केआईओसीएल िलिमटेड क राजभाषा ई-पिका · ी...

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वेशाक वेशाक केआईओसीएल िलिमटेड केआईओसीएल िलिमटेड क राजभाषा ई-पिका

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  • �वेशाकं�वेशाकं

    केआईओसीएल िलिमटेड

    केआईओसीएल िलिमटेड क� राजभाषा ई-पि�का

  • 2

    सभी अंतरा��ीय मानक� जैसे - आईएसओ 9001:2015, आईएसओ 14001:2015 एवं ओएचएसएएस 18001:2007 का अनुपालन

    करते �ए केआईओसीएल ने लौह अय�क खनन, अनुलाभीकरण, पैलेटीकरण और फाउं�ी �ेणी के िपग आयरन के िनमा�ण म� 4 दशक से

    अिधक का सफ़र तय �कया ह ै। केआईओसीएल दशे के िलए िनरंतर मू�यवान िवदशेी मु�ा अ�ज�त कर रा�य और क� � के राजक�य-कोष म�

    योगदान द ेरहा ह ै।

    केआईओसीएल रा�ीय इ�पात नीित 2017 के अनु�प िव� वष� 2030 तक 300 िमिलयन टन क� इ�पात-�मता को �ा� करने के िलए

    एक स��य भागीदार क� भूिमका म� ह ै। केआईओसीएल ने कु�मुेख �े� म� खान के बहाव एवं िम�ी के कटाव क� रोकथाम के िलए पहले ही

    7.5 िमिलयन से अिधक का पौधारोपण �कया ह।ै सीएसआर के अंतग�त कंपनी, �वा��य, सामुदाियक िवकास, िश�ा, पेय-जल, �व�छता

    एवं �व�छ भारत-�व�छ िव�ालय अिभयान हतुे पया�� रािश �य कर रही ह ै। केआईओसीएल एक शू�य उ�सज�न कंपनी के �प म�

    लगातार पया�वरण क� दीघ�कािलकता के िलए भी योगदान कर रहा ह ै।

    �व�छ, �व�थ और ह�रत पया�वरण के िनमा�ण म�

    पया�वरण के िलए सदैव

    केआईओसीएल िलिमटेड(भारत सरकार का उ�म)

  • 3

    राजभाषा गह पि�का सिमितृसर�कं

    �ी एम िव स�बा रावुअ�य�-सह-�बध िनदशेकं

    माग�दश�क�ी �वपन कमार गोराईु

    िनदशेक (िव�)

    परामश�दाता�ी एस राज��

    महा �बधक (मानव ससाधन)ं ं

    सपादकं�ी एस रजनीश कमार ु

    उप �बधक (राजभाषा)ं

    उप सपादकंस�ी चदा रानीु ं

    िहदी अिधकारी ंसपादक�य सहयोगं

    �ी एम मनीराजु ूमा�टर तकनीिशयन

    �परेखा िव�यास �ी टी वी शखेर

    सहायक �बधक (सचना �ौ�ोिगक� )ं ू

    “िहदी ह ैजन-जन क� भाषा, जन-जन के मन क� अिभलाषांसरल-सबोध-सहज अिभ�यि�, िनज भाषा हर मन क� शि�”ु

  • 4

    अन�मिणकाु

    इस ई-पि�का म � �कािशत रचनाओ म � �य� िवचार सबिधत लेखक� के ह।� मौिलकता एव अ�य िकसी िववाद के िलए ं ं ं ंलेखक �वय उ�रदायी ह�गे। सपादक मडल / केआईओसीएल िलिमटेड से इसक� सहमित होना आव�यक नही ह।� ं ं ं

    िन:श�क एव केवल आत�रक िवतरण के िलए।ु ं ं

  • 5

    आशीव�चन

    राजभाषा िवभाग �ारा नई पहल के �प म � जारी हो रह े'�ीगधा' के इस �वेशाक के �प म � इस ई-ं ंअक को ��तत करते हए मझ ेहािदक� �स�नता हो रही ह।ै गह पि�काए िकसी भी सगठन के � ृं ु ु ं ंकािमक� � को एक रचना�मक मच उपल�ध कराती ह � िजसके मा�यम से वे अपनी लेखक�य �ितभा ंका �दशन� करते ह।� यह राजभाषा िहदी म � काय� के िलए सश� वातावरण तैयार करने म � भी ंमह�वपण � योगदान करती ह।� इन पि�काओ का एक अ�य योगदान समसामाियक चनौितय� से ू ं ुिनपटने के िलए साथ�क सचनाओ का आदान �दान करना भी ह।ै वत�मान म � वैि�क महामारी ू ंकोिवड-19 से िनपटने क� चनौती का सामना भी पि�का के आलेख अपने तरीके से करने का ुरा�ता िदखा सकते ह।�

    '�ीगधा' पि�का के �काशन से ��य� या परो� �प से जड़े हए ��येक केआईओसीएल कम� को �ं ुध�यवाद सिहत आप सभी को स�िचपण � पाठन क� शभकामनाए।ु ू ु ं

    शभकामनाओ के साथ! ु ं

    (एम िव स�बा राव)ु

    एम िव स�बा राव ुअ�य�-सह-�बध िनदशेकं

  • 6

    '�ीगधा' के �वेशाक के मा�यम से आपसे �ब� होते हए मझ े बहत खशी हो रही ह।ै � �ं ं ु ुकेआईओसीएल क� अपनी गह पि�का '�ीगधा' के मा�यम से केआईओसीएल किमय� � को ृ ंअपनी रचनाओ को साझा करने का मच िमलेगा। इस मच का साथ�क इ�तेमाल हम अपनी ं ं ंसम�याओ के िनवारण के साथ ही उपलि�धय� के �सार के िलए भी कर सकते ह।� इस मच के ं ंमा�यम से हम अपनी गितिविधय� क� चचा� के साथ भिव�य क� योजनाओ को तय कर सकते ह।ै ंइस पि�का के मा�यम से अपना सरकारी कामकाज हम � राजभाषा िहदी म � परा करने क� �ेरणा भी ं ूिमलेगी। इसी सकारा�मक �ेरणा के बल पर हम इ�पात िविनमा�ण के अपने मल उ��ेय� क� ही ूभाित सघ क� राजभाषा नीित के काया��वयन के �ित भी परी तरह सचते और जाग�क रहकर ं ं ूकाया�लयीन कामकाज म � अिधक से अिधक राजभाषा िहदी का �योग कर�गे। ं

    मझ े�यि�गत तौर पर लगता ह ैिक आज जब हम कारोबारी िवकास के िलए �यादा से �यादा ु�ाहक� तक अपनी पहचँ बनाने के िलए लोकलाइजेशन अथा�त �थानीय भाषाओ म � अपने � ंव�तओ और सेवाओ क� िवशषेता बताने क� ओर अ�सर ह � िहदी म � �यादा से �यादा काम हमारी ु ं ं ंसेवाओ के �सार के िलए बहत ज�री हो जाता ह।ै�ं

    ई-पि�का के �प म � '�ीगधा' के �वेशाक को ��तत करने के साथ ही साथ आप सभी से अपील ह ैं ं ुिक हमम � से ��येक अपने काय��े� म � िहदी म � काय� को बढ़ाने के िलए सदवै �यासरत रह ेऔर ंप�ाचार िवशषे तौर पर ईमले से िकए जाने वाले प�ाचार के िलए राजभाषा िवभाग के सम�वय से िमशन मोड म � हर सभव पहल करता रह।ें

    शभकामनाओ सिहत ! ु ं

    (�वपन कमार गोराई)ु

    �वपन कमार गोराईुिनदशेक (िव�)

    उदबोधन

  • 7

    सबोधनं

    राजभाषा के सव�काय� �भारी के �प म � मरेा �यि�गत तौर पर यह अनभव रहा िक िहदी भाषा म �ु ंकामकाज से हम दशे के हरेक कोने तक अपनी पहचँ बना सकते ह।� बाजार म � �ाहक� को समझ म ��आने वाली भाषा के �प म � आज िहदी बहरा��ीय क�पिनय� क� पहली पसद ह।ै अम�ेरका म ��ं ं�चिलत दि�ण एिशयाई भाषाओ म � िहदी सबसे लोकि�य ह।ै दशे िवदशे म � अपनी लोकि�यता ं ंके दम पर आज िहदी का �सार बढ़ा ह।ैं

