पिता होने का - amazon s3...यह हग , त भ फस अऩन ख द क...

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अछे माता पिता होने का अथ के िि को ेक , काथ मा तो काथ I तो को ना ेने के हम अिना ेतम ोान क े कते ? हम नम का िकना का अन ेने का ान कना ेहत हेा ? ? " के िि ाने ता ि के महि के ाे ात क ा I िात : हाे I हाे माम , नके ने का माथ हो , ेकन हाे नह I ि हा माकत नह I नका माक होने ाा अनेक ता िहो ात I " मने ोना ि हा माकत , तो नको के तक ने ेते हो , ोक के ि माकत क ा कत , मन ि नह I

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  • अच्छे माता पिता होने का अर्थ

    च् के िा न िो को ेक ह त क छ ा ा ह , े का थ म ा ा तो ह क का थ ह I तो क च् े को क क ना ेने के हम अिना े तम ो ान क े े कते ह ? ा हम क न म का िा न क ना ह ा ह े ह न का अन ेने का अ ान क ना ेहत हे ा ?

    ?

    " च् के िा न िो म क ाने ा म त ा ह त ह ि म के क छ मह ि थ त के ा े म ात क ा I िह ात : ह ा क े त हा े ह I े त हा े मा म े े ह , त म नके ने का मा थ हो , े कन े त हा े नह ह I न ि त हा मा क त नह ह I नका मा क होने क ा ा े अनेक त ा ि ा हो ात ह I

    " क ा त मने ह ो ना क ा क न ि त हा मा क त ह , तो त म नको त के त तक न े ा ेते हो , ो क के त ि ह मा क त क ा कत ह , मन ि नह I

  • ह त म े हो कने ा ा क ितम क ह I औ े ा े च् े कतने अ हा ह ,त म ि कतने न थ ह , े ा त नह क कते ह I त हा ा ो प ा हो े े का क ेते ह I औ न ि अिन मा क त को ि का क न ेके ि नका म होता ह त म नको ा ना ेते हो , त म नको ह ना ेते हो, त म नको म मान ना ेते हो,त म नको ना ेते हो, त म नको ह ना ेते हो—त म ा त ा नह क कते ! औ ा त म क ि म र्थता को े नह कते ?"

    ओशो, सुकयात जहय 25 के फाद फपय से सददमों, टॉक # 2

    , ....

    “फच्चे को जन्भ देना एक फात है –भाॉ होना बफरकुर अरग फात है I कोई बी स्त्री फच्चे को जन्भ दे सकती है ; मह फहुत सयर घटना है I रेफकन भाॉ हो ऩाने के लरए एक भहत सभझदायी, एक शे्रष्ठ करा की आवश्मकता ऩड़ती है I

    "तुभ एक भनुष्म का सजृन कय यही हो – "मह भहानतभ सजृन है ! कोई चचरकाय एक चचर फनाता है,हभ उसे भहान करा कहते हैं Iपऩकासो – उसे हभ भहान चचरकाय कहते हैं I रेफकन उस भाॉ के फाये भें क्मा जजसने पऩकासो को फनामा ? कोई कपव सुन्दय कपवतामें लरखता है , रेफकन उस भाॉ के फाये भें क्मा जजसन ेशेक्सपऩमय को फनामा ?”

    ओशो “ वाक पवदाउट फ़ीट,फ्राई पवदाउट पव ॊग्स एॊड चथॊक पवदाउट भाइॊड , प्रवचन # 3” हस्तऺेप किये बिना मैं उनिो िैसे उचित राह दिखा सिती ह ॉ ? “इसको तुभ फहुत गॊबीयता से भत रो...वयना तुभ फच्च ेको नष्ट कय दोगी I तुम्हायी गॊबीयता पवध्वॊसक फन जामेगी I इसे खेरबाव से रो I महाॉ ऩय तुम्हाया उत्तयदायमत्व है ! - रेफकन इसे फहुत खेरऩूणण ढॊग से लरमा जाना चादहए ..... सावधान होकय खेरो रेफकन खेरबाव से खेरो I अगय तुभ गॊबीय हो जाती हो तो फच्चा तुम्हायी गॊबीयता को अनुबव कयने रगेगा औय वह उस के नीचे दफ जाएगा औय ऩॊगु हो जाएगा I

