विश्व संकट तथा शान्तपथ - ahmadiyya...आ जन र म प...

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Page 1: विश्व संकट तथा शान्तपथ - Ahmadiyya...आ जन र म प रम ख, क ग र स स , स स , र ज त, ग र सरक र स

विशव सकट तथा

शानतपथ

विशव सकटतथा

शानतपथहजरत मिजजा िसरर अहिद

विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख तथा इमामऔर हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम क पचम खलिीफा

क पतरो एव भजषणरो कज सकलन

मवशव सकट तथज शजनतपथहजरत मिजजा िसरर अहिद

विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख तथा इमामऔर हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम क पचम खलिीफा

क पतरो एव भजषणरो कज सकलन

First Published in the UK in English 2012 [ISBN 978-1-84880-079-3]First Hindi Edition Published in India 2015

Second Hindi Edition Published in India April 2017Translated by Bilal Ahmad Shamim

copy Islam International Publications Ltd

Published byNazarat Nashr-o-Ishaat

Sadr Anjuman AhmadiyyaQadian-143516 Distt Gurdaspur

Punjab INDIA

Printed atFazle Umar Printing Press Qadian

No part of this publication may be reproduced or transmitted in any form or by any means electronic or mechanical including photocopy recording or any information storage and retrieval system without prior written permission from the Publisher

For further information please visit

wwwalislamorg wwwahmadiyyamuslimjamaatin

ISBN 978-93-83882-39-7

मवषय सची

लिखक क विष म xiपराककथन xv

भाषण

विशि सकट पर इलिाम का दनटिकोण 3

िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए 27

एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता 43

शानत-पथ mdash राषटरो क मध ापणण सबzwjध 71

शानत की कजी mdash विशव-एकता 107

का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह 131

इलिाम mdash शानत और िा का zwjधमण 151

ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता 171

िनशवक शानत और सरका ितणमान ग की खतरनाक समाए 189

िनशवक अशानत म शानत की कजी 207

viii विशव सकट तथा शानत-पथ

विशि क नताओ क नाम पतर

आिरणी पोप बवनविकट XVI क नाम पतर 227

इसाईलि क परzwjधानमतरी क नाम पतर 235

इलिामी ररपनलिक ईरान क राषzwjटरपवत क नाम पतर 241

सति राज अमररका क राषटपवत क नाम पतर 247

कनािा क परzwjधानमतरी क नाम पतर 253

िो पवितर थलिरो क सरकक सऊिी अरब राज क समाट क नाम पतर 259

चीन क परzwjधानमतरी क नाम पतर 265

नाइटि वकगिम क परzwjधानमतरी क नाम पतर 271

जमणनी की चासलिर क नाम पतर 277

फास गणराज क राषटपवत क नाम पतर 283

नाइटि वकगिम त था राषट-मणिलि िशरो की महारानी क नाम पतर 291

इलिामी गणराज ईरान क सिणपरमख नता क नाम पतर 299

रस क राषटपवत क नाम पतर 305

लिखक क विष म

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क सिवोचच परमख ह आप हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी मसीह मौऊि ि महिी अलिवहसलिाम क पाचि उततरावzwjधकारी ह

आपका जम 15 वसतमबर 1950 को रिह पावकतान म िगगी वमजाण मसर अहमि सावहब ि िगगी नावसरा बगम सावहबा क पररिार म हआ कवष विशवविदालि फसलिाबाि पवकतान स 1977 ई म कवष-अथणशातर म सातकोततर की उपावzwjध परापत करन क पचिात आपन औपचाररक रप स अपना जीिन इलिाम की सिा क वलिए समवपणत कर विा तिोपरात आपको 1977 ई म घाना (अ फीका) वभजिाा गा जहा आप कई िषषो तक विवभन अहमविा मनलिम ककलिरो म परzwjधानाचाण क रप म सिारत रह आपन अहमविा सकणिरी ककलि शाघा क आरमभ होन म भी ोगिान विा और परारनमभक िो िषण तक िहा वपरवसपलि क रप म भी काणरत रह

हजरत वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचम

लिखक क विष म

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क सिवोचच परमख ह आप हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी मसीह मौऊि ि महिी अलिवहसलिाम क पाचि उततरावzwjधकारी ह

आपका जम 15 वसतमबर 1950 को रिह पावकतान म िगगी वमजाण मसर अहमि सावहब ि िगगी नावसरा बगम सावहबा क पररिार म हआ कवष विशवविदालि फसलिाबाि पवकतान स 1977 ई म कवष-अथणशातर म सातकोततर की उपावzwjध परापत करन क पचिात आपन औपचाररक रप स अपना जीिन इलिाम की सिा क वलिए समवपणत कर विा तिोपरात आपको 1977 ई म घाना (अ फीका) वभजिाा गा जहा आप कई िषषो तक विवभन अहमविा मनलिम ककलिरो म परzwjधानाचाण क रप म सिारत रह आपन अहमविा सकणिरी ककलि शाघा क आरमभ होन म भी ोगिान विा और परारनमभक िो िषण तक िहा वपरवसपलि क रप म भी काणरत रह

हजरत वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचम

xii विशव सकट तथा शानत-पथ

िहा स पावकतान लिौट आन क पचिात आप रिह म अहमविा जमाअत क मखालि म विवभन पिरो पर आसीन रह कर सिारत रह सन 1999 ई म आप को एक वचह-पट स पवितर कआणन क शि वमटान क वमथा आरोप म अलपािवzwjध क वलिए कारािास भी काटना पडा

22 अपरलि 2003 को अहमविा मनलिम जमाअत क जीिनपणत पि lsquoखलिीफाrsquo क वलिए वनिाणवचत होन क फलििरप आप एक अतराणषटी zwjधावमणक स था वजसक 200 स अवzwjधक िशरो म लिाखरो अनाी ह क विशववापी zwjधावमणक एि परशासवनक परमख भी ह

खलिीफा वनिाणवचत होन क पचिात स अब तक हजर परचार एि परसार क सभी माधमरो दारा इलिाम का शानतपणण सिश पहचान का एक विशववापी अवभान का नतति करत आ रह ह आपक नतति म अहमविा मनलिम जमाअत की राषटी शाखाओ दारा इलिाम की िातविक शानतपणण वशकाओ को परिवशणत करन िालि काणकरम परारभ वकए गए ह विशव भर म अहमिी मसलिमान लिाखरो की सखा म मसलिमानरो तथा गर मनलिमरो को lsquoशानतrsquo विजापन बाटन सिणzwjधमण सममलिन एि शानत समारोह आोवजत करन तथा पवितर कआणन क िातविक एि उततम सिश क परचार हत परिशणवना आोवजत करन क मलि परासरो म वत ह काणकरम विशवतर पर सचार माधमरो क आकषणण का क दर बन ह तथा इनक दारा ह परिवशणत होता ह वक इलिाम शानत अपन िश क परवत िफािारी और मानिता की सिा का परबलि समथणक ह

हजर न सन 2004 ई म िावषणक lsquoराषटी शानत समारोहrsquo का उदाटन वका वजसम समाज क विवभन िगषो क लिोग एकतर होकर

xiiiलिखक क विष म

शानत एि एकता क समबzwjध म विचाररो का आिान-परिान करत ह परवतिषण इस समारोह म बहत स मतरी सासि राजनीवतज zwjधावमणक नता तथा अ पिावzwjधकारी सनममवलित होत ह हजर न मानिता की सिा को परोतसावहत करन तथा इस उदश को साकार करन हत विशववापी भरमण वका ह हजर क नतति म अहमविा मनलिम जमाअत न विशव क िरथ भागरो म उततम वशका तथा िाथ सविzwjधाए उपलिzwjध करान हत बडी सखा म ककलि तथा अपतालिरो का वनमाणण वका ह

हजर समाज क परतक तर पर शानत थावपत करन म परासरत ह हजर अहमविा मनलिम जमाअत क सिरो को वनरतर उपिश ित ह वक ि वनतिगत तर पर सzwjधार उतपन करन क वलिए अपन आप स lsquoवजहािrsquo (सघषण) कर जो वक सिणशषठ वजहाि ह इस परकार परतक अहमिी मसलिमान वनतिगत तर पर शानत थावपत करन म सफलि होकर अ लिोगरो क वलिए भी शानत उपलिzwjध करान म सहाक वसदध हो सकगा

हजर अ सभी लिोगरो को भी ही सिश ित ह मलिबोनण म एक विशष िागत समारोह म शानत थापना सबवzwjधत एक गर-मनलिम क परशन क उततर म हजर न कहा ldquoवि आपक भीतर शानत ह तो इस का अथण ह वक आप शानत का परास कर रह ह वि हम म स परतक क भीतर शानत हो तो इसका अथण ह वक हम िसररो तक शानत का परसार कर रह हrdquo

हजर वनतिगत एि सामवहक तर पर तथा थानी राषटी त था अतराणषटी मच पर इलिाम की िातविक वशकाओ क अनसार शानत- थापना क थाथण उपारो क समबzwjध म अ सभी लिोगरो का मागणिशणन कर रह ह

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब अयिहलाह आजकलि लििन इगलिि म रह रह ह अहमिी मसलिमानरो क विशववापी zwjधावमणक नता क रप म आप शानत और िा क सखिाी सिश क दारा उतसाहपणण ढग स इलिाम का परचार कर रह ह

पजककथन

ससार अतत अशानतपणण पररनथवतरो म स गजर रहा ह िनशवक आवथणक सकट परवत सपताह वनरतर निीनतम और गमभीर विपवतता उतपन करता जा रहा ह वदती विशव दध स पिण की पररनथवतरो म समानता का वनरतर िणणन वका जा रहा ह और पटि रप स परतीत होता ह वक ितणमान घटनाए विशव को एक अतत तीवर गवत स एक भकर तती विशव दध की ओर लि जा रही ह परबलि रप स ह आभास हो रहा ह वक नथवत वनतरण स बाहर होती जा रही ह और लिोग वकसी ऐस वनति की खोज म ह जो विशव मच पर परकट होकर एक ऐसा थाथण और सदढ समाzwjधान परतत कर वजस पर ि परा विशवास और भरोसा कर सक और जो समान रप स उनक हि एि मन को परभावित कर सक और जो उनक भीतर ह आशा जागत कर वक शानत की ओर अगरसर करन िालिा मागण भी मौजि ह परमाण दध क पररणाम इतन भीषण ह वक कोई उनकी कलपना करन का भी साहस नही करता

xvi विशव सकट तथा शानत-पथ

इस पतक म हम न हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब विशवzwjवापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख दारा परतत समाzwjधान और मागणिशणन को सकवलित वका ह गत कई िषषो क अतगणत जस जस पररनथवता परकट होती गई आप न अतत वनभणतापिणक इस बात की घोषणा वक पररनथवता वकस ओर बढ रही ह mdash आपन भ उतपन करन क वलिए नही अवपत विशव को इस बात का विचार करन पर वििश करन क वलिए ऐसा वका वक ससार आज इस नथवत तक कस पहचा और वकस परकार हम इस विनाश को टालि कर इस विशव-गराम म वनिास कर रह सभी लिोगरो क वलिए शानत एि सरका क मागण का वनमाणण कर सकत ह आप न पटि शिरो म ह घोषणा की वक शानत को सवननचित बनान का किलि ही उपा ह वक ससार विनमता और ा का मागण zwjधारण कर लि और अतत नम एि विनीत िभाि स परमातमा की शरण म आ जाए मनषzwj मानिता की भािना का परिशणन कर शनतिशालिी लिोग वनबणलि लिोगरो क साथ आिर सममान एि ापणण विहार कर और वनबणलि और वनzwjधणन लिोग कतजता का परिशणन कर और सत एि पण क मागण पर चलि तथा सभी लिोग पणण विनमता एि वनषzwjकपटता स अपन सटिा की शरण म आ जाए

आपन बार-बार सभी का इस ओर धानाकषणण कराा वक विनाश क कगार स िापस लिौटन का अब किलि ही एक उपा ह वक समत िश परपर एक िसर क साथ ा क विहार को अवनिाण बना लि वि उनम परपर शतरता भी ह तब भी उह ा का पालिन करना चावहए करोवक इवतहास स हम ही वशका वमलिती ह वक भविषzwj म उतपन होन िालिी शतरताओ क उमलिन का किलि ही एक उपा ह

xviiपराककथन

अतः इस परकार वचरथाी शानत की थापना करनी चावहए आपन वनतिगत रप स विशव क महान िशरो क नताओ एि

अवzwjधकारररो को समबोवzwjधत करन हत िर िर तक भरमण वका ह वजसम कवपटलि वहलि िावशगटन िीसी लििन म पावलिणामट क िोनरो सिन स मखालि जमणनी बरसलज म रोपी पावलिणामट और जीलिि की राषटी ससि म विए गए ऐवतहावसक भाषण शावमलि ह इन आोजनरो म परमख कागरस सि सासि राजित गर सरकारी सथाओ क नता zwjधावमणक नता पराधापक नीवत सलिाहकार और पतरकार सनममवलित होत रह आपन पटि रप स ह कहा वक ा की माग तभी पणण हो सकती ह जब सभी गटरो और लिोगरो क साथ समानता का विहार वका जाए और आपन ह चतािनी भी िी वक अापणण तथा अमानिी आवथणक एि राजनीवतक नीवतरो क कारण विशव की विवभन जावतरो क मध तनाि म जो वनरतर िवदध हो रही ह उसक पररणामिरप विशव सकट गहराता जाएगा

विशव क नताओ क नाम अपन पतररो म आपन पवितर कआणन की वनमनवलिवखत वशका पर विशष रप स बलि विा

ldquoऔर तमह किसी जाकत िी शतता इस िारण स कि उनहोन तमह मसजद-ए-हराम स रोिा था इस बात पर न उिसाय कि तम अतयाचार िरो और निी और तक़वा म एि दसर िा सहयोग िरो और पाप और अतयाचार (वाल िामो) म सहयोग न िरो और अलाह स डरो कनसनदह अलाह दड दन म बहत िठोर हrdquo

(सरह अलिमाइिह आत - 3)

xviii विशव सकट तथा शानत-पथ

राषटपवत ओबामा को आपन वलिखा ःldquoजसा वक हम सभी पररवचत ह राषटसघ की विफलिता और

1932 ई क आवथणक सकट वदती विशव दध क परमख कारण बन थ आज क अगरगण अथणशातरी ह कहत ह ितणमान और 1932 ई क आवथणक सकट म बहत सी समानताए ह हम ह िखत ह वक राजनवतक और आवथणक समाए छोट िशरो क मध पनः दध का कारण बनी ह और उन िशरो म इन क कारण आतररक अशानत और असतोष का िातािरण वापत हो चका ह इस नथवत म अततः कछ ऐसी शनतिा अनवचत लिाभ उठाकर ससार की बागिोर समभालि लिगी जो विशव दध का कारण बन जाएगी वि छोट िशरो क परपर वििािरो का राजनीवत अथिा ककटनीवत स समाzwjधान नही ढढा जा सकता तो इस क कारण विशव म नए गटरो और समहरो का जम होगा और ह नथवत तती विशव दध का पिाणिलिोकन परतत करगी अतः मरा ह विशवास ह वक इस सम विशव क विकास पर धान कनदरत करन की बजाए ह अवतआिशक और वनतात अवनिाण ह वक हम विशव को इस विनाश स सरवकत रखन क अपन परासरो म शीघर स शीघर तीवरता पिा कर इस बात की भी अतत आिशकता ह वक मानिजावत परमातमा को पहचान जो वक एक ह और हमारा सटिा ह करोवक किलि ही मानिता क जीिन को सरवकत बना सकता ह िरन ह ससार वनरतर आतम-विनाश की ओर तीवरता स अगरसर होता रहगाrdquo

राषटपवत पवतन को आपन वलिखा ः ldquoसीररा की ितणमान वचताजनक पररनथवत न मझ इस बात क

वलिए परररत वका वक म आपको पतर वलिख और आपन दध-कतर की

xixपराककथन

बजाए िाताणलिाप क दारा समाओ का समाzwjधान करन क वलिए विशव क विवभन िशरो म सहमवत बनान का जो परास वका ह उसक वलिए आपका zwjधिाि और सराहना कर वकसी भी परकार क आकरमण स न किलि इस कतर म दध वछड जाएगा अवपत इसक विशव-दध म पररिवतणत होन की परबलि सभािना ह एक पाचिात समाचार पतर म आपका एक लिख पढ कर मझ अतत परसनता हई वजस म आपन इस बात को मख रप स परतत वका वक आकरमण करना अवत विनाशकारी होगा और इसक पररणामिरप विशव-दध की समभािना हो सकती ह आपक इसी सकलप क कारण महा-शनतिरो न आकरमण का मागण ताग कर सहमवत एि सवzwjध का मागण अपनाा और इस समा का राजनवतक समाzwjधान वनकालिन पर सहमवत वति की वनचि ही मरा ह विशवास ह वक इस सहमवत न विशव को एक महाविनाशकारी एि विधिसक नथवत स बचा वलिा ह म विशष रप स आपक इस विचार स सहमत ह वक वि विशव क िश अपन-अपन तर पर और एक-पकी वनणण लिग तो सति राषट का भी िही अत होगा जो वक लिीग ऑफ नशस (राषटसघ) का हआ था rdquo

सीररा और ईरान का सकट सन 2013 क अनतम छः माह म काफी सीमा तक शात हो गा था वबरटन की सरकार न सीररा म स हतकप क विरोzwjध म मतिान वका था रस और स ति राज अमररका म सीररा क रासावनक शतररो क वनपटार समबzwjधी एक ोजना पर सहमवत बन गई थी सति राज अमररका न सीररा पर आकरमण करन का विचार ताग विा और इसी परकार विशव की महान शनतिरो न ईरान क साथ एक ऐस परमाण समझौत पर सहमवत परकट

xx विशव सकट तथा शानत-पथ

की जो सभी क वलिए िीका ण था सभी िगण उस विशा म परगवत का िागत करत ह वजस ओर हजर विशव को जान का आगरह करत आ रह थ परत अभी हम सरवकत नथवत स बहत िर ह और हम विशव-शानत का वचरथाी समाzwjधान ढढन क वलिए अतवzwjधक परास करना होगा

ह हमारी सचची पराथणना ह वक सकट की ितणमान पररनथवतरो म इस प तक म सकवलित सझाि एि समाzwjधान मानिता क वलिए मागणिशणन का सोत वसदध हरो वजसक फलििरप ा और विनमता क वसदधातरो का पालिन करत हए परमातमा की शरण म जाकर मनषzwj को वचरथाी शानत परापत हो - आमीन

परकाशक

भाषण

मवशव सकट पर इसलजि कज दनटिकोण

वबरवटश पावलिणामट ि हाउस ऑफ कॉमज लििन क 2008

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba delivering the keynote address at the House of Commons

Seated Lord Avebury (Liberal Democrats Spokesman for Foreign Affairs) Rt Hon Hazel Blears MP (Secretary of State for Communities and Local Government) Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba Justine Greening MP (Shadow Treasury Minister) Gillian Merron MP (Foreign Office Minister) Councillor Louise Hyams (the Lord Mayor of Westminster) Standing Jeremy Hunt MP (Shadow Culture Minister) Rafiq Hayat (National Amir AMA UK) Virendra Sharma MP Rt Hon Malcolm Wicks MP (Former Minister at Department for Business Enterprise and Regulatory Reform) Rob Marris MP Simon Hughes MP (President of the Liberal Democrats Party) Martin Linton MP Alan Keen MP

Official tour of the House of Commons courtesy of Justine Greening MP

पररचय

22 अतिबर 2008 को हाऊस ऑफ कामस (वबरवटश पावलिणामट) म हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम विशववापी जमाअत अहमविा क परमख का ऐवतहावसक भाषण

ह िागत समारोह वखलिाफत-ए-अहमविा क सौ िषण पणण होन क शभ अिसर पर अहमविा मनलिम जमाअत क मख कााणलि मनजि फजलि क ससिी कतर Putney क सासि माननी Justine

Greening दारा आोवजत वका गा थाइस समारोह म माननी Gillian Merron MP Rt Hon Hazel

Blears MP Alan Keen MP Dominic Grieve MP Simon Hughes

MP Lord Eric Avebury क अवतररति कई परवतनषठत पतरकार राजनीवतज तथा विवभन वािसावक कतररो क विशषज उपनथत हए

मवशव सकट पर इसलजि कज दनटिकोण

بسم اللہ الرحمن الرحیم

सिणपरथम म समत आिरणी अवतवथ सजजनरो सासिरो का zwjधिाि करना चाहता ह वजहरोन एक zwjधावमणक सगठन क पशिा को कछ विचार परकट करन का अिसर परिान वका म अपन बहत ही आिरणी ससि सि जनटन गरीवनग जो वक हमार कतर स सासि ह का वनतात आभारी ह वजहरोन अपन वनिाणचन कतर म रहन िालिी कवथत छोटी सी जमाअत क वलिए शतिषगी जबलिी क अिसर पर इस आोजन को सफलि बनान म बहत ोगिान विा ह उनका ह ोगिान उनक वनिाणचन कतर क समत लिोगरो और समिारो की भािनाओ क परवत उनकी रवच परिवशणत करता ह तथा उनकी महानता और उिारता को परिवशणत करता ह

दवप जमाअत अहमविा एक छोटी सी जमाअत ह तथावप ह इलिाम की िातविक वशका का परवतवनवzwjधति करन िालिी जमाअत ह म ह अिश कहना चाहता ह वक परतक िह अहमिी जो वबरटन म

10 विशव सकट तथा शानत-पथ

रहता ह िह इस िश का वनतात िफािार नागररक ह और इसस परम करता ह और ह हमार नबी हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की वशकाओ का ही पररणाम ह वजहरोन हम ह वशका िी ह वक अपन िश स परम करना ईमान का एक अवनिाण अग ह वजस पथक नही वका जा सकता

जमाअत अहमविा क स थापक वजह हम मसीह मौऊि और ग का अितार एि सzwjधारक समझत ह न इलिामी वशकाओ को उनकी वाखा करत हए उवचत पररपरक म विशि क समक बड ठोस रग म परतत वका ह

आपन अपन िाि की घोषणा करत हए फरमाा वक परमशिर न मझ पर िो िावति अवनिाण वकए ह -

(1) परमशिर क परवत अवzwjधकार (2) उसकी सनटि क परवत अवzwjधकार आपन इस सबzwjध म अवतररकत िणणन करत हए कहा वक इन िोनरो

अवzwjधकाररो म स सनटि क परवत अवzwjधकाररो को पणण करना अवzwjधक कवठन एि चनौतीपणण काण ह

वखलिाफत क सिभण म आपको ह भ होगा वक कभी ऐसा सम भी आ सकता ह वक जब इवतहास िोहराा जाएगा तो इस परकार क नतति क कारण दध आरभ हो जाएगा ह इलिाम पर एक आरोप

तफसीर-ए-हककी सरह अलिकसस न 86 और फतहलिबारी फी शरह सहीउलि बखारी बाब कौवलिलाह तआलिा िrsquoतलि बता और तहफतलि अहिािी शरह जावमअतवततरवमजी बाब मा कलि मलफजात वजलि - 1 पषठ - 326

11पररच

लिगाा गा ह परत म आपको विशिास विलिाता ह वक वि खिा न चाहा तो वखलिाफत-ए-अहमविा सिि शानत और समि का झणिा ऊचा करन िालिी जानी जाएगी इसी परकार ह हर उस िश की िफािार रहगी वजसम इसक अन ाी रह रह हरोग वखलिाफत-ए-अहमविा इस सिभण म मसीह-ि-महिी क वमशन को ही हमशा आग बढान का परास करती रहगी अतः वखलिाफत स भभीत होन की किावप कोई आिशकता नही ह वखलिाफत जमाअत को उन िो कततणवरो को पणण करन की ओर आकटि करती ह वजह पणण करन क वलिए हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम अितररत हए ही कारण ह वक ह जमाअत समपणण विशि म शानत और समि थावपत करन का परास करती ह

सम की कमी को दनटिगत रखत हए अपन मलि विष की ओर आता ह वि हम गत कछ सविरो का वनषzwjपक विशषण कर तो हम जात होगा वक ततकालिीन दध िाति म zwjधावमणक दध न थ अवपत विशव-राजनीवत स सबवzwjधत दध थ हा तक वक ितणमान-लिडाई-झगड तथा जावतरो क मध शतरताओ स ह विवित होता ह वक इन सब क पररपरक म राजनवतक कतरी एि आवथणक िाथण होत ह

मझ ह आशका ह वक विशि क िशरो की राजनवतक आवथणक गवतविवzwjधा और समत पररक विशि दध की ओर लि जा सकत ह किलि विशि क गरीब िश ही नही अवपत अमीर िश भी इसस परभावित हो रह ह अतः ह विशि शनतिरो का कततणव ह वक ि बठकर विचार कर तथा विनाश क कगार पर खडी मानिता को बचाए

वबरटन भी उन िशरो म स एक ह जो विकवसत और विकासशीलि िशरो पर अपना िबाि अथिा परभाि िालि सकता ह वि आप चाह तो

12 विशव सकट तथा शानत-पथ

ा और समानता की मागरो को पणण करत हए विशि का पथ-परिशणन कर सकत ह वि हम वनकट अतीत को िख तो हम जात होता ह वक वबरटन न बहत स िशरो पर राज वका और विशष तौर पर उपमहादीप भारत तथा पावकतान पर तो अपन पीछ ा और zwjधावमणक िततरता का एक उचच आिशण छोडा जमाअत अहमविा इसकी साकी ह और जमाअत अहमविा क सथापक हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब न वबरटन की सरकार की ा और zwjधावमणक िततरता पर आzwjधाररत राजनीवत की अतत परशसा और सराहना की ह जब जमाअत अहमविा क स थापक न आिरणीा महारानी विकटोररा को उनकी हीरक जती क अिसर पर मबारकबाि परतत की तथा उनको इलिाम का सिश पहचाा तो आपन विशष रप स वबरवटश राज क ा और समानता की मागरो को परा करन को दनटिगत रखत हए ह िआ की वक परमशिर उस सरकार को उसकी इस सहिता का उततम परवतफलि परिान कर

अत हमारा इवतहास बताता ह वक जब भी वबरटन न ह ा का परिशणन वका हमन उसकी सराहना की हम आशा ह वक भविषzwj म भी न किलि zwjधावमणक मामलिरो म अवपत परतक पहलि स ा ही वबरटन की एक पषzwjट विशषता रहगी और ह वक आप अतीत क अपन अचछ गणरो को कभी नही भलिग

आज विशि म वनतात बचनी और उततजना ह हम िख रह ह वक छोटी-छोटी लिडाइा परारभ हो चकी ह जबवक कछ थानरो पर विशि शनतिा शानत थावपत करन की िाििार ह अत वि ा की माग पणण न की गई तो इन परािवशक दधरो की अनगन और जिालिा म तीवरता

13पररच

आ सकती ह और समपणण विशि को दध की चपट म लि सकती ह अत मरा आपस सविन वनििन ह वक विशि को विनाश स बचाए

अब म सवकपत तौर पर िणणन करगा वक विशि म शानत थावपत करन क वलिए इलिाम का वशकाए परतत करता ह ा ह वक उन वशकाओ क अनसार विशि म वकस परकार शानत की थापना हो सकती ह मरी ह िआ ह वक विशि म शानत थावपत करन क वलिए अपन पराथवमक सबोध अथाणत मसलिमान इस पर अमलि करन िालि हरो तथा विशव क समत िशरो एि महाशनतिरो तथा सरकाररो का भी ह कततणव ह वक ि भी इस का पालिन कर

ितणमान ग म समपणण विशव एक अतराणषटी गराम क रप म इस परकार बन चका ह वक इसस पिण इसकी कलपना भी नही की जा सकती थी हम मानि होन की दनटि स अपन कततणवरो को समझना चावहए तथा मानिावzwjधकार सबzwjधी उन समाओ क समाzwjधान की ओर धान िना चावहए वजसस विशव शानत तथा अमन थावपत हो सक पटि ह वक ह परतन ासगत हो तथा ा की मागरो को परा करन िालिा हो

ितणमान समाओ म स एक जवलित समा परतक तौर पर ा अपरतक तौर पर zwjधमण क कारण पिा हई ह इसम कछ मसलिमान वगरोह असिzwjधावनक तौर पर न किलि गर मनलिम सवनकरो तथा वनिवोष नागररकरो की हता करन तथा हावन पहचान क वलिए मानि बमरो तथा विफोटकरो का परोग करत ह अवपत साथ ही वनिवोष मसलिमानरो तथा बचचरो की वनमणम हता भी करत ह ह अताचारपणण काण करन की इलिाम किावप अनमवत नही िता

मसलिमानरो क इस करकर आचरण क कारण गर मनलिम िशरो म एक

14 विशव सकट तथा शानत-पथ

गलित भािना न जम लि वलिा ह पररणामिरप उस समाज का एक भाग खललिम-खललिा इलिाम क विरदध िषzwjपरचार करता ह जबवक िसरा दवप सािणजवनक तौर पर बात नही करता परत इलिाम क बार म िह भी हिरो म एक अचछी भािना नही रखता इस बात न पनचिमी िशरो की जनता क हिरो म तथा गर मनलिम िशरो म मसलिमानरो क बार म अविशवास की भािना पिा कर िी ह वििमबना ह वक इन कछ मसलिमानरो क कवथत आचरण क कारण पररनथवतरो म सzwjधार होन क थान पर गर मनलिमरो की परवतवकरा विन-परवतविन खराब होती जा रही ह

इस गलित परवतवकरा का परथम पषzwjट उिाहरण इलिाम क पगमबर

सललाहो अलिवह िसलम क जीिन चररतर और पवितर कआणन जो वक मसलिमानरो की पवितर प तक ह पर परहार ह इस पररपरक म वबरटन क राजनीवतजरो चाह उनका सबzwjध वकसी भी पाटगी स हो तथा इसी परकार वबरटन क बवदधजीविरो की विचारzwjधारा कछ अ िशरो क राजनीवतजरो स विपरीत रही ह वजसक वलिए म आपका आभारी ह इस परकार भािनाओ को ठस पहचान स नफरत घणा और परपर नीचा विखान की भािना को बढािा िन क अवतररकत और का लिाभ हो सकता ह ह घणा कछ विशष चरमपथी मसलिमानरो को गर इलिामी काण करन पर उकसाती ह जो वक बिलि म कई गर मनलिमरो को विरोzwjध परकट करन का अिसर परिान करती ह

बहरहालि जो चरमपथी नही ह और जो इलिाम क पगमबर स बहत परम करत ह उह इन आकरमणरो स बहत कषzwjट पहचता ह तथा इस सिभण म जमाअत अहमविा अगरसर ह हमारा परमख और सिाणवzwjधक अवनिाण कततणव हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम का पवितर जीिन

15पररच

चररतर और इलिाम की स िर और उततम वशका को ससार क समक परिवशणत करना ह हम जो विशि क समत नवबरो (अिताररो) का सममान करत ह और ह विशिास रखत ह वक ि सभी परमशिर की ओर स थ उनम स वकसी क बार म भी अपमानजनक बात नही कहत परत जब हम हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क बार म वनराzwjधार और झठ आरोप सनत ह तो हम बहत कषzwjट पहचता ह

ितणमान ग म जबवक विशि िो लिाकरो म विभावजत हो रहा ह उगरिाि म तीवरता आ रही ह और आवथणक पररनथवता बहत खराब हो रही ह इस बात की वनतात आिशकता ह वक हर परकार की घणा को समापत वका जाए तथा शानत की नीि रखी जाए ह तभी सभि हो सकता ह जब परपर सभी की भािनाओ का आिर वका जाए वि ह काण उवचत तौर पर पणण ईमानिारी और सिभािनापिणक न वका गा तो ह पररनथवता उस सीमा तक भानक हो जाएगी वजन पर वनतरण पाना असभि हो जाएगा म इस बात की बहत सराहना करता ह वक आवथणक दनटि स सदढ पनचिमी िशरो न वनzwjधणन और विकासशीलि िशरो क लिोगरो को वजनम मसलिमान भी सनममवलित ह वनतात उिारता क साथ अपन िशरो म रहन की अनमवत िी

िातविक ा इस बात की माग करता ह वक उन लिोगरो की भािनाओ और zwjधावमणक रीवत-ररिाजरो का भी आिर वका जाए ही िह उपा ह वजसस लिोगरो की मानवसक शानत को काम रखा जा सकता ह हम ह मरण रखना चावहए वक जब वकसी वनति की मानवसक शानत को भग वका जाता ह तो उस समाज की मानवसक शानत भी परभावित होती ह

16 विशव सकट तथा शानत-पथ

जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह वक म वबरटन क राजनीवतजरो एि विथापकरो का ा की मागरो को परा करन तथा इस परकार का हतकप न करन पर कतज ह

िाति म ही इलिामी वशका ह जो पवितर कआणन हम िता ह पवितर कआणन ह घोषणा करता ह वक -

धरम क रारल र कोई जबरदसzwjती नही (सरह बकरह आत - 257)

ह आिश न किलि उस आरोप का खिन करता ह वक इलिाम को तलििार क बलि पर फलिाा गा अवपत ह वशका मसलिमानरो को ह भी बताती ह वक वकसी zwjधमण को िीकार करना मनषzwj और उसक परमशिर क मध का मामलिा ह और तमह वकसी भी पररनथवत म इसम हतकप नही करना चावहए परतक को ह अनमवत ह वक िह अपनी आथानसार जीिनापन कर तथा अपन zwjधावमणक रीवत ररिाजरो का पालिन कर परत zwjधमण क नाम पर वि कोई ऐसी परमपराए हरो जो िसररो को हावन पहचाए तथा राषzwjटरी काननरो क विपरीत हरो तो ऐसी नथवत म उस िश म कानन थावपत करन िालि हरकत म आ सकत ह करोवक वि वकसी zwjधमण म कोई अवपर परमपरा परचवलित ह तो ह परमशिर क वकसी नबी की वशका नही हो सकती

राषzwjटरी और अतराणषzwjटरी तर पर शानत थावपत करन क वलिए ही मलि वसदधात ह

इसक अवतररकत इलिाम हम ह वशका िता ह वक वि तमहार zwjधमाातरण क कारण कोई समाज ा कोई िगण अथिा कोई सरकार तमहारी zwjधावमणक परमपराओ की अिागी म हतकप करन का परास

17पररच

करती ह और ततपशचात पररनथवता आपक अनककलि हो जाए तब भी सिि ह मरण रखना चावहए वक तम वफर भी हि म कोई दष िमन और कपट नही रखोग तमह परवतशोzwjध लिन क बार म नही सोचना चावहए अवपत ा और समानता थावपत करनी चावहए पवितर कआणन का कथन ह -

ह व लोगो जो ईमान लाए हो अलाह ि कलए मज़बती स कनगरानी िरत हए नयाय ि समथथन म साकी बन जाओ और किसी जाकत िी शतता तमह िदाकप इस बात िी ओर पररत न िर कि तम नयाय न िरो नयाय िरो यह तक़वा ि सबस अकिि कनिट ह और अलाह स डरो जो तम िरत हो कनसनदह अलाह उसस सदा अवगत रहता ह (सरह अलिमाइिह आत - 9) समाज म शानत थावपत रखन क वलिए ही वशका ह वक अपन शतर

स भी ा स काम लिना ह और ा को हाथ स नही जान िना चावहए इलिाम का परारवभक इवतहास हम ह बताता ह वक इस वशका का पालिन करत हए ा की समत मागरो को पणण वका गा म हा इसक बहत उिाहरण नही ि सकता परत इस िातविकता पर इवतहास साकी ह वक मकका-विज क पशचात हजरत महममि सलललिाहो अलिवह िसलम न उन लिोगरो स कोई परवतशोzwjध नही वलिा वजहरोन आपस को कठोर ातनाए और कषzwjट पहचाए अवपत उह कमा कर विा तथा उह उनकी अपनी आथाओ पर रहन विा ितणमान ग म शतर क परवत ा की समपणण अवनिा णताओ को पणण करन पर ही थाी रप स शानत थावपत हो सकती ह न किलि कटटरिाविरो क विरदध दधरो म अवपत अ सभी

18 विशव सकट तथा शानत-पथ

दधरो म ऐसी शानत ही िाति म थाी हो सकती ह गत शतािी म िो दध हए उसक कारण जो भी थ परत वि

हम गहराई स विचार कर तो किलि एक ही कारण दनटिगोचर होता ह और िह ह ह वक परथम - ा को थोवचत थावपत नही वका गा तथा परवतवकरा िरप वजस एक बझी गई अनगन विचार वका गा िह गमण राख म पररिवतणत हो गई जो वक zwjधीर-zwjधीर सलिगती रही और अत म उसन पनः एक जिालिा म पररिवतणत होकर एक विकरालि रप लि वलिा तथा समत विशि को अपनी लिपट म लि वलिा

आज अशानत बढ रही ह तथा दध एि शानत को थाित रखन क वलिए काणिावहा एक अ विशि-दध का सचक बनती जा रही ह इस परकार ितणमान आवथणक और सामावजक कवठनाइा भी इस पररनथवत को बढािा िन का एक कारण हरोगी

पवितर कआणन न विशि-शानत थावपत करन क वलिए बड ही सनहर वसदधात परतत वकए ह ह एक पषzwjट िातविकता ह वक लिालिसा शतरता को जम िती ह कभी ह सीमाओ का अवतकरमण करन क रप म परकट होती ा वफर पराकवतक समपिाओ पर अवzwjधकार करन क रप म अथिा िसररो पर अपनी शषzwjठता वसदध करन क वलिए और वफर ह शतरता अा और अताचार की ओर लि जाती ह चाह ह अताचार करकर वनरकश शासकरो की ओर स हो जो परजा क अवzwjधकाररो का हनन करत ह तथा अपन वनतिगत वहतरो क वलिए अपनी शषzwjठता वसदध करत ह ा वफर अताचार आकरमणकारी सना क दारा हरो परा इन अताचाररो क वशकार लिोगरो का चीतकार और करोzwjध बाहय िशरो को आिाज िता ह

बहरहालि इलिाम क पगमबर न हम वनमनवलिवखत सनहर वसदधात

19पररच

वसखाए ह वक अताचारी और पीवडत िोनरो की सहाता करोहजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क एक सहाबीरवज न

पछा वक - अताचार स पीवडत की सहाता करना तो समझ म आता ह परत एक अताचारी की सहाता ि वकस परकार कर सकत ह आपस न उततर विा - उसक हाथ को अताचार स रोक कर करोवक उसका अताचार म बढ जाना उस परमशिर क अजाब का पातर बनाएगा (सही बखारी हिीस सखा - 6952)

अत उस पर िा करत हए उस बचान का परतन करना ह ह वसदधात समाज क सब स छोट तर स लिकर अतराणषzwjटरी तर पर भी वापत ह इस सिभण म पवितर कआणन की आत ह -

यमद िोमिनरो क दो मिरोह आपस ि झिड पड तो उन दोनरो ि समि करज दो मिर यमद समि हो जजन क पशचजत उन दोनरो ि स कोई एक दसर पर चढजई कर तो सब मिल कर उस चढजई करन वजल क मवरदध यदध करो यहज तक मक वह अलजह क आदश की ओर लौट आए मिर यमद वह अलजह क आदश की ओर लौट आए तो यजय क सजथ (उन दोनरो लडन वजलरो) ि समि करज दो तथज यजय को दनटिित रखो अलजह यजय करन वजलरो को बहत पसद करतज ह

(अलिहजरात आत - 10) दवप ह वशका मसलिमानरो स सबवzwjधत ह परत वफर भी इस

वसदधात को अपनात हए अतराणषzwjटरी तर पर शानत की नीि रखी जा सकती ह शानत को थावपत रखन क वलिए जसा वक आरभ म ह िणणन वका गा ह वक शानत की पराथवमक माग ा ह और ा क वसदधात

20 विशव सकट तथा शानत-पथ

को अपनान क बािजि भी वि शानत-थापना क परास विफलि हो जात ह तब स कत रप स उस वगरोह क विरदध दध करो वजस न अा वका ह और उस सम तक दध करो जब तक वक िह अा करन िालिा वगरोह शानत थावपत करन क वलिए त ार न हो जाए ा की माग ह ह वक परवतशोzwjध लिन का परास न वका जाए परवतबzwjध न लिगाओ हर परकार स अा करन िालि पर दनटि रखो परत साथ ही उसकी नथवत को सzwjधारन और उततम बनान का परतन करो

इस बचनी को समापत करन क वलिए जो वक आजकलि विशि क कछ िशरो म पाई जाती ह और विशष तौर पर िभाणग स कछ मनलिम िशरो म अत ि िश जो Veto करन का अवzwjधकार रखत ह उह ह पषzwjट करना चावहए वक का ा को थोवचत कााणनित वका गा अथिा नही जब कभी सहाता की आिशकता पडी तो शनतिशालिी िशरो की ओर हाथ बढाए गए

जसा वक मन पहलि िणणन वका ह वक हम इस िातविकता क साकी ह वक वबरटन सरकार का इवतहास रहा ह वक हमशा ा को काम रखा ह और इस बात न मझ परोतसाहन विा ह वक म आपका धान उनम स कछ मामलिरो की ओर आकषzwjट कर

विशि म शानत थावपत करन का एक अ वसदधात वजसकी हम वशका िी गई ह िह ह ह वक लिालिसागरत होकर िसररो की zwjधन-समपवतत को न िखना

पवितर कआणन फरमाता ह - ldquoऔर हमन उनम स िछ लोगो िो सासाररि जीवन ि जो िछ ऐशवयथ ि सामान अथायी तौर पर द रख ह त

21पररच

उनिी ओर अपनी दोनो आखो िो फला-फला िर न दख (कयोकि यह सामान उनह इसकलए कदया गया ह) ताकि हम इसि दारा उनिी परीका ल rdquo

(ताहा आत - 132)िसररो की zwjधन-समपवतत स िाह और लिालिसा भी ससार म बढी हई

अशानत का एक कारण ह वनतिगत तौर पर जसा वक कहाित ह वक lsquoपडोवसरो स परवतपzwjधाण करन की होड न कभी न समापत होन िालिी लिालिसा को जम विा हrsquo इस ित का पररणाम समापत न होन िालिी लिालिसा ह वजसन सामावजक शानत को नटि कर विा ह राषzwjटरी तर पर लिालिच पर आzwjधाररत परवतपzwjधाण आरभ हई जो वक विशि को विनाश की ओर लि गई इवतहास स ह वसदध ह परतक बवदधमान वनति अनमान लिगा सकता ह वक िसररो की zwjधन-समपवतत की इचछा दष लिालिसा एि हावन का कारण बनी

इसीवलिए परमशिर का कथन ह वक परतक को अपन ही साzwjधनरो पर वनभणर रहना चावहए तथा उही स लिाभ उठाना चावहए सीमाितगी अथिा िसर क अवzwjधकार िालि कतर स लिाभ परापत करन का परास करना तो वकसी क िावमति अथिा उसक अवzwjधकत कतर की पराकवतक समपिाओ स लिाभ परानति का परास होता ह

िशरो क गठबzwjधन एि लिाक बनान का उदश भी कछ िशरो क पराकवतक ससाzwjधनरो पर अवzwjधकार करना होता ह इस सिभण म बहत स लिखक जो इसस पिण कछ सरकाररो क एििाइजर (सलिाहकार) रह चक थ उहरोन ऐसी पतक वलिखी ह वजनम इस बात का वििरण मौजि ह वक कछ िश वकस परकार िसर िशरो की पराकवतक समपिाओ

22 विशव सकट तथा शानत-पथ

पर अवzwjधकार करन क परास करत ह लिखक कहा तक सचच ह ह तो उह ही जात होगा और परमशिर सबस अवzwjधक जानता ह परत इन लिखरो का अधन करक जो नथवत उभर कर सामन आती ह िह उन लिोगरो क हिरो म अतत करोzwjध का कारण बनती ह जो अपन वनzwjधणन िशरो क परवत िफािार ह ह बात भी उगरिाि का पोषण करन तथा विनाशकारी शतर बनान की परवतपzwjधाण का एक बडा कारण ह

ितणमान ससार भतकालि की तलिना म ि को अवzwjधक गभीर बवदधमान और वशवकत समझता ह हा तक वक वनzwjधणन िशरो म भी ऐस बवदधमान लिोग ह जो अपन काण-कतर म उचच वशका-परापत ह बहत ही उचच ोगता रखन िालि वििकशीलि लिोग विशि क परखात शोzwjध स थानरो (Research Centres) म इकट काण करत ह इस पररदश म ह कलपना की जानी चावहए थी वक काश लिोग इकट होत और स कत तौर पर सोचन क गलित ढगरो एि अतीत की मखणताओ को समापत करन का परास करत जो शतरताओ और भzwjाानक दधरो का कारण बनी ईशिर-परितत वििक और विजान की परगवत को मानि जावत क वहत और कलाण तथा िसररो की पराकवतक समपिाओ स िzwjध और उवचत ढगरो स लिाभानित होन म लिगाना चावहए था

परमशिर न परतक िश को पराकवतक समपिाए परिान की ह वजह विशि को शानत का गढ बनान क वलिए पणण रप स परोग करना चावहए परमशिर न बहत स िशरो को विवभन फसलि उगान क वलिए एक वनतात उततम जलििा और िातािरण परिान वका ह वि आzwjधवनक टकनालिॉजी को उवचत तौर पर ोजनाबदध रप स खतीबाडी क वलिए उपोग वका जाता तो आवथणक नथवत सदढ होती तथा ससार

23पररच

स भख की समा को समापत वका जा सकता था ि िश वजह खवनज समपिाओ स समपन वका गा ह उह उनवत

करन और उवचत मलरो पर िततर तौर पर वापार करन िना चावहए तथा एक िश को िसर िश क खवनज-पिाथषो स लिाभ परापत करना चावहए अत ही उवचत मागण ह वजस परमशिर न पसि वका ह

परमशिर अपन पगमबररो को लिोगरो क पास इसवलिए भजता ह तावक उह ि ऐस मागण बताए जो उह परमशिर क वनकट लि जाए इसक साथ ही परमशिर कहता ह वक zwjधमण क सबzwjध म पणण िततरता ह हमारी ह आथा ह वक दवप िातविक परवतफलि ा िणि मतोपरात वमलिगा परत ईशिर दारा थावपत विथा क अतगणत जब उसकी परजा पर अताचार वका जाता ह तथा ा और सिzwjभािना की अिहलिना की जाती ह तब परकवत क वनम क अनसार इस ससार म भी उसक पररणाम और परभाि िख जा सकत ह ऐस अारो पर बडी कठोर परवतवकरा होती ह तथा इस बात को कोई नही िखता वक िह परवतवकरा उवचत ह ा अनवचत

ससार पर विज परापत करन का उवचत मागण ह ह वक वनzwjधणन िशरो को उनका उवचत थान परिान करन क वलिए पणण रप स परतन करना चावहए

ितणमान ग की एक बडी समा आवथणक सकट ह वजस पाररभावषक तौर पर (Credit Crunch) कहा गा ह चाह ह वकतना ही विवचतर लिग परत साक एक िातविकता की ओर सकत करती ह पवितर कआणन ह कहत हए हमारा मागण-िशणन करता ह वक ाज छोड िो करोवक ाज एक ऐसा अवभशाप ह जो पाररिाररक

24 विशव सकट तथा शानत-पथ

राषzwjटरी और अतराणषzwjटरी शानत क वलिए एक खतरा ह हम सतकक वका गा ह वक जो कोई ाज लिता ह िह एक विन अिश उस वनति क समान हो जाएगा वजस शतान न पागलिपन म गरत कर विा हो अत हम मसलिमानरो को सतकक वका गा ह वक ऐसी पररनथवत स बचन क वलिए ाज का विसा बि कर विा जाए करोवक ाज क तौर पर जो रावश लिी जाती ह िह तमहार zwjधन को बढाती नही दवप वक िखन म ही लिग वक ह बढाती ह परत एक ऐसा सम अिश आता ह वक उसक िातविक परभाि परकट होत ह हम अवतररकत तौर पर सािzwjधान वका गा ह वक हम ाज क विसा म सनममवलित होन की अनमवत नही ह इस चतािनी क साथ वक वि हम ऐसा करत ह तो ह परमशिर क विरदध दध करन क समान ह ह बात आजकलि क Credit Crunch स वबलकलि पषzwjट ह परारभ म ऐस लिोग थ जो समपवतत (Property) खरीिन क वलिए zwjधन ऋण लित थ परत इसस पिण क ि उस समपवतत क िामी बन सक ि ऋण क बोझ तलि िब कर मर जात थ परत अब तो ऐसी सरकार ह जो ि ऋणगरत ह जस उन पर पागलिपन की मार पड गई ह बडी-बडी कमपवना िीिावलिा हो चकी ह कछ बक और फाइनस कमपवना बि कर िी गई ा वफर उह आवथणक सकट स बचाा गा ह पररनथवत परतक िश म जारी ह चाह िह अमीर हो ा गरीब आप इस सकट क सबzwjध म मझ स अवzwjधक जानत ह zwjधन जमा करान िालिरो क zwjधन बरबाि हो गए अब ह बात सरकार पर वनभणर ह वक िह उह कस और वकस सीमा तक बचाती ह परत इस सम विशव क अवzwjधकतर िशरो म पररिाररो वापारररो तथा शासकरो की मानवसक शानत नटि हो गई ह

25पररच

का ह नथवत हम ह विचार करन पर वििश नही करती वक विशि इस तककसगत पररणाम पर पहच गा ह वजस क बार म हम बहत पहलि सतकक वका गा था परमशिर ही अवzwjधक जानता ह वक इस पररनथवत क इसक अवतररकत और का पररणाम हरोग

परमशिर न कहा ह वक शानत की ओर आओ वजस का आशिासन किलि इस अिथा म विा जा सकता ह जब एक शदध और सामा वापार हो तथा पराकवतक ससाzwjधनरो एि समपिाओ का उवचत परोग हो

अब म इलिामी वशकाओ क इस सवकपत िणणन को ह मरण करात हए समापत करता ह वक विशि की िातविक शानत किलि परमशिर की ओर धान लिगान म ह परमशिर विशि को ह रह समझन की सामथण ि तभी ि िसररो क अवzwjधकाररो का वनिाणहन करन क ोग हरोग

अत म आप सब क हा पzwjधारन और मरी बात सनन पर म आपका पन आभारी ह

आपका बहत बहत zwjधिाि

26 विशव सकट तथा शानत-पथ

दश-भनति एव दश-पि स समबनि त इसलजिी मशकजए

सना मखालि कोलिज जमणनी 2012

Brigadier General Alois Bach of the German Federal Armywith Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba addressing the German Federal Army

1

3

2

4

1 Colonel Ulrich 2 Brigadier General Bach 3 Colonel Trautvetter and 4 Colonel IG Janke meeting Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba

दश-भनति एव दश-पि क समबि ि इसलजिी मशकजएवबनमलावहररहमावनररहीम

असzwjसलारो अलकर वरहरzwjलाह वबरकाzwjोहसिणपरथम मझ आपकी ओर स अपन हि किाटरर पर आमवतरत करन

और कछ शि कहन का अिसर विए जान पर म आपका zwjधिाि करना चाहता ह अहमविा मनलिम जमाअत का परमख होन क नात म आपक समक इलिामी वशकाओ क बार म कछ कहना चाहता ह परत ह तो बडा वापक विष ह वक एक सभा अथिा अलप सम म इस पर पणण रप स परकाश िालिना असभि ह अत ह आिशक ह वक म इलिामी वशकाओ क एक पहलि तक अपन आप को सीवमत रख

इस बात पर विचार करन क मध वक मझ इलिाम क वकस पक को आपक समक रखना चावहए तो मझ जमाअत अहमविा जमणनी क नशनलि अमीर आिरणी अिललिाह िागसहाउजर का ह वनििन परापत हआ वजसम उहरोन मझ स कहा वक िश परम और िश-भनति क बार म इलिामी वशकाओ पर परकाश िालिा जाना चावहए इस बात न मझ वनणण लिन म सहाता की अत अब म सवकपत तौर पर इस सिभण म आपक समक इलिामी वशकाओ पर कछ परकाश िालिगा

32 विशव सकट तथा शानत-पथ

अपन िश स िफािारी ा परम क शि किलि बोलिना ा सनना बडा सरलि ह परत िाति म इन शिरो म ऐस अथण वनवहत ह जो बहत गहर और वापक ह वफर उन शिरो क अथषो को पणण रप स पररवzwjध म लिना और इस बात को समझना वक शिरो क िातविक अथण का ह और उनकी माग का ह एक कवठन काण ह बहरहालि जो भी सम उपलिzwjध ह उसम म िश-परम और िशभनति क सबzwjध म इलिामी विचारzwjधारा का िणणन करन का परतन करगा

सिणपरथम इलिाम का एक मलि वसदधात ह ह वक एक वनति क शिरो और कमषो स वकसी भी परकार की वभनता ा विरोzwjधाभास किावप परकट नही होना चावहए िातविक िफािारी एक ऐस सबzwjध की माग करती ह जो वनषzwjकपटता और सचचाई पर आzwjधाररत हो ह इस बात की माग करती ह वक परतकत एक वनति जो परकट करता ह िही उसक अतकरण म भी हो राषटीता क सिभण म इन वसदधातरो का बहत महति ह अत वकसी भी िश क नागररक क वलिए ह वनतात आिशक ह वक िह अपन िश स सचची िफािारी क सबzwjध थावपत कर इस बात का कछ महति नही ह वक चाह िह जमजात नागररक हो अथिा उसन अपन जीिन म बाि म नागररकता परापत की हो ा परिास करक नागररकता परापत की हो ा वकसी अ माधम स

िफािारी एक उचचकोवट की विशषता ह और ि लिोग वजहरोन इस विशषता का उचच तरी परकटन वका ि खिा क पगमबर ह खिा स उनका परम और सबzwjध इतना दढ था वक उहरोन परतक पररनथवत म उसक आिशरो को चाह ि वकसी भी परकार क हरो दनटिगत रखा और उह पणणरप स लिाग करन का परास वका ह बात उनक खिा क साथ की गई परवतजा तथा उनकी उचच कोवट की िफािारी को परकट

33िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

करती ह अत उनकी िफािारी क इस मापिणि को हम आिशण क तौर पर अपनाना चावहए अत आग बढन स पिण ह समझना आिशक ह वक िफािारी का िातविक अथण का ह

इलिामी वशकाओ क अनसार िफािारी की पररभाषा तथा उसका िातविक अथण वकसी का असविगzwjध तौर पर हर तर पर और हर पररनथवत म कवठनाइरो स दनटि हटात हए चाह कसी भी कवठनाईपणण िशा का सामना करना पड अपनी परवतजाओ को पणण करना ह इलिाम इसी िातविक िफािारी की माग करता ह पवितर कआणन म विवभन थानरो पर मसलिमानरो को ह आिश विा गा ह वक उह अपनी परवतजाओ और कसमरो को अिश पणण करना ह करोवक ि अपनी समत परवतजाओ क परवत जो उहरोन की ह खिा क समक उततरिाी हरोग मसलिमानरो को ह वनिदश विा ह गा वक ि खिा और उसकी सनटि स की गई समत परवतजाओ को उनक महति और पराथवमकताओ क अनसार परा कर

इस सिभण म एक परशन जो वक लिोगरो क मनतषzwjक म पिा हो सकता ह िह ह ह वक चवक मसलिमान ह िािा करत ह वक परमशिर और उसका zwjधमण उनक वनकट अतवzwjधक महति रखत ह वजस स ह परकट होता ह वक परमशिर क वलिए िफािारी उनकी परथम पराथवमकता ह और परमशिर स उनकी परवतजा सिाणवzwjधक महति रखती ह ि इस परवतजा को पणण करन का परतन करत ह अत ह आथा सामन आ सकती ह वक एक मसलिमान की अपन िश क वलिए िफािारी तथा उसका अपन िश क काननरो को पालिन करन की परवतजा उसक वनकट अवzwjधक पराथवमकता नही रखती अत इस परकार िह विशष अिसररो पर अपन िश क परवत अपनी परवतजा को कबाणन करन क वलिए त ार हो जाएगा

34 विशव सकट तथा शानत-पथ

इस परशन का उततर िन क वलिए म आपको ह बताना चाहगा वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न ह वशका िी ह वक अपन िश स परम ईमान का भाग ह अत शदध िश-परम इलिाम की माग ह खिा और इलिाम स सचचा परम अपन िश स परम की माग करता ह अत ह वबलकलि पषzwjट ह वक इस नथवत म एक वनति क खिा स परम तथा अपन िश स परम क सबzwjध म उसक वहतरो का कोई टकराि नही हो सकता जसा वक अपन िश स परम करन को ईमान का एक भाग बना विा गा ह अत ह वबलकलि पषzwjट ह वक एक मसलिमान अपन सबवzwjधत िश क वलिए िफािारी करन म सबस उचच तर पर पहचन का परतन करगा करोवक खिा तक पहचन और उसका सावनध परापत करन का ह भी एक माधम ह अत ह असभि ह वक खिा का िह परम जो एक मसलिमान अपन अिर रखता ह िह उसक वलिए अपन िश स परम और िफािारी को परकट करन म एक रोक बन जाए िभाणगिश हम ह िखत ह वक कछ विशष िशरो म zwjधावमणक अवzwjधकाररो को सीवमत कर विा जाता ह ा पणणता हनन वका जाता ह अत एक और परशन उठता ह वक का ि लिोग वजनको ि उनकी सरकार तग करती ह ा अताचार करती ह ि इस नथवत म भी अपन िश क वलिए िफािारी और परम का सबzwjध थाित रख सकत ह म बड खि क साथ आपको बताता ह वक ऐसी पररनथवता पावकतान म विदमान ह जहा सरकार न िाति म हमारी जमाअत क विरदध काननरो का वनमाणण वका ह ह अहमवित विरोzwjधी कानन वािहाररक तौर पर लिाग वकए जात ह इस परकार स पावकतान म समत अहमिी मसलिमान वनवमत कानन दारा गर मनलिम ठहराए गए ह इस परकार ि ि को मसलिमान कहलिान स रोक विए गए ह पावकतान म अहमविरो को मसमलिानरो की भावत इबाित (उपासना) करन ा इलिामी परमपराओ क

35िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

अनसार जो उह मसलिमान वसदध कर का पालिन करन स परवतबzwjध लिगा विा गा ह इस परकार स ि पावकतान की सरकार न जमाअत क लिोगरो को उपासना क मलि अवzwjधकार स िवचत कर विा ह

इन पररनथवतरो को दनटि म रखत हए इस बात स अवनिाण तौर पर आशचण होगा वक इन पररनथवतरो म अहमिी मसलिमान वकस परकार िश क काननरो का पालिन कर ि िश क वलिए अपनी िफािारी को वकस परकार परकट कर सकत ह हा म इस बात को पषzwjट करना चाहता ह वक जहा ऐसी विकट पररनथवता हरो तो वफर कानन और िश क परवत िफािारी क िो अलिग-अलिग मामलि बन जात ह हम अहमिी मसलिमानरो का विशिास ह वक zwjधमण परतक वनति का एक वनतिगत मामलिा ह वक िह अपन वलिए जो भी वनणण कर zwjधमण क मामलि म कोई भी जबरिती नही होनी चावहए अत जहा कानन इस अवzwjधकार म हतकप करता ह इसम कोई सिह नही वक ह बड अताचार और अा का काम ह वनसिह सरकार क नतति और समथणन स होन िालि इस परकार क अताचार और अा जो हर ग म होत रह ह बहमत इनकी वनिा करता आा ह

वि हम रोप क इवतहास पर एक दनटि िालि तो हम ह जात होता ह वक इस महादीप म भी लिोग zwjधावमणक अताचाररो का वशकार हए ह पररणामिरप हजाररो लिोगरो को एक िश स िसर िश म परिास (वहजरत) करना पडा समत वनषzwjपक इवतहासकाररो सरकाररो और लिोगरो न इस ातनाए पहचाना तथा घोर अताचार और करकरता की सजा िी ह ऐसी पररनथवतरो म इलिाम इस बात का समथणक ह वक जहा अताचार अपनी समत सीमाओ को पार कर जाए और असहनी हो जाए तब ऐस सम म एक वनति को उस शहर ा िश स वकसी अ थान पर परिास कर

36 विशव सकट तथा शानत-पथ

जाना चावहए जहा िह अमन क साथ िततरतापिणक अपन zwjधमण का पालिन कर सक बहरहालि इस मागण-िशणन क साथ-साथ इलिाम ह भी वशका िता ह वक वकसी भी नथवत म वकसी वनति को कानन अपन हाथ म नही लिना चावहए और न ही अपन िश क विरदध वकसी भी ोजना ा षितर म भाग लिना चावहए ह एक वबलकलि पषzwjट और असविगzwjध आिश ह जो इलिाम न विा ह

वनतात ातनाओ और अताचार का सामना करन क बािजि लिाखरो अहमिी पावकतान म वनिास करत ह अपन जीिन क हर कतर म ऐस िव णिहार और अताचार सहन करन क बािजि ि उस िश स पणण िफािारी और सचची आजाकाररता का सबzwjध थाित रख हए ह ि वजस कतर म भी का ण करत ह अथिा ि जहा भी रहत ह ि वनरतर उस िश की उनवत और सफलिता क वलिए परासरो म वत रहत ह कई िशकरो स अहमवित क विरोवzwjधरो न ह आरोप लिगान का परास वका ह वक अहमिी पावकतान क िफािार नही परत ि कभी भी इस आरोप को वसदध नही कर सक इसक विपरीत िातविकता ह ह वक जब भी पावकतान क वलिए ा अपन िश क वलिए कोई करबानी िन की आिशकता हई ह तो अहमिी मसलिमान सिि परथम पनति म खड हए ह तथा हर सम उस िश क वलिए हर करबानी करन क वलिए त ार ह

इस कानन का वशकार होन क बािजि ह अहमिी मसलिमान ही ह जो वकसी भी िसर वनति स अवzwjधक कानन का पालिन करत और उसका धान रखत ह िफािारी क सिभण म पवितर कआणन न एक और वशका िी ह िह ह ह वक लिोगरो को उन समत बातरो स िर रहना चावहए जो अवशषzwjट अवपर और वकसी भी परकार क विदरोह की वशका िती हरो ह इलिाम की िह अभतपिण सिर और विशष वशका ह जो न किलि

37िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

अनतम पररणाम की ओर हमारा धान आकषzwjट करती ह जहा पररणाम बहत खतरनाक होत ह अवपत ह हम उन छोट-छोट मामलिरो स भी अिगत कराती ह जो मनषzwj को खतररो स भर मागण पर अगरसर करन क वलिए सीवढ रो का का ण करत ह अत वि इलिामी पथ-परिशणन को उवचत रग म अपनाा जाए तो वकसी भी मामलि को इस स पिण वक पररनथवता वनतरण स बाहर हो जाए परथम पग पर ही सलिझाा जा सकता ह उिाहरणता एक मामलिा जो एक िश को बहत अवzwjधक हावन पहचा सकता ह िह लिोगरो का zwjधन-समपवतत का लिोभ ह अवzwjधकाश लिोग इन भौवतक इचछाओ म मगzwjध हो जात ह जो वनतरण स बाहर हो जाती ह और ऐसी इचछाए अतत लिोगरो को बिफाई की ओर लि जाती ह इस परकार स ऐसी इचछाए अतत अपन िश क विरदध वकसी क िशदरोह का कारण बनती ह म इसका कछ पषzwjटीकरण करता ह अरबी भाषा म एक शि lsquoबगाrsquo उन लिोगरो ा उन काषो को िणणन करन क वलिए परोग होता ह जो अपन िश को हावन पहचात ह जो गलित काषो म भाग लित ह ा िसररो को हावन पहचात ह इसम ि लिोग भी सनममवलित ह जो zwjधोखा करत ह और इस परकार स विवभन ितओ को अिzwjध ढगरो स परापत करन का परतन करत ह ह उन लिोगरो पर भी चररताथण होता ह जो समत सीमाओ का अवतकरमण करत ह और हावन पहचात ह इलिाम ह वशका िता ह वक जो लिोग इस परकार क का ण करत ह उनस िफािारी की आशा नही की जा सकती करोवक िफािारी उचच नवतक मलरो स समबदध ह और उचच नवतक मलरो क अभाि म िफािारी का अनतति नही रह सकता ह भी िातविकता ह वक विवभन लिोगरो क उचच नवतक मापिणि क सबzwjध म वभन-वभन विचारzwjधाराए हो सकती ह वफर भी इलिाम चाररो ओर स खिा की परसननता पान क वलिए परररत करता ह और मसलिमानरो को

38 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह वनिदश विा गा ह वक ि ऐसा का ण कर वक वजसस खिा परसन हो सवकपत तौर पर ह वक इलिामी वशका क अनसार खिा न हर परकार क विदरोह ा गदारी को वनवषदध ठहरा विा ह चाह िह अपन िश ा अपनी सरकार क विरदध हो करोवक विदरोह ा सरकार क विरदध का ण िश की सरका और शानत क वलिए एक खतरा ह ह िातविकता ह वक जहा आतररक विदरोह अथिा शतरता परकट होती ह तो ह बाहय विरोzwjध की अनगन को भी हिा िती ह तथा बाहरी ससार को परोतसावहत करती ह वक िह आतररक विदरोह स लिाभ परापत कर इस परकार अपन िश स बिफाई क पररणाम िरगामी और खतरनाक हो सकत ह अतः जो भी बात वकसी िश को हावन पहचाए िह बगा की पररभाषा म सनममवलित ह वजसका मन िणणन वका ह इन समत बातरो को धान म रखत हए अपन िश क परवत िफािारी एक वनति स ह माग करती ह वक िह zwjध ण का परिशणन कर और अपन सिाचार विखात हए राषzwjटरी काननरो का सममान कर

समाता कहन को तो ितणमान ग म अवzwjधकतर सरकार परजाततरी परणालिी पर चलिती ह इसवलिए वि कोई वनति ा वगरोह सरकार को पररिवतणत करन की इचछा करता ह तो िह उवचत परजाततरी पदधवत को अपनात हए ऐसा कर सकता ह मत-पवटरो म अपना िोट िालिकर उह अपनी बात पहचानी चावहए वनतिगत पराथवमकताओ ा वनतिगत वहतरो क आzwjधार पर िोट नही िालिन चावहए परत िाति म इलिाम ह वशका िता ह वक वकसी भी वनति क िोट का परोग अपन िश स िफािारी और परम की समझ क साथ होना चावहए तथा वकसी भी वनति क िोट का परोग िश की भलिाई को दनटिगत रखत हए होना चावहए अत वकसी भी वनति को अपनी वनतिगत पराथवमकताओ को नही िखना चावहए और ह भी नही िखना चावहए वक वकस परताशी ा पाटगी स िह

39िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

वनतिगत लिाभ परापत कर सकता ह अवपत एक वनति को सतवलित ढग स ह वनणण करना चावहए और वजसका िह अनमान भी लिगा सकता ह वक कौन सा परताशी ा पाटगी पर िश की उनवत म सहाता िगी सरकार की कवजा एक बडी अमानत होती ह वजस उस पाटगी क सपिण वका जाना चावहए वजसक बार म िोटर ईमानिारी स ह विशिास कर वक िह सब स अवzwjधक उवचत और सब स अवzwjधक ोग ह ह सचचा इलिाम ह और ही सचची िफािारी ह

िाति म पवितर कआणन की सरः सखा 4 की आत सखा 59 म खिा न ह आिश विा ह वक अमानत किलि उस वनति क सपिण करनी चावहए जो उस का पातर हो और लिोगरो क मध वनणण करत सम उस ा और ईमानिारी स वनणण करन चावहए अतः अपन िश क परवत िफािारी ह माग करती ह वक सरकार की शनति उह िी जानी चावहए जो िाति म उसक पातर हरो तावक उनका िश उनवत कर सक और विशि क अ िशरो की तलिना म सबस आग हो

विशि क बहत स िशरो म हम िखत ह वक परजा सरकार की नीवतरो क विरदध हडतालिरो और परिशणनरो म भाग लिती ह इसस भी बढकर तीसरी िवना क िशरो म परिशणनकारी तोड-फोड करत ह ा उन समपवततरो और जािािरो को हावन पहचात ह जो ा तो सरकार स सबzwjध रखती ह ा सामा नागररकरो की होती ह दवप उनका ह िािा होता ह वक उनकी ह परवतवकरा िश परम स परररत ह परत िातविकता ह ह वक ऐस काषो का िफािारी ा िश-परम क साथ िर का भी सबzwjध नही ह मरण रखना चावहए वक जहा परिशणन और हडतालि शानतपणण ढग स भी की जाती ह ा अपराzwjध हावन एि कठोरता क वबना की जाती ह वफर भी उनका एक नकारातमक परभाि हो सकता ह इसका कारण ह ह वक

40 विशव सकट तथा शानत-पथ

शानतपणण परिशणन भी परा िश की आवथणक नथवत की करोडरो की हावन का कारण बनत ह ऐस कतरो को वकसी भी िशा म िश स िफािारी का उिाहरण नही ठहराा जा सकता एक सनहरा वसदधात वजसकी जमाअत अहमविा क परितणक न वशका िी थी िह ह था वक हम समत पररनथवतरो म खिा उसक अिताररो तथा अपन िश क शासकरो क परवत िफािार रहना चावहए ही वशका पवितर कआणन म िी गई ह अतः उस िश म भी जहा हडतालि और रोष-परिशणन करन की अनमवत ह िहा इन का सचालिन उसी सीमा तक होना चावहए वजस स िश अथिा िश की आवथणक नथवत को कोई हावन न पहच

एक अ परशन पराः उठाा जाता ह वक का मसलिमान पनचिमी िशरो की सना म भतगी हो सकत ह वि उह ह अनमवत ह तो का ि मनलिम िशरो क विरदध आकरमणरो म भाग लि सकत ह इलिाम का एक मलि वसदधात ह ह वक वकसी भी वनति को अताचारपणण काषो म सहाता नही करनी चावहए ह मलि आिश परतक मसलिमान क मनतषzwjक म सिि सिवोपरर रहना चावहए वि वकसी मनलिम िश पर इसवलिए आकरमण वका जाता ह करोवक उसन ि अनवचत और अापणण ढग स आकरमण करन म पहलि की तो ऐसी पररनथवत म पवितर कआणन का मनलिम सरकाररो को ह आिश ह वक ि अताचारी को अताचार करन स रोक अवभपरा ह वक ि अताचार का अत कर क शानत थावपत करन का परतन कर अतः ऐसी पररनथवतरो म अताचार का अत करन हत स का णिाही करन की अनमवत ह परत वि ि िश वजसन अवतकरमण वका ि को सzwjधार लिता ह और शानत को अपना लिता ह उस नथवत म झठ बहानरो की आड म उस िश और उसकी परजा को अzwjधीन करक अनवचत लिाभ नही उठाना चावहए अवपत उह सामातः

41िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

िततरता परिान कर िनी चावहए साराश ह वक स का णिाही का उदश शानत- थापना होना चावहए न वक वनवहत िाथषो की वसवदध

इसी परकार इलिाम सभी िशरो को चाह ि मनलिम हरो अथिा गर-मनलिम अताचार और वनिण ता को रोकन का अवzwjधकार परिान करता ह वि आिशकता पड तो गर-मनलिम िश िzwjध उदशरो की पवतण क वलिए मनलिम िशरो पर आकरमण कर सकत ह ऐस गर-मनलिम िशरो क मनलिम नागररक िहा की सना म भतगी होकर अ िश को अताचार करन स रोक सकत ह िाति म जहा ऐसी पररनथवता विदमान हरो तो मनलिम सवनकरो को चाह ि वकसी भी पनचिमी िश की सना स समबzwjध रखत हरो का कततणव ह वक ि शानत-थापना हत आिशरो का पालिन करत हए दध कर परत वि वकसी िश की सना अापणण ढग स वकसी अ िश पर आकरमण करन का वनणण लिती ह तो एक मसलिमान को ह विकलप परापत ह वक ि सना को छोड ि अथा िह अताचारी का सहाक बन जाएगा इस वनणण का ह अथण नही वक िह अपन िश क परवत बिफाई कर रहा ह

िाति म ऐसी पररनथवत म िशभनति की भािना ह माग करती ह वक िह ऐसा किम उठाए और अपनी सरकार को ह परामशण ि वक िह अापणण ढग स विहार करन िालि िश और सरकाररो का अनसरण करक ि को इतना नीचा न वगराए वि वफर भी सना म भतगी होना अवनिा ण ह और छोडन का कोई विकलप नही और उसकी अतरातमा सतटि नही तो वफर एक मसलिमान को चावहए वक िह िश छोड कर चलिा जाए परत उस िश क कानन क विरदध आिाज उठान की अनमवत नही ऐसी नथवत म एक मसलिमान को िश छोड िना चावहए करोवक उस िश क एक नागररक क रप म रहन की अनमवत नही और

42 विशव सकट तथा शानत-पथ

साथ ही उस िश क विरदध का ण करन ा शतर का समथणन करन की भी अनमवत नही ह

अतः इलिामी वशकाओ क कछ द नटिकोण ह जो िशपरम और िशभनति की िा तविक मागरो क समबzwjध म मसलिमानरो का मागणिशणन करत ह उपलिzwjध सम म म किलि सवकपत रप स ही इनका िणणन कर सका ह

अत म म ह कहना चाहता ह वक आज समचा विशव एक िनशवक गराम बन चका ह मनषzwj एक िसर क बहत वनकट आ गए ह समत िशरो म परतक जावत zwjधमण और सभzwjताओ क लिोग पाए जात ह ह नथवत माग करती ह वक परतक िश क राजनीवतज उनकी भािनाओ और अहसासरो को दनटिगत रख और उनका सममान कर शासकरो और उनकी सरकाररो को ऐस कानन बनान का परास करना चावहए जो सत की भािना तथा ा क िातािरण को बढािा िन िालि हरो ऐस कानन न बनाए जो वक लिोगरो को वनरतसावहत करन और अशानत फलिान का कारण बन अा और अताचार समापत करक हम िातविक ा क वलिए परास करन चावहए इसका सिवोततम उपा ह ह वक ससार को अपन सषzwjटा को पहचानना चावहए परतक परकार की िफािारी का सबzwjध खिा स िफािारी होना चावहए वि ऐसा होता ह तो हम अपनी आखरो स िखग वक समत िशरो क लिोगरो म एक सिवोचच तर िालिी िफािारी जम लिगी और समपणण विशि म निीन मागण परशत हरोग जो हम शानत और सरका की ओर लि जाएग

अपना भाषण समापत करन स पिण म एक बार पन अपन आमवतरत वकए जान तथा मरी बात सनन क वलिए आभार परकट करना चाहता ह परमशिर आप सब को परसन रख और जमणनी को भी अपना आशीष परिान कर

आपका बहत-बहत zwjधिाि

एक एटिी यदध क भयजनक पररणजि तथज पणा यजय की अतयत आवशयकतज

नौिा िावषणक शानत समारोहलििन क आोवजत 2012 ई

एक एटिी यदध क भयजनक पररणजि तथज पणा यजय की अतयत आवशयकतज

नौिा िावषणक शानत समारोहलििन क आोवजत 2012 ई

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba addressing the 9th Annual Peace Symposium

Dame Mary Richardson DBE UK President of SOS Childrenrsquos Villages accepting the lsquoAhmadiyya Muslim Prize for the Advancement of Peacersquo from His Holiness

Mayor of London Boris Johnson presenting His Holiness with a London bus souvenir

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba talking to the overseas Pakistani press regarding world affairs

पररचय

24 माचण 2012 ई को मािरन म रोप की सबस बडी मनजि ldquoबतलि फतहrdquo म शानत पर िाताणलिाप क वलिए िावषणक गोषzwjठी का आोजन हआ इस गोषzwjठी का परबzwjध जमाअत अहमविा क न वका इस आोजन म एक हजार स अवzwjधक शोता सनममवलित हए वजसम सरकार क मतरीगण विवभन िशरो क राजित हाउस आफ लिॉिरस और हाऊस ऑफ कॉमस क सि लििन क मर विवभन आिरणी लिोग विवभन परकाणि विदान आस-पास क तथा जीिन क परतक विभाग स समबदध लिोग सनममवलित थ इस िषण की गोषzwjठी का विष ldquoविशि-शानतrdquo था शानत को बढािा िन क वलिए तती अहमविा मनलिम परकार ldquoAhmadiyya Muslim Prize for Advancement of Peacerdquo हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब इमाम जमाअत अहमविा न ldquoSOS Childrenrsquos Village UKrdquo विभाग को जो वनरतर विशि क अनाथ और वनराश बचचरो क कषzwjटरो को कम करन और उसक हर बचच क वलिए एक परमपणण

48 विशव सकट तथा शानत-पथ

घर परापत होन का उनका िपन पणण हो और सहानभवतपणण िातािरण पिा करन की सराहना करत हए विा

शोताओ म वनमनवलिवखत अवतवथ वस नममवलित थ ः

Rt Hon Justine GreeningmdashMP Secretary of State for Transport

Jane EllisonmdashMP (Battersea) Seema MalhotramdashMP (Feltham and Heston) Tom BrakemdashMP (Carlshalton and Wallington) Virendra SharmamdashMP (Ealing and Southall) Lord Tariq Ahmadmdashof Wimbledon HE Wesley Momo Johnsonmdashthe Ambassador of Liberia HE Abdullah Al-Radhimdashthe Ambassador of Yemen HE Miguel Solano-Lopezmdashthe Ambassador of Paraguay Commodore Martin AthertonmdashNaval Regional

Commander Councillor Jane Coopermdashthe Worshipful Mayor of

Wandsworth Councillor Milton McKenzie MBEmdashthe Worshipful

Mayor of Barking and Dagenham Councillor Amrit Mannmdashthe Worshipful Mayor of

Hounslow Siobhan Benitamdashindependent Mayoral candidate for

London Diplomats from several other countries including India

Canada Indonesia and Guinea

एक एटिी यदध क भयजनक पररणजि तथज पणा यजय की अतयत आवशयकतज

तशहहि तअविज और खिा क नाम क साथ जमाअत अहमविा क ितणमान और पचम खलिीफा न समत आिरणी अवतवथरो को असलिामो अलिकम का उपहार परतत करत हए कहा -

आज एक िषण क पशचात मझ अपन समत अवतवथ सजजनरो का इस आोजन म अवभनिन करन का सअिसर परापत हआ ह म आप सब का वनतात आभारी और कतज ह वक आप सभी सजजनरो न इस आोजन म सनममवलित होन क वलिए अपना सम विा ह

वनसिह आप लिोगरो म स अवzwjधकतर इस आोजन स जो शानत

50 विशव सकट तथा शानत-पथ

क वलिए गोषzwjठी (Peace Symposium) क नाम स नावमत ह भलिी-भावत पररवचत ह जमाअत अहमविा इस गोषठी का परवतिषण आोजन करती ह और ह विशि म शानत थावपत करन क उदश स हमारी बहत सी हाविणक अवभलिाषाओ को परा करन क परासरो म स ह भी एक परास ह

आज की गोषzwjठी म कछ नए वमतर भी ह जो वक इस आोजन म परथम बार भाग लि रह ह जबवक अ हमार ि वमतर ह जो कई िषषो स हमार परासरो की सराहना करत चलि आ रह ह कछ भी हो जबवक आप सब उचच वशका परापत लिोग ह और विशि म शानत की थापना हत हमारी अवभलिाषा क भागीिार ह तथा इसी इचछा क फलििरप आप इस आोजन म भाग लि रह ह

आप सब आज हा इस हाविणक अवभलिाषा क साथ उपनथत ह वक समत विशि परम सहानभवत वमतरता और भरातभाि स पररपणण हो जाए और विशि की अवzwjधकाश जनता इसी विचारzwjधारा और इही मलरो की अवभलिाषी ह और उस इसी की आिशकता ह इसक अनसार आप सब वजनका सबzwjध विवभन विभागरो जावतरो िशरो और zwjधमषो स ह आज मर सामन विराजमान ह और जसा वक मन कहा वक हम परवतिषण ह काफस आोवजत करत ह और परतक अिसर पर हम सब इसी भािना और आशा को परकट करत ह जो ह ह वक हमारी इन आखरो क सामन विशि म शानत थावपत हो जाए और इसीवलिए म परवतिषण आप स ह वनििन करता ह वक आप को जहा कही भी अिसर परापत हो और वजस स भी आपका सबzwjध हो शानत को बढािा िन का परास कर इसक अवतररकत म उन समत सजजनरो स वनििन करता ह

51एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

वजनका सबzwjध राजनीवतक पावटररो अथिा सरकार स हो उह भी अपन अवzwjधकार-कतर म शानत क इस सिश को पहचाना चावहए परतक को इसस अिगत करान की आिशकता ह वक विशि म शानत थावपत करन क वलिए पहलि स अवzwjधक उचच वसदधातरो पर आzwjधाररत नवतक मलरो की वनतात आिशकता ह

जहा तक जमाअत अहमविा का सबzwjध ह जहा कही भी जब कभी भी ऐसा अिसर परापत होता ह हम खललिम-खललिा अपनी इस विचारzwjधारा को परकट करत ह वक विशि को इस विनाश और बरबािी स वजसकी ओर िह अगरसर ह बचान का अब किलि एक ही मागण ह और िह ह ह वक हम सब परम और सहानभ वत और एकता की भािना को परसाररत करन का परास कर तथा सिाणवzwjधक आिशक ह ह वक विशि अपन सषzwjटा को पहचान वक एक ही परमशिर ह ह इस कारण वक सषzwjटा की पहचान ही ह जो हम उसकी सनटि स परम और सहानभवत की ओर लि जाती ह और जब ह हमार चररतर का भाग बन जाती ह तो उस सम हम परमशिर स परम परापत करन िालि बन जात ह

हम विशि को वनरतर शानत की ओर आमवतरत करन क वलिए पकारत ह और हम ह िःख और कषzwjट जो अपन हिरो म महसस करत ह िही हम मानिता क कषzwjटरो को कम करन और विशि को रहन क वलिए एक उततम थान बनान क परतन करन क वलिए परररत करता ह बहरहालि ह आोजन इस उदश की परानति क बहत स परासरो म स एक परास ह

जसा वक मन पहलि कहा ह वक आप सब की ही शभ कामनाए ह इसक अवतररकत मन राजनीवतजरो तथा zwjधवमणक-नताओ को विशि-

52 विशव सकट तथा शानत-पथ

शानत क उदश स आमवतरत वका ह वफर भी इन परासरो क बािजि हम ह जानत ह वक समपणण विशि म अशानत और उथलि-पथलि वनरतर फलि रही ह और बढ रही ह

आजकलि विशि म हम अतवzwjधक लिडाई-झगड अशानत और असतोष िखत ह कछ िशरो म जनता क परवतवनवzwjध आपस म लिड रह ह और एक-िसर पर परहार कर रह ह कछ िशरो म परजा सरकार क विरदध लिड रही ह ा इसक विपरीत शासक अपनी परजा पर अताचार कर रह ह उगरिािी िलि अपन वनतिगत वहतरो को परा करन क वलिए अशानत और असतोष की अनगन को और अवzwjधक हिा ि रह ह इस परकार ि मासम नतररो बचचरो और िदधरो का अzwjधा-zwjधzwjध िzwjध कर रह ह कछ िशरो म राजनीवतक िलि अपन वहतरो की पवतण क वलिए आपस म लिडाई कर रह ह ि अपन लिोगरो की भलिाई क वलिए एकमत हो जान क थान पर हम िखत ह वक कछ सरकार और िश वनरतर िसर िशरो क पराकवतक ससाzwjधनरो की ओर दष और िाह स दनटि लिगाए हए ह विशि की महा शनतिा भी अपनी शषzwjठता को काम रखन क वलिए परासरत ह और इस उदश को परापत करन क वलिए उहरोन कोई कमी नही छोडी

सारी बात दनटिगत रखत हए हम िखत ह वक न ही जमाअत अहमविा और न ही आप म स अवzwjधकाश जो वक जन-परवतवनवzwjध ह ह शनति ा अवzwjधकार रखत ह वक सकारातमक पररितणन लिान क वलिए ऐसी नीवता बनाए इसका कारण ह ह वक हमार पास कोई सरकारी शनति ा विभाग नही ह िाति म म तो हा तक कहता ह वक ि राजनीवतज वजनक साथ हमार वमतरतापणण सबzwjध ह और जो हमार आोजनरो म

53एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

हमशा हमार साथ सहमत होत ह ि भी बोलि नही सकत इसक विपरीत उनक िर भी िबा विए जात ह और उह अपनी विचारzwjधाराए परतत करन स रोक विा जाता ह ह ा तो इसवलिए होता ह वक उह अपनी पाटगी की ककटनीवत अपनान पर वििश वका जाता ह ा वफर किावचत अ विशि शनतिरो ा राजनीवतक गठबzwjधनरो क बाहरी िबाि क कारण ऐसा होता ह जो वक उह कम आक रह होत ह

इसक बािजि हम परवतिषण इस शानत गोषठी (Peace Symposium) म भाग लित ह और वनःसिह हम अपनी विचारzwjधाराओ और भािनाओ को परकट करत ह समत zwjधमण समत िश समत नलिरो और समत लिोगरो क मध परम सहानभवत और भरात-भाि थावपत होना चावहए िभाणगिश दवप वक हम िाति म इस विचारzwjधारा को वािहाररक रप िन म वििश ह इस पररणाम की परानति क वलिए वजसक हम अवभलिाषी ह हमार पास कोई साzwjधन ा अवzwjधकार नही ह

मझ मरण ह वक लिगभग िो िषण पिण इसी हालि (Hall) म हमारी शानत गोषठी क मध मन विशि म शानत थावपत करन क वलिए विवभन उपारो और साzwjधनरो पर आzwjधाररत एक भाषण विा था और मन ह भी बताा था वक सकत राषzwjटर सघ (UNO) को वकस परकार की काणिाही करनी चावहए ततपशचात हमार बहत ही वपर और आिरणी वमतर लिािर एररक एिबरी (Lord Eric Avebury) न ह समीका की वक ह भाषण िाति म स कत राषzwjटर सघ (UNO) म होना चावहए था बहरहालि ह तो उनक उचच चररतर का परकटन था वक िह अपनी समीका म इतन हमििण और उिार थ बहरहालि म ह कहना चाहता ह वक किलि वकसी भाषण का िना ा सनना पाणपत नही और किलि

54 विशव सकट तथा शानत-पथ

इसस शानत की थापना नही होगी अवपत इस मलि उदश को पणण करन क वलिए पणण ा और समत मामलिरो म इसाफ और ईमानिारी की अतत आिशकता ह पवितर कआणन न सरह अनननसा आत - 136 म हम एक सनहरी वसदधात और वशका िी ह जो हमारा इस सिभण म मागण-िशणन करती ह िह बताती ह वक ा की मागरो को परा करन क वलिए वि आप को ि अपन-अपन माता-वपता वनकट सबवzwjधरो और वमतररो क विरदध भी गिाही िनी पड तो तमह अिश िनी चावहए ही िातविक ा ह जहा परतक वनतिगत वहत को जनवहत क वलिए एक ओर रख विा गा ह

वि हम सामवहक तौर पर इस वसदधात क बार म विचार कर तो हम ह महसस होगा वक अिzwjध हथकि वजनका आzwjधार zwjधन तथा परभाि एि परवतषzwjठा पर ह उनका पररताग कर िना चावहए इस क विपरीत ह जन-परवतवनवzwjध और राजितरो को शदध नीत ा एि समानता क वसदधातरो क समथणन की इचछा क साथ सामन आना चावहए हम परतक परकार क पकपात और भिभाि को समापत कर िना चावहए करोवक ही िह माधम ह जो शानत लिाता ह वि हम सकत राषzwjट सघ की जनरलि असबलिी अथिा विशि सरका पररषि को िख तो परा हम िखत ह वक िहा जो भाषण ा बान विए जात ह उनकी बडी परशसा और परवसवदध होती ह परत ऐसी परशसा वनरथणक ह करोवक िातविक वनणण पहलि ही वकए जा चक होत ह

अत जहा वनणण महाशनतिरो क िबाि क अतगणत वकए जाए जो सचची एि ासगत परजाततरी परणालिी क विरदध हरो तो ऐस भाषण खोखलि और वनरथणक विचाररो को परिवशणत करत ह तथा बाहय ससार को

55एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

zwjधोखा िन क वलिए किलि एक बहान का काम करत ह तथावप इस का ह अथण नही वक हम वनराश हो जाए और अपन समत परास ताग ि अवपत इसकी बजाए हमारा लिक ह होना चावहए वक विशष तौर पर राषzwjटरी काननरो की पररवzwjध म रहत हए सरकार को वनरतर सम की आिशकता को मरण करात रह हम उन वगरोहरो को भी उवचत तौर पर नसीहत करना चावहए वजनक अपन वनतिगत वहत ह तावक विशि तर पर ा जारी हो सक किलि इसी परकार विशि अमन और एकता का गढ बन सकता ह वजसक हम सब अवभलिाषी ह

इसवलिए हम अपन परासरो को किावप ताग नही सकत वि हम अा और अताचार क विरदध अपनी आिाज उठाना बि करत ह तो हम भी उन लिोगरो म स हो जाएग वजनक पास कोई भी नवतक मल अथिा मानक नही ह ह परशन वथण ह वक चाह हमारी आिाज सनी जाए ा उनका कोई परभाि हो शानत क वलिए हम वनरतर िसररो स परामशण करना ह म अतत परसन होता ह जब म ह िखता ह वक zwjधमण और जावत क मतभिरो क बािजि मानि मलरो को जीवित रखन क वलिए असख लिोग इस आोजन को सनन सीखन और विशि म शानत और परम थावपत करन क उपारो क बार म अपन विचार परकट करन क वलिए आत ह अत म आप सब स वनििन करता ह वक अपनी उततम ोगताओ क अनसार शानत क वलिए परास कर तावक हम आशाओ क इस िीपक को परकावशत रख सक वक एक सम अिश आएगा वक जब िातविक शानत और ा विशि क समत िशरो म थावपत हो जाएगा

हम ह मरण रखना चावहए वक जब मानि परास विफलि हो जात

56 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह तब सिणशनतिमान परमशिर मानि जावत क भाग को वननचित करन क वलिए अपन वनणण को जारी करता ह इसस पिण वक परमशिर का वनणण जारी हो और िह लिोगरो को उसकी ओर जान तथा मानि जावत क अवzwjधकाररो को अिा करन पर वििश कर ह उवचत होगा वक विशि क लिोग ि इन महतिपणण मामलिरो की ओर धान ि करोवक परमशिर को का णिाही करन पर वििश वका जाता ह तब उस का करोzwjध िाति म मनषzwj को एक कठोर और भानक ढग स पकडता ह

ितणमान ससार म परमशिर क वनणण का एक भानक परकटन एक अ विशि-दध क रप म हो सकता ह इसम किावप सिह नही वक ऐस दध क परभाि तथा उस क दारा विनाश किलि उस दध तक ा किलि ितणमान पीढी तक सीवमत नही हरोग अवपत उसक भानक पररणाम कई भािी पीवढरो तक परभािी हरोग ऐस दध क इन भानक पररणामरो म स एक ह ह वक इन दधरो का परभाि निजात वशशओ पर तथा भविषzwj म जम लिन िालि बचचरो पर भी पडगा आzwjधवनक शतर इतन विनाशकारी ह वक भविषzwj म जम लिन िालिी कई पीवढरो पर उनक भानक आनिावशक और शारीररक परभाि पडग

जापान ही एक ऐसा िश ह वजसन एटमी दध क वनतात भानक पररणाम िख ह उस पर वदती विशि-दध क मध एटम बम स आकरमण वका गा आज भी वि आप जापान जाए और िहा क लिोगरो स वमलि तो आप उस दध का एक पणण भ और उसकी घणा उनकी आखरो म िखग और जो कछ ि कहत ह उसस भी परकट होता ह हालिावक ि एटम बम जो उस सम परोग वकए गए तथा वजहरोन बहत अवzwjधक विनाश वका ि आज क परमाण शतररो की अपका जो

57एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

वक आज छोट-छोट िशरो क पास भी ह बहत कम शनति िालि थ कहा जाता ह वक जापान म दवप वक सात िशक गजर चक ह

तथावप एटम बम क परभाि निजात वशशओ पर अब भी परकट हो रह ह वि वकसी वनति को गोलिी मारी गई हो तब भी परा उपचार क दारा उसका बच जाना सभि होता ह परत वि रासावनक दध आरभ हो जाता ह तो जो भी उसकी लिपट म आएग उनका ऐसा भाग नही होगा इसक विपरीत हम िखग वक लिोग अचानक मरग और मवतणित हो जाएग तथा उनकी खालि वपघलिन लिगगी पीन का पानी भोजन और सनजा िवषत हो जाएगी और विवकरण (Radiation) स परभावित हरोगी हम किलि इस बात की कलपना ही कर सकत ह वक ऐसा परिषण वकस परकार क रोगरो का कारण बनगा ि थान जहा पर सीzwjध तौर पर आकरमण न हो और जहा इस विवकरण (Radiation) क परभाि कछ कम हरोग िहा पर भी रोगरो का खतरा बहत अवzwjधक होगा और भािी नलिरो को बड खतररो स गजरना होगा

अत जसा वक मन कहा ह वक ऐस दध क विनाशकारी और भानक परभाि किलि दध ा उसक बाि तक ही सीवमत न हरोग अवपत भविषzwj की अनकरो पीवढरो तक चलित चलि जाएग ह ऐस दध क िातविक पररणाम ह हालिावक इसक बािजि आज िाथगी और मखण लिोग विदमान ह वजह अपन इन आविषzwjकाररो पर बडा गिण ह और उहरोन विशि-विनाश क वलिए जो कछ विकवसत वका ह उसको ि उपहार क रप म िणणन करत ह िातविकता ह ह वक रासावनक शनति और टकनालिॉजी का नाममातर लिाभपरि पक भी असािzwjधानी ा िघणटनाओ क कारण बहत भानक हो सकता ह तथा महाविनाश की

58 विशव सकट तथा शानत-पथ

ओर लि जा सकता ह हम इसस पिण इस परकार की आकनमक आपिाओ को िख चक ह इसी परकार की एक घटना 1986 ई म चरनोवबलि (Chernobyl) अथाणत करन म हई और गत िषण ही जापान म भकमप और सनामी क पशचात घटना हई ह भी बहत भानक थी इसन पर िश को भभीत कर विा जब ऐसी घटनाए परकट होती ह तो वफर घटनागरत कतररो का पनणवनमाणण एि पनिाणस भी बहत कवठन काण होता ह अपन एकमातर और भानक एि िखिाी अनभिरो क कारण जापानी अतवzwjधक सतकक हो गए ह और वनसिह उनक भ का अहसास थोवचत ह

ह एक पषzwjट बात ह वक लिोग दधरो म मरत ह और जापान भी वदती विशि-दध म सनममवलित हआ तो उसकी सरकार और उसक लिोग इस बात स भलिी-भावत पररवचत थ वक कछ लिोग मार जाएग कहा जाता ह वक जापान म लिगभग तीन वमवलिन (तीस लिाख) लिोग मार गए ह िश की कलि जनसखा का चार परवतशत (4) बनता था दवप वक मरन िालिरो की कलि सखा की दनटि स बहत स अ िश भी बहत परभावित हए तथावप दध क परवत जो नफरत और घणा हम जापानी लिोगरो म िखत ह िह अ की अपका बहत अवzwjधक होती ह वनशच ही इसका कारण ि िो परमाण बम ह जो वदती विशि-दध क सम जापान पर वगराए गए वजसक पररणाम ि आज भी िख रह ह और ि आज तक उन पररणामरो को सहन कर रह ह जापान न बहत शीघर अपन शहररो की पनथाणपना करक अपनी शषzwjठता और शोक स उभरन की भािना और शनति को वसदध कर विा ह परत ह पषzwjट रह वक वि आज पन परमाण शतर परोग वकए गए तो बहत सभि

59एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

ह वक कछ विशष िशरो क भाग पणण रप स विशि-मानवचतर स समापत हो जाए और उनका अनतति ही शष न रह

वदती विशि-दध म मरन िालिरो की सखा एक अनमान क अनसार लिगभग बासठ वमवलिन ह और ह बताा जाता ह वक मार गए लिोगरो म चालिीस वमवलिन सामा नागररक थ इस परकार सना की अपका जन सामा अवzwjधक मार गए ह विनाश इस िातविकता क बािजि हआ वक जापान क अवतररकत ह दध अ थानरो पर पारपररक शतररो क साथ हआ था

UK (क) को लिगभग पाच लिाख लिोगरो की हावन झलिनी पडी दवप ह उस सम उपवनिशिािी शनति था और उसक उपवनिशरो न भी उसक समथणन म दध वका वि हम उनकी हावनरो को भी सनममवलित कर लि तो मरन िालिरो की सखा कई वमवलिन तक पहच जाती ह

किलि भारत म सोलिह लिाख लिोग मत का वशकार हए बहरहालि आज िह नथवत पररिवतणत हो चकी ह और ि िश जो

वबरटन क निीन उपवनिश थ जो वबरटन सामाज क वलिए लिड अत वि आज दध होता ह तो ि बताणवना क विरदध भी लिड सकत ह और वफर जसा वक मन इसस पिण िणणन वका ह वक कछ छोट िशरो न भी परमाण शतर परापत कर वलिए ह जो बात अतवzwjधक भ का कारण ह िह ह जानकारी ह वक ऐस परमाण हवथार ऐस लिोगरो क हाथरो म आ सकत ह वजनक पास ा तो ोगता नही ह ा वफर अपन काषो क पररणामरो क सबzwjध म कलपना ही नही कर सकत िाति म ऐस लिोग पररणामरो क बार म विचार करन की परिाह ही नही करत ा वफर

60 विशव सकट तथा शानत-पथ

छोटी-छोटी बातरो पर बिक तान लित ह अत वि महा शनतिा ा स काम नही लिती तथा छोट िशरो

की वनराशा को समापत नही करती और उवचत और नीवतसगत काणिावहा नही करती तो पररनथवत हमार अवzwjधकार स बाहर हो जाएगी ततपशचात जो विनाश आएगा िह हमारी कलपना स भी िर होगा हा तक वक विशि क अवzwjधकाश िश जो शानत क अवभलिाषी ह उन को भी ह विनाश अपनी पररवzwjध म लि लिगा

अत मरी हाविणक अवभलिाषा और आशा ह वक समत बड िशरो क नता इस भािह िातविकता को समझग और अपन उदशरो और लिकरो की परानति क वलिए आकरामक नीवतरो को अपनान तथा शनति का परोग करन की बजाए ि ऐसी नीवतरो स काम लि जो ा को बढािा ि और उसकी रका करन िालिी हरो

अभी कछ सम पिण ही रस क एक िररषzwjठ सवनक कमािर न रासावनक दध क सभावित खतर क बार म एक कडी चतािनी जारी की ह उसका दनटिकोण ह वक ऐसा दध एवशा अथिा वकसी िसर थान पर नही वका जाएगा अवपत रोपी सीमाओ पर वका जाएगा और ह खतरा पिगी रोपी िशरो स आरभ हो सकता ह और दध की जिालिा भडक सकती ह दवप वक कछ लिोग ह भी कहग वक ह मातर उसका वनतिगत विचार था परत म ि इस विचार को असभि नही समझता अवपत इसक अवतररकत म ह भी विशिास करता ह वक वि ह दध आरभ हो जाता ह तो इस बात की बहत सभािना ह वक एवशा क िश भी इस दध म ककि पडग

एक अ सचना वजस इही विनरो बड वापक रप स मीविा

61एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

दारा परसाररत वका गा ितणमान सम म ही इसाईलि की जाससी एजसी मोसाि क भतपिण चीफ क विचार थ परवसदध अमरीकन टीिी चनलि CBS क साथ एक साकातकार क मध उहरोन कहा वक ह परकट हो रहा ह वक इसाईलि की सरकार ईरान क साथ दध छडना चाहती ह उहरोन बताा वक वि ऐसा आकरमण होता ह तो ह जानना असभि हो जाएगा वक ऐसा दध कहा और कस समापत होगा अतः उसन बड शनतिशालिी ढग स इस दध क विरदध नसीहत की

इस दनटि स मर विचार म ऐसा दध एटमी विनाश क साथ ही समापत होगा

इही विनरो म मरी दनटि स एक लिख गजरा वजसम लिखक न ह िणणन वका ह वक आज विशि की आवथणक और राजनीवतक दनटि स िही नथवत ह जसी 1932 ई म थी उसन वलिखा वक कछ विशष िशरो म जनता को राजनीवतजरो ा किलि नाममातर परजाततर पर कोई विशिास नही रहा उसन ह भी कहा वक कई और भी समानताए ह जो वमलिकर आज भी िही वचतर परिवशणत करती ह जो वक वदती विशि-दध स ठीक पहलि िखा गा था

कछ लिोग इस विशषण स सहमत नही हरोग परत इस क विपरीत म इसस सहमत ह और ही कारण ह वक मरा ह विशिास ह वक विशि की सरकाररो को ितणमान पररनथवतरो पर अतत वचनतत होना चावहए इसी परकार कछ मनलिम िशरो क अाी शासक वजनका एकमातर उदश वकसी भी परकार तथा वकसी भी मल पर अपनी शनति को काम रखना ह उह भी होश म आना चावहए अथा उनक काण और उनकी मखणताए उनक अत का कारण हरोगी तथा ि अपन-अपन

62 विशव सकट तथा शानत-पथ

िशरो को वनतात भकर पररनथवतरो की ओर लि जाएगी हम जो जमाअत अहमविा क सि ह विशि और मानिता को

विनाश स बचान क वलिए अपना भरसक परतन करत ह ह इसवलिए वक हमन ितणमान ग क इमाम को माना ह वजस परमशिर न मसीह मौऊि बनाकर भजा और जो हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम वजह परमशिर न ि मानिता पर उपकार करन िालिा बनाकर भजा था का एक िास बनकर आा

करोवक हम हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की वशका का पालिन करत ह इसवलिए हम विशि की नथवत पर अपन हिरो म अतत िःख महसस करत ह ह िही िःख ह जो हम मानिता को विनाश और सकटरो स सरवकत रखन क परवत परासरत रहन की ओर अगरसर करता ह इसवलिए म और अ सभी अहमिी मसलिमान विशि म शानत क उदश को परापत करन क वलिए अपन िावतिरो को परा करन का परास कर रह ह

एक उपा वजसक दारा मन विशि म शानत को बढािा िन का परतन वका ह िह पतररो का वसलिवसलिा ह जो मन विशि क कछ शासकरो और राजनताओ को वलिख ह कछ माह पिण पोप बनीविकट को एक पतर भजा वजस मर एक अहमिी परवतवनवzwjध न ि उह पहचाा उस पतर म मन उह वलिखा वक चवक िह विशि की सबस बडी zwjधावमणक जमाअत क लिीिर ह इसवलिए उह विशि-शानत को थावपत करन का अिश परतन करना चावहए

इसी सिभण म इही विनरो म ईरान और इसाईलि की आपसी शतरताओ को िखत हए जो एक वनतात भकर तर पर भडक रही ह

63एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

मन इसाईलिी परzwjधानमतरी बजावमन वनवतनाह और ईरानी राषzwjटरपवत महमि अहमिीवनजाि िोनरो को एक पतर भजा वजसम मन उह मानि जावत को दनटिगत रखत हए वनणण करत सम हर परकार की शीघरता और असािzwjधानी को तागन का आगरह वका

मन इही विनरो अमरीका क राषzwjटरपवत बराक ओबामा तथा कनािा क परzwjधानमतरी टीफन हापणर को भी पतर वलिख ह वजनम िोनरो को विशि की शानत और एकता को सदढ करन क वलिए अपनी भवमका अिा करन तथा अपन िावतिरो को परा करन का आगरह वका

वनकट भविषzwj म अ िशरो क शासकरो को भी ऐस ही पतर वलिखन का मरा इरािा ह

म नही जानता वक मन वजन शासकरो को पतर वलिख ह ि मर पतररो को कोई महति िग ा नही उनकी परवतवकरा जो भी हो मन विशि भर म रहन िालि लिाखरो अहमविरो क खलिीफा और आधानतमक पशिा होन क तौर पर विशि की भािह एि सकटपणण नथवत क सबzwjध म उनकी भािनाओ और अहसास को उन तक पहचान क वलिए ह एक परास वका ह

ह पषzwjट रह वक मन इन भािनाओ का परकटन वकसी वनतिगत भ क कारण नही वका अवपत इसक विपरीत किलि मानिता क परवत परम न मझ इसक वलिए परररत वका

हजरत महममि म तफासअि वजह जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह समत मानिजावत क वलिए एक उपकारी और हमििण बनाकर भजा गा ह की वशकाओ न समत सचच मसलिमानरो क हिरो म मानिता स परम को अवकत कर विा ह और उस उनवत परिान की ह

64 विशव सकट तथा शानत-पथ

बहत सभि ह वक आप आशच ण कर ा आप सनकर तzwjध रह जाए वक मानिता क वलिए हमारा परम हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की वशकाओ ही का पररणाम ह अत ह परशन पिा हो सकता ह वक वफर हा ऐस उगरिािी वगरोह करो मौजि ह जो वनिवोष लिोगरो का िzwjध करत ह ा वफर करो ऐसी मसलिमान सरकार मौजि ह जो अपन शासन की कवसण रो को सरवकत रखन क वलिए अपनी ही परजा को मारन का आिश िती ह

ह पषzwjट रह वक िाति म इस परकार क अनवचत और ककमण इलिामी वशका क वबलकलि विपरीत ह पवितर कआणन वकसी भी पररनथवत म कटटरिाि और उगरिाि की अनमवत नही िता

हमारी आथानसार इस ग म परमशिर न जमाअत अहमविा क परितणक हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी अलिवहसलिाम को हजरत महममि म तफा सललाहो अलिवह िसलम की पणण िासता म मसीह मौऊि और इमाम महिी बना कर भजा ह मसीह मौऊि को इलिाम और पवितर कआणन की िातविक वशका क परचार और परसार क वलिए भजा गा था आपको मनषzwj और परमशिर क मध एक सबzwjध थावपत करन क वलिए अितररत वका गा था आपको इसवलिए भजा गा था वक मनषzwj एक िसर क परवत अपन कततणवरो को पहचान आपको हर परकार क zwjधावमणक दधरो को समापत करन क वलिए भजा गा था आप को परतक zwjधमण क पशिा और पगमबर क सममान शान और थान को थावपत करन क वलिए भजा गा था आपको उचच नवतक मलरो की परानति की ओर ससार का धान अाकटि और समत विशि म शानत परम सहानभवत एि भरातति को काम करन क वलिए भजा गा था

65एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

वि आप विशि क वकसी भी िश म जाए तो आप िखग वक विशषताए समत सचच अहमविरो म विदमान ह हमार वलिए न उगरिािी और न ही चरमपथी आिशण ह और न ही अताचारी मसलिमान शासक और न ही पनचिमी शनतिा हमार वलिए नमना ह िह आिशण वजसका हम अनसरण करत ह िह इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम का आिशण ह और हमार पथ-परिशणक वनिदश पवितर कआणन म ह

अत म इस अमन काफस (Peace Symposium) स समत विशि को ह सिश िता ह वक इलिाम का सिश और वशकाए परम सहानभवत अमन और शानत पर आzwjधाररत ह

िभाणग स हम िखत ह वक मसलिमानरो का एक अलपसखक िगण इलिाम का एक पणणता विकत रप परतत करता ह और पथ-भरषzwjट करन िालिी आथाओ का पालिन करता ह म आप सब स कहता ह वक उसको िातविक इलिाम न समझ और उन अापणण काषो को शानतवपर मसलिमानरो की बहसखा की भािनाओ को ठस पहचान और उह अताचार का लिक बनान क वलिए एक लिाइसस क तौर पर परोग न कर

पवितर कआणन समत मसलिमानरो की सबस अवzwjधक मबारक और पवितर प तक ह इसवलिए उसक बार म अपवितर और अवशटि भाषा का परोग करन ा उस जलिान स वनशच ही मसलिमानरो की भािनाए आहत हरोगी हमन िखा ह वक जब भी ऐसी घटना होती ह तो कटटरपथी मसलिमानरो को एक वबलकलि गलित और अनवचत परवतवकरा की ओर लि जाती ह

हमन अभी अफगावनतान म िो घटनाओ क सबzwjध म सना जहा अमरीका क सवनकरो न पवितर कआणन का अपमान वका और वनिवोष

66 विशव सकट तथा शानत-पथ

नतररो और बचचरो को उनक घररो म मारा इसी परकार एक अताचारी वनति न िवकणी फास म कछ फासीसी वसपावहरो को अकारण गोवलिरो स मार िालिा और वफर कछ ही विनरो क पशचात उसन एक ककलि म परिश वका और तीन वनिवोष हिी बचचरो और उनक एक वशकक की भी हता कर िी

हम िखत ह वक ह आचरण वबलकलि गलित ह जो कभी शानत नही लिा सकता हम ह भी िखत ह वक ऐस अताचार पावकतान म वनरतर होत ह और अ थानरो म भी इस परकार समत गवतविवzwjधा इलिाम क विरोवzwjधरो को अपनी नफरत को हिा िन क वलिए ईzwjधन उपलिzwjध कर रही ह तथा अपन उदशरो की उचच तर पर परानति क वलिए बहाना उपलिzwjध करा रही ह एक छोट तर पर ऐसी अताचारपणण काणिावहा वकसी वनतिगत शतरता ा दष क कारण नही की जाती अवपत िाति म उन अापणण नीवतरो का पररणाम ह वजह कछ विशष सरकार राषzwjटरी और अतराणषzwjटरी तर पर अपनाए हए ह

अत विशि म शानत थावपत करन क वलिए ह आिशक ह वक ा क उवचत मापिणिरो को परतक तर पर और परतक िश म विकवसत वका जाए पवितर कआणन न अकारण वकसी वनिवोष वनति क िzwjध को समत मानिता का िzwjध ठहराा ह

अत एक मसलिमान होन क नात म पनः ह पणण रप स पषzwjट करगा वक इलिाम अताचार और बबणरता क वकसी भी रप परकार की किावप अनमवत नही िता ह एक पटि आिश ह वजसम कोई अपिाि नही पवितर कआणन इसक अवतररकत कहता ह - वि कोई िश ा जावत तमहार साथ शतरता भी रखती हो तब भी उनक साथ विहार

67एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

करत हए शतरता तमह ा करन स किावप न रोक ऐसा नही होना चावहए वक शतरताए और िर तमह परवतशोzwjध लिन ा अनवचत काणिाही करन की ओर लि जाए एक और महतिपणण आिश जो हम पवितर कआणन न विा ह वक िसररो क zwjधन और ससाzwjधनरो को ईषzwjाण तथा दष और लिालिच भरी दनटि स नही िखना चावहए

मन किलि कछ बातरो का िणणन वका ह परत ऐसी बात ह जो वनतात आिशक ह करोवक ही बात समाज और वफर विशालि ससार म शानत और ा की नीि रखन िालिी ह म िआ करता ह वक विशि इन मलि समाओ की ओर अपना धान आकषzwjट कर तावक हम विशि क उस विनाश स बचाए जाए वजसकी ओर हम अताचारी और बईमान लिोग लि जा रह ह

म कमा चाहता ह वक मन आपका काफी सम वलिा ह परत िातविकता ह ह वक विशि म शानत थावपत करन का विष अतत महति का विष ह

सम हाथरो स वनकलिता जा रहा ह और इसस पिण क बहत िर हो जाए हम सब को सम की आिशकता की ओर बहत धान िना चावहए

इसस पिण वक म अपन इस भाषण को समापत कर एक आिशक बात क सबzwjध म बताना चाहता ह - जसा वक हम सब जानत ह वक आजकलि अवत आिरणी महारानी एवलिजाबथ वदती की हीरक जती मनाई जा रही ह वि हम सम को 115 िषण पिण 1897 ई तक लि जाए उस सम भी महारानी विकटोररा की हीरक जती मनाई जा रही थी उस सम जमाअत अहमविा क परितणक न महारानी विकटोररा

68 विशव सकट तथा शानत-पथ

को मबारकबाि का एक सिश भजा था आप अलिवहसलिाम न उस सिश को इलिामी वशकाओ का पगाम

पहचात हए वबरटन की सरकार क वलिए िआ और महारानी की िीघण आ क वलिए कामना की थी उस सिश म आप अलिवहसलिाम न वलिखा वक महारानी की सरकार की सबस बडी विशषता ह ह वक उनकी सरकार म समत लिोगरो को zwjधावमणक िततरता िी जाती ह

आज क ससार म वबरटन की सरकार भारती उपमहादीप पर शासन नही करती तथावप zwjधावमणक िततरता क वसदधात वबरटन क समाज की और उसक काननरो म गहराई क साथ सलिगन ह वजनक दारा परतक वनति को zwjधावमणक िततरता परिान की गई ह

वनसिह इस िततरता का बहत ही स िर नमना हा पर आज रात को िखा जा रहा ह जहा पर विवभन आथाओ zwjधमषो और विचाररो क मानन िालि एक सामवहक उदश अथाणत विशि म शानत थावपत करन क वलिए एक थान पर एकतर हए ह इसवलिए िही शि और िही िआए जो हजरत मसीह मौऊि अलिवहलिाम न की थी उही का परोग करत हए म इस अिसर पर महारानी ऐवलिजाबथ को हाविणक गहराइरो स मबारकबाि परतत करता ह जसा वक आपन फरमाा वक

ldquoपरिशवर कर मक हिजरी पसनतजपणा िबजरकबजद और कतजञतज की भजवनजए हिजरी हिददा िहजरजनी को पहच और ईशवर कर मक आदणणीय िहजरजनी सदव पसन और सतषट रहrdquoहजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम न महारानी विकटोररा क

वलिए इसक अवतररकत िआए की अत म महारानी क वलिए िआए

69एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

करन क वलिए पन आप ही क शि परोग करता ह - ldquoह शनतिशजली और सजिरयावजन परिशवर अपनी कपज और बरकतरो स सदव हिजरी आदरणीय िहजरजनी को इसी पकजर पसन रखनज मजस पकजर हि उसकी सहजनभमत और दयज क िलसवरप पसनतजपवाक रह रह ह उस स पि और दयज कज वयवहजर करनज ठीक उसी पकजर मजस पकजर हि शजनत और सिमदध स सहदयतज एव सयियकत आचरण वजली सरकजर क अिीन रह रह हrdquoअत ह कतजतापणण भािनाए ह जो हर अहमिी मसलिमान क हि

म ह जो वबरटन का नागररक ह अत म एक बार पन आप सब का हाविणक गहराइरो क साथ zwjधिाि करना चाहता ह वजहरोन हा पzwjधार कर अपन परम सहानभवत एि भरात-भािना को परकट वका ह

आपका अवत zwjधिाि

शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

कवपटलि वहलि िावशगटन िी सी 2012 ई

Brad Sherman (Democratic member of the United States House of Representatives) presenting American flag to Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

The first Muslim Congressman Keith Ellisonmeeting Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba leading silent prayer at US Capitol Hill

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba delivers his keynote address at US Capitol Hill

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba during his official tour of US Capitol Hill

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba in US Capitol Hill after his historic address to the US Statesmenand Bureaucrats

भमिकज

27 जन 2012 को कवपटलि वहलि िावशगटन म एक ऐवतहावसक घटना घवटत हई वक जमाअत अहमविा क ितणमान और पचम खलिीफा न अमररकी कागरस क सिरो म सनटसण राजितरो वहाइट हाउस और टट विपाटरम ट टाफ एनजीओज क अवzwjधकारररो zwjधावमणक नताओ परोफसररो नीवत सलिाहकाररो सरकारी अवzwjधकारररो विपलिोमवटक कोर (Corps) क सिरो विचारकरो पटागन क परवतवनवzwjधरो एि मीविा क सपािकरो को समबोवzwjधत वका ह काफस जो अपन परकार की परथम काफस थी इस न स कत राज अमरीका (USA) क कछ बहत ही परवतनषठत नताओ को वजनम नसी पलिोसी जो वक हाउस आफ

76 विशव सकट तथा शानत-पथ

ररपरजटवटवज (House of Representatives) म िमोकरवटक पाटगी की नता ह सनममवलित थ को सीzwjध तौर पर विशि-शानत क विष पर इलिाम का सिश सनन का अिसर उपलिzwjध कराा इस आोजन क पशचात हजरत इमाम जमाअत अहमविा वमजाण मसरर अहमि सावहब को कवपटलि वहलि का भरमण कराा गा ततपचिात हाउस आफ ररवपरजटवटवज म Escort विए जान स पिण आप क स कत राज म आगमन की खशी म सममान क तौर पर एक परताि परतत वका गा

उस परताि की भवमका ह ह - आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि

विशिवापी जमाअत अहमविा क आधानतमक और विथागत पशिा को िावशगटन िीसी म सिागतम तथा विशि-शानत ा उिारता मानिावzwjधकाररो zwjधावमणक िततरता एि परजाततर क वलिए आपक परासरो की सराहना करत ह

कवपटलि वहलि म उपनथत सजजनरो की सची वनमनवलिवखत ह - US Senator Robert Casey Sr (Democrat Pennsylvania) US Senator John Cornyn (Republican Texas) Democratic Leader Nancy Pelosi (Democrat California) US Congressman Keith Ellison (Democrat Minnesota) US Congressman Bradley Sherman (Democrat

California) US Congressman Frank Wolf (Republican Virginia) US Congressman Michael Honda (Democrat California) US Congressman Timothy Murphy (Republican

77भवमका

Pennsylvania) US Congresswoman Jeannette Schmidt (Republican

Ohio) US Congresswoman Janice Hahn (Democrat California) US Congresswoman Janice Schakowsky (Democrat

Illinois) US Congresswoman Jackie Speier (Democrat California) US Congresswoman Zoe Lofgren (Democrat California) US Congresswoman Sheila Jackson Lee (Democrat

Texas) US Congressman Gary Peters (Democrat Michigan) US Congressman Thomas Petri (Republican Wisconsin) US Congressman Adam Schiff (Democrat California) US Congressman Michael Capuano (Democrat

Massachusetts) US Congressman Howard Berman (Democrat

California) US Congresswoman Judy Chu (Democrat California) US Congressman Andreacute Carson (Democrat Indiana) US Congresswoman Laura Richardson (Democrat

California US Congressman Lloyd Poe (Republican Texas) US Congressman Barney Frank (Democrat

Massachusetts) US Congressman Bruce Braley (Democrat Iowa) US Congressman Dennis Kucinich (Democrat Ohio)

78 विशव सकट तथा शानत-पथ

US Congressman Trent Franks (Republican Arizona) US Congressman Chris Murphy (Democrat

Connecticut) US Congressman Hank Johnson (Democrat Georgia) US Congressman James Clyburn (Democrat South

Carolina) His Excellency Bockari Kortu Stevens Ambassador of

Sierra Leone to the United States Dr Katrina Lantos Swett Chairwoman United States

Commission on Inteternational Religious Freedom Hon Tim Kaine Former Governor of Virginia Amb Susan Burk Special Representative of President

Barack Obama for Nuclear Nonproliferation Amb Suzan Johnson Cook US Ambassador at Large for

International Religious Freedom Hon Khaled Aljalahma Deputy Chief of Mission

Embassy of the Kingdom of Bahrain to the United States Rev Monsignor Jean-Francois Lantheaume First

Counselor (Deputy Chief of Mission) The Apostolic Nunciature of the Holy See to the United States

Ms Sara Al-Ojaili Public AffairsLiaison Officer Embassy of the Sultanate of Oman to the United States

Mr Salim Al Kindie First Secretary Embassy of the Sultanate of Oman to the United States

Ms Fozia Fayyaz Embassy of Pakistan to the United States Hon Saida Zaid Counselor Embassy of Morocco to the

United States

79भवमका

Hon Nabeel Munir Minister-IV (Security Council) Pakistan Permanent Mission to the United Nations

Hon Josef Renggli Minister-Counselor Embassy of Switzerland to the United States

Hon Alyssa Ayres Deputy Assistant Secretary for South and Central Asia US Department of State

Amb Karl Inderfurth Senior Adviser and Wadhwani Chair in US-India Policy Studies Center for Strategic and International Studies

Hon Donald A Camp Senior Associate Center for Strategic and International Studies

Amb Jackie Wolcott Executive Director US Commission on International Religious Freedom

Dr Azizah al-Hibri Commissioner US Commission on International Religious Freedom

Mr Isaiah Leggett County Executive Montgomery Count Maryland

Ms Victoria Alvarado Director Office of International Religious Freedom US Department of State

Dr Imad Dean Ahmad Director Minaret of Freedom Institute

Dr Zainab Alwani Assistant Professor of Islamic Studies Howard University School of Divinity

Ms Deborah L Benedict Associate Counsel US Citizenship and Immigration Services Department of Homeland Security

Ms Lora Berg Senior Adviser to Special Representative to Muslim Communities US Department of State

80 विशव सकट तथा शानत-पथ

Dr Charles Butterworth Professor (Emeritus) of Government and Politics University of Maryland College Park

Father John Crossin Executive Director for Secretariat for Ecumenical and Interreligious Affairs United States Conference of Catholic Bishops

Major (Ret) Franz Gayl Senior Science Adviser US Marine Corps

Dr Sue Gurawadena-Vaughn Director of International Religious Freedom and South East Asia Programs Freedom House

Mr Frank Jannuzi Head of Washington Office Amnesty International USA

Mr T Kumar International Advocacy Director Amnesty International USA

George Leventhal Member of the Montgomery County Council

Mr Amer Latif Visiting Fellow Wadhwani Chair in US-India Policy Studies Center for Strategic and International Studies

Mr Tim Lenderking Director of Pakistan Desk Office US State Department

Mr Jalal Malik International Affairs Officer US Army National Guard

Mr Naveed Malik Foreign Service Officer US Department of State

Ms Dalia Mogahed Senior Analyst and Executive Director Gallup Center for Muslim Studies

81भवमका

Mr Paul Monteiro Associate Director White House Office of Public Engagement

Major General David Quantock United States Army Provost General

Ms Tina Ramirez Director of International and Government Relations The Becket Fund

Rabbi David Saperstein Director and Counsel Religious Action Center for Reform Judaism

Chaplain Brigadier General Alphonse Stephenson Director of the National Guard Bureau Office of the Chaplain

Mr Knox Thames Director of Policy and Research US Commission on International Religious Freedom

Mr Eric Treene Special Counsel for Religious Discrimination Civil Rights Division US Department of Justice

Dr Hassan Abbas Professor Regional and Analytical Studies Department National Defense University

Mr Malik Siraj Akbar Reagan-Fascell Fellow National Endowment of Democracy

Mr Matthew K Asada Congressional Fellow to Rep Gary Peters

Ms Stacy Burdett Director of Government and National Affairs Anti-Defamation League

Ms Elizabeth Cassidy Deputy Director for Policy and Research US Commission on International Religious Freedom

Ms Aimee Chiu Director of Media Communication and Public Relations American Islamic Congress

82 विशव सकट तथा शानत-पथ

Mr Cornelius Cremin Department of State Bureau of Democracy Human Rights and Labor Acting Deputy Director and Foreign Affairs Officer for Pakistan

Mr Sadanand Dhume Resident Fellow American Enterprise Institute

Dr Richard Gathro Dean of Nyack College Washington DC

Mr Joe Grieboski Chairman The Institute on Religion and Public Policy

Ms Sarah Grieboski The Institute on Religion and Public Policy

Dr Max Gross Adjunct Professor Prince Alwaleed Bin Talal Center for Muslim-Christian Understanding Georgetown University

Dr Riaz Haider Clinical Professor of Medicine George Washington University

Ms Huma Haque Assistant Director South Asia Center Atlantic Council

Mr Jay Kansara Associate Director Hindu American Foundation

Mr Hamid Khan Senior Program Officer Rule of Law Center US Institute for Peace

Ms Valerie Kirkpatrick Associate for Refugees and US Advocacy Human Rights Watch

Mr Alex Kronemer Unity Productions Mr Paul Liben Executive Writer US Commission on

International Religious Freedom Ms Amy Lillis Foreign Affairs Officer US Department

83भवमका

of State Mr Graham Mason Legislative Assistant to Rep Allyson

Schwartz Ms Lauren Markoe Religion News Service Mr Dan Merica CNNcom Mr Joseph V Montville Senior Associate Merrimack

College Center for the Study of Jewish-Christian-Muslim Relations

Mr Aaron Myers Program Officer Freedom House Ms Attia Nasar Regional Coordinating Officer US

Department of State Ms Melanie Nezer Senior Director US Policy and

Advocacy HIAS Dr Elliott Parris Bowie State University Mr John Pinna Director of Government and

International Relations American Islamic Congress Mr Arif Rafiq Adjunct Scholar Middle East Institute Ms Maya Rajaratnam Amnesty International Ms Rachel Sauer Foreign Affairs Officer US

Department of State Dr Jerome Schiele Dean of College of Professional

Studies Bowie State University Ms Samantha Schnitzer Staff United States Commission

on International Religious Freedom Dr Mary Hope Schwoebel Senior Program Officer

Academy for International Conflict Management and

84 विशव सकट तथा शानत-पथ

Peacebuilding US Institute for Peace Ms Sarah Schlesinger International and Government

Relations Associate The Becket Fund Dr Frank Sellin Kyrgystan Desk Officer US

Department of State Ms Anna-Lee Stangl Christian Solidarity Worldwide Ms Kalinda Stephenson Professional Staff Tom Lantos

Human Rights Commission Mr Jordan Tama Lead Democratic Staffer Tom Lantos

Human Rights Commission Mr Shaun Tandon AFP Dr Wilhelmus Valkenberg Professor of Religion and

Culture The Catholic University of America Mr Anthony Vance Director of External Affairs Baharsquois

of the United States Mr Jihad Saleh Williams Government Affairs

Representative Islamic Relief USA Ms Amelia Wang Chief of Staff to Congresswoman Judy

Chu Ms Moh Sharma Legislative Fellow to Congresswoman

Judy Chu

यएस कजगस mdash हजउस पसतजव सखयज 709

88 विशव सकट तथा शानत-पथ

112 िा कागरस िसरा सशनपसतजव सखयज 709

आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि विशिवापी जमाअत अहमविा क आधानतमक और विथागत पशिा को िावशगटन िीसी म सिागतम तथा विशि-शानत ा उिारता मानिावzwjधकाररो zwjधावमणक िततरता एि परजाततर क वलिए आपक परासरो की सराहना करत ह

परवतवनवzwjध कक (House of Representatives)27 जन 2012

शीमती ज लिॉफगरन आफ कलिीफोवनण ा न (ि की ओर स तथा Mr Sherman Mr Connolly of Virginia Mr Hinchey Ms Eshoo Ms Speier Ms Richardson Mr Schiff Ms Schakowsky Mr Honda Mr Wolp Mr Peters Mr Dent Ms Chu Mr Berman Mr Franks of Arizona Ms Jackson Lee of Texas Ms Schwartz Mr Braley of Iowa और Mr McGovern की ओर स) न वनमनवलिवखत परताि परतत वका जो वक वििशी मामलिरो (Foreign Affairs) की कमटी को भजा गा

92 विशव सकट तथा शानत-पथ

पसतजव हम आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब विशववापी

जमाअत अहमविा क आधानतमक एि विथागत पशिा का िावशगटन िीसी म अवभनिन करत ह और हम आपकी विशि-शानत ा अवहसा मानिावzwjधकाररो zwjधावमणक िततरता और परजाततर क परवत कवटबदधता की सराहना करत ह

16 जन 2012 ई स 2 जलिाई 2012 तक आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि अहमविा मनलिम जमाअत जो एक अतराणषzwjटरी zwjधावमणक सगठन ह वजसक समपणण विशि म लिाखरो सि ह क विशिवापी एि विथागत पशिा स कत राज अमरीका का ऐवतहावसक िौरा कर रह ह

आप 22 अपरलि 2003 ई को हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब क पचम खलिीफा (जो वक एक आजीिन पि ह) वनिाणवचत हए आप शानत को बढािा िन िालि परमख मनलिम पशिा ह वजहरोन अपन परिचनरो भाषणरो रचनाओ एि वनतिगत भटरो क माधम स मानि सिा अतराणषटी मानिावzwjधकार शानत एि ा पर आzwjधाररत समाज क सबzwjध म जमाअत अहमविा क मलरो का सिि परचार एि समथणन वका ह अहमविा मनलिम जमाअत वनरतर ातनाओ का वशकार रही इन ातनाओ म भिभाि कषzwjट एि अताचार और वहसा भी सनममवलित ह

28 मई 2010 ई को लिाहौर पावकतान म जब जमाअत अहमविा की िो मनजिरो पर जमाअत अहमविा क विरोzwjधी उगरिाविरो न आकरमण वका तो उसम 86 अहमिी मसलिमान मार गए आप सामपरिावक

93परताि सखा 709

ातनाओ क बािजि अहमविरो को परवतशोzwjधातमक एि वहसातमक परवतवकराओ स वनरतर मना करत ह आपन मानिता की सिा को बढािा िन और उस आसान बनान क वलिए समपणण विशि का भरमण वका तथा इस सबzwjध म आपन परजीिणटस पराइमवमवनटजण सासिरो और विवभन िशरो क राजितरो स भट की

सकत राज अमरीका क अपन भरमण क मध आप सकत राज क परमख राजनताओ स भट करन क अवतररकत सबzwjधरो को सदढ बनान तथा समत लिोगरो म शानत और ा क माधमरो की थापना क वलिए हजाररो अमरीकी मसलिमानरो स भी वमलिग

27 जन 2012 ई को आप रबनण हाऊस आवफस वबनलिग कवपटलि वहलि क विशष वदपकी अवभनिन समारोह क अिसर पर ldquoशानत-पथ - राषzwjटररो क मध ापणण सबzwjधrdquo शीषणक क अतगणत मख भाषण िग ह परताि पाररत हआ वक हाउस आफ ररवपरजटवटवज

1 आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि का िावशगटन िी सी म अवभनिन करता ह

2 आप का परतक वनति की वनतिगत शानत एि ा तथा विशव की सामवहक शानत एि ा को बढािा िन पर सराहना करता ह

3 हम आपकी थाी तौर पर मसलिमानरो को कठोर स कठोर ातनाए िन क बािजि भी वहसातमक काणिावहा करन स बचन क परामशण िन पर सराहना करत ह

शजनत-पथ mdash रजषटरो क िधय यजयपणा सबि

वबनमलावहररहमावनररहीम - आिरणी अवतवथ गण असzwjसलारो अलकर वरहरzwjललाह व

बरकाzwjोह - कछ िणणन करन स पिण म इस अिसर पर आप सब का मर

भाषण को सनन क वलिए सम वनकालिन पर आभार परकट करना चाहता ह मझ स एक ऐस अिसर पर वजस विष पर बोलिन क वलिए वनििन वका गा ह िह बहत विशालि ह तथा वितार चाहता ह उसक बहत स पक ह अत इस अलप सम म उन सब का िणणन कर पाना मर वलिए सभि नही वजस विष पर भाषण िन क वलिए कहा गा ह िह विशि-शानत की थापना ह वनशच ही ह वनतात महतिपणण एि तिररत धान िन का मामलिा ह वजसका आज विशि को सामना ह बहरहालि इस सीवमत सम म म सवकपत तौर पर राषzwjटररो क

96 विशव सकट तथा शानत-पथ

मध ापणण तथा सबzwjधरो की समानता क दारा शानत-थापना क बार म इलिामी विचारzwjधारा को आपक समक रखगा

िातविकता ह ह वक शानत और ा परपर अवनिाण ह आप इन म स एक क अभाि म िसर को नही िख सकत वनशच ही ह ऐसा वसदधात ह वजस समत बवदधमान लिोग समझत ह जो लिोग विशि म अशानत फलिान पर कवटबदध ह उह एक ओर रखत हए कोई भी ह िािा नही कर सकता वक वकसी समाज और िश हा तक वक समपणण विशि म जहा ा होता हो िहा अविथा एि शानत का अभाि हो सकता ह तथावप हम िखत ह वक विशि क कई िशरो म अशानत फलिी हई ह ह अशानत िोनरो परकार स अथाणत िशरो क आतररक और बाहय तौर पर भी विवभन राषzwjटररो क मध सबzwjधरो की दनटि स विखाई िती ह ऐसी अविथा और टकराि विदमान ह चाह समत सरकार ऐसी नीवता बनान की िाििार हरो जो ा पर आzwjधाररत हरो सार िश ही िाि करत ह वक शानत थावपत करना ही उनका मलि उदश ह वफर भी इस बात म कोई सिह नही वक विशि म अशानत और परशानी बढ रही ह ह बात पषzwjट तौर पर वसदध करती ह वक कही न कही ा की माग परी नही की जा रही ह अतः परास करन तथा समानता का जहा कही जब भी अभाि हो उस समापत करन की वनतात आिशकता ह अतः विशववापी जमाअत अहमविा का पशिा होन क नात म ा पर आzwjधाररत शानत की परानति क माधमरो एि आिशकताओ क सबzwjध म कछ बात परतत करना चाहता ह

जमाअत अहमविा एक शदध zwjधावमणक समिा ह हमारा दढ विशिास ह वक मसीह और सzwjधारक वजसका इस ग म आना वननचित

97शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

था और विशि को इलिाम की िातविक वशका स अिगत कराना था िह वनसिह आ चका ह हमारा ईमान ह वक हमार समिा क परितणक हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी अलिवहसलिाम िही मसीह मौऊि और सzwjधारक ह और इसीवलिए हमन उह माना ह आप न अपन अन ावरो स दढतापिणक कहा वक िह इलिाम की िातविक और मलि वशकाए जो पवितर कआणन पर आzwjधाररत ह ि भी पालिन कर और उसका परचार कर अतः शानत-थापना एि ापणण अतराणषzwjटरी सबzwjध पिा करन क सबzwjध म जो भी कहगा िह कआणनी वशकाओ पर आzwjधाररत होगा

विशि-शानत की परानति हत आप सब वनरतर अपनी विचारzwjधाराओ को परकट करत ह और वनसिह परास भी करत ह आपक रचनातमक और वििकशीलि मनतषzwjक आपको महान विचाररो ोजनाओ और शानत का वििक परतत करन की पररणा ित ह

अतः इस समा पर मझ सासाररक अथिा राजनीवतक दनटि स कछ कहन की आिशकता नही अवपत इसक विपरीत मरा समपणण धान इस बात पर वनभणर होगा वक zwjधमण पर आzwjधाररत शानत की थापना कस हो सकती ह इस उदश क वलिए जसा वक मन पहलि िणणन वका ह म पवितर कआणन की वशकाओ पर आzwjधाररत कछ अतत आिशक वनिदश परतत करगा

हमशा ह मरण रखना आिशक ह वक मानि जान और बवदध पणण नही ह अवपत िाति म सीवमत ह अत वनणण करत सम अथिा विचार करत सम कछ विशष बात मानि मनतषzwjक म परिश कर जाती ह जो वनणण को zwjधवमलि कर सकती ह तथा एक वनति को अपन ही

98 विशव सकट तथा शानत-पथ

अवzwjधकाररो को पणण करन क परास की ओर अगरसर करती ह अततः ही बात एक अापणण पररणाम की ओर लि जा सकती ह और वफर फसलिा वका जाता ह परमशिर का कानन बहरहालि पणण ह तथा कोई वनतिगत वहत अथिा अापणण वनम विदमान नही ह करोवक परमशिर अपनी सनटि क वलिए किलि अचछाई और भलिाई चाहता ह इसवलिए उसका कानन पणण रप स ा पर आzwjधाररत ह वजस विन विशि क लिोग इस महतिपणण रह को समझन लिगग उस विन िातविक और थाी शानत की नीि रख िी जाएगी अथा हम ह जात करन का परतन करत रहग वक दवप वक विशि-शानत की थापना क वलिए अतत परतन वकए गए परत ि कोई महतिपणण पररणाम उपलिzwjध करान म असफलि रह

परथम विशि दध की समानति क पशचात कछ राषzwjटररो क शासकरो न भविषzwj म समत िशरो क मध अचछ और शानतपणण सबzwjधरो की इचछा की तो विशि-शानत की परानति क वलिए लिीग ऑफ नशस (Leage of Nations) बनाई गई उसका मख उदश विशि-शानत को थाित रखना था तथा भविषzwj म दधरो को रोकना था िभाणगिश इस लिीग क वसदधात और जो परताि पाररत वकए गए उनम कछ कवमा और िोष थ इसवलिए उहरोन समत लिोगरो और समत िशरो क अवzwjधकाररो की थोवचत रका न की पररणामिरप जो असमानता पिा हई तो थाी शानत जारी न रह सकी लिीग क परास विफलि हो गए ह बात सीzwjध तौर पर वदती विशि दध का कारण बनी

जो भकर विनाश और बरबािी हई उसस हम सब पररवचत ह वजसम समपणण विशि क लिगभग पचहततर वमवलिन लिोगरो क पराण नषzwjट

99शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

हए वजनम अवzwjधकाश वनिवोष जनता थी ह दध विशि की आख खोलिन क वलिए पाणपत होना चावहए था ह उन बवदधमततापणण नीवतरो को उनवत िन का माधम होना चावहए था जो वक समत िलिरो को ा पर आzwjधाररत उनक अवनिाण अवzwjधकार परिान करता इस परकार विशि म शानत थावपत करन का माधम वसदध होता उस सम विशि की सरकाररो न वकसी सीमा तक शानत काम करन का परतन वका और सकत राषzwjटर सघ (UNO) की थापना की गई परत ह शीघर ही पषzwjट हो गा वक सकत राषzwjटर सघ क महान और महतिपणण उदश पर नही वकए जा सक और आज कछ विशष सरकार पषzwjट तौर पर ऐस बान िती ह वजन स उनकी असफलिता वसदध होती ह

ा पर आzwjधाररत अतराणषzwjटरी सबzwjध जो शानत थावपत करन का एक माधम हरो उनक सबzwjध म इलिाम का कहता ह पवितर कआणन म अललिाह तआलिा न ह पषzwjट वका ह वक दवप हमारी जावता और जाती पररदश हमारी पहचान का एक माधम ह परत िह वकसी परकार की शषzwjठता क औवचत का माधम नही ह

अत पवितर कआणन ह पषzwjट करता ह वक समत लिोग समान ह इसक अवतररकत िह अनतम खतबा (भाषण) जो हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम न विा उसम आपस न समत मसलिमानरो को नसीहत की वक सिि मरण रखो वक वकसी अरबी को वकसी गर अरबी पर और न ही वकसी गर अरबी को वकसी अरबी पर कोई शषzwjठता ह आपस न ह वशका िी वक एक गोर को कालि पर और न ही वकसी कालि को गोर पर शषzwjठता ह अत इलिाम की ह एक पषzwjट वशका ह वक समत जावतरो और नलिरो क लिोग बराबर

100 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह ह भी पषzwjट कर विा गा ह वक समत लिोगरो को वबना वकसी भिभाि अथिा दष क समान अवzwjधकार विए जान चावहए ह एक बवनािी और सनहरी वसदधात ह जो विवभन वगरोहरो और िशरो क मध एकता और शानत की नीि िालिता ह

बहरहालि आज हम िखत ह वक शनतिशालिी और वनबणलि िशरो क मध एक फकट और खाई ह उिाहरणता स कत राषzwjटर सघ म हम िखत ह वक विवभन िशरो क मध अतर वका जाता ह और इसी परकार विशि सरका पररषि म कछ थाी और कछ अथाी सि ह ह विभाजन फकट और अशानत का एक आतररक माधम वसदध हआ ह अत हम वनरतर इस असमानता क विरदध परिशणनरो पर आzwjधाररत विवभन िशरो की ररपोटर सनत रहत ह इलिाम समत मामलिरो म पणण ा और समानता का पाठ पढाता ह और इस परकार हम पवितर कआणन की सरह अलिमाइिह आत - 3 म एक और वनिदश पात ह इस आत म पवितर कआणन िणणन करता ह वक ा की मागरो को पणणता परा करन क वलिए ह आिशक ह वक उन लिोगरो स भी वजहरोन घणा और शतरता की समत सीमाओ को पार कर वलिा हो ा और समानता का विहार वका जाए पवितर कआणन ह वशका िता ह वक जहा कही भी और जो कोई भी तमह अचछाई और नकी की ओर बलिाता हो तमह उसकी आिाज पर लिबक (म उपनथत ह) कहना चावहए और जहा भी जो कोई भी तमह बराई और अापणण विहार की ओर बलिाता हो तमह उसक वनमतरण को अिीकार कर िना चावहए

एक परशन जो िाभाविक तौर पर पिा होता ह िह ह ह वक इलिाम वकस परकार क ा की माग करता ह सरह अनननसा आत - 126 म

101शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

पवितर कआणन िणणन करता ह वक वि तमह अपन ि क विरदध ा अपन माता-वपता ा अपन वपरजनरो क विरदध भी गिाही िनी पड तो ा और सचचाई को काम रखन क वलिए तमह अिश ऐसा करना चावहए शनतिशालिी और समवदधशालिी िशरो को अपन अवzwjधकाररो की रका करन क परास म वनzwjधणन और शनतिहीन िशरो क अवzwjधकार को हडप नही करना चावहए िसरी ओर वनzwjधणन और शनतिहीन िशरो को अिसर वमलिन पर शनतिशालिी अथिा समवदधशालिी िशरो को हावन पहचान का परास नही करना चावहए इसक थान पर िोनरो पकरो को ा क वसदधातरो का पणणरपण पालिन करना चावहए िाति म विवभन िशरो क मध शानतपणण सबzwjधरो को काम रखन क वलिए ह समा बहत गभीर ह

ा पर आzwjधाररत िशरो क मध शानत की एक अ माग की चचाण पवितर कआणन की सरह अलिवहजर आत - 89 म ह जहा पवितर कआणन फरमाता ह वक वकसी भी वगरोह को िसररो क ससाzwjधनरो तथा zwjधन-समपवततरो को कभी भी ईषzwjाणपणण वनगाहरो स नही िखना चावहए इसी परकार वकसी भी िश को वकसी अ िश की पराकवतक समपिाओ पर उनकी सहाता अथिा समथणन क बहान अवzwjधकार करन का औवचत तलिाश नही करना चावहए इसी परकार तकनीकी महारत उपलिzwjध करान क आzwjधार पर सरकाररो को अापणण वापाररक समझौत ा ठक लित हए िसर िशरो स अनवचत लिाभ नही उठाना चावहए इसी परकार तकनीकी ोगताए उपलिzwjध करान ा सहाता करन क बहान सरकाररो को विकासशीलि िशरो क पराकवतक समपिाओ ा समपवततरो पर अवzwjधकार परापत करन क परतन नही करन चावहए जहा अलप वशवकत लिोग हरो

102 विशव सकट तथा शानत-पथ

ा सरकाररो को वसखान की आिशकता हो वक उह अपन पराकवतक ससाzwjधनरो (समपिाओ) को कस काम म लिाना ह तो वफर ऐसा वका जा सकता ह

अत िशरो और सरकाररो को वनबणलि िशरो की सिा और सहाता करन क सिि अिसर खोजन चावहए परत वकसी भी पररनथवत म ऐसी सिा को राषzwjटरी अथिा राजनीवतक लिाभ परापत करन का ा अपन वहतरो को पणण करन का उदश नही बनाना चावहए हम िखत ह वक सकत राषzwjटर सघ न गत छ ा सात िशकरो म वनzwjधणन िशरो की सहाता करन और उह विकवसत करन क उदश स कई काणकरम बनाए ह इस परास म उहरोन कई िशरो क पराकवतक ससाzwjधनरो की खोज की ह परत इन परासरो क बािजि वनzwjधणन िशरो म स कोई भी िश विकवसत िशरो क तर तक नही पहच सका इस का एक कारण वनशच ही उन विकासशीलि िशरो की बहत सी सरकाररो म विशालि तर पर ररशित खान का परचलिन ह म खि क साथ कहता ह वक इसक बािजि विकवसत िश अपन वहतरो को परा करन क वलिए वनरतर ऐसी सरकाररो क साथ वापार करत ह वापाररक समझौत अतराणषzwjटरी सहाता और विसावक ठक वनरतर जारी ह फलििरप वनzwjधणन और वनराश जनता की परशानी एि अशानत वनरतर बढ रही ह ह बात अवzwjधकाश िशरो म विदरोह और आतररक अशानत का कारण बन गई ह विकासशीलि िशरो क वनzwjधणन लिोग इतन बचन हो गए ह वक ि अपन ही नताओ क विरदध हो गए ह अवपत महा शनतिरो क लिोग भी इसस उगरिािी सगठनरो का उदश परा हआ ह और उहरोन इस अशानत का लिाभ उठाा ह इस परकार ि ऐस लिोगरो को अपन िलिरो म सनममवलित करन

103शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

क वलिए परोतसाहन भी ित आ रह ह और अपनी घवणत विचारzwjधारा को परोतसावहत कर रह ह इसका अनतम पररणाम ह वनकलिा ह वक विशव-शानत का विनाश हो गा ह

अत इलिाम न शानत क वलिए विवभन माधम अपनान की ओर हमारा धान फर विा ह इलिाम पणण ा की माग करता ह िह इस बात की माग करता ह वक सिि सचची गिाही िी जाए िह इस बात की माग करता ह वक ईषzwjाण स हमारी दनटि िसररो की zwjधन-समपवततरो पर न पड िह इस बात की माग करता ह वक विकवसत िश अपन वनतिगत वहतरो को एक ओर रख और इसक विपरीत विकासशीलि और वनzwjधणन िशरो की वनिाथण भािना क साथ सहाता और सिा कर वि समत बात दनटिगत रखी जाए तभी सचची शानत काम होगी

वि उपरोकत समत उपारो क बािजि कोई िश सीमा का उललिघन करत हए िसर िश पर आकरमण करता ह और उसक पराकवतक ससाzwjधनरो को अापणण ढग स अपन अवzwjधकार म लिन की खोज म ह तो ऐसी नथवत म िसर िशरो को ऐसा अताचार रोकन क वलिए वनशच ही उपा करन चावहए परत उनको भी ऐसा करत सम ा स काम लिना चावहए

का णिाही करन क वलिए पररनथवता जो वक कआणनी वशकाओ पर आzwjधाररत ह पवितर कआणन की सरह अलिहजरात आत - 10 म वितारपिणक िणणन हई ह जो ह वशका िती ह वक जब िो िशरो का आपस म वििाि हो और ह वििाि दध का रप zwjधारण कर लि तो िसरी सरकाररो को कठोरता क साथ उह िाताणलिाप की सलिाह िनी चावहए तावक िह िाताणलिाप क दारा एक समझौत और मतरी की ओर

104 विशव सकट तथा शानत-पथ

आ सक और वि िोनरो सिरो म स कोई समझौत की शतषो को नही मानता और दध छड िता ह तो िसर िशरो को स कत होकर अताचार करन िालि स लिडना चावहए और जब अताचार करन िालिी जावत परावजत हो जाए और ऐस िाताणलिाप करन पर सहमत हो जाए तो समत पावटर रो को एक ऐस समझौत का परास करना चावहए जो थाी शानत और सलिह का कारण हो ऐसी कठोर और अापणण शतषो को वकसी िश पर न थोपा जाए जो वकसी िश क हाथरो को बाzwjध ि करोवक भविषzwj म िह ऐसी अशानत का कारण बनगी जो भडकगी और फलिगी ऐसी अशानत क फलििरप और अवzwjधक अशानत उतपन होगी

ऐसी पररनथवतरो म जहा एक मधथ सरकार िोनरो पकरो क मध सवzwjध कराना चाहती ह तो उस शदध नीत और वबलकलि वनषzwjपकता स काम करना चावहए और ह वनषzwjपकता इस नथवत म थाित रहनी चावहए चाह कोई पक इस क विरदध भी बोलिता हो अत ऐसी पररनथवतरो म भी मधथ को करोzwjध परकट नही करना चावहए उस बिलिा लिन की ताक म नही रहना चावहए और न ही उस अापणण ढग स ह काण करना चावहए समत पकरो को उनक उवचत अवzwjधकार विए जान चावहए

अत ा की मागरो को परा करन क वलिए ह आिशक ह वक ि िश जो सवzwjध करा रह हरो ि अपन वनतिगत वहतरो को परा करन की टोह म न हरो और न ही िोनरो म स वकसी िश स अनवचत लिाभ परापत करन का परास कर रह हरो उह अापणण हतकप नही करना चावहए अथिा िोनरो पकरो म स वकसी एक पर अनवचत िबाि नही िालिना चावहए तथा वकसी िश क पराकवतक ससाzwjधनरो का अनवचत लिाभ

105शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

नही उठाना चावहए ऐस िशरो पर अनािशक और अनवचत परवतबzwjध नही लिगान चावहए करोवक न तो ह ा ह और न ही ह िशरो क मध सबzwjधरो को सzwjधारन का साzwjधन वसदध हो सकता ह

सम का धान रखत हए मन बात बड सकप म िणणन की ह साराश ह वक वि हम ससार म शानत थावपत करन क इचछछक ह तो हम अपन वनतिगत वहतरो को एक ओर छोडना होगा और उसक थान पर राषzwjटरी वहतरो की एक बडी भलिाई क वलिए हम ऐस परपर सबzwjध काम करन हरोग जो पणणता ा पर आzwjधाररत हरो अथा आप म स कछ मझ स सहमत हरोग वक राजनीवतक गठबzwjधनरो क कारण भविषzwj म लिाक बन सकत ह और म तो कहता ह वक िह बनना आरभ हो गए ह और वफर ह िर नही वक विशि म अशानत फलिती चलिी जाए जो अतत एक बडी तबाही और विनाश का कारण बन जाए ऐस विनाश और दध क परभाि वनशच ही कई पीवढरो पर वापत हरोग अत अमरीका को विशि की सबस बडी शनति होन की दनटि स िातविक ा को काम म लिात हए सिzwjभािना क साथ जसा वक मन िणणन वका ह अपनी भवमका वनभानी चावहए वि अमरीका ऐसा करता ह तो विशि हमशा उसक महान परासरो को बडी परशसा क साथ मरण रखगा मरी ह िआ ह वक ह बात िातविकता बन जाए

आप सब कज बहत-बहत ियवजद हमारा ह वनम ह वक हम वकसी आोजन क समापन पर

समाता खामोशी क साथ िआ करत ह अत म िआ कराऊगा और अहमिी भी मर अनसरण म िआ करग आप सब हमार अवतवथ अपनी पदधवत क अनसार ह िआ कर सकत ह

शजनत की कजी mdash मवशव-एकतजरोवपन पावलिणामट

बरसलज बनलजम 2012

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba being welcomed by Martin Schulz President of European Parliament

His Holiness leading silent prayer at conclusion of the European Parliament event Seated to his right Dr Charles Tannock (MEP-UK) left Rafiq Hayat (National Amir AMA UK)

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba delivers the keynote address at the European Parliament event

Press Conference with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba at European Parliament Seated with His Holiness is Dr Charles Tannock (MEP-UK and Chair of European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group)

Tunne Kelam (MEP Estonia amp Vice-Chair of European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group) meeting with His Holiness

Phil Bennion (MEP West Midlands and member of European Parliamentrsquos South Asia Delegation) meeting with His Holiness

पररचय

विनाक 3 तथा 4 विसमबर 2012 को हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम क पाचि उततरावzwjधकारी तथा विशववापी जमाअत अहमविा क परमख हजरत खलिीफतलि मसीह पचम (अलाह तआलिा आपकी सहाता कर) न बरसलज म रोपीन पावलिणामट क अपन परथम िौर क अतगणत 30 िशरो का परवतवनवzwjधति कर रह 350 स अवzwjधक गणमा अवतवथरो स भरी सभा म एक महतिपणण ऐवतहावसक भाषण विा इस सभा का आोजन lsquoफरडस ऑफ अहमविा मनलिमसrsquo जो वक रोवपन पावलिणामट गरप का एक नि-वनवमणत सघ ह क अधक िा चालसण टनक (MEP UK) दारा वका गा था ह रोवपन पावलिणामट क सिरो का एक अवखलि रोपी तथा अवखलि पाटगी सघ का वजसका गठन रोवपन पावलिणामट म अहमविा मनलिम जमाअत का विकास करन तथा रोप एि विशव क अ भागरो म इस जमाअत क वहतरो क तर ऊचा करन क उदश स वका गा ह

112 विशव सकट तथा शानत-पथ

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब (अलाह आपकी सहाता कर) न अपन िौर क अतगणत कई पावलिणामट क सिरो और उचच पिावzwjधकारररो स कई भट की वजन स आपन भट की उनम वनमनवलिवखत हनता भी सनममवलित ह ः-

Dr Charles Tannock (MEP-UK)mdashMember of the European Parliament Foreign Affairs Committee Member of the Sub-Committee on Human Rights Vice-Chair of the Parliamentary Delegation for relations with the NATO Parliamentary Assembly and Chair of the European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group

Tunne Kelam (MEP-Estonia)mdashMember of the European Parliamentrsquos Foreign Affairs Committee the Sub-Committee on Security and Defence and Vice-Chair of the European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group

Claude Moraes (MEP-UK)mdashVice-Chair of the Delegation for Relations with the Arab Peninsula Member of the Committee on Civil Liberties Justice and Home Affairs Deputy Leader of the European Parliamentary Labour Party and Vice-Chair of the European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group

Barbara Lochbihler (MEP-Germany)mdashChair of the European Parliament Sub-Committee on Human Rights

Jean Lambert (MEP-UK)mdashChair of the European Parliament South Asia Delegation

113पररच

Phil Bennion (MEP-UK)mdashMember of the European Parliament South Asia Delegation and Chairman of the LibDem European Group

विनाक 4 विसमबर 2012 को मख आोजन एि हजरत खलिीफतलि मसीह पचम क मख भाषण स पिण रोवपन पावलिणामट क परस कक म एक अतराणषटी परस काफस का आोजन वका गा चालिीस वमनट की इस परस काफस वजसम वबरटन पन फास बनलजम पावकतान एि अ िशरो क पतरकार एि मीविा परवतवनवzwjध सनममवलित थ म हजर न विवभन पतरकाररो क परशनरो का उततर विा बीबीसी क परवतवनवzwjध क एक परशन वक lsquoविशव म इलिाम की भवमका का हrsquo क उततर म हजर न कहा ldquoइलिाम का शानत का सिश विशववापी ह इसी वलिए हमारा आिशण िाक ही ह lsquoपरम सब क वलिए घणा वकसी स नहीrsquo पन क एक पतरकार क एक परशन क उततर म हजर न कहा वक सभी परमख zwjधमषो न मलितः शानत का सिश ही विा था अतः सचच मसलिमान सभी अिताररो पर ईमान लिात ह परतक अितार न ही सिश विा वक परमातमा एक ह मालटा क पतरकार क एक परशन का उततर ित हए हजर न कहा वक अहमिी मसलिमानरो का ह कततणव ह वक ि मानिता को परमातमा क समीप लिाए और विशव की जनता को एक िसर क अवzwjधकाररो का सममान एि रका हत उनक कततणव क परवत जागत कर

मख सभा क आोजन क सम सभा-थलि शोताओ स खचाखच भरा हआ था lsquoरावपन पावलिणामट फरडस ऑफ अहमविा मनलिम गरप क अधक तथा सभी उप-अधक विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब का िागत

114 विशव सकट तथा शानत-पथ

करन क वलिए टज तक आए मावटरन शलज MEP एि रोवपन पावलिणामट क अधक विशष रप स भट करन क वलिए पzwjधार हजर क मख भाषण स पिण रोवपन पावलिणामट क विवभन सिरो न सभा को समबोवzwjधत करत हए अहमविा मनलिम जमाअत दारा परवतपावित शानतपणण इलिाम क समबzwjध म अपनी ओर स परशसा वति की िा चालसण टनक MEP एि रोवपन पावलिणामट फरिस आफ अहमविा मनलिम गरप क अधक न कहा ः ldquoअहमिी मसलिमान विशव म सहनशीलिता का एक हषणिाक एि अवभनिी उिाहरण हrdquo

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह एि परमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत का ऐवतहावसक भाषण पाठकरो क वलिए परतत वका जा रहा ह

शजनत की कजी mdash मवशव-एकतज

वबनमलावहररहमावनररहीमपरारभ करता ह अलाह क नाम स जो अनत कपालि तथा िालि ह

सभी परवतनषठत अवतवथो असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातोहसिणपरथम म इस सभा क आोजकरो क परवत अपना आभार परकट

करना चाहता ह वजहरोन मझ रोवपन पावलिणामट म आप सब को समबोवzwjधत करन का अिसर परिान वका म विवभन िशरो क सभी परवतवनवzwjध मणिलिरो तथा अ अवत व थरो का भी zwjधिाि करना चाहता ह जो अतत परास करक इस सभा म पzwjधार ह

जो लिोग अहमविा मनलिम जमाअत स भलिी भावत पररवचत ह अथिा जो इस जमाअत स पणणता पररवचत नही तथा वजनक वनतिगत तर पर अहमविरो स समबzwjध ह ि सभी इस बात स पणणता अिगत ह वक हम एक जमाअत क रप म शानत एि सरका की थापना क वलिए वनरतर विशव का धानाकषणण करात रहत ह वनसिह हम इन उदशरो की पवतण

116 विशव सकट तथा शानत-पथ

क वलिए अपन उपलिzwjध साzwjधनरो क दारा भरसक परतन भी करत ह अहमविा जमाअत क परमख होन क नात म जब भी अिसर परापत

होता ह वनवमत रप स इन समाओ क समबzwjध म बात करता ह शानत और परपर परम की आिशकता क समबzwjध म बात करन का कारण ह नही ह वक अहमविा मनलिम जमाअत कोई निीन वशका परतत कर रही ह वनसिह अहमविा जमाअत क स थापक क आगमन का एक परमख उदश शानत और सौहािण की थापना था परत िातविकता ह ह वक हमार सभी कमण और का ण उन वशकाओ क अनरप ह जो इलिाम क सथापक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम पर उतरी थी

हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क ग क 1400 िषण उपरात िभाणगिश अवzwjधकतर मसलिमानरो न आपकी लिाई हई पवितर वशकाओ को भलिा विा अतः हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की भविषzwjिाणी क अनसार परमातमा न इलिाम को पनः जीवित करन हत हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब काविानी स थापक अहमविा मनलिम जमाअत को भजा मरा आप स अनरोzwjध ह वक जब म शानत और समि एि एकता क परोतसाहन क समबzwjध म इलिामी वशकाओ का िणणन करगा तो आप इस बात को अपन सममख रख

म ह भी िणणन करना चाहता ह वक lsquoशानतrsquo और lsquoसरकाrsquo क विवभन रप एि पक ह परतक रप अथिा पक अपनी पररवzwjध म महतिपणण ह परत इसक साथ साथ एक रप का िसर रप स अतसणमबzwjध उसस भी अवzwjधक महति रखता ह उिाहरणता समाज म शानत का मलि आzwjधार एक पररिार की आतररक शानत और सौहािण

117शानत की कजी mdash विशव-एकता

ह एक पररिार की आतररक नथवत किलि उसी पररिार तक सीवमत नही रहती परत इसका परभाि उस कतर विशष की शानत पर भी पडता ह और फलििरप ह नथवत पर शहर की शानत को भी परभावित करती ह वि पररिार म अविथा होगी तो थानी कतर पर इस का परवतककलि परभाि पडगा और अततः इस का िषzwjपरभाि पर कब अथिा शहर पर भी पडगा इसी परकार एक कब अथिा शहर की पररनथवत समच िश की शानत को परभावित करती ह और अततः समच विशव की शानत और एकता को भी परभावित करती ह अतः ह पटि ह वक वि आप शानत क एक पक अथिा रप पर भी चचाण करना चाह तो आपको जात हो जाएगा वक इसकी पररवzwjध सीवमत नही रखी जा सकती अवपत इस का कतर वितत होता जाता ह इसी परकार हम िखत ह वक जहा भी शानत का अभाि होता ह तो उस समा का समाzwjधान करन क वलिए ितणमान पररनथवतरो तथा शानत और सरका क उन पकरो का वजन का उलघन वका गा ह को दनटिगत रखत हए विवभन परकार क उपा करन पडत ह वि हम इन बातरो को सममख रखग तो पटि ह वक इस पर पणण चचाण करन और इन समाओ का समाzwjधान ढढन क वलिए जो सम उपलिzwjध ह उसस भी कही अवzwjधक सम की आिशकता ह वफर भी म इलिाम की िातविक वशकाओ क कछ पक परतत करन का परतन करगा

आzwjधवनक ग म हम िखत ह वक इलिाम पर कई आरोप लिगाए जात ह और मख रप स zwjधमण को अशानत और कलिह का उततरिाी ठहराा जाता ह जबवक lsquoइलिामrsquo शि का अथण ही शानत और सरका ह और इलिाम िह zwjधमण ह वजसन शानत की थापना क समबzwjध म

118 विशव सकट तथा शानत-पथ

विशष मागणिशणन वका ह और उस उदश की पवतण क वलिए कछ वनम वनविणटि वकए ह वफर भी इलिाम पर ऐस आरोप लिगाए जात ह इलिाम की िातविक और शानतपणण वशकाओ का रप आपक सममख रखन स पिण म विशव की ितणमान नथवत पर एक सवकपत दनटि िालिना चाहता ह मझ विशवास ह वक आप पहलि ही इन पररनथवतरो स भलिी भावत पररवचत हरोग वफर भी म उनका िणणन करना चाहता ह तावक जब म शानत और एकता क समबzwjध म इलिाम की वशकाओ का िणणन कर तो आप इन को दनटिगत रख सक हम सभी इस बात को जानत ह और िीकार करत ह वक आज ससार एक विशव-गराम का रप zwjधारण कर चका ह हम सभी विवभन साzwjधनरो दारा चाह ि ाताात क आzwjधवनक साzwjधन हरो चाह परचार एि परसार क साzwjधन तथा इटरनट हो अथिा अ साzwjधन हरो परपर जड हए ह इन सब साzwjधनरो क फलििरप विशव क िश पहलि स कही अवzwjधक परपर वनकट आ गए ह हम ह भी िखत ह विशव क परमख िशरो म परतक जावत zwjधमण और विवभन नागररकता रखन िालि लिोग बस गए ह और परपर वमलि कर रहत ह वनसिह बहत स िशरो म वििशी परिावसरो की एक बहत बडी सखा ह परिासी अब उन िशरो म इतनी सदढता स िहा क समाज का अग बन चक ह िहा की सरकार अथिा थानी वनिावसरो क वलिए उह विथा वपत करना अतत कवठन ही नही अवपत असमभि परतीत होता ह दवप वििशी परिावसरो क आगमन को रोकन क वलिए परास वकए गए ह और कछ परवतबzwjध भी लिाग वकए गए ह तथावप अब भी ऐस विवभन मागण ह वजन क दारा एक िश का नागररक वकसी अ िश म परिश कर सकता ह वि अिzwjध परिास को एक ओर रख ि

119शानत की कजी mdash विशव-एकता

तो वनसिह कछ ऐस अतराणषटी वनम मौजि ह वजन क अतगणत उन लिोगरो को सहाता परिान की जाती ह जो उवचत कारणरो स अपना िश छोडन पर वििश हो जात ह

हम ह भी िखत ह वक इस विशालि तर पर लिोगरो क परिास क फलििरप कछ िशरो म वचता और बचनी फलि रही ह इस का उततरिावति िोनरो पकरो परिावसरो तथा थानी नागररकरो पर ह एक ओर कछ परिासी थानी लिोगरो को उततवजत करत ह तो िसरी ओर कछ थानी वनिासी असहनशीलिता और अनिारता का परिशणन करत ह कभी-कभी घणा की ह जवालिा भकर रप zwjधारण कर लिती ह विशषकर कछ परिासी मसलिमानरो क परवतककलि विहार की परवतवकरा म पनचिमी िशरो क थानी नागररकरो की ओर स विशष रप स इलिाम क विरदध घणा और िमन की भािना का परिशणन वका जाता ह ह रोष और परवतवकरा किलि सीवमत तर पर नही होती अवपत ह अपनी चरम सीमा तक पहच सकती ह और पहचती भी ह इसीवलिए पनचिमी िशरो क नता वनवमत रप स इन समाओ क समबzwjध म चचाण करत रहत ह

इसी वलिए कभी-कभी हम िखत ह वक जमणनी क चासलिर मसलिमानरो को जमणनी का अवभन अग बतात ह क क परzwjधानमतरी इस बात की आिशकता पर बलि ित ह वक मसलिमानरो को समाज का अवभन अग बनना चावहए और कछ िशरो क नताओ न तो मसलिमानरो को चतािनी तक ि िी ह

आतररक कलिह और वििाि की नथवत वि और अवzwjधक वबगड नही रही वफर भी वननचित रप स ह वचता का विष बन चकी ह

120 विशव सकट तथा शानत-पथ

समा वबगड कर शानत क विनाश का कारण बन सकती ह इस म कोई सिह नही रहना चावहए वक इन वििािरो का िषzwjपरभाि किलि पनचिमी िशरो तक सीवमत रहगा अवपत इसस समचा विशव और विशषकर मनलिम िश इसस परभावित हरोग अतः नथवत म सzwjधार पिा करन तथा शानत को बढािा िन क वलिए आिशकता ह वक सभी िगण एकजट हो कर काण कर सरकाररो को ऐसी नीवता बनानी चावहए वजनस शानत की थापना हो और वजनक दारा परतक क सममान की सरका हो और िसररो की भािनाओ को आहत करन अ थिा उह वकसी परकार की हावन पहचान जसी गवतविवzwjधरो को गर-काननी घोवषत वका जाना चावहए

परिासी नागररकरो क सबzwjध म ह कहना चाहता ह वक ि थानी समाज और लिोगरो का अवभन अग बनन की इचछा स वकसी िश म परिश कर और थानी लिोगरो को चावहए वक ि उिारता और सहनशीलिता का परिशणन कर इस क अवतररति ह बात भी ह वक किलि मसलिमानरो पर कछ परवतबzwjध लिगान स शानत थावपत नही हो सकती करोवक किलि इन क दारा लिोगरो क विचाररो म पररितणन नही लिाा जा सकता ह किलि मसलिमानरो क वलिए ही विशष नही अवपत वकसी भी वनति पर वि उसक zwjधमण और आथा क आzwjधार पर परवतबzwjध लिगाा जाए तो इसकी परवतवकरा क फलििरप ग भीर रप स शानत भग होगी जस वक म पहलि िणणन कर चका ह वक कछ िशरो म वििाि बढ रह ह विशषकर परिासी और थानी नागररकरो क मध ह पटि ह वक िोनरो पकरो म सहनशीलिता का अभाि पिा हो रहा ह रोपी नतति को इस िातविकता को िीकार करना चावहए और समझना चावहए

121शानत की कजी mdash विशव-एकता

वक zwjधावमणक सममान और परपर सहनशीलिता की थापना उनका कततणव ह परतक रोपी िश म आतररक रप स और रावपन तथा मनलिम िशरो क मध सौहािण क िातािरण को परोतसावहत करन क वलिए ह अवत आिशक ह तावक विशव की शानत भग न हो

म ह िीकार करता ह इन वििािरो और मतभिरो का कारण किलि zwjधमण ा आथाए नही ह और न ही ह पनचिमी एि मनलिम िशरो क मध मतभिरो का परशन ह िततः इस अशानत का मख और मलि कारण अतराणषटी आवथणक सकट ह जब आवथणक सकट नही था तो वकसी को परिावसरो क आगमन की वचता नही थी परत अब नथवत बिलि चकी ह जो इस ितणमान वििाि का कारण ह इसक रोपी िशरो क परपर समबzwjधरो पर भी परवतककलि परभाि पडा ह और फलििरप कछ रोपी िशरो क लिोगरो म परपर रोष एि करोzwjध की भािना वनरतर बढ रही ह ह पररनथवत परतक थान पर िखी जा सकती ह

रोपी सघ का गठन रोपी िशरो की एक महतिपणण उपलिनzwjध ह करोवक ह इस महादीप की एकता का एक साzwjधन ह अतः आप सभी क परपर अवzwjधकाररो का सममान करक इस एकता की सरका क वलिए भरसक परास करना चावहए सामा जनता म जो वचता अथिा भ ह उसका वनिारण करना चावहए एक िसर क समाज क वलिए आपको परपर एक िसर स उवचत और िातविक मागरो को िीकार करन क वलिए त ार रहना चावहए वनसिह ह भी आिशक ह वक परतक िश की जनता की माग उवचत और ा पर आzwjधाररत हरो

मरण रह वक एकता म और सगवठत रहन म रोप की शनति

122 विशव सकट तथा शानत-पथ

वनवहत ह ह एकता आपको न किलि रोप म लिाभकारी वसदध होगी अवपत अतराणषटी तर पर इस महादीप को अपनी शनति और परभाि थावपत करन म सहाक वसदध होगी सत तो ह ह वक वि इलिामी दनटिकोण स िखा जाए तो हम समच विशव की एकता क वलिए सघषण और परास करना चावहए पर विशव म मदरा Currency एक समान होनी चावहए वापार और िावणज की दनटि स विशव को एक होना चावहए और परिास और िततर थानातरण क समबzwjध म समानता और एकता पर आzwjधाररत वािहाररक नीवता बनानी चावहए वजस क दारा समचा विशव एक हो जाए साराश ह वक सभी िशरो को परपर सहोग करना चावहए तावक अनकता क थान पर एकता हो वि नीवता अपनाई जाए तो शीघर ही ितणमान वििािरो का अत हो जाएगा और शानत और परपर सममान की भािना थावपत हो जाएगी परत शतण ह ह वक परतक िश िातविक ा क मागण पर चलित हए अपन कततणव को समझ मझ बड खि स ह कहना पड रहा ह दवप ह एक इलिामी वशका ह वफर भी ि मनलिम िश परपर एकवतरत होन म विफलि रह ह वि मनलिम िश एक हो कर परपर सहोग करत तो उह अपनी आतररक समाओ क समाzwjधान और आिशकताओ की पवतण क वलिए सिि पनचिमी िशरो स सहाता न लिनी पडती

इस क पचिात अब म विशव म वचरथाी शानत की थापना क सबzwjध म िातविक इलिामी वशकाओ का िणणन करगा सिणपरथम ह वक इलिाम की ह मलि और आzwjधारभत वशका ह वक सचचा मसलिमान िह ह वजसकी जबान और हाथ स अ सभी शानतवपर लिोग सरवकत रह ह ह एक मसलिमान की पररभाषा जो हजरत महममि सललाहो

123शानत की कजी mdash विशव-एकता

अलिवह िसलम न िणणन की ह इस मलि और स िर वसदधात को सनन क पचिात का इलिाम पर कोई आरोप लिगाा जा सकता ह किावप नही इलिाम ह वशका िता ह वक किलि ि लिोग िणिनी ह जो अपनी जबान और हाथरो स अा और घणा फलिात ह अतः थानी एि अतराणषटी तर पर वि सभी िगण इस िवणणम वसदधात की सीमा का उलघन न करत तो कभी भी zwjधावमणक अविथा की नथवत उतपन न होती कभी भी राजनीवतक वििाि न होता न ही शनति परापत करन की इचछा और लिालिच क कारण उतपन होन िालिी अविथा होती वि इन इलिामी वसदधातरो का अनसरण वका जाए तो राषटी तर पर सामा जनता एक िसर क अवzwjधकाररो की रका और भािनाओ का सममान करगी और सरकार अपन तर पर सभी नागररकरो की सरका करन क अपन कततणव को परा करगी इसी परकार अतराणषटी तर पर परतक िश िसर िश क साथ सचची सहानभवत और िा की भािना स सहोग करगा

एक अ मख वसदधात जो इलिाम हम वसखाता ह िह ह ह वक सभी िगषो क वलिए अवनिा ण ह वक शानत को बढािा िन क अपन परासरो स ि किावचत वकसी परकार का गिण अथिा अवभमान का परिशणन न कर हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न पणण रप स ह पटि कर विा ह वक न वकसी कालि को गोर पर और न ही वकसी गोर को कालि पर कोई शषठता परापत ह न ही वकसी रोपिासी को वकसी अ िश क नागररक पर और न ही अफीका एवशा अथिा विशव क वकसी अ भाग क नागररक को वकसी रोपिासी पर कोई शषठता परापत ह राषटीता रग अथिा जावत का अतर किलि पहचान क वलिए ह

िातविकता ह ह वक ितणमान ग म हम सभी एक िसर पर

124 विशव सकट तथा शानत-पथ

वनभणर ह आज रोप और सति राज अमररका जसी महाश नतिा भी िसररो स पणणता अलिग थलिग रह कर जीवित नही रह सकती अफीकी िश पथक रह कर समदध बनन की आशा नही कर सकत और इसी परकार एवशाई िश अथिा विशव क वकसी अ भाग क वनिासी शष ससार स अलिग रह कर समदध नही बन सकत उिाहरण क रप म वि आप अपनी आवथणक नथ वत को विकवसत और उनत करन क अवभलिाषी ह तो आपको अतराणषटी वापार को िीकार करन क वलिए त ार रहना चावहए ितणमान ससार वकस परकार आतररक रप स परपर जडा हआ ह ह तथ इस उिाहरण स भलिी भानत पटि हो जाता ह वक गत कछ िषषो म उतपन रोपी अथिा वि शव आवथणक सकट का परवतककलि परभाि परतक िश पर वकसी न वकसी रप स पडा ह इसी परकार विजान तथा अ कतररो म उनवत और कौशलि परापत करन क वलिए परतक िश को एक िसर स अवनिा ण रप स सहोग करना पडता ह

हम ह मरण रखना चावहए सिणशनतिमान परमातमा न ससार क सभी लिोगरो चाह ि अफीका क हरो ा रोप ा एवशा अ थिा वकसी अ थान क हरो को महान बौवदधक शनतिा तथा ोगताए परिान की ह वि सभी िगण अपनी ईशवर-परितत ोगताओ को मानिता की भलिाई क वलिए था-समभि उपोग कर तो ह विशव शानत का कदर बन सकता ह वि विकवसत िश विकासशीलि अथिा अलप विकवसत िशरो की उनवत एि परगवत को अिरोवzwjधत करन का परास करग और उनक िशरो क परवतभाशालिी और ोग लिोगरो को उवचत अिसर उपलिzwjध नही कराएग तो वनसिह शका और वचता बढगी और इसक फलििरप उतपन होन िालिी अशानत अतराणषटी शानत एि सरका का विनाश कर िगी

125शानत की कजी mdash विशव-एकता

शानत क विकास क वलिए इलिाम न िसरा वसदधात ह परतत वका ह वक हम िसररो क परवत अा को सहन नही करना चावहए जसा वक हम अपन अवzwjधकाररो का भी हनन नही होन ित ठीक इसी परकार हम िसररो क अवzwjधकाररो क हनन को भी सहन नही करना चावहए इलिाम की ह वशका ह वि कही परवतशोzwjध लिना अवनिा ण हो तो िह वकए गए अताचार क समानपाती होना चावहए परत वि कमा करन स सzwjधार समभि हो तो विकलप को अपनाना चावहए सzwjधार सलिह और वचरथाई शानत की थापना ही िातविक एि मख उदश होन चावहए परत िाति म ितणमान ग म हो का रहा ह वि कोई अपराzwjध ा अा करता ह तो पीवडत वनति इस रप म परवतशोzwjध लिना चाहता ह जो वक उस पर वकए गए मलि अा अथिा अताचार की तलिना म कही अवzwjधक हो और पणणता अनपात म उसस कही बढ कर हो

थाित ही नथवत इसाईलि और वफलितीन क वििाि म आजकलि हम िख रह ह विशव की महाशनतिरो न परतक रप स सीररा लिीवबा और वमस की पररनथवतरो पर अपना रोष और वचता परकट की ह जबवक ह कहा जा सकता ह वक मलि रप म उनक िश क आतररक मामलि ह परत ह महाशनतिा ऐसा परतीत होता ह वक वफलितीन की जनता क परवत लिशमातर भी वचनतत नही ह अथिा इतन वचवतत नही ह वजतना होना चावहए इन िोहर मापिणिरो क कारण मनलिम िशरो की परजा म विशव की महाशनतिरो क परवत दष और रोष की भािना म िवदध हो रही ह ह रोष और शतरता अतवzwjधक हावनकारक ह और वकसी भी सम ह अपनी चरम सीमा तक पहच कर विधिस का कारण बन सकती ह इसका पररणाम का होगा विकासशीलि

126 विशव सकट तथा शानत-पथ

िशरो को इसस वकतनी हावन होगी का ि जीवित रहन क ोग भी हरोग विकवसत िशरो पर इसका वकस सीमा तक परभाि पडगा किलि परमातमा ही इन परशनरो क उततर जानता ह न म इन परशनरो का उततर ि सकता ह और न ही कोई अ एक बात जो वननचित ह िह ह ह वक विशव-शानत का विनाश हो जाएगा

पटि रह वक म वकसी िश विशष का समथणन नही कर रहा म किलि ह कहना चाहता ह वक अताचार क परतक रप का चाह िह कही भी पाा जाता हो का उमलिन वका जाना चावहए और उस का अत वका जाना चावहए चाह अताचार वफलितीन की जनता कर रही हो अथिा इसाईलि क लिोग कर रह हरो अथिा वकसी अ िश क लिोग कर रह हरो अताचाररो का अत होना चावहए करोवक वि इह रोका न गा तो घणा की जवालिा समपणण विशव को अपनी चपट म उस सीमा तक लि लिगी वक सामा जनता शीघर ही ितणमान आवथणक सकट की समाओ को भलि जाएगी और इसक थान पर उह कही अवzwjधक भकर पररनथवतरो स जझना पडगा इतन विशालि तर पर जन हावन होन की आशका ह वक वजसकी हम कलपना भी नही कर सकत

अतः रोपी िशरो वजहरोन न वदती विशव दध म बहत बडी हावन उठाई ह का कततणव ह वक ि अतीत क विनाश स सीख लि और विशव को विनाश स बचाए इसक वलिए उह ा की मागरो को परा करना होगा और अपन कततणवरो को समझन क वलिए ततपर होना होगा

इलिाम न वनषzwjपक और ापणण ढग स विहार की आिशकता पर बहत बलि विा ह इलिाम ह वशका िता ह वक वकसी भी िगण को अनवचत रप स शषठता ा परzwjधानता न िी जाए और न ही वकसी का

127शानत की कजी mdash विशव-एकता

अनवचत समथणन वका जाए ऐसा होना चावहए वक अपराzwjधी चाह िह वकतना ही विशालि और शनतिशालिी हो उस को ह जात होना चावहए वक वि िह वकसी िश क विरदध अापणण काणिाही करन का परास करगा तो अतराणषटी समिा उसको इसकी अनमवत नही िगा वि सति राषट क सभी िश रोपी सघ स लिाभानित होन िालि सभी िश त था ि िश जो महाशनतिरो क परभािाzwjधीन ह और अविकवसत िश इस वसदधात को िीकार करन क वलिए तार हरोग तो ही शानत का उि होगा

एक अ बात ह ह वक िातविक रप स ा तभी थावपत हो सकगा वि स ति राषट सघ म िीटो शनति अवzwjधकत िशरो को इस बात का अनभि हो जाए वक ि अपनी काणिाही क परवत उततरिाी हरोग म इस स भी बढ कर ह कहना चाहता ह वक िीटो शनति का अवzwjधकार शानत की थापना म किावचत सहाक वसदध नही हो सकता करोवक ह पटि ह वक सभी िश एक समान तर पर नही ह इस िषण क आरभ म भी मन स ति राज अमररका क कवपटलि वहलि म अगरगण राजनीवतजरो एि नीवत वनमाणताओ की एक सभा को समबोवzwjधत करत हए इसी तथ का िणणन वका था वि हम सतिराषट सघ म मतिान क इवतहास का अधन कर तो जात होगा वक िीटो शनति का उपोग सिि उन पीवडत िशरो अथिा ासगत काणिाही करन िालि िशरो की सहाता क वलिए नही वका गा िाति म हम जात होता ह वक कछ अिसररो पर अताचार को रोकन क थान पर उसकी सहाता करन हत िीटो शनति का िरपोग वका गा ह कोई वछपी हई अथिा अजात िातविकता नही ह कवतप टीकाकार वनभणतापिणक

128 विशव सकट तथा शानत-पथ

इस िातविकता का िणणन करत ह अथिा वलिखत हइलिामी वशका का एक अ सिर वसदधात ह ह वक समाज म

शानत थावपत करन क वलिए करोzwjध का शमन वका जाए न वक उस ा और ईमानिारी क वसदधातरो पर विजी होन विा जाए इलिाम क आरवभक ग का इवतहास इस बात का साकी ह वक सचच मसलिमानरो न सिि इस वसदधात का पालिन वका और वजहरोन इसका उलघन वका हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न उनकी घोर वनिा और भतसणना की परत िभाणगिश आज ऐसा नही होता ऐसी घटनाए मौजि ह वक सवनकरो ा वसपावहरो न वजह शानत-थापना क वलिए भजा जाता ह वनविणटि उदशरो क सिणथा विपरीत विहार वका ह उिाहरण िरप कछ िशरो म वििशी सवनकरो न विरोवzwjधरो क मत शरीररो क साथ अतत अपमानजनक और घणातमक ढग स िव णिहार वका का इस परकार शानत थावपत की जा सकती ह ऐसी घटनाओ की परवतवकरा किलि पीवडत िश तक सीवमत नही रहती अवपत पर विशव म इस का परिशणन होता ह वनसिह जब मसलिमानरो क साथ िव णिहार वका जाता ह तो उगर िभाि क मसलिमान दवप ह इलिामी वशकाओ क विपरीत ह इसका अनवचत लिाभ उठात ह और फलििरप विशव की शानत भग होती ह इलिाम ह वशका िता ह वक शानत किलि उसी सम थावपत की जा सकती ह जब पणणता वनषzwjपक रप स वनवहत िाथषो स ऊपर उठ कर और परतक परकार की शतरता की भािना को ताग कर अताचारी और पीवडत िोनरो की सहाता की जाए इस कतर म परतक पक को समान तर परिान करन स ही शानत थावपत होती ह

सीवमत सम क कारण म किलि एक और तथ का िणणन

129शानत की कजी mdash विशव-एकता

करगा इलिाम ह वशका िता ह वक िसररो क zwjधन अथिा ससाzwjधनरो को ईषzwjाण की भािना स न िखा जाए िसररो की समपवतत को हवथान का लिालिच नही करना चावहए करोवक इस स भी शानत का ढाचा धित हो जाता ह वि समदध िश अलप-विकवसत िशरो की समपिा और ससाzwjधनरो को अपनी आिशकताओ की पवतण क वलिए वनकालिन अथिा उपोग करन का परतन करग तो िाभाविक ह वक अशानत फलिगी जहा उवचत हो विकवसत िश अपनी सिाओ क बिलि उवचत और अलप मातरा म अपना भाग लि सकत ह जब वक ससाzwjधनरो का अवzwjधकतर भाग अविकवसत िशरो म जीिन तर को ऊचा उठान क वलिए परोग म लिाना चावहए उह विकवसत होन क अिसर उपलिzwjध कराना चावहए और विकवसत िशरो क तर तक पहचन क वलिए उनक परासरो म उनकी सहाता करनी चावहए करो वक किलि इसी नथवत म शानत थावपत हो सकती ह वि ऐस अविकवसत िशरो क नता ईमानिार नही ह तो पनचिमी िशरो अथिा विकवसत िशरो को चावहए वक ि उह अनिान िकर ि उनक िशरो म विकास काषो का सचालिन एि वनरीकण कर

अभी और बहत स तथ ह जो म आपक समक रख सकता ह परत सम क अभाि क कारण म किलि उही बातरो तक सीवमत रहगा वजनका म िणणन कर चका ह वनसिह जो कछ मन िणणन वका ह िह इलिाम की िातविक वशका को परिवशणत करता ह

एक परशन ह जो आपक मन म उठ सकता ह अतः म पहलि ही उस का समाzwjधान कर िता ह आप ह कहग वक वि इलिाम की िातविक वशकाए ह तो वफर मनलिम िशरो म ऐसी अविथा और अशानत करो विखाई िती ह इसका उततर म पहलि भी ि चका ह वक

130 विशव सकट तथा शानत-पथ

ितणमान ग को एक सzwjधारक की आिशकता ह जो वक हमार विशवास क अनसार िह अहमविा मनलिम जमाअत क स थापक ह हम अहमविा मनलिम जमाअत क सि सिि उनकी िातविक वशकाओ को अवzwjधक स अवzwjधक लिोगरो तक पहचान का भरसक परतन करत ह मरा आप स अनरोzwjध ह वक अपन-अपन परभािाzwjधीन कतररो म ह जागरकता पिा करन का भरपर परतन कर तावक विशव क परतक भाग म वचर थाी शानत की थापना हो सक

वि हम इस का ण म विफलि हो गए तो विशव का कोई भी भाग दध क विनाशकारी एि भकर पररणामरो स सरवकत नही रहगा मरी ह पराथणना ह वक सिणशनतिमान परमातमा ससार क लिोगरो को अपन वनवहत िाथषो स ऊपर उठ कर विशव को भािी विनाश स सरवकत रखन क परास करन का सामथ ण परिान कर ससार म अवzwjधकतम शनति आज पनचिम क विकवसत िशरो क पास ह अतः िसररो की अपका आप का अवzwjधक कततणव ह वक इन महतिपणण बातरो की ओर तरत धान ि

अत म म आप सब का हा आन क वलिए सम वनकालिन और मरी बातरो को सनन क वलिए पनः zwjधिाि करना चाहता ह परमातमा आप पर अपनी कपा कर आपका बहत बहत zwjधिाि

कयज िसलिजन पनचििी सिजज कज अि बन सकत ह

मनजि बतररशीिहमबगण जमणनी 2012

कयज िसलिजन पनचििी सिजज कज अि बन सकत ह

मनजि बतररशीिहमबगण जमणनी 2012

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba

delivers the keynote address at Baitur-Rasheed Mosque

कयज िसलिजन पनचििी सिजज कज अि बन सकत ह

वबनमलावहररहमावनररहीमसभी परवतनषठ त अवतवथो असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातोहसिणपरथम म उन सभी अवतवथरो क परवत अपना आभार परकट करना

चाहता ह वजहरोन इस समारोह म सनममवलित होन क वलिए हमार वनमतरण को िीकार वका आप म स कई सजजन हमारी जमाअत स भलिी भावत पररवचत ह अथिा अहमिी मसलिमानरो स उनक बहत परान मतरीपणण समबzwjध ह और मझ पणण विशवास ह वक वजनको अहमविा जमाअत स पररवचत हए अवzwjधक सम नही हआ उनक हिरो म भी जमाअत क विष म और अवzwjधक जानकारी परापत करन की तीवर इचछा उतपन हो चकी होगी आप सब की हा उपनथवत आपक इस विशवास का परतक परमाण ह वक अहमिी मसलिमानरो स समबzwjध रखन तथा उनकी मनजिरो म जान स कोई खतरा नही ह

िातविकता ह ह वक ितणमान पररनथवतरो म जबवक इलिाम क समबzwjध म अवzwjधकतर समाचार और सचनाए अतत नकारातमक िरप परतत करती ह तो आप म स जो मसलिमान नही ह उनक मन म अिश

136 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह भ उतपनन करन िालिी सोच पिा होगी वक अहमिी मन जि म जाना उनक वलिए कई सम ाओ का कारण बन सकता ह ा उह बहत बडी हावन भी पहच सकती ह परत जसा वक मन कहा ह वक आपकी हा उपन थवत इस विशवास का परमाण ह वक आपको अहमिी मसलिमानरो स कोई भ नही और आप उह अपन वलिए खतरा नही समझत ह वसदध करता ह वक आप अहमवि रो का आिर करत ह और उह अपन तथा अवzwjधकतर वनषठािान और वशटि लिोगरो क समान सचचा और सभzwj समझत ह

परत इसक साथ साथ म इस समभािना स भी इकार नही कर सकता वक आप म कछ लिोग ऐस भी हरोग जो दवप आज हा पzwjधार ह उनक मन म कछ सिह और वचताए हरोगी वक उनक हा आन क कछ परवतककलि पररणाम भी वनकलि सकत ह ह भी समभि ह वक आप को ह वचता हो वक एक िसर उगर िभाि और मानवसकता रखन िालि लिोगरो क साथ बठ हए ह वि आप म स वकसी क मन म ऐसी वचताए ह तो उह तरत अपन हि स वनकालि ि इस समबzwjध म हम अवत सचत और जागत ह और वि कोई ऐसा उगर परकवत वनति हमारी मनजि ा कतर म परिश करन का परास करगा तो हम उस हा स वनषzwjकावसत करन क वलिए कडी का णिाही करग अतः आप आशवत रह वक आप सरवकत थान पर ह अहमविा मनलिम जमाअत िाति म एक ऐसी जमाअत ह वक वि इसका कोई सि वकसी सम ा थान पर उगरिािी मानवसकता अथिा परिवतत का परिशणन ा कानन का उलघन करता ह ा शानत भग करता ह तो उस जमाअत स वनषzwjकावसत कर विा जाता ह हम ऐसी का णिाही करन क वलिए परवतबदध ह करोवक हम lsquoइलिामrsquo का पणण आिर करत ह वजसका शानिक अथण ही शानत एि सरका ह इलिाम शि का िातविक रप हमारी जमाअत न ही परिवशणत वका ह

137का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

इलिाम क इस िातविक रप क परिशणन की पिणसचना इलिाम क स थापक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न आज स 1400 स अवzwjधक िषण पिण अपनी एक महान भविषzwjिाणी म िी थी उस भविषzwjिाणी म हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न ह सचना िी थी वक एक ऐसा सम आएगा जब अवzwjधकतर मसलिमान इलिाम की िातविक और शदध वशकाओ को भलिा िग भविषzwjिाणी क अनसार ऐसा सम आन पर परमातमा िातविक इलिाम को ससार म पनः थावपत करन क वलिए एक सzwjधारक मसीह ि महिी क रप म भजगा

हमारा अथाणत अहमविा मनलिम जमाअत का ह विशवास ह वक हमारी जमाअत क सथापक हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब काविानी अलिवहसलिाम िही वनति ह जो उपरोति महान भविषzwjिाणी क अनसार भज गए ह परमातमा की कपा एि िा स ह जमाअत आज विशव क 202 िशरो म थावपत हो चकी ह इन म स परतक िश म हर िगण एि जावत स समबनzwjधत थानी लिोगरो न अहमवित को िीकार वका ह अहमिी मसलिमान होन क साथ-साथ ि अपन-अपन िश क िफािार नागररक क रप म अपनी भवमका भी वनभा रह ह उनक इलिाम क परवत शदधा परम और िश क परवत परम म वकसी परकार का कोई वििाि अथिा विरोzwjधाभास नही पाा जाता िततः िोनरो िफािाररा परपर जडी हई ह अहमिी मसलिमान जहा कही भी वनिास करत ह ि अपन िश क सभी नागररकरो स अवzwjधक कानन का पालिन करन िालि नागररक ह वनसिह म पणण विशवास क साथ ह कह सकता ह वक हमारी जमाअत क अवzwjधकतर सिरो म गण विदमान ह

इही गणरो क कारण जब भी अहमिी मसलिमान एक िश स िसर िश म परिास करत ह अथिा जहा क थानी लिोग अहमवित को

138 विशव सकट तथा शानत-पथ

िीकार करत ह तो उह नए समाज म घलि वमलि जान म कभी कोई भ ा वचता नही होती और न ही उह इस बात की वचता होती ह वक उनक नि-अगीकत िश क वहतरो का विशालि तर पर विकास करन म ि अपनी भवमका वकस परकार वनभाएग जहा भी अहमिी जात ह ि शष सभी सचच नागररकरो की भावत अपन िश स परम करत ह और अपन िश की भलिाई और उनवत क वलिए सवकर रप स परास करत हए अपना जीिनापन करत ह ह इलिाम ही ह जो हम इस परकार जीिन का वनिाणह करन की वशका िता ह और िातविकता ह ह वक इलिाम किलि इस का उपिश ही नही िता अवपत आिश िता ह वक हम अपन िश क परवत पणण िफािारी और शदधा रख हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न भी विशष रप स इस बात पर बलि विा था वक अपन िश स परम करना परतक सचच मसलिमान क ईमान का भाग ह अतः जब अपन िश स परम करना इलिाम का एक आzwjधारभत अग ह तो एक सचचा मसलिमान वकस परकार अपन िश स बिफाई अथिा दरोह करक अपन ईमान को नटि कर सकता ह जहा तक अहमिी मसलिमानरो का समबzwjध ह हमारी जमाअत की परतक सभा म सभी सि चाह ि परष तरी बचच अथिा बजगण हरो खड होकर परमातमा को साकी ठहरा कर एक परवतजा करत ह इस परवतजा म ि न किलि अपन zwjधमण अवपत अपनी कौम और िश क वलिए अपन पराण zwjधन सम और सममान ोछािर करन का परण करत ह अतः उन लिोगरो स अवzwjधक िश-भति नागररक और कौन हो सकता ह वजह वनरतर िश-सिा का पाठ पढाा जाता हो और बार-बार ह परवतजा लिी जाती हो वक ि अपन zwjधमण कौम और िश क वलिए परतक परकार का बवलििान करन क वलिए सिि ततपर रहग

कछ लिोगरो क मन म ह परशन उभर सकता ह वक हा जमणनी म

139का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

अवzwjधकतर मसलिमानरो की सखा उन की ह जो पावकतान तकगी अथिा अ एवशाई िशरो स आए ह तो जब िश क वलिए बवलििान का सम आन पर लिोग जमणनी की बजाए अपन मलि िश को परzwjधानता िग अतः म ह पटि करना चाहता ह वक जब कोई जमणनी अथिा वकसी अ िश की नागररकता िीकार कर लिता ह तो िह उस िश का पणण नागररक बन जाता ह इस िषण क आरभ म जमणन सना मखालि कोबलिज म अपन भाषण म मन ही बात कही थी मन इलिामी वशकाओ क दनटिकोण स ह पटि वका वक वि जमणनी का वकसी ऐस िश क साथ दध वछड जाए वजसक मलि नागररक न जमणनी की नागररकता िीकार की हो तो ऐसी पररनथवत म उस नागररक को वकस परकार विहार करना चावहए वि िह परिासी अपन मलि िश क परवत सहानभवत रखता ह और ह अनभि करता ह वक िह जमणनी को हावन पहचान का विचार उसक मन म आ सकता ह अथिा िह हावन पहचाएगा तो ऐस वनति को तरत अपनी नागररकता अथिा परिासी नागररक का अवzwjधकार ताग कर अपन मलि िश लिौट जाना चावहए परत वि उसी िश म रहन का विकलप अपनाना चाहता ह तो इलिाम किावचत वकसी परकार क िशदरोह की अनमवत नही िता ह असविगzwjध एि पटि वशका ह इलिाम वकसी भी परकार क विदरोह की वशका नही िता और न ही वकसी नागररक को अपन िश - मलि िश अथिा नागररकता क िश - क विरदध षितर करन अथिा उस वकसी परकार की हावन पहचान की अनमवत िता ह वि कोई वनति अपन नागररकता िालि िश क वहत क विरदध का ण करता ह ा उस कोई हावन पहचाता ह उस उस िश का शतर एि िशदरोही समझा जाना चावहए त था उस िश क कानन क अनसार िणि विा जाना चावहए

इसस एक परिासी मसलिमान की नथ वत पषzwjट हो जाती ह एक

140 विशव सकट तथा शानत-पथ

थानी जमणन अथिा वकसी अ िश क वनति वजसन अपना zwjधमण पररितणन करक इलिाम िीकार कर वलिा हो उस क समबzwjध म ह बात पणणता पटि ह वक उसक पास अपन महान िश क परवत असविगzwjध एि पणण िफािारी का परिशणन करन क अवतररति कोई अ विकलप नही ह एक अ परशन जो कभी-कभी पछा जाता ह िह ह ह वक ऐसी नथवत म पनचिमी िशरो क मसलिमानरो की कसी परवतवकरा होनी चावहए इस का उततर िन क वलिए म सिणपरथम ह कहना चाहता ह वक हमारी जमाअत क स थापक हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम न ह पटि कर विा ह वक हम अब ऐस ग म रह रह ह जहा zwjधावमणक दधरो का पणणता अत हो चका ह इवतहास स जात होता ह वक ऐसा भी सम था जब मसलिमानरो तथा अ zwjधमाणिलिनमबरो क मध दध और लिडाइा हई उन दधरो म गर-मनलिमरो का उदश मसलिमानरो को मारना और इलिाम का अत करना था

अवzwjधकतर परारनमभक दधरो म गर मनलिमरो न ही आकरमण करन म पहलि की थी और इस परकार मसलिमानरो क पास अपना और zwjधमण का परवतरकण करन क अवतररति कोई अ विकलप नही था वकत हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम न पटि कर विा ह वक अब ऐसी पररनथवता नही रही करोवक ितणमान सम म ऐसी कोई सरकार नही जो इलिाम का अत करन क उदश स दध की घोषणा करती हरो अथिा दध करती हरो इस क विपरीत अवzwjधकतर पनचिमी और गर मनलिम िशरो म विशालि तर पर zwjधावमणक िततरता उपलिzwjध ह हमारी जमाअत अवत आभारी ह वक ऐसी िततरता उपलिzwjध ह जो अहमिी मसलिमानरो को गर मनलिम िशरो म इलिाम का परचार करन की अनमवत परिान करती ह इसी क फलििरप हम पनचिमी िशरो को इलिाम की िातविक एि

141का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

अनपम वशकाओ जो वक शानत और एकता पर आzwjधाररत ह स पररवचत करान का अिसर परापत होता ह अतः पटि ह वक आज zwjधावमणक मदरो का कोई परशन ही नही ह अब किलि एक ही नथवत उतपन हो सकती ह वक मनलिम-परzwjधान िश तथा ईसाई-परzwjधान िश अथिा अ िश म ऐसा दध वछड जाए वजस का zwjधमण स समबzwjध न हो ऐसी नथवत म ईसाई अथिा वकसी अ zwjधमण-परzwjधान िशरो क मसलिमान नागररकरो को कसी पर वकरा वति करनी चावहए इसक उततर क वलिए इलिाम न एक िवणणम वसदधात परतत वका ह वि कोई मनलिम िश अा अथिा अताचार करता ह तो उसको रोका जाना चावहए वि अा अथिा अताचार ईसाई िश न वका ह तो उस भी रोका जाना चावहए

