॓कઈरत ऩयी¢ा पाठ्यक्रम अ कऺा :9 ि ीं...

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सॊकलरत ऩयीा –1 विषय-हदी (पायम-) का :9 ि समय:3 घटे प ाक -90 निदेश: (1) ि-प क े चार खड ह- ‘, ,ग और घ। (2) चार खड के ि के उतर देिा अनििायय है। (3) यथासभि येक खड के उतर मश: दीजिए। खड- (1) नननलरखित गदमाॊश को मानऩ वक ऩढ़कय नीचे ददए गए शन के लरए सही वकऩ नकय लरखिए : 1x5=5 लशा औय िेरक द एक-द सये से घननठ ऱऩ से सॊफॊधधत है। ‘कामा यािे धभव है’ कथन के अन साय जीन के सबी धभ की साधना शयीय से ही होती है मदद शयीय ही थ न हो, तो लशा कै से हण कै से की जा सकेगी औय मदद शयीय गॉाकय लशा हण कय बी री, तो उस न का मा होगाउ उस शयीय के काभ तो उसका ऻानाजवन नहीॊ सके गा। अत: िेर का लशा के े भ ऩमावत भह है िेर के दाया बी अनेक काय की लशा लभरती है। शायीरयक वकास, भानलसक वकास,सहमोगी बाना, साभ दहक वकास, माग बाना,उदायता,सहनशीरता सदद भानीम ग ण का वकास कयने भ िेरक द एक भऩ णव लभका ननबाते ह। इन भहान ग ण को हभ िेर-ही- िेर भ अऩने जीन भ उताय रेते ह। नीयस ऻान के उऩदेश इह हण कयाने भ उतने सपर नहीॊ होते। इस काय हभ देिते ह लशा औय िेर एक- द सये के ऩ यक ह। (i) जीन के सबी धभ की साधना ककसके भामभ से होती हैउ (क) शयीय के (ि) िेर-क द के (ग) लशा के (घ) ाम के (ii) िका कस ऩमावत भह है ? () के (ि) लशा के () वऻान के () वकास के (iii) भानीम के वकास कसकी भहऩ णव लभका है ? () लशा की (ि) ातावराऩ की

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  • सॊकलरत ऩयीऺा –1 विषय-हहन्दी (पाठ्यक्रम-अ) कऺा :9 ि ीं

    समय:3 घींटे परू्ाांक -90 निदेश: (1) प्रश्ि-पत्र के चार खींड हैं- ‘क ‘, ख,ग और घ। (2) चारों खींडों के प्रश्िों के उत्तर देिा अनििायय है। (3) यथासींभि प्रत्येक खण्ड के उत्तर क्रमश: दीजिए। खण्ड- क (1) ननम्नलरखित गदमाॊश को ध्मानऩरू्वक ऩढ़कय नीच ेददए गए प्रशनों के लरए सही वर्कल्ऩ चनुकय लरखिए : 1x5=5 लशऺा औय िेरकूद एक-दसूये से घननष्ठ रूऩ से सॊफॊधधत है। ‘कामा यािे धभव है’ कथन के अनसुाय जीर्न के सबी धभों की साधना शयीय से ही होती है मदद शयीय ही स्र्स्थ न हो, तो लशऺा कैसे ग्रहण कैसे की जा सकेगी औय मदद शयीय गॉर्ाकय लशऺा ग्रहण कय बी री, तो उस ऻान का क्मा होगाउ उस शयीय के काभ तो उसका ऻानाजवन नहीॊ स सकेगा। अत: िेरों का लशऺा के ऺेत्र भें ऩमावप्त भहत्तत्तर् है िेरों के दर्ाया बी अनेक प्रकाय की लशऺा लभरती है। शायीरयक वर्कास, भानलसक वर्कास,सहमोगी बार्ना, साभदूहक वर्कास, त्तमाग बार्ना,उदायता,सहनशीरता सदद भानर्ीम गुणों का वर्कास कयने भें िेरकूद एक भत्तत्तर्ऩणूव बलूभका ननबात ेहैं। इन भहान गणुों को हभ िेर-ही- िेर भें अऩने जीर्न भें उताय रेत ेहैं। नीयस ऻान के उऩदेश इन्हें ग्रहण कयाने भें उतने सपर नहीॊ होते। इस प्रकाय हभ देित ेहैं कक लशऺा औय िेर एक- दसूये के ऩयूक हैं। (i) जीर्न के सबी धभों की साधना ककसके भाध्मभ से होती हैउ (क) शयीय के (ि) िेर-कूद के (ग) लशऺा के (घ) स्र्ास््म के (ii) िेरों का ककस ऺेत्र भें ऩमावप्त भहत्तत्तर् है? (क) ऻान के (ि) लशऺा के (ग) वर्ऻान के (घ) वर्कास के (iii) भानर्ीम गुणों के वर्कास भें ककसकी भहत्तत्तर्ऩणूव बलूभका है? (क) लशऺा की (ि) र्ातावराऩ की

