shri daya shatakam - aradhanam.org · मिहधरेश क ण ेिवतर यतां -...
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ी दया शतकम ् shrI dayA shatakam
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ी दया शतकम ्
ीमत ेिनगमा महादिेशकाय नमः Page 1 of 13
ीमान ् वेटनाथाय ः किवतािकक केसरी । वदेाचाय वय म े सिधा ं सदा िद ॥
॥ अनुपु ् छः 8, 8, 8, 8 syllables in 4 padas ॥
प े त ं िगिरं ायः - ीिनवासानकुया |
इ ु सार ववे - यूा शकराियतम ् ॥ [1]
िवगाह े तीथ बळा ं - शीतला ं गु सितम ् |
ीिनवास दयाोिध - परीवाह परराम ् ॥ [2]
कृितनः कमलावास - कायकैािनो भज े |
ध े यिू पणे - िवदेी सवयोयताम ् ॥ [3]
पराशर मखुान ् व े - भगीरथ नय े ितान ् |
कमला का काय - गाािवत मिधान ् ॥ [4]
अशषे िव शमनम ् - अनीकेरम ् आय े |
ीमतः कणाोधौ - िशा ोत इवोितम ् ॥ [5]
सम जनन व े - चतै दाियनीम ् |
येस ीिनवास - कणािमव िपणीम ् ॥ [6]
व े वषृिगरीश - मिहष िव धािरणीम ् |
तुपा ितघाताना ं - मया वारण ं यया ॥ [7]
िनशामयत ु मा ं नीळा - योग पटलःै वुम ् |
भािवत ं ीिनवास - भ दोषे दशनम ् ॥ [8]
कमनवध व े - कणा वणालयम ् |
वषृशलै तटाना ं - य ं िं उपागतम ् ॥ [9]
ी दया शतकम ्
ीमत ेिनगमा महादिेशकाय नमः Page 2 of 13
अिकन िनिध ं सिूत ं - अपवग िवग योः |
अनाीर दया ं - अिभौिम िनरनाम ् ॥ [10]
॥ आया छः needs further research ॥
अनचुर शािद गणुा ं - असेर बोध िवरिचतालोकाम ् |
ाधीन वषृिगरीशा ं - य ं भतूा ं माणयािम दयाम ् ॥ [11]
अिप िनिखल लोक सचुिरत - मिुन ् धय िरत मूना जुम ् |
सीवयित दय े मा ं - अन िगिरनाथ रनी भवती ॥ [12]
भगवित दय े भवा - वषृिगिर नाथ े समातु े तेु |
अितघ मनाना ं - हालो मदागसा ं मृयः ॥ [13]
कृपण जन क लितका ं - कृतापराध िनियाम ् आाम ् |
वषृिगिर नाथ दय े ा ं - िवदि ससंार तािरण िवबधुाः ॥ [14]
वषृिगिर गहृमिेध गणुाः - बोध बलैय वीय शि मखुाः |
दोषा भवयेरुेत े - यिद नाम दय े या िवनाभतूाः ॥ [15]
आसिृ सताना ं - अपराधाना ं िनरोिधन जगतः |
पा सहाय कण े - ितसर केिळमाचरिस ॥ [16]
अिचद िविशान ् ळय े - ज ूनवलो जात िनवदा |
करण कळेबर योग ं - िवतरिस वषृशलै नाथ कण े म ् ॥ [17]
अनगुणु दशािप तने - ीधर कण े समािहत हेा |
शमयिस तमः जाना ं - शामयने िर दीपने ॥ [18]
ी दया शतकम ्
ीमत ेिनगमा महादिेशकाय नमः Page 3 of 13
ढा वषृाचल पतःे - पाद े मखु काि पळाया |
कण े सखुयिस िवनतान ् - कटा िवटपःै करापचये फलःै ॥ [19]
नयन े वषृाचलेोः - तारा मै दधानया कण े |
स-्यवै जिनमान ् - अपवग म ् अकृ प ं अनभुवित ॥ [20]