एक साzwjधारण नागररक वनतिगत तर पर अपन िश को अा और अताचार स कस रोक सकता ह उततर अतत सरलि ह ितणमान ग म सभी पनचिमी िशरो म लिोकततर ह वि कोई ावपर नागररक अपनी सरकार को अापणण ढग स विहार करता िखता ह तो उसक विरदध आिाज उठा सकता ह और अपन िश को सही मागण पर लिान का परास कर सकता ह अवपत लिोगरो का एक समह इसक विरदध आिाज उठा सकता ह वि कोई नागररक अपन िश को वकसी अ िश क परभति पर आकरमण करता हआ िखता ह तो उस चावहए वक िह अपनी सरकार का इस ओर धानाकषणण कराकर अपनी वचता वति कर शानतपणण ढग स विरोzwjध अथिा रोष परिशणन करना विदरोह की पररभाषा क अतगणत नही आता इसक विपरीत ह अपन िश क परवत सचच परम का परिशणन ह एक ावपर नागररक किावचत ह नही चाहता वक अतराणषzwjटरी समिा म उसक िश की परवतषठा zwjधवमलि हो अथिा अपमावनत हो अतः िह अपन िश का उसक कततणव की ओर धानाकषणण करा

142 विशव सकट तथा शानत-पथ

कर अपन िश-परम एि िश-भनति का परिशणन करता हजहा तक अतराणषटी समिा तथा उसकी सथाओ का सबzwjध ह

इलिाम की ह वशका ह वक वि वकसी िश पर अापणण आकरमण होता ह तो शष िशरो को एकतर होकर आकरमणकारी को रोकना चावहए वि आकरमणकारी िश को सिzwjबवदध आ जाती ह और िह आकरमण स पीछ हट जाता ह तो उस पर परवतशोzwjधिश अथिा इस नथवत का अनवचत लिाभ उठान हत कठोर िणि िन अथिा अापणण परवतबzwjध लिगान का वनणण नही करना चावहए इलिामी वशकाओ का सार ह ह वक आप शानत का परसार कर हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न तो हा तक कहा ह वक मसलिमान िह ह वजसक हाथ और जबान स अ लिोग सरवकत रह जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह इलिाम न ह वशका िी ह वक हम कभी भी अा और अताचार म वकसी की सहाता नही करनी चावहए ही िह सिर एि नीवतपणण वशका ह जो एक सचच मसलिमान को चाह िह वकसी भी िश का नागररक हो सममान और आिर का थान परिान करता ह वनसिह सभी सभzwj और सचच नागररक ऐस शानतवपर तथा िाशीलि लिोगरो को अपन समाज का अग बनान की कामना करग

हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न मसलिमानरो को अपना जीिन वतीत करन क वलिए एक अ स िर वशका ह िी ह वक एक सचच मोवमन को सिि पण की खोज म वत रहना चावहए आप न ह वशका िी वक एक मसलिमान को जहा स भी कोई जान की बात अथिा कोई उततम विचार वमलि तो उस अपनी वनजी समपवतत समझ कर अपना लिना चावहए अतः वजस दढता और सकलप स एक वनति अपनी वनजी समपवतत पर अवzwjधकार परापत करन का परास करता ह ठीक उसी

143का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

परकार मसलिमानरो को ह वशका िी गई ह वक ि पण बातरो और उततम विचाररो को जहा कही भी पाए उह परापत करन का परतन कर ऐस सम म जब वक परिासी नागररकरो को थानी समाज का अग बनान क समबzwjध म बहत सी शकाए उतपन हो रही ह ह एक अतत स िर एि समपणण मागिशणक वसदधात ह मसलिमानरो को ह वशका िी ह वक अपन थानी समाज म घलि वमलि कर रहन तथा परपर सममान की भािना पिा करन क वलिए आिशक ह वक ि परतक समाज zwjधमण शहर और िश क नवतक मलरो का जान परापत कर किलि जान परापत करना ही पाणपत नही अवपत मसलिमानरो को ऐस मलरो को वनजी जीिन का अग बनान का भरपर परास करना होगा ह ह िह मागणिशणक वसदधात जो िाति म परपर एकता परम तथा विशवास की भािना उतपन करता ह वनसिह एक सचच मोवमन स अवzwjधक शानतवपर अ कौन हो सकता ह जो अपनी zwjधावमणक आिशकताओ की पवतण करन क साथ-साथ अपन अथिा वकसी अ समाज क उचच नवतक मलरो को भी आतमसात करन का परतन करता ह एक सचच मोवमन स अवzwjधक अ कौन वनति शानत एि सरका का परसार कर सकता ह

ितणमान ग म ससार उपलिzwjध सचार-माधमरो क फलििरप एक विशव-गराम बन चका ह इस क समबzwjध म हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न आज स लिगभग 1400 िषण पिण भविषzwjिाणी कर िी थी वक ऐसा सम आएगा जब समत ससार एक इकाई की भावत हो जाएगा और िररा कम होती परतीत हरोगी आपन कहा था वक आzwjधवनक और तीवर ससार साzwjधनरो क फलििरप लिोग पर विशव को िख सकग िाति म ह पवितर कआणन की भविषzwjिाणी वजसकी आप सललाहो अलिवह िसलम न वितारपिणक वाखा की ह इस समबzwjध म हजरत

144 विशव सकट तथा शानत-पथ

महममि सललाहो अलिवह िसलम न ह वशका िी ह वक जब ऐसा ग आएगा तो लिोगरो को चावहए वक एक िसर की अचछी बातरो को सीख और उनको आतमसात कर ठीक उसी परकार जस वक ि अपनी खोई हई समपवतत की खोज करत ह साराश ह ह वक सभी सदणरो को गरहण करना चावहए और बरी बातरो स बचना चावहए पवितर कआणन न इस आिश की वाखा करत हए पटि वका ह वक सचचा मसलिमान िह ह जो पण का उपिश िता ह और पाप स रोकता ह उपरोति सभी बातरो को सममख रखत हए ऐसा कौन सा िश ा समाज ह जो ऐस शानतवपर मसलिमानरो अथिा इलिाम को अपन मध सहन नही कर सकता अथिा िीकार नही कर सकता गत िषण मझ बवलिणन क म र स भट करन का अिसर परापत हआ मन उन पर ह पटि वका वक इलिाम ह वशका िता ह वक हम वकसी भी िश की अचछाई को इस परकार अपनाना चावहए जस वक िह हमारी वनजी समपवतत ह इस क उततर म उहरोन कहा वक वि आप इस वशका का पालिन करग तो वनसिह समत विशव आप क साथ सहोग करत हए आपका समथणन करगा

मझ ह सन कर अतत आचि ण और खि हआ वक जमणनी क कछ भागरो म ऐस लिोग ह जो ह िािा करत ह वक न मसलिमानरो और न ही इलिाम म जमणन समाज का अग बनन का सामथ ण ह वनसिह ह सत ह वक जो इलिाम उगरिाविरो अथिा आतकिाविरो दारा परतत वका जाता ह उसम ह ोगता नही ह वक िह जमणन तो का वकसी भी िश क समाज का अग बन सक ऐसा सम अिश आएगा जब ऐसी उगरिािी विचारzwjधारा का मनलिम िशरो म भी कडा विरोzwjध वका जाएगा वनसिह सचचा इलिाम जो हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न परतत वका ह सभzwj और सचच लिोगरो को सिि अपनी ओर आकवषणत करता रहगा ितणमान ग

145का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

म इलिाम की िातविक एि मलि वशकाओ को पनजगीवित करन क वलिए परमातमा न हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की िासता क अzwjधीन हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम को भजा ह अतः आपकी जमाअत इलिाम की िातविक वशकाओ का पालिन तथा परचार करती ह

ह पटि रह वक कोई भी ावपर ह िािा नही कर सकता वक इलिाम वकसी अ समाज का अग नही बन सकता िातविक इलिाम िह ह जो पण और अचछाई का परसार करता ह और परतक परकार क पाप तथा अा का वनषzwjध करता ह अतः ह परशन ही वथण ह वक इलिाम वकसी अ समाज का अग बनन म सकम नही अवपत इलिाम तो िाभाविक रप स एक चमबक की तरह समाज को अपनी ओर आकवषणत करता ह इलिाम ह वशका िता ह वक एक वनति को न किलि अपन वलिए शानत की कामना और परास करना चा वहए अवपत िसर लिोगरो तक उसी परबलिता क साथ शानत और एकता का परसार करन का भरसक परतन करना चावहए ह वनःिाथण भािना विशव म शानत थावपत करन का मागण ह का कोई ऐसा समाज ह जो ऐसी वशकाओ की परशसा नही करता और ऐसी विचारzwjधारा को िीकार नही करता वनसिह कोई भी सभzwj समाज अपन अिर पाप और अनवतकता क परसार की किावचत अनमवत नही ि सकता और इसी परकार िह शानत और अचछाई क परोतसाहन का कभी विरोzwjध नही कर सकता

अचछाई की पररभाषा करत सम समभि ह वक एक zwjधावमणक और सासाररक वनति की पररभाषा म बहत अतर हो सकता ह इलिाम सिzwjगणरो और अचछाई क वजन रपरो की बात करता ह उनम स िो गण सबस महतिपणण ह जो अचछाई क शष सभी रपरो का उिzwjगम ह एक परमातमा क परवत कततणव और िसरा मानिता क परवत कततणव परथम

146 विशव सकट तथा शानत-पथ

परकार क कततणव की पररभाषा म एक zwjधावमणक और सासाररक वनति म मतभि हो सकता ह परत वदती परकार अथाणत मानिता क परवत कततणवरो क समबzwjध म कोई मतभि नही ह परमातमा क परवत कततणवरो का समबzwjध उपासना स ह और सभी zwjधमण इस विष म अपन अन ावरो का मागणिशणन करत ह मानिता क परवत कततणवरो क समबzwjध म zwjधमण और समाज िोनरो न मानि को वशका िी ह इलिाम मानिता क परवत कततणवरो क समबzwjध म अतत वितार और गहराई स वशका िता ह और इस सम इन सभी का िणणन करना असभि ह परत म इलिाम दारा थावपत कछ महतिपणण कततणवरो का िणणन करगा जो समाज म शानत थावपत करन क वलिए अवत आिशक ह

इलिाम ह वशका िता ह वक हम िसर लिोगरो की भािनाओ का आिर और सममान करना चावहए इस म िसररो की zwjधावमणक भािनाए और अ सामा सामावजक मद भी सनममवलित ह एक अिसर पर एक हिी न जब अपन और एक मसलिमान क मध वििाि का िणणन हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम स वका तो आप न उस हिी की zwjधावमणक भािनाओ का आिर करत हए उसका समथणन वका उस हिी की भािनाओ का आिर करत हए महममि सललाहो अलिवह िसलम न ह जानत हए वक आप ही अनतम zwjधमण-विzwjधान लिान िालि ह उस मसलिमान को िाटत हए कहा वक तमह ह िािा नही करना चावहए वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम मसा अलि वहसलिाम स शषठ ह इस परकार हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न िसररो की भािनाओ का सममान करक समाज क भीतर शानत की थापना की

इलिाम की एक अ महान वशका ह ह वक वनzwjधणन और जीिन की मलि आिशकताओ स िवचत लिोगरो क अवzwjधकाररो को पणण रप स

147का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

वकरानित वका जाए इस विष म इलिाम ह वशका िता ह वक ऐसी ोजनाए बनानी चावहए वक वजन क दारा समाज क िवचत िगण का जीिन-तर ऊचा उठ सक हम वनःिाथण भािना स िवचत िगण की सहाता करनी चावहए और वकसी भी रप म उन का शोषण नही करना चावहए

िभाणगिश आज क समाज म विखाि क रप म तो िवचत िगण की सहाता क वलिए ोजनाए बनाई जाती ह परत िाति म सभी ऋण परणालिी पर आzwjधाररत होती ह जो वक ाज सवहत लिौटाना होता ह उिाहरणिरप विदावथण रो की वशका पवतण हत ऋण उपलिzwjध कराा जाता ह अथिा लिोग कोई वापार करन क वलिए ऋण लित ह परत ह ऋण चकान म कई िषण अवपत कई िशक लिग जात ह वि कई िषषो क सघषण क पचिात कोई वितती सकट उतपन हो जाए तो ि जस क तस अपनी परानी हालित म आ जात ह अवपत उस स भी बितर हो जात ह गत कछ िषषो म हम विशव क अवzwjधकाश भागरो को आवथणक सकट की चपट म आन की असख घटनाए िख चक ह

इलिाम क विरदध सामातः ह आरोप लिगाा जाता ह वक िह नतररो क साथ ा और समानता का विहार नही करता परत ह आरोप वनराzwjधार ह इलिाम न नतररो को सममान एि आिर परिान वका ह म एक ा िो उिाहरण परतत करगा जब नतररो को मातर एक समपवतत समझा जाता था उस सम इलिाम न तरी को पवत क िव णिहार क कारण lsquoखलिअrsquo (आजािी) लिन का अवzwjधकार विा जबवक विकवसत िशरो म अभी गत शतािी म ही नतररो को ह अवzwjधकार विवzwjधित रप स विा गा ह इस क अवतररति जब नतररो का कोई मान-सममान अथिा अवzwjधकार नही था उस सम इलिाम न नतररो को पतक समपवतत म अवzwjधकार परिान वका जबवक रोपी िशरो म नतररो को ह अवzwjधकार

148 विशव सकट तथा शानत-पथ

अभी कछ सम पहलि विए गए ह पडोवसरो क अवzwjधकाररो क समबzwjध म भी इलिाम हम ह वशका िता ह वजस पवितर कआणन न वितारपिणक मागणिशणन वका ह वक पडोसी की पररभाषा म कौन-कौन सनममवलित ह और उसक अवzwjधकार का ह पडोवसरो म ि लिोग सनममवलित ह जो आपक साथ उठत बठत हरो आपक वनकट वनिास करन िालि आपक पररवचत और ि भी जो आपक पररवचत न हरो िाति म पडोसी की पररभाषा क अतगणत आपक इिण-वगिण क लिगभग 40 घर सनममवलित ह जो आपक साथ ातरा करत ह ि भी आपक पडोसी ह अतः उन का धान रखन का भी हम आिश विा गा ह इस अवzwjधकार पर इतना बलि विा गा वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क मन म ह विचार आन लिगा वक कही पडोवसरो को समपवतत म अवzwjधकार न ि विा जाए हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न तो हा तक कहा ह वक ऐस वनति को वजसका पडोसी उसस सरवकत नही मोवमन ा मसलिमान नही कहा जा सकता िसररो स भलिाई क वलिए इलिाम का एक अ आिश ह भी ह वक समाज क कमजोर िगण का जीिन तर ऊचा करन क कततणव की पवतण क वलिए सभी िगण परपर एकजट होकर का ण कर अतः अहमविा मनलिम जमाअत इस कततणव की पवतण म अपनी भवमका वनभात हए विशव क वनzwjधणन और िवचत िगण िालि कतररो म पराथवमक एि उचच वशका का परबzwjध कर रही ह हम ककलिरो का वनमाणण एि सचालिन कर रह ह और उचच वशका हत छातरिवतत और अ परकार स वितती सहाता परिान कर रह ह तावक िवचत िगण क लिोग उनवत करक िािलिमबी एि आतमवनभणर बन सक

इलिाम का एक अ आिश ह वक तम अपनी सभी परवतजाए और िाि पर करो इन म ि सभी िचन सनममवलित ह जो तम एक िसर स करत हो और इलिाम का ह आिश ह वक एक नागररक क रप म

149का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

अपन िश स िफािारी की जो परवतजा करत हो उस अवनिा ण रप स पणण करो इस समबzwjध म म पहलि भी िणणन कर चका ह ह ि कछ तथ वजह मन आपक समक इस उदश स परतत वका ह वक आप पर ह सत परकट हो जाए वक इलिाम एक अतत िा और परम का zwjधमण ह अतत खि का विष ह वक वजस परबलिता क साथ इलिाम विशव-शानत की वशका िता ह इलिाम क विरोzwjधी अथिा जो इलिाम की िातविक वशकाओ स अनवभज ह उसी कटटरता क साथ इलिाम क विरदध वनराzwjधार आरोप लिगात ह जसा वक मन िणणन वका ह ितणमान ग म अहमविा मनलिम जमाअत इलिाम क िातविक सिश का परचार और परिशणन कर रही ह इस िातविकता को सममख रखत हए म उन लिोगरो स जो मसलिमानरो क कछ एक लिोगरो की गवतविवzwjधरो क आzwjधार पर इलिाम पर आरोप लिगात ह ह अनरोzwjध करता ह वक वनसिह आप ऐस वनतिरो को इसक वलिए उततरिाी ठहराए परत इलिाम की िातविक वशकाओ को अपमावनत अथिा बिनाम करन क वलिए ऐस अनवचत उिाहरणरो का परोग न कर

आपको ह नही समझना चावहए वक इलिाम की वशकाए जमणनी अथिा वकसी अ िश क वलिए हावनकारक वसदध हो सकती ह आप को इस विष म वचनतत नही होना चावहए वक कोई मसलिमान जमणन समाज का अवभन अग बन सकता ह अथिा नही जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह वक इलिाम की ह विवश टिता ह वक उसन मसलिमानरो को ह वशका िी ह वक सभी सिzwjगणरो को गरहण करो अतः वनसिह मसलिमान वकसी भी समाज का अग बन कर जीिन वतीत कर सकता ह वि कोई इसक विपरीत विहार करता ह तो िह किलि नाममातर का मसलिमान ह इलिाम की िातविक वशकाओ का अन ाी नही वि मसलिमानरो

150 विशव सकट तथा शानत-पथ

को वकसी अनवचत का ण करन अथिा माणिा और zwjधमण की पवितरता क वसदधातरो स समबनzwjधत कआणनी वशकाओ की अिहलिना करन अथिा सिाचार क विरदध आचरण करन का आिश विा जाए तो वनसिह ि ऐसा नही कर सकत ह विष समाज का अग बन कर रहन स समबनzwjधत नही ह अवपत वनतिगत zwjधावमणक िततरता स समब नzwjधत ह

zwjधावमणक िततरता का उलघन ऐसा परशन नही वक किलि मसलिमान इसका विरोzwjध करत ह अवपत सभी सभzwj और वशवकत लिोग भी इसक विरदध आिाज उठात ह और खलि आम ह घोषणा करत ह वक वकसी सरकार अथिा समाज को वकसी व नति क zwjधावमणक अवzwjधकाररो म हतकप करन का अवzwjधकार नही ह मरी ह पराथणना ह वक जमणनी और अ सभी िश जो िा ति म विवभन स कवत रो और राषटी ता स समबzwjध रखन िालि लिोगरो का वनिास थान बन चक ह सहनशीलिता और परपर भािनाओ का सममान करन क उचच आिशषो का परिशणन कर परमातमा कर इस परकार ि परपर परम सहानभवत तथा शान त का परिशणन करन िालिरो क वलिए मागणिशणक बन जाए ह विशव म वचर था ी शान त और सरका थावपत करन का सवननचित माधम वसदध होगा वजस क फलििरप विशव को उस विनाश स सरवकत रखा जा सकगा वजसकी ओर िह परपर शान त क अभाि क कारण अगरसर ह

भकर विनाश का खतरा हमार ऊपर मिरा रहा ह अतः इस सिणनाश स सरवकत रहन क वलिए परतक िश और परतक वनति क वलिए चाह िह zwjधावमणक हो अथिा न हो अतत सािzwjधानीपिणक आग बढन की आिशकता ह परमातमा कर विशव का परतक वनति इस िातविकता को समझ अत म म आप सभी का पनः zwjधिाि करना चाहता ह वक आज आप सम वनकालि कर हा पzwjधार और मरी बातरो को धानपिणक सना अलाह आप सब पर अपनी कपा कर आप का बहत बहत zwjधिाि

इसलजि mdashशजनत और दयज कज ििा

पारलियामट हाउसजनदन यक 2013

इसलजि mdashशजनत और दयज कज ििा

पारलियामट हाउसजनदन यक 2013

The Shadow Foreign Minister Rt Hon Douglas Alexander with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

The Deput y Prime Minister Rt Hon Nick Clegg in discussion with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba House of Commons London 11th June 2013

The Home Secretar y Rt Hon Theresa May MP with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Rt Hon Ed Davey MP with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Rt Hon Ed Davey MP escorts Hadrat Khalifatul-Masih Vaba through Westminster Hall House of Commons London 11th

June 2013

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba delivering his historic speech to Parliamentarians VIPs and diplomats at the House of Commons London 11th June 2013

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba received at the House of Commons by Rt Hon Ed

Davey MP London 11th June 2013

पररचय

क म अहमविा मनलिम जमाअत की थापना क सौ िषण पर होन पर लििन म पावलिणामट हाऊवसज म 11 जन 2013 को शतािी समारोह आोजन क अिसर पर विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख हजरत वमजाण मसरर अहमि खलिीफतलि मसीह पचम (अलाह आपका सहाक हो) न एक भाषण विा था

इस शतािी समारोह म 68 उचच पिावzwjधकारी सनममवलित हए वजनम 30 पावलिणामट सि और 12 हाऊस ऑफ लिािरस क सि वजनम 6 कवबनट मतरी और 2 मतरी शावमलि थ विवभन टीिी चनलज - BBC Sky TV और ITV क परवतवनवzwjध भी इस समारोह म सनममवलित हए उपनथत लिोगरो म वनमनवलिवखत उचच पिावzwjधकारी भी सनममवलित थ

Secretary of State for Energy and Climate Change The Rt Hon Ed Davey MP the Deputy Prime Minister The Rt Hon Nick Clegg MP the Home Secretary The Rt Hon Theresa May MP the Shadow Foreign Secretary The Rt Hon Douglas Alexander

156 विशव सकट तथा शानत-पथ

MP the Chairman of the Home Affairs Select Committee Rt Hon Keith Vaz MP and Member of Parliament for Mitcham and Morden Siobhain McDonaugh MP

इसलजि mdash शजनत और दयज कज ििा

वबनमलावहररहमावनररहीमआरमभ करता ह अलाह क नाम स जो अनत कपालि एि अतत िालि ह

समत विवशटि अवतवथगण असzwjसलारो अलकर व रहरzwjलाह व बरकाzwjोह अलाह की कपा एि शानत आप सब पर हो सिणपरथम म अहमविा मनलिम जमाअत क उन सभी वमतररो का

zwjधिाि करना चाहता ह वजहरोन हमार साथ अपनी वमतरता एि घवनषठ सबzwjधरो का परिशणन करत हए क म हमारी जमाअत क शत िषण पर होन पर इस शतािी समारोह का आोजन पावलिण ामट हाऊसज म वका ह म उन सभी अवतवथरो क परवत भी आभार परकट करना चाहता ह वजहरोन आज हा उपनथत हो कर इस समारोह को वननचित रप स महतिपणण और सफलि बनाा ह मझ ह जान कर परसनता हई ह वक

158 विशव सकट तथा शानत-पथ

आप म बहत स ऐस लिोग हा विराजमान ह जो वकसी अ सभा ा का ण म वत नही ह

आप क इस शभ परास और भािना क परवत zwjधिाि और परशसा परकट करन क साथ-साथ म ह भी कहना चाहता ह वक मरी ह हाविणक अवभलिाषा और पराथणना ह वक इस विशालि एि सिर भिन क सभी विभाग तथा उनम का णरत सभी लिोग अपन िश एि उसकी परजा क परवत अपन कततणवरो को परा करन िालि हरो म ह आशा और पराथणना भी करता ह आप सब अ िशरो क साथ मzwjधर समबzwjधरो को सदढ करन और ा क मागण का पालिन करत हए ऐस वनणण करन िालि हरो जो सभी िगषो अथिा पावटर रो क वलिए वहतकारी हरो वि इस भािना को अपनाा गा तो इसस अवत लिाभकारी पररणाम अथाणत - परम सहानभवत तथा भरातति उतपन हरोग वजन क दारा विशव िातविक अथषो म शानत एि समवदध का कदर बन सकगा

मरी ह इचछा और पराथणना समत अहमिी मसलिमानरो की भािनाओ का परवतवनवzwjधति करती ह करोवक हमारा ह विशवास ह वक अपन िश क परवत और सामवहक रप स समत मानिजावत स परम करना वनतात आिशक ह वनसिह अहमिी मसलिमान ह विशवास रखत ह वक अपन िश स परम करना उनक ईमान का एक अवनिा ण अग ह करोवक इलिाम क परितणक हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम न बडी दढता क साथ इसकी वशका और आिश विा ह अतः म ह पटि करना चाहता ह वक परतक अहमिी मसलिमान जो क का नागररक ह चाह िह क म पिा हआ ह अथिा अ िश स परिास करक हा नागररकता परापत की हो िह पणणता इस िश क परवत िफािार ह और इस िश स हाविणक परम करता ह ि किलि इस महान िश की

159इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

उनवत एि समवदध की कामना करत ह िसर िशरो स परिास करक क म बसन िालि लिोगरो की सखा

बहत बडी ह और ि इस िश की कलि जनसखा का 14-15 परवतशत ह अतः वबरटन क लिोगरो न िसर िशरो स परिास करक आए लिोगरो को अपन िश क नागररक तथा वबरवटश समाज की रचना क अश क रप म िीकार करन म वजस उिारता और सवहषzwjणता का परिशणन वका ह उसका िणणन एि परशसा वकए वबना म अपन भाषण को आग नही बढा सकता इस परकार जो लिोग अ िशरो स हा बसन आए ह नवतक रप स उनका ह अवनिा ण कततणव ह ि ि को इस िश का िफािार नागररक वसदध कर और समत परकार की विथा और कलिह क वनिारण क वलिए सरकार क परासरो का समथणन कर जहा तक अहमविा मनलिम जमाअत का सबzwjध ह इसक सि चाह ि वकसी भी िश म रहत हरो इस वसदधात का पालिन करत ह

जसा वक आपको जात ह वक इस सम हम क म अहमविा मनलिम जमाअत की थापना क शतािी समारोह का आोजन कर रह ह गत सौ िषषो का इवतहास इस बात को वसदध करता ह और इस बात का गिाह ह वक अहमविा जमाअत क सिरो न सिि अपन िश क परवत िफािारी की मागरो को परा वका ह और परतक सरकार क उगरिाि विदरोह और अविथा स ि सिि िर रह ह िाति म इस िफािारी और िश परम की विचारzwjधारा का मलि कारण ह ह वक अहमविा मनलिम जमाअत एक सचची इलिामी जमाअत ह हमारी जमाअत िसररो स सिणथा विशष ह को वक हमन वनरतर इलिाम की िातविक एि शानतपणण वशकाओ स विशव क लिोगरो को पररवचत कराा ह और हमारा सिि ह परास रहा ह वक इन वशकाओ को िातविक इलिाम क रप

160 विशव सकट तथा शानत-पथ

म विशव म िीकवत वमलिइस सवकपत पररच क उपरात म अपन भाषण क मख विष की

ओर आता ह हमारी जमाअत शानत सलिह समि एि एकता का झिा ऊचा करन िालिी ह और हमारा आिशण ह lsquoपरम सब क वलिए घणा वकसी स नहीrsquo कछ हमार पररवचत गर मनलिम लिोग ा वजनक साथ हमार वनकट समबzwjध ह ि इस बात पर आचि ण परकट करत ह वक अहमविा मनलिम जमाअत इलिाम को अपन शानत और भाईचार क सिश का सोत बताती ह उनक इस आचि ण और अचमभ का कारण ह ह वक ि ह अनभि करत ह वक इलिाम क नाम-मातर विदान और अ इलिामी समिा सिणथा पथक रप स आचरण करत ह और एक अलिग ही सिश का परचार करत ह

इस अतर को पटि करन क वलिए म ह बताना चाहता ह वक अहमिी मसलिमान इस बात पर विशवास रखत ह वक ितणमान ग म lsquoतलििार क दारा वजहािrsquo की विचारzwjधारा सिणथा गलित ह और इस का वतरकार वका जाना चावहए इसक विपरीत कछ अ इलिामी विदान इस विचारzwjधारा को परोतसावहत करत ह अथिा इसका पालिन भी करत ह उनकी ही विचारzwjधारा विशव म कई कतररो म मसलिमानरो क मध उगरिािी एि आतकिािी सगठनरो क जम का कारण बनी ह

किलि ही नही वक कछ सगठन उभर कर सामन आए ह अवपत कछ लिोग वनतिगत रप स इस गलित और झठी विचारzwjधारा का अनवचत लिाभ उठा कर उसक अनरप विहार कर रह ह लििन की सडकरो पर एक वनिवोष वबरवटश वसपाही की वनमणम हता इसी विचारzwjधारा क पररणाम का एक ताजा उिाहरण ह इस आकरमण का इलिाम की िातविक वशकाओ स कोई समबzwjध नही इसक विपरीत इलिामी वशका ऐसी

161इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

घटनाओ की बडी वनिा और भतसणना करती ह ऐस षितर इलिाम की िातविक वशकाओ और विकत रप म परतत की गई वशकाओ वजन का परचार कछ नाम-मातर मसलिमान अपन वनवहत िाथषो की पवतण हत कर रह ह क अतर को भलिी-भानत पटि कर ित ह म ह भी कहना चाहता ह वक कछ थानी समिारो की परवतवकरा भी उवचत नही थी तथा इस क कारण समाज की शानत भग हो सकती ह

हमार इस तकक क समथणन का का परमाण ह वक हम जो इलिामी वशका परतत करत ह िह सही ह विचार करन ोग विष ह ह वक तलििार अथिा बलि परोग की अनमवत किलि उसी नथवत म ह जब इलिाम क विरदध zwjधावमणक-दध छडा जाए ितणमान ग म कोई भी चाह िह िश हो अथिा zwjधमण भौवतक रप स इलिाम क विरदध zwjधमण क आzwjधार पर आकरमण ा दध नही कर रहा अतः मसलिमानरो क वलिए ह ासगत नही वक ि वकसी अ समिा पर zwjधमण क नाम पर आकरमण कर करोवक वनसिह ह कआणन की वशकाओ का उलघन ह

पवितर कआणन न किलि उही लिोगरो क विरदध बलि परोग की अनमवत िी ह वजहरोन इलिाम क विरदध दध छडा और तलििार उठाई एक और महतिपणण वबि ह ह वक वि कोई नागररक अपन िश अथिा अपन िशिावसरो को वकसी परकार का आघात ा हावन पहचाता ह तो िह वननचित रप स इलिाम की वशकाओ का उलघन करता ह हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम का कथन ह वक जो वकसी वनिवोष का खन बहाता ह िह मसलिमान नही ह हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क विचार म ऐस लिोग कमजोर ईमान िालि और पापी ह

अब म इलिाम क कछ अ पहलि परतत करगा वजन स ह वसदध होता ह वक इलिाम की वशकाए वकतनी विशदध एि जान पर आzwjधाररत ह

162 विशव सकट तथा शानत-पथ

म ह पटि करगा वक कछ अ नाम-मातर इलिामी सगठन इलिाम का जो रप परतत करत ह िह िाति म वकसी भी परकार स zwjधमण की िातविक वशका का परवतवनवzwjधति नही करता ह पटि हो जाएगा वक ि किलि अपन वनवहत िाथषो की पवतण हत घणापणण गवतविवzwjधरो को ासगत ठहरान क वलिए अनवचत रप स इलिाम का नाम परोग करत ह

इलिाम न सहनशीलिता की महतता पर इतना बलि विा ह वक इसक समतल उिाहरण वकसी अ zwjधमण म वमलिना असभि ह अ लिोगरो का ह मत ह वक जब तक िसर zwjधमषो को झठा वसदध न कर विा जाए तब तक ि अपन zwjधमण की सचचाई को वसदध करन म असमथण ह परत इस सबzwjध म इलिाम का मत वनतात पथक ह करोवक इलिाम ह वशका िता ह वक दवप इलिाम एक सचचा zwjधमण ह जो समत मानिजावत क वलिए भजा गा तथावप िातविकता ह ह वक परमातमा क सभी अितार परतक जावत और विशव क परतक भाग म भज गए पवितर कआणन म इसका पटि रप स िणणन ह अलाह तआलिा फरमाता ह वक समत अितार उसी न परम और सह की वशका िकर भज ह अतः सभी सचच मसलिमानरो को उह िीकार करना चावहए

कोई अ zwjधमण इतनी पटिता एि उिारतापणण ढग स सभी zwjधमषो की परशसा नही करता जसा वक इलिाम न वका ह करोवक मसलिमान ह विशवास रखत ह वक सभी जावतरो और कौमरो म अितार आए ह अतः ि उह झठा होन का विचार भी मन म नही लिा सकत

अतः मसलिमान परमातमा क वकसी भी अितार का वनरािर अनािर अथिा उपहास नही कर सकत और न ही ि अ zwjधमाणिलिनमबरो की भािनाओ को आहत कर सकत ह

वफर भी खिजनक ह वक कछ गर मनलिम लिोगरो का विहार इसक

163इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

सिणथा विपरीत ह ि इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम पर कलिक लिगान और शोचनी ढग स उनका उपहास करन का कोई अिसर हाथ स नही जान ित और इस परकार उहरोन मसलिमानरो की भािनाओ को बरी तरह आहत वका ह परत िभाणगिश जब कभी कछ तति मसलिमानरो की भािनाओ स खलित ह तब कछ नाम-मातर मसलिमान उततजनािश वनतात अजानतापिणक और अनवचत ढग स परवतवकरा वति करत ह वजसका इलिाम की िातविक वशकाओ स कोई समबzwjध नही होता आप ह अिश अनभि करग वक कोई अहमिी मसलिमान वकसी भी उततजनातमक नथवत म इस परकार अजानतापिणक परवतवकरा परिवशणत नही करगा

इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम और पवितर कआणन पर एक अ आरोप ह लिगाा जाता ह वक उहरोन उगरिाि की वशका िी और इलिाम क सिश क परचार क वलिए बलि-परोग को परोतसावहत वका इस आरोप का वििचन करन तथा इसकी िातविकता जानन क वलिए ि कआणन का अधन करना होगा सिणशनतिमान अलाह फरमाता ह ः-

lsquoवि तरा रब अपनी इचछा को लिाग करता तो zwjधरती क सभी लिोग ईमान लि आत तो का त लिोगरो को इतना वििश करगा वक ि मोवमन बन जाए rsquo

(सरह नस ः 100)ह आत पटि रप स बताती ह वक परमातमा जो सिणशनतिमान

ह सभी लिोगरो को एक ही zwjधमण अपनान पर बडी आसानी स वििश कर सकता था परत उसन ससार क लिोगरो को इस विकलप की िततरता परिान की mdash चाहो तो ईमान लिाओ ा न लिाओ

164 विशव सकट तथा शानत-पथ

अतः जब परमातमा न मानिजावत को कोई भी विकलप अपनान की िततरता परिान की ह तो हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम अथिा उनका कोई अन ाी वकसी को मसलिमान बनन पर कस वििश कर सकता ह

सिणशनतिमान अलाह पवितर कआणन म ह भी फरमाता ह ः-ldquo सचचाई तर रब की ओर स ही उतरी हई ह अतः जो

चाह ईमान लिाए और जो चाह इकार कर ि rdquo(अलिzwj-कहफ ः 30)

ह ह इलिाम की िातविकता ह ह इसकी िातविक वशका वि कोई वनति चाह तो उस इलिाम को िीकार करन की िततरता ह वि उसका विलि नही चाहता तो उस अिीकार करन की भी िततरता ह अतः इलिाम उगरिाि और बलि-परोग क पणणता विरदध ह इसक विपरीत समाज क परतक तर पर शानत और समि का समथणन करता ह

इलिाम क वलिए ह असमभि ह वक िह वहसा और बलि-परोग की वशका ि करोवक इलिाम का शानिक अथण ही शानत स रहना और शानत परिान करना ह वफर भी जब हमारी zwjधावमणक भािनाओ का उपहास वका जाता ह तो हम अतत कटि और पीडा का अनभि होता ह हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क सबzwjध म वि कछ भी अपमानजनक शि कह जाए तो ि हमार हिरो को चीर कर आहत कर ित ह

इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न ही हमार हिरो म परमातमा और उसकी सनटि क परवत परम भािना जागत की ह आपन ही हमार विलिरो म समत मानिजावत और सभी zwjधमषो क परवत परम और आिर की भािना थावपत की इलिाम की शानतपणण वशकाओ क समबzwjध म उस उततर क अवतररति अ बडा परमाण का हो

165इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

सकता ह जो हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क विरोवzwjधरो न विा जब आप सललाहो अलिवह िसलम न उह इलिाम का सिश पहचाा था उहरोन ह नही कहा वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलमन हम इलिाम का वनमतरण ि कर वकसी परकार क अताचार अथिा अनवतक का ण करन की वशका िी ह अवपत उन का उततर ह था वक वि ि इलिाम की वशकाओ को िीकार कर लित ह तो उनकी zwjधन-समपवतत पर अताचारी लिोग अवतकरमण कर लिग और उनकी परवतषठा भी खतर म पड जाएगी करोवक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम किलि शानत और सौहािण तथा समि की वशका पर बलि ित थ उहरोन इस सश का परकटन वका वक ि इलिाम को िीकार कर लित ह और फलििरप शानत को अपना लित ह तो इिण-वगिण क लिोग कबीलि और अ जावता इसका अनवचत लिाभ उठा कर उह नटि कर िगी साराश ह वक वि इलिाम वहसा का परचार करता और मसलिमानरो को दध करन तथा तलििार उठान की वशका िता तो पटि ह वक कावफर अपन पक म ऐसा तकक परतत न करत ि किावप ह न कहत वक ि इलिाम इसवलिए िीकार नही कर सकत करोवक उह भ ह वक इलिाम की शानतपणण वशका क फलििरप सासाररक लिोगरो दारा इनका सिणनाश हो जाएगा

पवितर कआणन म िणणन ह वक सिणशनतिमान अलाह का एक गणिाचक नाम lsquoसलिामrsquo ह वजसका अथण ह lsquoशानत का सोतrsquo इस स ह अवभपरा ह वक वि परमातमा िाति म lsquoशानत का सोतrsquo ह तो उसकी शानत किलि एक विशष समिा तक सीवमत न हो कर समत सनटि और समत मानिजावत पर आचछावित होनी चावहए वि परमातमा की शा नत किलि कछ लिोगरो तक की सरका क वलिए थी तो इस अिथा म

166 विशव सकट तथा शानत-पथ

उस समत ससार का परमातमा नही कहा जा सकता सिणशनतिमान परमातमा न इस का उततर पवितर कआणन म इन शिरो म विा ह ः-

lsquoऔर हम इस रसलि की उस बात की सौगzwjध जब उसन कहा था वक ह मर रब ह जावत तो ऐसी ह ईमान नही लिाती अतः उह छोड ि और कह ः lsquoतम पर अलाह की शानत होrsquo lsquoऔर ि शीघर ही जान जाएगrsquo

(अलि-जखरफ ः 89-90)इन शिरो स ह जात होता ह वक हजरत महममि सललाहो

अलिवह िसलम एसी वशका लिाए थ जो समत लिोगरो क वलिए शानत और िा का सोत थी और फलितः समत मानिजावत क वलिए शानत का माधम थी उपरोति आत स ह भी जात होता ह वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क शानत क सिश क उततर म आपक विरोवzwjधरो न न किलि आपकी वशकाओ का वतरकार वका अवपत आपका अपमान और उपहास भी वका िाति म ि इस स भी आग बढ गए और उहरोन परी शतरता स आपका विरोzwjध वका कलिह और अशानत का िातािरण उतपन कर विा विरोवzwjधरो की इन गवतविवzwjधरो क िखत हए भी हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न परमातमा स ही पराथणना की वक lsquoम उह शानत परिान करना चाहता ह परत मझ शानत नही ित इसस भी बढ कर ि मझ पीडा और िःख पहचान की चटिा करत ह

इसक उततर म परमातमा न आपको सातिना ित हए कहा वक lsquoजो कछ ि करत ह उसकी उपका कर और उनस िर हो जा तरा एकमातर कततणव ससार म शानत का परसार करना और उसकी थापना करना ह त उनकी घणा और उनक अताचाररो क उततर म किलि इतना कह ः lsquoतम पर शानत होrsquo और उह कह ि वक ldquoम तमहार वलिए शानत लिाा हrdquo

167इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

इस परकार हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम जीिनप ण त विशव म शानत का परसार करत रह ही आपका महान उदश था वनसिह एक विन ऐसा अिश आएगा जब ससार क लिोग इस तथ को समझ लिग और िीकार करग वक आपन वकसी परकार क उगरिाि की वशका नही िी उह ह अनभि हो जाएगा वक आप सललाहो अलिवह िसलम किलि शानत परम और सहानभवत का सिश लि कर आए थ इसक अवतररति ह वक वि इस महान अितार क अन ाी भी अताचाररो और अा क परवत परमपिणक अपनी परवतवकरा वति कर तो वनसिह ि लिोग जो इलिाम की रोशन वशकाओ पर आकप लिगात ह एक विन इलिाम की सचचाई और सिरता को िीकार कर लिग

अहमविा मनलिम जमाअत इही वशकाओ का पालिन और अनसरण करती ह ही सहानभवत सहनशीलिता और िा पर आzwjधाररत िह वशका ह वजसका हम समत विशव म परचार और परसार करत ह हम िा और उिारता क उसी ऐवतहावसक और अवदती आिशण का पालिन करत ह वजसका परिशणन हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न कई िषषो तक अतत कडी और पीडािाक ातनाओ और अताचाररो क सहन करन क उपरात पनः मकका की गवलिरो म एक विजता क रप म परिश करन पर वका कई िषषो तक आपको और आपक अनावरो को जीिन की मलि आिशकताओ mdash भोजन और पानी स िवचत रखा गा और फलििरप उह एक सम म कई विन तक भख की पीडा सहन करनी पडती थी आपक बहत स अन ावरो पर आकरमण वका गा कछ की अतत वनिण तापिणक वनमणम हता की गई वजसकी कलपना भी नही की जा सकती हा तक वक मसलिमान िदधरो नतररो और बचचरो को भी नही छोडा गा अवपत उनक साथ भी वनिण तापणण विहार वका गा वफर

168 विशव सकट तथा शानत-पथ

भी जब हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न विजी हो कर मकका म पनः परिश वका तो आपन वकसी परकार का परवतशोzwjध नही वलिा इस क विपरीत आपन ह घोषणा की वक lsquoआप म स वकसी को भी कोई िणि नही विा जाएगा करोवक मन आप सभी को कमा कर विा ह म परम और शानत का ित ह मझ अलाह क इस गण का सिाणवzwjधक जान ह वक िह lsquoशानत का सोत हrsquo mdash अथाणत अलाह ही ह जो शानत परिान करता ह म आपक वपछलि समत अताचाररो को कमा करता ह और आपको शानत और सरका की जमानत िता ह आप िततर रप स मकका म वनिास कर सकत ह और अपन zwjधमण का वनविणघन पालिन कर सकत ह वकसी को भी वकसी परकार स वििश ा बाध नही वका जाएगाrdquo

मकका क कछ कटटर विरोzwjधी िणि क भ स मकका छोड कर भाग गए थ करोवक उह जात था वक उहरोन मसलिमानरो पर अताचार करन म सभी सीमाओ को पार कर वलिा था परत जब उन कावफररो क सबवzwjधरो न िा और परम का ऐसा अवदती उिाहरण और शानत और सौहािण का ऐसा अभतपिण परिशणन िखा तो उहरोन उह िापस लिौट आन का सिश भजा जब उह ह सवचत वका गा वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम शानत और सरका परिान करन िालि ह तो ि लिोग मकका लिौट आए जो लिोग इसस पिण इलिाम क कटटर और कठोर विरोzwjधी थ उहरोन जब ि हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की िा और उिारता का परतक रप म अनभि वका तो उहरोन िचछा स इलिाम िीकार कर वलिा

जो कछ मन िणणन वका ह िह वलिवखत इवतहास का भाग ह और अवzwjधकाश गर-मनलिम इवतहासकाररो और Orientalists न इस सचचाई की पनटि की ह इलिाम की िातविक वशकाए ह और ही हजरत

169इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

महममि सललाहो अलिवह िसलम का महान आिशण ह अतः इलिाम और इसक परितणक को वहसक क रप म परिवशणत करना तथा उनक विरदध इस परकार क आरोप लिगाना घोर अा ह इस म कोई सिह नही जहा कही भी ऐस आरोप लिगाए जात ह तो हम गहरी पीडा और अतत कटि पहचाता ह

म पनः ह कहता ह वक ितणमान ग म किलि हमारी जमाअत - अहमविा मनलिम जमाअत - ही ह जो इलिाम की िातविक और शानतपणण वशकाओ का अनसरण और पालिन कर रही ह म ह भी पनः कहना चाहता ह वक कछ आतकिािी सगठनरो अथिा कछ वनतिरो दारा जो घणापणण और िषzwjकमण वकए जा रह ह उनका इलिाम की िातविक वशकाओ स वकसी परकार का समबzwjध नही ह

िातविक ा का आzwjधारभत वसदधात ह ह वक वकसी समिा अथिा वनति विशष क वनवहत िाथषो को वकसी zwjधमण की वशकाओ स समबदध न वका जाए ऐसी गवतविवzwjधरो का वकसी zwjधमण अथिा उसक परितणक की अापणण ढग स वनिा करन क वलिए एक बहान क रप म अनवचत परोग नही करना चावहए सम की वनतात आिशकता ह वक विशव-शानत और एकता की थापना हत सभी लिोगरो को परपर सममान और एक िसर क zwjधमण का आिर करन की भािना का परिशणन करना चावहए अ था इसक प ररणाम अवत भािह हरोग

आज ससार एक विशव-गराम का रप zwjधारण कर चका ह अतः परपर आिर एि सममान क अभाि और शानत थापना हत सगवठत होन म विफलिता क कारण न किलि थानी कतर शहर अथिा िश को हावन पहचगी अवपत इसक फलििरप अततः विशव एक भानक विनाश की चपट म आ जाएगा गत िो विशव दधरो क विधिसकारी

170 विशव सकट तथा शानत-पथ

पररणामरो स हम सभी पररवचत ह कछ िशरो की गवतविवzwjधा ऐसी ह जो तती विशव दध की सचक ह

वि तती विशव दध आरमभ हो जाता ह तो पनचिमी िश भी इसक िरगामी और विनाशकारी पररणामरो स बरी तरह परभावित हरोग हम अपनी भािी पीवढरो को दध क भानक और विनाशकारी पररणामरो स सरवकत रखन का परास करना चावहए

पटि ह वक सबस भानक दध परमाण दध होगा और इस सम ससार वजस ओर अगरसर ह वनसिह िह एक परमाण दध क वछडन का सचक ह इस विनाशकारी पररणाम को रोकन क वलिए हम ा एकता एि अखिता और ईमानिारी क मागण को अपनाना होगा और सगवठत रप स उन गटरो का िमन करना होगा जो घणा का परचार करक विशव-शानत का सिणनाश करना चाहत ह

म ह आशा और पराथणना करता ह वक सिणशनतिमान परमातमा महाशनतिरो को अपन कततणवरो को इस समबzwjध म ापिणक ढग स वनभान का सामथ ण परिान कर - आमीन अपना भाषण समापत करन स पिण म आप का zwjधिाि करना चाहता ह वक आप सब सम वनकालि कर और परास करक हा उपनथत हए परमातमा आप सब पर अपनी कपा कर आप सब का अवत zwjधिाि

वतािजन सकट की नसथमत ि मवशव शजनत की

मनतजत आवशयकतजराषटी पावलिणामट जीलिणििवलिगटन जीलिणि 2013

वतािजन सकट की नसथमत ि मवशव शजनत की

मनतजत आवशयकतजराषटी पावलिणामट जीलिणििवलिगटन जीलिणि 2013

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba leading si lent prayers at the conclusion of the off icial f unction in the Grand Hall Ne w Zealand Parl iament

Hon Kanwaljit Singh Bakshi (MP) receiving the Holy Qurrsquoan from Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Det R akesh Naidoo meeting Hadrat Khalifatul-Masih Vaba in representation of the Commissioner of Police New Zealand

Iranian ambassador Seyed Majid Tafreshi Khameneh meeting Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Dr Cam Calder MP meeting Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba delivering the keynote address at the Grand Hall in the

New Zealand Parliament 4th Nov 2013

Hon Kanwaljit Singh Bakshi (MP) with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba and his entourage in front of the New Zealand Parliament

पररचय

विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख हजरत वमजाण मसरर अहमि (अलाह तआलिा आपकी सहाता कर) खलिीफतलि मसीह पचम न विनाक 4 निमबर 2013 को िवलिगटन शहर म जीलिि की राषटी पावलिाणमट म एक ऐवतहावसक भाषण विा पावलिणामट क सासिरो राजितरो वशकावििरो एि विवभन कतररो स सबवzwjधत गणमा विवशटि अवतवथरो स सभा क सममख हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम क खलिीफा न (अलाह तआलिा आपकी सहाता कर) इस बात की महतता को परकट वका वक विशव क विवभन भागरो म तीवरता स बढत हए वििािरो और तनाि को दनटिगत रखत हए विशव-शानत थावपत करन क वलिए ा की वनतात आिशकता ह आपक मख भाषण क पचिात अ उचच पिावzwjधकारररो न भी सभा को समबोवzwjधत वका शी किलिजीत बखशी MP न कहा ldquoहमारा ह सौभाग ह वक हजरत वमजाण मसरर अहमि हा जीलिि की पावलिणामट म पzwjधार ह

176 विशव सकट तथा शानत-पथ

और हम उनक जान और विचाररो को सनन का सअिसर परापत हआ हrdquo िा राजन परसाि MP न कहा ldquoजीलिि की पावलिणामट म हजरत सावहब का िागत करना हमार वलिए अतत सखि अनभि ह मझ इस बात न सिि अतत परभावित वका ह वक अहमिी वकस परकार एक राषट क नागररक क रप म अपना जीिन वतीत करत हए अपन शानत क सिश का पालिन करत ह सभा क अत पर हजरत वमजाण मसरर अहमि (अलाह तआलिा आपकी सहाता कर) न विवभन उचच पिावzwjधकारररो वजनम ईरान और इसाईलि क राजित भी शावमलि थ स भट की शी किलिजीत वसह बखशी MP न हजर को पावलिणामट की सर कराई

वतािजन सकट की नसथमत ि मवशव शजनत

की मनतजत आवशयकतजवबनमलावहररहमावनररहीम

परारभ करता ह अलाह क नाम स जो अनत कपालि और अतत िालि ह

सभी विवशटि अवतवथगण असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातोहअलाह की कपा आप सब पर होसिणपरथम म इस अिसर पर उन समत लिोगरो विशषकर माननी

किलिजीत वसह बखशी MP क परवत zwjधिाि परकट करना चाहता ह वजहरोन इस सभा का आोजन वका और आप सब को समबोवzwjधत करन का मझ अिसर परिान वका तिोपरात म आप सब का zwjधिािी ह जो मर विचार सनन क वलिए हा पzwjधार ह

वनसिह इस पावलिणामट हाऊस म िश की उनवत एि विकास क वलिए विवभन नीवता और ोजनाए तथा कानन बनान क वलिए

178 विशव सकट तथा शानत-पथ

विवभन राजनीवतज और पावलिणामट क सि वनवमत रप स एकवतरत होत ह इसक अवतररति मरा विशवास ह वक बहत स zwjधमण वनरपक ा भौवतकिािी नताओ न भी हा पzwjधार कर अपन जान कौशलि और अतीत क अनभिरो क अzwjधार पर आप लिोगरो को समबोवzwjधत वका होगा परत किावचत ही वकसी zwjधावमणक समिा विशषकर एक मनलिम समिा क परमख न आपको समबोवzwjधत वका हो अतः विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत जो वक िातविक इलिामी सथा ह वजसका एकमातर उदश इलिाम की िातविक वशकाओ का परचार एि परसार करना ह क परमख को हा समबोzwjधन करन का अिसर परिान करक आपन अपनी विशालिहिता और उचच तरी सहनशीलिता का सकत एि परमाण परतत वका ह अतः म इस िापणण विहार क वलिए आपका आभारी ह

zwjधिाि क इन शिरो क उपरात अब म अपन भाषण क मख विष की ओर आता ह म इलिाम की सिर वशकाओ क समबzwjध म कछ बातरो का िणणन करगा म उस समा जो मर विचार म ितणमान सम की वनतात आिशकता ह अथाणत विशव-शानत की थापना क समबzwjध म कछ बात करगा आप म स अवzwjधकाश लिोग zwjधमणवनरपक राजनीवतज अपन अपन तर पर और सरकार सामवहक तर पर zwjधमणवनरपक दनटिकोण स शानत थावपत करन क वलिए सतत परासरत ह आपक परास शभचछा स परररत ह और आपको इन परासरो म कछ सफलिता भी परापत हई होगी इसी परकार आपकी सरकार न गत िषषो म विशव म शानत एि एकता थावपत करन हत कई सझाि भी विए हरोग

वनसिह विशव की ितणमान पररनथवता अतत सकटपणण ह जो

179ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

समच विशव की वचता का कारण बनी हई ह इस सम जबवक विशव क मख सकट अरब िशरो म उतपन हो रह ह और परतक बवदधमान वनति इस तथ स भलिीभावत पररवचत हरोग वक ऐस वििाि अथिा सकट किलि उसी कतर तक सीवमत नही रहत इसम कोई शका नही वक वकसी सरकार और उसकी परजा क मध का वििाि बढकर अतराणषटी वििाि का रप zwjधारण कर लिता ह हम िख रह ह वक विशव की महाशनतिरो म पहलि स ही िो गट बन रह ह एक गट सीररा की सरकार का समथणन कर रहा ह जबवक िसरा गट विदरोवहरो क समथणन म आग आ रहा ह पटि रप स ह पररनथवत न किलि मनलिम िशरो क वलिए एक गभीर खतरा ह अवपत विशव क शष सभी िशरो क वलिए भी एक अतत सकट का सचक ह

गत शतािी म हए िो विशव दधरो क हि-वििारक पररणामरो को हम कभी विमत नही करना चावहए विशषकर वदती विशव दध क पररणामिरप जो वितत विनाश हआ िह अवदती ह किलि परपरागत हवथाररो क उपोग दारा ही विशालि जनसखा िालि कई कब और शहर पणणता धित हो गए और लिाखरो लिोग मार गए इसक अवतररति वदती विशव दध म विशव न समपणण विनाश की घटना भी िखी जब जापान क विरदध परमाण बम का परोग वका गा वजसन ऐसा सिणनाश वका वजसक परभािरो को किलि सनन स ही मनषzwj कापन लिगता ह हीरोशीमा और नागासाकी क सगरहालि इस समपणण सिणनाश और भािह नथवत का मरण करान क वलिए पाणपत ह

वदती विशव दध म एक अनमान क अनसार 70 वमवलिन लिोग मार गए थ वजन म स 40 वमवलिन साzwjधारण नागररक थ इस परकार सना

180 विशव सकट तथा शानत-पथ

क सिरो की अपका साzwjधारण नागररकरो न भी अपन पराण गिाए दध क उपरात क िषzwjपरभाि इस स भी अवzwjधक भािह थ अथाणत दधोपरात मरन िालि लिोगरो की सखा लिाखरो म थी परमाण बमरो क परोग क पचिात कई िषषो तक उनक विवकरण क भानक आनिावशक िषzwjपरभािरो स निजात वशश परभावित होत रह इस सम विशव क कछ छोट िशरो न भी परमाण शतर परापत कर वलिए ह और उन क नता बड उततवजत िभाि क ह ऐसा परतीत होता ह वक ि अपन काषो क विनाशकारी पररणामरो क परवत उिासीन ह

वि हम आज परमाण दध क वछडन की कलपना कर तो जो वचतर सामन आएगा उस िख कर एक मनषzwj अतत भभीत हो कर काप उठगा आज जो परमाण बम विशव क छोट स छोट िशरो क पास ह ि वदती विशव दध म परोग वकए गए बमरो स भी कही अवzwjधक शनतिशालिी ह

आज ितणमान ससार की ऐसी िनी अिथा ह वक एक ओर लिोग शानत थावपत करन की बात करत ह और िसरी ओर इसक विपरीत ि अहकारी परिवततरो म गरत ह और िभ एि उदणिता क परभािाzwjधीन मिोमतत ह परतक शनतिशालिी राज अपनी शषठता और शनति का परमाण िन क वलिए भरसक परास करन क वलिए ततपर रहता ह वदती विशव दध क उपरात विशव म वचरथाी शानत की थापना हत तथा भविषzwj म दधरो की सभािना को रोकन क वलिए विशव को एकतर होकर एक सगठन का वनमाणण वका वजस सति राषट की सजा िी गई परत ऐसा परतीत होता ह वक वजस परकार लिीग ऑफ नशस (राषटसघ) िभाणगपणण ढग स अपन उदश म विफलि हआ इसी परकार स ति राषट

181ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

सघ क आिर और सममान का विन-परवतविन पतन हो रहा ह वि ा की मागरो को परा न वका गा तो शानत की थापना क वलिए चाह वजतन सगठन बनाए जाए उनक सभी परास विफलि हो जाएग

मन अभी लिीग ऑफ नशस की विफलिता का िणणन वका ह परथम विशव दध क उपरात विशवशानत की सरका क एकमातर उदश क वलिए इस का गठन वका गा था परत ह वदती विशव दध क अशभ आगमन वजसक समबzwjध म म पहलि बता चका ह वक इसक कारण वकतना विनाश और हावन हई को रोकन म विफलि रहा इस दध म जीलिि क भी कई लिोग मार गए कहा जाता ह वक लिगभग 11000 लिोग जो सभी सवनक थ इस दध म मार गए जीलिि दध क कदर स अवत िर होन क कारण साzwjधारण नागररकरो की जान नही गई परत जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह सामवहक रप स सवनकरो की अपका वनिवोष नागररकरो को अपन पराणरो स हाथ zwjधोना पडा तवनक कलपना कीवजए साzwjधारण वनिवोष लिोग वजनम असख नतरा और बचच भी शावमलि थ वबना वकसी अपराzwjध क अकारण अzwjधाzwjधzwjध मार गए

इसीवलिए आप वदती विशव दध स सीzwjध तौर पर परभावित िशरो क लिोगरो क हिरो म दध क नाम स ही िाभाविक घणा पाएग िततः िश-परम और िश-भनति की ह माग ह वि उसक िश पर कोई आकरमण होता ह तो एक नागररक का कततणव ह वक िह िश की रका और िततरता क वलिए हर परकार का बवलििान िन क वलिए त ार रह वफर भी वि िाताणलिाप क माधम स और राजनवतक तर पर वििािरो का शानतपणण और मतरीपणण ढग स समाzwjधान समभि हो तो अकारण मत एि विनाश को वनमतरण नही िना चावहए पराचीन कालि क दधरो म

182 विशव सकट तथा शानत-पथ

मखतः सवनक मार जात थ और नागररकरो की नतम हावन होती थी परत आज क दध क साzwjधनरो म हिाई बमबारी विषलिी गस और रासावनक शतर भी शावमलि ह और जसा वक मन कहा ह वक सबस विनाशकारी बम परमाण बम क उपोग की भी परबलि समभािना ह इस दनटि स ितणमान दध पराचीन दधरो स सिणथा पथक ह करोवक ितणमान दधरो म समपणण मानि जावत को zwjधरती स विलिपत करन की शनति विदमान ह इस समबzwjध म शानत थापना हत पवितर कआणन की अनपम वशका का िणणन करना चाहता ह पवितर कआणन म वलिखा ह ः

ldquoऔर पण और पाप बराबर नही हो सकत त बराई का उततर बहत अचछ विहार स ि इस का पररणाम ह वनकलिगा वक िह वनति वजसक और तर मध शतरता पाई जाती ह तर अचछ विहार को िख कर तरा हाविणक वमतर बन जाएगाrdquo

(सरः हा मीम आत ः 35)अतः पवितर कआणन ह वशका िता ह वक परपर शतरता और वििािरो

को थासमभि समापत कर िना चावहए और िाताणलिाप क माधम स उनका समाzwjधान करना चावहए वि आप िाभाि और समझिारी स बात करग तो वननचित रप स िसररो पर इसका सकारातमक एि सखि परभाि पडगा और ह घणा और दष क उमलिन का माधम वसदध होगा

वनसिह हम ितणमान ग म ि को अवत उनत और सभzwj मानत ह हमन विवभन अतराणषटी खराती सथाओ का सगठन वका ह जो बचचरो को िाथ सविzwjधाए और विदा उपलिzwjध कराती ह और माताओ क वलिए भी िाथ सविzwjधा का परबzwjध करती ह इसी परकार कई अ असख खराती अथिा zwjधमाणथण सथाए ह वजनकी थापना मानिजावत क

183ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

परवत सहानभवत एि िा क आzwjधार पर हई ह इतना सब कछ करन क पचिात हम ितणमान की वनतात आिशकता

पर विचार करना चावहए और धान िना चावहए वक हम ि को और अ लिोगरो को विनाश और तबाही स वकस परकार सरवकत रख सकत ह हम ह मरण रखना चावहए वक आज स अथिा सात िशक पिण की तलिना म ितणमान सम का विशव बहत वसमट चका ह साठ ा सततर िषण पिण जीलिि एक िरथ िश समझा जाता था जो एवशा और रोप स अवत िर नथत था परत आज ह िश विशव समिा का एक अवभन अग ह अतः दध की नथवत म कोई िश अथिा कतर सरवकत नही ह

आपक नता और राजनीवतज आपक िश क सरकक ह िश की सरका और उसकी वनरतर परगवत विकास और भलिाई करना उनका उततरिावति ह अतः उनक वलिए आिशक ह वक ि इस महतिपणण तथ को सिि मरण रख वक थानी दधरो क दारा विनाश और तबाही िर-िर तक फलि जाती ह हम इस बात पर परमातमा का zwjधिाि करना चावहए वक उसन अभी कछ महाशनतिरो को बवदध और वििक परिान वका वजसक फलििरप उनह ह समझ आ गई वक विशव को समभावित सिणनाश स बचान क वलिए दध को रोकन की का णिाही करनी चावहए मख रप स रस क राषटपवत न कछ महाशनतिरो को सीररा पर आकरमण करन स रोकन क वलिए भरसक परतन वकए उहरोन ह पटि रप स कहा वक चाह कोई िश छोटा हो ा बडा उसक साथ समान विहार वका जाना चावहए उहरोन ह भी कहा वक वि ा की मागरो को परा न वका गा और वि अ िश अपन अपन तर पर दध म

184 विशव सकट तथा शानत-पथ

सनममवलित हो जात ह तो सति राषट का भी िही िभाणगपणण अत होगा जसा वक राषटसघ का हआ था मरा ह विशवास ह उनका ह विशषण पणणता उवचत ह

दवप म उनकी समत नीवतरो का समथणन नही करता तथावप समझिारी की बात को िीकार करना चावहए काश ि एक किम और आग बढ कर ह कहत वक सति राषटसघ की सरका सवमवत क पाच थाी सिरो को जो िीटो का अवzwjधकार परापत ह उस सिा क वलिए समापत कर विा जाए तावक विशव क समत िशरो क मध िातविक ा और समानता थावपत हो जाए

गत िषण मझ िावशगटन िी सी क कवपटलि वहलि म एक भाषण िन का अिसर विा गा था उस सभा म बहत स सनटरज कागरस क सि विशष सलिाहकार और विवभन िगषो क वशवकत लिोग सनममवलित थ मन पटि रप स उह ह कहा वक ा की माग उसी नथवत म परी हो सकती ह जब सभी िगषो और लिोगरो क साथ समान विहार वका जाए मन ह पटि वका वक वि आप छोट और बड अमीर और गरीब िशरो क अतर को महति िना चाहत ह और िीटो की अापणण शनति को काम रखना चाहत ह तो इसक फलििरप वनचि ही अशानत और वचता िाति म परकट होन लिगी ह

अतः विशववापी मनलिम जमाअत क परमख होन क नात मरा ह कततणव ह वक म शानत थापना क परवत विशव का धानाकषणण कराऊ म इस अपना कततणव समझता ह करोवक इलिाम का अथण ही शानत एि सरका ह वि कछ मनलि म िश घणापणण आतकिािी गवतविवzwjध रो को परोतसावहत करत ह अथिा इनका पालिन करत ह तो इस स ह वनषzwjकषण

185ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

नही वनकालिना चावहए वक इलिाम की वशका अशानत और कलिह को बढािा िती ह मन अभी पवितर कआणन की एक आत का िणणन वका था इसी म ह वशका िी गई ह वक वकस परकार शानत थावपत की जा सकती ह

इसक अवतररति इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न अपन अनावरो को lsquoसलिामrsquo करन अथाणत सिि शानत क सिश का परसार करन की वशका िी हम आप सललाहो अलिवह िसलम क पवितर आचरण स जात होता ह आप सभी गर-मनलिमरो चाह ि हिी हरो ईसाई हरो अथिा वकसी अ zwjधमण ा आथा क मानन िालि हरो पर भी सलिामती भजत थ आप ऐसा इसवलिए करत थ करोवक आप समझत थ वक सभी लिोग परमातमा की सनटि का भाग ह और अलाह का एक गणिाचक नाम lsquoशानत का सोतrsquo भी ह और िह समपणण मानिजावत क वलिए शानत एि सरका चाहता ह

मन शानत क समबzwjध म कछक इलिामी वशकाओ का िणणन वका ह परत म ह पटि करना चाहता ह वक सम क अभाि क कारण मन कछ पकरो का ही िणणन वका ह िाति म इलिाम समत लिोगरो क वलिए शानत एि सरका की वशकाओ और उपिशरो स पररपणण ह ा थावपत करन क समबzwjध म इलिाम की का वशका ह

सरह सखा 5 की आत सखा 9 म अलाह तआलिा कहता ह ःldquoह ि लिोगो जो ईमान लिाए हो अलाह क वलिए मजबती स

वनगरानी करत हए ा क समथणन म साकी बन जाओ और वकसी जावत की शतरता तमह किावप इस बात की ओर परररत न कर वक तम

186 विशव सकट तथा शानत-पथ

ा न करो ा करो ह तकिा क सबस अवzwjधक वनकट ह और अलाह स िरो जो तम करत हो वनसिह अलाह उसस सिा अिगत रहता हrdquo

उपरोति आत म पवितर कआणन ा क उचचतम मापिणिरो को रखावकत करता ह ह आिश उन लिोगरो क वलिए शाका की कोई सभािना नही छोडता जो ि को मसलिमान कहत हए भी अताचार करत ह ह आिश उन लिोगरो क वलिए भी आलिोचना की सभािना को समापत करता ह जो इलिाम को एक उगरिािी और वहसािािी zwjधमण क रप म परतत करत ह पवितर कआणन न ा क और भी उततम मापिणि थावपत वकए ह कआणन न किलि ह वशका िता ह वक तम ा करो अवपत ह समानता का आिश ित हए हा तक कहता ह वक ः

ldquoह ि लिोगो जो ईमान लिाए हो अलाह क वलिए गिाह बनत हए ा को दढता पिणक थावपत करन िालि बन जाओ चाह ि अपन विरदध गिाही िनी पड अथिा माता-वपता और वनकट समबवzwjधरो क विरदध चाह कोई zwjधनिान हो अथिा वनzwjधणन िोनरो का अलाह ही उततम वनरीकक ह अत अपनी अवभलिाषाओ का अनसरण न करो ऐसा न हो वक ा स हट जाओ और वि तमन गोलि-मोलि बात की अथिा मह फर वलिा तो वनसिह जो तम करत हो उसस अलाह बहत अिगत हrdquo

(सरह अ नन सा ः 136)अतः ह ि वसदधातरो पर आzwjधाररत ा क मापिणि वजनक

दारा समाज क वनमनतम तर स लिकर अतराणषटी तर पर और समत

187ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

विशव म शानत थावपत की जा सकती ह इवतहास इस बात का साकी ह वक इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न इस वशका का पालिन वका और इस विशव क कोन-कोन तक पहचाा अब ितणमान ग म हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क सचच आवशक हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी अलिवहसलिाम जो अहमविा जमाअत क सथापक ह न इस वशका क परसार क वलिए भरपर सघषण वका और अपन अनावरो को शानत का परसार करन की वशका िी आपन अपन अन ा वरो को ह वशका भी िी वक ि परमातमा क परवत और उसकी सनटि क परवत कततणवरो की पवतण की ओर मानिजावत का धानाकषणण कराए

ही कारण ह वक अहमविा जमाअत अलाह क परवत और उसकी सनटि क परवत कततणवरो की पवतण क महति पर तथा ा क उचच मापिणि थावपत करन की आिशकता पर सभी लिोगरो को परबलि उपिश िती ह तावक ह विशव शानत और सौहािण का क दर बन सक

इन शिरो क साथ म अपना भाषण समापत करता ह और मझ आमवतरत करन और हा पzwjधार कर मरा भाषण सनन क वलिए म आपका zwjधिाि करता ह

वनशवक शजनत और सरकजवतािजन यि की खतरनजक सिसयजए

िच पावलिणामट बनन होफहग नीिरलिणि 2015

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज का नीिरलिणि नशनलि पावलिणमणट की वििशी मामलिरो की टनिग कमटी की विशष सभा म सनममवलित होना

नीिरलिणि नशनलि पावलिणामणट की वििशी मामलिरो की टनिग कमटी की सि हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज क साथ

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज नीिरलिणि नशनलि पावलिणामणट म वििशी मामलिरो की सटनिग कमटी की विशष सभा म

अपना एवतहावसक भाषण ित हए

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज राजनीवतक एि zwjधावमणक मामलिरो क कछ पहलिओ क सबzwjध म वकए गए एक परशनरो का उततर ित हए

पररचय

विनाक 6 अकटबर 2015 ई को विशववापी जमाअत अहमविा क इमाम हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज न हॉलिणि की राजzwjधानी हग म नीिरलिणि की नशनलि पावलिणामणट की वििशी मामलिरो की टविग कमटी की विशष सभा म सौ स अवzwjधक महमानरो और सममाननी लिोगरो क सामन एक ऐवतहावसक भाषण विा आोजन क परारभ म वमटर िन बोमलि न पावलिणामणट म हजर अनिर का अवभनिन करत हए कमटी क सिरो स पररच कराा इसक अवतररति उहरोन अ बाहय िशरो क पावलिणामणट क सासिरो विवभनन िशरो क राजित अलबावना करोवशा आरलिणि मोटी नीगरो पन तथा िीिन क परवतवनवzwjधरो का भी अवभनिन वका

वनशवक शजनत और सरकजवतािजन यि की खतरनजक सिसयजए

विनाक 6 अकटबर 2015 ई को हॉलिणि की पावलिणामणट म विा गा भाषण

तशहहि और तअविज क बाि हजरत वमजाण मसरर अहमि खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज न फरमााः

समत आिरणी अवतवथरो की सिा म असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातह आप सब पर अलाह की सरका और बरकत उतर

सिणपरथम म आज क इस आोजन की परबzwjध सवमवत का हाविणक zwjधिाि वति करना चाहता ह वजहरोन आज मझ हा भाषण िन क वलिए आमवतरत वका

आज हम िखत ह वक कछ समाओ को हमार सम की सबस अहम समाओ क तौर पर उजागर वका जा रहा ह उिाहरणता कछ गलिोबलि िावमाग और ऋत पररितणनरो पर बलि ि रह ह तथा कछ

196 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह जो बढ रह वििािरो और विशव की अत-वत पररनथवतरो पर अतत वचता का वशकार ह धानपिणक समीका की जाए तो विशव-शानत और सरका ितणमान ग की सबस बडी समा ह वनसिह हर गजरत हए विन क साथ विशव असतवलित और खतरनाक होता चलिा जा रहा ह इस ितणमान पररनथवत क कछ सभावित कारक ह वजनम स एक िह आवथणक सकट ह वजसन विशव क कई कतररो को परभावित वका ह

एक अ कारण ा और इसाफ का अभाि ह वजस का परिशणन करना कछ सरकार न किलि अपनी परजा क वलिए बनलक अ कौमरो क वलिए भी िzwjध रख हए ह एक अ कारण ह भी हो सकता ह वक कछ zwjधावमणक पशिा अपन िावतिरो को उवचत तौर पर अिा नही कर रह और वनतिगत वहतरो को विशालितम एि उततम वहतरो पर पराथवमकता ि रह ह जहा तक अतराणषटी सबzwjधरो का परशन ह वििािरो का एक बडा कारण अमीर और गरीब िशरो क मध परपर मतभि ह िखा गा ह वक शनतिशालिी िश वनzwjधणनतम िशरो की पराकवतक समपिाओ स उह उनकी अपनी सपवततरो म स िzwjध अवzwjधकार विए वबना लिाभानित होत ह

अतः विशव शानत म विघन क कारणरो की एक लिमबी सची ह वजसम स कछ का िणणन अभी मन वका ह कारण जो भी हरो मझ विशवास ह वक विशव म शानत का अभाि ितणमान नलि की सबस सगीन समा ह सभि ह वक इस पर आप लिोगरो म स कछ लिोग कह वक सिाणवzwjधक अनथरता का वशकार तो मनलिम िश ह और ह वक विशव म शानत क अभाि की जड भी मनलिम जगत की अशानत म

197ितणमान ग की खतरनाक समाए

ही मौजि हशाि आप म स कछ लिोग ह विचार कर वक चवक म भी एक

विशववापी मनलिम जमाअत अथाणत अहमविा मनलिम जमाअत का परबzwjधक ह इसवलिए म भी इस ितणमान नथवत का वकसी सीमा तक उततरिाी ह शाि आप ह भी सोचत हरो वक िश म वहसा दारा करानत लिान का वसदधात मानन िालि ततिरो क अनतति म आन और आतकिाि म िवदध का कारण िाति म इलिामी वशकाओ स ही वलिा गा ह तथावप इलिाम को इस नफरत और अशानत स जोडना बहत बडा अा ह

हा zwjधमषो क इवतहास पर वितत िाताणलिाप करना अभीटि नही परत इतना अिश कहना चाहगा वक वि समत zwjधमषो क इवतहास पर सामा दनटि िालिी जाए तो जात होता ह वक सम क साथ हर zwjधमण क अनाी अपनी मलि वशकाओ स िर होत गए वजसक कारण आतररक मतभि और zwjधावमणक आzwjधार पर गटबिी न जम वलिा बहत अताचार वकए गए और बहत स लिोगरो की जान गई इस िातविकता को दनटिगत रखत हए म पणण हाविणक रप स ह िीकार करता ह वक सम क साथ मसलिमान भी इलिाम की िातविक वशकाओ स िर हो गए ह इसक पररणाम िरप वनराशा और परवतपzwjधाण न जम वलिा वजसक अवतररति पररणाम सामपरिावकता आतक और अा क रप म परकट हए वफर भी एक सचच मसलिमान क दनटिकोण स इलिाम की ििणशा को िख कर मरा ईमान कम नही होता इसवलिए वक चौिह सौ िषण स भी अवzwjधक सम पिण इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलाम न भविषzwjयिाणी की थी वक zwjधीर-zwjधीर

198 विशव सकट तथा शानत-पथ

इलिामी वशकाओ म वबगाड पिा हो जाएगा और मसलिमान नवतक सकट क िौर म परविटि हो जाएग वफर हजरत महममि सललाह अलिवह िसलम न ह भी भविषzwjिाणी की थी वक आधानतमक अzwjधकार क इस िौर म खिा तआलिा एक सzwjधारक को मौऊि मसीह और इमाम महिी की हवसत स अितररत करगा जो इसावनत को इलिाम की िातविक तथा शानत वपर वशकाओ की ओर िापस लिकर आएगा हजरत महममि सललाह अलिवह िसलम की इस भविषzwjिाणी क अनसार हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम न इलिाम की िातविक और पणणता शानत स पररपणण वशकाओ का विव जान परिान वका अतः हम अहमिी मसलिमान ितणमान ग क अशानत और बचनी फलिान िालि ततिरो म सनममवलित नही बनलक हम ि लिोग ह जो विशव म शानत थापना क अवभलिाषी ह

हम तो ि ह जो विशव की नथवत क इलिाज क वलिए परासरत ह हम तो ि ह जो मानिता को स ति करना चाहत ह हम तो ि ह जो हर परकार की नफरतरो और शतरताओ को परम और सहनशीलिता म पररिवतणत करना चाहत ह और वनसिह हम ि लिोग ह जो विशव-शानत को थावपत करन क वलिए हर सभि परास करना चाहत ह एक zwjधावमणक पशिा क तौर पर म कहना चाहता ह वक परपर आरोप-परतारोप तथा परपर भडकान की बजाए हम िातविक और थाी विशव-शानत की थापना क वलिए तार हो जाना चावहए

इस वसलिवसलि म जमाअत अहमविा क परितणक न हम एक सनहर वसदधात स पररवचत करात हए फरमाा वक मानि जावत क वलिए आिशक ह वक िह था-सामथण परास दारा खिा तआलिा की

199ितणमान ग की खतरनाक समाए

विशषताओ को अपन अिर उजागर कर और उनक अनकरण का भरसक परतन कर

आप अलिवहसलिाम न फरमाा वक-मानि जावत की थाी भलिाई एि कलाण क वलिए ह एक

अवनिाण बात ह और वनसिह मानिता का सासाररक और आधानतमक कलाण और उननवत खिा तआलिा की विशषताओ पर विचार करन पर वनभणर ह करोवक उसकी उततम विशषताओ म ही हर परकार की शानत छछपी हई ह ह िातविकता पवितर कआणन की पहलिी आत स परकट ह जहा फरमाा- वक अलाह ही समत लिोकरो का रब (परवतपालिक) ह अथाणत िह परतक मनषzwj बनलक समपणण सनटि का रब अननिाता और काम रहन िालिा ह िह किलि मसलिमानरो का ही रब नही बनलक िह ईसाइरो हविरो तथा वहिओ बनलक समत कौमरो का रब (परवतपालिक) ह चाह ि वकसी भी zwjधमण अथिा आथा स सबzwjध रखती हरो

खिा तआलिा का अपनी सनटि स परम और सहानभवत अवदती और अनपम ह िह रहमान (कपालि) और रहीम (िालि) ह और अमन का उदम भी अतः जब इलिाम मसलिमान स माग करता ह वक िह ि म खिा तआलिा की विशषताओ को उजागर करन का परास कर तो ह वकसी मसलिमान क वलिए सभि ही नही रहता वक िह वकसी की हावन का कारण बन बनलक िातविक मसलिमान का ईमान तो उस पाबि करता ह वक िह मानिजावत स परम कर और परतक मनषzwj क साथ सममान सहानभवत और हमििगी का विहार कर

200 विशव सकट तथा शानत-पथ

एक परशन बार-बार वका जाता ह वक वि इलिाम अमन का zwjधमण ह तो वफर पवितर कआणन म दध की अनमवत करो िी गई चावहए वक इस अनमवत को उसकी सही अगलिी वपछलिी पनतिरो क परसग म रखकर इस बात क आलिोक म समझा जाए जो मन अभी िणणन की ह थाी शानत की थापना आzwjधारभत एि मलि उदश ह इस को पराति करन क वलिए पराः चतािनी और िाट-िपट की भी आिशकता पड जाती ह इसी परकार जब अलाह तआलिा न दध की अनमवत िी तो ह अनमवत किलि अमन को बहालि करन तथा परवतरकातमक उपा क तौर पर थी अतः ह बहत बडा अा ह वक कछ समिा तथा लिोग पवितर कआणन और इलिाम क परितणक सललाह अलिवह िसलम स अा और अताचार को जोडत ह पवितर कआणन तथा हजरत महममि सललाह अलिवह िसलम क जीिन चररतर का वनषzwjपक होकर अधन वका जाए तो जात होता ह वक इलिाम वकसी भी परकार क आतकिाि ा रतिपात क सिणथा विरदध ह

सम का धान रखत हए इसक वििरण म तो शाि न जा सकक परत हा इलिाम की कछ बवनािी वशकाओ का िणणन करता ह जो वनसिह ह वसदध करती ह वक इलिाम एक शानतपणण zwjधमण ह जसा वक मन अभी कहा वक एक आरोप ह लिगाा जाता ह वक इलिाम आतकिाि और लिडाई झगडरो का समथणक ह परत ह आरोप िातविकता क सिणथा विरदध ह पवितर कआणन की सरह अलिबकरः की आत 191 म अलाह तआलिा फरमाता ह-

कोई भी दध किलि इस नथवत म िzwjध हो सकता ह वक िह परवतरकातमक दनटि स लिडा गा हो इसी बात की पनरािवतत सरह

201ितणमान ग की खतरनाक समाए

अलिहजज की आत 40 म भी पटि तौर पर फरमाी-वक लिडाई की अनमवत किलि उनको िी गई ह वजन पर आकरमण वका गा और वजन पर दध लिाि विा गा तथा अलाह तआलिा न जहा इलिामी सरकाररो को दध की अनमवत िी िह किलि इस नथवत म िी वक zwjधावमणक उदश और विचार zwjधारा की िततरता की थापना हो अतः सरह अलिबकरहः की आत 194 म अलाह तआलिा न मसलिमानरो को आिश विा वक वकसी भी ऐस कतर म दध की अनमवत नही जहा zwjधावमणक सवहषzwjणता का िातािरण मौजि हो इसवलिए वकसी भी मसलिमान िश सगठन ा सि को ह अवzwjधकार पराति नही वक िह वकसी भी सरकार ा उसकी जनता क विरदध वकसी भी परकार क अताचार लिडाई और कानन का उलघन करन का भाग बन वबलकलि पटि बात ह वक रोप और पनचिमी िशरो म सरकाररो की नीि zwjधमण पर नही और रो वकसी भी मसलिमान क वलिए िzwjध नही वक िह कानन का उलघन कर ा सरकार का विरोzwjध आतकिाि क रप म कर ा वकसी भी परकार का विदरोह करन िालिा हो इलिाम की िातविक वशका तो ह ह वक वि वकसी गर मनलिम िश म रहन िालि वकसी वनति को लिग वक उस zwjधावमणक िततरता पराति नही तो उस ह अवzwjधकार नही वक िह कानन का उलघन करन पर उतर आए बनलक उस चावहए वक िह वकसी ऐस थान पर वहजरत (परिास) कर जाए जहा पररनथवता अनककलि हरो

पवितर कआणन की सरह अननहलि की आत 127 म इलिामी सरकाररो को आिश विा गा ह वक वि उन पर कभी आकरमण हो जाए तो िह किलि अपनी परवतरका क तौर पर थानककलि उततर ि अतः

202 विशव सकट तथा शानत-पथ

पवितर कआणन की वशका बहत पटि ह वक िणि मलि अपराzwjध क अनसार हो न वक उस स अवzwjधक

सरह अफालि की आत 62 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक वि तमहारा शतर बरी नीत स तम पर आकरमण करन का इरािा रखता ह परत बाि म वफर उपका करत हए सलिह का हाथ बढाता ह तो उसक परताि को तरत िीकार करत हए परपर शानतपणण मतरी की ओर बढो इस बात को न िखत हए वक उनकी नीत कसी ह

पवितर कआणन की ह वशका अतराणषटी अमन और सरका की थापना क वलिए सनहरी वसदधात ह आज क विशव म बहत स उिाहरण मौजि ह जहा कछ िशरो न किलि कलपना पर आzwjधाररत वकसी िश क कालपवनक अताचाररो क विरदध आतकिािी काण-परणालिी गरहण कर लिी मालिम होता ह वक मानो ि इस वसदधात का पालिन कर रह हरो वक शतर पर आकरमण कर िो ऐसा न हो वक िह पहलि कर ि इलिाम की वशका तो ह ह वक शानत की थापना क वकसी भी अिसर को नटि न वका जाए चाह उसकी आशा बहत ही कालपवनक करो न हो पवितर कआणन की सरह अलिमाइिह की आत-9 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक वकसी कौम की शतरता तमह इस बात पर न उकसाए वक तम उस स ा न करो इलिाम वसखाता ह वक पररनथवता चाह कसी ही परवतककलि हरो ा और इसाफ का िामन नही छोडना चावहए दध की नथवत म भी ा और इसाफ की थापना बहत महतिपणण ह तथा दध क पचिात विजता क वलिए आिशक ह वक िह ा स काम लि और कभी भी अनवचत अताचार करन िालिा न हो

203ितणमान ग की खतरनाक समाए

परत आज हम विशव म सहनशीलिता क ऐस उचच नवतक मापिणि विखाई नही ित अवपत दध की समानति पर विजता िश ऐसी पाबविा और परवतबzwjध ित ह जो परावजत िश की उननवत की सभािनाओ को सीवमत करक उन कौमरो की िततरता और सपरभता को अिरदध कर ित ह ऐसी काण-पदधवत अतराणषटी सबzwjधरो म वबगाड का कारण ह और उनका पररणाम असतोष और नकारातमक परभािरो क अवतररति और कछ नही िातविकता ह ह वक थाी अमन तब तक थावपत नही हो सकता जब तक समाज क परतक तर पर ा की थापना न हो जाए इलिाम की एक महतिपणण वशका हम सरह अलिअफालि की आत 68 म वमलिती ह वक मसलिमानरो क वलिए उवचत नही वक दध बविरो को दध क कतर स बाहर लि जाए इसवलिए वहसा दारा करानत लिान क वसदधात को मानन िालि तथा आतकिािी सगठन जो अकारण कविरो को लि जा रह ह ि इलिामी वशका क विरदध आचरण कर रह ह सचनाओ क अनसार ि न किलि किी बना कर लि जा रह ह बनलक उन कविरो पर कठोर अताचार भी करत ह

आतकिािी सगठनरो की ह काण-पदधवत अतत वनिनी ह िसरी ओर पवितर कआणन की वशका ह वक वि दध म किी बना लिन का कोई औवचत हो भी तो उनक साथ नमता का विहार वका जाए और था शीघर उह आजाि कर विा जाए

शानत थावपत करन का एक अ सनहरा वसदधात सरह अलिहजरात की आत 10 म ह िणणन हआ ह वक-वि िो िशरो क मध कोई वििाि हो तो वकसी तीसर िश ा वगरोह को मधथ की भवमका वनभात हए वििाि को परपर सलिह (सनzwjध) दारा हलि करान

204 विशव सकट तथा शानत-पथ

का परास करना चावहए परपर सलिह की नथवत म िोनरो पकरो म स कोई भी पक वि अिzwjध तौर पर सलिह की शतषो की अिहलिना कर तो अ पकरो को स ति होकर अताचारी क वलिए बाzwjधा बनना चावहए चाह इसक वलिए बलि-परोग ही करना पड वफर वि अताचारी पकसि रक जाए तो उसकी भतसणना करन ा उस पर परवतबzwjध लिाग करन की बजाए उस एक िततर िश तथा िततर समाज क तौर पर उननवत करन की अनमवत िनी चावहए ितणमान ग म ह वसदधात बहत महतिपणण ह विशषतः महाशनतिरो और अतराणषटी सगठनरो जस एनओ क वलिए

विशव शानत की थापना क वसलिवसलि म एक और अतत महतिपणण वसदधात जो सासाररक तर पर zwjधावमणक िततरता क िातािरण को थावपत करन की गारटी िता ह पवितर कआणन की सरह अलिहजज की आत 41 म िणणन हआ ह फरमाा- वि दध की अनमवत न िी जाती तो मनजिरो क अवतररति कलिीसा रावहबघर(वगरजाघर) मनिर तथा अ zwjधमषो क उपासना गह सब भकर खतर का वशकार हो जात अतः जहा इलिाम न बलि-परोग की अनमवत िी िह किलि इलिाम को ही नही अवपत zwjधमण को सामातः सरका उपलिzwjध करान क उदश स थी िातविकता ह ह वक इलिाम समत zwjधमषो क वलिए िततरता सवहषzwjणता और सरका की गारटी िता ह तथा हर सि को अपनी इचछा क zwjधमण ा आथा का पालिन करन का अवzwjधकार िता ह मन आपक सामन पवितर कआणन की वशकाओ म स कछ वबि परतत वकए ह जो समाज क परतक तर तथा विशव क परतक भाग म एकता रा म सहमवत पिा करन का मागण परशत करत ह ि सनहर वसदधात

205ितणमान ग की खतरनाक समाए

ह जो पवितर कआणन न शानत थावपत करन क उदश स विशव क लिोगरो को परिान वकए ह ि वशकाए ह वजन पर इलिाम क पगमबर सललाह अलिवह िसलम और आपक सहाबा न विहाररक आिशण परतत वका साराश क तौर पर िोबारा िणणन करता ह वक विशव को अमन और सरका की अतत आिशकता ह ही हमार ग की तातकावलिक और आिशक समा ह समत िशरो तथा समत कौमरो को zwjधमण अथिा वकसी भी अ नाम पर होन िालि अताचार आतक और अा की रोक-थाम क वलिए सति हो जाना चावहए इसम वकसी zwjधमण का हसी-ठटा भी सनममवलित ह वजसक पररणाम िरप बचनी और हतकप होन की सभािना ह तथा ऐस घवणत काण भी वजनक कताण इवतहा पसि समिा होत ह और zwjधमण स औवचत ित ह

इसक अवतररति हम चावहए वक हम समत कौमरोिशरो स ा का विहार कर और उन स सहोग कर तावक परतक िश अपनी ोगताओ को पहचान और उननवत क मागण पर चलिन िालिा हो ईषzwjाण एि तनाि का ितणमान िातािरण िौलित की लिालिसा का पररणाम ह इस बार म भी पवितर कआणन न सनहरी वसदधात िणणन वका वक लिालिच क हाथरो वकसी अ क मालि को हडप न वका जाए इस वशका का पालिन करन क दारा भी विशव-शानत को उननवत पराति हो सकती ह समाज क परतक तर पर ा की मागरो को पणण करना आिशक ह तावक हर वनति रग-ि-नलि म अतर वकए वबना अपन पररो पर सममान और माणिा क साथ खडा हो सक आज हम उननवत पराति िशरो का उननवत शीलि िशरो म पजी वनिश करन क रझान म िवदध विखाई िती ह आिशक ह वक ि ा का परिशणन कर और किलि पराकवतक

206 विशव सकट तथा शानत-पथ

साzwjधनरो तथा कम कीमत पररशवमक को अपन राषटी वहत एि लिाभ क वलिए परोग न करत रह उह इन िशरो स पराति होन िालि लिाभ म स पराः इही िशरो म िोबारा पजी-वनिश क तौर पर लिगा िना चावहए तावक थानी लिोग भी उननवत एि समवदध की ओर चलि सक वि उननवत पराति िश इन वनzwjधणन िशरो की सहाता क उदश स ऐसा कर तो न किलि उन वनzwjधणन िशरो को लिाभ पहचगा अवपत इसक लिाभ िो पकी हरोग इसक दारा परपर विशवास का िातािरण थावपत होगा और ितणमान वनराशा और बचनी म कमी आएगी इस स इस परभाि का वनिारण भी होगा वक महाशनतिा िाथगी ह और वनzwjधणन एि कगालि कौमरो क ससाzwjधनरो स अिzwjध लिाभ पराति करती ह और ह वक इस स थानी ितणमान आवथणक नथवत म सzwjधार होगा और विशव-तर पर जीविका सबzwjधी तथा ितणमान आवथणक नथवत म सzwjधार पिा होगा

इस स वनसिह विशव तर पर परम भाईचारा और वमतरता का िातािरण पिा होगा इसस भी अवzwjधक ह वक ऐसी काण-पदधवत विशव-शानत की थापना की नीि वसदध होगी वि अभी इस ओर धान न विा गा तो विशव की ितणमान नथवत का पररणाम विशव-दध होगा वजसक िषzwjपरभाि भािी नलिरो तक छाए हरोग और हमारी नलि हम कमा नही करगी

इन शिरो क साथ आप स आजा चाहता ह अलाह तआलिा विशव म िातविक शानत परकट कर बहत zwjधिाि

वनशवक अशजनत ि शजनत की कजीटोवको जापान 2015 ई

वनशवक अशजनत ि शजनत की कजीटोवको जापान 2015 ई

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज काटोवको जापान म विशष आोजन म िआ करान का दश

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज टोवको जापान म आोवजत विशष आोजन म पौzwjध को सीचत हए

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीजटोवको जापान म आोवजत विशष आोजन म क दरी भाषण ित हए

पररचय

विनाक 23 निमबर 2015 ई को विशववापी जमाअत अहमविा क इमाम हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज न वहलटन होटलि ओिाइबा टोवको म अपन सममान म आोवजत एक आोजन म अहम भाषण विा इस आोजन म साठ स अवzwjधक परवतनषठत महमान सनममवलित हए इस अिसर पर हजर अिर न सततर िषण पिण वहरोवशमा और नागासाकी पर ह एटमी आकरमणरो क सबzwjध म अपनी परवतवकरा वति की इसस पिण िो ितिाओ वमटर माइक साटा ाओशीको चरमन टोकीबो गरप आफ इिटरीज और 2011 ई क भकमप क अिसर पर सिाणवzwjधक परभावित होन िालि कतर टोहोको स सबzwjध रखन िालि वमटर एणिोशीनी ची न भी िशणकरो म भाषण विा

वनशवक अशजनत ि शजनत की कजी

23 निमबर 2015 थान - वहलटन होटलि टोवको जापान

तशहहि और तअविज क बाि हजरत अमीरलि मोवमनीन खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा न महमानरो को समबोवzwjधत करत हए फरमाा-

असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातहअलाह तआलिा की िा और बरकत आप पर उतर इस अिसर

पर सिणपरथम म समत अवतवथगण का zwjधिाि करना चाहता ह वजहरोन आज क इस आोजन क वलिए हमार वनमतरण को िीकार वका हम एक अतत खतररो और उपदरिरो स भर ग म रह रह ह जहा विशव की नथवत बचनी का बहत बडा कारण ह विशव को अपनी वगरफत म वलिए हए मतभि तथा अशानत अतराणषटी शानत और सरका क वलिए एक खतरा बन गए ह

214 विशव सकट तथा शानत-पथ

मनलिम जगत पर एक दनटि िालि तो बहत स िशरो की सरकार अपन ही नागररकरो क साथ अताचारपणण अराजकता म गरत ह अzwjधाzwjधzwjध अताचार और रतिपात इन िशरो क ताना-बाना को तबाह कर रह ह पररणामिरप आतकिािी सगठन सतता म पिा होन िालिी ररतिता का अनवचत लिाभ उठात हए कछ थानरो पर कजा करक अपनी नाम मातर सरकार बना बठ ह ि अतत वहसक पशओ जसी काण परणालिी क दारा किलि अपन िशरो म ही अमानिी अताचार नही ढा रह अवपत उन की पहच रोप तक भी हो गई ह वजस का एक उिाहरण वनकट ही पररस क आकरमण म वका गा अताचार और जलम ह

पिगी रोप को िख तो रवशा करन तथा कछ अ रोपी िशरो क परपर अताचार बढत चलि जा रह ह इसक अवतररति एक अमररकन दधपोत िवकणी चीन सागर म जा वनकलिन स अमरीका और चीन क मध भी तनाि म िवदध हई ह वफर आप जानत ही ह वक चीन और जापान क मध वििावित दीपरो पर वचरकालिीन ितािास सबzwjधी तनाि मौजि ह

भारत और पावकतान क मध कशमीर समा मतभि का एक थाी कारण ह और इसम बहतरी का भी कोई उपा नही इसी परकार इसाईलि और वफवलितीन का तनाि भी परिश की शानत को तबाह वकए हए ह

अफीका म कछ आतकिािी सगठनरो न कछ कतररो पर कजा और अवzwjधकार पराति करक विशालि तर पर तबाही और बरबािी मचा रखी ह ह तो बहत सी समाओ म स कछ का िणणन वका गा ह

215िनशवक अशानत म शानत की कजी

वजनका इस सम विशव को सामना ह अथा विशव म अशानत और तनाि फलिन क और बहत स उिाहरण मौजि ह

अतः िह एकमातर वनषzwjकषण वजस पर हम पहचत ह िह ही ह वक विशव इस सम अताचार और अशानत की लिपट म ह आzwjधवनक ग म लिडाई-झगडरो का तर पिण गरो की अपका बहत वापक ह विशव क वकसी एक कतर क परपर झगड थानी तर तक ही सीवमत नही रहत अवपत उनक परभाि और पररणाम बहत िर तक फलित ह

समा मीविा क आzwjधवनक और शीघरगामी माधमरो न विशव को एक गलिोबलि विलिज बना विा ह पहलि समरो म दध का सबनzwjधत सगठनरो तक सीवमत रहना सभि था वकत अब परतक झगड और दध क पररणाम िातविक रप स विशव तर पर परकट होत ह िाति म म तो कई िषषो स विशव को सतकक कर रहा ह वक इस िातविकता को जान लि वक अब वकसी एक िश म होन िालिा दध विशव क िसर िशरो क अमन और शानत पर परभािी होगा

बीसिी शतािी म होन िालि िोनरो विशव दधरो पर दनटि िालि तो जात होता ह वक उस सम म उपलिzwjध दध क शतर ितणमान सम क शतररो और अतररो की तलिना म इतन आzwjधवनक तथा घातक न थ इसक बािजि कहा जाता ह वक किलि वदती विशव दध म ही सात करोड लिोग मर वजनम स बहत सी सखा वनिवोष नागररकरो की थी अतः परतक ग म विनाश और बरबािी की सभािना की कलपना करना भी कवठन ह वदती विशवदध क सम अमरीका क ऐटमी हवथाररो की शनति आzwjधवनक सम क नलिर हवथाररो की तलिना म कछ भी न थी अब नलिर हवथार किलि महा शनति कहलिान िालि िशरो क

216 विशव सकट तथा शानत-पथ

पास ही मौजि नही अवपत कछ छोट िश भी इह रखत ह जहा विशव की महाशनतिा इन हवथाररो को किलि एक परवतरका क तौर पर रख हए ह िहा इस बात की कोई गारटी नही वक छोट िश भी ऐसा ही कर और हम ह विशवास नही कर सकत वक ि उह इतमालि नही करग अतः इसम कोई सिह नही की विशव विनाश क मख पर खडा ह

वदती विशव महादध क अवतम चरणरो म आप की कौम को भी एक अकलपनी विनाश और बरबािी क आघात को सहन करना पडा जब आपक लिाखरो नागररकरो को वनिणतापिणक मार विा गा तथा आपक िो शहररो को ऐस नलिर आकरमण स वमटा विा गा वक वजस पर मानिता भी लिनजजत ह ऐसी भकर िघणटना क अिलिोकन तथा अनभि स गजर कर जापानी कौम कभी नही चाहगी वक ऐसा आकरमण जापान म अवपत विशव क वकसी भी िश म िोहराा जाए आप ि लिोग ह जो नलिर दध क विनाशकारी परभािरो स भलिी भावत पररवचत ह आप ि ह जो जानत ह वक ऐस घातक हवथाररो स पिा होन िालि िषzwjपररणाम किलि एक नलि तक सीवमत नही अवपत भािी नलिरो तक छाए रहत ह आप िह कौम ह जो नलिर हवथाररो क अतल िषzwjपररणामरो की गिाही ि सकत ह इसवलिए जापावनरो स बढकर कोई कौम नही जो विशव शानत एि सरका क महति को पहचानती हो

ह zwjधिाि का अिसर ह वक जापान उस नथवत स गजर कर अब एक अतत उननवत पराति कौम ह और रो अपन भतकालि को दनटिगत रखत हए आिशक ह वक जापान विशव-शानत थावपत करन म अपनी भवमका अिा कर दवप ह खिजनक बात ह वक वदती

217िनशवक अशानत म शानत की कजी

विशव दध की समानति पर जापान पर ऐसी पाबविा और परवतबzwjध लिगा विए गए वजन क पररणाम िरप आप की कौम अतराणषटी वसफाररशरो क वनzwjधाणरण म कोई विशष किम नही उठा सकती वफर भी आपका िश अब भी अतराणषटी समाओ और राजनीवतक मामलिरो म एक महतिपणण भवमका अिा करता ह इसवलिए आपको अपन परभाि एि पहच को उततम रप स काम म लिात हए कौमरो और िशरो क मध शानत थावपत करन का परास करना चावहए

इस िषण इवतहास क उन िहवशाना विनरो पर सततर िषण हो गए जब हीरोवशमा और नागासाकी पर एटमी बमबारी करक आप की कौम को विनाश कटि और अताचार का लिक बनाा गा चवक आप न उस विनाश और बरबािी का सही वचतरण करन क उदश स मवजम बना रख ह और चवक इस एटमी बमबारी क कछ परभाि आज भी जारी ह इसवलिए जापानी कौम लिडाई-झगड क िषzwjपरभािरो को समझ सकती ह जसा वक मन साकवतक तौर पर िणणन वका ह वक आप पर गजरन िालिी उस तरासिी का एक भाग ह भी ह वक दध क पचिात जापान पर अनािशक और अापणण परवतबzwjध भी लिगा विए गए कई िशक गजरन क साथ-साथ ह परवतबzwjध भी दध क विनाशकारी परभािरो को थाी तौर पर मरण करान क वलिए रह हरोग

जापान पर एटमी आकरमण क सम िसर खलिीफा जो उस सम इमाम जमाअत अहमविा थ न उन आकरमणरो की घोर वनिा करत हए फरमाा

ldquoहमारी zwjधावमणक एि नवतक वशकाए हम स माग करती ह वक हम विशव क समक घोषणा कर वक हम इस िहवशाना कत और रतिपात

218 विशव सकट तथा शानत-पथ

को वकसी भी नथवत म उवचत नही समझत मझ इसकी वबलिकलि परिाह नही वक कछ सरकार मर इस बान को अवपर दनटि स िखrdquo

हजरत खलिीफतलि मसीह वदती (रवज) न इसक अवतररति फरमाा वक उह भविषzwj म लिडाई झगड म कोई कमी होती नही विखाई िती बनलक उह अताचार और अारो म िवदध होती विखाई िती ह आज उन की चतािनी पणणता उवचत वसदध हो गई ह दवप तती विशवदध की कोई वनवमत रप स घोषणा तो नही की गई वकत िाति म एक विशव दध इस सम जारी ह समपणण विशव म परष तरी तथा बचचरो तक को हिवििारक अताचाररो का लिकण बनाा जा रहा ह और मारा जा रहा ह

जहा तक हमारा सबzwjध ह तो मनलिम जमाअत अहमविा न हमशा हर परकार क अताचार और अा की वनिा की ह चाह ह विशव क वकसी भी भाग म हो करोवक इलिामी वशका की माग ह वक हम अा क विरदध आिाज उठाए और मोहताज अताचार पीवडत िगण की सहाता कर मन अभी िणणन वका ह वक हजरत खलिीफतलि मसीह वदती (रवज) न वकस परकार वबना रोक-टोक जापान पर होन िालि एटमी आकरमणरो की वनिा की थी अवतररति ह वक एक परवसदध एि खावत पराति अहमिी मसलिमान जो विशव तर पर बहत परभाि और पठ रखत थ न जापान और उसकी जनता की सहाता करन का दढ सकलप वका मरा सकत सर चौzwjधरी जफरलाह खान सावहब की ओर ह जो बहत स अतराणषटी मख पिरो पर आसीन रहन क अवतररति पावकतान क परथम वििश मतरी थ और बाि म स ति राषट की जनरलि एसमबलिी क परजीिणट भी रह वदती विशवदध क पचिात उहरोन कछ

219िनशवक अशानत म शानत की कजी

सरकाररो की ओर स जापान पर अा पणण परवतबzwjध लिगान की घोर वनिा की 1951 ई म सानफावसको म होन िालिी Peace Summit म पावकतानी परवतवनवzwjध मणिलि क मख परवतवनवzwjध क तौर पर चौzwjधरी जफरलाह खान सावहब न कहा-

ldquoजापान क साथ शानत थापना की नीि ा और सलिह पर रखी जाए न वक अताचार और अा पर भविषzwj म जापान अपन राजनीवतक एि सामावजक ढाच क सzwjधाररो पर एक अतािशक भवमका अिा करगा जो उननवत की पटि गारटी ह और जो जापान को शानतवपर िशरो की पनति म समानता का थान विलिा सकती हrdquo

उन का भाषण पवितर कआणन की वशकाओ और इलिाम क पगमबर सललाह अलिवह िलम की सननत क आलिोक म था इलिाम की िातविक वशकाओ को आzwjधार बनात हए उहरोन बताा वक वकसी दध म विजता को कभी परावजत परवतदिी पर ऐस अनवचत परवतबzwjध नही लिगान चावहए जो भविषzwj म उसकी उननवत और समवदध म बाzwjधक हरो

चौzwjधरी जफरलाह खान सावहब न ह ऐवतहावसक बान जापान क समथणन म विा करोवक एक अहमिी मनलिम की हवसत स िह किलि पावकतान की सरकार क परवतवनवzwjध ही न थ अवपत इसस भी बढकर िह इलिाम वक सिवोतकटि वशकाओ का परवतवनवzwjधति कर रह थ

जसा वक म पहलि भी िणणन कर चका ह वक आप िह कौम ह जो लिडाई-झगड क िषzwjपररणामरो को वकसी भी अ कौम स अवzwjधक समझ सकत ह अतः जापानी सरकार को हर सभि उपा तथा हर तर पर हर परकार क अमानिी विहार अताचार और अा का मकाबलिा करत हए उसका वनिारण करना चावहए उस चावहए वक इस

220 विशव सकट तथा शानत-पथ

बात क वलिए परासरत रह वक जो पशओ जसा आकरमण उन पर हआ िह कभी भी कही भी न िोहराा जाए

जहा कही भी दध क बािलि मिलिा रह हरो जापानी नताओ तथा जनता को तनाि कम करन और शानत थावपत करन क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए जहा तक इलिाम का सबzwjध ह कछ लिोगरो की दनटि म ह एक अताचारी और आतकिािी zwjधमण ह ि अपन इस विचार की बवनाि इस बात पर रखत ह वक इलिामी जगत म लिडाई-झगड और आतकिाि क ग का िौर ह

तथावप उन क दनटिकोण पणणता िातविकता क विरदध ह िाति म इलिाम की शानत वपर वशकाओ की विशव क इवतहास म कोई तलिना नही इसीवलिए हजरत खलिीफतलि मसीह वदती रवज और चौzwjधरी महममि जफरलाह खान सावहब रवज न आप की कौम पर हो रह अताचाररो क विरदध जोरिार आिाज उठाई

अब म इलिाम की िातविक वशकाओ को बहत सवकति रप म िणणन करना चाहगा इलिाम का एक आzwjधारभत वसदधात तो ह ह वक वकसी भी ऐस दध का कोई औवचत नही जो भौगोवलिक राजनीवतक आzwjधाररो पर ा पराकवतक समपिाओ पर अवzwjधकार करक आवथणक लिाभरो को पराति करन क उदश स वका जाए इसक अवतररति पवितर कआणन की सरह अननहलि की आत 127 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक दध की नथवत म कोई भी िणि मलि अपराzwjध क अनसार हो न वक िzwjध सीमा स बढ कर पवितर कआणन ही की वशका ह वक दध क पचिात कमा कर िना और zwjधण का परिशणन करना उततम ह

इसी परकार पवितर कआणन की सरह अलि अफालि की आत 62

221िनशवक अशानत म शानत की कजी

म फरमाा वक जहा िो सिरोपकरो क सबzwjधरो म िराड आ गई हो और दध की त ारी की जा रही हो वि कोई एक सिपक सलिह करना चाह तो िसर सिपक पर अवनिाण ह वक िह उस परताि का िागत कर और अलाह पर भरोसा रख पवितर कआणन फरमाता ह- वकसी एक सिपक को िसर सिपक की नीत पर कzwjधारणा नही रखनी चावहए अवपत हमशा सलिह और परपर समझौता करन का मागण तलिाश करना चावहए कआणन की ह वशका अतराणषटी शानत को थावपत करन क वलिए एक मलि वसदधात ह

सरह अलिमाइिः की आत-9 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक- वकसी कौम की शतरता तमह इस बात पर न उकसाए वक तम ा और इसाफ की मागरो पर समझौता कर लिो अवपत इलिाम तो ह वसखाता ह वक वकसी भी पररनथवत म चाह कसी ही कवठनाइा सामन हरो ा और इसाफ की मागरो का िामन दढता पिणक थाम कर रखा जाए वनसिह ा ही ह जो सबzwjधरो म अचछाई का कारण होता ह और असफलि होन क अहसास तथा दध क कारणरो को िर करन का कारण हो सकता ह सरह अननर की आत 34 म पवितर कआणन फरमाता ह वक वि दध क पचिात कविरो को आजाि करन क वलिए उन पर कोई आवथणक िणि लिगाओ तो शतत उवचत होनी चावहए तावक ि उस सविzwjधा पिणक अिा कर सक और वि उस वकशतरो म िसलि वका जाए तो उततम ह

शानत-थावपत करन का एक सनहरी वसदधात जो सरह अलिहजरात की आत 10 म ह भी िणणन हआ ह फरमाा वक-वि िो वगरोहरो क मध तनाि हो तो कोई तीसरी कौम ा वगरोह मधथ की भवमका अिा कर और परपर शानतपणण समझौत की नथवत पिा करन का परास

222 विशव सकट तथा शानत-पथ

कर परपर सलिह की नथवत म िोनरो सिरोपकरो म स कोई भी वि अिzwjध तौर पर सलिह की शतषो क विरदध काण कर तो अ सिरो को सति होकर अताचारी क वलिए बाzwjधक बनना चावहए चाह उसक वलिए बलि का परोग ही करो न करना पड वफर वि अताचारी सिपक रक जाए तो उस पर परवतबzwjध लिगान की बजाए उस एक आजाि कौमिश और आजाि समाज क तौर पर उननवत करन की अनमवत िनी चावहए ितणमान सम म ह वसदधात बहत महति रखता ह विशषतः महा शनतिरो और अतराणषटी सगठनरो उिाहरणता एनओ क वलिए वि इन मलरो पर आजापालिन परारभ कर विा जाए तो विशव म िातविक शानत और ा थावपत हो सकता ह तथा अनािशक असतोष और विफलिता का अहसास ि समाति हो जाएगा

इसी परकार अ बहत स कआणनी आिश ह जो विशव म शानत थावपत करन तथा लिडाई-झगड क वनषzwjध की ओर मागणिशणन करत ह हमार रहमान और रहीम खिा न शानत की कजी इसवलिए परिान की करोवक िह चाहता ह वक उसकी सनटि परपर एकता क िातािरण म रह और हर परकार की नफरत और दष स मति हो

अतः इन बातरो क साथ म आप सब स वनििन करता ह वक अपनी पठ और पहच को परोग म लिात हए विशव म अमन और परपर एकता क वलिए परास कर हमारा सामवहक िावति ह वक विशव म जहा कही भी अशानत और तनाि ह हम ा क वलिए आिाज उठाए और शानत थावपत करन क वलिए परास कर तावक हम िस भकर दध स सरवकत रह सक जो आज स सततर िषण पिण लिडा गा था वजसक विनाशकारी परभाि कई िशकरो पर छाए हए थ अवपत

223िनशवक अशानत म शानत की कजी

आज तक महसस वकए जात ह दवप सीवमत तर पर एक विशवदध का परारभ हो चका ह परत हम चावहए वक हम अपन िावतिरो को था सम वनभाए ऐसा न हो वक कही उसक परभाि फलिकर विशव को अपनी लिपट म लि लि और ि रति बहान िालि और घातक हवथार िोबारा परोग हरो जो हमारी भािी नलिरो को तबाह कर ि

अतः आइए सब वमलिकर अपन िावतिरो को वनभाए विरोzwjधी सगठन बनान की बजाए हम सब को एकमत होकर परपर सहोग करना चावहए हमार पास अब कोई और चारा नही करोवक वि तती महादध वनवमत रप स आरभ हो गा तो उसक पररणामिरप आन िालिा विनाश और बरबािी क वसलिवसलिरो की कलपना भी असभि ह वनसिह ऐसी नथवत म अतीत क दध इस की तलिना म बहत साzwjधारण महसस हरोग

मरी िआ ह वक विशव इस नथवत की कठोरता को समझ इसस पिण वक विलिमब हो जाए मानिजावत खिा तआलिा क सामन झकत हए उसक अवzwjधकाररो तथा आपसी अवzwjधकाररो को अिा करन लिग

अलाह तआलिा उह समझ और वििक परिान कर जो zwjधमण क नाम पर अशानत का िातािरण पिा कर रह ह तथा उह भी जो अपन आवथणक वहतरो क उदश स भौगोवलिक एि राजनीवतक दध कर रह ह काश उह जात हो जाए वक उनक उदश वकतन अनवचत और विनाशकारी ह खिा कर वक विशव क हर कतर म वचरथाी शानत थावपत हो आमीन

इन वनििनरो क साथ म आप का एक बार पनः आभार वति करता ह वक आप इस आोजन म पzwjधार बहत zwjधिाि

मवशव क मवमशटि नतजओ क नजि पत

आदरणीय पोप बमनमिकट XVI क नजि पत

229विशि क नताओ क नाम पतर

31 अतिबर 2011मािर पोप बवनविकट XVI

मरी िआ ह वक अललिाह तआलिा आप पर अपनी कपा और बरकत उतार विशिवापी जमाअत अहमविा क पशिा होन क नात म मािर की सिा म पवितर कआणन का ह सिश पहचाता ह वक ldquoह अहलि वकताब (कम स कम) एक ऐसी बात की ओर आ जाओ जो हमार और तमहार मध समान ह (और िह ह ह) वक हम अललिाह क अवतररकत वकसी की उपासना न कर और वकसी को उसका भागीिार न बनाए और न हम अललिाह को छोडकर आपस म एक-िसर को रब बनाा करrdquo

इलिाम आजकलि विशि की करोवzwjधत दनटि का वशकार ह तथा वनरतर आरोपरो का वनशाना बनाा जा रहा ह जो लिोग आरोप लिगात ह ि इलिाम की िातविक वशकाओ का अधन वकए वबना ऐसा करत ह िभाणग स कछ मसलिमान सगठनरो न भी किलि अपन वनतिगत वहतरो की पवतण क वलिए इलिाम को वबलकलि गलित ढग म परतत वका ह पररणामिरप पनचिमी तथा गर मनलिम िशरो क हिरो म इतनी अवzwjधक अविशिास की भािना पिा हो गई ह वक वशवकत लिोग भी इलिाम क परितणक हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम क विरदध वनराzwjधार आरोप लिगात ह

परतक zwjधमण का उदश मनषzwj को अललिाह क वनकट लिाना ह और मानिी

230 विशव सकट तथा शानत-पथ

मलरो को थावपत करना ह वकसी भी zwjधमण क परितणक न कभी भी अपन अनावरो को ह वशका नही िी वक ि िसररो क अवzwjधकाररो को हडप लि और अताचारपणण विहार कर अत मसलिमानरो क एक छोट और गमराह िगण क िषzwjकमषो को इलिाम और उसक पवितर परितणक पर परहार क बहानरो क तौर पर परोग नही वकए जान चावहए इलिाम हम समत zwjधमषो क पगमबररो (अिताररो) का सममान करन की वशका िता ह अत समत मसलिमानरो क वलिए उन समत पगमबररो वजनम हजरत स मसीह भी सनममवलित ह वजनका िणणन पवितर बाइबलि ा पवितर कआणन म ह पर ईमान लिाना आिशक ह हम हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम क बहत तचछ िास ह इसवलिए हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम पर वकए जान िालि परहाररो स हम बहत िख और आघात पहचता ह परत हम वनरतर आपस क उचच आचरण को विशि क समक परतत करक तथा पवितर कआणन की स िर वशकाओ को परकट करक उततर ित ह

वि कोई व नति वकसी विवशटि वशका का पालिन नही करता जबवक ि को उसकी ओर समबदध करन का िािा करता ह तो ह उसकी गलिती ह न वक वशका की इलिाम शि क अथण ही शान त परम और सरका क ह ldquozwjधमण क मामलि म कोई जबरिती नहीrdquo ह इलिाम का पषzwjट आिश ह पवितर कआणन बार-बार आगरहपिणक परम सहानभवत शान त मतरी एि त ाग की वशका िता ह तथा बार-बार ह कहता ह वक जो स म zwjधारण नही करता िह अलाह स िर ह और िह इलिामी वशकाओ स भी िर ह अत वि कोई व नति इलिाम को एक अतत उगर और वहसक और उसकी वशकाओ को रतिपात पर आzwjधाररत समझता ह तो उस का िा तविक इलिाम स कोई सबzwjध नही

अहमविा मनलिम जमाअत किलि िातविक इलिाम पर काणरत ह तथा किलि अललिाह तआलिा की परसनता क वलिए काण करती ह वि वकसी वगरजा अथिा वकसी अ उपासना थलि को सरका की आिशकता पड तो ि हम इस

231विशि क नताओ क नाम पतर

काण क वलिए कzwjध स कzwjधा वमलिाकर अपन साथ खडा पाएग वि हमारी मनजिरो स वकसी सिश की आिाज गजती ह तो िह किलि ह होगी वक अललिाह सब स महान ह और हम ह गिाही ित ह वक उसक अवतररकत कोई भी पजनी नही तथा महममि म तफा सललाहो अलिवह िसलम अललिाह क रसलि ह

एक कारण जो विशि-शानत को भग करन म महतिपणण भवमका वनभाता ह िह ह ह वक कछ लिोग ह समझत ह वक ि बवदधमान उचच वशका परापत और पणण िततर ह तथा ि zwjधमषो क परितणकरो पर उपहास और अवभहास करन म पणणतः आजाि ह समाज म शानत को थाित रखन क वलिए परतक वनति का कततणव ह वक िह अपन हि स समत विरोzwjधी भािनाओ को समापत कर और अपनी सवहषzwjणता एि सहनशीलिता क तर को बढाए परपर एक िसर क zwjधमषो क पगमबररो क आिर-सममान की परवतरका करन की आिशकता ह विशि अशानत और बचनी क िौर स गजर रहा ह ह नथवत इस बात की माग करती ह वक परम और हमििगी का िातािरण पिा करत हए हम उस भ और अशानत को समापत कर हम परम और शानत क सिश को अपन चाररो ओर पहचाए तथा हम पहलि स बढकर एकतापिणक तथा उततम रप म जीिनापन कर तथा मानिी मलरो को पहचान

आज विशि म छोट तर पर दध आरभ हो रह ह िसरी ओर महा शनतिा विशि-शानत थावपत करन का िािा कर रही ह अब ह बात वकसी स भी वछपी नही वक परतकत हम एक बात बताई जाती ह परत पिद क पीछ गपत रप स उनक िसर एजणि और नीवता परी की जा रही होती ह परशन ह ह वक का ऐसी पररनथवतरो म विशि शानत थावपत हो सकती ह म बड खि क साथ कहता ह वक वि हम ससार की ितणमान पररनथवतरो को वनकट स िख तो हम जात होगा वक एक और विशिदध की नीि रखी जा चकी ह वि वदती विशव-दध क

232 विशव सकट तथा शानत-पथ

पशचात ा पर आzwjधाररत समानता क मागण को अपनाा जाता तो हम विशि की ह ितणमान नथवत न िखत जो वक पनः दध की अनगन की लिपट म आ चकी ह पररणामिरप विशि क कई िशरो क पास परमाण हवथार ह परपर दष और शतरताए बढ रही ह और विशि विनाश क वशखर पर बठा हआ ह वि जनता क विनाश क हवथार फट पड तो कई भािी पीवढा थाी परकार की विकलिागता की वशकार होन क कारण ि हम कभी कमा नही करगी विशि क पास सषzwjटा और सनटि क अवzwjधकाररो को अिा करन का अभी भी सम ह

मरा विशिास ह वक अब विशि की उनवत पर धान िन की बजाए ह वनतात आिशक ह वक विनाश स बचान क वलिए अपन परासरो को तीवर कर इस बात की अतत आिशकता ह वक मनषzwj अपन सषzwjटा को पहचान करोवक मानिता क जीवित रहन की किलि ही गारटी ह अथा विशि तीवरता क साथ अपन विनाश की ओर जा रहा ह वि आज मनषzwj शानत थावपत करन म सफलि होता ह तो िसररो क िोषरो को खोजन की बजाए उस अपन अिर क शतान को वनतरण म रखन का परतन करना चावहए अपनी बराइरो को िर करक एक वनति ा का आशचणजनक उिाहरण परतत कर सकता ह म विशि को वनरतर मरण कराता ह वक िसररो क परवत घोर शतरताए मानिी मलरो को पणण रप स समापत कर रही ह और इस परकार विशि को विनाश की ओर लि जा रही ह

चवक आपकी आिाज विशि म एक परभाि रखती ह म आपस भी आगरह करता ह वक इस विशालि ससार को बता ि वक पराकवतक सतलिन जो खिा न थावपत वका ह उसम हतकप करत हए ि तीवरता क साथ विनाश की ओर जा रह ह इस सिश को पहलि स अवzwjधक वापक और विशष रप स पहचान की आिशकता ह विशि क समत zwjधमषो को zwjधावमणक समि की आिशकता ह और विशि क सभी लिोगरो को परम सहानभवत एि भरातति की भािना पिा करन

233विशि क नताओ क नाम पतर

की आिशकता ह मरी ह िआ ह वक सब अपन िावतिरो को समझ और शानत की थापना परम और ससार म अपन सटिा को पहचानन क वलिए अपनी भवमका वनभाए हम ि िआ कर और अललिाह तआलिा स वनरतर ाचना कर वक िह विशि क इस विनाश को टालि ि म िआ करता ह वक हम उस विनाश स सरवकत रह जो हमारी परतीका म ह

मिजजा िसरर अहिद अहमविा मनलिम जमाअत क पचम खलिीफा विशिवापी जमाअत अहमविा क इमाम

इसजईल क पिजनिती क नजि पत

237विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहमबजावमन नत ाह परzwjधानमतरी इसाईलि रोशलिम

26 फरिरी 2012पार परzwjधानमतरी जी

मन ितणमान सम म परकट होन िालि खतररो स भरी पररनथवतरो पर आzwjधाररत एक पतर महामवहम वशमोन परज परजीिट इसाईलि को भी भजा ह बडी तीवरता स पररिवतणत हो रही पररनथवतरो क सिभण म मन ह महसस वका वक ह वनतात आिशक ह वक म अपना सिश आप तक भी पहचाऊ करोवक आप िश की सरकार क परमख ह

आप क राषट का इवतहास नबवित और खिा की िाणी (िहयी) स सलिगन रहा ह बनी इसाईलि क नवबरो न आप क िश क भविषzwj क सबzwjध म बडी पटि भविषzwjिावणा की थी िाति म बनी इसाईलि क नवबरो की वशकाओ की अिजा तथा उनकी भविषzwjिावणरो की अिहलिना करन क पररणामिरप बनी इसाईलि को कठोर कषzwjटरो का सामना करना पडा था वि आप क िश क नता नवबरो की आजाओ का पालिन दढतापिणक करत तो ि विवभन आपिाओ और कवठनाइरो स बचाए जात अत किावचत िसररो की अपका आपका अवzwjधक कततणव ह वक नवबरो की भविषzwjिावणरो और आिशरो की ओर धान ि

म मसीह मौऊि और इमाम महिी का खलिीफा होन क नात आप स समबोवzwjधत

238 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह वजनको हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम की गलिामी म भजा गा और हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम को बनी इसाईलि क बzwjधओ म हजरत मसा की तरह समपणण मानिजावत क वलिए साकात िा बनाकर भजा गा था (िटरोनामी 1818) इसवलिए खिा का सिश मरण कराना मरा कततणव ह मझ आशा ह वक आप की भी गणना उन लिोगरो म होगी जो खिा की आिाज सनत ह और जो सफलितापिणक सीzwjधा मागण ढढ लित ह िह मागण जो वक महान और सिणशषzwjठ पथिी और आकाश क िामी खिा की ओर लि जान िालिा मागण ह

अखबाररो म हम आजकलि ऐसी ररपोटर सनत ह वक आप ईरान पर आकरमण करन की त ाररा कर रह ह जबवक विशि दध क भािह पररणाम आपक सामन ह वदती विशि दध म जहा अ लिाखरो लिोग मार गए िहा हजाररो हविरो क पराण भी गए परzwjधानमतरी होन की दनटि स अपन िश की जनता की रका करना आपका कततणव ह विशि की ितणमान पररनथवता ह परकट करती ह वक अब एक और विशि दध किलि िो िशरो क मध नही होगा अवपत विवभन लिाक बन जाएग विशि दध वछडन का खतरा अतवzwjधक गभीर ह मसलिमानरो ईसाइरो और हविरो आवि सभी क जीिन खतर म ह वि ऐसा दध आरभ होता ह तो ह मानि क शखलिाबदध विनाश का कारण होगा इस भकर विनाश क परभाि भािी पीवढरो तक हरोग जो ा तो विकलिाग पिा हरोगी ा अपावहज इसका कारण ह ह वक ऐस दध म वनःसिह परमाण हवथाररो का परोग होगा अत मरा आप स ह वनििन ह वक विशि को एक विशि दध म झरोकन की बजाए विशि को थासभि विनाश स बचान का परतन कर शनति दारा वििािरो का समाzwjधान करन क थान पर िाताणलिाप क दारा उनका समाzwjधान करन का परास करना चावहए तावक हम अपनी भािी पीवढरो को बतौर उपहार एक उजिलि भविषzwj ि न वक हम उह विकलिागताओ जस िोषरो को उपहार ि

म अपन विचाररो को आपकी zwjधावमणक वशकाओ पर आzwjधाररत उदधरणरो दारा पषzwjट करन का परास करगा पहलिा उदधरण lsquoजबरrsquo (भजन सवहता) स वलिा

239विशि क नताओ क नाम पतर

गा ह - ldquoकमवमणरो क कारण मत कढ कवटलि काम करन िालिरो क विष म िाह न

कर करोवक ि घास क समान झट कट जाएग और हरी घास क समान मझाण जाएग होिा पर भरोसा रख और भलिा कर िश म बसा रह और सचचाई म मन लिगाए रह होिा को अपन सख का मलि जान और िह तर मनोरथरो को परा करगा अपन मागण की वचता होिा पर छोड और उस पर भरोसा रख िही परा करगा िह तरा zwjधमण जोवत क समान और तरा ा िोपहर क उवजालि क समान परकट करगा होिा क सामन चप-चाप रह और zwjधीरज स उसकी परतीका कर उस मनषzwj क कारण न कढ वजसक काम सफलि होत ह और िह बरी नतिरो को वनकालिता ह

करोzwjध स पर रह और जलिजलिाहट को छोड ि मत कढ उसस बराई ही वनकलिगी करोवक ककमगी लिोग काट िालि जाएग और जो होिा की बात जोहत ह ि पथिी क अवzwjधकारी हरोग थोड विन क बीतन पर िटि रहगा ही नही और त उसक थान को भलिी भावत िखन पर भी उसको न पाएगा परत नम लिोग पथिी क अवzwjधकारी हरोग और बडी शानत क कारण आनि मनाएगrdquo

जबर (भजन सवहता 37 ः 1-11)इसी परकार हम तौरात म ह भी िखत ह ldquoअपनी थलिी म भावत भावत क अथाणत घटत बढत बटखर न रखना अपन

घर म भावत भावत क अथाणत घटत बढत नपए न रखना तर बटखर और नपए पर पर और zwjधमण क हरो इसवलिए वक जो िश तरा परमशवर होिा तझ िता ह उसम तरी आ बहत हो करोवक ऐस कामरो म वजतन कवटलिता करत ह ि सब तर परमशवर होिा की दनटि स घवणत हrdquo

(विथावििरण 25 ः 13-16)अत विशि क समत नताओ और विशषकर आपको शनति क बलि पर

शासन करन की विचारzwjधारा को समापत कर िना चावहए तथा वनबणलि पर अताचार

240 विशव सकट तथा शानत-पथ

करन स बचना चावहए इसकी बजाए ा एि शानत को परसाररत करन का परास करना चावहए ऐसा करन स आप ि भी शानत म रहग आप शनति परापत करग तथा विशि म शानत भी थावपत होगी

मरी ह िआ ह वक आप और विशि क अ नता मर सिश को समझ अपन पि की गररमा को पहचान तथा अपन िावतिरो को परा कर

आपका शभ वचतक

मिजजा िसरर अहिद खलिीफतलि मसीह Vविशिवापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख

इसलजिी ररपनलक ईरजन क रजषटरपमत क नजि पत

243विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहमराषzwjटरपवत इलिामी ररपनलिक ईरान महमि अहमिी वनजाि तहरान

7 माचण 2012

पार राषzwjटरपवत जी

असzwjसलारो अलकर वरहरzwjललाह व बरकाzwjोह

विशि म जो खतरनाक घटनाए परकट हो रही ह उनको िखत हए मन ह महसस वका वक आप को पतर वलिखना आिशक ह ईरान क राषटपवत होन क नात आपको ऐस वनणण करन का अवzwjधकार ह वजसका परभाि किलि आपक िश पर ही नही बनलक पर विशव पर पडगा आजकलि विशि म बहत अशानत और बचनी ह बहत स िशरो म छोट तर क दध आरभ हो चक ह जबवक अ थानरो म महा-शनतिा शानत थावपत करन क बहान हतकप कर रही ह परतक िश वकसी अ िश की सहाता ा विरोzwjध म परासरत ह परत ा की माग पणण नही की जा रही म खि क साथ कहता ह वक वि अब हम विशि की ितणमान पररनथवतरो को धानपिणक िख तो हम जात होगा वक एक और विशि-दध की नीि पहलि ही रखी जा चकी ह बहत स छोट और बड िशरो क पास परमाण हवथार मौजि होन क कारण परपर दष और शतरता म िवदध हो रही ह ऐसी

244 विशव सकट तथा शानत-पथ

कवठन पररनथवत म तती विशि-दध भानक रप म वनशच ही हमार वनकट ह वजस परकार वक आप जानत ह वक परमाण हवथाररो क उपलिzwjध होन का तातपण ह ह वक तती विशि-दध एटमी दध होगा उसका अनतम पररणाम बहत विनाशकारी होगा तथा ऐस दध क िरगामी परभाि भािी पीवढरो क विकलिाग एि करप पिा होन का कारण हरोग

ह मरा विशवास ह हम हजरत महममि म तफा सललाहो अलिवह िसलम जो विशव म शानत थावपत करन क वलिए भज गए थ और समपणण मानिजावत क वलिए साकात िा िरप थ क अनाी होन क नात हम किावप ह इचछा नही करत और न कर सकत ह वक विशव को ऐसी पररनथवतरो का सामना करना पड इसी कारण मरा आपस वनििन ह वक चवक ईरान भी विशव की एक महतिपणण शनति ह अतः उस तती विशव दध को रोकन क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए वनःसिह ह एक िातविकता ह वक महाशनतिा िोहर मापिि अपनाती ह उनकी अापणण नीवता विशव भर म अविथा और अशानत फलिान का कारण बनी ह परत हम इस िातविकता स भी विमख नही हो सकत वक कछ मनलिम सगठन अनवचत ढग स तथा इलिामी वशकाओ क विपरीत आचरण करत ह वजस को महाशनतिरो न वनzwjधणन मनलिम िशरो स अनवचत रप स अपन वनवहत िाथषो की पवतण क वलिए एक बहान क रप म परोग वका ह अतः म आपस पनः वनििन करता ह वक विशव को तती विशव दध स बचान क वलिए आप अपनी समत शनति का उपोग करत हए परास कर पवितर कआणन मसलिमानरो को ह वशका िता ह वक वकसी जावत की शतरता उह ापिणक विहार करन स न रोक सरह अलिमाइिह आत न 3 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक ः-

ldquoऔर तमह वकसी जावत की शतरता इस कारण स वक उहरोन तमह मनजि-ए-हराम स रोका था इस बात पर न उकसा वक तम अताचार करो और नकी और तकिा म एक िसर का

245विशि क नताओ क नाम पतर

सहोग करो और पाप और अताचार (िालि कामरो) म सहोग न करो और अलाह स िरो वनसिह अलाह िि िन म बहत कठोर हrdquo

इसी परकार पवितर कआणन की इसी सरह म मसलिमानरो को ह वनिदश भी विा गा ह ः

ldquoह ईमान िालिो तम ापिणक गिाही ित हए अलाह (की परसनता परापत करन) क वलिए खड हो जाओ और वकसी जावत की शतरता तमह किावप इस बात क वलिए तार न कर ि वक तम ा न करो तम ा स काम लिो ह बात सम क अवzwjधक वनकट ह तथा अलाह स िरो जो कछ तम करत हो वनसिह अलाह उस जानता हrdquo

(अलिमाइिह आत ः 9)

अतः आपको किलि शतरता और घणा क कारण वकसी अ िश का विरोzwjध नही करना चावहए म िीकार करता ह वक इसाईलि अपनी सीमाओ का अवतकरमण कर रहा ह और उसकी दनटि ईरान पर ह वनचि ही वि कोई िश आपक िश पर अापणण ढग स आकरमण करता ह तो आपको परवतरकण का अवzwjधकार परापत ह बहरहालि परपर वििािरो का समाzwjधान थासमभि ककटनीवत और िाताणलिाप दारा करना चावहए मरा आपस विनम वनििन ह वक शनति का परोग करन क थान पर िाताणलिाप दारा वििािरो का समाzwjधान करन का परास कर मरा आपस विनम वनििन करन का कारण ह ह वक म खिा की उस वनिाणवचत विभवत का अनाी ह जो इस ग म हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क सचच सिक क रप म परकट हआ और उसन मसीह मौऊि और इमाम महिी होन का िािा वका आपका उदश ह था वक मानिता को खिा क वनकट लिाा जाए और परजा क

246 विशव सकट तथा शानत-पथ

अवzwjधकाररो को ठीक उसी परकार थावपत वका जाए वजस परकार हमार िामी और पथपरिशणक हजरत महममि सललहो अलिवह िसलम न जो समपणण मानिजावत क वलिए साकात िा िरप थ हम पटि रप स परिवशणत करक विखाा

अलाह तआलिा समत मनलिम उममत को इस स िर वशका को समझन का सामथण परिान कर

िसलिामभििी

मिजजा िसरर अहिदखलिीफतलि मसीहपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

सयति रजजय अिररकज क रजषटपमत क नजि पत

249विशि क नताओ क नाम पतर

शीमान बराक ओबामाराषटपवत स ति राज अमररकावहाइट हाउस1600 पसलिवनािावशगटन (िी सी)

8 माचण 2012मािर राषटपवतविशव म जो वचताजनक पररनथवता उतपन हो रही ह उसक पररदश म मन

आपको पतर वलिखना आिशक जाना करोवक आप स ति राज अमररका क राषटपवत ह जो वक एक महाशनति ह और आपको ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह वजनस न किलि आपक िश का अवपत सामा रप स समत ससार का भविषzwj परभावित हो सकता ह

इस सम ससार म अतवzwjधक बचनी और वाकलिता पाई जाती ह कछ कतररो म वनमन तर क दध वछड चक ह िभाणगिश इन वििािगरत कतररो म शानत थावपत करन म महाशनतिरो को अपन परासरो म अपवकत सफलिता परापत नही हो सकी ह विशव तर पर हम ह िखत ह परतक िश वकसी अ िश का समथणन अथिा विरोzwjध करन म वत ह परत इस समबzwjध म ा की मागरो को परा नही वका जा रहा ह वि हम विशव की ितणमान पररनथवतरो पर दनटि िालि तो अतत खि क साथ कहना पडता ह वक एक और विशव दध की नीि रखी जा चकी ह बहत स छोट एि बड िशरो न परमाण शतर परापत कर वलिए ह और इसी कारण

250 विशव सकट तथा शानत-पथ

िशरो म परपर िमन और आकरोश एि असतोष की भािना म िवदध होती जा रही ह ऐसी विकट पररनथवत म तती विशव दध की परबलि समभािना विखाई िती ह वनसिह ऐस दध म परमाण शतररो का परोग होगा अतः हम ऐसा परतीत होता ह वक विशव एक भकर विनाश की ओर अगरसर ह वि वदती विशव दध क पचिात ा और समानता का मागण अपनाा जाता तो आज विशव की नथवत ऐसी न होती वजसक कारण ह पनः दध की जवालिा की चपट म आ चका ह

जसा हम सभी पररवचत ह राषटसघ की विफलिता और 1932 ई क आवथणक सकट वदती विशव दध क परमख कारण बन थ आज क अगरगण अथणशातरी ह कहत ह ितणमान और 1932 ई क आवथणक सकट म बहत सी समानताए ह हम ह िखत ह वक राजनवतक और आवथणक समाए छोट िशरो क मध पनः दध का कारण बनी ह और उन िशरो म इन क कारण आतररक अशानत और असतोष का िातािरण वापत हो चका ह इस नथवत म अततः कछ ऐसी शनतिा अनवचत लिाभ उठाकर ससार की बागिोर समभालि लिगी जो विशव दध का कारण बन जाएगी वि छोट िशरो क परपर वििािरो का राजनीवत अथिा ककटनीवत स समाzwjधान नही ढढा जा सकता तो इस क कारण विशव म नए गटरो और समहरो का जम होगा और ह नथवत तती विशव दध का पिाणिलिोकन परतत करगी अतः मरा ह विशवास ह वक इस सम विशव क विकास पर धान कनदरत करन की बजाए ह अवतआिशक और वनतात अवनिाण ह वक हम विशव को इस विनाश स सरवकत रखन क अपन परासरो म शीघर स शीघर तीवरता पिा कर इस बात की भी अतत आिशकता ह वक मानिजावत परमातमा जो वक एक ह और हमारा सटिा ह को पहचान करोवक सकट और विपिाओ म मानिता क जीवित बचन को किलि ही सरवकत बना सकता ह िरन ह ससार वनरतर आतम-विनाश की ओर तीवरता स अगरसर होता रहगा

मरा आप स अवपत विशव क सभी नताओ स ह अनरोzwjध ह वक िसर िशरो का िमन करन क वलिए शनति क थान पर ककटनीवत िाताणलिाप और सनीवत का

251विशि क नताओ क नाम पतर

परोग वका जाए विशव महाशनतिरो जस वक सति राज अमररका की शानत थापना क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए उह छोट िशरो की गवतविवzwjधरो को विशव-शानत भग करन का आzwjधार नही बनाना चावहए आज परमाण हवथार किलि सति राज अमररका अथिा िसरी महाशनतिरो क पास ही नही अवपत अपकाकत छोट िशरो न भी ऐस महाविनाशकारी शतर परापत कर वलिए ह वजन क नता असमी ह और वबना वकसी सोच-विचार क काणिाही करन िालि ह अतः आपस मरा विनम वनििन ह वक आप छोटी और बडी शनतिरो को तती विशव-दध की विफोटक नथवत उतपन करन स रोकन का भरसक परास कर इस समबzwjध म हमार मन म कोई शका नही होनी चावहए वि हम इस परास म विफलि हो गए तो आगामी दध क िषzwjपरभाि किलि एवशा रोप और उततर एि िवकणी अमररका क वनzwjधणन िशरो तक ही सीवमत नही हरोग अवपत हमारी तरवटरो क गमभीर पररणाम हमारी भािी पीवढरो को भगतन पडग और विशव क परतक कतर म विकलिाग अथिा विकत शरीर िालि बचच जम लिग ि अपन उन नताओ को किावप कमा नही करग वजहरोन ससार को महापरलि म झरोक विा किलि अपन वनवहत िाथषो की वचता करन क थान पर हम भािी पीवढरो क वहताथण काण करना चावहए और उनक वलिए एक उजजिलि भविषzwj का वनमाणण करन का परास करना चावहए महापरतापी परमातमा आप को तथा विशव क अ सभी नताओ को ह सिश समझन का सामथण परिान कर

भििी

वमजाण मसरर अहमि खलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

252 विशव सकट तथा शानत-पथ

कनजिज क पिजनिती क नजि पत

255विशि क नताओ क नाम पतर

शीमान टीफन हापणरपरzwjधानमतरी कनािाओटािा आटररो

8 माचण 2012वपर परzwjधानमतरी जीविशव म जो भािह पररनथवता उतपन हो रही ह उसक पररदश म मन ह

आिशक समझा वक आपको पतर वलिख करोवक आप कनािा क परzwjधानमतरी ह और आप को ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह वजनस न किलि आपक िश का अवपत सामा रप स समत ससार का भविषzwj परभावित हो सकता ह

जसा हम सभी पररवचत ह राषटसघ की विफलिता और 1932 ई क आवथणक सकट वदती विशव दध का परमख कारण बन थ आज क अगरगण अथणशातरी ह कहत ह ितणमान और 1932 ई क आवथणक सकट म बहत सी समानताए ह हम ह िखत ह वक राजनवतक और आवथणक समाए छोट िशरो क मध पनः दध का कारण बनी ह और उन िशरो म इन क कारण आतररक अशानत और असतोष का िातािरण वापत हो चका ह इस नथवत म अततः कछ ऐसी शनतिा अनवचत लिाभ उठाकर ससार की बागिोर समभालि लिगी जो विशव दध का कारण बन जाएगी वि छोट िशरो क परपर वििािरो का राजनीवत अथिा ककटनीवत स समाzwjधान नही ढढा जा सकता तो इस क कारण विशव म नए गटरो और समहरो का जम होगा और ह नथवत तती विशव दध का पिाणिलिोकन परतत करगी अतः मरा ह विशवास ह वक इस सम विशव क विकास पर धान कनदरत करन की

256 विशव सकट तथा शानत-पथ

बजाए ह अवतआिशक और वनतात अवनिाण ह वक हम विशव को इस विनाश स सरवकत रखन क अपन परासरो म शीघर स शीघर तीवरता पिा कर इस बात की भी अतत आिशकता ह वक मानिजावत परमातमा जो वक एक ह और हमारा सटिा ह को पहचान करोवक किलि ही मानिता को सरवकत बना सकता ह िरन ह ससार वनरतर आतम-विनाश की ओर तीवरता स अगरसर होता रहगा

कनािा को विशव म सबस अवzwjधक ावपर िशरो म एक होन की विशालि खावत परापत ह आपका िश सामातः िसर िशरो क आतररक मामलिरो म हतकप नही करता इस स बढ कर ह वक हमार अथाणत अहमविा मनलिम जमाअत क कनािा िावसरो क साथ विशष मतरीपणण समबzwjध ह अतः मरा आप स अनरोzwjध ह वक विशव की छोटी और बडी शनतिरो को विनाशकारी तती विशव दध की नथवत उतपन करन स रोकन क थासभि परास कर

मरा आप स अवपत विशव क सभी नताओ स ह अनरोzwjध ह वक िसर िशरो का िमन करन हत शनति क थान पर ककटनीवत िाताणलिाप और सनीवत का परोग वका जाए विशव महाशनतिरो जस वक स ति राज अमररका की शानत थापना क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए उह छोट िशरो की गवतविवzwjधरो को विशव-शानत भग करन का आzwjधार नही बनाा चावहए आज परमाण हवथार किलि सति राज अमररका अथिा िसरी महाशनतिरो क पास ही नही अवपत अपकाकत छोट िशरो न भी ऐस महाविनाशकारी शतर परापत कर वलिए ह वजन क नता असमी ह और वबना वकसी सोच-विचार क काणिाही करन िालि ह अतः आपस मरा विनम वनििन ह वक आप छोटी और बडी शनतिरो को तती विशव-दध की विफोटक नथवत उतपन करन स रोकन का भरसक परास कर इस समबzwjध म हमार मन म कोई शका नही होनी चावहए वि हम इस परास म विफलि हो गए तो आगामी दध क िषzwjपरभाि किलि एवशा रोप और उततर एि िवकणी अमररका क वनzwjधणन िशरो तक ही सीवमत नही हरोग अवपत हमारी तरवटरो क गमभीर पररणाम हमारी भािी पीवढरो को भगतन पडग और विशव क परतक कतर म विकलिाग अथिा विकत

257विशि क नताओ क नाम पतर

शरीर िालि बचच जम लिग ि अपन उन नताओ को किावप कमा नही करग वजहरोन ससार को महापरलि म झरोक विा किलि अपन वनवहत िाथषो की वचता करन क थान पर हम भािी पीवढरो क वहताथण काण करना चावहए और उनक वलिए एक उजजिलि भविषzwj का वनमाणण करन का परास करना चावहए महापरतापी परमातमा आप को तथा विशव क अ सभी नताओ को ह सिश समझन का सामथण परिान कर

भििी

वमजाण मसरर अहमि खलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

258 विशव सकट तथा शानत-पथ

दो पमवत सथलरो क सरकक सऊदी अरब रजजय क समजट क नजि पत

261विशि क नताओ क नाम पतर

िो पवितर थलिरो क सरककसऊिी अरब राज क समाटअिलाह वबन अिलि अजीज अलि सऊिरराज सऊिी अरब

28 माचण 2012माननी समाट अिलाह असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातोहआज म एक अतत महतिपणण विष पर विचार करन क उदश स आपको

पतर वलिख रहा ह करोवक िो पवितर थलिरो क सरकक और सऊिी अरब क समाट होन क नात उममत मनलिमा (मनलिम समिा) म आप का एक उचच थान ह आपक िश म इलिाम क िो सबस अवzwjधक पवितर थलि mdash मकका मकररमा एि मिीना मनविरा mdash नथत ह वजन स परम करना मसलिमानरो क ईमान का अश ह थलि मसलिमानरो की आधानतमक उनवत का कदर भी ह और मसलिमान इनका अतत सममान और आिर करत ह इस दनटिकोण स सभी मसलिमानरो और मनलिम राजरो न आपको एक विवशटि थान परिान वका ह ह सममान इस बात की माग करता ह वक आप समत उममत मनलिमा का न किलि उवचत मागणिशणन कर अवपत मनलिम िशरो क भीतर शानत एि एकता का िातािरण भी उतपन कर आपको मसलिमानरो म परपर परम और सहानभवत का विकास करन का परतन करना चावहए और رحماء بینھم अथाणत lsquoि परपर िा करत हrsquo क वसदधात क

262 विशव सकट तथा शानत-पथ

समबzwjध म भी उनका मागणिशणन करना चावहएअततः आप को समत मानिजावत क वहत को सममख रखत हए समपणण

विशव म शानत थावपत करन का परतन करना चावहए अहमविा मनलिम जमाअत क परमख और हजरत मसीह मौऊि ि इमाम महिी अलिवहसलिाम क खलिीफा (उततरावzwjधकारी) होन क नात मरा ह अनरोzwjध ह वक दवप अहमविा मनलिम जमाअत और इलिाम क अ समिारो म परपर मतभि ह तथावप हम विशव-शानत की थापना क परास क वलिए एकतर हो जाना चावहए हम ससार को इलिाम की िातविक वशकाओ स जो वक परम और शानत पर आzwjधाररत ह पररवचत करान का भरसक परतन करना चावहए इस परकार पनचिमी िशरो तथा विशव क अ भागरो म इलिाम क समबzwjध म जो भरम दढतापिणक थावपत हो चक ह उनका वनिारण कर सकग अ जावतरो अथिा समिारो की शतरता हम किावप इस बात स न रोक वक हम ापिणक विहार न कर पवितर करआन की सरह अलि माइिः की आत सखा 3 म सिणशनतिमान अलाह का कथन ह वक ः

ان ام

حرال مسجد

ال عن وکم صد ان قوم شـنان یجرمنکم ول

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قوى ص ول تعاونوا عل ال ب والت

تعتدواوتعاونوا عل ال

عقابط ان اللہ شدید ال

واتقوا اللہ

ldquoऔर तमह वकसी जावत की शतरता इस कारण स वक उहरोन तमह मनजि-ए-हराम स रोका था इस बात पर न उकसा वक तम अताचार करो तम नकी और तकिा म एक िसर का सहोग करो और पाप और अताचार (िालि कामरो) म सहोग न करो और अलाह स िरो वनसिह अलाह िि िन म बहत कठोर हrdquo

इस मागणिशणक वसदधात को हम सममख रखना चावहए वजस क दारा हम विशव क समक इलिाम की सिर वशकाओ को परतत करन का कततणव परा कर सक

263विशि क नताओ क नाम पतर

ितणमान सम म हम िखत ह वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क पवितर नाम को बिनाम करन क उदश स कछ राजनीवतज और तथाकवथत विदान इलिाम क विरदध घणा क बीज बो रह ह अपन उदशरो की पवतण क वलिए ि करआन की वशकाओ का सिणथा विकत िरप परतत करन का परतन करत ह इसस भी अवzwjधक ह वक वफलितीन और इसाईलि क मध का वििाि विन परवतविन वबगडता जा रहा ह और इसी परकार इसाईलि और ईरान की परपर शतरता इस सीमा तक बढ चकी ह उनक आपसी समबzwjध गमभीर रप स टट चक ह ऐसी पररनथवता ह माग करती ह वक आप उममत मनलिमा (मनलिम समिा) क एक अतत महतिपणण नता होन क नात इन वििािरो का ा और समानता क आzwjधार पर समाzwjधान करन क वलिए हर समभि परास कर जब भी और जहा कही भी इलिाम क विरदध घणा फलिाई जाती ह तो अहमविा मनलिम जमाअत उस िर करन का थासमभि परतन करती ह जब तक समत उममत मनलिमा एकतर हो कर इस उदश की परानति क वलिए परास न कर शानत की थापना कभी नही हो सकगी

मरा आपस अनरोzwjध ह वक आप इस सबzwjध म भरसक परतन कर वि तती विशव दध का होना वननचित ह तो हम कम स कम ह परतन करना चावहए वक इसका आरमभ वकसी मनलिम िश स न हो ससार म कोई भी मनलिम िश अथिा कोई भी मसलिमान वनतिगत तर पर ितणमान अथिा भविषzwj म विशव क सिणनाश का कारण बनन का आरोप अपन ऊपर लिना नही चाहगा ऐसा सिणनाश वजसक फलििरप भािी पीवढा विकलिाग अथिा शारीररक िोषरो क साथ उतपन हरोगी करोवक वि अब तती विशव दध वछड जाता ह तो अिश ही िह दध परमाण शतररो दारा लिडा जाएगा हम वदती विशव दध म जापान क िो शहररो म परमाण बम फरक जान क विधिसकारी पररणामरो क रप म इस विनाश की एक झलिक का अनभि िख चक ह

264 विशव सकट तथा शानत-पथ

अतः ह सऊिी अरब क समाट विशव को सिणनाश स सरवकत रखन क वलिए अपनी समत शनति और परवतषठा का उपोग कीवजए सिणशनतिमान अलाह आपकी सहाता कर - आमीन आपक वलिए और समत उममत मनलिमा क वलिए पराथणना सवहत

مستـقیم

اط ال

ر اھدنا الص

(हम सीzwjधी राह पर चलिा)िलिामभििी

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

चीन क पिजनिती क नजि पत

267विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहम परzwjधानमतरी टट काउवसलि पीपलस ररपनलिक आफ चाना आिरणी िन वजाबाओ जरोगननहाई चीन

9 अपरलि 2012पार परzwjधानमतरी म आपको ह पतर अहमविा मनलिम जमाअत क एक परवतवनवzwjध क दारा

भज रहा ह िह कबाबीर इसाईलि म हमारी जमाअत क अधक ह तथा उह चीन क अलपसखक िगण क मतरी न आमवतरत वका था हमार परवतवनवzwjध को चीन क अवzwjधकारररो क साथ उस सम पररवचत कराा गा था जब चीन का परवतवनवzwjध मिलि वजनम अलपसखक िगण क उप मतरी भी सनममवलित थ कबाबीर म हमार वमशन हाउस म पzwjधार थ

अहमविा मनलिम जमाअत इलिाम का एक समिा ह जो दढतापिणक इस ईमान पर काम ह वक इस ग म वजस महिी और मसीह का मसलिमानरो क मागण-िशणन क वलिए बतौर महिी और ईसाइरो क मागण-िशणन क वलिए बतौर मसीह तथा मानिता क सzwjधार क वलिए एक पथ-परिशणक क रप म परकट होना वननचित था िह मसीह और महिी हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम की भविषzwjिावणरो क अनसार परकट हो चका ह अत हमन उस िीकार वका ह उनका नाम हजरत वमजाण गलिाम अहमि अलिवहसलिाम था जो भारत की काविान

268 विशव सकट तथा शानत-पथ

नामक बती म पिा हए थ अललिाह तआलिा क आिश स उहरोन 1889 ई म जमाअत अहमविा की नीि रखी 1908 ई म जब उन का वनzwjधन हआ उस सम तक हजाररो लिोग जमाअत अहमविा म सनममवलित हो चक थ उनक वनzwjधन क पचिात वखलिाफत की विथा थावपत हई इस सम हम पाचिी वखलिाफत क ग स गजर रह ह और म हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम का पचम खलिीफा (उततरावzwjधकारी) ह

हमारी वशका का एक वनतात महतिपणण और आzwjधारभत पक ह ह वक ितणमान ग म zwjधावमणक दधरो का अत होना चावहए इसक अवतररकत हमारा मानना ह वक जो वनति भी वकसी वशका को िसररो तक पहचाना ा फलिाना चाहता ह उस ऐसा किलि परम सहानभवत और भरातति भािना क िातािरण म करना चावहए तावक िह शानत एकता और मतरी का माधम बन सक इस महतिपणण पक का जो वक सचची इलिामी वशका पर आzwjधाररत ह समपणण विशि म अहमविा मनलिम जमाअत क दारा परचार वका जा रहा ह ह जमाअत अब विशि क िो सौ स अवzwjधक िशरो म फलि चकी ह और इसक अन ावरो की सखा करोडरो म ह

म आपको ह सिश िना चाहता ह वक विशि इस सम वनतात विनाशकारी और भानक पररनथवतरो स गजर रहा ह वननचित रप स ह परकट हो रहा ह वक हम बडी तीवरता स विशि-दध की ओर अगरसर ह आप एक महाशनतिशालिी िश क शासक ह इसक अवतररकत विशि की जनसखा का एक बडा भाग आप क मागण-िशणन क अतगणत जीिन ापन कर रहा ह आप को स कत राषzwjटर सघ म थािशक िीटो परोग करन का अवzwjधकार भी परापत ह इस पररदश म आप स मरा वनििन ह वक विशि को उस विनाश स बचान क वलिए अपना कततणव वनभाए जो हमार समक मह खोलि खडा ह राषzwjटरिाि zwjधमण एि जावतिाि स ऊपर उठ कर हम मानिता की रका क वलिए भरसक परतन करना चावहए

चीन म इस करानत क पशचात एक महान पररितणन हआ मािर माउवज िाग जो आपक िश क एक महान नता थ उहरोन उचच नवतक मलरो की नीि रखी

269विशि क नताओ क नाम पतर

थी वजह िसर शिरो म सिवोततम नवतक मलरो की सजा िी जा सकती ह दवप वक आप खिा क अनतति को नही मानत ह और आपक वसदधातरो का आzwjधार नवतकता ह तथावप म ह पषzwjट कर िना चाहता ह वक उस खिा न जो इलिाम दारा परतत वका गा ह पवितर कआणन को समत मानि जावत क पथ-परिशणन क वलिए उतारा ह और पवितर कआणन ि समत आचरणरो की वशका िता ह वजन का आप पालिन करत ह अवपत उसम इस स भी बढकर नवतक वनिदश विदमान ह उसम िह अपिण सिर वशकाए मौजि ह जो मनषzwj की आजीविका क साzwjधनरो को भी पषzwjटता क साथ िणणन करती ह और मानि मलरो को भी थावपत करती ह वि विशि विशष तौर पर मनलिम विशि इन कआणनी वशकाओ को अपनाए तो समत समाओ और मतभिरो का समाzwjधान हो जाएगा तथा शानत और एकता क िातािरण को परोतसाहन वमलिगा

आज अहमविा मनलिम जमाअत इस उदश को विशि क परतक भाग म बढािा िन क वलिए परासरत ह शानत समारोह (Peace Symposium) क दारा और उन असख सभाओ क माधम स जो म जीिन क परतक विभाग स सबzwjध रखन िालि लिोगरो और सगठनरो क साथ करता ह म विशि को ह मख उदश मरण कराता ह मरी ह िआ ह वक विशि क नता बवदधमतता स काम करत हए छोट तर पर होन िालिी जावतरो और िशरो की आपसी शतरता को विशव दध का रप न लिन ि मरा आप स ह भी वनििन ह वक विशि की एक महान शनति होन क नात विशि-शानत की थापना क वलिए अपना कततणव पणण कर तथा विशि को विशि-दध क भानक पररणामरो स बचाए करोवक वि ऐसा दध हआ तो ह एटमी हवथाररो क परोग पर समापत होगा बहत सभि ह वक इस दध क पररणामिरप कछ िशरो और कतररो क कछ भभाग विशि स पणणता नषzwjट कर विए जाए एटमी दध क परभाि और पररणाम किलि तिररत और सामवक विनाश क रप म परकट नही हरोग अवपत उसक थाी िषzwjपरभाि भािी नलिरो क िोषपणण और विकलिागतापणण जम क रप म परकट हरोग अतः अपनी समत शनति ोगता

270 विशव सकट तथा शानत-पथ

तथा ससाzwjधनरो दारा मानिता को उन भकर पररणामरो स बचाए इन का पालिन करन क फलििरप अततः आपक िश को भी लिाभ होगा मरी ह िआ ह वक ससार क छोट और बड िश इस सिश को समझ

शभकामनाओ और िआओ क साथ आपका शभवचतक

मिजजा िसरर अहिद खलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशिवापी अहमविा मनलिम जमाअत

यनजइटि मकििि क पिजनिती क नजि पत

273विशि क नताओ क नाम पतर

इगलिणि और उततरी आरलिणि क परzwjधानमतरी आिरणी िविि कमरन 10 िाउवनग टरीट लििन एस िल 1A 2AA क

15 अपरलि 2012पार परzwjधानमतरी जी वजन विनाशकारी और असरवकत पररनथवतरो स विशि इस सम गजर रहा

ह उह िखत हए मन आिशक समझा वक आप की सिा म पतर वलिख वबरटन क परzwjधानमतरी होन क नात आपको ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह जो भविषzwj म आपक िश तथा विशि पर परभािी हरो आज विशि को शानत की वनतात आिशकता ह करोवक दध की जिालिा विशि क चाररो ओर िखी जा सकती ह िशरो क मध वनमनतरी दध विशवदध म पररिवतणत होन की आशका ह हम िखत ह वक इस सम विशि की आवथणक तथा राजनीवतक नथवत िही ह जो 1932 ई म थी इसक अवतररकत अ समानताए भी ह वजनको वि सामवहक रप म िखा जाए तो िही वचतर परतत करती ह जो वदती विशि-दध स ठीक पिण िखा गा था वि जिालिाए कभी िातविक तौर पर भडक उठ तो हम तती विशि दध का भानक दश िखग छोट-बड असख िशरो क पास परमाण हवथार होन क कारण ऐसा दध वनशच ही परमाण दध का रप zwjधारण कर लिगा आज जो शतर उपलिzwjध ह ि इतन विनाशकारी ह वक इसक पररणामिरप भािी पीवढरो क बचच िशानगत अथिा शारीररक िोषरो क साथ जम लि सकत ह जापान ही

274 विशव सकट तथा शानत-पथ

एक िश ह वजस परमाण दध क िषzwjपररणाम भगतन पड ह जब उस पर वदती विशि-दध क मध एटम बमरो स आकरमण वका गा था वजस क पररणामिरप उसक िो शहर समपणणता नषzwjट हो गए थ उस सम वजन परमाण बमरो का परोग वका गा था वजनक कारण बहत बड तर पर विनाश हआ था ि इन परमाण हवथाररो स बहत कम शनति क थ जस इस सम कछ छोट िशरो क पास भी ह अत शनतिशालिी िशरो का ह िावति ह वक ि स कत रप स विनाश क कगार पर खडी मानिता को बचान का समाzwjधान वनकालि

इन बातरो पर विचार करक बहत आशका रहती ह वक छोट िशरो क एटमी हवथार उन लिोगरो क हाथरो म आ सकत ह जो वबना सोच समझ हवथाररो का उपोग करन पर उतार होत ह वजन क पास न तो ोगता ह और न ही ि अपनी गवतविवzwjधरो क पररणामरो क सबzwjध म विचार करन का परास करत ह वि महाशनतिशालिी िश ापिणक काम नही करत और छोट िशरो की वनराशाओ का वनिारण नही करत तथा महान और ासगत नीवता नही बनात तो पररनथवत शन शन अवनवतरत होती चलिी जाएगी और इसक फलििरप जो विनाश आएगा िह हमार अनमान और कलपना स बाहर होगा हा तक वक विशि की अवzwjधकतर जनता जो शानत की अवभलिाषी ह उस विनाश की लिपट म आ जाएगी

अत ह मरी हाविणक इचछा और िआ ह वक आप और शष समत शनतिशालिी िशरो क नता इस भकर िातविकता को समझ और अपन उदशरो की परानति क वलिए आकरामक नीवतरो और शनतिरो को परोग म लिान की बजाए आपको ि नीवता अपनानी चावहए जो ा को बढािा ि और उसकी रका कर

वि हम वनकट अतीत म झाक कर िख तो हम विवित होगा वक वबरटन न कई िशरो पर शासन वका तथा ा और zwjधावमणक िततरता क उचच तर थावपत वकए विशषकर भारत और पावकतान उपमहादीप म जब अहमविा मनलिम जमाअत क परितणक न आिणगी महारानी विकटोररा को उनकी हीरक जती पर बzwjधाई िी तथा इलिाम का सिश पहचाा तब उहरोन विशष तौर पर ह िआ की

275विशि क नताओ क नाम पतर

वक खिा वबरटन की सरकार को उसकी ा और समानता पर आzwjधाररत शासन पदधवत पर भरपर परवतफलि परिान कर उहरोन सरकार की ासगत नीवतरो एि zwjधावमणक िततरता िन पर उसकी वनतात परशसा की ितणमान सम म वबरटन की सरकार अब भारत और पावकतान म शासन नही करती परत zwjधावमणक िततरता क वसदधात अब भी वबरटन क समाज और उसक कानन म दढता क साथ थावपत ह वजनक अतगणत परतक वनति को zwjधावमणक िततरता और समानता क अवzwjधकार विए जात ह इस िषण आिरणी महारानी एवलिजाबथ वदती की हीरक जती मनाई जा रही ह जो बताणवना को ह अिसर परिान कर रही ह वक िह विशि क सममख अपन ा और इरमानिारी क तर को परिवशणत कर अहमविा मनलिम जमाअत का इवतहास ह परकट करता ह वक वबरटन न जब भी ा का परिशणन वका ह हमन उसकी सराहना की ह और आशानित ह वक भविषzwj म भी ा वबरटन की सरकार का ह विशष गण थावपत रहगा न किलि zwjधावमणक मामलिरो म अवपत परतक मामलि म और ह वक आप अपन िश की उततम विशषताओ और परमपराओ को कभी नही भलिग तथा विशि की ितणमान पररनथवत म वबरटन अतराणषटी तर पर शानत-थापना क वलिए अपनी भवमका वनभाएगा

मरा ह वनििन ह वक परतक तर पर और दनटिकोण स हम अवनिाण रप स परास करना होगा तावक नफरत की जिालिा को शात वका जा सक इस परास की सफलिता क पशचात ही हम भािी पीवढरो क उजजिलि भविषzwj का आशिासन ि सकत ह परत वि हम इस काण म सफलि न हए तो हमार मन म इस सबzwjध म कोई सिह नही होना चावहए वक परमाण दध क फलििरप भािी पीवढरो को हर जगह हमार कमषो क भानक पररणाम को भगतना पडगा और ि अपन पिणजरो को पर विशि को विनाश की जिालिा म झरोकन क कारण कभी कमा नही करगी म आपको पन मरण कराता ह वक वबरटन भी उन िशरो म स ह जो विकवसत और विकासशीलि िशरो पर अपना परभाि िालि सकत ह और िालित ह वि आप चाह तो आप ा और इसाफ की मागरो को परा करत हए विशि का पथ-परिशणन कर

276 विशव सकट तथा शानत-पथ

सकत ह अतः वबरटन तथा अ शनतिशालिी िशरो को विशि-शानत की थापना क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए अललिाह तआलिा आपको और विशि क अ नताओ को ह सिश समझन की सामथण परिान कर

शभकामनाओ और िआओ क साथ आपका शभ वचतक

मिजजा िसरर अहिद खलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशिवापी अहमविा मनलिम जमाअत

जिानी की चजसलर क नजि पत

279विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहम चासलिर आफ जमणनी एजलिा मरकलि Bundeskanzleramt Willy-Brandt-Str1 10557 Berlin

15 अपरलि 2012आिरणीा चासलिर विशि को सतकक करन िालिी और अतवzwjधक वचनतत करन िालिी ितणमान

पररनथवतरो को दनटिगत रखत हए मन आप को पतर वलिखना आिशक समझा विशि म जमणनी जस वनतात महतिपणण एि शनतिशालिी िश की चासलिर होन क नात आपको ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह जो आपक िश और समत विशि पर परभािी हरो आज जबवक विशि िगषो म विभावजत हो रहा ह उगरिाि तीवरता zwjधारण करता जा रहा ह तथा राजनीवतक एि आवथणक पररनथवता बहत खराब होती जा रही ह तो इन कवथत पररनथवतरो म इस बात की वनतात आिशकता ह वक हर परकार की नफरत और घणा को समापत वका जाए और शानत की नीि रखी जाए इस उदश को किलि इस परकार परापत वका जा सकता ह जब परतक वनति की भािनाओ का आिर वका जाए परत चवक उस उवचत रप स पणण ईमानिारी और नकी क साथ कााणनित नही वका जा रहा इसवलिए विशि की पररनथवता बडी तीवरता स अवनवतरत होती जा रही ह हम िखत ह वक बहत स िशरो क दारा

280 विशव सकट तथा शानत-पथ

ा की माग परी नही की जा रही ह वजसक कारण एक विशि-दध की नीि पहलि ही रखी जा चकी ह अवzwjधकाश छोट-बड िशरो क पास अब एटमी शतर ह अतः अब वि विशि-दध होता ह तो बहत सभि ह वक ह दध परमपरागत शतररो दारा नही होगा अवपत ह एटमी शतररो स होगा इस दध क पररणामिरप होन िालिी बरबािी पणण रप स सिणनाश करन िालिी होगी इसक परभाि किलि उसी सम तक सीवमत नही रहग अवपत भािी नलि एक लिमब सम तक इस स परभावित होती रहगी तथा ि नलि वचवकतसा समबzwjधी एि अनिावशक तौर पर भानक िोषरो क साथ पिा हरोगी

अतः मरा ह विचार ह वक विशि-शानत की थापना क वलिए सचच ा की आिशकता ह और समत लिोगरो की भािनाओ एि zwjधावमणक रीवत-ररिाजरो का सममान वका जाना चावहए म कछ पनचिमी िशरो की इस बात का सममान करता ह वक उहरोन वनतात उिारता क साथ वनzwjधणन और विकासशीलि िशरो क लिोगरो को अपन िशरो म रहन की अनमवत िी हई ह वजनम मसलिमान भी सनममवलित ह इसम कोई सिह नही वक नाम क मसलिमानरो का एक अलपसखक िगण ह जो पणण रप स अनवचत काषो म वत ह तथा पनचिमी िशरो क लिोगरो क हिरो म अविशिास की भािना को जम ित ह परत उनकी ऐसी समत गवतविवzwjधरो का इलिाम स कोई सबzwjध नही ह ऐस चरमपथी हजरत रसलि करीम सललाहो अलिवह िसलम वजहरोन विशि को शानत परम और एकता का सिश विा ह स सचचा परम नही करत वनशच ही कछ मटी भर गमराह लिोगरो की गवतविवzwjधरो को हमार zwjधमण क विरदध आरोप लिगान और बहत बडी सखा म मौजि वनषzwjकपट और वनिवोष मसलिमानरो की भािनाओ को ठस पहचान क वलिए आzwjधार नही बनाना चावहए समाज म शानत थावपत करना वदपकी परवकरा ह और ह तब ही थावपत की जा सकती ह जब समत पावटरा एक साथ वमलिकर परपर समझौत क वलिए काण कर विकासशीलि िशरो और लिोगरो क साथ सबzwjध थावपत करन की बजाए पनचिमी विशि क लिोगरो क हिरो म अविशिास क कारण कछ गर मनलिम लिोगरो की

281विशि क नताओ क नाम पतर

परवतवकरा आज बहत अवzwjधक खराब होती जा रही ह तथा मनलिम और गर मनलिम जगत क बीच एक िरार पिा कर रही ह

हम िखत ह वक कछ मनलिम सगठनरो और िशरो की गमराह गवतविवzwjधरो क आzwjधार पर कछ शनतिशालिी िशरो क विशष वहतरो को ईमानिारी और ा पर परमखता िी जा रही ह विशि क कछ शनतिशालिी िश चाहत ह वक कछ िशरो क भणिार एि ससाzwjधनरो तक पहच पिा कर लि तथा परवतपzwjधाण करन िालि िशरो का उन ससाzwjधनरो तक पहचना वबलकलि असमभि बना ि इसवलिए अवzwjधकाश वनणण लिोगरो की सहाता करन ा विशि-शानत की थापना क नाम पर वकए जात ह तथा विशि की ितणमान आवथणक पररनथवतरो क पीछ एक बडा कारण आवथणक वगरािट ह जो हम एक और विशि-दध की ओर लि जा रही ह वि सचचाई का उवचत रप स परिशणन वका जाता तो उनम स कछ िश परपर ा पर आzwjधाररत औदोवगक एि आवथणक समबzwjध थावपत करक एक-िसर स ा क साथ लिाभ परापत कर सकत थ इस परकार ि एक िसर क ससाzwjधनरो स अनवचत लिाभ परापत न करत अवपत उसक थान पर ि एक िसर क वनकट आकर परपर एक िसर की सहाता करत अतः विशि की ितणमान अविथा का कारण एक परमख तति ा का पणण रप स अभाि ह वजस क कारण चाररो ओर अशानत और बचनी की हालित ह

अत मरा ह वनििन ह वक इस विशि-दध स लिोगरो को बचान क वलिए पहलि स भरपर परास कर अपनी शनति ससाzwjधनरो और परभाि को परोग करत हए विशि को इस भकर विनाश स बचाए जो परकट होन क कगार पर ह सचनाओ क अनसार जमणनी परमाण शतररो स लििी हई तीन अवत आzwjधवनक पनिछनबा इसाईलि को िन जा रहा ह जमणनी क एक परोफसर क विचार म ऐसा वनणण इसाईलि और ईरान क मध पहलि स चलि रही तनािपणण नथवत को और अवzwjधक भडकान म सहाक वसदध होगा हम ह मरण रखना चावहए वक ितणमान सम म परमाण शतर किलि विशव की महाशनतिरो क पास ही नही ह अवपत तलिनातमक दनटि स

282 विशव सकट तथा शानत-पथ

छोट िशरो न भी इसको परापत कर वलिा ह वचताजनक विष ह ह वक इन छोट िशरो म स कछ क नता शतररो क असािzwjधानीपणण परोग पर आतर ह और ि इन शतररो क उपोग क विनाशकारी पररणामरो क परवत सिणथा उिासीन ह अतः आपस पनः वनििन ह वक विशव शानत थावपत करन का भरसक परास कर वि हम इस काण म विफलि हो गए तो हमार मन म वफर कोई शका नही रहनी चावहए वक परमाण दध क कारण ऐसा विनाश होगा वजसक िषzwjपरभाि भािी पीवढरो क विकलिाग रप म जम लिन क रप म परकट हरोग और ि अपन पिणजरो को इस बात क वलिए कभी कमा नही करग वक उनक कारण उह इस महापरलि का मह िखना पडा ह सिणशनतिमान परमातमा आपको और विशव क सभी नताओ को इस सिश को समझन की सामथण परिान कर

शभकामनाओ तथा पराथणनाओ सवहत

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

फजस िणरजजय क रजषटपमत क नजि पत

285विशि क नताओ क नाम पतर

राषटपवत फास गणराजमहामवहम Francois HollandePalais de lrsquoElysee 55 Rue du Faubourg Saint-Honore 75008 Paris France

16 मई 2012वपर राषटपवत जीसिणपरथम म इस अिसर का लिाभ उठात हए आपको फास क नए राषटपवत

क रप म वनिाणवचत होन पर बzwjधाई िना चाहता ह िाति म ह एक महान उततरिावति ह जो आप को सौपा गा ह और म आशा करता ह वक फास की जनता ही नही अवपत समपणण विशव आपक नतति स लिाभानित होगा विशव की वबगडती हई ितणमान पररनथवतरो को सममख रखत हए मन आपक पिण राषटपवत वनकोलिस सरकोजी को एक पतर भजा था उस पतर म मन राषटपवत सरकोजी को एक विशव तर क नता होन क रप म उनक कततणवरो की ओर धानाकषणण करात हए ह अनरोzwjध वका था वक आप अपनी समपणण शनति और परवतषठा का उपोग करत हए विशव दध की स भािना को रोकन का परास कर फास क नि-वनिाणवचत राषटपवत होन क नात मन आपको भी इसी सिश पर आzwjधाररत पतर वलिखना आिशक समझा करोवक अब आपक पास ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह वजन

286 विशव सकट तथा शानत-पथ

स आपक िश और सामा रप स पर विशव का भविषzwj परभावित हो सकता ह मरा ह मत ह वक विशव की ितणमान पररनथवतरो क परवत सभी िशरो की सरकाररो को अवत वचनतत होना चावहए विवभनन िशरो क मध अा और शतरता की भािनाओ क कारण एक विशव दध का रप zwjधारण करन की परबलि आशका ह गत शतािी म िो विशव दध हए परथम विशव दध क पचिात राषटसघ की थापना हई परत ा की मागरो को पणण न वकए जान क फलििरप इसन वदती विशव दध को जम विा जो परमाण बमरो क परोग क साथ समापत हआ ततपचिात मानिावzwjधकाररो की सरका और विशव शानत थावपत करन हत सति राषट का गठन वका गा अतः इस परकार दधरो को टालिन का समाzwjधान तो वनकालिा गा परत आज हम िखत ह वक तती विशव दध की नीि पहलि ही रखी जा चकी ह विवभन छोट तथा बड िशरो क पास परमाण शतर मौजि ह वचता का विष ह ह वक परमाण शनति िालि कछ छोट िश ऐस शतररो क विनाशकारी पररणामरो स अनवभज ह और उनक परवत उिासीन ह ह बात कलपनातीत नही वक वि परमाण शतररो का परोग वका गा तो इसक भकर पररणाम तरत परकट हरोग और िह विन परलि क समान होगा आज जो शतर उपलिzwjध ह ि इतन विनाशकारी ह वक उनक कारण भविषzwj म कई पीवढरो तक गमभीर आनिवशक तथा शारीररक िोष िालि वशश जम लिग कहा जाता ह वक एक मातर िश जापान वजसन परमाण दध क भीषण पररणाम भगत ह सात िशक बीत जान क पचिात आज भी िहा निजात वशशओ म परमाण बमरो क िषzwjपरभाि परतक रप स िख जा सकत ह

अतः आपस मरा विनम अनरोzwjध ह वक मनलिम तथा गर मनलिम िशरो क मध शतरता एि अविशवास की भािना को शात करन का थासमभि परास कर कछ रोपी िश इलिाम की वशकाओ और परमपराओ क समबzwjध म परतक सश रखत ह और उहरोन उन पर कछ परवतबzwjध लिगाए ह जबवक कछ अ िश एसी काणिाही करन का विचार कर रह ह कछ तथाकवथत उगर िभाि क लिोग जो अपन आपको मसलिमान कहत ह उनकी पनचिमी िशरो क परवत घणा उनकी ओर स

287विशि क नताओ क नाम पतर

अनवचत परवतवकरा का कारण बन सकती ह वजसक फलििरप zwjधावमणक असवहषzwjणता और मतभिरो म और अवzwjधक िवदध होगी परत इलिाम एक शानत-वपर zwjधमण ह जो हम वकसी अनवचत काण को अनवचत ढग स रोकन की वशका नही िता हम अथाणत अहमविा मनलिम जमाअत क लिोग इस वसदधात का पालिन करत ह और परतक समा का शानतपणण समाzwjधान ढढन म विशवास करत ह

ह िख कर खि होता ह वक मसलिमानरो का एक अलप िगण इलिाम का सिणथा विकत रप परतत करता ह और अपन भरवमत विशवासरो का पालिन करता ह हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम जो वक समपणण मानिता क वलिए िा का िरप ह क परवत अपन परम क कारण म ह कहता ह वक आप एस लिोगरो की बातरो को िातविक इलिाम न समझ और उन का अवzwjधकार-पतर क रप म परोग करक बहसखक शानतवपर मसलिमानरो की भािनाओ को ठस न पहचाए कछ ही विन पिण एक वनिणी और कठोर परकवत वनति न िवकणी फास क कतर म कछ फासीसी सवनकरो की अकारण गोलिी मारकर हता कर िी और उसक कछ विन पचिात उस वनति न एक ककलि म परिश कर तीन वनिवोष हिी बचचरो और उनक एक वशकक की हता कर िी इसी परकार की और भी वनमणम घटनाए हम अ मनलिम िशरो म वनवमत रप स घवटत होती िखत ह और ह सभी घटनाए इलिाम क विरोवzwjधरो को अपनी घणा क परिशणन क वलिए उततवजत करती ह वजनक आzwjधार पर ि अपन उदशरो की पवतण क वलिए वापक तर पर काणिाही करत ह एक मसलिमान होन क नात म पणणतः पटि करना चाहता ह वक इलिाम वकसी भी अताचार और वकसी अा की अनमवत नही िता पवितर कआणन न एक वनिवोष वनति की अकारण हता को समपणण मानिजावत की हता क समान ठहराा ह ह अपिाि रवहत पटि वनिदश ह पवितर कआणन ह भी कहता ह वक दवप कोई जावत ा राषट तम स िमन रखता हो तो वफर भी ह बात तमह उनक साथ वनषzwjपक और ापणण विहार करन स न रोक

288 विशव सकट तथा शानत-पथ

शतरता ा परवतदनदता तमह परवतशोzwjध लिन अथिा अताचार पणण विहार करन क वलिए परररत न कर वि आप वििािरो का उततम समाzwjधान करना चाहत ह तो शानतपणण हलि ढढन का परास कर

म इस बात की परशसा करता ह वक बहत स पनचिमी िशरो न वनzwjधणन तथा अविकवसत िशरो की जनता को वजनम मसलिमान भी सनममवलित ह अतत उिारतापिणक अपन िश म बसन की अनमवत िी ह वनसिह बहत स मसलिमान आपक िश म रहत ह और ि आपक नागररक भी ह उनम स अवzwjधकतर कानन का पालिन करन िालि और वनषzwjकपट लिोग ह इसक अवतररति ह वक इलिाम की पटि वशका ह वक अपन िश स परम करना हमार ईमान का अश ह आपक वलिए भी मरा ही सिश ह वक वि इलिाम की िातविक वशकाओ का हर जगह परसार वका जाए तो इसक फलििरप राषटी और अतराणषटी तर पर िश-परम की भािनाओ और शानत की थापना समभि होगी

आपस और िाति म विशव क सभी महान नताओ स मरा ह विनम अनरोzwjध ह वक िसर िशरो का िमन करन हत शनति क परोग क थान पर ककटनीवत िाताणलिाप तथा सिzwjबवदध स काम लिना चावहए विशव की महाशनतिरो जस वक फास को शानत थापना क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए उह छोट िशरो की गवतविवzwjधरो को विशव-शानत भग करन का आzwjधार नही बनाना चावहए अतः म पनः आपको मरण कराता ह वक विशव की छोटी और बडी शनतिरो को तती विशव दध की विफोटक नथवत उतपन करन स रोकन क वलिए थासमभि परास कर इस समबzwjध म हमार मन म कोई शका नही रहनी चावहए वि हम इस काण म विफलि हो गए तो ऐस दध क परभाि एि पररणाम किलि एवशा रोप तथा उततरी एि िवकणी अमररका क वनzwjधणन िशरो तक ही सीवमत नही रहग अवपत हमारी भािी पीवढा भी हमार काषो क भीषण पररणामरो स परभावित हरोगी और पर विशव म विकलिाग और शारीररक िोष िालि बचच जम लिग म पराथणना करता ह वक विशव

289विशि क नताओ क नाम पतर

क नता सिzwjबवदध स काम लि और विवभन िशरो और लिोगरो क मध वनमन तर पर चलि रही शतरता को विशव दध का रप zwjधारण करन स रोक महापरतापी परमातमा आपको और विशव क अ सभी महान नताओ को ह सिश समझन का सामथण परिान कर

शभ कामनाओ एि पराथणनाओ सवहतभििी

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

यनजइटि मकििि त थज रजषट-िणिल दशरो की िहजरजनी क नजि पत

293विशि क नताओ क नाम पतर

Her Majesty Queen Elizabeth IIQueen of the United Kingdom and Commonwealth Realms Buckingham Palace London SW1A 1AA United Kingdom

19 अपरलि 2012आिरणीा महारानी जीअहमविा मनलिम जमाअत क परमख क रप म और पर विशव क अहमविा

मनलिम जमाअत क लिाखरो सिरो की ओर स म हीरक जती क इस आनिपणण अिसर पर आपको हाविणक बzwjधाई िता ह हम विशष रप स सिणशनतिमान परमातमा क कतज ह वक उसन हम इस भव समारोह म भाग लिन का सअिसर परिान वका विशष रप स सभी अहमिी मसलिमान जो क क नागररक ह हीरक जती क इस अिसर पर अतत हषण एि गिण अनभि कर रह ह अतः म उन सब की ओर स महारानी को हाविणक बzwjधाई परतत करता ह

म उस परमशवर को जो सिणशषठ ह और वजसन zwjधरती और आकाश का सजन करक उसको हमार जीिन क वलिए असख नrsquoमतरो स पररपणण वका ह स ाचना करता ह वक िह हमारी महारानी को वजसका िापणण राज बहत स िततर राषट और राषट-मणिलि क सि िशरो पर वापत ह सिि शानत और सरका परिान कर वजस परकार महारानी स िदध एि िक अथाणत समत परजा परम करती ह और उनका आिर करती ह हमारी िआ ह वक परमातमा क फररशत भी उसी परकार महारानी स परम कर वजस परकार महारानी को परमातमा न परचर मातरा म सासाररक नrsquoमत परिान की ह हमारी कामना ह वक परमातमा उसी परकार महारानी को असख आधानतमक

294 विशव सकट तथा शानत-पथ

ििाताओ एि नrsquoमतरो स भी पररपणण कर ि परमातमा कर इन नrsquoमतरो क फलििरप इस महान राषट क सभी नागररक अपन सिणशनतिमान परमातमा को पहचानन म सकम हो जाए और परपर परम एि सहानभवत की भािना स जीिनापन करन लिग परमातमा कर क क सभी नागररक zwjधमण रग नलि राषटीता अथिा zwjधमण क भिभाि स ऊपर उठ कर एक िसर क परवत इस सीमा तक आिर एि सममान की भािना का परिशणन करन लिग वक इस विहार का सकारातमक परभाि इस िश की सीमाओ को पार करक विशव क अ िशरो क लिोगरो म वापत हो जाए परमातमा कर वक ह ससार वजसका अवzwjधकाश भाग आज दधरो वििािरो तथा शतरताओ म सवलिपत ह शानत परम भरातति और वमतरता का कदर बन जाए ह मरा दढ विशवास ह वक इस महतिपणण एि सिवोततम उदश की परानति क वलिए महारानी क द नषzwjट कोण और परास एक परमख भवमका वनभा सकत ह

गत शतािी म िो विशव-दध लिड गए वजनम लिाखरो पराण नटि हए वि आज विवभन िशरो क मध वििािरो म िवदध होती गई तो अततः इस का पररणाम तती विशव-दध क रप म परकट होगा विशव-दध म परमाण शतररो क परोग की परबलि स भािना का अथण ह विशव एक अतत भानक और कलपनातीत विनाश क िशणन करगा हमारी पराथणना ह वक परमातमा ऐसी भानक विपवतत को घवटत न होन ि और ससार क सभी लिोगरो को सिzwjबवदध और समवत परिान कर महारानी स मरा विनम वनििन ह वक आप हीरक जती क इस आनिपणण अिसर को मानिजावत की भलिाई क वलिए परोग म लिात हए सभी िशरो चाह ि बड हरो ा छोट की जनता को ह मरण कराए वक ि परपर परम शानत तथा एकता की भािना स जीिन वतीत कर

इस समबzwjध म हीरक जती क इस पािन अिसर पर आपस मरा एक विनम वनििन ह वक आप विशव को ह सिश ि वक परतक zwjधमण क अना वरो तथा उनको भी जो परमातमा म विशवास नही करत सिि अ zwjधमण क लिोगरो की भािनाओ का सममान करना चावहए इलिाम क समबzwjध म आज विशव म गलित

295विशि क नताओ क नाम पतर

zwjधारणाए परचवलित ह इस क फलििरप एक ओर शानतवपर मसलिमानरो की भािनाए आहत होती ह तो िसरी ओर गर मनलिमरो क हि म इलिाम क परवत अविशवास और घणा की भािना उतपन होती ह अतः वि आप सभी लिोगरो को ह उपिश ि वक परतक वनति सभी zwjधमषो और उनक अन ावरो का आिर और सममान कर तो सभी zwjधमषो क मानन िालिरो अवपत समत विशव पर ह आपकी िा और महान उपकार होगा महापरतापी परमातमा इस उदश की पवतण म हमारी महारानी की सहाता एि समथणन कर

जसा वक इस पतर क आरमभ म मन वलिखा था वक म विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत का परमख ह इस समबzwjध म म अपनी जमाअत का एक अवत सवकपत पररच परतत करना चाहता ह अहमविा मनलिम जमाअत का ह दढ विशवास ह वक िह मसीह मौऊि और सzwjधारक वजसको हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम तथा उनस पिण अिताररो की भविषzwjिावणरो क अनरप इस ग म आविभाणि वननचित था िह हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी अलिवहसलिाम क अ वतररति कोई अ नही सनzwj 1889 ई म आपन एक पवितर और सिाचारी समिा की नीि रखी वजसका नाम अहमविा मनलिम जमाअत ह इस जमाअत की थापना स आपका उदश परमातमा और मनषzwj म समबzwjध थावपत करना और लिोगरो का एक िसर क अवzwjधकाररो को पणण करन की ओर धानाकवषणत करना था वजसक फलििरप सभी लिोग परपर सममान और शभचछा की भािना क साथ जीिन वतीत कर सक जब 1908 ई म हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब अलिवहसलिाम का िहात हआ तो उस सम आपक लिगभग 400000 अन ाी थ आपक िगणिास क पचिात परमातमा की इचछा अनसार वखलिाफत की विथा की थापना हई और इस सम परमातमा का ह विनीत सिक हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम का पाचिा खलिीफा ह अतः अहमविा मनलिम जमाअत पर विशव म अपन स थापक क उदश को आग बढान म परासरत ह हमारा सिश परम सलिह और भरातति पर आzwjधाररत ह और हमारा आिशण िाक ह - परम सब क वलिए

296 विशव सकट तथा शानत-पथ

घणा वकसी स नही जो िाति म इलिाम की अनपम वशकाओ का सार ह हा ह िणणन करना उवचत होगा वक ह शभ स ोग ह वक अहमविा

मनलिम जमाअत क स थापक क जीिनकालि म महारानी विकटोररा की हीरक जती मनाई गई थी उस सम अहमविा मनलिम जमाअत क सथापक न तोहफा कसररा (महारानी क वलिए एक भट) नामक एक पतक की रचना की वजसम आपन महारानी विकटोररा क वलिए बzwjधाई का सिश वलिखा था अपन सिश म हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब अलिवहसलिाम न महारानी को हीरक जती क अिसर पर बzwjधाई िी और साथ ही इस बात की भी बzwjधाई िी वक महारानी क शासन म सभी लिोगरो वजनम भारती उपमहादीप क लिोग भी शावमलि ह को ा एि zwjधावमणक िततरता परिान की गई ह और ि सभी शानतपणण जीिन वतीत कर रह ह आपन इलिाम की सिर वशकाओ को परतत करत हए अपन आगमन और िाि का वाखातमक िणणन वका

दवप वबरटन की सरकार न भारती उपमहादीप को िततरता परिान कर िी ह अवपत िाति म वबरटन की सरकार का विवभन जावत तथा zwjधमषो क लिोगरो को अपन िश म वनिास करन की अनमवत िना और उह समान अवzwjधकार zwjधावमणक िततरता अवभवनति की िततरता परिान करना वबरटन की उचचतम तर की सहनशीलिता का विशालि परमाण ह आज सहतररो अहमिी मसलिमान वबरटन म रहत ह उनम स अवzwjधकतर ऐस ह वजहरोन अताचार क कारण अपन िश स वहजरत (परिास) करक हा शरण लिी ह महारानी क िापणण शासन म ि शानतपणण जीिन वतीत कर रह ह वजसम उह ा और zwjधावमणक िततरता परापत ह इस उिारता क वलिए म पनः आिरणीा महारानी क परवत अपनी हाविणक कतजता परकट करता ह

म ह पतर महारानी क वलिए एक पराथणना क साथ समापत करता ह िाति म ह िही पराथणना ह जो अहमविा मनलिम जमाअत क सथापक न आिरणी महारानी विकटोररा क वलिए की थी

297विशि क नताओ क नाम पतर

ldquoह सिणशनतिमान त था सिणशषठ परमातमा अपनी कपा एि िा स हमारी आिरणीा महारानी को सिि परसन रखना ठीक उसी परकार जस वक हम उनक िापणण शासन म परसनतापिणक जीिन वतीत कर रह ह ह सिणशनतिमान परमातमा उनस िा एि सहपिणक विहार करना जस वक हम उनक िापणण शासन म शानत एि समवदधपिणक जीिन वतीत कर रह हrdquo

मरी ह भी पराथणना ह वक महापरतापी परमातमा हमारी आिरणीा महारानी का मागणिशणन कर सिणशनतिमान परमातमा आिरणी महारानी की सतान का भी ऐसा मागणिशणन कर वक ि सचचाई पर थावपत हो कर अ लिोगरो को भी इस मागण पर चलिन का उपिश ि परमातमा कर ा और िततरता क गण वबरवटश सामाज क मागणिशणक वसदधात बन रह म पनः आिरणीा महारानी की सिा म इस आनिपणण अिसर पर हाविणक बzwjधाई परतत करता ह हमारी आिरणीा महारानी की सिा म मरी ओर स हाविणक एि सचची बzwjधाई परतत ह

शभ कामनाओ तथा पराथणनाओ सवहतभििी

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख अहमविा मनलिम जमाअत

इसलजिी िणरजजय ईरजन क सवापिख नतज क नजि पत

301विशि क नताओ क नाम पतर

इलिामी गणराज ईरान क सिणपरमख नताआतलाह सि अलिी हसनी खमनीतहरान ईरान

14 मई 2012आिरणी आतलाह असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातहसिणशनतिमान अलाह न आपको ईरान म इलिाम की सिा का अिसर परिान

वका ह तथा इस सम ईरान की सरकार अापक सरकण म का णरत ह अतः आिशक ह वक हम ससार तक इलिाम की िातविक वशकाओ का सिश पहचान का भरसक परतन कर मसलिमान होन क नात हम ससार को शानत परम और एकता स रहन की वशका िनी चावहए विशष रप स मनलिम नताओ को इस ओर तरत धान िन की आिशकता ह इसी उदश हत मरा आप स अनरोzwjध ह वक आप अपनी सरकार का विशव म शानत थावपत करन क वलिए उसक कततणव की ओर धानाकषणण कराए वि ईरान पर आकरमण होता ह तो उस अपन िश की रका करन का पणण अवzwjधकार परापत ह परत उस आकरमण करन अथिा वकसी वििाि म पडन की पहलि नही करनी चावहए िरनzwj zwjधावमणक मतभिरो को एक ओर रखकर नवतक मलरो क आzwjधार पर एकता बनान का परास वका जाना चावहए इलिाम क इवतहास स हम जात होता ह वक ही मागण अपनाा गा था

म हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम वजसक इस ग म आगमन की भविषzwjिाणी हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न की थी पर ईमान लिान

302 विशव सकट तथा शानत-पथ

िालि उनक उततरावzwjधकारी और खलिीफा होन क नात आपको ह पतर वलिख रहा ह अलाह की कपा स ह जमाअत अब विशव क 200 िशरो म थावपत हो चकी ह और विशव भर म इसक लिाखरो शदधािान अनाी ह

हमारी ह परबलि इचछा ह वक हम परपर परम और शानत स रहन क वलिए विशव का मागणिशणन कर इस उदश की पवतण हत म जीिन क विवभन िगण क लिोगरो का वनरतर धानाकषणण कराता रहता ह अतः मन इही विनरो म इसाईलि क परzwjधानमतरी स ति राज अमररका और कई अ विशव तर क नताओ को पतर वलिख ह मन पोप बवनविकट XVI को भी इस समबzwjध म पतर वलिखा ह

एक विशालि इलिामी िश क आधानतमक नता क रप म मझ आशा ह वक आप इस बात स सहमत हरोग वक वि समत मनलिम समिा एकजट हो कर का ण कर तो विशव-शानत थावपत हो सकती ह हम शतरता और िमन को अकारण बढाना नही चावहए अवपत हम शानत थावपत करन क अिसर ढढन चावहए इसक अवतररति ह वक िसररो क साथ शतरता ा विरोzwjध की भािना भी अापणण नही होनी चावहए पवितर कआणन न हम ही वशका िी ह ः-

अनवजद - ह ि लिोगो जो ईमान लिाए हो अलाह क वलिए मजबती स वनगरानी करत हए ा क समथणन म साकी बन जाओ और वकसी जावत की शतरता तमह किावप इस बात की ओर परररत न कर वक तम ा न करो ा करो ह तकिा (स म) क सबस अवzwjधक वनकट ह और अलाह स िरो जो तम करत हो वनसिह अलाह उसस सिा अिगत रहता ह (सरह अलिमाइिह ः 9)

अलाह तआलिा समत मनलिम समिा और सभी मनलिम राजरो को मरा सिश समझन का सामथण परिान कर और ि विशव म शानत थावपत करन हत अपनी-अपनी भवमका वनभान क वलिए ततपर हो जाए

समत मनलिम समिा क परवत परम क फलििरप उतपन मानिजावत स परम की भािना न और इस बात न वक म उसकी उममत का सि ह जो समत मानिजावत क वलिए साकात िा ह मझ आपको ह पतर वलिखन क वलिए परररत

303विशि क नताओ क नाम पतर

वका ह अलाह तआलिा विशव क सभी नताओ को मरा सिश समझन का सामथण परिान कर और ि विशव-शानत की थापना म सवकर भवमका वनभान िालि हरो अथा वि वकसी एक िश का असािzwjधानीपणण तथा वििकरवहत काण िो िशरो क मध पणण दध का कारण बनता ह तो िह वििाि किलि उन िो समबनzwjधत िशरो तक सीवमत नही रहगा अवपत दध की जवालिा समत विशव को अपनी चपट म लि लिगी अतः इसक फलििरप विशव-दध वछड जान की पणण समभािना ह जो परामपरागत शतररो स नही बनलक परमाण शतररो स लिडा जाएगा

परमाण दध क ऐस भीषण और भकर पररणाम वनकलिग वक वजन स न किलि समकालिीन जनता अवपत इसक िरगामी पररणामरो स भािी पीवढा भी परभावित हरोगी और ह दध उन भािी पीवढरो क वलिए जो विकलिागता और शारीररक िोषरो क साथ जम लिगी एक lsquoविकरालि भटrsquo होगी अतः वकसी भी िश को ह कलपना नही करनी चावहए वक िह शीघर आन िालि इस विनाश स सरवकत ह

अतः म पनः अलाह उसक रसलि और मानिता क परवत परम एि िा क नाम पर आप स अनरोzwjध करता ह वक विशव म शानत थावपत करन क वलिए अपनी भवमका वनभाए

शभकामनाओ तथा पराथणनाओ सवहतिसलिामभििी

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी जमाअत अहमविा

304 विशव सकट तथा शानत-पथ

रस क रजषटपमत क नजि पत

307विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहम वलिाविमीर पवतनराषटपवत रसकरमवलिन 23 इवलिका टरीटमाको 103132 रस

18 वसतमबर 2013वपर राषटपवतम आपको ह पतर अहमविा मनलिम जमाअत क परमख क नात वलिख रहा

ह ह जमाअत जो शानतवपर और शानत को परोतसाहन िनी िालिी जमाअत ह विशव क 204 िशरो म थावपत हो चकी ह

विशि की ितणमान पररनथवतरो को सममख रखत हए म अपन विवभन भाषणरो क माधम स विशव क लिोगरो का परमातमा क परवत उनक कततणवरो और मानिता क परवत उनक िावतिरो की ओर धानाकषणण कराता रहा ह मझ इस बात का खि ह वक मझ आपस बात करन का अिसर परापत नही हआ ह परत सीररा की ितणमान वचताजनक पररनथवत न मझ इस बात क वलिए परररत वका वक म आपको पतर वलिख और आपन दध-कतर की बजाए िाताणलिाप क दारा समाओ का समाzwjधान करन क वलिए विशव क विवभन िशरो म सहमवत बनान का जो परास वका ह उसक वलिए आपका zwjधिाि और सराहना कर वकसी भी परकार क आकरमण स न किलि इस कतर म दध वछड जाएगा अवपत इसक विशव-दध म

308 विशव सकट तथा शानत-पथ

पररिवतणत होन की परबलि सभािना ह एक पनचिमी समाचार पतर म आपका एक लिख पढ कर मझ अतत परसनता हई वजस म आपन इस बात को परमख रप स परतत वका वक आकरमण करना अवत विनाशकारी होगा और इसक पररणामिरप विशव-दध की समभािना हो सकती ह आपक इसी सकलप क कारण महा-शनतिरो न आकरमण का मागण ताग कर सहमवत एि सवzwjध का मागण अपनाा और इस समा का राजनवतक समाzwjधान वनकालिन पर सहमवत वति की वनचि ही मरा ह विशवास ह वक इस सहमवत न विशव को एक महाविनाशकारी एि विधिसक नथवत स बचा वलिा ह म विशष रप स आपक इस विचार स सहमत ह वक वि विशव क िश अपन-अपन तर पर और एक-पकी वनणण लिग तो स ति राषट का भी िही अत होगा जो वक लिीग ऑफ नशस (राषटसघ) का हआ था अथाणत ह विफलि हो जाएगा वनसिह अभी दध की वचगारी भडकाई गई थी परत परसनता इस बात की ह वक ह जवालिा अब कछ सीमा तक शात हो गई ह जो सकारातमक परास अब तक वका गा ह भगिान कर उसक फलििरप दध का खतरा पणणता समापत हो जाए भगिान कर विशव की महाशनतिा छोट िशरो की रका कर उनका सममान कर और उनक उवचत अवzwjधकार उह ि न ह वक किलि अपनी िीटो-शनति क परोग की वचता म वत रह

शानत-थापना हत आपक परासरो न मझ ह zwjधिाि-पतर वलिखन क वलिए वििश कर विा ह मरी पराथणना ह वक ह परास अथाई न हरो अवपत मरा विशवास ह और म पराथणना करता ह वक आप सिि शानत-थापना क वलिए परासरत रह परमातमा आपको इस उदश-पवतण का सामथ ण परिान कर

विशव-शानत क वलिए जब भी मझ अिसर परापत होता ह म लिोगरो का धान इस ओर आकवषणत कराता ह वक ा पर आzwjधाररत विशव-शानत थावपत की जाए मर कछ भाषण World Crisis and the Pathway to Peace (विशव सकट तथा शानत-पथ) नामक पतक म परकावशत हो चक ह वजसकी एक परवत