  • (ग) िेर-कूद की (घ) सचाय-वर्चाय की (iv) रेिक ने ककसे नीयस कहा है? (क) जीर्न को (ि) िेर-कूद को (ग) भनषु्म को (घ) ऻान को (v) ‘उदायता’ शब्द सॊऻा के बेद के सधाय ऩय ककस प्रकाय की सॊऻा है? (क) व्मक्क्तर्ाचक सॊऻा (ि) बार्र्ाचक सॊऻा (ग) जानतर्ाचक (घ) सभहूर्ाचक सॊऻा (2) ननम्नाॊककत गदमाॊश को ध्मानऩरू्वक ऩढ़कय नीच ेददए गए प्रशनों के लरए सही वर्कल्ऩ चनुकय लरखिए : 1x5=5 हॉसी शयीय के स्र्ास््म का शबु सॊर्ाद देन ेर्ारी है। र्ह एक साथ ही शयीय औय भन को प्रसन्न कयती है। ऩाचन-शक्क्त फढ़ाती है, यक्त को चराती है औय अधधक ऩसीना राती है। हॉसी एक शक्क्तशारी दर्ा है। डॉ0 ह्मडू के अनसुाय सनॊद से फढ़कय फहुभलू्म र्स्त ुभनषु्म के ऩास औय नहीॊ है। कायराइर के भतानसुाय जो जी से हॉसता है र्ह कबी फयुा नहीॊ होता। जी से हॉसो, तुम्हें अच्छा रगेगा। अऩने लभत्र को हॉसाओ, र्ह अधधक प्रसन्न होगा। शत्र ुको हॉसाओ, तुभ से कभ घणृा कयेगा एक अनजान को हॉसाओ, तुभ ऩय बयोसा कयेगा। उदास को हॉसाओ, उसका दिु घटेगा। एक ननयाश को हॉसाओ, उसकी सशा फढ़ेगी। एक फढ़ेू को हॉसाओ, र्ह अऩने को जर्ान सभझने रगेगा। एक फारक को हॉसाओ, उसके स्र्ास््म भें र्वृि होगी। हॉसी सफको बरी रगती है। जो भनषु्म हॉसते नहीॊ, उनसे ईश्र्य फचार्े। प्रसन्न रोग कोई फयुी फात नहीॊ कहत।े हॉसी फयै औय फदनाभी की शत्र ुहै औय बराई की सिी है। जहाॉ तक फने, हॉसी से सनॊद प्राप्त कयो। (i) हॉसी अच्छे स्र्ास््म की सॊर्ाद है क्मोंकक उससे – (क) भन भें िुशी फनी यहती है। (ि) भनषु्म चसु्त यहता है। (ग) भनषु्म हास – ऩरयहास भें व्मस्त यहता है। (घ) एक साथ शयीय औय भन दोनों प्रसन्न यहत ेहैं। (ii) हॉसी एक शक्क्तशारी दर्ा होती है क्मोंकक उससे –

  • (क) शयीय भें हल्काऩन यहता है (ि) भन प्रसन्न फना यहता है (ग) ऩाचन-शक्क्त भें र्वृि के साथ स्रे्द प्रकिमा दरुुस्त यहती है (घ) शयीय औय भन दोनों शाॊत यहत ेहैं (iii) कायराइर के अनसुाय र्ह फयुा नहीॊ होता जो – (क) कबी नहीॊ हॉसता (ि) हय फात ऩय हॉसता यहता है (ग) जी से हॉसता है (घ) लभत्र के साथ ही हॉसता-फोरता है (iv) हॉसी ककसकी सिीउ (क) फद औय फदनाभी की (ि) बराई की (ग) भनषु्म की (घ) वर्नोद की (v) लभत्र, शत्र,ु अनजान, ननयाश एर्ॊ फढ़ेू सदद सबी भनषु्मों ऩय हॉसी का प्रबार् होता है – (क) शबु औय स्र्ास््मर्धवक (ि) सकायात्तभक (ग) नकायात्तभक (घ) यक्तर्धवक (3) अधोलरखित काव्माॊश को ध्मानऩरू्वक ऩढ़कय नीच ेददए गए प्रशनों के लरए सही वर्कल्ऩ चनुकय लरखिए : 1x5=5 ऩथ बरू न जाना ऩधथक कहीॊ ऩथ भें काॉटे तो होंगे ही दरू्ावदर सरयता सय होंगे। सुॊदय धगरय र्न र्ाऩी होंगे सुॊदयता की भगृतषृ्णा भें ऩथ बरू न जाना ऩधथक कहीॊ॥ जफ कदठन कभव ऩगडॊडी ऩय याही का भननु्भिु होगा। जफ सऩने सफ लभट जाएॉगे। कतवव्म भागव सन्भिु होगा। तफ अऩनी प्रथभ वर्परता भें ऩथ बरू न जाना ऩधथक कहीॊ।