॥ उपोता छः 11, 12, 11, 12 syllables in 4 padas ॥
समयोपनतैव वाहःै - अनकु े कृत संवा धिरी |
शरणागत स मािलनीय ं - वषृशलेैश कृषीवलं िधनोित ॥ [21]
कलशोदिध सपंदो भवाः - कण े सित म सृंतायाः |
अमतृा ं शमविैम िद दहंे - मतृ सीवनम ् अनाचलेोः ॥ [22]
जलधिेरव शीतता दय े ं - वषृशलैािधपतःे भाव भतूा |
लयारभटी नट तदीा ं - सभ ं ाहयिस सि लाम ् ॥ [23]
णत ितकूल मलू घाती - ितघः कोऽिप वषृाचलेर |
कळम े यवसापचाय नीा - कण े िकंकरता ं तवोपयाित ॥ [24]
अबिहृत िनहान ् िवदः - कमलाका गणुान ् ततादीन ् |
अिवक ं अनुहं हाना ं - भवतीमवे दय े भजि सः ॥ [25]
कमला िनलयस ् या दयाळुः - कण े िनणा िनपण े म ् |
अत एव िह तावकािताना ं - िरताना ं भवित दवे भीितः ॥ [26]
अितलित शासनेभी ं - वषृशलैािधपितः िवजिृतोा |
पनुरेव दय े मा िनदानःै - भवत आयत े भवधीनःै ॥ [27]
ी दया शतकम ्
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कण े िरतषे ु मामकेष ु - ितकारार ज यषे ु िखः |
कवचाियतया यवै शा - िवजयान ं उपाितो वषृािम ् ॥ [28]
मिय ितित ृता ं धान े - िमतदोषान ् इतरान ् िविचती म ् |
अपराधगणःै अपणू कुिः - कमला का दय े कथ ं भिवी ॥ [29]
अहमि अपराध चवथ - कण े ं च गणुषे ु साव भौिम |
िवषी िितम ् ईश य ं मा ं - वषृ शलेैर पाद साु म ् ॥ [30]
॥ मािलनी छः 15, 15, 15, 15 syllables in 4 padas ॥
अिशिथल करणऽेिन ् अत ास वृौ - वपिुष गमन योय े वासम ् आसादययेम ् |
वषृ िगिर कटकेष ु य ु तीतःै - मध ु मथन दय े ा ं वािर धारा िवशषेःै ॥ [31]
अिविदत िनज योगमेम ् आानिभ ं - गणु लव रिहत ं मा ं गोकुामा दय े म ्
परवित चतरुै े िवमःै ीिनवास े - बमित ं अनपाया ं िविस ी धरयोः ॥ [32]
फल िवतरण द ं पपातानिभ ं - गणु मनिुवधये ं ा पा सहायम ् |
महित गणु समाज े मानपवू दय े ं - ितवदिस यथाह पाना ं मामकानाम ् ॥ [33]
अनभुिवतमु ् अघौघ ं नालमागािम कालः - शमियत ु ं अशषे ं िनियािभः न शम ् |
यिमित िह दय े ं ीकृत ीिनवासा - िशिथलत भव भीितः येस े जायस े नः ॥ [34]
अवतरण िवशषेःै आ लीलापदशेःै - अवमित ं अनकु े म िचषे ु िवन ् |
वषृभ िशखिर नाथः िदशेने ननू ं - भजित शरण भाजा ं भािवनो ज भदेान ् ॥ [35]
परिहतम ् अनकु े भावया ं भवा ं - िरमनपुिध हाद ीिनवासो दधानः |
लिलत िचष ु ली भिूम नीळास ु ननू ं - थयित बमान ं ित बुा ॥ [36]
ी दया शतकम ्
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वषृिगिर सिवधषे ु ाजतो वास भाजा ं - िरत किषताना ं यमाना दय े ं |
करण िवलय काले कािशीक तृीना ं - रयिस बलीलं माधव ं सावधाना ॥ [37]
