम िहदी भाषा की िदव-रपता को

समापत करन क सझाव िदए गए हो |

५ (क) अिभवयिकतऔरमाधयम (एक-एक अक क ५ शन पछ जाएग तथा उततर सकषप म िदए जाएग )

उततम अक ापत करन क िलए धयान दन योगय बात- १ अिभवयिकत और माधयम स सबिधत शन िवशष रप स तथयपरक होत ह अत उततर

7

िलखत समय सही तथयो को धयान म रख २ उततर िबदवार िलख मखय िबद को सबस पहल िलख द ३ शदध वतरनी का धयान रख ४ लख साफ़-सथरा एवम पठनीय हो ५ उततर म अनावयक बात न िलख ६ िनबधातमक शनो म बमबदधता तथा िवषय क पवारपर सबध का धयान रख तथयो तथा

िवचारो की पनरावितत न कर जनसचारमाधयम

१ सचार िकस कहत ह OcircसचारOtilde शबद चर धात क साथ सम उपसगर जोड़न स बना ह- इसका अथर ह चलना या एक ःथान स दसर ःथान तक पहचना |सचार सदशो का आदान-दान ह | सचनाओ िवचारो और भावनाओ का िलिखत मौिखक या दय-ौवय माधयमो क जिरय सफ़लता पवरक आदान-दान करना या एक जगह स दसरी जगह पहचाना सचार ह

२ सचार अनभवो की साझदारी ह - िकसन कहा ह िसदध सचार शासतरी िवलबर ौम न |

३ सचार माधयम स आप कया समझत ह सचार-िबया को सपनन करन म सहयोगी तरीक तथा उपकरण सचार क माधयम कहलात ह

४ सचार क मल तततव िलिखए | bull सचारक या ॐोत

bull एनकोिडग (कटीकरण )

bull सदश ( िजस सचारक ापतकतार तक पहचाना चाहता ह)

bull माधयम (सदश को ापतकतार तक पहचान वाला माधयम होता ह जस- धविन-तरग वाय-तरग टलीफोन समाचारपऽ रिडयो टी वी आिद)

bull ापतकततार (डीकोिडग कर सदश को ापत करन वाला)

bull फीडबक (सचार िबया म ापतकततार की ितिबया) bull शोर (सचार िबया म आन वाली बाधा)

५ सचारकमखकारोकाउललखकीिजए bull साकितकसचार bull मौिखकसचार bull अमौिखक सचार

bull अतवयिकतकसचार bull अतरवयिकतकसचार bull समहसचार

8

-पऽ और पिऽका

१३ पहल कौन-कौन स ह

१४ कायर कौन करता ह

१५ की शरआत कब और िकसस हई क बगाल गजट स

bull जनसचार ६ जनसचारसआपकयासमझतह

तयकष सवाद क बजाय िकसी तकनीकी या यािऽक माधयम क दवारा समाज क एकिवशाल वगरस सवाद कायम करना जनसचार कहलाता ह

७ जनसचार क मख माधयमो का उललख कीिजए | अखबार रिडयो टीवी इटरनट िसनमा आिद

८ जनसचार की मखिवशषताए िलिखए | bull इसम फ़ीडबक तरत ापत नही होता bull इसक सदशो की कित सावरजिनक होती ह bull सचारक और ापतकततार क बीच कोई सीधा सबध नही होता bull जनसचार क िलए एक औपचािरक सगठन की आवयकता होती ह bull इसमढर सार दवारपाल काम करत ह

९ जनसचार क मख कायर कौन-कौनसह bull सचना दना bull िशिकषत करना bull मनोरजन करना bull िनगरानी करना bull एजडा तय करना bull िवचार-िवमशर क िलए मच उपलबध कराना

१० लाइव स कया अिभाय ह िकसी घटना का घटना-ःथल स सीधा सारण लाइव कहलाता ह |

११ भारत का पहला समाचार वाचक िकस माना जाता ह दविषर नारद

१२ जन सचार का सबस पहला महततवपणर तथा सवारिधक िवःतत माधयम कौन सा था समाचार िट मीिडया क मख तीन

bull समाचारो को सकिलत करना

bull सपादन करना

bull मिण तथा सार समाचारो को सकिलत करन कासवाददाता भारत म पऽकािरताभारत म पऽकािरता की शरआत सन १७८० म जमस आगःट िहकीहई जो कलकतता स िनकला था |

9

१६ माना जाता ह ा ह जो कलकतता स पिडत

१७मालवीय गणश शकर िवदयाथीर

१८ दी स पवर क मख समाचार-पऽो और पिऽकाओ क नाम िलिखए | द |

१९ उजाला

नदःतान िदनमान रिववार इिडया टड आउट

- अजञय रघवीर सहाय धमरवीर भारती मनोहरयाम जोशी राजनि माथर

अनय म

िहदी का पहला सापतािहक पऽ िकसिहदी का पहला सापतािहक पऽ Ocircउदत मातरडOtilde को माना जातजगल िकशोर शकल क सपादन म िनकला था | आजादी स पवर कौन-कौन मख पऽकार हए महातमा गाधी लोकमानय ितलक मदन मोहन माखनलाल चतवरदी महावीर साद िदववदी ताप नारायण िमौ बाल मकद गपत आिद हए | आजाकसरी िहनदःतान सरःवती हस कमरवीर आज ताप दीप िवशाल भारत आि आजादी क बाद की मख पऽ-पिऽकाओ तथा पऽकारो क नाम िलखए | मख पऽ ---- नव भारत टाइमस जनसतता नई दिनया िहनदःतान अमरदिनक भाःकर दिनक जागरण आिद | मख पिऽकाए ETH धमरयग सापतािहक िहलक आिद | मख पऽकारभाष जोशी आिद हततवपणर शन

१ जनसचार और समह सचार का अतर ःपषट कीिजए

ाश डािलए

कया समझत ह

को कया कहत ह

२ कटवाचन स आप कया समझत ह

३ कटीकरण िकस कहत ह

४ सचारक की भिमका पर क५ फीडबक स आप कया समझत ह

६ शोर स कया तातपयर ह

७ औपचािरक सगठन स आप८ सनसनीखज समाचारो स समबिधत पऽकािरता ९ कोई घटना समाचार कस बनती ह

१० सपादकीय पषठ स आप कया समझत ११ मीिडया की भाषा म दवारपाल िकस कहत ह पऽकािरता क िविवध आयाम

१ पऽकािरताकयाह ऐसी सचनाओ का सकलन एव सपादन कर आम पाठको तक पहचाना िजनम अिधक स अिधक लोगो की रिच हो तथा जो अिधक स अिधक लोगो को भािवत करती हो पऽकािरताकहलाता ह(दश-िवदश म घटन वाली घटनाओ की सचनाओ को सकिलत एव सपािदत कर समाचार क रप म पाठको तक पहचान की िबयािवधा को पऽकािरता

10

२ लखन तथा सािहितयक सजनातमक लखन म कया अतर ह थयो की धानता

३ कन और काटोरमाफ़ |

४ ी ताजा घटना िवचार या समःया की िरपोटर हिजसम अिधक स

५ घटना समःया व िवचार को समाचार का रप धारण

६ सआपकयासमझतह माचारो को कवर करन क िलए िनधारिरत समय-सीमा

७ ाय ह -साममी स उसकी अशिदधयो को दर करक पठनीय तथा

८ ी मख घटना या समःया पर िलख गए िवचारातमक लख को िजस

ता

ा-

रता

महततव क मामलोजस-षटाचार अिनयिमतताओ

कहत ह) पऽकारीय पऽकारीय लखन का मख उददय सचना दान करना होता ह इसम तहोती ह जबिक सािहितयक सजनातमक लखन भाव कलपना एव सौदयर-धान होता ह पऽकािरता क मख आयाम कौन-कौन स ह सपादकीय फ़ोटो पऽकािरता काटरन कोना रखासमाचारिकसकहतह समाचार िकसी भी ऐसअिधक लोगो की रिच हो और िजसका अिधक स अिधक लोगो पर भाव पड़ता हो समाचारक तततवो को िलिखए | पऽकािरता की दिषट स िकसी भीकरन क िलए उसम िनमन तततवो म स अिधकाश या सभी का होना आवयक होता ह- नवीनता िनकटता भाव जनरिच सघषर महततवपणर लोग उपयोगी जानकािरया अनोखापआिद डडलाइनसमाचार माधयमो क िलए सकोडडलाइनकहत ह सपादन स कया अिभकाशन क िलए ापत समाचारकाशन योगय बनाना सपादन कहलाता ह सपादकीयकयाह सपादक दवारा िकससबिधत समाचारपऽ की राय भी कहा जाता ह सपादकीय कहत हसपादकीय िकसी एक वयिकत का िवचार या राय न होकर समम पऽ-समह की राय होता ह इसिलए सपादकीय म सपादक अथवा लखक का नाम नही िलखा जाता पऽकािरता क मखकारिलिखए |

bull खोजी पऽकािरता bull िवशषीकत पऽकािरbull वॉचडॉग पऽकािरता bull एडवोकसी पऽकािरतbull पीतपऽकािरता bull पज ाी पऽकाि

१० खोजी पऽकािरता कयाह िजसमआम तौर पर सावरजिनक

11

११ वॉचडॉग का मखय उततरदाियतव सरकार क

१२ एडवोक िकसी खास मदद या िवचारधारा क पकष म

१३ पीतपऽक ह फ़वाहो आरोपो-तयारोपो मसबधो आिद स

१४ पज ाी कािरता िकसकहतह ीरो की पािटरयो महिफ़लो और जानमान लोगो

१५ पऽकािर हता ह

१६ कािरता कया ह नकारी दत हए उसका िवशलषण करना िवशषीकत

१७ वकिलप स कहत ह मीिडया ःथािपत वयवःथा क िवकलप को

१८ िवशषीक ा क मख कषऽो का उललख कीिजए |

ास पऽकािरता

और गड़बिड़यो की गहराई स छानबीन कर सामन लान की कोिशश की जाती ह िःटग ऑपरशन खोजी पऽकािरता का ही एक नया रप ह पऽकािरता स आप कया समझत ह लोकतऽ म पऽकािरता और समाचार मीिडयाकामकाज पर िनगाह रखना ह और कोई गड़बड़ी होन पर उसका परदाफ़ाश करना होता ह परपरागत रप स इस वॉचडॉग पऽकािरता कहत ह सी पऽकािरता िकसकहतह इस पकषधर पऽकािरता भी कहत हजनमत बनान किलए लगातार अिभयान चलान वाली पऽकािरता को एडवोकसी पऽकािरता कहत ह

ािरतासआपकयासमझतपाठको को लभान क िलए झठी असबिधत सनसनीखज समाचारो स सबिधत पऽकािरता को पीतपऽकािरता कहत ह पऽऐसी पऽकािरता िजसम फ़शन अमक िनजी जीवन क बार म बताया जाता ह ता क िवकास म कौन-सा मल भाव सिबय र

िजजञासा का िवशषीकत पऽ

िकसी िवशष कषऽ की िवशष जापऽकािरता ह | क पऽकािरता िकमखय धारा क मीिडया क िवपरीत जोसामन लाकर उसक अनकल सोच को अिभवयकत करता ह उस वकिलपक पऽकािरता कहा जाता ह आम तौर पर इस तरह क मीिडया को सरकार और बड़ीपजी का समथरन ापत नही होता और न ही उस बड़ी कपिनयो क िवजञापन िमलत ह त पऽकािरत

bull ससदीय पऽकािरता bull नयायालय पऽकािरतbull आिथरक पऽकािरता

bull खल पऽकािरता bull िवजञान और िवक

12

ऽकािरता अनय

bull अपराध पऽकािरता

bull फशन और िफलम प महततवपणर शन

१ पऽकािरता क िवकास म कौन-सा मल भाव सिबय रहता ह

को तक पहचान की िबया को कया कहत ह

नयज

२ कोई घटना समाचार कस बनती ह

३ सचनाओ का सकलन सपादन कर पाठ४ समपादकीय म समपादक का नाम कयो नही िलखा जाता

५ िनमन क बार म िलिखए ndash

(क) डड लाइन

(ख) फलशिकग(ग) गाइड लाइन

(घ) लीड

13

िविभनन माधयमो क िलए लखन िट माधयम (मिित माधयम)-

१ िट मीिडया स कया आशय ह छपाई वाल सचार माधयम को िट मीिडया कहत ह | इस मिण-माधयम भी कहा जाता ह | समाचार-पऽ पिऽकाए पःतक आिद इसक मख रप ह |

२ जनसचार क आधिनक माधयमो म सबस पराना माधयम कौन-सा ह जनसचार क आधिनक माधयमो म सबस पराना माधयम िट माधयम ह |

३ आधिनक छापाखान का आिवकार िकसन िकया आधिनक छापाखान का आिवकार जमरनी क गटनबगर न िकया

४ भारत म पहला छापाखाना कब और कहा पर खला था भारत म पहला छापाखाना सन १५५६ म गोवा म खला इस ईसाई िमशनिरयो न धमर-चार की पःतक छापन क िलए खोला था |

५ जनसचार क मिित माधयम कौन-कौन स ह मिित माधयमो क अनतगरत अखबार पिऽकाए पःतक आिद आती ह ६ मिित माधयम की िवशषताए िलिखए |

bull छप हए शबदो म ःथाियतव होता ह इनह सिवधानसार िकसी भी कार स पढा जा सकता ह

bull यह माधयम िलिखत भाषा का िवःतार ह bull यह िचतन िवचार- िवशलषण का माधयम ह

७ मिित माधयम की सीमाए (दोष) िलिखए | bull िनरकषरो क िलए मिित माधयम िकसी काम क नही होत bull य तरत घटी घटनाओ को सचािलत नही कर सकत bull इसम ःपस तथा शबद सीमा का धयान रखना पड़ता ह bull इसम एक बार समाचार छप जान क बाद अशिदध-सधार नही िकया जा सकता

८ मिित माधयमो क लखन क िलए िलखत समय िकन-िकन बातो का धयान रखा जाना चािहए | bull भाषागत शदधता का धयान रखा जाना चािहए bull चिलत भाषा का योग िकया जाए bull समय शबद व ःथान की सीमा का धयान रखा जाना चािहए bull लखन म तारतमयता एव सहज वाह होना चािहए

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रिडयो (आकाशवाणी) १ इलकशािनक माधयम स कया तातपयर ह

िजस जन सचार म इलकशािनक उपकरणो का सहारा िलया जाता ह इलकशािनक माधयम कहत ह रिडयो दरदशरन इटरनट मख इलकशािनक माधयम ह

२ आल इिडया रिडयो की िविधवत ःथापना कब हई सन १९३६ म

३ एफ़एम रिडयो की शरआत कब स हई एफ़एम (ि६कवसी माडयलशन) रिडयो की शरआत सन १९९३ स हई

४ रिडयो िकस कार का माधयम ह रिडयो एक इलकशोिनक ौवय माधयम ह इसम शबद एव आवाज का महततव होता ह यह एक एक रखीय माधयम ह

५ रिडयो समाचार िकस शली पर आधािरत होत ह रिडयो समाचार की सरचना उलटािपरािमड शली पर आधािरत होती ह

६ उलटा िपरािमड शली कया ह यह िकतन भागो म बटी होती ह िजसम तथयो को महततव क बम स ःतत िकया जाता ह सवर थम सबस जयादा महततवपणर तथय को तथा उसक उपरात महततव की दिषट स घटत बम म तथयो को रखा जाता ह उस उलटा िपरािमड शली कहत ह उलटािपरािमड शली म समाचार को तीन भागो म बाटा जाता ह-इशो बाडी और समापन

७ रिडयो समाचार-लखन क िलए िकन-िकन बिनयादी बातो पर धयान िदया जाना चािहए bull समाचार वाचन क िलए तयार की गई कापी साफ़-सथरी ओ टाइपड कॉपी हो bull कॉपी को िशपल ःपस म टाइप िकया जाना चािहए bull पयारपत हािशया छोडा जाना चािहए bull अको को िलखन म सावधानी रखनी चािहए

bull सिकषपताकषरो क योग स बचा जाना चािहए टलीिवजन(दरदशरन)

१ दरदशरन जन सचार का िकस कार का माधयम ह दरदशरन जनसचार का सबस लोकिय व सशकत माधयम ह इसम धविनयो क साथ-साथ दयो का भी समावश होता ह इसक िलए समाचार िलखत समय इस बात का धयान रखा जाता ह िक शबद व पदर पर िदखन वाल दय म समानता हो

२ भारत म टलीिवजन का आरभ और िवकास िकस कार हआ भारत म टलीिवजन का ारभ १५ िसतबर १९५९ को हआ यनःको की एक शिकषक पिरयोजना क अनतगरत िदलली क आसपास क एक गाव म दो टीवी सट लगाए गए िजनह २०० लोगो न दखा १९६५ क बाद िविधवत टीवी सवा आरभ हई १९७६ म दरदशरन नामक िनकाय की ःथापना हई

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३ टी०वी० खबरो क िविभनन चरणो को िलिखए दरदशरन म कोई भी सचना िनमन चरणो या सोपानो को पार कर दशरको तक पहचती

ह (१) झलश या िकग नयज (समाचार को कम-स-कम शबदो म दशरको तक ततकाल

पहचाना) (२)साई एकर (एकर दवारा शबदो म खबर क िवषय म बताया जाता ह) (३) फ़ोन इन (एकर िरपोटरर स फ़ोन पर बात कर दशरको तक सचनाए पहचाता ह ) (४) एकर-िवजअल(समाचार क साथ-साथ सबिधत दयो को िदखाया जाना) (५) एकर-बाइट(एकर का तयकषदशीर या सबिधत वयिकत क कथन या बातचीत

दवारा ामािणक खबर ःतत करना) (६) लाइव(घटनाःथल स खबर का सीधा सारण) (७) एकर-पकज (इसम एकर दवारा ःतत सचनाए सबिधत घटना क दय बाइट मािफ़कस आिद दवारा वयविःथत ढग स िदखाई जाती ह) इटरनट

१ इटर नट कया ह इसक गण-दोषो पर काश डािलए इटरनट िवशववयापी अतजारल ह यह जनसचार का सबस नवीन व लोकिय माधयम ह इसम जनसचार क सभी माधयमो क गण समािहत ह यह जहा सचना मनोरजन जञान और वयिकतगत एव सावरजिनक सवादो क आदान-दान क िलए ौषठ माधयम ह वही अशलीलता द चारव गदगी फ़लान का भी जिरया ह

२ इटरनट पऽकािरताकया ह

इटरनट(िवशववयापी अतजारल) पर समाचारो का काशन या आदान-दान इटरनट पऽकािरता कहलाता ह इटरनट पऽकािरता दो रपो म होती ह थम- समाचार स षण क िलए नट का योग करना दसरा- िरपोटरर अपन समाचार को ई-मल दवारा अनयऽ भजन व समाचार को सकिलत करन तथा उसकी सतयतािवशवसनीयता िसदध करन क िलए करता ह

३ इटरनट पऽकािरता को और िकन-िकन नामो स जाना जाता ह ऑनलाइन पऽकािरता साइबरपऽकािरतावब पऽकािरता आिद नामो स

४ िवशव-ःतर पर इटरनट पऽकािरता का िवकास िकन-िकन चरणो म हआ िवशव-ःतर पर इटरनट पऽकािरता का िवकास िनमनिलिखत चरणो म हआ-

bull थम चरण------- १९८२ स १९९२

bull िदवतीय चरण------- १९९३ स २००१ bull ततीय चरण------- २००२ स अब तक

५ भारत म इटरनट पऽकािरता का ारमभ कब स हआ

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पहला चरण १९९३ स तथा दसरा चरण २००३ स शर माना जाता ह भारत म सचच अथोर म वब पऽकािरता करन वाली साइट rsquoरीिडफ़ डॉट कॉमrsquo

इिडयाइफ़ोलाइनrsquoवrsquoसीफ़ीrsquoह रीिडफ़ को भारत की पहली साइट कहा जाता ह

६ वब साइट पर िवशदध पऽकािरता शर करन का ौय िकसको जाता ह rsquoतहलका डॉटकॉमrsquo

७ भारत म सचच अथोर म वब पऽकािरता करन वाली साइटो क नाम िलिखए | rsquoरीिडफ़ डॉट कॉमrsquoइिडयाइफ़ोलाइनrsquoवrsquoसीफ़ीrsquo

८ भारत म कौन-कौन स समाचार-पऽ इटरनट पर उपलबध ह टाइमस आफ़ इिडया िहदःतान टाइमस इिडयन एकसस िहद िशबयन आिद

९ भारत की कौन-सी नट-साइट भगतान दकर दखी जा सकती ह Otildeइिडया टडOtilde

१० भारत की पहली साइट कौन-सी ह जो इटरनट पर पऽकािरता कर रही ह रीिडफ़

११ िसफ़र नट पर उपलबध अखबार का नाम िलिखए भा साकषीOtilde नाम का अखबार िट रप म न होकर िसफ़र नट पर उपलबध ह

१२ पऽकािरता क िलहाज स िहदी की सवरौषठ साइट कौन-सी ह पऽकािरता क िलहाज स िहनदी की सवरौषठ साइट बीबीसी की ह जो इटरनट क

मानदडो क अनसार चल रही ह १३ िहदी वब जगत म कौन-कौनसी सािहितयक पिऽकाए चल रही ह

िहदी वब जगत म rsquoअनभितrsquo अिभवयिकत िहदी नःट सराय आिद सािहितयक पिऽकाए चल रही ह

१४ िहदी वब जगत की सबस बड़ी समःया कया ह िहनदी वब जगत की सबस बडी समःया मानक की-बोडर तथा फ़ोट की ह डायनिमक फ़ोट क अभाव क कारण िहनदी की जयादातर साइट खलती ही नही ह

अभयासाथर शन १ भारत म पहला छापाखान िकस उददय स खोला गया

२ गटनबगर को िकस कषऽ म योगदान क िलए याद िकया जाता ह

३ रिडयो समाचर िकस शली म िलख जात ह

४ रिडयो तथा टलीिवजन माधयमो म मखय अतर कया ह

५ एकर बाईट कया ह

६ समाचार को सकिलत करन वाला वयिकत कया कहलाता ह

७ नट साउड िकस कहत ह

८ िकग नयज स आप कया समझत ह

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पऽकारीय लखन क िविभनन रप और लखन िबया १ पऽकारीय लखन कया ह

समाचार माधयमो म काम करन वाल पऽकार अपन पाठको तथा ौोताओ तक सचनाए पहचान क िलए लखन क िविभनन रपो का इःतमाल करत ह इस ही पऽकारीय लखन कहत ह पऽकारीय लखन का सबध समसामियक िवषयो िवचारो व घटनाओ स ह पऽकार को िलखत समय यह धयान रखना चािहए वह सामानय जनता क िलए िलख रहा ह इसिलए उसकी भाषा सरल व रोचक होनी चािहए वाकय छोट व सहज हो किठन भाषा का योग नही िकया जाना चािहए भाषा को भावी बनान क िलए अनावयक िवशषणोजागरनस(अचिलत शबदावली) और कलीश (िपषटोिकत दोहराव) का योग नही होना चिहए

२ पऽकारीय लखन क अतगरत कया-कया आता ह पऽकिरता या पऽकारीय लखन क अनतगरत समपादकीय समाचार आलख िरपोटर फ़ीचर ःतमभ तथा काटरन आिद आत ह

३ पऽकारीय लखन का मखय उददय कया होता ह पऽकारीय लखन का मख उददय ह- सचना दना िशिकषत करना तथा मनोरजन आ करना आिद होता ह |

४ पऽकारीय लखन क कार िलखए | पऽकारीय लखन क कईकार ह यथा- खोजपरक पऽकािरताrsquo वॉचडॉग पऽकािरता और एडवोकसी पऽकािरता आिद

५ पऽकारिकतन कार क होत ह

पऽकार तीन कार क होत ह- bull पणर कािलक

bull अशकािलक (िःशगर)

bull ६ीलासर या ःवतऽ पऽकार ६ समाचार िकस शली म िलख जात ह

समाचार उलटा िपरािमड शली म िलख जात ह यह समाचार लखन की सबस उपयोगी और लोकिय शली ह इस शली का िवकास अमिरका म गह यदध क दौरान हआ इसम महततवपणर घटना का वणरन पहल ःतत िकया जाता ह उसक बाद महततव की दिषट स घटत बम म घटनाओ को ःतत कर समाचार का अत िकया जाता ह समाचार म इशो बॉडी और समापन क बम म घटनाए ःतत की जाती ह

७ समाचार क छह ककार कौन-कौन स ह समाचार िलखत समय मखय रप स छह शनो- कया कौन कहा कब कयो और कस का उततर दन की कोिशश की जाती ह इनह समाचार क छह ककार कहा जाता ह थम चार शनो क उततर इशो म तथा अनय दो क उततर समापन स पवर बॉडी वाल भाग म िदए जात

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ह ८ फ़ीचर कया ह

फ़ीचर एक कार का सवयविःथत सजनातमक और आतमिनषठ लखन ह ९ फ़ीचर लखन का कया उददय होता ह फ़ीचर का उददय मखय रप स पाठको को सचना दना िशिकषत करना तथा उनका

मनोरजन करना होता ह १० फ़ीचर और समचार म कया अतर ह

समाचार म िरपोटरर को अपन िवचारो को डालन की ःवतऽता नही होती जबिक फ़ीचर म लखक को अपनी राय दिषटकोण और भावनाओ को जािहर करन का अवसर होता ह समाचार उलटा िपरािमड शली म िलख जात ह जबिक फ़ीचर लखन की कोई सिनिशचत शली नही होती फ़ीचर म समाचारो की तरह शबदो की सीमा नही होती आमतौर पर फ़ीचर समाचार िरपोटर स बड़ होत ह पऽ-पिऽकाओ म ाय २५० स २००० शबदो तक क फ़ीचर छपत ह

११ िवशष िरपोटर स आप कया समझत ह सामानय समाचारो स अलग व िवशष समाचार जो गहरी छान-बीन िवशलषण और वयाखया क आधार पर कािशत िकए जात ह िवशष िरपोटर कहलात ह

१२ िवशष िरपोटर क िविभनन कारो को ःपषट कीिजए खोजी िरपोटर इसम अनपलबध तथयो को गहरी छान-बीन कर सावरजिनक िकया जाता ह (२)इनडपथ िरपोटर सावरजािनक रप स ापत तथयो की गहरी छान-बीन कर उसक महततवपणर पकषो को पाठको क सामन लाया जाता ह (३) िवशलषणातमक िरपोटर इसम िकसी घटना या समःया का िववरण सआमता क साथ िवःतार स िदया जाता ह िरपोटर अिधक िवःतत होन पर कई िदनो तक िकःतो म कािशत की जाती ह (४)िववरणातमक िरपोटर इसम िकसी घटना या समःया को िवःतार एव बारीकी क

साथ ःतत िकया जाता ह

१३ िवचारपरक लखन िकस कहत ह िजस लखन म िवचार एव िचतन की धानता होती ह उस िवचार परक लखन कहा जाता हसमाचार-पऽो म समाचार एव फ़ीचर क अितिरकत सपादकीय लख पऽ िटपपणी विरषठपऽकारो व िवशषजञो क ःतभ छपत ह य सभी िवचारपरक लखन क अतगरत आत ह

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१४ सपादकीय स कया अिभाय ह सपादक दवारा िकसी मख घटना या समःया पर िलख गए िवचारातमक लख को िजससबिधत समाचारपऽ की राय भी कहा जाता ह सपादकीय कहत ह सपादकीय िकसी एक वयिकत का िवचार या राय न होकर समम पऽ-समह की राय होता ह इसिलए सपादकीय म सपादक अथवा लखक का नाम नही िलखा जाता

१५ ःतभलखन स कया तातपयर ह यह एक कार का िवचारातमक लखन ह कछ महततवपणर लखक अपन खास वचािरक रझान एव लखन शली क िलए जान जात ह ऐस लखको की लोकियता को दखकर समाचरपऽ उनह अपन पऽ म िनयिमत ःतभ-लखन की िजममदारी दान करत ह इस कार िकसी समाचार-पऽ म िकसी ऐस लखक दवारा िकया गया िविशषट एव िनयिमत लखन जो अपनी िविशषट शली एव वचािरक रझान क कारण समाज म खयाित-ापत हो ःतभ लखन कहा जाता ह

१६ सपादक क नाम पऽ स आप कया समझत ह समाचार पऽो म सपादकीय पषठ पर तथा पिऽकाओ की शरआत म सपादक क नाम आए पऽ कािशत िकए जात ह यह तयक समाचारपऽ का िनयिमत ःतभ होता ह इसक माधयम स समाचार-पऽ अपन पाठको को जनसमःयाओ तथा मददो पर अपन िवचार एवमराय वयकत करन का अवसर दान करता ह

१७ साकषातकारइटरवय स कया अिभाय ह िकसी पऽकार क दवारा अपन समाचारपऽ म कािशत करन क िलए िकसी वयिकत िवशष स उसक िवषय म अथवा िकसी िवषय या मदद पर िकया गया शनोततरातमक सवाद साकषातकार कहलाता ह

अनय महततवपणर शन १ सामानय लखन तथा पऽकारीय लखन म कया अतर ह

२ पऽकारीय लखन क उददय िलिखए ३ पऽकार िकतन कार क होत ह

४ उलटा िपरािमड शली का िवकास कब और कयो हआ

५ समाचार क ककारो क नाम िलिखए | ६ बाडी कया ह

७ फ़ीचर िकस शली म िलखा जाता ह

८ फ़ीचर व समाचार म कया अतर ह

९ िवशष िरपोटर स आप कया समझत ह

१० िवशष िरपोटर क भद िलिखए ११ इनडपथ िरपोटर िकस कहत ह

१२ िवचारपरक लखन कया ह तथा उसक अनतगरत िकस कार क लख आत ह

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१३ ःवतऽ पऽकार िकस कहत ह

१४ पणरकािलक पऽकार स कया अिभाय ह

१५ अशकािलक पऽकार कया होता ह

िवशष लखन ःवरप और कार १ िवशष लखन िकस कहत ह

िवशष लखनिकसी खास िवषय पर सामानय लखन स हट कर िकया गया लखन ह िजसम राजनीितक आिथरक अपराध खल िफ़लमकिष कानन िवजञान और अनय िकसी भी महततवपणर िवषय स सबिधत िवःतत सचनाए दान की जाती ह

२ डःककया ह समाचारपऽ पिऽकाओ टीवी और रिडयो चनलो म अलग-अलग िवषयो पर िवशष लखन क िलए िनधारिरत ःथल को डःक कहत ह और उस िवशष डःक पर काम करन वाल पऽकारो का भी अलग समह होता ह यथा-वयापार तथा कारोबार क िलए अलग तथा खल की खबरो क िलए अलग डःक िनधारिरत होता ह

३ बीटस कया तातपयर ह िविभनन िवषयो स जड़ समाचारो क िलए सवाददाताओ क बीच काम का िवभाजन आम तौर पर उनकी िदलचःपी और जञान को धयान म रख कर िकया जाता ह मीिडया की भाषा म इस बीट कहत ह

४ बीट िरपोिटरग तथा िवशषीकत िरपोिटरग म कया अनतर ह बीट िरपोिटरग क िलए सवाददाता म उस कषऽ क बार म जानकारी व िदलचःपी का होना पयारपत ह साथ ही उस आम तौर पर अपनी बीट स जड़ीसामानय खबर ही िलखनी होती ह िकनत िवशषीकत िरपोिटरग म सामानय समाचारो स आग बढ़कर सबिधत िवशष कषऽ या िवषय स जड़ी घटनाओ समःयाओ और मददो का बारीकी स िवशलषण कर ःततीकरण िकया जाता ह बीट कवर करन वाल िरपोटरर को सवाददाता तथा िवशषीकत िरपोिटरग करन वाल िरपोटरर को िवशष सवाददाता कहा जाता ह

५ िवशष लखन की भाषा-शली पर काश डािलए | िवशष लखन की भाषा-शली सामानय लखन स अलग होती ह इसम सवाददाता को सबिधत िवषय की तकनीकी शबदावली का जञान होना आवयक होता ह साथ ही यह भी आवयक होता ह िक वह पाठको को उस शबदावली स पिरिचत कराए िजसस पाठक िरपोटर को समझ सक िवशष लखन की कोई िनिशचत शली नही होती

६ िवशष लखन क कषऽ कौन-कौन स हो सकत ह िवशष लखन क अनक कषऽ होत ह यथा- अथर-वयापार खल िवजञान-ौदयोिगकी किष

िवदश रकषा पयारवरण िशकषा ःवाःथय िफ़लम-मनोरजन अपराध कानन व सामािजक मदद आिद

अभयासाथर महततवपणर शन

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१ िकसी खास िवषय पर िकए गए लखन को कया कहत ह

२ िवशष लखन क कषऽ िलिखए ४पऽकारीय भाषा म लखन क िलए िनधारिरत ःथल को कया कहत ह

५ बीट स आप कया समझत ह

६ बीट िरपोिटरग कया ह

७ बीट िरपोिटरग तथा िवशषीकत िरपोिटरग म कया अतर ह

८ िवशष सवाददाता िकस कहत ह

बोडर परीकषा म पछ गए शन एव अनय महततवपणर पषटवय शनो का कोश

१ िट माधयम िकस कहत ह

२ जनसचार क चिलत माधयमो म सबस पराना माधयम कया ह

३ िकनही दो मिित माधयमो क नाम िलिखए | ४ छापाखान क आिवकार का ौय िकसको जाता ह

५ िहदी का पहला समाचार-पऽ कब कहा स िकसक दवारा कािशत िकया गया

६ िहदी म कािशत होन वाल दो दिनक समाचार-पऽो तथा पिऽकाओ क नाम िलिखए | ७ रिडयो की अपकषा टीवी समाचारो की लोकियता क दो कारण िलिखए | ८ पऽकारीय लखन तथा सािहितयक सजनातमक लखन का अतर बताइए | ९ पऽकािरता का मलततव कया ह

१० ःतभलखन स कया तातपयर ह

११ पीत पऽकािरता िकस कहत ह

१२ खोजी पऽकािरता का आशय ःपषट कीिजए | १३ समाचार शबद को पिरभािषत कीिजए | १४ उलटा िपरािमड शली कया ह

१५ समाचार लखन म छह ककारो का कया महततव ह

१६ मिित माधयमो की िकनही दो िवशषताओ का उललख कीिजए | १७ डड लाइन कया ह

१८ रिडयो नाटक स आप कया समझत ह

१९ रिडयो समाचार की भाषा की दो िवशषताए िलिखए

२० एकर बाईट िकस कहत ह

२१ टलीिवजन समाचारो म एकर बाईट कयो जररी ह

२२ मिित माधयम को ःथायी माधयम कयो कहा जाता ह

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२३ िकनही दो समाचार चनलो क नाम िलिखए | २४ इटरनट पऽकािरता क लोकिय होन क कया कारण ह

२५ भारत क िकनही चार समाचार-पऽो क नाम िलिखए जो इटरनट पर उपलबध ह

२६ पऽकािरता की भाषा म बीट िकस कहत ह

२७ िवशष िरपोटर क दो कारो का उललख कीिजए | २८ िवशष लखन क िकनही दो कारो का नामोललख कीिजए | २९ िवशष िरपोटर क लखन म िकन बातो पर अिधक बल िदया जाता ह

३० बीट िरपोटरर िकस कहत ह

३१ िरपोटर लखन की भाषा की दो िवशषताए िलिखए | ३२ सपादकीय क साथ सपादन-लखक का नाम कयो नही िदया जाता

३३ सपादकीय लखन कया होता ह

अथवा

सपादकीय स कया तातपयर ह

३४ सपादक क दो मख उततरदाियतवो का उललख कीिजए | ३५ ऑप-एड पषठ िकस कहत ह

३६ नयजपग कया ह

३७ आिडएस स आप कया समझत ह

३८ इलकशोिनक मीिडया कया ह

३९ काटरन कोना कया ह

४० भारत म िनयिमत अपडट साइटो क नाम बताइए ४१ कमपयटर क लोकिय होन का मख कारण बताइए ४२ िवजञापन िकस कहत ह

४३ फीडबक स कया अिभाय ह

४४ जनसचार स आप कया समझत ह

४५ समाचार और फीचर म कया अतर ह

23

(ख)आलखिरपोटर ndash िनधारिरत अक५

आलख आलख-लखन हत महततवपणर बात

१ िकसी िवषय पर सवारगपणर जानकारी जो तथयातमक िवशलषणातमक अथवा िवचारातमक हो आलख कहलाती ह |

२ आलख का आकार सिकषपत होता ह | ३ इसम िवचारो और तथयो की ःपषटता रहती ह य िवचार बमबदध रप म होन चािहए| ४ िवचार या तथय की पनरावितत न हो | ५ आलख की शली िववचन िवशलषण अथवा िवचार-धान हो सकती ह | ६ जवलत मददो समःयाओ अवसरो चिरऽ पर आलख िलख जा सकत ह | ७ आलख गभीर अधययन पर आधािरत ामािणक रचना होती ह |

नमना आलख शर का घर िजमकाबरट नशनल पाकर ndash जगली जीवो की िविभनन जाितयो को सरकषण दन तथा उनकी सखया को बढान क उददय स िहमालय की तराई स लग उततराखड क पौड़ी और ननीताल िजल म भारतीय महादवीप क पहल राषटरीय अभयारणय की ःथापना िसदध अगरजी लखक िजम काबरट क नाम पर की गई | िजम काबरट नशनल पाकर ननीताल स एक सौ पनिह िकलोमीटर और िदलली स २९० िकलोमीटर दर ह यह अभयारणय पाच सौ इककीस िकलोमीटर कषऽ म फला ह | नवमबर स जन क बीच यहा घमन-िफरन का सवोरततम समय ह | यह अभयारणय चार सौ स गयारह सौ मीटर की ऊचाई पर ह | िढकाला इस पाकर का मख मदानी ःथल ह और काडा सबस ऊचा ःथान ह| जगल जानवर पहाड़ और हरी-भरी वािदयो क वरदान स िजमकाबरट पाकर दिनया क अनठ पाकोर म ह | रायल बगाल टाइगर और एिशयाई हाथी पसदीदा घर ह | यह एिशया का सबस पहला सरिकषत जगल ह | राम गगा नदी इसकी जीवन-धारा ह | यहा एक सौ दस तरह क पड़-पौध पचास तरह क ःतनधारी जीव पचचीस जाितयो क सरीसप और छह सौ तरह क रग-िवरग पकषी ह | िहमालयन तदआ िहरन भाल जगली कतत भिड़य बदर लगर जगली भस जस जानवरो स यह जगल आबाद ह | हर वषर लाखो पयरटक यहा आत ह | शाल वकषो स िघर लब-लब वन-पथ और हर-भर घास क मदान इसक ाकितक सौदयर म चार चाद लगा दत ह | िनमनिलिखत िवषयो पर आलख िलिखए-

bull बढ़ती आबादी दश की बरबादी bull सादाियकसदभावना bull कजर म डबा िकसान

bull आतकवाद की समःया

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bull डॉकटर हड़ताल पर मरीज परशान

bull वतरमान परीकषा-णाली

bull बजट और बचत

bull शिकत सयम और साहस

bull िरशवत का रोग

bull सपना सच हो अपना

िरपोटरितवदन िरपोटरितवदन का सामानय अथर सचनाओ क तथयपरक आदान-दान को िरपोटर या िरपोिटरग कहत ह | ितवदन इसका िहदी रपातरण ह | िरपोटर िकसी सःथा आयोजन या कायरबम की तथयातमक जानकारी ह | बड़ी-बड़ी कपिनया अपन अशधारको को वािषरक अदधरवािषरक गित िरपोटर भजा करती ह| िरपोटर क गण

bull तथयो की जानकारी ःपषट सटीक ामािणक हो | bull सःथा िवभाग क नाम का उललख हो | bull अधयकष आिद पदािधकािरयो क नाम | bull गितिविधया चलानवालो क नाम | bull कायरबम का उददय | bull आयोजन-ःथल िदनाक िदन तथा समय | bull उपिःथत लोगो की जानकारी | bull िदए गए भाषणो क मख अश | bull िलय गए िनणरयो की जानकारी | bull भाषा आलकािरक या सािहितयक न हो कर सचनातमक होनी चािहए | bull सचनाए अनयपरष शली म दी जाती ह | म या हम का योग नही होता | bull सिकषपतता और बिमकता िरपोटर क गण ह | bull नई बात नए अनचछद स िलख | bull ितवदक या िरपोटरर क हःताकषर |

िनमनिलिखत िवषयो पर िरपोटर तयार कीिजए- १ पजा-ःथलो पर दशरनािथरयो की अिनयिऽत भीड़

२ दश की महगी होती वयावसाियक िशकषा ३ मतदान कनि का दय

४ आए िदन होती सड़क दघरटनाए

५ आकिःमक बाढ़ स हई जनधन की कषित

६फीचर लखन- िनधारिरत अक५ समकालीन घटना तथा िकसी भी कषऽ िवशष की िविशषट जानकारी क सिचऽ तथा मोहक

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िववरण को फीचर कहत ह |फीचर मनोरजक ढग स तथयो को ःतत करन की कला ह | वःतत फीचर मनोरजन की उगली थाम कर जानकारी परोसता ह| इस कार मानवीय रिच क िवषयो क साथ सीिमत समाचार जब चटपटा लख बन जाता ह तो वह फीचर कहा जाता ह | अथारत- जञान + मनोरजन = फीचर | फीचर म अतीत वतरमान और भिवय की रणा होती ह | फीचर लखक पाठक को वतरमान दशा स जोड़ता ह अतीत म ल जाता ह और भिवय क सपन भी बनता ह | फीचर लखन की शली िविशषट होती ह | शली की यह िभननता ही फीचर को समाचार आलख या िरपोटर स अलग ौणी म ला कर खडा करती ह | फीचर लखन को अिधक ःपषट रप स समझन क िलए िनमन बातो का धयान रख ndash

१ समाचार साधारण जनभाषा म ःतत होता ह और फीचर एक िवशष वगर व िवचारधारा पर क िित रहत हए िविशषट शली म िलखा जाता ह |

२ एक समाचार हर एक पऽ म एक ही ःवरप म रहता ह परनत एक ही िवषय पर फीचर अलग-अलग पऽोम अलग-अलग ःतित िलय होत ह | फीचर क साथ लखक का नाम रहता ह |

३ फीचर म अितिरकत साज-सजजा तथयो और कलपना का रोचक िमौण रहता ह | ४ घटना क पिरवश िविवध ितिबयाए वउनक दरगामी पिरणाम भी फीचर म रहा करत

ह | ५ उददय की दिषट स फीचर तथयो की खोज क साथ मागरदशरन और मनोरजन की दिनया

भी ःतत करता ह | ६ फीचर फोटो-ःतित स अिधक भावशाली बन जाता ह |

नमना फीचर िपयककड़ तोता

सगत का असर आता ह िफर चाह वह आदमी हो या तोता | िटन म एक तोत को अपन मािलक की सगत म शराब की ऐसी लत लगी िक उसन घर वालो और पड़ोिसयो का जीना बहाल कर िदया | जब तोत को सधारन क सार हथकड फल हो गए तो मजबरन मािलक को ही शराब छोड़नी पड़ी | माकर बटोिकयो न अीकी जाित का तोता मिलरन पाला| माकर यदा-कदा शराब पी लत | िगलास म बची शराब मिलरन चट कर जाता | धीर-धीर मिलरन की तलब बढ़न लगी| वह वकत-बवकत शराब मागन लगा |-------------------------------

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िनमनिलिखत िवषयो पर फ़ीचरिलिखए bull चनावी वायद

bull महगाई क बोझतल मजदर bull वाहनो की बढ़ती सखया bull विरषठ नागिरको क ित हमारा नजिरया bull िकसान का एक िदन

bull बाित क ःवपन-िषटा अबदलकलाम

bull िबकट का नया सःकरण टवटी-टवटी

bull बहतर ससाधन बन सकती ह जनसखया

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अधययन-साममी

ककषा दवादश- िहदी (क ििक)

पदय खड

इस खड स तीन कार क शन पछ जाएग ndash

शन -७ िदए गए कावयाश म स अथर महण सबधी चार शन- २४ = ८ अक

शन ८ - िदए गए कावयाश म स सौदयर-बोध सबधी तीन शन -२३= ६ अक

शन ९ -िवषय-वःत पर आधािरत तीन शनो म स दो शनो क उततर -३२=६ अक

अिधक अक-ािपत हत धयान दन योगय बात -

bull किव किवता का नाम एक दो वाकयो म सगिठत सग या पिकतयो का सार अिनवायर रप स याद होना चािहए

bull वतरनी एव वाकय गठन की अशिदधया ० ( जीरो) रखन क िलए उततरो का िलिखत अभयास अिनवायर ह

bull तीन अक क शन क उततर म अिनवायरत तीन िवचार-िबद शीषरक बना कर रखािकत करत हए बमबदध रप स उततर िलखा जाना चािहए अनय शनो क उततरो म भी इसी कार अको क अनसार िवचार-िबदओ की सखया होनी चािहए

bull समय पर पणर शन-पऽ हल करन क िलए उततरो क मखय िबद बम स याद होन चािहए bull उततरो क िवचार-िबनदओ एव वाकयो का िनिशचत बम होना चािहए जो पहल स उततर याद

िकए िबना सभव नही होता

bull कावय-सोदयर सबधी शनो म अलकार छद आिद िवशषताए किवता म स उदाहरण अश िलख कर ःपषट की जानी चािहए

bull भाव-सामय क रप म अथर स िमलती-जलती अनय किवयो की पिकतया िलखना उपयकत ह

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bull किव एव किवता की प ठभिम िशकषक की सहायता स अिनवायर रप स समझ ल | उपयकत ःथान पर इस उततर म सकितत भी कर

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1 किवता ndash आतम पिरचय

हिरवश राय बचचन

OcircआतमपिरचयOtilde- Ocircिनशा िनमऽणOtilde गीत-समह का एक गीत

सार -

१ ःवय को जानना दिनया को जानन स अिधक किठन भी ह और आवयक भी

२ वयिकत क िलए समाज स िनरपकष एव उदासीन रहना न तो सभव ह न ही उिचत ह दिनया अपन वयगय बाणो शासन ETHशासन स चाह िकतना कषट द पर दिनया स कट कर वयिकत अपनी पहचान नही बना सकता पिरवश ही वयिकत को बनाता ह ढालता ह

३ इस किवता म किव न समाज एव पिरवश स म एव सघषर का सबध िनभात हए जीवन म सामजःय ःथािपत करन की बात की ह

४ छायावादोततर गीित कावय म ीित-कलह का यह िवरोधाभास िदखाई दता ह वयिकत और समाज का सबध इसी कार म और सघषर का ह िजसम किव आलोचना की परवाह न करत हए सतलन ःथािपत करत हए चलता ह

५ Ocircनादान वही ह हाय जहा पर दानाOtilde पिकत क माधयम स किव सतय की खोज क िलए अहकार को तयाग कर नई सोच अपनान पर जोर द रहा ह

कावय-खड पर आधािरत दो कार क शन पछ जाएग ETH अथरमहण-सबधी एव सौदयर-बोध-सबधी

अथरमहण-सबधी शन

1‐ म जग-जीवन का भार िलए िफरता ह

िफर भी जीवन म पयार िलए िफरता ह

कर िदया िकसी न झकत िजनको छकर

म सासो क दो तार िलए िफरता ह

शन १-किव अपन हदय म कया - कया िलए िफरता ह

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उततर- किव अपन सासािरक अनभवो क सख - दख हदय म िलए िफरता ह

शन २- किव का जग स कसा िरता ह

उततर- किव का जगजीवन स खटटामीठा िरता ह

शन३- पिरवश का वयिकत स कया सबध ह म सासो क दो तार िलए िफरता ह क माधयम स किव कया कहना चाहता ह

उततर- ससार म रह कर ससार स िनरपकषता सभव नहीह कयोिक पिरवश म रहकर ही वयिकत की पहचान बनती हउसकी अिःमता सरिकषत रहती ह

शन४- िवरोधो क बीच किव का जीवन िकस कार वयतीत होता ह

उततर-दिनया क साथ सघषरपणर सबध क चलत किव का जीवन-िवरोधो क बीच सामजःय करत हए वयतीत होता ह

सौदयर-बोध सबधी शन

ldquo म ःनह-सरा का पान िकया करता ह

म कभी न जग का धयान िकया करता ह

जग पछ रहा उनको जो जग की गात

म अपन मन का गान िकया करता हrdquo

शन १- किवता की इन पिकतयो स अलकार छाट कर िलिखए|

उततर -ःनह- सराndash रपक अलकार

शन २- किवता म यकत महावर िलिखए -

उततर -Ocircजग पछ रहाOtildesbquo Ocircजग की गातOtildesbquo Ocircमन का गानOtilde आिद महावरो का योग

शन३- किवता म यकत शली का नाम िलख |

उततर - गीित-शली

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किवता

आतम-पिरचय

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१-किव कौन-कौन-सी िःथितयो म मःत रहता ह और कयो

उततर- किव सासािरक सख-दख की दोनो पिरिःथितयो म मगन रहता ह उसक पास म की सातवना दाियनी अमलय िनिध ह

शन२-किव भव-सागर स तरन क िलए कया उपाय अपना रहा ह

उततर- ससार क कषटो को सहत हए हम यह धयान रखना चािहए िक कषटो को सहना पड़गा इसक िलए मनय को हस कर कषट सहना चािहए

शन३-Otildeअपन मन का गानOtilde का कया आशय ह

उततर- ससार उन लोगो को आदर दता ह जो उसकी बनाई लीक पर चलत ह परत किव कवल वही कायर करता ह जो उसक मन बिदध और िववक को अचछा लगता ह

शन४- Otildeनादान वही ह हाय जहा पर दानाOtilde का कया आशय ह

उततर- जहा कही मनय को िवदवतता का अहकार ह वाःतव म वही नादानी का सबस बड़ा लकषण ह

शन५- Otildeरोदन म रागOtilde कस सभव ह

उततर- किव की रचनाओ म वयकत पीड़ा वाःतव म उसक हदय म मानव माऽ क ित वयापत म का ही सचक ह

शन६- म फट पड़ा तम कहत छद बनानाrdquo का अथर ःपषट कीिजए

उततर- किव की ौषठ रचनाए वाःतव म उसक मन की पीड़ा की ही अिभवयिकत ह िजनकी सराहना ससार ौषठ सािहतय कहकर िकया करता ह

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किवता

िदन जलरदी जलदी ढलता ह

ःतत किवता म किव बचचन कहत ह िक समय बीतत जान का एहसास हम लआय-ािपत क िलए यास करन क िलए िरत करता ह

मागर पर चलन वाला राही यह सोचकर अपनी मिजल की ओर कदम बढ़ाता ह िक कही राःत म ही रात न हो जाए

पिकषयो को भी िदन बीतन क साथ यह एहसास होता ह िक उनक बचच कछ पान की आशा म घोसलो स झाक रह होग यह सोचकर उनक पखो म गित आ जाती ह िक व जलदी स अपन बचचो स िमल सक

किवता म आशावादी ःवर हगतवय का ःमरण पिथक क कदमो म ःफितर भर दता हआशा की िकरण जीवन की जड़ता को समापत कर दती ह वयिकतक अनभित का किव होन पर भी बचचन जी की रचनाए िकसी सकारातमक सोच तक ल जान का यास ह

अथरमहण-सबधी शन

बचच तयाशा म होग

नीड़ो स झाक रह होग यह धयान परो म िचिड़या क

भरता िकतनी चचलता हrdquo शन १ -पथ और रात स कया तातपयर ह

उततर -जीवन रपी पथ म मतय रपी रात स सचत रहन क िलए कहा गया ह

शन२ -पिथक क परो की गित िकस कार बढ़ जाती ह

उततर -मिजल क पास होन का अहसासsbquo वयिकत क मन म ःफितर भर दता ह

शन३ -िचिड़या की चचलता का कया कारण ह

उततर -िचिड़या क बचच उसकी तीकषा करत होग यह िवचार िचिड़या क पखो म गित भर कर उस चचल बना दता ह

शन४ -यासो म तजी लान क िलए मनय को कया करना चािहए

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उततर - यासो म तजी लान क िलए मनय को जीवन म एक िनिशचत मधर लआय ःथािपत करना चािहए

2 पतग

आलोक धनवा

पतग किवता म किव आलोक धनवा बचचो की बाल सलभ इचछाओ और उमगो तथा कित क साथ उनक रागातमक सबधो का अतयत सनदर िचऽण िकया हभादो मास गजर जान क बाद शरद ऋत का आगमन होता हचारो ओर काश फल जाता हसवर क सयर का काश लाल चमकीला हो जाता हशरद ऋत क आगमन स उतसाह एव उमग का माहौल बन जाता ह

शरद ऋत का यह चमकीला इशारा बचचो को पतग उड़ान क िलए बलाता ह और पतग उड़ान क िलए मद मद वाय चलाकर आकाश को इस योगय बनाता ह िक दिनया की सबस हलक रगीन कागज और बास की सबस पतली कमानी स बनी पतग आकाश की ऊचाइयो म उड़ सकlsquoबचचो क पावो की कोमलता स आकिषरत हो कर मानो धरती उनक पास आती ह अनयथा उनक पाव धरती पर पड़त ही नही| ऐसा लगता ह मानो व हवा म उड़त जा रह हपतग उड़ात समय बचच रोमािचत होत ह |एक सगीतमय ताल पर उनक शरीर हवा म लहरात हव िकसी भी खतर स िबलकल बखबर होत हबाल मनोिवजञान बाल िबयाndash कलापो एव बाल सलभ इचछाओ का सदर िबबो क माधयम स अकन िकया गया ह

सौदयर-बोध सबधी शन

Ocircजनम स ही लात ह अपन साथ कपासOtilde-

Ocircिदशाओ को मदग की बजात हएOtilde

Ocircऔर भी िनडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हOtilde

Ocircछतो को और भी नरम बनात हएOtilde

Ocircजब व पग भरत हए चल आत ह

डाल की तरह लचील वग स अकसरOcirc

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शन १- Ocircजनम स ही लात ह अपन साथ कपासOtilde-

इस पिकत की भाषा सबधी िवशषता िलिखए |

उततर - इस पिकत की भाषा सबधी िवशषता िनमनिलिखत ह -

नए तीको का योग -कपास-कोमलता

शन२- इस पिकत म यकत लाकषिणक अथर को ःपषट कीिजए|

उततर - लाकषिणकता -Ocircिदशाओ को मदग की बजात हएOtilde-सगीतमय वातावरण की सिषट

शन३ - सनहला सरज तीक का अथर िलख |

उततर - सनहल सरज क सामन ETH िनडर उतसाह स भर होना

3 किवता क बहान

कवर नारायण

कवर नारायणकी रचनाओ म सयमsbquo पिरकार एव साफ सथरापन हयथाथर का कलातमक सवदनापणर िचऽण उनकी रचनाओ की िवशषता हउनकी रचनाए जीवन को समझन की िजजञासा ह यथाथरndash ािपत की घोषणा नहीवयिकतक एव सामािजक तनाव वयजनापणर ढ़ग स उनकी रचनाओ म ःथान म पाता हःतत किवता म किवतव शिकत का वणरन ह किवता िचिड़या की उड़ान की तरह कलपना की उड़ान ह लिकन िचिड़या क उड़न की अपनी सीमा ह जबिक किव अपनी कलपना क पख पसारकर दश और काल की सीमाओ स पर उड़ जाता ह

फल किवता िलखन की रणा तो बनता ह लिकन किवता तो िबना मरझाए हर यग म अपनी खशब िबखरती रहती ह

किवता बचचो क खल क समान ह और समय और काल की सीमाओ की परवाह िकए िबना अपनी कलपना क पख पसारकर उड़न की कला बचच भी जानत ह

bull मानवी िबबो क माधयम स कावय रचनाndash िबया को ःतत िकया गया ह bull किवता म िचिड़या फल और बचच क तीको क माधयम स बचच की रचनातमक ऊजार

की तलना किवता-रचना स की गई ह िचिड़या की उड़ान फल का िवकास अपनी सीमा म आबदध ह परनत किव की कलपना शिकत एव बालक क ःवपन व ऊजार असीम ह

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bull सािहतय का महतवsbquo ाकितक सौनदयर की अपकषा मानव क भाव-सौनदयर की ौषठता का ितपादन िकया गया ह

किवता की उड़ान ह िचिड़या क बहान

किवता की उड़ान भला िचिड़या कया जान

बाहर भीतर

इस घर उस घर

किवता क पख लगा उड़न क मान

िचिड़या कया जान

शन १- इन पिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िलिखए |

उततर - इन पिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िनमनिलिखत ह -

१ नए तीक -िचिड़याsbquo

२ महावरो का सटीक योग ndashसब घर एक कर दनाsbquo किव की कलपना की उवरर शिकत िजसका योग करन म किव जमीन-आसमान एक कर दता ह |

शन २ किवता की उड़ान ETHका लाकषिणक अथर ःपषट कीिजए |

उततर -कावय की सआम अथर िनरपण शिकत किव की कलपना का िवःतार

शन - किवता क पख िकसका तीक ह

उततर -किव की कलपना शिकत का |

36

3 किवता क बहान

कवर नारायण

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१-िचिड़या की उड़ान एव किवता की उड़ान म कया समानता ह

उततर -उपकरणो की समानता - िचिड़या एक घोसल का सजन ितनक एकऽ करक करती ह| किव भी उसी कार अनक भावो एव िवचारो का समह करक कावय रचना करता ह

कषमता की समानता - िचिड़या की उड़ान और किव की कलपना की उड़ान दोनो दर तक जाती ह|

शन२ - किवता की उड़ान िचिड़या की समझ स पर कयो ह

उततर - किवता की उड़ान िचिड़या की उड़ान स कही अिधक सआम और महततवपणर होती ह

शन३ -ldquoफल मरझा जात ह पर किवता नहीrdquo कयो ःपषट कीिजए

उततर - किवता कालजयी होती ह उसका मलय शाशवत होता ह जबिक फल बहत जलदी कमहला जात ह

शन४ -ldquoबचच की उछल-कद सब घर एक कर दनाrsquo एव lsquoकिव का किवता िलखनाrsquo दोनो म कया समानता एव िवषमता ह

उततर -बचचा खल-खल म घर का सारा सामान अःतवयःत कर दता ह सब कछ टटोलता ह एक ःथान पर एकऽ कर लता ह कावरय रचना-िबया म किव भी परा मानव जीवन खगाल लता ह एक जगह िपरोता ह पर िफर भी दोनो क यासो म बाल-िबयाओ का आनद किव नही समझ सकता

किवता ndash बात सीधी थी पर

ःतत किवता म भाव क अनरप भाषा क महततव पर बल िदया गया ह

किव कहत ह िक एक बार वह सरल सीध कथय की अिभवयिकत म भी भाषा क चककर म ऐसा फस गया िक उस कथय ही बदला -बदला सा लगन लगा किव कहता ह िक िजस कार जोर

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जबरदःती करन स कील की चड़ी मर जाती ह और तब चड़ीदार कील को चड़ीिवहीन कील की तरह ठोकना पड़ता ह उसी कार कथय क अनकल भाषा क अभाव म भावहीन भाषा म भाव को अिभवयिकत िकया जाता ह

अत म भाव न एक शरारती बचच क समान किव स पछा िक तन कया अभी तक भाषा का ःवाभािवक योग नही सीखा

bull इस किवता म भाषा की स षण-शिकत का महततव दशारया गया ह bull किऽमता एव भाषा की अनावयक पचचीकारी स भाषा की पकड़ कमज़ोर हो जाती ह शबद अपनी अथरवतता खो बठता ह bull उनकी किवता म वयथर का उलझाव अखबारी सतहीपन और वचािरक धध क बजाय

सयम पिरकार और साफ़-सथरापन ह

आिखरकार वही हआ िजसका मझ डर था

ज़ोर ज़बरदःती स

बात की चड़ी मर गई

और वह भाषा म बकार घमन लगी

हार कर मन उस कील की तरह ठोक िदया

ऊपर स ठीकठाक

पर अदर स

न तो उसम कसाव था

न ताकत

बात न जो एक शरारती बचच की तरह

मझस खल रही थी

मझ पसीना पोछत दखकर पछा ndash

कया तमन भाषा को

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सहिलयत स बरतना कभी नही सीखा

शन१- इनपिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िलिखए |

उततर - इनपिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िनमनिलिखतह -

१ िबब महावरो का योग

२ नए उपमान

शन २ कावयाश म आए महावरो का अथर ःपषट कीिजए|

उततर -

bull िबब महावरो का अथर - बात की चड़ी मर जाना ETHबात म कसावट न होना

बात का शरारती बचच की तरह खलना ETHबात का पकड़

म न आना

पच को कील की तरह ठोक दना ETHबात का भावहीन

हो जाना

शन ३ - कावयाश म आएउपमानो को ःपषट कीिजए|

उततर-

नए उपमान ndash अमतर उपमय भाषा क िलए मतर उपमान कील का योग बात क िलए शरारती बचच का उपमान

किवताndash

39

बात सीधी थी पर

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन १ - भाषा क चककर म बात कस फस जाती ह

उततर -आडबरपणर भाषा का योग करन स बात का अथर समझना किठन हो जाता ह

शन२ - भाषा को अथर की पिरणित तक पहचान क िलए किव कया कया यास करत ह

उततर - भाषा को अथर की पिरणित तक पहचान क िलए किव उस नाना कार क अलकरणो स

सजाता ह कई कार क भाषा और अलकार सबधी योग करता ह

शन३- भाषा म पच कसना कया ह

उततर -भाषा को चामतकािरक बनान क िलए िविभनन योग करना भाषा म पच कसना ह

परत इसस भाषा का पच जयादा कस जाता ह अथारत कथय एव शबदो म कोई तालमल नही बठता बात समझ म ही नही आती

शन४- किव िकस चमतकार क बल पर वाहवाही की उममीद करता ह

उततर -किव शबदो क चामतकािरक योग क बल पर वाहवाही की उममीद करता ह

शन५-बात एव शरारती बचच का िबब ःपषट कीिजए

उततर -िजस कार एक शरारती बचचा िकसी की पकड़ म नही आता उसी कार एक उलझा दी गई बात तमाम कोिशशो क बावजद समझन क योगय नही रह जाती चाह उसक िलए िकतन यास िकए जाएवह एक शरारती बचच की तरह हाथो स िफसल जाती ह

४ कमर म बद अपािहज

रघवीर सहाय

अथर-महण-सबधी शन

हम दरदशरन पर बोलग

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हम समथर शिकतवान

हम एक दबरल को लाएग

एक बद कमर म

उसस पछ ग तो आप कया अपािहज ह

तो आप कयो अपािहज ह

शन १- Ocircहम दरदशरन पर बोलग हम समथर शिकतवानOtilde-का िनिहत अथर ःपषट कीिजए |

उततर - इन पिकतयो म अह की धविनत अिभवयिकत ह sbquo पऽकािरता का बढ़ता वचरःव दशारया गया ह

शन२- हम एक दबरल को लाएगndash पिकत का वयगयाथर ःपषट कीिजए |

उततर - पऽकािरता क कषऽ म करणा का खोखला दशरन एक पिरपाटी बन गई ह|

शन३- आप कया अपािहज ह

तो आप कयो अपािहज ह पिकत दवारा किव िकस िविशषट अथर की अिभवयिकत करन म सफल हआ ह

उततर - पऽकािरता म वयावसाियकता क चलत सवदनहीनता बढ़ती जा रही ह | यहा अपिकषत उततर ापत करन का अधयर वयकत हआ ह

सौदयर-बोध-महण सबधी अनय शन

शन १- इन पिकतयो का लाकषिणक अथर ःपषट कीिजए |

िफर हम परद पर िदखलाएग

फली हई ऑख की एक बड़ी तःवीर

बहत बड़ी तःवीर

और उसक होठो पर एक कसमसाहट भी

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उततर- - लाकषिणक अथर - दय माधयम का योग कलातमक कावयातमक साकितक ःतित का माऽ िदखावा

कमरा बस करो

नही हआ

रहन दो

लाकषिणक अथर - वयावसाियक उददय परा न होन की खीझ

परद पर वकत की कीमत ह ndash

लाकषिणक अथर -- सऽ वाकय sbquoबर वयावसाियक उददय का उदघाटन

शन२ - रघवीर सहाय की कावय कला की िवशषताए िलिखए |

उततर - रघवीर सहाय की कावय कला की िवशषताएिनमनिलिखत ह -

bull कहानीपन और नाटकीयता

bull बोलचाल की भाषा क शबदःndash बनान क वाःतsbquo सग रलान ह bull साकितकताndash परद पर वकत की कीमत ह bull िबब ndashफली हई आख की एक बड़ी तःवीर

कमर म बद अपािहज

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- दरदशरन पर एक अपािहज का साकषातकार िकस उददय स िदखाया जाता ह

उततर -दरदशरन पर एक अपािहज का साकषातकारsbquo वयावसाियक उददयो को परा करन क िलए िदखाया जाता ह

शन२- अध को अधा कहना िकस मानिसकता का पिरचायक ह

उततर -अध को अधा कहनाsbquo बर और सवदनाशनय मानिसकता का पिरचायक ह

शन३ -किवता म यह मनोवित िकस कार उदघािटत हई ह

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उततर - दरदशरन पर एक अपािहज वयिकत को दशरन की वःत मान कर उसक मन की पीड़ा को करदा जाता हsbquo साकषातकारकतरता को उसक िनजी सखदख स कछ लनादना नही होता ह

शन४ -lsquoहम समथर शिकतवान एव हम एक दबरल को लाएगrsquo म िनिहताथर ःपषट कीिजए

उततर -साकषातकारकतार ःवय को पणर मान करsbquo एक अपािहज वयिकत को दबरल समझन का अहकार पाल हए ह

शन५- अपािहज की शबदहीन पीड़ा को मीिडयाकमीर िकस कार अिभवयकत कराना चाहता ह

उततर -मीिडयाकमीर अपािहज की लाल सजी हई ऑखो कोsbquo पीड़ा की साकितक अिभवयिकत क रप म ःतत करना चाहता ह

शन६-कयामीिडयाकमीर सफल होता हsbquo यिद नही तो कयो

उततर -मीिडयाकमीर सफल नही होता कयो िक सारण समय समापत हो जाता ह और सारण समय क बाद यिद अपािहज वयिकत रो भी दता तो उसस मीिडयाकमीर का वयावसाियक उददय परा नही हो सकता था उसिलए अब उस अपािहज वयिकत क आसओ म कोई िदलचःपी नही थी

शन७- नाटकीय किवता की अितम पिरणित िकस रप म होती ह

उततर -बार बार यास करन पर भी मीिडयाकमीरsbquo अपािहज वयिकत को रोता हआ नही िदखा पातावह खीझ जाता ह और िखिसयानी मःकराहट क साथ कायरबम समापत कर दता ह |Otildeसामािजक उददय स यकत कायरबमOtildeशबदो म वयगय ह कयोिक मीिडया क छदम वयावसाियक उददय की पितर नही हो पाती |

शन८ -lsquoपरद पर वकत की कीमत हrsquo म िनिहत सकताथर को ःपषट कीिजए

उततर -सारण समय म रोचक साममी परोस पाना ही मीिडया किमरयो का एकमाऽ उददय होता हअनयथा उनक सामािजक सरोकार माऽ एक िदखावा ह

5 सहषर ःवीकारा ह

गजानन माधव मिकतबोध

सार

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bull किवता म जीवन क सखndash दखsbquo सघषरndash अवसादsbquo उठाndash पटक को समान रप स ःवीकार करन की बात कही गई ह

bull ःनह की गाढ़ता अपनी चरम सीमा पर पहच कर िवयोग की कलपना माऽ स ऽःत हो उठती ह

bull मालबन अथारत ियजन पर यह भावपणर िनभररताsbquo किव क मन म िवःमित की चाह उतपनन करती हवह अपन िय को पणरतया भल जाना चाहता ह |

bull वःततः िवःमित की चाह भी ःमित का ही रप ह यह िवःमित भी ःमितयो क धधलक स अछती नही हिय की याद िकसी न िकसी रप म बनी ही रहती ह|

bull परत किव दोनो ही पिरिःथितयो को उस परम सतता की परछाई मानता हइस पिरिःथित को खशी ETHखशी ःवीकार करता ह |दःख-सख सघषर ETHअवसाद उठा ETHपटक िमलन-िबछोह को समान भाव स ःवीकार करता ह|िय क सामन न होन पर भी उसक आस-पास होन का अहसास बना रहता ह|

bull भावना की ःमित िवचार बनकर िवशव की गितथया सलझान म मदद करती ह| ःनह म थोड़ी िनःसगता भी जररी ह |अित िकसी चीज की अचछी नही |OtildeवहOtilde यहा कोई भी हो सकता ह िदवगत मा िय या अनय |कबीर क राम की तरह वडसरवथर की मातमना कित की तरह यह म सवरवयापी होना चाहता ह |

मःकाता चाद जयो धरती पर रात भर मझ पर तयो तमहारा ही िखलता वह चहरा ह

bull छायावाद क वतरक साद की लखनी स यह ःवर इस कार धविनत हआ ह ndash

दख की िपछली रजनी बीच िवकसता सख का नवल भात एक परदा यह झीना नील िछपाए ह िजसम सख गात यह किवता Ocircनई किवताOtilde म वयकत रागातमकता को आधयाितमकता क ःतर पर ःतत करती ह

अथरमहण-सबधी शन

िज़दगी म जो कछ भी ह

सहषर ःवीकारा ह इसिलए िक जो कछ भी मरा ह

वह तमह पयारा ह|

44

गरबीली गरीबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव िवचार सब

दढ़ता यहभीतर की सिरता यह अिभनव सब

मौिलक ह मौिलक ह

इसिलए िक पल-पल म जो कछ भी जामत ह अपलक ह-

सवदन तमहारा ह शन १- किव और किवता का नाम िलिखए|

उततर- किव- गजानन माधव मिकतबोध

किवताndash सहषर ःवीकारा ह

शन२- गरबीली गरीबीभीतर की सिरता आिद योगो का अथर ःपषट कीिजए |

उततर -गरबीली गरीबीndash िनधरनता का ःवािभमानी रप किव क िवचारो की मौिलकता अनभवो की गहराई दढ़ता हदय का म उसक गवर करन का कारण ह |