  • (i) ऩधथक क्मों बटक सकता हैउ (क) जानकायी के अबार् भें (ि) सुॊदयता के सकर्वण भें (ग) थकान के कायण (घ) जॊगर के घनेऩन के कायण (ii) जॊगरी भागव भें काॉटों के साथ- साथ औय क्मा होता हैउ (क) ऩत्तथय (ि) ऩश-ुऩऺी (ग) र्न एर्ॊ जराशम ऩणूव सुॊदय दृश्म (घ) हयीनतभा (iii) “ कभव-ऩगडॊडी” ककसे कहा गमा हैउ (क) जीर्न की उरझनों को (ि) जीर्न की भकु्श्करों को (ग) जीर्न की कठोय साधना को (घ) जीर्न की सवुर्धाओॊ को (iv) ‘कदठन कभव ऩगडॊडी’ भें अरॊकाय है – (क) अनपु्रास (ि) रूऩक (ग) उऩभा (घ) श्रेर् (v) “प्रथभ वर्परता” का बार् है – (क) ऩहरी सपरता (ि) ऩहरी फाय ही सॊतुष्ट हो जाना (ग) ऩहरे - ऩहर काभ न फनना (घ) ऩहरे – ऩहर चककत हो जाना (4) नीच ेलरखित काव्माॊश को ध्मानऩरू्वक ऩढ़कय नीच ेददए गए प्रशनों के लरए सही वर्कल्ऩ चनुकय लरखिए : 1x5=5 ऩऺी औय फादर मे बगर्ान के डाककए हैं जो एक भहादेश से दसूये भहादेश को जाते हैं। हभ तो सभझ नहीॊ ऩात ेहैं भगय उनकी राई धचदिमाॉ ऩेड़, ऩौधे, ऩानी औय ऩहाड़ फाॉचत ेहैं। हभ तो केर्र मह सॉकत ेहैं कक एक देश की धयती

  • दसूये देश को सगुॊध बेजती है। (i) बगर्ान के डाककए कौन हैउ (क) ऩर्वत औय झयने (ि) ऩऺी औय फादर (ग) ऩेड़ औय ऩौधे (घ) ऩानी औय हर्ा (ii) बगर्ान के डाककए कहाॉ से कहाॉ तक जाते हैंउ (क) एक भहादेश से दसूये भहादेश (ि) एक नगय से दसूये नगय (ग) एक गाॉर् से दसूये गाॉर् (घ) एक ऩेड़ से दसूये ऩेड़ (iii) प्रकृनत को ककस रूऩ भें प्रस्ततु ककमा गमा हैउ (क) दलु्हन (ि) सनॊद (ग) सॊदेशर्ाहक (घ) भेहभान (iv) एक देश की धयती दसूये देश को क्मा बेजती हैउ (क) लभट्टी (ि) पूर (ग) सगुॊध (घ) उऩहाय (v) ‘डाककमा’ शब्द भें ‘इमा’ क्मा हैउ (क) उऩसगव (ि) प्रत्तमम (ग) भरू शब्द (घ) अन्म (5) ननदेशानसुाय उत्ततय दीक्जए : 1x4=4 (क) ‘उऩ’ उऩसगव से दो शब्द फनाइए। (ि) ‘सकुभव’ भें कौन-सा ‘उऩसगव’ है? (ग) ‘ऩन’ प्रत्तमम से दो शब्द फनाइए। (घ) ‘साॊसारयक’ शब्द भें प्रमकु्त भरू शब्द औय प्रत्तमम लरखिए। (6) ननदेशानसुाय उत्ततय दीक्जए : 1x3=3 (क) ‘र्ेद-ऩयुाण’ का सभास वर्ग्रह कीक्जए तथा सभास का नाभ फताइए। (ि) ककस सभास भें ऩरू्व ऩद सॊख्मार्ाची वर्शरे्ण होता हैउ (ग) ननम्नलरखित वर्ग्रहों के सभस्त ऩद फनाकय सभास का नाभ बी लरखिए : 1 साध ुने ‘अभतृ के सभान र्चन’ फोरे। (7) (i) अथव के सधाय ऩय र्ाक्म – बेद फताइए : 1x2=2