    "फच्चे ऩय दफाफ भत फनाओ : ऐसा भत अनुबव कयने रगो फक फच्च ेके साथ तुभ कोई भहान कामण कय यही हो....तुभ अऩन ेसाथ ही कुछ भहान कामण कय यही हो I इस फच्चे को एक सुन्दय भनुष्म , एक फुद्ध के रूऩ भें पवकलसत होने भें सहामता कयके तुभ एक फुद्ध की भाॉ फनन ेजा यही हो I तुभ फच्च ेऩय कोई एहसान नहीॊ कय

    https://shop.osho.com/in/socrates-poisoned-again-present-moment-adamhttp://www.osho.com/iosho/library/read-book/online-library-sacred-joy-child-d86c405e-3bc?p=64d5f0a13d1f002cc618e4baefe7d7cd

  • यही होगी , तुभ फस अऩन ेखुद के जीवन का भजा रे यही होगी ; फच्च ेके भाध्मभ से तुम्हाया अऩना जीवन एक सुगॊध भें ऩरयवयत णत हो जामेगा I”

    ओशो “ वाक पवदाउट फ़ीट,फ्राई पवदाउट पव ॊग्स एॊड चथॊक पवदाउट भाइॊड , प्रवचन # 3”

    "कबी कबी तुम्हाये फकमे फच्च ेके दृजष्टकोण को स्त्वीकाय कय ऩाना कदठन होता है—क्मोफक तुभ खुद ही उसे खो चुके हो। कोई फच्चा फकसी वृऺ ऩय चढ़न ेका प्रमास कय यहा है तो तुभ क्मा कयोगे ? अचानक से तुभ बमबीत हो ज्जाते हो— वह चगय सकता है, वह अऩनी टाॊग तोड़ सकता है,मा उसके साथ कुछ गरत हो सकता है I औय अऩने इस बम के कायण तुभ दौड़ कय जाते हो औय फच्चे को योक देते हो I अगय तुभने कबी जाना होता फक ऩेड़ ऩय चढ़न ेका भज़ा कैसा होता है तो तुभने उस फच्चे की सहामता की होती जजससे वह जान जाता फक ऩेड़ ऩय कैसे चढ़ा जाता है ! औय अगय तुभ बमबीत हो तो उसकी सहामता कयो,जाओ औय उसे लसखाओ I तुभ बी उसके साथ चढो ! मह सीखन ेभें उसकी सहामता कयो ताफक वह चगय न ऩड़ ेI तुम्हाया बम अच्छा है – मह तुम्हाये पे्रभ को ददखाता है, फक फच्चा चगय न जाए ,रेफकन फच्चे को वृऺ ऩय चढ़न ेसे योक देना उसको पवकलसत होन ेसे योक देना है I

    "वृऺ ऩय चढ़न ेके फाये भें एक सायबूत तथ्म है Iअगय कोई फच्चा कबी फकसी वृऺ ऩय नहीॊ चढ़ा है तो एक प्रकाय से वह यनधणन फना यहेगा , --अऩने साये जीवन बय वह फकसी सम्ऩन्नता से चूक जाएगा I तुभने उसे फकसी सुन्दय अनुबूयत से वॊचचत कय ददमा है, औय उसे जान ऩाने का कोई औय उऩाम है बी नहीॊ....!

    "उसे वृऺ ऩय चढ़ जान ेदो I औय अगय तुभ बमबीत हो तो उसकी सहामता कयो,जाओ औय उसे लसखाओ I तुभ बी उसके साथ चढो ! उसे सीखने भें सहामता कयो ताफक वह चगय न जामे I औय सदा के लरए ऩेड़ ऩय चढ़न ेसे योक ददए जाने की तुरना भें कबी एकाध फाय ऩेड़ से चगय ऩड़ना इतना फुया बी नहीॊ होता है I