    केआईओसीएल म � भी हम भारत सरकार के राजभाषा िवभाग �ारा �ित वष � जारी िकए जाने वाले वािषक� काय��म म � िदए गए ल�य� को परा करने तथा समय-समय पर िदए जाने वाले िनदश� � के ूअनपालन के �ारा राजभाषा िहदी के �गामी �योग क� िदशा म � नई पहल करते रहते ह।�ु ं

    केआईओसीएल क� गह पि�का '�ीगधा' के �वेशाक को ��तत करते हए मझ ेहािदक� �स�नता ृ �ं ं ु ुहो रही ह।ै िहदी से जड़ी हई रचनाओ के साथ इस अक म � हमने िविवध सामि�य� को ��तत िकया �ं ु ं ं ुह।ै हमारा यह �यास कैसा लगा इसे जानने क� उ�सकता रहगेी। ु

    आपक� �िति�या क� �ती�ा म � शभकामनाओ सिहत! ु ं

    (एस राज��)

    एस राज��महा �बधक (मानव ससाधन)ं ं

  • 8

    केआईओसीएल प�रवार के एक िब�कल नए सद�य के �प म � आप सभी के सम� ��तत होने पर सव��थम म �ु ुआप सभी को अपना सादर अिभवादन ��तत करता ह।ँ �ु

    इ�पात म�ालय के एक उप�म के �प म � केआईओसीएल म � न हम लौह अय�क� के �स�करण के �प म �ं ंफौलाद बनाने व िपघलाने का दमखम रखते ह � बि�क अपने काय� �यवहार म � भी चनौितय� को उपलि�धय� म �ुबदलने का हौसला रखते ह।� यह हौसला हम � ��येक मोड़ पर अपनी स�मता को िस� करने क� �ेरणा �दान करता ह।ै इसी �ेरणा के वशीभत होकर हम राजभाषा िहदी के �े� म � भी अिभनव �यास� के मा�यम से �यो�ा ू ंिहतैषी ट�स अथा�त उपकरण� के �ारा दनैिदन �योग क� काया�लयीन िहदी को बेहतर से बेहतरीन बनाने क� ू ं ंअथक च�ेा करते ह।�

    अपनी इ�ह� अनथक च�ेा के �प म � आपके सम� राजभाषा िवभाग क� पहल व टीम केआईओसीएल के समि�वत सहयोग से �ीगधा के �प म � राजभाषा ई-पि�का के साथ ��तत हए ह।��ं ु

    राजभाषा िवभाग के �ारा जारी हो रही इस ई-पि�का के िलए राजभाषा िवभाग केवल एक मच उपल�ध कराने ंका काय� करेगा। मच को गितिविधय� व उपलि�धय� से भरने का काय� केआईओसीएल प�रवार के ��येक ंकािमक� का ह।ै आप अपने अनभव� से �ीगधा के मच का साथ�क व सकारा�मक उपयोग कर�गे इस बात का मझ ेु ं ं ुिव�ास ह।ै

    �वेशाक के िलए िनगिमत काया�लय �तर पर अ�यत कम समय म � किमय� � का िजस �कार से �नेह व समथ�न ं ंिमला उसके िलए म � हािदक� ध�यवाद दतेे हए बताना चाहता ह िक आप सभी क� रचना�मक भिमकाओ से इस � � ं ू ंअक क� पटकथा िनिमत� हई ह।ै इस अक म � ��तत रचनाए ँआप सभी का �ानवधन� कर�गी व लोक�िच के �ं ं ुआलेख आप म � िहदी से �ेम क� धारा ��फिटत कर�गे। अक म � किवताए भी दी जा रही ह ैऔर किवताए सामा�य ं ु ं ं ंतौर पर अपने आप म � मक�मल होती ह � और हजार� श�द� क� बात भी दो ल�ज� क� किवता म � बया हो जाती ह।ै ु ंउ�मीद ह ैआप सभी को पि�का अ�छी लगेगी। अपनी �िति�याओ से हम � अवगत कराए। अब आप सभी से ं ंशी� िमलने के वाद ेके साथ आप सभी का...

    (एस रजनीश कमार)ु

    एस रजनीश कमार ुउप �बधक (राजभाषा)ं

    सपादक�यं

  • 9

    हमारी दर�ि�ू

    गणव�ा और उ�पादकता के उ�चतम अतररा��ीय मानक�, �ौ�ोिगक�य एव पया�वरणीय उ�क�ता से य� ृु ं ं ुिव��तरीय खनन कपनी के �प म � उभरना और भारत म � अनलाभीकरण एव पलै ेटीकरण उ�ोग म � अ�णी ं ु ंबनना और वैि�क िव�सनीयता �थािपत करना।

    हमारा ल�य

    · िव�ास और आपसी अनलाभ� के आधार पर सहज आपित� �खला सिनि�त करने के िलए �ाहक� ृु ू ं ुऔर पित�कता�ओ साथ दीघक� ालीन सबध बनाना ।ू ं ं ं

    · नैितकता और स�यिन�ा के साथ �यापार ।

    · कपनी के उ�पादन के��� के आस-पास क� सामािजक, आिथ�क प�रि�थित म � सधार करने का �यास ं ुकरना।

    · सतत �ानाज�न करना ।

    · �ौ�ोिगक� और बदलते वैि�क प�र��य क� अनकलनशीलता । ु ू

    · कमच� ा�रय� को िवकास के अवसर, मा�यता और �ितफल �दान करना ।

    हमारा उ�े�य

    · िव�तारण और िविविधकरण �ारा �गित ।

    · नए बाज़ार और अवसर� का पता लगाना ।

    · ��म� म � प�रवत�न लाते हए लागत कटौती �ारा �ित�पधा� बनाना।�

    · िविविधकत कारोबारी यिनट� बनाते हए कारोबार के नए �े�� का पता लगाना। ृ �ू

    · �ान, कौशल और अिभवित म � सधार लाने के िलए कािमक� � के �मता िनमा�ण म � लगातार िनवेश ृ ुकरना हमारे म�य नैितक म�य। ु ू

  • 10

    नगर राजभाषा काया��वयन सिमित (उप�म)

    नगर राजभाषा काया��वयन सिमित (उप�म), ब�गल� के सयोजक काया�लय के �प म� ू ंकेआईओसीएल का अम�य योगदान या�ा... ू

    नगर राजभाषा काया��वयन सिमित (उप�म), ब�गल� के �बधन एव सयोजन का काय�भार िवगत चौदह वष� से ू ं ं ंकेआईओसीएल िलिमटेड िन�ापव�क िनभाती रही। इन वष� के दौरान राजभाषा िहदी के �गामी �योग को ू ंबढ़ावा दनेे तथा सरकार क� राजभाषा नीित के काया��वयन, राजभाषा सबधी बैठक� एव िविभ�न काय��म�/ ं ं ंगितिविधय� का सचालन करने म � केआईओसीएल ने अपनी भिमका/कत��य� को सफलतापव�क अ�णी �प म �ं ू ूिनभाया। �भावी काया��वयन के प�रणाम�व�प उ�साहवधन� करने वाले पर�कार हमारी उ�पादकता म � वि� ृुकरते ह।� इन वष� के दौरान नराकास (उप�म), ब�गल� को समय – समय पर अनेक पर�कार �ा� हए। हम � भारत �ू ुके माननीय रा��पित महोदय के करकमल� से राजभाषा म � ��े – काय� िन�पादन के िलए तीन अलग-अलग वष� के िलए पर�कार तथा दि�ण �े�ीय राजभाषा पर�कार भी �ा� हए ह।ै�ु ु

    दि�ण �े� म � सव�तम राजभाषा काया��वयन के िलए केआईओसीएल िलिमटेड के सयोजन म � सचािलत नगर राजभाषा ं ंकाया��वयन सिमित (उप�म) ब�गल� को वष � 2017-18 के िलए �ा� ततीय पर�कार को माननीय रा�यपाल, केरल रा�य, ृू ुभारत सरकार के करकमल� से �हण करते �ी एम. िव. स�बा राव, अ�य�-सह-�बध िनदशेक, केआईओसीएल िलिमटेड ु ं