  • (क) जनता न ेनेताजी का स्र्ागत ककमा। (ि) क्मा स्कूर भें सज छुट्टी हैउ (ii) ननदेशानसुाय र्ाक्म ऩरयर्तवन कीक्जए : 1x2=2 (क) सालरभ ने उसका काभ नहीॊ ककमा। (सॊदेहर्ाचक) (ि) अरीशा गीत गा यही है। (वर्स्भमर्ाचक) (8) ननम्नलरखित ऩॊक्क्तमों भें अरॊकाय फताइए : 1x4=4 (क) कहती हुई मों उत्ततया के, नेत्र जर से बय गए। दहभ के कणों से ऩणूव भानो, हो गए ऩॊकज नए॥ (ि) भदुदत भहीऩनत भॊददय सए। (ग) सयूदास अफरा हभ बोयी, गुय चाॉटी ज्मौं ऩागी। (घ) ऩामो जी भैंने याभ यतन धन ऩामो। (9) ननम्नलरखित गदमाॊश को ध्मानऩरू्वक ऩढ़कय नीच ेददए गए प्रश्नों के लरए सही वर्कल्ऩ चनुनए : 1x5=5 दोनों सभने-साभन ेमा सस-ऩास फठेै हुए एक-दसूये से भकू बार्ा भें वर्चाय – वर्भशव कयत ेथे। एक-दसूये के भन की फात कैसे सभझ जात ेथे, हभ नहीॊ कह सकते। अर्श्म ही उनभें कोई ऐसी गुप्त शक्क्त थी, क्जससे जीर्ों भें शे्रष्ठता का दार्ा कयन ेर्ारा भनषु्म र्ॊधचत है। दोनों एक-दसूये को चाटकय औय सूॉघकय अऩना प्रेभ प्रकट कयत ेथे, कबी-कबी दोनों सीॊग बी लभरा लरमा कयत ेथे – वर्ग्रह के नात ेसे नहीॊ, केर्र वर्नोद के बार् से, सत्तभीमता के बार् से, जैसे दोस्तों भें घननष्ठता होत ेही धौर-धप्ऩा होन ेरगता है। (i) भानर् ककससे र्ॊधचत है? (क) भकू बार्ा से (ि) गुप्त शक्क्त से (ग) वर्चाय-वर्भशव से (घ) स्र्तॊत्रता से (ii) दोनों लभत्र कैसे फठैते थे? (क) अरग-अरग (ि) दयू-दयू (ग) सभने-साभन े (घ) फाहय (iii) दोनों लभत्र भकू बार्ा भें क्मा कयत ेथे? (क) असॊतोर् प्रकट कयत ेथे (ि) घणृा प्रकट कयत ेथे

  • (ग) सॊघर्व के बार् प्रकट कयत ेथे (घ) वर्चाय-वर्भशव कयते थे (iv) दोनों लभत्र ककस बार् से सीॊग लभरात ेथे? (क) सत्तभीमता के बार् से (ि) शत्रतुा के बार् से (ग) स्र्ाथव के बार् से (घ) रारच के बार् से (v) दोनों लभत्र अऩनी लभत्रता कैसे प्रकट कयत ेथे? (क) एक-दसूये को चाटकय (ि) सूॉघकय (ग) सीॊग लभराकय (घ) उऩमुवक्त सबी

    अथर्ा धीये-धीये सफ कुछ फदर यहा है। एक नई जीर्न शरैी अऩना र्चवस्र् स्थावऩत कय यही है। उसके साथ एक नमा जीर्न-दशवन उऩबोक्तार्ाद का दशवन स यहा है। चायों तयप उत्तऩादन फढ़ान ेऩय जोय है। मह उत्तऩादन सऩके लरए है, सऩके बोग के लरए है, सऩके सिु के लरए है। ‘सिु’ की व्माख्मा फदर गई है। उऩबोग- बोग ही सिु है। एक सकू्ष्भ फदरार् समा है नई क्स्थनत भें। उत्तऩादन तो सऩके लरए हैं। सऩ मह बरू जात ेहैं कक जान-े अनजान ेसज के भाहौर भें सऩका चरयत्र बी फदर यहा है औय सऩ उत्तऩाद को सभवऩवत होत ेजा यहे हैं। (i) सिु की व्माख्मा क्मा है? (क) उऩबोग-बोग (ि) ददिार्ा सॊस्कृनत (ग) चारयत्रत्रक फदरार् (घ) वर्ऻाऩन दशवन (ii) धीये-धीये क्मा फदर यहा है? (क) रोगों की ऩसॊद (ि) जीर्न जीन ेका ढॊग (ग) साभाक्जक प्रनतष्ठा (घ) वर्ऻाऩन दशवन (iii) भनषु्म ककसे सभवऩवत हो यहा है? (क) ऩरयर्ाय को (ि) देश को (ग) लभत्र को (घ) उत्तऩाद को (iv) जान-ेअनजान ेक्मा फदर यहा है? (क) सभाज (ि) चरयत्र (ग) ऩरयर्ेश (घ) याष्र (v) प्रस्तुत गदमाॊश के रेिक का नाभ क्मा है?