309विशि क नताओ क नाम पतर

भट िरप आपक वलिए परतत हशभकामनाओ एि पराथणनाओ सवहत

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

Page 2: विश्व संकट तथा शान्तपथ - Ahmadiyya...आ जन र म प रम ख, क ग र स स , स स , र ज त, ग र सरक र स

विशव सकटतथा

शानतपथहजरत मिजजा िसरर अहिद

विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख तथा इमामऔर हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम क पचम खलिीफा

क पतरो एव भजषणरो कज सकलन

मवशव सकट तथज शजनतपथहजरत मिजजा िसरर अहिद

विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख तथा इमामऔर हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम क पचम खलिीफा

क पतरो एव भजषणरो कज सकलन

First Published in the UK in English 2012 [ISBN 978-1-84880-079-3]First Hindi Edition Published in India 2015

Second Hindi Edition Published in India April 2017Translated by Bilal Ahmad Shamim

copy Islam International Publications Ltd

Published byNazarat Nashr-o-Ishaat

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Punjab INDIA

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ISBN 978-93-83882-39-7

मवषय सची

लिखक क विष म xiपराककथन xv

भाषण

विशि सकट पर इलिाम का दनटिकोण 3

िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए 27

एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता 43

शानत-पथ mdash राषटरो क मध ापणण सबzwjध 71

शानत की कजी mdash विशव-एकता 107

का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह 131

इलिाम mdash शानत और िा का zwjधमण 151

ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता 171

िनशवक शानत और सरका ितणमान ग की खतरनाक समाए 189

िनशवक अशानत म शानत की कजी 207

viii विशव सकट तथा शानत-पथ

विशि क नताओ क नाम पतर

आिरणी पोप बवनविकट XVI क नाम पतर 227

इसाईलि क परzwjधानमतरी क नाम पतर 235

इलिामी ररपनलिक ईरान क राषzwjटरपवत क नाम पतर 241

सति राज अमररका क राषटपवत क नाम पतर 247

कनािा क परzwjधानमतरी क नाम पतर 253

िो पवितर थलिरो क सरकक सऊिी अरब राज क समाट क नाम पतर 259

चीन क परzwjधानमतरी क नाम पतर 265

नाइटि वकगिम क परzwjधानमतरी क नाम पतर 271

जमणनी की चासलिर क नाम पतर 277

फास गणराज क राषटपवत क नाम पतर 283

नाइटि वकगिम त था राषट-मणिलि िशरो की महारानी क नाम पतर 291

इलिामी गणराज ईरान क सिणपरमख नता क नाम पतर 299

रस क राषटपवत क नाम पतर 305

लिखक क विष म

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क सिवोचच परमख ह आप हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी मसीह मौऊि ि महिी अलिवहसलिाम क पाचि उततरावzwjधकारी ह

आपका जम 15 वसतमबर 1950 को रिह पावकतान म िगगी वमजाण मसर अहमि सावहब ि िगगी नावसरा बगम सावहबा क पररिार म हआ कवष विशवविदालि फसलिाबाि पवकतान स 1977 ई म कवष-अथणशातर म सातकोततर की उपावzwjध परापत करन क पचिात आपन औपचाररक रप स अपना जीिन इलिाम की सिा क वलिए समवपणत कर विा तिोपरात आपको 1977 ई म घाना (अ फीका) वभजिाा गा जहा आप कई िषषो तक विवभन अहमविा मनलिम ककलिरो म परzwjधानाचाण क रप म सिारत रह आपन अहमविा सकणिरी ककलि शाघा क आरमभ होन म भी ोगिान विा और परारनमभक िो िषण तक िहा वपरवसपलि क रप म भी काणरत रह

हजरत वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचम

लिखक क विष म

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क सिवोचच परमख ह आप हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी मसीह मौऊि ि महिी अलिवहसलिाम क पाचि उततरावzwjधकारी ह

आपका जम 15 वसतमबर 1950 को रिह पावकतान म िगगी वमजाण मसर अहमि सावहब ि िगगी नावसरा बगम सावहबा क पररिार म हआ कवष विशवविदालि फसलिाबाि पवकतान स 1977 ई म कवष-अथणशातर म सातकोततर की उपावzwjध परापत करन क पचिात आपन औपचाररक रप स अपना जीिन इलिाम की सिा क वलिए समवपणत कर विा तिोपरात आपको 1977 ई म घाना (अ फीका) वभजिाा गा जहा आप कई िषषो तक विवभन अहमविा मनलिम ककलिरो म परzwjधानाचाण क रप म सिारत रह आपन अहमविा सकणिरी ककलि शाघा क आरमभ होन म भी ोगिान विा और परारनमभक िो िषण तक िहा वपरवसपलि क रप म भी काणरत रह

हजरत वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचम

xii विशव सकट तथा शानत-पथ

िहा स पावकतान लिौट आन क पचिात आप रिह म अहमविा जमाअत क मखालि म विवभन पिरो पर आसीन रह कर सिारत रह सन 1999 ई म आप को एक वचह-पट स पवितर कआणन क शि वमटान क वमथा आरोप म अलपािवzwjध क वलिए कारािास भी काटना पडा

22 अपरलि 2003 को अहमविा मनलिम जमाअत क जीिनपणत पि lsquoखलिीफाrsquo क वलिए वनिाणवचत होन क फलििरप आप एक अतराणषटी zwjधावमणक स था वजसक 200 स अवzwjधक िशरो म लिाखरो अनाी ह क विशववापी zwjधावमणक एि परशासवनक परमख भी ह

खलिीफा वनिाणवचत होन क पचिात स अब तक हजर परचार एि परसार क सभी माधमरो दारा इलिाम का शानतपणण सिश पहचान का एक विशववापी अवभान का नतति करत आ रह ह आपक नतति म अहमविा मनलिम जमाअत की राषटी शाखाओ दारा इलिाम की िातविक शानतपणण वशकाओ को परिवशणत करन िालि काणकरम परारभ वकए गए ह विशव भर म अहमिी मसलिमान लिाखरो की सखा म मसलिमानरो तथा गर मनलिमरो को lsquoशानतrsquo विजापन बाटन सिणzwjधमण सममलिन एि शानत समारोह आोवजत करन तथा पवितर कआणन क िातविक एि उततम सिश क परचार हत परिशणवना आोवजत करन क मलि परासरो म वत ह काणकरम विशवतर पर सचार माधमरो क आकषणण का क दर बन ह तथा इनक दारा ह परिवशणत होता ह वक इलिाम शानत अपन िश क परवत िफािारी और मानिता की सिा का परबलि समथणक ह

हजर न सन 2004 ई म िावषणक lsquoराषटी शानत समारोहrsquo का उदाटन वका वजसम समाज क विवभन िगषो क लिोग एकतर होकर

xiiiलिखक क विष म

शानत एि एकता क समबzwjध म विचाररो का आिान-परिान करत ह परवतिषण इस समारोह म बहत स मतरी सासि राजनीवतज zwjधावमणक नता तथा अ पिावzwjधकारी सनममवलित होत ह हजर न मानिता की सिा को परोतसावहत करन तथा इस उदश को साकार करन हत विशववापी भरमण वका ह हजर क नतति म अहमविा मनलिम जमाअत न विशव क िरथ भागरो म उततम वशका तथा िाथ सविzwjधाए उपलिzwjध करान हत बडी सखा म ककलि तथा अपतालिरो का वनमाणण वका ह

हजर समाज क परतक तर पर शानत थावपत करन म परासरत ह हजर अहमविा मनलिम जमाअत क सिरो को वनरतर उपिश ित ह वक ि वनतिगत तर पर सzwjधार उतपन करन क वलिए अपन आप स lsquoवजहािrsquo (सघषण) कर जो वक सिणशषठ वजहाि ह इस परकार परतक अहमिी मसलिमान वनतिगत तर पर शानत थावपत करन म सफलि होकर अ लिोगरो क वलिए भी शानत उपलिzwjध करान म सहाक वसदध हो सकगा

हजर अ सभी लिोगरो को भी ही सिश ित ह मलिबोनण म एक विशष िागत समारोह म शानत थापना सबवzwjधत एक गर-मनलिम क परशन क उततर म हजर न कहा ldquoवि आपक भीतर शानत ह तो इस का अथण ह वक आप शानत का परास कर रह ह वि हम म स परतक क भीतर शानत हो तो इसका अथण ह वक हम िसररो तक शानत का परसार कर रह हrdquo

हजर वनतिगत एि सामवहक तर पर तथा थानी राषटी त था अतराणषटी मच पर इलिाम की िातविक वशकाओ क अनसार शानत- थापना क थाथण उपारो क समबzwjध म अ सभी लिोगरो का मागणिशणन कर रह ह

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब अयिहलाह आजकलि लििन इगलिि म रह रह ह अहमिी मसलिमानरो क विशववापी zwjधावमणक नता क रप म आप शानत और िा क सखिाी सिश क दारा उतसाहपणण ढग स इलिाम का परचार कर रह ह

पजककथन

ससार अतत अशानतपणण पररनथवतरो म स गजर रहा ह िनशवक आवथणक सकट परवत सपताह वनरतर निीनतम और गमभीर विपवतता उतपन करता जा रहा ह वदती विशव दध स पिण की पररनथवतरो म समानता का वनरतर िणणन वका जा रहा ह और पटि रप स परतीत होता ह वक ितणमान घटनाए विशव को एक अतत तीवर गवत स एक भकर तती विशव दध की ओर लि जा रही ह परबलि रप स ह आभास हो रहा ह वक नथवत वनतरण स बाहर होती जा रही ह और लिोग वकसी ऐस वनति की खोज म ह जो विशव मच पर परकट होकर एक ऐसा थाथण और सदढ समाzwjधान परतत कर वजस पर ि परा विशवास और भरोसा कर सक और जो समान रप स उनक हि एि मन को परभावित कर सक और जो उनक भीतर ह आशा जागत कर वक शानत की ओर अगरसर करन िालिा मागण भी मौजि ह परमाण दध क पररणाम इतन भीषण ह वक कोई उनकी कलपना करन का भी साहस नही करता

xvi विशव सकट तथा शानत-पथ

इस पतक म हम न हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब विशवzwjवापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख दारा परतत समाzwjधान और मागणिशणन को सकवलित वका ह गत कई िषषो क अतगणत जस जस पररनथवता परकट होती गई आप न अतत वनभणतापिणक इस बात की घोषणा वक पररनथवता वकस ओर बढ रही ह mdash आपन भ उतपन करन क वलिए नही अवपत विशव को इस बात का विचार करन पर वििश करन क वलिए ऐसा वका वक ससार आज इस नथवत तक कस पहचा और वकस परकार हम इस विनाश को टालि कर इस विशव-गराम म वनिास कर रह सभी लिोगरो क वलिए शानत एि सरका क मागण का वनमाणण कर सकत ह आप न पटि शिरो म ह घोषणा की वक शानत को सवननचित बनान का किलि ही उपा ह वक ससार विनमता और ा का मागण zwjधारण कर लि और अतत नम एि विनीत िभाि स परमातमा की शरण म आ जाए मनषzwj मानिता की भािना का परिशणन कर शनतिशालिी लिोग वनबणलि लिोगरो क साथ आिर सममान एि ापणण विहार कर और वनबणलि और वनzwjधणन लिोग कतजता का परिशणन कर और सत एि पण क मागण पर चलि तथा सभी लिोग पणण विनमता एि वनषzwjकपटता स अपन सटिा की शरण म आ जाए

आपन बार-बार सभी का इस ओर धानाकषणण कराा वक विनाश क कगार स िापस लिौटन का अब किलि ही एक उपा ह वक समत िश परपर एक िसर क साथ ा क विहार को अवनिाण बना लि वि उनम परपर शतरता भी ह तब भी उह ा का पालिन करना चावहए करोवक इवतहास स हम ही वशका वमलिती ह वक भविषzwj म उतपन होन िालिी शतरताओ क उमलिन का किलि ही एक उपा ह

xviiपराककथन

अतः इस परकार वचरथाी शानत की थापना करनी चावहए आपन वनतिगत रप स विशव क महान िशरो क नताओ एि

अवzwjधकारररो को समबोवzwjधत करन हत िर िर तक भरमण वका ह वजसम कवपटलि वहलि िावशगटन िीसी लििन म पावलिणामट क िोनरो सिन स मखालि जमणनी बरसलज म रोपी पावलिणामट और जीलिि की राषटी ससि म विए गए ऐवतहावसक भाषण शावमलि ह इन आोजनरो म परमख कागरस सि सासि राजित गर सरकारी सथाओ क नता zwjधावमणक नता पराधापक नीवत सलिाहकार और पतरकार सनममवलित होत रह आपन पटि रप स ह कहा वक ा की माग तभी पणण हो सकती ह जब सभी गटरो और लिोगरो क साथ समानता का विहार वका जाए और आपन ह चतािनी भी िी वक अापणण तथा अमानिी आवथणक एि राजनीवतक नीवतरो क कारण विशव की विवभन जावतरो क मध तनाि म जो वनरतर िवदध हो रही ह उसक पररणामिरप विशव सकट गहराता जाएगा

विशव क नताओ क नाम अपन पतररो म आपन पवितर कआणन की वनमनवलिवखत वशका पर विशष रप स बलि विा

ldquoऔर तमह किसी जाकत िी शतता इस िारण स कि उनहोन तमह मसजद-ए-हराम स रोिा था इस बात पर न उिसाय कि तम अतयाचार िरो और निी और तक़वा म एि दसर िा सहयोग िरो और पाप और अतयाचार (वाल िामो) म सहयोग न िरो और अलाह स डरो कनसनदह अलाह दड दन म बहत िठोर हrdquo

(सरह अलिमाइिह आत - 3)

xviii विशव सकट तथा शानत-पथ

राषटपवत ओबामा को आपन वलिखा ःldquoजसा वक हम सभी पररवचत ह राषटसघ की विफलिता और

1932 ई क आवथणक सकट वदती विशव दध क परमख कारण बन थ आज क अगरगण अथणशातरी ह कहत ह ितणमान और 1932 ई क आवथणक सकट म बहत सी समानताए ह हम ह िखत ह वक राजनवतक और आवथणक समाए छोट िशरो क मध पनः दध का कारण बनी ह और उन िशरो म इन क कारण आतररक अशानत और असतोष का िातािरण वापत हो चका ह इस नथवत म अततः कछ ऐसी शनतिा अनवचत लिाभ उठाकर ससार की बागिोर समभालि लिगी जो विशव दध का कारण बन जाएगी वि छोट िशरो क परपर वििािरो का राजनीवत अथिा ककटनीवत स समाzwjधान नही ढढा जा सकता तो इस क कारण विशव म नए गटरो और समहरो का जम होगा और ह नथवत तती विशव दध का पिाणिलिोकन परतत करगी अतः मरा ह विशवास ह वक इस सम विशव क विकास पर धान कनदरत करन की बजाए ह अवतआिशक और वनतात अवनिाण ह वक हम विशव को इस विनाश स सरवकत रखन क अपन परासरो म शीघर स शीघर तीवरता पिा कर इस बात की भी अतत आिशकता ह वक मानिजावत परमातमा को पहचान जो वक एक ह और हमारा सटिा ह करोवक किलि ही मानिता क जीिन को सरवकत बना सकता ह िरन ह ससार वनरतर आतम-विनाश की ओर तीवरता स अगरसर होता रहगाrdquo

राषटपवत पवतन को आपन वलिखा ः ldquoसीररा की ितणमान वचताजनक पररनथवत न मझ इस बात क

वलिए परररत वका वक म आपको पतर वलिख और आपन दध-कतर की

xixपराककथन

बजाए िाताणलिाप क दारा समाओ का समाzwjधान करन क वलिए विशव क विवभन िशरो म सहमवत बनान का जो परास वका ह उसक वलिए आपका zwjधिाि और सराहना कर वकसी भी परकार क आकरमण स न किलि इस कतर म दध वछड जाएगा अवपत इसक विशव-दध म पररिवतणत होन की परबलि सभािना ह एक पाचिात समाचार पतर म आपका एक लिख पढ कर मझ अतत परसनता हई वजस म आपन इस बात को मख रप स परतत वका वक आकरमण करना अवत विनाशकारी होगा और इसक पररणामिरप विशव-दध की समभािना हो सकती ह आपक इसी सकलप क कारण महा-शनतिरो न आकरमण का मागण ताग कर सहमवत एि सवzwjध का मागण अपनाा और इस समा का राजनवतक समाzwjधान वनकालिन पर सहमवत वति की वनचि ही मरा ह विशवास ह वक इस सहमवत न विशव को एक महाविनाशकारी एि विधिसक नथवत स बचा वलिा ह म विशष रप स आपक इस विचार स सहमत ह वक वि विशव क िश अपन-अपन तर पर और एक-पकी वनणण लिग तो सति राषट का भी िही अत होगा जो वक लिीग ऑफ नशस (राषटसघ) का हआ था rdquo

सीररा और ईरान का सकट सन 2013 क अनतम छः माह म काफी सीमा तक शात हो गा था वबरटन की सरकार न सीररा म स हतकप क विरोzwjध म मतिान वका था रस और स ति राज अमररका म सीररा क रासावनक शतररो क वनपटार समबzwjधी एक ोजना पर सहमवत बन गई थी सति राज अमररका न सीररा पर आकरमण करन का विचार ताग विा और इसी परकार विशव की महान शनतिरो न ईरान क साथ एक ऐस परमाण समझौत पर सहमवत परकट

xx विशव सकट तथा शानत-पथ

की जो सभी क वलिए िीका ण था सभी िगण उस विशा म परगवत का िागत करत ह वजस ओर हजर विशव को जान का आगरह करत आ रह थ परत अभी हम सरवकत नथवत स बहत िर ह और हम विशव-शानत का वचरथाी समाzwjधान ढढन क वलिए अतवzwjधक परास करना होगा

ह हमारी सचची पराथणना ह वक सकट की ितणमान पररनथवतरो म इस प तक म सकवलित सझाि एि समाzwjधान मानिता क वलिए मागणिशणन का सोत वसदध हरो वजसक फलििरप ा और विनमता क वसदधातरो का पालिन करत हए परमातमा की शरण म जाकर मनषzwj को वचरथाी शानत परापत हो - आमीन

परकाशक

भाषण

मवशव सकट पर इसलजि कज दनटिकोण

वबरवटश पावलिणामट ि हाउस ऑफ कॉमज लििन क 2008

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba delivering the keynote address at the House of Commons

Seated Lord Avebury (Liberal Democrats Spokesman for Foreign Affairs) Rt Hon Hazel Blears MP (Secretary of State for Communities and Local Government) Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba Justine Greening MP (Shadow Treasury Minister) Gillian Merron MP (Foreign Office Minister) Councillor Louise Hyams (the Lord Mayor of Westminster) Standing Jeremy Hunt MP (Shadow Culture Minister) Rafiq Hayat (National Amir AMA UK) Virendra Sharma MP Rt Hon Malcolm Wicks MP (Former Minister at Department for Business Enterprise and Regulatory Reform) Rob Marris MP Simon Hughes MP (President of the Liberal Democrats Party) Martin Linton MP Alan Keen MP

Official tour of the House of Commons courtesy of Justine Greening MP

पररचय

22 अतिबर 2008 को हाऊस ऑफ कामस (वबरवटश पावलिणामट) म हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम विशववापी जमाअत अहमविा क परमख का ऐवतहावसक भाषण

ह िागत समारोह वखलिाफत-ए-अहमविा क सौ िषण पणण होन क शभ अिसर पर अहमविा मनलिम जमाअत क मख कााणलि मनजि फजलि क ससिी कतर Putney क सासि माननी Justine

Greening दारा आोवजत वका गा थाइस समारोह म माननी Gillian Merron MP Rt Hon Hazel

Blears MP Alan Keen MP Dominic Grieve MP Simon Hughes

MP Lord Eric Avebury क अवतररति कई परवतनषठत पतरकार राजनीवतज तथा विवभन वािसावक कतररो क विशषज उपनथत हए

मवशव सकट पर इसलजि कज दनटिकोण

بسم اللہ الرحمن الرحیم

सिणपरथम म समत आिरणी अवतवथ सजजनरो सासिरो का zwjधिाि करना चाहता ह वजहरोन एक zwjधावमणक सगठन क पशिा को कछ विचार परकट करन का अिसर परिान वका म अपन बहत ही आिरणी ससि सि जनटन गरीवनग जो वक हमार कतर स सासि ह का वनतात आभारी ह वजहरोन अपन वनिाणचन कतर म रहन िालिी कवथत छोटी सी जमाअत क वलिए शतिषगी जबलिी क अिसर पर इस आोजन को सफलि बनान म बहत ोगिान विा ह उनका ह ोगिान उनक वनिाणचन कतर क समत लिोगरो और समिारो की भािनाओ क परवत उनकी रवच परिवशणत करता ह तथा उनकी महानता और उिारता को परिवशणत करता ह

दवप जमाअत अहमविा एक छोटी सी जमाअत ह तथावप ह इलिाम की िातविक वशका का परवतवनवzwjधति करन िालिी जमाअत ह म ह अिश कहना चाहता ह वक परतक िह अहमिी जो वबरटन म

10 विशव सकट तथा शानत-पथ

रहता ह िह इस िश का वनतात िफािार नागररक ह और इसस परम करता ह और ह हमार नबी हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की वशकाओ का ही पररणाम ह वजहरोन हम ह वशका िी ह वक अपन िश स परम करना ईमान का एक अवनिाण अग ह वजस पथक नही वका जा सकता

जमाअत अहमविा क स थापक वजह हम मसीह मौऊि और ग का अितार एि सzwjधारक समझत ह न इलिामी वशकाओ को उनकी वाखा करत हए उवचत पररपरक म विशि क समक बड ठोस रग म परतत वका ह

आपन अपन िाि की घोषणा करत हए फरमाा वक परमशिर न मझ पर िो िावति अवनिाण वकए ह -

(1) परमशिर क परवत अवzwjधकार (2) उसकी सनटि क परवत अवzwjधकार आपन इस सबzwjध म अवतररकत िणणन करत हए कहा वक इन िोनरो

अवzwjधकाररो म स सनटि क परवत अवzwjधकाररो को पणण करना अवzwjधक कवठन एि चनौतीपणण काण ह

वखलिाफत क सिभण म आपको ह भ होगा वक कभी ऐसा सम भी आ सकता ह वक जब इवतहास िोहराा जाएगा तो इस परकार क नतति क कारण दध आरभ हो जाएगा ह इलिाम पर एक आरोप

तफसीर-ए-हककी सरह अलिकसस न 86 और फतहलिबारी फी शरह सहीउलि बखारी बाब कौवलिलाह तआलिा िrsquoतलि बता और तहफतलि अहिािी शरह जावमअतवततरवमजी बाब मा कलि मलफजात वजलि - 1 पषठ - 326

11पररच

लिगाा गा ह परत म आपको विशिास विलिाता ह वक वि खिा न चाहा तो वखलिाफत-ए-अहमविा सिि शानत और समि का झणिा ऊचा करन िालिी जानी जाएगी इसी परकार ह हर उस िश की िफािार रहगी वजसम इसक अन ाी रह रह हरोग वखलिाफत-ए-अहमविा इस सिभण म मसीह-ि-महिी क वमशन को ही हमशा आग बढान का परास करती रहगी अतः वखलिाफत स भभीत होन की किावप कोई आिशकता नही ह वखलिाफत जमाअत को उन िो कततणवरो को पणण करन की ओर आकटि करती ह वजह पणण करन क वलिए हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम अितररत हए ही कारण ह वक ह जमाअत समपणण विशि म शानत और समि थावपत करन का परास करती ह

सम की कमी को दनटिगत रखत हए अपन मलि विष की ओर आता ह वि हम गत कछ सविरो का वनषzwjपक विशषण कर तो हम जात होगा वक ततकालिीन दध िाति म zwjधावमणक दध न थ अवपत विशव-राजनीवत स सबवzwjधत दध थ हा तक वक ितणमान-लिडाई-झगड तथा जावतरो क मध शतरताओ स ह विवित होता ह वक इन सब क पररपरक म राजनवतक कतरी एि आवथणक िाथण होत ह

मझ ह आशका ह वक विशि क िशरो की राजनवतक आवथणक गवतविवzwjधा और समत पररक विशि दध की ओर लि जा सकत ह किलि विशि क गरीब िश ही नही अवपत अमीर िश भी इसस परभावित हो रह ह अतः ह विशि शनतिरो का कततणव ह वक ि बठकर विचार कर तथा विनाश क कगार पर खडी मानिता को बचाए

वबरटन भी उन िशरो म स एक ह जो विकवसत और विकासशीलि िशरो पर अपना िबाि अथिा परभाि िालि सकता ह वि आप चाह तो

12 विशव सकट तथा शानत-पथ

ा और समानता की मागरो को पणण करत हए विशि का पथ-परिशणन कर सकत ह वि हम वनकट अतीत को िख तो हम जात होता ह वक वबरटन न बहत स िशरो पर राज वका और विशष तौर पर उपमहादीप भारत तथा पावकतान पर तो अपन पीछ ा और zwjधावमणक िततरता का एक उचच आिशण छोडा जमाअत अहमविा इसकी साकी ह और जमाअत अहमविा क सथापक हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब न वबरटन की सरकार की ा और zwjधावमणक िततरता पर आzwjधाररत राजनीवत की अतत परशसा और सराहना की ह जब जमाअत अहमविा क स थापक न आिरणीा महारानी विकटोररा को उनकी हीरक जती क अिसर पर मबारकबाि परतत की तथा उनको इलिाम का सिश पहचाा तो आपन विशष रप स वबरवटश राज क ा और समानता की मागरो को परा करन को दनटिगत रखत हए ह िआ की वक परमशिर उस सरकार को उसकी इस सहिता का उततम परवतफलि परिान कर

अत हमारा इवतहास बताता ह वक जब भी वबरटन न ह ा का परिशणन वका हमन उसकी सराहना की हम आशा ह वक भविषzwj म भी न किलि zwjधावमणक मामलिरो म अवपत परतक पहलि स ा ही वबरटन की एक पषzwjट विशषता रहगी और ह वक आप अतीत क अपन अचछ गणरो को कभी नही भलिग

आज विशि म वनतात बचनी और उततजना ह हम िख रह ह वक छोटी-छोटी लिडाइा परारभ हो चकी ह जबवक कछ थानरो पर विशि शनतिा शानत थावपत करन की िाििार ह अत वि ा की माग पणण न की गई तो इन परािवशक दधरो की अनगन और जिालिा म तीवरता

13पररच

आ सकती ह और समपणण विशि को दध की चपट म लि सकती ह अत मरा आपस सविन वनििन ह वक विशि को विनाश स बचाए

अब म सवकपत तौर पर िणणन करगा वक विशि म शानत थावपत करन क वलिए इलिाम का वशकाए परतत करता ह ा ह वक उन वशकाओ क अनसार विशि म वकस परकार शानत की थापना हो सकती ह मरी ह िआ ह वक विशि म शानत थावपत करन क वलिए अपन पराथवमक सबोध अथाणत मसलिमान इस पर अमलि करन िालि हरो तथा विशव क समत िशरो एि महाशनतिरो तथा सरकाररो का भी ह कततणव ह वक ि भी इस का पालिन कर

ितणमान ग म समपणण विशव एक अतराणषटी गराम क रप म इस परकार बन चका ह वक इसस पिण इसकी कलपना भी नही की जा सकती थी हम मानि होन की दनटि स अपन कततणवरो को समझना चावहए तथा मानिावzwjधकार सबzwjधी उन समाओ क समाzwjधान की ओर धान िना चावहए वजसस विशव शानत तथा अमन थावपत हो सक पटि ह वक ह परतन ासगत हो तथा ा की मागरो को परा करन िालिा हो

ितणमान समाओ म स एक जवलित समा परतक तौर पर ा अपरतक तौर पर zwjधमण क कारण पिा हई ह इसम कछ मसलिमान वगरोह असिzwjधावनक तौर पर न किलि गर मनलिम सवनकरो तथा वनिवोष नागररकरो की हता करन तथा हावन पहचान क वलिए मानि बमरो तथा विफोटकरो का परोग करत ह अवपत साथ ही वनिवोष मसलिमानरो तथा बचचरो की वनमणम हता भी करत ह ह अताचारपणण काण करन की इलिाम किावप अनमवत नही िता

मसलिमानरो क इस करकर आचरण क कारण गर मनलिम िशरो म एक

14 विशव सकट तथा शानत-पथ

गलित भािना न जम लि वलिा ह पररणामिरप उस समाज का एक भाग खललिम-खललिा इलिाम क विरदध िषzwjपरचार करता ह जबवक िसरा दवप सािणजवनक तौर पर बात नही करता परत इलिाम क बार म िह भी हिरो म एक अचछी भािना नही रखता इस बात न पनचिमी िशरो की जनता क हिरो म तथा गर मनलिम िशरो म मसलिमानरो क बार म अविशवास की भािना पिा कर िी ह वििमबना ह वक इन कछ मसलिमानरो क कवथत आचरण क कारण पररनथवतरो म सzwjधार होन क थान पर गर मनलिमरो की परवतवकरा विन-परवतविन खराब होती जा रही ह

इस गलित परवतवकरा का परथम पषzwjट उिाहरण इलिाम क पगमबर

सललाहो अलिवह िसलम क जीिन चररतर और पवितर कआणन जो वक मसलिमानरो की पवितर प तक ह पर परहार ह इस पररपरक म वबरटन क राजनीवतजरो चाह उनका सबzwjध वकसी भी पाटगी स हो तथा इसी परकार वबरटन क बवदधजीविरो की विचारzwjधारा कछ अ िशरो क राजनीवतजरो स विपरीत रही ह वजसक वलिए म आपका आभारी ह इस परकार भािनाओ को ठस पहचान स नफरत घणा और परपर नीचा विखान की भािना को बढािा िन क अवतररकत और का लिाभ हो सकता ह ह घणा कछ विशष चरमपथी मसलिमानरो को गर इलिामी काण करन पर उकसाती ह जो वक बिलि म कई गर मनलिमरो को विरोzwjध परकट करन का अिसर परिान करती ह

बहरहालि जो चरमपथी नही ह और जो इलिाम क पगमबर स बहत परम करत ह उह इन आकरमणरो स बहत कषzwjट पहचता ह तथा इस सिभण म जमाअत अहमविा अगरसर ह हमारा परमख और सिाणवzwjधक अवनिाण कततणव हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम का पवितर जीिन

15पररच

चररतर और इलिाम की स िर और उततम वशका को ससार क समक परिवशणत करना ह हम जो विशि क समत नवबरो (अिताररो) का सममान करत ह और ह विशिास रखत ह वक ि सभी परमशिर की ओर स थ उनम स वकसी क बार म भी अपमानजनक बात नही कहत परत जब हम हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क बार म वनराzwjधार और झठ आरोप सनत ह तो हम बहत कषzwjट पहचता ह

ितणमान ग म जबवक विशि िो लिाकरो म विभावजत हो रहा ह उगरिाि म तीवरता आ रही ह और आवथणक पररनथवता बहत खराब हो रही ह इस बात की वनतात आिशकता ह वक हर परकार की घणा को समापत वका जाए तथा शानत की नीि रखी जाए ह तभी सभि हो सकता ह जब परपर सभी की भािनाओ का आिर वका जाए वि ह काण उवचत तौर पर पणण ईमानिारी और सिभािनापिणक न वका गा तो ह पररनथवता उस सीमा तक भानक हो जाएगी वजन पर वनतरण पाना असभि हो जाएगा म इस बात की बहत सराहना करता ह वक आवथणक दनटि स सदढ पनचिमी िशरो न वनzwjधणन और विकासशीलि िशरो क लिोगरो को वजनम मसलिमान भी सनममवलित ह वनतात उिारता क साथ अपन िशरो म रहन की अनमवत िी

िातविक ा इस बात की माग करता ह वक उन लिोगरो की भािनाओ और zwjधावमणक रीवत-ररिाजरो का भी आिर वका जाए ही िह उपा ह वजसस लिोगरो की मानवसक शानत को काम रखा जा सकता ह हम ह मरण रखना चावहए वक जब वकसी वनति की मानवसक शानत को भग वका जाता ह तो उस समाज की मानवसक शानत भी परभावित होती ह

16 विशव सकट तथा शानत-पथ

जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह वक म वबरटन क राजनीवतजरो एि विथापकरो का ा की मागरो को परा करन तथा इस परकार का हतकप न करन पर कतज ह

िाति म ही इलिामी वशका ह जो पवितर कआणन हम िता ह पवितर कआणन ह घोषणा करता ह वक -

धरम क रारल र कोई जबरदसzwjती नही (सरह बकरह आत - 257)

ह आिश न किलि उस आरोप का खिन करता ह वक इलिाम को तलििार क बलि पर फलिाा गा अवपत ह वशका मसलिमानरो को ह भी बताती ह वक वकसी zwjधमण को िीकार करना मनषzwj और उसक परमशिर क मध का मामलिा ह और तमह वकसी भी पररनथवत म इसम हतकप नही करना चावहए परतक को ह अनमवत ह वक िह अपनी आथानसार जीिनापन कर तथा अपन zwjधावमणक रीवत ररिाजरो का पालिन कर परत zwjधमण क नाम पर वि कोई ऐसी परमपराए हरो जो िसररो को हावन पहचाए तथा राषzwjटरी काननरो क विपरीत हरो तो ऐसी नथवत म उस िश म कानन थावपत करन िालि हरकत म आ सकत ह करोवक वि वकसी zwjधमण म कोई अवपर परमपरा परचवलित ह तो ह परमशिर क वकसी नबी की वशका नही हो सकती

राषzwjटरी और अतराणषzwjटरी तर पर शानत थावपत करन क वलिए ही मलि वसदधात ह

इसक अवतररकत इलिाम हम ह वशका िता ह वक वि तमहार zwjधमाातरण क कारण कोई समाज ा कोई िगण अथिा कोई सरकार तमहारी zwjधावमणक परमपराओ की अिागी म हतकप करन का परास

17पररच

करती ह और ततपशचात पररनथवता आपक अनककलि हो जाए तब भी सिि ह मरण रखना चावहए वक तम वफर भी हि म कोई दष िमन और कपट नही रखोग तमह परवतशोzwjध लिन क बार म नही सोचना चावहए अवपत ा और समानता थावपत करनी चावहए पवितर कआणन का कथन ह -

ह व लोगो जो ईमान लाए हो अलाह ि कलए मज़बती स कनगरानी िरत हए नयाय ि समथथन म साकी बन जाओ और किसी जाकत िी शतता तमह िदाकप इस बात िी ओर पररत न िर कि तम नयाय न िरो नयाय िरो यह तक़वा ि सबस अकिि कनिट ह और अलाह स डरो जो तम िरत हो कनसनदह अलाह उसस सदा अवगत रहता ह (सरह अलिमाइिह आत - 9) समाज म शानत थावपत रखन क वलिए ही वशका ह वक अपन शतर

स भी ा स काम लिना ह और ा को हाथ स नही जान िना चावहए इलिाम का परारवभक इवतहास हम ह बताता ह वक इस वशका का पालिन करत हए ा की समत मागरो को पणण वका गा म हा इसक बहत उिाहरण नही ि सकता परत इस िातविकता पर इवतहास साकी ह वक मकका-विज क पशचात हजरत महममि सलललिाहो अलिवह िसलम न उन लिोगरो स कोई परवतशोzwjध नही वलिा वजहरोन आपस को कठोर ातनाए और कषzwjट पहचाए अवपत उह कमा कर विा तथा उह उनकी अपनी आथाओ पर रहन विा ितणमान ग म शतर क परवत ा की समपणण अवनिा णताओ को पणण करन पर ही थाी रप स शानत थावपत हो सकती ह न किलि कटटरिाविरो क विरदध दधरो म अवपत अ सभी

18 विशव सकट तथा शानत-पथ

दधरो म ऐसी शानत ही िाति म थाी हो सकती ह गत शतािी म िो दध हए उसक कारण जो भी थ परत वि

हम गहराई स विचार कर तो किलि एक ही कारण दनटिगोचर होता ह और िह ह ह वक परथम - ा को थोवचत थावपत नही वका गा तथा परवतवकरा िरप वजस एक बझी गई अनगन विचार वका गा िह गमण राख म पररिवतणत हो गई जो वक zwjधीर-zwjधीर सलिगती रही और अत म उसन पनः एक जिालिा म पररिवतणत होकर एक विकरालि रप लि वलिा तथा समत विशि को अपनी लिपट म लि वलिा

आज अशानत बढ रही ह तथा दध एि शानत को थाित रखन क वलिए काणिावहा एक अ विशि-दध का सचक बनती जा रही ह इस परकार ितणमान आवथणक और सामावजक कवठनाइा भी इस पररनथवत को बढािा िन का एक कारण हरोगी

पवितर कआणन न विशि-शानत थावपत करन क वलिए बड ही सनहर वसदधात परतत वकए ह ह एक पषzwjट िातविकता ह वक लिालिसा शतरता को जम िती ह कभी ह सीमाओ का अवतकरमण करन क रप म परकट होती ा वफर पराकवतक समपिाओ पर अवzwjधकार करन क रप म अथिा िसररो पर अपनी शषzwjठता वसदध करन क वलिए और वफर ह शतरता अा और अताचार की ओर लि जाती ह चाह ह अताचार करकर वनरकश शासकरो की ओर स हो जो परजा क अवzwjधकाररो का हनन करत ह तथा अपन वनतिगत वहतरो क वलिए अपनी शषzwjठता वसदध करत ह ा वफर अताचार आकरमणकारी सना क दारा हरो परा इन अताचाररो क वशकार लिोगरो का चीतकार और करोzwjध बाहय िशरो को आिाज िता ह

बहरहालि इलिाम क पगमबर न हम वनमनवलिवखत सनहर वसदधात

19पररच

वसखाए ह वक अताचारी और पीवडत िोनरो की सहाता करोहजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क एक सहाबीरवज न

पछा वक - अताचार स पीवडत की सहाता करना तो समझ म आता ह परत एक अताचारी की सहाता ि वकस परकार कर सकत ह आपस न उततर विा - उसक हाथ को अताचार स रोक कर करोवक उसका अताचार म बढ जाना उस परमशिर क अजाब का पातर बनाएगा (सही बखारी हिीस सखा - 6952)

अत उस पर िा करत हए उस बचान का परतन करना ह ह वसदधात समाज क सब स छोट तर स लिकर अतराणषzwjटरी तर पर भी वापत ह इस सिभण म पवितर कआणन की आत ह -

यमद िोमिनरो क दो मिरोह आपस ि झिड पड तो उन दोनरो ि समि करज दो मिर यमद समि हो जजन क पशचजत उन दोनरो ि स कोई एक दसर पर चढजई कर तो सब मिल कर उस चढजई करन वजल क मवरदध यदध करो यहज तक मक वह अलजह क आदश की ओर लौट आए मिर यमद वह अलजह क आदश की ओर लौट आए तो यजय क सजथ (उन दोनरो लडन वजलरो) ि समि करज दो तथज यजय को दनटिित रखो अलजह यजय करन वजलरो को बहत पसद करतज ह

(अलिहजरात आत - 10) दवप ह वशका मसलिमानरो स सबवzwjधत ह परत वफर भी इस

वसदधात को अपनात हए अतराणषzwjटरी तर पर शानत की नीि रखी जा सकती ह शानत को थावपत रखन क वलिए जसा वक आरभ म ह िणणन वका गा ह वक शानत की पराथवमक माग ा ह और ा क वसदधात

20 विशव सकट तथा शानत-पथ

को अपनान क बािजि भी वि शानत-थापना क परास विफलि हो जात ह तब स कत रप स उस वगरोह क विरदध दध करो वजस न अा वका ह और उस सम तक दध करो जब तक वक िह अा करन िालिा वगरोह शानत थावपत करन क वलिए त ार न हो जाए ा की माग ह ह वक परवतशोzwjध लिन का परास न वका जाए परवतबzwjध न लिगाओ हर परकार स अा करन िालि पर दनटि रखो परत साथ ही उसकी नथवत को सzwjधारन और उततम बनान का परतन करो

इस बचनी को समापत करन क वलिए जो वक आजकलि विशि क कछ िशरो म पाई जाती ह और विशष तौर पर िभाणग स कछ मनलिम िशरो म अत ि िश जो Veto करन का अवzwjधकार रखत ह उह ह पषzwjट करना चावहए वक का ा को थोवचत कााणनित वका गा अथिा नही जब कभी सहाता की आिशकता पडी तो शनतिशालिी िशरो की ओर हाथ बढाए गए

जसा वक मन पहलि िणणन वका ह वक हम इस िातविकता क साकी ह वक वबरटन सरकार का इवतहास रहा ह वक हमशा ा को काम रखा ह और इस बात न मझ परोतसाहन विा ह वक म आपका धान उनम स कछ मामलिरो की ओर आकषzwjट कर

विशि म शानत थावपत करन का एक अ वसदधात वजसकी हम वशका िी गई ह िह ह ह वक लिालिसागरत होकर िसररो की zwjधन-समपवतत को न िखना

पवितर कआणन फरमाता ह - ldquoऔर हमन उनम स िछ लोगो िो सासाररि जीवन ि जो िछ ऐशवयथ ि सामान अथायी तौर पर द रख ह त

21पररच

उनिी ओर अपनी दोनो आखो िो फला-फला िर न दख (कयोकि यह सामान उनह इसकलए कदया गया ह) ताकि हम इसि दारा उनिी परीका ल rdquo

(ताहा आत - 132)िसररो की zwjधन-समपवतत स िाह और लिालिसा भी ससार म बढी हई

अशानत का एक कारण ह वनतिगत तौर पर जसा वक कहाित ह वक lsquoपडोवसरो स परवतपzwjधाण करन की होड न कभी न समापत होन िालिी लिालिसा को जम विा हrsquo इस ित का पररणाम समापत न होन िालिी लिालिसा ह वजसन सामावजक शानत को नटि कर विा ह राषzwjटरी तर पर लिालिच पर आzwjधाररत परवतपzwjधाण आरभ हई जो वक विशि को विनाश की ओर लि गई इवतहास स ह वसदध ह परतक बवदधमान वनति अनमान लिगा सकता ह वक िसररो की zwjधन-समपवतत की इचछा दष लिालिसा एि हावन का कारण बनी

इसीवलिए परमशिर का कथन ह वक परतक को अपन ही साzwjधनरो पर वनभणर रहना चावहए तथा उही स लिाभ उठाना चावहए सीमाितगी अथिा िसर क अवzwjधकार िालि कतर स लिाभ परापत करन का परास करना तो वकसी क िावमति अथिा उसक अवzwjधकत कतर की पराकवतक समपिाओ स लिाभ परानति का परास होता ह

िशरो क गठबzwjधन एि लिाक बनान का उदश भी कछ िशरो क पराकवतक ससाzwjधनरो पर अवzwjधकार करना होता ह इस सिभण म बहत स लिखक जो इसस पिण कछ सरकाररो क एििाइजर (सलिाहकार) रह चक थ उहरोन ऐसी पतक वलिखी ह वजनम इस बात का वििरण मौजि ह वक कछ िश वकस परकार िसर िशरो की पराकवतक समपिाओ

22 विशव सकट तथा शानत-पथ

पर अवzwjधकार करन क परास करत ह लिखक कहा तक सचच ह ह तो उह ही जात होगा और परमशिर सबस अवzwjधक जानता ह परत इन लिखरो का अधन करक जो नथवत उभर कर सामन आती ह िह उन लिोगरो क हिरो म अतत करोzwjध का कारण बनती ह जो अपन वनzwjधणन िशरो क परवत िफािार ह ह बात भी उगरिाि का पोषण करन तथा विनाशकारी शतर बनान की परवतपzwjधाण का एक बडा कारण ह

ितणमान ससार भतकालि की तलिना म ि को अवzwjधक गभीर बवदधमान और वशवकत समझता ह हा तक वक वनzwjधणन िशरो म भी ऐस बवदधमान लिोग ह जो अपन काण-कतर म उचच वशका-परापत ह बहत ही उचच ोगता रखन िालि वििकशीलि लिोग विशि क परखात शोzwjध स थानरो (Research Centres) म इकट काण करत ह इस पररदश म ह कलपना की जानी चावहए थी वक काश लिोग इकट होत और स कत तौर पर सोचन क गलित ढगरो एि अतीत की मखणताओ को समापत करन का परास करत जो शतरताओ और भzwjाानक दधरो का कारण बनी ईशिर-परितत वििक और विजान की परगवत को मानि जावत क वहत और कलाण तथा िसररो की पराकवतक समपिाओ स िzwjध और उवचत ढगरो स लिाभानित होन म लिगाना चावहए था

परमशिर न परतक िश को पराकवतक समपिाए परिान की ह वजह विशि को शानत का गढ बनान क वलिए पणण रप स परोग करना चावहए परमशिर न बहत स िशरो को विवभन फसलि उगान क वलिए एक वनतात उततम जलििा और िातािरण परिान वका ह वि आzwjधवनक टकनालिॉजी को उवचत तौर पर ोजनाबदध रप स खतीबाडी क वलिए उपोग वका जाता तो आवथणक नथवत सदढ होती तथा ससार

23पररच

स भख की समा को समापत वका जा सकता था ि िश वजह खवनज समपिाओ स समपन वका गा ह उह उनवत

करन और उवचत मलरो पर िततर तौर पर वापार करन िना चावहए तथा एक िश को िसर िश क खवनज-पिाथषो स लिाभ परापत करना चावहए अत ही उवचत मागण ह वजस परमशिर न पसि वका ह

परमशिर अपन पगमबररो को लिोगरो क पास इसवलिए भजता ह तावक उह ि ऐस मागण बताए जो उह परमशिर क वनकट लि जाए इसक साथ ही परमशिर कहता ह वक zwjधमण क सबzwjध म पणण िततरता ह हमारी ह आथा ह वक दवप िातविक परवतफलि ा िणि मतोपरात वमलिगा परत ईशिर दारा थावपत विथा क अतगणत जब उसकी परजा पर अताचार वका जाता ह तथा ा और सिzwjभािना की अिहलिना की जाती ह तब परकवत क वनम क अनसार इस ससार म भी उसक पररणाम और परभाि िख जा सकत ह ऐस अारो पर बडी कठोर परवतवकरा होती ह तथा इस बात को कोई नही िखता वक िह परवतवकरा उवचत ह ा अनवचत

ससार पर विज परापत करन का उवचत मागण ह ह वक वनzwjधणन िशरो को उनका उवचत थान परिान करन क वलिए पणण रप स परतन करना चावहए

ितणमान ग की एक बडी समा आवथणक सकट ह वजस पाररभावषक तौर पर (Credit Crunch) कहा गा ह चाह ह वकतना ही विवचतर लिग परत साक एक िातविकता की ओर सकत करती ह पवितर कआणन ह कहत हए हमारा मागण-िशणन करता ह वक ाज छोड िो करोवक ाज एक ऐसा अवभशाप ह जो पाररिाररक

24 विशव सकट तथा शानत-पथ

राषzwjटरी और अतराणषzwjटरी शानत क वलिए एक खतरा ह हम सतकक वका गा ह वक जो कोई ाज लिता ह िह एक विन अिश उस वनति क समान हो जाएगा वजस शतान न पागलिपन म गरत कर विा हो अत हम मसलिमानरो को सतकक वका गा ह वक ऐसी पररनथवत स बचन क वलिए ाज का विसा बि कर विा जाए करोवक ाज क तौर पर जो रावश लिी जाती ह िह तमहार zwjधन को बढाती नही दवप वक िखन म ही लिग वक ह बढाती ह परत एक ऐसा सम अिश आता ह वक उसक िातविक परभाि परकट होत ह हम अवतररकत तौर पर सािzwjधान वका गा ह वक हम ाज क विसा म सनममवलित होन की अनमवत नही ह इस चतािनी क साथ वक वि हम ऐसा करत ह तो ह परमशिर क विरदध दध करन क समान ह ह बात आजकलि क Credit Crunch स वबलकलि पषzwjट ह परारभ म ऐस लिोग थ जो समपवतत (Property) खरीिन क वलिए zwjधन ऋण लित थ परत इसस पिण क ि उस समपवतत क िामी बन सक ि ऋण क बोझ तलि िब कर मर जात थ परत अब तो ऐसी सरकार ह जो ि ऋणगरत ह जस उन पर पागलिपन की मार पड गई ह बडी-बडी कमपवना िीिावलिा हो चकी ह कछ बक और फाइनस कमपवना बि कर िी गई ा वफर उह आवथणक सकट स बचाा गा ह पररनथवत परतक िश म जारी ह चाह िह अमीर हो ा गरीब आप इस सकट क सबzwjध म मझ स अवzwjधक जानत ह zwjधन जमा करान िालिरो क zwjधन बरबाि हो गए अब ह बात सरकार पर वनभणर ह वक िह उह कस और वकस सीमा तक बचाती ह परत इस सम विशव क अवzwjधकतर िशरो म पररिाररो वापारररो तथा शासकरो की मानवसक शानत नटि हो गई ह

25पररच

का ह नथवत हम ह विचार करन पर वििश नही करती वक विशि इस तककसगत पररणाम पर पहच गा ह वजस क बार म हम बहत पहलि सतकक वका गा था परमशिर ही अवzwjधक जानता ह वक इस पररनथवत क इसक अवतररकत और का पररणाम हरोग

परमशिर न कहा ह वक शानत की ओर आओ वजस का आशिासन किलि इस अिथा म विा जा सकता ह जब एक शदध और सामा वापार हो तथा पराकवतक ससाzwjधनरो एि समपिाओ का उवचत परोग हो

अब म इलिामी वशकाओ क इस सवकपत िणणन को ह मरण करात हए समापत करता ह वक विशि की िातविक शानत किलि परमशिर की ओर धान लिगान म ह परमशिर विशि को ह रह समझन की सामथण ि तभी ि िसररो क अवzwjधकाररो का वनिाणहन करन क ोग हरोग

अत म आप सब क हा पzwjधारन और मरी बात सनन पर म आपका पन आभारी ह

आपका बहत बहत zwjधिाि

26 विशव सकट तथा शानत-पथ

दश-भनति एव दश-पि स समबनि त इसलजिी मशकजए

सना मखालि कोलिज जमणनी 2012

Brigadier General Alois Bach of the German Federal Armywith Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba addressing the German Federal Army

1

3

2

4

1 Colonel Ulrich 2 Brigadier General Bach 3 Colonel Trautvetter and 4 Colonel IG Janke meeting Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba

दश-भनति एव दश-पि क समबि ि इसलजिी मशकजएवबनमलावहररहमावनररहीम

असzwjसलारो अलकर वरहरzwjलाह वबरकाzwjोहसिणपरथम मझ आपकी ओर स अपन हि किाटरर पर आमवतरत करन

और कछ शि कहन का अिसर विए जान पर म आपका zwjधिाि करना चाहता ह अहमविा मनलिम जमाअत का परमख होन क नात म आपक समक इलिामी वशकाओ क बार म कछ कहना चाहता ह परत ह तो बडा वापक विष ह वक एक सभा अथिा अलप सम म इस पर पणण रप स परकाश िालिना असभि ह अत ह आिशक ह वक म इलिामी वशकाओ क एक पहलि तक अपन आप को सीवमत रख

इस बात पर विचार करन क मध वक मझ इलिाम क वकस पक को आपक समक रखना चावहए तो मझ जमाअत अहमविा जमणनी क नशनलि अमीर आिरणी अिललिाह िागसहाउजर का ह वनििन परापत हआ वजसम उहरोन मझ स कहा वक िश परम और िश-भनति क बार म इलिामी वशकाओ पर परकाश िालिा जाना चावहए इस बात न मझ वनणण लिन म सहाता की अत अब म सवकपत तौर पर इस सिभण म आपक समक इलिामी वशकाओ पर कछ परकाश िालिगा

32 विशव सकट तथा शानत-पथ

अपन िश स िफािारी ा परम क शि किलि बोलिना ा सनना बडा सरलि ह परत िाति म इन शिरो म ऐस अथण वनवहत ह जो बहत गहर और वापक ह वफर उन शिरो क अथषो को पणण रप स पररवzwjध म लिना और इस बात को समझना वक शिरो क िातविक अथण का ह और उनकी माग का ह एक कवठन काण ह बहरहालि जो भी सम उपलिzwjध ह उसम म िश-परम और िशभनति क सबzwjध म इलिामी विचारzwjधारा का िणणन करन का परतन करगा

सिणपरथम इलिाम का एक मलि वसदधात ह ह वक एक वनति क शिरो और कमषो स वकसी भी परकार की वभनता ा विरोzwjधाभास किावप परकट नही होना चावहए िातविक िफािारी एक ऐस सबzwjध की माग करती ह जो वनषzwjकपटता और सचचाई पर आzwjधाररत हो ह इस बात की माग करती ह वक परतकत एक वनति जो परकट करता ह िही उसक अतकरण म भी हो राषटीता क सिभण म इन वसदधातरो का बहत महति ह अत वकसी भी िश क नागररक क वलिए ह वनतात आिशक ह वक िह अपन िश स सचची िफािारी क सबzwjध थावपत कर इस बात का कछ महति नही ह वक चाह िह जमजात नागररक हो अथिा उसन अपन जीिन म बाि म नागररकता परापत की हो ा परिास करक नागररकता परापत की हो ा वकसी अ माधम स

िफािारी एक उचचकोवट की विशषता ह और ि लिोग वजहरोन इस विशषता का उचच तरी परकटन वका ि खिा क पगमबर ह खिा स उनका परम और सबzwjध इतना दढ था वक उहरोन परतक पररनथवत म उसक आिशरो को चाह ि वकसी भी परकार क हरो दनटिगत रखा और उह पणणरप स लिाग करन का परास वका ह बात उनक खिा क साथ की गई परवतजा तथा उनकी उचच कोवट की िफािारी को परकट

33िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

करती ह अत उनकी िफािारी क इस मापिणि को हम आिशण क तौर पर अपनाना चावहए अत आग बढन स पिण ह समझना आिशक ह वक िफािारी का िातविक अथण का ह

इलिामी वशकाओ क अनसार िफािारी की पररभाषा तथा उसका िातविक अथण वकसी का असविगzwjध तौर पर हर तर पर और हर पररनथवत म कवठनाइरो स दनटि हटात हए चाह कसी भी कवठनाईपणण िशा का सामना करना पड अपनी परवतजाओ को पणण करना ह इलिाम इसी िातविक िफािारी की माग करता ह पवितर कआणन म विवभन थानरो पर मसलिमानरो को ह आिश विा गा ह वक उह अपनी परवतजाओ और कसमरो को अिश पणण करना ह करोवक ि अपनी समत परवतजाओ क परवत जो उहरोन की ह खिा क समक उततरिाी हरोग मसलिमानरो को ह वनिदश विा ह गा वक ि खिा और उसकी सनटि स की गई समत परवतजाओ को उनक महति और पराथवमकताओ क अनसार परा कर

इस सिभण म एक परशन जो वक लिोगरो क मनतषzwjक म पिा हो सकता ह िह ह ह वक चवक मसलिमान ह िािा करत ह वक परमशिर और उसका zwjधमण उनक वनकट अतवzwjधक महति रखत ह वजस स ह परकट होता ह वक परमशिर क वलिए िफािारी उनकी परथम पराथवमकता ह और परमशिर स उनकी परवतजा सिाणवzwjधक महति रखती ह ि इस परवतजा को पणण करन का परतन करत ह अत ह आथा सामन आ सकती ह वक एक मसलिमान की अपन िश क वलिए िफािारी तथा उसका अपन िश क काननरो को पालिन करन की परवतजा उसक वनकट अवzwjधक पराथवमकता नही रखती अत इस परकार िह विशष अिसररो पर अपन िश क परवत अपनी परवतजा को कबाणन करन क वलिए त ार हो जाएगा

34 विशव सकट तथा शानत-पथ

इस परशन का उततर िन क वलिए म आपको ह बताना चाहगा वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न ह वशका िी ह वक अपन िश स परम ईमान का भाग ह अत शदध िश-परम इलिाम की माग ह खिा और इलिाम स सचचा परम अपन िश स परम की माग करता ह अत ह वबलकलि पषzwjट ह वक इस नथवत म एक वनति क खिा स परम तथा अपन िश स परम क सबzwjध म उसक वहतरो का कोई टकराि नही हो सकता जसा वक अपन िश स परम करन को ईमान का एक भाग बना विा गा ह अत ह वबलकलि पषzwjट ह वक एक मसलिमान अपन सबवzwjधत िश क वलिए िफािारी करन म सबस उचच तर पर पहचन का परतन करगा करोवक खिा तक पहचन और उसका सावनध परापत करन का ह भी एक माधम ह अत ह असभि ह वक खिा का िह परम जो एक मसलिमान अपन अिर रखता ह िह उसक वलिए अपन िश स परम और िफािारी को परकट करन म एक रोक बन जाए िभाणगिश हम ह िखत ह वक कछ विशष िशरो म zwjधावमणक अवzwjधकाररो को सीवमत कर विा जाता ह ा पणणता हनन वका जाता ह अत एक और परशन उठता ह वक का ि लिोग वजनको ि उनकी सरकार तग करती ह ा अताचार करती ह ि इस नथवत म भी अपन िश क वलिए िफािारी और परम का सबzwjध थाित रख सकत ह म बड खि क साथ आपको बताता ह वक ऐसी पररनथवता पावकतान म विदमान ह जहा सरकार न िाति म हमारी जमाअत क विरदध काननरो का वनमाणण वका ह ह अहमवित विरोzwjधी कानन वािहाररक तौर पर लिाग वकए जात ह इस परकार स पावकतान म समत अहमिी मसलिमान वनवमत कानन दारा गर मनलिम ठहराए गए ह इस परकार ि ि को मसलिमान कहलिान स रोक विए गए ह पावकतान म अहमविरो को मसमलिानरो की भावत इबाित (उपासना) करन ा इलिामी परमपराओ क

35िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

अनसार जो उह मसलिमान वसदध कर का पालिन करन स परवतबzwjध लिगा विा गा ह इस परकार स ि पावकतान की सरकार न जमाअत क लिोगरो को उपासना क मलि अवzwjधकार स िवचत कर विा ह

इन पररनथवतरो को दनटि म रखत हए इस बात स अवनिाण तौर पर आशचण होगा वक इन पररनथवतरो म अहमिी मसलिमान वकस परकार िश क काननरो का पालिन कर ि िश क वलिए अपनी िफािारी को वकस परकार परकट कर सकत ह हा म इस बात को पषzwjट करना चाहता ह वक जहा ऐसी विकट पररनथवता हरो तो वफर कानन और िश क परवत िफािारी क िो अलिग-अलिग मामलि बन जात ह हम अहमिी मसलिमानरो का विशिास ह वक zwjधमण परतक वनति का एक वनतिगत मामलिा ह वक िह अपन वलिए जो भी वनणण कर zwjधमण क मामलि म कोई भी जबरिती नही होनी चावहए अत जहा कानन इस अवzwjधकार म हतकप करता ह इसम कोई सिह नही वक ह बड अताचार और अा का काम ह वनसिह सरकार क नतति और समथणन स होन िालि इस परकार क अताचार और अा जो हर ग म होत रह ह बहमत इनकी वनिा करता आा ह

वि हम रोप क इवतहास पर एक दनटि िालि तो हम ह जात होता ह वक इस महादीप म भी लिोग zwjधावमणक अताचाररो का वशकार हए ह पररणामिरप हजाररो लिोगरो को एक िश स िसर िश म परिास (वहजरत) करना पडा समत वनषzwjपक इवतहासकाररो सरकाररो और लिोगरो न इस ातनाए पहचाना तथा घोर अताचार और करकरता की सजा िी ह ऐसी पररनथवतरो म इलिाम इस बात का समथणक ह वक जहा अताचार अपनी समत सीमाओ को पार कर जाए और असहनी हो जाए तब ऐस सम म एक वनति को उस शहर ा िश स वकसी अ थान पर परिास कर

36 विशव सकट तथा शानत-पथ

जाना चावहए जहा िह अमन क साथ िततरतापिणक अपन zwjधमण का पालिन कर सक बहरहालि इस मागण-िशणन क साथ-साथ इलिाम ह भी वशका िता ह वक वकसी भी नथवत म वकसी वनति को कानन अपन हाथ म नही लिना चावहए और न ही अपन िश क विरदध वकसी भी ोजना ा षितर म भाग लिना चावहए ह एक वबलकलि पषzwjट और असविगzwjध आिश ह जो इलिाम न विा ह

वनतात ातनाओ और अताचार का सामना करन क बािजि लिाखरो अहमिी पावकतान म वनिास करत ह अपन जीिन क हर कतर म ऐस िव णिहार और अताचार सहन करन क बािजि ि उस िश स पणण िफािारी और सचची आजाकाररता का सबzwjध थाित रख हए ह ि वजस कतर म भी का ण करत ह अथिा ि जहा भी रहत ह ि वनरतर उस िश की उनवत और सफलिता क वलिए परासरो म वत रहत ह कई िशकरो स अहमवित क विरोवzwjधरो न ह आरोप लिगान का परास वका ह वक अहमिी पावकतान क िफािार नही परत ि कभी भी इस आरोप को वसदध नही कर सक इसक विपरीत िातविकता ह ह वक जब भी पावकतान क वलिए ा अपन िश क वलिए कोई करबानी िन की आिशकता हई ह तो अहमिी मसलिमान सिि परथम पनति म खड हए ह तथा हर सम उस िश क वलिए हर करबानी करन क वलिए त ार ह

इस कानन का वशकार होन क बािजि ह अहमिी मसलिमान ही ह जो वकसी भी िसर वनति स अवzwjधक कानन का पालिन करत और उसका धान रखत ह िफािारी क सिभण म पवितर कआणन न एक और वशका िी ह िह ह ह वक लिोगरो को उन समत बातरो स िर रहना चावहए जो अवशषzwjट अवपर और वकसी भी परकार क विदरोह की वशका िती हरो ह इलिाम की िह अभतपिण सिर और विशष वशका ह जो न किलि

37िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

अनतम पररणाम की ओर हमारा धान आकषzwjट करती ह जहा पररणाम बहत खतरनाक होत ह अवपत ह हम उन छोट-छोट मामलिरो स भी अिगत कराती ह जो मनषzwj को खतररो स भर मागण पर अगरसर करन क वलिए सीवढ रो का का ण करत ह अत वि इलिामी पथ-परिशणन को उवचत रग म अपनाा जाए तो वकसी भी मामलि को इस स पिण वक पररनथवता वनतरण स बाहर हो जाए परथम पग पर ही सलिझाा जा सकता ह उिाहरणता एक मामलिा जो एक िश को बहत अवzwjधक हावन पहचा सकता ह िह लिोगरो का zwjधन-समपवतत का लिोभ ह अवzwjधकाश लिोग इन भौवतक इचछाओ म मगzwjध हो जात ह जो वनतरण स बाहर हो जाती ह और ऐसी इचछाए अतत लिोगरो को बिफाई की ओर लि जाती ह इस परकार स ऐसी इचछाए अतत अपन िश क विरदध वकसी क िशदरोह का कारण बनती ह म इसका कछ पषzwjटीकरण करता ह अरबी भाषा म एक शि lsquoबगाrsquo उन लिोगरो ा उन काषो को िणणन करन क वलिए परोग होता ह जो अपन िश को हावन पहचात ह जो गलित काषो म भाग लित ह ा िसररो को हावन पहचात ह इसम ि लिोग भी सनममवलित ह जो zwjधोखा करत ह और इस परकार स विवभन ितओ को अिzwjध ढगरो स परापत करन का परतन करत ह ह उन लिोगरो पर भी चररताथण होता ह जो समत सीमाओ का अवतकरमण करत ह और हावन पहचात ह इलिाम ह वशका िता ह वक जो लिोग इस परकार क का ण करत ह उनस िफािारी की आशा नही की जा सकती करोवक िफािारी उचच नवतक मलरो स समबदध ह और उचच नवतक मलरो क अभाि म िफािारी का अनतति नही रह सकता ह भी िातविकता ह वक विवभन लिोगरो क उचच नवतक मापिणि क सबzwjध म वभन-वभन विचारzwjधाराए हो सकती ह वफर भी इलिाम चाररो ओर स खिा की परसननता पान क वलिए परररत करता ह और मसलिमानरो को

38 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह वनिदश विा गा ह वक ि ऐसा का ण कर वक वजसस खिा परसन हो सवकपत तौर पर ह वक इलिामी वशका क अनसार खिा न हर परकार क विदरोह ा गदारी को वनवषदध ठहरा विा ह चाह िह अपन िश ा अपनी सरकार क विरदध हो करोवक विदरोह ा सरकार क विरदध का ण िश की सरका और शानत क वलिए एक खतरा ह ह िातविकता ह वक जहा आतररक विदरोह अथिा शतरता परकट होती ह तो ह बाहय विरोzwjध की अनगन को भी हिा िती ह तथा बाहरी ससार को परोतसावहत करती ह वक िह आतररक विदरोह स लिाभ परापत कर इस परकार अपन िश स बिफाई क पररणाम िरगामी और खतरनाक हो सकत ह अतः जो भी बात वकसी िश को हावन पहचाए िह बगा की पररभाषा म सनममवलित ह वजसका मन िणणन वका ह इन समत बातरो को धान म रखत हए अपन िश क परवत िफािारी एक वनति स ह माग करती ह वक िह zwjध ण का परिशणन कर और अपन सिाचार विखात हए राषzwjटरी काननरो का सममान कर

समाता कहन को तो ितणमान ग म अवzwjधकतर सरकार परजाततरी परणालिी पर चलिती ह इसवलिए वि कोई वनति ा वगरोह सरकार को पररिवतणत करन की इचछा करता ह तो िह उवचत परजाततरी पदधवत को अपनात हए ऐसा कर सकता ह मत-पवटरो म अपना िोट िालिकर उह अपनी बात पहचानी चावहए वनतिगत पराथवमकताओ ा वनतिगत वहतरो क आzwjधार पर िोट नही िालिन चावहए परत िाति म इलिाम ह वशका िता ह वक वकसी भी वनति क िोट का परोग अपन िश स िफािारी और परम की समझ क साथ होना चावहए तथा वकसी भी वनति क िोट का परोग िश की भलिाई को दनटिगत रखत हए होना चावहए अत वकसी भी वनति को अपनी वनतिगत पराथवमकताओ को नही िखना चावहए और ह भी नही िखना चावहए वक वकस परताशी ा पाटगी स िह

39िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

वनतिगत लिाभ परापत कर सकता ह अवपत एक वनति को सतवलित ढग स ह वनणण करना चावहए और वजसका िह अनमान भी लिगा सकता ह वक कौन सा परताशी ा पाटगी पर िश की उनवत म सहाता िगी सरकार की कवजा एक बडी अमानत होती ह वजस उस पाटगी क सपिण वका जाना चावहए वजसक बार म िोटर ईमानिारी स ह विशिास कर वक िह सब स अवzwjधक उवचत और सब स अवzwjधक ोग ह ह सचचा इलिाम ह और ही सचची िफािारी ह

िाति म पवितर कआणन की सरः सखा 4 की आत सखा 59 म खिा न ह आिश विा ह वक अमानत किलि उस वनति क सपिण करनी चावहए जो उस का पातर हो और लिोगरो क मध वनणण करत सम उस ा और ईमानिारी स वनणण करन चावहए अतः अपन िश क परवत िफािारी ह माग करती ह वक सरकार की शनति उह िी जानी चावहए जो िाति म उसक पातर हरो तावक उनका िश उनवत कर सक और विशि क अ िशरो की तलिना म सबस आग हो

विशि क बहत स िशरो म हम िखत ह वक परजा सरकार की नीवतरो क विरदध हडतालिरो और परिशणनरो म भाग लिती ह इसस भी बढकर तीसरी िवना क िशरो म परिशणनकारी तोड-फोड करत ह ा उन समपवततरो और जािािरो को हावन पहचात ह जो ा तो सरकार स सबzwjध रखती ह ा सामा नागररकरो की होती ह दवप उनका ह िािा होता ह वक उनकी ह परवतवकरा िश परम स परररत ह परत िातविकता ह ह वक ऐस काषो का िफािारी ा िश-परम क साथ िर का भी सबzwjध नही ह मरण रखना चावहए वक जहा परिशणन और हडतालि शानतपणण ढग स भी की जाती ह ा अपराzwjध हावन एि कठोरता क वबना की जाती ह वफर भी उनका एक नकारातमक परभाि हो सकता ह इसका कारण ह ह वक

40 विशव सकट तथा शानत-पथ

शानतपणण परिशणन भी परा िश की आवथणक नथवत की करोडरो की हावन का कारण बनत ह ऐस कतरो को वकसी भी िशा म िश स िफािारी का उिाहरण नही ठहराा जा सकता एक सनहरा वसदधात वजसकी जमाअत अहमविा क परितणक न वशका िी थी िह ह था वक हम समत पररनथवतरो म खिा उसक अिताररो तथा अपन िश क शासकरो क परवत िफािार रहना चावहए ही वशका पवितर कआणन म िी गई ह अतः उस िश म भी जहा हडतालि और रोष-परिशणन करन की अनमवत ह िहा इन का सचालिन उसी सीमा तक होना चावहए वजस स िश अथिा िश की आवथणक नथवत को कोई हावन न पहच

एक अ परशन पराः उठाा जाता ह वक का मसलिमान पनचिमी िशरो की सना म भतगी हो सकत ह वि उह ह अनमवत ह तो का ि मनलिम िशरो क विरदध आकरमणरो म भाग लि सकत ह इलिाम का एक मलि वसदधात ह ह वक वकसी भी वनति को अताचारपणण काषो म सहाता नही करनी चावहए ह मलि आिश परतक मसलिमान क मनतषzwjक म सिि सिवोपरर रहना चावहए वि वकसी मनलिम िश पर इसवलिए आकरमण वका जाता ह करोवक उसन ि अनवचत और अापणण ढग स आकरमण करन म पहलि की तो ऐसी पररनथवत म पवितर कआणन का मनलिम सरकाररो को ह आिश ह वक ि अताचारी को अताचार करन स रोक अवभपरा ह वक ि अताचार का अत कर क शानत थावपत करन का परतन कर अतः ऐसी पररनथवतरो म अताचार का अत करन हत स का णिाही करन की अनमवत ह परत वि ि िश वजसन अवतकरमण वका ि को सzwjधार लिता ह और शानत को अपना लिता ह उस नथवत म झठ बहानरो की आड म उस िश और उसकी परजा को अzwjधीन करक अनवचत लिाभ नही उठाना चावहए अवपत उह सामातः

41िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

िततरता परिान कर िनी चावहए साराश ह वक स का णिाही का उदश शानत- थापना होना चावहए न वक वनवहत िाथषो की वसवदध

इसी परकार इलिाम सभी िशरो को चाह ि मनलिम हरो अथिा गर-मनलिम अताचार और वनिण ता को रोकन का अवzwjधकार परिान करता ह वि आिशकता पड तो गर-मनलिम िश िzwjध उदशरो की पवतण क वलिए मनलिम िशरो पर आकरमण कर सकत ह ऐस गर-मनलिम िशरो क मनलिम नागररक िहा की सना म भतगी होकर अ िश को अताचार करन स रोक सकत ह िाति म जहा ऐसी पररनथवता विदमान हरो तो मनलिम सवनकरो को चाह ि वकसी भी पनचिमी िश की सना स समबzwjध रखत हरो का कततणव ह वक ि शानत-थापना हत आिशरो का पालिन करत हए दध कर परत वि वकसी िश की सना अापणण ढग स वकसी अ िश पर आकरमण करन का वनणण लिती ह तो एक मसलिमान को ह विकलप परापत ह वक ि सना को छोड ि अथा िह अताचारी का सहाक बन जाएगा इस वनणण का ह अथण नही वक िह अपन िश क परवत बिफाई कर रहा ह

िाति म ऐसी पररनथवत म िशभनति की भािना ह माग करती ह वक िह ऐसा किम उठाए और अपनी सरकार को ह परामशण ि वक िह अापणण ढग स विहार करन िालि िश और सरकाररो का अनसरण करक ि को इतना नीचा न वगराए वि वफर भी सना म भतगी होना अवनिा ण ह और छोडन का कोई विकलप नही और उसकी अतरातमा सतटि नही तो वफर एक मसलिमान को चावहए वक िह िश छोड कर चलिा जाए परत उस िश क कानन क विरदध आिाज उठान की अनमवत नही ऐसी नथवत म एक मसलिमान को िश छोड िना चावहए करोवक उस िश क एक नागररक क रप म रहन की अनमवत नही और

42 विशव सकट तथा शानत-पथ

साथ ही उस िश क विरदध का ण करन ा शतर का समथणन करन की भी अनमवत नही ह

अतः इलिामी वशकाओ क कछ द नटिकोण ह जो िशपरम और िशभनति की िा तविक मागरो क समबzwjध म मसलिमानरो का मागणिशणन करत ह उपलिzwjध सम म म किलि सवकपत रप स ही इनका िणणन कर सका ह

अत म म ह कहना चाहता ह वक आज समचा विशव एक िनशवक गराम बन चका ह मनषzwj एक िसर क बहत वनकट आ गए ह समत िशरो म परतक जावत zwjधमण और सभzwjताओ क लिोग पाए जात ह ह नथवत माग करती ह वक परतक िश क राजनीवतज उनकी भािनाओ और अहसासरो को दनटिगत रख और उनका सममान कर शासकरो और उनकी सरकाररो को ऐस कानन बनान का परास करना चावहए जो सत की भािना तथा ा क िातािरण को बढािा िन िालि हरो ऐस कानन न बनाए जो वक लिोगरो को वनरतसावहत करन और अशानत फलिान का कारण बन अा और अताचार समापत करक हम िातविक ा क वलिए परास करन चावहए इसका सिवोततम उपा ह ह वक ससार को अपन सषzwjटा को पहचानना चावहए परतक परकार की िफािारी का सबzwjध खिा स िफािारी होना चावहए वि ऐसा होता ह तो हम अपनी आखरो स िखग वक समत िशरो क लिोगरो म एक सिवोचच तर िालिी िफािारी जम लिगी और समपणण विशि म निीन मागण परशत हरोग जो हम शानत और सरका की ओर लि जाएग

अपना भाषण समापत करन स पिण म एक बार पन अपन आमवतरत वकए जान तथा मरी बात सनन क वलिए आभार परकट करना चाहता ह परमशिर आप सब को परसन रख और जमणनी को भी अपना आशीष परिान कर

आपका बहत-बहत zwjधिाि

एक एटिी यदध क भयजनक पररणजि तथज पणा यजय की अतयत आवशयकतज

नौिा िावषणक शानत समारोहलििन क आोवजत 2012 ई

एक एटिी यदध क भयजनक पररणजि तथज पणा यजय की अतयत आवशयकतज

नौिा िावषणक शानत समारोहलििन क आोवजत 2012 ई

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba addressing the 9th Annual Peace Symposium

Dame Mary Richardson DBE UK President of SOS Childrenrsquos Villages accepting the lsquoAhmadiyya Muslim Prize for the Advancement of Peacersquo from His Holiness

Mayor of London Boris Johnson presenting His Holiness with a London bus souvenir

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba talking to the overseas Pakistani press regarding world affairs

पररचय

24 माचण 2012 ई को मािरन म रोप की सबस बडी मनजि ldquoबतलि फतहrdquo म शानत पर िाताणलिाप क वलिए िावषणक गोषzwjठी का आोजन हआ इस गोषzwjठी का परबzwjध जमाअत अहमविा क न वका इस आोजन म एक हजार स अवzwjधक शोता सनममवलित हए वजसम सरकार क मतरीगण विवभन िशरो क राजित हाउस आफ लिॉिरस और हाऊस ऑफ कॉमस क सि लििन क मर विवभन आिरणी लिोग विवभन परकाणि विदान आस-पास क तथा जीिन क परतक विभाग स समबदध लिोग सनममवलित थ इस िषण की गोषzwjठी का विष ldquoविशि-शानतrdquo था शानत को बढािा िन क वलिए तती अहमविा मनलिम परकार ldquoAhmadiyya Muslim Prize for Advancement of Peacerdquo हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब इमाम जमाअत अहमविा न ldquoSOS Childrenrsquos Village UKrdquo विभाग को जो वनरतर विशि क अनाथ और वनराश बचचरो क कषzwjटरो को कम करन और उसक हर बचच क वलिए एक परमपणण

48 विशव सकट तथा शानत-पथ

घर परापत होन का उनका िपन पणण हो और सहानभवतपणण िातािरण पिा करन की सराहना करत हए विा

शोताओ म वनमनवलिवखत अवतवथ वस नममवलित थ ः

Rt Hon Justine GreeningmdashMP Secretary of State for Transport

Jane EllisonmdashMP (Battersea) Seema MalhotramdashMP (Feltham and Heston) Tom BrakemdashMP (Carlshalton and Wallington) Virendra SharmamdashMP (Ealing and Southall) Lord Tariq Ahmadmdashof Wimbledon HE Wesley Momo Johnsonmdashthe Ambassador of Liberia HE Abdullah Al-Radhimdashthe Ambassador of Yemen HE Miguel Solano-Lopezmdashthe Ambassador of Paraguay Commodore Martin AthertonmdashNaval Regional

Commander Councillor Jane Coopermdashthe Worshipful Mayor of

Wandsworth Councillor Milton McKenzie MBEmdashthe Worshipful

Mayor of Barking and Dagenham Councillor Amrit Mannmdashthe Worshipful Mayor of

Hounslow Siobhan Benitamdashindependent Mayoral candidate for

London Diplomats from several other countries including India

Canada Indonesia and Guinea

एक एटिी यदध क भयजनक पररणजि तथज पणा यजय की अतयत आवशयकतज

तशहहि तअविज और खिा क नाम क साथ जमाअत अहमविा क ितणमान और पचम खलिीफा न समत आिरणी अवतवथरो को असलिामो अलिकम का उपहार परतत करत हए कहा -

आज एक िषण क पशचात मझ अपन समत अवतवथ सजजनरो का इस आोजन म अवभनिन करन का सअिसर परापत हआ ह म आप सब का वनतात आभारी और कतज ह वक आप सभी सजजनरो न इस आोजन म सनममवलित होन क वलिए अपना सम विा ह

वनसिह आप लिोगरो म स अवzwjधकतर इस आोजन स जो शानत

50 विशव सकट तथा शानत-पथ

क वलिए गोषzwjठी (Peace Symposium) क नाम स नावमत ह भलिी-भावत पररवचत ह जमाअत अहमविा इस गोषठी का परवतिषण आोजन करती ह और ह विशि म शानत थावपत करन क उदश स हमारी बहत सी हाविणक अवभलिाषाओ को परा करन क परासरो म स ह भी एक परास ह

आज की गोषzwjठी म कछ नए वमतर भी ह जो वक इस आोजन म परथम बार भाग लि रह ह जबवक अ हमार ि वमतर ह जो कई िषषो स हमार परासरो की सराहना करत चलि आ रह ह कछ भी हो जबवक आप सब उचच वशका परापत लिोग ह और विशि म शानत की थापना हत हमारी अवभलिाषा क भागीिार ह तथा इसी इचछा क फलििरप आप इस आोजन म भाग लि रह ह

आप सब आज हा इस हाविणक अवभलिाषा क साथ उपनथत ह वक समत विशि परम सहानभवत वमतरता और भरातभाि स पररपणण हो जाए और विशि की अवzwjधकाश जनता इसी विचारzwjधारा और इही मलरो की अवभलिाषी ह और उस इसी की आिशकता ह इसक अनसार आप सब वजनका सबzwjध विवभन विभागरो जावतरो िशरो और zwjधमषो स ह आज मर सामन विराजमान ह और जसा वक मन कहा वक हम परवतिषण ह काफस आोवजत करत ह और परतक अिसर पर हम सब इसी भािना और आशा को परकट करत ह जो ह ह वक हमारी इन आखरो क सामन विशि म शानत थावपत हो जाए और इसीवलिए म परवतिषण आप स ह वनििन करता ह वक आप को जहा कही भी अिसर परापत हो और वजस स भी आपका सबzwjध हो शानत को बढािा िन का परास कर इसक अवतररकत म उन समत सजजनरो स वनििन करता ह

51एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

वजनका सबzwjध राजनीवतक पावटररो अथिा सरकार स हो उह भी अपन अवzwjधकार-कतर म शानत क इस सिश को पहचाना चावहए परतक को इसस अिगत करान की आिशकता ह वक विशि म शानत थावपत करन क वलिए पहलि स अवzwjधक उचच वसदधातरो पर आzwjधाररत नवतक मलरो की वनतात आिशकता ह

जहा तक जमाअत अहमविा का सबzwjध ह जहा कही भी जब कभी भी ऐसा अिसर परापत होता ह हम खललिम-खललिा अपनी इस विचारzwjधारा को परकट करत ह वक विशि को इस विनाश और बरबािी स वजसकी ओर िह अगरसर ह बचान का अब किलि एक ही मागण ह और िह ह ह वक हम सब परम और सहानभ वत और एकता की भािना को परसाररत करन का परास कर तथा सिाणवzwjधक आिशक ह ह वक विशि अपन सषzwjटा को पहचान वक एक ही परमशिर ह ह इस कारण वक सषzwjटा की पहचान ही ह जो हम उसकी सनटि स परम और सहानभवत की ओर लि जाती ह और जब ह हमार चररतर का भाग बन जाती ह तो उस सम हम परमशिर स परम परापत करन िालि बन जात ह

हम विशि को वनरतर शानत की ओर आमवतरत करन क वलिए पकारत ह और हम ह िःख और कषzwjट जो अपन हिरो म महसस करत ह िही हम मानिता क कषzwjटरो को कम करन और विशि को रहन क वलिए एक उततम थान बनान क परतन करन क वलिए परररत करता ह बहरहालि ह आोजन इस उदश की परानति क बहत स परासरो म स एक परास ह

जसा वक मन पहलि कहा ह वक आप सब की ही शभ कामनाए ह इसक अवतररकत मन राजनीवतजरो तथा zwjधवमणक-नताओ को विशि-

52 विशव सकट तथा शानत-पथ

शानत क उदश स आमवतरत वका ह वफर भी इन परासरो क बािजि हम ह जानत ह वक समपणण विशि म अशानत और उथलि-पथलि वनरतर फलि रही ह और बढ रही ह

आजकलि विशि म हम अतवzwjधक लिडाई-झगड अशानत और असतोष िखत ह कछ िशरो म जनता क परवतवनवzwjध आपस म लिड रह ह और एक-िसर पर परहार कर रह ह कछ िशरो म परजा सरकार क विरदध लिड रही ह ा इसक विपरीत शासक अपनी परजा पर अताचार कर रह ह उगरिािी िलि अपन वनतिगत वहतरो को परा करन क वलिए अशानत और असतोष की अनगन को और अवzwjधक हिा ि रह ह इस परकार ि मासम नतररो बचचरो और िदधरो का अzwjधा-zwjधzwjध िzwjध कर रह ह कछ िशरो म राजनीवतक िलि अपन वहतरो की पवतण क वलिए आपस म लिडाई कर रह ह ि अपन लिोगरो की भलिाई क वलिए एकमत हो जान क थान पर हम िखत ह वक कछ सरकार और िश वनरतर िसर िशरो क पराकवतक ससाzwjधनरो की ओर दष और िाह स दनटि लिगाए हए ह विशि की महा शनतिा भी अपनी शषzwjठता को काम रखन क वलिए परासरत ह और इस उदश को परापत करन क वलिए उहरोन कोई कमी नही छोडी

सारी बात दनटिगत रखत हए हम िखत ह वक न ही जमाअत अहमविा और न ही आप म स अवzwjधकाश जो वक जन-परवतवनवzwjध ह ह शनति ा अवzwjधकार रखत ह वक सकारातमक पररितणन लिान क वलिए ऐसी नीवता बनाए इसका कारण ह ह वक हमार पास कोई सरकारी शनति ा विभाग नही ह िाति म म तो हा तक कहता ह वक ि राजनीवतज वजनक साथ हमार वमतरतापणण सबzwjध ह और जो हमार आोजनरो म

53एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

हमशा हमार साथ सहमत होत ह ि भी बोलि नही सकत इसक विपरीत उनक िर भी िबा विए जात ह और उह अपनी विचारzwjधाराए परतत करन स रोक विा जाता ह ह ा तो इसवलिए होता ह वक उह अपनी पाटगी की ककटनीवत अपनान पर वििश वका जाता ह ा वफर किावचत अ विशि शनतिरो ा राजनीवतक गठबzwjधनरो क बाहरी िबाि क कारण ऐसा होता ह जो वक उह कम आक रह होत ह

इसक बािजि हम परवतिषण इस शानत गोषठी (Peace Symposium) म भाग लित ह और वनःसिह हम अपनी विचारzwjधाराओ और भािनाओ को परकट करत ह समत zwjधमण समत िश समत नलिरो और समत लिोगरो क मध परम सहानभवत और भरात-भाि थावपत होना चावहए िभाणगिश दवप वक हम िाति म इस विचारzwjधारा को वािहाररक रप िन म वििश ह इस पररणाम की परानति क वलिए वजसक हम अवभलिाषी ह हमार पास कोई साzwjधन ा अवzwjधकार नही ह

मझ मरण ह वक लिगभग िो िषण पिण इसी हालि (Hall) म हमारी शानत गोषठी क मध मन विशि म शानत थावपत करन क वलिए विवभन उपारो और साzwjधनरो पर आzwjधाररत एक भाषण विा था और मन ह भी बताा था वक सकत राषzwjटर सघ (UNO) को वकस परकार की काणिाही करनी चावहए ततपशचात हमार बहत ही वपर और आिरणी वमतर लिािर एररक एिबरी (Lord Eric Avebury) न ह समीका की वक ह भाषण िाति म स कत राषzwjटर सघ (UNO) म होना चावहए था बहरहालि ह तो उनक उचच चररतर का परकटन था वक िह अपनी समीका म इतन हमििण और उिार थ बहरहालि म ह कहना चाहता ह वक किलि वकसी भाषण का िना ा सनना पाणपत नही और किलि

54 विशव सकट तथा शानत-पथ

इसस शानत की थापना नही होगी अवपत इस मलि उदश को पणण करन क वलिए पणण ा और समत मामलिरो म इसाफ और ईमानिारी की अतत आिशकता ह पवितर कआणन न सरह अनननसा आत - 136 म हम एक सनहरी वसदधात और वशका िी ह जो हमारा इस सिभण म मागण-िशणन करती ह िह बताती ह वक ा की मागरो को परा करन क वलिए वि आप को ि अपन-अपन माता-वपता वनकट सबवzwjधरो और वमतररो क विरदध भी गिाही िनी पड तो तमह अिश िनी चावहए ही िातविक ा ह जहा परतक वनतिगत वहत को जनवहत क वलिए एक ओर रख विा गा ह

वि हम सामवहक तौर पर इस वसदधात क बार म विचार कर तो हम ह महसस होगा वक अिzwjध हथकि वजनका आzwjधार zwjधन तथा परभाि एि परवतषzwjठा पर ह उनका पररताग कर िना चावहए इस क विपरीत ह जन-परवतवनवzwjध और राजितरो को शदध नीत ा एि समानता क वसदधातरो क समथणन की इचछा क साथ सामन आना चावहए हम परतक परकार क पकपात और भिभाि को समापत कर िना चावहए करोवक ही िह माधम ह जो शानत लिाता ह वि हम सकत राषzwjट सघ की जनरलि असबलिी अथिा विशि सरका पररषि को िख तो परा हम िखत ह वक िहा जो भाषण ा बान विए जात ह उनकी बडी परशसा और परवसवदध होती ह परत ऐसी परशसा वनरथणक ह करोवक िातविक वनणण पहलि ही वकए जा चक होत ह

अत जहा वनणण महाशनतिरो क िबाि क अतगणत वकए जाए जो सचची एि ासगत परजाततरी परणालिी क विरदध हरो तो ऐस भाषण खोखलि और वनरथणक विचाररो को परिवशणत करत ह तथा बाहय ससार को

55एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

zwjधोखा िन क वलिए किलि एक बहान का काम करत ह तथावप इस का ह अथण नही वक हम वनराश हो जाए और अपन समत परास ताग ि अवपत इसकी बजाए हमारा लिक ह होना चावहए वक विशष तौर पर राषzwjटरी काननरो की पररवzwjध म रहत हए सरकार को वनरतर सम की आिशकता को मरण करात रह हम उन वगरोहरो को भी उवचत तौर पर नसीहत करना चावहए वजनक अपन वनतिगत वहत ह तावक विशि तर पर ा जारी हो सक किलि इसी परकार विशि अमन और एकता का गढ बन सकता ह वजसक हम सब अवभलिाषी ह

इसवलिए हम अपन परासरो को किावप ताग नही सकत वि हम अा और अताचार क विरदध अपनी आिाज उठाना बि करत ह तो हम भी उन लिोगरो म स हो जाएग वजनक पास कोई भी नवतक मल अथिा मानक नही ह ह परशन वथण ह वक चाह हमारी आिाज सनी जाए ा उनका कोई परभाि हो शानत क वलिए हम वनरतर िसररो स परामशण करना ह म अतत परसन होता ह जब म ह िखता ह वक zwjधमण और जावत क मतभिरो क बािजि मानि मलरो को जीवित रखन क वलिए असख लिोग इस आोजन को सनन सीखन और विशि म शानत और परम थावपत करन क उपारो क बार म अपन विचार परकट करन क वलिए आत ह अत म आप सब स वनििन करता ह वक अपनी उततम ोगताओ क अनसार शानत क वलिए परास कर तावक हम आशाओ क इस िीपक को परकावशत रख सक वक एक सम अिश आएगा वक जब िातविक शानत और ा विशि क समत िशरो म थावपत हो जाएगा

हम ह मरण रखना चावहए वक जब मानि परास विफलि हो जात

56 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह तब सिणशनतिमान परमशिर मानि जावत क भाग को वननचित करन क वलिए अपन वनणण को जारी करता ह इसस पिण वक परमशिर का वनणण जारी हो और िह लिोगरो को उसकी ओर जान तथा मानि जावत क अवzwjधकाररो को अिा करन पर वििश कर ह उवचत होगा वक विशि क लिोग ि इन महतिपणण मामलिरो की ओर धान ि करोवक परमशिर को का णिाही करन पर वििश वका जाता ह तब उस का करोzwjध िाति म मनषzwj को एक कठोर और भानक ढग स पकडता ह

ितणमान ससार म परमशिर क वनणण का एक भानक परकटन एक अ विशि-दध क रप म हो सकता ह इसम किावप सिह नही वक ऐस दध क परभाि तथा उस क दारा विनाश किलि उस दध तक ा किलि ितणमान पीढी तक सीवमत नही हरोग अवपत उसक भानक पररणाम कई भािी पीवढरो तक परभािी हरोग ऐस दध क इन भानक पररणामरो म स एक ह ह वक इन दधरो का परभाि निजात वशशओ पर तथा भविषzwj म जम लिन िालि बचचरो पर भी पडगा आzwjधवनक शतर इतन विनाशकारी ह वक भविषzwj म जम लिन िालिी कई पीवढरो पर उनक भानक आनिावशक और शारीररक परभाि पडग

जापान ही एक ऐसा िश ह वजसन एटमी दध क वनतात भानक पररणाम िख ह उस पर वदती विशि-दध क मध एटम बम स आकरमण वका गा आज भी वि आप जापान जाए और िहा क लिोगरो स वमलि तो आप उस दध का एक पणण भ और उसकी घणा उनकी आखरो म िखग और जो कछ ि कहत ह उसस भी परकट होता ह हालिावक ि एटम बम जो उस सम परोग वकए गए तथा वजहरोन बहत अवzwjधक विनाश वका ि आज क परमाण शतररो की अपका जो

57एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

वक आज छोट-छोट िशरो क पास भी ह बहत कम शनति िालि थ कहा जाता ह वक जापान म दवप वक सात िशक गजर चक ह

तथावप एटम बम क परभाि निजात वशशओ पर अब भी परकट हो रह ह वि वकसी वनति को गोलिी मारी गई हो तब भी परा उपचार क दारा उसका बच जाना सभि होता ह परत वि रासावनक दध आरभ हो जाता ह तो जो भी उसकी लिपट म आएग उनका ऐसा भाग नही होगा इसक विपरीत हम िखग वक लिोग अचानक मरग और मवतणित हो जाएग तथा उनकी खालि वपघलिन लिगगी पीन का पानी भोजन और सनजा िवषत हो जाएगी और विवकरण (Radiation) स परभावित हरोगी हम किलि इस बात की कलपना ही कर सकत ह वक ऐसा परिषण वकस परकार क रोगरो का कारण बनगा ि थान जहा पर सीzwjध तौर पर आकरमण न हो और जहा इस विवकरण (Radiation) क परभाि कछ कम हरोग िहा पर भी रोगरो का खतरा बहत अवzwjधक होगा और भािी नलिरो को बड खतररो स गजरना होगा

अत जसा वक मन कहा ह वक ऐस दध क विनाशकारी और भानक परभाि किलि दध ा उसक बाि तक ही सीवमत न हरोग अवपत भविषzwj की अनकरो पीवढरो तक चलित चलि जाएग ह ऐस दध क िातविक पररणाम ह हालिावक इसक बािजि आज िाथगी और मखण लिोग विदमान ह वजह अपन इन आविषzwjकाररो पर बडा गिण ह और उहरोन विशि-विनाश क वलिए जो कछ विकवसत वका ह उसको ि उपहार क रप म िणणन करत ह िातविकता ह ह वक रासावनक शनति और टकनालिॉजी का नाममातर लिाभपरि पक भी असािzwjधानी ा िघणटनाओ क कारण बहत भानक हो सकता ह तथा महाविनाश की

58 विशव सकट तथा शानत-पथ

ओर लि जा सकता ह हम इसस पिण इस परकार की आकनमक आपिाओ को िख चक ह इसी परकार की एक घटना 1986 ई म चरनोवबलि (Chernobyl) अथाणत करन म हई और गत िषण ही जापान म भकमप और सनामी क पशचात घटना हई ह भी बहत भानक थी इसन पर िश को भभीत कर विा जब ऐसी घटनाए परकट होती ह तो वफर घटनागरत कतररो का पनणवनमाणण एि पनिाणस भी बहत कवठन काण होता ह अपन एकमातर और भानक एि िखिाी अनभिरो क कारण जापानी अतवzwjधक सतकक हो गए ह और वनसिह उनक भ का अहसास थोवचत ह

ह एक पषzwjट बात ह वक लिोग दधरो म मरत ह और जापान भी वदती विशि-दध म सनममवलित हआ तो उसकी सरकार और उसक लिोग इस बात स भलिी-भावत पररवचत थ वक कछ लिोग मार जाएग कहा जाता ह वक जापान म लिगभग तीन वमवलिन (तीस लिाख) लिोग मार गए ह िश की कलि जनसखा का चार परवतशत (4) बनता था दवप वक मरन िालिरो की कलि सखा की दनटि स बहत स अ िश भी बहत परभावित हए तथावप दध क परवत जो नफरत और घणा हम जापानी लिोगरो म िखत ह िह अ की अपका बहत अवzwjधक होती ह वनशच ही इसका कारण ि िो परमाण बम ह जो वदती विशि-दध क सम जापान पर वगराए गए वजसक पररणाम ि आज भी िख रह ह और ि आज तक उन पररणामरो को सहन कर रह ह जापान न बहत शीघर अपन शहररो की पनथाणपना करक अपनी शषzwjठता और शोक स उभरन की भािना और शनति को वसदध कर विा ह परत ह पषzwjट रह वक वि आज पन परमाण शतर परोग वकए गए तो बहत सभि

59एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

ह वक कछ विशष िशरो क भाग पणण रप स विशि-मानवचतर स समापत हो जाए और उनका अनतति ही शष न रह

वदती विशि-दध म मरन िालिरो की सखा एक अनमान क अनसार लिगभग बासठ वमवलिन ह और ह बताा जाता ह वक मार गए लिोगरो म चालिीस वमवलिन सामा नागररक थ इस परकार सना की अपका जन सामा अवzwjधक मार गए ह विनाश इस िातविकता क बािजि हआ वक जापान क अवतररकत ह दध अ थानरो पर पारपररक शतररो क साथ हआ था

UK (क) को लिगभग पाच लिाख लिोगरो की हावन झलिनी पडी दवप ह उस सम उपवनिशिािी शनति था और उसक उपवनिशरो न भी उसक समथणन म दध वका वि हम उनकी हावनरो को भी सनममवलित कर लि तो मरन िालिरो की सखा कई वमवलिन तक पहच जाती ह

किलि भारत म सोलिह लिाख लिोग मत का वशकार हए बहरहालि आज िह नथवत पररिवतणत हो चकी ह और ि िश जो

वबरटन क निीन उपवनिश थ जो वबरटन सामाज क वलिए लिड अत वि आज दध होता ह तो ि बताणवना क विरदध भी लिड सकत ह और वफर जसा वक मन इसस पिण िणणन वका ह वक कछ छोट िशरो न भी परमाण शतर परापत कर वलिए ह जो बात अतवzwjधक भ का कारण ह िह ह जानकारी ह वक ऐस परमाण हवथार ऐस लिोगरो क हाथरो म आ सकत ह वजनक पास ा तो ोगता नही ह ा वफर अपन काषो क पररणामरो क सबzwjध म कलपना ही नही कर सकत िाति म ऐस लिोग पररणामरो क बार म विचार करन की परिाह ही नही करत ा वफर

60 विशव सकट तथा शानत-पथ

छोटी-छोटी बातरो पर बिक तान लित ह अत वि महा शनतिा ा स काम नही लिती तथा छोट िशरो

की वनराशा को समापत नही करती और उवचत और नीवतसगत काणिावहा नही करती तो पररनथवत हमार अवzwjधकार स बाहर हो जाएगी ततपशचात जो विनाश आएगा िह हमारी कलपना स भी िर होगा हा तक वक विशि क अवzwjधकाश िश जो शानत क अवभलिाषी ह उन को भी ह विनाश अपनी पररवzwjध म लि लिगा

अत मरी हाविणक अवभलिाषा और आशा ह वक समत बड िशरो क नता इस भािह िातविकता को समझग और अपन उदशरो और लिकरो की परानति क वलिए आकरामक नीवतरो को अपनान तथा शनति का परोग करन की बजाए ि ऐसी नीवतरो स काम लि जो ा को बढािा ि और उसकी रका करन िालिी हरो

अभी कछ सम पिण ही रस क एक िररषzwjठ सवनक कमािर न रासावनक दध क सभावित खतर क बार म एक कडी चतािनी जारी की ह उसका दनटिकोण ह वक ऐसा दध एवशा अथिा वकसी िसर थान पर नही वका जाएगा अवपत रोपी सीमाओ पर वका जाएगा और ह खतरा पिगी रोपी िशरो स आरभ हो सकता ह और दध की जिालिा भडक सकती ह दवप वक कछ लिोग ह भी कहग वक ह मातर उसका वनतिगत विचार था परत म ि इस विचार को असभि नही समझता अवपत इसक अवतररकत म ह भी विशिास करता ह वक वि ह दध आरभ हो जाता ह तो इस बात की बहत सभािना ह वक एवशा क िश भी इस दध म ककि पडग

एक अ सचना वजस इही विनरो बड वापक रप स मीविा

61एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

दारा परसाररत वका गा ितणमान सम म ही इसाईलि की जाससी एजसी मोसाि क भतपिण चीफ क विचार थ परवसदध अमरीकन टीिी चनलि CBS क साथ एक साकातकार क मध उहरोन कहा वक ह परकट हो रहा ह वक इसाईलि की सरकार ईरान क साथ दध छडना चाहती ह उहरोन बताा वक वि ऐसा आकरमण होता ह तो ह जानना असभि हो जाएगा वक ऐसा दध कहा और कस समापत होगा अतः उसन बड शनतिशालिी ढग स इस दध क विरदध नसीहत की

इस दनटि स मर विचार म ऐसा दध एटमी विनाश क साथ ही समापत होगा

इही विनरो म मरी दनटि स एक लिख गजरा वजसम लिखक न ह िणणन वका ह वक आज विशि की आवथणक और राजनीवतक दनटि स िही नथवत ह जसी 1932 ई म थी उसन वलिखा वक कछ विशष िशरो म जनता को राजनीवतजरो ा किलि नाममातर परजाततर पर कोई विशिास नही रहा उसन ह भी कहा वक कई और भी समानताए ह जो वमलिकर आज भी िही वचतर परिवशणत करती ह जो वक वदती विशि-दध स ठीक पहलि िखा गा था

कछ लिोग इस विशषण स सहमत नही हरोग परत इस क विपरीत म इसस सहमत ह और ही कारण ह वक मरा ह विशिास ह वक विशि की सरकाररो को ितणमान पररनथवतरो पर अतत वचनतत होना चावहए इसी परकार कछ मनलिम िशरो क अाी शासक वजनका एकमातर उदश वकसी भी परकार तथा वकसी भी मल पर अपनी शनति को काम रखना ह उह भी होश म आना चावहए अथा उनक काण और उनकी मखणताए उनक अत का कारण हरोगी तथा ि अपन-अपन

62 विशव सकट तथा शानत-पथ

िशरो को वनतात भकर पररनथवतरो की ओर लि जाएगी हम जो जमाअत अहमविा क सि ह विशि और मानिता को

विनाश स बचान क वलिए अपना भरसक परतन करत ह ह इसवलिए वक हमन ितणमान ग क इमाम को माना ह वजस परमशिर न मसीह मौऊि बनाकर भजा और जो हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम वजह परमशिर न ि मानिता पर उपकार करन िालिा बनाकर भजा था का एक िास बनकर आा

करोवक हम हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की वशका का पालिन करत ह इसवलिए हम विशि की नथवत पर अपन हिरो म अतत िःख महसस करत ह ह िही िःख ह जो हम मानिता को विनाश और सकटरो स सरवकत रखन क परवत परासरत रहन की ओर अगरसर करता ह इसवलिए म और अ सभी अहमिी मसलिमान विशि म शानत क उदश को परापत करन क वलिए अपन िावतिरो को परा करन का परास कर रह ह

एक उपा वजसक दारा मन विशि म शानत को बढािा िन का परतन वका ह िह पतररो का वसलिवसलिा ह जो मन विशि क कछ शासकरो और राजनताओ को वलिख ह कछ माह पिण पोप बनीविकट को एक पतर भजा वजस मर एक अहमिी परवतवनवzwjध न ि उह पहचाा उस पतर म मन उह वलिखा वक चवक िह विशि की सबस बडी zwjधावमणक जमाअत क लिीिर ह इसवलिए उह विशि-शानत को थावपत करन का अिश परतन करना चावहए

इसी सिभण म इही विनरो म ईरान और इसाईलि की आपसी शतरताओ को िखत हए जो एक वनतात भकर तर पर भडक रही ह

63एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

मन इसाईलिी परzwjधानमतरी बजावमन वनवतनाह और ईरानी राषzwjटरपवत महमि अहमिीवनजाि िोनरो को एक पतर भजा वजसम मन उह मानि जावत को दनटिगत रखत हए वनणण करत सम हर परकार की शीघरता और असािzwjधानी को तागन का आगरह वका

मन इही विनरो अमरीका क राषzwjटरपवत बराक ओबामा तथा कनािा क परzwjधानमतरी टीफन हापणर को भी पतर वलिख ह वजनम िोनरो को विशि की शानत और एकता को सदढ करन क वलिए अपनी भवमका अिा करन तथा अपन िावतिरो को परा करन का आगरह वका

वनकट भविषzwj म अ िशरो क शासकरो को भी ऐस ही पतर वलिखन का मरा इरािा ह

म नही जानता वक मन वजन शासकरो को पतर वलिख ह ि मर पतररो को कोई महति िग ा नही उनकी परवतवकरा जो भी हो मन विशि भर म रहन िालि लिाखरो अहमविरो क खलिीफा और आधानतमक पशिा होन क तौर पर विशि की भािह एि सकटपणण नथवत क सबzwjध म उनकी भािनाओ और अहसास को उन तक पहचान क वलिए ह एक परास वका ह

ह पषzwjट रह वक मन इन भािनाओ का परकटन वकसी वनतिगत भ क कारण नही वका अवपत इसक विपरीत किलि मानिता क परवत परम न मझ इसक वलिए परररत वका

हजरत महममि म तफासअि वजह जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह समत मानिजावत क वलिए एक उपकारी और हमििण बनाकर भजा गा ह की वशकाओ न समत सचच मसलिमानरो क हिरो म मानिता स परम को अवकत कर विा ह और उस उनवत परिान की ह

64 विशव सकट तथा शानत-पथ

बहत सभि ह वक आप आशच ण कर ा आप सनकर तzwjध रह जाए वक मानिता क वलिए हमारा परम हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की वशकाओ ही का पररणाम ह अत ह परशन पिा हो सकता ह वक वफर हा ऐस उगरिािी वगरोह करो मौजि ह जो वनिवोष लिोगरो का िzwjध करत ह ा वफर करो ऐसी मसलिमान सरकार मौजि ह जो अपन शासन की कवसण रो को सरवकत रखन क वलिए अपनी ही परजा को मारन का आिश िती ह

ह पषzwjट रह वक िाति म इस परकार क अनवचत और ककमण इलिामी वशका क वबलकलि विपरीत ह पवितर कआणन वकसी भी पररनथवत म कटटरिाि और उगरिाि की अनमवत नही िता

हमारी आथानसार इस ग म परमशिर न जमाअत अहमविा क परितणक हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी अलिवहसलिाम को हजरत महममि म तफा सललाहो अलिवह िसलम की पणण िासता म मसीह मौऊि और इमाम महिी बना कर भजा ह मसीह मौऊि को इलिाम और पवितर कआणन की िातविक वशका क परचार और परसार क वलिए भजा गा था आपको मनषzwj और परमशिर क मध एक सबzwjध थावपत करन क वलिए अितररत वका गा था आपको इसवलिए भजा गा था वक मनषzwj एक िसर क परवत अपन कततणवरो को पहचान आपको हर परकार क zwjधावमणक दधरो को समापत करन क वलिए भजा गा था आप को परतक zwjधमण क पशिा और पगमबर क सममान शान और थान को थावपत करन क वलिए भजा गा था आपको उचच नवतक मलरो की परानति की ओर ससार का धान अाकटि और समत विशि म शानत परम सहानभवत एि भरातति को काम करन क वलिए भजा गा था

65एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

वि आप विशि क वकसी भी िश म जाए तो आप िखग वक विशषताए समत सचच अहमविरो म विदमान ह हमार वलिए न उगरिािी और न ही चरमपथी आिशण ह और न ही अताचारी मसलिमान शासक और न ही पनचिमी शनतिा हमार वलिए नमना ह िह आिशण वजसका हम अनसरण करत ह िह इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम का आिशण ह और हमार पथ-परिशणक वनिदश पवितर कआणन म ह

अत म इस अमन काफस (Peace Symposium) स समत विशि को ह सिश िता ह वक इलिाम का सिश और वशकाए परम सहानभवत अमन और शानत पर आzwjधाररत ह

िभाणग स हम िखत ह वक मसलिमानरो का एक अलपसखक िगण इलिाम का एक पणणता विकत रप परतत करता ह और पथ-भरषzwjट करन िालिी आथाओ का पालिन करता ह म आप सब स कहता ह वक उसको िातविक इलिाम न समझ और उन अापणण काषो को शानतवपर मसलिमानरो की बहसखा की भािनाओ को ठस पहचान और उह अताचार का लिक बनान क वलिए एक लिाइसस क तौर पर परोग न कर

पवितर कआणन समत मसलिमानरो की सबस अवzwjधक मबारक और पवितर प तक ह इसवलिए उसक बार म अपवितर और अवशटि भाषा का परोग करन ा उस जलिान स वनशच ही मसलिमानरो की भािनाए आहत हरोगी हमन िखा ह वक जब भी ऐसी घटना होती ह तो कटटरपथी मसलिमानरो को एक वबलकलि गलित और अनवचत परवतवकरा की ओर लि जाती ह

हमन अभी अफगावनतान म िो घटनाओ क सबzwjध म सना जहा अमरीका क सवनकरो न पवितर कआणन का अपमान वका और वनिवोष

66 विशव सकट तथा शानत-पथ

नतररो और बचचरो को उनक घररो म मारा इसी परकार एक अताचारी वनति न िवकणी फास म कछ फासीसी वसपावहरो को अकारण गोवलिरो स मार िालिा और वफर कछ ही विनरो क पशचात उसन एक ककलि म परिश वका और तीन वनिवोष हिी बचचरो और उनक एक वशकक की भी हता कर िी

हम िखत ह वक ह आचरण वबलकलि गलित ह जो कभी शानत नही लिा सकता हम ह भी िखत ह वक ऐस अताचार पावकतान म वनरतर होत ह और अ थानरो म भी इस परकार समत गवतविवzwjधा इलिाम क विरोवzwjधरो को अपनी नफरत को हिा िन क वलिए ईzwjधन उपलिzwjध कर रही ह तथा अपन उदशरो की उचच तर पर परानति क वलिए बहाना उपलिzwjध करा रही ह एक छोट तर पर ऐसी अताचारपणण काणिावहा वकसी वनतिगत शतरता ा दष क कारण नही की जाती अवपत िाति म उन अापणण नीवतरो का पररणाम ह वजह कछ विशष सरकार राषzwjटरी और अतराणषzwjटरी तर पर अपनाए हए ह

अत विशि म शानत थावपत करन क वलिए ह आिशक ह वक ा क उवचत मापिणिरो को परतक तर पर और परतक िश म विकवसत वका जाए पवितर कआणन न अकारण वकसी वनिवोष वनति क िzwjध को समत मानिता का िzwjध ठहराा ह

अत एक मसलिमान होन क नात म पनः ह पणण रप स पषzwjट करगा वक इलिाम अताचार और बबणरता क वकसी भी रप परकार की किावप अनमवत नही िता ह एक पटि आिश ह वजसम कोई अपिाि नही पवितर कआणन इसक अवतररकत कहता ह - वि कोई िश ा जावत तमहार साथ शतरता भी रखती हो तब भी उनक साथ विहार

67एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

करत हए शतरता तमह ा करन स किावप न रोक ऐसा नही होना चावहए वक शतरताए और िर तमह परवतशोzwjध लिन ा अनवचत काणिाही करन की ओर लि जाए एक और महतिपणण आिश जो हम पवितर कआणन न विा ह वक िसररो क zwjधन और ससाzwjधनरो को ईषzwjाण तथा दष और लिालिच भरी दनटि स नही िखना चावहए

मन किलि कछ बातरो का िणणन वका ह परत ऐसी बात ह जो वनतात आिशक ह करोवक ही बात समाज और वफर विशालि ससार म शानत और ा की नीि रखन िालिी ह म िआ करता ह वक विशि इन मलि समाओ की ओर अपना धान आकषzwjट कर तावक हम विशि क उस विनाश स बचाए जाए वजसकी ओर हम अताचारी और बईमान लिोग लि जा रह ह

म कमा चाहता ह वक मन आपका काफी सम वलिा ह परत िातविकता ह ह वक विशि म शानत थावपत करन का विष अतत महति का विष ह

सम हाथरो स वनकलिता जा रहा ह और इसस पिण क बहत िर हो जाए हम सब को सम की आिशकता की ओर बहत धान िना चावहए

इसस पिण वक म अपन इस भाषण को समापत कर एक आिशक बात क सबzwjध म बताना चाहता ह - जसा वक हम सब जानत ह वक आजकलि अवत आिरणी महारानी एवलिजाबथ वदती की हीरक जती मनाई जा रही ह वि हम सम को 115 िषण पिण 1897 ई तक लि जाए उस सम भी महारानी विकटोररा की हीरक जती मनाई जा रही थी उस सम जमाअत अहमविा क परितणक न महारानी विकटोररा

68 विशव सकट तथा शानत-पथ

को मबारकबाि का एक सिश भजा था आप अलिवहसलिाम न उस सिश को इलिामी वशकाओ का पगाम

पहचात हए वबरटन की सरकार क वलिए िआ और महारानी की िीघण आ क वलिए कामना की थी उस सिश म आप अलिवहसलिाम न वलिखा वक महारानी की सरकार की सबस बडी विशषता ह ह वक उनकी सरकार म समत लिोगरो को zwjधावमणक िततरता िी जाती ह

आज क ससार म वबरटन की सरकार भारती उपमहादीप पर शासन नही करती तथावप zwjधावमणक िततरता क वसदधात वबरटन क समाज की और उसक काननरो म गहराई क साथ सलिगन ह वजनक दारा परतक वनति को zwjधावमणक िततरता परिान की गई ह

वनसिह इस िततरता का बहत ही स िर नमना हा पर आज रात को िखा जा रहा ह जहा पर विवभन आथाओ zwjधमषो और विचाररो क मानन िालि एक सामवहक उदश अथाणत विशि म शानत थावपत करन क वलिए एक थान पर एकतर हए ह इसवलिए िही शि और िही िआए जो हजरत मसीह मौऊि अलिवहलिाम न की थी उही का परोग करत हए म इस अिसर पर महारानी ऐवलिजाबथ को हाविणक गहराइरो स मबारकबाि परतत करता ह जसा वक आपन फरमाा वक

ldquoपरिशवर कर मक हिजरी पसनतजपणा िबजरकबजद और कतजञतज की भजवनजए हिजरी हिददा िहजरजनी को पहच और ईशवर कर मक आदणणीय िहजरजनी सदव पसन और सतषट रहrdquoहजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम न महारानी विकटोररा क

वलिए इसक अवतररकत िआए की अत म महारानी क वलिए िआए

69एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

करन क वलिए पन आप ही क शि परोग करता ह - ldquoह शनतिशजली और सजिरयावजन परिशवर अपनी कपज और बरकतरो स सदव हिजरी आदरणीय िहजरजनी को इसी पकजर पसन रखनज मजस पकजर हि उसकी सहजनभमत और दयज क िलसवरप पसनतजपवाक रह रह ह उस स पि और दयज कज वयवहजर करनज ठीक उसी पकजर मजस पकजर हि शजनत और सिमदध स सहदयतज एव सयियकत आचरण वजली सरकजर क अिीन रह रह हrdquoअत ह कतजतापणण भािनाए ह जो हर अहमिी मसलिमान क हि

म ह जो वबरटन का नागररक ह अत म एक बार पन आप सब का हाविणक गहराइरो क साथ zwjधिाि करना चाहता ह वजहरोन हा पzwjधार कर अपन परम सहानभवत एि भरात-भािना को परकट वका ह

आपका अवत zwjधिाि

शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

कवपटलि वहलि िावशगटन िी सी 2012 ई

Brad Sherman (Democratic member of the United States House of Representatives) presenting American flag to Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

The first Muslim Congressman Keith Ellisonmeeting Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba leading silent prayer at US Capitol Hill

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba delivers his keynote address at US Capitol Hill

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba during his official tour of US Capitol Hill

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba in US Capitol Hill after his historic address to the US Statesmenand Bureaucrats

भमिकज

27 जन 2012 को कवपटलि वहलि िावशगटन म एक ऐवतहावसक घटना घवटत हई वक जमाअत अहमविा क ितणमान और पचम खलिीफा न अमररकी कागरस क सिरो म सनटसण राजितरो वहाइट हाउस और टट विपाटरम ट टाफ एनजीओज क अवzwjधकारररो zwjधावमणक नताओ परोफसररो नीवत सलिाहकाररो सरकारी अवzwjधकारररो विपलिोमवटक कोर (Corps) क सिरो विचारकरो पटागन क परवतवनवzwjधरो एि मीविा क सपािकरो को समबोवzwjधत वका ह काफस जो अपन परकार की परथम काफस थी इस न स कत राज अमरीका (USA) क कछ बहत ही परवतनषठत नताओ को वजनम नसी पलिोसी जो वक हाउस आफ

76 विशव सकट तथा शानत-पथ

ररपरजटवटवज (House of Representatives) म िमोकरवटक पाटगी की नता ह सनममवलित थ को सीzwjध तौर पर विशि-शानत क विष पर इलिाम का सिश सनन का अिसर उपलिzwjध कराा इस आोजन क पशचात हजरत इमाम जमाअत अहमविा वमजाण मसरर अहमि सावहब को कवपटलि वहलि का भरमण कराा गा ततपचिात हाउस आफ ररवपरजटवटवज म Escort विए जान स पिण आप क स कत राज म आगमन की खशी म सममान क तौर पर एक परताि परतत वका गा

उस परताि की भवमका ह ह - आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि

विशिवापी जमाअत अहमविा क आधानतमक और विथागत पशिा को िावशगटन िीसी म सिागतम तथा विशि-शानत ा उिारता मानिावzwjधकाररो zwjधावमणक िततरता एि परजाततर क वलिए आपक परासरो की सराहना करत ह

कवपटलि वहलि म उपनथत सजजनरो की सची वनमनवलिवखत ह - US Senator Robert Casey Sr (Democrat Pennsylvania) US Senator John Cornyn (Republican Texas) Democratic Leader Nancy Pelosi (Democrat California) US Congressman Keith Ellison (Democrat Minnesota) US Congressman Bradley Sherman (Democrat

California) US Congressman Frank Wolf (Republican Virginia) US Congressman Michael Honda (Democrat California) US Congressman Timothy Murphy (Republican

77भवमका

Pennsylvania) US Congresswoman Jeannette Schmidt (Republican

Ohio) US Congresswoman Janice Hahn (Democrat California) US Congresswoman Janice Schakowsky (Democrat

Illinois) US Congresswoman Jackie Speier (Democrat California) US Congresswoman Zoe Lofgren (Democrat California) US Congresswoman Sheila Jackson Lee (Democrat

Texas) US Congressman Gary Peters (Democrat Michigan) US Congressman Thomas Petri (Republican Wisconsin) US Congressman Adam Schiff (Democrat California) US Congressman Michael Capuano (Democrat

Massachusetts) US Congressman Howard Berman (Democrat

California) US Congresswoman Judy Chu (Democrat California) US Congressman Andreacute Carson (Democrat Indiana) US Congresswoman Laura Richardson (Democrat

California US Congressman Lloyd Poe (Republican Texas) US Congressman Barney Frank (Democrat

Massachusetts) US Congressman Bruce Braley (Democrat Iowa) US Congressman Dennis Kucinich (Democrat Ohio)

78 विशव सकट तथा शानत-पथ

US Congressman Trent Franks (Republican Arizona) US Congressman Chris Murphy (Democrat

Connecticut) US Congressman Hank Johnson (Democrat Georgia) US Congressman James Clyburn (Democrat South

Carolina) His Excellency Bockari Kortu Stevens Ambassador of

Sierra Leone to the United States Dr Katrina Lantos Swett Chairwoman United States

Commission on Inteternational Religious Freedom Hon Tim Kaine Former Governor of Virginia Amb Susan Burk Special Representative of President

Barack Obama for Nuclear Nonproliferation Amb Suzan Johnson Cook US Ambassador at Large for

International Religious Freedom Hon Khaled Aljalahma Deputy Chief of Mission

Embassy of the Kingdom of Bahrain to the United States Rev Monsignor Jean-Francois Lantheaume First

Counselor (Deputy Chief of Mission) The Apostolic Nunciature of the Holy See to the United States

Ms Sara Al-Ojaili Public AffairsLiaison Officer Embassy of the Sultanate of Oman to the United States

Mr Salim Al Kindie First Secretary Embassy of the Sultanate of Oman to the United States

Ms Fozia Fayyaz Embassy of Pakistan to the United States Hon Saida Zaid Counselor Embassy of Morocco to the

United States

79भवमका

Hon Nabeel Munir Minister-IV (Security Council) Pakistan Permanent Mission to the United Nations

Hon Josef Renggli Minister-Counselor Embassy of Switzerland to the United States

Hon Alyssa Ayres Deputy Assistant Secretary for South and Central Asia US Department of State

Amb Karl Inderfurth Senior Adviser and Wadhwani Chair in US-India Policy Studies Center for Strategic and International Studies

Hon Donald A Camp Senior Associate Center for Strategic and International Studies

Amb Jackie Wolcott Executive Director US Commission on International Religious Freedom

Dr Azizah al-Hibri Commissioner US Commission on International Religious Freedom

Mr Isaiah Leggett County Executive Montgomery Count Maryland

Ms Victoria Alvarado Director Office of International Religious Freedom US Department of State

Dr Imad Dean Ahmad Director Minaret of Freedom Institute

Dr Zainab Alwani Assistant Professor of Islamic Studies Howard University School of Divinity

Ms Deborah L Benedict Associate Counsel US Citizenship and Immigration Services Department of Homeland Security

Ms Lora Berg Senior Adviser to Special Representative to Muslim Communities US Department of State

80 विशव सकट तथा शानत-पथ

Dr Charles Butterworth Professor (Emeritus) of Government and Politics University of Maryland College Park

Father John Crossin Executive Director for Secretariat for Ecumenical and Interreligious Affairs United States Conference of Catholic Bishops

Major (Ret) Franz Gayl Senior Science Adviser US Marine Corps

Dr Sue Gurawadena-Vaughn Director of International Religious Freedom and South East Asia Programs Freedom House

Mr Frank Jannuzi Head of Washington Office Amnesty International USA

Mr T Kumar International Advocacy Director Amnesty International USA

George Leventhal Member of the Montgomery County Council

Mr Amer Latif Visiting Fellow Wadhwani Chair in US-India Policy Studies Center for Strategic and International Studies

Mr Tim Lenderking Director of Pakistan Desk Office US State Department

Mr Jalal Malik International Affairs Officer US Army National Guard

Mr Naveed Malik Foreign Service Officer US Department of State

Ms Dalia Mogahed Senior Analyst and Executive Director Gallup Center for Muslim Studies

81भवमका

Mr Paul Monteiro Associate Director White House Office of Public Engagement

Major General David Quantock United States Army Provost General

Ms Tina Ramirez Director of International and Government Relations The Becket Fund

Rabbi David Saperstein Director and Counsel Religious Action Center for Reform Judaism

Chaplain Brigadier General Alphonse Stephenson Director of the National Guard Bureau Office of the Chaplain

Mr Knox Thames Director of Policy and Research US Commission on International Religious Freedom

Mr Eric Treene Special Counsel for Religious Discrimination Civil Rights Division US Department of Justice

Dr Hassan Abbas Professor Regional and Analytical Studies Department National Defense University

Mr Malik Siraj Akbar Reagan-Fascell Fellow National Endowment of Democracy

Mr Matthew K Asada Congressional Fellow to Rep Gary Peters

Ms Stacy Burdett Director of Government and National Affairs Anti-Defamation League

Ms Elizabeth Cassidy Deputy Director for Policy and Research US Commission on International Religious Freedom

Ms Aimee Chiu Director of Media Communication and Public Relations American Islamic Congress

82 विशव सकट तथा शानत-पथ

Mr Cornelius Cremin Department of State Bureau of Democracy Human Rights and Labor Acting Deputy Director and Foreign Affairs Officer for Pakistan

Mr Sadanand Dhume Resident Fellow American Enterprise Institute

Dr Richard Gathro Dean of Nyack College Washington DC

Mr Joe Grieboski Chairman The Institute on Religion and Public Policy

Ms Sarah Grieboski The Institute on Religion and Public Policy

Dr Max Gross Adjunct Professor Prince Alwaleed Bin Talal Center for Muslim-Christian Understanding Georgetown University

Dr Riaz Haider Clinical Professor of Medicine George Washington University

Ms Huma Haque Assistant Director South Asia Center Atlantic Council

Mr Jay Kansara Associate Director Hindu American Foundation

Mr Hamid Khan Senior Program Officer Rule of Law Center US Institute for Peace

Ms Valerie Kirkpatrick Associate for Refugees and US Advocacy Human Rights Watch

Mr Alex Kronemer Unity Productions Mr Paul Liben Executive Writer US Commission on

International Religious Freedom Ms Amy Lillis Foreign Affairs Officer US Department

83भवमका

of State Mr Graham Mason Legislative Assistant to Rep Allyson

Schwartz Ms Lauren Markoe Religion News Service Mr Dan Merica CNNcom Mr Joseph V Montville Senior Associate Merrimack

College Center for the Study of Jewish-Christian-Muslim Relations

Mr Aaron Myers Program Officer Freedom House Ms Attia Nasar Regional Coordinating Officer US

Department of State Ms Melanie Nezer Senior Director US Policy and

Advocacy HIAS Dr Elliott Parris Bowie State University Mr John Pinna Director of Government and

International Relations American Islamic Congress Mr Arif Rafiq Adjunct Scholar Middle East Institute Ms Maya Rajaratnam Amnesty International Ms Rachel Sauer Foreign Affairs Officer US

Department of State Dr Jerome Schiele Dean of College of Professional

Studies Bowie State University Ms Samantha Schnitzer Staff United States Commission

on International Religious Freedom Dr Mary Hope Schwoebel Senior Program Officer

Academy for International Conflict Management and

84 विशव सकट तथा शानत-पथ

Peacebuilding US Institute for Peace Ms Sarah Schlesinger International and Government

Relations Associate The Becket Fund Dr Frank Sellin Kyrgystan Desk Officer US

Department of State Ms Anna-Lee Stangl Christian Solidarity Worldwide Ms Kalinda Stephenson Professional Staff Tom Lantos

Human Rights Commission Mr Jordan Tama Lead Democratic Staffer Tom Lantos

Human Rights Commission Mr Shaun Tandon AFP Dr Wilhelmus Valkenberg Professor of Religion and

Culture The Catholic University of America Mr Anthony Vance Director of External Affairs Baharsquois

of the United States Mr Jihad Saleh Williams Government Affairs

Representative Islamic Relief USA Ms Amelia Wang Chief of Staff to Congresswoman Judy

Chu Ms Moh Sharma Legislative Fellow to Congresswoman

Judy Chu

यएस कजगस mdash हजउस पसतजव सखयज 709

88 विशव सकट तथा शानत-पथ

112 िा कागरस िसरा सशनपसतजव सखयज 709

आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि विशिवापी जमाअत अहमविा क आधानतमक और विथागत पशिा को िावशगटन िीसी म सिागतम तथा विशि-शानत ा उिारता मानिावzwjधकाररो zwjधावमणक िततरता एि परजाततर क वलिए आपक परासरो की सराहना करत ह

परवतवनवzwjध कक (House of Representatives)27 जन 2012

शीमती ज लिॉफगरन आफ कलिीफोवनण ा न (ि की ओर स तथा Mr Sherman Mr Connolly of Virginia Mr Hinchey Ms Eshoo Ms Speier Ms Richardson Mr Schiff Ms Schakowsky Mr Honda Mr Wolp Mr Peters Mr Dent Ms Chu Mr Berman Mr Franks of Arizona Ms Jackson Lee of Texas Ms Schwartz Mr Braley of Iowa और Mr McGovern की ओर स) न वनमनवलिवखत परताि परतत वका जो वक वििशी मामलिरो (Foreign Affairs) की कमटी को भजा गा

92 विशव सकट तथा शानत-पथ

पसतजव हम आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब विशववापी

जमाअत अहमविा क आधानतमक एि विथागत पशिा का िावशगटन िीसी म अवभनिन करत ह और हम आपकी विशि-शानत ा अवहसा मानिावzwjधकाररो zwjधावमणक िततरता और परजाततर क परवत कवटबदधता की सराहना करत ह

16 जन 2012 ई स 2 जलिाई 2012 तक आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि अहमविा मनलिम जमाअत जो एक अतराणषzwjटरी zwjधावमणक सगठन ह वजसक समपणण विशि म लिाखरो सि ह क विशिवापी एि विथागत पशिा स कत राज अमरीका का ऐवतहावसक िौरा कर रह ह

आप 22 अपरलि 2003 ई को हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब क पचम खलिीफा (जो वक एक आजीिन पि ह) वनिाणवचत हए आप शानत को बढािा िन िालि परमख मनलिम पशिा ह वजहरोन अपन परिचनरो भाषणरो रचनाओ एि वनतिगत भटरो क माधम स मानि सिा अतराणषटी मानिावzwjधकार शानत एि ा पर आzwjधाररत समाज क सबzwjध म जमाअत अहमविा क मलरो का सिि परचार एि समथणन वका ह अहमविा मनलिम जमाअत वनरतर ातनाओ का वशकार रही इन ातनाओ म भिभाि कषzwjट एि अताचार और वहसा भी सनममवलित ह

28 मई 2010 ई को लिाहौर पावकतान म जब जमाअत अहमविा की िो मनजिरो पर जमाअत अहमविा क विरोzwjधी उगरिाविरो न आकरमण वका तो उसम 86 अहमिी मसलिमान मार गए आप सामपरिावक

93परताि सखा 709

ातनाओ क बािजि अहमविरो को परवतशोzwjधातमक एि वहसातमक परवतवकराओ स वनरतर मना करत ह आपन मानिता की सिा को बढािा िन और उस आसान बनान क वलिए समपणण विशि का भरमण वका तथा इस सबzwjध म आपन परजीिणटस पराइमवमवनटजण सासिरो और विवभन िशरो क राजितरो स भट की

सकत राज अमरीका क अपन भरमण क मध आप सकत राज क परमख राजनताओ स भट करन क अवतररकत सबzwjधरो को सदढ बनान तथा समत लिोगरो म शानत और ा क माधमरो की थापना क वलिए हजाररो अमरीकी मसलिमानरो स भी वमलिग

27 जन 2012 ई को आप रबनण हाऊस आवफस वबनलिग कवपटलि वहलि क विशष वदपकी अवभनिन समारोह क अिसर पर ldquoशानत-पथ - राषzwjटररो क मध ापणण सबzwjधrdquo शीषणक क अतगणत मख भाषण िग ह परताि पाररत हआ वक हाउस आफ ररवपरजटवटवज

1 आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि का िावशगटन िी सी म अवभनिन करता ह

2 आप का परतक वनति की वनतिगत शानत एि ा तथा विशव की सामवहक शानत एि ा को बढािा िन पर सराहना करता ह

3 हम आपकी थाी तौर पर मसलिमानरो को कठोर स कठोर ातनाए िन क बािजि भी वहसातमक काणिावहा करन स बचन क परामशण िन पर सराहना करत ह

शजनत-पथ mdash रजषटरो क िधय यजयपणा सबि

वबनमलावहररहमावनररहीम - आिरणी अवतवथ गण असzwjसलारो अलकर वरहरzwjललाह व

बरकाzwjोह - कछ िणणन करन स पिण म इस अिसर पर आप सब का मर

भाषण को सनन क वलिए सम वनकालिन पर आभार परकट करना चाहता ह मझ स एक ऐस अिसर पर वजस विष पर बोलिन क वलिए वनििन वका गा ह िह बहत विशालि ह तथा वितार चाहता ह उसक बहत स पक ह अत इस अलप सम म उन सब का िणणन कर पाना मर वलिए सभि नही वजस विष पर भाषण िन क वलिए कहा गा ह िह विशि-शानत की थापना ह वनशच ही ह वनतात महतिपणण एि तिररत धान िन का मामलिा ह वजसका आज विशि को सामना ह बहरहालि इस सीवमत सम म म सवकपत तौर पर राषzwjटररो क

96 विशव सकट तथा शानत-पथ

मध ापणण तथा सबzwjधरो की समानता क दारा शानत-थापना क बार म इलिामी विचारzwjधारा को आपक समक रखगा

िातविकता ह ह वक शानत और ा परपर अवनिाण ह आप इन म स एक क अभाि म िसर को नही िख सकत वनशच ही ह ऐसा वसदधात ह वजस समत बवदधमान लिोग समझत ह जो लिोग विशि म अशानत फलिान पर कवटबदध ह उह एक ओर रखत हए कोई भी ह िािा नही कर सकता वक वकसी समाज और िश हा तक वक समपणण विशि म जहा ा होता हो िहा अविथा एि शानत का अभाि हो सकता ह तथावप हम िखत ह वक विशि क कई िशरो म अशानत फलिी हई ह ह अशानत िोनरो परकार स अथाणत िशरो क आतररक और बाहय तौर पर भी विवभन राषzwjटररो क मध सबzwjधरो की दनटि स विखाई िती ह ऐसी अविथा और टकराि विदमान ह चाह समत सरकार ऐसी नीवता बनान की िाििार हरो जो ा पर आzwjधाररत हरो सार िश ही िाि करत ह वक शानत थावपत करना ही उनका मलि उदश ह वफर भी इस बात म कोई सिह नही वक विशि म अशानत और परशानी बढ रही ह ह बात पषzwjट तौर पर वसदध करती ह वक कही न कही ा की माग परी नही की जा रही ह अतः परास करन तथा समानता का जहा कही जब भी अभाि हो उस समापत करन की वनतात आिशकता ह अतः विशववापी जमाअत अहमविा का पशिा होन क नात म ा पर आzwjधाररत शानत की परानति क माधमरो एि आिशकताओ क सबzwjध म कछ बात परतत करना चाहता ह

जमाअत अहमविा एक शदध zwjधावमणक समिा ह हमारा दढ विशिास ह वक मसीह और सzwjधारक वजसका इस ग म आना वननचित

97शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

था और विशि को इलिाम की िातविक वशका स अिगत कराना था िह वनसिह आ चका ह हमारा ईमान ह वक हमार समिा क परितणक हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी अलिवहसलिाम िही मसीह मौऊि और सzwjधारक ह और इसीवलिए हमन उह माना ह आप न अपन अन ावरो स दढतापिणक कहा वक िह इलिाम की िातविक और मलि वशकाए जो पवितर कआणन पर आzwjधाररत ह ि भी पालिन कर और उसका परचार कर अतः शानत-थापना एि ापणण अतराणषzwjटरी सबzwjध पिा करन क सबzwjध म जो भी कहगा िह कआणनी वशकाओ पर आzwjधाररत होगा

विशि-शानत की परानति हत आप सब वनरतर अपनी विचारzwjधाराओ को परकट करत ह और वनसिह परास भी करत ह आपक रचनातमक और वििकशीलि मनतषzwjक आपको महान विचाररो ोजनाओ और शानत का वििक परतत करन की पररणा ित ह

अतः इस समा पर मझ सासाररक अथिा राजनीवतक दनटि स कछ कहन की आिशकता नही अवपत इसक विपरीत मरा समपणण धान इस बात पर वनभणर होगा वक zwjधमण पर आzwjधाररत शानत की थापना कस हो सकती ह इस उदश क वलिए जसा वक मन पहलि िणणन वका ह म पवितर कआणन की वशकाओ पर आzwjधाररत कछ अतत आिशक वनिदश परतत करगा

हमशा ह मरण रखना आिशक ह वक मानि जान और बवदध पणण नही ह अवपत िाति म सीवमत ह अत वनणण करत सम अथिा विचार करत सम कछ विशष बात मानि मनतषzwjक म परिश कर जाती ह जो वनणण को zwjधवमलि कर सकती ह तथा एक वनति को अपन ही

98 विशव सकट तथा शानत-पथ

अवzwjधकाररो को पणण करन क परास की ओर अगरसर करती ह अततः ही बात एक अापणण पररणाम की ओर लि जा सकती ह और वफर फसलिा वका जाता ह परमशिर का कानन बहरहालि पणण ह तथा कोई वनतिगत वहत अथिा अापणण वनम विदमान नही ह करोवक परमशिर अपनी सनटि क वलिए किलि अचछाई और भलिाई चाहता ह इसवलिए उसका कानन पणण रप स ा पर आzwjधाररत ह वजस विन विशि क लिोग इस महतिपणण रह को समझन लिगग उस विन िातविक और थाी शानत की नीि रख िी जाएगी अथा हम ह जात करन का परतन करत रहग वक दवप वक विशि-शानत की थापना क वलिए अतत परतन वकए गए परत ि कोई महतिपणण पररणाम उपलिzwjध करान म असफलि रह

परथम विशि दध की समानति क पशचात कछ राषzwjटररो क शासकरो न भविषzwj म समत िशरो क मध अचछ और शानतपणण सबzwjधरो की इचछा की तो विशि-शानत की परानति क वलिए लिीग ऑफ नशस (Leage of Nations) बनाई गई उसका मख उदश विशि-शानत को थाित रखना था तथा भविषzwj म दधरो को रोकना था िभाणगिश इस लिीग क वसदधात और जो परताि पाररत वकए गए उनम कछ कवमा और िोष थ इसवलिए उहरोन समत लिोगरो और समत िशरो क अवzwjधकाररो की थोवचत रका न की पररणामिरप जो असमानता पिा हई तो थाी शानत जारी न रह सकी लिीग क परास विफलि हो गए ह बात सीzwjध तौर पर वदती विशि दध का कारण बनी

जो भकर विनाश और बरबािी हई उसस हम सब पररवचत ह वजसम समपणण विशि क लिगभग पचहततर वमवलिन लिोगरो क पराण नषzwjट

99शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

हए वजनम अवzwjधकाश वनिवोष जनता थी ह दध विशि की आख खोलिन क वलिए पाणपत होना चावहए था ह उन बवदधमततापणण नीवतरो को उनवत िन का माधम होना चावहए था जो वक समत िलिरो को ा पर आzwjधाररत उनक अवनिाण अवzwjधकार परिान करता इस परकार विशि म शानत थावपत करन का माधम वसदध होता उस सम विशि की सरकाररो न वकसी सीमा तक शानत काम करन का परतन वका और सकत राषzwjटर सघ (UNO) की थापना की गई परत ह शीघर ही पषzwjट हो गा वक सकत राषzwjटर सघ क महान और महतिपणण उदश पर नही वकए जा सक और आज कछ विशष सरकार पषzwjट तौर पर ऐस बान िती ह वजन स उनकी असफलिता वसदध होती ह

ा पर आzwjधाररत अतराणषzwjटरी सबzwjध जो शानत थावपत करन का एक माधम हरो उनक सबzwjध म इलिाम का कहता ह पवितर कआणन म अललिाह तआलिा न ह पषzwjट वका ह वक दवप हमारी जावता और जाती पररदश हमारी पहचान का एक माधम ह परत िह वकसी परकार की शषzwjठता क औवचत का माधम नही ह

अत पवितर कआणन ह पषzwjट करता ह वक समत लिोग समान ह इसक अवतररकत िह अनतम खतबा (भाषण) जो हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम न विा उसम आपस न समत मसलिमानरो को नसीहत की वक सिि मरण रखो वक वकसी अरबी को वकसी गर अरबी पर और न ही वकसी गर अरबी को वकसी अरबी पर कोई शषzwjठता ह आपस न ह वशका िी वक एक गोर को कालि पर और न ही वकसी कालि को गोर पर शषzwjठता ह अत इलिाम की ह एक पषzwjट वशका ह वक समत जावतरो और नलिरो क लिोग बराबर

100 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह ह भी पषzwjट कर विा गा ह वक समत लिोगरो को वबना वकसी भिभाि अथिा दष क समान अवzwjधकार विए जान चावहए ह एक बवनािी और सनहरी वसदधात ह जो विवभन वगरोहरो और िशरो क मध एकता और शानत की नीि िालिता ह

बहरहालि आज हम िखत ह वक शनतिशालिी और वनबणलि िशरो क मध एक फकट और खाई ह उिाहरणता स कत राषzwjटर सघ म हम िखत ह वक विवभन िशरो क मध अतर वका जाता ह और इसी परकार विशि सरका पररषि म कछ थाी और कछ अथाी सि ह ह विभाजन फकट और अशानत का एक आतररक माधम वसदध हआ ह अत हम वनरतर इस असमानता क विरदध परिशणनरो पर आzwjधाररत विवभन िशरो की ररपोटर सनत रहत ह इलिाम समत मामलिरो म पणण ा और समानता का पाठ पढाता ह और इस परकार हम पवितर कआणन की सरह अलिमाइिह आत - 3 म एक और वनिदश पात ह इस आत म पवितर कआणन िणणन करता ह वक ा की मागरो को पणणता परा करन क वलिए ह आिशक ह वक उन लिोगरो स भी वजहरोन घणा और शतरता की समत सीमाओ को पार कर वलिा हो ा और समानता का विहार वका जाए पवितर कआणन ह वशका िता ह वक जहा कही भी और जो कोई भी तमह अचछाई और नकी की ओर बलिाता हो तमह उसकी आिाज पर लिबक (म उपनथत ह) कहना चावहए और जहा भी जो कोई भी तमह बराई और अापणण विहार की ओर बलिाता हो तमह उसक वनमतरण को अिीकार कर िना चावहए

एक परशन जो िाभाविक तौर पर पिा होता ह िह ह ह वक इलिाम वकस परकार क ा की माग करता ह सरह अनननसा आत - 126 म

101शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

पवितर कआणन िणणन करता ह वक वि तमह अपन ि क विरदध ा अपन माता-वपता ा अपन वपरजनरो क विरदध भी गिाही िनी पड तो ा और सचचाई को काम रखन क वलिए तमह अिश ऐसा करना चावहए शनतिशालिी और समवदधशालिी िशरो को अपन अवzwjधकाररो की रका करन क परास म वनzwjधणन और शनतिहीन िशरो क अवzwjधकार को हडप नही करना चावहए िसरी ओर वनzwjधणन और शनतिहीन िशरो को अिसर वमलिन पर शनतिशालिी अथिा समवदधशालिी िशरो को हावन पहचान का परास नही करना चावहए इसक थान पर िोनरो पकरो को ा क वसदधातरो का पणणरपण पालिन करना चावहए िाति म विवभन िशरो क मध शानतपणण सबzwjधरो को काम रखन क वलिए ह समा बहत गभीर ह

ा पर आzwjधाररत िशरो क मध शानत की एक अ माग की चचाण पवितर कआणन की सरह अलिवहजर आत - 89 म ह जहा पवितर कआणन फरमाता ह वक वकसी भी वगरोह को िसररो क ससाzwjधनरो तथा zwjधन-समपवततरो को कभी भी ईषzwjाणपणण वनगाहरो स नही िखना चावहए इसी परकार वकसी भी िश को वकसी अ िश की पराकवतक समपिाओ पर उनकी सहाता अथिा समथणन क बहान अवzwjधकार करन का औवचत तलिाश नही करना चावहए इसी परकार तकनीकी महारत उपलिzwjध करान क आzwjधार पर सरकाररो को अापणण वापाररक समझौत ा ठक लित हए िसर िशरो स अनवचत लिाभ नही उठाना चावहए इसी परकार तकनीकी ोगताए उपलिzwjध करान ा सहाता करन क बहान सरकाररो को विकासशीलि िशरो क पराकवतक समपिाओ ा समपवततरो पर अवzwjधकार परापत करन क परतन नही करन चावहए जहा अलप वशवकत लिोग हरो

102 विशव सकट तथा शानत-पथ

ा सरकाररो को वसखान की आिशकता हो वक उह अपन पराकवतक ससाzwjधनरो (समपिाओ) को कस काम म लिाना ह तो वफर ऐसा वका जा सकता ह

अत िशरो और सरकाररो को वनबणलि िशरो की सिा और सहाता करन क सिि अिसर खोजन चावहए परत वकसी भी पररनथवत म ऐसी सिा को राषzwjटरी अथिा राजनीवतक लिाभ परापत करन का ा अपन वहतरो को पणण करन का उदश नही बनाना चावहए हम िखत ह वक सकत राषzwjटर सघ न गत छ ा सात िशकरो म वनzwjधणन िशरो की सहाता करन और उह विकवसत करन क उदश स कई काणकरम बनाए ह इस परास म उहरोन कई िशरो क पराकवतक ससाzwjधनरो की खोज की ह परत इन परासरो क बािजि वनzwjधणन िशरो म स कोई भी िश विकवसत िशरो क तर तक नही पहच सका इस का एक कारण वनशच ही उन विकासशीलि िशरो की बहत सी सरकाररो म विशालि तर पर ररशित खान का परचलिन ह म खि क साथ कहता ह वक इसक बािजि विकवसत िश अपन वहतरो को परा करन क वलिए वनरतर ऐसी सरकाररो क साथ वापार करत ह वापाररक समझौत अतराणषzwjटरी सहाता और विसावक ठक वनरतर जारी ह फलििरप वनzwjधणन और वनराश जनता की परशानी एि अशानत वनरतर बढ रही ह ह बात अवzwjधकाश िशरो म विदरोह और आतररक अशानत का कारण बन गई ह विकासशीलि िशरो क वनzwjधणन लिोग इतन बचन हो गए ह वक ि अपन ही नताओ क विरदध हो गए ह अवपत महा शनतिरो क लिोग भी इसस उगरिािी सगठनरो का उदश परा हआ ह और उहरोन इस अशानत का लिाभ उठाा ह इस परकार ि ऐस लिोगरो को अपन िलिरो म सनममवलित करन

103शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

क वलिए परोतसाहन भी ित आ रह ह और अपनी घवणत विचारzwjधारा को परोतसावहत कर रह ह इसका अनतम पररणाम ह वनकलिा ह वक विशव-शानत का विनाश हो गा ह

अत इलिाम न शानत क वलिए विवभन माधम अपनान की ओर हमारा धान फर विा ह इलिाम पणण ा की माग करता ह िह इस बात की माग करता ह वक सिि सचची गिाही िी जाए िह इस बात की माग करता ह वक ईषzwjाण स हमारी दनटि िसररो की zwjधन-समपवततरो पर न पड िह इस बात की माग करता ह वक विकवसत िश अपन वनतिगत वहतरो को एक ओर रख और इसक विपरीत विकासशीलि और वनzwjधणन िशरो की वनिाथण भािना क साथ सहाता और सिा कर वि समत बात दनटिगत रखी जाए तभी सचची शानत काम होगी

वि उपरोकत समत उपारो क बािजि कोई िश सीमा का उललिघन करत हए िसर िश पर आकरमण करता ह और उसक पराकवतक ससाzwjधनरो को अापणण ढग स अपन अवzwjधकार म लिन की खोज म ह तो ऐसी नथवत म िसर िशरो को ऐसा अताचार रोकन क वलिए वनशच ही उपा करन चावहए परत उनको भी ऐसा करत सम ा स काम लिना चावहए

का णिाही करन क वलिए पररनथवता जो वक कआणनी वशकाओ पर आzwjधाररत ह पवितर कआणन की सरह अलिहजरात आत - 10 म वितारपिणक िणणन हई ह जो ह वशका िती ह वक जब िो िशरो का आपस म वििाि हो और ह वििाि दध का रप zwjधारण कर लि तो िसरी सरकाररो को कठोरता क साथ उह िाताणलिाप की सलिाह िनी चावहए तावक िह िाताणलिाप क दारा एक समझौत और मतरी की ओर

104 विशव सकट तथा शानत-पथ

आ सक और वि िोनरो सिरो म स कोई समझौत की शतषो को नही मानता और दध छड िता ह तो िसर िशरो को स कत होकर अताचार करन िालि स लिडना चावहए और जब अताचार करन िालिी जावत परावजत हो जाए और ऐस िाताणलिाप करन पर सहमत हो जाए तो समत पावटर रो को एक ऐस समझौत का परास करना चावहए जो थाी शानत और सलिह का कारण हो ऐसी कठोर और अापणण शतषो को वकसी िश पर न थोपा जाए जो वकसी िश क हाथरो को बाzwjध ि करोवक भविषzwj म िह ऐसी अशानत का कारण बनगी जो भडकगी और फलिगी ऐसी अशानत क फलििरप और अवzwjधक अशानत उतपन होगी

ऐसी पररनथवतरो म जहा एक मधथ सरकार िोनरो पकरो क मध सवzwjध कराना चाहती ह तो उस शदध नीत और वबलकलि वनषzwjपकता स काम करना चावहए और ह वनषzwjपकता इस नथवत म थाित रहनी चावहए चाह कोई पक इस क विरदध भी बोलिता हो अत ऐसी पररनथवतरो म भी मधथ को करोzwjध परकट नही करना चावहए उस बिलिा लिन की ताक म नही रहना चावहए और न ही उस अापणण ढग स ह काण करना चावहए समत पकरो को उनक उवचत अवzwjधकार विए जान चावहए

अत ा की मागरो को परा करन क वलिए ह आिशक ह वक ि िश जो सवzwjध करा रह हरो ि अपन वनतिगत वहतरो को परा करन की टोह म न हरो और न ही िोनरो म स वकसी िश स अनवचत लिाभ परापत करन का परास कर रह हरो उह अापणण हतकप नही करना चावहए अथिा िोनरो पकरो म स वकसी एक पर अनवचत िबाि नही िालिना चावहए तथा वकसी िश क पराकवतक ससाzwjधनरो का अनवचत लिाभ

105शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

नही उठाना चावहए ऐस िशरो पर अनािशक और अनवचत परवतबzwjध नही लिगान चावहए करोवक न तो ह ा ह और न ही ह िशरो क मध सबzwjधरो को सzwjधारन का साzwjधन वसदध हो सकता ह

सम का धान रखत हए मन बात बड सकप म िणणन की ह साराश ह वक वि हम ससार म शानत थावपत करन क इचछछक ह तो हम अपन वनतिगत वहतरो को एक ओर छोडना होगा और उसक थान पर राषzwjटरी वहतरो की एक बडी भलिाई क वलिए हम ऐस परपर सबzwjध काम करन हरोग जो पणणता ा पर आzwjधाररत हरो अथा आप म स कछ मझ स सहमत हरोग वक राजनीवतक गठबzwjधनरो क कारण भविषzwj म लिाक बन सकत ह और म तो कहता ह वक िह बनना आरभ हो गए ह और वफर ह िर नही वक विशि म अशानत फलिती चलिी जाए जो अतत एक बडी तबाही और विनाश का कारण बन जाए ऐस विनाश और दध क परभाि वनशच ही कई पीवढरो पर वापत हरोग अत अमरीका को विशि की सबस बडी शनति होन की दनटि स िातविक ा को काम म लिात हए सिzwjभािना क साथ जसा वक मन िणणन वका ह अपनी भवमका वनभानी चावहए वि अमरीका ऐसा करता ह तो विशि हमशा उसक महान परासरो को बडी परशसा क साथ मरण रखगा मरी ह िआ ह वक ह बात िातविकता बन जाए

आप सब कज बहत-बहत ियवजद हमारा ह वनम ह वक हम वकसी आोजन क समापन पर

समाता खामोशी क साथ िआ करत ह अत म िआ कराऊगा और अहमिी भी मर अनसरण म िआ करग आप सब हमार अवतवथ अपनी पदधवत क अनसार ह िआ कर सकत ह

शजनत की कजी mdash मवशव-एकतजरोवपन पावलिणामट

बरसलज बनलजम 2012

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba being welcomed by Martin Schulz President of European Parliament

His Holiness leading silent prayer at conclusion of the European Parliament event Seated to his right Dr Charles Tannock (MEP-UK) left Rafiq Hayat (National Amir AMA UK)

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba delivers the keynote address at the European Parliament event

Press Conference with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba at European Parliament Seated with His Holiness is Dr Charles Tannock (MEP-UK and Chair of European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group)

Tunne Kelam (MEP Estonia amp Vice-Chair of European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group) meeting with His Holiness

Phil Bennion (MEP West Midlands and member of European Parliamentrsquos South Asia Delegation) meeting with His Holiness

पररचय

विनाक 3 तथा 4 विसमबर 2012 को हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम क पाचि उततरावzwjधकारी तथा विशववापी जमाअत अहमविा क परमख हजरत खलिीफतलि मसीह पचम (अलाह तआलिा आपकी सहाता कर) न बरसलज म रोपीन पावलिणामट क अपन परथम िौर क अतगणत 30 िशरो का परवतवनवzwjधति कर रह 350 स अवzwjधक गणमा अवतवथरो स भरी सभा म एक महतिपणण ऐवतहावसक भाषण विा इस सभा का आोजन lsquoफरडस ऑफ अहमविा मनलिमसrsquo जो वक रोवपन पावलिणामट गरप का एक नि-वनवमणत सघ ह क अधक िा चालसण टनक (MEP UK) दारा वका गा था ह रोवपन पावलिणामट क सिरो का एक अवखलि रोपी तथा अवखलि पाटगी सघ का वजसका गठन रोवपन पावलिणामट म अहमविा मनलिम जमाअत का विकास करन तथा रोप एि विशव क अ भागरो म इस जमाअत क वहतरो क तर ऊचा करन क उदश स वका गा ह

112 विशव सकट तथा शानत-पथ

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब (अलाह आपकी सहाता कर) न अपन िौर क अतगणत कई पावलिणामट क सिरो और उचच पिावzwjधकारररो स कई भट की वजन स आपन भट की उनम वनमनवलिवखत हनता भी सनममवलित ह ः-

Dr Charles Tannock (MEP-UK)mdashMember of the European Parliament Foreign Affairs Committee Member of the Sub-Committee on Human Rights Vice-Chair of the Parliamentary Delegation for relations with the NATO Parliamentary Assembly and Chair of the European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group

Tunne Kelam (MEP-Estonia)mdashMember of the European Parliamentrsquos Foreign Affairs Committee the Sub-Committee on Security and Defence and Vice-Chair of the European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group

Claude Moraes (MEP-UK)mdashVice-Chair of the Delegation for Relations with the Arab Peninsula Member of the Committee on Civil Liberties Justice and Home Affairs Deputy Leader of the European Parliamentary Labour Party and Vice-Chair of the European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group

Barbara Lochbihler (MEP-Germany)mdashChair of the European Parliament Sub-Committee on Human Rights

Jean Lambert (MEP-UK)mdashChair of the European Parliament South Asia Delegation

113पररच

Phil Bennion (MEP-UK)mdashMember of the European Parliament South Asia Delegation and Chairman of the LibDem European Group

विनाक 4 विसमबर 2012 को मख आोजन एि हजरत खलिीफतलि मसीह पचम क मख भाषण स पिण रोवपन पावलिणामट क परस कक म एक अतराणषटी परस काफस का आोजन वका गा चालिीस वमनट की इस परस काफस वजसम वबरटन पन फास बनलजम पावकतान एि अ िशरो क पतरकार एि मीविा परवतवनवzwjध सनममवलित थ म हजर न विवभन पतरकाररो क परशनरो का उततर विा बीबीसी क परवतवनवzwjध क एक परशन वक lsquoविशव म इलिाम की भवमका का हrsquo क उततर म हजर न कहा ldquoइलिाम का शानत का सिश विशववापी ह इसी वलिए हमारा आिशण िाक ही ह lsquoपरम सब क वलिए घणा वकसी स नहीrsquo पन क एक पतरकार क एक परशन क उततर म हजर न कहा वक सभी परमख zwjधमषो न मलितः शानत का सिश ही विा था अतः सचच मसलिमान सभी अिताररो पर ईमान लिात ह परतक अितार न ही सिश विा वक परमातमा एक ह मालटा क पतरकार क एक परशन का उततर ित हए हजर न कहा वक अहमिी मसलिमानरो का ह कततणव ह वक ि मानिता को परमातमा क समीप लिाए और विशव की जनता को एक िसर क अवzwjधकाररो का सममान एि रका हत उनक कततणव क परवत जागत कर

मख सभा क आोजन क सम सभा-थलि शोताओ स खचाखच भरा हआ था lsquoरावपन पावलिणामट फरडस ऑफ अहमविा मनलिम गरप क अधक तथा सभी उप-अधक विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब का िागत

114 विशव सकट तथा शानत-पथ

करन क वलिए टज तक आए मावटरन शलज MEP एि रोवपन पावलिणामट क अधक विशष रप स भट करन क वलिए पzwjधार हजर क मख भाषण स पिण रोवपन पावलिणामट क विवभन सिरो न सभा को समबोवzwjधत करत हए अहमविा मनलिम जमाअत दारा परवतपावित शानतपणण इलिाम क समबzwjध म अपनी ओर स परशसा वति की िा चालसण टनक MEP एि रोवपन पावलिणामट फरिस आफ अहमविा मनलिम गरप क अधक न कहा ः ldquoअहमिी मसलिमान विशव म सहनशीलिता का एक हषणिाक एि अवभनिी उिाहरण हrdquo

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह एि परमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत का ऐवतहावसक भाषण पाठकरो क वलिए परतत वका जा रहा ह

शजनत की कजी mdash मवशव-एकतज

वबनमलावहररहमावनररहीमपरारभ करता ह अलाह क नाम स जो अनत कपालि तथा िालि ह

सभी परवतनषठत अवतवथो असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातोहसिणपरथम म इस सभा क आोजकरो क परवत अपना आभार परकट

करना चाहता ह वजहरोन मझ रोवपन पावलिणामट म आप सब को समबोवzwjधत करन का अिसर परिान वका म विवभन िशरो क सभी परवतवनवzwjध मणिलिरो तथा अ अवत व थरो का भी zwjधिाि करना चाहता ह जो अतत परास करक इस सभा म पzwjधार ह

जो लिोग अहमविा मनलिम जमाअत स भलिी भावत पररवचत ह अथिा जो इस जमाअत स पणणता पररवचत नही तथा वजनक वनतिगत तर पर अहमविरो स समबzwjध ह ि सभी इस बात स पणणता अिगत ह वक हम एक जमाअत क रप म शानत एि सरका की थापना क वलिए वनरतर विशव का धानाकषणण करात रहत ह वनसिह हम इन उदशरो की पवतण

116 विशव सकट तथा शानत-पथ

क वलिए अपन उपलिzwjध साzwjधनरो क दारा भरसक परतन भी करत ह अहमविा जमाअत क परमख होन क नात म जब भी अिसर परापत

होता ह वनवमत रप स इन समाओ क समबzwjध म बात करता ह शानत और परपर परम की आिशकता क समबzwjध म बात करन का कारण ह नही ह वक अहमविा मनलिम जमाअत कोई निीन वशका परतत कर रही ह वनसिह अहमविा जमाअत क स थापक क आगमन का एक परमख उदश शानत और सौहािण की थापना था परत िातविकता ह ह वक हमार सभी कमण और का ण उन वशकाओ क अनरप ह जो इलिाम क सथापक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम पर उतरी थी

हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क ग क 1400 िषण उपरात िभाणगिश अवzwjधकतर मसलिमानरो न आपकी लिाई हई पवितर वशकाओ को भलिा विा अतः हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की भविषzwjिाणी क अनसार परमातमा न इलिाम को पनः जीवित करन हत हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब काविानी स थापक अहमविा मनलिम जमाअत को भजा मरा आप स अनरोzwjध ह वक जब म शानत और समि एि एकता क परोतसाहन क समबzwjध म इलिामी वशकाओ का िणणन करगा तो आप इस बात को अपन सममख रख

म ह भी िणणन करना चाहता ह वक lsquoशानतrsquo और lsquoसरकाrsquo क विवभन रप एि पक ह परतक रप अथिा पक अपनी पररवzwjध म महतिपणण ह परत इसक साथ साथ एक रप का िसर रप स अतसणमबzwjध उसस भी अवzwjधक महति रखता ह उिाहरणता समाज म शानत का मलि आzwjधार एक पररिार की आतररक शानत और सौहािण

117शानत की कजी mdash विशव-एकता

ह एक पररिार की आतररक नथवत किलि उसी पररिार तक सीवमत नही रहती परत इसका परभाि उस कतर विशष की शानत पर भी पडता ह और फलििरप ह नथवत पर शहर की शानत को भी परभावित करती ह वि पररिार म अविथा होगी तो थानी कतर पर इस का परवतककलि परभाि पडगा और अततः इस का िषzwjपरभाि पर कब अथिा शहर पर भी पडगा इसी परकार एक कब अथिा शहर की पररनथवत समच िश की शानत को परभावित करती ह और अततः समच विशव की शानत और एकता को भी परभावित करती ह अतः ह पटि ह वक वि आप शानत क एक पक अथिा रप पर भी चचाण करना चाह तो आपको जात हो जाएगा वक इसकी पररवzwjध सीवमत नही रखी जा सकती अवपत इस का कतर वितत होता जाता ह इसी परकार हम िखत ह वक जहा भी शानत का अभाि होता ह तो उस समा का समाzwjधान करन क वलिए ितणमान पररनथवतरो तथा शानत और सरका क उन पकरो का वजन का उलघन वका गा ह को दनटिगत रखत हए विवभन परकार क उपा करन पडत ह वि हम इन बातरो को सममख रखग तो पटि ह वक इस पर पणण चचाण करन और इन समाओ का समाzwjधान ढढन क वलिए जो सम उपलिzwjध ह उसस भी कही अवzwjधक सम की आिशकता ह वफर भी म इलिाम की िातविक वशकाओ क कछ पक परतत करन का परतन करगा

आzwjधवनक ग म हम िखत ह वक इलिाम पर कई आरोप लिगाए जात ह और मख रप स zwjधमण को अशानत और कलिह का उततरिाी ठहराा जाता ह जबवक lsquoइलिामrsquo शि का अथण ही शानत और सरका ह और इलिाम िह zwjधमण ह वजसन शानत की थापना क समबzwjध म

118 विशव सकट तथा शानत-पथ

विशष मागणिशणन वका ह और उस उदश की पवतण क वलिए कछ वनम वनविणटि वकए ह वफर भी इलिाम पर ऐस आरोप लिगाए जात ह इलिाम की िातविक और शानतपणण वशकाओ का रप आपक सममख रखन स पिण म विशव की ितणमान नथवत पर एक सवकपत दनटि िालिना चाहता ह मझ विशवास ह वक आप पहलि ही इन पररनथवतरो स भलिी भावत पररवचत हरोग वफर भी म उनका िणणन करना चाहता ह तावक जब म शानत और एकता क समबzwjध म इलिाम की वशकाओ का िणणन कर तो आप इन को दनटिगत रख सक हम सभी इस बात को जानत ह और िीकार करत ह वक आज ससार एक विशव-गराम का रप zwjधारण कर चका ह हम सभी विवभन साzwjधनरो दारा चाह ि ाताात क आzwjधवनक साzwjधन हरो चाह परचार एि परसार क साzwjधन तथा इटरनट हो अथिा अ साzwjधन हरो परपर जड हए ह इन सब साzwjधनरो क फलििरप विशव क िश पहलि स कही अवzwjधक परपर वनकट आ गए ह हम ह भी िखत ह विशव क परमख िशरो म परतक जावत zwjधमण और विवभन नागररकता रखन िालि लिोग बस गए ह और परपर वमलि कर रहत ह वनसिह बहत स िशरो म वििशी परिावसरो की एक बहत बडी सखा ह परिासी अब उन िशरो म इतनी सदढता स िहा क समाज का अग बन चक ह िहा की सरकार अथिा थानी वनिावसरो क वलिए उह विथा वपत करना अतत कवठन ही नही अवपत असमभि परतीत होता ह दवप वििशी परिावसरो क आगमन को रोकन क वलिए परास वकए गए ह और कछ परवतबzwjध भी लिाग वकए गए ह तथावप अब भी ऐस विवभन मागण ह वजन क दारा एक िश का नागररक वकसी अ िश म परिश कर सकता ह वि अिzwjध परिास को एक ओर रख ि

119शानत की कजी mdash विशव-एकता

तो वनसिह कछ ऐस अतराणषटी वनम मौजि ह वजन क अतगणत उन लिोगरो को सहाता परिान की जाती ह जो उवचत कारणरो स अपना िश छोडन पर वििश हो जात ह

हम ह भी िखत ह वक इस विशालि तर पर लिोगरो क परिास क फलििरप कछ िशरो म वचता और बचनी फलि रही ह इस का उततरिावति िोनरो पकरो परिावसरो तथा थानी नागररकरो पर ह एक ओर कछ परिासी थानी लिोगरो को उततवजत करत ह तो िसरी ओर कछ थानी वनिासी असहनशीलिता और अनिारता का परिशणन करत ह कभी-कभी घणा की ह जवालिा भकर रप zwjधारण कर लिती ह विशषकर कछ परिासी मसलिमानरो क परवतककलि विहार की परवतवकरा म पनचिमी िशरो क थानी नागररकरो की ओर स विशष रप स इलिाम क विरदध घणा और िमन की भािना का परिशणन वका जाता ह ह रोष और परवतवकरा किलि सीवमत तर पर नही होती अवपत ह अपनी चरम सीमा तक पहच सकती ह और पहचती भी ह इसीवलिए पनचिमी िशरो क नता वनवमत रप स इन समाओ क समबzwjध म चचाण करत रहत ह

इसी वलिए कभी-कभी हम िखत ह वक जमणनी क चासलिर मसलिमानरो को जमणनी का अवभन अग बतात ह क क परzwjधानमतरी इस बात की आिशकता पर बलि ित ह वक मसलिमानरो को समाज का अवभन अग बनना चावहए और कछ िशरो क नताओ न तो मसलिमानरो को चतािनी तक ि िी ह

आतररक कलिह और वििाि की नथवत वि और अवzwjधक वबगड नही रही वफर भी वननचित रप स ह वचता का विष बन चकी ह

120 विशव सकट तथा शानत-पथ

समा वबगड कर शानत क विनाश का कारण बन सकती ह इस म कोई सिह नही रहना चावहए वक इन वििािरो का िषzwjपरभाि किलि पनचिमी िशरो तक सीवमत रहगा अवपत इसस समचा विशव और विशषकर मनलिम िश इसस परभावित हरोग अतः नथवत म सzwjधार पिा करन तथा शानत को बढािा िन क वलिए आिशकता ह वक सभी िगण एकजट हो कर काण कर सरकाररो को ऐसी नीवता बनानी चावहए वजनस शानत की थापना हो और वजनक दारा परतक क सममान की सरका हो और िसररो की भािनाओ को आहत करन अ थिा उह वकसी परकार की हावन पहचान जसी गवतविवzwjधरो को गर-काननी घोवषत वका जाना चावहए

परिासी नागररकरो क सबzwjध म ह कहना चाहता ह वक ि थानी समाज और लिोगरो का अवभन अग बनन की इचछा स वकसी िश म परिश कर और थानी लिोगरो को चावहए वक ि उिारता और सहनशीलिता का परिशणन कर इस क अवतररति ह बात भी ह वक किलि मसलिमानरो पर कछ परवतबzwjध लिगान स शानत थावपत नही हो सकती करोवक किलि इन क दारा लिोगरो क विचाररो म पररितणन नही लिाा जा सकता ह किलि मसलिमानरो क वलिए ही विशष नही अवपत वकसी भी वनति पर वि उसक zwjधमण और आथा क आzwjधार पर परवतबzwjध लिगाा जाए तो इसकी परवतवकरा क फलििरप ग भीर रप स शानत भग होगी जस वक म पहलि िणणन कर चका ह वक कछ िशरो म वििाि बढ रह ह विशषकर परिासी और थानी नागररकरो क मध ह पटि ह वक िोनरो पकरो म सहनशीलिता का अभाि पिा हो रहा ह रोपी नतति को इस िातविकता को िीकार करना चावहए और समझना चावहए

121शानत की कजी mdash विशव-एकता

वक zwjधावमणक सममान और परपर सहनशीलिता की थापना उनका कततणव ह परतक रोपी िश म आतररक रप स और रावपन तथा मनलिम िशरो क मध सौहािण क िातािरण को परोतसावहत करन क वलिए ह अवत आिशक ह तावक विशव की शानत भग न हो

म ह िीकार करता ह इन वििािरो और मतभिरो का कारण किलि zwjधमण ा आथाए नही ह और न ही ह पनचिमी एि मनलिम िशरो क मध मतभिरो का परशन ह िततः इस अशानत का मख और मलि कारण अतराणषटी आवथणक सकट ह जब आवथणक सकट नही था तो वकसी को परिावसरो क आगमन की वचता नही थी परत अब नथवत बिलि चकी ह जो इस ितणमान वििाि का कारण ह इसक रोपी िशरो क परपर समबzwjधरो पर भी परवतककलि परभाि पडा ह और फलििरप कछ रोपी िशरो क लिोगरो म परपर रोष एि करोzwjध की भािना वनरतर बढ रही ह ह पररनथवत परतक थान पर िखी जा सकती ह

रोपी सघ का गठन रोपी िशरो की एक महतिपणण उपलिनzwjध ह करोवक ह इस महादीप की एकता का एक साzwjधन ह अतः आप सभी क परपर अवzwjधकाररो का सममान करक इस एकता की सरका क वलिए भरसक परास करना चावहए सामा जनता म जो वचता अथिा भ ह उसका वनिारण करना चावहए एक िसर क समाज क वलिए आपको परपर एक िसर स उवचत और िातविक मागरो को िीकार करन क वलिए त ार रहना चावहए वनसिह ह भी आिशक ह वक परतक िश की जनता की माग उवचत और ा पर आzwjधाररत हरो

मरण रह वक एकता म और सगवठत रहन म रोप की शनति

122 विशव सकट तथा शानत-पथ

वनवहत ह ह एकता आपको न किलि रोप म लिाभकारी वसदध होगी अवपत अतराणषटी तर पर इस महादीप को अपनी शनति और परभाि थावपत करन म सहाक वसदध होगी सत तो ह ह वक वि इलिामी दनटिकोण स िखा जाए तो हम समच विशव की एकता क वलिए सघषण और परास करना चावहए पर विशव म मदरा Currency एक समान होनी चावहए वापार और िावणज की दनटि स विशव को एक होना चावहए और परिास और िततर थानातरण क समबzwjध म समानता और एकता पर आzwjधाररत वािहाररक नीवता बनानी चावहए वजस क दारा समचा विशव एक हो जाए साराश ह वक सभी िशरो को परपर सहोग करना चावहए तावक अनकता क थान पर एकता हो वि नीवता अपनाई जाए तो शीघर ही ितणमान वििािरो का अत हो जाएगा और शानत और परपर सममान की भािना थावपत हो जाएगी परत शतण ह ह वक परतक िश िातविक ा क मागण पर चलित हए अपन कततणव को समझ मझ बड खि स ह कहना पड रहा ह दवप ह एक इलिामी वशका ह वफर भी ि मनलिम िश परपर एकवतरत होन म विफलि रह ह वि मनलिम िश एक हो कर परपर सहोग करत तो उह अपनी आतररक समाओ क समाzwjधान और आिशकताओ की पवतण क वलिए सिि पनचिमी िशरो स सहाता न लिनी पडती

इस क पचिात अब म विशव म वचरथाी शानत की थापना क सबzwjध म िातविक इलिामी वशकाओ का िणणन करगा सिणपरथम ह वक इलिाम की ह मलि और आzwjधारभत वशका ह वक सचचा मसलिमान िह ह वजसकी जबान और हाथ स अ सभी शानतवपर लिोग सरवकत रह ह ह एक मसलिमान की पररभाषा जो हजरत महममि सललाहो

123शानत की कजी mdash विशव-एकता

अलिवह िसलम न िणणन की ह इस मलि और स िर वसदधात को सनन क पचिात का इलिाम पर कोई आरोप लिगाा जा सकता ह किावप नही इलिाम ह वशका िता ह वक किलि ि लिोग िणिनी ह जो अपनी जबान और हाथरो स अा और घणा फलिात ह अतः थानी एि अतराणषटी तर पर वि सभी िगण इस िवणणम वसदधात की सीमा का उलघन न करत तो कभी भी zwjधावमणक अविथा की नथवत उतपन न होती कभी भी राजनीवतक वििाि न होता न ही शनति परापत करन की इचछा और लिालिच क कारण उतपन होन िालिी अविथा होती वि इन इलिामी वसदधातरो का अनसरण वका जाए तो राषटी तर पर सामा जनता एक िसर क अवzwjधकाररो की रका और भािनाओ का सममान करगी और सरकार अपन तर पर सभी नागररकरो की सरका करन क अपन कततणव को परा करगी इसी परकार अतराणषटी तर पर परतक िश िसर िश क साथ सचची सहानभवत और िा की भािना स सहोग करगा

एक अ मख वसदधात जो इलिाम हम वसखाता ह िह ह ह वक सभी िगषो क वलिए अवनिा ण ह वक शानत को बढािा िन क अपन परासरो स ि किावचत वकसी परकार का गिण अथिा अवभमान का परिशणन न कर हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न पणण रप स ह पटि कर विा ह वक न वकसी कालि को गोर पर और न ही वकसी गोर को कालि पर कोई शषठता परापत ह न ही वकसी रोपिासी को वकसी अ िश क नागररक पर और न ही अफीका एवशा अथिा विशव क वकसी अ भाग क नागररक को वकसी रोपिासी पर कोई शषठता परापत ह राषटीता रग अथिा जावत का अतर किलि पहचान क वलिए ह

िातविकता ह ह वक ितणमान ग म हम सभी एक िसर पर

124 विशव सकट तथा शानत-पथ

वनभणर ह आज रोप और सति राज अमररका जसी महाश नतिा भी िसररो स पणणता अलिग थलिग रह कर जीवित नही रह सकती अफीकी िश पथक रह कर समदध बनन की आशा नही कर सकत और इसी परकार एवशाई िश अथिा विशव क वकसी अ भाग क वनिासी शष ससार स अलिग रह कर समदध नही बन सकत उिाहरण क रप म वि आप अपनी आवथणक नथ वत को विकवसत और उनत करन क अवभलिाषी ह तो आपको अतराणषटी वापार को िीकार करन क वलिए त ार रहना चावहए ितणमान ससार वकस परकार आतररक रप स परपर जडा हआ ह ह तथ इस उिाहरण स भलिी भानत पटि हो जाता ह वक गत कछ िषषो म उतपन रोपी अथिा वि शव आवथणक सकट का परवतककलि परभाि परतक िश पर वकसी न वकसी रप स पडा ह इसी परकार विजान तथा अ कतररो म उनवत और कौशलि परापत करन क वलिए परतक िश को एक िसर स अवनिा ण रप स सहोग करना पडता ह

हम ह मरण रखना चावहए सिणशनतिमान परमातमा न ससार क सभी लिोगरो चाह ि अफीका क हरो ा रोप ा एवशा अ थिा वकसी अ थान क हरो को महान बौवदधक शनतिा तथा ोगताए परिान की ह वि सभी िगण अपनी ईशवर-परितत ोगताओ को मानिता की भलिाई क वलिए था-समभि उपोग कर तो ह विशव शानत का कदर बन सकता ह वि विकवसत िश विकासशीलि अथिा अलप विकवसत िशरो की उनवत एि परगवत को अिरोवzwjधत करन का परास करग और उनक िशरो क परवतभाशालिी और ोग लिोगरो को उवचत अिसर उपलिzwjध नही कराएग तो वनसिह शका और वचता बढगी और इसक फलििरप उतपन होन िालिी अशानत अतराणषटी शानत एि सरका का विनाश कर िगी

125शानत की कजी mdash विशव-एकता

शानत क विकास क वलिए इलिाम न िसरा वसदधात ह परतत वका ह वक हम िसररो क परवत अा को सहन नही करना चावहए जसा वक हम अपन अवzwjधकाररो का भी हनन नही होन ित ठीक इसी परकार हम िसररो क अवzwjधकाररो क हनन को भी सहन नही करना चावहए इलिाम की ह वशका ह वि कही परवतशोzwjध लिना अवनिा ण हो तो िह वकए गए अताचार क समानपाती होना चावहए परत वि कमा करन स सzwjधार समभि हो तो विकलप को अपनाना चावहए सzwjधार सलिह और वचरथाई शानत की थापना ही िातविक एि मख उदश होन चावहए परत िाति म ितणमान ग म हो का रहा ह वि कोई अपराzwjध ा अा करता ह तो पीवडत वनति इस रप म परवतशोzwjध लिना चाहता ह जो वक उस पर वकए गए मलि अा अथिा अताचार की तलिना म कही अवzwjधक हो और पणणता अनपात म उसस कही बढ कर हो

थाित ही नथवत इसाईलि और वफलितीन क वििाि म आजकलि हम िख रह ह विशव की महाशनतिरो न परतक रप स सीररा लिीवबा और वमस की पररनथवतरो पर अपना रोष और वचता परकट की ह जबवक ह कहा जा सकता ह वक मलि रप म उनक िश क आतररक मामलि ह परत ह महाशनतिा ऐसा परतीत होता ह वक वफलितीन की जनता क परवत लिशमातर भी वचनतत नही ह अथिा इतन वचवतत नही ह वजतना होना चावहए इन िोहर मापिणिरो क कारण मनलिम िशरो की परजा म विशव की महाशनतिरो क परवत दष और रोष की भािना म िवदध हो रही ह ह रोष और शतरता अतवzwjधक हावनकारक ह और वकसी भी सम ह अपनी चरम सीमा तक पहच कर विधिस का कारण बन सकती ह इसका पररणाम का होगा विकासशीलि

126 विशव सकट तथा शानत-पथ

िशरो को इसस वकतनी हावन होगी का ि जीवित रहन क ोग भी हरोग विकवसत िशरो पर इसका वकस सीमा तक परभाि पडगा किलि परमातमा ही इन परशनरो क उततर जानता ह न म इन परशनरो का उततर ि सकता ह और न ही कोई अ एक बात जो वननचित ह िह ह ह वक विशव-शानत का विनाश हो जाएगा

पटि रह वक म वकसी िश विशष का समथणन नही कर रहा म किलि ह कहना चाहता ह वक अताचार क परतक रप का चाह िह कही भी पाा जाता हो का उमलिन वका जाना चावहए और उस का अत वका जाना चावहए चाह अताचार वफलितीन की जनता कर रही हो अथिा इसाईलि क लिोग कर रह हरो अथिा वकसी अ िश क लिोग कर रह हरो अताचाररो का अत होना चावहए करोवक वि इह रोका न गा तो घणा की जवालिा समपणण विशव को अपनी चपट म उस सीमा तक लि लिगी वक सामा जनता शीघर ही ितणमान आवथणक सकट की समाओ को भलि जाएगी और इसक थान पर उह कही अवzwjधक भकर पररनथवतरो स जझना पडगा इतन विशालि तर पर जन हावन होन की आशका ह वक वजसकी हम कलपना भी नही कर सकत

अतः रोपी िशरो वजहरोन न वदती विशव दध म बहत बडी हावन उठाई ह का कततणव ह वक ि अतीत क विनाश स सीख लि और विशव को विनाश स बचाए इसक वलिए उह ा की मागरो को परा करना होगा और अपन कततणवरो को समझन क वलिए ततपर होना होगा

इलिाम न वनषzwjपक और ापणण ढग स विहार की आिशकता पर बहत बलि विा ह इलिाम ह वशका िता ह वक वकसी भी िगण को अनवचत रप स शषठता ा परzwjधानता न िी जाए और न ही वकसी का

127शानत की कजी mdash विशव-एकता

अनवचत समथणन वका जाए ऐसा होना चावहए वक अपराzwjधी चाह िह वकतना ही विशालि और शनतिशालिी हो उस को ह जात होना चावहए वक वि िह वकसी िश क विरदध अापणण काणिाही करन का परास करगा तो अतराणषटी समिा उसको इसकी अनमवत नही िगा वि सति राषट क सभी िश रोपी सघ स लिाभानित होन िालि सभी िश त था ि िश जो महाशनतिरो क परभािाzwjधीन ह और अविकवसत िश इस वसदधात को िीकार करन क वलिए तार हरोग तो ही शानत का उि होगा

एक अ बात ह ह वक िातविक रप स ा तभी थावपत हो सकगा वि स ति राषट सघ म िीटो शनति अवzwjधकत िशरो को इस बात का अनभि हो जाए वक ि अपनी काणिाही क परवत उततरिाी हरोग म इस स भी बढ कर ह कहना चाहता ह वक िीटो शनति का अवzwjधकार शानत की थापना म किावचत सहाक वसदध नही हो सकता करोवक ह पटि ह वक सभी िश एक समान तर पर नही ह इस िषण क आरभ म भी मन स ति राज अमररका क कवपटलि वहलि म अगरगण राजनीवतजरो एि नीवत वनमाणताओ की एक सभा को समबोवzwjधत करत हए इसी तथ का िणणन वका था वि हम सतिराषट सघ म मतिान क इवतहास का अधन कर तो जात होगा वक िीटो शनति का उपोग सिि उन पीवडत िशरो अथिा ासगत काणिाही करन िालि िशरो की सहाता क वलिए नही वका गा िाति म हम जात होता ह वक कछ अिसररो पर अताचार को रोकन क थान पर उसकी सहाता करन हत िीटो शनति का िरपोग वका गा ह कोई वछपी हई अथिा अजात िातविकता नही ह कवतप टीकाकार वनभणतापिणक

128 विशव सकट तथा शानत-पथ

इस िातविकता का िणणन करत ह अथिा वलिखत हइलिामी वशका का एक अ सिर वसदधात ह ह वक समाज म

शानत थावपत करन क वलिए करोzwjध का शमन वका जाए न वक उस ा और ईमानिारी क वसदधातरो पर विजी होन विा जाए इलिाम क आरवभक ग का इवतहास इस बात का साकी ह वक सचच मसलिमानरो न सिि इस वसदधात का पालिन वका और वजहरोन इसका उलघन वका हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न उनकी घोर वनिा और भतसणना की परत िभाणगिश आज ऐसा नही होता ऐसी घटनाए मौजि ह वक सवनकरो ा वसपावहरो न वजह शानत-थापना क वलिए भजा जाता ह वनविणटि उदशरो क सिणथा विपरीत विहार वका ह उिाहरण िरप कछ िशरो म वििशी सवनकरो न विरोवzwjधरो क मत शरीररो क साथ अतत अपमानजनक और घणातमक ढग स िव णिहार वका का इस परकार शानत थावपत की जा सकती ह ऐसी घटनाओ की परवतवकरा किलि पीवडत िश तक सीवमत नही रहती अवपत पर विशव म इस का परिशणन होता ह वनसिह जब मसलिमानरो क साथ िव णिहार वका जाता ह तो उगर िभाि क मसलिमान दवप ह इलिामी वशकाओ क विपरीत ह इसका अनवचत लिाभ उठात ह और फलििरप विशव की शानत भग होती ह इलिाम ह वशका िता ह वक शानत किलि उसी सम थावपत की जा सकती ह जब पणणता वनषzwjपक रप स वनवहत िाथषो स ऊपर उठ कर और परतक परकार की शतरता की भािना को ताग कर अताचारी और पीवडत िोनरो की सहाता की जाए इस कतर म परतक पक को समान तर परिान करन स ही शानत थावपत होती ह

सीवमत सम क कारण म किलि एक और तथ का िणणन

129शानत की कजी mdash विशव-एकता

करगा इलिाम ह वशका िता ह वक िसररो क zwjधन अथिा ससाzwjधनरो को ईषzwjाण की भािना स न िखा जाए िसररो की समपवतत को हवथान का लिालिच नही करना चावहए करोवक इस स भी शानत का ढाचा धित हो जाता ह वि समदध िश अलप-विकवसत िशरो की समपिा और ससाzwjधनरो को अपनी आिशकताओ की पवतण क वलिए वनकालिन अथिा उपोग करन का परतन करग तो िाभाविक ह वक अशानत फलिगी जहा उवचत हो विकवसत िश अपनी सिाओ क बिलि उवचत और अलप मातरा म अपना भाग लि सकत ह जब वक ससाzwjधनरो का अवzwjधकतर भाग अविकवसत िशरो म जीिन तर को ऊचा उठान क वलिए परोग म लिाना चावहए उह विकवसत होन क अिसर उपलिzwjध कराना चावहए और विकवसत िशरो क तर तक पहचन क वलिए उनक परासरो म उनकी सहाता करनी चावहए करो वक किलि इसी नथवत म शानत थावपत हो सकती ह वि ऐस अविकवसत िशरो क नता ईमानिार नही ह तो पनचिमी िशरो अथिा विकवसत िशरो को चावहए वक ि उह अनिान िकर ि उनक िशरो म विकास काषो का सचालिन एि वनरीकण कर

अभी और बहत स तथ ह जो म आपक समक रख सकता ह परत सम क अभाि क कारण म किलि उही बातरो तक सीवमत रहगा वजनका म िणणन कर चका ह वनसिह जो कछ मन िणणन वका ह िह इलिाम की िातविक वशका को परिवशणत करता ह

एक परशन ह जो आपक मन म उठ सकता ह अतः म पहलि ही उस का समाzwjधान कर िता ह आप ह कहग वक वि इलिाम की िातविक वशकाए ह तो वफर मनलिम िशरो म ऐसी अविथा और अशानत करो विखाई िती ह इसका उततर म पहलि भी ि चका ह वक

130 विशव सकट तथा शानत-पथ

ितणमान ग को एक सzwjधारक की आिशकता ह जो वक हमार विशवास क अनसार िह अहमविा मनलिम जमाअत क स थापक ह हम अहमविा मनलिम जमाअत क सि सिि उनकी िातविक वशकाओ को अवzwjधक स अवzwjधक लिोगरो तक पहचान का भरसक परतन करत ह मरा आप स अनरोzwjध ह वक अपन-अपन परभािाzwjधीन कतररो म ह जागरकता पिा करन का भरपर परतन कर तावक विशव क परतक भाग म वचर थाी शानत की थापना हो सक

वि हम इस का ण म विफलि हो गए तो विशव का कोई भी भाग दध क विनाशकारी एि भकर पररणामरो स सरवकत नही रहगा मरी ह पराथणना ह वक सिणशनतिमान परमातमा ससार क लिोगरो को अपन वनवहत िाथषो स ऊपर उठ कर विशव को भािी विनाश स सरवकत रखन क परास करन का सामथ ण परिान कर ससार म अवzwjधकतम शनति आज पनचिम क विकवसत िशरो क पास ह अतः िसररो की अपका आप का अवzwjधक कततणव ह वक इन महतिपणण बातरो की ओर तरत धान ि

अत म म आप सब का हा आन क वलिए सम वनकालिन और मरी बातरो को सनन क वलिए पनः zwjधिाि करना चाहता ह परमातमा आप पर अपनी कपा कर आपका बहत बहत zwjधिाि

कयज िसलिजन पनचििी सिजज कज अि बन सकत ह

मनजि बतररशीिहमबगण जमणनी 2012

कयज िसलिजन पनचििी सिजज कज अि बन सकत ह

मनजि बतररशीिहमबगण जमणनी 2012

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba

delivers the keynote address at Baitur-Rasheed Mosque

कयज िसलिजन पनचििी सिजज कज अि बन सकत ह

वबनमलावहररहमावनररहीमसभी परवतनषठ त अवतवथो असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातोहसिणपरथम म उन सभी अवतवथरो क परवत अपना आभार परकट करना

चाहता ह वजहरोन इस समारोह म सनममवलित होन क वलिए हमार वनमतरण को िीकार वका आप म स कई सजजन हमारी जमाअत स भलिी भावत पररवचत ह अथिा अहमिी मसलिमानरो स उनक बहत परान मतरीपणण समबzwjध ह और मझ पणण विशवास ह वक वजनको अहमविा जमाअत स पररवचत हए अवzwjधक सम नही हआ उनक हिरो म भी जमाअत क विष म और अवzwjधक जानकारी परापत करन की तीवर इचछा उतपन हो चकी होगी आप सब की हा उपनथवत आपक इस विशवास का परतक परमाण ह वक अहमिी मसलिमानरो स समबzwjध रखन तथा उनकी मनजिरो म जान स कोई खतरा नही ह

िातविकता ह ह वक ितणमान पररनथवतरो म जबवक इलिाम क समबzwjध म अवzwjधकतर समाचार और सचनाए अतत नकारातमक िरप परतत करती ह तो आप म स जो मसलिमान नही ह उनक मन म अिश

136 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह भ उतपनन करन िालिी सोच पिा होगी वक अहमिी मन जि म जाना उनक वलिए कई सम ाओ का कारण बन सकता ह ा उह बहत बडी हावन भी पहच सकती ह परत जसा वक मन कहा ह वक आपकी हा उपन थवत इस विशवास का परमाण ह वक आपको अहमिी मसलिमानरो स कोई भ नही और आप उह अपन वलिए खतरा नही समझत ह वसदध करता ह वक आप अहमवि रो का आिर करत ह और उह अपन तथा अवzwjधकतर वनषठािान और वशटि लिोगरो क समान सचचा और सभzwj समझत ह

परत इसक साथ साथ म इस समभािना स भी इकार नही कर सकता वक आप म कछ लिोग ऐस भी हरोग जो दवप आज हा पzwjधार ह उनक मन म कछ सिह और वचताए हरोगी वक उनक हा आन क कछ परवतककलि पररणाम भी वनकलि सकत ह ह भी समभि ह वक आप को ह वचता हो वक एक िसर उगर िभाि और मानवसकता रखन िालि लिोगरो क साथ बठ हए ह वि आप म स वकसी क मन म ऐसी वचताए ह तो उह तरत अपन हि स वनकालि ि इस समबzwjध म हम अवत सचत और जागत ह और वि कोई ऐसा उगर परकवत वनति हमारी मनजि ा कतर म परिश करन का परास करगा तो हम उस हा स वनषzwjकावसत करन क वलिए कडी का णिाही करग अतः आप आशवत रह वक आप सरवकत थान पर ह अहमविा मनलिम जमाअत िाति म एक ऐसी जमाअत ह वक वि इसका कोई सि वकसी सम ा थान पर उगरिािी मानवसकता अथिा परिवतत का परिशणन ा कानन का उलघन करता ह ा शानत भग करता ह तो उस जमाअत स वनषzwjकावसत कर विा जाता ह हम ऐसी का णिाही करन क वलिए परवतबदध ह करोवक हम lsquoइलिामrsquo का पणण आिर करत ह वजसका शानिक अथण ही शानत एि सरका ह इलिाम शि का िातविक रप हमारी जमाअत न ही परिवशणत वका ह

137का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

इलिाम क इस िातविक रप क परिशणन की पिणसचना इलिाम क स थापक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न आज स 1400 स अवzwjधक िषण पिण अपनी एक महान भविषzwjिाणी म िी थी उस भविषzwjिाणी म हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न ह सचना िी थी वक एक ऐसा सम आएगा जब अवzwjधकतर मसलिमान इलिाम की िातविक और शदध वशकाओ को भलिा िग भविषzwjिाणी क अनसार ऐसा सम आन पर परमातमा िातविक इलिाम को ससार म पनः थावपत करन क वलिए एक सzwjधारक मसीह ि महिी क रप म भजगा

हमारा अथाणत अहमविा मनलिम जमाअत का ह विशवास ह वक हमारी जमाअत क सथापक हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब काविानी अलिवहसलिाम िही वनति ह जो उपरोति महान भविषzwjिाणी क अनसार भज गए ह परमातमा की कपा एि िा स ह जमाअत आज विशव क 202 िशरो म थावपत हो चकी ह इन म स परतक िश म हर िगण एि जावत स समबनzwjधत थानी लिोगरो न अहमवित को िीकार वका ह अहमिी मसलिमान होन क साथ-साथ ि अपन-अपन िश क िफािार नागररक क रप म अपनी भवमका भी वनभा रह ह उनक इलिाम क परवत शदधा परम और िश क परवत परम म वकसी परकार का कोई वििाि अथिा विरोzwjधाभास नही पाा जाता िततः िोनरो िफािाररा परपर जडी हई ह अहमिी मसलिमान जहा कही भी वनिास करत ह ि अपन िश क सभी नागररकरो स अवzwjधक कानन का पालिन करन िालि नागररक ह वनसिह म पणण विशवास क साथ ह कह सकता ह वक हमारी जमाअत क अवzwjधकतर सिरो म गण विदमान ह

इही गणरो क कारण जब भी अहमिी मसलिमान एक िश स िसर िश म परिास करत ह अथिा जहा क थानी लिोग अहमवित को

138 विशव सकट तथा शानत-पथ

िीकार करत ह तो उह नए समाज म घलि वमलि जान म कभी कोई भ ा वचता नही होती और न ही उह इस बात की वचता होती ह वक उनक नि-अगीकत िश क वहतरो का विशालि तर पर विकास करन म ि अपनी भवमका वकस परकार वनभाएग जहा भी अहमिी जात ह ि शष सभी सचच नागररकरो की भावत अपन िश स परम करत ह और अपन िश की भलिाई और उनवत क वलिए सवकर रप स परास करत हए अपना जीिनापन करत ह ह इलिाम ही ह जो हम इस परकार जीिन का वनिाणह करन की वशका िता ह और िातविकता ह ह वक इलिाम किलि इस का उपिश ही नही िता अवपत आिश िता ह वक हम अपन िश क परवत पणण िफािारी और शदधा रख हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न भी विशष रप स इस बात पर बलि विा था वक अपन िश स परम करना परतक सचच मसलिमान क ईमान का भाग ह अतः जब अपन िश स परम करना इलिाम का एक आzwjधारभत अग ह तो एक सचचा मसलिमान वकस परकार अपन िश स बिफाई अथिा दरोह करक अपन ईमान को नटि कर सकता ह जहा तक अहमिी मसलिमानरो का समबzwjध ह हमारी जमाअत की परतक सभा म सभी सि चाह ि परष तरी बचच अथिा बजगण हरो खड होकर परमातमा को साकी ठहरा कर एक परवतजा करत ह इस परवतजा म ि न किलि अपन zwjधमण अवपत अपनी कौम और िश क वलिए अपन पराण zwjधन सम और सममान ोछािर करन का परण करत ह अतः उन लिोगरो स अवzwjधक िश-भति नागररक और कौन हो सकता ह वजह वनरतर िश-सिा का पाठ पढाा जाता हो और बार-बार ह परवतजा लिी जाती हो वक ि अपन zwjधमण कौम और िश क वलिए परतक परकार का बवलििान करन क वलिए सिि ततपर रहग

कछ लिोगरो क मन म ह परशन उभर सकता ह वक हा जमणनी म

139का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

अवzwjधकतर मसलिमानरो की सखा उन की ह जो पावकतान तकगी अथिा अ एवशाई िशरो स आए ह तो जब िश क वलिए बवलििान का सम आन पर लिोग जमणनी की बजाए अपन मलि िश को परzwjधानता िग अतः म ह पटि करना चाहता ह वक जब कोई जमणनी अथिा वकसी अ िश की नागररकता िीकार कर लिता ह तो िह उस िश का पणण नागररक बन जाता ह इस िषण क आरभ म जमणन सना मखालि कोबलिज म अपन भाषण म मन ही बात कही थी मन इलिामी वशकाओ क दनटिकोण स ह पटि वका वक वि जमणनी का वकसी ऐस िश क साथ दध वछड जाए वजसक मलि नागररक न जमणनी की नागररकता िीकार की हो तो ऐसी पररनथवत म उस नागररक को वकस परकार विहार करना चावहए वि िह परिासी अपन मलि िश क परवत सहानभवत रखता ह और ह अनभि करता ह वक िह जमणनी को हावन पहचान का विचार उसक मन म आ सकता ह अथिा िह हावन पहचाएगा तो ऐस वनति को तरत अपनी नागररकता अथिा परिासी नागररक का अवzwjधकार ताग कर अपन मलि िश लिौट जाना चावहए परत वि उसी िश म रहन का विकलप अपनाना चाहता ह तो इलिाम किावचत वकसी परकार क िशदरोह की अनमवत नही िता ह असविगzwjध एि पटि वशका ह इलिाम वकसी भी परकार क विदरोह की वशका नही िता और न ही वकसी नागररक को अपन िश - मलि िश अथिा नागररकता क िश - क विरदध षितर करन अथिा उस वकसी परकार की हावन पहचान की अनमवत िता ह वि कोई वनति अपन नागररकता िालि िश क वहत क विरदध का ण करता ह ा उस कोई हावन पहचाता ह उस उस िश का शतर एि िशदरोही समझा जाना चावहए त था उस िश क कानन क अनसार िणि विा जाना चावहए

इसस एक परिासी मसलिमान की नथ वत पषzwjट हो जाती ह एक

140 विशव सकट तथा शानत-पथ

थानी जमणन अथिा वकसी अ िश क वनति वजसन अपना zwjधमण पररितणन करक इलिाम िीकार कर वलिा हो उस क समबzwjध म ह बात पणणता पटि ह वक उसक पास अपन महान िश क परवत असविगzwjध एि पणण िफािारी का परिशणन करन क अवतररति कोई अ विकलप नही ह एक अ परशन जो कभी-कभी पछा जाता ह िह ह ह वक ऐसी नथवत म पनचिमी िशरो क मसलिमानरो की कसी परवतवकरा होनी चावहए इस का उततर िन क वलिए म सिणपरथम ह कहना चाहता ह वक हमारी जमाअत क स थापक हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम न ह पटि कर विा ह वक हम अब ऐस ग म रह रह ह जहा zwjधावमणक दधरो का पणणता अत हो चका ह इवतहास स जात होता ह वक ऐसा भी सम था जब मसलिमानरो तथा अ zwjधमाणिलिनमबरो क मध दध और लिडाइा हई उन दधरो म गर-मनलिमरो का उदश मसलिमानरो को मारना और इलिाम का अत करना था

अवzwjधकतर परारनमभक दधरो म गर मनलिमरो न ही आकरमण करन म पहलि की थी और इस परकार मसलिमानरो क पास अपना और zwjधमण का परवतरकण करन क अवतररति कोई अ विकलप नही था वकत हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम न पटि कर विा ह वक अब ऐसी पररनथवता नही रही करोवक ितणमान सम म ऐसी कोई सरकार नही जो इलिाम का अत करन क उदश स दध की घोषणा करती हरो अथिा दध करती हरो इस क विपरीत अवzwjधकतर पनचिमी और गर मनलिम िशरो म विशालि तर पर zwjधावमणक िततरता उपलिzwjध ह हमारी जमाअत अवत आभारी ह वक ऐसी िततरता उपलिzwjध ह जो अहमिी मसलिमानरो को गर मनलिम िशरो म इलिाम का परचार करन की अनमवत परिान करती ह इसी क फलििरप हम पनचिमी िशरो को इलिाम की िातविक एि

141का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

अनपम वशकाओ जो वक शानत और एकता पर आzwjधाररत ह स पररवचत करान का अिसर परापत होता ह अतः पटि ह वक आज zwjधावमणक मदरो का कोई परशन ही नही ह अब किलि एक ही नथवत उतपन हो सकती ह वक मनलिम-परzwjधान िश तथा ईसाई-परzwjधान िश अथिा अ िश म ऐसा दध वछड जाए वजस का zwjधमण स समबzwjध न हो ऐसी नथवत म ईसाई अथिा वकसी अ zwjधमण-परzwjधान िशरो क मसलिमान नागररकरो को कसी पर वकरा वति करनी चावहए इसक उततर क वलिए इलिाम न एक िवणणम वसदधात परतत वका ह वि कोई मनलिम िश अा अथिा अताचार करता ह तो उसको रोका जाना चावहए वि अा अथिा अताचार ईसाई िश न वका ह तो उस भी रोका जाना चावहए

एक साzwjधारण नागररक वनतिगत तर पर अपन िश को अा और अताचार स कस रोक सकता ह उततर अतत सरलि ह ितणमान ग म सभी पनचिमी िशरो म लिोकततर ह वि कोई ावपर नागररक अपनी सरकार को अापणण ढग स विहार करता िखता ह तो उसक विरदध आिाज उठा सकता ह और अपन िश को सही मागण पर लिान का परास कर सकता ह अवपत लिोगरो का एक समह इसक विरदध आिाज उठा सकता ह वि कोई नागररक अपन िश को वकसी अ िश क परभति पर आकरमण करता हआ िखता ह तो उस चावहए वक िह अपनी सरकार का इस ओर धानाकषणण कराकर अपनी वचता वति कर शानतपणण ढग स विरोzwjध अथिा रोष परिशणन करना विदरोह की पररभाषा क अतगणत नही आता इसक विपरीत ह अपन िश क परवत सचच परम का परिशणन ह एक ावपर नागररक किावचत ह नही चाहता वक अतराणषzwjटरी समिा म उसक िश की परवतषठा zwjधवमलि हो अथिा अपमावनत हो अतः िह अपन िश का उसक कततणव की ओर धानाकषणण करा