िदिश िदिश गित िविर-्दिेशकैर-्नीयमाना - िरतरम ् अनकु े ान ला गणुैम ् |
पिरगत वषृशलंै पारम ् आरोपयी - भव जलिध गताना ं पोत पाी भिवी ॥ [38]
पिरिमत फल सात ् ािणनः िकंपचानाः - िनगम िवपिण म े िन मुानषुम ् |
सदन ं अनकु े ावा भवा - वषृिगिर हिरनीलं ित ं िनिव शि ॥ [39]
िय बमित हीनः ीिनवासानकु े - जगित गितिमहाा ं दिेव समंत े यः |
स ख िवबधु िसौ सिकष वहा ं - शमयित मगृतृा वीिचकािभः िपपासाम ् ॥ [40]
॥ मााा छः 17, 17, 17, 17 syllables in 4 padas ॥
आा ं ाित ं धनमनचुरान ् आिध राािदकं वा
काले धृा कमल वसतरे ्अिकित ् करािण |
पा का ं िणिहत वत पालनऽेन सा े
सारािभा जगित कृितनः संय े दय े ाम ् ॥ [41]
ाजाप भिृत िवभव ं े पया य ःख ं - जाकान ् वषृिगिर वन े जमषुा ं तषुा ं वा |
आशासानाः कितचन िवभोत ् पिर धःै - अीकारं णमिप दय ेहाद तुरैपाःै ॥ [42]
नािभ प ुरण सभुगा न नीलोलाभा - ीडा शलंै कमिप कण े वृवती वेटाम ् |
शीता िन ं सदनवती -धानावगाा - िदा कािचयित महती दीिघ का तावकीना ॥ [43]
यिन ् े तिदतर सखुरै-्गत े गोद ं
स ं ान ं ििभर-्अविधिभः मुमान िसमु ् |
त ् ीकारात ् तिमह कृितनः सिूर बृानभुाम ्
िना पवू िनिधिमव दय े िनिव शन ् जनाौ ॥ [44]
ी दया शतकम ्
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सारं ला कमिप महतः ीिनवासारुाशःे
काले काले घन रसवित कािळकेवानकु े |
ोषेा मगृपित िगरौ िवम ् आाययी
शीलोप ं रित भवित शीतळं सणुौघम ् ॥ [45]
भीम े िन ंभव जलिनधौ मता ंमानवानाम ् - आलाथ वषृिगिरपितः िदशेात ् येु |
ासारं कृित महता मलू भागने जु ं - शाखा भदेःै सभुगमनघ ंशात ंशापािणम ् ॥ [46]
िवत ् सवेा कतक िनकषवैत पाशयाना ं - पा काः णयित दय े दप ण ं त े शाम ् |
लीला दा ंदनवसर ेलालयन ् िविला ं- माया शाायिप दमियत ु ंप तीपान ् ॥ [47]
दवैात ् ा े वषृिगिर तटं दिेहिन न ् िनदानात ्
ािमन ् पाहीवश वचन े िवित ापमम ् |
दवेः ीमान ् िदशित कण े ि-िमंस-्दीयाम ्
उदघ्ातने िुत पिरषदाम ् उरणेािभ-मुम ् ॥ [48]
येः सिूत ं सकृदिप दय े समंता ंयः सख त े - शीतोदाराम ् अलभत जनः ीिनवास िम ् |
दवेादीना ंअय ंअनणृता ंदहेवऽेिप िवन ् - बान ् मुो बिलिभर-्अनघःै पयू त ेतयैुः ॥ [49]
िदापां िदशिस कण े यषे ु सिेशकाा
ि ं ाा वषृिगिर पित ं बादय े |
िवाचाया िविध िशव मखुाः ािधकारोपदाः
म े माता जड इव सतु े वला माश े म ् ॥ [50]
॥ नदटकम ् छः 17, 17, 17, 17 syllables in 4 padas ॥
अित कृपणोऽिप जरु-्अिधग दय ेभवतीम ् - अिशिथल धमसते ुपदव िचराम ् अिचरात ् |
अिमत महोिम -जाल-मितलङ् भवा ुिनिध ं- भवित वषृाचलेश पद पन िन धनी ॥ [51]