    समय समय पर �ा� िविश� पर�कार ु

  • 11

    भारत सरकार के राजभाषा िवभाग (गह म�ालय) �ारा 01 िदसबर 2019 के �भाव से नगर राजभाषा ृ ं ंकाया��वयन सिमित (उप�म), ब�गल� के सयोजक काया�लय का दािय�व र�ा म�ालय के िनय��णाधीन ू ं ंसाव�जिनक �े� के एक उ�क� उप�म भारत इले��ॉिन�स को िदए जाने के उपरात केआईओसीएल िलिमटेड ृ ंके िवगत चौदह वष� के या�ा के �मख पड़ाव� के �प म � यह बताना अ�यत उ�लेखनीय रहगेा िक य�िप अब ु ंतक क� हमारी िनयिमत उपलि�धया व गितिविधया नराकास (उप�म), ब�गल� क� गह पि�का म � �कािशत ृं ं ूहोती रही ह � तथािप एक िज�मदेार नराकास काया�लय के �प म � हमने अब तक स�मता से दािय�व� का िनवा�ह िकया ह।ै

    िव� वष � के दौरान नराकास (उप�म), ब�गल� क� दो बैठक� का आयोजन िनयिमत �प से िकया जाता रहा । ू

    केआईओसीएल िलिमटेड के सयोजन म � सचािलत नगर राजभाषा काया��वयन सिमित (उप�म), ब�गल� क� अ��वािषक� ं ं ूबैठक� क� झलिकयां

    िनयिमत अ��वािषक� बैठक� और �ेरणा व �ो�साहन के �प म � नराकास (उप�म) ब�गल� क� �थम बैठक के ूदौरान नराकास क� ओर से ��येक वष � राजभाषा के ��े िन�पादन हते 5 बडे काया�लय, 5 छोटे काया�लय एव ु ंउ�क� 'गह पि�का' के �काशन हते 4 काया�लय� को �शि�त प� एव शी�ड �दान िकए जाते रह।ेृ ृ ु ं

    �थम बैठक के दौरान �ित वष � नराकास (उप�म) क� गह पि�का 'दीिपका' का लोकाप�ण और पि�का म �ृ�कािशत लेखक� को नकद पर�कार से स�मािनत िकया जाता रहा।ु

  • 12

    नराकास (उप�म), ब�गल� के त�वावधान म � केआईओसीएल िलिमटेड �ारा िहदी का �गामी �योग सिनि�त ू ं ुकराने के उ��ेय से 10 व� क� परी�ा म � िहदी िवषय म � शत- �ितशत अक हते �थम 10 छा�- छा�ाओ को नकद ं ं ु ंपर�कार, �शि�त प� एव शी�ड से स�मािनत करने क� परपरा का स�यक वहन िकया।ु ं ं

    जहाँ तक �ितयोिगताओ क� बात ह,ै नराकास (उप�म), ब�गल� के त�वावधान म � सय� िहदी माह के दौरान ं ू ं ु ंकल 18 �ितयोिगताए ँ जैसे- वाता�लाप, अनवाद, समाचार वाचन, ��ो�री, िहदी टकण, �शासिनक ु ु ं ंश�दावली, �ान सधा, िनबध, राजभाषा िलिखत ��ो�री, �तलेखन, भि�/ दशे भि� गीत, किवता वाचन, ु ं ुवग� पहलेी, अता�री, िविवधा, िट�पण आलेखन, िच�कथा, आश भाषण आिद आयोिजत क� जाती रही।ं ु

  • 13

    इसके अलावा िहदी के �चार �सार के बढ़ावा हते नराकास के त�वावधान म � अनवाद �िश�ण, अिभमखी ं ु ु ुकाय��म, तकनीक� सेिमनार, राजभाषा सगो�ी एव स�मलेन, किव सगो�ी, सय� िहदी काय�शालाओ जैसी ं ं ं ं ु ं ंगितिविधय� का भी आयोजन िकया जाता रहा।

    केआईओसीएल मानव ससाधन� क� �ि� से कह � तो अ�यत सीिमत मानव ससाधन सप�न होने के बावजद ं ं ं ं ूइतनी लबी अविध तक नगर राजभाषा काया��वयन सिमित (उप�म), ब�गल� के सयोजक काया�लय के �प म �ं ू ंस�मता से दािय�व� का िनवा�ह िन�ापव�क एव सफलतापव�क करता रहा। पव� म � उप�म, भारत सरकार के ू ं ू ूकाया�लय और ब�क सबका दािय�व एकमा� नराकास, ब�गल� �ारा वहन िकया जाता था। उस �प म � भी ूकेआईओसीएल ने न केवल दािय�व� का स�मता से िनवा�ह िकया वरन अनेक� उपलि�धय� के िलए पर�कत ृुभी हआ।�

    िदनाक 17 जलाई, 2019 को सप�न िव�ीय वष � 2019-20 क� पहली बैठक के साथ नराकास (उप�म), ं ु ंब�गल� के सयोजक काया�लय के �प म � केआईओसीएल िलिमटेड क� अितम बैठक थी। हम शपथ लेते ह � िक ू ं ंकेआईओसीएल सयोजक काया�लय न होने पर भी सदवै िहदी के �चार �सार हते िनरतर अपने सहयोग और ं ं ु ंदािय�व� का िनवा�ह कर�ग ेसाथ ही हम वत�मान सयोजक भारत इले��ॉिन�स िलिमटेड को राजभाषा के �े� म �ंअ�ितम उपलि�ध हािसल करने क� कामना करते हए आशा करते ह � िक एक स�म माग�दशक� के �प म � भिव�य �म � केआईओसीएल को ��येक कदम पर उिचत िदशा िनदश� और �ेरणा �ो�साहन �ा� होता रहगेा।

  • 14

    िह�दी पखवाड़ा वष� 2019 का समापन समारोह

    राजभाषा िहदी के �चार-�सार एव इसके �योग क� गित को बढ़ावा दनेे के िलए िदनाक 04 िसत�बर से 30 ं ं ंिसत�बर 2019 तक केआईओसीएल िलिमटेड, ब�गल� म � िहदी पखवाड़ा का आयोजन िकया गया। काय��म ु ंका शभारभ 04.09.2019 को कपनी के कमच� ा�रय� के िलए आयोिजत िनबध �ितयोिगता के साथ हआ।�ु ं ं ं

    िहदी पखवाड़ा के दौरान कमच� ा�रय� के िलए िहदी क� िविभ�न �ितयोिगताओ का आयोजन िकया गया। िजसम �ं ं ंअिधका�रय� एव कमच� ा�रय� ने बढ़-चढ़ कर भाग िलया। िदनाक 30 िसतबर 2019 को स�या 4.00 बजे िहदी ं ं ं ं ं

    पखवाड़ा के समापन समारोह एव पर�कार िवतरण का आयोजन िकया गया था।ं ु

    काय��म म � परपरानसार अितिथय� का �वागत �ी च�शखेर उरकडे, व�र� �बधक (राजभाषा) ने िकया। ं ु ं ं

    काय��म क� श�आत भारतीय परपरानसार दीप ���वलन के साथ हई। त�प�ात एलीन म�ैय (िव� एव लेख �ु ं ु ू ंिवभाग) �ारा गणशे वदना क� ��तित क� गई।ं ु

    काय��म का आयोजन िविधवत �प से अितिथय� को प�पग�छ दनेे के साथ हआ। उ�ाटन समारोह क� �ु ुअ�य�ता �ी एम वी स�बा राव, अ�य� एव �बध ु ं ंिनदशेक ने क�।

    इस अवसर पर उ�होने अपने स�बोधन म � कहा िक, “िहदी ं

  • 15

    हमारी रा��ीय पहचान ह,ै हमारी स�कितक समि� का ृ ृं�तीक ह।ै” इसिलए हम � िव� म � अपनी पहचान स�ढ़ करने ुके िलए िहदी भाषा के िवकास के िलए कतसक�प होना ृं ंपड़ेगा। “राजभाषा म � काय� करना हमारा सवैधािनक ंदािय�व ह ैतथा अिधक से अिधक िहदी भाषा म � काय� करने ंहते �ो�सािहत िकया।” िहदी भाषा के मा�यम से ऐसे ु ंकाय��म� क� उपयोिगता पर भी बल िदया।

    �ी एस राज��, महा �बधक (मा.स.) ने माननीय गह म�ी का िहदी िदवस के उपल�य पर जारी सदशे का पाठ ृं ं ं ं ंिकया। समारोह का सचालन स�ी चदा रानी, िहदी अिधकारी �ारा िकया गया और इस दौरान उ�ह�ने िहदी के ं ु ं ं ंइितहास पर �काश डालते हए िहदी पखवाड़ा के दौरान आयोिजत क� गई �ितयोिगताओ एव काय��म क� � ं ं ंसि�� �प रेखा भी ��तत क�। उसके प�ात अ�य� एव �बध िनदशेक ने अपने कर-कमल� से िहदी पखवाड़ा ं ु ं ं ंके दौरान आयोिजत िहदी �ितयािगताओ के सम�त िवजेताओ �ितभािगय� को पर�कार �दान कर स�मािनत ं ं ं ुिकया। अत म � �ी शशावली, �ारा ध�यवाद �ापन के साथ काय��म का समापन हआ।�ं

