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BED II- CPS 7 भौतिक तिान का तिणिा (भाग I) Pedagogy of Physical Science (Part I) तिक तिा तिभाग , तिािा तिािाखा उराखड म तितिालय , हवानी

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Page 1: BED II- CPS 7 I Pedagogy of Physical Science (Part I)BED II- CPS 7 भ तक व# न क श(णश * (भ ग I) Pedagogy of Physical Science (Part I) श#क श# वभ ग, श

BED II- CPS 7

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I)

Pedagogy of Physical Science (Part I)

तिकषक तिकषा तिभाग तिकषािासतर तिदयािाखा

उततराखणड मकत तिशवतिदयालय हलदवानी

ISBN 13-978-93-85740-74-9

BED II- CPS 7 (BAR CODE)

BED II- CPS 7

भौितक िवान का िश(णशा (भाग I) Pedagogy of Physical Science (Part I)

िशक िशा िवभाग िशाशा िवाशाखा उराखampड म िव-िवालय हानी

अययन बोड( िवशषamp सिमित ोफसर एच० पी० शल (अय$- पदन) िनदशक िश(ाशा िवाशाखा

उराखampड म िव-िवालय

ोफसर मह$मद िमया (बा िवशष)- सदय) पव$ अिध(ाता िशा सकाय

जािमया िमिampलया इ)लािमया व पव- कलपित मौलाना आजाद रा+ीय उद0

िविव$ालय हदराबाद

ोफसर एन० एन० पाडय (बा िवशष)- सदय) िवभागाampय( िशा िवभाग

एम० ज० पी० हलखampड िविव+ालय बरली

ोफसर क० बी० बधोरी (बा िवशष)- सदय) पव( अिधाता िश0ा सकाय

एच० एन० बी० गढ़वाल िविव(ालय ीनगर उराख1ड

ोफसर ज० क० जोशी (िवशष आम)ी- सदय) िशाशा) िव+ाशाखा

उराखampड म िव-िवालय

ोफसर रभा जोशी (िवशष आम)ी- सदय) िशाशा) िव+ाशाखा उराख0ड

म िवampिवालय

डॉ० िदनश कमार (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0 िवाशाखा उ(राखड

म िवampिवालय

डॉ० भावना पलिड़या (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0 िव2ाशाखा

उराखampड म िव-िवालय

सी ममता कमारी (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0 िव2ाशाखा एव सह-

समवयक बी० एड० काय$म उ(राख+ड म िव1िव2ालय

डॉ० वीण कमार ितवारी (सदय एव सयोजक) सहायक -ोफसर िश3ाशा4

िवाशाखा एव सम+वयक बी० एड० काय$म उ(राख+ड म िव1िव2ालय

ोफसर एच० पी० शल (अय$- पदन) िनदशक िश(ाशा

िवाशाखा उ(राखड म िविवालय

ोफसर सी० बी० शमा$ (बा िवशषamp- सदय) अampय रा+ीय

म िवampालयी िशा सथान नोएडा

ोफसर पवन कमार शमा (बा िवशष)- सदय) अिध(ाता

िशा सकाय व सामािजक िवान सकाय अटल िबहारी बाजपयी िह7दी

िविव$ालय भोपाल

ोफसर ज० क० जोशी (िवशष आमी- सदय) िशाशा)

िवाशाखा उ(राखड म िविवालय

ोफसर रभा जोशी (िवशष आम)ी- सदय) िशाशा)

िवाशाखा उ(राखड म िविवालय

डॉ० िदनश कमार (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0

िवाशाखा उ(राखड म िविव$ालय

डॉ० भावना पलिड़या (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0

िवाशाखा उ(राखड म िविवालय

सी ममता कमारी (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0

िवाशाखा एव सह-समवयक बी० एड० काय$म उ(राख+ड म

िविव$ालय

डॉ० वीण कमार ितवारी (सदय एव सयोजक) सहायक -ोफसर

िशाशा िवाशाखा एव सम-वयक बी० एड० काय$म उ(राख+ड

म िवampिवालय

िदशाबोध (ोफसर ज० क० जोशी पव$ िनदशक िश+ाशा- िवाशाखा उ1राख3ड म7 िव8िवालय हlt=ानी काय$म सम(वयक डॉ० वीण कमार ितवारी समवयक िश)क िश)ा िवभाग िशाशा िवाशाखा

उराखampड म िव-िवालय हानी ननीताल उ+राखड

काय$म सह-समवयक सी ममता कमारी

सह-समवयक िश)क िश)ा िवभाग िशाशा िवाशाखा उ(राखड म िवampिवालय ह-ानी ननीताल

उराखampड

पाठयampम सम)वयक डॉ० कनक शमाamp

पोट डॉटोरल फलो आई० ए० एस० ई० जािमया िमिampलया इलािमया नई िद+ली

पाठयampम सह समवयक डॉ० अिखलश कमार

सहायक ampोफसर िशा िवampापीठ वधमान महावीर खला िविवालय

कोटा राजथान

धान सampपादक डॉ० वीण कमार ितवारी

समवयक िश)क िश)ा िवभाग िश)ाशा- िवाशाखा उराखampड म िव-िवालय ह23ानी ननीताल उराखampड

उप स$पादक डॉ० कनक शमाamp

पोट डॉटोरल फलो आई० ए० एस० ई० जािमया िमिampलया इ)लािमया नई िदampली

िवषयवत स)पादक भाषा सपादक ाप सampपादक फ़ सशोधक सी ममता कमारी

सहायक ampोफसर िश-ाशा िवाशाखा उ(राखड म

िविव$ालय

सी ममता कमारी सहायक ोफसर िश)ाशा+ िवाशाखा उ(राखड म

िविव$ालय

सी ममता कमारी सहायक ampोफसर िश-ाशा िवाशाखा उ(राखड म

िविव$ालय

सी ममता कमारी सहायक ampोफसर िश-ाशा िवाशाखा उ(राखड म

िविव$ालय साम$ी िनमा(ण

ोफसर एच० पी० शल िनदशक िशाशा) िव+ाशाखा उराख0ड म4 िव5िव+ालय

ोफसर आर० सी० िम िनदशक एम० पी० डी० डी० उराखampड म िव-िवालय

copy उराखampड म िवampिवालय 2017 ISBN-13 -978-93-85740-74-9 थम सampकरण 2017 (पाठयampम का नाम भौितक िवान का िश(णशा (भाग I) पाठयampम कोड- BED II- CPS 7) सवा$िधकार सरित इस पतक क िकसी भी अश को ान क िकसी भी मा+यम म- योग करन स पव5 उ7राख9ड मlt िव=िवgtालय स िलिखत अनमित लना आवयक ह इकाई लखन स सबिधत िकसी भी िववाद क िलए पण56पण लखक िज8मदार होगा िकसी भी िववाद का िनपटारा उराखampड उ(च यायालय ननीताल म2 होगा िनदशक िशाशा) िव+ाशाखा उराख0ड म4 िव5िव+ालय 8ारा िनदशक एम० पी० डी० डी० क मायम स उ)राखड म िव2िव3ालय क िलए मि6त व 8कािशत काशक उराखampड म िव-िवालय मक उराखampड म िव-िवालय

काय$म का नाम बी० एड० काय$म कोड BED- 17

पाठयampम का नाम भौितक िवान का िश(णशा (भाग I) पाठयampम कोड- BED II- CPS 7

इकाई लखक खड सया

इकाई सया

डॉ० सनीता सदरयाल सहायक ampोफसर िश-ा िवभाग हीरालाल यादव ग4स5 पी० जी० कॉलज लखनऊ

1 1

डॉ० कनक शमाamp पोट डॉटोरल फलो आई० ए० एस० ई० जािमया िमिampलया इ)लािमया नई िदली

1 2 2 3

डॉ ० आाशिamp राय सह ोफसर िविश+ िशा सकाय शक2तला िम6ा रा78ीय पनवाltस िव=िवgtालय लखनऊ

1 3 व 5

डॉ० जय काश िसह सहायक ampोफसर िश-ा िवभाग ग2 घासीदास िव6िव7ालय िबलासपर

1 4

डॉ० िदया शमा( सहायक ampोफसर ारिभक िश)ा िवभाग माता सदरी कॉलज फॉर िवमन नई िदली

2 1

डॉ० सनीता िसह सहायक ampोफसर िश-ा िवभाग राजीव गाधी दि+णी परसर बी० एच० य० बरकछा िमजा)पर

2 2

BED II- CPS 7 भौितक िवान का िश(णशा (भाग I) Pedagogy of Physical Science (Part I)

खड 1 इकाई स० इकाई का नाम प स०

1 िवान अथ( )कित एव 1 2-18

2 भौितक िवान एव समाज 19-36

3 िवान क मायम स ान और समझ िवान क िया कौशल का िवकास वािनक िकोण और वािनक मनोवि का िवकास िवान म िजासा रचनामकता और सदय बोध (मायिमक तर) िवकिसत करना भौितकamp और रसायन िवान म िजासा रचनामकता और सदय बोध िवकिसत करना (उचतर मायिमक तर) ान (भौितकamp रसायन िवान) िशा को पया$वरण (ाकितक पया$वरण कलाकितय( और लोग$) ौोिगक( और समाज स जोड़ना

37-53

4 भौितक िवान िश+ण क अिधगम उ34य 54-69

5 भौितक अिधगमकता) को समझना- याज़ और वायगो+सक क ि1 म3 अिधगमकता7 अिधगमकता) को +-रत करना शािमल करना वाता$ करना और मयथता अिधगम िवान िशक क) भिमका

70-86

खड 2 इकाई स० इकाई का नाम प स०

1 भारतीय कल म िवान पाठयचया 88-105

2 पाठयचया िशण रणनीितय( और भौितक िवान क िनवतमान (झान 106-116

3 िवान िशण क िविधया और नीितया 117-135

4 इकाई चार -

5 इकाई पाच -

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 1

खणड 1

Block 1

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 2

इकाई 1- विजञान अरथ परकवि एि कषतर

11 परसतािना 12 उददशय 13 विजञान अरथ

14 विजञान की परकवत

141 विजञान अनिषण का कायथकषतर ह

142 विजञान एक गतयातमक परविया ह 143 विजञान जञान का विसतारशील व िड ह 144 विजञान अविगम का अितविथषयक कषतर ह

145 विजञान एक अनतराषटरीय उदयम ह

146 विजञान जञान वनमाथण की परविया ह 15 सारािश 16 अभयास परशनो क उततर

17 सनदरथ गरनर सची

18 वनबििातमक परशन

11 परसतावना विजञान एक वया क अनशाशन ndash समचचय ह वकसी काल म इन विजञानो की विशषताओ ि को उस

समपपरयातमक तान बान स जञात वकया जा सकता ह वजसस ि वनवमथत होत ह विजञान क आिार वनरितर

ररिवतथत होत रह ह इस इकाई म विजञान क अरथ को समझन की चषटा करग तरा उसकी परकवत को री

जानन की कोवशश करग विजञान एक गतयातमक परविया क सार सार अनिषण री ह अनिषण की इस

परविया को गहराई स जानग इसक अवतररकत विजञान की अितविथषयक परकवत को री समझग यही नही य

री जानग वक विजञान एक विसतारशील व िड ह वजसक फलसिर इसका एक अनतराषटरीय उदयम होन क

कषतर री विसतत हो रह ह इस इकाई म विजञान का हमार जीिन म कया महतति एिि रवमका ह इस र री

चचाथ होगी

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 3

12 उददशय इस इकाई का अधययन करन क शचात आ -

1 विजञान क अरथ का सरलीकरण कर परसतत कर सक ग

2 विजञान की परकवत का वििरण द सक ग

3 विजञान की गतयातमक परकवत का अिबोि कर सक ग

4 अनिषण परविया को विसतार िथक समझ सक ग

5 जञान वनमाथण क परतयय का अरथ समझा सक ग

6 विजञान म जञान का वनवमथवतकरण बता सक ग

7 विजञान का अितविथषयक सिर की अििारणा कर बता सक ग

13 ववजञान अरथ हल हम य जानन की कोवशश करत ह वक विजञान आवखर ह कया सिवििान क अनछद ५१ (अ) क

अनसार विजञान एक ldquo िजञावनक मनोिवत मानिता तरा अनिषण की रािना एिि बदलाि का विकास हrdquo

विजञान शबद की उतत वतत ldquoसाइिसrdquo (science) शबद स हई जो एक लविन राषा ldquoसाइिवशयाrdquo (scientia)

स वलया गया ह इसका अरथ ह ldquoजाननाrdquo वहिदी म विजञान का सिवि विचछद ह वि + जञान = विवशषठ जञान

आइिसिीन क अनसार ldquoहमारी जञान अनरवतयो को असत-वयसत विवरननता को एक तकथ णथ

विचार परणाली वनवमथत करन क परयास को विजञान कहत हrdquo िवडत जिाहरलाल नहर री विजञान का

विसतार चाहत र उनका कहना रा वक ldquoविजञान का अरथ किल मातर रखनली तरा कछ बड़ा या छोिा

बनान क वलए इसको और उसको वमलाना ही नही ह अव त िजञावनक विवि क अनसार हमार मवसतषटक को

परवशकषण दना ही विजञान हrdquo

मानि जनम स ही वजजञास पराणी ह अत िह अ न आस ास की िसतओ ि एिि घिनाओ ि की

ररवसरवतयो तरा उनम बदलाि को महसस करता ह तरा उसक बार म जानना चाहता ह

तिया कलाप

आ एक विजञान वशकषक क नात अ न अविगमपकताथओ ि स छ वक ि अ न आस ास ऐसी कौन कौन

सी आशचयथजनक या आकवषथत करन िाली घिनाए या िसतएि दखत ह वजनक बार म आ जानना

चाहत ह ऐसी िसतओ ि ि घिनाओ ि की सची बनाय इस सची र बाद म आ चचाथ कर सकत ह

जस उस िसत या घिना म कया आशचयथचवकत लगा

इसको आ न कब दखा या महसस वकया

इसक बार म जानन क वलए आ न आग कया वकया आवद

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 4

मानि न अ न विकास क सार जञान का री एकतरीकरण कर वलया ह इस जञान रणडार को हचानना

समझना जािचना और वफर परसततीकरण क वलए िमबदध करना री आिशयक ह अत विजञान का अरथ ह

वकसी िासत अरिा घिना का िमबदध अधयन ह

अभयास परशन

1 आ क अनसार विजञान का कया अरथ ह

14 ववजञान की परकवत समय क सार सार विजञान म री बदलाि दखन को वमल रहा ह य री दखा गया ह वक विजञान क मायन

री बदलत जा रह ह हर विषय या अनशाशन की एक परकवत होती ह और जररी नही वक िो एक जसी

हो कई िजञावनको एिि वशकषाविदो न विजञान की परकवत को लकर अ न विचार परकि वकय ह परकवत को

लकर कई िाद वििाद ि चचाथ होती आई ह जस -

कछ लोगो का मानना ह की िह ldquoसिजञाrdquo ह तो कछ इस वयिहारगत र दकर ldquoवियाrdquo माना ह

तरा कछ इस दोनो मानत ह

कछ लोग इस िमबदध जािच ड़ताल मानत ह

कछ इस वनवशचत ि जञानवनियो क आिार र अनरि मानत ह

िही कछ लोग इस जञान का व िड मानत ह

कछ लोग इस एक घिनािसत क परवत िजञावनक दवषटकोण मानत ह

कछ लोग इस तावकथ क जञान की सिरचना वनमाथण री मानत ह

तिया कलाप

आ विजञान की वकस परकवत स सहमत ह या आ विजञान की कोई अनय परकवत समझती ह आ उस

परकवत र वचितन करन क वलए विजञान की सतक स कोई परकरण ल सकत ह आ अ न

अविगमकताथओ ि क सार उदाहरण की सहायता स चचाथ कर इस चचाथ क आिार र आ वनषटकषथ

वनकाल तरा उस आिार र विजञान की परकवत की जािच कर

जब आ विदयालय म विजञान विषय का अधयन करत र और आज जब एक विजञान वशकषक बन रह ह तो

दोनो ही म वसतवरयो म आ न बहत अितर महसस वकया होगा विजञान को लकर तबका दवषटकोण आज स

वबलकल वरनन होगा नए अविषटकारो खोजो जानकाररयो न विजञान का सिर ही बदल कर रख वदया ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 5

हल की तलना म आज विजञान वशकषण अलग विवि स वकया जा रहा ह अविगमकताथओ ि म परयोग

अनिषण आवद जस गणो का विकास कराया जा रहा ह ारि ररक तरीक को छोड़ कर नई विवियो दवारा

वशकषक को विजञान ढाना ि समझाना ह छातरो को तकथ करन चचाथ करन परशन करन सजथन करन आवद क

वलए सितितरता दनी होगी

तिया कलाप

विजञान वशकषण विविया जो आ क समय म री और आज वजन विवियो स वशकषण होता

ह उनक बीच म तलना कर य री समझ की उस समय की कौन सी विवि आज री लाग

कर सकत ह और वकनम बदलाि आिशयक ह सार ही य जानन की चषटा कर की

ितथमान समय म उ यकत होन िाली कौन सी विवि अन योगी ह

बरनर शिाब एिि वकि ग क अनसार विजञान की परकवत क तीन मखय सिरचनाएि ह ndash

i तिजञान की मौतलक सरचना ndash यह विजञान का सरायी कष क बराबर माना गया ह जस-

तथय वनयम वसदधाित आवद

ii तिजञान की सरचनातमक सरचना ndash यह विजञान क परविया अरिा गवतशील कष स समपबिवित

ह इसम जािच ड़ताल खोज आिकड़ एकतर करना वनषटकषथ वनकलना आवद आत ह

iii तिजञान का सामातिक पकष ndash समाज म समायोजन क वलए विजञान का सामावजक होना

आिशयक ह समाज क विकास क वलए वमरक अििविशवास करीवतयो आवद स छिकारा ान

क वलए विजञान म सामावजकता होनी चावहए विजञान की सहायता स आिवनकता क सार सार

सिसकार णथ ि सरी समाज बनाना ह

हम य कह सकत ह वक विजञान की परकवत का सही जञान वशकषको को अ नी कशलता बढ़ान म सहायक

होगी सार ही सिपरतयय ररितथनो को वियानियन करन म री सहायक होत तद राित अविगमकताथओ ि क

अविगम को अिबोि करन म सहायक होगा (मरवस १९९४)

ऊ र वदए गए तथयो क आिार र हम य वनषटकषथ वनकाल सकत ह वक विजञान की परकवत क मखय

वसदधाित ह-

विजञान एक अनिषण ह

विजञान एक गतयातमक परविया ह

विजञान जञान का विसतारशील व िड ह

विजञान अविगम का अितविथषयक कषतर ह

विजञान एक अनतराषटरीय उदयम ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 6

विजञान अकसर अवनवशचत होता ह

विजञान जञान वनमाथण की परविया ह

विजञान एक मानवसकता अरिा अवरिवत ह

ऊ र वदए गए सरी वसदधाितो र आिाररत विजञान क सिर को हम एक एक कर जानग ि समझग

141 तिजञान एक अनिषण का काययकषतर ह

जब हम अ न आस ास क िातािरण को दखत ह उसम उ वसरत िसतओ ि को होन िाली घिनाओ ि

आवद को अनरि करत ह तब हम उन अनरिो को एकतर करत ह इन अनरिो क सिकलन को िमबदध

करन क शचात उनकी जािच ड़ताल करत ह य सार चरण आिशयक नही ह की एक वयजञावनक क राती

ही वकय जाए अविगामकताथ अ न सतर र अ न अनरि एिि समझ स कर सकता ह जररी य ह की

छातरो म अनिषण करन की पररणा जागत हो इसक वलए विजञान वशकषक होन क नात आ को छोिी छोिी

वियाओ ि दवारा इस रािना का विकास कर सकत ह

तिया कलाप

आ छातरो स आस ास होन िाली दवनक परवियाओ ि की सची बनान को कह जस - रात कय होती

ह सरज गमथ कय ह इनििनष िषाथ क समय ही कय वदखता ह आवद

अविगमकताथओ ि को अ नी गयी सची म स कोई एक परविया का चयन करन को कहा ि अ नी

रवच क आिार र री परविया को चन सकत ह अब उनह उस परविया स समपबिवित समसत

जानकारी एकतर करन को कह इसक वलए ि अ न अवररािक राई-बहन वकसी बड़ अरिा

वशकषक की सहायता ल सकत ह अगर इनिरनि की सहायता री लना चाह तो िो री ल सकत ह

इस परविया स उनक अिदर उतसाह वजजञासा तत रता अितविया वचितन आवद जस गणो का विकास

होगा अनिषण छातरो म सितितर र स कायथ करन म सहायता परदान करता ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 7

िरथ एिि गरोललमन न इस र आिाररत एक मॉडल परसतत वकया रा जो इस परकार स ह

अनिषण अतिगम चि (िरय एि गरोललमन २००३)

य वचतर विजञान अनिषण परविया को स षट र स समझाता ह अविगमकताथ अ नअ न आस ास घवित

होन िाली वकसी परविया या िसत को दख आकवषथत या आशचयथचवकत होता ह य उसक वलए उददी न का

कायथ करता ह जो उस उस घिना या िसत क बार म जानन क वलए उतसक एिि तत र करता ह इसक वलए

िह परशन उठाता ह उततरो क सरोत खोजता ह तथय एकतर करता ह वफर जािच ड़ताल करता ह और

धयान दना चमतकार जािच

परवतविया परशन बढ़ाना

अिलोकन र कवनित परशन उठाना परशनो को स षट करना

अिलोकन क परवत अविक कवनित होना

वनयोजन खोज अिलोकन जािच- ड़ताल

निीन जािच- ड़ताल क वलए परयतन करना आिकड ि अनरिो एकतरीकरण

अनरिो को सिगवठत कर उनम सिबिि जािचना

सरी आिकड़ोविचारो को सिगवठत कर आकवत ि सबिि परवत ावदत कर

विचारो ि अनरिो को बािि

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 8

वनषटकषो र हचन की कोवशश करता ह वजसस िह िमबदद कर सकअ न दवारा एकतर जानकाररयो ि

वनषटकषो को अ न सावरयो अवररािको वशकषको आवद स आदान परदान करता ह अ नी इस परविया

स उस आतमबल ि सितवषट वमलती ह

142 तिजञान एक गतयातमक परतिया ह

विजञान गतयातमक इसवलए कहा जा सकता ह कयिवक हम अित म उत ाद तक एक परविया दवारा हचत ह

रनत विया यही समापत नही होती अव त उत ाद का परकषण कर परशन उररत ह परशन वफर एक िजञावनक

विवि को जनम दत ह अत कह सकत ह वक विजञान एक चविय परविया ह तरा िजञावनक जञान सदि

असरायी होता ह बीएससीएस(२००५) क अनसार परशन इन कसौवियो र छ जान चावहए ndash

परशन अ न आस ास की दवनया म उ वसरत िसत या घिनाओ ि र आिाररत होन चावहए

िजञावनक सिपरतय क आिार र विचारो स समपबिवित परशन होन चावहय

परशन परयोगो ि अिलोकन क आिार र होन चावहए

परयोगो अरिा अिलोकन स परापत साकषयो क आिार र परशन होन चावहय

विजञान हम अ न लकषय तक हिचता ह रनत वजस रासत स हम उस उददशय तक हचत ह िो अ न आ

म एक िजञावनक परविया ह अत हम य कह सकत ह वक विजञान एक परविया क सार उत ाद री ह

उतपाद (सरायी) इसक अितगथत वनमपनवलवखत शावमल ह-

मल तति

वनयम

वसदधाित

सामानयीकरण

परतयय अििारणाएि

परतिया (गतयातमक पकष) इसक अितगथत वनमपन शावमल ह-

(अ) िजञावनक अवरिवतत

(ब) िजञावनक मानवसकता

(स) िजञावनक विवि

(अ) िजञातनक अतभिति क अितगथत वनमपन आत ह-

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 9

(i) उदारता (ii) वजजञासा (iii) सतयता र विशवास (iv) िसतवनषठता (v) असफलता क परवत

सकारातमक अवरिवतत

(ब) िजञातनक मानतसकिा क अितगथत वनमपन आत ह-

(i) परशन उठाना (ii) ररकल ना बनाना (iii) यथिकषण (iv) िथ अनमान लगाना

(स) िजञातनक तिति - इसक अितगथत वनमपन आत ह ndash

(i) समसया (ii) ररकल ना (iii) अनपरयोग (iv) परकषण (v) वनषटकषथ

i समसया- यह एक तथय घिना िसत अरिा समसया री हो सकती ह इस समसया या घिना क

सा कष म परशन उठान चावहए परशन वकन कसोवियो क आिार र हो य हम बीएससीएस दवारा

वदए गए सझािो क आिार र चचाथ कर चक ह परवतवियाओ ि ि उततरो क आिार र कछ

सिरावित समािान द सकत ह वजनह हम ररकल ना कहत ह

ii पररकलपना- इन सिरावित समािान को एक एक कर ररकषण करत ह तरा जो सही उततर हो

उस सिीकार कर लत ह तरा जो ररकल ना खरी न उतर उस छोड़ दत ह हयर (२००६) क

अनसार ररकल ना का वनमाथण करत समय वनमपन बातो का धयान रखना चावहए-

एक ररकल ना को मौजद परकषण क अनर होना चावहए

ररकल ना परशन की जानकारी अरिा सिरावित उततर क नज़दीक होना चावहए

ररकल ना समसया का नावतज़ा एक तथय क र म परसतत कर

ररकल ना विवशषट सिर की होनी चावहए

ररकल ना ररकषण योगय होनी चावहए

ररकषण वकसी परयोग अरिा ररकषण स हल वनवमथत की जानी चावहए नाकी ररकषण क

शचात

iii अनपरयोग- जो ररकल ना बनायी गयी ह उनह जािचन क वलए कई परयोग एिि अनपरयोग की

सहायता लनी ड़ती ह इसम वशकषक अविगमकताथओ ि की सहायता कर सकत ह जािच ड़ताल

क वलए री अचछी तयारी ि वियानियन अिशयक ह परयोग हम कई चीज स षट कर दती ह तरा

सही वनषटकषथ अरिा समािान तक हच सकत ह

iv परकषण- जािच ड़ताल हम कई वनषटकषो की ओर ल जात ह इन परयोगो को साििावन िथक

दखना समझना आिशयक ह वजसकी सहायता स सही वनषटकषथ तक हिचा जा सक गलत

अिलोकन हम िजञावनक ररकषण स रिका सकता ह हल चरण स ही परकषण शर हो जाना

चावहए अविगमकताथ वशकषक या अनय अनरिी वयवकत की सहायता स जािच क वलए आिकड़

अरिा तथय एकवतरत कर सकता ह इन आिकड़ो को सही िम स सिगवठत करना आिशयक ह

वजसस वनषटकषथ तक हिचना आसन हो

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 10

v तनषकषय- अविगमकताथओ ि को अ न परकषण क आिार र वनषटकषथ वनकलना तरा उस

नयायसिगत वसदध करना री उतना ही आिशयक ह उसको स षटीकरण क सार परसतत करना री

जररी ह इसक आिार र ही ररकल ना सिीकत अरिा असिीकत होती ह

तिया कलाप

विजञान वशकषक क तौर र आ अविगमकताथओ ि म िजञावनक अवरिती विकवसत करन क वलए

िजञावनक विवि दवारा वियाएि करा सकत ह विजञान की ाठय सतक स कोई परकरण क कर या

उनकी रवच का कोई परकरण री ल सकत ह जस ौि की जड़ो म डाला गया ानी ऊ र तन

वततयो फलो ि फलो तक कस हचता ह

- अविगमकताथओ ि को य तथय समझन का अिसर द

- उनह परशन करन की सितितरता द

- अनरि एकतर करन को कह

- जािच ड़ताल करन को कह

- आिकड़ एकतर करन को कह

- इन सब क आिार र स षटीकरण दन का अिसर द

- वनषटकषथ वनकालन को कह

- खोजी गयी जानकाररयो को बािन को कह

इस परकार की विया स विजञान वशकषण अनिषणनातमक बनगा

143 तिजञान जञान का तिसिारिील तपड ह

जस हम हल ही चचाथ कर चक ह वक जब आ न विजञान ढ़ा होगा और जब आ एक विजञान वशकषक ह

तो दोनो ररवसरवतयो म बहत अितर आ गया ह विजञान का वनरितर विकास हो रहा ह हम यह री जान

चक ह वक विजञान की परकवत गतयातमक री होती ह अत उसम कई ररितथन आय ह हम यह री कह

सकत ह वक विजञान क जञान क व िड का विसतार हो रहा ह इस जञान क व िड म तथय मल तति सिपरतयय

वसदधाित वनयम आवद सवमपमवलत ह अगर आ विजञान की सतक क विवरनन परकरण दखग तो ाएिग की

कई परकरण जस क तस जस आ न ढ़ र िस ही आ ढ़ा रह ह िही दसरी और कई परकारो म बदलाि

आय ह कई वनयम वसदधाित आवद आज री अिल ह और कछ सिशोवित या असिीकार कर वदए गए ह

इस उदाहरणो दवारा समझग-

हल हम ढ़त र की नौ गरह होत ह रनत अब नौिा गरह पलिो को इस सची स हिा वदया गया

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मड़लीि क दवारा दी गई आिवत सारणी म तो कई सिशोिन हए ह उस सारणी म कई नए तति

जड़त जा रह ह और आग और जड़न क आशा ह

हल परदषण क परकार म जल िाय धिवन आवद क बार म ढ़त र वफर नारकीय परदषण जड़ा

और आज हम इलकरॉवनक परदषण और यहा तक की सामावजक परदषण की री बात करत ह

दसरी और कछ ऐस उदाहरण ह जो आज री िस ही ढ़ जात ह जस नवतोन क गवत क वनयम

गरतिाकषथण E =mc2 (उजाथ ररितथन) आवद

अत जञान का व िड ररितथनशील ह कई तथय वनयम वसदधाित आवद िही ह र उनम क री कई

उ योग म बढ़ोतरी हई ह समय सभयता ि मािग एिि जररत क आिार र बदलत रहत ह

तिया कलाप

वकसी री विजञान की ाठय सतक (ककषा ७ या ८) क वकसी री परकरण को छाि कर य बताय की

उनम कया ररितथन आय ह इन ररितथनो को अ न अविगमकताथओ ि क सार बाि उनह समझाएि की य

ररितथन कय और कस आय ह इसक अवतररकत िो परकरण री ल जो मल तौर र तो िही ह र उनम

विसतार हआ ह जस- रमाण की जब खोज हई तो उसम उ वसरत परोिोन इलकरान वफर नयरॉन

खोजा गया र खोज यही नही रकी अब ॉवज़रान आ गया तो य विसतारीकरण अनय कई उदाहरणो

दवारा री समझाए जा सकत ह

यहा एक बात और समझनी होगी की विजञान न वसफथ अचछा जञान ही नही िरन कछ गलत उददश स री

परयोग वकय गए ह यदध म परयोग होन िाल हवरयार बारद वमसाइल आवद सब विजञान की द ह डर की

बात तो य ह वक इन म सिार हो रहा ह तरा हवरयार और खतरनाक हो रह ह हम य री कह सकत ह की

विजञान न अगर मानि का विकास वकया ह तो वदन दर नही जब य ही विजञान का जञान हमारा विनाश

करगा अत विशव को समझना होगा की विजञान को जीिन बहतर करन क वलए परयोग करना ही उवचत

होगा

144 तिजञान अतिगम का अितियषयक अिरानिाशनीय कषतर ह

एक विषय अनशाशन तब कहलाता ह जब उसम ससिकवतक विषय िासत हो तरा अ नी ही एक

तकनीक हो एिि मलयो का अवदवतया समह हो एक अनशाशन म वनमपन विशषताएि होती ह-

अ नी विशष विषय िासत

िो वकसी वयिसाय या सामावजक विया स जड़ा होता ह

उसक अधययन का अ ना ही तरीका होता ह

उसक अनसनिान का री अ ना ही विवशषठ कषतर होता ह

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मलयो का विशष समह होता ह

सिचालन की अ नी ही सिवहता होती ह

रनत कई बार ऐसा ाया गया ह वक कछ विषय िसत परकरण कई अनशाशन का वहससा

बन जात ह ऐसा हमन कई िजञावनको की खोज ि अविषटकार म री ाया ह जस की रमाथमीिर

(ता मा ी) की अगर बात कर तो कई परयोगशालाओ ि विदयालयो वचवकतसा म परयोग होता ह

परशन य उठता ह की हम ता मा ी को वकस विषय म ढ़- रसायन रौवतकी वचवकतसय विजञान

आवद ऐस बहत स उदाहरण ह जो कई विषयो म ढ़ ि ढाय जा साकत ह इसका अरथ ह वक

जब हम दो या दो स अविक अनशाशन विषय की ारस ररक विया ि परराि दखत ह तो इस

अितविथषयक या अितरानशावशनक कषतर कहत ह

तिया कलाप

ककषा-८ अरिा ककषा-९ की विजञान की ाठय सतक म ऐस परकरण की सची बनाय जो हम अनय विषयो म री