ी दया शतकम ्
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अिभमखु भाव सपंदिभ सभंिवना ं भिवना ं - कव्िचत ् उपलिता कव्िचत ् अभरु गढू गितः |
िवमल रसावहा वषृिगरीश दय े भवती - सपिद सरतीव शमयघ ं अितघम ् ॥ [52]
अिप कण े जन तणे िवभषूणताम ् - अिप कमलासन मिप धाम वषृाि पतःे |
तरतमता वशने तनतु े नन ु त े िवतितः - परिहत वणा पिर पचिेळम केिळमती ॥ [53]
धतृ भवुना दय े ििवध गनकूुलतरा - वषृिगिर नाथ पाद पिररवती भवती |
अिविदत वभैवाऽिप सरु िसिुरवातनतु े - सकृद-्अवगाहमानम ् अप तापम ् अपापम ् अिप ॥ [54]
िनगम समािता िनिखल लोक समिृद करी - भजदघ कूल मुुज गितः पिरत िहता |
किटत हंस म कमठावतार शता - िवबधु सिरिय ं वषृिगरीश दय े वहिस ॥ [55]
जगित िमतपंचा िदतरा त ु दय े तरळा - फल िनयमोिता भवित सतंपनाय पनुः |
िमह िनरश शकनािद िवभिुतमती - िवतरिस दिेहना ं िनरविध ं वषृशलै िनिधम ् ॥ [56]
सकण लौिकक भ ु पिरह िनहयोः - िनयितम ् उपािध च पिरविृ पररया |
वषृभ मिहधरेश कण े िवतरयता ं - ित िमत सिद िय कथ ं भिवता िवशयः ॥ [57]
वषृिगिर कृ मघे जिनता ं जिनताप हरा ं - दिभमित ं सवुिृम ् उपजी िनवृ तषृः |
बष ु जलाशयषे ु बमानम ् अपो दय े- न जहित सथ ं जगित चातकवत ् कृितनः ॥ [58]
दय तिूलकािभः अमनुा वषृशलै जषुा - िर चर िशिनवै पिरकित िच िधयः |
यितपित यामनु भतृयः थयि दय े - जगित िहत ंन निय भरसनादिधकम ् ॥ [59]
मृ दय े दय े मिृदत काम िहत े मिहत े - धतृ िवबधु े बधुषे ु िवतताधरु े मधरुे |
वषृिगिर साव भौम दियत े मिय त े महत - भवकु िनध े िनधिेह भवमलू हरा ंलहरीम ् ॥ [60]
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॥ िशखिरणी छः 17, 17, 17, 17 syllables in 4 padas ॥
अकूपारःै एकोदक समय वतैिडक जवःै - अिनवा ा ं ि ं पियतमु ् अिवा बडबाम ् |
कृप े ं ताक ्िथम वषृ पृीधर पित - प गैुय िगणु िनज िबः भविस ॥ [61]
िविवा वतेाळी िवगम पिरशुदऽेिप दय े - पटु ाहार भिृत पटुपाक चिकताः |
नमा ं नारायण िशखिर कूट कण े - िनद ोहा नपृित सतु नीित ंन जहित ॥ [62]
अनाधीनः सन ् भवित परतः णमता ं - कृप े सवा गणयित न तषेाम ् अपकृितम ् |
पितः त ् पारा थयित वषृ ाधर पितः - वा ंवयैाािदित िवघटयी िवहरिस ॥ [63]
अपा ं पःु शनू ् असहन मनुधे म िनगळं
कृप े काककंै िहतिमित िहनि नयनम ् |
िवलीन ातो वषृिगिर पितत ् िवितिभः
िदशवे ं दवेो जिनत सगुित ं दडन गितम ् ॥ [64]
िनषादाना ंनतेा किप कुल पितः कािप शबरी - कुचलेः कुबज्ा सा ज यवुतयो माकृत इित |
अमीषा ं िन ं वषृिगिर पतेितमिप - भतूःै ोतोिभः सभ ं अनकु े समयिस ॥ [65]