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    केआईओसीएल िलिमटेड �ारा िदनाक 10 िदस�बर, 2019 को राजभाषा के �भावी काया��वयन पर ंएक िदवसीय राजभाषा सगो�ी एव काय�शालां ं

    केआईओसीएल िलिमटेड,ब�गल� �ारा िदनाक 10 िदस�बर, 2019 को राजभाषा के �भावी काया��वयन पर ु ंएक िदवसीय राजभाषा सगो�ी एव काय�शाला का आयोजन सप�न हआ । िजसक� अ�य�ता �ी एस. के. �ं ं ंगोराई, िनदशेक (िव�) ने क�। इस अवसर पर म�य अितिथ के �प म � डॉ. आलोक कमार �ीवा�तव, उ�क� ृु ुवै�ािनक, उप िनदशेक, एम.एस.ए, इसरो, ब�गल� से उपि�थत थे। सगो�ी म � डॉ. एच. एल. गोपालक�ण, उप ृू ं�बधक (राजभाषा), बीईएल- कॉ��ले�स एव सद�य सिचव नराकास (उप�म), ब�गल� भी उपि�थत थे। इस ं ं ूकाय��म म � नराकास (उप�म) ब�गल� सद�य काया�लय� (बीईएल, बीएचईएल, आईओसीएल, मकेॉन, ुएमएसटीसी, ईएसआईसी, बीएसएनएल, एनटीपीसी, एफ़सीआई, एलआईसी, एचएमटी, एचएएल, एचपीसीएल, एयर इिडया, एयरपोट� अथॉ�रटी ऑफ इिडया) इ�यािद से कल 30 राजभाषा अिधका�रय� एव ं ं ु ंकेआईओसीएल िलिमटेड से 20 अिधका�रय�/ कमच� ा�रय� ने सगो�ी एव काय�शाला म � सहभािगता क�।ं ं

    केआईओसीएल िलिमटेड के पैलेट ऑिडटो�रयम म � सगो�ी का उ�ाटन सबह 10.00 बजे गणमा�य �यि�य� ं ु�ारा िविधवत तरीके से दीप ��जवलन करके हआ। �

    सगो�ी म � आए अिधका�रय� और �ितभािगय� का �वागत ं�ी एस. राज��, महा�बधक (मानव ससाधन) ने करते हए �ं ंकहा िक िहदी हमारी रा��ीय पहचान ह,ै हमारी ंसा�कितक समि� का �तीक ह ैऔर हम � अपनी स�कित ृ ृ ृं ंक� पहचान स�ढ़ करने के िलए कतसक�प होना पड़ेगा। ृु ंकेआईओसीएल म � राजभाषा के �गामी �योग के िलए गह ृम�ालय और इ�पात म�ालय, भारत सरकार से समय-ं ं

    समय पर �ा� सभी िनदश� � का पालन िकया जाता ह।ै वािषक� काय��म म � िनधा��रत ल�य� को �ा� करने के िलए केआईओसीएल ने इस राजभाषा सगो�ी का आयोजन िकया ह।ैम�य अितिथ के �प म � उपि�थत एम.एस.ए, ं ुइसरो, ब�गल� से डॉ. अलोक कमार �ीवा�तव, उ�क� वै�ािनक, उप िनदशेक, ने अपने िवशषे सबोधन म � कहा ृू ु ंिक “हम ेअपनी रा��ीय भाषा िहदी के �ित अपने कत��य� को बखबी िनभाना चािहए। िहदी के मह�व पर �काश ं ू ं

    एक िदवसीय राजभाषा सगो�ी एव काय�शालां ं

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    डालते हए कहा वा�तव म � िहदी म � काम करना दशेभि� ह।ै� ं

    िनदशेक (िव�) ने अपने अ�य�ीय भाषण म � कहा िक राजभाषा नीित के काया��वयन और िहदी के �गामी �योग ंको बढ़ावा दनेे के िलए केआईओसीएल अपनी भिमकाओ को सफलतापव�क अ�णी �प म � िनभाता ह ैू ं ूऔर हम सभी को िहदी के �चार – �सार के िलए अपने – ंअपने कत��य� का िनव�हन करते हए भरपर योगदान दनेा � ूचािहए।

    राजभाषा सगो�ी एव काय�शाला को कल 2 स�� म � िवभािजत िकया गया था। �थम स� म � 3 व�ा और ि�तीय ं ं ुस� म � 3 व�ा थे। िजसम � कल 6 व��य� ने राजभाषा के काया��वयन एव तकनीक� िवषय� पर अपने �या�यान ु ं��तत िकए। ु

    �थम स� के व�ा डॉ. आलोक कमार �ीवा�तव, उ�क� वै�ािनक, उप िनदशेक, य आर राव सेटेलाइट स�टर ृु ूइसरो, ब�गल� ने अपने �या�यान म � च�यान -1 और च�यान -2 क� अ�त तकनीक� ��तित का बखबी वणन� ू ं ं ु ूुकरते हए पीपीटी एव िविडयो के मा�यम से पेश िकया।� ं

    दसरे व�ा �ी अशोक कमार िब�लरे, सय� िनदशेक (सेवािनव�) थे। ृु ु ं ुूउ�ह�ने िवषय “�ौ�ोिगक� के �े� म � िहदी का िवकास" के बारे म ेंिव�तत जानकारी दतेे हए िविभ�न ऐ�स/ वेब एि�लकेशन जैसे – वॉइस ृ �टाईिपग के बारे म � अवगत करवाया और बताया िक भाषा को जीवत ं ंबनाने के िलए हम े�ौ�ोिगक� के साथ बढ़ना होगा।

    ततीय व�ा �ी रामनाथ शानबाग, सहायक महा�बधक, आईटी, ृ ंबीएफ़य, केआईओसीएल िलिमटेड, मग� ल� ने अपने व��य म ेू ु“केआईओसीएल िलिमटेड पर तकनीक� ��तित” को ��तत करते हए �ु ुपैलेट सय�, अनलाभीकरण सय�, बेिनिफिसएशन �ि�या का �लो ं ं ु ं ंचाट�, वीिडयो आिद दशा�या।

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    दसरे स� के �थम व�ा �ी सौरभ श�ला, वै�ािनक-ई, ुूडेयर, डीआरडीओ, ब�गल� थे िजनका तकनीक� स� ू“स�म तरग� एव उनके �भावी अन�योग” पर केि��त था। ू ं ं ुउ�ह�ने अपने व��य म � स�म तरग� जैसे- िचिक�सा ू ंिव�ान, सचार �ौ�ोिगक�, सदर सवेदन, सर�ा इ�यािद के ं ु ं ुू�भाव उनके अन�योग� का बखबी वणन� करते हए �ु ूवीिडयो के मा�यम से ��तत िकया। ु

    दसरे स� के दसरे व�ा डॉ. जी आर चौधरी, व�र� अनवाद ुू ूअिधकारी, डेयर, डीआरडीओ, ब�गल� थे। उनका िवषय ू“�भावी राजभाषा काया��वयन – �ौ�ोिगक�य एव ं�यवहा�रक अन�योग” था। उ�ह�ने अपने �या�यान म �ुिहदी ई- ट�स जैसे- कठ�थ �ा�लेशन ममेोरी ट�स, मशीनी ं ू ं ं ूअनवाद (अ�ेजी से िहदी), म� – राजभाषा, �तलेखन – ु ं ं ं ुराजभाषा (िहदी �पीच से िहदी टे��ट), ई- महाश�दकोश ं ंइ�यािद क� िव�तत जानकारी �दान क�।ृ

    दसरे स� के ततीय व�ा केआईओसीएल िलिमटेड, ृूब�गल� से स�ी चदा ग�ा, िहदी अिधकारी ने ु ु ं ु ंकेआईओसीएल िलिमटेड म � राजभाषा काया��वयन पर ��तित पेश क� और �प� िकया िक केआईओसीएल ुिलिमटेड �ारा राजभाषा अिधिनयम 1963 क� धारा 3(3), राजभाषा िनयम 5, राजभाषा िनयम 11 एव राजभाषा ंिनयम 10(4) का सौ �ितशत अनपालन सिनि�त िकया ु ुजाता ह।ै कमच� ा�रय� म � िहदी के �ित �िच उ�प�न करने के िलए समया�तराल पर काय�शालाओ का भी ं ंआयोजन िकया जाता ह ैऔर �ो�सािहत करने के िलए कपनी के अिधका�रय� एव कमच� ा�रय� को िहदी म � मल ं ं ं ूकाय� करने पर नकद रािश से पर�कत िकया जाता ह।ैृु