142 विशव सकट तथा शानत-पथ

कर अपन िश-परम एि िश-भनति का परिशणन करता हजहा तक अतराणषटी समिा तथा उसकी सथाओ का सबzwjध ह

इलिाम की ह वशका ह वक वि वकसी िश पर अापणण आकरमण होता ह तो शष िशरो को एकतर होकर आकरमणकारी को रोकना चावहए वि आकरमणकारी िश को सिzwjबवदध आ जाती ह और िह आकरमण स पीछ हट जाता ह तो उस पर परवतशोzwjधिश अथिा इस नथवत का अनवचत लिाभ उठान हत कठोर िणि िन अथिा अापणण परवतबzwjध लिगान का वनणण नही करना चावहए इलिामी वशकाओ का सार ह ह वक आप शानत का परसार कर हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न तो हा तक कहा ह वक मसलिमान िह ह वजसक हाथ और जबान स अ लिोग सरवकत रह जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह इलिाम न ह वशका िी ह वक हम कभी भी अा और अताचार म वकसी की सहाता नही करनी चावहए ही िह सिर एि नीवतपणण वशका ह जो एक सचच मसलिमान को चाह िह वकसी भी िश का नागररक हो सममान और आिर का थान परिान करता ह वनसिह सभी सभzwj और सचच नागररक ऐस शानतवपर तथा िाशीलि लिोगरो को अपन समाज का अग बनान की कामना करग

हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न मसलिमानरो को अपना जीिन वतीत करन क वलिए एक अ स िर वशका ह िी ह वक एक सचच मोवमन को सिि पण की खोज म वत रहना चावहए आप न ह वशका िी वक एक मसलिमान को जहा स भी कोई जान की बात अथिा कोई उततम विचार वमलि तो उस अपनी वनजी समपवतत समझ कर अपना लिना चावहए अतः वजस दढता और सकलप स एक वनति अपनी वनजी समपवतत पर अवzwjधकार परापत करन का परास करता ह ठीक उसी

143का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

परकार मसलिमानरो को ह वशका िी गई ह वक ि पण बातरो और उततम विचाररो को जहा कही भी पाए उह परापत करन का परतन कर ऐस सम म जब वक परिासी नागररकरो को थानी समाज का अग बनान क समबzwjध म बहत सी शकाए उतपन हो रही ह ह एक अतत स िर एि समपणण मागिशणक वसदधात ह मसलिमानरो को ह वशका िी ह वक अपन थानी समाज म घलि वमलि कर रहन तथा परपर सममान की भािना पिा करन क वलिए आिशक ह वक ि परतक समाज zwjधमण शहर और िश क नवतक मलरो का जान परापत कर किलि जान परापत करना ही पाणपत नही अवपत मसलिमानरो को ऐस मलरो को वनजी जीिन का अग बनान का भरपर परास करना होगा ह ह िह मागणिशणक वसदधात जो िाति म परपर एकता परम तथा विशवास की भािना उतपन करता ह वनसिह एक सचच मोवमन स अवzwjधक शानतवपर अ कौन हो सकता ह जो अपनी zwjधावमणक आिशकताओ की पवतण करन क साथ-साथ अपन अथिा वकसी अ समाज क उचच नवतक मलरो को भी आतमसात करन का परतन करता ह एक सचच मोवमन स अवzwjधक अ कौन वनति शानत एि सरका का परसार कर सकता ह

ितणमान ग म ससार उपलिzwjध सचार-माधमरो क फलििरप एक विशव-गराम बन चका ह इस क समबzwjध म हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न आज स लिगभग 1400 िषण पिण भविषzwjिाणी कर िी थी वक ऐसा सम आएगा जब समत ससार एक इकाई की भावत हो जाएगा और िररा कम होती परतीत हरोगी आपन कहा था वक आzwjधवनक और तीवर ससार साzwjधनरो क फलििरप लिोग पर विशव को िख सकग िाति म ह पवितर कआणन की भविषzwjिाणी वजसकी आप सललाहो अलिवह िसलम न वितारपिणक वाखा की ह इस समबzwjध म हजरत

144 विशव सकट तथा शानत-पथ

महममि सललाहो अलिवह िसलम न ह वशका िी ह वक जब ऐसा ग आएगा तो लिोगरो को चावहए वक एक िसर की अचछी बातरो को सीख और उनको आतमसात कर ठीक उसी परकार जस वक ि अपनी खोई हई समपवतत की खोज करत ह साराश ह ह वक सभी सदणरो को गरहण करना चावहए और बरी बातरो स बचना चावहए पवितर कआणन न इस आिश की वाखा करत हए पटि वका ह वक सचचा मसलिमान िह ह जो पण का उपिश िता ह और पाप स रोकता ह उपरोति सभी बातरो को सममख रखत हए ऐसा कौन सा िश ा समाज ह जो ऐस शानतवपर मसलिमानरो अथिा इलिाम को अपन मध सहन नही कर सकता अथिा िीकार नही कर सकता गत िषण मझ बवलिणन क म र स भट करन का अिसर परापत हआ मन उन पर ह पटि वका वक इलिाम ह वशका िता ह वक हम वकसी भी िश की अचछाई को इस परकार अपनाना चावहए जस वक िह हमारी वनजी समपवतत ह इस क उततर म उहरोन कहा वक वि आप इस वशका का पालिन करग तो वनसिह समत विशव आप क साथ सहोग करत हए आपका समथणन करगा

मझ ह सन कर अतत आचि ण और खि हआ वक जमणनी क कछ भागरो म ऐस लिोग ह जो ह िािा करत ह वक न मसलिमानरो और न ही इलिाम म जमणन समाज का अग बनन का सामथ ण ह वनसिह ह सत ह वक जो इलिाम उगरिाविरो अथिा आतकिाविरो दारा परतत वका जाता ह उसम ह ोगता नही ह वक िह जमणन तो का वकसी भी िश क समाज का अग बन सक ऐसा सम अिश आएगा जब ऐसी उगरिािी विचारzwjधारा का मनलिम िशरो म भी कडा विरोzwjध वका जाएगा वनसिह सचचा इलिाम जो हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न परतत वका ह सभzwj और सचच लिोगरो को सिि अपनी ओर आकवषणत करता रहगा ितणमान ग

145का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

म इलिाम की िातविक एि मलि वशकाओ को पनजगीवित करन क वलिए परमातमा न हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की िासता क अzwjधीन हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम को भजा ह अतः आपकी जमाअत इलिाम की िातविक वशकाओ का पालिन तथा परचार करती ह

ह पटि रह वक कोई भी ावपर ह िािा नही कर सकता वक इलिाम वकसी अ समाज का अग नही बन सकता िातविक इलिाम िह ह जो पण और अचछाई का परसार करता ह और परतक परकार क पाप तथा अा का वनषzwjध करता ह अतः ह परशन ही वथण ह वक इलिाम वकसी अ समाज का अग बनन म सकम नही अवपत इलिाम तो िाभाविक रप स एक चमबक की तरह समाज को अपनी ओर आकवषणत करता ह इलिाम ह वशका िता ह वक एक वनति को न किलि अपन वलिए शानत की कामना और परास करना चा वहए अवपत िसर लिोगरो तक उसी परबलिता क साथ शानत और एकता का परसार करन का भरसक परतन करना चावहए ह वनःिाथण भािना विशव म शानत थावपत करन का मागण ह का कोई ऐसा समाज ह जो ऐसी वशकाओ की परशसा नही करता और ऐसी विचारzwjधारा को िीकार नही करता वनसिह कोई भी सभzwj समाज अपन अिर पाप और अनवतकता क परसार की किावचत अनमवत नही ि सकता और इसी परकार िह शानत और अचछाई क परोतसाहन का कभी विरोzwjध नही कर सकता

अचछाई की पररभाषा करत सम समभि ह वक एक zwjधावमणक और सासाररक वनति की पररभाषा म बहत अतर हो सकता ह इलिाम सिzwjगणरो और अचछाई क वजन रपरो की बात करता ह उनम स िो गण सबस महतिपणण ह जो अचछाई क शष सभी रपरो का उिzwjगम ह एक परमातमा क परवत कततणव और िसरा मानिता क परवत कततणव परथम

146 विशव सकट तथा शानत-पथ

परकार क कततणव की पररभाषा म एक zwjधावमणक और सासाररक वनति म मतभि हो सकता ह परत वदती परकार अथाणत मानिता क परवत कततणवरो क समबzwjध म कोई मतभि नही ह परमातमा क परवत कततणवरो का समबzwjध उपासना स ह और सभी zwjधमण इस विष म अपन अन ावरो का मागणिशणन करत ह मानिता क परवत कततणवरो क समबzwjध म zwjधमण और समाज िोनरो न मानि को वशका िी ह इलिाम मानिता क परवत कततणवरो क समबzwjध म अतत वितार और गहराई स वशका िता ह और इस सम इन सभी का िणणन करना असभि ह परत म इलिाम दारा थावपत कछ महतिपणण कततणवरो का िणणन करगा जो समाज म शानत थावपत करन क वलिए अवत आिशक ह

इलिाम ह वशका िता ह वक हम िसर लिोगरो की भािनाओ का आिर और सममान करना चावहए इस म िसररो की zwjधावमणक भािनाए और अ सामा सामावजक मद भी सनममवलित ह एक अिसर पर एक हिी न जब अपन और एक मसलिमान क मध वििाि का िणणन हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम स वका तो आप न उस हिी की zwjधावमणक भािनाओ का आिर करत हए उसका समथणन वका उस हिी की भािनाओ का आिर करत हए महममि सललाहो अलिवह िसलम न ह जानत हए वक आप ही अनतम zwjधमण-विzwjधान लिान िालि ह उस मसलिमान को िाटत हए कहा वक तमह ह िािा नही करना चावहए वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम मसा अलि वहसलिाम स शषठ ह इस परकार हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न िसररो की भािनाओ का सममान करक समाज क भीतर शानत की थापना की

इलिाम की एक अ महान वशका ह ह वक वनzwjधणन और जीिन की मलि आिशकताओ स िवचत लिोगरो क अवzwjधकाररो को पणण रप स

147का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

वकरानित वका जाए इस विष म इलिाम ह वशका िता ह वक ऐसी ोजनाए बनानी चावहए वक वजन क दारा समाज क िवचत िगण का जीिन-तर ऊचा उठ सक हम वनःिाथण भािना स िवचत िगण की सहाता करनी चावहए और वकसी भी रप म उन का शोषण नही करना चावहए

िभाणगिश आज क समाज म विखाि क रप म तो िवचत िगण की सहाता क वलिए ोजनाए बनाई जाती ह परत िाति म सभी ऋण परणालिी पर आzwjधाररत होती ह जो वक ाज सवहत लिौटाना होता ह उिाहरणिरप विदावथण रो की वशका पवतण हत ऋण उपलिzwjध कराा जाता ह अथिा लिोग कोई वापार करन क वलिए ऋण लित ह परत ह ऋण चकान म कई िषण अवपत कई िशक लिग जात ह वि कई िषषो क सघषण क पचिात कोई वितती सकट उतपन हो जाए तो ि जस क तस अपनी परानी हालित म आ जात ह अवपत उस स भी बितर हो जात ह गत कछ िषषो म हम विशव क अवzwjधकाश भागरो को आवथणक सकट की चपट म आन की असख घटनाए िख चक ह

इलिाम क विरदध सामातः ह आरोप लिगाा जाता ह वक िह नतररो क साथ ा और समानता का विहार नही करता परत ह आरोप वनराzwjधार ह इलिाम न नतररो को सममान एि आिर परिान वका ह म एक ा िो उिाहरण परतत करगा जब नतररो को मातर एक समपवतत समझा जाता था उस सम इलिाम न तरी को पवत क िव णिहार क कारण lsquoखलिअrsquo (आजािी) लिन का अवzwjधकार विा जबवक विकवसत िशरो म अभी गत शतािी म ही नतररो को ह अवzwjधकार विवzwjधित रप स विा गा ह इस क अवतररति जब नतररो का कोई मान-सममान अथिा अवzwjधकार नही था उस सम इलिाम न नतररो को पतक समपवतत म अवzwjधकार परिान वका जबवक रोपी िशरो म नतररो को ह अवzwjधकार

148 विशव सकट तथा शानत-पथ

अभी कछ सम पहलि विए गए ह पडोवसरो क अवzwjधकाररो क समबzwjध म भी इलिाम हम ह वशका िता ह वजस पवितर कआणन न वितारपिणक मागणिशणन वका ह वक पडोसी की पररभाषा म कौन-कौन सनममवलित ह और उसक अवzwjधकार का ह पडोवसरो म ि लिोग सनममवलित ह जो आपक साथ उठत बठत हरो आपक वनकट वनिास करन िालि आपक पररवचत और ि भी जो आपक पररवचत न हरो िाति म पडोसी की पररभाषा क अतगणत आपक इिण-वगिण क लिगभग 40 घर सनममवलित ह जो आपक साथ ातरा करत ह ि भी आपक पडोसी ह अतः उन का धान रखन का भी हम आिश विा गा ह इस अवzwjधकार पर इतना बलि विा गा वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क मन म ह विचार आन लिगा वक कही पडोवसरो को समपवतत म अवzwjधकार न ि विा जाए हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न तो हा तक कहा ह वक ऐस वनति को वजसका पडोसी उसस सरवकत नही मोवमन ा मसलिमान नही कहा जा सकता िसररो स भलिाई क वलिए इलिाम का एक अ आिश ह भी ह वक समाज क कमजोर िगण का जीिन तर ऊचा करन क कततणव की पवतण क वलिए सभी िगण परपर एकजट होकर का ण कर अतः अहमविा मनलिम जमाअत इस कततणव की पवतण म अपनी भवमका वनभात हए विशव क वनzwjधणन और िवचत िगण िालि कतररो म पराथवमक एि उचच वशका का परबzwjध कर रही ह हम ककलिरो का वनमाणण एि सचालिन कर रह ह और उचच वशका हत छातरिवतत और अ परकार स वितती सहाता परिान कर रह ह तावक िवचत िगण क लिोग उनवत करक िािलिमबी एि आतमवनभणर बन सक

इलिाम का एक अ आिश ह वक तम अपनी सभी परवतजाए और िाि पर करो इन म ि सभी िचन सनममवलित ह जो तम एक िसर स करत हो और इलिाम का ह आिश ह वक एक नागररक क रप म

149का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

अपन िश स िफािारी की जो परवतजा करत हो उस अवनिा ण रप स पणण करो इस समबzwjध म म पहलि भी िणणन कर चका ह ह ि कछ तथ वजह मन आपक समक इस उदश स परतत वका ह वक आप पर ह सत परकट हो जाए वक इलिाम एक अतत िा और परम का zwjधमण ह अतत खि का विष ह वक वजस परबलिता क साथ इलिाम विशव-शानत की वशका िता ह इलिाम क विरोzwjधी अथिा जो इलिाम की िातविक वशकाओ स अनवभज ह उसी कटटरता क साथ इलिाम क विरदध वनराzwjधार आरोप लिगात ह जसा वक मन िणणन वका ह ितणमान ग म अहमविा मनलिम जमाअत इलिाम क िातविक सिश का परचार और परिशणन कर रही ह इस िातविकता को सममख रखत हए म उन लिोगरो स जो मसलिमानरो क कछ एक लिोगरो की गवतविवzwjधरो क आzwjधार पर इलिाम पर आरोप लिगात ह ह अनरोzwjध करता ह वक वनसिह आप ऐस वनतिरो को इसक वलिए उततरिाी ठहराए परत इलिाम की िातविक वशकाओ को अपमावनत अथिा बिनाम करन क वलिए ऐस अनवचत उिाहरणरो का परोग न कर

आपको ह नही समझना चावहए वक इलिाम की वशकाए जमणनी अथिा वकसी अ िश क वलिए हावनकारक वसदध हो सकती ह आप को इस विष म वचनतत नही होना चावहए वक कोई मसलिमान जमणन समाज का अवभन अग बन सकता ह अथिा नही जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह वक इलिाम की ह विवश टिता ह वक उसन मसलिमानरो को ह वशका िी ह वक सभी सिzwjगणरो को गरहण करो अतः वनसिह मसलिमान वकसी भी समाज का अग बन कर जीिन वतीत कर सकता ह वि कोई इसक विपरीत विहार करता ह तो िह किलि नाममातर का मसलिमान ह इलिाम की िातविक वशकाओ का अन ाी नही वि मसलिमानरो

150 विशव सकट तथा शानत-पथ

को वकसी अनवचत का ण करन अथिा माणिा और zwjधमण की पवितरता क वसदधातरो स समबनzwjधत कआणनी वशकाओ की अिहलिना करन अथिा सिाचार क विरदध आचरण करन का आिश विा जाए तो वनसिह ि ऐसा नही कर सकत ह विष समाज का अग बन कर रहन स समबनzwjधत नही ह अवपत वनतिगत zwjधावमणक िततरता स समब नzwjधत ह

zwjधावमणक िततरता का उलघन ऐसा परशन नही वक किलि मसलिमान इसका विरोzwjध करत ह अवपत सभी सभzwj और वशवकत लिोग भी इसक विरदध आिाज उठात ह और खलि आम ह घोषणा करत ह वक वकसी सरकार अथिा समाज को वकसी व नति क zwjधावमणक अवzwjधकाररो म हतकप करन का अवzwjधकार नही ह मरी ह पराथणना ह वक जमणनी और अ सभी िश जो िा ति म विवभन स कवत रो और राषटी ता स समबzwjध रखन िालि लिोगरो का वनिास थान बन चक ह सहनशीलिता और परपर भािनाओ का सममान करन क उचच आिशषो का परिशणन कर परमातमा कर इस परकार ि परपर परम सहानभवत तथा शान त का परिशणन करन िालिरो क वलिए मागणिशणक बन जाए ह विशव म वचर था ी शान त और सरका थावपत करन का सवननचित माधम वसदध होगा वजस क फलििरप विशव को उस विनाश स सरवकत रखा जा सकगा वजसकी ओर िह परपर शान त क अभाि क कारण अगरसर ह

भकर विनाश का खतरा हमार ऊपर मिरा रहा ह अतः इस सिणनाश स सरवकत रहन क वलिए परतक िश और परतक वनति क वलिए चाह िह zwjधावमणक हो अथिा न हो अतत सािzwjधानीपिणक आग बढन की आिशकता ह परमातमा कर विशव का परतक वनति इस िातविकता को समझ अत म म आप सभी का पनः zwjधिाि करना चाहता ह वक आज आप सम वनकालि कर हा पzwjधार और मरी बातरो को धानपिणक सना अलाह आप सब पर अपनी कपा कर आप का बहत बहत zwjधिाि

इसलजि mdashशजनत और दयज कज ििा

पारलियामट हाउसजनदन यक 2013

इसलजि mdashशजनत और दयज कज ििा

पारलियामट हाउसजनदन यक 2013

The Shadow Foreign Minister Rt Hon Douglas Alexander with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

The Deput y Prime Minister Rt Hon Nick Clegg in discussion with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba House of Commons London 11th June 2013

The Home Secretar y Rt Hon Theresa May MP with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Rt Hon Ed Davey MP with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Rt Hon Ed Davey MP escorts Hadrat Khalifatul-Masih Vaba through Westminster Hall House of Commons London 11th

June 2013

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba delivering his historic speech to Parliamentarians VIPs and diplomats at the House of Commons London 11th June 2013

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba received at the House of Commons by Rt Hon Ed

Davey MP London 11th June 2013

पररचय

क म अहमविा मनलिम जमाअत की थापना क सौ िषण पर होन पर लििन म पावलिणामट हाऊवसज म 11 जन 2013 को शतािी समारोह आोजन क अिसर पर विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख हजरत वमजाण मसरर अहमि खलिीफतलि मसीह पचम (अलाह आपका सहाक हो) न एक भाषण विा था

इस शतािी समारोह म 68 उचच पिावzwjधकारी सनममवलित हए वजनम 30 पावलिणामट सि और 12 हाऊस ऑफ लिािरस क सि वजनम 6 कवबनट मतरी और 2 मतरी शावमलि थ विवभन टीिी चनलज - BBC Sky TV और ITV क परवतवनवzwjध भी इस समारोह म सनममवलित हए उपनथत लिोगरो म वनमनवलिवखत उचच पिावzwjधकारी भी सनममवलित थ

Secretary of State for Energy and Climate Change The Rt Hon Ed Davey MP the Deputy Prime Minister The Rt Hon Nick Clegg MP the Home Secretary The Rt Hon Theresa May MP the Shadow Foreign Secretary The Rt Hon Douglas Alexander

156 विशव सकट तथा शानत-पथ

MP the Chairman of the Home Affairs Select Committee Rt Hon Keith Vaz MP and Member of Parliament for Mitcham and Morden Siobhain McDonaugh MP

इसलजि mdash शजनत और दयज कज ििा

वबनमलावहररहमावनररहीमआरमभ करता ह अलाह क नाम स जो अनत कपालि एि अतत िालि ह

समत विवशटि अवतवथगण असzwjसलारो अलकर व रहरzwjलाह व बरकाzwjोह अलाह की कपा एि शानत आप सब पर हो सिणपरथम म अहमविा मनलिम जमाअत क उन सभी वमतररो का

zwjधिाि करना चाहता ह वजहरोन हमार साथ अपनी वमतरता एि घवनषठ सबzwjधरो का परिशणन करत हए क म हमारी जमाअत क शत िषण पर होन पर इस शतािी समारोह का आोजन पावलिण ामट हाऊसज म वका ह म उन सभी अवतवथरो क परवत भी आभार परकट करना चाहता ह वजहरोन आज हा उपनथत हो कर इस समारोह को वननचित रप स महतिपणण और सफलि बनाा ह मझ ह जान कर परसनता हई ह वक

158 विशव सकट तथा शानत-पथ

आप म बहत स ऐस लिोग हा विराजमान ह जो वकसी अ सभा ा का ण म वत नही ह

आप क इस शभ परास और भािना क परवत zwjधिाि और परशसा परकट करन क साथ-साथ म ह भी कहना चाहता ह वक मरी ह हाविणक अवभलिाषा और पराथणना ह वक इस विशालि एि सिर भिन क सभी विभाग तथा उनम का णरत सभी लिोग अपन िश एि उसकी परजा क परवत अपन कततणवरो को परा करन िालि हरो म ह आशा और पराथणना भी करता ह आप सब अ िशरो क साथ मzwjधर समबzwjधरो को सदढ करन और ा क मागण का पालिन करत हए ऐस वनणण करन िालि हरो जो सभी िगषो अथिा पावटर रो क वलिए वहतकारी हरो वि इस भािना को अपनाा गा तो इसस अवत लिाभकारी पररणाम अथाणत - परम सहानभवत तथा भरातति उतपन हरोग वजन क दारा विशव िातविक अथषो म शानत एि समवदध का कदर बन सकगा

मरी ह इचछा और पराथणना समत अहमिी मसलिमानरो की भािनाओ का परवतवनवzwjधति करती ह करोवक हमारा ह विशवास ह वक अपन िश क परवत और सामवहक रप स समत मानिजावत स परम करना वनतात आिशक ह वनसिह अहमिी मसलिमान ह विशवास रखत ह वक अपन िश स परम करना उनक ईमान का एक अवनिा ण अग ह करोवक इलिाम क परितणक हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम न बडी दढता क साथ इसकी वशका और आिश विा ह अतः म ह पटि करना चाहता ह वक परतक अहमिी मसलिमान जो क का नागररक ह चाह िह क म पिा हआ ह अथिा अ िश स परिास करक हा नागररकता परापत की हो िह पणणता इस िश क परवत िफािार ह और इस िश स हाविणक परम करता ह ि किलि इस महान िश की

159इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

उनवत एि समवदध की कामना करत ह िसर िशरो स परिास करक क म बसन िालि लिोगरो की सखा

बहत बडी ह और ि इस िश की कलि जनसखा का 14-15 परवतशत ह अतः वबरटन क लिोगरो न िसर िशरो स परिास करक आए लिोगरो को अपन िश क नागररक तथा वबरवटश समाज की रचना क अश क रप म िीकार करन म वजस उिारता और सवहषzwjणता का परिशणन वका ह उसका िणणन एि परशसा वकए वबना म अपन भाषण को आग नही बढा सकता इस परकार जो लिोग अ िशरो स हा बसन आए ह नवतक रप स उनका ह अवनिा ण कततणव ह ि ि को इस िश का िफािार नागररक वसदध कर और समत परकार की विथा और कलिह क वनिारण क वलिए सरकार क परासरो का समथणन कर जहा तक अहमविा मनलिम जमाअत का सबzwjध ह इसक सि चाह ि वकसी भी िश म रहत हरो इस वसदधात का पालिन करत ह

जसा वक आपको जात ह वक इस सम हम क म अहमविा मनलिम जमाअत की थापना क शतािी समारोह का आोजन कर रह ह गत सौ िषषो का इवतहास इस बात को वसदध करता ह और इस बात का गिाह ह वक अहमविा जमाअत क सिरो न सिि अपन िश क परवत िफािारी की मागरो को परा वका ह और परतक सरकार क उगरिाि विदरोह और अविथा स ि सिि िर रह ह िाति म इस िफािारी और िश परम की विचारzwjधारा का मलि कारण ह ह वक अहमविा मनलिम जमाअत एक सचची इलिामी जमाअत ह हमारी जमाअत िसररो स सिणथा विशष ह को वक हमन वनरतर इलिाम की िातविक एि शानतपणण वशकाओ स विशव क लिोगरो को पररवचत कराा ह और हमारा सिि ह परास रहा ह वक इन वशकाओ को िातविक इलिाम क रप

160 विशव सकट तथा शानत-पथ

म विशव म िीकवत वमलिइस सवकपत पररच क उपरात म अपन भाषण क मख विष की

ओर आता ह हमारी जमाअत शानत सलिह समि एि एकता का झिा ऊचा करन िालिी ह और हमारा आिशण ह lsquoपरम सब क वलिए घणा वकसी स नहीrsquo कछ हमार पररवचत गर मनलिम लिोग ा वजनक साथ हमार वनकट समबzwjध ह ि इस बात पर आचि ण परकट करत ह वक अहमविा मनलिम जमाअत इलिाम को अपन शानत और भाईचार क सिश का सोत बताती ह उनक इस आचि ण और अचमभ का कारण ह ह वक ि ह अनभि करत ह वक इलिाम क नाम-मातर विदान और अ इलिामी समिा सिणथा पथक रप स आचरण करत ह और एक अलिग ही सिश का परचार करत ह

इस अतर को पटि करन क वलिए म ह बताना चाहता ह वक अहमिी मसलिमान इस बात पर विशवास रखत ह वक ितणमान ग म lsquoतलििार क दारा वजहािrsquo की विचारzwjधारा सिणथा गलित ह और इस का वतरकार वका जाना चावहए इसक विपरीत कछ अ इलिामी विदान इस विचारzwjधारा को परोतसावहत करत ह अथिा इसका पालिन भी करत ह उनकी ही विचारzwjधारा विशव म कई कतररो म मसलिमानरो क मध उगरिािी एि आतकिािी सगठनरो क जम का कारण बनी ह

किलि ही नही वक कछ सगठन उभर कर सामन आए ह अवपत कछ लिोग वनतिगत रप स इस गलित और झठी विचारzwjधारा का अनवचत लिाभ उठा कर उसक अनरप विहार कर रह ह लििन की सडकरो पर एक वनिवोष वबरवटश वसपाही की वनमणम हता इसी विचारzwjधारा क पररणाम का एक ताजा उिाहरण ह इस आकरमण का इलिाम की िातविक वशकाओ स कोई समबzwjध नही इसक विपरीत इलिामी वशका ऐसी

161इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

घटनाओ की बडी वनिा और भतसणना करती ह ऐस षितर इलिाम की िातविक वशकाओ और विकत रप म परतत की गई वशकाओ वजन का परचार कछ नाम-मातर मसलिमान अपन वनवहत िाथषो की पवतण हत कर रह ह क अतर को भलिी-भानत पटि कर ित ह म ह भी कहना चाहता ह वक कछ थानी समिारो की परवतवकरा भी उवचत नही थी तथा इस क कारण समाज की शानत भग हो सकती ह

हमार इस तकक क समथणन का का परमाण ह वक हम जो इलिामी वशका परतत करत ह िह सही ह विचार करन ोग विष ह ह वक तलििार अथिा बलि परोग की अनमवत किलि उसी नथवत म ह जब इलिाम क विरदध zwjधावमणक-दध छडा जाए ितणमान ग म कोई भी चाह िह िश हो अथिा zwjधमण भौवतक रप स इलिाम क विरदध zwjधमण क आzwjधार पर आकरमण ा दध नही कर रहा अतः मसलिमानरो क वलिए ह ासगत नही वक ि वकसी अ समिा पर zwjधमण क नाम पर आकरमण कर करोवक वनसिह ह कआणन की वशकाओ का उलघन ह

पवितर कआणन न किलि उही लिोगरो क विरदध बलि परोग की अनमवत िी ह वजहरोन इलिाम क विरदध दध छडा और तलििार उठाई एक और महतिपणण वबि ह ह वक वि कोई नागररक अपन िश अथिा अपन िशिावसरो को वकसी परकार का आघात ा हावन पहचाता ह तो िह वननचित रप स इलिाम की वशकाओ का उलघन करता ह हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम का कथन ह वक जो वकसी वनिवोष का खन बहाता ह िह मसलिमान नही ह हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क विचार म ऐस लिोग कमजोर ईमान िालि और पापी ह

अब म इलिाम क कछ अ पहलि परतत करगा वजन स ह वसदध होता ह वक इलिाम की वशकाए वकतनी विशदध एि जान पर आzwjधाररत ह

162 विशव सकट तथा शानत-पथ

म ह पटि करगा वक कछ अ नाम-मातर इलिामी सगठन इलिाम का जो रप परतत करत ह िह िाति म वकसी भी परकार स zwjधमण की िातविक वशका का परवतवनवzwjधति नही करता ह पटि हो जाएगा वक ि किलि अपन वनवहत िाथषो की पवतण हत घणापणण गवतविवzwjधरो को ासगत ठहरान क वलिए अनवचत रप स इलिाम का नाम परोग करत ह

इलिाम न सहनशीलिता की महतता पर इतना बलि विा ह वक इसक समतल उिाहरण वकसी अ zwjधमण म वमलिना असभि ह अ लिोगरो का ह मत ह वक जब तक िसर zwjधमषो को झठा वसदध न कर विा जाए तब तक ि अपन zwjधमण की सचचाई को वसदध करन म असमथण ह परत इस सबzwjध म इलिाम का मत वनतात पथक ह करोवक इलिाम ह वशका िता ह वक दवप इलिाम एक सचचा zwjधमण ह जो समत मानिजावत क वलिए भजा गा तथावप िातविकता ह ह वक परमातमा क सभी अितार परतक जावत और विशव क परतक भाग म भज गए पवितर कआणन म इसका पटि रप स िणणन ह अलाह तआलिा फरमाता ह वक समत अितार उसी न परम और सह की वशका िकर भज ह अतः सभी सचच मसलिमानरो को उह िीकार करना चावहए

कोई अ zwjधमण इतनी पटिता एि उिारतापणण ढग स सभी zwjधमषो की परशसा नही करता जसा वक इलिाम न वका ह करोवक मसलिमान ह विशवास रखत ह वक सभी जावतरो और कौमरो म अितार आए ह अतः ि उह झठा होन का विचार भी मन म नही लिा सकत

अतः मसलिमान परमातमा क वकसी भी अितार का वनरािर अनािर अथिा उपहास नही कर सकत और न ही ि अ zwjधमाणिलिनमबरो की भािनाओ को आहत कर सकत ह

वफर भी खिजनक ह वक कछ गर मनलिम लिोगरो का विहार इसक

163इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

सिणथा विपरीत ह ि इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम पर कलिक लिगान और शोचनी ढग स उनका उपहास करन का कोई अिसर हाथ स नही जान ित और इस परकार उहरोन मसलिमानरो की भािनाओ को बरी तरह आहत वका ह परत िभाणगिश जब कभी कछ तति मसलिमानरो की भािनाओ स खलित ह तब कछ नाम-मातर मसलिमान उततजनािश वनतात अजानतापिणक और अनवचत ढग स परवतवकरा वति करत ह वजसका इलिाम की िातविक वशकाओ स कोई समबzwjध नही होता आप ह अिश अनभि करग वक कोई अहमिी मसलिमान वकसी भी उततजनातमक नथवत म इस परकार अजानतापिणक परवतवकरा परिवशणत नही करगा

इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम और पवितर कआणन पर एक अ आरोप ह लिगाा जाता ह वक उहरोन उगरिाि की वशका िी और इलिाम क सिश क परचार क वलिए बलि-परोग को परोतसावहत वका इस आरोप का वििचन करन तथा इसकी िातविकता जानन क वलिए ि कआणन का अधन करना होगा सिणशनतिमान अलाह फरमाता ह ः-

lsquoवि तरा रब अपनी इचछा को लिाग करता तो zwjधरती क सभी लिोग ईमान लि आत तो का त लिोगरो को इतना वििश करगा वक ि मोवमन बन जाए rsquo

(सरह नस ः 100)ह आत पटि रप स बताती ह वक परमातमा जो सिणशनतिमान

ह सभी लिोगरो को एक ही zwjधमण अपनान पर बडी आसानी स वििश कर सकता था परत उसन ससार क लिोगरो को इस विकलप की िततरता परिान की mdash चाहो तो ईमान लिाओ ा न लिाओ

164 विशव सकट तथा शानत-पथ

अतः जब परमातमा न मानिजावत को कोई भी विकलप अपनान की िततरता परिान की ह तो हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम अथिा उनका कोई अन ाी वकसी को मसलिमान बनन पर कस वििश कर सकता ह

सिणशनतिमान अलाह पवितर कआणन म ह भी फरमाता ह ः-ldquo सचचाई तर रब की ओर स ही उतरी हई ह अतः जो

चाह ईमान लिाए और जो चाह इकार कर ि rdquo(अलिzwj-कहफ ः 30)

ह ह इलिाम की िातविकता ह ह इसकी िातविक वशका वि कोई वनति चाह तो उस इलिाम को िीकार करन की िततरता ह वि उसका विलि नही चाहता तो उस अिीकार करन की भी िततरता ह अतः इलिाम उगरिाि और बलि-परोग क पणणता विरदध ह इसक विपरीत समाज क परतक तर पर शानत और समि का समथणन करता ह

इलिाम क वलिए ह असमभि ह वक िह वहसा और बलि-परोग की वशका ि करोवक इलिाम का शानिक अथण ही शानत स रहना और शानत परिान करना ह वफर भी जब हमारी zwjधावमणक भािनाओ का उपहास वका जाता ह तो हम अतत कटि और पीडा का अनभि होता ह हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क सबzwjध म वि कछ भी अपमानजनक शि कह जाए तो ि हमार हिरो को चीर कर आहत कर ित ह

इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न ही हमार हिरो म परमातमा और उसकी सनटि क परवत परम भािना जागत की ह आपन ही हमार विलिरो म समत मानिजावत और सभी zwjधमषो क परवत परम और आिर की भािना थावपत की इलिाम की शानतपणण वशकाओ क समबzwjध म उस उततर क अवतररति अ बडा परमाण का हो

165इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

सकता ह जो हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क विरोवzwjधरो न विा जब आप सललाहो अलिवह िसलम न उह इलिाम का सिश पहचाा था उहरोन ह नही कहा वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलमन हम इलिाम का वनमतरण ि कर वकसी परकार क अताचार अथिा अनवतक का ण करन की वशका िी ह अवपत उन का उततर ह था वक वि ि इलिाम की वशकाओ को िीकार कर लित ह तो उनकी zwjधन-समपवतत पर अताचारी लिोग अवतकरमण कर लिग और उनकी परवतषठा भी खतर म पड जाएगी करोवक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम किलि शानत और सौहािण तथा समि की वशका पर बलि ित थ उहरोन इस सश का परकटन वका वक ि इलिाम को िीकार कर लित ह और फलििरप शानत को अपना लित ह तो इिण-वगिण क लिोग कबीलि और अ जावता इसका अनवचत लिाभ उठा कर उह नटि कर िगी साराश ह वक वि इलिाम वहसा का परचार करता और मसलिमानरो को दध करन तथा तलििार उठान की वशका िता तो पटि ह वक कावफर अपन पक म ऐसा तकक परतत न करत ि किावप ह न कहत वक ि इलिाम इसवलिए िीकार नही कर सकत करोवक उह भ ह वक इलिाम की शानतपणण वशका क फलििरप सासाररक लिोगरो दारा इनका सिणनाश हो जाएगा

पवितर कआणन म िणणन ह वक सिणशनतिमान अलाह का एक गणिाचक नाम lsquoसलिामrsquo ह वजसका अथण ह lsquoशानत का सोतrsquo इस स ह अवभपरा ह वक वि परमातमा िाति म lsquoशानत का सोतrsquo ह तो उसकी शानत किलि एक विशष समिा तक सीवमत न हो कर समत सनटि और समत मानिजावत पर आचछावित होनी चावहए वि परमातमा की शा नत किलि कछ लिोगरो तक की सरका क वलिए थी तो इस अिथा म

166 विशव सकट तथा शानत-पथ

उस समत ससार का परमातमा नही कहा जा सकता सिणशनतिमान परमातमा न इस का उततर पवितर कआणन म इन शिरो म विा ह ः-

lsquoऔर हम इस रसलि की उस बात की सौगzwjध जब उसन कहा था वक ह मर रब ह जावत तो ऐसी ह ईमान नही लिाती अतः उह छोड ि और कह ः lsquoतम पर अलाह की शानत होrsquo lsquoऔर ि शीघर ही जान जाएगrsquo

(अलि-जखरफ ः 89-90)इन शिरो स ह जात होता ह वक हजरत महममि सललाहो

अलिवह िसलम एसी वशका लिाए थ जो समत लिोगरो क वलिए शानत और िा का सोत थी और फलितः समत मानिजावत क वलिए शानत का माधम थी उपरोति आत स ह भी जात होता ह वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क शानत क सिश क उततर म आपक विरोवzwjधरो न न किलि आपकी वशकाओ का वतरकार वका अवपत आपका अपमान और उपहास भी वका िाति म ि इस स भी आग बढ गए और उहरोन परी शतरता स आपका विरोzwjध वका कलिह और अशानत का िातािरण उतपन कर विा विरोवzwjधरो की इन गवतविवzwjधरो क िखत हए भी हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न परमातमा स ही पराथणना की वक lsquoम उह शानत परिान करना चाहता ह परत मझ शानत नही ित इसस भी बढ कर ि मझ पीडा और िःख पहचान की चटिा करत ह

इसक उततर म परमातमा न आपको सातिना ित हए कहा वक lsquoजो कछ ि करत ह उसकी उपका कर और उनस िर हो जा तरा एकमातर कततणव ससार म शानत का परसार करना और उसकी थापना करना ह त उनकी घणा और उनक अताचाररो क उततर म किलि इतना कह ः lsquoतम पर शानत होrsquo और उह कह ि वक ldquoम तमहार वलिए शानत लिाा हrdquo

167इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

इस परकार हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम जीिनप ण त विशव म शानत का परसार करत रह ही आपका महान उदश था वनसिह एक विन ऐसा अिश आएगा जब ससार क लिोग इस तथ को समझ लिग और िीकार करग वक आपन वकसी परकार क उगरिाि की वशका नही िी उह ह अनभि हो जाएगा वक आप सललाहो अलिवह िसलम किलि शानत परम और सहानभवत का सिश लि कर आए थ इसक अवतररति ह वक वि इस महान अितार क अन ाी भी अताचाररो और अा क परवत परमपिणक अपनी परवतवकरा वति कर तो वनसिह ि लिोग जो इलिाम की रोशन वशकाओ पर आकप लिगात ह एक विन इलिाम की सचचाई और सिरता को िीकार कर लिग

अहमविा मनलिम जमाअत इही वशकाओ का पालिन और अनसरण करती ह ही सहानभवत सहनशीलिता और िा पर आzwjधाररत िह वशका ह वजसका हम समत विशव म परचार और परसार करत ह हम िा और उिारता क उसी ऐवतहावसक और अवदती आिशण का पालिन करत ह वजसका परिशणन हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न कई िषषो तक अतत कडी और पीडािाक ातनाओ और अताचाररो क सहन करन क उपरात पनः मकका की गवलिरो म एक विजता क रप म परिश करन पर वका कई िषषो तक आपको और आपक अनावरो को जीिन की मलि आिशकताओ mdash भोजन और पानी स िवचत रखा गा और फलििरप उह एक सम म कई विन तक भख की पीडा सहन करनी पडती थी आपक बहत स अन ावरो पर आकरमण वका गा कछ की अतत वनिण तापिणक वनमणम हता की गई वजसकी कलपना भी नही की जा सकती हा तक वक मसलिमान िदधरो नतररो और बचचरो को भी नही छोडा गा अवपत उनक साथ भी वनिण तापणण विहार वका गा वफर

168 विशव सकट तथा शानत-पथ

भी जब हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न विजी हो कर मकका म पनः परिश वका तो आपन वकसी परकार का परवतशोzwjध नही वलिा इस क विपरीत आपन ह घोषणा की वक lsquoआप म स वकसी को भी कोई िणि नही विा जाएगा करोवक मन आप सभी को कमा कर विा ह म परम और शानत का ित ह मझ अलाह क इस गण का सिाणवzwjधक जान ह वक िह lsquoशानत का सोत हrsquo mdash अथाणत अलाह ही ह जो शानत परिान करता ह म आपक वपछलि समत अताचाररो को कमा करता ह और आपको शानत और सरका की जमानत िता ह आप िततर रप स मकका म वनिास कर सकत ह और अपन zwjधमण का वनविणघन पालिन कर सकत ह वकसी को भी वकसी परकार स वििश ा बाध नही वका जाएगाrdquo

मकका क कछ कटटर विरोzwjधी िणि क भ स मकका छोड कर भाग गए थ करोवक उह जात था वक उहरोन मसलिमानरो पर अताचार करन म सभी सीमाओ को पार कर वलिा था परत जब उन कावफररो क सबवzwjधरो न िा और परम का ऐसा अवदती उिाहरण और शानत और सौहािण का ऐसा अभतपिण परिशणन िखा तो उहरोन उह िापस लिौट आन का सिश भजा जब उह ह सवचत वका गा वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम शानत और सरका परिान करन िालि ह तो ि लिोग मकका लिौट आए जो लिोग इसस पिण इलिाम क कटटर और कठोर विरोzwjधी थ उहरोन जब ि हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की िा और उिारता का परतक रप म अनभि वका तो उहरोन िचछा स इलिाम िीकार कर वलिा

जो कछ मन िणणन वका ह िह वलिवखत इवतहास का भाग ह और अवzwjधकाश गर-मनलिम इवतहासकाररो और Orientalists न इस सचचाई की पनटि की ह इलिाम की िातविक वशकाए ह और ही हजरत

169इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

महममि सललाहो अलिवह िसलम का महान आिशण ह अतः इलिाम और इसक परितणक को वहसक क रप म परिवशणत करना तथा उनक विरदध इस परकार क आरोप लिगाना घोर अा ह इस म कोई सिह नही जहा कही भी ऐस आरोप लिगाए जात ह तो हम गहरी पीडा और अतत कटि पहचाता ह

म पनः ह कहता ह वक ितणमान ग म किलि हमारी जमाअत - अहमविा मनलिम जमाअत - ही ह जो इलिाम की िातविक और शानतपणण वशकाओ का अनसरण और पालिन कर रही ह म ह भी पनः कहना चाहता ह वक कछ आतकिािी सगठनरो अथिा कछ वनतिरो दारा जो घणापणण और िषzwjकमण वकए जा रह ह उनका इलिाम की िातविक वशकाओ स वकसी परकार का समबzwjध नही ह

िातविक ा का आzwjधारभत वसदधात ह ह वक वकसी समिा अथिा वनति विशष क वनवहत िाथषो को वकसी zwjधमण की वशकाओ स समबदध न वका जाए ऐसी गवतविवzwjधरो का वकसी zwjधमण अथिा उसक परितणक की अापणण ढग स वनिा करन क वलिए एक बहान क रप म अनवचत परोग नही करना चावहए सम की वनतात आिशकता ह वक विशव-शानत और एकता की थापना हत सभी लिोगरो को परपर सममान और एक िसर क zwjधमण का आिर करन की भािना का परिशणन करना चावहए अ था इसक प ररणाम अवत भािह हरोग

आज ससार एक विशव-गराम का रप zwjधारण कर चका ह अतः परपर आिर एि सममान क अभाि और शानत थापना हत सगवठत होन म विफलिता क कारण न किलि थानी कतर शहर अथिा िश को हावन पहचगी अवपत इसक फलििरप अततः विशव एक भानक विनाश की चपट म आ जाएगा गत िो विशव दधरो क विधिसकारी

170 विशव सकट तथा शानत-पथ

पररणामरो स हम सभी पररवचत ह कछ िशरो की गवतविवzwjधा ऐसी ह जो तती विशव दध की सचक ह

वि तती विशव दध आरमभ हो जाता ह तो पनचिमी िश भी इसक िरगामी और विनाशकारी पररणामरो स बरी तरह परभावित हरोग हम अपनी भािी पीवढरो को दध क भानक और विनाशकारी पररणामरो स सरवकत रखन का परास करना चावहए

पटि ह वक सबस भानक दध परमाण दध होगा और इस सम ससार वजस ओर अगरसर ह वनसिह िह एक परमाण दध क वछडन का सचक ह इस विनाशकारी पररणाम को रोकन क वलिए हम ा एकता एि अखिता और ईमानिारी क मागण को अपनाना होगा और सगवठत रप स उन गटरो का िमन करना होगा जो घणा का परचार करक विशव-शानत का सिणनाश करना चाहत ह

म ह आशा और पराथणना करता ह वक सिणशनतिमान परमातमा महाशनतिरो को अपन कततणवरो को इस समबzwjध म ापिणक ढग स वनभान का सामथ ण परिान कर - आमीन अपना भाषण समापत करन स पिण म आप का zwjधिाि करना चाहता ह वक आप सब सम वनकालि कर और परास करक हा उपनथत हए परमातमा आप सब पर अपनी कपा कर आप सब का अवत zwjधिाि

वतािजन सकट की नसथमत ि मवशव शजनत की

मनतजत आवशयकतजराषटी पावलिणामट जीलिणििवलिगटन जीलिणि 2013

वतािजन सकट की नसथमत ि मवशव शजनत की

मनतजत आवशयकतजराषटी पावलिणामट जीलिणििवलिगटन जीलिणि 2013

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba leading si lent prayers at the conclusion of the off icial f unction in the Grand Hall Ne w Zealand Parl iament

Hon Kanwaljit Singh Bakshi (MP) receiving the Holy Qurrsquoan from Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Det R akesh Naidoo meeting Hadrat Khalifatul-Masih Vaba in representation of the Commissioner of Police New Zealand

Iranian ambassador Seyed Majid Tafreshi Khameneh meeting Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Dr Cam Calder MP meeting Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba delivering the keynote address at the Grand Hall in the

New Zealand Parliament 4th Nov 2013

Hon Kanwaljit Singh Bakshi (MP) with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba and his entourage in front of the New Zealand Parliament

पररचय

विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख हजरत वमजाण मसरर अहमि (अलाह तआलिा आपकी सहाता कर) खलिीफतलि मसीह पचम न विनाक 4 निमबर 2013 को िवलिगटन शहर म जीलिि की राषटी पावलिाणमट म एक ऐवतहावसक भाषण विा पावलिणामट क सासिरो राजितरो वशकावििरो एि विवभन कतररो स सबवzwjधत गणमा विवशटि अवतवथरो स सभा क सममख हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम क खलिीफा न (अलाह तआलिा आपकी सहाता कर) इस बात की महतता को परकट वका वक विशव क विवभन भागरो म तीवरता स बढत हए वििािरो और तनाि को दनटिगत रखत हए विशव-शानत थावपत करन क वलिए ा की वनतात आिशकता ह आपक मख भाषण क पचिात अ उचच पिावzwjधकारररो न भी सभा को समबोवzwjधत वका शी किलिजीत बखशी MP न कहा ldquoहमारा ह सौभाग ह वक हजरत वमजाण मसरर अहमि हा जीलिि की पावलिणामट म पzwjधार ह

176 विशव सकट तथा शानत-पथ

और हम उनक जान और विचाररो को सनन का सअिसर परापत हआ हrdquo िा राजन परसाि MP न कहा ldquoजीलिि की पावलिणामट म हजरत सावहब का िागत करना हमार वलिए अतत सखि अनभि ह मझ इस बात न सिि अतत परभावित वका ह वक अहमिी वकस परकार एक राषट क नागररक क रप म अपना जीिन वतीत करत हए अपन शानत क सिश का पालिन करत ह सभा क अत पर हजरत वमजाण मसरर अहमि (अलाह तआलिा आपकी सहाता कर) न विवभन उचच पिावzwjधकारररो वजनम ईरान और इसाईलि क राजित भी शावमलि थ स भट की शी किलिजीत वसह बखशी MP न हजर को पावलिणामट की सर कराई

वतािजन सकट की नसथमत ि मवशव शजनत

की मनतजत आवशयकतजवबनमलावहररहमावनररहीम

परारभ करता ह अलाह क नाम स जो अनत कपालि और अतत िालि ह

सभी विवशटि अवतवथगण असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातोहअलाह की कपा आप सब पर होसिणपरथम म इस अिसर पर उन समत लिोगरो विशषकर माननी

किलिजीत वसह बखशी MP क परवत zwjधिाि परकट करना चाहता ह वजहरोन इस सभा का आोजन वका और आप सब को समबोवzwjधत करन का मझ अिसर परिान वका तिोपरात म आप सब का zwjधिािी ह जो मर विचार सनन क वलिए हा पzwjधार ह

वनसिह इस पावलिणामट हाऊस म िश की उनवत एि विकास क वलिए विवभन नीवता और ोजनाए तथा कानन बनान क वलिए

178 विशव सकट तथा शानत-पथ

विवभन राजनीवतज और पावलिणामट क सि वनवमत रप स एकवतरत होत ह इसक अवतररति मरा विशवास ह वक बहत स zwjधमण वनरपक ा भौवतकिािी नताओ न भी हा पzwjधार कर अपन जान कौशलि और अतीत क अनभिरो क अzwjधार पर आप लिोगरो को समबोवzwjधत वका होगा परत किावचत ही वकसी zwjधावमणक समिा विशषकर एक मनलिम समिा क परमख न आपको समबोवzwjधत वका हो अतः विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत जो वक िातविक इलिामी सथा ह वजसका एकमातर उदश इलिाम की िातविक वशकाओ का परचार एि परसार करना ह क परमख को हा समबोzwjधन करन का अिसर परिान करक आपन अपनी विशालिहिता और उचच तरी सहनशीलिता का सकत एि परमाण परतत वका ह अतः म इस िापणण विहार क वलिए आपका आभारी ह

zwjधिाि क इन शिरो क उपरात अब म अपन भाषण क मख विष की ओर आता ह म इलिाम की सिर वशकाओ क समबzwjध म कछ बातरो का िणणन करगा म उस समा जो मर विचार म ितणमान सम की वनतात आिशकता ह अथाणत विशव-शानत की थापना क समबzwjध म कछ बात करगा आप म स अवzwjधकाश लिोग zwjधमणवनरपक राजनीवतज अपन अपन तर पर और सरकार सामवहक तर पर zwjधमणवनरपक दनटिकोण स शानत थावपत करन क वलिए सतत परासरत ह आपक परास शभचछा स परररत ह और आपको इन परासरो म कछ सफलिता भी परापत हई होगी इसी परकार आपकी सरकार न गत िषषो म विशव म शानत एि एकता थावपत करन हत कई सझाि भी विए हरोग

वनसिह विशव की ितणमान पररनथवता अतत सकटपणण ह जो

179ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

समच विशव की वचता का कारण बनी हई ह इस सम जबवक विशव क मख सकट अरब िशरो म उतपन हो रह ह और परतक बवदधमान वनति इस तथ स भलिीभावत पररवचत हरोग वक ऐस वििाि अथिा सकट किलि उसी कतर तक सीवमत नही रहत इसम कोई शका नही वक वकसी सरकार और उसकी परजा क मध का वििाि बढकर अतराणषटी वििाि का रप zwjधारण कर लिता ह हम िख रह ह वक विशव की महाशनतिरो म पहलि स ही िो गट बन रह ह एक गट सीररा की सरकार का समथणन कर रहा ह जबवक िसरा गट विदरोवहरो क समथणन म आग आ रहा ह पटि रप स ह पररनथवत न किलि मनलिम िशरो क वलिए एक गभीर खतरा ह अवपत विशव क शष सभी िशरो क वलिए भी एक अतत सकट का सचक ह

गत शतािी म हए िो विशव दधरो क हि-वििारक पररणामरो को हम कभी विमत नही करना चावहए विशषकर वदती विशव दध क पररणामिरप जो वितत विनाश हआ िह अवदती ह किलि परपरागत हवथाररो क उपोग दारा ही विशालि जनसखा िालि कई कब और शहर पणणता धित हो गए और लिाखरो लिोग मार गए इसक अवतररति वदती विशव दध म विशव न समपणण विनाश की घटना भी िखी जब जापान क विरदध परमाण बम का परोग वका गा वजसन ऐसा सिणनाश वका वजसक परभािरो को किलि सनन स ही मनषzwj कापन लिगता ह हीरोशीमा और नागासाकी क सगरहालि इस समपणण सिणनाश और भािह नथवत का मरण करान क वलिए पाणपत ह

वदती विशव दध म एक अनमान क अनसार 70 वमवलिन लिोग मार गए थ वजन म स 40 वमवलिन साzwjधारण नागररक थ इस परकार सना

180 विशव सकट तथा शानत-पथ

क सिरो की अपका साzwjधारण नागररकरो न भी अपन पराण गिाए दध क उपरात क िषzwjपरभाि इस स भी अवzwjधक भािह थ अथाणत दधोपरात मरन िालि लिोगरो की सखा लिाखरो म थी परमाण बमरो क परोग क पचिात कई िषषो तक उनक विवकरण क भानक आनिावशक िषzwjपरभािरो स निजात वशश परभावित होत रह इस सम विशव क कछ छोट िशरो न भी परमाण शतर परापत कर वलिए ह और उन क नता बड उततवजत िभाि क ह ऐसा परतीत होता ह वक ि अपन काषो क विनाशकारी पररणामरो क परवत उिासीन ह

वि हम आज परमाण दध क वछडन की कलपना कर तो जो वचतर सामन आएगा उस िख कर एक मनषzwj अतत भभीत हो कर काप उठगा आज जो परमाण बम विशव क छोट स छोट िशरो क पास ह ि वदती विशव दध म परोग वकए गए बमरो स भी कही अवzwjधक शनतिशालिी ह

आज ितणमान ससार की ऐसी िनी अिथा ह वक एक ओर लिोग शानत थावपत करन की बात करत ह और िसरी ओर इसक विपरीत ि अहकारी परिवततरो म गरत ह और िभ एि उदणिता क परभािाzwjधीन मिोमतत ह परतक शनतिशालिी राज अपनी शषठता और शनति का परमाण िन क वलिए भरसक परास करन क वलिए ततपर रहता ह वदती विशव दध क उपरात विशव म वचरथाी शानत की थापना हत तथा भविषzwj म दधरो की सभािना को रोकन क वलिए विशव को एकतर होकर एक सगठन का वनमाणण वका वजस सति राषट की सजा िी गई परत ऐसा परतीत होता ह वक वजस परकार लिीग ऑफ नशस (राषटसघ) िभाणगपणण ढग स अपन उदश म विफलि हआ इसी परकार स ति राषट

181ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

सघ क आिर और सममान का विन-परवतविन पतन हो रहा ह वि ा की मागरो को परा न वका गा तो शानत की थापना क वलिए चाह वजतन सगठन बनाए जाए उनक सभी परास विफलि हो जाएग

मन अभी लिीग ऑफ नशस की विफलिता का िणणन वका ह परथम विशव दध क उपरात विशवशानत की सरका क एकमातर उदश क वलिए इस का गठन वका गा था परत ह वदती विशव दध क अशभ आगमन वजसक समबzwjध म म पहलि बता चका ह वक इसक कारण वकतना विनाश और हावन हई को रोकन म विफलि रहा इस दध म जीलिि क भी कई लिोग मार गए कहा जाता ह वक लिगभग 11000 लिोग जो सभी सवनक थ इस दध म मार गए जीलिि दध क कदर स अवत िर होन क कारण साzwjधारण नागररकरो की जान नही गई परत जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह सामवहक रप स सवनकरो की अपका वनिवोष नागररकरो को अपन पराणरो स हाथ zwjधोना पडा तवनक कलपना कीवजए साzwjधारण वनिवोष लिोग वजनम असख नतरा और बचच भी शावमलि थ वबना वकसी अपराzwjध क अकारण अzwjधाzwjधzwjध मार गए

इसीवलिए आप वदती विशव दध स सीzwjध तौर पर परभावित िशरो क लिोगरो क हिरो म दध क नाम स ही िाभाविक घणा पाएग िततः िश-परम और िश-भनति की ह माग ह वि उसक िश पर कोई आकरमण होता ह तो एक नागररक का कततणव ह वक िह िश की रका और िततरता क वलिए हर परकार का बवलििान िन क वलिए त ार रह वफर भी वि िाताणलिाप क माधम स और राजनवतक तर पर वििािरो का शानतपणण और मतरीपणण ढग स समाzwjधान समभि हो तो अकारण मत एि विनाश को वनमतरण नही िना चावहए पराचीन कालि क दधरो म

182 विशव सकट तथा शानत-पथ

मखतः सवनक मार जात थ और नागररकरो की नतम हावन होती थी परत आज क दध क साzwjधनरो म हिाई बमबारी विषलिी गस और रासावनक शतर भी शावमलि ह और जसा वक मन कहा ह वक सबस विनाशकारी बम परमाण बम क उपोग की भी परबलि समभािना ह इस दनटि स ितणमान दध पराचीन दधरो स सिणथा पथक ह करोवक ितणमान दधरो म समपणण मानि जावत को zwjधरती स विलिपत करन की शनति विदमान ह इस समबzwjध म शानत थापना हत पवितर कआणन की अनपम वशका का िणणन करना चाहता ह पवितर कआणन म वलिखा ह ः

ldquoऔर पण और पाप बराबर नही हो सकत त बराई का उततर बहत अचछ विहार स ि इस का पररणाम ह वनकलिगा वक िह वनति वजसक और तर मध शतरता पाई जाती ह तर अचछ विहार को िख कर तरा हाविणक वमतर बन जाएगाrdquo

(सरः हा मीम आत ः 35)अतः पवितर कआणन ह वशका िता ह वक परपर शतरता और वििािरो

को थासमभि समापत कर िना चावहए और िाताणलिाप क माधम स उनका समाzwjधान करना चावहए वि आप िाभाि और समझिारी स बात करग तो वननचित रप स िसररो पर इसका सकारातमक एि सखि परभाि पडगा और ह घणा और दष क उमलिन का माधम वसदध होगा

वनसिह हम ितणमान ग म ि को अवत उनत और सभzwj मानत ह हमन विवभन अतराणषटी खराती सथाओ का सगठन वका ह जो बचचरो को िाथ सविzwjधाए और विदा उपलिzwjध कराती ह और माताओ क वलिए भी िाथ सविzwjधा का परबzwjध करती ह इसी परकार कई अ असख खराती अथिा zwjधमाणथण सथाए ह वजनकी थापना मानिजावत क

183ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

परवत सहानभवत एि िा क आzwjधार पर हई ह इतना सब कछ करन क पचिात हम ितणमान की वनतात आिशकता

पर विचार करना चावहए और धान िना चावहए वक हम ि को और अ लिोगरो को विनाश और तबाही स वकस परकार सरवकत रख सकत ह हम ह मरण रखना चावहए वक आज स अथिा सात िशक पिण की तलिना म ितणमान सम का विशव बहत वसमट चका ह साठ ा सततर िषण पिण जीलिि एक िरथ िश समझा जाता था जो एवशा और रोप स अवत िर नथत था परत आज ह िश विशव समिा का एक अवभन अग ह अतः दध की नथवत म कोई िश अथिा कतर सरवकत नही ह

आपक नता और राजनीवतज आपक िश क सरकक ह िश की सरका और उसकी वनरतर परगवत विकास और भलिाई करना उनका उततरिावति ह अतः उनक वलिए आिशक ह वक ि इस महतिपणण तथ को सिि मरण रख वक थानी दधरो क दारा विनाश और तबाही िर-िर तक फलि जाती ह हम इस बात पर परमातमा का zwjधिाि करना चावहए वक उसन अभी कछ महाशनतिरो को बवदध और वििक परिान वका वजसक फलििरप उनह ह समझ आ गई वक विशव को समभावित सिणनाश स बचान क वलिए दध को रोकन की का णिाही करनी चावहए मख रप स रस क राषटपवत न कछ महाशनतिरो को सीररा पर आकरमण करन स रोकन क वलिए भरसक परतन वकए उहरोन ह पटि रप स कहा वक चाह कोई िश छोटा हो ा बडा उसक साथ समान विहार वका जाना चावहए उहरोन ह भी कहा वक वि ा की मागरो को परा न वका गा और वि अ िश अपन अपन तर पर दध म

184 विशव सकट तथा शानत-पथ

सनममवलित हो जात ह तो सति राषट का भी िही िभाणगपणण अत होगा जसा वक राषटसघ का हआ था मरा ह विशवास ह उनका ह विशषण पणणता उवचत ह

दवप म उनकी समत नीवतरो का समथणन नही करता तथावप समझिारी की बात को िीकार करना चावहए काश ि एक किम और आग बढ कर ह कहत वक सति राषटसघ की सरका सवमवत क पाच थाी सिरो को जो िीटो का अवzwjधकार परापत ह उस सिा क वलिए समापत कर विा जाए तावक विशव क समत िशरो क मध िातविक ा और समानता थावपत हो जाए

गत िषण मझ िावशगटन िी सी क कवपटलि वहलि म एक भाषण िन का अिसर विा गा था उस सभा म बहत स सनटरज कागरस क सि विशष सलिाहकार और विवभन िगषो क वशवकत लिोग सनममवलित थ मन पटि रप स उह ह कहा वक ा की माग उसी नथवत म परी हो सकती ह जब सभी िगषो और लिोगरो क साथ समान विहार वका जाए मन ह पटि वका वक वि आप छोट और बड अमीर और गरीब िशरो क अतर को महति िना चाहत ह और िीटो की अापणण शनति को काम रखना चाहत ह तो इसक फलििरप वनचि ही अशानत और वचता िाति म परकट होन लिगी ह

अतः विशववापी मनलिम जमाअत क परमख होन क नात मरा ह कततणव ह वक म शानत थापना क परवत विशव का धानाकषणण कराऊ म इस अपना कततणव समझता ह करोवक इलिाम का अथण ही शानत एि सरका ह वि कछ मनलि म िश घणापणण आतकिािी गवतविवzwjध रो को परोतसावहत करत ह अथिा इनका पालिन करत ह तो इस स ह वनषzwjकषण

185ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

नही वनकालिना चावहए वक इलिाम की वशका अशानत और कलिह को बढािा िती ह मन अभी पवितर कआणन की एक आत का िणणन वका था इसी म ह वशका िी गई ह वक वकस परकार शानत थावपत की जा सकती ह

इसक अवतररति इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न अपन अनावरो को lsquoसलिामrsquo करन अथाणत सिि शानत क सिश का परसार करन की वशका िी हम आप सललाहो अलिवह िसलम क पवितर आचरण स जात होता ह आप सभी गर-मनलिमरो चाह ि हिी हरो ईसाई हरो अथिा वकसी अ zwjधमण ा आथा क मानन िालि हरो पर भी सलिामती भजत थ आप ऐसा इसवलिए करत थ करोवक आप समझत थ वक सभी लिोग परमातमा की सनटि का भाग ह और अलाह का एक गणिाचक नाम lsquoशानत का सोतrsquo भी ह और िह समपणण मानिजावत क वलिए शानत एि सरका चाहता ह

मन शानत क समबzwjध म कछक इलिामी वशकाओ का िणणन वका ह परत म ह पटि करना चाहता ह वक सम क अभाि क कारण मन कछ पकरो का ही िणणन वका ह िाति म इलिाम समत लिोगरो क वलिए शानत एि सरका की वशकाओ और उपिशरो स पररपणण ह ा थावपत करन क समबzwjध म इलिाम की का वशका ह

सरह सखा 5 की आत सखा 9 म अलाह तआलिा कहता ह ःldquoह ि लिोगो जो ईमान लिाए हो अलाह क वलिए मजबती स

वनगरानी करत हए ा क समथणन म साकी बन जाओ और वकसी जावत की शतरता तमह किावप इस बात की ओर परररत न कर वक तम

186 विशव सकट तथा शानत-पथ

ा न करो ा करो ह तकिा क सबस अवzwjधक वनकट ह और अलाह स िरो जो तम करत हो वनसिह अलाह उसस सिा अिगत रहता हrdquo

उपरोति आत म पवितर कआणन ा क उचचतम मापिणिरो को रखावकत करता ह ह आिश उन लिोगरो क वलिए शाका की कोई सभािना नही छोडता जो ि को मसलिमान कहत हए भी अताचार करत ह ह आिश उन लिोगरो क वलिए भी आलिोचना की सभािना को समापत करता ह जो इलिाम को एक उगरिािी और वहसािािी zwjधमण क रप म परतत करत ह पवितर कआणन न ा क और भी उततम मापिणि थावपत वकए ह कआणन न किलि ह वशका िता ह वक तम ा करो अवपत ह समानता का आिश ित हए हा तक कहता ह वक ः

ldquoह ि लिोगो जो ईमान लिाए हो अलाह क वलिए गिाह बनत हए ा को दढता पिणक थावपत करन िालि बन जाओ चाह ि अपन विरदध गिाही िनी पड अथिा माता-वपता और वनकट समबवzwjधरो क विरदध चाह कोई zwjधनिान हो अथिा वनzwjधणन िोनरो का अलाह ही उततम वनरीकक ह अत अपनी अवभलिाषाओ का अनसरण न करो ऐसा न हो वक ा स हट जाओ और वि तमन गोलि-मोलि बात की अथिा मह फर वलिा तो वनसिह जो तम करत हो उसस अलाह बहत अिगत हrdquo

(सरह अ नन सा ः 136)अतः ह ि वसदधातरो पर आzwjधाररत ा क मापिणि वजनक

दारा समाज क वनमनतम तर स लिकर अतराणषटी तर पर और समत

187ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

विशव म शानत थावपत की जा सकती ह इवतहास इस बात का साकी ह वक इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न इस वशका का पालिन वका और इस विशव क कोन-कोन तक पहचाा अब ितणमान ग म हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क सचच आवशक हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी अलिवहसलिाम जो अहमविा जमाअत क सथापक ह न इस वशका क परसार क वलिए भरपर सघषण वका और अपन अनावरो को शानत का परसार करन की वशका िी आपन अपन अन ा वरो को ह वशका भी िी वक ि परमातमा क परवत और उसकी सनटि क परवत कततणवरो की पवतण की ओर मानिजावत का धानाकषणण कराए

ही कारण ह वक अहमविा जमाअत अलाह क परवत और उसकी सनटि क परवत कततणवरो की पवतण क महति पर तथा ा क उचच मापिणि थावपत करन की आिशकता पर सभी लिोगरो को परबलि उपिश िती ह तावक ह विशव शानत और सौहािण का क दर बन सक

इन शिरो क साथ म अपना भाषण समापत करता ह और मझ आमवतरत करन और हा पzwjधार कर मरा भाषण सनन क वलिए म आपका zwjधिाि करता ह

वनशवक शजनत और सरकजवतािजन यि की खतरनजक सिसयजए

िच पावलिणामट बनन होफहग नीिरलिणि 2015

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज का नीिरलिणि नशनलि पावलिणमणट की वििशी मामलिरो की टनिग कमटी की विशष सभा म सनममवलित होना

नीिरलिणि नशनलि पावलिणामणट की वििशी मामलिरो की टनिग कमटी की सि हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज क साथ

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज नीिरलिणि नशनलि पावलिणामणट म वििशी मामलिरो की सटनिग कमटी की विशष सभा म

अपना एवतहावसक भाषण ित हए

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज राजनीवतक एि zwjधावमणक मामलिरो क कछ पहलिओ क सबzwjध म वकए गए एक परशनरो का उततर ित हए

पररचय

विनाक 6 अकटबर 2015 ई को विशववापी जमाअत अहमविा क इमाम हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज न हॉलिणि की राजzwjधानी हग म नीिरलिणि की नशनलि पावलिणामणट की वििशी मामलिरो की टविग कमटी की विशष सभा म सौ स अवzwjधक महमानरो और सममाननी लिोगरो क सामन एक ऐवतहावसक भाषण विा आोजन क परारभ म वमटर िन बोमलि न पावलिणामणट म हजर अनिर का अवभनिन करत हए कमटी क सिरो स पररच कराा इसक अवतररति उहरोन अ बाहय िशरो क पावलिणामणट क सासिरो विवभनन िशरो क राजित अलबावना करोवशा आरलिणि मोटी नीगरो पन तथा िीिन क परवतवनवzwjधरो का भी अवभनिन वका

वनशवक शजनत और सरकजवतािजन यि की खतरनजक सिसयजए

विनाक 6 अकटबर 2015 ई को हॉलिणि की पावलिणामणट म विा गा भाषण

तशहहि और तअविज क बाि हजरत वमजाण मसरर अहमि खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज न फरमााः

समत आिरणी अवतवथरो की सिा म असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातह आप सब पर अलाह की सरका और बरकत उतर

सिणपरथम म आज क इस आोजन की परबzwjध सवमवत का हाविणक zwjधिाि वति करना चाहता ह वजहरोन आज मझ हा भाषण िन क वलिए आमवतरत वका

आज हम िखत ह वक कछ समाओ को हमार सम की सबस अहम समाओ क तौर पर उजागर वका जा रहा ह उिाहरणता कछ गलिोबलि िावमाग और ऋत पररितणनरो पर बलि ि रह ह तथा कछ

196 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह जो बढ रह वििािरो और विशव की अत-वत पररनथवतरो पर अतत वचता का वशकार ह धानपिणक समीका की जाए तो विशव-शानत और सरका ितणमान ग की सबस बडी समा ह वनसिह हर गजरत हए विन क साथ विशव असतवलित और खतरनाक होता चलिा जा रहा ह इस ितणमान पररनथवत क कछ सभावित कारक ह वजनम स एक िह आवथणक सकट ह वजसन विशव क कई कतररो को परभावित वका ह

एक अ कारण ा और इसाफ का अभाि ह वजस का परिशणन करना कछ सरकार न किलि अपनी परजा क वलिए बनलक अ कौमरो क वलिए भी िzwjध रख हए ह एक अ कारण ह भी हो सकता ह वक कछ zwjधावमणक पशिा अपन िावतिरो को उवचत तौर पर अिा नही कर रह और वनतिगत वहतरो को विशालितम एि उततम वहतरो पर पराथवमकता ि रह ह जहा तक अतराणषटी सबzwjधरो का परशन ह वििािरो का एक बडा कारण अमीर और गरीब िशरो क मध परपर मतभि ह िखा गा ह वक शनतिशालिी िश वनzwjधणनतम िशरो की पराकवतक समपिाओ स उह उनकी अपनी सपवततरो म स िzwjध अवzwjधकार विए वबना लिाभानित होत ह

अतः विशव शानत म विघन क कारणरो की एक लिमबी सची ह वजसम स कछ का िणणन अभी मन वका ह कारण जो भी हरो मझ विशवास ह वक विशव म शानत का अभाि ितणमान नलि की सबस सगीन समा ह सभि ह वक इस पर आप लिोगरो म स कछ लिोग कह वक सिाणवzwjधक अनथरता का वशकार तो मनलिम िश ह और ह वक विशव म शानत क अभाि की जड भी मनलिम जगत की अशानत म

197ितणमान ग की खतरनाक समाए

ही मौजि हशाि आप म स कछ लिोग ह विचार कर वक चवक म भी एक

विशववापी मनलिम जमाअत अथाणत अहमविा मनलिम जमाअत का परबzwjधक ह इसवलिए म भी इस ितणमान नथवत का वकसी सीमा तक उततरिाी ह शाि आप ह भी सोचत हरो वक िश म वहसा दारा करानत लिान का वसदधात मानन िालि ततिरो क अनतति म आन और आतकिाि म िवदध का कारण िाति म इलिामी वशकाओ स ही वलिा गा ह तथावप इलिाम को इस नफरत और अशानत स जोडना बहत बडा अा ह

हा zwjधमषो क इवतहास पर वितत िाताणलिाप करना अभीटि नही परत इतना अिश कहना चाहगा वक वि समत zwjधमषो क इवतहास पर सामा दनटि िालिी जाए तो जात होता ह वक सम क साथ हर zwjधमण क अनाी अपनी मलि वशकाओ स िर होत गए वजसक कारण आतररक मतभि और zwjधावमणक आzwjधार पर गटबिी न जम वलिा बहत अताचार वकए गए और बहत स लिोगरो की जान गई इस िातविकता को दनटिगत रखत हए म पणण हाविणक रप स ह िीकार करता ह वक सम क साथ मसलिमान भी इलिाम की िातविक वशकाओ स िर हो गए ह इसक पररणाम िरप वनराशा और परवतपzwjधाण न जम वलिा वजसक अवतररति पररणाम सामपरिावकता आतक और अा क रप म परकट हए वफर भी एक सचच मसलिमान क दनटिकोण स इलिाम की ििणशा को िख कर मरा ईमान कम नही होता इसवलिए वक चौिह सौ िषण स भी अवzwjधक सम पिण इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलाम न भविषzwjयिाणी की थी वक zwjधीर-zwjधीर

198 विशव सकट तथा शानत-पथ

इलिामी वशकाओ म वबगाड पिा हो जाएगा और मसलिमान नवतक सकट क िौर म परविटि हो जाएग वफर हजरत महममि सललाह अलिवह िसलम न ह भी भविषzwjिाणी की थी वक आधानतमक अzwjधकार क इस िौर म खिा तआलिा एक सzwjधारक को मौऊि मसीह और इमाम महिी की हवसत स अितररत करगा जो इसावनत को इलिाम की िातविक तथा शानत वपर वशकाओ की ओर िापस लिकर आएगा हजरत महममि सललाह अलिवह िसलम की इस भविषzwjिाणी क अनसार हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम न इलिाम की िातविक और पणणता शानत स पररपणण वशकाओ का विव जान परिान वका अतः हम अहमिी मसलिमान ितणमान ग क अशानत और बचनी फलिान िालि ततिरो म सनममवलित नही बनलक हम ि लिोग ह जो विशव म शानत थापना क अवभलिाषी ह

हम तो ि ह जो विशव की नथवत क इलिाज क वलिए परासरत ह हम तो ि ह जो मानिता को स ति करना चाहत ह हम तो ि ह जो हर परकार की नफरतरो और शतरताओ को परम और सहनशीलिता म पररिवतणत करना चाहत ह और वनसिह हम ि लिोग ह जो विशव-शानत को थावपत करन क वलिए हर सभि परास करना चाहत ह एक zwjधावमणक पशिा क तौर पर म कहना चाहता ह वक परपर आरोप-परतारोप तथा परपर भडकान की बजाए हम िातविक और थाी विशव-शानत की थापना क वलिए तार हो जाना चावहए

इस वसलिवसलि म जमाअत अहमविा क परितणक न हम एक सनहर वसदधात स पररवचत करात हए फरमाा वक मानि जावत क वलिए आिशक ह वक िह था-सामथण परास दारा खिा तआलिा की

199ितणमान ग की खतरनाक समाए

विशषताओ को अपन अिर उजागर कर और उनक अनकरण का भरसक परतन कर

आप अलिवहसलिाम न फरमाा वक-मानि जावत की थाी भलिाई एि कलाण क वलिए ह एक

अवनिाण बात ह और वनसिह मानिता का सासाररक और आधानतमक कलाण और उननवत खिा तआलिा की विशषताओ पर विचार करन पर वनभणर ह करोवक उसकी उततम विशषताओ म ही हर परकार की शानत छछपी हई ह ह िातविकता पवितर कआणन की पहलिी आत स परकट ह जहा फरमाा- वक अलाह ही समत लिोकरो का रब (परवतपालिक) ह अथाणत िह परतक मनषzwj बनलक समपणण सनटि का रब अननिाता और काम रहन िालिा ह िह किलि मसलिमानरो का ही रब नही बनलक िह ईसाइरो हविरो तथा वहिओ बनलक समत कौमरो का रब (परवतपालिक) ह चाह ि वकसी भी zwjधमण अथिा आथा स सबzwjध रखती हरो

खिा तआलिा का अपनी सनटि स परम और सहानभवत अवदती और अनपम ह िह रहमान (कपालि) और रहीम (िालि) ह और अमन का उदम भी अतः जब इलिाम मसलिमान स माग करता ह वक िह ि म खिा तआलिा की विशषताओ को उजागर करन का परास कर तो ह वकसी मसलिमान क वलिए सभि ही नही रहता वक िह वकसी की हावन का कारण बन बनलक िातविक मसलिमान का ईमान तो उस पाबि करता ह वक िह मानिजावत स परम कर और परतक मनषzwj क साथ सममान सहानभवत और हमििगी का विहार कर

200 विशव सकट तथा शानत-पथ

एक परशन बार-बार वका जाता ह वक वि इलिाम अमन का zwjधमण ह तो वफर पवितर कआणन म दध की अनमवत करो िी गई चावहए वक इस अनमवत को उसकी सही अगलिी वपछलिी पनतिरो क परसग म रखकर इस बात क आलिोक म समझा जाए जो मन अभी िणणन की ह थाी शानत की थापना आzwjधारभत एि मलि उदश ह इस को पराति करन क वलिए पराः चतािनी और िाट-िपट की भी आिशकता पड जाती ह इसी परकार जब अलाह तआलिा न दध की अनमवत िी तो ह अनमवत किलि अमन को बहालि करन तथा परवतरकातमक उपा क तौर पर थी अतः ह बहत बडा अा ह वक कछ समिा तथा लिोग पवितर कआणन और इलिाम क परितणक सललाह अलिवह िसलम स अा और अताचार को जोडत ह पवितर कआणन तथा हजरत महममि सललाह अलिवह िसलम क जीिन चररतर का वनषzwjपक होकर अधन वका जाए तो जात होता ह वक इलिाम वकसी भी परकार क आतकिाि ा रतिपात क सिणथा विरदध ह

सम का धान रखत हए इसक वििरण म तो शाि न जा सकक परत हा इलिाम की कछ बवनािी वशकाओ का िणणन करता ह जो वनसिह ह वसदध करती ह वक इलिाम एक शानतपणण zwjधमण ह जसा वक मन अभी कहा वक एक आरोप ह लिगाा जाता ह वक इलिाम आतकिाि और लिडाई झगडरो का समथणक ह परत ह आरोप िातविकता क सिणथा विरदध ह पवितर कआणन की सरह अलिबकरः की आत 191 म अलाह तआलिा फरमाता ह-

कोई भी दध किलि इस नथवत म िzwjध हो सकता ह वक िह परवतरकातमक दनटि स लिडा गा हो इसी बात की पनरािवतत सरह

201ितणमान ग की खतरनाक समाए

अलिहजज की आत 40 म भी पटि तौर पर फरमाी-वक लिडाई की अनमवत किलि उनको िी गई ह वजन पर आकरमण वका गा और वजन पर दध लिाि विा गा तथा अलाह तआलिा न जहा इलिामी सरकाररो को दध की अनमवत िी िह किलि इस नथवत म िी वक zwjधावमणक उदश और विचार zwjधारा की िततरता की थापना हो अतः सरह अलिबकरहः की आत 194 म अलाह तआलिा न मसलिमानरो को आिश विा वक वकसी भी ऐस कतर म दध की अनमवत नही जहा zwjधावमणक सवहषzwjणता का िातािरण मौजि हो इसवलिए वकसी भी मसलिमान िश सगठन ा सि को ह अवzwjधकार पराति नही वक िह वकसी भी सरकार ा उसकी जनता क विरदध वकसी भी परकार क अताचार लिडाई और कानन का उलघन करन का भाग बन वबलकलि पटि बात ह वक रोप और पनचिमी िशरो म सरकाररो की नीि zwjधमण पर नही और रो वकसी भी मसलिमान क वलिए िzwjध नही वक िह कानन का उलघन कर ा सरकार का विरोzwjध आतकिाि क रप म कर ा वकसी भी परकार का विदरोह करन िालिा हो इलिाम की िातविक वशका तो ह ह वक वि वकसी गर मनलिम िश म रहन िालि वकसी वनति को लिग वक उस zwjधावमणक िततरता पराति नही तो उस ह अवzwjधकार नही वक िह कानन का उलघन करन पर उतर आए बनलक उस चावहए वक िह वकसी ऐस थान पर वहजरत (परिास) कर जाए जहा पररनथवता अनककलि हरो

पवितर कआणन की सरह अननहलि की आत 127 म इलिामी सरकाररो को आिश विा गा ह वक वि उन पर कभी आकरमण हो जाए तो िह किलि अपनी परवतरका क तौर पर थानककलि उततर ि अतः

202 विशव सकट तथा शानत-पथ

पवितर कआणन की वशका बहत पटि ह वक िणि मलि अपराzwjध क अनसार हो न वक उस स अवzwjधक

सरह अफालि की आत 62 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक वि तमहारा शतर बरी नीत स तम पर आकरमण करन का इरािा रखता ह परत बाि म वफर उपका करत हए सलिह का हाथ बढाता ह तो उसक परताि को तरत िीकार करत हए परपर शानतपणण मतरी की ओर बढो इस बात को न िखत हए वक उनकी नीत कसी ह

पवितर कआणन की ह वशका अतराणषटी अमन और सरका की थापना क वलिए सनहरी वसदधात ह आज क विशव म बहत स उिाहरण मौजि ह जहा कछ िशरो न किलि कलपना पर आzwjधाररत वकसी िश क कालपवनक अताचाररो क विरदध आतकिािी काण-परणालिी गरहण कर लिी मालिम होता ह वक मानो ि इस वसदधात का पालिन कर रह हरो वक शतर पर आकरमण कर िो ऐसा न हो वक िह पहलि कर ि इलिाम की वशका तो ह ह वक शानत की थापना क वकसी भी अिसर को नटि न वका जाए चाह उसकी आशा बहत ही कालपवनक करो न हो पवितर कआणन की सरह अलिमाइिह की आत-9 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक वकसी कौम की शतरता तमह इस बात पर न उकसाए वक तम उस स ा न करो इलिाम वसखाता ह वक पररनथवता चाह कसी ही परवतककलि हरो ा और इसाफ का िामन नही छोडना चावहए दध की नथवत म भी ा और इसाफ की थापना बहत महतिपणण ह तथा दध क पचिात विजता क वलिए आिशक ह वक िह ा स काम लि और कभी भी अनवचत अताचार करन िालिा न हो

203ितणमान ग की खतरनाक समाए

परत आज हम विशव म सहनशीलिता क ऐस उचच नवतक मापिणि विखाई नही ित अवपत दध की समानति पर विजता िश ऐसी पाबविा और परवतबzwjध ित ह जो परावजत िश की उननवत की सभािनाओ को सीवमत करक उन कौमरो की िततरता और सपरभता को अिरदध कर ित ह ऐसी काण-पदधवत अतराणषटी सबzwjधरो म वबगाड का कारण ह और उनका पररणाम असतोष और नकारातमक परभािरो क अवतररति और कछ नही िातविकता ह ह वक थाी अमन तब तक थावपत नही हो सकता जब तक समाज क परतक तर पर ा की थापना न हो जाए इलिाम की एक महतिपणण वशका हम सरह अलिअफालि की आत 68 म वमलिती ह वक मसलिमानरो क वलिए उवचत नही वक दध बविरो को दध क कतर स बाहर लि जाए इसवलिए वहसा दारा करानत लिान क वसदधात को मानन िालि तथा आतकिािी सगठन जो अकारण कविरो को लि जा रह ह ि इलिामी वशका क विरदध आचरण कर रह ह सचनाओ क अनसार ि न किलि किी बना कर लि जा रह ह बनलक उन कविरो पर कठोर अताचार भी करत ह

आतकिािी सगठनरो की ह काण-पदधवत अतत वनिनी ह िसरी ओर पवितर कआणन की वशका ह वक वि दध म किी बना लिन का कोई औवचत हो भी तो उनक साथ नमता का विहार वका जाए और था शीघर उह आजाि कर विा जाए

शानत थावपत करन का एक अ सनहरा वसदधात सरह अलिहजरात की आत 10 म ह िणणन हआ ह वक-वि िो िशरो क मध कोई वििाि हो तो वकसी तीसर िश ा वगरोह को मधथ की भवमका वनभात हए वििाि को परपर सलिह (सनzwjध) दारा हलि करान

204 विशव सकट तथा शानत-पथ

का परास करना चावहए परपर सलिह की नथवत म िोनरो पकरो म स कोई भी पक वि अिzwjध तौर पर सलिह की शतषो की अिहलिना कर तो अ पकरो को स ति होकर अताचारी क वलिए बाzwjधा बनना चावहए चाह इसक वलिए बलि-परोग ही करना पड वफर वि अताचारी पकसि रक जाए तो उसकी भतसणना करन ा उस पर परवतबzwjध लिाग करन की बजाए उस एक िततर िश तथा िततर समाज क तौर पर उननवत करन की अनमवत िनी चावहए ितणमान ग म ह वसदधात बहत महतिपणण ह विशषतः महाशनतिरो और अतराणषटी सगठनरो जस एनओ क वलिए

विशव शानत की थापना क वसलिवसलि म एक और अतत महतिपणण वसदधात जो सासाररक तर पर zwjधावमणक िततरता क िातािरण को थावपत करन की गारटी िता ह पवितर कआणन की सरह अलिहजज की आत 41 म िणणन हआ ह फरमाा- वि दध की अनमवत न िी जाती तो मनजिरो क अवतररति कलिीसा रावहबघर(वगरजाघर) मनिर तथा अ zwjधमषो क उपासना गह सब भकर खतर का वशकार हो जात अतः जहा इलिाम न बलि-परोग की अनमवत िी िह किलि इलिाम को ही नही अवपत zwjधमण को सामातः सरका उपलिzwjध करान क उदश स थी िातविकता ह ह वक इलिाम समत zwjधमषो क वलिए िततरता सवहषzwjणता और सरका की गारटी िता ह तथा हर सि को अपनी इचछा क zwjधमण ा आथा का पालिन करन का अवzwjधकार िता ह मन आपक सामन पवितर कआणन की वशकाओ म स कछ वबि परतत वकए ह जो समाज क परतक तर तथा विशव क परतक भाग म एकता रा म सहमवत पिा करन का मागण परशत करत ह ि सनहर वसदधात

205ितणमान ग की खतरनाक समाए

ह जो पवितर कआणन न शानत थावपत करन क उदश स विशव क लिोगरो को परिान वकए ह ि वशकाए ह वजन पर इलिाम क पगमबर सललाह अलिवह िसलम और आपक सहाबा न विहाररक आिशण परतत वका साराश क तौर पर िोबारा िणणन करता ह वक विशव को अमन और सरका की अतत आिशकता ह ही हमार ग की तातकावलिक और आिशक समा ह समत िशरो तथा समत कौमरो को zwjधमण अथिा वकसी भी अ नाम पर होन िालि अताचार आतक और अा की रोक-थाम क वलिए सति हो जाना चावहए इसम वकसी zwjधमण का हसी-ठटा भी सनममवलित ह वजसक पररणाम िरप बचनी और हतकप होन की सभािना ह तथा ऐस घवणत काण भी वजनक कताण इवतहा पसि समिा होत ह और zwjधमण स औवचत ित ह

इसक अवतररति हम चावहए वक हम समत कौमरोिशरो स ा का विहार कर और उन स सहोग कर तावक परतक िश अपनी ोगताओ को पहचान और उननवत क मागण पर चलिन िालिा हो ईषzwjाण एि तनाि का ितणमान िातािरण िौलित की लिालिसा का पररणाम ह इस बार म भी पवितर कआणन न सनहरी वसदधात िणणन वका वक लिालिच क हाथरो वकसी अ क मालि को हडप न वका जाए इस वशका का पालिन करन क दारा भी विशव-शानत को उननवत पराति हो सकती ह समाज क परतक तर पर ा की मागरो को पणण करना आिशक ह तावक हर वनति रग-ि-नलि म अतर वकए वबना अपन पररो पर सममान और माणिा क साथ खडा हो सक आज हम उननवत पराति िशरो का उननवत शीलि िशरो म पजी वनिश करन क रझान म िवदध विखाई िती ह आिशक ह वक ि ा का परिशणन कर और किलि पराकवतक

206 विशव सकट तथा शानत-पथ

साzwjधनरो तथा कम कीमत पररशवमक को अपन राषटी वहत एि लिाभ क वलिए परोग न करत रह उह इन िशरो स पराति होन िालि लिाभ म स पराः इही िशरो म िोबारा पजी-वनिश क तौर पर लिगा िना चावहए तावक थानी लिोग भी उननवत एि समवदध की ओर चलि सक वि उननवत पराति िश इन वनzwjधणन िशरो की सहाता क उदश स ऐसा कर तो न किलि उन वनzwjधणन िशरो को लिाभ पहचगा अवपत इसक लिाभ िो पकी हरोग इसक दारा परपर विशवास का िातािरण थावपत होगा और ितणमान वनराशा और बचनी म कमी आएगी इस स इस परभाि का वनिारण भी होगा वक महाशनतिा िाथगी ह और वनzwjधणन एि कगालि कौमरो क ससाzwjधनरो स अिzwjध लिाभ पराति करती ह और ह वक इस स थानी ितणमान आवथणक नथवत म सzwjधार होगा और विशव-तर पर जीविका सबzwjधी तथा ितणमान आवथणक नथवत म सzwjधार पिा होगा

इस स वनसिह विशव तर पर परम भाईचारा और वमतरता का िातािरण पिा होगा इसस भी अवzwjधक ह वक ऐसी काण-पदधवत विशव-शानत की थापना की नीि वसदध होगी वि अभी इस ओर धान न विा गा तो विशव की ितणमान नथवत का पररणाम विशव-दध होगा वजसक िषzwjपरभाि भािी नलिरो तक छाए हरोग और हमारी नलि हम कमा नही करगी

इन शिरो क साथ आप स आजा चाहता ह अलाह तआलिा विशव म िातविक शानत परकट कर बहत zwjधिाि

वनशवक अशजनत ि शजनत की कजीटोवको जापान 2015 ई

वनशवक अशजनत ि शजनत की कजीटोवको जापान 2015 ई

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज काटोवको जापान म विशष आोजन म िआ करान का दश

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज टोवको जापान म आोवजत विशष आोजन म पौzwjध को सीचत हए

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीजटोवको जापान म आोवजत विशष आोजन म क दरी भाषण ित हए

पररचय

विनाक 23 निमबर 2015 ई को विशववापी जमाअत अहमविा क इमाम हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज न वहलटन होटलि ओिाइबा टोवको म अपन सममान म आोवजत एक आोजन म अहम भाषण विा इस आोजन म साठ स अवzwjधक परवतनषठत महमान सनममवलित हए इस अिसर पर हजर अिर न सततर िषण पिण वहरोवशमा और नागासाकी पर ह एटमी आकरमणरो क सबzwjध म अपनी परवतवकरा वति की इसस पिण िो ितिाओ वमटर माइक साटा ाओशीको चरमन टोकीबो गरप आफ इिटरीज और 2011 ई क भकमप क अिसर पर सिाणवzwjधक परभावित होन िालि कतर टोहोको स सबzwjध रखन िालि वमटर एणिोशीनी ची न भी िशणकरो म भाषण विा

वनशवक अशजनत ि शजनत की कजी

23 निमबर 2015 थान - वहलटन होटलि टोवको जापान

तशहहि और तअविज क बाि हजरत अमीरलि मोवमनीन खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा न महमानरो को समबोवzwjधत करत हए फरमाा-

असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातहअलाह तआलिा की िा और बरकत आप पर उतर इस अिसर

पर सिणपरथम म समत अवतवथगण का zwjधिाि करना चाहता ह वजहरोन आज क इस आोजन क वलिए हमार वनमतरण को िीकार वका हम एक अतत खतररो और उपदरिरो स भर ग म रह रह ह जहा विशव की नथवत बचनी का बहत बडा कारण ह विशव को अपनी वगरफत म वलिए हए मतभि तथा अशानत अतराणषटी शानत और सरका क वलिए एक खतरा बन गए ह

214 विशव सकट तथा शानत-पथ

मनलिम जगत पर एक दनटि िालि तो बहत स िशरो की सरकार अपन ही नागररकरो क साथ अताचारपणण अराजकता म गरत ह अzwjधाzwjधzwjध अताचार और रतिपात इन िशरो क ताना-बाना को तबाह कर रह ह पररणामिरप आतकिािी सगठन सतता म पिा होन िालिी ररतिता का अनवचत लिाभ उठात हए कछ थानरो पर कजा करक अपनी नाम मातर सरकार बना बठ ह ि अतत वहसक पशओ जसी काण परणालिी क दारा किलि अपन िशरो म ही अमानिी अताचार नही ढा रह अवपत उन की पहच रोप तक भी हो गई ह वजस का एक उिाहरण वनकट ही पररस क आकरमण म वका गा अताचार और जलम ह

पिगी रोप को िख तो रवशा करन तथा कछ अ रोपी िशरो क परपर अताचार बढत चलि जा रह ह इसक अवतररति एक अमररकन दधपोत िवकणी चीन सागर म जा वनकलिन स अमरीका और चीन क मध भी तनाि म िवदध हई ह वफर आप जानत ही ह वक चीन और जापान क मध वििावित दीपरो पर वचरकालिीन ितािास सबzwjधी तनाि मौजि ह

भारत और पावकतान क मध कशमीर समा मतभि का एक थाी कारण ह और इसम बहतरी का भी कोई उपा नही इसी परकार इसाईलि और वफवलितीन का तनाि भी परिश की शानत को तबाह वकए हए ह

अफीका म कछ आतकिािी सगठनरो न कछ कतररो पर कजा और अवzwjधकार पराति करक विशालि तर पर तबाही और बरबािी मचा रखी ह ह तो बहत सी समाओ म स कछ का िणणन वका गा ह

215िनशवक अशानत म शानत की कजी

वजनका इस सम विशव को सामना ह अथा विशव म अशानत और तनाि फलिन क और बहत स उिाहरण मौजि ह

अतः िह एकमातर वनषzwjकषण वजस पर हम पहचत ह िह ही ह वक विशव इस सम अताचार और अशानत की लिपट म ह आzwjधवनक ग म लिडाई-झगडरो का तर पिण गरो की अपका बहत वापक ह विशव क वकसी एक कतर क परपर झगड थानी तर तक ही सीवमत नही रहत अवपत उनक परभाि और पररणाम बहत िर तक फलित ह

समा मीविा क आzwjधवनक और शीघरगामी माधमरो न विशव को एक गलिोबलि विलिज बना विा ह पहलि समरो म दध का सबनzwjधत सगठनरो तक सीवमत रहना सभि था वकत अब परतक झगड और दध क पररणाम िातविक रप स विशव तर पर परकट होत ह िाति म म तो कई िषषो स विशव को सतकक कर रहा ह वक इस िातविकता को जान लि वक अब वकसी एक िश म होन िालिा दध विशव क िसर िशरो क अमन और शानत पर परभािी होगा

बीसिी शतािी म होन िालि िोनरो विशव दधरो पर दनटि िालि तो जात होता ह वक उस सम म उपलिzwjध दध क शतर ितणमान सम क शतररो और अतररो की तलिना म इतन आzwjधवनक तथा घातक न थ इसक बािजि कहा जाता ह वक किलि वदती विशव दध म ही सात करोड लिोग मर वजनम स बहत सी सखा वनिवोष नागररकरो की थी अतः परतक ग म विनाश और बरबािी की सभािना की कलपना करना भी कवठन ह वदती विशवदध क सम अमरीका क ऐटमी हवथाररो की शनति आzwjधवनक सम क नलिर हवथाररो की तलिना म कछ भी न थी अब नलिर हवथार किलि महा शनति कहलिान िालि िशरो क

216 विशव सकट तथा शानत-पथ

पास ही मौजि नही अवपत कछ छोट िश भी इह रखत ह जहा विशव की महाशनतिा इन हवथाररो को किलि एक परवतरका क तौर पर रख हए ह िहा इस बात की कोई गारटी नही वक छोट िश भी ऐसा ही कर और हम ह विशवास नही कर सकत वक ि उह इतमालि नही करग अतः इसम कोई सिह नही की विशव विनाश क मख पर खडा ह

वदती विशव महादध क अवतम चरणरो म आप की कौम को भी एक अकलपनी विनाश और बरबािी क आघात को सहन करना पडा जब आपक लिाखरो नागररकरो को वनिणतापिणक मार विा गा तथा आपक िो शहररो को ऐस नलिर आकरमण स वमटा विा गा वक वजस पर मानिता भी लिनजजत ह ऐसी भकर िघणटना क अिलिोकन तथा अनभि स गजर कर जापानी कौम कभी नही चाहगी वक ऐसा आकरमण जापान म अवपत विशव क वकसी भी िश म िोहराा जाए आप ि लिोग ह जो नलिर दध क विनाशकारी परभािरो स भलिी भावत पररवचत ह आप ि ह जो जानत ह वक ऐस घातक हवथाररो स पिा होन िालि िषzwjपररणाम किलि एक नलि तक सीवमत नही अवपत भािी नलिरो तक छाए रहत ह आप िह कौम ह जो नलिर हवथाररो क अतल िषzwjपररणामरो की गिाही ि सकत ह इसवलिए जापावनरो स बढकर कोई कौम नही जो विशव शानत एि सरका क महति को पहचानती हो

ह zwjधिाि का अिसर ह वक जापान उस नथवत स गजर कर अब एक अतत उननवत पराति कौम ह और रो अपन भतकालि को दनटिगत रखत हए आिशक ह वक जापान विशव-शानत थावपत करन म अपनी भवमका अिा कर दवप ह खिजनक बात ह वक वदती

217िनशवक अशानत म शानत की कजी

विशव दध की समानति पर जापान पर ऐसी पाबविा और परवतबzwjध लिगा विए गए वजन क पररणाम िरप आप की कौम अतराणषटी वसफाररशरो क वनzwjधाणरण म कोई विशष किम नही उठा सकती वफर भी आपका िश अब भी अतराणषटी समाओ और राजनीवतक मामलिरो म एक महतिपणण भवमका अिा करता ह इसवलिए आपको अपन परभाि एि पहच को उततम रप स काम म लिात हए कौमरो और िशरो क मध शानत थावपत करन का परास करना चावहए

इस िषण इवतहास क उन िहवशाना विनरो पर सततर िषण हो गए जब हीरोवशमा और नागासाकी पर एटमी बमबारी करक आप की कौम को विनाश कटि और अताचार का लिक बनाा गा चवक आप न उस विनाश और बरबािी का सही वचतरण करन क उदश स मवजम बना रख ह और चवक इस एटमी बमबारी क कछ परभाि आज भी जारी ह इसवलिए जापानी कौम लिडाई-झगड क िषzwjपरभािरो को समझ सकती ह जसा वक मन साकवतक तौर पर िणणन वका ह वक आप पर गजरन िालिी उस तरासिी का एक भाग ह भी ह वक दध क पचिात जापान पर अनािशक और अापणण परवतबzwjध भी लिगा विए गए कई िशक गजरन क साथ-साथ ह परवतबzwjध भी दध क विनाशकारी परभािरो को थाी तौर पर मरण करान क वलिए रह हरोग

जापान पर एटमी आकरमण क सम िसर खलिीफा जो उस सम इमाम जमाअत अहमविा थ न उन आकरमणरो की घोर वनिा करत हए फरमाा

ldquoहमारी zwjधावमणक एि नवतक वशकाए हम स माग करती ह वक हम विशव क समक घोषणा कर वक हम इस िहवशाना कत और रतिपात

218 विशव सकट तथा शानत-पथ

को वकसी भी नथवत म उवचत नही समझत मझ इसकी वबलिकलि परिाह नही वक कछ सरकार मर इस बान को अवपर दनटि स िखrdquo

हजरत खलिीफतलि मसीह वदती (रवज) न इसक अवतररति फरमाा वक उह भविषzwj म लिडाई झगड म कोई कमी होती नही विखाई िती बनलक उह अताचार और अारो म िवदध होती विखाई िती ह आज उन की चतािनी पणणता उवचत वसदध हो गई ह दवप तती विशवदध की कोई वनवमत रप स घोषणा तो नही की गई वकत िाति म एक विशव दध इस सम जारी ह समपणण विशव म परष तरी तथा बचचरो तक को हिवििारक अताचाररो का लिकण बनाा जा रहा ह और मारा जा रहा ह

जहा तक हमारा सबzwjध ह तो मनलिम जमाअत अहमविा न हमशा हर परकार क अताचार और अा की वनिा की ह चाह ह विशव क वकसी भी भाग म हो करोवक इलिामी वशका की माग ह वक हम अा क विरदध आिाज उठाए और मोहताज अताचार पीवडत िगण की सहाता कर मन अभी िणणन वका ह वक हजरत खलिीफतलि मसीह वदती (रवज) न वकस परकार वबना रोक-टोक जापान पर होन िालि एटमी आकरमणरो की वनिा की थी अवतररति ह वक एक परवसदध एि खावत पराति अहमिी मसलिमान जो विशव तर पर बहत परभाि और पठ रखत थ न जापान और उसकी जनता की सहाता करन का दढ सकलप वका मरा सकत सर चौzwjधरी जफरलाह खान सावहब की ओर ह जो बहत स अतराणषटी मख पिरो पर आसीन रहन क अवतररति पावकतान क परथम वििश मतरी थ और बाि म स ति राषट की जनरलि एसमबलिी क परजीिणट भी रह वदती विशवदध क पचिात उहरोन कछ

219िनशवक अशानत म शानत की कजी

सरकाररो की ओर स जापान पर अा पणण परवतबzwjध लिगान की घोर वनिा की 1951 ई म सानफावसको म होन िालिी Peace Summit म पावकतानी परवतवनवzwjध मणिलि क मख परवतवनवzwjध क तौर पर चौzwjधरी जफरलाह खान सावहब न कहा-

ldquoजापान क साथ शानत थापना की नीि ा और सलिह पर रखी जाए न वक अताचार और अा पर भविषzwj म जापान अपन राजनीवतक एि सामावजक ढाच क सzwjधाररो पर एक अतािशक भवमका अिा करगा जो उननवत की पटि गारटी ह और जो जापान को शानतवपर िशरो की पनति म समानता का थान विलिा सकती हrdquo

उन का भाषण पवितर कआणन की वशकाओ और इलिाम क पगमबर सललाह अलिवह िलम की सननत क आलिोक म था इलिाम की िातविक वशकाओ को आzwjधार बनात हए उहरोन बताा वक वकसी दध म विजता को कभी परावजत परवतदिी पर ऐस अनवचत परवतबzwjध नही लिगान चावहए जो भविषzwj म उसकी उननवत और समवदध म बाzwjधक हरो

चौzwjधरी जफरलाह खान सावहब न ह ऐवतहावसक बान जापान क समथणन म विा करोवक एक अहमिी मनलिम की हवसत स िह किलि पावकतान की सरकार क परवतवनवzwjध ही न थ अवपत इसस भी बढकर िह इलिाम वक सिवोतकटि वशकाओ का परवतवनवzwjधति कर रह थ

जसा वक म पहलि भी िणणन कर चका ह वक आप िह कौम ह जो लिडाई-झगड क िषzwjपररणामरो को वकसी भी अ कौम स अवzwjधक समझ सकत ह अतः जापानी सरकार को हर सभि उपा तथा हर तर पर हर परकार क अमानिी विहार अताचार और अा का मकाबलिा करत हए उसका वनिारण करना चावहए उस चावहए वक इस

220 विशव सकट तथा शानत-पथ

बात क वलिए परासरत रह वक जो पशओ जसा आकरमण उन पर हआ िह कभी भी कही भी न िोहराा जाए

जहा कही भी दध क बािलि मिलिा रह हरो जापानी नताओ तथा जनता को तनाि कम करन और शानत थावपत करन क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए जहा तक इलिाम का सबzwjध ह कछ लिोगरो की दनटि म ह एक अताचारी और आतकिािी zwjधमण ह ि अपन इस विचार की बवनाि इस बात पर रखत ह वक इलिामी जगत म लिडाई-झगड और आतकिाि क ग का िौर ह

तथावप उन क दनटिकोण पणणता िातविकता क विरदध ह िाति म इलिाम की शानत वपर वशकाओ की विशव क इवतहास म कोई तलिना नही इसीवलिए हजरत खलिीफतलि मसीह वदती रवज और चौzwjधरी महममि जफरलाह खान सावहब रवज न आप की कौम पर हो रह अताचाररो क विरदध जोरिार आिाज उठाई

अब म इलिाम की िातविक वशकाओ को बहत सवकति रप म िणणन करना चाहगा इलिाम का एक आzwjधारभत वसदधात तो ह ह वक वकसी भी ऐस दध का कोई औवचत नही जो भौगोवलिक राजनीवतक आzwjधाररो पर ा पराकवतक समपिाओ पर अवzwjधकार करक आवथणक लिाभरो को पराति करन क उदश स वका जाए इसक अवतररति पवितर कआणन की सरह अननहलि की आत 127 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक दध की नथवत म कोई भी िणि मलि अपराzwjध क अनसार हो न वक िzwjध सीमा स बढ कर पवितर कआणन ही की वशका ह वक दध क पचिात कमा कर िना और zwjधण का परिशणन करना उततम ह

इसी परकार पवितर कआणन की सरह अलि अफालि की आत 62

221िनशवक अशानत म शानत की कजी

म फरमाा वक जहा िो सिरोपकरो क सबzwjधरो म िराड आ गई हो और दध की त ारी की जा रही हो वि कोई एक सिपक सलिह करना चाह तो िसर सिपक पर अवनिाण ह वक िह उस परताि का िागत कर और अलाह पर भरोसा रख पवितर कआणन फरमाता ह- वकसी एक सिपक को िसर सिपक की नीत पर कzwjधारणा नही रखनी चावहए अवपत हमशा सलिह और परपर समझौता करन का मागण तलिाश करना चावहए कआणन की ह वशका अतराणषटी शानत को थावपत करन क वलिए एक मलि वसदधात ह

सरह अलिमाइिः की आत-9 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक- वकसी कौम की शतरता तमह इस बात पर न उकसाए वक तम ा और इसाफ की मागरो पर समझौता कर लिो अवपत इलिाम तो ह वसखाता ह वक वकसी भी पररनथवत म चाह कसी ही कवठनाइा सामन हरो ा और इसाफ की मागरो का िामन दढता पिणक थाम कर रखा जाए वनसिह ा ही ह जो सबzwjधरो म अचछाई का कारण होता ह और असफलि होन क अहसास तथा दध क कारणरो को िर करन का कारण हो सकता ह सरह अननर की आत 34 म पवितर कआणन फरमाता ह वक वि दध क पचिात कविरो को आजाि करन क वलिए उन पर कोई आवथणक िणि लिगाओ तो शतत उवचत होनी चावहए तावक ि उस सविzwjधा पिणक अिा कर सक और वि उस वकशतरो म िसलि वका जाए तो उततम ह

शानत-थावपत करन का एक सनहरी वसदधात जो सरह अलिहजरात की आत 10 म ह भी िणणन हआ ह फरमाा वक-वि िो वगरोहरो क मध तनाि हो तो कोई तीसरी कौम ा वगरोह मधथ की भवमका अिा कर और परपर शानतपणण समझौत की नथवत पिा करन का परास

222 विशव सकट तथा शानत-पथ

कर परपर सलिह की नथवत म िोनरो सिरोपकरो म स कोई भी वि अिzwjध तौर पर सलिह की शतषो क विरदध काण कर तो अ सिरो को सति होकर अताचारी क वलिए बाzwjधक बनना चावहए चाह उसक वलिए बलि का परोग ही करो न करना पड वफर वि अताचारी सिपक रक जाए तो उस पर परवतबzwjध लिगान की बजाए उस एक आजाि कौमिश और आजाि समाज क तौर पर उननवत करन की अनमवत िनी चावहए ितणमान सम म ह वसदधात बहत महति रखता ह विशषतः महा शनतिरो और अतराणषटी सगठनरो उिाहरणता एनओ क वलिए वि इन मलरो पर आजापालिन परारभ कर विा जाए तो विशव म िातविक शानत और ा थावपत हो सकता ह तथा अनािशक असतोष और विफलिता का अहसास ि समाति हो जाएगा

इसी परकार अ बहत स कआणनी आिश ह जो विशव म शानत थावपत करन तथा लिडाई-झगड क वनषzwjध की ओर मागणिशणन करत ह हमार रहमान और रहीम खिा न शानत की कजी इसवलिए परिान की करोवक िह चाहता ह वक उसकी सनटि परपर एकता क िातािरण म रह और हर परकार की नफरत और दष स मति हो

अतः इन बातरो क साथ म आप सब स वनििन करता ह वक अपनी पठ और पहच को परोग म लिात हए विशव म अमन और परपर एकता क वलिए परास कर हमारा सामवहक िावति ह वक विशव म जहा कही भी अशानत और तनाि ह हम ा क वलिए आिाज उठाए और शानत थावपत करन क वलिए परास कर तावक हम िस भकर दध स सरवकत रह सक जो आज स सततर िषण पिण लिडा गा था वजसक विनाशकारी परभाि कई िशकरो पर छाए हए थ अवपत

223िनशवक अशानत म शानत की कजी

आज तक महसस वकए जात ह दवप सीवमत तर पर एक विशवदध का परारभ हो चका ह परत हम चावहए वक हम अपन िावतिरो को था सम वनभाए ऐसा न हो वक कही उसक परभाि फलिकर विशव को अपनी लिपट म लि लि और ि रति बहान िालि और घातक हवथार िोबारा परोग हरो जो हमारी भािी नलिरो को तबाह कर ि

अतः आइए सब वमलिकर अपन िावतिरो को वनभाए विरोzwjधी सगठन बनान की बजाए हम सब को एकमत होकर परपर सहोग करना चावहए हमार पास अब कोई और चारा नही करोवक वि तती महादध वनवमत रप स आरभ हो गा तो उसक पररणामिरप आन िालिा विनाश और बरबािी क वसलिवसलिरो की कलपना भी असभि ह वनसिह ऐसी नथवत म अतीत क दध इस की तलिना म बहत साzwjधारण महसस हरोग

मरी िआ ह वक विशव इस नथवत की कठोरता को समझ इसस पिण वक विलिमब हो जाए मानिजावत खिा तआलिा क सामन झकत हए उसक अवzwjधकाररो तथा आपसी अवzwjधकाररो को अिा करन लिग

अलाह तआलिा उह समझ और वििक परिान कर जो zwjधमण क नाम पर अशानत का िातािरण पिा कर रह ह तथा उह भी जो अपन आवथणक वहतरो क उदश स भौगोवलिक एि राजनीवतक दध कर रह ह काश उह जात हो जाए वक उनक उदश वकतन अनवचत और विनाशकारी ह खिा कर वक विशव क हर कतर म वचरथाी शानत थावपत हो आमीन

इन वनििनरो क साथ म आप का एक बार पनः आभार वति करता ह वक आप इस आोजन म पzwjधार बहत zwjधिाि

मवशव क मवमशटि नतजओ क नजि पत

आदरणीय पोप बमनमिकट XVI क नजि पत

229विशि क नताओ क नाम पतर

31 अतिबर 2011मािर पोप बवनविकट XVI

मरी िआ ह वक अललिाह तआलिा आप पर अपनी कपा और बरकत उतार विशिवापी जमाअत अहमविा क पशिा होन क नात म मािर की सिा म पवितर कआणन का ह सिश पहचाता ह वक ldquoह अहलि वकताब (कम स कम) एक ऐसी बात की ओर आ जाओ जो हमार और तमहार मध समान ह (और िह ह ह) वक हम अललिाह क अवतररकत वकसी की उपासना न कर और वकसी को उसका भागीिार न बनाए और न हम अललिाह को छोडकर आपस म एक-िसर को रब बनाा करrdquo

इलिाम आजकलि विशि की करोवzwjधत दनटि का वशकार ह तथा वनरतर आरोपरो का वनशाना बनाा जा रहा ह जो लिोग आरोप लिगात ह ि इलिाम की िातविक वशकाओ का अधन वकए वबना ऐसा करत ह िभाणग स कछ मसलिमान सगठनरो न भी किलि अपन वनतिगत वहतरो की पवतण क वलिए इलिाम को वबलकलि गलित ढग म परतत वका ह पररणामिरप पनचिमी तथा गर मनलिम िशरो क हिरो म इतनी अवzwjधक अविशिास की भािना पिा हो गई ह वक वशवकत लिोग भी इलिाम क परितणक हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम क विरदध वनराzwjधार आरोप लिगात ह

परतक zwjधमण का उदश मनषzwj को अललिाह क वनकट लिाना ह और मानिी

230 विशव सकट तथा शानत-पथ

मलरो को थावपत करना ह वकसी भी zwjधमण क परितणक न कभी भी अपन अनावरो को ह वशका नही िी वक ि िसररो क अवzwjधकाररो को हडप लि और अताचारपणण विहार कर अत मसलिमानरो क एक छोट और गमराह िगण क िषzwjकमषो को इलिाम और उसक पवितर परितणक पर परहार क बहानरो क तौर पर परोग नही वकए जान चावहए इलिाम हम समत zwjधमषो क पगमबररो (अिताररो) का सममान करन की वशका िता ह अत समत मसलिमानरो क वलिए उन समत पगमबररो वजनम हजरत स मसीह भी सनममवलित ह वजनका िणणन पवितर बाइबलि ा पवितर कआणन म ह पर ईमान लिाना आिशक ह हम हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम क बहत तचछ िास ह इसवलिए हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम पर वकए जान िालि परहाररो स हम बहत िख और आघात पहचता ह परत हम वनरतर आपस क उचच आचरण को विशि क समक परतत करक तथा पवितर कआणन की स िर वशकाओ को परकट करक उततर ित ह

वि कोई व नति वकसी विवशटि वशका का पालिन नही करता जबवक ि को उसकी ओर समबदध करन का िािा करता ह तो ह उसकी गलिती ह न वक वशका की इलिाम शि क अथण ही शान त परम और सरका क ह ldquozwjधमण क मामलि म कोई जबरिती नहीrdquo ह इलिाम का पषzwjट आिश ह पवितर कआणन बार-बार आगरहपिणक परम सहानभवत शान त मतरी एि त ाग की वशका िता ह तथा बार-बार ह कहता ह वक जो स म zwjधारण नही करता िह अलाह स िर ह और िह इलिामी वशकाओ स भी िर ह अत वि कोई व नति इलिाम को एक अतत उगर और वहसक और उसकी वशकाओ को रतिपात पर आzwjधाररत समझता ह तो उस का िा तविक इलिाम स कोई सबzwjध नही

अहमविा मनलिम जमाअत किलि िातविक इलिाम पर काणरत ह तथा किलि अललिाह तआलिा की परसनता क वलिए काण करती ह वि वकसी वगरजा अथिा वकसी अ उपासना थलि को सरका की आिशकता पड तो ि हम इस

231विशि क नताओ क नाम पतर

काण क वलिए कzwjध स कzwjधा वमलिाकर अपन साथ खडा पाएग वि हमारी मनजिरो स वकसी सिश की आिाज गजती ह तो िह किलि ह होगी वक अललिाह सब स महान ह और हम ह गिाही ित ह वक उसक अवतररकत कोई भी पजनी नही तथा महममि म तफा सललाहो अलिवह िसलम अललिाह क रसलि ह

एक कारण जो विशि-शानत को भग करन म महतिपणण भवमका वनभाता ह िह ह ह वक कछ लिोग ह समझत ह वक ि बवदधमान उचच वशका परापत और पणण िततर ह तथा ि zwjधमषो क परितणकरो पर उपहास और अवभहास करन म पणणतः आजाि ह समाज म शानत को थाित रखन क वलिए परतक वनति का कततणव ह वक िह अपन हि स समत विरोzwjधी भािनाओ को समापत कर और अपनी सवहषzwjणता एि सहनशीलिता क तर को बढाए परपर एक िसर क zwjधमषो क पगमबररो क आिर-सममान की परवतरका करन की आिशकता ह विशि अशानत और बचनी क िौर स गजर रहा ह ह नथवत इस बात की माग करती ह वक परम और हमििगी का िातािरण पिा करत हए हम उस भ और अशानत को समापत कर हम परम और शानत क सिश को अपन चाररो ओर पहचाए तथा हम पहलि स बढकर एकतापिणक तथा उततम रप म जीिनापन कर तथा मानिी मलरो को पहचान

आज विशि म छोट तर पर दध आरभ हो रह ह िसरी ओर महा शनतिा विशि-शानत थावपत करन का िािा कर रही ह अब ह बात वकसी स भी वछपी नही वक परतकत हम एक बात बताई जाती ह परत पिद क पीछ गपत रप स उनक िसर एजणि और नीवता परी की जा रही होती ह परशन ह ह वक का ऐसी पररनथवतरो म विशि शानत थावपत हो सकती ह म बड खि क साथ कहता ह वक वि हम ससार की ितणमान पररनथवतरो को वनकट स िख तो हम जात होगा वक एक और विशिदध की नीि रखी जा चकी ह वि वदती विशव-दध क

232 विशव सकट तथा शानत-पथ

पशचात ा पर आzwjधाररत समानता क मागण को अपनाा जाता तो हम विशि की ह ितणमान नथवत न िखत जो वक पनः दध की अनगन की लिपट म आ चकी ह पररणामिरप विशि क कई िशरो क पास परमाण हवथार ह परपर दष और शतरताए बढ रही ह और विशि विनाश क वशखर पर बठा हआ ह वि जनता क विनाश क हवथार फट पड तो कई भािी पीवढा थाी परकार की विकलिागता की वशकार होन क कारण ि हम कभी कमा नही करगी विशि क पास सषzwjटा और सनटि क अवzwjधकाररो को अिा करन का अभी भी सम ह

मरा विशिास ह वक अब विशि की उनवत पर धान िन की बजाए ह वनतात आिशक ह वक विनाश स बचान क वलिए अपन परासरो को तीवर कर इस बात की अतत आिशकता ह वक मनषzwj अपन सषzwjटा को पहचान करोवक मानिता क जीवित रहन की किलि ही गारटी ह अथा विशि तीवरता क साथ अपन विनाश की ओर जा रहा ह वि आज मनषzwj शानत थावपत करन म सफलि होता ह तो िसररो क िोषरो को खोजन की बजाए उस अपन अिर क शतान को वनतरण म रखन का परतन करना चावहए अपनी बराइरो को िर करक एक वनति ा का आशचणजनक उिाहरण परतत कर सकता ह म विशि को वनरतर मरण कराता ह वक िसररो क परवत घोर शतरताए मानिी मलरो को पणण रप स समापत कर रही ह और इस परकार विशि को विनाश की ओर लि जा रही ह

चवक आपकी आिाज विशि म एक परभाि रखती ह म आपस भी आगरह करता ह वक इस विशालि ससार को बता ि वक पराकवतक सतलिन जो खिा न थावपत वका ह उसम हतकप करत हए ि तीवरता क साथ विनाश की ओर जा रह ह इस सिश को पहलि स अवzwjधक वापक और विशष रप स पहचान की आिशकता ह विशि क समत zwjधमषो को zwjधावमणक समि की आिशकता ह और विशि क सभी लिोगरो को परम सहानभवत एि भरातति की भािना पिा करन

233विशि क नताओ क नाम पतर

की आिशकता ह मरी ह िआ ह वक सब अपन िावतिरो को समझ और शानत की थापना परम और ससार म अपन सटिा को पहचानन क वलिए अपनी भवमका वनभाए हम ि िआ कर और अललिाह तआलिा स वनरतर ाचना कर वक िह विशि क इस विनाश को टालि ि म िआ करता ह वक हम उस विनाश स सरवकत रह जो हमारी परतीका म ह

मिजजा िसरर अहिद अहमविा मनलिम जमाअत क पचम खलिीफा विशिवापी जमाअत अहमविा क इमाम

इसजईल क पिजनिती क नजि पत

237विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहमबजावमन नत ाह परzwjधानमतरी इसाईलि रोशलिम

26 फरिरी 2012पार परzwjधानमतरी जी

मन ितणमान सम म परकट होन िालि खतररो स भरी पररनथवतरो पर आzwjधाररत एक पतर महामवहम वशमोन परज परजीिट इसाईलि को भी भजा ह बडी तीवरता स पररिवतणत हो रही पररनथवतरो क सिभण म मन ह महसस वका वक ह वनतात आिशक ह वक म अपना सिश आप तक भी पहचाऊ करोवक आप िश की सरकार क परमख ह

आप क राषट का इवतहास नबवित और खिा की िाणी (िहयी) स सलिगन रहा ह बनी इसाईलि क नवबरो न आप क िश क भविषzwj क सबzwjध म बडी पटि भविषzwjिावणा की थी िाति म बनी इसाईलि क नवबरो की वशकाओ की अिजा तथा उनकी भविषzwjिावणरो की अिहलिना करन क पररणामिरप बनी इसाईलि को कठोर कषzwjटरो का सामना करना पडा था वि आप क िश क नता नवबरो की आजाओ का पालिन दढतापिणक करत तो ि विवभन आपिाओ और कवठनाइरो स बचाए जात अत किावचत िसररो की अपका आपका अवzwjधक कततणव ह वक नवबरो की भविषzwjिावणरो और आिशरो की ओर धान ि

म मसीह मौऊि और इमाम महिी का खलिीफा होन क नात आप स समबोवzwjधत

238 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह वजनको हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम की गलिामी म भजा गा और हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम को बनी इसाईलि क बzwjधओ म हजरत मसा की तरह समपणण मानिजावत क वलिए साकात िा बनाकर भजा गा था (िटरोनामी 1818) इसवलिए खिा का सिश मरण कराना मरा कततणव ह मझ आशा ह वक आप की भी गणना उन लिोगरो म होगी जो खिा की आिाज सनत ह और जो सफलितापिणक सीzwjधा मागण ढढ लित ह िह मागण जो वक महान और सिणशषzwjठ पथिी और आकाश क िामी खिा की ओर लि जान िालिा मागण ह

अखबाररो म हम आजकलि ऐसी ररपोटर सनत ह वक आप ईरान पर आकरमण करन की त ाररा कर रह ह जबवक विशि दध क भािह पररणाम आपक सामन ह वदती विशि दध म जहा अ लिाखरो लिोग मार गए िहा हजाररो हविरो क पराण भी गए परzwjधानमतरी होन की दनटि स अपन िश की जनता की रका करना आपका कततणव ह विशि की ितणमान पररनथवता ह परकट करती ह वक अब एक और विशि दध किलि िो िशरो क मध नही होगा अवपत विवभन लिाक बन जाएग विशि दध वछडन का खतरा अतवzwjधक गभीर ह मसलिमानरो ईसाइरो और हविरो आवि सभी क जीिन खतर म ह वि ऐसा दध आरभ होता ह तो ह मानि क शखलिाबदध विनाश का कारण होगा इस भकर विनाश क परभाि भािी पीवढरो तक हरोग जो ा तो विकलिाग पिा हरोगी ा अपावहज इसका कारण ह ह वक ऐस दध म वनःसिह परमाण हवथाररो का परोग होगा अत मरा आप स ह वनििन ह वक विशि को एक विशि दध म झरोकन की बजाए विशि को थासभि विनाश स बचान का परतन कर शनति दारा वििािरो का समाzwjधान करन क थान पर िाताणलिाप क दारा उनका समाzwjधान करन का परास करना चावहए तावक हम अपनी भािी पीवढरो को बतौर उपहार एक उजिलि भविषzwj ि न वक हम उह विकलिागताओ जस िोषरो को उपहार ि

म अपन विचाररो को आपकी zwjधावमणक वशकाओ पर आzwjधाररत उदधरणरो दारा पषzwjट करन का परास करगा पहलिा उदधरण lsquoजबरrsquo (भजन सवहता) स वलिा

239विशि क नताओ क नाम पतर

गा ह - ldquoकमवमणरो क कारण मत कढ कवटलि काम करन िालिरो क विष म िाह न

कर करोवक ि घास क समान झट कट जाएग और हरी घास क समान मझाण जाएग होिा पर भरोसा रख और भलिा कर िश म बसा रह और सचचाई म मन लिगाए रह होिा को अपन सख का मलि जान और िह तर मनोरथरो को परा करगा अपन मागण की वचता होिा पर छोड और उस पर भरोसा रख िही परा करगा िह तरा zwjधमण जोवत क समान और तरा ा िोपहर क उवजालि क समान परकट करगा होिा क सामन चप-चाप रह और zwjधीरज स उसकी परतीका कर उस मनषzwj क कारण न कढ वजसक काम सफलि होत ह और िह बरी नतिरो को वनकालिता ह

करोzwjध स पर रह और जलिजलिाहट को छोड ि मत कढ उसस बराई ही वनकलिगी करोवक ककमगी लिोग काट िालि जाएग और जो होिा की बात जोहत ह ि पथिी क अवzwjधकारी हरोग थोड विन क बीतन पर िटि रहगा ही नही और त उसक थान को भलिी भावत िखन पर भी उसको न पाएगा परत नम लिोग पथिी क अवzwjधकारी हरोग और बडी शानत क कारण आनि मनाएगrdquo

जबर (भजन सवहता 37 ः 1-11)इसी परकार हम तौरात म ह भी िखत ह ldquoअपनी थलिी म भावत भावत क अथाणत घटत बढत बटखर न रखना अपन

घर म भावत भावत क अथाणत घटत बढत नपए न रखना तर बटखर और नपए पर पर और zwjधमण क हरो इसवलिए वक जो िश तरा परमशवर होिा तझ िता ह उसम तरी आ बहत हो करोवक ऐस कामरो म वजतन कवटलिता करत ह ि सब तर परमशवर होिा की दनटि स घवणत हrdquo

(विथावििरण 25 ः 13-16)अत विशि क समत नताओ और विशषकर आपको शनति क बलि पर

शासन करन की विचारzwjधारा को समापत कर िना चावहए तथा वनबणलि पर अताचार

240 विशव सकट तथा शानत-पथ

करन स बचना चावहए इसकी बजाए ा एि शानत को परसाररत करन का परास करना चावहए ऐसा करन स आप ि भी शानत म रहग आप शनति परापत करग तथा विशि म शानत भी थावपत होगी

मरी ह िआ ह वक आप और विशि क अ नता मर सिश को समझ अपन पि की गररमा को पहचान तथा अपन िावतिरो को परा कर

आपका शभ वचतक

मिजजा िसरर अहिद खलिीफतलि मसीह Vविशिवापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख

इसलजिी ररपनलक ईरजन क रजषटरपमत क नजि पत

243विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहमराषzwjटरपवत इलिामी ररपनलिक ईरान महमि अहमिी वनजाि तहरान

7 माचण 2012

पार राषzwjटरपवत जी

असzwjसलारो अलकर वरहरzwjललाह व बरकाzwjोह

विशि म जो खतरनाक घटनाए परकट हो रही ह उनको िखत हए मन ह महसस वका वक आप को पतर वलिखना आिशक ह ईरान क राषटपवत होन क नात आपको ऐस वनणण करन का अवzwjधकार ह वजसका परभाि किलि आपक िश पर ही नही बनलक पर विशव पर पडगा आजकलि विशि म बहत अशानत और बचनी ह बहत स िशरो म छोट तर क दध आरभ हो चक ह जबवक अ थानरो म महा-शनतिा शानत थावपत करन क बहान हतकप कर रही ह परतक िश वकसी अ िश की सहाता ा विरोzwjध म परासरत ह परत ा की माग पणण नही की जा रही म खि क साथ कहता ह वक वि अब हम विशि की ितणमान पररनथवतरो को धानपिणक िख तो हम जात होगा वक एक और विशि-दध की नीि पहलि ही रखी जा चकी ह बहत स छोट और बड िशरो क पास परमाण हवथार मौजि होन क कारण परपर दष और शतरता म िवदध हो रही ह ऐसी

244 विशव सकट तथा शानत-पथ

कवठन पररनथवत म तती विशि-दध भानक रप म वनशच ही हमार वनकट ह वजस परकार वक आप जानत ह वक परमाण हवथाररो क उपलिzwjध होन का तातपण ह ह वक तती विशि-दध एटमी दध होगा उसका अनतम पररणाम बहत विनाशकारी होगा तथा ऐस दध क िरगामी परभाि भािी पीवढरो क विकलिाग एि करप पिा होन का कारण हरोग

ह मरा विशवास ह हम हजरत महममि म तफा सललाहो अलिवह िसलम जो विशव म शानत थावपत करन क वलिए भज गए थ और समपणण मानिजावत क वलिए साकात िा िरप थ क अनाी होन क नात हम किावप ह इचछा नही करत और न कर सकत ह वक विशव को ऐसी पररनथवतरो का सामना करना पड इसी कारण मरा आपस वनििन ह वक चवक ईरान भी विशव की एक महतिपणण शनति ह अतः उस तती विशव दध को रोकन क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए वनःसिह ह एक िातविकता ह वक महाशनतिा िोहर मापिि अपनाती ह उनकी अापणण नीवता विशव भर म अविथा और अशानत फलिान का कारण बनी ह परत हम इस िातविकता स भी विमख नही हो सकत वक कछ मनलिम सगठन अनवचत ढग स तथा इलिामी वशकाओ क विपरीत आचरण करत ह वजस को महाशनतिरो न वनzwjधणन मनलिम िशरो स अनवचत रप स अपन वनवहत िाथषो की पवतण क वलिए एक बहान क रप म परोग वका ह अतः म आपस पनः वनििन करता ह वक विशव को तती विशव दध स बचान क वलिए आप अपनी समत शनति का उपोग करत हए परास कर पवितर कआणन मसलिमानरो को ह वशका िता ह वक वकसी जावत की शतरता उह ापिणक विहार करन स न रोक सरह अलिमाइिह आत न 3 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक ः-

ldquoऔर तमह वकसी जावत की शतरता इस कारण स वक उहरोन तमह मनजि-ए-हराम स रोका था इस बात पर न उकसा वक तम अताचार करो और नकी और तकिा म एक िसर का

245विशि क नताओ क नाम पतर

सहोग करो और पाप और अताचार (िालि कामरो) म सहोग न करो और अलाह स िरो वनसिह अलाह िि िन म बहत कठोर हrdquo

इसी परकार पवितर कआणन की इसी सरह म मसलिमानरो को ह वनिदश भी विा गा ह ः

ldquoह ईमान िालिो तम ापिणक गिाही ित हए अलाह (की परसनता परापत करन) क वलिए खड हो जाओ और वकसी जावत की शतरता तमह किावप इस बात क वलिए तार न कर ि वक तम ा न करो तम ा स काम लिो ह बात सम क अवzwjधक वनकट ह तथा अलाह स िरो जो कछ तम करत हो वनसिह अलाह उस जानता हrdquo

(अलिमाइिह आत ः 9)

अतः आपको किलि शतरता और घणा क कारण वकसी अ िश का विरोzwjध नही करना चावहए म िीकार करता ह वक इसाईलि अपनी सीमाओ का अवतकरमण कर रहा ह और उसकी दनटि ईरान पर ह वनचि ही वि कोई िश आपक िश पर अापणण ढग स आकरमण करता ह तो आपको परवतरकण का अवzwjधकार परापत ह बहरहालि परपर वििािरो का समाzwjधान थासमभि ककटनीवत और िाताणलिाप दारा करना चावहए मरा आपस विनम वनििन ह वक शनति का परोग करन क थान पर िाताणलिाप दारा वििािरो का समाzwjधान करन का परास कर मरा आपस विनम वनििन करन का कारण ह ह वक म खिा की उस वनिाणवचत विभवत का अनाी ह जो इस ग म हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क सचच सिक क रप म परकट हआ और उसन मसीह मौऊि और इमाम महिी होन का िािा वका आपका उदश ह था वक मानिता को खिा क वनकट लिाा जाए और परजा क

246 विशव सकट तथा शानत-पथ

अवzwjधकाररो को ठीक उसी परकार थावपत वका जाए वजस परकार हमार िामी और पथपरिशणक हजरत महममि सललहो अलिवह िसलम न जो समपणण मानिजावत क वलिए साकात िा िरप थ हम पटि रप स परिवशणत करक विखाा

अलाह तआलिा समत मनलिम उममत को इस स िर वशका को समझन का सामथण परिान कर

िसलिामभििी

मिजजा िसरर अहिदखलिीफतलि मसीहपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

सयति रजजय अिररकज क रजषटपमत क नजि पत

249विशि क नताओ क नाम पतर

शीमान बराक ओबामाराषटपवत स ति राज अमररकावहाइट हाउस1600 पसलिवनािावशगटन (िी सी)

8 माचण 2012मािर राषटपवतविशव म जो वचताजनक पररनथवता उतपन हो रही ह उसक पररदश म मन

आपको पतर वलिखना आिशक जाना करोवक आप स ति राज अमररका क राषटपवत ह जो वक एक महाशनति ह और आपको ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह वजनस न किलि आपक िश का अवपत सामा रप स समत ससार का भविषzwj परभावित हो सकता ह

इस सम ससार म अतवzwjधक बचनी और वाकलिता पाई जाती ह कछ कतररो म वनमन तर क दध वछड चक ह िभाणगिश इन वििािगरत कतररो म शानत थावपत करन म महाशनतिरो को अपन परासरो म अपवकत सफलिता परापत नही हो सकी ह विशव तर पर हम ह िखत ह परतक िश वकसी अ िश का समथणन अथिा विरोzwjध करन म वत ह परत इस समबzwjध म ा की मागरो को परा नही वका जा रहा ह वि हम विशव की ितणमान पररनथवतरो पर दनटि िालि तो अतत खि क साथ कहना पडता ह वक एक और विशव दध की नीि रखी जा चकी ह बहत स छोट एि बड िशरो न परमाण शतर परापत कर वलिए ह और इसी कारण

250 विशव सकट तथा शानत-पथ

िशरो म परपर िमन और आकरोश एि असतोष की भािना म िवदध होती जा रही ह ऐसी विकट पररनथवत म तती विशव दध की परबलि समभािना विखाई िती ह वनसिह ऐस दध म परमाण शतररो का परोग होगा अतः हम ऐसा परतीत होता ह वक विशव एक भकर विनाश की ओर अगरसर ह वि वदती विशव दध क पचिात ा और समानता का मागण अपनाा जाता तो आज विशव की नथवत ऐसी न होती वजसक कारण ह पनः दध की जवालिा की चपट म आ चका ह

जसा हम सभी पररवचत ह राषटसघ की विफलिता और 1932 ई क आवथणक सकट वदती विशव दध क परमख कारण बन थ आज क अगरगण अथणशातरी ह कहत ह ितणमान और 1932 ई क आवथणक सकट म बहत सी समानताए ह हम ह िखत ह वक राजनवतक और आवथणक समाए छोट िशरो क मध पनः दध का कारण बनी ह और उन िशरो म इन क कारण आतररक अशानत और असतोष का िातािरण वापत हो चका ह इस नथवत म अततः कछ ऐसी शनतिा अनवचत लिाभ उठाकर ससार की बागिोर समभालि लिगी जो विशव दध का कारण बन जाएगी वि छोट िशरो क परपर वििािरो का राजनीवत अथिा ककटनीवत स समाzwjधान नही ढढा जा सकता तो इस क कारण विशव म नए गटरो और समहरो का जम होगा और ह नथवत तती विशव दध का पिाणिलिोकन परतत करगी अतः मरा ह विशवास ह वक इस सम विशव क विकास पर धान कनदरत करन की बजाए ह अवतआिशक और वनतात अवनिाण ह वक हम विशव को इस विनाश स सरवकत रखन क अपन परासरो म शीघर स शीघर तीवरता पिा कर इस बात की भी अतत आिशकता ह वक मानिजावत परमातमा जो वक एक ह और हमारा सटिा ह को पहचान करोवक सकट और विपिाओ म मानिता क जीवित बचन को किलि ही सरवकत बना सकता ह िरन ह ससार वनरतर आतम-विनाश की ओर तीवरता स अगरसर होता रहगा

मरा आप स अवपत विशव क सभी नताओ स ह अनरोzwjध ह वक िसर िशरो का िमन करन क वलिए शनति क थान पर ककटनीवत िाताणलिाप और सनीवत का

251विशि क नताओ क नाम पतर

परोग वका जाए विशव महाशनतिरो जस वक सति राज अमररका की शानत थापना क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए उह छोट िशरो की गवतविवzwjधरो को विशव-शानत भग करन का आzwjधार नही बनाना चावहए आज परमाण हवथार किलि सति राज अमररका अथिा िसरी महाशनतिरो क पास ही नही अवपत अपकाकत छोट िशरो न भी ऐस महाविनाशकारी शतर परापत कर वलिए ह वजन क नता असमी ह और वबना वकसी सोच-विचार क काणिाही करन िालि ह अतः आपस मरा विनम वनििन ह वक आप छोटी और बडी शनतिरो को तती विशव-दध की विफोटक नथवत उतपन करन स रोकन का भरसक परास कर इस समबzwjध म हमार मन म कोई शका नही होनी चावहए वि हम इस परास म विफलि हो गए तो आगामी दध क िषzwjपरभाि किलि एवशा रोप और उततर एि िवकणी अमररका क वनzwjधणन िशरो तक ही सीवमत नही हरोग अवपत हमारी तरवटरो क गमभीर पररणाम हमारी भािी पीवढरो को भगतन पडग और विशव क परतक कतर म विकलिाग अथिा विकत शरीर िालि बचच जम लिग ि अपन उन नताओ को किावप कमा नही करग वजहरोन ससार को महापरलि म झरोक विा किलि अपन वनवहत िाथषो की वचता करन क थान पर हम भािी पीवढरो क वहताथण काण करना चावहए और उनक वलिए एक उजजिलि भविषzwj का वनमाणण करन का परास करना चावहए महापरतापी परमातमा आप को तथा विशव क अ सभी नताओ को ह सिश समझन का सामथण परिान कर

भििी

वमजाण मसरर अहमि खलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

252 विशव सकट तथा शानत-पथ

कनजिज क पिजनिती क नजि पत

255विशि क नताओ क नाम पतर

शीमान टीफन हापणरपरzwjधानमतरी कनािाओटािा आटररो

8 माचण 2012वपर परzwjधानमतरी जीविशव म जो भािह पररनथवता उतपन हो रही ह उसक पररदश म मन ह

आिशक समझा वक आपको पतर वलिख करोवक आप कनािा क परzwjधानमतरी ह और आप को ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह वजनस न किलि आपक िश का अवपत सामा रप स समत ससार का भविषzwj परभावित हो सकता ह

जसा हम सभी पररवचत ह राषटसघ की विफलिता और 1932 ई क आवथणक सकट वदती विशव दध का परमख कारण बन थ आज क अगरगण अथणशातरी ह कहत ह ितणमान और 1932 ई क आवथणक सकट म बहत सी समानताए ह हम ह िखत ह वक राजनवतक और आवथणक समाए छोट िशरो क मध पनः दध का कारण बनी ह और उन िशरो म इन क कारण आतररक अशानत और असतोष का िातािरण वापत हो चका ह इस नथवत म अततः कछ ऐसी शनतिा अनवचत लिाभ उठाकर ससार की बागिोर समभालि लिगी जो विशव दध का कारण बन जाएगी वि छोट िशरो क परपर वििािरो का राजनीवत अथिा ककटनीवत स समाzwjधान नही ढढा जा सकता तो इस क कारण विशव म नए गटरो और समहरो का जम होगा और ह नथवत तती विशव दध का पिाणिलिोकन परतत करगी अतः मरा ह विशवास ह वक इस सम विशव क विकास पर धान कनदरत करन की

256 विशव सकट तथा शानत-पथ

बजाए ह अवतआिशक और वनतात अवनिाण ह वक हम विशव को इस विनाश स सरवकत रखन क अपन परासरो म शीघर स शीघर तीवरता पिा कर इस बात की भी अतत आिशकता ह वक मानिजावत परमातमा जो वक एक ह और हमारा सटिा ह को पहचान करोवक किलि ही मानिता को सरवकत बना सकता ह िरन ह ससार वनरतर आतम-विनाश की ओर तीवरता स अगरसर होता रहगा

कनािा को विशव म सबस अवzwjधक ावपर िशरो म एक होन की विशालि खावत परापत ह आपका िश सामातः िसर िशरो क आतररक मामलिरो म हतकप नही करता इस स बढ कर ह वक हमार अथाणत अहमविा मनलिम जमाअत क कनािा िावसरो क साथ विशष मतरीपणण समबzwjध ह अतः मरा आप स अनरोzwjध ह वक विशव की छोटी और बडी शनतिरो को विनाशकारी तती विशव दध की नथवत उतपन करन स रोकन क थासभि परास कर

मरा आप स अवपत विशव क सभी नताओ स ह अनरोzwjध ह वक िसर िशरो का िमन करन हत शनति क थान पर ककटनीवत िाताणलिाप और सनीवत का परोग वका जाए विशव महाशनतिरो जस वक स ति राज अमररका की शानत थापना क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए उह छोट िशरो की गवतविवzwjधरो को विशव-शानत भग करन का आzwjधार नही बनाा चावहए आज परमाण हवथार किलि सति राज अमररका अथिा िसरी महाशनतिरो क पास ही नही अवपत अपकाकत छोट िशरो न भी ऐस महाविनाशकारी शतर परापत कर वलिए ह वजन क नता असमी ह और वबना वकसी सोच-विचार क काणिाही करन िालि ह अतः आपस मरा विनम वनििन ह वक आप छोटी और बडी शनतिरो को तती विशव-दध की विफोटक नथवत उतपन करन स रोकन का भरसक परास कर इस समबzwjध म हमार मन म कोई शका नही होनी चावहए वि हम इस परास म विफलि हो गए तो आगामी दध क िषzwjपरभाि किलि एवशा रोप और उततर एि िवकणी अमररका क वनzwjधणन िशरो तक ही सीवमत नही हरोग अवपत हमारी तरवटरो क गमभीर पररणाम हमारी भािी पीवढरो को भगतन पडग और विशव क परतक कतर म विकलिाग अथिा विकत

257विशि क नताओ क नाम पतर

शरीर िालि बचच जम लिग ि अपन उन नताओ को किावप कमा नही करग वजहरोन ससार को महापरलि म झरोक विा किलि अपन वनवहत िाथषो की वचता करन क थान पर हम भािी पीवढरो क वहताथण काण करना चावहए और उनक वलिए एक उजजिलि भविषzwj का वनमाणण करन का परास करना चावहए महापरतापी परमातमा आप को तथा विशव क अ सभी नताओ को ह सिश समझन का सामथण परिान कर

भििी

वमजाण मसरर अहमि खलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

258 विशव सकट तथा शानत-पथ

दो पमवत सथलरो क सरकक सऊदी अरब रजजय क समजट क नजि पत

261विशि क नताओ क नाम पतर

िो पवितर थलिरो क सरककसऊिी अरब राज क समाटअिलाह वबन अिलि अजीज अलि सऊिरराज सऊिी अरब

28 माचण 2012माननी समाट अिलाह असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातोहआज म एक अतत महतिपणण विष पर विचार करन क उदश स आपको

पतर वलिख रहा ह करोवक िो पवितर थलिरो क सरकक और सऊिी अरब क समाट होन क नात उममत मनलिमा (मनलिम समिा) म आप का एक उचच थान ह आपक िश म इलिाम क िो सबस अवzwjधक पवितर थलि mdash मकका मकररमा एि मिीना मनविरा mdash नथत ह वजन स परम करना मसलिमानरो क ईमान का अश ह थलि मसलिमानरो की आधानतमक उनवत का कदर भी ह और मसलिमान इनका अतत सममान और आिर करत ह इस दनटिकोण स सभी मसलिमानरो और मनलिम राजरो न आपको एक विवशटि थान परिान वका ह ह सममान इस बात की माग करता ह वक आप समत उममत मनलिमा का न किलि उवचत मागणिशणन कर अवपत मनलिम िशरो क भीतर शानत एि एकता का िातािरण भी उतपन कर आपको मसलिमानरो म परपर परम और सहानभवत का विकास करन का परतन करना चावहए और رحماء بینھم अथाणत lsquoि परपर िा करत हrsquo क वसदधात क

262 विशव सकट तथा शानत-पथ

समबzwjध म भी उनका मागणिशणन करना चावहएअततः आप को समत मानिजावत क वहत को सममख रखत हए समपणण

विशव म शानत थावपत करन का परतन करना चावहए अहमविा मनलिम जमाअत क परमख और हजरत मसीह मौऊि ि इमाम महिी अलिवहसलिाम क खलिीफा (उततरावzwjधकारी) होन क नात मरा ह अनरोzwjध ह वक दवप अहमविा मनलिम जमाअत और इलिाम क अ समिारो म परपर मतभि ह तथावप हम विशव-शानत की थापना क परास क वलिए एकतर हो जाना चावहए हम ससार को इलिाम की िातविक वशकाओ स जो वक परम और शानत पर आzwjधाररत ह पररवचत करान का भरसक परतन करना चावहए इस परकार पनचिमी िशरो तथा विशव क अ भागरो म इलिाम क समबzwjध म जो भरम दढतापिणक थावपत हो चक ह उनका वनिारण कर सकग अ जावतरो अथिा समिारो की शतरता हम किावप इस बात स न रोक वक हम ापिणक विहार न कर पवितर करआन की सरह अलि माइिः की आत सखा 3 म सिणशनतिमान अलाह का कथन ह वक ः

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ال عن وکم صد ان قوم شـنان یجرمنکم ول

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قوى ص ول تعاونوا عل ال ب والت

تعتدواوتعاونوا عل ال

عقابط ان اللہ شدید ال

واتقوا اللہ

ldquoऔर तमह वकसी जावत की शतरता इस कारण स वक उहरोन तमह मनजि-ए-हराम स रोका था इस बात पर न उकसा वक तम अताचार करो तम नकी और तकिा म एक िसर का सहोग करो और पाप और अताचार (िालि कामरो) म सहोग न करो और अलाह स िरो वनसिह अलाह िि िन म बहत कठोर हrdquo

इस मागणिशणक वसदधात को हम सममख रखना चावहए वजस क दारा हम विशव क समक इलिाम की सिर वशकाओ को परतत करन का कततणव परा कर सक

263विशि क नताओ क नाम पतर

ितणमान सम म हम िखत ह वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क पवितर नाम को बिनाम करन क उदश स कछ राजनीवतज और तथाकवथत विदान इलिाम क विरदध घणा क बीज बो रह ह अपन उदशरो की पवतण क वलिए ि करआन की वशकाओ का सिणथा विकत िरप परतत करन का परतन करत ह इसस भी अवzwjधक ह वक वफलितीन और इसाईलि क मध का वििाि विन परवतविन वबगडता जा रहा ह और इसी परकार इसाईलि और ईरान की परपर शतरता इस सीमा तक बढ चकी ह उनक आपसी समबzwjध गमभीर रप स टट चक ह ऐसी पररनथवता ह माग करती ह वक आप उममत मनलिमा (मनलिम समिा) क एक अतत महतिपणण नता होन क नात इन वििािरो का ा और समानता क आzwjधार पर समाzwjधान करन क वलिए हर समभि परास कर जब भी और जहा कही भी इलिाम क विरदध घणा फलिाई जाती ह तो अहमविा मनलिम जमाअत उस िर करन का थासमभि परतन करती ह जब तक समत उममत मनलिमा एकतर हो कर इस उदश की परानति क वलिए परास न कर शानत की थापना कभी नही हो सकगी

मरा आपस अनरोzwjध ह वक आप इस सबzwjध म भरसक परतन कर वि तती विशव दध का होना वननचित ह तो हम कम स कम ह परतन करना चावहए वक इसका आरमभ वकसी मनलिम िश स न हो ससार म कोई भी मनलिम िश अथिा कोई भी मसलिमान वनतिगत तर पर ितणमान अथिा भविषzwj म विशव क सिणनाश का कारण बनन का आरोप अपन ऊपर लिना नही चाहगा ऐसा सिणनाश वजसक फलििरप भािी पीवढा विकलिाग अथिा शारीररक िोषरो क साथ उतपन हरोगी करोवक वि अब तती विशव दध वछड जाता ह तो अिश ही िह दध परमाण शतररो दारा लिडा जाएगा हम वदती विशव दध म जापान क िो शहररो म परमाण बम फरक जान क विधिसकारी पररणामरो क रप म इस विनाश की एक झलिक का अनभि िख चक ह

264 विशव सकट तथा शानत-पथ

अतः ह सऊिी अरब क समाट विशव को सिणनाश स सरवकत रखन क वलिए अपनी समत शनति और परवतषठा का उपोग कीवजए सिणशनतिमान अलाह आपकी सहाता कर - आमीन आपक वलिए और समत उममत मनलिमा क वलिए पराथणना सवहत

مستـقیم

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(हम सीzwjधी राह पर चलिा)िलिामभििी

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

चीन क पिजनिती क नजि पत

267विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहम परzwjधानमतरी टट काउवसलि पीपलस ररपनलिक आफ चाना आिरणी िन वजाबाओ जरोगननहाई चीन

9 अपरलि 2012पार परzwjधानमतरी म आपको ह पतर अहमविा मनलिम जमाअत क एक परवतवनवzwjध क दारा

भज रहा ह िह कबाबीर इसाईलि म हमारी जमाअत क अधक ह तथा उह चीन क अलपसखक िगण क मतरी न आमवतरत वका था हमार परवतवनवzwjध को चीन क अवzwjधकारररो क साथ उस सम पररवचत कराा गा था जब चीन का परवतवनवzwjध मिलि वजनम अलपसखक िगण क उप मतरी भी सनममवलित थ कबाबीर म हमार वमशन हाउस म पzwjधार थ

अहमविा मनलिम जमाअत इलिाम का एक समिा ह जो दढतापिणक इस ईमान पर काम ह वक इस ग म वजस महिी और मसीह का मसलिमानरो क मागण-िशणन क वलिए बतौर महिी और ईसाइरो क मागण-िशणन क वलिए बतौर मसीह तथा मानिता क सzwjधार क वलिए एक पथ-परिशणक क रप म परकट होना वननचित था िह मसीह और महिी हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम की भविषzwjिावणरो क अनसार परकट हो चका ह अत हमन उस िीकार वका ह उनका नाम हजरत वमजाण गलिाम अहमि अलिवहसलिाम था जो भारत की काविान

268 विशव सकट तथा शानत-पथ

नामक बती म पिा हए थ अललिाह तआलिा क आिश स उहरोन 1889 ई म जमाअत अहमविा की नीि रखी 1908 ई म जब उन का वनzwjधन हआ उस सम तक हजाररो लिोग जमाअत अहमविा म सनममवलित हो चक थ उनक वनzwjधन क पचिात वखलिाफत की विथा थावपत हई इस सम हम पाचिी वखलिाफत क ग स गजर रह ह और म हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम का पचम खलिीफा (उततरावzwjधकारी) ह

हमारी वशका का एक वनतात महतिपणण और आzwjधारभत पक ह ह वक ितणमान ग म zwjधावमणक दधरो का अत होना चावहए इसक अवतररकत हमारा मानना ह वक जो वनति भी वकसी वशका को िसररो तक पहचाना ा फलिाना चाहता ह उस ऐसा किलि परम सहानभवत और भरातति भािना क िातािरण म करना चावहए तावक िह शानत एकता और मतरी का माधम बन सक इस महतिपणण पक का जो वक सचची इलिामी वशका पर आzwjधाररत ह समपणण विशि म अहमविा मनलिम जमाअत क दारा परचार वका जा रहा ह ह जमाअत अब विशि क िो सौ स अवzwjधक िशरो म फलि चकी ह और इसक अन ावरो की सखा करोडरो म ह

म आपको ह सिश िना चाहता ह वक विशि इस सम वनतात विनाशकारी और भानक पररनथवतरो स गजर रहा ह वननचित रप स ह परकट हो रहा ह वक हम बडी तीवरता स विशि-दध की ओर अगरसर ह आप एक महाशनतिशालिी िश क शासक ह इसक अवतररकत विशि की जनसखा का एक बडा भाग आप क मागण-िशणन क अतगणत जीिन ापन कर रहा ह आप को स कत राषzwjटर सघ म थािशक िीटो परोग करन का अवzwjधकार भी परापत ह इस पररदश म आप स मरा वनििन ह वक विशि को उस विनाश स बचान क वलिए अपना कततणव वनभाए जो हमार समक मह खोलि खडा ह राषzwjटरिाि zwjधमण एि जावतिाि स ऊपर उठ कर हम मानिता की रका क वलिए भरसक परतन करना चावहए

चीन म इस करानत क पशचात एक महान पररितणन हआ मािर माउवज िाग जो आपक िश क एक महान नता थ उहरोन उचच नवतक मलरो की नीि रखी

269विशि क नताओ क नाम पतर

थी वजह िसर शिरो म सिवोततम नवतक मलरो की सजा िी जा सकती ह दवप वक आप खिा क अनतति को नही मानत ह और आपक वसदधातरो का आzwjधार नवतकता ह तथावप म ह पषzwjट कर िना चाहता ह वक उस खिा न जो इलिाम दारा परतत वका गा ह पवितर कआणन को समत मानि जावत क पथ-परिशणन क वलिए उतारा ह और पवितर कआणन ि समत आचरणरो की वशका िता ह वजन का आप पालिन करत ह अवपत उसम इस स भी बढकर नवतक वनिदश विदमान ह उसम िह अपिण सिर वशकाए मौजि ह जो मनषzwj की आजीविका क साzwjधनरो को भी पषzwjटता क साथ िणणन करती ह और मानि मलरो को भी थावपत करती ह वि विशि विशष तौर पर मनलिम विशि इन कआणनी वशकाओ को अपनाए तो समत समाओ और मतभिरो का समाzwjधान हो जाएगा तथा शानत और एकता क िातािरण को परोतसाहन वमलिगा

आज अहमविा मनलिम जमाअत इस उदश को विशि क परतक भाग म बढािा िन क वलिए परासरत ह शानत समारोह (Peace Symposium) क दारा और उन असख सभाओ क माधम स जो म जीिन क परतक विभाग स सबzwjध रखन िालि लिोगरो और सगठनरो क साथ करता ह म विशि को ह मख उदश मरण कराता ह मरी ह िआ ह वक विशि क नता बवदधमतता स काम करत हए छोट तर पर होन िालिी जावतरो और िशरो की आपसी शतरता को विशव दध का रप न लिन ि मरा आप स ह भी वनििन ह वक विशि की एक महान शनति होन क नात विशि-शानत की थापना क वलिए अपना कततणव पणण कर तथा विशि को विशि-दध क भानक पररणामरो स बचाए करोवक वि ऐसा दध हआ तो ह एटमी हवथाररो क परोग पर समापत होगा बहत सभि ह वक इस दध क पररणामिरप कछ िशरो और कतररो क कछ भभाग विशि स पणणता नषzwjट कर विए जाए एटमी दध क परभाि और पररणाम किलि तिररत और सामवक विनाश क रप म परकट नही हरोग अवपत उसक थाी िषzwjपरभाि भािी नलिरो क िोषपणण और विकलिागतापणण जम क रप म परकट हरोग अतः अपनी समत शनति ोगता

270 विशव सकट तथा शानत-पथ

तथा ससाzwjधनरो दारा मानिता को उन भकर पररणामरो स बचाए इन का पालिन करन क फलििरप अततः आपक िश को भी लिाभ होगा मरी ह िआ ह वक ससार क छोट और बड िश इस सिश को समझ

शभकामनाओ और िआओ क साथ आपका शभवचतक

मिजजा िसरर अहिद खलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशिवापी अहमविा मनलिम जमाअत

यनजइटि मकििि क पिजनिती क नजि पत

273विशि क नताओ क नाम पतर

इगलिणि और उततरी आरलिणि क परzwjधानमतरी आिरणी िविि कमरन 10 िाउवनग टरीट लििन एस िल 1A 2AA क

15 अपरलि 2012पार परzwjधानमतरी जी वजन विनाशकारी और असरवकत पररनथवतरो स विशि इस सम गजर रहा

ह उह िखत हए मन आिशक समझा वक आप की सिा म पतर वलिख वबरटन क परzwjधानमतरी होन क नात आपको ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह जो भविषzwj म आपक िश तथा विशि पर परभािी हरो आज विशि को शानत की वनतात आिशकता ह करोवक दध की जिालिा विशि क चाररो ओर िखी जा सकती ह िशरो क मध वनमनतरी दध विशवदध म पररिवतणत होन की आशका ह हम िखत ह वक इस सम विशि की आवथणक तथा राजनीवतक नथवत िही ह जो 1932 ई म थी इसक अवतररकत अ समानताए भी ह वजनको वि सामवहक रप म िखा जाए तो िही वचतर परतत करती ह जो वदती विशि-दध स ठीक पिण िखा गा था वि जिालिाए कभी िातविक तौर पर भडक उठ तो हम तती विशि दध का भानक दश िखग छोट-बड असख िशरो क पास परमाण हवथार होन क कारण ऐसा दध वनशच ही परमाण दध का रप zwjधारण कर लिगा आज जो शतर उपलिzwjध ह ि इतन विनाशकारी ह वक इसक पररणामिरप भािी पीवढरो क बचच िशानगत अथिा शारीररक िोषरो क साथ जम लि सकत ह जापान ही

274 विशव सकट तथा शानत-पथ

एक िश ह वजस परमाण दध क िषzwjपररणाम भगतन पड ह जब उस पर वदती विशि-दध क मध एटम बमरो स आकरमण वका गा था वजस क पररणामिरप उसक िो शहर समपणणता नषzwjट हो गए थ उस सम वजन परमाण बमरो का परोग वका गा था वजनक कारण बहत बड तर पर विनाश हआ था ि इन परमाण हवथाररो स बहत कम शनति क थ जस इस सम कछ छोट िशरो क पास भी ह अत शनतिशालिी िशरो का ह िावति ह वक ि स कत रप स विनाश क कगार पर खडी मानिता को बचान का समाzwjधान वनकालि

इन बातरो पर विचार करक बहत आशका रहती ह वक छोट िशरो क एटमी हवथार उन लिोगरो क हाथरो म आ सकत ह जो वबना सोच समझ हवथाररो का उपोग करन पर उतार होत ह वजन क पास न तो ोगता ह और न ही ि अपनी गवतविवzwjधरो क पररणामरो क सबzwjध म विचार करन का परास करत ह वि महाशनतिशालिी िश ापिणक काम नही करत और छोट िशरो की वनराशाओ का वनिारण नही करत तथा महान और ासगत नीवता नही बनात तो पररनथवत शन शन अवनवतरत होती चलिी जाएगी और इसक फलििरप जो विनाश आएगा िह हमार अनमान और कलपना स बाहर होगा हा तक वक विशि की अवzwjधकतर जनता जो शानत की अवभलिाषी ह उस विनाश की लिपट म आ जाएगी

अत ह मरी हाविणक इचछा और िआ ह वक आप और शष समत शनतिशालिी िशरो क नता इस भकर िातविकता को समझ और अपन उदशरो की परानति क वलिए आकरामक नीवतरो और शनतिरो को परोग म लिान की बजाए आपको ि नीवता अपनानी चावहए जो ा को बढािा ि और उसकी रका कर

वि हम वनकट अतीत म झाक कर िख तो हम विवित होगा वक वबरटन न कई िशरो पर शासन वका तथा ा और zwjधावमणक िततरता क उचच तर थावपत वकए विशषकर भारत और पावकतान उपमहादीप म जब अहमविा मनलिम जमाअत क परितणक न आिणगी महारानी विकटोररा को उनकी हीरक जती पर बzwjधाई िी तथा इलिाम का सिश पहचाा तब उहरोन विशष तौर पर ह िआ की

275विशि क नताओ क नाम पतर

वक खिा वबरटन की सरकार को उसकी ा और समानता पर आzwjधाररत शासन पदधवत पर भरपर परवतफलि परिान कर उहरोन सरकार की ासगत नीवतरो एि zwjधावमणक िततरता िन पर उसकी वनतात परशसा की ितणमान सम म वबरटन की सरकार अब भारत और पावकतान म शासन नही करती परत zwjधावमणक िततरता क वसदधात अब भी वबरटन क समाज और उसक कानन म दढता क साथ थावपत ह वजनक अतगणत परतक वनति को zwjधावमणक िततरता और समानता क अवzwjधकार विए जात ह इस िषण आिरणी महारानी एवलिजाबथ वदती की हीरक जती मनाई जा रही ह जो बताणवना को ह अिसर परिान कर रही ह वक िह विशि क सममख अपन ा और इरमानिारी क तर को परिवशणत कर अहमविा मनलिम जमाअत का इवतहास ह परकट करता ह वक वबरटन न जब भी ा का परिशणन वका ह हमन उसकी सराहना की ह और आशानित ह वक भविषzwj म भी ा वबरटन की सरकार का ह विशष गण थावपत रहगा न किलि zwjधावमणक मामलिरो म अवपत परतक मामलि म और ह वक आप अपन िश की उततम विशषताओ और परमपराओ को कभी नही भलिग तथा विशि की ितणमान पररनथवत म वबरटन अतराणषटी तर पर शानत-थापना क वलिए अपनी भवमका वनभाएगा

मरा ह वनििन ह वक परतक तर पर और दनटिकोण स हम अवनिाण रप स परास करना होगा तावक नफरत की जिालिा को शात वका जा सक इस परास की सफलिता क पशचात ही हम भािी पीवढरो क उजजिलि भविषzwj का आशिासन ि सकत ह परत वि हम इस काण म सफलि न हए तो हमार मन म इस सबzwjध म कोई सिह नही होना चावहए वक परमाण दध क फलििरप भािी पीवढरो को हर जगह हमार कमषो क भानक पररणाम को भगतना पडगा और ि अपन पिणजरो को पर विशि को विनाश की जिालिा म झरोकन क कारण कभी कमा नही करगी म आपको पन मरण कराता ह वक वबरटन भी उन िशरो म स ह जो विकवसत और विकासशीलि िशरो पर अपना परभाि िालि सकत ह और िालित ह वि आप चाह तो आप ा और इसाफ की मागरो को परा करत हए विशि का पथ-परिशणन कर

276 विशव सकट तथा शानत-पथ

सकत ह अतः वबरटन तथा अ शनतिशालिी िशरो को विशि-शानत की थापना क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए अललिाह तआलिा आपको और विशि क अ नताओ को ह सिश समझन की सामथण परिान कर

शभकामनाओ और िआओ क साथ आपका शभ वचतक

मिजजा िसरर अहिद खलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशिवापी अहमविा मनलिम जमाअत

जिानी की चजसलर क नजि पत

279विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहम चासलिर आफ जमणनी एजलिा मरकलि Bundeskanzleramt Willy-Brandt-Str1 10557 Berlin

15 अपरलि 2012आिरणीा चासलिर विशि को सतकक करन िालिी और अतवzwjधक वचनतत करन िालिी ितणमान

पररनथवतरो को दनटिगत रखत हए मन आप को पतर वलिखना आिशक समझा विशि म जमणनी जस वनतात महतिपणण एि शनतिशालिी िश की चासलिर होन क नात आपको ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह जो आपक िश और समत विशि पर परभािी हरो आज जबवक विशि िगषो म विभावजत हो रहा ह उगरिाि तीवरता zwjधारण करता जा रहा ह तथा राजनीवतक एि आवथणक पररनथवता बहत खराब होती जा रही ह तो इन कवथत पररनथवतरो म इस बात की वनतात आिशकता ह वक हर परकार की नफरत और घणा को समापत वका जाए और शानत की नीि रखी जाए इस उदश को किलि इस परकार परापत वका जा सकता ह जब परतक वनति की भािनाओ का आिर वका जाए परत चवक उस उवचत रप स पणण ईमानिारी और नकी क साथ कााणनित नही वका जा रहा इसवलिए विशि की पररनथवता बडी तीवरता स अवनवतरत होती जा रही ह हम िखत ह वक बहत स िशरो क दारा

280 विशव सकट तथा शानत-पथ

ा की माग परी नही की जा रही ह वजसक कारण एक विशि-दध की नीि पहलि ही रखी जा चकी ह अवzwjधकाश छोट-बड िशरो क पास अब एटमी शतर ह अतः अब वि विशि-दध होता ह तो बहत सभि ह वक ह दध परमपरागत शतररो दारा नही होगा अवपत ह एटमी शतररो स होगा इस दध क पररणामिरप होन िालिी बरबािी पणण रप स सिणनाश करन िालिी होगी इसक परभाि किलि उसी सम तक सीवमत नही रहग अवपत भािी नलि एक लिमब सम तक इस स परभावित होती रहगी तथा ि नलि वचवकतसा समबzwjधी एि अनिावशक तौर पर भानक िोषरो क साथ पिा हरोगी

अतः मरा ह विचार ह वक विशि-शानत की थापना क वलिए सचच ा की आिशकता ह और समत लिोगरो की भािनाओ एि zwjधावमणक रीवत-ररिाजरो का सममान वका जाना चावहए म कछ पनचिमी िशरो की इस बात का सममान करता ह वक उहरोन वनतात उिारता क साथ वनzwjधणन और विकासशीलि िशरो क लिोगरो को अपन िशरो म रहन की अनमवत िी हई ह वजनम मसलिमान भी सनममवलित ह इसम कोई सिह नही वक नाम क मसलिमानरो का एक अलपसखक िगण ह जो पणण रप स अनवचत काषो म वत ह तथा पनचिमी िशरो क लिोगरो क हिरो म अविशिास की भािना को जम ित ह परत उनकी ऐसी समत गवतविवzwjधरो का इलिाम स कोई सबzwjध नही ह ऐस चरमपथी हजरत रसलि करीम सललाहो अलिवह िसलम वजहरोन विशि को शानत परम और एकता का सिश विा ह स सचचा परम नही करत वनशच ही कछ मटी भर गमराह लिोगरो की गवतविवzwjधरो को हमार zwjधमण क विरदध आरोप लिगान और बहत बडी सखा म मौजि वनषzwjकपट और वनिवोष मसलिमानरो की भािनाओ को ठस पहचान क वलिए आzwjधार नही बनाना चावहए समाज म शानत थावपत करना वदपकी परवकरा ह और ह तब ही थावपत की जा सकती ह जब समत पावटरा एक साथ वमलिकर परपर समझौत क वलिए काण कर विकासशीलि िशरो और लिोगरो क साथ सबzwjध थावपत करन की बजाए पनचिमी विशि क लिोगरो क हिरो म अविशिास क कारण कछ गर मनलिम लिोगरो की

281विशि क नताओ क नाम पतर

परवतवकरा आज बहत अवzwjधक खराब होती जा रही ह तथा मनलिम और गर मनलिम जगत क बीच एक िरार पिा कर रही ह

हम िखत ह वक कछ मनलिम सगठनरो और िशरो की गमराह गवतविवzwjधरो क आzwjधार पर कछ शनतिशालिी िशरो क विशष वहतरो को ईमानिारी और ा पर परमखता िी जा रही ह विशि क कछ शनतिशालिी िश चाहत ह वक कछ िशरो क भणिार एि ससाzwjधनरो तक पहच पिा कर लि तथा परवतपzwjधाण करन िालि िशरो का उन ससाzwjधनरो तक पहचना वबलकलि असमभि बना ि इसवलिए अवzwjधकाश वनणण लिोगरो की सहाता करन ा विशि-शानत की थापना क नाम पर वकए जात ह तथा विशि की ितणमान आवथणक पररनथवतरो क पीछ एक बडा कारण आवथणक वगरािट ह जो हम एक और विशि-दध की ओर लि जा रही ह वि सचचाई का उवचत रप स परिशणन वका जाता तो उनम स कछ िश परपर ा पर आzwjधाररत औदोवगक एि आवथणक समबzwjध थावपत करक एक-िसर स ा क साथ लिाभ परापत कर सकत थ इस परकार ि एक िसर क ससाzwjधनरो स अनवचत लिाभ परापत न करत अवपत उसक थान पर ि एक िसर क वनकट आकर परपर एक िसर की सहाता करत अतः विशि की ितणमान अविथा का कारण एक परमख तति ा का पणण रप स अभाि ह वजस क कारण चाररो ओर अशानत और बचनी की हालित ह

अत मरा ह वनििन ह वक इस विशि-दध स लिोगरो को बचान क वलिए पहलि स भरपर परास कर अपनी शनति ससाzwjधनरो और परभाि को परोग करत हए विशि को इस भकर विनाश स बचाए जो परकट होन क कगार पर ह सचनाओ क अनसार जमणनी परमाण शतररो स लििी हई तीन अवत आzwjधवनक पनिछनबा इसाईलि को िन जा रहा ह जमणनी क एक परोफसर क विचार म ऐसा वनणण इसाईलि और ईरान क मध पहलि स चलि रही तनािपणण नथवत को और अवzwjधक भडकान म सहाक वसदध होगा हम ह मरण रखना चावहए वक ितणमान सम म परमाण शतर किलि विशव की महाशनतिरो क पास ही नही ह अवपत तलिनातमक दनटि स

282 विशव सकट तथा शानत-पथ

छोट िशरो न भी इसको परापत कर वलिा ह वचताजनक विष ह ह वक इन छोट िशरो म स कछ क नता शतररो क असािzwjधानीपणण परोग पर आतर ह और ि इन शतररो क उपोग क विनाशकारी पररणामरो क परवत सिणथा उिासीन ह अतः आपस पनः वनििन ह वक विशव शानत थावपत करन का भरसक परास कर वि हम इस काण म विफलि हो गए तो हमार मन म वफर कोई शका नही रहनी चावहए वक परमाण दध क कारण ऐसा विनाश होगा वजसक िषzwjपरभाि भािी पीवढरो क विकलिाग रप म जम लिन क रप म परकट हरोग और ि अपन पिणजरो को इस बात क वलिए कभी कमा नही करग वक उनक कारण उह इस महापरलि का मह िखना पडा ह सिणशनतिमान परमातमा आपको और विशव क सभी नताओ को इस सिश को समझन की सामथण परिान कर

शभकामनाओ तथा पराथणनाओ सवहत

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

फजस िणरजजय क रजषटपमत क नजि पत

285विशि क नताओ क नाम पतर

राषटपवत फास गणराजमहामवहम Francois HollandePalais de lrsquoElysee 55 Rue du Faubourg Saint-Honore 75008 Paris France

16 मई 2012वपर राषटपवत जीसिणपरथम म इस अिसर का लिाभ उठात हए आपको फास क नए राषटपवत

क रप म वनिाणवचत होन पर बzwjधाई िना चाहता ह िाति म ह एक महान उततरिावति ह जो आप को सौपा गा ह और म आशा करता ह वक फास की जनता ही नही अवपत समपणण विशव आपक नतति स लिाभानित होगा विशव की वबगडती हई ितणमान पररनथवतरो को सममख रखत हए मन आपक पिण राषटपवत वनकोलिस सरकोजी को एक पतर भजा था उस पतर म मन राषटपवत सरकोजी को एक विशव तर क नता होन क रप म उनक कततणवरो की ओर धानाकषणण करात हए ह अनरोzwjध वका था वक आप अपनी समपणण शनति और परवतषठा का उपोग करत हए विशव दध की स भािना को रोकन का परास कर फास क नि-वनिाणवचत राषटपवत होन क नात मन आपको भी इसी सिश पर आzwjधाररत पतर वलिखना आिशक समझा करोवक अब आपक पास ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह वजन

286 विशव सकट तथा शानत-पथ

स आपक िश और सामा रप स पर विशव का भविषzwj परभावित हो सकता ह मरा ह मत ह वक विशव की ितणमान पररनथवतरो क परवत सभी िशरो की सरकाररो को अवत वचनतत होना चावहए विवभनन िशरो क मध अा और शतरता की भािनाओ क कारण एक विशव दध का रप zwjधारण करन की परबलि आशका ह गत शतािी म िो विशव दध हए परथम विशव दध क पचिात राषटसघ की थापना हई परत ा की मागरो को पणण न वकए जान क फलििरप इसन वदती विशव दध को जम विा जो परमाण बमरो क परोग क साथ समापत हआ ततपचिात मानिावzwjधकाररो की सरका और विशव शानत थावपत करन हत सति राषट का गठन वका गा अतः इस परकार दधरो को टालिन का समाzwjधान तो वनकालिा गा परत आज हम िखत ह वक तती विशव दध की नीि पहलि ही रखी जा चकी ह विवभन छोट तथा बड िशरो क पास परमाण शतर मौजि ह वचता का विष ह ह वक परमाण शनति िालि कछ छोट िश ऐस शतररो क विनाशकारी पररणामरो स अनवभज ह और उनक परवत उिासीन ह ह बात कलपनातीत नही वक वि परमाण शतररो का परोग वका गा तो इसक भकर पररणाम तरत परकट हरोग और िह विन परलि क समान होगा आज जो शतर उपलिzwjध ह ि इतन विनाशकारी ह वक उनक कारण भविषzwj म कई पीवढरो तक गमभीर आनिवशक तथा शारीररक िोष िालि वशश जम लिग कहा जाता ह वक एक मातर िश जापान वजसन परमाण दध क भीषण पररणाम भगत ह सात िशक बीत जान क पचिात आज भी िहा निजात वशशओ म परमाण बमरो क िषzwjपरभाि परतक रप स िख जा सकत ह

अतः आपस मरा विनम अनरोzwjध ह वक मनलिम तथा गर मनलिम िशरो क मध शतरता एि अविशवास की भािना को शात करन का थासमभि परास कर कछ रोपी िश इलिाम की वशकाओ और परमपराओ क समबzwjध म परतक सश रखत ह और उहरोन उन पर कछ परवतबzwjध लिगाए ह जबवक कछ अ िश एसी काणिाही करन का विचार कर रह ह कछ तथाकवथत उगर िभाि क लिोग जो अपन आपको मसलिमान कहत ह उनकी पनचिमी िशरो क परवत घणा उनकी ओर स

287विशि क नताओ क नाम पतर

अनवचत परवतवकरा का कारण बन सकती ह वजसक फलििरप zwjधावमणक असवहषzwjणता और मतभिरो म और अवzwjधक िवदध होगी परत इलिाम एक शानत-वपर zwjधमण ह जो हम वकसी अनवचत काण को अनवचत ढग स रोकन की वशका नही िता हम अथाणत अहमविा मनलिम जमाअत क लिोग इस वसदधात का पालिन करत ह और परतक समा का शानतपणण समाzwjधान ढढन म विशवास करत ह

ह िख कर खि होता ह वक मसलिमानरो का एक अलप िगण इलिाम का सिणथा विकत रप परतत करता ह और अपन भरवमत विशवासरो का पालिन करता ह हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम जो वक समपणण मानिता क वलिए िा का िरप ह क परवत अपन परम क कारण म ह कहता ह वक आप एस लिोगरो की बातरो को िातविक इलिाम न समझ और उन का अवzwjधकार-पतर क रप म परोग करक बहसखक शानतवपर मसलिमानरो की भािनाओ को ठस न पहचाए कछ ही विन पिण एक वनिणी और कठोर परकवत वनति न िवकणी फास क कतर म कछ फासीसी सवनकरो की अकारण गोलिी मारकर हता कर िी और उसक कछ विन पचिात उस वनति न एक ककलि म परिश कर तीन वनिवोष हिी बचचरो और उनक एक वशकक की हता कर िी इसी परकार की और भी वनमणम घटनाए हम अ मनलिम िशरो म वनवमत रप स घवटत होती िखत ह और ह सभी घटनाए इलिाम क विरोवzwjधरो को अपनी घणा क परिशणन क वलिए उततवजत करती ह वजनक आzwjधार पर ि अपन उदशरो की पवतण क वलिए वापक तर पर काणिाही करत ह एक मसलिमान होन क नात म पणणतः पटि करना चाहता ह वक इलिाम वकसी भी अताचार और वकसी अा की अनमवत नही िता पवितर कआणन न एक वनिवोष वनति की अकारण हता को समपणण मानिजावत की हता क समान ठहराा ह ह अपिाि रवहत पटि वनिदश ह पवितर कआणन ह भी कहता ह वक दवप कोई जावत ा राषट तम स िमन रखता हो तो वफर भी ह बात तमह उनक साथ वनषzwjपक और ापणण विहार करन स न रोक

288 विशव सकट तथा शानत-पथ

शतरता ा परवतदनदता तमह परवतशोzwjध लिन अथिा अताचार पणण विहार करन क वलिए परररत न कर वि आप वििािरो का उततम समाzwjधान करना चाहत ह तो शानतपणण हलि ढढन का परास कर

म इस बात की परशसा करता ह वक बहत स पनचिमी िशरो न वनzwjधणन तथा अविकवसत िशरो की जनता को वजनम मसलिमान भी सनममवलित ह अतत उिारतापिणक अपन िश म बसन की अनमवत िी ह वनसिह बहत स मसलिमान आपक िश म रहत ह और ि आपक नागररक भी ह उनम स अवzwjधकतर कानन का पालिन करन िालि और वनषzwjकपट लिोग ह इसक अवतररति ह वक इलिाम की पटि वशका ह वक अपन िश स परम करना हमार ईमान का अश ह आपक वलिए भी मरा ही सिश ह वक वि इलिाम की िातविक वशकाओ का हर जगह परसार वका जाए तो इसक फलििरप राषटी और अतराणषटी तर पर िश-परम की भािनाओ और शानत की थापना समभि होगी

आपस और िाति म विशव क सभी महान नताओ स मरा ह विनम अनरोzwjध ह वक िसर िशरो का िमन करन हत शनति क परोग क थान पर ककटनीवत िाताणलिाप तथा सिzwjबवदध स काम लिना चावहए विशव की महाशनतिरो जस वक फास को शानत थापना क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए उह छोट िशरो की गवतविवzwjधरो को विशव-शानत भग करन का आzwjधार नही बनाना चावहए अतः म पनः आपको मरण कराता ह वक विशव की छोटी और बडी शनतिरो को तती विशव दध की विफोटक नथवत उतपन करन स रोकन क वलिए थासमभि परास कर इस समबzwjध म हमार मन म कोई शका नही रहनी चावहए वि हम इस काण म विफलि हो गए तो ऐस दध क परभाि एि पररणाम किलि एवशा रोप तथा उततरी एि िवकणी अमररका क वनzwjधणन िशरो तक ही सीवमत नही रहग अवपत हमारी भािी पीवढा भी हमार काषो क भीषण पररणामरो स परभावित हरोगी और पर विशव म विकलिाग और शारीररक िोष िालि बचच जम लिग म पराथणना करता ह वक विशव

289विशि क नताओ क नाम पतर

क नता सिzwjबवदध स काम लि और विवभन िशरो और लिोगरो क मध वनमन तर पर चलि रही शतरता को विशव दध का रप zwjधारण करन स रोक महापरतापी परमातमा आपको और विशव क अ सभी महान नताओ को ह सिश समझन का सामथण परिान कर

शभ कामनाओ एि पराथणनाओ सवहतभििी

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

यनजइटि मकििि त थज रजषट-िणिल दशरो की िहजरजनी क नजि पत

293विशि क नताओ क नाम पतर

Her Majesty Queen Elizabeth IIQueen of the United Kingdom and Commonwealth Realms Buckingham Palace London SW1A 1AA United Kingdom

19 अपरलि 2012आिरणीा महारानी जीअहमविा मनलिम जमाअत क परमख क रप म और पर विशव क अहमविा

मनलिम जमाअत क लिाखरो सिरो की ओर स म हीरक जती क इस आनिपणण अिसर पर आपको हाविणक बzwjधाई िता ह हम विशष रप स सिणशनतिमान परमातमा क कतज ह वक उसन हम इस भव समारोह म भाग लिन का सअिसर परिान वका विशष रप स सभी अहमिी मसलिमान जो क क नागररक ह हीरक जती क इस अिसर पर अतत हषण एि गिण अनभि कर रह ह अतः म उन सब की ओर स महारानी को हाविणक बzwjधाई परतत करता ह

म उस परमशवर को जो सिणशषठ ह और वजसन zwjधरती और आकाश का सजन करक उसको हमार जीिन क वलिए असख नrsquoमतरो स पररपणण वका ह स ाचना करता ह वक िह हमारी महारानी को वजसका िापणण राज बहत स िततर राषट और राषट-मणिलि क सि िशरो पर वापत ह सिि शानत और सरका परिान कर वजस परकार महारानी स िदध एि िक अथाणत समत परजा परम करती ह और उनका आिर करती ह हमारी िआ ह वक परमातमा क फररशत भी उसी परकार महारानी स परम कर वजस परकार महारानी को परमातमा न परचर मातरा म सासाररक नrsquoमत परिान की ह हमारी कामना ह वक परमातमा उसी परकार महारानी को असख आधानतमक

294 विशव सकट तथा शानत-पथ

ििाताओ एि नrsquoमतरो स भी पररपणण कर ि परमातमा कर इन नrsquoमतरो क फलििरप इस महान राषट क सभी नागररक अपन सिणशनतिमान परमातमा को पहचानन म सकम हो जाए और परपर परम एि सहानभवत की भािना स जीिनापन करन लिग परमातमा कर क क सभी नागररक zwjधमण रग नलि राषटीता अथिा zwjधमण क भिभाि स ऊपर उठ कर एक िसर क परवत इस सीमा तक आिर एि सममान की भािना का परिशणन करन लिग वक इस विहार का सकारातमक परभाि इस िश की सीमाओ को पार करक विशव क अ िशरो क लिोगरो म वापत हो जाए परमातमा कर वक ह ससार वजसका अवzwjधकाश भाग आज दधरो वििािरो तथा शतरताओ म सवलिपत ह शानत परम भरातति और वमतरता का कदर बन जाए ह मरा दढ विशवास ह वक इस महतिपणण एि सिवोततम उदश की परानति क वलिए महारानी क द नषzwjट कोण और परास एक परमख भवमका वनभा सकत ह

गत शतािी म िो विशव-दध लिड गए वजनम लिाखरो पराण नटि हए वि आज विवभन िशरो क मध वििािरो म िवदध होती गई तो अततः इस का पररणाम तती विशव-दध क रप म परकट होगा विशव-दध म परमाण शतररो क परोग की परबलि स भािना का अथण ह विशव एक अतत भानक और कलपनातीत विनाश क िशणन करगा हमारी पराथणना ह वक परमातमा ऐसी भानक विपवतत को घवटत न होन ि और ससार क सभी लिोगरो को सिzwjबवदध और समवत परिान कर महारानी स मरा विनम वनििन ह वक आप हीरक जती क इस आनिपणण अिसर को मानिजावत की भलिाई क वलिए परोग म लिात हए सभी िशरो चाह ि बड हरो ा छोट की जनता को ह मरण कराए वक ि परपर परम शानत तथा एकता की भािना स जीिन वतीत कर

इस समबzwjध म हीरक जती क इस पािन अिसर पर आपस मरा एक विनम वनििन ह वक आप विशव को ह सिश ि वक परतक zwjधमण क अना वरो तथा उनको भी जो परमातमा म विशवास नही करत सिि अ zwjधमण क लिोगरो की भािनाओ का सममान करना चावहए इलिाम क समबzwjध म आज विशव म गलित

295विशि क नताओ क नाम पतर

zwjधारणाए परचवलित ह इस क फलििरप एक ओर शानतवपर मसलिमानरो की भािनाए आहत होती ह तो िसरी ओर गर मनलिमरो क हि म इलिाम क परवत अविशवास और घणा की भािना उतपन होती ह अतः वि आप सभी लिोगरो को ह उपिश ि वक परतक वनति सभी zwjधमषो और उनक अन ावरो का आिर और सममान कर तो सभी zwjधमषो क मानन िालिरो अवपत समत विशव पर ह आपकी िा और महान उपकार होगा महापरतापी परमातमा इस उदश की पवतण म हमारी महारानी की सहाता एि समथणन कर

जसा वक इस पतर क आरमभ म मन वलिखा था वक म विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत का परमख ह इस समबzwjध म म अपनी जमाअत का एक अवत सवकपत पररच परतत करना चाहता ह अहमविा मनलिम जमाअत का ह दढ विशवास ह वक िह मसीह मौऊि और सzwjधारक वजसको हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम तथा उनस पिण अिताररो की भविषzwjिावणरो क अनरप इस ग म आविभाणि वननचित था िह हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी अलिवहसलिाम क अ वतररति कोई अ नही सनzwj 1889 ई म आपन एक पवितर और सिाचारी समिा की नीि रखी वजसका नाम अहमविा मनलिम जमाअत ह इस जमाअत की थापना स आपका उदश परमातमा और मनषzwj म समबzwjध थावपत करना और लिोगरो का एक िसर क अवzwjधकाररो को पणण करन की ओर धानाकवषणत करना था वजसक फलििरप सभी लिोग परपर सममान और शभचछा की भािना क साथ जीिन वतीत कर सक जब 1908 ई म हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब अलिवहसलिाम का िहात हआ तो उस सम आपक लिगभग 400000 अन ाी थ आपक िगणिास क पचिात परमातमा की इचछा अनसार वखलिाफत की विथा की थापना हई और इस सम परमातमा का ह विनीत सिक हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम का पाचिा खलिीफा ह अतः अहमविा मनलिम जमाअत पर विशव म अपन स थापक क उदश को आग बढान म परासरत ह हमारा सिश परम सलिह और भरातति पर आzwjधाररत ह और हमारा आिशण िाक ह - परम सब क वलिए

296 विशव सकट तथा शानत-पथ

घणा वकसी स नही जो िाति म इलिाम की अनपम वशकाओ का सार ह हा ह िणणन करना उवचत होगा वक ह शभ स ोग ह वक अहमविा

मनलिम जमाअत क स थापक क जीिनकालि म महारानी विकटोररा की हीरक जती मनाई गई थी उस सम अहमविा मनलिम जमाअत क सथापक न तोहफा कसररा (महारानी क वलिए एक भट) नामक एक पतक की रचना की वजसम आपन महारानी विकटोररा क वलिए बzwjधाई का सिश वलिखा था अपन सिश म हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब अलिवहसलिाम न महारानी को हीरक जती क अिसर पर बzwjधाई िी और साथ ही इस बात की भी बzwjधाई िी वक महारानी क शासन म सभी लिोगरो वजनम भारती उपमहादीप क लिोग भी शावमलि ह को ा एि zwjधावमणक िततरता परिान की गई ह और ि सभी शानतपणण जीिन वतीत कर रह ह आपन इलिाम की सिर वशकाओ को परतत करत हए अपन आगमन और िाि का वाखातमक िणणन वका

दवप वबरटन की सरकार न भारती उपमहादीप को िततरता परिान कर िी ह अवपत िाति म वबरटन की सरकार का विवभन जावत तथा zwjधमषो क लिोगरो को अपन िश म वनिास करन की अनमवत िना और उह समान अवzwjधकार zwjधावमणक िततरता अवभवनति की िततरता परिान करना वबरटन की उचचतम तर की सहनशीलिता का विशालि परमाण ह आज सहतररो अहमिी मसलिमान वबरटन म रहत ह उनम स अवzwjधकतर ऐस ह वजहरोन अताचार क कारण अपन िश स वहजरत (परिास) करक हा शरण लिी ह महारानी क िापणण शासन म ि शानतपणण जीिन वतीत कर रह ह वजसम उह ा और zwjधावमणक िततरता परापत ह इस उिारता क वलिए म पनः आिरणीा महारानी क परवत अपनी हाविणक कतजता परकट करता ह

म ह पतर महारानी क वलिए एक पराथणना क साथ समापत करता ह िाति म ह िही पराथणना ह जो अहमविा मनलिम जमाअत क सथापक न आिरणी महारानी विकटोररा क वलिए की थी

297विशि क नताओ क नाम पतर

ldquoह सिणशनतिमान त था सिणशषठ परमातमा अपनी कपा एि िा स हमारी आिरणीा महारानी को सिि परसन रखना ठीक उसी परकार जस वक हम उनक िापणण शासन म परसनतापिणक जीिन वतीत कर रह ह ह सिणशनतिमान परमातमा उनस िा एि सहपिणक विहार करना जस वक हम उनक िापणण शासन म शानत एि समवदधपिणक जीिन वतीत कर रह हrdquo

मरी ह भी पराथणना ह वक महापरतापी परमातमा हमारी आिरणीा महारानी का मागणिशणन कर सिणशनतिमान परमातमा आिरणी महारानी की सतान का भी ऐसा मागणिशणन कर वक ि सचचाई पर थावपत हो कर अ लिोगरो को भी इस मागण पर चलिन का उपिश ि परमातमा कर ा और िततरता क गण वबरवटश सामाज क मागणिशणक वसदधात बन रह म पनः आिरणीा महारानी की सिा म इस आनिपणण अिसर पर हाविणक बzwjधाई परतत करता ह हमारी आिरणीा महारानी की सिा म मरी ओर स हाविणक एि सचची बzwjधाई परतत ह

शभ कामनाओ तथा पराथणनाओ सवहतभििी

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख अहमविा मनलिम जमाअत

इसलजिी िणरजजय ईरजन क सवापिख नतज क नजि पत

301विशि क नताओ क नाम पतर

इलिामी गणराज ईरान क सिणपरमख नताआतलाह सि अलिी हसनी खमनीतहरान ईरान

14 मई 2012आिरणी आतलाह असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातहसिणशनतिमान अलाह न आपको ईरान म इलिाम की सिा का अिसर परिान

वका ह तथा इस सम ईरान की सरकार अापक सरकण म का णरत ह अतः आिशक ह वक हम ससार तक इलिाम की िातविक वशकाओ का सिश पहचान का भरसक परतन कर मसलिमान होन क नात हम ससार को शानत परम और एकता स रहन की वशका िनी चावहए विशष रप स मनलिम नताओ को इस ओर तरत धान िन की आिशकता ह इसी उदश हत मरा आप स अनरोzwjध ह वक आप अपनी सरकार का विशव म शानत थावपत करन क वलिए उसक कततणव की ओर धानाकषणण कराए वि ईरान पर आकरमण होता ह तो उस अपन िश की रका करन का पणण अवzwjधकार परापत ह परत उस आकरमण करन अथिा वकसी वििाि म पडन की पहलि नही करनी चावहए िरनzwj zwjधावमणक मतभिरो को एक ओर रखकर नवतक मलरो क आzwjधार पर एकता बनान का परास वका जाना चावहए इलिाम क इवतहास स हम जात होता ह वक ही मागण अपनाा गा था

म हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम वजसक इस ग म आगमन की भविषzwjिाणी हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न की थी पर ईमान लिान

302 विशव सकट तथा शानत-पथ

िालि उनक उततरावzwjधकारी और खलिीफा होन क नात आपको ह पतर वलिख रहा ह अलाह की कपा स ह जमाअत अब विशव क 200 िशरो म थावपत हो चकी ह और विशव भर म इसक लिाखरो शदधािान अनाी ह

हमारी ह परबलि इचछा ह वक हम परपर परम और शानत स रहन क वलिए विशव का मागणिशणन कर इस उदश की पवतण हत म जीिन क विवभन िगण क लिोगरो का वनरतर धानाकषणण कराता रहता ह अतः मन इही विनरो म इसाईलि क परzwjधानमतरी स ति राज अमररका और कई अ विशव तर क नताओ को पतर वलिख ह मन पोप बवनविकट XVI को भी इस समबzwjध म पतर वलिखा ह

एक विशालि इलिामी िश क आधानतमक नता क रप म मझ आशा ह वक आप इस बात स सहमत हरोग वक वि समत मनलिम समिा एकजट हो कर का ण कर तो विशव-शानत थावपत हो सकती ह हम शतरता और िमन को अकारण बढाना नही चावहए अवपत हम शानत थावपत करन क अिसर ढढन चावहए इसक अवतररति ह वक िसररो क साथ शतरता ा विरोzwjध की भािना भी अापणण नही होनी चावहए पवितर कआणन न हम ही वशका िी ह ः-

अनवजद - ह ि लिोगो जो ईमान लिाए हो अलाह क वलिए मजबती स वनगरानी करत हए ा क समथणन म साकी बन जाओ और वकसी जावत की शतरता तमह किावप इस बात की ओर परररत न कर वक तम ा न करो ा करो ह तकिा (स म) क सबस अवzwjधक वनकट ह और अलाह स िरो जो तम करत हो वनसिह अलाह उसस सिा अिगत रहता ह (सरह अलिमाइिह ः 9)

अलाह तआलिा समत मनलिम समिा और सभी मनलिम राजरो को मरा सिश समझन का सामथण परिान कर और ि विशव म शानत थावपत करन हत अपनी-अपनी भवमका वनभान क वलिए ततपर हो जाए

समत मनलिम समिा क परवत परम क फलििरप उतपन मानिजावत स परम की भािना न और इस बात न वक म उसकी उममत का सि ह जो समत मानिजावत क वलिए साकात िा ह मझ आपको ह पतर वलिखन क वलिए परररत

303विशि क नताओ क नाम पतर

वका ह अलाह तआलिा विशव क सभी नताओ को मरा सिश समझन का सामथण परिान कर और ि विशव-शानत की थापना म सवकर भवमका वनभान िालि हरो अथा वि वकसी एक िश का असािzwjधानीपणण तथा वििकरवहत काण िो िशरो क मध पणण दध का कारण बनता ह तो िह वििाि किलि उन िो समबनzwjधत िशरो तक सीवमत नही रहगा अवपत दध की जवालिा समत विशव को अपनी चपट म लि लिगी अतः इसक फलििरप विशव-दध वछड जान की पणण समभािना ह जो परामपरागत शतररो स नही बनलक परमाण शतररो स लिडा जाएगा

परमाण दध क ऐस भीषण और भकर पररणाम वनकलिग वक वजन स न किलि समकालिीन जनता अवपत इसक िरगामी पररणामरो स भािी पीवढा भी परभावित हरोगी और ह दध उन भािी पीवढरो क वलिए जो विकलिागता और शारीररक िोषरो क साथ जम लिगी एक lsquoविकरालि भटrsquo होगी अतः वकसी भी िश को ह कलपना नही करनी चावहए वक िह शीघर आन िालि इस विनाश स सरवकत ह

अतः म पनः अलाह उसक रसलि और मानिता क परवत परम एि िा क नाम पर आप स अनरोzwjध करता ह वक विशव म शानत थावपत करन क वलिए अपनी भवमका वनभाए

शभकामनाओ तथा पराथणनाओ सवहतिसलिामभििी

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी जमाअत अहमविा

304 विशव सकट तथा शानत-पथ

रस क रजषटपमत क नजि पत

307विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहम वलिाविमीर पवतनराषटपवत रसकरमवलिन 23 इवलिका टरीटमाको 103132 रस

18 वसतमबर 2013वपर राषटपवतम आपको ह पतर अहमविा मनलिम जमाअत क परमख क नात वलिख रहा

ह ह जमाअत जो शानतवपर और शानत को परोतसाहन िनी िालिी जमाअत ह विशव क 204 िशरो म थावपत हो चकी ह

विशि की ितणमान पररनथवतरो को सममख रखत हए म अपन विवभन भाषणरो क माधम स विशव क लिोगरो का परमातमा क परवत उनक कततणवरो और मानिता क परवत उनक िावतिरो की ओर धानाकषणण कराता रहा ह मझ इस बात का खि ह वक मझ आपस बात करन का अिसर परापत नही हआ ह परत सीररा की ितणमान वचताजनक पररनथवत न मझ इस बात क वलिए परररत वका वक म आपको पतर वलिख और आपन दध-कतर की बजाए िाताणलिाप क दारा समाओ का समाzwjधान करन क वलिए विशव क विवभन िशरो म सहमवत बनान का जो परास वका ह उसक वलिए आपका zwjधिाि और सराहना कर वकसी भी परकार क आकरमण स न किलि इस कतर म दध वछड जाएगा अवपत इसक विशव-दध म

308 विशव सकट तथा शानत-पथ

पररिवतणत होन की परबलि सभािना ह एक पनचिमी समाचार पतर म आपका एक लिख पढ कर मझ अतत परसनता हई वजस म आपन इस बात को परमख रप स परतत वका वक आकरमण करना अवत विनाशकारी होगा और इसक पररणामिरप विशव-दध की समभािना हो सकती ह आपक इसी सकलप क कारण महा-शनतिरो न आकरमण का मागण ताग कर सहमवत एि सवzwjध का मागण अपनाा और इस समा का राजनवतक समाzwjधान वनकालिन पर सहमवत वति की वनचि ही मरा ह विशवास ह वक इस सहमवत न विशव को एक महाविनाशकारी एि विधिसक नथवत स बचा वलिा ह म विशष रप स आपक इस विचार स सहमत ह वक वि विशव क िश अपन-अपन तर पर और एक-पकी वनणण लिग तो स ति राषट का भी िही अत होगा जो वक लिीग ऑफ नशस (राषटसघ) का हआ था अथाणत ह विफलि हो जाएगा वनसिह अभी दध की वचगारी भडकाई गई थी परत परसनता इस बात की ह वक ह जवालिा अब कछ सीमा तक शात हो गई ह जो सकारातमक परास अब तक वका गा ह भगिान कर उसक फलििरप दध का खतरा पणणता समापत हो जाए भगिान कर विशव की महाशनतिा छोट िशरो की रका कर उनका सममान कर और उनक उवचत अवzwjधकार उह ि न ह वक किलि अपनी िीटो-शनति क परोग की वचता म वत रह

शानत-थापना हत आपक परासरो न मझ ह zwjधिाि-पतर वलिखन क वलिए वििश कर विा ह मरी पराथणना ह वक ह परास अथाई न हरो अवपत मरा विशवास ह और म पराथणना करता ह वक आप सिि शानत-थापना क वलिए परासरत रह परमातमा आपको इस उदश-पवतण का सामथ ण परिान कर

विशव-शानत क वलिए जब भी मझ अिसर परापत होता ह म लिोगरो का धान इस ओर आकवषणत कराता ह वक ा पर आzwjधाररत विशव-शानत थावपत की जाए मर कछ भाषण World Crisis and the Pathway to Peace (विशव सकट तथा शानत-पथ) नामक पतक म परकावशत हो चक ह वजसकी एक परवत

309विशि क नताओ क नाम पतर

भट िरप आपक वलिए परतत हशभकामनाओ एि पराथणनाओ सवहत

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

Page 3: विश्व संकट तथा शान्तपथ - Ahmadiyya...आ जन र म प रम ख, क ग र स स , स स , र ज त, ग र सरक र स

