maharshi dayananda anujai kui vane?

19
महᳶषि दयानद के अनुयायी य न ? लेखक डॉ० भवानीलाल भारतीय

Upload: darshanyog-mahavidyalaya

Post on 04-Jul-2015

78 views

Category:

Education


9 download

DESCRIPTION

महर्षि दयानन्द जी के सिद्धान्त क्या है। महर्षि दयानन्द जी के सिद्धान्त क्यू माने।

TRANSCRIPT

Page 1: Maharshi dayananda anujai kui vane?

महर्षि दयानन्द के अनुयायी क्यों ंन ?

लेखक – डॉ० भवानीलाल भारतीय

Page 2: Maharshi dayananda anujai kui vane?

1. दयानन्द का सच्चा अनुयायी भूत-प्रेत,

पिशाच, डाककनी-शाककनी आकद कपपित

िदार्थों से कभी भयभीत नहीं होता । सच

ह ै– 'भूत पिशाच पनकट नहीं आव,े

दयानन्द जं नाम सुनावे' !

Page 3: Maharshi dayananda anujai kui vane?

2.

आि फपित ज्योपतष, जन्मित्र, मुहूति,

कदशाशूि, शुभाशुभ ग्रहों के फि, झूठे

वास्तु शास्त्र आकद धनािहरण के अनेक

पमथ्या जाि से स्वयं को ंचा ि ग ।

Page 4: Maharshi dayananda anujai kui vane?

3.

कोई िाखण्डी साध,ु िुजारी, गगंा िुत्र

आिको ंहका कर आिसे दान-िुण्य के

ंहाने अिनी जें गरम नहीं कर सकेगा ।

Page 5: Maharshi dayananda anujai kui vane?

4.

शीतिा, भैरव, कािी, करािी, शनैश्चर

आकद अि-दवेता पजनका वस्तुतः कोई

अपस्तत्व ही नहीं ह,ै आिका कुछ भी

अपनष्ट नहीं कर सक गे । जं वे हैं ही

नहीं तो ंेचारे कर गे क्या ?

Page 6: Maharshi dayananda anujai kui vane?

5.

आि मकदरािान, धूम्रिान, पवपभन्न प्रकार

के मादक द्रव्यों से ंचे रह कर अिने

स्वास्थ्य और धन की हापन से ंच जाय गे ।

Page 7: Maharshi dayananda anujai kui vane?

6.

ंाि-पववाह, वृद्ध-पववाह, नारी-

प्रताडना, िदाि-प्रर्था, अस्िशृ्यता आकद

सामापजक ंुराइयों से दरू रहकर

सामापजक सुधार के उदाहरण ंन सक गे

Page 8: Maharshi dayananda anujai kui vane?

7.

जीवन का िक्ष्य सादगी को ंनाय गे और

पमत व्यवस्र्था के आदशि को स्वीकार

करने के कारण दहजे, पमिनी, पववाहों म

अिव्यय आकद िर अंकुश िगाकर आदशि

उिपस्र्थत कर गे ।

Page 9: Maharshi dayananda anujai kui vane?

8.

दयानन्द का अनुयायी होने के कारण

अिने दशे की भाषा, संस्कृपत, स्वधमि

तर्था स्वदशे के प्रपत आिके हृदय म अनन्य प्रेम (आसपि) रहगेा ।

Page 10: Maharshi dayananda anujai kui vane?

10.

आि अिने ंच्चों म अच्छे संस्कार डाि गे

ताकक आगे चिकर वे पशष्ट, अनुशासन

पप्रय, आज्ञाकारी ंन तर्था ंडों का

सम्मान कर ।

Page 11: Maharshi dayananda anujai kui vane?

11.

आि अिने कायि, व्यवसाय, नौकरी आकद

म समय का िािन, ईमानदारी,

कर्त्िव्यिरायणता को महत्त्व द गे ताकक

िोग आिको पमसाि के तौर िर िशे कर

Page 12: Maharshi dayananda anujai kui vane?

12.

वेदाकद सद ्ग्रन्र्थों के अध्ययन म आिकी

रुपच ंढेगी, फितः आिका ंौपद्धक

पिपतज पवस्तृत होगा और पवश्व-ंन्धुता

ंढेगी ।

Page 13: Maharshi dayananda anujai kui vane?

13.

जीवन और जगत् के प्रपत आिका सोच

अपधकापधक वैज्ञापनक होता चिा जायेगा ।

इसे ही स्वामी दयानन्द ने 'सृपष्टक्रम से

अपवरुद्ध होना' कहा ह ै।

आि इसी ंात को सत्य मान गे जो युपि, तकि

और पववेक की कसौटी िर खरी उतरती हो ।

पमथ्या चमत्कारों और ऐसे चमत्कार कदखाने

वािे ढोंगी ंांाओं के चक्कर म दयानन्द के

अनुयायी कभी नहीं आते ।

Page 14: Maharshi dayananda anujai kui vane?

14.

दयानन्द की पशिा आिको एक िररिूणि

मानव ंना दगेी । आि जापत, धमि,

भाषा, संस्कृपत के भेदों से ऊिर उठकर

मनुष्य मात्र की एकता के हामी ंन

जाय गे ।

Page 15: Maharshi dayananda anujai kui vane?

15.

पनन्दा-स्तुपत, हापन-िाभ, सुख-दःुख

आकद द्वन्द्वों को सहन करने की िमता

आि म अनायास आ जायेगी ।

Page 16: Maharshi dayananda anujai kui vane?

16.

शैव, शाि, कािापिक, वैष्णव,

ब्रह्माकुमारी आकद सम्प्रदायों के पमथ्या

जाि से हटकर आि एक अपद्वतीय

सपच्चदानन्द िरमात्मा के उिासक ंन

जाय गे ।

Page 17: Maharshi dayananda anujai kui vane?

17.

आिकी गृहस्र्थी म िंच महायज्ञों का

प्रवर्त्िन होगा पजससे आि िरमात्मा,

सूयािकद दवेगण, माता-पिता आकद

पितृगण, अपतपर्थ एवं सामान्य जीवों की

सेवा का आदशि प्रस्तुत कर गे ।

Page 18: Maharshi dayananda anujai kui vane?

क्या दयानन्द के अनुयायी ंनने से पमिने

वािे उियुिि िाभ कोई कम महत्त्व के हैं ?

तो फिर देर क्यों ?

आज ही दयानन्द के सैननकों में अपना नाम ललखायें ।

Page 19: Maharshi dayananda anujai kui vane?

[सन्दभभ - हहन्दी मालसक 'दयानन्द-सन्देश' का िरवरी २००३ का अकं]