या स-्तिु ं भजित परमेी िनज पद े - वहन ् मतूरौ िवहरित मडृानी पिरबढृः |
िबभित ारा ं वषृिशखिर ािर कण े - शनुासीरो दवेासरु समर नासीर सभुटः ॥ [66]
दय े धोदद-्ित यतु सधुा िस ु नयतः - द-्आषेाि ंजिनत मतृ सीवन दशाः |
द ेदाेः िुत वदन कपू र गिुलकाः - िवषणुः िच ंवषृिशखिर िवभंर गणुाः ॥ [67]
जग मे लय रचना केिल रिसकः - िवमुके ारं िवघिटत कवाटं णियनाम ् |
इित ाय ंितयम ् उपधी कृ कण े- िवशुदाना ंवाचा ंवषृिशखिर नाथः िुत पदम ् ॥ [68]
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किल ोभ उीलत-्िित कष कूलष जवःै - अनेुदःै एतःै अवट तट वषै रिहतःै |
वाहै ेपा सहचर पिरािरिण कृप े - िवकऽेना वषृ िशखिरणो िनझ र गणुाः ॥ [69]
िखलं चतेो वृःे िकिमदिमित िवरे वन ं - कृप े िसहं ाभतृ ् कृत मखु चमार करणम ् |
भरास बल विृजन ाभतृ भतृा ं - ित ाना ं त े िुत नगर ाटक जषुः ॥ [70]
॥ ह�र�ण छन्दः 17, 17, 17, 17 syllables in 4 padas ॥
ििवध िचदिचत ् सामे विृ िनयािमका - वषृिगिर िवभोिरा सा ंपरःै अपराहता |
कृपण भरभतृ ् िकवा ण भतू गणुारा - वहिस कण े वचैय ं मदीण साहस े ॥ [71]
वषृिगिर पतःे ा िवावतार सहाियनी - िपत िनिखलावा दिेव मािद िनषिेवता |
भवुन जननी प ुसंा ं भोगापवग िवधाियनी - िवतमिस पद ेिं िना ंिबभिष दय ेयम ् ॥ [72]
यमदुियनः िसदाा िवृता शभुालयाः - िविवध िवभव हूा वासाः परं च पद ंिवभोः |
वषृिगिर मखुषे ्-वतेषे-्िवाविध ितलय े- ढ िविनिहता िनिेणस-् ंदय ेिनज पविभः ॥ [73]
िहतिमित जगद-्या ुःै अु फलारःै - अमित िविहतःै अःै धमा ियतै यया |
पिरणत बा पा सहाय दय े य ं - िदशिस िनजािभते ं नः शात ् अपपा ॥ [74]
अितिवध िशवःै ऐया अनभुिूत रसजै नान ् - अदयम ् इह उपषैा ं अस दशािथ नी |
तिृषत जनता तीथ ान म िपतनैसा ं - िवतरिस दय े वीताता वषृाि पतःे पदम ् ॥ [75]
वषृिगिर सधुा िसौ जदुय े िनिहतस-्या - भव भय परीतापि ै भजघमष णम ् |
मिुषत कषो मेुरसेरःै अिभपयू त े - यम ् उपनतःै ाान भृनबुििभः ॥ [76]
अिनतर जषुाम ् अमूलेऽाय पिरव े - कृतिवद-्अनघा िविषैा ं कृप े यम वयताम ् |
पदन फल ादशे स िवविज त ं - ितिविधम ् उपाध े साध वषृाि िहतिैषणा ॥ [77]
ी दया शतकम ्
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ण िवलियना ं शा अाना ं फलाय िनविेशत े - सरु िपत ृगण ेिनवशात ् ागिप ळय ंगत े |
अिधगत वषृा भनृ-्नाथा ंअकाल वशवंदा ं- ितभवुिमह ाचसु-्ा ंकृप ेिनपवाम ् ॥ [78]
द-्उपसदनाद ो वा महा ळयऽेिप वा - िवतरित िनज ं पादाोज ं वषृाचल शखेरः |
तिदह कण े तत ् ीडा तर पररा - तर तमतया जुाया े रयता ं िवः ॥ [78]