    हम सभी को भी राजभाषा िहदी के �ित अपने दािय�व� का िनव�हन करते हए अपने- अपने काया�लय� म � दिैनक �ंकामकाज म � िहदी का अिधकािधक �योग बढ़ाना चािहए। िजससे िहदी के �चार- �सार और राजभाषा के ं ंवािषक� काय��म म � अपना अम�य योगदान द ेसक� । ू

    राजभाषा सगो�ी एव काय�शाला के अत म � ध�यवाद �ािपत करते हए �ी �ी�काश, सहायक महा�बधक �ं ं ं ं(िनगिमत एव सचार िवभाग) ने सगो�ी को सफल बनाने के िलए कपनी के उ�च �बधन को िवशषे �प से ं ं ं ं ंध�यवाद िदया। इसके साथ ही उ�ह�ने सगो�ी एव काय�शाला म � भाग लेनेवाले सभी �ितभािगय� को भी ं ं

  • 19

    ध�यवाद िदया।

    उ�होने �प� िकया िक केआईओसीएल िलिमटेड को राजभाषा िवभाग, इ�पात म�ालय, नई िद�ली से समय - ंसमय पर राजभाषा क� उ�रो�र �गित के िलए िदशा िनदश� न एव माग�दशन� �ा� होता रहता ह।ै इसके िलए ंकेआईओसीएल �बधन राजभाषा िवभाग, इ�पात म�ालय का तह ेिदल से ध�यवाद दतेा ह।ै उपरो� सगो�ी ं ं ंएव काय�शाला का आयोजन भी राजभाषा िवभाग, इ�पात म�ालय, नई िद�ली के माग�दशन� के अतग�त ं ं ंआयोिजत िकया गया। िजसके िलए भी केआईओसीएल �बधन उनका हािदक� कत�ता �कट करता ह।ै ृं

    इस िवशाल �देश के हर भाग म� िशि�त-अिशि�त, नाग�रक और �ामीण सभी िहदी को समझते ह�। ं

    - राहल साक�यायन� ृं

  • 20

    नराकास (उप�म), ब�गल� �ारा नराकास (उप�म) के पव� सयोजक काया�लय के �प म� अ�य� -ू ू ंसह- �बध िनदेशक एव महा �बधक (मानव ससाधन) का िवशेष स�मान समारोह ं ं ं ं

    नगर राजभाषा काया��वयन सिमित क� ि�तीय बैठक एव सय� िहदी माह पर�कार िवतरण समारोह म � िदनाक ं ं ु ं ु ं18 िदसबर, 2019 को आयोिजत समारोह म � केआईओसीएल के अ�य�-सह-�बध िनदशेक का नराकास ं ं(उप�म) के पव� अ�य� के �प म � एव महा �बधक (मानव ससाधन) का नराकास (उप�म) के पव� सद�य ू ं ं ं ूसिचव के �प म � नराकास (उप�म), ब�गल� को िवगत 15 वष� से िन�ापव�क एव सफलतापव�क सचालन म �ू ू ं ू ंउनके अभतपव� योगदान के िलए नराकास (उप�म) के वत�मान अ�य� एव सद�य सिचव, उप िनदशेक ू ू ं(काया��वयन), म�य अितिथ �ारा सभागार म � उपि�थत सद�य� क� उपि�थित म � िवशषे स�मान िकया गया। ु

    इसी �म म � नराकास क� ि�तीय बैठक एव सय� िहदी माह पर�कार िवतरण समारोह िदनाक 18 िदसबर, ं ं ु ं ु ं ं2019 के �म म � केआईओसीएल के ब�गल� एव मगल� काया�लय के कमच� ा�रय� एव अिधका�रय� के आलेख ू ं ं ू ं'दीिपका के 14व� अक' म � �कािशत होने हते स�ी चदा ग�ा (िहदी अिधकारी), �ी एम मिनराज (मा�टर ं ु ु ं ु ं ु ूतकनीिशयन), �ी जनकदवे (िनजी सिचव) और �ी षाषावाली (ओसीएम) को नकद पर�कार एव �मित िच�ह ृु ंसे स�मािनत िकया गया एव नराकास के त�वावधान म � सय� िहदी माह �ितयोिगता के अतग�त 'िट�पण ं ं ु ं ंआलेखन' म � �ीमती िवजया एस पवाड़े को �ा� �थम पर�कार �दान िकया गया।ु

    नराकास (उप�म)

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    काया�लयीन �योग म� िहदी ज�री �य� है?ं

    भारत सरकार के काया�लय� म � िहदी के �योग को लेकर आज भी दिवधा क� ि�थित बनी ं ुरहती ह।ै बहधा ऐसा दखेा गया ह ैिक हमम � से कछ लोग इसे अपनी िदनचया� का िह�सा न � ुमानकर महज बोझ समझ बैठते ह � और ज़बरन थोपी जाने वाली भाषा मान बैठते ह।� इस कारण, िहदी सरल और सहज होते हए भी बोिझल मान ली जाती ह।ै जबिक, हमारी यह �ंअवधारणा स�य से िब�कल परे ह।ै यिद थोड़ी-सी भी �िच िदखाय�गे तो हम पाय�गे िक िहदी ु ंम � काम करना िकतना सरल और सहज ह!ै यिद हम अ�य�त हो गए तो हम पाय�गे िक �ई के फाह ेक� तरह इसम � सगण-दग�ण सभी को आ�मसात करने का िवशषे गण भी िव�मान ह ैतो ु ु ् ुु

    आइये, िवचार कर� िक अपने-अपने काया�लय� म � िहदी म � काम करना आिख़रकार ज़�री �य� ह?ैं

    िहदी म � काम करना ज़�री इसिलए ह ैिक... ं

    िहदी �वत� भारतवष � के आध–ेसे-अिधक भ-भाग म � बोली जाने वाली भाषा ह।ै यह न केवल बोलचाल क� ं ं ूभाषा ह ैबि�क सवाद का भी एक सश� मा�यम ह।ैं

    िहदी सिवधान-स�मत भाषा ह।ै यानी, भारतीय सिवधान क� आठव� अनसची म � शािमल भारत क� 22 ं ं ं ु ूभाषाओ म � दवेनागरी िलिप म � िलखी जाने वाली िहदी भी शािमल ह ैिजसका उ�लेख धारा 343 (1) म � हआ ह।ै �ं ं

    िहदी क� �ीय सरकार के म�ालय, िवभाग, काया�लय या क� � सरकार के �वािम�व या िनय�ण वाली िकसी िनगम ं ं ंया कपनी या उप�म या काया�लय के बीच प�ाचार का मा�यम ह।ैं

    िहदी भाषा के काया�लयीन �योग के िलए क� �ीय सरकार के काया�लय� को 'क', 'ख' एव 'ग' सवग� म � बाँटा गया ह ैं ं ंतथा प�ाचार के ल�य का �ितशत �मश: 100, 90 और 55 रखा गया ह।ै

    िहदी के �योग के िलए क� �ीय सरकार के म�ालय�, िवभाग� एव काया�लय� म � कई िनयमब� �ावधान ह,� जैसे- ं ं ंरा��पित का आदशे 1960 (27 अ�ैल, 1960 को जारी); अिधिनयम 1963 (1967 म � सशोिधत) – धारा ं3(3), 26 जनवरी 1965 से लाग; राजभाषा सक�प, 1968 एव राजभाषा िनयम, 1976 (1987, 2007, ू ं ं2011 म � सशोिधत)।ं

    िहदी �याकरण-स�मत भाषा ह।ै इसम � 52 वण � ह।� इ�ह � �वर और �यजन म � िवभािजत िकया गया ह।ै इसक� ं ंिविश�ता यह ह ैिक इसम � मा�ा का िवधान ह ैजो भाषा–�योग को सहज बना दतेा ह।ै िहदी म � 14 �वर (अ, आ, ंइ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अ, अ:,ऋ, ल) ह।� 12 �वर (अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अ, अ:) का ृं ंअिधकतर उपयोग होता ह।ै इनके िलए मा�ाए ँिनधा��रत ह।� अ�ेजी म � केवल 05 �वर (a,e,i,o,u) ह।�ं