    "ऩेड़ ऩय चढ़ने भें कुछ भूरबूत फात है। अगय फच्चे ने इसे कबी नहीॊ फकमा है तो वह फकसी न फकसी रूऩ भें दरयद्र यहेगा, जीवन बय कुछ सभपृद्ध खो देगा । आऩ उसे कुछ सुॊदय कयने से वॊचचत यखते हो, औय उसे जानने का कोई औय यास्त्ता नहीॊ है। उसे ऩेड़ ऩय चढ़न ेदो। औय अगय तुम्हें डय रगता है तो उसकी भदद कयो, जाओ औय उसे लसखाओ। तुभ बी उसके साथ चढ़ो। उसे लसखाओ ताफक वह चगय न जाए। औय एकाध फाय ऩेड़ से चगयना इतना फुया नहीॊ है फजाम इसके फक हभेशा के लरए वॊचचत यह जाए। "फच्चा फारयश भें बीगना चाहता है मा फारयश भें यास्त्तों ऩय दौड़ना चाहता है औय तुम्हें डय रगता है फक उसे जुकाभ हो जाएगा मा न्मूभोयनमा मा कुछ औय हो जाएगा। औय तुम्हाया डय गरत नहीॊ है। तो ऐसा कुछ कयो

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  • जजससे उसे जुकाभ न हो।डाक्टय के ऩास रे जाओ औय ऩूछो फक कौन से टालभन्स ददए जाएॊ जजनसे फारयश भें दैड़ने के फावजूद मह डय न हो फक उसे जुकाभ मा न्मूभोयनमा हो जाए। रेफकन उसे योको भत। फयसते ऩानी भें सड़क ऩय नाच कयना इतना आनॊदभम होता है! उसे चूकना कुछ नहुभूल्म चूकने जैसा है।

    "अगय तुभ जानते हो फक खुशी क्मा है औय तुभ सजग हो तो तुभ फच्च ेको भहसूस कयोगे फक वह क्मा कयना चाहता है।"

    ओशो “ वाक पवदाउट फ़ीट,फ्राई पवदाउट पव ॊग्स एॊड चथॊक पवदाउट भाइॊड , प्रवचन # 2”

    और मैं अपन ेिच्िों िे लऱए सिसे िेहतर क्या िर सिता ह ?

    "फच्चों को पवचाय के साथ ध्मान बी लसखाओ। सोच पवचाय उन्हें जीवन भें सपर होने भें भदद कयेगा, औय ध्मान उन्हें ददव्मता के साथ सपर होने भें भदद कयेगा। उन्हें उनकी फुपद्ध तेज कयने के लरए पवचाय दो औय उनके हृदम भें कुछ ऩपवरता को पवकलसत कयने के लरए ध्मान दो। सफसे भहत्वऩूणण घटना तफ घटती है जफ हृदम की ऩपवरता फुपद्ध की सफिमता से लभरती है। उस लभरन भें सफिमता औय यनजष्िमता एक दसूये के साथ सॊतुलरत होती है, ददन औय यात थभ जाते हैं, औय तुभ वहाॊ की झरकें ऩाने रगत ेहो जो जन्भ औय भतृ्मु के ऩाय है।"

    ओशो ऑन ओशो

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  • "हाऱ ही में जब मैं ओशो इंटरनैशनऱ मेडिटेशन

    से ऱौटी तो किसी ने मेरे से पूछा, क्या ररज़ाटटतुम्हारे पैसे वसऱू हुए? मैं ठिििी; क्या िहंू? मझुे मेरी जजंदगी ही वापपस ममऱ गई थी। वहां जािर इतने तरह िे अनुभव हुए, गहरे तऱ पर उपचार हुआ। हां, वह अनमोऱ था। मेरे समीिरण में पैसा वसऱू िरना बैिता नहीं। वह उस तरह िा बे्रि या छुट्टी नहीं थी। मैं वहां अनुभव िरने िे