  • (क) प्रेभचॊद (ि) भहादेर्ी र्भाव (ग) श्माभाचयण दफेु (घ) याहुर साॊकृत्तमामन (10) ननम्नलरखित प्रश्नों के उत्ततय सॊऺेऩ भें लरखिए : 2x5=10 (क) गाॉधी जी ने उऩबोक्ता सॊस्कृनत को हभाये सभाज के लरए चनुौती क्मों कहा है? (ि) ‘दो फरैों की कथा’ भें फरैों के भाध्मभ से कौन-कौन से नीनत-वर्र्मक भलू्म उबयकय सए हैं? (ग) ककस घटना ने सालरभ अरी के जीर्न की ददशा को फदर ददमा औय उन्हें ऩऺी प्रेभी फना ददमा? (घ) उस सभम के नतब्फत भें हधथमाय का काननू न यहन ेके कायण मात्रत्रमों भें ककस प्रकाय का बम फना यहता था? (ङ) ‘इतना तो हो ही गमा कक नौ, दस प्राखणमों की जान फच गई। रे् सफ तो सशीर्ावद देंगे’ – भोती के इस कथन के सरोक भें उसकी वर्शरे्ताएॉ फताइए। (11) ननम्नलरखित काव्माॊश को ध्मानऩरू्वक ऩढ़कय नीच ेददए गए प्रश्नों के उत्ततय दीक्जए : 2+1+2=5 हॉसभिु हरयमारी दहभ सतऩ सिु से अरसाए-से सोए, बीगी अॉधधमायी भें ननलश की तायक स्र्प्नों भें से िोए – भयकत डडब्फ-ेसा िुरा ग्राभ – क्जस ऩय नीरभ नब सच्छादन, ननरुऩभ दहभाॊत भें क्स्नग्ध शाॊत ननज शोबा से हयता जन-भन। (क) हरयमारी को हॉसभिु क्मों कहा गमा हैउ 2 (ि) ‘भयकत डडब्फ-ेसा िुरा ग्राभ’ भें ककस अरॊकाय का प्रमोग हैउ 1 (ग) बीगी हुई यात भें लसताये ककस प्रकाय प्रतीत होत ेहैंउ 2 अथर्ा भानरु् हौं तो र्ही यसिानन फसौं ब्रज गोकुर गाॉर् के ग्र्ायन।

  • जौ ऩस ुहौं तो कहा फस भेयो चयौं ननत नॊद की धेन ुभॉझायन। ऩाहन हौ तो र्ही धगरय को जो ककमो हरयछत्र ऩयुॊदय धायन। जौ िग हौ तो फसेयो कयौं लभलर कालरॊदद कूर कदॊफ की डायन॥ (क) कवर् ककस ऩर्वत का ऩत्तथय फनना चाहता है औय क्मोंउ 1 (ि) यसिान अगरे जन्भ भें भनषु्म मोनन भें जन्भ रेने ऩय कहाॉ यहना चाहते हैंउ 1 (ग) काव्माॊश की अॊनतभ ऩॊक्क्त भें ककस अरॊकाय का प्रमोग ककमा गमा हैउ 1 (घ) कवर् की ऩश ुरूऩ भें जन्भ रेने ऩय क्मा इच्छा हैउ 1 (ङ) काव्माॊश के कवर् का नाभ फताइए। 1 (12) ननम्नलरखित प्रश्नों के उत्ततय दीक्जए : 2x5=5 (क) कफीय ने ईश्र्य को ‘सफ स्र्ाॉसों की स्र्ाॉस भें’ क्मों कहा है? (ि) कवर् ने गाॉर् को ‘हयता जन-भन क्मों कहा है? (ग) ककस शासन की तुरना तभ के प्रबार् से की गई है औय क्मों? (घ) ‘र्ाि’ कवर्ता भें ‘यस्सी’ शब्द ककसके लरए प्रमकु्त हुस है औय र्ह कैसी है? (ङ) ‘कैदी औय कोककरा’ ऩाठ भें हथकडड़मों को गहना क्मों कहा गमा है? (13) रेखिका ने अऩनी नानी को कबी नहीॊ देिा कपय बी उनके व्मक्क्तत्तर् से र्ह क्मों प्रबावर्त थी? 5 अथर्ा जफ रेिक को मह अहसास हुस कक उसके इराके भें बी ऩानी घसुने की सॊबार्ना है तो उसन ेक्मा-क्मा प्रफन्ध ककए?