ढ़त ह जस परदषण को हम रौवतकी रसायन अरथशासतर रगोल नवतक शासतर आवद म ढ़त ह इसक शचात

जान की ऐसी कौन सी विशषताएि वजनक कारण िो उस विषय म ढाया जाता ह या ढाया जा सकता ह

ऊ र वदए गए वििरण स ता चल गया होगा की विषय आ स म समपबिवित होत हविषय क बीच कोई

स षट सीमािकन नही होता ह आजकल एक नई दधवत सनन ि दखन को वमल रही ह ndash अितविथषयक

अरिा अितरानशाशनीय उ ागम य दधवत न किल अनसनिान अव त वशकषण कायथ म री परयकत हो रही

ह इसका सबस सही उदाहरण ह ldquoविजञानrdquo य वकसी न वकसी र म हर विषय म उ वसरत ह अत

विजञान एक अितविथषयक कषतर बन जाता ह

एक अनशाशन क दवारा िह जञान होता ह जो अनय विषयो म जगह ता ह इसका तात यथ यह ह वक

आज क यग म जब जञान का विसफोि हो रहा ह तो हर विषय क विशषजञ को वमलकर कई समसयाओ ि का

समािान करना होगा इसका एक बहत अचछा उदाहरण ह वक एक अवरयिता अ न कोसज क दौरान

वसफथ तकनीक स समपबिवित विषय ही नही ढता िरन रौवतकी रसायन गवणत आवद क सार सार

वयािसावयक मनोविजञान वयािसावयक सामावजक विजञान याथिण विजञान वयािसावयक मलय एिि

सदाचार का री अधयन करत ह इसस छातरो का समप णथ विकास होता ह यहा वशकषण का उददशय एक

इिवजवनयर बनान का नही ह अव त एक यथिारण जागरक सिसर सोच सामावजक अ कषाओ ि र खरा

उतरन िाल इिवजवनयर तयार करना ह जो अ न वयिसाय ि समाज म आग बढ़ सक तो अब हम य जान

चक ह की विजञान का अितविथषयक होना वकतना महति णथ ह

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हल विजञान को ldquoपराकवतक दशथनrdquo कहा जाता रा कयिवक य माना जाता रा वक विजञान चारो तरफ

विदयमान ह और विजञान ही इनकी खोज ि जािच ड़ताल करता ह जस- आकाशीय व िड गरह नकषतर

िाय जल ड़- ौि जीि-जित आवद रनत जञान विसफोि क सार ही य िारणा बदलन लगी विजञान का

कषतर इतना वया क हो गया ह वक उस एक शीषथक क अितगथत रखना मवशकल हो गया ह विजञान का

िगीकरण वकया गया वजसस उसक हर हल को समझन म सहायता वमल चवक विजञान का िगीकरण

वकया गया ह तो इसका अरथ य हआ ही हर िगथ एक अलग विषय बन गया ह रनत आ स म सह-

समपबनि बरक़रार ह इस हम अनिम चािथ दवारा समझग

अब हम कछ तिषयो को लकर दखग तक तिजञान का उनस कया समबनि ह

विजञान को हम एकाकी तौर र नही ढ़ सकत विजञान की हर शाखा एक दसर र वनरथर ह कई िजञावनक

परकरण विवरनन शाखाओ ि म वमलग जस

राषा क परकरण म गदय म ऐस ाठ हो सकत ह वजनम आविषटकारो िजञावनको की जीिनी आवद

हो सकत ह

इसी परकार स सामावजक विजञान म विजञान दखन को वमलगा समाज सामवजक सिसकवत

सामावजक सिगठन अििविशवास आवद को विजञान क तथयो दवारा ढाया जा सकत ह

पराकवतक दशथन

पराकवतक विजञान रौवतकी विजञान

आयविथजञान

िनस वत

विजञान

पराणी -

विजञान

रौवतकी

रासायवनक

खगोवलक

गवणत

रगावरथकी

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 14

रगोल म मदा मौसम फसलो का रगोलीय वितरण र आिाररत बआई आवद विजञान की

सहायता स री ढाय जा सकत ह

इवतहास म थिी का उदय मानि का जनम उसक समय क सार बदलत विया कला

िजञावनक अविषटकार वजसन मानि जीिन को परोरावित वकया

कवषविजञान ि विजञान का तो बहत गहरा समपबनि ह

अत य जानना री आिशयक ह की सह-समपबनि सोच समझ कर समझाना चावहए अराथत

अितविथषयक सिर दकर ऐसा न हो वक आ अनय विषयो का अविक महतति द वशकषक को य

दखना होगा की विजञान को अनय विषयो क सार सिबवित कर वशकषण करना ह तरा क ि

ldquoविजञानrdquo ही रहगा अनय विषयो स समपबनि चीदा नही होन चावहए विषय िसत सरलतम सतर

र लाकर ही ढाई जानी चाहए

145 तिजञान एक अनिराषटरीीय उयमम ह

विजञान क विसतार न हमार जीिन म औदयोगीकरण अनतराषटरीयकरण तरा सािथरौवमकता को परचवलत

कर वदया ह जीिन क हर कषतर म चाह िो वचवकतसा हो अरिा सचना परोदयोवगकी तकवनकी हो अरिा

वशकषण खान- ान हो अरिा रहन-सहन आवद म वया क बदलाि आया ह आज विजञान और तकनीक

न र विशव को सिकवचत कर वदया ह हम अ न घर म बठ बठ ही अनय दशो की समसत जानकारी ल

सकत ह बहत स उदयोग वसफथ इनिरनि क दवारा चलाय जा रह ह य उदयोग री उससी रफ़तार स फल फल

रह ह जस घरल उदयोग इसक कई उदाहरण ह जस मोबाइल कि नी कि पयिर की कमप नीयाि जत सौदयथ

परसािन आवद

विदशी तकवनकी एिि उनकी कि वनयाि अरिा अनसनिान क सहयोग क वलए सरकार री उदारीकरण की

वनवत को अ ना रही ह विदशी उदयोग री रारतीय उदयोगो ि अनसनिान क वलए तत र ह ऐसी नीवतया

रारत का अनतराषटरीयकारण करन म सहायता परदान करता ह इन सब कायो म विततीय सहयोग अतयित

आिशयक ह अत हम अब अनतराषटरीय उदयम र कवनित होना होगा कयिवक घरल उदयोग स दश का

विकास िीमा हो जाता ह और हम अनय विकवसत दशो स व छड जायग अत हम विततीय तौर र सदड

होन क वलए अितराथषटरीय सतर र जाना होगा आज हम अमररका जा ान कोररया चीन मलवशया

वसिगा र दवकषण अफरीका ऑसरवलया आवद जस दशो क सार वमलकर कई उदयम म सहयोग कर रह ह

इस हम उदयम का अनतराषटरीयकारण कहत ह बहत साड़ी घरल कि वनयाि री विदशो म वनिश कर रह ह

जस ररलायिस िािा िीसीएस आवद अत विजञान एक अनतराषटरीय उदयम बन रहा ह रनत इस बढ़न क

वलए सरकार एिि बड़ी वनजी कि वनयो को आग आना होगा

146 तिजञान जञान तनमायण की परतिया

आज हम वयिहारिाद स वनवमथतिाद जञान की और ररिवतथत हो रह ह विजञान अ न आ म एक परविया

ह जो िजञावनक विवि का अनसरण कर आग बढती ह इस विया दवारा जञान का वनमाथण होता ह कोई री

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 15

जञान तब ही विशष अरिा वनवशचत होता जब िह जञान इस परविया दवारा वनवमथत होता ह विजञान ही इस

नही मानत अव त अनय विषयो म री य िजञावनक परविया दवारा ही अधयन होता ह

वशकषक की रवमका री ररिवतथत हो चकी ह हल वशकषक एक परषक क र म रा अराथत िो जञान

अविगमकताथओ ि तक हचात र अब य वसरवत बदल रही ह विजञान वशकषक को अब विजञान वशकषण

विवरनन चरणो दवारा करना होता ह अब वशकषक अविगम का रासता सगम बनान की कोवशश करता ह

इसक वलए छातरो को परोतसावहत वकया जाए की अविगम िजञावनक विवि स कर ऐस जञान का वनमाथण

सराई होता ह जञान क वनमाथण क विवरनन चरण होत जस-

तथयपरवियाघिना का

अिलोकन

कई अनरि आिकड एकतर

होत ह

अनमान क आिार र जािच

ड़तालअनिषण करना

जािच क आिार र परतयय वनमाथण

करना

िजञावनक जञान का वनमाथण

जञान का िासतविक जीिन म

परयोग करना

अनरिो क आिार र िथ

अनमान लगाना

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 16

तिया कलाप

छातरो को विजञान की सतक स कोई परकरण चनन को कह जो उनह समसया अरिा ऐसा तथय लगता ह वक

वजसकी जािच ड़ताल ि आसानी ि रवच णथ ढिग स कर सक उनको वदशा वनदश दद उनह सियि सब

जानकाररया एकतर करन द उनका समय समय र नबथलन द सही वदशा म कायथ करत दख उनह परोतसावहत कर

जञान का वनमाथण ि कस करत ह उनस स षटीकरण मािग तरा सावरयो क सार चचाथ करन को कह

अत अब िजञावनक विवि िजञावनक अनिषण दवारा जञान क वनमाथण की और ररिवतथत हो गया ह अब हम

य जानग की इस विवि क कया लार ह-

इस जञान वनमाथण की परविया दवारा अविगमकताथ lsquoकरक क सीखता ह वशकषक एक मागथदशथक की

रवमका वनराता ह वशकषक वकसी री परकार क हसतकष स बचत ह ि छातरो को अ न जञान दवारा

पररावित नही करत ह

अविगमकताथओ ि को सीखन क वलए सितितर एिि सिसर िातािरण वमलता ह

य छातरो म वजमपमदारी की रािना उत नन करता ह

उनम बौवदधक इमानदारी विकवसत होती ह

अविगमकताथओ ि म तथयो अरिा समसयाओ ि को हचानन म सहायता परदान करत ह

उनम तकथ सिगत वचितन म विकास क सहायक होत ह

कारण-परराि समपबनि को समझन म सकषम होत ह

अनरि का तावकथ क सिगठन करना सीखत ह

अविगमकताथओ ि एिि वशकषको म री नए जञान क वनमाथण की ओर अगरवसत करता ह

उनम खोजी वयिहार को जनम दती ह

अभयास परशन

2 विजञान ldquoसिजञाrdquo एिि ldquoवियाrdquo री ह सिवकषपत म इसका अरथ बताय

3 विजञान की परकवत क तीन वसदधाित बताएि

4 विजञान एक अनिषण परविया ह वकसी विजञान विषय क परकरण स समझाएि

5 विजञान की तीन सिरचनाय बताएि

6 विजञान अितविथषयक परकवत की ह सिवकषपत म बताएि

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 17

15 सारााश इस इकाई म हमन जाना की विजञान का अरथ कया ह तरा उसकी परकवत कसी ह यह री समझा हा विजञान

की परकवत क विवरनन आयामो को री हमन जाना विजञान एक खोज तरा अनिषण का कषतर ह वजसक

विवरनन चरण ह वजनह हमन विसतार ि उदाहरण की सहायता स जाना विजञान ररितथनशील तो ह ही

रनत सार ही सार उसका विसतार री हो रहा ह य विसतार दश विदश सब जगह हो रहा ह इस विसतार

न विजञान को एक अनतराषटरीय उदयम क र म खड़ा कर वदया ह अत अगर य उदयम ह तो जञान का

वनमाथण री वनरितर स षट एिि बहतर होता जा रहा ह

16 अभयास परशनो क उततर 1 अ न शबदो म उततर

2 विजञान सिजञा इसवलए ह कयिवक उस उत ाद क र म दखा जाता ह िो सिजञा इसवलए ह कयिवक

विजञान को परविया माना जाता ह तरा िो ररितथनशील ह एिि उसका विसतार री होता

3 (i) विजञान एक गतयातमक परविया ह

(ii) विजञान एक अनिषण ह

(iii) विजञान जञान का विसतारशील व िड ह

4 अ न शबदो म वलख

5 तीन सिरचनाएि ह-

i विजञान की मौवलक सिरचना

ii विजञान की सिरचनातमक सिरचना

iii विजञान का सामावजक कष

6 अ न शबदो म

17 सनदरथ गरनर 1 कलशरषठएक कलशरषठएनक ldquoविजञान वशकषणrdquoआरलाल वबलकशनमरठ

2 िरथकगरोललमाननएस(२००३) िोमथस शडोज एिड वहलथ ल साइिस इन द अली चाइलडहड

कलासरम िावशिगिन डीसी नशनल एसोवसएशन फॉर एजकशन ऑफ़ यिग वचलरन

3 बीएससीएस(२००५) डइिग साइिस द परोसस ऑफ़ साइिविवफक इनकिायरी कोलोराडो

वसपरिगस एनआइएच वबलकशन

4 wwwncertnicin phy_sci

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 18

5 रिनागरएबीरिनागरएसएस ldquoव डागोजी ऑफ़ सकल सबजकि साइिसrdquo

आरलाल वबलकशन मरठ

18 वनबाधातमक परशन 1 विजञान का कया अरथ ह विसतार स बताएि

2 विजञान एक उत ाद एिि परविया री ह वििचना कर

3 विजञान का िवकथ करण कस हआ

4 विजञान एक अनतराषटरीय उदयम ह उदाहरण की सहायता स समझाएि

5 विजञान जञान वनमाथण की परविया ह इस कस सावबत करग

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 19

इकाई 2 - भौविक विजञान एिम समाज

21 परसतािना

22 उददशय

23 रौवतक विजञान एिम समाज

24 िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता क वलए रौवतक विजञान

25 सपरवसदध िजञावनक- आइजक नयिन जॉन डालिन जसी बोस अलबिथ आइनसिीन

शािवतसिर रिनागर नीलस बोहर सी िी रमन डी बरोगली वबमला बिी आवद

26 सारािश

27 अभ यास परश नो क उत तर

28 सिदरथ गरिर सची

29 वनबििात मक परश न

21 परसतावना रौवतक विजञान की वशकषा का उददशय वयवकत तरा उसक समाज को उसक परकवत तरा िातािरण क

सार समायोजन करन क योगय बनाना ह सार ही उन र वनयितरण रखकर उनह अ नी सवििा क अनसार

परयोग करन की कषमता उत नन करना ह मनषटय न अ न जीिन को आरामदायक एिम सखमय बनान क

वलए वनरितर परयास वकय ह िजञावनक खोजो एिम अविषटकारो की सहायता स ही मनषटय का जीिन आज

हल की तलना म बहत सरल हो गया ह आज वमनिो सक डो म हम दवनया क वकसी री कोन म जो

कछ री घवित हो रहा होता ह उसक विषय म िलीविज़न मोबाइल इनिरनि क माधयम स घर बठ ही

सब जान लत ह आज हमार वलए अनतररकष की यातरा िासतविकता बन गयी इतना ही नही हम

अितररकष म उ गरह सराव त करन म री सफल हए ह कछ िषथ िथ जो रोग असाधय र अब उनका वनदान

एिम पररािशाली उ चार सिरि ह यह सब विजञान क अविषटकार क कारण ही सिरि हो ाया ह इस

इकाई म हम रौवतक विजञान वकस परकार हमार समाज और सामावजक जीिन को पररावित कर रहा ह

िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता क वलए रौवतक विजञान का कया योगदान ह ि कछ सपरवसदध

िजञावनक- आइजक नयिन जॉन डालिन जसी बोस अलबिथ आइनसिीन शािवतसिर रिनागर नीलस

बोहर सी िी रमन डी बरोगली वबमला बिी आवद का रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत

एिम विकास म कया योगदान रहा ह क विषय म विसतार िथक चचाथ करग

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 20

22 उददशय इस इकाई क अधययन क शचात आ -

1 रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास हमार समाज और सामावजक जीिन

को वकस परकार पररावित कर रह ह इसका विसतार िथक िणथन कर सक ग

2 िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता क वलए रौवतक विजञान का कया योगदान ह इसका

विसतार िथक िणथन कर सक ग

3 रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास म वजन रारतीय तरा विदशी

िजञावनको का योगदान अतयित महति णथ रहा ह उनक विषय म जान सक ग

23 रौवतक ववजञान एवम समाज समाज म सखी जीिन वयतीत करन एिम समाज को वनरितर उननवत क र र ल जान म सदि रौवतक

विजञान की अतयित महति णथ रवमका रही ह रौवतक विजञान की वशकषा इस परकार दी जानी चावहए की

छातरो म सामावजकता क गणो का विकास हो सक सार ही ि यह समझ सक की वकस परकार रहन स

और वकस परकार क कायथ करन स समाज को लार हिचगा अतः रौवतक विजञान का णथ जञान छातरो को

वदया जाना चावहए तावक ि सियि रौवतक विजञान क कषतर म आग बढकर समाज को उननवत क र र ल

जा सक सार ही विजञान क विनाशकारी कष स अिगत कराकर उनको यह री बता दना चावहए वक

विजञान का उ योग सदा मानि वहत एिम कलयाणकारी कायो क वलए ही वकया जाना चावहए रौवतक

विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास न समाज एिम सामावजक जीिन को वकस तरह स

पररावित वकया ह यहा र हम उसकी चचाथ करग-

1 समपरषण एिम पररिहन की आितनक सतििाओ की उपलबििा रौवतक विजञान क दवारा

विकवसत मोबाइल इििरनि की सवििा ईमलस फसबक िािस ए इतयावद न तो हमार समाज

और सामावजक जीिन को जस बदलकर रख वदया ह हल हम वकसी सनदश को डाक क माधयम स

वयवकत विशष तक हचान म कछ वदन का समय लगता रा लवकन आज हम वकसी री सनदश को

मोबाइल इििरनि की सवििा ईमलस फसबक िािस ए क दवारा कछ वमनिो या सक डो म ही

वयवकत विशष तक हिचा सकत ह सिसार क वकसी री कोन म चाह कछ री घवित हो रहा हो आज

इन सब सवििाओ ि का परयोग करक हम ल ल उसकी जानकारी रख सकत ह हमार समाज को

ररिहन एिम समपपरषण क कषतर म आिवनक सवििाय उ लबि करान का शरय री रौवतक विजञान

को ही जाता ह रौवतक विजञान क दवारा विकवसत यातायात क विवरनन सािनो जस - रल

िाययान जहाज कार बस इतयावद स यातरा करना आज अविक सवििाजनक हो गया ह जो यातरा

करी महीनो म री हआ करती री उसको कछ ही वदनो म और जो यातरा कछ वदनो म री हआ

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 21

करती री उसको कछ ही घििो म रा कर ाना आज रौवतक विजञान क दवारा परदतत यातायात क

विवरनन सािनो क कारण ही समपरि हो सका ह

2 खादद उतपादन म िति हि आितनक िकनीकी रौवतक विजञान क कषतर म होन िाल विकास न

आज खादद उत ादन क सतरोतो म काफी िािवत ला दी ह आज हमार ास कवष मतसय ालन

मिमकखी ालन ि श ालन इतयावद सरी कषतरो म अतयविक विकवसत तकनीकी उ लबि ह

75 वकसानो न उिथरको कीिनाशको ि कवष की आिवनक विवियो को अ नाया ह वजसक

फलसिर फसलो एिम फलो की वकसमो म सिार हआ ह इस समपबनि म रारतीय वशकषा आयोग

न री वलखा ह वक ldquo तिजञान पर आिाररि नयी कतष परौददोतगकी का तिकास सिायतिक

महतिपणय ह तपछल सौ िषो म तिशव क अनक भागो म कतष म िाति आई ह िस-

रासायतनक इतितनयररग िरा याततरकीकरण का तिकास िरा िि-िजञातनक सोच म िाति

आना मनषय क रहन क ढग क िजञातनक दरतिकोण स कतष परौददोतगकी म अतयि सिार हआ

हrdquo रौवतक विजञान ही ह वजसक महति णथ योगदान क कारण आज हम कवष क कषतर म

आतमवनरथर हो गय ह आजादी स हल जहा हमार दश की समप णथ जनता को अनाज उ लबि नही

हो ाता रा िही रौवतक विजञान क योगदान क कारण आज हमारा दश इस वसरती म ह वक दश क

सरी लोगो क वलए अनन की आ वतथ करन क बाद री हम आज अनन का वनयाथत करन की वसरती म

ह आज रवडयो एिम िलीविजन र परसाररत वकय जान िाल विवरनन कवष आिाररत कायिमो क

माधयम स वकसानो को कीि वनयितरण फसलो की दखराल और खाद क परयोग की उवचत जानकारी

परापत हो जाती ह फलसिर इन कायथिमो स वकसानो को फसलो को उननत बनान क वलए उवचत

जञान परापत होता ह नयी तकनीवकयो क परयोग की जानकारी न आज जहा एक ओर खादद उत ादन म

िवदध की ह िही दसरी ओर मानि शरम की जविलताओ ि को दर वकया ह इसक अवतररकत रौवतक

विजञान क जञान क कारण ही हम आज उत ावदत खादद सामगरी को लमपब समय तक सरवकषत रख सकत

ह तरा दवनया क हर कोन म इचछानसार उसकी उ लबिता को सिरि बना सकत ह

3 सिासय की दखभाल ि रोगो क उपचार हि निीन िकनीकी उपकरण एिम ससािनो की

उपलबििा रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास न ही आज हमार समाज को

अनक निीन तकनीकीयाि उ करण सिसािन एिम दिाइयाि उ लबि करायी ह आज करी

असाधय लगन िाल रोग िजञावनको दवारा खोजी गयी इन विवरनन दिाइयो उ करणो सिसािनो एिम

तकनीवकयो क परयोग स असाधय नही रह गय ह वचवकतसा क कषतर म रौवतक विजञान हमार

शारीररक सिासथय क सार सार मानवसक सिासथय को री बनाय रखन म महति णथ रवमका वनरा

रहा ह हल वजन रयािह रोगो क उ चार क वलए हम विदश जाना होता रा रौवतक विजञान क

विकास क कारण आज ऐस वकसी री बड़ स बड़ रोग क वनदान एिम उ चार की सवििा हमार

दश म ही उ लबि ह आज सिचार क विवरनन माधयमो जस अख़बार रवडयो िवलविज़न मोबाइल

ि इनिरनि क माधयम स सिासथय समपबनिी सचनाएि सदर गरामीण कषतर तक आसानी स हच रही ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 22

विजञान क दवारा ही विवरनन रोगो जस- हजा चचक र री तरह स तरा िीबी ोवलयो ि बचचो

क वदमागी बखार र काफी सीमा तक वनयितरण ा वलया गया ह

4 भिन तनमायण हि आितनक यतरो एिम उपकरणो की उपलबििा आज हमार ास रिन

वनमाथण हत विवरनन िातओ ि स वनवमथत यितर एिम उ करण ह रिन वनमाथण क कषतर म जो आिवनकता

वदखाई दती ह िह सब रौवतक विजञान म होन िाली परगवत एिम विकास का ही ररणाम ह रिन

वनमाथण हत जहा हमको करी छोि छोि घर बनान म अविक शरम एिम समय लगता रा िही आज

विजञान दवारा परदतत मशीनो एिम उ करणो का परयोग करक हम कम समय एिम शरम म बहमिवजला

इमारत बनान म सकषम हो गय ह

5 िल ससािन परबिन एिम ितिकरण हि यतरो की उपलबििा रौवतक विजञान की परगवत

एिम विकास न ही आिवनक समाज को जल सिसािन क सही परबििन एिम शवदधकरण क वलए

उननत ि विकवसत तकनीवकयाि परदान की ह आज बड़ बड़ बाििो का वनमाथण वकया गया ह

विकवसत जल परणाली क दवारा आज कवतरम वसिचाई क वलए ानी की उ लबिता हो ायी ह यह

सब रौवतक विजञान क जञान क कारण ही सिरि हो सका ह आज हम जल क शवदधकरण क वलए

अ न घर या दफतर म वजन यितरो का परयोग कर रह ह ि सब रौवतक विजञान क कारण ही हमको

उ लबि हो सक ह

6 िशवीकरण अनिः समबनि िरा अनिः तनभयरिा म िति आिवनक समाज म जो अनतः समपबनि

तरा अनतः वनरथरता दखन को वमलती ह िह रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम

विकास का ही ररणाम ह आज समप णथ विशव िशवीकरण की राह र ह आज जो कछ री एक

वयवकत समाज या राषटर दवारा वकया जाता ह उसका परराि जान अनजान सरी र ड़ता ह आज

विशव क एक कोन स दसर कोन र जाना अतयित सरल हो गया ह ररणामसिर वकसी वयवकत या

समदाय का दवनया क दसर वयवकत या समदाय स वमलना जलना आसान हो गया ह समपपरषण और

सिचार क सािनो की उ लबिता स ही आज सिसार क वकसी री कोन म जो कछ री घवित हो रहा

हो तरित िह सचना सिसार क दसर सरानो तरा वयवकतयो तक हच जाती ह आज सिसार क वकसी

एक दश म जो कछ उत ावदत हो रहा हो िह दसर दश म रह रह वयावकतयो क वलए उ रोग की

िसत क र म आसानी स उ लबि हो जाता ह िशवीकरण की परविया को इस र तक हचान

म रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली खोजो एिम अविषटकारो का ही महति णथ योगदान ह

7 शरम समय एिम िन की बचि हि तितभनन िकनीतकयो की उपलबििा रौवतक विजञान क

कषतर म हो रही परगवत एिम विकास न ही हमको ऐस उ करण एिम तकनीवकयाि परदान की ह वजनकी

सहायता स आज हम वकसी री कायथ को कम शरम कम समय ि कम लागत म रा कर ान म सकषम

हो गय ह चाह कवष का कषतर हो वचवकतसा का कषतर हो कोई उददोग हो दवनक जीिन क कायथ हो या

वशकषा का कषतर जीिन क लगरग हर कषतर क कायथ को रौवतक विजञान न सरल एिम सगमपय बना

वदया ह जहा घर की रसोई क कायथ को वमकसी माइिोिि ओिन जस उ करणो न अतयित सरल

कर वदया ह िही वकसी फकरी ऑवफस दकान या वयिसाय क वकसी री कायथ को कि पयिर

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 23

मोबाइल ि इनिरनि न इतना सरल कर वदया ह वक आज हम चाह वकसी री सरान र हो हम

उसी सरान स अ न वकसी री कायथ को कम शरम समय एिम लागत म रा कर सकत ह

अभयास परशन

1 रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास न समाज एिम सामावजक जीिन को

पररावित वकया ह रौवतक विजञान की परगवत एिम विकास स होन िाल वकनही तीन लारो को

वलवखए

24 वातावरण सवासय शाावत और वनषपकषता क विए रौवतक ववजञान रौवतक विजञान म होन िाल परगवत और विकास स आिवनक समाज को हर परकार स लार ही हआ ह

यह कहना उवचत नही होगा रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत न जहा एक ओर आिवनक

समाज को सरलता िथक जीिन वयतीत करन क वलए अनको सािन उ लबि कराय ह िही कछ

हावनकारक ररणामो को री जनम वदया ह यहा र हम िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता क

वलए रौवतक विजञान का कया योगदान ह इसक विषय म चचाथ करग -

i िािािरण क तलए भौतिक तिजञान- विजञान ि तकनीकी क आिवनक यग को िातािरण को

दवषत करन िाल यग का नाम वदया जा सकता ह रौवतक विजञान न जहा एक ओर हमार

आिागमन को सरल बनान क वलए हम यातायात क विवरनन सािन उ लबि कराय ह िही

दसरी ओर इन िाहनो स वनकलन िाल िएि न हमार िातािरण को दवषत कर वदया ह कछ

वया ार तरा उददोगो न िजञावनक तकनीकी तरा विवियो दवारा अतयविक सफलता परापत की ह

इनम स परमख ह- उिथरक उददोग िकसिाइल उददोग इस ात उददोग इलकरोवनकस इतयावद

लवकन नयी तकनीकी एिम मशीनो स यकत इन विवरनन उददोगो स वनकलन िाल अिवशषट दारथ

और िएि न जल एिम िाय दोनो को दवषत कर वदया ह रौवतक विजञान न ही हमको रिन

वनमाथण क कषतर म नए यितर एिम उ करण उ लबि कराय ह आज रिन वनमाथण क कषतर म वजतनी

री कलाकवतयो को दखन क अिसर हमको वमलत ह ि सब रौवतक विजञान की ही दन ह

रनत रिन वनमाथण क वलए मनषटय दवारा तीवर गवत स जिगलो को कािा जा रहा ह वजसक कारण

हमारा परािवतक सितलन वबगड़ रहा ह परािवतक सितलन वबगड़न क कारण जीि जितओ ि एिम

िनस वतयो की अनक परजावतया लपत हो गयी ह विजञान क दवारा परदान की गयी सख सवििाओ ि

क अतयविक और गलत उ योग स ही आज हमार समपमख िवशवक त न एिम ओजोन रत की

कषीणता जसी गिरीर समसयाय उत नन हो गयी ह विवरनन उददोगो की वचमवनयो और िाहनो स

वनकलन िाल िएि म काबथन डाई ऑकसाइड गस अतयविक मातरा म उ वसरत होती ह िवशवक

त न बढ़त हररतगह परराि का ररणाम ह तरा वजसक वलए उततरदायी गसो म स परमख गस

काबथन डाई ऑकसाइड ही ह रौवतक विजञान न हम गमी स बचन क वलए सख सवििा क

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 24

र म रवफरजरिर एयर कि डीशनर तरा अनय उ करण उ लबि कराय ह इन उ करणो म

कलिस क र म कलोरो फलोरो काबथन गस का परयोग वकया जाता ह वजसका गण यह ह वक

एक बार िायमिडल म चल जान र यह नषट नही होती ह और सीि िायमिडल की ओजोन रत

र हमला कर उस नषट कर दती ह अतः िातािरण म होन िाल ररितथन क कारण वनकि

रविषटय म उत नन होन िाली विवरनन समसयायो क परवत जनसािारण को सचत करन की

आिशयकता ह सिचार क विवरनन सािनो जस िलीविज़न रवडयो अख़बार इतयावद क माधयम

स यह कायथ सरलता िथक वकया जा सकता ह सार ही रोल कोयला जस ईिन का परयोग

कम करक अविक स अविक िकष लगाकर एिम कलोरो फलोरो काबथन गस परयोग करन िाल

सिसािनो क इसतमाल र रोक लगाकर हम अ न िातािरण को (िवशवक त न ि ओजोन रत

की कषीणता जसी गिरीर समसयाओ ि स ) सरवकषत रखन म सहयोग कर सकत ह

ii सिासय क तलए भौतिक तिजञान - सिासथय क कषतर म आज हम सिासथय रकषा क वलए

रौवतक विजञान एिम तकनीकी क नए नए सािन अ नान र बल द रह ह करी असाधय लगन

िाल रोग आज िजञावनको दवारा खोजी गयी दिाइयो क परयोग क कारण असाधय नही रह गय ह

क सर और एडस जसी बीमाररयो क वलए री डॉकिसथ और वचवकतसा विशषजञ परयासरत ह नई

नई कोवशकाओ ि क वनमाथण म सफलता परापत कर ली गयी ह रवडयोिवमथता यावन अलफा बीिा

गामा वकरणो क अनपरयोग स वचवकतसा क कषतर म काफी परगवत हई ह अब वचवकतसकीय

उ करणो को गामा वकरणो की सहायता स ही रोगाणमकत वकया जाता ह रौवतक विजञान क

कषतर म होन िाली िजञावनक खोजो क ररणामसिर ही हम आज अलरासाउिड िकनोलॉजी

जसी तकनीकी स लारावनित हो ा रह ह अलरासाउिड िकनोलॉजी की सहायता स आज हम

अ न शरीर क अनदर होन िाल वकसी री विकार की हचान करक उसका उवचत उ चार परापत

करन म सकषम हो गय ह आज वचवकतसक लज़र वकरणो का उ योग करक वबना चीर फाड़

वकय सजथरी कर रह ह रारत म परतयक िषथ चलाय जान िाल ोवलयो अवरयान स ोवलयो

जसी खतरनाक बीमारी लगरग खतम हो गयी ह गरामीण कषतरो म री लोग सिासथय क परवत

जागरक हो गय ह कयोवक अब विजञान क दवारा परदतत सिचार क सािनो जस िलीविज़न

रवडयो कि पयिर मोबाइल इनिरनि आवद क माधयम स सरी सचनाएि उन तक आसानी स

हच जाती ह

iii िाति क तलए भौतिक तिजञान- आज छातरो को ऐसी वशकषा वदए जान की आिशयकता ह

वजसस उनम आतिकिाद वहिसा जसी अिािछनीय घिनाओ ि क परवत नकारातमक िवषटकोण

विकवसत हो तरा रस र सौहादथ सहयोगराईचारा तरा सवहषटणता जस सकारातमक गण

विकवसत हो सक यह कायथ रौवतक विजञान की वशकषा क माधयम स रली रािवत सि नन वकया

जा सकता ह रोकि छोड़न की तकनीवकयो एिम थिी की ककषा म कवतरम उ गरह की

सरा ना आवद कायो म रौवतक विजञान म होन िाली खोजो न ही बहत महति णथ योगदान वदया

ह आज हमन धिवन की गवत स री तज़ चलन िाल िाययान विकवसत कर वलए ह रौवतक

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 25

विजञान की विवरनन नई तकनीकीयो एिम उ करणो की खोज क ररणामसिर ही आज हम

हमार दश क विरदध डोसी दशो दवारा की जान िाली आतिकिादी गवतविवियो र काफी हद

तक नज़र रख ान और उस रोक ान म सकषम हए ह रौवतक विजञान क कारण ही हमारी सनय

शवकत री मजबत हई ह आज हमार ास थिी आकाश वतरशल नाग एिम अवगन जसी

सफल वमसाइल ह जो वकसी री वि रीत ररवसरवत म हमार दश की सरकषा करन म सकषम ह

वसकक क दो हलओ ि की तरह रौवतक विजञान क इन अविषटकारो क लार री ह और नकसान

री ह एक तरफ रमाण ऊजाथ जहा वबजली बनान क काम म आती ह िही रमाण हवरयार

री रमाण ऊजाथ स ही बनाय जा सकत ह अतः विशव शािवत बनाय रखन क वलए यह अतयित

आिशयक ह वक परतयक राषटर इस बात को समझ सक की वक िह विजञान क दवारा परदान की

गयी सरी सरकषा सवििाओ ि को किल मानिवहत एिम कलयाणकारी कायो म ही परयोग करगा

iv तनषपकषिा क तलए भौतिक तिजञान- रौवतक विजञान की िजञावनक वचितन दधवत मानि म

सािथरौवमक िवषटकोण विकवसत करन म सहायक होती ह िमथ एिम सिसकवत की वचितन दधवत

िाल वयवकत का िवषटकोण कषतर विशष की सीमा स बििा होता ह जबवक विजञान क वनयम और

वयाखयाय वकसी कषतर या राषटर की सीमा म बिि नही होत ह िजञावनक वचितन दधवत िाला वयवकत

वकसी री राषटर दवारा विजञान क कषतर म वकय गय योगदान को दखकर वबना वकसी रदराि क

उस राषटर का समपमान करता ह उसका वचितन एिम िवषटकोण सिकवचत नही होता ह अव त

सािथरौवमक होता ह आज री हमार समाज म कछ रीवत-ररिाज एिम सामावजक रवड़या ह जो

ीड़ी डर ीड़ी चली आ रही ह हमार समाज म आज री यही माना जाता ह वक एक लड़की को

वशवकषत होन की कोई आिशयकता नही ह कयोवक उसको तो घर म ही काम करना ह जबवक

एक लड़क को वशवकषत होना चावहए कयोवक उसी को घर चलान क वलए वयिसाय या नौकरी

करक िन अवजथत करना ह इन सामावजक रवडयो क बािजद सािथरौवमक िवषटकोण क कारण ही

िजञावनक वचितन दधवत िाला वयवकत हमार समाज म वयापत वलिग रद क आिार र बालक ि

बावलका को वशवकषत करन क विषय म विचार नही करता ह आज बालक हो या बावलका हर

वकसी क वलए वनषट कष र स वशकषा उ लबि करान र जोर वदया जा रहा ह यह रौवतक

विजञान की िजञावनक वचितन दधवत का ही ररणाम ह रौवतक विजञान न आज अनक ऐस

उ करण ि कवतरम अिग विकवसत कर वलए ह वजनकी सहायता स आिवशक शरिणदोष स गरवसत

छातर ककषा म सामानय छातर की रािवत सन सकता ह तरा एक विकलािग छातर री सामानय छातर

की रािवत चल सकता ह उठ बठ सकता ह आज हम रौवतक विजञान क अविषटकार जस ndash

िलीविज़न रवडयो इनिरनि इतयावद र परसाररत होन िाल विवरनन शवकषक कायथिमो क

माधयम स ही दगथम एिम सदर गरामीण कषतरो म रहन िाल छातरो को वशवकषत करन म सफल हो

ा रह ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 26

अभयास परशन

2 शीत उ करणो म कलिस क र म कलोरो फलोरो काबथन गस का परयोग वकया जाता ह

(सतयअसतय)