शन३ - किव अपन िय को िकस बात का ौय द रहा ह

उततर- िनजी जीवन क म का सबल किव को िवशव वयापी म स जड़न की रणा दता ह |अत किव इसका ौय अपन िय को दता ह |

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सौदयर-बोध-महण सबधी शन

जान कया िरता ह जान कया नाता ह

िजतना भी उडलता ह भर ETHभर िफर आता ह

िदल म कया झरना ह

मीठ पानी का सोता ह

भीतर वह ऊपर तम

मःकाता चाद जयो धरती पर रात- भर

मझ पर तयो तमहारा ही िखलता वह चहरा ह |

शन१- किवता की भाषा सबधी दो िवशषताए िलिखए |

उततर- १-सटीक तीको

२- नय उपमानो का योग

शन२ - िदल म कया झरना ह

मीठ पानी का सोता ह - -क लाकषिणक अथर को ःपषट कीिजए |

उततर - िदल म कया झरना ह-हदय क अथाह म का पिरचायक

मीठ पानी का सोता ह -अिवरल कभी समापत होन वाला म

शन३- किवता म यकत िबब का उदाहरण िलिखए |

दय िबबndash मःकाता चाद जयो धरती पर रात भर मझ पर तमहारा ही िखलता वह चहरा

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5 सहषर ःवीकारा ह

गजानन माधव मिकतबोध

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१-किव न िकस सहषर ःवीकारा ह

उततर- bull किवता म जीवन क सखndash दखsbquo सघषरndash अवसादsbquo उठाndash पटक को समान रप स ःवीकार

करन की बात कही गई ह bull िय स िबछड़ कर भी उसकी ःमितयो को वयापक ःतर पर ल जाकर िवशव चतना म

िमला दन की बात कही गई ह | शन२- किव को अपन अनभव िविशषट एव मौिलक कयो लगत ह

उततर- किव को अपनी ःवािभमानयकत गरीबी जीवन क गमभीर अनभव िवचारो का वभव वयिकततव की दढ़ता मन की भावनाओ की नदी यह सब नए रप म मौिलक लगत ह कयो िक उसक जीवन म जो कछ भी घटता ह वह जामत ह िवशव उपयोगी ह अत उसकी उपलिबध ह और वह उसकी िया की रणा स ही सभव हआ ह उसक जीवन का तयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई िदशा ही दता रहा ह |

शन३- ldquoिदल का झरनाrdquo का साकितक अथर ःपषट कीिजए

उततर-िजस कार झरन म चारो ओर की पहािड़यो स पानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कभी खतम न होन वाल ॐोत क रप म योग िकया जा सकता ह उसी कार किव क िदल म िःथत म उमड़ता ह कभी समापत नही होता जीवन का िसचन करता ह| वयिकतगत ःवाथर स दर पर समाज क िलए जीवनदायी हो जाता ह |

शन४- lsquoिजतना भी उड़लता ह भर-भर िफर आता ह का िवरोधाभास ःपषट कीिजए

उततर-हदय म िःथत म की िवशषता यह ह िक िजतना अिधक वयकत िकया जाए उतना ही बढ़ता जाता ह

शन५- वह रमणीय उजाला कया ह िजस किव सहन नही कर पाता

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उततर-किव न ियतमा की आभा सम क सखद भावो स सदव िघर रहन की िःथित को उजाल क रप म िचिऽत िकया ह इन ःमितयो स िघर रहना आनददायी होत हए भी किव क िलए असहनीय हो गया ह कयोिक इस आनद स विचत हो जान का भय भी उस सदव सताता रहता ह

6 उषा

शमशर बहादर िसह

सार

उषा किवता म सयोरदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणरन िकया गया ह सयोरदय क पवर ातःकालीन आकाश नील शख की तरह बहत नीला होता ह भोरकालीन नभ की तलना काली िसल स की गयी ह िजस अभी-अभी कसर पीसकर धो िदया गया ह कभी किव को वह राख स लीप चौक क समान लगता ह जो अभी गीला पड़ा ह नील गगन म सयर की पहली िकरण ऐसी िदखाई दती ह मानो कोई सदरी नील जल म नहा रही हो और उसका गोरा शरीर जल की लहरो क साथ िझलिमला रहा हो

ातकालीन पिरवतरनशील सौदयर का दय िबब ाकितक पिरवतरनो को मानवीय िबयाकलापो क माधयम स वयकत िकया गया ह यथाथर जीवन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली िसलनीला शख ःलटलाल खिड़या चाक आिद का योग साद की कित ndashबीती िवभावरी जाग री स तलना की जा सकती ह

किवताndash उषा

अथर-महण-सबधी शन

ात नभ था बहत नीला शख जस

भोर का नभ

राख स लीपा चौका

(अभी गीला पड़ा ह ) बहत काली िसल ज़रा स लाल कसर

स िक जस धल गई हो ःलट पर या लाल खिड़या चाक

मल दी हो िकसी न

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नील जल म या िकसी की

गौर िझलिमल दह

जस िहल रही हो | और

जाद टटता ह इस उषा का अब

सयोरदय हो रहा ह|

शन१ -उषा किवता म सयोरदय क िकस रप को िचिऽत िकया गया ह

उततर -किव न ातःकालीन पिरवतरनशील सौदयर का दय िबब मानवीय िबयाकलापो क माधयम स वयकत िकया ह

शन२ -भोर क नभ और राख स लीप गए चौक म कया समानता ह

उततर -भोर क नभ और राख स लीप गए चौक म यह समानता ह िक दोनो ही गहर सलटी रग क हपिवऽ ह नमी स यकत ह

शन३ - ःलट पर लाल पिकत का अथर ःपषट कीिजए|

उततर - भोर का नभ लािलमा स यकत ःयाही िलए हए होता ह | अत लाल खिड़या चाक स मली गई ःलट जसा तीत होता ह |

शन४- उषा का जाद िकस कहा गया ह

उततर िविवध रप रग बदलती सबह वयिकत पर जादई भाव डालत हए उस मऽ मगध कर दती ह |

सौदयर-बोध-सबधी िवशषताए

शन१- किवता म यकत उपमानो को ःपषट कीिजए

bull भोर का नभ राख स लीपा चौका दोनो ही गहर सलटी रग क हपिवऽ हनमी स यकत ह

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bull काली िसल भोर का नभ और लालकसर स धली काली िसल दोनो ही लािलमा स यकत ह

bull काली िसलट जो लाल खिड़या चाक स मल दी गई हो और भोर का नभ दोनो ही लािलमा स यकत ह

bull ातः काल क ःवचछ िनमरल आकाश म सयर ऐसा तीत होता ह मानो नीलजल म कोई ःविणरम दह नहा रही हो

शन२- किवता की भाषा एव अिभवयिकत सबधी िवशषताए िलिखए

उततर -१ यथाथर जीवन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दयिबब

शन ३ किवता म आए अलकारो को छॉटकर िलिखए

उततर - उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लीपा चौका

उतकषा अलकार-

ldquo बहत काली िसल जरा स लाल कसर स िक जस धल गई हो

नील जल म या िकसी की

गौर िझलिमल दह

जस िहल रही हो ldquo

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- किवता क िकन उपमानो को दख कर कहा जा सकता ह िक उषा गाव की सबह का गितशील शबद िचऽ ह

उततर -किवता म नील नभ को राख स िलप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर िबब म उसकी तलना काली िसल स की गई ह| तीसर म ःलट पर लाल खिड़या चाक का उपमान ह|लीपा हआ आगन काली िसल या ःलट गाव क पिरवश स ही िलए गए ह |ात कालीन सौदयर बमश िवकिसत होता ह | सवर थम राख स लीपा चौका जो गीली राख क कारण गहर ःलटी रग का अहसास दता ह और पौ फटन क समय आकाश क गहर ःलटी रग स मल खाता

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ह |उसक पशचात तिनक लािलमा क िमौण स काली िसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ह तथा सयर की लािलमा क रात की काली ःयाही म घल जान का सदर िबब ःतत करता ह | धीर ETHधीर लािलमा भी समापत हो जाती ह और सबह का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर की ःविणरम आभा गौरवणीर दह क नील जल म नहा कर िनकलन की उपमा को साथरक िसदध करती ह | शन२ -

भोर का नभ

राख स लीपा चौका

(अभी गीला पड़ा ह ) नयी किवता म कोषठक िवराम िचहनो और पिकतयो क बीच का ःथान भी किवता को अथर दता ह |उपयरकत पिकतयो म कोषठक स किवता म कया िवशष अथर पदा हआ ह समझाइए |

उततर - नई किवता योग धमीर ह |इसम भाषा- िशलप क ःतर पर हर नए योग स अथर की अिभवयिकत की जाती ह|ाय कोषठक अितिरकत जञान की सचना दता ह|यहा अभी गीला पड़ा ह क माधयम स किव गीलपन की ताजगी को ःपषट कर रहा ह |ताजा गीलापन ःलटी रग को अिधक गहरा बना दता ह जबिक सखन क बाद राख हलक ःलटी रग की हो जाती ह|

7 बादल राग

सयरकात िऽपाठी िनराला

िनराला की यह किवता अनािमका म छह खडो म कािशत हयहा उसका छठा खड िलया गया ह|आम आदमी क दःख स ऽःत किव पिरवतरन क िलए बाित रपी बादल का आहवान करता ह |इस किवता म बादल बाित या िवपलव का तीक ह किव िवपलव क बादल को सबोिधत करत हए कहता ह िक जन मन की आकाकषाओ स भरी-तरी नाव समीर रपी सागर पर तर रही ह अिःथर सख पर दःख की छाया तरती िदखाई दती ह ससार क लोगो क हदय दगध ह(दःखी) उन पर िनदरयी िवपलव अथारत बाित की माया फली हई ह बादलो क गजरन स पथवी क गभर म सोए अकर बाहर िनकल आत ह अथारत शोिषत वगर सावधान हो जाता ह और आशा भरी दिषट स बाित की ओर दखन लगता ह उनकी आशा बाित पर ही िटकी ह बादलो की गजरना और मसलाधार वषार म बड़ -बड़ पवरत वकष घबरा जात हउनको उखड़कर िगर जान का भय होता ह |बाित की हकार स पजीपित घबरा उठत ह व िदल थाम कर रह जात ह बाित को तो छोट-

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छोट लोग बलात ह िजस कार छोट छोट पौध हाथ िहलाकर-बादलो क आगमन का ःवागत करत ह वस ही शोिषत वगर बाित क आगमन का ःवागत करता ह

छायावादी किव िनराला सामयवादी भाव स भी जड़ हमकत छद िहनदी को उनही की दन हशोिषत वगर की समःयाओ को समापत करन क िलए बाित रपी बादल का आहवान िकया गया ह

अथर-महण-सबधी शन

किवताndash

बादल राग

ितरती ह समीर-सागर पर

अिःथर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

िनदरय िवपलव की पलािवत माया-

यह तरी रण-तरी

भरी आकाकषाओ स

घन भरी ETHगजरन स सजग सपत अकर

उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन की ऊचा कर िसर

ताक रह ह ऐ िवपलव क बादल

िफर ETHिफर

बार ETHबार गजरन

वषरण ह मसलधार

हदय थाम लता ससार

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सन- सन घोर वळ हकार |

अशिन पात स शाियत शत-शत वीर

कषत ETHिवकषत हत अचल शरीर

गगन- ःपशीर ःपदधार धीर |

शन१- किवता म बादल िकस का तीक हऔर कयो

उततर -बादलराग बाित का तीक ह इन दोनो क आगमन क उपरात िवशव हरा- भरा समदध और ःवःथ हो जाता ह

शन २ -सख को अिःथर कयो कहा गया ह

उततर -सख सदव बना नही रहता अतः उस अिःथर कहा जाता ह

शन३ -िवपलवी बादल की यदध रपी नौका की कया- कया िवशषताए ह

उततर -बादलो क अदर आम आदमी की इचछाए भरी हई हिजस तरह स यदरध नौका म यदध की साममी भरी होती हयदध की तरह बादल क आगमन पर रणभरी बजती ह सामानयजन की आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह

शन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन िवनाश की आशका स भयभीत हो उठता ह

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सौदयर-बोध-सबधी शन

हसत ह छोट पौध लघभार-

शःय अपार

िहल िहल

िखल िखल

हाथ िहलात

तझ बलात

िवपलव रव स छोट ही ह शोभा पात|

शन १- िनमन िलिखत तीको को ःपषट कीिजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोिषत वगर सपत अकर- आशाए

शन२- Ocircहसत ह छोट पौधOtilde-का तीकाथर ःपषट कीिजए |

उततर -सनन िचतत िनधरन वगर जो बाित की सभावना माऽ स िखल उठता ह

शन३-Ocircछोट ही ह शोभा पातOtilde म िनिहत लाकषिणकता कया ह

उततर-बचपन म मनय िनिशचत होता ह िनधरन मनय उस बचच क समान ह जो बाित क समय भी िनभरय होता ह और अतत लाभािनवत होता ह

किवताndash

बादल राग

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- पजीपितयो की अटटािलकाओ को आतक भवन कयो कहा गया ह

उततर -बादलो की गजरना और मसलाधार वषार म बड़ -बड़ पवरत वकष घबरा जात हउनको उखड़कर िगर जान का भय होता ह |उसी कार बाित की हकार स पजीपित घबरा उठत ह व

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िदल थाम कर रह जात हउनह अपनी सपितत एव सतता क िछन जान का भय होता ह | उनकी अटटािलकाए मजबती का म उतपनन करती ह पर वाःतव म व अपन भवनो म आतिकत होकर रहत ह|

शन२- किव न िकसान का जो शबद-िचऽ िदया ह उस अपन शबदो म िलिखए |

उततर - िकसान क जीवन का रस शोषको न चस िलया ह आशा और उतसाह की सजीवनी समापत हो चकी ह |शरीर स भी वह दबरल एव खोखला हो चका ह | बाित का िबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ह |वह िखलिखला कर बादल रपी बाित का ःवागत करता ह |

शन३- अशिन पात कया ह

उततर- बादल की गजरना क साथ िबजली िगरन स बड़ ETHबड़ वकष जल कर राख हो जात ह | उसी कार बाित की आधी आन स शोषक धनी वगर की सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह |

शन४- पथवी म सोय अकर िकस आशा स ताक रह ह

उततर - बादल क बरसन स बीज अकिरत हो लहलहान लगत ह | अत बादल की गजरन उनम आशाए उतपनन करती ह | व िसर ऊचा कर बादल क आन की राह िनहारत ह | ठीक उसी कार िनधरन वयिकत शोषक क अतयाचार स मिकत पान और अपन जीवन की खशहाली की आशा म बाित रपी बादल की तीकषा करत ह |

शन५- रदध कोष ह कषबदध तोष ETHिकसक िलए कहा गया ह और कयो

उततर - बाित होन पर पजीपित वगर का धन िछन जाता हकोष िरकत हो जाता ह | उसक धन की आमद समापत हो जाती ह | उसका सतोष भी अब Ocircबीत िदनो की बातOtilde हो जाता ह |

शन६- अिःथर सख पर दःख की छाया का भाव ःपषट कीिजए |

उततर - मानव-जीवन म सख सदा बना नही रहता ह उस पर दःख की छाया सदा मडराती रहती ह |

शन७- बादल िकस का तीक ह

55

उततर - बादल इस किवता म बाित का तीक ह | िजस कार बादल कित िकसान और आम आदमी क जीवन म आनद का उपहार ल कर आता ह उसी कार बाित िनधरन शोिषत वगर क जीवन म समानता का अिधकार व सपननता ल कर आता ह

शन८- बादल को जीवन का पारावार कयो कहा गया ह

उततर - बाित रपी बादल का आगमन जीवनदायी सखद होता ह -पारावार अथारत सागर | वह जीवन म खिशयो का खजाना लकर आता ह | िनधरन वगर को समानता का अिधकार दता ह |सख समिदध का कारक बनकर अतयाचार की अिगन स मकत करता ह |

56

8 किवतावली

तलसीदास

सार

ौीरामजी को समिपरत मनथ ौीरामचिरतमानस उततर भारत म बड़ भिकतभाव स पढ़ा जाता ह लआमण -मचछार और राम का िवलाप

रावण पऽ मघनाद दवारा शिकत बाण स मिछरत हए लआमण को दखकर राम वयाकल हो जात हसषण वदय न सजीवनी बटी लान क िलए हनमान को िहमालय पवरत पर भजाआधी रात वयतीत होन पर जब हनमान नही आएतब राम न अपन छोटभाई लआमण को उठाकर हदय स लगा िलया और साधारण मनय की भाित िवलाप करन लगराम बोल ह भाई तम मझ कभी दखी नही दख सकत थतमहारा ःवभाव सदा स ही कोमल थातमन मर िलए माता िपता को भी छोड़ िदया और मर साथ वन म सदीरगमीर और िविभनन कार की िवपरीत पिरिःथितयो को भी सहा|जस पख िबना पकषीमिण िबना सपर और सड िबना ौषठ हाथी अतयत दीन हो जात हह भाईयिद म जीिवत रहता ह तो मरी दशा भी वसी ही हो जाएगी

म अपनी पतनी क िलए अपन िय भाई को खोकर कौन सा मह लकर अयोधया जाऊगाइस बदनामी को भल ही सह लता िक राम कायर ह और अपनी पतनी को खो बठा सतरी की हािन िवशष कषित नही हपरनत भाई को खोना अपरणीय कषित ह

lsquoरामचिरतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गही लआमण को शिकत बाण लगन का सग किव की मािमरक ःथलो की पहचान का एक ौषठ नमना ह भाई क शोक म िवगिलत राम का िवलाप धीर -धीर लाप म बदल जाता ह िजसम लआमण क ित राम क अतर म िछप म क कई कोण सहसा अनावत हो जात हयह सग ईशवर राम म मानव सलभ गणो का समनवय कर दता ह | हनमान का सजीवनी लकर आ जाना करण रस म वीर रस का उदय हो जान क समान ह|

िवनय पिऽका एक अनय महततवपणर तलसीदासकत कावय ह

किवतत और सवया

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सार

इस शीषरक क अतगरत दो किवतत और एक सवया सकिलत ह lsquoकिवतावलीrsquo स अवतिरत इन किवततो म किव तलसी का िविवध िवषमताओ स मःत किलकालतलसी का यगीन यथाथर ह

िजसम व कपाल भ राम व रामराजय का ःवपन रचत ह यग और उसम अपन जीवन का न िसफर उनह गहरा बोध ह बिलक उसकी अिभवयिकत म भी व अपन समकालीन किवयो स आग ह यहा पाठ म ःतत lsquoकिवतावलीrsquo क छद इसक माण -ःवरप ह पहल छद rdquoिकसवी िकसान ldquo म उनहोन िदखलाया ह िक ससार क अचछ बर समःत-लीला पचो का आधार-lsquoपट की आगrsquoका गहन यथाथर ह िजसका समाधान व राम की भिकत म दखत ह दिरिजन की वयथा दर करन क िलए राम रपी घनयाम का आहवान िकया गया ह पट की आग बझान क िलए राम रपी वषार का जल अिनवायर हइसक िलए अनितक कायर करन की आवयकता नही हOcirc इस कार उनकी राम भिकत पट की आग बझान वाली यानी जीवन क यथाथर सकटो का समाधान करन वाली ह न िक कवल आधयाितमक मिकत दन वाली| गरीबी की पीड़ा रावण क समान दखदायी हो गई ह

तीसर छद )rdquoधत कहौldquo) म भिकत की गहनता और सघनता म उपज भकतहदय क आतमिवशवास का सजीव िचऽण ह िजसस समाज म वयापत जातपात और दरामहो क ितरःकार का साहस -पदा होता ह इस कार भिकत की रचनातमक भिमका का सकत यहा ह जो आज क भदभाव मलक यग म अिधक ासिगक ह |

अथर-महण-सबधी शन

उहा राम लिछमनिह िनहारी बोल बचन मनज अनसारी

अधर राित गइ किप निह आयउ राम उठाइ अनज उर लायउ

सकह न दिखत दिख मोिह काऊ बध सदा तव मदल सभाऊ

मम िहत लािग तजह िपत माता सहह िबिपन िहम आतप बाता

सो अनराग कहा अब भाई उठह न सिन मम बच िबकलाई

जौ जनतउ बन बध िबछोह िपता बचन मनतउ निह ओह

सत िबत नािर भवन पिरवारा होिह जािह जग बारिह बारा

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अस िबचािर िजय जागह ताता िमलइ न जगत सहोदर ाता

जथा पख िबन खग अित दीना मिन िबन फिन किरबर कर हीना

अस मम िजवन बध िबन तोही जौ जड़ दव िजआव मोही

जहउ अवध कवन मह लाई नािर हत िय भाइ गवाई

बर अपजस सहतउ जग माही नािर हािन िबसष छित नाही

अब अपलोक सोक सत तोरा सिहिह िनठर कठोर उर मोरा

िनज जननी क एक कमारा तात तास तमह ान अधारा

सौपिस मोिह तमहिह गिह पानी सब िबिध सखद परम िहत जानी

उतर काह दहउ तिह जाई उिठ िकन मोिह िसखावह भाई

शन१-Ocircबोल बचन मनज अनसारीOtilde- का तातपयर कया ह

उततर - भाई क शोक म िवगिलत राम का िवलाप धीर- -धीर लाप म बदल जाता ह िजसम लआमण क ित राम क अतर म िछप म क कई कोण सहसा अनावत हो जात ह यह सग ईशवर राम म मानव सलभ गणो का समनवय कर दता ह| व मनय की भाित िवचिलत हो कर ऐस वचन कहत ह जो मानवीय कित को ही शोभा दत ह |

शन२- राम न लआमण क िकन गणो का वणरन िकया ह

उततर -राम न लआमण क इन गणो का वणरन िकया ह-

bull लआमण राम स बहत ःनह करत ह | bull उनहोन भाई क िलए अपन माता ETHिपता का भी तयाग कर िदया | bull व वन म वषार िहम धप आिद कषटो को सहन कर रह ह | bull उनका ःवभाव बहत मदल ह |व भाई क दःख को नही दख सकत |

शन३- राम क अनसार कौन सी वःतओ की हािन बड़ी हािन नही ह और कयो

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उततर -राम क अनसार धन पऽ एव नारी की हािन बड़ी हािन नही ह कयोिक य सब खो जान पर पन ापत िकय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन ापत नही िकया जा सकता |

शन४- पख क िबना पकषी और सड क िबना हाथी की कया दशा होती ह कावय सग म इनका उललख कयो िकया गया ह

उततर - राम िवलाप करत हए अपनी भावी िःथित का वणरन कर रह ह िक जस पख क िबना पकषी और सड क िबना हाथी पीिड़त हो जाता ह उनका अिःततव नगणय हो जाता ह वसा ही असहनीय कषट राम को लआमण क न होन स होगा |

60

सौदयर-बोध-सबधी शन

शन१- कावयाश की भाषा सौदयर सबधी दो िवशषताओ का उलललख कीिजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतकषा अलकारndash

मन करणा मह बीर रस

जागा िनिसचर दिखअ कसामानह काल दह धिर बसा

दषटात अलकार - जथा पख िबन खग अित दीनामिन िबन फिन किरबर कर हीना

अस मन िजवन बध िबन तोहीजो जड़ दव िजआव मोही

िवरोधाभास अलकार -बहिबिध सोचत सोच िबमोचन

शन२- कावयाश की भाषा का नाम िलिखए |

उततर - अवधी भाषा

शन३- कावयाश म यकत छद कौन ETHसा ह

उततर- १६१६ माऽाओ का सम मािऽक चौपाई छद |

सौदयर-बोध-सबधी शन

िकसबी िकसान-कल बिनक िभखारी भाट चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गढ़त चढ़त िगिर अटत गहन ETHगन अहन अखटकी|

ऊच ETHनीच करम धरम ETHअधरम किर पट ही को पचत बचत बटा ETHबटकी |

OcircतलसीOtilde बझाई एक राम घनःयाम ही त आिग बड़वािगत बड़ी ह आिग पटकी|

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शन१- किवतावली िकस भाषा म िलखी गई ह

उततर - ज भाषा

शन२- किवतावली म यकत छद एव रस को ःपषट कीिजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणोर का चार चरणो वाला समविणरक किवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वणोर पर िवराम होता ह

शन३- किवतत म यकत अलकारो को छाट कर िलिखए

१ अनास अलकारndash

िकसबी िकसान-कल बिनक िभखारी भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनयाम

३ अितशयोिकत अलकारndash आिग बड़वािग त बिड़ ह आग पट की

लआमण- मचछार और राम का िवलाप

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन १-Ocircतव ताप उर रािख भ म िकसक ताप का उललख िकया गया हOtildeऔर कयो

उततर -इन पिकतयो म भरत क ताप का उललख िकया गया ह हनमानजी उनक ताप का ःमरण करत हए अयोधया क ऊपर स उड़त हए सजीवनी ल कर लका की ओर चल जा रह ह

शन२- राम िवलाप म लआमण की कौन सी िवशषताए उदघिटत हई ह

उततर -लआमण का ात म तयागमय जीवन इन पिकतयो क माधयम स उदघािटत हआ ह

शन३- बोल वचन मनज अनसारी स किव का कया तातपयर ह

उततर -भगवान राम एक साधारण मनय की तरह िवलाप कर रह ह िकसी अवतारी मनय की तरह नही ात म का िचऽण िकया गया हतलसीदास की मानवीय भावो पर सशकत पकड़ हदवीय वयिकततव का लीला रप ईशवर राम को मानवीय भावो स समिनवत कर दता ह

62

शन४- भाई क ित राम क म की गाढ़ता उनक िकन िवचारो स वयकत हई ह

उततर - जथा पख िबन खग अित दीना

मिन िबन फिन किरबर कर हीना

अस मम िजवन बध िबन तोही

जो जड़ दव िजआव मोही

शन५- Ocircबहिविध सोचत सोचिवमोचनOtilde का िवरोधाभास ःपषट कीिजए

उततर -दीनजन को शोक स मकत करन वाल भगवान राम ःवय बहत कार स सोच म पड़कर दखी हो रह ह

शन६- हनमान का आगमन करणा म वीर रस का आना िकस कार कहा जा सकता ह

उततर -रदन करत वानर समाज म हनमान उतसाह का सचार करन वाल वीर रस क रप म आ गए करणा की नदी हनमान दवारा सजीवनी ल आन पर मगलमयी हो उठती ह

किवतत और सवया

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- पट की भख शात करन क िलए लोग कया कया करत ह

उततर -पट की आग बझान क िलए लोग अनितक कायर करत ह

शन२- तलसीदास की दिषट म सासािरक दखो स िनवितत का सवोरततम उपाय कया ह

उततर - पट की आग बझान क िलए राम कपा रपी वषार का जल अिनवायर हइसक िलए अनितक कायर करन की आवयकता नही ह

शन३- तलसी क यग की समःयाओ का िचऽण कीिजए

उततर - तलसी क यग म ाकितक और शासिनक वषमय क चलत उतपनन पीडा दिरिजन क िलए रावण क समान दखदायी हो गई ह

शन४- तलसीदास की भिकत का कौन सा ःवरप ःतत किवततो म अिभवयकत हआ ह

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उततर - तलसीदास की भिकत का दाःय भाव ःवरप ःतत किवततो म अिभवयकत हआ ह

9 रबाइया

िफ़राक गोरखपरी

मल नामndash रघपित सहाय िफ़राक

उदर शायरी की िरवायत क िवपरीत िफराक गोरखपरी क सािहतय म लोक जीवन एव कित की झलक िमलती ह सामािजक सवदना वयिकतक अनभित बन कर उनकी रचनाओ म वयकत हई हजीवन का कठोर यथाथर उनकी रचनाओ म ःथान पाता हउनहोन लोक भाषा क तीको का योग िकया ह लाकषिणक योग उनकी भाषा की िवशषता हिफ़राक की रबाईयो म घरल िहदी का रप िदखता ह |

रबाई उदर और फ़ारसी का एक छद या लखन शली ह िजसम चार पिकतया होती ह |इसकी पहली दसरी और चौथी पिकत म तक (कािफ़या)िमलाया जाता ह तथा तीसरी पिकत ःवचछद होती ह |

वो रपवती मखड़ प इक नमर दमक

बचच क घरोद म जलाती ह िदए

रकषाबधन की सबह रस की पतली

िबजली की तरह चमक रह ह लचछ

भाई क ह बाधती चमकती राखी - जस योग उनकी भाषा की सशकतता क नमन क तौर पर दख जा सकत ह |

सार

रबाइया

रकषाबधन एक मीठा बधन ह रकषाबधन क कचच धागो पर िबजली क लचछ ह सावन म रकषाबधन आता ह सावन का जो सबध झीनी घटा स ह घटा का जो सबध िबजली स ह वही सबध भाई का बहन स होता ह

गज़ल

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पाठ म िफराक की एक गज़ल भी शािमल ह रबाइयो की तरह ही िफराक की गजलो म भी िहदी समाज और उदर शायरी की परपरा भरपर ह इसका अदभत नमना ह यह गज़ल यह गज़ल कछ इस तरह बोलती ह िक िजसम ददर भी ह एक शायर की ठसक भी ह और साथ ही ह कावय-िशलप की वह ऊचाई जो गज़ल की िवशषता मानी जाती ह

अथर-महण-सबधी शन

आगन म िलए चाद क टकड़ को खड़ी

हाथो प झलाती ह उस गोद-भरी

रह-रह क हवा म जो लोका दती ह

गज उठती ह िखलिखलात बचच की हसी

शन१- Ocircचाद क टकड़Otildeका योग िकसक िलए हआ ह और कयो

उततर -बचच को चाद का टकड़ा कहा गया ह जो मा क िलए बहत पयारा होता ह

शन२- गोद-भरी योग की िवशषता को ःपषट कीिजए |

उततर - गोद-भरी शबद-योग मा क वातसलयपणर आनिदत उतसाह को कट करता ह |यह अतयत सदर दय िबब ह | सनी गोद क िवपरीत गोद का भरना मा क िलए असीम सौभागय का सचक ह |इसी सौभागय का सआम अहसास मा को तिपत द रहा ह|

शन३- लोका दना िकस कहत ह

उततर - जब मा बचच को बाहो म लकर हवा म उछालती ह इस लोका दना कहत ह|छोट बचचो को यह खल बहत अचछा लगता ह

शन४- बचचा मा की गोद म कसी ितिबया करता ह

उततर - हवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा मा का वातसलय पाकर सनन होता ह और िखलिखला कर हस पड़ता हबचच की िकलकािरया मा क आनद को दगना कर दती ह|

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सौदयर-बोध-सबधी शन

नहला क छलक-छलक िनमरल जल स

उलझ हए गसओ म कघी करक

िकस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटिनयो म लक ह िपनहाती कपड़

शन१- ःतत पिकतयो क भाव सौदयर को ःपषट कीिजए |

उततर - मा न अपन बचच को िनमरल जल स नहलाया उसक उलझ बालो म कघी की |मा क ःपशर एव नहान क आनद स बचचा सनन हो कर बड़ म स मा को िनहारता ह| ितिदन की एक ःवाभािवक िबया स कस मा-बचच का म िवकिसत होता ह और गाढ़ होता चला जाता ह इस भाव को इस रबाई म बड़ी सआमता क साथ ःतत िकया गया ह|

शन२- कावयाश म आए िबबो को ःपषट कीिजए |

उततर -१ नहला क छलक-छलक िनमरल जल स - इस योग दवारा किव न बालक की िनमरलता एव पिवऽता को जल की िनमरलता क माधयम स अिकत िकया ह | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक क शरीर पर छलछलान का सदर दय िबब ःतत करता ह |

२ Ocircघटिनयो म लक ह िपनहाती कपड़Otilde- इस योग म मा की बचच क ित सावधानी चचल बचच को चोट पहचाए िबना उस कपड़ पहनान स मा क माततव की कशलता िबिबतहोती ह |

३ िकस पयार स दखता ह बचचा मह को - पिकत म मा ETHबचच का वातसलय िबिबत हआ ह | मा स पयार ETHदलार ःपशर ETHसख नहलाए जान क आनद को अनभव करत हए बचचा मा को पयार भरी नजरो स दख कर उस सख की अिभवयिकत कर रहा ह |यह सआम भाव अतयत मनोरम बन पड़ा ह |सपणर रबाई म दय िबब ह|

शन ३-कावयाश क शबद-योग पर िटपपणी िलिखए |

उततर -गस ETHउदर शबदो का योग

घटिनयो िपनहाती ETH दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अिभवयिकत

छलक ETHछलक ETHशबद की पनरावितत स अभी ETHअभी नहलाए गए बचच क गील शरीर का िबब

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आिद िवलकषण योग रबाइयो को िविशषट बना दत ह | िहदीउदर और लोकभाषा क अनठ गठबधन की झलक िजस गाधीजी िहदःतानी क रप म पललिवत करना चाहत थदखन को िमलती ह |

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

रबाइया

शन १ -कावय म यकत िबबो का वणरन अपन शबदो म कीिजए

उततर -

bull दय िबब -बचच को गोद म लना हवा म उछालना ःनान कराना घटनो म लकर कपड़ पहनाना|

bull ौवयिबब - बचच का िखलिखला कर हस पड़ना bull ःपशर िबब -बचच को ःनान करात हए ःपशर करना |

शन २- आगन म ठनक रहा ह िज़दयाया ह बालक तो हई चाद प ललचाया हOtilde- म बालक की कौन सी िवशषता अिभवयकत हई ह

उततर - इन पिकतयो म बालक की हठ करन की िवशषता अिभवयकत हई ह बचच जब िजद पर आ जात ह तो अपनी इचछा परी करवान क िलए नाना कार की हरकत िकया करत ह| िज़दयाया शबद लोक भाषा का िवलकषण योग ह इसम बचच का ठनकना तनकना पाव पटकना रोना आिद सभी िबयाए शािमल ह |

शन ३ लचछ िकस कहा गया ह इनका सबध िकस तयौहार स ह

उततर - राखी क चमकील तारो को लचछ कहा गया ह रकषाबधन क कचच धागो पर िबजली क लचछ ह सावन म रकषाबधन आता ह सावन का जो सबध झीनी घटा स ह घटा का जो सबध िबजली स ह वही सबध भाई का बहन स होता ह|सावन म िबजली की चमक की तरह राखी क चमकील धागो की सदरता दखत ही बनती ह|

अथर-महण-सबधी शन

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गज़ल

िफ़राक गोरखपरी

नौरस गच पखिड़यो की नाज़क िगरह खोल ह

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ह |

शन१- OcircनौरसOtilde िवशषण दवारा किव िकस अथर की वयजना करना चाहता ह

उततर नौरस अथारत नया रस गच अथारत किलयो म नया ETHनया रस भर आया ह |

शन२- पखिड़यो की नाज़क िगरह खोलन का कया अिभाय ह

उततर - रस क भर जान स किलया िवकिसत हो रही ह |धीर-धीर उनकी पखिड़या अपनी बद गाठ खोल रही ह | किव क शबदो म नवरस ही उनकी बद गाठ खोल रहा ह|

शन३- Ocircरगो- ब गलशन म पर तौल हOtilde ETH का अथर ःपषट कीिजए|

उततर -रग और सगध दो पकषी ह जो किलयो म बद ह तथा उड़ जान क िलए अपन पख फड़फड़ा रह ह |यह िःथित किलयो क फल बन जान स पवर की ह जो फल बन जान की तीकषा म ह |Otildeपर तौलनाOtilde एक महावरा ह जो उड़ान की कषमता आकन क िलए योग िकया जाता ह |

शन४- इस शर का भाव-सौदयर वयकत कीिजए|

उततर -किलयो की नई-नई पखिड़या िखलन लगी ह उनम स रस मानो टपकना ही चाहता ह | वयसिध(िकशोरी)नाियका क ःफिटत होत सौदयर का तीकातमक िचऽण अतयत सदर बन पड़ा ह |

सौदयर-बोध-सबधी शन

हम हो या िकःमत हो हमारी दोनो को इक ही काम िमला िकःमत हम को रो लव ह हम िकःमत को रो ल ह| जो मझको बदनाम कर ह काश व इतना सोच सक

मरा पदार खोल ह या अपना पदार खोल ह | शन१- इन शरो की भाषा सबधी िवशषताए ःपषट कीिजए |

उततर- १ महावरो का योग ETHिकःमत का रोना ETHिनराशा का तीक

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२सरल अिभवयिकत भाषा म वाहमयता ह िकःमत और परदा शबदो की पनराविततया

मोहक ह| ३ िहदी का घरल रप

शन२- Ocircमरा परदा खोल ह या अपना परदा खोल ह Ocirc- की भािषक िवशषता िलिखए |

उततर -महावर क योग दवारा वयजनातमक अिभवयिकत | परदा खोलना ETH भद खोलना सचचाई बयान करना|

शन३-Ocircहम हो या िकःमत हो हमारी Ocirc ETHयोग की िवशषता बताइए |

उततर - हम और िकःमत दोनो शबद एक ही वयिकत अथारत िफ़राक क िलए यकत ह | हम और िकःमत म अभद ह यही िवशषता ह |

िफ़राक गोरखपरी

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- तार आख झपकाव ह ETHका तातपयर ःपषट कीिजए |

उततर- रािऽ का सननाटा भी कछ कह रहा हइसिलए तार पलक झपका रह ह िवयोग की िःथित म कित भी सवाद करती तीत होती ह |

शन२- Ocircहम हो या िकःमत हो हमारीOtilde म िकस भाव की अिभवयिकत हई ह

उततर- जीवन की िवडबना िकःमत को रोना-महावर क योग स सटीक अिभवयिकत ापत करती ह किव जीवन स सतषट नही ह | भागय स िशकायत का भाव इन पिकतयो म झलकता ह |

शन३- म क िकस िनयम की अिभवयिकत किव न की ह

उततर -ईशवर की ािपत सवरःव लटा दन पर होती ह म क ससार का भी यही िनयम ह|किव क शबदो म िफ़तरत का कायम ह तवाज़न आलम- हःनो ETHइक म भी

उसको उतना ही पात ह खद को िजतना खो ल ह |

१ भाव ETHसामय- कबीर -Ocircसीस उतार भई धर तब िमिलह करतारOcirc-अथारत -ःवय को खो कर ही म ािपत की जा सकती ह

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२ भाव सामय- कबीर ETHिजन ढढा ितन पाइया गहर पानी पिठ|

म बपरा बडन डरा रहा िकनार बिठ |

शन४- शराब की महिफल म शराबी को दर रात कया बात याद आती ह

उततर - शराब की महिफल म शराबी को दर रात याद आती ह िक आसमान म मनय क पापो का लखा-जोखा होता ह जस आधी रात क समय फिरत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ह वस ही रात क समय शराब पीत हए शायर को महबबा की याद हो आती ह मानो महबबा फिरतो की तरह पाप ःथल क आस पास ही ह

शन५- सदक िफ़राकndashndashndashइन पिकतयो का अथर ःपषट कीिजए |

उततर -सदक िफ़राकndashndashndashइन पिकतयो म िफ़राक कहत ह िक उनकी शायरी म मीर की शायरी की उतकषटता धविनत हो रही ह

शन६- पखिड़यो की नाज़क िगरह खोलना कया ह

उततर -पखिड़यो की नाजक िगरह खोलना उनका धीर -धीर िवकिसत होना ह

वयसिध(िकशोरी)नाियका क ःफिटत होत सौदयर की ओर सकत ह |

शन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल हrsquo भाव ःपषट कीिजए

उततर -किलयो की सवास उड़न क िलए मानो पर तौल रही होअथारत खशब का झोका रहndashरह कर उठता ह

शन८- किव दवारा विणरत रािऽ क दय का वणरन अपन शबदो म कीिजए

उततर - रािऽ का सननाटा भी कछ कह रहा हइसिलए तार पलक झपका रह हलगता ह िक कित का कण-कण कछ कह रहा ह |

शन९- किव अपन वयिकतक अनभव िकन पिकतयो म वयकत कर रहा ह

जीवन की िवडबना-Ocircिकःमत को रोनाOcirc महावर क योग स सटीक अिभवयिकत ापत करती ह

हम हो या िकःमत हो हमारी दोनो को इक ही काम िमला

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िकःमत हम को रो लव ह हम िकःमत को रो ल ह|

शन१०- शायर न दिनया क िकस दःतर का वणरन िकया ह

उततर -शायर न दिनया क इस दःतर का वणरन िकया ह िक लोग दसरो को बदनाम करत ह परत व नही जानत िक इस तरह व अपनी दषट कित को ही उदघािटत करत ह

शन११- म की िफ़तरत किव न िकन शबदो म अिभवयकत की ह

ःवय को खो कर ही म की ािपत की जा सकती ह ईशवर की ािपत सवरःव लटा दन पर होती ह म क ससार का भी यही िनयम ह

शन१२- िफ़राक गोरखपरी िकस भाषा क किव ह

उततर - उदर भाषा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोशी

(गजराती किव)

उमाशकर जोशी बीसवी सदी क गजराती क मधरनय किव सःकत वाङमय क िवदवान हउनहोन गजराती किवता को कित स जोड़ाआम आदमी क जीवन की झलक उनकी रचनाओ म िमलती ह

छोटा मरा खत

सार

खती क रपक दवारा कावय रचनाndash िबया को ःपषट िकया गया हकावय कित की रचना बीजndash

वपन स लकर पौध क पिपत होन क िविभनन चरणो स गजरती हअतर कवल इतना ह िक किव कमर की फसल कालजयी शाशवत होती हउसका रस-कषरण अकषय होता हकागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह किव को एक चौकोर खत की तरह लगता ह इस खत म िकसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क भाव स िकसी कषण एक बीज बोया जाता

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ह यह बीज-रचना िवचार और अिभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर िवकिसत होता ह और िबया म ःवय िवगिलत हो जाता ह उसस शबदो क अकर िनकलत ह और अततः कित एक पणर ःवरप महण करती ह जो किष-कमर क िलहाज स पललिवत -पिपत होन की िःथित ह सािहितयक कित स जो अलौिकक रस-धारा फटती ह वह कषण म होन वाली रोपाई का ही पिरणाम ह पर यह रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ह |

बगलो क पख

सार

बगलो क पख किवता एक चाकषष िबब की किवता ह सौदयर का अपिकषत भाव उतपनन करन क िलए किवयो न कई यिकतया अपनाई ह िजसम स सबस चिलत यिकत ह-सौदयर क वयौरो क िचऽातमक वणरन क साथ अपन मन पर पड़न वाल उसक भाव का वणरन और आतमगत क सयोग की यह यिकत पाठक को उस मल सौदयर क काफी िनकट ल जाती ह जोशी जी की इस किवता म ऐसा ही ह किव काल बादलो स भर आकाश म पिकत बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ह व कजरार बादलो म अटका-सा रह जाता ह वह इस माया स अपन को बचान की गहार लगाता ह कया यह सौदयर स बाधन और िवधन की चरम िःथित को वयकत करन का एक तरीका ह

कित का ःवतऽ (आलबन गत ) िचऽण आधिनक किवता की िवशषता हिचऽातमक वणरन दवारा किव न एक ओर काल बादलो पर उड़ती बगलो की शवत पिकत का िचऽ अिकत िकया ह तो दसरी ओर इस अितम दय क हदय पर पड़न वाल भाव को िचिऽत िकया हमऽ मगध किव इस दय क भाव स आतम िवःमित की िःथित तक पहच जाता हिवषय एव िवषयीगत सौनदयर क दोनो रप किवता म उदघािटत हए ह

अथर-महण-सबधी शन

छोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कही स आया

कषण का बीज वहा बोया गया|

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कलपना क रसायनो को पी

बीज गल गया िनशष शबद क अकर फट

पललव ETHपपो स निमत हआ िवशष |

शन १lsquoछोटा मरा खतrsquo िकसका तीक ह और कयो

उततर - शन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का तीक ह िजस पर किव अपनी किवता िलखता ह

शन २ किव खत म कौनndashसा बीज बोता ह

उततर - किव खत म अपनी कलपना का बीज बोता ह

शन ३ किव की कलपना स कौन स पललव अकिरत होत ह

उततर - किव की कलपना स शबद क पललव अकिरत होत ह

शन ४ उपयरकत पद का भाव-सौदयर ःपषट कीिजए |

उततर - खती क रपक दवारा कावय-रचनाndashिबया को ःपषट िकया गया हकावय कित की रचना बीजndash वपन स लकर पौध क पिपत होन क िविभनन चरणो स गजरती हअतर कवल इतना ह िक किव कमर की फसल कालजयी शाशवत होती हउसका रस-कषरण अकषय होता ह

सौदयर-बोध-सबधी शन

झमन लग फल

रस अलौिकक

अमत धाराए फटती

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रहन स जरा भी कम नही होती |

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रस का अकषय पाऽ सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |

शन इस किवता की भाषा सबधी िवशषताओ पर काश डािलए ndash

उततर - १ तीकातमकता

२ लाकषिणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पाऽ सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

शन २ रस अलौिकक अमत धाराए रोपाई ETH कटाई-तीको क अथर ःपषट कीिजए |

उततर - रस अलौिकक ETH कावय रस िनपितत

अमत धाराए- कावयानद

रोपाई ETH अनभित को शबदबदध करना

कटाई ETHरसाःवादन

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

किवता ndash

छोटा मरा खत

शन १ उमाशकर जोशी न िकस भाषा म किवताए िलखी ह

उततर - गजराती भाषा

शन२ किषndashकमर एव किवndashकमर म कया कया समानताए ह

उततर - किषndashकमर एव किवndashकमर म िनमनिलिखत समानताए ह-

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कावय कित की रचना बीजndash वपन स लकर पौध क पिपत होन क िविभनन चरणो स गजरती ह

किषndashकमर एव किवndashकमर म समानताए -

bull कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह किव को एक चौकोर खतलगता ह

bull इस खत म िकसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क भाव स िकसी कषण एक बीज बोया जाता ह यह बीज-रचना िवचार और अिभवयिकत का हो सकता ह

bull यह मल रप कलपना का सहारा लकर िवकिसत होता ह और िबया म ःवय िवगिलत हो जाता ह इसीकार बीज भी खाद पानी सयर की रोशनी हवा आिद लकर िवकिसत होता ह |

bull कावय ETHरचना स शबदो क अकर िनकलत ह और अततः कित एक पणर ःवरप महण करती ह जो किष-कमर क िलहाज स पललिवत ndashपिपत और फिलत होन की िःथित ह अथर-महण-सबधी शन

किवताndash बगलो क पख

नभ म पाती- बध बगलो क पख चराए िलए जाती व मरी आख |

कजरार बादलो की छाई नभ छाया हौलETHहौल जाती मझ बाध िनज माया स |

उस कोई तिनक रोक रकखो | वह तो चराए िलए जाती मरी आख

नभ म पाती- बधी बगलो की पाख | तरती साझ की सतज शवत काया|

शन१- इस किवता म किव न िकसका िचऽण िकया ह

उततर - किव न काल बादलो पर उड़ती बगलो की शवत पिकत का िचऽण िकया ह|

शन२- आख चरान का कया अथर ह

उततर - आख चरान का आशय ह ETHधयान परी तरह खीच लना एकटक दखना मऽमगध कर दना

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शन३-

कजरार बादलो की छाई नभ छाया

हौल ETHहौल जाती मझ बाध िनज माया स | - आशय ःपषट कीिजए |

उततर- काल बादलो क बीच साझ का सरमई वातावरण बहत सदर िदखता ह | ऐसा अितम सौदयर अपन आकषरण म किव को बाध लता ह |

शन ४ उस कोई तिनक रोक रकखो |Otilde- स किव का कया अिभाय ह

उततर - बगलो की पिकत आकाश म दर तक उड़ती जा रही ह किव की मऽमगध आख उनका पीछा कर रही ह | किव उन बगलो को रोक कर रखन की गहार लगा रहा ह िक कही व उसकी आख ही अपन साथ न ल जाए |

सौदयर-बोध-सबधी शन

शन १ किवता की भाषा सबधी दो िवशषताए िलिखए|

उततर -१ िचऽातमक भाषा

२ बोलचाल क शबदो का योग - हौल ETHहौल पाती कजरारसाझ

शन २ किवता म यकत अलकार चन कर िलिखए |

उततर - अनास अलकार - बध बगलो क पख

मानवीकरण अलकार - चराए िलए जाती व मरी आख |

शन ३ -Ocirc िनज मायाOtilde क लाकषिणक अथर को ःपषट कीिजए |

उततर - कित का अितम सौदयर वह माया ह जो किव को आतमिवभोर कर दती हयह पिकत भी शसातमक उिकत ह

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- lsquoचराए िलए जाती व मरी ऑखrsquo स किव का कया तातपयर ह

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उततर -िचऽातमक वणरन दवारा किव न एक ओर काल बादलो पर उड़ती बगलो की शवत पिकत का िचऽ अिकत िकया ह तथा इस अितम दय क हदय पर पड़न वाल भाव को िचिऽत िकया ह किव क अनसार यह दय उनकी आख चराए िलए जा रहा ह |मऽ मगध किव इस दय क भाव स आतम िवःमित की िःथित तक पहच जाता ह

शन२-किव िकस माया स बचन की बात कहता ह

उततर - माया िवशव को अपन आकषरण म बाध लन क िलए िसदध ह | कबीर न भी Ocircमाया महा ठिगनी हम जानीOtilde कहकर माया की शिकत को ितपािदत िकया ह | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर किव को अपन वश म कर रही ह |

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आरोह भाग-२ गदय-भाग

bull शन-सखया १०- गदय खड म िदए गए पिठत गदयाश स अथरमहण सबधी चार शन पछ जाएग िजनक िलए िनधारिरत अक (२४=८) ह |

bull शन-सखया ११- पाठो की िवषयवःत स सबिधत पाच म स चार शनो क उततर दन ह िजनक िलए िनधारिरत अक (३४=१२) ह|

परीकषा म अचछ अक ापत करन क िलए धयान दन योगय बात ndash

1 लख एव वतरनी की शदधता तथा वाकय-गठन पर धयान द | 2 हर पाठ का सारपषठभिमिवषयवःत तथाकथानक को समझना आवयक ह | अतिवदयाथीर

हर पाठ का साराश भलीभाित याद कर ल | 3 शनो को धयान स पढ़ तदनसार अपिकषत उततर िलख |

4 उततर िलखत समय सबिधत मखय िबदओ का शीषरकबनात हए उततर िलख यथा-तीन अक क शनो क उततर िलखत समय कम स कम तीन मखय उततर-िबदओ का उललख करत हए उततर ःपषट कर |

5 अक-योजना क अनसार िनधारिरत शबद-सीमा क अतगरत उततर िलख | परीकषाथीर कई बार एक अक क शन का उततर बहत लबा कई बार परा पषठ िलख दत ह जो समय और ऊजार की बबारदी ह |

6 धयान रह िक अिधक िलखन स अचछ अक नही आत बिलक सरल-सबोध भाषा म िलख गए सटीक उततर सारगिभरत तथय तथा उदाहरण क दवारा ःपषट िकए गए उततर भावशाली होत ह |

पाठ 11 - भिकतन

लिखका- महादवी वमार

पाठ का साराश- भिकतन िजसका वाःतिवक नाम लआमी थालिखका Ocircमहादवी वमारOtilde की सिवका ह | बचपन म ही भिकतन की मा की मतय हो गयी| सौतली मा न पाच वषर की आय म िववाह तथा नौ वषर की आय म गौना कर भिकतन को ससराल भज िदया| ससराल म भिकतन न तीन बिटयो को जनम िदया िजस कारण उस सास और िजठािनयो की उपकषा सहनी पड़ती थी| सास और िजठािनया आराम फरमाती थी और भिकतन तथा उसकी ननही बिटयो को घर और खतो का सारा काम करना पडता था| भिकतन का पित उस बहत चाहता था| अपन पित क ःनह क बल पर भिकतन न ससराल वालो स अलगौझा कर अपना अलग घर बसा िलया और सख स रहन लगी पर भिकतन का दभारगय अलपाय म ही उसक पित की मतय हो गई | ससराल वाल भिकतन

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की दसरी शादी कर उस घर स िनकालकर उसकी सपितत हड़पन की सािजश करन लग| ऐसी पिरिःथित म भिकतन न अपन कश मडा िलए और सनयािसन बन गई | भिकतन ःवािभमानी सघषरशील कमरठ और दढ सकलप वाली सतरी ह जो िपतसततातमक मानयताओ और छल-कपट स भर समाज म अपन और अपनी बिटयो क हक की लड़ाई लड़ती हघर गहःथी सभालन क िलए अपनी बड़ी बटी दामाद को बला िलया पर दभारगय न यहा भी भिकतन का पीछा नही छोड़ा अचानक उसक दामाद की भी मतय हो गयी| भिकतन क जठ-िजठौत न सािजश रचकर भिकतन की िवधवा बटी का िववाह जबरदःती अपन तीतरबाज साल स कर िदया| पचायत दवारा कराया गया यह सबध दखदायी रहा | दोनो मा-बटी का मन घर-गहःथी स उचट गया िनधरनता आ गयी लगान न चका पान क कारण जमीदार न भिकतन को िदन भर धप म खड़ा रखा| अपमािनत भिकतन पसा कमान क िलए गाव छोड़कर शहर आ जाती ह और महादवी की सिवका बन जाती ह| भिकतन क मन म महादवी क ित बहत आदर समपरण और अिभभावक क समान अिधकार भाव ह| वह छाया क समान महादवी क साथ रहती ह| वह रात-रात भर जागकर िचऽकारी या लखन जस कायर म वयःत अपनी मालिकन की सवा का अवसर ढढ लती ह| महादवी भिकतन को नही बदल पायी पर भिकतन न महादवी को बदल िदया| भिकतन क हाथ का मोटा-दहाती खाना खात-खात महादवी का ःवाद बदल गया भिकतन न महादवी को दहात क िकःस-कहािनया िकवदितया कठःथ करा दी| ःवभाव स महाकजस होन पर भी भिकतन पाई-पाई कर जोडी हई १०५ रपयो की रािश को सहषर महादवी को समिपरत कर दती ह| जल क नाम स थर-थर कापन वाली भिकतन अपनी मालिकन क साथ जल जान क िलए बड़ लाट साहब तक स लड़न को भी तयार हो जाती ह| भिकतन महादवी क जीवन पर छा जान वाली एक ऐसी सिवका ह िजस लिखका नही खोना चाहती

पाठ आधािरत शनोततर

नोट- उततर म िनिहत रखािकत वाकय मखय सकत िबद ह |

शन 1-भिकतन का वाःतिवक नाम कया था वह अपन नाम को कयो छपाना चाहती थी

उततर-भिकतन का वाःतिवक नाम लआमी था िहनदओ क अनसारलआमी धन की दवीह चिक भिकतन गरीब थी| उसक वाःतिवक नाम क अथर और उसक जीवन क यथाथर म िवरोधाभास ह

िनधरन भिकतन सबको अपना असली नाम लआमी बताकर उपहास का पाऽ नही बनना चाहती थी इसिलए वह अपना असली नाम छपाती थी

शन 2- लिखका न लआमी का नाम भिकतन कयो रखा

उततर-घटा हआ िसर गल म कठी माला और भकतो की तरह सादगीपणर वशभषा दखकर महादवी वमार न लआमी का नाम भिकतन रख िदया | यह नाम उसक वयिकततव स पणरत मल खाता था |

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शन 3-भिकतन क जीवन को िकतन पिरचछदो म िवभािजत िकया गया ह

उततर- भिकतन क जीवन को चार भागो म बाटा गया ह-

bull पहला पिरचछद-भिकतन का बचपन मा की मतय िवमाता क दवारा भिकतन का बाल-िववाह करा दना

bull िदवतीय पिरचछद-भिकतन का ववािहक जीवन सास तथा िजठािनयो का अनयायपणर वयवहार पिरवार स अलगौझा कर लना

bull ततीय पिरचछद- पित की मतय िवधवा क रप म सघषरशील जीवन bull चतथर पिरचछद- महादवी वमार की सिवका क रप म

शन 4- भिकतन पाठ क आधार पर भारतीय मामीण समाज म लड़क-लड़िकयो म िकय जान वाल भदभाव का उललख कीिजए |

भारतीय मामीण समाज म लड़क-लड़िकयो म भदभाव िकया जाता ह| लड़िकयो को खोटा िसकका या पराया धन माना जाता ह| भिकतन न तीन बिटयो को जनम िदया िजस कारण उस सास और िजठािनयो की उपकषा सहनी पड़ती थी| सास और िजठािनया आराम फरमाती थी कयोिक उनहोन लड़क पदा िकए थ और भिकतन तथा उसकी ननही बिटयो को घर और खतो का सारा काम करना पडता था| भिकतन और उसकी बिटयो को रखा-सखा मोटा अनाज खान को िमलता था जबिक उसकी िजठािनया और उनक काल-कलट बट दध-मलाई राब-चावल की दावत उड़ात थ

शन 5-भिकतन पाठ क आधार पर पचायत क नयाय पर िटपपणी कीिजए |

भिकतन की बटी क सनदभर म पचायत दवारा िकया गया नयाय तकर हीन और अध कानन पर आधािरतह | भिकतन क िजठौत न सपितत क लालच म षडयऽ कर भोली बचची को धोख स जाल म फसाया| पचायत न िनदोरष लड़की की कोई बात नही सनी और एक तरफ़ा फसला दकर उसका िववाह जबरदःती िजठौत क िनकमम तीतरबाज साल स कर िदया | पचायत क अध कानन स दषटो को लाभ हआ और िनदोरष को दड िमला |

शन 6-भिकतन की पाक-कला क बार म िटपपणी कीिजए |

भिकतन को ठठ दहाती सादा भोजन पसद था | रसोई म वह पाक छत को बहत महततव दती थी | सबह-सवर नहा-धोकर चौक की सफाई करक वह दवार पर कोयल की मोटी रखा खीच दती थी| िकसी को रसोईघर म वश करन नही दती थी| उस अपन बनाए भोजन पर बड़ा अिभमान था| वह अपन बनाए भोजन का ितरःकार नही सह सकती थी |

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शन 7- िसदध कीिजए िक भिकतन तकर -िवतकर करन म मािहर थी |

भिकतन तकर पट थी | कश मडान स मना िकए जान पर वह शासतरो का हवाला दत हए कहती ह Ocircतीरथ गए मडाए िसदधOtilde | घर म इधर-उधर रख गए पसो को वह चपचाप उठा कर छपा लती ह टोक जानपर वह वह इस चोरी नही मानती बिलक वह इस अपन घर म पड़ पसो को सभालकर रखना कहती ह| पढाई-िलखाई स बचन क िलए भी वह अचक तकर दती ह िक अगर म भी पढ़न लग तो घर का काम कौन दखगा

शन 8-भिकतन का दभारगय भी कम हठी नही था लिखका न ऐसा कयो कहा ह

उततर- भिकतन का दभारगय उसका पीछा नही छोड़ता था-

1- बचपन म ही मा की मतय 2- िवमाता की उपकषा 3- भिकतन(लआमी) का बालिववाह 4- िपता का िनधन 5- तीन-तीन बिटयो को जनम दन क कारण सास और िजठािनयो क दवारा भिकतन की उपकषा

6- पित की असमय मतय 7- दामाद का िनधन और पचायत क दवारा िनकमम तीतरबाज यवक स भिकतन की िवधवा

बटी का जबरन िववाह 8- लगान न चका पान पर जमीदार क दवारा भिकतन का अपमान

शन 9-भिकतन न महादवी वमार क जीवन पर कस भािवत िकया

उततर- भिकतन क साथ रहकर महादवी की जीवन-शली सरल हो गयी व अपनी सिवधाओ की चाह को िछपान लगी और असिवधाओ को सहन लगी भिकतन न उनह दहाती भोजन िखलाकर उनका ःवाद बदल िदया भिकतन माऽ एक सिवका न होकर महादवी की अिभभावक और आतमीय बन गयीभिकतन महादवी क जीवन पर छा जान वाली एक ऐसी सिवका ह िजस लिखका नही खोना चाहती

शन 10- भिकतन क चिरऽ की िवशषताओ का उललख कीिजए

उततर- महादवी वमार की सिवका भिकतन क वयिकततव की िवशषताए िनमनािकत ह-

bull समिपरत सिवका bull ःवािभमानी

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bull तकर शीला bull पिरौमी bull सघषरशील bull

शन 11-भिकतन क दगरणो का उललख कर

उततर- गणो क साथ-साथ भिकतन क वयिकततव म अनक दगरण भी िनिहत ह-

1 वह घर म इधर-उधर पड़ रपय-पस को भडार घर की मटकी म छपा दती ह और अपन इस कायर को चोरी नही मानती

2 महादवी क बोध स बचन क िलए भिकतन बात को इधर-उधर करक बतान को झठ नही मानती अपनी बात को सही िसदध करन क िलए वह तकर -िवतकर भी करती ह

3 वह दसरो को अपनी इचछानसार बदल दना चाहती ह पर ःवय िबलकल नही बदलती शन 12 िनमनािकत भाषा-योगो का अथर ःपषट कीिजए-

bull पहली कनया क दो और सःकरण कर डाल- भिकतन न अपनी पहली कनया क बाद उसक जसी दो और कनयाए पदा कर दी अथारत भिकतन क एक क बाद एक तीन बिटया पदा हो गयी |

bull खोट िसकको की टकसाल जसी पतनी- आज भी अिशिकषत मामीण समाज म बिटयो को

खोटा िसकका कहा जाता ह भिकतन न एक क बाद एक तीन बिटया पदा कर दी इसिलए उस खोट िसकक को ढालन वाली मशीन कहा गया

शन 13-भिकतन पाठ म लिखका न समाज की िकन समःयाओ का उललख िकया ह

उततर- भिकतन पाठ क माधयम स लिखका न भारतीय मामीण समाज की अनक समःयाओ का उललख िकया ह-

1 लड़क-लड़िकयो म िकया जान वाला भदभाव

2 िवधवाओ की समःया 3 नयाय क नाम पर पचायतो क दवारा िसतरयो क मानवािधकार को कचलना 4 अिशकषा और अधिवशवास

गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

पिरवार और पिरिःथितयो क कारण ःवभाव म जो िवषमताए उतपनन हो गई ह उनक भीतर स एक ःनह और सहानभित की आभा फटती रहती ह इसी स उसक सपकर म आनवाल वयिकत उसम जीवन की सहज मािमरकता ही पात ह छाऽावास की बािलकाओ म स कोई अपनी चाय बनवान क िलए दहली पर बठी रहती ह कोई बाहर खडी मर िलए नात को चखकर उसक ःवाद

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की िववचना करती रहती ह मर बाहर िनकलत ही सब िचिड़यो क समान उड़ जाती ह और भीतर आत ही यथाःथान िवराजमान हो जाती ह इनह आन म रकावट न हो सभवतः इसी स भिकतन अपना दोनो जन का भोजन सवर ही बनाकर ऊपर क आल म रख दती ह और खात समय चौक का एक कोना धोकर पाकETHछत क सनातन िनयम स समझौता कर लती ह

मर पिरिचतो और सािहितयक बधओ स भी भिकतन िवशष पिरिचत ह पर उनक ित भिकतन क सममान की माऽा मर ित उनक सममान की माऽा पर िनभरर ह और सदभाव उनक ित मर सदभाव स िनिशचत होता ह इस सबध म भिकतन की सहज बिदध िविःमत कर दन वाली ह

(क) भिकतन का ःवभाव पिरवार म रहकर कसा हो गया ह

उततर-िवषम पिरिःथितजनय उसक उम हठी और दरामही ःवभाव क बावजद भिकतन क भीतर ःनह और सहानभित की आभा फटती रहती ह उसक सपकर म आन वाल वयिकत उसम जीवन की सहज मािमरकता ही पात ह

(ख) भिकतन क पास छाऽावास की छाऽाए कयो आती ह

उततर- भिकतन क पास कोई छाऽा अपनी चाय बनवान आती ह और दहली पर बठी रहती ह कोई महादवी जी क िलए बन नात को चखकर उसक ःवाद की िववचना करती रहती ह महादवी को दखत ही सब छाऽाए भाग जाती ह उनक जात ही िफर वापस आ जाती ह भिकतन का सहज-ःनह पाकर िचिड़यो की तरह चहचहान लगती ह |

(ग) छाऽाओ क आन म रकावट न डालन क िलए भिकतन न कया उपाय िकया

उततर- छाऽाओ क आन म रकावट न डालन क िलए भिकतन न अपन पाक-छत क िनयम स समझौता कर िलया | भिकतन अपना दोनो वकत का खाना बनाकर सबह ही आल म रख दती और खात समय चौक का एक कोना धोकर वहा बठकर खा िलया करती थी तािक छाऽाए िबना रोक-टोक क उसक पास आ सक

(घ) सािहतयकारो क ित भिकतन क सममान का कया मापदड ह

उततर-भिकतन महादवी क सािहितयक िमऽ क ित सदभाव रखती थी िजसक ित महादवी ःवय सदभाव रखती थी | वह सभी स पिरिचत हपर उनक ित सममान की माऽा महादवी जी क सममान की माऽा पर िनभरर करती ह वह एक अदभत ढग स जान लती थी िक कौन िकतना सममान करता ह उसी अनपात म उसका ापय उस दती थी

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12 बाजार-दशरन

लखक- जनि कमार

पाठ का साराश बाजार-दशरन पाठ म बाजारवाद और उपभोकतावाद क साथ-साथ अथरनीित एव दशरन स सबिधत शनो को सलझान का यास िकया गया ह बाजार का जाद तभी असर करता ह जब मन खाली हो| बाजार क जाद को रोकन का उपाय यह ह िक बाजार जात समय मन खाली ना हो मन म लआय भरा हो| बाजार की असली कताथरता ह जररत क वकत काम आना| बाजार को वही मन य लाभ द सकता ह जो वाःतव म अपनी आवयकता क अनसार खरीदना चाहता ह| जो लोग अपन पसो क घमड म अपनी पचरिजग पावर को िदखान क िलए चीज खरीदत ह व बाजार को शतानी वयगय शिकत दत ह| ऐस लोग बाजारपन और कपट बढात ह | पस की यह वयगय शिकत वयिकत को अपन सग लोगो क ित भी कतघन बना सकती ह | साधारण जन का हदय लालसा ईयार और त णा स जलन लगता ह | दसरी ओर ऐसा वयिकत िजसक मन म लश माऽ भी लोभ और त णा नही ह सचय की इचछा नही ह वह इस वयगय-शिकत स बचा रहता ह | भगतजी ऐस ही आतमबल क धनी आदशर माहक और बचक ह िजन पर पस की वयगय-शिकत का कोई असर नही होता | अनक उदाहरणो क दवारा लखक न यह ःपषट िकया ह िक एक ओर बाजार लालची असतोषी और खोखल मन वाल वयिकतयो को लटन क िलए ह वही दसरी ओर सतोषी मन वालो क िलए बाजार की चमक-दमक उसका आकषरण कोई महततव नही रखता

शन१ - पचरिजग पावर िकस कहा गया ह बाजार पर इसका कया भाव पड़ता ह

उततर- पचरिजग पावर का अथर ह खरीदन की शिकत पचरिजग पावर क घमड म वयिकत िदखाव क िलए आवयकता स अिधक खरीदारीकरता ह और बाजार को शतानी वयगय-शिकत दता ह ऐस लोग बाजार का बाजारपन बढ़ात ह

शन२ -लखक न बाजार का जाद िकस कहा ह इसका कया भाव पड़ता ह

उततर- बाजार की चमक-दमक क चबकीय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आखो की राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण माहक सजी-धजी चीजो को आवयकता न होन पर भी खरीदन को िववश हो जात ह

शन३ -आशय ःपषट कर

bull मन खाली होना bull मन भरा होना bull मन बद होना

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उततर-मन खाली होना- मन म कोई िनिशचत वःत खरीदन का लआय न होना िनरददय बाजार जाना और वयथर की चीजो को खरीदकर लाना

मन भरा होना- मन लआय स भरा होना िजसका मन भरा हो वह भलीभाित जानता ह िक उस बाजार स कौन सी वःत खरीदनी ह अपनी आवयकता की चीज खरीदकर वह बाजार को साथरकता दान करता ह

मन बद होना-मन म िकसी भी कार की इचछा न होना अथारत अपन मन को शनय कर दना

शन४ - lsquoजहा त णा ह बटोर रखन की ःपहा ह वहा उस बल का बीज नही हrsquo यहा िकस बल की चचार की गयी ह

उततर- लखक न सतोषी ःवभाव क वयिकत क आतमबलकी चचार की ह दसर शबदो म यिद मन म सतोष हो तो वयिकत िदखाव और ईयार की भावना स दर रहता ह उसम सचय करन की वितत नही होती

शन५ - अथरशासतर अनीितशासतर कब बन जाता ह

उततर- जब बाजार म कपट और शोषण बढ़न लग खरीददार अपनी पचरिचग पावर क घमड म िदखाव क िलए खरीददारी कर | मनयो म परःपर भाईचारा समापत हो जाए| खरीददार और दकानदार एक दसर को ठगन की घात म लग रह एक की हािन म दसर को अपना लाभ िदखाई द तो बाजार का अथरशासतर अनीितशासतर बन जाता ह ऐस बाजार मानवता क िलए िवडबना ह

शन६-भगतजी बाजार और समाज को िकस कार साथरकता दान कर रह ह

उततर- भगतजी क मन म सासािरक आकषरणो क िलए कोई त णा नही ह व सचय लालच और िदखाव स दर रहत ह बाजार और वयापार उनक िलए आवयकताओ की पितर का साधन माऽ ह भगतजी क मन का सतोष और िनःपह भाव उनको ौषठ उपभोकता और िवबता बनात ह