    िहदी म � उ�चारण का मह�व ह ैजो इसे िब�कल �प� और स�ा� बना दतेा ह।ै उदाहरण के तौर पर, 'आम' को ं ु ु'अम' नह� िलखा जाता और 'अम�द' को 'आम�द' नह� िलखा जाता। इसी तरह, 'स�िच' को 'स�ची' नह� ु ूिलखा जाता, '�कल' को '�कल' नह� िलखा जाता और 'सयश' को 'सअसा' नह� िलखा जाता। ू ु ु ू

    िहदी बोलने और िलखने, दोन� म � सहज ह।ै 'िजतने सहज ह � वण � इसके, उतनी सहज ह ैवत�नी।' ं

    च�शेखर उरकडें

  • 22

    िहदी म � सभी भाषाओ के श�द� को सहजता से आ�मसात करने क� �मता ह।ै यही कारण ह ैिक इसक� ्ं ंश�दावली म � त�सम, तदभव, दशेज और िवदशेज श�द शािमल ह।� यानी, इसम � स�कत, िह�द�तानी, अ�ेजी, ृं ंुअरबी, फ़ारसी, उद � इ�यािद अनेक भाषाओ के श�द शािमल ह � िजनका हम िन�य�ित �योग करते ह।�ंू

    िहदी क��यटर म � आज कई फॉ�ट उपयोग के िलए उपल�ध ह।� इनम � 'यिनकोड' सव�मा�य ह।ै इसम � अ�ेजी से ं ू ू ंिहदी म � अनवाद करने क� सहज �ि�या शािमल ह,ै जो िहदी क� मा�ाओ यानी श�द के उ�चारण पर आि�त ह।ै ं ु ं ंउदाहरण के तौर पर, िहदी म � अ आ, इ, ई, उ, ऊ, क. ख, ग, घ, ङ आिद श�द� के िलए अ�ेजी क�-बोड� पर ं ंa,aa,i,ee,u,oo,k,kh,g,gh,Ng का �योग िकया जाता ह।ै इससे िहदी टकण म � िनपण लोग� के िलए काम ं ं ुआसान तो हो ही जाता ह ैसाथ ही, िहदी टकण से अनजान लोग� को भी सहजता से काम सीखने का मौका िमल ं ंजाता ह।ै

    िहदी आज िव� क� सबसे अिधक बोली जाने वाली भाषा बन गई ह।ै ऐसा िहदी के दिैनक समाचार प� दिैनक ं ंजागरण का मत ह।ै कछ लोग� का मत ह ैिक चीनी भाषा 'मदा�रन' को बोलनेवाले अिधक ह � और िहदी ि�तीय ु ं ं�थान पर आती ह।ै ख़रै, मामला कछ भी हो, आज िहदी पहले क� अपे�ा अिधक �वीकाय� हो रही ह,ै इसम �ु ंतिनक भी सदहे नह� ह।ैं

    िहदी म � सािह�य �चर प�रमाण म � उपल�ध ह।ै िव�ान, कला, वािण�य सकाय क� प�तक� भी िहदी म � उपल�ध ह।ै ं ु ं ु ंिविभ�न �ितयोगी परी�ाओ के िलए िहदी म � परी�ा के ��प� उपल�ध ह � और उ�र दनेे क� छट भी ह।ै वग� 'क' ं ं ूएव वग� 'ख' क� परी�ाओ म � 'सा�ा�कार' क� भी सिवधा िहदी म � उपल�ध ह।ैं ं ु ं

    भारतवष � क� �वाधीनता म � िहदी लेखक�, किवय�, िवचारक�, आलोचक� एव समाज सधारक� का बहत बड़ा �ं ं ुयोगदान रहा ह।ै

    िहदी हमारे भरण-पोषण का साधन ह।ै िश�ण और �िश�ण के मा�यम से यह हम � दशे-िवदशे म � रोज़गार का ंपया�� अवसर महयैा कराती ह।ैु

    िहदी िहतैषी ह।ै िहदी हमारे िहत से लेकर िह�द�तान के िहत के िलए हमशेा हमदद � बनी हई ह।ै�ं ं ु

    िहदी ही एक ऐसी भाषा ह ैजो हम � साव�जिनक समारोह का अवसर �दान करती ह ै- काया�लय �तर पर, ंअतरकाया�लय �तर पर, नगर �तर पर, रा��ीय �तर पर और अतरा���ीय �तर पर।ं ं

    िहदी ही एक ऐसी भाषा ह ैजो हम � अपने काया�लय म � �योग के िलए वािषक� वेतनवि�, एकम�त लाभ जैसे कई ृं ुअ�य पर�कार से स�मािनत करती ह।ैु

    िहदी ही एक ऐसी भाषा ह ैजो हम � आिधका�रक तौर पर िट�पणी िलखने के िलए लाभ पहचँाती ह।ै�ं

    िफर भी हम इसके �योग म � अ�ेजी क� अपे�ा कम अिभ�िच रखते ह।� यह न िसफ़� िवरोधाभास ह ैबि�क हमारे ंिलए िच�ता का िवषय भी ह।ै

  • 23

    दशे के मध�� य लोग� ने िहदी के योगदान और उपादयेता क� म�कठ से �शसा क� ह।ै इनम � से कछ �मख लोग� ू ं ु ं ं ु ुके िवचार� का अगर हम उ�लेख नह� करते तो यह िहदी के �ित हमारे आदर-भाव के िव�� होगा।ं

    1.“िनज भाषा उ�नित अह,ै सब भाषा को मल।ू

    िबन िनज भाषा �ान के, िमटे न िहय को शल।।” - भारते�द ह�र��� ु ू ु

    2.“रा��ीय �यवहार म � िहदी को काम म � लाना दशे क� उ�नित के िलए आव�यक ह।ै” - रा��िपता महा�मा गाधीं ं

    3.“�ा�तीय ई�या�-�षे को दर करने म � िजतनी सहायता इस िहदी के �चार से िमलेगी, उतनी दसरी िकसी चीज़ से ंू ूनह� िमल सकती।” - सभाषच� बोस ु ं

    4.“य�िप म � उन लोग� म � से ह,ँ जो चाहते ह � और िजनका िवचार ह ैिक िहदी ही भारत क� रा��भाषा हो सकती � ंह।ै” - लोकमा�य बाल गगाधर ितलकं

    5.“िहदी भारत क� रा��भाषा तो ह ै ही, यही जनत�ा�मक भारत म � राजभाषा भी होगी।” -च�वत� ं ंराजगोपालाचारी

    6.“िजस दशे को अपनी भाषा और अपने सािह�य के गौरव का अनभव नह� ह,ै वह उ�नत नह� हो सकता।” - ुदशेर�न डॉ. राजे�� �साद

    7.“स�कत माँ, िहदी गिहणी और अ�ेजी नौकरानी ह।ै” - डॉ. फादर कािमल ब�केृ ृं ं ं ु

    8.“िहदी का पौधा दि�णवाल� ने �याग से स�चा ह।ै” – शकरराव क�पीकेरी ं ं

    9.“िहदी स�कत क� बेिटय� म � सबसे अ�छी और िशरोमिण ह।ै” - जॉज� ि�यस�नृं ं

    10.“िहदी िकसी एक �दशे क� भाषा नह� बि�क दशे म � सव�� बोली जाने वाली भाषा ह।ै” - िविलयम केरीं

    11.“स�कत माँ, िहदी गिहणी और अ�ेजी नौकरानी ह।ै” - डॉ. फादर कािमल ब�केृ ृं ं ं ु

    12.“आिथ�क य� का एक स� ह ैिक िकसी रा�� को न� करने का सिनि�त तरीका ह,ै उसक� म�ा को खोटा कर ु ू ु ुदनेा। (और) यह भी उतना ही स�य ह ैिक िकसी रा�� क� स�कित और पहचान को न� करने का सिनि�त तरीका ृं ुह,ै उसक� भाषा को हीन बना दनेा। (लेिकन) यिद िवचार भाषा को �� करते ह ैतो भाषा भी िवचार� को �� कर सकती ह।ै” - जाज� ओव�ल

    13.“भ�य भारत ही हमारी मातभिम हरी भरी। िहदी हमारी रा��भाषा और िलिप ह ैनागरी।” - रा��किव ृ ू ंमिैथलीशरण ग� ु

    14.“भाषा क� सरलता, सहजता और शालीनता अिभ�यि� को साथ�कता �दान करती ह।ै िहदी ने इन पहलओ ं ु ंको खबसरती से समािहत िकया ह।ै” - �धानम�ी �ी नरे�� मोदी ू ू ं