3 िवशवक त न बढ़त हररतगह परराि का ररणाम ह तरा वजसक वलए उततरदायी गसो म स परमख

गस कलोरो फलोरो काबथन ही ह (सतयअसतय )

4 वचवकतसकीय उ करणो को गामा वकरणो की सहायता स ही रोगाणमकत वकया जाता ह (सतय

असतय)

5 िवशवक त न को कम करन हत कोई दो उ ाय वलवखए

25 सपरवसदध वजञावनक- आइजक नयटन जॉन डालटन जसी बोस अलबटथ आइनसटीन शाावतसवरप रटनागर नीलस बोहर सी वी रमन डी बरोगिी वबमिा बटी आवद सामनयतया कहा जाता ह वक ररितथन परकवत का वनयम ह रौवतक जगत म इस ररितथन को लान का

शरय विजञान को ही वदया जाता ह वजन महान लोगो क अनिरत परयास एिम खोजो क ररणामसिर

हमार रौवतक जगत म य ररितथन आत ह उनको हम िजञावनक की सिजञा दत ह ितथमान म हम सरी

वजन रौवतक सख सवििाओ ि का परयोग करक एक सरल एिम सगमपय जीिन वयतीत कर रह ह उन

सख सवििाओ ि की खोज करन का शरय री वनसिदह हमार िजञावनको को ही जाता ह िजञावनको की

महनत एिम अरक परयासो का ही ररणाम ह वक आज हम जीिन क हर कषतर म वनरितर परगवत एिम

विकास कर रह ह यहा र हम कछ सपरवसदध िजञावनको की पररणादायक खोजो एिम उनक योगदान क

विषय म चचाथ करग-

आइिक नयटन

महान िजञावनक आइजक नयिन वजनको आिवनक रौवतकी एिम गवणत का व तामह कहा जाता ह का

जनम 1642 म वलिकन शायर (इिगलड) म हआ रा ि बालयकाल स ही वशकषा क परवत गिरीर र विदयारी

जीिन स ही उनकी रवच यािवतरक एिम सरजनातमक कायो म ररलवकषत होन लगी री वशकषा क परवत

उनकी इस लगन परवतरा एिम योगयता को दखत हए ही उनको आग की वशकषा गरहण करन क वलए

कवमपबरज विशवविदयालय रज वदया गया जहा र अ नी विशवविददालीय वशकषा क दौरान ही उनकी गवणत

विषय म योगयता एिम रवच को दखत हए उनको मातर 27 िषथ की आय म गवणत विषय क परोफसर क

द र वनयकत कर वलया गया 30 िषथ की आय म उनहोन इसी विशवविदयालय म एक परयोगशाला की

सरा ना करक सितनतर र स अ ना अनसनिान कायथ परारिर कर वदया अ न अनसििान कायथ क

ररणामसिर उनहोन रौवतक विजञान क कषतर म वजन नयी उ लवबियो को अवजथत वकया ि वनमपन ह-

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 27

i नयिन न गरतिाकषथण क वनयम का परवत ादन वकया नयिन न बताया की सिसार की परतयक दो

िसतओ ि क बीच एक आकषथण बल काम करता ह यवद दो आकवषथत करन िाली िसतओ ि म

स एक थिी हो तो थिी वजस बल स वकसी िसत को अ न क ि की ओर आकवषथत करती ह

उस गरति बल कहत ह इसवलय जब कोई िसत ऊ र की ओर फ की जाती ह तो िह गरति

बल क कारण ही लौिकर थिी र िा स आती ह गरति बल क कारण ही हम थिी र खड़

रह सकत ह

ii नयिन न ही यह बताया वक बरहमाणड म वकनही दो व िडो क बीच कायथ करन िाल आकषथण बल

को गरतिाकषथण बल कहत ह इस बल क कारण ही थिी सयथ क चारो ओर घमती ह तरा

चििमा थिी क चारो ओर घमता ह िासति म यही बल सरी गरहो की गवत क वलए उततरदायी

iii नयिन क गरतिाकषथण वनयम क अनसार ldquo बरहमाणड का परतयक कण दसर कण को एक वनवशचत

बल स आकवषथत करता ह जो उन कणो क िवयमानो क गणनफल क अनिामान ाती तरा

उनक बीच की दरी क वयतिमान ाती होता हrdquo वजसको वनमपन समीकरण दवारा परदवशथत वकया

जा सकता ह ndash

119865 = 119866 11989811198982

1199032

iv नयिन न गवत विषयक तीन मति णथ वनयम परवत ावदत वकय नयिन क गवत क पररम वनयम क

अनसार ldquoयवद कोई िसत विरामािासरा म ह तो िह विरामािासरा म ही बनी रहगी और यवद

िह एक सरल रखा म एकसमान िग स चल रही ह तो िह उसी परकार चलती रहगी जब तक

वक उस र कोई िाहय बल ना लगाया जायrdquo उदाहरण क वलए यवद कोई सतक मज र राखी

ह तो िह तब तक उसी अिसरा म बनी रहगी जब तक वक उस र बाहर स बल लगाकर उस

िहाि स हिा न वदया जाय

नयिन क गवत क वदवतीय वनयम क अनसार ldquo वकसी िसत र बाहर स लगाया गया बल F उस

िसत क िवयमान m तरा िसत म बल की वदशा म उत नन तिरण a क गणनफल क

अनिमान ाती होता हrdquo

F = ma

नयिन क गवत क ततीय वनयमानसार जब कोई िसत वकसी दसरी िसत र बल लगाती ह तो

दसरी िसत री हली िसत र उतना ही बल वि रीत वदशा म लगाती ह उदाहरण क वलए

तरत समय तराक ानी को ीछ की ओर िकलता ह ररणामसिर ानी तराक को आग की

ओर िकलता ह अतः स षट ह वक तराक ानी को वजतनी तजी स ीछ की ओर िकलगा िह

उतना ही तज़ तरगा

v नयिन न ही यह जानकारी दी वक परकाश सात रिगो स वमलकर बना होता ह

vi नयिन न अ न परयोगो दवारा वसदध वकया वक परकाश सदि सीिी रखा म चलता ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 28

vii नयिन न गवणत की एक अतयित महति णथ शाखा कलकलस की खोज की

viii नयिन न एक महति णथ परमय की खोज की वजस बाईनोवमयल परमय कहा जाता ह

ix नयिन न परकाश क फोिोन वसदधानत को परवत ावदत वकया और यह बताया वक परकाश बहत ही

सकषम कणो क र म हम तक हचता ह वजनह फोिोन कहा जाता ह

x नयिन न सयथ स थिी तक की दरी को मा ा और अनय गरहो की थिी स दरी और उनक आकर

का अनमान लगाया

िॉन डालटन

वबरविश रसायनशासतरी जॉन डालिन का जनम 6 वसतमपबर 1766 को इगलसफीलड इिगलड म हआ रा

डालिन एिम उनक राई दोनो ही जनम स िणाथनि र डालिन अ न गाि कमपबरलड म एक किकर

विदयालय म वशकषा गरहण करन क बाद मातर 12 िषथ की आय म उसी विदयालय म वशकषक क र म कायथ

करन लग इनका जनम गरीब ररिार म हआ रा अतः 14 िषथ की आय म विदयालय क वशकषण कायथ को

छोडकर अ न ररिार का ररण ोषण करन हत खती म जि गय लवकन अविक समय तक उनका मन

खती म नही लगा तरा इसी एक िषथ क दौरान उनहोन िाव स वशकषण कायथ म लौिन का वनणथय वलया

ि नः कनडाल म एक किकर बोवडिग विदयालय म वशकषण कायथ करन लग तरा मातर चार िषथ क शचात

इसी विदयालय म वपरिवस ल क द र वनयकत हो गय ि इस विदयालय म 1793 तक रह इसक शचात

मनचसिर क नय कॉवलज म ियिर क र म कायथ करन लग जहा र उनहोन मनचसिर वलिररी एिम

वफलोसोवफकल सोसायिी की सदसयता ल ली इसी सोसायिी की सदसयता क ररणामसिर उनको

परयोगशाला की सवििाएि परापत हई और उनहोन अ ना अनसनिान कायथ परारमपर कर वदया परारमपर म उनहोन

मौसम विजञान म तरा इसक शचात जीि विजञान तरा रसायन शासतर म शोि करक वनमपन उ लवबियाि

अवजथत की

1 डालिन न अ न पररम शोि परोजकि म मौसम विजञान म रवच वदखाई री अतः ि मौसम

िाय की गवत एिम बरोमवरक दबाब र परवतवदन धयान रखत र जो की जीिन क अिवतम वदनो

तक उनकी आदत बना रहा डालिन की हली सतक ldquo वमविरओलोवजकल

फ़ाईनडीनगसrdquo(Meteorological Findings) म िायमिडलीय दबाब र उनक शोि ररणाम

परकावशत हए

जब दो या दो स अविक गस आ स म वमलायी जाती ह तो उनक कल दाब की गणना करन क

वलए ही जॉन डालिन न आिवशक दाब का वनयम वदया इस वनयम क अनसार ldquo वसरर ता ि

आयतन र उन दो या दो स अविक गसो (जो आ स म विया ना करती हो ) का कल दाब इन

गसो क आिवशक दाबो क योग क बराबर होता हrdquo

PT = P1 + P2 + P3 + ⋯

2 डालिन न ही बताया वक िणाथनिता आनिािवशक होती ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 29

3 रमाण की सिरचना क समपबनि म परयोगो क आिार र तथयातमक वसदधानत सबस हल जॉन

डालिन न ही वदया रा वजस डालिन का रमाणिाद क नाम स जाना जाता ह इस वसदधानत क

अनसार ldquo रमाण वकसी तति का िह छोि स छोिा अविराजय कण ह जो रासायवनक विया म

राग नही लता ह और उसम उस तति क सरी गण विददमान रहत हrdquo

िसीबोस

डॉकिर जसी बोस का जनम बिगाल क फरीद र वजल क वििम र नामक गािि म 30 निमपबर 1858 को

हआ रा ि बच न स ही एक मिािी छातर र 11 िषथ की आय म ि कलकतता आय जहा र उनह

अिगरजी राषा की वशकषा हत सि ज़वियर सकल म परिश वदलाया गया 16 िषथ की आय म इनहोन

छातरिवतत क सार मवरक ास वकया और उसक शचात कलकतता विवशवददालय म परिश ल वलया जहा स

जसी बोस न गवणत एिि विजञान म विशष योगयता क सार सनातक की रीकषा उततीणथ की 1896 म

लनदन यवनिवसथिी न उनह उनक शोि वबजली की लहरो की लमपबाई र डीएससी की वडगरी परदान की

ि 1920 म रॉयल सोसायिी क फलो चन गय 1927 म ि इिवडयन साइिस कािगरस क जनरल परसीडसी री

वनयकत हए 1912 म बोस जब अ न एक िजञावनक वमशन र रिाना हए तो उस समय उनकी इचछा री

वक रारत म री रॉयल इिसिीियि लनदन की तरह एक साइिस इिसिीियि सराव त वकया जाय उनक इसी

स न को साकार र दन क वलए उनहीन रारत म 30 निमपबर 1917 को बोस इिसिीियि की सरा ना की

आज रारत म इस एक परवसदद ररसचथ सनिर का दजाथ वमल चका ह विजञान क कषतर म इनकी परमख

उ लवबियाि वनमपन ह ndash

i जसी बोस न अ न एक परयोग दवारा यह परदवशथत वकया वक लघ विददत तरिगो दवारा सिकत परापत हो

सकत ह उनहोन अ ना हला परयोग परदशथन परसीडसी कॉलज म वकया तरा दसरा परयोग परदशथन

िाउन हॉल म वकया अ न इस परयोग क दवारा जसी बोस न बताया रा वक विददत चमपबकीय

तरिग वकसी सदर सरल तक किल अनतररकष की सहायता स हच सकती ह तरा य तरिग वकसी

विया का वकसी अनय सरान र वनयितरण री कर सकती ह िासति म यह ररमोि कणरोल

वससिम रा

ii जसी बोस हल ऐस वयवकत र वजनहोन एक ऐस सकषम यितर का वनमाथण वकया वजसकी सहायता

स सकषम तरिग दा की जा सकती री उनहोन दवनया को एक ऐसी वबलकल नयी तरह की रवडयो

तरिग वदखाई जो वक 1 समी स 5 वममी की री वजस आज माइिोिि या सकषम तरिग कहा

जाता ह

iii जसी बोस न ौिो म िीमी गवत स होन िाल विकास को मा न हत एक अतयित सििदी यनतर

बनाया जो िीमी गवत स हो रही इस िवदध को मा सकता रा इस यनतर को इनहोन िसकोगराफ

नाम वदया

iv इनक दवारा ौिो म िवदध की अवररचना ररकॉडथ की गयी जोवक आिवनक िजञावनक तरीको स

री वसदध होती ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 30

v जसी बोस न बताया वक ौिो म उददी न का परराि सफीती दबाब और कोवशकाओ ि क फलाि

स जड़ा होता ह

अलबटय आइनसटीन

महान िजञावनक अलबिथ आइनसिीन का जनम जमथनी क उलम नामक सरान र 1879 को हआ रा

आइनसिीन बच न स ही परवतराशाली विददारी र गवणत एिम विजञान विषय क अधययन म इनकी

विशष रवच री इनकी परवतरा को दखत हए ही इनक वशकषको दवारा इनह मातर 15 िषथ की आय म ही

विशवविदयालय सतर की वशकषा गरहण करन क योगय घोवषत कर वदया गया रा अ नी विददालयी वशकषा

गरहण करन क बाद इनहोन गवणत एिम विजञान का अधययन जारी रखा आइनसिीन की वशकषण कायथ म

बहत रवच री वकनत बहत परयास करन क बाद री य एक वशकषक क र म नौकरी नही परापत कर सक

और वफर मजबरीिश वसििजरलड क एक ऑवफस म कलकथ क द र कायथ करन लग इस नौकरी क

सार सार उनहोन अ ना अनसनिान कायथ जारी रखा आइनसिीन न 1905 ि 1906 म लगातार अ न

दो परवसदद वसदधानतो को दवनया क समपमख परसतत वकया इन दो महान खोजो क बाद इनकी परवसवदध बढ़

गयी तरा इनह 1911 म बवलथन विशवविदयालय म रौवतक शासतर क परोफसर द र वनयकत कर वदया गया

रौवतक विजञान क कषतर म इनकी परमख उ लवबियाि वनमपन ह ndash

i 1905 म इनहोन अ ना परवसदद वसदधानत जो दारथ क नषट होन क बाद उसक ऊजाथ म ररिवतथत

होन स समपबिवित ह को एक समीकरण 119864 = 1198981198882 क र म दवनया क समपमख परसतत

वकया उनकी यही खोज आग चलकर एिम बम क अविषटकार का आिार बनी

ii 1906 म इनहोन सरान तरा दरी स समपबिवित एक अनय खोज दवनया क समपमख परसतत की

वजसको विजञान जगत म ldquoसा वकषक वसदधानतrdquo क नाम स जाना जाता ह

iii बवलथन विशवविदयालय म परोफसर द र कायथ करत हए री इनहोन अ न शोि कायथ को जारी

रखा तरा एक अनय परमख वसदधानत की खोज की वजसको ldquoकरिचर ऑफ़ स स थयोरी rdquo क

नाम स जाना जाता ह आइनसिीन न 1919 म णथ सयथगरहण क समय इसकी सतयता की जािच

री करक वदखायी

iv आइनसिीन न ldquoपरकाश का किाििम वसदधानतrdquo परसतत वकया वजसक दवारा इनहोन यह समझान का

परयास वकया वक परकाश हमार ास तरिगो क किाििा क र म आता ह

अ नी इन सरी महति णथ खोजो क उ लकषय म इनको 1921 म रौवतकशासतर क नोबल रसकार स

समपमावनत वकया गया

िातिसिरप भटनागर

डॉ शािवत सिर रिनागर का जनम 21 फरिरी 1894 को िजाब क शाह र वजल म रडा नामक गराम म

हआ रा इनहोन 1911 म मवरक की रीकषा पररम शरणी म उततीणथ की तरा 1913 म लाहौर फोरमन

विशचन कॉवलज स एम एससी की रीकषा री पररम शरणी म उततीणथ की बाद म 1921 म लनदन

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 31

विशवविदयालय स डीएससी की वडगरी परापत की मगनिो कवमसरी क कषतर म वकय गय अनसनिान कायथ क

योगदान क वलए इनको विशष तौर र जाना जाता ह इसक अवतररकत इनहोन कोलोइड इमलशन ि

औददोवगक रसायनशासतर क कषतर म री काफी उ योगी अनसनिान कायथ वकय ह इनक समपमान म ही

िजञावनक एिम औददोवगक अनसनिान ररषद दवारा परवतिषथ िजञावनको स विजञान और तकनीकी कषतर म

उनक योगदान क सनदरथ उनको शािवतसिर रिनागर रसकार परदान वकया जाता ह

नीलस बोर

इस डवनस रौवतकशासतरी का जनम 1885 म डनमाकथ म हआ रा | इनक व ता विशचन बोर को नहगन

विशवविदयालय म वफवजओलोजी क परोफसर र अतः इनको बच न स ही अ न घर म ढन वलखन का

अचछा िातािरण वमला रा बोर अतयित होनहार विददारी र इनकी समप णथ वशकषा को नहगन

विशवविदयालय म ही सि नन हई मवरक की ढाई री करन क बाद 1903 म इनहोन को नहगन

विशवविदयालय म परिश वलया जहा स 1909 म रौवतक शासतर म मासिर वडगरी ि 1911 म ी एच डी

की उ ावि परापत की तरा 1916 म को नहगन विशवविदयालय म ही सदधािवतक रौवतकशासतर विराग म

इनकी परोफसर क द र वनयवकत री हो गयी जब ि मातर २२ िषथ क र तरी डवनस विजञान सोसायिी

न इनह ldquoसरफस िशनrdquo सिबििी इनक मौवलक अधययन हत एक सिणथ दक वदया रा विजञान क कषतर म

इनकी परमख उ लवबि इनक दवारा परसतत रमाण मॉडल ह वजस बोर का रमाण मॉडल क नाम स जाना

जाता ह उनक इसी योगदान क वलए सन 1922 म उनह रौवतकी क नोबल रसकार स री समपमावनत

वकया गया रदरफोडथ क दवारा परसतत नावरकीय मॉडल क दोषो की वयाखया करत हए पलक क किाििम

वसदधानत क आिार र इनहोन अ न रमाण मॉडल म बताया वक-

i रमाण म इलकरान नावरक क चारो ओर बिद िततीय ककषाओ ि म घमत रहत ह

ii नावरक क चारो ओर अनक िततीय ककषाएि होती ह रनत इलकरान किल उनही ककषाओ ि म

घमत ह वजनम उनका कोणीय सििग ℎ

2120587 का णथ गवणत होता ह

iii परतयक ककषा का एक वनवशचत ऊजाथ सतर होता ह इन ककषाओ ि म घमत हए इलकरानो की ऊजाथ

वसरर रहती ह वजसक कारण इन ककषाओ ि को सरायी ककषा री कहत ह

iv जब इलकरान ( एक सरायी ककषा स दसरी सरायी ककषा म) वनमपन ऊजाथ सतर स उचच ऊजाथ सतर

म कदता ह तो रमाण दवारा ऊजाथ अिशोवषत होती ह इसक वि रीत जब एक इलकरान उचच

ऊजाथ सतर स वनमपन ऊजाथ सतर म कदता ह तो रमाण क दवारा ऊजाथ विवकरण क र म उतसवजथत

होती ह तरा परापत उतसजथन म वनवशचत आिवतत की तरिग उत नन होती ह वजसम तीकषण रखाएि होती

ह इसी क आिार र हाइरोजन क स करम की सफल वयाखया की गयी

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 32

सी िी रमन

चनिशखर िकिरमन का जनम तवमलनाड क वतरचना लली नामक सरान र 7 निमपबर 1888 को हआ

रा इनक व ता गवणत एिम रौवतकशासतर क परिकता र य अ न विददालयी जीिन स ही एक

परवतराशाली छातर र 1902 म मातर 14 िषथ की आय म इनहोन परसीडसी कॉवलज मिास म परिश

वलया तरा 1904 म बी ए की वडगरी परापत की ि 1907 म यही स रौवतक विजञान म एम ए की वडगरी

परापत की 1907 म ही कलकतता म वितत मितरालय म एक परशासवनक द र इनकी वनयवकत हई विजञान क

परवत अ नी रवच को ना रोक ान क कारण इस द र कायथ करत हए री य अनसनिान कायथ करत रह

ि ldquoइिवडयन एशोवसएशन ऑफ़ कलिीिशन ऑफ़ साइिसrdquo की परयोगशाला म रात रात रर जाग जाग कर

शोि कायथ वकया करत र उनकी इसी महनत और लगन क ररणामसिर 1917 म ि कलकतता

विशवविदयालय म रौवतक शासतर म परोफसर क द र वनयकत हो गय कलकतता विशवविदयालय म 15 िषथ

तक कायथ करन क शचात य ldquo रारतीय विजञान सिसरान rdquo म परोफसर क द र वनयकत हए 1924 म

ऑवपिकस म इनक योगदान क कारण इनह रॉयल सोसाइिी का फलो चना गया 1930 म इनको

अितराषटरीय नोबल रसकार स समपमावनत वकया गया चनिशखर िकिरमन विजञान क कषतर म नोबल

रसकार परापत करन िाल हल रारतीय िजञावनक र यह रसकार इनक महति णथ खोज ldquoरमन पररािrdquo

क वलए वदया गया रा 1943 म इनहोन बिगलौर क ास रमन ररसचथ इिसिीियि की सरा ना की जहा र

य अ न जीिन क अिवतम वदनो तक कायथ करत रह रौवतक विजञान क कषतर म इनकी परमख उ लवबियाि

वनमपन ह ndash

i विजञान क कषतर म चनिशखर िकिरमन का परमख योगदान इनक दवारा की गयी एक खोज ह वजस

विजञान जगत म ldquoरमन परराि rdquo क नाम स जाना जाता ह इनहोन अ नी इस खोज म बताया वक

तरल दारो म परकाश का वबखराि बहत ही कम होता ह यवद परकाश तरल दारथ स होकर

गजरता ह तो उन परकाश वकरणो की तीवरता और लमपबाई म इस परकार की कमी आ जाती ह वक

ि री तरह स वरनन परकार की लहर बन जाती ह परकाश की लहरो की सिखया म यवद कोई कमी

या िवदध होती ह तो इसकी वनरथरता परकाश की लहरो र नही होती ह अव त उस दारथ र होती

ह वजसस परकाश की वकरण होकर गजरती ह अतः इनहोन अ नी इस खोज स यह स षट वकया

वक परकाश वकरणो की सिखया म ररितथन दारथ की सिरचना का ही ररणाम होता ह और ऐसा

ररितथन सामानय परकाश की लहरो स अविक लमपबी परकाश की लहरो क कषतर म वदखाई दता ह

इस परकार परापत लहरो को ldquoरमन रखाrdquo या ldquoरमन इफ़किrdquo कहा जाता ह

ii परकाश क परकीणथन की खोज का शरय इनही को जाता ह

iii बोड वसरिग का मकवनकल वसदधानत एिम एकस वकरणो का विशलषण इनही क दवारा परसतत वकय

गय

iv चनिशखर िकिरमन न तबल और मदिगम क सिनादी (हामोवनक) की परकवत की खोज की

री

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 33

v आख क रविना क काल राग को दखन क वलए ओ रलमोसको नामक यितर का अविषटकार

वकया वजसक दवारा आख क अिदर की सिरचना एिम परविया को बड़ी सरलता स दखा जा

सकता ह

डी बरोगली

इस परवसदद फर च रौवतकशासतरी का जनम 15 अगसत 1892 को फरािस म हआ रा इनहोन 1909 म हल

ररस विशवविदयालय स इवतहास विषय म सनातक वकया तरा बाद म 1913 म विजञान विषय म सनातक

की उ ावि परापत की 1924 म डी बरोगली न डॉकिरि की उ ावि हत अ ना शोिपरबिि परसतत वकया

वजसका शीषथक रा किाििम वसदधाित सिबििी गिषणाए य 1928 म पिाकर इिवसिियि म सदधािवतक

रौवतकी क परिानाधया क वनयकत हए इनही क परयास स यह सिसरा समकालीन रौवतक वसदधाितो क

अधययन क वलय एक क ि बन गई 1945 म फरािसीसी सरकार न रमाण ऊजाथ क उचच आयोग की

सरा ना की और बरॉगली को उसका तकनीकी रामशथदाता वनयकत वकया सावहवतयक कायथ क कारण

1945 म ही य फरािसीसी अकादमी क सदसय वनिाथवचत हए य फरािसीसी लखकसिघ क समपमावनत

सरा वत री रह और 1952 म इनह िजञावनक लखन की उतकषटता क वलय कवलिग परवतषठान दवारा परदतत

पररम रसकार वमला रौवतक विजञान क कषतर म इनका परमख योगदान ldquoडी बरोगली का दारो की दवती

परकवत का वसदधानतrdquo ह इस उतकषट कायथ हत 1929 म इनह नोबल रसकार स समपमावनत वकया गया

डी बरोगली न 1924 म अ न इस वसदधानत म बताया रा वक परकाश तरा अनय विददत चमपबकीय विवकरणो

की दवती परकवत की तरह दारथ री तरिग तरा कण दोनो ही परकार क गण परदवशथत करता ह वजस दवती

परकवत का वसदधानत कहा जाता ह

तबमला बटी

परोफसर वबमला बिी एक रारतीय रौवतकशासतरी ह य रौवतकशासतर विषय म इिवडयन नशनल साइिस

अकादमी की हली मवहला फलो ह इनका जनम 19 वसतमपबर 1933 को मलतान नामक सरान र हआ

रा वबमला बती न वदलली विशवविदयालय स बी एस सी (ओनसथ ) एिम एम एस सी की वडगरी परापत

की ह तरा 1962 म वशकागो विशवविदयालय स पलाजमा वफवजकस म डॉकिरि की उ ावि परापत की ह

रौवतक विजञान क कषतर म इनक योगदान क वलए इनह विवरनन रसकारो जस -1977 म वििम साराराई

अिाडथ फॉर पलानरी साइिस 1993 म जिाहरलाल नहर बरथ सनिरी लकचररवश अिाडथ ि 1994 म

इनसा-िण बा अिाडथ स समपमावनत वकया गया ह रौवतक विजञान क कषतर म इनक परमख उ लवबियाि

वनमपन ह ndash

i रारत म रमाण ऊजाथ विराग क अितगथत ldquoइिवसिियि ऑफ़ पलाजमा ररसचथrdquo सराव त करन का

शरय इनही को जाता ह

ii रारत म पलाजमा साइिस सोसाइिी को सराव त करन का शरय इनही को ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 34

iii इनहोन नासा क विवरनन सनिर जस गोडाडथ स स फलाइि एम डी एमस ररसचथ सनिर सीए

ि जि परो लशन लबोरिरी इतयावद म कायथ वकया ह

अभयास परशन

6 _________विजञान क कषतर म नोबल रसकार परापत करन िाल हल रारतीय िजञावनक र

7 नयिन न गवत विषयक_________महति णथ वनयम परवत ावदत वकय

8 ldquoपरकाश का किाििम वसदधानतrdquo _________दवारा परसतत वकया गया रा

9 रारत म पलाजमा साइिस सोसाइिी को सराव त करन का शरय_________को ह

10 अलबिथ आइिसिीन को आिवनक रौवतकी एिम गवणत का व तामह कहा जाता ह (सतय

असतय )

11 जॉन डालिन न बताया वक िणाथनिता आनििवशक होती ह (सतय असतय )

12 ौिो म िीमी गवत स होन िाल विकास को मा न हत िसकोगराफ नामक सििदी यितर का अविषटकार सी िीरमन न वकया रा (सतय असतय )

13 डी बरोगली न दवती परकवत का वसदधानत परसतत वकया रा (सतय असतय )