शन ७ _ भगत जी क वयिकततव क सशकत पहलओ का उललख कीिजए |

उततर-िनमनािकत िबद उनक वयिकततव क सशकत पहल को उजागर करत ह

bull पसारी की दकान स कवल अपनी जररत का सामान (जीरा और नमक) खरीदना bull िनिशचत समय पर चरन बचन क िलए िनकलना bull छह आन की कमाई होत ही चरन बचना बद कर दना bull बच हए चरन को बचचो को मझत बाट दना bull सभी काजय-जय राम कहकर ःवागत करना

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bull बाजार की चमक-दमक स आकिषरत न होना bull समाज को सतोषी जीवन की िशकषा दना

शन7-बाजार की साथरकता िकसम ह

उततर- मनय की आवयकताओ की पितर करन म ही बाजार की साथरकता ह जो माहक अपनी आवयकताओ की चीज खरीदत ह व बाजार को साथरकता दान करत ह जो िवबता माहको का शोषण नही करत और छल-कपट स माहको को लभान का यास नही करत व भी बाजार को साथरक बनात ह

गदयाश-आधािरत अथरमहण-सबिधत शनोततर

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख की तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ही चलता ह वस ही इस जाद की भी मयारदा ह जब भरी हो और मन खाली हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाली पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाली ह तो बाजार की अनकानक चीजो का िनमऽण उस तक पहच जाएगा कही हई उस वकत जब भरी तब तो िफर वह मन िकसकी मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जररी और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद की सवारी उतरी िक पता चलता ह िक फ सी-चीजो की बहतायत आराम म मदद नही दती बिलक खलल ही डालती ह थोड़ी दर को ःवािभमान को जरर सक िमल जाता ह पर इसस अिभमान को िगलटी की खराक ही िमलती ह जकड़ रशमी डोरी की हो तो रशम क ःपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद की जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह िक बाजार जाओ तो खाली मन न हो मन खाली हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चािहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लआय स भरा हो तो बाजार फला का फला ही रह जाएगा तब वह घाव िबलकल नही द सकगा बिलक कछ आनद ही दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयोिक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार की असली कताथरता ह आवयकता क समय काम आना

शन-1 बाजार क जाद को लखक न कस ःपषट िकया ह

उततर- बाजार क रप का जाद आखो की राह स काम करता हआ हम आकिषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज माहक को अपनी ओर आकिषरत करती ह| इसी चमबकीय शिकत क कारण वयिकत िफजल सामान को भी खरीद लता ह |

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शन-2 जब भरी हो और मन खाली तो हमारी कया दशा होती ह

उततर- जब भरी हो और मन खाली हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाली ह तो बाजार की अनकानक चीजो का िनमऽण मन तक पहच जाता ह और उस समय यिद जब भरी हो तो मन हमार िनयऽण म नही रहता

शन-3 फ सी चीजो की बहतायत का कया पिरणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम की जगह आराम म वयवधान ही डालती ह थोड़ी दर को अिभमान को जरर सक िमल जाती ह पर िदखाव की वितत म विदध होती ह

शन-4 जाद की जकड़ स बचन का कया उपाय ह

उततर- जाद की जकड़ स बचन क िलए एक ही उपाय ह वह यह ह िक बाजार जाओ तो मन खाली न हो मन खाली हो तो बाजार मत जाओ

13 काल मघा पानी द

लखक-धमरवीर भारती

पाठ का साराश -lsquoकाल मघा पानी दrsquo िनबध लोकजीवन क िवशवास और िवजञान क तकर पर आधािरत ह जब भीषण गमीर क कारण वयाकल लोग वषार करान क िलए पजा-पाठ और कथा-िवधान कर थकETHहार जात ह तब वषार करान क िलए अितम उपाय क रप म इनदर सना िनकलती ह| इनदर सना नग-धड़ग बचचो की टोली ह जो कीचड़ म लथपथ होकर गली-मोहलल म पानी मागन िनकलती ह| लोग अपन घर की छतो-िखड़िकयो स इनदर सना पर पानी डालत ह | लोगो की मानयता ह िक इनि बादलो क ःवामी और वषार क दवता ह| इनि की सना पर पानी डालन स इनि भगवान सनन होकर पानी बरसाएग | लखक का तकर ह िक जब पानी की इतनी कमी ह तो लोग मिकल स जमा िकए पानी को बालटी भर-भरकर इनदर सना पर डालकर पानी को कयो बबारद करत ह आयरसमाजी िवचारधारा वाला लखक इस अधिवशवास मानता ह | इसक िवपरीत लखक की जीजी उस समझाती ह िक यह पानी की बबारदी नही बिलक पानी की बवाई ह | कछ पान क िलए कछ दना पड़ता ह | तयाग क िबना दान नही होता| ःतत िनबध म लखक न षटाचार की समःया को उठात हए कहा ह िक जीवन म कछ पान क िलए तयाग आवयक ह जो लोग तयाग और दान की महतता को नही मानत व ही षटाचार म िलपत रहकर दश और समाज को लटत ह| जीजी की आःथा भावनातमक सचचाई को पषट करती ह और तकर कवल वजञािनक तथय को सतय मानता ह जहा तकर यथाथर क कठोर धरातल पर सचचाई को परखता ह तो वही आःथा अनहोनी बात को भी ःवीकार कर मन को सःकािरत करती ह भारत की ःवतऽता क ५० साल बाद भी दश म वयापत भषटाचार और ःवाथर की भावना को दखकर लखक दखी ह | सरकार दवारा चलाई जा रही योजनाए गरीबो तक कयो

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नही पहच पा रही ह काल मघा क दल उमड़ रह ह पर आज भी गरीब की गगरी फटी हई कयो ह लखक न यह शन पाठको क िलए छोड़ िदया ह |

शन1-इनदर सना घर-घर जाकर पानी कयो मागती थी

उततर- गाव क लोग बािरश क िलए भगवान इि स ाथरना िकया करत थ जब पजा-पाठोत आिद उपाय असफ़ल हो जात थ तो भगवान इि को सनन करन क िलए गाव क िकशोर बचच कीचड़ म लथपथ होकर गली-गली घमकर लोगो स पानी मागत थ

शन2-इनदरसना को लखक मढक-मडली कयो कहता ह जीजी क बारETHबार कहन पर भी वह इनदरसना पर पानी फ कन को राजी कयो नही होता

उततर- इनदरसना का कायर आयरसमाजी िवचारधारा वाल लखक को अधिवशवास लगता ह उसका मानना ह िक यिद इदरसना दवता स पानी िदलवा सकती ह तो ःवय अपन िलए पानी कयो नही माग लती पानी की कमी होन पर भी लोग घर म एकऽ िकय हए पानी को इदरसना पर फ़ कत ह लखक इस पानी की िनमरम बरबादी मानता ह

शन3- रठ हए लखक को जीजी न िकस कार समझाया

उततर- जीजी न लखक को पयार स लडड-मठरी िखलात हए िनमन तकर िदए-

1- तयाग का महततव- कछ पान क िलए कछ दना पड़ता ह 2- दान की महतता- ॠिष-मिनयो न दान को सबस ऊचा ःथान िदया ह जो चीज अपन

पास भी कम हो और अपनी आवयकता को भलकर वह चीज दसरो को दान कर दना ही तयाग ह |

3- इिदव को जल का अधयर चढ़ाना- इदरसना पर पानी फ़ कना पानी की बरबादी नही बिलक इिदव को जल का अधयर चढ़ाना ह

4- पानी की बवाई करना- िजस कार िकसान फ़सल उगान क िलए जमीन पर बीज डालकर बवाई करता ह वस ही पानी वाल बादलो की फ़सल पान क िलए इनदर सना पर पानी डाल कर पानी की बवाई की जाती ह

शन4-निदयो का भारतीय सामािजक और साःकितक पिरवश म कया महतव ह

उततर- गगा भारतीय समाज म सबस पजय सदानीरा नदी ह िजसका भारतीय इितहास म धािमरक पौरािणक और साःकितक महतव ह | वह भारतीयो क िलए कवल एक नदी नही अिपत मा ह ःवगर की सीढ़ी ह मोकषदाियनी ह उसम पानी नही अिपत अमत तलय जल बहता ह भारतीय सःकित म निदयो क िकनार मानव सभयताए फली-फली ह| बड़-बड़ नगर तीथरःथान निदयो क िकनार ही िःथत ह ऐस पिरवश मभारतवासी सबस पहल गगा मया की जय ही

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बोलग निदया हमार जीवन का आधार ह हमारा दश किष धान ह निदयो क जल स ही भारत भिम हरी-भरी ह निदयो क िबना जीवन की कलपना नही कर सकत यही कारण ह िक हम भारतीय निदयो की पजा करत ह |

शन4-आजादी क पचास वषोर क बाद भी लखक कयो दखी ह उसक मन म कौन स शन उठ रह ह

उततर- आजादी क पचास वषोर बाद भी भारतीयो की सोच म सकारातमक बदलाव न दखकर लखक दखी ह उसक मन म कई शन उठ रह ह-

1 कया हम सचच अथोर म ःवतनऽ ह

2 कया हम अपन दश की सःकित और सभयता को समझ पाए ह

3 राषटर िनमारण म हम पीछ कयो ह हम दश क िलए कया कर रह ह

4 हम ःवाथर और षटाचार म िलपत रहत ह तयाग म िवशवास कयो नही करत

5 सरकार दवारा चलाई जा रही सधारवादी योजनाए गरीबो तक कयो नही पहचती ह

गदयाश पर आधािरत अथरमहण-सबिधत शनोततर

सचमच ऐस िदन होत जब गली-महलला गाव-शहर हर जगह लोग गरमी म भन-भन कर ऽािहमाम कर रह होत जठ क दसतपा बीतकर आषाढ का पहला पखवाड़ा बीत चका होता पर िकषितज पर कही बादलो की रख भी नही दीखती होती कए सखन लगत नलो म एक तो बहत कम पानी आता और आता भी तो आधी रात को वो भी खौलता हआ पानी हो | शहरो की तलना म गाव म और भी हालत खराब थी| जहा जताई होनी चािहए थी वहा खतो की िमटटी सखकर पतथर हो जाती िफर उसम पपड़ी पड़कर जमीन फटन लगती ल ऐसी िक चलत-चलत आदमी िगर पड़ | ढोर-डगर पयास क मार मरन लगत लिकन बािरश का कही नाम िनशान नही ऐस म पजा-पाठ कथा-िवधान सब करक लोग जब हार जात तब अितम उपाय क रप म िनकलती यह इनदर सना |

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शन१- वषार न होन पर लोगो की कया िःथित हो गयी थी उततर - वषार न होन पर गरमी क कारण लोग ल लगन स बहोश होन लग | गाव-शहर सभी जगह पानी का अभाव हो गया| कए सख गए खतो की िमटटी सखकर पतथर क समान कठोर होकर फट गयी| घरो म नलो म पानी बहत कम आता था | पश पयास क मार मरन लग थ | शन२- वषार क दवता कौन ह उनको सनन करन क िलए कया उपाय िकए जात थ उततर -वषार क दवता भगवान इनि ह| उनको सनन करन क िलए पजाETHपाठ कथा-िवधान कराए जात थ | तािक इनि दव सनन होकर बादलो की सना भजकर झमाझम बािरश कराए और लोगो क कषट दर हो | शन३- वषार करान क अितम उपाय क रप म कया िकया जाता था उततर ETHजब पजा-पाठ कथा-िवधान सब करक लोग हार जात थ तब अितम उपाय क रप म इनदर सना आती थी | नग-धडग कीचड़ म लथपथ Ocircकाल मघा पानी द पानी द गड़धानी दOtilde की टर लगाकर पयास स सखत गलो और सखत खतो क िलए मघो को पकारती हई टोली बनाकर िनकल पड़ती थी| शन४-आशय ःपषट कर ndash जठ क दसतपा बीतकर आषाढ़ का पहला पखवाड़ा बीत चका होता पर िकषितज म कही बादलो की रख भी नजर नही आती | आशय- जठ का महीना ह भीषण गरमी ह| तपत हए दस िदन बीत कर आषाढ का महीना भी आधा बीत गया पर पानी क िलए तड़पत वषार की आशा म आसमान की ओर ताकत लोगो को कही बादल नजर नही आ रह |

14 पहलवान की ढोलक

फ़णीशवरनाथ रण

पाठ का साराश ndashआचिलक कथाकार फ़णीशवरनाथ रण की कहानी पहलवान की ढोलक म कहानी क मखय पाऽ लटटन क माता-िपता का दहात उसक बचपन म ही हो गया था | अनाथ लटटन को उसकी िवधवा सास न पाल-पोसकर बड़ा िकया | उसकी सास को गाव वाल सतात थ | लोगो स बदला लन क िलए कती क दावपच सीखकर कसरत करक लटटन पहलवान बन गया |

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एक बार लटटन यामनगर मला दखन गया जहा ढोल की आवाज और कती क दावपच दखकर उसन जोश म आकर नामी पहलवान चादिसह को चनौती द दी | ढोल की आवाज स रणा पाकर लटटन न दाव लगाकर चाद िसह को पटककर हरा िदया और राज पहलवान बन गया | उसकी खयाित दर-दर तक फ़ल गयी| १५ वषोर तक पहलवान अजय बना रहा| उसक दो पऽ थ| लटटन न दोनो बटो को भी पहलवानी क गर िसखाए| राजा की मतय क बाद नए राजकमार न गददी सभाली राजकमार को घोड़ो की रस का शौक था मनजर न नय राजा को भड़काया पहलवान और उसक दोनो बटो क भोजनखचर को भयानक और िफ़जलखचर बताया फ़लःवरप नए राजा न कती को बद करवा िदया और पहलवान लटटनिसह को उसक दोनो बटो क साथ महल स िनकाल िदया

राजदरबार स िनकाल िदए जान क बाद लटटन िसह अपन दोनो बटो क साथ गाव म झोपड़ी बनाकर रहन लगा और गाव क लड़को को कती िसखान लगा| लटटन का ःकल जयादा िदन नही चला और जीिवकोपाजरन क िलए उसक दोनो बटो को मजदरी करनी पड़ी| इसी दौरान गाव म अकाल और महामारी क कारण ितिदन लाश उठन लगी| पहलवान महामारी स डर हए लोगो को ढोलक बजाकर बीमारी स लड़न की सजीवनी ताकत दता था| एक िदन पहलवान क दोनो बट भी महामारी की चपट म आकर मर गए पर उस रात भी पहलवान ढोलक बजाकर लोगो को िहममत बधा रहा था | इस घटना क चार-पाच िदन बाद पहलवान की भी मौत हो जाती ह|

पहलवान की ढोलक वयवःथा क बदलन क साथ लोक कलाकार क अासिगक हो जान की कहानी ह इस कहानी म लटटन नाम क पहलवान की िहममत और िजजीिवषा का वणरन िकया गया ह भख और महामारी अजय लटटन की पहलवानी को फ़ट ढोल म बदल दत ह इस करण ऽासदी म पहलवान लटटन कई सवाल छोड़ जाता ह िक कला का कोई ःवतऽ अिःततव ह या कला कवल वयवःथा की मोहताज ह

शन1- लटटन को पहलवान बनन की रणा कस िमली

उततर- लटटन जब नौ साल का था तो उसक माता-िपता का दहात हो गया था | सौभागय स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ लटटन को उसकी िवधवा सास न पाल-पोसकर बड़ा िकया | उसकी सास को गाव वाल परशान करत थ| लोगो स बदला लन क िलए उसन पहलवान बनन की ठानी| धारोण दध पीकर कसरत कर उसन अपना बदन गठीला और ताकतवर बना िलया | कती क दावपच सीखकर लटटन पहलवान बन गया |

शन2- रात क भयानक सननाट म लटटन की ढोलक कया किरमा करती थी

उततर- रात क भयानक सननाट मलटटन की ढोलक महामारी स जझत लोगो को िहममत बधाती थी | ढोलक की आवाज स रात की िवभीिषका और सननाटा कम होता था| महामारी स पीिड़त

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लोगो की नसो म िबजली सी दौड़ जाती थी उनकी आखो क सामन दगल का दय साकार हो जाता था और व अपनी पीड़ा भल खशी-खशी मौत को गल लगा लत थ इस कार ढोल की आवाज बीमार-मताय गाववालो की नसो म सजीवनी शिकत को भर बीमारी स लड़न की रणा दती थी

शन3- लटटन न सवारिधक िहममत कब िदखाई

उततर- लटटन िसह न सवारिधक िहममत तब िदखाई जब दोनो बटो की मतय पर वह रोया नही बिलक िहममत स काम लकर अकल उनका अितम सःकार िकया| यही नही िजस िदन पहलवान क दोनो बट महामारी की चपट म आकर मर गए पर उस रात को भी पहलवान ढोलक बजाकर लोगो को िहममत बधा रहा था| यामनगर क दगल म परा जनसमदाय चाद िसह क पकष म था चाद िसह को हरात समय लटटन न िहममत िदखाई और िबना हताश हए दगल म चाद िसह को िचत कर िदया |

शन4- लटटन िसह राज पहलवान कस बना

उततर- यामनगर क राजा कती क शौकीन थ उनहोन दगल का आयोजन िकया पहलवान लटटन िसह भी दगल दखन पहचा चादिसह नामक पहलवान जो शर क बचच क नाम स िसदध था कोई भी पहलवान उसस िभड़न की िहममत नही करता था चादिसह अखाड़ म अकला गरज रहा था लटटन िसह न चादिसह को चनौती द दी और चादिसह स िभड़ गयाढ़ोल की आवाज सनकर लटटन की नस-नस म जोश भर गयाउसन चादिसह को चारो खान िचत कर िदया राजासाहब न लटटन की वीरता स भािवत होकर उस राजपहलवान बना िदया

शन5- पहलवान की अितम इचछा कया थी

उततर- पहलवान की अितम इचछा थी िक उस िचता पर पट क बल िलटाया जाए कयोिक वह िजदगी म कभी िचत नही हआ था| उसकी दसरी इचछा थी िक उसकी िचता को आग दत समय ढोल अवय बजाया जाए |

शन6- ढोल की आवाज और लटटन क म दावपच सबध बताइए-

उततर- ढोल की आवाज और लटटन क दावपच म सबध -

bull चट धा िगड़ धाrarr आजा िभड़ जा | bull चटाक चट धाrarr उठाकर पटक द | bull चट िगड़ धाrarrमत डरना | bull धाक िधना ितरकट ितनाrarr दाव काटो बाहर हो जाओ |

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bull िधना िधना िधक िधनाrarr िचत करो

गदयाश-आधािरत अथरमहण-सबिधत शनोततर

अधरी रात चपचाप आस बहा रही थी | िनःतबधता करण िससिकयो और आहो को अपन हदय म ही बल पवरक दबान की चषटा कर रही थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कही काश का नाम नही| आकाश स टट कर यिद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसकी जयोित और शिकत राःत म ही शष हो जाती थी | अनय तार उसकी भावकता अथवा असफलता पर िखलिखलाकर हस पड़त थ | िसयारो का बदन और पचक की डरावनी आवाज रात की िनःतबधता को भग करती थी | गाव की झोपिडयो स कराहन और क करन की आवाज हर राम ह भगवान की टर सनाई पड़ती थी| बचच भी िनबरल कठो स मा ETHमा पकारकर रो पड़त थ |

(क) अधरी रात को आस बहात हए कयो िदखाया गया ह उततरndash गाव म हजा और मलिरया फला हआ था | महामारी की चपट म आकार लोग मर रह थ |चारो ओर मौत का सनाटा छाया था इसिलए अधरी रात भी चपचाप आस बहाती सी तीत हो रही थी|

(ख) तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह उततरndash तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह िक अकाल और महामारी स ऽःत गाव वालो की पीड़ा को दर करन वाला कोई नही था | कित भी गाव वालो क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यिद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसकी जयोित और शिकत राःत म ही शष हो जाती थी |

(ग) रात की िनःतबधता को कौन भग करता था उततरndash िसयारो की चीख-पकार पचक की डरावनी आवाज और कततो का सामिहक रदन िमलकर रात क सननाट को भग करत थ |

(घ) झोपिड़यो स कसी आवाज आ रही ह और कयो उततरndash झोपिड़यो स रोिगयो क कराहन क करन और रोन की आवाज आ रही ह कयोिक गाव क लोग मलिरया और हज स पीिड़त थ | अकाल क कारण अनन की कमी हो गयी थी| औषिध और पथय न िमलन क कारण लोगो की हालत इतनी बरी थी िक कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माETHमा पकारता था |

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15 चालीर चिपलन यानी हम सब

लखक-िवण खर

पाठ का साराश ndashचालीर चिपलन न हाःय कलाकार क रप म परी दिनया क बहत बड़ दशरक वगर को हसाया ह | उनकी िफलमो न िफलम कला को लोकतािऽक बनान क साथ-साथ दशको की वगर और वणर-वयवःथा को भी तोड़ा | चालीर न कला म बिदध की अपकषा भावना को महततव िदया ह | बचपन क सघषोर न चालीर क भावी िफलमो की भिम तयार कर दी थी| भारतीय कला और सौदयरशासतर म करणा का हाःय म पिरवतरन भारतीय परमपरा म नही िमलता लिकन चालीर एक ऐसा जादई वयिकततव ह जो हर दश सःकित और सभयता को अपना सा लगता ह| भारतीय जनता न भी उनह सहज भाव स ःवीकार िकया ह| ःवय पर हसना चालीर न ही िसखाया| भारतीय िसनमा जगत क स िसदध कलाकार राजकपर को चालीर का भारतीयकरण कहा गया ह | चालीर की अिधकाश िफ़लम मक ह इसिलए उनह अिधक मानवीय होना पड़ा | पाठ म हाःय िफलमो क महान अिभनता lsquoचालीर चिपलनrsquo की जादई िवशषताओ का उललख िकया गया ह िजसम उसन करणा और हाःय म सामजःय ःथािपत कर िफ़लमो को सावरभौिमक रप दान िकया

शन१ -चालीर क जीवन पर भाव डालन वाली मखय घटनाए कौन सी थी

उततर- चालीर क जीवन म दो ऐसी घटनाए घटी िजनहोन उनक भावी जीवन पर बहत भाव डाला |

पहली घटना - जब चालीर बीमार थ उनकी मा उनह ईसा मसीह की जीवनी पढ़कर सना रही थी | ईसा क सली पर चढ़न क सग तक आत-आत मा-बटा दोनो ही रोन लग| इस घटना न चालीर को ःनह करणा और मानवता जस उचच जीवन मलय िदए |

दसरी घटना हETH बालक चालीर कसाईखान क पास रहता था| वहा सकड़ो जानवरो को रोज मारा जाता था| एक िदन एक भड़ वहा स भाग िनकली| भड़ को पकड़न की कोिशश म कसाई कई बार िफसला| िजस दखकर लोग हसन लग ठहाक लगान लग| जब भड़ को कसाई न पकड़ िलया तो बालक चालीर रोन लगा| इस घटना न उसक भावी िफलमो म ऽासदी और हाःयोतपादक ततवो की भिमका तय कर दी |

शन२ ETH आशय ःपषट कीिजएndash

चिपलन न िसफर िफलमकला को ही लोकतािऽक नही बनाया बिलक दशरको की वगर तथा वणर-वयवःथा को भी तोड़ा|

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उततर- लोकतािऽक बनान का अथर ह िक िफलम कला को सभी क िलए लोकिय बनाना और वगर और वणर-वयवःथा को तोड़न का आशय ह- समाज म चिलत अमीर-गरीब वणर जाितधमर क भदभाव को समापत करना |चिपलन का चमतकार यह ह िक उनहोन िफलमकला को िबना िकसी भदभाव क सभी लोगो तक पहचाया| उनकी िफलमो न समय भगोल और सःकितयो की सीमाओ को लाघ कर सावरभौिमक लोकियता हािसल की | चालीर न यह िसदध कर िदया िक कला ःवतनऽ होती ह अपन िसदधात ःवय बनाती ह |

शन३ETH चालीर चिपलन की िफलमो म िनिहत ऽासदीकरणाहाःय का सामजःय भारतीय कला और सौदयरशासतर की पिरिध म कयो नही आता

उततर- चालीर चिपलन की िफलमो म िनिहत ऽासदीकरणाहाःय का सामजःय भारतीय कला और सौदयरशासतर की पिरिध म नही आताकयोिक भारतीय रस-िसदधात म करणा और हाःय का मल नही िदखाया जाता कयोिक भारतीय सौदयरशासतर म करणरस और हाःय रस को परःपर िवरोधी माना गया ह अथारत जहा करणा ह वहा हाःय नही हो सकता भारत म ःवय पर हसन की परपरा नही ह परत चालीर क पाऽ अपन पर हसतETHहसात ह चालीर की िफ़लमो क दय हसात-हसात रला दत ह तो कभी करण दय क बाद अचानक ही हसन पर मजबर कर दत ह

शन४ETH चालीर क िफलमो की िवशषताए बताइए |

उततर- चालीर की िफ़लमो म हाःय और करणा का अदभत सामजःय ह उनकी िफ़लमो म भाषा का योग बहत कम ह चालीर की िफ़लमो म बिदध की अपकषा भावना का महततव अिधक ह उनकी िफ़लमो म सावरभौिमकता ह चालीर िकसी भी सःकित को िवदशी नही लगत चालीर सबको अपन लगत ह चालीर न िफ़लमो को लोकतािऽक बनाया और िफ़लमो म वगर तथावणर-वयवःथा को तोड़ा अपनी िफलमो म चालीर सदव िचर यवा िदखता ह

गदयाश-आधािरत अथरमहण-सबधी शनोततर

गदयाश सकत ETHचालीर चिपलन यानी हम सब (पषठ १२० )

यिद यह वषर चिपलन की काफी कछ कहा जाएगा |

शन (क)-िवकासशील दशो म चिपलन कयो मशहर हो रह ह

उततर - िवकासशील दशो म जस-जस टलीिवजन और वीिडयो का सार हो रहा ह लोगो को उनकी िफलमो को दखन का अवसर िमल रहा ह |एक बहत बड़ा वगर नए िसर स चालीर को घड़ी सधारत और जत खान की कोिशश करत दख रहा ह इसीिलए चालीर िवकासशील दशो म लोकिय हो रह ह |

(ख)- पिशचम म चालीर का पनजीरवन कस होता रहता ह

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उततर - पिशचम म चालीर की िफलमो का दशरन होता रहता ह| उनकी कला स रणा पाकर हाःय िफ़लम बनती रहती ह | उनक दवारा िनभाए िकरदारो की नकल अनय कलाकार करत ह | पिशचम म चालीर का पनजीरवन होता रहता ह|

(ग)- चालीर को लोग बढ़ाप तक कयो याद रखग

उततर ETHहाःय कलाकार क रप म लोग चालीर को बढ़ाप तक याद रखग कयोिक उनकी कला समय भगोल और सःकितयो की सीमाओ को लाघकर लाखो लोगो को हसा रही ह|

(घ)- चालीर की िफलमो क बार म काफी कछ कहा जाना कयो बाक़ी ह

उततर ETHचिपलन की ऐसी कछ िफ़लम या इःतमाल न की गयी रील िमली ह िजनक बार म कोई नही जानता था | चालीर की भावनाधान हाःय िफलमो न कला क नए ितमान ःथािपत िकए ह अत चालीर की िफलमो क बार म अभी काफी कछ कहा जाना बाक़ी ह|

16 नमक

लिखका - रिजया सजजाद जहीर

साराश -lsquoनमकrsquoभारत-पाक िवभाजन पर िलिखत मािमरक कहानी ह | िवःथािपत हए लोगो म अपनETHअपन जनम ःथानो क ित आज भी लगाव ह| धािमरक आधार पर बनी राषटर-राजयो की सीमा-रखाए उनक अतमरन को अलग नही कर पाई ह | भारत म रहन वाली िसख बीवी लाहौर को अपना वतन मानती ह और भारतीय कःटम अिधकारी ढाका क नािरयल पानी को यादकर उस सवरौषठ बताता ह दोनो दशो क नागिरको क बीच महबबत का नमकीन ःवाद आज भी कायम ह इसीिलए सिफ़या भारत म रहन वाली अपनी महबोली मा िसख बीवी क िलए लाहौरी नमक लान क िलए कःटम और कानन की परवाह नही करती

शन1- OcircनमकOtilde पाठ क आधार पर बताइए िक सिफया और उसक भाई क िवचारो म कया अतर था

उततर- १-सिफया भावनाओ को बहतमहततव दती ह पर उसका भाई बौिदधक वितत का ह उसकी दिषट म कानन भावनाओ स ऊपर ह|

२-सिफया मानवीय सबधो को बहत महततव दती ह जबिक उसका भाई अलगाववादी िवचारधारा का ह िहःस-बखर की बात करता ह |

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३-सिफया का भाई कहता ह िक अदीबो(सािहतयकार) का िदमाग घमा हआ होता ह जबिक सिफया जो ःवय अदीब ह उसका मानना ह िक अगर सभी लोगो का िदमाग अदीबो की तरह घमा हआ होता तो दिनया कछ बहतर हो जाती |

शन२- नमक ल जात समय सिफ़या क मन म कया दिवधा थी

उततर-सिफया सयद मसलमान थी जो हर हाल म अपना वायदा िनभात ह| पािकःतान स लाहौरी नमक ल जाकर वह अपना वायदा परा करना चाहती थी परनत जब उस पता चला िक कःटम क िनयमो क अनसार सीमापार नमक ल जाना विजरत ह तो वह दिवधा म पड़ गई | सिफ़या का दवदव यह था िक वह अपनी िसख मा क िलए नमक कःटम अिधकािरयो को बताकरल जाए या िछपाकर|

शन३- पाठ क आधार पर सिफया की चािरिऽक िवशषताए बताइए |

उततर सकत ndash

१- भावक

२- ईमानदार

३- दढ़िनशचयी

४- िनडर ५- वायद को िनभान वाली

६- मानवीय मलयो को सवोरपिर मानन वाली सािहतयकार शन ४- OcircनमकOtilde पाठ म आए िकरदारो क माधयम स ःपषट कीिजए िक आज भी भारत और पािकःतान की जनता क बीच महबबत का नमकीन ःवाद घला हआ ह |

उततर ETH भल ही राजनीितक और धािमरक आधार पर भारत और पािकःतान को भौगोिलक रप स िवभािजत कर िदया गया ह लिकन दोनो दशो क लोगो क हदय म आज भी पारःपिरक भाईचारा सौहािर ःनह और सहानभित िवदयमान ह | राजनीितक तौर पर भल ही सबध तनावपणर हो पर सामािजक तौर पर आज भी जनता क बीच महबबत का नमकीन ःवाद घला हआ ह | अमतसर म रहन वाली िसख बीबी लाहौर को अपना वतन कहती ह और लाहौरी नमक का ःवाद नही भला पाती | पािकःतान का कःटम अिधकारी नमक की पिड़या सिफया को वापस दत हए कहता ह जामा मिःजद की सीिढ़यो को मरा सलाम कहना | भारतीय सीमा पर तनात कःटम अिधकारी ढाका की जमीन को और वहा क पानी क ःवाद को नही भल पाता |

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गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

गदयाश सकत- पाठETH नमक (पषठ १३४)

सिफया कःटम क जगल स दोनो क हाथो म थी |

(क) सिफया कःटम क जगल स िनकलकर दसर पलटफामर पर आ गयी व वही खड़ रहETH इस वाकय म OcircवOtilde शबद का योग िकसक िलए िकया गया ह

उततर- यहा OcircवOtilde शबद का योग पािकःतानी कःटम अिधकारी क िलए िकया गया ह जो िवभाजन स पवर िदलली म रहत थ और आज भी िदलली को ही अपना वतन मानत ह |

(ख) पलटफामर पर सिफया को िवदा करन कौन-कौन आए थ उनहोन सिफया को कस िवदाई दी

उततर- पलटफामर पर सिफया को िवदा करन उसक बहत सार िमऽ सग सबधी और भाई आए थ| उनहोन ठडी सास भरत हए िभच हए होठो क साथ आस बहात हए सिफया को िवदाई दी |

(ग) अटारी म रलगाड़ी म कया पिरवतरन हए उततर- अटारी म रलगाड़ी स पािकःतानी पिलस उतरी और िहनदःतानी पिलस सवार हो गई|

(घ) कौन सी बात सिफया की समझ म नही आ रही थी उततर- दोनो ओर एक सी जमीन एक जसा आसमान एक सी भाषा एक सा पहनावा और एक सी सरत क लोग िफर भी दोनो क हाथो म भरी हई बदक ह |

17 िशरीष क फल

आचायर हजारी साद िदववदी

साराश ndashOcircआचायर हजारी साद िदववदीOtilde िशरीष को अदभत अवधत मानत ह कयोिक सनयासी की भाित वह सख-दख की िचता नही करता गमीर ल वषार और आधी म भी अिवचल खड़ा रहता ह िशरीष क फ़ल क माधयम स मनय की अजय िजजीिवषा धयरशीलता और कतरवयिनषठ बन रहन क मानवीय मलयो को ःथािपत िकया गया हलखक न िशरीष क कोमल फलो और कठोर फलो क दवारा ःपषट िकया ह िक हदय की कोमलता बचान क िलए कभी-कभी वयवहार की कठोरता भी आवयक हो जाती ह| महान किव कािलदास और कबीर भी िशरीष की तरह बपरवाह अनासकत और सरस थ तभी उनहोन इतनी सनदर रचनाए ससार को दी| गाधीजी क वयिकततव म भी कोमलता और कठोरता का अदभत सगम था | लखक सोचता ह िक हमार दश म जो मार-काट अिगनदाह लट-पाट खन-खचचर का बवडर ह कया वह दश को िःथर नही रहन दगा गलामी अशाित और िवरोधी वातावरण क बीच अपन िसदधातो की रकषा करत हए गाधीजी जी िःथर रह सक थ तो दश भी रह सकता ह जीन की बल अिभलाषा क कारण िवषम

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पिरिःथतयो म भी यिद िशरीष िखल सकता ह तो हमारा दश भी िवषम पिरिःथितयो म िःथर रह कर िवकास कर सकता ह

शन1-िसदध कीिजए िक िशरीष कालजयी अवधत की भाित जीवन की अजयता क मऽ का चार करता ह

उततर- िशरीष कालजयी अवधत की भाित जीवन की अजयता क मऽ का चार करता ह| जब पथवी अिगन क समान तप रही होती ह वह तब भी कोमल फलो स लदा लहलहाता रहता ह|बाहरी गरमी धप वषार आधी ल उस भािवत नही करती इतना ही नही वह लब समय तक िखला रहता ह | िशरीष िवपरीत पिरिःथितयो म भी धयरशील रहन तथा अपनी अजय िजजीिवषा क साथ िनःपह भाव स चड गरमी म भी अिवचल खड़ा रहता ह

शन२-आरगवध (अमलतास) की तलना िशरीष स कयो नही की जा सकती

उततर- िशरीष क फल भयकर गरमी म िखलत ह और आषाढ़ तक िखलत रहत ह जबिक अमलतास का फल कवल पनिह-बीस िदनो क िलए िखलता ह | उसक बाद अमलतास क फल झड़ जात ह और पड़ िफर स ठठ का ठठ हो जाता ह | अमलतास अलपजीवी ह | िवपरीत पिरिःथितयो को झलता हआ ऊण वातावरण को हसकर झलता हआ िशरीष दीघरजीवी रहता ह | यही कारण ह िक िशरीष की तलना अमलतास स नही की जा सकती |

शन३-िशरीष क फलो को राजनताओ का रपक कयो िदया गया ह

उततर- िशरीष क फल उन बढ़ ढीठ और परान राजनताओ क तीक ह जो अपनी कसीर नही छोड़ना चाहत | अपनी अिधकार-िलपसा क िलए नए यवा नताओ को आग नही आन दत | िशरीष क नए फलो को जबरदःती परान फलो को धिकयाना पड़ता ह | राजनीित म भी नई यवा पीढ़ी परानी पीढ़ी को हराकर ःवय सतता सभाल लती ह |

शन४- काल दवता की मार स बचन का कया उपाय बताया गया ह

उततर- काल दवता िक मार स बचन का अथर हETH मतय स बचना | इसका एकमाऽ उपाय यह ह िक मनय िःथर न हो| गितशील पिरवतरनशील रह | लखक क अनसार िजनकी चतना सदा ऊधवरमखी (आधयातम की ओर) रहती ह व िटक जात ह |

शन५- गाधीजी और िशरीष की समानता कट कीिजए |

उततर- िजस कार िशरीष िचलिचलाती धप ल वषार और आधी म भी अिवचल खड़ा रहता ह अनासकत रहकर अपन वातावरण स रस खीचकर सरस कोमल बना रहता ह उसी कार गाधी जी न भी अपनी आखो क सामन आजादी क समाम म अनयाय भदभाव और िहसा को झला |

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उनक कोमल मन म एक ओर िनरीह जनता क ित असीम करणा जागी वही व अनयायी शासन क िवरोध म डटकर खड़ हो गए |

गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

गदयाश सकत- पाठ ETH िशरीष क फल (पषठ १४७)

कािलदास सौदयर क वह इशारा ह |

(क) कािलदास की सौदयरETHदिषट की कया िवशषता थी उततर-कािलदास की सौदयरETHदिषट बहत सआम अतभरदी और सपणर थी| व कवल बाहरी रप-रग और आकार को ही नही दखत थ बिलक अतमरन की सदरता क भी पारखी थ| कािलदास की सौदयर शारीिरक और मानिसक दोनो िवशषताओ स यकत था |

(ख) अनासिकत का कया आशय ह उततर- अनासिकत का आशय ह- वयिकतगत सख-दःख और राग-दवष स पर रहकर सौदयर क वाःतिवक ममर को जानना |

(ग) कािलदास पत और रवीिनाथ टगोर म कौन सा गण समान था महाकिव कािलदास सिमऽानदन पत और गरदव रवीिनाथ टगोर तीनो िःथरजञ और अनासकत किव थ | व िशरीष क समान सरस और मःत अवधत थ |

(घ) रवीिनाथ राजोदयान क िसहदवार क बार म कया सदश दत ह राजोदयान क बार म रवीिनाथ कहत ह राजोदयान का िसहदवार िकतना ही सदर और गगनचमबी कयो ना हो वह अितम पड़ाव नही ह| उसका सौदयर िकसी और उचचतम सौदयर की ओर िकया गया सकत माऽ ह िक असली सौदयर इस पार करन क बाद ह अत राजोदयान का िसहदवार हम आग बढ़न की रणा दता ह |

18ौम-िवभाजन और जाित-था

डॉ० भीमराव अबडकर

साराश ndash इस पाठ म लखक न जाितवाद क आधार पर िकए जान वाल भदभाव को सभय समाज क िलए हािनकारक बताया ह | जाित आधािरत ौम िवभाजन को अःवाभािवक और मानवता िवरोधी बताया गया ह यह सामािजक भदभाव को बढ़ाता ह जाितथा आधािरत ौम िवभाजन म वयिकत की रिच को महततव नही िदया जाता फलःवरप िववशता क साथ अपनाए

100

गए पश म कायर-कशलता नही आ पाती | लापरवाही स िकए गए कायर म गणवतता नही आ पाती और आिथरक िवकास बरी तरह भािवत होता ह| आदशर समाज की नीव समता ःवतऽता और बधतव पर िटकी होती ह समाज क सभी सदःयो स अिधकतम उपयोिगता ापत करन क िलए सबको अपनी कषमता को िवकिसत करन तथा रिच क अनरप वयवसाय चनन की ःवतऽता होनी चािहए| राजनीितजञ को अपन वयवहार म एक वयवहायर िसदधात की आवयकता रहती ह और यह वयवहायर िसदधात यही होता ह िक सब मनयो क साथ समान वयवहार िकया जाए

शन1-डॉ० भीमराव अबडकर जाितथा को ौम-िवभाजन का ही रप कयो नही मानत ह

उततर ndash

१- कयोिक यह िवभाजन अःवाभािवक ह | २- यह मन य की रिच पर आधािरत नही ह | ३- वयिकत की कषमताओ की उपकषा की जाती ह | ४- वयिकत क जनम स पहल ही उसका पशा िनधारिरत कर िदया जाता ह | ५- वयिकत को अपना वयवसाय बदलन की अनमित नही दती | शन२- दासता की वयापक पिरभाषा दीिजए |

उततर ndash दासता कवल काननी पराधीनता नही ह| सामािजक दासता की िःथित म कछ वयिकतयो को दसर लोगो क दवारा तय िकए गए वयवहार और कतरवयो का पालन करन को िववश होना पड़ता ह | अपनी इचछा क िवरदध पतक पश अपनान पड़त ह |

शन३- मनय की कषमता िकन बातो पर िनभरर रहती ह

उततर ndashमनय की कषमता मखयत तीन बातो पर िनभरर रहती ह-

१- शारीिरक वश परपरा

२- सामािजक उततरािधकार

३- मनय क अपन यतन

लखक का मत ह िक शारीिरक वश परपरा तथा सामािजक उततरािधकार िकसी क वश म नही ह परनत मन य क अपन यतन उसक अपन वश म ह | अत मनय की मखय कषमता- उसक अपन यतनो को बढ़ावा िमलना चािहए |

शन४- समता का आशय ःपषट करत हए बताइए िक राजनीितजञ परष क सदभर म समता को कस ःपषट िकया गया ह

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जाित धमर स दाय स ऊपर उठकर मानवता अथारत मानव माऽ क ित समान वयवहार ही समता ह राजनता क पास असखय लोग आत ह उसक पास पयारपत जानकारी नही होती सबकी सामािजक पषठभिम कषमताए आवयकताए जान पाना उसक िलए सभव नही होता अतः उस समता और मानवता क आधार पर वयवहार क यास करन चािहए

गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

गदयाश सकत-पाठ ौम िवभाजन और जाित था (पषठ १५३) यह िवडमबनाबना दती ह | शन १-ौम िबभाजन िकस कहत ह

उततर ौम िवभाजन का अथर हETH मानवोपयोगी कायोर का वगीरकरण करना| तयक कायर को कशलता स करन क िलए योगयता क अनसार िविभनन कामो को आपस म बाट लना | कमर और मानव-कषमता पर आधािरत यह िवभाजन सभय समाज क िलए आवयक ह |

शन २ - ौम िवभाजन और ौिमक-िवभाजन का अतर ःपषट कीिजए |

उततर- ौम िवभाजन म कषमता और कायर-कशलता क आधार पर काम का बटवारा होता ह जबिक ौिमक िवभाजन म लोगो को जनम क आधार पर बाटकर पतक पश को अपनान क िलए बाधय िकया जाता ह| ौम-िवभाजन म वयिकत अपनी रिच क अनरप वयवसाय का चयन करता ह | ौिमक-िवभाजन म वयवसाय का चयन और वयवसाय-पिरवतरन की भी अनमित नही होती िजसस समाज म ऊच नीच का भदभाव पदा करता ह यह अःवाभािवक िवभाजन ह |

शन ३ ETHलखक न िकस बात को िवडमबना कहा ह

उततर लखक कहत ह िक आज क वजञािनक यग म भी कछ लोग ऐस ह जो जाितवाद का समथरन करत ह और उसको सभय समाज क िलए उिचत मानकर उसका पोषण करत ह| यह बात आधिनक सभय और लोकतािनऽक समाज क िलए िवडमबना ह | शन ४ भारत म ऎसी कौन-सी वयवःथा ह जो पर िवशव म और कही नही ह

उततर लखक क अनसार जनम क आधार पर िकसी का पशा तय कर दना जीवनभर एक ही पश स बध रहना जाित क आधार पर ऊच-नीच का भदभाव करना तथा बरोजगारी तथा भखमरी की िःथित म भी पशा बदलन की अनमित न होना ऐसी वयवःथा ह जो िवशव म कही नही ह |

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अधययन साममी

ककषा बारहवी - िवतान भाग-2

िवतान भाग -२ पःतक म स शनपऽ म तीन कार क शन पछ जाएग -

शन १२ अित लघततरातमक तीन शनो म स दो क उततर दन ह| िनधारिरत अक - २ २ = ४

शन १३ दो िनबधातमक शनो म स एक शन का उततर| िनधारिरत अक ETH ५

शन १४ तीन लघततरातमक शनो म स दो शनो क उततर| िनधारिरत अक ETH ३ २ = ६

अिधक अक ािपत हत धयान दन योगय बात ndash

१ परा पाठ पढ़ तथा पाठ की िवषयवःत मख पाऽ तथा सदश की ओर अवय धयान द |

२ शनो क उततर दत समय अनावयक न िलख| शन को धयानपवरक पढ़कर उसका सटीक उततर द |

३ शबदसीमा का धयान रख | ४ अको क अनसार उततर िलख | ५ पाच अक वाल उततरो म िविभनन िबदओ को उदाहरण सिहत ःतत कर |

पाठ 1िसलवर विडग ETH मनोहर याम जोशी

पाठ का सार-िसलवर विडगOtilde कहानी की रचना मनोहर याम जोशी न की ह| इस पाठ क माधयम स पीढ़ी क अतराल का मािमरक िचऽण िकया गया ह| आधिनकता क दौर म यशोधर बाबपरपरागत मलयो को हर हाल म जीिवत रखना चाहत ह| उनका उसलपसद होना दफतर एवम घर क लोगो क िलए सरददर बन गया था | यशोधर बाब को िदलली म अपन पाव जमान म िकशनदा न मदद की थी अतः व उनक आदशर बन गए|

दफतर म िववाह की पचचीसवी सालिगरह क िदन दफतर क कमरचारी मनन और चडढा उनस जलपान क िलए पस मागत ह | जो व बड़ अनमन ढग स दत ह कयोिक उनह िफजलखचीर पसद नही |यशोधर

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बाब क तीन बट ह| बड़ा बटा भषण िवजञापन कमपनी म काम करता ह| दसरा बटा आई ए एस की तयारी कर रहा ह और तीसरा छाऽवित क साथ अमिरका जा चका ह| बटी भी डाकटरी की पढ़ाई क िलए अमिरका जाना चाहती ह वह िववाह हत िकसी भी वर को पसद नही करती| यशोधर बाबबचचो की तरककी स खश ह िकत परपरागत सःकारो क कारण व दिवधा म ह| उनकी पतनी न ःवय को बचचो की सोच क साथ ढाल िलया ह| आधिनक न होत हए भी बचचो क ज़ोर दन पर व अिधक माडनर बन गई ह|

बचच घर पर िसलवर विडग की पाटीर रखत ह जो यशोधर बाब क उसलो क िखलाफ था| उनका बटा उनह सिसग गाउन भट करता ह तथा सबह दध लन जात समय उस ही पहन कर जान को कहता ह जो उनह अचछा नही लगता| बट का ज़ररत स एयादा तनखवाह पाना तनखवाह की रकम ःवय खचर करना उनस िकसी भी बात पर सलाह न मागना और दध लान का िजममा ःवय न लकर उनह सिसग गाउन पहनकर दध लन जान की बात कहना जसी बात यशोधर बाब को बरी लगती ह| जीवन क इस मोड़ पर व ःवय को अपन उसलो क साथ अकल पात ह |

शनोततर -

शन १ अपन घर और िवदयालय क आस-पास हो रह उन बदलावो क बार म िलख जो सिवधाजनक और आधिनक होत हए भी बजगोर को अचछ नही लगत अचछा न लगन क कया कारण हो सकत ह

उततरः आधिनक यग पिरवतरनशील एव अिधक सिवधाजनक ह आज क यवाआधिनकता और पिरवतरनशीलता को महततव दत ह इसीिलए व नई तकनीक और फशन की ओर आकिषरत होत ह व ततकाल नयी जानकािरया चाहत ह िजसक िलए उनक पास कमपयटर इनटरनट एव मोबाइल जस आधिनक तकनीकी साधन ह इनक माधयम स व कम समय म जयादा जानकारी एकऽ कर लत ह घर स िवदयालय जान क िलए अब उनक पास बिढ़या साईिकल एव मोटर साईिकल ह आज यवा लड़क और लड़िकयो क बीच का अनतराल काफी कम हो गया ह परान जमान म लड़िकया-लड़को क साथ पढ़ना और िमलना-जलना ठीक नही माना जाता था जस आज क पिरवश म ह यवा लड़को और लड़िकयो दवारा अग दशरन आज आम बात हो गई ह व एक

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साथ दर रात तक पािटरया करत ह इनटरनट क माधयम स असभय जानकािरया ापत करत ह य सारी बात उनह आधिनक एव सिवधाजनक लगती ह

दसरी ओर इस तरह की आधिनकताबज़गोर को रास नही आतीकयोिक जब व यवा थउस समय सचार क साधनो की कमी थी पािरवािरक पषठभिम क कारण व यवावःथाम अपनी भावनाओ को

काब म रखत थ और अिधक िजममदार होत थ अपन स बड़ो का आदर करत थ और परपराओ क अनसार चलत थ आधिनक पिरवश क यवा बड़-बढ़ो क साथ बहत कम समय वयतीत करत ह इसिलए सोच एव दिषटकोण म अिधक अनतर आ गया ह इसी अनतर को lsquoपीढ़ी का अनतरrsquo कहत ह यवा पीढ़ी की यही नई सोच बजगोर को अचछी नही लगती

२ यशोधर बाब की पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती हलिकन यशोधर बाब असफल रहत हऐसा कयो

उततरः यशोधर बाब अपन आदशर िकशनदा स अिधक भािवत ह और आधिनक पिरवश म बदलत हए जीवन-मलयो और सःकारो क िवरदध ह जबिक उनकी पतनीअपन बचचो क साथ खड़ी िदखाई दती ह वह अपन बचचो क आधिनक दिषटकोण स भािवत ह इसिलए यशोधर बाब की पतनी समय क साथ पिरवितरत होती ह लिकन यशोधर बाब अभी भी िकशनदा क सःकारो और परपराओ स िचपक हए ह

३rsquoिसलवर विडगrsquoकहानी क आधार पर पीढ़ी क अतराल स होन वाल पािरवािरक अलगाव पर अपन िवचार कट कीिजए

उततरः साःकितक सरकषण क िलए ःवःथ परपराओ की सरकषा आवयक ह िकत बदलत समय और पिरवश स सामजःय की भी उपकषा नही की जानी चािहए अनयथा िसलवर विडग क पाऽो की तरह िबखराव होन लगता ह

४rsquoिसलवर विडगrsquoकहानी को धयान म रखत हए परपराओ और साःकितक सरकषको की वतरमान म उपादयता पर अपन िवचार कट कीिजए

उततरःपरपराओ और सःकित स ही िकसी दश की पहचान कायम रहती ह सादगी स जीकर गहःथी को बचाया जा सकता ह यिद ऐसा न होता तो शायद यशोधर बाब की सतान पढ़-िलखकर योगय न बनती

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५ िसलवर विडगक कथानायक यशोधर बाब एक आदशर वयिकत ह और नई पीढ़ी दवारा उनक िवचारो को अपनाना ही उिचत ह| इस कथन क पकष-िवपकष म तकर दीिजए

उततरः- पकषः नयी पीढ़ी क यवा उनकी सादगी और वयिकततव क कछक रक पहलओ को लकर सफल व सःकारी नागिरक बन सकत ह अनयथा व अपनी पहचान खो बठ ग

िवपकषःपरानी रिढ़यो को छोड़कर ही नए समाज व नई पीढ़ी क साथ सामजःय िबठाया जा सकता हअनयथा िवलगाव सिनिशचत ह

६ िसलवर विडग कहानी की मल सवदना ःपषट कीिजए

उततरः - सकत-िबद-पीढ़ी क अनतराल स पदा हई िबखराव की पीड़ा

७ िकशनदा की कौन-सी छिव यशोधर बाब क मन म बसी हई थी

सकत िबनद- 1उनकी दफतर म िविभनन रपो की छिव

2सर पर िनकलन वाली छिव

३ एक आदशरवादी वयिकत क रप म

४ परोपकारी वयिकत |

८ Ocircिसलवर विडगrsquoकहानी का मख पाऽ बार-बार िकशनदा को कयो याद करता हइस आप कया मानत ह उसकी सामथयर या कमजोरीऔरकयो

उततरः सामथयर मानत ह व उनक रक थ उनस अलग अपन को सोचना भी यशोधर बाब क िलए मिकल था जीवन का रणा-ॐोत तो सदा शिकत एव सामथयरका सजरक होता ह

९ पाठ म lsquoजो हआ होगाrsquo वाकय की िकतनी अथर छिवया आप खोज सकत ह

उततरः यशोधर बाब यही िवचार करत ह िक िजनक बाल-बचच ही नही होतव वयिकत अकलपन क कारण ःवःथ िदखन क बाद भी बीमार-स हो जात ह और उनकी मतय हो जाती ह| िजसकार यशोधर बाब अपन आपको पिरवार स कटा और अकला पात ह उसीकार अकलपन स मःत होकर उनकी मतय हई होगी यह भी कारण हो सकता ह िक उनकी िबरादरी स घोर उपकषा

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िमली इस कारण व सख-सख कर मर गए | िकशनदा की मतय क सही कारणो का पता नही चल सका बस यशोधर बाब यही सोचत रह गए िक िकशनदा की मतय कस हईिजसका उततर िकसी क पास नही था

१० वतरमान समय म पिरवार की सरचनाःवरप स जड़ आपक अनभव इस कहानी स कहा तक सामजःय िबठा पात ह

उततरः यशोधर बाब और उनक बचचो की सोच म पीढ़ीजनय अतराल आ गया ह यशोधर सःकारो स जड़ना चाहत ह और सयकत पिरवार की सवदनाओ को अनभव करत ह जबिक उनक बचच अपन आप म जीना चाहत ह अतः जररत इस बात की ह िक यशोधर बाब को अपन बचचो की सकारातमक नई सोच का ःवागत करना चािहएपरनत यह भी अिनवायर ह िक आधिनक पीढ़ी क यवा भी वतरमान बतक सःकार और जीवन मलयो क ित आकिषरत न हो तथा परानी पीढी की अचछाइयो को महण कर यह शरआत दोनो तरफ स होनी चािहए तािक एक नए एव सःकारी समाज की ःथापना की जा सक

११ यशोधर बाब क चिरऽ की िवशषताए िलिखए

उततरः1 कमरठ एव पिरौमी ndashसकशन ऑिफसर होन क बावजद दफतर म दर तक काम करत थ | व अनय कमरचािरयो स अिधक कायर करत थ |

2 सवदनशील- यशोधर बाब अतयिधक सवदनशील थ | व यह बात ःवीकार नही कर पात िक उनका बटा उनकी इजाजत िलए िबना ही घर का सोफा सट आिद खरीद लाता ह उनका साईिकल स दफतर जान पर ऐतराज करता ह उनह दध लन जान म असिवधा न हो इसिलए सिसग गाउन भट करता ह| पतनी उनकी बात न मानकर बचचो क कह अनसार चलती ह | बटी िववाह क बधन म बधन स इकार करती ह और उसक वसतरो म शालीनता नही झलकती | पिरवारवालो स तालमल न बठन क कारण व अपना अिधकतर समय घर स बाहर मिदर म तथा सबजीमडी म सबज़ी खरीदत िबतात ह |

3 परपरावादी- व परपरावादी थ |आधिनक समाज म बदलत समीकरणो को ःवीकार करन को तयार नही थ इसिलए पिरवार क अनय सदःयो स उनका तालमल नही बठ पा रहा था |

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४ धािमरक वयिकत-यशोधर बाब एक धािमरक वयिकत थ| व अपना अिधकतर समय पजा-पाठ और मिदर म िबतात थ |

१२ यशोधर बाब जस लोग समय क साथ ढ़लन म असफल कयो होत ह

उततरः ऐस लोग साधारणतया िकसी न िकसी स भािवत होत ह जस यशोधर बाब िकशन दा स य परपरागत ढरर पर चलना पसनद करत ह तथा बदलाव पसनद नही करत अतः समय क साथ ढ़लन म असफल होत ह

१३ भर-पर पिरवार म यशोधर बाब ःवय को अधरा-सा कयो अनभव करत ह

उततरःसकत िबनद - अपन ाचीन दायर स बाहर न िनकल सकन क कारण व ःवय को अधरा अनभव करत ह

१४lsquolsquoअभी तमहार अबबा की इतनी साख ह िक सौ रपए उधार ल सक rsquorsquo िकन पिरिःथितयो म यशोधर बाब को यह कहना पड़ा

उततरःसकत िबनद- पऽ दवारा उनक िनकट सबधी की आिथरक सहायता क िलए मनाही स आहत होकर ऐसा कहना पड़ा

१५ Ocircिसलवर विडगrsquo कहानी क तथय का िवशलषण कीिजए

उततरः सकत िबनद - पीढ़ी क अतराल को उजागर कर वतरमान समाज की इस कार की सचचाई स पदार उठाया गया ह

१६अपन बचचो की तरककी स खश होन क बाद भी यशोधर बाब कयामहसस करत ह

उततरः उनक बचच गरीब िरतदारो क ित उपकषा का भाव रखत ह उनकी यह खशहाली अपनो क बीच परायापन पदा कर रही ह जो उनह अचछा नही लगता

१७आजकल िकशनदा जसी जीवन-शली अपनान वाल बहत कम लोग िमलत ह कयो

उततर िकशन दा जस लोग मःती स जीत ह िनःःवाथर दसरो की सहायता करत ह जबिक आजकल सभी सहायता क बदल कछ न कछ पान की आशा रखत ह िबना कछ पान की आशा रख सहायता करन वाल िबरल ही होत ह

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१८ यशोधर बाब क बचचो की कौन-सी बात शसनीय ह और कौन-सा पकष आपिततजनक ह

उततर- शसनीय बात- १) महतवाकाकषी और गितशील होना | २)जीवन म उननित करना |

३)समय और सामथयर क अनसार घर म आधिनक सिवधाए जटाना |

आपिततजनक बात - १) वयवहार २) िपता िरतदारो धमर और समाज क ित नकारातमक भाव

३) मानवीय समबनधो की गिरमा और सःकारो म रिच न लना |

१९आपकी दिषट म(पाठ स अलग) िसलवर विडग मनान क और कौन स तरीक हो सकत ह जो यशोधर बाब को अचछ लगत

उततरः मिदर जाकरपिरवार क साथ कही घमन जाकरपऽ-पिऽयो दवारा

माता-िपता को उपहार दकर आिद

२० िसलवर विडग म चटाई का लहगा िकस कहा गया ह

उततरः यह एक तीकातमक योग ह िजस यशोधर बाब अपनी पतनी क िलए योग करत ह उनकी पतनी परानी परपराओ को छोड़ आधिनकता म ढ़ल गई ह ःवय को मॉडनर समझती ह

इसिलए यशोधर बाब न उनह यह नाम िदया ह व उनह Ocircशानयल बिढ़याrsquo तथा Ocircबढ़ी मह महास

लोग कर तमासrsquo कह कर भी िचढ़ात ह

२१ यशोधर बाब पिरवार क बावजद ःवय को अधरा कयो मानत ह

उततर - यशोधर बाब परानी परपराओ को माननवाल ह जबिक उनका सारा पिरवार आधिनक िवचारधारा का ह पीढ़ीगत अतराल क कारण पिरवार क साथ ताल-मल न िबठा पान क कारण व ःवय को अधरा समझत ह

अनय महततवपणर अभयास-शन

1 दफतर म यशोधर बाब स कमरचारी कयो परशान रहत थ

2 यशोधर बाब का अपन बचचो क साथ कसा वयवहार था

3 दफतर क बाद पत जी कया-कया काम करत थ

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4 ऑिफस क सािथयो न यशोधर बाब को िकस बात की बधाइरर दी

5 यशोधर बाब तिकया कलाम क रप म िकस वाकय का योग करत थइस तिकया कलाम का उनक वयिकततव तथा कहानी क कथय स कया सबध ह

6 पीढ़ी क अतराल स वयिकत अकला हो जाता हrsquo- ःपषट कर

७ अपन बट की बड़ी नौकरी पर यशोधर बाब को कया आपितत थी

पाठ 2 जझ आनद यादव

पाठ का सार ndashOcircजझOtilde पाठ आनद यादव दवारा रिचत ःवय क जीवनETHसघषर की कहानी ह| पढ़ाई परी न कर पान क कारण उसका मन उस कचोटता रहता था |दादा न अपन ःवाथोर क कारण उसकी पढ़ाई छड़वा दी थी |वह जानता था िक दादा उस पाठशाला नही भजग | आनद जीवन म आग बढ़ना चाहता था | वह जनता था िक खती स कछ िमलन वाला नही |वह पढ़गा-िलखगा तो बिढ़या-सी नौकरी िमल जाएगी |

आनद न एक योजना बनाई िक वह मा को लकर गाव क ितिषठत वयिकत दतता जी राव क पास जाएगा| दतता जी राव न उनकी परी बात सनी और दादा को उनक पास भजन को कहा | दतता जी न उस खब फटकारा आनद को भी बलाया | दादा न भी कछ बात रखी िक आनद को खती क कायर म मदद करनी होगी| आनद न उनकी सभी बात सहषर मान ली| आनद की पढ़ाई शर हो गई| शर म कछ शरारती बचचो न उस तग िकया िकनत धीर-धीर उसका मन लगन लगा| उसन ककषा क मानीटर वसत पािटल स दोःती कर ली िजसस उस ठीक कार स पढ़ाई करन की रणा िमली| कई परशािनयो स जझत हए आनद न िशकषा का दामन नही छोड़ा| मराठी पढ़ान क िलए ौी सौदलगकर आए| उनहोन आनद क हदय म एक गहरी छाप छोड़ी| उसन भी किवताओ म रिच लनी ारमभ की| उसन खतो म काम करत ETHकरत किवताए कठःथ की| माःटर न उसकी किवता बड़ धयान स सनी| बालक का आतमिवशवास बढ़न लगा और उसकी कावय-ितभा म िनखार आन लगा |

शनोततर-

१ जझ कहानी क आधार पर दतता जी राव दसाई का चिरऽ-िचऽण कीिजए

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उततर 1 समझदार वयिकतETH दतता जी राव न छोट स बालक आनद की बातो को सना| िफर आनद क दादा को बलाया और आनद को िवदयालय भजन पर जोर िदया| उनहोन दादा स इस कार बात की िक उनह शक ही नही हआ िक य सब उनह आनद न बताया ह|

2 मामीणो क मददगार ETH दतता जी गाव क ितिषठत एवम भावशाली वयिकत थ िकत उनहोन अपनी ितषठा का दरपयोग नही िकया| मामीण उनक पास अपनी समःयाए लकर आत थ| दतता जी उनकी समःयाओ को हल करन का यास करत थ|

3भावशाली वयिकततवETH दतता जी गाव क ितिषठत वयिकत थ| सभी उनह बहत मान दत थ| उनका वयिकततव रोबीला था और मामीण उनकी बात मान जात थ|

२ जझ कहानी का उददय कया ह अथवा

Ocircिवषम पिरिःथितयो म भी िवकास सभव हrsquolsquoजझrsquo कहानी क आधार पर ःपषट कीिजए|

उततरः इस कहानी का मखय उददय ह िक मनय को सघषर करत रहना चािहए| कहानी म लखक क जीवन क सघषर को उसक पिरवश क साथ िदखलाया गया ह लखक का िशकषा-ािपत हत िपता स सघषरककषा म सघषरखती म सघषर और अत म उसकी सफलता कहानी क उददय को ःपषट करत ह अतः समःयाओ स भागना नही चािहए| पर आतमिवशवास स उनका मकाबला करना चािहए| सघषर करन वाल को सफलता अवय िमलती ह|

३ lsquoजझrsquo कहानी क शीषरक की साथरकता पर िटपपणी कीिजए

उततरः जझका अथर ह ndashसघषर| यह कथा कथानायक क जीवन भर क सघषर को दशारती ह| बचपन स अभावो म पला बालक िवपरीत पिरिःथितयो पर िवजय हािसल कर सका|अतः यिद मन म लगन हो भरपर आतमिवशवास हो तो सफलता कदम चमती ह |

४ OcircजझOtilde कहानी क आधार पर आनदा क चिरऽ की िवशषताए बताइए अथवा

lsquoजझrsquoशीषरक क औिचतय पर िवचार करत हए यह ःपषट कर िक कया यह शीषरक कथानायक की िकसी कनिीय चािरिऽक िवशषता को उजागर करता ह

उततरः 1 पढ़न की लालसा- आनदा िपता क साथ खती का काम सभालता था| लिकन पढ़न की तीो इचछा न उस जीवन का एक उददय द िदया और वह अपन भिवय को एक सही िदशा दन म सफल होता ह|

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2 वचनबदधता- आनदा न िवदयालय जान क िलए िपता की जो शतर मानी थी उनका पालन हमशा िकया| वह िवदयालय जान स पहल बःता लकर खतो म पानी दता| वह ढोर चरान भी जाता| िपता की बातो का अनपालन करता|

3 आतमिवशवासी एव कमरठ बालकETHआनदा क जीवन म अभाव ही थ| उसक िपता न ही उसका पाठशाला जाना बद करवा िदया था| िकत उसन िहममत नही हारी पर आतमिवशवास क साथ योजनाबदध तरीक स आग बढ़ा और सफल हआ|

४ किवता क ित झकाव- आनदा न माःटर सौदलगकर स भािवत होकर कावय म रिच लनी ारमभ की| वह खतो म पानी दता भस चरात समय भी किवताओ म खोया रहता था| धीर-धीर वह ःवय तकबदी करन लगा| किवताए िलखन स उसम आतमिवशवास बढ़ा|

५ आननदा क िपता की भाित आज भी अनक गरीब व कामगार िपता अपन बचचो को ःकल नही भजना चाहतथ कयो आपकी दिषट म उनह िकस कार िरत िकया जा सकता ह

उततरः अिधकतर लोग अिशिकषत होन क कारण िशकषा क महततव को नही समझत| अिधक बचच कम आमदनी दो अितिरकत हाथो स कमाई की लालसा आिद इसक मख कारण ह उनह िरत करन हत उनह जागरक करना िशकषा का महततव बतानािशिकषत होकर जीवन ःतर म सधार क िलए ोतसािहत िकया जा सकता ह

६ सकारातमक सजनातमकता स आतमिवशवास को दढ़ता िमलती ह जझ कहानी क आधार पर समझाइए

उततरः लखक न पढ़ाई म ःवय को िपछड़ता हआ पाया| िकत िशकषक सौदलगकर स िरत होकर लखक कछ तकबदी करन लगा| धीर ETHधीर उसम आतमिवशवास बढ़न लगा| सजनातमकता न उसक जीवन को नया मोड़ िदया| अतः लखक क दवारा किवता रच लन स उसम आतमिवशवास का सजन हआ

७ lsquoजझrsquoकहानी क आधार पर बताइए िक एक भावशाली िशकषक िकस तरह अपन िवदयाथीर का भिवय सवार सकता ह अथवा

आननदा स किव डॉ आननद यादव बनन की याऽा म माःटर सौनदलगकर की भिमका ःपषट कीिजए

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उततरः माःटर सौदलगकर कशल अधयापक मराठी क जञाता व किवसरील ढग स ःवय कीव दसरो की किवताए गात थ आननदा को किवता या तकबनदी िलखन क ारिमभक काल म उनहोन उसका मागरदशरन व सधार िकयाउसका आतमिवशवास बढ़ाया िजसस वह धीर-धीर किवताए िलखन म कशल हो कर ितिषठत किव बन गया

८ आननदा कोपनः ःकल जान पर कया-कया झलना पड़ा

उततरः ःवय स कम आय क छाऽो क साथ बठना पड़ावह अनय छाऽो की हसी का पाऽ बना तथा उस िपता की इचछा क कारण घर व ःकल दोनो म िनरतर काम करना पड़ा

९ ःकल म मानीटर न आनदा को सवारिधक भािवत िकया और कस

उततरः मानीटर बसत पािटल न उस सवारिधक भािवत िकया|वह शात व अधययनशील छाऽ था आनदा उसकी नकल कर हर काम करन लगाधीर-धीर एकामिचत व अधययनशील बनकर आननदा भी ककषा म सममान का पाऽ बन गया

१० आपक दिषट स पढ़ाई-िलखाई क समबनध म लखक और दतता जी राव का रवया सही था या लखक क िपता कातकर सिहत उतर दीिजए

उततरः लखक का मत ह िक जीवन भर खतो म काम करक कछ भी हाथ आन वाला नही ह पीढ़ी दर पीढ़ी खतो म काम करक कछ ापत नही हो सका व मानत ह िक यह खती हम गढढ म धकल रही ह अगर म पढ़-िलख गया तो कही मरी नौकरी लग जाएगी या कोई वयापार करक अपन जीवन को सफल बनाया जा सकता ह मा-बटा जब दतता जी राव क घर जाकर परी बात बतात ह तो दतता जी राव िपता जी को बलाकर खब डाटत ह और कहत ह िक त सारा िदन कया करता ह बट और पतनी को खतो म जोत कर त सारा िदन साड की तरह घमता रहता ह कल स बट को ःकल भज अगर पस नही ह तो फीस म दगा परनत िपता जी को यह सब कछ बरा लगा दतता जी राव क सामन lsquoहाrsquo करन क बावजद भी व आननद को ःकल भजन क पकष म नही थ इस कार लखक और उनक िपताजी की सोच म एक बड़ा अनतर ह हमार खयाल स पढ़ाई-िलखाई क समबनध म लखक और दतता जी राव का रवया लखक क िपता की सोच स जयादा ठीक ह कयोिक पढ़न-िलखन स वयिकत का सवारगीण िवकास होता ह

अनय महततवपणर अभयास-शन

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१ जझ पाठ क आधार पर बताइए िक कौन िकसस कहा जझ रहा ह तथा अपनी जझ म कौन सफल होता ह