    िण्ड- घ (14) ददए गए सॊकेत त्रफन्दओुॊ के सधाय ऩय ककसी एक वर्ष्म ऩय ननफन्ध लरखिए : 10 (क) इॊटयनेट की दनुनमा (वर्ऻान के चभत्तकाय,इॊटयनेट क्मा है?,कॊ प्मटूय के साथ भेर सचूनाओॊ का जार, राब,हाननमाॉ) (ि) ऩेड़-ऩौध ेऔय हभाया जीर्न (प्रकृनत औय भानर् का अटूट सम्फन्ध, ऩेड़ – लभत्र के रूऩ भें, र्नों का सॊयऺण, ऩेड़ काटने के दकु्ष्प्रणाभ, ननष्कर्व) (ग) चरयत्र – ननभावण भें सादहत्तम का मोगदान

  • (सादहत्तम का अथव, उऩमोधगता, सादहत्तम का भागवदशवक रूऩ, सादहत्तम का अध्ममन क्मों?, सझुार्, ननष्कर्व) (15) ननम्नलरखित वर्र्मों भें से ककसी एक वर्र्म ऩय ऩत्र लरखिए : 5 सऩके वर्दमारम भें ‘लशऺक ददर्स’ भनामा गमा। वर्दमाधथवमों ने ही कऺाएॉ रीॊ। साॊस्कृनतक कामविभ तथा बोज हुस। इसका र्णवन कयते हुए अऩनी फड़ी फहन को एक ऩत्र लरखिए।

    अथर्ा सऩकी फोडव ऩयीऺाएॉ चर यही हैं ऩयन्त ुसऩके ऺेत्र भें त्रफजरी की कटौती अननमलभत ढॊग से की जा यही है। इसकी लशकामत कयत ेहुए वर्दमतु – वर्बाग के अधधकायी को ऩत्र लरखिए। (16) वर्दमारम के र्ावर्वकोत्तसर् ऩय ऩयुस्काय वर्तयण एर्ॊ साॊस्कृनतक कामविभ ऩय एक प्रनतर्ेदन तैमाय कीक्जए। 5 र्ावर्वकोत्तसर् सभायोह - 07 भई,2015 स्थान - के0वर्0,कॊ कड़फाग,ऩटना भखु्म अनतधथ - क्जराधधकायी- अजीत कुभाय दीऩ प्रज्र्लरत - वर्दमारम प्रफन्ध सलभनत के अध्मऺ स्र्ागत बार्ण - वर्दमारम के प्राचामव धन्मर्ाद ऻाऩन - श्री रिन रार लसॊह सॊचारक - डॉ0 अजीत कुभाय(अध्माऩक)

    अॊक मोजना एस0ए0-1,2015-16 कऺा :9, दहन्दी(ऩाठ्मिभ-अ)

    िण्ड : ‘क’ (1) अऩदठत गदमाॊश -------------------------------------------------1x5=5 (i) - (घ) (ii) - (ग) (iii) - (घ) (iv) - (ग) (v) - (ि)

  • (2) अऩदठत गदमाॊश -------------------------------------------------1x5=5 (i) - (क) (ii) - (क) (iii) - (ि) मा कोई बी (iv) - (क) (v) - (ग) (3) अऩदठत काव्माॊश --------------------------------------------------1x5=5 (i) - (ि) (ii) - (घ) (iii) - (क) (iv) - (क) (v) - (क) (4) अऩदठत काव्माॊश --------------------------------------------------1x5=5 (i) - (ि) (ii) - (ि) (iii) - (ि) (iv) - (क) (v) - (ग)

    िण्ड : ‘ि’ (5) --------------------------------------------------------------------- 1×4=4 (क) उऩकाय,उऩदेश 1×4=4 (ि) स ु (ग) फचऩन, रड़कऩन (घ) सॊसाय+इक (6) ---------------------------------------------------------------------- 1x3=3 (क) दर्ॊदर् सभास (ि) दवर्ग ुसभास

  • (ग) र्चनाभतृ (7) (i) --------------------------------------------------------------- 1x2=2 (क) वर्धानर्ाचाक

    (ि) प्रश्नर्ाचाक (ii)------------------------------------------------------------- 1x2=2 (क) शामद सालरभ ने उसका काभ नहीॊ ककमा। (ि) क्मा! अरीशा गीत गा यही है। (8) --------------------------------------------------------------------- 1x4=4

    (क) उत्तप्रेऺा अरॊकाय (ि) अनपु्रास अरॊकाय (ग) उऩभा अरॊकाय (घ) रूऩक अरॊकाय िण्ड : ‘ग’

    (9)---------------------------------------------------------------------- 1x5=5 (i) - (क) (ii) - (ग) (iii) - (घ) (iv) - (क) (v) - (ग)

    अथर्ा (i) - (क) (ii) - (ि) (iii) - (घ) (iv) - (ि) (v) - (ग) (10) ------------------------------------------------------------------ 2x5=10

