दा के बाद - international sri krishna mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म...

47
दा - 1977 के बाद ील भुपाद क दा क ऋिवक णाल के समथन म ठोस लेखबध और शािक माण अंतराय ीक मंदर वारा तुत एक िथत संकरण 1.1 www.iskm.international

Upload: others

Post on 22-Apr-2020

3 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

Page 1: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

दा - 1977 क बाद

ील भपाद क दा क ऋिवक णाल क समथन म ठोस लखबध और शािक माण

अतराय ीकण मदर वारा तत एक िथत प सकरण 11

wwwiskminternational

समपण

कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद

सथापकाचाय अतराय कणभावनामत सघ

िजहन कपा करक एक ऐसा घर बनाया जहा सारा वव शातपवक रह सक

आमख हमार भौतक िट स ील भपाद क भौतक थान क 39 साल बीतन क बाद इस पतक क सकलन क समय यह सन 2016 ह I ील भपाद क उपिथत क अतम 12 वष क दौरान उनक दय मागदशन म हर कण आदोलन उच तपरता स बढ़त हए सभी छ महावीप म दर -दर तक फला और सभी भायशाल आमाओ को उठाकर उह वापस भगवधाम क ओर दय याा क लए तयार कया आदोलन क पवता अखड थी ऐसा नह ह क आदोलन म उस समय कोई समयाए नह थी हर तर पर अनभवहन भत वारा सभी तरह क गलतया हई थी परत अपनी आयािमक शित स ील भपाद न इस आदोलन का धयपवक पर दनया म सचालन कया और लगातार अपन शय को पणता क ओर शत कया अपनी कट लला क अत म उनका अपन शय स एक मख अनरोध यह था ldquoतहारा मर त म तब दखगा जब मर जान क पचात तम आपस म कस सहयोग करत हो rdquo ldquoम र इछा ह क हमा र आदोलन क हर शाखा अप नी वत पहचान रख और आचाय को क म रखत हए सहयोग कर इस सधात पर हम दनया भर म कतनी भी शाखाय खोल सकत ह rdquo

- कतनानद वामी को ील भपाद का प फ़रवर 11 1967 सन ासको कलफ़ोनया अमरका

सथापकाचाय ील भपाद को क म रखन का मतलब ह उनक नदश को क म रखना तभी हम इस कणभावनामत आदोलन को आग बढ़ान म एक साथ सहयोग कर सकत ह हालाक 1977 स भार माा म यतम धोखाधड़ी अववास कठा गट बाजी ईया और यहा तक क हसा का एक इतहास रहा ह इन सब समयाओ क मल कारण को नप ता स पहचानना और उस कारण क उपाय को कायािवत करना अयत ववकपण ह जसा क ील भपाद न हम आगाह क या ह ldquoइस दनया म ऐसी कोई बाहर शित नह ह जो हमार आदोलन को रोक सक यह कवल भीतर स ह नट कया जा सकता ह rdquo इन समयाओ क शआत ी ल भपाद क आा क उलघन स हई ील भपाद क नदश एक धागा ह जो क हमार आदोलन क मोतय क सदर हार को धारण

कय हए ह अगर उन नदश क अवा हई तो वह धागा टट जाएगा ओर वह हार खो जाएगा ील भपाद क तरोधान क पचात बलकल वह हआ वशष प स दा क सदभ म I इस पतक का काय- mdash 1 lsquoउनक तरोधान क पचात दा कस होनी चाहएrsquo इस पर ील भपाद क अितम नदश का अययन करना ह

2 उनक नदश क ामाणकता को शािक और ऐतहासक सदभ स सढ़ करना ह 3 उन शािक सदभ को तत करना जो क हमार ववतरय कणभावनामत आदोलन क सार समयाओ क मल कारण को तपादत करत ह उनक भाव और कस इसका समाधान कर यह पतक पण प स ील भपाद क अधकत दतावज़ पर आधारत ह तथा उनक भगवगीता ीमद भागवतम तथा अय सबिधत साहय स लए गए शािक उधरण वारा समथत ह हमन तो बस उनक मशन और उनक मशन क त सच भत क सवा करन क लए इस सकलत करन का यास कया ह I ldquoमानव समाज का मय काय पण पषोम भगवान क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह आचाय जो भगवान क ामाणक तनध हो त ह इन सधात क थापना कर त ह कत जब अकट हो जात ह सार चीज पनः अयविथत हो जाती ह आचाय क असल शय इस िथत को ठक करन क लए ग क आदश का नठापवक पालन करत ह rdquo

- ीम भागवतम 42848 तापय ी सदर गोपाल भ को हमारा वशष धयवाद जो क ी कण मदर सगापोर क अय ह तथा अतराय ी कण मदर समह क वरठ सरक ह जनवर 1977 म वय ील भपाद वारा दत कए थ और ील भपाद क सवा म अपन जीवन क चार दशक बता चक ह व तदन ील भपाद क पतक क गहन अययन म सलन रहत ह व उन भत का सयता स सहयोग भी करत ह जो ील भपाद को आदोलन क क म लाना चाहत ह और कणभावनामत आदोलन को आग बढ़ान क लए सहयोग क भावना स साथ मलकर काय करना चाहत ह सभी क भलाई क लए उहन इस िथत -प दा -1977 क बाद क सकलन क लए रत कया तथा नदश दए

इस पतक म दया गय लखबध तथा शािक सदभ अभी क लए पयात ह I यद भवय म ओर भी सदभ पाए जात ह जो क परितथ को और सढ़ तथा पता करत ह तो व भवय म आन वाल सकरण म जोड़ जा सकत ह I जस इस पतक क वषय वत पर नए और योय तक उठत ह व भी भवय म आन वाल सकरण म सबोधत कय जा सकत ह I परवतन क ितथ म यथानसार पतक पन सकरणीकत क जा सकती ह I वतमान सकरण ह दा -1977 क बाद सकरण 11

आपक दास अतराय ी कण मदर क टम

भमका 6

अयाय 1 लखबध सबत 8 11 नयित टप वलषण 8 12 ऋिवक क अधकत नयित 11 13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण 16 14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 पआदश क साी) 17

2 दाशनक माण 18 21 दा क परभाषा 18 22 दा ग कौन बन सकता ह 19

221 दा ग क योयता 19 222 दा ग क ाधकरण 21 231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह 22 232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह 25 233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह 25 234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo 27

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग 29

अयाय 3 यतम का शािक अययन 31 31 यितम क कारण 31 32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी 33 33 परितथ को कस सधारा जाए 36 34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर 37

नकष 39 उराधकार प 42

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980 44

भमका

कणकपामत ए सी भितवदात वामी भपाद एक वातवक सशत आचाय होन क कारण कणभावनामत को इसक वशध प म चारत करन म अपन पवती आचाय क त नठावान रह और इस कार चार को अवतीय तर पर ल गए I ी चतय महाभ क 500 साल पहल क भवयवाणी ldquoकण का पव नाम हर शहर और गाव म गाया जायगाrdquo ील भपाद जी क अकल ह यास वारा साधत क गई I उन होन कछ नया आवकार नह कया था जसा क ील भपाद कहा करत थ ldquoउलट-फर मतलब धतताrdquo फर भी भगवान चतय क आदोलन को आग बढ़ान क लए यह उनक सफ आयािमक वशटता थी क उहन वतमान समय और परिथत क अनप कई तरह क दय तकनीक यवथाय क हम कभी भी इस तरह क ढ़-वध उपाय को परपरा क नकष स पथट नह समझना चाहए ऐसी ह एक यवथा थी तदन 16 माला का जप क ता जबक शआत म यह 64 थी दसर यवथा ह दा क आयोजन क लए ऋिवक-णाल

दा मानव जीवन का सबस महवपण सकार ह जो क एक माणक आयािमक ग क मागदशन म आयािमक जीवन क औपचारक शआत को इगत करती ह

माड मत कोन भायवान जीव ग -कण -साद पाय भित -लता -बीज

ldquoअपन-अपन कम क अनसार समत जीवामाय समच वव म मण कर रह ह लाख भटकती जीवामाओ म स जो अयत भायशाल ह उसको कण क कपा स एक माणक आयािमक ग क सग का अवसर ात होता ह Irdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 19151

ययप ग क सधात या आयािमक ग एक ह तथाप गओ को तकनीक प स चार भाग म बाटा गया ह य सभी कण क चरणारवद क शरण ात करन क लए बध आमा क सहायता करत ह

1 वमा-दशक ग - आयािमक ग जो सबस पहल आयािमक जीवन क बार म जानकार दत ह

2 दा ग - आयािमक ग जो शा क नयम क अनसार दा दत ह व दा ग कहलात ह व चय ग क बाय अभयित भी मान जात ह एक यित का कवल एक ह दा ग हो सकता ह

3 शा ग - आयािमक ग जो दा ग क नदश क आधार पर उथान क लए

नदश दत ह शा ग कहलात ह (दा ग बहत स हो सकत ह)

4 चय ग - परम आयािमक ग परमामा जो भीतर स दशा दखात ह

चय ग एक परमामा ह पण पषोम भगवान क वतार 3 कार क गओ म स शा ग और वमा-दशक ग दा ग क आदश पर नठा स कणभावनामत क चार क कतय क पालना करत ह व वय शध भत हो भी सकत ह या नह भी हो सकत दा ग क पद क आवयकता अयत िजमदारना होती ह जस क ग को भगवान कण का शध भत होना चाहए और दा ग बनन क लए अपन आयािमक ग वारा सशत होना चाहए I

ील भपाद न यहा तक क अपन भौतक थान क उपरात दा क एक णाल थापत क िजसक तहत उनक तनध ऋिवक (या पजार) उनक और स दा दग और इस कार आदोलन आग बढ़ता रहगा

परत आज इकोन म ऋिवक शद असहनीय ह उहन इस शद को पर तरह स नकार रखा ह जो भी अपन को ऋिवक मानता ह वह एक सबस बड़ा अपराधी माना जाता ह फर भी जब भवय म दा क बार म पछा गया था तब यह शद हमार परम धय ील भपाद वारा इतमाल कया गया था वशष प स जब व हमार साथ नह रहग

1 सतवप अब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग I हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी 2 ील भपाद हा I म तम म स कछ क शफारश कगा इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा 3 तमाल कण या इस ऋिवक-आचाय कहत ह 4 ील भपाद ऋिवक हा

- ील भपाद क साथ क म वातालाप

वदावन मई 28 1977

दा क यह ऋिवक णाल कछ असतट भत क कोई मनगढ़त कहानी नह ह अपत हम सब क लाभ क लए अयत कपापवक ील भपाद वारा हम द गयी एक अधकत पधत ह

अयाय 1 लखबध सबत इकोन क सार बध सबधी वचार-वषय क लए ील भपाद न शासकय दतावज ज़ार कय जो क उनक इराद को पट करत ह

इस खड म हम ील भपाद क उनक भौतक उपितथ क उपरात दा वधान स सबिधत इराद (जो क इकोन क क़ाननी दतावज और अधकत लपबध ऑडयो म मल ह) पर नणायक एव नववादत तय पर ट डालग I

इस खड म हम नन 3 दतावज़ का अयन करग

1 मई 28 1977 वातालाप का लपबध ऑडयो

2 9 जलाई 1977 प आदश

3 ील भपाद क वसीयत क घोषणा (जन 5 1977)

11 नयित टप वलषण

हम इस सीध न स श करग जो क ील भपाद स 28 मई 1977 म पछा गया था इस रकॉडड वातालाप को इकोन क अनधकत ग ldquoनयित टप rdquo क नाम स सबोधत करत ह जो क यह सकत करती ह क ील भपाद न अपन उराधकारय को इस वातालाप म ग क प म नयत कया आइय हम इस पर ट डालत ह

क म वातालाप - वदावन 28 मई 1977

1 सतवप ldquoअब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग I हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी rdquo

2 ील भपाद ldquoहा I म तम म स कछ क शफारश कगा I इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा rdquo

3 तमाल कण ldquoया इस ऋिवक-आचाय कहत ह rdquo 4 ील भपाद ldquoऋिवक हा Irdquo 5 सतवप ldquo(फर) उनका या सबध ह जो दा दता ह और helliprdquo 6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo 7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo 8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग

नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo 10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo 11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक

दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo 13 तमाल कणा ldquoवह उनक शय ह rdquo 14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo 15 सतवपा ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo 16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह

बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

वलषण

उपरोत वातालाप सवथम थोड़ा विमत कर सकता ह आइय अब हम एक बहतर िटकोण ात करन क लए इसका नप वलणामक अययन करत ह एक-एक पित लकर चलत ह

1 सतवप ldquoअब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी rdquo 2 ील भपाद ldquoहा म तम म स कछ क शफारश कगा इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा rdquo 3 तमाल कण ldquoया इस ऋिवक-आचाय कहत ह rdquo 4 ील भपाद ldquoऋिवक हा rdquo

ऊपर दए गए बद सया 1 म न य और पट ह ील भपाद बद सया 2 और 4 म पट प स जवाब दत ह क व यहा ऋिवक का िज कर रह ह हालाक आग चलक वातालाप थोड़ा और ामक हो जाता ह यहा पर ील भपाद सबस पट जवाब दत ह - ऋिवक

दरअसल ऋिवक शद का मतलब या ह ील भपाद क पतक म इस शद क 17 सदभ ह और सदव उनका मतलब एक ह चीज स ह - एक पजार एक पजार कसी क और स समारोह आयोिजत करता ह उसका काय कवल समारोह का आयोजन करना ह आचाय या ग जो क कह यादा योयता और साथ ह साथ उतरदायव रखत ह स वह (ऋिवक) अलग होता ह

एक आचाय क योयता यह ह क उह भगवान कण का एक शध भत होना चाहए और उह शय क अान को नट करन क लए दय ान अवय दना चाहए शय ग क पजा अपन नय वामी क प म करता ह जसा क ील नरोम दास ठाकर क शद म कहा ह ndash च दान दलो यई जम जम भ सई परत एक ऋिवक यह पद धारण नह करता

5 सतवप ldquo(फर) उनका या सबध ह जो दा दता ह और helliprdquo

6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo

बद सया 5 म सतवप ऋिवक और शय क सबध क वषय म पछ रह ह परत उहन अपन न को ठक स तत नह कया उहन दा दन वाल और शय क बीच क सबध को पछा ह यहा यह यान दना महवपण ह क दा दन वाल या ग ील भपाद ह और ऋिवक कवल एक अधकत तनध ह इसलए ील भपाद न बद सया 6 म जवाब दया क दा दन वाल (ील भपाद ) नए शय क ग ह

7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo

8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

बद सया 7 म सतवप वो पट करन क कोशश कर रह ह जो उहन समझा बद सया म ील भपाद न पट कया क जब तक खद क ग भौतक प स उपितथ ह तब तक ग नह बनना चाहए यह शटाचार नह ह परत उसक बाद उहन न तरत कहा क कवल उनक जान क बाद ऋिवक वत ग नह बनत परत उह उनक आदश का इतज़ार करना होगा ldquoमर आदश पर helliprdquo यहा प यह यान दन म समझदार ह क ील भपाद भवय काल क आदश क बात कर रह ह इसका मतलब ह यह टप ldquoअपोइटमट टप rdquo नह कह जा सकती ह यक व कसी को नयत नह अपत भवय क ओर इगत कर रह ह

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo

10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo

11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo

13 तमाल कण ldquoवह उनक शय ह rdquo

१14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo

15 सतवप ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo

16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

बद सया 10 म ऐसा तीत होता ह क ील भपाद को सतवप का बद सया 9 म पछा गया न समझ नह आया अत तमाल कण बद सया 11 म न को पट करत ह दरअसल ील भपाद वारा इस न का जवाब बद सया 12 और 14 म एक साथ दया गया ह इसका मतलब उहन कहा ldquoजो दा द रह ह व उनक शय ह rdquo इसका मतलब यह क व ील भपाद क शय ह यक व समारोह म ऋिवक को अपन

तनध क प म रख कर दा द रह ह परत इस जवाब क अधबीच म तमाल कण ील भपाद जी क शद को बद सया 13 म दोहरात ह इसलए ील भपाद जी क शद अलग दखाई पड़ रह ह

अब बद सया 14 म व पन lsquoपरम शयrsquo शद का उलख कर रह ह बद सया 15 म सतवप एक और शन पछन क कोशश करत ह परत ील भपाद बद सया 14 स चलत हए बद सया 16 म कहत ह क परम शय तभी बन सकता ह जब व अपन शय म स कसी को ग बनन का आदश दग I तब व पट करत ह क व नयमत ग बनन क लय उनक आदश क तीा कर अत इस वातालाप क समय आदश कह नह ह अतएव यह वातव म तथा -कथत बहचत ldquoनयित टप rdquo नह ह

12 ऋिवक क अधकत नयित एक अपट वातालाप (मई 28 1977) क आधार पर ील भपाद न इकोन क भवय को हवा म लटकत हए नह छोड़ा वातव म ील भपाद न अपन इराद को पट करन क लए इस मामल को वव क सार मदर म लखत नदश क प म जार कया अब हम इस नदश पर अछ तरह स नज़र डालत ह जो क सबत का अगला भाग ह - जलाई 9 1977 का एक प

असल प क तवीर नच द गई ह इसको पढ़ना थोड़ा मशकल ह इसलए हमन इस तवीर क बाद इस प का पण अनवाद दया ह परत अब हम आपका यान ील भपाद और तमाल कणा गोवामी (ील भपाद जी क यितगत सचव ) क हतार क तरफ़ लाना चाहग जो क इस दतावज़ क तवीर क अत म ह दो हतार क साथ यह एक क़ाननी दतावज़ ह बना कसी न क सार इकोन को इस आदश क पालन करना पड़गी

नीच दए गए प का आप पण और पट अनवाद दखग िजस आप आसानी स और पट प स इसक वषय वत को पढ़ सक

---------------------------------------------------------------------

जलाई 91977 का प

जलाई 7 1977

समत जीबीसी ऐव टपल िज़डट क लए

महाराज एव भगण

आपक चरण म मरा दडवत णाम वीकार हाल ह म जीबीसी ी ीमद क साथ वदावन म थ तब ील भपाद न सचत कया था क जद ह व पहल दा (हर नाम) और दसर दा (गायी) दन क लए अपन वरठ शय म स कछ को रिवक आचाय क तनधव क प म काय करन क लए मनोनीत करग अब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयत िथत म काय करग

ीपाद कतानानद वामी

ीपाद सतवप दास गोवामी

ीपाद जयपताका वामी

ीपाद तमाल कण गोवामी

ीपाद दयनद गोवामी

ीपाद भावनद गोवामी

ीपाद हसदता वामी

ीपाद रामवर वामी

ीपाद हरकश वामी

ीमान भगवान दास अधकार

ीमान जयतीथ दास अधकार

पव म कसी भत क सफ़ारश करन क लए टपल िज़डट ील भपाद को प लखत थ अब चक ील भपाद न इन तनधय को मनोनीत कर दया ह अतः इस समय स टपल िज़डट पहल और दसर दा क लए अपन सफ़ारश प इन तनधयो म स नकटम तनध को भज सफ़ारश को परखन क पचात य तनध उस भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर उस आयािमक नाम द सकत ह या दसर

दा क लए यपवीत पर गायी जाप कर सकत ह ठक उससी तरह िजस तरह ील भपाद कया करत थ नए दत भत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह और य याहरा भत उनक तनध ह इन तनधयो क प वारा भज गए आयािमक नाम और यपवीत मलन क उपरात टपल िज़डट अपन मदर म उसी कार य कर सकत ह िजस कार हआ करत थ जो तनध नए दत शय को ील भपाद क ओर स वीकार करग उह इन नए दत शय क नाम ील भपाद क lsquoइनशीएटड डसायपलसrsquo (दत शय) नामक आपक सकशलता क कामना करत हए आपक सकशलता क कामना करत हए आपका सवक (मल दतावज़ पर ील भपाद क हतार अकत ह ) तमाल कण गोवामी सचव - ील भपाद

जलाई 9 1977 प का वलषण

1 यहा यह पणतया पट हो जाता ह यह ील भपाद क बध करन क शल रह ह हर महवपण नदश लख जात ह और उह दनया क सभी मदरो क लए जार कया जाता ह न क कसी ामक बढग तरक़ स कसी नजी कमर म बातचीत क वारा

2 कपया यान द क उपरोत प क पहल परा म तमाल कण गोवामी हाल म हई मीटगक बार म िज कर रह ह जो क वदावन म सभी जी बी सी क सदय और ील भपाद क साथ दा क या को पट करन क लए थी 28 मई 1977 क वातालाप का यह सीधा सार ह अत यद आप उस वातालाप को पढ़न क बाद याकल महसस करत ह या वलषण क जानन क उपरात भी कसी तरह पट नह ह तो यहा इसका शध प ह यह प सीधा उसी वातालाप क और इशारा करता ह

3 इसक अलावा यह यान दना महवपण ह क 28 मई का वातालाप कस श हआ उन शद को याद किजय ldquoख़ासकर जब आप हमार साथ नह रहग rdquo अत य शद निचत प स ील भपाद क जान क बाद क समय क और इशारा करत ह हम यह परा प इसी सदभ म पढ़ना चाहए

4 प क शआत इस तरह स होती ह क ील भपाद ऋिवक (बगाल म इसका उचारण ऋिवक ह ) आचाय का तनध नयत करग उहन पटतया कसी को भी ग नयत नह कया ील भपाद इसस पट नह हो सकत थ

5 आग व पट करत ह क 11 नाम िजनक घोषणा क जानी ह व ऋिवक क तरह काय करग ndash पन दोहरात ह क व ग क प म नयत नह कय जा रह ह

6 अगल बड़ी बात 11 नाम क घोषणा क बाद आती ह शद lsquoहफोवड rsquo तत श होन वाल बद परत असीमत अितम बद क तरफ या कम स कम दसर आदश क तरफ जो क इस आदश को नह हटा द इगत करता ह I और तय यह ह क ील भपाद न इसक बाद ऐसा कोई भी आदश जार नह कया क व 11 यित उनक (ील

भपाद) क तरोधान क उपरात वत ह ग बन जायग I इसक अतरत इस शद को 28 मई 1977 क वातालाप क मल शन क सदभ म समझा जाना चाहए िजसम सतवप दास गोवामी न कहा था ldquoवशष प स जब आप हमार साथ नह रहग rdquo

7 फर यह कहा जाता ह क दा क लए सफ़ारश मदर क अय वारा भजी जानी चाहए ldquoजो भी इन 11 तनधय म स मदर क नकट हग Irdquo lsquoनकटrsquo शद का तापय सवधा स ह न क एक पव ग शय सबध स जो ववास क एक गहर भावना पर आधारत ह तमाल कण गोवामी 1980 म दए गए ख़द अपन बयान (अनबध ख ) म इस इस कार बहतर समझात ह ldquoयह एक बहत महवपण बद ह यक जब दा दन क बात आती ह ऐसा नह ह क जो कोई भी नज़दक हो जबक ऐसा ह क जहा भी आपका दय जाए िजस पर आपका ववास हो आप उसस ह दा ल जब यह तनध हो तब जो कोई भी नकट हो और इस बात पर व बहत पट थ उहन इनका नाम दया था व दनया भर म फल गए थ और उहन कहा ldquoजो भी आपक नकट हो आप उसक पास जाए और वह आपको परखग फर व मर ओर स आपको दा दग rdquo

8 अब प क अगल परा म हम नमनलखत वायाश को दखग जो क बना कसी सदह क ील भपाद क आचाय(ील भपाद) क ऋिवक तनध को नयत करन क और इकोन क दा ग क प म उनक नववादत िथत क इछा को इगत करत ह

क ldquohellip य तनध भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर सकत हrdquo

ख ldquoनए दत भत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह rdquo

ग ldquoनए दत शय का नाम ील भपाद को उस तनध वारा भजा जाना चाहए िजसन उस वीकार कया ह rdquo घ rdquo ील भपाद क lsquoदत शय rsquo कताब म शामल कया जायगा ldquo 9 जस क हम दख सकत ह एक ह बद 4 बार दोहराया गया था वदावन म सतबर 10 1975 को ीमद भागवतम 627 क एक वचन म ील भपाद जी न कहा था ldquoशा हम 3 बार याद दलात ह िजस कार स हम कसी चीज़ पर जोर डालत ह ldquoयह करो ldquoयह करो यह करो तीन बार I अत इसलए तीन बार कहा गया ह हरनाम हरनाम हरनाम ताक वह भल न जाय वह कसी मायवाद वारा मत नह हो जाय क कोई भी नाम hellip नह हरनाम तीन बार हरनाम हरनाम हरनामव (चतय-चरतामत आद - लला 1721) फर स एव और फर स ३ बार कलौ नायव नायव नायव गतरयथा आप इस या स वचलत नह हो सकत दसरा कोई वकप या नह ह आप यह नह कह सकत क ldquoम इस या स या उस या स मत हो जाउगाrdquo नह अगर तीन बार कछ दोहराना महवपण माना जाता ह तो फर 4 बार क बार म या 10 कोई पछ सकता ह क इन 11 लोग क जान क बाद या कसी भी कारण स पतन हो जान पर या होगा क यारह तनधय क सच स पहल एक वाय म लखा ह ldquoअब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयरत िथत म काय करगrdquo ldquoअब तकrdquo शद इगत करता ह क नणायक सच बनन का कोई इरादा नह ह और ठक इसी बात क नच दए गए lsquoखrsquo बद म पिट होती ह I

ख ील भपाद जी को उधरत करत हए तमाल कण गोवामी न 1980 म दय अपन बयान म यह कहा क ldquoअगर आवयकता हो तो दसर को जोड़ा जा सकता ह rdquo यह दखान क लए क ील भपाद न दा क रिवक णाल क थापना क ह और भवय क सभी शय इस आदोलन म उनक शय ह यह प नदश ठोस सबत ह

13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण

आग क सबत ील भपाद क वसीयत स आत ह यहा दखान क लए वसीयत काफ़ बड़ी ह अत हम कवल उह बदओ पर ग़ौर करग जो ील भपाद क इकोन क आयािमक ग (दा ग ) होन क अवथा पर काश डालत ह ील भपाद क पर वसीयत को दखन क लए कपया परशट क दख

1 पर अतराय कणभावनामत सघ क मौलक बधाधकार कवल गवनग बॉडी कमशन (जी बी सी ) ह हग

अ अब मान लिजए एक मदर म ीमान lsquoकrsquo मदर क अय ह ीमान lsquoखrsquo िजस श म मदर ह उस क जी बी सी तनध ह और ीमान lsquoगrsquo मदर क अय क ग ह अब ीमान lsquoकrsquo ीमान lsquoगrsquo का नठावान शय बनना चाहगा और यद जीबीसी क तनध ीमान lsquoखrsquo क आदश उसक ग ीमान lsquoगrsquo क आदश स मल नह खात तब वह अपन ग ीमान lsquoगrsquo त नटावान रहन क वकप को चनगा न ह ीमान lsquoखrsquo क त परत यह ील भपाद क अवा का घठनकरता ह यक ील भपाद क अनसार जी बी सी को ह मौलक बध अधकार रहना ह अय कोई नह

ख ऊपर दय गए वचार स पता चलता ह क इस तरह क ववादापद ितथ म वतमान ग णाल का अनसरण करन स एक दसर क ग को या ील भपाद को अपमानत करन क लए बाय होना पड़गा परत दा क ऋिवक णाल का पालन करन स ऐसा कोई वरोधाभास नह होगा

2 हर मिदर इकोन क सप होगी और तीन कायकार नदशक वारा बधत क जाएगी बधन क यवथा अभी क तरह जार रहगी और कसी भी परवतन क आवयकता नह ह

क इस य म ग को लान स बध क यवथा म परवतन होगा जो ील भपाद क आदश क वध ह

ख इस अनधकत परवतन क कारण इकोन क इतहास न बार बार दखाया ह क वहा कई बधकय समयाओ हई यक ग जो उम ग स कम ह व अपन शय पर अपना भाव जतान क कोशश करत ह जबक मदर क बध का उन पर कोई नयण नह रहा इस तरह मदर बधन को इस तरह स भार दवाब क तहत रखा गया

ग इसक इलावा इस तरह क बदलाव 1975 म जीबीसी बठक क अनसार जी बी सी क परभाषा क वध ह

ldquoतावत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद न जीबीसी (गवनग बॉडी कमीशन) क थापना अतराय कणभावनामत सघ िजसक व सथापकाचाय और सवपर अधकार ह क सचालन क िजमदार को परा करन म तनधव करन क लए क ह I जीबीसी उनक नदश को अपना जीवन और आमा वीकार करती ह और मानती ह क हर तरह स यह उनक कपा पर आत ह कणकपामत क वारा कपा करक दए गए आदश क पालना करन और उनक शाओ को शध प म वव म सरत करक और सारत करन क आलावा जीबीसी का कोई अय काय या उदय नह ह rdquo

-जीबीसी क परभाषा ताव 1 जीबीसी ववरण 1975

3 वासीयत क बद 3 म भारत म तक इकोन क सप 3 कायकार नदशक को सपी गयी थी और सप क नाम और उनक कायकार नदशक क नाम दय गए थ तब ील भपाद यह कहत ह यह कायकार नदशक जो नामत कए गए ह वह जीवन क लए नयत कए गए ह मय क िथत म या असफलता म कसी भी कारण स काय करन क लए कसी भी दए गए नदशको म स एक उतराधकार नदशक या नदशको को एक नदशको वारा नयत कया जा सकता ह बशत नए नदशक मर दा दए गए शय ह जो सती स इकोन क सभी नयम और वनयम का पालन करत ह जस मर कताब म वतत जानकार द ह और कभी भी तीन (3) स काम या पाच (5) स यादा कायकार नदशक काय नह कर सकत एक ह समय पर

क सधातक प स कह तो सन 2050 तक ील भपाद क भौतक उपिथत क दोरान जो शय थ व सभी शय गज़र जाएग तब इन सपय का नदशक कौन बनगा कवल यह नतीजा होना चाहए क इस आदोलन क भावी शय ील भपाद क शय हग िजहन ऋिवक णाल वारा दा ल ह जो क ील भपाद न वय थापत क ह

ख जब 2 जन 1977 को गराज वामी वारा ील भपाद क लए वासीयत का ाप पढ़ा जा रहा था ऊपर दए गए बड़ शद थ ldquoएक दत शय rdquo परत नणायक दतावज़ म हम दखत ह क इस बदल कर ldquoमरा दत शय rdquo कर दया गया इसस पता चलता ह क यह ील भपाद वारा एक वचारपवक क़दम था

वसीयत क घोषणा म ील भपाद क इराद जलाई 9 1977 क प आदश और मई 28 1977 क वातालाप स मल खात ह अपन शाररक थान क बाद भी अपनी िथत को इकोन क दा ग क प म बनाए रखन क लए ील भपाद न पट प स दा क ऋिवक णाल क तरफ़ इशारा कया

14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 प आदश क साी )

1 22 अल 1977 को तमाल कण गोवामी को ील भपाद स यह कहना था ldquoठक ह

मन अपन को और आपक सार शय का अययन कर लया ह और यह पट सय ह क हम सब बध आमा ह अत हम ग नह बन सकत Irdquo

२ 3 दसबर 1980 को तमाल कण गोवामी न नन कार वीकार कया ldquoदरअसल ील भपाद न कभी भी कोई ग नयत नह कया [hellip] उहन 11 ऋिवक नयत कय थ उहन कभी भी उनको ग नयत नह कया मन और दसर जी बी सी न पछल तीन साल म इस आदोलन क त बहत त पहचाई ह यक हमन ऋिवक क नयित को ग क नयित म बदल दया ह Irdquo वातव इस पर बयान (परशट ख ) को पढ़ना ठक होगा जहा उहन इस बात पर जोर दया ह क ील भपाद न कभी भी कसी को ग नयत नह कया

2 दाशनक माण अब तक हमन दतावजी माण को क़ाननी दतावज एव अधकत ऑडओ तलखन को दखा ह िजसक सयता हर तरह क सदह स पर ह अब हम ग -तव क सधातो को दाशनक एव शािक िट स समझग क ामाणक ग कौन बन सकता ह कौन नह बन सकता और साथ ह 1977 क बाद इकोन म दा स सबिधत ील भपाद क उपदश क त हमार समझ को सढ़ करग I

21 दा क परभाषा दा दो शद का एक सयोग ह -- lsquoद rsquo और lsquoा rsquo I lsquoद rsquo का तापय ह दय -ानम दय ान और lsquoा rsquo का तापय ह पयत मटा दना या उमलन (पापपण कय) (ीमद भागवतम क 42461 और चतय चरतामत अय लला 362 क एक-एक शद क अनवाद क अनसार ) I इसलए दा का मतलब दय ान का अत-पण और पापपण कय का वनाश ह ननलखत लोक दा शद क इस परभाषा को इगत करता ह

दय ान यतो दायात कयात पापय सडयम तमात दत सा ोता दशकतवकोवद

ldquoदा वह वध ह िजसक वारा दय ान को जागत कया जा सकता ह और पापकम क सार फल का य कया जा सकता ह शा अययन म पारगत यित इस वध को दा क नाम स जनता ह rdquo

- ील जीव गोवामी क भित -सदभ (283) िजसका उधरण चतय चरतामत मय -लला 15108 क तापय म दया गया ह

तवध णपातन परनन सवया उपदयित त ान ाननतवदशनः

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 2: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

समपण

कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद

सथापकाचाय अतराय कणभावनामत सघ

िजहन कपा करक एक ऐसा घर बनाया जहा सारा वव शातपवक रह सक

आमख हमार भौतक िट स ील भपाद क भौतक थान क 39 साल बीतन क बाद इस पतक क सकलन क समय यह सन 2016 ह I ील भपाद क उपिथत क अतम 12 वष क दौरान उनक दय मागदशन म हर कण आदोलन उच तपरता स बढ़त हए सभी छ महावीप म दर -दर तक फला और सभी भायशाल आमाओ को उठाकर उह वापस भगवधाम क ओर दय याा क लए तयार कया आदोलन क पवता अखड थी ऐसा नह ह क आदोलन म उस समय कोई समयाए नह थी हर तर पर अनभवहन भत वारा सभी तरह क गलतया हई थी परत अपनी आयािमक शित स ील भपाद न इस आदोलन का धयपवक पर दनया म सचालन कया और लगातार अपन शय को पणता क ओर शत कया अपनी कट लला क अत म उनका अपन शय स एक मख अनरोध यह था ldquoतहारा मर त म तब दखगा जब मर जान क पचात तम आपस म कस सहयोग करत हो rdquo ldquoम र इछा ह क हमा र आदोलन क हर शाखा अप नी वत पहचान रख और आचाय को क म रखत हए सहयोग कर इस सधात पर हम दनया भर म कतनी भी शाखाय खोल सकत ह rdquo

- कतनानद वामी को ील भपाद का प फ़रवर 11 1967 सन ासको कलफ़ोनया अमरका

सथापकाचाय ील भपाद को क म रखन का मतलब ह उनक नदश को क म रखना तभी हम इस कणभावनामत आदोलन को आग बढ़ान म एक साथ सहयोग कर सकत ह हालाक 1977 स भार माा म यतम धोखाधड़ी अववास कठा गट बाजी ईया और यहा तक क हसा का एक इतहास रहा ह इन सब समयाओ क मल कारण को नप ता स पहचानना और उस कारण क उपाय को कायािवत करना अयत ववकपण ह जसा क ील भपाद न हम आगाह क या ह ldquoइस दनया म ऐसी कोई बाहर शित नह ह जो हमार आदोलन को रोक सक यह कवल भीतर स ह नट कया जा सकता ह rdquo इन समयाओ क शआत ी ल भपाद क आा क उलघन स हई ील भपाद क नदश एक धागा ह जो क हमार आदोलन क मोतय क सदर हार को धारण

कय हए ह अगर उन नदश क अवा हई तो वह धागा टट जाएगा ओर वह हार खो जाएगा ील भपाद क तरोधान क पचात बलकल वह हआ वशष प स दा क सदभ म I इस पतक का काय- mdash 1 lsquoउनक तरोधान क पचात दा कस होनी चाहएrsquo इस पर ील भपाद क अितम नदश का अययन करना ह

2 उनक नदश क ामाणकता को शािक और ऐतहासक सदभ स सढ़ करना ह 3 उन शािक सदभ को तत करना जो क हमार ववतरय कणभावनामत आदोलन क सार समयाओ क मल कारण को तपादत करत ह उनक भाव और कस इसका समाधान कर यह पतक पण प स ील भपाद क अधकत दतावज़ पर आधारत ह तथा उनक भगवगीता ीमद भागवतम तथा अय सबिधत साहय स लए गए शािक उधरण वारा समथत ह हमन तो बस उनक मशन और उनक मशन क त सच भत क सवा करन क लए इस सकलत करन का यास कया ह I ldquoमानव समाज का मय काय पण पषोम भगवान क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह आचाय जो भगवान क ामाणक तनध हो त ह इन सधात क थापना कर त ह कत जब अकट हो जात ह सार चीज पनः अयविथत हो जाती ह आचाय क असल शय इस िथत को ठक करन क लए ग क आदश का नठापवक पालन करत ह rdquo

- ीम भागवतम 42848 तापय ी सदर गोपाल भ को हमारा वशष धयवाद जो क ी कण मदर सगापोर क अय ह तथा अतराय ी कण मदर समह क वरठ सरक ह जनवर 1977 म वय ील भपाद वारा दत कए थ और ील भपाद क सवा म अपन जीवन क चार दशक बता चक ह व तदन ील भपाद क पतक क गहन अययन म सलन रहत ह व उन भत का सयता स सहयोग भी करत ह जो ील भपाद को आदोलन क क म लाना चाहत ह और कणभावनामत आदोलन को आग बढ़ान क लए सहयोग क भावना स साथ मलकर काय करना चाहत ह सभी क भलाई क लए उहन इस िथत -प दा -1977 क बाद क सकलन क लए रत कया तथा नदश दए

इस पतक म दया गय लखबध तथा शािक सदभ अभी क लए पयात ह I यद भवय म ओर भी सदभ पाए जात ह जो क परितथ को और सढ़ तथा पता करत ह तो व भवय म आन वाल सकरण म जोड़ जा सकत ह I जस इस पतक क वषय वत पर नए और योय तक उठत ह व भी भवय म आन वाल सकरण म सबोधत कय जा सकत ह I परवतन क ितथ म यथानसार पतक पन सकरणीकत क जा सकती ह I वतमान सकरण ह दा -1977 क बाद सकरण 11

आपक दास अतराय ी कण मदर क टम

भमका 6

अयाय 1 लखबध सबत 8 11 नयित टप वलषण 8 12 ऋिवक क अधकत नयित 11 13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण 16 14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 पआदश क साी) 17

2 दाशनक माण 18 21 दा क परभाषा 18 22 दा ग कौन बन सकता ह 19

221 दा ग क योयता 19 222 दा ग क ाधकरण 21 231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह 22 232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह 25 233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह 25 234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo 27

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग 29

अयाय 3 यतम का शािक अययन 31 31 यितम क कारण 31 32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी 33 33 परितथ को कस सधारा जाए 36 34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर 37

नकष 39 उराधकार प 42

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980 44

भमका

कणकपामत ए सी भितवदात वामी भपाद एक वातवक सशत आचाय होन क कारण कणभावनामत को इसक वशध प म चारत करन म अपन पवती आचाय क त नठावान रह और इस कार चार को अवतीय तर पर ल गए I ी चतय महाभ क 500 साल पहल क भवयवाणी ldquoकण का पव नाम हर शहर और गाव म गाया जायगाrdquo ील भपाद जी क अकल ह यास वारा साधत क गई I उन होन कछ नया आवकार नह कया था जसा क ील भपाद कहा करत थ ldquoउलट-फर मतलब धतताrdquo फर भी भगवान चतय क आदोलन को आग बढ़ान क लए यह उनक सफ आयािमक वशटता थी क उहन वतमान समय और परिथत क अनप कई तरह क दय तकनीक यवथाय क हम कभी भी इस तरह क ढ़-वध उपाय को परपरा क नकष स पथट नह समझना चाहए ऐसी ह एक यवथा थी तदन 16 माला का जप क ता जबक शआत म यह 64 थी दसर यवथा ह दा क आयोजन क लए ऋिवक-णाल

दा मानव जीवन का सबस महवपण सकार ह जो क एक माणक आयािमक ग क मागदशन म आयािमक जीवन क औपचारक शआत को इगत करती ह

माड मत कोन भायवान जीव ग -कण -साद पाय भित -लता -बीज

ldquoअपन-अपन कम क अनसार समत जीवामाय समच वव म मण कर रह ह लाख भटकती जीवामाओ म स जो अयत भायशाल ह उसको कण क कपा स एक माणक आयािमक ग क सग का अवसर ात होता ह Irdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 19151

ययप ग क सधात या आयािमक ग एक ह तथाप गओ को तकनीक प स चार भाग म बाटा गया ह य सभी कण क चरणारवद क शरण ात करन क लए बध आमा क सहायता करत ह

1 वमा-दशक ग - आयािमक ग जो सबस पहल आयािमक जीवन क बार म जानकार दत ह

2 दा ग - आयािमक ग जो शा क नयम क अनसार दा दत ह व दा ग कहलात ह व चय ग क बाय अभयित भी मान जात ह एक यित का कवल एक ह दा ग हो सकता ह

3 शा ग - आयािमक ग जो दा ग क नदश क आधार पर उथान क लए

नदश दत ह शा ग कहलात ह (दा ग बहत स हो सकत ह)

4 चय ग - परम आयािमक ग परमामा जो भीतर स दशा दखात ह

चय ग एक परमामा ह पण पषोम भगवान क वतार 3 कार क गओ म स शा ग और वमा-दशक ग दा ग क आदश पर नठा स कणभावनामत क चार क कतय क पालना करत ह व वय शध भत हो भी सकत ह या नह भी हो सकत दा ग क पद क आवयकता अयत िजमदारना होती ह जस क ग को भगवान कण का शध भत होना चाहए और दा ग बनन क लए अपन आयािमक ग वारा सशत होना चाहए I

ील भपाद न यहा तक क अपन भौतक थान क उपरात दा क एक णाल थापत क िजसक तहत उनक तनध ऋिवक (या पजार) उनक और स दा दग और इस कार आदोलन आग बढ़ता रहगा

परत आज इकोन म ऋिवक शद असहनीय ह उहन इस शद को पर तरह स नकार रखा ह जो भी अपन को ऋिवक मानता ह वह एक सबस बड़ा अपराधी माना जाता ह फर भी जब भवय म दा क बार म पछा गया था तब यह शद हमार परम धय ील भपाद वारा इतमाल कया गया था वशष प स जब व हमार साथ नह रहग

1 सतवप अब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग I हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी 2 ील भपाद हा I म तम म स कछ क शफारश कगा इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा 3 तमाल कण या इस ऋिवक-आचाय कहत ह 4 ील भपाद ऋिवक हा

- ील भपाद क साथ क म वातालाप

वदावन मई 28 1977

दा क यह ऋिवक णाल कछ असतट भत क कोई मनगढ़त कहानी नह ह अपत हम सब क लाभ क लए अयत कपापवक ील भपाद वारा हम द गयी एक अधकत पधत ह

अयाय 1 लखबध सबत इकोन क सार बध सबधी वचार-वषय क लए ील भपाद न शासकय दतावज ज़ार कय जो क उनक इराद को पट करत ह

इस खड म हम ील भपाद क उनक भौतक उपितथ क उपरात दा वधान स सबिधत इराद (जो क इकोन क क़ाननी दतावज और अधकत लपबध ऑडयो म मल ह) पर नणायक एव नववादत तय पर ट डालग I

इस खड म हम नन 3 दतावज़ का अयन करग

1 मई 28 1977 वातालाप का लपबध ऑडयो

2 9 जलाई 1977 प आदश

3 ील भपाद क वसीयत क घोषणा (जन 5 1977)

11 नयित टप वलषण

हम इस सीध न स श करग जो क ील भपाद स 28 मई 1977 म पछा गया था इस रकॉडड वातालाप को इकोन क अनधकत ग ldquoनयित टप rdquo क नाम स सबोधत करत ह जो क यह सकत करती ह क ील भपाद न अपन उराधकारय को इस वातालाप म ग क प म नयत कया आइय हम इस पर ट डालत ह

क म वातालाप - वदावन 28 मई 1977

1 सतवप ldquoअब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग I हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी rdquo

2 ील भपाद ldquoहा I म तम म स कछ क शफारश कगा I इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा rdquo

3 तमाल कण ldquoया इस ऋिवक-आचाय कहत ह rdquo 4 ील भपाद ldquoऋिवक हा Irdquo 5 सतवप ldquo(फर) उनका या सबध ह जो दा दता ह और helliprdquo 6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo 7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo 8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग

नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo 10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo 11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक

दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo 13 तमाल कणा ldquoवह उनक शय ह rdquo 14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo 15 सतवपा ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo 16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह

बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

वलषण

उपरोत वातालाप सवथम थोड़ा विमत कर सकता ह आइय अब हम एक बहतर िटकोण ात करन क लए इसका नप वलणामक अययन करत ह एक-एक पित लकर चलत ह

1 सतवप ldquoअब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी rdquo 2 ील भपाद ldquoहा म तम म स कछ क शफारश कगा इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा rdquo 3 तमाल कण ldquoया इस ऋिवक-आचाय कहत ह rdquo 4 ील भपाद ldquoऋिवक हा rdquo

ऊपर दए गए बद सया 1 म न य और पट ह ील भपाद बद सया 2 और 4 म पट प स जवाब दत ह क व यहा ऋिवक का िज कर रह ह हालाक आग चलक वातालाप थोड़ा और ामक हो जाता ह यहा पर ील भपाद सबस पट जवाब दत ह - ऋिवक

दरअसल ऋिवक शद का मतलब या ह ील भपाद क पतक म इस शद क 17 सदभ ह और सदव उनका मतलब एक ह चीज स ह - एक पजार एक पजार कसी क और स समारोह आयोिजत करता ह उसका काय कवल समारोह का आयोजन करना ह आचाय या ग जो क कह यादा योयता और साथ ह साथ उतरदायव रखत ह स वह (ऋिवक) अलग होता ह

एक आचाय क योयता यह ह क उह भगवान कण का एक शध भत होना चाहए और उह शय क अान को नट करन क लए दय ान अवय दना चाहए शय ग क पजा अपन नय वामी क प म करता ह जसा क ील नरोम दास ठाकर क शद म कहा ह ndash च दान दलो यई जम जम भ सई परत एक ऋिवक यह पद धारण नह करता

5 सतवप ldquo(फर) उनका या सबध ह जो दा दता ह और helliprdquo

6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo

बद सया 5 म सतवप ऋिवक और शय क सबध क वषय म पछ रह ह परत उहन अपन न को ठक स तत नह कया उहन दा दन वाल और शय क बीच क सबध को पछा ह यहा यह यान दना महवपण ह क दा दन वाल या ग ील भपाद ह और ऋिवक कवल एक अधकत तनध ह इसलए ील भपाद न बद सया 6 म जवाब दया क दा दन वाल (ील भपाद ) नए शय क ग ह

7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo

8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

बद सया 7 म सतवप वो पट करन क कोशश कर रह ह जो उहन समझा बद सया म ील भपाद न पट कया क जब तक खद क ग भौतक प स उपितथ ह तब तक ग नह बनना चाहए यह शटाचार नह ह परत उसक बाद उहन न तरत कहा क कवल उनक जान क बाद ऋिवक वत ग नह बनत परत उह उनक आदश का इतज़ार करना होगा ldquoमर आदश पर helliprdquo यहा प यह यान दन म समझदार ह क ील भपाद भवय काल क आदश क बात कर रह ह इसका मतलब ह यह टप ldquoअपोइटमट टप rdquo नह कह जा सकती ह यक व कसी को नयत नह अपत भवय क ओर इगत कर रह ह

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo

10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo

11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo

13 तमाल कण ldquoवह उनक शय ह rdquo

१14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo

15 सतवप ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo

16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

बद सया 10 म ऐसा तीत होता ह क ील भपाद को सतवप का बद सया 9 म पछा गया न समझ नह आया अत तमाल कण बद सया 11 म न को पट करत ह दरअसल ील भपाद वारा इस न का जवाब बद सया 12 और 14 म एक साथ दया गया ह इसका मतलब उहन कहा ldquoजो दा द रह ह व उनक शय ह rdquo इसका मतलब यह क व ील भपाद क शय ह यक व समारोह म ऋिवक को अपन

तनध क प म रख कर दा द रह ह परत इस जवाब क अधबीच म तमाल कण ील भपाद जी क शद को बद सया 13 म दोहरात ह इसलए ील भपाद जी क शद अलग दखाई पड़ रह ह

अब बद सया 14 म व पन lsquoपरम शयrsquo शद का उलख कर रह ह बद सया 15 म सतवप एक और शन पछन क कोशश करत ह परत ील भपाद बद सया 14 स चलत हए बद सया 16 म कहत ह क परम शय तभी बन सकता ह जब व अपन शय म स कसी को ग बनन का आदश दग I तब व पट करत ह क व नयमत ग बनन क लय उनक आदश क तीा कर अत इस वातालाप क समय आदश कह नह ह अतएव यह वातव म तथा -कथत बहचत ldquoनयित टप rdquo नह ह

12 ऋिवक क अधकत नयित एक अपट वातालाप (मई 28 1977) क आधार पर ील भपाद न इकोन क भवय को हवा म लटकत हए नह छोड़ा वातव म ील भपाद न अपन इराद को पट करन क लए इस मामल को वव क सार मदर म लखत नदश क प म जार कया अब हम इस नदश पर अछ तरह स नज़र डालत ह जो क सबत का अगला भाग ह - जलाई 9 1977 का एक प

असल प क तवीर नच द गई ह इसको पढ़ना थोड़ा मशकल ह इसलए हमन इस तवीर क बाद इस प का पण अनवाद दया ह परत अब हम आपका यान ील भपाद और तमाल कणा गोवामी (ील भपाद जी क यितगत सचव ) क हतार क तरफ़ लाना चाहग जो क इस दतावज़ क तवीर क अत म ह दो हतार क साथ यह एक क़ाननी दतावज़ ह बना कसी न क सार इकोन को इस आदश क पालन करना पड़गी

नीच दए गए प का आप पण और पट अनवाद दखग िजस आप आसानी स और पट प स इसक वषय वत को पढ़ सक

---------------------------------------------------------------------

जलाई 91977 का प

जलाई 7 1977

समत जीबीसी ऐव टपल िज़डट क लए

महाराज एव भगण

आपक चरण म मरा दडवत णाम वीकार हाल ह म जीबीसी ी ीमद क साथ वदावन म थ तब ील भपाद न सचत कया था क जद ह व पहल दा (हर नाम) और दसर दा (गायी) दन क लए अपन वरठ शय म स कछ को रिवक आचाय क तनधव क प म काय करन क लए मनोनीत करग अब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयत िथत म काय करग

ीपाद कतानानद वामी

ीपाद सतवप दास गोवामी

ीपाद जयपताका वामी

ीपाद तमाल कण गोवामी

ीपाद दयनद गोवामी

ीपाद भावनद गोवामी

ीपाद हसदता वामी

ीपाद रामवर वामी

ीपाद हरकश वामी

ीमान भगवान दास अधकार

ीमान जयतीथ दास अधकार

पव म कसी भत क सफ़ारश करन क लए टपल िज़डट ील भपाद को प लखत थ अब चक ील भपाद न इन तनधय को मनोनीत कर दया ह अतः इस समय स टपल िज़डट पहल और दसर दा क लए अपन सफ़ारश प इन तनधयो म स नकटम तनध को भज सफ़ारश को परखन क पचात य तनध उस भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर उस आयािमक नाम द सकत ह या दसर

दा क लए यपवीत पर गायी जाप कर सकत ह ठक उससी तरह िजस तरह ील भपाद कया करत थ नए दत भत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह और य याहरा भत उनक तनध ह इन तनधयो क प वारा भज गए आयािमक नाम और यपवीत मलन क उपरात टपल िज़डट अपन मदर म उसी कार य कर सकत ह िजस कार हआ करत थ जो तनध नए दत शय को ील भपाद क ओर स वीकार करग उह इन नए दत शय क नाम ील भपाद क lsquoइनशीएटड डसायपलसrsquo (दत शय) नामक आपक सकशलता क कामना करत हए आपक सकशलता क कामना करत हए आपका सवक (मल दतावज़ पर ील भपाद क हतार अकत ह ) तमाल कण गोवामी सचव - ील भपाद