    इरादे से पहंुची, िुछ योजना बनािर गई थी ऱेकिन वहां पहंुचते ही वे सब पपघऱ गईं। शब्द बयान नहीं िर सित ेकि मैंने क्या अनुभव किया। एि ही बात जो मेरे जेहन में आती है वह यह कि मैंने असीम सौंदयट िो अनुभव किया। वह बहुत खबूसरूत जगह है, खबूसरूत ऊजाट, सुदंर ऱोग। ओशो वैबसाइट पर जो फोटो हैं वे सुदंर हैं ऱेकिन वे उस स्थान िे साथ न्याय नहीं िरते। मैंने जो समय वहां पर बबताया उसिे मऱए मैं गहन रूप से अनुगहृीत हंू।

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  • अनुभव करो कक तुम वजन रहित िो। जफ फैठोगे तफ ऐसा अनुबव कयो कक तुभ वजन यहहत हो गए हो, तुम्हाया कोई वजन नह ीं है। तुम्हें ऐसा रगेगा को कह ीं न कह ीं कोई वजन है रेककन वजन न होने को अनुबव कयते यहो। वह आता है। एक ऺण आता है जफ तुभ अनुबव कयते हो कक तुभ वजन यहहत हो, कक तुम्हाया कोई वजन नह ीं है। जफ कोई वजन अनुबव नह ीं होता तफ तुभ शय य नह ीं होते, क्मोंकक वजन शय य का होता है, तुम्हाया नह ीं। तुभ वजन यहहत हो।

    तुम्हें स्वमीं को सम्भोहन से अरग कयना है।" भैं शय य ह ीं औय इसलरए भैं वजन को अनुबव कयता ह ीं" ,मह एक तयह का सम्भोहन है। महद इस सम्भोहन को गगया सको कक तुभ शय य नह ीं हो तो तुभ शय य के वजन को अनुबव नह ीं कयोगे। औय जफ तुभ वजन अनुबव नह ीं अक्रोगे तफ तुभ भन के ऩाय जाओगे।

  • लसद्धासन की ववगध, जजस तयह फुद्ध फैठते हैं, वजन यहहत होने का सफसे फहिमा तय का है। जभीन ऩय फैठो, कुसी मा औय ककसी आसन ऩय नह ीं, लसपफ जभीन ऩय। फुद्ध आसन भें फैठकय, फद्ध -- तुम्हाये हाथ फींधे हुए, तुम्हाये ऩाींव फींधे हुए, इससे सहमोग लभरता है क्मोंकक तफ तुम्हाय आींतरयक ववद्मुत एक सककफ ट भें घ भने रगती है। तुम्हाय य ि सीधी यहे। अफ तुम्हें ऩता रगेगा कक य ि सीधी यखने ऩय इतना जोय क्मों हदमा गमा है। क्मोंकक सीधी य ि के साथ कभ से कभ जगह घेय जाती है इसलरए गुरुत्वाकषफण तुभ ऩय कभ प्रबाव डारता है।

    आींखें फींद कयके अऩने आऩको सींतुलरत कयो, कें हित कयो। दाींमे झकुो औय गुरुत्वाकषफण को अनुबव कयो, फाींमे झुको औय गुरुत्वाकषफण को अनुबव कयो, आगे की ओय झुको औय गुरुत्वाकषफण को अनबुव कयो, ऩीछे झुको औय गुरुत्वाकषफण को अनुबव कयो। कपय कें ि को अनुबव कयो जहाीं गुरुत्वाकषफण का खखींचाव सफसे कभ अनुबव हो, औय वह ीं यहो। कपय शय य को ब र जाओ औय भहस स कयो कक तुभ वजन नह ीं हो, तुम्हाया कोई वजन नह ीं है। कपय इस वजन यहहतता को अनबुव कयते यहो।

    अचानक तुम्हाया वजन खो जाएगा, अचानक तुभ शय य नह ीं होओगे, अचानक तुभ वजन यहहतता के अरग ह ववश्व भें हो ओगे।

    वजन यहहत होना अशय य होना है; उसके फाद तुभ भन के बी ऩाय जाओगे। भन बी शय य का हहस्सा है, वजन का हहस्सा है। लसपफ तुम्हाया कोई वजन नह ीं है। मह इस ववगध का आधाय है।

    ओशो, हद फुक ऑप सीके्रट्स, # 7

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  • क्या ज िंदगी एक पुराना ोक है?