  • (क) उऩबोक्ता सॊस्कृनत के कायण हभाये अॊदय ददिार्,े सडॊफय सदद की बार्ना ऩनऩ यही है।प्रनतष्ठा फनान ेके लरए हभ भहॉगे र्स्त्रों, भहॉगी लशऺा तथा सधनुनक भहॉगी चीज़ों की ओय बाग यहे हैं, क्जसके लरए धन की सर्श्मकता होती है। इसी कायण हभ स्र्ाथी होत ेजा यहे हैं। अत: मह सभाज के लरए चनुौती है। (ि) ककसी बी व्मक्क्त की सयरता औय सीधेऩन को उसकी भूिवता नहीॊ सभझना चादहए। दहॊसक व्मक्क्त के साथ दहॊसा का व्मर्हाय सही नहीॊ है। स्त्री के साथ भाय-ऩीट कयना नीच कामव है। सॊगदठत होकय शक्क्तशारी शत्र ुको ऩयाक्जत कय सकत ेहैं। वर्ऩक्त्तत भें लभत्र का सदैर् साथ देना चादहए। असहाम,वर्र्श औय ऩयाक्जत शत्र ुऩय कबी र्ाय नहीॊ कयना चादहए। (ग) फचऩन भें सालरभ अरी की एअयगन से एक नीर ेकॊ ठ की गौयेमा घामर होकय धगय ऩड़ी थी। इस घटना ने उनके जीर्न की ददशा फदर दी औय रे् ऩऺी प्रेभी फन गए। (घ) मात्रत्रमों के भन भें सदैर् हत्तमा का बम फना यहता था। नतब्फती रोग हधथमाय रेकय चरत ेथे। डाकू बी ककसी मात्री को ऩहरे जान से भायत ेथे, उसके फाद उसकी तराशी रेते थे। (ङ) भोती भें ऩयोऩकाय की बार्ना कूट-कूटकय बयी हुई है। जफ बी र्ह ककसी ऩश ुमा भनषु्म को दीन-हीन दशा भें देिता है,तफ र्ह उनके सॊकट को दयू कयन ेका प्रमास कयता है। (11) ----------------------------------------------------------- 2+1+2=5 (क) र्सॊत कत ुभें िेत िलरहानों भें हरयमारी छामी यहती है, जो भन को प्रसन्नता देन ेर्ारी होती है। (ि) उऩभा अरॊकाय (ग) ओस के कायण बीगी हुई यात भें सकाश के ताये इस प्रकाय दटभदटभात ेहैं जैसे स्र्प्नों भें िोए हुए हों।

    अथर्ा --------------------------------- 1x5=5 (क) कवर् गोर्धवन ऩर्वत का ऩत्तथय फनना चाहता है क्मोंकक इसे श्रीकृष्ण ने अऩनी उॉगरी ऩय धायण ककमा था। (ि) र्ह (कवर्) गोकुर गाॉर् के ग्र्ारों के साथ यहना चाहते हैं क्मोंकक उनके रृदम भें श्रीकृष्ण के प्रनत अनन्म प्रेभ है।

  • (ग) अनपु्रास अरॊकाय (घ) कवर् ऩश ुके रूऩ भें जन्भ रेकय नॊद की गामों के फीच चयना चाहता है। (ङ) यसिान (12) ---------------------------------------------------------------- 2x5=10 (क) सॊसाय ईश्र्य की यचना है। सबी प्राखणमों भें सत्तभा के रूऩ भें ऩयभात्तभा वर्याजभान है। इसलरए कफीय ने ईश्र्य को ‘सफ स्र्ाॉसों की साॉस’ कहा है। (ि) ग्राभीण ऺेत्रों की हरयमारी भन को फहुत सुॊदय रगती है। इसी कायण कवर् ने गार्ॉ को ‘हयता जन- भन’ कहा है। (ग) त्रब्रदटश शासन की तुरना तभ अथावत अॊधकाय के प्रबार् से की गई है क्मोंकक त्रब्रदटश शासक जनता के साथ न्मामऩणूव शासन नहीॊ कयत ेथे। (घ) यस्सी शब्द ‘सहाये’ के लरए प्रमकु्त हुस है। यस्सी कच्च ेधागे की फनी होने के कायण कभज़ोय है अथावत ईश्र्य को प्राप्त कयन ेके प्रमास सपर नहीॊ हो ऩा यहे हैं। (ङ) जो देशबक्त अऩन ेदेश की स्र्तॊत्रता के लरए सॊघर्वयत थे, रे् अऩयाधी नहीॊ थे। रे् र्ीय, साहसी तथा सम्भाननीम थे। इसीलरए कवर् ने हथकडड़मों को गहना कहा है। (13) -------------------------------------------------------------------5 रेखिका की नानी ऩयॊऩयागत रूऩ से अनऩढ़ औय ऩयदा कयन ेर्ारी स्त्री थीॊ। रे् कबी बी अऩन ेऩनत के यहन- सहन, तौय-तयीकों से प्रबावर्त नहीॊ हुईं। अऩनी इच्छा-सकाॊऺा को व्मक्त नहीॊ ककमा। रे् अऩनी क्ज़ॊदगी अऩने तयीके से जीती यहीॊ। उनके इस तयह स्र्तॊत्र जीर्न जीन ेसे ही रेखिका उनसे प्रबावर्त थीॊ।