जलाई 9 1977 प का वलषण

1 यहा यह पणतया पट हो जाता ह यह ील भपाद क बध करन क शल रह ह हर महवपण नदश लख जात ह और उह दनया क सभी मदरो क लए जार कया जाता ह न क कसी ामक बढग तरक़ स कसी नजी कमर म बातचीत क वारा

2 कपया यान द क उपरोत प क पहल परा म तमाल कण गोवामी हाल म हई मीटगक बार म िज कर रह ह जो क वदावन म सभी जी बी सी क सदय और ील भपाद क साथ दा क या को पट करन क लए थी 28 मई 1977 क वातालाप का यह सीधा सार ह अत यद आप उस वातालाप को पढ़न क बाद याकल महसस करत ह या वलषण क जानन क उपरात भी कसी तरह पट नह ह तो यहा इसका शध प ह यह प सीधा उसी वातालाप क और इशारा करता ह

3 इसक अलावा यह यान दना महवपण ह क 28 मई का वातालाप कस श हआ उन शद को याद किजय ldquoख़ासकर जब आप हमार साथ नह रहग rdquo अत य शद निचत प स ील भपाद क जान क बाद क समय क और इशारा करत ह हम यह परा प इसी सदभ म पढ़ना चाहए

4 प क शआत इस तरह स होती ह क ील भपाद ऋिवक (बगाल म इसका उचारण ऋिवक ह ) आचाय का तनध नयत करग उहन पटतया कसी को भी ग नयत नह कया ील भपाद इसस पट नह हो सकत थ

5 आग व पट करत ह क 11 नाम िजनक घोषणा क जानी ह व ऋिवक क तरह काय करग ndash पन दोहरात ह क व ग क प म नयत नह कय जा रह ह

6 अगल बड़ी बात 11 नाम क घोषणा क बाद आती ह शद lsquoहफोवड rsquo तत श होन वाल बद परत असीमत अितम बद क तरफ या कम स कम दसर आदश क तरफ जो क इस आदश को नह हटा द इगत करता ह I और तय यह ह क ील भपाद न इसक बाद ऐसा कोई भी आदश जार नह कया क व 11 यित उनक (ील

भपाद) क तरोधान क उपरात वत ह ग बन जायग I इसक अतरत इस शद को 28 मई 1977 क वातालाप क मल शन क सदभ म समझा जाना चाहए िजसम सतवप दास गोवामी न कहा था ldquoवशष प स जब आप हमार साथ नह रहग rdquo

7 फर यह कहा जाता ह क दा क लए सफ़ारश मदर क अय वारा भजी जानी चाहए ldquoजो भी इन 11 तनधय म स मदर क नकट हग Irdquo lsquoनकटrsquo शद का तापय सवधा स ह न क एक पव ग शय सबध स जो ववास क एक गहर भावना पर आधारत ह तमाल कण गोवामी 1980 म दए गए ख़द अपन बयान (अनबध ख ) म इस इस कार बहतर समझात ह ldquoयह एक बहत महवपण बद ह यक जब दा दन क बात आती ह ऐसा नह ह क जो कोई भी नज़दक हो जबक ऐसा ह क जहा भी आपका दय जाए िजस पर आपका ववास हो आप उसस ह दा ल जब यह तनध हो तब जो कोई भी नकट हो और इस बात पर व बहत पट थ उहन इनका नाम दया था व दनया भर म फल गए थ और उहन कहा ldquoजो भी आपक नकट हो आप उसक पास जाए और वह आपको परखग फर व मर ओर स आपको दा दग rdquo

8 अब प क अगल परा म हम नमनलखत वायाश को दखग जो क बना कसी सदह क ील भपाद क आचाय(ील भपाद) क ऋिवक तनध को नयत करन क और इकोन क दा ग क प म उनक नववादत िथत क इछा को इगत करत ह

क ldquohellip य तनध भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर सकत हrdquo

ख ldquoनए दत भत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह rdquo

ग ldquoनए दत शय का नाम ील भपाद को उस तनध वारा भजा जाना चाहए िजसन उस वीकार कया ह rdquo घ rdquo ील भपाद क lsquoदत शय rsquo कताब म शामल कया जायगा ldquo 9 जस क हम दख सकत ह एक ह बद 4 बार दोहराया गया था वदावन म सतबर 10 1975 को ीमद भागवतम 627 क एक वचन म ील भपाद जी न कहा था ldquoशा हम 3 बार याद दलात ह िजस कार स हम कसी चीज़ पर जोर डालत ह ldquoयह करो ldquoयह करो यह करो तीन बार I अत इसलए तीन बार कहा गया ह हरनाम हरनाम हरनाम ताक वह भल न जाय वह कसी मायवाद वारा मत नह हो जाय क कोई भी नाम hellip नह हरनाम तीन बार हरनाम हरनाम हरनामव (चतय-चरतामत आद - लला 1721) फर स एव और फर स ३ बार कलौ नायव नायव नायव गतरयथा आप इस या स वचलत नह हो सकत दसरा कोई वकप या नह ह आप यह नह कह सकत क ldquoम इस या स या उस या स मत हो जाउगाrdquo नह अगर तीन बार कछ दोहराना महवपण माना जाता ह तो फर 4 बार क बार म या 10 कोई पछ सकता ह क इन 11 लोग क जान क बाद या कसी भी कारण स पतन हो जान पर या होगा क यारह तनधय क सच स पहल एक वाय म लखा ह ldquoअब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयरत िथत म काय करगrdquo ldquoअब तकrdquo शद इगत करता ह क नणायक सच बनन का कोई इरादा नह ह और ठक इसी बात क नच दए गए lsquoखrsquo बद म पिट होती ह I

ख ील भपाद जी को उधरत करत हए तमाल कण गोवामी न 1980 म दय अपन बयान म यह कहा क ldquoअगर आवयकता हो तो दसर को जोड़ा जा सकता ह rdquo यह दखान क लए क ील भपाद न दा क रिवक णाल क थापना क ह और भवय क सभी शय इस आदोलन म उनक शय ह यह प नदश ठोस सबत ह

13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण

आग क सबत ील भपाद क वसीयत स आत ह यहा दखान क लए वसीयत काफ़ बड़ी ह अत हम कवल उह बदओ पर ग़ौर करग जो ील भपाद क इकोन क आयािमक ग (दा ग ) होन क अवथा पर काश डालत ह ील भपाद क पर वसीयत को दखन क लए कपया परशट क दख

1 पर अतराय कणभावनामत सघ क मौलक बधाधकार कवल गवनग बॉडी कमशन (जी बी सी ) ह हग

अ अब मान लिजए एक मदर म ीमान lsquoकrsquo मदर क अय ह ीमान lsquoखrsquo िजस श म मदर ह उस क जी बी सी तनध ह और ीमान lsquoगrsquo मदर क अय क ग ह अब ीमान lsquoकrsquo ीमान lsquoगrsquo का नठावान शय बनना चाहगा और यद जीबीसी क तनध ीमान lsquoखrsquo क आदश उसक ग ीमान lsquoगrsquo क आदश स मल नह खात तब वह अपन ग ीमान lsquoगrsquo त नटावान रहन क वकप को चनगा न ह ीमान lsquoखrsquo क त परत यह ील भपाद क अवा का घठनकरता ह यक ील भपाद क अनसार जी बी सी को ह मौलक बध अधकार रहना ह अय कोई नह

ख ऊपर दय गए वचार स पता चलता ह क इस तरह क ववादापद ितथ म वतमान ग णाल का अनसरण करन स एक दसर क ग को या ील भपाद को अपमानत करन क लए बाय होना पड़गा परत दा क ऋिवक णाल का पालन करन स ऐसा कोई वरोधाभास नह होगा

2 हर मिदर इकोन क सप होगी और तीन कायकार नदशक वारा बधत क जाएगी बधन क यवथा अभी क तरह जार रहगी और कसी भी परवतन क आवयकता नह ह

क इस य म ग को लान स बध क यवथा म परवतन होगा जो ील भपाद क आदश क वध ह

ख इस अनधकत परवतन क कारण इकोन क इतहास न बार बार दखाया ह क वहा कई बधकय समयाओ हई यक ग जो उम ग स कम ह व अपन शय पर अपना भाव जतान क कोशश करत ह जबक मदर क बध का उन पर कोई नयण नह रहा इस तरह मदर बधन को इस तरह स भार दवाब क तहत रखा गया

ग इसक इलावा इस तरह क बदलाव 1975 म जीबीसी बठक क अनसार जी बी सी क परभाषा क वध ह

ldquoतावत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद न जीबीसी (गवनग बॉडी कमीशन) क थापना अतराय कणभावनामत सघ िजसक व सथापकाचाय और सवपर अधकार ह क सचालन क िजमदार को परा करन म तनधव करन क लए क ह I जीबीसी उनक नदश को अपना जीवन और आमा वीकार करती ह और मानती ह क हर तरह स यह उनक कपा पर आत ह कणकपामत क वारा कपा करक दए गए आदश क पालना करन और उनक शाओ को शध प म वव म सरत करक और सारत करन क आलावा जीबीसी का कोई अय काय या उदय नह ह rdquo

-जीबीसी क परभाषा ताव 1 जीबीसी ववरण 1975

3 वासीयत क बद 3 म भारत म तक इकोन क सप 3 कायकार नदशक को सपी गयी थी और सप क नाम और उनक कायकार नदशक क नाम दय गए थ तब ील भपाद यह कहत ह यह कायकार नदशक जो नामत कए गए ह वह जीवन क लए नयत कए गए ह मय क िथत म या असफलता म कसी भी कारण स काय करन क लए कसी भी दए गए नदशको म स एक उतराधकार नदशक या नदशको को एक नदशको वारा नयत कया जा सकता ह बशत नए नदशक मर दा दए गए शय ह जो सती स इकोन क सभी नयम और वनयम का पालन करत ह जस मर कताब म वतत जानकार द ह और कभी भी तीन (3) स काम या पाच (5) स यादा कायकार नदशक काय नह कर सकत एक ह समय पर

क सधातक प स कह तो सन 2050 तक ील भपाद क भौतक उपिथत क दोरान जो शय थ व सभी शय गज़र जाएग तब इन सपय का नदशक कौन बनगा कवल यह नतीजा होना चाहए क इस आदोलन क भावी शय ील भपाद क शय हग िजहन ऋिवक णाल वारा दा ल ह जो क ील भपाद न वय थापत क ह

ख जब 2 जन 1977 को गराज वामी वारा ील भपाद क लए वासीयत का ाप पढ़ा जा रहा था ऊपर दए गए बड़ शद थ ldquoएक दत शय rdquo परत नणायक दतावज़ म हम दखत ह क इस बदल कर ldquoमरा दत शय rdquo कर दया गया इसस पता चलता ह क यह ील भपाद वारा एक वचारपवक क़दम था

वसीयत क घोषणा म ील भपाद क इराद जलाई 9 1977 क प आदश और मई 28 1977 क वातालाप स मल खात ह अपन शाररक थान क बाद भी अपनी िथत को इकोन क दा ग क प म बनाए रखन क लए ील भपाद न पट प स दा क ऋिवक णाल क तरफ़ इशारा कया

14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 प आदश क साी )

1 22 अल 1977 को तमाल कण गोवामी को ील भपाद स यह कहना था ldquoठक ह

मन अपन को और आपक सार शय का अययन कर लया ह और यह पट सय ह क हम सब बध आमा ह अत हम ग नह बन सकत Irdquo

२ 3 दसबर 1980 को तमाल कण गोवामी न नन कार वीकार कया ldquoदरअसल ील भपाद न कभी भी कोई ग नयत नह कया [hellip] उहन 11 ऋिवक नयत कय थ उहन कभी भी उनको ग नयत नह कया मन और दसर जी बी सी न पछल तीन साल म इस आदोलन क त बहत त पहचाई ह यक हमन ऋिवक क नयित को ग क नयित म बदल दया ह Irdquo वातव इस पर बयान (परशट ख ) को पढ़ना ठक होगा जहा उहन इस बात पर जोर दया ह क ील भपाद न कभी भी कसी को ग नयत नह कया

2 दाशनक माण अब तक हमन दतावजी माण को क़ाननी दतावज एव अधकत ऑडओ तलखन को दखा ह िजसक सयता हर तरह क सदह स पर ह अब हम ग -तव क सधातो को दाशनक एव शािक िट स समझग क ामाणक ग कौन बन सकता ह कौन नह बन सकता और साथ ह 1977 क बाद इकोन म दा स सबिधत ील भपाद क उपदश क त हमार समझ को सढ़ करग I

21 दा क परभाषा दा दो शद का एक सयोग ह -- lsquoद rsquo और lsquoा rsquo I lsquoद rsquo का तापय ह दय -ानम दय ान और lsquoा rsquo का तापय ह पयत मटा दना या उमलन (पापपण कय) (ीमद भागवतम क 42461 और चतय चरतामत अय लला 362 क एक-एक शद क अनवाद क अनसार ) I इसलए दा का मतलब दय ान का अत-पण और पापपण कय का वनाश ह ननलखत लोक दा शद क इस परभाषा को इगत करता ह

दय ान यतो दायात कयात पापय सडयम तमात दत सा ोता दशकतवकोवद

ldquoदा वह वध ह िजसक वारा दय ान को जागत कया जा सकता ह और पापकम क सार फल का य कया जा सकता ह शा अययन म पारगत यित इस वध को दा क नाम स जनता ह rdquo

- ील जीव गोवामी क भित -सदभ (283) िजसका उधरण चतय चरतामत मय -लला 15108 क तापय म दया गया ह

तवध णपातन परनन सवया उपदयित त ान ाननतवदशनः

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 3: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

आमख हमार भौतक िट स ील भपाद क भौतक थान क 39 साल बीतन क बाद इस पतक क सकलन क समय यह सन 2016 ह I ील भपाद क उपिथत क अतम 12 वष क दौरान उनक दय मागदशन म हर कण आदोलन उच तपरता स बढ़त हए सभी छ महावीप म दर -दर तक फला और सभी भायशाल आमाओ को उठाकर उह वापस भगवधाम क ओर दय याा क लए तयार कया आदोलन क पवता अखड थी ऐसा नह ह क आदोलन म उस समय कोई समयाए नह थी हर तर पर अनभवहन भत वारा सभी तरह क गलतया हई थी परत अपनी आयािमक शित स ील भपाद न इस आदोलन का धयपवक पर दनया म सचालन कया और लगातार अपन शय को पणता क ओर शत कया अपनी कट लला क अत म उनका अपन शय स एक मख अनरोध यह था ldquoतहारा मर त म तब दखगा जब मर जान क पचात तम आपस म कस सहयोग करत हो rdquo ldquoम र इछा ह क हमा र आदोलन क हर शाखा अप नी वत पहचान रख और आचाय को क म रखत हए सहयोग कर इस सधात पर हम दनया भर म कतनी भी शाखाय खोल सकत ह rdquo

- कतनानद वामी को ील भपाद का प फ़रवर 11 1967 सन ासको कलफ़ोनया अमरका

सथापकाचाय ील भपाद को क म रखन का मतलब ह उनक नदश को क म रखना तभी हम इस कणभावनामत आदोलन को आग बढ़ान म एक साथ सहयोग कर सकत ह हालाक 1977 स भार माा म यतम धोखाधड़ी अववास कठा गट बाजी ईया और यहा तक क हसा का एक इतहास रहा ह इन सब समयाओ क मल कारण को नप ता स पहचानना और उस कारण क उपाय को कायािवत करना अयत ववकपण ह जसा क ील भपाद न हम आगाह क या ह ldquoइस दनया म ऐसी कोई बाहर शित नह ह जो हमार आदोलन को रोक सक यह कवल भीतर स ह नट कया जा सकता ह rdquo इन समयाओ क शआत ी ल भपाद क आा क उलघन स हई ील भपाद क नदश एक धागा ह जो क हमार आदोलन क मोतय क सदर हार को धारण

कय हए ह अगर उन नदश क अवा हई तो वह धागा टट जाएगा ओर वह हार खो जाएगा ील भपाद क तरोधान क पचात बलकल वह हआ वशष प स दा क सदभ म I इस पतक का काय- mdash 1 lsquoउनक तरोधान क पचात दा कस होनी चाहएrsquo इस पर ील भपाद क अितम नदश का अययन करना ह

2 उनक नदश क ामाणकता को शािक और ऐतहासक सदभ स सढ़ करना ह 3 उन शािक सदभ को तत करना जो क हमार ववतरय कणभावनामत आदोलन क सार समयाओ क मल कारण को तपादत करत ह उनक भाव और कस इसका समाधान कर यह पतक पण प स ील भपाद क अधकत दतावज़ पर आधारत ह तथा उनक भगवगीता ीमद भागवतम तथा अय सबिधत साहय स लए गए शािक उधरण वारा समथत ह हमन तो बस उनक मशन और उनक मशन क त सच भत क सवा करन क लए इस सकलत करन का यास कया ह I ldquoमानव समाज का मय काय पण पषोम भगवान क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह आचाय जो भगवान क ामाणक तनध हो त ह इन सधात क थापना कर त ह कत जब अकट हो जात ह सार चीज पनः अयविथत हो जाती ह आचाय क असल शय इस िथत को ठक करन क लए ग क आदश का नठापवक पालन करत ह rdquo

- ीम भागवतम 42848 तापय ी सदर गोपाल भ को हमारा वशष धयवाद जो क ी कण मदर सगापोर क अय ह तथा अतराय ी कण मदर समह क वरठ सरक ह जनवर 1977 म वय ील भपाद वारा दत कए थ और ील भपाद क सवा म अपन जीवन क चार दशक बता चक ह व तदन ील भपाद क पतक क गहन अययन म सलन रहत ह व उन भत का सयता स सहयोग भी करत ह जो ील भपाद को आदोलन क क म लाना चाहत ह और कणभावनामत आदोलन को आग बढ़ान क लए सहयोग क भावना स साथ मलकर काय करना चाहत ह सभी क भलाई क लए उहन इस िथत -प दा -1977 क बाद क सकलन क लए रत कया तथा नदश दए

इस पतक म दया गय लखबध तथा शािक सदभ अभी क लए पयात ह I यद भवय म ओर भी सदभ पाए जात ह जो क परितथ को और सढ़ तथा पता करत ह तो व भवय म आन वाल सकरण म जोड़ जा सकत ह I जस इस पतक क वषय वत पर नए और योय तक उठत ह व भी भवय म आन वाल सकरण म सबोधत कय जा सकत ह I परवतन क ितथ म यथानसार पतक पन सकरणीकत क जा सकती ह I वतमान सकरण ह दा -1977 क बाद सकरण 11

आपक दास अतराय ी कण मदर क टम

भमका 6

अयाय 1 लखबध सबत 8 11 नयित टप वलषण 8 12 ऋिवक क अधकत नयित 11 13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण 16 14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 पआदश क साी) 17

2 दाशनक माण 18 21 दा क परभाषा 18 22 दा ग कौन बन सकता ह 19

221 दा ग क योयता 19 222 दा ग क ाधकरण 21 231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह 22 232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह 25 233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह 25 234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo 27

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग 29

अयाय 3 यतम का शािक अययन 31 31 यितम क कारण 31 32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी 33 33 परितथ को कस सधारा जाए 36 34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर 37

नकष 39 उराधकार प 42

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980 44

भमका

कणकपामत ए सी भितवदात वामी भपाद एक वातवक सशत आचाय होन क कारण कणभावनामत को इसक वशध प म चारत करन म अपन पवती आचाय क त नठावान रह और इस कार चार को अवतीय तर पर ल गए I ी चतय महाभ क 500 साल पहल क भवयवाणी ldquoकण का पव नाम हर शहर और गाव म गाया जायगाrdquo ील भपाद जी क अकल ह यास वारा साधत क गई I उन होन कछ नया आवकार नह कया था जसा क ील भपाद कहा करत थ ldquoउलट-फर मतलब धतताrdquo फर भी भगवान चतय क आदोलन को आग बढ़ान क लए यह उनक सफ आयािमक वशटता थी क उहन वतमान समय और परिथत क अनप कई तरह क दय तकनीक यवथाय क हम कभी भी इस तरह क ढ़-वध उपाय को परपरा क नकष स पथट नह समझना चाहए ऐसी ह एक यवथा थी तदन 16 माला का जप क ता जबक शआत म यह 64 थी दसर यवथा ह दा क आयोजन क लए ऋिवक-णाल

दा मानव जीवन का सबस महवपण सकार ह जो क एक माणक आयािमक ग क मागदशन म आयािमक जीवन क औपचारक शआत को इगत करती ह

माड मत कोन भायवान जीव ग -कण -साद पाय भित -लता -बीज

ldquoअपन-अपन कम क अनसार समत जीवामाय समच वव म मण कर रह ह लाख भटकती जीवामाओ म स जो अयत भायशाल ह उसको कण क कपा स एक माणक आयािमक ग क सग का अवसर ात होता ह Irdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 19151

ययप ग क सधात या आयािमक ग एक ह तथाप गओ को तकनीक प स चार भाग म बाटा गया ह य सभी कण क चरणारवद क शरण ात करन क लए बध आमा क सहायता करत ह

1 वमा-दशक ग - आयािमक ग जो सबस पहल आयािमक जीवन क बार म जानकार दत ह

2 दा ग - आयािमक ग जो शा क नयम क अनसार दा दत ह व दा ग कहलात ह व चय ग क बाय अभयित भी मान जात ह एक यित का कवल एक ह दा ग हो सकता ह

3 शा ग - आयािमक ग जो दा ग क नदश क आधार पर उथान क लए

नदश दत ह शा ग कहलात ह (दा ग बहत स हो सकत ह)

4 चय ग - परम आयािमक ग परमामा जो भीतर स दशा दखात ह

चय ग एक परमामा ह पण पषोम भगवान क वतार 3 कार क गओ म स शा ग और वमा-दशक ग दा ग क आदश पर नठा स कणभावनामत क चार क कतय क पालना करत ह व वय शध भत हो भी सकत ह या नह भी हो सकत दा ग क पद क आवयकता अयत िजमदारना होती ह जस क ग को भगवान कण का शध भत होना चाहए और दा ग बनन क लए अपन आयािमक ग वारा सशत होना चाहए I

ील भपाद न यहा तक क अपन भौतक थान क उपरात दा क एक णाल थापत क िजसक तहत उनक तनध ऋिवक (या पजार) उनक और स दा दग और इस कार आदोलन आग बढ़ता रहगा

परत आज इकोन म ऋिवक शद असहनीय ह उहन इस शद को पर तरह स नकार रखा ह जो भी अपन को ऋिवक मानता ह वह एक सबस बड़ा अपराधी माना जाता ह फर भी जब भवय म दा क बार म पछा गया था तब यह शद हमार परम धय ील भपाद वारा इतमाल कया गया था वशष प स जब व हमार साथ नह रहग

1 सतवप अब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग I हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी 2 ील भपाद हा I म तम म स कछ क शफारश कगा इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा 3 तमाल कण या इस ऋिवक-आचाय कहत ह 4 ील भपाद ऋिवक हा

- ील भपाद क साथ क म वातालाप

वदावन मई 28 1977

दा क यह ऋिवक णाल कछ असतट भत क कोई मनगढ़त कहानी नह ह अपत हम सब क लाभ क लए अयत कपापवक ील भपाद वारा हम द गयी एक अधकत पधत ह

अयाय 1 लखबध सबत इकोन क सार बध सबधी वचार-वषय क लए ील भपाद न शासकय दतावज ज़ार कय जो क उनक इराद को पट करत ह

इस खड म हम ील भपाद क उनक भौतक उपितथ क उपरात दा वधान स सबिधत इराद (जो क इकोन क क़ाननी दतावज और अधकत लपबध ऑडयो म मल ह) पर नणायक एव नववादत तय पर ट डालग I

इस खड म हम नन 3 दतावज़ का अयन करग

1 मई 28 1977 वातालाप का लपबध ऑडयो

2 9 जलाई 1977 प आदश

3 ील भपाद क वसीयत क घोषणा (जन 5 1977)

11 नयित टप वलषण

हम इस सीध न स श करग जो क ील भपाद स 28 मई 1977 म पछा गया था इस रकॉडड वातालाप को इकोन क अनधकत ग ldquoनयित टप rdquo क नाम स सबोधत करत ह जो क यह सकत करती ह क ील भपाद न अपन उराधकारय को इस वातालाप म ग क प म नयत कया आइय हम इस पर ट डालत ह

क म वातालाप - वदावन 28 मई 1977

1 सतवप ldquoअब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग I हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी rdquo

2 ील भपाद ldquoहा I म तम म स कछ क शफारश कगा I इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा rdquo

3 तमाल कण ldquoया इस ऋिवक-आचाय कहत ह rdquo 4 ील भपाद ldquoऋिवक हा Irdquo 5 सतवप ldquo(फर) उनका या सबध ह जो दा दता ह और helliprdquo 6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo 7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo 8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग

नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo 10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo 11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक

दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo 13 तमाल कणा ldquoवह उनक शय ह rdquo 14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo 15 सतवपा ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo 16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह

बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

वलषण

उपरोत वातालाप सवथम थोड़ा विमत कर सकता ह आइय अब हम एक बहतर िटकोण ात करन क लए इसका नप वलणामक अययन करत ह एक-एक पित लकर चलत ह

1 सतवप ldquoअब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी rdquo 2 ील भपाद ldquoहा म तम म स कछ क शफारश कगा इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा rdquo 3 तमाल कण ldquoया इस ऋिवक-आचाय कहत ह rdquo 4 ील भपाद ldquoऋिवक हा rdquo

ऊपर दए गए बद सया 1 म न य और पट ह ील भपाद बद सया 2 और 4 म पट प स जवाब दत ह क व यहा ऋिवक का िज कर रह ह हालाक आग चलक वातालाप थोड़ा और ामक हो जाता ह यहा पर ील भपाद सबस पट जवाब दत ह - ऋिवक

दरअसल ऋिवक शद का मतलब या ह ील भपाद क पतक म इस शद क 17 सदभ ह और सदव उनका मतलब एक ह चीज स ह - एक पजार एक पजार कसी क और स समारोह आयोिजत करता ह उसका काय कवल समारोह का आयोजन करना ह आचाय या ग जो क कह यादा योयता और साथ ह साथ उतरदायव रखत ह स वह (ऋिवक) अलग होता ह

एक आचाय क योयता यह ह क उह भगवान कण का एक शध भत होना चाहए और उह शय क अान को नट करन क लए दय ान अवय दना चाहए शय ग क पजा अपन नय वामी क प म करता ह जसा क ील नरोम दास ठाकर क शद म कहा ह ndash च दान दलो यई जम जम भ सई परत एक ऋिवक यह पद धारण नह करता

5 सतवप ldquo(फर) उनका या सबध ह जो दा दता ह और helliprdquo

6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo

बद सया 5 म सतवप ऋिवक और शय क सबध क वषय म पछ रह ह परत उहन अपन न को ठक स तत नह कया उहन दा दन वाल और शय क बीच क सबध को पछा ह यहा यह यान दना महवपण ह क दा दन वाल या ग ील भपाद ह और ऋिवक कवल एक अधकत तनध ह इसलए ील भपाद न बद सया 6 म जवाब दया क दा दन वाल (ील भपाद ) नए शय क ग ह

7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo

8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

बद सया 7 म सतवप वो पट करन क कोशश कर रह ह जो उहन समझा बद सया म ील भपाद न पट कया क जब तक खद क ग भौतक प स उपितथ ह तब तक ग नह बनना चाहए यह शटाचार नह ह परत उसक बाद उहन न तरत कहा क कवल उनक जान क बाद ऋिवक वत ग नह बनत परत उह उनक आदश का इतज़ार करना होगा ldquoमर आदश पर helliprdquo यहा प यह यान दन म समझदार ह क ील भपाद भवय काल क आदश क बात कर रह ह इसका मतलब ह यह टप ldquoअपोइटमट टप rdquo नह कह जा सकती ह यक व कसी को नयत नह अपत भवय क ओर इगत कर रह ह

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo

10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo

11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo

13 तमाल कण ldquoवह उनक शय ह rdquo

१14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo

15 सतवप ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo

16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

बद सया 10 म ऐसा तीत होता ह क ील भपाद को सतवप का बद सया 9 म पछा गया न समझ नह आया अत तमाल कण बद सया 11 म न को पट करत ह दरअसल ील भपाद वारा इस न का जवाब बद सया 12 और 14 म एक साथ दया गया ह इसका मतलब उहन कहा ldquoजो दा द रह ह व उनक शय ह rdquo इसका मतलब यह क व ील भपाद क शय ह यक व समारोह म ऋिवक को अपन

तनध क प म रख कर दा द रह ह परत इस जवाब क अधबीच म तमाल कण ील भपाद जी क शद को बद सया 13 म दोहरात ह इसलए ील भपाद जी क शद अलग दखाई पड़ रह ह

अब बद सया 14 म व पन lsquoपरम शयrsquo शद का उलख कर रह ह बद सया 15 म सतवप एक और शन पछन क कोशश करत ह परत ील भपाद बद सया 14 स चलत हए बद सया 16 म कहत ह क परम शय तभी बन सकता ह जब व अपन शय म स कसी को ग बनन का आदश दग I तब व पट करत ह क व नयमत ग बनन क लय उनक आदश क तीा कर अत इस वातालाप क समय आदश कह नह ह अतएव यह वातव म तथा -कथत बहचत ldquoनयित टप rdquo नह ह

12 ऋिवक क अधकत नयित एक अपट वातालाप (मई 28 1977) क आधार पर ील भपाद न इकोन क भवय को हवा म लटकत हए नह छोड़ा वातव म ील भपाद न अपन इराद को पट करन क लए इस मामल को वव क सार मदर म लखत नदश क प म जार कया अब हम इस नदश पर अछ तरह स नज़र डालत ह जो क सबत का अगला भाग ह - जलाई 9 1977 का एक प

असल प क तवीर नच द गई ह इसको पढ़ना थोड़ा मशकल ह इसलए हमन इस तवीर क बाद इस प का पण अनवाद दया ह परत अब हम आपका यान ील भपाद और तमाल कणा गोवामी (ील भपाद जी क यितगत सचव ) क हतार क तरफ़ लाना चाहग जो क इस दतावज़ क तवीर क अत म ह दो हतार क साथ यह एक क़ाननी दतावज़ ह बना कसी न क सार इकोन को इस आदश क पालन करना पड़गी

नीच दए गए प का आप पण और पट अनवाद दखग िजस आप आसानी स और पट प स इसक वषय वत को पढ़ सक

---------------------------------------------------------------------

जलाई 91977 का प

जलाई 7 1977

समत जीबीसी ऐव टपल िज़डट क लए

महाराज एव भगण

आपक चरण म मरा दडवत णाम वीकार हाल ह म जीबीसी ी ीमद क साथ वदावन म थ तब ील भपाद न सचत कया था क जद ह व पहल दा (हर नाम) और दसर दा (गायी) दन क लए अपन वरठ शय म स कछ को रिवक आचाय क तनधव क प म काय करन क लए मनोनीत करग अब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयत िथत म काय करग

ीपाद कतानानद वामी

ीपाद सतवप दास गोवामी

ीपाद जयपताका वामी

ीपाद तमाल कण गोवामी

ीपाद दयनद गोवामी

ीपाद भावनद गोवामी

ीपाद हसदता वामी

ीपाद रामवर वामी

ीपाद हरकश वामी

ीमान भगवान दास अधकार

ीमान जयतीथ दास अधकार

पव म कसी भत क सफ़ारश करन क लए टपल िज़डट ील भपाद को प लखत थ अब चक ील भपाद न इन तनधय को मनोनीत कर दया ह अतः इस समय स टपल िज़डट पहल और दसर दा क लए अपन सफ़ारश प इन तनधयो म स नकटम तनध को भज सफ़ारश को परखन क पचात य तनध उस भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर उस आयािमक नाम द सकत ह या दसर

दा क लए यपवीत पर गायी जाप कर सकत ह ठक उससी तरह िजस तरह ील भपाद कया करत थ नए दत भत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह और य याहरा भत उनक तनध ह इन तनधयो क प वारा भज गए आयािमक नाम और यपवीत मलन क उपरात टपल िज़डट अपन मदर म उसी कार य कर सकत ह िजस कार हआ करत थ जो तनध नए दत शय को ील भपाद क ओर स वीकार करग उह इन नए दत शय क नाम ील भपाद क lsquoइनशीएटड डसायपलसrsquo (दत शय) नामक आपक सकशलता क कामना करत हए आपक सकशलता क कामना करत हए आपका सवक (मल दतावज़ पर ील भपाद क हतार अकत ह ) तमाल कण गोवामी सचव - ील भपाद

जलाई 9 1977 प का वलषण

1 यहा यह पणतया पट हो जाता ह यह ील भपाद क बध करन क शल रह ह हर महवपण नदश लख जात ह और उह दनया क सभी मदरो क लए जार कया जाता ह न क कसी ामक बढग तरक़ स कसी नजी कमर म बातचीत क वारा

2 कपया यान द क उपरोत प क पहल परा म तमाल कण गोवामी हाल म हई मीटगक बार म िज कर रह ह जो क वदावन म सभी जी बी सी क सदय और ील भपाद क साथ दा क या को पट करन क लए थी 28 मई 1977 क वातालाप का यह सीधा सार ह अत यद आप उस वातालाप को पढ़न क बाद याकल महसस करत ह या वलषण क जानन क उपरात भी कसी तरह पट नह ह तो यहा इसका शध प ह यह प सीधा उसी वातालाप क और इशारा करता ह

3 इसक अलावा यह यान दना महवपण ह क 28 मई का वातालाप कस श हआ उन शद को याद किजय ldquoख़ासकर जब आप हमार साथ नह रहग rdquo अत य शद निचत प स ील भपाद क जान क बाद क समय क और इशारा करत ह हम यह परा प इसी सदभ म पढ़ना चाहए

4 प क शआत इस तरह स होती ह क ील भपाद ऋिवक (बगाल म इसका उचारण ऋिवक ह ) आचाय का तनध नयत करग उहन पटतया कसी को भी ग नयत नह कया ील भपाद इसस पट नह हो सकत थ

5 आग व पट करत ह क 11 नाम िजनक घोषणा क जानी ह व ऋिवक क तरह काय करग ndash पन दोहरात ह क व ग क प म नयत नह कय जा रह ह

6 अगल बड़ी बात 11 नाम क घोषणा क बाद आती ह शद lsquoहफोवड rsquo तत श होन वाल बद परत असीमत अितम बद क तरफ या कम स कम दसर आदश क तरफ जो क इस आदश को नह हटा द इगत करता ह I और तय यह ह क ील भपाद न इसक बाद ऐसा कोई भी आदश जार नह कया क व 11 यित उनक (ील

भपाद) क तरोधान क उपरात वत ह ग बन जायग I इसक अतरत इस शद को 28 मई 1977 क वातालाप क मल शन क सदभ म समझा जाना चाहए िजसम सतवप दास गोवामी न कहा था ldquoवशष प स जब आप हमार साथ नह रहग rdquo

7 फर यह कहा जाता ह क दा क लए सफ़ारश मदर क अय वारा भजी जानी चाहए ldquoजो भी इन 11 तनधय म स मदर क नकट हग Irdquo lsquoनकटrsquo शद का तापय सवधा स ह न क एक पव ग शय सबध स जो ववास क एक गहर भावना पर आधारत ह तमाल कण गोवामी 1980 म दए गए ख़द अपन बयान (अनबध ख ) म इस इस कार बहतर समझात ह ldquoयह एक बहत महवपण बद ह यक जब दा दन क बात आती ह ऐसा नह ह क जो कोई भी नज़दक हो जबक ऐसा ह क जहा भी आपका दय जाए िजस पर आपका ववास हो आप उसस ह दा ल जब यह तनध हो तब जो कोई भी नकट हो और इस बात पर व बहत पट थ उहन इनका नाम दया था व दनया भर म फल गए थ और उहन कहा ldquoजो भी आपक नकट हो आप उसक पास जाए और वह आपको परखग फर व मर ओर स आपको दा दग rdquo

8 अब प क अगल परा म हम नमनलखत वायाश को दखग जो क बना कसी सदह क ील भपाद क आचाय(ील भपाद) क ऋिवक तनध को नयत करन क और इकोन क दा ग क प म उनक नववादत िथत क इछा को इगत करत ह

क ldquohellip य तनध भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर सकत हrdquo

ख ldquoनए दत भत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह rdquo

ग ldquoनए दत शय का नाम ील भपाद को उस तनध वारा भजा जाना चाहए िजसन उस वीकार कया ह rdquo घ rdquo ील भपाद क lsquoदत शय rsquo कताब म शामल कया जायगा ldquo 9 जस क हम दख सकत ह एक ह बद 4 बार दोहराया गया था वदावन म सतबर 10 1975 को ीमद भागवतम 627 क एक वचन म ील भपाद जी न कहा था ldquoशा हम 3 बार याद दलात ह िजस कार स हम कसी चीज़ पर जोर डालत ह ldquoयह करो ldquoयह करो यह करो तीन बार I अत इसलए तीन बार कहा गया ह हरनाम हरनाम हरनाम ताक वह भल न जाय वह कसी मायवाद वारा मत नह हो जाय क कोई भी नाम hellip नह हरनाम तीन बार हरनाम हरनाम हरनामव (चतय-चरतामत आद - लला 1721) फर स एव और फर स ३ बार कलौ नायव नायव नायव गतरयथा आप इस या स वचलत नह हो सकत दसरा कोई वकप या नह ह आप यह नह कह सकत क ldquoम इस या स या उस या स मत हो जाउगाrdquo नह अगर तीन बार कछ दोहराना महवपण माना जाता ह तो फर 4 बार क बार म या 10 कोई पछ सकता ह क इन 11 लोग क जान क बाद या कसी भी कारण स पतन हो जान पर या होगा क यारह तनधय क सच स पहल एक वाय म लखा ह ldquoअब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयरत िथत म काय करगrdquo ldquoअब तकrdquo शद इगत करता ह क नणायक सच बनन का कोई इरादा नह ह और ठक इसी बात क नच दए गए lsquoखrsquo बद म पिट होती ह I

ख ील भपाद जी को उधरत करत हए तमाल कण गोवामी न 1980 म दय अपन बयान म यह कहा क ldquoअगर आवयकता हो तो दसर को जोड़ा जा सकता ह rdquo यह दखान क लए क ील भपाद न दा क रिवक णाल क थापना क ह और भवय क सभी शय इस आदोलन म उनक शय ह यह प नदश ठोस सबत ह

13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण

आग क सबत ील भपाद क वसीयत स आत ह यहा दखान क लए वसीयत काफ़ बड़ी ह अत हम कवल उह बदओ पर ग़ौर करग जो ील भपाद क इकोन क आयािमक ग (दा ग ) होन क अवथा पर काश डालत ह ील भपाद क पर वसीयत को दखन क लए कपया परशट क दख

1 पर अतराय कणभावनामत सघ क मौलक बधाधकार कवल गवनग बॉडी कमशन (जी बी सी ) ह हग

अ अब मान लिजए एक मदर म ीमान lsquoकrsquo मदर क अय ह ीमान lsquoखrsquo िजस श म मदर ह उस क जी बी सी तनध ह और ीमान lsquoगrsquo मदर क अय क ग ह अब ीमान lsquoकrsquo ीमान lsquoगrsquo का नठावान शय बनना चाहगा और यद जीबीसी क तनध ीमान lsquoखrsquo क आदश उसक ग ीमान lsquoगrsquo क आदश स मल नह खात तब वह अपन ग ीमान lsquoगrsquo त नटावान रहन क वकप को चनगा न ह ीमान lsquoखrsquo क त परत यह ील भपाद क अवा का घठनकरता ह यक ील भपाद क अनसार जी बी सी को ह मौलक बध अधकार रहना ह अय कोई नह

ख ऊपर दय गए वचार स पता चलता ह क इस तरह क ववादापद ितथ म वतमान ग णाल का अनसरण करन स एक दसर क ग को या ील भपाद को अपमानत करन क लए बाय होना पड़गा परत दा क ऋिवक णाल का पालन करन स ऐसा कोई वरोधाभास नह होगा

2 हर मिदर इकोन क सप होगी और तीन कायकार नदशक वारा बधत क जाएगी बधन क यवथा अभी क तरह जार रहगी और कसी भी परवतन क आवयकता नह ह

क इस य म ग को लान स बध क यवथा म परवतन होगा जो ील भपाद क आदश क वध ह

ख इस अनधकत परवतन क कारण इकोन क इतहास न बार बार दखाया ह क वहा कई बधकय समयाओ हई यक ग जो उम ग स कम ह व अपन शय पर अपना भाव जतान क कोशश करत ह जबक मदर क बध का उन पर कोई नयण नह रहा इस तरह मदर बधन को इस तरह स भार दवाब क तहत रखा गया

ग इसक इलावा इस तरह क बदलाव 1975 म जीबीसी बठक क अनसार जी बी सी क परभाषा क वध ह

ldquoतावत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद न जीबीसी (गवनग बॉडी कमीशन) क थापना अतराय कणभावनामत सघ िजसक व सथापकाचाय और सवपर अधकार ह क सचालन क िजमदार को परा करन म तनधव करन क लए क ह I जीबीसी उनक नदश को अपना जीवन और आमा वीकार करती ह और मानती ह क हर तरह स यह उनक कपा पर आत ह कणकपामत क वारा कपा करक दए गए आदश क पालना करन और उनक शाओ को शध प म वव म सरत करक और सारत करन क आलावा जीबीसी का कोई अय काय या उदय नह ह rdquo

-जीबीसी क परभाषा ताव 1 जीबीसी ववरण 1975

3 वासीयत क बद 3 म भारत म तक इकोन क सप 3 कायकार नदशक को सपी गयी थी और सप क नाम और उनक कायकार नदशक क नाम दय गए थ तब ील भपाद यह कहत ह यह कायकार नदशक जो नामत कए गए ह वह जीवन क लए नयत कए गए ह मय क िथत म या असफलता म कसी भी कारण स काय करन क लए कसी भी दए गए नदशको म स एक उतराधकार नदशक या नदशको को एक नदशको वारा नयत कया जा सकता ह बशत नए नदशक मर दा दए गए शय ह जो सती स इकोन क सभी नयम और वनयम का पालन करत ह जस मर कताब म वतत जानकार द ह और कभी भी तीन (3) स काम या पाच (5) स यादा कायकार नदशक काय नह कर सकत एक ह समय पर

क सधातक प स कह तो सन 2050 तक ील भपाद क भौतक उपिथत क दोरान जो शय थ व सभी शय गज़र जाएग तब इन सपय का नदशक कौन बनगा कवल यह नतीजा होना चाहए क इस आदोलन क भावी शय ील भपाद क शय हग िजहन ऋिवक णाल वारा दा ल ह जो क ील भपाद न वय थापत क ह

ख जब 2 जन 1977 को गराज वामी वारा ील भपाद क लए वासीयत का ाप पढ़ा जा रहा था ऊपर दए गए बड़ शद थ ldquoएक दत शय rdquo परत नणायक दतावज़ म हम दखत ह क इस बदल कर ldquoमरा दत शय rdquo कर दया गया इसस पता चलता ह क यह ील भपाद वारा एक वचारपवक क़दम था

वसीयत क घोषणा म ील भपाद क इराद जलाई 9 1977 क प आदश और मई 28 1977 क वातालाप स मल खात ह अपन शाररक थान क बाद भी अपनी िथत को इकोन क दा ग क प म बनाए रखन क लए ील भपाद न पट प स दा क ऋिवक णाल क तरफ़ इशारा कया

14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 प आदश क साी )

1 22 अल 1977 को तमाल कण गोवामी को ील भपाद स यह कहना था ldquoठक ह

मन अपन को और आपक सार शय का अययन कर लया ह और यह पट सय ह क हम सब बध आमा ह अत हम ग नह बन सकत Irdquo

२ 3 दसबर 1980 को तमाल कण गोवामी न नन कार वीकार कया ldquoदरअसल ील भपाद न कभी भी कोई ग नयत नह कया [hellip] उहन 11 ऋिवक नयत कय थ उहन कभी भी उनको ग नयत नह कया मन और दसर जी बी सी न पछल तीन साल म इस आदोलन क त बहत त पहचाई ह यक हमन ऋिवक क नयित को ग क नयित म बदल दया ह Irdquo वातव इस पर बयान (परशट ख ) को पढ़ना ठक होगा जहा उहन इस बात पर जोर दया ह क ील भपाद न कभी भी कसी को ग नयत नह कया

2 दाशनक माण अब तक हमन दतावजी माण को क़ाननी दतावज एव अधकत ऑडओ तलखन को दखा ह िजसक सयता हर तरह क सदह स पर ह अब हम ग -तव क सधातो को दाशनक एव शािक िट स समझग क ामाणक ग कौन बन सकता ह कौन नह बन सकता और साथ ह 1977 क बाद इकोन म दा स सबिधत ील भपाद क उपदश क त हमार समझ को सढ़ करग I

21 दा क परभाषा दा दो शद का एक सयोग ह -- lsquoद rsquo और lsquoा rsquo I lsquoद rsquo का तापय ह दय -ानम दय ान और lsquoा rsquo का तापय ह पयत मटा दना या उमलन (पापपण कय) (ीमद भागवतम क 42461 और चतय चरतामत अय लला 362 क एक-एक शद क अनवाद क अनसार ) I इसलए दा का मतलब दय ान का अत-पण और पापपण कय का वनाश ह ननलखत लोक दा शद क इस परभाषा को इगत करता ह

दय ान यतो दायात कयात पापय सडयम तमात दत सा ोता दशकतवकोवद

ldquoदा वह वध ह िजसक वारा दय ान को जागत कया जा सकता ह और पापकम क सार फल का य कया जा सकता ह शा अययन म पारगत यित इस वध को दा क नाम स जनता ह rdquo

- ील जीव गोवामी क भित -सदभ (283) िजसका उधरण चतय चरतामत मय -लला 15108 क तापय म दया गया ह

तवध णपातन परनन सवया उपदयित त ान ाननतवदशनः

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 4: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

2 उनक नदश क ामाणकता को शािक और ऐतहासक सदभ स सढ़ करना ह 3 उन शािक सदभ को तत करना जो क हमार ववतरय कणभावनामत आदोलन क सार समयाओ क मल कारण को तपादत करत ह उनक भाव और कस इसका समाधान कर यह पतक पण प स ील भपाद क अधकत दतावज़ पर आधारत ह तथा उनक भगवगीता ीमद भागवतम तथा अय सबिधत साहय स लए गए शािक उधरण वारा समथत ह हमन तो बस उनक मशन और उनक मशन क त सच भत क सवा करन क लए इस सकलत करन का यास कया ह I ldquoमानव समाज का मय काय पण पषोम भगवान क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह आचाय जो भगवान क ामाणक तनध हो त ह इन सधात क थापना कर त ह कत जब अकट हो जात ह सार चीज पनः अयविथत हो जाती ह आचाय क असल शय इस िथत को ठक करन क लए ग क आदश का नठापवक पालन करत ह rdquo

- ीम भागवतम 42848 तापय ी सदर गोपाल भ को हमारा वशष धयवाद जो क ी कण मदर सगापोर क अय ह तथा अतराय ी कण मदर समह क वरठ सरक ह जनवर 1977 म वय ील भपाद वारा दत कए थ और ील भपाद क सवा म अपन जीवन क चार दशक बता चक ह व तदन ील भपाद क पतक क गहन अययन म सलन रहत ह व उन भत का सयता स सहयोग भी करत ह जो ील भपाद को आदोलन क क म लाना चाहत ह और कणभावनामत आदोलन को आग बढ़ान क लए सहयोग क भावना स साथ मलकर काय करना चाहत ह सभी क भलाई क लए उहन इस िथत -प दा -1977 क बाद क सकलन क लए रत कया तथा नदश दए

इस पतक म दया गय लखबध तथा शािक सदभ अभी क लए पयात ह I यद भवय म ओर भी सदभ पाए जात ह जो क परितथ को और सढ़ तथा पता करत ह तो व भवय म आन वाल सकरण म जोड़ जा सकत ह I जस इस पतक क वषय वत पर नए और योय तक उठत ह व भी भवय म आन वाल सकरण म सबोधत कय जा सकत ह I परवतन क ितथ म यथानसार पतक पन सकरणीकत क जा सकती ह I वतमान सकरण ह दा -1977 क बाद सकरण 11

आपक दास अतराय ी कण मदर क टम

भमका 6

अयाय 1 लखबध सबत 8 11 नयित टप वलषण 8 12 ऋिवक क अधकत नयित 11 13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण 16 14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 पआदश क साी) 17

2 दाशनक माण 18 21 दा क परभाषा 18 22 दा ग कौन बन सकता ह 19

221 दा ग क योयता 19 222 दा ग क ाधकरण 21 231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह 22 232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह 25 233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह 25 234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo 27

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग 29

अयाय 3 यतम का शािक अययन 31 31 यितम क कारण 31 32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी 33 33 परितथ को कस सधारा जाए 36 34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर 37

नकष 39 उराधकार प 42

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980 44

भमका

कणकपामत ए सी भितवदात वामी भपाद एक वातवक सशत आचाय होन क कारण कणभावनामत को इसक वशध प म चारत करन म अपन पवती आचाय क त नठावान रह और इस कार चार को अवतीय तर पर ल गए I ी चतय महाभ क 500 साल पहल क भवयवाणी ldquoकण का पव नाम हर शहर और गाव म गाया जायगाrdquo ील भपाद जी क अकल ह यास वारा साधत क गई I उन होन कछ नया आवकार नह कया था जसा क ील भपाद कहा करत थ ldquoउलट-फर मतलब धतताrdquo फर भी भगवान चतय क आदोलन को आग बढ़ान क लए यह उनक सफ आयािमक वशटता थी क उहन वतमान समय और परिथत क अनप कई तरह क दय तकनीक यवथाय क हम कभी भी इस तरह क ढ़-वध उपाय को परपरा क नकष स पथट नह समझना चाहए ऐसी ह एक यवथा थी तदन 16 माला का जप क ता जबक शआत म यह 64 थी दसर यवथा ह दा क आयोजन क लए ऋिवक-णाल

दा मानव जीवन का सबस महवपण सकार ह जो क एक माणक आयािमक ग क मागदशन म आयािमक जीवन क औपचारक शआत को इगत करती ह

माड मत कोन भायवान जीव ग -कण -साद पाय भित -लता -बीज

ldquoअपन-अपन कम क अनसार समत जीवामाय समच वव म मण कर रह ह लाख भटकती जीवामाओ म स जो अयत भायशाल ह उसको कण क कपा स एक माणक आयािमक ग क सग का अवसर ात होता ह Irdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 19151

ययप ग क सधात या आयािमक ग एक ह तथाप गओ को तकनीक प स चार भाग म बाटा गया ह य सभी कण क चरणारवद क शरण ात करन क लए बध आमा क सहायता करत ह

1 वमा-दशक ग - आयािमक ग जो सबस पहल आयािमक जीवन क बार म जानकार दत ह

2 दा ग - आयािमक ग जो शा क नयम क अनसार दा दत ह व दा ग कहलात ह व चय ग क बाय अभयित भी मान जात ह एक यित का कवल एक ह दा ग हो सकता ह

3 शा ग - आयािमक ग जो दा ग क नदश क आधार पर उथान क लए

नदश दत ह शा ग कहलात ह (दा ग बहत स हो सकत ह)

4 चय ग - परम आयािमक ग परमामा जो भीतर स दशा दखात ह

चय ग एक परमामा ह पण पषोम भगवान क वतार 3 कार क गओ म स शा ग और वमा-दशक ग दा ग क आदश पर नठा स कणभावनामत क चार क कतय क पालना करत ह व वय शध भत हो भी सकत ह या नह भी हो सकत दा ग क पद क आवयकता अयत िजमदारना होती ह जस क ग को भगवान कण का शध भत होना चाहए और दा ग बनन क लए अपन आयािमक ग वारा सशत होना चाहए I