मवशव सकट तथज शजनतपथहजरत मिजजा िसरर अहिद

विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख तथा इमामऔर हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम क पचम खलिीफा

क पतरो एव भजषणरो कज सकलन

First Published in the UK in English 2012 [ISBN 978-1-84880-079-3]First Hindi Edition Published in India 2015

Second Hindi Edition Published in India April 2017Translated by Bilal Ahmad Shamim

copy Islam International Publications Ltd

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Punjab INDIA

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ISBN 978-93-83882-39-7

मवषय सची

लिखक क विष म xiपराककथन xv

भाषण

विशि सकट पर इलिाम का दनटिकोण 3

िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए 27

एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता 43

शानत-पथ mdash राषटरो क मध ापणण सबzwjध 71

शानत की कजी mdash विशव-एकता 107

का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह 131

इलिाम mdash शानत और िा का zwjधमण 151

ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता 171

िनशवक शानत और सरका ितणमान ग की खतरनाक समाए 189

िनशवक अशानत म शानत की कजी 207

viii विशव सकट तथा शानत-पथ

विशि क नताओ क नाम पतर

आिरणी पोप बवनविकट XVI क नाम पतर 227

इसाईलि क परzwjधानमतरी क नाम पतर 235

इलिामी ररपनलिक ईरान क राषzwjटरपवत क नाम पतर 241

सति राज अमररका क राषटपवत क नाम पतर 247

कनािा क परzwjधानमतरी क नाम पतर 253

िो पवितर थलिरो क सरकक सऊिी अरब राज क समाट क नाम पतर 259

चीन क परzwjधानमतरी क नाम पतर 265

नाइटि वकगिम क परzwjधानमतरी क नाम पतर 271

जमणनी की चासलिर क नाम पतर 277

फास गणराज क राषटपवत क नाम पतर 283

नाइटि वकगिम त था राषट-मणिलि िशरो की महारानी क नाम पतर 291

इलिामी गणराज ईरान क सिणपरमख नता क नाम पतर 299

रस क राषटपवत क नाम पतर 305

लिखक क विष म

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क सिवोचच परमख ह आप हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी मसीह मौऊि ि महिी अलिवहसलिाम क पाचि उततरावzwjधकारी ह

आपका जम 15 वसतमबर 1950 को रिह पावकतान म िगगी वमजाण मसर अहमि सावहब ि िगगी नावसरा बगम सावहबा क पररिार म हआ कवष विशवविदालि फसलिाबाि पवकतान स 1977 ई म कवष-अथणशातर म सातकोततर की उपावzwjध परापत करन क पचिात आपन औपचाररक रप स अपना जीिन इलिाम की सिा क वलिए समवपणत कर विा तिोपरात आपको 1977 ई म घाना (अ फीका) वभजिाा गा जहा आप कई िषषो तक विवभन अहमविा मनलिम ककलिरो म परzwjधानाचाण क रप म सिारत रह आपन अहमविा सकणिरी ककलि शाघा क आरमभ होन म भी ोगिान विा और परारनमभक िो िषण तक िहा वपरवसपलि क रप म भी काणरत रह

हजरत वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचम

लिखक क विष म

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क सिवोचच परमख ह आप हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी मसीह मौऊि ि महिी अलिवहसलिाम क पाचि उततरावzwjधकारी ह

आपका जम 15 वसतमबर 1950 को रिह पावकतान म िगगी वमजाण मसर अहमि सावहब ि िगगी नावसरा बगम सावहबा क पररिार म हआ कवष विशवविदालि फसलिाबाि पवकतान स 1977 ई म कवष-अथणशातर म सातकोततर की उपावzwjध परापत करन क पचिात आपन औपचाररक रप स अपना जीिन इलिाम की सिा क वलिए समवपणत कर विा तिोपरात आपको 1977 ई म घाना (अ फीका) वभजिाा गा जहा आप कई िषषो तक विवभन अहमविा मनलिम ककलिरो म परzwjधानाचाण क रप म सिारत रह आपन अहमविा सकणिरी ककलि शाघा क आरमभ होन म भी ोगिान विा और परारनमभक िो िषण तक िहा वपरवसपलि क रप म भी काणरत रह

हजरत वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचम

xii विशव सकट तथा शानत-पथ

िहा स पावकतान लिौट आन क पचिात आप रिह म अहमविा जमाअत क मखालि म विवभन पिरो पर आसीन रह कर सिारत रह सन 1999 ई म आप को एक वचह-पट स पवितर कआणन क शि वमटान क वमथा आरोप म अलपािवzwjध क वलिए कारािास भी काटना पडा

22 अपरलि 2003 को अहमविा मनलिम जमाअत क जीिनपणत पि lsquoखलिीफाrsquo क वलिए वनिाणवचत होन क फलििरप आप एक अतराणषटी zwjधावमणक स था वजसक 200 स अवzwjधक िशरो म लिाखरो अनाी ह क विशववापी zwjधावमणक एि परशासवनक परमख भी ह

खलिीफा वनिाणवचत होन क पचिात स अब तक हजर परचार एि परसार क सभी माधमरो दारा इलिाम का शानतपणण सिश पहचान का एक विशववापी अवभान का नतति करत आ रह ह आपक नतति म अहमविा मनलिम जमाअत की राषटी शाखाओ दारा इलिाम की िातविक शानतपणण वशकाओ को परिवशणत करन िालि काणकरम परारभ वकए गए ह विशव भर म अहमिी मसलिमान लिाखरो की सखा म मसलिमानरो तथा गर मनलिमरो को lsquoशानतrsquo विजापन बाटन सिणzwjधमण सममलिन एि शानत समारोह आोवजत करन तथा पवितर कआणन क िातविक एि उततम सिश क परचार हत परिशणवना आोवजत करन क मलि परासरो म वत ह काणकरम विशवतर पर सचार माधमरो क आकषणण का क दर बन ह तथा इनक दारा ह परिवशणत होता ह वक इलिाम शानत अपन िश क परवत िफािारी और मानिता की सिा का परबलि समथणक ह

हजर न सन 2004 ई म िावषणक lsquoराषटी शानत समारोहrsquo का उदाटन वका वजसम समाज क विवभन िगषो क लिोग एकतर होकर

xiiiलिखक क विष म

शानत एि एकता क समबzwjध म विचाररो का आिान-परिान करत ह परवतिषण इस समारोह म बहत स मतरी सासि राजनीवतज zwjधावमणक नता तथा अ पिावzwjधकारी सनममवलित होत ह हजर न मानिता की सिा को परोतसावहत करन तथा इस उदश को साकार करन हत विशववापी भरमण वका ह हजर क नतति म अहमविा मनलिम जमाअत न विशव क िरथ भागरो म उततम वशका तथा िाथ सविzwjधाए उपलिzwjध करान हत बडी सखा म ककलि तथा अपतालिरो का वनमाणण वका ह

हजर समाज क परतक तर पर शानत थावपत करन म परासरत ह हजर अहमविा मनलिम जमाअत क सिरो को वनरतर उपिश ित ह वक ि वनतिगत तर पर सzwjधार उतपन करन क वलिए अपन आप स lsquoवजहािrsquo (सघषण) कर जो वक सिणशषठ वजहाि ह इस परकार परतक अहमिी मसलिमान वनतिगत तर पर शानत थावपत करन म सफलि होकर अ लिोगरो क वलिए भी शानत उपलिzwjध करान म सहाक वसदध हो सकगा

हजर अ सभी लिोगरो को भी ही सिश ित ह मलिबोनण म एक विशष िागत समारोह म शानत थापना सबवzwjधत एक गर-मनलिम क परशन क उततर म हजर न कहा ldquoवि आपक भीतर शानत ह तो इस का अथण ह वक आप शानत का परास कर रह ह वि हम म स परतक क भीतर शानत हो तो इसका अथण ह वक हम िसररो तक शानत का परसार कर रह हrdquo

हजर वनतिगत एि सामवहक तर पर तथा थानी राषटी त था अतराणषटी मच पर इलिाम की िातविक वशकाओ क अनसार शानत- थापना क थाथण उपारो क समबzwjध म अ सभी लिोगरो का मागणिशणन कर रह ह

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब अयिहलाह आजकलि लििन इगलिि म रह रह ह अहमिी मसलिमानरो क विशववापी zwjधावमणक नता क रप म आप शानत और िा क सखिाी सिश क दारा उतसाहपणण ढग स इलिाम का परचार कर रह ह

पजककथन

ससार अतत अशानतपणण पररनथवतरो म स गजर रहा ह िनशवक आवथणक सकट परवत सपताह वनरतर निीनतम और गमभीर विपवतता उतपन करता जा रहा ह वदती विशव दध स पिण की पररनथवतरो म समानता का वनरतर िणणन वका जा रहा ह और पटि रप स परतीत होता ह वक ितणमान घटनाए विशव को एक अतत तीवर गवत स एक भकर तती विशव दध की ओर लि जा रही ह परबलि रप स ह आभास हो रहा ह वक नथवत वनतरण स बाहर होती जा रही ह और लिोग वकसी ऐस वनति की खोज म ह जो विशव मच पर परकट होकर एक ऐसा थाथण और सदढ समाzwjधान परतत कर वजस पर ि परा विशवास और भरोसा कर सक और जो समान रप स उनक हि एि मन को परभावित कर सक और जो उनक भीतर ह आशा जागत कर वक शानत की ओर अगरसर करन िालिा मागण भी मौजि ह परमाण दध क पररणाम इतन भीषण ह वक कोई उनकी कलपना करन का भी साहस नही करता

xvi विशव सकट तथा शानत-पथ

इस पतक म हम न हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब विशवzwjवापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख दारा परतत समाzwjधान और मागणिशणन को सकवलित वका ह गत कई िषषो क अतगणत जस जस पररनथवता परकट होती गई आप न अतत वनभणतापिणक इस बात की घोषणा वक पररनथवता वकस ओर बढ रही ह mdash आपन भ उतपन करन क वलिए नही अवपत विशव को इस बात का विचार करन पर वििश करन क वलिए ऐसा वका वक ससार आज इस नथवत तक कस पहचा और वकस परकार हम इस विनाश को टालि कर इस विशव-गराम म वनिास कर रह सभी लिोगरो क वलिए शानत एि सरका क मागण का वनमाणण कर सकत ह आप न पटि शिरो म ह घोषणा की वक शानत को सवननचित बनान का किलि ही उपा ह वक ससार विनमता और ा का मागण zwjधारण कर लि और अतत नम एि विनीत िभाि स परमातमा की शरण म आ जाए मनषzwj मानिता की भािना का परिशणन कर शनतिशालिी लिोग वनबणलि लिोगरो क साथ आिर सममान एि ापणण विहार कर और वनबणलि और वनzwjधणन लिोग कतजता का परिशणन कर और सत एि पण क मागण पर चलि तथा सभी लिोग पणण विनमता एि वनषzwjकपटता स अपन सटिा की शरण म आ जाए

आपन बार-बार सभी का इस ओर धानाकषणण कराा वक विनाश क कगार स िापस लिौटन का अब किलि ही एक उपा ह वक समत िश परपर एक िसर क साथ ा क विहार को अवनिाण बना लि वि उनम परपर शतरता भी ह तब भी उह ा का पालिन करना चावहए करोवक इवतहास स हम ही वशका वमलिती ह वक भविषzwj म उतपन होन िालिी शतरताओ क उमलिन का किलि ही एक उपा ह

xviiपराककथन

अतः इस परकार वचरथाी शानत की थापना करनी चावहए आपन वनतिगत रप स विशव क महान िशरो क नताओ एि

अवzwjधकारररो को समबोवzwjधत करन हत िर िर तक भरमण वका ह वजसम कवपटलि वहलि िावशगटन िीसी लििन म पावलिणामट क िोनरो सिन स मखालि जमणनी बरसलज म रोपी पावलिणामट और जीलिि की राषटी ससि म विए गए ऐवतहावसक भाषण शावमलि ह इन आोजनरो म परमख कागरस सि सासि राजित गर सरकारी सथाओ क नता zwjधावमणक नता पराधापक नीवत सलिाहकार और पतरकार सनममवलित होत रह आपन पटि रप स ह कहा वक ा की माग तभी पणण हो सकती ह जब सभी गटरो और लिोगरो क साथ समानता का विहार वका जाए और आपन ह चतािनी भी िी वक अापणण तथा अमानिी आवथणक एि राजनीवतक नीवतरो क कारण विशव की विवभन जावतरो क मध तनाि म जो वनरतर िवदध हो रही ह उसक पररणामिरप विशव सकट गहराता जाएगा

विशव क नताओ क नाम अपन पतररो म आपन पवितर कआणन की वनमनवलिवखत वशका पर विशष रप स बलि विा

ldquoऔर तमह किसी जाकत िी शतता इस िारण स कि उनहोन तमह मसजद-ए-हराम स रोिा था इस बात पर न उिसाय कि तम अतयाचार िरो और निी और तक़वा म एि दसर िा सहयोग िरो और पाप और अतयाचार (वाल िामो) म सहयोग न िरो और अलाह स डरो कनसनदह अलाह दड दन म बहत िठोर हrdquo

(सरह अलिमाइिह आत - 3)

xviii विशव सकट तथा शानत-पथ

राषटपवत ओबामा को आपन वलिखा ःldquoजसा वक हम सभी पररवचत ह राषटसघ की विफलिता और

1932 ई क आवथणक सकट वदती विशव दध क परमख कारण बन थ आज क अगरगण अथणशातरी ह कहत ह ितणमान और 1932 ई क आवथणक सकट म बहत सी समानताए ह हम ह िखत ह वक राजनवतक और आवथणक समाए छोट िशरो क मध पनः दध का कारण बनी ह और उन िशरो म इन क कारण आतररक अशानत और असतोष का िातािरण वापत हो चका ह इस नथवत म अततः कछ ऐसी शनतिा अनवचत लिाभ उठाकर ससार की बागिोर समभालि लिगी जो विशव दध का कारण बन जाएगी वि छोट िशरो क परपर वििािरो का राजनीवत अथिा ककटनीवत स समाzwjधान नही ढढा जा सकता तो इस क कारण विशव म नए गटरो और समहरो का जम होगा और ह नथवत तती विशव दध का पिाणिलिोकन परतत करगी अतः मरा ह विशवास ह वक इस सम विशव क विकास पर धान कनदरत करन की बजाए ह अवतआिशक और वनतात अवनिाण ह वक हम विशव को इस विनाश स सरवकत रखन क अपन परासरो म शीघर स शीघर तीवरता पिा कर इस बात की भी अतत आिशकता ह वक मानिजावत परमातमा को पहचान जो वक एक ह और हमारा सटिा ह करोवक किलि ही मानिता क जीिन को सरवकत बना सकता ह िरन ह ससार वनरतर आतम-विनाश की ओर तीवरता स अगरसर होता रहगाrdquo

राषटपवत पवतन को आपन वलिखा ः ldquoसीररा की ितणमान वचताजनक पररनथवत न मझ इस बात क

वलिए परररत वका वक म आपको पतर वलिख और आपन दध-कतर की

xixपराककथन

बजाए िाताणलिाप क दारा समाओ का समाzwjधान करन क वलिए विशव क विवभन िशरो म सहमवत बनान का जो परास वका ह उसक वलिए आपका zwjधिाि और सराहना कर वकसी भी परकार क आकरमण स न किलि इस कतर म दध वछड जाएगा अवपत इसक विशव-दध म पररिवतणत होन की परबलि सभािना ह एक पाचिात समाचार पतर म आपका एक लिख पढ कर मझ अतत परसनता हई वजस म आपन इस बात को मख रप स परतत वका वक आकरमण करना अवत विनाशकारी होगा और इसक पररणामिरप विशव-दध की समभािना हो सकती ह आपक इसी सकलप क कारण महा-शनतिरो न आकरमण का मागण ताग कर सहमवत एि सवzwjध का मागण अपनाा और इस समा का राजनवतक समाzwjधान वनकालिन पर सहमवत वति की वनचि ही मरा ह विशवास ह वक इस सहमवत न विशव को एक महाविनाशकारी एि विधिसक नथवत स बचा वलिा ह म विशष रप स आपक इस विचार स सहमत ह वक वि विशव क िश अपन-अपन तर पर और एक-पकी वनणण लिग तो सति राषट का भी िही अत होगा जो वक लिीग ऑफ नशस (राषटसघ) का हआ था rdquo

सीररा और ईरान का सकट सन 2013 क अनतम छः माह म काफी सीमा तक शात हो गा था वबरटन की सरकार न सीररा म स हतकप क विरोzwjध म मतिान वका था रस और स ति राज अमररका म सीररा क रासावनक शतररो क वनपटार समबzwjधी एक ोजना पर सहमवत बन गई थी सति राज अमररका न सीररा पर आकरमण करन का विचार ताग विा और इसी परकार विशव की महान शनतिरो न ईरान क साथ एक ऐस परमाण समझौत पर सहमवत परकट

xx विशव सकट तथा शानत-पथ

की जो सभी क वलिए िीका ण था सभी िगण उस विशा म परगवत का िागत करत ह वजस ओर हजर विशव को जान का आगरह करत आ रह थ परत अभी हम सरवकत नथवत स बहत िर ह और हम विशव-शानत का वचरथाी समाzwjधान ढढन क वलिए अतवzwjधक परास करना होगा

ह हमारी सचची पराथणना ह वक सकट की ितणमान पररनथवतरो म इस प तक म सकवलित सझाि एि समाzwjधान मानिता क वलिए मागणिशणन का सोत वसदध हरो वजसक फलििरप ा और विनमता क वसदधातरो का पालिन करत हए परमातमा की शरण म जाकर मनषzwj को वचरथाी शानत परापत हो - आमीन

परकाशक

भाषण

मवशव सकट पर इसलजि कज दनटिकोण

वबरवटश पावलिणामट ि हाउस ऑफ कॉमज लििन क 2008

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba delivering the keynote address at the House of Commons

Seated Lord Avebury (Liberal Democrats Spokesman for Foreign Affairs) Rt Hon Hazel Blears MP (Secretary of State for Communities and Local Government) Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba Justine Greening MP (Shadow Treasury Minister) Gillian Merron MP (Foreign Office Minister) Councillor Louise Hyams (the Lord Mayor of Westminster) Standing Jeremy Hunt MP (Shadow Culture Minister) Rafiq Hayat (National Amir AMA UK) Virendra Sharma MP Rt Hon Malcolm Wicks MP (Former Minister at Department for Business Enterprise and Regulatory Reform) Rob Marris MP Simon Hughes MP (President of the Liberal Democrats Party) Martin Linton MP Alan Keen MP

Official tour of the House of Commons courtesy of Justine Greening MP

पररचय

22 अतिबर 2008 को हाऊस ऑफ कामस (वबरवटश पावलिणामट) म हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम विशववापी जमाअत अहमविा क परमख का ऐवतहावसक भाषण

ह िागत समारोह वखलिाफत-ए-अहमविा क सौ िषण पणण होन क शभ अिसर पर अहमविा मनलिम जमाअत क मख कााणलि मनजि फजलि क ससिी कतर Putney क सासि माननी Justine

Greening दारा आोवजत वका गा थाइस समारोह म माननी Gillian Merron MP Rt Hon Hazel

Blears MP Alan Keen MP Dominic Grieve MP Simon Hughes

MP Lord Eric Avebury क अवतररति कई परवतनषठत पतरकार राजनीवतज तथा विवभन वािसावक कतररो क विशषज उपनथत हए

मवशव सकट पर इसलजि कज दनटिकोण

بسم اللہ الرحمن الرحیم

सिणपरथम म समत आिरणी अवतवथ सजजनरो सासिरो का zwjधिाि करना चाहता ह वजहरोन एक zwjधावमणक सगठन क पशिा को कछ विचार परकट करन का अिसर परिान वका म अपन बहत ही आिरणी ससि सि जनटन गरीवनग जो वक हमार कतर स सासि ह का वनतात आभारी ह वजहरोन अपन वनिाणचन कतर म रहन िालिी कवथत छोटी सी जमाअत क वलिए शतिषगी जबलिी क अिसर पर इस आोजन को सफलि बनान म बहत ोगिान विा ह उनका ह ोगिान उनक वनिाणचन कतर क समत लिोगरो और समिारो की भािनाओ क परवत उनकी रवच परिवशणत करता ह तथा उनकी महानता और उिारता को परिवशणत करता ह

दवप जमाअत अहमविा एक छोटी सी जमाअत ह तथावप ह इलिाम की िातविक वशका का परवतवनवzwjधति करन िालिी जमाअत ह म ह अिश कहना चाहता ह वक परतक िह अहमिी जो वबरटन म

10 विशव सकट तथा शानत-पथ

रहता ह िह इस िश का वनतात िफािार नागररक ह और इसस परम करता ह और ह हमार नबी हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की वशकाओ का ही पररणाम ह वजहरोन हम ह वशका िी ह वक अपन िश स परम करना ईमान का एक अवनिाण अग ह वजस पथक नही वका जा सकता

जमाअत अहमविा क स थापक वजह हम मसीह मौऊि और ग का अितार एि सzwjधारक समझत ह न इलिामी वशकाओ को उनकी वाखा करत हए उवचत पररपरक म विशि क समक बड ठोस रग म परतत वका ह

आपन अपन िाि की घोषणा करत हए फरमाा वक परमशिर न मझ पर िो िावति अवनिाण वकए ह -

(1) परमशिर क परवत अवzwjधकार (2) उसकी सनटि क परवत अवzwjधकार आपन इस सबzwjध म अवतररकत िणणन करत हए कहा वक इन िोनरो

अवzwjधकाररो म स सनटि क परवत अवzwjधकाररो को पणण करना अवzwjधक कवठन एि चनौतीपणण काण ह

वखलिाफत क सिभण म आपको ह भ होगा वक कभी ऐसा सम भी आ सकता ह वक जब इवतहास िोहराा जाएगा तो इस परकार क नतति क कारण दध आरभ हो जाएगा ह इलिाम पर एक आरोप

तफसीर-ए-हककी सरह अलिकसस न 86 और फतहलिबारी फी शरह सहीउलि बखारी बाब कौवलिलाह तआलिा िrsquoतलि बता और तहफतलि अहिािी शरह जावमअतवततरवमजी बाब मा कलि मलफजात वजलि - 1 पषठ - 326

11पररच

लिगाा गा ह परत म आपको विशिास विलिाता ह वक वि खिा न चाहा तो वखलिाफत-ए-अहमविा सिि शानत और समि का झणिा ऊचा करन िालिी जानी जाएगी इसी परकार ह हर उस िश की िफािार रहगी वजसम इसक अन ाी रह रह हरोग वखलिाफत-ए-अहमविा इस सिभण म मसीह-ि-महिी क वमशन को ही हमशा आग बढान का परास करती रहगी अतः वखलिाफत स भभीत होन की किावप कोई आिशकता नही ह वखलिाफत जमाअत को उन िो कततणवरो को पणण करन की ओर आकटि करती ह वजह पणण करन क वलिए हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम अितररत हए ही कारण ह वक ह जमाअत समपणण विशि म शानत और समि थावपत करन का परास करती ह

सम की कमी को दनटिगत रखत हए अपन मलि विष की ओर आता ह वि हम गत कछ सविरो का वनषzwjपक विशषण कर तो हम जात होगा वक ततकालिीन दध िाति म zwjधावमणक दध न थ अवपत विशव-राजनीवत स सबवzwjधत दध थ हा तक वक ितणमान-लिडाई-झगड तथा जावतरो क मध शतरताओ स ह विवित होता ह वक इन सब क पररपरक म राजनवतक कतरी एि आवथणक िाथण होत ह

मझ ह आशका ह वक विशि क िशरो की राजनवतक आवथणक गवतविवzwjधा और समत पररक विशि दध की ओर लि जा सकत ह किलि विशि क गरीब िश ही नही अवपत अमीर िश भी इसस परभावित हो रह ह अतः ह विशि शनतिरो का कततणव ह वक ि बठकर विचार कर तथा विनाश क कगार पर खडी मानिता को बचाए

वबरटन भी उन िशरो म स एक ह जो विकवसत और विकासशीलि िशरो पर अपना िबाि अथिा परभाि िालि सकता ह वि आप चाह तो

12 विशव सकट तथा शानत-पथ

ा और समानता की मागरो को पणण करत हए विशि का पथ-परिशणन कर सकत ह वि हम वनकट अतीत को िख तो हम जात होता ह वक वबरटन न बहत स िशरो पर राज वका और विशष तौर पर उपमहादीप भारत तथा पावकतान पर तो अपन पीछ ा और zwjधावमणक िततरता का एक उचच आिशण छोडा जमाअत अहमविा इसकी साकी ह और जमाअत अहमविा क सथापक हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब न वबरटन की सरकार की ा और zwjधावमणक िततरता पर आzwjधाररत राजनीवत की अतत परशसा और सराहना की ह जब जमाअत अहमविा क स थापक न आिरणीा महारानी विकटोररा को उनकी हीरक जती क अिसर पर मबारकबाि परतत की तथा उनको इलिाम का सिश पहचाा तो आपन विशष रप स वबरवटश राज क ा और समानता की मागरो को परा करन को दनटिगत रखत हए ह िआ की वक परमशिर उस सरकार को उसकी इस सहिता का उततम परवतफलि परिान कर

अत हमारा इवतहास बताता ह वक जब भी वबरटन न ह ा का परिशणन वका हमन उसकी सराहना की हम आशा ह वक भविषzwj म भी न किलि zwjधावमणक मामलिरो म अवपत परतक पहलि स ा ही वबरटन की एक पषzwjट विशषता रहगी और ह वक आप अतीत क अपन अचछ गणरो को कभी नही भलिग

आज विशि म वनतात बचनी और उततजना ह हम िख रह ह वक छोटी-छोटी लिडाइा परारभ हो चकी ह जबवक कछ थानरो पर विशि शनतिा शानत थावपत करन की िाििार ह अत वि ा की माग पणण न की गई तो इन परािवशक दधरो की अनगन और जिालिा म तीवरता

13पररच

आ सकती ह और समपणण विशि को दध की चपट म लि सकती ह अत मरा आपस सविन वनििन ह वक विशि को विनाश स बचाए

अब म सवकपत तौर पर िणणन करगा वक विशि म शानत थावपत करन क वलिए इलिाम का वशकाए परतत करता ह ा ह वक उन वशकाओ क अनसार विशि म वकस परकार शानत की थापना हो सकती ह मरी ह िआ ह वक विशि म शानत थावपत करन क वलिए अपन पराथवमक सबोध अथाणत मसलिमान इस पर अमलि करन िालि हरो तथा विशव क समत िशरो एि महाशनतिरो तथा सरकाररो का भी ह कततणव ह वक ि भी इस का पालिन कर

ितणमान ग म समपणण विशव एक अतराणषटी गराम क रप म इस परकार बन चका ह वक इसस पिण इसकी कलपना भी नही की जा सकती थी हम मानि होन की दनटि स अपन कततणवरो को समझना चावहए तथा मानिावzwjधकार सबzwjधी उन समाओ क समाzwjधान की ओर धान िना चावहए वजसस विशव शानत तथा अमन थावपत हो सक पटि ह वक ह परतन ासगत हो तथा ा की मागरो को परा करन िालिा हो

ितणमान समाओ म स एक जवलित समा परतक तौर पर ा अपरतक तौर पर zwjधमण क कारण पिा हई ह इसम कछ मसलिमान वगरोह असिzwjधावनक तौर पर न किलि गर मनलिम सवनकरो तथा वनिवोष नागररकरो की हता करन तथा हावन पहचान क वलिए मानि बमरो तथा विफोटकरो का परोग करत ह अवपत साथ ही वनिवोष मसलिमानरो तथा बचचरो की वनमणम हता भी करत ह ह अताचारपणण काण करन की इलिाम किावप अनमवत नही िता

मसलिमानरो क इस करकर आचरण क कारण गर मनलिम िशरो म एक

14 विशव सकट तथा शानत-पथ

गलित भािना न जम लि वलिा ह पररणामिरप उस समाज का एक भाग खललिम-खललिा इलिाम क विरदध िषzwjपरचार करता ह जबवक िसरा दवप सािणजवनक तौर पर बात नही करता परत इलिाम क बार म िह भी हिरो म एक अचछी भािना नही रखता इस बात न पनचिमी िशरो की जनता क हिरो म तथा गर मनलिम िशरो म मसलिमानरो क बार म अविशवास की भािना पिा कर िी ह वििमबना ह वक इन कछ मसलिमानरो क कवथत आचरण क कारण पररनथवतरो म सzwjधार होन क थान पर गर मनलिमरो की परवतवकरा विन-परवतविन खराब होती जा रही ह

इस गलित परवतवकरा का परथम पषzwjट उिाहरण इलिाम क पगमबर

सललाहो अलिवह िसलम क जीिन चररतर और पवितर कआणन जो वक मसलिमानरो की पवितर प तक ह पर परहार ह इस पररपरक म वबरटन क राजनीवतजरो चाह उनका सबzwjध वकसी भी पाटगी स हो तथा इसी परकार वबरटन क बवदधजीविरो की विचारzwjधारा कछ अ िशरो क राजनीवतजरो स विपरीत रही ह वजसक वलिए म आपका आभारी ह इस परकार भािनाओ को ठस पहचान स नफरत घणा और परपर नीचा विखान की भािना को बढािा िन क अवतररकत और का लिाभ हो सकता ह ह घणा कछ विशष चरमपथी मसलिमानरो को गर इलिामी काण करन पर उकसाती ह जो वक बिलि म कई गर मनलिमरो को विरोzwjध परकट करन का अिसर परिान करती ह

बहरहालि जो चरमपथी नही ह और जो इलिाम क पगमबर स बहत परम करत ह उह इन आकरमणरो स बहत कषzwjट पहचता ह तथा इस सिभण म जमाअत अहमविा अगरसर ह हमारा परमख और सिाणवzwjधक अवनिाण कततणव हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम का पवितर जीिन

15पररच

चररतर और इलिाम की स िर और उततम वशका को ससार क समक परिवशणत करना ह हम जो विशि क समत नवबरो (अिताररो) का सममान करत ह और ह विशिास रखत ह वक ि सभी परमशिर की ओर स थ उनम स वकसी क बार म भी अपमानजनक बात नही कहत परत जब हम हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क बार म वनराzwjधार और झठ आरोप सनत ह तो हम बहत कषzwjट पहचता ह

ितणमान ग म जबवक विशि िो लिाकरो म विभावजत हो रहा ह उगरिाि म तीवरता आ रही ह और आवथणक पररनथवता बहत खराब हो रही ह इस बात की वनतात आिशकता ह वक हर परकार की घणा को समापत वका जाए तथा शानत की नीि रखी जाए ह तभी सभि हो सकता ह जब परपर सभी की भािनाओ का आिर वका जाए वि ह काण उवचत तौर पर पणण ईमानिारी और सिभािनापिणक न वका गा तो ह पररनथवता उस सीमा तक भानक हो जाएगी वजन पर वनतरण पाना असभि हो जाएगा म इस बात की बहत सराहना करता ह वक आवथणक दनटि स सदढ पनचिमी िशरो न वनzwjधणन और विकासशीलि िशरो क लिोगरो को वजनम मसलिमान भी सनममवलित ह वनतात उिारता क साथ अपन िशरो म रहन की अनमवत िी

िातविक ा इस बात की माग करता ह वक उन लिोगरो की भािनाओ और zwjधावमणक रीवत-ररिाजरो का भी आिर वका जाए ही िह उपा ह वजसस लिोगरो की मानवसक शानत को काम रखा जा सकता ह हम ह मरण रखना चावहए वक जब वकसी वनति की मानवसक शानत को भग वका जाता ह तो उस समाज की मानवसक शानत भी परभावित होती ह

16 विशव सकट तथा शानत-पथ

जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह वक म वबरटन क राजनीवतजरो एि विथापकरो का ा की मागरो को परा करन तथा इस परकार का हतकप न करन पर कतज ह

िाति म ही इलिामी वशका ह जो पवितर कआणन हम िता ह पवितर कआणन ह घोषणा करता ह वक -

धरम क रारल र कोई जबरदसzwjती नही (सरह बकरह आत - 257)

ह आिश न किलि उस आरोप का खिन करता ह वक इलिाम को तलििार क बलि पर फलिाा गा अवपत ह वशका मसलिमानरो को ह भी बताती ह वक वकसी zwjधमण को िीकार करना मनषzwj और उसक परमशिर क मध का मामलिा ह और तमह वकसी भी पररनथवत म इसम हतकप नही करना चावहए परतक को ह अनमवत ह वक िह अपनी आथानसार जीिनापन कर तथा अपन zwjधावमणक रीवत ररिाजरो का पालिन कर परत zwjधमण क नाम पर वि कोई ऐसी परमपराए हरो जो िसररो को हावन पहचाए तथा राषzwjटरी काननरो क विपरीत हरो तो ऐसी नथवत म उस िश म कानन थावपत करन िालि हरकत म आ सकत ह करोवक वि वकसी zwjधमण म कोई अवपर परमपरा परचवलित ह तो ह परमशिर क वकसी नबी की वशका नही हो सकती

राषzwjटरी और अतराणषzwjटरी तर पर शानत थावपत करन क वलिए ही मलि वसदधात ह

इसक अवतररकत इलिाम हम ह वशका िता ह वक वि तमहार zwjधमाातरण क कारण कोई समाज ा कोई िगण अथिा कोई सरकार तमहारी zwjधावमणक परमपराओ की अिागी म हतकप करन का परास

17पररच

करती ह और ततपशचात पररनथवता आपक अनककलि हो जाए तब भी सिि ह मरण रखना चावहए वक तम वफर भी हि म कोई दष िमन और कपट नही रखोग तमह परवतशोzwjध लिन क बार म नही सोचना चावहए अवपत ा और समानता थावपत करनी चावहए पवितर कआणन का कथन ह -

ह व लोगो जो ईमान लाए हो अलाह ि कलए मज़बती स कनगरानी िरत हए नयाय ि समथथन म साकी बन जाओ और किसी जाकत िी शतता तमह िदाकप इस बात िी ओर पररत न िर कि तम नयाय न िरो नयाय िरो यह तक़वा ि सबस अकिि कनिट ह और अलाह स डरो जो तम िरत हो कनसनदह अलाह उसस सदा अवगत रहता ह (सरह अलिमाइिह आत - 9) समाज म शानत थावपत रखन क वलिए ही वशका ह वक अपन शतर

स भी ा स काम लिना ह और ा को हाथ स नही जान िना चावहए इलिाम का परारवभक इवतहास हम ह बताता ह वक इस वशका का पालिन करत हए ा की समत मागरो को पणण वका गा म हा इसक बहत उिाहरण नही ि सकता परत इस िातविकता पर इवतहास साकी ह वक मकका-विज क पशचात हजरत महममि सलललिाहो अलिवह िसलम न उन लिोगरो स कोई परवतशोzwjध नही वलिा वजहरोन आपस को कठोर ातनाए और कषzwjट पहचाए अवपत उह कमा कर विा तथा उह उनकी अपनी आथाओ पर रहन विा ितणमान ग म शतर क परवत ा की समपणण अवनिा णताओ को पणण करन पर ही थाी रप स शानत थावपत हो सकती ह न किलि कटटरिाविरो क विरदध दधरो म अवपत अ सभी

18 विशव सकट तथा शानत-पथ

दधरो म ऐसी शानत ही िाति म थाी हो सकती ह गत शतािी म िो दध हए उसक कारण जो भी थ परत वि

हम गहराई स विचार कर तो किलि एक ही कारण दनटिगोचर होता ह और िह ह ह वक परथम - ा को थोवचत थावपत नही वका गा तथा परवतवकरा िरप वजस एक बझी गई अनगन विचार वका गा िह गमण राख म पररिवतणत हो गई जो वक zwjधीर-zwjधीर सलिगती रही और अत म उसन पनः एक जिालिा म पररिवतणत होकर एक विकरालि रप लि वलिा तथा समत विशि को अपनी लिपट म लि वलिा

आज अशानत बढ रही ह तथा दध एि शानत को थाित रखन क वलिए काणिावहा एक अ विशि-दध का सचक बनती जा रही ह इस परकार ितणमान आवथणक और सामावजक कवठनाइा भी इस पररनथवत को बढािा िन का एक कारण हरोगी

पवितर कआणन न विशि-शानत थावपत करन क वलिए बड ही सनहर वसदधात परतत वकए ह ह एक पषzwjट िातविकता ह वक लिालिसा शतरता को जम िती ह कभी ह सीमाओ का अवतकरमण करन क रप म परकट होती ा वफर पराकवतक समपिाओ पर अवzwjधकार करन क रप म अथिा िसररो पर अपनी शषzwjठता वसदध करन क वलिए और वफर ह शतरता अा और अताचार की ओर लि जाती ह चाह ह अताचार करकर वनरकश शासकरो की ओर स हो जो परजा क अवzwjधकाररो का हनन करत ह तथा अपन वनतिगत वहतरो क वलिए अपनी शषzwjठता वसदध करत ह ा वफर अताचार आकरमणकारी सना क दारा हरो परा इन अताचाररो क वशकार लिोगरो का चीतकार और करोzwjध बाहय िशरो को आिाज िता ह

बहरहालि इलिाम क पगमबर न हम वनमनवलिवखत सनहर वसदधात

19पररच

वसखाए ह वक अताचारी और पीवडत िोनरो की सहाता करोहजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क एक सहाबीरवज न

पछा वक - अताचार स पीवडत की सहाता करना तो समझ म आता ह परत एक अताचारी की सहाता ि वकस परकार कर सकत ह आपस न उततर विा - उसक हाथ को अताचार स रोक कर करोवक उसका अताचार म बढ जाना उस परमशिर क अजाब का पातर बनाएगा (सही बखारी हिीस सखा - 6952)

अत उस पर िा करत हए उस बचान का परतन करना ह ह वसदधात समाज क सब स छोट तर स लिकर अतराणषzwjटरी तर पर भी वापत ह इस सिभण म पवितर कआणन की आत ह -

यमद िोमिनरो क दो मिरोह आपस ि झिड पड तो उन दोनरो ि समि करज दो मिर यमद समि हो जजन क पशचजत उन दोनरो ि स कोई एक दसर पर चढजई कर तो सब मिल कर उस चढजई करन वजल क मवरदध यदध करो यहज तक मक वह अलजह क आदश की ओर लौट आए मिर यमद वह अलजह क आदश की ओर लौट आए तो यजय क सजथ (उन दोनरो लडन वजलरो) ि समि करज दो तथज यजय को दनटिित रखो अलजह यजय करन वजलरो को बहत पसद करतज ह

(अलिहजरात आत - 10) दवप ह वशका मसलिमानरो स सबवzwjधत ह परत वफर भी इस

वसदधात को अपनात हए अतराणषzwjटरी तर पर शानत की नीि रखी जा सकती ह शानत को थावपत रखन क वलिए जसा वक आरभ म ह िणणन वका गा ह वक शानत की पराथवमक माग ा ह और ा क वसदधात

20 विशव सकट तथा शानत-पथ

को अपनान क बािजि भी वि शानत-थापना क परास विफलि हो जात ह तब स कत रप स उस वगरोह क विरदध दध करो वजस न अा वका ह और उस सम तक दध करो जब तक वक िह अा करन िालिा वगरोह शानत थावपत करन क वलिए त ार न हो जाए ा की माग ह ह वक परवतशोzwjध लिन का परास न वका जाए परवतबzwjध न लिगाओ हर परकार स अा करन िालि पर दनटि रखो परत साथ ही उसकी नथवत को सzwjधारन और उततम बनान का परतन करो

इस बचनी को समापत करन क वलिए जो वक आजकलि विशि क कछ िशरो म पाई जाती ह और विशष तौर पर िभाणग स कछ मनलिम िशरो म अत ि िश जो Veto करन का अवzwjधकार रखत ह उह ह पषzwjट करना चावहए वक का ा को थोवचत कााणनित वका गा अथिा नही जब कभी सहाता की आिशकता पडी तो शनतिशालिी िशरो की ओर हाथ बढाए गए

जसा वक मन पहलि िणणन वका ह वक हम इस िातविकता क साकी ह वक वबरटन सरकार का इवतहास रहा ह वक हमशा ा को काम रखा ह और इस बात न मझ परोतसाहन विा ह वक म आपका धान उनम स कछ मामलिरो की ओर आकषzwjट कर

विशि म शानत थावपत करन का एक अ वसदधात वजसकी हम वशका िी गई ह िह ह ह वक लिालिसागरत होकर िसररो की zwjधन-समपवतत को न िखना

पवितर कआणन फरमाता ह - ldquoऔर हमन उनम स िछ लोगो िो सासाररि जीवन ि जो िछ ऐशवयथ ि सामान अथायी तौर पर द रख ह त

21पररच

उनिी ओर अपनी दोनो आखो िो फला-फला िर न दख (कयोकि यह सामान उनह इसकलए कदया गया ह) ताकि हम इसि दारा उनिी परीका ल rdquo

(ताहा आत - 132)िसररो की zwjधन-समपवतत स िाह और लिालिसा भी ससार म बढी हई

अशानत का एक कारण ह वनतिगत तौर पर जसा वक कहाित ह वक lsquoपडोवसरो स परवतपzwjधाण करन की होड न कभी न समापत होन िालिी लिालिसा को जम विा हrsquo इस ित का पररणाम समापत न होन िालिी लिालिसा ह वजसन सामावजक शानत को नटि कर विा ह राषzwjटरी तर पर लिालिच पर आzwjधाररत परवतपzwjधाण आरभ हई जो वक विशि को विनाश की ओर लि गई इवतहास स ह वसदध ह परतक बवदधमान वनति अनमान लिगा सकता ह वक िसररो की zwjधन-समपवतत की इचछा दष लिालिसा एि हावन का कारण बनी

इसीवलिए परमशिर का कथन ह वक परतक को अपन ही साzwjधनरो पर वनभणर रहना चावहए तथा उही स लिाभ उठाना चावहए सीमाितगी अथिा िसर क अवzwjधकार िालि कतर स लिाभ परापत करन का परास करना तो वकसी क िावमति अथिा उसक अवzwjधकत कतर की पराकवतक समपिाओ स लिाभ परानति का परास होता ह

िशरो क गठबzwjधन एि लिाक बनान का उदश भी कछ िशरो क पराकवतक ससाzwjधनरो पर अवzwjधकार करना होता ह इस सिभण म बहत स लिखक जो इसस पिण कछ सरकाररो क एििाइजर (सलिाहकार) रह चक थ उहरोन ऐसी पतक वलिखी ह वजनम इस बात का वििरण मौजि ह वक कछ िश वकस परकार िसर िशरो की पराकवतक समपिाओ

22 विशव सकट तथा शानत-पथ

पर अवzwjधकार करन क परास करत ह लिखक कहा तक सचच ह ह तो उह ही जात होगा और परमशिर सबस अवzwjधक जानता ह परत इन लिखरो का अधन करक जो नथवत उभर कर सामन आती ह िह उन लिोगरो क हिरो म अतत करोzwjध का कारण बनती ह जो अपन वनzwjधणन िशरो क परवत िफािार ह ह बात भी उगरिाि का पोषण करन तथा विनाशकारी शतर बनान की परवतपzwjधाण का एक बडा कारण ह

ितणमान ससार भतकालि की तलिना म ि को अवzwjधक गभीर बवदधमान और वशवकत समझता ह हा तक वक वनzwjधणन िशरो म भी ऐस बवदधमान लिोग ह जो अपन काण-कतर म उचच वशका-परापत ह बहत ही उचच ोगता रखन िालि वििकशीलि लिोग विशि क परखात शोzwjध स थानरो (Research Centres) म इकट काण करत ह इस पररदश म ह कलपना की जानी चावहए थी वक काश लिोग इकट होत और स कत तौर पर सोचन क गलित ढगरो एि अतीत की मखणताओ को समापत करन का परास करत जो शतरताओ और भzwjाानक दधरो का कारण बनी ईशिर-परितत वििक और विजान की परगवत को मानि जावत क वहत और कलाण तथा िसररो की पराकवतक समपिाओ स िzwjध और उवचत ढगरो स लिाभानित होन म लिगाना चावहए था

परमशिर न परतक िश को पराकवतक समपिाए परिान की ह वजह विशि को शानत का गढ बनान क वलिए पणण रप स परोग करना चावहए परमशिर न बहत स िशरो को विवभन फसलि उगान क वलिए एक वनतात उततम जलििा और िातािरण परिान वका ह वि आzwjधवनक टकनालिॉजी को उवचत तौर पर ोजनाबदध रप स खतीबाडी क वलिए उपोग वका जाता तो आवथणक नथवत सदढ होती तथा ससार

23पररच

स भख की समा को समापत वका जा सकता था ि िश वजह खवनज समपिाओ स समपन वका गा ह उह उनवत

करन और उवचत मलरो पर िततर तौर पर वापार करन िना चावहए तथा एक िश को िसर िश क खवनज-पिाथषो स लिाभ परापत करना चावहए अत ही उवचत मागण ह वजस परमशिर न पसि वका ह

परमशिर अपन पगमबररो को लिोगरो क पास इसवलिए भजता ह तावक उह ि ऐस मागण बताए जो उह परमशिर क वनकट लि जाए इसक साथ ही परमशिर कहता ह वक zwjधमण क सबzwjध म पणण िततरता ह हमारी ह आथा ह वक दवप िातविक परवतफलि ा िणि मतोपरात वमलिगा परत ईशिर दारा थावपत विथा क अतगणत जब उसकी परजा पर अताचार वका जाता ह तथा ा और सिzwjभािना की अिहलिना की जाती ह तब परकवत क वनम क अनसार इस ससार म भी उसक पररणाम और परभाि िख जा सकत ह ऐस अारो पर बडी कठोर परवतवकरा होती ह तथा इस बात को कोई नही िखता वक िह परवतवकरा उवचत ह ा अनवचत

ससार पर विज परापत करन का उवचत मागण ह ह वक वनzwjधणन िशरो को उनका उवचत थान परिान करन क वलिए पणण रप स परतन करना चावहए

ितणमान ग की एक बडी समा आवथणक सकट ह वजस पाररभावषक तौर पर (Credit Crunch) कहा गा ह चाह ह वकतना ही विवचतर लिग परत साक एक िातविकता की ओर सकत करती ह पवितर कआणन ह कहत हए हमारा मागण-िशणन करता ह वक ाज छोड िो करोवक ाज एक ऐसा अवभशाप ह जो पाररिाररक

24 विशव सकट तथा शानत-पथ

राषzwjटरी और अतराणषzwjटरी शानत क वलिए एक खतरा ह हम सतकक वका गा ह वक जो कोई ाज लिता ह िह एक विन अिश उस वनति क समान हो जाएगा वजस शतान न पागलिपन म गरत कर विा हो अत हम मसलिमानरो को सतकक वका गा ह वक ऐसी पररनथवत स बचन क वलिए ाज का विसा बि कर विा जाए करोवक ाज क तौर पर जो रावश लिी जाती ह िह तमहार zwjधन को बढाती नही दवप वक िखन म ही लिग वक ह बढाती ह परत एक ऐसा सम अिश आता ह वक उसक िातविक परभाि परकट होत ह हम अवतररकत तौर पर सािzwjधान वका गा ह वक हम ाज क विसा म सनममवलित होन की अनमवत नही ह इस चतािनी क साथ वक वि हम ऐसा करत ह तो ह परमशिर क विरदध दध करन क समान ह ह बात आजकलि क Credit Crunch स वबलकलि पषzwjट ह परारभ म ऐस लिोग थ जो समपवतत (Property) खरीिन क वलिए zwjधन ऋण लित थ परत इसस पिण क ि उस समपवतत क िामी बन सक ि ऋण क बोझ तलि िब कर मर जात थ परत अब तो ऐसी सरकार ह जो ि ऋणगरत ह जस उन पर पागलिपन की मार पड गई ह बडी-बडी कमपवना िीिावलिा हो चकी ह कछ बक और फाइनस कमपवना बि कर िी गई ा वफर उह आवथणक सकट स बचाा गा ह पररनथवत परतक िश म जारी ह चाह िह अमीर हो ा गरीब आप इस सकट क सबzwjध म मझ स अवzwjधक जानत ह zwjधन जमा करान िालिरो क zwjधन बरबाि हो गए अब ह बात सरकार पर वनभणर ह वक िह उह कस और वकस सीमा तक बचाती ह परत इस सम विशव क अवzwjधकतर िशरो म पररिाररो वापारररो तथा शासकरो की मानवसक शानत नटि हो गई ह

25पररच

का ह नथवत हम ह विचार करन पर वििश नही करती वक विशि इस तककसगत पररणाम पर पहच गा ह वजस क बार म हम बहत पहलि सतकक वका गा था परमशिर ही अवzwjधक जानता ह वक इस पररनथवत क इसक अवतररकत और का पररणाम हरोग

परमशिर न कहा ह वक शानत की ओर आओ वजस का आशिासन किलि इस अिथा म विा जा सकता ह जब एक शदध और सामा वापार हो तथा पराकवतक ससाzwjधनरो एि समपिाओ का उवचत परोग हो

अब म इलिामी वशकाओ क इस सवकपत िणणन को ह मरण करात हए समापत करता ह वक विशि की िातविक शानत किलि परमशिर की ओर धान लिगान म ह परमशिर विशि को ह रह समझन की सामथण ि तभी ि िसररो क अवzwjधकाररो का वनिाणहन करन क ोग हरोग

अत म आप सब क हा पzwjधारन और मरी बात सनन पर म आपका पन आभारी ह

आपका बहत बहत zwjधिाि

26 विशव सकट तथा शानत-पथ

दश-भनति एव दश-पि स समबनि त इसलजिी मशकजए

सना मखालि कोलिज जमणनी 2012

Brigadier General Alois Bach of the German Federal Armywith Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba addressing the German Federal Army

1

3

2

4

1 Colonel Ulrich 2 Brigadier General Bach 3 Colonel Trautvetter and 4 Colonel IG Janke meeting Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba

दश-भनति एव दश-पि क समबि ि इसलजिी मशकजएवबनमलावहररहमावनररहीम

असzwjसलारो अलकर वरहरzwjलाह वबरकाzwjोहसिणपरथम मझ आपकी ओर स अपन हि किाटरर पर आमवतरत करन

और कछ शि कहन का अिसर विए जान पर म आपका zwjधिाि करना चाहता ह अहमविा मनलिम जमाअत का परमख होन क नात म आपक समक इलिामी वशकाओ क बार म कछ कहना चाहता ह परत ह तो बडा वापक विष ह वक एक सभा अथिा अलप सम म इस पर पणण रप स परकाश िालिना असभि ह अत ह आिशक ह वक म इलिामी वशकाओ क एक पहलि तक अपन आप को सीवमत रख

इस बात पर विचार करन क मध वक मझ इलिाम क वकस पक को आपक समक रखना चावहए तो मझ जमाअत अहमविा जमणनी क नशनलि अमीर आिरणी अिललिाह िागसहाउजर का ह वनििन परापत हआ वजसम उहरोन मझ स कहा वक िश परम और िश-भनति क बार म इलिामी वशकाओ पर परकाश िालिा जाना चावहए इस बात न मझ वनणण लिन म सहाता की अत अब म सवकपत तौर पर इस सिभण म आपक समक इलिामी वशकाओ पर कछ परकाश िालिगा

32 विशव सकट तथा शानत-पथ

अपन िश स िफािारी ा परम क शि किलि बोलिना ा सनना बडा सरलि ह परत िाति म इन शिरो म ऐस अथण वनवहत ह जो बहत गहर और वापक ह वफर उन शिरो क अथषो को पणण रप स पररवzwjध म लिना और इस बात को समझना वक शिरो क िातविक अथण का ह और उनकी माग का ह एक कवठन काण ह बहरहालि जो भी सम उपलिzwjध ह उसम म िश-परम और िशभनति क सबzwjध म इलिामी विचारzwjधारा का िणणन करन का परतन करगा

सिणपरथम इलिाम का एक मलि वसदधात ह ह वक एक वनति क शिरो और कमषो स वकसी भी परकार की वभनता ा विरोzwjधाभास किावप परकट नही होना चावहए िातविक िफािारी एक ऐस सबzwjध की माग करती ह जो वनषzwjकपटता और सचचाई पर आzwjधाररत हो ह इस बात की माग करती ह वक परतकत एक वनति जो परकट करता ह िही उसक अतकरण म भी हो राषटीता क सिभण म इन वसदधातरो का बहत महति ह अत वकसी भी िश क नागररक क वलिए ह वनतात आिशक ह वक िह अपन िश स सचची िफािारी क सबzwjध थावपत कर इस बात का कछ महति नही ह वक चाह िह जमजात नागररक हो अथिा उसन अपन जीिन म बाि म नागररकता परापत की हो ा परिास करक नागररकता परापत की हो ा वकसी अ माधम स

िफािारी एक उचचकोवट की विशषता ह और ि लिोग वजहरोन इस विशषता का उचच तरी परकटन वका ि खिा क पगमबर ह खिा स उनका परम और सबzwjध इतना दढ था वक उहरोन परतक पररनथवत म उसक आिशरो को चाह ि वकसी भी परकार क हरो दनटिगत रखा और उह पणणरप स लिाग करन का परास वका ह बात उनक खिा क साथ की गई परवतजा तथा उनकी उचच कोवट की िफािारी को परकट

33िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

करती ह अत उनकी िफािारी क इस मापिणि को हम आिशण क तौर पर अपनाना चावहए अत आग बढन स पिण ह समझना आिशक ह वक िफािारी का िातविक अथण का ह

इलिामी वशकाओ क अनसार िफािारी की पररभाषा तथा उसका िातविक अथण वकसी का असविगzwjध तौर पर हर तर पर और हर पररनथवत म कवठनाइरो स दनटि हटात हए चाह कसी भी कवठनाईपणण िशा का सामना करना पड अपनी परवतजाओ को पणण करना ह इलिाम इसी िातविक िफािारी की माग करता ह पवितर कआणन म विवभन थानरो पर मसलिमानरो को ह आिश विा गा ह वक उह अपनी परवतजाओ और कसमरो को अिश पणण करना ह करोवक ि अपनी समत परवतजाओ क परवत जो उहरोन की ह खिा क समक उततरिाी हरोग मसलिमानरो को ह वनिदश विा ह गा वक ि खिा और उसकी सनटि स की गई समत परवतजाओ को उनक महति और पराथवमकताओ क अनसार परा कर

इस सिभण म एक परशन जो वक लिोगरो क मनतषzwjक म पिा हो सकता ह िह ह ह वक चवक मसलिमान ह िािा करत ह वक परमशिर और उसका zwjधमण उनक वनकट अतवzwjधक महति रखत ह वजस स ह परकट होता ह वक परमशिर क वलिए िफािारी उनकी परथम पराथवमकता ह और परमशिर स उनकी परवतजा सिाणवzwjधक महति रखती ह ि इस परवतजा को पणण करन का परतन करत ह अत ह आथा सामन आ सकती ह वक एक मसलिमान की अपन िश क वलिए िफािारी तथा उसका अपन िश क काननरो को पालिन करन की परवतजा उसक वनकट अवzwjधक पराथवमकता नही रखती अत इस परकार िह विशष अिसररो पर अपन िश क परवत अपनी परवतजा को कबाणन करन क वलिए त ार हो जाएगा

34 विशव सकट तथा शानत-पथ

इस परशन का उततर िन क वलिए म आपको ह बताना चाहगा वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न ह वशका िी ह वक अपन िश स परम ईमान का भाग ह अत शदध िश-परम इलिाम की माग ह खिा और इलिाम स सचचा परम अपन िश स परम की माग करता ह अत ह वबलकलि पषzwjट ह वक इस नथवत म एक वनति क खिा स परम तथा अपन िश स परम क सबzwjध म उसक वहतरो का कोई टकराि नही हो सकता जसा वक अपन िश स परम करन को ईमान का एक भाग बना विा गा ह अत ह वबलकलि पषzwjट ह वक एक मसलिमान अपन सबवzwjधत िश क वलिए िफािारी करन म सबस उचच तर पर पहचन का परतन करगा करोवक खिा तक पहचन और उसका सावनध परापत करन का ह भी एक माधम ह अत ह असभि ह वक खिा का िह परम जो एक मसलिमान अपन अिर रखता ह िह उसक वलिए अपन िश स परम और िफािारी को परकट करन म एक रोक बन जाए िभाणगिश हम ह िखत ह वक कछ विशष िशरो म zwjधावमणक अवzwjधकाररो को सीवमत कर विा जाता ह ा पणणता हनन वका जाता ह अत एक और परशन उठता ह वक का ि लिोग वजनको ि उनकी सरकार तग करती ह ा अताचार करती ह ि इस नथवत म भी अपन िश क वलिए िफािारी और परम का सबzwjध थाित रख सकत ह म बड खि क साथ आपको बताता ह वक ऐसी पररनथवता पावकतान म विदमान ह जहा सरकार न िाति म हमारी जमाअत क विरदध काननरो का वनमाणण वका ह ह अहमवित विरोzwjधी कानन वािहाररक तौर पर लिाग वकए जात ह इस परकार स पावकतान म समत अहमिी मसलिमान वनवमत कानन दारा गर मनलिम ठहराए गए ह इस परकार ि ि को मसलिमान कहलिान स रोक विए गए ह पावकतान म अहमविरो को मसमलिानरो की भावत इबाित (उपासना) करन ा इलिामी परमपराओ क

35िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

अनसार जो उह मसलिमान वसदध कर का पालिन करन स परवतबzwjध लिगा विा गा ह इस परकार स ि पावकतान की सरकार न जमाअत क लिोगरो को उपासना क मलि अवzwjधकार स िवचत कर विा ह

इन पररनथवतरो को दनटि म रखत हए इस बात स अवनिाण तौर पर आशचण होगा वक इन पररनथवतरो म अहमिी मसलिमान वकस परकार िश क काननरो का पालिन कर ि िश क वलिए अपनी िफािारी को वकस परकार परकट कर सकत ह हा म इस बात को पषzwjट करना चाहता ह वक जहा ऐसी विकट पररनथवता हरो तो वफर कानन और िश क परवत िफािारी क िो अलिग-अलिग मामलि बन जात ह हम अहमिी मसलिमानरो का विशिास ह वक zwjधमण परतक वनति का एक वनतिगत मामलिा ह वक िह अपन वलिए जो भी वनणण कर zwjधमण क मामलि म कोई भी जबरिती नही होनी चावहए अत जहा कानन इस अवzwjधकार म हतकप करता ह इसम कोई सिह नही वक ह बड अताचार और अा का काम ह वनसिह सरकार क नतति और समथणन स होन िालि इस परकार क अताचार और अा जो हर ग म होत रह ह बहमत इनकी वनिा करता आा ह

वि हम रोप क इवतहास पर एक दनटि िालि तो हम ह जात होता ह वक इस महादीप म भी लिोग zwjधावमणक अताचाररो का वशकार हए ह पररणामिरप हजाररो लिोगरो को एक िश स िसर िश म परिास (वहजरत) करना पडा समत वनषzwjपक इवतहासकाररो सरकाररो और लिोगरो न इस ातनाए पहचाना तथा घोर अताचार और करकरता की सजा िी ह ऐसी पररनथवतरो म इलिाम इस बात का समथणक ह वक जहा अताचार अपनी समत सीमाओ को पार कर जाए और असहनी हो जाए तब ऐस सम म एक वनति को उस शहर ा िश स वकसी अ थान पर परिास कर

36 विशव सकट तथा शानत-पथ

जाना चावहए जहा िह अमन क साथ िततरतापिणक अपन zwjधमण का पालिन कर सक बहरहालि इस मागण-िशणन क साथ-साथ इलिाम ह भी वशका िता ह वक वकसी भी नथवत म वकसी वनति को कानन अपन हाथ म नही लिना चावहए और न ही अपन िश क विरदध वकसी भी ोजना ा षितर म भाग लिना चावहए ह एक वबलकलि पषzwjट और असविगzwjध आिश ह जो इलिाम न विा ह

वनतात ातनाओ और अताचार का सामना करन क बािजि लिाखरो अहमिी पावकतान म वनिास करत ह अपन जीिन क हर कतर म ऐस िव णिहार और अताचार सहन करन क बािजि ि उस िश स पणण िफािारी और सचची आजाकाररता का सबzwjध थाित रख हए ह ि वजस कतर म भी का ण करत ह अथिा ि जहा भी रहत ह ि वनरतर उस िश की उनवत और सफलिता क वलिए परासरो म वत रहत ह कई िशकरो स अहमवित क विरोवzwjधरो न ह आरोप लिगान का परास वका ह वक अहमिी पावकतान क िफािार नही परत ि कभी भी इस आरोप को वसदध नही कर सक इसक विपरीत िातविकता ह ह वक जब भी पावकतान क वलिए ा अपन िश क वलिए कोई करबानी िन की आिशकता हई ह तो अहमिी मसलिमान सिि परथम पनति म खड हए ह तथा हर सम उस िश क वलिए हर करबानी करन क वलिए त ार ह

इस कानन का वशकार होन क बािजि ह अहमिी मसलिमान ही ह जो वकसी भी िसर वनति स अवzwjधक कानन का पालिन करत और उसका धान रखत ह िफािारी क सिभण म पवितर कआणन न एक और वशका िी ह िह ह ह वक लिोगरो को उन समत बातरो स िर रहना चावहए जो अवशषzwjट अवपर और वकसी भी परकार क विदरोह की वशका िती हरो ह इलिाम की िह अभतपिण सिर और विशष वशका ह जो न किलि

37िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

अनतम पररणाम की ओर हमारा धान आकषzwjट करती ह जहा पररणाम बहत खतरनाक होत ह अवपत ह हम उन छोट-छोट मामलिरो स भी अिगत कराती ह जो मनषzwj को खतररो स भर मागण पर अगरसर करन क वलिए सीवढ रो का का ण करत ह अत वि इलिामी पथ-परिशणन को उवचत रग म अपनाा जाए तो वकसी भी मामलि को इस स पिण वक पररनथवता वनतरण स बाहर हो जाए परथम पग पर ही सलिझाा जा सकता ह उिाहरणता एक मामलिा जो एक िश को बहत अवzwjधक हावन पहचा सकता ह िह लिोगरो का zwjधन-समपवतत का लिोभ ह अवzwjधकाश लिोग इन भौवतक इचछाओ म मगzwjध हो जात ह जो वनतरण स बाहर हो जाती ह और ऐसी इचछाए अतत लिोगरो को बिफाई की ओर लि जाती ह इस परकार स ऐसी इचछाए अतत अपन िश क विरदध वकसी क िशदरोह का कारण बनती ह म इसका कछ पषzwjटीकरण करता ह अरबी भाषा म एक शि lsquoबगाrsquo उन लिोगरो ा उन काषो को िणणन करन क वलिए परोग होता ह जो अपन िश को हावन पहचात ह जो गलित काषो म भाग लित ह ा िसररो को हावन पहचात ह इसम ि लिोग भी सनममवलित ह जो zwjधोखा करत ह और इस परकार स विवभन ितओ को अिzwjध ढगरो स परापत करन का परतन करत ह ह उन लिोगरो पर भी चररताथण होता ह जो समत सीमाओ का अवतकरमण करत ह और हावन पहचात ह इलिाम ह वशका िता ह वक जो लिोग इस परकार क का ण करत ह उनस िफािारी की आशा नही की जा सकती करोवक िफािारी उचच नवतक मलरो स समबदध ह और उचच नवतक मलरो क अभाि म िफािारी का अनतति नही रह सकता ह भी िातविकता ह वक विवभन लिोगरो क उचच नवतक मापिणि क सबzwjध म वभन-वभन विचारzwjधाराए हो सकती ह वफर भी इलिाम चाररो ओर स खिा की परसननता पान क वलिए परररत करता ह और मसलिमानरो को

38 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह वनिदश विा गा ह वक ि ऐसा का ण कर वक वजसस खिा परसन हो सवकपत तौर पर ह वक इलिामी वशका क अनसार खिा न हर परकार क विदरोह ा गदारी को वनवषदध ठहरा विा ह चाह िह अपन िश ा अपनी सरकार क विरदध हो करोवक विदरोह ा सरकार क विरदध का ण िश की सरका और शानत क वलिए एक खतरा ह ह िातविकता ह वक जहा आतररक विदरोह अथिा शतरता परकट होती ह तो ह बाहय विरोzwjध की अनगन को भी हिा िती ह तथा बाहरी ससार को परोतसावहत करती ह वक िह आतररक विदरोह स लिाभ परापत कर इस परकार अपन िश स बिफाई क पररणाम िरगामी और खतरनाक हो सकत ह अतः जो भी बात वकसी िश को हावन पहचाए िह बगा की पररभाषा म सनममवलित ह वजसका मन िणणन वका ह इन समत बातरो को धान म रखत हए अपन िश क परवत िफािारी एक वनति स ह माग करती ह वक िह zwjध ण का परिशणन कर और अपन सिाचार विखात हए राषzwjटरी काननरो का सममान कर

समाता कहन को तो ितणमान ग म अवzwjधकतर सरकार परजाततरी परणालिी पर चलिती ह इसवलिए वि कोई वनति ा वगरोह सरकार को पररिवतणत करन की इचछा करता ह तो िह उवचत परजाततरी पदधवत को अपनात हए ऐसा कर सकता ह मत-पवटरो म अपना िोट िालिकर उह अपनी बात पहचानी चावहए वनतिगत पराथवमकताओ ा वनतिगत वहतरो क आzwjधार पर िोट नही िालिन चावहए परत िाति म इलिाम ह वशका िता ह वक वकसी भी वनति क िोट का परोग अपन िश स िफािारी और परम की समझ क साथ होना चावहए तथा वकसी भी वनति क िोट का परोग िश की भलिाई को दनटिगत रखत हए होना चावहए अत वकसी भी वनति को अपनी वनतिगत पराथवमकताओ को नही िखना चावहए और ह भी नही िखना चावहए वक वकस परताशी ा पाटगी स िह

39िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

वनतिगत लिाभ परापत कर सकता ह अवपत एक वनति को सतवलित ढग स ह वनणण करना चावहए और वजसका िह अनमान भी लिगा सकता ह वक कौन सा परताशी ा पाटगी पर िश की उनवत म सहाता िगी सरकार की कवजा एक बडी अमानत होती ह वजस उस पाटगी क सपिण वका जाना चावहए वजसक बार म िोटर ईमानिारी स ह विशिास कर वक िह सब स अवzwjधक उवचत और सब स अवzwjधक ोग ह ह सचचा इलिाम ह और ही सचची िफािारी ह

िाति म पवितर कआणन की सरः सखा 4 की आत सखा 59 म खिा न ह आिश विा ह वक अमानत किलि उस वनति क सपिण करनी चावहए जो उस का पातर हो और लिोगरो क मध वनणण करत सम उस ा और ईमानिारी स वनणण करन चावहए अतः अपन िश क परवत िफािारी ह माग करती ह वक सरकार की शनति उह िी जानी चावहए जो िाति म उसक पातर हरो तावक उनका िश उनवत कर सक और विशि क अ िशरो की तलिना म सबस आग हो

विशि क बहत स िशरो म हम िखत ह वक परजा सरकार की नीवतरो क विरदध हडतालिरो और परिशणनरो म भाग लिती ह इसस भी बढकर तीसरी िवना क िशरो म परिशणनकारी तोड-फोड करत ह ा उन समपवततरो और जािािरो को हावन पहचात ह जो ा तो सरकार स सबzwjध रखती ह ा सामा नागररकरो की होती ह दवप उनका ह िािा होता ह वक उनकी ह परवतवकरा िश परम स परररत ह परत िातविकता ह ह वक ऐस काषो का िफािारी ा िश-परम क साथ िर का भी सबzwjध नही ह मरण रखना चावहए वक जहा परिशणन और हडतालि शानतपणण ढग स भी की जाती ह ा अपराzwjध हावन एि कठोरता क वबना की जाती ह वफर भी उनका एक नकारातमक परभाि हो सकता ह इसका कारण ह ह वक

40 विशव सकट तथा शानत-पथ

शानतपणण परिशणन भी परा िश की आवथणक नथवत की करोडरो की हावन का कारण बनत ह ऐस कतरो को वकसी भी िशा म िश स िफािारी का उिाहरण नही ठहराा जा सकता एक सनहरा वसदधात वजसकी जमाअत अहमविा क परितणक न वशका िी थी िह ह था वक हम समत पररनथवतरो म खिा उसक अिताररो तथा अपन िश क शासकरो क परवत िफािार रहना चावहए ही वशका पवितर कआणन म िी गई ह अतः उस िश म भी जहा हडतालि और रोष-परिशणन करन की अनमवत ह िहा इन का सचालिन उसी सीमा तक होना चावहए वजस स िश अथिा िश की आवथणक नथवत को कोई हावन न पहच

एक अ परशन पराः उठाा जाता ह वक का मसलिमान पनचिमी िशरो की सना म भतगी हो सकत ह वि उह ह अनमवत ह तो का ि मनलिम िशरो क विरदध आकरमणरो म भाग लि सकत ह इलिाम का एक मलि वसदधात ह ह वक वकसी भी वनति को अताचारपणण काषो म सहाता नही करनी चावहए ह मलि आिश परतक मसलिमान क मनतषzwjक म सिि सिवोपरर रहना चावहए वि वकसी मनलिम िश पर इसवलिए आकरमण वका जाता ह करोवक उसन ि अनवचत और अापणण ढग स आकरमण करन म पहलि की तो ऐसी पररनथवत म पवितर कआणन का मनलिम सरकाररो को ह आिश ह वक ि अताचारी को अताचार करन स रोक अवभपरा ह वक ि अताचार का अत कर क शानत थावपत करन का परतन कर अतः ऐसी पररनथवतरो म अताचार का अत करन हत स का णिाही करन की अनमवत ह परत वि ि िश वजसन अवतकरमण वका ि को सzwjधार लिता ह और शानत को अपना लिता ह उस नथवत म झठ बहानरो की आड म उस िश और उसकी परजा को अzwjधीन करक अनवचत लिाभ नही उठाना चावहए अवपत उह सामातः

41िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

िततरता परिान कर िनी चावहए साराश ह वक स का णिाही का उदश शानत- थापना होना चावहए न वक वनवहत िाथषो की वसवदध

इसी परकार इलिाम सभी िशरो को चाह ि मनलिम हरो अथिा गर-मनलिम अताचार और वनिण ता को रोकन का अवzwjधकार परिान करता ह वि आिशकता पड तो गर-मनलिम िश िzwjध उदशरो की पवतण क वलिए मनलिम िशरो पर आकरमण कर सकत ह ऐस गर-मनलिम िशरो क मनलिम नागररक िहा की सना म भतगी होकर अ िश को अताचार करन स रोक सकत ह िाति म जहा ऐसी पररनथवता विदमान हरो तो मनलिम सवनकरो को चाह ि वकसी भी पनचिमी िश की सना स समबzwjध रखत हरो का कततणव ह वक ि शानत-थापना हत आिशरो का पालिन करत हए दध कर परत वि वकसी िश की सना अापणण ढग स वकसी अ िश पर आकरमण करन का वनणण लिती ह तो एक मसलिमान को ह विकलप परापत ह वक ि सना को छोड ि अथा िह अताचारी का सहाक बन जाएगा इस वनणण का ह अथण नही वक िह अपन िश क परवत बिफाई कर रहा ह

िाति म ऐसी पररनथवत म िशभनति की भािना ह माग करती ह वक िह ऐसा किम उठाए और अपनी सरकार को ह परामशण ि वक िह अापणण ढग स विहार करन िालि िश और सरकाररो का अनसरण करक ि को इतना नीचा न वगराए वि वफर भी सना म भतगी होना अवनिा ण ह और छोडन का कोई विकलप नही और उसकी अतरातमा सतटि नही तो वफर एक मसलिमान को चावहए वक िह िश छोड कर चलिा जाए परत उस िश क कानन क विरदध आिाज उठान की अनमवत नही ऐसी नथवत म एक मसलिमान को िश छोड िना चावहए करोवक उस िश क एक नागररक क रप म रहन की अनमवत नही और

42 विशव सकट तथा शानत-पथ

साथ ही उस िश क विरदध का ण करन ा शतर का समथणन करन की भी अनमवत नही ह

अतः इलिामी वशकाओ क कछ द नटिकोण ह जो िशपरम और िशभनति की िा तविक मागरो क समबzwjध म मसलिमानरो का मागणिशणन करत ह उपलिzwjध सम म म किलि सवकपत रप स ही इनका िणणन कर सका ह

अत म म ह कहना चाहता ह वक आज समचा विशव एक िनशवक गराम बन चका ह मनषzwj एक िसर क बहत वनकट आ गए ह समत िशरो म परतक जावत zwjधमण और सभzwjताओ क लिोग पाए जात ह ह नथवत माग करती ह वक परतक िश क राजनीवतज उनकी भािनाओ और अहसासरो को दनटिगत रख और उनका सममान कर शासकरो और उनकी सरकाररो को ऐस कानन बनान का परास करना चावहए जो सत की भािना तथा ा क िातािरण को बढािा िन िालि हरो ऐस कानन न बनाए जो वक लिोगरो को वनरतसावहत करन और अशानत फलिान का कारण बन अा और अताचार समापत करक हम िातविक ा क वलिए परास करन चावहए इसका सिवोततम उपा ह ह वक ससार को अपन सषzwjटा को पहचानना चावहए परतक परकार की िफािारी का सबzwjध खिा स िफािारी होना चावहए वि ऐसा होता ह तो हम अपनी आखरो स िखग वक समत िशरो क लिोगरो म एक सिवोचच तर िालिी िफािारी जम लिगी और समपणण विशि म निीन मागण परशत हरोग जो हम शानत और सरका की ओर लि जाएग

अपना भाषण समापत करन स पिण म एक बार पन अपन आमवतरत वकए जान तथा मरी बात सनन क वलिए आभार परकट करना चाहता ह परमशिर आप सब को परसन रख और जमणनी को भी अपना आशीष परिान कर

आपका बहत-बहत zwjधिाि

एक एटिी यदध क भयजनक पररणजि तथज पणा यजय की अतयत आवशयकतज

नौिा िावषणक शानत समारोहलििन क आोवजत 2012 ई

एक एटिी यदध क भयजनक पररणजि तथज पणा यजय की अतयत आवशयकतज

नौिा िावषणक शानत समारोहलििन क आोवजत 2012 ई

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba addressing the 9th Annual Peace Symposium

Dame Mary Richardson DBE UK President of SOS Childrenrsquos Villages accepting the lsquoAhmadiyya Muslim Prize for the Advancement of Peacersquo from His Holiness

Mayor of London Boris Johnson presenting His Holiness with a London bus souvenir

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba talking to the overseas Pakistani press regarding world affairs

पररचय

24 माचण 2012 ई को मािरन म रोप की सबस बडी मनजि ldquoबतलि फतहrdquo म शानत पर िाताणलिाप क वलिए िावषणक गोषzwjठी का आोजन हआ इस गोषzwjठी का परबzwjध जमाअत अहमविा क न वका इस आोजन म एक हजार स अवzwjधक शोता सनममवलित हए वजसम सरकार क मतरीगण विवभन िशरो क राजित हाउस आफ लिॉिरस और हाऊस ऑफ कॉमस क सि लििन क मर विवभन आिरणी लिोग विवभन परकाणि विदान आस-पास क तथा जीिन क परतक विभाग स समबदध लिोग सनममवलित थ इस िषण की गोषzwjठी का विष ldquoविशि-शानतrdquo था शानत को बढािा िन क वलिए तती अहमविा मनलिम परकार ldquoAhmadiyya Muslim Prize for Advancement of Peacerdquo हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब इमाम जमाअत अहमविा न ldquoSOS Childrenrsquos Village UKrdquo विभाग को जो वनरतर विशि क अनाथ और वनराश बचचरो क कषzwjटरो को कम करन और उसक हर बचच क वलिए एक परमपणण

48 विशव सकट तथा शानत-पथ

घर परापत होन का उनका िपन पणण हो और सहानभवतपणण िातािरण पिा करन की सराहना करत हए विा

शोताओ म वनमनवलिवखत अवतवथ वस नममवलित थ ः

Rt Hon Justine GreeningmdashMP Secretary of State for Transport

Jane EllisonmdashMP (Battersea) Seema MalhotramdashMP (Feltham and Heston) Tom BrakemdashMP (Carlshalton and Wallington) Virendra SharmamdashMP (Ealing and Southall) Lord Tariq Ahmadmdashof Wimbledon HE Wesley Momo Johnsonmdashthe Ambassador of Liberia HE Abdullah Al-Radhimdashthe Ambassador of Yemen HE Miguel Solano-Lopezmdashthe Ambassador of Paraguay Commodore Martin AthertonmdashNaval Regional

Commander Councillor Jane Coopermdashthe Worshipful Mayor of

Wandsworth Councillor Milton McKenzie MBEmdashthe Worshipful

Mayor of Barking and Dagenham Councillor Amrit Mannmdashthe Worshipful Mayor of

Hounslow Siobhan Benitamdashindependent Mayoral candidate for

London Diplomats from several other countries including India

Canada Indonesia and Guinea

एक एटिी यदध क भयजनक पररणजि तथज पणा यजय की अतयत आवशयकतज

तशहहि तअविज और खिा क नाम क साथ जमाअत अहमविा क ितणमान और पचम खलिीफा न समत आिरणी अवतवथरो को असलिामो अलिकम का उपहार परतत करत हए कहा -

आज एक िषण क पशचात मझ अपन समत अवतवथ सजजनरो का इस आोजन म अवभनिन करन का सअिसर परापत हआ ह म आप सब का वनतात आभारी और कतज ह वक आप सभी सजजनरो न इस आोजन म सनममवलित होन क वलिए अपना सम विा ह

वनसिह आप लिोगरो म स अवzwjधकतर इस आोजन स जो शानत

50 विशव सकट तथा शानत-पथ

क वलिए गोषzwjठी (Peace Symposium) क नाम स नावमत ह भलिी-भावत पररवचत ह जमाअत अहमविा इस गोषठी का परवतिषण आोजन करती ह और ह विशि म शानत थावपत करन क उदश स हमारी बहत सी हाविणक अवभलिाषाओ को परा करन क परासरो म स ह भी एक परास ह

आज की गोषzwjठी म कछ नए वमतर भी ह जो वक इस आोजन म परथम बार भाग लि रह ह जबवक अ हमार ि वमतर ह जो कई िषषो स हमार परासरो की सराहना करत चलि आ रह ह कछ भी हो जबवक आप सब उचच वशका परापत लिोग ह और विशि म शानत की थापना हत हमारी अवभलिाषा क भागीिार ह तथा इसी इचछा क फलििरप आप इस आोजन म भाग लि रह ह

आप सब आज हा इस हाविणक अवभलिाषा क साथ उपनथत ह वक समत विशि परम सहानभवत वमतरता और भरातभाि स पररपणण हो जाए और विशि की अवzwjधकाश जनता इसी विचारzwjधारा और इही मलरो की अवभलिाषी ह और उस इसी की आिशकता ह इसक अनसार आप सब वजनका सबzwjध विवभन विभागरो जावतरो िशरो और zwjधमषो स ह आज मर सामन विराजमान ह और जसा वक मन कहा वक हम परवतिषण ह काफस आोवजत करत ह और परतक अिसर पर हम सब इसी भािना और आशा को परकट करत ह जो ह ह वक हमारी इन आखरो क सामन विशि म शानत थावपत हो जाए और इसीवलिए म परवतिषण आप स ह वनििन करता ह वक आप को जहा कही भी अिसर परापत हो और वजस स भी आपका सबzwjध हो शानत को बढािा िन का परास कर इसक अवतररकत म उन समत सजजनरो स वनििन करता ह

51एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

वजनका सबzwjध राजनीवतक पावटररो अथिा सरकार स हो उह भी अपन अवzwjधकार-कतर म शानत क इस सिश को पहचाना चावहए परतक को इसस अिगत करान की आिशकता ह वक विशि म शानत थावपत करन क वलिए पहलि स अवzwjधक उचच वसदधातरो पर आzwjधाररत नवतक मलरो की वनतात आिशकता ह

जहा तक जमाअत अहमविा का सबzwjध ह जहा कही भी जब कभी भी ऐसा अिसर परापत होता ह हम खललिम-खललिा अपनी इस विचारzwjधारा को परकट करत ह वक विशि को इस विनाश और बरबािी स वजसकी ओर िह अगरसर ह बचान का अब किलि एक ही मागण ह और िह ह ह वक हम सब परम और सहानभ वत और एकता की भािना को परसाररत करन का परास कर तथा सिाणवzwjधक आिशक ह ह वक विशि अपन सषzwjटा को पहचान वक एक ही परमशिर ह ह इस कारण वक सषzwjटा की पहचान ही ह जो हम उसकी सनटि स परम और सहानभवत की ओर लि जाती ह और जब ह हमार चररतर का भाग बन जाती ह तो उस सम हम परमशिर स परम परापत करन िालि बन जात ह

हम विशि को वनरतर शानत की ओर आमवतरत करन क वलिए पकारत ह और हम ह िःख और कषzwjट जो अपन हिरो म महसस करत ह िही हम मानिता क कषzwjटरो को कम करन और विशि को रहन क वलिए एक उततम थान बनान क परतन करन क वलिए परररत करता ह बहरहालि ह आोजन इस उदश की परानति क बहत स परासरो म स एक परास ह

जसा वक मन पहलि कहा ह वक आप सब की ही शभ कामनाए ह इसक अवतररकत मन राजनीवतजरो तथा zwjधवमणक-नताओ को विशि-

52 विशव सकट तथा शानत-पथ

शानत क उदश स आमवतरत वका ह वफर भी इन परासरो क बािजि हम ह जानत ह वक समपणण विशि म अशानत और उथलि-पथलि वनरतर फलि रही ह और बढ रही ह

आजकलि विशि म हम अतवzwjधक लिडाई-झगड अशानत और असतोष िखत ह कछ िशरो म जनता क परवतवनवzwjध आपस म लिड रह ह और एक-िसर पर परहार कर रह ह कछ िशरो म परजा सरकार क विरदध लिड रही ह ा इसक विपरीत शासक अपनी परजा पर अताचार कर रह ह उगरिािी िलि अपन वनतिगत वहतरो को परा करन क वलिए अशानत और असतोष की अनगन को और अवzwjधक हिा ि रह ह इस परकार ि मासम नतररो बचचरो और िदधरो का अzwjधा-zwjधzwjध िzwjध कर रह ह कछ िशरो म राजनीवतक िलि अपन वहतरो की पवतण क वलिए आपस म लिडाई कर रह ह ि अपन लिोगरो की भलिाई क वलिए एकमत हो जान क थान पर हम िखत ह वक कछ सरकार और िश वनरतर िसर िशरो क पराकवतक ससाzwjधनरो की ओर दष और िाह स दनटि लिगाए हए ह विशि की महा शनतिा भी अपनी शषzwjठता को काम रखन क वलिए परासरत ह और इस उदश को परापत करन क वलिए उहरोन कोई कमी नही छोडी

सारी बात दनटिगत रखत हए हम िखत ह वक न ही जमाअत अहमविा और न ही आप म स अवzwjधकाश जो वक जन-परवतवनवzwjध ह ह शनति ा अवzwjधकार रखत ह वक सकारातमक पररितणन लिान क वलिए ऐसी नीवता बनाए इसका कारण ह ह वक हमार पास कोई सरकारी शनति ा विभाग नही ह िाति म म तो हा तक कहता ह वक ि राजनीवतज वजनक साथ हमार वमतरतापणण सबzwjध ह और जो हमार आोजनरो म

53एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

हमशा हमार साथ सहमत होत ह ि भी बोलि नही सकत इसक विपरीत उनक िर भी िबा विए जात ह और उह अपनी विचारzwjधाराए परतत करन स रोक विा जाता ह ह ा तो इसवलिए होता ह वक उह अपनी पाटगी की ककटनीवत अपनान पर वििश वका जाता ह ा वफर किावचत अ विशि शनतिरो ा राजनीवतक गठबzwjधनरो क बाहरी िबाि क कारण ऐसा होता ह जो वक उह कम आक रह होत ह

इसक बािजि हम परवतिषण इस शानत गोषठी (Peace Symposium) म भाग लित ह और वनःसिह हम अपनी विचारzwjधाराओ और भािनाओ को परकट करत ह समत zwjधमण समत िश समत नलिरो और समत लिोगरो क मध परम सहानभवत और भरात-भाि थावपत होना चावहए िभाणगिश दवप वक हम िाति म इस विचारzwjधारा को वािहाररक रप िन म वििश ह इस पररणाम की परानति क वलिए वजसक हम अवभलिाषी ह हमार पास कोई साzwjधन ा अवzwjधकार नही ह

मझ मरण ह वक लिगभग िो िषण पिण इसी हालि (Hall) म हमारी शानत गोषठी क मध मन विशि म शानत थावपत करन क वलिए विवभन उपारो और साzwjधनरो पर आzwjधाररत एक भाषण विा था और मन ह भी बताा था वक सकत राषzwjटर सघ (UNO) को वकस परकार की काणिाही करनी चावहए ततपशचात हमार बहत ही वपर और आिरणी वमतर लिािर एररक एिबरी (Lord Eric Avebury) न ह समीका की वक ह भाषण िाति म स कत राषzwjटर सघ (UNO) म होना चावहए था बहरहालि ह तो उनक उचच चररतर का परकटन था वक िह अपनी समीका म इतन हमििण और उिार थ बहरहालि म ह कहना चाहता ह वक किलि वकसी भाषण का िना ा सनना पाणपत नही और किलि

54 विशव सकट तथा शानत-पथ

इसस शानत की थापना नही होगी अवपत इस मलि उदश को पणण करन क वलिए पणण ा और समत मामलिरो म इसाफ और ईमानिारी की अतत आिशकता ह पवितर कआणन न सरह अनननसा आत - 136 म हम एक सनहरी वसदधात और वशका िी ह जो हमारा इस सिभण म मागण-िशणन करती ह िह बताती ह वक ा की मागरो को परा करन क वलिए वि आप को ि अपन-अपन माता-वपता वनकट सबवzwjधरो और वमतररो क विरदध भी गिाही िनी पड तो तमह अिश िनी चावहए ही िातविक ा ह जहा परतक वनतिगत वहत को जनवहत क वलिए एक ओर रख विा गा ह

वि हम सामवहक तौर पर इस वसदधात क बार म विचार कर तो हम ह महसस होगा वक अिzwjध हथकि वजनका आzwjधार zwjधन तथा परभाि एि परवतषzwjठा पर ह उनका पररताग कर िना चावहए इस क विपरीत ह जन-परवतवनवzwjध और राजितरो को शदध नीत ा एि समानता क वसदधातरो क समथणन की इचछा क साथ सामन आना चावहए हम परतक परकार क पकपात और भिभाि को समापत कर िना चावहए करोवक ही िह माधम ह जो शानत लिाता ह वि हम सकत राषzwjट सघ की जनरलि असबलिी अथिा विशि सरका पररषि को िख तो परा हम िखत ह वक िहा जो भाषण ा बान विए जात ह उनकी बडी परशसा और परवसवदध होती ह परत ऐसी परशसा वनरथणक ह करोवक िातविक वनणण पहलि ही वकए जा चक होत ह

अत जहा वनणण महाशनतिरो क िबाि क अतगणत वकए जाए जो सचची एि ासगत परजाततरी परणालिी क विरदध हरो तो ऐस भाषण खोखलि और वनरथणक विचाररो को परिवशणत करत ह तथा बाहय ससार को

55एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

zwjधोखा िन क वलिए किलि एक बहान का काम करत ह तथावप इस का ह अथण नही वक हम वनराश हो जाए और अपन समत परास ताग ि अवपत इसकी बजाए हमारा लिक ह होना चावहए वक विशष तौर पर राषzwjटरी काननरो की पररवzwjध म रहत हए सरकार को वनरतर सम की आिशकता को मरण करात रह हम उन वगरोहरो को भी उवचत तौर पर नसीहत करना चावहए वजनक अपन वनतिगत वहत ह तावक विशि तर पर ा जारी हो सक किलि इसी परकार विशि अमन और एकता का गढ बन सकता ह वजसक हम सब अवभलिाषी ह

इसवलिए हम अपन परासरो को किावप ताग नही सकत वि हम अा और अताचार क विरदध अपनी आिाज उठाना बि करत ह तो हम भी उन लिोगरो म स हो जाएग वजनक पास कोई भी नवतक मल अथिा मानक नही ह ह परशन वथण ह वक चाह हमारी आिाज सनी जाए ा उनका कोई परभाि हो शानत क वलिए हम वनरतर िसररो स परामशण करना ह म अतत परसन होता ह जब म ह िखता ह वक zwjधमण और जावत क मतभिरो क बािजि मानि मलरो को जीवित रखन क वलिए असख लिोग इस आोजन को सनन सीखन और विशि म शानत और परम थावपत करन क उपारो क बार म अपन विचार परकट करन क वलिए आत ह अत म आप सब स वनििन करता ह वक अपनी उततम ोगताओ क अनसार शानत क वलिए परास कर तावक हम आशाओ क इस िीपक को परकावशत रख सक वक एक सम अिश आएगा वक जब िातविक शानत और ा विशि क समत िशरो म थावपत हो जाएगा

हम ह मरण रखना चावहए वक जब मानि परास विफलि हो जात

56 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह तब सिणशनतिमान परमशिर मानि जावत क भाग को वननचित करन क वलिए अपन वनणण को जारी करता ह इसस पिण वक परमशिर का वनणण जारी हो और िह लिोगरो को उसकी ओर जान तथा मानि जावत क अवzwjधकाररो को अिा करन पर वििश कर ह उवचत होगा वक विशि क लिोग ि इन महतिपणण मामलिरो की ओर धान ि करोवक परमशिर को का णिाही करन पर वििश वका जाता ह तब उस का करोzwjध िाति म मनषzwj को एक कठोर और भानक ढग स पकडता ह

ितणमान ससार म परमशिर क वनणण का एक भानक परकटन एक अ विशि-दध क रप म हो सकता ह इसम किावप सिह नही वक ऐस दध क परभाि तथा उस क दारा विनाश किलि उस दध तक ा किलि ितणमान पीढी तक सीवमत नही हरोग अवपत उसक भानक पररणाम कई भािी पीवढरो तक परभािी हरोग ऐस दध क इन भानक पररणामरो म स एक ह ह वक इन दधरो का परभाि निजात वशशओ पर तथा भविषzwj म जम लिन िालि बचचरो पर भी पडगा आzwjधवनक शतर इतन विनाशकारी ह वक भविषzwj म जम लिन िालिी कई पीवढरो पर उनक भानक आनिावशक और शारीररक परभाि पडग

जापान ही एक ऐसा िश ह वजसन एटमी दध क वनतात भानक पररणाम िख ह उस पर वदती विशि-दध क मध एटम बम स आकरमण वका गा आज भी वि आप जापान जाए और िहा क लिोगरो स वमलि तो आप उस दध का एक पणण भ और उसकी घणा उनकी आखरो म िखग और जो कछ ि कहत ह उसस भी परकट होता ह हालिावक ि एटम बम जो उस सम परोग वकए गए तथा वजहरोन बहत अवzwjधक विनाश वका ि आज क परमाण शतररो की अपका जो

57एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

वक आज छोट-छोट िशरो क पास भी ह बहत कम शनति िालि थ कहा जाता ह वक जापान म दवप वक सात िशक गजर चक ह

तथावप एटम बम क परभाि निजात वशशओ पर अब भी परकट हो रह ह वि वकसी वनति को गोलिी मारी गई हो तब भी परा उपचार क दारा उसका बच जाना सभि होता ह परत वि रासावनक दध आरभ हो जाता ह तो जो भी उसकी लिपट म आएग उनका ऐसा भाग नही होगा इसक विपरीत हम िखग वक लिोग अचानक मरग और मवतणित हो जाएग तथा उनकी खालि वपघलिन लिगगी पीन का पानी भोजन और सनजा िवषत हो जाएगी और विवकरण (Radiation) स परभावित हरोगी हम किलि इस बात की कलपना ही कर सकत ह वक ऐसा परिषण वकस परकार क रोगरो का कारण बनगा ि थान जहा पर सीzwjध तौर पर आकरमण न हो और जहा इस विवकरण (Radiation) क परभाि कछ कम हरोग िहा पर भी रोगरो का खतरा बहत अवzwjधक होगा और भािी नलिरो को बड खतररो स गजरना होगा

अत जसा वक मन कहा ह वक ऐस दध क विनाशकारी और भानक परभाि किलि दध ा उसक बाि तक ही सीवमत न हरोग अवपत भविषzwj की अनकरो पीवढरो तक चलित चलि जाएग ह ऐस दध क िातविक पररणाम ह हालिावक इसक बािजि आज िाथगी और मखण लिोग विदमान ह वजह अपन इन आविषzwjकाररो पर बडा गिण ह और उहरोन विशि-विनाश क वलिए जो कछ विकवसत वका ह उसको ि उपहार क रप म िणणन करत ह िातविकता ह ह वक रासावनक शनति और टकनालिॉजी का नाममातर लिाभपरि पक भी असािzwjधानी ा िघणटनाओ क कारण बहत भानक हो सकता ह तथा महाविनाश की

58 विशव सकट तथा शानत-पथ

ओर लि जा सकता ह हम इसस पिण इस परकार की आकनमक आपिाओ को िख चक ह इसी परकार की एक घटना 1986 ई म चरनोवबलि (Chernobyl) अथाणत करन म हई और गत िषण ही जापान म भकमप और सनामी क पशचात घटना हई ह भी बहत भानक थी इसन पर िश को भभीत कर विा जब ऐसी घटनाए परकट होती ह तो वफर घटनागरत कतररो का पनणवनमाणण एि पनिाणस भी बहत कवठन काण होता ह अपन एकमातर और भानक एि िखिाी अनभिरो क कारण जापानी अतवzwjधक सतकक हो गए ह और वनसिह उनक भ का अहसास थोवचत ह

ह एक पषzwjट बात ह वक लिोग दधरो म मरत ह और जापान भी वदती विशि-दध म सनममवलित हआ तो उसकी सरकार और उसक लिोग इस बात स भलिी-भावत पररवचत थ वक कछ लिोग मार जाएग कहा जाता ह वक जापान म लिगभग तीन वमवलिन (तीस लिाख) लिोग मार गए ह िश की कलि जनसखा का चार परवतशत (4) बनता था दवप वक मरन िालिरो की कलि सखा की दनटि स बहत स अ िश भी बहत परभावित हए तथावप दध क परवत जो नफरत और घणा हम जापानी लिोगरो म िखत ह िह अ की अपका बहत अवzwjधक होती ह वनशच ही इसका कारण ि िो परमाण बम ह जो वदती विशि-दध क सम जापान पर वगराए गए वजसक पररणाम ि आज भी िख रह ह और ि आज तक उन पररणामरो को सहन कर रह ह जापान न बहत शीघर अपन शहररो की पनथाणपना करक अपनी शषzwjठता और शोक स उभरन की भािना और शनति को वसदध कर विा ह परत ह पषzwjट रह वक वि आज पन परमाण शतर परोग वकए गए तो बहत सभि

59एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

ह वक कछ विशष िशरो क भाग पणण रप स विशि-मानवचतर स समापत हो जाए और उनका अनतति ही शष न रह

वदती विशि-दध म मरन िालिरो की सखा एक अनमान क अनसार लिगभग बासठ वमवलिन ह और ह बताा जाता ह वक मार गए लिोगरो म चालिीस वमवलिन सामा नागररक थ इस परकार सना की अपका जन सामा अवzwjधक मार गए ह विनाश इस िातविकता क बािजि हआ वक जापान क अवतररकत ह दध अ थानरो पर पारपररक शतररो क साथ हआ था

UK (क) को लिगभग पाच लिाख लिोगरो की हावन झलिनी पडी दवप ह उस सम उपवनिशिािी शनति था और उसक उपवनिशरो न भी उसक समथणन म दध वका वि हम उनकी हावनरो को भी सनममवलित कर लि तो मरन िालिरो की सखा कई वमवलिन तक पहच जाती ह

किलि भारत म सोलिह लिाख लिोग मत का वशकार हए बहरहालि आज िह नथवत पररिवतणत हो चकी ह और ि िश जो

वबरटन क निीन उपवनिश थ जो वबरटन सामाज क वलिए लिड अत वि आज दध होता ह तो ि बताणवना क विरदध भी लिड सकत ह और वफर जसा वक मन इसस पिण िणणन वका ह वक कछ छोट िशरो न भी परमाण शतर परापत कर वलिए ह जो बात अतवzwjधक भ का कारण ह िह ह जानकारी ह वक ऐस परमाण हवथार ऐस लिोगरो क हाथरो म आ सकत ह वजनक पास ा तो ोगता नही ह ा वफर अपन काषो क पररणामरो क सबzwjध म कलपना ही नही कर सकत िाति म ऐस लिोग पररणामरो क बार म विचार करन की परिाह ही नही करत ा वफर

60 विशव सकट तथा शानत-पथ

छोटी-छोटी बातरो पर बिक तान लित ह अत वि महा शनतिा ा स काम नही लिती तथा छोट िशरो

की वनराशा को समापत नही करती और उवचत और नीवतसगत काणिावहा नही करती तो पररनथवत हमार अवzwjधकार स बाहर हो जाएगी ततपशचात जो विनाश आएगा िह हमारी कलपना स भी िर होगा हा तक वक विशि क अवzwjधकाश िश जो शानत क अवभलिाषी ह उन को भी ह विनाश अपनी पररवzwjध म लि लिगा

अत मरी हाविणक अवभलिाषा और आशा ह वक समत बड िशरो क नता इस भािह िातविकता को समझग और अपन उदशरो और लिकरो की परानति क वलिए आकरामक नीवतरो को अपनान तथा शनति का परोग करन की बजाए ि ऐसी नीवतरो स काम लि जो ा को बढािा ि और उसकी रका करन िालिी हरो

अभी कछ सम पिण ही रस क एक िररषzwjठ सवनक कमािर न रासावनक दध क सभावित खतर क बार म एक कडी चतािनी जारी की ह उसका दनटिकोण ह वक ऐसा दध एवशा अथिा वकसी िसर थान पर नही वका जाएगा अवपत रोपी सीमाओ पर वका जाएगा और ह खतरा पिगी रोपी िशरो स आरभ हो सकता ह और दध की जिालिा भडक सकती ह दवप वक कछ लिोग ह भी कहग वक ह मातर उसका वनतिगत विचार था परत म ि इस विचार को असभि नही समझता अवपत इसक अवतररकत म ह भी विशिास करता ह वक वि ह दध आरभ हो जाता ह तो इस बात की बहत सभािना ह वक एवशा क िश भी इस दध म ककि पडग

एक अ सचना वजस इही विनरो बड वापक रप स मीविा

61एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

दारा परसाररत वका गा ितणमान सम म ही इसाईलि की जाससी एजसी मोसाि क भतपिण चीफ क विचार थ परवसदध अमरीकन टीिी चनलि CBS क साथ एक साकातकार क मध उहरोन कहा वक ह परकट हो रहा ह वक इसाईलि की सरकार ईरान क साथ दध छडना चाहती ह उहरोन बताा वक वि ऐसा आकरमण होता ह तो ह जानना असभि हो जाएगा वक ऐसा दध कहा और कस समापत होगा अतः उसन बड शनतिशालिी ढग स इस दध क विरदध नसीहत की

इस दनटि स मर विचार म ऐसा दध एटमी विनाश क साथ ही समापत होगा

इही विनरो म मरी दनटि स एक लिख गजरा वजसम लिखक न ह िणणन वका ह वक आज विशि की आवथणक और राजनीवतक दनटि स िही नथवत ह जसी 1932 ई म थी उसन वलिखा वक कछ विशष िशरो म जनता को राजनीवतजरो ा किलि नाममातर परजाततर पर कोई विशिास नही रहा उसन ह भी कहा वक कई और भी समानताए ह जो वमलिकर आज भी िही वचतर परिवशणत करती ह जो वक वदती विशि-दध स ठीक पहलि िखा गा था

कछ लिोग इस विशषण स सहमत नही हरोग परत इस क विपरीत म इसस सहमत ह और ही कारण ह वक मरा ह विशिास ह वक विशि की सरकाररो को ितणमान पररनथवतरो पर अतत वचनतत होना चावहए इसी परकार कछ मनलिम िशरो क अाी शासक वजनका एकमातर उदश वकसी भी परकार तथा वकसी भी मल पर अपनी शनति को काम रखना ह उह भी होश म आना चावहए अथा उनक काण और उनकी मखणताए उनक अत का कारण हरोगी तथा ि अपन-अपन

62 विशव सकट तथा शानत-पथ

िशरो को वनतात भकर पररनथवतरो की ओर लि जाएगी हम जो जमाअत अहमविा क सि ह विशि और मानिता को

विनाश स बचान क वलिए अपना भरसक परतन करत ह ह इसवलिए वक हमन ितणमान ग क इमाम को माना ह वजस परमशिर न मसीह मौऊि बनाकर भजा और जो हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम वजह परमशिर न ि मानिता पर उपकार करन िालिा बनाकर भजा था का एक िास बनकर आा

करोवक हम हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की वशका का पालिन करत ह इसवलिए हम विशि की नथवत पर अपन हिरो म अतत िःख महसस करत ह ह िही िःख ह जो हम मानिता को विनाश और सकटरो स सरवकत रखन क परवत परासरत रहन की ओर अगरसर करता ह इसवलिए म और अ सभी अहमिी मसलिमान विशि म शानत क उदश को परापत करन क वलिए अपन िावतिरो को परा करन का परास कर रह ह

एक उपा वजसक दारा मन विशि म शानत को बढािा िन का परतन वका ह िह पतररो का वसलिवसलिा ह जो मन विशि क कछ शासकरो और राजनताओ को वलिख ह कछ माह पिण पोप बनीविकट को एक पतर भजा वजस मर एक अहमिी परवतवनवzwjध न ि उह पहचाा उस पतर म मन उह वलिखा वक चवक िह विशि की सबस बडी zwjधावमणक जमाअत क लिीिर ह इसवलिए उह विशि-शानत को थावपत करन का अिश परतन करना चावहए

इसी सिभण म इही विनरो म ईरान और इसाईलि की आपसी शतरताओ को िखत हए जो एक वनतात भकर तर पर भडक रही ह

63एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

मन इसाईलिी परzwjधानमतरी बजावमन वनवतनाह और ईरानी राषzwjटरपवत महमि अहमिीवनजाि िोनरो को एक पतर भजा वजसम मन उह मानि जावत को दनटिगत रखत हए वनणण करत सम हर परकार की शीघरता और असािzwjधानी को तागन का आगरह वका

मन इही विनरो अमरीका क राषzwjटरपवत बराक ओबामा तथा कनािा क परzwjधानमतरी टीफन हापणर को भी पतर वलिख ह वजनम िोनरो को विशि की शानत और एकता को सदढ करन क वलिए अपनी भवमका अिा करन तथा अपन िावतिरो को परा करन का आगरह वका

वनकट भविषzwj म अ िशरो क शासकरो को भी ऐस ही पतर वलिखन का मरा इरािा ह

म नही जानता वक मन वजन शासकरो को पतर वलिख ह ि मर पतररो को कोई महति िग ा नही उनकी परवतवकरा जो भी हो मन विशि भर म रहन िालि लिाखरो अहमविरो क खलिीफा और आधानतमक पशिा होन क तौर पर विशि की भािह एि सकटपणण नथवत क सबzwjध म उनकी भािनाओ और अहसास को उन तक पहचान क वलिए ह एक परास वका ह

ह पषzwjट रह वक मन इन भािनाओ का परकटन वकसी वनतिगत भ क कारण नही वका अवपत इसक विपरीत किलि मानिता क परवत परम न मझ इसक वलिए परररत वका

हजरत महममि म तफासअि वजह जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह समत मानिजावत क वलिए एक उपकारी और हमििण बनाकर भजा गा ह की वशकाओ न समत सचच मसलिमानरो क हिरो म मानिता स परम को अवकत कर विा ह और उस उनवत परिान की ह

64 विशव सकट तथा शानत-पथ

बहत सभि ह वक आप आशच ण कर ा आप सनकर तzwjध रह जाए वक मानिता क वलिए हमारा परम हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की वशकाओ ही का पररणाम ह अत ह परशन पिा हो सकता ह वक वफर हा ऐस उगरिािी वगरोह करो मौजि ह जो वनिवोष लिोगरो का िzwjध करत ह ा वफर करो ऐसी मसलिमान सरकार मौजि ह जो अपन शासन की कवसण रो को सरवकत रखन क वलिए अपनी ही परजा को मारन का आिश िती ह

ह पषzwjट रह वक िाति म इस परकार क अनवचत और ककमण इलिामी वशका क वबलकलि विपरीत ह पवितर कआणन वकसी भी पररनथवत म कटटरिाि और उगरिाि की अनमवत नही िता

हमारी आथानसार इस ग म परमशिर न जमाअत अहमविा क परितणक हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी अलिवहसलिाम को हजरत महममि म तफा सललाहो अलिवह िसलम की पणण िासता म मसीह मौऊि और इमाम महिी बना कर भजा ह मसीह मौऊि को इलिाम और पवितर कआणन की िातविक वशका क परचार और परसार क वलिए भजा गा था आपको मनषzwj और परमशिर क मध एक सबzwjध थावपत करन क वलिए अितररत वका गा था आपको इसवलिए भजा गा था वक मनषzwj एक िसर क परवत अपन कततणवरो को पहचान आपको हर परकार क zwjधावमणक दधरो को समापत करन क वलिए भजा गा था आप को परतक zwjधमण क पशिा और पगमबर क सममान शान और थान को थावपत करन क वलिए भजा गा था आपको उचच नवतक मलरो की परानति की ओर ससार का धान अाकटि और समत विशि म शानत परम सहानभवत एि भरातति को काम करन क वलिए भजा गा था

65एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

वि आप विशि क वकसी भी िश म जाए तो आप िखग वक विशषताए समत सचच अहमविरो म विदमान ह हमार वलिए न उगरिािी और न ही चरमपथी आिशण ह और न ही अताचारी मसलिमान शासक और न ही पनचिमी शनतिा हमार वलिए नमना ह िह आिशण वजसका हम अनसरण करत ह िह इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम का आिशण ह और हमार पथ-परिशणक वनिदश पवितर कआणन म ह

अत म इस अमन काफस (Peace Symposium) स समत विशि को ह सिश िता ह वक इलिाम का सिश और वशकाए परम सहानभवत अमन और शानत पर आzwjधाररत ह

िभाणग स हम िखत ह वक मसलिमानरो का एक अलपसखक िगण इलिाम का एक पणणता विकत रप परतत करता ह और पथ-भरषzwjट करन िालिी आथाओ का पालिन करता ह म आप सब स कहता ह वक उसको िातविक इलिाम न समझ और उन अापणण काषो को शानतवपर मसलिमानरो की बहसखा की भािनाओ को ठस पहचान और उह अताचार का लिक बनान क वलिए एक लिाइसस क तौर पर परोग न कर

पवितर कआणन समत मसलिमानरो की सबस अवzwjधक मबारक और पवितर प तक ह इसवलिए उसक बार म अपवितर और अवशटि भाषा का परोग करन ा उस जलिान स वनशच ही मसलिमानरो की भािनाए आहत हरोगी हमन िखा ह वक जब भी ऐसी घटना होती ह तो कटटरपथी मसलिमानरो को एक वबलकलि गलित और अनवचत परवतवकरा की ओर लि जाती ह

हमन अभी अफगावनतान म िो घटनाओ क सबzwjध म सना जहा अमरीका क सवनकरो न पवितर कआणन का अपमान वका और वनिवोष

66 विशव सकट तथा शानत-पथ

नतररो और बचचरो को उनक घररो म मारा इसी परकार एक अताचारी वनति न िवकणी फास म कछ फासीसी वसपावहरो को अकारण गोवलिरो स मार िालिा और वफर कछ ही विनरो क पशचात उसन एक ककलि म परिश वका और तीन वनिवोष हिी बचचरो और उनक एक वशकक की भी हता कर िी

हम िखत ह वक ह आचरण वबलकलि गलित ह जो कभी शानत नही लिा सकता हम ह भी िखत ह वक ऐस अताचार पावकतान म वनरतर होत ह और अ थानरो म भी इस परकार समत गवतविवzwjधा इलिाम क विरोवzwjधरो को अपनी नफरत को हिा िन क वलिए ईzwjधन उपलिzwjध कर रही ह तथा अपन उदशरो की उचच तर पर परानति क वलिए बहाना उपलिzwjध करा रही ह एक छोट तर पर ऐसी अताचारपणण काणिावहा वकसी वनतिगत शतरता ा दष क कारण नही की जाती अवपत िाति म उन अापणण नीवतरो का पररणाम ह वजह कछ विशष सरकार राषzwjटरी और अतराणषzwjटरी तर पर अपनाए हए ह

अत विशि म शानत थावपत करन क वलिए ह आिशक ह वक ा क उवचत मापिणिरो को परतक तर पर और परतक िश म विकवसत वका जाए पवितर कआणन न अकारण वकसी वनिवोष वनति क िzwjध को समत मानिता का िzwjध ठहराा ह

अत एक मसलिमान होन क नात म पनः ह पणण रप स पषzwjट करगा वक इलिाम अताचार और बबणरता क वकसी भी रप परकार की किावप अनमवत नही िता ह एक पटि आिश ह वजसम कोई अपिाि नही पवितर कआणन इसक अवतररकत कहता ह - वि कोई िश ा जावत तमहार साथ शतरता भी रखती हो तब भी उनक साथ विहार

67एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

करत हए शतरता तमह ा करन स किावप न रोक ऐसा नही होना चावहए वक शतरताए और िर तमह परवतशोzwjध लिन ा अनवचत काणिाही करन की ओर लि जाए एक और महतिपणण आिश जो हम पवितर कआणन न विा ह वक िसररो क zwjधन और ससाzwjधनरो को ईषzwjाण तथा दष और लिालिच भरी दनटि स नही िखना चावहए

मन किलि कछ बातरो का िणणन वका ह परत ऐसी बात ह जो वनतात आिशक ह करोवक ही बात समाज और वफर विशालि ससार म शानत और ा की नीि रखन िालिी ह म िआ करता ह वक विशि इन मलि समाओ की ओर अपना धान आकषzwjट कर तावक हम विशि क उस विनाश स बचाए जाए वजसकी ओर हम अताचारी और बईमान लिोग लि जा रह ह

म कमा चाहता ह वक मन आपका काफी सम वलिा ह परत िातविकता ह ह वक विशि म शानत थावपत करन का विष अतत महति का विष ह

सम हाथरो स वनकलिता जा रहा ह और इसस पिण क बहत िर हो जाए हम सब को सम की आिशकता की ओर बहत धान िना चावहए

इसस पिण वक म अपन इस भाषण को समापत कर एक आिशक बात क सबzwjध म बताना चाहता ह - जसा वक हम सब जानत ह वक आजकलि अवत आिरणी महारानी एवलिजाबथ वदती की हीरक जती मनाई जा रही ह वि हम सम को 115 िषण पिण 1897 ई तक लि जाए उस सम भी महारानी विकटोररा की हीरक जती मनाई जा रही थी उस सम जमाअत अहमविा क परितणक न महारानी विकटोररा

68 विशव सकट तथा शानत-पथ

को मबारकबाि का एक सिश भजा था आप अलिवहसलिाम न उस सिश को इलिामी वशकाओ का पगाम

पहचात हए वबरटन की सरकार क वलिए िआ और महारानी की िीघण आ क वलिए कामना की थी उस सिश म आप अलिवहसलिाम न वलिखा वक महारानी की सरकार की सबस बडी विशषता ह ह वक उनकी सरकार म समत लिोगरो को zwjधावमणक िततरता िी जाती ह

आज क ससार म वबरटन की सरकार भारती उपमहादीप पर शासन नही करती तथावप zwjधावमणक िततरता क वसदधात वबरटन क समाज की और उसक काननरो म गहराई क साथ सलिगन ह वजनक दारा परतक वनति को zwjधावमणक िततरता परिान की गई ह

वनसिह इस िततरता का बहत ही स िर नमना हा पर आज रात को िखा जा रहा ह जहा पर विवभन आथाओ zwjधमषो और विचाररो क मानन िालि एक सामवहक उदश अथाणत विशि म शानत थावपत करन क वलिए एक थान पर एकतर हए ह इसवलिए िही शि और िही िआए जो हजरत मसीह मौऊि अलिवहलिाम न की थी उही का परोग करत हए म इस अिसर पर महारानी ऐवलिजाबथ को हाविणक गहराइरो स मबारकबाि परतत करता ह जसा वक आपन फरमाा वक

ldquoपरिशवर कर मक हिजरी पसनतजपणा िबजरकबजद और कतजञतज की भजवनजए हिजरी हिददा िहजरजनी को पहच और ईशवर कर मक आदणणीय िहजरजनी सदव पसन और सतषट रहrdquoहजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम न महारानी विकटोररा क

वलिए इसक अवतररकत िआए की अत म महारानी क वलिए िआए

69एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

करन क वलिए पन आप ही क शि परोग करता ह - ldquoह शनतिशजली और सजिरयावजन परिशवर अपनी कपज और बरकतरो स सदव हिजरी आदरणीय िहजरजनी को इसी पकजर पसन रखनज मजस पकजर हि उसकी सहजनभमत और दयज क िलसवरप पसनतजपवाक रह रह ह उस स पि और दयज कज वयवहजर करनज ठीक उसी पकजर मजस पकजर हि शजनत और सिमदध स सहदयतज एव सयियकत आचरण वजली सरकजर क अिीन रह रह हrdquoअत ह कतजतापणण भािनाए ह जो हर अहमिी मसलिमान क हि

म ह जो वबरटन का नागररक ह अत म एक बार पन आप सब का हाविणक गहराइरो क साथ zwjधिाि करना चाहता ह वजहरोन हा पzwjधार कर अपन परम सहानभवत एि भरात-भािना को परकट वका ह

आपका अवत zwjधिाि

शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

कवपटलि वहलि िावशगटन िी सी 2012 ई

Brad Sherman (Democratic member of the United States House of Representatives) presenting American flag to Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

The first Muslim Congressman Keith Ellisonmeeting Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba leading silent prayer at US Capitol Hill

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba delivers his keynote address at US Capitol Hill

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba during his official tour of US Capitol Hill

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba in US Capitol Hill after his historic address to the US Statesmenand Bureaucrats

भमिकज

27 जन 2012 को कवपटलि वहलि िावशगटन म एक ऐवतहावसक घटना घवटत हई वक जमाअत अहमविा क ितणमान और पचम खलिीफा न अमररकी कागरस क सिरो म सनटसण राजितरो वहाइट हाउस और टट विपाटरम ट टाफ एनजीओज क अवzwjधकारररो zwjधावमणक नताओ परोफसररो नीवत सलिाहकाररो सरकारी अवzwjधकारररो विपलिोमवटक कोर (Corps) क सिरो विचारकरो पटागन क परवतवनवzwjधरो एि मीविा क सपािकरो को समबोवzwjधत वका ह काफस जो अपन परकार की परथम काफस थी इस न स कत राज अमरीका (USA) क कछ बहत ही परवतनषठत नताओ को वजनम नसी पलिोसी जो वक हाउस आफ

76 विशव सकट तथा शानत-पथ

ररपरजटवटवज (House of Representatives) म िमोकरवटक पाटगी की नता ह सनममवलित थ को सीzwjध तौर पर विशि-शानत क विष पर इलिाम का सिश सनन का अिसर उपलिzwjध कराा इस आोजन क पशचात हजरत इमाम जमाअत अहमविा वमजाण मसरर अहमि सावहब को कवपटलि वहलि का भरमण कराा गा ततपचिात हाउस आफ ररवपरजटवटवज म Escort विए जान स पिण आप क स कत राज म आगमन की खशी म सममान क तौर पर एक परताि परतत वका गा

उस परताि की भवमका ह ह - आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि

विशिवापी जमाअत अहमविा क आधानतमक और विथागत पशिा को िावशगटन िीसी म सिागतम तथा विशि-शानत ा उिारता मानिावzwjधकाररो zwjधावमणक िततरता एि परजाततर क वलिए आपक परासरो की सराहना करत ह

कवपटलि वहलि म उपनथत सजजनरो की सची वनमनवलिवखत ह - US Senator Robert Casey Sr (Democrat Pennsylvania) US Senator John Cornyn (Republican Texas) Democratic Leader Nancy Pelosi (Democrat California) US Congressman Keith Ellison (Democrat Minnesota) US Congressman Bradley Sherman (Democrat

California) US Congressman Frank Wolf (Republican Virginia) US Congressman Michael Honda (Democrat California) US Congressman Timothy Murphy (Republican

77भवमका

Pennsylvania) US Congresswoman Jeannette Schmidt (Republican

Ohio) US Congresswoman Janice Hahn (Democrat California) US Congresswoman Janice Schakowsky (Democrat

Illinois) US Congresswoman Jackie Speier (Democrat California) US Congresswoman Zoe Lofgren (Democrat California) US Congresswoman Sheila Jackson Lee (Democrat

Texas) US Congressman Gary Peters (Democrat Michigan) US Congressman Thomas Petri (Republican Wisconsin) US Congressman Adam Schiff (Democrat California) US Congressman Michael Capuano (Democrat

Massachusetts) US Congressman Howard Berman (Democrat

California) US Congresswoman Judy Chu (Democrat California) US Congressman Andreacute Carson (Democrat Indiana) US Congresswoman Laura Richardson (Democrat

California US Congressman Lloyd Poe (Republican Texas) US Congressman Barney Frank (Democrat

Massachusetts) US Congressman Bruce Braley (Democrat Iowa) US Congressman Dennis Kucinich (Democrat Ohio)

78 विशव सकट तथा शानत-पथ

US Congressman Trent Franks (Republican Arizona) US Congressman Chris Murphy (Democrat

Connecticut) US Congressman Hank Johnson (Democrat Georgia) US Congressman James Clyburn (Democrat South

Carolina) His Excellency Bockari Kortu Stevens Ambassador of

Sierra Leone to the United States Dr Katrina Lantos Swett Chairwoman United States

Commission on Inteternational Religious Freedom Hon Tim Kaine Former Governor of Virginia Amb Susan Burk Special Representative of President

Barack Obama for Nuclear Nonproliferation Amb Suzan Johnson Cook US Ambassador at Large for

International Religious Freedom Hon Khaled Aljalahma Deputy Chief of Mission

Embassy of the Kingdom of Bahrain to the United States Rev Monsignor Jean-Francois Lantheaume First

Counselor (Deputy Chief of Mission) The Apostolic Nunciature of the Holy See to the United States

Ms Sara Al-Ojaili Public AffairsLiaison Officer Embassy of the Sultanate of Oman to the United States

Mr Salim Al Kindie First Secretary Embassy of the Sultanate of Oman to the United States

Ms Fozia Fayyaz Embassy of Pakistan to the United States Hon Saida Zaid Counselor Embassy of Morocco to the

United States

79भवमका

Hon Nabeel Munir Minister-IV (Security Council) Pakistan Permanent Mission to the United Nations

Hon Josef Renggli Minister-Counselor Embassy of Switzerland to the United States

Hon Alyssa Ayres Deputy Assistant Secretary for South and Central Asia US Department of State

Amb Karl Inderfurth Senior Adviser and Wadhwani Chair in US-India Policy Studies Center for Strategic and International Studies

Hon Donald A Camp Senior Associate Center for Strategic and International Studies

Amb Jackie Wolcott Executive Director US Commission on International Religious Freedom

Dr Azizah al-Hibri Commissioner US Commission on International Religious Freedom

Mr Isaiah Leggett County Executive Montgomery Count Maryland

Ms Victoria Alvarado Director Office of International Religious Freedom US Department of State

Dr Imad Dean Ahmad Director Minaret of Freedom Institute

Dr Zainab Alwani Assistant Professor of Islamic Studies Howard University School of Divinity

Ms Deborah L Benedict Associate Counsel US Citizenship and Immigration Services Department of Homeland Security

Ms Lora Berg Senior Adviser to Special Representative to Muslim Communities US Department of State

80 विशव सकट तथा शानत-पथ

Dr Charles Butterworth Professor (Emeritus) of Government and Politics University of Maryland College Park

Father John Crossin Executive Director for Secretariat for Ecumenical and Interreligious Affairs United States Conference of Catholic Bishops

Major (Ret) Franz Gayl Senior Science Adviser US Marine Corps

Dr Sue Gurawadena-Vaughn Director of International Religious Freedom and South East Asia Programs Freedom House

Mr Frank Jannuzi Head of Washington Office Amnesty International USA

Mr T Kumar International Advocacy Director Amnesty International USA

George Leventhal Member of the Montgomery County Council

Mr Amer Latif Visiting Fellow Wadhwani Chair in US-India Policy Studies Center for Strategic and International Studies

Mr Tim Lenderking Director of Pakistan Desk Office US State Department

Mr Jalal Malik International Affairs Officer US Army National Guard

Mr Naveed Malik Foreign Service Officer US Department of State

Ms Dalia Mogahed Senior Analyst and Executive Director Gallup Center for Muslim Studies

81भवमका

Mr Paul Monteiro Associate Director White House Office of Public Engagement

Major General David Quantock United States Army Provost General

Ms Tina Ramirez Director of International and Government Relations The Becket Fund

Rabbi David Saperstein Director and Counsel Religious Action Center for Reform Judaism

Chaplain Brigadier General Alphonse Stephenson Director of the National Guard Bureau Office of the Chaplain

Mr Knox Thames Director of Policy and Research US Commission on International Religious Freedom

Mr Eric Treene Special Counsel for Religious Discrimination Civil Rights Division US Department of Justice

Dr Hassan Abbas Professor Regional and Analytical Studies Department National Defense University

Mr Malik Siraj Akbar Reagan-Fascell Fellow National Endowment of Democracy

Mr Matthew K Asada Congressional Fellow to Rep Gary Peters

Ms Stacy Burdett Director of Government and National Affairs Anti-Defamation League

Ms Elizabeth Cassidy Deputy Director for Policy and Research US Commission on International Religious Freedom

Ms Aimee Chiu Director of Media Communication and Public Relations American Islamic Congress

82 विशव सकट तथा शानत-पथ

Mr Cornelius Cremin Department of State Bureau of Democracy Human Rights and Labor Acting Deputy Director and Foreign Affairs Officer for Pakistan

Mr Sadanand Dhume Resident Fellow American Enterprise Institute

Dr Richard Gathro Dean of Nyack College Washington DC

Mr Joe Grieboski Chairman The Institute on Religion and Public Policy

Ms Sarah Grieboski The Institute on Religion and Public Policy

Dr Max Gross Adjunct Professor Prince Alwaleed Bin Talal Center for Muslim-Christian Understanding Georgetown University

Dr Riaz Haider Clinical Professor of Medicine George Washington University

Ms Huma Haque Assistant Director South Asia Center Atlantic Council

Mr Jay Kansara Associate Director Hindu American Foundation

Mr Hamid Khan Senior Program Officer Rule of Law Center US Institute for Peace

Ms Valerie Kirkpatrick Associate for Refugees and US Advocacy Human Rights Watch

Mr Alex Kronemer Unity Productions Mr Paul Liben Executive Writer US Commission on

International Religious Freedom Ms Amy Lillis Foreign Affairs Officer US Department

83भवमका

of State Mr Graham Mason Legislative Assistant to Rep Allyson

Schwartz Ms Lauren Markoe Religion News Service Mr Dan Merica CNNcom Mr Joseph V Montville Senior Associate Merrimack

College Center for the Study of Jewish-Christian-Muslim Relations

Mr Aaron Myers Program Officer Freedom House Ms Attia Nasar Regional Coordinating Officer US

Department of State Ms Melanie Nezer Senior Director US Policy and

Advocacy HIAS Dr Elliott Parris Bowie State University Mr John Pinna Director of Government and

International Relations American Islamic Congress Mr Arif Rafiq Adjunct Scholar Middle East Institute Ms Maya Rajaratnam Amnesty International Ms Rachel Sauer Foreign Affairs Officer US

Department of State Dr Jerome Schiele Dean of College of Professional

Studies Bowie State University Ms Samantha Schnitzer Staff United States Commission

on International Religious Freedom Dr Mary Hope Schwoebel Senior Program Officer

Academy for International Conflict Management and

84 विशव सकट तथा शानत-पथ

Peacebuilding US Institute for Peace Ms Sarah Schlesinger International and Government

Relations Associate The Becket Fund Dr Frank Sellin Kyrgystan Desk Officer US

Department of State Ms Anna-Lee Stangl Christian Solidarity Worldwide Ms Kalinda Stephenson Professional Staff Tom Lantos

Human Rights Commission Mr Jordan Tama Lead Democratic Staffer Tom Lantos

Human Rights Commission Mr Shaun Tandon AFP Dr Wilhelmus Valkenberg Professor of Religion and

Culture The Catholic University of America Mr Anthony Vance Director of External Affairs Baharsquois

of the United States Mr Jihad Saleh Williams Government Affairs

Representative Islamic Relief USA Ms Amelia Wang Chief of Staff to Congresswoman Judy

Chu Ms Moh Sharma Legislative Fellow to Congresswoman

Judy Chu

यएस कजगस mdash हजउस पसतजव सखयज 709

88 विशव सकट तथा शानत-पथ

112 िा कागरस िसरा सशनपसतजव सखयज 709

आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि विशिवापी जमाअत अहमविा क आधानतमक और विथागत पशिा को िावशगटन िीसी म सिागतम तथा विशि-शानत ा उिारता मानिावzwjधकाररो zwjधावमणक िततरता एि परजाततर क वलिए आपक परासरो की सराहना करत ह

परवतवनवzwjध कक (House of Representatives)27 जन 2012

शीमती ज लिॉफगरन आफ कलिीफोवनण ा न (ि की ओर स तथा Mr Sherman Mr Connolly of Virginia Mr Hinchey Ms Eshoo Ms Speier Ms Richardson Mr Schiff Ms Schakowsky Mr Honda Mr Wolp Mr Peters Mr Dent Ms Chu Mr Berman Mr Franks of Arizona Ms Jackson Lee of Texas Ms Schwartz Mr Braley of Iowa और Mr McGovern की ओर स) न वनमनवलिवखत परताि परतत वका जो वक वििशी मामलिरो (Foreign Affairs) की कमटी को भजा गा

92 विशव सकट तथा शानत-पथ

पसतजव हम आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब विशववापी

जमाअत अहमविा क आधानतमक एि विथागत पशिा का िावशगटन िीसी म अवभनिन करत ह और हम आपकी विशि-शानत ा अवहसा मानिावzwjधकाररो zwjधावमणक िततरता और परजाततर क परवत कवटबदधता की सराहना करत ह

16 जन 2012 ई स 2 जलिाई 2012 तक आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि अहमविा मनलिम जमाअत जो एक अतराणषzwjटरी zwjधावमणक सगठन ह वजसक समपणण विशि म लिाखरो सि ह क विशिवापी एि विथागत पशिा स कत राज अमरीका का ऐवतहावसक िौरा कर रह ह

आप 22 अपरलि 2003 ई को हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब क पचम खलिीफा (जो वक एक आजीिन पि ह) वनिाणवचत हए आप शानत को बढािा िन िालि परमख मनलिम पशिा ह वजहरोन अपन परिचनरो भाषणरो रचनाओ एि वनतिगत भटरो क माधम स मानि सिा अतराणषटी मानिावzwjधकार शानत एि ा पर आzwjधाररत समाज क सबzwjध म जमाअत अहमविा क मलरो का सिि परचार एि समथणन वका ह अहमविा मनलिम जमाअत वनरतर ातनाओ का वशकार रही इन ातनाओ म भिभाि कषzwjट एि अताचार और वहसा भी सनममवलित ह

28 मई 2010 ई को लिाहौर पावकतान म जब जमाअत अहमविा की िो मनजिरो पर जमाअत अहमविा क विरोzwjधी उगरिाविरो न आकरमण वका तो उसम 86 अहमिी मसलिमान मार गए आप सामपरिावक

93परताि सखा 709

ातनाओ क बािजि अहमविरो को परवतशोzwjधातमक एि वहसातमक परवतवकराओ स वनरतर मना करत ह आपन मानिता की सिा को बढािा िन और उस आसान बनान क वलिए समपणण विशि का भरमण वका तथा इस सबzwjध म आपन परजीिणटस पराइमवमवनटजण सासिरो और विवभन िशरो क राजितरो स भट की

सकत राज अमरीका क अपन भरमण क मध आप सकत राज क परमख राजनताओ स भट करन क अवतररकत सबzwjधरो को सदढ बनान तथा समत लिोगरो म शानत और ा क माधमरो की थापना क वलिए हजाररो अमरीकी मसलिमानरो स भी वमलिग

27 जन 2012 ई को आप रबनण हाऊस आवफस वबनलिग कवपटलि वहलि क विशष वदपकी अवभनिन समारोह क अिसर पर ldquoशानत-पथ - राषzwjटररो क मध ापणण सबzwjधrdquo शीषणक क अतगणत मख भाषण िग ह परताि पाररत हआ वक हाउस आफ ररवपरजटवटवज

1 आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि का िावशगटन िी सी म अवभनिन करता ह

2 आप का परतक वनति की वनतिगत शानत एि ा तथा विशव की सामवहक शानत एि ा को बढािा िन पर सराहना करता ह

3 हम आपकी थाी तौर पर मसलिमानरो को कठोर स कठोर ातनाए िन क बािजि भी वहसातमक काणिावहा करन स बचन क परामशण िन पर सराहना करत ह

शजनत-पथ mdash रजषटरो क िधय यजयपणा सबि

वबनमलावहररहमावनररहीम - आिरणी अवतवथ गण असzwjसलारो अलकर वरहरzwjललाह व

बरकाzwjोह - कछ िणणन करन स पिण म इस अिसर पर आप सब का मर

भाषण को सनन क वलिए सम वनकालिन पर आभार परकट करना चाहता ह मझ स एक ऐस अिसर पर वजस विष पर बोलिन क वलिए वनििन वका गा ह िह बहत विशालि ह तथा वितार चाहता ह उसक बहत स पक ह अत इस अलप सम म उन सब का िणणन कर पाना मर वलिए सभि नही वजस विष पर भाषण िन क वलिए कहा गा ह िह विशि-शानत की थापना ह वनशच ही ह वनतात महतिपणण एि तिररत धान िन का मामलिा ह वजसका आज विशि को सामना ह बहरहालि इस सीवमत सम म म सवकपत तौर पर राषzwjटररो क

96 विशव सकट तथा शानत-पथ

मध ापणण तथा सबzwjधरो की समानता क दारा शानत-थापना क बार म इलिामी विचारzwjधारा को आपक समक रखगा

िातविकता ह ह वक शानत और ा परपर अवनिाण ह आप इन म स एक क अभाि म िसर को नही िख सकत वनशच ही ह ऐसा वसदधात ह वजस समत बवदधमान लिोग समझत ह जो लिोग विशि म अशानत फलिान पर कवटबदध ह उह एक ओर रखत हए कोई भी ह िािा नही कर सकता वक वकसी समाज और िश हा तक वक समपणण विशि म जहा ा होता हो िहा अविथा एि शानत का अभाि हो सकता ह तथावप हम िखत ह वक विशि क कई िशरो म अशानत फलिी हई ह ह अशानत िोनरो परकार स अथाणत िशरो क आतररक और बाहय तौर पर भी विवभन राषzwjटररो क मध सबzwjधरो की दनटि स विखाई िती ह ऐसी अविथा और टकराि विदमान ह चाह समत सरकार ऐसी नीवता बनान की िाििार हरो जो ा पर आzwjधाररत हरो सार िश ही िाि करत ह वक शानत थावपत करना ही उनका मलि उदश ह वफर भी इस बात म कोई सिह नही वक विशि म अशानत और परशानी बढ रही ह ह बात पषzwjट तौर पर वसदध करती ह वक कही न कही ा की माग परी नही की जा रही ह अतः परास करन तथा समानता का जहा कही जब भी अभाि हो उस समापत करन की वनतात आिशकता ह अतः विशववापी जमाअत अहमविा का पशिा होन क नात म ा पर आzwjधाररत शानत की परानति क माधमरो एि आिशकताओ क सबzwjध म कछ बात परतत करना चाहता ह

जमाअत अहमविा एक शदध zwjधावमणक समिा ह हमारा दढ विशिास ह वक मसीह और सzwjधारक वजसका इस ग म आना वननचित

97शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

था और विशि को इलिाम की िातविक वशका स अिगत कराना था िह वनसिह आ चका ह हमारा ईमान ह वक हमार समिा क परितणक हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी अलिवहसलिाम िही मसीह मौऊि और सzwjधारक ह और इसीवलिए हमन उह माना ह आप न अपन अन ावरो स दढतापिणक कहा वक िह इलिाम की िातविक और मलि वशकाए जो पवितर कआणन पर आzwjधाररत ह ि भी पालिन कर और उसका परचार कर अतः शानत-थापना एि ापणण अतराणषzwjटरी सबzwjध पिा करन क सबzwjध म जो भी कहगा िह कआणनी वशकाओ पर आzwjधाररत होगा

विशि-शानत की परानति हत आप सब वनरतर अपनी विचारzwjधाराओ को परकट करत ह और वनसिह परास भी करत ह आपक रचनातमक और वििकशीलि मनतषzwjक आपको महान विचाररो ोजनाओ और शानत का वििक परतत करन की पररणा ित ह

अतः इस समा पर मझ सासाररक अथिा राजनीवतक दनटि स कछ कहन की आिशकता नही अवपत इसक विपरीत मरा समपणण धान इस बात पर वनभणर होगा वक zwjधमण पर आzwjधाररत शानत की थापना कस हो सकती ह इस उदश क वलिए जसा वक मन पहलि िणणन वका ह म पवितर कआणन की वशकाओ पर आzwjधाररत कछ अतत आिशक वनिदश परतत करगा

हमशा ह मरण रखना आिशक ह वक मानि जान और बवदध पणण नही ह अवपत िाति म सीवमत ह अत वनणण करत सम अथिा विचार करत सम कछ विशष बात मानि मनतषzwjक म परिश कर जाती ह जो वनणण को zwjधवमलि कर सकती ह तथा एक वनति को अपन ही

98 विशव सकट तथा शानत-पथ

अवzwjधकाररो को पणण करन क परास की ओर अगरसर करती ह अततः ही बात एक अापणण पररणाम की ओर लि जा सकती ह और वफर फसलिा वका जाता ह परमशिर का कानन बहरहालि पणण ह तथा कोई वनतिगत वहत अथिा अापणण वनम विदमान नही ह करोवक परमशिर अपनी सनटि क वलिए किलि अचछाई और भलिाई चाहता ह इसवलिए उसका कानन पणण रप स ा पर आzwjधाररत ह वजस विन विशि क लिोग इस महतिपणण रह को समझन लिगग उस विन िातविक और थाी शानत की नीि रख िी जाएगी अथा हम ह जात करन का परतन करत रहग वक दवप वक विशि-शानत की थापना क वलिए अतत परतन वकए गए परत ि कोई महतिपणण पररणाम उपलिzwjध करान म असफलि रह

परथम विशि दध की समानति क पशचात कछ राषzwjटररो क शासकरो न भविषzwj म समत िशरो क मध अचछ और शानतपणण सबzwjधरो की इचछा की तो विशि-शानत की परानति क वलिए लिीग ऑफ नशस (Leage of Nations) बनाई गई उसका मख उदश विशि-शानत को थाित रखना था तथा भविषzwj म दधरो को रोकना था िभाणगिश इस लिीग क वसदधात और जो परताि पाररत वकए गए उनम कछ कवमा और िोष थ इसवलिए उहरोन समत लिोगरो और समत िशरो क अवzwjधकाररो की थोवचत रका न की पररणामिरप जो असमानता पिा हई तो थाी शानत जारी न रह सकी लिीग क परास विफलि हो गए ह बात सीzwjध तौर पर वदती विशि दध का कारण बनी

जो भकर विनाश और बरबािी हई उसस हम सब पररवचत ह वजसम समपणण विशि क लिगभग पचहततर वमवलिन लिोगरो क पराण नषzwjट

99शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

हए वजनम अवzwjधकाश वनिवोष जनता थी ह दध विशि की आख खोलिन क वलिए पाणपत होना चावहए था ह उन बवदधमततापणण नीवतरो को उनवत िन का माधम होना चावहए था जो वक समत िलिरो को ा पर आzwjधाररत उनक अवनिाण अवzwjधकार परिान करता इस परकार विशि म शानत थावपत करन का माधम वसदध होता उस सम विशि की सरकाररो न वकसी सीमा तक शानत काम करन का परतन वका और सकत राषzwjटर सघ (UNO) की थापना की गई परत ह शीघर ही पषzwjट हो गा वक सकत राषzwjटर सघ क महान और महतिपणण उदश पर नही वकए जा सक और आज कछ विशष सरकार पषzwjट तौर पर ऐस बान िती ह वजन स उनकी असफलिता वसदध होती ह

ा पर आzwjधाररत अतराणषzwjटरी सबzwjध जो शानत थावपत करन का एक माधम हरो उनक सबzwjध म इलिाम का कहता ह पवितर कआणन म अललिाह तआलिा न ह पषzwjट वका ह वक दवप हमारी जावता और जाती पररदश हमारी पहचान का एक माधम ह परत िह वकसी परकार की शषzwjठता क औवचत का माधम नही ह

अत पवितर कआणन ह पषzwjट करता ह वक समत लिोग समान ह इसक अवतररकत िह अनतम खतबा (भाषण) जो हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम न विा उसम आपस न समत मसलिमानरो को नसीहत की वक सिि मरण रखो वक वकसी अरबी को वकसी गर अरबी पर और न ही वकसी गर अरबी को वकसी अरबी पर कोई शषzwjठता ह आपस न ह वशका िी वक एक गोर को कालि पर और न ही वकसी कालि को गोर पर शषzwjठता ह अत इलिाम की ह एक पषzwjट वशका ह वक समत जावतरो और नलिरो क लिोग बराबर

100 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह ह भी पषzwjट कर विा गा ह वक समत लिोगरो को वबना वकसी भिभाि अथिा दष क समान अवzwjधकार विए जान चावहए ह एक बवनािी और सनहरी वसदधात ह जो विवभन वगरोहरो और िशरो क मध एकता और शानत की नीि िालिता ह

बहरहालि आज हम िखत ह वक शनतिशालिी और वनबणलि िशरो क मध एक फकट और खाई ह उिाहरणता स कत राषzwjटर सघ म हम िखत ह वक विवभन िशरो क मध अतर वका जाता ह और इसी परकार विशि सरका पररषि म कछ थाी और कछ अथाी सि ह ह विभाजन फकट और अशानत का एक आतररक माधम वसदध हआ ह अत हम वनरतर इस असमानता क विरदध परिशणनरो पर आzwjधाररत विवभन िशरो की ररपोटर सनत रहत ह इलिाम समत मामलिरो म पणण ा और समानता का पाठ पढाता ह और इस परकार हम पवितर कआणन की सरह अलिमाइिह आत - 3 म एक और वनिदश पात ह इस आत म पवितर कआणन िणणन करता ह वक ा की मागरो को पणणता परा करन क वलिए ह आिशक ह वक उन लिोगरो स भी वजहरोन घणा और शतरता की समत सीमाओ को पार कर वलिा हो ा और समानता का विहार वका जाए पवितर कआणन ह वशका िता ह वक जहा कही भी और जो कोई भी तमह अचछाई और नकी की ओर बलिाता हो तमह उसकी आिाज पर लिबक (म उपनथत ह) कहना चावहए और जहा भी जो कोई भी तमह बराई और अापणण विहार की ओर बलिाता हो तमह उसक वनमतरण को अिीकार कर िना चावहए

एक परशन जो िाभाविक तौर पर पिा होता ह िह ह ह वक इलिाम वकस परकार क ा की माग करता ह सरह अनननसा आत - 126 म

101शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

पवितर कआणन िणणन करता ह वक वि तमह अपन ि क विरदध ा अपन माता-वपता ा अपन वपरजनरो क विरदध भी गिाही िनी पड तो ा और सचचाई को काम रखन क वलिए तमह अिश ऐसा करना चावहए शनतिशालिी और समवदधशालिी िशरो को अपन अवzwjधकाररो की रका करन क परास म वनzwjधणन और शनतिहीन िशरो क अवzwjधकार को हडप नही करना चावहए िसरी ओर वनzwjधणन और शनतिहीन िशरो को अिसर वमलिन पर शनतिशालिी अथिा समवदधशालिी िशरो को हावन पहचान का परास नही करना चावहए इसक थान पर िोनरो पकरो को ा क वसदधातरो का पणणरपण पालिन करना चावहए िाति म विवभन िशरो क मध शानतपणण सबzwjधरो को काम रखन क वलिए ह समा बहत गभीर ह

ा पर आzwjधाररत िशरो क मध शानत की एक अ माग की चचाण पवितर कआणन की सरह अलिवहजर आत - 89 म ह जहा पवितर कआणन फरमाता ह वक वकसी भी वगरोह को िसररो क ससाzwjधनरो तथा zwjधन-समपवततरो को कभी भी ईषzwjाणपणण वनगाहरो स नही िखना चावहए इसी परकार वकसी भी िश को वकसी अ िश की पराकवतक समपिाओ पर उनकी सहाता अथिा समथणन क बहान अवzwjधकार करन का औवचत तलिाश नही करना चावहए इसी परकार तकनीकी महारत उपलिzwjध करान क आzwjधार पर सरकाररो को अापणण वापाररक समझौत ा ठक लित हए िसर िशरो स अनवचत लिाभ नही उठाना चावहए इसी परकार तकनीकी ोगताए उपलिzwjध करान ा सहाता करन क बहान सरकाररो को विकासशीलि िशरो क पराकवतक समपिाओ ा समपवततरो पर अवzwjधकार परापत करन क परतन नही करन चावहए जहा अलप वशवकत लिोग हरो

102 विशव सकट तथा शानत-पथ

ा सरकाररो को वसखान की आिशकता हो वक उह अपन पराकवतक ससाzwjधनरो (समपिाओ) को कस काम म लिाना ह तो वफर ऐसा वका जा सकता ह

अत िशरो और सरकाररो को वनबणलि िशरो की सिा और सहाता करन क सिि अिसर खोजन चावहए परत वकसी भी पररनथवत म ऐसी सिा को राषzwjटरी अथिा राजनीवतक लिाभ परापत करन का ा अपन वहतरो को पणण करन का उदश नही बनाना चावहए हम िखत ह वक सकत राषzwjटर सघ न गत छ ा सात िशकरो म वनzwjधणन िशरो की सहाता करन और उह विकवसत करन क उदश स कई काणकरम बनाए ह इस परास म उहरोन कई िशरो क पराकवतक ससाzwjधनरो की खोज की ह परत इन परासरो क बािजि वनzwjधणन िशरो म स कोई भी िश विकवसत िशरो क तर तक नही पहच सका इस का एक कारण वनशच ही उन विकासशीलि िशरो की बहत सी सरकाररो म विशालि तर पर ररशित खान का परचलिन ह म खि क साथ कहता ह वक इसक बािजि विकवसत िश अपन वहतरो को परा करन क वलिए वनरतर ऐसी सरकाररो क साथ वापार करत ह वापाररक समझौत अतराणषzwjटरी सहाता और विसावक ठक वनरतर जारी ह फलििरप वनzwjधणन और वनराश जनता की परशानी एि अशानत वनरतर बढ रही ह ह बात अवzwjधकाश िशरो म विदरोह और आतररक अशानत का कारण बन गई ह विकासशीलि िशरो क वनzwjधणन लिोग इतन बचन हो गए ह वक ि अपन ही नताओ क विरदध हो गए ह अवपत महा शनतिरो क लिोग भी इसस उगरिािी सगठनरो का उदश परा हआ ह और उहरोन इस अशानत का लिाभ उठाा ह इस परकार ि ऐस लिोगरो को अपन िलिरो म सनममवलित करन

103शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

क वलिए परोतसाहन भी ित आ रह ह और अपनी घवणत विचारzwjधारा को परोतसावहत कर रह ह इसका अनतम पररणाम ह वनकलिा ह वक विशव-शानत का विनाश हो गा ह

अत इलिाम न शानत क वलिए विवभन माधम अपनान की ओर हमारा धान फर विा ह इलिाम पणण ा की माग करता ह िह इस बात की माग करता ह वक सिि सचची गिाही िी जाए िह इस बात की माग करता ह वक ईषzwjाण स हमारी दनटि िसररो की zwjधन-समपवततरो पर न पड िह इस बात की माग करता ह वक विकवसत िश अपन वनतिगत वहतरो को एक ओर रख और इसक विपरीत विकासशीलि और वनzwjधणन िशरो की वनिाथण भािना क साथ सहाता और सिा कर वि समत बात दनटिगत रखी जाए तभी सचची शानत काम होगी

वि उपरोकत समत उपारो क बािजि कोई िश सीमा का उललिघन करत हए िसर िश पर आकरमण करता ह और उसक पराकवतक ससाzwjधनरो को अापणण ढग स अपन अवzwjधकार म लिन की खोज म ह तो ऐसी नथवत म िसर िशरो को ऐसा अताचार रोकन क वलिए वनशच ही उपा करन चावहए परत उनको भी ऐसा करत सम ा स काम लिना चावहए

का णिाही करन क वलिए पररनथवता जो वक कआणनी वशकाओ पर आzwjधाररत ह पवितर कआणन की सरह अलिहजरात आत - 10 म वितारपिणक िणणन हई ह जो ह वशका िती ह वक जब िो िशरो का आपस म वििाि हो और ह वििाि दध का रप zwjधारण कर लि तो िसरी सरकाररो को कठोरता क साथ उह िाताणलिाप की सलिाह िनी चावहए तावक िह िाताणलिाप क दारा एक समझौत और मतरी की ओर

104 विशव सकट तथा शानत-पथ

आ सक और वि िोनरो सिरो म स कोई समझौत की शतषो को नही मानता और दध छड िता ह तो िसर िशरो को स कत होकर अताचार करन िालि स लिडना चावहए और जब अताचार करन िालिी जावत परावजत हो जाए और ऐस िाताणलिाप करन पर सहमत हो जाए तो समत पावटर रो को एक ऐस समझौत का परास करना चावहए जो थाी शानत और सलिह का कारण हो ऐसी कठोर और अापणण शतषो को वकसी िश पर न थोपा जाए जो वकसी िश क हाथरो को बाzwjध ि करोवक भविषzwj म िह ऐसी अशानत का कारण बनगी जो भडकगी और फलिगी ऐसी अशानत क फलििरप और अवzwjधक अशानत उतपन होगी

ऐसी पररनथवतरो म जहा एक मधथ सरकार िोनरो पकरो क मध सवzwjध कराना चाहती ह तो उस शदध नीत और वबलकलि वनषzwjपकता स काम करना चावहए और ह वनषzwjपकता इस नथवत म थाित रहनी चावहए चाह कोई पक इस क विरदध भी बोलिता हो अत ऐसी पररनथवतरो म भी मधथ को करोzwjध परकट नही करना चावहए उस बिलिा लिन की ताक म नही रहना चावहए और न ही उस अापणण ढग स ह काण करना चावहए समत पकरो को उनक उवचत अवzwjधकार विए जान चावहए

अत ा की मागरो को परा करन क वलिए ह आिशक ह वक ि िश जो सवzwjध करा रह हरो ि अपन वनतिगत वहतरो को परा करन की टोह म न हरो और न ही िोनरो म स वकसी िश स अनवचत लिाभ परापत करन का परास कर रह हरो उह अापणण हतकप नही करना चावहए अथिा िोनरो पकरो म स वकसी एक पर अनवचत िबाि नही िालिना चावहए तथा वकसी िश क पराकवतक ससाzwjधनरो का अनवचत लिाभ

105शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

नही उठाना चावहए ऐस िशरो पर अनािशक और अनवचत परवतबzwjध नही लिगान चावहए करोवक न तो ह ा ह और न ही ह िशरो क मध सबzwjधरो को सzwjधारन का साzwjधन वसदध हो सकता ह

सम का धान रखत हए मन बात बड सकप म िणणन की ह साराश ह वक वि हम ससार म शानत थावपत करन क इचछछक ह तो हम अपन वनतिगत वहतरो को एक ओर छोडना होगा और उसक थान पर राषzwjटरी वहतरो की एक बडी भलिाई क वलिए हम ऐस परपर सबzwjध काम करन हरोग जो पणणता ा पर आzwjधाररत हरो अथा आप म स कछ मझ स सहमत हरोग वक राजनीवतक गठबzwjधनरो क कारण भविषzwj म लिाक बन सकत ह और म तो कहता ह वक िह बनना आरभ हो गए ह और वफर ह िर नही वक विशि म अशानत फलिती चलिी जाए जो अतत एक बडी तबाही और विनाश का कारण बन जाए ऐस विनाश और दध क परभाि वनशच ही कई पीवढरो पर वापत हरोग अत अमरीका को विशि की सबस बडी शनति होन की दनटि स िातविक ा को काम म लिात हए सिzwjभािना क साथ जसा वक मन िणणन वका ह अपनी भवमका वनभानी चावहए वि अमरीका ऐसा करता ह तो विशि हमशा उसक महान परासरो को बडी परशसा क साथ मरण रखगा मरी ह िआ ह वक ह बात िातविकता बन जाए

आप सब कज बहत-बहत ियवजद हमारा ह वनम ह वक हम वकसी आोजन क समापन पर

समाता खामोशी क साथ िआ करत ह अत म िआ कराऊगा और अहमिी भी मर अनसरण म िआ करग आप सब हमार अवतवथ अपनी पदधवत क अनसार ह िआ कर सकत ह

शजनत की कजी mdash मवशव-एकतजरोवपन पावलिणामट

बरसलज बनलजम 2012

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba being welcomed by Martin Schulz President of European Parliament

His Holiness leading silent prayer at conclusion of the European Parliament event Seated to his right Dr Charles Tannock (MEP-UK) left Rafiq Hayat (National Amir AMA UK)

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba delivers the keynote address at the European Parliament event

Press Conference with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba at European Parliament Seated with His Holiness is Dr Charles Tannock (MEP-UK and Chair of European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group)

Tunne Kelam (MEP Estonia amp Vice-Chair of European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group) meeting with His Holiness

Phil Bennion (MEP West Midlands and member of European Parliamentrsquos South Asia Delegation) meeting with His Holiness

पररचय

विनाक 3 तथा 4 विसमबर 2012 को हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम क पाचि उततरावzwjधकारी तथा विशववापी जमाअत अहमविा क परमख हजरत खलिीफतलि मसीह पचम (अलाह तआलिा आपकी सहाता कर) न बरसलज म रोपीन पावलिणामट क अपन परथम िौर क अतगणत 30 िशरो का परवतवनवzwjधति कर रह 350 स अवzwjधक गणमा अवतवथरो स भरी सभा म एक महतिपणण ऐवतहावसक भाषण विा इस सभा का आोजन lsquoफरडस ऑफ अहमविा मनलिमसrsquo जो वक रोवपन पावलिणामट गरप का एक नि-वनवमणत सघ ह क अधक िा चालसण टनक (MEP UK) दारा वका गा था ह रोवपन पावलिणामट क सिरो का एक अवखलि रोपी तथा अवखलि पाटगी सघ का वजसका गठन रोवपन पावलिणामट म अहमविा मनलिम जमाअत का विकास करन तथा रोप एि विशव क अ भागरो म इस जमाअत क वहतरो क तर ऊचा करन क उदश स वका गा ह

112 विशव सकट तथा शानत-पथ

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब (अलाह आपकी सहाता कर) न अपन िौर क अतगणत कई पावलिणामट क सिरो और उचच पिावzwjधकारररो स कई भट की वजन स आपन भट की उनम वनमनवलिवखत हनता भी सनममवलित ह ः-

Dr Charles Tannock (MEP-UK)mdashMember of the European Parliament Foreign Affairs Committee Member of the Sub-Committee on Human Rights Vice-Chair of the Parliamentary Delegation for relations with the NATO Parliamentary Assembly and Chair of the European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group

Tunne Kelam (MEP-Estonia)mdashMember of the European Parliamentrsquos Foreign Affairs Committee the Sub-Committee on Security and Defence and Vice-Chair of the European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group

Claude Moraes (MEP-UK)mdashVice-Chair of the Delegation for Relations with the Arab Peninsula Member of the Committee on Civil Liberties Justice and Home Affairs Deputy Leader of the European Parliamentary Labour Party and Vice-Chair of the European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group

Barbara Lochbihler (MEP-Germany)mdashChair of the European Parliament Sub-Committee on Human Rights

Jean Lambert (MEP-UK)mdashChair of the European Parliament South Asia Delegation

113पररच

Phil Bennion (MEP-UK)mdashMember of the European Parliament South Asia Delegation and Chairman of the LibDem European Group

विनाक 4 विसमबर 2012 को मख आोजन एि हजरत खलिीफतलि मसीह पचम क मख भाषण स पिण रोवपन पावलिणामट क परस कक म एक अतराणषटी परस काफस का आोजन वका गा चालिीस वमनट की इस परस काफस वजसम वबरटन पन फास बनलजम पावकतान एि अ िशरो क पतरकार एि मीविा परवतवनवzwjध सनममवलित थ म हजर न विवभन पतरकाररो क परशनरो का उततर विा बीबीसी क परवतवनवzwjध क एक परशन वक lsquoविशव म इलिाम की भवमका का हrsquo क उततर म हजर न कहा ldquoइलिाम का शानत का सिश विशववापी ह इसी वलिए हमारा आिशण िाक ही ह lsquoपरम सब क वलिए घणा वकसी स नहीrsquo पन क एक पतरकार क एक परशन क उततर म हजर न कहा वक सभी परमख zwjधमषो न मलितः शानत का सिश ही विा था अतः सचच मसलिमान सभी अिताररो पर ईमान लिात ह परतक अितार न ही सिश विा वक परमातमा एक ह मालटा क पतरकार क एक परशन का उततर ित हए हजर न कहा वक अहमिी मसलिमानरो का ह कततणव ह वक ि मानिता को परमातमा क समीप लिाए और विशव की जनता को एक िसर क अवzwjधकाररो का सममान एि रका हत उनक कततणव क परवत जागत कर

मख सभा क आोजन क सम सभा-थलि शोताओ स खचाखच भरा हआ था lsquoरावपन पावलिणामट फरडस ऑफ अहमविा मनलिम गरप क अधक तथा सभी उप-अधक विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब का िागत

114 विशव सकट तथा शानत-पथ

करन क वलिए टज तक आए मावटरन शलज MEP एि रोवपन पावलिणामट क अधक विशष रप स भट करन क वलिए पzwjधार हजर क मख भाषण स पिण रोवपन पावलिणामट क विवभन सिरो न सभा को समबोवzwjधत करत हए अहमविा मनलिम जमाअत दारा परवतपावित शानतपणण इलिाम क समबzwjध म अपनी ओर स परशसा वति की िा चालसण टनक MEP एि रोवपन पावलिणामट फरिस आफ अहमविा मनलिम गरप क अधक न कहा ः ldquoअहमिी मसलिमान विशव म सहनशीलिता का एक हषणिाक एि अवभनिी उिाहरण हrdquo

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह एि परमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत का ऐवतहावसक भाषण पाठकरो क वलिए परतत वका जा रहा ह

शजनत की कजी mdash मवशव-एकतज

वबनमलावहररहमावनररहीमपरारभ करता ह अलाह क नाम स जो अनत कपालि तथा िालि ह

सभी परवतनषठत अवतवथो असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातोहसिणपरथम म इस सभा क आोजकरो क परवत अपना आभार परकट

करना चाहता ह वजहरोन मझ रोवपन पावलिणामट म आप सब को समबोवzwjधत करन का अिसर परिान वका म विवभन िशरो क सभी परवतवनवzwjध मणिलिरो तथा अ अवत व थरो का भी zwjधिाि करना चाहता ह जो अतत परास करक इस सभा म पzwjधार ह

जो लिोग अहमविा मनलिम जमाअत स भलिी भावत पररवचत ह अथिा जो इस जमाअत स पणणता पररवचत नही तथा वजनक वनतिगत तर पर अहमविरो स समबzwjध ह ि सभी इस बात स पणणता अिगत ह वक हम एक जमाअत क रप म शानत एि सरका की थापना क वलिए वनरतर विशव का धानाकषणण करात रहत ह वनसिह हम इन उदशरो की पवतण

116 विशव सकट तथा शानत-पथ

क वलिए अपन उपलिzwjध साzwjधनरो क दारा भरसक परतन भी करत ह अहमविा जमाअत क परमख होन क नात म जब भी अिसर परापत

होता ह वनवमत रप स इन समाओ क समबzwjध म बात करता ह शानत और परपर परम की आिशकता क समबzwjध म बात करन का कारण ह नही ह वक अहमविा मनलिम जमाअत कोई निीन वशका परतत कर रही ह वनसिह अहमविा जमाअत क स थापक क आगमन का एक परमख उदश शानत और सौहािण की थापना था परत िातविकता ह ह वक हमार सभी कमण और का ण उन वशकाओ क अनरप ह जो इलिाम क सथापक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम पर उतरी थी

हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क ग क 1400 िषण उपरात िभाणगिश अवzwjधकतर मसलिमानरो न आपकी लिाई हई पवितर वशकाओ को भलिा विा अतः हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की भविषzwjिाणी क अनसार परमातमा न इलिाम को पनः जीवित करन हत हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब काविानी स थापक अहमविा मनलिम जमाअत को भजा मरा आप स अनरोzwjध ह वक जब म शानत और समि एि एकता क परोतसाहन क समबzwjध म इलिामी वशकाओ का िणणन करगा तो आप इस बात को अपन सममख रख

म ह भी िणणन करना चाहता ह वक lsquoशानतrsquo और lsquoसरकाrsquo क विवभन रप एि पक ह परतक रप अथिा पक अपनी पररवzwjध म महतिपणण ह परत इसक साथ साथ एक रप का िसर रप स अतसणमबzwjध उसस भी अवzwjधक महति रखता ह उिाहरणता समाज म शानत का मलि आzwjधार एक पररिार की आतररक शानत और सौहािण

117शानत की कजी mdash विशव-एकता

ह एक पररिार की आतररक नथवत किलि उसी पररिार तक सीवमत नही रहती परत इसका परभाि उस कतर विशष की शानत पर भी पडता ह और फलििरप ह नथवत पर शहर की शानत को भी परभावित करती ह वि पररिार म अविथा होगी तो थानी कतर पर इस का परवतककलि परभाि पडगा और अततः इस का िषzwjपरभाि पर कब अथिा शहर पर भी पडगा इसी परकार एक कब अथिा शहर की पररनथवत समच िश की शानत को परभावित करती ह और अततः समच विशव की शानत और एकता को भी परभावित करती ह अतः ह पटि ह वक वि आप शानत क एक पक अथिा रप पर भी चचाण करना चाह तो आपको जात हो जाएगा वक इसकी पररवzwjध सीवमत नही रखी जा सकती अवपत इस का कतर वितत होता जाता ह इसी परकार हम िखत ह वक जहा भी शानत का अभाि होता ह तो उस समा का समाzwjधान करन क वलिए ितणमान पररनथवतरो तथा शानत और सरका क उन पकरो का वजन का उलघन वका गा ह को दनटिगत रखत हए विवभन परकार क उपा करन पडत ह वि हम इन बातरो को सममख रखग तो पटि ह वक इस पर पणण चचाण करन और इन समाओ का समाzwjधान ढढन क वलिए जो सम उपलिzwjध ह उसस भी कही अवzwjधक सम की आिशकता ह वफर भी म इलिाम की िातविक वशकाओ क कछ पक परतत करन का परतन करगा

आzwjधवनक ग म हम िखत ह वक इलिाम पर कई आरोप लिगाए जात ह और मख रप स zwjधमण को अशानत और कलिह का उततरिाी ठहराा जाता ह जबवक lsquoइलिामrsquo शि का अथण ही शानत और सरका ह और इलिाम िह zwjधमण ह वजसन शानत की थापना क समबzwjध म

118 विशव सकट तथा शानत-पथ

विशष मागणिशणन वका ह और उस उदश की पवतण क वलिए कछ वनम वनविणटि वकए ह वफर भी इलिाम पर ऐस आरोप लिगाए जात ह इलिाम की िातविक और शानतपणण वशकाओ का रप आपक सममख रखन स पिण म विशव की ितणमान नथवत पर एक सवकपत दनटि िालिना चाहता ह मझ विशवास ह वक आप पहलि ही इन पररनथवतरो स भलिी भावत पररवचत हरोग वफर भी म उनका िणणन करना चाहता ह तावक जब म शानत और एकता क समबzwjध म इलिाम की वशकाओ का िणणन कर तो आप इन को दनटिगत रख सक हम सभी इस बात को जानत ह और िीकार करत ह वक आज ससार एक विशव-गराम का रप zwjधारण कर चका ह हम सभी विवभन साzwjधनरो दारा चाह ि ाताात क आzwjधवनक साzwjधन हरो चाह परचार एि परसार क साzwjधन तथा इटरनट हो अथिा अ साzwjधन हरो परपर जड हए ह इन सब साzwjधनरो क फलििरप विशव क िश पहलि स कही अवzwjधक परपर वनकट आ गए ह हम ह भी िखत ह विशव क परमख िशरो म परतक जावत zwjधमण और विवभन नागररकता रखन िालि लिोग बस गए ह और परपर वमलि कर रहत ह वनसिह बहत स िशरो म वििशी परिावसरो की एक बहत बडी सखा ह परिासी अब उन िशरो म इतनी सदढता स िहा क समाज का अग बन चक ह िहा की सरकार अथिा थानी वनिावसरो क वलिए उह विथा वपत करना अतत कवठन ही नही अवपत असमभि परतीत होता ह दवप वििशी परिावसरो क आगमन को रोकन क वलिए परास वकए गए ह और कछ परवतबzwjध भी लिाग वकए गए ह तथावप अब भी ऐस विवभन मागण ह वजन क दारा एक िश का नागररक वकसी अ िश म परिश कर सकता ह वि अिzwjध परिास को एक ओर रख ि

119शानत की कजी mdash विशव-एकता

तो वनसिह कछ ऐस अतराणषटी वनम मौजि ह वजन क अतगणत उन लिोगरो को सहाता परिान की जाती ह जो उवचत कारणरो स अपना िश छोडन पर वििश हो जात ह

हम ह भी िखत ह वक इस विशालि तर पर लिोगरो क परिास क फलििरप कछ िशरो म वचता और बचनी फलि रही ह इस का उततरिावति िोनरो पकरो परिावसरो तथा थानी नागररकरो पर ह एक ओर कछ परिासी थानी लिोगरो को उततवजत करत ह तो िसरी ओर कछ थानी वनिासी असहनशीलिता और अनिारता का परिशणन करत ह कभी-कभी घणा की ह जवालिा भकर रप zwjधारण कर लिती ह विशषकर कछ परिासी मसलिमानरो क परवतककलि विहार की परवतवकरा म पनचिमी िशरो क थानी नागररकरो की ओर स विशष रप स इलिाम क विरदध घणा और िमन की भािना का परिशणन वका जाता ह ह रोष और परवतवकरा किलि सीवमत तर पर नही होती अवपत ह अपनी चरम सीमा तक पहच सकती ह और पहचती भी ह इसीवलिए पनचिमी िशरो क नता वनवमत रप स इन समाओ क समबzwjध म चचाण करत रहत ह

इसी वलिए कभी-कभी हम िखत ह वक जमणनी क चासलिर मसलिमानरो को जमणनी का अवभन अग बतात ह क क परzwjधानमतरी इस बात की आिशकता पर बलि ित ह वक मसलिमानरो को समाज का अवभन अग बनना चावहए और कछ िशरो क नताओ न तो मसलिमानरो को चतािनी तक ि िी ह

आतररक कलिह और वििाि की नथवत वि और अवzwjधक वबगड नही रही वफर भी वननचित रप स ह वचता का विष बन चकी ह

120 विशव सकट तथा शानत-पथ

समा वबगड कर शानत क विनाश का कारण बन सकती ह इस म कोई सिह नही रहना चावहए वक इन वििािरो का िषzwjपरभाि किलि पनचिमी िशरो तक सीवमत रहगा अवपत इसस समचा विशव और विशषकर मनलिम िश इसस परभावित हरोग अतः नथवत म सzwjधार पिा करन तथा शानत को बढािा िन क वलिए आिशकता ह वक सभी िगण एकजट हो कर काण कर सरकाररो को ऐसी नीवता बनानी चावहए वजनस शानत की थापना हो और वजनक दारा परतक क सममान की सरका हो और िसररो की भािनाओ को आहत करन अ थिा उह वकसी परकार की हावन पहचान जसी गवतविवzwjधरो को गर-काननी घोवषत वका जाना चावहए

परिासी नागररकरो क सबzwjध म ह कहना चाहता ह वक ि थानी समाज और लिोगरो का अवभन अग बनन की इचछा स वकसी िश म परिश कर और थानी लिोगरो को चावहए वक ि उिारता और सहनशीलिता का परिशणन कर इस क अवतररति ह बात भी ह वक किलि मसलिमानरो पर कछ परवतबzwjध लिगान स शानत थावपत नही हो सकती करोवक किलि इन क दारा लिोगरो क विचाररो म पररितणन नही लिाा जा सकता ह किलि मसलिमानरो क वलिए ही विशष नही अवपत वकसी भी वनति पर वि उसक zwjधमण और आथा क आzwjधार पर परवतबzwjध लिगाा जाए तो इसकी परवतवकरा क फलििरप ग भीर रप स शानत भग होगी जस वक म पहलि िणणन कर चका ह वक कछ िशरो म वििाि बढ रह ह विशषकर परिासी और थानी नागररकरो क मध ह पटि ह वक िोनरो पकरो म सहनशीलिता का अभाि पिा हो रहा ह रोपी नतति को इस िातविकता को िीकार करना चावहए और समझना चावहए

121शानत की कजी mdash विशव-एकता

वक zwjधावमणक सममान और परपर सहनशीलिता की थापना उनका कततणव ह परतक रोपी िश म आतररक रप स और रावपन तथा मनलिम िशरो क मध सौहािण क िातािरण को परोतसावहत करन क वलिए ह अवत आिशक ह तावक विशव की शानत भग न हो

म ह िीकार करता ह इन वििािरो और मतभिरो का कारण किलि zwjधमण ा आथाए नही ह और न ही ह पनचिमी एि मनलिम िशरो क मध मतभिरो का परशन ह िततः इस अशानत का मख और मलि कारण अतराणषटी आवथणक सकट ह जब आवथणक सकट नही था तो वकसी को परिावसरो क आगमन की वचता नही थी परत अब नथवत बिलि चकी ह जो इस ितणमान वििाि का कारण ह इसक रोपी िशरो क परपर समबzwjधरो पर भी परवतककलि परभाि पडा ह और फलििरप कछ रोपी िशरो क लिोगरो म परपर रोष एि करोzwjध की भािना वनरतर बढ रही ह ह पररनथवत परतक थान पर िखी जा सकती ह

रोपी सघ का गठन रोपी िशरो की एक महतिपणण उपलिनzwjध ह करोवक ह इस महादीप की एकता का एक साzwjधन ह अतः आप सभी क परपर अवzwjधकाररो का सममान करक इस एकता की सरका क वलिए भरसक परास करना चावहए सामा जनता म जो वचता अथिा भ ह उसका वनिारण करना चावहए एक िसर क समाज क वलिए आपको परपर एक िसर स उवचत और िातविक मागरो को िीकार करन क वलिए त ार रहना चावहए वनसिह ह भी आिशक ह वक परतक िश की जनता की माग उवचत और ा पर आzwjधाररत हरो

मरण रह वक एकता म और सगवठत रहन म रोप की शनति

122 विशव सकट तथा शानत-पथ

वनवहत ह ह एकता आपको न किलि रोप म लिाभकारी वसदध होगी अवपत अतराणषटी तर पर इस महादीप को अपनी शनति और परभाि थावपत करन म सहाक वसदध होगी सत तो ह ह वक वि इलिामी दनटिकोण स िखा जाए तो हम समच विशव की एकता क वलिए सघषण और परास करना चावहए पर विशव म मदरा Currency एक समान होनी चावहए वापार और िावणज की दनटि स विशव को एक होना चावहए और परिास और िततर थानातरण क समबzwjध म समानता और एकता पर आzwjधाररत वािहाररक नीवता बनानी चावहए वजस क दारा समचा विशव एक हो जाए साराश ह वक सभी िशरो को परपर सहोग करना चावहए तावक अनकता क थान पर एकता हो वि नीवता अपनाई जाए तो शीघर ही ितणमान वििािरो का अत हो जाएगा और शानत और परपर सममान की भािना थावपत हो जाएगी परत शतण ह ह वक परतक िश िातविक ा क मागण पर चलित हए अपन कततणव को समझ मझ बड खि स ह कहना पड रहा ह दवप ह एक इलिामी वशका ह वफर भी ि मनलिम िश परपर एकवतरत होन म विफलि रह ह वि मनलिम िश एक हो कर परपर सहोग करत तो उह अपनी आतररक समाओ क समाzwjधान और आिशकताओ की पवतण क वलिए सिि पनचिमी िशरो स सहाता न लिनी पडती

इस क पचिात अब म विशव म वचरथाी शानत की थापना क सबzwjध म िातविक इलिामी वशकाओ का िणणन करगा सिणपरथम ह वक इलिाम की ह मलि और आzwjधारभत वशका ह वक सचचा मसलिमान िह ह वजसकी जबान और हाथ स अ सभी शानतवपर लिोग सरवकत रह ह ह एक मसलिमान की पररभाषा जो हजरत महममि सललाहो

123शानत की कजी mdash विशव-एकता

अलिवह िसलम न िणणन की ह इस मलि और स िर वसदधात को सनन क पचिात का इलिाम पर कोई आरोप लिगाा जा सकता ह किावप नही इलिाम ह वशका िता ह वक किलि ि लिोग िणिनी ह जो अपनी जबान और हाथरो स अा और घणा फलिात ह अतः थानी एि अतराणषटी तर पर वि सभी िगण इस िवणणम वसदधात की सीमा का उलघन न करत तो कभी भी zwjधावमणक अविथा की नथवत उतपन न होती कभी भी राजनीवतक वििाि न होता न ही शनति परापत करन की इचछा और लिालिच क कारण उतपन होन िालिी अविथा होती वि इन इलिामी वसदधातरो का अनसरण वका जाए तो राषटी तर पर सामा जनता एक िसर क अवzwjधकाररो की रका और भािनाओ का सममान करगी और सरकार अपन तर पर सभी नागररकरो की सरका करन क अपन कततणव को परा करगी इसी परकार अतराणषटी तर पर परतक िश िसर िश क साथ सचची सहानभवत और िा की भािना स सहोग करगा

एक अ मख वसदधात जो इलिाम हम वसखाता ह िह ह ह वक सभी िगषो क वलिए अवनिा ण ह वक शानत को बढािा िन क अपन परासरो स ि किावचत वकसी परकार का गिण अथिा अवभमान का परिशणन न कर हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न पणण रप स ह पटि कर विा ह वक न वकसी कालि को गोर पर और न ही वकसी गोर को कालि पर कोई शषठता परापत ह न ही वकसी रोपिासी को वकसी अ िश क नागररक पर और न ही अफीका एवशा अथिा विशव क वकसी अ भाग क नागररक को वकसी रोपिासी पर कोई शषठता परापत ह राषटीता रग अथिा जावत का अतर किलि पहचान क वलिए ह

िातविकता ह ह वक ितणमान ग म हम सभी एक िसर पर

124 विशव सकट तथा शानत-पथ

वनभणर ह आज रोप और सति राज अमररका जसी महाश नतिा भी िसररो स पणणता अलिग थलिग रह कर जीवित नही रह सकती अफीकी िश पथक रह कर समदध बनन की आशा नही कर सकत और इसी परकार एवशाई िश अथिा विशव क वकसी अ भाग क वनिासी शष ससार स अलिग रह कर समदध नही बन सकत उिाहरण क रप म वि आप अपनी आवथणक नथ वत को विकवसत और उनत करन क अवभलिाषी ह तो आपको अतराणषटी वापार को िीकार करन क वलिए त ार रहना चावहए ितणमान ससार वकस परकार आतररक रप स परपर जडा हआ ह ह तथ इस उिाहरण स भलिी भानत पटि हो जाता ह वक गत कछ िषषो म उतपन रोपी अथिा वि शव आवथणक सकट का परवतककलि परभाि परतक िश पर वकसी न वकसी रप स पडा ह इसी परकार विजान तथा अ कतररो म उनवत और कौशलि परापत करन क वलिए परतक िश को एक िसर स अवनिा ण रप स सहोग करना पडता ह

हम ह मरण रखना चावहए सिणशनतिमान परमातमा न ससार क सभी लिोगरो चाह ि अफीका क हरो ा रोप ा एवशा अ थिा वकसी अ थान क हरो को महान बौवदधक शनतिा तथा ोगताए परिान की ह वि सभी िगण अपनी ईशवर-परितत ोगताओ को मानिता की भलिाई क वलिए था-समभि उपोग कर तो ह विशव शानत का कदर बन सकता ह वि विकवसत िश विकासशीलि अथिा अलप विकवसत िशरो की उनवत एि परगवत को अिरोवzwjधत करन का परास करग और उनक िशरो क परवतभाशालिी और ोग लिोगरो को उवचत अिसर उपलिzwjध नही कराएग तो वनसिह शका और वचता बढगी और इसक फलििरप उतपन होन िालिी अशानत अतराणषटी शानत एि सरका का विनाश कर िगी

125शानत की कजी mdash विशव-एकता

शानत क विकास क वलिए इलिाम न िसरा वसदधात ह परतत वका ह वक हम िसररो क परवत अा को सहन नही करना चावहए जसा वक हम अपन अवzwjधकाररो का भी हनन नही होन ित ठीक इसी परकार हम िसररो क अवzwjधकाररो क हनन को भी सहन नही करना चावहए इलिाम की ह वशका ह वि कही परवतशोzwjध लिना अवनिा ण हो तो िह वकए गए अताचार क समानपाती होना चावहए परत वि कमा करन स सzwjधार समभि हो तो विकलप को अपनाना चावहए सzwjधार सलिह और वचरथाई शानत की थापना ही िातविक एि मख उदश होन चावहए परत िाति म ितणमान ग म हो का रहा ह वि कोई अपराzwjध ा अा करता ह तो पीवडत वनति इस रप म परवतशोzwjध लिना चाहता ह जो वक उस पर वकए गए मलि अा अथिा अताचार की तलिना म कही अवzwjधक हो और पणणता अनपात म उसस कही बढ कर हो

थाित ही नथवत इसाईलि और वफलितीन क वििाि म आजकलि हम िख रह ह विशव की महाशनतिरो न परतक रप स सीररा लिीवबा और वमस की पररनथवतरो पर अपना रोष और वचता परकट की ह जबवक ह कहा जा सकता ह वक मलि रप म उनक िश क आतररक मामलि ह परत ह महाशनतिा ऐसा परतीत होता ह वक वफलितीन की जनता क परवत लिशमातर भी वचनतत नही ह अथिा इतन वचवतत नही ह वजतना होना चावहए इन िोहर मापिणिरो क कारण मनलिम िशरो की परजा म विशव की महाशनतिरो क परवत दष और रोष की भािना म िवदध हो रही ह ह रोष और शतरता अतवzwjधक हावनकारक ह और वकसी भी सम ह अपनी चरम सीमा तक पहच कर विधिस का कारण बन सकती ह इसका पररणाम का होगा विकासशीलि

126 विशव सकट तथा शानत-पथ

िशरो को इसस वकतनी हावन होगी का ि जीवित रहन क ोग भी हरोग विकवसत िशरो पर इसका वकस सीमा तक परभाि पडगा किलि परमातमा ही इन परशनरो क उततर जानता ह न म इन परशनरो का उततर ि सकता ह और न ही कोई अ एक बात जो वननचित ह िह ह ह वक विशव-शानत का विनाश हो जाएगा

पटि रह वक म वकसी िश विशष का समथणन नही कर रहा म किलि ह कहना चाहता ह वक अताचार क परतक रप का चाह िह कही भी पाा जाता हो का उमलिन वका जाना चावहए और उस का अत वका जाना चावहए चाह अताचार वफलितीन की जनता कर रही हो अथिा इसाईलि क लिोग कर रह हरो अथिा वकसी अ िश क लिोग कर रह हरो अताचाररो का अत होना चावहए करोवक वि इह रोका न गा तो घणा की जवालिा समपणण विशव को अपनी चपट म उस सीमा तक लि लिगी वक सामा जनता शीघर ही ितणमान आवथणक सकट की समाओ को भलि जाएगी और इसक थान पर उह कही अवzwjधक भकर पररनथवतरो स जझना पडगा इतन विशालि तर पर जन हावन होन की आशका ह वक वजसकी हम कलपना भी नही कर सकत

अतः रोपी िशरो वजहरोन न वदती विशव दध म बहत बडी हावन उठाई ह का कततणव ह वक ि अतीत क विनाश स सीख लि और विशव को विनाश स बचाए इसक वलिए उह ा की मागरो को परा करना होगा और अपन कततणवरो को समझन क वलिए ततपर होना होगा

इलिाम न वनषzwjपक और ापणण ढग स विहार की आिशकता पर बहत बलि विा ह इलिाम ह वशका िता ह वक वकसी भी िगण को अनवचत रप स शषठता ा परzwjधानता न िी जाए और न ही वकसी का

127शानत की कजी mdash विशव-एकता

अनवचत समथणन वका जाए ऐसा होना चावहए वक अपराzwjधी चाह िह वकतना ही विशालि और शनतिशालिी हो उस को ह जात होना चावहए वक वि िह वकसी िश क विरदध अापणण काणिाही करन का परास करगा तो अतराणषटी समिा उसको इसकी अनमवत नही िगा वि सति राषट क सभी िश रोपी सघ स लिाभानित होन िालि सभी िश त था ि िश जो महाशनतिरो क परभािाzwjधीन ह और अविकवसत िश इस वसदधात को िीकार करन क वलिए तार हरोग तो ही शानत का उि होगा

एक अ बात ह ह वक िातविक रप स ा तभी थावपत हो सकगा वि स ति राषट सघ म िीटो शनति अवzwjधकत िशरो को इस बात का अनभि हो जाए वक ि अपनी काणिाही क परवत उततरिाी हरोग म इस स भी बढ कर ह कहना चाहता ह वक िीटो शनति का अवzwjधकार शानत की थापना म किावचत सहाक वसदध नही हो सकता करोवक ह पटि ह वक सभी िश एक समान तर पर नही ह इस िषण क आरभ म भी मन स ति राज अमररका क कवपटलि वहलि म अगरगण राजनीवतजरो एि नीवत वनमाणताओ की एक सभा को समबोवzwjधत करत हए इसी तथ का िणणन वका था वि हम सतिराषट सघ म मतिान क इवतहास का अधन कर तो जात होगा वक िीटो शनति का उपोग सिि उन पीवडत िशरो अथिा ासगत काणिाही करन िालि िशरो की सहाता क वलिए नही वका गा िाति म हम जात होता ह वक कछ अिसररो पर अताचार को रोकन क थान पर उसकी सहाता करन हत िीटो शनति का िरपोग वका गा ह कोई वछपी हई अथिा अजात िातविकता नही ह कवतप टीकाकार वनभणतापिणक

128 विशव सकट तथा शानत-पथ

इस िातविकता का िणणन करत ह अथिा वलिखत हइलिामी वशका का एक अ सिर वसदधात ह ह वक समाज म

शानत थावपत करन क वलिए करोzwjध का शमन वका जाए न वक उस ा और ईमानिारी क वसदधातरो पर विजी होन विा जाए इलिाम क आरवभक ग का इवतहास इस बात का साकी ह वक सचच मसलिमानरो न सिि इस वसदधात का पालिन वका और वजहरोन इसका उलघन वका हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न उनकी घोर वनिा और भतसणना की परत िभाणगिश आज ऐसा नही होता ऐसी घटनाए मौजि ह वक सवनकरो ा वसपावहरो न वजह शानत-थापना क वलिए भजा जाता ह वनविणटि उदशरो क सिणथा विपरीत विहार वका ह उिाहरण िरप कछ िशरो म वििशी सवनकरो न विरोवzwjधरो क मत शरीररो क साथ अतत अपमानजनक और घणातमक ढग स िव णिहार वका का इस परकार शानत थावपत की जा सकती ह ऐसी घटनाओ की परवतवकरा किलि पीवडत िश तक सीवमत नही रहती अवपत पर विशव म इस का परिशणन होता ह वनसिह जब मसलिमानरो क साथ िव णिहार वका जाता ह तो उगर िभाि क मसलिमान दवप ह इलिामी वशकाओ क विपरीत ह इसका अनवचत लिाभ उठात ह और फलििरप विशव की शानत भग होती ह इलिाम ह वशका िता ह वक शानत किलि उसी सम थावपत की जा सकती ह जब पणणता वनषzwjपक रप स वनवहत िाथषो स ऊपर उठ कर और परतक परकार की शतरता की भािना को ताग कर अताचारी और पीवडत िोनरो की सहाता की जाए इस कतर म परतक पक को समान तर परिान करन स ही शानत थावपत होती ह

सीवमत सम क कारण म किलि एक और तथ का िणणन

129शानत की कजी mdash विशव-एकता

करगा इलिाम ह वशका िता ह वक िसररो क zwjधन अथिा ससाzwjधनरो को ईषzwjाण की भािना स न िखा जाए िसररो की समपवतत को हवथान का लिालिच नही करना चावहए करोवक इस स भी शानत का ढाचा धित हो जाता ह वि समदध िश अलप-विकवसत िशरो की समपिा और ससाzwjधनरो को अपनी आिशकताओ की पवतण क वलिए वनकालिन अथिा उपोग करन का परतन करग तो िाभाविक ह वक अशानत फलिगी जहा उवचत हो विकवसत िश अपनी सिाओ क बिलि उवचत और अलप मातरा म अपना भाग लि सकत ह जब वक ससाzwjधनरो का अवzwjधकतर भाग अविकवसत िशरो म जीिन तर को ऊचा उठान क वलिए परोग म लिाना चावहए उह विकवसत होन क अिसर उपलिzwjध कराना चावहए और विकवसत िशरो क तर तक पहचन क वलिए उनक परासरो म उनकी सहाता करनी चावहए करो वक किलि इसी नथवत म शानत थावपत हो सकती ह वि ऐस अविकवसत िशरो क नता ईमानिार नही ह तो पनचिमी िशरो अथिा विकवसत िशरो को चावहए वक ि उह अनिान िकर ि उनक िशरो म विकास काषो का सचालिन एि वनरीकण कर

अभी और बहत स तथ ह जो म आपक समक रख सकता ह परत सम क अभाि क कारण म किलि उही बातरो तक सीवमत रहगा वजनका म िणणन कर चका ह वनसिह जो कछ मन िणणन वका ह िह इलिाम की िातविक वशका को परिवशणत करता ह

एक परशन ह जो आपक मन म उठ सकता ह अतः म पहलि ही उस का समाzwjधान कर िता ह आप ह कहग वक वि इलिाम की िातविक वशकाए ह तो वफर मनलिम िशरो म ऐसी अविथा और अशानत करो विखाई िती ह इसका उततर म पहलि भी ि चका ह वक

130 विशव सकट तथा शानत-पथ

ितणमान ग को एक सzwjधारक की आिशकता ह जो वक हमार विशवास क अनसार िह अहमविा मनलिम जमाअत क स थापक ह हम अहमविा मनलिम जमाअत क सि सिि उनकी िातविक वशकाओ को अवzwjधक स अवzwjधक लिोगरो तक पहचान का भरसक परतन करत ह मरा आप स अनरोzwjध ह वक अपन-अपन परभािाzwjधीन कतररो म ह जागरकता पिा करन का भरपर परतन कर तावक विशव क परतक भाग म वचर थाी शानत की थापना हो सक

वि हम इस का ण म विफलि हो गए तो विशव का कोई भी भाग दध क विनाशकारी एि भकर पररणामरो स सरवकत नही रहगा मरी ह पराथणना ह वक सिणशनतिमान परमातमा ससार क लिोगरो को अपन वनवहत िाथषो स ऊपर उठ कर विशव को भािी विनाश स सरवकत रखन क परास करन का सामथ ण परिान कर ससार म अवzwjधकतम शनति आज पनचिम क विकवसत िशरो क पास ह अतः िसररो की अपका आप का अवzwjधक कततणव ह वक इन महतिपणण बातरो की ओर तरत धान ि

अत म म आप सब का हा आन क वलिए सम वनकालिन और मरी बातरो को सनन क वलिए पनः zwjधिाि करना चाहता ह परमातमा आप पर अपनी कपा कर आपका बहत बहत zwjधिाि

कयज िसलिजन पनचििी सिजज कज अि बन सकत ह

मनजि बतररशीिहमबगण जमणनी 2012

कयज िसलिजन पनचििी सिजज कज अि बन सकत ह

मनजि बतररशीिहमबगण जमणनी 2012

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba

delivers the keynote address at Baitur-Rasheed Mosque

कयज िसलिजन पनचििी सिजज कज अि बन सकत ह

वबनमलावहररहमावनररहीमसभी परवतनषठ त अवतवथो असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातोहसिणपरथम म उन सभी अवतवथरो क परवत अपना आभार परकट करना

चाहता ह वजहरोन इस समारोह म सनममवलित होन क वलिए हमार वनमतरण को िीकार वका आप म स कई सजजन हमारी जमाअत स भलिी भावत पररवचत ह अथिा अहमिी मसलिमानरो स उनक बहत परान मतरीपणण समबzwjध ह और मझ पणण विशवास ह वक वजनको अहमविा जमाअत स पररवचत हए अवzwjधक सम नही हआ उनक हिरो म भी जमाअत क विष म और अवzwjधक जानकारी परापत करन की तीवर इचछा उतपन हो चकी होगी आप सब की हा उपनथवत आपक इस विशवास का परतक परमाण ह वक अहमिी मसलिमानरो स समबzwjध रखन तथा उनकी मनजिरो म जान स कोई खतरा नही ह

िातविकता ह ह वक ितणमान पररनथवतरो म जबवक इलिाम क समबzwjध म अवzwjधकतर समाचार और सचनाए अतत नकारातमक िरप परतत करती ह तो आप म स जो मसलिमान नही ह उनक मन म अिश

136 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह भ उतपनन करन िालिी सोच पिा होगी वक अहमिी मन जि म जाना उनक वलिए कई सम ाओ का कारण बन सकता ह ा उह बहत बडी हावन भी पहच सकती ह परत जसा वक मन कहा ह वक आपकी हा उपन थवत इस विशवास का परमाण ह वक आपको अहमिी मसलिमानरो स कोई भ नही और आप उह अपन वलिए खतरा नही समझत ह वसदध करता ह वक आप अहमवि रो का आिर करत ह और उह अपन तथा अवzwjधकतर वनषठािान और वशटि लिोगरो क समान सचचा और सभzwj समझत ह

परत इसक साथ साथ म इस समभािना स भी इकार नही कर सकता वक आप म कछ लिोग ऐस भी हरोग जो दवप आज हा पzwjधार ह उनक मन म कछ सिह और वचताए हरोगी वक उनक हा आन क कछ परवतककलि पररणाम भी वनकलि सकत ह ह भी समभि ह वक आप को ह वचता हो वक एक िसर उगर िभाि और मानवसकता रखन िालि लिोगरो क साथ बठ हए ह वि आप म स वकसी क मन म ऐसी वचताए ह तो उह तरत अपन हि स वनकालि ि इस समबzwjध म हम अवत सचत और जागत ह और वि कोई ऐसा उगर परकवत वनति हमारी मनजि ा कतर म परिश करन का परास करगा तो हम उस हा स वनषzwjकावसत करन क वलिए कडी का णिाही करग अतः आप आशवत रह वक आप सरवकत थान पर ह अहमविा मनलिम जमाअत िाति म एक ऐसी जमाअत ह वक वि इसका कोई सि वकसी सम ा थान पर उगरिािी मानवसकता अथिा परिवतत का परिशणन ा कानन का उलघन करता ह ा शानत भग करता ह तो उस जमाअत स वनषzwjकावसत कर विा जाता ह हम ऐसी का णिाही करन क वलिए परवतबदध ह करोवक हम lsquoइलिामrsquo का पणण आिर करत ह वजसका शानिक अथण ही शानत एि सरका ह इलिाम शि का िातविक रप हमारी जमाअत न ही परिवशणत वका ह

137का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

इलिाम क इस िातविक रप क परिशणन की पिणसचना इलिाम क स थापक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न आज स 1400 स अवzwjधक िषण पिण अपनी एक महान भविषzwjिाणी म िी थी उस भविषzwjिाणी म हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न ह सचना िी थी वक एक ऐसा सम आएगा जब अवzwjधकतर मसलिमान इलिाम की िातविक और शदध वशकाओ को भलिा िग भविषzwjिाणी क अनसार ऐसा सम आन पर परमातमा िातविक इलिाम को ससार म पनः थावपत करन क वलिए एक सzwjधारक मसीह ि महिी क रप म भजगा

हमारा अथाणत अहमविा मनलिम जमाअत का ह विशवास ह वक हमारी जमाअत क सथापक हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब काविानी अलिवहसलिाम िही वनति ह जो उपरोति महान भविषzwjिाणी क अनसार भज गए ह परमातमा की कपा एि िा स ह जमाअत आज विशव क 202 िशरो म थावपत हो चकी ह इन म स परतक िश म हर िगण एि जावत स समबनzwjधत थानी लिोगरो न अहमवित को िीकार वका ह अहमिी मसलिमान होन क साथ-साथ ि अपन-अपन िश क िफािार नागररक क रप म अपनी भवमका भी वनभा रह ह उनक इलिाम क परवत शदधा परम और िश क परवत परम म वकसी परकार का कोई वििाि अथिा विरोzwjधाभास नही पाा जाता िततः िोनरो िफािाररा परपर जडी हई ह अहमिी मसलिमान जहा कही भी वनिास करत ह ि अपन िश क सभी नागररकरो स अवzwjधक कानन का पालिन करन िालि नागररक ह वनसिह म पणण विशवास क साथ ह कह सकता ह वक हमारी जमाअत क अवzwjधकतर सिरो म गण विदमान ह

इही गणरो क कारण जब भी अहमिी मसलिमान एक िश स िसर िश म परिास करत ह अथिा जहा क थानी लिोग अहमवित को

138 विशव सकट तथा शानत-पथ

िीकार करत ह तो उह नए समाज म घलि वमलि जान म कभी कोई भ ा वचता नही होती और न ही उह इस बात की वचता होती ह वक उनक नि-अगीकत िश क वहतरो का विशालि तर पर विकास करन म ि अपनी भवमका वकस परकार वनभाएग जहा भी अहमिी जात ह ि शष सभी सचच नागररकरो की भावत अपन िश स परम करत ह और अपन िश की भलिाई और उनवत क वलिए सवकर रप स परास करत हए अपना जीिनापन करत ह ह इलिाम ही ह जो हम इस परकार जीिन का वनिाणह करन की वशका िता ह और िातविकता ह ह वक इलिाम किलि इस का उपिश ही नही िता अवपत आिश िता ह वक हम अपन िश क परवत पणण िफािारी और शदधा रख हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न भी विशष रप स इस बात पर बलि विा था वक अपन िश स परम करना परतक सचच मसलिमान क ईमान का भाग ह अतः जब अपन िश स परम करना इलिाम का एक आzwjधारभत अग ह तो एक सचचा मसलिमान वकस परकार अपन िश स बिफाई अथिा दरोह करक अपन ईमान को नटि कर सकता ह जहा तक अहमिी मसलिमानरो का समबzwjध ह हमारी जमाअत की परतक सभा म सभी सि चाह ि परष तरी बचच अथिा बजगण हरो खड होकर परमातमा को साकी ठहरा कर एक परवतजा करत ह इस परवतजा म ि न किलि अपन zwjधमण अवपत अपनी कौम और िश क वलिए अपन पराण zwjधन सम और सममान ोछािर करन का परण करत ह अतः उन लिोगरो स अवzwjधक िश-भति नागररक और कौन हो सकता ह वजह वनरतर िश-सिा का पाठ पढाा जाता हो और बार-बार ह परवतजा लिी जाती हो वक ि अपन zwjधमण कौम और िश क वलिए परतक परकार का बवलििान करन क वलिए सिि ततपर रहग

कछ लिोगरो क मन म ह परशन उभर सकता ह वक हा जमणनी म

139का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

अवzwjधकतर मसलिमानरो की सखा उन की ह जो पावकतान तकगी अथिा अ एवशाई िशरो स आए ह तो जब िश क वलिए बवलििान का सम आन पर लिोग जमणनी की बजाए अपन मलि िश को परzwjधानता िग अतः म ह पटि करना चाहता ह वक जब कोई जमणनी अथिा वकसी अ िश की नागररकता िीकार कर लिता ह तो िह उस िश का पणण नागररक बन जाता ह इस िषण क आरभ म जमणन सना मखालि कोबलिज म अपन भाषण म मन ही बात कही थी मन इलिामी वशकाओ क दनटिकोण स ह पटि वका वक वि जमणनी का वकसी ऐस िश क साथ दध वछड जाए वजसक मलि नागररक न जमणनी की नागररकता िीकार की हो तो ऐसी पररनथवत म उस नागररक को वकस परकार विहार करना चावहए वि िह परिासी अपन मलि िश क परवत सहानभवत रखता ह और ह अनभि करता ह वक िह जमणनी को हावन पहचान का विचार उसक मन म आ सकता ह अथिा िह हावन पहचाएगा तो ऐस वनति को तरत अपनी नागररकता अथिा परिासी नागररक का अवzwjधकार ताग कर अपन मलि िश लिौट जाना चावहए परत वि उसी िश म रहन का विकलप अपनाना चाहता ह तो इलिाम किावचत वकसी परकार क िशदरोह की अनमवत नही िता ह असविगzwjध एि पटि वशका ह इलिाम वकसी भी परकार क विदरोह की वशका नही िता और न ही वकसी नागररक को अपन िश - मलि िश अथिा नागररकता क िश - क विरदध षितर करन अथिा उस वकसी परकार की हावन पहचान की अनमवत िता ह वि कोई वनति अपन नागररकता िालि िश क वहत क विरदध का ण करता ह ा उस कोई हावन पहचाता ह उस उस िश का शतर एि िशदरोही समझा जाना चावहए त था उस िश क कानन क अनसार िणि विा जाना चावहए

इसस एक परिासी मसलिमान की नथ वत पषzwjट हो जाती ह एक

140 विशव सकट तथा शानत-पथ

थानी जमणन अथिा वकसी अ िश क वनति वजसन अपना zwjधमण पररितणन करक इलिाम िीकार कर वलिा हो उस क समबzwjध म ह बात पणणता पटि ह वक उसक पास अपन महान िश क परवत असविगzwjध एि पणण िफािारी का परिशणन करन क अवतररति कोई अ विकलप नही ह एक अ परशन जो कभी-कभी पछा जाता ह िह ह ह वक ऐसी नथवत म पनचिमी िशरो क मसलिमानरो की कसी परवतवकरा होनी चावहए इस का उततर िन क वलिए म सिणपरथम ह कहना चाहता ह वक हमारी जमाअत क स थापक हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम न ह पटि कर विा ह वक हम अब ऐस ग म रह रह ह जहा zwjधावमणक दधरो का पणणता अत हो चका ह इवतहास स जात होता ह वक ऐसा भी सम था जब मसलिमानरो तथा अ zwjधमाणिलिनमबरो क मध दध और लिडाइा हई उन दधरो म गर-मनलिमरो का उदश मसलिमानरो को मारना और इलिाम का अत करना था

अवzwjधकतर परारनमभक दधरो म गर मनलिमरो न ही आकरमण करन म पहलि की थी और इस परकार मसलिमानरो क पास अपना और zwjधमण का परवतरकण करन क अवतररति कोई अ विकलप नही था वकत हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम न पटि कर विा ह वक अब ऐसी पररनथवता नही रही करोवक ितणमान सम म ऐसी कोई सरकार नही जो इलिाम का अत करन क उदश स दध की घोषणा करती हरो अथिा दध करती हरो इस क विपरीत अवzwjधकतर पनचिमी और गर मनलिम िशरो म विशालि तर पर zwjधावमणक िततरता उपलिzwjध ह हमारी जमाअत अवत आभारी ह वक ऐसी िततरता उपलिzwjध ह जो अहमिी मसलिमानरो को गर मनलिम िशरो म इलिाम का परचार करन की अनमवत परिान करती ह इसी क फलििरप हम पनचिमी िशरो को इलिाम की िातविक एि

141का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

अनपम वशकाओ जो वक शानत और एकता पर आzwjधाररत ह स पररवचत करान का अिसर परापत होता ह अतः पटि ह वक आज zwjधावमणक मदरो का कोई परशन ही नही ह अब किलि एक ही नथवत उतपन हो सकती ह वक मनलिम-परzwjधान िश तथा ईसाई-परzwjधान िश अथिा अ िश म ऐसा दध वछड जाए वजस का zwjधमण स समबzwjध न हो ऐसी नथवत म ईसाई अथिा वकसी अ zwjधमण-परzwjधान िशरो क मसलिमान नागररकरो को कसी पर वकरा वति करनी चावहए इसक उततर क वलिए इलिाम न एक िवणणम वसदधात परतत वका ह वि कोई मनलिम िश अा अथिा अताचार करता ह तो उसको रोका जाना चावहए वि अा अथिा अताचार ईसाई िश न वका ह तो उस भी रोका जाना चावहए

एक साzwjधारण नागररक वनतिगत तर पर अपन िश को अा और अताचार स कस रोक सकता ह उततर अतत सरलि ह ितणमान ग म सभी पनचिमी िशरो म लिोकततर ह वि कोई ावपर नागररक अपनी सरकार को अापणण ढग स विहार करता िखता ह तो उसक विरदध आिाज उठा सकता ह और अपन िश को सही मागण पर लिान का परास कर सकता ह अवपत लिोगरो का एक समह इसक विरदध आिाज उठा सकता ह वि कोई नागररक अपन िश को वकसी अ िश क परभति पर आकरमण करता हआ िखता ह तो उस चावहए वक िह अपनी सरकार का इस ओर धानाकषणण कराकर अपनी वचता वति कर शानतपणण ढग स विरोzwjध अथिा रोष परिशणन करना विदरोह की पररभाषा क अतगणत नही आता इसक विपरीत ह अपन िश क परवत सचच परम का परिशणन ह एक ावपर नागररक किावचत ह नही चाहता वक अतराणषzwjटरी समिा म उसक िश की परवतषठा zwjधवमलि हो अथिा अपमावनत हो अतः िह अपन िश का उसक कततणव की ओर धानाकषणण करा

142 विशव सकट तथा शानत-पथ

कर अपन िश-परम एि िश-भनति का परिशणन करता हजहा तक अतराणषटी समिा तथा उसकी सथाओ का सबzwjध ह