14 डालिन का आिवशक दाब का वनयम वलवखए

15 नयिन का गवत स समपबिवित वदवतीय वनयम वलवखए

26 सारााश समाज म सखी जीिन वयतीत करन एिम समाज को वनरितर उननवत क र र ल जान म सदि रौवतक

विजञान की अतयित महति णथ रवमका रही ह रौवतक विजञान की वशकषा दवारा ही छातरो म सामावजकता क

गणो का विकास वकया जा सकता ह सार ही उनम यह समझ री विकवसत की जा सकती ह वक वकस

परकार रहन स और वकस परकार क कायथ करन स समाज को लार हिचगा इस इकाई म हमन रौवतक

विजञान वकस परकार हमार समाज को पररावित कर रहा ह ि िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता

क वलए रौवतक विजञान का कया योगदान ह इसक विषय म विसतत अधययन वकया ह कछ सपरवसदध

िजञावनक- आइजक नयिन जॉन डालिन जसी बोस अलबिथ आइनसिीन शािवत सिर रिनागर नीलस

बोहर सी िी रमन डी बरोगली वबमला बिी आवद न रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत

एिम विकास म कया योगदान वकया ह इसक विषय म री इस इकाई म विसतार िथक चचाथ की गयी ह

रौवतक विजञान की वशकषा का उददशय वयवकत तरा उसक समाज को उसक परकवत तरा िातािरण क

सार समायोजन करन क योगय बनाना ह सार ही उन र वनयितरण रखकर उनह अ नी सवििा क अनसार

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 35

परयोग करन की कषमता उत नन करना ह अतः छातरो को रौवतक विजञान की वशकषा इस परकार दी जानी

चावहए वजसस उनम आतिकिाद वहिसा जसी अिािछनीय घिनाओ ि क परवत नकारातमक िवषटकोण

विकवसत हो तरा रस र सौहादथ सहयोगराईचारा तरा सवहषटणता जस सकारातमक गण विकवसत हो

सक

27 अभ यास परशनो क उत तर 1 रौवतक विजञान की परगवत एिि विकास स होन िाल तीन लार

i समपपरषण एिम ररिहन की आिवनक सवििाओ ि की उ लबिता

ii जल सिसािन परबििन एिम शवदधकरण हत यितरो की उ लबिता

iii खादद उत ादन म िवदध हत आिवनक तकनीकी

2 सतय

3 असतय

4 सतय

5 िवशवक त न को कम करन हत दो उ ाय

i रोल कोयला जस ईिन का परयोग कम करक

ii अविक स अविक िकष लगाकर

6 चनिशखर िकिरमन

7 तीन

8 आइनसिीन

9 वबमला बिी

10 असतय

11 सतय 12 असतय

13 सतय

14 डालिन क आिवशक दाब क वनयम क अनसार ldquo वसरर ता ि आयतन र उन दो या दो स

अविक गसो (जो आ स म विया ना करती हो ) का कल दाब इन गसो क आिवशक दाबो क

योग क बराबर होता हrdquo

PT = P1 + P2 + P3 + ⋯

15 नयिन क गवत क वदवतीय वनयम क अनसार ldquo वकसी िसत र बाहर स लगाया गया बल F उस

िसत क िवयमान m तरा िसत म बल की वदशा म उत नन तिरण a क गणनफल क

अनिमान ाती होता हrdquo F = ma

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 36

28 सादरथ गरार सची 1 माहशवरी िी क एिम माहशवरी सिा 2005 विजञान वशकषण आर लाल वबलकशनस मरठ

2 नगी परो ज एस 2013 रौवतक विजञान वशकषण अगरिाल वबलकशनस आगरा

3 माहशवरी िी क 2005 आर लाल वबलकशनस मरठ

4 गोयल डॉ एम क 2012 याथिरण वशकषा अगरिाल वबलकशनस आगरा

5 बहादर डॉ ी 2006 बालाजी वबलकशनस मजफफरनगर

29 वनबाधात मक परशन 1 हमार समाज एिम सामावजक जीिन को रौवतक विजञान क कषतर म होन िाला परगवत एिम

विकास वकस परकार वकस परकार पररावित कर रहा ह विसतार िथक िणथन कीवजय

2 विशव क ि रारत क वकनही दो-दो िजञावनको क नाम बताइय और उनम स वकनही दो का

रौवतक विजञान क कषतर म कया योगदान रहा ह इसकी विसतत चचाथ कीवजय

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 37

इकाई 3 -विजञान क माधयम स जञान और समझ विजञान की परविया कौशल का विकास िजञावनक दषटिकोण और िजञावनक

मनोिवि का विकास विजञान म वजजञासा रचनातमकिा और सौदयथ बोध (माधयवमक सिर) विकवसि करना भौविकी और रसायन

विजञान म वजजञासा रचनातमकिा और सौदयथ बोध विकवसि करना (उचचिर माधयवमक सिर)जञान (भौविकी रसायन विजञान) वशकषा

को पयािरण (पराकविक पयािरण कलाकवियो और लोगो) परौदयोवगकी और समाज स जोड़ना

Knowledge and understanding through science Nurturing process skills of science developing scientific attitude and scientific temper Nurturing curiosity creativity and aesthetic sense in science (Secondary Stage) Physics and Chemistry (Higher

Secondary stage)Relating Science (Physics Chemistry) education to environment (natural environment artifacts and

people) technology and society

31 परसतािना

32 उददशय

33 विजञान क माधयम स जञान और समझ

34 विजञान की परविया कौशल का विकास

35 िजञावनक दवषटकोण और िजञावनक मनोिवतत का विकास

36 विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोि (माधयवमक सतर) विकवसत करना

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 38

361 रौवतकी और रसायन विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोि

विकवसत करना (उचचतर माधयवमक सतर)

37 विजञान (रौवतकी रसायन विजञान) वशकषा को याथिरण (पराकवतक याथिरण

कलाकवतयो और लोगो)

371 विजञान (रौवतकी रसायन विजञान) वशकषा को परौदयोवगकी और समाज स

जोड़ना

38 सारािश

39 अभयास परशनो क उततर

310 सिदरथ गरनर सची

311 सहायक उ योगी ाठय सामगरी

312 वनबनिातमक परशन

31 परसतावना विजञान िह वयिवसरत जञान या विदया ह जो विचार अिलोकन अधययन और परयोग स वमलती ह जो वक

वकसी अधययन क विषय की परकवत या वसदधानतो को जानन क वलय वकय जात ह विजञान जञान की ऐसी

शाखा ह जो तथय वसदधानत और तरीको को परयोग और ररकल ना स सराव त और वयिवसरत करती ह

आज हम विजञान एिि तकवनकी क यग म ह या कह सकत ह की यह यग विजञान एिि तकवनकी का ह

विजञान न आज सरी कषतरो जस ndash सिचार कवष वचवकतसा आिागमन क सािन उजाथ इतयावद म विजञान

न महारर विकवसत वकया ह विवरनन िजञावनक आविषटकारो न आज हमारी जीिन शली को पररावित

वकया तरा और सख ndash सवििा णथ बनाया ह विजञान न मानि को असीम शवकत और सामथयथ परदान

वकया ह और उस इस िरती का सबस ताकतिर बना वदया ह विजञान क दवारा ही मनषटय न परकवत क

विवरनन मखय रहसयो का अनािरण वकया तरा विजय परापत वकया विजञान मनषटय क वलए एक अचछ

लोक ndash सिक क र म कायथ कर रहा ह ितथमान म मनषटय न अितररकष क कषतर म चमतकाररक परगवत

वकया ह तरा पराकवतक आ दाओ ि का हल स ही ता लगान म हमार िजञावनक सकषम ह आज हमार

िजञावनको न चनिमा और मिगल गरह री अ न सिलाइि रज ह तरा अरी हाल ही म १५ फरिरी

२०१७ को इसरो न एक सार १०४ सिलाइि अितररकष म रज क एक नए मानक की सरा ना वकया

मनषटय क अनदर जो सीखन की लालसा ह िो हल जसी ही ह सीखन और जानन की कषमता तरा उसक

अनर अ न जीिन म ररितथन करन की वजतन सामरथ मनषटय और उसक समाज म रही उतनी थिी

वकसी म नही रही इसी गण क कारन मनषटय न परकवत क सामानाितर अ न सिसार की रचना की तरा

अ न को विकवसत वकया परकवत क रहसयो क अनािरण करन हत मनषटय न एक परविया का अनसरण

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 39

वकया तरा सरी परशनो का उततर वदया इस परविया को ही ldquo विजञान की परवियाrdquo कहत ह इस परविया

को समझान क वलए इसक lsquoजञानrsquo और lsquoबोिrsquo को समझना जररी ह

32 उददशय 1 विजञान क माधयम स जञान और समझ क कौशल कस विकवसत होगा य बता सक ग

2 विजञान की परविया कौशल की वििचना कर सक ग

3 िजञावनक दवषटकोण और मनोिवतत क महति को बता सक ग

4 माधयवमक सतर र विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोि क महति को बता सक ग

5 उचचतर माधयवमक सतर र रौवतकी और रसायन विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ

बोि विकवसत करन की परविया का िणथन कर सक ग

6 विजञान (रौवतकी रसायन विजञान) वशकषा एिि याथिरण (पराकवतक याथिरण कलाकवतयो और

लोगो) क बीच समपबनि को जान सक ग

7 विजञान (रौवतकी रसायन विजञान) वशकषा को परौदयोवगकी और समाज स कस जोडा जा सकता

ह उसका विशलषण कर सक ग

33 ववजञान क माधयम स जञान और समझ विजञान वयवकत को विचार अिलोकन अधययन और परयोग का परवशकषण परदान करती ह यह तथयो

वसदधाितो और तरीको को परयोग और ररकल ना स सराव त और वयिवसरत करती ह विजञान एक

वयिवसरत ससिगवठत िमबदध एिि वयिहार का जञान ह अिलोकन क विवरनन आिारो एिि जञान क

विवरनन कषतरो म परयोग दोनो अरो को विजञान समावहत करता ह इसको जानन क वलए परकषण या

अिलोकन कशलता का होना अवनिायथ ह विजञान की परवियाओ ि का उददशय ह वकसी ररघिना को

समझना वकसी परशन का उततर खोजना वकसी वसदधानत का परवत ादन करना या वकसी री िसत क बार म

नई जानकारी खोजना एनसीएफ 2005 म वदए गए िणथन क अनसार िजञावनक दधवत आ स म

समपबवनित कई गवतविवियो को वमलाकर बनती ह जस वक वनरीकषण दख गए तथयो म समानताओ ि और

समर ी सिरचनाओ ि की खोज करना अििारणाए बनाना वसरवतयो क गणातमक और गवणतीय परार

गढ़ना तावकथ क ढिग स उनक वनषटकषथ वनकालना और परकषणो तरा वनयिवतरत परयोगो क दवारा वसदधानतो क

सच-झठ होन की वषट करना और इस तरह अन त म पराकवतक सिसार र लाग होन िाल वसदधानतो

िारणाओ ि तरा वनयमो र हचना विजञान क वनयम अचल शाशवत सतयो की तरह नही दख जान चावहए

यहा तक वक सिाथविक सराव त और सािथरौवमक िजञावनक वनयम री तातकावलक ही मान जान चावहए

जो नए परकषणो परयोगो और विशलषणो क माधयम स सिशोवित वकए जा सकत ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 40

विजञान क lsquoजञान- रणडारrsquo क बजाय िजञावनक विवि विजञान की असली कसौिी ह िसतवनषठताऔर ििता

िजञावनक विवि की विशषताएि ह मनषटय न अ नी आिशयकताओ ि क वलए जो नए-नए आविषटकार वकए

ह ि सब विजञान की ही दन ह विजञान क अनवगनत आविषटकारो क कारण मनषटय का जीिन हल स

अविक आरामदायक हो गया ह जञान एक ररवचत जागरकता या इस तरह क तथयो सचनाओ ि वििरण

या कौशल क र म कछ ह जो यह मानता ह की खोज या सीखन क दवारा अनरि या वशकषा क माधयम

स समझ को हावसल वकया जा सकता ह विजञान क माधयम स ही मनषटय परकवत क वनयमो तरा सािनो

को उवचत ढिग स समझ सकता ह कयोवक इस विषय म जञान तरा समझ विकवसत करन का अ ना विशष

िम ह इस िम म वनरीकषण तथयो र आिाररत तकथ और वनषटकषथ उनका िम तरा तलनातमक महति र

जोर वदया जाता ह विजञान क माधयम स हमार सोचन और कायथ करन क तरीक म ररितथन आया ह

अतः मनषटय म जञान और समझ की णथता किल विजञान क माधयम स ही विकवसत की जा

सकती ह आज हम इककीसिी शताबदी क िातािरण म सािस ल रह ह िजञावनक परगवत आकाश छन

लगी ह और यह उसी का परवतफल ह वक सिचार कवष वचवकतसा आिागमन क सािन उजाथ इतयावद म

हम असीम परगवत की ह सचना तितर इतना विकवसत हआ ह वक हम विशव म कही री करी री वकसी स

समप कथ कर सकत ह और बात री कर सकत ह हमन परकवत क अनकानक रहसय जान वलय ह और सख

सवििाओ ि स जीिन को आसन कर वदया ह हम चििमा की सर कर आय और मिगल गरह र री हा हमन

यान रज वदया ह और १५ फरिरी २०१७ को इसरो न एक सार १०४ सिलाइि अितररकष म रज क एक

नए मानक की सरा ना वकया लवकन हम आज री जन सािारण को िजञावनक मानवसकता नही द ाय

उनह िजञावनक सिसकार नही द ाय उनकी सोच और उनकी परकवत म विजञान का वििक जागरत नही कर

ाय अतः जन सािारण म िजञावनक मनोिवतत विकवसत करना उनकी सिसर मानवसकता और परगवत क

वलय अवनिायथ ह

जनिरी २०१३ म lsquoइिवडयन साइिस कािगरस कोलकाता म उसक शताबदी समारोह क अितगथत

सौिा अवििशन आयोवजत वकया गया कयोवक यही स १९१४ म इसकी यातरा का शरारमपर हआ रा

इसी अिसर र विजञान की एक नई नीवत lsquolsquoविजञान परौदयोवगकी और निाचार (इननोिशन) - २०१३ की

उदघोषणा की गई वजसका मल लकषय ह समाज क हर अिग म िजञावनक मनोिवतत क परसार को बढ़ािा दना

यदयव िवडत जिाहरलाल नहर न १९४६ म अ नी सतक lsquoवडसकिरी ऑफ इिवडयाङक म िजञावनक

मनोिवतत का उललख वकया रा और उनका दढ़ विशवास रा वक विजञान और परौदयोवगकी क दवारा ही अ न

दश का विकास सिरि ह लोग िजञावनक दवषटकोण अ नाय इसक री िह कषिर र यह उनही की पररणा

री वक १९५८ म रारत सरकार न विजञान नीवत का परसताि सिीकत वकया वजसक अितगथत विजञान क

अनसििान और शोि कायो म तजी स विकास करना और परगवत को बनाय रखना सवमपमवलत रा कछ

विदवानो और बवदधजीवियो न विसतार स विचार-विमशथ क शचात िजञावनक मनोिवतत र एक िकतवय

परचाररत वकया वक रारतीय समाज क हर वयवकत म िजञावनक मनोिवतत का विकास करन की आिशयकता

ह तावक दश सामावजक और आवरथक बराइयो स मकत हो सक यही नही िरन विजञान क लोकवपरय बनान

क वलय राषटरीय विजञान एिि परौदयोवगकी सिचार ररषद विजञान परसार वि नि कलब राषटरीय विजञान

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 41

सिगरहालय ररषद का दश क समसत राजयो म राजय विजञान एिि परौदयोवगकी ररषद और इनस जड़ वजला

विजञान कलब और राजय विजञान वशकषा सिसरान परयास रत ह

अभयास परशन

1 वशकषा क माधयम स समझ को हावसल करन की परविया_________कहा जा सकता ह

2 मानि को _________ न इस िरती का सबस ताकतिर बना वदया ह

3 परकवत क अनकानक रहसयो को जानन म _________हमारी सहायता करता ह

4 इिवडयन साइिस कािगरस का शताबदी समारोह क अितगथत सौिा अवििशन _________सरान र

आयोवजत वकया गया

5 नई नीवत lsquolsquoविजञान परौदयोवगकी और निाचारrdquoका मल लकषय _________ह

34 ववजञान की परविया कौशि का ववकास जब विदयावरथओ ि को परविया कौशल विवि स विजञान वशकषण वकया जाता ह तो उसम बहत सार कौशलो

का उ योग वकया जाता ह जस ndash विवरनन गामक कौशलो का उ योग करक वकसी मशीन क रजो को

जोड़ना वसखाना विवरनन यितरो का सियोजन तरा विवरनन िसतओ का अिलोकन क आिार र आकलन

करना सवमपमवलत ह

परविया कौशल की वयाखया मौवलक वसदधाित स वनकाली गई बौवदधक कौशल सामावजक और शारीररक

कषमताओ ि म छातरो की अितदथवषट क विकास क र म वयाखया की जा सकती ह

परविया कौशल विजञान वशकषण म कौशलो की उत वतत र जादा बल दता ह वजसक ररणाम सिर जञान

और ररमाण को सिचाररत वकया जाता हl इसम विदयावरयो को सवियता िथक अविगम को समप ावदत

करन हत परररत वकया जाता ह कम सवियता का अविगम बहत ही उबाऊ होता ह

फि क (1985) म परविया कौशल क वनरीकषण दवारा वनमपन बात कही ndash

i परविया कौशल दवारा विजञान क विदयावरथयो म िजञावनक परकवत का विकास होता ह तरा विदयारी

इस बात क वलय परररत वकय जात ह की ि जञान को गरहण कर सक तरा उतन ही अचछ तरीक स

विजञान क सिपरतययो एिि तथयो की री अचछी समझ विकवसत कर सक

ii परविया कौशल विजञान क विदयावरथयो को यह अिसर परदान वकया जाता ह की ि विजञान क

विषय क सार काम कर सक न की किल विजञान विषय क इवतहास को सनना और कहना

iii परविया उ ागम दवारा विदयारी विजञान विषय क कायथ क परविया और उत ाद क बार म जानकारी

परदान करत ह तरा यह अिसर परदान करता ह की विदयारी एक िजञावनक की तरह वयहार कर

सक

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जतोउन (1999) न परविया कौशल क कई लार बताय जो वनमपन ह ndash

i वशकषारी का रा धयान वशकषण अविगम परविया र रहता ह

ii यह कौशल मखय र स वशकषारी म बौवदधक कौशल और मानवसक परवियाओ ि को विकवसत

करन म रवच रखता ह

iii यह कौशल मखय र स विजञान वशकषण दवारा वशकषावरथयो म अिलोकन मा िगीकरण

वयाखया परयोग और अवनिषण क अलािा िजञावनक जािच और जािच क कौशल (विजञान

परवियाओ ि) को बढ़ािा दता ह

iv वशकषावरथयो म िजञावनक सोच को बढ़ािा दना

v वशकषावरथयो को जीिन यित सीखन और छातरो क बीच सीखन की पररणा र जोर दना इस परकार

वशकषण अविगम परविया एक अनित तक वसखन का परयास ह तरा सीखन का अनरि सकल

दीिारो स र चला जाता ह

उ रोकत वििरण क अनसार यह कहा जा सकता ह वक इस परविया कौशल क अनपरयोग दवारा वशकषावरथयो

क मानवसक-शारीररक और बौवदधक रागीदारी की अ कषा की जाती ह और इसका उ योग वशकषावरथयो

बौवदधक कौशल या छातरो क बार म सोच कषमताओ ि को विकवसत करन क वलए इसतमाल वकया जाता ह

इसक अलािा वशकषावरथयो म िजञावनक दवषटकोण और छातरो की खोज तथयो अििारणाओ ि और विजञान

या जञान क वसदधाितो को विकवसत करन की कषमता विकवसत करन म री वकया जाता ह विजञान वशकषण म

परविया उ ागम एक ऐसा िकवल क वशकषण मॉडल ह वजसम वशकषारी वयाहाररक तरा मानवसक

परवियायो दवारा शावमल रहता ह

फि क (1985) न बताया की परविया उ ागम को सामानय दो शरवणयो म िगीकत वकया जा सकता ह

बवनयादी परविया कौशल और

एकीकत कौशल

बवनयादी परविया उ ागम म अिलोकन िगीकरण मा सिचार रविषटयिाणी अनमान स सिबिवित

गवतविवियो म शावमल होती ह य वनमपन ह ndash

i अिलोकन- अिलोकन एक परारवमक सरोत स जानकारी अविगरहण का सविय परयास ह

मनषटय दवारा वकसी री िसत या पराकवतक घिना का अिलोकन दखकर छकर सिाद लकर

सिघकर तरा सनकर वकया जाता ह l विजञान म अिलोकन हत उ करणो का उ योग वकया जा

सकता ह तरा आकड़ परापत करन हत इनक माधयम स डिा की ररकॉवडिग री शावमल कर सकत

ह अिलोकन गणातमक हो सकता ह यवद इसम किल वकसी री गण क अराि या उ वसरवत

का उललख वकया जाय तरा यह मातरातमक री हो सकता ह यवद इसम वकसी री घिना को

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सिखयातमक मलय दवारा मा ा जाय िजञावनक अिलोकन म कशलता इस बात की होती ह की

इसक दवारा वकसी री घिना की सही जानकारी परापत हो सक

ii िगीकरण - िसतओ ि घिनाओ ि की एक बड़ी सिखया ह और चारो ओर जीिन म सब कछ ह

और स अगर ककषाओ ि क विवरनन परकार का वनिाथरण करन क दवारा वकया सीखा ह हमार

जीिन म चारो ओर बहत सी िसतओ और घिनाओ की एक बरी सिखया ह और सरी को याद

रखना हमार वलय समपरि नही ह लवकन यवद विवरनन िगीकरण दवारा वनरिाररत करक सीखा या

याद वकया जाय तो अविक आसानी स याद वकया जा सकता ह य िगीकरण विशषताए और

समानता विवरननता और समपबनिो क समहीकरण और िसतओ ि क विवरनन परयोजनो क वलए

उ यकतता क आिार र वकय जा सकत ह

iii माप - मा एक विशष इकाई ह इस इस र म रररावषत वकया जा सकता ह की मा की

विशष इकाई दवारा इस वकस तरह रररावषत वकया गया ह या डिा परापत करन म उ करण का

उ योग करन क कौशल को एक मा कहा जा सकता ह

iv समपरषण - अ न विचारो क आदान परदान और समसयायो क समािान क वलय समपपरषण एक

एक मखय सािन ह मनषटय न अ न जीिन क सरआत म ही वसख वलया समपपरषण कौशल म

मौवखक सािकवतक तरा वलवखत सवमपमवलत होता ह समपपरषण की वयाखया इस परकार की जा

सकती ह वक इसम धिवन दशय या धिवन और दशय क र म तथयो अििारणाओ ि और विजञान

क वसदधाितो क अविगरहण वकया जाता ह जस -

v भतिषय करन - रविषटय करन लकषण क आिार र रविषटय म होन िाली घिना क बार म

अनमान लगान स ह हमार आस ास और िातािरण म ायी जान िाली वनरितरता क परवतमान

स हम यह ता चलता ह वक कौन सी घिना होन िाली ह रविषटय करन म रविषटय म होन

िाली घिनाओ की उसक तथयो अििारणाओ ि और जञान क वसदधाितो क बीच एक खास

परिवतत या ररशतो म अनमानो र आिाररत होन स उसकी रविषटयिाणी की जा सकती ह

vi अनमान - वकसी िसत या घिना क बार म हल स एकतर आिकड़ो या जानकारी क आिार र

एक शकषवणक अनमान लगाना ही अनमान कहलाता ह इस वकसी िसत या घिना क तथयो

अििारणाओ ि और वसदधाितो क आिार र उस िसत क बार म फसला करन क एक कौशल क

र म कहा जा सकता ह जस- वकसी वयवकत दवारा वसल का परयोग इस बात की ओर इशारा

करता ह की िह वलखत समय जादा गलती करता ह

vii एकीकि कौिल स सबतिि गतितितियाा - एकीकत कशल म मखतः- चरो र वनयितरण

कायाथतमक ररराषा ररकल ना का वनमाथण आकणो की वयाखया इतयावद

viii चरो पर तनयतरण- ररितथन को वनिाथररत करन िाल कारको की विशषताओ ि को हल स

जनना जस- िथ क अनरिो क आिार र वकसी री परयोग म ानी और परकाश की मातरा को

जानना

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ix कायायतमक पररभाषा- वकसी री परयोग म उस चर को कस मा ा जाय

x पररकलपना का तनमायण- वकसी री परयोग क सिरावित ररणाम क बार म बताना

xi आकणो की वयाखया- परयोग स परापत आकनो (डािा) क आिार र उस परयोग क वनशकषथ को

बताना

xii तनषकषय- परविया कौशल विजञान वशकषण म कौशलो की उत वतत र जादा बल दता ह वजसक

ररणाम सिर जञान और ररमाण को सिचाररत वकया जाता हl परविया कौशल म बवनयादी

कौशल तरा एकीकत कौशल स समपबिवित गवतविविया शावमल होती ह इसम विदयावरयो को

सवियता िथक अविगम को समप ावदत करन हत परररत वकया जाता ह कम सवियता का

अविगम बहत ही उबाऊ होता ह परविया कौशल दवारा विदयावरथयो म िजञावनक परकवत का

विकास होता ह तरा विदयारी इस बात क वलय परररत वकय जात ह की ि जञान को गरहण कर

सक परविया कौशल दवारा विदयारी विजञान विषय क कायथ क परविया और उत ाद क बार म

जानकारी परदान करत ह तरा यह अिसर परदान करता ह की विदयारी एक िजञावनक की तरह

वयहार कर सक परविया कौशल स वशकषावरथयो क अनदर िजञावनक दषटीकोण का विकास होता

अभयास परशन

6 परविया कौशल विजञान वशकषण म_________ की उत वतत र जयादा बल दता ह

7 _________ म वशकषारी का रा धयान वशकषण अविगम परविया र रहता ह

8 परविया उ ागम की_________ और _________दो सामानय िगीकरण वकया जा सकता ह

9 _________ एक परारवमक सरोत स जानकारी अविगरहण का सविय परयास ह

35 वजञावनक दषषटकोण और वजञावनक मनोववतत का ववकास िाकयािश बचच सिाराविक र स िजञावनक होत ह हमन अकसर सना ह ि अ न अनरिो वनषटकषथ

और वसदधाितो स ि विजञान क परवत आकवषथत होत ह छातरो क अनदर विजञान की वजजञासा और

रचनातमकता को िजञावनक धदवतयो दवारा ही विकवसत वकया जा सकता ह िजञावनक दवषटकोण हमार

अिदर अनिषण की परिवतत विकवसत करती ह तरा वििक णथ वनणथय लन म सहायता करती ह िजञावनक

दवषटकोण की शतथ ह वबना वकसी परमाण क वकसी री बात र विशवास न करना या उ वसरत परमाण क

अनसार ही वकसी बात र विशवास करना पराकवतक घिनाओ ि वियाओ ि और उनक ीछ क कारण ढढ़न

की मानिीय वजजञासा न एक सवयिवसरत विवि को जनम वदया वजस हम lsquoिजञावनक विविrsquo या lsquoिजञावनक

दधवतrsquo क नाम स जानत ह सरल शबदो म कह तो िजञावनक वजस विवि का उ योग विजञान स सिबिवित

कायो म करत ह उस िजञावनक विवि कहत ह िजञावनक विवि क परमख द या इकाईयाि ह वजजञासा

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अिलोकन परयोग गणातमक ि मातरातमक वििचन गवणतीय परवतर ण और िाथनमान विजञान क वकसी

री वसदधाित म इन दो या इकाईयो की उ वसरवत अवनिायथ ह विजञान का कोई री वसदधाित चाह िह आज

वकतना री सही लगता हो जब इन कसौवियो र खरा नही उतरता ह तो उस वसदधाित का ररतयाग कर

वदया जाता ह

िजञावनक दवषटकोण िाल वयवकत अ नी बात को वसदध करन क वलए िजञावनक विवि का सहारा लत ह

आ सोच रह होग वक इस िजञावनक विवि का उ योग किल विजञान स सिबिवित कायो म ही होता होगा

जसावक मन ऊ र रररावषत वकया ह रित ऐसा नही ह यह हमार जीिन क सरी कायो र लाग हो

सकती ह कयोवक इसकी उत वतत हम सबकी वजजञासा स होती ह इसवलए परतयक वयवकत चाह िह िजञावनक

हो अरिा न हो िजञावनक दवषटकोण िाला हो सकता ह दरअसल िजञावनक दवषटकोण दवनक जीिन की

परतयक घिना क बार म हमारी सामानय समझ विकवसत करती ह इस परिवतत को जीिन म अ नाकर

अििविशवासो एिि िाथगरहो स मवकत परापत की जा सकती ह अतः हम छातरो को िजञावनक तरीक की सोच

विकवसत विकवसत हत परररत करना चावहए

अभयास परशन

10 िजञावनक दवषटकोण छातरो क अिदर _________परिवतत विकवसत करती ह

11 पराकवतक घिनाओ ि वियाओ ि और उनक ीछ क कारण ढढ़न की मानिीय वजजञासा को

_________कहत ह

36 ववजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोध (माधयवमक सतर) ववकवसत करना वसिस मनोिजञावनक दाशथवनक और सिजञानातमक विकास अनसििान क कषतर म अगरणी डॉ जीन व याज

न वजजञासा को रररावषत वकया ह अपरतयावशत की वयाखया करन क वलए आगरहrdquo या एक अविक

सहज ररराषा बस अविक जानना का आगरह करना चाहत ह

सौदयथ बोि िजञावनक र स अविक सििदी या रािनातमक मलयो रािना और सिाद की करी करी

कहा जाता वनणथय क अधययन क र म रररावषत वकया गया ह अविक मोि तौर र सिसकवत क कषतर म

विदवानो न इस कला सिसकवत और परकवत र महति णथ परवतवबिब क र म सौदयथशासतर को रररावषत

वकया ह

रचनातमकता एक ऐसी घिना ह वजसस कछ नया और वकसी री तरह कोई मलयिान बना रह या बनाए

गए आइिम या रौवतक िसत (जस एक विचार एक िजञावनक वसदधाित एक सिगीत रचना) वकतनी अमतथ

हो सकती ह

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माधयवमक सतर र शरआत हल चरण म बनाया विजञान को एक विषय क र म सराव त करन क वलए

और आग वबना वकसी औ चाररक दढ़ता र जोर वदए वबना इसको मजबत वकया जाना चावहए विचारो

वसदधाितो और विजञान क वनयमो को अब उवचत र स ाठयिम म शावमल वकया जा सकता ह लवकन

जोर जादा स जादा समझ र होनी चावहए औ चाररक ररराषा र नही होना चावहए यह परयास वकया

जा रहा ह की विजञान और उसक विवरनन विषयिसतओ ि का सिगठन माधयवमक सतर र उवचत ढिग स

वकया जाय लवकन ाठयिम का रार काफी हद तक परौदयोवगकी और अनय ाठय सहगामी

गवतविवियो क अवतररकत ततिो क वलए जगह बनान क वलए कम वकया जाना चावहए माधयवमक

विदयालय सतर र िो अििारणाय जो वक वकसी री परतयकष अनरि स र ह विजञान क ाठयिम म एक

महति णथ सरान र सरान परापत कर सकती ह विजञान की सरी घिनाओ ि सीि परतयकष र स अनरि नही

कर सकत ह अतः विजञान को री वनषटकषथ और वयाखया र वनरथर रहना ड़ता ह उदाहरण क वलए हम

वनषटकषथ का उ योग विकास और रमाणओ ि क गण या विकास क तितर की सरा ना करन क वलए करत

ह लवकन इस समय तक छातरो म इस परकार का वििचनातमक कषमता विकवसत हो जाती ह वक ि अ न

सामन आय विजञान क सिपरतययो की जञानमीमािसा का मलयाकन कर सक

361 उचचिर माधयतमक सिर पर भौतिकी और रसायन तिजञान म तिजञासा रचनातमकिा और

सौदयय बोि तिकतसि करना

रौवतक विजञान विजञान म ऊजाथ क विवरनन सिर ो तरा िवय स उसकी अनयोनय वियाओ ि का अधययन

वकया जाता हरौवतकी परकवत विजञान की एक विशाल एिि महति णथ शाखा ह इसक दवारा पराकत जगत