२ आनदा का िपता कोलह जलदी कयो चलवाता था

३ पाठशाला म आनदा का पहला अनभव कसा रहा

४ दतता राव क सामन रतनपपा न आनदा को ःकल न भजन का कया कारण बताया

५ आनदा क िपता न उस पाठशाला भजन की सहमित िकस शतर पर दी

पाठ 3 अतीत म दब पाव ओम थानवी

पाठ का सारndashयहओम थानवी क याऽा-वततात और िरपोटर का िमला-जला रप ह|उनहोन इस पाठ म िवशव क सबस परान और िनयोिजत शहरो-मअनजो-दड़ो तथा हड़पपा का वणरन िकया ह | पािकःतान क िसध ात म मअनजो-दड़ो ओर पजाब ात म हड़पपा नाम क दो नगरो को पराततविवदो न खदाई क दौरान खोज िनकाला था|मअनजो-दड़ो ताकाल का सबस बड़ा शहर था |मअनजो-दड़ो अथारत मदोर का टीला| यह नगर मानव िनिमरत छोटETHछोट टीलो पर बना था |मअनजो-दड़ो म ाचीन और बड़ा बौदध ःतप ह | इसकी नगर योजना अिदवतीय ह| लखक न खडहर हो चक टीलो ःनानागार मद-भाडो कओETHतालाबो मकानो व मागोर का उललख िकया ह िजनस शहर की सदर िनयोजन वयवःथा का पता चलता ह| बःती म घरो क दरवाज मखय सड़क की ओर नही खलत हर घर म जल िनकासी की वयवःथा ह सभी नािलया की ढकी हई ह पककी ईटो का योग िकया गया ह|

नगर म चालीस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा एक महाकड भी ह |इसकी दीवार ओर तल पककी ईटो स बन ह | कड क पास आठ ःनानागार ह | कड म बाहर क अशदध पानी को न आन दन का धयान रखा गया | कड म पानी की वयवःथा क िलए कआ ह | एक िवशाल कोठार भी ह िजसम अनाज रखा जाता था |उननत खती क भी िनशान िदखत ह -कपास गह जौ सरसो बाजरा आिद क माण िमल ह|

िसध घाटी सभयता म न तो भवय राजमहल िमल ह ओर ही भवय मिदर| नरश क सर पर रखा मकट भी छोटा ह| मअनजो-दड़ो िसध घाटी का सबस बड़ा नगर ह िफर भी इसम भवयता व आडमबर का अभाव रहा ह| उस समय क लोगो न कला ओर सरिच को महततव िदया| नगर-िनयोजन धात एव पतथर की मितरया मद-भाड उन पर िचिऽत मानव ओर अनय

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आकितया महर उन पर बारीकी स की गई िचऽकारी| एक परातततववतता क मतािबक िसध सभयता की खबी उसका सौदयर-बोध ह जो राजपोिषत या धमरपोिषत न होकर समाजपोिषत था|

शनोततरndash

१ Ocircिसनध सभयता साधन समपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नही था |Otilde ःतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

उततरः दसरी सभयताए राजतऽ और धमरतऽ दवारा सचािलत थी वहा बड़-बड़ सनदर महल पजा ःथल भवय मितरया िपरािमड और मिनदर िमल ह राजाओ धमारचायोर की समािधया भी मौजद ह िकत िसनध सभयता एक साधन-समपनन सभयता थी परनत उसम राजसतता या धमरसतताक िचहन नही िमलत वहा की नगर योजनावाःतकलामहरोठपपोजल-वयवःथासाफ-सफाई और सामािजक वयवःथा आिद की एकरपतादवारा उनम अनशासन दखा जा सकता ह |साःकितक धरातलपर यह तथय सामन आता ह िक िसनध घाटी की सभयता दसरीसभयताओ स अलग एव ःवाभािवक

िकसी कार की किऽमता एव आडबररिहतथी जबिक अनय सभयताओ म राजतऽ और धमरतऽ की ताकत को िदखात हए भवय महल मिदर ओर मितरया बनाई गई िकत िसनध घाटी सभयता की खदाई म छोटी-छोटी मितरया िखलौन मद-भाड नाव िमली ह इस कार यह ःपषट ह िक िसनध सभयता समपनन थी परनत उसम भवयता का आडबर नही था

२ Ocircिसनध सभयता की खबी उसका सौनदयर बोध ह जो राजपोिषत न होकर समाज-पोिषत थाOcirc ऐसा कयो कहा गया ह

उततरः िसनध सभयता म औजार तो बहत िमलहपरत हिथयारो का भी योग होता रहा होगा इसका कोई माण नहीह व लोग अनशासनिय थ परनत यह अनशासन िकसी ताकत क बल क दवारा कायम नही िकया गयाबिलक लोग अपन मन और कमर स ही अनशासन िय थ मअनजो-दड़ो की खदाई म एक दाढ़ी वाल नरश की छोटी मितर िमली ह परनत यह मितर िकसी राजतऽ या धमरतऽ का माण नही कही जा सकती िवशव की अनय सभयताओ क साथ तलनातमक अधययन स भी यही अनमान लगाया जा सकता ह िक िसनध सभयता की खबी उसका सौनदयरबोध ह जो िक समाज पोिषत ह राजपोिषत या धमरपोिषत नही ह

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३ lsquoयह सच ह िक यहा िकसी आगन की टटी-फटी सीिढ़या अब आप को कही नही ल जातीव आकाश की तरफ अधरी रह जाती ह लिकन उन अधर पायदानो पर खड़ होकर अनभव िकया जा सकता ह िक आप दिनया की छत पर ह वहा स आप इितहास को नही उस क पार झाक रह हrsquo इसक पीछ लखक का कया आशय ह

उततरः इस कथन स लखक का आशय ह िक इन टट-फट घरो की सीिढ़यो पर खड़ होकर आप िवशव की सभयता क दशरनकर सकत ह कयोिक िसनध सभयता िवशव की महान सभयताओ म स एक ह िसनध सभयता आडबररिहत एव अनशासनिय ह खडहरो स िमल अवशषो और इन टट-फट घरो स कवल िसनध सभयता का इितहास ही नही दखा जा सकता ह बिलक उसस कही आग मानवता क िचहन ओर मानवजाित क बिमक िवकास को भी दखा जा सकता ह कई शन - ऐस कौन स कारण रह होग िक य महानगर आज कवल खडहर बन कर रह गए ह व बड़ महानगर कयो उजड़ गए उस जमान क लोगो की वाःतकला कला ओर जञान म रिच समाज क िलए आवयक मलय - अनशासन सादगी ःवचछता सहभािगता आिदहम मानवजाित क बिमक िवकास पर पनः िचतन करन पर मजबर कर दत ह इस कार हम इन सीिढ़यो पर चढ़कर िकसी इितहास की ही खोज नही करना चाहत बिलक िसनध सभयता क सभय मानवीय समाज को दखना चाहत ह

४ हम िसनध सभयता को जल-सःकित कस कह सकत ह

उततरःिसनध सभयता एक जल-सःकित थी | तयक घर म एक ःनानघरथा घर क भीतर स पानी या मला पानी नािलयो क माधयम स बाहर हौदी म आता ह और िफर बड़ी नािलयो म चला जाता ह कही-कही नािलया ऊपर स खली ह परनत अिधकतर नािलया ऊपर सबदह इनकी जलिनकासी वयवःथा बहत ही ऊच दजर की था | नगर म कओ का बध था य कए पककी ईटो क बन थ िसनध सभयता स जड़ इितहासकारो का मानना ह िक यह सभयता िवशव म पहली जञात सःकित ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ो नगर म सात सौ कए हयहा का महाकड लगभग चालीस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह|इस कार मअनजो-दड़ो म पानी की वयवःथा सभय समाज की पहचान ह

५ मअनजो-दड़ो की गह-िनमारण योजना पर सकषप म काश डािलए|

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उततर- मअनजो-दड़ो नगर की मखय सड़क क दोनो ओर घर ह परत िकसी भी घर का दरवाजामखय सड़क पर नही खलता घर जान क िलए मखय सड़क स गिलयो म जाना पड़ता हसभी घरो क िलए उिचत जल िनकासी वयवःथा ह घर पककी ईटो क बन ह|छोट घरो म िखड़िकया नही थी िकत बड़ घरो म आगन क भीतर चारो तरफ बन कमरो म िखड़िकया ह| घर छोट भी ह ओर बड़ भी िकत सभी घर कतार म बन ह|

६ lsquoिसनध सभयता ताकत स शािसत होन की अपकषा समझ स अनशािसत सभयता थीrsquo- ःपषट कीिजए

उततरःसकत िबद - खदाई स ापत अवशषो म औजार तो िमल ह िकत हिथयार नही| कोई खडग भाला धनष-बाण नही िमला|

तथा भवय महलो व समािधयो क न होन स कह सकत ह िक िसनध सभयता ताकत स नही समझ स अनशािसत थी

७ ससार की मखय ाचीन सभयताए कौन-कौन सी हाचीनतम सभयता कौन-सी ह उसकी मािणकता का आधार कया ह

उततरः िमॐ की नील घाटी की सभयता मसोपोटािमया की सभयता बबीलोन की सभयता िसनध घाटी की सभयता सबस ाचीन ह िसनध घाटी की सभयता माण ह 1922म िमल हड़पपा व

मअनजो-दड़ोनगरो क अवशष य नगर ईसा पवर क ह

८िसनध घाटी की सभयता की िविशषट पहचान कया ह

उततरः1 एक जस आकार की पककी ईटो का योग 2 जल िनकासी की उतकषट वयवःथा

3 ततकालीन वाःतकला 4 नगर का ौषठ िनयोजन

९ मअनजो-दड़ोम पयरटक कया-कया दख सकत ह

उततरः 1बौदध ःतप2 महाकड 3अजायबघर आिद

१० िसनध सभयता व आजकल की नगर िनमारण योजनाओ म सामय व अनतर बताइए

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उततरः सामय-1 अचछी जल िनकास योजनाढकी हई नािलया 2 नौकरो क िलए अलग आवास वयवःथा 3 पककी ईटो का योग

अनतर- नगर योजना आधिनक तकनीक का योग अतयाधिनक भवनETHिनमारण साममी का योग|

११कलधरा कहा हमअनजो-दड़ोक खणडहरो को दख कलधरा की याद कयोआती ह

उततरः कलधरा जसलमर क महान पर पील पतथरो स बन घरो वाला सनदर गाव ह कलधरा क िनवासी 150 वषर पवर राजा स तकरार होन पर गाव खाली करक चल गए उनक घर अब खणडहर बन चक ह परत ढ़ह नही |घरो की दीवार और िखड़िकया ऐसी ह मानो सबह लोग काम पर गए ह और साझ होत ही लौट आएग |मअनजो-दड़ोक खणडहरो को दखकर कछ ऐसा ही आभास होता ह वहा घरो क खणडहरो म घमत समय िकसी अजनबी घर म अनिधकार चहल-कदमी का अपराधबोध होता ह| पराताितवक खदाई अिभयान की यह खबी रही ह िक सभी वःतओ को बड़ सहज कर रखा गया | अतः कलधरा की बःती और मअनजो-दड़ोक खणडहर अपन काल क इितहास का दशरन करात ह

अनय महततवपणर अभयास-शन

१ िसनध घाटी क िनवासी खती करत थ- इस कथन को िसदध कीिजए

२ rsquoटट-फट खणडहर सभयता और सःकित क इितहास क साथ-साथ धड़कती िजनदिगयो क अनछए समयो का दःतावज होत हrsquo इस कथन का भाव ःपषट कीिजए

३आज जल सकट एक बड़ी समःया ह| ऐस म िसनध सभयता क महानगर मअनजो-दड़ो की जल वयवःथा स कया रणा लीजा सकती ह भावी जल सकट स िनपटन क िलए आप कया सझाव दग

४मअनजो-दड़ोक अजायबघर म कौन-कोन सी वःतए दिशरत थी

५िसध सभयता अनय सभयताओ स िकस कार िभनन ह

६मअनजो-दड़ोकी मख िवशषताए िलिखए

७ िसधघाटी की सभयता लो-ोफाइल ह-ःपषट कीिजए

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८ लखक न ाचीन लडःकप िकस कहा ह उसकी कया िवशषता ह

९ ताकाल क दो सबस बड़ िनयोिजत शहर िकनह माना गया ह और कयो

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पाठ 4 डायरी क पनन ऐन क

पाठ का सार ETH Ocircडायरी क पननOtilde पाठ म Ocircद डायरी ऑफ ए यग गलरOtilde नामक ऐन क की डायरी क कछ अश िदए गए ह| Ocircद डायरी ऑफ ए यग गलरOtilde ऐन क दवारा दो साल अजञातवास क दरमयान िलखी गई थी| १९३३ म कफटर क नगरिनगम चनाव म िहटलर की नाजी पाटीर जीत गई| ततपशचात यहदी-िवरोधी दशरन बढ़न लग | ऐन क का पिरवार असरिकषत महसस करत हए नीदरलड क एमसटडरम शहर म जा बसा |िदवतीय िवशवयदध की शरआत तक(१९३९) तो सब ठीक था| परत १९४० म नीदरलड पर जमरनी का कबज़ा हो गया ओर यहिदयो क उतपीड़न का दौर शर हो गया| इन पिरिःथितयो क कारण १९४२ क जलाई मास म क पिरवारिजसम माता-िपतातरह वषर की ऐन उसकी बड़ी बहन मागोरट तथा दसरा पिरवार ndashवानदान पिरवार ओर उनका बटा पीटरतथा इनक साथ एक अनय वयिकत िमःटर डसल दो साल तक गपत आवास म रह| गपत आवास म इनकी सहायता उन कमरचािरयो न की जो कभी िमःटर क क दफतर म काम करत थ||Ocircद डायरी ऑफ ए यग गलरOtilde ऐन क दवारा उस दो साल अजञातवास क दरमयान िलखी गई थी|अजञातवास उनक िपता िमःटर ऑटो क का दफतर ही था| ऐन क को तरहव जनमिदन पर एक डायरी उपहार म िमली थी ओर उसम उसन अपनी एक गिड़या-िकटटी को समबोिधत िकया ह|

ऐनअजञातवास म परा िदनETH पहिलया बझाती अमज़ी व च बोलती िकताबो की समीकषा करती राजसी पिरवारो की वशावली दखती िसनमा ओर िथएटर की पिऽका पढ़ती और उनम स नायक-नाियकाओ क िचऽ काटतिबताती थी| वह िमसज वानदान की हर कहानी को बार-बार सनकर बोर हो जाती थी ओर िम डसल भी परानी बातETH घोड़ो की दौड़ लीक करती नाव चार बरस की उ म तर सकन वाल बचच आिद सनात रहत|

उसन यदध सबधी जानकारी भी दी ह- किबनट मऽी िम बोलक ःटीन न लदन स डच सारण म यह घोषणा की थी िक यदध क बाद यदध क दौरान िलखी गई डायिरयो का समह िकया जाएगा

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वाययानो स तज़ गोलाबारी हज़ार िगलडर क नोट अवध घोिषत िकए गए | िहटलर क घायल सिनको म िहटलर स हाथ िमलान का जोश अराजकता का माहौल- कार साईिकल की चोरी घरो की िखड़की तोड़ कर चोरी गिलयो म लगी िबजली स चलन वाली घिड़या सावरजिनक टलीफोन चोरी कर िलए गए|

ऐन क न नारी ःवतऽता को महततव िदयाउसन नारी को एक िसपाही क बराबर सममान दन की बात कही| एक तरह वषीरय िकशोरी क मन की बचनी को भी वयकत िकया- जस िम डसल की ड़ाट-फटकार ओर उबाऊ भाषण दसरो की बात सनकर िमसज क का उसडाटना ओर उस पर अिवशवास करना बड़ो क दवारा उसक काम ओर कशसजजा पर टीका-िटपपणी करना िसनमा की पिऽका खरीदन पर िफज़लखचीर का आरोप लगाना पीटर दवारा उसक म को उजागर न करना आिद|

ऐन क की डायरी क दवारा िदवतीय िवशवयदध की िवभीिषका िहटलर एव नािजयो दवारा यहिदयो का उतपीड़न डर भखमरी गरीबी आतक मानवीय सवदनाए म घणा तरह साल की उ क सपन कलपनाए बाहरी दिनया स अलग-थलग पड़ जान की पीड़ा मानिसक ओर शारीिरक जररत हसी-मज़ाक अकलापन आिद का जीवत रप दखन को िमलता ह |

शनोततर ndash

१ lsquolsquoऐन की डायरी अगर एक ऐितहािसक दौर का जीवत दःतावज ह तो साथ ही उसक िनजी

सख-दःख और भावनातमक उथल-पथल का भी इन पषठो म दोनो का फकर िमट गया ह rsquorsquo इस कथन पर िवचार करत हए अपनी सहमित या असहमित तकर पवरक वयकत कर

उततरःऐन की डायरी अगर एक ऐितहािसक दौर का जीवत दःतावज ह तो साथ ही उसक िनजी सख-दःख और भावनातमक उथल-पथल का भी कयोिक इसम ऐन न िदवतीय िवशवयदध क समय हॉलड क यहदी पिरवारो की अकलपनीय यऽणाओ का वणरन करन क साथ-साथ वहा की राजनितक िःथित एव यदध की िवभीिषका का जीवत वणरन िकया हवाययानो स तज़ गोलाबारी हज़ार िगलडर क नोट अवध घोिषत िकए गए िहटलर क घायल सिनको म िहटलर स हाथ िमलान का जोश अराजकता का माहौलआिद| साथ हीयह डायरी ऐन क पािरवािरक सख-दःख और भावनातमक िःथित को कट करती ह- गरीबी भखमरीअजञातवास म जीवन वयतीत करना दिनया स िबलकल कट जाना पकड़ जान का डर आतक यह डायरी एक ओर वहा क राजनितक वातावरण म सिनको की िःथित आचरण व जनता पर होन वाल अतयाचार िदखाती

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ह तो दसरी ओरएक तरह वषर की िकशोरी की मानिसकता कलपना का ससार ओर उलझन को भीिदखाती ह जो ऐन की आपबीती ह इस तरह यह डायरी ऐितहािसक दःतावज होन क साथ-साथ ऐन क जीवन क सख-दख का िचऽण भी ह

२ lsquolsquoयह साठ लाख लोगो की तरफ स बोलन वाली एक आवाज ह एक ऐसी आवाज जो िकसी सनत या किव की नही बिलक एक साधारण-सी लड़की की हrsquorsquo इलया इहरनबगर की इस िटपपणी क सदभर म ऐन क की डायरी क पिठत अशो पर िवचार कर

उततरः उस समय यरोप म लगभग साठ लाख यहदीथिदवतीय िवशवयदध म नीदरलड पर जमरनी का कबज़ा हो गया और िहटलर की नाजी फौज न यहिदयो को िविभनन कार स यऽणाए दन लग | उनह तरह-तरह क भदभाव पणर ओर अपमानजनक िनयम-कायदो को मानन क िलए बाधय िकया जान लगा |गःटापो (िहटलर की खिफया पिलस) छाप मारकर यहिदयो को अजञातवास स ढढ़ िनकालती ओर यातनागह म भज दती| अतः चारो तरफ अराजकता फली हई थी यहदी अजञातवास म िनरतर अधर कमरो म जीन को मजबरथउनह एक अमानवीय जीवन जीन को बाधय होना पड़ा|िहटलर की नाजी फौजका खौफ उनह हरवकत आतिकत करता रहता था | ऐन न डायरी क माधयम स न कवलिनजी सख-दःख और भावनाओ को वयकत िकयाबिलक लगभग साठ लाख यहदी समदाय की दख भरी िजनदगी को िलिपबदध िकया ह इसिलए इलया इहरनबगर की यह िटपपणी िक lsquolsquoयह साठ लाख लोगो की तरफ स बोलन वाली एक आवाज ह एक ऐसी आवाज जो िकसी सत या किव की नही बिलक एक साधारण-सी लड़की की हrsquoसवरमानय एव सतय ह

३ ऐन क कौन थीउसन अपनी डायरी म िकस काल की घटनाओ का िचऽण िकया हयह कयो महतवपणर ह

उततर ऐन क एक यहदी लड़की थी उसन अपनी डायरी म िदवतीय िवशवयदध (1939-

1945) क दौरान िहटलर की नाजी फौज न यहिदयो को िविभनन कार स यऽणाए दी| यह डायरी यदध क दौरान फली अराजकता और राजनितक पिरदय को दशारती ह| यह नािजयो दवारा यहिदयो पर िकए गए जलमो का एक ामािणक दःतावज ह और साथ ही साथ एक तरह वषीरय िकशोरी की भावनाए और मानिसकता को समझान म सहायक ह

४ डायरी क पनन पाठ म िम डसल एव पीटर का नाम कई बार आया ह इन दोनो का िववरणातमक पिरचय द

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उततरः िमडसल- ऐन क िपता क साथ काम करत थ व ऐन व पिरवार क साथ अजञातवास म रह थ डसल उबाऊ लब-लब भाषण दत थ और अपन जमान क िकःस सनात रहत थ ऐन को अकसर डाटत थ व चगलखोर थ और ऐन की मममी स ऐन की सचची-झठी िशकायत करत थ

पीटर- िमःटर और िमसज वानदान का बटा था |वह ऐन का हमउ था ऐन का उसक ित आकषरण बढ़न लगा था और वह यह मानन लगी थी िक वह उसस म करती हऐन क जनमिदन पर पीटर न उस फलो का गलदःता भट िकया था| िकत पीटर सबक सामन म उजागर करन स डरता था| वह साधारणतया शाितिय सहज व आतमीय वयवहार करन वाला था

५ िकटटी कौन थीऐन क न िकटटी को सबोिधत कर डायरी कयो िलखी

उततरः OcircिकटटीOtildeऐन क की गिड़या थी गिड़या को िमऽ की भाित सबोिधत करन स गोपनीयता भग होन का डर न थाअनयथा नािजयो दवारा अतयाचार बढ़न का डर व उनह अजञातवास का पता लग सकता था| ऐन न ःवय (एक तरह वषीरय िकशोरी) क मन की बचनी को भी वयकत करन का ज़िरया िकटटी को बनाया |वह हदय म उठ रही कई भावनाओ को दसरो क साथ बाटना चाहती थी िकत अजञातवास म उसक िलए िकसी क पास समय नही था| िम डसल की ड़ाट-फटकार ओर उबाऊ भाषण दसरो क दवारा उसक बार म सनकर मममी (िमसज क) का उसड़ाटना ओर उस पर अिवशवास करना बड़ो का उस लापरवाह और तनकिमजाज मानना और उस छोटी समझकर उसक िवचारो को महततव न दना उसक दय को कचोटता था |अतः उसन िकटटी को अपना हमराज़ बनाकर डायरी म उस ही सबोिधत िकया|

६ lsquoऐन क की डायरी यहिदयो पर हए जलमो का जीवत दःतावज हrsquoपाठ क आधार पर यहिदयो पर हए अतयाचारो का िववरण द

उततरः िहटलर की नाजी सना न यहिदयो को कद कर यातना िशिवरो म डालकर यातनाए दी उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार िदया जाता था कई यहदी भयमःतहोकर अजञातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय पिरिःथितयो म जीना पड़ा| अजञातवास म उनह सनधमारो स भी िनबटना पड़ा उनकी यहदी सःकित को भी कचल डाला गया

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७ lsquoडायरी क पननrsquoपाठ िकस पःतक स िलया गया हवह कब कािशत हईिकसन कािशत कराई

उततरः यह पाठ ऐन क दवारा डच भाषा म िलखी गई lsquoद डायरी ऑफ ए यग गलरrsquo नामक पःतक स िलया गया ह यह १९४७ म ऐन क की मतय क बाद उसक िपता िमःटर ऑटो क न कािशत कराई

अनय महततवपणर अभयास-शन

१ काश कोई तो होता जो मरी भावनाओ को गभीरता स समझ पाता| अफसोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नही िमला | कया आपको लगता ह िकऐन क इस कथन म उसक डायरी लखन का कारण छपा हआ ह

२ अजञातवास म उबाऊपन दर करन क िलए ऐन क व वान पिरवार कया करत थ

३ डच मऽी िक िकस घोषणा स ऐन रोमािचत हो उठी

४ ऐन क अनसार यदध म घायल सिनक गवर का अनभव कयो कर रह थ

५ Ocircहर कोई जानता था िक बलाव का कया मतलब होता हOtilde| ऐन की डायरी क आधार पर िलिखए |

६ lsquoकित ही तो एक ऐसा वरदान ह िजसका कोई सानी नही हrsquoऐसा कयो कहा गया ह

123

ितदशर न-पऽ

ककषा १२

िवषयिहनदी (क ििक) िनधारिरत समय ३ घट अिधकतम अक १००

खणड क

१ िनमनिलिखत गदयाश को धयान पवरक पिढ़ए तथा पछ गए शनो क सिकषपत उततर िलिखए लखक का काम काफी हद तक मधमिकखयो क काम स िमलता-जलता ह| मधमिकखया मकरद- समह करन क िलए कोसो दर तक चककर लगाती ह| व सदर और अचछ फलो का रसपान करती ह |तभी तो उनक मध म ससार का सवरौषठ माधयर रहता ह | यिद आप अचछा लखक बनना चाहत ह तो आपको भी यही वितत अपनानी होगी | अचछ मथो का खब अधययन करना होगा और उनक िवचारो का मनन करना होगा | िफर आपकी रचनाओ म मध का-सा माधयर आन लगगा | कोई अचछी उिकत कोई अचछा िवचार भल ही दसरो स महण िकया गया हो लिकन उस पर यथषट मनन कर आप उस अपनी रचना म ःथान दग तो वह आपका ही हो जाएगा | मननपवरक िलखी हई वःत क सबध म िकसी को यह कहन का साहस नही होगा िक वह अमक ःथान स ली गई ह या उिचछषट ह | जो बात आप अचछी तरह आतमसात कर लग वह मौिलक हो जाएगी | (क) अचछा लखक बनन क िलए कया करना चािहए ३

(ख) मधमकखी एव अचछ लखक म कया समानताए होती ह ३

(ग) लखक अपनी रचनाओ म माधयर कस ला सकता ह ३

(घ) कोई भी बात मौिलक कस बनती ह २

(ङ) मधमिकखयो क मध म ससार की सवर ौषठ मधरता कस आती ह २

(च) यथषट तथा उिचछषट शबदो क अथर िलिखए | १ (छ) उपयरकत गदयाश का उपयकत शीषरक िलिखए | १

२ िनमनिलिखत कावयाश को धयान पवरक पढ़कर पछ गए शनो क उततर िलिखए १५=५ साकषी ह इितहास हमी पहल जाग ह जामत सब हो रह हमार ही आग ह शऽ हमार कहा नही भय स भाग

कायरता स कहा ाण हमन तयाग ह

ह हमी किमपत कर चक सरपित तक का भी हदय

124

िफर एक बार ह िवशव गाओ तम भारत की िवजय कहा कािशत नही रहा ह तज हमारा

दिलत कर चक शऽ सदा हम परो दवारा बतलाओ तम कौन नही जो हम स हारा

पर शरणागत हआ कहा कब हम न पयारा

बस यदध माऽ को छोड़कर कहा नही ह हम सदय िफर एक बार ह िवशव तम गाओ भारत की िवजय (क) Ocircहमी पहल जाग हOtilde स कया अिभाय ह

(ख) Ocircह हमी किमपत कर चक सरपित तक का भी भी हदयOtilde स भारतवािसयो की िकस िवशषता का पता लगता ह

(ग) हमारी दयालता का वणरन किवता की िकन पिकतयो म िकया गया ह

(घ) िकसक जयघोष करन क िलए कहा गया ह

(ङ) सरपित तथा शरणागत शबदो क अथर िलिखए |

खणड ख

३ िनमनिलिखत िवषयो म स िकसी एक पर िनबध िलिखए ५

(क) सचार-बाित और भारत

(ख) पिरौम सफलता की कजी

(ग) महगाई की समःया

(घ) पराधीन सपनह सख नाही

४ ःववतत (बायोडाटा) ःतत करत हए कनिीय िवदयालय िवकासपरी नई िदलली क ाचायर को पःतकालय सहायक क पद हत आवदन-पऽ िलिखए | ५

अथवा दरदशरन क कनि िनदशक को िकसी िवशष कायरबम की सराहना करत हए पऽ िलिखए

(क) िनमन शनो क सिकषपत उततर िलिखए- ५

(i) फ़ीडबक कया ह

ह(ii) जनसचार क मख माधयम कौन ETHकौन सत ह(iii) पऽकारीय लखन स आप कया समझ

(iv) समाचार क मख तततव िलिखए | (v) पीत पऽकािरता स कया अिभाय ह

(ख) एक िदवसीय हिरदवार याऽाOtilde अथवा बकार पदाथोर स उपयोगी वःतएOtilde िवषय पर ितवदन

125

६ Otildeबःत का बढ़ता बोझOtilde अथवा Otildeजातीयता क षय पर फ़ीचर िलिखए ५

खणड ग ७ ो पढ़कर पछ गए शनो क उततर िलिखए- २४

का कया तातपयर ह

ग किव को ससार अचछा कयो नही लगता

कर भी खशी का माहौल कस बनाया जा सकता ह

भाट

यो बताया गया ह

८ ाश पर पछ गए शनो क उततर िलिखए ETH २३=६

िलिखए

ा िवषOtilde िव

िनमनिलिखत म स िकसी कावयाश क=८

म िनज उर क उदगार िलय िफ़रता हम िनज उर क उपहार िलय िफ़रता हयह अपणर ससार न मझको भाता म ःवपनो का ससार िलय िफ़रता ह म जला हदय म अिगन दहा करता हसख-दख दोनो म मगन रहा करता ह जग भव सागर तरन को नाव बनाए म भव मौजो पर मःत बहा करता ह (क) Otildeिनज उर क उद गार व उपहारOtilde- स किव (ख)किव न ससार को अपणर कयो कहा ( )

(घ) ससार म कषटो को सह

अथवा

िकसबी िकसान-कल बिनक िभखािर चाकर चपल नटचोर चार चटकी पट को पढतगन गढत चढत िगिरअटत गहन वन अहन अखटकी ऊच-नीच करमधरम अधरम किर पट ही को पचत बचत बटा-बटकी OcircतलसीOtilde बझाइ एक राम घनयाम ही त आिग बडवािगत बड़ी ह आिग पटकी ||

(क) पट भरन क िलए कया ETH कया करत ह

(ख)किव न िकन ETH िकन लोगो का वणरन िकया ह

(ग) किव क अनसार पट की आग कौन बझा सकता ह

(घ) पट की आग को बडवािगन स भी बड़ा किनमनिलिखत कावय

126

सका मझ डर था

लगी

(ख) कावयाश म यकत दोनो उपमाओ क य यर पर िटपपणी कीिजए | (ग) की कया समःया थी

अथवा ह

िलखा गया ह तथा उसकी कया िवशषता ह

९ ढापना

यर ःपषट कीिजए

१०

सकगा छ-न-कछ सचचा

वयकता क साथ काम आना |

का सीधा ETH सा उपाय कया ह

कयो

(ग)

(घ) बाजार स कब आनद िमलता ह

आिखरकार वही हआ िजजोर जबरदःती स

बात की चड़ी मर गई

और वह भाषा म बकार घमनहार कर मन उस कील की तरह

उसी जगह ठोक िदया | (क) बात की चड़ी मर जान व बकार घमन स किव का कया आशय

ोग सौदरचनाकार क सामन कथय और माधयम

आगन म ठनक रहा ह िजदयाया बालक तो हई चाद प ललचाया ह दपरण उस द क कह रही ह मा

दख आइन म चाद उतर आया ह (क) कावयाश की भाषा की दो िवशषताओ का उललख कीिजए (ख) यह कावयाश िकस छद म(ग) Otildeदख आइन म चाद उतर आया हOtilde-कथन क सौदयर को ःपषट कीिजए

िकनही दो शनो क उततर दीिजए ETH३२=६ (क) बािनत की गरजना का शोषक-वगर पर कया भाव पड़ता ह उनका मख

िकस मानिसकता का दयोतक ह

(ख) िफ़राक की रबाइयो म उभर घरल जीवन क िबबो का सौद(ग) कमर म बद किवता म िनिहत वयगय को उजागर कीिजए गदयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए ETH २४=८

पर उस जाद की जकड़ स बचन का सीधा ETH सा उपाय ह | वह यह िक बाजार जाओ तो खाली मन न हो | मन खाली हो तब बाजार न जाओ | कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चािहए | पानी भीतर हो ल का ल-पन वयथर हो जाता ह | मन लआय म भरा हो तो बाजार भी फला ETHका- फला ही रह जाएगा | तब वह घाव िबलकल नही द बिलक कछ आनद ही दगा | तब बाजार तमस कताथर होगा कयोिक तम कलाभ उस दोग | बाजार की असली कताथरता ह आ(क) बाजार क जाद की पकड़ स बचन (ख) बाजार कब नही जाना चािहए और

बाजार की साथरकता िकसम ह

127

म नही बन सका जो किव ह

ी क अनसार िशरीष कस जीिवत रहता ह

रचनाए िनकली हOtilde- आशय

चिपलन कौन था उसक भारतीयकरण स लखक का कया आशय ह

तततवो म स एक ातता को रखकर लखक न अपन आदशर ह अथवा नही आप इस ातता शबद स

ो क उततर दीिजए ETH ३२=६

अथवा

एक बार मझ मालम होता ह िक यह िशरीष एक अदभत अवधत ह | दःख हो या सखवह हार नही मानता | न ऊधो का लना न माधो का दना | जब धरती और आसमान जलत रहत ह तब भी यह हजरत न जान कहा स अपना रस खीचत रहत ह | मौज म आठो याम मःत रहत ह | एक वनःपितशासतरी न मझ बताया ह िक यह उस ौणी का पड़ ह जो वायमडल स अपना रस खीचता ह| जरर खीचता होगा | नही तो भयकर ल क समय इतन कोमल ततजाल और ऐस सकमार कसर को कस उगा सकता था अवधतो क मह स ही ससार की सबस सरस रचनाए िनकली ह | कबीर बहत कछ इस िशरीष क समान थ मःत और बपरवा पर सरस और मादक | कािलदास भी अनासकत योगी रह होग | िशरीष क फल फककड़ाना मःती स ही उपज सकत ह और OcircमघदतOcirc का कावय उसी कार क अनासकत अनािवल उनमकत हदयउमड़ सकता ह | जो किव अनासकत नही रह सका जोफककड़िकए ETH िकराए का लखा- जोखा िमलान म उलझ गया वह कया(क) लखक न िशरीष को कया सजञा दी ह तथा कयो

(ख) वनःपितशासतर(ग) Ocircअवधतो क मह स ही ससार की सबस सरस

ःपषट कर | (घ) लखक न सचच किव क बार म कया बताया ह

११ िकनही चार शनो क उततर दीिजए ETH३४=१२

(क) चालीर (ख) भिकतन दवारा शासतर क शन को सिवधा स सलझा लन का कया उदाहरण लिखका न िदया

(ग) Ocircगगरी फटी बल िपयासाOtilde इनदर सना क इस खलगीत म बलो को पयासा रहन की बातकयो मखिरत हई ह

(घ) लटटन क राजपहलवान लटटन िसह बन जान क बाद की िदनचयार पर कश डािलए (ङ) आदशर समाज क तीन

समाज िसतरयो को भी सिममिलत िकयाकहा तक सहमत ह

१२ िकनही दो शन(क) डायरी क पननOtilde क आधार पर मिहलाओ क बार म ऐन क िवचारो पर िटपपणी

कीिजए

128

ऐसा कयो

ो की नगर-योजना दशरको को अिभभत

) ऐसी दो िवशषताओ का उललख कीिजए कसन ऑिफसर वाईडी पत को अपन रोल

१४ स ापत जानकािरयो क आधार पर िसनध-सभयता की िवशषताओ र एक लख िलिखए ५

अथवा

वयिकततव की चार िवशषताओ पर सोदाहरण कश डािलए

(ख) अपन घर म अपनी Otildeिसलवर विडगOtilde क आयोजन म भी यशोधर बाब की अनक बात Otildeसम हाउ इोपरOtilde लग रही थी

(ग) OcircजझOtilde शीषरक को उपयकत ठहरान क िलए तीन तकर दीिजए १३ िकनही दो शनो क उततर सकषप म दीिजए-२२=४

(क) िसनध-सभयता क सबस बड़ शहर मअन-जोदड़कयो करती ह ःपषट कीिजए

(ख) OtildeजझOtilde कहानी म दसाई सरकार की भिमका पर कश डािलए (ग जो स

मॉडल िकसन दा स उततरािधकार म िमली थी Ocircमअनजोदड़ोOtilde क खननप

Otildeिसलवर विडगOtilde कहानी क आधार पर यशोधर बाब क

129

ितदशर शन-पऽ-२ ककषा बारहवी

िवषय- िहनदी(किनिक)

िनधारिरत समय3घणट अिधकतम अक-100

िनदरश िवदयाथीर जाच कर ल िकndash

शनपऽ म कल १४ शन ह |

सभी शन ठीक स छप ह

शन का उततर िलखन स पवर शन का बमाक अवय िलख इस शन पऽ को पढ़न क िलए 15 िमनट का समय िदया गया ह

खणड-क

शन-1 िनमनिलिखत कावयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए- (15=5)

तफानो की ओर घमा दो

नािवक िनज पतवार

आज िसध न िवष उगला ह

लहरो का यौवन मचला ह

आज हदय म और िसध म

साथ उठा ह जवार

तफानो की ओर घमा दो

नािवक िनज पतवार

लहरो क ःवर म कछ बोलो

इस अधड म साहस तोलो

कभी-कभी िमलता जीवन म

तफानो को पयार

130

तफानो की ओर घमा दो

नािवक िनज पतवार

यह असीमिनज सीमा जान

सागर भी तो यह पहचान

िमटटी क पतल मानव न

कभी न मानी हार

bull (क) उपयरकतकावयाशकाउपयकतशीषरकदीिजए (1) bull (ख) किवकहदयऔरिसधमकयासमानताह (1) bull (ग) जबजीवनमतफानोकापयारिमलतोकयाकरनाचािहएऔरकयो (1) bull (घ) किवसागरकोकयासमझानाचाहताह (1) bull (ड) ःततकावयाशकामलभावकयाह (1)

शन-2 िनमनिलिखत गदयाश को पढकर पछ गए शनो क उततर दीिजए (15)

सचािरतरय क दो सशकत ःतभ ह-थम ससःकार और िदवतीयसतसगित ससःकार भी पवर जीवन की सतसगित व सतकमोर की अिजरत सपितत ह और सतसगित वतरमान जीवन की दलरभ िवभित हिजस कार कधात की कठोरता और कािलख पारस क ःपशर माऽ स कोमलता और कमनीयता म बदल जाती हठीक उसी कार कमागीर का कालःय सतसगित स ःविणरम आभा म पिरवितरत हो जाता हसतत सतसगित स िवचारो को नई िदशा िमलती ह और अचछ िवचार मनय को अचछ कायोर म िरत करत हपिरणामत सचिरऽ का िनमारण होता ह आचायर हजारी साद िदववदी न िलखा ह- महाकिव टगोर क पास बठन माऽ स ऐसा तीत होता था मानो भीतर का दवता जाग गया हो

वःतत चिरऽ स ही जीवन की साथरकता हचिरऽवान वयिकतसमाज की शोभा ह शिकत हसचािरतरय स वयिकत ही नहीसमाज भी सवािसत होता ह और इस सवास स राषटर यशःवी बनता ह िवदरजी की उिकत अकषरश सतय ह िक सचिरऽ क बीज हम भल ही वश-परपरा स ापत हो सकत ह पर चिरऽ-िनमारण वयिकत क अपन बलबत पर िनभरर ह आनविशक परपरापिरवश और

131

पिरिःथित उस कवल रणा द सकत ह पर उसका अजरन नही कर सकत वह वयिकत को उततरािधकार म ापत नही होता

वयिकत-िवशष क िशिथल चिरऽ होन स पर राषटर पर चिरऽ-सकट उपिःथत हो जाता ह कयोिक वयिकत पर राषटर का एक घटक हअनक वयिकतयो स िमलकर एक पिरवारअनक पिरवारो स एक कल अनक कलो स एक जाित या समाज और अनकानक जाितयो और समाज-समदायो स िमलकर ही एक राषटर बनता ह आज जब लोग राषटरीय चिरऽ-िनमारण की बात करत ह तब व ःवय उस राषटर क एक आचरक घटक ह- इस बात को िवःमत कर दत ह

1 सतसगितकमागीरकोकससधारतीहसोदाहरणःपषटकीिजए (2) 2 चिरऽकबारमिवदरककयािवचारह (2) 3 वयिकत-िवशषकाचिरऽसमचराषटरकोकसभािवतकरताह (2) 4 वयिकतकचािरऽ-िनमारणमिकस-िकसकायोगदानहोताह (2) 5 सगितकसदभरमपारसकउललखसलखककयाितपािदतकरनाचाहताह(2)

6 वयिकतससःकतकसबनताहःपषटकीिजए (1) 7 आचरणउचचबनानकिलएवयिकतकोकयायासकरनाचािहए (1)

8 गदयाशकाउपयकतशीषरकदीिजए (1)

9 rsquoसrsquoऔरrsquoकrsquoउपसगोरसएक-एकशबदबनाइए (1) 10 rsquoचिरऽवानrsquoऔरlsquoपिरवशrsquoमयकतउपसगरऔरतययअलगकीिजए (1)

खणड- ख

शन-3 िनमनिलिखत म स िकसी एक िवषय पर िनबध िलिखए- (5) (क) षटाचार कारण और िनवारण

(ख) इककीसवी सदी का भारत

(ग) बदलत समाज म मिहलाओ की िःथित

(घ) बढता दषण और जन-ःवाःथय

132

शन-4 िकसी दिनक समाचार-पऽ क समपादक को जानहवी की ओर स एक पऽ िलिखएिजसम िनरतर महगी होती िशकषा को लकर िचता कट की गई हो (5)

अथवा रल याऽा क दौरान साधारण ौणी क यािऽयो को ःटशनो एव चलती गािडयो म िमलन वाली खान-पान की साममी सतोषजनक नही होती इस समःया की ओर अिधकािरयो का धयान आकषट करन क िलए अधीकषकखान-पान िवभागरल भवननई िदलली क नाम पऽ िलिखए

शन-5 (अ)िनमनिलिखत शनो क सिकषपत उततर दीिजए- bull (क) rsquoउलटािपरािमडrsquoशलीसआपकयासमझतह

(1) bull (ख) lsquoवॉचडॉगrsquoपऽकािरतासकयाआशयह

(1) bull (ग) लाइविकसकहतह

(1) bull (घ) िहदीकिकनहीदोराषटरीयसमाचारपऽोकनामिलिखए

(1) bull (ड) जनसचारकिकनहीतीनकायोरकाउललखकीिजए (1)

(आ) िनमनिलिखत म स िकसी एक िवषय पर आलख िलिखए (5)

(क) खतीकी जमीन पर फकटरी लगान को लकर चलन वाली बहस म भाग लत हए आलख िलिखए

(ख) आजादी क साठ सालो म गणतािऽक मलयो का ास हआ ह षटाचार न हर कषऽ को मःत कर रखा हETHइस िवषय पर एक आलख तयार कीिजए

शन-6 Ocircओलिमपक खलOtildeअथवा Ocircमहानगरो म बढ़त अपराध की समःयाOtilde पर लगभग 150 शबदो म एक फीचर तयार कीिजए (5)

133

134

खणड-ग

शन-7 िनमनिलिखत म स िकसी एक कावयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए- (२4=8)

म यौवन का उनमाद िलए िफरता ह

उनमादो म अवसाद िलए िफरता ह

जो मझको बाहर हसा रलाती भीतर

म हाय िकसी की याद िलए िफरता ह

कर यतन िमट सबसतय िकसी न जाना

नादान वही ह हाय जहा पर दाना

िफर मढ न कया जग जो इस पर भी सीख

म सीख रहा ह सीखा जञान भलाना

(क)किव जीवन म कया िलए घमता ह (2)

(ख)किव को बाहर-भीतर कया हसाता-रलाता ह (2)

(ग)lsquoनादान वही ह हायजहा पर दानाrsquoETHकिव न ऐसा कयो कहा होगा (2)

(घ) किव न यह कयो कहा िक सतय िकसी न नही जाना

(2)

अथवा

खती न िकसान कोिभखारी न भीखबिल

बिनक को बिनजन चाकर को चाकरी

जीिवका िबहीन लोग सीदयमान सोच बस

कह एक एकन सो lsquoकहा जाई का करी rsquo

बदह परान कही लोकह िबलोिकअत

135

साकर सब प राम रावर कपा करी

दािरद-दसानन दबाई दनी दीनबध

दिरत-दहन दिख तलसी हहा करी

(क) यपिकतयािकसकिवतासलीगईहऔरइसककिवकौनह (२)

(ख) तलसीकसमयकीआिथरकदशाकसीथी (2)

(ग) वदोमकयाकहागयाह (2)

(घ)तलसीनरावणकीतलनािकससकीहऔरकयो (2)

शन-8 िनमनिलिखत कावयाश पर पछ गए शनो क उततर दीिजए (२3=6)

ात नभ था बहत नीला शख जस

भोर का नभ

राख स लीपा हआ चौका

(अभी गीला पड़ा ह)

बहत काली िसल जरा स लाल कसर स

िक जस धल गई हो

ःलट पर या लाल खिड़या चाक

मल दी हो िकसी न

(क)ःतत कावयाश का भाव-सौदयर ःपषट कीिजए

(ख)कवयाश म यकत उपमा अलकार का उदाहरण चनकर िलिखए

(ग)उपयरकत कावयाश की भाषा की दो िवशषताए बताइए

अथवा

136

नहला क छलक-छलक िनमरल जल स

उलझ हए गसओ म कघी करक

िकस पयार स दखता ह बचचा मह को

जब घटिनयो म ल क ह िपनहाती कपड़

(क) ःतत कावयाश का भाव-सौदयर ःपषट कीिजए

(ख) ःतत कावयाश की भाषा सबधी िवशषताए बताइए

(ग)पनरिकत काश व अनास अलकार छािटए

शन-9 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- (3+3) (क) lsquoभाषा को सहिलयतrsquo स बरतन स कया अिभाय ह

(ख) किव क पास जो कछ अचछा-बरा ह वह िविशषट और मौिलक कस ह lsquoसहषर ःवीकारा हrsquo किवता क आधार पर उततर दीिजए

(ग) lsquoकमर म बद अपािहजrsquo करणा क मखौट म िछपी बरता की किवता ह ETH िवचार कीिजए

शन-10 िनमनिलिखत म स िकसी एक गदयाश को पढकर पछ गए शनो क उततर दीिजए -- (२4=8)

बाजार म एक जाद हवह जाद आख की राह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ही चलता हवस ही इस जाद की भी मयारदा हजब भरी हो और मन खाली हो ऐसी हालात म जाद का असर खब होता हजब खाली पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जायगा मन खाली ह तो बाजार की अनकानक चीजो का िनमऽण उस तक पहच जाएगाकही उस वकत जब भरी हो तब तो िफर वह मन िकसकी मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी लसभी सामान जररी और आराम को बढान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर हजाद की सवारी उतरी िक फ सी चीजो की बहतायत आराम म मदद नही दती बिलक खलल ही डालती ह

(क)बाजार क जाद को lsquoरप का जादrsquo कयो कहा गया ह

137

(ख)बाजार क जाद की मयारदा ःपषट कीिजए

(ग)बाजार का जाद िकस कार क लोगो को लभाता ह

(घ)इस जाद क बधन स बचन का कया उपाय हो सकता ह

अथवा

चालीर की अिधकाश िफलम भाषा का इःतमाल नही करती इसिलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना पडासवाक िचऽपट पर कई बड-बड कॉमिडयन हए ह लिकन व चिपलन की सावरभौिमकता तक कयो नही पहच पाए इसकी पड़ताल अभी होन को ह चालीर का िचर-यवा होना या बचचो जसा िदखना एक िवशषता तो ह हीसबस बड़ी िवशषता शायद यह ह िक व िकसी भी सःकित को िवदशी नही लगत यानी उनक आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आिद रहत ह व एक सतत lsquoिवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चालीर क सार सकटो म हम यह भी लगता ह िक यह lsquoमrsquo भी हो सकता ह लिकन lsquoमrsquo स जयादा चालीर हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह िक कछ अथोर म lsquoबःटर कीटनrsquo चालीर चिपलन स बड़ी हाःय-ितभा हो लिकन कीटन हाःय का काफका ह जबिक चिपलन मचद क जयादा नजदीक ह

(क)चालीर की िफलमो को मानवीय कयो होना पड़ा

(ख)चालीर चिपलन की सावरभौिमकता का कया कारण ह

(ग) चालीर की िफलमो की िवशषता कया ह

(घ) चालीर क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कयो लगत ह

शन-11 िनमनिलिखत म स िकनही चार शनो क उततर दीिजए- (४3=12)

(क)भिकतन और लिखका क बीच कसा सबध था lsquoभिकतनrsquo पाठ क आधार पर बताइए

(ख)िदनो-िदन गहरात पानी क सकट स िनपटन क िलए कया आज का यवावगर lsquoकाल मघापानी दrsquo की इदर सना की तजर पर कोई सामिहक आदोलन ारमभ कर सकता ह अपन िवचार िलिखए

138

(ग)लटटन पहलवान न ऐसा कयो कहा होगा िक मरा गर कोई पहलवान नही यही ढ़ोल ह

(घ) lsquoमानिचऽ पर एक लकीर खीच दन भर स जमीन और जनता बट नही जातीहrsquo- उिचत तकोर व उदाहरणो क जिरए इसकी पिषट कीिजए

(ड)िदववदी जी न िशरीष को कालजयी अवधत(सनयासी) की तरह कयो कहा ह

शन-12 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- (3+3=6) (क) lsquoिसलवरविडगrsquo म यशोधर बाब एक ओर जहा बचचोकी तरककी स खश होत हवही

कछ lsquoसमहाउइॉपरrsquo भी अनभवकरत ह ऐसा कयो

(ख) मोहजोदडो की गह-िनमारण योजना पर सकषप म काश डािलए (ग) ऐन क कौन थी उसकी डायरी कयो िसदध ह

शन-13 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- (2+2=4)

(क)सौदलगकर कौन थ तथा उनकी कया िवशषता थी

(ख)यशोधर बाब िकसस भािवत थ

(ग़)ऐन न 13जन 1944 क िदन िलखी अपनी डायरी म कया बताया ह

शन-14 िनमनिलिखत म स िकसी एक शन का उततर दीिजए- (5)

lsquoिसध सभयता की खबी उसका सौदयर-बोध ह जो राज-पोिषत या धमर-पोिषत न होकर समाज-पोिषत थाlsquo ऐसा कयो कहा गया

अथवा

lsquoिसलवर विडगrsquo कहानी क आधार पर यशोधर बाब क चिरऽ की िवशषताओ पर काश डािलए

139

ितदशर शन-पऽ-३

िहनदी (किनिक)

ककषा-बारह

िनधारिरत समय- 3 घणट अिधकतम अक-100

िनदरशः-इस शन पऽ म तीन खड ह- क ख और ग सभी खडो क उततर िलखना अिनवायर ह कपया शन का उततर िलखना शर करन स पहल शन का बमाक अवय िलख

खणड-क

0-1 िनमनिलिखत कावयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए-

पर िजनहोन ःवाथरवश जीवन िवषाकत बना िदया ह

कोिट-कोिट बभिकषतो का कौर तलक छीन िलया ह

लाभ-शभ िलखकर जमान का हदय चसा िजनहोन

और कल बगालवाली लाश पर थका िजनहोन

िबलखत िशश की वयथा पर दिषट तक िजनन न फरी

यिद कषमा कर द इनह िधककार मा की कोख मरी

चाहता ह धवस कर दना िवषमता की कहानी

हो सलभ सबको जगत म वसतरभोजनअनन पानी

नव-भवन िनमारण िहत म जजरिरत ाचीनता का

गढ़ ढहाता जा रहा ह

पर तमह भला नही ह

िवशवास बढ़ता ही गया

क) थम चार पिकतयो म भारत की िकन राजनीितक और सामािजक िःथित का वणरन ह1

140

ख) किव िकन लोगो को कषमा नही करना चाहता 1

ग) किव जगत क िहत क िलए कया करना चाहता ह 1

घ) पर तमह भला नही ह िकसक िलए सबोधन ह 1

ङ) कावयाश का उपयकत शीषरक दीिजए 1

0-2 िनमनिलिखत गदयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए

आज गाधी िचतन की शाशवतता महतता एव ासिगकता उनक अिहसा दशरन क कारण ही ह महातमा गाधी क दशरन की नीव अिहसा की वयापकता को वयिकतक आचरण तक सीिमत न करक जीवन क तयक कषऽ-धािमरक नितक सामािजक आिथरक और राजनितक कषऽो म सफलतापवरक यकत िकया

भारत म ही नही वरन ससार क अनय धमोर म भी अिहसा क िसदधानत को महततव दान िकया गया ह इःलाम धमर क वतरक हजरत महममद साहब क उपदशो म अिहसा क पालन का आमह ह यहिदयो क धमरमनथो का महततवपणर ःथान रहा ह ईसा मसीह का सपणर जीवन अिहसा का अिभवयकतीकरण ह सकरात क अिहसा पालन का उदाहरण अिवःमरणीय ह अतः ःपषट ह िक अिहसा का िसदधात अिपत इितहास म उसक सदभर की कहानी बहत ाचीन और िवःतत ह

यदयिप अिहसा भारतीय दशरन व धमर क िलए अित ाचीन ह परनत गाधी की िवशषता इस तथय म ह िक उनहोन अिहसा क परमपरागत िसदधात को आतमसात कर अपन अनभव स उसकी ःमितयो को नया आयाम िदया उनहोन अिहसा को वयिकतगत जीवन का ही नही वरन सामािजक जीवन का िनयम बनाकर उसका वयावहािरक योग िकया

क) lsquoआजrsquoस यहा कया तातपयर हगाधी िचतन rsquoस आप कया समझत ह 2

ख) अिहसा का िसदधात िवशव क अनय िकन धमरशासतरो म भी विणरत ह 2

घ) गदयाश क दसर अनचछद को पढ़कर अिहसा क िसदधात क बार म आपकी कया धारणा बनती ह 2

ङ) गाधी जी क अिहसा िसदधानत की कया िवशषता हजो परपरागत तरीको स हटकर ह 2

च) अिहसा क वयावहािरक योग स आप कया समझत ह2

141

छ) गदयाश क िलए उपयकत शीषरक दीिजए 1

ज) उपसगर और तयय अलग कीिजए

अिहसासामािजक 1

झ) रचना क अनसार वाकय भद बताइए

ईसा मसीह का समपणर जीवन अिहसा का अिभवयकतीकरण ह 1

ङ) िवशषण बनाइए-

शाशवतता ासिगकता 1

खणड-ख

0-3 िवदयालय म खल सामिमयो की कमी की िशकायत करत हए ाचायर को पऽ िलिखए

अथवा

िवदयालय क चौराह पर अराजक ततवो की भीड़ की िशकायत करत हए पिलस अधीकषक को पऽ िलिखए 5

0-4 िकसी एक िवषय पर िनबध िलिखए- 5

क) भारत की वजञािनक उपलिबधया

ख) सवरिशकषा अिभयान

ग) सामादाियकता एक अिभशाप

घ) कमपयटर का महतव

0-5(अ) गगा दषण क ित जागरकता पदा करन क िलए िकसी दिनक समाचार पऽ क िलए सपादकीय तयार कीिजए

अथवा

Ocircमिहला आरकषण समाज की आवयकताOtilde शीषरक पर आलख ःतत कीिजए 5

142

ब) िनमनिलिखत शनो क सिकषपत उततर िलिखए- 1

क) एडवोकसी पऽकािरता िकस कहत ह

ख) छापाखाना का आिवकार कब हआ

(ग) इटरनट पर कािशत होन वाला पहला समाचार-पऽ कौन था

(घ) पऽकािरता का छः ककार कया ह

(ङ) सपादक िकस कहत ह

0-6 विरषठ नागिरको क ित िजममदारी िवषय पर फीचर आलख तयार कीिजए

अथवा

पोिलयो बथ क दय की िरपोटर तयार कीिजए 5

खणड-ग

0-7 िनमनिलिखत कावयाश क आधार पर पछ गए शनो क उततर िलिखए

बात सीधी थी पर एक बार

भाषा क चककर म

जरा टढ़ी फस गई

उस पान की कोिशश म

भाषा को उलटा पलटा

तोड़ा मरोड़ा

घमाया िफराया

िक बात या तो बन

या िफर भाषा स बाहर आए-

लिकन इसस भाषा क साथ-साथ

143

बात और भी पचीदा होती चली गई

(क) बात िकस कार भाषा क चककर म फस जाती ह

(ख) भाषा को तोड़न मरोड़न क पीछ किव का कया योजन था

(ग) उपयरकत पिकत म िनिहत वयगय को ःपषट कर

(घ) किव न बात को बन जान क िलए कया सझाव िदया ह

अथवा

जनम स ही व अपन साथ लात ह कपास

पथवी घमती हई आती ह उनक बचन परो क पास

जब व दौड़त ह बसध

छतो को भी नरम बनात हए

िदशाओ को मदग की तरह बजात हए

जब व पग भरत हए चल आत ह

डाल की तरह लचील वग स अकसर

0-8 हो जाए न पथ म रात कही

मिजल भी ह तो दर नही

यह सोच थका िदन का पथी भी जलदी-जलदी कयो चलता ह 2

(क) कावयाश की भाषा की िवशषताओ का उललख कर

(ख) पथ शबद एव मिजल शबद का योग िकस रप म िकया गया ह

(ग) िदन का पथी जलदी-जलदी कयो चलता ह

अथवा

आगन म ढनक रहा ह िज़दयाया ह

144

बालक तो हई चाद प ललचाया ह

दपरण उस द द क कह रही ह मा

दख आइन म चाद उतर आया ह

(क) य पिकतया िकस छद म िलखी गई ह पद की िवशषता को ःपषट कर

(ख) भाषागत सौदयर की िकनही दो िवशषताओ का उललख कर

(ग) उपयरकत पिकतयो का भाव सौदयर ःपषट कर

0-9 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- 3

(क) भोर क नभ को राख स लीपा हआ चौका कयो कहा गया ह

(ख) किव को बहलाती सहलाती आतमीयता बरदाःत कयो नही होती ह

(ग) किव न िकस सहषर ःवीकारा ह

0-10 नीच िदए गए गदयाश क आधार पर पछ गए शनो क उततर द- 2

भोजन क समय जब मन अपनी िनिशचत सीमा क भीतर िनिदरषट ःथान महण कर िलया तब भिकतन न सननता स लबालब दिषट और आतमतिषट स आपलािवत मःकराहट क साथ मरी फल की थाली म एक अगल मोटी और गहरी काली िचततीदार चार रोिटया रखकर उस टढ़ी कर गाढ़ी दाल परोस दी पर जब उसक उतसाह पर तषारापात करत हए मन रआस भाव स कहा- यह कया बनाया हतब हो वह हतबिदध हो रही

(क) लिखका की थाली म कसी रोिटया थी रोिटयो क िचततीदार होन क कया कारण हो सकत ह

(ख) भिकतन की सननता स लबालब दिषट एव आतमतिषट क कया कारण हो सकत ह

(ग) खान क आसन पर लिखका कयो रआसी हो गई

(घ) भिकतन कयो हतबिदध हो गई

अथवा

145

अब तक सिफया का गःसा उतर चका था भावना क ःथान पर बिदध धीर-धीर उस ःथान पर हावी हो रही थी नमक की पिड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कःटम वालो क सामन सबस पहल इसी को रख दलिकन अगर कःटमवालो न न जान िदया तो मजबरी ह छोड़ दग लिकन िफर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स िकया थाहम अपन को सयद कहत ह िफर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा अगर इस कीनओ की टोकरी म सबस नीच रख िलया जाए तो इतन कीनओ क ढर म भला कौन इस दखगा और अगर दख िलया नही जीफलो की टोकिरया तो आत वकत भी िकसी की नही दखी जा रही थी इधर स कल इधर स कीन सब ही ला रह थ ल जा रह थ यही ठीक हिफर दखा जाएगा

(क) सिफया का गःसा कयो उतर गया था

(ख) सिफया की कया भावना थी और वह उसकी बिदध क सामन िकस कार पराःत हो गई

(ग) सिफया की उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सिफया न िकस वायद को परा करन की बात की हउस उसन िकस कार परा िकया

0-11 िनमनिलिखत शनो म स िकनही चार शनो क उततर दीिजए - 3

(क) लखक न िकस उददय स भगत जी का उललख िकया हउनका कौन-सा वयिकततव उभरकर हमार सामन आया ह

(ख) इनदर सना सबस पहल गगा भया की जय कयो बोलती हनिदयो का भारतीय सामािजकसाःकितकपिरवश म कया महतव ह

(ग) लटटन पहलवान ढोलक को ही अपना गर कयो मानता ह

(घ) लखक न िशरीष क पड़ को कालजयी अवधत की तरह कयो माना ह

(ङ) लखक िकन तकोर क आधार पर जाित था को अमानवीय एव अलोकतािऽक बताया ह

0-12 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर िलिखए 3

(क) Ocircडायरी क पननrsquoपाठ क आधार पर मिहलाओ क ित ऐन क क दिषटकोण को ःपषट कीिजए

146

(ख) जझrsquoकहानी का ितपादय सकषप म ःपषट कीिजए

(ग) Ocircिसलवर विडगOtilde कहानी क आधार पर िसदध कीिजए िक िकशन दा की परपरा िनभात हए यशोधर पत वतरमान क साथ नही चल पाए

0-13 ौी सौदलगकर क वयिकततव की उन िवशषताओ पर काश डािलए िजनक कारण जझrsquoक लखक क मन म किवता क ित लगाव उतपनन हआ

अथवा

lsquoिसलवर विडगrsquoम एक ओर िःथित को जयो-का-तयो ःवीकार लन का भाव ह तो दसरी ओर अिनणरय की िःथित भी कहानी क इस दवनदव को ःपषट कीिजए 5

0-14 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर सकषप म दीिजए 2

(क) Ocircिसलवर विडगrsquoक आधार पर यशोधर बाब क सामन आई िकनही दो Ocircसमहाव इॉपरrsquoिःथितयो का उललख कीिजए

(ख) Ocircऐन की डायरीrsquoउसकी िनजी भावनातमक उथल-पथल का दःतावज भी ह इस कथन की िववचना कीिजए

ग) कया िसध घाटी की सभयता को जल सःकित कह सकत ह ःपषट कीिजए

147

उपयोगी सािहितयक बबसाईट

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48 httplamhon-ka-safarblogspotcom 49 httpaviramsahityablogspotcom 50 httpwwwhindisamaycom

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ltFEFF0041006e007600e4006e00640020006400650020006800e4007200200069006e0073007400e4006c006c006e0069006e006700610072006e00610020006e00e40072002000640075002000760069006c006c00200073006b0061007000610020005000440046002d0064006f006b0075006d0065006e007400200073006f006d00200070006100730073006100720020006600f600720020007000e5006c00690074006c006900670020007600690073006e0069006e00670020006f006300680020007500740073006b0072006900660074002000610076002000610066006600e4007200730064006f006b0075006d0065006e0074002e0020005000440046002d0064006f006b0075006d0065006e00740065006e0020006b0061006e002000f600700070006e006100730020006d006500640020004100630072006f0062006100740020006f00630068002000520065006100640065007200200035002e003000200065006c006c00650072002000730065006e006100720065002egt ENU (Hewitt Standard for Acrobat 70 Compatibility) gtgtgtgt setdistillerparamsltlt HWResolution [2400 2400] PageSize [612000 792000]gtgt setpagedevice

Page 5: KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN DEHRADUN REGION...क य वद य लय-स गठन KENDRIYA VIDYALAYA SANGATHAN 1 द हर द न-स भ ग DEHRADUN REGION ब ध) 15+5=20

1

अधययन-साममी

िहदी (क ििक) २०१२-१३ अपिठतिनधारिरत अक २० (गदय क िलए १५ तथा पदय क िलए ५ अक िनधारिरत ह) अपिठत अश को हल करन क िलए आवयक िनदरश

अपिठत अश म २० अको क शन पछ जाएग जो गदय और पदय दो रपो म होग| य शन एक या दो अको क होत ह | उततर दत समय िनमन बातो को धयान म रख कर उततर दीिजए ndash

१ िदए गए गदयाश अथवा पदयाश कोपछ गए शनो क साथ धयान पवरक दो बार पिढ़ए | २ शनो क उततर दन क िलए सबस पहल सरलतम शन का उततर दीिजए और िमलन पर

उसको रखािकत कर शन सखया िलख दीिजए िफर सरलतम स सरलतर को बम स छाट कर रखािकत कर शन सखया िलखत जाए |

३ उततर की भाषा आपकी अपनी भाषा होनी चािहए | ४ गदयाश म वयाकरण स तथा कावयाश म सौदयर-बोध स सबिधत शनो को भी पछा जाता

ह इसिलए वयाकरण और कावयाग की सामानय जानकारी को अदयतन रख | ५ उततर को अिधक िवःतार न दकर सकषप म िलख| ६ पछ गए अश क कथय म िजस तथय को बार-बार उठाया गया ह उसी क आधार पर

शीषरक िलख | शीषरक एक या दो शबदो का होना चािहए | १ अपिठत गदयाश का नमना- िनधारिरत अक १५

म िजस समाज की कलपना करता ह उसम गहःथ सनयासी और सनयासी गहःथ होग अथारत सनयास और गहःथ क बीच वह दरी नही रहगी जो परपरा स चलती आ रही ह| सनयासी उततम कोिट का मनय होता ह कयोिक उसम सचय की वितत नही होती लोभ और ःवाथर नही होता | यही गण गहःथ म भी होना चािहए | सनयासी भी वही ौषठ ह जो समाज क िलए कछ काम कर| जञान और कमर को िभनन करोग तो समाज म िवषमता उतपनन होगी ही |मख म किवता और करघ पर हाथ यह आदशर मझ पसद था |इसी की िशकषा म दसरो को भी दता ह और तमन सना ह या नही की नानक न एक अमीर लडक क हाथ स पानी पीना अःवीकार कर िदया था | लोगो न कहा ETH गर जी यह लड़का तो अतयत स ात कल का ह इसक हाथ का पानी पीन म कया दोष ह नानक बोल- तलहतथी म महनत क िनशाननही ह | िजसक हाथ म महनत क ठल पड़ नही होत उसक हाथ का पानी पीन म म दोष मानता ह | नानक ठीक थ | ौषठ समाज वह ह िजसक सदःय जी खोलकर महनत करत ह और तब भी जररत स जयादा धन पर अिधकार जमान की उनकी इचछा नही होती |

शनो का नमना- (क) Ocircगहःथ सनयासी और सनयासी गहःथ होगOtilde स लखक का कया आशय ह २

(ख) सनयासी को उततम कोिट का मनय कहा गया ह कयो १

2

(ग) ौषठ समाज क कया लकषण बताए गए ह १ (घ) नानक न अमीर लड़क क हाथ स पानी पीना कयो अःवीकार िकया २

(ङ) Ocircमख म किवता और करघ पर हाथOtilde- यह उिकत िकसक िलए योग की गई ह और कयो २

(च) ौषठ सनयासी क कया गण बताए गए ह १

(छ) समाज म िवषमता स आप कया समझत ह और यह कब उतपनन होती ह २

(ज) सनयासी शबद का सिध-िवचछद कीिजए | १

(झ) िवषमता शबद का िवलोम िलख कर उसम यकत तयय अलग कीिजए | २

(ञ) गदयाश का उपयकत शीषरक दीिजए | १ उततर ndash

(क) गहःथ जन सनयािसयो की भाित धन-समह और मोह स मकत रह तथा सनयासी जन गहःथो की भाित सामािजक कमोर म सहयोग कर िनठलल न रह |

(ख) सनयासी लोभ ःवाथर और सचय स अलग रहता ह | (ग) ौषठ समाज क सदःय भरपर पिरौम करत ह तथा आवयकता स अिधक धन पर

अपना अिधकार नही जमात | (घ) अमीर लड़क क हाथो म महनतकश क हाथो की तरह महनत करन क िनशान नही

थ और नानक महनत करना अिनवायर मानत थ | (ङ) मख म किवता और करघ म हाथOtilde कबीर क िलए कहा गया ह | कयोिक उसक घर

म जलाह का कायर होता था और किवता करना उनका ःवभाव था | (च) ौषठ सनयासी समाज क िलए भी कायर करता ह | (छ) समाज म जब जञान और कमर को िभनन मानकर आचरण िकए जात ह तब उस

समाज म िवषमता मान ली जाती ह |जञान और कमर को अलग करन पर ही समाज म िवषमता फलती ह |

(ज) सम + नयासी

(झ) िवषमता ETH समता OcircताOtilde तयय

(ञ) सनयास-गहःथ

२ अपिठत कावयाश का नमना- िनधारिरत अक ५ तम भारत हम भारतीय ह तम माता हम बट िकसकी िहममत ह िक तमह दषटता-दिषट स दख | ओ माता तम एक अरब स अिधक भजाओ वाली सबकी रकषा म तम सकषम हो अदमय बलशाली |

3

भाषा वश दश िभनन ह िफर भी भाई-भाई भारत की साझी सःकित म पलत भारतवासी | सिदनो म हम एक साथ हसत गात सोत ह दिदरन म भी साथ-साथ जागत पौरष धोत ह | तम हो शःय-यामला खतो म तम लहराती हो कित ाणमयी साम-गानमयी तम न िकस भाती हो | तम न अगर होती तो धरती वसधा कयो कहलाती

गगा कहा बहा करती गीता कयो गाई जाती

शन नमना (क) साझी सःकित का कया भाव ह १

(ख) भारत को अदमय बलशाली कयो कहा गया ह १

(ग) सख-दःख क िदनो म भारतीयो का परःपर सहयोग कसा होता ह १

(घ) साम-गानमयी का कया तातपयर ह १

(ङ) Ocircओ माता तम एक अरब स अिधक भजाओ वालीOtilde म कौन-सा अलकार

ह१

उततर ndash (क) भाषा वश दश िभनन होत हए भी सभी क सख-दःख एक ह | (ख) भारत की एक अरब स अिधक जनता अपनी मजबत भजाओ स सबकी सरकषा करन