इलिाम की ह वशका ह वक वि वकसी िश पर अापणण आकरमण होता ह तो शष िशरो को एकतर होकर आकरमणकारी को रोकना चावहए वि आकरमणकारी िश को सिzwjबवदध आ जाती ह और िह आकरमण स पीछ हट जाता ह तो उस पर परवतशोzwjधिश अथिा इस नथवत का अनवचत लिाभ उठान हत कठोर िणि िन अथिा अापणण परवतबzwjध लिगान का वनणण नही करना चावहए इलिामी वशकाओ का सार ह ह वक आप शानत का परसार कर हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न तो हा तक कहा ह वक मसलिमान िह ह वजसक हाथ और जबान स अ लिोग सरवकत रह जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह इलिाम न ह वशका िी ह वक हम कभी भी अा और अताचार म वकसी की सहाता नही करनी चावहए ही िह सिर एि नीवतपणण वशका ह जो एक सचच मसलिमान को चाह िह वकसी भी िश का नागररक हो सममान और आिर का थान परिान करता ह वनसिह सभी सभzwj और सचच नागररक ऐस शानतवपर तथा िाशीलि लिोगरो को अपन समाज का अग बनान की कामना करग

हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न मसलिमानरो को अपना जीिन वतीत करन क वलिए एक अ स िर वशका ह िी ह वक एक सचच मोवमन को सिि पण की खोज म वत रहना चावहए आप न ह वशका िी वक एक मसलिमान को जहा स भी कोई जान की बात अथिा कोई उततम विचार वमलि तो उस अपनी वनजी समपवतत समझ कर अपना लिना चावहए अतः वजस दढता और सकलप स एक वनति अपनी वनजी समपवतत पर अवzwjधकार परापत करन का परास करता ह ठीक उसी

143का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

परकार मसलिमानरो को ह वशका िी गई ह वक ि पण बातरो और उततम विचाररो को जहा कही भी पाए उह परापत करन का परतन कर ऐस सम म जब वक परिासी नागररकरो को थानी समाज का अग बनान क समबzwjध म बहत सी शकाए उतपन हो रही ह ह एक अतत स िर एि समपणण मागिशणक वसदधात ह मसलिमानरो को ह वशका िी ह वक अपन थानी समाज म घलि वमलि कर रहन तथा परपर सममान की भािना पिा करन क वलिए आिशक ह वक ि परतक समाज zwjधमण शहर और िश क नवतक मलरो का जान परापत कर किलि जान परापत करना ही पाणपत नही अवपत मसलिमानरो को ऐस मलरो को वनजी जीिन का अग बनान का भरपर परास करना होगा ह ह िह मागणिशणक वसदधात जो िाति म परपर एकता परम तथा विशवास की भािना उतपन करता ह वनसिह एक सचच मोवमन स अवzwjधक शानतवपर अ कौन हो सकता ह जो अपनी zwjधावमणक आिशकताओ की पवतण करन क साथ-साथ अपन अथिा वकसी अ समाज क उचच नवतक मलरो को भी आतमसात करन का परतन करता ह एक सचच मोवमन स अवzwjधक अ कौन वनति शानत एि सरका का परसार कर सकता ह

ितणमान ग म ससार उपलिzwjध सचार-माधमरो क फलििरप एक विशव-गराम बन चका ह इस क समबzwjध म हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न आज स लिगभग 1400 िषण पिण भविषzwjिाणी कर िी थी वक ऐसा सम आएगा जब समत ससार एक इकाई की भावत हो जाएगा और िररा कम होती परतीत हरोगी आपन कहा था वक आzwjधवनक और तीवर ससार साzwjधनरो क फलििरप लिोग पर विशव को िख सकग िाति म ह पवितर कआणन की भविषzwjिाणी वजसकी आप सललाहो अलिवह िसलम न वितारपिणक वाखा की ह इस समबzwjध म हजरत

144 विशव सकट तथा शानत-पथ

महममि सललाहो अलिवह िसलम न ह वशका िी ह वक जब ऐसा ग आएगा तो लिोगरो को चावहए वक एक िसर की अचछी बातरो को सीख और उनको आतमसात कर ठीक उसी परकार जस वक ि अपनी खोई हई समपवतत की खोज करत ह साराश ह ह वक सभी सदणरो को गरहण करना चावहए और बरी बातरो स बचना चावहए पवितर कआणन न इस आिश की वाखा करत हए पटि वका ह वक सचचा मसलिमान िह ह जो पण का उपिश िता ह और पाप स रोकता ह उपरोति सभी बातरो को सममख रखत हए ऐसा कौन सा िश ा समाज ह जो ऐस शानतवपर मसलिमानरो अथिा इलिाम को अपन मध सहन नही कर सकता अथिा िीकार नही कर सकता गत िषण मझ बवलिणन क म र स भट करन का अिसर परापत हआ मन उन पर ह पटि वका वक इलिाम ह वशका िता ह वक हम वकसी भी िश की अचछाई को इस परकार अपनाना चावहए जस वक िह हमारी वनजी समपवतत ह इस क उततर म उहरोन कहा वक वि आप इस वशका का पालिन करग तो वनसिह समत विशव आप क साथ सहोग करत हए आपका समथणन करगा

मझ ह सन कर अतत आचि ण और खि हआ वक जमणनी क कछ भागरो म ऐस लिोग ह जो ह िािा करत ह वक न मसलिमानरो और न ही इलिाम म जमणन समाज का अग बनन का सामथ ण ह वनसिह ह सत ह वक जो इलिाम उगरिाविरो अथिा आतकिाविरो दारा परतत वका जाता ह उसम ह ोगता नही ह वक िह जमणन तो का वकसी भी िश क समाज का अग बन सक ऐसा सम अिश आएगा जब ऐसी उगरिािी विचारzwjधारा का मनलिम िशरो म भी कडा विरोzwjध वका जाएगा वनसिह सचचा इलिाम जो हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न परतत वका ह सभzwj और सचच लिोगरो को सिि अपनी ओर आकवषणत करता रहगा ितणमान ग

145का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

म इलिाम की िातविक एि मलि वशकाओ को पनजगीवित करन क वलिए परमातमा न हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की िासता क अzwjधीन हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम को भजा ह अतः आपकी जमाअत इलिाम की िातविक वशकाओ का पालिन तथा परचार करती ह

ह पटि रह वक कोई भी ावपर ह िािा नही कर सकता वक इलिाम वकसी अ समाज का अग नही बन सकता िातविक इलिाम िह ह जो पण और अचछाई का परसार करता ह और परतक परकार क पाप तथा अा का वनषzwjध करता ह अतः ह परशन ही वथण ह वक इलिाम वकसी अ समाज का अग बनन म सकम नही अवपत इलिाम तो िाभाविक रप स एक चमबक की तरह समाज को अपनी ओर आकवषणत करता ह इलिाम ह वशका िता ह वक एक वनति को न किलि अपन वलिए शानत की कामना और परास करना चा वहए अवपत िसर लिोगरो तक उसी परबलिता क साथ शानत और एकता का परसार करन का भरसक परतन करना चावहए ह वनःिाथण भािना विशव म शानत थावपत करन का मागण ह का कोई ऐसा समाज ह जो ऐसी वशकाओ की परशसा नही करता और ऐसी विचारzwjधारा को िीकार नही करता वनसिह कोई भी सभzwj समाज अपन अिर पाप और अनवतकता क परसार की किावचत अनमवत नही ि सकता और इसी परकार िह शानत और अचछाई क परोतसाहन का कभी विरोzwjध नही कर सकता

अचछाई की पररभाषा करत सम समभि ह वक एक zwjधावमणक और सासाररक वनति की पररभाषा म बहत अतर हो सकता ह इलिाम सिzwjगणरो और अचछाई क वजन रपरो की बात करता ह उनम स िो गण सबस महतिपणण ह जो अचछाई क शष सभी रपरो का उिzwjगम ह एक परमातमा क परवत कततणव और िसरा मानिता क परवत कततणव परथम

146 विशव सकट तथा शानत-पथ

परकार क कततणव की पररभाषा म एक zwjधावमणक और सासाररक वनति म मतभि हो सकता ह परत वदती परकार अथाणत मानिता क परवत कततणवरो क समबzwjध म कोई मतभि नही ह परमातमा क परवत कततणवरो का समबzwjध उपासना स ह और सभी zwjधमण इस विष म अपन अन ावरो का मागणिशणन करत ह मानिता क परवत कततणवरो क समबzwjध म zwjधमण और समाज िोनरो न मानि को वशका िी ह इलिाम मानिता क परवत कततणवरो क समबzwjध म अतत वितार और गहराई स वशका िता ह और इस सम इन सभी का िणणन करना असभि ह परत म इलिाम दारा थावपत कछ महतिपणण कततणवरो का िणणन करगा जो समाज म शानत थावपत करन क वलिए अवत आिशक ह

इलिाम ह वशका िता ह वक हम िसर लिोगरो की भािनाओ का आिर और सममान करना चावहए इस म िसररो की zwjधावमणक भािनाए और अ सामा सामावजक मद भी सनममवलित ह एक अिसर पर एक हिी न जब अपन और एक मसलिमान क मध वििाि का िणणन हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम स वका तो आप न उस हिी की zwjधावमणक भािनाओ का आिर करत हए उसका समथणन वका उस हिी की भािनाओ का आिर करत हए महममि सललाहो अलिवह िसलम न ह जानत हए वक आप ही अनतम zwjधमण-विzwjधान लिान िालि ह उस मसलिमान को िाटत हए कहा वक तमह ह िािा नही करना चावहए वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम मसा अलि वहसलिाम स शषठ ह इस परकार हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न िसररो की भािनाओ का सममान करक समाज क भीतर शानत की थापना की

इलिाम की एक अ महान वशका ह ह वक वनzwjधणन और जीिन की मलि आिशकताओ स िवचत लिोगरो क अवzwjधकाररो को पणण रप स

147का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

वकरानित वका जाए इस विष म इलिाम ह वशका िता ह वक ऐसी ोजनाए बनानी चावहए वक वजन क दारा समाज क िवचत िगण का जीिन-तर ऊचा उठ सक हम वनःिाथण भािना स िवचत िगण की सहाता करनी चावहए और वकसी भी रप म उन का शोषण नही करना चावहए

िभाणगिश आज क समाज म विखाि क रप म तो िवचत िगण की सहाता क वलिए ोजनाए बनाई जाती ह परत िाति म सभी ऋण परणालिी पर आzwjधाररत होती ह जो वक ाज सवहत लिौटाना होता ह उिाहरणिरप विदावथण रो की वशका पवतण हत ऋण उपलिzwjध कराा जाता ह अथिा लिोग कोई वापार करन क वलिए ऋण लित ह परत ह ऋण चकान म कई िषण अवपत कई िशक लिग जात ह वि कई िषषो क सघषण क पचिात कोई वितती सकट उतपन हो जाए तो ि जस क तस अपनी परानी हालित म आ जात ह अवपत उस स भी बितर हो जात ह गत कछ िषषो म हम विशव क अवzwjधकाश भागरो को आवथणक सकट की चपट म आन की असख घटनाए िख चक ह

इलिाम क विरदध सामातः ह आरोप लिगाा जाता ह वक िह नतररो क साथ ा और समानता का विहार नही करता परत ह आरोप वनराzwjधार ह इलिाम न नतररो को सममान एि आिर परिान वका ह म एक ा िो उिाहरण परतत करगा जब नतररो को मातर एक समपवतत समझा जाता था उस सम इलिाम न तरी को पवत क िव णिहार क कारण lsquoखलिअrsquo (आजािी) लिन का अवzwjधकार विा जबवक विकवसत िशरो म अभी गत शतािी म ही नतररो को ह अवzwjधकार विवzwjधित रप स विा गा ह इस क अवतररति जब नतररो का कोई मान-सममान अथिा अवzwjधकार नही था उस सम इलिाम न नतररो को पतक समपवतत म अवzwjधकार परिान वका जबवक रोपी िशरो म नतररो को ह अवzwjधकार

148 विशव सकट तथा शानत-पथ

अभी कछ सम पहलि विए गए ह पडोवसरो क अवzwjधकाररो क समबzwjध म भी इलिाम हम ह वशका िता ह वजस पवितर कआणन न वितारपिणक मागणिशणन वका ह वक पडोसी की पररभाषा म कौन-कौन सनममवलित ह और उसक अवzwjधकार का ह पडोवसरो म ि लिोग सनममवलित ह जो आपक साथ उठत बठत हरो आपक वनकट वनिास करन िालि आपक पररवचत और ि भी जो आपक पररवचत न हरो िाति म पडोसी की पररभाषा क अतगणत आपक इिण-वगिण क लिगभग 40 घर सनममवलित ह जो आपक साथ ातरा करत ह ि भी आपक पडोसी ह अतः उन का धान रखन का भी हम आिश विा गा ह इस अवzwjधकार पर इतना बलि विा गा वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क मन म ह विचार आन लिगा वक कही पडोवसरो को समपवतत म अवzwjधकार न ि विा जाए हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न तो हा तक कहा ह वक ऐस वनति को वजसका पडोसी उसस सरवकत नही मोवमन ा मसलिमान नही कहा जा सकता िसररो स भलिाई क वलिए इलिाम का एक अ आिश ह भी ह वक समाज क कमजोर िगण का जीिन तर ऊचा करन क कततणव की पवतण क वलिए सभी िगण परपर एकजट होकर का ण कर अतः अहमविा मनलिम जमाअत इस कततणव की पवतण म अपनी भवमका वनभात हए विशव क वनzwjधणन और िवचत िगण िालि कतररो म पराथवमक एि उचच वशका का परबzwjध कर रही ह हम ककलिरो का वनमाणण एि सचालिन कर रह ह और उचच वशका हत छातरिवतत और अ परकार स वितती सहाता परिान कर रह ह तावक िवचत िगण क लिोग उनवत करक िािलिमबी एि आतमवनभणर बन सक

इलिाम का एक अ आिश ह वक तम अपनी सभी परवतजाए और िाि पर करो इन म ि सभी िचन सनममवलित ह जो तम एक िसर स करत हो और इलिाम का ह आिश ह वक एक नागररक क रप म

149का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

अपन िश स िफािारी की जो परवतजा करत हो उस अवनिा ण रप स पणण करो इस समबzwjध म म पहलि भी िणणन कर चका ह ह ि कछ तथ वजह मन आपक समक इस उदश स परतत वका ह वक आप पर ह सत परकट हो जाए वक इलिाम एक अतत िा और परम का zwjधमण ह अतत खि का विष ह वक वजस परबलिता क साथ इलिाम विशव-शानत की वशका िता ह इलिाम क विरोzwjधी अथिा जो इलिाम की िातविक वशकाओ स अनवभज ह उसी कटटरता क साथ इलिाम क विरदध वनराzwjधार आरोप लिगात ह जसा वक मन िणणन वका ह ितणमान ग म अहमविा मनलिम जमाअत इलिाम क िातविक सिश का परचार और परिशणन कर रही ह इस िातविकता को सममख रखत हए म उन लिोगरो स जो मसलिमानरो क कछ एक लिोगरो की गवतविवzwjधरो क आzwjधार पर इलिाम पर आरोप लिगात ह ह अनरोzwjध करता ह वक वनसिह आप ऐस वनतिरो को इसक वलिए उततरिाी ठहराए परत इलिाम की िातविक वशकाओ को अपमावनत अथिा बिनाम करन क वलिए ऐस अनवचत उिाहरणरो का परोग न कर

आपको ह नही समझना चावहए वक इलिाम की वशकाए जमणनी अथिा वकसी अ िश क वलिए हावनकारक वसदध हो सकती ह आप को इस विष म वचनतत नही होना चावहए वक कोई मसलिमान जमणन समाज का अवभन अग बन सकता ह अथिा नही जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह वक इलिाम की ह विवश टिता ह वक उसन मसलिमानरो को ह वशका िी ह वक सभी सिzwjगणरो को गरहण करो अतः वनसिह मसलिमान वकसी भी समाज का अग बन कर जीिन वतीत कर सकता ह वि कोई इसक विपरीत विहार करता ह तो िह किलि नाममातर का मसलिमान ह इलिाम की िातविक वशकाओ का अन ाी नही वि मसलिमानरो

150 विशव सकट तथा शानत-पथ

को वकसी अनवचत का ण करन अथिा माणिा और zwjधमण की पवितरता क वसदधातरो स समबनzwjधत कआणनी वशकाओ की अिहलिना करन अथिा सिाचार क विरदध आचरण करन का आिश विा जाए तो वनसिह ि ऐसा नही कर सकत ह विष समाज का अग बन कर रहन स समबनzwjधत नही ह अवपत वनतिगत zwjधावमणक िततरता स समब नzwjधत ह

zwjधावमणक िततरता का उलघन ऐसा परशन नही वक किलि मसलिमान इसका विरोzwjध करत ह अवपत सभी सभzwj और वशवकत लिोग भी इसक विरदध आिाज उठात ह और खलि आम ह घोषणा करत ह वक वकसी सरकार अथिा समाज को वकसी व नति क zwjधावमणक अवzwjधकाररो म हतकप करन का अवzwjधकार नही ह मरी ह पराथणना ह वक जमणनी और अ सभी िश जो िा ति म विवभन स कवत रो और राषटी ता स समबzwjध रखन िालि लिोगरो का वनिास थान बन चक ह सहनशीलिता और परपर भािनाओ का सममान करन क उचच आिशषो का परिशणन कर परमातमा कर इस परकार ि परपर परम सहानभवत तथा शान त का परिशणन करन िालिरो क वलिए मागणिशणक बन जाए ह विशव म वचर था ी शान त और सरका थावपत करन का सवननचित माधम वसदध होगा वजस क फलििरप विशव को उस विनाश स सरवकत रखा जा सकगा वजसकी ओर िह परपर शान त क अभाि क कारण अगरसर ह

भकर विनाश का खतरा हमार ऊपर मिरा रहा ह अतः इस सिणनाश स सरवकत रहन क वलिए परतक िश और परतक वनति क वलिए चाह िह zwjधावमणक हो अथिा न हो अतत सािzwjधानीपिणक आग बढन की आिशकता ह परमातमा कर विशव का परतक वनति इस िातविकता को समझ अत म म आप सभी का पनः zwjधिाि करना चाहता ह वक आज आप सम वनकालि कर हा पzwjधार और मरी बातरो को धानपिणक सना अलाह आप सब पर अपनी कपा कर आप का बहत बहत zwjधिाि

इसलजि mdashशजनत और दयज कज ििा

पारलियामट हाउसजनदन यक 2013

इसलजि mdashशजनत और दयज कज ििा

पारलियामट हाउसजनदन यक 2013

The Shadow Foreign Minister Rt Hon Douglas Alexander with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

The Deput y Prime Minister Rt Hon Nick Clegg in discussion with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba House of Commons London 11th June 2013

The Home Secretar y Rt Hon Theresa May MP with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Rt Hon Ed Davey MP with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Rt Hon Ed Davey MP escorts Hadrat Khalifatul-Masih Vaba through Westminster Hall House of Commons London 11th

June 2013

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba delivering his historic speech to Parliamentarians VIPs and diplomats at the House of Commons London 11th June 2013

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba received at the House of Commons by Rt Hon Ed

Davey MP London 11th June 2013

पररचय

क म अहमविा मनलिम जमाअत की थापना क सौ िषण पर होन पर लििन म पावलिणामट हाऊवसज म 11 जन 2013 को शतािी समारोह आोजन क अिसर पर विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख हजरत वमजाण मसरर अहमि खलिीफतलि मसीह पचम (अलाह आपका सहाक हो) न एक भाषण विा था

इस शतािी समारोह म 68 उचच पिावzwjधकारी सनममवलित हए वजनम 30 पावलिणामट सि और 12 हाऊस ऑफ लिािरस क सि वजनम 6 कवबनट मतरी और 2 मतरी शावमलि थ विवभन टीिी चनलज - BBC Sky TV और ITV क परवतवनवzwjध भी इस समारोह म सनममवलित हए उपनथत लिोगरो म वनमनवलिवखत उचच पिावzwjधकारी भी सनममवलित थ

Secretary of State for Energy and Climate Change The Rt Hon Ed Davey MP the Deputy Prime Minister The Rt Hon Nick Clegg MP the Home Secretary The Rt Hon Theresa May MP the Shadow Foreign Secretary The Rt Hon Douglas Alexander

156 विशव सकट तथा शानत-पथ

MP the Chairman of the Home Affairs Select Committee Rt Hon Keith Vaz MP and Member of Parliament for Mitcham and Morden Siobhain McDonaugh MP

इसलजि mdash शजनत और दयज कज ििा

वबनमलावहररहमावनररहीमआरमभ करता ह अलाह क नाम स जो अनत कपालि एि अतत िालि ह

समत विवशटि अवतवथगण असzwjसलारो अलकर व रहरzwjलाह व बरकाzwjोह अलाह की कपा एि शानत आप सब पर हो सिणपरथम म अहमविा मनलिम जमाअत क उन सभी वमतररो का

zwjधिाि करना चाहता ह वजहरोन हमार साथ अपनी वमतरता एि घवनषठ सबzwjधरो का परिशणन करत हए क म हमारी जमाअत क शत िषण पर होन पर इस शतािी समारोह का आोजन पावलिण ामट हाऊसज म वका ह म उन सभी अवतवथरो क परवत भी आभार परकट करना चाहता ह वजहरोन आज हा उपनथत हो कर इस समारोह को वननचित रप स महतिपणण और सफलि बनाा ह मझ ह जान कर परसनता हई ह वक

158 विशव सकट तथा शानत-पथ

आप म बहत स ऐस लिोग हा विराजमान ह जो वकसी अ सभा ा का ण म वत नही ह

आप क इस शभ परास और भािना क परवत zwjधिाि और परशसा परकट करन क साथ-साथ म ह भी कहना चाहता ह वक मरी ह हाविणक अवभलिाषा और पराथणना ह वक इस विशालि एि सिर भिन क सभी विभाग तथा उनम का णरत सभी लिोग अपन िश एि उसकी परजा क परवत अपन कततणवरो को परा करन िालि हरो म ह आशा और पराथणना भी करता ह आप सब अ िशरो क साथ मzwjधर समबzwjधरो को सदढ करन और ा क मागण का पालिन करत हए ऐस वनणण करन िालि हरो जो सभी िगषो अथिा पावटर रो क वलिए वहतकारी हरो वि इस भािना को अपनाा गा तो इसस अवत लिाभकारी पररणाम अथाणत - परम सहानभवत तथा भरातति उतपन हरोग वजन क दारा विशव िातविक अथषो म शानत एि समवदध का कदर बन सकगा

मरी ह इचछा और पराथणना समत अहमिी मसलिमानरो की भािनाओ का परवतवनवzwjधति करती ह करोवक हमारा ह विशवास ह वक अपन िश क परवत और सामवहक रप स समत मानिजावत स परम करना वनतात आिशक ह वनसिह अहमिी मसलिमान ह विशवास रखत ह वक अपन िश स परम करना उनक ईमान का एक अवनिा ण अग ह करोवक इलिाम क परितणक हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम न बडी दढता क साथ इसकी वशका और आिश विा ह अतः म ह पटि करना चाहता ह वक परतक अहमिी मसलिमान जो क का नागररक ह चाह िह क म पिा हआ ह अथिा अ िश स परिास करक हा नागररकता परापत की हो िह पणणता इस िश क परवत िफािार ह और इस िश स हाविणक परम करता ह ि किलि इस महान िश की

159इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

उनवत एि समवदध की कामना करत ह िसर िशरो स परिास करक क म बसन िालि लिोगरो की सखा

बहत बडी ह और ि इस िश की कलि जनसखा का 14-15 परवतशत ह अतः वबरटन क लिोगरो न िसर िशरो स परिास करक आए लिोगरो को अपन िश क नागररक तथा वबरवटश समाज की रचना क अश क रप म िीकार करन म वजस उिारता और सवहषzwjणता का परिशणन वका ह उसका िणणन एि परशसा वकए वबना म अपन भाषण को आग नही बढा सकता इस परकार जो लिोग अ िशरो स हा बसन आए ह नवतक रप स उनका ह अवनिा ण कततणव ह ि ि को इस िश का िफािार नागररक वसदध कर और समत परकार की विथा और कलिह क वनिारण क वलिए सरकार क परासरो का समथणन कर जहा तक अहमविा मनलिम जमाअत का सबzwjध ह इसक सि चाह ि वकसी भी िश म रहत हरो इस वसदधात का पालिन करत ह

जसा वक आपको जात ह वक इस सम हम क म अहमविा मनलिम जमाअत की थापना क शतािी समारोह का आोजन कर रह ह गत सौ िषषो का इवतहास इस बात को वसदध करता ह और इस बात का गिाह ह वक अहमविा जमाअत क सिरो न सिि अपन िश क परवत िफािारी की मागरो को परा वका ह और परतक सरकार क उगरिाि विदरोह और अविथा स ि सिि िर रह ह िाति म इस िफािारी और िश परम की विचारzwjधारा का मलि कारण ह ह वक अहमविा मनलिम जमाअत एक सचची इलिामी जमाअत ह हमारी जमाअत िसररो स सिणथा विशष ह को वक हमन वनरतर इलिाम की िातविक एि शानतपणण वशकाओ स विशव क लिोगरो को पररवचत कराा ह और हमारा सिि ह परास रहा ह वक इन वशकाओ को िातविक इलिाम क रप

160 विशव सकट तथा शानत-पथ

म विशव म िीकवत वमलिइस सवकपत पररच क उपरात म अपन भाषण क मख विष की

ओर आता ह हमारी जमाअत शानत सलिह समि एि एकता का झिा ऊचा करन िालिी ह और हमारा आिशण ह lsquoपरम सब क वलिए घणा वकसी स नहीrsquo कछ हमार पररवचत गर मनलिम लिोग ा वजनक साथ हमार वनकट समबzwjध ह ि इस बात पर आचि ण परकट करत ह वक अहमविा मनलिम जमाअत इलिाम को अपन शानत और भाईचार क सिश का सोत बताती ह उनक इस आचि ण और अचमभ का कारण ह ह वक ि ह अनभि करत ह वक इलिाम क नाम-मातर विदान और अ इलिामी समिा सिणथा पथक रप स आचरण करत ह और एक अलिग ही सिश का परचार करत ह

इस अतर को पटि करन क वलिए म ह बताना चाहता ह वक अहमिी मसलिमान इस बात पर विशवास रखत ह वक ितणमान ग म lsquoतलििार क दारा वजहािrsquo की विचारzwjधारा सिणथा गलित ह और इस का वतरकार वका जाना चावहए इसक विपरीत कछ अ इलिामी विदान इस विचारzwjधारा को परोतसावहत करत ह अथिा इसका पालिन भी करत ह उनकी ही विचारzwjधारा विशव म कई कतररो म मसलिमानरो क मध उगरिािी एि आतकिािी सगठनरो क जम का कारण बनी ह

किलि ही नही वक कछ सगठन उभर कर सामन आए ह अवपत कछ लिोग वनतिगत रप स इस गलित और झठी विचारzwjधारा का अनवचत लिाभ उठा कर उसक अनरप विहार कर रह ह लििन की सडकरो पर एक वनिवोष वबरवटश वसपाही की वनमणम हता इसी विचारzwjधारा क पररणाम का एक ताजा उिाहरण ह इस आकरमण का इलिाम की िातविक वशकाओ स कोई समबzwjध नही इसक विपरीत इलिामी वशका ऐसी

161इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

घटनाओ की बडी वनिा और भतसणना करती ह ऐस षितर इलिाम की िातविक वशकाओ और विकत रप म परतत की गई वशकाओ वजन का परचार कछ नाम-मातर मसलिमान अपन वनवहत िाथषो की पवतण हत कर रह ह क अतर को भलिी-भानत पटि कर ित ह म ह भी कहना चाहता ह वक कछ थानी समिारो की परवतवकरा भी उवचत नही थी तथा इस क कारण समाज की शानत भग हो सकती ह

हमार इस तकक क समथणन का का परमाण ह वक हम जो इलिामी वशका परतत करत ह िह सही ह विचार करन ोग विष ह ह वक तलििार अथिा बलि परोग की अनमवत किलि उसी नथवत म ह जब इलिाम क विरदध zwjधावमणक-दध छडा जाए ितणमान ग म कोई भी चाह िह िश हो अथिा zwjधमण भौवतक रप स इलिाम क विरदध zwjधमण क आzwjधार पर आकरमण ा दध नही कर रहा अतः मसलिमानरो क वलिए ह ासगत नही वक ि वकसी अ समिा पर zwjधमण क नाम पर आकरमण कर करोवक वनसिह ह कआणन की वशकाओ का उलघन ह

पवितर कआणन न किलि उही लिोगरो क विरदध बलि परोग की अनमवत िी ह वजहरोन इलिाम क विरदध दध छडा और तलििार उठाई एक और महतिपणण वबि ह ह वक वि कोई नागररक अपन िश अथिा अपन िशिावसरो को वकसी परकार का आघात ा हावन पहचाता ह तो िह वननचित रप स इलिाम की वशकाओ का उलघन करता ह हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम का कथन ह वक जो वकसी वनिवोष का खन बहाता ह िह मसलिमान नही ह हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क विचार म ऐस लिोग कमजोर ईमान िालि और पापी ह

अब म इलिाम क कछ अ पहलि परतत करगा वजन स ह वसदध होता ह वक इलिाम की वशकाए वकतनी विशदध एि जान पर आzwjधाररत ह

162 विशव सकट तथा शानत-पथ

म ह पटि करगा वक कछ अ नाम-मातर इलिामी सगठन इलिाम का जो रप परतत करत ह िह िाति म वकसी भी परकार स zwjधमण की िातविक वशका का परवतवनवzwjधति नही करता ह पटि हो जाएगा वक ि किलि अपन वनवहत िाथषो की पवतण हत घणापणण गवतविवzwjधरो को ासगत ठहरान क वलिए अनवचत रप स इलिाम का नाम परोग करत ह

इलिाम न सहनशीलिता की महतता पर इतना बलि विा ह वक इसक समतल उिाहरण वकसी अ zwjधमण म वमलिना असभि ह अ लिोगरो का ह मत ह वक जब तक िसर zwjधमषो को झठा वसदध न कर विा जाए तब तक ि अपन zwjधमण की सचचाई को वसदध करन म असमथण ह परत इस सबzwjध म इलिाम का मत वनतात पथक ह करोवक इलिाम ह वशका िता ह वक दवप इलिाम एक सचचा zwjधमण ह जो समत मानिजावत क वलिए भजा गा तथावप िातविकता ह ह वक परमातमा क सभी अितार परतक जावत और विशव क परतक भाग म भज गए पवितर कआणन म इसका पटि रप स िणणन ह अलाह तआलिा फरमाता ह वक समत अितार उसी न परम और सह की वशका िकर भज ह अतः सभी सचच मसलिमानरो को उह िीकार करना चावहए

कोई अ zwjधमण इतनी पटिता एि उिारतापणण ढग स सभी zwjधमषो की परशसा नही करता जसा वक इलिाम न वका ह करोवक मसलिमान ह विशवास रखत ह वक सभी जावतरो और कौमरो म अितार आए ह अतः ि उह झठा होन का विचार भी मन म नही लिा सकत

अतः मसलिमान परमातमा क वकसी भी अितार का वनरािर अनािर अथिा उपहास नही कर सकत और न ही ि अ zwjधमाणिलिनमबरो की भािनाओ को आहत कर सकत ह

वफर भी खिजनक ह वक कछ गर मनलिम लिोगरो का विहार इसक

163इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

सिणथा विपरीत ह ि इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम पर कलिक लिगान और शोचनी ढग स उनका उपहास करन का कोई अिसर हाथ स नही जान ित और इस परकार उहरोन मसलिमानरो की भािनाओ को बरी तरह आहत वका ह परत िभाणगिश जब कभी कछ तति मसलिमानरो की भािनाओ स खलित ह तब कछ नाम-मातर मसलिमान उततजनािश वनतात अजानतापिणक और अनवचत ढग स परवतवकरा वति करत ह वजसका इलिाम की िातविक वशकाओ स कोई समबzwjध नही होता आप ह अिश अनभि करग वक कोई अहमिी मसलिमान वकसी भी उततजनातमक नथवत म इस परकार अजानतापिणक परवतवकरा परिवशणत नही करगा

इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम और पवितर कआणन पर एक अ आरोप ह लिगाा जाता ह वक उहरोन उगरिाि की वशका िी और इलिाम क सिश क परचार क वलिए बलि-परोग को परोतसावहत वका इस आरोप का वििचन करन तथा इसकी िातविकता जानन क वलिए ि कआणन का अधन करना होगा सिणशनतिमान अलाह फरमाता ह ः-

lsquoवि तरा रब अपनी इचछा को लिाग करता तो zwjधरती क सभी लिोग ईमान लि आत तो का त लिोगरो को इतना वििश करगा वक ि मोवमन बन जाए rsquo

(सरह नस ः 100)ह आत पटि रप स बताती ह वक परमातमा जो सिणशनतिमान

ह सभी लिोगरो को एक ही zwjधमण अपनान पर बडी आसानी स वििश कर सकता था परत उसन ससार क लिोगरो को इस विकलप की िततरता परिान की mdash चाहो तो ईमान लिाओ ा न लिाओ

164 विशव सकट तथा शानत-पथ

अतः जब परमातमा न मानिजावत को कोई भी विकलप अपनान की िततरता परिान की ह तो हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम अथिा उनका कोई अन ाी वकसी को मसलिमान बनन पर कस वििश कर सकता ह

सिणशनतिमान अलाह पवितर कआणन म ह भी फरमाता ह ः-ldquo सचचाई तर रब की ओर स ही उतरी हई ह अतः जो

चाह ईमान लिाए और जो चाह इकार कर ि rdquo(अलिzwj-कहफ ः 30)

ह ह इलिाम की िातविकता ह ह इसकी िातविक वशका वि कोई वनति चाह तो उस इलिाम को िीकार करन की िततरता ह वि उसका विलि नही चाहता तो उस अिीकार करन की भी िततरता ह अतः इलिाम उगरिाि और बलि-परोग क पणणता विरदध ह इसक विपरीत समाज क परतक तर पर शानत और समि का समथणन करता ह

इलिाम क वलिए ह असमभि ह वक िह वहसा और बलि-परोग की वशका ि करोवक इलिाम का शानिक अथण ही शानत स रहना और शानत परिान करना ह वफर भी जब हमारी zwjधावमणक भािनाओ का उपहास वका जाता ह तो हम अतत कटि और पीडा का अनभि होता ह हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क सबzwjध म वि कछ भी अपमानजनक शि कह जाए तो ि हमार हिरो को चीर कर आहत कर ित ह

इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न ही हमार हिरो म परमातमा और उसकी सनटि क परवत परम भािना जागत की ह आपन ही हमार विलिरो म समत मानिजावत और सभी zwjधमषो क परवत परम और आिर की भािना थावपत की इलिाम की शानतपणण वशकाओ क समबzwjध म उस उततर क अवतररति अ बडा परमाण का हो

165इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

सकता ह जो हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क विरोवzwjधरो न विा जब आप सललाहो अलिवह िसलम न उह इलिाम का सिश पहचाा था उहरोन ह नही कहा वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलमन हम इलिाम का वनमतरण ि कर वकसी परकार क अताचार अथिा अनवतक का ण करन की वशका िी ह अवपत उन का उततर ह था वक वि ि इलिाम की वशकाओ को िीकार कर लित ह तो उनकी zwjधन-समपवतत पर अताचारी लिोग अवतकरमण कर लिग और उनकी परवतषठा भी खतर म पड जाएगी करोवक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम किलि शानत और सौहािण तथा समि की वशका पर बलि ित थ उहरोन इस सश का परकटन वका वक ि इलिाम को िीकार कर लित ह और फलििरप शानत को अपना लित ह तो इिण-वगिण क लिोग कबीलि और अ जावता इसका अनवचत लिाभ उठा कर उह नटि कर िगी साराश ह वक वि इलिाम वहसा का परचार करता और मसलिमानरो को दध करन तथा तलििार उठान की वशका िता तो पटि ह वक कावफर अपन पक म ऐसा तकक परतत न करत ि किावप ह न कहत वक ि इलिाम इसवलिए िीकार नही कर सकत करोवक उह भ ह वक इलिाम की शानतपणण वशका क फलििरप सासाररक लिोगरो दारा इनका सिणनाश हो जाएगा

पवितर कआणन म िणणन ह वक सिणशनतिमान अलाह का एक गणिाचक नाम lsquoसलिामrsquo ह वजसका अथण ह lsquoशानत का सोतrsquo इस स ह अवभपरा ह वक वि परमातमा िाति म lsquoशानत का सोतrsquo ह तो उसकी शानत किलि एक विशष समिा तक सीवमत न हो कर समत सनटि और समत मानिजावत पर आचछावित होनी चावहए वि परमातमा की शा नत किलि कछ लिोगरो तक की सरका क वलिए थी तो इस अिथा म

166 विशव सकट तथा शानत-पथ

उस समत ससार का परमातमा नही कहा जा सकता सिणशनतिमान परमातमा न इस का उततर पवितर कआणन म इन शिरो म विा ह ः-

lsquoऔर हम इस रसलि की उस बात की सौगzwjध जब उसन कहा था वक ह मर रब ह जावत तो ऐसी ह ईमान नही लिाती अतः उह छोड ि और कह ः lsquoतम पर अलाह की शानत होrsquo lsquoऔर ि शीघर ही जान जाएगrsquo

(अलि-जखरफ ः 89-90)इन शिरो स ह जात होता ह वक हजरत महममि सललाहो

अलिवह िसलम एसी वशका लिाए थ जो समत लिोगरो क वलिए शानत और िा का सोत थी और फलितः समत मानिजावत क वलिए शानत का माधम थी उपरोति आत स ह भी जात होता ह वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क शानत क सिश क उततर म आपक विरोवzwjधरो न न किलि आपकी वशकाओ का वतरकार वका अवपत आपका अपमान और उपहास भी वका िाति म ि इस स भी आग बढ गए और उहरोन परी शतरता स आपका विरोzwjध वका कलिह और अशानत का िातािरण उतपन कर विा विरोवzwjधरो की इन गवतविवzwjधरो क िखत हए भी हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न परमातमा स ही पराथणना की वक lsquoम उह शानत परिान करना चाहता ह परत मझ शानत नही ित इसस भी बढ कर ि मझ पीडा और िःख पहचान की चटिा करत ह

इसक उततर म परमातमा न आपको सातिना ित हए कहा वक lsquoजो कछ ि करत ह उसकी उपका कर और उनस िर हो जा तरा एकमातर कततणव ससार म शानत का परसार करना और उसकी थापना करना ह त उनकी घणा और उनक अताचाररो क उततर म किलि इतना कह ः lsquoतम पर शानत होrsquo और उह कह ि वक ldquoम तमहार वलिए शानत लिाा हrdquo

167इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

इस परकार हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम जीिनप ण त विशव म शानत का परसार करत रह ही आपका महान उदश था वनसिह एक विन ऐसा अिश आएगा जब ससार क लिोग इस तथ को समझ लिग और िीकार करग वक आपन वकसी परकार क उगरिाि की वशका नही िी उह ह अनभि हो जाएगा वक आप सललाहो अलिवह िसलम किलि शानत परम और सहानभवत का सिश लि कर आए थ इसक अवतररति ह वक वि इस महान अितार क अन ाी भी अताचाररो और अा क परवत परमपिणक अपनी परवतवकरा वति कर तो वनसिह ि लिोग जो इलिाम की रोशन वशकाओ पर आकप लिगात ह एक विन इलिाम की सचचाई और सिरता को िीकार कर लिग

अहमविा मनलिम जमाअत इही वशकाओ का पालिन और अनसरण करती ह ही सहानभवत सहनशीलिता और िा पर आzwjधाररत िह वशका ह वजसका हम समत विशव म परचार और परसार करत ह हम िा और उिारता क उसी ऐवतहावसक और अवदती आिशण का पालिन करत ह वजसका परिशणन हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न कई िषषो तक अतत कडी और पीडािाक ातनाओ और अताचाररो क सहन करन क उपरात पनः मकका की गवलिरो म एक विजता क रप म परिश करन पर वका कई िषषो तक आपको और आपक अनावरो को जीिन की मलि आिशकताओ mdash भोजन और पानी स िवचत रखा गा और फलििरप उह एक सम म कई विन तक भख की पीडा सहन करनी पडती थी आपक बहत स अन ावरो पर आकरमण वका गा कछ की अतत वनिण तापिणक वनमणम हता की गई वजसकी कलपना भी नही की जा सकती हा तक वक मसलिमान िदधरो नतररो और बचचरो को भी नही छोडा गा अवपत उनक साथ भी वनिण तापणण विहार वका गा वफर

168 विशव सकट तथा शानत-पथ

भी जब हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न विजी हो कर मकका म पनः परिश वका तो आपन वकसी परकार का परवतशोzwjध नही वलिा इस क विपरीत आपन ह घोषणा की वक lsquoआप म स वकसी को भी कोई िणि नही विा जाएगा करोवक मन आप सभी को कमा कर विा ह म परम और शानत का ित ह मझ अलाह क इस गण का सिाणवzwjधक जान ह वक िह lsquoशानत का सोत हrsquo mdash अथाणत अलाह ही ह जो शानत परिान करता ह म आपक वपछलि समत अताचाररो को कमा करता ह और आपको शानत और सरका की जमानत िता ह आप िततर रप स मकका म वनिास कर सकत ह और अपन zwjधमण का वनविणघन पालिन कर सकत ह वकसी को भी वकसी परकार स वििश ा बाध नही वका जाएगाrdquo

मकका क कछ कटटर विरोzwjधी िणि क भ स मकका छोड कर भाग गए थ करोवक उह जात था वक उहरोन मसलिमानरो पर अताचार करन म सभी सीमाओ को पार कर वलिा था परत जब उन कावफररो क सबवzwjधरो न िा और परम का ऐसा अवदती उिाहरण और शानत और सौहािण का ऐसा अभतपिण परिशणन िखा तो उहरोन उह िापस लिौट आन का सिश भजा जब उह ह सवचत वका गा वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम शानत और सरका परिान करन िालि ह तो ि लिोग मकका लिौट आए जो लिोग इसस पिण इलिाम क कटटर और कठोर विरोzwjधी थ उहरोन जब ि हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की िा और उिारता का परतक रप म अनभि वका तो उहरोन िचछा स इलिाम िीकार कर वलिा

जो कछ मन िणणन वका ह िह वलिवखत इवतहास का भाग ह और अवzwjधकाश गर-मनलिम इवतहासकाररो और Orientalists न इस सचचाई की पनटि की ह इलिाम की िातविक वशकाए ह और ही हजरत

169इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

महममि सललाहो अलिवह िसलम का महान आिशण ह अतः इलिाम और इसक परितणक को वहसक क रप म परिवशणत करना तथा उनक विरदध इस परकार क आरोप लिगाना घोर अा ह इस म कोई सिह नही जहा कही भी ऐस आरोप लिगाए जात ह तो हम गहरी पीडा और अतत कटि पहचाता ह

म पनः ह कहता ह वक ितणमान ग म किलि हमारी जमाअत - अहमविा मनलिम जमाअत - ही ह जो इलिाम की िातविक और शानतपणण वशकाओ का अनसरण और पालिन कर रही ह म ह भी पनः कहना चाहता ह वक कछ आतकिािी सगठनरो अथिा कछ वनतिरो दारा जो घणापणण और िषzwjकमण वकए जा रह ह उनका इलिाम की िातविक वशकाओ स वकसी परकार का समबzwjध नही ह

िातविक ा का आzwjधारभत वसदधात ह ह वक वकसी समिा अथिा वनति विशष क वनवहत िाथषो को वकसी zwjधमण की वशकाओ स समबदध न वका जाए ऐसी गवतविवzwjधरो का वकसी zwjधमण अथिा उसक परितणक की अापणण ढग स वनिा करन क वलिए एक बहान क रप म अनवचत परोग नही करना चावहए सम की वनतात आिशकता ह वक विशव-शानत और एकता की थापना हत सभी लिोगरो को परपर सममान और एक िसर क zwjधमण का आिर करन की भािना का परिशणन करना चावहए अ था इसक प ररणाम अवत भािह हरोग

आज ससार एक विशव-गराम का रप zwjधारण कर चका ह अतः परपर आिर एि सममान क अभाि और शानत थापना हत सगवठत होन म विफलिता क कारण न किलि थानी कतर शहर अथिा िश को हावन पहचगी अवपत इसक फलििरप अततः विशव एक भानक विनाश की चपट म आ जाएगा गत िो विशव दधरो क विधिसकारी

170 विशव सकट तथा शानत-पथ

पररणामरो स हम सभी पररवचत ह कछ िशरो की गवतविवzwjधा ऐसी ह जो तती विशव दध की सचक ह

वि तती विशव दध आरमभ हो जाता ह तो पनचिमी िश भी इसक िरगामी और विनाशकारी पररणामरो स बरी तरह परभावित हरोग हम अपनी भािी पीवढरो को दध क भानक और विनाशकारी पररणामरो स सरवकत रखन का परास करना चावहए

पटि ह वक सबस भानक दध परमाण दध होगा और इस सम ससार वजस ओर अगरसर ह वनसिह िह एक परमाण दध क वछडन का सचक ह इस विनाशकारी पररणाम को रोकन क वलिए हम ा एकता एि अखिता और ईमानिारी क मागण को अपनाना होगा और सगवठत रप स उन गटरो का िमन करना होगा जो घणा का परचार करक विशव-शानत का सिणनाश करना चाहत ह

म ह आशा और पराथणना करता ह वक सिणशनतिमान परमातमा महाशनतिरो को अपन कततणवरो को इस समबzwjध म ापिणक ढग स वनभान का सामथ ण परिान कर - आमीन अपना भाषण समापत करन स पिण म आप का zwjधिाि करना चाहता ह वक आप सब सम वनकालि कर और परास करक हा उपनथत हए परमातमा आप सब पर अपनी कपा कर आप सब का अवत zwjधिाि

वतािजन सकट की नसथमत ि मवशव शजनत की

मनतजत आवशयकतजराषटी पावलिणामट जीलिणििवलिगटन जीलिणि 2013

वतािजन सकट की नसथमत ि मवशव शजनत की

मनतजत आवशयकतजराषटी पावलिणामट जीलिणििवलिगटन जीलिणि 2013

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba leading si lent prayers at the conclusion of the off icial f unction in the Grand Hall Ne w Zealand Parl iament

Hon Kanwaljit Singh Bakshi (MP) receiving the Holy Qurrsquoan from Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Det R akesh Naidoo meeting Hadrat Khalifatul-Masih Vaba in representation of the Commissioner of Police New Zealand

Iranian ambassador Seyed Majid Tafreshi Khameneh meeting Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Dr Cam Calder MP meeting Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba delivering the keynote address at the Grand Hall in the

New Zealand Parliament 4th Nov 2013

Hon Kanwaljit Singh Bakshi (MP) with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba and his entourage in front of the New Zealand Parliament

पररचय

विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख हजरत वमजाण मसरर अहमि (अलाह तआलिा आपकी सहाता कर) खलिीफतलि मसीह पचम न विनाक 4 निमबर 2013 को िवलिगटन शहर म जीलिि की राषटी पावलिाणमट म एक ऐवतहावसक भाषण विा पावलिणामट क सासिरो राजितरो वशकावििरो एि विवभन कतररो स सबवzwjधत गणमा विवशटि अवतवथरो स सभा क सममख हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम क खलिीफा न (अलाह तआलिा आपकी सहाता कर) इस बात की महतता को परकट वका वक विशव क विवभन भागरो म तीवरता स बढत हए वििािरो और तनाि को दनटिगत रखत हए विशव-शानत थावपत करन क वलिए ा की वनतात आिशकता ह आपक मख भाषण क पचिात अ उचच पिावzwjधकारररो न भी सभा को समबोवzwjधत वका शी किलिजीत बखशी MP न कहा ldquoहमारा ह सौभाग ह वक हजरत वमजाण मसरर अहमि हा जीलिि की पावलिणामट म पzwjधार ह

176 विशव सकट तथा शानत-पथ

और हम उनक जान और विचाररो को सनन का सअिसर परापत हआ हrdquo िा राजन परसाि MP न कहा ldquoजीलिि की पावलिणामट म हजरत सावहब का िागत करना हमार वलिए अतत सखि अनभि ह मझ इस बात न सिि अतत परभावित वका ह वक अहमिी वकस परकार एक राषट क नागररक क रप म अपना जीिन वतीत करत हए अपन शानत क सिश का पालिन करत ह सभा क अत पर हजरत वमजाण मसरर अहमि (अलाह तआलिा आपकी सहाता कर) न विवभन उचच पिावzwjधकारररो वजनम ईरान और इसाईलि क राजित भी शावमलि थ स भट की शी किलिजीत वसह बखशी MP न हजर को पावलिणामट की सर कराई

वतािजन सकट की नसथमत ि मवशव शजनत

की मनतजत आवशयकतजवबनमलावहररहमावनररहीम

परारभ करता ह अलाह क नाम स जो अनत कपालि और अतत िालि ह

सभी विवशटि अवतवथगण असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातोहअलाह की कपा आप सब पर होसिणपरथम म इस अिसर पर उन समत लिोगरो विशषकर माननी

किलिजीत वसह बखशी MP क परवत zwjधिाि परकट करना चाहता ह वजहरोन इस सभा का आोजन वका और आप सब को समबोवzwjधत करन का मझ अिसर परिान वका तिोपरात म आप सब का zwjधिािी ह जो मर विचार सनन क वलिए हा पzwjधार ह

वनसिह इस पावलिणामट हाऊस म िश की उनवत एि विकास क वलिए विवभन नीवता और ोजनाए तथा कानन बनान क वलिए

178 विशव सकट तथा शानत-पथ

विवभन राजनीवतज और पावलिणामट क सि वनवमत रप स एकवतरत होत ह इसक अवतररति मरा विशवास ह वक बहत स zwjधमण वनरपक ा भौवतकिािी नताओ न भी हा पzwjधार कर अपन जान कौशलि और अतीत क अनभिरो क अzwjधार पर आप लिोगरो को समबोवzwjधत वका होगा परत किावचत ही वकसी zwjधावमणक समिा विशषकर एक मनलिम समिा क परमख न आपको समबोवzwjधत वका हो अतः विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत जो वक िातविक इलिामी सथा ह वजसका एकमातर उदश इलिाम की िातविक वशकाओ का परचार एि परसार करना ह क परमख को हा समबोzwjधन करन का अिसर परिान करक आपन अपनी विशालिहिता और उचच तरी सहनशीलिता का सकत एि परमाण परतत वका ह अतः म इस िापणण विहार क वलिए आपका आभारी ह

zwjधिाि क इन शिरो क उपरात अब म अपन भाषण क मख विष की ओर आता ह म इलिाम की सिर वशकाओ क समबzwjध म कछ बातरो का िणणन करगा म उस समा जो मर विचार म ितणमान सम की वनतात आिशकता ह अथाणत विशव-शानत की थापना क समबzwjध म कछ बात करगा आप म स अवzwjधकाश लिोग zwjधमणवनरपक राजनीवतज अपन अपन तर पर और सरकार सामवहक तर पर zwjधमणवनरपक दनटिकोण स शानत थावपत करन क वलिए सतत परासरत ह आपक परास शभचछा स परररत ह और आपको इन परासरो म कछ सफलिता भी परापत हई होगी इसी परकार आपकी सरकार न गत िषषो म विशव म शानत एि एकता थावपत करन हत कई सझाि भी विए हरोग

वनसिह विशव की ितणमान पररनथवता अतत सकटपणण ह जो

179ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

समच विशव की वचता का कारण बनी हई ह इस सम जबवक विशव क मख सकट अरब िशरो म उतपन हो रह ह और परतक बवदधमान वनति इस तथ स भलिीभावत पररवचत हरोग वक ऐस वििाि अथिा सकट किलि उसी कतर तक सीवमत नही रहत इसम कोई शका नही वक वकसी सरकार और उसकी परजा क मध का वििाि बढकर अतराणषटी वििाि का रप zwjधारण कर लिता ह हम िख रह ह वक विशव की महाशनतिरो म पहलि स ही िो गट बन रह ह एक गट सीररा की सरकार का समथणन कर रहा ह जबवक िसरा गट विदरोवहरो क समथणन म आग आ रहा ह पटि रप स ह पररनथवत न किलि मनलिम िशरो क वलिए एक गभीर खतरा ह अवपत विशव क शष सभी िशरो क वलिए भी एक अतत सकट का सचक ह

गत शतािी म हए िो विशव दधरो क हि-वििारक पररणामरो को हम कभी विमत नही करना चावहए विशषकर वदती विशव दध क पररणामिरप जो वितत विनाश हआ िह अवदती ह किलि परपरागत हवथाररो क उपोग दारा ही विशालि जनसखा िालि कई कब और शहर पणणता धित हो गए और लिाखरो लिोग मार गए इसक अवतररति वदती विशव दध म विशव न समपणण विनाश की घटना भी िखी जब जापान क विरदध परमाण बम का परोग वका गा वजसन ऐसा सिणनाश वका वजसक परभािरो को किलि सनन स ही मनषzwj कापन लिगता ह हीरोशीमा और नागासाकी क सगरहालि इस समपणण सिणनाश और भािह नथवत का मरण करान क वलिए पाणपत ह

वदती विशव दध म एक अनमान क अनसार 70 वमवलिन लिोग मार गए थ वजन म स 40 वमवलिन साzwjधारण नागररक थ इस परकार सना

180 विशव सकट तथा शानत-पथ

क सिरो की अपका साzwjधारण नागररकरो न भी अपन पराण गिाए दध क उपरात क िषzwjपरभाि इस स भी अवzwjधक भािह थ अथाणत दधोपरात मरन िालि लिोगरो की सखा लिाखरो म थी परमाण बमरो क परोग क पचिात कई िषषो तक उनक विवकरण क भानक आनिावशक िषzwjपरभािरो स निजात वशश परभावित होत रह इस सम विशव क कछ छोट िशरो न भी परमाण शतर परापत कर वलिए ह और उन क नता बड उततवजत िभाि क ह ऐसा परतीत होता ह वक ि अपन काषो क विनाशकारी पररणामरो क परवत उिासीन ह

वि हम आज परमाण दध क वछडन की कलपना कर तो जो वचतर सामन आएगा उस िख कर एक मनषzwj अतत भभीत हो कर काप उठगा आज जो परमाण बम विशव क छोट स छोट िशरो क पास ह ि वदती विशव दध म परोग वकए गए बमरो स भी कही अवzwjधक शनतिशालिी ह

आज ितणमान ससार की ऐसी िनी अिथा ह वक एक ओर लिोग शानत थावपत करन की बात करत ह और िसरी ओर इसक विपरीत ि अहकारी परिवततरो म गरत ह और िभ एि उदणिता क परभािाzwjधीन मिोमतत ह परतक शनतिशालिी राज अपनी शषठता और शनति का परमाण िन क वलिए भरसक परास करन क वलिए ततपर रहता ह वदती विशव दध क उपरात विशव म वचरथाी शानत की थापना हत तथा भविषzwj म दधरो की सभािना को रोकन क वलिए विशव को एकतर होकर एक सगठन का वनमाणण वका वजस सति राषट की सजा िी गई परत ऐसा परतीत होता ह वक वजस परकार लिीग ऑफ नशस (राषटसघ) िभाणगपणण ढग स अपन उदश म विफलि हआ इसी परकार स ति राषट

181ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

सघ क आिर और सममान का विन-परवतविन पतन हो रहा ह वि ा की मागरो को परा न वका गा तो शानत की थापना क वलिए चाह वजतन सगठन बनाए जाए उनक सभी परास विफलि हो जाएग

मन अभी लिीग ऑफ नशस की विफलिता का िणणन वका ह परथम विशव दध क उपरात विशवशानत की सरका क एकमातर उदश क वलिए इस का गठन वका गा था परत ह वदती विशव दध क अशभ आगमन वजसक समबzwjध म म पहलि बता चका ह वक इसक कारण वकतना विनाश और हावन हई को रोकन म विफलि रहा इस दध म जीलिि क भी कई लिोग मार गए कहा जाता ह वक लिगभग 11000 लिोग जो सभी सवनक थ इस दध म मार गए जीलिि दध क कदर स अवत िर होन क कारण साzwjधारण नागररकरो की जान नही गई परत जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह सामवहक रप स सवनकरो की अपका वनिवोष नागररकरो को अपन पराणरो स हाथ zwjधोना पडा तवनक कलपना कीवजए साzwjधारण वनिवोष लिोग वजनम असख नतरा और बचच भी शावमलि थ वबना वकसी अपराzwjध क अकारण अzwjधाzwjधzwjध मार गए

इसीवलिए आप वदती विशव दध स सीzwjध तौर पर परभावित िशरो क लिोगरो क हिरो म दध क नाम स ही िाभाविक घणा पाएग िततः िश-परम और िश-भनति की ह माग ह वि उसक िश पर कोई आकरमण होता ह तो एक नागररक का कततणव ह वक िह िश की रका और िततरता क वलिए हर परकार का बवलििान िन क वलिए त ार रह वफर भी वि िाताणलिाप क माधम स और राजनवतक तर पर वििािरो का शानतपणण और मतरीपणण ढग स समाzwjधान समभि हो तो अकारण मत एि विनाश को वनमतरण नही िना चावहए पराचीन कालि क दधरो म

182 विशव सकट तथा शानत-पथ

मखतः सवनक मार जात थ और नागररकरो की नतम हावन होती थी परत आज क दध क साzwjधनरो म हिाई बमबारी विषलिी गस और रासावनक शतर भी शावमलि ह और जसा वक मन कहा ह वक सबस विनाशकारी बम परमाण बम क उपोग की भी परबलि समभािना ह इस दनटि स ितणमान दध पराचीन दधरो स सिणथा पथक ह करोवक ितणमान दधरो म समपणण मानि जावत को zwjधरती स विलिपत करन की शनति विदमान ह इस समबzwjध म शानत थापना हत पवितर कआणन की अनपम वशका का िणणन करना चाहता ह पवितर कआणन म वलिखा ह ः

ldquoऔर पण और पाप बराबर नही हो सकत त बराई का उततर बहत अचछ विहार स ि इस का पररणाम ह वनकलिगा वक िह वनति वजसक और तर मध शतरता पाई जाती ह तर अचछ विहार को िख कर तरा हाविणक वमतर बन जाएगाrdquo

(सरः हा मीम आत ः 35)अतः पवितर कआणन ह वशका िता ह वक परपर शतरता और वििािरो

को थासमभि समापत कर िना चावहए और िाताणलिाप क माधम स उनका समाzwjधान करना चावहए वि आप िाभाि और समझिारी स बात करग तो वननचित रप स िसररो पर इसका सकारातमक एि सखि परभाि पडगा और ह घणा और दष क उमलिन का माधम वसदध होगा

वनसिह हम ितणमान ग म ि को अवत उनत और सभzwj मानत ह हमन विवभन अतराणषटी खराती सथाओ का सगठन वका ह जो बचचरो को िाथ सविzwjधाए और विदा उपलिzwjध कराती ह और माताओ क वलिए भी िाथ सविzwjधा का परबzwjध करती ह इसी परकार कई अ असख खराती अथिा zwjधमाणथण सथाए ह वजनकी थापना मानिजावत क

183ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

परवत सहानभवत एि िा क आzwjधार पर हई ह इतना सब कछ करन क पचिात हम ितणमान की वनतात आिशकता

पर विचार करना चावहए और धान िना चावहए वक हम ि को और अ लिोगरो को विनाश और तबाही स वकस परकार सरवकत रख सकत ह हम ह मरण रखना चावहए वक आज स अथिा सात िशक पिण की तलिना म ितणमान सम का विशव बहत वसमट चका ह साठ ा सततर िषण पिण जीलिि एक िरथ िश समझा जाता था जो एवशा और रोप स अवत िर नथत था परत आज ह िश विशव समिा का एक अवभन अग ह अतः दध की नथवत म कोई िश अथिा कतर सरवकत नही ह

आपक नता और राजनीवतज आपक िश क सरकक ह िश की सरका और उसकी वनरतर परगवत विकास और भलिाई करना उनका उततरिावति ह अतः उनक वलिए आिशक ह वक ि इस महतिपणण तथ को सिि मरण रख वक थानी दधरो क दारा विनाश और तबाही िर-िर तक फलि जाती ह हम इस बात पर परमातमा का zwjधिाि करना चावहए वक उसन अभी कछ महाशनतिरो को बवदध और वििक परिान वका वजसक फलििरप उनह ह समझ आ गई वक विशव को समभावित सिणनाश स बचान क वलिए दध को रोकन की का णिाही करनी चावहए मख रप स रस क राषटपवत न कछ महाशनतिरो को सीररा पर आकरमण करन स रोकन क वलिए भरसक परतन वकए उहरोन ह पटि रप स कहा वक चाह कोई िश छोटा हो ा बडा उसक साथ समान विहार वका जाना चावहए उहरोन ह भी कहा वक वि ा की मागरो को परा न वका गा और वि अ िश अपन अपन तर पर दध म

184 विशव सकट तथा शानत-पथ

सनममवलित हो जात ह तो सति राषट का भी िही िभाणगपणण अत होगा जसा वक राषटसघ का हआ था मरा ह विशवास ह उनका ह विशषण पणणता उवचत ह

दवप म उनकी समत नीवतरो का समथणन नही करता तथावप समझिारी की बात को िीकार करना चावहए काश ि एक किम और आग बढ कर ह कहत वक सति राषटसघ की सरका सवमवत क पाच थाी सिरो को जो िीटो का अवzwjधकार परापत ह उस सिा क वलिए समापत कर विा जाए तावक विशव क समत िशरो क मध िातविक ा और समानता थावपत हो जाए

गत िषण मझ िावशगटन िी सी क कवपटलि वहलि म एक भाषण िन का अिसर विा गा था उस सभा म बहत स सनटरज कागरस क सि विशष सलिाहकार और विवभन िगषो क वशवकत लिोग सनममवलित थ मन पटि रप स उह ह कहा वक ा की माग उसी नथवत म परी हो सकती ह जब सभी िगषो और लिोगरो क साथ समान विहार वका जाए मन ह पटि वका वक वि आप छोट और बड अमीर और गरीब िशरो क अतर को महति िना चाहत ह और िीटो की अापणण शनति को काम रखना चाहत ह तो इसक फलििरप वनचि ही अशानत और वचता िाति म परकट होन लिगी ह

अतः विशववापी मनलिम जमाअत क परमख होन क नात मरा ह कततणव ह वक म शानत थापना क परवत विशव का धानाकषणण कराऊ म इस अपना कततणव समझता ह करोवक इलिाम का अथण ही शानत एि सरका ह वि कछ मनलि म िश घणापणण आतकिािी गवतविवzwjध रो को परोतसावहत करत ह अथिा इनका पालिन करत ह तो इस स ह वनषzwjकषण

185ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

नही वनकालिना चावहए वक इलिाम की वशका अशानत और कलिह को बढािा िती ह मन अभी पवितर कआणन की एक आत का िणणन वका था इसी म ह वशका िी गई ह वक वकस परकार शानत थावपत की जा सकती ह

इसक अवतररति इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न अपन अनावरो को lsquoसलिामrsquo करन अथाणत सिि शानत क सिश का परसार करन की वशका िी हम आप सललाहो अलिवह िसलम क पवितर आचरण स जात होता ह आप सभी गर-मनलिमरो चाह ि हिी हरो ईसाई हरो अथिा वकसी अ zwjधमण ा आथा क मानन िालि हरो पर भी सलिामती भजत थ आप ऐसा इसवलिए करत थ करोवक आप समझत थ वक सभी लिोग परमातमा की सनटि का भाग ह और अलाह का एक गणिाचक नाम lsquoशानत का सोतrsquo भी ह और िह समपणण मानिजावत क वलिए शानत एि सरका चाहता ह

मन शानत क समबzwjध म कछक इलिामी वशकाओ का िणणन वका ह परत म ह पटि करना चाहता ह वक सम क अभाि क कारण मन कछ पकरो का ही िणणन वका ह िाति म इलिाम समत लिोगरो क वलिए शानत एि सरका की वशकाओ और उपिशरो स पररपणण ह ा थावपत करन क समबzwjध म इलिाम की का वशका ह

सरह सखा 5 की आत सखा 9 म अलाह तआलिा कहता ह ःldquoह ि लिोगो जो ईमान लिाए हो अलाह क वलिए मजबती स

वनगरानी करत हए ा क समथणन म साकी बन जाओ और वकसी जावत की शतरता तमह किावप इस बात की ओर परररत न कर वक तम

186 विशव सकट तथा शानत-पथ

ा न करो ा करो ह तकिा क सबस अवzwjधक वनकट ह और अलाह स िरो जो तम करत हो वनसिह अलाह उसस सिा अिगत रहता हrdquo

उपरोति आत म पवितर कआणन ा क उचचतम मापिणिरो को रखावकत करता ह ह आिश उन लिोगरो क वलिए शाका की कोई सभािना नही छोडता जो ि को मसलिमान कहत हए भी अताचार करत ह ह आिश उन लिोगरो क वलिए भी आलिोचना की सभािना को समापत करता ह जो इलिाम को एक उगरिािी और वहसािािी zwjधमण क रप म परतत करत ह पवितर कआणन न ा क और भी उततम मापिणि थावपत वकए ह कआणन न किलि ह वशका िता ह वक तम ा करो अवपत ह समानता का आिश ित हए हा तक कहता ह वक ः

ldquoह ि लिोगो जो ईमान लिाए हो अलाह क वलिए गिाह बनत हए ा को दढता पिणक थावपत करन िालि बन जाओ चाह ि अपन विरदध गिाही िनी पड अथिा माता-वपता और वनकट समबवzwjधरो क विरदध चाह कोई zwjधनिान हो अथिा वनzwjधणन िोनरो का अलाह ही उततम वनरीकक ह अत अपनी अवभलिाषाओ का अनसरण न करो ऐसा न हो वक ा स हट जाओ और वि तमन गोलि-मोलि बात की अथिा मह फर वलिा तो वनसिह जो तम करत हो उसस अलाह बहत अिगत हrdquo

(सरह अ नन सा ः 136)अतः ह ि वसदधातरो पर आzwjधाररत ा क मापिणि वजनक

दारा समाज क वनमनतम तर स लिकर अतराणषटी तर पर और समत

187ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

विशव म शानत थावपत की जा सकती ह इवतहास इस बात का साकी ह वक इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न इस वशका का पालिन वका और इस विशव क कोन-कोन तक पहचाा अब ितणमान ग म हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क सचच आवशक हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी अलिवहसलिाम जो अहमविा जमाअत क सथापक ह न इस वशका क परसार क वलिए भरपर सघषण वका और अपन अनावरो को शानत का परसार करन की वशका िी आपन अपन अन ा वरो को ह वशका भी िी वक ि परमातमा क परवत और उसकी सनटि क परवत कततणवरो की पवतण की ओर मानिजावत का धानाकषणण कराए

ही कारण ह वक अहमविा जमाअत अलाह क परवत और उसकी सनटि क परवत कततणवरो की पवतण क महति पर तथा ा क उचच मापिणि थावपत करन की आिशकता पर सभी लिोगरो को परबलि उपिश िती ह तावक ह विशव शानत और सौहािण का क दर बन सक

इन शिरो क साथ म अपना भाषण समापत करता ह और मझ आमवतरत करन और हा पzwjधार कर मरा भाषण सनन क वलिए म आपका zwjधिाि करता ह

वनशवक शजनत और सरकजवतािजन यि की खतरनजक सिसयजए

िच पावलिणामट बनन होफहग नीिरलिणि 2015

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज का नीिरलिणि नशनलि पावलिणमणट की वििशी मामलिरो की टनिग कमटी की विशष सभा म सनममवलित होना

नीिरलिणि नशनलि पावलिणामणट की वििशी मामलिरो की टनिग कमटी की सि हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज क साथ

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज नीिरलिणि नशनलि पावलिणामणट म वििशी मामलिरो की सटनिग कमटी की विशष सभा म

अपना एवतहावसक भाषण ित हए

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज राजनीवतक एि zwjधावमणक मामलिरो क कछ पहलिओ क सबzwjध म वकए गए एक परशनरो का उततर ित हए

पररचय

विनाक 6 अकटबर 2015 ई को विशववापी जमाअत अहमविा क इमाम हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज न हॉलिणि की राजzwjधानी हग म नीिरलिणि की नशनलि पावलिणामणट की वििशी मामलिरो की टविग कमटी की विशष सभा म सौ स अवzwjधक महमानरो और सममाननी लिोगरो क सामन एक ऐवतहावसक भाषण विा आोजन क परारभ म वमटर िन बोमलि न पावलिणामणट म हजर अनिर का अवभनिन करत हए कमटी क सिरो स पररच कराा इसक अवतररति उहरोन अ बाहय िशरो क पावलिणामणट क सासिरो विवभनन िशरो क राजित अलबावना करोवशा आरलिणि मोटी नीगरो पन तथा िीिन क परवतवनवzwjधरो का भी अवभनिन वका

वनशवक शजनत और सरकजवतािजन यि की खतरनजक सिसयजए

विनाक 6 अकटबर 2015 ई को हॉलिणि की पावलिणामणट म विा गा भाषण

तशहहि और तअविज क बाि हजरत वमजाण मसरर अहमि खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज न फरमााः

समत आिरणी अवतवथरो की सिा म असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातह आप सब पर अलाह की सरका और बरकत उतर

सिणपरथम म आज क इस आोजन की परबzwjध सवमवत का हाविणक zwjधिाि वति करना चाहता ह वजहरोन आज मझ हा भाषण िन क वलिए आमवतरत वका

आज हम िखत ह वक कछ समाओ को हमार सम की सबस अहम समाओ क तौर पर उजागर वका जा रहा ह उिाहरणता कछ गलिोबलि िावमाग और ऋत पररितणनरो पर बलि ि रह ह तथा कछ

196 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह जो बढ रह वििािरो और विशव की अत-वत पररनथवतरो पर अतत वचता का वशकार ह धानपिणक समीका की जाए तो विशव-शानत और सरका ितणमान ग की सबस बडी समा ह वनसिह हर गजरत हए विन क साथ विशव असतवलित और खतरनाक होता चलिा जा रहा ह इस ितणमान पररनथवत क कछ सभावित कारक ह वजनम स एक िह आवथणक सकट ह वजसन विशव क कई कतररो को परभावित वका ह

एक अ कारण ा और इसाफ का अभाि ह वजस का परिशणन करना कछ सरकार न किलि अपनी परजा क वलिए बनलक अ कौमरो क वलिए भी िzwjध रख हए ह एक अ कारण ह भी हो सकता ह वक कछ zwjधावमणक पशिा अपन िावतिरो को उवचत तौर पर अिा नही कर रह और वनतिगत वहतरो को विशालितम एि उततम वहतरो पर पराथवमकता ि रह ह जहा तक अतराणषटी सबzwjधरो का परशन ह वििािरो का एक बडा कारण अमीर और गरीब िशरो क मध परपर मतभि ह िखा गा ह वक शनतिशालिी िश वनzwjधणनतम िशरो की पराकवतक समपिाओ स उह उनकी अपनी सपवततरो म स िzwjध अवzwjधकार विए वबना लिाभानित होत ह

अतः विशव शानत म विघन क कारणरो की एक लिमबी सची ह वजसम स कछ का िणणन अभी मन वका ह कारण जो भी हरो मझ विशवास ह वक विशव म शानत का अभाि ितणमान नलि की सबस सगीन समा ह सभि ह वक इस पर आप लिोगरो म स कछ लिोग कह वक सिाणवzwjधक अनथरता का वशकार तो मनलिम िश ह और ह वक विशव म शानत क अभाि की जड भी मनलिम जगत की अशानत म

197ितणमान ग की खतरनाक समाए

ही मौजि हशाि आप म स कछ लिोग ह विचार कर वक चवक म भी एक

विशववापी मनलिम जमाअत अथाणत अहमविा मनलिम जमाअत का परबzwjधक ह इसवलिए म भी इस ितणमान नथवत का वकसी सीमा तक उततरिाी ह शाि आप ह भी सोचत हरो वक िश म वहसा दारा करानत लिान का वसदधात मानन िालि ततिरो क अनतति म आन और आतकिाि म िवदध का कारण िाति म इलिामी वशकाओ स ही वलिा गा ह तथावप इलिाम को इस नफरत और अशानत स जोडना बहत बडा अा ह

हा zwjधमषो क इवतहास पर वितत िाताणलिाप करना अभीटि नही परत इतना अिश कहना चाहगा वक वि समत zwjधमषो क इवतहास पर सामा दनटि िालिी जाए तो जात होता ह वक सम क साथ हर zwjधमण क अनाी अपनी मलि वशकाओ स िर होत गए वजसक कारण आतररक मतभि और zwjधावमणक आzwjधार पर गटबिी न जम वलिा बहत अताचार वकए गए और बहत स लिोगरो की जान गई इस िातविकता को दनटिगत रखत हए म पणण हाविणक रप स ह िीकार करता ह वक सम क साथ मसलिमान भी इलिाम की िातविक वशकाओ स िर हो गए ह इसक पररणाम िरप वनराशा और परवतपzwjधाण न जम वलिा वजसक अवतररति पररणाम सामपरिावकता आतक और अा क रप म परकट हए वफर भी एक सचच मसलिमान क दनटिकोण स इलिाम की ििणशा को िख कर मरा ईमान कम नही होता इसवलिए वक चौिह सौ िषण स भी अवzwjधक सम पिण इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलाम न भविषzwjयिाणी की थी वक zwjधीर-zwjधीर

198 विशव सकट तथा शानत-पथ

इलिामी वशकाओ म वबगाड पिा हो जाएगा और मसलिमान नवतक सकट क िौर म परविटि हो जाएग वफर हजरत महममि सललाह अलिवह िसलम न ह भी भविषzwjिाणी की थी वक आधानतमक अzwjधकार क इस िौर म खिा तआलिा एक सzwjधारक को मौऊि मसीह और इमाम महिी की हवसत स अितररत करगा जो इसावनत को इलिाम की िातविक तथा शानत वपर वशकाओ की ओर िापस लिकर आएगा हजरत महममि सललाह अलिवह िसलम की इस भविषzwjिाणी क अनसार हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम न इलिाम की िातविक और पणणता शानत स पररपणण वशकाओ का विव जान परिान वका अतः हम अहमिी मसलिमान ितणमान ग क अशानत और बचनी फलिान िालि ततिरो म सनममवलित नही बनलक हम ि लिोग ह जो विशव म शानत थापना क अवभलिाषी ह

हम तो ि ह जो विशव की नथवत क इलिाज क वलिए परासरत ह हम तो ि ह जो मानिता को स ति करना चाहत ह हम तो ि ह जो हर परकार की नफरतरो और शतरताओ को परम और सहनशीलिता म पररिवतणत करना चाहत ह और वनसिह हम ि लिोग ह जो विशव-शानत को थावपत करन क वलिए हर सभि परास करना चाहत ह एक zwjधावमणक पशिा क तौर पर म कहना चाहता ह वक परपर आरोप-परतारोप तथा परपर भडकान की बजाए हम िातविक और थाी विशव-शानत की थापना क वलिए तार हो जाना चावहए

इस वसलिवसलि म जमाअत अहमविा क परितणक न हम एक सनहर वसदधात स पररवचत करात हए फरमाा वक मानि जावत क वलिए आिशक ह वक िह था-सामथण परास दारा खिा तआलिा की

199ितणमान ग की खतरनाक समाए

विशषताओ को अपन अिर उजागर कर और उनक अनकरण का भरसक परतन कर

आप अलिवहसलिाम न फरमाा वक-मानि जावत की थाी भलिाई एि कलाण क वलिए ह एक

अवनिाण बात ह और वनसिह मानिता का सासाररक और आधानतमक कलाण और उननवत खिा तआलिा की विशषताओ पर विचार करन पर वनभणर ह करोवक उसकी उततम विशषताओ म ही हर परकार की शानत छछपी हई ह ह िातविकता पवितर कआणन की पहलिी आत स परकट ह जहा फरमाा- वक अलाह ही समत लिोकरो का रब (परवतपालिक) ह अथाणत िह परतक मनषzwj बनलक समपणण सनटि का रब अननिाता और काम रहन िालिा ह िह किलि मसलिमानरो का ही रब नही बनलक िह ईसाइरो हविरो तथा वहिओ बनलक समत कौमरो का रब (परवतपालिक) ह चाह ि वकसी भी zwjधमण अथिा आथा स सबzwjध रखती हरो

खिा तआलिा का अपनी सनटि स परम और सहानभवत अवदती और अनपम ह िह रहमान (कपालि) और रहीम (िालि) ह और अमन का उदम भी अतः जब इलिाम मसलिमान स माग करता ह वक िह ि म खिा तआलिा की विशषताओ को उजागर करन का परास कर तो ह वकसी मसलिमान क वलिए सभि ही नही रहता वक िह वकसी की हावन का कारण बन बनलक िातविक मसलिमान का ईमान तो उस पाबि करता ह वक िह मानिजावत स परम कर और परतक मनषzwj क साथ सममान सहानभवत और हमििगी का विहार कर

200 विशव सकट तथा शानत-पथ

एक परशन बार-बार वका जाता ह वक वि इलिाम अमन का zwjधमण ह तो वफर पवितर कआणन म दध की अनमवत करो िी गई चावहए वक इस अनमवत को उसकी सही अगलिी वपछलिी पनतिरो क परसग म रखकर इस बात क आलिोक म समझा जाए जो मन अभी िणणन की ह थाी शानत की थापना आzwjधारभत एि मलि उदश ह इस को पराति करन क वलिए पराः चतािनी और िाट-िपट की भी आिशकता पड जाती ह इसी परकार जब अलाह तआलिा न दध की अनमवत िी तो ह अनमवत किलि अमन को बहालि करन तथा परवतरकातमक उपा क तौर पर थी अतः ह बहत बडा अा ह वक कछ समिा तथा लिोग पवितर कआणन और इलिाम क परितणक सललाह अलिवह िसलम स अा और अताचार को जोडत ह पवितर कआणन तथा हजरत महममि सललाह अलिवह िसलम क जीिन चररतर का वनषzwjपक होकर अधन वका जाए तो जात होता ह वक इलिाम वकसी भी परकार क आतकिाि ा रतिपात क सिणथा विरदध ह

सम का धान रखत हए इसक वििरण म तो शाि न जा सकक परत हा इलिाम की कछ बवनािी वशकाओ का िणणन करता ह जो वनसिह ह वसदध करती ह वक इलिाम एक शानतपणण zwjधमण ह जसा वक मन अभी कहा वक एक आरोप ह लिगाा जाता ह वक इलिाम आतकिाि और लिडाई झगडरो का समथणक ह परत ह आरोप िातविकता क सिणथा विरदध ह पवितर कआणन की सरह अलिबकरः की आत 191 म अलाह तआलिा फरमाता ह-

कोई भी दध किलि इस नथवत म िzwjध हो सकता ह वक िह परवतरकातमक दनटि स लिडा गा हो इसी बात की पनरािवतत सरह

201ितणमान ग की खतरनाक समाए

अलिहजज की आत 40 म भी पटि तौर पर फरमाी-वक लिडाई की अनमवत किलि उनको िी गई ह वजन पर आकरमण वका गा और वजन पर दध लिाि विा गा तथा अलाह तआलिा न जहा इलिामी सरकाररो को दध की अनमवत िी िह किलि इस नथवत म िी वक zwjधावमणक उदश और विचार zwjधारा की िततरता की थापना हो अतः सरह अलिबकरहः की आत 194 म अलाह तआलिा न मसलिमानरो को आिश विा वक वकसी भी ऐस कतर म दध की अनमवत नही जहा zwjधावमणक सवहषzwjणता का िातािरण मौजि हो इसवलिए वकसी भी मसलिमान िश सगठन ा सि को ह अवzwjधकार पराति नही वक िह वकसी भी सरकार ा उसकी जनता क विरदध वकसी भी परकार क अताचार लिडाई और कानन का उलघन करन का भाग बन वबलकलि पटि बात ह वक रोप और पनचिमी िशरो म सरकाररो की नीि zwjधमण पर नही और रो वकसी भी मसलिमान क वलिए िzwjध नही वक िह कानन का उलघन कर ा सरकार का विरोzwjध आतकिाि क रप म कर ा वकसी भी परकार का विदरोह करन िालिा हो इलिाम की िातविक वशका तो ह ह वक वि वकसी गर मनलिम िश म रहन िालि वकसी वनति को लिग वक उस zwjधावमणक िततरता पराति नही तो उस ह अवzwjधकार नही वक िह कानन का उलघन करन पर उतर आए बनलक उस चावहए वक िह वकसी ऐस थान पर वहजरत (परिास) कर जाए जहा पररनथवता अनककलि हरो

पवितर कआणन की सरह अननहलि की आत 127 म इलिामी सरकाररो को आिश विा गा ह वक वि उन पर कभी आकरमण हो जाए तो िह किलि अपनी परवतरका क तौर पर थानककलि उततर ि अतः

202 विशव सकट तथा शानत-पथ

पवितर कआणन की वशका बहत पटि ह वक िणि मलि अपराzwjध क अनसार हो न वक उस स अवzwjधक

सरह अफालि की आत 62 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक वि तमहारा शतर बरी नीत स तम पर आकरमण करन का इरािा रखता ह परत बाि म वफर उपका करत हए सलिह का हाथ बढाता ह तो उसक परताि को तरत िीकार करत हए परपर शानतपणण मतरी की ओर बढो इस बात को न िखत हए वक उनकी नीत कसी ह

पवितर कआणन की ह वशका अतराणषटी अमन और सरका की थापना क वलिए सनहरी वसदधात ह आज क विशव म बहत स उिाहरण मौजि ह जहा कछ िशरो न किलि कलपना पर आzwjधाररत वकसी िश क कालपवनक अताचाररो क विरदध आतकिािी काण-परणालिी गरहण कर लिी मालिम होता ह वक मानो ि इस वसदधात का पालिन कर रह हरो वक शतर पर आकरमण कर िो ऐसा न हो वक िह पहलि कर ि इलिाम की वशका तो ह ह वक शानत की थापना क वकसी भी अिसर को नटि न वका जाए चाह उसकी आशा बहत ही कालपवनक करो न हो पवितर कआणन की सरह अलिमाइिह की आत-9 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक वकसी कौम की शतरता तमह इस बात पर न उकसाए वक तम उस स ा न करो इलिाम वसखाता ह वक पररनथवता चाह कसी ही परवतककलि हरो ा और इसाफ का िामन नही छोडना चावहए दध की नथवत म भी ा और इसाफ की थापना बहत महतिपणण ह तथा दध क पचिात विजता क वलिए आिशक ह वक िह ा स काम लि और कभी भी अनवचत अताचार करन िालिा न हो

203ितणमान ग की खतरनाक समाए

परत आज हम विशव म सहनशीलिता क ऐस उचच नवतक मापिणि विखाई नही ित अवपत दध की समानति पर विजता िश ऐसी पाबविा और परवतबzwjध ित ह जो परावजत िश की उननवत की सभािनाओ को सीवमत करक उन कौमरो की िततरता और सपरभता को अिरदध कर ित ह ऐसी काण-पदधवत अतराणषटी सबzwjधरो म वबगाड का कारण ह और उनका पररणाम असतोष और नकारातमक परभािरो क अवतररति और कछ नही िातविकता ह ह वक थाी अमन तब तक थावपत नही हो सकता जब तक समाज क परतक तर पर ा की थापना न हो जाए इलिाम की एक महतिपणण वशका हम सरह अलिअफालि की आत 68 म वमलिती ह वक मसलिमानरो क वलिए उवचत नही वक दध बविरो को दध क कतर स बाहर लि जाए इसवलिए वहसा दारा करानत लिान क वसदधात को मानन िालि तथा आतकिािी सगठन जो अकारण कविरो को लि जा रह ह ि इलिामी वशका क विरदध आचरण कर रह ह सचनाओ क अनसार ि न किलि किी बना कर लि जा रह ह बनलक उन कविरो पर कठोर अताचार भी करत ह

आतकिािी सगठनरो की ह काण-पदधवत अतत वनिनी ह िसरी ओर पवितर कआणन की वशका ह वक वि दध म किी बना लिन का कोई औवचत हो भी तो उनक साथ नमता का विहार वका जाए और था शीघर उह आजाि कर विा जाए

शानत थावपत करन का एक अ सनहरा वसदधात सरह अलिहजरात की आत 10 म ह िणणन हआ ह वक-वि िो िशरो क मध कोई वििाि हो तो वकसी तीसर िश ा वगरोह को मधथ की भवमका वनभात हए वििाि को परपर सलिह (सनzwjध) दारा हलि करान

204 विशव सकट तथा शानत-पथ

का परास करना चावहए परपर सलिह की नथवत म िोनरो पकरो म स कोई भी पक वि अिzwjध तौर पर सलिह की शतषो की अिहलिना कर तो अ पकरो को स ति होकर अताचारी क वलिए बाzwjधा बनना चावहए चाह इसक वलिए बलि-परोग ही करना पड वफर वि अताचारी पकसि रक जाए तो उसकी भतसणना करन ा उस पर परवतबzwjध लिाग करन की बजाए उस एक िततर िश तथा िततर समाज क तौर पर उननवत करन की अनमवत िनी चावहए ितणमान ग म ह वसदधात बहत महतिपणण ह विशषतः महाशनतिरो और अतराणषटी सगठनरो जस एनओ क वलिए

विशव शानत की थापना क वसलिवसलि म एक और अतत महतिपणण वसदधात जो सासाररक तर पर zwjधावमणक िततरता क िातािरण को थावपत करन की गारटी िता ह पवितर कआणन की सरह अलिहजज की आत 41 म िणणन हआ ह फरमाा- वि दध की अनमवत न िी जाती तो मनजिरो क अवतररति कलिीसा रावहबघर(वगरजाघर) मनिर तथा अ zwjधमषो क उपासना गह सब भकर खतर का वशकार हो जात अतः जहा इलिाम न बलि-परोग की अनमवत िी िह किलि इलिाम को ही नही अवपत zwjधमण को सामातः सरका उपलिzwjध करान क उदश स थी िातविकता ह ह वक इलिाम समत zwjधमषो क वलिए िततरता सवहषzwjणता और सरका की गारटी िता ह तथा हर सि को अपनी इचछा क zwjधमण ा आथा का पालिन करन का अवzwjधकार िता ह मन आपक सामन पवितर कआणन की वशकाओ म स कछ वबि परतत वकए ह जो समाज क परतक तर तथा विशव क परतक भाग म एकता रा म सहमवत पिा करन का मागण परशत करत ह ि सनहर वसदधात

205ितणमान ग की खतरनाक समाए

ह जो पवितर कआणन न शानत थावपत करन क उदश स विशव क लिोगरो को परिान वकए ह ि वशकाए ह वजन पर इलिाम क पगमबर सललाह अलिवह िसलम और आपक सहाबा न विहाररक आिशण परतत वका साराश क तौर पर िोबारा िणणन करता ह वक विशव को अमन और सरका की अतत आिशकता ह ही हमार ग की तातकावलिक और आिशक समा ह समत िशरो तथा समत कौमरो को zwjधमण अथिा वकसी भी अ नाम पर होन िालि अताचार आतक और अा की रोक-थाम क वलिए सति हो जाना चावहए इसम वकसी zwjधमण का हसी-ठटा भी सनममवलित ह वजसक पररणाम िरप बचनी और हतकप होन की सभािना ह तथा ऐस घवणत काण भी वजनक कताण इवतहा पसि समिा होत ह और zwjधमण स औवचत ित ह

इसक अवतररति हम चावहए वक हम समत कौमरोिशरो स ा का विहार कर और उन स सहोग कर तावक परतक िश अपनी ोगताओ को पहचान और उननवत क मागण पर चलिन िालिा हो ईषzwjाण एि तनाि का ितणमान िातािरण िौलित की लिालिसा का पररणाम ह इस बार म भी पवितर कआणन न सनहरी वसदधात िणणन वका वक लिालिच क हाथरो वकसी अ क मालि को हडप न वका जाए इस वशका का पालिन करन क दारा भी विशव-शानत को उननवत पराति हो सकती ह समाज क परतक तर पर ा की मागरो को पणण करना आिशक ह तावक हर वनति रग-ि-नलि म अतर वकए वबना अपन पररो पर सममान और माणिा क साथ खडा हो सक आज हम उननवत पराति िशरो का उननवत शीलि िशरो म पजी वनिश करन क रझान म िवदध विखाई िती ह आिशक ह वक ि ा का परिशणन कर और किलि पराकवतक

206 विशव सकट तथा शानत-पथ

साzwjधनरो तथा कम कीमत पररशवमक को अपन राषटी वहत एि लिाभ क वलिए परोग न करत रह उह इन िशरो स पराति होन िालि लिाभ म स पराः इही िशरो म िोबारा पजी-वनिश क तौर पर लिगा िना चावहए तावक थानी लिोग भी उननवत एि समवदध की ओर चलि सक वि उननवत पराति िश इन वनzwjधणन िशरो की सहाता क उदश स ऐसा कर तो न किलि उन वनzwjधणन िशरो को लिाभ पहचगा अवपत इसक लिाभ िो पकी हरोग इसक दारा परपर विशवास का िातािरण थावपत होगा और ितणमान वनराशा और बचनी म कमी आएगी इस स इस परभाि का वनिारण भी होगा वक महाशनतिा िाथगी ह और वनzwjधणन एि कगालि कौमरो क ससाzwjधनरो स अिzwjध लिाभ पराति करती ह और ह वक इस स थानी ितणमान आवथणक नथवत म सzwjधार होगा और विशव-तर पर जीविका सबzwjधी तथा ितणमान आवथणक नथवत म सzwjधार पिा होगा

इस स वनसिह विशव तर पर परम भाईचारा और वमतरता का िातािरण पिा होगा इसस भी अवzwjधक ह वक ऐसी काण-पदधवत विशव-शानत की थापना की नीि वसदध होगी वि अभी इस ओर धान न विा गा तो विशव की ितणमान नथवत का पररणाम विशव-दध होगा वजसक िषzwjपरभाि भािी नलिरो तक छाए हरोग और हमारी नलि हम कमा नही करगी

इन शिरो क साथ आप स आजा चाहता ह अलाह तआलिा विशव म िातविक शानत परकट कर बहत zwjधिाि

वनशवक अशजनत ि शजनत की कजीटोवको जापान 2015 ई

वनशवक अशजनत ि शजनत की कजीटोवको जापान 2015 ई

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज काटोवको जापान म विशष आोजन म िआ करान का दश

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज टोवको जापान म आोवजत विशष आोजन म पौzwjध को सीचत हए

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीजटोवको जापान म आोवजत विशष आोजन म क दरी भाषण ित हए

पररचय

विनाक 23 निमबर 2015 ई को विशववापी जमाअत अहमविा क इमाम हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज न वहलटन होटलि ओिाइबा टोवको म अपन सममान म आोवजत एक आोजन म अहम भाषण विा इस आोजन म साठ स अवzwjधक परवतनषठत महमान सनममवलित हए इस अिसर पर हजर अिर न सततर िषण पिण वहरोवशमा और नागासाकी पर ह एटमी आकरमणरो क सबzwjध म अपनी परवतवकरा वति की इसस पिण िो ितिाओ वमटर माइक साटा ाओशीको चरमन टोकीबो गरप आफ इिटरीज और 2011 ई क भकमप क अिसर पर सिाणवzwjधक परभावित होन िालि कतर टोहोको स सबzwjध रखन िालि वमटर एणिोशीनी ची न भी िशणकरो म भाषण विा

वनशवक अशजनत ि शजनत की कजी

23 निमबर 2015 थान - वहलटन होटलि टोवको जापान

तशहहि और तअविज क बाि हजरत अमीरलि मोवमनीन खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा न महमानरो को समबोवzwjधत करत हए फरमाा-

असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातहअलाह तआलिा की िा और बरकत आप पर उतर इस अिसर

पर सिणपरथम म समत अवतवथगण का zwjधिाि करना चाहता ह वजहरोन आज क इस आोजन क वलिए हमार वनमतरण को िीकार वका हम एक अतत खतररो और उपदरिरो स भर ग म रह रह ह जहा विशव की नथवत बचनी का बहत बडा कारण ह विशव को अपनी वगरफत म वलिए हए मतभि तथा अशानत अतराणषटी शानत और सरका क वलिए एक खतरा बन गए ह

214 विशव सकट तथा शानत-पथ

मनलिम जगत पर एक दनटि िालि तो बहत स िशरो की सरकार अपन ही नागररकरो क साथ अताचारपणण अराजकता म गरत ह अzwjधाzwjधzwjध अताचार और रतिपात इन िशरो क ताना-बाना को तबाह कर रह ह पररणामिरप आतकिािी सगठन सतता म पिा होन िालिी ररतिता का अनवचत लिाभ उठात हए कछ थानरो पर कजा करक अपनी नाम मातर सरकार बना बठ ह ि अतत वहसक पशओ जसी काण परणालिी क दारा किलि अपन िशरो म ही अमानिी अताचार नही ढा रह अवपत उन की पहच रोप तक भी हो गई ह वजस का एक उिाहरण वनकट ही पररस क आकरमण म वका गा अताचार और जलम ह

पिगी रोप को िख तो रवशा करन तथा कछ अ रोपी िशरो क परपर अताचार बढत चलि जा रह ह इसक अवतररति एक अमररकन दधपोत िवकणी चीन सागर म जा वनकलिन स अमरीका और चीन क मध भी तनाि म िवदध हई ह वफर आप जानत ही ह वक चीन और जापान क मध वििावित दीपरो पर वचरकालिीन ितािास सबzwjधी तनाि मौजि ह

भारत और पावकतान क मध कशमीर समा मतभि का एक थाी कारण ह और इसम बहतरी का भी कोई उपा नही इसी परकार इसाईलि और वफवलितीन का तनाि भी परिश की शानत को तबाह वकए हए ह

अफीका म कछ आतकिािी सगठनरो न कछ कतररो पर कजा और अवzwjधकार पराति करक विशालि तर पर तबाही और बरबािी मचा रखी ह ह तो बहत सी समाओ म स कछ का िणणन वका गा ह

215िनशवक अशानत म शानत की कजी

वजनका इस सम विशव को सामना ह अथा विशव म अशानत और तनाि फलिन क और बहत स उिाहरण मौजि ह

अतः िह एकमातर वनषzwjकषण वजस पर हम पहचत ह िह ही ह वक विशव इस सम अताचार और अशानत की लिपट म ह आzwjधवनक ग म लिडाई-झगडरो का तर पिण गरो की अपका बहत वापक ह विशव क वकसी एक कतर क परपर झगड थानी तर तक ही सीवमत नही रहत अवपत उनक परभाि और पररणाम बहत िर तक फलित ह

समा मीविा क आzwjधवनक और शीघरगामी माधमरो न विशव को एक गलिोबलि विलिज बना विा ह पहलि समरो म दध का सबनzwjधत सगठनरो तक सीवमत रहना सभि था वकत अब परतक झगड और दध क पररणाम िातविक रप स विशव तर पर परकट होत ह िाति म म तो कई िषषो स विशव को सतकक कर रहा ह वक इस िातविकता को जान लि वक अब वकसी एक िश म होन िालिा दध विशव क िसर िशरो क अमन और शानत पर परभािी होगा

बीसिी शतािी म होन िालि िोनरो विशव दधरो पर दनटि िालि तो जात होता ह वक उस सम म उपलिzwjध दध क शतर ितणमान सम क शतररो और अतररो की तलिना म इतन आzwjधवनक तथा घातक न थ इसक बािजि कहा जाता ह वक किलि वदती विशव दध म ही सात करोड लिोग मर वजनम स बहत सी सखा वनिवोष नागररकरो की थी अतः परतक ग म विनाश और बरबािी की सभािना की कलपना करना भी कवठन ह वदती विशवदध क सम अमरीका क ऐटमी हवथाररो की शनति आzwjधवनक सम क नलिर हवथाररो की तलिना म कछ भी न थी अब नलिर हवथार किलि महा शनति कहलिान िालि िशरो क

216 विशव सकट तथा शानत-पथ

पास ही मौजि नही अवपत कछ छोट िश भी इह रखत ह जहा विशव की महाशनतिा इन हवथाररो को किलि एक परवतरका क तौर पर रख हए ह िहा इस बात की कोई गारटी नही वक छोट िश भी ऐसा ही कर और हम ह विशवास नही कर सकत वक ि उह इतमालि नही करग अतः इसम कोई सिह नही की विशव विनाश क मख पर खडा ह

वदती विशव महादध क अवतम चरणरो म आप की कौम को भी एक अकलपनी विनाश और बरबािी क आघात को सहन करना पडा जब आपक लिाखरो नागररकरो को वनिणतापिणक मार विा गा तथा आपक िो शहररो को ऐस नलिर आकरमण स वमटा विा गा वक वजस पर मानिता भी लिनजजत ह ऐसी भकर िघणटना क अिलिोकन तथा अनभि स गजर कर जापानी कौम कभी नही चाहगी वक ऐसा आकरमण जापान म अवपत विशव क वकसी भी िश म िोहराा जाए आप ि लिोग ह जो नलिर दध क विनाशकारी परभािरो स भलिी भावत पररवचत ह आप ि ह जो जानत ह वक ऐस घातक हवथाररो स पिा होन िालि िषzwjपररणाम किलि एक नलि तक सीवमत नही अवपत भािी नलिरो तक छाए रहत ह आप िह कौम ह जो नलिर हवथाररो क अतल िषzwjपररणामरो की गिाही ि सकत ह इसवलिए जापावनरो स बढकर कोई कौम नही जो विशव शानत एि सरका क महति को पहचानती हो

ह zwjधिाि का अिसर ह वक जापान उस नथवत स गजर कर अब एक अतत उननवत पराति कौम ह और रो अपन भतकालि को दनटिगत रखत हए आिशक ह वक जापान विशव-शानत थावपत करन म अपनी भवमका अिा कर दवप ह खिजनक बात ह वक वदती

217िनशवक अशानत म शानत की कजी

विशव दध की समानति पर जापान पर ऐसी पाबविा और परवतबzwjध लिगा विए गए वजन क पररणाम िरप आप की कौम अतराणषटी वसफाररशरो क वनzwjधाणरण म कोई विशष किम नही उठा सकती वफर भी आपका िश अब भी अतराणषटी समाओ और राजनीवतक मामलिरो म एक महतिपणण भवमका अिा करता ह इसवलिए आपको अपन परभाि एि पहच को उततम रप स काम म लिात हए कौमरो और िशरो क मध शानत थावपत करन का परास करना चावहए

इस िषण इवतहास क उन िहवशाना विनरो पर सततर िषण हो गए जब हीरोवशमा और नागासाकी पर एटमी बमबारी करक आप की कौम को विनाश कटि और अताचार का लिक बनाा गा चवक आप न उस विनाश और बरबािी का सही वचतरण करन क उदश स मवजम बना रख ह और चवक इस एटमी बमबारी क कछ परभाि आज भी जारी ह इसवलिए जापानी कौम लिडाई-झगड क िषzwjपरभािरो को समझ सकती ह जसा वक मन साकवतक तौर पर िणणन वका ह वक आप पर गजरन िालिी उस तरासिी का एक भाग ह भी ह वक दध क पचिात जापान पर अनािशक और अापणण परवतबzwjध भी लिगा विए गए कई िशक गजरन क साथ-साथ ह परवतबzwjध भी दध क विनाशकारी परभािरो को थाी तौर पर मरण करान क वलिए रह हरोग

जापान पर एटमी आकरमण क सम िसर खलिीफा जो उस सम इमाम जमाअत अहमविा थ न उन आकरमणरो की घोर वनिा करत हए फरमाा

ldquoहमारी zwjधावमणक एि नवतक वशकाए हम स माग करती ह वक हम विशव क समक घोषणा कर वक हम इस िहवशाना कत और रतिपात

218 विशव सकट तथा शानत-पथ

को वकसी भी नथवत म उवचत नही समझत मझ इसकी वबलिकलि परिाह नही वक कछ सरकार मर इस बान को अवपर दनटि स िखrdquo

हजरत खलिीफतलि मसीह वदती (रवज) न इसक अवतररति फरमाा वक उह भविषzwj म लिडाई झगड म कोई कमी होती नही विखाई िती बनलक उह अताचार और अारो म िवदध होती विखाई िती ह आज उन की चतािनी पणणता उवचत वसदध हो गई ह दवप तती विशवदध की कोई वनवमत रप स घोषणा तो नही की गई वकत िाति म एक विशव दध इस सम जारी ह समपणण विशव म परष तरी तथा बचचरो तक को हिवििारक अताचाररो का लिकण बनाा जा रहा ह और मारा जा रहा ह

जहा तक हमारा सबzwjध ह तो मनलिम जमाअत अहमविा न हमशा हर परकार क अताचार और अा की वनिा की ह चाह ह विशव क वकसी भी भाग म हो करोवक इलिामी वशका की माग ह वक हम अा क विरदध आिाज उठाए और मोहताज अताचार पीवडत िगण की सहाता कर मन अभी िणणन वका ह वक हजरत खलिीफतलि मसीह वदती (रवज) न वकस परकार वबना रोक-टोक जापान पर होन िालि एटमी आकरमणरो की वनिा की थी अवतररति ह वक एक परवसदध एि खावत पराति अहमिी मसलिमान जो विशव तर पर बहत परभाि और पठ रखत थ न जापान और उसकी जनता की सहाता करन का दढ सकलप वका मरा सकत सर चौzwjधरी जफरलाह खान सावहब की ओर ह जो बहत स अतराणषटी मख पिरो पर आसीन रहन क अवतररति पावकतान क परथम वििश मतरी थ और बाि म स ति राषट की जनरलि एसमबलिी क परजीिणट भी रह वदती विशवदध क पचिात उहरोन कछ

219िनशवक अशानत म शानत की कजी

सरकाररो की ओर स जापान पर अा पणण परवतबzwjध लिगान की घोर वनिा की 1951 ई म सानफावसको म होन िालिी Peace Summit म पावकतानी परवतवनवzwjध मणिलि क मख परवतवनवzwjध क तौर पर चौzwjधरी जफरलाह खान सावहब न कहा-

ldquoजापान क साथ शानत थापना की नीि ा और सलिह पर रखी जाए न वक अताचार और अा पर भविषzwj म जापान अपन राजनीवतक एि सामावजक ढाच क सzwjधाररो पर एक अतािशक भवमका अिा करगा जो उननवत की पटि गारटी ह और जो जापान को शानतवपर िशरो की पनति म समानता का थान विलिा सकती हrdquo

उन का भाषण पवितर कआणन की वशकाओ और इलिाम क पगमबर सललाह अलिवह िलम की सननत क आलिोक म था इलिाम की िातविक वशकाओ को आzwjधार बनात हए उहरोन बताा वक वकसी दध म विजता को कभी परावजत परवतदिी पर ऐस अनवचत परवतबzwjध नही लिगान चावहए जो भविषzwj म उसकी उननवत और समवदध म बाzwjधक हरो

चौzwjधरी जफरलाह खान सावहब न ह ऐवतहावसक बान जापान क समथणन म विा करोवक एक अहमिी मनलिम की हवसत स िह किलि पावकतान की सरकार क परवतवनवzwjध ही न थ अवपत इसस भी बढकर िह इलिाम वक सिवोतकटि वशकाओ का परवतवनवzwjधति कर रह थ

जसा वक म पहलि भी िणणन कर चका ह वक आप िह कौम ह जो लिडाई-झगड क िषzwjपररणामरो को वकसी भी अ कौम स अवzwjधक समझ सकत ह अतः जापानी सरकार को हर सभि उपा तथा हर तर पर हर परकार क अमानिी विहार अताचार और अा का मकाबलिा करत हए उसका वनिारण करना चावहए उस चावहए वक इस

220 विशव सकट तथा शानत-पथ

बात क वलिए परासरत रह वक जो पशओ जसा आकरमण उन पर हआ िह कभी भी कही भी न िोहराा जाए

जहा कही भी दध क बािलि मिलिा रह हरो जापानी नताओ तथा जनता को तनाि कम करन और शानत थावपत करन क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए जहा तक इलिाम का सबzwjध ह कछ लिोगरो की दनटि म ह एक अताचारी और आतकिािी zwjधमण ह ि अपन इस विचार की बवनाि इस बात पर रखत ह वक इलिामी जगत म लिडाई-झगड और आतकिाि क ग का िौर ह

तथावप उन क दनटिकोण पणणता िातविकता क विरदध ह िाति म इलिाम की शानत वपर वशकाओ की विशव क इवतहास म कोई तलिना नही इसीवलिए हजरत खलिीफतलि मसीह वदती रवज और चौzwjधरी महममि जफरलाह खान सावहब रवज न आप की कौम पर हो रह अताचाररो क विरदध जोरिार आिाज उठाई

अब म इलिाम की िातविक वशकाओ को बहत सवकति रप म िणणन करना चाहगा इलिाम का एक आzwjधारभत वसदधात तो ह ह वक वकसी भी ऐस दध का कोई औवचत नही जो भौगोवलिक राजनीवतक आzwjधाररो पर ा पराकवतक समपिाओ पर अवzwjधकार करक आवथणक लिाभरो को पराति करन क उदश स वका जाए इसक अवतररति पवितर कआणन की सरह अननहलि की आत 127 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक दध की नथवत म कोई भी िणि मलि अपराzwjध क अनसार हो न वक िzwjध सीमा स बढ कर पवितर कआणन ही की वशका ह वक दध क पचिात कमा कर िना और zwjधण का परिशणन करना उततम ह

इसी परकार पवितर कआणन की सरह अलि अफालि की आत 62

221िनशवक अशानत म शानत की कजी

म फरमाा वक जहा िो सिरोपकरो क सबzwjधरो म िराड आ गई हो और दध की त ारी की जा रही हो वि कोई एक सिपक सलिह करना चाह तो िसर सिपक पर अवनिाण ह वक िह उस परताि का िागत कर और अलाह पर भरोसा रख पवितर कआणन फरमाता ह- वकसी एक सिपक को िसर सिपक की नीत पर कzwjधारणा नही रखनी चावहए अवपत हमशा सलिह और परपर समझौता करन का मागण तलिाश करना चावहए कआणन की ह वशका अतराणषटी शानत को थावपत करन क वलिए एक मलि वसदधात ह

सरह अलिमाइिः की आत-9 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक- वकसी कौम की शतरता तमह इस बात पर न उकसाए वक तम ा और इसाफ की मागरो पर समझौता कर लिो अवपत इलिाम तो ह वसखाता ह वक वकसी भी पररनथवत म चाह कसी ही कवठनाइा सामन हरो ा और इसाफ की मागरो का िामन दढता पिणक थाम कर रखा जाए वनसिह ा ही ह जो सबzwjधरो म अचछाई का कारण होता ह और असफलि होन क अहसास तथा दध क कारणरो को िर करन का कारण हो सकता ह सरह अननर की आत 34 म पवितर कआणन फरमाता ह वक वि दध क पचिात कविरो को आजाि करन क वलिए उन पर कोई आवथणक िणि लिगाओ तो शतत उवचत होनी चावहए तावक ि उस सविzwjधा पिणक अिा कर सक और वि उस वकशतरो म िसलि वका जाए तो उततम ह

शानत-थावपत करन का एक सनहरी वसदधात जो सरह अलिहजरात की आत 10 म ह भी िणणन हआ ह फरमाा वक-वि िो वगरोहरो क मध तनाि हो तो कोई तीसरी कौम ा वगरोह मधथ की भवमका अिा कर और परपर शानतपणण समझौत की नथवत पिा करन का परास

222 विशव सकट तथा शानत-पथ

कर परपर सलिह की नथवत म िोनरो सिरोपकरो म स कोई भी वि अिzwjध तौर पर सलिह की शतषो क विरदध काण कर तो अ सिरो को सति होकर अताचारी क वलिए बाzwjधक बनना चावहए चाह उसक वलिए बलि का परोग ही करो न करना पड वफर वि अताचारी सिपक रक जाए तो उस पर परवतबzwjध लिगान की बजाए उस एक आजाि कौमिश और आजाि समाज क तौर पर उननवत करन की अनमवत िनी चावहए ितणमान सम म ह वसदधात बहत महति रखता ह विशषतः महा शनतिरो और अतराणषटी सगठनरो उिाहरणता एनओ क वलिए वि इन मलरो पर आजापालिन परारभ कर विा जाए तो विशव म िातविक शानत और ा थावपत हो सकता ह तथा अनािशक असतोष और विफलिता का अहसास ि समाति हो जाएगा

इसी परकार अ बहत स कआणनी आिश ह जो विशव म शानत थावपत करन तथा लिडाई-झगड क वनषzwjध की ओर मागणिशणन करत ह हमार रहमान और रहीम खिा न शानत की कजी इसवलिए परिान की करोवक िह चाहता ह वक उसकी सनटि परपर एकता क िातािरण म रह और हर परकार की नफरत और दष स मति हो

अतः इन बातरो क साथ म आप सब स वनििन करता ह वक अपनी पठ और पहच को परोग म लिात हए विशव म अमन और परपर एकता क वलिए परास कर हमारा सामवहक िावति ह वक विशव म जहा कही भी अशानत और तनाि ह हम ा क वलिए आिाज उठाए और शानत थावपत करन क वलिए परास कर तावक हम िस भकर दध स सरवकत रह सक जो आज स सततर िषण पिण लिडा गा था वजसक विनाशकारी परभाि कई िशकरो पर छाए हए थ अवपत

223िनशवक अशानत म शानत की कजी

आज तक महसस वकए जात ह दवप सीवमत तर पर एक विशवदध का परारभ हो चका ह परत हम चावहए वक हम अपन िावतिरो को था सम वनभाए ऐसा न हो वक कही उसक परभाि फलिकर विशव को अपनी लिपट म लि लि और ि रति बहान िालि और घातक हवथार िोबारा परोग हरो जो हमारी भािी नलिरो को तबाह कर ि

अतः आइए सब वमलिकर अपन िावतिरो को वनभाए विरोzwjधी सगठन बनान की बजाए हम सब को एकमत होकर परपर सहोग करना चावहए हमार पास अब कोई और चारा नही करोवक वि तती महादध वनवमत रप स आरभ हो गा तो उसक पररणामिरप आन िालिा विनाश और बरबािी क वसलिवसलिरो की कलपना भी असभि ह वनसिह ऐसी नथवत म अतीत क दध इस की तलिना म बहत साzwjधारण महसस हरोग

मरी िआ ह वक विशव इस नथवत की कठोरता को समझ इसस पिण वक विलिमब हो जाए मानिजावत खिा तआलिा क सामन झकत हए उसक अवzwjधकाररो तथा आपसी अवzwjधकाररो को अिा करन लिग

अलाह तआलिा उह समझ और वििक परिान कर जो zwjधमण क नाम पर अशानत का िातािरण पिा कर रह ह तथा उह भी जो अपन आवथणक वहतरो क उदश स भौगोवलिक एि राजनीवतक दध कर रह ह काश उह जात हो जाए वक उनक उदश वकतन अनवचत और विनाशकारी ह खिा कर वक विशव क हर कतर म वचरथाी शानत थावपत हो आमीन

इन वनििनरो क साथ म आप का एक बार पनः आभार वति करता ह वक आप इस आोजन म पzwjधार बहत zwjधिाि

मवशव क मवमशटि नतजओ क नजि पत

आदरणीय पोप बमनमिकट XVI क नजि पत

229विशि क नताओ क नाम पतर

31 अतिबर 2011मािर पोप बवनविकट XVI

मरी िआ ह वक अललिाह तआलिा आप पर अपनी कपा और बरकत उतार विशिवापी जमाअत अहमविा क पशिा होन क नात म मािर की सिा म पवितर कआणन का ह सिश पहचाता ह वक ldquoह अहलि वकताब (कम स कम) एक ऐसी बात की ओर आ जाओ जो हमार और तमहार मध समान ह (और िह ह ह) वक हम अललिाह क अवतररकत वकसी की उपासना न कर और वकसी को उसका भागीिार न बनाए और न हम अललिाह को छोडकर आपस म एक-िसर को रब बनाा करrdquo

इलिाम आजकलि विशि की करोवzwjधत दनटि का वशकार ह तथा वनरतर आरोपरो का वनशाना बनाा जा रहा ह जो लिोग आरोप लिगात ह ि इलिाम की िातविक वशकाओ का अधन वकए वबना ऐसा करत ह िभाणग स कछ मसलिमान सगठनरो न भी किलि अपन वनतिगत वहतरो की पवतण क वलिए इलिाम को वबलकलि गलित ढग म परतत वका ह पररणामिरप पनचिमी तथा गर मनलिम िशरो क हिरो म इतनी अवzwjधक अविशिास की भािना पिा हो गई ह वक वशवकत लिोग भी इलिाम क परितणक हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम क विरदध वनराzwjधार आरोप लिगात ह

परतक zwjधमण का उदश मनषzwj को अललिाह क वनकट लिाना ह और मानिी

230 विशव सकट तथा शानत-पथ

मलरो को थावपत करना ह वकसी भी zwjधमण क परितणक न कभी भी अपन अनावरो को ह वशका नही िी वक ि िसररो क अवzwjधकाररो को हडप लि और अताचारपणण विहार कर अत मसलिमानरो क एक छोट और गमराह िगण क िषzwjकमषो को इलिाम और उसक पवितर परितणक पर परहार क बहानरो क तौर पर परोग नही वकए जान चावहए इलिाम हम समत zwjधमषो क पगमबररो (अिताररो) का सममान करन की वशका िता ह अत समत मसलिमानरो क वलिए उन समत पगमबररो वजनम हजरत स मसीह भी सनममवलित ह वजनका िणणन पवितर बाइबलि ा पवितर कआणन म ह पर ईमान लिाना आिशक ह हम हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम क बहत तचछ िास ह इसवलिए हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम पर वकए जान िालि परहाररो स हम बहत िख और आघात पहचता ह परत हम वनरतर आपस क उचच आचरण को विशि क समक परतत करक तथा पवितर कआणन की स िर वशकाओ को परकट करक उततर ित ह

वि कोई व नति वकसी विवशटि वशका का पालिन नही करता जबवक ि को उसकी ओर समबदध करन का िािा करता ह तो ह उसकी गलिती ह न वक वशका की इलिाम शि क अथण ही शान त परम और सरका क ह ldquozwjधमण क मामलि म कोई जबरिती नहीrdquo ह इलिाम का पषzwjट आिश ह पवितर कआणन बार-बार आगरहपिणक परम सहानभवत शान त मतरी एि त ाग की वशका िता ह तथा बार-बार ह कहता ह वक जो स म zwjधारण नही करता िह अलाह स िर ह और िह इलिामी वशकाओ स भी िर ह अत वि कोई व नति इलिाम को एक अतत उगर और वहसक और उसकी वशकाओ को रतिपात पर आzwjधाररत समझता ह तो उस का िा तविक इलिाम स कोई सबzwjध नही

अहमविा मनलिम जमाअत किलि िातविक इलिाम पर काणरत ह तथा किलि अललिाह तआलिा की परसनता क वलिए काण करती ह वि वकसी वगरजा अथिा वकसी अ उपासना थलि को सरका की आिशकता पड तो ि हम इस

231विशि क नताओ क नाम पतर

काण क वलिए कzwjध स कzwjधा वमलिाकर अपन साथ खडा पाएग वि हमारी मनजिरो स वकसी सिश की आिाज गजती ह तो िह किलि ह होगी वक अललिाह सब स महान ह और हम ह गिाही ित ह वक उसक अवतररकत कोई भी पजनी नही तथा महममि म तफा सललाहो अलिवह िसलम अललिाह क रसलि ह

एक कारण जो विशि-शानत को भग करन म महतिपणण भवमका वनभाता ह िह ह ह वक कछ लिोग ह समझत ह वक ि बवदधमान उचच वशका परापत और पणण िततर ह तथा ि zwjधमषो क परितणकरो पर उपहास और अवभहास करन म पणणतः आजाि ह समाज म शानत को थाित रखन क वलिए परतक वनति का कततणव ह वक िह अपन हि स समत विरोzwjधी भािनाओ को समापत कर और अपनी सवहषzwjणता एि सहनशीलिता क तर को बढाए परपर एक िसर क zwjधमषो क पगमबररो क आिर-सममान की परवतरका करन की आिशकता ह विशि अशानत और बचनी क िौर स गजर रहा ह ह नथवत इस बात की माग करती ह वक परम और हमििगी का िातािरण पिा करत हए हम उस भ और अशानत को समापत कर हम परम और शानत क सिश को अपन चाररो ओर पहचाए तथा हम पहलि स बढकर एकतापिणक तथा उततम रप म जीिनापन कर तथा मानिी मलरो को पहचान

आज विशि म छोट तर पर दध आरभ हो रह ह िसरी ओर महा शनतिा विशि-शानत थावपत करन का िािा कर रही ह अब ह बात वकसी स भी वछपी नही वक परतकत हम एक बात बताई जाती ह परत पिद क पीछ गपत रप स उनक िसर एजणि और नीवता परी की जा रही होती ह परशन ह ह वक का ऐसी पररनथवतरो म विशि शानत थावपत हो सकती ह म बड खि क साथ कहता ह वक वि हम ससार की ितणमान पररनथवतरो को वनकट स िख तो हम जात होगा वक एक और विशिदध की नीि रखी जा चकी ह वि वदती विशव-दध क

232 विशव सकट तथा शानत-पथ

पशचात ा पर आzwjधाररत समानता क मागण को अपनाा जाता तो हम विशि की ह ितणमान नथवत न िखत जो वक पनः दध की अनगन की लिपट म आ चकी ह पररणामिरप विशि क कई िशरो क पास परमाण हवथार ह परपर दष और शतरताए बढ रही ह और विशि विनाश क वशखर पर बठा हआ ह वि जनता क विनाश क हवथार फट पड तो कई भािी पीवढा थाी परकार की विकलिागता की वशकार होन क कारण ि हम कभी कमा नही करगी विशि क पास सषzwjटा और सनटि क अवzwjधकाररो को अिा करन का अभी भी सम ह

मरा विशिास ह वक अब विशि की उनवत पर धान िन की बजाए ह वनतात आिशक ह वक विनाश स बचान क वलिए अपन परासरो को तीवर कर इस बात की अतत आिशकता ह वक मनषzwj अपन सषzwjटा को पहचान करोवक मानिता क जीवित रहन की किलि ही गारटी ह अथा विशि तीवरता क साथ अपन विनाश की ओर जा रहा ह वि आज मनषzwj शानत थावपत करन म सफलि होता ह तो िसररो क िोषरो को खोजन की बजाए उस अपन अिर क शतान को वनतरण म रखन का परतन करना चावहए अपनी बराइरो को िर करक एक वनति ा का आशचणजनक उिाहरण परतत कर सकता ह म विशि को वनरतर मरण कराता ह वक िसररो क परवत घोर शतरताए मानिी मलरो को पणण रप स समापत कर रही ह और इस परकार विशि को विनाश की ओर लि जा रही ह

चवक आपकी आिाज विशि म एक परभाि रखती ह म आपस भी आगरह करता ह वक इस विशालि ससार को बता ि वक पराकवतक सतलिन जो खिा न थावपत वका ह उसम हतकप करत हए ि तीवरता क साथ विनाश की ओर जा रह ह इस सिश को पहलि स अवzwjधक वापक और विशष रप स पहचान की आिशकता ह विशि क समत zwjधमषो को zwjधावमणक समि की आिशकता ह और विशि क सभी लिोगरो को परम सहानभवत एि भरातति की भािना पिा करन

233विशि क नताओ क नाम पतर

की आिशकता ह मरी ह िआ ह वक सब अपन िावतिरो को समझ और शानत की थापना परम और ससार म अपन सटिा को पहचानन क वलिए अपनी भवमका वनभाए हम ि िआ कर और अललिाह तआलिा स वनरतर ाचना कर वक िह विशि क इस विनाश को टालि ि म िआ करता ह वक हम उस विनाश स सरवकत रह जो हमारी परतीका म ह

मिजजा िसरर अहिद अहमविा मनलिम जमाअत क पचम खलिीफा विशिवापी जमाअत अहमविा क इमाम

इसजईल क पिजनिती क नजि पत

237विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहमबजावमन नत ाह परzwjधानमतरी इसाईलि रोशलिम

26 फरिरी 2012पार परzwjधानमतरी जी

मन ितणमान सम म परकट होन िालि खतररो स भरी पररनथवतरो पर आzwjधाररत एक पतर महामवहम वशमोन परज परजीिट इसाईलि को भी भजा ह बडी तीवरता स पररिवतणत हो रही पररनथवतरो क सिभण म मन ह महसस वका वक ह वनतात आिशक ह वक म अपना सिश आप तक भी पहचाऊ करोवक आप िश की सरकार क परमख ह

आप क राषट का इवतहास नबवित और खिा की िाणी (िहयी) स सलिगन रहा ह बनी इसाईलि क नवबरो न आप क िश क भविषzwj क सबzwjध म बडी पटि भविषzwjिावणा की थी िाति म बनी इसाईलि क नवबरो की वशकाओ की अिजा तथा उनकी भविषzwjिावणरो की अिहलिना करन क पररणामिरप बनी इसाईलि को कठोर कषzwjटरो का सामना करना पडा था वि आप क िश क नता नवबरो की आजाओ का पालिन दढतापिणक करत तो ि विवभन आपिाओ और कवठनाइरो स बचाए जात अत किावचत िसररो की अपका आपका अवzwjधक कततणव ह वक नवबरो की भविषzwjिावणरो और आिशरो की ओर धान ि

म मसीह मौऊि और इमाम महिी का खलिीफा होन क नात आप स समबोवzwjधत

238 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह वजनको हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम की गलिामी म भजा गा और हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम को बनी इसाईलि क बzwjधओ म हजरत मसा की तरह समपणण मानिजावत क वलिए साकात िा बनाकर भजा गा था (िटरोनामी 1818) इसवलिए खिा का सिश मरण कराना मरा कततणव ह मझ आशा ह वक आप की भी गणना उन लिोगरो म होगी जो खिा की आिाज सनत ह और जो सफलितापिणक सीzwjधा मागण ढढ लित ह िह मागण जो वक महान और सिणशषzwjठ पथिी और आकाश क िामी खिा की ओर लि जान िालिा मागण ह

अखबाररो म हम आजकलि ऐसी ररपोटर सनत ह वक आप ईरान पर आकरमण करन की त ाररा कर रह ह जबवक विशि दध क भािह पररणाम आपक सामन ह वदती विशि दध म जहा अ लिाखरो लिोग मार गए िहा हजाररो हविरो क पराण भी गए परzwjधानमतरी होन की दनटि स अपन िश की जनता की रका करना आपका कततणव ह विशि की ितणमान पररनथवता ह परकट करती ह वक अब एक और विशि दध किलि िो िशरो क मध नही होगा अवपत विवभन लिाक बन जाएग विशि दध वछडन का खतरा अतवzwjधक गभीर ह मसलिमानरो ईसाइरो और हविरो आवि सभी क जीिन खतर म ह वि ऐसा दध आरभ होता ह तो ह मानि क शखलिाबदध विनाश का कारण होगा इस भकर विनाश क परभाि भािी पीवढरो तक हरोग जो ा तो विकलिाग पिा हरोगी ा अपावहज इसका कारण ह ह वक ऐस दध म वनःसिह परमाण हवथाररो का परोग होगा अत मरा आप स ह वनििन ह वक विशि को एक विशि दध म झरोकन की बजाए विशि को थासभि विनाश स बचान का परतन कर शनति दारा वििािरो का समाzwjधान करन क थान पर िाताणलिाप क दारा उनका समाzwjधान करन का परास करना चावहए तावक हम अपनी भािी पीवढरो को बतौर उपहार एक उजिलि भविषzwj ि न वक हम उह विकलिागताओ जस िोषरो को उपहार ि

म अपन विचाररो को आपकी zwjधावमणक वशकाओ पर आzwjधाररत उदधरणरो दारा पषzwjट करन का परास करगा पहलिा उदधरण lsquoजबरrsquo (भजन सवहता) स वलिा

239विशि क नताओ क नाम पतर

गा ह - ldquoकमवमणरो क कारण मत कढ कवटलि काम करन िालिरो क विष म िाह न

कर करोवक ि घास क समान झट कट जाएग और हरी घास क समान मझाण जाएग होिा पर भरोसा रख और भलिा कर िश म बसा रह और सचचाई म मन लिगाए रह होिा को अपन सख का मलि जान और िह तर मनोरथरो को परा करगा अपन मागण की वचता होिा पर छोड और उस पर भरोसा रख िही परा करगा िह तरा zwjधमण जोवत क समान और तरा ा िोपहर क उवजालि क समान परकट करगा होिा क सामन चप-चाप रह और zwjधीरज स उसकी परतीका कर उस मनषzwj क कारण न कढ वजसक काम सफलि होत ह और िह बरी नतिरो को वनकालिता ह

करोzwjध स पर रह और जलिजलिाहट को छोड ि मत कढ उसस बराई ही वनकलिगी करोवक ककमगी लिोग काट िालि जाएग और जो होिा की बात जोहत ह ि पथिी क अवzwjधकारी हरोग थोड विन क बीतन पर िटि रहगा ही नही और त उसक थान को भलिी भावत िखन पर भी उसको न पाएगा परत नम लिोग पथिी क अवzwjधकारी हरोग और बडी शानत क कारण आनि मनाएगrdquo

जबर (भजन सवहता 37 ः 1-11)इसी परकार हम तौरात म ह भी िखत ह ldquoअपनी थलिी म भावत भावत क अथाणत घटत बढत बटखर न रखना अपन

घर म भावत भावत क अथाणत घटत बढत नपए न रखना तर बटखर और नपए पर पर और zwjधमण क हरो इसवलिए वक जो िश तरा परमशवर होिा तझ िता ह उसम तरी आ बहत हो करोवक ऐस कामरो म वजतन कवटलिता करत ह ि सब तर परमशवर होिा की दनटि स घवणत हrdquo

(विथावििरण 25 ः 13-16)अत विशि क समत नताओ और विशषकर आपको शनति क बलि पर

शासन करन की विचारzwjधारा को समापत कर िना चावहए तथा वनबणलि पर अताचार

240 विशव सकट तथा शानत-पथ

करन स बचना चावहए इसकी बजाए ा एि शानत को परसाररत करन का परास करना चावहए ऐसा करन स आप ि भी शानत म रहग आप शनति परापत करग तथा विशि म शानत भी थावपत होगी

मरी ह िआ ह वक आप और विशि क अ नता मर सिश को समझ अपन पि की गररमा को पहचान तथा अपन िावतिरो को परा कर

आपका शभ वचतक

मिजजा िसरर अहिद खलिीफतलि मसीह Vविशिवापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख

इसलजिी ररपनलक ईरजन क रजषटरपमत क नजि पत

243विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहमराषzwjटरपवत इलिामी ररपनलिक ईरान महमि अहमिी वनजाि तहरान

7 माचण 2012

पार राषzwjटरपवत जी

असzwjसलारो अलकर वरहरzwjललाह व बरकाzwjोह

विशि म जो खतरनाक घटनाए परकट हो रही ह उनको िखत हए मन ह महसस वका वक आप को पतर वलिखना आिशक ह ईरान क राषटपवत होन क नात आपको ऐस वनणण करन का अवzwjधकार ह वजसका परभाि किलि आपक िश पर ही नही बनलक पर विशव पर पडगा आजकलि विशि म बहत अशानत और बचनी ह बहत स िशरो म छोट तर क दध आरभ हो चक ह जबवक अ थानरो म महा-शनतिा शानत थावपत करन क बहान हतकप कर रही ह परतक िश वकसी अ िश की सहाता ा विरोzwjध म परासरत ह परत ा की माग पणण नही की जा रही म खि क साथ कहता ह वक वि अब हम विशि की ितणमान पररनथवतरो को धानपिणक िख तो हम जात होगा वक एक और विशि-दध की नीि पहलि ही रखी जा चकी ह बहत स छोट और बड िशरो क पास परमाण हवथार मौजि होन क कारण परपर दष और शतरता म िवदध हो रही ह ऐसी

244 विशव सकट तथा शानत-पथ

कवठन पररनथवत म तती विशि-दध भानक रप म वनशच ही हमार वनकट ह वजस परकार वक आप जानत ह वक परमाण हवथाररो क उपलिzwjध होन का तातपण ह ह वक तती विशि-दध एटमी दध होगा उसका अनतम पररणाम बहत विनाशकारी होगा तथा ऐस दध क िरगामी परभाि भािी पीवढरो क विकलिाग एि करप पिा होन का कारण हरोग

ह मरा विशवास ह हम हजरत महममि म तफा सललाहो अलिवह िसलम जो विशव म शानत थावपत करन क वलिए भज गए थ और समपणण मानिजावत क वलिए साकात िा िरप थ क अनाी होन क नात हम किावप ह इचछा नही करत और न कर सकत ह वक विशव को ऐसी पररनथवतरो का सामना करना पड इसी कारण मरा आपस वनििन ह वक चवक ईरान भी विशव की एक महतिपणण शनति ह अतः उस तती विशव दध को रोकन क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए वनःसिह ह एक िातविकता ह वक महाशनतिा िोहर मापिि अपनाती ह उनकी अापणण नीवता विशव भर म अविथा और अशानत फलिान का कारण बनी ह परत हम इस िातविकता स भी विमख नही हो सकत वक कछ मनलिम सगठन अनवचत ढग स तथा इलिामी वशकाओ क विपरीत आचरण करत ह वजस को महाशनतिरो न वनzwjधणन मनलिम िशरो स अनवचत रप स अपन वनवहत िाथषो की पवतण क वलिए एक बहान क रप म परोग वका ह अतः म आपस पनः वनििन करता ह वक विशव को तती विशव दध स बचान क वलिए आप अपनी समत शनति का उपोग करत हए परास कर पवितर कआणन मसलिमानरो को ह वशका िता ह वक वकसी जावत की शतरता उह ापिणक विहार करन स न रोक सरह अलिमाइिह आत न 3 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक ः-

ldquoऔर तमह वकसी जावत की शतरता इस कारण स वक उहरोन तमह मनजि-ए-हराम स रोका था इस बात पर न उकसा वक तम अताचार करो और नकी और तकिा म एक िसर का

245विशि क नताओ क नाम पतर

सहोग करो और पाप और अताचार (िालि कामरो) म सहोग न करो और अलाह स िरो वनसिह अलाह िि िन म बहत कठोर हrdquo

इसी परकार पवितर कआणन की इसी सरह म मसलिमानरो को ह वनिदश भी विा गा ह ः

ldquoह ईमान िालिो तम ापिणक गिाही ित हए अलाह (की परसनता परापत करन) क वलिए खड हो जाओ और वकसी जावत की शतरता तमह किावप इस बात क वलिए तार न कर ि वक तम ा न करो तम ा स काम लिो ह बात सम क अवzwjधक वनकट ह तथा अलाह स िरो जो कछ तम करत हो वनसिह अलाह उस जानता हrdquo

(अलिमाइिह आत ः 9)

अतः आपको किलि शतरता और घणा क कारण वकसी अ िश का विरोzwjध नही करना चावहए म िीकार करता ह वक इसाईलि अपनी सीमाओ का अवतकरमण कर रहा ह और उसकी दनटि ईरान पर ह वनचि ही वि कोई िश आपक िश पर अापणण ढग स आकरमण करता ह तो आपको परवतरकण का अवzwjधकार परापत ह बहरहालि परपर वििािरो का समाzwjधान थासमभि ककटनीवत और िाताणलिाप दारा करना चावहए मरा आपस विनम वनििन ह वक शनति का परोग करन क थान पर िाताणलिाप दारा वििािरो का समाzwjधान करन का परास कर मरा आपस विनम वनििन करन का कारण ह ह वक म खिा की उस वनिाणवचत विभवत का अनाी ह जो इस ग म हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क सचच सिक क रप म परकट हआ और उसन मसीह मौऊि और इमाम महिी होन का िािा वका आपका उदश ह था वक मानिता को खिा क वनकट लिाा जाए और परजा क

246 विशव सकट तथा शानत-पथ

अवzwjधकाररो को ठीक उसी परकार थावपत वका जाए वजस परकार हमार िामी और पथपरिशणक हजरत महममि सललहो अलिवह िसलम न जो समपणण मानिजावत क वलिए साकात िा िरप थ हम पटि रप स परिवशणत करक विखाा

अलाह तआलिा समत मनलिम उममत को इस स िर वशका को समझन का सामथण परिान कर

िसलिामभििी

मिजजा िसरर अहिदखलिीफतलि मसीहपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

सयति रजजय अिररकज क रजषटपमत क नजि पत

249विशि क नताओ क नाम पतर

शीमान बराक ओबामाराषटपवत स ति राज अमररकावहाइट हाउस1600 पसलिवनािावशगटन (िी सी)

8 माचण 2012मािर राषटपवतविशव म जो वचताजनक पररनथवता उतपन हो रही ह उसक पररदश म मन

आपको पतर वलिखना आिशक जाना करोवक आप स ति राज अमररका क राषटपवत ह जो वक एक महाशनति ह और आपको ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह वजनस न किलि आपक िश का अवपत सामा रप स समत ससार का भविषzwj परभावित हो सकता ह

इस सम ससार म अतवzwjधक बचनी और वाकलिता पाई जाती ह कछ कतररो म वनमन तर क दध वछड चक ह िभाणगिश इन वििािगरत कतररो म शानत थावपत करन म महाशनतिरो को अपन परासरो म अपवकत सफलिता परापत नही हो सकी ह विशव तर पर हम ह िखत ह परतक िश वकसी अ िश का समथणन अथिा विरोzwjध करन म वत ह परत इस समबzwjध म ा की मागरो को परा नही वका जा रहा ह वि हम विशव की ितणमान पररनथवतरो पर दनटि िालि तो अतत खि क साथ कहना पडता ह वक एक और विशव दध की नीि रखी जा चकी ह बहत स छोट एि बड िशरो न परमाण शतर परापत कर वलिए ह और इसी कारण

250 विशव सकट तथा शानत-पथ

िशरो म परपर िमन और आकरोश एि असतोष की भािना म िवदध होती जा रही ह ऐसी विकट पररनथवत म तती विशव दध की परबलि समभािना विखाई िती ह वनसिह ऐस दध म परमाण शतररो का परोग होगा अतः हम ऐसा परतीत होता ह वक विशव एक भकर विनाश की ओर अगरसर ह वि वदती विशव दध क पचिात ा और समानता का मागण अपनाा जाता तो आज विशव की नथवत ऐसी न होती वजसक कारण ह पनः दध की जवालिा की चपट म आ चका ह

जसा हम सभी पररवचत ह राषटसघ की विफलिता और 1932 ई क आवथणक सकट वदती विशव दध क परमख कारण बन थ आज क अगरगण अथणशातरी ह कहत ह ितणमान और 1932 ई क आवथणक सकट म बहत सी समानताए ह हम ह िखत ह वक राजनवतक और आवथणक समाए छोट िशरो क मध पनः दध का कारण बनी ह और उन िशरो म इन क कारण आतररक अशानत और असतोष का िातािरण वापत हो चका ह इस नथवत म अततः कछ ऐसी शनतिा अनवचत लिाभ उठाकर ससार की बागिोर समभालि लिगी जो विशव दध का कारण बन जाएगी वि छोट िशरो क परपर वििािरो का राजनीवत अथिा ककटनीवत स समाzwjधान नही ढढा जा सकता तो इस क कारण विशव म नए गटरो और समहरो का जम होगा और ह नथवत तती विशव दध का पिाणिलिोकन परतत करगी अतः मरा ह विशवास ह वक इस सम विशव क विकास पर धान कनदरत करन की बजाए ह अवतआिशक और वनतात अवनिाण ह वक हम विशव को इस विनाश स सरवकत रखन क अपन परासरो म शीघर स शीघर तीवरता पिा कर इस बात की भी अतत आिशकता ह वक मानिजावत परमातमा जो वक एक ह और हमारा सटिा ह को पहचान करोवक सकट और विपिाओ म मानिता क जीवित बचन को किलि ही सरवकत बना सकता ह िरन ह ससार वनरतर आतम-विनाश की ओर तीवरता स अगरसर होता रहगा

मरा आप स अवपत विशव क सभी नताओ स ह अनरोzwjध ह वक िसर िशरो का िमन करन क वलिए शनति क थान पर ककटनीवत िाताणलिाप और सनीवत का

251विशि क नताओ क नाम पतर

परोग वका जाए विशव महाशनतिरो जस वक सति राज अमररका की शानत थापना क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए उह छोट िशरो की गवतविवzwjधरो को विशव-शानत भग करन का आzwjधार नही बनाना चावहए आज परमाण हवथार किलि सति राज अमररका अथिा िसरी महाशनतिरो क पास ही नही अवपत अपकाकत छोट िशरो न भी ऐस महाविनाशकारी शतर परापत कर वलिए ह वजन क नता असमी ह और वबना वकसी सोच-विचार क काणिाही करन िालि ह अतः आपस मरा विनम वनििन ह वक आप छोटी और बडी शनतिरो को तती विशव-दध की विफोटक नथवत उतपन करन स रोकन का भरसक परास कर इस समबzwjध म हमार मन म कोई शका नही होनी चावहए वि हम इस परास म विफलि हो गए तो आगामी दध क िषzwjपरभाि किलि एवशा रोप और उततर एि िवकणी अमररका क वनzwjधणन िशरो तक ही सीवमत नही हरोग अवपत हमारी तरवटरो क गमभीर पररणाम हमारी भािी पीवढरो को भगतन पडग और विशव क परतक कतर म विकलिाग अथिा विकत शरीर िालि बचच जम लिग ि अपन उन नताओ को किावप कमा नही करग वजहरोन ससार को महापरलि म झरोक विा किलि अपन वनवहत िाथषो की वचता करन क थान पर हम भािी पीवढरो क वहताथण काण करना चावहए और उनक वलिए एक उजजिलि भविषzwj का वनमाणण करन का परास करना चावहए महापरतापी परमातमा आप को तथा विशव क अ सभी नताओ को ह सिश समझन का सामथण परिान कर

भििी

वमजाण मसरर अहमि खलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

252 विशव सकट तथा शानत-पथ

कनजिज क पिजनिती क नजि पत

255विशि क नताओ क नाम पतर

शीमान टीफन हापणरपरzwjधानमतरी कनािाओटािा आटररो

8 माचण 2012वपर परzwjधानमतरी जीविशव म जो भािह पररनथवता उतपन हो रही ह उसक पररदश म मन ह

आिशक समझा वक आपको पतर वलिख करोवक आप कनािा क परzwjधानमतरी ह और आप को ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह वजनस न किलि आपक िश का अवपत सामा रप स समत ससार का भविषzwj परभावित हो सकता ह

जसा हम सभी पररवचत ह राषटसघ की विफलिता और 1932 ई क आवथणक सकट वदती विशव दध का परमख कारण बन थ आज क अगरगण अथणशातरी ह कहत ह ितणमान और 1932 ई क आवथणक सकट म बहत सी समानताए ह हम ह िखत ह वक राजनवतक और आवथणक समाए छोट िशरो क मध पनः दध का कारण बनी ह और उन िशरो म इन क कारण आतररक अशानत और असतोष का िातािरण वापत हो चका ह इस नथवत म अततः कछ ऐसी शनतिा अनवचत लिाभ उठाकर ससार की बागिोर समभालि लिगी जो विशव दध का कारण बन जाएगी वि छोट िशरो क परपर वििािरो का राजनीवत अथिा ककटनीवत स समाzwjधान नही ढढा जा सकता तो इस क कारण विशव म नए गटरो और समहरो का जम होगा और ह नथवत तती विशव दध का पिाणिलिोकन परतत करगी अतः मरा ह विशवास ह वक इस सम विशव क विकास पर धान कनदरत करन की

256 विशव सकट तथा शानत-पथ

बजाए ह अवतआिशक और वनतात अवनिाण ह वक हम विशव को इस विनाश स सरवकत रखन क अपन परासरो म शीघर स शीघर तीवरता पिा कर इस बात की भी अतत आिशकता ह वक मानिजावत परमातमा जो वक एक ह और हमारा सटिा ह को पहचान करोवक किलि ही मानिता को सरवकत बना सकता ह िरन ह ससार वनरतर आतम-विनाश की ओर तीवरता स अगरसर होता रहगा

कनािा को विशव म सबस अवzwjधक ावपर िशरो म एक होन की विशालि खावत परापत ह आपका िश सामातः िसर िशरो क आतररक मामलिरो म हतकप नही करता इस स बढ कर ह वक हमार अथाणत अहमविा मनलिम जमाअत क कनािा िावसरो क साथ विशष मतरीपणण समबzwjध ह अतः मरा आप स अनरोzwjध ह वक विशव की छोटी और बडी शनतिरो को विनाशकारी तती विशव दध की नथवत उतपन करन स रोकन क थासभि परास कर

मरा आप स अवपत विशव क सभी नताओ स ह अनरोzwjध ह वक िसर िशरो का िमन करन हत शनति क थान पर ककटनीवत िाताणलिाप और सनीवत का परोग वका जाए विशव महाशनतिरो जस वक स ति राज अमररका की शानत थापना क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए उह छोट िशरो की गवतविवzwjधरो को विशव-शानत भग करन का आzwjधार नही बनाा चावहए आज परमाण हवथार किलि सति राज अमररका अथिा िसरी महाशनतिरो क पास ही नही अवपत अपकाकत छोट िशरो न भी ऐस महाविनाशकारी शतर परापत कर वलिए ह वजन क नता असमी ह और वबना वकसी सोच-विचार क काणिाही करन िालि ह अतः आपस मरा विनम वनििन ह वक आप छोटी और बडी शनतिरो को तती विशव-दध की विफोटक नथवत उतपन करन स रोकन का भरसक परास कर इस समबzwjध म हमार मन म कोई शका नही होनी चावहए वि हम इस परास म विफलि हो गए तो आगामी दध क िषzwjपरभाि किलि एवशा रोप और उततर एि िवकणी अमररका क वनzwjधणन िशरो तक ही सीवमत नही हरोग अवपत हमारी तरवटरो क गमभीर पररणाम हमारी भािी पीवढरो को भगतन पडग और विशव क परतक कतर म विकलिाग अथिा विकत

257विशि क नताओ क नाम पतर

शरीर िालि बचच जम लिग ि अपन उन नताओ को किावप कमा नही करग वजहरोन ससार को महापरलि म झरोक विा किलि अपन वनवहत िाथषो की वचता करन क थान पर हम भािी पीवढरो क वहताथण काण करना चावहए और उनक वलिए एक उजजिलि भविषzwj का वनमाणण करन का परास करना चावहए महापरतापी परमातमा आप को तथा विशव क अ सभी नताओ को ह सिश समझन का सामथण परिान कर

भििी

वमजाण मसरर अहमि खलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

258 विशव सकट तथा शानत-पथ

दो पमवत सथलरो क सरकक सऊदी अरब रजजय क समजट क नजि पत

261विशि क नताओ क नाम पतर

िो पवितर थलिरो क सरककसऊिी अरब राज क समाटअिलाह वबन अिलि अजीज अलि सऊिरराज सऊिी अरब

28 माचण 2012माननी समाट अिलाह असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातोहआज म एक अतत महतिपणण विष पर विचार करन क उदश स आपको

पतर वलिख रहा ह करोवक िो पवितर थलिरो क सरकक और सऊिी अरब क समाट होन क नात उममत मनलिमा (मनलिम समिा) म आप का एक उचच थान ह आपक िश म इलिाम क िो सबस अवzwjधक पवितर थलि mdash मकका मकररमा एि मिीना मनविरा mdash नथत ह वजन स परम करना मसलिमानरो क ईमान का अश ह थलि मसलिमानरो की आधानतमक उनवत का कदर भी ह और मसलिमान इनका अतत सममान और आिर करत ह इस दनटिकोण स सभी मसलिमानरो और मनलिम राजरो न आपको एक विवशटि थान परिान वका ह ह सममान इस बात की माग करता ह वक आप समत उममत मनलिमा का न किलि उवचत मागणिशणन कर अवपत मनलिम िशरो क भीतर शानत एि एकता का िातािरण भी उतपन कर आपको मसलिमानरो म परपर परम और सहानभवत का विकास करन का परतन करना चावहए और رحماء بینھم अथाणत lsquoि परपर िा करत हrsquo क वसदधात क

262 विशव सकट तथा शानत-पथ

समबzwjध म भी उनका मागणिशणन करना चावहएअततः आप को समत मानिजावत क वहत को सममख रखत हए समपणण

विशव म शानत थावपत करन का परतन करना चावहए अहमविा मनलिम जमाअत क परमख और हजरत मसीह मौऊि ि इमाम महिी अलिवहसलिाम क खलिीफा (उततरावzwjधकारी) होन क नात मरा ह अनरोzwjध ह वक दवप अहमविा मनलिम जमाअत और इलिाम क अ समिारो म परपर मतभि ह तथावप हम विशव-शानत की थापना क परास क वलिए एकतर हो जाना चावहए हम ससार को इलिाम की िातविक वशकाओ स जो वक परम और शानत पर आzwjधाररत ह पररवचत करान का भरसक परतन करना चावहए इस परकार पनचिमी िशरो तथा विशव क अ भागरो म इलिाम क समबzwjध म जो भरम दढतापिणक थावपत हो चक ह उनका वनिारण कर सकग अ जावतरो अथिा समिारो की शतरता हम किावप इस बात स न रोक वक हम ापिणक विहार न कर पवितर करआन की सरह अलि माइिः की आत सखा 3 म सिणशनतिमान अलाह का कथन ह वक ः

ان ام

حرال مسجد

ال عن وکم صد ان قوم شـنان یجرمنکم ول

عدوان ص م وال

ث

قوى ص ول تعاونوا عل ال ب والت

تعتدواوتعاونوا عل ال

عقابط ان اللہ شدید ال

واتقوا اللہ

ldquoऔर तमह वकसी जावत की शतरता इस कारण स वक उहरोन तमह मनजि-ए-हराम स रोका था इस बात पर न उकसा वक तम अताचार करो तम नकी और तकिा म एक िसर का सहोग करो और पाप और अताचार (िालि कामरो) म सहोग न करो और अलाह स िरो वनसिह अलाह िि िन म बहत कठोर हrdquo

इस मागणिशणक वसदधात को हम सममख रखना चावहए वजस क दारा हम विशव क समक इलिाम की सिर वशकाओ को परतत करन का कततणव परा कर सक

263विशि क नताओ क नाम पतर

ितणमान सम म हम िखत ह वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क पवितर नाम को बिनाम करन क उदश स कछ राजनीवतज और तथाकवथत विदान इलिाम क विरदध घणा क बीज बो रह ह अपन उदशरो की पवतण क वलिए ि करआन की वशकाओ का सिणथा विकत िरप परतत करन का परतन करत ह इसस भी अवzwjधक ह वक वफलितीन और इसाईलि क मध का वििाि विन परवतविन वबगडता जा रहा ह और इसी परकार इसाईलि और ईरान की परपर शतरता इस सीमा तक बढ चकी ह उनक आपसी समबzwjध गमभीर रप स टट चक ह ऐसी पररनथवता ह माग करती ह वक आप उममत मनलिमा (मनलिम समिा) क एक अतत महतिपणण नता होन क नात इन वििािरो का ा और समानता क आzwjधार पर समाzwjधान करन क वलिए हर समभि परास कर जब भी और जहा कही भी इलिाम क विरदध घणा फलिाई जाती ह तो अहमविा मनलिम जमाअत उस िर करन का थासमभि परतन करती ह जब तक समत उममत मनलिमा एकतर हो कर इस उदश की परानति क वलिए परास न कर शानत की थापना कभी नही हो सकगी

मरा आपस अनरोzwjध ह वक आप इस सबzwjध म भरसक परतन कर वि तती विशव दध का होना वननचित ह तो हम कम स कम ह परतन करना चावहए वक इसका आरमभ वकसी मनलिम िश स न हो ससार म कोई भी मनलिम िश अथिा कोई भी मसलिमान वनतिगत तर पर ितणमान अथिा भविषzwj म विशव क सिणनाश का कारण बनन का आरोप अपन ऊपर लिना नही चाहगा ऐसा सिणनाश वजसक फलििरप भािी पीवढा विकलिाग अथिा शारीररक िोषरो क साथ उतपन हरोगी करोवक वि अब तती विशव दध वछड जाता ह तो अिश ही िह दध परमाण शतररो दारा लिडा जाएगा हम वदती विशव दध म जापान क िो शहररो म परमाण बम फरक जान क विधिसकारी पररणामरो क रप म इस विनाश की एक झलिक का अनभि िख चक ह

264 विशव सकट तथा शानत-पथ

अतः ह सऊिी अरब क समाट विशव को सिणनाश स सरवकत रखन क वलिए अपनी समत शनति और परवतषठा का उपोग कीवजए सिणशनतिमान अलाह आपकी सहाता कर - आमीन आपक वलिए और समत उममत मनलिमा क वलिए पराथणना सवहत

مستـقیم

اط ال

ر اھدنا الص

(हम सीzwjधी राह पर चलिा)िलिामभििी

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

चीन क पिजनिती क नजि पत

267विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहम परzwjधानमतरी टट काउवसलि पीपलस ररपनलिक आफ चाना आिरणी िन वजाबाओ जरोगननहाई चीन

9 अपरलि 2012पार परzwjधानमतरी म आपको ह पतर अहमविा मनलिम जमाअत क एक परवतवनवzwjध क दारा

भज रहा ह िह कबाबीर इसाईलि म हमारी जमाअत क अधक ह तथा उह चीन क अलपसखक िगण क मतरी न आमवतरत वका था हमार परवतवनवzwjध को चीन क अवzwjधकारररो क साथ उस सम पररवचत कराा गा था जब चीन का परवतवनवzwjध मिलि वजनम अलपसखक िगण क उप मतरी भी सनममवलित थ कबाबीर म हमार वमशन हाउस म पzwjधार थ

अहमविा मनलिम जमाअत इलिाम का एक समिा ह जो दढतापिणक इस ईमान पर काम ह वक इस ग म वजस महिी और मसीह का मसलिमानरो क मागण-िशणन क वलिए बतौर महिी और ईसाइरो क मागण-िशणन क वलिए बतौर मसीह तथा मानिता क सzwjधार क वलिए एक पथ-परिशणक क रप म परकट होना वननचित था िह मसीह और महिी हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम की भविषzwjिावणरो क अनसार परकट हो चका ह अत हमन उस िीकार वका ह उनका नाम हजरत वमजाण गलिाम अहमि अलिवहसलिाम था जो भारत की काविान

268 विशव सकट तथा शानत-पथ

नामक बती म पिा हए थ अललिाह तआलिा क आिश स उहरोन 1889 ई म जमाअत अहमविा की नीि रखी 1908 ई म जब उन का वनzwjधन हआ उस सम तक हजाररो लिोग जमाअत अहमविा म सनममवलित हो चक थ उनक वनzwjधन क पचिात वखलिाफत की विथा थावपत हई इस सम हम पाचिी वखलिाफत क ग स गजर रह ह और म हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम का पचम खलिीफा (उततरावzwjधकारी) ह

हमारी वशका का एक वनतात महतिपणण और आzwjधारभत पक ह ह वक ितणमान ग म zwjधावमणक दधरो का अत होना चावहए इसक अवतररकत हमारा मानना ह वक जो वनति भी वकसी वशका को िसररो तक पहचाना ा फलिाना चाहता ह उस ऐसा किलि परम सहानभवत और भरातति भािना क िातािरण म करना चावहए तावक िह शानत एकता और मतरी का माधम बन सक इस महतिपणण पक का जो वक सचची इलिामी वशका पर आzwjधाररत ह समपणण विशि म अहमविा मनलिम जमाअत क दारा परचार वका जा रहा ह ह जमाअत अब विशि क िो सौ स अवzwjधक िशरो म फलि चकी ह और इसक अन ावरो की सखा करोडरो म ह

म आपको ह सिश िना चाहता ह वक विशि इस सम वनतात विनाशकारी और भानक पररनथवतरो स गजर रहा ह वननचित रप स ह परकट हो रहा ह वक हम बडी तीवरता स विशि-दध की ओर अगरसर ह आप एक महाशनतिशालिी िश क शासक ह इसक अवतररकत विशि की जनसखा का एक बडा भाग आप क मागण-िशणन क अतगणत जीिन ापन कर रहा ह आप को स कत राषzwjटर सघ म थािशक िीटो परोग करन का अवzwjधकार भी परापत ह इस पररदश म आप स मरा वनििन ह वक विशि को उस विनाश स बचान क वलिए अपना कततणव वनभाए जो हमार समक मह खोलि खडा ह राषzwjटरिाि zwjधमण एि जावतिाि स ऊपर उठ कर हम मानिता की रका क वलिए भरसक परतन करना चावहए

चीन म इस करानत क पशचात एक महान पररितणन हआ मािर माउवज िाग जो आपक िश क एक महान नता थ उहरोन उचच नवतक मलरो की नीि रखी

269विशि क नताओ क नाम पतर

थी वजह िसर शिरो म सिवोततम नवतक मलरो की सजा िी जा सकती ह दवप वक आप खिा क अनतति को नही मानत ह और आपक वसदधातरो का आzwjधार नवतकता ह तथावप म ह पषzwjट कर िना चाहता ह वक उस खिा न जो इलिाम दारा परतत वका गा ह पवितर कआणन को समत मानि जावत क पथ-परिशणन क वलिए उतारा ह और पवितर कआणन ि समत आचरणरो की वशका िता ह वजन का आप पालिन करत ह अवपत उसम इस स भी बढकर नवतक वनिदश विदमान ह उसम िह अपिण सिर वशकाए मौजि ह जो मनषzwj की आजीविका क साzwjधनरो को भी पषzwjटता क साथ िणणन करती ह और मानि मलरो को भी थावपत करती ह वि विशि विशष तौर पर मनलिम विशि इन कआणनी वशकाओ को अपनाए तो समत समाओ और मतभिरो का समाzwjधान हो जाएगा तथा शानत और एकता क िातािरण को परोतसाहन वमलिगा

आज अहमविा मनलिम जमाअत इस उदश को विशि क परतक भाग म बढािा िन क वलिए परासरत ह शानत समारोह (Peace Symposium) क दारा और उन असख सभाओ क माधम स जो म जीिन क परतक विभाग स सबzwjध रखन िालि लिोगरो और सगठनरो क साथ करता ह म विशि को ह मख उदश मरण कराता ह मरी ह िआ ह वक विशि क नता बवदधमतता स काम करत हए छोट तर पर होन िालिी जावतरो और िशरो की आपसी शतरता को विशव दध का रप न लिन ि मरा आप स ह भी वनििन ह वक विशि की एक महान शनति होन क नात विशि-शानत की थापना क वलिए अपना कततणव पणण कर तथा विशि को विशि-दध क भानक पररणामरो स बचाए करोवक वि ऐसा दध हआ तो ह एटमी हवथाररो क परोग पर समापत होगा बहत सभि ह वक इस दध क पररणामिरप कछ िशरो और कतररो क कछ भभाग विशि स पणणता नषzwjट कर विए जाए एटमी दध क परभाि और पररणाम किलि तिररत और सामवक विनाश क रप म परकट नही हरोग अवपत उसक थाी िषzwjपरभाि भािी नलिरो क िोषपणण और विकलिागतापणण जम क रप म परकट हरोग अतः अपनी समत शनति ोगता

270 विशव सकट तथा शानत-पथ

तथा ससाzwjधनरो दारा मानिता को उन भकर पररणामरो स बचाए इन का पालिन करन क फलििरप अततः आपक िश को भी लिाभ होगा मरी ह िआ ह वक ससार क छोट और बड िश इस सिश को समझ

शभकामनाओ और िआओ क साथ आपका शभवचतक

मिजजा िसरर अहिद खलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशिवापी अहमविा मनलिम जमाअत

यनजइटि मकििि क पिजनिती क नजि पत

273विशि क नताओ क नाम पतर

इगलिणि और उततरी आरलिणि क परzwjधानमतरी आिरणी िविि कमरन 10 िाउवनग टरीट लििन एस िल 1A 2AA क

15 अपरलि 2012पार परzwjधानमतरी जी वजन विनाशकारी और असरवकत पररनथवतरो स विशि इस सम गजर रहा

ह उह िखत हए मन आिशक समझा वक आप की सिा म पतर वलिख वबरटन क परzwjधानमतरी होन क नात आपको ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह जो भविषzwj म आपक िश तथा विशि पर परभािी हरो आज विशि को शानत की वनतात आिशकता ह करोवक दध की जिालिा विशि क चाररो ओर िखी जा सकती ह िशरो क मध वनमनतरी दध विशवदध म पररिवतणत होन की आशका ह हम िखत ह वक इस सम विशि की आवथणक तथा राजनीवतक नथवत िही ह जो 1932 ई म थी इसक अवतररकत अ समानताए भी ह वजनको वि सामवहक रप म िखा जाए तो िही वचतर परतत करती ह जो वदती विशि-दध स ठीक पिण िखा गा था वि जिालिाए कभी िातविक तौर पर भडक उठ तो हम तती विशि दध का भानक दश िखग छोट-बड असख िशरो क पास परमाण हवथार होन क कारण ऐसा दध वनशच ही परमाण दध का रप zwjधारण कर लिगा आज जो शतर उपलिzwjध ह ि इतन विनाशकारी ह वक इसक पररणामिरप भािी पीवढरो क बचच िशानगत अथिा शारीररक िोषरो क साथ जम लि सकत ह जापान ही

274 विशव सकट तथा शानत-पथ

एक िश ह वजस परमाण दध क िषzwjपररणाम भगतन पड ह जब उस पर वदती विशि-दध क मध एटम बमरो स आकरमण वका गा था वजस क पररणामिरप उसक िो शहर समपणणता नषzwjट हो गए थ उस सम वजन परमाण बमरो का परोग वका गा था वजनक कारण बहत बड तर पर विनाश हआ था ि इन परमाण हवथाररो स बहत कम शनति क थ जस इस सम कछ छोट िशरो क पास भी ह अत शनतिशालिी िशरो का ह िावति ह वक ि स कत रप स विनाश क कगार पर खडी मानिता को बचान का समाzwjधान वनकालि

इन बातरो पर विचार करक बहत आशका रहती ह वक छोट िशरो क एटमी हवथार उन लिोगरो क हाथरो म आ सकत ह जो वबना सोच समझ हवथाररो का उपोग करन पर उतार होत ह वजन क पास न तो ोगता ह और न ही ि अपनी गवतविवzwjधरो क पररणामरो क सबzwjध म विचार करन का परास करत ह वि महाशनतिशालिी िश ापिणक काम नही करत और छोट िशरो की वनराशाओ का वनिारण नही करत तथा महान और ासगत नीवता नही बनात तो पररनथवत शन शन अवनवतरत होती चलिी जाएगी और इसक फलििरप जो विनाश आएगा िह हमार अनमान और कलपना स बाहर होगा हा तक वक विशि की अवzwjधकतर जनता जो शानत की अवभलिाषी ह उस विनाश की लिपट म आ जाएगी

अत ह मरी हाविणक इचछा और िआ ह वक आप और शष समत शनतिशालिी िशरो क नता इस भकर िातविकता को समझ और अपन उदशरो की परानति क वलिए आकरामक नीवतरो और शनतिरो को परोग म लिान की बजाए आपको ि नीवता अपनानी चावहए जो ा को बढािा ि और उसकी रका कर

वि हम वनकट अतीत म झाक कर िख तो हम विवित होगा वक वबरटन न कई िशरो पर शासन वका तथा ा और zwjधावमणक िततरता क उचच तर थावपत वकए विशषकर भारत और पावकतान उपमहादीप म जब अहमविा मनलिम जमाअत क परितणक न आिणगी महारानी विकटोररा को उनकी हीरक जती पर बzwjधाई िी तथा इलिाम का सिश पहचाा तब उहरोन विशष तौर पर ह िआ की

275विशि क नताओ क नाम पतर

वक खिा वबरटन की सरकार को उसकी ा और समानता पर आzwjधाररत शासन पदधवत पर भरपर परवतफलि परिान कर उहरोन सरकार की ासगत नीवतरो एि zwjधावमणक िततरता िन पर उसकी वनतात परशसा की ितणमान सम म वबरटन की सरकार अब भारत और पावकतान म शासन नही करती परत zwjधावमणक िततरता क वसदधात अब भी वबरटन क समाज और उसक कानन म दढता क साथ थावपत ह वजनक अतगणत परतक वनति को zwjधावमणक िततरता और समानता क अवzwjधकार विए जात ह इस िषण आिरणी महारानी एवलिजाबथ वदती की हीरक जती मनाई जा रही ह जो बताणवना को ह अिसर परिान कर रही ह वक िह विशि क सममख अपन ा और इरमानिारी क तर को परिवशणत कर अहमविा मनलिम जमाअत का इवतहास ह परकट करता ह वक वबरटन न जब भी ा का परिशणन वका ह हमन उसकी सराहना की ह और आशानित ह वक भविषzwj म भी ा वबरटन की सरकार का ह विशष गण थावपत रहगा न किलि zwjधावमणक मामलिरो म अवपत परतक मामलि म और ह वक आप अपन िश की उततम विशषताओ और परमपराओ को कभी नही भलिग तथा विशि की ितणमान पररनथवत म वबरटन अतराणषटी तर पर शानत-थापना क वलिए अपनी भवमका वनभाएगा

मरा ह वनििन ह वक परतक तर पर और दनटिकोण स हम अवनिाण रप स परास करना होगा तावक नफरत की जिालिा को शात वका जा सक इस परास की सफलिता क पशचात ही हम भािी पीवढरो क उजजिलि भविषzwj का आशिासन ि सकत ह परत वि हम इस काण म सफलि न हए तो हमार मन म इस सबzwjध म कोई सिह नही होना चावहए वक परमाण दध क फलििरप भािी पीवढरो को हर जगह हमार कमषो क भानक पररणाम को भगतना पडगा और ि अपन पिणजरो को पर विशि को विनाश की जिालिा म झरोकन क कारण कभी कमा नही करगी म आपको पन मरण कराता ह वक वबरटन भी उन िशरो म स ह जो विकवसत और विकासशीलि िशरो पर अपना परभाि िालि सकत ह और िालित ह वि आप चाह तो आप ा और इसाफ की मागरो को परा करत हए विशि का पथ-परिशणन कर

276 विशव सकट तथा शानत-पथ

सकत ह अतः वबरटन तथा अ शनतिशालिी िशरो को विशि-शानत की थापना क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए अललिाह तआलिा आपको और विशि क अ नताओ को ह सिश समझन की सामथण परिान कर

शभकामनाओ और िआओ क साथ आपका शभ वचतक

मिजजा िसरर अहिद खलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशिवापी अहमविा मनलिम जमाअत

जिानी की चजसलर क नजि पत

279विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहम चासलिर आफ जमणनी एजलिा मरकलि Bundeskanzleramt Willy-Brandt-Str1 10557 Berlin

15 अपरलि 2012आिरणीा चासलिर विशि को सतकक करन िालिी और अतवzwjधक वचनतत करन िालिी ितणमान

पररनथवतरो को दनटिगत रखत हए मन आप को पतर वलिखना आिशक समझा विशि म जमणनी जस वनतात महतिपणण एि शनतिशालिी िश की चासलिर होन क नात आपको ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह जो आपक िश और समत विशि पर परभािी हरो आज जबवक विशि िगषो म विभावजत हो रहा ह उगरिाि तीवरता zwjधारण करता जा रहा ह तथा राजनीवतक एि आवथणक पररनथवता बहत खराब होती जा रही ह तो इन कवथत पररनथवतरो म इस बात की वनतात आिशकता ह वक हर परकार की नफरत और घणा को समापत वका जाए और शानत की नीि रखी जाए इस उदश को किलि इस परकार परापत वका जा सकता ह जब परतक वनति की भािनाओ का आिर वका जाए परत चवक उस उवचत रप स पणण ईमानिारी और नकी क साथ कााणनित नही वका जा रहा इसवलिए विशि की पररनथवता बडी तीवरता स अवनवतरत होती जा रही ह हम िखत ह वक बहत स िशरो क दारा

280 विशव सकट तथा शानत-पथ

ा की माग परी नही की जा रही ह वजसक कारण एक विशि-दध की नीि पहलि ही रखी जा चकी ह अवzwjधकाश छोट-बड िशरो क पास अब एटमी शतर ह अतः अब वि विशि-दध होता ह तो बहत सभि ह वक ह दध परमपरागत शतररो दारा नही होगा अवपत ह एटमी शतररो स होगा इस दध क पररणामिरप होन िालिी बरबािी पणण रप स सिणनाश करन िालिी होगी इसक परभाि किलि उसी सम तक सीवमत नही रहग अवपत भािी नलि एक लिमब सम तक इस स परभावित होती रहगी तथा ि नलि वचवकतसा समबzwjधी एि अनिावशक तौर पर भानक िोषरो क साथ पिा हरोगी

अतः मरा ह विचार ह वक विशि-शानत की थापना क वलिए सचच ा की आिशकता ह और समत लिोगरो की भािनाओ एि zwjधावमणक रीवत-ररिाजरो का सममान वका जाना चावहए म कछ पनचिमी िशरो की इस बात का सममान करता ह वक उहरोन वनतात उिारता क साथ वनzwjधणन और विकासशीलि िशरो क लिोगरो को अपन िशरो म रहन की अनमवत िी हई ह वजनम मसलिमान भी सनममवलित ह इसम कोई सिह नही वक नाम क मसलिमानरो का एक अलपसखक िगण ह जो पणण रप स अनवचत काषो म वत ह तथा पनचिमी िशरो क लिोगरो क हिरो म अविशिास की भािना को जम ित ह परत उनकी ऐसी समत गवतविवzwjधरो का इलिाम स कोई सबzwjध नही ह ऐस चरमपथी हजरत रसलि करीम सललाहो अलिवह िसलम वजहरोन विशि को शानत परम और एकता का सिश विा ह स सचचा परम नही करत वनशच ही कछ मटी भर गमराह लिोगरो की गवतविवzwjधरो को हमार zwjधमण क विरदध आरोप लिगान और बहत बडी सखा म मौजि वनषzwjकपट और वनिवोष मसलिमानरो की भािनाओ को ठस पहचान क वलिए आzwjधार नही बनाना चावहए समाज म शानत थावपत करना वदपकी परवकरा ह और ह तब ही थावपत की जा सकती ह जब समत पावटरा एक साथ वमलिकर परपर समझौत क वलिए काण कर विकासशीलि िशरो और लिोगरो क साथ सबzwjध थावपत करन की बजाए पनचिमी विशि क लिोगरो क हिरो म अविशिास क कारण कछ गर मनलिम लिोगरो की

281विशि क नताओ क नाम पतर

परवतवकरा आज बहत अवzwjधक खराब होती जा रही ह तथा मनलिम और गर मनलिम जगत क बीच एक िरार पिा कर रही ह

हम िखत ह वक कछ मनलिम सगठनरो और िशरो की गमराह गवतविवzwjधरो क आzwjधार पर कछ शनतिशालिी िशरो क विशष वहतरो को ईमानिारी और ा पर परमखता िी जा रही ह विशि क कछ शनतिशालिी िश चाहत ह वक कछ िशरो क भणिार एि ससाzwjधनरो तक पहच पिा कर लि तथा परवतपzwjधाण करन िालि िशरो का उन ससाzwjधनरो तक पहचना वबलकलि असमभि बना ि इसवलिए अवzwjधकाश वनणण लिोगरो की सहाता करन ा विशि-शानत की थापना क नाम पर वकए जात ह तथा विशि की ितणमान आवथणक पररनथवतरो क पीछ एक बडा कारण आवथणक वगरािट ह जो हम एक और विशि-दध की ओर लि जा रही ह वि सचचाई का उवचत रप स परिशणन वका जाता तो उनम स कछ िश परपर ा पर आzwjधाररत औदोवगक एि आवथणक समबzwjध थावपत करक एक-िसर स ा क साथ लिाभ परापत कर सकत थ इस परकार ि एक िसर क ससाzwjधनरो स अनवचत लिाभ परापत न करत अवपत उसक थान पर ि एक िसर क वनकट आकर परपर एक िसर की सहाता करत अतः विशि की ितणमान अविथा का कारण एक परमख तति ा का पणण रप स अभाि ह वजस क कारण चाररो ओर अशानत और बचनी की हालित ह

अत मरा ह वनििन ह वक इस विशि-दध स लिोगरो को बचान क वलिए पहलि स भरपर परास कर अपनी शनति ससाzwjधनरो और परभाि को परोग करत हए विशि को इस भकर विनाश स बचाए जो परकट होन क कगार पर ह सचनाओ क अनसार जमणनी परमाण शतररो स लििी हई तीन अवत आzwjधवनक पनिछनबा इसाईलि को िन जा रहा ह जमणनी क एक परोफसर क विचार म ऐसा वनणण इसाईलि और ईरान क मध पहलि स चलि रही तनािपणण नथवत को और अवzwjधक भडकान म सहाक वसदध होगा हम ह मरण रखना चावहए वक ितणमान सम म परमाण शतर किलि विशव की महाशनतिरो क पास ही नही ह अवपत तलिनातमक दनटि स

282 विशव सकट तथा शानत-पथ

छोट िशरो न भी इसको परापत कर वलिा ह वचताजनक विष ह ह वक इन छोट िशरो म स कछ क नता शतररो क असािzwjधानीपणण परोग पर आतर ह और ि इन शतररो क उपोग क विनाशकारी पररणामरो क परवत सिणथा उिासीन ह अतः आपस पनः वनििन ह वक विशव शानत थावपत करन का भरसक परास कर वि हम इस काण म विफलि हो गए तो हमार मन म वफर कोई शका नही रहनी चावहए वक परमाण दध क कारण ऐसा विनाश होगा वजसक िषzwjपरभाि भािी पीवढरो क विकलिाग रप म जम लिन क रप म परकट हरोग और ि अपन पिणजरो को इस बात क वलिए कभी कमा नही करग वक उनक कारण उह इस महापरलि का मह िखना पडा ह सिणशनतिमान परमातमा आपको और विशव क सभी नताओ को इस सिश को समझन की सामथण परिान कर

शभकामनाओ तथा पराथणनाओ सवहत

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

फजस िणरजजय क रजषटपमत क नजि पत

285विशि क नताओ क नाम पतर

राषटपवत फास गणराजमहामवहम Francois HollandePalais de lrsquoElysee 55 Rue du Faubourg Saint-Honore 75008 Paris France

16 मई 2012वपर राषटपवत जीसिणपरथम म इस अिसर का लिाभ उठात हए आपको फास क नए राषटपवत

क रप म वनिाणवचत होन पर बzwjधाई िना चाहता ह िाति म ह एक महान उततरिावति ह जो आप को सौपा गा ह और म आशा करता ह वक फास की जनता ही नही अवपत समपणण विशव आपक नतति स लिाभानित होगा विशव की वबगडती हई ितणमान पररनथवतरो को सममख रखत हए मन आपक पिण राषटपवत वनकोलिस सरकोजी को एक पतर भजा था उस पतर म मन राषटपवत सरकोजी को एक विशव तर क नता होन क रप म उनक कततणवरो की ओर धानाकषणण करात हए ह अनरोzwjध वका था वक आप अपनी समपणण शनति और परवतषठा का उपोग करत हए विशव दध की स भािना को रोकन का परास कर फास क नि-वनिाणवचत राषटपवत होन क नात मन आपको भी इसी सिश पर आzwjधाररत पतर वलिखना आिशक समझा करोवक अब आपक पास ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह वजन

286 विशव सकट तथा शानत-पथ

स आपक िश और सामा रप स पर विशव का भविषzwj परभावित हो सकता ह मरा ह मत ह वक विशव की ितणमान पररनथवतरो क परवत सभी िशरो की सरकाररो को अवत वचनतत होना चावहए विवभनन िशरो क मध अा और शतरता की भािनाओ क कारण एक विशव दध का रप zwjधारण करन की परबलि आशका ह गत शतािी म िो विशव दध हए परथम विशव दध क पचिात राषटसघ की थापना हई परत ा की मागरो को पणण न वकए जान क फलििरप इसन वदती विशव दध को जम विा जो परमाण बमरो क परोग क साथ समापत हआ ततपचिात मानिावzwjधकाररो की सरका और विशव शानत थावपत करन हत सति राषट का गठन वका गा अतः इस परकार दधरो को टालिन का समाzwjधान तो वनकालिा गा परत आज हम िखत ह वक तती विशव दध की नीि पहलि ही रखी जा चकी ह विवभन छोट तथा बड िशरो क पास परमाण शतर मौजि ह वचता का विष ह ह वक परमाण शनति िालि कछ छोट िश ऐस शतररो क विनाशकारी पररणामरो स अनवभज ह और उनक परवत उिासीन ह ह बात कलपनातीत नही वक वि परमाण शतररो का परोग वका गा तो इसक भकर पररणाम तरत परकट हरोग और िह विन परलि क समान होगा आज जो शतर उपलिzwjध ह ि इतन विनाशकारी ह वक उनक कारण भविषzwj म कई पीवढरो तक गमभीर आनिवशक तथा शारीररक िोष िालि वशश जम लिग कहा जाता ह वक एक मातर िश जापान वजसन परमाण दध क भीषण पररणाम भगत ह सात िशक बीत जान क पचिात आज भी िहा निजात वशशओ म परमाण बमरो क िषzwjपरभाि परतक रप स िख जा सकत ह

अतः आपस मरा विनम अनरोzwjध ह वक मनलिम तथा गर मनलिम िशरो क मध शतरता एि अविशवास की भािना को शात करन का थासमभि परास कर कछ रोपी िश इलिाम की वशकाओ और परमपराओ क समबzwjध म परतक सश रखत ह और उहरोन उन पर कछ परवतबzwjध लिगाए ह जबवक कछ अ िश एसी काणिाही करन का विचार कर रह ह कछ तथाकवथत उगर िभाि क लिोग जो अपन आपको मसलिमान कहत ह उनकी पनचिमी िशरो क परवत घणा उनकी ओर स

287विशि क नताओ क नाम पतर

अनवचत परवतवकरा का कारण बन सकती ह वजसक फलििरप zwjधावमणक असवहषzwjणता और मतभिरो म और अवzwjधक िवदध होगी परत इलिाम एक शानत-वपर zwjधमण ह जो हम वकसी अनवचत काण को अनवचत ढग स रोकन की वशका नही िता हम अथाणत अहमविा मनलिम जमाअत क लिोग इस वसदधात का पालिन करत ह और परतक समा का शानतपणण समाzwjधान ढढन म विशवास करत ह

ह िख कर खि होता ह वक मसलिमानरो का एक अलप िगण इलिाम का सिणथा विकत रप परतत करता ह और अपन भरवमत विशवासरो का पालिन करता ह हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम जो वक समपणण मानिता क वलिए िा का िरप ह क परवत अपन परम क कारण म ह कहता ह वक आप एस लिोगरो की बातरो को िातविक इलिाम न समझ और उन का अवzwjधकार-पतर क रप म परोग करक बहसखक शानतवपर मसलिमानरो की भािनाओ को ठस न पहचाए कछ ही विन पिण एक वनिणी और कठोर परकवत वनति न िवकणी फास क कतर म कछ फासीसी सवनकरो की अकारण गोलिी मारकर हता कर िी और उसक कछ विन पचिात उस वनति न एक ककलि म परिश कर तीन वनिवोष हिी बचचरो और उनक एक वशकक की हता कर िी इसी परकार की और भी वनमणम घटनाए हम अ मनलिम िशरो म वनवमत रप स घवटत होती िखत ह और ह सभी घटनाए इलिाम क विरोवzwjधरो को अपनी घणा क परिशणन क वलिए उततवजत करती ह वजनक आzwjधार पर ि अपन उदशरो की पवतण क वलिए वापक तर पर काणिाही करत ह एक मसलिमान होन क नात म पणणतः पटि करना चाहता ह वक इलिाम वकसी भी अताचार और वकसी अा की अनमवत नही िता पवितर कआणन न एक वनिवोष वनति की अकारण हता को समपणण मानिजावत की हता क समान ठहराा ह ह अपिाि रवहत पटि वनिदश ह पवितर कआणन ह भी कहता ह वक दवप कोई जावत ा राषट तम स िमन रखता हो तो वफर भी ह बात तमह उनक साथ वनषzwjपक और ापणण विहार करन स न रोक

288 विशव सकट तथा शानत-पथ

शतरता ा परवतदनदता तमह परवतशोzwjध लिन अथिा अताचार पणण विहार करन क वलिए परररत न कर वि आप वििािरो का उततम समाzwjधान करना चाहत ह तो शानतपणण हलि ढढन का परास कर

म इस बात की परशसा करता ह वक बहत स पनचिमी िशरो न वनzwjधणन तथा अविकवसत िशरो की जनता को वजनम मसलिमान भी सनममवलित ह अतत उिारतापिणक अपन िश म बसन की अनमवत िी ह वनसिह बहत स मसलिमान आपक िश म रहत ह और ि आपक नागररक भी ह उनम स अवzwjधकतर कानन का पालिन करन िालि और वनषzwjकपट लिोग ह इसक अवतररति ह वक इलिाम की पटि वशका ह वक अपन िश स परम करना हमार ईमान का अश ह आपक वलिए भी मरा ही सिश ह वक वि इलिाम की िातविक वशकाओ का हर जगह परसार वका जाए तो इसक फलििरप राषटी और अतराणषटी तर पर िश-परम की भािनाओ और शानत की थापना समभि होगी

आपस और िाति म विशव क सभी महान नताओ स मरा ह विनम अनरोzwjध ह वक िसर िशरो का िमन करन हत शनति क परोग क थान पर ककटनीवत िाताणलिाप तथा सिzwjबवदध स काम लिना चावहए विशव की महाशनतिरो जस वक फास को शानत थापना क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए उह छोट िशरो की गवतविवzwjधरो को विशव-शानत भग करन का आzwjधार नही बनाना चावहए अतः म पनः आपको मरण कराता ह वक विशव की छोटी और बडी शनतिरो को तती विशव दध की विफोटक नथवत उतपन करन स रोकन क वलिए थासमभि परास कर इस समबzwjध म हमार मन म कोई शका नही रहनी चावहए वि हम इस काण म विफलि हो गए तो ऐस दध क परभाि एि पररणाम किलि एवशा रोप तथा उततरी एि िवकणी अमररका क वनzwjधणन िशरो तक ही सीवमत नही रहग अवपत हमारी भािी पीवढा भी हमार काषो क भीषण पररणामरो स परभावित हरोगी और पर विशव म विकलिाग और शारीररक िोष िालि बचच जम लिग म पराथणना करता ह वक विशव

289विशि क नताओ क नाम पतर

क नता सिzwjबवदध स काम लि और विवभन िशरो और लिोगरो क मध वनमन तर पर चलि रही शतरता को विशव दध का रप zwjधारण करन स रोक महापरतापी परमातमा आपको और विशव क अ सभी महान नताओ को ह सिश समझन का सामथण परिान कर

शभ कामनाओ एि पराथणनाओ सवहतभििी

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

यनजइटि मकििि त थज रजषट-िणिल दशरो की िहजरजनी क नजि पत

293विशि क नताओ क नाम पतर

Her Majesty Queen Elizabeth IIQueen of the United Kingdom and Commonwealth Realms Buckingham Palace London SW1A 1AA United Kingdom

19 अपरलि 2012आिरणीा महारानी जीअहमविा मनलिम जमाअत क परमख क रप म और पर विशव क अहमविा

मनलिम जमाअत क लिाखरो सिरो की ओर स म हीरक जती क इस आनिपणण अिसर पर आपको हाविणक बzwjधाई िता ह हम विशष रप स सिणशनतिमान परमातमा क कतज ह वक उसन हम इस भव समारोह म भाग लिन का सअिसर परिान वका विशष रप स सभी अहमिी मसलिमान जो क क नागररक ह हीरक जती क इस अिसर पर अतत हषण एि गिण अनभि कर रह ह अतः म उन सब की ओर स महारानी को हाविणक बzwjधाई परतत करता ह

म उस परमशवर को जो सिणशषठ ह और वजसन zwjधरती और आकाश का सजन करक उसको हमार जीिन क वलिए असख नrsquoमतरो स पररपणण वका ह स ाचना करता ह वक िह हमारी महारानी को वजसका िापणण राज बहत स िततर राषट और राषट-मणिलि क सि िशरो पर वापत ह सिि शानत और सरका परिान कर वजस परकार महारानी स िदध एि िक अथाणत समत परजा परम करती ह और उनका आिर करती ह हमारी िआ ह वक परमातमा क फररशत भी उसी परकार महारानी स परम कर वजस परकार महारानी को परमातमा न परचर मातरा म सासाररक नrsquoमत परिान की ह हमारी कामना ह वक परमातमा उसी परकार महारानी को असख आधानतमक

294 विशव सकट तथा शानत-पथ

ििाताओ एि नrsquoमतरो स भी पररपणण कर ि परमातमा कर इन नrsquoमतरो क फलििरप इस महान राषट क सभी नागररक अपन सिणशनतिमान परमातमा को पहचानन म सकम हो जाए और परपर परम एि सहानभवत की भािना स जीिनापन करन लिग परमातमा कर क क सभी नागररक zwjधमण रग नलि राषटीता अथिा zwjधमण क भिभाि स ऊपर उठ कर एक िसर क परवत इस सीमा तक आिर एि सममान की भािना का परिशणन करन लिग वक इस विहार का सकारातमक परभाि इस िश की सीमाओ को पार करक विशव क अ िशरो क लिोगरो म वापत हो जाए परमातमा कर वक ह ससार वजसका अवzwjधकाश भाग आज दधरो वििािरो तथा शतरताओ म सवलिपत ह शानत परम भरातति और वमतरता का कदर बन जाए ह मरा दढ विशवास ह वक इस महतिपणण एि सिवोततम उदश की परानति क वलिए महारानी क द नषzwjट कोण और परास एक परमख भवमका वनभा सकत ह

गत शतािी म िो विशव-दध लिड गए वजनम लिाखरो पराण नटि हए वि आज विवभन िशरो क मध वििािरो म िवदध होती गई तो अततः इस का पररणाम तती विशव-दध क रप म परकट होगा विशव-दध म परमाण शतररो क परोग की परबलि स भािना का अथण ह विशव एक अतत भानक और कलपनातीत विनाश क िशणन करगा हमारी पराथणना ह वक परमातमा ऐसी भानक विपवतत को घवटत न होन ि और ससार क सभी लिोगरो को सिzwjबवदध और समवत परिान कर महारानी स मरा विनम वनििन ह वक आप हीरक जती क इस आनिपणण अिसर को मानिजावत की भलिाई क वलिए परोग म लिात हए सभी िशरो चाह ि बड हरो ा छोट की जनता को ह मरण कराए वक ि परपर परम शानत तथा एकता की भािना स जीिन वतीत कर

इस समबzwjध म हीरक जती क इस पािन अिसर पर आपस मरा एक विनम वनििन ह वक आप विशव को ह सिश ि वक परतक zwjधमण क अना वरो तथा उनको भी जो परमातमा म विशवास नही करत सिि अ zwjधमण क लिोगरो की भािनाओ का सममान करना चावहए इलिाम क समबzwjध म आज विशव म गलित

295विशि क नताओ क नाम पतर

zwjधारणाए परचवलित ह इस क फलििरप एक ओर शानतवपर मसलिमानरो की भािनाए आहत होती ह तो िसरी ओर गर मनलिमरो क हि म इलिाम क परवत अविशवास और घणा की भािना उतपन होती ह अतः वि आप सभी लिोगरो को ह उपिश ि वक परतक वनति सभी zwjधमषो और उनक अन ावरो का आिर और सममान कर तो सभी zwjधमषो क मानन िालिरो अवपत समत विशव पर ह आपकी िा और महान उपकार होगा महापरतापी परमातमा इस उदश की पवतण म हमारी महारानी की सहाता एि समथणन कर

जसा वक इस पतर क आरमभ म मन वलिखा था वक म विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत का परमख ह इस समबzwjध म म अपनी जमाअत का एक अवत सवकपत पररच परतत करना चाहता ह अहमविा मनलिम जमाअत का ह दढ विशवास ह वक िह मसीह मौऊि और सzwjधारक वजसको हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम तथा उनस पिण अिताररो की भविषzwjिावणरो क अनरप इस ग म आविभाणि वननचित था िह हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी अलिवहसलिाम क अ वतररति कोई अ नही सनzwj 1889 ई म आपन एक पवितर और सिाचारी समिा की नीि रखी वजसका नाम अहमविा मनलिम जमाअत ह इस जमाअत की थापना स आपका उदश परमातमा और मनषzwj म समबzwjध थावपत करना और लिोगरो का एक िसर क अवzwjधकाररो को पणण करन की ओर धानाकवषणत करना था वजसक फलििरप सभी लिोग परपर सममान और शभचछा की भािना क साथ जीिन वतीत कर सक जब 1908 ई म हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब अलिवहसलिाम का िहात हआ तो उस सम आपक लिगभग 400000 अन ाी थ आपक िगणिास क पचिात परमातमा की इचछा अनसार वखलिाफत की विथा की थापना हई और इस सम परमातमा का ह विनीत सिक हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम का पाचिा खलिीफा ह अतः अहमविा मनलिम जमाअत पर विशव म अपन स थापक क उदश को आग बढान म परासरत ह हमारा सिश परम सलिह और भरातति पर आzwjधाररत ह और हमारा आिशण िाक ह - परम सब क वलिए

296 विशव सकट तथा शानत-पथ

घणा वकसी स नही जो िाति म इलिाम की अनपम वशकाओ का सार ह हा ह िणणन करना उवचत होगा वक ह शभ स ोग ह वक अहमविा

मनलिम जमाअत क स थापक क जीिनकालि म महारानी विकटोररा की हीरक जती मनाई गई थी उस सम अहमविा मनलिम जमाअत क सथापक न तोहफा कसररा (महारानी क वलिए एक भट) नामक एक पतक की रचना की वजसम आपन महारानी विकटोररा क वलिए बzwjधाई का सिश वलिखा था अपन सिश म हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब अलिवहसलिाम न महारानी को हीरक जती क अिसर पर बzwjधाई िी और साथ ही इस बात की भी बzwjधाई िी वक महारानी क शासन म सभी लिोगरो वजनम भारती उपमहादीप क लिोग भी शावमलि ह को ा एि zwjधावमणक िततरता परिान की गई ह और ि सभी शानतपणण जीिन वतीत कर रह ह आपन इलिाम की सिर वशकाओ को परतत करत हए अपन आगमन और िाि का वाखातमक िणणन वका

दवप वबरटन की सरकार न भारती उपमहादीप को िततरता परिान कर िी ह अवपत िाति म वबरटन की सरकार का विवभन जावत तथा zwjधमषो क लिोगरो को अपन िश म वनिास करन की अनमवत िना और उह समान अवzwjधकार zwjधावमणक िततरता अवभवनति की िततरता परिान करना वबरटन की उचचतम तर की सहनशीलिता का विशालि परमाण ह आज सहतररो अहमिी मसलिमान वबरटन म रहत ह उनम स अवzwjधकतर ऐस ह वजहरोन अताचार क कारण अपन िश स वहजरत (परिास) करक हा शरण लिी ह महारानी क िापणण शासन म ि शानतपणण जीिन वतीत कर रह ह वजसम उह ा और zwjधावमणक िततरता परापत ह इस उिारता क वलिए म पनः आिरणीा महारानी क परवत अपनी हाविणक कतजता परकट करता ह

म ह पतर महारानी क वलिए एक पराथणना क साथ समापत करता ह िाति म ह िही पराथणना ह जो अहमविा मनलिम जमाअत क सथापक न आिरणी महारानी विकटोररा क वलिए की थी

297विशि क नताओ क नाम पतर

ldquoह सिणशनतिमान त था सिणशषठ परमातमा अपनी कपा एि िा स हमारी आिरणीा महारानी को सिि परसन रखना ठीक उसी परकार जस वक हम उनक िापणण शासन म परसनतापिणक जीिन वतीत कर रह ह ह सिणशनतिमान परमातमा उनस िा एि सहपिणक विहार करना जस वक हम उनक िापणण शासन म शानत एि समवदधपिणक जीिन वतीत कर रह हrdquo

मरी ह भी पराथणना ह वक महापरतापी परमातमा हमारी आिरणीा महारानी का मागणिशणन कर सिणशनतिमान परमातमा आिरणी महारानी की सतान का भी ऐसा मागणिशणन कर वक ि सचचाई पर थावपत हो कर अ लिोगरो को भी इस मागण पर चलिन का उपिश ि परमातमा कर ा और िततरता क गण वबरवटश सामाज क मागणिशणक वसदधात बन रह म पनः आिरणीा महारानी की सिा म इस आनिपणण अिसर पर हाविणक बzwjधाई परतत करता ह हमारी आिरणीा महारानी की सिा म मरी ओर स हाविणक एि सचची बzwjधाई परतत ह

शभ कामनाओ तथा पराथणनाओ सवहतभििी

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख अहमविा मनलिम जमाअत

इसलजिी िणरजजय ईरजन क सवापिख नतज क नजि पत

301विशि क नताओ क नाम पतर

इलिामी गणराज ईरान क सिणपरमख नताआतलाह सि अलिी हसनी खमनीतहरान ईरान

14 मई 2012आिरणी आतलाह असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातहसिणशनतिमान अलाह न आपको ईरान म इलिाम की सिा का अिसर परिान

वका ह तथा इस सम ईरान की सरकार अापक सरकण म का णरत ह अतः आिशक ह वक हम ससार तक इलिाम की िातविक वशकाओ का सिश पहचान का भरसक परतन कर मसलिमान होन क नात हम ससार को शानत परम और एकता स रहन की वशका िनी चावहए विशष रप स मनलिम नताओ को इस ओर तरत धान िन की आिशकता ह इसी उदश हत मरा आप स अनरोzwjध ह वक आप अपनी सरकार का विशव म शानत थावपत करन क वलिए उसक कततणव की ओर धानाकषणण कराए वि ईरान पर आकरमण होता ह तो उस अपन िश की रका करन का पणण अवzwjधकार परापत ह परत उस आकरमण करन अथिा वकसी वििाि म पडन की पहलि नही करनी चावहए िरनzwj zwjधावमणक मतभिरो को एक ओर रखकर नवतक मलरो क आzwjधार पर एकता बनान का परास वका जाना चावहए इलिाम क इवतहास स हम जात होता ह वक ही मागण अपनाा गा था

म हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम वजसक इस ग म आगमन की भविषzwjिाणी हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न की थी पर ईमान लिान

302 विशव सकट तथा शानत-पथ

िालि उनक उततरावzwjधकारी और खलिीफा होन क नात आपको ह पतर वलिख रहा ह अलाह की कपा स ह जमाअत अब विशव क 200 िशरो म थावपत हो चकी ह और विशव भर म इसक लिाखरो शदधािान अनाी ह

हमारी ह परबलि इचछा ह वक हम परपर परम और शानत स रहन क वलिए विशव का मागणिशणन कर इस उदश की पवतण हत म जीिन क विवभन िगण क लिोगरो का वनरतर धानाकषणण कराता रहता ह अतः मन इही विनरो म इसाईलि क परzwjधानमतरी स ति राज अमररका और कई अ विशव तर क नताओ को पतर वलिख ह मन पोप बवनविकट XVI को भी इस समबzwjध म पतर वलिखा ह

एक विशालि इलिामी िश क आधानतमक नता क रप म मझ आशा ह वक आप इस बात स सहमत हरोग वक वि समत मनलिम समिा एकजट हो कर का ण कर तो विशव-शानत थावपत हो सकती ह हम शतरता और िमन को अकारण बढाना नही चावहए अवपत हम शानत थावपत करन क अिसर ढढन चावहए इसक अवतररति ह वक िसररो क साथ शतरता ा विरोzwjध की भािना भी अापणण नही होनी चावहए पवितर कआणन न हम ही वशका िी ह ः-

अनवजद - ह ि लिोगो जो ईमान लिाए हो अलाह क वलिए मजबती स वनगरानी करत हए ा क समथणन म साकी बन जाओ और वकसी जावत की शतरता तमह किावप इस बात की ओर परररत न कर वक तम ा न करो ा करो ह तकिा (स म) क सबस अवzwjधक वनकट ह और अलाह स िरो जो तम करत हो वनसिह अलाह उसस सिा अिगत रहता ह (सरह अलिमाइिह ः 9)

अलाह तआलिा समत मनलिम समिा और सभी मनलिम राजरो को मरा सिश समझन का सामथण परिान कर और ि विशव म शानत थावपत करन हत अपनी-अपनी भवमका वनभान क वलिए ततपर हो जाए

समत मनलिम समिा क परवत परम क फलििरप उतपन मानिजावत स परम की भािना न और इस बात न वक म उसकी उममत का सि ह जो समत मानिजावत क वलिए साकात िा ह मझ आपको ह पतर वलिखन क वलिए परररत

303विशि क नताओ क नाम पतर

वका ह अलाह तआलिा विशव क सभी नताओ को मरा सिश समझन का सामथण परिान कर और ि विशव-शानत की थापना म सवकर भवमका वनभान िालि हरो अथा वि वकसी एक िश का असािzwjधानीपणण तथा वििकरवहत काण िो िशरो क मध पणण दध का कारण बनता ह तो िह वििाि किलि उन िो समबनzwjधत िशरो तक सीवमत नही रहगा अवपत दध की जवालिा समत विशव को अपनी चपट म लि लिगी अतः इसक फलििरप विशव-दध वछड जान की पणण समभािना ह जो परामपरागत शतररो स नही बनलक परमाण शतररो स लिडा जाएगा

परमाण दध क ऐस भीषण और भकर पररणाम वनकलिग वक वजन स न किलि समकालिीन जनता अवपत इसक िरगामी पररणामरो स भािी पीवढा भी परभावित हरोगी और ह दध उन भािी पीवढरो क वलिए जो विकलिागता और शारीररक िोषरो क साथ जम लिगी एक lsquoविकरालि भटrsquo होगी अतः वकसी भी िश को ह कलपना नही करनी चावहए वक िह शीघर आन िालि इस विनाश स सरवकत ह

अतः म पनः अलाह उसक रसलि और मानिता क परवत परम एि िा क नाम पर आप स अनरोzwjध करता ह वक विशव म शानत थावपत करन क वलिए अपनी भवमका वनभाए

शभकामनाओ तथा पराथणनाओ सवहतिसलिामभििी

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी जमाअत अहमविा

304 विशव सकट तथा शानत-पथ

रस क रजषटपमत क नजि पत

307विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहम वलिाविमीर पवतनराषटपवत रसकरमवलिन 23 इवलिका टरीटमाको 103132 रस

18 वसतमबर 2013वपर राषटपवतम आपको ह पतर अहमविा मनलिम जमाअत क परमख क नात वलिख रहा

ह ह जमाअत जो शानतवपर और शानत को परोतसाहन िनी िालिी जमाअत ह विशव क 204 िशरो म थावपत हो चकी ह

विशि की ितणमान पररनथवतरो को सममख रखत हए म अपन विवभन भाषणरो क माधम स विशव क लिोगरो का परमातमा क परवत उनक कततणवरो और मानिता क परवत उनक िावतिरो की ओर धानाकषणण कराता रहा ह मझ इस बात का खि ह वक मझ आपस बात करन का अिसर परापत नही हआ ह परत सीररा की ितणमान वचताजनक पररनथवत न मझ इस बात क वलिए परररत वका वक म आपको पतर वलिख और आपन दध-कतर की बजाए िाताणलिाप क दारा समाओ का समाzwjधान करन क वलिए विशव क विवभन िशरो म सहमवत बनान का जो परास वका ह उसक वलिए आपका zwjधिाि और सराहना कर वकसी भी परकार क आकरमण स न किलि इस कतर म दध वछड जाएगा अवपत इसक विशव-दध म

308 विशव सकट तथा शानत-पथ

पररिवतणत होन की परबलि सभािना ह एक पनचिमी समाचार पतर म आपका एक लिख पढ कर मझ अतत परसनता हई वजस म आपन इस बात को परमख रप स परतत वका वक आकरमण करना अवत विनाशकारी होगा और इसक पररणामिरप विशव-दध की समभािना हो सकती ह आपक इसी सकलप क कारण महा-शनतिरो न आकरमण का मागण ताग कर सहमवत एि सवzwjध का मागण अपनाा और इस समा का राजनवतक समाzwjधान वनकालिन पर सहमवत वति की वनचि ही मरा ह विशवास ह वक इस सहमवत न विशव को एक महाविनाशकारी एि विधिसक नथवत स बचा वलिा ह म विशष रप स आपक इस विचार स सहमत ह वक वि विशव क िश अपन-अपन तर पर और एक-पकी वनणण लिग तो स ति राषट का भी िही अत होगा जो वक लिीग ऑफ नशस (राषटसघ) का हआ था अथाणत ह विफलि हो जाएगा वनसिह अभी दध की वचगारी भडकाई गई थी परत परसनता इस बात की ह वक ह जवालिा अब कछ सीमा तक शात हो गई ह जो सकारातमक परास अब तक वका गा ह भगिान कर उसक फलििरप दध का खतरा पणणता समापत हो जाए भगिान कर विशव की महाशनतिा छोट िशरो की रका कर उनका सममान कर और उनक उवचत अवzwjधकार उह ि न ह वक किलि अपनी िीटो-शनति क परोग की वचता म वत रह

शानत-थापना हत आपक परासरो न मझ ह zwjधिाि-पतर वलिखन क वलिए वििश कर विा ह मरी पराथणना ह वक ह परास अथाई न हरो अवपत मरा विशवास ह और म पराथणना करता ह वक आप सिि शानत-थापना क वलिए परासरत रह परमातमा आपको इस उदश-पवतण का सामथ ण परिान कर

विशव-शानत क वलिए जब भी मझ अिसर परापत होता ह म लिोगरो का धान इस ओर आकवषणत कराता ह वक ा पर आzwjधाररत विशव-शानत थावपत की जाए मर कछ भाषण World Crisis and the Pathway to Peace (विशव सकट तथा शानत-पथ) नामक पतक म परकावशत हो चक ह वजसकी एक परवत

309विशि क नताओ क नाम पतर

भट िरप आपक वलिए परतत हशभकामनाओ एि पराथणनाओ सवहत

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

Page 4: विश्व संकट तथा शान्तपथ - Ahmadiyya...आ जन र म प रम ख, क ग र स स , स स , र ज त, ग र सरक र स

