lal kitab ke farman 1940 arman no. 1

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लाल कताब के अरमान 1940 आगाज़ -: अरमान नंबर 1 :- लाल कताब के मताबक बलंद आसमान क आखर हद और पाताल क गहर तह से घरे हए दर"मयानी ख़ाल खलाओ या आकाश म( ग़ैबी और ज़ा+हरा हवा के दोन. ज़हानो म( आने-जाने के कल रा0त. को ज1म -मरण क गांठ लगा देने वाल चीज़ ब5चा कहलाई | 8य. ह इस ब5चे ने इधर का ;ख़ कया, बंद म=ी के आकाश म( नौ न?ध क अटल ताक़त व बारह "सBC क ख़द अपनी क़0मत क हवा (ब;ए ह0त रेखा) कं डल के आकार म( Gह रा"श (ब+हसाब इHम 8योतष) नाJरया बैल के सींगो पर कल दनया क धरती माता का बोझ या ज़मीन का अपने महवर पर घमने का क़यास (बMयाल दगरान) का चNकर पहले ह घमने लगा | मा"लक के हक़म के कJरOमे क चमक से क़0मत क आवाज़ का Pकाश होते ह इसक हर गांठ के साथी बह0पत शSु च1T बध "सC बारह-Uहम नौ न?ध मोह माई आकाश राह केतु शन5चर मंगल सरज राई घटे न तल बढ़े म5छ भाई Pकाश आ हािज़र हए | Gह. के अलावा "सफ[ नौ न?ध बारह "सBC के हफ़[ -ख़ाल बचते ह] | यह दो हफ़[ दनयादार. ने ब5चे का नाम रखा | इस"लए "सफ़[ नाम पर ह बाज़. ने क़0मत का असर माना है (i) नौ Gह ज़रब बारह रा"श कल 108 गांठ क माला का सीधा उHटा चNकर माना गया है | जो 35 साला चNकर का पहला दसरा +ह0सा होता है | (ii) मकcमल इ1सान क नाम से पहले 9X12=108 का अंक "लखते ह]

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Lal Kitab Ke Farman 1940 Arman No. 1

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