म समथर ह | (ग) भारतीयो का वयवहार आपसी सहयोग और अपनपन स भरा ह सब सग-सग हसत-

गात ह और सग-सग किठनाइयो स जझत ह | (घ) समधर सगीत स यकत | (ङ) रपक |

३ िनबध-लखन - िनधारिरत अक ५

िनबध-लखन करत समय छाऽोको िनमन बात धयान म रखनी चािहए ndash

bull िदए गए िवषय की एक रपरखा बना ल | bull रपरखा-लखन क समय पवारपर सबध क िनयम का िनवारह िकया जाए | पवारपर

सबध क िनवारह का अथर ह िक ऊपर की बात उसक ठीक नीच की बात स जड़ी होनी चािहए िजसस िवषय का बम बना रह |

bull पनरावितत दोष न आए | bull भाषा सरल सहज और बोधगमय हो | bull िनबध का ारमभ िकसी कहावत उिकत सिकत आिद स िकया जाए |

4

bull िवषय को ामािणक बनान क उददय स िहनदी सःकत अमजीउदर की सिकतयाएव उदधरण भी बीच-बीच म दत रहना चािहए |

bull भिमकाःतावना म िवषय का सामानय पिरचय तथा उपसहार म िवषय का िनकषर होना चािहए |

िनबध हत नमना रपरखा िवजञान वरदान या अिभशाप

१ भिमका ःतावना

२ िवजञान का अथर

३ िवजञान वरदान ह ndash

bull िशकषा क कषऽ म

bull िचिकतसा क कषऽ म

bull मनोरजन क कषऽ म

bull किष क कषऽ म

bull यातायात क कषऽ म

४ िवजञान अिभशाप ह ndash

bull िशकषा क कषऽ म

bull िचिकतसा क कषऽ म

bull मनोरजन क कषऽ म

bull किष क कषऽ म

bull यातायात क कषऽ म

५ िवजञान क ित हमार उततरदाियतव

६ उपसहार

िवशष उकत रपरखा को आवयकता क अनरप िविभनन कषऽो को जोड़कर बढ़ाया जा सकता ह |

अभयास हत िनबध-

१ महानगरीय जीवन अिभशाप या वरदान

२ आधिनक िशकषा-पदधित गण व दोष

३ िवजञान व कला ४ बदलत जीवन मलय

५ नई सदी नया समाज

६ कामकाजी मिहलाओ की समःयाए दश की गित म मिहलाओ का योगदान

5

७राषटर-िनमारण म यवा पीढ़ी का योगदान

८ इटरनट की दिनया ९ पराधीन सपनह सख नाही १० लोकतऽ म मीिडया की भिमका ११ गित क पथ पर भारत

१२ जन आदोलन और सरकार १३ षटाचार समःया और समाधान १४ महगाई की मार १५ खल-कद म उतरता भारत ऑलिपक २०१२

४ पऽ-लखन-िनधारिरत अक ५ िवचारो भावो सदशो एव सचनाओ क स षण क िलए पऽ सहज सरल तथा पारपिरक माधयम ह पऽ अनक कार क हो सकत ह पर ाय परीकषाओ म िशकायती-पऽ आवदन-पऽ तथा सपादक क नाम पऽ पछ जात ह इन पऽो को िलखत समय िनमन बातो का धयान रखा जाना चािहए

पऽ-लखन क अग- १ पता और िदनाक- पऽ क ऊपर बाई ओर षक का पता व िदनाक िलखा जाता ह

(छाऽ पत क िलए परीकषा-भवन ही िलख) २ सबोधन और पताndash िजसको पऽ िलखा जारहा ह उसको यथानरप सबोिधत िकया

जाता ह औपचािरक पऽो म पद-नाम और कायारलयी पता रहता ह | ३ िवषय ETH कवल औपचािरक पऽो म योग कर (पऽ क कथय का सिकषपत रप िजस

पढ़ कर पऽ की साममी का सकत िमल जाता ह ) ४ पऽ की साममी ndash यह पऽ का मल िवषय ह इस सकषप म सारगिभरत और िवषय क

ःपषटीकरण क साथ िलखा जाए | ५ पऽ की समािपत ndash इसम धनयवाद आभार सिहत अथवा साभार जस शबद िलख कर

लखक अपन हःताकषर और नाम िलखता ह | धयान द छाऽ पऽ म कही अपना अिभजञान (नाम-पता) न द | औपचािरक पऽो म िवषयानरप ही अपनी बात कह | िदव-अथरक और बोिझल शबदावली स बच |

६ भाषा शदध सरल ःपषट िवषयानरप तथा भावकारी होनी चािहए पऽ का नमना अःपताल क बधन पर सतोष वयकत करत हए िचिकतसा-अधीकषक को पऽ िलिखए | परीकषा-भवन

6

िदनाक ----- मानाथर िचिकतसा-अधीकषक कोरोनशन अःपताल दहरादन | िवषय अःपताल क बधन पर सतोष वयकत करन क सदभर म - मानयवर इस पऽ क माधयम स म आपक िचिकतसालय क स बधन स भािवत हो कर आपको धनयवाद द रहा ह | गत सपताह मर िपता जी हदय-आघात स पीिड़त होकर आपक यहा दािखल हए थ | आपक िचिकतसको और सहयोगी ःटाफ न िजस ततपरता कतरवयिनषठा और ईमानदारी स उनकी दखभाल तथा िचिकतसा की उसस हम सभी पिरवारी जन सतषट ह | हमारा िवशवास बढ़ा ह | आपक िचिकतसालय का अनशासन शसनीय ह | आशा ह जब हम पनपररीकषण हत आएग तब भी वसी ही सवयवःथा िमलगी | साभार भवदीय क ख ग अभयासाथर शन-

१ िकसी दिनक समाचार-पऽ क सपादक क नाम पऽ िलिखए िजसम वकषो की कटाई को रोकन क िलए सरकार का धयान आकिषरत िकया गया हो

२ िहसा-धान िफ़लमो को दख कर बालवगर पर पड़न वाल द भाव का वणरन करत

हए िकसी दिनक पऽ क सपादक क नाम पऽ िलिखए ३ अिनयिमत डाक-िवतरण की िशकायत करत हए पोःटमाःटर को पऽ िलिखए ४ िलिपक पद हत िवदयालय क ाचायर को आवदन-पऽ िलिखए ५ अपन कषऽ म िबजली-सकट स उतपनन किठनाइयो का वणरन करत हए अिधशासी अिभयनता िवदयत-बोडर को पऽ िलिखए ७ दिनक पऽ क सपादक को पऽ िलिखए िजसम िहदी भाषा की िदव-रपता को

समापत करन क सझाव िदए गए हो |

५ (क) अिभवयिकतऔरमाधयम (एक-एक अक क ५ शन पछ जाएग तथा उततर सकषप म िदए जाएग )

उततम अक ापत करन क िलए धयान दन योगय बात- १ अिभवयिकत और माधयम स सबिधत शन िवशष रप स तथयपरक होत ह अत उततर

7

िलखत समय सही तथयो को धयान म रख २ उततर िबदवार िलख मखय िबद को सबस पहल िलख द ३ शदध वतरनी का धयान रख ४ लख साफ़-सथरा एवम पठनीय हो ५ उततर म अनावयक बात न िलख ६ िनबधातमक शनो म बमबदधता तथा िवषय क पवारपर सबध का धयान रख तथयो तथा

िवचारो की पनरावितत न कर जनसचारमाधयम

१ सचार िकस कहत ह OcircसचारOtilde शबद चर धात क साथ सम उपसगर जोड़न स बना ह- इसका अथर ह चलना या एक ःथान स दसर ःथान तक पहचना |सचार सदशो का आदान-दान ह | सचनाओ िवचारो और भावनाओ का िलिखत मौिखक या दय-ौवय माधयमो क जिरय सफ़लता पवरक आदान-दान करना या एक जगह स दसरी जगह पहचाना सचार ह

२ सचार अनभवो की साझदारी ह - िकसन कहा ह िसदध सचार शासतरी िवलबर ौम न |

३ सचार माधयम स आप कया समझत ह सचार-िबया को सपनन करन म सहयोगी तरीक तथा उपकरण सचार क माधयम कहलात ह

४ सचार क मल तततव िलिखए | bull सचारक या ॐोत

bull एनकोिडग (कटीकरण )

bull सदश ( िजस सचारक ापतकतार तक पहचाना चाहता ह)

bull माधयम (सदश को ापतकतार तक पहचान वाला माधयम होता ह जस- धविन-तरग वाय-तरग टलीफोन समाचारपऽ रिडयो टी वी आिद)

bull ापतकततार (डीकोिडग कर सदश को ापत करन वाला)

bull फीडबक (सचार िबया म ापतकततार की ितिबया) bull शोर (सचार िबया म आन वाली बाधा)

५ सचारकमखकारोकाउललखकीिजए bull साकितकसचार bull मौिखकसचार bull अमौिखक सचार

bull अतवयिकतकसचार bull अतरवयिकतकसचार bull समहसचार

8

-पऽ और पिऽका

१३ पहल कौन-कौन स ह

१४ कायर कौन करता ह

१५ की शरआत कब और िकसस हई क बगाल गजट स

bull जनसचार ६ जनसचारसआपकयासमझतह

तयकष सवाद क बजाय िकसी तकनीकी या यािऽक माधयम क दवारा समाज क एकिवशाल वगरस सवाद कायम करना जनसचार कहलाता ह

७ जनसचार क मख माधयमो का उललख कीिजए | अखबार रिडयो टीवी इटरनट िसनमा आिद

८ जनसचार की मखिवशषताए िलिखए | bull इसम फ़ीडबक तरत ापत नही होता bull इसक सदशो की कित सावरजिनक होती ह bull सचारक और ापतकततार क बीच कोई सीधा सबध नही होता bull जनसचार क िलए एक औपचािरक सगठन की आवयकता होती ह bull इसमढर सार दवारपाल काम करत ह

९ जनसचार क मख कायर कौन-कौनसह bull सचना दना bull िशिकषत करना bull मनोरजन करना bull िनगरानी करना bull एजडा तय करना bull िवचार-िवमशर क िलए मच उपलबध कराना

१० लाइव स कया अिभाय ह िकसी घटना का घटना-ःथल स सीधा सारण लाइव कहलाता ह |

११ भारत का पहला समाचार वाचक िकस माना जाता ह दविषर नारद

१२ जन सचार का सबस पहला महततवपणर तथा सवारिधक िवःतत माधयम कौन सा था समाचार िट मीिडया क मख तीन

bull समाचारो को सकिलत करना

bull सपादन करना

bull मिण तथा सार समाचारो को सकिलत करन कासवाददाता भारत म पऽकािरताभारत म पऽकािरता की शरआत सन १७८० म जमस आगःट िहकीहई जो कलकतता स िनकला था |

9

१६ माना जाता ह ा ह जो कलकतता स पिडत

१७मालवीय गणश शकर िवदयाथीर

१८ दी स पवर क मख समाचार-पऽो और पिऽकाओ क नाम िलिखए | द |

१९ उजाला

नदःतान िदनमान रिववार इिडया टड आउट

- अजञय रघवीर सहाय धमरवीर भारती मनोहरयाम जोशी राजनि माथर

अनय म

िहदी का पहला सापतािहक पऽ िकसिहदी का पहला सापतािहक पऽ Ocircउदत मातरडOtilde को माना जातजगल िकशोर शकल क सपादन म िनकला था | आजादी स पवर कौन-कौन मख पऽकार हए महातमा गाधी लोकमानय ितलक मदन मोहन माखनलाल चतवरदी महावीर साद िदववदी ताप नारायण िमौ बाल मकद गपत आिद हए | आजाकसरी िहनदःतान सरःवती हस कमरवीर आज ताप दीप िवशाल भारत आि आजादी क बाद की मख पऽ-पिऽकाओ तथा पऽकारो क नाम िलखए | मख पऽ ---- नव भारत टाइमस जनसतता नई दिनया िहनदःतान अमरदिनक भाःकर दिनक जागरण आिद | मख पिऽकाए ETH धमरयग सापतािहक िहलक आिद | मख पऽकारभाष जोशी आिद हततवपणर शन

१ जनसचार और समह सचार का अतर ःपषट कीिजए

ाश डािलए

कया समझत ह

को कया कहत ह

२ कटवाचन स आप कया समझत ह

३ कटीकरण िकस कहत ह

४ सचारक की भिमका पर क५ फीडबक स आप कया समझत ह

६ शोर स कया तातपयर ह

७ औपचािरक सगठन स आप८ सनसनीखज समाचारो स समबिधत पऽकािरता ९ कोई घटना समाचार कस बनती ह

१० सपादकीय पषठ स आप कया समझत ११ मीिडया की भाषा म दवारपाल िकस कहत ह पऽकािरता क िविवध आयाम

१ पऽकािरताकयाह ऐसी सचनाओ का सकलन एव सपादन कर आम पाठको तक पहचाना िजनम अिधक स अिधक लोगो की रिच हो तथा जो अिधक स अिधक लोगो को भािवत करती हो पऽकािरताकहलाता ह(दश-िवदश म घटन वाली घटनाओ की सचनाओ को सकिलत एव सपािदत कर समाचार क रप म पाठको तक पहचान की िबयािवधा को पऽकािरता

10

२ लखन तथा सािहितयक सजनातमक लखन म कया अतर ह थयो की धानता

३ कन और काटोरमाफ़ |

४ ी ताजा घटना िवचार या समःया की िरपोटर हिजसम अिधक स

५ घटना समःया व िवचार को समाचार का रप धारण

६ सआपकयासमझतह माचारो को कवर करन क िलए िनधारिरत समय-सीमा

७ ाय ह -साममी स उसकी अशिदधयो को दर करक पठनीय तथा

८ ी मख घटना या समःया पर िलख गए िवचारातमक लख को िजस

ता

ा-

रता

महततव क मामलोजस-षटाचार अिनयिमतताओ

कहत ह) पऽकारीय पऽकारीय लखन का मख उददय सचना दान करना होता ह इसम तहोती ह जबिक सािहितयक सजनातमक लखन भाव कलपना एव सौदयर-धान होता ह पऽकािरता क मख आयाम कौन-कौन स ह सपादकीय फ़ोटो पऽकािरता काटरन कोना रखासमाचारिकसकहतह समाचार िकसी भी ऐसअिधक लोगो की रिच हो और िजसका अिधक स अिधक लोगो पर भाव पड़ता हो समाचारक तततवो को िलिखए | पऽकािरता की दिषट स िकसी भीकरन क िलए उसम िनमन तततवो म स अिधकाश या सभी का होना आवयक होता ह- नवीनता िनकटता भाव जनरिच सघषर महततवपणर लोग उपयोगी जानकािरया अनोखापआिद डडलाइनसमाचार माधयमो क िलए सकोडडलाइनकहत ह सपादन स कया अिभकाशन क िलए ापत समाचारकाशन योगय बनाना सपादन कहलाता ह सपादकीयकयाह सपादक दवारा िकससबिधत समाचारपऽ की राय भी कहा जाता ह सपादकीय कहत हसपादकीय िकसी एक वयिकत का िवचार या राय न होकर समम पऽ-समह की राय होता ह इसिलए सपादकीय म सपादक अथवा लखक का नाम नही िलखा जाता पऽकािरता क मखकारिलिखए |

bull खोजी पऽकािरता bull िवशषीकत पऽकािरbull वॉचडॉग पऽकािरता bull एडवोकसी पऽकािरतbull पीतपऽकािरता bull पज ाी पऽकाि

१० खोजी पऽकािरता कयाह िजसमआम तौर पर सावरजिनक

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११ वॉचडॉग का मखय उततरदाियतव सरकार क

१२ एडवोक िकसी खास मदद या िवचारधारा क पकष म

१३ पीतपऽक ह फ़वाहो आरोपो-तयारोपो मसबधो आिद स

१४ पज ाी कािरता िकसकहतह ीरो की पािटरयो महिफ़लो और जानमान लोगो

१५ पऽकािर हता ह

१६ कािरता कया ह नकारी दत हए उसका िवशलषण करना िवशषीकत

१७ वकिलप स कहत ह मीिडया ःथािपत वयवःथा क िवकलप को

१८ िवशषीक ा क मख कषऽो का उललख कीिजए |

ास पऽकािरता

और गड़बिड़यो की गहराई स छानबीन कर सामन लान की कोिशश की जाती ह िःटग ऑपरशन खोजी पऽकािरता का ही एक नया रप ह पऽकािरता स आप कया समझत ह लोकतऽ म पऽकािरता और समाचार मीिडयाकामकाज पर िनगाह रखना ह और कोई गड़बड़ी होन पर उसका परदाफ़ाश करना होता ह परपरागत रप स इस वॉचडॉग पऽकािरता कहत ह सी पऽकािरता िकसकहतह इस पकषधर पऽकािरता भी कहत हजनमत बनान किलए लगातार अिभयान चलान वाली पऽकािरता को एडवोकसी पऽकािरता कहत ह

ािरतासआपकयासमझतपाठको को लभान क िलए झठी असबिधत सनसनीखज समाचारो स सबिधत पऽकािरता को पीतपऽकािरता कहत ह पऽऐसी पऽकािरता िजसम फ़शन अमक िनजी जीवन क बार म बताया जाता ह ता क िवकास म कौन-सा मल भाव सिबय र

िजजञासा का िवशषीकत पऽ

िकसी िवशष कषऽ की िवशष जापऽकािरता ह | क पऽकािरता िकमखय धारा क मीिडया क िवपरीत जोसामन लाकर उसक अनकल सोच को अिभवयकत करता ह उस वकिलपक पऽकािरता कहा जाता ह आम तौर पर इस तरह क मीिडया को सरकार और बड़ीपजी का समथरन ापत नही होता और न ही उस बड़ी कपिनयो क िवजञापन िमलत ह त पऽकािरत

bull ससदीय पऽकािरता bull नयायालय पऽकािरतbull आिथरक पऽकािरता

bull खल पऽकािरता bull िवजञान और िवक

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ऽकािरता अनय

bull अपराध पऽकािरता

bull फशन और िफलम प महततवपणर शन

१ पऽकािरता क िवकास म कौन-सा मल भाव सिबय रहता ह

को तक पहचान की िबया को कया कहत ह

नयज

२ कोई घटना समाचार कस बनती ह

३ सचनाओ का सकलन सपादन कर पाठ४ समपादकीय म समपादक का नाम कयो नही िलखा जाता

५ िनमन क बार म िलिखए ndash

(क) डड लाइन

(ख) फलशिकग(ग) गाइड लाइन

(घ) लीड

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िविभनन माधयमो क िलए लखन िट माधयम (मिित माधयम)-

१ िट मीिडया स कया आशय ह छपाई वाल सचार माधयम को िट मीिडया कहत ह | इस मिण-माधयम भी कहा जाता ह | समाचार-पऽ पिऽकाए पःतक आिद इसक मख रप ह |

२ जनसचार क आधिनक माधयमो म सबस पराना माधयम कौन-सा ह जनसचार क आधिनक माधयमो म सबस पराना माधयम िट माधयम ह |

३ आधिनक छापाखान का आिवकार िकसन िकया आधिनक छापाखान का आिवकार जमरनी क गटनबगर न िकया

४ भारत म पहला छापाखाना कब और कहा पर खला था भारत म पहला छापाखाना सन १५५६ म गोवा म खला इस ईसाई िमशनिरयो न धमर-चार की पःतक छापन क िलए खोला था |

५ जनसचार क मिित माधयम कौन-कौन स ह मिित माधयमो क अनतगरत अखबार पिऽकाए पःतक आिद आती ह ६ मिित माधयम की िवशषताए िलिखए |

bull छप हए शबदो म ःथाियतव होता ह इनह सिवधानसार िकसी भी कार स पढा जा सकता ह

bull यह माधयम िलिखत भाषा का िवःतार ह bull यह िचतन िवचार- िवशलषण का माधयम ह

७ मिित माधयम की सीमाए (दोष) िलिखए | bull िनरकषरो क िलए मिित माधयम िकसी काम क नही होत bull य तरत घटी घटनाओ को सचािलत नही कर सकत bull इसम ःपस तथा शबद सीमा का धयान रखना पड़ता ह bull इसम एक बार समाचार छप जान क बाद अशिदध-सधार नही िकया जा सकता

८ मिित माधयमो क लखन क िलए िलखत समय िकन-िकन बातो का धयान रखा जाना चािहए | bull भाषागत शदधता का धयान रखा जाना चािहए bull चिलत भाषा का योग िकया जाए bull समय शबद व ःथान की सीमा का धयान रखा जाना चािहए bull लखन म तारतमयता एव सहज वाह होना चािहए

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रिडयो (आकाशवाणी) १ इलकशािनक माधयम स कया तातपयर ह

िजस जन सचार म इलकशािनक उपकरणो का सहारा िलया जाता ह इलकशािनक माधयम कहत ह रिडयो दरदशरन इटरनट मख इलकशािनक माधयम ह

२ आल इिडया रिडयो की िविधवत ःथापना कब हई सन १९३६ म

३ एफ़एम रिडयो की शरआत कब स हई एफ़एम (ि६कवसी माडयलशन) रिडयो की शरआत सन १९९३ स हई

४ रिडयो िकस कार का माधयम ह रिडयो एक इलकशोिनक ौवय माधयम ह इसम शबद एव आवाज का महततव होता ह यह एक एक रखीय माधयम ह

५ रिडयो समाचार िकस शली पर आधािरत होत ह रिडयो समाचार की सरचना उलटािपरािमड शली पर आधािरत होती ह

६ उलटा िपरािमड शली कया ह यह िकतन भागो म बटी होती ह िजसम तथयो को महततव क बम स ःतत िकया जाता ह सवर थम सबस जयादा महततवपणर तथय को तथा उसक उपरात महततव की दिषट स घटत बम म तथयो को रखा जाता ह उस उलटा िपरािमड शली कहत ह उलटािपरािमड शली म समाचार को तीन भागो म बाटा जाता ह-इशो बाडी और समापन

७ रिडयो समाचार-लखन क िलए िकन-िकन बिनयादी बातो पर धयान िदया जाना चािहए bull समाचार वाचन क िलए तयार की गई कापी साफ़-सथरी ओ टाइपड कॉपी हो bull कॉपी को िशपल ःपस म टाइप िकया जाना चािहए bull पयारपत हािशया छोडा जाना चािहए bull अको को िलखन म सावधानी रखनी चािहए

bull सिकषपताकषरो क योग स बचा जाना चािहए टलीिवजन(दरदशरन)

१ दरदशरन जन सचार का िकस कार का माधयम ह दरदशरन जनसचार का सबस लोकिय व सशकत माधयम ह इसम धविनयो क साथ-साथ दयो का भी समावश होता ह इसक िलए समाचार िलखत समय इस बात का धयान रखा जाता ह िक शबद व पदर पर िदखन वाल दय म समानता हो

२ भारत म टलीिवजन का आरभ और िवकास िकस कार हआ भारत म टलीिवजन का ारभ १५ िसतबर १९५९ को हआ यनःको की एक शिकषक पिरयोजना क अनतगरत िदलली क आसपास क एक गाव म दो टीवी सट लगाए गए िजनह २०० लोगो न दखा १९६५ क बाद िविधवत टीवी सवा आरभ हई १९७६ म दरदशरन नामक िनकाय की ःथापना हई

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३ टी०वी० खबरो क िविभनन चरणो को िलिखए दरदशरन म कोई भी सचना िनमन चरणो या सोपानो को पार कर दशरको तक पहचती

ह (१) झलश या िकग नयज (समाचार को कम-स-कम शबदो म दशरको तक ततकाल

पहचाना) (२)साई एकर (एकर दवारा शबदो म खबर क िवषय म बताया जाता ह) (३) फ़ोन इन (एकर िरपोटरर स फ़ोन पर बात कर दशरको तक सचनाए पहचाता ह ) (४) एकर-िवजअल(समाचार क साथ-साथ सबिधत दयो को िदखाया जाना) (५) एकर-बाइट(एकर का तयकषदशीर या सबिधत वयिकत क कथन या बातचीत

दवारा ामािणक खबर ःतत करना) (६) लाइव(घटनाःथल स खबर का सीधा सारण) (७) एकर-पकज (इसम एकर दवारा ःतत सचनाए सबिधत घटना क दय बाइट मािफ़कस आिद दवारा वयविःथत ढग स िदखाई जाती ह) इटरनट

१ इटर नट कया ह इसक गण-दोषो पर काश डािलए इटरनट िवशववयापी अतजारल ह यह जनसचार का सबस नवीन व लोकिय माधयम ह इसम जनसचार क सभी माधयमो क गण समािहत ह यह जहा सचना मनोरजन जञान और वयिकतगत एव सावरजिनक सवादो क आदान-दान क िलए ौषठ माधयम ह वही अशलीलता द चारव गदगी फ़लान का भी जिरया ह

२ इटरनट पऽकािरताकया ह

इटरनट(िवशववयापी अतजारल) पर समाचारो का काशन या आदान-दान इटरनट पऽकािरता कहलाता ह इटरनट पऽकािरता दो रपो म होती ह थम- समाचार स षण क िलए नट का योग करना दसरा- िरपोटरर अपन समाचार को ई-मल दवारा अनयऽ भजन व समाचार को सकिलत करन तथा उसकी सतयतािवशवसनीयता िसदध करन क िलए करता ह

३ इटरनट पऽकािरता को और िकन-िकन नामो स जाना जाता ह ऑनलाइन पऽकािरता साइबरपऽकािरतावब पऽकािरता आिद नामो स

४ िवशव-ःतर पर इटरनट पऽकािरता का िवकास िकन-िकन चरणो म हआ िवशव-ःतर पर इटरनट पऽकािरता का िवकास िनमनिलिखत चरणो म हआ-

bull थम चरण------- १९८२ स १९९२

bull िदवतीय चरण------- १९९३ स २००१ bull ततीय चरण------- २००२ स अब तक

५ भारत म इटरनट पऽकािरता का ारमभ कब स हआ

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पहला चरण १९९३ स तथा दसरा चरण २००३ स शर माना जाता ह भारत म सचच अथोर म वब पऽकािरता करन वाली साइट rsquoरीिडफ़ डॉट कॉमrsquo

इिडयाइफ़ोलाइनrsquoवrsquoसीफ़ीrsquoह रीिडफ़ को भारत की पहली साइट कहा जाता ह

६ वब साइट पर िवशदध पऽकािरता शर करन का ौय िकसको जाता ह rsquoतहलका डॉटकॉमrsquo

७ भारत म सचच अथोर म वब पऽकािरता करन वाली साइटो क नाम िलिखए | rsquoरीिडफ़ डॉट कॉमrsquoइिडयाइफ़ोलाइनrsquoवrsquoसीफ़ीrsquo

८ भारत म कौन-कौन स समाचार-पऽ इटरनट पर उपलबध ह टाइमस आफ़ इिडया िहदःतान टाइमस इिडयन एकसस िहद िशबयन आिद

९ भारत की कौन-सी नट-साइट भगतान दकर दखी जा सकती ह Otildeइिडया टडOtilde

१० भारत की पहली साइट कौन-सी ह जो इटरनट पर पऽकािरता कर रही ह रीिडफ़

११ िसफ़र नट पर उपलबध अखबार का नाम िलिखए भा साकषीOtilde नाम का अखबार िट रप म न होकर िसफ़र नट पर उपलबध ह

१२ पऽकािरता क िलहाज स िहदी की सवरौषठ साइट कौन-सी ह पऽकािरता क िलहाज स िहनदी की सवरौषठ साइट बीबीसी की ह जो इटरनट क

मानदडो क अनसार चल रही ह १३ िहदी वब जगत म कौन-कौनसी सािहितयक पिऽकाए चल रही ह

िहदी वब जगत म rsquoअनभितrsquo अिभवयिकत िहदी नःट सराय आिद सािहितयक पिऽकाए चल रही ह

१४ िहदी वब जगत की सबस बड़ी समःया कया ह िहनदी वब जगत की सबस बडी समःया मानक की-बोडर तथा फ़ोट की ह डायनिमक फ़ोट क अभाव क कारण िहनदी की जयादातर साइट खलती ही नही ह

अभयासाथर शन १ भारत म पहला छापाखान िकस उददय स खोला गया

२ गटनबगर को िकस कषऽ म योगदान क िलए याद िकया जाता ह

३ रिडयो समाचर िकस शली म िलख जात ह

४ रिडयो तथा टलीिवजन माधयमो म मखय अतर कया ह

५ एकर बाईट कया ह

६ समाचार को सकिलत करन वाला वयिकत कया कहलाता ह

७ नट साउड िकस कहत ह

८ िकग नयज स आप कया समझत ह

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पऽकारीय लखन क िविभनन रप और लखन िबया १ पऽकारीय लखन कया ह

समाचार माधयमो म काम करन वाल पऽकार अपन पाठको तथा ौोताओ तक सचनाए पहचान क िलए लखन क िविभनन रपो का इःतमाल करत ह इस ही पऽकारीय लखन कहत ह पऽकारीय लखन का सबध समसामियक िवषयो िवचारो व घटनाओ स ह पऽकार को िलखत समय यह धयान रखना चािहए वह सामानय जनता क िलए िलख रहा ह इसिलए उसकी भाषा सरल व रोचक होनी चािहए वाकय छोट व सहज हो किठन भाषा का योग नही िकया जाना चािहए भाषा को भावी बनान क िलए अनावयक िवशषणोजागरनस(अचिलत शबदावली) और कलीश (िपषटोिकत दोहराव) का योग नही होना चिहए

२ पऽकारीय लखन क अतगरत कया-कया आता ह पऽकिरता या पऽकारीय लखन क अनतगरत समपादकीय समाचार आलख िरपोटर फ़ीचर ःतमभ तथा काटरन आिद आत ह

३ पऽकारीय लखन का मखय उददय कया होता ह पऽकारीय लखन का मख उददय ह- सचना दना िशिकषत करना तथा मनोरजन आ करना आिद होता ह |

४ पऽकारीय लखन क कार िलखए | पऽकारीय लखन क कईकार ह यथा- खोजपरक पऽकािरताrsquo वॉचडॉग पऽकािरता और एडवोकसी पऽकािरता आिद

५ पऽकारिकतन कार क होत ह

पऽकार तीन कार क होत ह- bull पणर कािलक

bull अशकािलक (िःशगर)

bull ६ीलासर या ःवतऽ पऽकार ६ समाचार िकस शली म िलख जात ह

समाचार उलटा िपरािमड शली म िलख जात ह यह समाचार लखन की सबस उपयोगी और लोकिय शली ह इस शली का िवकास अमिरका म गह यदध क दौरान हआ इसम महततवपणर घटना का वणरन पहल ःतत िकया जाता ह उसक बाद महततव की दिषट स घटत बम म घटनाओ को ःतत कर समाचार का अत िकया जाता ह समाचार म इशो बॉडी और समापन क बम म घटनाए ःतत की जाती ह

७ समाचार क छह ककार कौन-कौन स ह समाचार िलखत समय मखय रप स छह शनो- कया कौन कहा कब कयो और कस का उततर दन की कोिशश की जाती ह इनह समाचार क छह ककार कहा जाता ह थम चार शनो क उततर इशो म तथा अनय दो क उततर समापन स पवर बॉडी वाल भाग म िदए जात

18

ह ८ फ़ीचर कया ह

फ़ीचर एक कार का सवयविःथत सजनातमक और आतमिनषठ लखन ह ९ फ़ीचर लखन का कया उददय होता ह फ़ीचर का उददय मखय रप स पाठको को सचना दना िशिकषत करना तथा उनका

मनोरजन करना होता ह १० फ़ीचर और समचार म कया अतर ह

समाचार म िरपोटरर को अपन िवचारो को डालन की ःवतऽता नही होती जबिक फ़ीचर म लखक को अपनी राय दिषटकोण और भावनाओ को जािहर करन का अवसर होता ह समाचार उलटा िपरािमड शली म िलख जात ह जबिक फ़ीचर लखन की कोई सिनिशचत शली नही होती फ़ीचर म समाचारो की तरह शबदो की सीमा नही होती आमतौर पर फ़ीचर समाचार िरपोटर स बड़ होत ह पऽ-पिऽकाओ म ाय २५० स २००० शबदो तक क फ़ीचर छपत ह

११ िवशष िरपोटर स आप कया समझत ह सामानय समाचारो स अलग व िवशष समाचार जो गहरी छान-बीन िवशलषण और वयाखया क आधार पर कािशत िकए जात ह िवशष िरपोटर कहलात ह

१२ िवशष िरपोटर क िविभनन कारो को ःपषट कीिजए खोजी िरपोटर इसम अनपलबध तथयो को गहरी छान-बीन कर सावरजिनक िकया जाता ह (२)इनडपथ िरपोटर सावरजािनक रप स ापत तथयो की गहरी छान-बीन कर उसक महततवपणर पकषो को पाठको क सामन लाया जाता ह (३) िवशलषणातमक िरपोटर इसम िकसी घटना या समःया का िववरण सआमता क साथ िवःतार स िदया जाता ह िरपोटर अिधक िवःतत होन पर कई िदनो तक िकःतो म कािशत की जाती ह (४)िववरणातमक िरपोटर इसम िकसी घटना या समःया को िवःतार एव बारीकी क

साथ ःतत िकया जाता ह

१३ िवचारपरक लखन िकस कहत ह िजस लखन म िवचार एव िचतन की धानता होती ह उस िवचार परक लखन कहा जाता हसमाचार-पऽो म समाचार एव फ़ीचर क अितिरकत सपादकीय लख पऽ िटपपणी विरषठपऽकारो व िवशषजञो क ःतभ छपत ह य सभी िवचारपरक लखन क अतगरत आत ह

19

१४ सपादकीय स कया अिभाय ह सपादक दवारा िकसी मख घटना या समःया पर िलख गए िवचारातमक लख को िजससबिधत समाचारपऽ की राय भी कहा जाता ह सपादकीय कहत ह सपादकीय िकसी एक वयिकत का िवचार या राय न होकर समम पऽ-समह की राय होता ह इसिलए सपादकीय म सपादक अथवा लखक का नाम नही िलखा जाता

१५ ःतभलखन स कया तातपयर ह यह एक कार का िवचारातमक लखन ह कछ महततवपणर लखक अपन खास वचािरक रझान एव लखन शली क िलए जान जात ह ऐस लखको की लोकियता को दखकर समाचरपऽ उनह अपन पऽ म िनयिमत ःतभ-लखन की िजममदारी दान करत ह इस कार िकसी समाचार-पऽ म िकसी ऐस लखक दवारा िकया गया िविशषट एव िनयिमत लखन जो अपनी िविशषट शली एव वचािरक रझान क कारण समाज म खयाित-ापत हो ःतभ लखन कहा जाता ह

१६ सपादक क नाम पऽ स आप कया समझत ह समाचार पऽो म सपादकीय पषठ पर तथा पिऽकाओ की शरआत म सपादक क नाम आए पऽ कािशत िकए जात ह यह तयक समाचारपऽ का िनयिमत ःतभ होता ह इसक माधयम स समाचार-पऽ अपन पाठको को जनसमःयाओ तथा मददो पर अपन िवचार एवमराय वयकत करन का अवसर दान करता ह

१७ साकषातकारइटरवय स कया अिभाय ह िकसी पऽकार क दवारा अपन समाचारपऽ म कािशत करन क िलए िकसी वयिकत िवशष स उसक िवषय म अथवा िकसी िवषय या मदद पर िकया गया शनोततरातमक सवाद साकषातकार कहलाता ह

अनय महततवपणर शन १ सामानय लखन तथा पऽकारीय लखन म कया अतर ह

२ पऽकारीय लखन क उददय िलिखए ३ पऽकार िकतन कार क होत ह

४ उलटा िपरािमड शली का िवकास कब और कयो हआ

५ समाचार क ककारो क नाम िलिखए | ६ बाडी कया ह

७ फ़ीचर िकस शली म िलखा जाता ह

८ फ़ीचर व समाचार म कया अतर ह

९ िवशष िरपोटर स आप कया समझत ह

१० िवशष िरपोटर क भद िलिखए ११ इनडपथ िरपोटर िकस कहत ह

१२ िवचारपरक लखन कया ह तथा उसक अनतगरत िकस कार क लख आत ह

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१३ ःवतऽ पऽकार िकस कहत ह

१४ पणरकािलक पऽकार स कया अिभाय ह

१५ अशकािलक पऽकार कया होता ह

िवशष लखन ःवरप और कार १ िवशष लखन िकस कहत ह

िवशष लखनिकसी खास िवषय पर सामानय लखन स हट कर िकया गया लखन ह िजसम राजनीितक आिथरक अपराध खल िफ़लमकिष कानन िवजञान और अनय िकसी भी महततवपणर िवषय स सबिधत िवःतत सचनाए दान की जाती ह

२ डःककया ह समाचारपऽ पिऽकाओ टीवी और रिडयो चनलो म अलग-अलग िवषयो पर िवशष लखन क िलए िनधारिरत ःथल को डःक कहत ह और उस िवशष डःक पर काम करन वाल पऽकारो का भी अलग समह होता ह यथा-वयापार तथा कारोबार क िलए अलग तथा खल की खबरो क िलए अलग डःक िनधारिरत होता ह

३ बीटस कया तातपयर ह िविभनन िवषयो स जड़ समाचारो क िलए सवाददाताओ क बीच काम का िवभाजन आम तौर पर उनकी िदलचःपी और जञान को धयान म रख कर िकया जाता ह मीिडया की भाषा म इस बीट कहत ह

४ बीट िरपोिटरग तथा िवशषीकत िरपोिटरग म कया अनतर ह बीट िरपोिटरग क िलए सवाददाता म उस कषऽ क बार म जानकारी व िदलचःपी का होना पयारपत ह साथ ही उस आम तौर पर अपनी बीट स जड़ीसामानय खबर ही िलखनी होती ह िकनत िवशषीकत िरपोिटरग म सामानय समाचारो स आग बढ़कर सबिधत िवशष कषऽ या िवषय स जड़ी घटनाओ समःयाओ और मददो का बारीकी स िवशलषण कर ःततीकरण िकया जाता ह बीट कवर करन वाल िरपोटरर को सवाददाता तथा िवशषीकत िरपोिटरग करन वाल िरपोटरर को िवशष सवाददाता कहा जाता ह

५ िवशष लखन की भाषा-शली पर काश डािलए | िवशष लखन की भाषा-शली सामानय लखन स अलग होती ह इसम सवाददाता को सबिधत िवषय की तकनीकी शबदावली का जञान होना आवयक होता ह साथ ही यह भी आवयक होता ह िक वह पाठको को उस शबदावली स पिरिचत कराए िजसस पाठक िरपोटर को समझ सक िवशष लखन की कोई िनिशचत शली नही होती

६ िवशष लखन क कषऽ कौन-कौन स हो सकत ह िवशष लखन क अनक कषऽ होत ह यथा- अथर-वयापार खल िवजञान-ौदयोिगकी किष

िवदश रकषा पयारवरण िशकषा ःवाःथय िफ़लम-मनोरजन अपराध कानन व सामािजक मदद आिद

अभयासाथर महततवपणर शन

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१ िकसी खास िवषय पर िकए गए लखन को कया कहत ह

२ िवशष लखन क कषऽ िलिखए ४पऽकारीय भाषा म लखन क िलए िनधारिरत ःथल को कया कहत ह

५ बीट स आप कया समझत ह

६ बीट िरपोिटरग कया ह

७ बीट िरपोिटरग तथा िवशषीकत िरपोिटरग म कया अतर ह

८ िवशष सवाददाता िकस कहत ह

बोडर परीकषा म पछ गए शन एव अनय महततवपणर पषटवय शनो का कोश

१ िट माधयम िकस कहत ह

२ जनसचार क चिलत माधयमो म सबस पराना माधयम कया ह

३ िकनही दो मिित माधयमो क नाम िलिखए | ४ छापाखान क आिवकार का ौय िकसको जाता ह

५ िहदी का पहला समाचार-पऽ कब कहा स िकसक दवारा कािशत िकया गया

६ िहदी म कािशत होन वाल दो दिनक समाचार-पऽो तथा पिऽकाओ क नाम िलिखए | ७ रिडयो की अपकषा टीवी समाचारो की लोकियता क दो कारण िलिखए | ८ पऽकारीय लखन तथा सािहितयक सजनातमक लखन का अतर बताइए | ९ पऽकािरता का मलततव कया ह

१० ःतभलखन स कया तातपयर ह

११ पीत पऽकािरता िकस कहत ह

१२ खोजी पऽकािरता का आशय ःपषट कीिजए | १३ समाचार शबद को पिरभािषत कीिजए | १४ उलटा िपरािमड शली कया ह

१५ समाचार लखन म छह ककारो का कया महततव ह

१६ मिित माधयमो की िकनही दो िवशषताओ का उललख कीिजए | १७ डड लाइन कया ह

१८ रिडयो नाटक स आप कया समझत ह

१९ रिडयो समाचार की भाषा की दो िवशषताए िलिखए

२० एकर बाईट िकस कहत ह

२१ टलीिवजन समाचारो म एकर बाईट कयो जररी ह

२२ मिित माधयम को ःथायी माधयम कयो कहा जाता ह

22

२३ िकनही दो समाचार चनलो क नाम िलिखए | २४ इटरनट पऽकािरता क लोकिय होन क कया कारण ह

२५ भारत क िकनही चार समाचार-पऽो क नाम िलिखए जो इटरनट पर उपलबध ह

२६ पऽकािरता की भाषा म बीट िकस कहत ह

२७ िवशष िरपोटर क दो कारो का उललख कीिजए | २८ िवशष लखन क िकनही दो कारो का नामोललख कीिजए | २९ िवशष िरपोटर क लखन म िकन बातो पर अिधक बल िदया जाता ह

३० बीट िरपोटरर िकस कहत ह

३१ िरपोटर लखन की भाषा की दो िवशषताए िलिखए | ३२ सपादकीय क साथ सपादन-लखक का नाम कयो नही िदया जाता

३३ सपादकीय लखन कया होता ह

अथवा

सपादकीय स कया तातपयर ह

३४ सपादक क दो मख उततरदाियतवो का उललख कीिजए | ३५ ऑप-एड पषठ िकस कहत ह

३६ नयजपग कया ह

३७ आिडएस स आप कया समझत ह

३८ इलकशोिनक मीिडया कया ह

३९ काटरन कोना कया ह

४० भारत म िनयिमत अपडट साइटो क नाम बताइए ४१ कमपयटर क लोकिय होन का मख कारण बताइए ४२ िवजञापन िकस कहत ह

४३ फीडबक स कया अिभाय ह

४४ जनसचार स आप कया समझत ह

४५ समाचार और फीचर म कया अतर ह

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(ख)आलखिरपोटर ndash िनधारिरत अक५

आलख आलख-लखन हत महततवपणर बात

१ िकसी िवषय पर सवारगपणर जानकारी जो तथयातमक िवशलषणातमक अथवा िवचारातमक हो आलख कहलाती ह |

२ आलख का आकार सिकषपत होता ह | ३ इसम िवचारो और तथयो की ःपषटता रहती ह य िवचार बमबदध रप म होन चािहए| ४ िवचार या तथय की पनरावितत न हो | ५ आलख की शली िववचन िवशलषण अथवा िवचार-धान हो सकती ह | ६ जवलत मददो समःयाओ अवसरो चिरऽ पर आलख िलख जा सकत ह | ७ आलख गभीर अधययन पर आधािरत ामािणक रचना होती ह |

नमना आलख शर का घर िजमकाबरट नशनल पाकर ndash जगली जीवो की िविभनन जाितयो को सरकषण दन तथा उनकी सखया को बढान क उददय स िहमालय की तराई स लग उततराखड क पौड़ी और ननीताल िजल म भारतीय महादवीप क पहल राषटरीय अभयारणय की ःथापना िसदध अगरजी लखक िजम काबरट क नाम पर की गई | िजम काबरट नशनल पाकर ननीताल स एक सौ पनिह िकलोमीटर और िदलली स २९० िकलोमीटर दर ह यह अभयारणय पाच सौ इककीस िकलोमीटर कषऽ म फला ह | नवमबर स जन क बीच यहा घमन-िफरन का सवोरततम समय ह | यह अभयारणय चार सौ स गयारह सौ मीटर की ऊचाई पर ह | िढकाला इस पाकर का मख मदानी ःथल ह और काडा सबस ऊचा ःथान ह| जगल जानवर पहाड़ और हरी-भरी वािदयो क वरदान स िजमकाबरट पाकर दिनया क अनठ पाकोर म ह | रायल बगाल टाइगर और एिशयाई हाथी पसदीदा घर ह | यह एिशया का सबस पहला सरिकषत जगल ह | राम गगा नदी इसकी जीवन-धारा ह | यहा एक सौ दस तरह क पड़-पौध पचास तरह क ःतनधारी जीव पचचीस जाितयो क सरीसप और छह सौ तरह क रग-िवरग पकषी ह | िहमालयन तदआ िहरन भाल जगली कतत भिड़य बदर लगर जगली भस जस जानवरो स यह जगल आबाद ह | हर वषर लाखो पयरटक यहा आत ह | शाल वकषो स िघर लब-लब वन-पथ और हर-भर घास क मदान इसक ाकितक सौदयर म चार चाद लगा दत ह | िनमनिलिखत िवषयो पर आलख िलिखए-

bull बढ़ती आबादी दश की बरबादी bull सादाियकसदभावना bull कजर म डबा िकसान

bull आतकवाद की समःया

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bull डॉकटर हड़ताल पर मरीज परशान

bull वतरमान परीकषा-णाली

bull बजट और बचत

bull शिकत सयम और साहस

bull िरशवत का रोग

bull सपना सच हो अपना

िरपोटरितवदन िरपोटरितवदन का सामानय अथर सचनाओ क तथयपरक आदान-दान को िरपोटर या िरपोिटरग कहत ह | ितवदन इसका िहदी रपातरण ह | िरपोटर िकसी सःथा आयोजन या कायरबम की तथयातमक जानकारी ह | बड़ी-बड़ी कपिनया अपन अशधारको को वािषरक अदधरवािषरक गित िरपोटर भजा करती ह| िरपोटर क गण

bull तथयो की जानकारी ःपषट सटीक ामािणक हो | bull सःथा िवभाग क नाम का उललख हो | bull अधयकष आिद पदािधकािरयो क नाम | bull गितिविधया चलानवालो क नाम | bull कायरबम का उददय | bull आयोजन-ःथल िदनाक िदन तथा समय | bull उपिःथत लोगो की जानकारी | bull िदए गए भाषणो क मख अश | bull िलय गए िनणरयो की जानकारी | bull भाषा आलकािरक या सािहितयक न हो कर सचनातमक होनी चािहए | bull सचनाए अनयपरष शली म दी जाती ह | म या हम का योग नही होता | bull सिकषपतता और बिमकता िरपोटर क गण ह | bull नई बात नए अनचछद स िलख | bull ितवदक या िरपोटरर क हःताकषर |

िनमनिलिखत िवषयो पर िरपोटर तयार कीिजए- १ पजा-ःथलो पर दशरनािथरयो की अिनयिऽत भीड़

२ दश की महगी होती वयावसाियक िशकषा ३ मतदान कनि का दय

४ आए िदन होती सड़क दघरटनाए

५ आकिःमक बाढ़ स हई जनधन की कषित

६फीचर लखन- िनधारिरत अक५ समकालीन घटना तथा िकसी भी कषऽ िवशष की िविशषट जानकारी क सिचऽ तथा मोहक

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िववरण को फीचर कहत ह |फीचर मनोरजक ढग स तथयो को ःतत करन की कला ह | वःतत फीचर मनोरजन की उगली थाम कर जानकारी परोसता ह| इस कार मानवीय रिच क िवषयो क साथ सीिमत समाचार जब चटपटा लख बन जाता ह तो वह फीचर कहा जाता ह | अथारत- जञान + मनोरजन = फीचर | फीचर म अतीत वतरमान और भिवय की रणा होती ह | फीचर लखक पाठक को वतरमान दशा स जोड़ता ह अतीत म ल जाता ह और भिवय क सपन भी बनता ह | फीचर लखन की शली िविशषट होती ह | शली की यह िभननता ही फीचर को समाचार आलख या िरपोटर स अलग ौणी म ला कर खडा करती ह | फीचर लखन को अिधक ःपषट रप स समझन क िलए िनमन बातो का धयान रख ndash

१ समाचार साधारण जनभाषा म ःतत होता ह और फीचर एक िवशष वगर व िवचारधारा पर क िित रहत हए िविशषट शली म िलखा जाता ह |

२ एक समाचार हर एक पऽ म एक ही ःवरप म रहता ह परनत एक ही िवषय पर फीचर अलग-अलग पऽोम अलग-अलग ःतित िलय होत ह | फीचर क साथ लखक का नाम रहता ह |

३ फीचर म अितिरकत साज-सजजा तथयो और कलपना का रोचक िमौण रहता ह | ४ घटना क पिरवश िविवध ितिबयाए वउनक दरगामी पिरणाम भी फीचर म रहा करत

ह | ५ उददय की दिषट स फीचर तथयो की खोज क साथ मागरदशरन और मनोरजन की दिनया

भी ःतत करता ह | ६ फीचर फोटो-ःतित स अिधक भावशाली बन जाता ह |

नमना फीचर िपयककड़ तोता

सगत का असर आता ह िफर चाह वह आदमी हो या तोता | िटन म एक तोत को अपन मािलक की सगत म शराब की ऐसी लत लगी िक उसन घर वालो और पड़ोिसयो का जीना बहाल कर िदया | जब तोत को सधारन क सार हथकड फल हो गए तो मजबरन मािलक को ही शराब छोड़नी पड़ी | माकर बटोिकयो न अीकी जाित का तोता मिलरन पाला| माकर यदा-कदा शराब पी लत | िगलास म बची शराब मिलरन चट कर जाता | धीर-धीर मिलरन की तलब बढ़न लगी| वह वकत-बवकत शराब मागन लगा |-------------------------------

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िनमनिलिखत िवषयो पर फ़ीचरिलिखए bull चनावी वायद

bull महगाई क बोझतल मजदर bull वाहनो की बढ़ती सखया bull विरषठ नागिरको क ित हमारा नजिरया bull िकसान का एक िदन

bull बाित क ःवपन-िषटा अबदलकलाम

bull िबकट का नया सःकरण टवटी-टवटी

bull बहतर ससाधन बन सकती ह जनसखया

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अधययन-साममी

ककषा दवादश- िहदी (क ििक)

पदय खड

इस खड स तीन कार क शन पछ जाएग ndash

शन -७ िदए गए कावयाश म स अथर महण सबधी चार शन- २४ = ८ अक

शन ८ - िदए गए कावयाश म स सौदयर-बोध सबधी तीन शन -२३= ६ अक

शन ९ -िवषय-वःत पर आधािरत तीन शनो म स दो शनो क उततर -३२=६ अक

अिधक अक-ािपत हत धयान दन योगय बात -

bull किव किवता का नाम एक दो वाकयो म सगिठत सग या पिकतयो का सार अिनवायर रप स याद होना चािहए

bull वतरनी एव वाकय गठन की अशिदधया ० ( जीरो) रखन क िलए उततरो का िलिखत अभयास अिनवायर ह

bull तीन अक क शन क उततर म अिनवायरत तीन िवचार-िबद शीषरक बना कर रखािकत करत हए बमबदध रप स उततर िलखा जाना चािहए अनय शनो क उततरो म भी इसी कार अको क अनसार िवचार-िबदओ की सखया होनी चािहए

bull समय पर पणर शन-पऽ हल करन क िलए उततरो क मखय िबद बम स याद होन चािहए bull उततरो क िवचार-िबनदओ एव वाकयो का िनिशचत बम होना चािहए जो पहल स उततर याद

िकए िबना सभव नही होता

bull कावय-सोदयर सबधी शनो म अलकार छद आिद िवशषताए किवता म स उदाहरण अश िलख कर ःपषट की जानी चािहए

bull भाव-सामय क रप म अथर स िमलती-जलती अनय किवयो की पिकतया िलखना उपयकत ह

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bull किव एव किवता की प ठभिम िशकषक की सहायता स अिनवायर रप स समझ ल | उपयकत ःथान पर इस उततर म सकितत भी कर

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1 किवता ndash आतम पिरचय

हिरवश राय बचचन

OcircआतमपिरचयOtilde- Ocircिनशा िनमऽणOtilde गीत-समह का एक गीत

सार -

१ ःवय को जानना दिनया को जानन स अिधक किठन भी ह और आवयक भी

२ वयिकत क िलए समाज स िनरपकष एव उदासीन रहना न तो सभव ह न ही उिचत ह दिनया अपन वयगय बाणो शासन ETHशासन स चाह िकतना कषट द पर दिनया स कट कर वयिकत अपनी पहचान नही बना सकता पिरवश ही वयिकत को बनाता ह ढालता ह

३ इस किवता म किव न समाज एव पिरवश स म एव सघषर का सबध िनभात हए जीवन म सामजःय ःथािपत करन की बात की ह

४ छायावादोततर गीित कावय म ीित-कलह का यह िवरोधाभास िदखाई दता ह वयिकत और समाज का सबध इसी कार म और सघषर का ह िजसम किव आलोचना की परवाह न करत हए सतलन ःथािपत करत हए चलता ह

५ Ocircनादान वही ह हाय जहा पर दानाOtilde पिकत क माधयम स किव सतय की खोज क िलए अहकार को तयाग कर नई सोच अपनान पर जोर द रहा ह

कावय-खड पर आधािरत दो कार क शन पछ जाएग ETH अथरमहण-सबधी एव सौदयर-बोध-सबधी

अथरमहण-सबधी शन

1‐ म जग-जीवन का भार िलए िफरता ह

िफर भी जीवन म पयार िलए िफरता ह

कर िदया िकसी न झकत िजनको छकर

म सासो क दो तार िलए िफरता ह

शन १-किव अपन हदय म कया - कया िलए िफरता ह

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उततर- किव अपन सासािरक अनभवो क सख - दख हदय म िलए िफरता ह

शन २- किव का जग स कसा िरता ह

उततर- किव का जगजीवन स खटटामीठा िरता ह

शन३- पिरवश का वयिकत स कया सबध ह म सासो क दो तार िलए िफरता ह क माधयम स किव कया कहना चाहता ह

उततर- ससार म रह कर ससार स िनरपकषता सभव नहीह कयोिक पिरवश म रहकर ही वयिकत की पहचान बनती हउसकी अिःमता सरिकषत रहती ह

शन४- िवरोधो क बीच किव का जीवन िकस कार वयतीत होता ह

उततर-दिनया क साथ सघषरपणर सबध क चलत किव का जीवन-िवरोधो क बीच सामजःय करत हए वयतीत होता ह

सौदयर-बोध सबधी शन

ldquo म ःनह-सरा का पान िकया करता ह

म कभी न जग का धयान िकया करता ह

जग पछ रहा उनको जो जग की गात

म अपन मन का गान िकया करता हrdquo

शन १- किवता की इन पिकतयो स अलकार छाट कर िलिखए|

उततर -ःनह- सराndash रपक अलकार

शन २- किवता म यकत महावर िलिखए -

उततर -Ocircजग पछ रहाOtildesbquo Ocircजग की गातOtildesbquo Ocircमन का गानOtilde आिद महावरो का योग

शन३- किवता म यकत शली का नाम िलख |

उततर - गीित-शली

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किवता

आतम-पिरचय

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१-किव कौन-कौन-सी िःथितयो म मःत रहता ह और कयो

उततर- किव सासािरक सख-दख की दोनो पिरिःथितयो म मगन रहता ह उसक पास म की सातवना दाियनी अमलय िनिध ह

शन२-किव भव-सागर स तरन क िलए कया उपाय अपना रहा ह

उततर- ससार क कषटो को सहत हए हम यह धयान रखना चािहए िक कषटो को सहना पड़गा इसक िलए मनय को हस कर कषट सहना चािहए

शन३-Otildeअपन मन का गानOtilde का कया आशय ह

उततर- ससार उन लोगो को आदर दता ह जो उसकी बनाई लीक पर चलत ह परत किव कवल वही कायर करता ह जो उसक मन बिदध और िववक को अचछा लगता ह

शन४- Otildeनादान वही ह हाय जहा पर दानाOtilde का कया आशय ह

उततर- जहा कही मनय को िवदवतता का अहकार ह वाःतव म वही नादानी का सबस बड़ा लकषण ह

शन५- Otildeरोदन म रागOtilde कस सभव ह

उततर- किव की रचनाओ म वयकत पीड़ा वाःतव म उसक हदय म मानव माऽ क ित वयापत म का ही सचक ह

शन६- म फट पड़ा तम कहत छद बनानाrdquo का अथर ःपषट कीिजए

उततर- किव की ौषठ रचनाए वाःतव म उसक मन की पीड़ा की ही अिभवयिकत ह िजनकी सराहना ससार ौषठ सािहतय कहकर िकया करता ह

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किवता

िदन जलरदी जलदी ढलता ह

ःतत किवता म किव बचचन कहत ह िक समय बीतत जान का एहसास हम लआय-ािपत क िलए यास करन क िलए िरत करता ह

मागर पर चलन वाला राही यह सोचकर अपनी मिजल की ओर कदम बढ़ाता ह िक कही राःत म ही रात न हो जाए

पिकषयो को भी िदन बीतन क साथ यह एहसास होता ह िक उनक बचच कछ पान की आशा म घोसलो स झाक रह होग यह सोचकर उनक पखो म गित आ जाती ह िक व जलदी स अपन बचचो स िमल सक

किवता म आशावादी ःवर हगतवय का ःमरण पिथक क कदमो म ःफितर भर दता हआशा की िकरण जीवन की जड़ता को समापत कर दती ह वयिकतक अनभित का किव होन पर भी बचचन जी की रचनाए िकसी सकारातमक सोच तक ल जान का यास ह

अथरमहण-सबधी शन

बचच तयाशा म होग

नीड़ो स झाक रह होग यह धयान परो म िचिड़या क

भरता िकतनी चचलता हrdquo शन १ -पथ और रात स कया तातपयर ह

उततर -जीवन रपी पथ म मतय रपी रात स सचत रहन क िलए कहा गया ह

शन२ -पिथक क परो की गित िकस कार बढ़ जाती ह

उततर -मिजल क पास होन का अहसासsbquo वयिकत क मन म ःफितर भर दता ह

शन३ -िचिड़या की चचलता का कया कारण ह

उततर -िचिड़या क बचच उसकी तीकषा करत होग यह िवचार िचिड़या क पखो म गित भर कर उस चचल बना दता ह

शन४ -यासो म तजी लान क िलए मनय को कया करना चािहए

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उततर - यासो म तजी लान क िलए मनय को जीवन म एक िनिशचत मधर लआय ःथािपत करना चािहए

2 पतग

आलोक धनवा

पतग किवता म किव आलोक धनवा बचचो की बाल सलभ इचछाओ और उमगो तथा कित क साथ उनक रागातमक सबधो का अतयत सनदर िचऽण िकया हभादो मास गजर जान क बाद शरद ऋत का आगमन होता हचारो ओर काश फल जाता हसवर क सयर का काश लाल चमकीला हो जाता हशरद ऋत क आगमन स उतसाह एव उमग का माहौल बन जाता ह

शरद ऋत का यह चमकीला इशारा बचचो को पतग उड़ान क िलए बलाता ह और पतग उड़ान क िलए मद मद वाय चलाकर आकाश को इस योगय बनाता ह िक दिनया की सबस हलक रगीन कागज और बास की सबस पतली कमानी स बनी पतग आकाश की ऊचाइयो म उड़ सकlsquoबचचो क पावो की कोमलता स आकिषरत हो कर मानो धरती उनक पास आती ह अनयथा उनक पाव धरती पर पड़त ही नही| ऐसा लगता ह मानो व हवा म उड़त जा रह हपतग उड़ात समय बचच रोमािचत होत ह |एक सगीतमय ताल पर उनक शरीर हवा म लहरात हव िकसी भी खतर स िबलकल बखबर होत हबाल मनोिवजञान बाल िबयाndash कलापो एव बाल सलभ इचछाओ का सदर िबबो क माधयम स अकन िकया गया ह

सौदयर-बोध सबधी शन

Ocircजनम स ही लात ह अपन साथ कपासOtilde-

Ocircिदशाओ को मदग की बजात हएOtilde

Ocircऔर भी िनडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हOtilde

Ocircछतो को और भी नरम बनात हएOtilde

Ocircजब व पग भरत हए चल आत ह

डाल की तरह लचील वग स अकसरOcirc

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शन १- Ocircजनम स ही लात ह अपन साथ कपासOtilde-

इस पिकत की भाषा सबधी िवशषता िलिखए |

उततर - इस पिकत की भाषा सबधी िवशषता िनमनिलिखत ह -

नए तीको का योग -कपास-कोमलता

शन२- इस पिकत म यकत लाकषिणक अथर को ःपषट कीिजए|

उततर - लाकषिणकता -Ocircिदशाओ को मदग की बजात हएOtilde-सगीतमय वातावरण की सिषट

शन३ - सनहला सरज तीक का अथर िलख |

उततर - सनहल सरज क सामन ETH िनडर उतसाह स भर होना

3 किवता क बहान

कवर नारायण

कवर नारायणकी रचनाओ म सयमsbquo पिरकार एव साफ सथरापन हयथाथर का कलातमक सवदनापणर िचऽण उनकी रचनाओ की िवशषता हउनकी रचनाए जीवन को समझन की िजजञासा ह यथाथरndash ािपत की घोषणा नहीवयिकतक एव सामािजक तनाव वयजनापणर ढ़ग स उनकी रचनाओ म ःथान म पाता हःतत किवता म किवतव शिकत का वणरन ह किवता िचिड़या की उड़ान की तरह कलपना की उड़ान ह लिकन िचिड़या क उड़न की अपनी सीमा ह जबिक किव अपनी कलपना क पख पसारकर दश और काल की सीमाओ स पर उड़ जाता ह

फल किवता िलखन की रणा तो बनता ह लिकन किवता तो िबना मरझाए हर यग म अपनी खशब िबखरती रहती ह

किवता बचचो क खल क समान ह और समय और काल की सीमाओ की परवाह िकए िबना अपनी कलपना क पख पसारकर उड़न की कला बचच भी जानत ह

bull मानवी िबबो क माधयम स कावय रचनाndash िबया को ःतत िकया गया ह bull किवता म िचिड़या फल और बचच क तीको क माधयम स बचच की रचनातमक ऊजार

की तलना किवता-रचना स की गई ह िचिड़या की उड़ान फल का िवकास अपनी सीमा म आबदध ह परनत किव की कलपना शिकत एव बालक क ःवपन व ऊजार असीम ह

35

bull सािहतय का महतवsbquo ाकितक सौनदयर की अपकषा मानव क भाव-सौनदयर की ौषठता का ितपादन िकया गया ह

किवता की उड़ान ह िचिड़या क बहान

किवता की उड़ान भला िचिड़या कया जान

बाहर भीतर

इस घर उस घर

किवता क पख लगा उड़न क मान

िचिड़या कया जान

शन १- इन पिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िलिखए |

उततर - इन पिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िनमनिलिखत ह -

१ नए तीक -िचिड़याsbquo

२ महावरो का सटीक योग ndashसब घर एक कर दनाsbquo किव की कलपना की उवरर शिकत िजसका योग करन म किव जमीन-आसमान एक कर दता ह |

शन २ किवता की उड़ान ETHका लाकषिणक अथर ःपषट कीिजए |

उततर -कावय की सआम अथर िनरपण शिकत किव की कलपना का िवःतार

शन - किवता क पख िकसका तीक ह

उततर -किव की कलपना शिकत का |

36

3 किवता क बहान

कवर नारायण

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१-िचिड़या की उड़ान एव किवता की उड़ान म कया समानता ह

उततर -उपकरणो की समानता - िचिड़या एक घोसल का सजन ितनक एकऽ करक करती ह| किव भी उसी कार अनक भावो एव िवचारो का समह करक कावय रचना करता ह

कषमता की समानता - िचिड़या की उड़ान और किव की कलपना की उड़ान दोनो दर तक जाती ह|

शन२ - किवता की उड़ान िचिड़या की समझ स पर कयो ह

उततर - किवता की उड़ान िचिड़या की उड़ान स कही अिधक सआम और महततवपणर होती ह

शन३ -ldquoफल मरझा जात ह पर किवता नहीrdquo कयो ःपषट कीिजए

उततर - किवता कालजयी होती ह उसका मलय शाशवत होता ह जबिक फल बहत जलदी कमहला जात ह

शन४ -ldquoबचच की उछल-कद सब घर एक कर दनाrsquo एव lsquoकिव का किवता िलखनाrsquo दोनो म कया समानता एव िवषमता ह

उततर -बचचा खल-खल म घर का सारा सामान अःतवयःत कर दता ह सब कछ टटोलता ह एक ःथान पर एकऽ कर लता ह कावरय रचना-िबया म किव भी परा मानव जीवन खगाल लता ह एक जगह िपरोता ह पर िफर भी दोनो क यासो म बाल-िबयाओ का आनद किव नही समझ सकता

किवता ndash बात सीधी थी पर

ःतत किवता म भाव क अनरप भाषा क महततव पर बल िदया गया ह

किव कहत ह िक एक बार वह सरल सीध कथय की अिभवयिकत म भी भाषा क चककर म ऐसा फस गया िक उस कथय ही बदला -बदला सा लगन लगा किव कहता ह िक िजस कार जोर

37

जबरदःती करन स कील की चड़ी मर जाती ह और तब चड़ीदार कील को चड़ीिवहीन कील की तरह ठोकना पड़ता ह उसी कार कथय क अनकल भाषा क अभाव म भावहीन भाषा म भाव को अिभवयिकत िकया जाता ह

अत म भाव न एक शरारती बचच क समान किव स पछा िक तन कया अभी तक भाषा का ःवाभािवक योग नही सीखा

bull इस किवता म भाषा की स षण-शिकत का महततव दशारया गया ह bull किऽमता एव भाषा की अनावयक पचचीकारी स भाषा की पकड़ कमज़ोर हो जाती ह शबद अपनी अथरवतता खो बठता ह bull उनकी किवता म वयथर का उलझाव अखबारी सतहीपन और वचािरक धध क बजाय

सयम पिरकार और साफ़-सथरापन ह

आिखरकार वही हआ िजसका मझ डर था

ज़ोर ज़बरदःती स

बात की चड़ी मर गई

और वह भाषा म बकार घमन लगी

हार कर मन उस कील की तरह ठोक िदया

ऊपर स ठीकठाक

पर अदर स

न तो उसम कसाव था

न ताकत

बात न जो एक शरारती बचच की तरह

मझस खल रही थी

मझ पसीना पोछत दखकर पछा ndash

कया तमन भाषा को

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सहिलयत स बरतना कभी नही सीखा

शन१- इनपिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िलिखए |

उततर - इनपिकतयो की भाषा सबधी िवशषताए िनमनिलिखतह -

१ िबब महावरो का योग

२ नए उपमान

शन २ कावयाश म आए महावरो का अथर ःपषट कीिजए|

उततर -

bull िबब महावरो का अथर - बात की चड़ी मर जाना ETHबात म कसावट न होना

बात का शरारती बचच की तरह खलना ETHबात का पकड़

म न आना

पच को कील की तरह ठोक दना ETHबात का भावहीन

हो जाना

शन ३ - कावयाश म आएउपमानो को ःपषट कीिजए|

उततर-

नए उपमान ndash अमतर उपमय भाषा क िलए मतर उपमान कील का योग बात क िलए शरारती बचच का उपमान

किवताndash

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बात सीधी थी पर

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन १ - भाषा क चककर म बात कस फस जाती ह

उततर -आडबरपणर भाषा का योग करन स बात का अथर समझना किठन हो जाता ह

शन२ - भाषा को अथर की पिरणित तक पहचान क िलए किव कया कया यास करत ह

उततर - भाषा को अथर की पिरणित तक पहचान क िलए किव उस नाना कार क अलकरणो स

सजाता ह कई कार क भाषा और अलकार सबधी योग करता ह

शन३- भाषा म पच कसना कया ह

उततर -भाषा को चामतकािरक बनान क िलए िविभनन योग करना भाषा म पच कसना ह

परत इसस भाषा का पच जयादा कस जाता ह अथारत कथय एव शबदो म कोई तालमल नही बठता बात समझ म ही नही आती

शन४- किव िकस चमतकार क बल पर वाहवाही की उममीद करता ह

उततर -किव शबदो क चामतकािरक योग क बल पर वाहवाही की उममीद करता ह

शन५-बात एव शरारती बचच का िबब ःपषट कीिजए

उततर -िजस कार एक शरारती बचचा िकसी की पकड़ म नही आता उसी कार एक उलझा दी गई बात तमाम कोिशशो क बावजद समझन क योगय नही रह जाती चाह उसक िलए िकतन यास िकए जाएवह एक शरारती बचच की तरह हाथो स िफसल जाती ह

४ कमर म बद अपािहज

रघवीर सहाय

अथर-महण-सबधी शन

हम दरदशरन पर बोलग

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हम समथर शिकतवान

हम एक दबरल को लाएग

एक बद कमर म

उसस पछ ग तो आप कया अपािहज ह

तो आप कयो अपािहज ह

शन १- Ocircहम दरदशरन पर बोलग हम समथर शिकतवानOtilde-का िनिहत अथर ःपषट कीिजए |

उततर - इन पिकतयो म अह की धविनत अिभवयिकत ह sbquo पऽकािरता का बढ़ता वचरःव दशारया गया ह

शन२- हम एक दबरल को लाएगndash पिकत का वयगयाथर ःपषट कीिजए |

उततर - पऽकािरता क कषऽ म करणा का खोखला दशरन एक पिरपाटी बन गई ह|

शन३- आप कया अपािहज ह

तो आप कयो अपािहज ह पिकत दवारा किव िकस िविशषट अथर की अिभवयिकत करन म सफल हआ ह

उततर - पऽकािरता म वयावसाियकता क चलत सवदनहीनता बढ़ती जा रही ह | यहा अपिकषत उततर ापत करन का अधयर वयकत हआ ह

सौदयर-बोध-महण सबधी अनय शन

शन १- इन पिकतयो का लाकषिणक अथर ःपषट कीिजए |

िफर हम परद पर िदखलाएग

फली हई ऑख की एक बड़ी तःवीर

बहत बड़ी तःवीर

और उसक होठो पर एक कसमसाहट भी

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उततर- - लाकषिणक अथर - दय माधयम का योग कलातमक कावयातमक साकितक ःतित का माऽ िदखावा