और उसकी रीतरी वियाओ ि का अधययन वकया जाता ह सरान काल गवत िवय विदयत परकाश ऊषटमा

तरा धिवन इतयावद अनक विषय इसकी ररवि म आत ह यह विजञान का एक परमख विराग ह इसक

वसदधाित समच विजञान म मानय ह रौवतकी ही अवरयािवतरकी तरा वशल विजञान की जनमदातरी ह

रसायनशासतर विजञान म दारो क सिघिन सिरचना गणो और रासायवनक परवतविया क दौरान इनम हए

ररितथनो का अधययन वकया जाता ह इसम दारो क रमाणओ ि अणओ ि विसिलो और रासायवनक

परविया क दौरान मकत हए या परयकत हए ऊजाथ का अधययन वकया जाता ह सरी दारथ ततिो स बन हए

ह रारतीय विदवान दाशथवनको न उदघोवषत वकया वक दारथ की रचना िच महारतो यरा- आकाश िाय

जल तज तरा थिी स हई ह यह रसायनो क रहसयो को समझन की कला ह इसस यह जञात होता ह की

दारथ वकन-वकन चीजो स बना ह उनक कया-कया गण ह और उनम कया-कया ररितथन होत हरसायन

विजञान का कषतर बहत वया क ह तरा दसर विजञानो क समनिय स परवतवदन विसतत होता जा रहा ह समप णथ

बरहमािड रसायनो का विषद रणडार ह वजिर री हमारी दवषट जाती ह हम विविि आकार-परकार की िसतएि

नजर आती ह समचा सिसार ही रसायन विजञान की परयोगशाला ह यह विजञान अनको आशचयथचवकत

रसायनो स रर णथ ह बरहमािड म रासायवनक अवरवियाओ ि क दवारा ही तारो की उत वतत गरहो का परादराथि

तरा गरहो र जीिन सिरि हआ ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 47

रसायन विजञान को जीिनो योगी विजञान की सिजञा री दी गई ह कयोवक हमार शरीर की आितररक

गवतविवियो म इस विजञान की रवमका महति णथ हहमार जीिन का कोई री कष रसायनो स अछता नही

उचचतर माधयवमक सतर र रौवतकी और रसायन विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोि

विकवसत करन हत वनमपनवलवखत वबनदओ ि को धयान म रखना चावहए-

विदयावरथयो म अिलोकन की कषमता बढानी चावहए

गहन वचन तन की कषमता को बढ़ाना

विदयावरथयो का विवरनन विषयो एिि घिनाओ ि क मधय अन तर समप बन ि को समझन म सहयोग

करना ह

विदयावरथयो को इस वचितन हत परररत करना की हमार चारो ओर घि रही सामानय घिनाओ ि क

ीछ विजञान छ ा ह विजञान की समझ हम उन कारणो को जानन का अिसर दती ह

विदयावरथयो को विया करक समझन क सबस अविक अिसर परदान करना चावहए ह इसी परकार

वकया गया कायथ और कायथ करन एिि परयोग करन हत परररत करता ह

विजञान िथ म वनवहत जञान ि जानकारी र परशन उठान की परिवत को बढ़ािा दना ह अराथत यह

सचना को जस क तस मान लन क बजाय उस र परशन करक णथ जानकारी परापत करन ि इसक

बाद सिीकार करन र बल दता ह

विजञान विवरनन कलाओ ि ि वशकषण परवियाओ ि की सहायता स जञान को ककषा ककष स बाहर लान

म सहयोग करना चावहए

विदयावरथयो को इस बात क वलए परवशवकषत करना की जञान ही काफी नही जञान वनमाथण एिि जञान

वनमाथण की परविया री उतनी ही आिशयक ह वजतना विषय की समझ

परदशथवनयो सिगोवषटयो लोकवपरय वयाखयानो विजञान वशविरो और अनय विविि कायथिमो क

आयोजन वकया जाना चावहए

वशकषण म सवियता को अविक महति वदया जाना चावहए करक सीखन क वलए विदयावरथयो को

परररत वकया जाना चावहएअत सविय विवि क अितगथत विविि विवियो को सवमपमवलत वकया

जाना चावहए जस जस- शोिविवि (हयररवसिक) योजना (परोजकि) विवि इतयावद

अभयास परशन

12 सिजञानातमक विकास की अििारणा __________न वदया रा

13 __________िजञावनक र स अविक सििदी या रािनातमक मलय ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 48

14 कोई िासत वकतनी अमतथ हो सकती ह िह __________ र वनरथर करती ह

37 ववजञान (रौवतकी रसायन ववजञान) वशकषा को पयावरण (पराकवतक पयावरण किाकवतयो और िोगो) परौदयोवगकी और समाज स जोड़ना याथिरणीय विजञान याथिरण क रौवतकीय रासायवनक और जविक अियिो क बीच ारस ररक

वियाओ ि का अधययन ह याथिरणीय विजञान याथिरणीय वयिसरा क अधययन क वलए समवनित

ररमाणातमक और अनतरविषयक दवषटकोण उ लबि कराता ह याथिरणीय िजञावनक याथिरण की

गणितता की वनगरानी करत ह सरलीय और जलीय ाररवसरवतकी वयिसरा र मानिीय कतयो की

वयाखया िजञावनक करत ह तरा ाररसरवतकी वयिसरा की समवचत बहाली क वलए रणनीवतयाि री तयार

करत ह इसक अलािा याथिरणीय िजञावनक योजनाकारो की ऐस रिनो ररिहन कोररडोरो तरा

उ योवगताओ ि क विकास तरा वनमाथण म सहायता करत ह वजनस जल सिसािनो की रकषा हो सक जल

का सिगरहण वकया जा सक तरा रवम का सद योग हो सक विशलषण क विषयो क अितगथत याथिरण म

रासायवनक वनमपनीकरण रसायनो क बह-चरणीय ररिहन जस- लाकषक यकत वमशरण का िाय परदषक क

तौर र िाषट ीकरण तरा बायोिा र रासायवनक परराि आवद कषतर शावमल होत ह उदाहरणारथ अधययन

क तौर र एक ऐस लीक कर रह माल स रर िक क बार म विचार कर जो वक सिकिा नन परजावतयो क

जलीय कषतर म वमटटी क ढलान म परिश कर जाता ह ऐस म रौवतकीविद मदा परदषण क सतर को समझन

क वलए एक कमपपयिर मॉडल तयार वकय ह रसायन विजञानी वमटटी क परकार म उस सालिि की आणविक

वसरवत का मलयािकनकरत ह तरा जविक शासतरी वमटटी सवनि ाद ौिो तरा अनततः तालाब म परािारको

र ड़न िाल परराि का अधययन करत ह जो वक सिकिा नन परजावतयो का जलीय रोजन ह रविजञान

क अितगथत याथिरणीय रविजञान जलविजञान रौवतकी रगोल जलिाय विजञान तरा र-आकवतविजञान

शावमल ह इसम समि-विजञान तरा अनय सिबदध कषतर री सवमपमवलत हो सकत ह वमटटी किाि क अधययन

क उदाहरण क र म मदा िजञावनको दवारा रवम किाि का अधययन वकया जाएगा जल-विजञानी सरल

मागथ बहाि म तलछि ररिहन की जािच म सहायता करग रौवतकीविद ानी परापत होन म लाइि

रािसवमशन म ररितथनो क मलयािकन म योगदान करग जीि-विजञानी ानी म गिदगी बढ़न स उसका

िनस वत र होन िाल परराि की जािच करत ह याथिरण मलयािकन िह परविया ह वजसक जररए

याथिरण सरकषा और सतत विकास र विचार हो सकता ह याथिरणीय मलयािकन क अितगथत मखयतः

फीलड डािा एकतर करक इसका याथिरण और विकास स सिबिवित विवरनन शाखाओ ि क जररए रस र

सिबििो का मलयािकन करना ह याथिरणीय सकषमजीिविजञान याथिरण म सकषम जीिो क वमशरण तरा शरीर

विया विजञान का अधययन ह इस मामल म याथिरण स आशय वमटटी जल िाय और गरह र होन िाल

अिसाद ह और इनम इन कषतरो म रहन िाल श तरा ौि री शावमल वकए जा सकत ह याथिरणीय

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 49

सकषमजीिविजञान म बायो-ररएकिसथ जस कवतरम याथिरण म होन िाल माइिोआगवनजम का अधययन री

शावमल वकया जा सकता ह

विजञान और कला क बगर आिवनक जीिन की कल ना करना असिरि ह दोनो म रस र बहत ही

गहरा ह रनत विवरनन कलाओ म विजञान क योगदान को हम वकतना याद रखत ह शायद वबलकल री

नही िासति म विजञान एकवतरत जञान ह जबवक कला समसत उ लबि सिसािनो क आिार र मनषटय क

मनोरािो का वनर ण अराथत कोई िजञावनक कायथ चाह वकतना ही महान कयो न हो समय क सार उसक

िजञावनक जञान का समकालीन जञान म समािश हो जाता ह सच म वकसी िजञावनक का कायथ तरी

उ योगी होता ह जब उसक समककष िजञावनकाि क दवारा उस सिीकार वकया जाता ह रनत विडििना ह वक

शीधर ही उस कायथ को ीछ छोडकर नया कायथ परारिर कर वदया जाता ह विजञान म जञान की किल सम

सामवयक वसरवत ही महतव णथ होती ह कयो वक रत ितथमान म समा चका होता ह वलयोनादाथ दी वििची

की महान कवत मोनावलसा की अनकवतयाि सिसार रर क कला परवमयो दवारा आज री बड शौक स खरीदी

जाती ह आज री शकस यर की और कावलदास की कवतयाि ढी जाती ह वकनत नयिन क िजञावनक

गरिनर वपरवसिव या मरमविका और आइनसिाइन क मल विजञान शोि तरो को अब अविकािश लोग ढन की

आिशयकता नही समझत िासति म विजञान क वलय यह महति णथ री ह अतः माधयवमक सतर र

विजञान क उददशय कला एिि लोगो तक अ नी हच िाली होनी चावहए

अभयास परशन

15 _________ _________और जविक अियिो क बीच ारस ररक वियाओ ि का अधययन

याथिरणीय विजञान ह

371 तिजञान (भौतिकी रसायन तिजञान) तिकषा को परौयमोतगकी और समाि स िोड़ना

विजञान विजञान का अरथ ह विशष जञान मनषटय न अ नी आिशयकताओ ि क वलए जो नए-नए आविषटकार

वकए ह ि सब विजञान की ही दन ह आज का यग विजञान का यग ह विजञान क अनवगनत आविषटकारो क

कारण मनषटय का जीिन हल स अविक आरामदायक हो गया ह दवनया विजञान स ही विकवसत हई ह

मोबाइल इििरनि ईमलस मोबाइल र 3जी और इििरनि क माधयम स फसबक िविनिर न तो

िाकई मनषटय की वजिदगी को बदलकर ही रख वदया ह वजतनी जलदी िह सोच सकता ह लगरग उतनी ही

दर म वजस वयवकत को चाह मसज रज सकता ह उसस बात कर सकता ह चाह िह दवनया क वकसी री

कोन म कयो न हो

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 50

यातायात क सािनो स आज यातरा करना अविक सवििाजनक हो गया ह आज महीनो की यातरा वदनो म

तरा वदनो की यातरा चिद घििो म री हो जाती ह इतन ितगवत की रन हिाई जहाज यातायात क र म

काम म लाए जा रह ह वदन-ब-वदन इनकी गवत और उ लबिता म और सिार हो रहा ह

वचवकतसा क कषतर म री विजञान न हमार वलए बहत सवििाएि जिाई ह आज कई असाधय बीमाररयो

का इलाज मामली गोवलयो स हो जाता ह क सर और एडसस जस बीमाररयो क वलए डॉकिसथ और

वचवकतसाविशषजञ लगातार परयासरत ह नई-नई कोवशकाओ ि क वनमाथण म री सफलता परापत कर ली गई

वसकक क दो हलओ ि की ही रािवत इन आविषटकारो क लार-हावन दोनो ह एक ओर रमाण ऊजाथ

जहाि वबजली उत नन करन क काम म लाई जा सकती ह िही इसस बनन िाल रमाण हवरयार मानि क

वलए अतयित विनाशकारी ह हाल ही म जा ान म आए रकि क बाद िहाि क रमाण ररएकिसथ को कषवत

बहत बड़ी तरासदी रही

अत मनषटय को अ नी आिशयकता और सवििानसार मानिता की रलाई क वलए इनका लार उठाना

चावहए न वक दर योग कर इनक अविषटकारो र परशनवचहन लगाना चावहए

38 सारााश विजञान वयवकत को विचार अिलोकन अधययन और परयोग का परवशकषण परदान करती ह यह तथयो

वसदधाितो और तरीको को परयोग और ररकल ना स सराव त और वयिवसरत करती ह विजञान एक

वयिवसरत ससिगवठत िमबदध एिि वयिहार का जञान ह अिलोकन क विवरनन आिारो एिि जञान क

विवरनन कषतरो म परयोग दोनो अरो को विजञान समावहत करता ह

जब विदयावरथओ ि को परविया कौशल विवि स विजञान वशकषण वकया जाता ह तो उसम बहत सार

कौशलो का उ योग वकया जाता ह जस ndash विवरनन गामक कौशलो का उ योग करक वकसी मशीन क

रजो को जोड़ना वसखाना विवरनन यितरो का सियोजन तरा विवरनन िसतओ का अिलोकन क आिार र

आकलन करना सवमपमवलत ह

परविया कौशल की वयाखया मौवलक वसदधाित स वनकाली गई बौवदधक कौशल सामावजक और

शारीररक कषमताओ ि म छातरो की अितदथवषट क विकास क र म वयाखया की जा सकती ह

परविया कौशल विजञान वशकषण म कौशलो की उत वतत र जादा बल दता ह वजसक ररणाम सिर

जञान और ररमाण को सिचाररत वकया जाता हl इसम विदयावरयो को सवियता िथक अविगम को

समप ावदत करन हत परररत वकया जाता ह कम सवियता का अविगम बहत ही उबाऊ होता ह l

वसिस मनोिजञावनक दाशथवनक और सिजञानातमक विकास अनसििान क कषतर म अगरणी डॉ जीन व याज

न वजजञासा को रररावषत वकया ह अपरतयावशत की वयाखया करन क वलए आगरहrdquo या एक अविक

सहज ररराषा बस अविक जानना का आगरह करना चाहत ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 51

सौदयथ बोि िजञावनक र स अविक सििदी या रािनातमक मलयो रािना और सिाद की करी करी

कहा जाता वनणथय क अधययन क र म रररावषत वकया गया ह अविक मोि तौर र सिसकवत क कषतर म

विदवानो न इस कला सिसकवत और परकवत र महति णथ परवतवबिब क र म सौदयथशासतर को रररावषत

वकया ह

माधयवमक सतर र शरआत हल चरण म बनाया विजञान को एक विषय क र म सराव त करन क वलए

और आग वबना वकसी औ चाररक दढ़ता र जोर वदए वबना इसको मजबत वकया जाना चावहए विचारो

वसदधाितो और विजञान क वनयमो को अब उवचत र स ाठयिम म शावमल वकया जा सकता ह लवकन

जोर जादा स जादा समझ र होनी चावहए औ चाररक ररराषा र नही होना चावहए यह परयास वकया

जा रहा ह की विजञान और उसक विवरनन विषयिसतओ ि का सिगठन माधयवमक सतर र उवचत ढिग स

वकया जाय लवकन ाठयिम का रार काफी हद तक परौदयोवगकी और अनय ाठय सहगामी

गवतविवियो क अवतररकत ततिो क वलए जगह बनान क वलए कम वकया जाना चावहए

विदयावरथयो म अिलोकन की कषमता बढानी चावहए

गहन वचन तन की कषमता को बढ़ाना

विदयावरथयो का विवरनन विषयो एिि घिनाओ ि क मधय अन तर समप बन ि को समझन म सहयोग

करना ह

विदयावरथयो को इस वचितन हत परररत करना की हमार चारो ओर घि रही सामानय घिनाओ ि क

ीछ विजञान छ ा ह विजञान की समझ हम उन कारणो को जानन का अिसर दती ह

विदयावरथयो को विया करक समझन क सबस अविक अिसर परदान करना चावहए ह इसी परकार

वकया गया कायथ और कायथ करन एिि परयोग करन हत परररत करता ह

विजञान िथ म वनवहत जञान ि जानकारी र परशन उठान की परिवत को बढ़ािा दना ह अराथत यह

सचना को जस क तस मान लन क बजाय उस र परशन करक णथ जानकारी परापत करन ि इसक

बाद सिीकार करन र बल दता ह

विजञान विवरनन कलाओ ि ि वशकषण परवियाओ ि की सहायता स जञान को ककषा ककष स बाहर लान

म सहयोग करना चावहए

विदयावरथयो को इस बात क वलए परवशवकषत करना की जञान ही काफी नही जञान वनमाथण एिि जञान

वनमाथण की परविया री उतनी ही आिशयक ह वजतना विषय की समझ

परदशथवनयो सिगोवषटयो लोकवपरय वयाखयानो विजञान वशविरो और अनय विविि कायथिमो क

आयोजन वकया जाना चावहए

वशकषण म सवियता को अविक महति वदया जाना चावहए करक सीखन क वलए विदयावरथयो को

परररत वकया जाना चावहएअत सविय विवि क अितगथत विविि विवियो को सवमपमवलत वकया

जाना चावहए जस जस- शोिविवि (हयररवसिक) योजना (परोजकि) विवि इतयावद

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 52

39 अभयास परशनो क उततर 1 जञान

2 विजञान

3 विजञान

4 कोलकाता

5 िजञावनक मनोिवतत क परसार

6 कौशलो

7 परविया कौशल

8 बवनयादी परविया कौशल और एकीकत कौशल

9 अिलोकन

10 अनिषण

11 िजञावनक विवि

12 वजन व याज 13 सौदयथ बोि 14 रचनातमकता 15 रौवतकीय रासायवनक

310 सादरथ गरनर सची 1 Davar M (2012) Teaching of science New Delhi PHI Private Limited

2 Kalara RM amp Gupta V (2012) Teaching of Science A Modern

Approach New Delhi PHI Private Limited

3 Kulshreshtha AK amp Kulshreshtha NK (2014) Teaching of Science

Meerut R Lal Book Depot

4 Asia-Pacific Forum on Science Learning and Teaching Volume 3 Issue 1

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5 Fosnot C T (1996) Constructivist A psychological theory of learning In

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6 httpshiwikibooksorgwikiिजञावनक-मनोिवतत-का ndash विकास

7 httpshiwikipediaorgwiki याथिरणीय-विजञान

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 53

311 सहायक उपयोगी पाठय सामगरी 1 Buxton A C (2010) Teaching Science in Elementary and Middle School

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2 Bybee R (2010b) The teaching of science 21st-century perspectives

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6 Sharma R C (2005) Modern Science teaching Delhi Dhanpat Rai amp

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8 Starin A amp Sund B (1983) Teaching science through discovery Ohio

Charles E Merril Publishing Company

9 Tripathi S (2004) Teaching of Physical Science Delhi Dominant

Publications

10 UNESCO (1966) Source Book for Science Teaching Paris UNESCO

312 वनबनधातमक परशन 1 विजञान क जञान स आ का कया अवरपराय ह

2 छातरो म िजञावनक समझ कस विकवसत वकया जा सकता ह

3 परविया कौशल स आ कया समझत ह

4 परविया कौशल दवारा आ छातरो म िजञावनक सोच कस विकवसत करग

5 छातरो म िजञावनक दषटीकोण विकवसत करन क वलए आ कया करग

6 छातरो म आ िजञावनक सौनदयथबोि कस विकवसत करग

7 माधयवमक सतर र विजञान को एक पररािशाली विषय क र म सराव त करन क आ कया

करग

8 रौवतक ितािरण क परवत आ छातरो को कस जागरक करग

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 54

इकाई 4 - भौविक विजञान वशकषण क अवधगम उददशय

41 परसतािना

42 उददशय

43 अविगम उददशय का अरथ

44 अविगम उददशय विकवसत करना

45 सविकवसत अविगम उददशयो की विशषताएि

46 एिडरसन एिि िथिोहल िगीकरण

47 अविगम उददशय वलखना

48 सारािश

49 शबदािली

410 अभयास परशनो क उततर

411 सनदरथ गरनर सची

412 वनबििातमक परशन

41 परसतावना रौवतक विजञान वशकषणशासतर क आिार स सिबिवित यह चौरी इकाई ह व छल इकाई म हम लोग रौवतक

विजञान वशकषण क विविि लकषयो स अिगत हो चक ह लकषय का कषतर वया क होता ह इनकी अिवि

दीघथ होती ह और इनम ही अविगम उददशय समावहत होत ह

अविगम उददशय आ का मागथदशथन करती ह और इनका सिबिि वकसी विशष परकरण स ही होता ह इनका

सरोत मखयतः मनोविजञान होता ह और इनम िसतवनषठता होती ह परसतत इकाई म विसतार स अविगम

उददशय की हचान और लखन परसतत ह

इस इकाई क अधययन क बाद आ रौवतक विजञान क विविि परकरणो क वलए अविगम उददशय विकवसत

कर सक ग

42 उददशय परसतत इकाई क अधययन क शचात आ -

1 अविगम उददशय का अरथ बता सक ग

2 अविगम उददशय क परमख विशषताओ ि की वयाखया कर सक ग

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 55

3 एिडरसन और िथिोल िगीकरण का िणथन कर सक ग

4 अविगम उददशय विकवसत कर सक ग

43 अवधगम उददशय का अरथ परतयक अविगमकताथ को अविगम अनरि और अिसर परदान करन की वजमपमदारी वशकषक को सौ ी गयी

गई तावक अविगमकताथ अ नी कषमतायोगयता क सिथशरषठ को सीख सक और अविगम क अ न णथ

कायथकषम को विकवसत कर सक ककषा म वकसी विशष परकरणइकाई को लाग करन क िथ कछ परतयकष

ररितथनो (समरण करन समझन लाग करन विशलषण करन इतयावद क र म) वजनह अविगमकताथ म

लान की आिशयकता ह की हचान करना एक वशकषक को इस वजमपमदारी क वनिाथह करन म सहायता

करता ह गोचर अनरि क र म वकसी विशष परकरणइकाई क वलए समरण करन समझन लाग करन

और विशलषण करन की य िािछनीय लडडी मोि तौर र lsquoअविगम उददशयrsquo जाना जाता ह य िािछनीयता

अविगमकताथओ ि क ितथमान जञान और षठरवम क ररपरकषय म दखा जाना चावहए न की वशकषको क

दसर शबदो म अविगम उददशय विवशषट और अिलोकनयोगय शबद म करन ह जो बताता ह वक

वशकषण-अविगम परविया म अविगमकताथ को सिलगन करन क ररणामसिर उसस कया उ लवबि हावसल

करन क अ कषा की जाती ह

व छली इकाई म हम रौवतक विजञान क अविगम लकषयो क विवरनन हलओ ि की चचाथ कर चक

ह इन लकषयो को परापत करना वशकषको का सतत परयास होना चावहए कया लकषय उददशयो स वरनन ह

आइय इस सारणी 41 म दखत ह

सारणी 41 भौतिक तिजञान अतिगम क लकषय और उददशयो की िलना

लकषय उददशय

1 लकषय का कषतर वया क होता ह 1 उददशयो का कषतर सीवमत होता ह

2 इनकी अिवि दीघथकालीन होती ह 2 इनकी अिवि अल कालीन होती ह

3 यह अस षट या अवनवशचत होत ह 3 य वनवशचत और स षट होत ह

4 इनकी परावपत म विदयालय समाज तरा

समप णथ राषटर वजमपमदार होता ह

4 इनकी परावपत की वजमपमदारी परायः वशकषक की ही होती ह

5 इनकी परावपत का मा न एिि मलयािकन सिरि

नही ह

5 इनका मा न एिि मलयािकन वकया जा सकता ह

6 इनका सिबिि वशकषा और रविषटय स होता ह

6 यह वशकषा म वनवहत होत ह तरा वशकषण स सिबिवित होत

ह इनका सिबिि वकसी विशष परकरण स ही होता ह

7 इनका सरोत समाजशासतर दशथनशासतर तरा 7 इनका सरोत मखयतः मनोविजञान होता ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

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समप णथ वशकषाशासतर होता ह

8 इनम उददशय समावहत होत ह 8 य उददशय का ही एक राग होत ह

9 इनम वयवकतवनषठताहोती ह 9 इनम िसतवनषठता होती ह

10

य परतयक समाज और राषटर की

आिशयकता एिि आकािकषाओ ि क अनसार

ररितथनशील होत ह

10

य वनवशचत होत ह तरा परतयक परकरण क वलए वरनन-वरनन

होत ह

44 अवधगम उददशय ववकवसत करना रौवतक विजञान क अविगम उददशय रौवतक विजञान क लकषयो क सार-सार अविगमकताथओ ि की

सिजञानातमक कषमताओ ि क अनर री होन चावहए स षटतः विजञान क सरी िजञावनक तथय एिि वसदधाित

सरी अविगमकताथओ ि दवारा नही सीखा जा सकता ह और वकसी विशष अविगमकताथ क अविगम क

विवरनन हलओ ि म एक गणातमक दिम हो सकता ह उदहारण क वलए एक अविगमकताथ

परयोगातमक कौशल म बहत अचछा हो सकता ह लवकन सिखयातमक समसयाओ ि को हल करन म ऐसा

नही हो सकता आ को सामानय र म विजञान की परकवत को और विशष र म परकरण को

अविगमकताथ को बताय जान िाल परकरण क वया कताकषतर को परसिगसनदरथ वजसम अविगम हो रहा ह

और अविगमकताथ की आिशयकताओ ि कषमताओ ि एिि अविगम कवठनाईयाि को याद रखना चावहए

अविगम उददशयो को विकवसत करन की समझ आ को वशकषण-अविगम और आकलन

परवियाओ ि क वनमाथण तरा अविगम को सिरन म सहायता करगी आग उददशयो का िगीकरण करना

आ को विदयारी क जञान और सिजञानातमक परविया क आयाम म उनक अविगम कविवरनन हलओ ि र

कवनित होन म सहायता करगा वशकषण-अविगम परविया क तीन परमख घिको- उददशय आकलन एिि

वशकषण-अविगम वियाकला ो ndash दवारा सिरवखत वकया जाना चावहए तदनसार वशकषण-अविगम

वियाकला ो को उददशयो को समझन क वलए सिारा जाता ह इस परकार तीनो घिक एक-दसर क

ससिगत ह यवद तीनो घिक अनकल ह तो वशकषण-अविगम उददशय णथ ह

45 सववकवसत अवधगम उददशयो की ववशषताएा एक सवलवखत अविगम उददशय अविगमकताथओ ि क सार-सार वशकषको क दवारा री आसानी स समझा जा

सकता ह अविगमकताथ अनमान लगा सकत ह वक वशकषण-अविगम परविया क ररणामसिर उनस

कया अ कषा की जाती ह और इस सिबिि म वशकषक क सार बातचीत कर सकत ह अनय वशकषक आ क

सार चचाथ कर सकत ह और सझाि द सकत ह अविगम उददशय वलखन क वलए आ को कछ खास क ि

विनदओ ि को धयान म रखना चावहए जसा वक वचतर 41 म दशाथया गया ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 57

अविगम उददशय को दशाथना चावहए वक अविगमकताथ कया करगा न वक वशकषक कया करगा अविगम

परविया को इिवगत करन िाल वियाओ ि का उवचत उ योग वकसी अविगम उददशय को स षटता और उसकी

समझबोि परदान करत ह

अब सारणी 42 म वशकषक-कवनित और अविगमकताथ-कवनित अविगम उददशयो की जाच करत ह

सारणी 42 तिकषक-कतनदरि और अतिगमकिाय-कतनदरि अतिगम उददशय

1

किसी उततल लस दवारा किकमित

परकतकिमि िी वयाखया िरिा

i दशाथना वक वकसी उततल लस को कस आििथक लस की तरह

उ योग वकया जा सकता ह

ii वकसी दर की िसत क िासतविक परवतवबमपब को दखन क वलए

उततल लस का उ योग करना

iii िसत क विवरनन वसरवतयो क वलए कस परवतवबमपब की परकवत

और आकार ररिवतथत होता ह का िणथन करन क वलए

वियायाकला करना

2

किरचोफफ़ कियम िो समझिा

i वकसी विदयत तितर क परतयक शाखाउ खिड म विदयत िारा की

गणना करन क वलए वकचोफफ़ वनयम का उ योग करना

ii वकसी विदयत तितर का समककष परवतरोि वनिाथररत करना

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 58

अविगम उददशय क वकस सतमपर को आ अविगमकताथ-कवनित त ह स षटतः दसर सतमपर म जो वदया

ह िह अिलोकन करन योगय ह अविगम साकषय परदान कर सकता ह और हचाना जा सकता ह

अविगम उददशयो को स षट और बोिगमपय बनान क वलए वजस वसरवत म अविगम होगा और उनह

परापत करन क वलए कसौिी का री उललख करना चावहए आइय वनमपनवलवखत उदाहरण दखत ह

मानव नतर का रखा-चितर दन पर मानि नतर की सिरचना का नाम वलखना

रासायचनक ततवो क सकतो की सहायता स ततिो का नाम बताना

पवन िककी बनान क बाद इसक कायथचालन को दो अबचछदो म िणथन करना

उददशय वजतना ही स षट होता ह अविगम साकषय री उतना ही स षट होता ह तब इस समय सीमा म परापत

करन की समपरािना जयादा होती ह वकसी अविगम उददशय म वसरवत और कसौिी का उललख करना

अविगम अनरिो की योजना क वलए स षट दशय परदान करता ह अकिगम उददशय कििािररत िरि म

अकिगमितािओ िो सकिय रप स शाकमल किया जा सिता ह और उििी उपलकधि िी सीमा

िो उिि साथ तय किया जा सिता ह अकिगमितािओ िी आवशयिताओ ि आिार पर

अकिगम उददशय पररवकतित या सिार जा सित ह

यह समझना आिशयक ह वक ऊ र बताय गए तरीक स ही अविगम उददशय वलखना जररी नही ह करी-

करी अविगमकताथओ ि हत वचितन की अविक गिजाइस परदान करन क वलए वसरवत और कसौिी दोनो को

ही हिा वदया जाता ह उदहारण क वलए कछ अविगमकताथओ ि क वलए वकसी विशष वसरवत म एक

साधारण लोलक क समय अतराल को परभाचवत करन वाल चवचभनन कारको का अधययन करना वलखना

याथपत हो सकता ह

SMART मापदड कसौटी

सरी अविगम उददशयो को SMART मा दिड कसौिी रा करना चावहए

Specific (विवशषट)- परतयक अविगम उददशय का मातर एक मखय ररणाम हो

Measurable (मा न योगय)- परतयक अविगम उददशय ऐस वयिहार स सिबिवित हो वजस मा ा जा सक

Attainable (परापय परापत करन योगय)- परतयक अविगम उददशय उ लबि सिसािनो क मामल म यरारथिादी हो

Relevant (परासिवगक)- परतयक अविगम उददशय लकषयो क क ि म हो और विदयारी क उ लवबि म वरननता लाय

Timely (समयोवचत)- परतयक अविगम उददशय को समय सीमा क रीतर रा वकया जा सक

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 59

46 एाडरसन एवा िवोहल वगीकरण 1956 म बनजावमन एस बलम न शवकषक उददशयो क र म मानि अविगम क कषो को तीन रागो म

िगीकत वकयाmdash

i जञानातमक (जञान मवसतषटक स सिबिवित)

ii रािातमक (अनरवत हरदय स सिबिवित)

iii मनोशारीररक वियातमक (कायथ हार स सिबिवित)

जञानातमक पकष भािातमक पकष मनोिारीररक तियातमक पकष

िगय िगय िगय

1 जञान 1 आगरहण 1 अनवचछक वियाए

2 बोि 2 अनविया 2 मलरत वसदधाित

3 अनपरयोग 3 अनमलयन 3 अििारणातमक कषमताए

4 विशलषण 4 वयिसरा न 4 शारीररक कषमताए

5 सिशलषण 5 चररतर वनमाथण 5 कशल गवतविवि

6 मलयािकन 6 िाणी विहीन वयिहार

तराव कछ िषो बाद वशकषण-अविगम परवियाओ ि स सिबिवित नए विचारो और सझ का आविराथि

हआ ररिवतथत सझ एिि शोिो क ररणामो को परकि करन तरा 21िी शताबदी क अविगमकताथओ ि क

वलए वशकषण-अविगम ररदशय की आिशयकताओ ि को रा करन क वलए लोररन डबलय एडरसन बलम

का एक रत िथ छातर और डतिड आर ििोहल बलम की सतक का एक सह-लखक न बलम क

िगीकरण को सिशोवित करन हत विशषजञो क एक समह का नतति वकया 2001 म इस ररणाम को

एक सतक ndash ए टकसोिोमी फॉर लकििग टीकरचग एड असकसग ए ररकवजि ऑफ़ धलमस

टकसोिोमी ऑफ़ एजिशिल ओधजककटवस - क र म परकावशत वकया गया सिशोवित िगीकरण

सदश परतीत होता ह तो री सारथक ररितथन ह आइय अब इस र विचार-विमशथ करत ह

बलम िगीकरण म अविगम क छः सतर एक दानिवमक र म ह उदहारण क वलए यवद कोई

अविगमकताथ अ न जञान का अनपरयोग करता ह तो िह हल स अविगम की िथ दो सतरो (जञान और

बोि) को ार कर चका ह (वचतर 42 दख)