िणिहत िधया ं त ् सपंेृ वषृाि िशखामणौ - समृर सधुा धाराकारा सीदित भावना |
ढिमित दय ेदााद ंिवमिु वलाहकं - िनभतृ गतो िनायि िराशय चातकाः ॥ [80]
॥ पृी छः 17, 17, 17, 17 syllables in 4 padas ॥
कृप े िवगत वलेया कृत सम पोषैया - किललन ग त े जगित काळ मघेाियतम ् |
वषृ िित धरािदष ु िित पदषे ु सानुवःै - वषृािपित िवहःै पगतािखलावहःै ॥ [81]
सयू िविवध ं जगत ् तदिभवृय े ं दय े - समीण िविचन भिृतिभः य ं ताशःै |
िविच गणु िचिता ंिविवध दोष वदैिेशक - वषृाचलपतःे तन ु ंिवशिस म कूमा िदकाम ् ॥ [82]
यगुा समयोिचत ं भजित योग िना रस ं - वषृ िित भदृीर े िवहरण मााित |
उदीण चतरुण वी कदन विेदन मिेदनीम ् - समदु ् धतृवती दय े तद-्अिभजुया दंया ॥ [83]
सटा पटल भीषण े सरभसा हासोटे - रुत ् कृिध पिरुटद ् कुुिटकेऽिप वे कृत े |
दय े वषृिगरीिशतरु-्दनजु िड दना - सरोज सशा शा समिुदताकृितर ् यस े॥ [84]
स मधनुा िविध िणिहतःै सपयदकैः - सम िरतिदा िनगम गिना ं दय े |
अशषेम ् अिवशषेतः िजगद-्अनाी िशतःु - चराचरम ् अचीकर शरण पजनेाितम ् ॥ [85]
परथ तपोदन थन सत-्उपाकृत - ितीर पश ु रत ् तज कुम ासकैः |
वषृाचल दयाळुना नन ुिवहत ुम ् आिलथाः - िनधाय दय े दय ेिनहत रिताना ं िहतम ् ॥ [86]
ी दया शतकम ्
ीमत ेिनगमा महादिेशकाय नमः Page 11 of 13
कृप े कृत जगित े कृपण ज ु िचामण े - रमा सहचरं तदा रघ ु धरुीणया या |
भत सिरितः सकृदवेणात ् तणात ् - कृ ब पातक शम हतेनुा सतेनुा ॥ [87]
कृप े परवतस-्या वषृ िगरीिशतःु ीिडत ं - जगिदत ं अशषेतः तिददिमम ् अथा त े|
मदल पिरतु णत ृत िेतःै - हत बल दानवःै हलधर हलेा शतःै ॥ [88]
भतू िवबधु िषद-्भरण िख िवभंरा - भरापनयनलात ् म ् अवताय लीधरम ् |
िनरा कृतवती दय ेिनगम सौध दीप िया - िवपिचत ् अिवगीतया जगित गीतयाऽ ंतमः ॥ [89]
वषृाि हय सािदनः बल दोम त ् िेतः - िषा टु तिटद-्गणुस-्दवसके संारवान ् |
किरित दय ेकिल बल घम िनमू लनः - पनुः कृत यगुारं भिुव कृपाण धाराधरः ॥ [90]
॥ वसितलका छः 14, 14, 14, 14 syllables in 4 padas ॥
िवोपकारम ् इित नाम सदा हानाम ् - अािप दिेव भवतीम ् अवधीरयम ् |
नात े िनवशेय वषृाि पतदे य े ं - रण भरं िय मा ं यवै ॥ [91]
नसैिग केण तरसा कण े िनयुा - िनतेरेऽिप मिय त े िवतितः यिद ात ् |
िवापयदे ् वषृिगरीरम ् अवाया - वलेाितलन दशवे महारुाशःे ॥ [92]
िवात शासन गितः िवपरीत वृा - वृािदिभः पिरिचता ं पदव भजािम |
एव ं िवध े वषृिगरीश दय े मिय ं - दीन े िवभोः शमय दड धर लीलाम ् ॥ [93]
मा साहसोि घन ककु विताः - पय ु तषे ु िवदधाित साहसािन |
