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    नय कसम ेलगते ह?ै

    ान मे

    वाणी मे

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    नय कसमे नही लगते है?

    वत मे

    या मे

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    भेद

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    जाे भूत अाैर भवय पयायाे मे वतमान का सकप करता है या वतमान जाे पयाय पूण नही ई ह ैउसे पूण मानता है

    उस ान तथा वचन काे नैगम नय कहते ह ै|

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    नैगम नय

    भूत

    “अाज भगवान महावीर का माे कयाणक ह”ै

    भावी

    “यह डा.ॅ है”, “यह राजा ह”ै

    वतमान

    “भात पाक गया ह”ै

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    अपनी-अपनी जाित के अनुसार

    वतअा ेका या उनक पयाया ेका

    एक प से सह करने वाले

    ान काे अाैर वचन काे

    सहनय कहते है|

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    सह नय से हण कये ए पदाथाे का

    वधपवूक भेद करना

    यवहार नय कहलाता है |

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    भूत अाैर भावी पयाय काे छाेड़कर

    जाे वतमान पयाय काे हण करता है

    उसे ऋजुसू नय कहत ेहै |

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    ऋजुसू नय

    सू

    एक समय क पयाय काे हण करे

    थूल

    एक थूल पयाय जब तक रहती है

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    लंग, सं ा, और साधन आिद

    के भचार क िनवृि करान ेवाल े

    नय को श नय कहत ेह ।

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    लग यभचार

    •अाा जानता है

    काल यभचार

    •म ैअगले साल अाई थी

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    जो अनेक अथ को ‘सम’ अथात् छोड़कर धानता से एक अथ म ढ़ होता है उस ेसम भ ढ़ नय कहत ेह ।

    ‘गो’ इस श दके वचन आिद अनेक अथ पाये जाते ह तो भी वह ‘पशु’ इस अथ म ढ़ है।

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    •अाा-एेयवानइ•समथश•नगर का दारण करन ेवालापुरदर

    अथवा यिद श ो ंम भेद है तो अथ भेद अव होना चािहये । नाना अथ का सम भरोहण करनेवाला होनेसे सम भ ढ़ नय कहलाता है।

    इस नय म पयायवाची श नही ंपाए जाते ह

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    जाे वत जस पयाय काे ा ई है

    उसी प िनय करने वाले नय का े

    एवभूत नय कहते है

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    • पूजा करते समय ही पुजारीपुजारी

    • पढ़ाते समय ही अ ापकअ ापक

    • चलते समय ही गाय गो

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    • उ रो र सू होन ेके कारण इनका म इस कार कहा है |

    • श नय पयायवाची श ो ंको तो हण करता है िक ुसम भ ढ़ नय

    पयायवाची श ो ंको हण नही ंकरता है |

    • सम भ ढ़ नय से जस अथ के लए जस श को ीकार िकया है एवंभूत

    नय म तो वह श भी ि या के प रणमन के समय ही लाग ूहोगा |