  • 24

    िव� के सभी महादशे और दशे अपनी भाषा पर गव� करते ह,� अपनी भाषा का अपने श�ैिणक और अ�य �यव�थाओ म � खले मन से �योग करते ह � तो हम भारतीय भला िहदी के �योग म � ढलमल नीित, अनपेि�त ं ु ं ु ु�यवहार, अिड़यल रवैया, आनाकानी, िवरोध और अवरोध का सहारा �य� ल�? इसीिलए िहदी ज़�री ह।ै साथ ंही, िहदी के �ित अपने मन म � अिव�ास पनपने न द,� अराजकता से दर रह,� अपनापन का बोध जगाए,ँ ं ूआ�मस�मान बढ़ाए,ँ रा��िहत सव�प�र हो, इसका �याल रख।� अनकरण, अनसरण, अनगमन ही अनिचतन ु ु ु ु ंका अवल�बन बने। अिविजत, अिवभा�य, अख�ड और अतलनीय भारत ही हमारा दशे हो, यह सक�प ल�। ु ं

    -च�शखेर उरकडे, व�र� �बधक (�शासन) ं ं

    केआईओसीएल िलिमटेड, ब�गल�ू

    सम�या का समाधान

    एक बार क� बात ह ैएक म�लाह के पास घास का ढेर, एक बकरी और एक भिे ड़या होता ह।ै उसे इन तीनो को नदी के उस पार लेकर जाना होता ह।ै पर नाव छोटी होने के कारण वह एक बार म � िकसी एक चीज को ही अपने साथ ले जा सकता ह।ै

    अब अगर वह अपने साथ भिेड़या को ले जाता तो बकरी घास खा जाती।

    अगर वह घास को ले जाता तो भिेड़या बकरी खा जाता।

    इस तरह वह परेशान हो उठा िक कर� तो �या कर�? उसने कछ दरे सोचा और िफर उसके िदमाग म � एक योजना ुआई।

    सबसे पहले वह बकरी को ले कर उस पार गया। और वहाँ बकरी को छोड़ कर, वापस इस पार अकेला लौट आया। उसके बाद वह दसरे सफर म � भिेड़या को उस पार ले गया। और वहाँ खड़ी बकरी को अपने साथ वापस ूइस पार ले आया।

    इस बार उसने बकरी को वह� छोड़ िदया और घास का ढेर लेकर उस पार चला गया और भिेड़या के पास उस ढेर को छोड़ कर अकेला इस पार लौट आया। और िफर अितम सफर म � बकरी को अपने साथ ले कर उस पार चला ंगया।

    सीख – मसीबत चाह ेिकतनी भी बड़ी हो, खोजने पर समाधान िमल ही जाता ह।ैु

    -�ीगधा फ�चर डे�कं

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    प�वी क� आत�रक सरचना के बारे म� कछ रोचक त�यृ ं ं ु

    वै�ािनक� ने इस स�चाई को माना ह ैिक धरती का िनमा�ण साढ़े चार अरब वष � पहले ही हआ �होगा। उस समय हमारी धरती का �यादातर िह�सा खौलते हए लावा जैसा रहा होगा। बाद म ��जैसे-जैसे लावा ठडा होता गया, धरती के ऊपरी सतह का िनमा�ण होता गया।ं

    प�वी क� बा� �थलाकितयाँ उसक� आत�रक सरचना से घिन� सबध रखती ह।� प�वी क� ृ ृ ृं ं ं ंआत�रक सरचना का अ�ययन म�यतः भगभश� ा� का िवषय ह।ै चिँक आत�रक भाग ं ं ु ू ू ंमानव के िलए ��य नह� ह,ै अतः इसके स�बध म � जानकारी �ायः अ��य� साधन� से ही हो ंसक� ह।ै

    इन साधन� को तीन वग� म� िवभािजत िकया जा सकता है:

    1. अ�ाकितक साधन :ृ

    i. घन�व : प�वी का औसत घन�व 5.5 ह ैजबिक भ-पप�टी का घन�व लगभग 3.0 ह ै। इससे �प� ह ैिक ृ ूआत�रक भाग� म � घन�व क� अिधकता होगी । घन�व स�बधी िविभ�न �माण� से यह पता चलता ह ैिक प�वी के ृं ंअ�तभा�ग का घन�व सवा�िधक ह।ै

    ii. दबाव : अ�तभा�ग के अिधक घन�व के स�बध म � च�ान� के भार व दबाव का सदभ � िलया जा सकता ह ै। ं ंय�िप दबाव बढ़ने से घन�व बढ़ता ह,ै िक�त ��येक च�ान क� अपनी एक सीमा ह ैिजससे अिधक इसका घन�व ुनह� हो सकता ह,ै चाह ेदबाव िकतना ही अिधक �य� न कर िदया जाए। ता�पय� यह ह ैिक आत�रक भाग के ंच�ान अिधक घन�व वाले भारी धातओ से बने ह।�ु ं

    iii. ताप�म : सामा�य �प से ��येक 32 मीटर क� गहराई पर तापमान म � 10ºC क� वि� होती ह,ै परत बढ़ती ृ ं ुगहराई के साथ तापमान क� वि� दर म � भी िगरावट आती ह ै। �थम 100 िकमी. क� गहराई म � ��येक िकमी. पर ृ120ºC क� वि� होती ह ै। उसके बाद के 300 िकमी. क� गहराई म � ��येक िकमी. पर 20ºC एव उसके प�ात ृ ्ं��येक िकमी. क� गहराई पर 10ºC क� वि� होती ह ै।ृ

    िववत�िनक �प से सि�य �े�� म � तापमान अपे�ाकत अिधक पाया जाता ह।ै प�वी के आत�रक भाग से ऊ�मा ृ ृ ंका �वाह बाहर क� ओर होता रहता ह,ै जो तापीय सवहन तरग� के �प म � होता ह ै। �लेट िववत�िनक� िस�ात के ं ं ंआगमन से यह और भी �प� हो गया ह ै।

    2. प�वी क� उ�पि� से स�बिधत िस�ात� के सा�य :ृ ं ं

    �हाण प�रक�पना जहाँ प�वी के अतरतम को ठोस मानती ह,ै वह� �वारीय प�रक�पना एव वाय�य िनहा�रका ृु ं ंप�रक�पना म � प�वी के अ�तरतम को तरल माना गया ह ै। इस �कार प�वी के आत�रक भाग के स�बध म � दो ही ृ ृ ं ंसभावना बनती ह,ै या तो यह ठोस हो सकती ह ैया तरल।ं

    3. �ाकितक साधन :ृ

    i. �वालामखी ि�या : �वालामखी उ�ार से िनकलने वाला त�व व तरल म�ैमा के आधार पर यह �प� होता ह ैु ु

    �ी�काश

  • 26

    िक प�वी क� गहराई म � कह� न कह� ऐसी परत अव�य ह ैजो तरल या ृअ��तरल अव�था म � ह ै । य�िप �वालामखी के उ�ार से भी प�वी क� ृुआत�रक बनावट के स�बध म � कोई िनि�त जानकारी नह� िमल पाती ।ं ं

    ii. भक�प िव�ान के सा�य : इसम � भक�पीय लहर� का िस�मो�ाफ य� ू ू ं�ारा अकन कर अ�ययन िकया जाता ह ै। यह ऐसा ��य� साधन ह,ै िजससे ंप�वी क� आत�रक सरचना के िवषय म � पया�� जानकारी उपल�ध होती ह ै।ृ ं ं

    प�वी का रासायिनक सगठन एव िविभ�न परत�:ृ ं ं

    इटरनेशनल यिनयन ऑफ िजयोडेसी एड िजयोिफिज�स के शोध के आधार पर प�वी के आत�रक भाग को तीन ृं ू ं ंवहद मडल� म � िवभ� िकया गया ह,ै जो िन�न ह:�ृ ं्

    भपप�टी :ू

    यह ठोस प�ी का सबसे बाहरी तथा मगर भाग ह ैिजसम � ज�दी टट जाने का �वित पाई जाती ह।ै इसक� मोटाई ृ ृं ु ूमहा�ीपो के नीच े30 िक.मी. तक महीसागर� के नीच ेइसक� औसतन मोटाई 5 िक.मी. ह।ै भपप�टी भारी च�ानो ूसे िनिमत� ह ैतथा इसका घन�व 3 �ाम �ित घन से.मी. ह।ै महासागर� के नीच ेभपप�टी क� च�ाने बेसा�ट से ूिनिमत� ह।ै