कमरा बस करो

नही हआ

रहन दो

लाकषिणक अथर - वयावसाियक उददय परा न होन की खीझ

परद पर वकत की कीमत ह ndash

लाकषिणक अथर -- सऽ वाकय sbquoबर वयावसाियक उददय का उदघाटन

शन२ - रघवीर सहाय की कावय कला की िवशषताए िलिखए |

उततर - रघवीर सहाय की कावय कला की िवशषताएिनमनिलिखत ह -

bull कहानीपन और नाटकीयता

bull बोलचाल की भाषा क शबदःndash बनान क वाःतsbquo सग रलान ह bull साकितकताndash परद पर वकत की कीमत ह bull िबब ndashफली हई आख की एक बड़ी तःवीर

कमर म बद अपािहज

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- दरदशरन पर एक अपािहज का साकषातकार िकस उददय स िदखाया जाता ह

उततर -दरदशरन पर एक अपािहज का साकषातकारsbquo वयावसाियक उददयो को परा करन क िलए िदखाया जाता ह

शन२- अध को अधा कहना िकस मानिसकता का पिरचायक ह

उततर -अध को अधा कहनाsbquo बर और सवदनाशनय मानिसकता का पिरचायक ह

शन३ -किवता म यह मनोवित िकस कार उदघािटत हई ह

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उततर - दरदशरन पर एक अपािहज वयिकत को दशरन की वःत मान कर उसक मन की पीड़ा को करदा जाता हsbquo साकषातकारकतरता को उसक िनजी सखदख स कछ लनादना नही होता ह

शन४ -lsquoहम समथर शिकतवान एव हम एक दबरल को लाएगrsquo म िनिहताथर ःपषट कीिजए

उततर -साकषातकारकतार ःवय को पणर मान करsbquo एक अपािहज वयिकत को दबरल समझन का अहकार पाल हए ह

शन५- अपािहज की शबदहीन पीड़ा को मीिडयाकमीर िकस कार अिभवयकत कराना चाहता ह

उततर -मीिडयाकमीर अपािहज की लाल सजी हई ऑखो कोsbquo पीड़ा की साकितक अिभवयिकत क रप म ःतत करना चाहता ह

शन६-कयामीिडयाकमीर सफल होता हsbquo यिद नही तो कयो

उततर -मीिडयाकमीर सफल नही होता कयो िक सारण समय समापत हो जाता ह और सारण समय क बाद यिद अपािहज वयिकत रो भी दता तो उसस मीिडयाकमीर का वयावसाियक उददय परा नही हो सकता था उसिलए अब उस अपािहज वयिकत क आसओ म कोई िदलचःपी नही थी

शन७- नाटकीय किवता की अितम पिरणित िकस रप म होती ह

उततर -बार बार यास करन पर भी मीिडयाकमीरsbquo अपािहज वयिकत को रोता हआ नही िदखा पातावह खीझ जाता ह और िखिसयानी मःकराहट क साथ कायरबम समापत कर दता ह |Otildeसामािजक उददय स यकत कायरबमOtildeशबदो म वयगय ह कयोिक मीिडया क छदम वयावसाियक उददय की पितर नही हो पाती |

शन८ -lsquoपरद पर वकत की कीमत हrsquo म िनिहत सकताथर को ःपषट कीिजए

उततर -सारण समय म रोचक साममी परोस पाना ही मीिडया किमरयो का एकमाऽ उददय होता हअनयथा उनक सामािजक सरोकार माऽ एक िदखावा ह

5 सहषर ःवीकारा ह

गजानन माधव मिकतबोध

सार

43

bull किवता म जीवन क सखndash दखsbquo सघषरndash अवसादsbquo उठाndash पटक को समान रप स ःवीकार करन की बात कही गई ह

bull ःनह की गाढ़ता अपनी चरम सीमा पर पहच कर िवयोग की कलपना माऽ स ऽःत हो उठती ह

bull मालबन अथारत ियजन पर यह भावपणर िनभररताsbquo किव क मन म िवःमित की चाह उतपनन करती हवह अपन िय को पणरतया भल जाना चाहता ह |

bull वःततः िवःमित की चाह भी ःमित का ही रप ह यह िवःमित भी ःमितयो क धधलक स अछती नही हिय की याद िकसी न िकसी रप म बनी ही रहती ह|

bull परत किव दोनो ही पिरिःथितयो को उस परम सतता की परछाई मानता हइस पिरिःथित को खशी ETHखशी ःवीकार करता ह |दःख-सख सघषर ETHअवसाद उठा ETHपटक िमलन-िबछोह को समान भाव स ःवीकार करता ह|िय क सामन न होन पर भी उसक आस-पास होन का अहसास बना रहता ह|

bull भावना की ःमित िवचार बनकर िवशव की गितथया सलझान म मदद करती ह| ःनह म थोड़ी िनःसगता भी जररी ह |अित िकसी चीज की अचछी नही |OtildeवहOtilde यहा कोई भी हो सकता ह िदवगत मा िय या अनय |कबीर क राम की तरह वडसरवथर की मातमना कित की तरह यह म सवरवयापी होना चाहता ह |

मःकाता चाद जयो धरती पर रात भर मझ पर तयो तमहारा ही िखलता वह चहरा ह

bull छायावाद क वतरक साद की लखनी स यह ःवर इस कार धविनत हआ ह ndash

दख की िपछली रजनी बीच िवकसता सख का नवल भात एक परदा यह झीना नील िछपाए ह िजसम सख गात यह किवता Ocircनई किवताOtilde म वयकत रागातमकता को आधयाितमकता क ःतर पर ःतत करती ह

अथरमहण-सबधी शन

िज़दगी म जो कछ भी ह

सहषर ःवीकारा ह इसिलए िक जो कछ भी मरा ह

वह तमह पयारा ह|

44

गरबीली गरीबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव िवचार सब

दढ़ता यहभीतर की सिरता यह अिभनव सब

मौिलक ह मौिलक ह

इसिलए िक पल-पल म जो कछ भी जामत ह अपलक ह-

सवदन तमहारा ह शन १- किव और किवता का नाम िलिखए|

उततर- किव- गजानन माधव मिकतबोध

किवताndash सहषर ःवीकारा ह

शन२- गरबीली गरीबीभीतर की सिरता आिद योगो का अथर ःपषट कीिजए |

उततर -गरबीली गरीबीndash िनधरनता का ःवािभमानी रप किव क िवचारो की मौिलकता अनभवो की गहराई दढ़ता हदय का म उसक गवर करन का कारण ह |

शन३ - किव अपन िय को िकस बात का ौय द रहा ह

उततर- िनजी जीवन क म का सबल किव को िवशव वयापी म स जड़न की रणा दता ह |अत किव इसका ौय अपन िय को दता ह |

45

सौदयर-बोध-महण सबधी शन

जान कया िरता ह जान कया नाता ह

िजतना भी उडलता ह भर ETHभर िफर आता ह

िदल म कया झरना ह

मीठ पानी का सोता ह

भीतर वह ऊपर तम

मःकाता चाद जयो धरती पर रात- भर

मझ पर तयो तमहारा ही िखलता वह चहरा ह |

शन१- किवता की भाषा सबधी दो िवशषताए िलिखए |

उततर- १-सटीक तीको

२- नय उपमानो का योग

शन२ - िदल म कया झरना ह

मीठ पानी का सोता ह - -क लाकषिणक अथर को ःपषट कीिजए |

उततर - िदल म कया झरना ह-हदय क अथाह म का पिरचायक

मीठ पानी का सोता ह -अिवरल कभी समापत होन वाला म

शन३- किवता म यकत िबब का उदाहरण िलिखए |

दय िबबndash मःकाता चाद जयो धरती पर रात भर मझ पर तमहारा ही िखलता वह चहरा

46

5 सहषर ःवीकारा ह

गजानन माधव मिकतबोध

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१-किव न िकस सहषर ःवीकारा ह

उततर- bull किवता म जीवन क सखndash दखsbquo सघषरndash अवसादsbquo उठाndash पटक को समान रप स ःवीकार

करन की बात कही गई ह bull िय स िबछड़ कर भी उसकी ःमितयो को वयापक ःतर पर ल जाकर िवशव चतना म

िमला दन की बात कही गई ह | शन२- किव को अपन अनभव िविशषट एव मौिलक कयो लगत ह

उततर- किव को अपनी ःवािभमानयकत गरीबी जीवन क गमभीर अनभव िवचारो का वभव वयिकततव की दढ़ता मन की भावनाओ की नदी यह सब नए रप म मौिलक लगत ह कयो िक उसक जीवन म जो कछ भी घटता ह वह जामत ह िवशव उपयोगी ह अत उसकी उपलिबध ह और वह उसकी िया की रणा स ही सभव हआ ह उसक जीवन का तयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई िदशा ही दता रहा ह |

शन३- ldquoिदल का झरनाrdquo का साकितक अथर ःपषट कीिजए

उततर-िजस कार झरन म चारो ओर की पहािड़यो स पानी इकटटठा हो जाता ह उस एक कभी खतम न होन वाल ॐोत क रप म योग िकया जा सकता ह उसी कार किव क िदल म िःथत म उमड़ता ह कभी समापत नही होता जीवन का िसचन करता ह| वयिकतगत ःवाथर स दर पर समाज क िलए जीवनदायी हो जाता ह |

शन४- lsquoिजतना भी उड़लता ह भर-भर िफर आता ह का िवरोधाभास ःपषट कीिजए

उततर-हदय म िःथत म की िवशषता यह ह िक िजतना अिधक वयकत िकया जाए उतना ही बढ़ता जाता ह

शन५- वह रमणीय उजाला कया ह िजस किव सहन नही कर पाता

47

उततर-किव न ियतमा की आभा सम क सखद भावो स सदव िघर रहन की िःथित को उजाल क रप म िचिऽत िकया ह इन ःमितयो स िघर रहना आनददायी होत हए भी किव क िलए असहनीय हो गया ह कयोिक इस आनद स विचत हो जान का भय भी उस सदव सताता रहता ह

6 उषा

शमशर बहादर िसह

सार

उषा किवता म सयोरदय क समय आकाश मडल म रगो क जाद का सनदर वणरन िकया गया ह सयोरदय क पवर ातःकालीन आकाश नील शख की तरह बहत नीला होता ह भोरकालीन नभ की तलना काली िसल स की गयी ह िजस अभी-अभी कसर पीसकर धो िदया गया ह कभी किव को वह राख स लीप चौक क समान लगता ह जो अभी गीला पड़ा ह नील गगन म सयर की पहली िकरण ऐसी िदखाई दती ह मानो कोई सदरी नील जल म नहा रही हो और उसका गोरा शरीर जल की लहरो क साथ िझलिमला रहा हो

ातकालीन पिरवतरनशील सौदयर का दय िबब ाकितक पिरवतरनो को मानवीय िबयाकलापो क माधयम स वयकत िकया गया ह यथाथर जीवन स चन गए उपमानो जस- राख स लीपा चौका काली िसलनीला शख ःलटलाल खिड़या चाक आिद का योग साद की कित ndashबीती िवभावरी जाग री स तलना की जा सकती ह

किवताndash उषा

अथर-महण-सबधी शन

ात नभ था बहत नीला शख जस

भोर का नभ

राख स लीपा चौका

(अभी गीला पड़ा ह ) बहत काली िसल ज़रा स लाल कसर

स िक जस धल गई हो ःलट पर या लाल खिड़या चाक

मल दी हो िकसी न

48

नील जल म या िकसी की

गौर िझलिमल दह

जस िहल रही हो | और

जाद टटता ह इस उषा का अब

सयोरदय हो रहा ह|

शन१ -उषा किवता म सयोरदय क िकस रप को िचिऽत िकया गया ह

उततर -किव न ातःकालीन पिरवतरनशील सौदयर का दय िबब मानवीय िबयाकलापो क माधयम स वयकत िकया ह

शन२ -भोर क नभ और राख स लीप गए चौक म कया समानता ह

उततर -भोर क नभ और राख स लीप गए चौक म यह समानता ह िक दोनो ही गहर सलटी रग क हपिवऽ ह नमी स यकत ह

शन३ - ःलट पर लाल पिकत का अथर ःपषट कीिजए|

उततर - भोर का नभ लािलमा स यकत ःयाही िलए हए होता ह | अत लाल खिड़या चाक स मली गई ःलट जसा तीत होता ह |

शन४- उषा का जाद िकस कहा गया ह

उततर िविवध रप रग बदलती सबह वयिकत पर जादई भाव डालत हए उस मऽ मगध कर दती ह |

सौदयर-बोध-सबधी िवशषताए

शन१- किवता म यकत उपमानो को ःपषट कीिजए

bull भोर का नभ राख स लीपा चौका दोनो ही गहर सलटी रग क हपिवऽ हनमी स यकत ह

49

bull काली िसल भोर का नभ और लालकसर स धली काली िसल दोनो ही लािलमा स यकत ह

bull काली िसलट जो लाल खिड़या चाक स मल दी गई हो और भोर का नभ दोनो ही लािलमा स यकत ह

bull ातः काल क ःवचछ िनमरल आकाश म सयर ऐसा तीत होता ह मानो नीलजल म कोई ःविणरम दह नहा रही हो

शन२- किवता की भाषा एव अिभवयिकत सबधी िवशषताए िलिखए

उततर -१ यथाथर जीवन स चन गए उपमान ndashराख स लीपा चौका

२ दयिबब

शन ३ किवता म आए अलकारो को छॉटकर िलिखए

उततर - उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लीपा चौका

उतकषा अलकार-

ldquo बहत काली िसल जरा स लाल कसर स िक जस धल गई हो

नील जल म या िकसी की

गौर िझलिमल दह

जस िहल रही हो ldquo

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- किवता क िकन उपमानो को दख कर कहा जा सकता ह िक उषा गाव की सबह का गितशील शबद िचऽ ह

उततर -किवता म नील नभ को राख स िलप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर िबब म उसकी तलना काली िसल स की गई ह| तीसर म ःलट पर लाल खिड़या चाक का उपमान ह|लीपा हआ आगन काली िसल या ःलट गाव क पिरवश स ही िलए गए ह |ात कालीन सौदयर बमश िवकिसत होता ह | सवर थम राख स लीपा चौका जो गीली राख क कारण गहर ःलटी रग का अहसास दता ह और पौ फटन क समय आकाश क गहर ःलटी रग स मल खाता

50

ह |उसक पशचात तिनक लािलमा क िमौण स काली िसल का जरा स लाल कसर स धलना सटीक उपमान ह तथा सयर की लािलमा क रात की काली ःयाही म घल जान का सदर िबब ःतत करता ह | धीर ETHधीर लािलमा भी समापत हो जाती ह और सबह का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर की ःविणरम आभा गौरवणीर दह क नील जल म नहा कर िनकलन की उपमा को साथरक िसदध करती ह | शन२ -

भोर का नभ

राख स लीपा चौका

(अभी गीला पड़ा ह ) नयी किवता म कोषठक िवराम िचहनो और पिकतयो क बीच का ःथान भी किवता को अथर दता ह |उपयरकत पिकतयो म कोषठक स किवता म कया िवशष अथर पदा हआ ह समझाइए |

उततर - नई किवता योग धमीर ह |इसम भाषा- िशलप क ःतर पर हर नए योग स अथर की अिभवयिकत की जाती ह|ाय कोषठक अितिरकत जञान की सचना दता ह|यहा अभी गीला पड़ा ह क माधयम स किव गीलपन की ताजगी को ःपषट कर रहा ह |ताजा गीलापन ःलटी रग को अिधक गहरा बना दता ह जबिक सखन क बाद राख हलक ःलटी रग की हो जाती ह|

7 बादल राग

सयरकात िऽपाठी िनराला

िनराला की यह किवता अनािमका म छह खडो म कािशत हयहा उसका छठा खड िलया गया ह|आम आदमी क दःख स ऽःत किव पिरवतरन क िलए बाित रपी बादल का आहवान करता ह |इस किवता म बादल बाित या िवपलव का तीक ह किव िवपलव क बादल को सबोिधत करत हए कहता ह िक जन मन की आकाकषाओ स भरी-तरी नाव समीर रपी सागर पर तर रही ह अिःथर सख पर दःख की छाया तरती िदखाई दती ह ससार क लोगो क हदय दगध ह(दःखी) उन पर िनदरयी िवपलव अथारत बाित की माया फली हई ह बादलो क गजरन स पथवी क गभर म सोए अकर बाहर िनकल आत ह अथारत शोिषत वगर सावधान हो जाता ह और आशा भरी दिषट स बाित की ओर दखन लगता ह उनकी आशा बाित पर ही िटकी ह बादलो की गजरना और मसलाधार वषार म बड़ -बड़ पवरत वकष घबरा जात हउनको उखड़कर िगर जान का भय होता ह |बाित की हकार स पजीपित घबरा उठत ह व िदल थाम कर रह जात ह बाित को तो छोट-

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छोट लोग बलात ह िजस कार छोट छोट पौध हाथ िहलाकर-बादलो क आगमन का ःवागत करत ह वस ही शोिषत वगर बाित क आगमन का ःवागत करता ह

छायावादी किव िनराला सामयवादी भाव स भी जड़ हमकत छद िहनदी को उनही की दन हशोिषत वगर की समःयाओ को समापत करन क िलए बाित रपी बादल का आहवान िकया गया ह

अथर-महण-सबधी शन

किवताndash

बादल राग

ितरती ह समीर-सागर पर

अिःथर सख पर दःख की छाया ndash

जग क दगध हदय पर

िनदरय िवपलव की पलािवत माया-

यह तरी रण-तरी

भरी आकाकषाओ स

घन भरी ETHगजरन स सजग सपत अकर

उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन की ऊचा कर िसर

ताक रह ह ऐ िवपलव क बादल

िफर ETHिफर

बार ETHबार गजरन

वषरण ह मसलधार

हदय थाम लता ससार

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सन- सन घोर वळ हकार |

अशिन पात स शाियत शत-शत वीर

कषत ETHिवकषत हत अचल शरीर

गगन- ःपशीर ःपदधार धीर |

शन१- किवता म बादल िकस का तीक हऔर कयो

उततर -बादलराग बाित का तीक ह इन दोनो क आगमन क उपरात िवशव हरा- भरा समदध और ःवःथ हो जाता ह

शन २ -सख को अिःथर कयो कहा गया ह

उततर -सख सदव बना नही रहता अतः उस अिःथर कहा जाता ह

शन३ -िवपलवी बादल की यदध रपी नौका की कया- कया िवशषताए ह

उततर -बादलो क अदर आम आदमी की इचछाए भरी हई हिजस तरह स यदरध नौका म यदध की साममी भरी होती हयदध की तरह बादल क आगमन पर रणभरी बजती ह सामानयजन की आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह

शन४ -बादल क बरसन का गरीब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह

उततर-बादल क बरसन स गरीब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन िवनाश की आशका स भयभीत हो उठता ह

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सौदयर-बोध-सबधी शन

हसत ह छोट पौध लघभार-

शःय अपार

िहल िहल

िखल िखल

हाथ िहलात

तझ बलात

िवपलव रव स छोट ही ह शोभा पात|

शन १- िनमन िलिखत तीको को ःपषट कीिजएndash छोट पौध सपत अकर

उततर - छोट पौध- शोिषत वगर सपत अकर- आशाए

शन२- Ocircहसत ह छोट पौधOtilde-का तीकाथर ःपषट कीिजए |

उततर -सनन िचतत िनधरन वगर जो बाित की सभावना माऽ स िखल उठता ह

शन३-Ocircछोट ही ह शोभा पातOtilde म िनिहत लाकषिणकता कया ह

उततर-बचपन म मनय िनिशचत होता ह िनधरन मनय उस बचच क समान ह जो बाित क समय भी िनभरय होता ह और अतत लाभािनवत होता ह

किवताndash

बादल राग

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- पजीपितयो की अटटािलकाओ को आतक भवन कयो कहा गया ह

उततर -बादलो की गजरना और मसलाधार वषार म बड़ -बड़ पवरत वकष घबरा जात हउनको उखड़कर िगर जान का भय होता ह |उसी कार बाित की हकार स पजीपित घबरा उठत ह व

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िदल थाम कर रह जात हउनह अपनी सपितत एव सतता क िछन जान का भय होता ह | उनकी अटटािलकाए मजबती का म उतपनन करती ह पर वाःतव म व अपन भवनो म आतिकत होकर रहत ह|

शन२- किव न िकसान का जो शबद-िचऽ िदया ह उस अपन शबदो म िलिखए |

उततर - िकसान क जीवन का रस शोषको न चस िलया ह आशा और उतसाह की सजीवनी समापत हो चकी ह |शरीर स भी वह दबरल एव खोखला हो चका ह | बाित का िबगल उसक हदय म आशा का सचार करता ह |वह िखलिखला कर बादल रपी बाित का ःवागत करता ह |

शन३- अशिन पात कया ह

उततर- बादल की गजरना क साथ िबजली िगरन स बड़ ETHबड़ वकष जल कर राख हो जात ह | उसी कार बाित की आधी आन स शोषक धनी वगर की सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह |

शन४- पथवी म सोय अकर िकस आशा स ताक रह ह

उततर - बादल क बरसन स बीज अकिरत हो लहलहान लगत ह | अत बादल की गजरन उनम आशाए उतपनन करती ह | व िसर ऊचा कर बादल क आन की राह िनहारत ह | ठीक उसी कार िनधरन वयिकत शोषक क अतयाचार स मिकत पान और अपन जीवन की खशहाली की आशा म बाित रपी बादल की तीकषा करत ह |

शन५- रदध कोष ह कषबदध तोष ETHिकसक िलए कहा गया ह और कयो

उततर - बाित होन पर पजीपित वगर का धन िछन जाता हकोष िरकत हो जाता ह | उसक धन की आमद समापत हो जाती ह | उसका सतोष भी अब Ocircबीत िदनो की बातOtilde हो जाता ह |

शन६- अिःथर सख पर दःख की छाया का भाव ःपषट कीिजए |

उततर - मानव-जीवन म सख सदा बना नही रहता ह उस पर दःख की छाया सदा मडराती रहती ह |

शन७- बादल िकस का तीक ह

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उततर - बादल इस किवता म बाित का तीक ह | िजस कार बादल कित िकसान और आम आदमी क जीवन म आनद का उपहार ल कर आता ह उसी कार बाित िनधरन शोिषत वगर क जीवन म समानता का अिधकार व सपननता ल कर आता ह

शन८- बादल को जीवन का पारावार कयो कहा गया ह

उततर - बाित रपी बादल का आगमन जीवनदायी सखद होता ह -पारावार अथारत सागर | वह जीवन म खिशयो का खजाना लकर आता ह | िनधरन वगर को समानता का अिधकार दता ह |सख समिदध का कारक बनकर अतयाचार की अिगन स मकत करता ह |

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8 किवतावली

तलसीदास

सार

ौीरामजी को समिपरत मनथ ौीरामचिरतमानस उततर भारत म बड़ भिकतभाव स पढ़ा जाता ह लआमण -मचछार और राम का िवलाप

रावण पऽ मघनाद दवारा शिकत बाण स मिछरत हए लआमण को दखकर राम वयाकल हो जात हसषण वदय न सजीवनी बटी लान क िलए हनमान को िहमालय पवरत पर भजाआधी रात वयतीत होन पर जब हनमान नही आएतब राम न अपन छोटभाई लआमण को उठाकर हदय स लगा िलया और साधारण मनय की भाित िवलाप करन लगराम बोल ह भाई तम मझ कभी दखी नही दख सकत थतमहारा ःवभाव सदा स ही कोमल थातमन मर िलए माता िपता को भी छोड़ िदया और मर साथ वन म सदीरगमीर और िविभनन कार की िवपरीत पिरिःथितयो को भी सहा|जस पख िबना पकषीमिण िबना सपर और सड िबना ौषठ हाथी अतयत दीन हो जात हह भाईयिद म जीिवत रहता ह तो मरी दशा भी वसी ही हो जाएगी

म अपनी पतनी क िलए अपन िय भाई को खोकर कौन सा मह लकर अयोधया जाऊगाइस बदनामी को भल ही सह लता िक राम कायर ह और अपनी पतनी को खो बठा सतरी की हािन िवशष कषित नही हपरनत भाई को खोना अपरणीय कषित ह

lsquoरामचिरतमानसrsquo क lsquoलका काडrsquo स गही लआमण को शिकत बाण लगन का सग किव की मािमरक ःथलो की पहचान का एक ौषठ नमना ह भाई क शोक म िवगिलत राम का िवलाप धीर -धीर लाप म बदल जाता ह िजसम लआमण क ित राम क अतर म िछप म क कई कोण सहसा अनावत हो जात हयह सग ईशवर राम म मानव सलभ गणो का समनवय कर दता ह | हनमान का सजीवनी लकर आ जाना करण रस म वीर रस का उदय हो जान क समान ह|

िवनय पिऽका एक अनय महततवपणर तलसीदासकत कावय ह

किवतत और सवया

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सार

इस शीषरक क अतगरत दो किवतत और एक सवया सकिलत ह lsquoकिवतावलीrsquo स अवतिरत इन किवततो म किव तलसी का िविवध िवषमताओ स मःत किलकालतलसी का यगीन यथाथर ह

िजसम व कपाल भ राम व रामराजय का ःवपन रचत ह यग और उसम अपन जीवन का न िसफर उनह गहरा बोध ह बिलक उसकी अिभवयिकत म भी व अपन समकालीन किवयो स आग ह यहा पाठ म ःतत lsquoकिवतावलीrsquo क छद इसक माण -ःवरप ह पहल छद rdquoिकसवी िकसान ldquo म उनहोन िदखलाया ह िक ससार क अचछ बर समःत-लीला पचो का आधार-lsquoपट की आगrsquoका गहन यथाथर ह िजसका समाधान व राम की भिकत म दखत ह दिरिजन की वयथा दर करन क िलए राम रपी घनयाम का आहवान िकया गया ह पट की आग बझान क िलए राम रपी वषार का जल अिनवायर हइसक िलए अनितक कायर करन की आवयकता नही हOcirc इस कार उनकी राम भिकत पट की आग बझान वाली यानी जीवन क यथाथर सकटो का समाधान करन वाली ह न िक कवल आधयाितमक मिकत दन वाली| गरीबी की पीड़ा रावण क समान दखदायी हो गई ह

तीसर छद )rdquoधत कहौldquo) म भिकत की गहनता और सघनता म उपज भकतहदय क आतमिवशवास का सजीव िचऽण ह िजसस समाज म वयापत जातपात और दरामहो क ितरःकार का साहस -पदा होता ह इस कार भिकत की रचनातमक भिमका का सकत यहा ह जो आज क भदभाव मलक यग म अिधक ासिगक ह |

अथर-महण-सबधी शन

उहा राम लिछमनिह िनहारी बोल बचन मनज अनसारी

अधर राित गइ किप निह आयउ राम उठाइ अनज उर लायउ

सकह न दिखत दिख मोिह काऊ बध सदा तव मदल सभाऊ

मम िहत लािग तजह िपत माता सहह िबिपन िहम आतप बाता

सो अनराग कहा अब भाई उठह न सिन मम बच िबकलाई

जौ जनतउ बन बध िबछोह िपता बचन मनतउ निह ओह

सत िबत नािर भवन पिरवारा होिह जािह जग बारिह बारा

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अस िबचािर िजय जागह ताता िमलइ न जगत सहोदर ाता

जथा पख िबन खग अित दीना मिन िबन फिन किरबर कर हीना

अस मम िजवन बध िबन तोही जौ जड़ दव िजआव मोही

जहउ अवध कवन मह लाई नािर हत िय भाइ गवाई

बर अपजस सहतउ जग माही नािर हािन िबसष छित नाही

अब अपलोक सोक सत तोरा सिहिह िनठर कठोर उर मोरा

िनज जननी क एक कमारा तात तास तमह ान अधारा

सौपिस मोिह तमहिह गिह पानी सब िबिध सखद परम िहत जानी

उतर काह दहउ तिह जाई उिठ िकन मोिह िसखावह भाई

शन१-Ocircबोल बचन मनज अनसारीOtilde- का तातपयर कया ह

उततर - भाई क शोक म िवगिलत राम का िवलाप धीर- -धीर लाप म बदल जाता ह िजसम लआमण क ित राम क अतर म िछप म क कई कोण सहसा अनावत हो जात ह यह सग ईशवर राम म मानव सलभ गणो का समनवय कर दता ह| व मनय की भाित िवचिलत हो कर ऐस वचन कहत ह जो मानवीय कित को ही शोभा दत ह |

शन२- राम न लआमण क िकन गणो का वणरन िकया ह

उततर -राम न लआमण क इन गणो का वणरन िकया ह-

bull लआमण राम स बहत ःनह करत ह | bull उनहोन भाई क िलए अपन माता ETHिपता का भी तयाग कर िदया | bull व वन म वषार िहम धप आिद कषटो को सहन कर रह ह | bull उनका ःवभाव बहत मदल ह |व भाई क दःख को नही दख सकत |

शन३- राम क अनसार कौन सी वःतओ की हािन बड़ी हािन नही ह और कयो

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उततर -राम क अनसार धन पऽ एव नारी की हािन बड़ी हािन नही ह कयोिक य सब खो जान पर पन ापत िकय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन ापत नही िकया जा सकता |

शन४- पख क िबना पकषी और सड क िबना हाथी की कया दशा होती ह कावय सग म इनका उललख कयो िकया गया ह

उततर - राम िवलाप करत हए अपनी भावी िःथित का वणरन कर रह ह िक जस पख क िबना पकषी और सड क िबना हाथी पीिड़त हो जाता ह उनका अिःततव नगणय हो जाता ह वसा ही असहनीय कषट राम को लआमण क न होन स होगा |

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सौदयर-बोध-सबधी शन

शन१- कावयाश की भाषा सौदयर सबधी दो िवशषताओ का उलललख कीिजए|

उततर- १रस -करण रस

२ अलकार - उतकषा अलकारndash

मन करणा मह बीर रस

जागा िनिसचर दिखअ कसामानह काल दह धिर बसा

दषटात अलकार - जथा पख िबन खग अित दीनामिन िबन फिन किरबर कर हीना

अस मन िजवन बध िबन तोहीजो जड़ दव िजआव मोही

िवरोधाभास अलकार -बहिबिध सोचत सोच िबमोचन

शन२- कावयाश की भाषा का नाम िलिखए |

उततर - अवधी भाषा

शन३- कावयाश म यकत छद कौन ETHसा ह

उततर- १६१६ माऽाओ का सम मािऽक चौपाई छद |

सौदयर-बोध-सबधी शन

िकसबी िकसान-कल बिनक िभखारी भाट चाकर चपल नट चोर चार चटकी| पटको पढतगन गढ़त चढ़त िगिर अटत गहन ETHगन अहन अखटकी|

ऊच ETHनीच करम धरम ETHअधरम किर पट ही को पचत बचत बटा ETHबटकी |

OcircतलसीOtilde बझाई एक राम घनःयाम ही त आिग बड़वािगत बड़ी ह आिग पटकी|

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शन१- किवतावली िकस भाषा म िलखी गई ह

उततर - ज भाषा

शन२- किवतावली म यकत छद एव रस को ःपषट कीिजए |

उततर - इस पद म 31 31 वणोर का चार चरणो वाला समविणरक किवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वणोर पर िवराम होता ह

शन३- किवतत म यकत अलकारो को छाट कर िलिखए

१ अनास अलकारndash

िकसबी िकसान-कल बिनक िभखारी भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटकी|

२ रपक अलकारndash रामndash घनयाम

३ अितशयोिकत अलकारndash आिग बड़वािग त बिड़ ह आग पट की

लआमण- मचछार और राम का िवलाप

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन १-Ocircतव ताप उर रािख भ म िकसक ताप का उललख िकया गया हOtildeऔर कयो

उततर -इन पिकतयो म भरत क ताप का उललख िकया गया ह हनमानजी उनक ताप का ःमरण करत हए अयोधया क ऊपर स उड़त हए सजीवनी ल कर लका की ओर चल जा रह ह

शन२- राम िवलाप म लआमण की कौन सी िवशषताए उदघिटत हई ह

उततर -लआमण का ात म तयागमय जीवन इन पिकतयो क माधयम स उदघािटत हआ ह

शन३- बोल वचन मनज अनसारी स किव का कया तातपयर ह

उततर -भगवान राम एक साधारण मनय की तरह िवलाप कर रह ह िकसी अवतारी मनय की तरह नही ात म का िचऽण िकया गया हतलसीदास की मानवीय भावो पर सशकत पकड़ हदवीय वयिकततव का लीला रप ईशवर राम को मानवीय भावो स समिनवत कर दता ह

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शन४- भाई क ित राम क म की गाढ़ता उनक िकन िवचारो स वयकत हई ह

उततर - जथा पख िबन खग अित दीना

मिन िबन फिन किरबर कर हीना

अस मम िजवन बध िबन तोही

जो जड़ दव िजआव मोही

शन५- Ocircबहिविध सोचत सोचिवमोचनOtilde का िवरोधाभास ःपषट कीिजए

उततर -दीनजन को शोक स मकत करन वाल भगवान राम ःवय बहत कार स सोच म पड़कर दखी हो रह ह

शन६- हनमान का आगमन करणा म वीर रस का आना िकस कार कहा जा सकता ह

उततर -रदन करत वानर समाज म हनमान उतसाह का सचार करन वाल वीर रस क रप म आ गए करणा की नदी हनमान दवारा सजीवनी ल आन पर मगलमयी हो उठती ह

किवतत और सवया

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- पट की भख शात करन क िलए लोग कया कया करत ह

उततर -पट की आग बझान क िलए लोग अनितक कायर करत ह

शन२- तलसीदास की दिषट म सासािरक दखो स िनवितत का सवोरततम उपाय कया ह

उततर - पट की आग बझान क िलए राम कपा रपी वषार का जल अिनवायर हइसक िलए अनितक कायर करन की आवयकता नही ह

शन३- तलसी क यग की समःयाओ का िचऽण कीिजए

उततर - तलसी क यग म ाकितक और शासिनक वषमय क चलत उतपनन पीडा दिरिजन क िलए रावण क समान दखदायी हो गई ह

शन४- तलसीदास की भिकत का कौन सा ःवरप ःतत किवततो म अिभवयकत हआ ह

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उततर - तलसीदास की भिकत का दाःय भाव ःवरप ःतत किवततो म अिभवयकत हआ ह

9 रबाइया

िफ़राक गोरखपरी

मल नामndash रघपित सहाय िफ़राक

उदर शायरी की िरवायत क िवपरीत िफराक गोरखपरी क सािहतय म लोक जीवन एव कित की झलक िमलती ह सामािजक सवदना वयिकतक अनभित बन कर उनकी रचनाओ म वयकत हई हजीवन का कठोर यथाथर उनकी रचनाओ म ःथान पाता हउनहोन लोक भाषा क तीको का योग िकया ह लाकषिणक योग उनकी भाषा की िवशषता हिफ़राक की रबाईयो म घरल िहदी का रप िदखता ह |

रबाई उदर और फ़ारसी का एक छद या लखन शली ह िजसम चार पिकतया होती ह |इसकी पहली दसरी और चौथी पिकत म तक (कािफ़या)िमलाया जाता ह तथा तीसरी पिकत ःवचछद होती ह |

वो रपवती मखड़ प इक नमर दमक

बचच क घरोद म जलाती ह िदए

रकषाबधन की सबह रस की पतली

िबजली की तरह चमक रह ह लचछ

भाई क ह बाधती चमकती राखी - जस योग उनकी भाषा की सशकतता क नमन क तौर पर दख जा सकत ह |

सार

रबाइया

रकषाबधन एक मीठा बधन ह रकषाबधन क कचच धागो पर िबजली क लचछ ह सावन म रकषाबधन आता ह सावन का जो सबध झीनी घटा स ह घटा का जो सबध िबजली स ह वही सबध भाई का बहन स होता ह

गज़ल

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पाठ म िफराक की एक गज़ल भी शािमल ह रबाइयो की तरह ही िफराक की गजलो म भी िहदी समाज और उदर शायरी की परपरा भरपर ह इसका अदभत नमना ह यह गज़ल यह गज़ल कछ इस तरह बोलती ह िक िजसम ददर भी ह एक शायर की ठसक भी ह और साथ ही ह कावय-िशलप की वह ऊचाई जो गज़ल की िवशषता मानी जाती ह

अथर-महण-सबधी शन

आगन म िलए चाद क टकड़ को खड़ी

हाथो प झलाती ह उस गोद-भरी

रह-रह क हवा म जो लोका दती ह

गज उठती ह िखलिखलात बचच की हसी

शन१- Ocircचाद क टकड़Otildeका योग िकसक िलए हआ ह और कयो

उततर -बचच को चाद का टकड़ा कहा गया ह जो मा क िलए बहत पयारा होता ह

शन२- गोद-भरी योग की िवशषता को ःपषट कीिजए |

उततर - गोद-भरी शबद-योग मा क वातसलयपणर आनिदत उतसाह को कट करता ह |यह अतयत सदर दय िबब ह | सनी गोद क िवपरीत गोद का भरना मा क िलए असीम सौभागय का सचक ह |इसी सौभागय का सआम अहसास मा को तिपत द रहा ह|

शन३- लोका दना िकस कहत ह

उततर - जब मा बचच को बाहो म लकर हवा म उछालती ह इस लोका दना कहत ह|छोट बचचो को यह खल बहत अचछा लगता ह

शन४- बचचा मा की गोद म कसी ितिबया करता ह

उततर - हवा म उछालन ( लोका दन) स बचचा मा का वातसलय पाकर सनन होता ह और िखलिखला कर हस पड़ता हबचच की िकलकािरया मा क आनद को दगना कर दती ह|

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सौदयर-बोध-सबधी शन

नहला क छलक-छलक िनमरल जल स

उलझ हए गसओ म कघी करक

िकस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटिनयो म लक ह िपनहाती कपड़

शन१- ःतत पिकतयो क भाव सौदयर को ःपषट कीिजए |

उततर - मा न अपन बचच को िनमरल जल स नहलाया उसक उलझ बालो म कघी की |मा क ःपशर एव नहान क आनद स बचचा सनन हो कर बड़ म स मा को िनहारता ह| ितिदन की एक ःवाभािवक िबया स कस मा-बचच का म िवकिसत होता ह और गाढ़ होता चला जाता ह इस भाव को इस रबाई म बड़ी सआमता क साथ ःतत िकया गया ह|

शन२- कावयाश म आए िबबो को ःपषट कीिजए |

उततर -१ नहला क छलक-छलक िनमरल जल स - इस योग दवारा किव न बालक की िनमरलता एव पिवऽता को जल की िनमरलता क माधयम स अिकत िकया ह | छलकना शबद जल की ताजा बदो का बालक क शरीर पर छलछलान का सदर दय िबब ःतत करता ह |

२ Ocircघटिनयो म लक ह िपनहाती कपड़Otilde- इस योग म मा की बचच क ित सावधानी चचल बचच को चोट पहचाए िबना उस कपड़ पहनान स मा क माततव की कशलता िबिबतहोती ह |

३ िकस पयार स दखता ह बचचा मह को - पिकत म मा ETHबचच का वातसलय िबिबत हआ ह | मा स पयार ETHदलार ःपशर ETHसख नहलाए जान क आनद को अनभव करत हए बचचा मा को पयार भरी नजरो स दख कर उस सख की अिभवयिकत कर रहा ह |यह सआम भाव अतयत मनोरम बन पड़ा ह |सपणर रबाई म दय िबब ह|

शन ३-कावयाश क शबद-योग पर िटपपणी िलिखए |

उततर -गस ETHउदर शबदो का योग

घटिनयो िपनहाती ETH दशज शबदो क माधयम स कोमलता की अिभवयिकत

छलक ETHछलक ETHशबद की पनरावितत स अभी ETHअभी नहलाए गए बचच क गील शरीर का िबब

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आिद िवलकषण योग रबाइयो को िविशषट बना दत ह | िहदीउदर और लोकभाषा क अनठ गठबधन की झलक िजस गाधीजी िहदःतानी क रप म पललिवत करना चाहत थदखन को िमलती ह |

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

रबाइया

शन १ -कावय म यकत िबबो का वणरन अपन शबदो म कीिजए

उततर -

bull दय िबब -बचच को गोद म लना हवा म उछालना ःनान कराना घटनो म लकर कपड़ पहनाना|

bull ौवयिबब - बचच का िखलिखला कर हस पड़ना bull ःपशर िबब -बचच को ःनान करात हए ःपशर करना |

शन २- आगन म ठनक रहा ह िज़दयाया ह बालक तो हई चाद प ललचाया हOtilde- म बालक की कौन सी िवशषता अिभवयकत हई ह

उततर - इन पिकतयो म बालक की हठ करन की िवशषता अिभवयकत हई ह बचच जब िजद पर आ जात ह तो अपनी इचछा परी करवान क िलए नाना कार की हरकत िकया करत ह| िज़दयाया शबद लोक भाषा का िवलकषण योग ह इसम बचच का ठनकना तनकना पाव पटकना रोना आिद सभी िबयाए शािमल ह |

शन ३ लचछ िकस कहा गया ह इनका सबध िकस तयौहार स ह

उततर - राखी क चमकील तारो को लचछ कहा गया ह रकषाबधन क कचच धागो पर िबजली क लचछ ह सावन म रकषाबधन आता ह सावन का जो सबध झीनी घटा स ह घटा का जो सबध िबजली स ह वही सबध भाई का बहन स होता ह|सावन म िबजली की चमक की तरह राखी क चमकील धागो की सदरता दखत ही बनती ह|

अथर-महण-सबधी शन

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गज़ल

िफ़राक गोरखपरी

नौरस गच पखिड़यो की नाज़क िगरह खोल ह

या उड़ जान को रगो- ब गलशन म पर तौल ह |

शन१- OcircनौरसOtilde िवशषण दवारा किव िकस अथर की वयजना करना चाहता ह

उततर नौरस अथारत नया रस गच अथारत किलयो म नया ETHनया रस भर आया ह |

शन२- पखिड़यो की नाज़क िगरह खोलन का कया अिभाय ह

उततर - रस क भर जान स किलया िवकिसत हो रही ह |धीर-धीर उनकी पखिड़या अपनी बद गाठ खोल रही ह | किव क शबदो म नवरस ही उनकी बद गाठ खोल रहा ह|

शन३- Ocircरगो- ब गलशन म पर तौल हOtilde ETH का अथर ःपषट कीिजए|

उततर -रग और सगध दो पकषी ह जो किलयो म बद ह तथा उड़ जान क िलए अपन पख फड़फड़ा रह ह |यह िःथित किलयो क फल बन जान स पवर की ह जो फल बन जान की तीकषा म ह |Otildeपर तौलनाOtilde एक महावरा ह जो उड़ान की कषमता आकन क िलए योग िकया जाता ह |

शन४- इस शर का भाव-सौदयर वयकत कीिजए|

उततर -किलयो की नई-नई पखिड़या िखलन लगी ह उनम स रस मानो टपकना ही चाहता ह | वयसिध(िकशोरी)नाियका क ःफिटत होत सौदयर का तीकातमक िचऽण अतयत सदर बन पड़ा ह |

सौदयर-बोध-सबधी शन

हम हो या िकःमत हो हमारी दोनो को इक ही काम िमला िकःमत हम को रो लव ह हम िकःमत को रो ल ह| जो मझको बदनाम कर ह काश व इतना सोच सक

मरा पदार खोल ह या अपना पदार खोल ह | शन१- इन शरो की भाषा सबधी िवशषताए ःपषट कीिजए |

उततर- १ महावरो का योग ETHिकःमत का रोना ETHिनराशा का तीक

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२सरल अिभवयिकत भाषा म वाहमयता ह िकःमत और परदा शबदो की पनराविततया

मोहक ह| ३ िहदी का घरल रप

शन२- Ocircमरा परदा खोल ह या अपना परदा खोल ह Ocirc- की भािषक िवशषता िलिखए |

उततर -महावर क योग दवारा वयजनातमक अिभवयिकत | परदा खोलना ETH भद खोलना सचचाई बयान करना|

शन३-Ocircहम हो या िकःमत हो हमारी Ocirc ETHयोग की िवशषता बताइए |

उततर - हम और िकःमत दोनो शबद एक ही वयिकत अथारत िफ़राक क िलए यकत ह | हम और िकःमत म अभद ह यही िवशषता ह |

िफ़राक गोरखपरी

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- तार आख झपकाव ह ETHका तातपयर ःपषट कीिजए |

उततर- रािऽ का सननाटा भी कछ कह रहा हइसिलए तार पलक झपका रह ह िवयोग की िःथित म कित भी सवाद करती तीत होती ह |

शन२- Ocircहम हो या िकःमत हो हमारीOtilde म िकस भाव की अिभवयिकत हई ह

उततर- जीवन की िवडबना िकःमत को रोना-महावर क योग स सटीक अिभवयिकत ापत करती ह किव जीवन स सतषट नही ह | भागय स िशकायत का भाव इन पिकतयो म झलकता ह |

शन३- म क िकस िनयम की अिभवयिकत किव न की ह

उततर -ईशवर की ािपत सवरःव लटा दन पर होती ह म क ससार का भी यही िनयम ह|किव क शबदो म िफ़तरत का कायम ह तवाज़न आलम- हःनो ETHइक म भी

उसको उतना ही पात ह खद को िजतना खो ल ह |

१ भाव ETHसामय- कबीर -Ocircसीस उतार भई धर तब िमिलह करतारOcirc-अथारत -ःवय को खो कर ही म ािपत की जा सकती ह

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२ भाव सामय- कबीर ETHिजन ढढा ितन पाइया गहर पानी पिठ|

म बपरा बडन डरा रहा िकनार बिठ |

शन४- शराब की महिफल म शराबी को दर रात कया बात याद आती ह

उततर - शराब की महिफल म शराबी को दर रात याद आती ह िक आसमान म मनय क पापो का लखा-जोखा होता ह जस आधी रात क समय फिरत लोगो क पापो क अधयाय खोलत ह वस ही रात क समय शराब पीत हए शायर को महबबा की याद हो आती ह मानो महबबा फिरतो की तरह पाप ःथल क आस पास ही ह

शन५- सदक िफ़राकndashndashndashइन पिकतयो का अथर ःपषट कीिजए |

उततर -सदक िफ़राकndashndashndashइन पिकतयो म िफ़राक कहत ह िक उनकी शायरी म मीर की शायरी की उतकषटता धविनत हो रही ह

शन६- पखिड़यो की नाज़क िगरह खोलना कया ह

उततर -पखिड़यो की नाजक िगरह खोलना उनका धीर -धीर िवकिसत होना ह

वयसिध(िकशोरी)नाियका क ःफिटत होत सौदयर की ओर सकत ह |

शन७-lsquoयो उड़ जान को रगो ब गलशन म पर तौल हrsquo भाव ःपषट कीिजए

उततर -किलयो की सवास उड़न क िलए मानो पर तौल रही होअथारत खशब का झोका रहndashरह कर उठता ह

शन८- किव दवारा विणरत रािऽ क दय का वणरन अपन शबदो म कीिजए

उततर - रािऽ का सननाटा भी कछ कह रहा हइसिलए तार पलक झपका रह हलगता ह िक कित का कण-कण कछ कह रहा ह |

शन९- किव अपन वयिकतक अनभव िकन पिकतयो म वयकत कर रहा ह

जीवन की िवडबना-Ocircिकःमत को रोनाOcirc महावर क योग स सटीक अिभवयिकत ापत करती ह

हम हो या िकःमत हो हमारी दोनो को इक ही काम िमला

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िकःमत हम को रो लव ह हम िकःमत को रो ल ह|

शन१०- शायर न दिनया क िकस दःतर का वणरन िकया ह

उततर -शायर न दिनया क इस दःतर का वणरन िकया ह िक लोग दसरो को बदनाम करत ह परत व नही जानत िक इस तरह व अपनी दषट कित को ही उदघािटत करत ह

शन११- म की िफ़तरत किव न िकन शबदो म अिभवयकत की ह

ःवय को खो कर ही म की ािपत की जा सकती ह ईशवर की ािपत सवरःव लटा दन पर होती ह म क ससार का भी यही िनयम ह

शन१२- िफ़राक गोरखपरी िकस भाषा क किव ह

उततर - उदर भाषा

10 छोटा मरा खत

उमाशकर जोशी

(गजराती किव)

उमाशकर जोशी बीसवी सदी क गजराती क मधरनय किव सःकत वाङमय क िवदवान हउनहोन गजराती किवता को कित स जोड़ाआम आदमी क जीवन की झलक उनकी रचनाओ म िमलती ह

छोटा मरा खत

सार

खती क रपक दवारा कावय रचनाndash िबया को ःपषट िकया गया हकावय कित की रचना बीजndash

वपन स लकर पौध क पिपत होन क िविभनन चरणो स गजरती हअतर कवल इतना ह िक किव कमर की फसल कालजयी शाशवत होती हउसका रस-कषरण अकषय होता हकागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह किव को एक चौकोर खत की तरह लगता ह इस खत म िकसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क भाव स िकसी कषण एक बीज बोया जाता

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ह यह बीज-रचना िवचार और अिभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर िवकिसत होता ह और िबया म ःवय िवगिलत हो जाता ह उसस शबदो क अकर िनकलत ह और अततः कित एक पणर ःवरप महण करती ह जो किष-कमर क िलहाज स पललिवत -पिपत होन की िःथित ह सािहितयक कित स जो अलौिकक रस-धारा फटती ह वह कषण म होन वाली रोपाई का ही पिरणाम ह पर यह रस-धारा अनत काल तक चलन वाली कटाई ह |

बगलो क पख

सार

बगलो क पख किवता एक चाकषष िबब की किवता ह सौदयर का अपिकषत भाव उतपनन करन क िलए किवयो न कई यिकतया अपनाई ह िजसम स सबस चिलत यिकत ह-सौदयर क वयौरो क िचऽातमक वणरन क साथ अपन मन पर पड़न वाल उसक भाव का वणरन और आतमगत क सयोग की यह यिकत पाठक को उस मल सौदयर क काफी िनकट ल जाती ह जोशी जी की इस किवता म ऐसा ही ह किव काल बादलो स भर आकाश म पिकत बनाकर उड़त सफद बगलो को दखता ह व कजरार बादलो म अटका-सा रह जाता ह वह इस माया स अपन को बचान की गहार लगाता ह कया यह सौदयर स बाधन और िवधन की चरम िःथित को वयकत करन का एक तरीका ह

कित का ःवतऽ (आलबन गत ) िचऽण आधिनक किवता की िवशषता हिचऽातमक वणरन दवारा किव न एक ओर काल बादलो पर उड़ती बगलो की शवत पिकत का िचऽ अिकत िकया ह तो दसरी ओर इस अितम दय क हदय पर पड़न वाल भाव को िचिऽत िकया हमऽ मगध किव इस दय क भाव स आतम िवःमित की िःथित तक पहच जाता हिवषय एव िवषयीगत सौनदयर क दोनो रप किवता म उदघािटत हए ह

अथर-महण-सबधी शन

छोटा मरा खत चौकोना

कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कही स आया

कषण का बीज वहा बोया गया|

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कलपना क रसायनो को पी

बीज गल गया िनशष शबद क अकर फट

पललव ETHपपो स निमत हआ िवशष |

शन १lsquoछोटा मरा खतrsquo िकसका तीक ह और कयो

उततर - शन२ lsquoछोटा मरा खतrsquo काग़ज क उस पनन का तीक ह िजस पर किव अपनी किवता िलखता ह

शन २ किव खत म कौनndashसा बीज बोता ह

उततर - किव खत म अपनी कलपना का बीज बोता ह

शन ३ किव की कलपना स कौन स पललव अकिरत होत ह

उततर - किव की कलपना स शबद क पललव अकिरत होत ह

शन ४ उपयरकत पद का भाव-सौदयर ःपषट कीिजए |

उततर - खती क रपक दवारा कावय-रचनाndashिबया को ःपषट िकया गया हकावय कित की रचना बीजndash वपन स लकर पौध क पिपत होन क िविभनन चरणो स गजरती हअतर कवल इतना ह िक किव कमर की फसल कालजयी शाशवत होती हउसका रस-कषरण अकषय होता ह

सौदयर-बोध-सबधी शन

झमन लग फल

रस अलौिकक

अमत धाराए फटती

रोपाई कषण की

कटाई अनतता की

लटत रहन स जरा भी कम नही होती |

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रस का अकषय पाऽ सदा का

छोटा मरा खत चौकोना |

शन इस किवता की भाषा सबधी िवशषताओ पर काश डािलए ndash

उततर - १ तीकातमकता

२ लाकषिणकता -

२रपक अलकारndash रस का अकषय पाऽ सदा का

छोटा मरा खत चौकोना

शन २ रस अलौिकक अमत धाराए रोपाई ETH कटाई-तीको क अथर ःपषट कीिजए |

उततर - रस अलौिकक ETH कावय रस िनपितत

अमत धाराए- कावयानद

रोपाई ETH अनभित को शबदबदध करना

कटाई ETHरसाःवादन

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

किवता ndash

छोटा मरा खत

शन १ उमाशकर जोशी न िकस भाषा म किवताए िलखी ह

उततर - गजराती भाषा

शन२ किषndashकमर एव किवndashकमर म कया कया समानताए ह

उततर - किषndashकमर एव किवndashकमर म िनमनिलिखत समानताए ह-

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कावय कित की रचना बीजndash वपन स लकर पौध क पिपत होन क िविभनन चरणो स गजरती ह

किषndashकमर एव किवndashकमर म समानताए -

bull कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह किव को एक चौकोर खतलगता ह

bull इस खत म िकसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क भाव स िकसी कषण एक बीज बोया जाता ह यह बीज-रचना िवचार और अिभवयिकत का हो सकता ह

bull यह मल रप कलपना का सहारा लकर िवकिसत होता ह और िबया म ःवय िवगिलत हो जाता ह इसीकार बीज भी खाद पानी सयर की रोशनी हवा आिद लकर िवकिसत होता ह |

bull कावय ETHरचना स शबदो क अकर िनकलत ह और अततः कित एक पणर ःवरप महण करती ह जो किष-कमर क िलहाज स पललिवत ndashपिपत और फिलत होन की िःथित ह अथर-महण-सबधी शन

किवताndash बगलो क पख

नभ म पाती- बध बगलो क पख चराए िलए जाती व मरी आख |

कजरार बादलो की छाई नभ छाया हौलETHहौल जाती मझ बाध िनज माया स |

उस कोई तिनक रोक रकखो | वह तो चराए िलए जाती मरी आख

नभ म पाती- बधी बगलो की पाख | तरती साझ की सतज शवत काया|

शन१- इस किवता म किव न िकसका िचऽण िकया ह

उततर - किव न काल बादलो पर उड़ती बगलो की शवत पिकत का िचऽण िकया ह|

शन२- आख चरान का कया अथर ह

उततर - आख चरान का आशय ह ETHधयान परी तरह खीच लना एकटक दखना मऽमगध कर दना

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शन३-

कजरार बादलो की छाई नभ छाया

हौल ETHहौल जाती मझ बाध िनज माया स | - आशय ःपषट कीिजए |

उततर- काल बादलो क बीच साझ का सरमई वातावरण बहत सदर िदखता ह | ऐसा अितम सौदयर अपन आकषरण म किव को बाध लता ह |

शन ४ उस कोई तिनक रोक रकखो |Otilde- स किव का कया अिभाय ह

उततर - बगलो की पिकत आकाश म दर तक उड़ती जा रही ह किव की मऽमगध आख उनका पीछा कर रही ह | किव उन बगलो को रोक कर रखन की गहार लगा रहा ह िक कही व उसकी आख ही अपन साथ न ल जाए |

सौदयर-बोध-सबधी शन

शन १ किवता की भाषा सबधी दो िवशषताए िलिखए|

उततर -१ िचऽातमक भाषा

२ बोलचाल क शबदो का योग - हौल ETHहौल पाती कजरारसाझ

शन २ किवता म यकत अलकार चन कर िलिखए |

उततर - अनास अलकार - बध बगलो क पख

मानवीकरण अलकार - चराए िलए जाती व मरी आख |

शन ३ -Ocirc िनज मायाOtilde क लाकषिणक अथर को ःपषट कीिजए |

उततर - कित का अितम सौदयर वह माया ह जो किव को आतमिवभोर कर दती हयह पिकत भी शसातमक उिकत ह

िवषय-वःत पर आधािरत शनोततर

शन१- lsquoचराए िलए जाती व मरी ऑखrsquo स किव का कया तातपयर ह

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उततर -िचऽातमक वणरन दवारा किव न एक ओर काल बादलो पर उड़ती बगलो की शवत पिकत का िचऽ अिकत िकया ह तथा इस अितम दय क हदय पर पड़न वाल भाव को िचिऽत िकया ह किव क अनसार यह दय उनकी आख चराए िलए जा रहा ह |मऽ मगध किव इस दय क भाव स आतम िवःमित की िःथित तक पहच जाता ह

शन२-किव िकस माया स बचन की बात कहता ह

उततर - माया िवशव को अपन आकषरण म बाध लन क िलए िसदध ह | कबीर न भी Ocircमाया महा ठिगनी हम जानीOtilde कहकर माया की शिकत को ितपािदत िकया ह | काल बादलो म बगलो की सदरता अपना माया जाल फला कर किव को अपन वश म कर रही ह |

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आरोह भाग-२ गदय-भाग

bull शन-सखया १०- गदय खड म िदए गए पिठत गदयाश स अथरमहण सबधी चार शन पछ जाएग िजनक िलए िनधारिरत अक (२४=८) ह |

bull शन-सखया ११- पाठो की िवषयवःत स सबिधत पाच म स चार शनो क उततर दन ह िजनक िलए िनधारिरत अक (३४=१२) ह|

परीकषा म अचछ अक ापत करन क िलए धयान दन योगय बात ndash

1 लख एव वतरनी की शदधता तथा वाकय-गठन पर धयान द | 2 हर पाठ का सारपषठभिमिवषयवःत तथाकथानक को समझना आवयक ह | अतिवदयाथीर

हर पाठ का साराश भलीभाित याद कर ल | 3 शनो को धयान स पढ़ तदनसार अपिकषत उततर िलख |

4 उततर िलखत समय सबिधत मखय िबदओ का शीषरकबनात हए उततर िलख यथा-तीन अक क शनो क उततर िलखत समय कम स कम तीन मखय उततर-िबदओ का उललख करत हए उततर ःपषट कर |

5 अक-योजना क अनसार िनधारिरत शबद-सीमा क अतगरत उततर िलख | परीकषाथीर कई बार एक अक क शन का उततर बहत लबा कई बार परा पषठ िलख दत ह जो समय और ऊजार की बबारदी ह |

6 धयान रह िक अिधक िलखन स अचछ अक नही आत बिलक सरल-सबोध भाषा म िलख गए सटीक उततर सारगिभरत तथय तथा उदाहरण क दवारा ःपषट िकए गए उततर भावशाली होत ह |

पाठ 11 - भिकतन

लिखका- महादवी वमार

पाठ का साराश- भिकतन िजसका वाःतिवक नाम लआमी थालिखका Ocircमहादवी वमारOtilde की सिवका ह | बचपन म ही भिकतन की मा की मतय हो गयी| सौतली मा न पाच वषर की आय म िववाह तथा नौ वषर की आय म गौना कर भिकतन को ससराल भज िदया| ससराल म भिकतन न तीन बिटयो को जनम िदया िजस कारण उस सास और िजठािनयो की उपकषा सहनी पड़ती थी| सास और िजठािनया आराम फरमाती थी और भिकतन तथा उसकी ननही बिटयो को घर और खतो का सारा काम करना पडता था| भिकतन का पित उस बहत चाहता था| अपन पित क ःनह क बल पर भिकतन न ससराल वालो स अलगौझा कर अपना अलग घर बसा िलया और सख स रहन लगी पर भिकतन का दभारगय अलपाय म ही उसक पित की मतय हो गई | ससराल वाल भिकतन

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की दसरी शादी कर उस घर स िनकालकर उसकी सपितत हड़पन की सािजश करन लग| ऐसी पिरिःथित म भिकतन न अपन कश मडा िलए और सनयािसन बन गई | भिकतन ःवािभमानी सघषरशील कमरठ और दढ सकलप वाली सतरी ह जो िपतसततातमक मानयताओ और छल-कपट स भर समाज म अपन और अपनी बिटयो क हक की लड़ाई लड़ती हघर गहःथी सभालन क िलए अपनी बड़ी बटी दामाद को बला िलया पर दभारगय न यहा भी भिकतन का पीछा नही छोड़ा अचानक उसक दामाद की भी मतय हो गयी| भिकतन क जठ-िजठौत न सािजश रचकर भिकतन की िवधवा बटी का िववाह जबरदःती अपन तीतरबाज साल स कर िदया| पचायत दवारा कराया गया यह सबध दखदायी रहा | दोनो मा-बटी का मन घर-गहःथी स उचट गया िनधरनता आ गयी लगान न चका पान क कारण जमीदार न भिकतन को िदन भर धप म खड़ा रखा| अपमािनत भिकतन पसा कमान क िलए गाव छोड़कर शहर आ जाती ह और महादवी की सिवका बन जाती ह| भिकतन क मन म महादवी क ित बहत आदर समपरण और अिभभावक क समान अिधकार भाव ह| वह छाया क समान महादवी क साथ रहती ह| वह रात-रात भर जागकर िचऽकारी या लखन जस कायर म वयःत अपनी मालिकन की सवा का अवसर ढढ लती ह| महादवी भिकतन को नही बदल पायी पर भिकतन न महादवी को बदल िदया| भिकतन क हाथ का मोटा-दहाती खाना खात-खात महादवी का ःवाद बदल गया भिकतन न महादवी को दहात क िकःस-कहािनया िकवदितया कठःथ करा दी| ःवभाव स महाकजस होन पर भी भिकतन पाई-पाई कर जोडी हई १०५ रपयो की रािश को सहषर महादवी को समिपरत कर दती ह| जल क नाम स थर-थर कापन वाली भिकतन अपनी मालिकन क साथ जल जान क िलए बड़ लाट साहब तक स लड़न को भी तयार हो जाती ह| भिकतन महादवी क जीवन पर छा जान वाली एक ऐसी सिवका ह िजस लिखका नही खोना चाहती

पाठ आधािरत शनोततर

नोट- उततर म िनिहत रखािकत वाकय मखय सकत िबद ह |

शन 1-भिकतन का वाःतिवक नाम कया था वह अपन नाम को कयो छपाना चाहती थी

उततर-भिकतन का वाःतिवक नाम लआमी था िहनदओ क अनसारलआमी धन की दवीह चिक भिकतन गरीब थी| उसक वाःतिवक नाम क अथर और उसक जीवन क यथाथर म िवरोधाभास ह

िनधरन भिकतन सबको अपना असली नाम लआमी बताकर उपहास का पाऽ नही बनना चाहती थी इसिलए वह अपना असली नाम छपाती थी

शन 2- लिखका न लआमी का नाम भिकतन कयो रखा

उततर-घटा हआ िसर गल म कठी माला और भकतो की तरह सादगीपणर वशभषा दखकर महादवी वमार न लआमी का नाम भिकतन रख िदया | यह नाम उसक वयिकततव स पणरत मल खाता था |

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शन 3-भिकतन क जीवन को िकतन पिरचछदो म िवभािजत िकया गया ह

उततर- भिकतन क जीवन को चार भागो म बाटा गया ह-

bull पहला पिरचछद-भिकतन का बचपन मा की मतय िवमाता क दवारा भिकतन का बाल-िववाह करा दना

bull िदवतीय पिरचछद-भिकतन का ववािहक जीवन सास तथा िजठािनयो का अनयायपणर वयवहार पिरवार स अलगौझा कर लना

bull ततीय पिरचछद- पित की मतय िवधवा क रप म सघषरशील जीवन bull चतथर पिरचछद- महादवी वमार की सिवका क रप म

शन 4- भिकतन पाठ क आधार पर भारतीय मामीण समाज म लड़क-लड़िकयो म िकय जान वाल भदभाव का उललख कीिजए |

भारतीय मामीण समाज म लड़क-लड़िकयो म भदभाव िकया जाता ह| लड़िकयो को खोटा िसकका या पराया धन माना जाता ह| भिकतन न तीन बिटयो को जनम िदया िजस कारण उस सास और िजठािनयो की उपकषा सहनी पड़ती थी| सास और िजठािनया आराम फरमाती थी कयोिक उनहोन लड़क पदा िकए थ और भिकतन तथा उसकी ननही बिटयो को घर और खतो का सारा काम करना पडता था| भिकतन और उसकी बिटयो को रखा-सखा मोटा अनाज खान को िमलता था जबिक उसकी िजठािनया और उनक काल-कलट बट दध-मलाई राब-चावल की दावत उड़ात थ

शन 5-भिकतन पाठ क आधार पर पचायत क नयाय पर िटपपणी कीिजए |

भिकतन की बटी क सनदभर म पचायत दवारा िकया गया नयाय तकर हीन और अध कानन पर आधािरतह | भिकतन क िजठौत न सपितत क लालच म षडयऽ कर भोली बचची को धोख स जाल म फसाया| पचायत न िनदोरष लड़की की कोई बात नही सनी और एक तरफ़ा फसला दकर उसका िववाह जबरदःती िजठौत क िनकमम तीतरबाज साल स कर िदया | पचायत क अध कानन स दषटो को लाभ हआ और िनदोरष को दड िमला |

शन 6-भिकतन की पाक-कला क बार म िटपपणी कीिजए |

भिकतन को ठठ दहाती सादा भोजन पसद था | रसोई म वह पाक छत को बहत महततव दती थी | सबह-सवर नहा-धोकर चौक की सफाई करक वह दवार पर कोयल की मोटी रखा खीच दती थी| िकसी को रसोईघर म वश करन नही दती थी| उस अपन बनाए भोजन पर बड़ा अिभमान था| वह अपन बनाए भोजन का ितरःकार नही सह सकती थी |

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शन 7- िसदध कीिजए िक भिकतन तकर -िवतकर करन म मािहर थी |

भिकतन तकर पट थी | कश मडान स मना िकए जान पर वह शासतरो का हवाला दत हए कहती ह Ocircतीरथ गए मडाए िसदधOtilde | घर म इधर-उधर रख गए पसो को वह चपचाप उठा कर छपा लती ह टोक जानपर वह वह इस चोरी नही मानती बिलक वह इस अपन घर म पड़ पसो को सभालकर रखना कहती ह| पढाई-िलखाई स बचन क िलए भी वह अचक तकर दती ह िक अगर म भी पढ़न लग तो घर का काम कौन दखगा

शन 8-भिकतन का दभारगय भी कम हठी नही था लिखका न ऐसा कयो कहा ह

उततर- भिकतन का दभारगय उसका पीछा नही छोड़ता था-

1- बचपन म ही मा की मतय 2- िवमाता की उपकषा 3- भिकतन(लआमी) का बालिववाह 4- िपता का िनधन 5- तीन-तीन बिटयो को जनम दन क कारण सास और िजठािनयो क दवारा भिकतन की उपकषा

6- पित की असमय मतय 7- दामाद का िनधन और पचायत क दवारा िनकमम तीतरबाज यवक स भिकतन की िवधवा

बटी का जबरन िववाह 8- लगान न चका पान पर जमीदार क दवारा भिकतन का अपमान

शन 9-भिकतन न महादवी वमार क जीवन पर कस भािवत िकया

उततर- भिकतन क साथ रहकर महादवी की जीवन-शली सरल हो गयी व अपनी सिवधाओ की चाह को िछपान लगी और असिवधाओ को सहन लगी भिकतन न उनह दहाती भोजन िखलाकर उनका ःवाद बदल िदया भिकतन माऽ एक सिवका न होकर महादवी की अिभभावक और आतमीय बन गयीभिकतन महादवी क जीवन पर छा जान वाली एक ऐसी सिवका ह िजस लिखका नही खोना चाहती

शन 10- भिकतन क चिरऽ की िवशषताओ का उललख कीिजए

उततर- महादवी वमार की सिवका भिकतन क वयिकततव की िवशषताए िनमनािकत ह-

bull समिपरत सिवका bull ःवािभमानी

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bull तकर शीला bull पिरौमी bull सघषरशील bull

शन 11-भिकतन क दगरणो का उललख कर

उततर- गणो क साथ-साथ भिकतन क वयिकततव म अनक दगरण भी िनिहत ह-

1 वह घर म इधर-उधर पड़ रपय-पस को भडार घर की मटकी म छपा दती ह और अपन इस कायर को चोरी नही मानती

2 महादवी क बोध स बचन क िलए भिकतन बात को इधर-उधर करक बतान को झठ नही मानती अपनी बात को सही िसदध करन क िलए वह तकर -िवतकर भी करती ह

3 वह दसरो को अपनी इचछानसार बदल दना चाहती ह पर ःवय िबलकल नही बदलती शन 12 िनमनािकत भाषा-योगो का अथर ःपषट कीिजए-

bull पहली कनया क दो और सःकरण कर डाल- भिकतन न अपनी पहली कनया क बाद उसक जसी दो और कनयाए पदा कर दी अथारत भिकतन क एक क बाद एक तीन बिटया पदा हो गयी |

bull खोट िसकको की टकसाल जसी पतनी- आज भी अिशिकषत मामीण समाज म बिटयो को

खोटा िसकका कहा जाता ह भिकतन न एक क बाद एक तीन बिटया पदा कर दी इसिलए उस खोट िसकक को ढालन वाली मशीन कहा गया

शन 13-भिकतन पाठ म लिखका न समाज की िकन समःयाओ का उललख िकया ह

उततर- भिकतन पाठ क माधयम स लिखका न भारतीय मामीण समाज की अनक समःयाओ का उललख िकया ह-

1 लड़क-लड़िकयो म िकया जान वाला भदभाव

2 िवधवाओ की समःया 3 नयाय क नाम पर पचायतो क दवारा िसतरयो क मानवािधकार को कचलना 4 अिशकषा और अधिवशवास

गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

पिरवार और पिरिःथितयो क कारण ःवभाव म जो िवषमताए उतपनन हो गई ह उनक भीतर स एक ःनह और सहानभित की आभा फटती रहती ह इसी स उसक सपकर म आनवाल वयिकत उसम जीवन की सहज मािमरकता ही पात ह छाऽावास की बािलकाओ म स कोई अपनी चाय बनवान क िलए दहली पर बठी रहती ह कोई बाहर खडी मर िलए नात को चखकर उसक ःवाद

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की िववचना करती रहती ह मर बाहर िनकलत ही सब िचिड़यो क समान उड़ जाती ह और भीतर आत ही यथाःथान िवराजमान हो जाती ह इनह आन म रकावट न हो सभवतः इसी स भिकतन अपना दोनो जन का भोजन सवर ही बनाकर ऊपर क आल म रख दती ह और खात समय चौक का एक कोना धोकर पाकETHछत क सनातन िनयम स समझौता कर लती ह

मर पिरिचतो और सािहितयक बधओ स भी भिकतन िवशष पिरिचत ह पर उनक ित भिकतन क सममान की माऽा मर ित उनक सममान की माऽा पर िनभरर ह और सदभाव उनक ित मर सदभाव स िनिशचत होता ह इस सबध म भिकतन की सहज बिदध िविःमत कर दन वाली ह

(क) भिकतन का ःवभाव पिरवार म रहकर कसा हो गया ह

उततर-िवषम पिरिःथितजनय उसक उम हठी और दरामही ःवभाव क बावजद भिकतन क भीतर ःनह और सहानभित की आभा फटती रहती ह उसक सपकर म आन वाल वयिकत उसम जीवन की सहज मािमरकता ही पात ह

(ख) भिकतन क पास छाऽावास की छाऽाए कयो आती ह

उततर- भिकतन क पास कोई छाऽा अपनी चाय बनवान आती ह और दहली पर बठी रहती ह कोई महादवी जी क िलए बन नात को चखकर उसक ःवाद की िववचना करती रहती ह महादवी को दखत ही सब छाऽाए भाग जाती ह उनक जात ही िफर वापस आ जाती ह भिकतन का सहज-ःनह पाकर िचिड़यो की तरह चहचहान लगती ह |

(ग) छाऽाओ क आन म रकावट न डालन क िलए भिकतन न कया उपाय िकया

उततर- छाऽाओ क आन म रकावट न डालन क िलए भिकतन न अपन पाक-छत क िनयम स समझौता कर िलया | भिकतन अपना दोनो वकत का खाना बनाकर सबह ही आल म रख दती और खात समय चौक का एक कोना धोकर वहा बठकर खा िलया करती थी तािक छाऽाए िबना रोक-टोक क उसक पास आ सक

(घ) सािहतयकारो क ित भिकतन क सममान का कया मापदड ह

उततर-भिकतन महादवी क सािहितयक िमऽ क ित सदभाव रखती थी िजसक ित महादवी ःवय सदभाव रखती थी | वह सभी स पिरिचत हपर उनक ित सममान की माऽा महादवी जी क सममान की माऽा पर िनभरर करती ह वह एक अदभत ढग स जान लती थी िक कौन िकतना सममान करता ह उसी अनपात म उसका ापय उस दती थी

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12 बाजार-दशरन

लखक- जनि कमार

पाठ का साराश बाजार-दशरन पाठ म बाजारवाद और उपभोकतावाद क साथ-साथ अथरनीित एव दशरन स सबिधत शनो को सलझान का यास िकया गया ह बाजार का जाद तभी असर करता ह जब मन खाली हो| बाजार क जाद को रोकन का उपाय यह ह िक बाजार जात समय मन खाली ना हो मन म लआय भरा हो| बाजार की असली कताथरता ह जररत क वकत काम आना| बाजार को वही मन य लाभ द सकता ह जो वाःतव म अपनी आवयकता क अनसार खरीदना चाहता ह| जो लोग अपन पसो क घमड म अपनी पचरिजग पावर को िदखान क िलए चीज खरीदत ह व बाजार को शतानी वयगय शिकत दत ह| ऐस लोग बाजारपन और कपट बढात ह | पस की यह वयगय शिकत वयिकत को अपन सग लोगो क ित भी कतघन बना सकती ह | साधारण जन का हदय लालसा ईयार और त णा स जलन लगता ह | दसरी ओर ऐसा वयिकत िजसक मन म लश माऽ भी लोभ और त णा नही ह सचय की इचछा नही ह वह इस वयगय-शिकत स बचा रहता ह | भगतजी ऐस ही आतमबल क धनी आदशर माहक और बचक ह िजन पर पस की वयगय-शिकत का कोई असर नही होता | अनक उदाहरणो क दवारा लखक न यह ःपषट िकया ह िक एक ओर बाजार लालची असतोषी और खोखल मन वाल वयिकतयो को लटन क िलए ह वही दसरी ओर सतोषी मन वालो क िलए बाजार की चमक-दमक उसका आकषरण कोई महततव नही रखता

शन१ - पचरिजग पावर िकस कहा गया ह बाजार पर इसका कया भाव पड़ता ह

उततर- पचरिजग पावर का अथर ह खरीदन की शिकत पचरिजग पावर क घमड म वयिकत िदखाव क िलए आवयकता स अिधक खरीदारीकरता ह और बाजार को शतानी वयगय-शिकत दता ह ऐस लोग बाजार का बाजारपन बढ़ात ह

शन२ -लखक न बाजार का जाद िकस कहा ह इसका कया भाव पड़ता ह

उततर- बाजार की चमक-दमक क चबकीय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आखो की राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण माहक सजी-धजी चीजो को आवयकता न होन पर भी खरीदन को िववश हो जात ह

शन३ -आशय ःपषट कर

bull मन खाली होना bull मन भरा होना bull मन बद होना

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उततर-मन खाली होना- मन म कोई िनिशचत वःत खरीदन का लआय न होना िनरददय बाजार जाना और वयथर की चीजो को खरीदकर लाना

मन भरा होना- मन लआय स भरा होना िजसका मन भरा हो वह भलीभाित जानता ह िक उस बाजार स कौन सी वःत खरीदनी ह अपनी आवयकता की चीज खरीदकर वह बाजार को साथरकता दान करता ह

मन बद होना-मन म िकसी भी कार की इचछा न होना अथारत अपन मन को शनय कर दना

शन४ - lsquoजहा त णा ह बटोर रखन की ःपहा ह वहा उस बल का बीज नही हrsquo यहा िकस बल की चचार की गयी ह

उततर- लखक न सतोषी ःवभाव क वयिकत क आतमबलकी चचार की ह दसर शबदो म यिद मन म सतोष हो तो वयिकत िदखाव और ईयार की भावना स दर रहता ह उसम सचय करन की वितत नही होती

शन५ - अथरशासतर अनीितशासतर कब बन जाता ह

उततर- जब बाजार म कपट और शोषण बढ़न लग खरीददार अपनी पचरिचग पावर क घमड म िदखाव क िलए खरीददारी कर | मनयो म परःपर भाईचारा समापत हो जाए| खरीददार और दकानदार एक दसर को ठगन की घात म लग रह एक की हािन म दसर को अपना लाभ िदखाई द तो बाजार का अथरशासतर अनीितशासतर बन जाता ह ऐस बाजार मानवता क िलए िवडबना ह

शन६-भगतजी बाजार और समाज को िकस कार साथरकता दान कर रह ह

उततर- भगतजी क मन म सासािरक आकषरणो क िलए कोई त णा नही ह व सचय लालच और िदखाव स दर रहत ह बाजार और वयापार उनक िलए आवयकताओ की पितर का साधन माऽ ह भगतजी क मन का सतोष और िनःपह भाव उनको ौषठ उपभोकता और िवबता बनात ह

शन ७ _ भगत जी क वयिकततव क सशकत पहलओ का उललख कीिजए |

उततर-िनमनािकत िबद उनक वयिकततव क सशकत पहल को उजागर करत ह

bull पसारी की दकान स कवल अपनी जररत का सामान (जीरा और नमक) खरीदना bull िनिशचत समय पर चरन बचन क िलए िनकलना bull छह आन की कमाई होत ही चरन बचना बद कर दना bull बच हए चरन को बचचो को मझत बाट दना bull सभी काजय-जय राम कहकर ःवागत करना

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bull बाजार की चमक-दमक स आकिषरत न होना bull समाज को सतोषी जीवन की िशकषा दना

शन7-बाजार की साथरकता िकसम ह

उततर- मनय की आवयकताओ की पितर करन म ही बाजार की साथरकता ह जो माहक अपनी आवयकताओ की चीज खरीदत ह व बाजार को साथरकता दान करत ह जो िवबता माहको का शोषण नही करत और छल-कपट स माहको को लभान का यास नही करत व भी बाजार को साथरक बनात ह

गदयाश-आधािरत अथरमहण-सबिधत शनोततर

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख की तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ही चलता ह वस ही इस जाद की भी मयारदा ह जब भरी हो और मन खाली हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाली पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाली ह तो बाजार की अनकानक चीजो का िनमऽण उस तक पहच जाएगा कही हई उस वकत जब भरी तब तो िफर वह मन िकसकी मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जररी और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद की सवारी उतरी िक पता चलता ह िक फ सी-चीजो की बहतायत आराम म मदद नही दती बिलक खलल ही डालती ह थोड़ी दर को ःवािभमान को जरर सक िमल जाता ह पर इसस अिभमान को िगलटी की खराक ही िमलती ह जकड़ रशमी डोरी की हो तो रशम क ःपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद की जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह िक बाजार जाओ तो खाली मन न हो मन खाली हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चािहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लआय स भरा हो तो बाजार फला का फला ही रह जाएगा तब वह घाव िबलकल नही द सकगा बिलक कछ आनद ही दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयोिक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार की असली कताथरता ह आवयकता क समय काम आना

शन-1 बाजार क जाद को लखक न कस ःपषट िकया ह

उततर- बाजार क रप का जाद आखो की राह स काम करता हआ हम आकिषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज माहक को अपनी ओर आकिषरत करती ह| इसी चमबकीय शिकत क कारण वयिकत िफजल सामान को भी खरीद लता ह |

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शन-2 जब भरी हो और मन खाली तो हमारी कया दशा होती ह

उततर- जब भरी हो और मन खाली हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाली ह तो बाजार की अनकानक चीजो का िनमऽण मन तक पहच जाता ह और उस समय यिद जब भरी हो तो मन हमार िनयऽण म नही रहता

शन-3 फ सी चीजो की बहतायत का कया पिरणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम की जगह आराम म वयवधान ही डालती ह थोड़ी दर को अिभमान को जरर सक िमल जाती ह पर िदखाव की वितत म विदध होती ह

शन-4 जाद की जकड़ स बचन का कया उपाय ह

उततर- जाद की जकड़ स बचन क िलए एक ही उपाय ह वह यह ह िक बाजार जाओ तो मन खाली न हो मन खाली हो तो बाजार मत जाओ

13 काल मघा पानी द

लखक-धमरवीर भारती

पाठ का साराश -lsquoकाल मघा पानी दrsquo िनबध लोकजीवन क िवशवास और िवजञान क तकर पर आधािरत ह जब भीषण गमीर क कारण वयाकल लोग वषार करान क िलए पजा-पाठ और कथा-िवधान कर थकETHहार जात ह तब वषार करान क िलए अितम उपाय क रप म इनदर सना िनकलती ह| इनदर सना नग-धड़ग बचचो की टोली ह जो कीचड़ म लथपथ होकर गली-मोहलल म पानी मागन िनकलती ह| लोग अपन घर की छतो-िखड़िकयो स इनदर सना पर पानी डालत ह | लोगो की मानयता ह िक इनि बादलो क ःवामी और वषार क दवता ह| इनि की सना पर पानी डालन स इनि भगवान सनन होकर पानी बरसाएग | लखक का तकर ह िक जब पानी की इतनी कमी ह तो लोग मिकल स जमा िकए पानी को बालटी भर-भरकर इनदर सना पर डालकर पानी को कयो बबारद करत ह आयरसमाजी िवचारधारा वाला लखक इस अधिवशवास मानता ह | इसक िवपरीत लखक की जीजी उस समझाती ह िक यह पानी की बबारदी नही बिलक पानी की बवाई ह | कछ पान क िलए कछ दना पड़ता ह | तयाग क िबना दान नही होता| ःतत िनबध म लखक न षटाचार की समःया को उठात हए कहा ह िक जीवन म कछ पान क िलए तयाग आवयक ह जो लोग तयाग और दान की महतता को नही मानत व ही षटाचार म िलपत रहकर दश और समाज को लटत ह| जीजी की आःथा भावनातमक सचचाई को पषट करती ह और तकर कवल वजञािनक तथय को सतय मानता ह जहा तकर यथाथर क कठोर धरातल पर सचचाई को परखता ह तो वही आःथा अनहोनी बात को भी ःवीकार कर मन को सःकािरत करती ह भारत की ःवतऽता क ५० साल बाद भी दश म वयापत भषटाचार और ःवाथर की भावना को दखकर लखक दखी ह | सरकार दवारा चलाई जा रही योजनाए गरीबो तक कयो

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नही पहच पा रही ह काल मघा क दल उमड़ रह ह पर आज भी गरीब की गगरी फटी हई कयो ह लखक न यह शन पाठको क िलए छोड़ िदया ह |

शन1-इनदर सना घर-घर जाकर पानी कयो मागती थी

उततर- गाव क लोग बािरश क िलए भगवान इि स ाथरना िकया करत थ जब पजा-पाठोत आिद उपाय असफ़ल हो जात थ तो भगवान इि को सनन करन क िलए गाव क िकशोर बचच कीचड़ म लथपथ होकर गली-गली घमकर लोगो स पानी मागत थ

शन2-इनदरसना को लखक मढक-मडली कयो कहता ह जीजी क बारETHबार कहन पर भी वह इनदरसना पर पानी फ कन को राजी कयो नही होता

उततर- इनदरसना का कायर आयरसमाजी िवचारधारा वाल लखक को अधिवशवास लगता ह उसका मानना ह िक यिद इदरसना दवता स पानी िदलवा सकती ह तो ःवय अपन िलए पानी कयो नही माग लती पानी की कमी होन पर भी लोग घर म एकऽ िकय हए पानी को इदरसना पर फ़ कत ह लखक इस पानी की िनमरम बरबादी मानता ह

शन3- रठ हए लखक को जीजी न िकस कार समझाया

उततर- जीजी न लखक को पयार स लडड-मठरी िखलात हए िनमन तकर िदए-

1- तयाग का महततव- कछ पान क िलए कछ दना पड़ता ह 2- दान की महतता- ॠिष-मिनयो न दान को सबस ऊचा ःथान िदया ह जो चीज अपन

पास भी कम हो और अपनी आवयकता को भलकर वह चीज दसरो को दान कर दना ही तयाग ह |

3- इिदव को जल का अधयर चढ़ाना- इदरसना पर पानी फ़ कना पानी की बरबादी नही बिलक इिदव को जल का अधयर चढ़ाना ह

4- पानी की बवाई करना- िजस कार िकसान फ़सल उगान क िलए जमीन पर बीज डालकर बवाई करता ह वस ही पानी वाल बादलो की फ़सल पान क िलए इनदर सना पर पानी डाल कर पानी की बवाई की जाती ह

शन4-निदयो का भारतीय सामािजक और साःकितक पिरवश म कया महतव ह

उततर- गगा भारतीय समाज म सबस पजय सदानीरा नदी ह िजसका भारतीय इितहास म धािमरक पौरािणक और साःकितक महतव ह | वह भारतीयो क िलए कवल एक नदी नही अिपत मा ह ःवगर की सीढ़ी ह मोकषदाियनी ह उसम पानी नही अिपत अमत तलय जल बहता ह भारतीय सःकित म निदयो क िकनार मानव सभयताए फली-फली ह| बड़-बड़ नगर तीथरःथान निदयो क िकनार ही िःथत ह ऐस पिरवश मभारतवासी सबस पहल गगा मया की जय ही

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बोलग निदया हमार जीवन का आधार ह हमारा दश किष धान ह निदयो क जल स ही भारत भिम हरी-भरी ह निदयो क िबना जीवन की कलपना नही कर सकत यही कारण ह िक हम भारतीय निदयो की पजा करत ह |

शन4-आजादी क पचास वषोर क बाद भी लखक कयो दखी ह उसक मन म कौन स शन उठ रह ह

उततर- आजादी क पचास वषोर बाद भी भारतीयो की सोच म सकारातमक बदलाव न दखकर लखक दखी ह उसक मन म कई शन उठ रह ह-

1 कया हम सचच अथोर म ःवतनऽ ह

2 कया हम अपन दश की सःकित और सभयता को समझ पाए ह

3 राषटर िनमारण म हम पीछ कयो ह हम दश क िलए कया कर रह ह

4 हम ःवाथर और षटाचार म िलपत रहत ह तयाग म िवशवास कयो नही करत

5 सरकार दवारा चलाई जा रही सधारवादी योजनाए गरीबो तक कयो नही पहचती ह

गदयाश पर आधािरत अथरमहण-सबिधत शनोततर

सचमच ऐस िदन होत जब गली-महलला गाव-शहर हर जगह लोग गरमी म भन-भन कर ऽािहमाम कर रह होत जठ क दसतपा बीतकर आषाढ का पहला पखवाड़ा बीत चका होता पर िकषितज पर कही बादलो की रख भी नही दीखती होती कए सखन लगत नलो म एक तो बहत कम पानी आता और आता भी तो आधी रात को वो भी खौलता हआ पानी हो | शहरो की तलना म गाव म और भी हालत खराब थी| जहा जताई होनी चािहए थी वहा खतो की िमटटी सखकर पतथर हो जाती िफर उसम पपड़ी पड़कर जमीन फटन लगती ल ऐसी िक चलत-चलत आदमी िगर पड़ | ढोर-डगर पयास क मार मरन लगत लिकन बािरश का कही नाम िनशान नही ऐस म पजा-पाठ कथा-िवधान सब करक लोग जब हार जात तब अितम उपाय क रप म िनकलती यह इनदर सना |

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शन१- वषार न होन पर लोगो की कया िःथित हो गयी थी उततर - वषार न होन पर गरमी क कारण लोग ल लगन स बहोश होन लग | गाव-शहर सभी जगह पानी का अभाव हो गया| कए सख गए खतो की िमटटी सखकर पतथर क समान कठोर होकर फट गयी| घरो म नलो म पानी बहत कम आता था | पश पयास क मार मरन लग थ | शन२- वषार क दवता कौन ह उनको सनन करन क िलए कया उपाय िकए जात थ उततर -वषार क दवता भगवान इनि ह| उनको सनन करन क िलए पजाETHपाठ कथा-िवधान कराए जात थ | तािक इनि दव सनन होकर बादलो की सना भजकर झमाझम बािरश कराए और लोगो क कषट दर हो | शन३- वषार करान क अितम उपाय क रप म कया िकया जाता था उततर ETHजब पजा-पाठ कथा-िवधान सब करक लोग हार जात थ तब अितम उपाय क रप म इनदर सना आती थी | नग-धडग कीचड़ म लथपथ Ocircकाल मघा पानी द पानी द गड़धानी दOtilde की टर लगाकर पयास स सखत गलो और सखत खतो क िलए मघो को पकारती हई टोली बनाकर िनकल पड़ती थी| शन४-आशय ःपषट कर ndash जठ क दसतपा बीतकर आषाढ़ का पहला पखवाड़ा बीत चका होता पर िकषितज म कही बादलो की रख भी नजर नही आती | आशय- जठ का महीना ह भीषण गरमी ह| तपत हए दस िदन बीत कर आषाढ का महीना भी आधा बीत गया पर पानी क िलए तड़पत वषार की आशा म आसमान की ओर ताकत लोगो को कही बादल नजर नही आ रह |

14 पहलवान की ढोलक

फ़णीशवरनाथ रण

पाठ का साराश ndashआचिलक कथाकार फ़णीशवरनाथ रण की कहानी पहलवान की ढोलक म कहानी क मखय पाऽ लटटन क माता-िपता का दहात उसक बचपन म ही हो गया था | अनाथ लटटन को उसकी िवधवा सास न पाल-पोसकर बड़ा िकया | उसकी सास को गाव वाल सतात थ | लोगो स बदला लन क िलए कती क दावपच सीखकर कसरत करक लटटन पहलवान बन गया |

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एक बार लटटन यामनगर मला दखन गया जहा ढोल की आवाज और कती क दावपच दखकर उसन जोश म आकर नामी पहलवान चादिसह को चनौती द दी | ढोल की आवाज स रणा पाकर लटटन न दाव लगाकर चाद िसह को पटककर हरा िदया और राज पहलवान बन गया | उसकी खयाित दर-दर तक फ़ल गयी| १५ वषोर तक पहलवान अजय बना रहा| उसक दो पऽ थ| लटटन न दोनो बटो को भी पहलवानी क गर िसखाए| राजा की मतय क बाद नए राजकमार न गददी सभाली राजकमार को घोड़ो की रस का शौक था मनजर न नय राजा को भड़काया पहलवान और उसक दोनो बटो क भोजनखचर को भयानक और िफ़जलखचर बताया फ़लःवरप नए राजा न कती को बद करवा िदया और पहलवान लटटनिसह को उसक दोनो बटो क साथ महल स िनकाल िदया

राजदरबार स िनकाल िदए जान क बाद लटटन िसह अपन दोनो बटो क साथ गाव म झोपड़ी बनाकर रहन लगा और गाव क लड़को को कती िसखान लगा| लटटन का ःकल जयादा िदन नही चला और जीिवकोपाजरन क िलए उसक दोनो बटो को मजदरी करनी पड़ी| इसी दौरान गाव म अकाल और महामारी क कारण ितिदन लाश उठन लगी| पहलवान महामारी स डर हए लोगो को ढोलक बजाकर बीमारी स लड़न की सजीवनी ताकत दता था| एक िदन पहलवान क दोनो बट भी महामारी की चपट म आकर मर गए पर उस रात भी पहलवान ढोलक बजाकर लोगो को िहममत बधा रहा था | इस घटना क चार-पाच िदन बाद पहलवान की भी मौत हो जाती ह|

पहलवान की ढोलक वयवःथा क बदलन क साथ लोक कलाकार क अासिगक हो जान की कहानी ह इस कहानी म लटटन नाम क पहलवान की िहममत और िजजीिवषा का वणरन िकया गया ह भख और महामारी अजय लटटन की पहलवानी को फ़ट ढोल म बदल दत ह इस करण ऽासदी म पहलवान लटटन कई सवाल छोड़ जाता ह िक कला का कोई ःवतऽ अिःततव ह या कला कवल वयवःथा की मोहताज ह

शन1- लटटन को पहलवान बनन की रणा कस िमली

उततर- लटटन जब नौ साल का था तो उसक माता-िपता का दहात हो गया था | सौभागय स उसकी शादी हो चकी थी| अनाथ लटटन को उसकी िवधवा सास न पाल-पोसकर बड़ा िकया | उसकी सास को गाव वाल परशान करत थ| लोगो स बदला लन क िलए उसन पहलवान बनन की ठानी| धारोण दध पीकर कसरत कर उसन अपना बदन गठीला और ताकतवर बना िलया | कती क दावपच सीखकर लटटन पहलवान बन गया |

शन2- रात क भयानक सननाट म लटटन की ढोलक कया किरमा करती थी

उततर- रात क भयानक सननाट मलटटन की ढोलक महामारी स जझत लोगो को िहममत बधाती थी | ढोलक की आवाज स रात की िवभीिषका और सननाटा कम होता था| महामारी स पीिड़त

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लोगो की नसो म िबजली सी दौड़ जाती थी उनकी आखो क सामन दगल का दय साकार हो जाता था और व अपनी पीड़ा भल खशी-खशी मौत को गल लगा लत थ इस कार ढोल की आवाज बीमार-मताय गाववालो की नसो म सजीवनी शिकत को भर बीमारी स लड़न की रणा दती थी

शन3- लटटन न सवारिधक िहममत कब िदखाई

उततर- लटटन िसह न सवारिधक िहममत तब िदखाई जब दोनो बटो की मतय पर वह रोया नही बिलक िहममत स काम लकर अकल उनका अितम सःकार िकया| यही नही िजस िदन पहलवान क दोनो बट महामारी की चपट म आकर मर गए पर उस रात को भी पहलवान ढोलक बजाकर लोगो को िहममत बधा रहा था| यामनगर क दगल म परा जनसमदाय चाद िसह क पकष म था चाद िसह को हरात समय लटटन न िहममत िदखाई और िबना हताश हए दगल म चाद िसह को िचत कर िदया |

शन4- लटटन िसह राज पहलवान कस बना

उततर- यामनगर क राजा कती क शौकीन थ उनहोन दगल का आयोजन िकया पहलवान लटटन िसह भी दगल दखन पहचा चादिसह नामक पहलवान जो शर क बचच क नाम स िसदध था कोई भी पहलवान उसस िभड़न की िहममत नही करता था चादिसह अखाड़ म अकला गरज रहा था लटटन िसह न चादिसह को चनौती द दी और चादिसह स िभड़ गयाढ़ोल की आवाज सनकर लटटन की नस-नस म जोश भर गयाउसन चादिसह को चारो खान िचत कर िदया राजासाहब न लटटन की वीरता स भािवत होकर उस राजपहलवान बना िदया

शन5- पहलवान की अितम इचछा कया थी

उततर- पहलवान की अितम इचछा थी िक उस िचता पर पट क बल िलटाया जाए कयोिक वह िजदगी म कभी िचत नही हआ था| उसकी दसरी इचछा थी िक उसकी िचता को आग दत समय ढोल अवय बजाया जाए |

शन6- ढोल की आवाज और लटटन क म दावपच सबध बताइए-

उततर- ढोल की आवाज और लटटन क दावपच म सबध -

bull चट धा िगड़ धाrarr आजा िभड़ जा | bull चटाक चट धाrarr उठाकर पटक द | bull चट िगड़ धाrarrमत डरना | bull धाक िधना ितरकट ितनाrarr दाव काटो बाहर हो जाओ |

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bull िधना िधना िधक िधनाrarr िचत करो

गदयाश-आधािरत अथरमहण-सबिधत शनोततर

अधरी रात चपचाप आस बहा रही थी | िनःतबधता करण िससिकयो और आहो को अपन हदय म ही बल पवरक दबान की चषटा कर रही थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कही काश का नाम नही| आकाश स टट कर यिद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसकी जयोित और शिकत राःत म ही शष हो जाती थी | अनय तार उसकी भावकता अथवा असफलता पर िखलिखलाकर हस पड़त थ | िसयारो का बदन और पचक की डरावनी आवाज रात की िनःतबधता को भग करती थी | गाव की झोपिडयो स कराहन और क करन की आवाज हर राम ह भगवान की टर सनाई पड़ती थी| बचच भी िनबरल कठो स मा ETHमा पकारकर रो पड़त थ |

(क) अधरी रात को आस बहात हए कयो िदखाया गया ह उततरndash गाव म हजा और मलिरया फला हआ था | महामारी की चपट म आकार लोग मर रह थ |चारो ओर मौत का सनाटा छाया था इसिलए अधरी रात भी चपचाप आस बहाती सी तीत हो रही थी|

(ख) तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह उततरndash तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह िक अकाल और महामारी स ऽःत गाव वालो की पीड़ा को दर करन वाला कोई नही था | कित भी गाव वालो क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यिद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसकी जयोित और शिकत राःत म ही शष हो जाती थी |

(ग) रात की िनःतबधता को कौन भग करता था उततरndash िसयारो की चीख-पकार पचक की डरावनी आवाज और कततो का सामिहक रदन िमलकर रात क सननाट को भग करत थ |

(घ) झोपिड़यो स कसी आवाज आ रही ह और कयो उततरndash झोपिड़यो स रोिगयो क कराहन क करन और रोन की आवाज आ रही ह कयोिक गाव क लोग मलिरया और हज स पीिड़त थ | अकाल क कारण अनन की कमी हो गयी थी| औषिध और पथय न िमलन क कारण लोगो की हालत इतनी बरी थी िक कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माETHमा पकारता था |

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15 चालीर चिपलन यानी हम सब

लखक-िवण खर

पाठ का साराश ndashचालीर चिपलन न हाःय कलाकार क रप म परी दिनया क बहत बड़ दशरक वगर को हसाया ह | उनकी िफलमो न िफलम कला को लोकतािऽक बनान क साथ-साथ दशको की वगर और वणर-वयवःथा को भी तोड़ा | चालीर न कला म बिदध की अपकषा भावना को महततव िदया ह | बचपन क सघषोर न चालीर क भावी िफलमो की भिम तयार कर दी थी| भारतीय कला और सौदयरशासतर म करणा का हाःय म पिरवतरन भारतीय परमपरा म नही िमलता लिकन चालीर एक ऐसा जादई वयिकततव ह जो हर दश सःकित और सभयता को अपना सा लगता ह| भारतीय जनता न भी उनह सहज भाव स ःवीकार िकया ह| ःवय पर हसना चालीर न ही िसखाया| भारतीय िसनमा जगत क स िसदध कलाकार राजकपर को चालीर का भारतीयकरण कहा गया ह | चालीर की अिधकाश िफ़लम मक ह इसिलए उनह अिधक मानवीय होना पड़ा | पाठ म हाःय िफलमो क महान अिभनता lsquoचालीर चिपलनrsquo की जादई िवशषताओ का उललख िकया गया ह िजसम उसन करणा और हाःय म सामजःय ःथािपत कर िफ़लमो को सावरभौिमक रप दान िकया

शन१ -चालीर क जीवन पर भाव डालन वाली मखय घटनाए कौन सी थी

उततर- चालीर क जीवन म दो ऐसी घटनाए घटी िजनहोन उनक भावी जीवन पर बहत भाव डाला |

पहली घटना - जब चालीर बीमार थ उनकी मा उनह ईसा मसीह की जीवनी पढ़कर सना रही थी | ईसा क सली पर चढ़न क सग तक आत-आत मा-बटा दोनो ही रोन लग| इस घटना न चालीर को ःनह करणा और मानवता जस उचच जीवन मलय िदए |

दसरी घटना हETH बालक चालीर कसाईखान क पास रहता था| वहा सकड़ो जानवरो को रोज मारा जाता था| एक िदन एक भड़ वहा स भाग िनकली| भड़ को पकड़न की कोिशश म कसाई कई बार िफसला| िजस दखकर लोग हसन लग ठहाक लगान लग| जब भड़ को कसाई न पकड़ िलया तो बालक चालीर रोन लगा| इस घटना न उसक भावी िफलमो म ऽासदी और हाःयोतपादक ततवो की भिमका तय कर दी |

शन२ ETH आशय ःपषट कीिजएndash

चिपलन न िसफर िफलमकला को ही लोकतािऽक नही बनाया बिलक दशरको की वगर तथा वणर-वयवःथा को भी तोड़ा|

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उततर- लोकतािऽक बनान का अथर ह िक िफलम कला को सभी क िलए लोकिय बनाना और वगर और वणर-वयवःथा को तोड़न का आशय ह- समाज म चिलत अमीर-गरीब वणर जाितधमर क भदभाव को समापत करना |चिपलन का चमतकार यह ह िक उनहोन िफलमकला को िबना िकसी भदभाव क सभी लोगो तक पहचाया| उनकी िफलमो न समय भगोल और सःकितयो की सीमाओ को लाघ कर सावरभौिमक लोकियता हािसल की | चालीर न यह िसदध कर िदया िक कला ःवतनऽ होती ह अपन िसदधात ःवय बनाती ह |

शन३ETH चालीर चिपलन की िफलमो म िनिहत ऽासदीकरणाहाःय का सामजःय भारतीय कला और सौदयरशासतर की पिरिध म कयो नही आता

उततर- चालीर चिपलन की िफलमो म िनिहत ऽासदीकरणाहाःय का सामजःय भारतीय कला और सौदयरशासतर की पिरिध म नही आताकयोिक भारतीय रस-िसदधात म करणा और हाःय का मल नही िदखाया जाता कयोिक भारतीय सौदयरशासतर म करणरस और हाःय रस को परःपर िवरोधी माना गया ह अथारत जहा करणा ह वहा हाःय नही हो सकता भारत म ःवय पर हसन की परपरा नही ह परत चालीर क पाऽ अपन पर हसतETHहसात ह चालीर की िफ़लमो क दय हसात-हसात रला दत ह तो कभी करण दय क बाद अचानक ही हसन पर मजबर कर दत ह

शन४ETH चालीर क िफलमो की िवशषताए बताइए |

उततर- चालीर की िफ़लमो म हाःय और करणा का अदभत सामजःय ह उनकी िफ़लमो म भाषा का योग बहत कम ह चालीर की िफ़लमो म बिदध की अपकषा भावना का महततव अिधक ह उनकी िफ़लमो म सावरभौिमकता ह चालीर िकसी भी सःकित को िवदशी नही लगत चालीर सबको अपन लगत ह चालीर न िफ़लमो को लोकतािऽक बनाया और िफ़लमो म वगर तथावणर-वयवःथा को तोड़ा अपनी िफलमो म चालीर सदव िचर यवा िदखता ह

गदयाश-आधािरत अथरमहण-सबधी शनोततर

गदयाश सकत ETHचालीर चिपलन यानी हम सब (पषठ १२० )

यिद यह वषर चिपलन की काफी कछ कहा जाएगा |

शन (क)-िवकासशील दशो म चिपलन कयो मशहर हो रह ह

उततर - िवकासशील दशो म जस-जस टलीिवजन और वीिडयो का सार हो रहा ह लोगो को उनकी िफलमो को दखन का अवसर िमल रहा ह |एक बहत बड़ा वगर नए िसर स चालीर को घड़ी सधारत और जत खान की कोिशश करत दख रहा ह इसीिलए चालीर िवकासशील दशो म लोकिय हो रह ह |

(ख)- पिशचम म चालीर का पनजीरवन कस होता रहता ह

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उततर - पिशचम म चालीर की िफलमो का दशरन होता रहता ह| उनकी कला स रणा पाकर हाःय िफ़लम बनती रहती ह | उनक दवारा िनभाए िकरदारो की नकल अनय कलाकार करत ह | पिशचम म चालीर का पनजीरवन होता रहता ह|

(ग)- चालीर को लोग बढ़ाप तक कयो याद रखग

उततर ETHहाःय कलाकार क रप म लोग चालीर को बढ़ाप तक याद रखग कयोिक उनकी कला समय भगोल और सःकितयो की सीमाओ को लाघकर लाखो लोगो को हसा रही ह|

(घ)- चालीर की िफलमो क बार म काफी कछ कहा जाना कयो बाक़ी ह

उततर ETHचिपलन की ऐसी कछ िफ़लम या इःतमाल न की गयी रील िमली ह िजनक बार म कोई नही जानता था | चालीर की भावनाधान हाःय िफलमो न कला क नए ितमान ःथािपत िकए ह अत चालीर की िफलमो क बार म अभी काफी कछ कहा जाना बाक़ी ह|

16 नमक

लिखका - रिजया सजजाद जहीर

साराश -lsquoनमकrsquoभारत-पाक िवभाजन पर िलिखत मािमरक कहानी ह | िवःथािपत हए लोगो म अपनETHअपन जनम ःथानो क ित आज भी लगाव ह| धािमरक आधार पर बनी राषटर-राजयो की सीमा-रखाए उनक अतमरन को अलग नही कर पाई ह | भारत म रहन वाली िसख बीवी लाहौर को अपना वतन मानती ह और भारतीय कःटम अिधकारी ढाका क नािरयल पानी को यादकर उस सवरौषठ बताता ह दोनो दशो क नागिरको क बीच महबबत का नमकीन ःवाद आज भी कायम ह इसीिलए सिफ़या भारत म रहन वाली अपनी महबोली मा िसख बीवी क िलए लाहौरी नमक लान क िलए कःटम और कानन की परवाह नही करती

शन1- OcircनमकOtilde पाठ क आधार पर बताइए िक सिफया और उसक भाई क िवचारो म कया अतर था

उततर- १-सिफया भावनाओ को बहतमहततव दती ह पर उसका भाई बौिदधक वितत का ह उसकी दिषट म कानन भावनाओ स ऊपर ह|

२-सिफया मानवीय सबधो को बहत महततव दती ह जबिक उसका भाई अलगाववादी िवचारधारा का ह िहःस-बखर की बात करता ह |

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३-सिफया का भाई कहता ह िक अदीबो(सािहतयकार) का िदमाग घमा हआ होता ह जबिक सिफया जो ःवय अदीब ह उसका मानना ह िक अगर सभी लोगो का िदमाग अदीबो की तरह घमा हआ होता तो दिनया कछ बहतर हो जाती |

शन२- नमक ल जात समय सिफ़या क मन म कया दिवधा थी

उततर-सिफया सयद मसलमान थी जो हर हाल म अपना वायदा िनभात ह| पािकःतान स लाहौरी नमक ल जाकर वह अपना वायदा परा करना चाहती थी परनत जब उस पता चला िक कःटम क िनयमो क अनसार सीमापार नमक ल जाना विजरत ह तो वह दिवधा म पड़ गई | सिफ़या का दवदव यह था िक वह अपनी िसख मा क िलए नमक कःटम अिधकािरयो को बताकरल जाए या िछपाकर|

शन३- पाठ क आधार पर सिफया की चािरिऽक िवशषताए बताइए |

उततर सकत ndash

१- भावक

२- ईमानदार

३- दढ़िनशचयी

४- िनडर ५- वायद को िनभान वाली

६- मानवीय मलयो को सवोरपिर मानन वाली सािहतयकार शन ४- OcircनमकOtilde पाठ म आए िकरदारो क माधयम स ःपषट कीिजए िक आज भी भारत और पािकःतान की जनता क बीच महबबत का नमकीन ःवाद घला हआ ह |

उततर ETH भल ही राजनीितक और धािमरक आधार पर भारत और पािकःतान को भौगोिलक रप स िवभािजत कर िदया गया ह लिकन दोनो दशो क लोगो क हदय म आज भी पारःपिरक भाईचारा सौहािर ःनह और सहानभित िवदयमान ह | राजनीितक तौर पर भल ही सबध तनावपणर हो पर सामािजक तौर पर आज भी जनता क बीच महबबत का नमकीन ःवाद घला हआ ह | अमतसर म रहन वाली िसख बीबी लाहौर को अपना वतन कहती ह और लाहौरी नमक का ःवाद नही भला पाती | पािकःतान का कःटम अिधकारी नमक की पिड़या सिफया को वापस दत हए कहता ह जामा मिःजद की सीिढ़यो को मरा सलाम कहना | भारतीय सीमा पर तनात कःटम अिधकारी ढाका की जमीन को और वहा क पानी क ःवाद को नही भल पाता |

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गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

गदयाश सकत- पाठETH नमक (पषठ १३४)

सिफया कःटम क जगल स दोनो क हाथो म थी |

(क) सिफया कःटम क जगल स िनकलकर दसर पलटफामर पर आ गयी व वही खड़ रहETH इस वाकय म OcircवOtilde शबद का योग िकसक िलए िकया गया ह

उततर- यहा OcircवOtilde शबद का योग पािकःतानी कःटम अिधकारी क िलए िकया गया ह जो िवभाजन स पवर िदलली म रहत थ और आज भी िदलली को ही अपना वतन मानत ह |

(ख) पलटफामर पर सिफया को िवदा करन कौन-कौन आए थ उनहोन सिफया को कस िवदाई दी

उततर- पलटफामर पर सिफया को िवदा करन उसक बहत सार िमऽ सग सबधी और भाई आए थ| उनहोन ठडी सास भरत हए िभच हए होठो क साथ आस बहात हए सिफया को िवदाई दी |

(ग) अटारी म रलगाड़ी म कया पिरवतरन हए उततर- अटारी म रलगाड़ी स पािकःतानी पिलस उतरी और िहनदःतानी पिलस सवार हो गई|

(घ) कौन सी बात सिफया की समझ म नही आ रही थी उततर- दोनो ओर एक सी जमीन एक जसा आसमान एक सी भाषा एक सा पहनावा और एक सी सरत क लोग िफर भी दोनो क हाथो म भरी हई बदक ह |

17 िशरीष क फल

आचायर हजारी साद िदववदी

साराश ndashOcircआचायर हजारी साद िदववदीOtilde िशरीष को अदभत अवधत मानत ह कयोिक सनयासी की भाित वह सख-दख की िचता नही करता गमीर ल वषार और आधी म भी अिवचल खड़ा रहता ह िशरीष क फ़ल क माधयम स मनय की अजय िजजीिवषा धयरशीलता और कतरवयिनषठ बन रहन क मानवीय मलयो को ःथािपत िकया गया हलखक न िशरीष क कोमल फलो और कठोर फलो क दवारा ःपषट िकया ह िक हदय की कोमलता बचान क िलए कभी-कभी वयवहार की कठोरता भी आवयक हो जाती ह| महान किव कािलदास और कबीर भी िशरीष की तरह बपरवाह अनासकत और सरस थ तभी उनहोन इतनी सनदर रचनाए ससार को दी| गाधीजी क वयिकततव म भी कोमलता और कठोरता का अदभत सगम था | लखक सोचता ह िक हमार दश म जो मार-काट अिगनदाह लट-पाट खन-खचचर का बवडर ह कया वह दश को िःथर नही रहन दगा गलामी अशाित और िवरोधी वातावरण क बीच अपन िसदधातो की रकषा करत हए गाधीजी जी िःथर रह सक थ तो दश भी रह सकता ह जीन की बल अिभलाषा क कारण िवषम

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पिरिःथतयो म भी यिद िशरीष िखल सकता ह तो हमारा दश भी िवषम पिरिःथितयो म िःथर रह कर िवकास कर सकता ह

शन1-िसदध कीिजए िक िशरीष कालजयी अवधत की भाित जीवन की अजयता क मऽ का चार करता ह

उततर- िशरीष कालजयी अवधत की भाित जीवन की अजयता क मऽ का चार करता ह| जब पथवी अिगन क समान तप रही होती ह वह तब भी कोमल फलो स लदा लहलहाता रहता ह|बाहरी गरमी धप वषार आधी ल उस भािवत नही करती इतना ही नही वह लब समय तक िखला रहता ह | िशरीष िवपरीत पिरिःथितयो म भी धयरशील रहन तथा अपनी अजय िजजीिवषा क साथ िनःपह भाव स चड गरमी म भी अिवचल खड़ा रहता ह

शन२-आरगवध (अमलतास) की तलना िशरीष स कयो नही की जा सकती

उततर- िशरीष क फल भयकर गरमी म िखलत ह और आषाढ़ तक िखलत रहत ह जबिक अमलतास का फल कवल पनिह-बीस िदनो क िलए िखलता ह | उसक बाद अमलतास क फल झड़ जात ह और पड़ िफर स ठठ का ठठ हो जाता ह | अमलतास अलपजीवी ह | िवपरीत पिरिःथितयो को झलता हआ ऊण वातावरण को हसकर झलता हआ िशरीष दीघरजीवी रहता ह | यही कारण ह िक िशरीष की तलना अमलतास स नही की जा सकती |

शन३-िशरीष क फलो को राजनताओ का रपक कयो िदया गया ह

उततर- िशरीष क फल उन बढ़ ढीठ और परान राजनताओ क तीक ह जो अपनी कसीर नही छोड़ना चाहत | अपनी अिधकार-िलपसा क िलए नए यवा नताओ को आग नही आन दत | िशरीष क नए फलो को जबरदःती परान फलो को धिकयाना पड़ता ह | राजनीित म भी नई यवा पीढ़ी परानी पीढ़ी को हराकर ःवय सतता सभाल लती ह |

शन४- काल दवता की मार स बचन का कया उपाय बताया गया ह

उततर- काल दवता िक मार स बचन का अथर हETH मतय स बचना | इसका एकमाऽ उपाय यह ह िक मनय िःथर न हो| गितशील पिरवतरनशील रह | लखक क अनसार िजनकी चतना सदा ऊधवरमखी (आधयातम की ओर) रहती ह व िटक जात ह |

शन५- गाधीजी और िशरीष की समानता कट कीिजए |

उततर- िजस कार िशरीष िचलिचलाती धप ल वषार और आधी म भी अिवचल खड़ा रहता ह अनासकत रहकर अपन वातावरण स रस खीचकर सरस कोमल बना रहता ह उसी कार गाधी जी न भी अपनी आखो क सामन आजादी क समाम म अनयाय भदभाव और िहसा को झला |

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उनक कोमल मन म एक ओर िनरीह जनता क ित असीम करणा जागी वही व अनयायी शासन क िवरोध म डटकर खड़ हो गए |

गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

गदयाश सकत- पाठ ETH िशरीष क फल (पषठ १४७)

कािलदास सौदयर क वह इशारा ह |

(क) कािलदास की सौदयरETHदिषट की कया िवशषता थी उततर-कािलदास की सौदयरETHदिषट बहत सआम अतभरदी और सपणर थी| व कवल बाहरी रप-रग और आकार को ही नही दखत थ बिलक अतमरन की सदरता क भी पारखी थ| कािलदास की सौदयर शारीिरक और मानिसक दोनो िवशषताओ स यकत था |

(ख) अनासिकत का कया आशय ह उततर- अनासिकत का आशय ह- वयिकतगत सख-दःख और राग-दवष स पर रहकर सौदयर क वाःतिवक ममर को जानना |

(ग) कािलदास पत और रवीिनाथ टगोर म कौन सा गण समान था महाकिव कािलदास सिमऽानदन पत और गरदव रवीिनाथ टगोर तीनो िःथरजञ और अनासकत किव थ | व िशरीष क समान सरस और मःत अवधत थ |

(घ) रवीिनाथ राजोदयान क िसहदवार क बार म कया सदश दत ह राजोदयान क बार म रवीिनाथ कहत ह राजोदयान का िसहदवार िकतना ही सदर और गगनचमबी कयो ना हो वह अितम पड़ाव नही ह| उसका सौदयर िकसी और उचचतम सौदयर की ओर िकया गया सकत माऽ ह िक असली सौदयर इस पार करन क बाद ह अत राजोदयान का िसहदवार हम आग बढ़न की रणा दता ह |

18ौम-िवभाजन और जाित-था

डॉ० भीमराव अबडकर

साराश ndash इस पाठ म लखक न जाितवाद क आधार पर िकए जान वाल भदभाव को सभय समाज क िलए हािनकारक बताया ह | जाित आधािरत ौम िवभाजन को अःवाभािवक और मानवता िवरोधी बताया गया ह यह सामािजक भदभाव को बढ़ाता ह जाितथा आधािरत ौम िवभाजन म वयिकत की रिच को महततव नही िदया जाता फलःवरप िववशता क साथ अपनाए

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गए पश म कायर-कशलता नही आ पाती | लापरवाही स िकए गए कायर म गणवतता नही आ पाती और आिथरक िवकास बरी तरह भािवत होता ह| आदशर समाज की नीव समता ःवतऽता और बधतव पर िटकी होती ह समाज क सभी सदःयो स अिधकतम उपयोिगता ापत करन क िलए सबको अपनी कषमता को िवकिसत करन तथा रिच क अनरप वयवसाय चनन की ःवतऽता होनी चािहए| राजनीितजञ को अपन वयवहार म एक वयवहायर िसदधात की आवयकता रहती ह और यह वयवहायर िसदधात यही होता ह िक सब मनयो क साथ समान वयवहार िकया जाए

शन1-डॉ० भीमराव अबडकर जाितथा को ौम-िवभाजन का ही रप कयो नही मानत ह

उततर ndash

१- कयोिक यह िवभाजन अःवाभािवक ह | २- यह मन य की रिच पर आधािरत नही ह | ३- वयिकत की कषमताओ की उपकषा की जाती ह | ४- वयिकत क जनम स पहल ही उसका पशा िनधारिरत कर िदया जाता ह | ५- वयिकत को अपना वयवसाय बदलन की अनमित नही दती | शन२- दासता की वयापक पिरभाषा दीिजए |

उततर ndash दासता कवल काननी पराधीनता नही ह| सामािजक दासता की िःथित म कछ वयिकतयो को दसर लोगो क दवारा तय िकए गए वयवहार और कतरवयो का पालन करन को िववश होना पड़ता ह | अपनी इचछा क िवरदध पतक पश अपनान पड़त ह |

शन३- मनय की कषमता िकन बातो पर िनभरर रहती ह

उततर ndashमनय की कषमता मखयत तीन बातो पर िनभरर रहती ह-

१- शारीिरक वश परपरा

२- सामािजक उततरािधकार

३- मनय क अपन यतन

लखक का मत ह िक शारीिरक वश परपरा तथा सामािजक उततरािधकार िकसी क वश म नही ह परनत मन य क अपन यतन उसक अपन वश म ह | अत मनय की मखय कषमता- उसक अपन यतनो को बढ़ावा िमलना चािहए |

शन४- समता का आशय ःपषट करत हए बताइए िक राजनीितजञ परष क सदभर म समता को कस ःपषट िकया गया ह

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जाित धमर स दाय स ऊपर उठकर मानवता अथारत मानव माऽ क ित समान वयवहार ही समता ह राजनता क पास असखय लोग आत ह उसक पास पयारपत जानकारी नही होती सबकी सामािजक पषठभिम कषमताए आवयकताए जान पाना उसक िलए सभव नही होता अतः उस समता और मानवता क आधार पर वयवहार क यास करन चािहए

गदयाश-आधािरत अथरमहण सबिधत शनोततर

गदयाश सकत-पाठ ौम िवभाजन और जाित था (पषठ १५३) यह िवडमबनाबना दती ह | शन १-ौम िबभाजन िकस कहत ह

उततर ौम िवभाजन का अथर हETH मानवोपयोगी कायोर का वगीरकरण करना| तयक कायर को कशलता स करन क िलए योगयता क अनसार िविभनन कामो को आपस म बाट लना | कमर और मानव-कषमता पर आधािरत यह िवभाजन सभय समाज क िलए आवयक ह |

शन २ - ौम िवभाजन और ौिमक-िवभाजन का अतर ःपषट कीिजए |

उततर- ौम िवभाजन म कषमता और कायर-कशलता क आधार पर काम का बटवारा होता ह जबिक ौिमक िवभाजन म लोगो को जनम क आधार पर बाटकर पतक पश को अपनान क िलए बाधय िकया जाता ह| ौम-िवभाजन म वयिकत अपनी रिच क अनरप वयवसाय का चयन करता ह | ौिमक-िवभाजन म वयवसाय का चयन और वयवसाय-पिरवतरन की भी अनमित नही होती िजसस समाज म ऊच नीच का भदभाव पदा करता ह यह अःवाभािवक िवभाजन ह |

शन ३ ETHलखक न िकस बात को िवडमबना कहा ह

उततर लखक कहत ह िक आज क वजञािनक यग म भी कछ लोग ऐस ह जो जाितवाद का समथरन करत ह और उसको सभय समाज क िलए उिचत मानकर उसका पोषण करत ह| यह बात आधिनक सभय और लोकतािनऽक समाज क िलए िवडमबना ह | शन ४ भारत म ऎसी कौन-सी वयवःथा ह जो पर िवशव म और कही नही ह

उततर लखक क अनसार जनम क आधार पर िकसी का पशा तय कर दना जीवनभर एक ही पश स बध रहना जाित क आधार पर ऊच-नीच का भदभाव करना तथा बरोजगारी तथा भखमरी की िःथित म भी पशा बदलन की अनमित न होना ऐसी वयवःथा ह जो िवशव म कही नही ह |

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अधययन साममी

ककषा बारहवी - िवतान भाग-2

िवतान भाग -२ पःतक म स शनपऽ म तीन कार क शन पछ जाएग -

शन १२ अित लघततरातमक तीन शनो म स दो क उततर दन ह| िनधारिरत अक - २ २ = ४

शन १३ दो िनबधातमक शनो म स एक शन का उततर| िनधारिरत अक ETH ५

शन १४ तीन लघततरातमक शनो म स दो शनो क उततर| िनधारिरत अक ETH ३ २ = ६

अिधक अक ािपत हत धयान दन योगय बात ndash

१ परा पाठ पढ़ तथा पाठ की िवषयवःत मख पाऽ तथा सदश की ओर अवय धयान द |

२ शनो क उततर दत समय अनावयक न िलख| शन को धयानपवरक पढ़कर उसका सटीक उततर द |

३ शबदसीमा का धयान रख | ४ अको क अनसार उततर िलख | ५ पाच अक वाल उततरो म िविभनन िबदओ को उदाहरण सिहत ःतत कर |

पाठ 1िसलवर विडग ETH मनोहर याम जोशी

पाठ का सार-िसलवर विडगOtilde कहानी की रचना मनोहर याम जोशी न की ह| इस पाठ क माधयम स पीढ़ी क अतराल का मािमरक िचऽण िकया गया ह| आधिनकता क दौर म यशोधर बाबपरपरागत मलयो को हर हाल म जीिवत रखना चाहत ह| उनका उसलपसद होना दफतर एवम घर क लोगो क िलए सरददर बन गया था | यशोधर बाब को िदलली म अपन पाव जमान म िकशनदा न मदद की थी अतः व उनक आदशर बन गए|

दफतर म िववाह की पचचीसवी सालिगरह क िदन दफतर क कमरचारी मनन और चडढा उनस जलपान क िलए पस मागत ह | जो व बड़ अनमन ढग स दत ह कयोिक उनह िफजलखचीर पसद नही |यशोधर

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बाब क तीन बट ह| बड़ा बटा भषण िवजञापन कमपनी म काम करता ह| दसरा बटा आई ए एस की तयारी कर रहा ह और तीसरा छाऽवित क साथ अमिरका जा चका ह| बटी भी डाकटरी की पढ़ाई क िलए अमिरका जाना चाहती ह वह िववाह हत िकसी भी वर को पसद नही करती| यशोधर बाबबचचो की तरककी स खश ह िकत परपरागत सःकारो क कारण व दिवधा म ह| उनकी पतनी न ःवय को बचचो की सोच क साथ ढाल िलया ह| आधिनक न होत हए भी बचचो क ज़ोर दन पर व अिधक माडनर बन गई ह|

बचच घर पर िसलवर विडग की पाटीर रखत ह जो यशोधर बाब क उसलो क िखलाफ था| उनका बटा उनह सिसग गाउन भट करता ह तथा सबह दध लन जात समय उस ही पहन कर जान को कहता ह जो उनह अचछा नही लगता| बट का ज़ररत स एयादा तनखवाह पाना तनखवाह की रकम ःवय खचर करना उनस िकसी भी बात पर सलाह न मागना और दध लान का िजममा ःवय न लकर उनह सिसग गाउन पहनकर दध लन जान की बात कहना जसी बात यशोधर बाब को बरी लगती ह| जीवन क इस मोड़ पर व ःवय को अपन उसलो क साथ अकल पात ह |

शनोततर -

शन १ अपन घर और िवदयालय क आस-पास हो रह उन बदलावो क बार म िलख जो सिवधाजनक और आधिनक होत हए भी बजगोर को अचछ नही लगत अचछा न लगन क कया कारण हो सकत ह

उततरः आधिनक यग पिरवतरनशील एव अिधक सिवधाजनक ह आज क यवाआधिनकता और पिरवतरनशीलता को महततव दत ह इसीिलए व नई तकनीक और फशन की ओर आकिषरत होत ह व ततकाल नयी जानकािरया चाहत ह िजसक िलए उनक पास कमपयटर इनटरनट एव मोबाइल जस आधिनक तकनीकी साधन ह इनक माधयम स व कम समय म जयादा जानकारी एकऽ कर लत ह घर स िवदयालय जान क िलए अब उनक पास बिढ़या साईिकल एव मोटर साईिकल ह आज यवा लड़क और लड़िकयो क बीच का अनतराल काफी कम हो गया ह परान जमान म लड़िकया-लड़को क साथ पढ़ना और िमलना-जलना ठीक नही माना जाता था जस आज क पिरवश म ह यवा लड़को और लड़िकयो दवारा अग दशरन आज आम बात हो गई ह व एक

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साथ दर रात तक पािटरया करत ह इनटरनट क माधयम स असभय जानकािरया ापत करत ह य सारी बात उनह आधिनक एव सिवधाजनक लगती ह

दसरी ओर इस तरह की आधिनकताबज़गोर को रास नही आतीकयोिक जब व यवा थउस समय सचार क साधनो की कमी थी पािरवािरक पषठभिम क कारण व यवावःथाम अपनी भावनाओ को

काब म रखत थ और अिधक िजममदार होत थ अपन स बड़ो का आदर करत थ और परपराओ क अनसार चलत थ आधिनक पिरवश क यवा बड़-बढ़ो क साथ बहत कम समय वयतीत करत ह इसिलए सोच एव दिषटकोण म अिधक अनतर आ गया ह इसी अनतर को lsquoपीढ़ी का अनतरrsquo कहत ह यवा पीढ़ी की यही नई सोच बजगोर को अचछी नही लगती

२ यशोधर बाब की पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती हलिकन यशोधर बाब असफल रहत हऐसा कयो

उततरः यशोधर बाब अपन आदशर िकशनदा स अिधक भािवत ह और आधिनक पिरवश म बदलत हए जीवन-मलयो और सःकारो क िवरदध ह जबिक उनकी पतनीअपन बचचो क साथ खड़ी िदखाई दती ह वह अपन बचचो क आधिनक दिषटकोण स भािवत ह इसिलए यशोधर बाब की पतनी समय क साथ पिरवितरत होती ह लिकन यशोधर बाब अभी भी िकशनदा क सःकारो और परपराओ स िचपक हए ह

३rsquoिसलवर विडगrsquoकहानी क आधार पर पीढ़ी क अतराल स होन वाल पािरवािरक अलगाव पर अपन िवचार कट कीिजए

उततरः साःकितक सरकषण क िलए ःवःथ परपराओ की सरकषा आवयक ह िकत बदलत समय और पिरवश स सामजःय की भी उपकषा नही की जानी चािहए अनयथा िसलवर विडग क पाऽो की तरह िबखराव होन लगता ह

४rsquoिसलवर विडगrsquoकहानी को धयान म रखत हए परपराओ और साःकितक सरकषको की वतरमान म उपादयता पर अपन िवचार कट कीिजए

उततरःपरपराओ और सःकित स ही िकसी दश की पहचान कायम रहती ह सादगी स जीकर गहःथी को बचाया जा सकता ह यिद ऐसा न होता तो शायद यशोधर बाब की सतान पढ़-िलखकर योगय न बनती

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५ िसलवर विडगक कथानायक यशोधर बाब एक आदशर वयिकत ह और नई पीढ़ी दवारा उनक िवचारो को अपनाना ही उिचत ह| इस कथन क पकष-िवपकष म तकर दीिजए

उततरः- पकषः नयी पीढ़ी क यवा उनकी सादगी और वयिकततव क कछक रक पहलओ को लकर सफल व सःकारी नागिरक बन सकत ह अनयथा व अपनी पहचान खो बठ ग

िवपकषःपरानी रिढ़यो को छोड़कर ही नए समाज व नई पीढ़ी क साथ सामजःय िबठाया जा सकता हअनयथा िवलगाव सिनिशचत ह

६ िसलवर विडग कहानी की मल सवदना ःपषट कीिजए

उततरः - सकत-िबद-पीढ़ी क अनतराल स पदा हई िबखराव की पीड़ा

७ िकशनदा की कौन-सी छिव यशोधर बाब क मन म बसी हई थी

सकत िबनद- 1उनकी दफतर म िविभनन रपो की छिव

2सर पर िनकलन वाली छिव

३ एक आदशरवादी वयिकत क रप म

४ परोपकारी वयिकत |

८ Ocircिसलवर विडगrsquoकहानी का मख पाऽ बार-बार िकशनदा को कयो याद करता हइस आप कया मानत ह उसकी सामथयर या कमजोरीऔरकयो

उततरः सामथयर मानत ह व उनक रक थ उनस अलग अपन को सोचना भी यशोधर बाब क िलए मिकल था जीवन का रणा-ॐोत तो सदा शिकत एव सामथयरका सजरक होता ह

९ पाठ म lsquoजो हआ होगाrsquo वाकय की िकतनी अथर छिवया आप खोज सकत ह

उततरः यशोधर बाब यही िवचार करत ह िक िजनक बाल-बचच ही नही होतव वयिकत अकलपन क कारण ःवःथ िदखन क बाद भी बीमार-स हो जात ह और उनकी मतय हो जाती ह| िजसकार यशोधर बाब अपन आपको पिरवार स कटा और अकला पात ह उसीकार अकलपन स मःत होकर उनकी मतय हई होगी यह भी कारण हो सकता ह िक उनकी िबरादरी स घोर उपकषा

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िमली इस कारण व सख-सख कर मर गए | िकशनदा की मतय क सही कारणो का पता नही चल सका बस यशोधर बाब यही सोचत रह गए िक िकशनदा की मतय कस हईिजसका उततर िकसी क पास नही था

१० वतरमान समय म पिरवार की सरचनाःवरप स जड़ आपक अनभव इस कहानी स कहा तक सामजःय िबठा पात ह

उततरः यशोधर बाब और उनक बचचो की सोच म पीढ़ीजनय अतराल आ गया ह यशोधर सःकारो स जड़ना चाहत ह और सयकत पिरवार की सवदनाओ को अनभव करत ह जबिक उनक बचच अपन आप म जीना चाहत ह अतः जररत इस बात की ह िक यशोधर बाब को अपन बचचो की सकारातमक नई सोच का ःवागत करना चािहएपरनत यह भी अिनवायर ह िक आधिनक पीढ़ी क यवा भी वतरमान बतक सःकार और जीवन मलयो क ित आकिषरत न हो तथा परानी पीढी की अचछाइयो को महण कर यह शरआत दोनो तरफ स होनी चािहए तािक एक नए एव सःकारी समाज की ःथापना की जा सक

११ यशोधर बाब क चिरऽ की िवशषताए िलिखए

उततरः1 कमरठ एव पिरौमी ndashसकशन ऑिफसर होन क बावजद दफतर म दर तक काम करत थ | व अनय कमरचािरयो स अिधक कायर करत थ |

2 सवदनशील- यशोधर बाब अतयिधक सवदनशील थ | व यह बात ःवीकार नही कर पात िक उनका बटा उनकी इजाजत िलए िबना ही घर का सोफा सट आिद खरीद लाता ह उनका साईिकल स दफतर जान पर ऐतराज करता ह उनह दध लन जान म असिवधा न हो इसिलए सिसग गाउन भट करता ह| पतनी उनकी बात न मानकर बचचो क कह अनसार चलती ह | बटी िववाह क बधन म बधन स इकार करती ह और उसक वसतरो म शालीनता नही झलकती | पिरवारवालो स तालमल न बठन क कारण व अपना अिधकतर समय घर स बाहर मिदर म तथा सबजीमडी म सबज़ी खरीदत िबतात ह |

3 परपरावादी- व परपरावादी थ |आधिनक समाज म बदलत समीकरणो को ःवीकार करन को तयार नही थ इसिलए पिरवार क अनय सदःयो स उनका तालमल नही बठ पा रहा था |

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४ धािमरक वयिकत-यशोधर बाब एक धािमरक वयिकत थ| व अपना अिधकतर समय पजा-पाठ और मिदर म िबतात थ |

१२ यशोधर बाब जस लोग समय क साथ ढ़लन म असफल कयो होत ह

उततरः ऐस लोग साधारणतया िकसी न िकसी स भािवत होत ह जस यशोधर बाब िकशन दा स य परपरागत ढरर पर चलना पसनद करत ह तथा बदलाव पसनद नही करत अतः समय क साथ ढ़लन म असफल होत ह

१३ भर-पर पिरवार म यशोधर बाब ःवय को अधरा-सा कयो अनभव करत ह

उततरःसकत िबनद - अपन ाचीन दायर स बाहर न िनकल सकन क कारण व ःवय को अधरा अनभव करत ह

१४lsquolsquoअभी तमहार अबबा की इतनी साख ह िक सौ रपए उधार ल सक rsquorsquo िकन पिरिःथितयो म यशोधर बाब को यह कहना पड़ा

उततरःसकत िबनद- पऽ दवारा उनक िनकट सबधी की आिथरक सहायता क िलए मनाही स आहत होकर ऐसा कहना पड़ा

१५ Ocircिसलवर विडगrsquo कहानी क तथय का िवशलषण कीिजए

उततरः सकत िबनद - पीढ़ी क अतराल को उजागर कर वतरमान समाज की इस कार की सचचाई स पदार उठाया गया ह

१६अपन बचचो की तरककी स खश होन क बाद भी यशोधर बाब कयामहसस करत ह

उततरः उनक बचच गरीब िरतदारो क ित उपकषा का भाव रखत ह उनकी यह खशहाली अपनो क बीच परायापन पदा कर रही ह जो उनह अचछा नही लगता

१७आजकल िकशनदा जसी जीवन-शली अपनान वाल बहत कम लोग िमलत ह कयो

उततर िकशन दा जस लोग मःती स जीत ह िनःःवाथर दसरो की सहायता करत ह जबिक आजकल सभी सहायता क बदल कछ न कछ पान की आशा रखत ह िबना कछ पान की आशा रख सहायता करन वाल िबरल ही होत ह

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१८ यशोधर बाब क बचचो की कौन-सी बात शसनीय ह और कौन-सा पकष आपिततजनक ह

उततर- शसनीय बात- १) महतवाकाकषी और गितशील होना | २)जीवन म उननित करना |

३)समय और सामथयर क अनसार घर म आधिनक सिवधाए जटाना |

आपिततजनक बात - १) वयवहार २) िपता िरतदारो धमर और समाज क ित नकारातमक भाव

३) मानवीय समबनधो की गिरमा और सःकारो म रिच न लना |

१९आपकी दिषट म(पाठ स अलग) िसलवर विडग मनान क और कौन स तरीक हो सकत ह जो यशोधर बाब को अचछ लगत

उततरः मिदर जाकरपिरवार क साथ कही घमन जाकरपऽ-पिऽयो दवारा

माता-िपता को उपहार दकर आिद

२० िसलवर विडग म चटाई का लहगा िकस कहा गया ह

उततरः यह एक तीकातमक योग ह िजस यशोधर बाब अपनी पतनी क िलए योग करत ह उनकी पतनी परानी परपराओ को छोड़ आधिनकता म ढ़ल गई ह ःवय को मॉडनर समझती ह

इसिलए यशोधर बाब न उनह यह नाम िदया ह व उनह Ocircशानयल बिढ़याrsquo तथा Ocircबढ़ी मह महास

लोग कर तमासrsquo कह कर भी िचढ़ात ह

२१ यशोधर बाब पिरवार क बावजद ःवय को अधरा कयो मानत ह

उततर - यशोधर बाब परानी परपराओ को माननवाल ह जबिक उनका सारा पिरवार आधिनक िवचारधारा का ह पीढ़ीगत अतराल क कारण पिरवार क साथ ताल-मल न िबठा पान क कारण व ःवय को अधरा समझत ह

अनय महततवपणर अभयास-शन

1 दफतर म यशोधर बाब स कमरचारी कयो परशान रहत थ

2 यशोधर बाब का अपन बचचो क साथ कसा वयवहार था

3 दफतर क बाद पत जी कया-कया काम करत थ

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4 ऑिफस क सािथयो न यशोधर बाब को िकस बात की बधाइरर दी

5 यशोधर बाब तिकया कलाम क रप म िकस वाकय का योग करत थइस तिकया कलाम का उनक वयिकततव तथा कहानी क कथय स कया सबध ह

6 पीढ़ी क अतराल स वयिकत अकला हो जाता हrsquo- ःपषट कर

७ अपन बट की बड़ी नौकरी पर यशोधर बाब को कया आपितत थी

पाठ 2 जझ आनद यादव

पाठ का सार ndashOcircजझOtilde पाठ आनद यादव दवारा रिचत ःवय क जीवनETHसघषर की कहानी ह| पढ़ाई परी न कर पान क कारण उसका मन उस कचोटता रहता था |दादा न अपन ःवाथोर क कारण उसकी पढ़ाई छड़वा दी थी |वह जानता था िक दादा उस पाठशाला नही भजग | आनद जीवन म आग बढ़ना चाहता था | वह जनता था िक खती स कछ िमलन वाला नही |वह पढ़गा-िलखगा तो बिढ़या-सी नौकरी िमल जाएगी |

आनद न एक योजना बनाई िक वह मा को लकर गाव क ितिषठत वयिकत दतता जी राव क पास जाएगा| दतता जी राव न उनकी परी बात सनी और दादा को उनक पास भजन को कहा | दतता जी न उस खब फटकारा आनद को भी बलाया | दादा न भी कछ बात रखी िक आनद को खती क कायर म मदद करनी होगी| आनद न उनकी सभी बात सहषर मान ली| आनद की पढ़ाई शर हो गई| शर म कछ शरारती बचचो न उस तग िकया िकनत धीर-धीर उसका मन लगन लगा| उसन ककषा क मानीटर वसत पािटल स दोःती कर ली िजसस उस ठीक कार स पढ़ाई करन की रणा िमली| कई परशािनयो स जझत हए आनद न िशकषा का दामन नही छोड़ा| मराठी पढ़ान क िलए ौी सौदलगकर आए| उनहोन आनद क हदय म एक गहरी छाप छोड़ी| उसन भी किवताओ म रिच लनी ारमभ की| उसन खतो म काम करत ETHकरत किवताए कठःथ की| माःटर न उसकी किवता बड़ धयान स सनी| बालक का आतमिवशवास बढ़न लगा और उसकी कावय-ितभा म िनखार आन लगा |

शनोततर-

१ जझ कहानी क आधार पर दतता जी राव दसाई का चिरऽ-िचऽण कीिजए

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उततर 1 समझदार वयिकतETH दतता जी राव न छोट स बालक आनद की बातो को सना| िफर आनद क दादा को बलाया और आनद को िवदयालय भजन पर जोर िदया| उनहोन दादा स इस कार बात की िक उनह शक ही नही हआ िक य सब उनह आनद न बताया ह|

2 मामीणो क मददगार ETH दतता जी गाव क ितिषठत एवम भावशाली वयिकत थ िकत उनहोन अपनी ितषठा का दरपयोग नही िकया| मामीण उनक पास अपनी समःयाए लकर आत थ| दतता जी उनकी समःयाओ को हल करन का यास करत थ|