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दानिम म मामली ररितथन स सिशोवित िगीकरण म री अविगम क छः सतर ह जो जयादा स षट ह

एक अनय सारथक ररितथन ह- सिशोवित बलम िगीकरण म जञानातमक आयाम (जञान का परकार वजस

वसखना ह) और सजञानातमक परतियस आयाम क र म दो आयाम ह जबवक बलम िगीकरण म मातर

एक आयाम

सिशोवित िगीकरण िीन तरह स वरनन ह-

(i) िबदािली यह ररितथन गौण ह तो री सारथक ह

यह एक सिजञा स विया शबदो म बदलाि ह

जञान शबद को वचितन की शरणी क र म अनवचत माना जाता रा और इस समरण करना स बदला

गया तचिन एक सतिय परतिया ह और जञान तचिन का पररणाम ह जञान को वचितन क

एक र म नही दखा जाता ह

बोध को समझना क र म सिशोवित वकया गया

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मलयाकन करना सशलषण का सरान वलया और सजन करना मलयाकन का सरान वलया

सशलषण शबद अविगम वियाओ ि क सिबिि म वबलकल सििादशील नही रा इसवलए इस सजन

करना स बदला गया

(ii) सरचना बलम िगीकरण म विवरनन विषय कषतरो को तय करन क वलए आ को कछ तरीक ता

लगाना चावहए चिवक परतयक विषय की परकवत और विषयिसत वरनन होता ह उदहारण क वलए विजञान

और राषा का तथयातमक जञान वरनन ह इसी परकार परवियातमक जञान री वरनन ह सिजञानातमक

मनोविजञान क वसदधाित क आिार र एिडरसन और िथिोहल न जञान क चार आयाम बताए ह जञानातमक

आयाम और सिजञानातमक परविया आयाम का परवतचछदन 24 ककष उत नन करता ह जो िगीकरण सारणी

को वदवआयामी बनाता ह जसा की सारणी 43 म दशाथया गया ह

सारणी 43 एडरसन और ििोहल दवारा परिि तदवआयामी िगीकरण सारणी

जञानातमक

आयाम

सजञानातमक परतिया आयाम

समरण करना समझना अनपरयोग

करना

विशलषण

करना

मलयािकन

करना

सजन करना

तथयातमक

जञान

िचाररक जञान

परवियातमक

जञान

सिजञानातमक

क अलािा

जञान

सारणी 43 का उ योग करक हम उददशयो को जञानातमक आयाम और सिजञानातमक परविया आयाम क

सार वमलान कर सकत ह आइए उदाहरण की सहायता स दखत ह वक परवियातमक जञान को

सिजञानातमक परविया आयाम क सार कस वमलान वकया जा सकता ह (सारणी 44)

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सारणी 44 परतियातमक जञान क सार सजञानातमक परतिया का तमलान

जञानातमक

आयाम

अतिगम उददशय

सजञानातमक

परतिया आयाम

परवियातमक

जञान

अ वकषत विदयत रर र आरख का परतयासमरण करक एक

सामानय िॉचथ बनाना

समरण करना

विदयत िारा क परिाह की वदशा दशाथत हए ldquoबलब कस चमकता

हrdquo की वयाखया करना

समझना

एक सिित विदयत रर र क सार िॉचथ क चमकन को सिबिवित

करना

अनपरयोग करना

यवद बलब नही चमकता ह तो विदयत रर र म समसया की

हचान करना

विशलषण करना

िॉचथ बनान क वलए वकसी वदए गए जमािड़ म स उनक विवनदश

जाच कर उवचत विदयत सल और बलब का चयन करना

मलयािकन करना

सािारण विदयत रर र का उ योग करक कोई उ करण बनाना सजन करना

इस परकार सिरचना वनमपनवलवखत तरीक स वरनन ह ndash

एक आयामी िगीकरण को वदवआयामी र म सिशोवित वकया गया

सिशलषण और मलयािकन क िम को अितविथवनमय वकया गया चवक िगीकरण को वचितन सतरो म

जविलता क बढ़त िम म दशाथता हआ माना जाता ह रचनातमक वचितन (सशलषण) गहन

वचितन (मलयाकन) की अ कषा वचितन का जयादा जविल र ह

बलम क िगीकरण म मलयािकन वचितन का सबस ऊ री सतर ह सिशोवित िगीकरण म सजन

करना दानिम क शीषथ र ह

(iii) महतति

1 सिशोवित िगीकरण ाठयिम योजना बनान वशकषण-अविगम क वलए सामगरी विकवसत करन

और आकलन परवियाओ ि क वलए जयादा विशवसनीय उ करण ह

2 बलम क िगीकरण को परारिवरक विदयालयी िषो क वलए सिोतम उ करण माना जाता रा

एिडरसन और िथिोहल िगीकरण को उचचतर सतरो क वलए री आसानी स उ योग वकया जा

सकता ह इस अरथ म यह उ योग म वया क ह

3 अविगम क उ -शरवणयो क िणथन र जयादा जोर ह वनमपनवलवखत सारणी (सारणी 45)

सिशोवित बलम िगीकरण क वया क वसिहािलोकन परसतत करता ह सिजञानातमक परविया की

उ -शरवणयाि वशकषण-अविगम परविया क ररणामसिर अविगम कायो का र और सिरि

अविगम ररणाम परदान करती ह

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सारणी 45 एडरसन और ििोहल क िगीकरण का वयापक अिलोकन

सजञानातमक परतिया

की शरणी

सजञानातमक परतिया की

उप-शरणी

अतिगम कायय

अतिगम साकषय परदान

करनिाल अतिगम

पररणाम

समरण करना

समवत स परासिवगक जञान

नःपरवतषठाव त करना

पहचानना

परतयासमरण करना

परापत करना

हचानना नःपरवतषठाव त

करना परापत करना

शरणीबदध करना नाम

बताना चयन करना

कहना रररावषत करना

िणथन करना वशनाखत

करना नाम वलखना

परतयासमरण करना सरान

का ता लगाना

ररराषा तथय कायथ- तरक

सची नाम परतयासमरण

समझना

वशकषण-अविगम

सामवगरयो और परवियाओ ि

स अरथ का वनमाथण करना

मौवखक वलवखत और

आरखी समपपरषण म

शावमल होना

तििचना करना

उदाहरण दना

िगीकि करना सतकषपत

करना

तनषकषय तनकलना

िलना करना

वयाखया करना

वयाखया करना वििचना

करना सिवकषपत करना

उदाहरण दना तलना

करना अनमान लगाना

िगीकत करना कवरत-

करन करना वनषटकषथ

वनकलना

वििरण वयाखया रर ोिथ

आरख लखावचतर

परशनोततरी सिगरह परदशथन

अनपरयोग करना

नई ररवसरवत म रणनीवत

अििारणा वसदधाित और

परवियाओ ि का उ योग

करना

तनषपातदि करना

कायायतनिि करना

कायाथवनित करना

वनषट ावदत करना हल

करना सिबदध करना

परदवशथत करना तयार

करना र ाितररत करना

दशाथना उ योग करना

अनपरयोग करना कशलता

स कायथ करना गणना

करना सवमपमवलत होना

परदशथन दषटानत

परसततीकरण साकषातकार

रीकषण ररकॉडथ वतरका

सिखयातमक समसयाओ ि का

समािान

तिशलषण करना

जञान को उसक अियिो म

तोडना और एक-दसर क

परक करना

सगतिि करना

आरोतपि करना

विशलषण करना तलना

करना तोड़ना रक

करना वनमाथण करना

आरख लखावचतर मॉडल

चािथ सि डिाबस रर ोिथ

जाचसची तातकावलक

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सार अियिो का सिबिि

वनिाथररत करना

एकीकत करना अलग

करना सिगवठत करना

अितर करना आरोव त

करना र -रखा लगाना

आरख बनाना वनषटकषथ

वनकालना

कामचलाऊ उ करण

परशनािली सपरडशीि

मलयाकन करना

मानक और कसौिी

विकवसत एिि अनपरयोग

करक विचारो सामवगरयो

और विवियो क मलय

महतति का वनणथय करना

िााच करना

तििचना करना

वनणथय करना जाच करना

वििचना करना मलयािकन

करना अवरकल ना

बनाना परयोग करना

रीकषण करना वनयितरण

करना आिकना नयायोवचत

ठहराना परवतिाद करना

समरथन करना िणथन करना

वयाखया करना समपबदध

करना वनशचय करना

मलयािकन विचार-विमशथ

तकथ -वितकथ साकषय

आिाररत वनषटकषथ रर ोिथ

जाच ड़ताल िाद वििाद

सिन करना

वकसी िासतविक विचार

को विकवसत करन य

ततिो क सियोजन क वलए

विचारो या अियिो को

एक सार रखना विचारो

और ररणामो को ससिगत

कायाथतमक समप णथ बनाना

सजनातमक वचितन म

सिलगन रहना

उतपनन करना

योिना ियार करना

उतपातदि करना

वडजाईन बनाना वनमाथण

करना नवनथमाथण करना

खोज करना उ करण

बनाना योजना तयार

करना उत ावदत करना

बनाना उत नन करना नः

सिगवठत करना रचना

करना र ाितररत करना

मॉडल परदशथन परोजकि

ोसिर चािथ विजञान

नािक परसततीकरण

िीडा परशनोततरी गीत

कविता मीवडया उत ाद

इस परकार हम दखत ह वक सिशोवित बलम क िगीकरण म सिजञातमक परवियाओ ि क कई उ -शरवणया ह

यह जयादा स षट ह और हम वशकषण-अविगम रणनीवतयो और परवियाओ ि क वनमाथण म सहायता हत एक

शवकतशाली उ करण परदान करता ह

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47 अवधगम उददशय विखना i समरण करना- अविगमकताथ अ नी समवत स तथयो ररराषाओ ि वनयमो वसदधाितो और जञान क

अनय िकड़ो का परतयासमरण और हचान करत ह यह अविगमकताथ को विजञान समझन म

सहायता करता ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

उततल और अितल लस को स शथ कर और उनक दवारा बन परवतवबमपबो का अिलोकन कर

क उनकी हचान करना

िासतविक और काल वनक परवतवबमपबो की ररराषा का परतयासमरण करना

एक वसरवत बताना जहा काल वनक परवतवबमपब बनता ह

परतयक उततल और अितल लस क दो उ योगो को सचीबदध करना

ii समझना - अविगमकताथ विवरनन वशकषण-अविगम ररवसरवतयो म अरथआशय का वनमाथण

करता ह यवद िह विवरनन अििारणाओ ि और जञान क िकड़ो म सह-सिबिि और सिबिि सराव त

करता ह तो िह समझता ह समझना तावकथ क और अमतथ वचितन को परोतसाहन दता ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

आसिन परविया का िणथन करना

आसिन म शावमल विवरनन चरणो को सिवकषपत करना

सािारण आसिन और आिवशक आसिन क बीच अितर करना

एक उदाहरण क दवारा आिवशक आसिन का दषटानत दना

iii अनपरयोग करना -अविगमकताथ तथयो अििारणाओ ि और वसदधाितो का उ योग तरा नई

ररवसरवतयो म समसयाओ ि का समािान कर सकत ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

कषारीय िात क कम-स-कम एक रासायवनक रीकषण परदवशथत करना

वदए गए नमन (स ल) म कषारीय िात की मौजदगी की रविषटयिाणी करना

जल म बनजोइक एवसड की घलनशीलता की वयाखय करन क वलए हाइरोजन बििन (बॉवनडिग)

की अििारणा का उ योग करना

वनमपनवलवखत अवरविया को सितवलत करना mdash

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Zn(s) + HNO3 Zn(NO3)2 + NH4NO3 + H2O

iv तिशलषण करना - अविगमकताथ परवतमान दख वनवहतारथ और अियिो को हचान सकत ह

विशलषण करन क सतर र अविगमकताथ तलना करन आरोव त करन सिगवठत करन जञान को

उसक घिको म तोड़न की वसरवत म होत ह अविगमकताथ वदए गए ररवसरवत का विशलषण कर

सकत ह िह वदए गए समसया क घिको क मधय अितर और उनक बीच सिबिि की हचान करन

की वसरवत म होता ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

सिकत दवारा वदखाना वक वनमपनवलवखत उदाहरणो म ऑकसीजन-यकत यौवगक ओकसीकारक

जबवक अनय अ चायक कारक ह

LiAlH4 KMnO4 K2Cr2O7 NaBH4 K2CrO4 CrO3

वनमपनवलवखत अवरविया म ओकसीकरण और अ चयन क दौरान सरानाितररत इलकरानो की

सिखया सिकत दवारा वदखाना

Zn + H2SO4 ZnSO4 + H2

एक विदयत चमपबक क वनमाथण को दशाथन क वलए एक ररनावलका एक लोह की छड बिरी

और एक कि जी को सिगवठत करना

रौवतकी और रसायन शासतर म विवरनन अििारणाओ ि स सिबिवित सिखयातमक समसयाओ ि को

हल करना

v मलयाकन करना -अविगमकताथ मलयािकन उत नन वििचना वनणथय िजञावनक अििारणाओ ि

हत अवरकल ना तयार और परयोगो हत योजना तयार कर सकत ह ि वकसी वनणथय का

औवचतय वसदध कर सकत ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

ldquo रडॉकस अवरविया ओकसीकारन और अ चयन का सवमपमशरण ह rdquo करन र विप णी करना

िि म चलन िाल िसतओ ि क सिीही (सरीमलाइन) आकार का औवचतय वसदध करना

माइिोसको और िवलसको म लसो क चयन स वलए कसौिी का मलयािकन करना

कारको की जाच करना वजस र एक विदयत चमपबक की शवकत वनरथर करती ह

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iv सिन करना- सजन करन का तात यथ ह एक वयवकत क सि-कल ना क माधयम स रचना करना

योजना तयार करना वलखना वनमाथण करना और उत ादन करना

अतिगम उददशय क उदाहरण

वनमपनवलवखत दो अिथ अवरवियाओ ि को वमलाकर रडॉकस अवरविया बनाना

Zn(s) Zn2+

+ 2endash

Pb2+

(aq) + 2endash Pb(s)

दवनक जीिन स उदाहरण लकर रडॉकस अवरवियाओ ि क महतति र परसततीकरण तयार करना

िन चककी का मॉडल बनाना

चमपबको का उ योग कर वखलौन बनाना

अभयास परशन

1 सिजञानातमक कष का िगीकरण ________ क दवारा वदया गया

a बलम bवसकनर c वसमप सन dकोहलर

2 सामगरी क अरथ को आतमसात करना ह ndash

aसमझना b समरण करना c अनपरयोग करना dसजन करना

3 वकसी सामगरी क मलय को जानना ह -

aविशलषण करना bसमरण करना cअनपरयोग करना dमलयािकन करना

4 बौवदधक कौशल __________ क दवारा परदवशथत वकया जाता ह

aसिजञातमक कष bमनोशारीररक कष cरािातमक कष dउ रोकत म

स कोई नही

5 शवकषक उददशयो को __________ कषो म विरावजत वकया गया ह

aतीन b छ cदो d ािच

6 शवकषक उददशयो का िगीकरण __________ म वदया गया

a1946 b 1956 c1966 d1976

नोट अतिगम उददशयो क उपरोकत उदाहरण मातर दिानिदियक ह न तक तनदिातमक या सियगराही

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48 सारााश अविगमकताथ और वशकषक दोनो क रर कषय स अविगम उददशय बहत महति णथ ह य वशकषक को वकसी

ककषा क वलए सिगवठत वकय जान िाल अविगम अनरिो को तयार करन तरा उनक आकलन क वलए

अरो ाय हत वदशा परदान करत ह विकवसत उददशय अविगमकताथ की आशयकताओ ि और वशकषण-

अविगम ररवसरवतयो क अनसार लचील होन चावहए इस वशकषण-अविगम परविया क वलए एक

मागथदशथक क र म कायथ करना चावहए

49 शबदाविी 1 अतिगम वयिहार म कोई री अ कषाकत सरायी ररितथन जो अभयास और अनरि क

ररणामसिर घवित होता ह

2 तिकषण-अतिगम परतिया जञान कौशल और अवरिवत परदान करन की िासतविक अनयोजन

अिवि

3 अतिगमकिाय कोई वयवकत जो वकसी कौशल या विषय को सीख रहा हो

410 अभयास परशनो क उततर 1 अ

2 अ

3 द

4 अ

5 ब

6 स

411 सादरथ गरार सची 1 बॉकसिन एसी (2010) िीवचिग साइिस इन एलीमरी एिड वमवडल सकल नय वदलली सज

वबलकशनस

2 बाईबी आर (2010) द िीवचिग ऑफ़ साइिस िििी फसिथ सचरी सथ वकिवस अवलिगिन

िीए एनएसिीए परस यएसए

3 फनशम ीज (1994) द कि िि ऑफ़ साइिस ए कि सरकविि एपरोच ि इिस िीवचिग एिड

लवनिग िावशिगिन डी सीर फालमर परस

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 69

4 गपता िी क (1995) िीवचिग एिड लवनिग ऑफ़ साइिस एिड िकनोलॉजी नय वदलली विकास

वबलवशिग हाउस पराइिि वलवमिड

5 जोशी एसआर (2005) िीवचिग ऑफ़ साइिस नय वदलली ए ीएच वबलवशिग कॉर ोरसन

6 लॉसन इए (2010) िीवचिग इनकिायरी साइिस इन वमवडल सकल नय वदलली सज

वबलकशनस

7 लयिन डी (1989) इनोिशनस इन साइिस एिड िकनोलॉजी एजकशन नय वदलली सिवलिग

वबलकशनस

8 मर एलज (1988) बवसक वसकलस- साइिस बोसिन जॉन मर

9 शमाथ आरसी (2005) मॉडनथ साइिस िीवचिग वदलली िन त राय amp सिस

10 वसददीकी एचएम (2007) िीवचिग साइिस नय वदलली बालाजी ऑफसि

11 वसददीकी एनएन amp वसददीकी एमएन (1994) िीवचिग ऑफ़ साइिस िड amp िमॉरो वदलली

डोएबा हाउस

12 सिररन ए amp सनड बी (1983) िीवचिग साइिस थर वडसकिरी ऑवहयो चालसथ इ मररथल

वबलवशिग कि नी

13 वतर ाठी एस (2004) िीवचिग ऑफ़ वफवजकल साइिस वदलली डोवमनि वबलकशनस

14 यनसको (1966) सोसथ बक फॉर साइिस िीवचिग ररस यनसको

15 िदय एन (2003) साइिस िीवचिग इन सकलस नय वदलली दी amp दी वबलशसथ

16 िनजा एम (2006) िीवचिग ऑफ़ वफवजकल साइिस हदराबाद नीलकमल वबलकशनस

17 गपता एसक (1983) िकनोलॉजी ऑफ़ साइिस एजकशन वदलली विकास वबलवशिग हाउस

पराइिि वलवमिड

18 गपता िीक (1995) रीवडिगस इन साइिस एिड मरमविकस एजकशन अमपबाला द एसोवसएिड

परस

19 राि िीक (2004) साइिस एजकशन नय वदलली ए ीएच वबलवशिग को ोरशन

412 वनबाधातमक परशन 1 अविगम उददशय स आ कया समझत ह एक सविकवसत अविगम उददशय की कया विशषताएि

होनी चावहए उदहारण दकर स षट कर

2 अविगम उददशय विकवसत करन की कया आिशयकता ह कछ उदाहरणो की सहायता स

वयाखया कर

3 यह जानन क वलए वक वशकषण-अविगम परविया म अविगम उददशय वलखना कस वकसी वशकषक

की सहायता करता ह एक परशनािली विकवसत कर

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 70

इकाई 5 अवधगमकिा को समझना- वपयाज और िाइगोतसकी की दषटि म अवधगमकिा अवधगमकिा को परवरि करना शावमल करना िािा करना और मधयसरिा

अवधगम विजञान वशकषक की भवमका Understanding Learners Piaget and Vyogotskian

Perspective Motivating and Involving learners Negotiating and Mediating Learning Role of Science Teacher

51 परसतािना

52 उददशय

53 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ

531 व याज की दवषट म अविगमकताथ

532 िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ

533 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अितर

54 अविगमकताथ को परररत करना शावमल करना एिि िाताथ करना

55 मधयसरता अविगम

56 विजञान वशकषक की रवमका

57 सारािश

5 9अभयास परशनो क उततर

5 10वनबनिनातमक परशन

5 11 सिदरथ गरनर सची

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 71

51 परसतावना वशकषण की ारि ररक विवि म विषय िसत क परतयकष अनदशन तथयो और परवियाओ ि क रिन र ज़ोर

दत हए रवढ़िादी तरीको का परयोग वकया जातारा ितथमान म वशकषण म विदयावरथयो की सविय

सहरावगता र ज़ोर दत हए उनह सियि जञान क सजन करन िाला माना गया दसर शबदो म कह तो

वशकषण और अविगम की वयािहारिादी दवषटकोण स सिरचनािादी दवषटकोण म सरानाितरण हआ ह

वयिहारिावदयो क अनसार सरी वयिहार बाहरी उततजनाओ ि को अविगमताथ की परवतवियाओ ि का

ररणाम ह अराथत बाहरी िातािरण सीखन क वलए योगदान करता ह इस तरह स विदयारी क अविगम

र बाहय ररवसरवतयो जस रसकार और दिड का परराि परबल होता ह यह िसतवनषठ अिलोवकत

वयिहार र मखय र स क वित ह और अविगम मानवसक गवतविवियो की रवमका को अविक महति

नही दता ह वयिहारिावदयो की मानयताओ ि क वि रीत सिरचनािादी अविगम को अरथ की खोज क र

दखत ह व याज और िाइगोतसकी िायगोसतकी रचनािादवनवमथततिाद क परमख समरथको म ह जो की

यह मानत ह की जञान का वनमाथण वशकषारी दवारा वकया जाता ह

ितथमान इकाई म हम वशकषण और अविगम की सिरचनािादी दवषटकोण िाल दो परमख मनोिजञावनक

व याज और िाइगोसतकी क रर कषय म अविगम कताथ की समीकषा करग अविगमकताथ को अविगम म

परररत करन और शावमल करन क महति को जानग मधयसरता अविगम क सिपरतयय एिि विजञान वशकषक

की रवमका का विसतार िथक अधययन करग

52 उददशय इस इकाई का अधययन करन क शचात आ -

1 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ की विशषताओ ि का विशलषण कर सक ग

2 व याज और िाइगोतसकी की सिजञानातमक विकास क वसदधाितो की वयाखया कर सक ग

3 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अितर कर सक ग

4 अविगमकताथ को अविगम म परररत करन और शावमल करन क महति की वयखया कर सक ग

5 मधयसरता अविगम क सिपरतयय को अ न शबदो म बयकत कर सक ग

6 विजञान वशकषक की रवमका का विशलषण कर सक ग

7 मधयसरता अविगम क सिपरतयय का अ न वशकषण कायथ म परयोग कर सक ग

53 वपयाज वाइगोतसकी की दषषट म अवधगमकता 531 व याज की दवषट म अविगमकताथ जीन व याज (1896-1980) वसििजरलड क मनोिजञावनक एिि

दाशथवनक क अनसार अविगमकताथ अ न िातािरण एिि ररिश क सार मानवसक शवकतयो का परयोग

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 72

करत हए सीखता ह और अविगम उस समय जयादा अरथ णथ होता ह जब िह विदयारी की रवच और

वजजञासा क अनर हो व याज क अनसार विकास की परविया म अविगमकताथ की बौवदधक सिरचना म

ररितथन होता ह और यह जीि की सिरचना और िातािरण की सिरचना क आ स म परवतविया क

फलसिर होता ह व याज क अनसार बचचा एक िजञावनक ह और यही बात व याज क वसदधाित का

आिारिाकय ह इनक अनसार अविगमकताथ का सिजञानातमक विकास िवमक ह जो वक िमबदध सतरो

र सियि म गणातमक ररितथनो को स षट करता ह यदयव अविगमकताथ की वन णता का विकास परतयक

सतर र उसक व छल सतर क आिार र ही वचवतरत होती ह अराथत विकास क व छला सतर ही नए सतर

का विकास की आिारवशला होती ह अराथत व छल सतर का विकास नई दकषता क वलए क वलए

आिारवशला का कायथ करती ह सार ही य विशषताय उन विशषताओ ि स वरनन होती ह जो वक बालक

क व छल सतर र परदवशथत और परामावणत की ह

अतः वशकषको को अ न विदयावरथयो क सिजञानातमक कषमताओ ि क विकास म अचानक अिकररत होन िाल

ररितथनो की अ कषा रखनी चावहए न वकि वनबाथि विकास की व याज क िवमक विकास की

अिसराओ ि म एक क शचात दसर सतर र अविगमकताथ जाता ह और इस परकार उसका सिजञानातमक

विकास होता ह कम उमर म बालक की िजञावनक खोज उसकी सिजञानातमक कषमताओ ि क कारण सीवमत

होती ह कयोवक उनम विकास अरी तक होना होता ह रनत हरक अिसरा म बचच सविय र स इस

सिसार को खोजन का परयास करत ह व याज न अ न वसदधाित म कछ सिकल नाए दी ह यहा चार

सिकल नाए िवणथत की जाएगी जो वक सिजञानातमक विकास की विवशषट परविया ह ि ह- अनकलन

(adaptation) आतमसातकरण (assimilation) समिजनसामिजसय (accomodation) और समतलयन

(equilibration)

अनकलन मनोिजञावनक सिरचनाओ ि को वयिवसरत करन क वलए अविगम कताथ अ न िातािरण क

अनसार मानवसक सिरचना को र ाितररत करन वक परिवत को अनकलन कहत ह अराथत अविगमकताथ

और उसक िातािरण क मधय चलन िाली यह रस र विया क दवारा परापत समतलयन को व याज न

अनकलन का नाम वदया ह अनकलन वक परविया म दो मल परवियाय -आतमसातकरण और

समिजनसामिजसय सवमपमवलत ह

आतमसातकरण आतमसातकरण तब होता ह जब अविगमकताथ अ नी मौजदा बौवदधक सिरचना का

परयोग सिसार बाहय जगत को समझन क वलए करता ह आतमसातकरण म िातािरण म उ वसरत वकसी

चीज को समझन का परयास िथ िाररत जञान क मल करन क आिार र वकया जाता ह

समिजन जब अविगम कताथ अ नी िथिाररत मानवसक दधवतसिरचनाओ ि को नए िातािरण क सार

सितलन सराव त करन क वलए ररिवतथत करता ह तब समिजन परारिर होता ह विदयारी दवारा अ नी

बौवदधक सिरचना म िातािरण की आिशयकता क अनसार समायोजन या ररितथन करना समिजन ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 73

समतलयन समतलयन उस विया को कहत ह जो सितलन सराव त करन करन का परयास करती ह यह

आतमसातकरण और समिजन की परवियाओ ि म सितलन की सरा ना स समपबिवित ह व याज क अनसार

विदयारी क वचितन म िासतविक ररितथन समतलयन की परविया स होती ह

व याज क अनसार मानि वशश शरआत म सिजञानी जीि नही होता िह अ नी बोिात मक और

गत यात मक गवतविवियो क दवारा मनोिजञावनक ढािच अनरिो स सीखन क सिगवठत तरीक स खद को

अ न याथिरण क अनसार ढाल ाता ह इन ढािचो को विकवसत करत समय बच च बहत गहन र स

सविय रहत ह ि अनरिो क मौजदा ढािचो का उ योग करत हए उनका चनाि करत ह और अरथ

वनकालत ह तरा िास तविकता क और बारीक कषो को गरहण करन क वलए उन ढािचो म बदलाि करत ह

बच च सिसार म लगरग समस त जञान को अ नी गवतविवियो क दवारा खोजत या वनवमथत करत ह अत

व याज क अनसार सिजञानातमक विकास अनकरण की बजाय खोज र आिाररत ह अविगम कताथ

अ नी जञानवियो क परतयकष अनरि क आिार र अ नी समझ का वनमाथण करता ह इस परकार का

अविगम सविय अविगम होता ह इसक वयवकत अ न ररिश और िातािरण क सार सविय र स

अितविथ या करता ह इसम वकसी कायथ को करत हए वयवकत वकसी एक विचार म नए विचारो को शावमल

करता ह

व याज का मानना रा वक वशकषा का मखय उददशय बचचो को यह सीखना होना चावहए वक िो वकस परकार

सीख सकत ह और वशकषा को अविगम कताथ को सीखन की तरफ परररत करना चावहए न वक उनह रिन र

जोर दना चावहए कही बातो को ररना चावहए एक वशकषक को ककषा म कई परकार क विदयारी वमलत

ह एक विदयारी सियि म री अ न सिजञानातमक विकास और विषय जञान म बावक वशकषावरथयो स काफी

वरनन होता ह एक वशकषक क यह जानना चावहए वक ऐसा विदयावरथयो की वचितन योगयताओ ि की कमी

क कारण ह या वफर उस सामानय तथय ही नही ता ह इसक वलए वशकषक को अविगमकताथ र तब

धयान दना चावहए वक िह वकस परकार स समसया को समािावनत करन का परयास कर रह ह िह वकसी

एक हल र धयान द रह ह या वफर री समसया र वकस परकार की तावकथ कता का परयोग कर रह ह

व याज क अनसार अविगम कताथ सियि अ नी समझ का वनमाथण कर सीखना एक रचनातमक परविया ह

इसम किल रौवतक र स हर-फर कर क ही ना सीखाया जाए बवलक मानवसक हर-फर री वकया जाए

इसक सार ही विदयारी अ न वशकषक और ककषा क अनय विदयावरथयो स री वकसी समसया क समपबनि म

विचार-विमशथ कर कयोवक इसक दवारा उनक विचारो को चनौती दी जा सक और विचारो का मलयाङकन

हो सक

532 िाइगोतसकी की दति म अतिगमकिाय

वलि वसमनोविच िाइगोतसकी (1896-1934) न सिजञानातमक विकास का सामावजक दवषटकोण परसतत

वकया इनक अनसार बचच का सिजञानातमक विकास म उसक सािसकवतक सिबनि क बीच सििाद का

महतति णथ सरान ह िाइगोतसकी री सिरचनािादी र तरा यह मानत र वक बचच जञान का वनमाथण करत

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 74

ह वकनत इनक अनसार सिजञानातमक विकास म राषा क सार-सार सामावजक-सािसकवतक सिदरथ री

महति णथ रवमका वनराता ह यह मानत ह वक राषा सिजञानातमक विकास का महतति णथ उ करण ह तरा

परारमपर स ही बचच अ न कायो क वनयोजन एिि समसया समािान म राषा परयोग करन लग जात ह

व याज क वसदधाित क वरनन िाइगोतसकी मानत ह की अविगम ि विकास सािसकवतक ि सामावजक

िातािरण की मधयसरता का परवतफल ह िाइगोतसकी न सिरावित विकास का कषतर का सिपरतयय वदया जो

की उस अितर को बताता ह जो की बचच क वबना वकसी सहायता क समप ावदत कायथ तरा वकसी बड़ या

अविक कशल सारी की सहायता स समप ावदत कायथ म होता ह सिवियातमक दो म रररावषत कर तो

यह एक ऐसा कषतर ह जो बचच क परदशथन क रीकषण क दो वसरवतयो म बीच अितर- सहायता क वबना या

सहायता क वबना को रररावषत करता ह उनक अनसार बचच क विकास को सामावजक एिि सािसकवतक

गवतविवियो स अलग नही वकया जा सकता उसका परतयक कषतर का विकास इन गवतविवियो म

अनतवनथवहत होता ह इस परकार िाइगोतसकी का वसदधाित सामावजक वनवमथवतिाद ह वयवकत म सरी

मानवसक या बौवदधक वियाए हल बाहरी समाज म घवित होती ह और बचच समावजक एिि सािसकवतक

अनत वियाओ ि दवारा बचच अ नी सिसकवत म सोचन और वयिहार करना सीखत ह अत बचच क समप णथ

विकास म सामावजक िातािरण क विवरनन अिगो जस- ररिार समदाय दोसत तरा विदयालय की

रवमका महति णथ ह िायगोतसकी न उचच कषतर सतर को परापत करन क वलए मचान ढािचा वनमाथण

(scaffolding) का परयोग वकया मचान ढािचा वनमाथण (scaffolding) स तात यथ ह वक अविगम कताथ