    म�टल : भगभ � म � पप��ी के नीच ेका भाग मट� ल कहलाता ह ैयह मोहो असात�य से आरभ होकर 2900 िक.मी. ू ं ंक� गहराई तक पाया जाता ह।ै मट� ल का ऊपरी िह�से को दब�लतामडल कहा जाता ह।ै इसका िव�तार 400 ंुिक.मी. तक आकँा गया ह।ै �वालामखी के दौरान जो लावा धरातल पर पहचता ह ैउसका म�य �ोत यही ह।ै �ु ं ुइसका घन�व भपप�टी क� च�ानो से अिधक ह,ै यानी 3.4 �ाम �ित घन से.मी. से अिधक भपप��ी एव मट� ल का ू ू ंउपरी भाग िमलकर �थलमडल कहलाते ह � तथा इसक� मोटाई 10-200 िक.मी के बीच पाई जाती ह।ैं

    अ�तभा�ग : भकपीय तरगो के वेग ने प�वी के अ�तभा�ग को समझने म � सहायता क� ह।ै अ�तभा�ग एव मट� ल क� ृू ं ं ंसीमा 2900 िक.मी. क� गहराई पर ि�थत ह।ै बा� अ�तभा�ग तरल अव�था म � ह ैजबिक आत�रक अ�तभा�ग ंठोस अव�था म � ह।� अ�तभा�ग के के�� म � घन�व, यािन लगभग 6370 िक.मी. क� गहराई तक यह 13.6 �ाम �ित घन से.मी. तक हो जाता ह।ै इससे यह अनमान लगाया गया ह ैिक इसक� सरचना म�यत: िनकेल एव लोह ेु ं ु ंका बना हआ होगा। इसे िनफे परत के नाम से भी जाना जाता ह।ै�

    इस �कार के कछ अ�ययन� के आधार पर वै�ािनक� ने प�वी के आत�रक �े� के बारे म � एक �योगा�मक ृु ं(टे�टेिटव) िच� िवकिसत िकया ह।ै जैसे-जैसे प�वी के आत�रक भाग से सबिधत नई-नई सचनाए �ा� होती ृ ं ं ं ू ंजाती ह ैपराने िवचार� म � सधार होता जाता ह।ैु ु

    -�ी�काश, सहायक महा�बधक (तकनीक� अिधकारी, सम�वय एव िनगिमत सचार) ं ं ं

    केआईओसीएल िलिमटेड, ब�गल�ू

  • 27

    ‘मानक िहदी’ िहदी का मानक �व�प ह ैिजसका िश�ा, काया�लयीन काय� आिद म � �योग ं ंिकया जाता ह।ै भाषा का �े� दशे, काल और पा� क� �ि� से �यापक ह।ै इसिलये सभी भाषाओ के िविवध �प िमलते ह।� इन िविवध �प� म � एकता क� कोिशश क� जाती ह ैऔर ंउसे 'मानक भाषा' कहा जाता ह।ै िहदी म � 'मानक भाषा' के अथ� म � पहले 'साध भाषा', ं ु'टकसाली भाषा', 'श� भाषा', 'आदश � भाषा' तथा 'प�रिनि�त भाषा' आिद का �योग होता ुथा। अ�ेज़ी श�द '�ट�डड�' के �ितश�द के �प म � 'मान' श�द के ि�थरीकरण के बाद '�ट�डड� ंल�ि�वज' के अनवाद के �प म � 'मानक भाषा' श�द चल पड़ा। अ�ेज़ी के '�ट�डड�' श�द क� ु ं

    �य�पि� िववादा�पद ह।ै कछ लोग इसे '�ट�ड' (खड़ा होना) से जोड़ते ह � तो कछ लोग ए�सट�ड 'बढ़ाना' से। मरेे ु ु ुिवचार म � यह '�ट�ड' से सब� ह।ै वह जो कड़ा होकर, �प�तः और� से अलग �ितमान का काम करे। 'मानक ंभाषा' भी अमानक भाषा-�प� से अलग एक �ितमान का काम करती ह।ै उसी के आधार पर िकसी के �ारा �य� भाषा क� मानकता अमानकता का िनणय� िकया जाता ह।ैु

    मानक भाषा को कई नाम� से पकारते ह।� इसे कछ लोग 'प�रिनि�त भाषा' कहते ह � और कई लोग 'साध भाषा'। ु ु ुइसे 'नागर भाषा' भी कहा जाता ह ै।अ�ेजी म � इसे '�ट�डड� ल�ि�वज' कहते ह।� मानक का अथ� होता ह ैएक िनि�त ंपैमाने के अनसार गिठत। मानक भाषा का अथ� होगा, ऐसी भाषा जो एक िनि�त पैमाने के अनसार िलखी या ु ुबोली जाती ह।ै मानक भाषा �याकरण के अनसार ही िलखी और बोली जाती ह ैअथा�त मानक भाषा का पैमाना ु ्उसका �याकरण ह।ै हम जब िकसी अप�रिचत �यि� से िमलते ह � तो उससे मानक भाषा म � ही बातचीत करते ह,� जब हम क�ा म � िकसी �� का उ�र दतेे ह � तो हम मानक भाषा का ही �योग करते ह।� हम प�-�यवहार म � मानक भाषा ही िलखते ह।� समाचार प�� म � जो भाषा िलखी जाती ह,ै वह भी मानक ही होती ह।ै आकाशवाणी और दरदशन� के समाचार मानक भाषा म � ही �सा�रत िकए जाते ह।� हमारे �शासन के सारे कामकाज मानक भाषा म �ूही स�प�न होते ह।� कहने का आशय यह ह ैिक मानक भाषा हमारे बह�र समाज को सा�कितक �तर पर आपस ृ ृंम � जोड़ती ह ैऔर हम उसी के मा�यम से एक-दसरे तक पहचँते ह।� मानक भाषा हमारी बात दसर� तक ठीक उसी �ू ू�प म � पहचँाती ह ैजो हमारा आशय होता ह।ै अत: मानक भाषा सव�मा�य भाषा होती ह,ै वह �याकरण स�मत �होती ह ैऔर उसम � िन�त अथ� स��ेिषत करने क� �मता होती ह।ै गठन और स��ेषण क� एक�पता उसका सबसे बड़ा ल�ण ह।ै यह भाषा सा�कितक म�य� का �तीक बन जाती ह।ै धीरे-धीरे इस मानक भाषा क� ृं ूश�दावली, उसका �याकरण, उसके उ�चारण का �व�प िनि�त और ि�थर हो जाता ह ैऔर इसका �सार और िव�तार परे भाषा �े� म � हो जाता ह।ै इस �कार मानक भाषा क� प�रभाषा िन�निलिखत श�द� म � दी जा सकती ूह:ै-

    “मानक भाषा िकसी भाषा के उस �प को कहते ह � जो उस भाषा के परे �े� म � श� माना जाता ह ैतथा िजसे उस ू ु�दशे का िशि�त और िश� समाज अपनी भाषा का आदश � �प मानता ह ैऔर �ाय: सभी औपचा�रक ि�थितय� म,� लेखन म,� �शासन और िश�ा के मा�यम के �प म � यथासा�य उसी का �योग करता ह।ै”

    इसी के आधार पर मानक भाषा के ल�ण िनि�त होते ह:� -

    भाषा का मानक�करण एव िहदी ं ं

    चदा ग�ां ु

  • 28

    Ÿ वह �याकरण स�मत होती ह।ै

    Ÿ वह सव�मा�य होती ह।ै

    Ÿ उससे �े�ीय अथवा �थानीय �योग� से बचने क� �वि� होती ह,ै अथा�त वह एक�प होती ह।ै ृ ्

    Ÿ वह हमारे सा�कितक, शिै�क, �शासिनक, सवैधािनक �े�� का काय� स�पािदत करने म � स�म होती ह।ै ृं ं

    Ÿ वह स�प�, सिनधा��रत एव सिनि�त होती ह।ै उसके स��ेषण से काई �ाि�त नह� होती। ु ु ं ु

    Ÿ वह नवीन आव�यकताओ के अन�प िनर�तर िवकिसत होती रहती ह।ै ं ु

    Ÿ वह नये श�द� के �हण और िनमा�ण म � समथ� होती ह।ै

    Ÿ वैयि�क �योग� क� िविश�ता, �े�ीय िवशषेता अथवा शलैीगत िविभ�नता के बावजद उसका ढाँचा स�ढ़ ू ुएव ि�थर होता ह।