3भावशाली वयिकततवETH दतता जी गाव क ितिषठत वयिकत थ| सभी उनह बहत मान दत थ| उनका वयिकततव रोबीला था और मामीण उनकी बात मान जात थ|

२ जझ कहानी का उददय कया ह अथवा

Ocircिवषम पिरिःथितयो म भी िवकास सभव हrsquolsquoजझrsquo कहानी क आधार पर ःपषट कीिजए|

उततरः इस कहानी का मखय उददय ह िक मनय को सघषर करत रहना चािहए| कहानी म लखक क जीवन क सघषर को उसक पिरवश क साथ िदखलाया गया ह लखक का िशकषा-ािपत हत िपता स सघषरककषा म सघषरखती म सघषर और अत म उसकी सफलता कहानी क उददय को ःपषट करत ह अतः समःयाओ स भागना नही चािहए| पर आतमिवशवास स उनका मकाबला करना चािहए| सघषर करन वाल को सफलता अवय िमलती ह|

३ lsquoजझrsquo कहानी क शीषरक की साथरकता पर िटपपणी कीिजए

उततरः जझका अथर ह ndashसघषर| यह कथा कथानायक क जीवन भर क सघषर को दशारती ह| बचपन स अभावो म पला बालक िवपरीत पिरिःथितयो पर िवजय हािसल कर सका|अतः यिद मन म लगन हो भरपर आतमिवशवास हो तो सफलता कदम चमती ह |

४ OcircजझOtilde कहानी क आधार पर आनदा क चिरऽ की िवशषताए बताइए अथवा

lsquoजझrsquoशीषरक क औिचतय पर िवचार करत हए यह ःपषट कर िक कया यह शीषरक कथानायक की िकसी कनिीय चािरिऽक िवशषता को उजागर करता ह

उततरः 1 पढ़न की लालसा- आनदा िपता क साथ खती का काम सभालता था| लिकन पढ़न की तीो इचछा न उस जीवन का एक उददय द िदया और वह अपन भिवय को एक सही िदशा दन म सफल होता ह|

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2 वचनबदधता- आनदा न िवदयालय जान क िलए िपता की जो शतर मानी थी उनका पालन हमशा िकया| वह िवदयालय जान स पहल बःता लकर खतो म पानी दता| वह ढोर चरान भी जाता| िपता की बातो का अनपालन करता|

3 आतमिवशवासी एव कमरठ बालकETHआनदा क जीवन म अभाव ही थ| उसक िपता न ही उसका पाठशाला जाना बद करवा िदया था| िकत उसन िहममत नही हारी पर आतमिवशवास क साथ योजनाबदध तरीक स आग बढ़ा और सफल हआ|

४ किवता क ित झकाव- आनदा न माःटर सौदलगकर स भािवत होकर कावय म रिच लनी ारमभ की| वह खतो म पानी दता भस चरात समय भी किवताओ म खोया रहता था| धीर-धीर वह ःवय तकबदी करन लगा| किवताए िलखन स उसम आतमिवशवास बढ़ा|

५ आननदा क िपता की भाित आज भी अनक गरीब व कामगार िपता अपन बचचो को ःकल नही भजना चाहतथ कयो आपकी दिषट म उनह िकस कार िरत िकया जा सकता ह

उततरः अिधकतर लोग अिशिकषत होन क कारण िशकषा क महततव को नही समझत| अिधक बचच कम आमदनी दो अितिरकत हाथो स कमाई की लालसा आिद इसक मख कारण ह उनह िरत करन हत उनह जागरक करना िशकषा का महततव बतानािशिकषत होकर जीवन ःतर म सधार क िलए ोतसािहत िकया जा सकता ह

६ सकारातमक सजनातमकता स आतमिवशवास को दढ़ता िमलती ह जझ कहानी क आधार पर समझाइए

उततरः लखक न पढ़ाई म ःवय को िपछड़ता हआ पाया| िकत िशकषक सौदलगकर स िरत होकर लखक कछ तकबदी करन लगा| धीर ETHधीर उसम आतमिवशवास बढ़न लगा| सजनातमकता न उसक जीवन को नया मोड़ िदया| अतः लखक क दवारा किवता रच लन स उसम आतमिवशवास का सजन हआ

७ lsquoजझrsquoकहानी क आधार पर बताइए िक एक भावशाली िशकषक िकस तरह अपन िवदयाथीर का भिवय सवार सकता ह अथवा

आननदा स किव डॉ आननद यादव बनन की याऽा म माःटर सौनदलगकर की भिमका ःपषट कीिजए

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उततरः माःटर सौदलगकर कशल अधयापक मराठी क जञाता व किवसरील ढग स ःवय कीव दसरो की किवताए गात थ आननदा को किवता या तकबनदी िलखन क ारिमभक काल म उनहोन उसका मागरदशरन व सधार िकयाउसका आतमिवशवास बढ़ाया िजसस वह धीर-धीर किवताए िलखन म कशल हो कर ितिषठत किव बन गया

८ आननदा कोपनः ःकल जान पर कया-कया झलना पड़ा

उततरः ःवय स कम आय क छाऽो क साथ बठना पड़ावह अनय छाऽो की हसी का पाऽ बना तथा उस िपता की इचछा क कारण घर व ःकल दोनो म िनरतर काम करना पड़ा

९ ःकल म मानीटर न आनदा को सवारिधक भािवत िकया और कस

उततरः मानीटर बसत पािटल न उस सवारिधक भािवत िकया|वह शात व अधययनशील छाऽ था आनदा उसकी नकल कर हर काम करन लगाधीर-धीर एकामिचत व अधययनशील बनकर आननदा भी ककषा म सममान का पाऽ बन गया

१० आपक दिषट स पढ़ाई-िलखाई क समबनध म लखक और दतता जी राव का रवया सही था या लखक क िपता कातकर सिहत उतर दीिजए

उततरः लखक का मत ह िक जीवन भर खतो म काम करक कछ भी हाथ आन वाला नही ह पीढ़ी दर पीढ़ी खतो म काम करक कछ ापत नही हो सका व मानत ह िक यह खती हम गढढ म धकल रही ह अगर म पढ़-िलख गया तो कही मरी नौकरी लग जाएगी या कोई वयापार करक अपन जीवन को सफल बनाया जा सकता ह मा-बटा जब दतता जी राव क घर जाकर परी बात बतात ह तो दतता जी राव िपता जी को बलाकर खब डाटत ह और कहत ह िक त सारा िदन कया करता ह बट और पतनी को खतो म जोत कर त सारा िदन साड की तरह घमता रहता ह कल स बट को ःकल भज अगर पस नही ह तो फीस म दगा परनत िपता जी को यह सब कछ बरा लगा दतता जी राव क सामन lsquoहाrsquo करन क बावजद भी व आननद को ःकल भजन क पकष म नही थ इस कार लखक और उनक िपताजी की सोच म एक बड़ा अनतर ह हमार खयाल स पढ़ाई-िलखाई क समबनध म लखक और दतता जी राव का रवया लखक क िपता की सोच स जयादा ठीक ह कयोिक पढ़न-िलखन स वयिकत का सवारगीण िवकास होता ह

अनय महततवपणर अभयास-शन

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१ जझ पाठ क आधार पर बताइए िक कौन िकसस कहा जझ रहा ह तथा अपनी जझ म कौन सफल होता ह

२ आनदा का िपता कोलह जलदी कयो चलवाता था

३ पाठशाला म आनदा का पहला अनभव कसा रहा

४ दतता राव क सामन रतनपपा न आनदा को ःकल न भजन का कया कारण बताया

५ आनदा क िपता न उस पाठशाला भजन की सहमित िकस शतर पर दी

पाठ 3 अतीत म दब पाव ओम थानवी

पाठ का सारndashयहओम थानवी क याऽा-वततात और िरपोटर का िमला-जला रप ह|उनहोन इस पाठ म िवशव क सबस परान और िनयोिजत शहरो-मअनजो-दड़ो तथा हड़पपा का वणरन िकया ह | पािकःतान क िसध ात म मअनजो-दड़ो ओर पजाब ात म हड़पपा नाम क दो नगरो को पराततविवदो न खदाई क दौरान खोज िनकाला था|मअनजो-दड़ो ताकाल का सबस बड़ा शहर था |मअनजो-दड़ो अथारत मदोर का टीला| यह नगर मानव िनिमरत छोटETHछोट टीलो पर बना था |मअनजो-दड़ो म ाचीन और बड़ा बौदध ःतप ह | इसकी नगर योजना अिदवतीय ह| लखक न खडहर हो चक टीलो ःनानागार मद-भाडो कओETHतालाबो मकानो व मागोर का उललख िकया ह िजनस शहर की सदर िनयोजन वयवःथा का पता चलता ह| बःती म घरो क दरवाज मखय सड़क की ओर नही खलत हर घर म जल िनकासी की वयवःथा ह सभी नािलया की ढकी हई ह पककी ईटो का योग िकया गया ह|

नगर म चालीस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा एक महाकड भी ह |इसकी दीवार ओर तल पककी ईटो स बन ह | कड क पास आठ ःनानागार ह | कड म बाहर क अशदध पानी को न आन दन का धयान रखा गया | कड म पानी की वयवःथा क िलए कआ ह | एक िवशाल कोठार भी ह िजसम अनाज रखा जाता था |उननत खती क भी िनशान िदखत ह -कपास गह जौ सरसो बाजरा आिद क माण िमल ह|

िसध घाटी सभयता म न तो भवय राजमहल िमल ह ओर ही भवय मिदर| नरश क सर पर रखा मकट भी छोटा ह| मअनजो-दड़ो िसध घाटी का सबस बड़ा नगर ह िफर भी इसम भवयता व आडमबर का अभाव रहा ह| उस समय क लोगो न कला ओर सरिच को महततव िदया| नगर-िनयोजन धात एव पतथर की मितरया मद-भाड उन पर िचिऽत मानव ओर अनय

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आकितया महर उन पर बारीकी स की गई िचऽकारी| एक परातततववतता क मतािबक िसध सभयता की खबी उसका सौदयर-बोध ह जो राजपोिषत या धमरपोिषत न होकर समाजपोिषत था|

शनोततरndash

१ Ocircिसनध सभयता साधन समपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नही था |Otilde ःतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

उततरः दसरी सभयताए राजतऽ और धमरतऽ दवारा सचािलत थी वहा बड़-बड़ सनदर महल पजा ःथल भवय मितरया िपरािमड और मिनदर िमल ह राजाओ धमारचायोर की समािधया भी मौजद ह िकत िसनध सभयता एक साधन-समपनन सभयता थी परनत उसम राजसतता या धमरसतताक िचहन नही िमलत वहा की नगर योजनावाःतकलामहरोठपपोजल-वयवःथासाफ-सफाई और सामािजक वयवःथा आिद की एकरपतादवारा उनम अनशासन दखा जा सकता ह |साःकितक धरातलपर यह तथय सामन आता ह िक िसनध घाटी की सभयता दसरीसभयताओ स अलग एव ःवाभािवक

िकसी कार की किऽमता एव आडबररिहतथी जबिक अनय सभयताओ म राजतऽ और धमरतऽ की ताकत को िदखात हए भवय महल मिदर ओर मितरया बनाई गई िकत िसनध घाटी सभयता की खदाई म छोटी-छोटी मितरया िखलौन मद-भाड नाव िमली ह इस कार यह ःपषट ह िक िसनध सभयता समपनन थी परनत उसम भवयता का आडबर नही था

२ Ocircिसनध सभयता की खबी उसका सौनदयर बोध ह जो राजपोिषत न होकर समाज-पोिषत थाOcirc ऐसा कयो कहा गया ह

उततरः िसनध सभयता म औजार तो बहत िमलहपरत हिथयारो का भी योग होता रहा होगा इसका कोई माण नहीह व लोग अनशासनिय थ परनत यह अनशासन िकसी ताकत क बल क दवारा कायम नही िकया गयाबिलक लोग अपन मन और कमर स ही अनशासन िय थ मअनजो-दड़ो की खदाई म एक दाढ़ी वाल नरश की छोटी मितर िमली ह परनत यह मितर िकसी राजतऽ या धमरतऽ का माण नही कही जा सकती िवशव की अनय सभयताओ क साथ तलनातमक अधययन स भी यही अनमान लगाया जा सकता ह िक िसनध सभयता की खबी उसका सौनदयरबोध ह जो िक समाज पोिषत ह राजपोिषत या धमरपोिषत नही ह

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३ lsquoयह सच ह िक यहा िकसी आगन की टटी-फटी सीिढ़या अब आप को कही नही ल जातीव आकाश की तरफ अधरी रह जाती ह लिकन उन अधर पायदानो पर खड़ होकर अनभव िकया जा सकता ह िक आप दिनया की छत पर ह वहा स आप इितहास को नही उस क पार झाक रह हrsquo इसक पीछ लखक का कया आशय ह

उततरः इस कथन स लखक का आशय ह िक इन टट-फट घरो की सीिढ़यो पर खड़ होकर आप िवशव की सभयता क दशरनकर सकत ह कयोिक िसनध सभयता िवशव की महान सभयताओ म स एक ह िसनध सभयता आडबररिहत एव अनशासनिय ह खडहरो स िमल अवशषो और इन टट-फट घरो स कवल िसनध सभयता का इितहास ही नही दखा जा सकता ह बिलक उसस कही आग मानवता क िचहन ओर मानवजाित क बिमक िवकास को भी दखा जा सकता ह कई शन - ऐस कौन स कारण रह होग िक य महानगर आज कवल खडहर बन कर रह गए ह व बड़ महानगर कयो उजड़ गए उस जमान क लोगो की वाःतकला कला ओर जञान म रिच समाज क िलए आवयक मलय - अनशासन सादगी ःवचछता सहभािगता आिदहम मानवजाित क बिमक िवकास पर पनः िचतन करन पर मजबर कर दत ह इस कार हम इन सीिढ़यो पर चढ़कर िकसी इितहास की ही खोज नही करना चाहत बिलक िसनध सभयता क सभय मानवीय समाज को दखना चाहत ह

४ हम िसनध सभयता को जल-सःकित कस कह सकत ह

उततरःिसनध सभयता एक जल-सःकित थी | तयक घर म एक ःनानघरथा घर क भीतर स पानी या मला पानी नािलयो क माधयम स बाहर हौदी म आता ह और िफर बड़ी नािलयो म चला जाता ह कही-कही नािलया ऊपर स खली ह परनत अिधकतर नािलया ऊपर सबदह इनकी जलिनकासी वयवःथा बहत ही ऊच दजर की था | नगर म कओ का बध था य कए पककी ईटो क बन थ िसनध सभयता स जड़ इितहासकारो का मानना ह िक यह सभयता िवशव म पहली जञात सःकित ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ो नगर म सात सौ कए हयहा का महाकड लगभग चालीस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह|इस कार मअनजो-दड़ो म पानी की वयवःथा सभय समाज की पहचान ह

५ मअनजो-दड़ो की गह-िनमारण योजना पर सकषप म काश डािलए|

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उततर- मअनजो-दड़ो नगर की मखय सड़क क दोनो ओर घर ह परत िकसी भी घर का दरवाजामखय सड़क पर नही खलता घर जान क िलए मखय सड़क स गिलयो म जाना पड़ता हसभी घरो क िलए उिचत जल िनकासी वयवःथा ह घर पककी ईटो क बन ह|छोट घरो म िखड़िकया नही थी िकत बड़ घरो म आगन क भीतर चारो तरफ बन कमरो म िखड़िकया ह| घर छोट भी ह ओर बड़ भी िकत सभी घर कतार म बन ह|

६ lsquoिसनध सभयता ताकत स शािसत होन की अपकषा समझ स अनशािसत सभयता थीrsquo- ःपषट कीिजए

उततरःसकत िबद - खदाई स ापत अवशषो म औजार तो िमल ह िकत हिथयार नही| कोई खडग भाला धनष-बाण नही िमला|

तथा भवय महलो व समािधयो क न होन स कह सकत ह िक िसनध सभयता ताकत स नही समझ स अनशािसत थी

७ ससार की मखय ाचीन सभयताए कौन-कौन सी हाचीनतम सभयता कौन-सी ह उसकी मािणकता का आधार कया ह

उततरः िमॐ की नील घाटी की सभयता मसोपोटािमया की सभयता बबीलोन की सभयता िसनध घाटी की सभयता सबस ाचीन ह िसनध घाटी की सभयता माण ह 1922म िमल हड़पपा व

मअनजो-दड़ोनगरो क अवशष य नगर ईसा पवर क ह

८िसनध घाटी की सभयता की िविशषट पहचान कया ह

उततरः1 एक जस आकार की पककी ईटो का योग 2 जल िनकासी की उतकषट वयवःथा

3 ततकालीन वाःतकला 4 नगर का ौषठ िनयोजन

९ मअनजो-दड़ोम पयरटक कया-कया दख सकत ह

उततरः 1बौदध ःतप2 महाकड 3अजायबघर आिद

१० िसनध सभयता व आजकल की नगर िनमारण योजनाओ म सामय व अनतर बताइए

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उततरः सामय-1 अचछी जल िनकास योजनाढकी हई नािलया 2 नौकरो क िलए अलग आवास वयवःथा 3 पककी ईटो का योग

अनतर- नगर योजना आधिनक तकनीक का योग अतयाधिनक भवनETHिनमारण साममी का योग|

११कलधरा कहा हमअनजो-दड़ोक खणडहरो को दख कलधरा की याद कयोआती ह

उततरः कलधरा जसलमर क महान पर पील पतथरो स बन घरो वाला सनदर गाव ह कलधरा क िनवासी 150 वषर पवर राजा स तकरार होन पर गाव खाली करक चल गए उनक घर अब खणडहर बन चक ह परत ढ़ह नही |घरो की दीवार और िखड़िकया ऐसी ह मानो सबह लोग काम पर गए ह और साझ होत ही लौट आएग |मअनजो-दड़ोक खणडहरो को दखकर कछ ऐसा ही आभास होता ह वहा घरो क खणडहरो म घमत समय िकसी अजनबी घर म अनिधकार चहल-कदमी का अपराधबोध होता ह| पराताितवक खदाई अिभयान की यह खबी रही ह िक सभी वःतओ को बड़ सहज कर रखा गया | अतः कलधरा की बःती और मअनजो-दड़ोक खणडहर अपन काल क इितहास का दशरन करात ह

अनय महततवपणर अभयास-शन

१ िसनध घाटी क िनवासी खती करत थ- इस कथन को िसदध कीिजए

२ rsquoटट-फट खणडहर सभयता और सःकित क इितहास क साथ-साथ धड़कती िजनदिगयो क अनछए समयो का दःतावज होत हrsquo इस कथन का भाव ःपषट कीिजए

३आज जल सकट एक बड़ी समःया ह| ऐस म िसनध सभयता क महानगर मअनजो-दड़ो की जल वयवःथा स कया रणा लीजा सकती ह भावी जल सकट स िनपटन क िलए आप कया सझाव दग

४मअनजो-दड़ोक अजायबघर म कौन-कोन सी वःतए दिशरत थी

५िसध सभयता अनय सभयताओ स िकस कार िभनन ह

६मअनजो-दड़ोकी मख िवशषताए िलिखए

७ िसधघाटी की सभयता लो-ोफाइल ह-ःपषट कीिजए

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८ लखक न ाचीन लडःकप िकस कहा ह उसकी कया िवशषता ह

९ ताकाल क दो सबस बड़ िनयोिजत शहर िकनह माना गया ह और कयो

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पाठ 4 डायरी क पनन ऐन क

पाठ का सार ETH Ocircडायरी क पननOtilde पाठ म Ocircद डायरी ऑफ ए यग गलरOtilde नामक ऐन क की डायरी क कछ अश िदए गए ह| Ocircद डायरी ऑफ ए यग गलरOtilde ऐन क दवारा दो साल अजञातवास क दरमयान िलखी गई थी| १९३३ म कफटर क नगरिनगम चनाव म िहटलर की नाजी पाटीर जीत गई| ततपशचात यहदी-िवरोधी दशरन बढ़न लग | ऐन क का पिरवार असरिकषत महसस करत हए नीदरलड क एमसटडरम शहर म जा बसा |िदवतीय िवशवयदध की शरआत तक(१९३९) तो सब ठीक था| परत १९४० म नीदरलड पर जमरनी का कबज़ा हो गया ओर यहिदयो क उतपीड़न का दौर शर हो गया| इन पिरिःथितयो क कारण १९४२ क जलाई मास म क पिरवारिजसम माता-िपतातरह वषर की ऐन उसकी बड़ी बहन मागोरट तथा दसरा पिरवार ndashवानदान पिरवार ओर उनका बटा पीटरतथा इनक साथ एक अनय वयिकत िमःटर डसल दो साल तक गपत आवास म रह| गपत आवास म इनकी सहायता उन कमरचािरयो न की जो कभी िमःटर क क दफतर म काम करत थ||Ocircद डायरी ऑफ ए यग गलरOtilde ऐन क दवारा उस दो साल अजञातवास क दरमयान िलखी गई थी|अजञातवास उनक िपता िमःटर ऑटो क का दफतर ही था| ऐन क को तरहव जनमिदन पर एक डायरी उपहार म िमली थी ओर उसम उसन अपनी एक गिड़या-िकटटी को समबोिधत िकया ह|

ऐनअजञातवास म परा िदनETH पहिलया बझाती अमज़ी व च बोलती िकताबो की समीकषा करती राजसी पिरवारो की वशावली दखती िसनमा ओर िथएटर की पिऽका पढ़ती और उनम स नायक-नाियकाओ क िचऽ काटतिबताती थी| वह िमसज वानदान की हर कहानी को बार-बार सनकर बोर हो जाती थी ओर िम डसल भी परानी बातETH घोड़ो की दौड़ लीक करती नाव चार बरस की उ म तर सकन वाल बचच आिद सनात रहत|

उसन यदध सबधी जानकारी भी दी ह- किबनट मऽी िम बोलक ःटीन न लदन स डच सारण म यह घोषणा की थी िक यदध क बाद यदध क दौरान िलखी गई डायिरयो का समह िकया जाएगा

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वाययानो स तज़ गोलाबारी हज़ार िगलडर क नोट अवध घोिषत िकए गए | िहटलर क घायल सिनको म िहटलर स हाथ िमलान का जोश अराजकता का माहौल- कार साईिकल की चोरी घरो की िखड़की तोड़ कर चोरी गिलयो म लगी िबजली स चलन वाली घिड़या सावरजिनक टलीफोन चोरी कर िलए गए|

ऐन क न नारी ःवतऽता को महततव िदयाउसन नारी को एक िसपाही क बराबर सममान दन की बात कही| एक तरह वषीरय िकशोरी क मन की बचनी को भी वयकत िकया- जस िम डसल की ड़ाट-फटकार ओर उबाऊ भाषण दसरो की बात सनकर िमसज क का उसडाटना ओर उस पर अिवशवास करना बड़ो क दवारा उसक काम ओर कशसजजा पर टीका-िटपपणी करना िसनमा की पिऽका खरीदन पर िफज़लखचीर का आरोप लगाना पीटर दवारा उसक म को उजागर न करना आिद|

ऐन क की डायरी क दवारा िदवतीय िवशवयदध की िवभीिषका िहटलर एव नािजयो दवारा यहिदयो का उतपीड़न डर भखमरी गरीबी आतक मानवीय सवदनाए म घणा तरह साल की उ क सपन कलपनाए बाहरी दिनया स अलग-थलग पड़ जान की पीड़ा मानिसक ओर शारीिरक जररत हसी-मज़ाक अकलापन आिद का जीवत रप दखन को िमलता ह |

शनोततर ndash

१ lsquolsquoऐन की डायरी अगर एक ऐितहािसक दौर का जीवत दःतावज ह तो साथ ही उसक िनजी

सख-दःख और भावनातमक उथल-पथल का भी इन पषठो म दोनो का फकर िमट गया ह rsquorsquo इस कथन पर िवचार करत हए अपनी सहमित या असहमित तकर पवरक वयकत कर

उततरःऐन की डायरी अगर एक ऐितहािसक दौर का जीवत दःतावज ह तो साथ ही उसक िनजी सख-दःख और भावनातमक उथल-पथल का भी कयोिक इसम ऐन न िदवतीय िवशवयदध क समय हॉलड क यहदी पिरवारो की अकलपनीय यऽणाओ का वणरन करन क साथ-साथ वहा की राजनितक िःथित एव यदध की िवभीिषका का जीवत वणरन िकया हवाययानो स तज़ गोलाबारी हज़ार िगलडर क नोट अवध घोिषत िकए गए िहटलर क घायल सिनको म िहटलर स हाथ िमलान का जोश अराजकता का माहौलआिद| साथ हीयह डायरी ऐन क पािरवािरक सख-दःख और भावनातमक िःथित को कट करती ह- गरीबी भखमरीअजञातवास म जीवन वयतीत करना दिनया स िबलकल कट जाना पकड़ जान का डर आतक यह डायरी एक ओर वहा क राजनितक वातावरण म सिनको की िःथित आचरण व जनता पर होन वाल अतयाचार िदखाती

120

ह तो दसरी ओरएक तरह वषर की िकशोरी की मानिसकता कलपना का ससार ओर उलझन को भीिदखाती ह जो ऐन की आपबीती ह इस तरह यह डायरी ऐितहािसक दःतावज होन क साथ-साथ ऐन क जीवन क सख-दख का िचऽण भी ह

२ lsquolsquoयह साठ लाख लोगो की तरफ स बोलन वाली एक आवाज ह एक ऐसी आवाज जो िकसी सनत या किव की नही बिलक एक साधारण-सी लड़की की हrsquorsquo इलया इहरनबगर की इस िटपपणी क सदभर म ऐन क की डायरी क पिठत अशो पर िवचार कर

उततरः उस समय यरोप म लगभग साठ लाख यहदीथिदवतीय िवशवयदध म नीदरलड पर जमरनी का कबज़ा हो गया और िहटलर की नाजी फौज न यहिदयो को िविभनन कार स यऽणाए दन लग | उनह तरह-तरह क भदभाव पणर ओर अपमानजनक िनयम-कायदो को मानन क िलए बाधय िकया जान लगा |गःटापो (िहटलर की खिफया पिलस) छाप मारकर यहिदयो को अजञातवास स ढढ़ िनकालती ओर यातनागह म भज दती| अतः चारो तरफ अराजकता फली हई थी यहदी अजञातवास म िनरतर अधर कमरो म जीन को मजबरथउनह एक अमानवीय जीवन जीन को बाधय होना पड़ा|िहटलर की नाजी फौजका खौफ उनह हरवकत आतिकत करता रहता था | ऐन न डायरी क माधयम स न कवलिनजी सख-दःख और भावनाओ को वयकत िकयाबिलक लगभग साठ लाख यहदी समदाय की दख भरी िजनदगी को िलिपबदध िकया ह इसिलए इलया इहरनबगर की यह िटपपणी िक lsquolsquoयह साठ लाख लोगो की तरफ स बोलन वाली एक आवाज ह एक ऐसी आवाज जो िकसी सत या किव की नही बिलक एक साधारण-सी लड़की की हrsquoसवरमानय एव सतय ह

३ ऐन क कौन थीउसन अपनी डायरी म िकस काल की घटनाओ का िचऽण िकया हयह कयो महतवपणर ह

उततर ऐन क एक यहदी लड़की थी उसन अपनी डायरी म िदवतीय िवशवयदध (1939-

1945) क दौरान िहटलर की नाजी फौज न यहिदयो को िविभनन कार स यऽणाए दी| यह डायरी यदध क दौरान फली अराजकता और राजनितक पिरदय को दशारती ह| यह नािजयो दवारा यहिदयो पर िकए गए जलमो का एक ामािणक दःतावज ह और साथ ही साथ एक तरह वषीरय िकशोरी की भावनाए और मानिसकता को समझान म सहायक ह

४ डायरी क पनन पाठ म िम डसल एव पीटर का नाम कई बार आया ह इन दोनो का िववरणातमक पिरचय द

121

उततरः िमडसल- ऐन क िपता क साथ काम करत थ व ऐन व पिरवार क साथ अजञातवास म रह थ डसल उबाऊ लब-लब भाषण दत थ और अपन जमान क िकःस सनात रहत थ ऐन को अकसर डाटत थ व चगलखोर थ और ऐन की मममी स ऐन की सचची-झठी िशकायत करत थ

पीटर- िमःटर और िमसज वानदान का बटा था |वह ऐन का हमउ था ऐन का उसक ित आकषरण बढ़न लगा था और वह यह मानन लगी थी िक वह उसस म करती हऐन क जनमिदन पर पीटर न उस फलो का गलदःता भट िकया था| िकत पीटर सबक सामन म उजागर करन स डरता था| वह साधारणतया शाितिय सहज व आतमीय वयवहार करन वाला था

५ िकटटी कौन थीऐन क न िकटटी को सबोिधत कर डायरी कयो िलखी

उततरः OcircिकटटीOtildeऐन क की गिड़या थी गिड़या को िमऽ की भाित सबोिधत करन स गोपनीयता भग होन का डर न थाअनयथा नािजयो दवारा अतयाचार बढ़न का डर व उनह अजञातवास का पता लग सकता था| ऐन न ःवय (एक तरह वषीरय िकशोरी) क मन की बचनी को भी वयकत करन का ज़िरया िकटटी को बनाया |वह हदय म उठ रही कई भावनाओ को दसरो क साथ बाटना चाहती थी िकत अजञातवास म उसक िलए िकसी क पास समय नही था| िम डसल की ड़ाट-फटकार ओर उबाऊ भाषण दसरो क दवारा उसक बार म सनकर मममी (िमसज क) का उसड़ाटना ओर उस पर अिवशवास करना बड़ो का उस लापरवाह और तनकिमजाज मानना और उस छोटी समझकर उसक िवचारो को महततव न दना उसक दय को कचोटता था |अतः उसन िकटटी को अपना हमराज़ बनाकर डायरी म उस ही सबोिधत िकया|

६ lsquoऐन क की डायरी यहिदयो पर हए जलमो का जीवत दःतावज हrsquoपाठ क आधार पर यहिदयो पर हए अतयाचारो का िववरण द

उततरः िहटलर की नाजी सना न यहिदयो को कद कर यातना िशिवरो म डालकर यातनाए दी उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार िदया जाता था कई यहदी भयमःतहोकर अजञातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय पिरिःथितयो म जीना पड़ा| अजञातवास म उनह सनधमारो स भी िनबटना पड़ा उनकी यहदी सःकित को भी कचल डाला गया

122

७ lsquoडायरी क पननrsquoपाठ िकस पःतक स िलया गया हवह कब कािशत हईिकसन कािशत कराई

उततरः यह पाठ ऐन क दवारा डच भाषा म िलखी गई lsquoद डायरी ऑफ ए यग गलरrsquo नामक पःतक स िलया गया ह यह १९४७ म ऐन क की मतय क बाद उसक िपता िमःटर ऑटो क न कािशत कराई

अनय महततवपणर अभयास-शन

१ काश कोई तो होता जो मरी भावनाओ को गभीरता स समझ पाता| अफसोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नही िमला | कया आपको लगता ह िकऐन क इस कथन म उसक डायरी लखन का कारण छपा हआ ह

२ अजञातवास म उबाऊपन दर करन क िलए ऐन क व वान पिरवार कया करत थ

३ डच मऽी िक िकस घोषणा स ऐन रोमािचत हो उठी

४ ऐन क अनसार यदध म घायल सिनक गवर का अनभव कयो कर रह थ

५ Ocircहर कोई जानता था िक बलाव का कया मतलब होता हOtilde| ऐन की डायरी क आधार पर िलिखए |

६ lsquoकित ही तो एक ऐसा वरदान ह िजसका कोई सानी नही हrsquoऐसा कयो कहा गया ह

123

ितदशर न-पऽ

ककषा १२

िवषयिहनदी (क ििक) िनधारिरत समय ३ घट अिधकतम अक १००

खणड क

१ िनमनिलिखत गदयाश को धयान पवरक पिढ़ए तथा पछ गए शनो क सिकषपत उततर िलिखए लखक का काम काफी हद तक मधमिकखयो क काम स िमलता-जलता ह| मधमिकखया मकरद- समह करन क िलए कोसो दर तक चककर लगाती ह| व सदर और अचछ फलो का रसपान करती ह |तभी तो उनक मध म ससार का सवरौषठ माधयर रहता ह | यिद आप अचछा लखक बनना चाहत ह तो आपको भी यही वितत अपनानी होगी | अचछ मथो का खब अधययन करना होगा और उनक िवचारो का मनन करना होगा | िफर आपकी रचनाओ म मध का-सा माधयर आन लगगा | कोई अचछी उिकत कोई अचछा िवचार भल ही दसरो स महण िकया गया हो लिकन उस पर यथषट मनन कर आप उस अपनी रचना म ःथान दग तो वह आपका ही हो जाएगा | मननपवरक िलखी हई वःत क सबध म िकसी को यह कहन का साहस नही होगा िक वह अमक ःथान स ली गई ह या उिचछषट ह | जो बात आप अचछी तरह आतमसात कर लग वह मौिलक हो जाएगी | (क) अचछा लखक बनन क िलए कया करना चािहए ३

(ख) मधमकखी एव अचछ लखक म कया समानताए होती ह ३

(ग) लखक अपनी रचनाओ म माधयर कस ला सकता ह ३

(घ) कोई भी बात मौिलक कस बनती ह २

(ङ) मधमिकखयो क मध म ससार की सवर ौषठ मधरता कस आती ह २

(च) यथषट तथा उिचछषट शबदो क अथर िलिखए | १ (छ) उपयरकत गदयाश का उपयकत शीषरक िलिखए | १

२ िनमनिलिखत कावयाश को धयान पवरक पढ़कर पछ गए शनो क उततर िलिखए १५=५ साकषी ह इितहास हमी पहल जाग ह जामत सब हो रह हमार ही आग ह शऽ हमार कहा नही भय स भाग

कायरता स कहा ाण हमन तयाग ह

ह हमी किमपत कर चक सरपित तक का भी हदय

124

िफर एक बार ह िवशव गाओ तम भारत की िवजय कहा कािशत नही रहा ह तज हमारा

दिलत कर चक शऽ सदा हम परो दवारा बतलाओ तम कौन नही जो हम स हारा

पर शरणागत हआ कहा कब हम न पयारा

बस यदध माऽ को छोड़कर कहा नही ह हम सदय िफर एक बार ह िवशव तम गाओ भारत की िवजय (क) Ocircहमी पहल जाग हOtilde स कया अिभाय ह

(ख) Ocircह हमी किमपत कर चक सरपित तक का भी भी हदयOtilde स भारतवािसयो की िकस िवशषता का पता लगता ह

(ग) हमारी दयालता का वणरन किवता की िकन पिकतयो म िकया गया ह

(घ) िकसक जयघोष करन क िलए कहा गया ह

(ङ) सरपित तथा शरणागत शबदो क अथर िलिखए |

खणड ख

३ िनमनिलिखत िवषयो म स िकसी एक पर िनबध िलिखए ५

(क) सचार-बाित और भारत

(ख) पिरौम सफलता की कजी

(ग) महगाई की समःया

(घ) पराधीन सपनह सख नाही

४ ःववतत (बायोडाटा) ःतत करत हए कनिीय िवदयालय िवकासपरी नई िदलली क ाचायर को पःतकालय सहायक क पद हत आवदन-पऽ िलिखए | ५

अथवा दरदशरन क कनि िनदशक को िकसी िवशष कायरबम की सराहना करत हए पऽ िलिखए

(क) िनमन शनो क सिकषपत उततर िलिखए- ५

(i) फ़ीडबक कया ह

ह(ii) जनसचार क मख माधयम कौन ETHकौन सत ह(iii) पऽकारीय लखन स आप कया समझ

(iv) समाचार क मख तततव िलिखए | (v) पीत पऽकािरता स कया अिभाय ह

(ख) एक िदवसीय हिरदवार याऽाOtilde अथवा बकार पदाथोर स उपयोगी वःतएOtilde िवषय पर ितवदन

125

६ Otildeबःत का बढ़ता बोझOtilde अथवा Otildeजातीयता क षय पर फ़ीचर िलिखए ५

खणड ग ७ ो पढ़कर पछ गए शनो क उततर िलिखए- २४

का कया तातपयर ह

ग किव को ससार अचछा कयो नही लगता

कर भी खशी का माहौल कस बनाया जा सकता ह

भाट

यो बताया गया ह

८ ाश पर पछ गए शनो क उततर िलिखए ETH २३=६

िलिखए

ा िवषOtilde िव

िनमनिलिखत म स िकसी कावयाश क=८

म िनज उर क उदगार िलय िफ़रता हम िनज उर क उपहार िलय िफ़रता हयह अपणर ससार न मझको भाता म ःवपनो का ससार िलय िफ़रता ह म जला हदय म अिगन दहा करता हसख-दख दोनो म मगन रहा करता ह जग भव सागर तरन को नाव बनाए म भव मौजो पर मःत बहा करता ह (क) Otildeिनज उर क उद गार व उपहारOtilde- स किव (ख)किव न ससार को अपणर कयो कहा ( )

(घ) ससार म कषटो को सह

अथवा

िकसबी िकसान-कल बिनक िभखािर चाकर चपल नटचोर चार चटकी पट को पढतगन गढत चढत िगिरअटत गहन वन अहन अखटकी ऊच-नीच करमधरम अधरम किर पट ही को पचत बचत बटा-बटकी OcircतलसीOtilde बझाइ एक राम घनयाम ही त आिग बडवािगत बड़ी ह आिग पटकी ||

(क) पट भरन क िलए कया ETH कया करत ह

(ख)किव न िकन ETH िकन लोगो का वणरन िकया ह

(ग) किव क अनसार पट की आग कौन बझा सकता ह

(घ) पट की आग को बडवािगन स भी बड़ा किनमनिलिखत कावय

126

सका मझ डर था

लगी

(ख) कावयाश म यकत दोनो उपमाओ क य यर पर िटपपणी कीिजए | (ग) की कया समःया थी

अथवा ह

िलखा गया ह तथा उसकी कया िवशषता ह

९ ढापना

यर ःपषट कीिजए

१०

सकगा छ-न-कछ सचचा

वयकता क साथ काम आना |

का सीधा ETH सा उपाय कया ह

कयो

(ग)

(घ) बाजार स कब आनद िमलता ह

आिखरकार वही हआ िजजोर जबरदःती स

बात की चड़ी मर गई

और वह भाषा म बकार घमनहार कर मन उस कील की तरह

उसी जगह ठोक िदया | (क) बात की चड़ी मर जान व बकार घमन स किव का कया आशय

ोग सौदरचनाकार क सामन कथय और माधयम

आगन म ठनक रहा ह िजदयाया बालक तो हई चाद प ललचाया ह दपरण उस द क कह रही ह मा

दख आइन म चाद उतर आया ह (क) कावयाश की भाषा की दो िवशषताओ का उललख कीिजए (ख) यह कावयाश िकस छद म(ग) Otildeदख आइन म चाद उतर आया हOtilde-कथन क सौदयर को ःपषट कीिजए

िकनही दो शनो क उततर दीिजए ETH३२=६ (क) बािनत की गरजना का शोषक-वगर पर कया भाव पड़ता ह उनका मख

िकस मानिसकता का दयोतक ह

(ख) िफ़राक की रबाइयो म उभर घरल जीवन क िबबो का सौद(ग) कमर म बद किवता म िनिहत वयगय को उजागर कीिजए गदयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए ETH २४=८

पर उस जाद की जकड़ स बचन का सीधा ETH सा उपाय ह | वह यह िक बाजार जाओ तो खाली मन न हो | मन खाली हो तब बाजार न जाओ | कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चािहए | पानी भीतर हो ल का ल-पन वयथर हो जाता ह | मन लआय म भरा हो तो बाजार भी फला ETHका- फला ही रह जाएगा | तब वह घाव िबलकल नही द बिलक कछ आनद ही दगा | तब बाजार तमस कताथर होगा कयोिक तम कलाभ उस दोग | बाजार की असली कताथरता ह आ(क) बाजार क जाद की पकड़ स बचन (ख) बाजार कब नही जाना चािहए और

बाजार की साथरकता िकसम ह

127

म नही बन सका जो किव ह

ी क अनसार िशरीष कस जीिवत रहता ह

रचनाए िनकली हOtilde- आशय

चिपलन कौन था उसक भारतीयकरण स लखक का कया आशय ह

तततवो म स एक ातता को रखकर लखक न अपन आदशर ह अथवा नही आप इस ातता शबद स

ो क उततर दीिजए ETH ३२=६

अथवा

एक बार मझ मालम होता ह िक यह िशरीष एक अदभत अवधत ह | दःख हो या सखवह हार नही मानता | न ऊधो का लना न माधो का दना | जब धरती और आसमान जलत रहत ह तब भी यह हजरत न जान कहा स अपना रस खीचत रहत ह | मौज म आठो याम मःत रहत ह | एक वनःपितशासतरी न मझ बताया ह िक यह उस ौणी का पड़ ह जो वायमडल स अपना रस खीचता ह| जरर खीचता होगा | नही तो भयकर ल क समय इतन कोमल ततजाल और ऐस सकमार कसर को कस उगा सकता था अवधतो क मह स ही ससार की सबस सरस रचनाए िनकली ह | कबीर बहत कछ इस िशरीष क समान थ मःत और बपरवा पर सरस और मादक | कािलदास भी अनासकत योगी रह होग | िशरीष क फल फककड़ाना मःती स ही उपज सकत ह और OcircमघदतOcirc का कावय उसी कार क अनासकत अनािवल उनमकत हदयउमड़ सकता ह | जो किव अनासकत नही रह सका जोफककड़िकए ETH िकराए का लखा- जोखा िमलान म उलझ गया वह कया(क) लखक न िशरीष को कया सजञा दी ह तथा कयो

(ख) वनःपितशासतर(ग) Ocircअवधतो क मह स ही ससार की सबस सरस

ःपषट कर | (घ) लखक न सचच किव क बार म कया बताया ह

११ िकनही चार शनो क उततर दीिजए ETH३४=१२

(क) चालीर (ख) भिकतन दवारा शासतर क शन को सिवधा स सलझा लन का कया उदाहरण लिखका न िदया

(ग) Ocircगगरी फटी बल िपयासाOtilde इनदर सना क इस खलगीत म बलो को पयासा रहन की बातकयो मखिरत हई ह

(घ) लटटन क राजपहलवान लटटन िसह बन जान क बाद की िदनचयार पर कश डािलए (ङ) आदशर समाज क तीन

समाज िसतरयो को भी सिममिलत िकयाकहा तक सहमत ह

१२ िकनही दो शन(क) डायरी क पननOtilde क आधार पर मिहलाओ क बार म ऐन क िवचारो पर िटपपणी

कीिजए

128

ऐसा कयो

ो की नगर-योजना दशरको को अिभभत

) ऐसी दो िवशषताओ का उललख कीिजए कसन ऑिफसर वाईडी पत को अपन रोल

१४ स ापत जानकािरयो क आधार पर िसनध-सभयता की िवशषताओ र एक लख िलिखए ५

अथवा

वयिकततव की चार िवशषताओ पर सोदाहरण कश डािलए

(ख) अपन घर म अपनी Otildeिसलवर विडगOtilde क आयोजन म भी यशोधर बाब की अनक बात Otildeसम हाउ इोपरOtilde लग रही थी

(ग) OcircजझOtilde शीषरक को उपयकत ठहरान क िलए तीन तकर दीिजए १३ िकनही दो शनो क उततर सकषप म दीिजए-२२=४

(क) िसनध-सभयता क सबस बड़ शहर मअन-जोदड़कयो करती ह ःपषट कीिजए

(ख) OtildeजझOtilde कहानी म दसाई सरकार की भिमका पर कश डािलए (ग जो स

मॉडल िकसन दा स उततरािधकार म िमली थी Ocircमअनजोदड़ोOtilde क खननप

Otildeिसलवर विडगOtilde कहानी क आधार पर यशोधर बाब क

129

ितदशर शन-पऽ-२ ककषा बारहवी

िवषय- िहनदी(किनिक)

िनधारिरत समय3घणट अिधकतम अक-100

िनदरश िवदयाथीर जाच कर ल िकndash

शनपऽ म कल १४ शन ह |

सभी शन ठीक स छप ह

शन का उततर िलखन स पवर शन का बमाक अवय िलख इस शन पऽ को पढ़न क िलए 15 िमनट का समय िदया गया ह

खणड-क

शन-1 िनमनिलिखत कावयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए- (15=5)

तफानो की ओर घमा दो

नािवक िनज पतवार

आज िसध न िवष उगला ह

लहरो का यौवन मचला ह

आज हदय म और िसध म

साथ उठा ह जवार

तफानो की ओर घमा दो

नािवक िनज पतवार

लहरो क ःवर म कछ बोलो

इस अधड म साहस तोलो

कभी-कभी िमलता जीवन म

तफानो को पयार

130

तफानो की ओर घमा दो

नािवक िनज पतवार

यह असीमिनज सीमा जान

सागर भी तो यह पहचान

िमटटी क पतल मानव न

कभी न मानी हार

bull (क) उपयरकतकावयाशकाउपयकतशीषरकदीिजए (1) bull (ख) किवकहदयऔरिसधमकयासमानताह (1) bull (ग) जबजीवनमतफानोकापयारिमलतोकयाकरनाचािहएऔरकयो (1) bull (घ) किवसागरकोकयासमझानाचाहताह (1) bull (ड) ःततकावयाशकामलभावकयाह (1)

शन-2 िनमनिलिखत गदयाश को पढकर पछ गए शनो क उततर दीिजए (15)

सचािरतरय क दो सशकत ःतभ ह-थम ससःकार और िदवतीयसतसगित ससःकार भी पवर जीवन की सतसगित व सतकमोर की अिजरत सपितत ह और सतसगित वतरमान जीवन की दलरभ िवभित हिजस कार कधात की कठोरता और कािलख पारस क ःपशर माऽ स कोमलता और कमनीयता म बदल जाती हठीक उसी कार कमागीर का कालःय सतसगित स ःविणरम आभा म पिरवितरत हो जाता हसतत सतसगित स िवचारो को नई िदशा िमलती ह और अचछ िवचार मनय को अचछ कायोर म िरत करत हपिरणामत सचिरऽ का िनमारण होता ह आचायर हजारी साद िदववदी न िलखा ह- महाकिव टगोर क पास बठन माऽ स ऐसा तीत होता था मानो भीतर का दवता जाग गया हो

वःतत चिरऽ स ही जीवन की साथरकता हचिरऽवान वयिकतसमाज की शोभा ह शिकत हसचािरतरय स वयिकत ही नहीसमाज भी सवािसत होता ह और इस सवास स राषटर यशःवी बनता ह िवदरजी की उिकत अकषरश सतय ह िक सचिरऽ क बीज हम भल ही वश-परपरा स ापत हो सकत ह पर चिरऽ-िनमारण वयिकत क अपन बलबत पर िनभरर ह आनविशक परपरापिरवश और

131

पिरिःथित उस कवल रणा द सकत ह पर उसका अजरन नही कर सकत वह वयिकत को उततरािधकार म ापत नही होता

वयिकत-िवशष क िशिथल चिरऽ होन स पर राषटर पर चिरऽ-सकट उपिःथत हो जाता ह कयोिक वयिकत पर राषटर का एक घटक हअनक वयिकतयो स िमलकर एक पिरवारअनक पिरवारो स एक कल अनक कलो स एक जाित या समाज और अनकानक जाितयो और समाज-समदायो स िमलकर ही एक राषटर बनता ह आज जब लोग राषटरीय चिरऽ-िनमारण की बात करत ह तब व ःवय उस राषटर क एक आचरक घटक ह- इस बात को िवःमत कर दत ह

1 सतसगितकमागीरकोकससधारतीहसोदाहरणःपषटकीिजए (2) 2 चिरऽकबारमिवदरककयािवचारह (2) 3 वयिकत-िवशषकाचिरऽसमचराषटरकोकसभािवतकरताह (2) 4 वयिकतकचािरऽ-िनमारणमिकस-िकसकायोगदानहोताह (2) 5 सगितकसदभरमपारसकउललखसलखककयाितपािदतकरनाचाहताह(2)

6 वयिकतससःकतकसबनताहःपषटकीिजए (1) 7 आचरणउचचबनानकिलएवयिकतकोकयायासकरनाचािहए (1)

8 गदयाशकाउपयकतशीषरकदीिजए (1)

9 rsquoसrsquoऔरrsquoकrsquoउपसगोरसएक-एकशबदबनाइए (1) 10 rsquoचिरऽवानrsquoऔरlsquoपिरवशrsquoमयकतउपसगरऔरतययअलगकीिजए (1)

खणड- ख

शन-3 िनमनिलिखत म स िकसी एक िवषय पर िनबध िलिखए- (5) (क) षटाचार कारण और िनवारण

(ख) इककीसवी सदी का भारत

(ग) बदलत समाज म मिहलाओ की िःथित

(घ) बढता दषण और जन-ःवाःथय

132

शन-4 िकसी दिनक समाचार-पऽ क समपादक को जानहवी की ओर स एक पऽ िलिखएिजसम िनरतर महगी होती िशकषा को लकर िचता कट की गई हो (5)

अथवा रल याऽा क दौरान साधारण ौणी क यािऽयो को ःटशनो एव चलती गािडयो म िमलन वाली खान-पान की साममी सतोषजनक नही होती इस समःया की ओर अिधकािरयो का धयान आकषट करन क िलए अधीकषकखान-पान िवभागरल भवननई िदलली क नाम पऽ िलिखए

शन-5 (अ)िनमनिलिखत शनो क सिकषपत उततर दीिजए- bull (क) rsquoउलटािपरािमडrsquoशलीसआपकयासमझतह

(1) bull (ख) lsquoवॉचडॉगrsquoपऽकािरतासकयाआशयह

(1) bull (ग) लाइविकसकहतह

(1) bull (घ) िहदीकिकनहीदोराषटरीयसमाचारपऽोकनामिलिखए

(1) bull (ड) जनसचारकिकनहीतीनकायोरकाउललखकीिजए (1)

(आ) िनमनिलिखत म स िकसी एक िवषय पर आलख िलिखए (5)

(क) खतीकी जमीन पर फकटरी लगान को लकर चलन वाली बहस म भाग लत हए आलख िलिखए

(ख) आजादी क साठ सालो म गणतािऽक मलयो का ास हआ ह षटाचार न हर कषऽ को मःत कर रखा हETHइस िवषय पर एक आलख तयार कीिजए

शन-6 Ocircओलिमपक खलOtildeअथवा Ocircमहानगरो म बढ़त अपराध की समःयाOtilde पर लगभग 150 शबदो म एक फीचर तयार कीिजए (5)

133

134

खणड-ग

शन-7 िनमनिलिखत म स िकसी एक कावयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए- (२4=8)

म यौवन का उनमाद िलए िफरता ह

उनमादो म अवसाद िलए िफरता ह

जो मझको बाहर हसा रलाती भीतर

म हाय िकसी की याद िलए िफरता ह

कर यतन िमट सबसतय िकसी न जाना

नादान वही ह हाय जहा पर दाना

िफर मढ न कया जग जो इस पर भी सीख

म सीख रहा ह सीखा जञान भलाना

(क)किव जीवन म कया िलए घमता ह (2)

(ख)किव को बाहर-भीतर कया हसाता-रलाता ह (2)

(ग)lsquoनादान वही ह हायजहा पर दानाrsquoETHकिव न ऐसा कयो कहा होगा (2)

(घ) किव न यह कयो कहा िक सतय िकसी न नही जाना

(2)

अथवा

खती न िकसान कोिभखारी न भीखबिल

बिनक को बिनजन चाकर को चाकरी

जीिवका िबहीन लोग सीदयमान सोच बस

कह एक एकन सो lsquoकहा जाई का करी rsquo

बदह परान कही लोकह िबलोिकअत

135

साकर सब प राम रावर कपा करी

दािरद-दसानन दबाई दनी दीनबध

दिरत-दहन दिख तलसी हहा करी

(क) यपिकतयािकसकिवतासलीगईहऔरइसककिवकौनह (२)

(ख) तलसीकसमयकीआिथरकदशाकसीथी (2)

(ग) वदोमकयाकहागयाह (2)

(घ)तलसीनरावणकीतलनािकससकीहऔरकयो (2)

शन-8 िनमनिलिखत कावयाश पर पछ गए शनो क उततर दीिजए (२3=6)

ात नभ था बहत नीला शख जस

भोर का नभ

राख स लीपा हआ चौका

(अभी गीला पड़ा ह)

बहत काली िसल जरा स लाल कसर स

िक जस धल गई हो

ःलट पर या लाल खिड़या चाक

मल दी हो िकसी न

(क)ःतत कावयाश का भाव-सौदयर ःपषट कीिजए

(ख)कवयाश म यकत उपमा अलकार का उदाहरण चनकर िलिखए

(ग)उपयरकत कावयाश की भाषा की दो िवशषताए बताइए

अथवा

136

नहला क छलक-छलक िनमरल जल स

उलझ हए गसओ म कघी करक

िकस पयार स दखता ह बचचा मह को

जब घटिनयो म ल क ह िपनहाती कपड़

(क) ःतत कावयाश का भाव-सौदयर ःपषट कीिजए

(ख) ःतत कावयाश की भाषा सबधी िवशषताए बताइए

(ग)पनरिकत काश व अनास अलकार छािटए

शन-9 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- (3+3) (क) lsquoभाषा को सहिलयतrsquo स बरतन स कया अिभाय ह

(ख) किव क पास जो कछ अचछा-बरा ह वह िविशषट और मौिलक कस ह lsquoसहषर ःवीकारा हrsquo किवता क आधार पर उततर दीिजए

(ग) lsquoकमर म बद अपािहजrsquo करणा क मखौट म िछपी बरता की किवता ह ETH िवचार कीिजए

शन-10 िनमनिलिखत म स िकसी एक गदयाश को पढकर पछ गए शनो क उततर दीिजए -- (२4=8)

बाजार म एक जाद हवह जाद आख की राह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ही चलता हवस ही इस जाद की भी मयारदा हजब भरी हो और मन खाली हो ऐसी हालात म जाद का असर खब होता हजब खाली पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जायगा मन खाली ह तो बाजार की अनकानक चीजो का िनमऽण उस तक पहच जाएगाकही उस वकत जब भरी हो तब तो िफर वह मन िकसकी मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी लसभी सामान जररी और आराम को बढान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर हजाद की सवारी उतरी िक फ सी चीजो की बहतायत आराम म मदद नही दती बिलक खलल ही डालती ह

(क)बाजार क जाद को lsquoरप का जादrsquo कयो कहा गया ह

137

(ख)बाजार क जाद की मयारदा ःपषट कीिजए

(ग)बाजार का जाद िकस कार क लोगो को लभाता ह

(घ)इस जाद क बधन स बचन का कया उपाय हो सकता ह

अथवा

चालीर की अिधकाश िफलम भाषा का इःतमाल नही करती इसिलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना पडासवाक िचऽपट पर कई बड-बड कॉमिडयन हए ह लिकन व चिपलन की सावरभौिमकता तक कयो नही पहच पाए इसकी पड़ताल अभी होन को ह चालीर का िचर-यवा होना या बचचो जसा िदखना एक िवशषता तो ह हीसबस बड़ी िवशषता शायद यह ह िक व िकसी भी सःकित को िवदशी नही लगत यानी उनक आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आिद रहत ह व एक सतत lsquoिवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चालीर क सार सकटो म हम यह भी लगता ह िक यह lsquoमrsquo भी हो सकता ह लिकन lsquoमrsquo स जयादा चालीर हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह िक कछ अथोर म lsquoबःटर कीटनrsquo चालीर चिपलन स बड़ी हाःय-ितभा हो लिकन कीटन हाःय का काफका ह जबिक चिपलन मचद क जयादा नजदीक ह

(क)चालीर की िफलमो को मानवीय कयो होना पड़ा

(ख)चालीर चिपलन की सावरभौिमकता का कया कारण ह

(ग) चालीर की िफलमो की िवशषता कया ह

(घ) चालीर क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कयो लगत ह

शन-11 िनमनिलिखत म स िकनही चार शनो क उततर दीिजए- (४3=12)

(क)भिकतन और लिखका क बीच कसा सबध था lsquoभिकतनrsquo पाठ क आधार पर बताइए

(ख)िदनो-िदन गहरात पानी क सकट स िनपटन क िलए कया आज का यवावगर lsquoकाल मघापानी दrsquo की इदर सना की तजर पर कोई सामिहक आदोलन ारमभ कर सकता ह अपन िवचार िलिखए

138

(ग)लटटन पहलवान न ऐसा कयो कहा होगा िक मरा गर कोई पहलवान नही यही ढ़ोल ह

(घ) lsquoमानिचऽ पर एक लकीर खीच दन भर स जमीन और जनता बट नही जातीहrsquo- उिचत तकोर व उदाहरणो क जिरए इसकी पिषट कीिजए

(ड)िदववदी जी न िशरीष को कालजयी अवधत(सनयासी) की तरह कयो कहा ह

शन-12 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- (3+3=6) (क) lsquoिसलवरविडगrsquo म यशोधर बाब एक ओर जहा बचचोकी तरककी स खश होत हवही

कछ lsquoसमहाउइॉपरrsquo भी अनभवकरत ह ऐसा कयो

(ख) मोहजोदडो की गह-िनमारण योजना पर सकषप म काश डािलए (ग) ऐन क कौन थी उसकी डायरी कयो िसदध ह

शन-13 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- (2+2=4)

(क)सौदलगकर कौन थ तथा उनकी कया िवशषता थी

(ख)यशोधर बाब िकसस भािवत थ

(ग़)ऐन न 13जन 1944 क िदन िलखी अपनी डायरी म कया बताया ह

शन-14 िनमनिलिखत म स िकसी एक शन का उततर दीिजए- (5)

lsquoिसध सभयता की खबी उसका सौदयर-बोध ह जो राज-पोिषत या धमर-पोिषत न होकर समाज-पोिषत थाlsquo ऐसा कयो कहा गया

अथवा

lsquoिसलवर विडगrsquo कहानी क आधार पर यशोधर बाब क चिरऽ की िवशषताओ पर काश डािलए

139

ितदशर शन-पऽ-३

िहनदी (किनिक)

ककषा-बारह

िनधारिरत समय- 3 घणट अिधकतम अक-100

िनदरशः-इस शन पऽ म तीन खड ह- क ख और ग सभी खडो क उततर िलखना अिनवायर ह कपया शन का उततर िलखना शर करन स पहल शन का बमाक अवय िलख

खणड-क

0-1 िनमनिलिखत कावयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए-

पर िजनहोन ःवाथरवश जीवन िवषाकत बना िदया ह

कोिट-कोिट बभिकषतो का कौर तलक छीन िलया ह

लाभ-शभ िलखकर जमान का हदय चसा िजनहोन

और कल बगालवाली लाश पर थका िजनहोन

िबलखत िशश की वयथा पर दिषट तक िजनन न फरी

यिद कषमा कर द इनह िधककार मा की कोख मरी

चाहता ह धवस कर दना िवषमता की कहानी

हो सलभ सबको जगत म वसतरभोजनअनन पानी

नव-भवन िनमारण िहत म जजरिरत ाचीनता का

गढ़ ढहाता जा रहा ह

पर तमह भला नही ह

िवशवास बढ़ता ही गया

क) थम चार पिकतयो म भारत की िकन राजनीितक और सामािजक िःथित का वणरन ह1

140

ख) किव िकन लोगो को कषमा नही करना चाहता 1

ग) किव जगत क िहत क िलए कया करना चाहता ह 1

घ) पर तमह भला नही ह िकसक िलए सबोधन ह 1

ङ) कावयाश का उपयकत शीषरक दीिजए 1

0-2 िनमनिलिखत गदयाश को पढ़कर पछ गए शनो क उततर दीिजए

आज गाधी िचतन की शाशवतता महतता एव ासिगकता उनक अिहसा दशरन क कारण ही ह महातमा गाधी क दशरन की नीव अिहसा की वयापकता को वयिकतक आचरण तक सीिमत न करक जीवन क तयक कषऽ-धािमरक नितक सामािजक आिथरक और राजनितक कषऽो म सफलतापवरक यकत िकया

भारत म ही नही वरन ससार क अनय धमोर म भी अिहसा क िसदधानत को महततव दान िकया गया ह इःलाम धमर क वतरक हजरत महममद साहब क उपदशो म अिहसा क पालन का आमह ह यहिदयो क धमरमनथो का महततवपणर ःथान रहा ह ईसा मसीह का सपणर जीवन अिहसा का अिभवयकतीकरण ह सकरात क अिहसा पालन का उदाहरण अिवःमरणीय ह अतः ःपषट ह िक अिहसा का िसदधात अिपत इितहास म उसक सदभर की कहानी बहत ाचीन और िवःतत ह

यदयिप अिहसा भारतीय दशरन व धमर क िलए अित ाचीन ह परनत गाधी की िवशषता इस तथय म ह िक उनहोन अिहसा क परमपरागत िसदधात को आतमसात कर अपन अनभव स उसकी ःमितयो को नया आयाम िदया उनहोन अिहसा को वयिकतगत जीवन का ही नही वरन सामािजक जीवन का िनयम बनाकर उसका वयावहािरक योग िकया

क) lsquoआजrsquoस यहा कया तातपयर हगाधी िचतन rsquoस आप कया समझत ह 2

ख) अिहसा का िसदधात िवशव क अनय िकन धमरशासतरो म भी विणरत ह 2

घ) गदयाश क दसर अनचछद को पढ़कर अिहसा क िसदधात क बार म आपकी कया धारणा बनती ह 2

ङ) गाधी जी क अिहसा िसदधानत की कया िवशषता हजो परपरागत तरीको स हटकर ह 2

च) अिहसा क वयावहािरक योग स आप कया समझत ह2

141

छ) गदयाश क िलए उपयकत शीषरक दीिजए 1

ज) उपसगर और तयय अलग कीिजए

अिहसासामािजक 1

झ) रचना क अनसार वाकय भद बताइए

ईसा मसीह का समपणर जीवन अिहसा का अिभवयकतीकरण ह 1

ङ) िवशषण बनाइए-

शाशवतता ासिगकता 1

खणड-ख

0-3 िवदयालय म खल सामिमयो की कमी की िशकायत करत हए ाचायर को पऽ िलिखए

अथवा

िवदयालय क चौराह पर अराजक ततवो की भीड़ की िशकायत करत हए पिलस अधीकषक को पऽ िलिखए 5

0-4 िकसी एक िवषय पर िनबध िलिखए- 5

क) भारत की वजञािनक उपलिबधया

ख) सवरिशकषा अिभयान

ग) सामादाियकता एक अिभशाप

घ) कमपयटर का महतव

0-5(अ) गगा दषण क ित जागरकता पदा करन क िलए िकसी दिनक समाचार पऽ क िलए सपादकीय तयार कीिजए

अथवा

Ocircमिहला आरकषण समाज की आवयकताOtilde शीषरक पर आलख ःतत कीिजए 5

142

ब) िनमनिलिखत शनो क सिकषपत उततर िलिखए- 1

क) एडवोकसी पऽकािरता िकस कहत ह

ख) छापाखाना का आिवकार कब हआ

(ग) इटरनट पर कािशत होन वाला पहला समाचार-पऽ कौन था

(घ) पऽकािरता का छः ककार कया ह

(ङ) सपादक िकस कहत ह

0-6 विरषठ नागिरको क ित िजममदारी िवषय पर फीचर आलख तयार कीिजए

अथवा

पोिलयो बथ क दय की िरपोटर तयार कीिजए 5

खणड-ग

0-7 िनमनिलिखत कावयाश क आधार पर पछ गए शनो क उततर िलिखए

बात सीधी थी पर एक बार

भाषा क चककर म

जरा टढ़ी फस गई

उस पान की कोिशश म

भाषा को उलटा पलटा

तोड़ा मरोड़ा

घमाया िफराया

िक बात या तो बन

या िफर भाषा स बाहर आए-

लिकन इसस भाषा क साथ-साथ

143

बात और भी पचीदा होती चली गई

(क) बात िकस कार भाषा क चककर म फस जाती ह

(ख) भाषा को तोड़न मरोड़न क पीछ किव का कया योजन था

(ग) उपयरकत पिकत म िनिहत वयगय को ःपषट कर

(घ) किव न बात को बन जान क िलए कया सझाव िदया ह

अथवा

जनम स ही व अपन साथ लात ह कपास

पथवी घमती हई आती ह उनक बचन परो क पास

जब व दौड़त ह बसध

छतो को भी नरम बनात हए

िदशाओ को मदग की तरह बजात हए

जब व पग भरत हए चल आत ह

डाल की तरह लचील वग स अकसर

0-8 हो जाए न पथ म रात कही

मिजल भी ह तो दर नही

यह सोच थका िदन का पथी भी जलदी-जलदी कयो चलता ह 2

(क) कावयाश की भाषा की िवशषताओ का उललख कर

(ख) पथ शबद एव मिजल शबद का योग िकस रप म िकया गया ह

(ग) िदन का पथी जलदी-जलदी कयो चलता ह

अथवा

आगन म ढनक रहा ह िज़दयाया ह

144

बालक तो हई चाद प ललचाया ह

दपरण उस द द क कह रही ह मा

दख आइन म चाद उतर आया ह

(क) य पिकतया िकस छद म िलखी गई ह पद की िवशषता को ःपषट कर

(ख) भाषागत सौदयर की िकनही दो िवशषताओ का उललख कर

(ग) उपयरकत पिकतयो का भाव सौदयर ःपषट कर

0-9 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर दीिजए- 3

(क) भोर क नभ को राख स लीपा हआ चौका कयो कहा गया ह

(ख) किव को बहलाती सहलाती आतमीयता बरदाःत कयो नही होती ह

(ग) किव न िकस सहषर ःवीकारा ह

0-10 नीच िदए गए गदयाश क आधार पर पछ गए शनो क उततर द- 2

भोजन क समय जब मन अपनी िनिशचत सीमा क भीतर िनिदरषट ःथान महण कर िलया तब भिकतन न सननता स लबालब दिषट और आतमतिषट स आपलािवत मःकराहट क साथ मरी फल की थाली म एक अगल मोटी और गहरी काली िचततीदार चार रोिटया रखकर उस टढ़ी कर गाढ़ी दाल परोस दी पर जब उसक उतसाह पर तषारापात करत हए मन रआस भाव स कहा- यह कया बनाया हतब हो वह हतबिदध हो रही

(क) लिखका की थाली म कसी रोिटया थी रोिटयो क िचततीदार होन क कया कारण हो सकत ह

(ख) भिकतन की सननता स लबालब दिषट एव आतमतिषट क कया कारण हो सकत ह

(ग) खान क आसन पर लिखका कयो रआसी हो गई

(घ) भिकतन कयो हतबिदध हो गई

अथवा

145

अब तक सिफया का गःसा उतर चका था भावना क ःथान पर बिदध धीर-धीर उस ःथान पर हावी हो रही थी नमक की पिड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कःटम वालो क सामन सबस पहल इसी को रख दलिकन अगर कःटमवालो न न जान िदया तो मजबरी ह छोड़ दग लिकन िफर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स िकया थाहम अपन को सयद कहत ह िफर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा अगर इस कीनओ की टोकरी म सबस नीच रख िलया जाए तो इतन कीनओ क ढर म भला कौन इस दखगा और अगर दख िलया नही जीफलो की टोकिरया तो आत वकत भी िकसी की नही दखी जा रही थी इधर स कल इधर स कीन सब ही ला रह थ ल जा रह थ यही ठीक हिफर दखा जाएगा

(क) सिफया का गःसा कयो उतर गया था

(ख) सिफया की कया भावना थी और वह उसकी बिदध क सामन िकस कार पराःत हो गई

(ग) सिफया की उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सिफया न िकस वायद को परा करन की बात की हउस उसन िकस कार परा िकया

0-11 िनमनिलिखत शनो म स िकनही चार शनो क उततर दीिजए - 3

(क) लखक न िकस उददय स भगत जी का उललख िकया हउनका कौन-सा वयिकततव उभरकर हमार सामन आया ह

(ख) इनदर सना सबस पहल गगा भया की जय कयो बोलती हनिदयो का भारतीय सामािजकसाःकितकपिरवश म कया महतव ह

(ग) लटटन पहलवान ढोलक को ही अपना गर कयो मानता ह

(घ) लखक न िशरीष क पड़ को कालजयी अवधत की तरह कयो माना ह

(ङ) लखक िकन तकोर क आधार पर जाित था को अमानवीय एव अलोकतािऽक बताया ह

0-12 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर िलिखए 3

(क) Ocircडायरी क पननrsquoपाठ क आधार पर मिहलाओ क ित ऐन क क दिषटकोण को ःपषट कीिजए

146

(ख) जझrsquoकहानी का ितपादय सकषप म ःपषट कीिजए

(ग) Ocircिसलवर विडगOtilde कहानी क आधार पर िसदध कीिजए िक िकशन दा की परपरा िनभात हए यशोधर पत वतरमान क साथ नही चल पाए

0-13 ौी सौदलगकर क वयिकततव की उन िवशषताओ पर काश डािलए िजनक कारण जझrsquoक लखक क मन म किवता क ित लगाव उतपनन हआ

अथवा

lsquoिसलवर विडगrsquoम एक ओर िःथित को जयो-का-तयो ःवीकार लन का भाव ह तो दसरी ओर अिनणरय की िःथित भी कहानी क इस दवनदव को ःपषट कीिजए 5

0-14 िनमनिलिखत म स िकनही दो शनो क उततर सकषप म दीिजए 2

(क) Ocircिसलवर विडगrsquoक आधार पर यशोधर बाब क सामन आई िकनही दो Ocircसमहाव इॉपरrsquoिःथितयो का उललख कीिजए

(ख) Ocircऐन की डायरीrsquoउसकी िनजी भावनातमक उथल-पथल का दःतावज भी ह इस कथन की िववचना कीिजए

ग) कया िसध घाटी की सभयता को जल सःकित कह सकत ह ःपषट कीिजए

147

उपयोगी सािहितयक बबसाईट

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