ील भपाद न यहा तक क अपन भौतक थान क उपरात दा क एक णाल थापत क िजसक तहत उनक तनध ऋिवक (या पजार) उनक और स दा दग और इस कार आदोलन आग बढ़ता रहगा

परत आज इकोन म ऋिवक शद असहनीय ह उहन इस शद को पर तरह स नकार रखा ह जो भी अपन को ऋिवक मानता ह वह एक सबस बड़ा अपराधी माना जाता ह फर भी जब भवय म दा क बार म पछा गया था तब यह शद हमार परम धय ील भपाद वारा इतमाल कया गया था वशष प स जब व हमार साथ नह रहग

1 सतवप अब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग I हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी 2 ील भपाद हा I म तम म स कछ क शफारश कगा इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा 3 तमाल कण या इस ऋिवक-आचाय कहत ह 4 ील भपाद ऋिवक हा

- ील भपाद क साथ क म वातालाप

वदावन मई 28 1977

दा क यह ऋिवक णाल कछ असतट भत क कोई मनगढ़त कहानी नह ह अपत हम सब क लाभ क लए अयत कपापवक ील भपाद वारा हम द गयी एक अधकत पधत ह

अयाय 1 लखबध सबत इकोन क सार बध सबधी वचार-वषय क लए ील भपाद न शासकय दतावज ज़ार कय जो क उनक इराद को पट करत ह

इस खड म हम ील भपाद क उनक भौतक उपितथ क उपरात दा वधान स सबिधत इराद (जो क इकोन क क़ाननी दतावज और अधकत लपबध ऑडयो म मल ह) पर नणायक एव नववादत तय पर ट डालग I

इस खड म हम नन 3 दतावज़ का अयन करग

1 मई 28 1977 वातालाप का लपबध ऑडयो

2 9 जलाई 1977 प आदश

3 ील भपाद क वसीयत क घोषणा (जन 5 1977)

11 नयित टप वलषण

हम इस सीध न स श करग जो क ील भपाद स 28 मई 1977 म पछा गया था इस रकॉडड वातालाप को इकोन क अनधकत ग ldquoनयित टप rdquo क नाम स सबोधत करत ह जो क यह सकत करती ह क ील भपाद न अपन उराधकारय को इस वातालाप म ग क प म नयत कया आइय हम इस पर ट डालत ह

क म वातालाप - वदावन 28 मई 1977

1 सतवप ldquoअब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग I हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी rdquo

2 ील भपाद ldquoहा I म तम म स कछ क शफारश कगा I इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा rdquo

3 तमाल कण ldquoया इस ऋिवक-आचाय कहत ह rdquo 4 ील भपाद ldquoऋिवक हा Irdquo 5 सतवप ldquo(फर) उनका या सबध ह जो दा दता ह और helliprdquo 6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo 7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo 8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग

नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo 10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo 11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक

दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo 13 तमाल कणा ldquoवह उनक शय ह rdquo 14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo 15 सतवपा ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo 16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह

बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

वलषण

उपरोत वातालाप सवथम थोड़ा विमत कर सकता ह आइय अब हम एक बहतर िटकोण ात करन क लए इसका नप वलणामक अययन करत ह एक-एक पित लकर चलत ह

1 सतवप ldquoअब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी rdquo 2 ील भपाद ldquoहा म तम म स कछ क शफारश कगा इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा rdquo 3 तमाल कण ldquoया इस ऋिवक-आचाय कहत ह rdquo 4 ील भपाद ldquoऋिवक हा rdquo

ऊपर दए गए बद सया 1 म न य और पट ह ील भपाद बद सया 2 और 4 म पट प स जवाब दत ह क व यहा ऋिवक का िज कर रह ह हालाक आग चलक वातालाप थोड़ा और ामक हो जाता ह यहा पर ील भपाद सबस पट जवाब दत ह - ऋिवक

दरअसल ऋिवक शद का मतलब या ह ील भपाद क पतक म इस शद क 17 सदभ ह और सदव उनका मतलब एक ह चीज स ह - एक पजार एक पजार कसी क और स समारोह आयोिजत करता ह उसका काय कवल समारोह का आयोजन करना ह आचाय या ग जो क कह यादा योयता और साथ ह साथ उतरदायव रखत ह स वह (ऋिवक) अलग होता ह

एक आचाय क योयता यह ह क उह भगवान कण का एक शध भत होना चाहए और उह शय क अान को नट करन क लए दय ान अवय दना चाहए शय ग क पजा अपन नय वामी क प म करता ह जसा क ील नरोम दास ठाकर क शद म कहा ह ndash च दान दलो यई जम जम भ सई परत एक ऋिवक यह पद धारण नह करता

5 सतवप ldquo(फर) उनका या सबध ह जो दा दता ह और helliprdquo

6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo

बद सया 5 म सतवप ऋिवक और शय क सबध क वषय म पछ रह ह परत उहन अपन न को ठक स तत नह कया उहन दा दन वाल और शय क बीच क सबध को पछा ह यहा यह यान दना महवपण ह क दा दन वाल या ग ील भपाद ह और ऋिवक कवल एक अधकत तनध ह इसलए ील भपाद न बद सया 6 म जवाब दया क दा दन वाल (ील भपाद ) नए शय क ग ह

7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo

8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

बद सया 7 म सतवप वो पट करन क कोशश कर रह ह जो उहन समझा बद सया म ील भपाद न पट कया क जब तक खद क ग भौतक प स उपितथ ह तब तक ग नह बनना चाहए यह शटाचार नह ह परत उसक बाद उहन न तरत कहा क कवल उनक जान क बाद ऋिवक वत ग नह बनत परत उह उनक आदश का इतज़ार करना होगा ldquoमर आदश पर helliprdquo यहा प यह यान दन म समझदार ह क ील भपाद भवय काल क आदश क बात कर रह ह इसका मतलब ह यह टप ldquoअपोइटमट टप rdquo नह कह जा सकती ह यक व कसी को नयत नह अपत भवय क ओर इगत कर रह ह

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo

10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo

11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo

13 तमाल कण ldquoवह उनक शय ह rdquo

१14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo

15 सतवप ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo

16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

बद सया 10 म ऐसा तीत होता ह क ील भपाद को सतवप का बद सया 9 म पछा गया न समझ नह आया अत तमाल कण बद सया 11 म न को पट करत ह दरअसल ील भपाद वारा इस न का जवाब बद सया 12 और 14 म एक साथ दया गया ह इसका मतलब उहन कहा ldquoजो दा द रह ह व उनक शय ह rdquo इसका मतलब यह क व ील भपाद क शय ह यक व समारोह म ऋिवक को अपन

तनध क प म रख कर दा द रह ह परत इस जवाब क अधबीच म तमाल कण ील भपाद जी क शद को बद सया 13 म दोहरात ह इसलए ील भपाद जी क शद अलग दखाई पड़ रह ह

अब बद सया 14 म व पन lsquoपरम शयrsquo शद का उलख कर रह ह बद सया 15 म सतवप एक और शन पछन क कोशश करत ह परत ील भपाद बद सया 14 स चलत हए बद सया 16 म कहत ह क परम शय तभी बन सकता ह जब व अपन शय म स कसी को ग बनन का आदश दग I तब व पट करत ह क व नयमत ग बनन क लय उनक आदश क तीा कर अत इस वातालाप क समय आदश कह नह ह अतएव यह वातव म तथा -कथत बहचत ldquoनयित टप rdquo नह ह

12 ऋिवक क अधकत नयित एक अपट वातालाप (मई 28 1977) क आधार पर ील भपाद न इकोन क भवय को हवा म लटकत हए नह छोड़ा वातव म ील भपाद न अपन इराद को पट करन क लए इस मामल को वव क सार मदर म लखत नदश क प म जार कया अब हम इस नदश पर अछ तरह स नज़र डालत ह जो क सबत का अगला भाग ह - जलाई 9 1977 का एक प

असल प क तवीर नच द गई ह इसको पढ़ना थोड़ा मशकल ह इसलए हमन इस तवीर क बाद इस प का पण अनवाद दया ह परत अब हम आपका यान ील भपाद और तमाल कणा गोवामी (ील भपाद जी क यितगत सचव ) क हतार क तरफ़ लाना चाहग जो क इस दतावज़ क तवीर क अत म ह दो हतार क साथ यह एक क़ाननी दतावज़ ह बना कसी न क सार इकोन को इस आदश क पालन करना पड़गी

नीच दए गए प का आप पण और पट अनवाद दखग िजस आप आसानी स और पट प स इसक वषय वत को पढ़ सक

---------------------------------------------------------------------

जलाई 91977 का प

जलाई 7 1977

समत जीबीसी ऐव टपल िज़डट क लए

महाराज एव भगण

आपक चरण म मरा दडवत णाम वीकार हाल ह म जीबीसी ी ीमद क साथ वदावन म थ तब ील भपाद न सचत कया था क जद ह व पहल दा (हर नाम) और दसर दा (गायी) दन क लए अपन वरठ शय म स कछ को रिवक आचाय क तनधव क प म काय करन क लए मनोनीत करग अब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयत िथत म काय करग

ीपाद कतानानद वामी

ीपाद सतवप दास गोवामी

ीपाद जयपताका वामी

ीपाद तमाल कण गोवामी

ीपाद दयनद गोवामी

ीपाद भावनद गोवामी

ीपाद हसदता वामी

ीपाद रामवर वामी

ीपाद हरकश वामी

ीमान भगवान दास अधकार

ीमान जयतीथ दास अधकार

पव म कसी भत क सफ़ारश करन क लए टपल िज़डट ील भपाद को प लखत थ अब चक ील भपाद न इन तनधय को मनोनीत कर दया ह अतः इस समय स टपल िज़डट पहल और दसर दा क लए अपन सफ़ारश प इन तनधयो म स नकटम तनध को भज सफ़ारश को परखन क पचात य तनध उस भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर उस आयािमक नाम द सकत ह या दसर

दा क लए यपवीत पर गायी जाप कर सकत ह ठक उससी तरह िजस तरह ील भपाद कया करत थ नए दत भत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह और य याहरा भत उनक तनध ह इन तनधयो क प वारा भज गए आयािमक नाम और यपवीत मलन क उपरात टपल िज़डट अपन मदर म उसी कार य कर सकत ह िजस कार हआ करत थ जो तनध नए दत शय को ील भपाद क ओर स वीकार करग उह इन नए दत शय क नाम ील भपाद क lsquoइनशीएटड डसायपलसrsquo (दत शय) नामक आपक सकशलता क कामना करत हए आपक सकशलता क कामना करत हए आपका सवक (मल दतावज़ पर ील भपाद क हतार अकत ह ) तमाल कण गोवामी सचव - ील भपाद

जलाई 9 1977 प का वलषण

1 यहा यह पणतया पट हो जाता ह यह ील भपाद क बध करन क शल रह ह हर महवपण नदश लख जात ह और उह दनया क सभी मदरो क लए जार कया जाता ह न क कसी ामक बढग तरक़ स कसी नजी कमर म बातचीत क वारा

2 कपया यान द क उपरोत प क पहल परा म तमाल कण गोवामी हाल म हई मीटगक बार म िज कर रह ह जो क वदावन म सभी जी बी सी क सदय और ील भपाद क साथ दा क या को पट करन क लए थी 28 मई 1977 क वातालाप का यह सीधा सार ह अत यद आप उस वातालाप को पढ़न क बाद याकल महसस करत ह या वलषण क जानन क उपरात भी कसी तरह पट नह ह तो यहा इसका शध प ह यह प सीधा उसी वातालाप क और इशारा करता ह

3 इसक अलावा यह यान दना महवपण ह क 28 मई का वातालाप कस श हआ उन शद को याद किजय ldquoख़ासकर जब आप हमार साथ नह रहग rdquo अत य शद निचत प स ील भपाद क जान क बाद क समय क और इशारा करत ह हम यह परा प इसी सदभ म पढ़ना चाहए

4 प क शआत इस तरह स होती ह क ील भपाद ऋिवक (बगाल म इसका उचारण ऋिवक ह ) आचाय का तनध नयत करग उहन पटतया कसी को भी ग नयत नह कया ील भपाद इसस पट नह हो सकत थ

5 आग व पट करत ह क 11 नाम िजनक घोषणा क जानी ह व ऋिवक क तरह काय करग ndash पन दोहरात ह क व ग क प म नयत नह कय जा रह ह

6 अगल बड़ी बात 11 नाम क घोषणा क बाद आती ह शद lsquoहफोवड rsquo तत श होन वाल बद परत असीमत अितम बद क तरफ या कम स कम दसर आदश क तरफ जो क इस आदश को नह हटा द इगत करता ह I और तय यह ह क ील भपाद न इसक बाद ऐसा कोई भी आदश जार नह कया क व 11 यित उनक (ील

भपाद) क तरोधान क उपरात वत ह ग बन जायग I इसक अतरत इस शद को 28 मई 1977 क वातालाप क मल शन क सदभ म समझा जाना चाहए िजसम सतवप दास गोवामी न कहा था ldquoवशष प स जब आप हमार साथ नह रहग rdquo

7 फर यह कहा जाता ह क दा क लए सफ़ारश मदर क अय वारा भजी जानी चाहए ldquoजो भी इन 11 तनधय म स मदर क नकट हग Irdquo lsquoनकटrsquo शद का तापय सवधा स ह न क एक पव ग शय सबध स जो ववास क एक गहर भावना पर आधारत ह तमाल कण गोवामी 1980 म दए गए ख़द अपन बयान (अनबध ख ) म इस इस कार बहतर समझात ह ldquoयह एक बहत महवपण बद ह यक जब दा दन क बात आती ह ऐसा नह ह क जो कोई भी नज़दक हो जबक ऐसा ह क जहा भी आपका दय जाए िजस पर आपका ववास हो आप उसस ह दा ल जब यह तनध हो तब जो कोई भी नकट हो और इस बात पर व बहत पट थ उहन इनका नाम दया था व दनया भर म फल गए थ और उहन कहा ldquoजो भी आपक नकट हो आप उसक पास जाए और वह आपको परखग फर व मर ओर स आपको दा दग rdquo

8 अब प क अगल परा म हम नमनलखत वायाश को दखग जो क बना कसी सदह क ील भपाद क आचाय(ील भपाद) क ऋिवक तनध को नयत करन क और इकोन क दा ग क प म उनक नववादत िथत क इछा को इगत करत ह

क ldquohellip य तनध भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर सकत हrdquo

ख ldquoनए दत भत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह rdquo

ग ldquoनए दत शय का नाम ील भपाद को उस तनध वारा भजा जाना चाहए िजसन उस वीकार कया ह rdquo घ rdquo ील भपाद क lsquoदत शय rsquo कताब म शामल कया जायगा ldquo 9 जस क हम दख सकत ह एक ह बद 4 बार दोहराया गया था वदावन म सतबर 10 1975 को ीमद भागवतम 627 क एक वचन म ील भपाद जी न कहा था ldquoशा हम 3 बार याद दलात ह िजस कार स हम कसी चीज़ पर जोर डालत ह ldquoयह करो ldquoयह करो यह करो तीन बार I अत इसलए तीन बार कहा गया ह हरनाम हरनाम हरनाम ताक वह भल न जाय वह कसी मायवाद वारा मत नह हो जाय क कोई भी नाम hellip नह हरनाम तीन बार हरनाम हरनाम हरनामव (चतय-चरतामत आद - लला 1721) फर स एव और फर स ३ बार कलौ नायव नायव नायव गतरयथा आप इस या स वचलत नह हो सकत दसरा कोई वकप या नह ह आप यह नह कह सकत क ldquoम इस या स या उस या स मत हो जाउगाrdquo नह अगर तीन बार कछ दोहराना महवपण माना जाता ह तो फर 4 बार क बार म या 10 कोई पछ सकता ह क इन 11 लोग क जान क बाद या कसी भी कारण स पतन हो जान पर या होगा क यारह तनधय क सच स पहल एक वाय म लखा ह ldquoअब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयरत िथत म काय करगrdquo ldquoअब तकrdquo शद इगत करता ह क नणायक सच बनन का कोई इरादा नह ह और ठक इसी बात क नच दए गए lsquoखrsquo बद म पिट होती ह I

ख ील भपाद जी को उधरत करत हए तमाल कण गोवामी न 1980 म दय अपन बयान म यह कहा क ldquoअगर आवयकता हो तो दसर को जोड़ा जा सकता ह rdquo यह दखान क लए क ील भपाद न दा क रिवक णाल क थापना क ह और भवय क सभी शय इस आदोलन म उनक शय ह यह प नदश ठोस सबत ह

13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण

आग क सबत ील भपाद क वसीयत स आत ह यहा दखान क लए वसीयत काफ़ बड़ी ह अत हम कवल उह बदओ पर ग़ौर करग जो ील भपाद क इकोन क आयािमक ग (दा ग ) होन क अवथा पर काश डालत ह ील भपाद क पर वसीयत को दखन क लए कपया परशट क दख

1 पर अतराय कणभावनामत सघ क मौलक बधाधकार कवल गवनग बॉडी कमशन (जी बी सी ) ह हग

अ अब मान लिजए एक मदर म ीमान lsquoकrsquo मदर क अय ह ीमान lsquoखrsquo िजस श म मदर ह उस क जी बी सी तनध ह और ीमान lsquoगrsquo मदर क अय क ग ह अब ीमान lsquoकrsquo ीमान lsquoगrsquo का नठावान शय बनना चाहगा और यद जीबीसी क तनध ीमान lsquoखrsquo क आदश उसक ग ीमान lsquoगrsquo क आदश स मल नह खात तब वह अपन ग ीमान lsquoगrsquo त नटावान रहन क वकप को चनगा न ह ीमान lsquoखrsquo क त परत यह ील भपाद क अवा का घठनकरता ह यक ील भपाद क अनसार जी बी सी को ह मौलक बध अधकार रहना ह अय कोई नह

ख ऊपर दय गए वचार स पता चलता ह क इस तरह क ववादापद ितथ म वतमान ग णाल का अनसरण करन स एक दसर क ग को या ील भपाद को अपमानत करन क लए बाय होना पड़गा परत दा क ऋिवक णाल का पालन करन स ऐसा कोई वरोधाभास नह होगा

2 हर मिदर इकोन क सप होगी और तीन कायकार नदशक वारा बधत क जाएगी बधन क यवथा अभी क तरह जार रहगी और कसी भी परवतन क आवयकता नह ह

क इस य म ग को लान स बध क यवथा म परवतन होगा जो ील भपाद क आदश क वध ह

ख इस अनधकत परवतन क कारण इकोन क इतहास न बार बार दखाया ह क वहा कई बधकय समयाओ हई यक ग जो उम ग स कम ह व अपन शय पर अपना भाव जतान क कोशश करत ह जबक मदर क बध का उन पर कोई नयण नह रहा इस तरह मदर बधन को इस तरह स भार दवाब क तहत रखा गया

ग इसक इलावा इस तरह क बदलाव 1975 म जीबीसी बठक क अनसार जी बी सी क परभाषा क वध ह

ldquoतावत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद न जीबीसी (गवनग बॉडी कमीशन) क थापना अतराय कणभावनामत सघ िजसक व सथापकाचाय और सवपर अधकार ह क सचालन क िजमदार को परा करन म तनधव करन क लए क ह I जीबीसी उनक नदश को अपना जीवन और आमा वीकार करती ह और मानती ह क हर तरह स यह उनक कपा पर आत ह कणकपामत क वारा कपा करक दए गए आदश क पालना करन और उनक शाओ को शध प म वव म सरत करक और सारत करन क आलावा जीबीसी का कोई अय काय या उदय नह ह rdquo

-जीबीसी क परभाषा ताव 1 जीबीसी ववरण 1975

3 वासीयत क बद 3 म भारत म तक इकोन क सप 3 कायकार नदशक को सपी गयी थी और सप क नाम और उनक कायकार नदशक क नाम दय गए थ तब ील भपाद यह कहत ह यह कायकार नदशक जो नामत कए गए ह वह जीवन क लए नयत कए गए ह मय क िथत म या असफलता म कसी भी कारण स काय करन क लए कसी भी दए गए नदशको म स एक उतराधकार नदशक या नदशको को एक नदशको वारा नयत कया जा सकता ह बशत नए नदशक मर दा दए गए शय ह जो सती स इकोन क सभी नयम और वनयम का पालन करत ह जस मर कताब म वतत जानकार द ह और कभी भी तीन (3) स काम या पाच (5) स यादा कायकार नदशक काय नह कर सकत एक ह समय पर

क सधातक प स कह तो सन 2050 तक ील भपाद क भौतक उपिथत क दोरान जो शय थ व सभी शय गज़र जाएग तब इन सपय का नदशक कौन बनगा कवल यह नतीजा होना चाहए क इस आदोलन क भावी शय ील भपाद क शय हग िजहन ऋिवक णाल वारा दा ल ह जो क ील भपाद न वय थापत क ह

ख जब 2 जन 1977 को गराज वामी वारा ील भपाद क लए वासीयत का ाप पढ़ा जा रहा था ऊपर दए गए बड़ शद थ ldquoएक दत शय rdquo परत नणायक दतावज़ म हम दखत ह क इस बदल कर ldquoमरा दत शय rdquo कर दया गया इसस पता चलता ह क यह ील भपाद वारा एक वचारपवक क़दम था

वसीयत क घोषणा म ील भपाद क इराद जलाई 9 1977 क प आदश और मई 28 1977 क वातालाप स मल खात ह अपन शाररक थान क बाद भी अपनी िथत को इकोन क दा ग क प म बनाए रखन क लए ील भपाद न पट प स दा क ऋिवक णाल क तरफ़ इशारा कया

14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 प आदश क साी )

1 22 अल 1977 को तमाल कण गोवामी को ील भपाद स यह कहना था ldquoठक ह

मन अपन को और आपक सार शय का अययन कर लया ह और यह पट सय ह क हम सब बध आमा ह अत हम ग नह बन सकत Irdquo

२ 3 दसबर 1980 को तमाल कण गोवामी न नन कार वीकार कया ldquoदरअसल ील भपाद न कभी भी कोई ग नयत नह कया [hellip] उहन 11 ऋिवक नयत कय थ उहन कभी भी उनको ग नयत नह कया मन और दसर जी बी सी न पछल तीन साल म इस आदोलन क त बहत त पहचाई ह यक हमन ऋिवक क नयित को ग क नयित म बदल दया ह Irdquo वातव इस पर बयान (परशट ख ) को पढ़ना ठक होगा जहा उहन इस बात पर जोर दया ह क ील भपाद न कभी भी कसी को ग नयत नह कया

2 दाशनक माण अब तक हमन दतावजी माण को क़ाननी दतावज एव अधकत ऑडओ तलखन को दखा ह िजसक सयता हर तरह क सदह स पर ह अब हम ग -तव क सधातो को दाशनक एव शािक िट स समझग क ामाणक ग कौन बन सकता ह कौन नह बन सकता और साथ ह 1977 क बाद इकोन म दा स सबिधत ील भपाद क उपदश क त हमार समझ को सढ़ करग I

21 दा क परभाषा दा दो शद का एक सयोग ह -- lsquoद rsquo और lsquoा rsquo I lsquoद rsquo का तापय ह दय -ानम दय ान और lsquoा rsquo का तापय ह पयत मटा दना या उमलन (पापपण कय) (ीमद भागवतम क 42461 और चतय चरतामत अय लला 362 क एक-एक शद क अनवाद क अनसार ) I इसलए दा का मतलब दय ान का अत-पण और पापपण कय का वनाश ह ननलखत लोक दा शद क इस परभाषा को इगत करता ह

दय ान यतो दायात कयात पापय सडयम तमात दत सा ोता दशकतवकोवद

ldquoदा वह वध ह िजसक वारा दय ान को जागत कया जा सकता ह और पापकम क सार फल का य कया जा सकता ह शा अययन म पारगत यित इस वध को दा क नाम स जनता ह rdquo

- ील जीव गोवामी क भित -सदभ (283) िजसका उधरण चतय चरतामत मय -लला 15108 क तापय म दया गया ह

तवध णपातन परनन सवया उपदयित त ान ाननतवदशनः

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 5: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

भमका 6

अयाय 1 लखबध सबत 8 11 नयित टप वलषण 8 12 ऋिवक क अधकत नयित 11 13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण 16 14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 पआदश क साी) 17

2 दाशनक माण 18 21 दा क परभाषा 18 22 दा ग कौन बन सकता ह 19

221 दा ग क योयता 19 222 दा ग क ाधकरण 21 231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह 22 232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह 25 233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह 25 234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo 27

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग 29

अयाय 3 यतम का शािक अययन 31 31 यितम क कारण 31 32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी 33 33 परितथ को कस सधारा जाए 36 34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर 37

नकष 39 उराधकार प 42

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980 44

भमका

कणकपामत ए सी भितवदात वामी भपाद एक वातवक सशत आचाय होन क कारण कणभावनामत को इसक वशध प म चारत करन म अपन पवती आचाय क त नठावान रह और इस कार चार को अवतीय तर पर ल गए I ी चतय महाभ क 500 साल पहल क भवयवाणी ldquoकण का पव नाम हर शहर और गाव म गाया जायगाrdquo ील भपाद जी क अकल ह यास वारा साधत क गई I उन होन कछ नया आवकार नह कया था जसा क ील भपाद कहा करत थ ldquoउलट-फर मतलब धतताrdquo फर भी भगवान चतय क आदोलन को आग बढ़ान क लए यह उनक सफ आयािमक वशटता थी क उहन वतमान समय और परिथत क अनप कई तरह क दय तकनीक यवथाय क हम कभी भी इस तरह क ढ़-वध उपाय को परपरा क नकष स पथट नह समझना चाहए ऐसी ह एक यवथा थी तदन 16 माला का जप क ता जबक शआत म यह 64 थी दसर यवथा ह दा क आयोजन क लए ऋिवक-णाल

दा मानव जीवन का सबस महवपण सकार ह जो क एक माणक आयािमक ग क मागदशन म आयािमक जीवन क औपचारक शआत को इगत करती ह

माड मत कोन भायवान जीव ग -कण -साद पाय भित -लता -बीज

ldquoअपन-अपन कम क अनसार समत जीवामाय समच वव म मण कर रह ह लाख भटकती जीवामाओ म स जो अयत भायशाल ह उसको कण क कपा स एक माणक आयािमक ग क सग का अवसर ात होता ह Irdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 19151

ययप ग क सधात या आयािमक ग एक ह तथाप गओ को तकनीक प स चार भाग म बाटा गया ह य सभी कण क चरणारवद क शरण ात करन क लए बध आमा क सहायता करत ह

1 वमा-दशक ग - आयािमक ग जो सबस पहल आयािमक जीवन क बार म जानकार दत ह

2 दा ग - आयािमक ग जो शा क नयम क अनसार दा दत ह व दा ग कहलात ह व चय ग क बाय अभयित भी मान जात ह एक यित का कवल एक ह दा ग हो सकता ह

3 शा ग - आयािमक ग जो दा ग क नदश क आधार पर उथान क लए

नदश दत ह शा ग कहलात ह (दा ग बहत स हो सकत ह)

4 चय ग - परम आयािमक ग परमामा जो भीतर स दशा दखात ह

चय ग एक परमामा ह पण पषोम भगवान क वतार 3 कार क गओ म स शा ग और वमा-दशक ग दा ग क आदश पर नठा स कणभावनामत क चार क कतय क पालना करत ह व वय शध भत हो भी सकत ह या नह भी हो सकत दा ग क पद क आवयकता अयत िजमदारना होती ह जस क ग को भगवान कण का शध भत होना चाहए और दा ग बनन क लए अपन आयािमक ग वारा सशत होना चाहए I

ील भपाद न यहा तक क अपन भौतक थान क उपरात दा क एक णाल थापत क िजसक तहत उनक तनध ऋिवक (या पजार) उनक और स दा दग और इस कार आदोलन आग बढ़ता रहगा

परत आज इकोन म ऋिवक शद असहनीय ह उहन इस शद को पर तरह स नकार रखा ह जो भी अपन को ऋिवक मानता ह वह एक सबस बड़ा अपराधी माना जाता ह फर भी जब भवय म दा क बार म पछा गया था तब यह शद हमार परम धय ील भपाद वारा इतमाल कया गया था वशष प स जब व हमार साथ नह रहग

1 सतवप अब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग I हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी 2 ील भपाद हा I म तम म स कछ क शफारश कगा इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा 3 तमाल कण या इस ऋिवक-आचाय कहत ह 4 ील भपाद ऋिवक हा

- ील भपाद क साथ क म वातालाप

वदावन मई 28 1977

दा क यह ऋिवक णाल कछ असतट भत क कोई मनगढ़त कहानी नह ह अपत हम सब क लाभ क लए अयत कपापवक ील भपाद वारा हम द गयी एक अधकत पधत ह

अयाय 1 लखबध सबत इकोन क सार बध सबधी वचार-वषय क लए ील भपाद न शासकय दतावज ज़ार कय जो क उनक इराद को पट करत ह

इस खड म हम ील भपाद क उनक भौतक उपितथ क उपरात दा वधान स सबिधत इराद (जो क इकोन क क़ाननी दतावज और अधकत लपबध ऑडयो म मल ह) पर नणायक एव नववादत तय पर ट डालग I

इस खड म हम नन 3 दतावज़ का अयन करग

1 मई 28 1977 वातालाप का लपबध ऑडयो

2 9 जलाई 1977 प आदश

3 ील भपाद क वसीयत क घोषणा (जन 5 1977)

11 नयित टप वलषण

हम इस सीध न स श करग जो क ील भपाद स 28 मई 1977 म पछा गया था इस रकॉडड वातालाप को इकोन क अनधकत ग ldquoनयित टप rdquo क नाम स सबोधत करत ह जो क यह सकत करती ह क ील भपाद न अपन उराधकारय को इस वातालाप म ग क प म नयत कया आइय हम इस पर ट डालत ह

क म वातालाप - वदावन 28 मई 1977

1 सतवप ldquoअब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग I हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी rdquo

2 ील भपाद ldquoहा I म तम म स कछ क शफारश कगा I इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा rdquo

3 तमाल कण ldquoया इस ऋिवक-आचाय कहत ह rdquo 4 ील भपाद ldquoऋिवक हा Irdquo 5 सतवप ldquo(फर) उनका या सबध ह जो दा दता ह और helliprdquo 6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo 7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo 8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग

नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo 10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo 11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक

दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo 13 तमाल कणा ldquoवह उनक शय ह rdquo 14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo 15 सतवपा ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo 16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह

बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

वलषण

उपरोत वातालाप सवथम थोड़ा विमत कर सकता ह आइय अब हम एक बहतर िटकोण ात करन क लए इसका नप वलणामक अययन करत ह एक-एक पित लकर चलत ह

1 सतवप ldquoअब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी rdquo 2 ील भपाद ldquoहा म तम म स कछ क शफारश कगा इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा rdquo 3 तमाल कण ldquoया इस ऋिवक-आचाय कहत ह rdquo 4 ील भपाद ldquoऋिवक हा rdquo

ऊपर दए गए बद सया 1 म न य और पट ह ील भपाद बद सया 2 और 4 म पट प स जवाब दत ह क व यहा ऋिवक का िज कर रह ह हालाक आग चलक वातालाप थोड़ा और ामक हो जाता ह यहा पर ील भपाद सबस पट जवाब दत ह - ऋिवक

दरअसल ऋिवक शद का मतलब या ह ील भपाद क पतक म इस शद क 17 सदभ ह और सदव उनका मतलब एक ह चीज स ह - एक पजार एक पजार कसी क और स समारोह आयोिजत करता ह उसका काय कवल समारोह का आयोजन करना ह आचाय या ग जो क कह यादा योयता और साथ ह साथ उतरदायव रखत ह स वह (ऋिवक) अलग होता ह

एक आचाय क योयता यह ह क उह भगवान कण का एक शध भत होना चाहए और उह शय क अान को नट करन क लए दय ान अवय दना चाहए शय ग क पजा अपन नय वामी क प म करता ह जसा क ील नरोम दास ठाकर क शद म कहा ह ndash च दान दलो यई जम जम भ सई परत एक ऋिवक यह पद धारण नह करता

5 सतवप ldquo(फर) उनका या सबध ह जो दा दता ह और helliprdquo

6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo

बद सया 5 म सतवप ऋिवक और शय क सबध क वषय म पछ रह ह परत उहन अपन न को ठक स तत नह कया उहन दा दन वाल और शय क बीच क सबध को पछा ह यहा यह यान दना महवपण ह क दा दन वाल या ग ील भपाद ह और ऋिवक कवल एक अधकत तनध ह इसलए ील भपाद न बद सया 6 म जवाब दया क दा दन वाल (ील भपाद ) नए शय क ग ह

7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo

8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

बद सया 7 म सतवप वो पट करन क कोशश कर रह ह जो उहन समझा बद सया म ील भपाद न पट कया क जब तक खद क ग भौतक प स उपितथ ह तब तक ग नह बनना चाहए यह शटाचार नह ह परत उसक बाद उहन न तरत कहा क कवल उनक जान क बाद ऋिवक वत ग नह बनत परत उह उनक आदश का इतज़ार करना होगा ldquoमर आदश पर helliprdquo यहा प यह यान दन म समझदार ह क ील भपाद भवय काल क आदश क बात कर रह ह इसका मतलब ह यह टप ldquoअपोइटमट टप rdquo नह कह जा सकती ह यक व कसी को नयत नह अपत भवय क ओर इगत कर रह ह

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo

10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo

11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo

13 तमाल कण ldquoवह उनक शय ह rdquo

१14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo

15 सतवप ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo

16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

बद सया 10 म ऐसा तीत होता ह क ील भपाद को सतवप का बद सया 9 म पछा गया न समझ नह आया अत तमाल कण बद सया 11 म न को पट करत ह दरअसल ील भपाद वारा इस न का जवाब बद सया 12 और 14 म एक साथ दया गया ह इसका मतलब उहन कहा ldquoजो दा द रह ह व उनक शय ह rdquo इसका मतलब यह क व ील भपाद क शय ह यक व समारोह म ऋिवक को अपन

तनध क प म रख कर दा द रह ह परत इस जवाब क अधबीच म तमाल कण ील भपाद जी क शद को बद सया 13 म दोहरात ह इसलए ील भपाद जी क शद अलग दखाई पड़ रह ह

अब बद सया 14 म व पन lsquoपरम शयrsquo शद का उलख कर रह ह बद सया 15 म सतवप एक और शन पछन क कोशश करत ह परत ील भपाद बद सया 14 स चलत हए बद सया 16 म कहत ह क परम शय तभी बन सकता ह जब व अपन शय म स कसी को ग बनन का आदश दग I तब व पट करत ह क व नयमत ग बनन क लय उनक आदश क तीा कर अत इस वातालाप क समय आदश कह नह ह अतएव यह वातव म तथा -कथत बहचत ldquoनयित टप rdquo नह ह

12 ऋिवक क अधकत नयित एक अपट वातालाप (मई 28 1977) क आधार पर ील भपाद न इकोन क भवय को हवा म लटकत हए नह छोड़ा वातव म ील भपाद न अपन इराद को पट करन क लए इस मामल को वव क सार मदर म लखत नदश क प म जार कया अब हम इस नदश पर अछ तरह स नज़र डालत ह जो क सबत का अगला भाग ह - जलाई 9 1977 का एक प

असल प क तवीर नच द गई ह इसको पढ़ना थोड़ा मशकल ह इसलए हमन इस तवीर क बाद इस प का पण अनवाद दया ह परत अब हम आपका यान ील भपाद और तमाल कणा गोवामी (ील भपाद जी क यितगत सचव ) क हतार क तरफ़ लाना चाहग जो क इस दतावज़ क तवीर क अत म ह दो हतार क साथ यह एक क़ाननी दतावज़ ह बना कसी न क सार इकोन को इस आदश क पालन करना पड़गी

नीच दए गए प का आप पण और पट अनवाद दखग िजस आप आसानी स और पट प स इसक वषय वत को पढ़ सक

---------------------------------------------------------------------

जलाई 91977 का प

जलाई 7 1977

समत जीबीसी ऐव टपल िज़डट क लए

महाराज एव भगण

आपक चरण म मरा दडवत णाम वीकार हाल ह म जीबीसी ी ीमद क साथ वदावन म थ तब ील भपाद न सचत कया था क जद ह व पहल दा (हर नाम) और दसर दा (गायी) दन क लए अपन वरठ शय म स कछ को रिवक आचाय क तनधव क प म काय करन क लए मनोनीत करग अब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयत िथत म काय करग

ीपाद कतानानद वामी

ीपाद सतवप दास गोवामी

ीपाद जयपताका वामी

ीपाद तमाल कण गोवामी

ीपाद दयनद गोवामी

ीपाद भावनद गोवामी

ीपाद हसदता वामी

ीपाद रामवर वामी

ीपाद हरकश वामी

ीमान भगवान दास अधकार

ीमान जयतीथ दास अधकार

पव म कसी भत क सफ़ारश करन क लए टपल िज़डट ील भपाद को प लखत थ अब चक ील भपाद न इन तनधय को मनोनीत कर दया ह अतः इस समय स टपल िज़डट पहल और दसर दा क लए अपन सफ़ारश प इन तनधयो म स नकटम तनध को भज सफ़ारश को परखन क पचात य तनध उस भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर उस आयािमक नाम द सकत ह या दसर

दा क लए यपवीत पर गायी जाप कर सकत ह ठक उससी तरह िजस तरह ील भपाद कया करत थ नए दत भत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह और य याहरा भत उनक तनध ह इन तनधयो क प वारा भज गए आयािमक नाम और यपवीत मलन क उपरात टपल िज़डट अपन मदर म उसी कार य कर सकत ह िजस कार हआ करत थ जो तनध नए दत शय को ील भपाद क ओर स वीकार करग उह इन नए दत शय क नाम ील भपाद क lsquoइनशीएटड डसायपलसrsquo (दत शय) नामक आपक सकशलता क कामना करत हए आपक सकशलता क कामना करत हए आपका सवक (मल दतावज़ पर ील भपाद क हतार अकत ह ) तमाल कण गोवामी सचव - ील भपाद

जलाई 9 1977 प का वलषण

1 यहा यह पणतया पट हो जाता ह यह ील भपाद क बध करन क शल रह ह हर महवपण नदश लख जात ह और उह दनया क सभी मदरो क लए जार कया जाता ह न क कसी ामक बढग तरक़ स कसी नजी कमर म बातचीत क वारा

2 कपया यान द क उपरोत प क पहल परा म तमाल कण गोवामी हाल म हई मीटगक बार म िज कर रह ह जो क वदावन म सभी जी बी सी क सदय और ील भपाद क साथ दा क या को पट करन क लए थी 28 मई 1977 क वातालाप का यह सीधा सार ह अत यद आप उस वातालाप को पढ़न क बाद याकल महसस करत ह या वलषण क जानन क उपरात भी कसी तरह पट नह ह तो यहा इसका शध प ह यह प सीधा उसी वातालाप क और इशारा करता ह

3 इसक अलावा यह यान दना महवपण ह क 28 मई का वातालाप कस श हआ उन शद को याद किजय ldquoख़ासकर जब आप हमार साथ नह रहग rdquo अत य शद निचत प स ील भपाद क जान क बाद क समय क और इशारा करत ह हम यह परा प इसी सदभ म पढ़ना चाहए

4 प क शआत इस तरह स होती ह क ील भपाद ऋिवक (बगाल म इसका उचारण ऋिवक ह ) आचाय का तनध नयत करग उहन पटतया कसी को भी ग नयत नह कया ील भपाद इसस पट नह हो सकत थ

5 आग व पट करत ह क 11 नाम िजनक घोषणा क जानी ह व ऋिवक क तरह काय करग ndash पन दोहरात ह क व ग क प म नयत नह कय जा रह ह

6 अगल बड़ी बात 11 नाम क घोषणा क बाद आती ह शद lsquoहफोवड rsquo तत श होन वाल बद परत असीमत अितम बद क तरफ या कम स कम दसर आदश क तरफ जो क इस आदश को नह हटा द इगत करता ह I और तय यह ह क ील भपाद न इसक बाद ऐसा कोई भी आदश जार नह कया क व 11 यित उनक (ील

भपाद) क तरोधान क उपरात वत ह ग बन जायग I इसक अतरत इस शद को 28 मई 1977 क वातालाप क मल शन क सदभ म समझा जाना चाहए िजसम सतवप दास गोवामी न कहा था ldquoवशष प स जब आप हमार साथ नह रहग rdquo

7 फर यह कहा जाता ह क दा क लए सफ़ारश मदर क अय वारा भजी जानी चाहए ldquoजो भी इन 11 तनधय म स मदर क नकट हग Irdquo lsquoनकटrsquo शद का तापय सवधा स ह न क एक पव ग शय सबध स जो ववास क एक गहर भावना पर आधारत ह तमाल कण गोवामी 1980 म दए गए ख़द अपन बयान (अनबध ख ) म इस इस कार बहतर समझात ह ldquoयह एक बहत महवपण बद ह यक जब दा दन क बात आती ह ऐसा नह ह क जो कोई भी नज़दक हो जबक ऐसा ह क जहा भी आपका दय जाए िजस पर आपका ववास हो आप उसस ह दा ल जब यह तनध हो तब जो कोई भी नकट हो और इस बात पर व बहत पट थ उहन इनका नाम दया था व दनया भर म फल गए थ और उहन कहा ldquoजो भी आपक नकट हो आप उसक पास जाए और वह आपको परखग फर व मर ओर स आपको दा दग rdquo

8 अब प क अगल परा म हम नमनलखत वायाश को दखग जो क बना कसी सदह क ील भपाद क आचाय(ील भपाद) क ऋिवक तनध को नयत करन क और इकोन क दा ग क प म उनक नववादत िथत क इछा को इगत करत ह

क ldquohellip य तनध भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर सकत हrdquo

ख ldquoनए दत भत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह rdquo

ग ldquoनए दत शय का नाम ील भपाद को उस तनध वारा भजा जाना चाहए िजसन उस वीकार कया ह rdquo घ rdquo ील भपाद क lsquoदत शय rsquo कताब म शामल कया जायगा ldquo 9 जस क हम दख सकत ह एक ह बद 4 बार दोहराया गया था वदावन म सतबर 10 1975 को ीमद भागवतम 627 क एक वचन म ील भपाद जी न कहा था ldquoशा हम 3 बार याद दलात ह िजस कार स हम कसी चीज़ पर जोर डालत ह ldquoयह करो ldquoयह करो यह करो तीन बार I अत इसलए तीन बार कहा गया ह हरनाम हरनाम हरनाम ताक वह भल न जाय वह कसी मायवाद वारा मत नह हो जाय क कोई भी नाम hellip नह हरनाम तीन बार हरनाम हरनाम हरनामव (चतय-चरतामत आद - लला 1721) फर स एव और फर स ३ बार कलौ नायव नायव नायव गतरयथा आप इस या स वचलत नह हो सकत दसरा कोई वकप या नह ह आप यह नह कह सकत क ldquoम इस या स या उस या स मत हो जाउगाrdquo नह अगर तीन बार कछ दोहराना महवपण माना जाता ह तो फर 4 बार क बार म या 10 कोई पछ सकता ह क इन 11 लोग क जान क बाद या कसी भी कारण स पतन हो जान पर या होगा क यारह तनधय क सच स पहल एक वाय म लखा ह ldquoअब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयरत िथत म काय करगrdquo ldquoअब तकrdquo शद इगत करता ह क नणायक सच बनन का कोई इरादा नह ह और ठक इसी बात क नच दए गए lsquoखrsquo बद म पिट होती ह I

ख ील भपाद जी को उधरत करत हए तमाल कण गोवामी न 1980 म दय अपन बयान म यह कहा क ldquoअगर आवयकता हो तो दसर को जोड़ा जा सकता ह rdquo यह दखान क लए क ील भपाद न दा क रिवक णाल क थापना क ह और भवय क सभी शय इस आदोलन म उनक शय ह यह प नदश ठोस सबत ह

13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण

आग क सबत ील भपाद क वसीयत स आत ह यहा दखान क लए वसीयत काफ़ बड़ी ह अत हम कवल उह बदओ पर ग़ौर करग जो ील भपाद क इकोन क आयािमक ग (दा ग ) होन क अवथा पर काश डालत ह ील भपाद क पर वसीयत को दखन क लए कपया परशट क दख

1 पर अतराय कणभावनामत सघ क मौलक बधाधकार कवल गवनग बॉडी कमशन (जी बी सी ) ह हग

अ अब मान लिजए एक मदर म ीमान lsquoकrsquo मदर क अय ह ीमान lsquoखrsquo िजस श म मदर ह उस क जी बी सी तनध ह और ीमान lsquoगrsquo मदर क अय क ग ह अब ीमान lsquoकrsquo ीमान lsquoगrsquo का नठावान शय बनना चाहगा और यद जीबीसी क तनध ीमान lsquoखrsquo क आदश उसक ग ीमान lsquoगrsquo क आदश स मल नह खात तब वह अपन ग ीमान lsquoगrsquo त नटावान रहन क वकप को चनगा न ह ीमान lsquoखrsquo क त परत यह ील भपाद क अवा का घठनकरता ह यक ील भपाद क अनसार जी बी सी को ह मौलक बध अधकार रहना ह अय कोई नह

ख ऊपर दय गए वचार स पता चलता ह क इस तरह क ववादापद ितथ म वतमान ग णाल का अनसरण करन स एक दसर क ग को या ील भपाद को अपमानत करन क लए बाय होना पड़गा परत दा क ऋिवक णाल का पालन करन स ऐसा कोई वरोधाभास नह होगा

2 हर मिदर इकोन क सप होगी और तीन कायकार नदशक वारा बधत क जाएगी बधन क यवथा अभी क तरह जार रहगी और कसी भी परवतन क आवयकता नह ह

क इस य म ग को लान स बध क यवथा म परवतन होगा जो ील भपाद क आदश क वध ह

ख इस अनधकत परवतन क कारण इकोन क इतहास न बार बार दखाया ह क वहा कई बधकय समयाओ हई यक ग जो उम ग स कम ह व अपन शय पर अपना भाव जतान क कोशश करत ह जबक मदर क बध का उन पर कोई नयण नह रहा इस तरह मदर बधन को इस तरह स भार दवाब क तहत रखा गया

ग इसक इलावा इस तरह क बदलाव 1975 म जीबीसी बठक क अनसार जी बी सी क परभाषा क वध ह

ldquoतावत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद न जीबीसी (गवनग बॉडी कमीशन) क थापना अतराय कणभावनामत सघ िजसक व सथापकाचाय और सवपर अधकार ह क सचालन क िजमदार को परा करन म तनधव करन क लए क ह I जीबीसी उनक नदश को अपना जीवन और आमा वीकार करती ह और मानती ह क हर तरह स यह उनक कपा पर आत ह कणकपामत क वारा कपा करक दए गए आदश क पालना करन और उनक शाओ को शध प म वव म सरत करक और सारत करन क आलावा जीबीसी का कोई अय काय या उदय नह ह rdquo

-जीबीसी क परभाषा ताव 1 जीबीसी ववरण 1975

3 वासीयत क बद 3 म भारत म तक इकोन क सप 3 कायकार नदशक को सपी गयी थी और सप क नाम और उनक कायकार नदशक क नाम दय गए थ तब ील भपाद यह कहत ह यह कायकार नदशक जो नामत कए गए ह वह जीवन क लए नयत कए गए ह मय क िथत म या असफलता म कसी भी कारण स काय करन क लए कसी भी दए गए नदशको म स एक उतराधकार नदशक या नदशको को एक नदशको वारा नयत कया जा सकता ह बशत नए नदशक मर दा दए गए शय ह जो सती स इकोन क सभी नयम और वनयम का पालन करत ह जस मर कताब म वतत जानकार द ह और कभी भी तीन (3) स काम या पाच (5) स यादा कायकार नदशक काय नह कर सकत एक ह समय पर

क सधातक प स कह तो सन 2050 तक ील भपाद क भौतक उपिथत क दोरान जो शय थ व सभी शय गज़र जाएग तब इन सपय का नदशक कौन बनगा कवल यह नतीजा होना चाहए क इस आदोलन क भावी शय ील भपाद क शय हग िजहन ऋिवक णाल वारा दा ल ह जो क ील भपाद न वय थापत क ह

ख जब 2 जन 1977 को गराज वामी वारा ील भपाद क लए वासीयत का ाप पढ़ा जा रहा था ऊपर दए गए बड़ शद थ ldquoएक दत शय rdquo परत नणायक दतावज़ म हम दखत ह क इस बदल कर ldquoमरा दत शय rdquo कर दया गया इसस पता चलता ह क यह ील भपाद वारा एक वचारपवक क़दम था

वसीयत क घोषणा म ील भपाद क इराद जलाई 9 1977 क प आदश और मई 28 1977 क वातालाप स मल खात ह अपन शाररक थान क बाद भी अपनी िथत को इकोन क दा ग क प म बनाए रखन क लए ील भपाद न पट प स दा क ऋिवक णाल क तरफ़ इशारा कया

14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 प आदश क साी )

1 22 अल 1977 को तमाल कण गोवामी को ील भपाद स यह कहना था ldquoठक ह

मन अपन को और आपक सार शय का अययन कर लया ह और यह पट सय ह क हम सब बध आमा ह अत हम ग नह बन सकत Irdquo

२ 3 दसबर 1980 को तमाल कण गोवामी न नन कार वीकार कया ldquoदरअसल ील भपाद न कभी भी कोई ग नयत नह कया [hellip] उहन 11 ऋिवक नयत कय थ उहन कभी भी उनको ग नयत नह कया मन और दसर जी बी सी न पछल तीन साल म इस आदोलन क त बहत त पहचाई ह यक हमन ऋिवक क नयित को ग क नयित म बदल दया ह Irdquo वातव इस पर बयान (परशट ख ) को पढ़ना ठक होगा जहा उहन इस बात पर जोर दया ह क ील भपाद न कभी भी कसी को ग नयत नह कया

2 दाशनक माण अब तक हमन दतावजी माण को क़ाननी दतावज एव अधकत ऑडओ तलखन को दखा ह िजसक सयता हर तरह क सदह स पर ह अब हम ग -तव क सधातो को दाशनक एव शािक िट स समझग क ामाणक ग कौन बन सकता ह कौन नह बन सकता और साथ ह 1977 क बाद इकोन म दा स सबिधत ील भपाद क उपदश क त हमार समझ को सढ़ करग I

21 दा क परभाषा दा दो शद का एक सयोग ह -- lsquoद rsquo और lsquoा rsquo I lsquoद rsquo का तापय ह दय -ानम दय ान और lsquoा rsquo का तापय ह पयत मटा दना या उमलन (पापपण कय) (ीमद भागवतम क 42461 और चतय चरतामत अय लला 362 क एक-एक शद क अनवाद क अनसार ) I इसलए दा का मतलब दय ान का अत-पण और पापपण कय का वनाश ह ननलखत लोक दा शद क इस परभाषा को इगत करता ह

दय ान यतो दायात कयात पापय सडयम तमात दत सा ोता दशकतवकोवद

ldquoदा वह वध ह िजसक वारा दय ान को जागत कया जा सकता ह और पापकम क सार फल का य कया जा सकता ह शा अययन म पारगत यित इस वध को दा क नाम स जनता ह rdquo

- ील जीव गोवामी क भित -सदभ (283) िजसका उधरण चतय चरतामत मय -लला 15108 क तापय म दया गया ह

तवध णपातन परनन सवया उपदयित त ान ाननतवदशनः

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 6: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

भमका

कणकपामत ए सी भितवदात वामी भपाद एक वातवक सशत आचाय होन क कारण कणभावनामत को इसक वशध प म चारत करन म अपन पवती आचाय क त नठावान रह और इस कार चार को अवतीय तर पर ल गए I ी चतय महाभ क 500 साल पहल क भवयवाणी ldquoकण का पव नाम हर शहर और गाव म गाया जायगाrdquo ील भपाद जी क अकल ह यास वारा साधत क गई I उन होन कछ नया आवकार नह कया था जसा क ील भपाद कहा करत थ ldquoउलट-फर मतलब धतताrdquo फर भी भगवान चतय क आदोलन को आग बढ़ान क लए यह उनक सफ आयािमक वशटता थी क उहन वतमान समय और परिथत क अनप कई तरह क दय तकनीक यवथाय क हम कभी भी इस तरह क ढ़-वध उपाय को परपरा क नकष स पथट नह समझना चाहए ऐसी ह एक यवथा थी तदन 16 माला का जप क ता जबक शआत म यह 64 थी दसर यवथा ह दा क आयोजन क लए ऋिवक-णाल