को ियसक या अविक सकषम सारी दवारा परदान की गई सहायता ढािचा वनमाथण की परविया उररती हई

और विकासशील (जो की अरी तक रर कि नही हई) कषमताओ ि को लकर आती ह और इस तरह

इसस अविगम कताथ की वछ ी हई कषमताओ ि का ता चलता ह सिरचनातमक कषतर म वशकषक बचचो क

सार जो िाताथला करता ह उस ही ढािचा वनमाथणमचान कहा जाता ह िाइगोतसकी क अनसार मानि

की विशषता एक परारवमक मतरी वमलनशीलता ह वयवकत आनििवशक र स सामावजक ह उसस अलग

होक उसका विकास सिरि नही ह वशकषण परविया का योगदान यह ह वक िह अविगम कताथ को

शवकतशाली उ करण अराथत राषा परदान करता ह विकास परविया क दौरान यह उ करण वयवकत की

आितररक सिरचना (आितररक राषा क विकास क सार) का एक अवरनन अिग बन जाता ह उ करण (जस

राषा) जो की एक सामावजक उत वतत ह सोच वचितन जस अनय मानवसक वियातमकता क सार

अितविया करना परारमपर करता ह िाइगोतसकी दवारा परदान की गई मनोिजञावनक उ करणो क उदाहरणो म

राषाराि रिवगमा वचतर नकश आवद शावमल ह राषण लखन और राषा क माधयम स मधयसरता

सामावजक िातािरण को अित करण म समािवशतकरन क वलए वशकषावरथयो की सहायता करता ह इन

मधयसरता उ करणो की सहायता स अविगम कताथ का उचच सोच की कषमता बढ़ती ह सविय

अविगम म बचच जञान का वनमाथण करत ह वशकषण परविया किल बचचो और ियसको की गवतविवियो क

माधयम स जञान क वनमाथण की परविया ह अत अविगम वशकषण परविया ह एक सामावजक सहयोग ह

सहयोग क दौरान ियसक राषा का ररचय दता ह जो सिचार और सि कथ क वलए एक उ करण क र म

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 75

कायथ करता ह सामावजक सिबििो क एक सािन क र म राषा बचच क आितररक मानवसक सिगठन क

एक सािन म ररिवतथत हो जाता ह

533 तपयाि और िाइगोतसकी की दति म अिर

व याज और िाइगोतसकी दोनो मनोिजञावनको न उन वसदधाितो को विकवसत वकया जो बचचो और वकशोरो

म सिजञानातमक विकास और सीखन स समपबिवित ह दोनो क वसदधाितो क बीच समानताएि यह ह की दोनो

ही सिरचनािादी ह और मानत ह की अविगमकताथ जञान का सजन सियि करत ह रनत इन दोनो क

वसदधाितो म अितर री ह और य अितर शकषवणक सवििग म वसदधाितो क समझ और अनपरयोग क वलए

महति णथ ह दोनो क क वसदधाितो म परमख अितर वनमपनित ह

व याज क अनसार विकास अविगम की िाथिसरा ह न वक इसका ररणाम जबवक इगोतसकी

का मत इसस वबलकल वरनन ह िो मानत ह की विकास स िथ सामावजक अविगम आता ह

इस दो वसदधाितो क बीच मखय अितर माना जा सकता ह

व याज मानत ह की सिजञानातमक विकास विवरनन चरणो म होता ह और िो चरण सािथरौवमक

ह जबवक िाइगोतसकी इसस अलग दवषटकोण रखत ह और मानत ह की विकास को आकार

दन क सािनो क र म सिसकवत और सामावजक सिबििो का सरान सबस अविक महति णथ ह

दो वसदधाितो क बीच एक और अितर सामावजक कारको को वदए गए महति स उत नन होता ह

व याज का मानना ह वक अविगम अविकतर एक सितितर अनिषण ह जबवक िाइगोतसकी विशष

र स सिरावित विकास का कषतर क माधयम स एक सहयोग णथ वशकषण र म इस और अविक

दखत ह कयोवक एक बचच को अ नी कषमताओ ि को विकवसत करन म सहायता परदान की जा

रही ह

पयाज़ क अनसार अविगम क वलए सिथपररम एक वनवशचत विकास सतर र हिचना आिशयक ह

िाइगोतसकी का वसदधाित सामावजक-सािसकवतक वसदधानत क नाम स जाना जाता ह इस वसदधानत

क अनसार सामावजक अनतःविया ही अविगमकताथ की सोच ि वयिहार म वनरनतर ररितथन

लाता ह जो की एक सिसकवत स दसर म वरनन हो सकता ह

अभयास परशन

1 व याज क अनसार विकास की परविया म अविगमकताथ की बौवदधक सिरचना म ररितथन होता ह

(सतय असतय)

2 व याज क अनसार अविगमकताथ का सिजञानातमक विकास िवमक ह जो वक िमबदध सतरो र

सियि म मातरातमक ररितथनो को स षट करता ह (सतय असतय)

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3 व याज क सिजञानातमक विकास की चार सिकल नाओ ि क नाम वलवखए

4 व याज और िाइगोतसकी वयिहार िादी र

5 ढािचा वनमाथण (scaffolding) स कया तात यथ ह

6 िाइगोतसकी न सिरावित विकास का कषतर कया बताता ह

54 अवधगमकता को परवरत करना शावमि करना एवा वाता करना इसक वि रीत सिरचनािादी अविगम को अरथ की खोज क र दखत ह ितथमान वशकषा वयिसरा

सिरचना िादी दवषटकोण स अविक परररत ह और यह मानता ह की अविगमकताथ को यवद परररत वकया

जाए वशकषण अविगम परविया म शावमल वकया जाए तो िो जञान का सजन सियि करत ह छातरो को

सीखन क वलए परररत करना एक चनौती णथ कायथ ह कयोवक आज क छातरो क सामन बहत सर विकल ह

जो उनक धयान आकवषथत करती ह रनत विदयारी को सीखन क वलए परररत करना बहत आिशयक ह

कयोवक परररत विदयारी वसखन एिि वशकषण अविगम

परविया म अ नी रागीदारी अविक उतसकता स

वनरात ह एक विदयारी सियि म री अ न

सिजञानातमक विकास और विषय जञान म बावक

वशकषावरथयो स काफी वरनन होता ह एक वशकषक

क यह जानना चावहए वक ऐसा विदयावरथयो की

वचितन योगयताओ ि की कमी क कारण ह या वफर

उस सामानय तथय ही नही ता ह इसक वलए

वशकषक को अविगमकताथ र तब धयान दना

चावहए वक िह वकस परकार स समसया को समािावनत करन का परयास कर रह ह िह वकसी एक हल

र धयान द रह ह या वफर री समसया र वकस परकार की तावकथ कता का परयोग कर रह ह

परररत अविगम कताथ सियि अ नी समझ का वनमाथण सियि करता ह सीखना एक रचनातमक परविया ह

इसम किल रौवतक र स हर-फर कर क ही ना सीखाया जाए बवलक मानवसक हर-फर री वकया जाए

इसक सार ही विदयारी अ न वशकषक और ककषा क अनय विदयावरथयो स री वकसी समसया क समपबनि म

विचार-विमशथ उनह ककषा की गवतविवियो म शावमल वकया जाना चावहए उनक विचारो को चनौती दनी

चावहए वजसस की उनक विचारो का मलयाङकन हो सकता ह और इस परकार िह एक षठ ोषण परापत

कर सकत ह का उ योग बचचो को सीखन म बहत उ योगी ह जो री हम सीखत ह उसम अनकरण

का बहत बड़ा योगदान होता ह और मवषटतषटक क विकास म री खल की महति णथ रवमका होती ह ऐस म

खल हर एक आय म अनकरण की ओर परररत करता ह इस हत हर एक आय म उनकी मानवसक योगयता

क अनसार खल की परकवत होनी चावहए एनसीएफ (2005 ) न यह स षट कर वदया रा वक विदयावरथयो

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 77

की सीखन की विया म उनकी रागीदारी सीखन सिबििी सिोततम ररणाम ान की कि जी ह और

विदयावरथयो को वनमपनवलवखत अिसर वमलना चावहए

सीखत समय विचारो का योगदान दन का

अ न विचारो और अनरिो क बार म बोलन और चचाथ करन का

विदयालय म उनहोन जो सीखा उस अ न रोजमराथ क जीिन स जोड़न का

विदयावरथयो स बातचीत क दौरान वशकषक क र म रवमका यह ह की विषय-वबिद क ररचय का परबििन

करना (इसम वकनही री ररचयातमक परशनो को री शावमल वकया जा सकता ह) समहो का गठन करना

और उनकी वनगरानी करना तरा विदयावरथयो क विचारो को सारािश र दना सवमपमवलत वकया जा जा

सकता ह वशकषक की परकषक की रवमका सक उस विदयावरथयो की समझ और वचितन परविया की

जानकारी दन म सहायक होती ह रनत करी-करी हसतकष करना और विदयावरथयो को परररत करना री

आिशयक ह बात-बात म अवतररकत परशन छन स विदयावरथयो को बहतर ढिग स अ न विचारो को स षट

करन अ नी बात को विसतार दन और अ न तको को समझान म सहायक होती ह वकसी परकरण क

बार म वनमपनवलवखत परकार क पररक परशन विदयावरथयो को अविक वया क ढिग स और अविक गहराई स

सोचन क वलए षठरवम तयार करत ह और विदयावरथयो की वसखन म सहायता करत ह जस hellip स

तमपहारा कया तात यथ ह कया तम hellip क बार म विसतार स बता सकत हो कया तम िणथन कर सकत हो

वक तम hellip स सहमत कयो नही हो क बार म विसतार िथक बताओ इतयावदवशकषक की रवमका

का एक राग यह री ह वक अ न विदयावरथयो क सीखन का ऐसा िातािरण बनान की वदशा म कायथ कर

जहाि विदयारी नए तरीक आजमान तरा नए कौशल विकवसत करन क वलए परोतसावहत हो परररत छातरो स

ररी हई एक कलास को ढ़ाना एक वशकषक क वलए आनिददायक अनरि होता ह सार ही सार इस

कलासरम का माहौल छातरो को आकवषथत करता ह विदयावरथयो क सार बात चीतका तरीका ऐसा होना

चावहए की सार छातर का इितज़ार कर

विदयावरथयो को परररत करन शावमल करन एिि िाताथ करन हत कछ सझाि

विदयावरथयो क सतर क अनर चनौती रख और उनको समसया समािान करन हत सकारातमक

परवतस िाथ का अिसर द

विदयावरथयो को खद करक सीखन हत परररत कर

विदयावरथयो को विशवास वदलाएि वक आ उनकी रिाह करत ह और रदराि की रािना स र

विदयावरथयो को उनक जञान और समझ को उनक सरानीय ररिश क सार जोड़न का अिसर

परदान कर

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अ न वशकषण कायथ का परारमपर जिाब क सार नही कर कयवक सिालो का जिाब रिना बोररयत

ररा होता ह ऐसा करक आ विदयावरथयो की सीखन म रवच को बनाय रख सकत ह

विदयावरथयो को उनकी रवच स मल खात असाइनमि द वजसस की िो उसम रवच ल सक

विदयावरथयो को उनकी परगवत क समपबनि म बयवकतगत परवत वषट री द

वशकषण अविगम परविया म बचचो की रागीदारी सवनवशचत करन िाली रणनीवत अ नाएि और

विदयावरथयो को सिाल छन क वलए परोतसावहत कर

वकसी विषय की गहराई म उतरना विदयावरथयो म एक रवच का वनमाथण करता ह जो जयादा सरायी

होती ह इसस छातर आग री सीखन क वलए तत र रहग

विदयावरथयो म सिसर परवतयोवगता की रािना का विकास कर वजसस की िो अविक जञान का

अजथन करन क वलए परररत हो सक

विदयावरथयोको सामदावयक कायो म वहससा लन क वलए परररत कर वजसस की उनम

सामदावयक रािना और सामावजक गणो का विकास वकया जा सक

ाठयसामगरी को रोचक बनाकर वििावरथयो को वशकषा क परवत अवरपरररत वकया जा सकता ह

अत ाठय सामगरी या ाठय विषय िसत रोचक तरा विदयावरथयो की मानवसक योगयता एिि

मनोिवतत क अनकल होनी चावहए

ाठयसहगामी वियाओ ि को उवचत सरान वदया जाना चावहए ाठयसहगामी वियाए न किल

विदयावरथयोम ढ़ाइथ की रकान को कम करती ह बवलक उनम ढ़ाइथ म री वनषठा क सार

सिलगनता क वलए उतसाह री दा करती ह

सकल म वशकषा का सिसर िातािरण विदयावरथयोक वलए शवकषक अवरपररणा का कायथ करता ह

विजञान विषय की ढ़ाइथ ऐस ककष म हो वजसम विजञान विषय स ही सिबिवित सतक ि उ करण

आवद हो इसी परकार अनय विषयो क सार री होना चावहए

अभयास परशन

7 वशकषण की ारि ररक विवि अविक विदयारी कवनित री (सतय असतय)

8 एनसीएफ (2005 ) क अनसार विदयावरथयो की सीखन की विया म उनकी रागीदारी बढ़ान क

कौन कौन अिसर वमलन चावहए

55 मधयसरता अवधगम बचच क जनम स ही उसक सीखन की परवियाओ ि म ियसको क हसतकष होता ह ियसको क हसतकष

माधयम स ही िो मागथदशथन परापत कर अ न वयवकतति को आकार द ाता ह जो की निजात क जीिन म

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महति णथ ह बचच क विकास म य महति णथ लोग मधयसर क र म जाना जाता हबचच क जीिन क

वलए जो उ यकत होता ह िो उस चनकर वयिवसरत कर क जो उददी न परसतत करत ह ि वशश क

सिजञानातमक सामावजक और रािनातमक विकास म सहायक होता ह इन मधयसरो शरआती माता-

व ता र लवकन बाद म वशकषको हल परयासो म राग लत ह बचचो को उददी नो र परवतविया दनी

डती हि बचच की परवतविया को परररत करत ह और बतात ह वक परवतउततर या परवतविया कयो दसरो की

तलना म अविक उ योगी और पररािी ह इस तरह स यह स षट ह वक इन सारथक अित विया ियसको

और बचच क बीच होन िाली बातचीत बाद म िीर-िीर बचच क सिसार को आकार दन और उसक

रीतर अ नी जगह विसतत विविि सिदरो म समझन म सहयोग दती हसबस हल वशश न वसफथ अ न

माता-व ता राई-बहन और ररशतदारो क सार सीिा सि कथ म आता ह लवकन बाद म उनका सिदरथ

शवकषक िातािरण समदाय और ड़ोस सावरयो और दोसतो मीवडया और सिसकवत म विसताररत और

समदध होता ह यह िह जगह ह जहाि बचच अ न ररिार क अनरिो क बीच समपबनि सराव त करना

शर कर दत ह

मधयसरता अविगम वशकषक और वशकषारी क बीच सकषम सामावजक सि कथ ह जो विदयारी क सीखन क

अनरि म सिििथन करता ह इसका तात यथ ह की िातािरण म अनरि वकय हए उददी नो को मधयसरता

करन िाल वयवकत आमतौर र माता-व ता वशकषक राई या अनय वयवकत दवारा वकस परकार स समझाया

जाता हउस मधयसरता करन िाला वयवकत अ नी और वशकषारी की सिसकवत और रािनातमक वनिश

दवारा वनदवशत िातािरण का आयोजन करता ह वजस वशकषारी क उननत और पररािी कायथ क वलए एक

स षट इरादा और लकषयो क अनसार वयिवसरत हो मधयसर उददशयो क अनसार उददी नो का चयन करता ह

और वफर उनको फरम और वफलिर कर उसकी और अनसवचयाि बनाता ह और स षट लकषयो क अनसार

अविगम कताथ क परदशथन क वलए उनकी उ वसरवत या अन वसरवत होन की वयिसरा करता ह इस

परविया क माधयम स अविगम कताथ वयिहार िनथ जागरकता और रणनीवतयो को परापत करता ह

मधयसरता अविगम एक महति णथ घिक ह जो विरदक सिजञानातमक विकास को वनिाथररत करता ह और

सिरचनातमक सिजञानातमक र ानतरण को सवनवशचत करता ह मधयसरता मानि सि कथ क माधयम स होती ह

न वक मशीन या वकसी अनय वनजीि िसत जस सतक कि पयिर आवद स यह अविगम कताथ और उसक

िातािरण क बीच बातचीत की गणितता का परवतवनविति करता ह यह अित विया परतयक ीढ़ी क वलए

सिसकवत क अतीत ितथमान और रविषटय क आयामो को लगातार परवषत करक ीवढ़यो क वयिहार को

उवचत आकार दन क वलए सािसकवतक र स वनिाथररत आिशयकता दवारा वचवहनत वकया जाता ह

मधयसरता अविगम अनरि तब होता ह जब बचचो को ldquoकस वसखा जाएrdquo (मिाकोवगनशन) सीखन क

वलए वनदवशत वकया जाता ह वकसी अविक अनरि और जञान िाल वयवकत क दवारा यह विरवदत वनदश

क समान ह तरा िाइगोतसकी क समी सरसिरावित विकास क कषतर क वसदधाित र आिाररत ह

मधयसरता अविगम अनरि क महति णथ तति

सरी आय समहो क वलए परयोग होता ह

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बाहरी वसरवतयोकारको की बजाय वशकषारी क वयवकतगत वसरवत र वनरथर करती ह

सिजञानातमक विकास और सिरचनातमक सिजञानातमक ररितथनीयतार ाितरण क परवत सििदनशील

सिरवचत वशकषण जो वशकषावरथयो को िसतओ ि ररवसरवतयो और घिनाओ ि की परतयकष और मतथ

उ वसरवत म सोचन की अनमवत दता ह

मधयसरता अविगम अनरि क मा दणड मधयसरता अविगम अनरि क कछ मा दणड ह वजनम स कछ

सािथरौवमक ह और कछ वसरवतजनय ह मा दिडो का वििरण वनमपनवलवखत ह

यवनिसथल रामीिरसािथरौवमक मा दणड

i इििशनवलिी आशय ारस ररकता ारस ररकता सरी मा दिडो म सबस अविक

आिशयक होती ह यह बचच और मधयसर (अविक कशल वयवकत) क बीच एक उततरदायी

सिबिि की सरा ना ह इसक वलए बचच और मधयसर अ न सिसकवतयो मलयो विचारो

रािनाओ ि और अ कषाओ ि को एकीकत करक साझा करत ह

ii उतकषटता यह एक विशष गवतविवि म बचच कया सीख रह ह उसस र समझन का विसतार

ह उतकषटता क माधयम स बचचो अ नी खद की सीखन की रणनीवत बनान म सविय हो

जात ह कस सीख की परविया र अविक ज़ोर रहता ह बजाय अविगम क उत ाद र

कमजोर वदया जाता ह उतकषटता एक वसरवत स दसर म जञान और रणनीवतयो को वबरवजिग या

सरानाितररत करन का एक र ह जस बचचो को कस और कयो ि चीज (सीखन की परविया

र धयान क वित) करग क बार म छ उनह बताए नही

iii अरथ की मधयसरता यह सीखन क अनरि की वयवकतगत परासिवगकता ह मधयसर सवनवशचत

करता ह वक बचचो को गवतविवियो क अरथ (रवच महति और उ योवगता) क विकास म

वहससा ल रह ह ह जस सीखन की गवतविवियो म वयवकतगत रवच महति और खशी साझा

करना अ न विशवासो मलयो सिदो ना सिवदयो और दवनया क बार म अ न विचार साझा

करना और यह सवनवशचत करना वक आ बचच क विचारो को सनत ह बचचो की जररतो

और रवचयो स वमलान करन क वलए गवतविवियो की कवठनाई को समायोवजत करनाइतयावद

वसरवतजनय या नबवलत मा दणड

a कषमता की रािना का मधयसरता

b विवनयमन और वयिहार क वनयितरण का मधयसरता

c वयिहार साझा करन का मधयसरता

d वयवकतगत और मनोिजञावनक वरननता का मधयसरता

e लकषय की मािग गोल सवििग लकषय को परापत करन और लकषय वनगरानी वयिहार की

मधयसरता

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f चनौती का मधयसरता - निीनता और जविलता की खोज

g एक बदलती हई सिसरा क र म इिसान की जागरकता का मधयसरता

h आशािादी विकल ो क वलए खोज का मधयसरता

i सिबिवित की रािना का मधयसरता

अभयास परशन

9 मधयसरता अविगम स आ कया समझत ह

10 मधयसरता अविगम अनरि क सािथरौवमक मा दणड क नाम वलवखए

56 ववजञान वशकषक की रवमका विजञान अ न आस ास क सिसार को जानन और समझन क परयास की एक शली ह वििा ह जो की

विचार अिलोकन अधययन और परयोग को माधयम बनती ह विजञान जञान की िह शाखा ह जो तथय

वसदधानत और परयोग और ररकल ना स सराव त और वयिवसरत होती ह यह एक उ िम ह वजसम जञान

सामानय सतर स कवठन की ओर ि सकषम स सरल की ओर चलता ह पररािी विजञान वशकषण वलए जररी

ह वक इस मनषटय क दवनक जीिन स ि सार ही उसक चारो ओर क याथिरण स जोड़ा कर बताया जाए

विजञान वशकषक क वलए आिशयक ह की िो विजञान की विवरनन परवियाओ ि को बतान बच चो म रवच

जागत करन ि इस बनाए रखन क वलए विजञान को वशकषारी क दवनक जीिन स जोड़ विदयावरथयो म

खोज की परिवत विकवसत करन ि उनक अविगम परविया म बनाय रखन क वलए यह आिशयक ह

विजञान वशकषक की यह वजमपमदारी ह की परतयक बचच को अ न रोज क अनरिो को जािचन और उनका

विशलषण करन म सकषम बनाएि विजञान वशकषक का दावयति ह की िह वशकषावरथयो गहन वचन तन

िजञावनक रझान सिकल ना और तथय सियि जाच कर एिि वफर विशवास कर की कषमता का विकास कर एिि

विषय एिि वयािहाररक जञान क मधय अन तर को कम करन एिि सोच ि अनरि को जोड़न हत परयास

करविजञान क विवरनन िजञावनक विषय-वबिदओ ि म कछ अविक सििदनशील विषय-वबिद री शावमल ह

परायः विदयावरथयो स वशकषक की अ कषा रहती ह वक ि िजञावनक विचारो और परमाणो को सिीकार कर ल

रनत उनह इस बात र विचार करन का अिसर की आिशयकता होती ह की यह सतय ह या नही सतय ह

तो वकस परकार स सतय ह ककषा म चचाथ एिि परयोगो का उ योग करत हए विदयारी स सिबिवित परमाणो र

विचार करन की आिशयकता होती ह उनह अ न विचारो को रखत हए अ न दवषटकोण का औवचतय वसदध

करन का याथपत अिसर परदान करना वशकषक की महती वजमपमदारी ह ऐसा करन स उनह अ ना िसतवनषठ

वचितन कौशल विकवसत करन म अिसर परापत होता ह मानि समाज क सिािग विकास क सिदरथ म यवद

वशकषक की रवमका का विशलषण कर तो वशकषण कोई वसरर वयिसाय नही ह बवलक यह गतयातमक

परविया ह वजसम परौदयोवगकी िवशवक अरथशासतर क दबािो और सामावजक दबािो स पररावित होकर

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बदलता रहता ह इन ररितथनो को सिबोवित करन क वलए अधया न क तरीको और कौशलो का लगातार

अदयतन और विकास आिशयक ह वशकषको का बदलाि की कषमता स यकत होना अवनिाथय ह आज क

वशकषा यग म विदयारी अ न जञान का सजन सियि कर इस अििारणा को बल वदया जा रहा ह अधया क

की रवमका एक सगमकताथ क र म बदलत हए वदख रही ह और विदयारी जञान को अ न तरीक स गढ़न

लग ह सीखन-वसखान की परविया म वनरन तरता सजन करन क मौक समसया आन र वनदानातमक

कदम ि कछ उ चारातमक विविया वनवहत ह परतयक विदयारी म कछ न कछ विशष गण अिशय होत ह

आिशयकता होती ह की एक कशल वशकषक उनको हचान और विकवसत कर वजसस की विदयावरथयो म

जञानातमक रािातमक मनोगतयातमक और वियातमक कष आवद वमलकर विदयावरथयो क समप णथ

वयवकतति को उजागर कर विजञान वशकषक क कछ परमख दावयति वनमपनित ह

वशकषक को इस बात का सदि धयान रखना चावहए की परतयक अविगम कताथ अ न आ म

अ िथ और अवदवतीय ह और सरी बचच सीख सकत ह और बचचो म बहत साडी

विवििताएि होती ह तरा इन विवििताओ ि को सिीकार करन क सार ही समपमान री वकया

जाना चावहए

वशकषक को सदि िाथगरहो स बचना चावहए इसम बचचो क बार म िाथगरहो का सिाल री

सामन आता ह अगर हम बचच विशष बार म कोई राय बना लत ह तो ऐसी सोच का असर

हमार वशकषण गणितता को पररावित करता ह वशकषक म वकसी री बचच को िसा ही

सिीकार करन की कषमता होनी चावहए तब ही िह उसक उननयन और सिििथन क वलए कायथ

कर सकता ह

एक वशकषक बचचो क ठन कौशन समझ वनमाथण ि जीिन क परवत एक वया क दवषटकोण म

वनमाथण म महती रवमका का वनिथहन करता ह इसक वलए आिशयक ह की वशकषक री

वनरितर अधियनशील रह लोगो स सििाद सराव त कर वशकषा कषतर म होन िाल रािी

बदलाि को समझन रख तावक िह समय क सार क़दम स कदम वमला कर रािी नागररको

क वनमाथण का काम जयादा वजमपमदारी और सवियता क सार कर सक

विदयावरथयो म अिलोकन की कषमता एिि गहन वचन तन की कषमता को बढ़ान क अिसर

सवजत करना

विदयावरथयो का विवरनन विषयो एिि घिनाओ ि क मधय अन तर समप बन ि को समझन म सहयोग

करना ह तरा विषय िसत को उसकी षठरवम क सार परसतत करना

विदयावरथयो को उनक चारो ओर घि रही सामानय घिनाओ ि क ीछ विजञान छ विजञान क

परवत वचितन हत परररत करना और परररत करना विजञान की समझ हम कारणो को जानन का

अिसर दती ह

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विदयावरथयो को विया करक समझन क सबस अविक अिसर परदान करना वजसस की ि

कायथ करन एिि परयोग करन हत परररत हो सक

विजञान िथ म वनवहत जञान ि जानकारी र परशन उठान की परिवत को बढ़ािा दता ह अराथत

विदयारी सचनाओ ि को जस क तस मान लन क बजाय उस र परशन करक णथ जानकारी परापत

करन ि इसक बाद सिीकार कर

विदयावरथयो को इस बात क वलए परवशवकषत करना की जञान ही काफी नही जञान वनमाथण एिि

जञान वनमाथण की परविया री उतनी ही आिशयक ह वजतना विषय की समझ

परदशथवनयो सिगोवषटयो लोकवपरय वयाखयानो विजञान वशविरो और अनय विविि कायथिमो क

आयोजन करना

वशकषण म सवियता को अविक महति वदया जाना चावहए करक सीखन क वलए विदयावरथयो

को परररत करना अत सविय विवि क अितगथत विविि विवियो को सवमपमवलत वकया जाना

चावहए जस जस- शोिविवि (हयररवसिक) योजना (परोजकि) विवि इतयावद

सीखन की सहयोगातमक परविया जहा वशकषक अनय वशकषको क सार वमलकर तलना

करक अभयास को साझा और योजनाएि विकवसत करक सीखत ह का उ योग वकया जाना

चावहए

वशकषक का कायथ मातर ाठय- सतक या ाठयिम म वदए गए तथयो को विदयारी तक हचाना

नही ह बवलक वशकषक का दावयति ह की िो विदयावरथयो म विवरनन गणो की हचान करना ि

इनकी िवदध हत काम करना कयवक सरी बच चो म कोई न कोई विवशषट गण मौजद होता ह यवद

वशकषक सतक म वदए गए तथयो तक सीवमत रहगा तो विदयावरथयो म वछ विवरनन कौशलो की

परगवत नही हो ाएगी रनत यवद एक वशकषक सतक म वदए तथयो क ीछ क कारण ि

उ योवगता को खोजन की लालसा विदयावरथयो म विकवसत करता ह तो यह जञान क सजन ि

िवदध की ओर एक परमख ि महति णथ चरण होगा यही अनिरत परयास सामानय जानकारी स

कही आग बढ़कर सोचन की पररणा म तबदील होत ह

अभयास परशन

11 विजञान अ न आस ास क सिसार को जानन और समझन क परयास की एक शली ह

(सतयअसतय)

12 वशकषक का कायथ ाठय- सतक या ाठयिम म वदए गए तथयो को विदयारी तक हचाना नही ह

(सतयअसतय)

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 84

57 सारााश इस इकाई क परारमपर म हमन व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ को जाना व याज क

अनसार विकास की परविया म अविगमकताथ की बौवदधक सिरचना म ररितथन होता ह और यह जीि की

सिरचना और िातािरण की सिरचना क आ स म परवतविया क फलसिर होता ह िाइगोतसकी क

अनसार बचच का सिजञानातमक विकास म उसक सािसकवतक सिबनि क बीच सििाद का महतति णथ सरान

ह िाइगोतसकी री सिरचनािादी र तरा यह मानत र वक बचच जञान का वनमाथण करत ह वकनत इनक

अनसार सिजञानातमक विकास म राषा क सार-सार सामावजक-सािसकवतक सिदरथ री महति णथ रवमका

वनराता ह यह मानत ह वक राषा सिजञानातमक विकास का महतति णथ उ करण ह तरा परारमपर स ही

बचच अ न कायो क वनयोजन एिि समसया समािान म राषा परयोग करन लग जात ह व याज क

वसदधाित क वरनन िाइगोतसकी मानत ह की अविगम ि विकास सािसकवतक ि सामावजक िातािरण की

मधयसरता का परवतफल ह

ारि ररक वशकषा परणाली म विषय िसत क तथयो और परवियाओ ि क रिन र ज़ोर दत हए रवढ़िादी

तरीको का परयोग वकया जाता रा वजसम वशकषावरथयो की वशकषण-अविगम परविया म सहरावगता नही क

बराबर री रनत ितथमान विदयारी कवनित वशकषा म विदयारी को यह अिसर वमलना चावहए की िह अ न

वशकषक और ककषा क अनय विदयावरथयो स री वकसी समसया क समपबनि म विचार-विमशथ उनह ककषा की

गवतविवियो म शावमल वकया जाना चावहए उनक विचारो को चनौती द

मधयसरता अविगम वशकषक और वशकषारी क बीच सकषम सामावजक सि कथ ह जो विदयारी

क सीखन क अनरि म सिििथन करता ह इसका तात यथ ह की िातािरण म अनरि वकय हए उददी नो

को मधयसरता करन िाल वयवकत आमतौर र माता-व ता वशकषक राई या अनय वयवकत दवारा वकस

परकार स समझाया जाता हउस मधयसरता करन िाला वयवकत अ नी और वशकषारी की सिसकवत और

रािनातमक वनिश दवारा वनदवशत िातािरण का आयोजन करता ह वजस वशकषारी क उननत और पररािी

कायथ क वलए एक स षट इरादा और लकषयो क अनसार वयिवसरत हो

विजञान वशकषक का दावयति ह की िह वशकषावरथयो गहन वचन तन िजञावनक रझान सिकल ना और तथय

सियि जाच कर एिि वफर विशवास कर की कषमता का विकास कर एिि विषय एिि वयािहाररक जञान क मधय

अन तर को कम करन एिि सोच ि अनरि को जोड़न हत परयास करविजञान क विवरनन िजञावनक विषय-

वबिदओ ि म कछ अविक सििदनशील विषय-वबिद री शावमल ह सीखन-वसखान की परविया म

वनरन तरता सजन करन क मौक समसया आन र वनदानातमक कदम ि कछ उ चारातमक विविया वनवहत

ह परतयक विदयारी म कछ न कछ विशष गण अिशय होत ह आिशयकता होती ह की एक कशल वशकषक

उनको हचान और विकवसत कर वजसस की विदयावरथयो म जञानातमक रािातमक मनोगतयातमक और

वियातमक कष आवद वमलकर विदयावरथयो क समप णथ वयवकतति को उजागर कर

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5 9 अभयास परशनो क उततर 1 सतय

2 असतय

3 व याज क सिजञानातमक विकास की चार सिकल नाएि ह- अनकलन (adaptation)