मवषय सची

लिखक क विष म xiपराककथन xv

भाषण

विशि सकट पर इलिाम का दनटिकोण 3

िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए 27

एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता 43

शानत-पथ mdash राषटरो क मध ापणण सबzwjध 71

शानत की कजी mdash विशव-एकता 107

का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह 131

इलिाम mdash शानत और िा का zwjधमण 151

ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता 171

िनशवक शानत और सरका ितणमान ग की खतरनाक समाए 189

िनशवक अशानत म शानत की कजी 207

viii विशव सकट तथा शानत-पथ

विशि क नताओ क नाम पतर

आिरणी पोप बवनविकट XVI क नाम पतर 227

इसाईलि क परzwjधानमतरी क नाम पतर 235

इलिामी ररपनलिक ईरान क राषzwjटरपवत क नाम पतर 241

सति राज अमररका क राषटपवत क नाम पतर 247

कनािा क परzwjधानमतरी क नाम पतर 253

िो पवितर थलिरो क सरकक सऊिी अरब राज क समाट क नाम पतर 259

चीन क परzwjधानमतरी क नाम पतर 265

नाइटि वकगिम क परzwjधानमतरी क नाम पतर 271

जमणनी की चासलिर क नाम पतर 277

फास गणराज क राषटपवत क नाम पतर 283

नाइटि वकगिम त था राषट-मणिलि िशरो की महारानी क नाम पतर 291

इलिामी गणराज ईरान क सिणपरमख नता क नाम पतर 299

रस क राषटपवत क नाम पतर 305

लिखक क विष म

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क सिवोचच परमख ह आप हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी मसीह मौऊि ि महिी अलिवहसलिाम क पाचि उततरावzwjधकारी ह

आपका जम 15 वसतमबर 1950 को रिह पावकतान म िगगी वमजाण मसर अहमि सावहब ि िगगी नावसरा बगम सावहबा क पररिार म हआ कवष विशवविदालि फसलिाबाि पवकतान स 1977 ई म कवष-अथणशातर म सातकोततर की उपावzwjध परापत करन क पचिात आपन औपचाररक रप स अपना जीिन इलिाम की सिा क वलिए समवपणत कर विा तिोपरात आपको 1977 ई म घाना (अ फीका) वभजिाा गा जहा आप कई िषषो तक विवभन अहमविा मनलिम ककलिरो म परzwjधानाचाण क रप म सिारत रह आपन अहमविा सकणिरी ककलि शाघा क आरमभ होन म भी ोगिान विा और परारनमभक िो िषण तक िहा वपरवसपलि क रप म भी काणरत रह

हजरत वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचम

लिखक क विष म

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क सिवोचच परमख ह आप हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी मसीह मौऊि ि महिी अलिवहसलिाम क पाचि उततरावzwjधकारी ह

आपका जम 15 वसतमबर 1950 को रिह पावकतान म िगगी वमजाण मसर अहमि सावहब ि िगगी नावसरा बगम सावहबा क पररिार म हआ कवष विशवविदालि फसलिाबाि पवकतान स 1977 ई म कवष-अथणशातर म सातकोततर की उपावzwjध परापत करन क पचिात आपन औपचाररक रप स अपना जीिन इलिाम की सिा क वलिए समवपणत कर विा तिोपरात आपको 1977 ई म घाना (अ फीका) वभजिाा गा जहा आप कई िषषो तक विवभन अहमविा मनलिम ककलिरो म परzwjधानाचाण क रप म सिारत रह आपन अहमविा सकणिरी ककलि शाघा क आरमभ होन म भी ोगिान विा और परारनमभक िो िषण तक िहा वपरवसपलि क रप म भी काणरत रह

हजरत वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचम

xii विशव सकट तथा शानत-पथ

िहा स पावकतान लिौट आन क पचिात आप रिह म अहमविा जमाअत क मखालि म विवभन पिरो पर आसीन रह कर सिारत रह सन 1999 ई म आप को एक वचह-पट स पवितर कआणन क शि वमटान क वमथा आरोप म अलपािवzwjध क वलिए कारािास भी काटना पडा

22 अपरलि 2003 को अहमविा मनलिम जमाअत क जीिनपणत पि lsquoखलिीफाrsquo क वलिए वनिाणवचत होन क फलििरप आप एक अतराणषटी zwjधावमणक स था वजसक 200 स अवzwjधक िशरो म लिाखरो अनाी ह क विशववापी zwjधावमणक एि परशासवनक परमख भी ह

खलिीफा वनिाणवचत होन क पचिात स अब तक हजर परचार एि परसार क सभी माधमरो दारा इलिाम का शानतपणण सिश पहचान का एक विशववापी अवभान का नतति करत आ रह ह आपक नतति म अहमविा मनलिम जमाअत की राषटी शाखाओ दारा इलिाम की िातविक शानतपणण वशकाओ को परिवशणत करन िालि काणकरम परारभ वकए गए ह विशव भर म अहमिी मसलिमान लिाखरो की सखा म मसलिमानरो तथा गर मनलिमरो को lsquoशानतrsquo विजापन बाटन सिणzwjधमण सममलिन एि शानत समारोह आोवजत करन तथा पवितर कआणन क िातविक एि उततम सिश क परचार हत परिशणवना आोवजत करन क मलि परासरो म वत ह काणकरम विशवतर पर सचार माधमरो क आकषणण का क दर बन ह तथा इनक दारा ह परिवशणत होता ह वक इलिाम शानत अपन िश क परवत िफािारी और मानिता की सिा का परबलि समथणक ह

हजर न सन 2004 ई म िावषणक lsquoराषटी शानत समारोहrsquo का उदाटन वका वजसम समाज क विवभन िगषो क लिोग एकतर होकर

xiiiलिखक क विष म

शानत एि एकता क समबzwjध म विचाररो का आिान-परिान करत ह परवतिषण इस समारोह म बहत स मतरी सासि राजनीवतज zwjधावमणक नता तथा अ पिावzwjधकारी सनममवलित होत ह हजर न मानिता की सिा को परोतसावहत करन तथा इस उदश को साकार करन हत विशववापी भरमण वका ह हजर क नतति म अहमविा मनलिम जमाअत न विशव क िरथ भागरो म उततम वशका तथा िाथ सविzwjधाए उपलिzwjध करान हत बडी सखा म ककलि तथा अपतालिरो का वनमाणण वका ह

हजर समाज क परतक तर पर शानत थावपत करन म परासरत ह हजर अहमविा मनलिम जमाअत क सिरो को वनरतर उपिश ित ह वक ि वनतिगत तर पर सzwjधार उतपन करन क वलिए अपन आप स lsquoवजहािrsquo (सघषण) कर जो वक सिणशषठ वजहाि ह इस परकार परतक अहमिी मसलिमान वनतिगत तर पर शानत थावपत करन म सफलि होकर अ लिोगरो क वलिए भी शानत उपलिzwjध करान म सहाक वसदध हो सकगा

हजर अ सभी लिोगरो को भी ही सिश ित ह मलिबोनण म एक विशष िागत समारोह म शानत थापना सबवzwjधत एक गर-मनलिम क परशन क उततर म हजर न कहा ldquoवि आपक भीतर शानत ह तो इस का अथण ह वक आप शानत का परास कर रह ह वि हम म स परतक क भीतर शानत हो तो इसका अथण ह वक हम िसररो तक शानत का परसार कर रह हrdquo

हजर वनतिगत एि सामवहक तर पर तथा थानी राषटी त था अतराणषटी मच पर इलिाम की िातविक वशकाओ क अनसार शानत- थापना क थाथण उपारो क समबzwjध म अ सभी लिोगरो का मागणिशणन कर रह ह

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब अयिहलाह आजकलि लििन इगलिि म रह रह ह अहमिी मसलिमानरो क विशववापी zwjधावमणक नता क रप म आप शानत और िा क सखिाी सिश क दारा उतसाहपणण ढग स इलिाम का परचार कर रह ह

पजककथन

ससार अतत अशानतपणण पररनथवतरो म स गजर रहा ह िनशवक आवथणक सकट परवत सपताह वनरतर निीनतम और गमभीर विपवतता उतपन करता जा रहा ह वदती विशव दध स पिण की पररनथवतरो म समानता का वनरतर िणणन वका जा रहा ह और पटि रप स परतीत होता ह वक ितणमान घटनाए विशव को एक अतत तीवर गवत स एक भकर तती विशव दध की ओर लि जा रही ह परबलि रप स ह आभास हो रहा ह वक नथवत वनतरण स बाहर होती जा रही ह और लिोग वकसी ऐस वनति की खोज म ह जो विशव मच पर परकट होकर एक ऐसा थाथण और सदढ समाzwjधान परतत कर वजस पर ि परा विशवास और भरोसा कर सक और जो समान रप स उनक हि एि मन को परभावित कर सक और जो उनक भीतर ह आशा जागत कर वक शानत की ओर अगरसर करन िालिा मागण भी मौजि ह परमाण दध क पररणाम इतन भीषण ह वक कोई उनकी कलपना करन का भी साहस नही करता

xvi विशव सकट तथा शानत-पथ

इस पतक म हम न हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब विशवzwjवापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख दारा परतत समाzwjधान और मागणिशणन को सकवलित वका ह गत कई िषषो क अतगणत जस जस पररनथवता परकट होती गई आप न अतत वनभणतापिणक इस बात की घोषणा वक पररनथवता वकस ओर बढ रही ह mdash आपन भ उतपन करन क वलिए नही अवपत विशव को इस बात का विचार करन पर वििश करन क वलिए ऐसा वका वक ससार आज इस नथवत तक कस पहचा और वकस परकार हम इस विनाश को टालि कर इस विशव-गराम म वनिास कर रह सभी लिोगरो क वलिए शानत एि सरका क मागण का वनमाणण कर सकत ह आप न पटि शिरो म ह घोषणा की वक शानत को सवननचित बनान का किलि ही उपा ह वक ससार विनमता और ा का मागण zwjधारण कर लि और अतत नम एि विनीत िभाि स परमातमा की शरण म आ जाए मनषzwj मानिता की भािना का परिशणन कर शनतिशालिी लिोग वनबणलि लिोगरो क साथ आिर सममान एि ापणण विहार कर और वनबणलि और वनzwjधणन लिोग कतजता का परिशणन कर और सत एि पण क मागण पर चलि तथा सभी लिोग पणण विनमता एि वनषzwjकपटता स अपन सटिा की शरण म आ जाए

आपन बार-बार सभी का इस ओर धानाकषणण कराा वक विनाश क कगार स िापस लिौटन का अब किलि ही एक उपा ह वक समत िश परपर एक िसर क साथ ा क विहार को अवनिाण बना लि वि उनम परपर शतरता भी ह तब भी उह ा का पालिन करना चावहए करोवक इवतहास स हम ही वशका वमलिती ह वक भविषzwj म उतपन होन िालिी शतरताओ क उमलिन का किलि ही एक उपा ह

xviiपराककथन

अतः इस परकार वचरथाी शानत की थापना करनी चावहए आपन वनतिगत रप स विशव क महान िशरो क नताओ एि

अवzwjधकारररो को समबोवzwjधत करन हत िर िर तक भरमण वका ह वजसम कवपटलि वहलि िावशगटन िीसी लििन म पावलिणामट क िोनरो सिन स मखालि जमणनी बरसलज म रोपी पावलिणामट और जीलिि की राषटी ससि म विए गए ऐवतहावसक भाषण शावमलि ह इन आोजनरो म परमख कागरस सि सासि राजित गर सरकारी सथाओ क नता zwjधावमणक नता पराधापक नीवत सलिाहकार और पतरकार सनममवलित होत रह आपन पटि रप स ह कहा वक ा की माग तभी पणण हो सकती ह जब सभी गटरो और लिोगरो क साथ समानता का विहार वका जाए और आपन ह चतािनी भी िी वक अापणण तथा अमानिी आवथणक एि राजनीवतक नीवतरो क कारण विशव की विवभन जावतरो क मध तनाि म जो वनरतर िवदध हो रही ह उसक पररणामिरप विशव सकट गहराता जाएगा

विशव क नताओ क नाम अपन पतररो म आपन पवितर कआणन की वनमनवलिवखत वशका पर विशष रप स बलि विा

ldquoऔर तमह किसी जाकत िी शतता इस िारण स कि उनहोन तमह मसजद-ए-हराम स रोिा था इस बात पर न उिसाय कि तम अतयाचार िरो और निी और तक़वा म एि दसर िा सहयोग िरो और पाप और अतयाचार (वाल िामो) म सहयोग न िरो और अलाह स डरो कनसनदह अलाह दड दन म बहत िठोर हrdquo

(सरह अलिमाइिह आत - 3)

xviii विशव सकट तथा शानत-पथ

राषटपवत ओबामा को आपन वलिखा ःldquoजसा वक हम सभी पररवचत ह राषटसघ की विफलिता और

1932 ई क आवथणक सकट वदती विशव दध क परमख कारण बन थ आज क अगरगण अथणशातरी ह कहत ह ितणमान और 1932 ई क आवथणक सकट म बहत सी समानताए ह हम ह िखत ह वक राजनवतक और आवथणक समाए छोट िशरो क मध पनः दध का कारण बनी ह और उन िशरो म इन क कारण आतररक अशानत और असतोष का िातािरण वापत हो चका ह इस नथवत म अततः कछ ऐसी शनतिा अनवचत लिाभ उठाकर ससार की बागिोर समभालि लिगी जो विशव दध का कारण बन जाएगी वि छोट िशरो क परपर वििािरो का राजनीवत अथिा ककटनीवत स समाzwjधान नही ढढा जा सकता तो इस क कारण विशव म नए गटरो और समहरो का जम होगा और ह नथवत तती विशव दध का पिाणिलिोकन परतत करगी अतः मरा ह विशवास ह वक इस सम विशव क विकास पर धान कनदरत करन की बजाए ह अवतआिशक और वनतात अवनिाण ह वक हम विशव को इस विनाश स सरवकत रखन क अपन परासरो म शीघर स शीघर तीवरता पिा कर इस बात की भी अतत आिशकता ह वक मानिजावत परमातमा को पहचान जो वक एक ह और हमारा सटिा ह करोवक किलि ही मानिता क जीिन को सरवकत बना सकता ह िरन ह ससार वनरतर आतम-विनाश की ओर तीवरता स अगरसर होता रहगाrdquo

राषटपवत पवतन को आपन वलिखा ः ldquoसीररा की ितणमान वचताजनक पररनथवत न मझ इस बात क

वलिए परररत वका वक म आपको पतर वलिख और आपन दध-कतर की

xixपराककथन

बजाए िाताणलिाप क दारा समाओ का समाzwjधान करन क वलिए विशव क विवभन िशरो म सहमवत बनान का जो परास वका ह उसक वलिए आपका zwjधिाि और सराहना कर वकसी भी परकार क आकरमण स न किलि इस कतर म दध वछड जाएगा अवपत इसक विशव-दध म पररिवतणत होन की परबलि सभािना ह एक पाचिात समाचार पतर म आपका एक लिख पढ कर मझ अतत परसनता हई वजस म आपन इस बात को मख रप स परतत वका वक आकरमण करना अवत विनाशकारी होगा और इसक पररणामिरप विशव-दध की समभािना हो सकती ह आपक इसी सकलप क कारण महा-शनतिरो न आकरमण का मागण ताग कर सहमवत एि सवzwjध का मागण अपनाा और इस समा का राजनवतक समाzwjधान वनकालिन पर सहमवत वति की वनचि ही मरा ह विशवास ह वक इस सहमवत न विशव को एक महाविनाशकारी एि विधिसक नथवत स बचा वलिा ह म विशष रप स आपक इस विचार स सहमत ह वक वि विशव क िश अपन-अपन तर पर और एक-पकी वनणण लिग तो सति राषट का भी िही अत होगा जो वक लिीग ऑफ नशस (राषटसघ) का हआ था rdquo

सीररा और ईरान का सकट सन 2013 क अनतम छः माह म काफी सीमा तक शात हो गा था वबरटन की सरकार न सीररा म स हतकप क विरोzwjध म मतिान वका था रस और स ति राज अमररका म सीररा क रासावनक शतररो क वनपटार समबzwjधी एक ोजना पर सहमवत बन गई थी सति राज अमररका न सीररा पर आकरमण करन का विचार ताग विा और इसी परकार विशव की महान शनतिरो न ईरान क साथ एक ऐस परमाण समझौत पर सहमवत परकट

xx विशव सकट तथा शानत-पथ

की जो सभी क वलिए िीका ण था सभी िगण उस विशा म परगवत का िागत करत ह वजस ओर हजर विशव को जान का आगरह करत आ रह थ परत अभी हम सरवकत नथवत स बहत िर ह और हम विशव-शानत का वचरथाी समाzwjधान ढढन क वलिए अतवzwjधक परास करना होगा

ह हमारी सचची पराथणना ह वक सकट की ितणमान पररनथवतरो म इस प तक म सकवलित सझाि एि समाzwjधान मानिता क वलिए मागणिशणन का सोत वसदध हरो वजसक फलििरप ा और विनमता क वसदधातरो का पालिन करत हए परमातमा की शरण म जाकर मनषzwj को वचरथाी शानत परापत हो - आमीन

परकाशक

भाषण

मवशव सकट पर इसलजि कज दनटिकोण

वबरवटश पावलिणामट ि हाउस ऑफ कॉमज लििन क 2008

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba delivering the keynote address at the House of Commons

Seated Lord Avebury (Liberal Democrats Spokesman for Foreign Affairs) Rt Hon Hazel Blears MP (Secretary of State for Communities and Local Government) Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba Justine Greening MP (Shadow Treasury Minister) Gillian Merron MP (Foreign Office Minister) Councillor Louise Hyams (the Lord Mayor of Westminster) Standing Jeremy Hunt MP (Shadow Culture Minister) Rafiq Hayat (National Amir AMA UK) Virendra Sharma MP Rt Hon Malcolm Wicks MP (Former Minister at Department for Business Enterprise and Regulatory Reform) Rob Marris MP Simon Hughes MP (President of the Liberal Democrats Party) Martin Linton MP Alan Keen MP

Official tour of the House of Commons courtesy of Justine Greening MP

पररचय

22 अतिबर 2008 को हाऊस ऑफ कामस (वबरवटश पावलिणामट) म हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम विशववापी जमाअत अहमविा क परमख का ऐवतहावसक भाषण

ह िागत समारोह वखलिाफत-ए-अहमविा क सौ िषण पणण होन क शभ अिसर पर अहमविा मनलिम जमाअत क मख कााणलि मनजि फजलि क ससिी कतर Putney क सासि माननी Justine

Greening दारा आोवजत वका गा थाइस समारोह म माननी Gillian Merron MP Rt Hon Hazel

Blears MP Alan Keen MP Dominic Grieve MP Simon Hughes

MP Lord Eric Avebury क अवतररति कई परवतनषठत पतरकार राजनीवतज तथा विवभन वािसावक कतररो क विशषज उपनथत हए

मवशव सकट पर इसलजि कज दनटिकोण

بسم اللہ الرحمن الرحیم

सिणपरथम म समत आिरणी अवतवथ सजजनरो सासिरो का zwjधिाि करना चाहता ह वजहरोन एक zwjधावमणक सगठन क पशिा को कछ विचार परकट करन का अिसर परिान वका म अपन बहत ही आिरणी ससि सि जनटन गरीवनग जो वक हमार कतर स सासि ह का वनतात आभारी ह वजहरोन अपन वनिाणचन कतर म रहन िालिी कवथत छोटी सी जमाअत क वलिए शतिषगी जबलिी क अिसर पर इस आोजन को सफलि बनान म बहत ोगिान विा ह उनका ह ोगिान उनक वनिाणचन कतर क समत लिोगरो और समिारो की भािनाओ क परवत उनकी रवच परिवशणत करता ह तथा उनकी महानता और उिारता को परिवशणत करता ह

दवप जमाअत अहमविा एक छोटी सी जमाअत ह तथावप ह इलिाम की िातविक वशका का परवतवनवzwjधति करन िालिी जमाअत ह म ह अिश कहना चाहता ह वक परतक िह अहमिी जो वबरटन म

10 विशव सकट तथा शानत-पथ

रहता ह िह इस िश का वनतात िफािार नागररक ह और इसस परम करता ह और ह हमार नबी हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की वशकाओ का ही पररणाम ह वजहरोन हम ह वशका िी ह वक अपन िश स परम करना ईमान का एक अवनिाण अग ह वजस पथक नही वका जा सकता

जमाअत अहमविा क स थापक वजह हम मसीह मौऊि और ग का अितार एि सzwjधारक समझत ह न इलिामी वशकाओ को उनकी वाखा करत हए उवचत पररपरक म विशि क समक बड ठोस रग म परतत वका ह

आपन अपन िाि की घोषणा करत हए फरमाा वक परमशिर न मझ पर िो िावति अवनिाण वकए ह -

(1) परमशिर क परवत अवzwjधकार (2) उसकी सनटि क परवत अवzwjधकार आपन इस सबzwjध म अवतररकत िणणन करत हए कहा वक इन िोनरो

अवzwjधकाररो म स सनटि क परवत अवzwjधकाररो को पणण करना अवzwjधक कवठन एि चनौतीपणण काण ह

वखलिाफत क सिभण म आपको ह भ होगा वक कभी ऐसा सम भी आ सकता ह वक जब इवतहास िोहराा जाएगा तो इस परकार क नतति क कारण दध आरभ हो जाएगा ह इलिाम पर एक आरोप

तफसीर-ए-हककी सरह अलिकसस न 86 और फतहलिबारी फी शरह सहीउलि बखारी बाब कौवलिलाह तआलिा िrsquoतलि बता और तहफतलि अहिािी शरह जावमअतवततरवमजी बाब मा कलि मलफजात वजलि - 1 पषठ - 326

11पररच

लिगाा गा ह परत म आपको विशिास विलिाता ह वक वि खिा न चाहा तो वखलिाफत-ए-अहमविा सिि शानत और समि का झणिा ऊचा करन िालिी जानी जाएगी इसी परकार ह हर उस िश की िफािार रहगी वजसम इसक अन ाी रह रह हरोग वखलिाफत-ए-अहमविा इस सिभण म मसीह-ि-महिी क वमशन को ही हमशा आग बढान का परास करती रहगी अतः वखलिाफत स भभीत होन की किावप कोई आिशकता नही ह वखलिाफत जमाअत को उन िो कततणवरो को पणण करन की ओर आकटि करती ह वजह पणण करन क वलिए हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम अितररत हए ही कारण ह वक ह जमाअत समपणण विशि म शानत और समि थावपत करन का परास करती ह

सम की कमी को दनटिगत रखत हए अपन मलि विष की ओर आता ह वि हम गत कछ सविरो का वनषzwjपक विशषण कर तो हम जात होगा वक ततकालिीन दध िाति म zwjधावमणक दध न थ अवपत विशव-राजनीवत स सबवzwjधत दध थ हा तक वक ितणमान-लिडाई-झगड तथा जावतरो क मध शतरताओ स ह विवित होता ह वक इन सब क पररपरक म राजनवतक कतरी एि आवथणक िाथण होत ह

मझ ह आशका ह वक विशि क िशरो की राजनवतक आवथणक गवतविवzwjधा और समत पररक विशि दध की ओर लि जा सकत ह किलि विशि क गरीब िश ही नही अवपत अमीर िश भी इसस परभावित हो रह ह अतः ह विशि शनतिरो का कततणव ह वक ि बठकर विचार कर तथा विनाश क कगार पर खडी मानिता को बचाए

वबरटन भी उन िशरो म स एक ह जो विकवसत और विकासशीलि िशरो पर अपना िबाि अथिा परभाि िालि सकता ह वि आप चाह तो

12 विशव सकट तथा शानत-पथ

ा और समानता की मागरो को पणण करत हए विशि का पथ-परिशणन कर सकत ह वि हम वनकट अतीत को िख तो हम जात होता ह वक वबरटन न बहत स िशरो पर राज वका और विशष तौर पर उपमहादीप भारत तथा पावकतान पर तो अपन पीछ ा और zwjधावमणक िततरता का एक उचच आिशण छोडा जमाअत अहमविा इसकी साकी ह और जमाअत अहमविा क सथापक हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब न वबरटन की सरकार की ा और zwjधावमणक िततरता पर आzwjधाररत राजनीवत की अतत परशसा और सराहना की ह जब जमाअत अहमविा क स थापक न आिरणीा महारानी विकटोररा को उनकी हीरक जती क अिसर पर मबारकबाि परतत की तथा उनको इलिाम का सिश पहचाा तो आपन विशष रप स वबरवटश राज क ा और समानता की मागरो को परा करन को दनटिगत रखत हए ह िआ की वक परमशिर उस सरकार को उसकी इस सहिता का उततम परवतफलि परिान कर

अत हमारा इवतहास बताता ह वक जब भी वबरटन न ह ा का परिशणन वका हमन उसकी सराहना की हम आशा ह वक भविषzwj म भी न किलि zwjधावमणक मामलिरो म अवपत परतक पहलि स ा ही वबरटन की एक पषzwjट विशषता रहगी और ह वक आप अतीत क अपन अचछ गणरो को कभी नही भलिग

आज विशि म वनतात बचनी और उततजना ह हम िख रह ह वक छोटी-छोटी लिडाइा परारभ हो चकी ह जबवक कछ थानरो पर विशि शनतिा शानत थावपत करन की िाििार ह अत वि ा की माग पणण न की गई तो इन परािवशक दधरो की अनगन और जिालिा म तीवरता

13पररच

आ सकती ह और समपणण विशि को दध की चपट म लि सकती ह अत मरा आपस सविन वनििन ह वक विशि को विनाश स बचाए

अब म सवकपत तौर पर िणणन करगा वक विशि म शानत थावपत करन क वलिए इलिाम का वशकाए परतत करता ह ा ह वक उन वशकाओ क अनसार विशि म वकस परकार शानत की थापना हो सकती ह मरी ह िआ ह वक विशि म शानत थावपत करन क वलिए अपन पराथवमक सबोध अथाणत मसलिमान इस पर अमलि करन िालि हरो तथा विशव क समत िशरो एि महाशनतिरो तथा सरकाररो का भी ह कततणव ह वक ि भी इस का पालिन कर

ितणमान ग म समपणण विशव एक अतराणषटी गराम क रप म इस परकार बन चका ह वक इसस पिण इसकी कलपना भी नही की जा सकती थी हम मानि होन की दनटि स अपन कततणवरो को समझना चावहए तथा मानिावzwjधकार सबzwjधी उन समाओ क समाzwjधान की ओर धान िना चावहए वजसस विशव शानत तथा अमन थावपत हो सक पटि ह वक ह परतन ासगत हो तथा ा की मागरो को परा करन िालिा हो

ितणमान समाओ म स एक जवलित समा परतक तौर पर ा अपरतक तौर पर zwjधमण क कारण पिा हई ह इसम कछ मसलिमान वगरोह असिzwjधावनक तौर पर न किलि गर मनलिम सवनकरो तथा वनिवोष नागररकरो की हता करन तथा हावन पहचान क वलिए मानि बमरो तथा विफोटकरो का परोग करत ह अवपत साथ ही वनिवोष मसलिमानरो तथा बचचरो की वनमणम हता भी करत ह ह अताचारपणण काण करन की इलिाम किावप अनमवत नही िता

मसलिमानरो क इस करकर आचरण क कारण गर मनलिम िशरो म एक

14 विशव सकट तथा शानत-पथ

गलित भािना न जम लि वलिा ह पररणामिरप उस समाज का एक भाग खललिम-खललिा इलिाम क विरदध िषzwjपरचार करता ह जबवक िसरा दवप सािणजवनक तौर पर बात नही करता परत इलिाम क बार म िह भी हिरो म एक अचछी भािना नही रखता इस बात न पनचिमी िशरो की जनता क हिरो म तथा गर मनलिम िशरो म मसलिमानरो क बार म अविशवास की भािना पिा कर िी ह वििमबना ह वक इन कछ मसलिमानरो क कवथत आचरण क कारण पररनथवतरो म सzwjधार होन क थान पर गर मनलिमरो की परवतवकरा विन-परवतविन खराब होती जा रही ह

इस गलित परवतवकरा का परथम पषzwjट उिाहरण इलिाम क पगमबर

सललाहो अलिवह िसलम क जीिन चररतर और पवितर कआणन जो वक मसलिमानरो की पवितर प तक ह पर परहार ह इस पररपरक म वबरटन क राजनीवतजरो चाह उनका सबzwjध वकसी भी पाटगी स हो तथा इसी परकार वबरटन क बवदधजीविरो की विचारzwjधारा कछ अ िशरो क राजनीवतजरो स विपरीत रही ह वजसक वलिए म आपका आभारी ह इस परकार भािनाओ को ठस पहचान स नफरत घणा और परपर नीचा विखान की भािना को बढािा िन क अवतररकत और का लिाभ हो सकता ह ह घणा कछ विशष चरमपथी मसलिमानरो को गर इलिामी काण करन पर उकसाती ह जो वक बिलि म कई गर मनलिमरो को विरोzwjध परकट करन का अिसर परिान करती ह

बहरहालि जो चरमपथी नही ह और जो इलिाम क पगमबर स बहत परम करत ह उह इन आकरमणरो स बहत कषzwjट पहचता ह तथा इस सिभण म जमाअत अहमविा अगरसर ह हमारा परमख और सिाणवzwjधक अवनिाण कततणव हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम का पवितर जीिन

15पररच

चररतर और इलिाम की स िर और उततम वशका को ससार क समक परिवशणत करना ह हम जो विशि क समत नवबरो (अिताररो) का सममान करत ह और ह विशिास रखत ह वक ि सभी परमशिर की ओर स थ उनम स वकसी क बार म भी अपमानजनक बात नही कहत परत जब हम हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क बार म वनराzwjधार और झठ आरोप सनत ह तो हम बहत कषzwjट पहचता ह

ितणमान ग म जबवक विशि िो लिाकरो म विभावजत हो रहा ह उगरिाि म तीवरता आ रही ह और आवथणक पररनथवता बहत खराब हो रही ह इस बात की वनतात आिशकता ह वक हर परकार की घणा को समापत वका जाए तथा शानत की नीि रखी जाए ह तभी सभि हो सकता ह जब परपर सभी की भािनाओ का आिर वका जाए वि ह काण उवचत तौर पर पणण ईमानिारी और सिभािनापिणक न वका गा तो ह पररनथवता उस सीमा तक भानक हो जाएगी वजन पर वनतरण पाना असभि हो जाएगा म इस बात की बहत सराहना करता ह वक आवथणक दनटि स सदढ पनचिमी िशरो न वनzwjधणन और विकासशीलि िशरो क लिोगरो को वजनम मसलिमान भी सनममवलित ह वनतात उिारता क साथ अपन िशरो म रहन की अनमवत िी

िातविक ा इस बात की माग करता ह वक उन लिोगरो की भािनाओ और zwjधावमणक रीवत-ररिाजरो का भी आिर वका जाए ही िह उपा ह वजसस लिोगरो की मानवसक शानत को काम रखा जा सकता ह हम ह मरण रखना चावहए वक जब वकसी वनति की मानवसक शानत को भग वका जाता ह तो उस समाज की मानवसक शानत भी परभावित होती ह

16 विशव सकट तथा शानत-पथ

जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह वक म वबरटन क राजनीवतजरो एि विथापकरो का ा की मागरो को परा करन तथा इस परकार का हतकप न करन पर कतज ह

िाति म ही इलिामी वशका ह जो पवितर कआणन हम िता ह पवितर कआणन ह घोषणा करता ह वक -

धरम क रारल र कोई जबरदसzwjती नही (सरह बकरह आत - 257)

ह आिश न किलि उस आरोप का खिन करता ह वक इलिाम को तलििार क बलि पर फलिाा गा अवपत ह वशका मसलिमानरो को ह भी बताती ह वक वकसी zwjधमण को िीकार करना मनषzwj और उसक परमशिर क मध का मामलिा ह और तमह वकसी भी पररनथवत म इसम हतकप नही करना चावहए परतक को ह अनमवत ह वक िह अपनी आथानसार जीिनापन कर तथा अपन zwjधावमणक रीवत ररिाजरो का पालिन कर परत zwjधमण क नाम पर वि कोई ऐसी परमपराए हरो जो िसररो को हावन पहचाए तथा राषzwjटरी काननरो क विपरीत हरो तो ऐसी नथवत म उस िश म कानन थावपत करन िालि हरकत म आ सकत ह करोवक वि वकसी zwjधमण म कोई अवपर परमपरा परचवलित ह तो ह परमशिर क वकसी नबी की वशका नही हो सकती

राषzwjटरी और अतराणषzwjटरी तर पर शानत थावपत करन क वलिए ही मलि वसदधात ह

इसक अवतररकत इलिाम हम ह वशका िता ह वक वि तमहार zwjधमाातरण क कारण कोई समाज ा कोई िगण अथिा कोई सरकार तमहारी zwjधावमणक परमपराओ की अिागी म हतकप करन का परास

17पररच

करती ह और ततपशचात पररनथवता आपक अनककलि हो जाए तब भी सिि ह मरण रखना चावहए वक तम वफर भी हि म कोई दष िमन और कपट नही रखोग तमह परवतशोzwjध लिन क बार म नही सोचना चावहए अवपत ा और समानता थावपत करनी चावहए पवितर कआणन का कथन ह -

ह व लोगो जो ईमान लाए हो अलाह ि कलए मज़बती स कनगरानी िरत हए नयाय ि समथथन म साकी बन जाओ और किसी जाकत िी शतता तमह िदाकप इस बात िी ओर पररत न िर कि तम नयाय न िरो नयाय िरो यह तक़वा ि सबस अकिि कनिट ह और अलाह स डरो जो तम िरत हो कनसनदह अलाह उसस सदा अवगत रहता ह (सरह अलिमाइिह आत - 9) समाज म शानत थावपत रखन क वलिए ही वशका ह वक अपन शतर

स भी ा स काम लिना ह और ा को हाथ स नही जान िना चावहए इलिाम का परारवभक इवतहास हम ह बताता ह वक इस वशका का पालिन करत हए ा की समत मागरो को पणण वका गा म हा इसक बहत उिाहरण नही ि सकता परत इस िातविकता पर इवतहास साकी ह वक मकका-विज क पशचात हजरत महममि सलललिाहो अलिवह िसलम न उन लिोगरो स कोई परवतशोzwjध नही वलिा वजहरोन आपस को कठोर ातनाए और कषzwjट पहचाए अवपत उह कमा कर विा तथा उह उनकी अपनी आथाओ पर रहन विा ितणमान ग म शतर क परवत ा की समपणण अवनिा णताओ को पणण करन पर ही थाी रप स शानत थावपत हो सकती ह न किलि कटटरिाविरो क विरदध दधरो म अवपत अ सभी

18 विशव सकट तथा शानत-पथ

दधरो म ऐसी शानत ही िाति म थाी हो सकती ह गत शतािी म िो दध हए उसक कारण जो भी थ परत वि

हम गहराई स विचार कर तो किलि एक ही कारण दनटिगोचर होता ह और िह ह ह वक परथम - ा को थोवचत थावपत नही वका गा तथा परवतवकरा िरप वजस एक बझी गई अनगन विचार वका गा िह गमण राख म पररिवतणत हो गई जो वक zwjधीर-zwjधीर सलिगती रही और अत म उसन पनः एक जिालिा म पररिवतणत होकर एक विकरालि रप लि वलिा तथा समत विशि को अपनी लिपट म लि वलिा

आज अशानत बढ रही ह तथा दध एि शानत को थाित रखन क वलिए काणिावहा एक अ विशि-दध का सचक बनती जा रही ह इस परकार ितणमान आवथणक और सामावजक कवठनाइा भी इस पररनथवत को बढािा िन का एक कारण हरोगी

पवितर कआणन न विशि-शानत थावपत करन क वलिए बड ही सनहर वसदधात परतत वकए ह ह एक पषzwjट िातविकता ह वक लिालिसा शतरता को जम िती ह कभी ह सीमाओ का अवतकरमण करन क रप म परकट होती ा वफर पराकवतक समपिाओ पर अवzwjधकार करन क रप म अथिा िसररो पर अपनी शषzwjठता वसदध करन क वलिए और वफर ह शतरता अा और अताचार की ओर लि जाती ह चाह ह अताचार करकर वनरकश शासकरो की ओर स हो जो परजा क अवzwjधकाररो का हनन करत ह तथा अपन वनतिगत वहतरो क वलिए अपनी शषzwjठता वसदध करत ह ा वफर अताचार आकरमणकारी सना क दारा हरो परा इन अताचाररो क वशकार लिोगरो का चीतकार और करोzwjध बाहय िशरो को आिाज िता ह

बहरहालि इलिाम क पगमबर न हम वनमनवलिवखत सनहर वसदधात

19पररच

वसखाए ह वक अताचारी और पीवडत िोनरो की सहाता करोहजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क एक सहाबीरवज न

पछा वक - अताचार स पीवडत की सहाता करना तो समझ म आता ह परत एक अताचारी की सहाता ि वकस परकार कर सकत ह आपस न उततर विा - उसक हाथ को अताचार स रोक कर करोवक उसका अताचार म बढ जाना उस परमशिर क अजाब का पातर बनाएगा (सही बखारी हिीस सखा - 6952)

अत उस पर िा करत हए उस बचान का परतन करना ह ह वसदधात समाज क सब स छोट तर स लिकर अतराणषzwjटरी तर पर भी वापत ह इस सिभण म पवितर कआणन की आत ह -

यमद िोमिनरो क दो मिरोह आपस ि झिड पड तो उन दोनरो ि समि करज दो मिर यमद समि हो जजन क पशचजत उन दोनरो ि स कोई एक दसर पर चढजई कर तो सब मिल कर उस चढजई करन वजल क मवरदध यदध करो यहज तक मक वह अलजह क आदश की ओर लौट आए मिर यमद वह अलजह क आदश की ओर लौट आए तो यजय क सजथ (उन दोनरो लडन वजलरो) ि समि करज दो तथज यजय को दनटिित रखो अलजह यजय करन वजलरो को बहत पसद करतज ह

(अलिहजरात आत - 10) दवप ह वशका मसलिमानरो स सबवzwjधत ह परत वफर भी इस

वसदधात को अपनात हए अतराणषzwjटरी तर पर शानत की नीि रखी जा सकती ह शानत को थावपत रखन क वलिए जसा वक आरभ म ह िणणन वका गा ह वक शानत की पराथवमक माग ा ह और ा क वसदधात

20 विशव सकट तथा शानत-पथ

को अपनान क बािजि भी वि शानत-थापना क परास विफलि हो जात ह तब स कत रप स उस वगरोह क विरदध दध करो वजस न अा वका ह और उस सम तक दध करो जब तक वक िह अा करन िालिा वगरोह शानत थावपत करन क वलिए त ार न हो जाए ा की माग ह ह वक परवतशोzwjध लिन का परास न वका जाए परवतबzwjध न लिगाओ हर परकार स अा करन िालि पर दनटि रखो परत साथ ही उसकी नथवत को सzwjधारन और उततम बनान का परतन करो

इस बचनी को समापत करन क वलिए जो वक आजकलि विशि क कछ िशरो म पाई जाती ह और विशष तौर पर िभाणग स कछ मनलिम िशरो म अत ि िश जो Veto करन का अवzwjधकार रखत ह उह ह पषzwjट करना चावहए वक का ा को थोवचत कााणनित वका गा अथिा नही जब कभी सहाता की आिशकता पडी तो शनतिशालिी िशरो की ओर हाथ बढाए गए

जसा वक मन पहलि िणणन वका ह वक हम इस िातविकता क साकी ह वक वबरटन सरकार का इवतहास रहा ह वक हमशा ा को काम रखा ह और इस बात न मझ परोतसाहन विा ह वक म आपका धान उनम स कछ मामलिरो की ओर आकषzwjट कर

विशि म शानत थावपत करन का एक अ वसदधात वजसकी हम वशका िी गई ह िह ह ह वक लिालिसागरत होकर िसररो की zwjधन-समपवतत को न िखना

पवितर कआणन फरमाता ह - ldquoऔर हमन उनम स िछ लोगो िो सासाररि जीवन ि जो िछ ऐशवयथ ि सामान अथायी तौर पर द रख ह त

21पररच

उनिी ओर अपनी दोनो आखो िो फला-फला िर न दख (कयोकि यह सामान उनह इसकलए कदया गया ह) ताकि हम इसि दारा उनिी परीका ल rdquo

(ताहा आत - 132)िसररो की zwjधन-समपवतत स िाह और लिालिसा भी ससार म बढी हई

अशानत का एक कारण ह वनतिगत तौर पर जसा वक कहाित ह वक lsquoपडोवसरो स परवतपzwjधाण करन की होड न कभी न समापत होन िालिी लिालिसा को जम विा हrsquo इस ित का पररणाम समापत न होन िालिी लिालिसा ह वजसन सामावजक शानत को नटि कर विा ह राषzwjटरी तर पर लिालिच पर आzwjधाररत परवतपzwjधाण आरभ हई जो वक विशि को विनाश की ओर लि गई इवतहास स ह वसदध ह परतक बवदधमान वनति अनमान लिगा सकता ह वक िसररो की zwjधन-समपवतत की इचछा दष लिालिसा एि हावन का कारण बनी

इसीवलिए परमशिर का कथन ह वक परतक को अपन ही साzwjधनरो पर वनभणर रहना चावहए तथा उही स लिाभ उठाना चावहए सीमाितगी अथिा िसर क अवzwjधकार िालि कतर स लिाभ परापत करन का परास करना तो वकसी क िावमति अथिा उसक अवzwjधकत कतर की पराकवतक समपिाओ स लिाभ परानति का परास होता ह

िशरो क गठबzwjधन एि लिाक बनान का उदश भी कछ िशरो क पराकवतक ससाzwjधनरो पर अवzwjधकार करना होता ह इस सिभण म बहत स लिखक जो इसस पिण कछ सरकाररो क एििाइजर (सलिाहकार) रह चक थ उहरोन ऐसी पतक वलिखी ह वजनम इस बात का वििरण मौजि ह वक कछ िश वकस परकार िसर िशरो की पराकवतक समपिाओ

22 विशव सकट तथा शानत-पथ

पर अवzwjधकार करन क परास करत ह लिखक कहा तक सचच ह ह तो उह ही जात होगा और परमशिर सबस अवzwjधक जानता ह परत इन लिखरो का अधन करक जो नथवत उभर कर सामन आती ह िह उन लिोगरो क हिरो म अतत करोzwjध का कारण बनती ह जो अपन वनzwjधणन िशरो क परवत िफािार ह ह बात भी उगरिाि का पोषण करन तथा विनाशकारी शतर बनान की परवतपzwjधाण का एक बडा कारण ह

ितणमान ससार भतकालि की तलिना म ि को अवzwjधक गभीर बवदधमान और वशवकत समझता ह हा तक वक वनzwjधणन िशरो म भी ऐस बवदधमान लिोग ह जो अपन काण-कतर म उचच वशका-परापत ह बहत ही उचच ोगता रखन िालि वििकशीलि लिोग विशि क परखात शोzwjध स थानरो (Research Centres) म इकट काण करत ह इस पररदश म ह कलपना की जानी चावहए थी वक काश लिोग इकट होत और स कत तौर पर सोचन क गलित ढगरो एि अतीत की मखणताओ को समापत करन का परास करत जो शतरताओ और भzwjाानक दधरो का कारण बनी ईशिर-परितत वििक और विजान की परगवत को मानि जावत क वहत और कलाण तथा िसररो की पराकवतक समपिाओ स िzwjध और उवचत ढगरो स लिाभानित होन म लिगाना चावहए था

परमशिर न परतक िश को पराकवतक समपिाए परिान की ह वजह विशि को शानत का गढ बनान क वलिए पणण रप स परोग करना चावहए परमशिर न बहत स िशरो को विवभन फसलि उगान क वलिए एक वनतात उततम जलििा और िातािरण परिान वका ह वि आzwjधवनक टकनालिॉजी को उवचत तौर पर ोजनाबदध रप स खतीबाडी क वलिए उपोग वका जाता तो आवथणक नथवत सदढ होती तथा ससार

23पररच

स भख की समा को समापत वका जा सकता था ि िश वजह खवनज समपिाओ स समपन वका गा ह उह उनवत

करन और उवचत मलरो पर िततर तौर पर वापार करन िना चावहए तथा एक िश को िसर िश क खवनज-पिाथषो स लिाभ परापत करना चावहए अत ही उवचत मागण ह वजस परमशिर न पसि वका ह

परमशिर अपन पगमबररो को लिोगरो क पास इसवलिए भजता ह तावक उह ि ऐस मागण बताए जो उह परमशिर क वनकट लि जाए इसक साथ ही परमशिर कहता ह वक zwjधमण क सबzwjध म पणण िततरता ह हमारी ह आथा ह वक दवप िातविक परवतफलि ा िणि मतोपरात वमलिगा परत ईशिर दारा थावपत विथा क अतगणत जब उसकी परजा पर अताचार वका जाता ह तथा ा और सिzwjभािना की अिहलिना की जाती ह तब परकवत क वनम क अनसार इस ससार म भी उसक पररणाम और परभाि िख जा सकत ह ऐस अारो पर बडी कठोर परवतवकरा होती ह तथा इस बात को कोई नही िखता वक िह परवतवकरा उवचत ह ा अनवचत

ससार पर विज परापत करन का उवचत मागण ह ह वक वनzwjधणन िशरो को उनका उवचत थान परिान करन क वलिए पणण रप स परतन करना चावहए

ितणमान ग की एक बडी समा आवथणक सकट ह वजस पाररभावषक तौर पर (Credit Crunch) कहा गा ह चाह ह वकतना ही विवचतर लिग परत साक एक िातविकता की ओर सकत करती ह पवितर कआणन ह कहत हए हमारा मागण-िशणन करता ह वक ाज छोड िो करोवक ाज एक ऐसा अवभशाप ह जो पाररिाररक

24 विशव सकट तथा शानत-पथ

राषzwjटरी और अतराणषzwjटरी शानत क वलिए एक खतरा ह हम सतकक वका गा ह वक जो कोई ाज लिता ह िह एक विन अिश उस वनति क समान हो जाएगा वजस शतान न पागलिपन म गरत कर विा हो अत हम मसलिमानरो को सतकक वका गा ह वक ऐसी पररनथवत स बचन क वलिए ाज का विसा बि कर विा जाए करोवक ाज क तौर पर जो रावश लिी जाती ह िह तमहार zwjधन को बढाती नही दवप वक िखन म ही लिग वक ह बढाती ह परत एक ऐसा सम अिश आता ह वक उसक िातविक परभाि परकट होत ह हम अवतररकत तौर पर सािzwjधान वका गा ह वक हम ाज क विसा म सनममवलित होन की अनमवत नही ह इस चतािनी क साथ वक वि हम ऐसा करत ह तो ह परमशिर क विरदध दध करन क समान ह ह बात आजकलि क Credit Crunch स वबलकलि पषzwjट ह परारभ म ऐस लिोग थ जो समपवतत (Property) खरीिन क वलिए zwjधन ऋण लित थ परत इसस पिण क ि उस समपवतत क िामी बन सक ि ऋण क बोझ तलि िब कर मर जात थ परत अब तो ऐसी सरकार ह जो ि ऋणगरत ह जस उन पर पागलिपन की मार पड गई ह बडी-बडी कमपवना िीिावलिा हो चकी ह कछ बक और फाइनस कमपवना बि कर िी गई ा वफर उह आवथणक सकट स बचाा गा ह पररनथवत परतक िश म जारी ह चाह िह अमीर हो ा गरीब आप इस सकट क सबzwjध म मझ स अवzwjधक जानत ह zwjधन जमा करान िालिरो क zwjधन बरबाि हो गए अब ह बात सरकार पर वनभणर ह वक िह उह कस और वकस सीमा तक बचाती ह परत इस सम विशव क अवzwjधकतर िशरो म पररिाररो वापारररो तथा शासकरो की मानवसक शानत नटि हो गई ह

25पररच

का ह नथवत हम ह विचार करन पर वििश नही करती वक विशि इस तककसगत पररणाम पर पहच गा ह वजस क बार म हम बहत पहलि सतकक वका गा था परमशिर ही अवzwjधक जानता ह वक इस पररनथवत क इसक अवतररकत और का पररणाम हरोग

परमशिर न कहा ह वक शानत की ओर आओ वजस का आशिासन किलि इस अिथा म विा जा सकता ह जब एक शदध और सामा वापार हो तथा पराकवतक ससाzwjधनरो एि समपिाओ का उवचत परोग हो

अब म इलिामी वशकाओ क इस सवकपत िणणन को ह मरण करात हए समापत करता ह वक विशि की िातविक शानत किलि परमशिर की ओर धान लिगान म ह परमशिर विशि को ह रह समझन की सामथण ि तभी ि िसररो क अवzwjधकाररो का वनिाणहन करन क ोग हरोग

अत म आप सब क हा पzwjधारन और मरी बात सनन पर म आपका पन आभारी ह

आपका बहत बहत zwjधिाि

26 विशव सकट तथा शानत-पथ

दश-भनति एव दश-पि स समबनि त इसलजिी मशकजए

सना मखालि कोलिज जमणनी 2012

Brigadier General Alois Bach of the German Federal Armywith Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba addressing the German Federal Army

1

3

2

4

1 Colonel Ulrich 2 Brigadier General Bach 3 Colonel Trautvetter and 4 Colonel IG Janke meeting Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba

दश-भनति एव दश-पि क समबि ि इसलजिी मशकजएवबनमलावहररहमावनररहीम

असzwjसलारो अलकर वरहरzwjलाह वबरकाzwjोहसिणपरथम मझ आपकी ओर स अपन हि किाटरर पर आमवतरत करन

और कछ शि कहन का अिसर विए जान पर म आपका zwjधिाि करना चाहता ह अहमविा मनलिम जमाअत का परमख होन क नात म आपक समक इलिामी वशकाओ क बार म कछ कहना चाहता ह परत ह तो बडा वापक विष ह वक एक सभा अथिा अलप सम म इस पर पणण रप स परकाश िालिना असभि ह अत ह आिशक ह वक म इलिामी वशकाओ क एक पहलि तक अपन आप को सीवमत रख

इस बात पर विचार करन क मध वक मझ इलिाम क वकस पक को आपक समक रखना चावहए तो मझ जमाअत अहमविा जमणनी क नशनलि अमीर आिरणी अिललिाह िागसहाउजर का ह वनििन परापत हआ वजसम उहरोन मझ स कहा वक िश परम और िश-भनति क बार म इलिामी वशकाओ पर परकाश िालिा जाना चावहए इस बात न मझ वनणण लिन म सहाता की अत अब म सवकपत तौर पर इस सिभण म आपक समक इलिामी वशकाओ पर कछ परकाश िालिगा

32 विशव सकट तथा शानत-पथ

अपन िश स िफािारी ा परम क शि किलि बोलिना ा सनना बडा सरलि ह परत िाति म इन शिरो म ऐस अथण वनवहत ह जो बहत गहर और वापक ह वफर उन शिरो क अथषो को पणण रप स पररवzwjध म लिना और इस बात को समझना वक शिरो क िातविक अथण का ह और उनकी माग का ह एक कवठन काण ह बहरहालि जो भी सम उपलिzwjध ह उसम म िश-परम और िशभनति क सबzwjध म इलिामी विचारzwjधारा का िणणन करन का परतन करगा

सिणपरथम इलिाम का एक मलि वसदधात ह ह वक एक वनति क शिरो और कमषो स वकसी भी परकार की वभनता ा विरोzwjधाभास किावप परकट नही होना चावहए िातविक िफािारी एक ऐस सबzwjध की माग करती ह जो वनषzwjकपटता और सचचाई पर आzwjधाररत हो ह इस बात की माग करती ह वक परतकत एक वनति जो परकट करता ह िही उसक अतकरण म भी हो राषटीता क सिभण म इन वसदधातरो का बहत महति ह अत वकसी भी िश क नागररक क वलिए ह वनतात आिशक ह वक िह अपन िश स सचची िफािारी क सबzwjध थावपत कर इस बात का कछ महति नही ह वक चाह िह जमजात नागररक हो अथिा उसन अपन जीिन म बाि म नागररकता परापत की हो ा परिास करक नागररकता परापत की हो ा वकसी अ माधम स

िफािारी एक उचचकोवट की विशषता ह और ि लिोग वजहरोन इस विशषता का उचच तरी परकटन वका ि खिा क पगमबर ह खिा स उनका परम और सबzwjध इतना दढ था वक उहरोन परतक पररनथवत म उसक आिशरो को चाह ि वकसी भी परकार क हरो दनटिगत रखा और उह पणणरप स लिाग करन का परास वका ह बात उनक खिा क साथ की गई परवतजा तथा उनकी उचच कोवट की िफािारी को परकट

33िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

करती ह अत उनकी िफािारी क इस मापिणि को हम आिशण क तौर पर अपनाना चावहए अत आग बढन स पिण ह समझना आिशक ह वक िफािारी का िातविक अथण का ह

इलिामी वशकाओ क अनसार िफािारी की पररभाषा तथा उसका िातविक अथण वकसी का असविगzwjध तौर पर हर तर पर और हर पररनथवत म कवठनाइरो स दनटि हटात हए चाह कसी भी कवठनाईपणण िशा का सामना करना पड अपनी परवतजाओ को पणण करना ह इलिाम इसी िातविक िफािारी की माग करता ह पवितर कआणन म विवभन थानरो पर मसलिमानरो को ह आिश विा गा ह वक उह अपनी परवतजाओ और कसमरो को अिश पणण करना ह करोवक ि अपनी समत परवतजाओ क परवत जो उहरोन की ह खिा क समक उततरिाी हरोग मसलिमानरो को ह वनिदश विा ह गा वक ि खिा और उसकी सनटि स की गई समत परवतजाओ को उनक महति और पराथवमकताओ क अनसार परा कर

इस सिभण म एक परशन जो वक लिोगरो क मनतषzwjक म पिा हो सकता ह िह ह ह वक चवक मसलिमान ह िािा करत ह वक परमशिर और उसका zwjधमण उनक वनकट अतवzwjधक महति रखत ह वजस स ह परकट होता ह वक परमशिर क वलिए िफािारी उनकी परथम पराथवमकता ह और परमशिर स उनकी परवतजा सिाणवzwjधक महति रखती ह ि इस परवतजा को पणण करन का परतन करत ह अत ह आथा सामन आ सकती ह वक एक मसलिमान की अपन िश क वलिए िफािारी तथा उसका अपन िश क काननरो को पालिन करन की परवतजा उसक वनकट अवzwjधक पराथवमकता नही रखती अत इस परकार िह विशष अिसररो पर अपन िश क परवत अपनी परवतजा को कबाणन करन क वलिए त ार हो जाएगा

34 विशव सकट तथा शानत-पथ

इस परशन का उततर िन क वलिए म आपको ह बताना चाहगा वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न ह वशका िी ह वक अपन िश स परम ईमान का भाग ह अत शदध िश-परम इलिाम की माग ह खिा और इलिाम स सचचा परम अपन िश स परम की माग करता ह अत ह वबलकलि पषzwjट ह वक इस नथवत म एक वनति क खिा स परम तथा अपन िश स परम क सबzwjध म उसक वहतरो का कोई टकराि नही हो सकता जसा वक अपन िश स परम करन को ईमान का एक भाग बना विा गा ह अत ह वबलकलि पषzwjट ह वक एक मसलिमान अपन सबवzwjधत िश क वलिए िफािारी करन म सबस उचच तर पर पहचन का परतन करगा करोवक खिा तक पहचन और उसका सावनध परापत करन का ह भी एक माधम ह अत ह असभि ह वक खिा का िह परम जो एक मसलिमान अपन अिर रखता ह िह उसक वलिए अपन िश स परम और िफािारी को परकट करन म एक रोक बन जाए िभाणगिश हम ह िखत ह वक कछ विशष िशरो म zwjधावमणक अवzwjधकाररो को सीवमत कर विा जाता ह ा पणणता हनन वका जाता ह अत एक और परशन उठता ह वक का ि लिोग वजनको ि उनकी सरकार तग करती ह ा अताचार करती ह ि इस नथवत म भी अपन िश क वलिए िफािारी और परम का सबzwjध थाित रख सकत ह म बड खि क साथ आपको बताता ह वक ऐसी पररनथवता पावकतान म विदमान ह जहा सरकार न िाति म हमारी जमाअत क विरदध काननरो का वनमाणण वका ह ह अहमवित विरोzwjधी कानन वािहाररक तौर पर लिाग वकए जात ह इस परकार स पावकतान म समत अहमिी मसलिमान वनवमत कानन दारा गर मनलिम ठहराए गए ह इस परकार ि ि को मसलिमान कहलिान स रोक विए गए ह पावकतान म अहमविरो को मसमलिानरो की भावत इबाित (उपासना) करन ा इलिामी परमपराओ क

35िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

अनसार जो उह मसलिमान वसदध कर का पालिन करन स परवतबzwjध लिगा विा गा ह इस परकार स ि पावकतान की सरकार न जमाअत क लिोगरो को उपासना क मलि अवzwjधकार स िवचत कर विा ह

इन पररनथवतरो को दनटि म रखत हए इस बात स अवनिाण तौर पर आशचण होगा वक इन पररनथवतरो म अहमिी मसलिमान वकस परकार िश क काननरो का पालिन कर ि िश क वलिए अपनी िफािारी को वकस परकार परकट कर सकत ह हा म इस बात को पषzwjट करना चाहता ह वक जहा ऐसी विकट पररनथवता हरो तो वफर कानन और िश क परवत िफािारी क िो अलिग-अलिग मामलि बन जात ह हम अहमिी मसलिमानरो का विशिास ह वक zwjधमण परतक वनति का एक वनतिगत मामलिा ह वक िह अपन वलिए जो भी वनणण कर zwjधमण क मामलि म कोई भी जबरिती नही होनी चावहए अत जहा कानन इस अवzwjधकार म हतकप करता ह इसम कोई सिह नही वक ह बड अताचार और अा का काम ह वनसिह सरकार क नतति और समथणन स होन िालि इस परकार क अताचार और अा जो हर ग म होत रह ह बहमत इनकी वनिा करता आा ह

वि हम रोप क इवतहास पर एक दनटि िालि तो हम ह जात होता ह वक इस महादीप म भी लिोग zwjधावमणक अताचाररो का वशकार हए ह पररणामिरप हजाररो लिोगरो को एक िश स िसर िश म परिास (वहजरत) करना पडा समत वनषzwjपक इवतहासकाररो सरकाररो और लिोगरो न इस ातनाए पहचाना तथा घोर अताचार और करकरता की सजा िी ह ऐसी पररनथवतरो म इलिाम इस बात का समथणक ह वक जहा अताचार अपनी समत सीमाओ को पार कर जाए और असहनी हो जाए तब ऐस सम म एक वनति को उस शहर ा िश स वकसी अ थान पर परिास कर

36 विशव सकट तथा शानत-पथ

जाना चावहए जहा िह अमन क साथ िततरतापिणक अपन zwjधमण का पालिन कर सक बहरहालि इस मागण-िशणन क साथ-साथ इलिाम ह भी वशका िता ह वक वकसी भी नथवत म वकसी वनति को कानन अपन हाथ म नही लिना चावहए और न ही अपन िश क विरदध वकसी भी ोजना ा षितर म भाग लिना चावहए ह एक वबलकलि पषzwjट और असविगzwjध आिश ह जो इलिाम न विा ह

वनतात ातनाओ और अताचार का सामना करन क बािजि लिाखरो अहमिी पावकतान म वनिास करत ह अपन जीिन क हर कतर म ऐस िव णिहार और अताचार सहन करन क बािजि ि उस िश स पणण िफािारी और सचची आजाकाररता का सबzwjध थाित रख हए ह ि वजस कतर म भी का ण करत ह अथिा ि जहा भी रहत ह ि वनरतर उस िश की उनवत और सफलिता क वलिए परासरो म वत रहत ह कई िशकरो स अहमवित क विरोवzwjधरो न ह आरोप लिगान का परास वका ह वक अहमिी पावकतान क िफािार नही परत ि कभी भी इस आरोप को वसदध नही कर सक इसक विपरीत िातविकता ह ह वक जब भी पावकतान क वलिए ा अपन िश क वलिए कोई करबानी िन की आिशकता हई ह तो अहमिी मसलिमान सिि परथम पनति म खड हए ह तथा हर सम उस िश क वलिए हर करबानी करन क वलिए त ार ह

इस कानन का वशकार होन क बािजि ह अहमिी मसलिमान ही ह जो वकसी भी िसर वनति स अवzwjधक कानन का पालिन करत और उसका धान रखत ह िफािारी क सिभण म पवितर कआणन न एक और वशका िी ह िह ह ह वक लिोगरो को उन समत बातरो स िर रहना चावहए जो अवशषzwjट अवपर और वकसी भी परकार क विदरोह की वशका िती हरो ह इलिाम की िह अभतपिण सिर और विशष वशका ह जो न किलि

37िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

अनतम पररणाम की ओर हमारा धान आकषzwjट करती ह जहा पररणाम बहत खतरनाक होत ह अवपत ह हम उन छोट-छोट मामलिरो स भी अिगत कराती ह जो मनषzwj को खतररो स भर मागण पर अगरसर करन क वलिए सीवढ रो का का ण करत ह अत वि इलिामी पथ-परिशणन को उवचत रग म अपनाा जाए तो वकसी भी मामलि को इस स पिण वक पररनथवता वनतरण स बाहर हो जाए परथम पग पर ही सलिझाा जा सकता ह उिाहरणता एक मामलिा जो एक िश को बहत अवzwjधक हावन पहचा सकता ह िह लिोगरो का zwjधन-समपवतत का लिोभ ह अवzwjधकाश लिोग इन भौवतक इचछाओ म मगzwjध हो जात ह जो वनतरण स बाहर हो जाती ह और ऐसी इचछाए अतत लिोगरो को बिफाई की ओर लि जाती ह इस परकार स ऐसी इचछाए अतत अपन िश क विरदध वकसी क िशदरोह का कारण बनती ह म इसका कछ पषzwjटीकरण करता ह अरबी भाषा म एक शि lsquoबगाrsquo उन लिोगरो ा उन काषो को िणणन करन क वलिए परोग होता ह जो अपन िश को हावन पहचात ह जो गलित काषो म भाग लित ह ा िसररो को हावन पहचात ह इसम ि लिोग भी सनममवलित ह जो zwjधोखा करत ह और इस परकार स विवभन ितओ को अिzwjध ढगरो स परापत करन का परतन करत ह ह उन लिोगरो पर भी चररताथण होता ह जो समत सीमाओ का अवतकरमण करत ह और हावन पहचात ह इलिाम ह वशका िता ह वक जो लिोग इस परकार क का ण करत ह उनस िफािारी की आशा नही की जा सकती करोवक िफािारी उचच नवतक मलरो स समबदध ह और उचच नवतक मलरो क अभाि म िफािारी का अनतति नही रह सकता ह भी िातविकता ह वक विवभन लिोगरो क उचच नवतक मापिणि क सबzwjध म वभन-वभन विचारzwjधाराए हो सकती ह वफर भी इलिाम चाररो ओर स खिा की परसननता पान क वलिए परररत करता ह और मसलिमानरो को

38 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह वनिदश विा गा ह वक ि ऐसा का ण कर वक वजसस खिा परसन हो सवकपत तौर पर ह वक इलिामी वशका क अनसार खिा न हर परकार क विदरोह ा गदारी को वनवषदध ठहरा विा ह चाह िह अपन िश ा अपनी सरकार क विरदध हो करोवक विदरोह ा सरकार क विरदध का ण िश की सरका और शानत क वलिए एक खतरा ह ह िातविकता ह वक जहा आतररक विदरोह अथिा शतरता परकट होती ह तो ह बाहय विरोzwjध की अनगन को भी हिा िती ह तथा बाहरी ससार को परोतसावहत करती ह वक िह आतररक विदरोह स लिाभ परापत कर इस परकार अपन िश स बिफाई क पररणाम िरगामी और खतरनाक हो सकत ह अतः जो भी बात वकसी िश को हावन पहचाए िह बगा की पररभाषा म सनममवलित ह वजसका मन िणणन वका ह इन समत बातरो को धान म रखत हए अपन िश क परवत िफािारी एक वनति स ह माग करती ह वक िह zwjध ण का परिशणन कर और अपन सिाचार विखात हए राषzwjटरी काननरो का सममान कर

समाता कहन को तो ितणमान ग म अवzwjधकतर सरकार परजाततरी परणालिी पर चलिती ह इसवलिए वि कोई वनति ा वगरोह सरकार को पररिवतणत करन की इचछा करता ह तो िह उवचत परजाततरी पदधवत को अपनात हए ऐसा कर सकता ह मत-पवटरो म अपना िोट िालिकर उह अपनी बात पहचानी चावहए वनतिगत पराथवमकताओ ा वनतिगत वहतरो क आzwjधार पर िोट नही िालिन चावहए परत िाति म इलिाम ह वशका िता ह वक वकसी भी वनति क िोट का परोग अपन िश स िफािारी और परम की समझ क साथ होना चावहए तथा वकसी भी वनति क िोट का परोग िश की भलिाई को दनटिगत रखत हए होना चावहए अत वकसी भी वनति को अपनी वनतिगत पराथवमकताओ को नही िखना चावहए और ह भी नही िखना चावहए वक वकस परताशी ा पाटगी स िह

39िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

वनतिगत लिाभ परापत कर सकता ह अवपत एक वनति को सतवलित ढग स ह वनणण करना चावहए और वजसका िह अनमान भी लिगा सकता ह वक कौन सा परताशी ा पाटगी पर िश की उनवत म सहाता िगी सरकार की कवजा एक बडी अमानत होती ह वजस उस पाटगी क सपिण वका जाना चावहए वजसक बार म िोटर ईमानिारी स ह विशिास कर वक िह सब स अवzwjधक उवचत और सब स अवzwjधक ोग ह ह सचचा इलिाम ह और ही सचची िफािारी ह

िाति म पवितर कआणन की सरः सखा 4 की आत सखा 59 म खिा न ह आिश विा ह वक अमानत किलि उस वनति क सपिण करनी चावहए जो उस का पातर हो और लिोगरो क मध वनणण करत सम उस ा और ईमानिारी स वनणण करन चावहए अतः अपन िश क परवत िफािारी ह माग करती ह वक सरकार की शनति उह िी जानी चावहए जो िाति म उसक पातर हरो तावक उनका िश उनवत कर सक और विशि क अ िशरो की तलिना म सबस आग हो

विशि क बहत स िशरो म हम िखत ह वक परजा सरकार की नीवतरो क विरदध हडतालिरो और परिशणनरो म भाग लिती ह इसस भी बढकर तीसरी िवना क िशरो म परिशणनकारी तोड-फोड करत ह ा उन समपवततरो और जािािरो को हावन पहचात ह जो ा तो सरकार स सबzwjध रखती ह ा सामा नागररकरो की होती ह दवप उनका ह िािा होता ह वक उनकी ह परवतवकरा िश परम स परररत ह परत िातविकता ह ह वक ऐस काषो का िफािारी ा िश-परम क साथ िर का भी सबzwjध नही ह मरण रखना चावहए वक जहा परिशणन और हडतालि शानतपणण ढग स भी की जाती ह ा अपराzwjध हावन एि कठोरता क वबना की जाती ह वफर भी उनका एक नकारातमक परभाि हो सकता ह इसका कारण ह ह वक

40 विशव सकट तथा शानत-पथ

शानतपणण परिशणन भी परा िश की आवथणक नथवत की करोडरो की हावन का कारण बनत ह ऐस कतरो को वकसी भी िशा म िश स िफािारी का उिाहरण नही ठहराा जा सकता एक सनहरा वसदधात वजसकी जमाअत अहमविा क परितणक न वशका िी थी िह ह था वक हम समत पररनथवतरो म खिा उसक अिताररो तथा अपन िश क शासकरो क परवत िफािार रहना चावहए ही वशका पवितर कआणन म िी गई ह अतः उस िश म भी जहा हडतालि और रोष-परिशणन करन की अनमवत ह िहा इन का सचालिन उसी सीमा तक होना चावहए वजस स िश अथिा िश की आवथणक नथवत को कोई हावन न पहच

एक अ परशन पराः उठाा जाता ह वक का मसलिमान पनचिमी िशरो की सना म भतगी हो सकत ह वि उह ह अनमवत ह तो का ि मनलिम िशरो क विरदध आकरमणरो म भाग लि सकत ह इलिाम का एक मलि वसदधात ह ह वक वकसी भी वनति को अताचारपणण काषो म सहाता नही करनी चावहए ह मलि आिश परतक मसलिमान क मनतषzwjक म सिि सिवोपरर रहना चावहए वि वकसी मनलिम िश पर इसवलिए आकरमण वका जाता ह करोवक उसन ि अनवचत और अापणण ढग स आकरमण करन म पहलि की तो ऐसी पररनथवत म पवितर कआणन का मनलिम सरकाररो को ह आिश ह वक ि अताचारी को अताचार करन स रोक अवभपरा ह वक ि अताचार का अत कर क शानत थावपत करन का परतन कर अतः ऐसी पररनथवतरो म अताचार का अत करन हत स का णिाही करन की अनमवत ह परत वि ि िश वजसन अवतकरमण वका ि को सzwjधार लिता ह और शानत को अपना लिता ह उस नथवत म झठ बहानरो की आड म उस िश और उसकी परजा को अzwjधीन करक अनवचत लिाभ नही उठाना चावहए अवपत उह सामातः

41िश-भनति एि िश-परम क समबzwjध म इलिामी वशकाए

िततरता परिान कर िनी चावहए साराश ह वक स का णिाही का उदश शानत- थापना होना चावहए न वक वनवहत िाथषो की वसवदध

इसी परकार इलिाम सभी िशरो को चाह ि मनलिम हरो अथिा गर-मनलिम अताचार और वनिण ता को रोकन का अवzwjधकार परिान करता ह वि आिशकता पड तो गर-मनलिम िश िzwjध उदशरो की पवतण क वलिए मनलिम िशरो पर आकरमण कर सकत ह ऐस गर-मनलिम िशरो क मनलिम नागररक िहा की सना म भतगी होकर अ िश को अताचार करन स रोक सकत ह िाति म जहा ऐसी पररनथवता विदमान हरो तो मनलिम सवनकरो को चाह ि वकसी भी पनचिमी िश की सना स समबzwjध रखत हरो का कततणव ह वक ि शानत-थापना हत आिशरो का पालिन करत हए दध कर परत वि वकसी िश की सना अापणण ढग स वकसी अ िश पर आकरमण करन का वनणण लिती ह तो एक मसलिमान को ह विकलप परापत ह वक ि सना को छोड ि अथा िह अताचारी का सहाक बन जाएगा इस वनणण का ह अथण नही वक िह अपन िश क परवत बिफाई कर रहा ह

िाति म ऐसी पररनथवत म िशभनति की भािना ह माग करती ह वक िह ऐसा किम उठाए और अपनी सरकार को ह परामशण ि वक िह अापणण ढग स विहार करन िालि िश और सरकाररो का अनसरण करक ि को इतना नीचा न वगराए वि वफर भी सना म भतगी होना अवनिा ण ह और छोडन का कोई विकलप नही और उसकी अतरातमा सतटि नही तो वफर एक मसलिमान को चावहए वक िह िश छोड कर चलिा जाए परत उस िश क कानन क विरदध आिाज उठान की अनमवत नही ऐसी नथवत म एक मसलिमान को िश छोड िना चावहए करोवक उस िश क एक नागररक क रप म रहन की अनमवत नही और

42 विशव सकट तथा शानत-पथ

साथ ही उस िश क विरदध का ण करन ा शतर का समथणन करन की भी अनमवत नही ह

अतः इलिामी वशकाओ क कछ द नटिकोण ह जो िशपरम और िशभनति की िा तविक मागरो क समबzwjध म मसलिमानरो का मागणिशणन करत ह उपलिzwjध सम म म किलि सवकपत रप स ही इनका िणणन कर सका ह

अत म म ह कहना चाहता ह वक आज समचा विशव एक िनशवक गराम बन चका ह मनषzwj एक िसर क बहत वनकट आ गए ह समत िशरो म परतक जावत zwjधमण और सभzwjताओ क लिोग पाए जात ह ह नथवत माग करती ह वक परतक िश क राजनीवतज उनकी भािनाओ और अहसासरो को दनटिगत रख और उनका सममान कर शासकरो और उनकी सरकाररो को ऐस कानन बनान का परास करना चावहए जो सत की भािना तथा ा क िातािरण को बढािा िन िालि हरो ऐस कानन न बनाए जो वक लिोगरो को वनरतसावहत करन और अशानत फलिान का कारण बन अा और अताचार समापत करक हम िातविक ा क वलिए परास करन चावहए इसका सिवोततम उपा ह ह वक ससार को अपन सषzwjटा को पहचानना चावहए परतक परकार की िफािारी का सबzwjध खिा स िफािारी होना चावहए वि ऐसा होता ह तो हम अपनी आखरो स िखग वक समत िशरो क लिोगरो म एक सिवोचच तर िालिी िफािारी जम लिगी और समपणण विशि म निीन मागण परशत हरोग जो हम शानत और सरका की ओर लि जाएग

अपना भाषण समापत करन स पिण म एक बार पन अपन आमवतरत वकए जान तथा मरी बात सनन क वलिए आभार परकट करना चाहता ह परमशिर आप सब को परसन रख और जमणनी को भी अपना आशीष परिान कर

आपका बहत-बहत zwjधिाि

एक एटिी यदध क भयजनक पररणजि तथज पणा यजय की अतयत आवशयकतज

नौिा िावषणक शानत समारोहलििन क आोवजत 2012 ई

एक एटिी यदध क भयजनक पररणजि तथज पणा यजय की अतयत आवशयकतज

नौिा िावषणक शानत समारोहलििन क आोवजत 2012 ई

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba addressing the 9th Annual Peace Symposium

Dame Mary Richardson DBE UK President of SOS Childrenrsquos Villages accepting the lsquoAhmadiyya Muslim Prize for the Advancement of Peacersquo from His Holiness

Mayor of London Boris Johnson presenting His Holiness with a London bus souvenir

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba talking to the overseas Pakistani press regarding world affairs

पररचय

24 माचण 2012 ई को मािरन म रोप की सबस बडी मनजि ldquoबतलि फतहrdquo म शानत पर िाताणलिाप क वलिए िावषणक गोषzwjठी का आोजन हआ इस गोषzwjठी का परबzwjध जमाअत अहमविा क न वका इस आोजन म एक हजार स अवzwjधक शोता सनममवलित हए वजसम सरकार क मतरीगण विवभन िशरो क राजित हाउस आफ लिॉिरस और हाऊस ऑफ कॉमस क सि लििन क मर विवभन आिरणी लिोग विवभन परकाणि विदान आस-पास क तथा जीिन क परतक विभाग स समबदध लिोग सनममवलित थ इस िषण की गोषzwjठी का विष ldquoविशि-शानतrdquo था शानत को बढािा िन क वलिए तती अहमविा मनलिम परकार ldquoAhmadiyya Muslim Prize for Advancement of Peacerdquo हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब इमाम जमाअत अहमविा न ldquoSOS Childrenrsquos Village UKrdquo विभाग को जो वनरतर विशि क अनाथ और वनराश बचचरो क कषzwjटरो को कम करन और उसक हर बचच क वलिए एक परमपणण

48 विशव सकट तथा शानत-पथ

घर परापत होन का उनका िपन पणण हो और सहानभवतपणण िातािरण पिा करन की सराहना करत हए विा

शोताओ म वनमनवलिवखत अवतवथ वस नममवलित थ ः

Rt Hon Justine GreeningmdashMP Secretary of State for Transport

Jane EllisonmdashMP (Battersea) Seema MalhotramdashMP (Feltham and Heston) Tom BrakemdashMP (Carlshalton and Wallington) Virendra SharmamdashMP (Ealing and Southall) Lord Tariq Ahmadmdashof Wimbledon HE Wesley Momo Johnsonmdashthe Ambassador of Liberia HE Abdullah Al-Radhimdashthe Ambassador of Yemen HE Miguel Solano-Lopezmdashthe Ambassador of Paraguay Commodore Martin AthertonmdashNaval Regional

Commander Councillor Jane Coopermdashthe Worshipful Mayor of

Wandsworth Councillor Milton McKenzie MBEmdashthe Worshipful

Mayor of Barking and Dagenham Councillor Amrit Mannmdashthe Worshipful Mayor of

Hounslow Siobhan Benitamdashindependent Mayoral candidate for

London Diplomats from several other countries including India

Canada Indonesia and Guinea

एक एटिी यदध क भयजनक पररणजि तथज पणा यजय की अतयत आवशयकतज

तशहहि तअविज और खिा क नाम क साथ जमाअत अहमविा क ितणमान और पचम खलिीफा न समत आिरणी अवतवथरो को असलिामो अलिकम का उपहार परतत करत हए कहा -

आज एक िषण क पशचात मझ अपन समत अवतवथ सजजनरो का इस आोजन म अवभनिन करन का सअिसर परापत हआ ह म आप सब का वनतात आभारी और कतज ह वक आप सभी सजजनरो न इस आोजन म सनममवलित होन क वलिए अपना सम विा ह

वनसिह आप लिोगरो म स अवzwjधकतर इस आोजन स जो शानत

50 विशव सकट तथा शानत-पथ

क वलिए गोषzwjठी (Peace Symposium) क नाम स नावमत ह भलिी-भावत पररवचत ह जमाअत अहमविा इस गोषठी का परवतिषण आोजन करती ह और ह विशि म शानत थावपत करन क उदश स हमारी बहत सी हाविणक अवभलिाषाओ को परा करन क परासरो म स ह भी एक परास ह

आज की गोषzwjठी म कछ नए वमतर भी ह जो वक इस आोजन म परथम बार भाग लि रह ह जबवक अ हमार ि वमतर ह जो कई िषषो स हमार परासरो की सराहना करत चलि आ रह ह कछ भी हो जबवक आप सब उचच वशका परापत लिोग ह और विशि म शानत की थापना हत हमारी अवभलिाषा क भागीिार ह तथा इसी इचछा क फलििरप आप इस आोजन म भाग लि रह ह

आप सब आज हा इस हाविणक अवभलिाषा क साथ उपनथत ह वक समत विशि परम सहानभवत वमतरता और भरातभाि स पररपणण हो जाए और विशि की अवzwjधकाश जनता इसी विचारzwjधारा और इही मलरो की अवभलिाषी ह और उस इसी की आिशकता ह इसक अनसार आप सब वजनका सबzwjध विवभन विभागरो जावतरो िशरो और zwjधमषो स ह आज मर सामन विराजमान ह और जसा वक मन कहा वक हम परवतिषण ह काफस आोवजत करत ह और परतक अिसर पर हम सब इसी भािना और आशा को परकट करत ह जो ह ह वक हमारी इन आखरो क सामन विशि म शानत थावपत हो जाए और इसीवलिए म परवतिषण आप स ह वनििन करता ह वक आप को जहा कही भी अिसर परापत हो और वजस स भी आपका सबzwjध हो शानत को बढािा िन का परास कर इसक अवतररकत म उन समत सजजनरो स वनििन करता ह

51एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

वजनका सबzwjध राजनीवतक पावटररो अथिा सरकार स हो उह भी अपन अवzwjधकार-कतर म शानत क इस सिश को पहचाना चावहए परतक को इसस अिगत करान की आिशकता ह वक विशि म शानत थावपत करन क वलिए पहलि स अवzwjधक उचच वसदधातरो पर आzwjधाररत नवतक मलरो की वनतात आिशकता ह

जहा तक जमाअत अहमविा का सबzwjध ह जहा कही भी जब कभी भी ऐसा अिसर परापत होता ह हम खललिम-खललिा अपनी इस विचारzwjधारा को परकट करत ह वक विशि को इस विनाश और बरबािी स वजसकी ओर िह अगरसर ह बचान का अब किलि एक ही मागण ह और िह ह ह वक हम सब परम और सहानभ वत और एकता की भािना को परसाररत करन का परास कर तथा सिाणवzwjधक आिशक ह ह वक विशि अपन सषzwjटा को पहचान वक एक ही परमशिर ह ह इस कारण वक सषzwjटा की पहचान ही ह जो हम उसकी सनटि स परम और सहानभवत की ओर लि जाती ह और जब ह हमार चररतर का भाग बन जाती ह तो उस सम हम परमशिर स परम परापत करन िालि बन जात ह

हम विशि को वनरतर शानत की ओर आमवतरत करन क वलिए पकारत ह और हम ह िःख और कषzwjट जो अपन हिरो म महसस करत ह िही हम मानिता क कषzwjटरो को कम करन और विशि को रहन क वलिए एक उततम थान बनान क परतन करन क वलिए परररत करता ह बहरहालि ह आोजन इस उदश की परानति क बहत स परासरो म स एक परास ह

जसा वक मन पहलि कहा ह वक आप सब की ही शभ कामनाए ह इसक अवतररकत मन राजनीवतजरो तथा zwjधवमणक-नताओ को विशि-

52 विशव सकट तथा शानत-पथ

शानत क उदश स आमवतरत वका ह वफर भी इन परासरो क बािजि हम ह जानत ह वक समपणण विशि म अशानत और उथलि-पथलि वनरतर फलि रही ह और बढ रही ह

आजकलि विशि म हम अतवzwjधक लिडाई-झगड अशानत और असतोष िखत ह कछ िशरो म जनता क परवतवनवzwjध आपस म लिड रह ह और एक-िसर पर परहार कर रह ह कछ िशरो म परजा सरकार क विरदध लिड रही ह ा इसक विपरीत शासक अपनी परजा पर अताचार कर रह ह उगरिािी िलि अपन वनतिगत वहतरो को परा करन क वलिए अशानत और असतोष की अनगन को और अवzwjधक हिा ि रह ह इस परकार ि मासम नतररो बचचरो और िदधरो का अzwjधा-zwjधzwjध िzwjध कर रह ह कछ िशरो म राजनीवतक िलि अपन वहतरो की पवतण क वलिए आपस म लिडाई कर रह ह ि अपन लिोगरो की भलिाई क वलिए एकमत हो जान क थान पर हम िखत ह वक कछ सरकार और िश वनरतर िसर िशरो क पराकवतक ससाzwjधनरो की ओर दष और िाह स दनटि लिगाए हए ह विशि की महा शनतिा भी अपनी शषzwjठता को काम रखन क वलिए परासरत ह और इस उदश को परापत करन क वलिए उहरोन कोई कमी नही छोडी

सारी बात दनटिगत रखत हए हम िखत ह वक न ही जमाअत अहमविा और न ही आप म स अवzwjधकाश जो वक जन-परवतवनवzwjध ह ह शनति ा अवzwjधकार रखत ह वक सकारातमक पररितणन लिान क वलिए ऐसी नीवता बनाए इसका कारण ह ह वक हमार पास कोई सरकारी शनति ा विभाग नही ह िाति म म तो हा तक कहता ह वक ि राजनीवतज वजनक साथ हमार वमतरतापणण सबzwjध ह और जो हमार आोजनरो म

53एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

हमशा हमार साथ सहमत होत ह ि भी बोलि नही सकत इसक विपरीत उनक िर भी िबा विए जात ह और उह अपनी विचारzwjधाराए परतत करन स रोक विा जाता ह ह ा तो इसवलिए होता ह वक उह अपनी पाटगी की ककटनीवत अपनान पर वििश वका जाता ह ा वफर किावचत अ विशि शनतिरो ा राजनीवतक गठबzwjधनरो क बाहरी िबाि क कारण ऐसा होता ह जो वक उह कम आक रह होत ह

इसक बािजि हम परवतिषण इस शानत गोषठी (Peace Symposium) म भाग लित ह और वनःसिह हम अपनी विचारzwjधाराओ और भािनाओ को परकट करत ह समत zwjधमण समत िश समत नलिरो और समत लिोगरो क मध परम सहानभवत और भरात-भाि थावपत होना चावहए िभाणगिश दवप वक हम िाति म इस विचारzwjधारा को वािहाररक रप िन म वििश ह इस पररणाम की परानति क वलिए वजसक हम अवभलिाषी ह हमार पास कोई साzwjधन ा अवzwjधकार नही ह

मझ मरण ह वक लिगभग िो िषण पिण इसी हालि (Hall) म हमारी शानत गोषठी क मध मन विशि म शानत थावपत करन क वलिए विवभन उपारो और साzwjधनरो पर आzwjधाररत एक भाषण विा था और मन ह भी बताा था वक सकत राषzwjटर सघ (UNO) को वकस परकार की काणिाही करनी चावहए ततपशचात हमार बहत ही वपर और आिरणी वमतर लिािर एररक एिबरी (Lord Eric Avebury) न ह समीका की वक ह भाषण िाति म स कत राषzwjटर सघ (UNO) म होना चावहए था बहरहालि ह तो उनक उचच चररतर का परकटन था वक िह अपनी समीका म इतन हमििण और उिार थ बहरहालि म ह कहना चाहता ह वक किलि वकसी भाषण का िना ा सनना पाणपत नही और किलि

54 विशव सकट तथा शानत-पथ

इसस शानत की थापना नही होगी अवपत इस मलि उदश को पणण करन क वलिए पणण ा और समत मामलिरो म इसाफ और ईमानिारी की अतत आिशकता ह पवितर कआणन न सरह अनननसा आत - 136 म हम एक सनहरी वसदधात और वशका िी ह जो हमारा इस सिभण म मागण-िशणन करती ह िह बताती ह वक ा की मागरो को परा करन क वलिए वि आप को ि अपन-अपन माता-वपता वनकट सबवzwjधरो और वमतररो क विरदध भी गिाही िनी पड तो तमह अिश िनी चावहए ही िातविक ा ह जहा परतक वनतिगत वहत को जनवहत क वलिए एक ओर रख विा गा ह

वि हम सामवहक तौर पर इस वसदधात क बार म विचार कर तो हम ह महसस होगा वक अिzwjध हथकि वजनका आzwjधार zwjधन तथा परभाि एि परवतषzwjठा पर ह उनका पररताग कर िना चावहए इस क विपरीत ह जन-परवतवनवzwjध और राजितरो को शदध नीत ा एि समानता क वसदधातरो क समथणन की इचछा क साथ सामन आना चावहए हम परतक परकार क पकपात और भिभाि को समापत कर िना चावहए करोवक ही िह माधम ह जो शानत लिाता ह वि हम सकत राषzwjट सघ की जनरलि असबलिी अथिा विशि सरका पररषि को िख तो परा हम िखत ह वक िहा जो भाषण ा बान विए जात ह उनकी बडी परशसा और परवसवदध होती ह परत ऐसी परशसा वनरथणक ह करोवक िातविक वनणण पहलि ही वकए जा चक होत ह

अत जहा वनणण महाशनतिरो क िबाि क अतगणत वकए जाए जो सचची एि ासगत परजाततरी परणालिी क विरदध हरो तो ऐस भाषण खोखलि और वनरथणक विचाररो को परिवशणत करत ह तथा बाहय ससार को

55एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

zwjधोखा िन क वलिए किलि एक बहान का काम करत ह तथावप इस का ह अथण नही वक हम वनराश हो जाए और अपन समत परास ताग ि अवपत इसकी बजाए हमारा लिक ह होना चावहए वक विशष तौर पर राषzwjटरी काननरो की पररवzwjध म रहत हए सरकार को वनरतर सम की आिशकता को मरण करात रह हम उन वगरोहरो को भी उवचत तौर पर नसीहत करना चावहए वजनक अपन वनतिगत वहत ह तावक विशि तर पर ा जारी हो सक किलि इसी परकार विशि अमन और एकता का गढ बन सकता ह वजसक हम सब अवभलिाषी ह

इसवलिए हम अपन परासरो को किावप ताग नही सकत वि हम अा और अताचार क विरदध अपनी आिाज उठाना बि करत ह तो हम भी उन लिोगरो म स हो जाएग वजनक पास कोई भी नवतक मल अथिा मानक नही ह ह परशन वथण ह वक चाह हमारी आिाज सनी जाए ा उनका कोई परभाि हो शानत क वलिए हम वनरतर िसररो स परामशण करना ह म अतत परसन होता ह जब म ह िखता ह वक zwjधमण और जावत क मतभिरो क बािजि मानि मलरो को जीवित रखन क वलिए असख लिोग इस आोजन को सनन सीखन और विशि म शानत और परम थावपत करन क उपारो क बार म अपन विचार परकट करन क वलिए आत ह अत म आप सब स वनििन करता ह वक अपनी उततम ोगताओ क अनसार शानत क वलिए परास कर तावक हम आशाओ क इस िीपक को परकावशत रख सक वक एक सम अिश आएगा वक जब िातविक शानत और ा विशि क समत िशरो म थावपत हो जाएगा

हम ह मरण रखना चावहए वक जब मानि परास विफलि हो जात

56 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह तब सिणशनतिमान परमशिर मानि जावत क भाग को वननचित करन क वलिए अपन वनणण को जारी करता ह इसस पिण वक परमशिर का वनणण जारी हो और िह लिोगरो को उसकी ओर जान तथा मानि जावत क अवzwjधकाररो को अिा करन पर वििश कर ह उवचत होगा वक विशि क लिोग ि इन महतिपणण मामलिरो की ओर धान ि करोवक परमशिर को का णिाही करन पर वििश वका जाता ह तब उस का करोzwjध िाति म मनषzwj को एक कठोर और भानक ढग स पकडता ह

ितणमान ससार म परमशिर क वनणण का एक भानक परकटन एक अ विशि-दध क रप म हो सकता ह इसम किावप सिह नही वक ऐस दध क परभाि तथा उस क दारा विनाश किलि उस दध तक ा किलि ितणमान पीढी तक सीवमत नही हरोग अवपत उसक भानक पररणाम कई भािी पीवढरो तक परभािी हरोग ऐस दध क इन भानक पररणामरो म स एक ह ह वक इन दधरो का परभाि निजात वशशओ पर तथा भविषzwj म जम लिन िालि बचचरो पर भी पडगा आzwjधवनक शतर इतन विनाशकारी ह वक भविषzwj म जम लिन िालिी कई पीवढरो पर उनक भानक आनिावशक और शारीररक परभाि पडग

जापान ही एक ऐसा िश ह वजसन एटमी दध क वनतात भानक पररणाम िख ह उस पर वदती विशि-दध क मध एटम बम स आकरमण वका गा आज भी वि आप जापान जाए और िहा क लिोगरो स वमलि तो आप उस दध का एक पणण भ और उसकी घणा उनकी आखरो म िखग और जो कछ ि कहत ह उसस भी परकट होता ह हालिावक ि एटम बम जो उस सम परोग वकए गए तथा वजहरोन बहत अवzwjधक विनाश वका ि आज क परमाण शतररो की अपका जो

57एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

वक आज छोट-छोट िशरो क पास भी ह बहत कम शनति िालि थ कहा जाता ह वक जापान म दवप वक सात िशक गजर चक ह

तथावप एटम बम क परभाि निजात वशशओ पर अब भी परकट हो रह ह वि वकसी वनति को गोलिी मारी गई हो तब भी परा उपचार क दारा उसका बच जाना सभि होता ह परत वि रासावनक दध आरभ हो जाता ह तो जो भी उसकी लिपट म आएग उनका ऐसा भाग नही होगा इसक विपरीत हम िखग वक लिोग अचानक मरग और मवतणित हो जाएग तथा उनकी खालि वपघलिन लिगगी पीन का पानी भोजन और सनजा िवषत हो जाएगी और विवकरण (Radiation) स परभावित हरोगी हम किलि इस बात की कलपना ही कर सकत ह वक ऐसा परिषण वकस परकार क रोगरो का कारण बनगा ि थान जहा पर सीzwjध तौर पर आकरमण न हो और जहा इस विवकरण (Radiation) क परभाि कछ कम हरोग िहा पर भी रोगरो का खतरा बहत अवzwjधक होगा और भािी नलिरो को बड खतररो स गजरना होगा

अत जसा वक मन कहा ह वक ऐस दध क विनाशकारी और भानक परभाि किलि दध ा उसक बाि तक ही सीवमत न हरोग अवपत भविषzwj की अनकरो पीवढरो तक चलित चलि जाएग ह ऐस दध क िातविक पररणाम ह हालिावक इसक बािजि आज िाथगी और मखण लिोग विदमान ह वजह अपन इन आविषzwjकाररो पर बडा गिण ह और उहरोन विशि-विनाश क वलिए जो कछ विकवसत वका ह उसको ि उपहार क रप म िणणन करत ह िातविकता ह ह वक रासावनक शनति और टकनालिॉजी का नाममातर लिाभपरि पक भी असािzwjधानी ा िघणटनाओ क कारण बहत भानक हो सकता ह तथा महाविनाश की

58 विशव सकट तथा शानत-पथ

ओर लि जा सकता ह हम इसस पिण इस परकार की आकनमक आपिाओ को िख चक ह इसी परकार की एक घटना 1986 ई म चरनोवबलि (Chernobyl) अथाणत करन म हई और गत िषण ही जापान म भकमप और सनामी क पशचात घटना हई ह भी बहत भानक थी इसन पर िश को भभीत कर विा जब ऐसी घटनाए परकट होती ह तो वफर घटनागरत कतररो का पनणवनमाणण एि पनिाणस भी बहत कवठन काण होता ह अपन एकमातर और भानक एि िखिाी अनभिरो क कारण जापानी अतवzwjधक सतकक हो गए ह और वनसिह उनक भ का अहसास थोवचत ह

ह एक पषzwjट बात ह वक लिोग दधरो म मरत ह और जापान भी वदती विशि-दध म सनममवलित हआ तो उसकी सरकार और उसक लिोग इस बात स भलिी-भावत पररवचत थ वक कछ लिोग मार जाएग कहा जाता ह वक जापान म लिगभग तीन वमवलिन (तीस लिाख) लिोग मार गए ह िश की कलि जनसखा का चार परवतशत (4) बनता था दवप वक मरन िालिरो की कलि सखा की दनटि स बहत स अ िश भी बहत परभावित हए तथावप दध क परवत जो नफरत और घणा हम जापानी लिोगरो म िखत ह िह अ की अपका बहत अवzwjधक होती ह वनशच ही इसका कारण ि िो परमाण बम ह जो वदती विशि-दध क सम जापान पर वगराए गए वजसक पररणाम ि आज भी िख रह ह और ि आज तक उन पररणामरो को सहन कर रह ह जापान न बहत शीघर अपन शहररो की पनथाणपना करक अपनी शषzwjठता और शोक स उभरन की भािना और शनति को वसदध कर विा ह परत ह पषzwjट रह वक वि आज पन परमाण शतर परोग वकए गए तो बहत सभि

59एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

ह वक कछ विशष िशरो क भाग पणण रप स विशि-मानवचतर स समापत हो जाए और उनका अनतति ही शष न रह

वदती विशि-दध म मरन िालिरो की सखा एक अनमान क अनसार लिगभग बासठ वमवलिन ह और ह बताा जाता ह वक मार गए लिोगरो म चालिीस वमवलिन सामा नागररक थ इस परकार सना की अपका जन सामा अवzwjधक मार गए ह विनाश इस िातविकता क बािजि हआ वक जापान क अवतररकत ह दध अ थानरो पर पारपररक शतररो क साथ हआ था

UK (क) को लिगभग पाच लिाख लिोगरो की हावन झलिनी पडी दवप ह उस सम उपवनिशिािी शनति था और उसक उपवनिशरो न भी उसक समथणन म दध वका वि हम उनकी हावनरो को भी सनममवलित कर लि तो मरन िालिरो की सखा कई वमवलिन तक पहच जाती ह

किलि भारत म सोलिह लिाख लिोग मत का वशकार हए बहरहालि आज िह नथवत पररिवतणत हो चकी ह और ि िश जो

वबरटन क निीन उपवनिश थ जो वबरटन सामाज क वलिए लिड अत वि आज दध होता ह तो ि बताणवना क विरदध भी लिड सकत ह और वफर जसा वक मन इसस पिण िणणन वका ह वक कछ छोट िशरो न भी परमाण शतर परापत कर वलिए ह जो बात अतवzwjधक भ का कारण ह िह ह जानकारी ह वक ऐस परमाण हवथार ऐस लिोगरो क हाथरो म आ सकत ह वजनक पास ा तो ोगता नही ह ा वफर अपन काषो क पररणामरो क सबzwjध म कलपना ही नही कर सकत िाति म ऐस लिोग पररणामरो क बार म विचार करन की परिाह ही नही करत ा वफर

60 विशव सकट तथा शानत-पथ

छोटी-छोटी बातरो पर बिक तान लित ह अत वि महा शनतिा ा स काम नही लिती तथा छोट िशरो

की वनराशा को समापत नही करती और उवचत और नीवतसगत काणिावहा नही करती तो पररनथवत हमार अवzwjधकार स बाहर हो जाएगी ततपशचात जो विनाश आएगा िह हमारी कलपना स भी िर होगा हा तक वक विशि क अवzwjधकाश िश जो शानत क अवभलिाषी ह उन को भी ह विनाश अपनी पररवzwjध म लि लिगा

अत मरी हाविणक अवभलिाषा और आशा ह वक समत बड िशरो क नता इस भािह िातविकता को समझग और अपन उदशरो और लिकरो की परानति क वलिए आकरामक नीवतरो को अपनान तथा शनति का परोग करन की बजाए ि ऐसी नीवतरो स काम लि जो ा को बढािा ि और उसकी रका करन िालिी हरो

अभी कछ सम पिण ही रस क एक िररषzwjठ सवनक कमािर न रासावनक दध क सभावित खतर क बार म एक कडी चतािनी जारी की ह उसका दनटिकोण ह वक ऐसा दध एवशा अथिा वकसी िसर थान पर नही वका जाएगा अवपत रोपी सीमाओ पर वका जाएगा और ह खतरा पिगी रोपी िशरो स आरभ हो सकता ह और दध की जिालिा भडक सकती ह दवप वक कछ लिोग ह भी कहग वक ह मातर उसका वनतिगत विचार था परत म ि इस विचार को असभि नही समझता अवपत इसक अवतररकत म ह भी विशिास करता ह वक वि ह दध आरभ हो जाता ह तो इस बात की बहत सभािना ह वक एवशा क िश भी इस दध म ककि पडग

एक अ सचना वजस इही विनरो बड वापक रप स मीविा

61एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

दारा परसाररत वका गा ितणमान सम म ही इसाईलि की जाससी एजसी मोसाि क भतपिण चीफ क विचार थ परवसदध अमरीकन टीिी चनलि CBS क साथ एक साकातकार क मध उहरोन कहा वक ह परकट हो रहा ह वक इसाईलि की सरकार ईरान क साथ दध छडना चाहती ह उहरोन बताा वक वि ऐसा आकरमण होता ह तो ह जानना असभि हो जाएगा वक ऐसा दध कहा और कस समापत होगा अतः उसन बड शनतिशालिी ढग स इस दध क विरदध नसीहत की

इस दनटि स मर विचार म ऐसा दध एटमी विनाश क साथ ही समापत होगा

इही विनरो म मरी दनटि स एक लिख गजरा वजसम लिखक न ह िणणन वका ह वक आज विशि की आवथणक और राजनीवतक दनटि स िही नथवत ह जसी 1932 ई म थी उसन वलिखा वक कछ विशष िशरो म जनता को राजनीवतजरो ा किलि नाममातर परजाततर पर कोई विशिास नही रहा उसन ह भी कहा वक कई और भी समानताए ह जो वमलिकर आज भी िही वचतर परिवशणत करती ह जो वक वदती विशि-दध स ठीक पहलि िखा गा था

कछ लिोग इस विशषण स सहमत नही हरोग परत इस क विपरीत म इसस सहमत ह और ही कारण ह वक मरा ह विशिास ह वक विशि की सरकाररो को ितणमान पररनथवतरो पर अतत वचनतत होना चावहए इसी परकार कछ मनलिम िशरो क अाी शासक वजनका एकमातर उदश वकसी भी परकार तथा वकसी भी मल पर अपनी शनति को काम रखना ह उह भी होश म आना चावहए अथा उनक काण और उनकी मखणताए उनक अत का कारण हरोगी तथा ि अपन-अपन

62 विशव सकट तथा शानत-पथ

िशरो को वनतात भकर पररनथवतरो की ओर लि जाएगी हम जो जमाअत अहमविा क सि ह विशि और मानिता को

विनाश स बचान क वलिए अपना भरसक परतन करत ह ह इसवलिए वक हमन ितणमान ग क इमाम को माना ह वजस परमशिर न मसीह मौऊि बनाकर भजा और जो हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम वजह परमशिर न ि मानिता पर उपकार करन िालिा बनाकर भजा था का एक िास बनकर आा

करोवक हम हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की वशका का पालिन करत ह इसवलिए हम विशि की नथवत पर अपन हिरो म अतत िःख महसस करत ह ह िही िःख ह जो हम मानिता को विनाश और सकटरो स सरवकत रखन क परवत परासरत रहन की ओर अगरसर करता ह इसवलिए म और अ सभी अहमिी मसलिमान विशि म शानत क उदश को परापत करन क वलिए अपन िावतिरो को परा करन का परास कर रह ह

एक उपा वजसक दारा मन विशि म शानत को बढािा िन का परतन वका ह िह पतररो का वसलिवसलिा ह जो मन विशि क कछ शासकरो और राजनताओ को वलिख ह कछ माह पिण पोप बनीविकट को एक पतर भजा वजस मर एक अहमिी परवतवनवzwjध न ि उह पहचाा उस पतर म मन उह वलिखा वक चवक िह विशि की सबस बडी zwjधावमणक जमाअत क लिीिर ह इसवलिए उह विशि-शानत को थावपत करन का अिश परतन करना चावहए

इसी सिभण म इही विनरो म ईरान और इसाईलि की आपसी शतरताओ को िखत हए जो एक वनतात भकर तर पर भडक रही ह

63एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

मन इसाईलिी परzwjधानमतरी बजावमन वनवतनाह और ईरानी राषzwjटरपवत महमि अहमिीवनजाि िोनरो को एक पतर भजा वजसम मन उह मानि जावत को दनटिगत रखत हए वनणण करत सम हर परकार की शीघरता और असािzwjधानी को तागन का आगरह वका

मन इही विनरो अमरीका क राषzwjटरपवत बराक ओबामा तथा कनािा क परzwjधानमतरी टीफन हापणर को भी पतर वलिख ह वजनम िोनरो को विशि की शानत और एकता को सदढ करन क वलिए अपनी भवमका अिा करन तथा अपन िावतिरो को परा करन का आगरह वका

वनकट भविषzwj म अ िशरो क शासकरो को भी ऐस ही पतर वलिखन का मरा इरािा ह

म नही जानता वक मन वजन शासकरो को पतर वलिख ह ि मर पतररो को कोई महति िग ा नही उनकी परवतवकरा जो भी हो मन विशि भर म रहन िालि लिाखरो अहमविरो क खलिीफा और आधानतमक पशिा होन क तौर पर विशि की भािह एि सकटपणण नथवत क सबzwjध म उनकी भािनाओ और अहसास को उन तक पहचान क वलिए ह एक परास वका ह

ह पषzwjट रह वक मन इन भािनाओ का परकटन वकसी वनतिगत भ क कारण नही वका अवपत इसक विपरीत किलि मानिता क परवत परम न मझ इसक वलिए परररत वका

हजरत महममि म तफासअि वजह जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह समत मानिजावत क वलिए एक उपकारी और हमििण बनाकर भजा गा ह की वशकाओ न समत सचच मसलिमानरो क हिरो म मानिता स परम को अवकत कर विा ह और उस उनवत परिान की ह

64 विशव सकट तथा शानत-पथ

बहत सभि ह वक आप आशच ण कर ा आप सनकर तzwjध रह जाए वक मानिता क वलिए हमारा परम हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की वशकाओ ही का पररणाम ह अत ह परशन पिा हो सकता ह वक वफर हा ऐस उगरिािी वगरोह करो मौजि ह जो वनिवोष लिोगरो का िzwjध करत ह ा वफर करो ऐसी मसलिमान सरकार मौजि ह जो अपन शासन की कवसण रो को सरवकत रखन क वलिए अपनी ही परजा को मारन का आिश िती ह

ह पषzwjट रह वक िाति म इस परकार क अनवचत और ककमण इलिामी वशका क वबलकलि विपरीत ह पवितर कआणन वकसी भी पररनथवत म कटटरिाि और उगरिाि की अनमवत नही िता

हमारी आथानसार इस ग म परमशिर न जमाअत अहमविा क परितणक हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी अलिवहसलिाम को हजरत महममि म तफा सललाहो अलिवह िसलम की पणण िासता म मसीह मौऊि और इमाम महिी बना कर भजा ह मसीह मौऊि को इलिाम और पवितर कआणन की िातविक वशका क परचार और परसार क वलिए भजा गा था आपको मनषzwj और परमशिर क मध एक सबzwjध थावपत करन क वलिए अितररत वका गा था आपको इसवलिए भजा गा था वक मनषzwj एक िसर क परवत अपन कततणवरो को पहचान आपको हर परकार क zwjधावमणक दधरो को समापत करन क वलिए भजा गा था आप को परतक zwjधमण क पशिा और पगमबर क सममान शान और थान को थावपत करन क वलिए भजा गा था आपको उचच नवतक मलरो की परानति की ओर ससार का धान अाकटि और समत विशि म शानत परम सहानभवत एि भरातति को काम करन क वलिए भजा गा था

65एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

वि आप विशि क वकसी भी िश म जाए तो आप िखग वक विशषताए समत सचच अहमविरो म विदमान ह हमार वलिए न उगरिािी और न ही चरमपथी आिशण ह और न ही अताचारी मसलिमान शासक और न ही पनचिमी शनतिा हमार वलिए नमना ह िह आिशण वजसका हम अनसरण करत ह िह इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम का आिशण ह और हमार पथ-परिशणक वनिदश पवितर कआणन म ह

अत म इस अमन काफस (Peace Symposium) स समत विशि को ह सिश िता ह वक इलिाम का सिश और वशकाए परम सहानभवत अमन और शानत पर आzwjधाररत ह

िभाणग स हम िखत ह वक मसलिमानरो का एक अलपसखक िगण इलिाम का एक पणणता विकत रप परतत करता ह और पथ-भरषzwjट करन िालिी आथाओ का पालिन करता ह म आप सब स कहता ह वक उसको िातविक इलिाम न समझ और उन अापणण काषो को शानतवपर मसलिमानरो की बहसखा की भािनाओ को ठस पहचान और उह अताचार का लिक बनान क वलिए एक लिाइसस क तौर पर परोग न कर

पवितर कआणन समत मसलिमानरो की सबस अवzwjधक मबारक और पवितर प तक ह इसवलिए उसक बार म अपवितर और अवशटि भाषा का परोग करन ा उस जलिान स वनशच ही मसलिमानरो की भािनाए आहत हरोगी हमन िखा ह वक जब भी ऐसी घटना होती ह तो कटटरपथी मसलिमानरो को एक वबलकलि गलित और अनवचत परवतवकरा की ओर लि जाती ह

हमन अभी अफगावनतान म िो घटनाओ क सबzwjध म सना जहा अमरीका क सवनकरो न पवितर कआणन का अपमान वका और वनिवोष

66 विशव सकट तथा शानत-पथ

नतररो और बचचरो को उनक घररो म मारा इसी परकार एक अताचारी वनति न िवकणी फास म कछ फासीसी वसपावहरो को अकारण गोवलिरो स मार िालिा और वफर कछ ही विनरो क पशचात उसन एक ककलि म परिश वका और तीन वनिवोष हिी बचचरो और उनक एक वशकक की भी हता कर िी

हम िखत ह वक ह आचरण वबलकलि गलित ह जो कभी शानत नही लिा सकता हम ह भी िखत ह वक ऐस अताचार पावकतान म वनरतर होत ह और अ थानरो म भी इस परकार समत गवतविवzwjधा इलिाम क विरोवzwjधरो को अपनी नफरत को हिा िन क वलिए ईzwjधन उपलिzwjध कर रही ह तथा अपन उदशरो की उचच तर पर परानति क वलिए बहाना उपलिzwjध करा रही ह एक छोट तर पर ऐसी अताचारपणण काणिावहा वकसी वनतिगत शतरता ा दष क कारण नही की जाती अवपत िाति म उन अापणण नीवतरो का पररणाम ह वजह कछ विशष सरकार राषzwjटरी और अतराणषzwjटरी तर पर अपनाए हए ह

अत विशि म शानत थावपत करन क वलिए ह आिशक ह वक ा क उवचत मापिणिरो को परतक तर पर और परतक िश म विकवसत वका जाए पवितर कआणन न अकारण वकसी वनिवोष वनति क िzwjध को समत मानिता का िzwjध ठहराा ह

अत एक मसलिमान होन क नात म पनः ह पणण रप स पषzwjट करगा वक इलिाम अताचार और बबणरता क वकसी भी रप परकार की किावप अनमवत नही िता ह एक पटि आिश ह वजसम कोई अपिाि नही पवितर कआणन इसक अवतररकत कहता ह - वि कोई िश ा जावत तमहार साथ शतरता भी रखती हो तब भी उनक साथ विहार

67एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

करत हए शतरता तमह ा करन स किावप न रोक ऐसा नही होना चावहए वक शतरताए और िर तमह परवतशोzwjध लिन ा अनवचत काणिाही करन की ओर लि जाए एक और महतिपणण आिश जो हम पवितर कआणन न विा ह वक िसररो क zwjधन और ससाzwjधनरो को ईषzwjाण तथा दष और लिालिच भरी दनटि स नही िखना चावहए

मन किलि कछ बातरो का िणणन वका ह परत ऐसी बात ह जो वनतात आिशक ह करोवक ही बात समाज और वफर विशालि ससार म शानत और ा की नीि रखन िालिी ह म िआ करता ह वक विशि इन मलि समाओ की ओर अपना धान आकषzwjट कर तावक हम विशि क उस विनाश स बचाए जाए वजसकी ओर हम अताचारी और बईमान लिोग लि जा रह ह

म कमा चाहता ह वक मन आपका काफी सम वलिा ह परत िातविकता ह ह वक विशि म शानत थावपत करन का विष अतत महति का विष ह

सम हाथरो स वनकलिता जा रहा ह और इसस पिण क बहत िर हो जाए हम सब को सम की आिशकता की ओर बहत धान िना चावहए

इसस पिण वक म अपन इस भाषण को समापत कर एक आिशक बात क सबzwjध म बताना चाहता ह - जसा वक हम सब जानत ह वक आजकलि अवत आिरणी महारानी एवलिजाबथ वदती की हीरक जती मनाई जा रही ह वि हम सम को 115 िषण पिण 1897 ई तक लि जाए उस सम भी महारानी विकटोररा की हीरक जती मनाई जा रही थी उस सम जमाअत अहमविा क परितणक न महारानी विकटोररा

68 विशव सकट तथा शानत-पथ

को मबारकबाि का एक सिश भजा था आप अलिवहसलिाम न उस सिश को इलिामी वशकाओ का पगाम

पहचात हए वबरटन की सरकार क वलिए िआ और महारानी की िीघण आ क वलिए कामना की थी उस सिश म आप अलिवहसलिाम न वलिखा वक महारानी की सरकार की सबस बडी विशषता ह ह वक उनकी सरकार म समत लिोगरो को zwjधावमणक िततरता िी जाती ह

आज क ससार म वबरटन की सरकार भारती उपमहादीप पर शासन नही करती तथावप zwjधावमणक िततरता क वसदधात वबरटन क समाज की और उसक काननरो म गहराई क साथ सलिगन ह वजनक दारा परतक वनति को zwjधावमणक िततरता परिान की गई ह

वनसिह इस िततरता का बहत ही स िर नमना हा पर आज रात को िखा जा रहा ह जहा पर विवभन आथाओ zwjधमषो और विचाररो क मानन िालि एक सामवहक उदश अथाणत विशि म शानत थावपत करन क वलिए एक थान पर एकतर हए ह इसवलिए िही शि और िही िआए जो हजरत मसीह मौऊि अलिवहलिाम न की थी उही का परोग करत हए म इस अिसर पर महारानी ऐवलिजाबथ को हाविणक गहराइरो स मबारकबाि परतत करता ह जसा वक आपन फरमाा वक

ldquoपरिशवर कर मक हिजरी पसनतजपणा िबजरकबजद और कतजञतज की भजवनजए हिजरी हिददा िहजरजनी को पहच और ईशवर कर मक आदणणीय िहजरजनी सदव पसन और सतषट रहrdquoहजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम न महारानी विकटोररा क

वलिए इसक अवतररकत िआए की अत म महारानी क वलिए िआए

69एक एटमी दध क भानक पररणाम तथा पणण ा की अतत आिशकता

करन क वलिए पन आप ही क शि परोग करता ह - ldquoह शनतिशजली और सजिरयावजन परिशवर अपनी कपज और बरकतरो स सदव हिजरी आदरणीय िहजरजनी को इसी पकजर पसन रखनज मजस पकजर हि उसकी सहजनभमत और दयज क िलसवरप पसनतजपवाक रह रह ह उस स पि और दयज कज वयवहजर करनज ठीक उसी पकजर मजस पकजर हि शजनत और सिमदध स सहदयतज एव सयियकत आचरण वजली सरकजर क अिीन रह रह हrdquoअत ह कतजतापणण भािनाए ह जो हर अहमिी मसलिमान क हि

म ह जो वबरटन का नागररक ह अत म एक बार पन आप सब का हाविणक गहराइरो क साथ zwjधिाि करना चाहता ह वजहरोन हा पzwjधार कर अपन परम सहानभवत एि भरात-भािना को परकट वका ह

आपका अवत zwjधिाि

शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

कवपटलि वहलि िावशगटन िी सी 2012 ई

Brad Sherman (Democratic member of the United States House of Representatives) presenting American flag to Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

The first Muslim Congressman Keith Ellisonmeeting Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba leading silent prayer at US Capitol Hill

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba delivers his keynote address at US Capitol Hill

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba during his official tour of US Capitol Hill

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba in US Capitol Hill after his historic address to the US Statesmenand Bureaucrats

भमिकज

27 जन 2012 को कवपटलि वहलि िावशगटन म एक ऐवतहावसक घटना घवटत हई वक जमाअत अहमविा क ितणमान और पचम खलिीफा न अमररकी कागरस क सिरो म सनटसण राजितरो वहाइट हाउस और टट विपाटरम ट टाफ एनजीओज क अवzwjधकारररो zwjधावमणक नताओ परोफसररो नीवत सलिाहकाररो सरकारी अवzwjधकारररो विपलिोमवटक कोर (Corps) क सिरो विचारकरो पटागन क परवतवनवzwjधरो एि मीविा क सपािकरो को समबोवzwjधत वका ह काफस जो अपन परकार की परथम काफस थी इस न स कत राज अमरीका (USA) क कछ बहत ही परवतनषठत नताओ को वजनम नसी पलिोसी जो वक हाउस आफ

76 विशव सकट तथा शानत-पथ

ररपरजटवटवज (House of Representatives) म िमोकरवटक पाटगी की नता ह सनममवलित थ को सीzwjध तौर पर विशि-शानत क विष पर इलिाम का सिश सनन का अिसर उपलिzwjध कराा इस आोजन क पशचात हजरत इमाम जमाअत अहमविा वमजाण मसरर अहमि सावहब को कवपटलि वहलि का भरमण कराा गा ततपचिात हाउस आफ ररवपरजटवटवज म Escort विए जान स पिण आप क स कत राज म आगमन की खशी म सममान क तौर पर एक परताि परतत वका गा

उस परताि की भवमका ह ह - आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि

विशिवापी जमाअत अहमविा क आधानतमक और विथागत पशिा को िावशगटन िीसी म सिागतम तथा विशि-शानत ा उिारता मानिावzwjधकाररो zwjधावमणक िततरता एि परजाततर क वलिए आपक परासरो की सराहना करत ह

कवपटलि वहलि म उपनथत सजजनरो की सची वनमनवलिवखत ह - US Senator Robert Casey Sr (Democrat Pennsylvania) US Senator John Cornyn (Republican Texas) Democratic Leader Nancy Pelosi (Democrat California) US Congressman Keith Ellison (Democrat Minnesota) US Congressman Bradley Sherman (Democrat

California) US Congressman Frank Wolf (Republican Virginia) US Congressman Michael Honda (Democrat California) US Congressman Timothy Murphy (Republican

77भवमका

Pennsylvania) US Congresswoman Jeannette Schmidt (Republican

Ohio) US Congresswoman Janice Hahn (Democrat California) US Congresswoman Janice Schakowsky (Democrat

Illinois) US Congresswoman Jackie Speier (Democrat California) US Congresswoman Zoe Lofgren (Democrat California) US Congresswoman Sheila Jackson Lee (Democrat

Texas) US Congressman Gary Peters (Democrat Michigan) US Congressman Thomas Petri (Republican Wisconsin) US Congressman Adam Schiff (Democrat California) US Congressman Michael Capuano (Democrat

Massachusetts) US Congressman Howard Berman (Democrat

California) US Congresswoman Judy Chu (Democrat California) US Congressman Andreacute Carson (Democrat Indiana) US Congresswoman Laura Richardson (Democrat

California US Congressman Lloyd Poe (Republican Texas) US Congressman Barney Frank (Democrat

Massachusetts) US Congressman Bruce Braley (Democrat Iowa) US Congressman Dennis Kucinich (Democrat Ohio)

78 विशव सकट तथा शानत-पथ

US Congressman Trent Franks (Republican Arizona) US Congressman Chris Murphy (Democrat

Connecticut) US Congressman Hank Johnson (Democrat Georgia) US Congressman James Clyburn (Democrat South

Carolina) His Excellency Bockari Kortu Stevens Ambassador of

Sierra Leone to the United States Dr Katrina Lantos Swett Chairwoman United States

Commission on Inteternational Religious Freedom Hon Tim Kaine Former Governor of Virginia Amb Susan Burk Special Representative of President

Barack Obama for Nuclear Nonproliferation Amb Suzan Johnson Cook US Ambassador at Large for

International Religious Freedom Hon Khaled Aljalahma Deputy Chief of Mission

Embassy of the Kingdom of Bahrain to the United States Rev Monsignor Jean-Francois Lantheaume First

Counselor (Deputy Chief of Mission) The Apostolic Nunciature of the Holy See to the United States

Ms Sara Al-Ojaili Public AffairsLiaison Officer Embassy of the Sultanate of Oman to the United States

Mr Salim Al Kindie First Secretary Embassy of the Sultanate of Oman to the United States

Ms Fozia Fayyaz Embassy of Pakistan to the United States Hon Saida Zaid Counselor Embassy of Morocco to the

United States

79भवमका

Hon Nabeel Munir Minister-IV (Security Council) Pakistan Permanent Mission to the United Nations

Hon Josef Renggli Minister-Counselor Embassy of Switzerland to the United States

Hon Alyssa Ayres Deputy Assistant Secretary for South and Central Asia US Department of State

Amb Karl Inderfurth Senior Adviser and Wadhwani Chair in US-India Policy Studies Center for Strategic and International Studies

Hon Donald A Camp Senior Associate Center for Strategic and International Studies

Amb Jackie Wolcott Executive Director US Commission on International Religious Freedom

Dr Azizah al-Hibri Commissioner US Commission on International Religious Freedom

Mr Isaiah Leggett County Executive Montgomery Count Maryland

Ms Victoria Alvarado Director Office of International Religious Freedom US Department of State

Dr Imad Dean Ahmad Director Minaret of Freedom Institute

Dr Zainab Alwani Assistant Professor of Islamic Studies Howard University School of Divinity

Ms Deborah L Benedict Associate Counsel US Citizenship and Immigration Services Department of Homeland Security

Ms Lora Berg Senior Adviser to Special Representative to Muslim Communities US Department of State

80 विशव सकट तथा शानत-पथ

Dr Charles Butterworth Professor (Emeritus) of Government and Politics University of Maryland College Park

Father John Crossin Executive Director for Secretariat for Ecumenical and Interreligious Affairs United States Conference of Catholic Bishops

Major (Ret) Franz Gayl Senior Science Adviser US Marine Corps

Dr Sue Gurawadena-Vaughn Director of International Religious Freedom and South East Asia Programs Freedom House

Mr Frank Jannuzi Head of Washington Office Amnesty International USA

Mr T Kumar International Advocacy Director Amnesty International USA

George Leventhal Member of the Montgomery County Council

Mr Amer Latif Visiting Fellow Wadhwani Chair in US-India Policy Studies Center for Strategic and International Studies

Mr Tim Lenderking Director of Pakistan Desk Office US State Department

Mr Jalal Malik International Affairs Officer US Army National Guard

Mr Naveed Malik Foreign Service Officer US Department of State

Ms Dalia Mogahed Senior Analyst and Executive Director Gallup Center for Muslim Studies

81भवमका

Mr Paul Monteiro Associate Director White House Office of Public Engagement

Major General David Quantock United States Army Provost General

Ms Tina Ramirez Director of International and Government Relations The Becket Fund

Rabbi David Saperstein Director and Counsel Religious Action Center for Reform Judaism

Chaplain Brigadier General Alphonse Stephenson Director of the National Guard Bureau Office of the Chaplain

Mr Knox Thames Director of Policy and Research US Commission on International Religious Freedom

Mr Eric Treene Special Counsel for Religious Discrimination Civil Rights Division US Department of Justice

Dr Hassan Abbas Professor Regional and Analytical Studies Department National Defense University

Mr Malik Siraj Akbar Reagan-Fascell Fellow National Endowment of Democracy

Mr Matthew K Asada Congressional Fellow to Rep Gary Peters

Ms Stacy Burdett Director of Government and National Affairs Anti-Defamation League

Ms Elizabeth Cassidy Deputy Director for Policy and Research US Commission on International Religious Freedom

Ms Aimee Chiu Director of Media Communication and Public Relations American Islamic Congress

82 विशव सकट तथा शानत-पथ

Mr Cornelius Cremin Department of State Bureau of Democracy Human Rights and Labor Acting Deputy Director and Foreign Affairs Officer for Pakistan

Mr Sadanand Dhume Resident Fellow American Enterprise Institute

Dr Richard Gathro Dean of Nyack College Washington DC

Mr Joe Grieboski Chairman The Institute on Religion and Public Policy

Ms Sarah Grieboski The Institute on Religion and Public Policy

Dr Max Gross Adjunct Professor Prince Alwaleed Bin Talal Center for Muslim-Christian Understanding Georgetown University

Dr Riaz Haider Clinical Professor of Medicine George Washington University

Ms Huma Haque Assistant Director South Asia Center Atlantic Council

Mr Jay Kansara Associate Director Hindu American Foundation

Mr Hamid Khan Senior Program Officer Rule of Law Center US Institute for Peace

Ms Valerie Kirkpatrick Associate for Refugees and US Advocacy Human Rights Watch

Mr Alex Kronemer Unity Productions Mr Paul Liben Executive Writer US Commission on

International Religious Freedom Ms Amy Lillis Foreign Affairs Officer US Department

83भवमका

of State Mr Graham Mason Legislative Assistant to Rep Allyson

Schwartz Ms Lauren Markoe Religion News Service Mr Dan Merica CNNcom Mr Joseph V Montville Senior Associate Merrimack

College Center for the Study of Jewish-Christian-Muslim Relations

Mr Aaron Myers Program Officer Freedom House Ms Attia Nasar Regional Coordinating Officer US

Department of State Ms Melanie Nezer Senior Director US Policy and

Advocacy HIAS Dr Elliott Parris Bowie State University Mr John Pinna Director of Government and

International Relations American Islamic Congress Mr Arif Rafiq Adjunct Scholar Middle East Institute Ms Maya Rajaratnam Amnesty International Ms Rachel Sauer Foreign Affairs Officer US

Department of State Dr Jerome Schiele Dean of College of Professional

Studies Bowie State University Ms Samantha Schnitzer Staff United States Commission

on International Religious Freedom Dr Mary Hope Schwoebel Senior Program Officer

Academy for International Conflict Management and

84 विशव सकट तथा शानत-पथ

Peacebuilding US Institute for Peace Ms Sarah Schlesinger International and Government

Relations Associate The Becket Fund Dr Frank Sellin Kyrgystan Desk Officer US

Department of State Ms Anna-Lee Stangl Christian Solidarity Worldwide Ms Kalinda Stephenson Professional Staff Tom Lantos

Human Rights Commission Mr Jordan Tama Lead Democratic Staffer Tom Lantos

Human Rights Commission Mr Shaun Tandon AFP Dr Wilhelmus Valkenberg Professor of Religion and

Culture The Catholic University of America Mr Anthony Vance Director of External Affairs Baharsquois

of the United States Mr Jihad Saleh Williams Government Affairs

Representative Islamic Relief USA Ms Amelia Wang Chief of Staff to Congresswoman Judy

Chu Ms Moh Sharma Legislative Fellow to Congresswoman

Judy Chu

यएस कजगस mdash हजउस पसतजव सखयज 709

88 विशव सकट तथा शानत-पथ

112 िा कागरस िसरा सशनपसतजव सखयज 709

आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि विशिवापी जमाअत अहमविा क आधानतमक और विथागत पशिा को िावशगटन िीसी म सिागतम तथा विशि-शानत ा उिारता मानिावzwjधकाररो zwjधावमणक िततरता एि परजाततर क वलिए आपक परासरो की सराहना करत ह

परवतवनवzwjध कक (House of Representatives)27 जन 2012

शीमती ज लिॉफगरन आफ कलिीफोवनण ा न (ि की ओर स तथा Mr Sherman Mr Connolly of Virginia Mr Hinchey Ms Eshoo Ms Speier Ms Richardson Mr Schiff Ms Schakowsky Mr Honda Mr Wolp Mr Peters Mr Dent Ms Chu Mr Berman Mr Franks of Arizona Ms Jackson Lee of Texas Ms Schwartz Mr Braley of Iowa और Mr McGovern की ओर स) न वनमनवलिवखत परताि परतत वका जो वक वििशी मामलिरो (Foreign Affairs) की कमटी को भजा गा

92 विशव सकट तथा शानत-पथ

पसतजव हम आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब विशववापी

जमाअत अहमविा क आधानतमक एि विथागत पशिा का िावशगटन िीसी म अवभनिन करत ह और हम आपकी विशि-शानत ा अवहसा मानिावzwjधकाररो zwjधावमणक िततरता और परजाततर क परवत कवटबदधता की सराहना करत ह

16 जन 2012 ई स 2 जलिाई 2012 तक आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि अहमविा मनलिम जमाअत जो एक अतराणषzwjटरी zwjधावमणक सगठन ह वजसक समपणण विशि म लिाखरो सि ह क विशिवापी एि विथागत पशिा स कत राज अमरीका का ऐवतहावसक िौरा कर रह ह

आप 22 अपरलि 2003 ई को हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब क पचम खलिीफा (जो वक एक आजीिन पि ह) वनिाणवचत हए आप शानत को बढािा िन िालि परमख मनलिम पशिा ह वजहरोन अपन परिचनरो भाषणरो रचनाओ एि वनतिगत भटरो क माधम स मानि सिा अतराणषटी मानिावzwjधकार शानत एि ा पर आzwjधाररत समाज क सबzwjध म जमाअत अहमविा क मलरो का सिि परचार एि समथणन वका ह अहमविा मनलिम जमाअत वनरतर ातनाओ का वशकार रही इन ातनाओ म भिभाि कषzwjट एि अताचार और वहसा भी सनममवलित ह

28 मई 2010 ई को लिाहौर पावकतान म जब जमाअत अहमविा की िो मनजिरो पर जमाअत अहमविा क विरोzwjधी उगरिाविरो न आकरमण वका तो उसम 86 अहमिी मसलिमान मार गए आप सामपरिावक

93परताि सखा 709

ातनाओ क बािजि अहमविरो को परवतशोzwjधातमक एि वहसातमक परवतवकराओ स वनरतर मना करत ह आपन मानिता की सिा को बढािा िन और उस आसान बनान क वलिए समपणण विशि का भरमण वका तथा इस सबzwjध म आपन परजीिणटस पराइमवमवनटजण सासिरो और विवभन िशरो क राजितरो स भट की

सकत राज अमरीका क अपन भरमण क मध आप सकत राज क परमख राजनताओ स भट करन क अवतररकत सबzwjधरो को सदढ बनान तथा समत लिोगरो म शानत और ा क माधमरो की थापना क वलिए हजाररो अमरीकी मसलिमानरो स भी वमलिग

27 जन 2012 ई को आप रबनण हाऊस आवफस वबनलिग कवपटलि वहलि क विशष वदपकी अवभनिन समारोह क अिसर पर ldquoशानत-पथ - राषzwjटररो क मध ापणण सबzwjधrdquo शीषणक क अतगणत मख भाषण िग ह परताि पाररत हआ वक हाउस आफ ररवपरजटवटवज

1 आिरणी हजरत वमजाण मसरर अहमि का िावशगटन िी सी म अवभनिन करता ह

2 आप का परतक वनति की वनतिगत शानत एि ा तथा विशव की सामवहक शानत एि ा को बढािा िन पर सराहना करता ह

3 हम आपकी थाी तौर पर मसलिमानरो को कठोर स कठोर ातनाए िन क बािजि भी वहसातमक काणिावहा करन स बचन क परामशण िन पर सराहना करत ह

शजनत-पथ mdash रजषटरो क िधय यजयपणा सबि

वबनमलावहररहमावनररहीम - आिरणी अवतवथ गण असzwjसलारो अलकर वरहरzwjललाह व

बरकाzwjोह - कछ िणणन करन स पिण म इस अिसर पर आप सब का मर

भाषण को सनन क वलिए सम वनकालिन पर आभार परकट करना चाहता ह मझ स एक ऐस अिसर पर वजस विष पर बोलिन क वलिए वनििन वका गा ह िह बहत विशालि ह तथा वितार चाहता ह उसक बहत स पक ह अत इस अलप सम म उन सब का िणणन कर पाना मर वलिए सभि नही वजस विष पर भाषण िन क वलिए कहा गा ह िह विशि-शानत की थापना ह वनशच ही ह वनतात महतिपणण एि तिररत धान िन का मामलिा ह वजसका आज विशि को सामना ह बहरहालि इस सीवमत सम म म सवकपत तौर पर राषzwjटररो क

96 विशव सकट तथा शानत-पथ

मध ापणण तथा सबzwjधरो की समानता क दारा शानत-थापना क बार म इलिामी विचारzwjधारा को आपक समक रखगा

िातविकता ह ह वक शानत और ा परपर अवनिाण ह आप इन म स एक क अभाि म िसर को नही िख सकत वनशच ही ह ऐसा वसदधात ह वजस समत बवदधमान लिोग समझत ह जो लिोग विशि म अशानत फलिान पर कवटबदध ह उह एक ओर रखत हए कोई भी ह िािा नही कर सकता वक वकसी समाज और िश हा तक वक समपणण विशि म जहा ा होता हो िहा अविथा एि शानत का अभाि हो सकता ह तथावप हम िखत ह वक विशि क कई िशरो म अशानत फलिी हई ह ह अशानत िोनरो परकार स अथाणत िशरो क आतररक और बाहय तौर पर भी विवभन राषzwjटररो क मध सबzwjधरो की दनटि स विखाई िती ह ऐसी अविथा और टकराि विदमान ह चाह समत सरकार ऐसी नीवता बनान की िाििार हरो जो ा पर आzwjधाररत हरो सार िश ही िाि करत ह वक शानत थावपत करना ही उनका मलि उदश ह वफर भी इस बात म कोई सिह नही वक विशि म अशानत और परशानी बढ रही ह ह बात पषzwjट तौर पर वसदध करती ह वक कही न कही ा की माग परी नही की जा रही ह अतः परास करन तथा समानता का जहा कही जब भी अभाि हो उस समापत करन की वनतात आिशकता ह अतः विशववापी जमाअत अहमविा का पशिा होन क नात म ा पर आzwjधाररत शानत की परानति क माधमरो एि आिशकताओ क सबzwjध म कछ बात परतत करना चाहता ह

जमाअत अहमविा एक शदध zwjधावमणक समिा ह हमारा दढ विशिास ह वक मसीह और सzwjधारक वजसका इस ग म आना वननचित

97शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

था और विशि को इलिाम की िातविक वशका स अिगत कराना था िह वनसिह आ चका ह हमारा ईमान ह वक हमार समिा क परितणक हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी अलिवहसलिाम िही मसीह मौऊि और सzwjधारक ह और इसीवलिए हमन उह माना ह आप न अपन अन ावरो स दढतापिणक कहा वक िह इलिाम की िातविक और मलि वशकाए जो पवितर कआणन पर आzwjधाररत ह ि भी पालिन कर और उसका परचार कर अतः शानत-थापना एि ापणण अतराणषzwjटरी सबzwjध पिा करन क सबzwjध म जो भी कहगा िह कआणनी वशकाओ पर आzwjधाररत होगा

विशि-शानत की परानति हत आप सब वनरतर अपनी विचारzwjधाराओ को परकट करत ह और वनसिह परास भी करत ह आपक रचनातमक और वििकशीलि मनतषzwjक आपको महान विचाररो ोजनाओ और शानत का वििक परतत करन की पररणा ित ह

अतः इस समा पर मझ सासाररक अथिा राजनीवतक दनटि स कछ कहन की आिशकता नही अवपत इसक विपरीत मरा समपणण धान इस बात पर वनभणर होगा वक zwjधमण पर आzwjधाररत शानत की थापना कस हो सकती ह इस उदश क वलिए जसा वक मन पहलि िणणन वका ह म पवितर कआणन की वशकाओ पर आzwjधाररत कछ अतत आिशक वनिदश परतत करगा

हमशा ह मरण रखना आिशक ह वक मानि जान और बवदध पणण नही ह अवपत िाति म सीवमत ह अत वनणण करत सम अथिा विचार करत सम कछ विशष बात मानि मनतषzwjक म परिश कर जाती ह जो वनणण को zwjधवमलि कर सकती ह तथा एक वनति को अपन ही

98 विशव सकट तथा शानत-पथ

अवzwjधकाररो को पणण करन क परास की ओर अगरसर करती ह अततः ही बात एक अापणण पररणाम की ओर लि जा सकती ह और वफर फसलिा वका जाता ह परमशिर का कानन बहरहालि पणण ह तथा कोई वनतिगत वहत अथिा अापणण वनम विदमान नही ह करोवक परमशिर अपनी सनटि क वलिए किलि अचछाई और भलिाई चाहता ह इसवलिए उसका कानन पणण रप स ा पर आzwjधाररत ह वजस विन विशि क लिोग इस महतिपणण रह को समझन लिगग उस विन िातविक और थाी शानत की नीि रख िी जाएगी अथा हम ह जात करन का परतन करत रहग वक दवप वक विशि-शानत की थापना क वलिए अतत परतन वकए गए परत ि कोई महतिपणण पररणाम उपलिzwjध करान म असफलि रह

परथम विशि दध की समानति क पशचात कछ राषzwjटररो क शासकरो न भविषzwj म समत िशरो क मध अचछ और शानतपणण सबzwjधरो की इचछा की तो विशि-शानत की परानति क वलिए लिीग ऑफ नशस (Leage of Nations) बनाई गई उसका मख उदश विशि-शानत को थाित रखना था तथा भविषzwj म दधरो को रोकना था िभाणगिश इस लिीग क वसदधात और जो परताि पाररत वकए गए उनम कछ कवमा और िोष थ इसवलिए उहरोन समत लिोगरो और समत िशरो क अवzwjधकाररो की थोवचत रका न की पररणामिरप जो असमानता पिा हई तो थाी शानत जारी न रह सकी लिीग क परास विफलि हो गए ह बात सीzwjध तौर पर वदती विशि दध का कारण बनी

जो भकर विनाश और बरबािी हई उसस हम सब पररवचत ह वजसम समपणण विशि क लिगभग पचहततर वमवलिन लिोगरो क पराण नषzwjट

99शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

हए वजनम अवzwjधकाश वनिवोष जनता थी ह दध विशि की आख खोलिन क वलिए पाणपत होना चावहए था ह उन बवदधमततापणण नीवतरो को उनवत िन का माधम होना चावहए था जो वक समत िलिरो को ा पर आzwjधाररत उनक अवनिाण अवzwjधकार परिान करता इस परकार विशि म शानत थावपत करन का माधम वसदध होता उस सम विशि की सरकाररो न वकसी सीमा तक शानत काम करन का परतन वका और सकत राषzwjटर सघ (UNO) की थापना की गई परत ह शीघर ही पषzwjट हो गा वक सकत राषzwjटर सघ क महान और महतिपणण उदश पर नही वकए जा सक और आज कछ विशष सरकार पषzwjट तौर पर ऐस बान िती ह वजन स उनकी असफलिता वसदध होती ह

ा पर आzwjधाररत अतराणषzwjटरी सबzwjध जो शानत थावपत करन का एक माधम हरो उनक सबzwjध म इलिाम का कहता ह पवितर कआणन म अललिाह तआलिा न ह पषzwjट वका ह वक दवप हमारी जावता और जाती पररदश हमारी पहचान का एक माधम ह परत िह वकसी परकार की शषzwjठता क औवचत का माधम नही ह

अत पवितर कआणन ह पषzwjट करता ह वक समत लिोग समान ह इसक अवतररकत िह अनतम खतबा (भाषण) जो हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम न विा उसम आपस न समत मसलिमानरो को नसीहत की वक सिि मरण रखो वक वकसी अरबी को वकसी गर अरबी पर और न ही वकसी गर अरबी को वकसी अरबी पर कोई शषzwjठता ह आपस न ह वशका िी वक एक गोर को कालि पर और न ही वकसी कालि को गोर पर शषzwjठता ह अत इलिाम की ह एक पषzwjट वशका ह वक समत जावतरो और नलिरो क लिोग बराबर

100 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह ह भी पषzwjट कर विा गा ह वक समत लिोगरो को वबना वकसी भिभाि अथिा दष क समान अवzwjधकार विए जान चावहए ह एक बवनािी और सनहरी वसदधात ह जो विवभन वगरोहरो और िशरो क मध एकता और शानत की नीि िालिता ह

बहरहालि आज हम िखत ह वक शनतिशालिी और वनबणलि िशरो क मध एक फकट और खाई ह उिाहरणता स कत राषzwjटर सघ म हम िखत ह वक विवभन िशरो क मध अतर वका जाता ह और इसी परकार विशि सरका पररषि म कछ थाी और कछ अथाी सि ह ह विभाजन फकट और अशानत का एक आतररक माधम वसदध हआ ह अत हम वनरतर इस असमानता क विरदध परिशणनरो पर आzwjधाररत विवभन िशरो की ररपोटर सनत रहत ह इलिाम समत मामलिरो म पणण ा और समानता का पाठ पढाता ह और इस परकार हम पवितर कआणन की सरह अलिमाइिह आत - 3 म एक और वनिदश पात ह इस आत म पवितर कआणन िणणन करता ह वक ा की मागरो को पणणता परा करन क वलिए ह आिशक ह वक उन लिोगरो स भी वजहरोन घणा और शतरता की समत सीमाओ को पार कर वलिा हो ा और समानता का विहार वका जाए पवितर कआणन ह वशका िता ह वक जहा कही भी और जो कोई भी तमह अचछाई और नकी की ओर बलिाता हो तमह उसकी आिाज पर लिबक (म उपनथत ह) कहना चावहए और जहा भी जो कोई भी तमह बराई और अापणण विहार की ओर बलिाता हो तमह उसक वनमतरण को अिीकार कर िना चावहए

एक परशन जो िाभाविक तौर पर पिा होता ह िह ह ह वक इलिाम वकस परकार क ा की माग करता ह सरह अनननसा आत - 126 म

101शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

पवितर कआणन िणणन करता ह वक वि तमह अपन ि क विरदध ा अपन माता-वपता ा अपन वपरजनरो क विरदध भी गिाही िनी पड तो ा और सचचाई को काम रखन क वलिए तमह अिश ऐसा करना चावहए शनतिशालिी और समवदधशालिी िशरो को अपन अवzwjधकाररो की रका करन क परास म वनzwjधणन और शनतिहीन िशरो क अवzwjधकार को हडप नही करना चावहए िसरी ओर वनzwjधणन और शनतिहीन िशरो को अिसर वमलिन पर शनतिशालिी अथिा समवदधशालिी िशरो को हावन पहचान का परास नही करना चावहए इसक थान पर िोनरो पकरो को ा क वसदधातरो का पणणरपण पालिन करना चावहए िाति म विवभन िशरो क मध शानतपणण सबzwjधरो को काम रखन क वलिए ह समा बहत गभीर ह

ा पर आzwjधाररत िशरो क मध शानत की एक अ माग की चचाण पवितर कआणन की सरह अलिवहजर आत - 89 म ह जहा पवितर कआणन फरमाता ह वक वकसी भी वगरोह को िसररो क ससाzwjधनरो तथा zwjधन-समपवततरो को कभी भी ईषzwjाणपणण वनगाहरो स नही िखना चावहए इसी परकार वकसी भी िश को वकसी अ िश की पराकवतक समपिाओ पर उनकी सहाता अथिा समथणन क बहान अवzwjधकार करन का औवचत तलिाश नही करना चावहए इसी परकार तकनीकी महारत उपलिzwjध करान क आzwjधार पर सरकाररो को अापणण वापाररक समझौत ा ठक लित हए िसर िशरो स अनवचत लिाभ नही उठाना चावहए इसी परकार तकनीकी ोगताए उपलिzwjध करान ा सहाता करन क बहान सरकाररो को विकासशीलि िशरो क पराकवतक समपिाओ ा समपवततरो पर अवzwjधकार परापत करन क परतन नही करन चावहए जहा अलप वशवकत लिोग हरो

102 विशव सकट तथा शानत-पथ

ा सरकाररो को वसखान की आिशकता हो वक उह अपन पराकवतक ससाzwjधनरो (समपिाओ) को कस काम म लिाना ह तो वफर ऐसा वका जा सकता ह

अत िशरो और सरकाररो को वनबणलि िशरो की सिा और सहाता करन क सिि अिसर खोजन चावहए परत वकसी भी पररनथवत म ऐसी सिा को राषzwjटरी अथिा राजनीवतक लिाभ परापत करन का ा अपन वहतरो को पणण करन का उदश नही बनाना चावहए हम िखत ह वक सकत राषzwjटर सघ न गत छ ा सात िशकरो म वनzwjधणन िशरो की सहाता करन और उह विकवसत करन क उदश स कई काणकरम बनाए ह इस परास म उहरोन कई िशरो क पराकवतक ससाzwjधनरो की खोज की ह परत इन परासरो क बािजि वनzwjधणन िशरो म स कोई भी िश विकवसत िशरो क तर तक नही पहच सका इस का एक कारण वनशच ही उन विकासशीलि िशरो की बहत सी सरकाररो म विशालि तर पर ररशित खान का परचलिन ह म खि क साथ कहता ह वक इसक बािजि विकवसत िश अपन वहतरो को परा करन क वलिए वनरतर ऐसी सरकाररो क साथ वापार करत ह वापाररक समझौत अतराणषzwjटरी सहाता और विसावक ठक वनरतर जारी ह फलििरप वनzwjधणन और वनराश जनता की परशानी एि अशानत वनरतर बढ रही ह ह बात अवzwjधकाश िशरो म विदरोह और आतररक अशानत का कारण बन गई ह विकासशीलि िशरो क वनzwjधणन लिोग इतन बचन हो गए ह वक ि अपन ही नताओ क विरदध हो गए ह अवपत महा शनतिरो क लिोग भी इसस उगरिािी सगठनरो का उदश परा हआ ह और उहरोन इस अशानत का लिाभ उठाा ह इस परकार ि ऐस लिोगरो को अपन िलिरो म सनममवलित करन

103शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

क वलिए परोतसाहन भी ित आ रह ह और अपनी घवणत विचारzwjधारा को परोतसावहत कर रह ह इसका अनतम पररणाम ह वनकलिा ह वक विशव-शानत का विनाश हो गा ह

अत इलिाम न शानत क वलिए विवभन माधम अपनान की ओर हमारा धान फर विा ह इलिाम पणण ा की माग करता ह िह इस बात की माग करता ह वक सिि सचची गिाही िी जाए िह इस बात की माग करता ह वक ईषzwjाण स हमारी दनटि िसररो की zwjधन-समपवततरो पर न पड िह इस बात की माग करता ह वक विकवसत िश अपन वनतिगत वहतरो को एक ओर रख और इसक विपरीत विकासशीलि और वनzwjधणन िशरो की वनिाथण भािना क साथ सहाता और सिा कर वि समत बात दनटिगत रखी जाए तभी सचची शानत काम होगी

वि उपरोकत समत उपारो क बािजि कोई िश सीमा का उललिघन करत हए िसर िश पर आकरमण करता ह और उसक पराकवतक ससाzwjधनरो को अापणण ढग स अपन अवzwjधकार म लिन की खोज म ह तो ऐसी नथवत म िसर िशरो को ऐसा अताचार रोकन क वलिए वनशच ही उपा करन चावहए परत उनको भी ऐसा करत सम ा स काम लिना चावहए

का णिाही करन क वलिए पररनथवता जो वक कआणनी वशकाओ पर आzwjधाररत ह पवितर कआणन की सरह अलिहजरात आत - 10 म वितारपिणक िणणन हई ह जो ह वशका िती ह वक जब िो िशरो का आपस म वििाि हो और ह वििाि दध का रप zwjधारण कर लि तो िसरी सरकाररो को कठोरता क साथ उह िाताणलिाप की सलिाह िनी चावहए तावक िह िाताणलिाप क दारा एक समझौत और मतरी की ओर

104 विशव सकट तथा शानत-पथ

आ सक और वि िोनरो सिरो म स कोई समझौत की शतषो को नही मानता और दध छड िता ह तो िसर िशरो को स कत होकर अताचार करन िालि स लिडना चावहए और जब अताचार करन िालिी जावत परावजत हो जाए और ऐस िाताणलिाप करन पर सहमत हो जाए तो समत पावटर रो को एक ऐस समझौत का परास करना चावहए जो थाी शानत और सलिह का कारण हो ऐसी कठोर और अापणण शतषो को वकसी िश पर न थोपा जाए जो वकसी िश क हाथरो को बाzwjध ि करोवक भविषzwj म िह ऐसी अशानत का कारण बनगी जो भडकगी और फलिगी ऐसी अशानत क फलििरप और अवzwjधक अशानत उतपन होगी

ऐसी पररनथवतरो म जहा एक मधथ सरकार िोनरो पकरो क मध सवzwjध कराना चाहती ह तो उस शदध नीत और वबलकलि वनषzwjपकता स काम करना चावहए और ह वनषzwjपकता इस नथवत म थाित रहनी चावहए चाह कोई पक इस क विरदध भी बोलिता हो अत ऐसी पररनथवतरो म भी मधथ को करोzwjध परकट नही करना चावहए उस बिलिा लिन की ताक म नही रहना चावहए और न ही उस अापणण ढग स ह काण करना चावहए समत पकरो को उनक उवचत अवzwjधकार विए जान चावहए

अत ा की मागरो को परा करन क वलिए ह आिशक ह वक ि िश जो सवzwjध करा रह हरो ि अपन वनतिगत वहतरो को परा करन की टोह म न हरो और न ही िोनरो म स वकसी िश स अनवचत लिाभ परापत करन का परास कर रह हरो उह अापणण हतकप नही करना चावहए अथिा िोनरो पकरो म स वकसी एक पर अनवचत िबाि नही िालिना चावहए तथा वकसी िश क पराकवतक ससाzwjधनरो का अनवचत लिाभ

105शानत-पथ mdashराषटरो क मध ापणण सबzwjध

नही उठाना चावहए ऐस िशरो पर अनािशक और अनवचत परवतबzwjध नही लिगान चावहए करोवक न तो ह ा ह और न ही ह िशरो क मध सबzwjधरो को सzwjधारन का साzwjधन वसदध हो सकता ह

सम का धान रखत हए मन बात बड सकप म िणणन की ह साराश ह वक वि हम ससार म शानत थावपत करन क इचछछक ह तो हम अपन वनतिगत वहतरो को एक ओर छोडना होगा और उसक थान पर राषzwjटरी वहतरो की एक बडी भलिाई क वलिए हम ऐस परपर सबzwjध काम करन हरोग जो पणणता ा पर आzwjधाररत हरो अथा आप म स कछ मझ स सहमत हरोग वक राजनीवतक गठबzwjधनरो क कारण भविषzwj म लिाक बन सकत ह और म तो कहता ह वक िह बनना आरभ हो गए ह और वफर ह िर नही वक विशि म अशानत फलिती चलिी जाए जो अतत एक बडी तबाही और विनाश का कारण बन जाए ऐस विनाश और दध क परभाि वनशच ही कई पीवढरो पर वापत हरोग अत अमरीका को विशि की सबस बडी शनति होन की दनटि स िातविक ा को काम म लिात हए सिzwjभािना क साथ जसा वक मन िणणन वका ह अपनी भवमका वनभानी चावहए वि अमरीका ऐसा करता ह तो विशि हमशा उसक महान परासरो को बडी परशसा क साथ मरण रखगा मरी ह िआ ह वक ह बात िातविकता बन जाए

आप सब कज बहत-बहत ियवजद हमारा ह वनम ह वक हम वकसी आोजन क समापन पर

समाता खामोशी क साथ िआ करत ह अत म िआ कराऊगा और अहमिी भी मर अनसरण म िआ करग आप सब हमार अवतवथ अपनी पदधवत क अनसार ह िआ कर सकत ह

शजनत की कजी mdash मवशव-एकतजरोवपन पावलिणामट

बरसलज बनलजम 2012

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba being welcomed by Martin Schulz President of European Parliament

His Holiness leading silent prayer at conclusion of the European Parliament event Seated to his right Dr Charles Tannock (MEP-UK) left Rafiq Hayat (National Amir AMA UK)

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba delivers the keynote address at the European Parliament event

Press Conference with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba at European Parliament Seated with His Holiness is Dr Charles Tannock (MEP-UK and Chair of European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group)

Tunne Kelam (MEP Estonia amp Vice-Chair of European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group) meeting with His Holiness

Phil Bennion (MEP West Midlands and member of European Parliamentrsquos South Asia Delegation) meeting with His Holiness

पररचय

विनाक 3 तथा 4 विसमबर 2012 को हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम क पाचि उततरावzwjधकारी तथा विशववापी जमाअत अहमविा क परमख हजरत खलिीफतलि मसीह पचम (अलाह तआलिा आपकी सहाता कर) न बरसलज म रोपीन पावलिणामट क अपन परथम िौर क अतगणत 30 िशरो का परवतवनवzwjधति कर रह 350 स अवzwjधक गणमा अवतवथरो स भरी सभा म एक महतिपणण ऐवतहावसक भाषण विा इस सभा का आोजन lsquoफरडस ऑफ अहमविा मनलिमसrsquo जो वक रोवपन पावलिणामट गरप का एक नि-वनवमणत सघ ह क अधक िा चालसण टनक (MEP UK) दारा वका गा था ह रोवपन पावलिणामट क सिरो का एक अवखलि रोपी तथा अवखलि पाटगी सघ का वजसका गठन रोवपन पावलिणामट म अहमविा मनलिम जमाअत का विकास करन तथा रोप एि विशव क अ भागरो म इस जमाअत क वहतरो क तर ऊचा करन क उदश स वका गा ह

112 विशव सकट तथा शानत-पथ

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब (अलाह आपकी सहाता कर) न अपन िौर क अतगणत कई पावलिणामट क सिरो और उचच पिावzwjधकारररो स कई भट की वजन स आपन भट की उनम वनमनवलिवखत हनता भी सनममवलित ह ः-

Dr Charles Tannock (MEP-UK)mdashMember of the European Parliament Foreign Affairs Committee Member of the Sub-Committee on Human Rights Vice-Chair of the Parliamentary Delegation for relations with the NATO Parliamentary Assembly and Chair of the European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group

Tunne Kelam (MEP-Estonia)mdashMember of the European Parliamentrsquos Foreign Affairs Committee the Sub-Committee on Security and Defence and Vice-Chair of the European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group

Claude Moraes (MEP-UK)mdashVice-Chair of the Delegation for Relations with the Arab Peninsula Member of the Committee on Civil Liberties Justice and Home Affairs Deputy Leader of the European Parliamentary Labour Party and Vice-Chair of the European Parliament Friends of Ahmadiyya Muslims Group

Barbara Lochbihler (MEP-Germany)mdashChair of the European Parliament Sub-Committee on Human Rights

Jean Lambert (MEP-UK)mdashChair of the European Parliament South Asia Delegation

113पररच

Phil Bennion (MEP-UK)mdashMember of the European Parliament South Asia Delegation and Chairman of the LibDem European Group

विनाक 4 विसमबर 2012 को मख आोजन एि हजरत खलिीफतलि मसीह पचम क मख भाषण स पिण रोवपन पावलिणामट क परस कक म एक अतराणषटी परस काफस का आोजन वका गा चालिीस वमनट की इस परस काफस वजसम वबरटन पन फास बनलजम पावकतान एि अ िशरो क पतरकार एि मीविा परवतवनवzwjध सनममवलित थ म हजर न विवभन पतरकाररो क परशनरो का उततर विा बीबीसी क परवतवनवzwjध क एक परशन वक lsquoविशव म इलिाम की भवमका का हrsquo क उततर म हजर न कहा ldquoइलिाम का शानत का सिश विशववापी ह इसी वलिए हमारा आिशण िाक ही ह lsquoपरम सब क वलिए घणा वकसी स नहीrsquo पन क एक पतरकार क एक परशन क उततर म हजर न कहा वक सभी परमख zwjधमषो न मलितः शानत का सिश ही विा था अतः सचच मसलिमान सभी अिताररो पर ईमान लिात ह परतक अितार न ही सिश विा वक परमातमा एक ह मालटा क पतरकार क एक परशन का उततर ित हए हजर न कहा वक अहमिी मसलिमानरो का ह कततणव ह वक ि मानिता को परमातमा क समीप लिाए और विशव की जनता को एक िसर क अवzwjधकाररो का सममान एि रका हत उनक कततणव क परवत जागत कर

मख सभा क आोजन क सम सभा-थलि शोताओ स खचाखच भरा हआ था lsquoरावपन पावलिणामट फरडस ऑफ अहमविा मनलिम गरप क अधक तथा सभी उप-अधक विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब का िागत

114 विशव सकट तथा शानत-पथ

करन क वलिए टज तक आए मावटरन शलज MEP एि रोवपन पावलिणामट क अधक विशष रप स भट करन क वलिए पzwjधार हजर क मख भाषण स पिण रोवपन पावलिणामट क विवभन सिरो न सभा को समबोवzwjधत करत हए अहमविा मनलिम जमाअत दारा परवतपावित शानतपणण इलिाम क समबzwjध म अपनी ओर स परशसा वति की िा चालसण टनक MEP एि रोवपन पावलिणामट फरिस आफ अहमविा मनलिम गरप क अधक न कहा ः ldquoअहमिी मसलिमान विशव म सहनशीलिता का एक हषणिाक एि अवभनिी उिाहरण हrdquo

हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह एि परमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत का ऐवतहावसक भाषण पाठकरो क वलिए परतत वका जा रहा ह

शजनत की कजी mdash मवशव-एकतज

वबनमलावहररहमावनररहीमपरारभ करता ह अलाह क नाम स जो अनत कपालि तथा िालि ह

सभी परवतनषठत अवतवथो असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातोहसिणपरथम म इस सभा क आोजकरो क परवत अपना आभार परकट

करना चाहता ह वजहरोन मझ रोवपन पावलिणामट म आप सब को समबोवzwjधत करन का अिसर परिान वका म विवभन िशरो क सभी परवतवनवzwjध मणिलिरो तथा अ अवत व थरो का भी zwjधिाि करना चाहता ह जो अतत परास करक इस सभा म पzwjधार ह

जो लिोग अहमविा मनलिम जमाअत स भलिी भावत पररवचत ह अथिा जो इस जमाअत स पणणता पररवचत नही तथा वजनक वनतिगत तर पर अहमविरो स समबzwjध ह ि सभी इस बात स पणणता अिगत ह वक हम एक जमाअत क रप म शानत एि सरका की थापना क वलिए वनरतर विशव का धानाकषणण करात रहत ह वनसिह हम इन उदशरो की पवतण

116 विशव सकट तथा शानत-पथ

क वलिए अपन उपलिzwjध साzwjधनरो क दारा भरसक परतन भी करत ह अहमविा जमाअत क परमख होन क नात म जब भी अिसर परापत

होता ह वनवमत रप स इन समाओ क समबzwjध म बात करता ह शानत और परपर परम की आिशकता क समबzwjध म बात करन का कारण ह नही ह वक अहमविा मनलिम जमाअत कोई निीन वशका परतत कर रही ह वनसिह अहमविा जमाअत क स थापक क आगमन का एक परमख उदश शानत और सौहािण की थापना था परत िातविकता ह ह वक हमार सभी कमण और का ण उन वशकाओ क अनरप ह जो इलिाम क सथापक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम पर उतरी थी

हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क ग क 1400 िषण उपरात िभाणगिश अवzwjधकतर मसलिमानरो न आपकी लिाई हई पवितर वशकाओ को भलिा विा अतः हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की भविषzwjिाणी क अनसार परमातमा न इलिाम को पनः जीवित करन हत हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब काविानी स थापक अहमविा मनलिम जमाअत को भजा मरा आप स अनरोzwjध ह वक जब म शानत और समि एि एकता क परोतसाहन क समबzwjध म इलिामी वशकाओ का िणणन करगा तो आप इस बात को अपन सममख रख

म ह भी िणणन करना चाहता ह वक lsquoशानतrsquo और lsquoसरकाrsquo क विवभन रप एि पक ह परतक रप अथिा पक अपनी पररवzwjध म महतिपणण ह परत इसक साथ साथ एक रप का िसर रप स अतसणमबzwjध उसस भी अवzwjधक महति रखता ह उिाहरणता समाज म शानत का मलि आzwjधार एक पररिार की आतररक शानत और सौहािण

117शानत की कजी mdash विशव-एकता

ह एक पररिार की आतररक नथवत किलि उसी पररिार तक सीवमत नही रहती परत इसका परभाि उस कतर विशष की शानत पर भी पडता ह और फलििरप ह नथवत पर शहर की शानत को भी परभावित करती ह वि पररिार म अविथा होगी तो थानी कतर पर इस का परवतककलि परभाि पडगा और अततः इस का िषzwjपरभाि पर कब अथिा शहर पर भी पडगा इसी परकार एक कब अथिा शहर की पररनथवत समच िश की शानत को परभावित करती ह और अततः समच विशव की शानत और एकता को भी परभावित करती ह अतः ह पटि ह वक वि आप शानत क एक पक अथिा रप पर भी चचाण करना चाह तो आपको जात हो जाएगा वक इसकी पररवzwjध सीवमत नही रखी जा सकती अवपत इस का कतर वितत होता जाता ह इसी परकार हम िखत ह वक जहा भी शानत का अभाि होता ह तो उस समा का समाzwjधान करन क वलिए ितणमान पररनथवतरो तथा शानत और सरका क उन पकरो का वजन का उलघन वका गा ह को दनटिगत रखत हए विवभन परकार क उपा करन पडत ह वि हम इन बातरो को सममख रखग तो पटि ह वक इस पर पणण चचाण करन और इन समाओ का समाzwjधान ढढन क वलिए जो सम उपलिzwjध ह उसस भी कही अवzwjधक सम की आिशकता ह वफर भी म इलिाम की िातविक वशकाओ क कछ पक परतत करन का परतन करगा

आzwjधवनक ग म हम िखत ह वक इलिाम पर कई आरोप लिगाए जात ह और मख रप स zwjधमण को अशानत और कलिह का उततरिाी ठहराा जाता ह जबवक lsquoइलिामrsquo शि का अथण ही शानत और सरका ह और इलिाम िह zwjधमण ह वजसन शानत की थापना क समबzwjध म

118 विशव सकट तथा शानत-पथ

विशष मागणिशणन वका ह और उस उदश की पवतण क वलिए कछ वनम वनविणटि वकए ह वफर भी इलिाम पर ऐस आरोप लिगाए जात ह इलिाम की िातविक और शानतपणण वशकाओ का रप आपक सममख रखन स पिण म विशव की ितणमान नथवत पर एक सवकपत दनटि िालिना चाहता ह मझ विशवास ह वक आप पहलि ही इन पररनथवतरो स भलिी भावत पररवचत हरोग वफर भी म उनका िणणन करना चाहता ह तावक जब म शानत और एकता क समबzwjध म इलिाम की वशकाओ का िणणन कर तो आप इन को दनटिगत रख सक हम सभी इस बात को जानत ह और िीकार करत ह वक आज ससार एक विशव-गराम का रप zwjधारण कर चका ह हम सभी विवभन साzwjधनरो दारा चाह ि ाताात क आzwjधवनक साzwjधन हरो चाह परचार एि परसार क साzwjधन तथा इटरनट हो अथिा अ साzwjधन हरो परपर जड हए ह इन सब साzwjधनरो क फलििरप विशव क िश पहलि स कही अवzwjधक परपर वनकट आ गए ह हम ह भी िखत ह विशव क परमख िशरो म परतक जावत zwjधमण और विवभन नागररकता रखन िालि लिोग बस गए ह और परपर वमलि कर रहत ह वनसिह बहत स िशरो म वििशी परिावसरो की एक बहत बडी सखा ह परिासी अब उन िशरो म इतनी सदढता स िहा क समाज का अग बन चक ह िहा की सरकार अथिा थानी वनिावसरो क वलिए उह विथा वपत करना अतत कवठन ही नही अवपत असमभि परतीत होता ह दवप वििशी परिावसरो क आगमन को रोकन क वलिए परास वकए गए ह और कछ परवतबzwjध भी लिाग वकए गए ह तथावप अब भी ऐस विवभन मागण ह वजन क दारा एक िश का नागररक वकसी अ िश म परिश कर सकता ह वि अिzwjध परिास को एक ओर रख ि

119शानत की कजी mdash विशव-एकता

तो वनसिह कछ ऐस अतराणषटी वनम मौजि ह वजन क अतगणत उन लिोगरो को सहाता परिान की जाती ह जो उवचत कारणरो स अपना िश छोडन पर वििश हो जात ह

हम ह भी िखत ह वक इस विशालि तर पर लिोगरो क परिास क फलििरप कछ िशरो म वचता और बचनी फलि रही ह इस का उततरिावति िोनरो पकरो परिावसरो तथा थानी नागररकरो पर ह एक ओर कछ परिासी थानी लिोगरो को उततवजत करत ह तो िसरी ओर कछ थानी वनिासी असहनशीलिता और अनिारता का परिशणन करत ह कभी-कभी घणा की ह जवालिा भकर रप zwjधारण कर लिती ह विशषकर कछ परिासी मसलिमानरो क परवतककलि विहार की परवतवकरा म पनचिमी िशरो क थानी नागररकरो की ओर स विशष रप स इलिाम क विरदध घणा और िमन की भािना का परिशणन वका जाता ह ह रोष और परवतवकरा किलि सीवमत तर पर नही होती अवपत ह अपनी चरम सीमा तक पहच सकती ह और पहचती भी ह इसीवलिए पनचिमी िशरो क नता वनवमत रप स इन समाओ क समबzwjध म चचाण करत रहत ह

इसी वलिए कभी-कभी हम िखत ह वक जमणनी क चासलिर मसलिमानरो को जमणनी का अवभन अग बतात ह क क परzwjधानमतरी इस बात की आिशकता पर बलि ित ह वक मसलिमानरो को समाज का अवभन अग बनना चावहए और कछ िशरो क नताओ न तो मसलिमानरो को चतािनी तक ि िी ह

आतररक कलिह और वििाि की नथवत वि और अवzwjधक वबगड नही रही वफर भी वननचित रप स ह वचता का विष बन चकी ह

120 विशव सकट तथा शानत-पथ

समा वबगड कर शानत क विनाश का कारण बन सकती ह इस म कोई सिह नही रहना चावहए वक इन वििािरो का िषzwjपरभाि किलि पनचिमी िशरो तक सीवमत रहगा अवपत इसस समचा विशव और विशषकर मनलिम िश इसस परभावित हरोग अतः नथवत म सzwjधार पिा करन तथा शानत को बढािा िन क वलिए आिशकता ह वक सभी िगण एकजट हो कर काण कर सरकाररो को ऐसी नीवता बनानी चावहए वजनस शानत की थापना हो और वजनक दारा परतक क सममान की सरका हो और िसररो की भािनाओ को आहत करन अ थिा उह वकसी परकार की हावन पहचान जसी गवतविवzwjधरो को गर-काननी घोवषत वका जाना चावहए

परिासी नागररकरो क सबzwjध म ह कहना चाहता ह वक ि थानी समाज और लिोगरो का अवभन अग बनन की इचछा स वकसी िश म परिश कर और थानी लिोगरो को चावहए वक ि उिारता और सहनशीलिता का परिशणन कर इस क अवतररति ह बात भी ह वक किलि मसलिमानरो पर कछ परवतबzwjध लिगान स शानत थावपत नही हो सकती करोवक किलि इन क दारा लिोगरो क विचाररो म पररितणन नही लिाा जा सकता ह किलि मसलिमानरो क वलिए ही विशष नही अवपत वकसी भी वनति पर वि उसक zwjधमण और आथा क आzwjधार पर परवतबzwjध लिगाा जाए तो इसकी परवतवकरा क फलििरप ग भीर रप स शानत भग होगी जस वक म पहलि िणणन कर चका ह वक कछ िशरो म वििाि बढ रह ह विशषकर परिासी और थानी नागररकरो क मध ह पटि ह वक िोनरो पकरो म सहनशीलिता का अभाि पिा हो रहा ह रोपी नतति को इस िातविकता को िीकार करना चावहए और समझना चावहए

121शानत की कजी mdash विशव-एकता

वक zwjधावमणक सममान और परपर सहनशीलिता की थापना उनका कततणव ह परतक रोपी िश म आतररक रप स और रावपन तथा मनलिम िशरो क मध सौहािण क िातािरण को परोतसावहत करन क वलिए ह अवत आिशक ह तावक विशव की शानत भग न हो

म ह िीकार करता ह इन वििािरो और मतभिरो का कारण किलि zwjधमण ा आथाए नही ह और न ही ह पनचिमी एि मनलिम िशरो क मध मतभिरो का परशन ह िततः इस अशानत का मख और मलि कारण अतराणषटी आवथणक सकट ह जब आवथणक सकट नही था तो वकसी को परिावसरो क आगमन की वचता नही थी परत अब नथवत बिलि चकी ह जो इस ितणमान वििाि का कारण ह इसक रोपी िशरो क परपर समबzwjधरो पर भी परवतककलि परभाि पडा ह और फलििरप कछ रोपी िशरो क लिोगरो म परपर रोष एि करोzwjध की भािना वनरतर बढ रही ह ह पररनथवत परतक थान पर िखी जा सकती ह

रोपी सघ का गठन रोपी िशरो की एक महतिपणण उपलिनzwjध ह करोवक ह इस महादीप की एकता का एक साzwjधन ह अतः आप सभी क परपर अवzwjधकाररो का सममान करक इस एकता की सरका क वलिए भरसक परास करना चावहए सामा जनता म जो वचता अथिा भ ह उसका वनिारण करना चावहए एक िसर क समाज क वलिए आपको परपर एक िसर स उवचत और िातविक मागरो को िीकार करन क वलिए त ार रहना चावहए वनसिह ह भी आिशक ह वक परतक िश की जनता की माग उवचत और ा पर आzwjधाररत हरो

मरण रह वक एकता म और सगवठत रहन म रोप की शनति

122 विशव सकट तथा शानत-पथ

वनवहत ह ह एकता आपको न किलि रोप म लिाभकारी वसदध होगी अवपत अतराणषटी तर पर इस महादीप को अपनी शनति और परभाि थावपत करन म सहाक वसदध होगी सत तो ह ह वक वि इलिामी दनटिकोण स िखा जाए तो हम समच विशव की एकता क वलिए सघषण और परास करना चावहए पर विशव म मदरा Currency एक समान होनी चावहए वापार और िावणज की दनटि स विशव को एक होना चावहए और परिास और िततर थानातरण क समबzwjध म समानता और एकता पर आzwjधाररत वािहाररक नीवता बनानी चावहए वजस क दारा समचा विशव एक हो जाए साराश ह वक सभी िशरो को परपर सहोग करना चावहए तावक अनकता क थान पर एकता हो वि नीवता अपनाई जाए तो शीघर ही ितणमान वििािरो का अत हो जाएगा और शानत और परपर सममान की भािना थावपत हो जाएगी परत शतण ह ह वक परतक िश िातविक ा क मागण पर चलित हए अपन कततणव को समझ मझ बड खि स ह कहना पड रहा ह दवप ह एक इलिामी वशका ह वफर भी ि मनलिम िश परपर एकवतरत होन म विफलि रह ह वि मनलिम िश एक हो कर परपर सहोग करत तो उह अपनी आतररक समाओ क समाzwjधान और आिशकताओ की पवतण क वलिए सिि पनचिमी िशरो स सहाता न लिनी पडती

इस क पचिात अब म विशव म वचरथाी शानत की थापना क सबzwjध म िातविक इलिामी वशकाओ का िणणन करगा सिणपरथम ह वक इलिाम की ह मलि और आzwjधारभत वशका ह वक सचचा मसलिमान िह ह वजसकी जबान और हाथ स अ सभी शानतवपर लिोग सरवकत रह ह ह एक मसलिमान की पररभाषा जो हजरत महममि सललाहो

123शानत की कजी mdash विशव-एकता

अलिवह िसलम न िणणन की ह इस मलि और स िर वसदधात को सनन क पचिात का इलिाम पर कोई आरोप लिगाा जा सकता ह किावप नही इलिाम ह वशका िता ह वक किलि ि लिोग िणिनी ह जो अपनी जबान और हाथरो स अा और घणा फलिात ह अतः थानी एि अतराणषटी तर पर वि सभी िगण इस िवणणम वसदधात की सीमा का उलघन न करत तो कभी भी zwjधावमणक अविथा की नथवत उतपन न होती कभी भी राजनीवतक वििाि न होता न ही शनति परापत करन की इचछा और लिालिच क कारण उतपन होन िालिी अविथा होती वि इन इलिामी वसदधातरो का अनसरण वका जाए तो राषटी तर पर सामा जनता एक िसर क अवzwjधकाररो की रका और भािनाओ का सममान करगी और सरकार अपन तर पर सभी नागररकरो की सरका करन क अपन कततणव को परा करगी इसी परकार अतराणषटी तर पर परतक िश िसर िश क साथ सचची सहानभवत और िा की भािना स सहोग करगा

एक अ मख वसदधात जो इलिाम हम वसखाता ह िह ह ह वक सभी िगषो क वलिए अवनिा ण ह वक शानत को बढािा िन क अपन परासरो स ि किावचत वकसी परकार का गिण अथिा अवभमान का परिशणन न कर हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न पणण रप स ह पटि कर विा ह वक न वकसी कालि को गोर पर और न ही वकसी गोर को कालि पर कोई शषठता परापत ह न ही वकसी रोपिासी को वकसी अ िश क नागररक पर और न ही अफीका एवशा अथिा विशव क वकसी अ भाग क नागररक को वकसी रोपिासी पर कोई शषठता परापत ह राषटीता रग अथिा जावत का अतर किलि पहचान क वलिए ह

िातविकता ह ह वक ितणमान ग म हम सभी एक िसर पर

124 विशव सकट तथा शानत-पथ

वनभणर ह आज रोप और सति राज अमररका जसी महाश नतिा भी िसररो स पणणता अलिग थलिग रह कर जीवित नही रह सकती अफीकी िश पथक रह कर समदध बनन की आशा नही कर सकत और इसी परकार एवशाई िश अथिा विशव क वकसी अ भाग क वनिासी शष ससार स अलिग रह कर समदध नही बन सकत उिाहरण क रप म वि आप अपनी आवथणक नथ वत को विकवसत और उनत करन क अवभलिाषी ह तो आपको अतराणषटी वापार को िीकार करन क वलिए त ार रहना चावहए ितणमान ससार वकस परकार आतररक रप स परपर जडा हआ ह ह तथ इस उिाहरण स भलिी भानत पटि हो जाता ह वक गत कछ िषषो म उतपन रोपी अथिा वि शव आवथणक सकट का परवतककलि परभाि परतक िश पर वकसी न वकसी रप स पडा ह इसी परकार विजान तथा अ कतररो म उनवत और कौशलि परापत करन क वलिए परतक िश को एक िसर स अवनिा ण रप स सहोग करना पडता ह

हम ह मरण रखना चावहए सिणशनतिमान परमातमा न ससार क सभी लिोगरो चाह ि अफीका क हरो ा रोप ा एवशा अ थिा वकसी अ थान क हरो को महान बौवदधक शनतिा तथा ोगताए परिान की ह वि सभी िगण अपनी ईशवर-परितत ोगताओ को मानिता की भलिाई क वलिए था-समभि उपोग कर तो ह विशव शानत का कदर बन सकता ह वि विकवसत िश विकासशीलि अथिा अलप विकवसत िशरो की उनवत एि परगवत को अिरोवzwjधत करन का परास करग और उनक िशरो क परवतभाशालिी और ोग लिोगरो को उवचत अिसर उपलिzwjध नही कराएग तो वनसिह शका और वचता बढगी और इसक फलििरप उतपन होन िालिी अशानत अतराणषटी शानत एि सरका का विनाश कर िगी

125शानत की कजी mdash विशव-एकता

शानत क विकास क वलिए इलिाम न िसरा वसदधात ह परतत वका ह वक हम िसररो क परवत अा को सहन नही करना चावहए जसा वक हम अपन अवzwjधकाररो का भी हनन नही होन ित ठीक इसी परकार हम िसररो क अवzwjधकाररो क हनन को भी सहन नही करना चावहए इलिाम की ह वशका ह वि कही परवतशोzwjध लिना अवनिा ण हो तो िह वकए गए अताचार क समानपाती होना चावहए परत वि कमा करन स सzwjधार समभि हो तो विकलप को अपनाना चावहए सzwjधार सलिह और वचरथाई शानत की थापना ही िातविक एि मख उदश होन चावहए परत िाति म ितणमान ग म हो का रहा ह वि कोई अपराzwjध ा अा करता ह तो पीवडत वनति इस रप म परवतशोzwjध लिना चाहता ह जो वक उस पर वकए गए मलि अा अथिा अताचार की तलिना म कही अवzwjधक हो और पणणता अनपात म उसस कही बढ कर हो

थाित ही नथवत इसाईलि और वफलितीन क वििाि म आजकलि हम िख रह ह विशव की महाशनतिरो न परतक रप स सीररा लिीवबा और वमस की पररनथवतरो पर अपना रोष और वचता परकट की ह जबवक ह कहा जा सकता ह वक मलि रप म उनक िश क आतररक मामलि ह परत ह महाशनतिा ऐसा परतीत होता ह वक वफलितीन की जनता क परवत लिशमातर भी वचनतत नही ह अथिा इतन वचवतत नही ह वजतना होना चावहए इन िोहर मापिणिरो क कारण मनलिम िशरो की परजा म विशव की महाशनतिरो क परवत दष और रोष की भािना म िवदध हो रही ह ह रोष और शतरता अतवzwjधक हावनकारक ह और वकसी भी सम ह अपनी चरम सीमा तक पहच कर विधिस का कारण बन सकती ह इसका पररणाम का होगा विकासशीलि

126 विशव सकट तथा शानत-पथ

िशरो को इसस वकतनी हावन होगी का ि जीवित रहन क ोग भी हरोग विकवसत िशरो पर इसका वकस सीमा तक परभाि पडगा किलि परमातमा ही इन परशनरो क उततर जानता ह न म इन परशनरो का उततर ि सकता ह और न ही कोई अ एक बात जो वननचित ह िह ह ह वक विशव-शानत का विनाश हो जाएगा

पटि रह वक म वकसी िश विशष का समथणन नही कर रहा म किलि ह कहना चाहता ह वक अताचार क परतक रप का चाह िह कही भी पाा जाता हो का उमलिन वका जाना चावहए और उस का अत वका जाना चावहए चाह अताचार वफलितीन की जनता कर रही हो अथिा इसाईलि क लिोग कर रह हरो अथिा वकसी अ िश क लिोग कर रह हरो अताचाररो का अत होना चावहए करोवक वि इह रोका न गा तो घणा की जवालिा समपणण विशव को अपनी चपट म उस सीमा तक लि लिगी वक सामा जनता शीघर ही ितणमान आवथणक सकट की समाओ को भलि जाएगी और इसक थान पर उह कही अवzwjधक भकर पररनथवतरो स जझना पडगा इतन विशालि तर पर जन हावन होन की आशका ह वक वजसकी हम कलपना भी नही कर सकत

अतः रोपी िशरो वजहरोन न वदती विशव दध म बहत बडी हावन उठाई ह का कततणव ह वक ि अतीत क विनाश स सीख लि और विशव को विनाश स बचाए इसक वलिए उह ा की मागरो को परा करना होगा और अपन कततणवरो को समझन क वलिए ततपर होना होगा

इलिाम न वनषzwjपक और ापणण ढग स विहार की आिशकता पर बहत बलि विा ह इलिाम ह वशका िता ह वक वकसी भी िगण को अनवचत रप स शषठता ा परzwjधानता न िी जाए और न ही वकसी का

127शानत की कजी mdash विशव-एकता

अनवचत समथणन वका जाए ऐसा होना चावहए वक अपराzwjधी चाह िह वकतना ही विशालि और शनतिशालिी हो उस को ह जात होना चावहए वक वि िह वकसी िश क विरदध अापणण काणिाही करन का परास करगा तो अतराणषटी समिा उसको इसकी अनमवत नही िगा वि सति राषट क सभी िश रोपी सघ स लिाभानित होन िालि सभी िश त था ि िश जो महाशनतिरो क परभािाzwjधीन ह और अविकवसत िश इस वसदधात को िीकार करन क वलिए तार हरोग तो ही शानत का उि होगा

एक अ बात ह ह वक िातविक रप स ा तभी थावपत हो सकगा वि स ति राषट सघ म िीटो शनति अवzwjधकत िशरो को इस बात का अनभि हो जाए वक ि अपनी काणिाही क परवत उततरिाी हरोग म इस स भी बढ कर ह कहना चाहता ह वक िीटो शनति का अवzwjधकार शानत की थापना म किावचत सहाक वसदध नही हो सकता करोवक ह पटि ह वक सभी िश एक समान तर पर नही ह इस िषण क आरभ म भी मन स ति राज अमररका क कवपटलि वहलि म अगरगण राजनीवतजरो एि नीवत वनमाणताओ की एक सभा को समबोवzwjधत करत हए इसी तथ का िणणन वका था वि हम सतिराषट सघ म मतिान क इवतहास का अधन कर तो जात होगा वक िीटो शनति का उपोग सिि उन पीवडत िशरो अथिा ासगत काणिाही करन िालि िशरो की सहाता क वलिए नही वका गा िाति म हम जात होता ह वक कछ अिसररो पर अताचार को रोकन क थान पर उसकी सहाता करन हत िीटो शनति का िरपोग वका गा ह कोई वछपी हई अथिा अजात िातविकता नही ह कवतप टीकाकार वनभणतापिणक

128 विशव सकट तथा शानत-पथ

इस िातविकता का िणणन करत ह अथिा वलिखत हइलिामी वशका का एक अ सिर वसदधात ह ह वक समाज म

शानत थावपत करन क वलिए करोzwjध का शमन वका जाए न वक उस ा और ईमानिारी क वसदधातरो पर विजी होन विा जाए इलिाम क आरवभक ग का इवतहास इस बात का साकी ह वक सचच मसलिमानरो न सिि इस वसदधात का पालिन वका और वजहरोन इसका उलघन वका हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न उनकी घोर वनिा और भतसणना की परत िभाणगिश आज ऐसा नही होता ऐसी घटनाए मौजि ह वक सवनकरो ा वसपावहरो न वजह शानत-थापना क वलिए भजा जाता ह वनविणटि उदशरो क सिणथा विपरीत विहार वका ह उिाहरण िरप कछ िशरो म वििशी सवनकरो न विरोवzwjधरो क मत शरीररो क साथ अतत अपमानजनक और घणातमक ढग स िव णिहार वका का इस परकार शानत थावपत की जा सकती ह ऐसी घटनाओ की परवतवकरा किलि पीवडत िश तक सीवमत नही रहती अवपत पर विशव म इस का परिशणन होता ह वनसिह जब मसलिमानरो क साथ िव णिहार वका जाता ह तो उगर िभाि क मसलिमान दवप ह इलिामी वशकाओ क विपरीत ह इसका अनवचत लिाभ उठात ह और फलििरप विशव की शानत भग होती ह इलिाम ह वशका िता ह वक शानत किलि उसी सम थावपत की जा सकती ह जब पणणता वनषzwjपक रप स वनवहत िाथषो स ऊपर उठ कर और परतक परकार की शतरता की भािना को ताग कर अताचारी और पीवडत िोनरो की सहाता की जाए इस कतर म परतक पक को समान तर परिान करन स ही शानत थावपत होती ह

सीवमत सम क कारण म किलि एक और तथ का िणणन

129शानत की कजी mdash विशव-एकता

करगा इलिाम ह वशका िता ह वक िसररो क zwjधन अथिा ससाzwjधनरो को ईषzwjाण की भािना स न िखा जाए िसररो की समपवतत को हवथान का लिालिच नही करना चावहए करोवक इस स भी शानत का ढाचा धित हो जाता ह वि समदध िश अलप-विकवसत िशरो की समपिा और ससाzwjधनरो को अपनी आिशकताओ की पवतण क वलिए वनकालिन अथिा उपोग करन का परतन करग तो िाभाविक ह वक अशानत फलिगी जहा उवचत हो विकवसत िश अपनी सिाओ क बिलि उवचत और अलप मातरा म अपना भाग लि सकत ह जब वक ससाzwjधनरो का अवzwjधकतर भाग अविकवसत िशरो म जीिन तर को ऊचा उठान क वलिए परोग म लिाना चावहए उह विकवसत होन क अिसर उपलिzwjध कराना चावहए और विकवसत िशरो क तर तक पहचन क वलिए उनक परासरो म उनकी सहाता करनी चावहए करो वक किलि इसी नथवत म शानत थावपत हो सकती ह वि ऐस अविकवसत िशरो क नता ईमानिार नही ह तो पनचिमी िशरो अथिा विकवसत िशरो को चावहए वक ि उह अनिान िकर ि उनक िशरो म विकास काषो का सचालिन एि वनरीकण कर

अभी और बहत स तथ ह जो म आपक समक रख सकता ह परत सम क अभाि क कारण म किलि उही बातरो तक सीवमत रहगा वजनका म िणणन कर चका ह वनसिह जो कछ मन िणणन वका ह िह इलिाम की िातविक वशका को परिवशणत करता ह

एक परशन ह जो आपक मन म उठ सकता ह अतः म पहलि ही उस का समाzwjधान कर िता ह आप ह कहग वक वि इलिाम की िातविक वशकाए ह तो वफर मनलिम िशरो म ऐसी अविथा और अशानत करो विखाई िती ह इसका उततर म पहलि भी ि चका ह वक

130 विशव सकट तथा शानत-पथ

ितणमान ग को एक सzwjधारक की आिशकता ह जो वक हमार विशवास क अनसार िह अहमविा मनलिम जमाअत क स थापक ह हम अहमविा मनलिम जमाअत क सि सिि उनकी िातविक वशकाओ को अवzwjधक स अवzwjधक लिोगरो तक पहचान का भरसक परतन करत ह मरा आप स अनरोzwjध ह वक अपन-अपन परभािाzwjधीन कतररो म ह जागरकता पिा करन का भरपर परतन कर तावक विशव क परतक भाग म वचर थाी शानत की थापना हो सक

वि हम इस का ण म विफलि हो गए तो विशव का कोई भी भाग दध क विनाशकारी एि भकर पररणामरो स सरवकत नही रहगा मरी ह पराथणना ह वक सिणशनतिमान परमातमा ससार क लिोगरो को अपन वनवहत िाथषो स ऊपर उठ कर विशव को भािी विनाश स सरवकत रखन क परास करन का सामथ ण परिान कर ससार म अवzwjधकतम शनति आज पनचिम क विकवसत िशरो क पास ह अतः िसररो की अपका आप का अवzwjधक कततणव ह वक इन महतिपणण बातरो की ओर तरत धान ि

अत म म आप सब का हा आन क वलिए सम वनकालिन और मरी बातरो को सनन क वलिए पनः zwjधिाि करना चाहता ह परमातमा आप पर अपनी कपा कर आपका बहत बहत zwjधिाि

कयज िसलिजन पनचििी सिजज कज अि बन सकत ह

मनजि बतररशीिहमबगण जमणनी 2012

कयज िसलिजन पनचििी सिजज कज अि बन सकत ह

मनजि बतररशीिहमबगण जमणनी 2012

Hadrat Mirza Masroor Ahmad Khalifatul-Masih Vaba

delivers the keynote address at Baitur-Rasheed Mosque

कयज िसलिजन पनचििी सिजज कज अि बन सकत ह

वबनमलावहररहमावनररहीमसभी परवतनषठ त अवतवथो असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातोहसिणपरथम म उन सभी अवतवथरो क परवत अपना आभार परकट करना

चाहता ह वजहरोन इस समारोह म सनममवलित होन क वलिए हमार वनमतरण को िीकार वका आप म स कई सजजन हमारी जमाअत स भलिी भावत पररवचत ह अथिा अहमिी मसलिमानरो स उनक बहत परान मतरीपणण समबzwjध ह और मझ पणण विशवास ह वक वजनको अहमविा जमाअत स पररवचत हए अवzwjधक सम नही हआ उनक हिरो म भी जमाअत क विष म और अवzwjधक जानकारी परापत करन की तीवर इचछा उतपन हो चकी होगी आप सब की हा उपनथवत आपक इस विशवास का परतक परमाण ह वक अहमिी मसलिमानरो स समबzwjध रखन तथा उनकी मनजिरो म जान स कोई खतरा नही ह

िातविकता ह ह वक ितणमान पररनथवतरो म जबवक इलिाम क समबzwjध म अवzwjधकतर समाचार और सचनाए अतत नकारातमक िरप परतत करती ह तो आप म स जो मसलिमान नही ह उनक मन म अिश

136 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह भ उतपनन करन िालिी सोच पिा होगी वक अहमिी मन जि म जाना उनक वलिए कई सम ाओ का कारण बन सकता ह ा उह बहत बडी हावन भी पहच सकती ह परत जसा वक मन कहा ह वक आपकी हा उपन थवत इस विशवास का परमाण ह वक आपको अहमिी मसलिमानरो स कोई भ नही और आप उह अपन वलिए खतरा नही समझत ह वसदध करता ह वक आप अहमवि रो का आिर करत ह और उह अपन तथा अवzwjधकतर वनषठािान और वशटि लिोगरो क समान सचचा और सभzwj समझत ह

परत इसक साथ साथ म इस समभािना स भी इकार नही कर सकता वक आप म कछ लिोग ऐस भी हरोग जो दवप आज हा पzwjधार ह उनक मन म कछ सिह और वचताए हरोगी वक उनक हा आन क कछ परवतककलि पररणाम भी वनकलि सकत ह ह भी समभि ह वक आप को ह वचता हो वक एक िसर उगर िभाि और मानवसकता रखन िालि लिोगरो क साथ बठ हए ह वि आप म स वकसी क मन म ऐसी वचताए ह तो उह तरत अपन हि स वनकालि ि इस समबzwjध म हम अवत सचत और जागत ह और वि कोई ऐसा उगर परकवत वनति हमारी मनजि ा कतर म परिश करन का परास करगा तो हम उस हा स वनषzwjकावसत करन क वलिए कडी का णिाही करग अतः आप आशवत रह वक आप सरवकत थान पर ह अहमविा मनलिम जमाअत िाति म एक ऐसी जमाअत ह वक वि इसका कोई सि वकसी सम ा थान पर उगरिािी मानवसकता अथिा परिवतत का परिशणन ा कानन का उलघन करता ह ा शानत भग करता ह तो उस जमाअत स वनषzwjकावसत कर विा जाता ह हम ऐसी का णिाही करन क वलिए परवतबदध ह करोवक हम lsquoइलिामrsquo का पणण आिर करत ह वजसका शानिक अथण ही शानत एि सरका ह इलिाम शि का िातविक रप हमारी जमाअत न ही परिवशणत वका ह

137का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

इलिाम क इस िातविक रप क परिशणन की पिणसचना इलिाम क स थापक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न आज स 1400 स अवzwjधक िषण पिण अपनी एक महान भविषzwjिाणी म िी थी उस भविषzwjिाणी म हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न ह सचना िी थी वक एक ऐसा सम आएगा जब अवzwjधकतर मसलिमान इलिाम की िातविक और शदध वशकाओ को भलिा िग भविषzwjिाणी क अनसार ऐसा सम आन पर परमातमा िातविक इलिाम को ससार म पनः थावपत करन क वलिए एक सzwjधारक मसीह ि महिी क रप म भजगा

हमारा अथाणत अहमविा मनलिम जमाअत का ह विशवास ह वक हमारी जमाअत क सथापक हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब काविानी अलिवहसलिाम िही वनति ह जो उपरोति महान भविषzwjिाणी क अनसार भज गए ह परमातमा की कपा एि िा स ह जमाअत आज विशव क 202 िशरो म थावपत हो चकी ह इन म स परतक िश म हर िगण एि जावत स समबनzwjधत थानी लिोगरो न अहमवित को िीकार वका ह अहमिी मसलिमान होन क साथ-साथ ि अपन-अपन िश क िफािार नागररक क रप म अपनी भवमका भी वनभा रह ह उनक इलिाम क परवत शदधा परम और िश क परवत परम म वकसी परकार का कोई वििाि अथिा विरोzwjधाभास नही पाा जाता िततः िोनरो िफािाररा परपर जडी हई ह अहमिी मसलिमान जहा कही भी वनिास करत ह ि अपन िश क सभी नागररकरो स अवzwjधक कानन का पालिन करन िालि नागररक ह वनसिह म पणण विशवास क साथ ह कह सकता ह वक हमारी जमाअत क अवzwjधकतर सिरो म गण विदमान ह

इही गणरो क कारण जब भी अहमिी मसलिमान एक िश स िसर िश म परिास करत ह अथिा जहा क थानी लिोग अहमवित को

138 विशव सकट तथा शानत-पथ

िीकार करत ह तो उह नए समाज म घलि वमलि जान म कभी कोई भ ा वचता नही होती और न ही उह इस बात की वचता होती ह वक उनक नि-अगीकत िश क वहतरो का विशालि तर पर विकास करन म ि अपनी भवमका वकस परकार वनभाएग जहा भी अहमिी जात ह ि शष सभी सचच नागररकरो की भावत अपन िश स परम करत ह और अपन िश की भलिाई और उनवत क वलिए सवकर रप स परास करत हए अपना जीिनापन करत ह ह इलिाम ही ह जो हम इस परकार जीिन का वनिाणह करन की वशका िता ह और िातविकता ह ह वक इलिाम किलि इस का उपिश ही नही िता अवपत आिश िता ह वक हम अपन िश क परवत पणण िफािारी और शदधा रख हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न भी विशष रप स इस बात पर बलि विा था वक अपन िश स परम करना परतक सचच मसलिमान क ईमान का भाग ह अतः जब अपन िश स परम करना इलिाम का एक आzwjधारभत अग ह तो एक सचचा मसलिमान वकस परकार अपन िश स बिफाई अथिा दरोह करक अपन ईमान को नटि कर सकता ह जहा तक अहमिी मसलिमानरो का समबzwjध ह हमारी जमाअत की परतक सभा म सभी सि चाह ि परष तरी बचच अथिा बजगण हरो खड होकर परमातमा को साकी ठहरा कर एक परवतजा करत ह इस परवतजा म ि न किलि अपन zwjधमण अवपत अपनी कौम और िश क वलिए अपन पराण zwjधन सम और सममान ोछािर करन का परण करत ह अतः उन लिोगरो स अवzwjधक िश-भति नागररक और कौन हो सकता ह वजह वनरतर िश-सिा का पाठ पढाा जाता हो और बार-बार ह परवतजा लिी जाती हो वक ि अपन zwjधमण कौम और िश क वलिए परतक परकार का बवलििान करन क वलिए सिि ततपर रहग

कछ लिोगरो क मन म ह परशन उभर सकता ह वक हा जमणनी म

139का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

अवzwjधकतर मसलिमानरो की सखा उन की ह जो पावकतान तकगी अथिा अ एवशाई िशरो स आए ह तो जब िश क वलिए बवलििान का सम आन पर लिोग जमणनी की बजाए अपन मलि िश को परzwjधानता िग अतः म ह पटि करना चाहता ह वक जब कोई जमणनी अथिा वकसी अ िश की नागररकता िीकार कर लिता ह तो िह उस िश का पणण नागररक बन जाता ह इस िषण क आरभ म जमणन सना मखालि कोबलिज म अपन भाषण म मन ही बात कही थी मन इलिामी वशकाओ क दनटिकोण स ह पटि वका वक वि जमणनी का वकसी ऐस िश क साथ दध वछड जाए वजसक मलि नागररक न जमणनी की नागररकता िीकार की हो तो ऐसी पररनथवत म उस नागररक को वकस परकार विहार करना चावहए वि िह परिासी अपन मलि िश क परवत सहानभवत रखता ह और ह अनभि करता ह वक िह जमणनी को हावन पहचान का विचार उसक मन म आ सकता ह अथिा िह हावन पहचाएगा तो ऐस वनति को तरत अपनी नागररकता अथिा परिासी नागररक का अवzwjधकार ताग कर अपन मलि िश लिौट जाना चावहए परत वि उसी िश म रहन का विकलप अपनाना चाहता ह तो इलिाम किावचत वकसी परकार क िशदरोह की अनमवत नही िता ह असविगzwjध एि पटि वशका ह इलिाम वकसी भी परकार क विदरोह की वशका नही िता और न ही वकसी नागररक को अपन िश - मलि िश अथिा नागररकता क िश - क विरदध षितर करन अथिा उस वकसी परकार की हावन पहचान की अनमवत िता ह वि कोई वनति अपन नागररकता िालि िश क वहत क विरदध का ण करता ह ा उस कोई हावन पहचाता ह उस उस िश का शतर एि िशदरोही समझा जाना चावहए त था उस िश क कानन क अनसार िणि विा जाना चावहए

इसस एक परिासी मसलिमान की नथ वत पषzwjट हो जाती ह एक

140 विशव सकट तथा शानत-पथ

थानी जमणन अथिा वकसी अ िश क वनति वजसन अपना zwjधमण पररितणन करक इलिाम िीकार कर वलिा हो उस क समबzwjध म ह बात पणणता पटि ह वक उसक पास अपन महान िश क परवत असविगzwjध एि पणण िफािारी का परिशणन करन क अवतररति कोई अ विकलप नही ह एक अ परशन जो कभी-कभी पछा जाता ह िह ह ह वक ऐसी नथवत म पनचिमी िशरो क मसलिमानरो की कसी परवतवकरा होनी चावहए इस का उततर िन क वलिए म सिणपरथम ह कहना चाहता ह वक हमारी जमाअत क स थापक हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम न ह पटि कर विा ह वक हम अब ऐस ग म रह रह ह जहा zwjधावमणक दधरो का पणणता अत हो चका ह इवतहास स जात होता ह वक ऐसा भी सम था जब मसलिमानरो तथा अ zwjधमाणिलिनमबरो क मध दध और लिडाइा हई उन दधरो म गर-मनलिमरो का उदश मसलिमानरो को मारना और इलिाम का अत करना था

अवzwjधकतर परारनमभक दधरो म गर मनलिमरो न ही आकरमण करन म पहलि की थी और इस परकार मसलिमानरो क पास अपना और zwjधमण का परवतरकण करन क अवतररति कोई अ विकलप नही था वकत हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम न पटि कर विा ह वक अब ऐसी पररनथवता नही रही करोवक ितणमान सम म ऐसी कोई सरकार नही जो इलिाम का अत करन क उदश स दध की घोषणा करती हरो अथिा दध करती हरो इस क विपरीत अवzwjधकतर पनचिमी और गर मनलिम िशरो म विशालि तर पर zwjधावमणक िततरता उपलिzwjध ह हमारी जमाअत अवत आभारी ह वक ऐसी िततरता उपलिzwjध ह जो अहमिी मसलिमानरो को गर मनलिम िशरो म इलिाम का परचार करन की अनमवत परिान करती ह इसी क फलििरप हम पनचिमी िशरो को इलिाम की िातविक एि

141का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

अनपम वशकाओ जो वक शानत और एकता पर आzwjधाररत ह स पररवचत करान का अिसर परापत होता ह अतः पटि ह वक आज zwjधावमणक मदरो का कोई परशन ही नही ह अब किलि एक ही नथवत उतपन हो सकती ह वक मनलिम-परzwjधान िश तथा ईसाई-परzwjधान िश अथिा अ िश म ऐसा दध वछड जाए वजस का zwjधमण स समबzwjध न हो ऐसी नथवत म ईसाई अथिा वकसी अ zwjधमण-परzwjधान िशरो क मसलिमान नागररकरो को कसी पर वकरा वति करनी चावहए इसक उततर क वलिए इलिाम न एक िवणणम वसदधात परतत वका ह वि कोई मनलिम िश अा अथिा अताचार करता ह तो उसको रोका जाना चावहए वि अा अथिा अताचार ईसाई िश न वका ह तो उस भी रोका जाना चावहए

एक साzwjधारण नागररक वनतिगत तर पर अपन िश को अा और अताचार स कस रोक सकता ह उततर अतत सरलि ह ितणमान ग म सभी पनचिमी िशरो म लिोकततर ह वि कोई ावपर नागररक अपनी सरकार को अापणण ढग स विहार करता िखता ह तो उसक विरदध आिाज उठा सकता ह और अपन िश को सही मागण पर लिान का परास कर सकता ह अवपत लिोगरो का एक समह इसक विरदध आिाज उठा सकता ह वि कोई नागररक अपन िश को वकसी अ िश क परभति पर आकरमण करता हआ िखता ह तो उस चावहए वक िह अपनी सरकार का इस ओर धानाकषणण कराकर अपनी वचता वति कर शानतपणण ढग स विरोzwjध अथिा रोष परिशणन करना विदरोह की पररभाषा क अतगणत नही आता इसक विपरीत ह अपन िश क परवत सचच परम का परिशणन ह एक ावपर नागररक किावचत ह नही चाहता वक अतराणषzwjटरी समिा म उसक िश की परवतषठा zwjधवमलि हो अथिा अपमावनत हो अतः िह अपन िश का उसक कततणव की ओर धानाकषणण करा

142 विशव सकट तथा शानत-पथ

कर अपन िश-परम एि िश-भनति का परिशणन करता हजहा तक अतराणषटी समिा तथा उसकी सथाओ का सबzwjध ह