दा मानव जीवन का सबस महवपण सकार ह जो क एक माणक आयािमक ग क मागदशन म आयािमक जीवन क औपचारक शआत को इगत करती ह

माड मत कोन भायवान जीव ग -कण -साद पाय भित -लता -बीज

ldquoअपन-अपन कम क अनसार समत जीवामाय समच वव म मण कर रह ह लाख भटकती जीवामाओ म स जो अयत भायशाल ह उसको कण क कपा स एक माणक आयािमक ग क सग का अवसर ात होता ह Irdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 19151

ययप ग क सधात या आयािमक ग एक ह तथाप गओ को तकनीक प स चार भाग म बाटा गया ह य सभी कण क चरणारवद क शरण ात करन क लए बध आमा क सहायता करत ह

1 वमा-दशक ग - आयािमक ग जो सबस पहल आयािमक जीवन क बार म जानकार दत ह

2 दा ग - आयािमक ग जो शा क नयम क अनसार दा दत ह व दा ग कहलात ह व चय ग क बाय अभयित भी मान जात ह एक यित का कवल एक ह दा ग हो सकता ह

3 शा ग - आयािमक ग जो दा ग क नदश क आधार पर उथान क लए

नदश दत ह शा ग कहलात ह (दा ग बहत स हो सकत ह)

4 चय ग - परम आयािमक ग परमामा जो भीतर स दशा दखात ह

चय ग एक परमामा ह पण पषोम भगवान क वतार 3 कार क गओ म स शा ग और वमा-दशक ग दा ग क आदश पर नठा स कणभावनामत क चार क कतय क पालना करत ह व वय शध भत हो भी सकत ह या नह भी हो सकत दा ग क पद क आवयकता अयत िजमदारना होती ह जस क ग को भगवान कण का शध भत होना चाहए और दा ग बनन क लए अपन आयािमक ग वारा सशत होना चाहए I

ील भपाद न यहा तक क अपन भौतक थान क उपरात दा क एक णाल थापत क िजसक तहत उनक तनध ऋिवक (या पजार) उनक और स दा दग और इस कार आदोलन आग बढ़ता रहगा

परत आज इकोन म ऋिवक शद असहनीय ह उहन इस शद को पर तरह स नकार रखा ह जो भी अपन को ऋिवक मानता ह वह एक सबस बड़ा अपराधी माना जाता ह फर भी जब भवय म दा क बार म पछा गया था तब यह शद हमार परम धय ील भपाद वारा इतमाल कया गया था वशष प स जब व हमार साथ नह रहग

1 सतवप अब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग I हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी 2 ील भपाद हा I म तम म स कछ क शफारश कगा इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा 3 तमाल कण या इस ऋिवक-आचाय कहत ह 4 ील भपाद ऋिवक हा

- ील भपाद क साथ क म वातालाप

वदावन मई 28 1977

दा क यह ऋिवक णाल कछ असतट भत क कोई मनगढ़त कहानी नह ह अपत हम सब क लाभ क लए अयत कपापवक ील भपाद वारा हम द गयी एक अधकत पधत ह

अयाय 1 लखबध सबत इकोन क सार बध सबधी वचार-वषय क लए ील भपाद न शासकय दतावज ज़ार कय जो क उनक इराद को पट करत ह

इस खड म हम ील भपाद क उनक भौतक उपितथ क उपरात दा वधान स सबिधत इराद (जो क इकोन क क़ाननी दतावज और अधकत लपबध ऑडयो म मल ह) पर नणायक एव नववादत तय पर ट डालग I

इस खड म हम नन 3 दतावज़ का अयन करग

1 मई 28 1977 वातालाप का लपबध ऑडयो

2 9 जलाई 1977 प आदश

3 ील भपाद क वसीयत क घोषणा (जन 5 1977)

11 नयित टप वलषण

हम इस सीध न स श करग जो क ील भपाद स 28 मई 1977 म पछा गया था इस रकॉडड वातालाप को इकोन क अनधकत ग ldquoनयित टप rdquo क नाम स सबोधत करत ह जो क यह सकत करती ह क ील भपाद न अपन उराधकारय को इस वातालाप म ग क प म नयत कया आइय हम इस पर ट डालत ह

क म वातालाप - वदावन 28 मई 1977

1 सतवप ldquoअब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग I हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी rdquo

2 ील भपाद ldquoहा I म तम म स कछ क शफारश कगा I इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा rdquo

3 तमाल कण ldquoया इस ऋिवक-आचाय कहत ह rdquo 4 ील भपाद ldquoऋिवक हा Irdquo 5 सतवप ldquo(फर) उनका या सबध ह जो दा दता ह और helliprdquo 6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo 7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo 8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग

नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo 10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo 11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक

दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo 13 तमाल कणा ldquoवह उनक शय ह rdquo 14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo 15 सतवपा ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo 16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह

बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

वलषण

उपरोत वातालाप सवथम थोड़ा विमत कर सकता ह आइय अब हम एक बहतर िटकोण ात करन क लए इसका नप वलणामक अययन करत ह एक-एक पित लकर चलत ह

1 सतवप ldquoअब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी rdquo 2 ील भपाद ldquoहा म तम म स कछ क शफारश कगा इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा rdquo 3 तमाल कण ldquoया इस ऋिवक-आचाय कहत ह rdquo 4 ील भपाद ldquoऋिवक हा rdquo

ऊपर दए गए बद सया 1 म न य और पट ह ील भपाद बद सया 2 और 4 म पट प स जवाब दत ह क व यहा ऋिवक का िज कर रह ह हालाक आग चलक वातालाप थोड़ा और ामक हो जाता ह यहा पर ील भपाद सबस पट जवाब दत ह - ऋिवक

दरअसल ऋिवक शद का मतलब या ह ील भपाद क पतक म इस शद क 17 सदभ ह और सदव उनका मतलब एक ह चीज स ह - एक पजार एक पजार कसी क और स समारोह आयोिजत करता ह उसका काय कवल समारोह का आयोजन करना ह आचाय या ग जो क कह यादा योयता और साथ ह साथ उतरदायव रखत ह स वह (ऋिवक) अलग होता ह

एक आचाय क योयता यह ह क उह भगवान कण का एक शध भत होना चाहए और उह शय क अान को नट करन क लए दय ान अवय दना चाहए शय ग क पजा अपन नय वामी क प म करता ह जसा क ील नरोम दास ठाकर क शद म कहा ह ndash च दान दलो यई जम जम भ सई परत एक ऋिवक यह पद धारण नह करता

5 सतवप ldquo(फर) उनका या सबध ह जो दा दता ह और helliprdquo

6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo

बद सया 5 म सतवप ऋिवक और शय क सबध क वषय म पछ रह ह परत उहन अपन न को ठक स तत नह कया उहन दा दन वाल और शय क बीच क सबध को पछा ह यहा यह यान दना महवपण ह क दा दन वाल या ग ील भपाद ह और ऋिवक कवल एक अधकत तनध ह इसलए ील भपाद न बद सया 6 म जवाब दया क दा दन वाल (ील भपाद ) नए शय क ग ह

7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo

8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

बद सया 7 म सतवप वो पट करन क कोशश कर रह ह जो उहन समझा बद सया म ील भपाद न पट कया क जब तक खद क ग भौतक प स उपितथ ह तब तक ग नह बनना चाहए यह शटाचार नह ह परत उसक बाद उहन न तरत कहा क कवल उनक जान क बाद ऋिवक वत ग नह बनत परत उह उनक आदश का इतज़ार करना होगा ldquoमर आदश पर helliprdquo यहा प यह यान दन म समझदार ह क ील भपाद भवय काल क आदश क बात कर रह ह इसका मतलब ह यह टप ldquoअपोइटमट टप rdquo नह कह जा सकती ह यक व कसी को नयत नह अपत भवय क ओर इगत कर रह ह

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo

10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo

11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo

13 तमाल कण ldquoवह उनक शय ह rdquo

१14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo

15 सतवप ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo

16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

बद सया 10 म ऐसा तीत होता ह क ील भपाद को सतवप का बद सया 9 म पछा गया न समझ नह आया अत तमाल कण बद सया 11 म न को पट करत ह दरअसल ील भपाद वारा इस न का जवाब बद सया 12 और 14 म एक साथ दया गया ह इसका मतलब उहन कहा ldquoजो दा द रह ह व उनक शय ह rdquo इसका मतलब यह क व ील भपाद क शय ह यक व समारोह म ऋिवक को अपन

तनध क प म रख कर दा द रह ह परत इस जवाब क अधबीच म तमाल कण ील भपाद जी क शद को बद सया 13 म दोहरात ह इसलए ील भपाद जी क शद अलग दखाई पड़ रह ह

अब बद सया 14 म व पन lsquoपरम शयrsquo शद का उलख कर रह ह बद सया 15 म सतवप एक और शन पछन क कोशश करत ह परत ील भपाद बद सया 14 स चलत हए बद सया 16 म कहत ह क परम शय तभी बन सकता ह जब व अपन शय म स कसी को ग बनन का आदश दग I तब व पट करत ह क व नयमत ग बनन क लय उनक आदश क तीा कर अत इस वातालाप क समय आदश कह नह ह अतएव यह वातव म तथा -कथत बहचत ldquoनयित टप rdquo नह ह

12 ऋिवक क अधकत नयित एक अपट वातालाप (मई 28 1977) क आधार पर ील भपाद न इकोन क भवय को हवा म लटकत हए नह छोड़ा वातव म ील भपाद न अपन इराद को पट करन क लए इस मामल को वव क सार मदर म लखत नदश क प म जार कया अब हम इस नदश पर अछ तरह स नज़र डालत ह जो क सबत का अगला भाग ह - जलाई 9 1977 का एक प

असल प क तवीर नच द गई ह इसको पढ़ना थोड़ा मशकल ह इसलए हमन इस तवीर क बाद इस प का पण अनवाद दया ह परत अब हम आपका यान ील भपाद और तमाल कणा गोवामी (ील भपाद जी क यितगत सचव ) क हतार क तरफ़ लाना चाहग जो क इस दतावज़ क तवीर क अत म ह दो हतार क साथ यह एक क़ाननी दतावज़ ह बना कसी न क सार इकोन को इस आदश क पालन करना पड़गी

नीच दए गए प का आप पण और पट अनवाद दखग िजस आप आसानी स और पट प स इसक वषय वत को पढ़ सक

---------------------------------------------------------------------

जलाई 91977 का प

जलाई 7 1977

समत जीबीसी ऐव टपल िज़डट क लए

महाराज एव भगण

आपक चरण म मरा दडवत णाम वीकार हाल ह म जीबीसी ी ीमद क साथ वदावन म थ तब ील भपाद न सचत कया था क जद ह व पहल दा (हर नाम) और दसर दा (गायी) दन क लए अपन वरठ शय म स कछ को रिवक आचाय क तनधव क प म काय करन क लए मनोनीत करग अब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयत िथत म काय करग

ीपाद कतानानद वामी

ीपाद सतवप दास गोवामी

ीपाद जयपताका वामी

ीपाद तमाल कण गोवामी

ीपाद दयनद गोवामी

ीपाद भावनद गोवामी

ीपाद हसदता वामी

ीपाद रामवर वामी

ीपाद हरकश वामी

ीमान भगवान दास अधकार

ीमान जयतीथ दास अधकार

पव म कसी भत क सफ़ारश करन क लए टपल िज़डट ील भपाद को प लखत थ अब चक ील भपाद न इन तनधय को मनोनीत कर दया ह अतः इस समय स टपल िज़डट पहल और दसर दा क लए अपन सफ़ारश प इन तनधयो म स नकटम तनध को भज सफ़ारश को परखन क पचात य तनध उस भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर उस आयािमक नाम द सकत ह या दसर

दा क लए यपवीत पर गायी जाप कर सकत ह ठक उससी तरह िजस तरह ील भपाद कया करत थ नए दत भत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह और य याहरा भत उनक तनध ह इन तनधयो क प वारा भज गए आयािमक नाम और यपवीत मलन क उपरात टपल िज़डट अपन मदर म उसी कार य कर सकत ह िजस कार हआ करत थ जो तनध नए दत शय को ील भपाद क ओर स वीकार करग उह इन नए दत शय क नाम ील भपाद क lsquoइनशीएटड डसायपलसrsquo (दत शय) नामक आपक सकशलता क कामना करत हए आपक सकशलता क कामना करत हए आपका सवक (मल दतावज़ पर ील भपाद क हतार अकत ह ) तमाल कण गोवामी सचव - ील भपाद

जलाई 9 1977 प का वलषण

1 यहा यह पणतया पट हो जाता ह यह ील भपाद क बध करन क शल रह ह हर महवपण नदश लख जात ह और उह दनया क सभी मदरो क लए जार कया जाता ह न क कसी ामक बढग तरक़ स कसी नजी कमर म बातचीत क वारा

2 कपया यान द क उपरोत प क पहल परा म तमाल कण गोवामी हाल म हई मीटगक बार म िज कर रह ह जो क वदावन म सभी जी बी सी क सदय और ील भपाद क साथ दा क या को पट करन क लए थी 28 मई 1977 क वातालाप का यह सीधा सार ह अत यद आप उस वातालाप को पढ़न क बाद याकल महसस करत ह या वलषण क जानन क उपरात भी कसी तरह पट नह ह तो यहा इसका शध प ह यह प सीधा उसी वातालाप क और इशारा करता ह

3 इसक अलावा यह यान दना महवपण ह क 28 मई का वातालाप कस श हआ उन शद को याद किजय ldquoख़ासकर जब आप हमार साथ नह रहग rdquo अत य शद निचत प स ील भपाद क जान क बाद क समय क और इशारा करत ह हम यह परा प इसी सदभ म पढ़ना चाहए

4 प क शआत इस तरह स होती ह क ील भपाद ऋिवक (बगाल म इसका उचारण ऋिवक ह ) आचाय का तनध नयत करग उहन पटतया कसी को भी ग नयत नह कया ील भपाद इसस पट नह हो सकत थ

5 आग व पट करत ह क 11 नाम िजनक घोषणा क जानी ह व ऋिवक क तरह काय करग ndash पन दोहरात ह क व ग क प म नयत नह कय जा रह ह

6 अगल बड़ी बात 11 नाम क घोषणा क बाद आती ह शद lsquoहफोवड rsquo तत श होन वाल बद परत असीमत अितम बद क तरफ या कम स कम दसर आदश क तरफ जो क इस आदश को नह हटा द इगत करता ह I और तय यह ह क ील भपाद न इसक बाद ऐसा कोई भी आदश जार नह कया क व 11 यित उनक (ील

भपाद) क तरोधान क उपरात वत ह ग बन जायग I इसक अतरत इस शद को 28 मई 1977 क वातालाप क मल शन क सदभ म समझा जाना चाहए िजसम सतवप दास गोवामी न कहा था ldquoवशष प स जब आप हमार साथ नह रहग rdquo

7 फर यह कहा जाता ह क दा क लए सफ़ारश मदर क अय वारा भजी जानी चाहए ldquoजो भी इन 11 तनधय म स मदर क नकट हग Irdquo lsquoनकटrsquo शद का तापय सवधा स ह न क एक पव ग शय सबध स जो ववास क एक गहर भावना पर आधारत ह तमाल कण गोवामी 1980 म दए गए ख़द अपन बयान (अनबध ख ) म इस इस कार बहतर समझात ह ldquoयह एक बहत महवपण बद ह यक जब दा दन क बात आती ह ऐसा नह ह क जो कोई भी नज़दक हो जबक ऐसा ह क जहा भी आपका दय जाए िजस पर आपका ववास हो आप उसस ह दा ल जब यह तनध हो तब जो कोई भी नकट हो और इस बात पर व बहत पट थ उहन इनका नाम दया था व दनया भर म फल गए थ और उहन कहा ldquoजो भी आपक नकट हो आप उसक पास जाए और वह आपको परखग फर व मर ओर स आपको दा दग rdquo

8 अब प क अगल परा म हम नमनलखत वायाश को दखग जो क बना कसी सदह क ील भपाद क आचाय(ील भपाद) क ऋिवक तनध को नयत करन क और इकोन क दा ग क प म उनक नववादत िथत क इछा को इगत करत ह

क ldquohellip य तनध भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर सकत हrdquo

ख ldquoनए दत भत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह rdquo

ग ldquoनए दत शय का नाम ील भपाद को उस तनध वारा भजा जाना चाहए िजसन उस वीकार कया ह rdquo घ rdquo ील भपाद क lsquoदत शय rsquo कताब म शामल कया जायगा ldquo 9 जस क हम दख सकत ह एक ह बद 4 बार दोहराया गया था वदावन म सतबर 10 1975 को ीमद भागवतम 627 क एक वचन म ील भपाद जी न कहा था ldquoशा हम 3 बार याद दलात ह िजस कार स हम कसी चीज़ पर जोर डालत ह ldquoयह करो ldquoयह करो यह करो तीन बार I अत इसलए तीन बार कहा गया ह हरनाम हरनाम हरनाम ताक वह भल न जाय वह कसी मायवाद वारा मत नह हो जाय क कोई भी नाम hellip नह हरनाम तीन बार हरनाम हरनाम हरनामव (चतय-चरतामत आद - लला 1721) फर स एव और फर स ३ बार कलौ नायव नायव नायव गतरयथा आप इस या स वचलत नह हो सकत दसरा कोई वकप या नह ह आप यह नह कह सकत क ldquoम इस या स या उस या स मत हो जाउगाrdquo नह अगर तीन बार कछ दोहराना महवपण माना जाता ह तो फर 4 बार क बार म या 10 कोई पछ सकता ह क इन 11 लोग क जान क बाद या कसी भी कारण स पतन हो जान पर या होगा क यारह तनधय क सच स पहल एक वाय म लखा ह ldquoअब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयरत िथत म काय करगrdquo ldquoअब तकrdquo शद इगत करता ह क नणायक सच बनन का कोई इरादा नह ह और ठक इसी बात क नच दए गए lsquoखrsquo बद म पिट होती ह I

ख ील भपाद जी को उधरत करत हए तमाल कण गोवामी न 1980 म दय अपन बयान म यह कहा क ldquoअगर आवयकता हो तो दसर को जोड़ा जा सकता ह rdquo यह दखान क लए क ील भपाद न दा क रिवक णाल क थापना क ह और भवय क सभी शय इस आदोलन म उनक शय ह यह प नदश ठोस सबत ह

13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण

आग क सबत ील भपाद क वसीयत स आत ह यहा दखान क लए वसीयत काफ़ बड़ी ह अत हम कवल उह बदओ पर ग़ौर करग जो ील भपाद क इकोन क आयािमक ग (दा ग ) होन क अवथा पर काश डालत ह ील भपाद क पर वसीयत को दखन क लए कपया परशट क दख

1 पर अतराय कणभावनामत सघ क मौलक बधाधकार कवल गवनग बॉडी कमशन (जी बी सी ) ह हग

अ अब मान लिजए एक मदर म ीमान lsquoकrsquo मदर क अय ह ीमान lsquoखrsquo िजस श म मदर ह उस क जी बी सी तनध ह और ीमान lsquoगrsquo मदर क अय क ग ह अब ीमान lsquoकrsquo ीमान lsquoगrsquo का नठावान शय बनना चाहगा और यद जीबीसी क तनध ीमान lsquoखrsquo क आदश उसक ग ीमान lsquoगrsquo क आदश स मल नह खात तब वह अपन ग ीमान lsquoगrsquo त नटावान रहन क वकप को चनगा न ह ीमान lsquoखrsquo क त परत यह ील भपाद क अवा का घठनकरता ह यक ील भपाद क अनसार जी बी सी को ह मौलक बध अधकार रहना ह अय कोई नह

ख ऊपर दय गए वचार स पता चलता ह क इस तरह क ववादापद ितथ म वतमान ग णाल का अनसरण करन स एक दसर क ग को या ील भपाद को अपमानत करन क लए बाय होना पड़गा परत दा क ऋिवक णाल का पालन करन स ऐसा कोई वरोधाभास नह होगा

2 हर मिदर इकोन क सप होगी और तीन कायकार नदशक वारा बधत क जाएगी बधन क यवथा अभी क तरह जार रहगी और कसी भी परवतन क आवयकता नह ह

क इस य म ग को लान स बध क यवथा म परवतन होगा जो ील भपाद क आदश क वध ह

ख इस अनधकत परवतन क कारण इकोन क इतहास न बार बार दखाया ह क वहा कई बधकय समयाओ हई यक ग जो उम ग स कम ह व अपन शय पर अपना भाव जतान क कोशश करत ह जबक मदर क बध का उन पर कोई नयण नह रहा इस तरह मदर बधन को इस तरह स भार दवाब क तहत रखा गया

ग इसक इलावा इस तरह क बदलाव 1975 म जीबीसी बठक क अनसार जी बी सी क परभाषा क वध ह

ldquoतावत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद न जीबीसी (गवनग बॉडी कमीशन) क थापना अतराय कणभावनामत सघ िजसक व सथापकाचाय और सवपर अधकार ह क सचालन क िजमदार को परा करन म तनधव करन क लए क ह I जीबीसी उनक नदश को अपना जीवन और आमा वीकार करती ह और मानती ह क हर तरह स यह उनक कपा पर आत ह कणकपामत क वारा कपा करक दए गए आदश क पालना करन और उनक शाओ को शध प म वव म सरत करक और सारत करन क आलावा जीबीसी का कोई अय काय या उदय नह ह rdquo

-जीबीसी क परभाषा ताव 1 जीबीसी ववरण 1975

3 वासीयत क बद 3 म भारत म तक इकोन क सप 3 कायकार नदशक को सपी गयी थी और सप क नाम और उनक कायकार नदशक क नाम दय गए थ तब ील भपाद यह कहत ह यह कायकार नदशक जो नामत कए गए ह वह जीवन क लए नयत कए गए ह मय क िथत म या असफलता म कसी भी कारण स काय करन क लए कसी भी दए गए नदशको म स एक उतराधकार नदशक या नदशको को एक नदशको वारा नयत कया जा सकता ह बशत नए नदशक मर दा दए गए शय ह जो सती स इकोन क सभी नयम और वनयम का पालन करत ह जस मर कताब म वतत जानकार द ह और कभी भी तीन (3) स काम या पाच (5) स यादा कायकार नदशक काय नह कर सकत एक ह समय पर

क सधातक प स कह तो सन 2050 तक ील भपाद क भौतक उपिथत क दोरान जो शय थ व सभी शय गज़र जाएग तब इन सपय का नदशक कौन बनगा कवल यह नतीजा होना चाहए क इस आदोलन क भावी शय ील भपाद क शय हग िजहन ऋिवक णाल वारा दा ल ह जो क ील भपाद न वय थापत क ह

ख जब 2 जन 1977 को गराज वामी वारा ील भपाद क लए वासीयत का ाप पढ़ा जा रहा था ऊपर दए गए बड़ शद थ ldquoएक दत शय rdquo परत नणायक दतावज़ म हम दखत ह क इस बदल कर ldquoमरा दत शय rdquo कर दया गया इसस पता चलता ह क यह ील भपाद वारा एक वचारपवक क़दम था

वसीयत क घोषणा म ील भपाद क इराद जलाई 9 1977 क प आदश और मई 28 1977 क वातालाप स मल खात ह अपन शाररक थान क बाद भी अपनी िथत को इकोन क दा ग क प म बनाए रखन क लए ील भपाद न पट प स दा क ऋिवक णाल क तरफ़ इशारा कया

14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 प आदश क साी )

1 22 अल 1977 को तमाल कण गोवामी को ील भपाद स यह कहना था ldquoठक ह

मन अपन को और आपक सार शय का अययन कर लया ह और यह पट सय ह क हम सब बध आमा ह अत हम ग नह बन सकत Irdquo

२ 3 दसबर 1980 को तमाल कण गोवामी न नन कार वीकार कया ldquoदरअसल ील भपाद न कभी भी कोई ग नयत नह कया [hellip] उहन 11 ऋिवक नयत कय थ उहन कभी भी उनको ग नयत नह कया मन और दसर जी बी सी न पछल तीन साल म इस आदोलन क त बहत त पहचाई ह यक हमन ऋिवक क नयित को ग क नयित म बदल दया ह Irdquo वातव इस पर बयान (परशट ख ) को पढ़ना ठक होगा जहा उहन इस बात पर जोर दया ह क ील भपाद न कभी भी कसी को ग नयत नह कया

2 दाशनक माण अब तक हमन दतावजी माण को क़ाननी दतावज एव अधकत ऑडओ तलखन को दखा ह िजसक सयता हर तरह क सदह स पर ह अब हम ग -तव क सधातो को दाशनक एव शािक िट स समझग क ामाणक ग कौन बन सकता ह कौन नह बन सकता और साथ ह 1977 क बाद इकोन म दा स सबिधत ील भपाद क उपदश क त हमार समझ को सढ़ करग I

21 दा क परभाषा दा दो शद का एक सयोग ह -- lsquoद rsquo और lsquoा rsquo I lsquoद rsquo का तापय ह दय -ानम दय ान और lsquoा rsquo का तापय ह पयत मटा दना या उमलन (पापपण कय) (ीमद भागवतम क 42461 और चतय चरतामत अय लला 362 क एक-एक शद क अनवाद क अनसार ) I इसलए दा का मतलब दय ान का अत-पण और पापपण कय का वनाश ह ननलखत लोक दा शद क इस परभाषा को इगत करता ह

दय ान यतो दायात कयात पापय सडयम तमात दत सा ोता दशकतवकोवद

ldquoदा वह वध ह िजसक वारा दय ान को जागत कया जा सकता ह और पापकम क सार फल का य कया जा सकता ह शा अययन म पारगत यित इस वध को दा क नाम स जनता ह rdquo

- ील जीव गोवामी क भित -सदभ (283) िजसका उधरण चतय चरतामत मय -लला 15108 क तापय म दया गया ह

तवध णपातन परनन सवया उपदयित त ान ाननतवदशनः

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 7: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

नदश दत ह शा ग कहलात ह (दा ग बहत स हो सकत ह)

4 चय ग - परम आयािमक ग परमामा जो भीतर स दशा दखात ह

चय ग एक परमामा ह पण पषोम भगवान क वतार 3 कार क गओ म स शा ग और वमा-दशक ग दा ग क आदश पर नठा स कणभावनामत क चार क कतय क पालना करत ह व वय शध भत हो भी सकत ह या नह भी हो सकत दा ग क पद क आवयकता अयत िजमदारना होती ह जस क ग को भगवान कण का शध भत होना चाहए और दा ग बनन क लए अपन आयािमक ग वारा सशत होना चाहए I

ील भपाद न यहा तक क अपन भौतक थान क उपरात दा क एक णाल थापत क िजसक तहत उनक तनध ऋिवक (या पजार) उनक और स दा दग और इस कार आदोलन आग बढ़ता रहगा

परत आज इकोन म ऋिवक शद असहनीय ह उहन इस शद को पर तरह स नकार रखा ह जो भी अपन को ऋिवक मानता ह वह एक सबस बड़ा अपराधी माना जाता ह फर भी जब भवय म दा क बार म पछा गया था तब यह शद हमार परम धय ील भपाद वारा इतमाल कया गया था वशष प स जब व हमार साथ नह रहग

1 सतवप अब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग I हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी 2 ील भपाद हा I म तम म स कछ क शफारश कगा इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा 3 तमाल कण या इस ऋिवक-आचाय कहत ह 4 ील भपाद ऋिवक हा

- ील भपाद क साथ क म वातालाप

वदावन मई 28 1977

दा क यह ऋिवक णाल कछ असतट भत क कोई मनगढ़त कहानी नह ह अपत हम सब क लाभ क लए अयत कपापवक ील भपाद वारा हम द गयी एक अधकत पधत ह

अयाय 1 लखबध सबत इकोन क सार बध सबधी वचार-वषय क लए ील भपाद न शासकय दतावज ज़ार कय जो क उनक इराद को पट करत ह

इस खड म हम ील भपाद क उनक भौतक उपितथ क उपरात दा वधान स सबिधत इराद (जो क इकोन क क़ाननी दतावज और अधकत लपबध ऑडयो म मल ह) पर नणायक एव नववादत तय पर ट डालग I

इस खड म हम नन 3 दतावज़ का अयन करग

1 मई 28 1977 वातालाप का लपबध ऑडयो

2 9 जलाई 1977 प आदश

3 ील भपाद क वसीयत क घोषणा (जन 5 1977)

11 नयित टप वलषण

हम इस सीध न स श करग जो क ील भपाद स 28 मई 1977 म पछा गया था इस रकॉडड वातालाप को इकोन क अनधकत ग ldquoनयित टप rdquo क नाम स सबोधत करत ह जो क यह सकत करती ह क ील भपाद न अपन उराधकारय को इस वातालाप म ग क प म नयत कया आइय हम इस पर ट डालत ह

क म वातालाप - वदावन 28 मई 1977

1 सतवप ldquoअब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग I हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी rdquo

2 ील भपाद ldquoहा I म तम म स कछ क शफारश कगा I इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा rdquo

3 तमाल कण ldquoया इस ऋिवक-आचाय कहत ह rdquo 4 ील भपाद ldquoऋिवक हा Irdquo 5 सतवप ldquo(फर) उनका या सबध ह जो दा दता ह और helliprdquo 6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo 7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo 8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग

नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo 10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo 11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक

दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo 13 तमाल कणा ldquoवह उनक शय ह rdquo 14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo 15 सतवपा ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo 16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह

बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

वलषण

उपरोत वातालाप सवथम थोड़ा विमत कर सकता ह आइय अब हम एक बहतर िटकोण ात करन क लए इसका नप वलणामक अययन करत ह एक-एक पित लकर चलत ह

1 सतवप ldquoअब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी rdquo 2 ील भपाद ldquoहा म तम म स कछ क शफारश कगा इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा rdquo 3 तमाल कण ldquoया इस ऋिवक-आचाय कहत ह rdquo 4 ील भपाद ldquoऋिवक हा rdquo

ऊपर दए गए बद सया 1 म न य और पट ह ील भपाद बद सया 2 और 4 म पट प स जवाब दत ह क व यहा ऋिवक का िज कर रह ह हालाक आग चलक वातालाप थोड़ा और ामक हो जाता ह यहा पर ील भपाद सबस पट जवाब दत ह - ऋिवक

दरअसल ऋिवक शद का मतलब या ह ील भपाद क पतक म इस शद क 17 सदभ ह और सदव उनका मतलब एक ह चीज स ह - एक पजार एक पजार कसी क और स समारोह आयोिजत करता ह उसका काय कवल समारोह का आयोजन करना ह आचाय या ग जो क कह यादा योयता और साथ ह साथ उतरदायव रखत ह स वह (ऋिवक) अलग होता ह

एक आचाय क योयता यह ह क उह भगवान कण का एक शध भत होना चाहए और उह शय क अान को नट करन क लए दय ान अवय दना चाहए शय ग क पजा अपन नय वामी क प म करता ह जसा क ील नरोम दास ठाकर क शद म कहा ह ndash च दान दलो यई जम जम भ सई परत एक ऋिवक यह पद धारण नह करता

5 सतवप ldquo(फर) उनका या सबध ह जो दा दता ह और helliprdquo

6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo

बद सया 5 म सतवप ऋिवक और शय क सबध क वषय म पछ रह ह परत उहन अपन न को ठक स तत नह कया उहन दा दन वाल और शय क बीच क सबध को पछा ह यहा यह यान दना महवपण ह क दा दन वाल या ग ील भपाद ह और ऋिवक कवल एक अधकत तनध ह इसलए ील भपाद न बद सया 6 म जवाब दया क दा दन वाल (ील भपाद ) नए शय क ग ह

7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo

8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

बद सया 7 म सतवप वो पट करन क कोशश कर रह ह जो उहन समझा बद सया म ील भपाद न पट कया क जब तक खद क ग भौतक प स उपितथ ह तब तक ग नह बनना चाहए यह शटाचार नह ह परत उसक बाद उहन न तरत कहा क कवल उनक जान क बाद ऋिवक वत ग नह बनत परत उह उनक आदश का इतज़ार करना होगा ldquoमर आदश पर helliprdquo यहा प यह यान दन म समझदार ह क ील भपाद भवय काल क आदश क बात कर रह ह इसका मतलब ह यह टप ldquoअपोइटमट टप rdquo नह कह जा सकती ह यक व कसी को नयत नह अपत भवय क ओर इगत कर रह ह

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo

10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo

11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo

13 तमाल कण ldquoवह उनक शय ह rdquo

१14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo

15 सतवप ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo

16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

बद सया 10 म ऐसा तीत होता ह क ील भपाद को सतवप का बद सया 9 म पछा गया न समझ नह आया अत तमाल कण बद सया 11 म न को पट करत ह दरअसल ील भपाद वारा इस न का जवाब बद सया 12 और 14 म एक साथ दया गया ह इसका मतलब उहन कहा ldquoजो दा द रह ह व उनक शय ह rdquo इसका मतलब यह क व ील भपाद क शय ह यक व समारोह म ऋिवक को अपन

तनध क प म रख कर दा द रह ह परत इस जवाब क अधबीच म तमाल कण ील भपाद जी क शद को बद सया 13 म दोहरात ह इसलए ील भपाद जी क शद अलग दखाई पड़ रह ह

अब बद सया 14 म व पन lsquoपरम शयrsquo शद का उलख कर रह ह बद सया 15 म सतवप एक और शन पछन क कोशश करत ह परत ील भपाद बद सया 14 स चलत हए बद सया 16 म कहत ह क परम शय तभी बन सकता ह जब व अपन शय म स कसी को ग बनन का आदश दग I तब व पट करत ह क व नयमत ग बनन क लय उनक आदश क तीा कर अत इस वातालाप क समय आदश कह नह ह अतएव यह वातव म तथा -कथत बहचत ldquoनयित टप rdquo नह ह

12 ऋिवक क अधकत नयित एक अपट वातालाप (मई 28 1977) क आधार पर ील भपाद न इकोन क भवय को हवा म लटकत हए नह छोड़ा वातव म ील भपाद न अपन इराद को पट करन क लए इस मामल को वव क सार मदर म लखत नदश क प म जार कया अब हम इस नदश पर अछ तरह स नज़र डालत ह जो क सबत का अगला भाग ह - जलाई 9 1977 का एक प

असल प क तवीर नच द गई ह इसको पढ़ना थोड़ा मशकल ह इसलए हमन इस तवीर क बाद इस प का पण अनवाद दया ह परत अब हम आपका यान ील भपाद और तमाल कणा गोवामी (ील भपाद जी क यितगत सचव ) क हतार क तरफ़ लाना चाहग जो क इस दतावज़ क तवीर क अत म ह दो हतार क साथ यह एक क़ाननी दतावज़ ह बना कसी न क सार इकोन को इस आदश क पालन करना पड़गी

नीच दए गए प का आप पण और पट अनवाद दखग िजस आप आसानी स और पट प स इसक वषय वत को पढ़ सक

---------------------------------------------------------------------

जलाई 91977 का प

जलाई 7 1977

समत जीबीसी ऐव टपल िज़डट क लए

महाराज एव भगण

आपक चरण म मरा दडवत णाम वीकार हाल ह म जीबीसी ी ीमद क साथ वदावन म थ तब ील भपाद न सचत कया था क जद ह व पहल दा (हर नाम) और दसर दा (गायी) दन क लए अपन वरठ शय म स कछ को रिवक आचाय क तनधव क प म काय करन क लए मनोनीत करग अब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयत िथत म काय करग

ीपाद कतानानद वामी

ीपाद सतवप दास गोवामी

ीपाद जयपताका वामी

ीपाद तमाल कण गोवामी

ीपाद दयनद गोवामी

ीपाद भावनद गोवामी

ीपाद हसदता वामी

ीपाद रामवर वामी

ीपाद हरकश वामी

ीमान भगवान दास अधकार

ीमान जयतीथ दास अधकार

पव म कसी भत क सफ़ारश करन क लए टपल िज़डट ील भपाद को प लखत थ अब चक ील भपाद न इन तनधय को मनोनीत कर दया ह अतः इस समय स टपल िज़डट पहल और दसर दा क लए अपन सफ़ारश प इन तनधयो म स नकटम तनध को भज सफ़ारश को परखन क पचात य तनध उस भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर उस आयािमक नाम द सकत ह या दसर

दा क लए यपवीत पर गायी जाप कर सकत ह ठक उससी तरह िजस तरह ील भपाद कया करत थ नए दत भत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह और य याहरा भत उनक तनध ह इन तनधयो क प वारा भज गए आयािमक नाम और यपवीत मलन क उपरात टपल िज़डट अपन मदर म उसी कार य कर सकत ह िजस कार हआ करत थ जो तनध नए दत शय को ील भपाद क ओर स वीकार करग उह इन नए दत शय क नाम ील भपाद क lsquoइनशीएटड डसायपलसrsquo (दत शय) नामक आपक सकशलता क कामना करत हए आपक सकशलता क कामना करत हए आपका सवक (मल दतावज़ पर ील भपाद क हतार अकत ह ) तमाल कण गोवामी सचव - ील भपाद

जलाई 9 1977 प का वलषण

1 यहा यह पणतया पट हो जाता ह यह ील भपाद क बध करन क शल रह ह हर महवपण नदश लख जात ह और उह दनया क सभी मदरो क लए जार कया जाता ह न क कसी ामक बढग तरक़ स कसी नजी कमर म बातचीत क वारा

2 कपया यान द क उपरोत प क पहल परा म तमाल कण गोवामी हाल म हई मीटगक बार म िज कर रह ह जो क वदावन म सभी जी बी सी क सदय और ील भपाद क साथ दा क या को पट करन क लए थी 28 मई 1977 क वातालाप का यह सीधा सार ह अत यद आप उस वातालाप को पढ़न क बाद याकल महसस करत ह या वलषण क जानन क उपरात भी कसी तरह पट नह ह तो यहा इसका शध प ह यह प सीधा उसी वातालाप क और इशारा करता ह

3 इसक अलावा यह यान दना महवपण ह क 28 मई का वातालाप कस श हआ उन शद को याद किजय ldquoख़ासकर जब आप हमार साथ नह रहग rdquo अत य शद निचत प स ील भपाद क जान क बाद क समय क और इशारा करत ह हम यह परा प इसी सदभ म पढ़ना चाहए

4 प क शआत इस तरह स होती ह क ील भपाद ऋिवक (बगाल म इसका उचारण ऋिवक ह ) आचाय का तनध नयत करग उहन पटतया कसी को भी ग नयत नह कया ील भपाद इसस पट नह हो सकत थ

5 आग व पट करत ह क 11 नाम िजनक घोषणा क जानी ह व ऋिवक क तरह काय करग ndash पन दोहरात ह क व ग क प म नयत नह कय जा रह ह

6 अगल बड़ी बात 11 नाम क घोषणा क बाद आती ह शद lsquoहफोवड rsquo तत श होन वाल बद परत असीमत अितम बद क तरफ या कम स कम दसर आदश क तरफ जो क इस आदश को नह हटा द इगत करता ह I और तय यह ह क ील भपाद न इसक बाद ऐसा कोई भी आदश जार नह कया क व 11 यित उनक (ील

भपाद) क तरोधान क उपरात वत ह ग बन जायग I इसक अतरत इस शद को 28 मई 1977 क वातालाप क मल शन क सदभ म समझा जाना चाहए िजसम सतवप दास गोवामी न कहा था ldquoवशष प स जब आप हमार साथ नह रहग rdquo

7 फर यह कहा जाता ह क दा क लए सफ़ारश मदर क अय वारा भजी जानी चाहए ldquoजो भी इन 11 तनधय म स मदर क नकट हग Irdquo lsquoनकटrsquo शद का तापय सवधा स ह न क एक पव ग शय सबध स जो ववास क एक गहर भावना पर आधारत ह तमाल कण गोवामी 1980 म दए गए ख़द अपन बयान (अनबध ख ) म इस इस कार बहतर समझात ह ldquoयह एक बहत महवपण बद ह यक जब दा दन क बात आती ह ऐसा नह ह क जो कोई भी नज़दक हो जबक ऐसा ह क जहा भी आपका दय जाए िजस पर आपका ववास हो आप उसस ह दा ल जब यह तनध हो तब जो कोई भी नकट हो और इस बात पर व बहत पट थ उहन इनका नाम दया था व दनया भर म फल गए थ और उहन कहा ldquoजो भी आपक नकट हो आप उसक पास जाए और वह आपको परखग फर व मर ओर स आपको दा दग rdquo

8 अब प क अगल परा म हम नमनलखत वायाश को दखग जो क बना कसी सदह क ील भपाद क आचाय(ील भपाद) क ऋिवक तनध को नयत करन क और इकोन क दा ग क प म उनक नववादत िथत क इछा को इगत करत ह

क ldquohellip य तनध भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर सकत हrdquo

ख ldquoनए दत भत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह rdquo

ग ldquoनए दत शय का नाम ील भपाद को उस तनध वारा भजा जाना चाहए िजसन उस वीकार कया ह rdquo घ rdquo ील भपाद क lsquoदत शय rsquo कताब म शामल कया जायगा ldquo 9 जस क हम दख सकत ह एक ह बद 4 बार दोहराया गया था वदावन म सतबर 10 1975 को ीमद भागवतम 627 क एक वचन म ील भपाद जी न कहा था ldquoशा हम 3 बार याद दलात ह िजस कार स हम कसी चीज़ पर जोर डालत ह ldquoयह करो ldquoयह करो यह करो तीन बार I अत इसलए तीन बार कहा गया ह हरनाम हरनाम हरनाम ताक वह भल न जाय वह कसी मायवाद वारा मत नह हो जाय क कोई भी नाम hellip नह हरनाम तीन बार हरनाम हरनाम हरनामव (चतय-चरतामत आद - लला 1721) फर स एव और फर स ३ बार कलौ नायव नायव नायव गतरयथा आप इस या स वचलत नह हो सकत दसरा कोई वकप या नह ह आप यह नह कह सकत क ldquoम इस या स या उस या स मत हो जाउगाrdquo नह अगर तीन बार कछ दोहराना महवपण माना जाता ह तो फर 4 बार क बार म या 10 कोई पछ सकता ह क इन 11 लोग क जान क बाद या कसी भी कारण स पतन हो जान पर या होगा क यारह तनधय क सच स पहल एक वाय म लखा ह ldquoअब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयरत िथत म काय करगrdquo ldquoअब तकrdquo शद इगत करता ह क नणायक सच बनन का कोई इरादा नह ह और ठक इसी बात क नच दए गए lsquoखrsquo बद म पिट होती ह I

ख ील भपाद जी को उधरत करत हए तमाल कण गोवामी न 1980 म दय अपन बयान म यह कहा क ldquoअगर आवयकता हो तो दसर को जोड़ा जा सकता ह rdquo यह दखान क लए क ील भपाद न दा क रिवक णाल क थापना क ह और भवय क सभी शय इस आदोलन म उनक शय ह यह प नदश ठोस सबत ह

13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण

आग क सबत ील भपाद क वसीयत स आत ह यहा दखान क लए वसीयत काफ़ बड़ी ह अत हम कवल उह बदओ पर ग़ौर करग जो ील भपाद क इकोन क आयािमक ग (दा ग ) होन क अवथा पर काश डालत ह ील भपाद क पर वसीयत को दखन क लए कपया परशट क दख

1 पर अतराय कणभावनामत सघ क मौलक बधाधकार कवल गवनग बॉडी कमशन (जी बी सी ) ह हग

अ अब मान लिजए एक मदर म ीमान lsquoकrsquo मदर क अय ह ीमान lsquoखrsquo िजस श म मदर ह उस क जी बी सी तनध ह और ीमान lsquoगrsquo मदर क अय क ग ह अब ीमान lsquoकrsquo ीमान lsquoगrsquo का नठावान शय बनना चाहगा और यद जीबीसी क तनध ीमान lsquoखrsquo क आदश उसक ग ीमान lsquoगrsquo क आदश स मल नह खात तब वह अपन ग ीमान lsquoगrsquo त नटावान रहन क वकप को चनगा न ह ीमान lsquoखrsquo क त परत यह ील भपाद क अवा का घठनकरता ह यक ील भपाद क अनसार जी बी सी को ह मौलक बध अधकार रहना ह अय कोई नह

ख ऊपर दय गए वचार स पता चलता ह क इस तरह क ववादापद ितथ म वतमान ग णाल का अनसरण करन स एक दसर क ग को या ील भपाद को अपमानत करन क लए बाय होना पड़गा परत दा क ऋिवक णाल का पालन करन स ऐसा कोई वरोधाभास नह होगा

2 हर मिदर इकोन क सप होगी और तीन कायकार नदशक वारा बधत क जाएगी बधन क यवथा अभी क तरह जार रहगी और कसी भी परवतन क आवयकता नह ह

क इस य म ग को लान स बध क यवथा म परवतन होगा जो ील भपाद क आदश क वध ह

ख इस अनधकत परवतन क कारण इकोन क इतहास न बार बार दखाया ह क वहा कई बधकय समयाओ हई यक ग जो उम ग स कम ह व अपन शय पर अपना भाव जतान क कोशश करत ह जबक मदर क बध का उन पर कोई नयण नह रहा इस तरह मदर बधन को इस तरह स भार दवाब क तहत रखा गया

ग इसक इलावा इस तरह क बदलाव 1975 म जीबीसी बठक क अनसार जी बी सी क परभाषा क वध ह

ldquoतावत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद न जीबीसी (गवनग बॉडी कमीशन) क थापना अतराय कणभावनामत सघ िजसक व सथापकाचाय और सवपर अधकार ह क सचालन क िजमदार को परा करन म तनधव करन क लए क ह I जीबीसी उनक नदश को अपना जीवन और आमा वीकार करती ह और मानती ह क हर तरह स यह उनक कपा पर आत ह कणकपामत क वारा कपा करक दए गए आदश क पालना करन और उनक शाओ को शध प म वव म सरत करक और सारत करन क आलावा जीबीसी का कोई अय काय या उदय नह ह rdquo

-जीबीसी क परभाषा ताव 1 जीबीसी ववरण 1975

3 वासीयत क बद 3 म भारत म तक इकोन क सप 3 कायकार नदशक को सपी गयी थी और सप क नाम और उनक कायकार नदशक क नाम दय गए थ तब ील भपाद यह कहत ह यह कायकार नदशक जो नामत कए गए ह वह जीवन क लए नयत कए गए ह मय क िथत म या असफलता म कसी भी कारण स काय करन क लए कसी भी दए गए नदशको म स एक उतराधकार नदशक या नदशको को एक नदशको वारा नयत कया जा सकता ह बशत नए नदशक मर दा दए गए शय ह जो सती स इकोन क सभी नयम और वनयम का पालन करत ह जस मर कताब म वतत जानकार द ह और कभी भी तीन (3) स काम या पाच (5) स यादा कायकार नदशक काय नह कर सकत एक ह समय पर

क सधातक प स कह तो सन 2050 तक ील भपाद क भौतक उपिथत क दोरान जो शय थ व सभी शय गज़र जाएग तब इन सपय का नदशक कौन बनगा कवल यह नतीजा होना चाहए क इस आदोलन क भावी शय ील भपाद क शय हग िजहन ऋिवक णाल वारा दा ल ह जो क ील भपाद न वय थापत क ह

ख जब 2 जन 1977 को गराज वामी वारा ील भपाद क लए वासीयत का ाप पढ़ा जा रहा था ऊपर दए गए बड़ शद थ ldquoएक दत शय rdquo परत नणायक दतावज़ म हम दखत ह क इस बदल कर ldquoमरा दत शय rdquo कर दया गया इसस पता चलता ह क यह ील भपाद वारा एक वचारपवक क़दम था

वसीयत क घोषणा म ील भपाद क इराद जलाई 9 1977 क प आदश और मई 28 1977 क वातालाप स मल खात ह अपन शाररक थान क बाद भी अपनी िथत को इकोन क दा ग क प म बनाए रखन क लए ील भपाद न पट प स दा क ऋिवक णाल क तरफ़ इशारा कया

14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 प आदश क साी )

1 22 अल 1977 को तमाल कण गोवामी को ील भपाद स यह कहना था ldquoठक ह

मन अपन को और आपक सार शय का अययन कर लया ह और यह पट सय ह क हम सब बध आमा ह अत हम ग नह बन सकत Irdquo

२ 3 दसबर 1980 को तमाल कण गोवामी न नन कार वीकार कया ldquoदरअसल ील भपाद न कभी भी कोई ग नयत नह कया [hellip] उहन 11 ऋिवक नयत कय थ उहन कभी भी उनको ग नयत नह कया मन और दसर जी बी सी न पछल तीन साल म इस आदोलन क त बहत त पहचाई ह यक हमन ऋिवक क नयित को ग क नयित म बदल दया ह Irdquo वातव इस पर बयान (परशट ख ) को पढ़ना ठक होगा जहा उहन इस बात पर जोर दया ह क ील भपाद न कभी भी कसी को ग नयत नह कया

2 दाशनक माण अब तक हमन दतावजी माण को क़ाननी दतावज एव अधकत ऑडओ तलखन को दखा ह िजसक सयता हर तरह क सदह स पर ह अब हम ग -तव क सधातो को दाशनक एव शािक िट स समझग क ामाणक ग कौन बन सकता ह कौन नह बन सकता और साथ ह 1977 क बाद इकोन म दा स सबिधत ील भपाद क उपदश क त हमार समझ को सढ़ करग I

21 दा क परभाषा दा दो शद का एक सयोग ह -- lsquoद rsquo और lsquoा rsquo I lsquoद rsquo का तापय ह दय -ानम दय ान और lsquoा rsquo का तापय ह पयत मटा दना या उमलन (पापपण कय) (ीमद भागवतम क 42461 और चतय चरतामत अय लला 362 क एक-एक शद क अनवाद क अनसार ) I इसलए दा का मतलब दय ान का अत-पण और पापपण कय का वनाश ह ननलखत लोक दा शद क इस परभाषा को इगत करता ह

दय ान यतो दायात कयात पापय सडयम तमात दत सा ोता दशकतवकोवद

ldquoदा वह वध ह िजसक वारा दय ान को जागत कया जा सकता ह और पापकम क सार फल का य कया जा सकता ह शा अययन म पारगत यित इस वध को दा क नाम स जनता ह rdquo

- ील जीव गोवामी क भित -सदभ (283) िजसका उधरण चतय चरतामत मय -लला 15108 क तापय म दया गया ह

तवध णपातन परनन सवया उपदयित त ान ाननतवदशनः

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 8: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

अयाय 1 लखबध सबत इकोन क सार बध सबधी वचार-वषय क लए ील भपाद न शासकय दतावज ज़ार कय जो क उनक इराद को पट करत ह

इस खड म हम ील भपाद क उनक भौतक उपितथ क उपरात दा वधान स सबिधत इराद (जो क इकोन क क़ाननी दतावज और अधकत लपबध ऑडयो म मल ह) पर नणायक एव नववादत तय पर ट डालग I

इस खड म हम नन 3 दतावज़ का अयन करग

1 मई 28 1977 वातालाप का लपबध ऑडयो

2 9 जलाई 1977 प आदश

3 ील भपाद क वसीयत क घोषणा (जन 5 1977)

11 नयित टप वलषण

हम इस सीध न स श करग जो क ील भपाद स 28 मई 1977 म पछा गया था इस रकॉडड वातालाप को इकोन क अनधकत ग ldquoनयित टप rdquo क नाम स सबोधत करत ह जो क यह सकत करती ह क ील भपाद न अपन उराधकारय को इस वातालाप म ग क प म नयत कया आइय हम इस पर ट डालत ह

क म वातालाप - वदावन 28 मई 1977

1 सतवप ldquoअब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग I हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी rdquo

2 ील भपाद ldquoहा I म तम म स कछ क शफारश कगा I इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा rdquo

3 तमाल कण ldquoया इस ऋिवक-आचाय कहत ह rdquo 4 ील भपाद ldquoऋिवक हा Irdquo 5 सतवप ldquo(फर) उनका या सबध ह जो दा दता ह और helliprdquo 6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo 7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo 8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग

नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo 10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo 11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक

दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo 13 तमाल कणा ldquoवह उनक शय ह rdquo 14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo 15 सतवपा ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo 16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह

बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

वलषण

उपरोत वातालाप सवथम थोड़ा विमत कर सकता ह आइय अब हम एक बहतर िटकोण ात करन क लए इसका नप वलणामक अययन करत ह एक-एक पित लकर चलत ह

1 सतवप ldquoअब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी rdquo 2 ील भपाद ldquoहा म तम म स कछ क शफारश कगा इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा rdquo 3 तमाल कण ldquoया इस ऋिवक-आचाय कहत ह rdquo 4 ील भपाद ldquoऋिवक हा rdquo

ऊपर दए गए बद सया 1 म न य और पट ह ील भपाद बद सया 2 और 4 म पट प स जवाब दत ह क व यहा ऋिवक का िज कर रह ह हालाक आग चलक वातालाप थोड़ा और ामक हो जाता ह यहा पर ील भपाद सबस पट जवाब दत ह - ऋिवक

दरअसल ऋिवक शद का मतलब या ह ील भपाद क पतक म इस शद क 17 सदभ ह और सदव उनका मतलब एक ह चीज स ह - एक पजार एक पजार कसी क और स समारोह आयोिजत करता ह उसका काय कवल समारोह का आयोजन करना ह आचाय या ग जो क कह यादा योयता और साथ ह साथ उतरदायव रखत ह स वह (ऋिवक) अलग होता ह

एक आचाय क योयता यह ह क उह भगवान कण का एक शध भत होना चाहए और उह शय क अान को नट करन क लए दय ान अवय दना चाहए शय ग क पजा अपन नय वामी क प म करता ह जसा क ील नरोम दास ठाकर क शद म कहा ह ndash च दान दलो यई जम जम भ सई परत एक ऋिवक यह पद धारण नह करता

5 सतवप ldquo(फर) उनका या सबध ह जो दा दता ह और helliprdquo

6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo

बद सया 5 म सतवप ऋिवक और शय क सबध क वषय म पछ रह ह परत उहन अपन न को ठक स तत नह कया उहन दा दन वाल और शय क बीच क सबध को पछा ह यहा यह यान दना महवपण ह क दा दन वाल या ग ील भपाद ह और ऋिवक कवल एक अधकत तनध ह इसलए ील भपाद न बद सया 6 म जवाब दया क दा दन वाल (ील भपाद ) नए शय क ग ह

7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo

8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

बद सया 7 म सतवप वो पट करन क कोशश कर रह ह जो उहन समझा बद सया म ील भपाद न पट कया क जब तक खद क ग भौतक प स उपितथ ह तब तक ग नह बनना चाहए यह शटाचार नह ह परत उसक बाद उहन न तरत कहा क कवल उनक जान क बाद ऋिवक वत ग नह बनत परत उह उनक आदश का इतज़ार करना होगा ldquoमर आदश पर helliprdquo यहा प यह यान दन म समझदार ह क ील भपाद भवय काल क आदश क बात कर रह ह इसका मतलब ह यह टप ldquoअपोइटमट टप rdquo नह कह जा सकती ह यक व कसी को नयत नह अपत भवय क ओर इगत कर रह ह

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo

10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo

11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo

13 तमाल कण ldquoवह उनक शय ह rdquo

१14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo

15 सतवप ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo

16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

बद सया 10 म ऐसा तीत होता ह क ील भपाद को सतवप का बद सया 9 म पछा गया न समझ नह आया अत तमाल कण बद सया 11 म न को पट करत ह दरअसल ील भपाद वारा इस न का जवाब बद सया 12 और 14 म एक साथ दया गया ह इसका मतलब उहन कहा ldquoजो दा द रह ह व उनक शय ह rdquo इसका मतलब यह क व ील भपाद क शय ह यक व समारोह म ऋिवक को अपन

तनध क प म रख कर दा द रह ह परत इस जवाब क अधबीच म तमाल कण ील भपाद जी क शद को बद सया 13 म दोहरात ह इसलए ील भपाद जी क शद अलग दखाई पड़ रह ह

अब बद सया 14 म व पन lsquoपरम शयrsquo शद का उलख कर रह ह बद सया 15 म सतवप एक और शन पछन क कोशश करत ह परत ील भपाद बद सया 14 स चलत हए बद सया 16 म कहत ह क परम शय तभी बन सकता ह जब व अपन शय म स कसी को ग बनन का आदश दग I तब व पट करत ह क व नयमत ग बनन क लय उनक आदश क तीा कर अत इस वातालाप क समय आदश कह नह ह अतएव यह वातव म तथा -कथत बहचत ldquoनयित टप rdquo नह ह

12 ऋिवक क अधकत नयित एक अपट वातालाप (मई 28 1977) क आधार पर ील भपाद न इकोन क भवय को हवा म लटकत हए नह छोड़ा वातव म ील भपाद न अपन इराद को पट करन क लए इस मामल को वव क सार मदर म लखत नदश क प म जार कया अब हम इस नदश पर अछ तरह स नज़र डालत ह जो क सबत का अगला भाग ह - जलाई 9 1977 का एक प

असल प क तवीर नच द गई ह इसको पढ़ना थोड़ा मशकल ह इसलए हमन इस तवीर क बाद इस प का पण अनवाद दया ह परत अब हम आपका यान ील भपाद और तमाल कणा गोवामी (ील भपाद जी क यितगत सचव ) क हतार क तरफ़ लाना चाहग जो क इस दतावज़ क तवीर क अत म ह दो हतार क साथ यह एक क़ाननी दतावज़ ह बना कसी न क सार इकोन को इस आदश क पालन करना पड़गी

नीच दए गए प का आप पण और पट अनवाद दखग िजस आप आसानी स और पट प स इसक वषय वत को पढ़ सक

---------------------------------------------------------------------

जलाई 91977 का प

जलाई 7 1977

समत जीबीसी ऐव टपल िज़डट क लए

महाराज एव भगण

आपक चरण म मरा दडवत णाम वीकार हाल ह म जीबीसी ी ीमद क साथ वदावन म थ तब ील भपाद न सचत कया था क जद ह व पहल दा (हर नाम) और दसर दा (गायी) दन क लए अपन वरठ शय म स कछ को रिवक आचाय क तनधव क प म काय करन क लए मनोनीत करग अब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयत िथत म काय करग

ीपाद कतानानद वामी

ीपाद सतवप दास गोवामी

ीपाद जयपताका वामी

ीपाद तमाल कण गोवामी

ीपाद दयनद गोवामी

ीपाद भावनद गोवामी

ीपाद हसदता वामी

ीपाद रामवर वामी

ीपाद हरकश वामी

ीमान भगवान दास अधकार

ीमान जयतीथ दास अधकार

पव म कसी भत क सफ़ारश करन क लए टपल िज़डट ील भपाद को प लखत थ अब चक ील भपाद न इन तनधय को मनोनीत कर दया ह अतः इस समय स टपल िज़डट पहल और दसर दा क लए अपन सफ़ारश प इन तनधयो म स नकटम तनध को भज सफ़ारश को परखन क पचात य तनध उस भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर उस आयािमक नाम द सकत ह या दसर

दा क लए यपवीत पर गायी जाप कर सकत ह ठक उससी तरह िजस तरह ील भपाद कया करत थ नए दत भत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह और य याहरा भत उनक तनध ह इन तनधयो क प वारा भज गए आयािमक नाम और यपवीत मलन क उपरात टपल िज़डट अपन मदर म उसी कार य कर सकत ह िजस कार हआ करत थ जो तनध नए दत शय को ील भपाद क ओर स वीकार करग उह इन नए दत शय क नाम ील भपाद क lsquoइनशीएटड डसायपलसrsquo (दत शय) नामक आपक सकशलता क कामना करत हए आपक सकशलता क कामना करत हए आपका सवक (मल दतावज़ पर ील भपाद क हतार अकत ह ) तमाल कण गोवामी सचव - ील भपाद

जलाई 9 1977 प का वलषण

1 यहा यह पणतया पट हो जाता ह यह ील भपाद क बध करन क शल रह ह हर महवपण नदश लख जात ह और उह दनया क सभी मदरो क लए जार कया जाता ह न क कसी ामक बढग तरक़ स कसी नजी कमर म बातचीत क वारा

2 कपया यान द क उपरोत प क पहल परा म तमाल कण गोवामी हाल म हई मीटगक बार म िज कर रह ह जो क वदावन म सभी जी बी सी क सदय और ील भपाद क साथ दा क या को पट करन क लए थी 28 मई 1977 क वातालाप का यह सीधा सार ह अत यद आप उस वातालाप को पढ़न क बाद याकल महसस करत ह या वलषण क जानन क उपरात भी कसी तरह पट नह ह तो यहा इसका शध प ह यह प सीधा उसी वातालाप क और इशारा करता ह

3 इसक अलावा यह यान दना महवपण ह क 28 मई का वातालाप कस श हआ उन शद को याद किजय ldquoख़ासकर जब आप हमार साथ नह रहग rdquo अत य शद निचत प स ील भपाद क जान क बाद क समय क और इशारा करत ह हम यह परा प इसी सदभ म पढ़ना चाहए

4 प क शआत इस तरह स होती ह क ील भपाद ऋिवक (बगाल म इसका उचारण ऋिवक ह ) आचाय का तनध नयत करग उहन पटतया कसी को भी ग नयत नह कया ील भपाद इसस पट नह हो सकत थ

5 आग व पट करत ह क 11 नाम िजनक घोषणा क जानी ह व ऋिवक क तरह काय करग ndash पन दोहरात ह क व ग क प म नयत नह कय जा रह ह

6 अगल बड़ी बात 11 नाम क घोषणा क बाद आती ह शद lsquoहफोवड rsquo तत श होन वाल बद परत असीमत अितम बद क तरफ या कम स कम दसर आदश क तरफ जो क इस आदश को नह हटा द इगत करता ह I और तय यह ह क ील भपाद न इसक बाद ऐसा कोई भी आदश जार नह कया क व 11 यित उनक (ील

भपाद) क तरोधान क उपरात वत ह ग बन जायग I इसक अतरत इस शद को 28 मई 1977 क वातालाप क मल शन क सदभ म समझा जाना चाहए िजसम सतवप दास गोवामी न कहा था ldquoवशष प स जब आप हमार साथ नह रहग rdquo

7 फर यह कहा जाता ह क दा क लए सफ़ारश मदर क अय वारा भजी जानी चाहए ldquoजो भी इन 11 तनधय म स मदर क नकट हग Irdquo lsquoनकटrsquo शद का तापय सवधा स ह न क एक पव ग शय सबध स जो ववास क एक गहर भावना पर आधारत ह तमाल कण गोवामी 1980 म दए गए ख़द अपन बयान (अनबध ख ) म इस इस कार बहतर समझात ह ldquoयह एक बहत महवपण बद ह यक जब दा दन क बात आती ह ऐसा नह ह क जो कोई भी नज़दक हो जबक ऐसा ह क जहा भी आपका दय जाए िजस पर आपका ववास हो आप उसस ह दा ल जब यह तनध हो तब जो कोई भी नकट हो और इस बात पर व बहत पट थ उहन इनका नाम दया था व दनया भर म फल गए थ और उहन कहा ldquoजो भी आपक नकट हो आप उसक पास जाए और वह आपको परखग फर व मर ओर स आपको दा दग rdquo

8 अब प क अगल परा म हम नमनलखत वायाश को दखग जो क बना कसी सदह क ील भपाद क आचाय(ील भपाद) क ऋिवक तनध को नयत करन क और इकोन क दा ग क प म उनक नववादत िथत क इछा को इगत करत ह

क ldquohellip य तनध भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर सकत हrdquo

ख ldquoनए दत भत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह rdquo

ग ldquoनए दत शय का नाम ील भपाद को उस तनध वारा भजा जाना चाहए िजसन उस वीकार कया ह rdquo घ rdquo ील भपाद क lsquoदत शय rsquo कताब म शामल कया जायगा ldquo 9 जस क हम दख सकत ह एक ह बद 4 बार दोहराया गया था वदावन म सतबर 10 1975 को ीमद भागवतम 627 क एक वचन म ील भपाद जी न कहा था ldquoशा हम 3 बार याद दलात ह िजस कार स हम कसी चीज़ पर जोर डालत ह ldquoयह करो ldquoयह करो यह करो तीन बार I अत इसलए तीन बार कहा गया ह हरनाम हरनाम हरनाम ताक वह भल न जाय वह कसी मायवाद वारा मत नह हो जाय क कोई भी नाम hellip नह हरनाम तीन बार हरनाम हरनाम हरनामव (चतय-चरतामत आद - लला 1721) फर स एव और फर स ३ बार कलौ नायव नायव नायव गतरयथा आप इस या स वचलत नह हो सकत दसरा कोई वकप या नह ह आप यह नह कह सकत क ldquoम इस या स या उस या स मत हो जाउगाrdquo नह अगर तीन बार कछ दोहराना महवपण माना जाता ह तो फर 4 बार क बार म या 10 कोई पछ सकता ह क इन 11 लोग क जान क बाद या कसी भी कारण स पतन हो जान पर या होगा क यारह तनधय क सच स पहल एक वाय म लखा ह ldquoअब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयरत िथत म काय करगrdquo ldquoअब तकrdquo शद इगत करता ह क नणायक सच बनन का कोई इरादा नह ह और ठक इसी बात क नच दए गए lsquoखrsquo बद म पिट होती ह I

ख ील भपाद जी को उधरत करत हए तमाल कण गोवामी न 1980 म दय अपन बयान म यह कहा क ldquoअगर आवयकता हो तो दसर को जोड़ा जा सकता ह rdquo यह दखान क लए क ील भपाद न दा क रिवक णाल क थापना क ह और भवय क सभी शय इस आदोलन म उनक शय ह यह प नदश ठोस सबत ह

13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण

आग क सबत ील भपाद क वसीयत स आत ह यहा दखान क लए वसीयत काफ़ बड़ी ह अत हम कवल उह बदओ पर ग़ौर करग जो ील भपाद क इकोन क आयािमक ग (दा ग ) होन क अवथा पर काश डालत ह ील भपाद क पर वसीयत को दखन क लए कपया परशट क दख

1 पर अतराय कणभावनामत सघ क मौलक बधाधकार कवल गवनग बॉडी कमशन (जी बी सी ) ह हग

अ अब मान लिजए एक मदर म ीमान lsquoकrsquo मदर क अय ह ीमान lsquoखrsquo िजस श म मदर ह उस क जी बी सी तनध ह और ीमान lsquoगrsquo मदर क अय क ग ह अब ीमान lsquoकrsquo ीमान lsquoगrsquo का नठावान शय बनना चाहगा और यद जीबीसी क तनध ीमान lsquoखrsquo क आदश उसक ग ीमान lsquoगrsquo क आदश स मल नह खात तब वह अपन ग ीमान lsquoगrsquo त नटावान रहन क वकप को चनगा न ह ीमान lsquoखrsquo क त परत यह ील भपाद क अवा का घठनकरता ह यक ील भपाद क अनसार जी बी सी को ह मौलक बध अधकार रहना ह अय कोई नह

ख ऊपर दय गए वचार स पता चलता ह क इस तरह क ववादापद ितथ म वतमान ग णाल का अनसरण करन स एक दसर क ग को या ील भपाद को अपमानत करन क लए बाय होना पड़गा परत दा क ऋिवक णाल का पालन करन स ऐसा कोई वरोधाभास नह होगा

2 हर मिदर इकोन क सप होगी और तीन कायकार नदशक वारा बधत क जाएगी बधन क यवथा अभी क तरह जार रहगी और कसी भी परवतन क आवयकता नह ह

क इस य म ग को लान स बध क यवथा म परवतन होगा जो ील भपाद क आदश क वध ह

ख इस अनधकत परवतन क कारण इकोन क इतहास न बार बार दखाया ह क वहा कई बधकय समयाओ हई यक ग जो उम ग स कम ह व अपन शय पर अपना भाव जतान क कोशश करत ह जबक मदर क बध का उन पर कोई नयण नह रहा इस तरह मदर बधन को इस तरह स भार दवाब क तहत रखा गया

ग इसक इलावा इस तरह क बदलाव 1975 म जीबीसी बठक क अनसार जी बी सी क परभाषा क वध ह

ldquoतावत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद न जीबीसी (गवनग बॉडी कमीशन) क थापना अतराय कणभावनामत सघ िजसक व सथापकाचाय और सवपर अधकार ह क सचालन क िजमदार को परा करन म तनधव करन क लए क ह I जीबीसी उनक नदश को अपना जीवन और आमा वीकार करती ह और मानती ह क हर तरह स यह उनक कपा पर आत ह कणकपामत क वारा कपा करक दए गए आदश क पालना करन और उनक शाओ को शध प म वव म सरत करक और सारत करन क आलावा जीबीसी का कोई अय काय या उदय नह ह rdquo

-जीबीसी क परभाषा ताव 1 जीबीसी ववरण 1975

3 वासीयत क बद 3 म भारत म तक इकोन क सप 3 कायकार नदशक को सपी गयी थी और सप क नाम और उनक कायकार नदशक क नाम दय गए थ तब ील भपाद यह कहत ह यह कायकार नदशक जो नामत कए गए ह वह जीवन क लए नयत कए गए ह मय क िथत म या असफलता म कसी भी कारण स काय करन क लए कसी भी दए गए नदशको म स एक उतराधकार नदशक या नदशको को एक नदशको वारा नयत कया जा सकता ह बशत नए नदशक मर दा दए गए शय ह जो सती स इकोन क सभी नयम और वनयम का पालन करत ह जस मर कताब म वतत जानकार द ह और कभी भी तीन (3) स काम या पाच (5) स यादा कायकार नदशक काय नह कर सकत एक ह समय पर

क सधातक प स कह तो सन 2050 तक ील भपाद क भौतक उपिथत क दोरान जो शय थ व सभी शय गज़र जाएग तब इन सपय का नदशक कौन बनगा कवल यह नतीजा होना चाहए क इस आदोलन क भावी शय ील भपाद क शय हग िजहन ऋिवक णाल वारा दा ल ह जो क ील भपाद न वय थापत क ह

ख जब 2 जन 1977 को गराज वामी वारा ील भपाद क लए वासीयत का ाप पढ़ा जा रहा था ऊपर दए गए बड़ शद थ ldquoएक दत शय rdquo परत नणायक दतावज़ म हम दखत ह क इस बदल कर ldquoमरा दत शय rdquo कर दया गया इसस पता चलता ह क यह ील भपाद वारा एक वचारपवक क़दम था

वसीयत क घोषणा म ील भपाद क इराद जलाई 9 1977 क प आदश और मई 28 1977 क वातालाप स मल खात ह अपन शाररक थान क बाद भी अपनी िथत को इकोन क दा ग क प म बनाए रखन क लए ील भपाद न पट प स दा क ऋिवक णाल क तरफ़ इशारा कया

14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 प आदश क साी )

1 22 अल 1977 को तमाल कण गोवामी को ील भपाद स यह कहना था ldquoठक ह

मन अपन को और आपक सार शय का अययन कर लया ह और यह पट सय ह क हम सब बध आमा ह अत हम ग नह बन सकत Irdquo

२ 3 दसबर 1980 को तमाल कण गोवामी न नन कार वीकार कया ldquoदरअसल ील भपाद न कभी भी कोई ग नयत नह कया [hellip] उहन 11 ऋिवक नयत कय थ उहन कभी भी उनको ग नयत नह कया मन और दसर जी बी सी न पछल तीन साल म इस आदोलन क त बहत त पहचाई ह यक हमन ऋिवक क नयित को ग क नयित म बदल दया ह Irdquo वातव इस पर बयान (परशट ख ) को पढ़ना ठक होगा जहा उहन इस बात पर जोर दया ह क ील भपाद न कभी भी कसी को ग नयत नह कया

2 दाशनक माण अब तक हमन दतावजी माण को क़ाननी दतावज एव अधकत ऑडओ तलखन को दखा ह िजसक सयता हर तरह क सदह स पर ह अब हम ग -तव क सधातो को दाशनक एव शािक िट स समझग क ामाणक ग कौन बन सकता ह कौन नह बन सकता और साथ ह 1977 क बाद इकोन म दा स सबिधत ील भपाद क उपदश क त हमार समझ को सढ़ करग I

21 दा क परभाषा दा दो शद का एक सयोग ह -- lsquoद rsquo और lsquoा rsquo I lsquoद rsquo का तापय ह दय -ानम दय ान और lsquoा rsquo का तापय ह पयत मटा दना या उमलन (पापपण कय) (ीमद भागवतम क 42461 और चतय चरतामत अय लला 362 क एक-एक शद क अनवाद क अनसार ) I इसलए दा का मतलब दय ान का अत-पण और पापपण कय का वनाश ह ननलखत लोक दा शद क इस परभाषा को इगत करता ह

दय ान यतो दायात कयात पापय सडयम तमात दत सा ोता दशकतवकोवद

ldquoदा वह वध ह िजसक वारा दय ान को जागत कया जा सकता ह और पापकम क सार फल का य कया जा सकता ह शा अययन म पारगत यित इस वध को दा क नाम स जनता ह rdquo

- ील जीव गोवामी क भित -सदभ (283) िजसका उधरण चतय चरतामत मय -लला 15108 क तापय म दया गया ह

तवध णपातन परनन सवया उपदयित त ान ाननतवदशनः

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 9: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo 13 तमाल कणा ldquoवह उनक शय ह rdquo 14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo 15 सतवपा ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo 16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह

बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

वलषण

उपरोत वातालाप सवथम थोड़ा विमत कर सकता ह आइय अब हम एक बहतर िटकोण ात करन क लए इसका नप वलणामक अययन करत ह एक-एक पित लकर चलत ह

1 सतवप ldquoअब हमारा अगला न भवय म दा स सबधत ह वशषतया उस समय जब आप हमार बीच नह रहग हम यह जानना चाहत ह क हरनाम और ामण दा कस होगी rdquo 2 ील भपाद ldquoहा म तम म स कछ क शफारश कगा इसक परा होन क बाद म तम म स कछ को ऋिवक (तनध) क प म काय करन क लए चयनत कगा rdquo 3 तमाल कण ldquoया इस ऋिवक-आचाय कहत ह rdquo 4 ील भपाद ldquoऋिवक हा rdquo

ऊपर दए गए बद सया 1 म न य और पट ह ील भपाद बद सया 2 और 4 म पट प स जवाब दत ह क व यहा ऋिवक का िज कर रह ह हालाक आग चलक वातालाप थोड़ा और ामक हो जाता ह यहा पर ील भपाद सबस पट जवाब दत ह - ऋिवक

दरअसल ऋिवक शद का मतलब या ह ील भपाद क पतक म इस शद क 17 सदभ ह और सदव उनका मतलब एक ह चीज स ह - एक पजार एक पजार कसी क और स समारोह आयोिजत करता ह उसका काय कवल समारोह का आयोजन करना ह आचाय या ग जो क कह यादा योयता और साथ ह साथ उतरदायव रखत ह स वह (ऋिवक) अलग होता ह

एक आचाय क योयता यह ह क उह भगवान कण का एक शध भत होना चाहए और उह शय क अान को नट करन क लए दय ान अवय दना चाहए शय ग क पजा अपन नय वामी क प म करता ह जसा क ील नरोम दास ठाकर क शद म कहा ह ndash च दान दलो यई जम जम भ सई परत एक ऋिवक यह पद धारण नह करता

5 सतवप ldquo(फर) उनका या सबध ह जो दा दता ह और helliprdquo

6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo

बद सया 5 म सतवप ऋिवक और शय क सबध क वषय म पछ रह ह परत उहन अपन न को ठक स तत नह कया उहन दा दन वाल और शय क बीच क सबध को पछा ह यहा यह यान दना महवपण ह क दा दन वाल या ग ील भपाद ह और ऋिवक कवल एक अधकत तनध ह इसलए ील भपाद न बद सया 6 म जवाब दया क दा दन वाल (ील भपाद ) नए शय क ग ह

7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo

8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

बद सया 7 म सतवप वो पट करन क कोशश कर रह ह जो उहन समझा बद सया म ील भपाद न पट कया क जब तक खद क ग भौतक प स उपितथ ह तब तक ग नह बनना चाहए यह शटाचार नह ह परत उसक बाद उहन न तरत कहा क कवल उनक जान क बाद ऋिवक वत ग नह बनत परत उह उनक आदश का इतज़ार करना होगा ldquoमर आदश पर helliprdquo यहा प यह यान दन म समझदार ह क ील भपाद भवय काल क आदश क बात कर रह ह इसका मतलब ह यह टप ldquoअपोइटमट टप rdquo नह कह जा सकती ह यक व कसी को नयत नह अपत भवय क ओर इगत कर रह ह

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo

10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo

11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo

13 तमाल कण ldquoवह उनक शय ह rdquo

१14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo

15 सतवप ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo

16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

बद सया 10 म ऐसा तीत होता ह क ील भपाद को सतवप का बद सया 9 म पछा गया न समझ नह आया अत तमाल कण बद सया 11 म न को पट करत ह दरअसल ील भपाद वारा इस न का जवाब बद सया 12 और 14 म एक साथ दया गया ह इसका मतलब उहन कहा ldquoजो दा द रह ह व उनक शय ह rdquo इसका मतलब यह क व ील भपाद क शय ह यक व समारोह म ऋिवक को अपन

तनध क प म रख कर दा द रह ह परत इस जवाब क अधबीच म तमाल कण ील भपाद जी क शद को बद सया 13 म दोहरात ह इसलए ील भपाद जी क शद अलग दखाई पड़ रह ह

अब बद सया 14 म व पन lsquoपरम शयrsquo शद का उलख कर रह ह बद सया 15 म सतवप एक और शन पछन क कोशश करत ह परत ील भपाद बद सया 14 स चलत हए बद सया 16 म कहत ह क परम शय तभी बन सकता ह जब व अपन शय म स कसी को ग बनन का आदश दग I तब व पट करत ह क व नयमत ग बनन क लय उनक आदश क तीा कर अत इस वातालाप क समय आदश कह नह ह अतएव यह वातव म तथा -कथत बहचत ldquoनयित टप rdquo नह ह

12 ऋिवक क अधकत नयित एक अपट वातालाप (मई 28 1977) क आधार पर ील भपाद न इकोन क भवय को हवा म लटकत हए नह छोड़ा वातव म ील भपाद न अपन इराद को पट करन क लए इस मामल को वव क सार मदर म लखत नदश क प म जार कया अब हम इस नदश पर अछ तरह स नज़र डालत ह जो क सबत का अगला भाग ह - जलाई 9 1977 का एक प

असल प क तवीर नच द गई ह इसको पढ़ना थोड़ा मशकल ह इसलए हमन इस तवीर क बाद इस प का पण अनवाद दया ह परत अब हम आपका यान ील भपाद और तमाल कणा गोवामी (ील भपाद जी क यितगत सचव ) क हतार क तरफ़ लाना चाहग जो क इस दतावज़ क तवीर क अत म ह दो हतार क साथ यह एक क़ाननी दतावज़ ह बना कसी न क सार इकोन को इस आदश क पालन करना पड़गी

नीच दए गए प का आप पण और पट अनवाद दखग िजस आप आसानी स और पट प स इसक वषय वत को पढ़ सक

---------------------------------------------------------------------

जलाई 91977 का प

जलाई 7 1977

समत जीबीसी ऐव टपल िज़डट क लए

महाराज एव भगण

आपक चरण म मरा दडवत णाम वीकार हाल ह म जीबीसी ी ीमद क साथ वदावन म थ तब ील भपाद न सचत कया था क जद ह व पहल दा (हर नाम) और दसर दा (गायी) दन क लए अपन वरठ शय म स कछ को रिवक आचाय क तनधव क प म काय करन क लए मनोनीत करग अब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयत िथत म काय करग

ीपाद कतानानद वामी

ीपाद सतवप दास गोवामी

ीपाद जयपताका वामी

ीपाद तमाल कण गोवामी

ीपाद दयनद गोवामी

ीपाद भावनद गोवामी

ीपाद हसदता वामी

ीपाद रामवर वामी

ीपाद हरकश वामी

ीमान भगवान दास अधकार

ीमान जयतीथ दास अधकार

पव म कसी भत क सफ़ारश करन क लए टपल िज़डट ील भपाद को प लखत थ अब चक ील भपाद न इन तनधय को मनोनीत कर दया ह अतः इस समय स टपल िज़डट पहल और दसर दा क लए अपन सफ़ारश प इन तनधयो म स नकटम तनध को भज सफ़ारश को परखन क पचात य तनध उस भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर उस आयािमक नाम द सकत ह या दसर

दा क लए यपवीत पर गायी जाप कर सकत ह ठक उससी तरह िजस तरह ील भपाद कया करत थ नए दत भत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह और य याहरा भत उनक तनध ह इन तनधयो क प वारा भज गए आयािमक नाम और यपवीत मलन क उपरात टपल िज़डट अपन मदर म उसी कार य कर सकत ह िजस कार हआ करत थ जो तनध नए दत शय को ील भपाद क ओर स वीकार करग उह इन नए दत शय क नाम ील भपाद क lsquoइनशीएटड डसायपलसrsquo (दत शय) नामक आपक सकशलता क कामना करत हए आपक सकशलता क कामना करत हए आपका सवक (मल दतावज़ पर ील भपाद क हतार अकत ह ) तमाल कण गोवामी सचव - ील भपाद

जलाई 9 1977 प का वलषण

1 यहा यह पणतया पट हो जाता ह यह ील भपाद क बध करन क शल रह ह हर महवपण नदश लख जात ह और उह दनया क सभी मदरो क लए जार कया जाता ह न क कसी ामक बढग तरक़ स कसी नजी कमर म बातचीत क वारा

2 कपया यान द क उपरोत प क पहल परा म तमाल कण गोवामी हाल म हई मीटगक बार म िज कर रह ह जो क वदावन म सभी जी बी सी क सदय और ील भपाद क साथ दा क या को पट करन क लए थी 28 मई 1977 क वातालाप का यह सीधा सार ह अत यद आप उस वातालाप को पढ़न क बाद याकल महसस करत ह या वलषण क जानन क उपरात भी कसी तरह पट नह ह तो यहा इसका शध प ह यह प सीधा उसी वातालाप क और इशारा करता ह

3 इसक अलावा यह यान दना महवपण ह क 28 मई का वातालाप कस श हआ उन शद को याद किजय ldquoख़ासकर जब आप हमार साथ नह रहग rdquo अत य शद निचत प स ील भपाद क जान क बाद क समय क और इशारा करत ह हम यह परा प इसी सदभ म पढ़ना चाहए

4 प क शआत इस तरह स होती ह क ील भपाद ऋिवक (बगाल म इसका उचारण ऋिवक ह ) आचाय का तनध नयत करग उहन पटतया कसी को भी ग नयत नह कया ील भपाद इसस पट नह हो सकत थ

5 आग व पट करत ह क 11 नाम िजनक घोषणा क जानी ह व ऋिवक क तरह काय करग ndash पन दोहरात ह क व ग क प म नयत नह कय जा रह ह

6 अगल बड़ी बात 11 नाम क घोषणा क बाद आती ह शद lsquoहफोवड rsquo तत श होन वाल बद परत असीमत अितम बद क तरफ या कम स कम दसर आदश क तरफ जो क इस आदश को नह हटा द इगत करता ह I और तय यह ह क ील भपाद न इसक बाद ऐसा कोई भी आदश जार नह कया क व 11 यित उनक (ील

भपाद) क तरोधान क उपरात वत ह ग बन जायग I इसक अतरत इस शद को 28 मई 1977 क वातालाप क मल शन क सदभ म समझा जाना चाहए िजसम सतवप दास गोवामी न कहा था ldquoवशष प स जब आप हमार साथ नह रहग rdquo

7 फर यह कहा जाता ह क दा क लए सफ़ारश मदर क अय वारा भजी जानी चाहए ldquoजो भी इन 11 तनधय म स मदर क नकट हग Irdquo lsquoनकटrsquo शद का तापय सवधा स ह न क एक पव ग शय सबध स जो ववास क एक गहर भावना पर आधारत ह तमाल कण गोवामी 1980 म दए गए ख़द अपन बयान (अनबध ख ) म इस इस कार बहतर समझात ह ldquoयह एक बहत महवपण बद ह यक जब दा दन क बात आती ह ऐसा नह ह क जो कोई भी नज़दक हो जबक ऐसा ह क जहा भी आपका दय जाए िजस पर आपका ववास हो आप उसस ह दा ल जब यह तनध हो तब जो कोई भी नकट हो और इस बात पर व बहत पट थ उहन इनका नाम दया था व दनया भर म फल गए थ और उहन कहा ldquoजो भी आपक नकट हो आप उसक पास जाए और वह आपको परखग फर व मर ओर स आपको दा दग rdquo

8 अब प क अगल परा म हम नमनलखत वायाश को दखग जो क बना कसी सदह क ील भपाद क आचाय(ील भपाद) क ऋिवक तनध को नयत करन क और इकोन क दा ग क प म उनक नववादत िथत क इछा को इगत करत ह

क ldquohellip य तनध भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर सकत हrdquo

ख ldquoनए दत भत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह rdquo

ग ldquoनए दत शय का नाम ील भपाद को उस तनध वारा भजा जाना चाहए िजसन उस वीकार कया ह rdquo घ rdquo ील भपाद क lsquoदत शय rsquo कताब म शामल कया जायगा ldquo 9 जस क हम दख सकत ह एक ह बद 4 बार दोहराया गया था वदावन म सतबर 10 1975 को ीमद भागवतम 627 क एक वचन म ील भपाद जी न कहा था ldquoशा हम 3 बार याद दलात ह िजस कार स हम कसी चीज़ पर जोर डालत ह ldquoयह करो ldquoयह करो यह करो तीन बार I अत इसलए तीन बार कहा गया ह हरनाम हरनाम हरनाम ताक वह भल न जाय वह कसी मायवाद वारा मत नह हो जाय क कोई भी नाम hellip नह हरनाम तीन बार हरनाम हरनाम हरनामव (चतय-चरतामत आद - लला 1721) फर स एव और फर स ३ बार कलौ नायव नायव नायव गतरयथा आप इस या स वचलत नह हो सकत दसरा कोई वकप या नह ह आप यह नह कह सकत क ldquoम इस या स या उस या स मत हो जाउगाrdquo नह अगर तीन बार कछ दोहराना महवपण माना जाता ह तो फर 4 बार क बार म या 10 कोई पछ सकता ह क इन 11 लोग क जान क बाद या कसी भी कारण स पतन हो जान पर या होगा क यारह तनधय क सच स पहल एक वाय म लखा ह ldquoअब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयरत िथत म काय करगrdquo ldquoअब तकrdquo शद इगत करता ह क नणायक सच बनन का कोई इरादा नह ह और ठक इसी बात क नच दए गए lsquoखrsquo बद म पिट होती ह I

ख ील भपाद जी को उधरत करत हए तमाल कण गोवामी न 1980 म दय अपन बयान म यह कहा क ldquoअगर आवयकता हो तो दसर को जोड़ा जा सकता ह rdquo यह दखान क लए क ील भपाद न दा क रिवक णाल क थापना क ह और भवय क सभी शय इस आदोलन म उनक शय ह यह प नदश ठोस सबत ह

13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण

आग क सबत ील भपाद क वसीयत स आत ह यहा दखान क लए वसीयत काफ़ बड़ी ह अत हम कवल उह बदओ पर ग़ौर करग जो ील भपाद क इकोन क आयािमक ग (दा ग ) होन क अवथा पर काश डालत ह ील भपाद क पर वसीयत को दखन क लए कपया परशट क दख

1 पर अतराय कणभावनामत सघ क मौलक बधाधकार कवल गवनग बॉडी कमशन (जी बी सी ) ह हग

अ अब मान लिजए एक मदर म ीमान lsquoकrsquo मदर क अय ह ीमान lsquoखrsquo िजस श म मदर ह उस क जी बी सी तनध ह और ीमान lsquoगrsquo मदर क अय क ग ह अब ीमान lsquoकrsquo ीमान lsquoगrsquo का नठावान शय बनना चाहगा और यद जीबीसी क तनध ीमान lsquoखrsquo क आदश उसक ग ीमान lsquoगrsquo क आदश स मल नह खात तब वह अपन ग ीमान lsquoगrsquo त नटावान रहन क वकप को चनगा न ह ीमान lsquoखrsquo क त परत यह ील भपाद क अवा का घठनकरता ह यक ील भपाद क अनसार जी बी सी को ह मौलक बध अधकार रहना ह अय कोई नह

ख ऊपर दय गए वचार स पता चलता ह क इस तरह क ववादापद ितथ म वतमान ग णाल का अनसरण करन स एक दसर क ग को या ील भपाद को अपमानत करन क लए बाय होना पड़गा परत दा क ऋिवक णाल का पालन करन स ऐसा कोई वरोधाभास नह होगा

2 हर मिदर इकोन क सप होगी और तीन कायकार नदशक वारा बधत क जाएगी बधन क यवथा अभी क तरह जार रहगी और कसी भी परवतन क आवयकता नह ह

क इस य म ग को लान स बध क यवथा म परवतन होगा जो ील भपाद क आदश क वध ह

ख इस अनधकत परवतन क कारण इकोन क इतहास न बार बार दखाया ह क वहा कई बधकय समयाओ हई यक ग जो उम ग स कम ह व अपन शय पर अपना भाव जतान क कोशश करत ह जबक मदर क बध का उन पर कोई नयण नह रहा इस तरह मदर बधन को इस तरह स भार दवाब क तहत रखा गया

ग इसक इलावा इस तरह क बदलाव 1975 म जीबीसी बठक क अनसार जी बी सी क परभाषा क वध ह

ldquoतावत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद न जीबीसी (गवनग बॉडी कमीशन) क थापना अतराय कणभावनामत सघ िजसक व सथापकाचाय और सवपर अधकार ह क सचालन क िजमदार को परा करन म तनधव करन क लए क ह I जीबीसी उनक नदश को अपना जीवन और आमा वीकार करती ह और मानती ह क हर तरह स यह उनक कपा पर आत ह कणकपामत क वारा कपा करक दए गए आदश क पालना करन और उनक शाओ को शध प म वव म सरत करक और सारत करन क आलावा जीबीसी का कोई अय काय या उदय नह ह rdquo

-जीबीसी क परभाषा ताव 1 जीबीसी ववरण 1975

3 वासीयत क बद 3 म भारत म तक इकोन क सप 3 कायकार नदशक को सपी गयी थी और सप क नाम और उनक कायकार नदशक क नाम दय गए थ तब ील भपाद यह कहत ह यह कायकार नदशक जो नामत कए गए ह वह जीवन क लए नयत कए गए ह मय क िथत म या असफलता म कसी भी कारण स काय करन क लए कसी भी दए गए नदशको म स एक उतराधकार नदशक या नदशको को एक नदशको वारा नयत कया जा सकता ह बशत नए नदशक मर दा दए गए शय ह जो सती स इकोन क सभी नयम और वनयम का पालन करत ह जस मर कताब म वतत जानकार द ह और कभी भी तीन (3) स काम या पाच (5) स यादा कायकार नदशक काय नह कर सकत एक ह समय पर

क सधातक प स कह तो सन 2050 तक ील भपाद क भौतक उपिथत क दोरान जो शय थ व सभी शय गज़र जाएग तब इन सपय का नदशक कौन बनगा कवल यह नतीजा होना चाहए क इस आदोलन क भावी शय ील भपाद क शय हग िजहन ऋिवक णाल वारा दा ल ह जो क ील भपाद न वय थापत क ह

ख जब 2 जन 1977 को गराज वामी वारा ील भपाद क लए वासीयत का ाप पढ़ा जा रहा था ऊपर दए गए बड़ शद थ ldquoएक दत शय rdquo परत नणायक दतावज़ म हम दखत ह क इस बदल कर ldquoमरा दत शय rdquo कर दया गया इसस पता चलता ह क यह ील भपाद वारा एक वचारपवक क़दम था

वसीयत क घोषणा म ील भपाद क इराद जलाई 9 1977 क प आदश और मई 28 1977 क वातालाप स मल खात ह अपन शाररक थान क बाद भी अपनी िथत को इकोन क दा ग क प म बनाए रखन क लए ील भपाद न पट प स दा क ऋिवक णाल क तरफ़ इशारा कया

14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 प आदश क साी )

1 22 अल 1977 को तमाल कण गोवामी को ील भपाद स यह कहना था ldquoठक ह

मन अपन को और आपक सार शय का अययन कर लया ह और यह पट सय ह क हम सब बध आमा ह अत हम ग नह बन सकत Irdquo

२ 3 दसबर 1980 को तमाल कण गोवामी न नन कार वीकार कया ldquoदरअसल ील भपाद न कभी भी कोई ग नयत नह कया [hellip] उहन 11 ऋिवक नयत कय थ उहन कभी भी उनको ग नयत नह कया मन और दसर जी बी सी न पछल तीन साल म इस आदोलन क त बहत त पहचाई ह यक हमन ऋिवक क नयित को ग क नयित म बदल दया ह Irdquo वातव इस पर बयान (परशट ख ) को पढ़ना ठक होगा जहा उहन इस बात पर जोर दया ह क ील भपाद न कभी भी कसी को ग नयत नह कया

2 दाशनक माण अब तक हमन दतावजी माण को क़ाननी दतावज एव अधकत ऑडओ तलखन को दखा ह िजसक सयता हर तरह क सदह स पर ह अब हम ग -तव क सधातो को दाशनक एव शािक िट स समझग क ामाणक ग कौन बन सकता ह कौन नह बन सकता और साथ ह 1977 क बाद इकोन म दा स सबिधत ील भपाद क उपदश क त हमार समझ को सढ़ करग I

21 दा क परभाषा दा दो शद का एक सयोग ह -- lsquoद rsquo और lsquoा rsquo I lsquoद rsquo का तापय ह दय -ानम दय ान और lsquoा rsquo का तापय ह पयत मटा दना या उमलन (पापपण कय) (ीमद भागवतम क 42461 और चतय चरतामत अय लला 362 क एक-एक शद क अनवाद क अनसार ) I इसलए दा का मतलब दय ान का अत-पण और पापपण कय का वनाश ह ननलखत लोक दा शद क इस परभाषा को इगत करता ह

दय ान यतो दायात कयात पापय सडयम तमात दत सा ोता दशकतवकोवद

ldquoदा वह वध ह िजसक वारा दय ान को जागत कया जा सकता ह और पापकम क सार फल का य कया जा सकता ह शा अययन म पारगत यित इस वध को दा क नाम स जनता ह rdquo

- ील जीव गोवामी क भित -सदभ (283) िजसका उधरण चतय चरतामत मय -लला 15108 क तापय म दया गया ह

तवध णपातन परनन सवया उपदयित त ान ाननतवदशनः

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 10: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

6 ील भपाद ldquoवह ग ह वह ग ह rdquo

बद सया 5 म सतवप ऋिवक और शय क सबध क वषय म पछ रह ह परत उहन अपन न को ठक स तत नह कया उहन दा दन वाल और शय क बीच क सबध को पछा ह यहा यह यान दना महवपण ह क दा दन वाल या ग ील भपाद ह और ऋिवक कवल एक अधकत तनध ह इसलए ील भपाद न बद सया 6 म जवाब दया क दा दन वाल (ील भपाद ) नए शय क ग ह

7 सतवप ldquoलकन वह आपक ओर स करता ह rdquo

8 ील भपाद ldquoहा यह औपचारकता ह यक मर उपिथत म कसी को भी ग नह बनना चाहए इसलए मर और स मर आा स lsquoआमार अाय ग होनाrsquo (वह) वातव म ग होगा परत मर आदश पर rdquo

बद सया 7 म सतवप वो पट करन क कोशश कर रह ह जो उहन समझा बद सया म ील भपाद न पट कया क जब तक खद क ग भौतक प स उपितथ ह तब तक ग नह बनना चाहए यह शटाचार नह ह परत उसक बाद उहन न तरत कहा क कवल उनक जान क बाद ऋिवक वत ग नह बनत परत उह उनक आदश का इतज़ार करना होगा ldquoमर आदश पर helliprdquo यहा प यह यान दन म समझदार ह क ील भपाद भवय काल क आदश क बात कर रह ह इसका मतलब ह यह टप ldquoअपोइटमट टप rdquo नह कह जा सकती ह यक व कसी को नयत नह अपत भवय क ओर इगत कर रह ह

9 सतवप ldquoतो व आपक भी शय मान जायग rdquo

10 ील भपाद ldquoहा व शय ह लकन मानना कौन helliprdquo

11 तमाल कण ldquoनह यह पछ रह ह क यह ऋिवक आचाय व औपचारकतापवक दा द रह ह उन यितय को िजह य दा दग व कसक शय हग rdquo

12 ील भपाद ldquoवह उनक शय ह rdquo

13 तमाल कण ldquoवह उनक शय ह rdquo

१14 ील भपाद ldquoजो दा द रहा ह उसक परम शय helliprdquo

15 सतवप ldquoअब हमारा अगला न ह helliprdquo

16 ील भपाद ldquoजब म आदश द lsquoतम ग बनोrsquo वह नयमत प स ग हो जाता ह बस वह मर शय का शय बन जाता ह दखो rdquo

बद सया 10 म ऐसा तीत होता ह क ील भपाद को सतवप का बद सया 9 म पछा गया न समझ नह आया अत तमाल कण बद सया 11 म न को पट करत ह दरअसल ील भपाद वारा इस न का जवाब बद सया 12 और 14 म एक साथ दया गया ह इसका मतलब उहन कहा ldquoजो दा द रह ह व उनक शय ह rdquo इसका मतलब यह क व ील भपाद क शय ह यक व समारोह म ऋिवक को अपन

तनध क प म रख कर दा द रह ह परत इस जवाब क अधबीच म तमाल कण ील भपाद जी क शद को बद सया 13 म दोहरात ह इसलए ील भपाद जी क शद अलग दखाई पड़ रह ह

अब बद सया 14 म व पन lsquoपरम शयrsquo शद का उलख कर रह ह बद सया 15 म सतवप एक और शन पछन क कोशश करत ह परत ील भपाद बद सया 14 स चलत हए बद सया 16 म कहत ह क परम शय तभी बन सकता ह जब व अपन शय म स कसी को ग बनन का आदश दग I तब व पट करत ह क व नयमत ग बनन क लय उनक आदश क तीा कर अत इस वातालाप क समय आदश कह नह ह अतएव यह वातव म तथा -कथत बहचत ldquoनयित टप rdquo नह ह

12 ऋिवक क अधकत नयित एक अपट वातालाप (मई 28 1977) क आधार पर ील भपाद न इकोन क भवय को हवा म लटकत हए नह छोड़ा वातव म ील भपाद न अपन इराद को पट करन क लए इस मामल को वव क सार मदर म लखत नदश क प म जार कया अब हम इस नदश पर अछ तरह स नज़र डालत ह जो क सबत का अगला भाग ह - जलाई 9 1977 का एक प

असल प क तवीर नच द गई ह इसको पढ़ना थोड़ा मशकल ह इसलए हमन इस तवीर क बाद इस प का पण अनवाद दया ह परत अब हम आपका यान ील भपाद और तमाल कणा गोवामी (ील भपाद जी क यितगत सचव ) क हतार क तरफ़ लाना चाहग जो क इस दतावज़ क तवीर क अत म ह दो हतार क साथ यह एक क़ाननी दतावज़ ह बना कसी न क सार इकोन को इस आदश क पालन करना पड़गी

नीच दए गए प का आप पण और पट अनवाद दखग िजस आप आसानी स और पट प स इसक वषय वत को पढ़ सक

---------------------------------------------------------------------

जलाई 91977 का प

जलाई 7 1977

समत जीबीसी ऐव टपल िज़डट क लए

महाराज एव भगण

आपक चरण म मरा दडवत णाम वीकार हाल ह म जीबीसी ी ीमद क साथ वदावन म थ तब ील भपाद न सचत कया था क जद ह व पहल दा (हर नाम) और दसर दा (गायी) दन क लए अपन वरठ शय म स कछ को रिवक आचाय क तनधव क प म काय करन क लए मनोनीत करग अब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयत िथत म काय करग

ीपाद कतानानद वामी

ीपाद सतवप दास गोवामी

ीपाद जयपताका वामी

ीपाद तमाल कण गोवामी

ीपाद दयनद गोवामी

ीपाद भावनद गोवामी

ीपाद हसदता वामी

ीपाद रामवर वामी

ीपाद हरकश वामी

ीमान भगवान दास अधकार

ीमान जयतीथ दास अधकार

पव म कसी भत क सफ़ारश करन क लए टपल िज़डट ील भपाद को प लखत थ अब चक ील भपाद न इन तनधय को मनोनीत कर दया ह अतः इस समय स टपल िज़डट पहल और दसर दा क लए अपन सफ़ारश प इन तनधयो म स नकटम तनध को भज सफ़ारश को परखन क पचात य तनध उस भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर उस आयािमक नाम द सकत ह या दसर

दा क लए यपवीत पर गायी जाप कर सकत ह ठक उससी तरह िजस तरह ील भपाद कया करत थ नए दत भत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह और य याहरा भत उनक तनध ह इन तनधयो क प वारा भज गए आयािमक नाम और यपवीत मलन क उपरात टपल िज़डट अपन मदर म उसी कार य कर सकत ह िजस कार हआ करत थ जो तनध नए दत शय को ील भपाद क ओर स वीकार करग उह इन नए दत शय क नाम ील भपाद क lsquoइनशीएटड डसायपलसrsquo (दत शय) नामक आपक सकशलता क कामना करत हए आपक सकशलता क कामना करत हए आपका सवक (मल दतावज़ पर ील भपाद क हतार अकत ह ) तमाल कण गोवामी सचव - ील भपाद

जलाई 9 1977 प का वलषण

1 यहा यह पणतया पट हो जाता ह यह ील भपाद क बध करन क शल रह ह हर महवपण नदश लख जात ह और उह दनया क सभी मदरो क लए जार कया जाता ह न क कसी ामक बढग तरक़ स कसी नजी कमर म बातचीत क वारा

2 कपया यान द क उपरोत प क पहल परा म तमाल कण गोवामी हाल म हई मीटगक बार म िज कर रह ह जो क वदावन म सभी जी बी सी क सदय और ील भपाद क साथ दा क या को पट करन क लए थी 28 मई 1977 क वातालाप का यह सीधा सार ह अत यद आप उस वातालाप को पढ़न क बाद याकल महसस करत ह या वलषण क जानन क उपरात भी कसी तरह पट नह ह तो यहा इसका शध प ह यह प सीधा उसी वातालाप क और इशारा करता ह

3 इसक अलावा यह यान दना महवपण ह क 28 मई का वातालाप कस श हआ उन शद को याद किजय ldquoख़ासकर जब आप हमार साथ नह रहग rdquo अत य शद निचत प स ील भपाद क जान क बाद क समय क और इशारा करत ह हम यह परा प इसी सदभ म पढ़ना चाहए

4 प क शआत इस तरह स होती ह क ील भपाद ऋिवक (बगाल म इसका उचारण ऋिवक ह ) आचाय का तनध नयत करग उहन पटतया कसी को भी ग नयत नह कया ील भपाद इसस पट नह हो सकत थ

5 आग व पट करत ह क 11 नाम िजनक घोषणा क जानी ह व ऋिवक क तरह काय करग ndash पन दोहरात ह क व ग क प म नयत नह कय जा रह ह

6 अगल बड़ी बात 11 नाम क घोषणा क बाद आती ह शद lsquoहफोवड rsquo तत श होन वाल बद परत असीमत अितम बद क तरफ या कम स कम दसर आदश क तरफ जो क इस आदश को नह हटा द इगत करता ह I और तय यह ह क ील भपाद न इसक बाद ऐसा कोई भी आदश जार नह कया क व 11 यित उनक (ील

भपाद) क तरोधान क उपरात वत ह ग बन जायग I इसक अतरत इस शद को 28 मई 1977 क वातालाप क मल शन क सदभ म समझा जाना चाहए िजसम सतवप दास गोवामी न कहा था ldquoवशष प स जब आप हमार साथ नह रहग rdquo