    एक दफ्तय भें एक फॉस था, उसे ऩुयाने जोक सनुाने की आदत थी। अफ च ूंकक फॉस था इसलरए सबी भातहत उसके जोक ऩय हूंसते बी थे। एक ददन उसकी सेके्रटयी फॉस का जोक सनुने ऩय नहीूं हूंसी, चुऩ ही यही। एक नमे कभमचायी ने ऩ छा, तुभ क्मों नहीूं हूंसी? योज तो फड़ ेजोय से हूंसती हो। रड़की ने कहा, ' भैंने इस्तीपा ददमा है। आज भेया आखियी ददन है।'

    आऩ ऩुयाना जोक दफुाया नहीूं सनु सकत ेरेककन ऩुयानी जजूंदगी जीमे चरे जाते हैं -- वही ढयाम,वही ढाूंचा। वही आदतें औय वही रयश्त-ेनाते। इसीलरए जजूंदगी उफाऊ हो जाती है। जफकक भन को ननत नमाऩन चादहए नहीूं तो भन ऩय काई जभती है। नमे जोक का भजा इसी भें है कक उसका अूंत नहीूं भार भ होता। आऩ जोक सनुते हैं, सनुते-सनुते उत्तेजना भें आ जाते हैं, आऩके कान, ददभाग सफ कुछ एकाग्र होकय जोक को सनुने रगते हैं, उत्सकुता फढ़ने रगती है, औय अचानक

  • आऩके अूंदय ऊजाम का ववस्पोट सा होता है। अऻात भें छराूंग रगती है। भानो ऩानी भें क द ऩड़।े जोक अचानक ऐसा भोड़ रेता है जो अऩेऺा से फाहय होता है। वही हूंसी ऩैदा कयता है। मह ववस्पोट ही जीवन की चचनगायी है। अगय जोक का अूंत ऩहरे से ही ऩता हो तो जोक ननजीव हो गमा।

    हभाया जीवन ऩुयाने जोक जैसा तो नहीूं है? रोग बववष्म को जानने के लरए क्मा क्मा इूंतजाभ कयते हैं-- ज्मोनतष औय कुूं डरी, औय नम उऩाम। इनसे शामद सयुऺा तो हो जाती है रेककन जीवूंतता िो जाती है। जीवन भें जजतना जोखिभ हो, जजतनी अनपे्रडडक्टेफुलरटी हो उतना योभाूंच फना यहता है। आऩको ऩता है, जीवन के कोई यास्ते नहीूं होते? आऩ जाएूं जूंगर भें, ऩहाड़ों भें, सभन्दय भें, कोई फने-फनाए यास्ते नहीूं हैं। यास्ते हभाये चरने से फनते हैं। रेककन आधुननक भन सफ कुछ फना-फनामा, सयुक्षऺत चाहता है। आधुननक जीवन भें सवुवधाएूं तो फहुत हो गई हैं रेककन नवीनता िो गई। कोई जोखिभ नहीूं रेना चाहता। आऩ कुछ बी कयना चाहें, हय चीज ऩहरे से आयक्षऺत औय सयुक्षऺत कयवा रेते हैं। रेककन जीवन एक ऐसा भजाक है जो ननत नमा है। उसे फहुत गूंबीयता से रेने की जरूयत नहीूं है। भनुष्म चायों ओय पैरे हुए प्रकृनत का दहस्सा है। प्रकृनत कैसी प्रपुजलरत, प्रसन्न, उत्सवभग्न यहती है वैसा भनुष्म बी यह सकता है। उदासी अजस्तत्व का स्वय नहीूं है, वह तो आदभी के गरत दृजष्टकोण से ऩैदा हुई है।

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  • इ र र , तरह र र ह ह र , , त र इ ह त ठ त ह और इ त र और रह ह त 120 हर 1600 ह र र त इ र र त ह ह तर त ह र त हर त र : र त , , र त र , , और ह ह र त इ र त र त ह त त त और र र त त ह र र इ ह र र र र र त र त त ह त त ह ह ह तर और त ह और र तर त रत र रत और , ह त-- र और

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