इलिाम की ह वशका ह वक वि वकसी िश पर अापणण आकरमण होता ह तो शष िशरो को एकतर होकर आकरमणकारी को रोकना चावहए वि आकरमणकारी िश को सिzwjबवदध आ जाती ह और िह आकरमण स पीछ हट जाता ह तो उस पर परवतशोzwjधिश अथिा इस नथवत का अनवचत लिाभ उठान हत कठोर िणि िन अथिा अापणण परवतबzwjध लिगान का वनणण नही करना चावहए इलिामी वशकाओ का सार ह ह वक आप शानत का परसार कर हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न तो हा तक कहा ह वक मसलिमान िह ह वजसक हाथ और जबान स अ लिोग सरवकत रह जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह इलिाम न ह वशका िी ह वक हम कभी भी अा और अताचार म वकसी की सहाता नही करनी चावहए ही िह सिर एि नीवतपणण वशका ह जो एक सचच मसलिमान को चाह िह वकसी भी िश का नागररक हो सममान और आिर का थान परिान करता ह वनसिह सभी सभzwj और सचच नागररक ऐस शानतवपर तथा िाशीलि लिोगरो को अपन समाज का अग बनान की कामना करग

हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न मसलिमानरो को अपना जीिन वतीत करन क वलिए एक अ स िर वशका ह िी ह वक एक सचच मोवमन को सिि पण की खोज म वत रहना चावहए आप न ह वशका िी वक एक मसलिमान को जहा स भी कोई जान की बात अथिा कोई उततम विचार वमलि तो उस अपनी वनजी समपवतत समझ कर अपना लिना चावहए अतः वजस दढता और सकलप स एक वनति अपनी वनजी समपवतत पर अवzwjधकार परापत करन का परास करता ह ठीक उसी

143का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

परकार मसलिमानरो को ह वशका िी गई ह वक ि पण बातरो और उततम विचाररो को जहा कही भी पाए उह परापत करन का परतन कर ऐस सम म जब वक परिासी नागररकरो को थानी समाज का अग बनान क समबzwjध म बहत सी शकाए उतपन हो रही ह ह एक अतत स िर एि समपणण मागिशणक वसदधात ह मसलिमानरो को ह वशका िी ह वक अपन थानी समाज म घलि वमलि कर रहन तथा परपर सममान की भािना पिा करन क वलिए आिशक ह वक ि परतक समाज zwjधमण शहर और िश क नवतक मलरो का जान परापत कर किलि जान परापत करना ही पाणपत नही अवपत मसलिमानरो को ऐस मलरो को वनजी जीिन का अग बनान का भरपर परास करना होगा ह ह िह मागणिशणक वसदधात जो िाति म परपर एकता परम तथा विशवास की भािना उतपन करता ह वनसिह एक सचच मोवमन स अवzwjधक शानतवपर अ कौन हो सकता ह जो अपनी zwjधावमणक आिशकताओ की पवतण करन क साथ-साथ अपन अथिा वकसी अ समाज क उचच नवतक मलरो को भी आतमसात करन का परतन करता ह एक सचच मोवमन स अवzwjधक अ कौन वनति शानत एि सरका का परसार कर सकता ह

ितणमान ग म ससार उपलिzwjध सचार-माधमरो क फलििरप एक विशव-गराम बन चका ह इस क समबzwjध म हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न आज स लिगभग 1400 िषण पिण भविषzwjिाणी कर िी थी वक ऐसा सम आएगा जब समत ससार एक इकाई की भावत हो जाएगा और िररा कम होती परतीत हरोगी आपन कहा था वक आzwjधवनक और तीवर ससार साzwjधनरो क फलििरप लिोग पर विशव को िख सकग िाति म ह पवितर कआणन की भविषzwjिाणी वजसकी आप सललाहो अलिवह िसलम न वितारपिणक वाखा की ह इस समबzwjध म हजरत

144 विशव सकट तथा शानत-पथ

महममि सललाहो अलिवह िसलम न ह वशका िी ह वक जब ऐसा ग आएगा तो लिोगरो को चावहए वक एक िसर की अचछी बातरो को सीख और उनको आतमसात कर ठीक उसी परकार जस वक ि अपनी खोई हई समपवतत की खोज करत ह साराश ह ह वक सभी सदणरो को गरहण करना चावहए और बरी बातरो स बचना चावहए पवितर कआणन न इस आिश की वाखा करत हए पटि वका ह वक सचचा मसलिमान िह ह जो पण का उपिश िता ह और पाप स रोकता ह उपरोति सभी बातरो को सममख रखत हए ऐसा कौन सा िश ा समाज ह जो ऐस शानतवपर मसलिमानरो अथिा इलिाम को अपन मध सहन नही कर सकता अथिा िीकार नही कर सकता गत िषण मझ बवलिणन क म र स भट करन का अिसर परापत हआ मन उन पर ह पटि वका वक इलिाम ह वशका िता ह वक हम वकसी भी िश की अचछाई को इस परकार अपनाना चावहए जस वक िह हमारी वनजी समपवतत ह इस क उततर म उहरोन कहा वक वि आप इस वशका का पालिन करग तो वनसिह समत विशव आप क साथ सहोग करत हए आपका समथणन करगा

मझ ह सन कर अतत आचि ण और खि हआ वक जमणनी क कछ भागरो म ऐस लिोग ह जो ह िािा करत ह वक न मसलिमानरो और न ही इलिाम म जमणन समाज का अग बनन का सामथ ण ह वनसिह ह सत ह वक जो इलिाम उगरिाविरो अथिा आतकिाविरो दारा परतत वका जाता ह उसम ह ोगता नही ह वक िह जमणन तो का वकसी भी िश क समाज का अग बन सक ऐसा सम अिश आएगा जब ऐसी उगरिािी विचारzwjधारा का मनलिम िशरो म भी कडा विरोzwjध वका जाएगा वनसिह सचचा इलिाम जो हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न परतत वका ह सभzwj और सचच लिोगरो को सिि अपनी ओर आकवषणत करता रहगा ितणमान ग

145का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

म इलिाम की िातविक एि मलि वशकाओ को पनजगीवित करन क वलिए परमातमा न हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की िासता क अzwjधीन हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम को भजा ह अतः आपकी जमाअत इलिाम की िातविक वशकाओ का पालिन तथा परचार करती ह

ह पटि रह वक कोई भी ावपर ह िािा नही कर सकता वक इलिाम वकसी अ समाज का अग नही बन सकता िातविक इलिाम िह ह जो पण और अचछाई का परसार करता ह और परतक परकार क पाप तथा अा का वनषzwjध करता ह अतः ह परशन ही वथण ह वक इलिाम वकसी अ समाज का अग बनन म सकम नही अवपत इलिाम तो िाभाविक रप स एक चमबक की तरह समाज को अपनी ओर आकवषणत करता ह इलिाम ह वशका िता ह वक एक वनति को न किलि अपन वलिए शानत की कामना और परास करना चा वहए अवपत िसर लिोगरो तक उसी परबलिता क साथ शानत और एकता का परसार करन का भरसक परतन करना चावहए ह वनःिाथण भािना विशव म शानत थावपत करन का मागण ह का कोई ऐसा समाज ह जो ऐसी वशकाओ की परशसा नही करता और ऐसी विचारzwjधारा को िीकार नही करता वनसिह कोई भी सभzwj समाज अपन अिर पाप और अनवतकता क परसार की किावचत अनमवत नही ि सकता और इसी परकार िह शानत और अचछाई क परोतसाहन का कभी विरोzwjध नही कर सकता

अचछाई की पररभाषा करत सम समभि ह वक एक zwjधावमणक और सासाररक वनति की पररभाषा म बहत अतर हो सकता ह इलिाम सिzwjगणरो और अचछाई क वजन रपरो की बात करता ह उनम स िो गण सबस महतिपणण ह जो अचछाई क शष सभी रपरो का उिzwjगम ह एक परमातमा क परवत कततणव और िसरा मानिता क परवत कततणव परथम

146 विशव सकट तथा शानत-पथ

परकार क कततणव की पररभाषा म एक zwjधावमणक और सासाररक वनति म मतभि हो सकता ह परत वदती परकार अथाणत मानिता क परवत कततणवरो क समबzwjध म कोई मतभि नही ह परमातमा क परवत कततणवरो का समबzwjध उपासना स ह और सभी zwjधमण इस विष म अपन अन ावरो का मागणिशणन करत ह मानिता क परवत कततणवरो क समबzwjध म zwjधमण और समाज िोनरो न मानि को वशका िी ह इलिाम मानिता क परवत कततणवरो क समबzwjध म अतत वितार और गहराई स वशका िता ह और इस सम इन सभी का िणणन करना असभि ह परत म इलिाम दारा थावपत कछ महतिपणण कततणवरो का िणणन करगा जो समाज म शानत थावपत करन क वलिए अवत आिशक ह

इलिाम ह वशका िता ह वक हम िसर लिोगरो की भािनाओ का आिर और सममान करना चावहए इस म िसररो की zwjधावमणक भािनाए और अ सामा सामावजक मद भी सनममवलित ह एक अिसर पर एक हिी न जब अपन और एक मसलिमान क मध वििाि का िणणन हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम स वका तो आप न उस हिी की zwjधावमणक भािनाओ का आिर करत हए उसका समथणन वका उस हिी की भािनाओ का आिर करत हए महममि सललाहो अलिवह िसलम न ह जानत हए वक आप ही अनतम zwjधमण-विzwjधान लिान िालि ह उस मसलिमान को िाटत हए कहा वक तमह ह िािा नही करना चावहए वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम मसा अलि वहसलिाम स शषठ ह इस परकार हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न िसररो की भािनाओ का सममान करक समाज क भीतर शानत की थापना की

इलिाम की एक अ महान वशका ह ह वक वनzwjधणन और जीिन की मलि आिशकताओ स िवचत लिोगरो क अवzwjधकाररो को पणण रप स

147का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

वकरानित वका जाए इस विष म इलिाम ह वशका िता ह वक ऐसी ोजनाए बनानी चावहए वक वजन क दारा समाज क िवचत िगण का जीिन-तर ऊचा उठ सक हम वनःिाथण भािना स िवचत िगण की सहाता करनी चावहए और वकसी भी रप म उन का शोषण नही करना चावहए

िभाणगिश आज क समाज म विखाि क रप म तो िवचत िगण की सहाता क वलिए ोजनाए बनाई जाती ह परत िाति म सभी ऋण परणालिी पर आzwjधाररत होती ह जो वक ाज सवहत लिौटाना होता ह उिाहरणिरप विदावथण रो की वशका पवतण हत ऋण उपलिzwjध कराा जाता ह अथिा लिोग कोई वापार करन क वलिए ऋण लित ह परत ह ऋण चकान म कई िषण अवपत कई िशक लिग जात ह वि कई िषषो क सघषण क पचिात कोई वितती सकट उतपन हो जाए तो ि जस क तस अपनी परानी हालित म आ जात ह अवपत उस स भी बितर हो जात ह गत कछ िषषो म हम विशव क अवzwjधकाश भागरो को आवथणक सकट की चपट म आन की असख घटनाए िख चक ह

इलिाम क विरदध सामातः ह आरोप लिगाा जाता ह वक िह नतररो क साथ ा और समानता का विहार नही करता परत ह आरोप वनराzwjधार ह इलिाम न नतररो को सममान एि आिर परिान वका ह म एक ा िो उिाहरण परतत करगा जब नतररो को मातर एक समपवतत समझा जाता था उस सम इलिाम न तरी को पवत क िव णिहार क कारण lsquoखलिअrsquo (आजािी) लिन का अवzwjधकार विा जबवक विकवसत िशरो म अभी गत शतािी म ही नतररो को ह अवzwjधकार विवzwjधित रप स विा गा ह इस क अवतररति जब नतररो का कोई मान-सममान अथिा अवzwjधकार नही था उस सम इलिाम न नतररो को पतक समपवतत म अवzwjधकार परिान वका जबवक रोपी िशरो म नतररो को ह अवzwjधकार

148 विशव सकट तथा शानत-पथ

अभी कछ सम पहलि विए गए ह पडोवसरो क अवzwjधकाररो क समबzwjध म भी इलिाम हम ह वशका िता ह वजस पवितर कआणन न वितारपिणक मागणिशणन वका ह वक पडोसी की पररभाषा म कौन-कौन सनममवलित ह और उसक अवzwjधकार का ह पडोवसरो म ि लिोग सनममवलित ह जो आपक साथ उठत बठत हरो आपक वनकट वनिास करन िालि आपक पररवचत और ि भी जो आपक पररवचत न हरो िाति म पडोसी की पररभाषा क अतगणत आपक इिण-वगिण क लिगभग 40 घर सनममवलित ह जो आपक साथ ातरा करत ह ि भी आपक पडोसी ह अतः उन का धान रखन का भी हम आिश विा गा ह इस अवzwjधकार पर इतना बलि विा गा वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क मन म ह विचार आन लिगा वक कही पडोवसरो को समपवतत म अवzwjधकार न ि विा जाए हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न तो हा तक कहा ह वक ऐस वनति को वजसका पडोसी उसस सरवकत नही मोवमन ा मसलिमान नही कहा जा सकता िसररो स भलिाई क वलिए इलिाम का एक अ आिश ह भी ह वक समाज क कमजोर िगण का जीिन तर ऊचा करन क कततणव की पवतण क वलिए सभी िगण परपर एकजट होकर का ण कर अतः अहमविा मनलिम जमाअत इस कततणव की पवतण म अपनी भवमका वनभात हए विशव क वनzwjधणन और िवचत िगण िालि कतररो म पराथवमक एि उचच वशका का परबzwjध कर रही ह हम ककलिरो का वनमाणण एि सचालिन कर रह ह और उचच वशका हत छातरिवतत और अ परकार स वितती सहाता परिान कर रह ह तावक िवचत िगण क लिोग उनवत करक िािलिमबी एि आतमवनभणर बन सक

इलिाम का एक अ आिश ह वक तम अपनी सभी परवतजाए और िाि पर करो इन म ि सभी िचन सनममवलित ह जो तम एक िसर स करत हो और इलिाम का ह आिश ह वक एक नागररक क रप म

149का मसलिमान पनचिमी समाज का अग बन सकत ह

अपन िश स िफािारी की जो परवतजा करत हो उस अवनिा ण रप स पणण करो इस समबzwjध म म पहलि भी िणणन कर चका ह ह ि कछ तथ वजह मन आपक समक इस उदश स परतत वका ह वक आप पर ह सत परकट हो जाए वक इलिाम एक अतत िा और परम का zwjधमण ह अतत खि का विष ह वक वजस परबलिता क साथ इलिाम विशव-शानत की वशका िता ह इलिाम क विरोzwjधी अथिा जो इलिाम की िातविक वशकाओ स अनवभज ह उसी कटटरता क साथ इलिाम क विरदध वनराzwjधार आरोप लिगात ह जसा वक मन िणणन वका ह ितणमान ग म अहमविा मनलिम जमाअत इलिाम क िातविक सिश का परचार और परिशणन कर रही ह इस िातविकता को सममख रखत हए म उन लिोगरो स जो मसलिमानरो क कछ एक लिोगरो की गवतविवzwjधरो क आzwjधार पर इलिाम पर आरोप लिगात ह ह अनरोzwjध करता ह वक वनसिह आप ऐस वनतिरो को इसक वलिए उततरिाी ठहराए परत इलिाम की िातविक वशकाओ को अपमावनत अथिा बिनाम करन क वलिए ऐस अनवचत उिाहरणरो का परोग न कर

आपको ह नही समझना चावहए वक इलिाम की वशकाए जमणनी अथिा वकसी अ िश क वलिए हावनकारक वसदध हो सकती ह आप को इस विष म वचनतत नही होना चावहए वक कोई मसलिमान जमणन समाज का अवभन अग बन सकता ह अथिा नही जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह वक इलिाम की ह विवश टिता ह वक उसन मसलिमानरो को ह वशका िी ह वक सभी सिzwjगणरो को गरहण करो अतः वनसिह मसलिमान वकसी भी समाज का अग बन कर जीिन वतीत कर सकता ह वि कोई इसक विपरीत विहार करता ह तो िह किलि नाममातर का मसलिमान ह इलिाम की िातविक वशकाओ का अन ाी नही वि मसलिमानरो

150 विशव सकट तथा शानत-पथ

को वकसी अनवचत का ण करन अथिा माणिा और zwjधमण की पवितरता क वसदधातरो स समबनzwjधत कआणनी वशकाओ की अिहलिना करन अथिा सिाचार क विरदध आचरण करन का आिश विा जाए तो वनसिह ि ऐसा नही कर सकत ह विष समाज का अग बन कर रहन स समबनzwjधत नही ह अवपत वनतिगत zwjधावमणक िततरता स समब नzwjधत ह

zwjधावमणक िततरता का उलघन ऐसा परशन नही वक किलि मसलिमान इसका विरोzwjध करत ह अवपत सभी सभzwj और वशवकत लिोग भी इसक विरदध आिाज उठात ह और खलि आम ह घोषणा करत ह वक वकसी सरकार अथिा समाज को वकसी व नति क zwjधावमणक अवzwjधकाररो म हतकप करन का अवzwjधकार नही ह मरी ह पराथणना ह वक जमणनी और अ सभी िश जो िा ति म विवभन स कवत रो और राषटी ता स समबzwjध रखन िालि लिोगरो का वनिास थान बन चक ह सहनशीलिता और परपर भािनाओ का सममान करन क उचच आिशषो का परिशणन कर परमातमा कर इस परकार ि परपर परम सहानभवत तथा शान त का परिशणन करन िालिरो क वलिए मागणिशणक बन जाए ह विशव म वचर था ी शान त और सरका थावपत करन का सवननचित माधम वसदध होगा वजस क फलििरप विशव को उस विनाश स सरवकत रखा जा सकगा वजसकी ओर िह परपर शान त क अभाि क कारण अगरसर ह

भकर विनाश का खतरा हमार ऊपर मिरा रहा ह अतः इस सिणनाश स सरवकत रहन क वलिए परतक िश और परतक वनति क वलिए चाह िह zwjधावमणक हो अथिा न हो अतत सािzwjधानीपिणक आग बढन की आिशकता ह परमातमा कर विशव का परतक वनति इस िातविकता को समझ अत म म आप सभी का पनः zwjधिाि करना चाहता ह वक आज आप सम वनकालि कर हा पzwjधार और मरी बातरो को धानपिणक सना अलाह आप सब पर अपनी कपा कर आप का बहत बहत zwjधिाि

इसलजि mdashशजनत और दयज कज ििा

पारलियामट हाउसजनदन यक 2013

इसलजि mdashशजनत और दयज कज ििा

पारलियामट हाउसजनदन यक 2013

The Shadow Foreign Minister Rt Hon Douglas Alexander with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

The Deput y Prime Minister Rt Hon Nick Clegg in discussion with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba House of Commons London 11th June 2013

The Home Secretar y Rt Hon Theresa May MP with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Rt Hon Ed Davey MP with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Rt Hon Ed Davey MP escorts Hadrat Khalifatul-Masih Vaba through Westminster Hall House of Commons London 11th

June 2013

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba delivering his historic speech to Parliamentarians VIPs and diplomats at the House of Commons London 11th June 2013

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba received at the House of Commons by Rt Hon Ed

Davey MP London 11th June 2013

पररचय

क म अहमविा मनलिम जमाअत की थापना क सौ िषण पर होन पर लििन म पावलिणामट हाऊवसज म 11 जन 2013 को शतािी समारोह आोजन क अिसर पर विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख हजरत वमजाण मसरर अहमि खलिीफतलि मसीह पचम (अलाह आपका सहाक हो) न एक भाषण विा था

इस शतािी समारोह म 68 उचच पिावzwjधकारी सनममवलित हए वजनम 30 पावलिणामट सि और 12 हाऊस ऑफ लिािरस क सि वजनम 6 कवबनट मतरी और 2 मतरी शावमलि थ विवभन टीिी चनलज - BBC Sky TV और ITV क परवतवनवzwjध भी इस समारोह म सनममवलित हए उपनथत लिोगरो म वनमनवलिवखत उचच पिावzwjधकारी भी सनममवलित थ

Secretary of State for Energy and Climate Change The Rt Hon Ed Davey MP the Deputy Prime Minister The Rt Hon Nick Clegg MP the Home Secretary The Rt Hon Theresa May MP the Shadow Foreign Secretary The Rt Hon Douglas Alexander

156 विशव सकट तथा शानत-पथ

MP the Chairman of the Home Affairs Select Committee Rt Hon Keith Vaz MP and Member of Parliament for Mitcham and Morden Siobhain McDonaugh MP

इसलजि mdash शजनत और दयज कज ििा

वबनमलावहररहमावनररहीमआरमभ करता ह अलाह क नाम स जो अनत कपालि एि अतत िालि ह

समत विवशटि अवतवथगण असzwjसलारो अलकर व रहरzwjलाह व बरकाzwjोह अलाह की कपा एि शानत आप सब पर हो सिणपरथम म अहमविा मनलिम जमाअत क उन सभी वमतररो का

zwjधिाि करना चाहता ह वजहरोन हमार साथ अपनी वमतरता एि घवनषठ सबzwjधरो का परिशणन करत हए क म हमारी जमाअत क शत िषण पर होन पर इस शतािी समारोह का आोजन पावलिण ामट हाऊसज म वका ह म उन सभी अवतवथरो क परवत भी आभार परकट करना चाहता ह वजहरोन आज हा उपनथत हो कर इस समारोह को वननचित रप स महतिपणण और सफलि बनाा ह मझ ह जान कर परसनता हई ह वक

158 विशव सकट तथा शानत-पथ

आप म बहत स ऐस लिोग हा विराजमान ह जो वकसी अ सभा ा का ण म वत नही ह

आप क इस शभ परास और भािना क परवत zwjधिाि और परशसा परकट करन क साथ-साथ म ह भी कहना चाहता ह वक मरी ह हाविणक अवभलिाषा और पराथणना ह वक इस विशालि एि सिर भिन क सभी विभाग तथा उनम का णरत सभी लिोग अपन िश एि उसकी परजा क परवत अपन कततणवरो को परा करन िालि हरो म ह आशा और पराथणना भी करता ह आप सब अ िशरो क साथ मzwjधर समबzwjधरो को सदढ करन और ा क मागण का पालिन करत हए ऐस वनणण करन िालि हरो जो सभी िगषो अथिा पावटर रो क वलिए वहतकारी हरो वि इस भािना को अपनाा गा तो इसस अवत लिाभकारी पररणाम अथाणत - परम सहानभवत तथा भरातति उतपन हरोग वजन क दारा विशव िातविक अथषो म शानत एि समवदध का कदर बन सकगा

मरी ह इचछा और पराथणना समत अहमिी मसलिमानरो की भािनाओ का परवतवनवzwjधति करती ह करोवक हमारा ह विशवास ह वक अपन िश क परवत और सामवहक रप स समत मानिजावत स परम करना वनतात आिशक ह वनसिह अहमिी मसलिमान ह विशवास रखत ह वक अपन िश स परम करना उनक ईमान का एक अवनिा ण अग ह करोवक इलिाम क परितणक हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम न बडी दढता क साथ इसकी वशका और आिश विा ह अतः म ह पटि करना चाहता ह वक परतक अहमिी मसलिमान जो क का नागररक ह चाह िह क म पिा हआ ह अथिा अ िश स परिास करक हा नागररकता परापत की हो िह पणणता इस िश क परवत िफािार ह और इस िश स हाविणक परम करता ह ि किलि इस महान िश की

159इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

उनवत एि समवदध की कामना करत ह िसर िशरो स परिास करक क म बसन िालि लिोगरो की सखा

बहत बडी ह और ि इस िश की कलि जनसखा का 14-15 परवतशत ह अतः वबरटन क लिोगरो न िसर िशरो स परिास करक आए लिोगरो को अपन िश क नागररक तथा वबरवटश समाज की रचना क अश क रप म िीकार करन म वजस उिारता और सवहषzwjणता का परिशणन वका ह उसका िणणन एि परशसा वकए वबना म अपन भाषण को आग नही बढा सकता इस परकार जो लिोग अ िशरो स हा बसन आए ह नवतक रप स उनका ह अवनिा ण कततणव ह ि ि को इस िश का िफािार नागररक वसदध कर और समत परकार की विथा और कलिह क वनिारण क वलिए सरकार क परासरो का समथणन कर जहा तक अहमविा मनलिम जमाअत का सबzwjध ह इसक सि चाह ि वकसी भी िश म रहत हरो इस वसदधात का पालिन करत ह

जसा वक आपको जात ह वक इस सम हम क म अहमविा मनलिम जमाअत की थापना क शतािी समारोह का आोजन कर रह ह गत सौ िषषो का इवतहास इस बात को वसदध करता ह और इस बात का गिाह ह वक अहमविा जमाअत क सिरो न सिि अपन िश क परवत िफािारी की मागरो को परा वका ह और परतक सरकार क उगरिाि विदरोह और अविथा स ि सिि िर रह ह िाति म इस िफािारी और िश परम की विचारzwjधारा का मलि कारण ह ह वक अहमविा मनलिम जमाअत एक सचची इलिामी जमाअत ह हमारी जमाअत िसररो स सिणथा विशष ह को वक हमन वनरतर इलिाम की िातविक एि शानतपणण वशकाओ स विशव क लिोगरो को पररवचत कराा ह और हमारा सिि ह परास रहा ह वक इन वशकाओ को िातविक इलिाम क रप

160 विशव सकट तथा शानत-पथ

म विशव म िीकवत वमलिइस सवकपत पररच क उपरात म अपन भाषण क मख विष की

ओर आता ह हमारी जमाअत शानत सलिह समि एि एकता का झिा ऊचा करन िालिी ह और हमारा आिशण ह lsquoपरम सब क वलिए घणा वकसी स नहीrsquo कछ हमार पररवचत गर मनलिम लिोग ा वजनक साथ हमार वनकट समबzwjध ह ि इस बात पर आचि ण परकट करत ह वक अहमविा मनलिम जमाअत इलिाम को अपन शानत और भाईचार क सिश का सोत बताती ह उनक इस आचि ण और अचमभ का कारण ह ह वक ि ह अनभि करत ह वक इलिाम क नाम-मातर विदान और अ इलिामी समिा सिणथा पथक रप स आचरण करत ह और एक अलिग ही सिश का परचार करत ह

इस अतर को पटि करन क वलिए म ह बताना चाहता ह वक अहमिी मसलिमान इस बात पर विशवास रखत ह वक ितणमान ग म lsquoतलििार क दारा वजहािrsquo की विचारzwjधारा सिणथा गलित ह और इस का वतरकार वका जाना चावहए इसक विपरीत कछ अ इलिामी विदान इस विचारzwjधारा को परोतसावहत करत ह अथिा इसका पालिन भी करत ह उनकी ही विचारzwjधारा विशव म कई कतररो म मसलिमानरो क मध उगरिािी एि आतकिािी सगठनरो क जम का कारण बनी ह

किलि ही नही वक कछ सगठन उभर कर सामन आए ह अवपत कछ लिोग वनतिगत रप स इस गलित और झठी विचारzwjधारा का अनवचत लिाभ उठा कर उसक अनरप विहार कर रह ह लििन की सडकरो पर एक वनिवोष वबरवटश वसपाही की वनमणम हता इसी विचारzwjधारा क पररणाम का एक ताजा उिाहरण ह इस आकरमण का इलिाम की िातविक वशकाओ स कोई समबzwjध नही इसक विपरीत इलिामी वशका ऐसी

161इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

घटनाओ की बडी वनिा और भतसणना करती ह ऐस षितर इलिाम की िातविक वशकाओ और विकत रप म परतत की गई वशकाओ वजन का परचार कछ नाम-मातर मसलिमान अपन वनवहत िाथषो की पवतण हत कर रह ह क अतर को भलिी-भानत पटि कर ित ह म ह भी कहना चाहता ह वक कछ थानी समिारो की परवतवकरा भी उवचत नही थी तथा इस क कारण समाज की शानत भग हो सकती ह

हमार इस तकक क समथणन का का परमाण ह वक हम जो इलिामी वशका परतत करत ह िह सही ह विचार करन ोग विष ह ह वक तलििार अथिा बलि परोग की अनमवत किलि उसी नथवत म ह जब इलिाम क विरदध zwjधावमणक-दध छडा जाए ितणमान ग म कोई भी चाह िह िश हो अथिा zwjधमण भौवतक रप स इलिाम क विरदध zwjधमण क आzwjधार पर आकरमण ा दध नही कर रहा अतः मसलिमानरो क वलिए ह ासगत नही वक ि वकसी अ समिा पर zwjधमण क नाम पर आकरमण कर करोवक वनसिह ह कआणन की वशकाओ का उलघन ह

पवितर कआणन न किलि उही लिोगरो क विरदध बलि परोग की अनमवत िी ह वजहरोन इलिाम क विरदध दध छडा और तलििार उठाई एक और महतिपणण वबि ह ह वक वि कोई नागररक अपन िश अथिा अपन िशिावसरो को वकसी परकार का आघात ा हावन पहचाता ह तो िह वननचित रप स इलिाम की वशकाओ का उलघन करता ह हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम का कथन ह वक जो वकसी वनिवोष का खन बहाता ह िह मसलिमान नही ह हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क विचार म ऐस लिोग कमजोर ईमान िालि और पापी ह

अब म इलिाम क कछ अ पहलि परतत करगा वजन स ह वसदध होता ह वक इलिाम की वशकाए वकतनी विशदध एि जान पर आzwjधाररत ह

162 विशव सकट तथा शानत-पथ

म ह पटि करगा वक कछ अ नाम-मातर इलिामी सगठन इलिाम का जो रप परतत करत ह िह िाति म वकसी भी परकार स zwjधमण की िातविक वशका का परवतवनवzwjधति नही करता ह पटि हो जाएगा वक ि किलि अपन वनवहत िाथषो की पवतण हत घणापणण गवतविवzwjधरो को ासगत ठहरान क वलिए अनवचत रप स इलिाम का नाम परोग करत ह

इलिाम न सहनशीलिता की महतता पर इतना बलि विा ह वक इसक समतल उिाहरण वकसी अ zwjधमण म वमलिना असभि ह अ लिोगरो का ह मत ह वक जब तक िसर zwjधमषो को झठा वसदध न कर विा जाए तब तक ि अपन zwjधमण की सचचाई को वसदध करन म असमथण ह परत इस सबzwjध म इलिाम का मत वनतात पथक ह करोवक इलिाम ह वशका िता ह वक दवप इलिाम एक सचचा zwjधमण ह जो समत मानिजावत क वलिए भजा गा तथावप िातविकता ह ह वक परमातमा क सभी अितार परतक जावत और विशव क परतक भाग म भज गए पवितर कआणन म इसका पटि रप स िणणन ह अलाह तआलिा फरमाता ह वक समत अितार उसी न परम और सह की वशका िकर भज ह अतः सभी सचच मसलिमानरो को उह िीकार करना चावहए

कोई अ zwjधमण इतनी पटिता एि उिारतापणण ढग स सभी zwjधमषो की परशसा नही करता जसा वक इलिाम न वका ह करोवक मसलिमान ह विशवास रखत ह वक सभी जावतरो और कौमरो म अितार आए ह अतः ि उह झठा होन का विचार भी मन म नही लिा सकत

अतः मसलिमान परमातमा क वकसी भी अितार का वनरािर अनािर अथिा उपहास नही कर सकत और न ही ि अ zwjधमाणिलिनमबरो की भािनाओ को आहत कर सकत ह

वफर भी खिजनक ह वक कछ गर मनलिम लिोगरो का विहार इसक

163इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

सिणथा विपरीत ह ि इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम पर कलिक लिगान और शोचनी ढग स उनका उपहास करन का कोई अिसर हाथ स नही जान ित और इस परकार उहरोन मसलिमानरो की भािनाओ को बरी तरह आहत वका ह परत िभाणगिश जब कभी कछ तति मसलिमानरो की भािनाओ स खलित ह तब कछ नाम-मातर मसलिमान उततजनािश वनतात अजानतापिणक और अनवचत ढग स परवतवकरा वति करत ह वजसका इलिाम की िातविक वशकाओ स कोई समबzwjध नही होता आप ह अिश अनभि करग वक कोई अहमिी मसलिमान वकसी भी उततजनातमक नथवत म इस परकार अजानतापिणक परवतवकरा परिवशणत नही करगा

इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम और पवितर कआणन पर एक अ आरोप ह लिगाा जाता ह वक उहरोन उगरिाि की वशका िी और इलिाम क सिश क परचार क वलिए बलि-परोग को परोतसावहत वका इस आरोप का वििचन करन तथा इसकी िातविकता जानन क वलिए ि कआणन का अधन करना होगा सिणशनतिमान अलाह फरमाता ह ः-

lsquoवि तरा रब अपनी इचछा को लिाग करता तो zwjधरती क सभी लिोग ईमान लि आत तो का त लिोगरो को इतना वििश करगा वक ि मोवमन बन जाए rsquo

(सरह नस ः 100)ह आत पटि रप स बताती ह वक परमातमा जो सिणशनतिमान

ह सभी लिोगरो को एक ही zwjधमण अपनान पर बडी आसानी स वििश कर सकता था परत उसन ससार क लिोगरो को इस विकलप की िततरता परिान की mdash चाहो तो ईमान लिाओ ा न लिाओ

164 विशव सकट तथा शानत-पथ

अतः जब परमातमा न मानिजावत को कोई भी विकलप अपनान की िततरता परिान की ह तो हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम अथिा उनका कोई अन ाी वकसी को मसलिमान बनन पर कस वििश कर सकता ह

सिणशनतिमान अलाह पवितर कआणन म ह भी फरमाता ह ः-ldquo सचचाई तर रब की ओर स ही उतरी हई ह अतः जो

चाह ईमान लिाए और जो चाह इकार कर ि rdquo(अलिzwj-कहफ ः 30)

ह ह इलिाम की िातविकता ह ह इसकी िातविक वशका वि कोई वनति चाह तो उस इलिाम को िीकार करन की िततरता ह वि उसका विलि नही चाहता तो उस अिीकार करन की भी िततरता ह अतः इलिाम उगरिाि और बलि-परोग क पणणता विरदध ह इसक विपरीत समाज क परतक तर पर शानत और समि का समथणन करता ह

इलिाम क वलिए ह असमभि ह वक िह वहसा और बलि-परोग की वशका ि करोवक इलिाम का शानिक अथण ही शानत स रहना और शानत परिान करना ह वफर भी जब हमारी zwjधावमणक भािनाओ का उपहास वका जाता ह तो हम अतत कटि और पीडा का अनभि होता ह हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क सबzwjध म वि कछ भी अपमानजनक शि कह जाए तो ि हमार हिरो को चीर कर आहत कर ित ह

इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न ही हमार हिरो म परमातमा और उसकी सनटि क परवत परम भािना जागत की ह आपन ही हमार विलिरो म समत मानिजावत और सभी zwjधमषो क परवत परम और आिर की भािना थावपत की इलिाम की शानतपणण वशकाओ क समबzwjध म उस उततर क अवतररति अ बडा परमाण का हो

165इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

सकता ह जो हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क विरोवzwjधरो न विा जब आप सललाहो अलिवह िसलम न उह इलिाम का सिश पहचाा था उहरोन ह नही कहा वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलमन हम इलिाम का वनमतरण ि कर वकसी परकार क अताचार अथिा अनवतक का ण करन की वशका िी ह अवपत उन का उततर ह था वक वि ि इलिाम की वशकाओ को िीकार कर लित ह तो उनकी zwjधन-समपवतत पर अताचारी लिोग अवतकरमण कर लिग और उनकी परवतषठा भी खतर म पड जाएगी करोवक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम किलि शानत और सौहािण तथा समि की वशका पर बलि ित थ उहरोन इस सश का परकटन वका वक ि इलिाम को िीकार कर लित ह और फलििरप शानत को अपना लित ह तो इिण-वगिण क लिोग कबीलि और अ जावता इसका अनवचत लिाभ उठा कर उह नटि कर िगी साराश ह वक वि इलिाम वहसा का परचार करता और मसलिमानरो को दध करन तथा तलििार उठान की वशका िता तो पटि ह वक कावफर अपन पक म ऐसा तकक परतत न करत ि किावप ह न कहत वक ि इलिाम इसवलिए िीकार नही कर सकत करोवक उह भ ह वक इलिाम की शानतपणण वशका क फलििरप सासाररक लिोगरो दारा इनका सिणनाश हो जाएगा

पवितर कआणन म िणणन ह वक सिणशनतिमान अलाह का एक गणिाचक नाम lsquoसलिामrsquo ह वजसका अथण ह lsquoशानत का सोतrsquo इस स ह अवभपरा ह वक वि परमातमा िाति म lsquoशानत का सोतrsquo ह तो उसकी शानत किलि एक विशष समिा तक सीवमत न हो कर समत सनटि और समत मानिजावत पर आचछावित होनी चावहए वि परमातमा की शा नत किलि कछ लिोगरो तक की सरका क वलिए थी तो इस अिथा म

166 विशव सकट तथा शानत-पथ

उस समत ससार का परमातमा नही कहा जा सकता सिणशनतिमान परमातमा न इस का उततर पवितर कआणन म इन शिरो म विा ह ः-

lsquoऔर हम इस रसलि की उस बात की सौगzwjध जब उसन कहा था वक ह मर रब ह जावत तो ऐसी ह ईमान नही लिाती अतः उह छोड ि और कह ः lsquoतम पर अलाह की शानत होrsquo lsquoऔर ि शीघर ही जान जाएगrsquo

(अलि-जखरफ ः 89-90)इन शिरो स ह जात होता ह वक हजरत महममि सललाहो

अलिवह िसलम एसी वशका लिाए थ जो समत लिोगरो क वलिए शानत और िा का सोत थी और फलितः समत मानिजावत क वलिए शानत का माधम थी उपरोति आत स ह भी जात होता ह वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क शानत क सिश क उततर म आपक विरोवzwjधरो न न किलि आपकी वशकाओ का वतरकार वका अवपत आपका अपमान और उपहास भी वका िाति म ि इस स भी आग बढ गए और उहरोन परी शतरता स आपका विरोzwjध वका कलिह और अशानत का िातािरण उतपन कर विा विरोवzwjधरो की इन गवतविवzwjधरो क िखत हए भी हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न परमातमा स ही पराथणना की वक lsquoम उह शानत परिान करना चाहता ह परत मझ शानत नही ित इसस भी बढ कर ि मझ पीडा और िःख पहचान की चटिा करत ह

इसक उततर म परमातमा न आपको सातिना ित हए कहा वक lsquoजो कछ ि करत ह उसकी उपका कर और उनस िर हो जा तरा एकमातर कततणव ससार म शानत का परसार करना और उसकी थापना करना ह त उनकी घणा और उनक अताचाररो क उततर म किलि इतना कह ः lsquoतम पर शानत होrsquo और उह कह ि वक ldquoम तमहार वलिए शानत लिाा हrdquo

167इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

इस परकार हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम जीिनप ण त विशव म शानत का परसार करत रह ही आपका महान उदश था वनसिह एक विन ऐसा अिश आएगा जब ससार क लिोग इस तथ को समझ लिग और िीकार करग वक आपन वकसी परकार क उगरिाि की वशका नही िी उह ह अनभि हो जाएगा वक आप सललाहो अलिवह िसलम किलि शानत परम और सहानभवत का सिश लि कर आए थ इसक अवतररति ह वक वि इस महान अितार क अन ाी भी अताचाररो और अा क परवत परमपिणक अपनी परवतवकरा वति कर तो वनसिह ि लिोग जो इलिाम की रोशन वशकाओ पर आकप लिगात ह एक विन इलिाम की सचचाई और सिरता को िीकार कर लिग

अहमविा मनलिम जमाअत इही वशकाओ का पालिन और अनसरण करती ह ही सहानभवत सहनशीलिता और िा पर आzwjधाररत िह वशका ह वजसका हम समत विशव म परचार और परसार करत ह हम िा और उिारता क उसी ऐवतहावसक और अवदती आिशण का पालिन करत ह वजसका परिशणन हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न कई िषषो तक अतत कडी और पीडािाक ातनाओ और अताचाररो क सहन करन क उपरात पनः मकका की गवलिरो म एक विजता क रप म परिश करन पर वका कई िषषो तक आपको और आपक अनावरो को जीिन की मलि आिशकताओ mdash भोजन और पानी स िवचत रखा गा और फलििरप उह एक सम म कई विन तक भख की पीडा सहन करनी पडती थी आपक बहत स अन ावरो पर आकरमण वका गा कछ की अतत वनिण तापिणक वनमणम हता की गई वजसकी कलपना भी नही की जा सकती हा तक वक मसलिमान िदधरो नतररो और बचचरो को भी नही छोडा गा अवपत उनक साथ भी वनिण तापणण विहार वका गा वफर

168 विशव सकट तथा शानत-पथ

भी जब हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न विजी हो कर मकका म पनः परिश वका तो आपन वकसी परकार का परवतशोzwjध नही वलिा इस क विपरीत आपन ह घोषणा की वक lsquoआप म स वकसी को भी कोई िणि नही विा जाएगा करोवक मन आप सभी को कमा कर विा ह म परम और शानत का ित ह मझ अलाह क इस गण का सिाणवzwjधक जान ह वक िह lsquoशानत का सोत हrsquo mdash अथाणत अलाह ही ह जो शानत परिान करता ह म आपक वपछलि समत अताचाररो को कमा करता ह और आपको शानत और सरका की जमानत िता ह आप िततर रप स मकका म वनिास कर सकत ह और अपन zwjधमण का वनविणघन पालिन कर सकत ह वकसी को भी वकसी परकार स वििश ा बाध नही वका जाएगाrdquo

मकका क कछ कटटर विरोzwjधी िणि क भ स मकका छोड कर भाग गए थ करोवक उह जात था वक उहरोन मसलिमानरो पर अताचार करन म सभी सीमाओ को पार कर वलिा था परत जब उन कावफररो क सबवzwjधरो न िा और परम का ऐसा अवदती उिाहरण और शानत और सौहािण का ऐसा अभतपिण परिशणन िखा तो उहरोन उह िापस लिौट आन का सिश भजा जब उह ह सवचत वका गा वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम शानत और सरका परिान करन िालि ह तो ि लिोग मकका लिौट आए जो लिोग इसस पिण इलिाम क कटटर और कठोर विरोzwjधी थ उहरोन जब ि हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम की िा और उिारता का परतक रप म अनभि वका तो उहरोन िचछा स इलिाम िीकार कर वलिा

जो कछ मन िणणन वका ह िह वलिवखत इवतहास का भाग ह और अवzwjधकाश गर-मनलिम इवतहासकाररो और Orientalists न इस सचचाई की पनटि की ह इलिाम की िातविक वशकाए ह और ही हजरत

169इलिाम mdashशानत और िा का zwjधमण

महममि सललाहो अलिवह िसलम का महान आिशण ह अतः इलिाम और इसक परितणक को वहसक क रप म परिवशणत करना तथा उनक विरदध इस परकार क आरोप लिगाना घोर अा ह इस म कोई सिह नही जहा कही भी ऐस आरोप लिगाए जात ह तो हम गहरी पीडा और अतत कटि पहचाता ह

म पनः ह कहता ह वक ितणमान ग म किलि हमारी जमाअत - अहमविा मनलिम जमाअत - ही ह जो इलिाम की िातविक और शानतपणण वशकाओ का अनसरण और पालिन कर रही ह म ह भी पनः कहना चाहता ह वक कछ आतकिािी सगठनरो अथिा कछ वनतिरो दारा जो घणापणण और िषzwjकमण वकए जा रह ह उनका इलिाम की िातविक वशकाओ स वकसी परकार का समबzwjध नही ह

िातविक ा का आzwjधारभत वसदधात ह ह वक वकसी समिा अथिा वनति विशष क वनवहत िाथषो को वकसी zwjधमण की वशकाओ स समबदध न वका जाए ऐसी गवतविवzwjधरो का वकसी zwjधमण अथिा उसक परितणक की अापणण ढग स वनिा करन क वलिए एक बहान क रप म अनवचत परोग नही करना चावहए सम की वनतात आिशकता ह वक विशव-शानत और एकता की थापना हत सभी लिोगरो को परपर सममान और एक िसर क zwjधमण का आिर करन की भािना का परिशणन करना चावहए अ था इसक प ररणाम अवत भािह हरोग

आज ससार एक विशव-गराम का रप zwjधारण कर चका ह अतः परपर आिर एि सममान क अभाि और शानत थापना हत सगवठत होन म विफलिता क कारण न किलि थानी कतर शहर अथिा िश को हावन पहचगी अवपत इसक फलििरप अततः विशव एक भानक विनाश की चपट म आ जाएगा गत िो विशव दधरो क विधिसकारी

170 विशव सकट तथा शानत-पथ

पररणामरो स हम सभी पररवचत ह कछ िशरो की गवतविवzwjधा ऐसी ह जो तती विशव दध की सचक ह

वि तती विशव दध आरमभ हो जाता ह तो पनचिमी िश भी इसक िरगामी और विनाशकारी पररणामरो स बरी तरह परभावित हरोग हम अपनी भािी पीवढरो को दध क भानक और विनाशकारी पररणामरो स सरवकत रखन का परास करना चावहए

पटि ह वक सबस भानक दध परमाण दध होगा और इस सम ससार वजस ओर अगरसर ह वनसिह िह एक परमाण दध क वछडन का सचक ह इस विनाशकारी पररणाम को रोकन क वलिए हम ा एकता एि अखिता और ईमानिारी क मागण को अपनाना होगा और सगवठत रप स उन गटरो का िमन करना होगा जो घणा का परचार करक विशव-शानत का सिणनाश करना चाहत ह

म ह आशा और पराथणना करता ह वक सिणशनतिमान परमातमा महाशनतिरो को अपन कततणवरो को इस समबzwjध म ापिणक ढग स वनभान का सामथ ण परिान कर - आमीन अपना भाषण समापत करन स पिण म आप का zwjधिाि करना चाहता ह वक आप सब सम वनकालि कर और परास करक हा उपनथत हए परमातमा आप सब पर अपनी कपा कर आप सब का अवत zwjधिाि

वतािजन सकट की नसथमत ि मवशव शजनत की

मनतजत आवशयकतजराषटी पावलिणामट जीलिणििवलिगटन जीलिणि 2013

वतािजन सकट की नसथमत ि मवशव शजनत की

मनतजत आवशयकतजराषटी पावलिणामट जीलिणििवलिगटन जीलिणि 2013

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba leading si lent prayers at the conclusion of the off icial f unction in the Grand Hall Ne w Zealand Parl iament

Hon Kanwaljit Singh Bakshi (MP) receiving the Holy Qurrsquoan from Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Det R akesh Naidoo meeting Hadrat Khalifatul-Masih Vaba in representation of the Commissioner of Police New Zealand

Iranian ambassador Seyed Majid Tafreshi Khameneh meeting Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Dr Cam Calder MP meeting Hadrat Khalifatul-Masih Vaba

Hadrat Khalifatul-Masih Vaba delivering the keynote address at the Grand Hall in the

New Zealand Parliament 4th Nov 2013

Hon Kanwaljit Singh Bakshi (MP) with Hadrat Khalifatul-Masih Vaba and his entourage in front of the New Zealand Parliament

पररचय

विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख हजरत वमजाण मसरर अहमि (अलाह तआलिा आपकी सहाता कर) खलिीफतलि मसीह पचम न विनाक 4 निमबर 2013 को िवलिगटन शहर म जीलिि की राषटी पावलिाणमट म एक ऐवतहावसक भाषण विा पावलिणामट क सासिरो राजितरो वशकावििरो एि विवभन कतररो स सबवzwjधत गणमा विवशटि अवतवथरो स सभा क सममख हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम क खलिीफा न (अलाह तआलिा आपकी सहाता कर) इस बात की महतता को परकट वका वक विशव क विवभन भागरो म तीवरता स बढत हए वििािरो और तनाि को दनटिगत रखत हए विशव-शानत थावपत करन क वलिए ा की वनतात आिशकता ह आपक मख भाषण क पचिात अ उचच पिावzwjधकारररो न भी सभा को समबोवzwjधत वका शी किलिजीत बखशी MP न कहा ldquoहमारा ह सौभाग ह वक हजरत वमजाण मसरर अहमि हा जीलिि की पावलिणामट म पzwjधार ह

176 विशव सकट तथा शानत-पथ

और हम उनक जान और विचाररो को सनन का सअिसर परापत हआ हrdquo िा राजन परसाि MP न कहा ldquoजीलिि की पावलिणामट म हजरत सावहब का िागत करना हमार वलिए अतत सखि अनभि ह मझ इस बात न सिि अतत परभावित वका ह वक अहमिी वकस परकार एक राषट क नागररक क रप म अपना जीिन वतीत करत हए अपन शानत क सिश का पालिन करत ह सभा क अत पर हजरत वमजाण मसरर अहमि (अलाह तआलिा आपकी सहाता कर) न विवभन उचच पिावzwjधकारररो वजनम ईरान और इसाईलि क राजित भी शावमलि थ स भट की शी किलिजीत वसह बखशी MP न हजर को पावलिणामट की सर कराई

वतािजन सकट की नसथमत ि मवशव शजनत

की मनतजत आवशयकतजवबनमलावहररहमावनररहीम

परारभ करता ह अलाह क नाम स जो अनत कपालि और अतत िालि ह

सभी विवशटि अवतवथगण असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातोहअलाह की कपा आप सब पर होसिणपरथम म इस अिसर पर उन समत लिोगरो विशषकर माननी

किलिजीत वसह बखशी MP क परवत zwjधिाि परकट करना चाहता ह वजहरोन इस सभा का आोजन वका और आप सब को समबोवzwjधत करन का मझ अिसर परिान वका तिोपरात म आप सब का zwjधिािी ह जो मर विचार सनन क वलिए हा पzwjधार ह

वनसिह इस पावलिणामट हाऊस म िश की उनवत एि विकास क वलिए विवभन नीवता और ोजनाए तथा कानन बनान क वलिए

178 विशव सकट तथा शानत-पथ

विवभन राजनीवतज और पावलिणामट क सि वनवमत रप स एकवतरत होत ह इसक अवतररति मरा विशवास ह वक बहत स zwjधमण वनरपक ा भौवतकिािी नताओ न भी हा पzwjधार कर अपन जान कौशलि और अतीत क अनभिरो क अzwjधार पर आप लिोगरो को समबोवzwjधत वका होगा परत किावचत ही वकसी zwjधावमणक समिा विशषकर एक मनलिम समिा क परमख न आपको समबोवzwjधत वका हो अतः विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत जो वक िातविक इलिामी सथा ह वजसका एकमातर उदश इलिाम की िातविक वशकाओ का परचार एि परसार करना ह क परमख को हा समबोzwjधन करन का अिसर परिान करक आपन अपनी विशालिहिता और उचच तरी सहनशीलिता का सकत एि परमाण परतत वका ह अतः म इस िापणण विहार क वलिए आपका आभारी ह

zwjधिाि क इन शिरो क उपरात अब म अपन भाषण क मख विष की ओर आता ह म इलिाम की सिर वशकाओ क समबzwjध म कछ बातरो का िणणन करगा म उस समा जो मर विचार म ितणमान सम की वनतात आिशकता ह अथाणत विशव-शानत की थापना क समबzwjध म कछ बात करगा आप म स अवzwjधकाश लिोग zwjधमणवनरपक राजनीवतज अपन अपन तर पर और सरकार सामवहक तर पर zwjधमणवनरपक दनटिकोण स शानत थावपत करन क वलिए सतत परासरत ह आपक परास शभचछा स परररत ह और आपको इन परासरो म कछ सफलिता भी परापत हई होगी इसी परकार आपकी सरकार न गत िषषो म विशव म शानत एि एकता थावपत करन हत कई सझाि भी विए हरोग

वनसिह विशव की ितणमान पररनथवता अतत सकटपणण ह जो

179ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

समच विशव की वचता का कारण बनी हई ह इस सम जबवक विशव क मख सकट अरब िशरो म उतपन हो रह ह और परतक बवदधमान वनति इस तथ स भलिीभावत पररवचत हरोग वक ऐस वििाि अथिा सकट किलि उसी कतर तक सीवमत नही रहत इसम कोई शका नही वक वकसी सरकार और उसकी परजा क मध का वििाि बढकर अतराणषटी वििाि का रप zwjधारण कर लिता ह हम िख रह ह वक विशव की महाशनतिरो म पहलि स ही िो गट बन रह ह एक गट सीररा की सरकार का समथणन कर रहा ह जबवक िसरा गट विदरोवहरो क समथणन म आग आ रहा ह पटि रप स ह पररनथवत न किलि मनलिम िशरो क वलिए एक गभीर खतरा ह अवपत विशव क शष सभी िशरो क वलिए भी एक अतत सकट का सचक ह

गत शतािी म हए िो विशव दधरो क हि-वििारक पररणामरो को हम कभी विमत नही करना चावहए विशषकर वदती विशव दध क पररणामिरप जो वितत विनाश हआ िह अवदती ह किलि परपरागत हवथाररो क उपोग दारा ही विशालि जनसखा िालि कई कब और शहर पणणता धित हो गए और लिाखरो लिोग मार गए इसक अवतररति वदती विशव दध म विशव न समपणण विनाश की घटना भी िखी जब जापान क विरदध परमाण बम का परोग वका गा वजसन ऐसा सिणनाश वका वजसक परभािरो को किलि सनन स ही मनषzwj कापन लिगता ह हीरोशीमा और नागासाकी क सगरहालि इस समपणण सिणनाश और भािह नथवत का मरण करान क वलिए पाणपत ह

वदती विशव दध म एक अनमान क अनसार 70 वमवलिन लिोग मार गए थ वजन म स 40 वमवलिन साzwjधारण नागररक थ इस परकार सना

180 विशव सकट तथा शानत-पथ

क सिरो की अपका साzwjधारण नागररकरो न भी अपन पराण गिाए दध क उपरात क िषzwjपरभाि इस स भी अवzwjधक भािह थ अथाणत दधोपरात मरन िालि लिोगरो की सखा लिाखरो म थी परमाण बमरो क परोग क पचिात कई िषषो तक उनक विवकरण क भानक आनिावशक िषzwjपरभािरो स निजात वशश परभावित होत रह इस सम विशव क कछ छोट िशरो न भी परमाण शतर परापत कर वलिए ह और उन क नता बड उततवजत िभाि क ह ऐसा परतीत होता ह वक ि अपन काषो क विनाशकारी पररणामरो क परवत उिासीन ह

वि हम आज परमाण दध क वछडन की कलपना कर तो जो वचतर सामन आएगा उस िख कर एक मनषzwj अतत भभीत हो कर काप उठगा आज जो परमाण बम विशव क छोट स छोट िशरो क पास ह ि वदती विशव दध म परोग वकए गए बमरो स भी कही अवzwjधक शनतिशालिी ह

आज ितणमान ससार की ऐसी िनी अिथा ह वक एक ओर लिोग शानत थावपत करन की बात करत ह और िसरी ओर इसक विपरीत ि अहकारी परिवततरो म गरत ह और िभ एि उदणिता क परभािाzwjधीन मिोमतत ह परतक शनतिशालिी राज अपनी शषठता और शनति का परमाण िन क वलिए भरसक परास करन क वलिए ततपर रहता ह वदती विशव दध क उपरात विशव म वचरथाी शानत की थापना हत तथा भविषzwj म दधरो की सभािना को रोकन क वलिए विशव को एकतर होकर एक सगठन का वनमाणण वका वजस सति राषट की सजा िी गई परत ऐसा परतीत होता ह वक वजस परकार लिीग ऑफ नशस (राषटसघ) िभाणगपणण ढग स अपन उदश म विफलि हआ इसी परकार स ति राषट

181ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

सघ क आिर और सममान का विन-परवतविन पतन हो रहा ह वि ा की मागरो को परा न वका गा तो शानत की थापना क वलिए चाह वजतन सगठन बनाए जाए उनक सभी परास विफलि हो जाएग

मन अभी लिीग ऑफ नशस की विफलिता का िणणन वका ह परथम विशव दध क उपरात विशवशानत की सरका क एकमातर उदश क वलिए इस का गठन वका गा था परत ह वदती विशव दध क अशभ आगमन वजसक समबzwjध म म पहलि बता चका ह वक इसक कारण वकतना विनाश और हावन हई को रोकन म विफलि रहा इस दध म जीलिि क भी कई लिोग मार गए कहा जाता ह वक लिगभग 11000 लिोग जो सभी सवनक थ इस दध म मार गए जीलिि दध क कदर स अवत िर होन क कारण साzwjधारण नागररकरो की जान नही गई परत जसा वक म पहलि िणणन कर चका ह सामवहक रप स सवनकरो की अपका वनिवोष नागररकरो को अपन पराणरो स हाथ zwjधोना पडा तवनक कलपना कीवजए साzwjधारण वनिवोष लिोग वजनम असख नतरा और बचच भी शावमलि थ वबना वकसी अपराzwjध क अकारण अzwjधाzwjधzwjध मार गए

इसीवलिए आप वदती विशव दध स सीzwjध तौर पर परभावित िशरो क लिोगरो क हिरो म दध क नाम स ही िाभाविक घणा पाएग िततः िश-परम और िश-भनति की ह माग ह वि उसक िश पर कोई आकरमण होता ह तो एक नागररक का कततणव ह वक िह िश की रका और िततरता क वलिए हर परकार का बवलििान िन क वलिए त ार रह वफर भी वि िाताणलिाप क माधम स और राजनवतक तर पर वििािरो का शानतपणण और मतरीपणण ढग स समाzwjधान समभि हो तो अकारण मत एि विनाश को वनमतरण नही िना चावहए पराचीन कालि क दधरो म

182 विशव सकट तथा शानत-पथ

मखतः सवनक मार जात थ और नागररकरो की नतम हावन होती थी परत आज क दध क साzwjधनरो म हिाई बमबारी विषलिी गस और रासावनक शतर भी शावमलि ह और जसा वक मन कहा ह वक सबस विनाशकारी बम परमाण बम क उपोग की भी परबलि समभािना ह इस दनटि स ितणमान दध पराचीन दधरो स सिणथा पथक ह करोवक ितणमान दधरो म समपणण मानि जावत को zwjधरती स विलिपत करन की शनति विदमान ह इस समबzwjध म शानत थापना हत पवितर कआणन की अनपम वशका का िणणन करना चाहता ह पवितर कआणन म वलिखा ह ः

ldquoऔर पण और पाप बराबर नही हो सकत त बराई का उततर बहत अचछ विहार स ि इस का पररणाम ह वनकलिगा वक िह वनति वजसक और तर मध शतरता पाई जाती ह तर अचछ विहार को िख कर तरा हाविणक वमतर बन जाएगाrdquo

(सरः हा मीम आत ः 35)अतः पवितर कआणन ह वशका िता ह वक परपर शतरता और वििािरो

को थासमभि समापत कर िना चावहए और िाताणलिाप क माधम स उनका समाzwjधान करना चावहए वि आप िाभाि और समझिारी स बात करग तो वननचित रप स िसररो पर इसका सकारातमक एि सखि परभाि पडगा और ह घणा और दष क उमलिन का माधम वसदध होगा

वनसिह हम ितणमान ग म ि को अवत उनत और सभzwj मानत ह हमन विवभन अतराणषटी खराती सथाओ का सगठन वका ह जो बचचरो को िाथ सविzwjधाए और विदा उपलिzwjध कराती ह और माताओ क वलिए भी िाथ सविzwjधा का परबzwjध करती ह इसी परकार कई अ असख खराती अथिा zwjधमाणथण सथाए ह वजनकी थापना मानिजावत क

183ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

परवत सहानभवत एि िा क आzwjधार पर हई ह इतना सब कछ करन क पचिात हम ितणमान की वनतात आिशकता

पर विचार करना चावहए और धान िना चावहए वक हम ि को और अ लिोगरो को विनाश और तबाही स वकस परकार सरवकत रख सकत ह हम ह मरण रखना चावहए वक आज स अथिा सात िशक पिण की तलिना म ितणमान सम का विशव बहत वसमट चका ह साठ ा सततर िषण पिण जीलिि एक िरथ िश समझा जाता था जो एवशा और रोप स अवत िर नथत था परत आज ह िश विशव समिा का एक अवभन अग ह अतः दध की नथवत म कोई िश अथिा कतर सरवकत नही ह

आपक नता और राजनीवतज आपक िश क सरकक ह िश की सरका और उसकी वनरतर परगवत विकास और भलिाई करना उनका उततरिावति ह अतः उनक वलिए आिशक ह वक ि इस महतिपणण तथ को सिि मरण रख वक थानी दधरो क दारा विनाश और तबाही िर-िर तक फलि जाती ह हम इस बात पर परमातमा का zwjधिाि करना चावहए वक उसन अभी कछ महाशनतिरो को बवदध और वििक परिान वका वजसक फलििरप उनह ह समझ आ गई वक विशव को समभावित सिणनाश स बचान क वलिए दध को रोकन की का णिाही करनी चावहए मख रप स रस क राषटपवत न कछ महाशनतिरो को सीररा पर आकरमण करन स रोकन क वलिए भरसक परतन वकए उहरोन ह पटि रप स कहा वक चाह कोई िश छोटा हो ा बडा उसक साथ समान विहार वका जाना चावहए उहरोन ह भी कहा वक वि ा की मागरो को परा न वका गा और वि अ िश अपन अपन तर पर दध म

184 विशव सकट तथा शानत-पथ

सनममवलित हो जात ह तो सति राषट का भी िही िभाणगपणण अत होगा जसा वक राषटसघ का हआ था मरा ह विशवास ह उनका ह विशषण पणणता उवचत ह

दवप म उनकी समत नीवतरो का समथणन नही करता तथावप समझिारी की बात को िीकार करना चावहए काश ि एक किम और आग बढ कर ह कहत वक सति राषटसघ की सरका सवमवत क पाच थाी सिरो को जो िीटो का अवzwjधकार परापत ह उस सिा क वलिए समापत कर विा जाए तावक विशव क समत िशरो क मध िातविक ा और समानता थावपत हो जाए

गत िषण मझ िावशगटन िी सी क कवपटलि वहलि म एक भाषण िन का अिसर विा गा था उस सभा म बहत स सनटरज कागरस क सि विशष सलिाहकार और विवभन िगषो क वशवकत लिोग सनममवलित थ मन पटि रप स उह ह कहा वक ा की माग उसी नथवत म परी हो सकती ह जब सभी िगषो और लिोगरो क साथ समान विहार वका जाए मन ह पटि वका वक वि आप छोट और बड अमीर और गरीब िशरो क अतर को महति िना चाहत ह और िीटो की अापणण शनति को काम रखना चाहत ह तो इसक फलििरप वनचि ही अशानत और वचता िाति म परकट होन लिगी ह

अतः विशववापी मनलिम जमाअत क परमख होन क नात मरा ह कततणव ह वक म शानत थापना क परवत विशव का धानाकषणण कराऊ म इस अपना कततणव समझता ह करोवक इलिाम का अथण ही शानत एि सरका ह वि कछ मनलि म िश घणापणण आतकिािी गवतविवzwjध रो को परोतसावहत करत ह अथिा इनका पालिन करत ह तो इस स ह वनषzwjकषण

185ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

नही वनकालिना चावहए वक इलिाम की वशका अशानत और कलिह को बढािा िती ह मन अभी पवितर कआणन की एक आत का िणणन वका था इसी म ह वशका िी गई ह वक वकस परकार शानत थावपत की जा सकती ह

इसक अवतररति इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न अपन अनावरो को lsquoसलिामrsquo करन अथाणत सिि शानत क सिश का परसार करन की वशका िी हम आप सललाहो अलिवह िसलम क पवितर आचरण स जात होता ह आप सभी गर-मनलिमरो चाह ि हिी हरो ईसाई हरो अथिा वकसी अ zwjधमण ा आथा क मानन िालि हरो पर भी सलिामती भजत थ आप ऐसा इसवलिए करत थ करोवक आप समझत थ वक सभी लिोग परमातमा की सनटि का भाग ह और अलाह का एक गणिाचक नाम lsquoशानत का सोतrsquo भी ह और िह समपणण मानिजावत क वलिए शानत एि सरका चाहता ह

मन शानत क समबzwjध म कछक इलिामी वशकाओ का िणणन वका ह परत म ह पटि करना चाहता ह वक सम क अभाि क कारण मन कछ पकरो का ही िणणन वका ह िाति म इलिाम समत लिोगरो क वलिए शानत एि सरका की वशकाओ और उपिशरो स पररपणण ह ा थावपत करन क समबzwjध म इलिाम की का वशका ह

सरह सखा 5 की आत सखा 9 म अलाह तआलिा कहता ह ःldquoह ि लिोगो जो ईमान लिाए हो अलाह क वलिए मजबती स

वनगरानी करत हए ा क समथणन म साकी बन जाओ और वकसी जावत की शतरता तमह किावप इस बात की ओर परररत न कर वक तम

186 विशव सकट तथा शानत-पथ

ा न करो ा करो ह तकिा क सबस अवzwjधक वनकट ह और अलाह स िरो जो तम करत हो वनसिह अलाह उसस सिा अिगत रहता हrdquo

उपरोति आत म पवितर कआणन ा क उचचतम मापिणिरो को रखावकत करता ह ह आिश उन लिोगरो क वलिए शाका की कोई सभािना नही छोडता जो ि को मसलिमान कहत हए भी अताचार करत ह ह आिश उन लिोगरो क वलिए भी आलिोचना की सभािना को समापत करता ह जो इलिाम को एक उगरिािी और वहसािािी zwjधमण क रप म परतत करत ह पवितर कआणन न ा क और भी उततम मापिणि थावपत वकए ह कआणन न किलि ह वशका िता ह वक तम ा करो अवपत ह समानता का आिश ित हए हा तक कहता ह वक ः

ldquoह ि लिोगो जो ईमान लिाए हो अलाह क वलिए गिाह बनत हए ा को दढता पिणक थावपत करन िालि बन जाओ चाह ि अपन विरदध गिाही िनी पड अथिा माता-वपता और वनकट समबवzwjधरो क विरदध चाह कोई zwjधनिान हो अथिा वनzwjधणन िोनरो का अलाह ही उततम वनरीकक ह अत अपनी अवभलिाषाओ का अनसरण न करो ऐसा न हो वक ा स हट जाओ और वि तमन गोलि-मोलि बात की अथिा मह फर वलिा तो वनसिह जो तम करत हो उसस अलाह बहत अिगत हrdquo

(सरह अ नन सा ः 136)अतः ह ि वसदधातरो पर आzwjधाररत ा क मापिणि वजनक

दारा समाज क वनमनतम तर स लिकर अतराणषटी तर पर और समत

187ितणमान सकट की नथवत म विशव शानत की वनतात आिशकता

विशव म शानत थावपत की जा सकती ह इवतहास इस बात का साकी ह वक इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न इस वशका का पालिन वका और इस विशव क कोन-कोन तक पहचाा अब ितणमान ग म हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क सचच आवशक हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी अलिवहसलिाम जो अहमविा जमाअत क सथापक ह न इस वशका क परसार क वलिए भरपर सघषण वका और अपन अनावरो को शानत का परसार करन की वशका िी आपन अपन अन ा वरो को ह वशका भी िी वक ि परमातमा क परवत और उसकी सनटि क परवत कततणवरो की पवतण की ओर मानिजावत का धानाकषणण कराए

ही कारण ह वक अहमविा जमाअत अलाह क परवत और उसकी सनटि क परवत कततणवरो की पवतण क महति पर तथा ा क उचच मापिणि थावपत करन की आिशकता पर सभी लिोगरो को परबलि उपिश िती ह तावक ह विशव शानत और सौहािण का क दर बन सक

इन शिरो क साथ म अपना भाषण समापत करता ह और मझ आमवतरत करन और हा पzwjधार कर मरा भाषण सनन क वलिए म आपका zwjधिाि करता ह

वनशवक शजनत और सरकजवतािजन यि की खतरनजक सिसयजए

िच पावलिणामट बनन होफहग नीिरलिणि 2015

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज का नीिरलिणि नशनलि पावलिणमणट की वििशी मामलिरो की टनिग कमटी की विशष सभा म सनममवलित होना

नीिरलिणि नशनलि पावलिणामणट की वििशी मामलिरो की टनिग कमटी की सि हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज क साथ

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज नीिरलिणि नशनलि पावलिणामणट म वििशी मामलिरो की सटनिग कमटी की विशष सभा म

अपना एवतहावसक भाषण ित हए

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज राजनीवतक एि zwjधावमणक मामलिरो क कछ पहलिओ क सबzwjध म वकए गए एक परशनरो का उततर ित हए

पररचय

विनाक 6 अकटबर 2015 ई को विशववापी जमाअत अहमविा क इमाम हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज न हॉलिणि की राजzwjधानी हग म नीिरलिणि की नशनलि पावलिणामणट की वििशी मामलिरो की टविग कमटी की विशष सभा म सौ स अवzwjधक महमानरो और सममाननी लिोगरो क सामन एक ऐवतहावसक भाषण विा आोजन क परारभ म वमटर िन बोमलि न पावलिणामणट म हजर अनिर का अवभनिन करत हए कमटी क सिरो स पररच कराा इसक अवतररति उहरोन अ बाहय िशरो क पावलिणामणट क सासिरो विवभनन िशरो क राजित अलबावना करोवशा आरलिणि मोटी नीगरो पन तथा िीिन क परवतवनवzwjधरो का भी अवभनिन वका

वनशवक शजनत और सरकजवतािजन यि की खतरनजक सिसयजए

विनाक 6 अकटबर 2015 ई को हॉलिणि की पावलिणामणट म विा गा भाषण

तशहहि और तअविज क बाि हजरत वमजाण मसरर अहमि खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज न फरमााः

समत आिरणी अवतवथरो की सिा म असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातह आप सब पर अलाह की सरका और बरकत उतर

सिणपरथम म आज क इस आोजन की परबzwjध सवमवत का हाविणक zwjधिाि वति करना चाहता ह वजहरोन आज मझ हा भाषण िन क वलिए आमवतरत वका

आज हम िखत ह वक कछ समाओ को हमार सम की सबस अहम समाओ क तौर पर उजागर वका जा रहा ह उिाहरणता कछ गलिोबलि िावमाग और ऋत पररितणनरो पर बलि ि रह ह तथा कछ

196 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह जो बढ रह वििािरो और विशव की अत-वत पररनथवतरो पर अतत वचता का वशकार ह धानपिणक समीका की जाए तो विशव-शानत और सरका ितणमान ग की सबस बडी समा ह वनसिह हर गजरत हए विन क साथ विशव असतवलित और खतरनाक होता चलिा जा रहा ह इस ितणमान पररनथवत क कछ सभावित कारक ह वजनम स एक िह आवथणक सकट ह वजसन विशव क कई कतररो को परभावित वका ह

एक अ कारण ा और इसाफ का अभाि ह वजस का परिशणन करना कछ सरकार न किलि अपनी परजा क वलिए बनलक अ कौमरो क वलिए भी िzwjध रख हए ह एक अ कारण ह भी हो सकता ह वक कछ zwjधावमणक पशिा अपन िावतिरो को उवचत तौर पर अिा नही कर रह और वनतिगत वहतरो को विशालितम एि उततम वहतरो पर पराथवमकता ि रह ह जहा तक अतराणषटी सबzwjधरो का परशन ह वििािरो का एक बडा कारण अमीर और गरीब िशरो क मध परपर मतभि ह िखा गा ह वक शनतिशालिी िश वनzwjधणनतम िशरो की पराकवतक समपिाओ स उह उनकी अपनी सपवततरो म स िzwjध अवzwjधकार विए वबना लिाभानित होत ह

अतः विशव शानत म विघन क कारणरो की एक लिमबी सची ह वजसम स कछ का िणणन अभी मन वका ह कारण जो भी हरो मझ विशवास ह वक विशव म शानत का अभाि ितणमान नलि की सबस सगीन समा ह सभि ह वक इस पर आप लिोगरो म स कछ लिोग कह वक सिाणवzwjधक अनथरता का वशकार तो मनलिम िश ह और ह वक विशव म शानत क अभाि की जड भी मनलिम जगत की अशानत म

197ितणमान ग की खतरनाक समाए

ही मौजि हशाि आप म स कछ लिोग ह विचार कर वक चवक म भी एक

विशववापी मनलिम जमाअत अथाणत अहमविा मनलिम जमाअत का परबzwjधक ह इसवलिए म भी इस ितणमान नथवत का वकसी सीमा तक उततरिाी ह शाि आप ह भी सोचत हरो वक िश म वहसा दारा करानत लिान का वसदधात मानन िालि ततिरो क अनतति म आन और आतकिाि म िवदध का कारण िाति म इलिामी वशकाओ स ही वलिा गा ह तथावप इलिाम को इस नफरत और अशानत स जोडना बहत बडा अा ह

हा zwjधमषो क इवतहास पर वितत िाताणलिाप करना अभीटि नही परत इतना अिश कहना चाहगा वक वि समत zwjधमषो क इवतहास पर सामा दनटि िालिी जाए तो जात होता ह वक सम क साथ हर zwjधमण क अनाी अपनी मलि वशकाओ स िर होत गए वजसक कारण आतररक मतभि और zwjधावमणक आzwjधार पर गटबिी न जम वलिा बहत अताचार वकए गए और बहत स लिोगरो की जान गई इस िातविकता को दनटिगत रखत हए म पणण हाविणक रप स ह िीकार करता ह वक सम क साथ मसलिमान भी इलिाम की िातविक वशकाओ स िर हो गए ह इसक पररणाम िरप वनराशा और परवतपzwjधाण न जम वलिा वजसक अवतररति पररणाम सामपरिावकता आतक और अा क रप म परकट हए वफर भी एक सचच मसलिमान क दनटिकोण स इलिाम की ििणशा को िख कर मरा ईमान कम नही होता इसवलिए वक चौिह सौ िषण स भी अवzwjधक सम पिण इलिाम क परितणक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलाम न भविषzwjयिाणी की थी वक zwjधीर-zwjधीर

198 विशव सकट तथा शानत-पथ

इलिामी वशकाओ म वबगाड पिा हो जाएगा और मसलिमान नवतक सकट क िौर म परविटि हो जाएग वफर हजरत महममि सललाह अलिवह िसलम न ह भी भविषzwjिाणी की थी वक आधानतमक अzwjधकार क इस िौर म खिा तआलिा एक सzwjधारक को मौऊि मसीह और इमाम महिी की हवसत स अितररत करगा जो इसावनत को इलिाम की िातविक तथा शानत वपर वशकाओ की ओर िापस लिकर आएगा हजरत महममि सललाह अलिवह िसलम की इस भविषzwjिाणी क अनसार हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम न इलिाम की िातविक और पणणता शानत स पररपणण वशकाओ का विव जान परिान वका अतः हम अहमिी मसलिमान ितणमान ग क अशानत और बचनी फलिान िालि ततिरो म सनममवलित नही बनलक हम ि लिोग ह जो विशव म शानत थापना क अवभलिाषी ह

हम तो ि ह जो विशव की नथवत क इलिाज क वलिए परासरत ह हम तो ि ह जो मानिता को स ति करना चाहत ह हम तो ि ह जो हर परकार की नफरतरो और शतरताओ को परम और सहनशीलिता म पररिवतणत करना चाहत ह और वनसिह हम ि लिोग ह जो विशव-शानत को थावपत करन क वलिए हर सभि परास करना चाहत ह एक zwjधावमणक पशिा क तौर पर म कहना चाहता ह वक परपर आरोप-परतारोप तथा परपर भडकान की बजाए हम िातविक और थाी विशव-शानत की थापना क वलिए तार हो जाना चावहए

इस वसलिवसलि म जमाअत अहमविा क परितणक न हम एक सनहर वसदधात स पररवचत करात हए फरमाा वक मानि जावत क वलिए आिशक ह वक िह था-सामथण परास दारा खिा तआलिा की

199ितणमान ग की खतरनाक समाए

विशषताओ को अपन अिर उजागर कर और उनक अनकरण का भरसक परतन कर

आप अलिवहसलिाम न फरमाा वक-मानि जावत की थाी भलिाई एि कलाण क वलिए ह एक

अवनिाण बात ह और वनसिह मानिता का सासाररक और आधानतमक कलाण और उननवत खिा तआलिा की विशषताओ पर विचार करन पर वनभणर ह करोवक उसकी उततम विशषताओ म ही हर परकार की शानत छछपी हई ह ह िातविकता पवितर कआणन की पहलिी आत स परकट ह जहा फरमाा- वक अलाह ही समत लिोकरो का रब (परवतपालिक) ह अथाणत िह परतक मनषzwj बनलक समपणण सनटि का रब अननिाता और काम रहन िालिा ह िह किलि मसलिमानरो का ही रब नही बनलक िह ईसाइरो हविरो तथा वहिओ बनलक समत कौमरो का रब (परवतपालिक) ह चाह ि वकसी भी zwjधमण अथिा आथा स सबzwjध रखती हरो

खिा तआलिा का अपनी सनटि स परम और सहानभवत अवदती और अनपम ह िह रहमान (कपालि) और रहीम (िालि) ह और अमन का उदम भी अतः जब इलिाम मसलिमान स माग करता ह वक िह ि म खिा तआलिा की विशषताओ को उजागर करन का परास कर तो ह वकसी मसलिमान क वलिए सभि ही नही रहता वक िह वकसी की हावन का कारण बन बनलक िातविक मसलिमान का ईमान तो उस पाबि करता ह वक िह मानिजावत स परम कर और परतक मनषzwj क साथ सममान सहानभवत और हमििगी का विहार कर

200 विशव सकट तथा शानत-पथ

एक परशन बार-बार वका जाता ह वक वि इलिाम अमन का zwjधमण ह तो वफर पवितर कआणन म दध की अनमवत करो िी गई चावहए वक इस अनमवत को उसकी सही अगलिी वपछलिी पनतिरो क परसग म रखकर इस बात क आलिोक म समझा जाए जो मन अभी िणणन की ह थाी शानत की थापना आzwjधारभत एि मलि उदश ह इस को पराति करन क वलिए पराः चतािनी और िाट-िपट की भी आिशकता पड जाती ह इसी परकार जब अलाह तआलिा न दध की अनमवत िी तो ह अनमवत किलि अमन को बहालि करन तथा परवतरकातमक उपा क तौर पर थी अतः ह बहत बडा अा ह वक कछ समिा तथा लिोग पवितर कआणन और इलिाम क परितणक सललाह अलिवह िसलम स अा और अताचार को जोडत ह पवितर कआणन तथा हजरत महममि सललाह अलिवह िसलम क जीिन चररतर का वनषzwjपक होकर अधन वका जाए तो जात होता ह वक इलिाम वकसी भी परकार क आतकिाि ा रतिपात क सिणथा विरदध ह

सम का धान रखत हए इसक वििरण म तो शाि न जा सकक परत हा इलिाम की कछ बवनािी वशकाओ का िणणन करता ह जो वनसिह ह वसदध करती ह वक इलिाम एक शानतपणण zwjधमण ह जसा वक मन अभी कहा वक एक आरोप ह लिगाा जाता ह वक इलिाम आतकिाि और लिडाई झगडरो का समथणक ह परत ह आरोप िातविकता क सिणथा विरदध ह पवितर कआणन की सरह अलिबकरः की आत 191 म अलाह तआलिा फरमाता ह-

कोई भी दध किलि इस नथवत म िzwjध हो सकता ह वक िह परवतरकातमक दनटि स लिडा गा हो इसी बात की पनरािवतत सरह

201ितणमान ग की खतरनाक समाए

अलिहजज की आत 40 म भी पटि तौर पर फरमाी-वक लिडाई की अनमवत किलि उनको िी गई ह वजन पर आकरमण वका गा और वजन पर दध लिाि विा गा तथा अलाह तआलिा न जहा इलिामी सरकाररो को दध की अनमवत िी िह किलि इस नथवत म िी वक zwjधावमणक उदश और विचार zwjधारा की िततरता की थापना हो अतः सरह अलिबकरहः की आत 194 म अलाह तआलिा न मसलिमानरो को आिश विा वक वकसी भी ऐस कतर म दध की अनमवत नही जहा zwjधावमणक सवहषzwjणता का िातािरण मौजि हो इसवलिए वकसी भी मसलिमान िश सगठन ा सि को ह अवzwjधकार पराति नही वक िह वकसी भी सरकार ा उसकी जनता क विरदध वकसी भी परकार क अताचार लिडाई और कानन का उलघन करन का भाग बन वबलकलि पटि बात ह वक रोप और पनचिमी िशरो म सरकाररो की नीि zwjधमण पर नही और रो वकसी भी मसलिमान क वलिए िzwjध नही वक िह कानन का उलघन कर ा सरकार का विरोzwjध आतकिाि क रप म कर ा वकसी भी परकार का विदरोह करन िालिा हो इलिाम की िातविक वशका तो ह ह वक वि वकसी गर मनलिम िश म रहन िालि वकसी वनति को लिग वक उस zwjधावमणक िततरता पराति नही तो उस ह अवzwjधकार नही वक िह कानन का उलघन करन पर उतर आए बनलक उस चावहए वक िह वकसी ऐस थान पर वहजरत (परिास) कर जाए जहा पररनथवता अनककलि हरो

पवितर कआणन की सरह अननहलि की आत 127 म इलिामी सरकाररो को आिश विा गा ह वक वि उन पर कभी आकरमण हो जाए तो िह किलि अपनी परवतरका क तौर पर थानककलि उततर ि अतः

202 विशव सकट तथा शानत-पथ

पवितर कआणन की वशका बहत पटि ह वक िणि मलि अपराzwjध क अनसार हो न वक उस स अवzwjधक

सरह अफालि की आत 62 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक वि तमहारा शतर बरी नीत स तम पर आकरमण करन का इरािा रखता ह परत बाि म वफर उपका करत हए सलिह का हाथ बढाता ह तो उसक परताि को तरत िीकार करत हए परपर शानतपणण मतरी की ओर बढो इस बात को न िखत हए वक उनकी नीत कसी ह

पवितर कआणन की ह वशका अतराणषटी अमन और सरका की थापना क वलिए सनहरी वसदधात ह आज क विशव म बहत स उिाहरण मौजि ह जहा कछ िशरो न किलि कलपना पर आzwjधाररत वकसी िश क कालपवनक अताचाररो क विरदध आतकिािी काण-परणालिी गरहण कर लिी मालिम होता ह वक मानो ि इस वसदधात का पालिन कर रह हरो वक शतर पर आकरमण कर िो ऐसा न हो वक िह पहलि कर ि इलिाम की वशका तो ह ह वक शानत की थापना क वकसी भी अिसर को नटि न वका जाए चाह उसकी आशा बहत ही कालपवनक करो न हो पवितर कआणन की सरह अलिमाइिह की आत-9 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक वकसी कौम की शतरता तमह इस बात पर न उकसाए वक तम उस स ा न करो इलिाम वसखाता ह वक पररनथवता चाह कसी ही परवतककलि हरो ा और इसाफ का िामन नही छोडना चावहए दध की नथवत म भी ा और इसाफ की थापना बहत महतिपणण ह तथा दध क पचिात विजता क वलिए आिशक ह वक िह ा स काम लि और कभी भी अनवचत अताचार करन िालिा न हो

203ितणमान ग की खतरनाक समाए

परत आज हम विशव म सहनशीलिता क ऐस उचच नवतक मापिणि विखाई नही ित अवपत दध की समानति पर विजता िश ऐसी पाबविा और परवतबzwjध ित ह जो परावजत िश की उननवत की सभािनाओ को सीवमत करक उन कौमरो की िततरता और सपरभता को अिरदध कर ित ह ऐसी काण-पदधवत अतराणषटी सबzwjधरो म वबगाड का कारण ह और उनका पररणाम असतोष और नकारातमक परभािरो क अवतररति और कछ नही िातविकता ह ह वक थाी अमन तब तक थावपत नही हो सकता जब तक समाज क परतक तर पर ा की थापना न हो जाए इलिाम की एक महतिपणण वशका हम सरह अलिअफालि की आत 68 म वमलिती ह वक मसलिमानरो क वलिए उवचत नही वक दध बविरो को दध क कतर स बाहर लि जाए इसवलिए वहसा दारा करानत लिान क वसदधात को मानन िालि तथा आतकिािी सगठन जो अकारण कविरो को लि जा रह ह ि इलिामी वशका क विरदध आचरण कर रह ह सचनाओ क अनसार ि न किलि किी बना कर लि जा रह ह बनलक उन कविरो पर कठोर अताचार भी करत ह

आतकिािी सगठनरो की ह काण-पदधवत अतत वनिनी ह िसरी ओर पवितर कआणन की वशका ह वक वि दध म किी बना लिन का कोई औवचत हो भी तो उनक साथ नमता का विहार वका जाए और था शीघर उह आजाि कर विा जाए

शानत थावपत करन का एक अ सनहरा वसदधात सरह अलिहजरात की आत 10 म ह िणणन हआ ह वक-वि िो िशरो क मध कोई वििाि हो तो वकसी तीसर िश ा वगरोह को मधथ की भवमका वनभात हए वििाि को परपर सलिह (सनzwjध) दारा हलि करान

204 विशव सकट तथा शानत-पथ

का परास करना चावहए परपर सलिह की नथवत म िोनरो पकरो म स कोई भी पक वि अिzwjध तौर पर सलिह की शतषो की अिहलिना कर तो अ पकरो को स ति होकर अताचारी क वलिए बाzwjधा बनना चावहए चाह इसक वलिए बलि-परोग ही करना पड वफर वि अताचारी पकसि रक जाए तो उसकी भतसणना करन ा उस पर परवतबzwjध लिाग करन की बजाए उस एक िततर िश तथा िततर समाज क तौर पर उननवत करन की अनमवत िनी चावहए ितणमान ग म ह वसदधात बहत महतिपणण ह विशषतः महाशनतिरो और अतराणषटी सगठनरो जस एनओ क वलिए

विशव शानत की थापना क वसलिवसलि म एक और अतत महतिपणण वसदधात जो सासाररक तर पर zwjधावमणक िततरता क िातािरण को थावपत करन की गारटी िता ह पवितर कआणन की सरह अलिहजज की आत 41 म िणणन हआ ह फरमाा- वि दध की अनमवत न िी जाती तो मनजिरो क अवतररति कलिीसा रावहबघर(वगरजाघर) मनिर तथा अ zwjधमषो क उपासना गह सब भकर खतर का वशकार हो जात अतः जहा इलिाम न बलि-परोग की अनमवत िी िह किलि इलिाम को ही नही अवपत zwjधमण को सामातः सरका उपलिzwjध करान क उदश स थी िातविकता ह ह वक इलिाम समत zwjधमषो क वलिए िततरता सवहषzwjणता और सरका की गारटी िता ह तथा हर सि को अपनी इचछा क zwjधमण ा आथा का पालिन करन का अवzwjधकार िता ह मन आपक सामन पवितर कआणन की वशकाओ म स कछ वबि परतत वकए ह जो समाज क परतक तर तथा विशव क परतक भाग म एकता रा म सहमवत पिा करन का मागण परशत करत ह ि सनहर वसदधात

205ितणमान ग की खतरनाक समाए

ह जो पवितर कआणन न शानत थावपत करन क उदश स विशव क लिोगरो को परिान वकए ह ि वशकाए ह वजन पर इलिाम क पगमबर सललाह अलिवह िसलम और आपक सहाबा न विहाररक आिशण परतत वका साराश क तौर पर िोबारा िणणन करता ह वक विशव को अमन और सरका की अतत आिशकता ह ही हमार ग की तातकावलिक और आिशक समा ह समत िशरो तथा समत कौमरो को zwjधमण अथिा वकसी भी अ नाम पर होन िालि अताचार आतक और अा की रोक-थाम क वलिए सति हो जाना चावहए इसम वकसी zwjधमण का हसी-ठटा भी सनममवलित ह वजसक पररणाम िरप बचनी और हतकप होन की सभािना ह तथा ऐस घवणत काण भी वजनक कताण इवतहा पसि समिा होत ह और zwjधमण स औवचत ित ह

इसक अवतररति हम चावहए वक हम समत कौमरोिशरो स ा का विहार कर और उन स सहोग कर तावक परतक िश अपनी ोगताओ को पहचान और उननवत क मागण पर चलिन िालिा हो ईषzwjाण एि तनाि का ितणमान िातािरण िौलित की लिालिसा का पररणाम ह इस बार म भी पवितर कआणन न सनहरी वसदधात िणणन वका वक लिालिच क हाथरो वकसी अ क मालि को हडप न वका जाए इस वशका का पालिन करन क दारा भी विशव-शानत को उननवत पराति हो सकती ह समाज क परतक तर पर ा की मागरो को पणण करना आिशक ह तावक हर वनति रग-ि-नलि म अतर वकए वबना अपन पररो पर सममान और माणिा क साथ खडा हो सक आज हम उननवत पराति िशरो का उननवत शीलि िशरो म पजी वनिश करन क रझान म िवदध विखाई िती ह आिशक ह वक ि ा का परिशणन कर और किलि पराकवतक

206 विशव सकट तथा शानत-पथ

साzwjधनरो तथा कम कीमत पररशवमक को अपन राषटी वहत एि लिाभ क वलिए परोग न करत रह उह इन िशरो स पराति होन िालि लिाभ म स पराः इही िशरो म िोबारा पजी-वनिश क तौर पर लिगा िना चावहए तावक थानी लिोग भी उननवत एि समवदध की ओर चलि सक वि उननवत पराति िश इन वनzwjधणन िशरो की सहाता क उदश स ऐसा कर तो न किलि उन वनzwjधणन िशरो को लिाभ पहचगा अवपत इसक लिाभ िो पकी हरोग इसक दारा परपर विशवास का िातािरण थावपत होगा और ितणमान वनराशा और बचनी म कमी आएगी इस स इस परभाि का वनिारण भी होगा वक महाशनतिा िाथगी ह और वनzwjधणन एि कगालि कौमरो क ससाzwjधनरो स अिzwjध लिाभ पराति करती ह और ह वक इस स थानी ितणमान आवथणक नथवत म सzwjधार होगा और विशव-तर पर जीविका सबzwjधी तथा ितणमान आवथणक नथवत म सzwjधार पिा होगा

इस स वनसिह विशव तर पर परम भाईचारा और वमतरता का िातािरण पिा होगा इसस भी अवzwjधक ह वक ऐसी काण-पदधवत विशव-शानत की थापना की नीि वसदध होगी वि अभी इस ओर धान न विा गा तो विशव की ितणमान नथवत का पररणाम विशव-दध होगा वजसक िषzwjपरभाि भािी नलिरो तक छाए हरोग और हमारी नलि हम कमा नही करगी

इन शिरो क साथ आप स आजा चाहता ह अलाह तआलिा विशव म िातविक शानत परकट कर बहत zwjधिाि

वनशवक अशजनत ि शजनत की कजीटोवको जापान 2015 ई

वनशवक अशजनत ि शजनत की कजीटोवको जापान 2015 ई

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज काटोवको जापान म विशष आोजन म िआ करान का दश

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज टोवको जापान म आोवजत विशष आोजन म पौzwjध को सीचत हए

हजरत खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीजटोवको जापान म आोवजत विशष आोजन म क दरी भाषण ित हए

पररचय

विनाक 23 निमबर 2015 ई को विशववापी जमाअत अहमविा क इमाम हजरत वमजाण मसरर अहमि सावहब खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा वबनवसवहलि अजीज न वहलटन होटलि ओिाइबा टोवको म अपन सममान म आोवजत एक आोजन म अहम भाषण विा इस आोजन म साठ स अवzwjधक परवतनषठत महमान सनममवलित हए इस अिसर पर हजर अिर न सततर िषण पिण वहरोवशमा और नागासाकी पर ह एटमी आकरमणरो क सबzwjध म अपनी परवतवकरा वति की इसस पिण िो ितिाओ वमटर माइक साटा ाओशीको चरमन टोकीबो गरप आफ इिटरीज और 2011 ई क भकमप क अिसर पर सिाणवzwjधक परभावित होन िालि कतर टोहोको स सबzwjध रखन िालि वमटर एणिोशीनी ची न भी िशणकरो म भाषण विा

वनशवक अशजनत ि शजनत की कजी

23 निमबर 2015 थान - वहलटन होटलि टोवको जापान

तशहहि और तअविज क बाि हजरत अमीरलि मोवमनीन खलिीफतलि मसीह पचम अयिहलाह तआलिा न महमानरो को समबोवzwjधत करत हए फरमाा-

असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातहअलाह तआलिा की िा और बरकत आप पर उतर इस अिसर

पर सिणपरथम म समत अवतवथगण का zwjधिाि करना चाहता ह वजहरोन आज क इस आोजन क वलिए हमार वनमतरण को िीकार वका हम एक अतत खतररो और उपदरिरो स भर ग म रह रह ह जहा विशव की नथवत बचनी का बहत बडा कारण ह विशव को अपनी वगरफत म वलिए हए मतभि तथा अशानत अतराणषटी शानत और सरका क वलिए एक खतरा बन गए ह

214 विशव सकट तथा शानत-पथ

मनलिम जगत पर एक दनटि िालि तो बहत स िशरो की सरकार अपन ही नागररकरो क साथ अताचारपणण अराजकता म गरत ह अzwjधाzwjधzwjध अताचार और रतिपात इन िशरो क ताना-बाना को तबाह कर रह ह पररणामिरप आतकिािी सगठन सतता म पिा होन िालिी ररतिता का अनवचत लिाभ उठात हए कछ थानरो पर कजा करक अपनी नाम मातर सरकार बना बठ ह ि अतत वहसक पशओ जसी काण परणालिी क दारा किलि अपन िशरो म ही अमानिी अताचार नही ढा रह अवपत उन की पहच रोप तक भी हो गई ह वजस का एक उिाहरण वनकट ही पररस क आकरमण म वका गा अताचार और जलम ह

पिगी रोप को िख तो रवशा करन तथा कछ अ रोपी िशरो क परपर अताचार बढत चलि जा रह ह इसक अवतररति एक अमररकन दधपोत िवकणी चीन सागर म जा वनकलिन स अमरीका और चीन क मध भी तनाि म िवदध हई ह वफर आप जानत ही ह वक चीन और जापान क मध वििावित दीपरो पर वचरकालिीन ितािास सबzwjधी तनाि मौजि ह

भारत और पावकतान क मध कशमीर समा मतभि का एक थाी कारण ह और इसम बहतरी का भी कोई उपा नही इसी परकार इसाईलि और वफवलितीन का तनाि भी परिश की शानत को तबाह वकए हए ह

अफीका म कछ आतकिािी सगठनरो न कछ कतररो पर कजा और अवzwjधकार पराति करक विशालि तर पर तबाही और बरबािी मचा रखी ह ह तो बहत सी समाओ म स कछ का िणणन वका गा ह

215िनशवक अशानत म शानत की कजी

वजनका इस सम विशव को सामना ह अथा विशव म अशानत और तनाि फलिन क और बहत स उिाहरण मौजि ह

अतः िह एकमातर वनषzwjकषण वजस पर हम पहचत ह िह ही ह वक विशव इस सम अताचार और अशानत की लिपट म ह आzwjधवनक ग म लिडाई-झगडरो का तर पिण गरो की अपका बहत वापक ह विशव क वकसी एक कतर क परपर झगड थानी तर तक ही सीवमत नही रहत अवपत उनक परभाि और पररणाम बहत िर तक फलित ह

समा मीविा क आzwjधवनक और शीघरगामी माधमरो न विशव को एक गलिोबलि विलिज बना विा ह पहलि समरो म दध का सबनzwjधत सगठनरो तक सीवमत रहना सभि था वकत अब परतक झगड और दध क पररणाम िातविक रप स विशव तर पर परकट होत ह िाति म म तो कई िषषो स विशव को सतकक कर रहा ह वक इस िातविकता को जान लि वक अब वकसी एक िश म होन िालिा दध विशव क िसर िशरो क अमन और शानत पर परभािी होगा

बीसिी शतािी म होन िालि िोनरो विशव दधरो पर दनटि िालि तो जात होता ह वक उस सम म उपलिzwjध दध क शतर ितणमान सम क शतररो और अतररो की तलिना म इतन आzwjधवनक तथा घातक न थ इसक बािजि कहा जाता ह वक किलि वदती विशव दध म ही सात करोड लिोग मर वजनम स बहत सी सखा वनिवोष नागररकरो की थी अतः परतक ग म विनाश और बरबािी की सभािना की कलपना करना भी कवठन ह वदती विशवदध क सम अमरीका क ऐटमी हवथाररो की शनति आzwjधवनक सम क नलिर हवथाररो की तलिना म कछ भी न थी अब नलिर हवथार किलि महा शनति कहलिान िालि िशरो क

216 विशव सकट तथा शानत-पथ

पास ही मौजि नही अवपत कछ छोट िश भी इह रखत ह जहा विशव की महाशनतिा इन हवथाररो को किलि एक परवतरका क तौर पर रख हए ह िहा इस बात की कोई गारटी नही वक छोट िश भी ऐसा ही कर और हम ह विशवास नही कर सकत वक ि उह इतमालि नही करग अतः इसम कोई सिह नही की विशव विनाश क मख पर खडा ह

वदती विशव महादध क अवतम चरणरो म आप की कौम को भी एक अकलपनी विनाश और बरबािी क आघात को सहन करना पडा जब आपक लिाखरो नागररकरो को वनिणतापिणक मार विा गा तथा आपक िो शहररो को ऐस नलिर आकरमण स वमटा विा गा वक वजस पर मानिता भी लिनजजत ह ऐसी भकर िघणटना क अिलिोकन तथा अनभि स गजर कर जापानी कौम कभी नही चाहगी वक ऐसा आकरमण जापान म अवपत विशव क वकसी भी िश म िोहराा जाए आप ि लिोग ह जो नलिर दध क विनाशकारी परभािरो स भलिी भावत पररवचत ह आप ि ह जो जानत ह वक ऐस घातक हवथाररो स पिा होन िालि िषzwjपररणाम किलि एक नलि तक सीवमत नही अवपत भािी नलिरो तक छाए रहत ह आप िह कौम ह जो नलिर हवथाररो क अतल िषzwjपररणामरो की गिाही ि सकत ह इसवलिए जापावनरो स बढकर कोई कौम नही जो विशव शानत एि सरका क महति को पहचानती हो

ह zwjधिाि का अिसर ह वक जापान उस नथवत स गजर कर अब एक अतत उननवत पराति कौम ह और रो अपन भतकालि को दनटिगत रखत हए आिशक ह वक जापान विशव-शानत थावपत करन म अपनी भवमका अिा कर दवप ह खिजनक बात ह वक वदती

217िनशवक अशानत म शानत की कजी

विशव दध की समानति पर जापान पर ऐसी पाबविा और परवतबzwjध लिगा विए गए वजन क पररणाम िरप आप की कौम अतराणषटी वसफाररशरो क वनzwjधाणरण म कोई विशष किम नही उठा सकती वफर भी आपका िश अब भी अतराणषटी समाओ और राजनीवतक मामलिरो म एक महतिपणण भवमका अिा करता ह इसवलिए आपको अपन परभाि एि पहच को उततम रप स काम म लिात हए कौमरो और िशरो क मध शानत थावपत करन का परास करना चावहए

इस िषण इवतहास क उन िहवशाना विनरो पर सततर िषण हो गए जब हीरोवशमा और नागासाकी पर एटमी बमबारी करक आप की कौम को विनाश कटि और अताचार का लिक बनाा गा चवक आप न उस विनाश और बरबािी का सही वचतरण करन क उदश स मवजम बना रख ह और चवक इस एटमी बमबारी क कछ परभाि आज भी जारी ह इसवलिए जापानी कौम लिडाई-झगड क िषzwjपरभािरो को समझ सकती ह जसा वक मन साकवतक तौर पर िणणन वका ह वक आप पर गजरन िालिी उस तरासिी का एक भाग ह भी ह वक दध क पचिात जापान पर अनािशक और अापणण परवतबzwjध भी लिगा विए गए कई िशक गजरन क साथ-साथ ह परवतबzwjध भी दध क विनाशकारी परभािरो को थाी तौर पर मरण करान क वलिए रह हरोग

जापान पर एटमी आकरमण क सम िसर खलिीफा जो उस सम इमाम जमाअत अहमविा थ न उन आकरमणरो की घोर वनिा करत हए फरमाा

ldquoहमारी zwjधावमणक एि नवतक वशकाए हम स माग करती ह वक हम विशव क समक घोषणा कर वक हम इस िहवशाना कत और रतिपात

218 विशव सकट तथा शानत-पथ

को वकसी भी नथवत म उवचत नही समझत मझ इसकी वबलिकलि परिाह नही वक कछ सरकार मर इस बान को अवपर दनटि स िखrdquo

हजरत खलिीफतलि मसीह वदती (रवज) न इसक अवतररति फरमाा वक उह भविषzwj म लिडाई झगड म कोई कमी होती नही विखाई िती बनलक उह अताचार और अारो म िवदध होती विखाई िती ह आज उन की चतािनी पणणता उवचत वसदध हो गई ह दवप तती विशवदध की कोई वनवमत रप स घोषणा तो नही की गई वकत िाति म एक विशव दध इस सम जारी ह समपणण विशव म परष तरी तथा बचचरो तक को हिवििारक अताचाररो का लिकण बनाा जा रहा ह और मारा जा रहा ह

जहा तक हमारा सबzwjध ह तो मनलिम जमाअत अहमविा न हमशा हर परकार क अताचार और अा की वनिा की ह चाह ह विशव क वकसी भी भाग म हो करोवक इलिामी वशका की माग ह वक हम अा क विरदध आिाज उठाए और मोहताज अताचार पीवडत िगण की सहाता कर मन अभी िणणन वका ह वक हजरत खलिीफतलि मसीह वदती (रवज) न वकस परकार वबना रोक-टोक जापान पर होन िालि एटमी आकरमणरो की वनिा की थी अवतररति ह वक एक परवसदध एि खावत पराति अहमिी मसलिमान जो विशव तर पर बहत परभाि और पठ रखत थ न जापान और उसकी जनता की सहाता करन का दढ सकलप वका मरा सकत सर चौzwjधरी जफरलाह खान सावहब की ओर ह जो बहत स अतराणषटी मख पिरो पर आसीन रहन क अवतररति पावकतान क परथम वििश मतरी थ और बाि म स ति राषट की जनरलि एसमबलिी क परजीिणट भी रह वदती विशवदध क पचिात उहरोन कछ

219िनशवक अशानत म शानत की कजी

सरकाररो की ओर स जापान पर अा पणण परवतबzwjध लिगान की घोर वनिा की 1951 ई म सानफावसको म होन िालिी Peace Summit म पावकतानी परवतवनवzwjध मणिलि क मख परवतवनवzwjध क तौर पर चौzwjधरी जफरलाह खान सावहब न कहा-

ldquoजापान क साथ शानत थापना की नीि ा और सलिह पर रखी जाए न वक अताचार और अा पर भविषzwj म जापान अपन राजनीवतक एि सामावजक ढाच क सzwjधाररो पर एक अतािशक भवमका अिा करगा जो उननवत की पटि गारटी ह और जो जापान को शानतवपर िशरो की पनति म समानता का थान विलिा सकती हrdquo

उन का भाषण पवितर कआणन की वशकाओ और इलिाम क पगमबर सललाह अलिवह िलम की सननत क आलिोक म था इलिाम की िातविक वशकाओ को आzwjधार बनात हए उहरोन बताा वक वकसी दध म विजता को कभी परावजत परवतदिी पर ऐस अनवचत परवतबzwjध नही लिगान चावहए जो भविषzwj म उसकी उननवत और समवदध म बाzwjधक हरो

चौzwjधरी जफरलाह खान सावहब न ह ऐवतहावसक बान जापान क समथणन म विा करोवक एक अहमिी मनलिम की हवसत स िह किलि पावकतान की सरकार क परवतवनवzwjध ही न थ अवपत इसस भी बढकर िह इलिाम वक सिवोतकटि वशकाओ का परवतवनवzwjधति कर रह थ

जसा वक म पहलि भी िणणन कर चका ह वक आप िह कौम ह जो लिडाई-झगड क िषzwjपररणामरो को वकसी भी अ कौम स अवzwjधक समझ सकत ह अतः जापानी सरकार को हर सभि उपा तथा हर तर पर हर परकार क अमानिी विहार अताचार और अा का मकाबलिा करत हए उसका वनिारण करना चावहए उस चावहए वक इस

220 विशव सकट तथा शानत-पथ

बात क वलिए परासरत रह वक जो पशओ जसा आकरमण उन पर हआ िह कभी भी कही भी न िोहराा जाए

जहा कही भी दध क बािलि मिलिा रह हरो जापानी नताओ तथा जनता को तनाि कम करन और शानत थावपत करन क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए जहा तक इलिाम का सबzwjध ह कछ लिोगरो की दनटि म ह एक अताचारी और आतकिािी zwjधमण ह ि अपन इस विचार की बवनाि इस बात पर रखत ह वक इलिामी जगत म लिडाई-झगड और आतकिाि क ग का िौर ह

तथावप उन क दनटिकोण पणणता िातविकता क विरदध ह िाति म इलिाम की शानत वपर वशकाओ की विशव क इवतहास म कोई तलिना नही इसीवलिए हजरत खलिीफतलि मसीह वदती रवज और चौzwjधरी महममि जफरलाह खान सावहब रवज न आप की कौम पर हो रह अताचाररो क विरदध जोरिार आिाज उठाई

अब म इलिाम की िातविक वशकाओ को बहत सवकति रप म िणणन करना चाहगा इलिाम का एक आzwjधारभत वसदधात तो ह ह वक वकसी भी ऐस दध का कोई औवचत नही जो भौगोवलिक राजनीवतक आzwjधाररो पर ा पराकवतक समपिाओ पर अवzwjधकार करक आवथणक लिाभरो को पराति करन क उदश स वका जाए इसक अवतररति पवितर कआणन की सरह अननहलि की आत 127 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक दध की नथवत म कोई भी िणि मलि अपराzwjध क अनसार हो न वक िzwjध सीमा स बढ कर पवितर कआणन ही की वशका ह वक दध क पचिात कमा कर िना और zwjधण का परिशणन करना उततम ह

इसी परकार पवितर कआणन की सरह अलि अफालि की आत 62

221िनशवक अशानत म शानत की कजी

म फरमाा वक जहा िो सिरोपकरो क सबzwjधरो म िराड आ गई हो और दध की त ारी की जा रही हो वि कोई एक सिपक सलिह करना चाह तो िसर सिपक पर अवनिाण ह वक िह उस परताि का िागत कर और अलाह पर भरोसा रख पवितर कआणन फरमाता ह- वकसी एक सिपक को िसर सिपक की नीत पर कzwjधारणा नही रखनी चावहए अवपत हमशा सलिह और परपर समझौता करन का मागण तलिाश करना चावहए कआणन की ह वशका अतराणषटी शानत को थावपत करन क वलिए एक मलि वसदधात ह

सरह अलिमाइिः की आत-9 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक- वकसी कौम की शतरता तमह इस बात पर न उकसाए वक तम ा और इसाफ की मागरो पर समझौता कर लिो अवपत इलिाम तो ह वसखाता ह वक वकसी भी पररनथवत म चाह कसी ही कवठनाइा सामन हरो ा और इसाफ की मागरो का िामन दढता पिणक थाम कर रखा जाए वनसिह ा ही ह जो सबzwjधरो म अचछाई का कारण होता ह और असफलि होन क अहसास तथा दध क कारणरो को िर करन का कारण हो सकता ह सरह अननर की आत 34 म पवितर कआणन फरमाता ह वक वि दध क पचिात कविरो को आजाि करन क वलिए उन पर कोई आवथणक िणि लिगाओ तो शतत उवचत होनी चावहए तावक ि उस सविzwjधा पिणक अिा कर सक और वि उस वकशतरो म िसलि वका जाए तो उततम ह

शानत-थावपत करन का एक सनहरी वसदधात जो सरह अलिहजरात की आत 10 म ह भी िणणन हआ ह फरमाा वक-वि िो वगरोहरो क मध तनाि हो तो कोई तीसरी कौम ा वगरोह मधथ की भवमका अिा कर और परपर शानतपणण समझौत की नथवत पिा करन का परास

222 विशव सकट तथा शानत-पथ

कर परपर सलिह की नथवत म िोनरो सिरोपकरो म स कोई भी वि अिzwjध तौर पर सलिह की शतषो क विरदध काण कर तो अ सिरो को सति होकर अताचारी क वलिए बाzwjधक बनना चावहए चाह उसक वलिए बलि का परोग ही करो न करना पड वफर वि अताचारी सिपक रक जाए तो उस पर परवतबzwjध लिगान की बजाए उस एक आजाि कौमिश और आजाि समाज क तौर पर उननवत करन की अनमवत िनी चावहए ितणमान सम म ह वसदधात बहत महति रखता ह विशषतः महा शनतिरो और अतराणषटी सगठनरो उिाहरणता एनओ क वलिए वि इन मलरो पर आजापालिन परारभ कर विा जाए तो विशव म िातविक शानत और ा थावपत हो सकता ह तथा अनािशक असतोष और विफलिता का अहसास ि समाति हो जाएगा

इसी परकार अ बहत स कआणनी आिश ह जो विशव म शानत थावपत करन तथा लिडाई-झगड क वनषzwjध की ओर मागणिशणन करत ह हमार रहमान और रहीम खिा न शानत की कजी इसवलिए परिान की करोवक िह चाहता ह वक उसकी सनटि परपर एकता क िातािरण म रह और हर परकार की नफरत और दष स मति हो

अतः इन बातरो क साथ म आप सब स वनििन करता ह वक अपनी पठ और पहच को परोग म लिात हए विशव म अमन और परपर एकता क वलिए परास कर हमारा सामवहक िावति ह वक विशव म जहा कही भी अशानत और तनाि ह हम ा क वलिए आिाज उठाए और शानत थावपत करन क वलिए परास कर तावक हम िस भकर दध स सरवकत रह सक जो आज स सततर िषण पिण लिडा गा था वजसक विनाशकारी परभाि कई िशकरो पर छाए हए थ अवपत

223िनशवक अशानत म शानत की कजी

आज तक महसस वकए जात ह दवप सीवमत तर पर एक विशवदध का परारभ हो चका ह परत हम चावहए वक हम अपन िावतिरो को था सम वनभाए ऐसा न हो वक कही उसक परभाि फलिकर विशव को अपनी लिपट म लि लि और ि रति बहान िालि और घातक हवथार िोबारा परोग हरो जो हमारी भािी नलिरो को तबाह कर ि

अतः आइए सब वमलिकर अपन िावतिरो को वनभाए विरोzwjधी सगठन बनान की बजाए हम सब को एकमत होकर परपर सहोग करना चावहए हमार पास अब कोई और चारा नही करोवक वि तती महादध वनवमत रप स आरभ हो गा तो उसक पररणामिरप आन िालिा विनाश और बरबािी क वसलिवसलिरो की कलपना भी असभि ह वनसिह ऐसी नथवत म अतीत क दध इस की तलिना म बहत साzwjधारण महसस हरोग

मरी िआ ह वक विशव इस नथवत की कठोरता को समझ इसस पिण वक विलिमब हो जाए मानिजावत खिा तआलिा क सामन झकत हए उसक अवzwjधकाररो तथा आपसी अवzwjधकाररो को अिा करन लिग

अलाह तआलिा उह समझ और वििक परिान कर जो zwjधमण क नाम पर अशानत का िातािरण पिा कर रह ह तथा उह भी जो अपन आवथणक वहतरो क उदश स भौगोवलिक एि राजनीवतक दध कर रह ह काश उह जात हो जाए वक उनक उदश वकतन अनवचत और विनाशकारी ह खिा कर वक विशव क हर कतर म वचरथाी शानत थावपत हो आमीन

इन वनििनरो क साथ म आप का एक बार पनः आभार वति करता ह वक आप इस आोजन म पzwjधार बहत zwjधिाि

मवशव क मवमशटि नतजओ क नजि पत

आदरणीय पोप बमनमिकट XVI क नजि पत

229विशि क नताओ क नाम पतर

31 अतिबर 2011मािर पोप बवनविकट XVI

मरी िआ ह वक अललिाह तआलिा आप पर अपनी कपा और बरकत उतार विशिवापी जमाअत अहमविा क पशिा होन क नात म मािर की सिा म पवितर कआणन का ह सिश पहचाता ह वक ldquoह अहलि वकताब (कम स कम) एक ऐसी बात की ओर आ जाओ जो हमार और तमहार मध समान ह (और िह ह ह) वक हम अललिाह क अवतररकत वकसी की उपासना न कर और वकसी को उसका भागीिार न बनाए और न हम अललिाह को छोडकर आपस म एक-िसर को रब बनाा करrdquo

इलिाम आजकलि विशि की करोवzwjधत दनटि का वशकार ह तथा वनरतर आरोपरो का वनशाना बनाा जा रहा ह जो लिोग आरोप लिगात ह ि इलिाम की िातविक वशकाओ का अधन वकए वबना ऐसा करत ह िभाणग स कछ मसलिमान सगठनरो न भी किलि अपन वनतिगत वहतरो की पवतण क वलिए इलिाम को वबलकलि गलित ढग म परतत वका ह पररणामिरप पनचिमी तथा गर मनलिम िशरो क हिरो म इतनी अवzwjधक अविशिास की भािना पिा हो गई ह वक वशवकत लिोग भी इलिाम क परितणक हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम क विरदध वनराzwjधार आरोप लिगात ह

परतक zwjधमण का उदश मनषzwj को अललिाह क वनकट लिाना ह और मानिी

230 विशव सकट तथा शानत-पथ

मलरो को थावपत करना ह वकसी भी zwjधमण क परितणक न कभी भी अपन अनावरो को ह वशका नही िी वक ि िसररो क अवzwjधकाररो को हडप लि और अताचारपणण विहार कर अत मसलिमानरो क एक छोट और गमराह िगण क िषzwjकमषो को इलिाम और उसक पवितर परितणक पर परहार क बहानरो क तौर पर परोग नही वकए जान चावहए इलिाम हम समत zwjधमषो क पगमबररो (अिताररो) का सममान करन की वशका िता ह अत समत मसलिमानरो क वलिए उन समत पगमबररो वजनम हजरत स मसीह भी सनममवलित ह वजनका िणणन पवितर बाइबलि ा पवितर कआणन म ह पर ईमान लिाना आिशक ह हम हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम क बहत तचछ िास ह इसवलिए हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम पर वकए जान िालि परहाररो स हम बहत िख और आघात पहचता ह परत हम वनरतर आपस क उचच आचरण को विशि क समक परतत करक तथा पवितर कआणन की स िर वशकाओ को परकट करक उततर ित ह

वि कोई व नति वकसी विवशटि वशका का पालिन नही करता जबवक ि को उसकी ओर समबदध करन का िािा करता ह तो ह उसकी गलिती ह न वक वशका की इलिाम शि क अथण ही शान त परम और सरका क ह ldquozwjधमण क मामलि म कोई जबरिती नहीrdquo ह इलिाम का पषzwjट आिश ह पवितर कआणन बार-बार आगरहपिणक परम सहानभवत शान त मतरी एि त ाग की वशका िता ह तथा बार-बार ह कहता ह वक जो स म zwjधारण नही करता िह अलाह स िर ह और िह इलिामी वशकाओ स भी िर ह अत वि कोई व नति इलिाम को एक अतत उगर और वहसक और उसकी वशकाओ को रतिपात पर आzwjधाररत समझता ह तो उस का िा तविक इलिाम स कोई सबzwjध नही

अहमविा मनलिम जमाअत किलि िातविक इलिाम पर काणरत ह तथा किलि अललिाह तआलिा की परसनता क वलिए काण करती ह वि वकसी वगरजा अथिा वकसी अ उपासना थलि को सरका की आिशकता पड तो ि हम इस

231विशि क नताओ क नाम पतर

काण क वलिए कzwjध स कzwjधा वमलिाकर अपन साथ खडा पाएग वि हमारी मनजिरो स वकसी सिश की आिाज गजती ह तो िह किलि ह होगी वक अललिाह सब स महान ह और हम ह गिाही ित ह वक उसक अवतररकत कोई भी पजनी नही तथा महममि म तफा सललाहो अलिवह िसलम अललिाह क रसलि ह

एक कारण जो विशि-शानत को भग करन म महतिपणण भवमका वनभाता ह िह ह ह वक कछ लिोग ह समझत ह वक ि बवदधमान उचच वशका परापत और पणण िततर ह तथा ि zwjधमषो क परितणकरो पर उपहास और अवभहास करन म पणणतः आजाि ह समाज म शानत को थाित रखन क वलिए परतक वनति का कततणव ह वक िह अपन हि स समत विरोzwjधी भािनाओ को समापत कर और अपनी सवहषzwjणता एि सहनशीलिता क तर को बढाए परपर एक िसर क zwjधमषो क पगमबररो क आिर-सममान की परवतरका करन की आिशकता ह विशि अशानत और बचनी क िौर स गजर रहा ह ह नथवत इस बात की माग करती ह वक परम और हमििगी का िातािरण पिा करत हए हम उस भ और अशानत को समापत कर हम परम और शानत क सिश को अपन चाररो ओर पहचाए तथा हम पहलि स बढकर एकतापिणक तथा उततम रप म जीिनापन कर तथा मानिी मलरो को पहचान

आज विशि म छोट तर पर दध आरभ हो रह ह िसरी ओर महा शनतिा विशि-शानत थावपत करन का िािा कर रही ह अब ह बात वकसी स भी वछपी नही वक परतकत हम एक बात बताई जाती ह परत पिद क पीछ गपत रप स उनक िसर एजणि और नीवता परी की जा रही होती ह परशन ह ह वक का ऐसी पररनथवतरो म विशि शानत थावपत हो सकती ह म बड खि क साथ कहता ह वक वि हम ससार की ितणमान पररनथवतरो को वनकट स िख तो हम जात होगा वक एक और विशिदध की नीि रखी जा चकी ह वि वदती विशव-दध क

232 विशव सकट तथा शानत-पथ

पशचात ा पर आzwjधाररत समानता क मागण को अपनाा जाता तो हम विशि की ह ितणमान नथवत न िखत जो वक पनः दध की अनगन की लिपट म आ चकी ह पररणामिरप विशि क कई िशरो क पास परमाण हवथार ह परपर दष और शतरताए बढ रही ह और विशि विनाश क वशखर पर बठा हआ ह वि जनता क विनाश क हवथार फट पड तो कई भािी पीवढा थाी परकार की विकलिागता की वशकार होन क कारण ि हम कभी कमा नही करगी विशि क पास सषzwjटा और सनटि क अवzwjधकाररो को अिा करन का अभी भी सम ह

मरा विशिास ह वक अब विशि की उनवत पर धान िन की बजाए ह वनतात आिशक ह वक विनाश स बचान क वलिए अपन परासरो को तीवर कर इस बात की अतत आिशकता ह वक मनषzwj अपन सषzwjटा को पहचान करोवक मानिता क जीवित रहन की किलि ही गारटी ह अथा विशि तीवरता क साथ अपन विनाश की ओर जा रहा ह वि आज मनषzwj शानत थावपत करन म सफलि होता ह तो िसररो क िोषरो को खोजन की बजाए उस अपन अिर क शतान को वनतरण म रखन का परतन करना चावहए अपनी बराइरो को िर करक एक वनति ा का आशचणजनक उिाहरण परतत कर सकता ह म विशि को वनरतर मरण कराता ह वक िसररो क परवत घोर शतरताए मानिी मलरो को पणण रप स समापत कर रही ह और इस परकार विशि को विनाश की ओर लि जा रही ह

चवक आपकी आिाज विशि म एक परभाि रखती ह म आपस भी आगरह करता ह वक इस विशालि ससार को बता ि वक पराकवतक सतलिन जो खिा न थावपत वका ह उसम हतकप करत हए ि तीवरता क साथ विनाश की ओर जा रह ह इस सिश को पहलि स अवzwjधक वापक और विशष रप स पहचान की आिशकता ह विशि क समत zwjधमषो को zwjधावमणक समि की आिशकता ह और विशि क सभी लिोगरो को परम सहानभवत एि भरातति की भािना पिा करन

233विशि क नताओ क नाम पतर

की आिशकता ह मरी ह िआ ह वक सब अपन िावतिरो को समझ और शानत की थापना परम और ससार म अपन सटिा को पहचानन क वलिए अपनी भवमका वनभाए हम ि िआ कर और अललिाह तआलिा स वनरतर ाचना कर वक िह विशि क इस विनाश को टालि ि म िआ करता ह वक हम उस विनाश स सरवकत रह जो हमारी परतीका म ह

मिजजा िसरर अहिद अहमविा मनलिम जमाअत क पचम खलिीफा विशिवापी जमाअत अहमविा क इमाम

इसजईल क पिजनिती क नजि पत

237विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहमबजावमन नत ाह परzwjधानमतरी इसाईलि रोशलिम

26 फरिरी 2012पार परzwjधानमतरी जी

मन ितणमान सम म परकट होन िालि खतररो स भरी पररनथवतरो पर आzwjधाररत एक पतर महामवहम वशमोन परज परजीिट इसाईलि को भी भजा ह बडी तीवरता स पररिवतणत हो रही पररनथवतरो क सिभण म मन ह महसस वका वक ह वनतात आिशक ह वक म अपना सिश आप तक भी पहचाऊ करोवक आप िश की सरकार क परमख ह

आप क राषट का इवतहास नबवित और खिा की िाणी (िहयी) स सलिगन रहा ह बनी इसाईलि क नवबरो न आप क िश क भविषzwj क सबzwjध म बडी पटि भविषzwjिावणा की थी िाति म बनी इसाईलि क नवबरो की वशकाओ की अिजा तथा उनकी भविषzwjिावणरो की अिहलिना करन क पररणामिरप बनी इसाईलि को कठोर कषzwjटरो का सामना करना पडा था वि आप क िश क नता नवबरो की आजाओ का पालिन दढतापिणक करत तो ि विवभन आपिाओ और कवठनाइरो स बचाए जात अत किावचत िसररो की अपका आपका अवzwjधक कततणव ह वक नवबरो की भविषzwjिावणरो और आिशरो की ओर धान ि

म मसीह मौऊि और इमाम महिी का खलिीफा होन क नात आप स समबोवzwjधत

238 विशव सकट तथा शानत-पथ

ह वजनको हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम की गलिामी म भजा गा और हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम को बनी इसाईलि क बzwjधओ म हजरत मसा की तरह समपणण मानिजावत क वलिए साकात िा बनाकर भजा गा था (िटरोनामी 1818) इसवलिए खिा का सिश मरण कराना मरा कततणव ह मझ आशा ह वक आप की भी गणना उन लिोगरो म होगी जो खिा की आिाज सनत ह और जो सफलितापिणक सीzwjधा मागण ढढ लित ह िह मागण जो वक महान और सिणशषzwjठ पथिी और आकाश क िामी खिा की ओर लि जान िालिा मागण ह

अखबाररो म हम आजकलि ऐसी ररपोटर सनत ह वक आप ईरान पर आकरमण करन की त ाररा कर रह ह जबवक विशि दध क भािह पररणाम आपक सामन ह वदती विशि दध म जहा अ लिाखरो लिोग मार गए िहा हजाररो हविरो क पराण भी गए परzwjधानमतरी होन की दनटि स अपन िश की जनता की रका करना आपका कततणव ह विशि की ितणमान पररनथवता ह परकट करती ह वक अब एक और विशि दध किलि िो िशरो क मध नही होगा अवपत विवभन लिाक बन जाएग विशि दध वछडन का खतरा अतवzwjधक गभीर ह मसलिमानरो ईसाइरो और हविरो आवि सभी क जीिन खतर म ह वि ऐसा दध आरभ होता ह तो ह मानि क शखलिाबदध विनाश का कारण होगा इस भकर विनाश क परभाि भािी पीवढरो तक हरोग जो ा तो विकलिाग पिा हरोगी ा अपावहज इसका कारण ह ह वक ऐस दध म वनःसिह परमाण हवथाररो का परोग होगा अत मरा आप स ह वनििन ह वक विशि को एक विशि दध म झरोकन की बजाए विशि को थासभि विनाश स बचान का परतन कर शनति दारा वििािरो का समाzwjधान करन क थान पर िाताणलिाप क दारा उनका समाzwjधान करन का परास करना चावहए तावक हम अपनी भािी पीवढरो को बतौर उपहार एक उजिलि भविषzwj ि न वक हम उह विकलिागताओ जस िोषरो को उपहार ि

म अपन विचाररो को आपकी zwjधावमणक वशकाओ पर आzwjधाररत उदधरणरो दारा पषzwjट करन का परास करगा पहलिा उदधरण lsquoजबरrsquo (भजन सवहता) स वलिा

239विशि क नताओ क नाम पतर

गा ह - ldquoकमवमणरो क कारण मत कढ कवटलि काम करन िालिरो क विष म िाह न

कर करोवक ि घास क समान झट कट जाएग और हरी घास क समान मझाण जाएग होिा पर भरोसा रख और भलिा कर िश म बसा रह और सचचाई म मन लिगाए रह होिा को अपन सख का मलि जान और िह तर मनोरथरो को परा करगा अपन मागण की वचता होिा पर छोड और उस पर भरोसा रख िही परा करगा िह तरा zwjधमण जोवत क समान और तरा ा िोपहर क उवजालि क समान परकट करगा होिा क सामन चप-चाप रह और zwjधीरज स उसकी परतीका कर उस मनषzwj क कारण न कढ वजसक काम सफलि होत ह और िह बरी नतिरो को वनकालिता ह

करोzwjध स पर रह और जलिजलिाहट को छोड ि मत कढ उसस बराई ही वनकलिगी करोवक ककमगी लिोग काट िालि जाएग और जो होिा की बात जोहत ह ि पथिी क अवzwjधकारी हरोग थोड विन क बीतन पर िटि रहगा ही नही और त उसक थान को भलिी भावत िखन पर भी उसको न पाएगा परत नम लिोग पथिी क अवzwjधकारी हरोग और बडी शानत क कारण आनि मनाएगrdquo

जबर (भजन सवहता 37 ः 1-11)इसी परकार हम तौरात म ह भी िखत ह ldquoअपनी थलिी म भावत भावत क अथाणत घटत बढत बटखर न रखना अपन

घर म भावत भावत क अथाणत घटत बढत नपए न रखना तर बटखर और नपए पर पर और zwjधमण क हरो इसवलिए वक जो िश तरा परमशवर होिा तझ िता ह उसम तरी आ बहत हो करोवक ऐस कामरो म वजतन कवटलिता करत ह ि सब तर परमशवर होिा की दनटि स घवणत हrdquo

(विथावििरण 25 ः 13-16)अत विशि क समत नताओ और विशषकर आपको शनति क बलि पर

शासन करन की विचारzwjधारा को समापत कर िना चावहए तथा वनबणलि पर अताचार

240 विशव सकट तथा शानत-पथ

करन स बचना चावहए इसकी बजाए ा एि शानत को परसाररत करन का परास करना चावहए ऐसा करन स आप ि भी शानत म रहग आप शनति परापत करग तथा विशि म शानत भी थावपत होगी

मरी ह िआ ह वक आप और विशि क अ नता मर सिश को समझ अपन पि की गररमा को पहचान तथा अपन िावतिरो को परा कर

आपका शभ वचतक

मिजजा िसरर अहिद खलिीफतलि मसीह Vविशिवापी अहमविा मनलिम जमाअत क परमख

इसलजिी ररपनलक ईरजन क रजषटरपमत क नजि पत

243विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहमराषzwjटरपवत इलिामी ररपनलिक ईरान महमि अहमिी वनजाि तहरान

7 माचण 2012

पार राषzwjटरपवत जी

असzwjसलारो अलकर वरहरzwjललाह व बरकाzwjोह

विशि म जो खतरनाक घटनाए परकट हो रही ह उनको िखत हए मन ह महसस वका वक आप को पतर वलिखना आिशक ह ईरान क राषटपवत होन क नात आपको ऐस वनणण करन का अवzwjधकार ह वजसका परभाि किलि आपक िश पर ही नही बनलक पर विशव पर पडगा आजकलि विशि म बहत अशानत और बचनी ह बहत स िशरो म छोट तर क दध आरभ हो चक ह जबवक अ थानरो म महा-शनतिा शानत थावपत करन क बहान हतकप कर रही ह परतक िश वकसी अ िश की सहाता ा विरोzwjध म परासरत ह परत ा की माग पणण नही की जा रही म खि क साथ कहता ह वक वि अब हम विशि की ितणमान पररनथवतरो को धानपिणक िख तो हम जात होगा वक एक और विशि-दध की नीि पहलि ही रखी जा चकी ह बहत स छोट और बड िशरो क पास परमाण हवथार मौजि होन क कारण परपर दष और शतरता म िवदध हो रही ह ऐसी

244 विशव सकट तथा शानत-पथ

कवठन पररनथवत म तती विशि-दध भानक रप म वनशच ही हमार वनकट ह वजस परकार वक आप जानत ह वक परमाण हवथाररो क उपलिzwjध होन का तातपण ह ह वक तती विशि-दध एटमी दध होगा उसका अनतम पररणाम बहत विनाशकारी होगा तथा ऐस दध क िरगामी परभाि भािी पीवढरो क विकलिाग एि करप पिा होन का कारण हरोग

ह मरा विशवास ह हम हजरत महममि म तफा सललाहो अलिवह िसलम जो विशव म शानत थावपत करन क वलिए भज गए थ और समपणण मानिजावत क वलिए साकात िा िरप थ क अनाी होन क नात हम किावप ह इचछा नही करत और न कर सकत ह वक विशव को ऐसी पररनथवतरो का सामना करना पड इसी कारण मरा आपस वनििन ह वक चवक ईरान भी विशव की एक महतिपणण शनति ह अतः उस तती विशव दध को रोकन क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए वनःसिह ह एक िातविकता ह वक महाशनतिा िोहर मापिि अपनाती ह उनकी अापणण नीवता विशव भर म अविथा और अशानत फलिान का कारण बनी ह परत हम इस िातविकता स भी विमख नही हो सकत वक कछ मनलिम सगठन अनवचत ढग स तथा इलिामी वशकाओ क विपरीत आचरण करत ह वजस को महाशनतिरो न वनzwjधणन मनलिम िशरो स अनवचत रप स अपन वनवहत िाथषो की पवतण क वलिए एक बहान क रप म परोग वका ह अतः म आपस पनः वनििन करता ह वक विशव को तती विशव दध स बचान क वलिए आप अपनी समत शनति का उपोग करत हए परास कर पवितर कआणन मसलिमानरो को ह वशका िता ह वक वकसी जावत की शतरता उह ापिणक विहार करन स न रोक सरह अलिमाइिह आत न 3 म अलाह तआलिा फरमाता ह वक ः-

ldquoऔर तमह वकसी जावत की शतरता इस कारण स वक उहरोन तमह मनजि-ए-हराम स रोका था इस बात पर न उकसा वक तम अताचार करो और नकी और तकिा म एक िसर का

245विशि क नताओ क नाम पतर

सहोग करो और पाप और अताचार (िालि कामरो) म सहोग न करो और अलाह स िरो वनसिह अलाह िि िन म बहत कठोर हrdquo

इसी परकार पवितर कआणन की इसी सरह म मसलिमानरो को ह वनिदश भी विा गा ह ः

ldquoह ईमान िालिो तम ापिणक गिाही ित हए अलाह (की परसनता परापत करन) क वलिए खड हो जाओ और वकसी जावत की शतरता तमह किावप इस बात क वलिए तार न कर ि वक तम ा न करो तम ा स काम लिो ह बात सम क अवzwjधक वनकट ह तथा अलाह स िरो जो कछ तम करत हो वनसिह अलाह उस जानता हrdquo

(अलिमाइिह आत ः 9)

अतः आपको किलि शतरता और घणा क कारण वकसी अ िश का विरोzwjध नही करना चावहए म िीकार करता ह वक इसाईलि अपनी सीमाओ का अवतकरमण कर रहा ह और उसकी दनटि ईरान पर ह वनचि ही वि कोई िश आपक िश पर अापणण ढग स आकरमण करता ह तो आपको परवतरकण का अवzwjधकार परापत ह बहरहालि परपर वििािरो का समाzwjधान थासमभि ककटनीवत और िाताणलिाप दारा करना चावहए मरा आपस विनम वनििन ह वक शनति का परोग करन क थान पर िाताणलिाप दारा वििािरो का समाzwjधान करन का परास कर मरा आपस विनम वनििन करन का कारण ह ह वक म खिा की उस वनिाणवचत विभवत का अनाी ह जो इस ग म हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क सचच सिक क रप म परकट हआ और उसन मसीह मौऊि और इमाम महिी होन का िािा वका आपका उदश ह था वक मानिता को खिा क वनकट लिाा जाए और परजा क

246 विशव सकट तथा शानत-पथ

अवzwjधकाररो को ठीक उसी परकार थावपत वका जाए वजस परकार हमार िामी और पथपरिशणक हजरत महममि सललहो अलिवह िसलम न जो समपणण मानिजावत क वलिए साकात िा िरप थ हम पटि रप स परिवशणत करक विखाा

अलाह तआलिा समत मनलिम उममत को इस स िर वशका को समझन का सामथण परिान कर

िसलिामभििी

मिजजा िसरर अहिदखलिीफतलि मसीहपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

सयति रजजय अिररकज क रजषटपमत क नजि पत

249विशि क नताओ क नाम पतर

शीमान बराक ओबामाराषटपवत स ति राज अमररकावहाइट हाउस1600 पसलिवनािावशगटन (िी सी)

8 माचण 2012मािर राषटपवतविशव म जो वचताजनक पररनथवता उतपन हो रही ह उसक पररदश म मन

आपको पतर वलिखना आिशक जाना करोवक आप स ति राज अमररका क राषटपवत ह जो वक एक महाशनति ह और आपको ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह वजनस न किलि आपक िश का अवपत सामा रप स समत ससार का भविषzwj परभावित हो सकता ह

इस सम ससार म अतवzwjधक बचनी और वाकलिता पाई जाती ह कछ कतररो म वनमन तर क दध वछड चक ह िभाणगिश इन वििािगरत कतररो म शानत थावपत करन म महाशनतिरो को अपन परासरो म अपवकत सफलिता परापत नही हो सकी ह विशव तर पर हम ह िखत ह परतक िश वकसी अ िश का समथणन अथिा विरोzwjध करन म वत ह परत इस समबzwjध म ा की मागरो को परा नही वका जा रहा ह वि हम विशव की ितणमान पररनथवतरो पर दनटि िालि तो अतत खि क साथ कहना पडता ह वक एक और विशव दध की नीि रखी जा चकी ह बहत स छोट एि बड िशरो न परमाण शतर परापत कर वलिए ह और इसी कारण

250 विशव सकट तथा शानत-पथ

िशरो म परपर िमन और आकरोश एि असतोष की भािना म िवदध होती जा रही ह ऐसी विकट पररनथवत म तती विशव दध की परबलि समभािना विखाई िती ह वनसिह ऐस दध म परमाण शतररो का परोग होगा अतः हम ऐसा परतीत होता ह वक विशव एक भकर विनाश की ओर अगरसर ह वि वदती विशव दध क पचिात ा और समानता का मागण अपनाा जाता तो आज विशव की नथवत ऐसी न होती वजसक कारण ह पनः दध की जवालिा की चपट म आ चका ह

जसा हम सभी पररवचत ह राषटसघ की विफलिता और 1932 ई क आवथणक सकट वदती विशव दध क परमख कारण बन थ आज क अगरगण अथणशातरी ह कहत ह ितणमान और 1932 ई क आवथणक सकट म बहत सी समानताए ह हम ह िखत ह वक राजनवतक और आवथणक समाए छोट िशरो क मध पनः दध का कारण बनी ह और उन िशरो म इन क कारण आतररक अशानत और असतोष का िातािरण वापत हो चका ह इस नथवत म अततः कछ ऐसी शनतिा अनवचत लिाभ उठाकर ससार की बागिोर समभालि लिगी जो विशव दध का कारण बन जाएगी वि छोट िशरो क परपर वििािरो का राजनीवत अथिा ककटनीवत स समाzwjधान नही ढढा जा सकता तो इस क कारण विशव म नए गटरो और समहरो का जम होगा और ह नथवत तती विशव दध का पिाणिलिोकन परतत करगी अतः मरा ह विशवास ह वक इस सम विशव क विकास पर धान कनदरत करन की बजाए ह अवतआिशक और वनतात अवनिाण ह वक हम विशव को इस विनाश स सरवकत रखन क अपन परासरो म शीघर स शीघर तीवरता पिा कर इस बात की भी अतत आिशकता ह वक मानिजावत परमातमा जो वक एक ह और हमारा सटिा ह को पहचान करोवक सकट और विपिाओ म मानिता क जीवित बचन को किलि ही सरवकत बना सकता ह िरन ह ससार वनरतर आतम-विनाश की ओर तीवरता स अगरसर होता रहगा

मरा आप स अवपत विशव क सभी नताओ स ह अनरोzwjध ह वक िसर िशरो का िमन करन क वलिए शनति क थान पर ककटनीवत िाताणलिाप और सनीवत का

251विशि क नताओ क नाम पतर

परोग वका जाए विशव महाशनतिरो जस वक सति राज अमररका की शानत थापना क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए उह छोट िशरो की गवतविवzwjधरो को विशव-शानत भग करन का आzwjधार नही बनाना चावहए आज परमाण हवथार किलि सति राज अमररका अथिा िसरी महाशनतिरो क पास ही नही अवपत अपकाकत छोट िशरो न भी ऐस महाविनाशकारी शतर परापत कर वलिए ह वजन क नता असमी ह और वबना वकसी सोच-विचार क काणिाही करन िालि ह अतः आपस मरा विनम वनििन ह वक आप छोटी और बडी शनतिरो को तती विशव-दध की विफोटक नथवत उतपन करन स रोकन का भरसक परास कर इस समबzwjध म हमार मन म कोई शका नही होनी चावहए वि हम इस परास म विफलि हो गए तो आगामी दध क िषzwjपरभाि किलि एवशा रोप और उततर एि िवकणी अमररका क वनzwjधणन िशरो तक ही सीवमत नही हरोग अवपत हमारी तरवटरो क गमभीर पररणाम हमारी भािी पीवढरो को भगतन पडग और विशव क परतक कतर म विकलिाग अथिा विकत शरीर िालि बचच जम लिग ि अपन उन नताओ को किावप कमा नही करग वजहरोन ससार को महापरलि म झरोक विा किलि अपन वनवहत िाथषो की वचता करन क थान पर हम भािी पीवढरो क वहताथण काण करना चावहए और उनक वलिए एक उजजिलि भविषzwj का वनमाणण करन का परास करना चावहए महापरतापी परमातमा आप को तथा विशव क अ सभी नताओ को ह सिश समझन का सामथण परिान कर

भििी

वमजाण मसरर अहमि खलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

252 विशव सकट तथा शानत-पथ

कनजिज क पिजनिती क नजि पत

255विशि क नताओ क नाम पतर

शीमान टीफन हापणरपरzwjधानमतरी कनािाओटािा आटररो

8 माचण 2012वपर परzwjधानमतरी जीविशव म जो भािह पररनथवता उतपन हो रही ह उसक पररदश म मन ह

आिशक समझा वक आपको पतर वलिख करोवक आप कनािा क परzwjधानमतरी ह और आप को ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह वजनस न किलि आपक िश का अवपत सामा रप स समत ससार का भविषzwj परभावित हो सकता ह

जसा हम सभी पररवचत ह राषटसघ की विफलिता और 1932 ई क आवथणक सकट वदती विशव दध का परमख कारण बन थ आज क अगरगण अथणशातरी ह कहत ह ितणमान और 1932 ई क आवथणक सकट म बहत सी समानताए ह हम ह िखत ह वक राजनवतक और आवथणक समाए छोट िशरो क मध पनः दध का कारण बनी ह और उन िशरो म इन क कारण आतररक अशानत और असतोष का िातािरण वापत हो चका ह इस नथवत म अततः कछ ऐसी शनतिा अनवचत लिाभ उठाकर ससार की बागिोर समभालि लिगी जो विशव दध का कारण बन जाएगी वि छोट िशरो क परपर वििािरो का राजनीवत अथिा ककटनीवत स समाzwjधान नही ढढा जा सकता तो इस क कारण विशव म नए गटरो और समहरो का जम होगा और ह नथवत तती विशव दध का पिाणिलिोकन परतत करगी अतः मरा ह विशवास ह वक इस सम विशव क विकास पर धान कनदरत करन की

256 विशव सकट तथा शानत-पथ

बजाए ह अवतआिशक और वनतात अवनिाण ह वक हम विशव को इस विनाश स सरवकत रखन क अपन परासरो म शीघर स शीघर तीवरता पिा कर इस बात की भी अतत आिशकता ह वक मानिजावत परमातमा जो वक एक ह और हमारा सटिा ह को पहचान करोवक किलि ही मानिता को सरवकत बना सकता ह िरन ह ससार वनरतर आतम-विनाश की ओर तीवरता स अगरसर होता रहगा

कनािा को विशव म सबस अवzwjधक ावपर िशरो म एक होन की विशालि खावत परापत ह आपका िश सामातः िसर िशरो क आतररक मामलिरो म हतकप नही करता इस स बढ कर ह वक हमार अथाणत अहमविा मनलिम जमाअत क कनािा िावसरो क साथ विशष मतरीपणण समबzwjध ह अतः मरा आप स अनरोzwjध ह वक विशव की छोटी और बडी शनतिरो को विनाशकारी तती विशव दध की नथवत उतपन करन स रोकन क थासभि परास कर

मरा आप स अवपत विशव क सभी नताओ स ह अनरोzwjध ह वक िसर िशरो का िमन करन हत शनति क थान पर ककटनीवत िाताणलिाप और सनीवत का परोग वका जाए विशव महाशनतिरो जस वक स ति राज अमररका की शानत थापना क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए उह छोट िशरो की गवतविवzwjधरो को विशव-शानत भग करन का आzwjधार नही बनाा चावहए आज परमाण हवथार किलि सति राज अमररका अथिा िसरी महाशनतिरो क पास ही नही अवपत अपकाकत छोट िशरो न भी ऐस महाविनाशकारी शतर परापत कर वलिए ह वजन क नता असमी ह और वबना वकसी सोच-विचार क काणिाही करन िालि ह अतः आपस मरा विनम वनििन ह वक आप छोटी और बडी शनतिरो को तती विशव-दध की विफोटक नथवत उतपन करन स रोकन का भरसक परास कर इस समबzwjध म हमार मन म कोई शका नही होनी चावहए वि हम इस परास म विफलि हो गए तो आगामी दध क िषzwjपरभाि किलि एवशा रोप और उततर एि िवकणी अमररका क वनzwjधणन िशरो तक ही सीवमत नही हरोग अवपत हमारी तरवटरो क गमभीर पररणाम हमारी भािी पीवढरो को भगतन पडग और विशव क परतक कतर म विकलिाग अथिा विकत

257विशि क नताओ क नाम पतर

शरीर िालि बचच जम लिग ि अपन उन नताओ को किावप कमा नही करग वजहरोन ससार को महापरलि म झरोक विा किलि अपन वनवहत िाथषो की वचता करन क थान पर हम भािी पीवढरो क वहताथण काण करना चावहए और उनक वलिए एक उजजिलि भविषzwj का वनमाणण करन का परास करना चावहए महापरतापी परमातमा आप को तथा विशव क अ सभी नताओ को ह सिश समझन का सामथण परिान कर

भििी

वमजाण मसरर अहमि खलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

258 विशव सकट तथा शानत-पथ

दो पमवत सथलरो क सरकक सऊदी अरब रजजय क समजट क नजि पत

261विशि क नताओ क नाम पतर

िो पवितर थलिरो क सरककसऊिी अरब राज क समाटअिलाह वबन अिलि अजीज अलि सऊिरराज सऊिी अरब

28 माचण 2012माननी समाट अिलाह असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातोहआज म एक अतत महतिपणण विष पर विचार करन क उदश स आपको

पतर वलिख रहा ह करोवक िो पवितर थलिरो क सरकक और सऊिी अरब क समाट होन क नात उममत मनलिमा (मनलिम समिा) म आप का एक उचच थान ह आपक िश म इलिाम क िो सबस अवzwjधक पवितर थलि mdash मकका मकररमा एि मिीना मनविरा mdash नथत ह वजन स परम करना मसलिमानरो क ईमान का अश ह थलि मसलिमानरो की आधानतमक उनवत का कदर भी ह और मसलिमान इनका अतत सममान और आिर करत ह इस दनटिकोण स सभी मसलिमानरो और मनलिम राजरो न आपको एक विवशटि थान परिान वका ह ह सममान इस बात की माग करता ह वक आप समत उममत मनलिमा का न किलि उवचत मागणिशणन कर अवपत मनलिम िशरो क भीतर शानत एि एकता का िातािरण भी उतपन कर आपको मसलिमानरो म परपर परम और सहानभवत का विकास करन का परतन करना चावहए और رحماء بینھم अथाणत lsquoि परपर िा करत हrsquo क वसदधात क

262 विशव सकट तथा शानत-पथ

समबzwjध म भी उनका मागणिशणन करना चावहएअततः आप को समत मानिजावत क वहत को सममख रखत हए समपणण

विशव म शानत थावपत करन का परतन करना चावहए अहमविा मनलिम जमाअत क परमख और हजरत मसीह मौऊि ि इमाम महिी अलिवहसलिाम क खलिीफा (उततरावzwjधकारी) होन क नात मरा ह अनरोzwjध ह वक दवप अहमविा मनलिम जमाअत और इलिाम क अ समिारो म परपर मतभि ह तथावप हम विशव-शानत की थापना क परास क वलिए एकतर हो जाना चावहए हम ससार को इलिाम की िातविक वशकाओ स जो वक परम और शानत पर आzwjधाररत ह पररवचत करान का भरसक परतन करना चावहए इस परकार पनचिमी िशरो तथा विशव क अ भागरो म इलिाम क समबzwjध म जो भरम दढतापिणक थावपत हो चक ह उनका वनिारण कर सकग अ जावतरो अथिा समिारो की शतरता हम किावप इस बात स न रोक वक हम ापिणक विहार न कर पवितर करआन की सरह अलि माइिः की आत सखा 3 म सिणशनतिमान अलाह का कथन ह वक ः

ان ام

حرال مسجد

ال عن وکم صد ان قوم شـنان یجرمنکم ول

عدوان ص م وال

ث

قوى ص ول تعاونوا عل ال ب والت

تعتدواوتعاونوا عل ال

عقابط ان اللہ شدید ال

واتقوا اللہ

ldquoऔर तमह वकसी जावत की शतरता इस कारण स वक उहरोन तमह मनजि-ए-हराम स रोका था इस बात पर न उकसा वक तम अताचार करो तम नकी और तकिा म एक िसर का सहोग करो और पाप और अताचार (िालि कामरो) म सहोग न करो और अलाह स िरो वनसिह अलाह िि िन म बहत कठोर हrdquo

इस मागणिशणक वसदधात को हम सममख रखना चावहए वजस क दारा हम विशव क समक इलिाम की सिर वशकाओ को परतत करन का कततणव परा कर सक

263विशि क नताओ क नाम पतर

ितणमान सम म हम िखत ह वक हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम क पवितर नाम को बिनाम करन क उदश स कछ राजनीवतज और तथाकवथत विदान इलिाम क विरदध घणा क बीज बो रह ह अपन उदशरो की पवतण क वलिए ि करआन की वशकाओ का सिणथा विकत िरप परतत करन का परतन करत ह इसस भी अवzwjधक ह वक वफलितीन और इसाईलि क मध का वििाि विन परवतविन वबगडता जा रहा ह और इसी परकार इसाईलि और ईरान की परपर शतरता इस सीमा तक बढ चकी ह उनक आपसी समबzwjध गमभीर रप स टट चक ह ऐसी पररनथवता ह माग करती ह वक आप उममत मनलिमा (मनलिम समिा) क एक अतत महतिपणण नता होन क नात इन वििािरो का ा और समानता क आzwjधार पर समाzwjधान करन क वलिए हर समभि परास कर जब भी और जहा कही भी इलिाम क विरदध घणा फलिाई जाती ह तो अहमविा मनलिम जमाअत उस िर करन का थासमभि परतन करती ह जब तक समत उममत मनलिमा एकतर हो कर इस उदश की परानति क वलिए परास न कर शानत की थापना कभी नही हो सकगी

मरा आपस अनरोzwjध ह वक आप इस सबzwjध म भरसक परतन कर वि तती विशव दध का होना वननचित ह तो हम कम स कम ह परतन करना चावहए वक इसका आरमभ वकसी मनलिम िश स न हो ससार म कोई भी मनलिम िश अथिा कोई भी मसलिमान वनतिगत तर पर ितणमान अथिा भविषzwj म विशव क सिणनाश का कारण बनन का आरोप अपन ऊपर लिना नही चाहगा ऐसा सिणनाश वजसक फलििरप भािी पीवढा विकलिाग अथिा शारीररक िोषरो क साथ उतपन हरोगी करोवक वि अब तती विशव दध वछड जाता ह तो अिश ही िह दध परमाण शतररो दारा लिडा जाएगा हम वदती विशव दध म जापान क िो शहररो म परमाण बम फरक जान क विधिसकारी पररणामरो क रप म इस विनाश की एक झलिक का अनभि िख चक ह

264 विशव सकट तथा शानत-पथ

अतः ह सऊिी अरब क समाट विशव को सिणनाश स सरवकत रखन क वलिए अपनी समत शनति और परवतषठा का उपोग कीवजए सिणशनतिमान अलाह आपकी सहाता कर - आमीन आपक वलिए और समत उममत मनलिमा क वलिए पराथणना सवहत

مستـقیم

اط ال

ر اھدنا الص

(हम सीzwjधी राह पर चलिा)िलिामभििी

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

चीन क पिजनिती क नजि पत

267विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहम परzwjधानमतरी टट काउवसलि पीपलस ररपनलिक आफ चाना आिरणी िन वजाबाओ जरोगननहाई चीन

9 अपरलि 2012पार परzwjधानमतरी म आपको ह पतर अहमविा मनलिम जमाअत क एक परवतवनवzwjध क दारा

भज रहा ह िह कबाबीर इसाईलि म हमारी जमाअत क अधक ह तथा उह चीन क अलपसखक िगण क मतरी न आमवतरत वका था हमार परवतवनवzwjध को चीन क अवzwjधकारररो क साथ उस सम पररवचत कराा गा था जब चीन का परवतवनवzwjध मिलि वजनम अलपसखक िगण क उप मतरी भी सनममवलित थ कबाबीर म हमार वमशन हाउस म पzwjधार थ

अहमविा मनलिम जमाअत इलिाम का एक समिा ह जो दढतापिणक इस ईमान पर काम ह वक इस ग म वजस महिी और मसीह का मसलिमानरो क मागण-िशणन क वलिए बतौर महिी और ईसाइरो क मागण-िशणन क वलिए बतौर मसीह तथा मानिता क सzwjधार क वलिए एक पथ-परिशणक क रप म परकट होना वननचित था िह मसीह और महिी हजरत महममि मतफा सललाहो अलिवह िसलम की भविषzwjिावणरो क अनसार परकट हो चका ह अत हमन उस िीकार वका ह उनका नाम हजरत वमजाण गलिाम अहमि अलिवहसलिाम था जो भारत की काविान

268 विशव सकट तथा शानत-पथ

नामक बती म पिा हए थ अललिाह तआलिा क आिश स उहरोन 1889 ई म जमाअत अहमविा की नीि रखी 1908 ई म जब उन का वनzwjधन हआ उस सम तक हजाररो लिोग जमाअत अहमविा म सनममवलित हो चक थ उनक वनzwjधन क पचिात वखलिाफत की विथा थावपत हई इस सम हम पाचिी वखलिाफत क ग स गजर रह ह और म हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम का पचम खलिीफा (उततरावzwjधकारी) ह

हमारी वशका का एक वनतात महतिपणण और आzwjधारभत पक ह ह वक ितणमान ग म zwjधावमणक दधरो का अत होना चावहए इसक अवतररकत हमारा मानना ह वक जो वनति भी वकसी वशका को िसररो तक पहचाना ा फलिाना चाहता ह उस ऐसा किलि परम सहानभवत और भरातति भािना क िातािरण म करना चावहए तावक िह शानत एकता और मतरी का माधम बन सक इस महतिपणण पक का जो वक सचची इलिामी वशका पर आzwjधाररत ह समपणण विशि म अहमविा मनलिम जमाअत क दारा परचार वका जा रहा ह ह जमाअत अब विशि क िो सौ स अवzwjधक िशरो म फलि चकी ह और इसक अन ावरो की सखा करोडरो म ह

म आपको ह सिश िना चाहता ह वक विशि इस सम वनतात विनाशकारी और भानक पररनथवतरो स गजर रहा ह वननचित रप स ह परकट हो रहा ह वक हम बडी तीवरता स विशि-दध की ओर अगरसर ह आप एक महाशनतिशालिी िश क शासक ह इसक अवतररकत विशि की जनसखा का एक बडा भाग आप क मागण-िशणन क अतगणत जीिन ापन कर रहा ह आप को स कत राषzwjटर सघ म थािशक िीटो परोग करन का अवzwjधकार भी परापत ह इस पररदश म आप स मरा वनििन ह वक विशि को उस विनाश स बचान क वलिए अपना कततणव वनभाए जो हमार समक मह खोलि खडा ह राषzwjटरिाि zwjधमण एि जावतिाि स ऊपर उठ कर हम मानिता की रका क वलिए भरसक परतन करना चावहए

चीन म इस करानत क पशचात एक महान पररितणन हआ मािर माउवज िाग जो आपक िश क एक महान नता थ उहरोन उचच नवतक मलरो की नीि रखी

269विशि क नताओ क नाम पतर

थी वजह िसर शिरो म सिवोततम नवतक मलरो की सजा िी जा सकती ह दवप वक आप खिा क अनतति को नही मानत ह और आपक वसदधातरो का आzwjधार नवतकता ह तथावप म ह पषzwjट कर िना चाहता ह वक उस खिा न जो इलिाम दारा परतत वका गा ह पवितर कआणन को समत मानि जावत क पथ-परिशणन क वलिए उतारा ह और पवितर कआणन ि समत आचरणरो की वशका िता ह वजन का आप पालिन करत ह अवपत उसम इस स भी बढकर नवतक वनिदश विदमान ह उसम िह अपिण सिर वशकाए मौजि ह जो मनषzwj की आजीविका क साzwjधनरो को भी पषzwjटता क साथ िणणन करती ह और मानि मलरो को भी थावपत करती ह वि विशि विशष तौर पर मनलिम विशि इन कआणनी वशकाओ को अपनाए तो समत समाओ और मतभिरो का समाzwjधान हो जाएगा तथा शानत और एकता क िातािरण को परोतसाहन वमलिगा

आज अहमविा मनलिम जमाअत इस उदश को विशि क परतक भाग म बढािा िन क वलिए परासरत ह शानत समारोह (Peace Symposium) क दारा और उन असख सभाओ क माधम स जो म जीिन क परतक विभाग स सबzwjध रखन िालि लिोगरो और सगठनरो क साथ करता ह म विशि को ह मख उदश मरण कराता ह मरी ह िआ ह वक विशि क नता बवदधमतता स काम करत हए छोट तर पर होन िालिी जावतरो और िशरो की आपसी शतरता को विशव दध का रप न लिन ि मरा आप स ह भी वनििन ह वक विशि की एक महान शनति होन क नात विशि-शानत की थापना क वलिए अपना कततणव पणण कर तथा विशि को विशि-दध क भानक पररणामरो स बचाए करोवक वि ऐसा दध हआ तो ह एटमी हवथाररो क परोग पर समापत होगा बहत सभि ह वक इस दध क पररणामिरप कछ िशरो और कतररो क कछ भभाग विशि स पणणता नषzwjट कर विए जाए एटमी दध क परभाि और पररणाम किलि तिररत और सामवक विनाश क रप म परकट नही हरोग अवपत उसक थाी िषzwjपरभाि भािी नलिरो क िोषपणण और विकलिागतापणण जम क रप म परकट हरोग अतः अपनी समत शनति ोगता

270 विशव सकट तथा शानत-पथ

तथा ससाzwjधनरो दारा मानिता को उन भकर पररणामरो स बचाए इन का पालिन करन क फलििरप अततः आपक िश को भी लिाभ होगा मरी ह िआ ह वक ससार क छोट और बड िश इस सिश को समझ

शभकामनाओ और िआओ क साथ आपका शभवचतक

मिजजा िसरर अहिद खलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशिवापी अहमविा मनलिम जमाअत

यनजइटि मकििि क पिजनिती क नजि पत

273विशि क नताओ क नाम पतर

इगलिणि और उततरी आरलिणि क परzwjधानमतरी आिरणी िविि कमरन 10 िाउवनग टरीट लििन एस िल 1A 2AA क

15 अपरलि 2012पार परzwjधानमतरी जी वजन विनाशकारी और असरवकत पररनथवतरो स विशि इस सम गजर रहा

ह उह िखत हए मन आिशक समझा वक आप की सिा म पतर वलिख वबरटन क परzwjधानमतरी होन क नात आपको ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह जो भविषzwj म आपक िश तथा विशि पर परभािी हरो आज विशि को शानत की वनतात आिशकता ह करोवक दध की जिालिा विशि क चाररो ओर िखी जा सकती ह िशरो क मध वनमनतरी दध विशवदध म पररिवतणत होन की आशका ह हम िखत ह वक इस सम विशि की आवथणक तथा राजनीवतक नथवत िही ह जो 1932 ई म थी इसक अवतररकत अ समानताए भी ह वजनको वि सामवहक रप म िखा जाए तो िही वचतर परतत करती ह जो वदती विशि-दध स ठीक पिण िखा गा था वि जिालिाए कभी िातविक तौर पर भडक उठ तो हम तती विशि दध का भानक दश िखग छोट-बड असख िशरो क पास परमाण हवथार होन क कारण ऐसा दध वनशच ही परमाण दध का रप zwjधारण कर लिगा आज जो शतर उपलिzwjध ह ि इतन विनाशकारी ह वक इसक पररणामिरप भािी पीवढरो क बचच िशानगत अथिा शारीररक िोषरो क साथ जम लि सकत ह जापान ही

274 विशव सकट तथा शानत-पथ

एक िश ह वजस परमाण दध क िषzwjपररणाम भगतन पड ह जब उस पर वदती विशि-दध क मध एटम बमरो स आकरमण वका गा था वजस क पररणामिरप उसक िो शहर समपणणता नषzwjट हो गए थ उस सम वजन परमाण बमरो का परोग वका गा था वजनक कारण बहत बड तर पर विनाश हआ था ि इन परमाण हवथाररो स बहत कम शनति क थ जस इस सम कछ छोट िशरो क पास भी ह अत शनतिशालिी िशरो का ह िावति ह वक ि स कत रप स विनाश क कगार पर खडी मानिता को बचान का समाzwjधान वनकालि

इन बातरो पर विचार करक बहत आशका रहती ह वक छोट िशरो क एटमी हवथार उन लिोगरो क हाथरो म आ सकत ह जो वबना सोच समझ हवथाररो का उपोग करन पर उतार होत ह वजन क पास न तो ोगता ह और न ही ि अपनी गवतविवzwjधरो क पररणामरो क सबzwjध म विचार करन का परास करत ह वि महाशनतिशालिी िश ापिणक काम नही करत और छोट िशरो की वनराशाओ का वनिारण नही करत तथा महान और ासगत नीवता नही बनात तो पररनथवत शन शन अवनवतरत होती चलिी जाएगी और इसक फलििरप जो विनाश आएगा िह हमार अनमान और कलपना स बाहर होगा हा तक वक विशि की अवzwjधकतर जनता जो शानत की अवभलिाषी ह उस विनाश की लिपट म आ जाएगी

अत ह मरी हाविणक इचछा और िआ ह वक आप और शष समत शनतिशालिी िशरो क नता इस भकर िातविकता को समझ और अपन उदशरो की परानति क वलिए आकरामक नीवतरो और शनतिरो को परोग म लिान की बजाए आपको ि नीवता अपनानी चावहए जो ा को बढािा ि और उसकी रका कर

वि हम वनकट अतीत म झाक कर िख तो हम विवित होगा वक वबरटन न कई िशरो पर शासन वका तथा ा और zwjधावमणक िततरता क उचच तर थावपत वकए विशषकर भारत और पावकतान उपमहादीप म जब अहमविा मनलिम जमाअत क परितणक न आिणगी महारानी विकटोररा को उनकी हीरक जती पर बzwjधाई िी तथा इलिाम का सिश पहचाा तब उहरोन विशष तौर पर ह िआ की

275विशि क नताओ क नाम पतर

वक खिा वबरटन की सरकार को उसकी ा और समानता पर आzwjधाररत शासन पदधवत पर भरपर परवतफलि परिान कर उहरोन सरकार की ासगत नीवतरो एि zwjधावमणक िततरता िन पर उसकी वनतात परशसा की ितणमान सम म वबरटन की सरकार अब भारत और पावकतान म शासन नही करती परत zwjधावमणक िततरता क वसदधात अब भी वबरटन क समाज और उसक कानन म दढता क साथ थावपत ह वजनक अतगणत परतक वनति को zwjधावमणक िततरता और समानता क अवzwjधकार विए जात ह इस िषण आिरणी महारानी एवलिजाबथ वदती की हीरक जती मनाई जा रही ह जो बताणवना को ह अिसर परिान कर रही ह वक िह विशि क सममख अपन ा और इरमानिारी क तर को परिवशणत कर अहमविा मनलिम जमाअत का इवतहास ह परकट करता ह वक वबरटन न जब भी ा का परिशणन वका ह हमन उसकी सराहना की ह और आशानित ह वक भविषzwj म भी ा वबरटन की सरकार का ह विशष गण थावपत रहगा न किलि zwjधावमणक मामलिरो म अवपत परतक मामलि म और ह वक आप अपन िश की उततम विशषताओ और परमपराओ को कभी नही भलिग तथा विशि की ितणमान पररनथवत म वबरटन अतराणषटी तर पर शानत-थापना क वलिए अपनी भवमका वनभाएगा

मरा ह वनििन ह वक परतक तर पर और दनटिकोण स हम अवनिाण रप स परास करना होगा तावक नफरत की जिालिा को शात वका जा सक इस परास की सफलिता क पशचात ही हम भािी पीवढरो क उजजिलि भविषzwj का आशिासन ि सकत ह परत वि हम इस काण म सफलि न हए तो हमार मन म इस सबzwjध म कोई सिह नही होना चावहए वक परमाण दध क फलििरप भािी पीवढरो को हर जगह हमार कमषो क भानक पररणाम को भगतना पडगा और ि अपन पिणजरो को पर विशि को विनाश की जिालिा म झरोकन क कारण कभी कमा नही करगी म आपको पन मरण कराता ह वक वबरटन भी उन िशरो म स ह जो विकवसत और विकासशीलि िशरो पर अपना परभाि िालि सकत ह और िालित ह वि आप चाह तो आप ा और इसाफ की मागरो को परा करत हए विशि का पथ-परिशणन कर

276 विशव सकट तथा शानत-पथ

सकत ह अतः वबरटन तथा अ शनतिशालिी िशरो को विशि-शानत की थापना क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए अललिाह तआलिा आपको और विशि क अ नताओ को ह सिश समझन की सामथण परिान कर

शभकामनाओ और िआओ क साथ आपका शभ वचतक

मिजजा िसरर अहिद खलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशिवापी अहमविा मनलिम जमाअत

जिानी की चजसलर क नजि पत

279विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहम चासलिर आफ जमणनी एजलिा मरकलि Bundeskanzleramt Willy-Brandt-Str1 10557 Berlin

15 अपरलि 2012आिरणीा चासलिर विशि को सतकक करन िालिी और अतवzwjधक वचनतत करन िालिी ितणमान

पररनथवतरो को दनटिगत रखत हए मन आप को पतर वलिखना आिशक समझा विशि म जमणनी जस वनतात महतिपणण एि शनतिशालिी िश की चासलिर होन क नात आपको ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह जो आपक िश और समत विशि पर परभािी हरो आज जबवक विशि िगषो म विभावजत हो रहा ह उगरिाि तीवरता zwjधारण करता जा रहा ह तथा राजनीवतक एि आवथणक पररनथवता बहत खराब होती जा रही ह तो इन कवथत पररनथवतरो म इस बात की वनतात आिशकता ह वक हर परकार की नफरत और घणा को समापत वका जाए और शानत की नीि रखी जाए इस उदश को किलि इस परकार परापत वका जा सकता ह जब परतक वनति की भािनाओ का आिर वका जाए परत चवक उस उवचत रप स पणण ईमानिारी और नकी क साथ कााणनित नही वका जा रहा इसवलिए विशि की पररनथवता बडी तीवरता स अवनवतरत होती जा रही ह हम िखत ह वक बहत स िशरो क दारा

280 विशव सकट तथा शानत-पथ

ा की माग परी नही की जा रही ह वजसक कारण एक विशि-दध की नीि पहलि ही रखी जा चकी ह अवzwjधकाश छोट-बड िशरो क पास अब एटमी शतर ह अतः अब वि विशि-दध होता ह तो बहत सभि ह वक ह दध परमपरागत शतररो दारा नही होगा अवपत ह एटमी शतररो स होगा इस दध क पररणामिरप होन िालिी बरबािी पणण रप स सिणनाश करन िालिी होगी इसक परभाि किलि उसी सम तक सीवमत नही रहग अवपत भािी नलि एक लिमब सम तक इस स परभावित होती रहगी तथा ि नलि वचवकतसा समबzwjधी एि अनिावशक तौर पर भानक िोषरो क साथ पिा हरोगी

अतः मरा ह विचार ह वक विशि-शानत की थापना क वलिए सचच ा की आिशकता ह और समत लिोगरो की भािनाओ एि zwjधावमणक रीवत-ररिाजरो का सममान वका जाना चावहए म कछ पनचिमी िशरो की इस बात का सममान करता ह वक उहरोन वनतात उिारता क साथ वनzwjधणन और विकासशीलि िशरो क लिोगरो को अपन िशरो म रहन की अनमवत िी हई ह वजनम मसलिमान भी सनममवलित ह इसम कोई सिह नही वक नाम क मसलिमानरो का एक अलपसखक िगण ह जो पणण रप स अनवचत काषो म वत ह तथा पनचिमी िशरो क लिोगरो क हिरो म अविशिास की भािना को जम ित ह परत उनकी ऐसी समत गवतविवzwjधरो का इलिाम स कोई सबzwjध नही ह ऐस चरमपथी हजरत रसलि करीम सललाहो अलिवह िसलम वजहरोन विशि को शानत परम और एकता का सिश विा ह स सचचा परम नही करत वनशच ही कछ मटी भर गमराह लिोगरो की गवतविवzwjधरो को हमार zwjधमण क विरदध आरोप लिगान और बहत बडी सखा म मौजि वनषzwjकपट और वनिवोष मसलिमानरो की भािनाओ को ठस पहचान क वलिए आzwjधार नही बनाना चावहए समाज म शानत थावपत करना वदपकी परवकरा ह और ह तब ही थावपत की जा सकती ह जब समत पावटरा एक साथ वमलिकर परपर समझौत क वलिए काण कर विकासशीलि िशरो और लिोगरो क साथ सबzwjध थावपत करन की बजाए पनचिमी विशि क लिोगरो क हिरो म अविशिास क कारण कछ गर मनलिम लिोगरो की

281विशि क नताओ क नाम पतर

परवतवकरा आज बहत अवzwjधक खराब होती जा रही ह तथा मनलिम और गर मनलिम जगत क बीच एक िरार पिा कर रही ह

हम िखत ह वक कछ मनलिम सगठनरो और िशरो की गमराह गवतविवzwjधरो क आzwjधार पर कछ शनतिशालिी िशरो क विशष वहतरो को ईमानिारी और ा पर परमखता िी जा रही ह विशि क कछ शनतिशालिी िश चाहत ह वक कछ िशरो क भणिार एि ससाzwjधनरो तक पहच पिा कर लि तथा परवतपzwjधाण करन िालि िशरो का उन ससाzwjधनरो तक पहचना वबलकलि असमभि बना ि इसवलिए अवzwjधकाश वनणण लिोगरो की सहाता करन ा विशि-शानत की थापना क नाम पर वकए जात ह तथा विशि की ितणमान आवथणक पररनथवतरो क पीछ एक बडा कारण आवथणक वगरािट ह जो हम एक और विशि-दध की ओर लि जा रही ह वि सचचाई का उवचत रप स परिशणन वका जाता तो उनम स कछ िश परपर ा पर आzwjधाररत औदोवगक एि आवथणक समबzwjध थावपत करक एक-िसर स ा क साथ लिाभ परापत कर सकत थ इस परकार ि एक िसर क ससाzwjधनरो स अनवचत लिाभ परापत न करत अवपत उसक थान पर ि एक िसर क वनकट आकर परपर एक िसर की सहाता करत अतः विशि की ितणमान अविथा का कारण एक परमख तति ा का पणण रप स अभाि ह वजस क कारण चाररो ओर अशानत और बचनी की हालित ह

अत मरा ह वनििन ह वक इस विशि-दध स लिोगरो को बचान क वलिए पहलि स भरपर परास कर अपनी शनति ससाzwjधनरो और परभाि को परोग करत हए विशि को इस भकर विनाश स बचाए जो परकट होन क कगार पर ह सचनाओ क अनसार जमणनी परमाण शतररो स लििी हई तीन अवत आzwjधवनक पनिछनबा इसाईलि को िन जा रहा ह जमणनी क एक परोफसर क विचार म ऐसा वनणण इसाईलि और ईरान क मध पहलि स चलि रही तनािपणण नथवत को और अवzwjधक भडकान म सहाक वसदध होगा हम ह मरण रखना चावहए वक ितणमान सम म परमाण शतर किलि विशव की महाशनतिरो क पास ही नही ह अवपत तलिनातमक दनटि स

282 विशव सकट तथा शानत-पथ

छोट िशरो न भी इसको परापत कर वलिा ह वचताजनक विष ह ह वक इन छोट िशरो म स कछ क नता शतररो क असािzwjधानीपणण परोग पर आतर ह और ि इन शतररो क उपोग क विनाशकारी पररणामरो क परवत सिणथा उिासीन ह अतः आपस पनः वनििन ह वक विशव शानत थावपत करन का भरसक परास कर वि हम इस काण म विफलि हो गए तो हमार मन म वफर कोई शका नही रहनी चावहए वक परमाण दध क कारण ऐसा विनाश होगा वजसक िषzwjपरभाि भािी पीवढरो क विकलिाग रप म जम लिन क रप म परकट हरोग और ि अपन पिणजरो को इस बात क वलिए कभी कमा नही करग वक उनक कारण उह इस महापरलि का मह िखना पडा ह सिणशनतिमान परमातमा आपको और विशव क सभी नताओ को इस सिश को समझन की सामथण परिान कर

शभकामनाओ तथा पराथणनाओ सवहत

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

फजस िणरजजय क रजषटपमत क नजि पत

285विशि क नताओ क नाम पतर

राषटपवत फास गणराजमहामवहम Francois HollandePalais de lrsquoElysee 55 Rue du Faubourg Saint-Honore 75008 Paris France

16 मई 2012वपर राषटपवत जीसिणपरथम म इस अिसर का लिाभ उठात हए आपको फास क नए राषटपवत

क रप म वनिाणवचत होन पर बzwjधाई िना चाहता ह िाति म ह एक महान उततरिावति ह जो आप को सौपा गा ह और म आशा करता ह वक फास की जनता ही नही अवपत समपणण विशव आपक नतति स लिाभानित होगा विशव की वबगडती हई ितणमान पररनथवतरो को सममख रखत हए मन आपक पिण राषटपवत वनकोलिस सरकोजी को एक पतर भजा था उस पतर म मन राषटपवत सरकोजी को एक विशव तर क नता होन क रप म उनक कततणवरो की ओर धानाकषणण करात हए ह अनरोzwjध वका था वक आप अपनी समपणण शनति और परवतषठा का उपोग करत हए विशव दध की स भािना को रोकन का परास कर फास क नि-वनिाणवचत राषटपवत होन क नात मन आपको भी इसी सिश पर आzwjधाररत पतर वलिखना आिशक समझा करोवक अब आपक पास ऐस वनणण लिन का अवzwjधकार ह वजन

286 विशव सकट तथा शानत-पथ

स आपक िश और सामा रप स पर विशव का भविषzwj परभावित हो सकता ह मरा ह मत ह वक विशव की ितणमान पररनथवतरो क परवत सभी िशरो की सरकाररो को अवत वचनतत होना चावहए विवभनन िशरो क मध अा और शतरता की भािनाओ क कारण एक विशव दध का रप zwjधारण करन की परबलि आशका ह गत शतािी म िो विशव दध हए परथम विशव दध क पचिात राषटसघ की थापना हई परत ा की मागरो को पणण न वकए जान क फलििरप इसन वदती विशव दध को जम विा जो परमाण बमरो क परोग क साथ समापत हआ ततपचिात मानिावzwjधकाररो की सरका और विशव शानत थावपत करन हत सति राषट का गठन वका गा अतः इस परकार दधरो को टालिन का समाzwjधान तो वनकालिा गा परत आज हम िखत ह वक तती विशव दध की नीि पहलि ही रखी जा चकी ह विवभन छोट तथा बड िशरो क पास परमाण शतर मौजि ह वचता का विष ह ह वक परमाण शनति िालि कछ छोट िश ऐस शतररो क विनाशकारी पररणामरो स अनवभज ह और उनक परवत उिासीन ह ह बात कलपनातीत नही वक वि परमाण शतररो का परोग वका गा तो इसक भकर पररणाम तरत परकट हरोग और िह विन परलि क समान होगा आज जो शतर उपलिzwjध ह ि इतन विनाशकारी ह वक उनक कारण भविषzwj म कई पीवढरो तक गमभीर आनिवशक तथा शारीररक िोष िालि वशश जम लिग कहा जाता ह वक एक मातर िश जापान वजसन परमाण दध क भीषण पररणाम भगत ह सात िशक बीत जान क पचिात आज भी िहा निजात वशशओ म परमाण बमरो क िषzwjपरभाि परतक रप स िख जा सकत ह

अतः आपस मरा विनम अनरोzwjध ह वक मनलिम तथा गर मनलिम िशरो क मध शतरता एि अविशवास की भािना को शात करन का थासमभि परास कर कछ रोपी िश इलिाम की वशकाओ और परमपराओ क समबzwjध म परतक सश रखत ह और उहरोन उन पर कछ परवतबzwjध लिगाए ह जबवक कछ अ िश एसी काणिाही करन का विचार कर रह ह कछ तथाकवथत उगर िभाि क लिोग जो अपन आपको मसलिमान कहत ह उनकी पनचिमी िशरो क परवत घणा उनकी ओर स

287विशि क नताओ क नाम पतर

अनवचत परवतवकरा का कारण बन सकती ह वजसक फलििरप zwjधावमणक असवहषzwjणता और मतभिरो म और अवzwjधक िवदध होगी परत इलिाम एक शानत-वपर zwjधमण ह जो हम वकसी अनवचत काण को अनवचत ढग स रोकन की वशका नही िता हम अथाणत अहमविा मनलिम जमाअत क लिोग इस वसदधात का पालिन करत ह और परतक समा का शानतपणण समाzwjधान ढढन म विशवास करत ह

ह िख कर खि होता ह वक मसलिमानरो का एक अलप िगण इलिाम का सिणथा विकत रप परतत करता ह और अपन भरवमत विशवासरो का पालिन करता ह हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम जो वक समपणण मानिता क वलिए िा का िरप ह क परवत अपन परम क कारण म ह कहता ह वक आप एस लिोगरो की बातरो को िातविक इलिाम न समझ और उन का अवzwjधकार-पतर क रप म परोग करक बहसखक शानतवपर मसलिमानरो की भािनाओ को ठस न पहचाए कछ ही विन पिण एक वनिणी और कठोर परकवत वनति न िवकणी फास क कतर म कछ फासीसी सवनकरो की अकारण गोलिी मारकर हता कर िी और उसक कछ विन पचिात उस वनति न एक ककलि म परिश कर तीन वनिवोष हिी बचचरो और उनक एक वशकक की हता कर िी इसी परकार की और भी वनमणम घटनाए हम अ मनलिम िशरो म वनवमत रप स घवटत होती िखत ह और ह सभी घटनाए इलिाम क विरोवzwjधरो को अपनी घणा क परिशणन क वलिए उततवजत करती ह वजनक आzwjधार पर ि अपन उदशरो की पवतण क वलिए वापक तर पर काणिाही करत ह एक मसलिमान होन क नात म पणणतः पटि करना चाहता ह वक इलिाम वकसी भी अताचार और वकसी अा की अनमवत नही िता पवितर कआणन न एक वनिवोष वनति की अकारण हता को समपणण मानिजावत की हता क समान ठहराा ह ह अपिाि रवहत पटि वनिदश ह पवितर कआणन ह भी कहता ह वक दवप कोई जावत ा राषट तम स िमन रखता हो तो वफर भी ह बात तमह उनक साथ वनषzwjपक और ापणण विहार करन स न रोक

288 विशव सकट तथा शानत-पथ

शतरता ा परवतदनदता तमह परवतशोzwjध लिन अथिा अताचार पणण विहार करन क वलिए परररत न कर वि आप वििािरो का उततम समाzwjधान करना चाहत ह तो शानतपणण हलि ढढन का परास कर

म इस बात की परशसा करता ह वक बहत स पनचिमी िशरो न वनzwjधणन तथा अविकवसत िशरो की जनता को वजनम मसलिमान भी सनममवलित ह अतत उिारतापिणक अपन िश म बसन की अनमवत िी ह वनसिह बहत स मसलिमान आपक िश म रहत ह और ि आपक नागररक भी ह उनम स अवzwjधकतर कानन का पालिन करन िालि और वनषzwjकपट लिोग ह इसक अवतररति ह वक इलिाम की पटि वशका ह वक अपन िश स परम करना हमार ईमान का अश ह आपक वलिए भी मरा ही सिश ह वक वि इलिाम की िातविक वशकाओ का हर जगह परसार वका जाए तो इसक फलििरप राषटी और अतराणषटी तर पर िश-परम की भािनाओ और शानत की थापना समभि होगी

आपस और िाति म विशव क सभी महान नताओ स मरा ह विनम अनरोzwjध ह वक िसर िशरो का िमन करन हत शनति क परोग क थान पर ककटनीवत िाताणलिाप तथा सिzwjबवदध स काम लिना चावहए विशव की महाशनतिरो जस वक फास को शानत थापना क वलिए अपनी भवमका वनभानी चावहए उह छोट िशरो की गवतविवzwjधरो को विशव-शानत भग करन का आzwjधार नही बनाना चावहए अतः म पनः आपको मरण कराता ह वक विशव की छोटी और बडी शनतिरो को तती विशव दध की विफोटक नथवत उतपन करन स रोकन क वलिए थासमभि परास कर इस समबzwjध म हमार मन म कोई शका नही रहनी चावहए वि हम इस काण म विफलि हो गए तो ऐस दध क परभाि एि पररणाम किलि एवशा रोप तथा उततरी एि िवकणी अमररका क वनzwjधणन िशरो तक ही सीवमत नही रहग अवपत हमारी भािी पीवढा भी हमार काषो क भीषण पररणामरो स परभावित हरोगी और पर विशव म विकलिाग और शारीररक िोष िालि बचच जम लिग म पराथणना करता ह वक विशव

289विशि क नताओ क नाम पतर

क नता सिzwjबवदध स काम लि और विवभन िशरो और लिोगरो क मध वनमन तर पर चलि रही शतरता को विशव दध का रप zwjधारण करन स रोक महापरतापी परमातमा आपको और विशव क अ सभी महान नताओ को ह सिश समझन का सामथण परिान कर

शभ कामनाओ एि पराथणनाओ सवहतभििी

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

यनजइटि मकििि त थज रजषट-िणिल दशरो की िहजरजनी क नजि पत

293विशि क नताओ क नाम पतर

Her Majesty Queen Elizabeth IIQueen of the United Kingdom and Commonwealth Realms Buckingham Palace London SW1A 1AA United Kingdom

19 अपरलि 2012आिरणीा महारानी जीअहमविा मनलिम जमाअत क परमख क रप म और पर विशव क अहमविा

मनलिम जमाअत क लिाखरो सिरो की ओर स म हीरक जती क इस आनिपणण अिसर पर आपको हाविणक बzwjधाई िता ह हम विशष रप स सिणशनतिमान परमातमा क कतज ह वक उसन हम इस भव समारोह म भाग लिन का सअिसर परिान वका विशष रप स सभी अहमिी मसलिमान जो क क नागररक ह हीरक जती क इस अिसर पर अतत हषण एि गिण अनभि कर रह ह अतः म उन सब की ओर स महारानी को हाविणक बzwjधाई परतत करता ह

म उस परमशवर को जो सिणशषठ ह और वजसन zwjधरती और आकाश का सजन करक उसको हमार जीिन क वलिए असख नrsquoमतरो स पररपणण वका ह स ाचना करता ह वक िह हमारी महारानी को वजसका िापणण राज बहत स िततर राषट और राषट-मणिलि क सि िशरो पर वापत ह सिि शानत और सरका परिान कर वजस परकार महारानी स िदध एि िक अथाणत समत परजा परम करती ह और उनका आिर करती ह हमारी िआ ह वक परमातमा क फररशत भी उसी परकार महारानी स परम कर वजस परकार महारानी को परमातमा न परचर मातरा म सासाररक नrsquoमत परिान की ह हमारी कामना ह वक परमातमा उसी परकार महारानी को असख आधानतमक

294 विशव सकट तथा शानत-पथ

ििाताओ एि नrsquoमतरो स भी पररपणण कर ि परमातमा कर इन नrsquoमतरो क फलििरप इस महान राषट क सभी नागररक अपन सिणशनतिमान परमातमा को पहचानन म सकम हो जाए और परपर परम एि सहानभवत की भािना स जीिनापन करन लिग परमातमा कर क क सभी नागररक zwjधमण रग नलि राषटीता अथिा zwjधमण क भिभाि स ऊपर उठ कर एक िसर क परवत इस सीमा तक आिर एि सममान की भािना का परिशणन करन लिग वक इस विहार का सकारातमक परभाि इस िश की सीमाओ को पार करक विशव क अ िशरो क लिोगरो म वापत हो जाए परमातमा कर वक ह ससार वजसका अवzwjधकाश भाग आज दधरो वििािरो तथा शतरताओ म सवलिपत ह शानत परम भरातति और वमतरता का कदर बन जाए ह मरा दढ विशवास ह वक इस महतिपणण एि सिवोततम उदश की परानति क वलिए महारानी क द नषzwjट कोण और परास एक परमख भवमका वनभा सकत ह

गत शतािी म िो विशव-दध लिड गए वजनम लिाखरो पराण नटि हए वि आज विवभन िशरो क मध वििािरो म िवदध होती गई तो अततः इस का पररणाम तती विशव-दध क रप म परकट होगा विशव-दध म परमाण शतररो क परोग की परबलि स भािना का अथण ह विशव एक अतत भानक और कलपनातीत विनाश क िशणन करगा हमारी पराथणना ह वक परमातमा ऐसी भानक विपवतत को घवटत न होन ि और ससार क सभी लिोगरो को सिzwjबवदध और समवत परिान कर महारानी स मरा विनम वनििन ह वक आप हीरक जती क इस आनिपणण अिसर को मानिजावत की भलिाई क वलिए परोग म लिात हए सभी िशरो चाह ि बड हरो ा छोट की जनता को ह मरण कराए वक ि परपर परम शानत तथा एकता की भािना स जीिन वतीत कर

इस समबzwjध म हीरक जती क इस पािन अिसर पर आपस मरा एक विनम वनििन ह वक आप विशव को ह सिश ि वक परतक zwjधमण क अना वरो तथा उनको भी जो परमातमा म विशवास नही करत सिि अ zwjधमण क लिोगरो की भािनाओ का सममान करना चावहए इलिाम क समबzwjध म आज विशव म गलित

295विशि क नताओ क नाम पतर

zwjधारणाए परचवलित ह इस क फलििरप एक ओर शानतवपर मसलिमानरो की भािनाए आहत होती ह तो िसरी ओर गर मनलिमरो क हि म इलिाम क परवत अविशवास और घणा की भािना उतपन होती ह अतः वि आप सभी लिोगरो को ह उपिश ि वक परतक वनति सभी zwjधमषो और उनक अन ावरो का आिर और सममान कर तो सभी zwjधमषो क मानन िालिरो अवपत समत विशव पर ह आपकी िा और महान उपकार होगा महापरतापी परमातमा इस उदश की पवतण म हमारी महारानी की सहाता एि समथणन कर

जसा वक इस पतर क आरमभ म मन वलिखा था वक म विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत का परमख ह इस समबzwjध म म अपनी जमाअत का एक अवत सवकपत पररच परतत करना चाहता ह अहमविा मनलिम जमाअत का ह दढ विशवास ह वक िह मसीह मौऊि और सzwjधारक वजसको हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम तथा उनस पिण अिताररो की भविषzwjिावणरो क अनरप इस ग म आविभाणि वननचित था िह हजरत वमजाण गलिाम अहमि काविानी अलिवहसलिाम क अ वतररति कोई अ नही सनzwj 1889 ई म आपन एक पवितर और सिाचारी समिा की नीि रखी वजसका नाम अहमविा मनलिम जमाअत ह इस जमाअत की थापना स आपका उदश परमातमा और मनषzwj म समबzwjध थावपत करना और लिोगरो का एक िसर क अवzwjधकाररो को पणण करन की ओर धानाकवषणत करना था वजसक फलििरप सभी लिोग परपर सममान और शभचछा की भािना क साथ जीिन वतीत कर सक जब 1908 ई म हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब अलिवहसलिाम का िहात हआ तो उस सम आपक लिगभग 400000 अन ाी थ आपक िगणिास क पचिात परमातमा की इचछा अनसार वखलिाफत की विथा की थापना हई और इस सम परमातमा का ह विनीत सिक हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम का पाचिा खलिीफा ह अतः अहमविा मनलिम जमाअत पर विशव म अपन स थापक क उदश को आग बढान म परासरत ह हमारा सिश परम सलिह और भरातति पर आzwjधाररत ह और हमारा आिशण िाक ह - परम सब क वलिए

296 विशव सकट तथा शानत-पथ

घणा वकसी स नही जो िाति म इलिाम की अनपम वशकाओ का सार ह हा ह िणणन करना उवचत होगा वक ह शभ स ोग ह वक अहमविा

मनलिम जमाअत क स थापक क जीिनकालि म महारानी विकटोररा की हीरक जती मनाई गई थी उस सम अहमविा मनलिम जमाअत क सथापक न तोहफा कसररा (महारानी क वलिए एक भट) नामक एक पतक की रचना की वजसम आपन महारानी विकटोररा क वलिए बzwjधाई का सिश वलिखा था अपन सिश म हजरत वमजाण गलिाम अहमि सावहब अलिवहसलिाम न महारानी को हीरक जती क अिसर पर बzwjधाई िी और साथ ही इस बात की भी बzwjधाई िी वक महारानी क शासन म सभी लिोगरो वजनम भारती उपमहादीप क लिोग भी शावमलि ह को ा एि zwjधावमणक िततरता परिान की गई ह और ि सभी शानतपणण जीिन वतीत कर रह ह आपन इलिाम की सिर वशकाओ को परतत करत हए अपन आगमन और िाि का वाखातमक िणणन वका

दवप वबरटन की सरकार न भारती उपमहादीप को िततरता परिान कर िी ह अवपत िाति म वबरटन की सरकार का विवभन जावत तथा zwjधमषो क लिोगरो को अपन िश म वनिास करन की अनमवत िना और उह समान अवzwjधकार zwjधावमणक िततरता अवभवनति की िततरता परिान करना वबरटन की उचचतम तर की सहनशीलिता का विशालि परमाण ह आज सहतररो अहमिी मसलिमान वबरटन म रहत ह उनम स अवzwjधकतर ऐस ह वजहरोन अताचार क कारण अपन िश स वहजरत (परिास) करक हा शरण लिी ह महारानी क िापणण शासन म ि शानतपणण जीिन वतीत कर रह ह वजसम उह ा और zwjधावमणक िततरता परापत ह इस उिारता क वलिए म पनः आिरणीा महारानी क परवत अपनी हाविणक कतजता परकट करता ह

म ह पतर महारानी क वलिए एक पराथणना क साथ समापत करता ह िाति म ह िही पराथणना ह जो अहमविा मनलिम जमाअत क सथापक न आिरणी महारानी विकटोररा क वलिए की थी

297विशि क नताओ क नाम पतर

ldquoह सिणशनतिमान त था सिणशषठ परमातमा अपनी कपा एि िा स हमारी आिरणीा महारानी को सिि परसन रखना ठीक उसी परकार जस वक हम उनक िापणण शासन म परसनतापिणक जीिन वतीत कर रह ह ह सिणशनतिमान परमातमा उनस िा एि सहपिणक विहार करना जस वक हम उनक िापणण शासन म शानत एि समवदधपिणक जीिन वतीत कर रह हrdquo

मरी ह भी पराथणना ह वक महापरतापी परमातमा हमारी आिरणीा महारानी का मागणिशणन कर सिणशनतिमान परमातमा आिरणी महारानी की सतान का भी ऐसा मागणिशणन कर वक ि सचचाई पर थावपत हो कर अ लिोगरो को भी इस मागण पर चलिन का उपिश ि परमातमा कर ा और िततरता क गण वबरवटश सामाज क मागणिशणक वसदधात बन रह म पनः आिरणीा महारानी की सिा म इस आनिपणण अिसर पर हाविणक बzwjधाई परतत करता ह हमारी आिरणीा महारानी की सिा म मरी ओर स हाविणक एि सचची बzwjधाई परतत ह

शभ कामनाओ तथा पराथणनाओ सवहतभििी

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख अहमविा मनलिम जमाअत

इसलजिी िणरजजय ईरजन क सवापिख नतज क नजि पत

301विशि क नताओ क नाम पतर

इलिामी गणराज ईरान क सिणपरमख नताआतलाह सि अलिी हसनी खमनीतहरान ईरान

14 मई 2012आिरणी आतलाह असलिामो अलिकम ि रहमतलाह ि बरकातहसिणशनतिमान अलाह न आपको ईरान म इलिाम की सिा का अिसर परिान

वका ह तथा इस सम ईरान की सरकार अापक सरकण म का णरत ह अतः आिशक ह वक हम ससार तक इलिाम की िातविक वशकाओ का सिश पहचान का भरसक परतन कर मसलिमान होन क नात हम ससार को शानत परम और एकता स रहन की वशका िनी चावहए विशष रप स मनलिम नताओ को इस ओर तरत धान िन की आिशकता ह इसी उदश हत मरा आप स अनरोzwjध ह वक आप अपनी सरकार का विशव म शानत थावपत करन क वलिए उसक कततणव की ओर धानाकषणण कराए वि ईरान पर आकरमण होता ह तो उस अपन िश की रका करन का पणण अवzwjधकार परापत ह परत उस आकरमण करन अथिा वकसी वििाि म पडन की पहलि नही करनी चावहए िरनzwj zwjधावमणक मतभिरो को एक ओर रखकर नवतक मलरो क आzwjधार पर एकता बनान का परास वका जाना चावहए इलिाम क इवतहास स हम जात होता ह वक ही मागण अपनाा गा था

म हजरत मसीह मौऊि अलिवहसलिाम वजसक इस ग म आगमन की भविषzwjिाणी हजरत महममि सललाहो अलिवह िसलम न की थी पर ईमान लिान

302 विशव सकट तथा शानत-पथ

िालि उनक उततरावzwjधकारी और खलिीफा होन क नात आपको ह पतर वलिख रहा ह अलाह की कपा स ह जमाअत अब विशव क 200 िशरो म थावपत हो चकी ह और विशव भर म इसक लिाखरो शदधािान अनाी ह

हमारी ह परबलि इचछा ह वक हम परपर परम और शानत स रहन क वलिए विशव का मागणिशणन कर इस उदश की पवतण हत म जीिन क विवभन िगण क लिोगरो का वनरतर धानाकषणण कराता रहता ह अतः मन इही विनरो म इसाईलि क परzwjधानमतरी स ति राज अमररका और कई अ विशव तर क नताओ को पतर वलिख ह मन पोप बवनविकट XVI को भी इस समबzwjध म पतर वलिखा ह

एक विशालि इलिामी िश क आधानतमक नता क रप म मझ आशा ह वक आप इस बात स सहमत हरोग वक वि समत मनलिम समिा एकजट हो कर का ण कर तो विशव-शानत थावपत हो सकती ह हम शतरता और िमन को अकारण बढाना नही चावहए अवपत हम शानत थावपत करन क अिसर ढढन चावहए इसक अवतररति ह वक िसररो क साथ शतरता ा विरोzwjध की भािना भी अापणण नही होनी चावहए पवितर कआणन न हम ही वशका िी ह ः-

अनवजद - ह ि लिोगो जो ईमान लिाए हो अलाह क वलिए मजबती स वनगरानी करत हए ा क समथणन म साकी बन जाओ और वकसी जावत की शतरता तमह किावप इस बात की ओर परररत न कर वक तम ा न करो ा करो ह तकिा (स म) क सबस अवzwjधक वनकट ह और अलाह स िरो जो तम करत हो वनसिह अलाह उसस सिा अिगत रहता ह (सरह अलिमाइिह ः 9)

अलाह तआलिा समत मनलिम समिा और सभी मनलिम राजरो को मरा सिश समझन का सामथण परिान कर और ि विशव म शानत थावपत करन हत अपनी-अपनी भवमका वनभान क वलिए ततपर हो जाए

समत मनलिम समिा क परवत परम क फलििरप उतपन मानिजावत स परम की भािना न और इस बात न वक म उसकी उममत का सि ह जो समत मानिजावत क वलिए साकात िा ह मझ आपको ह पतर वलिखन क वलिए परररत

303विशि क नताओ क नाम पतर

वका ह अलाह तआलिा विशव क सभी नताओ को मरा सिश समझन का सामथण परिान कर और ि विशव-शानत की थापना म सवकर भवमका वनभान िालि हरो अथा वि वकसी एक िश का असािzwjधानीपणण तथा वििकरवहत काण िो िशरो क मध पणण दध का कारण बनता ह तो िह वििाि किलि उन िो समबनzwjधत िशरो तक सीवमत नही रहगा अवपत दध की जवालिा समत विशव को अपनी चपट म लि लिगी अतः इसक फलििरप विशव-दध वछड जान की पणण समभािना ह जो परामपरागत शतररो स नही बनलक परमाण शतररो स लिडा जाएगा

परमाण दध क ऐस भीषण और भकर पररणाम वनकलिग वक वजन स न किलि समकालिीन जनता अवपत इसक िरगामी पररणामरो स भािी पीवढा भी परभावित हरोगी और ह दध उन भािी पीवढरो क वलिए जो विकलिागता और शारीररक िोषरो क साथ जम लिगी एक lsquoविकरालि भटrsquo होगी अतः वकसी भी िश को ह कलपना नही करनी चावहए वक िह शीघर आन िालि इस विनाश स सरवकत ह

अतः म पनः अलाह उसक रसलि और मानिता क परवत परम एि िा क नाम पर आप स अनरोzwjध करता ह वक विशव म शानत थावपत करन क वलिए अपनी भवमका वनभाए

शभकामनाओ तथा पराथणनाओ सवहतिसलिामभििी

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी जमाअत अहमविा

304 विशव सकट तथा शानत-पथ

रस क रजषटपमत क नजि पत

307विशि क नताओ क नाम पतर

महामवहम वलिाविमीर पवतनराषटपवत रसकरमवलिन 23 इवलिका टरीटमाको 103132 रस

18 वसतमबर 2013वपर राषटपवतम आपको ह पतर अहमविा मनलिम जमाअत क परमख क नात वलिख रहा

ह ह जमाअत जो शानतवपर और शानत को परोतसाहन िनी िालिी जमाअत ह विशव क 204 िशरो म थावपत हो चकी ह

विशि की ितणमान पररनथवतरो को सममख रखत हए म अपन विवभन भाषणरो क माधम स विशव क लिोगरो का परमातमा क परवत उनक कततणवरो और मानिता क परवत उनक िावतिरो की ओर धानाकषणण कराता रहा ह मझ इस बात का खि ह वक मझ आपस बात करन का अिसर परापत नही हआ ह परत सीररा की ितणमान वचताजनक पररनथवत न मझ इस बात क वलिए परररत वका वक म आपको पतर वलिख और आपन दध-कतर की बजाए िाताणलिाप क दारा समाओ का समाzwjधान करन क वलिए विशव क विवभन िशरो म सहमवत बनान का जो परास वका ह उसक वलिए आपका zwjधिाि और सराहना कर वकसी भी परकार क आकरमण स न किलि इस कतर म दध वछड जाएगा अवपत इसक विशव-दध म

308 विशव सकट तथा शानत-पथ

पररिवतणत होन की परबलि सभािना ह एक पनचिमी समाचार पतर म आपका एक लिख पढ कर मझ अतत परसनता हई वजस म आपन इस बात को परमख रप स परतत वका वक आकरमण करना अवत विनाशकारी होगा और इसक पररणामिरप विशव-दध की समभािना हो सकती ह आपक इसी सकलप क कारण महा-शनतिरो न आकरमण का मागण ताग कर सहमवत एि सवzwjध का मागण अपनाा और इस समा का राजनवतक समाzwjधान वनकालिन पर सहमवत वति की वनचि ही मरा ह विशवास ह वक इस सहमवत न विशव को एक महाविनाशकारी एि विधिसक नथवत स बचा वलिा ह म विशष रप स आपक इस विचार स सहमत ह वक वि विशव क िश अपन-अपन तर पर और एक-पकी वनणण लिग तो स ति राषट का भी िही अत होगा जो वक लिीग ऑफ नशस (राषटसघ) का हआ था अथाणत ह विफलि हो जाएगा वनसिह अभी दध की वचगारी भडकाई गई थी परत परसनता इस बात की ह वक ह जवालिा अब कछ सीमा तक शात हो गई ह जो सकारातमक परास अब तक वका गा ह भगिान कर उसक फलििरप दध का खतरा पणणता समापत हो जाए भगिान कर विशव की महाशनतिा छोट िशरो की रका कर उनका सममान कर और उनक उवचत अवzwjधकार उह ि न ह वक किलि अपनी िीटो-शनति क परोग की वचता म वत रह

शानत-थापना हत आपक परासरो न मझ ह zwjधिाि-पतर वलिखन क वलिए वििश कर विा ह मरी पराथणना ह वक ह परास अथाई न हरो अवपत मरा विशवास ह और म पराथणना करता ह वक आप सिि शानत-थापना क वलिए परासरत रह परमातमा आपको इस उदश-पवतण का सामथ ण परिान कर

विशव-शानत क वलिए जब भी मझ अिसर परापत होता ह म लिोगरो का धान इस ओर आकवषणत कराता ह वक ा पर आzwjधाररत विशव-शानत थावपत की जाए मर कछ भाषण World Crisis and the Pathway to Peace (विशव सकट तथा शानत-पथ) नामक पतक म परकावशत हो चक ह वजसकी एक परवत

309विशि क नताओ क नाम पतर

भट िरप आपक वलिए परतत हशभकामनाओ एि पराथणनाओ सवहत

वमजाण मसरर अहमिखलिीफतलि मसीह पचमपरमख विशववापी अहमविा मनलिम जमाअत

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