7 फर यह कहा जाता ह क दा क लए सफ़ारश मदर क अय वारा भजी जानी चाहए ldquoजो भी इन 11 तनधय म स मदर क नकट हग Irdquo lsquoनकटrsquo शद का तापय सवधा स ह न क एक पव ग शय सबध स जो ववास क एक गहर भावना पर आधारत ह तमाल कण गोवामी 1980 म दए गए ख़द अपन बयान (अनबध ख ) म इस इस कार बहतर समझात ह ldquoयह एक बहत महवपण बद ह यक जब दा दन क बात आती ह ऐसा नह ह क जो कोई भी नज़दक हो जबक ऐसा ह क जहा भी आपका दय जाए िजस पर आपका ववास हो आप उसस ह दा ल जब यह तनध हो तब जो कोई भी नकट हो और इस बात पर व बहत पट थ उहन इनका नाम दया था व दनया भर म फल गए थ और उहन कहा ldquoजो भी आपक नकट हो आप उसक पास जाए और वह आपको परखग फर व मर ओर स आपको दा दग rdquo

8 अब प क अगल परा म हम नमनलखत वायाश को दखग जो क बना कसी सदह क ील भपाद क आचाय(ील भपाद) क ऋिवक तनध को नयत करन क और इकोन क दा ग क प म उनक नववादत िथत क इछा को इगत करत ह

क ldquohellip य तनध भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर सकत हrdquo

ख ldquoनए दत भत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह rdquo

ग ldquoनए दत शय का नाम ील भपाद को उस तनध वारा भजा जाना चाहए िजसन उस वीकार कया ह rdquo घ rdquo ील भपाद क lsquoदत शय rsquo कताब म शामल कया जायगा ldquo 9 जस क हम दख सकत ह एक ह बद 4 बार दोहराया गया था वदावन म सतबर 10 1975 को ीमद भागवतम 627 क एक वचन म ील भपाद जी न कहा था ldquoशा हम 3 बार याद दलात ह िजस कार स हम कसी चीज़ पर जोर डालत ह ldquoयह करो ldquoयह करो यह करो तीन बार I अत इसलए तीन बार कहा गया ह हरनाम हरनाम हरनाम ताक वह भल न जाय वह कसी मायवाद वारा मत नह हो जाय क कोई भी नाम hellip नह हरनाम तीन बार हरनाम हरनाम हरनामव (चतय-चरतामत आद - लला 1721) फर स एव और फर स ३ बार कलौ नायव नायव नायव गतरयथा आप इस या स वचलत नह हो सकत दसरा कोई वकप या नह ह आप यह नह कह सकत क ldquoम इस या स या उस या स मत हो जाउगाrdquo नह अगर तीन बार कछ दोहराना महवपण माना जाता ह तो फर 4 बार क बार म या 10 कोई पछ सकता ह क इन 11 लोग क जान क बाद या कसी भी कारण स पतन हो जान पर या होगा क यारह तनधय क सच स पहल एक वाय म लखा ह ldquoअब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयरत िथत म काय करगrdquo ldquoअब तकrdquo शद इगत करता ह क नणायक सच बनन का कोई इरादा नह ह और ठक इसी बात क नच दए गए lsquoखrsquo बद म पिट होती ह I

ख ील भपाद जी को उधरत करत हए तमाल कण गोवामी न 1980 म दय अपन बयान म यह कहा क ldquoअगर आवयकता हो तो दसर को जोड़ा जा सकता ह rdquo यह दखान क लए क ील भपाद न दा क रिवक णाल क थापना क ह और भवय क सभी शय इस आदोलन म उनक शय ह यह प नदश ठोस सबत ह

13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण

आग क सबत ील भपाद क वसीयत स आत ह यहा दखान क लए वसीयत काफ़ बड़ी ह अत हम कवल उह बदओ पर ग़ौर करग जो ील भपाद क इकोन क आयािमक ग (दा ग ) होन क अवथा पर काश डालत ह ील भपाद क पर वसीयत को दखन क लए कपया परशट क दख

1 पर अतराय कणभावनामत सघ क मौलक बधाधकार कवल गवनग बॉडी कमशन (जी बी सी ) ह हग

अ अब मान लिजए एक मदर म ीमान lsquoकrsquo मदर क अय ह ीमान lsquoखrsquo िजस श म मदर ह उस क जी बी सी तनध ह और ीमान lsquoगrsquo मदर क अय क ग ह अब ीमान lsquoकrsquo ीमान lsquoगrsquo का नठावान शय बनना चाहगा और यद जीबीसी क तनध ीमान lsquoखrsquo क आदश उसक ग ीमान lsquoगrsquo क आदश स मल नह खात तब वह अपन ग ीमान lsquoगrsquo त नटावान रहन क वकप को चनगा न ह ीमान lsquoखrsquo क त परत यह ील भपाद क अवा का घठनकरता ह यक ील भपाद क अनसार जी बी सी को ह मौलक बध अधकार रहना ह अय कोई नह

ख ऊपर दय गए वचार स पता चलता ह क इस तरह क ववादापद ितथ म वतमान ग णाल का अनसरण करन स एक दसर क ग को या ील भपाद को अपमानत करन क लए बाय होना पड़गा परत दा क ऋिवक णाल का पालन करन स ऐसा कोई वरोधाभास नह होगा

2 हर मिदर इकोन क सप होगी और तीन कायकार नदशक वारा बधत क जाएगी बधन क यवथा अभी क तरह जार रहगी और कसी भी परवतन क आवयकता नह ह

क इस य म ग को लान स बध क यवथा म परवतन होगा जो ील भपाद क आदश क वध ह

ख इस अनधकत परवतन क कारण इकोन क इतहास न बार बार दखाया ह क वहा कई बधकय समयाओ हई यक ग जो उम ग स कम ह व अपन शय पर अपना भाव जतान क कोशश करत ह जबक मदर क बध का उन पर कोई नयण नह रहा इस तरह मदर बधन को इस तरह स भार दवाब क तहत रखा गया

ग इसक इलावा इस तरह क बदलाव 1975 म जीबीसी बठक क अनसार जी बी सी क परभाषा क वध ह

ldquoतावत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद न जीबीसी (गवनग बॉडी कमीशन) क थापना अतराय कणभावनामत सघ िजसक व सथापकाचाय और सवपर अधकार ह क सचालन क िजमदार को परा करन म तनधव करन क लए क ह I जीबीसी उनक नदश को अपना जीवन और आमा वीकार करती ह और मानती ह क हर तरह स यह उनक कपा पर आत ह कणकपामत क वारा कपा करक दए गए आदश क पालना करन और उनक शाओ को शध प म वव म सरत करक और सारत करन क आलावा जीबीसी का कोई अय काय या उदय नह ह rdquo

-जीबीसी क परभाषा ताव 1 जीबीसी ववरण 1975

3 वासीयत क बद 3 म भारत म तक इकोन क सप 3 कायकार नदशक को सपी गयी थी और सप क नाम और उनक कायकार नदशक क नाम दय गए थ तब ील भपाद यह कहत ह यह कायकार नदशक जो नामत कए गए ह वह जीवन क लए नयत कए गए ह मय क िथत म या असफलता म कसी भी कारण स काय करन क लए कसी भी दए गए नदशको म स एक उतराधकार नदशक या नदशको को एक नदशको वारा नयत कया जा सकता ह बशत नए नदशक मर दा दए गए शय ह जो सती स इकोन क सभी नयम और वनयम का पालन करत ह जस मर कताब म वतत जानकार द ह और कभी भी तीन (3) स काम या पाच (5) स यादा कायकार नदशक काय नह कर सकत एक ह समय पर

क सधातक प स कह तो सन 2050 तक ील भपाद क भौतक उपिथत क दोरान जो शय थ व सभी शय गज़र जाएग तब इन सपय का नदशक कौन बनगा कवल यह नतीजा होना चाहए क इस आदोलन क भावी शय ील भपाद क शय हग िजहन ऋिवक णाल वारा दा ल ह जो क ील भपाद न वय थापत क ह

ख जब 2 जन 1977 को गराज वामी वारा ील भपाद क लए वासीयत का ाप पढ़ा जा रहा था ऊपर दए गए बड़ शद थ ldquoएक दत शय rdquo परत नणायक दतावज़ म हम दखत ह क इस बदल कर ldquoमरा दत शय rdquo कर दया गया इसस पता चलता ह क यह ील भपाद वारा एक वचारपवक क़दम था

वसीयत क घोषणा म ील भपाद क इराद जलाई 9 1977 क प आदश और मई 28 1977 क वातालाप स मल खात ह अपन शाररक थान क बाद भी अपनी िथत को इकोन क दा ग क प म बनाए रखन क लए ील भपाद न पट प स दा क ऋिवक णाल क तरफ़ इशारा कया

14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 प आदश क साी )

1 22 अल 1977 को तमाल कण गोवामी को ील भपाद स यह कहना था ldquoठक ह

मन अपन को और आपक सार शय का अययन कर लया ह और यह पट सय ह क हम सब बध आमा ह अत हम ग नह बन सकत Irdquo

२ 3 दसबर 1980 को तमाल कण गोवामी न नन कार वीकार कया ldquoदरअसल ील भपाद न कभी भी कोई ग नयत नह कया [hellip] उहन 11 ऋिवक नयत कय थ उहन कभी भी उनको ग नयत नह कया मन और दसर जी बी सी न पछल तीन साल म इस आदोलन क त बहत त पहचाई ह यक हमन ऋिवक क नयित को ग क नयित म बदल दया ह Irdquo वातव इस पर बयान (परशट ख ) को पढ़ना ठक होगा जहा उहन इस बात पर जोर दया ह क ील भपाद न कभी भी कसी को ग नयत नह कया

2 दाशनक माण अब तक हमन दतावजी माण को क़ाननी दतावज एव अधकत ऑडओ तलखन को दखा ह िजसक सयता हर तरह क सदह स पर ह अब हम ग -तव क सधातो को दाशनक एव शािक िट स समझग क ामाणक ग कौन बन सकता ह कौन नह बन सकता और साथ ह 1977 क बाद इकोन म दा स सबिधत ील भपाद क उपदश क त हमार समझ को सढ़ करग I

21 दा क परभाषा दा दो शद का एक सयोग ह -- lsquoद rsquo और lsquoा rsquo I lsquoद rsquo का तापय ह दय -ानम दय ान और lsquoा rsquo का तापय ह पयत मटा दना या उमलन (पापपण कय) (ीमद भागवतम क 42461 और चतय चरतामत अय लला 362 क एक-एक शद क अनवाद क अनसार ) I इसलए दा का मतलब दय ान का अत-पण और पापपण कय का वनाश ह ननलखत लोक दा शद क इस परभाषा को इगत करता ह

दय ान यतो दायात कयात पापय सडयम तमात दत सा ोता दशकतवकोवद

ldquoदा वह वध ह िजसक वारा दय ान को जागत कया जा सकता ह और पापकम क सार फल का य कया जा सकता ह शा अययन म पारगत यित इस वध को दा क नाम स जनता ह rdquo

- ील जीव गोवामी क भित -सदभ (283) िजसका उधरण चतय चरतामत मय -लला 15108 क तापय म दया गया ह

तवध णपातन परनन सवया उपदयित त ान ाननतवदशनः

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 11: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

तनध क प म रख कर दा द रह ह परत इस जवाब क अधबीच म तमाल कण ील भपाद जी क शद को बद सया 13 म दोहरात ह इसलए ील भपाद जी क शद अलग दखाई पड़ रह ह

अब बद सया 14 म व पन lsquoपरम शयrsquo शद का उलख कर रह ह बद सया 15 म सतवप एक और शन पछन क कोशश करत ह परत ील भपाद बद सया 14 स चलत हए बद सया 16 म कहत ह क परम शय तभी बन सकता ह जब व अपन शय म स कसी को ग बनन का आदश दग I तब व पट करत ह क व नयमत ग बनन क लय उनक आदश क तीा कर अत इस वातालाप क समय आदश कह नह ह अतएव यह वातव म तथा -कथत बहचत ldquoनयित टप rdquo नह ह

12 ऋिवक क अधकत नयित एक अपट वातालाप (मई 28 1977) क आधार पर ील भपाद न इकोन क भवय को हवा म लटकत हए नह छोड़ा वातव म ील भपाद न अपन इराद को पट करन क लए इस मामल को वव क सार मदर म लखत नदश क प म जार कया अब हम इस नदश पर अछ तरह स नज़र डालत ह जो क सबत का अगला भाग ह - जलाई 9 1977 का एक प

असल प क तवीर नच द गई ह इसको पढ़ना थोड़ा मशकल ह इसलए हमन इस तवीर क बाद इस प का पण अनवाद दया ह परत अब हम आपका यान ील भपाद और तमाल कणा गोवामी (ील भपाद जी क यितगत सचव ) क हतार क तरफ़ लाना चाहग जो क इस दतावज़ क तवीर क अत म ह दो हतार क साथ यह एक क़ाननी दतावज़ ह बना कसी न क सार इकोन को इस आदश क पालन करना पड़गी

नीच दए गए प का आप पण और पट अनवाद दखग िजस आप आसानी स और पट प स इसक वषय वत को पढ़ सक

---------------------------------------------------------------------

जलाई 91977 का प

जलाई 7 1977

समत जीबीसी ऐव टपल िज़डट क लए

महाराज एव भगण

आपक चरण म मरा दडवत णाम वीकार हाल ह म जीबीसी ी ीमद क साथ वदावन म थ तब ील भपाद न सचत कया था क जद ह व पहल दा (हर नाम) और दसर दा (गायी) दन क लए अपन वरठ शय म स कछ को रिवक आचाय क तनधव क प म काय करन क लए मनोनीत करग अब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयत िथत म काय करग

ीपाद कतानानद वामी

ीपाद सतवप दास गोवामी

ीपाद जयपताका वामी

ीपाद तमाल कण गोवामी

ीपाद दयनद गोवामी

ीपाद भावनद गोवामी

ीपाद हसदता वामी

ीपाद रामवर वामी

ीपाद हरकश वामी

ीमान भगवान दास अधकार

ीमान जयतीथ दास अधकार

पव म कसी भत क सफ़ारश करन क लए टपल िज़डट ील भपाद को प लखत थ अब चक ील भपाद न इन तनधय को मनोनीत कर दया ह अतः इस समय स टपल िज़डट पहल और दसर दा क लए अपन सफ़ारश प इन तनधयो म स नकटम तनध को भज सफ़ारश को परखन क पचात य तनध उस भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर उस आयािमक नाम द सकत ह या दसर

दा क लए यपवीत पर गायी जाप कर सकत ह ठक उससी तरह िजस तरह ील भपाद कया करत थ नए दत भत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह और य याहरा भत उनक तनध ह इन तनधयो क प वारा भज गए आयािमक नाम और यपवीत मलन क उपरात टपल िज़डट अपन मदर म उसी कार य कर सकत ह िजस कार हआ करत थ जो तनध नए दत शय को ील भपाद क ओर स वीकार करग उह इन नए दत शय क नाम ील भपाद क lsquoइनशीएटड डसायपलसrsquo (दत शय) नामक आपक सकशलता क कामना करत हए आपक सकशलता क कामना करत हए आपका सवक (मल दतावज़ पर ील भपाद क हतार अकत ह ) तमाल कण गोवामी सचव - ील भपाद

जलाई 9 1977 प का वलषण

1 यहा यह पणतया पट हो जाता ह यह ील भपाद क बध करन क शल रह ह हर महवपण नदश लख जात ह और उह दनया क सभी मदरो क लए जार कया जाता ह न क कसी ामक बढग तरक़ स कसी नजी कमर म बातचीत क वारा

2 कपया यान द क उपरोत प क पहल परा म तमाल कण गोवामी हाल म हई मीटगक बार म िज कर रह ह जो क वदावन म सभी जी बी सी क सदय और ील भपाद क साथ दा क या को पट करन क लए थी 28 मई 1977 क वातालाप का यह सीधा सार ह अत यद आप उस वातालाप को पढ़न क बाद याकल महसस करत ह या वलषण क जानन क उपरात भी कसी तरह पट नह ह तो यहा इसका शध प ह यह प सीधा उसी वातालाप क और इशारा करता ह

3 इसक अलावा यह यान दना महवपण ह क 28 मई का वातालाप कस श हआ उन शद को याद किजय ldquoख़ासकर जब आप हमार साथ नह रहग rdquo अत य शद निचत प स ील भपाद क जान क बाद क समय क और इशारा करत ह हम यह परा प इसी सदभ म पढ़ना चाहए

4 प क शआत इस तरह स होती ह क ील भपाद ऋिवक (बगाल म इसका उचारण ऋिवक ह ) आचाय का तनध नयत करग उहन पटतया कसी को भी ग नयत नह कया ील भपाद इसस पट नह हो सकत थ

5 आग व पट करत ह क 11 नाम िजनक घोषणा क जानी ह व ऋिवक क तरह काय करग ndash पन दोहरात ह क व ग क प म नयत नह कय जा रह ह

6 अगल बड़ी बात 11 नाम क घोषणा क बाद आती ह शद lsquoहफोवड rsquo तत श होन वाल बद परत असीमत अितम बद क तरफ या कम स कम दसर आदश क तरफ जो क इस आदश को नह हटा द इगत करता ह I और तय यह ह क ील भपाद न इसक बाद ऐसा कोई भी आदश जार नह कया क व 11 यित उनक (ील

भपाद) क तरोधान क उपरात वत ह ग बन जायग I इसक अतरत इस शद को 28 मई 1977 क वातालाप क मल शन क सदभ म समझा जाना चाहए िजसम सतवप दास गोवामी न कहा था ldquoवशष प स जब आप हमार साथ नह रहग rdquo

7 फर यह कहा जाता ह क दा क लए सफ़ारश मदर क अय वारा भजी जानी चाहए ldquoजो भी इन 11 तनधय म स मदर क नकट हग Irdquo lsquoनकटrsquo शद का तापय सवधा स ह न क एक पव ग शय सबध स जो ववास क एक गहर भावना पर आधारत ह तमाल कण गोवामी 1980 म दए गए ख़द अपन बयान (अनबध ख ) म इस इस कार बहतर समझात ह ldquoयह एक बहत महवपण बद ह यक जब दा दन क बात आती ह ऐसा नह ह क जो कोई भी नज़दक हो जबक ऐसा ह क जहा भी आपका दय जाए िजस पर आपका ववास हो आप उसस ह दा ल जब यह तनध हो तब जो कोई भी नकट हो और इस बात पर व बहत पट थ उहन इनका नाम दया था व दनया भर म फल गए थ और उहन कहा ldquoजो भी आपक नकट हो आप उसक पास जाए और वह आपको परखग फर व मर ओर स आपको दा दग rdquo

8 अब प क अगल परा म हम नमनलखत वायाश को दखग जो क बना कसी सदह क ील भपाद क आचाय(ील भपाद) क ऋिवक तनध को नयत करन क और इकोन क दा ग क प म उनक नववादत िथत क इछा को इगत करत ह

क ldquohellip य तनध भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर सकत हrdquo

ख ldquoनए दत भत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह rdquo

ग ldquoनए दत शय का नाम ील भपाद को उस तनध वारा भजा जाना चाहए िजसन उस वीकार कया ह rdquo घ rdquo ील भपाद क lsquoदत शय rsquo कताब म शामल कया जायगा ldquo 9 जस क हम दख सकत ह एक ह बद 4 बार दोहराया गया था वदावन म सतबर 10 1975 को ीमद भागवतम 627 क एक वचन म ील भपाद जी न कहा था ldquoशा हम 3 बार याद दलात ह िजस कार स हम कसी चीज़ पर जोर डालत ह ldquoयह करो ldquoयह करो यह करो तीन बार I अत इसलए तीन बार कहा गया ह हरनाम हरनाम हरनाम ताक वह भल न जाय वह कसी मायवाद वारा मत नह हो जाय क कोई भी नाम hellip नह हरनाम तीन बार हरनाम हरनाम हरनामव (चतय-चरतामत आद - लला 1721) फर स एव और फर स ३ बार कलौ नायव नायव नायव गतरयथा आप इस या स वचलत नह हो सकत दसरा कोई वकप या नह ह आप यह नह कह सकत क ldquoम इस या स या उस या स मत हो जाउगाrdquo नह अगर तीन बार कछ दोहराना महवपण माना जाता ह तो फर 4 बार क बार म या 10 कोई पछ सकता ह क इन 11 लोग क जान क बाद या कसी भी कारण स पतन हो जान पर या होगा क यारह तनधय क सच स पहल एक वाय म लखा ह ldquoअब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयरत िथत म काय करगrdquo ldquoअब तकrdquo शद इगत करता ह क नणायक सच बनन का कोई इरादा नह ह और ठक इसी बात क नच दए गए lsquoखrsquo बद म पिट होती ह I

ख ील भपाद जी को उधरत करत हए तमाल कण गोवामी न 1980 म दय अपन बयान म यह कहा क ldquoअगर आवयकता हो तो दसर को जोड़ा जा सकता ह rdquo यह दखान क लए क ील भपाद न दा क रिवक णाल क थापना क ह और भवय क सभी शय इस आदोलन म उनक शय ह यह प नदश ठोस सबत ह

13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण

आग क सबत ील भपाद क वसीयत स आत ह यहा दखान क लए वसीयत काफ़ बड़ी ह अत हम कवल उह बदओ पर ग़ौर करग जो ील भपाद क इकोन क आयािमक ग (दा ग ) होन क अवथा पर काश डालत ह ील भपाद क पर वसीयत को दखन क लए कपया परशट क दख

1 पर अतराय कणभावनामत सघ क मौलक बधाधकार कवल गवनग बॉडी कमशन (जी बी सी ) ह हग

अ अब मान लिजए एक मदर म ीमान lsquoकrsquo मदर क अय ह ीमान lsquoखrsquo िजस श म मदर ह उस क जी बी सी तनध ह और ीमान lsquoगrsquo मदर क अय क ग ह अब ीमान lsquoकrsquo ीमान lsquoगrsquo का नठावान शय बनना चाहगा और यद जीबीसी क तनध ीमान lsquoखrsquo क आदश उसक ग ीमान lsquoगrsquo क आदश स मल नह खात तब वह अपन ग ीमान lsquoगrsquo त नटावान रहन क वकप को चनगा न ह ीमान lsquoखrsquo क त परत यह ील भपाद क अवा का घठनकरता ह यक ील भपाद क अनसार जी बी सी को ह मौलक बध अधकार रहना ह अय कोई नह

ख ऊपर दय गए वचार स पता चलता ह क इस तरह क ववादापद ितथ म वतमान ग णाल का अनसरण करन स एक दसर क ग को या ील भपाद को अपमानत करन क लए बाय होना पड़गा परत दा क ऋिवक णाल का पालन करन स ऐसा कोई वरोधाभास नह होगा

2 हर मिदर इकोन क सप होगी और तीन कायकार नदशक वारा बधत क जाएगी बधन क यवथा अभी क तरह जार रहगी और कसी भी परवतन क आवयकता नह ह

क इस य म ग को लान स बध क यवथा म परवतन होगा जो ील भपाद क आदश क वध ह

ख इस अनधकत परवतन क कारण इकोन क इतहास न बार बार दखाया ह क वहा कई बधकय समयाओ हई यक ग जो उम ग स कम ह व अपन शय पर अपना भाव जतान क कोशश करत ह जबक मदर क बध का उन पर कोई नयण नह रहा इस तरह मदर बधन को इस तरह स भार दवाब क तहत रखा गया

ग इसक इलावा इस तरह क बदलाव 1975 म जीबीसी बठक क अनसार जी बी सी क परभाषा क वध ह

ldquoतावत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद न जीबीसी (गवनग बॉडी कमीशन) क थापना अतराय कणभावनामत सघ िजसक व सथापकाचाय और सवपर अधकार ह क सचालन क िजमदार को परा करन म तनधव करन क लए क ह I जीबीसी उनक नदश को अपना जीवन और आमा वीकार करती ह और मानती ह क हर तरह स यह उनक कपा पर आत ह कणकपामत क वारा कपा करक दए गए आदश क पालना करन और उनक शाओ को शध प म वव म सरत करक और सारत करन क आलावा जीबीसी का कोई अय काय या उदय नह ह rdquo

-जीबीसी क परभाषा ताव 1 जीबीसी ववरण 1975

3 वासीयत क बद 3 म भारत म तक इकोन क सप 3 कायकार नदशक को सपी गयी थी और सप क नाम और उनक कायकार नदशक क नाम दय गए थ तब ील भपाद यह कहत ह यह कायकार नदशक जो नामत कए गए ह वह जीवन क लए नयत कए गए ह मय क िथत म या असफलता म कसी भी कारण स काय करन क लए कसी भी दए गए नदशको म स एक उतराधकार नदशक या नदशको को एक नदशको वारा नयत कया जा सकता ह बशत नए नदशक मर दा दए गए शय ह जो सती स इकोन क सभी नयम और वनयम का पालन करत ह जस मर कताब म वतत जानकार द ह और कभी भी तीन (3) स काम या पाच (5) स यादा कायकार नदशक काय नह कर सकत एक ह समय पर

क सधातक प स कह तो सन 2050 तक ील भपाद क भौतक उपिथत क दोरान जो शय थ व सभी शय गज़र जाएग तब इन सपय का नदशक कौन बनगा कवल यह नतीजा होना चाहए क इस आदोलन क भावी शय ील भपाद क शय हग िजहन ऋिवक णाल वारा दा ल ह जो क ील भपाद न वय थापत क ह

ख जब 2 जन 1977 को गराज वामी वारा ील भपाद क लए वासीयत का ाप पढ़ा जा रहा था ऊपर दए गए बड़ शद थ ldquoएक दत शय rdquo परत नणायक दतावज़ म हम दखत ह क इस बदल कर ldquoमरा दत शय rdquo कर दया गया इसस पता चलता ह क यह ील भपाद वारा एक वचारपवक क़दम था

वसीयत क घोषणा म ील भपाद क इराद जलाई 9 1977 क प आदश और मई 28 1977 क वातालाप स मल खात ह अपन शाररक थान क बाद भी अपनी िथत को इकोन क दा ग क प म बनाए रखन क लए ील भपाद न पट प स दा क ऋिवक णाल क तरफ़ इशारा कया

14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 प आदश क साी )

1 22 अल 1977 को तमाल कण गोवामी को ील भपाद स यह कहना था ldquoठक ह

मन अपन को और आपक सार शय का अययन कर लया ह और यह पट सय ह क हम सब बध आमा ह अत हम ग नह बन सकत Irdquo

२ 3 दसबर 1980 को तमाल कण गोवामी न नन कार वीकार कया ldquoदरअसल ील भपाद न कभी भी कोई ग नयत नह कया [hellip] उहन 11 ऋिवक नयत कय थ उहन कभी भी उनको ग नयत नह कया मन और दसर जी बी सी न पछल तीन साल म इस आदोलन क त बहत त पहचाई ह यक हमन ऋिवक क नयित को ग क नयित म बदल दया ह Irdquo वातव इस पर बयान (परशट ख ) को पढ़ना ठक होगा जहा उहन इस बात पर जोर दया ह क ील भपाद न कभी भी कसी को ग नयत नह कया

2 दाशनक माण अब तक हमन दतावजी माण को क़ाननी दतावज एव अधकत ऑडओ तलखन को दखा ह िजसक सयता हर तरह क सदह स पर ह अब हम ग -तव क सधातो को दाशनक एव शािक िट स समझग क ामाणक ग कौन बन सकता ह कौन नह बन सकता और साथ ह 1977 क बाद इकोन म दा स सबिधत ील भपाद क उपदश क त हमार समझ को सढ़ करग I

21 दा क परभाषा दा दो शद का एक सयोग ह -- lsquoद rsquo और lsquoा rsquo I lsquoद rsquo का तापय ह दय -ानम दय ान और lsquoा rsquo का तापय ह पयत मटा दना या उमलन (पापपण कय) (ीमद भागवतम क 42461 और चतय चरतामत अय लला 362 क एक-एक शद क अनवाद क अनसार ) I इसलए दा का मतलब दय ान का अत-पण और पापपण कय का वनाश ह ननलखत लोक दा शद क इस परभाषा को इगत करता ह

दय ान यतो दायात कयात पापय सडयम तमात दत सा ोता दशकतवकोवद

ldquoदा वह वध ह िजसक वारा दय ान को जागत कया जा सकता ह और पापकम क सार फल का य कया जा सकता ह शा अययन म पारगत यित इस वध को दा क नाम स जनता ह rdquo

- ील जीव गोवामी क भित -सदभ (283) िजसका उधरण चतय चरतामत मय -लला 15108 क तापय म दया गया ह

तवध णपातन परनन सवया उपदयित त ान ाननतवदशनः

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 12: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

नीच दए गए प का आप पण और पट अनवाद दखग िजस आप आसानी स और पट प स इसक वषय वत को पढ़ सक

---------------------------------------------------------------------

जलाई 91977 का प

जलाई 7 1977

समत जीबीसी ऐव टपल िज़डट क लए

महाराज एव भगण

आपक चरण म मरा दडवत णाम वीकार हाल ह म जीबीसी ी ीमद क साथ वदावन म थ तब ील भपाद न सचत कया था क जद ह व पहल दा (हर नाम) और दसर दा (गायी) दन क लए अपन वरठ शय म स कछ को रिवक आचाय क तनधव क प म काय करन क लए मनोनीत करग अब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयत िथत म काय करग

ीपाद कतानानद वामी

ीपाद सतवप दास गोवामी

ीपाद जयपताका वामी

ीपाद तमाल कण गोवामी

ीपाद दयनद गोवामी

ीपाद भावनद गोवामी

ीपाद हसदता वामी

ीपाद रामवर वामी

ीपाद हरकश वामी

ीमान भगवान दास अधकार

ीमान जयतीथ दास अधकार

पव म कसी भत क सफ़ारश करन क लए टपल िज़डट ील भपाद को प लखत थ अब चक ील भपाद न इन तनधय को मनोनीत कर दया ह अतः इस समय स टपल िज़डट पहल और दसर दा क लए अपन सफ़ारश प इन तनधयो म स नकटम तनध को भज सफ़ारश को परखन क पचात य तनध उस भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर उस आयािमक नाम द सकत ह या दसर

दा क लए यपवीत पर गायी जाप कर सकत ह ठक उससी तरह िजस तरह ील भपाद कया करत थ नए दत भत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह और य याहरा भत उनक तनध ह इन तनधयो क प वारा भज गए आयािमक नाम और यपवीत मलन क उपरात टपल िज़डट अपन मदर म उसी कार य कर सकत ह िजस कार हआ करत थ जो तनध नए दत शय को ील भपाद क ओर स वीकार करग उह इन नए दत शय क नाम ील भपाद क lsquoइनशीएटड डसायपलसrsquo (दत शय) नामक आपक सकशलता क कामना करत हए आपक सकशलता क कामना करत हए आपका सवक (मल दतावज़ पर ील भपाद क हतार अकत ह ) तमाल कण गोवामी सचव - ील भपाद

जलाई 9 1977 प का वलषण

1 यहा यह पणतया पट हो जाता ह यह ील भपाद क बध करन क शल रह ह हर महवपण नदश लख जात ह और उह दनया क सभी मदरो क लए जार कया जाता ह न क कसी ामक बढग तरक़ स कसी नजी कमर म बातचीत क वारा

2 कपया यान द क उपरोत प क पहल परा म तमाल कण गोवामी हाल म हई मीटगक बार म िज कर रह ह जो क वदावन म सभी जी बी सी क सदय और ील भपाद क साथ दा क या को पट करन क लए थी 28 मई 1977 क वातालाप का यह सीधा सार ह अत यद आप उस वातालाप को पढ़न क बाद याकल महसस करत ह या वलषण क जानन क उपरात भी कसी तरह पट नह ह तो यहा इसका शध प ह यह प सीधा उसी वातालाप क और इशारा करता ह

3 इसक अलावा यह यान दना महवपण ह क 28 मई का वातालाप कस श हआ उन शद को याद किजय ldquoख़ासकर जब आप हमार साथ नह रहग rdquo अत य शद निचत प स ील भपाद क जान क बाद क समय क और इशारा करत ह हम यह परा प इसी सदभ म पढ़ना चाहए

4 प क शआत इस तरह स होती ह क ील भपाद ऋिवक (बगाल म इसका उचारण ऋिवक ह ) आचाय का तनध नयत करग उहन पटतया कसी को भी ग नयत नह कया ील भपाद इसस पट नह हो सकत थ

5 आग व पट करत ह क 11 नाम िजनक घोषणा क जानी ह व ऋिवक क तरह काय करग ndash पन दोहरात ह क व ग क प म नयत नह कय जा रह ह

6 अगल बड़ी बात 11 नाम क घोषणा क बाद आती ह शद lsquoहफोवड rsquo तत श होन वाल बद परत असीमत अितम बद क तरफ या कम स कम दसर आदश क तरफ जो क इस आदश को नह हटा द इगत करता ह I और तय यह ह क ील भपाद न इसक बाद ऐसा कोई भी आदश जार नह कया क व 11 यित उनक (ील

भपाद) क तरोधान क उपरात वत ह ग बन जायग I इसक अतरत इस शद को 28 मई 1977 क वातालाप क मल शन क सदभ म समझा जाना चाहए िजसम सतवप दास गोवामी न कहा था ldquoवशष प स जब आप हमार साथ नह रहग rdquo

7 फर यह कहा जाता ह क दा क लए सफ़ारश मदर क अय वारा भजी जानी चाहए ldquoजो भी इन 11 तनधय म स मदर क नकट हग Irdquo lsquoनकटrsquo शद का तापय सवधा स ह न क एक पव ग शय सबध स जो ववास क एक गहर भावना पर आधारत ह तमाल कण गोवामी 1980 म दए गए ख़द अपन बयान (अनबध ख ) म इस इस कार बहतर समझात ह ldquoयह एक बहत महवपण बद ह यक जब दा दन क बात आती ह ऐसा नह ह क जो कोई भी नज़दक हो जबक ऐसा ह क जहा भी आपका दय जाए िजस पर आपका ववास हो आप उसस ह दा ल जब यह तनध हो तब जो कोई भी नकट हो और इस बात पर व बहत पट थ उहन इनका नाम दया था व दनया भर म फल गए थ और उहन कहा ldquoजो भी आपक नकट हो आप उसक पास जाए और वह आपको परखग फर व मर ओर स आपको दा दग rdquo

8 अब प क अगल परा म हम नमनलखत वायाश को दखग जो क बना कसी सदह क ील भपाद क आचाय(ील भपाद) क ऋिवक तनध को नयत करन क और इकोन क दा ग क प म उनक नववादत िथत क इछा को इगत करत ह

क ldquohellip य तनध भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर सकत हrdquo

ख ldquoनए दत भत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह rdquo

ग ldquoनए दत शय का नाम ील भपाद को उस तनध वारा भजा जाना चाहए िजसन उस वीकार कया ह rdquo घ rdquo ील भपाद क lsquoदत शय rsquo कताब म शामल कया जायगा ldquo 9 जस क हम दख सकत ह एक ह बद 4 बार दोहराया गया था वदावन म सतबर 10 1975 को ीमद भागवतम 627 क एक वचन म ील भपाद जी न कहा था ldquoशा हम 3 बार याद दलात ह िजस कार स हम कसी चीज़ पर जोर डालत ह ldquoयह करो ldquoयह करो यह करो तीन बार I अत इसलए तीन बार कहा गया ह हरनाम हरनाम हरनाम ताक वह भल न जाय वह कसी मायवाद वारा मत नह हो जाय क कोई भी नाम hellip नह हरनाम तीन बार हरनाम हरनाम हरनामव (चतय-चरतामत आद - लला 1721) फर स एव और फर स ३ बार कलौ नायव नायव नायव गतरयथा आप इस या स वचलत नह हो सकत दसरा कोई वकप या नह ह आप यह नह कह सकत क ldquoम इस या स या उस या स मत हो जाउगाrdquo नह अगर तीन बार कछ दोहराना महवपण माना जाता ह तो फर 4 बार क बार म या 10 कोई पछ सकता ह क इन 11 लोग क जान क बाद या कसी भी कारण स पतन हो जान पर या होगा क यारह तनधय क सच स पहल एक वाय म लखा ह ldquoअब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयरत िथत म काय करगrdquo ldquoअब तकrdquo शद इगत करता ह क नणायक सच बनन का कोई इरादा नह ह और ठक इसी बात क नच दए गए lsquoखrsquo बद म पिट होती ह I

ख ील भपाद जी को उधरत करत हए तमाल कण गोवामी न 1980 म दय अपन बयान म यह कहा क ldquoअगर आवयकता हो तो दसर को जोड़ा जा सकता ह rdquo यह दखान क लए क ील भपाद न दा क रिवक णाल क थापना क ह और भवय क सभी शय इस आदोलन म उनक शय ह यह प नदश ठोस सबत ह

13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण

आग क सबत ील भपाद क वसीयत स आत ह यहा दखान क लए वसीयत काफ़ बड़ी ह अत हम कवल उह बदओ पर ग़ौर करग जो ील भपाद क इकोन क आयािमक ग (दा ग ) होन क अवथा पर काश डालत ह ील भपाद क पर वसीयत को दखन क लए कपया परशट क दख

1 पर अतराय कणभावनामत सघ क मौलक बधाधकार कवल गवनग बॉडी कमशन (जी बी सी ) ह हग

अ अब मान लिजए एक मदर म ीमान lsquoकrsquo मदर क अय ह ीमान lsquoखrsquo िजस श म मदर ह उस क जी बी सी तनध ह और ीमान lsquoगrsquo मदर क अय क ग ह अब ीमान lsquoकrsquo ीमान lsquoगrsquo का नठावान शय बनना चाहगा और यद जीबीसी क तनध ीमान lsquoखrsquo क आदश उसक ग ीमान lsquoगrsquo क आदश स मल नह खात तब वह अपन ग ीमान lsquoगrsquo त नटावान रहन क वकप को चनगा न ह ीमान lsquoखrsquo क त परत यह ील भपाद क अवा का घठनकरता ह यक ील भपाद क अनसार जी बी सी को ह मौलक बध अधकार रहना ह अय कोई नह

ख ऊपर दय गए वचार स पता चलता ह क इस तरह क ववादापद ितथ म वतमान ग णाल का अनसरण करन स एक दसर क ग को या ील भपाद को अपमानत करन क लए बाय होना पड़गा परत दा क ऋिवक णाल का पालन करन स ऐसा कोई वरोधाभास नह होगा

2 हर मिदर इकोन क सप होगी और तीन कायकार नदशक वारा बधत क जाएगी बधन क यवथा अभी क तरह जार रहगी और कसी भी परवतन क आवयकता नह ह

क इस य म ग को लान स बध क यवथा म परवतन होगा जो ील भपाद क आदश क वध ह

ख इस अनधकत परवतन क कारण इकोन क इतहास न बार बार दखाया ह क वहा कई बधकय समयाओ हई यक ग जो उम ग स कम ह व अपन शय पर अपना भाव जतान क कोशश करत ह जबक मदर क बध का उन पर कोई नयण नह रहा इस तरह मदर बधन को इस तरह स भार दवाब क तहत रखा गया

ग इसक इलावा इस तरह क बदलाव 1975 म जीबीसी बठक क अनसार जी बी सी क परभाषा क वध ह

ldquoतावत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद न जीबीसी (गवनग बॉडी कमीशन) क थापना अतराय कणभावनामत सघ िजसक व सथापकाचाय और सवपर अधकार ह क सचालन क िजमदार को परा करन म तनधव करन क लए क ह I जीबीसी उनक नदश को अपना जीवन और आमा वीकार करती ह और मानती ह क हर तरह स यह उनक कपा पर आत ह कणकपामत क वारा कपा करक दए गए आदश क पालना करन और उनक शाओ को शध प म वव म सरत करक और सारत करन क आलावा जीबीसी का कोई अय काय या उदय नह ह rdquo

-जीबीसी क परभाषा ताव 1 जीबीसी ववरण 1975

3 वासीयत क बद 3 म भारत म तक इकोन क सप 3 कायकार नदशक को सपी गयी थी और सप क नाम और उनक कायकार नदशक क नाम दय गए थ तब ील भपाद यह कहत ह यह कायकार नदशक जो नामत कए गए ह वह जीवन क लए नयत कए गए ह मय क िथत म या असफलता म कसी भी कारण स काय करन क लए कसी भी दए गए नदशको म स एक उतराधकार नदशक या नदशको को एक नदशको वारा नयत कया जा सकता ह बशत नए नदशक मर दा दए गए शय ह जो सती स इकोन क सभी नयम और वनयम का पालन करत ह जस मर कताब म वतत जानकार द ह और कभी भी तीन (3) स काम या पाच (5) स यादा कायकार नदशक काय नह कर सकत एक ह समय पर

क सधातक प स कह तो सन 2050 तक ील भपाद क भौतक उपिथत क दोरान जो शय थ व सभी शय गज़र जाएग तब इन सपय का नदशक कौन बनगा कवल यह नतीजा होना चाहए क इस आदोलन क भावी शय ील भपाद क शय हग िजहन ऋिवक णाल वारा दा ल ह जो क ील भपाद न वय थापत क ह

ख जब 2 जन 1977 को गराज वामी वारा ील भपाद क लए वासीयत का ाप पढ़ा जा रहा था ऊपर दए गए बड़ शद थ ldquoएक दत शय rdquo परत नणायक दतावज़ म हम दखत ह क इस बदल कर ldquoमरा दत शय rdquo कर दया गया इसस पता चलता ह क यह ील भपाद वारा एक वचारपवक क़दम था

वसीयत क घोषणा म ील भपाद क इराद जलाई 9 1977 क प आदश और मई 28 1977 क वातालाप स मल खात ह अपन शाररक थान क बाद भी अपनी िथत को इकोन क दा ग क प म बनाए रखन क लए ील भपाद न पट प स दा क ऋिवक णाल क तरफ़ इशारा कया

14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 प आदश क साी )

1 22 अल 1977 को तमाल कण गोवामी को ील भपाद स यह कहना था ldquoठक ह

मन अपन को और आपक सार शय का अययन कर लया ह और यह पट सय ह क हम सब बध आमा ह अत हम ग नह बन सकत Irdquo

२ 3 दसबर 1980 को तमाल कण गोवामी न नन कार वीकार कया ldquoदरअसल ील भपाद न कभी भी कोई ग नयत नह कया [hellip] उहन 11 ऋिवक नयत कय थ उहन कभी भी उनको ग नयत नह कया मन और दसर जी बी सी न पछल तीन साल म इस आदोलन क त बहत त पहचाई ह यक हमन ऋिवक क नयित को ग क नयित म बदल दया ह Irdquo वातव इस पर बयान (परशट ख ) को पढ़ना ठक होगा जहा उहन इस बात पर जोर दया ह क ील भपाद न कभी भी कसी को ग नयत नह कया

2 दाशनक माण अब तक हमन दतावजी माण को क़ाननी दतावज एव अधकत ऑडओ तलखन को दखा ह िजसक सयता हर तरह क सदह स पर ह अब हम ग -तव क सधातो को दाशनक एव शािक िट स समझग क ामाणक ग कौन बन सकता ह कौन नह बन सकता और साथ ह 1977 क बाद इकोन म दा स सबिधत ील भपाद क उपदश क त हमार समझ को सढ़ करग I

21 दा क परभाषा दा दो शद का एक सयोग ह -- lsquoद rsquo और lsquoा rsquo I lsquoद rsquo का तापय ह दय -ानम दय ान और lsquoा rsquo का तापय ह पयत मटा दना या उमलन (पापपण कय) (ीमद भागवतम क 42461 और चतय चरतामत अय लला 362 क एक-एक शद क अनवाद क अनसार ) I इसलए दा का मतलब दय ान का अत-पण और पापपण कय का वनाश ह ननलखत लोक दा शद क इस परभाषा को इगत करता ह

दय ान यतो दायात कयात पापय सडयम तमात दत सा ोता दशकतवकोवद

ldquoदा वह वध ह िजसक वारा दय ान को जागत कया जा सकता ह और पापकम क सार फल का य कया जा सकता ह शा अययन म पारगत यित इस वध को दा क नाम स जनता ह rdquo

- ील जीव गोवामी क भित -सदभ (283) िजसका उधरण चतय चरतामत मय -लला 15108 क तापय म दया गया ह

तवध णपातन परनन सवया उपदयित त ान ाननतवदशनः

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 13: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

दा क लए यपवीत पर गायी जाप कर सकत ह ठक उससी तरह िजस तरह ील भपाद कया करत थ नए दत भत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह और य याहरा भत उनक तनध ह इन तनधयो क प वारा भज गए आयािमक नाम और यपवीत मलन क उपरात टपल िज़डट अपन मदर म उसी कार य कर सकत ह िजस कार हआ करत थ जो तनध नए दत शय को ील भपाद क ओर स वीकार करग उह इन नए दत शय क नाम ील भपाद क lsquoइनशीएटड डसायपलसrsquo (दत शय) नामक आपक सकशलता क कामना करत हए आपक सकशलता क कामना करत हए आपका सवक (मल दतावज़ पर ील भपाद क हतार अकत ह ) तमाल कण गोवामी सचव - ील भपाद

जलाई 9 1977 प का वलषण

1 यहा यह पणतया पट हो जाता ह यह ील भपाद क बध करन क शल रह ह हर महवपण नदश लख जात ह और उह दनया क सभी मदरो क लए जार कया जाता ह न क कसी ामक बढग तरक़ स कसी नजी कमर म बातचीत क वारा

2 कपया यान द क उपरोत प क पहल परा म तमाल कण गोवामी हाल म हई मीटगक बार म िज कर रह ह जो क वदावन म सभी जी बी सी क सदय और ील भपाद क साथ दा क या को पट करन क लए थी 28 मई 1977 क वातालाप का यह सीधा सार ह अत यद आप उस वातालाप को पढ़न क बाद याकल महसस करत ह या वलषण क जानन क उपरात भी कसी तरह पट नह ह तो यहा इसका शध प ह यह प सीधा उसी वातालाप क और इशारा करता ह

3 इसक अलावा यह यान दना महवपण ह क 28 मई का वातालाप कस श हआ उन शद को याद किजय ldquoख़ासकर जब आप हमार साथ नह रहग rdquo अत य शद निचत प स ील भपाद क जान क बाद क समय क और इशारा करत ह हम यह परा प इसी सदभ म पढ़ना चाहए

4 प क शआत इस तरह स होती ह क ील भपाद ऋिवक (बगाल म इसका उचारण ऋिवक ह ) आचाय का तनध नयत करग उहन पटतया कसी को भी ग नयत नह कया ील भपाद इसस पट नह हो सकत थ

5 आग व पट करत ह क 11 नाम िजनक घोषणा क जानी ह व ऋिवक क तरह काय करग ndash पन दोहरात ह क व ग क प म नयत नह कय जा रह ह

6 अगल बड़ी बात 11 नाम क घोषणा क बाद आती ह शद lsquoहफोवड rsquo तत श होन वाल बद परत असीमत अितम बद क तरफ या कम स कम दसर आदश क तरफ जो क इस आदश को नह हटा द इगत करता ह I और तय यह ह क ील भपाद न इसक बाद ऐसा कोई भी आदश जार नह कया क व 11 यित उनक (ील

भपाद) क तरोधान क उपरात वत ह ग बन जायग I इसक अतरत इस शद को 28 मई 1977 क वातालाप क मल शन क सदभ म समझा जाना चाहए िजसम सतवप दास गोवामी न कहा था ldquoवशष प स जब आप हमार साथ नह रहग rdquo

7 फर यह कहा जाता ह क दा क लए सफ़ारश मदर क अय वारा भजी जानी चाहए ldquoजो भी इन 11 तनधय म स मदर क नकट हग Irdquo lsquoनकटrsquo शद का तापय सवधा स ह न क एक पव ग शय सबध स जो ववास क एक गहर भावना पर आधारत ह तमाल कण गोवामी 1980 म दए गए ख़द अपन बयान (अनबध ख ) म इस इस कार बहतर समझात ह ldquoयह एक बहत महवपण बद ह यक जब दा दन क बात आती ह ऐसा नह ह क जो कोई भी नज़दक हो जबक ऐसा ह क जहा भी आपका दय जाए िजस पर आपका ववास हो आप उसस ह दा ल जब यह तनध हो तब जो कोई भी नकट हो और इस बात पर व बहत पट थ उहन इनका नाम दया था व दनया भर म फल गए थ और उहन कहा ldquoजो भी आपक नकट हो आप उसक पास जाए और वह आपको परखग फर व मर ओर स आपको दा दग rdquo

8 अब प क अगल परा म हम नमनलखत वायाश को दखग जो क बना कसी सदह क ील भपाद क आचाय(ील भपाद) क ऋिवक तनध को नयत करन क और इकोन क दा ग क प म उनक नववादत िथत क इछा को इगत करत ह

क ldquohellip य तनध भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर सकत हrdquo

ख ldquoनए दत भत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह rdquo

ग ldquoनए दत शय का नाम ील भपाद को उस तनध वारा भजा जाना चाहए िजसन उस वीकार कया ह rdquo घ rdquo ील भपाद क lsquoदत शय rsquo कताब म शामल कया जायगा ldquo 9 जस क हम दख सकत ह एक ह बद 4 बार दोहराया गया था वदावन म सतबर 10 1975 को ीमद भागवतम 627 क एक वचन म ील भपाद जी न कहा था ldquoशा हम 3 बार याद दलात ह िजस कार स हम कसी चीज़ पर जोर डालत ह ldquoयह करो ldquoयह करो यह करो तीन बार I अत इसलए तीन बार कहा गया ह हरनाम हरनाम हरनाम ताक वह भल न जाय वह कसी मायवाद वारा मत नह हो जाय क कोई भी नाम hellip नह हरनाम तीन बार हरनाम हरनाम हरनामव (चतय-चरतामत आद - लला 1721) फर स एव और फर स ३ बार कलौ नायव नायव नायव गतरयथा आप इस या स वचलत नह हो सकत दसरा कोई वकप या नह ह आप यह नह कह सकत क ldquoम इस या स या उस या स मत हो जाउगाrdquo नह अगर तीन बार कछ दोहराना महवपण माना जाता ह तो फर 4 बार क बार म या 10 कोई पछ सकता ह क इन 11 लोग क जान क बाद या कसी भी कारण स पतन हो जान पर या होगा क यारह तनधय क सच स पहल एक वाय म लखा ह ldquoअब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयरत िथत म काय करगrdquo ldquoअब तकrdquo शद इगत करता ह क नणायक सच बनन का कोई इरादा नह ह और ठक इसी बात क नच दए गए lsquoखrsquo बद म पिट होती ह I

ख ील भपाद जी को उधरत करत हए तमाल कण गोवामी न 1980 म दय अपन बयान म यह कहा क ldquoअगर आवयकता हो तो दसर को जोड़ा जा सकता ह rdquo यह दखान क लए क ील भपाद न दा क रिवक णाल क थापना क ह और भवय क सभी शय इस आदोलन म उनक शय ह यह प नदश ठोस सबत ह

13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण

आग क सबत ील भपाद क वसीयत स आत ह यहा दखान क लए वसीयत काफ़ बड़ी ह अत हम कवल उह बदओ पर ग़ौर करग जो ील भपाद क इकोन क आयािमक ग (दा ग ) होन क अवथा पर काश डालत ह ील भपाद क पर वसीयत को दखन क लए कपया परशट क दख

1 पर अतराय कणभावनामत सघ क मौलक बधाधकार कवल गवनग बॉडी कमशन (जी बी सी ) ह हग

अ अब मान लिजए एक मदर म ीमान lsquoकrsquo मदर क अय ह ीमान lsquoखrsquo िजस श म मदर ह उस क जी बी सी तनध ह और ीमान lsquoगrsquo मदर क अय क ग ह अब ीमान lsquoकrsquo ीमान lsquoगrsquo का नठावान शय बनना चाहगा और यद जीबीसी क तनध ीमान lsquoखrsquo क आदश उसक ग ीमान lsquoगrsquo क आदश स मल नह खात तब वह अपन ग ीमान lsquoगrsquo त नटावान रहन क वकप को चनगा न ह ीमान lsquoखrsquo क त परत यह ील भपाद क अवा का घठनकरता ह यक ील भपाद क अनसार जी बी सी को ह मौलक बध अधकार रहना ह अय कोई नह