    अथर्ा रेिक ने एक सप्ताह के लरए दहन्दी, फाॊग्रा तथा अॊगे्रज़ी की ऩत्रत्रकाएॉ ियीदीॊ। घय भें गैस, कोमरा,सर ूतथा अन्म िान े– ऩीन ेकी चीज़ों का प्रफॊध ककमा। कम्ऩोज की गोलरमों का बी प्रफॊध ककमा। िण्ड : ’घ’ (14) ननफॊध रेिन------------------------------------------------------------10 बलूभका ------------------------------------------------------------------ 2 वर्र्म का वर्श्रेर्ण ------------------------------------------------------4

  • बार्ा-शरैी ---------------------------------------------------------------- 1 र्तवनी की शिुता -------------------------------------------------------------1 ननष्कर्व --------------------------------------------------------------------- 2 (15) ऩत्र रेिन ------------------------------------------------------------5 औऩचारयकताएॉ ---------------------------------------------------------------1 वर्र्म र्स्तु -----------------------------------------------------------------3 र्तवनी की शिुता -----------------------------------------------------------1 (16) प्रनतर्ेदन --------------------------------------------------------------5 औऩचारयकताएॉ --------------------------------------------------------------1 वर्र्म र्स्तु -------------------------------------------------------------------2 शरैी -------------------------------------------------------------------------1

    सभाऩन ----------------------------------------------------------------------1 अॊक-वर्बाजन (BLUE PRINT)

    कऺा :9र्ीॊ सभम : 3 घॊटे सॊकलरत ऩयीऺा -1 (2015-16) ऩूणाांक :90 दहन्दी (ऩाठ्मिभ- अ) वर्र्म-र्स्तु फहुवर्कल्ऩी

    प्रश्न अनत रघूत्ततयीम प्रश्न

    रघूत्ततयीम प्रश्न

    दीघव उत्ततयीम

    अनतदीघव उत्ततयीम

    कुर अॊक

    अऩदठत गदमाॊश 1(10) _ _ _ _ 10

    अऩदठत ऩदमाॊश 1(10) _ _ _ _ 10

    उऩसगव - 1(2) _ _ _ 02

    प्रत्तमम सभास

    - -

    1(2) 1(3)

    _ -

    _ -

    _ -

    02 03

    र्ाक्मबेद(अथवकीदृक्ष्ट से) अरॊकाय

    1 (4) 1(4)

    - -

    - -

    - -

    - -

    04 04

  • क्षऺनतज,बाग-1 1(5) 1(5) 2(10) _ _ 30

    कृनतका,बाग-2 _ _ _ 5(1) 05

    ननफॊध- रेिन _ _ _ _ 10(1) 10

    ऩत्र- रेिन प्रनतर्ेदन

    _ -

    _ -

    _ -

    5(1) 5(1)

    _ -

    05 05

    मोग 1(30) 1(15) 2(10) 5(03) 10(1) 90

    स्ऩष्टीकयण : 1(10) : ‘1’ अॊक का एर्ॊ ‘10’ प्रश्न का सूचक है।

    ************************************************ केन्रीम वर्दमारम सॊगठन,

    ऩटना सॊबाग सॊकलरत भूल्माॊकन – प्रथभ, 2015-16 प्राप्ताॊकों का प्रश्नानुसाय वर्श्रेर्ण

    कऺा –9 र्ीॊ वर्र्म – दहन्दी (ऩाठ्मिभ-अ) ऩूणाांक :90 छात्र का नाभ - अनुिभाॊक - प्रश्न सॊख्मा

    ऩाठ का नाभ ऩूणाांक प्राप्ताॊक अलबमुक्क्त

    1 अऩदठत गदमाॊश 1x5=05 2 अऩदठत गदमाॊश 1x5=05

    3 अऩदठत काव्माॊश 1x5=05

    4 अऩदठत काव्माॊश 1x5=05

    5 6

    उऩसगव प्रत्तमम सभास

    1x2=2 1x2=2 1x3=3

    7 र्ाक्म- बेद(अथवकीदृक्ष्टसे) 1x4=4 8 अरॊकाय 1x4=4 9 ऩदठत गदमाॊश 1x5=5

  • 10 गदम ऩाठों ऩय सधारयत 2x5=10 11 ऩदठत काव्माॊश

    अथर्ा 2+1+2=5/

    1x5=5

    12 काव्म ऩाठों ऩय सधारयत प्रश्न

    2x5=10

    13 कृनतका ऩय सधारयत प्रश्न 05 14 ननफॊध 10 15 ऩत्र रेिन 05 16 प्रनतर्ेदन 05 कुर 90