पा सहाय कण े न णि िकं ं - घोरं कुिल शकुनिेरव चिेत ं म े ॥ [94]
िवपेम ् अहिस दय े िवपलाियतऽेिप - ाज ं िवभा वषृशलै पतःे िवहारम ् |
ाधीन स सरिणः यम जौ - ाघीयसी ढतरा गणु वागरुा ं ॥ [95]
ी दया शतकम ्
ीमत ेिनगमा महादिेशकाय नमः Page 12 of 13
सनत मानम ् अपराधगण ं िविच - ािम ह भवत च िवभावयािम |
अाय म े वषृिगरीश दय े जहीमाम ् - आशीिवष हण केिळ िनभाम ् अवाम ् ॥ [96]
औु पवू म ् उप महापराधान ् - मातः सादियतिुमित म े मनाम ् |
आिल तान ् िनरवशषेमल तिृः - ताहो वषृिगरीश धतृा दय े म ् ॥ [97]
जात ् वषृाचल पितः ितघऽेिप न ा ं - घमपत इव शीतळताम ् उदान ् |
सा मामदु भर सन अनवुिृ - तीणःै शृ दय े तव केिळ पःै ॥ [98]
ऽेिप ब लिधय ं दमनऽेिप ं - ााऽिप धिूलरिसकं भजनऽेिप भीमम ् |
बद्ा गहृाण वषृशलै पतदे य े मा ं - ारण ं यम ् अनुह लािभः ॥ [99]
नातः परं िकमिप म े िय नाथनीय ं - मातदय े मिय कु तथा सादम ् |
बादरो वषृिगिर णयी यथाऽसौ - मुानभुिूत ं इह दाित म े मकुुः ॥ [100]
िनःसीम वभैव जषुा ं िमषता ं गणुाना ं - ोतदु य े वषृिगरीश गणुेर ाम ् |
तरैेव ननूम ् अवशरै ् अिभनित ं म े - सािपत ं तव बलादकुतो भयम ् ॥ [101]
अािप तद ् वषृिगरीश दय े भवाम ् - आर माम ् अिनदम ् थम तुीनाम ्
सदंिश त पर िनव हणा सहथेाः - म साहसम ् इद ं िय विनो म े ॥ [102]
ायो दय े दनभुाव महारुाशौ - ाचतेस भतृयोऽिप परं तटा |
तावतीण म ् अतल शृम ् आतु ं मा ं - पापतःे हसनोिचतम ् आियथेाः ॥ [103]
वदेा दिेशक पत े िविनवेय बालं - दवेो दया शतकम ् एतद ् अवादयाम ् |
वहैािरकेण िविधना समय े गहृीत ं - वीणा िवशषेिमव वेटशलै नाथः ॥ [104]
ी दया शतकम ्
ीमत ेिनगमा महादिेशकाय नमः Page 13 of 13
॥ मािलनी छः 15, 15, 15, 15 syllables in 4 padas ॥
अनविधम ् अिधकृ ििनवासानकुाम ् - अिवतथ िवषयात ् िवम ् अीडयी |
िविवध कुशल नीवी वेटेस सतूा - िुतिरयम ् अनवा शोभत े स भाजाम ् ॥ [105]
शतकम ् इदम ् उदारं सगमानान ् - वषृिगिरम ् अिध म ् आलोकयी |
अिनतर शरणानाम ् आिधराऽेिभिषते ् - शिमत िवमत पा शा धानकुा ॥ [106]
॥ शा लिवीिडतम ् छः 19, 19, 19, 19 syllables in 4 padas ॥
िवानुह मातरं ितषजत ् गा पवगा सधुा
सीचीिमित वेटेर किवभ ा दयामतु |
पानािमह यिधये भगवत ् स क ुमात ्
झा मात धतू चतू नयतः सापंाितकोऽय ं मः ॥ [107]
काम ं स ु िमथः करित गणुावािन पािन नः
कािन ् शतके सद ु कतके दोष ित ं ाित |
िनहू वषृाि िनझ र झरारच-्छले-नोलन ्
दीनालन िद दित दया कोल कोलाहलः ॥ [108]
किवतािकक-िसहंाय काणगणुशािलन े। ीमत े वेटेशाय वदेागरुव े नमः ॥