ख ऊपर दय गए वचार स पता चलता ह क इस तरह क ववादापद ितथ म वतमान ग णाल का अनसरण करन स एक दसर क ग को या ील भपाद को अपमानत करन क लए बाय होना पड़गा परत दा क ऋिवक णाल का पालन करन स ऐसा कोई वरोधाभास नह होगा

2 हर मिदर इकोन क सप होगी और तीन कायकार नदशक वारा बधत क जाएगी बधन क यवथा अभी क तरह जार रहगी और कसी भी परवतन क आवयकता नह ह

क इस य म ग को लान स बध क यवथा म परवतन होगा जो ील भपाद क आदश क वध ह

ख इस अनधकत परवतन क कारण इकोन क इतहास न बार बार दखाया ह क वहा कई बधकय समयाओ हई यक ग जो उम ग स कम ह व अपन शय पर अपना भाव जतान क कोशश करत ह जबक मदर क बध का उन पर कोई नयण नह रहा इस तरह मदर बधन को इस तरह स भार दवाब क तहत रखा गया

ग इसक इलावा इस तरह क बदलाव 1975 म जीबीसी बठक क अनसार जी बी सी क परभाषा क वध ह

ldquoतावत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद न जीबीसी (गवनग बॉडी कमीशन) क थापना अतराय कणभावनामत सघ िजसक व सथापकाचाय और सवपर अधकार ह क सचालन क िजमदार को परा करन म तनधव करन क लए क ह I जीबीसी उनक नदश को अपना जीवन और आमा वीकार करती ह और मानती ह क हर तरह स यह उनक कपा पर आत ह कणकपामत क वारा कपा करक दए गए आदश क पालना करन और उनक शाओ को शध प म वव म सरत करक और सारत करन क आलावा जीबीसी का कोई अय काय या उदय नह ह rdquo

-जीबीसी क परभाषा ताव 1 जीबीसी ववरण 1975

3 वासीयत क बद 3 म भारत म तक इकोन क सप 3 कायकार नदशक को सपी गयी थी और सप क नाम और उनक कायकार नदशक क नाम दय गए थ तब ील भपाद यह कहत ह यह कायकार नदशक जो नामत कए गए ह वह जीवन क लए नयत कए गए ह मय क िथत म या असफलता म कसी भी कारण स काय करन क लए कसी भी दए गए नदशको म स एक उतराधकार नदशक या नदशको को एक नदशको वारा नयत कया जा सकता ह बशत नए नदशक मर दा दए गए शय ह जो सती स इकोन क सभी नयम और वनयम का पालन करत ह जस मर कताब म वतत जानकार द ह और कभी भी तीन (3) स काम या पाच (5) स यादा कायकार नदशक काय नह कर सकत एक ह समय पर

क सधातक प स कह तो सन 2050 तक ील भपाद क भौतक उपिथत क दोरान जो शय थ व सभी शय गज़र जाएग तब इन सपय का नदशक कौन बनगा कवल यह नतीजा होना चाहए क इस आदोलन क भावी शय ील भपाद क शय हग िजहन ऋिवक णाल वारा दा ल ह जो क ील भपाद न वय थापत क ह

ख जब 2 जन 1977 को गराज वामी वारा ील भपाद क लए वासीयत का ाप पढ़ा जा रहा था ऊपर दए गए बड़ शद थ ldquoएक दत शय rdquo परत नणायक दतावज़ म हम दखत ह क इस बदल कर ldquoमरा दत शय rdquo कर दया गया इसस पता चलता ह क यह ील भपाद वारा एक वचारपवक क़दम था

वसीयत क घोषणा म ील भपाद क इराद जलाई 9 1977 क प आदश और मई 28 1977 क वातालाप स मल खात ह अपन शाररक थान क बाद भी अपनी िथत को इकोन क दा ग क प म बनाए रखन क लए ील भपाद न पट प स दा क ऋिवक णाल क तरफ़ इशारा कया

14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 प आदश क साी )

1 22 अल 1977 को तमाल कण गोवामी को ील भपाद स यह कहना था ldquoठक ह

मन अपन को और आपक सार शय का अययन कर लया ह और यह पट सय ह क हम सब बध आमा ह अत हम ग नह बन सकत Irdquo

२ 3 दसबर 1980 को तमाल कण गोवामी न नन कार वीकार कया ldquoदरअसल ील भपाद न कभी भी कोई ग नयत नह कया [hellip] उहन 11 ऋिवक नयत कय थ उहन कभी भी उनको ग नयत नह कया मन और दसर जी बी सी न पछल तीन साल म इस आदोलन क त बहत त पहचाई ह यक हमन ऋिवक क नयित को ग क नयित म बदल दया ह Irdquo वातव इस पर बयान (परशट ख ) को पढ़ना ठक होगा जहा उहन इस बात पर जोर दया ह क ील भपाद न कभी भी कसी को ग नयत नह कया

2 दाशनक माण अब तक हमन दतावजी माण को क़ाननी दतावज एव अधकत ऑडओ तलखन को दखा ह िजसक सयता हर तरह क सदह स पर ह अब हम ग -तव क सधातो को दाशनक एव शािक िट स समझग क ामाणक ग कौन बन सकता ह कौन नह बन सकता और साथ ह 1977 क बाद इकोन म दा स सबिधत ील भपाद क उपदश क त हमार समझ को सढ़ करग I

21 दा क परभाषा दा दो शद का एक सयोग ह -- lsquoद rsquo और lsquoा rsquo I lsquoद rsquo का तापय ह दय -ानम दय ान और lsquoा rsquo का तापय ह पयत मटा दना या उमलन (पापपण कय) (ीमद भागवतम क 42461 और चतय चरतामत अय लला 362 क एक-एक शद क अनवाद क अनसार ) I इसलए दा का मतलब दय ान का अत-पण और पापपण कय का वनाश ह ननलखत लोक दा शद क इस परभाषा को इगत करता ह

दय ान यतो दायात कयात पापय सडयम तमात दत सा ोता दशकतवकोवद

ldquoदा वह वध ह िजसक वारा दय ान को जागत कया जा सकता ह और पापकम क सार फल का य कया जा सकता ह शा अययन म पारगत यित इस वध को दा क नाम स जनता ह rdquo

- ील जीव गोवामी क भित -सदभ (283) िजसका उधरण चतय चरतामत मय -लला 15108 क तापय म दया गया ह

तवध णपातन परनन सवया उपदयित त ान ाननतवदशनः

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 14: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

भपाद) क तरोधान क उपरात वत ह ग बन जायग I इसक अतरत इस शद को 28 मई 1977 क वातालाप क मल शन क सदभ म समझा जाना चाहए िजसम सतवप दास गोवामी न कहा था ldquoवशष प स जब आप हमार साथ नह रहग rdquo

7 फर यह कहा जाता ह क दा क लए सफ़ारश मदर क अय वारा भजी जानी चाहए ldquoजो भी इन 11 तनधय म स मदर क नकट हग Irdquo lsquoनकटrsquo शद का तापय सवधा स ह न क एक पव ग शय सबध स जो ववास क एक गहर भावना पर आधारत ह तमाल कण गोवामी 1980 म दए गए ख़द अपन बयान (अनबध ख ) म इस इस कार बहतर समझात ह ldquoयह एक बहत महवपण बद ह यक जब दा दन क बात आती ह ऐसा नह ह क जो कोई भी नज़दक हो जबक ऐसा ह क जहा भी आपका दय जाए िजस पर आपका ववास हो आप उसस ह दा ल जब यह तनध हो तब जो कोई भी नकट हो और इस बात पर व बहत पट थ उहन इनका नाम दया था व दनया भर म फल गए थ और उहन कहा ldquoजो भी आपक नकट हो आप उसक पास जाए और वह आपको परखग फर व मर ओर स आपको दा दग rdquo

8 अब प क अगल परा म हम नमनलखत वायाश को दखग जो क बना कसी सदह क ील भपाद क आचाय(ील भपाद) क ऋिवक तनध को नयत करन क और इकोन क दा ग क प म उनक नववादत िथत क इछा को इगत करत ह

क ldquohellip य तनध भत को ील भपाद क शय क प म वीकार कर सकत हrdquo

ख ldquoनए दत भत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद क शय ह rdquo

ग ldquoनए दत शय का नाम ील भपाद को उस तनध वारा भजा जाना चाहए िजसन उस वीकार कया ह rdquo घ rdquo ील भपाद क lsquoदत शय rsquo कताब म शामल कया जायगा ldquo 9 जस क हम दख सकत ह एक ह बद 4 बार दोहराया गया था वदावन म सतबर 10 1975 को ीमद भागवतम 627 क एक वचन म ील भपाद जी न कहा था ldquoशा हम 3 बार याद दलात ह िजस कार स हम कसी चीज़ पर जोर डालत ह ldquoयह करो ldquoयह करो यह करो तीन बार I अत इसलए तीन बार कहा गया ह हरनाम हरनाम हरनाम ताक वह भल न जाय वह कसी मायवाद वारा मत नह हो जाय क कोई भी नाम hellip नह हरनाम तीन बार हरनाम हरनाम हरनामव (चतय-चरतामत आद - लला 1721) फर स एव और फर स ३ बार कलौ नायव नायव नायव गतरयथा आप इस या स वचलत नह हो सकत दसरा कोई वकप या नह ह आप यह नह कह सकत क ldquoम इस या स या उस या स मत हो जाउगाrdquo नह अगर तीन बार कछ दोहराना महवपण माना जाता ह तो फर 4 बार क बार म या 10 कोई पछ सकता ह क इन 11 लोग क जान क बाद या कसी भी कारण स पतन हो जान पर या होगा क यारह तनधय क सच स पहल एक वाय म लखा ह ldquoअब तक ील भपाद न यारह शय क सची द ह जो उपयरत िथत म काय करगrdquo ldquoअब तकrdquo शद इगत करता ह क नणायक सच बनन का कोई इरादा नह ह और ठक इसी बात क नच दए गए lsquoखrsquo बद म पिट होती ह I

ख ील भपाद जी को उधरत करत हए तमाल कण गोवामी न 1980 म दय अपन बयान म यह कहा क ldquoअगर आवयकता हो तो दसर को जोड़ा जा सकता ह rdquo यह दखान क लए क ील भपाद न दा क रिवक णाल क थापना क ह और भवय क सभी शय इस आदोलन म उनक शय ह यह प नदश ठोस सबत ह

13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण

आग क सबत ील भपाद क वसीयत स आत ह यहा दखान क लए वसीयत काफ़ बड़ी ह अत हम कवल उह बदओ पर ग़ौर करग जो ील भपाद क इकोन क आयािमक ग (दा ग ) होन क अवथा पर काश डालत ह ील भपाद क पर वसीयत को दखन क लए कपया परशट क दख

1 पर अतराय कणभावनामत सघ क मौलक बधाधकार कवल गवनग बॉडी कमशन (जी बी सी ) ह हग

अ अब मान लिजए एक मदर म ीमान lsquoकrsquo मदर क अय ह ीमान lsquoखrsquo िजस श म मदर ह उस क जी बी सी तनध ह और ीमान lsquoगrsquo मदर क अय क ग ह अब ीमान lsquoकrsquo ीमान lsquoगrsquo का नठावान शय बनना चाहगा और यद जीबीसी क तनध ीमान lsquoखrsquo क आदश उसक ग ीमान lsquoगrsquo क आदश स मल नह खात तब वह अपन ग ीमान lsquoगrsquo त नटावान रहन क वकप को चनगा न ह ीमान lsquoखrsquo क त परत यह ील भपाद क अवा का घठनकरता ह यक ील भपाद क अनसार जी बी सी को ह मौलक बध अधकार रहना ह अय कोई नह

ख ऊपर दय गए वचार स पता चलता ह क इस तरह क ववादापद ितथ म वतमान ग णाल का अनसरण करन स एक दसर क ग को या ील भपाद को अपमानत करन क लए बाय होना पड़गा परत दा क ऋिवक णाल का पालन करन स ऐसा कोई वरोधाभास नह होगा

2 हर मिदर इकोन क सप होगी और तीन कायकार नदशक वारा बधत क जाएगी बधन क यवथा अभी क तरह जार रहगी और कसी भी परवतन क आवयकता नह ह

क इस य म ग को लान स बध क यवथा म परवतन होगा जो ील भपाद क आदश क वध ह

ख इस अनधकत परवतन क कारण इकोन क इतहास न बार बार दखाया ह क वहा कई बधकय समयाओ हई यक ग जो उम ग स कम ह व अपन शय पर अपना भाव जतान क कोशश करत ह जबक मदर क बध का उन पर कोई नयण नह रहा इस तरह मदर बधन को इस तरह स भार दवाब क तहत रखा गया

ग इसक इलावा इस तरह क बदलाव 1975 म जीबीसी बठक क अनसार जी बी सी क परभाषा क वध ह

ldquoतावत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद न जीबीसी (गवनग बॉडी कमीशन) क थापना अतराय कणभावनामत सघ िजसक व सथापकाचाय और सवपर अधकार ह क सचालन क िजमदार को परा करन म तनधव करन क लए क ह I जीबीसी उनक नदश को अपना जीवन और आमा वीकार करती ह और मानती ह क हर तरह स यह उनक कपा पर आत ह कणकपामत क वारा कपा करक दए गए आदश क पालना करन और उनक शाओ को शध प म वव म सरत करक और सारत करन क आलावा जीबीसी का कोई अय काय या उदय नह ह rdquo

-जीबीसी क परभाषा ताव 1 जीबीसी ववरण 1975

3 वासीयत क बद 3 म भारत म तक इकोन क सप 3 कायकार नदशक को सपी गयी थी और सप क नाम और उनक कायकार नदशक क नाम दय गए थ तब ील भपाद यह कहत ह यह कायकार नदशक जो नामत कए गए ह वह जीवन क लए नयत कए गए ह मय क िथत म या असफलता म कसी भी कारण स काय करन क लए कसी भी दए गए नदशको म स एक उतराधकार नदशक या नदशको को एक नदशको वारा नयत कया जा सकता ह बशत नए नदशक मर दा दए गए शय ह जो सती स इकोन क सभी नयम और वनयम का पालन करत ह जस मर कताब म वतत जानकार द ह और कभी भी तीन (3) स काम या पाच (5) स यादा कायकार नदशक काय नह कर सकत एक ह समय पर

क सधातक प स कह तो सन 2050 तक ील भपाद क भौतक उपिथत क दोरान जो शय थ व सभी शय गज़र जाएग तब इन सपय का नदशक कौन बनगा कवल यह नतीजा होना चाहए क इस आदोलन क भावी शय ील भपाद क शय हग िजहन ऋिवक णाल वारा दा ल ह जो क ील भपाद न वय थापत क ह

ख जब 2 जन 1977 को गराज वामी वारा ील भपाद क लए वासीयत का ाप पढ़ा जा रहा था ऊपर दए गए बड़ शद थ ldquoएक दत शय rdquo परत नणायक दतावज़ म हम दखत ह क इस बदल कर ldquoमरा दत शय rdquo कर दया गया इसस पता चलता ह क यह ील भपाद वारा एक वचारपवक क़दम था

वसीयत क घोषणा म ील भपाद क इराद जलाई 9 1977 क प आदश और मई 28 1977 क वातालाप स मल खात ह अपन शाररक थान क बाद भी अपनी िथत को इकोन क दा ग क प म बनाए रखन क लए ील भपाद न पट प स दा क ऋिवक णाल क तरफ़ इशारा कया

14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 प आदश क साी )

1 22 अल 1977 को तमाल कण गोवामी को ील भपाद स यह कहना था ldquoठक ह

मन अपन को और आपक सार शय का अययन कर लया ह और यह पट सय ह क हम सब बध आमा ह अत हम ग नह बन सकत Irdquo

२ 3 दसबर 1980 को तमाल कण गोवामी न नन कार वीकार कया ldquoदरअसल ील भपाद न कभी भी कोई ग नयत नह कया [hellip] उहन 11 ऋिवक नयत कय थ उहन कभी भी उनको ग नयत नह कया मन और दसर जी बी सी न पछल तीन साल म इस आदोलन क त बहत त पहचाई ह यक हमन ऋिवक क नयित को ग क नयित म बदल दया ह Irdquo वातव इस पर बयान (परशट ख ) को पढ़ना ठक होगा जहा उहन इस बात पर जोर दया ह क ील भपाद न कभी भी कसी को ग नयत नह कया

2 दाशनक माण अब तक हमन दतावजी माण को क़ाननी दतावज एव अधकत ऑडओ तलखन को दखा ह िजसक सयता हर तरह क सदह स पर ह अब हम ग -तव क सधातो को दाशनक एव शािक िट स समझग क ामाणक ग कौन बन सकता ह कौन नह बन सकता और साथ ह 1977 क बाद इकोन म दा स सबिधत ील भपाद क उपदश क त हमार समझ को सढ़ करग I

21 दा क परभाषा दा दो शद का एक सयोग ह -- lsquoद rsquo और lsquoा rsquo I lsquoद rsquo का तापय ह दय -ानम दय ान और lsquoा rsquo का तापय ह पयत मटा दना या उमलन (पापपण कय) (ीमद भागवतम क 42461 और चतय चरतामत अय लला 362 क एक-एक शद क अनवाद क अनसार ) I इसलए दा का मतलब दय ान का अत-पण और पापपण कय का वनाश ह ननलखत लोक दा शद क इस परभाषा को इगत करता ह

दय ान यतो दायात कयात पापय सडयम तमात दत सा ोता दशकतवकोवद

ldquoदा वह वध ह िजसक वारा दय ान को जागत कया जा सकता ह और पापकम क सार फल का य कया जा सकता ह शा अययन म पारगत यित इस वध को दा क नाम स जनता ह rdquo

- ील जीव गोवामी क भित -सदभ (283) िजसका उधरण चतय चरतामत मय -लला 15108 क तापय म दया गया ह

तवध णपातन परनन सवया उपदयित त ान ाननतवदशनः

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 15: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

ख ील भपाद जी को उधरत करत हए तमाल कण गोवामी न 1980 म दय अपन बयान म यह कहा क ldquoअगर आवयकता हो तो दसर को जोड़ा जा सकता ह rdquo यह दखान क लए क ील भपाद न दा क रिवक णाल क थापना क ह और भवय क सभी शय इस आदोलन म उनक शय ह यह प नदश ठोस सबत ह

13 ील भपाद क वसीयत क घोषणा का वलषण

आग क सबत ील भपाद क वसीयत स आत ह यहा दखान क लए वसीयत काफ़ बड़ी ह अत हम कवल उह बदओ पर ग़ौर करग जो ील भपाद क इकोन क आयािमक ग (दा ग ) होन क अवथा पर काश डालत ह ील भपाद क पर वसीयत को दखन क लए कपया परशट क दख

1 पर अतराय कणभावनामत सघ क मौलक बधाधकार कवल गवनग बॉडी कमशन (जी बी सी ) ह हग

अ अब मान लिजए एक मदर म ीमान lsquoकrsquo मदर क अय ह ीमान lsquoखrsquo िजस श म मदर ह उस क जी बी सी तनध ह और ीमान lsquoगrsquo मदर क अय क ग ह अब ीमान lsquoकrsquo ीमान lsquoगrsquo का नठावान शय बनना चाहगा और यद जीबीसी क तनध ीमान lsquoखrsquo क आदश उसक ग ीमान lsquoगrsquo क आदश स मल नह खात तब वह अपन ग ीमान lsquoगrsquo त नटावान रहन क वकप को चनगा न ह ीमान lsquoखrsquo क त परत यह ील भपाद क अवा का घठनकरता ह यक ील भपाद क अनसार जी बी सी को ह मौलक बध अधकार रहना ह अय कोई नह

ख ऊपर दय गए वचार स पता चलता ह क इस तरह क ववादापद ितथ म वतमान ग णाल का अनसरण करन स एक दसर क ग को या ील भपाद को अपमानत करन क लए बाय होना पड़गा परत दा क ऋिवक णाल का पालन करन स ऐसा कोई वरोधाभास नह होगा

2 हर मिदर इकोन क सप होगी और तीन कायकार नदशक वारा बधत क जाएगी बधन क यवथा अभी क तरह जार रहगी और कसी भी परवतन क आवयकता नह ह

क इस य म ग को लान स बध क यवथा म परवतन होगा जो ील भपाद क आदश क वध ह

ख इस अनधकत परवतन क कारण इकोन क इतहास न बार बार दखाया ह क वहा कई बधकय समयाओ हई यक ग जो उम ग स कम ह व अपन शय पर अपना भाव जतान क कोशश करत ह जबक मदर क बध का उन पर कोई नयण नह रहा इस तरह मदर बधन को इस तरह स भार दवाब क तहत रखा गया

ग इसक इलावा इस तरह क बदलाव 1975 म जीबीसी बठक क अनसार जी बी सी क परभाषा क वध ह

ldquoतावत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद न जीबीसी (गवनग बॉडी कमीशन) क थापना अतराय कणभावनामत सघ िजसक व सथापकाचाय और सवपर अधकार ह क सचालन क िजमदार को परा करन म तनधव करन क लए क ह I जीबीसी उनक नदश को अपना जीवन और आमा वीकार करती ह और मानती ह क हर तरह स यह उनक कपा पर आत ह कणकपामत क वारा कपा करक दए गए आदश क पालना करन और उनक शाओ को शध प म वव म सरत करक और सारत करन क आलावा जीबीसी का कोई अय काय या उदय नह ह rdquo

-जीबीसी क परभाषा ताव 1 जीबीसी ववरण 1975

3 वासीयत क बद 3 म भारत म तक इकोन क सप 3 कायकार नदशक को सपी गयी थी और सप क नाम और उनक कायकार नदशक क नाम दय गए थ तब ील भपाद यह कहत ह यह कायकार नदशक जो नामत कए गए ह वह जीवन क लए नयत कए गए ह मय क िथत म या असफलता म कसी भी कारण स काय करन क लए कसी भी दए गए नदशको म स एक उतराधकार नदशक या नदशको को एक नदशको वारा नयत कया जा सकता ह बशत नए नदशक मर दा दए गए शय ह जो सती स इकोन क सभी नयम और वनयम का पालन करत ह जस मर कताब म वतत जानकार द ह और कभी भी तीन (3) स काम या पाच (5) स यादा कायकार नदशक काय नह कर सकत एक ह समय पर

क सधातक प स कह तो सन 2050 तक ील भपाद क भौतक उपिथत क दोरान जो शय थ व सभी शय गज़र जाएग तब इन सपय का नदशक कौन बनगा कवल यह नतीजा होना चाहए क इस आदोलन क भावी शय ील भपाद क शय हग िजहन ऋिवक णाल वारा दा ल ह जो क ील भपाद न वय थापत क ह

ख जब 2 जन 1977 को गराज वामी वारा ील भपाद क लए वासीयत का ाप पढ़ा जा रहा था ऊपर दए गए बड़ शद थ ldquoएक दत शय rdquo परत नणायक दतावज़ म हम दखत ह क इस बदल कर ldquoमरा दत शय rdquo कर दया गया इसस पता चलता ह क यह ील भपाद वारा एक वचारपवक क़दम था

वसीयत क घोषणा म ील भपाद क इराद जलाई 9 1977 क प आदश और मई 28 1977 क वातालाप स मल खात ह अपन शाररक थान क बाद भी अपनी िथत को इकोन क दा ग क प म बनाए रखन क लए ील भपाद न पट प स दा क ऋिवक णाल क तरफ़ इशारा कया

14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 प आदश क साी )

1 22 अल 1977 को तमाल कण गोवामी को ील भपाद स यह कहना था ldquoठक ह

मन अपन को और आपक सार शय का अययन कर लया ह और यह पट सय ह क हम सब बध आमा ह अत हम ग नह बन सकत Irdquo

२ 3 दसबर 1980 को तमाल कण गोवामी न नन कार वीकार कया ldquoदरअसल ील भपाद न कभी भी कोई ग नयत नह कया [hellip] उहन 11 ऋिवक नयत कय थ उहन कभी भी उनको ग नयत नह कया मन और दसर जी बी सी न पछल तीन साल म इस आदोलन क त बहत त पहचाई ह यक हमन ऋिवक क नयित को ग क नयित म बदल दया ह Irdquo वातव इस पर बयान (परशट ख ) को पढ़ना ठक होगा जहा उहन इस बात पर जोर दया ह क ील भपाद न कभी भी कसी को ग नयत नह कया

2 दाशनक माण अब तक हमन दतावजी माण को क़ाननी दतावज एव अधकत ऑडओ तलखन को दखा ह िजसक सयता हर तरह क सदह स पर ह अब हम ग -तव क सधातो को दाशनक एव शािक िट स समझग क ामाणक ग कौन बन सकता ह कौन नह बन सकता और साथ ह 1977 क बाद इकोन म दा स सबिधत ील भपाद क उपदश क त हमार समझ को सढ़ करग I

21 दा क परभाषा दा दो शद का एक सयोग ह -- lsquoद rsquo और lsquoा rsquo I lsquoद rsquo का तापय ह दय -ानम दय ान और lsquoा rsquo का तापय ह पयत मटा दना या उमलन (पापपण कय) (ीमद भागवतम क 42461 और चतय चरतामत अय लला 362 क एक-एक शद क अनवाद क अनसार ) I इसलए दा का मतलब दय ान का अत-पण और पापपण कय का वनाश ह ननलखत लोक दा शद क इस परभाषा को इगत करता ह

दय ान यतो दायात कयात पापय सडयम तमात दत सा ोता दशकतवकोवद

ldquoदा वह वध ह िजसक वारा दय ान को जागत कया जा सकता ह और पापकम क सार फल का य कया जा सकता ह शा अययन म पारगत यित इस वध को दा क नाम स जनता ह rdquo

- ील जीव गोवामी क भित -सदभ (283) िजसका उधरण चतय चरतामत मय -लला 15108 क तापय म दया गया ह

तवध णपातन परनन सवया उपदयित त ान ाननतवदशनः

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 16: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

ग इसक इलावा इस तरह क बदलाव 1975 म जीबीसी बठक क अनसार जी बी सी क परभाषा क वध ह

ldquoतावत कणकपामत ी ीमद ए सी भितवदात वामी भपाद न जीबीसी (गवनग बॉडी कमीशन) क थापना अतराय कणभावनामत सघ िजसक व सथापकाचाय और सवपर अधकार ह क सचालन क िजमदार को परा करन म तनधव करन क लए क ह I जीबीसी उनक नदश को अपना जीवन और आमा वीकार करती ह और मानती ह क हर तरह स यह उनक कपा पर आत ह कणकपामत क वारा कपा करक दए गए आदश क पालना करन और उनक शाओ को शध प म वव म सरत करक और सारत करन क आलावा जीबीसी का कोई अय काय या उदय नह ह rdquo

-जीबीसी क परभाषा ताव 1 जीबीसी ववरण 1975

3 वासीयत क बद 3 म भारत म तक इकोन क सप 3 कायकार नदशक को सपी गयी थी और सप क नाम और उनक कायकार नदशक क नाम दय गए थ तब ील भपाद यह कहत ह यह कायकार नदशक जो नामत कए गए ह वह जीवन क लए नयत कए गए ह मय क िथत म या असफलता म कसी भी कारण स काय करन क लए कसी भी दए गए नदशको म स एक उतराधकार नदशक या नदशको को एक नदशको वारा नयत कया जा सकता ह बशत नए नदशक मर दा दए गए शय ह जो सती स इकोन क सभी नयम और वनयम का पालन करत ह जस मर कताब म वतत जानकार द ह और कभी भी तीन (3) स काम या पाच (5) स यादा कायकार नदशक काय नह कर सकत एक ह समय पर

क सधातक प स कह तो सन 2050 तक ील भपाद क भौतक उपिथत क दोरान जो शय थ व सभी शय गज़र जाएग तब इन सपय का नदशक कौन बनगा कवल यह नतीजा होना चाहए क इस आदोलन क भावी शय ील भपाद क शय हग िजहन ऋिवक णाल वारा दा ल ह जो क ील भपाद न वय थापत क ह

ख जब 2 जन 1977 को गराज वामी वारा ील भपाद क लए वासीयत का ाप पढ़ा जा रहा था ऊपर दए गए बड़ शद थ ldquoएक दत शय rdquo परत नणायक दतावज़ म हम दखत ह क इस बदल कर ldquoमरा दत शय rdquo कर दया गया इसस पता चलता ह क यह ील भपाद वारा एक वचारपवक क़दम था

वसीयत क घोषणा म ील भपाद क इराद जलाई 9 1977 क प आदश और मई 28 1977 क वातालाप स मल खात ह अपन शाररक थान क बाद भी अपनी िथत को इकोन क दा ग क प म बनाए रखन क लए ील भपाद न पट प स दा क ऋिवक णाल क तरफ़ इशारा कया

14 तमाल कण का दोष-वीकत सधात (ील भपाद क सचव एव जलाई 9 1977 प आदश क साी )

1 22 अल 1977 को तमाल कण गोवामी को ील भपाद स यह कहना था ldquoठक ह

मन अपन को और आपक सार शय का अययन कर लया ह और यह पट सय ह क हम सब बध आमा ह अत हम ग नह बन सकत Irdquo

२ 3 दसबर 1980 को तमाल कण गोवामी न नन कार वीकार कया ldquoदरअसल ील भपाद न कभी भी कोई ग नयत नह कया [hellip] उहन 11 ऋिवक नयत कय थ उहन कभी भी उनको ग नयत नह कया मन और दसर जी बी सी न पछल तीन साल म इस आदोलन क त बहत त पहचाई ह यक हमन ऋिवक क नयित को ग क नयित म बदल दया ह Irdquo वातव इस पर बयान (परशट ख ) को पढ़ना ठक होगा जहा उहन इस बात पर जोर दया ह क ील भपाद न कभी भी कसी को ग नयत नह कया

2 दाशनक माण अब तक हमन दतावजी माण को क़ाननी दतावज एव अधकत ऑडओ तलखन को दखा ह िजसक सयता हर तरह क सदह स पर ह अब हम ग -तव क सधातो को दाशनक एव शािक िट स समझग क ामाणक ग कौन बन सकता ह कौन नह बन सकता और साथ ह 1977 क बाद इकोन म दा स सबिधत ील भपाद क उपदश क त हमार समझ को सढ़ करग I

21 दा क परभाषा दा दो शद का एक सयोग ह -- lsquoद rsquo और lsquoा rsquo I lsquoद rsquo का तापय ह दय -ानम दय ान और lsquoा rsquo का तापय ह पयत मटा दना या उमलन (पापपण कय) (ीमद भागवतम क 42461 और चतय चरतामत अय लला 362 क एक-एक शद क अनवाद क अनसार ) I इसलए दा का मतलब दय ान का अत-पण और पापपण कय का वनाश ह ननलखत लोक दा शद क इस परभाषा को इगत करता ह

दय ान यतो दायात कयात पापय सडयम तमात दत सा ोता दशकतवकोवद

ldquoदा वह वध ह िजसक वारा दय ान को जागत कया जा सकता ह और पापकम क सार फल का य कया जा सकता ह शा अययन म पारगत यित इस वध को दा क नाम स जनता ह rdquo

- ील जीव गोवामी क भित -सदभ (283) िजसका उधरण चतय चरतामत मय -लला 15108 क तापय म दया गया ह

तवध णपातन परनन सवया उपदयित त ान ाननतवदशनः

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 17: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

मन अपन को और आपक सार शय का अययन कर लया ह और यह पट सय ह क हम सब बध आमा ह अत हम ग नह बन सकत Irdquo

२ 3 दसबर 1980 को तमाल कण गोवामी न नन कार वीकार कया ldquoदरअसल ील भपाद न कभी भी कोई ग नयत नह कया [hellip] उहन 11 ऋिवक नयत कय थ उहन कभी भी उनको ग नयत नह कया मन और दसर जी बी सी न पछल तीन साल म इस आदोलन क त बहत त पहचाई ह यक हमन ऋिवक क नयित को ग क नयित म बदल दया ह Irdquo वातव इस पर बयान (परशट ख ) को पढ़ना ठक होगा जहा उहन इस बात पर जोर दया ह क ील भपाद न कभी भी कसी को ग नयत नह कया

2 दाशनक माण अब तक हमन दतावजी माण को क़ाननी दतावज एव अधकत ऑडओ तलखन को दखा ह िजसक सयता हर तरह क सदह स पर ह अब हम ग -तव क सधातो को दाशनक एव शािक िट स समझग क ामाणक ग कौन बन सकता ह कौन नह बन सकता और साथ ह 1977 क बाद इकोन म दा स सबिधत ील भपाद क उपदश क त हमार समझ को सढ़ करग I

21 दा क परभाषा दा दो शद का एक सयोग ह -- lsquoद rsquo और lsquoा rsquo I lsquoद rsquo का तापय ह दय -ानम दय ान और lsquoा rsquo का तापय ह पयत मटा दना या उमलन (पापपण कय) (ीमद भागवतम क 42461 और चतय चरतामत अय लला 362 क एक-एक शद क अनवाद क अनसार ) I इसलए दा का मतलब दय ान का अत-पण और पापपण कय का वनाश ह ननलखत लोक दा शद क इस परभाषा को इगत करता ह

दय ान यतो दायात कयात पापय सडयम तमात दत सा ोता दशकतवकोवद

ldquoदा वह वध ह िजसक वारा दय ान को जागत कया जा सकता ह और पापकम क सार फल का य कया जा सकता ह शा अययन म पारगत यित इस वध को दा क नाम स जनता ह rdquo

- ील जीव गोवामी क भित -सदभ (283) िजसका उधरण चतय चरतामत मय -लला 15108 क तापय म दया गया ह

तवध णपातन परनन सवया उपदयित त ान ाननतवदशनः

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 18: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

यथधास समधोऽिनभमसाकतऽजन ानािनः सवकमाण भमसाकत तथा

ग क पास जाकर सय जानन का यास करो उनस वनीतभाव स िजासा करो और उनक सवा करो वपसध यित तह ान दान कर सकत ह यक उहन सय का दशन कया ह जस जवलत अिन धन को भम कर दती ह उसी तरह ह अजन ान पी अिन भौतक कम क समत फ़लो को जला डालती ह

- भगवद -गीता 434 एव 437

ॐ अान तमराधय ानाजनशलाकया चमीलत यन तमऐ ी गरव नमः

म घोर अान क अधकार म उपन हआ था और मर ग न अपनी ान पी काश स मर आख खोल द म उह सादर समकार करता ह

- ीमद भगवदगीता यथाप का परचय

च -दान दलो यइ जम जम भ सइ दय - ान द काशत

म -भित याहा होईत अवघ वनाश यात वद गाय याहार चरत

व मर अधकारमयी आख को खोलत ह और मर दय को दय ान स भरत ह जम-जमातर स व मर वामी ह उह स दय म उपन होता ह उह स अान का नाश होता ह

- नरोम दास ठाकर का ी ग -वदना गीत छद-3

अत दा तब होती ह जब आमसध ग वारा शय को दय ान षत कया जाता ह और इस कार शय क पाप क फल का पर तरह स नट हो जात ह नाम-करण एक आवशक औपचारकता ह जो क अय ऋिवक(पजारय) वारा ग क ओर स क जा सकती ह इकोन म सभी भत ील भपाद क कताब स दय ान ात करत ह इसीलए ील भपाद हर कसी क लए दा ग ह

22 दा ग कौन बन सकता ह

एक आयािमक दा ग बनन क लए दो मापदड ह--

1 एक थम णी क भत क योयता होना 2 अपन आयािमक ग क वारा ात आा

ग बनन क ारिभक योयता पहल एक शध भत होना ह परत इसका मतलब यह नह क वह वत दा ग बन जाता ह फर भी उह एक नयमत दा ग बनन क लए अपन ग क आा क ज़रत ह नःसदह यद कोई ग बनन क लए अपन ग वारा अधकत ह तब हम यह समझना चाहए क वह पहल स ह एक शध भत ह यक एक ग बनन क लए यह एक ारिभक योयता ह

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 19: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

अब हम दाशनक या लखत िटकोण स उपरोत मापदडो को पन दखत ह इसक लए हम वदक साहय क लोक और ील भपाद क उधरण का उलखत करत ह

221 दा ग क योयता एक ामाणक आयािमक ग शध थम णी का भत होता ह भत क तीन वग होत ह और आयािमक ग को एक थम णी भत होना चाहए थम णी क भत क योयता इस कार ह

सवभतष यः पयभगवभावमामनः भतान भगवयामयष भागवतोमः

ldquoसवाधक उकट भत हर वत क भीतर समत आमाओ क आमा भगवान कण को दखता ह फलवप वह हर वत को भगवान स सबधत दखता ह और यह समझता ह क यक वयमान वत भगवान क भीतर नय िथत ह rdquo

- ीमद भागवतम 11 245

सवभतथमामामान सव भतान चामन ईत योगयतामा सव समदशन

ldquoवातवक योगी समत जीव म मझको तथा मझम जीव को दखता ह नसदह वपसध यित मझ परमवर को सव दखता ह rdquo

- भगवद -गीता 629 ldquoजहा तक धा क वकाश क बात ह जो यित भित - साहय म नपण ह और िजनस ढ़ धा क अवथा ात कर ल ह वह कणभावनमत का थम कोट का यित कहलाता ह दसर कोट म व यित आत ह िजह भित - शा का ान नह ह कत वतः ह उनक ढ़ धा ह क कणभित सवठ माग ह अतः व इस हण करत ह इस कार व तीसर कोट क उन लोग स ठ ह िजह न तो शा का पणान ह और न धा ह अपत सगत तथा सरलता क वारा व उसका पालन करत ह तीसर कोट क यित कणभावनामत स यत हो सकत ह कत वतीय कोट क यित यत नह होत rdquo

- भगवद -गीता 93 तापय एक वातवक ग कभी भी अभितमय या पापपण या भौतकवाद गतवधय म सलन होन क लए अपन भित क तर स कभी भी नीच नह गरत

वाचो वग मनसः ोध -वग

िजवा -वगम उदरोपथ -वगम एतान वगान यो वषहत धीरः

सवाम अपीमा पथवी स शयात

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 20: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

ldquoवह धीर यित जो वाणी क वग को मन क मागो को ोध क याओ को तथा जीभ उदर ऐव जाननइयो क वग को सहन कर सकता ह वह सार ससार म शय बनान क योय ह rdquo

- ी उपदशामत 1

महा -भागवत -ठो ामणोव गर नणाम

ldquoग को भित क सवच पद पर िथत होना चाहए भत क तीन कोटया होती ह और ग को सवच कोट स वीकार करना चाहए उच कोट का भत सभी तरह क लोग का ग होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय पम पराना स उधरत

ldquoिजसन महाभागवात का सवच पद ात कया हो उस ग क प म वीकार करक उसक पजा हर क ह समान करनी चाहए कवल ऐसा यित ह ग का थान हण करन क लए योय होता ह rdquo

- चतय -चरतता मय -लला 24 330 तापय

ldquoील भितवनोद ठाकर न कछ यावहारक सकत दए ह - उम अधकार वणव को उसक इस सामय क आधार पर पहचाना जा सकता ह क वह अनक पततातमाओ को वणव मत म बदल दता ह जब तक कोई उम अधकार का पद ात न कर ल तब तक उस ग नह बनाना चाहए एक नवदत वणव या मयावथा पद को ात वणव भी शय बना सकता ह लकन ऐस शय को उससी तर का होना चाहए और यह जान लना चाहए क उसक अपयात मागदशन म ऐस शय जीवन क चरम लय क ओर ठक स गत नह कर सकत अतऐव शय को सतक रहना चाहए क ग क प म उम अधकार को ह वीकार कर rdquo

- ी उपदशात 5 तापय

222 दा ग क ाधकरण ययप आयािमक ग एक थम णी का भत होना चाहए ऐसा नह ह क हर थम णी क भत वत आयािमक ग हो जात ह उस अभी भी दसर मापदड ndash ाधकरण - को परा करन क आवयकता ह वदक इतहास म शध भत क कई उदाहरण ह जो आयािमक ग बन नहओ बन इसलए एक शध भत एक आयािमक ग का पयायवाची नह ह परत एक ामाणक आयािमक ग को भगवान कण का एक शध भत होना चाहए ldquoकल मलाक आप जान क वह एक मत यित नह ह और इसलए वह कसी को भी कणभावनामत म दा नह द सकता इसक लए उच अधकारय स वशष आयािमक आशवाद क आवयकता होती ह

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 21: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

- जनादन को ील भपाद का प अल 26 1968 ldquoग शय परपरा म आन वाल ामाणक ग स दा हण करनी चाहए िजसको उनक पहल क ग वारा ामाणक कया गया हो यह दा वधान कहलाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 4854 तापय भारतीय पष (1) आप एक आयािमक नतवकता कब बन भपाद जब मर ग महाराज न मझ आदश दया यह ग परपरा ह भारतीय पष (1) उहन कवल इतना hellip भपाद समझन क कोशश करो बहत तज़ी स मत जाओ एक ग कवल तब ह ग बन सकता ह जब उसको अपन ग स आदश मलता ह बस इतना ह अयथा कोई भी ग नह बन सकता

- ील भपाद क भगवद -गीता 72 पर यायान क सवाल और जवाब स अटबर 28 1975 नरोबी कया

23 परपरा क पहल इस अयाय म हम अययन करग क कस कार ील भपाद क lsquoदा क ऋिवक णालrsquo (ययप अचलत ह) शा क नकष और ग-शय परपरा स पणतया सबधत ह I

231 शय को वीकार करन क लए या दा ग को भौतक प स जीवत होना आवयक ह

कभी-कभी तक इस तरह स पश कए ह क ऋिवक णाल क अनयायय न ील भपाद का कोई उराधकार न रखकर परपरा या ग-शय खला को जबरन रोक दया ह अत व कहत ह क खला को अटट एव जार रखन क लए कसी िजवत का रहना जर ह इसक इलावा व महसस करत ह क िजतना भौतक उपिथत क वारा ह सभव ह उतना कताब स यितगत मागदशन ात नह हो सकता या एक ग का शय को वीकार करन या दय ान का सार करन क लए इस लोक म सशरर उपिथत होना आवयक ह अब हम उचत िटकोण ात करन क लए इस न को ील भपाद क उधरण और शािक सदभ स सबोधत करग मधवष ldquoइसा मसीह क शद पर ववास और उनक शाओ क पालन क मायम स आयािमक आकाश तक पहचन क लए बना आयािमक ग क मदद क या एक ईसाई क लए कोई राता ह rdquo

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 22: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

ील भपाद ldquoमझ समझ नह आया ldquo तमाल कण ldquoया एक ईसाई इस यग म आयािमक ग क बना परत बाइबल पढ़न स और जीजस क शद का पालन करन स पहच जाएग hellip ील भपाद ldquoजब तम बाइबल पढ़त हो आप आयािमक ग का पालन करत हो आप कस कह सकत ह lsquoबनाrsquo जस ह आप बाइबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप भ इसा मसीह क नदश का पालन कर रह ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण कर रह ह तो आयािमक ग क बना होन का अवसर कहा ह rdquo मधदवष ldquoम एक िजवत आयािमक ग का िज़ कर रह था ldquo ील भपाद ldquoआयािमक ग शन नह ह आयािमक ग नय ह आयािमक ग नय ह तो आपका शन ह आयािमक ग क बना आयािमक ग क बना आप जीवन क कसी भी तर पर नह हो सकत आप इस आयािमक ग या उस आयािमक को वीकार कर सकत हो वह एक अलग बात ह लकन आपको वीकार करना होगा जस क आप कहत ह क ldquo बाईबल पढ़न सrdquo जब आप बाईबल पढ़त ह इसका मतलब ह क आप आयािमक ग का अनसरण उनक तनध पजार वारा या भ इसा मसीह क परपरा म जो पजार आ रह ह उनक वारा कर रह ह rdquo

-ील भपाद का ात कालन मण अटबर 2 सीएटल भत ldquoील भपाद जब आप हमार साथ मौजद नह ह तब आपस नदश ात करना कस सभव ह उदाहरण क लए जो सवाल उठ सकत ह rdquo ील भपाद ldquoठक ह सवाल hellip जवाब मर कताब म ह rdquo

- ील भपाद क सबह क सर क दौरान मई 13 1973 लॉस ऐजलस अमरका वह गलत ह जो कहता ह क वणव मरत ह जबक व अभी भी शद म जीवत ह I

- ील भितवनोद ठाकर कणा और उनक ानधव एक ह ह जस कण एक ह समय म लाख जगह उपिथत हो सकत ह उसी कार जहा उनक शय चाहत ह आयािमक ग भी कह भी उपिथत हो सकत ह एक आयािमक ग सधात ह न क एक शरर िजस तरह एक TV को सारण क वारा हज़ार जगह पर दखा जा सकता ह

- ील भपाद का मालती को प मई 28 1968 इस पर ील भपाद क कई उधरण ह परत यहा बात पट ह आयािमक ग क शरर का भौतक प स उपिथत होना आवयक नह ह वशषतया जब उनक पतक काय परा कर रह ह I

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 23: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

यहा तक क जब ील भपाद भौतक प स उपिथत थ उहन अपन शय को यितगत प स दा नह द थी और न ह उह ील भपाद का यितगत सग मला ील भपाद न इस तरह स यवथा क ह क जी बी सी एव जो भत मिदर क बधन म शामल ह उनक (ील भपाद क) तनध ह और व शा ग क प म काय कर और व अय भत को ील भपाद क शाओ क अनसार नदट कर और सब ील भपाद क शय बन जायग व ऋिवक णाल क अनसार दा भी कर सकत ह जो क अभी तक का वषय ह I

एव परपराातमम राजषयो वद स कालनह महता योग नट परमतप

एवम ndash इस कार परपरा- ग-परपरा स ातम- ात इमम- इस वान को राज-ऋषय- साध राजाओ न वद- जाना स- वह ान कालन- कालम म महता- महान योग- परमवर क साथ अपन सबध का वान नट- छन-भन हो गया परतप- शओ का दमन करन वाल ह अजन I ldquoइस कार यह परम वान ग - परपरा वारा ात कया गया और राजशरयो न इसी वध स इस समझा कत कालम म यह परपरा छन हो गई अतः यह वान यथाप म लत हो गया लगता ह rdquo

- भगवद -गीता 42 इस लोक स हम पट प स समझ सकत ह क जब परमामा क साथ सबध का वान खो जाता ह तब परपरा या शय-परपरा को टटा हआ माना जाता ह यहा िजस सटक शद का उपयोग कया गया ह वह ह योग नट िजसका मतलब ह वान खो जाना यह नह कहा क शरर नट या ग का शरर नट हो गया इसलए जब भित-योग का वान खो जाता ह तब परपरा टट हई मानी जाती ह आयािमक ग क शरर क नट होन पर नह इकोन क सदभ म ील भपाद क पतक हमशा स रह ह और हज़ार लोग इन पतक को पढ़ कर भत बन रह ह अत भितमय सवा का वान नट नह हआ I अतएव परपरा टट नह ह ldquoय साधारण कताब नह ह य रकाडड जप ह जो कोई भी पढ़ता ह वह वण कर रहा ह rdquo

- ील भपाद जी का पानग दास को प अटबर 19 1974 ldquoबोलन वाल क अनपितथ रहन स दय शद का भाव कभी भी कम नह होता Irdquo

-ीमद भागवतम 298 तापय ldquoजब हम ी कण अथवा अपन ग महाराज स वयोग का अनभव कर तो हम कवल उनक आदश को याद करन का यन करना चाहए और हम फर उनक वयोग का अनभव नह होगा भगवान ी कण तथा ग क साथ हमारा ऐसा सबध उनक वाणी क मायम स होना चाहए उनक ख़द क उपिथत क प म नह ह यह सचा सबध ह हम य दशन पर इतना बल दत ह कत जब ी कण इस भतल पर वराजमान थ तब अनक लोग न उह य दखा परत उहन यह अनभव नह कया क वह भगवान ह

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 24: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

तो य दशन का या लाभ ह कण क दशन करन पर हम उह नह समझ पाएग कत उनक उपदश को सावधानी स सनन स हम ान क धरातल पार आ सकत ह हम वन तरगो क मायम स कण का सग तकाल ात कर सकत ह इसलए हम ी कण और ग क वाणी का तरगो पर अधक बल दना चाहए तब हम सख का अनभव होगा और वयोग का अनभव नह होगा rdquo

- कणभावनामत क ाित पठ 57-58 यह सभी उधरण इस तय को इगत करत ह क ील भपाद क पतक को पढ़न स हम य प स उनस दय ान ात करक दत हो सकत ह I हम कस सनिचत हो सकत ह क हमार सवा स ील भपाद सन ह जबक व भौतक प स हमार साथ आदान-दान नह कर रह ह इसका जवाब यह ह क यद आयािमक ग सन ह तो परम भगवान भी सन ह यय सादाद भागवत-साद और एक बार भगवान सन हो गए तो व शय को वातवक आयािमक उनत दान करग

भितः परशानभवो वरितर अय चऐष क एक -कालः पयमानय यथानतः यस

तिटः पिटः -अपायोऽनघासम िजस यित न भगवान क शरण हण कर ल ह उसक लए भित भगवान का य अनभव तथा अय वतओ स वरित - य तीन एक साथ वस ह घटत होत ह िजस तरह भोजन करन वाल यित क लए यक कौर म आनद पोषण तथा भख स छटकारा - य सभी एकसाथ और अधकाधक होत जात ह

- ीमद भागवतम 11 242 असल आयािमक उनत का मतलब इन तीन चीज़ स ह यद उरोतर असल अहतक भित का अनभव हो रहा हो भगवान स य सबध हो और वशषतया पापमय जीवन स उरोतर वरित का अनभव हो इसस यह समझना चाहए क ील भपाद सन ह I ील भपाद इस बात को आग समझात ह ldquoनःसदह आयािमक ग अपन शय क त कपाल होत ह और परणामवप उनको सतट करक एक भत को पण पषोम ी भगवान स बल मलता ह I इसीलए ी चतय महाभ कहत ह ग-कण-साद पाय भित-लता-बीज सवथम आयािमक ग को जर सन करना चाहए और तब उसस कण वत सन हो जात ह और अान क सम को पार करन क करन का बल मलता ह I यद कोई गभीरतापवक भगवधाम पन लोटना चाहता ह उस आयािमक ग को सन करक पयात सम बनना होगा िजसस क उस श को िजतन क लए हथयार मलगा और उस कण क कपा भी मलगी I कवल ान का हथयार ात करना पयात ह I आयािमक ग क सवा और उनक उपदश क पालना करक इस हथयार क धार तज करना चाहए I तब उस याशी को पण पषोम ी भगवान क कपा ात होगी Irdquo

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 25: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

- ीमद भागवतम 71545 तापय

232 या हम पववत आचाय स नदश ल सकत ह एक सवाल इस कार उठाया जा सकता ह ndash यद हम कवल उनक पतक पढ़कर एक आचाय का सग कर सकत ह तब य नह हम शय परपरा को लाघ कर य प स ील भितसधात सरवती ठाकर या ील प गोवामी या कोई अय उच आचाय स नदश ात कर इसका जवाब ील भपाद क वारा ननलखत उधरण म दया गया ह ldquohellip ीमद भागवतम का वातवक सदश ात करन क लए मनय को चाहए क शय - परपरा स चल आ रह ग क पास जाए फर उस परपरा म योय ग स दत होकर उस भित करन क लए तपया म रत हो जाना चाहए rdquo

- ीमद भागवतम 297 तापय शय-परपरा म वतमान कड़ी व आयािमक ग ह जो सय प स दय शय-परपरा को बहद तर पर जन सामाय म सारत कर रह ह I ील भपाद इस अपनी पतक क मायम स कर रह ह I इसीलए ील भपाद ह इकोन क अधकत दा ग ह I

233 या ील भपाद शय परपरा को तोड़ रह ह एक तक दया जाता ह क ील भपाद इस ससार म गौड़ीया वणव सदाय क अधकत परपरा का नकष तत करन क लए आए थ भतकाल म कसी भी पववत आचाय न हमार सदाय म दा क ऋिवक णाल क थापना नह क ील भपाद ऐसा कस कर सकत ह जो क हमार सदाय क परपरा क वध हो इसलए व कहत ह क उनक (ील भपाद क) कट उपितथ क उपरात ऋिवक णाल ील भपाद क वारा अधकत नह ह यक व ऐसा कछ भी नह करग जो क शय परपरा क वध हो I अब यह यान दना बधमानी क बात ह क शय परपरा का रवाज बध आमाओ को शध कणभावनामत क दशन का चार करना ह एक आयािमक ग दश काल एव परितथ क अनसार दय तकनीक स कस करत ह यह उनक हाथ म ह यह अलग-अलग गओ क अनसार अलग-अलग हो सकती ह परत कणभावनामत का चार करन का सधात यथाप रहता ह कणभावनामत का सार शय परपरा को जार रखता ह न क साराश एक तय क बात यह ह क ील भपाद न दश काल एव परिथत क अनसार बहत स समायोजन कय कई अय उदाहरण म स एक मख उदाहरण यह ह क उहन अपन सभी शय को नय 16 माला हर कण महाम का जप करन का आदश दया परत वातवक मापदड नय 64 माला जप करना ह असल म ील भितसधात सरवती

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 26: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

ठाकर जो क ील भपाद क आयािमक ग ह यह कहा करत थ क अगर कोई 64 माला स एक भी कम करता ह तो वह मनय भी नह माना जा सकता परत ील भपाद न दखा क आजकल क यित 64 माला जप करन क लए अयोय ह और इसलए उहन हम तदन 16 माला का जप करन को कहा ह ननलखत ीमद भागवतम क एक लोक क अनवाद एव तापय म म ील भपाद एक रोचक तय काशत करत ह

वय समीय सदतर यमन भवाणव भीममदसऔदाः भवपदाभोहनावम त

नधाय याताः स -अनहो भवान ldquoह भ आप जो चमकत सय क सामान ह सदव अपन भत क इछाओ को परा करन को तयार रहत ह और इसीलए आप कप-व[वाछा-कपत] कहलात ह जब इस भयानक अान क सम को पार करन क लए आचाय आपक चरण कमल क पणतया शरण हण करत ह व इस पवी पर उस पधत को छोड़ जात ह िजसस उहन पार कया और यक आप अपन दसर भत क त अयत दयामय ह आप इस पधत को उनक सहायता करन क लए वीकार करत ह rdquo

- ीमद भागवतम 10231 हमार कणभावनामत आदोलन म भत को चार कार क पाप स बचन क सलाह द जाती ह ndash अवध ी सग नशा मासाहार और जआ खलना ndash और सोलह माला का त दन जप करना य अधकत नदश ह कण उस भत को वीकार करग जो कठोरता स नयामक सधात और महाजन वारा काशत भन पतक और साहय म अनमोदत पधत क पालना करता ह भगवान क चरण कमल क नाव वीकार करक अान क सम को पार करन क लए आचाय उपयत पधत दत ह और यद इस पधत का कठोरता स पालन होता ह तो पालनकता भगवान क कपा स अततः लय पर पहच जाता ह I इस पधत को आचाय-सदाय कहत ह I इसीलए ऐसा कहा गया ह सदायवहना य मात नफलामता (पम पराण) I आचाय-सदाय वातव म अधकत ह I इसीलए आचाय-सदाय को अवय वीकार करना चाहए नह तो सार यास यथ हग I

- ीमद भागवतम 10231 तापय 16 माला जप क ता निचत प स अपरपरागत ह परत ील भपाद ऊपर दए गए तापय म यह उलख करत ह क यह पणतया अधकत नदश ह दश काल और परिथत क अनसार चार करन क लए यह आचाय का दय ाधकार ह कणभावनामत क सधातो क साथ कोई समझोता नह कया जाता ह लकन वशष िथत

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 27: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

क अनकल मामल तकनीक ववरण आचाय वारा समयोिजत कया जाता ह अत यद अपरपरागत 16 माला जप क ता अधकत ह तो अपरपरागत ऋिवक णाल य नह अगर कोई दा क ऋिवक णाल को वीकार करन को तयार नह ह यक यह अपरपरागत ह तब तो 16 माला क जप क नयम को भी वीकार नह करना चाहए जबक जाकर 64 माला का जप करना चाहए जसा क पववत आचाय न मल प स नदट कय थ I परत आज क समय म यह यावहारक प स सभव नह ह अतएव ील भपाद क 16 माला और ऋिवक णाल क नदश क पालना करना ह एक मा अधकत और यावहारक पधत ह I

234 ldquoपरत ील भपाद न पहल ऐसा कहा था helliprdquo पहल क़ई बार ील भपाद न अपन भौतक थान क बाद अपन शय को भवय म ग बनन और अपन खद क बल पर भत को दा दन क लए ोसाहत कया होगा िजसस क शय परपरा क खला जार रह फर बाद म उहन दा क ऋिवक णाल य लाग क और अपन को अतम आचाय रख कर शय परपरा क खला य रोक द शय परपरा का मतलब परपरा क नकष स या पणपषोम भगवान क भित क वान स ह जसा क भगवद गीता क 42 लोक म घोषत कया गया ह जब तक क ील भपाद क पतक कणभावनामत का सदश फला रह ह तब तक शय परपरा टटा हआ नह माना जाएगा फर भी हम ी चतय चरतामत म दए गय सब क लए ग बनन क खल आदश का अययन करग I सब क ग बन जान का नदश चतय चरतामत क नन लोक म पाया जाता ह िजस ील भपाद असर उधरत करत थ

यार दख तार कह lsquoकण rsquo - उपदश आमार आाय ग हया तार ऐइ दश

हर एक को उपदश दो क वह भगवदगीता तथा ीमदभागवतम म दए गए भगवान ीकण क आदश का पालन कर इस तरह ग बनो और इस दश क हर यित का उधार करन का यास करो

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 हालाक भगवान चतय िजस कार क ग बनन क लए ोसाहत करत ह वह पट प स ननलखत तापय म वतत प स थापत कया गया ह ldquoअथात मनय को घर म रहकर हर कण म का कतन करना चाहए और भगवद -गीता तथा ीमद -भागवतम म दए हए कण क उपदश का चार करना चाहए rdquo

- चतय -चरतामत मय -लला 7128 तापय

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 28: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

ldquoवह गहथ डॉटर इजीनयर या कछ भी बना रह सकता ह इसस कोई फक नह पड़ता उस कवल ी चतय महाभ क उपदश क पालन करनी ह हर कण म का कतन करना ह और सबधयो तथा म को भगवदगीता तथा ीमद भागवतम क शाओ का उपदश दना ह यह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय हम दख सकत ह क य नदश ग को काय करन स पहल कोई वशष तर क सााकार को ात करन क माग नह करत I यह अनरोध ताकालक ह इसस यह पट ह क सभी को उह जो भी मालम ह उसका चार करन क लए ोसाहत कया जा रहा ह और इस कार व शा या नदशक ग बन जात ह इस अनबध स यह और पट हो जाता ह क शा ग को इसी ितथ म रहना ह और दा ग बनन क लए आग नह बढ़ना I ldquoयह सबस अछा होगा क कोई भी शय वीकार ना कर rdquo

- चतय-चरतामत मय -लला 7128 तापय दा ग का मय काय शय को वीकार करना ह जबक एक शा ग का मय कतय ह दा ग क सहायता करना और िजतना बहतर हो सक उतना कणभावनामत का चार करना यह ील भपाद क तपय स पट ह क ऊपर दए गए शलोक म भगवान चतय वातव म शा ग को अधकत कर रह ह दा ग नह ययप ील भपाद न पहल कई बार सब को दा ग बनन क लए ोसाहत कया परत 9 जलाई 1977 का आदश उनक पहल क सार कथन को लाघ दता ह ननलखत नोर म इस बात को पट करता ह I अयतानद [दशक वारा दया गया न पढ़ रह ह ] ldquoभगवद गीता क अत म ी कण कहत ह सव-धमान परयय [भगवद गीता 1866] परत भगवद गीता म दसर जगह दो बार यह उलख कया गया ह क यान वधम परा-धम भयावह [भगवद गीता 335] दसर क कतय का पालन करन क बजाय यित को अपन कतय का पालन करना चाहए भपाद हा अयतानद ldquoहम कस helliprdquo भपाद म तह कई बात कह सकता ह परत जब म सीध कछ कहता ह ldquoइस करो rdquo तहारा पहला कतय पहल उस परा करना ह तम बहस नह कर सकत ldquoसाहब आपन मझ पहल इस तरह स कहा था ldquo नह वह तहारा कतय नह ह जो म अब कहता ह तम उस करो वह आाकारता ह तम बहस नह कर सकत नःसदह कण न कभी कछ भी वरोधामक बात नह कह परत एक अगर कोई मखतावश सोचता ह क कण कछ वरोधामक बात कह रह ह नह ऐसा नह ह तम नह समझ सकत इसलए ldquoययप तम नह समझ सक तम मर य आदश क पालन करो सव-धमान परयय माम एकम [भगवद गीता 1866] यह तहारा कवय ह ldquo मालक इस तरह स कहता ह और नौकर का कतय बना कसी बहस क उस यथाप वीकार करना ह

- ीम भागवतम पर ील भपाद का यायान 553 अल 15 1975 हदराबाद

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 29: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

भगवद गीता म भगवान कण न अजन को कई नदश दए थ उहन यान स लगा कर ान तक सभी कार क योग क वषय म कहा परत उनका अितम आदश उनक उन सब आदश का अतमण हो जाता ह

सवधमापरयय मामक शरण ज अह वा सवपापयो मोययाम मा शच

समत कार क धम का परयाग करो और मर शरण म आओ म समत पाप स तहारा उधार कर दगा डरो मत

- भगवद -गीता 1866 तम सब कछ छोड़ कर मर भत मर उपासक बन जाओ - इस भगवान का अतम आदश जानकर इस सधात क पालन करनी चाहए

- भगवान चतय क शाए अयाय 11 यहा तक अपन गीत ldquoभज गोवदrdquo म ीपाद शकराचाय क वारा दए गए अतम उपदश का मतलब उनक समत मायवाद या अवतवाद नदश का उलघन करन स भी था ीपाद शकराचाय न गीत क शवात म साफ सलाह दत ह क उनक पछल समत वदक लोक क मायावाद अशध ययओ का वतत याकरण वारा अयनन मय क समय सहायता करन म यथ ह वातवक लाभ क लए व सभी को य सब नरथक बात भल जान क और कवल गोवद क भितमय सवा वारा पजा करन क सलाह दत ह

मय बद यह ह क शय का मय कतय अतम नदश क पालना करना ह न क परान आदश पर बहस करना जो क वरोधामक हो सकत ह अतम आदश सभी पछल आदश का उलघन करता ह I इसलए 9 जलाई का पनदश और ील भपाद जी क वसीयत क घोषणा को अतम आदश क प म लया जाना चाहए और इस पर कोई भी तक नह कया जाना चाहए सब बात क एक बात यह ह क ndash जब तक ील भपाद क पतक रहगी व ह इकोन क अधकत दा ग ह I

24 ील भपाद इसकॉन क शा ग ह या दा ग एक और तक यह ह क यक ील भपाद हम अपनी पतक क मायम स हम शा द रह ह अत व हमार शा ग ह और दा ग व ह जो हम आयािमक नाम दत ह जस क हम पहल ह दा क परभाषा ऊपर दख चक ह दा का मतलब आयािमक ग वारा दय ान ात करना नाम दना और माला पर जाप करना कवल एक औपचारकता ह जो क कसी अय भत वारा ील भपाद क ओर स कर सकता ह ऐसा उहन जलाई 9 1977 क प म नदशत कया ह यह कवल दा क या का एक तकनीक वतार ह लकन असल दा दय ान का सारण ह

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 30: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

ील भपाद क वारा दए गए ननलखत उदाहरण इस बात को पट करत ह ldquoजी बी सी को शा ग होना चाहए म दा ग ह और तह जस म सखा रहा ह वस सखाक और जस म कर रहा ह वस करक शा ग बनना चाहए rdquo

- मधदवसा को ील भपाद का प अगत 4 ड ॉइट अमरका ldquoकभी-कभी दा ग हमशा शाररक प स उपिथत नह हो सकत इसलए एक वरट भत स शा या नदश ल सकत ह इसी को शा ग कहत ह rdquo

- भगवद -गीता पर ील भपाद का वचन 171-3 जलाई 4 1974 होनोलल हवाई

दा ग वह ह जो दय ान दत ह और शा ग वह ह जो दा ग क अनसार अय भत को और सामाय जन को नदश दत ह ील भपाद एक दा ग ह और इनक िज़मदार शय को शा ग बनना चाहए

अयाय 3 यतम का शािक अययन

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 31: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

ील भपाद क वारा उनक इकोन म नरतर दा (यहा तक क उनक भौतक थान क बाद भी) ग बन रहन क पट नदश दन क बावजद भी उनक भौतक थान क बाद बहत सार यतम हो चक ह यहा तक क आज भी यतम कता अपन को जस-तस उचत टहरात ह परत जस-जस दन नकल रह ह उनक िथत कमजोर होती जा रह ह यक उनक औपचारक या अनौपचारक पतन सामन आ रह ह एक अधकत या सशत आचाय का कभी भी पतन नह होता परत जो अधकत नह ह उनका पतन होगा ldquoग को धन -सह या अनयायय क बड़ी सया स कभी सात नह होना चाहए कोई ामाणक ग कभी ऐसा नह होगा कत यद कोई ग उचत कार स अधकत नह होता और अपन आप ग बन बठता ह तो वह धन -सह या अनयायय क दघ सया वारा मोहत हो सकता ह I उसक भित उचतरय नह ह यद कोई मनय ऐसी उपलिधय स सात हो जाता ह तो उसक भित मद पड़ जाती ह अतः भत को ग -परपरा क सधातो का सती स पालन करना चाहए ldquo

- भितरसामतसध अयाय 14 भित क योयता पछल अयाय म हम दा ग क योयता का अययन कर चक ह इस अयाय म हम शािक सदभ पर काश डालत हए बताएग क यतम य होत ह यतम कता क ितथ या ह यतम कता क परणाम कस इस िथत को सधारा जाय और सयनठ गभीर भत एव ईयाल भत क साथ कस यवहार कया जाय

31 यितम क कारण सवथम सामायतया यतम य होत ह ldquoमानव समाज का मय काय ईवर क वषय म सदव चतन करना उसका भत बनना उनक पजा करना और उनक सम नतमतक होना ह परम भगवान क तनध आचाय इन सधात को थापत करत ह परत जब व अकट होत ह चीज फर स अनयमत हो जाती ह I आचाय क सध शय आयािमक ग क नदश क नठा स पालना करक परितथ को ठक करन का यास करत ह Irdquo

- ीमद भागवतम 42848 तापय जब आचाय शाररक प स मौजद होत ह व बलपवक वछद शय म सधार कर सकत ह और पन यवथा थापत करत ह ील भपाद कई बार ऐसा कया था परत जब आचाय चल जात ह तब उनक मशन क सचालन क िज़मदार पर तरह उनक शय पर टक होती ह उनक ईमानदार सबस बड़ी भमका नभाती ह यद एक शय जानबझकर कर दा ग क नदश क अवा करता ह और परितथ को सधारन क लए यद कोई सम वरठ शा ग नह ह तो अराजकता बढ़ती ह ील भपाद क आदोलन क साथ यह सब हआ ह

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 32: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

ऐसा मनोवान जो क यतम क ओर ल जाता ह पट प स चतय चरतामत म नन कार स समझाया गया ह

lsquoनषधाचार lsquoकटनाट lsquoजीव -हसन लाभ lsquoपजा lsquoतठाद यत उपशाखा -गण

भित - लता क साथ बढ़न वाल कछ अवाछत लताए ह - सध ात करन क यास म लग लोग क लए नषध आचरण कटनीत जीव हसा सासारक लाभ सासारक पजा तथा तठा य सभी अवाछत लताए ह

- चतय -चरतमत मय -लला 19159 म अपन लए यह कह सकता ह और इसक लए म सभी लोग स वनतापवक माफ़ मागता ह क निचत प स कछ हद तक अय को अपन वश करन क वत उपिथ थी यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस उच थान पर ग बनन क चठा म कट हआ ह ldquoग ओह उभत म अब ग ह और हम कवल याहरह लोग ह ह rdquo

- तमाल कण का कफ़शन - 3 दसबर 1980

जब एक सत भत इन अवाछत इछाओ को हण करता ह जो क आचाय एव भगवान क बताए हए पथ स अलग ह तो वो पथकतावाद कहा जाएगा ऐसा यित अपन आयािमक ग क आदश क अहलना करक सबस बड़ा अपराध करता ह उसक भित को रजोगण और तमोगण स मत माना जाता ह इस कार वह यित आचाय क त ईयाल हो जाता ह तथा पजा-तठा क अभलाषा करता ह

अभसधाय यो हसा दभ मासयम एव वा सरभी भन -ग भाव मय कयात स तामसः

ldquoईयाल अहकार हसक तथा ोधी और पथकतावाद यित वारा क गयी भित तमोगण धान मानी जाती ह rdquo

- ीमद भागवतम 3298

वषयािभसधाय emspयश ऐवयमव वा अचादावचययो मा पथभावः स राजसः

ldquoमदर म एक पथकतावाद वारा भौतक भोग यश तथा ऐवय क योजन स क जानवाल वह - पजा रजोगणी भित ह rdquo

- ीमद भागवतम 3299 इस तरह क भत को ततीय णी का भत माना जाएगा

अचायामव हरय emspपजा यः धयहत I न तभतष चायष emspस भतः ाकतः मतः II

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 33: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

ldquoजो भत मदर म अचावह क धापवक पजा म लगा रहता ह कत अय भत क त या सामाय जनता क त उचत रत का आचरण नह करता वह ाकत भत अथात भौतकतवाद भत कहलाता ह और ननतम पद पर िथत माना जाता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 11247

ततो ऽचाया हर कचसधाय सपयया उपासत उपाताप नाथदा पषवषाम

ldquoकभी कभी नवदत भत भगवान क पजा म सार साज - सामी अपत करता ह और वह वातव म भगवान क पजा अचवह क प म करता ह लकन भगवान वण क अधकत भत स ईयाल होन क कारण भगवान भित स कभी सन नह होत rdquo

- ीमद -भागवतम 71440 जब तक कोई अपन आप को इस ततीय णी म रखता ह उसका पतन हो जाएगा ldquoकणभावनामत म ततीय णी क भत का पतन हो सकता ह परत जब यित थम या वतीय णी म ह उसका पतन नह होता I

- ीमद -भागवतम 93 तापय जब तक आप ील भपाद वारा दए गए साधना क सभी नयमो क पालन नह करत- जसक 16 माला का जप चार नयम क पालन मगल आरती क लए जागना और जब तक ीमद-भागवतम पर का समपन ना हो जाए तब तक सबह क सपण कायम म भाग लना और अय सवाओ म भी भाग लना ील भपाद क पतक पढ़ना - आप नचय ह ततीय णी म रहग और यद आप लब समय तक इसी आवथा म रह तो आप दसर भत क लए समया उपन करन क लए बाय हग यक आपक अपण आचरण का असर बाक़ भत पर भी पड़गा इकोन म यह समया ह क सबस वरठ भत न अपन आपको नीच गरा क वय को ततीय णी का भत साबत कया ह और यद गओ क वशभषा म ऐस लोग आदोलन को चलात ह तो परणाम या होगा कोर अराजकता

32 यतिमय क ितथ और उनक अनयायी नसदह माया बहत बलवान ह इसलए कभी-कभी सयासी का भी पतन हो सकता ह परत ामाणक आयािमक ग का कभी भी पतन नह हो सकता यह याद रखना बहत महवपण ह क एक ामाणक आयािमक ग को योय और अपन आयािमक ग वारा अधकत होना चाहए इकोन क इतहास म 1977 क बाद एक क बाद एक कतन सार ग अपन तर स नच गर चक ह यद व पतत हो रह ह तो व कस कार क भत ह पटतया व ततीय णी क भत ह I व ग कस बन सकत ह I

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 34: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

यद वातव म व ील भपाद वारा पव ग-शय परपरा म उनक उराधकार बनन क लए सशत एव अधकत होत तो उनका पतन य होता उनम स कछ आधकारक तौर स नीच गर चक ह परत अय उनका पतन तो हो चका ह परत उनका आधकारक तौर पर लबल नह कया गया ह यक इकोन म पतन का मतलब कवल अनचत यौन यवहार स ह भितमय सवा स पतन का यह मतलब हो सकता ह क अपराधी या तो इियतित म फस जाय औरया मायावाद बन जाय सौभर मन न गड को अपमानत कया था जो क भगवान वण क महान वाहन ह और इसीलए उहन योगायास क उच तर पर पहचन क बावजद पचास राजकमारय स ववाह करक इियतित म फस गए I माधव पर क शय रामच पर अपन ग क त अपराध करक मायावाद बन गए I हम इस उदाहरण स सीखना चाहए यह दोनो परणाम इकोन म दख जा रह ह लकन मायावाद क वत को यतम या पतन नह माना जा रहा ह यक ील भपाद न कभी भी कसी को दा ग बनन अधकार नह दया कवल अपनी मज़ क अनसार या फर कसी मत जी बी सी क सफ़ारश क अनसार ऐसी उपाध पाकर ील भपाद क चरण कमल म पहल ह अपराध का बीज बोय दया ह और समय परणाम दशायगा हम इस तरह क पतन क लए थना नह कर रह ह परत हम एक शध भत इकोन क सथापक आचाय क त अपराध क वाभावक परणाम को बता रह ह यहा पर सयास क कछ यवहारक नयम दए गए ह िजनका आज क कई तथा-कथत सयासय क वारा उलघन कया गया ह और ील भपाद क त अपराध कया गया ह I

पदाप यवती भन पशदारवीमप I पशकरव बयत करया अगसगतः II

ldquoसत -पष को चाहए क वह कसी यवती का पश न कर वततः उस काठ क बनी ी क वप वाल गड़या को भी अपन पाव स भी पश नह होन दना चाहए ी क साथ शाररक सपक होन पर वह निचत ह उसी तरह माया वारा बद बना लया जाएगा िजस तरह हथनी क शरर का पश करन क इछा क कारण हाथी पकड़ लया जाता ह rdquo

- ीमद भागवतम 11813

ीणा नरणपशसलापवलनादकम I ाणनो मथनीभतानगहथोऽतयजत II

ldquoजो ववाहत नह ह अथात सयासी वानाथ तथा मचार उह िय क हाथ कभी भी दख कर छ कर बात करक हसी -मज़ाक़ करक या खल -खल म उनक सगत नह करनी चाहए न ह व कसी ऐस जीव का साथ कर जो सभोगरत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111733

यद न समधरित यतयो द कामजटा दरधगमोऽसता द गतो ऽमतकठमणः I

असतपयोगनामभयतोऽयसख भगवन

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 35: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

अनपगतातकादनधढपदाभवतः II ldquoसयास -आम क जो सदय अपन दय स भौतक इछा को समल उखाड़ कर फ क नह दत व अशध बन रहत ह और इस तरह आप उह अपन को समझन नह दत ययप आप उनक दय म उपितथ रहत ह कत उनक लए आप उस मण क तरह ह िजस मनय गल म पहन हए भी भल जाता ह क वह गल म ह ह भ जो लोग कवल इिय -तित क लए योगायास करत ह उह इस जीवन म तथा अगल जीवन म भी उस मय स जो उह नह छोड़गी और आपस भी िजनक धाम तक व नह पहच सकत दड मलना चाहए और rdquo

- ीमद -भागवतम 108739 ldquoधामक भावनाओ क झठ दखाव क वारा व हर कार क अनतक गतवधय म लत रहत हए भित का वाग करत ह इस कार व ग तथा ईवर क भत क प म मान लए जात ह धम क नयम का उलघन करन वाल ऐस लोग ग -शय परपरा म आन वाल ामाणक आचाय क त कोई समान नह दखात व वदक आदश lsquoआचायपासना- अचया क पजाrsquo तथा भगवदगीता (42) म कण क कथन - ऐव परपराातम अथात भगवान का यह सवतकट वान ग -शय परपरा वारा ात हआ ह - को भी अनदखा करत ह व सामाय जनता को मत करन क लए वय तथाकथत आचाय बन बठत ह लकन व आचाय क सधात क पालना तक नह करत ऐस धत मानव समाज क सबस घातक तव ह चक कोई धम -आधारत सरकार वयमान नह ह अतएव व राय क नयमो वारा दड पान स बच जात ह कत व परमवर क नयम स नह बच सकत िजहन भगवद -गीता (1619-20) म घोषत कया ह क धमचारक व वश म ईयाल असर को नरक क गहनतम भाग म डाल दया जाएगा ीईशोपनषद पिट करती ह क य ढगी धमपालक कवल अपनी इियततित क लए चलाए जान वाल ग क यापार क परा होन पर माड क सबस णत थान क ओर आग बढ़ग rdquo

- ी ईशोपनषद म 12 तापय

त -ित -परनद -पचर -वधम वन I ऐकितक हरर भितर उपतयऐव कपत II

ldquoभगवान क ऐसी सवा जो क अधकत वदक साहय जस क उपनषद पराण नारद-पचरा इयाद को नकारत ह समाज म बस एक अनावयक उपात ह rdquo

- भित -रसामत -सध जो ऐस अपराधय का अनगमन करत ह उनका या अतम परणाम होगा

तषा कपथदटणा पतता तमस यधः य दयवचत वemsp मजयमलवा इव

ldquoजो नता अानी ह और लोग को वनाश क कमाग पर ल जात ह (जसा क पछल लोक म कहा गया ह ) व वातव म पथर क नाव पर सवार ह और उनक पीछ अध होकर चलन वाल भी वस ह ह पथर क नाव पानी म नह तर सकती वह तो याय समत पानी म डब जाएगी इसी कार जो लोग मनय को कमाग पर ल जात ह व अपन अनयायय समत नारक को जात ह rdquo

- ीमद -भागवतम 6714

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 36: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

33 परितथ को कस सधारा जाए जवाब बहत आसान ह ील भपाद क आा का उलघन करना रोक दया जाए और ऋिवक णाल का पालन कया जाए यद इकोन क नता यह कर सकत ह तो सवठ काय होगा जो व कभी कर सकत ह और हम सदव उनक आभार रहग परत यद व ऐसा नह करत ह तो हम इस अपराध क लए उनका समथन नह कर सकत जब तक इकोन अपनी मखता को समझ कर सधार नह कर लता तब तक हमार पास उन भत क साथ मलकर जो क ील भपाद को ह कवल दा ग थापत करन क लए गभीर ह वत होकर काय करन क आलावा कोई और वकप नह रह जाता जो लोग परिथत सधारन म च रखत ह व इस बात पर पहल यान द क शय क लए आयािमक ग का नदश ह सवच मागदशक सधात ह उनक शा को कभी भी अनदखा नह कया जाना चाहए

आचाय मा वजानीयानवमयत कहचत I न मय बयासयत सव दव मयो गः II

ldquoआचाय को मरा ह वप जानना चाहए और कसी भी कार स उसका अनादर नह कर उह सामाय पष समझत हए उनस ईया -वष नह रख यक व समत दवताओ क तनध होत ह rdquo

- ीमद -भागवतम 111727

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयमपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917 ldquoग भगवान क तय ह अतएव जो आयािमक गत करन क लए गभीर हो उह ग को इसी तरह मानना चाहए इस समझ म थोड़ा भी वचलन होन स शय क वदक अयन तथा तप का सवनाश हो सकता हrdquo

- ीमद -भागवतम 71527 तापय इसलए अछ तरह स ऋिवक णाल का अययन दतावज़ी और शािक तय स कर जो क इसका समथन करत ह एव इनक यथाथता स आवत हो जाए और फर खलकर ईमानदार स नकपट भत को इसक बार म बताय यद कोई पथट इकोन क सग का परयाग करता ह तो उसम एक वरठ वणव को अपमानत करन का डर उपन हो सकता ह परत इकोन म ील भपाद क तलना म कौन उनस

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 37: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

वरठ वणव हो सकता ह हम उनक चरण कमल म ऐसा अपराध कस कर सकत ह या दसर को ऐसा करत हए कस सहन कर सकत ह यद कोई जानबझकर इस तरह ील भपाद को अपमानत करता ह तो वह वणव कस हो सकता ह एक गभीर भत क वचारधारा कछ इस कार क ह होनी चाहए

34 वपरत वचार रखन वाल स कस यवहार कर जो नदष ह उस हम हमार बात शािक आधार क साथ तत कर सकत ह जसा क इस पतक म लखा ह परत बहत स लोग ऐस भी हो सकत ह जो दा क ऋिवक णाल जो क पणपण ील भपाद वारा अधकत ह स ढ़तापवक असहमत ह नमनलखत लोक हम बतात ह क उनक साथ कसा यवहार कया जाना चाहए

न सभा वशाः सयदोषाननमरन I अविववनो नरः किबषमनत II

ldquoबधमान यित को चाहय क यद वह जान ल क कसी सभा क सभासद अनचत काय कर रह ह तो वह उस सभा म वश न कर और यद ऐसी सभा म वश कर लन पर वह सयभाषण करन स चक जाता ह या मया भाषण करता ह या अानता क दहाई दता ह तो वह निचत ह पाप का भागी बनता ह rdquo

- ीमद -भागवतम 104410

नदा भगवतः शवतपरय जनय वा I ततो नापऐत यः सोऽप यायधः सकतायतः II

ldquoिजस थान पर भगवान या उनक धवान भत क नदा होती हो यद मनय उस थान को तरत छोड़ कर चला नह जाता तो नय ह वह अपन पयकम क फल स वचत होकर नीच आ गरगा rdquo

- ीमद -भागवतम 107440

ईवर तदधीनषबालशष वषस च I ममऐीकपोपायः करोत स मयमः II

ldquoवतीय कोट का भत जो मयम अधकार कहलाता ह भगवान को अपना म अपत करता ह वह भगवान क समत भत का नठावान म होता ह वह अानी यितय पर दया करता ह जो अबोध ह और उनक उपा करता ह जो भगवान स वष रखत ह

- ीमद -भागवतम 11246 उन सब क उपा करनी चाहए जो क ील भपाद जस भगवान क शध भत स इया करत ह दसर शद म अगर कोई ील भपाद इकोन क एकमा दा ग क प म चनौती द रहा हो तो ऐसा मानना चाहए क वह ील भपाद स इया करता ह और उसक उपा या अवहलना क जानी चाहए

महता बहमानन दनानामनकपया मऐया चऐवामतयष यमन नयमन च

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 38: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

ldquoभत को चाहए क ग तथा आचाय को सवय समान दान करत हए भित कर उस दन पर दयाल होना चाहए और अपनी बराबर क यितय स मता करनी चाहए कत उसक सार कायकलाप नयपवक तथा इिय -सयम क साथ सपन होन चाहए rdquo

- ीमद -भागवतम 32917

ldquoसामान वचारधारा क यितय बीच म मता होनी चाहए I ऐस यित वजात lsquoएक ह जात कrsquo कहलात ह I एक भत को उस यित स दर रहना चाहए िजसका चर उचत वचारधारा म िथर नह ह भल ह वह वणव या कण का भत य न हो यद उसका चर उचत तनधव नह करता ह तो उसक उपा करनी चाहए I ढ़ता स इिय एव मन का सयम करना चाहए और कठोरता स नयम क पालना करनी चाहए तथा इसी तर क यितय क साथ मता करनी चाहए Irdquo

- ीमद भागवतम 32917 तापय

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 39: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

नकष हम आशा करत ह क दतावजी एव शािक तय क इस सकलन न आपको आवत कया होगा क कवल ील भपाद इकोन क मा नववादत दा ग ह वशष प स अपन शाररक थान क बाद भी कसी क भी वारा कोई भी दावा क ऋिवक दा णाल दतावज़ी या शािक या शय- परपरा वारा समथत नह ह- को नराधार मानना चाहए हालाक यह सब पढ़न क बाद यद कसी को अभी भी इन नदश पर ववास नह ह ओर या दा क ऋिवक णाल क अहलना करक जानबझकर ील भपाद क नदश का उलघन करता ह उनका भाय भगवद गीता क ननलखत लोक बतात ह

अचादधानच सशयामा वनयत नाय लोकोऽित न परो न सख सशयामनः

ldquoकत जो अानी तथा धावहन यित शा म सदह करत ह व भगवदभावनमत नह ात करत अपत नीच गर जात ह सशयामा क लए न तो इस लोक म ना ह परलोक म कोई सख ह rdquo

- भगवद -गीता 440

यः शावधमसय वतत कामकारतः न स सधमवानोत न सख न परा गतम

ldquoजो शा क आदश क अवहलना करता ह और मनमान ढग स काय करता ह उस न तो सध न सख न ह परमगत क ाित हो पाती ह rdquo

- भगवद -गीता 1623 अगर आपको कसी कार क पटकरण क आवयकता हो तो कपया सकोच ना कर आप हम adminsrikrishnamandirorg पर लख सकत ह I

जय ील भपाद हर कण

[समात ]

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 40: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

अनबध क ील भपाद क वासयत क घोषणा दडी गोवामी ए सी भितवदात वामी सथापक आचाय अतरािय कणभावनमत सघ शाखा कण -बलराम मदर भितवदात वामी माग रमणरती वदावन (उ ) दनाक जन 1977 वसयत क घोषणा म ए सी भितवदात वामी भपाद अतरािय कणभावनमत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का lsquoसटलर rsquo और ऊ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन म कण -बलराम का नवासी इसको अपनी आखर वासयत (इछा ) बनाता ह 1 गवनग बॉडी कमीशन (जी बी सी ) सपण अतरािय कणभावनमत सघ क सवतम शासकय अधकार होगी 2 हर मदर इसकॉन क सपत होगी और इसका बध तीन lsquoएजीयटव डाइरटस (कायकार नदशक ) वारा होगा यह बध णाल िजस कार चल रह ह उसी कार चलती रहगी और कसी भी तरह क परवतन क आवयकता नह ह 3 भारत म सपतय का सचालन ननलखत lsquolsquoएज़यटव डायरटस (कायकार नदशक ) करग क ी मायापर धाम पानीहाट हरदासपर और कलका क सपतया गकपा वामी जयपताका वामी भावानद गोवामी और गोपाल कण दास अधकार ख वदावन क सप तमाल कण गोवामी अयानद वामी और गोपाल कण दास अधकार ग बॉब क सप तमाल कण गोवामी गरराज दास मचार और गोपाल दास अधकार घ भवनवर क सप ग़ौर गोवद वामी और भागवत दास मचार ड हदराबाद क सप महास वामी ीधर वामी गोपाल कण दास अधकार और बल मदन दास अधकार

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 41: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

य कायकार नदशक िजनको उपयत पदवया द गई ह उह सपण जीवन क लए नयत कया जाता ह उपयत नदशक यद मय क कारण या कसी अय कारणवश काय करन म असफल हो जाए तो बच हए नदशक आपस म मलकर एक या एक स अधक उराधकार नदशक चन सकत ह बशत नया नदशक मरा दत शय हो जो ढ़तापवक अतराय कणभावनमत सघ क सभी नयम का िजनका सपण वणन मर पतक म ह पालन कर रहा हो ओर इस शत पर क एक समय म तीन (3) स काम या पाच (5) स अधक कायकार नदशक कायरत न हो 4 मन अतराय कणभावनमत सघ क सघ क सिट क ह इसका वकास कया ह एव इसका सगठन भी कया ह और अब म चाहता ह क भारत म इकॉन क नाम पर पजीकत सार सपय को कभी भी गरवी ब कसी अय क नाम पर थानातरत नह क जाए या कसी प स भारगरत न कया जाए कसी को भट या दान वप न द जाए व इनक वामव को हतातरत नह कया जाए यह नदश अपरवतनीय ह 5 भारत क बाहर िथत सार सपयो को मलतः कभी गरवी न रखा जाए या इसको कसी चीज़ क बदल म न दया जाए या इसक ब नह क जाए एव कसी क नाम हतातरत न कया जाए लकन यद ज़रत पड़ तो इह उसक साथ जड़ जी बी सी समत क सदय क सहमत स गरवी रखा जा सकता ह इसका आदान -दान कया जा सकता ह या इसक ब इयाद क जा सकती ह 6 भारत क बाहर िथत सपया और उसस जड़ जी बी सी समत सदय नमनलखत ह क शकागो डइट और एनन आबर क सपतया जयतथ दास अधकार हरकश वामी और बलवत दास अधकार ख हवाई टोयो एव हागकाग क सपया ग कपा वामी रामवर वामी और तमाल कण गोवामी ग मलबान सडनी एव ऑलया फाम क सपया ग कपा वामी हर सौर और अय ऋष घ इलड (लडन रडलट ) ास जमनी नीदरलड वीडन क सपया जयतथ दास अधकार भगवान दास अधकार और हरकश वामी ड कया मारशस दण अका क सपया जयतथ दास अधकार मानद वामी और अय ऋष च मिसको वनजएला ाज़ील कोटारका प इवडोर कोलबीया चल क सपतया दयानद गोवामी पचवड वामी और मनाद वामी छ जोजटाउन गयाना साता डोमगो सट ऑगटन क सपतया आद कशव वामी दयानद गोवामी और पचवड वामी ज वनकवर सआटल बरल डलास क सपतया सतवप दास गोवामी जगदश दास अधकार और जयतथ दास अधकार झ लॉस एिजस डवर सन डीआग लगना -बच क सपतया रामवर वामी स त वप दास गोवामी और आद कशव वामी ञ ययॉक बोटन यटोररको पोट रायल सट लईस सट लईस फ़ाम क सपतया तमाल कण गोवामी आद कशव वामी और रामवर वामी ट ईरान क सपतया अय ऋष भगवान दास अधकार और हमानद वामी ठ वॉशटन डी सी बालटमोर फ़लाड़अफ़य मायल और ओटावा क सपतया पानग दास अधकार गोपाल कण दास अधकार और जगदश दास अधकार

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 42: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

ड पसबग य वदावन टोरटो लवलड बफलो क सपतया कतानद वामी अय ऋष और बलवत दास अधकार ढ़ अटलाटा टनसी फ़ाम गसवल मायामी य आरलयस मसीसपी फ़ाम होउटन बलवत दास अधकार आद कशव वामी और पानगा दास अधकार ण फजी क सपतया हर सौर अय ऋष और वासदव 7 म यह घोषणा करता ह कहता ह और इसक पिट करता ह क सभी सपतया थायी और अथायी जो मर नाम ह और करट अकाउट (चाल खाता ) सवग अकाउस (बचत खाता ) और फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा पजी ) जो वभन बक म ह अतराय कणभावनमत सघ क सप ह ऐव इकॉन क जायदाद ह मर पव जीवन क उराधकार यद इन पर अपना अधकार सध करन क कोशश कर तो उनका सपय पर कोई अधकार नह ह न ह उनका इनम कोई दावा या च ह ननलखत यवथा क अलावा उनका कोई अधकार नह ह 8 हालाक वभन बक म जो पसा मर नाम पर ह इसका यय इकॉन क लए हो रहा ह और यह इकॉन का ह ह फर भी मन कछ राश बक म डपॉिज़ट क प म रखी ह ताक मर पव परवार क सदयो (दो बट दो बटया और पनी ) को 1000 - पए मासक भा ात हो इस सदय क मयपरात यह बचत क धन राश जो डपॉिज़स (कोपस याज राश और बचत ) क प म ह इकॉन क सपत बन जाएगी और मर पव परवार क वशज या कोई और यद दावा करत ह तो उह कोई भा नह दया जाना चाहए 9 म ग कपा वामी दयानद गोवामी तमाल कण गोवामी रामवर वामी गोपाल कण दास अधकार जयतथ दास अधकार और गरराज दास मचार को इस वसीयत क कायकारणीय क प म नयत करता ह मन यह वसीयत जन क चौथ दन 1977 को अपन पर होश और िथर मन स और बना कसी दवाब या कसी क बात म आकर बनाया ह गवाह ए सी भितवदात वामी इस उपयत वसीयत पर ील भपाद न हतार कए थ और महर और गवाह नन यितय वारा द गई थी तमाल कण गोवामी भगवान दास अधकार और कई अय गवाह (मल त पर हतार अकत )

उराधकार प म ए सी भितवदात वामी भपाद एक सयासी और अतराय कणभावनामत सघ का सथापक आचाय भितवदात बक ट का सटलर और ॐ वणपाद 108 ी ीमद भितसधात सरवती गोवामी महाराज भपाद का शय वतमान म वदावन क कण -बलराम मदर का नवासी अपन इराद को जाहर करन क लए अतम वसीयत एव उराधकार-प बनता ह और दनाक 4 जन 1977 बनाई गई अपनी वसीयत म कछ हद तक अपट चीज का पिटकरण करता ह यह इस कार ह

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 43: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

मन 4 जन 1977 को एक वसीयत बनायी थी िजसम मन कछ बध कए थ उसम ी एम एम ड वदावन च ड क भितलता ड और सलमणा ड जो मर हथ आम म मर वारा उपन हए थ और ीमती राधारानी ड जो हथ आम म मर पनी थी इन सबक लए आजीवन जीवन -नवाह भ का बध ह जो वसीयत क 8 वी पित म उलखत ह चक यान स दखन पर मझ यह लगा क य पितया मर वचार पट प स नह दशाती ह इसलए म अब यह नदश द रहा ह क राधारानी ड को आजीवन 1000 - पए क मासक आय ाित होगी यह आय एक लाख बीस हज़ार पय क राशी क याज स इकॉन वारा द जाएगी इस राश क इकॉन 7 साल क लए िजस बक म उचत समझ उसम नक़द राश थायी जमा पजी क प म जमा कराएगा यह मासक आय उसक उतराधकारयो को उपलध नह होगी और उसक मय क बाद यह राश इकॉन क अधकारय व नदशको वारा िजस कार सथा क लए उचत हो उस कार उसका योग कया जाएगा जहा तक ी एम एम ड ी वदावन च ड ीमती सलणा ड और क भितलता ड का शन ह उनक लए इकॉन एक लाख बीस हज़ार पय क चार फ़ड डपॉिज़ट (थायी जमा राश ) बनाएगा हर डपॉिज़ट (जमा राश ) एक लाख बीस हज़ार पय का होगा यह सात साल क अवध क लए होगा और इसस कम स कम 1000 - पय तमाह का याज हर थायी जमा राश पर मलगा अपन -अपन थायी जमा राश स मलन वाल याज 1000- पय म स उहन 250 - पय तमाह दया जाएगा और बाक़ 750 - पय तमाह क रक़म एक दसर नई थायी जमा कर द जाएगी यह उनक यितगत नाम पर जमा क जाएगी जो सात साल तक क लए होगी सात साल पर होन पर मासक याज 750 - पय वारा सात साल तक जमा क गई कल धनराश को उयक त नामाकत यित गवमट बड (सरकार ता -पा ) अथवा फ़ट डपॉिज़ट (थायी जमा राश रसीद ) अथवा सरकार जमा योजना म लगा सकत ह अथवा इसस थायी जायदाद (सप ) ख़रद सकत ह िजसस धनराश सरत रह ह ख़म ना हो जाए यद उयक त इन नयम का उलघन कर धनराश को कसी और उदय हत ख़च करत ह तब इकॉन क कायकार नदश उनक मासक भ को बद करन क लए वत ह जो उह एक लाख बीस हज़ार पय क मल जमा राश क याज क प म ात होता था फर व याज क रक़म को भितवदात वामी चरट ट म जमा कर सकत ह यह बहत पट कया जाता ह क उपयत यितय क उतराधकारय का उपयत राश पर कोई अधकार नह होगा चक यह राश उपयत यितय (जो मर पव जीवन क पारावारक सदय ह ) क नजी उपयोग क लए नह ह और वह भी उनक जीवनकाल तक ह ह मन अपनी वसीयत क लए कछ कायकारयो को नयत कया ह मर 4 जन 1977 क वसीयत म मन िजन कायकारय को नयत कया था उनम म अब ी जयपताका वामी जो मर शय ह और ी मायापर चोददय मदर िजला-नदया पिचम बगाल क नवासी ह को भी कायकार क प म सिमलत करता ह म यहा आग नदश दता ह क मर वसीयत क अतगत अपन कतय को यितगत प स और सामहक प स परा करन क लए कायकारय को परा अधकार ह म इस कार उपयत उलख क अनसार अपनी 4 जन 1977 क वसीयत म सधार सशोधन व परवतन करता ह सभी माइन म यह वसीयत हमशा अपनी िथत बनाए रखगी और भवय म सभी सदा पालनीय रहगी

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 44: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

म इस नवबर क 5 व दन 1977 को यह वसीयतनाम का उराधकार प अपन पर ववक िथर मन ऐव बना कसी क बात म आकर व बना कसी ज़ोर ज़बरदती क बना रहा ह गवाह (मल त पर हतार अकत ) ए सी भितवदात वामी

अनबध - ख तमाल कण क दोष-वीकत - दसबर 31980

तमाल कण गोवामी कछ दन पव मझ कई चीजो का सााकार हआ ह [ hellip] पटवप स ील भपाद वारा ऐस कथन ह क उनक ग महाराज न कसी उतराधकार नयत नह कया था [] अपनी पतक म भी ील भपाद कहत ह क योयता क आधार पर ह कोई ग हो सकता ह [hellip] यह रणा मल यक मर वारा शन उठाया गया था इसलए कण बोल वातव म भपाद न कभी कसी को ग नयत नह कया था [] उहन यारह ऋिवक को नयत कया था ील भपाद न उह कभी ग क प म नयत नह कया था मन और अय जी बी सी य न पछल तीन वष म इस आदोलन को बहत बड़ी हान पहचायी ह यक हम ग़लत अथ नकालकर ऋिवक क नयित को ग क नयित कर दया म यह बताता ह क वातव म या हआ मन इसका वणन कया था लकन इसका ग़लत अथ नकाला गया था वातव म हआ यह क ील भपाद बोल क व ऋिवक क नयित करन क सोच रह ह और तब अनक करणवश जी बी सी वारा अपनी बठक बलाई गई और व भपाद क पास गए हमम स पाच या छह लोग (यहा 28 मई 1977 क वातालाप क बात हो रह ह ) हमन उनस पछा ldquoील भपाद आपक चल जान क बाद यद हम शय वीकार करत ह व कसक शय हग आपक या मर rdquo कछ समय दा चाहन वाल क सची का ढर बन गया था और य प भर पड़ थ मन कहा ldquoील भपाद आपन एक बार ऋिवक क चचा क थी मझ मालम नह या करना चाहए हम आपक पास नह आना चाहत लकन हज़ार भत क नाम आ चक ह और म

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 45: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

उन प को अपन पास रख हए ह मझ यह मालम नह ह क आप या करना चाहत ह rdquo ील भपाद बोल ldquoइतन लोग को नयत कगा helliprdquo और व उनक नाम बतान लग [] उहन यह पट कर दया था क व उनक शय ह तब मर मन म यह बहत पट था क व सब (नए दत शय ) उनक शय थ उसक कछ समय बाद मन उनस दो शन पछ पहला मानद वामी क बार म आप या कहत ह मन उनस यह पछा यक मर दय म उनक लए नह था hellip तो ील भपाद बोल नह योय होन पर ह जब म ह प को टाइप करन क लए तयार हआ तब मन दसरा शन कया ील भपाद इतन बहत ह या आप नाम इसम जोड़ना चाहत ह व बोल जसी आवयकता हो वस अय लोग को इसम सिमलत कया जा सकता ह अब मझ समझ आ रहा ह क उहन जो कया वह बहत ह पट था व शाररक प स दा का सकार सपन करन म असम हो गए थ इसलए उहन अफ़शीएटग ीट (दा सकार सपन करन वाल पजारय ) को उनक ओर स दा दन क लए नयत कया था उहन यारह को नयत कया और यह पट प स कहा क जो भी नकट ह वह दा द सकता ह यह बात अयत महवपण ह यक जब दा लन का शन उठता ह तो उसका आधार यह नह क जो भी नकटतम हो उसस ल जाए बिक जहा दय जाए वहा िजस पर तहार धा हो उसस तम दा लोग लकन जब तनधय वारा दा दन क बात आती ह तो जो भी नकट ह उसस ल सकत ह और व इस बात पर बहत ह पट थ उहन उनको मनोनत कया था व लोग दनया म सभी जगह फल हए थ उहन कहा जो भी तहार पास ह तम उसक पास जाओ वह तहार परा लगा और उसक बाद मर ओर स दा दगा यह ज़र नह क उसक त तहार मन म धा होनी चाहए वह तो ग क लए होती ह ldquoइस आदोलन क सचालन क लए मझ जी बी सी का नमाण करना होगाrdquo भपाद न कहा ldquoऔर इसक लए म ननलखत लोग को नयत कगा यद इस आदोलन म नए लोग क सिमलत होन व दा लन क या को जार रखना ह तो मझ कछ पजारय को नयत करना होगा जो मर मदद करग म शाररक प स सबका अकला सचालन नह कर सकता इसलए मझ कछ पजारय को नयत करना होगा rdquo बस यह सब कछ था और इसस यादा कछ नह ह तम यह शत लगाकर कह सकत हो क यद व वतमान म चालत ग णाल चाहत तो इसको थापत करन क वषय म व कई घट कई दन कई सताह तक चचा करत यक व लाख बार कह चक थ ldquoमर ग महाराज न कसी को नयत नह कया था यह योयता पर आधारत ह rdquo हमन बहत बड़ी ग़लती क ह भपाद क थान क बाद इन यारह लोग क या िथत ह [] भपाद न कवल सयसयो को ह नह बिक दो हथो क भी नाम बतलाए ऋिवक बनाया िजसस यह तत होता ह क य हथ सयासी क बराबर थ अतः जो भी योय हो - सामायतः यह समझ जाता ह क ग क उपिथत म शय हण नह कए जा सकत लकन ग क चल जान क बाद शय हण कए जा सकत ह यद आप योय हो और यद कोई आपक त धा रखता ह तो उस शय बनाया जा सकता ह यह भी महवण ह क भाव शय को पर तरह स यह समझाया जाना चाहए क ामाणक ग को कस चन यद आप ामाणक ग हो और आपक ग अब नह रह तब यह तहारा अधकार ह यह उसी कार ह िजस कार हर मनय सतान पदा कर सकता ह [hellip ]

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए

Page 46: दा के बाद - International Sri Krishna Mandir ...€¦ · ज न व र 1 9 7 7 म व य ं ी ल भ ुप ा द व ा र ा द त क ए थे औ

दभायावश जी बी सी न इस तय नह पहचाना उहन तरत ह (मान लया नणय ल लया ) क य यारह लोग ह चन हए ग ह म यह अपन लए निचतता स कह सकता ह और इसक लए म सभी स नतापवक मायाचना करता ह क निचत प स इसम कछ हद तक अय को नयत करन क वत ह [hellip] यह एक बध जीव का वभाव ह और यह सबस ऊच थान ग बनन क चटा म कट हआ ह ldquo ग वाह अभत म अब ग ह और कवल हम यारह लोग ह हrdquo [] मझ लगता ह क यह समझ बहत महवपण ह िजसस भवय म ऐसी कसी और दघटना को रोक जा सक यक मरा ववास करो म कहता ह क भवय म यह फर स होगा कवल कछ समय क दर ह जब िथत को लोग भल जाएग फर ऐसी दघटना अपन आप ह दोहरायगी चाह वो लॉस ऐिजस म हो या कह और यह नरतर होता रहगा तब तक जब तक तम वावतवक कण शित को बना रोक -टोक क दशत होन नह दत [] मझ लगता ह क यद जी बी सी तरत ह इस बात को नह अपनाती या यह अनभव नह करती तम मझ कोई भी टप या पतक नह दखा सकत जहा भपाद कह रह ह ldquoम इन यारह लोग को ग क प म नयत करता ह rdquo इसका अितव नह ह यक भपाद न कभी कसी को ग क प नयत नह कया यह एक म ह [ hellip] िजस दन तम दा हण करत हो उस दन स तहार पता क चल जान पर तह पता होन का अधकार ात होता ह यद तम योय हो नयत वारा नह इसक लए नयत क ज़रत नह यक कसी क नयित हई ह नह _________________________________________________ यहा पर तमाल कण यह दावा कर रह ह क जब आयािमक ग अपना शरर याग दत ह तो शय को अपन आप ह ग बनन का अधकार होता ह बशत वह योय ह यह उनका िटकोण ह पर जस क अयाय 222 (पज़ न 23 ) इस पतक क ील भपाद जी इस बद को पट करत ह क एक शध भत को ग बनन क लए अपन ग स अधकत होना चाहए