आतमसातकरण (assimilation) समिजनसामिजसय (accomodation) और समतलयन

(equilibration)

4 असतय

5 मचान ढािचा वनमाथण (scaffolding) स तात यथ ह वक अविगम कताथ को ियसक या

अविक सकषम सारी दवारा परदान की गई सहायता

6 विकास का कषतर उस अितर को बताता ह जो की बचच क वबना वकसी सहायता क समप ावदत

कायथ तरा वकसी बड़ या अविक कशल सारी की सहायता स समप ावदत कायथ म होता ह

7 असतय

8 एनसीएफ (2005 ) क अनसार विदयावरथयो की सीखन की विया म उनकी रागीदारी सीखन

सिबििी सिोततम ररणाम ान हत विदयावरथयो को वनमपनवलवखत अिसर वमलना चावहए

सीखत समय विचारो का योगदान दन का

अ न विचारो और अनरिो क बार म बोलन और चचाथ करन का

विदयालय म उनहोन जो सीखा उस अ न रोजमराथ क जीिन स जोड़न का

9 मधयसरता अविगम वशकषक और वशकषारी क बीच सकषम सामावजक सि कथ ह जो विदयारी क

सीखन क अनरि म सिििथन करता ह इसका तात यथ ह की िातािरण म अनरि वकय हए

उददी नो को मधयसरता करन िाल वयवकत आमतौर र माता-व ता वशकषक राई या अनय

वयवकत दवारा वकस परकार स समझाया जाता ह

10 मधयसरता अविगम अनरि क सािथरौवमक मा दणड क नाम ह - इििशनवलिी

ारस ररकता उतकषटता और अरथ की मधयसरता

11 सतय

12 असतय

5 10 वनबनधनातमक परशन 1 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ का विशलषण कीवजए

2 व याज और िाइगोतसकी की सिजञानातमक विकास क वसदधाितो की वयाखया कीवजए

3 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अितर बताइए

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4 अविगमकताथ को अविगम म परररत करन और शावमल करन क महति का िणथन कीवजए

5 मधयसरता अविगम क सिपरतयय को अ न शबदो म बयकत कीवजए

6 विजञान वशकषक की रवमका का विशलषण कीवजए

7 मधयसरता अविगम क सिपरतयय का अ न वशकषण कायथ म अनपरयोग की चचाथ कीवजए

5 11 सादरथ गरनर सची 1 ाणडय कल लता amp शरीिासति एस एस (2007) वशकषा मनोविजञान रारतीय और ाशचातय

दवषट नयी वदलली िािा मकगरा-वहल वबलवशिग कि नी वलवमिड

2 वसिह अरण कमार (2006) वशकषा मनोविजञान िना रारती रिन वबलकशन amp

वडसरीबयशन

3 Davar M (2012)Teaching of science New Delhi PHI Private Limited

4 Kalara RM amp Gupta V (2012)Teaching of Science A Modern Approach

New Delhi PHI Private Limited

5 Kulshreshtha AK ampKulshreshtha NK (2014)Teaching of Science

Meerut R Lal Book Dipo

6 Buxton A C (2010) Teaching Science in Elementary and Middle

SchoolNewDelhi Sage Publications

7 Bybee R (2010b) The teaching of science 21st-century perspectives

Arlington VA NSTA PressUSA

8 Joshi S R (2005) Teaching of ScienceNew Delhi APH Publishing

Corporation

9 Sharma R C (2005) Modern Science teaching Delhi DhanpatRaiamp Sons

10 Siddiqui H M (2007) Teaching science New Delhi Balaji offset

11 Sternberg RJ amp Williams MW (2002)Educational Psychology Bostan

Allyn amp Bacon

12 Tripathi S (2004) Teaching of Physical Science Delhi Dominant

Publications

13 UNESCO (1966) Source Book for Science Teaching Paris UNESCO

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खणड 2

Block 2

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इकाई 1 - भारिीय सकलो म विजञान - पाठयचया

11 परस तािना

12 उददश य

13 ाठयचयाथ और ाठयिम

131 ाठयचयाथ की र रखा

132 ाठयिम

14 ाठयचयाथ वनमाथण उ ागम म आय बदलाि

141 वयिहारिादी उ ागम

142 रचनातमक उ ागम

15 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा म विजञान - ाठयचयाथ

151 विवरनन ाठयचयाथ की र रखाओि म विजञान - ाठयचयाथ का सार

152 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा 2005 की वसफाररश

1521 विजञान ाठयचयाथ क उददशय

1522 विवरनन सतरो र विजञान की ाठयचयाथ

16 ाठयचयाथ विकास म वशकषक की रवमका

17 सारािश

18 शब दािली

19 अभ यास परश नो क उत तर

110 सिदरथ गरिर सची 111 वनबििात मक परशन

11 परस तावना व छली इकाईयो म आ न विजञान विषय की परकवत क बार म ढ़ा और जाना वक िजञावनक जञान ि

िजञावनक दधवत का अरथ कया ह आ न जाना वक विजञान क वनयमो को करी री अिवतम सच क र म

सिीकार नही वकया जाता और नय अनरिो तरा परयोगो क फलसिर िजञावनक जञान की सिरचना म

बदलाि आत रहत ह यह री समझा वक विजञान एक सामावजक ररघिना ह तो वफर हमार सकलो म

विजञान विषय को कयो इसक वि रीत एक सरायी जञान क र म रोसा जाता ह जो वक एक अिवतम सतय

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की तरह माना जाय सही मायनो म तो विजञान का ठन- ाठन विजञान की परकवत क अनर ही होना

चावहय हमार दश म सकली सतर र सकली ाठयचयाथ की र रखा को राषटरीय सतर र तयार वकया जाता

ह सिथपररम 1975म आयी ाठयचयाथ की र रखा स लकर 2005 की ाठयचयाथ तक क तीस सालो क

सफ़र म काफ़ी बदलाि आय ह इस इकाई म आ ढ़ग वक रारत म अब तक की राषटरीय सतर र

ाठयचयाथ की र रखाओ ि म कया परमख सरोकार रह ह और उनम विजञान ाठयचयाथ क सिदरथ म कया-कया

परसतावित वकया गया आ जानग वक ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा क अनसार विजञान

ाठयचयाथ क मखय तति कया ह और इसम विजञान वशकषण को लकर कया वसफ़ाररश की ह

12 उददश य इस इकाई क अधययन क शचात आ -

1 ldquo ाठयचयाथrdquo क अरथ को रररावषत कर सक ग

2 ाठयचयाथ एिि ाठयिम म अितर स षट कर सक ग

3 ाठयचयाथ की र रखा क आिाररत ततिो का िणथन कर सक ग

4 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखाओ ि क वनमाथण म आय विवरनन बदलािो की वयाखया कर सक ग

5 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखाओ ि म विजञान ाठयचयाथ क सिदरथ म की गयी वसफररशो का

विशलषण कर सक ग

6 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा 2005 क अनसार विवरनन सकली सतरो र विजञान ाठयचयाथ की

विशषताओ ि का िणथन कर सक ग

7 ाठयचयाथ विकास म वशकषक की रवमका र विचार कर सक ग

13 पाठयचया और पाठयिम कछ लोग मानत ह वक ाठयचयाथ का अरथ ह एक ककषा क बाहर और रीतर हीन िाली अनक

गवतविविया वजसम विदयारी कछ न कछ अनरि परापत करत ह वकनत दसरी ओर कछ जगहो र इसको

किल ककषा म ढाय जान िाल विषयो की सची क र म ही दखा जाता ह अकसर लोग ाठयिम

और ाठयचयाथ को याथयिाची शबदो की तरह इसतमाल करत ह जबवक ाठयचयाथ एक वया क योजना

ह वजसम ाठयिम री एक महति णथ अियि क र म शावमल होता ह 1975 की ाठयचयाथ

सवमवत न ाठयचयाथ शबद का अरथ वदया रा वक ldquoसोच समझ र म शवकषक अनरिो क वनयोवजत

समचचयो का समप णथ योग ाठयचयाथ ह जो बचचो को विदयालय दवारा वदए जात हrdquo इस तरह

ाठयचयाथ का समपबनि वनमपनवलवखत ततिो स अिशय होता ह-

ककषा म वशकषा क सामानय उददशयो स

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विषय आिाररत वनदशातमक उददशय एिि विषयिसत स

अधययन क कोसथ एिि समय वनिाथरण स

वशकषण - अविगम अनरिो स

वनदशातमक सािनो तरा सामवगरयो स

अविगम आगमो क मलयािकन तरा विदयावरथयो वशकषको और अवररािको की परवत वषट स

हालािवक ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा म ाठयचयाथ को वजस परकार रररावषत वकया गया ह

िह ह -

पाठयियाा चनयोचजत गचतचवचधयो का समह हो सकती ह जो चवचिषट िचिक उददशयो को चियाचनवत करन

क चलए चिज़ाइन की गयी ह चजसम महतवपणा अवयव जस चवषयवसत क सनदभा म कया पढ़ाया जाय और

कसा जञान किलताए वयवहार चदए जाए यह सब िाचमल ह

तो यह स षट ह वक ाठयचयाथ एक परकार की योजना ह जो सकली वशकषा सिबििी वनणथय लन क वलए

सिकल नातमक र स सिरवचत की जाती ह और इस परकार इस ाठयिम या ाठय सतको तक सीवमत

नही वकया जा सकता आइय दख वक राषटरीय शवकषक अनसििान और परवशकषण ररषद क दवारा

ाठयचयाथ की र रखा को कस समझाया गया ह

131 पाियचयाय की रपरखा

ाठयचयाथ की र रखा एक ऐसी योजना ह जो वयवकत और समाज दोनो क वलए शवकषक लकषयो की

वयाखया कर वजसस यह समझ बन वक सकलो म बचचो को वकस परकार क अविगम क अनरि वदए जाएि

(राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा 2005) नीच वदखाए गए वचतर म ाठयचयाथ की र रखा क गराफीय

वनर ण स ाठयचयाथ ाठयिम ाठय सतको तरा अनय सामगरी और ककषायी दधवतयो क रस र

समपबनि को समझा जा सकता ह (सिदरथ ाठयचयाथ ाठयिम ाठय सतक - राषटरीय फोकस समह षठ

18)

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ऊ र वदए गए रखावचतर म ाठयचयाथ की र रखा क तीन सतर स षट ह-

1 ाठयचयाथ की नीि

2 ाठयचयाथ कवनिक

3 ाठयचयाथ का वििरण

जवहर ह वक इसक हल सतर र विवरनन ररपरकषयो को रखा गया ह जो वक ाठयचयाथ की नीि होत ह

इन दाशथवनक सामावजक एिि मनोिजञावनक ररपरकषयो क आिार र वशकषा क लकषय और अनय वसदधानत

वनिाथररत वकय जात ह वजनह ाठयचयाथ क कवनिक िाल सतर र वदखाया गया ह तीसर सतर र

ाठयचयाथ का वििरण आता ह वजसम ाठयिम ाठय सतक शवकषक गवतविवियाि और मलयािकन की

योजना शावमल ह

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राषटरीीय पाियचयाय की रपरखा (एन सी एफ)- 2005 क अनसार एक ाठयचयाथ की र रखा ऐसी

हो जो-

सकलो को अविक सिायततता दन की िकालत करती ह

वशकषको को मननशील कायथकताथ बनन म मदद करती ह जो अ न अनरिो स सीख सक

समझ क सीखन एिि अविगम क वलय सीखन र बल दती ह

बचचो को रोज़मराथ की वज़िदगी क अनरिो क आिार र अ नी समझ विकवसत करन म

सहायता करती ह

विदयालय एिम वशकषको दवारा विदयालयी वयिसरा को एक सवचत वनणथय लन क वलय इसतमाल

करन र ज़ोर दती ह

इनही विचारो का अनसरण करत हय रारत की ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ क मागथदशथक वसदधाित

वनमपनवलवखत ह-

जञान को सकल क बाहर क जीिन स जोड़ना

यह सवनवशचत करना वक ढ़ाई रिित परणाली स मकत हो

ाठयचयाथ का इस परकार सिििथन करना वक िह बचचो को चहमखी विकास क अिसर उ लबि

कराय ना वक ाठय सतक ndash क वित बन कर रह जाय

रीकषा को अ कषाकत अविक लचीला बनाना और ककषा की गवतविवियो स जोड़ना

एक ऐसी अविरािी हचान विकवसत करना वजसम परजातािवतरक राजय- वयिसरा क अितगथत

राषटरीय वचिताय समावहत हो

उ यथकत वसदधाितो र आिाररत एन सी एफ 2005 न रारतीय सकलो की ाठयचयाथ क वलय एक ढािचा

तयार वकया ह और दश रर क सकलो को इनही का अनसरण करना अवनिायथ ह सकलो को यह

अविकार ह वक ि इस र रखा क अनसार अ नी ाठयचयाथ तयार कर कयोवक एन सी एफ किल

वदशा वनिाथररत करता ह वजनक अनसरण करत हए सकलो को अ ना विसतत ाठयिम सियम ही

वनिाथररत करना होता ह आन िाल खिडो म आ यह री ढ़ग वक एन सी एफ 2005 म विजञान की

ाठयचयाथ क वलय कया वनदश वदय ह

132 पाियिम

राषटरीीय पाियचयाय की रपरखा- 2005 क अनसार ाठयिम यह बताता ह वक विषयिसत क वहसाब

स कया ढ़ाया जाय और सतर विवशषट उददशयो क मददनज़र वकस तरह क जञान कौशल और अवरिवततयो

को ख़ास बढ़ािा वमल विदयालयी ाठयचयाथ को ज़यादातर विवरनन विषयो म वयिवसरत वकया जाता ह

वजसका मखय आिार ारमप ररक विषयी जञान ह इनक अलािा राषटर क सामानय शवकषक उददशयो

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सामावजक एिम सािसकवतक ररवसरवतयो तरा राषटरीय सतर र उररती चनौवतयो तरा ज़ररतो को री

धयान म रखा जाता ह

हमार दश म सकली वशकषा क विवरनन सतरो र ढाय जान िाल विषयो क वलए आदशथ ाठयिम राषटरीय

शवकषक अनसििान और परवशकषण ररषद (एन सी ई आर िी) क दवारा तयार वकया जाता ह इसक

अलािा राजय री अ न सतर र राषटरीय ाठयचयाथ क आिार र ाठयिम तयार करत ह या वफर यवद

चाह तो एन सी ई आर िी क ाठयिम को ही लाग कर सकत ह सन 2005 म एन सी ई आर िी

दवारा तयार वकय गय सकली ाठयिम क आिार वनमपनवलवखत ह-

उददशयो स सहमवत एिि लकषयो का वनदशन

अविगम की राषटरीय अ कषाओ ि स सहमवत

विषय की परकवत को समझन म जञान मीमािसीय परारवमकता

परतययातमक समपबदधता ndash परारवमकता िम

जािच ड़ताल की कायथपरणाली एिि परामावणकता की परवियाएि- विषय कषतर का ाठन एिि सिगठन

जीिन स समपबनिो और विषयो क बीच अितसथमपबिि

मनोिजञावनक उ यकतता

आग क अविगम म उ योगी ndash वया क सिबिि

सरानीय जीिन एिि बाकी सनसार स जड़ाि

कल ना क विकास म समपरि योगदान

इन उ यथकत शतो क आिार र तयार ाठयिम ितथमान सकली ाठयचयाथ क विवरनन आयामो को सितषट

करती ह राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा क अनसार विषयिसत क चयन की कसौविया राषटरीय सतर र

रररावषत होनी चावहय सिरचना राजय वजला सतर र और वयवकतगत िसत का चयन वजला विदयालय

ककषा क सतर र होना चावहय

अभयास परशन

1 एक ाठयचयाथ की र रखा क क विक कया-कया होत ह

2 ाठयिम और ाठयचयाथ म कया मखय अनतर होता ह

14 पाठयचया वनमाण उपागम म आए बदिाव जसा वक हमन हल री कहा रा वक हमार दश म राषटरीय सतर र ाठयचयाथ का विकास करन का कायथ

राषटरीीय ितकषक अनसिान और परतिकषण पररषद ( एन सी ई आर िी ) दवारा वकया जाता ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 94

सिथपररम सन 1975 म राषटरीय ाठयचयाथ परसतावित की गयी री जो वक 1968 की वशकषा नीवत की

वसफाररशो र आिाररत री रारत की वशकषा नीवत म बदलाि आए तो उसक शचात आयी ाठयचयाथओ ि

क मखय सरोकारो म री कछ ना कछ बदलाि आत रह रारत म अरी तक वजतनी राषटरीय ाठयचयाथ

की र रखाओ ि (एन सी एफ) का वनमाथण हआ ह उनक मखय सरोकार वनमपनवलवखत तावलका म वदय

गय ह-

एनसीएफ आिार मखय सरोकार

एन सी एफ ndash

1975

1968 की वशकषा

नीवत र आिाररत

राषटरीय विकास की आिशयकताओ ि क अनर

वशकषा र बल वशकषा को राषटर क जीिन

आिशयकताओ ि और आकािकषाओ ि स समपबदध

करना

एन सी एफ ndash

1988

1986 की वशकषा

नीवत र आिाररत

सकली ाठयचयाथ क मल म एक सिथमानय तति

(कॉमन कोर) की वसफाररश वशकषा को राषटरीय

एकता का माधयम बनाना परासिवगकता

लचील न और गणितता क ततिो र ज़ोर

एन सी एफ ndash

2000

एन सी एफ ndash 1988

का सिशोवित र

गणितता णथ वशकषा र बल ाठयिम क बोझ

को कम करना नयनतम अविगम सतरो (एम

एल एल) को दकषताओ ि क र म रररावषत

करना मलय वशकषा सचना एिि सिचार परोदयोवगकी

क इसतमाल की वसफाररश

एन सी एफ ndash

2005

एन सी एफ ndash2000

का सिशोवित र

बाल क वित वशकषा र बल जञान को सकल क

बाहर क जीिन स जोड़ना समािशी माहौल

सवनवशचत करना वििचनातमक वशकषा र बल

जञान सजन क वलय अधया न रीकषा को

लचीला बनाना

तावलका स यह तो स षट ह वक ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ 1988 की राषटरीय वशकषा नीवत तरा 199२ क

परोगराम ऑफ एकशन र आिाररत एनसीएफ का ही सिशोवित र ह एनसीएफ 1988 स 2005 तक

क सफर म सबस ज़यादा बदलाि आया ह ाठयचयाथ विकास क उ ागम म 2005 स हल की सकली

ाठयचयाथ अविगम क वयिहारिादी दवषटकोण र आिाररत री जबवक एनसी एफ 2005 न अविगम

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 95

क रचनातमक दवषटकोण को ाठयचयाथ का आिार बनाया ह और बाल-क वित वशकषा र बल वदया ह

आइय दखत ह वक वयिहारिादी तरा रचनातमक उ ागम आिाररत ाठयचयाथ म कया अनतर ह

141 वयिहारिादी उपागम

वयिहारिादी दवषटकोण क अनसार lsquoअविगमrsquo को वयिहार म ररितथन होना समझा जाता ह आ न

वयिहारिादी मनोिजञावनको क बार म तो अिशय ढ़ा होगा जस वसकनर ािलि आवद उनक दवारा

परवत ावदत अविगम का वयिहारिादी उ ागम कछ मखय सिकल नाओ ि र आिाररत ह जस वक-

अविगम सदि अविगमकताथ क वयिहार म ररितथन लाता ह जो उसक वकय गय कायो म

ररलवकषत होता ह

लगातार अभयास स असली योगयता को हावसल वकया जा सकता ह कयोवक अभयास क दवारा

उददी न ि अनविया क बीच का समपबिि और सदढ़ होता जाता ह

इसक तहत एक विशष परकार क उददी क स सितः ही एक विवशषट अनविया उत नन होती ह

वजस अनबिवित अनविया कहा जाता ह

उवचत परवत वषटपरबलन क दवारा अविगम को पररावित वकया जा सकता ह और अनबिवित

अनविया को सवनवशचत वकया जा सकता ह जबवक परबलन क अराि म अनविया समय क

सार विलो री हो सकती ह

जविल स जविल कायथ को छोि छोि सरल चरणो म तोड़ा जा सकता ह तरा एक चरण स दसर

चरण तक अभयास क दवारा हच कर उस जविल कायथ म दकषता ायी जा सकती ह अतः

अविगमकताथ क दवारा वकसी जविल कायथ क दौरान गरहण की गयी कशलता उस कायथ क अितगथत

विवरनन चरणो म हावसल वकय गय अ वकषत अविगम ररणामो का कल योग होती ह

अविगम क वयिहारिादी वसदधाितो क अनर वशकषण म विदयावरथयो को यह बताया जाता ह वक उनको

कया सीखना ह और उसक वलय उ यकत अभयास दशाए परदान की जाती ह जञान को एक बन-बनाए

वलिद क र म दखा जाता ह वजस विदयावरथयो को अविगम क दवारा गरहण करना होता ह और इसक

फलसिर उनक वयिहार म कछ ररितथनो का आना अ वकषत होता ह वयहिारिादी ाठयचयाथ का

वनमाथण करन िाल और उसक वियानियन करन िाल वशकषको क दवारा शवकषक उददशय री वयिहाररक

ररितथनो क र म वनिाथररत वकय जात ह विदयावरथयो दवारा सचनाओ ि क सिकलन तरा अजथन उनक

अरथ सीखन एिि सही अनविया को सीखन म सविय रागीदारी सवनवशचत की जाती ह ककषा म विदयावरथयो

को खब अभयास कराया जाता ह तावक ि ठन सामगरी को दकषता स गरहण कर सक

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 96

रारत म री िथ राषटरीय ाठयचयाथ एन सी एफ 2005 एक lsquoयोगयता-आिाररत ाठयचयाथrsquo

(competency-based curriculum) ही री जो इसी वयहिारिादी उ ागम र आिाररत री इसी क

चलत एन सी एफ 2005 म नयनतम अविगम सतरो (Minimum Levels of Learning) की बात की

गयी री वजसक तहत सरी विषयो क ाठयिम को विदयावरथयो दवारा हावसल वकय जान िाल कछ नयनतम

अविगम सतरो क र म रररावषत वकया वकया गया रा अविक जानकारी क वलय आ एमएलएल

(MLL) दसतािज ढ़ सकत ह

एक वयिहारिादी ाठयचयाथ म विदयावरथयो क वयवकतगत अनरिो सिजञानातमक परिवततयो एिि उनक सिदरथ

स कोई सरोकार नही होता ना तो वशकषको को ाठयचयाथ र परशन करनका हक़ होता ह और ना ही

विदयारी ककषा म कोई सिाल कर सकता ह सरी को ाठयिम और ाठय सतको क अिीन होना डता

ह और विदयावरथयो स वसफ़थ यही अ कषा की जाती ह वक ि अ न ाठो को मक होकर रित रह यहा

विदयारी तो वबलकल वनषटिीय होता ह और उसका अ ना कोई िजद नही होता ारमप ररक ककषाओ ि म य

नज़ारा आ न अकसर दखा होगा इस वसरवत की काफी अिहलना होन क फलसिर आज हमारी

राषटरीय ाठयचयाथ वयिहारिादी उ ागम स रचनातमक उ ागम की ओर बढ़ी ह

142 रचनातमक उपागम

अविगम का रचनातमक उ ागम बाल- क वित ह जो वक अविगमकताथ क समप णथ विकास र बल दता ह

यह काफी हद तक सिजञानातमक मनोिजञावनको क दवारा परवत ावदत अविगम वसदधाितो र आिाररत ह

वजनम व याज और िायगोतसकी परमख ह रचनातमक उ ागम आिाररत ाठयचयाथ कछ परमख

अििारणाओ ि र आवशरत ह जस वक-

अविगम िसततः अविगमकताथ क वयवकतगत अनरिो दवारा की गयी सिसार क बार म वयवकतगत

वयाखया ह

अविगम अरथ- वनमाथण की एक सिीय परविया ह जो वक अनरिो र आिाररत होती ह

जञान एक सनयकत सािसकवतक वनवमथवत ह जो वयसको एिि बचचो की अनतःविया क फलसिर

अदभत होता ह

अविगमकताथ अ न िथ अनरिो तरा नय जञान क आिार र लगातार अ न सिजञानातमक ढाच

को वनवमथत एिि नवयथिवसरत करता रहता ह इसी परकार उसक सिजञानातमक सिरिचना म िवदध होती

समपपरतय वनमाथण मतथ स अमतथ की तरफ अगरसर होता ह

अविगमकताथओ ि क अविगम क तरीक ि जररत वरनन-वरनन होत ह इसवलय वशकषण विविया

उनक अनर होन चावहय

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अतः रचनातमक ाठयचयाथ म यह विशवास वकया जाता ह वक अविगमकताथ दवारा जञान का वनमाथण या खोज

सिीय र स वकया जाता ह ना वक वनषटिीय र स जञान को गरहण या सिचय करना होता ह विदयारी

ाठय सतको स नही अव त अ न परतयकष अनरिो स और विवरनन शवकषक गवतविवियो म सविय

रागीदारी स सीखत ह यहा सकलो की ाठयचयाथ को विदयावरथयो क अनर होन की वसफाररश की जाती

ह वशकषको स री यही अ कषा की जाती ह वक ि बचचो को ाठ रििान क बजाय उनक वलय उततजक ि

परासिवगक अविगम िातािरण तयार कर अतः बाल-क वित ाठयचयाथ म अविगम को रचनातमक

दवषटकोण स दखा जाता ह जहा विदयारी को जञान वनमाथण क वकय सकषम समझा जाता ह और यह अ कषा

की जाती ह ि अ न याथिरण स अितःविया करक खद उसका अरथ समझग तरा अ न जञान की रचना

सियि ही करग

अभयास परशन

3 अविगम क वयिहारिादी एिि रचनातमक उ ागम र आिाररत ाठयचयाथओ ि म कोई ३ मखय

अितर स षट कीवजए

15 राषरीय पाठयचया की रपरखा म ववजञान पाठयचया ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा (एन सी एफ ndash 2005) म विजञान ाठयचयाथ का सिर विजञान

वशकषा क कषतर म कई सालो स हो रह शोि क ररणामो र आिाररत ह इनम कछ सिवचछक सिगिठनो की

परयासो क अनरि री शावमल ह अब तक की राषटरीय ाठयचयाथ की र रखाओ ि की तलना कर तो यह

बात स षट हो जायगी वक रारत म शरआत स विजञान ाठयचयाथ क सरोकार एक स नही र आइय दखत

ह वक 1975 स 2005 तक क सफर म विजञान ाठयचयाथ न कया-कया सिर बदला ह

151 तितभनन पाियचयाय की रपरखाओ म तिजञान पाियचयाय का सार

यह तो आ जानत ही ह वक गत िषो म परसतावित राषटरीय ाठयचयाथओ ि म वयहिारिादी दवषटकोण स

रचनातमक दवषटकोण की तरफ बदलाि आय ह इसी क चलत इतन समय म विजञान की ाठयचयाथ न

विषय-िसत क सतर र री काफी र बदल ह इसका सार नीच दी गयी तावलका म वदया गया ह-

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एनसीएफ परारतमक सिर

(ककषा 1 स ककषा 5

िक)

उचच परारतमक

सिर

(ककषा 6 स ककषा

8 िक)

माधयतमक सिर

(ककषा 9 िरा

ककषा 10)

उचच माधयतमक

सिर

(ककषा 11 िरा

ककषा 12 )

एन सी एफ ndash

1975

विजञान और

सामावजक विजञान को

एक ही विषय

lsquoपयाावरण अधययनrsquo

क तहत ढ़ाया जाय

विजञान को

समवकत दवषटकोण

म अ नाया जाए

विजञान को सिगवठत

र म ही ढ़ाया

जाय न वक तीन

रागो (जीि

रौवतक ि रसायन)

म विरावजत वकया

जाय

विजञान क सिकाय

जवनत रख अ नान

र जोर वदया गया

एन सी एफ ndash

1988

विजञान को पयाावरण

अधययन क तहत ही

ढ़ाया जाय वजसकी

दो ईकाइया हो-

विजञान और

सामावजक विजञान

विजञान को

समवकत एकीकत

र म ढ़ाया जाए

विजञान को सिगवठत

र म ढ़ाया जाय

विजञान क सिकाय

जवनत र म ढ़ाया

जाय

एन सी एफ ndash

2000

पयाावरण अधययन को

एक ही समाकवलत

विषय क र म

ढ़ाया जाय (विजञान

और सामावजक

विजञान म ना बािा

जाय)

विजञान क समवकत

र को lsquoचवजञान

और परौदयोचगकीrsquo

क र म

ढ़ाया जाए

lsquoचवजञान और

परौदयोचगकीrsquo क र

ढ़ाया जाय

विजञान क सिकाय

जवनत र म ढ़ाया

जाय (रौवतकी

रसायन ि जीि

विजञान क र म)

एन सी एफ ndash

2005

विजञान और

सामावजक विजञान को

पयाावरण अधययन क

र म ही ढ़ाया जाय

वजसम सिासथय री

एक महतति णथ अिग हो

विजञान एक सियकत

विषय क र म

ढ़ाया जाए

विजञान एक सियकत

विषय क र म

ढ़ाया जाय वजसम

परारवमक सतर स

अविक उननत

तकनीकी वशकषा

शावमल हो

विजञान क सिकाय

जवनत र म ढ़ाया

जाय

इस तावलका स जावहर ह वक जहा 1975 की ाठयचयाथ म परारवमक सतर र विजञान एिि सामावजक

विजञान को सिथपररम पयाावरण अधययन की एकाईयो क र म ढ़ान को कहा गया िही 2005 म

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याथिरण अधययन को एक समाकवलत विषय का र द वदया गया इसी तरह उचच परारवमक सतर र

हल विजञान को एकीकत र म ढ़ान का परसताि रखा गया और बाद म 2005 की ाठयचयाथ म विजञान

तरा परौदयोवगकी को एक सार रखकर ढ़ाय जान की बात हई माधयवमक सतर र री विजञान की

ाठयचयाथ म ऐस ही बदलाि सामन आय हालािवक उचच माधयवमक सतर र विजञान को सिकाय-जवनत

र म जारी रखा गया आइय विसतार स जानत ह वक ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ म विजञान ाठयचयाथ को

वकस र म दखा गया ह

152 राषटरीीय पाियचयाय की रपरखा 2005 की तसफाररि

हम जानत ह वक एनसीएफ 2005 बाल क वित और अनरि आिाररत उ ागम क कष म ह

एनसीएफ 2005 म विजञान वशकषा को बहतर बनान क वलय उन सरी मददो को मददनज़र रखा गया जो

विजञान को सीखन-वसखान की परविया म मौजद होत ह खासकर तीन मखय समसयाओ ि की ओर धयान

वदया गया-

i सकलो म ढ़ाई जान िाली विषय-िसत का बहत अविक होना

ii विषय-िसत और बचच की समझ क सतर क बीच काफी फासला

iii ककषा म ढ़ाए जान क तरीको म खावमया

ारमप ररक विजञान वशकषण म अविकतर रिन र ही जोर वदया जाता ह और अिलोकन विशलषण ि

परवियाजवनत कशलता की तरफ कोई खास धयान नही वदया जाता जयादातर धयान विदयारी को रीकषा म

अचछ अिक लान क वलय तयार करन र ही वदया जाता ह एनसीएफ 2005 म न वक वसफथ विजञान

ाठयचयाथ म विषय-िसत क बोझ को कम वकया गया अव त विजञान सीखन-वसखान क तरीको म री

ररितथन र जोर वदया गया ह इसम विजञान की ककषाओ ि म उ योग होन िाल मलयािकन क तरीको म री

सिार र धयान वदया गया ह

एनसीएफ 2005 कहता ह वक एक अचछी विजञान वशकषा विदयारी क परवत जीिन क परवत एिम

विजञान क परवत ईमानदार होती ह इसी दवषटकोण स विजञान की ाठयचयाथ को ििता परदान करन िाल

कछ मलरत मा दिड री वदय ह यह मा दिड इस परकार ह-

(अ) सजञानातमक िििा ndash यह माग करती ह वक ाठयचयाथ की विषयिसत परविया राषा और

वशकषण- कायथकला उमर दज़ क उ यकत हो और बचच की समझ स बाहर की चीज़ न हो

(ख) तिषय-िसि िििा ndash यह माग करती ह वक ाठयचयाथ उ यकत ि िजञावनक सतर र सही

विषय-िसत को परसतत कर यहा यह धयान रखन की ज़ररत ह वक विषय-िसत को सहज और

सरल बनान की परविया म िह कही अरथहीन ि विरव त हो कर न रह जाय

(ग) परतिया िििा- यह माग करती ह वक ाठयचयाथ विदयारी को िजञावनक जञान परापत करन क

तरीको और उन तक हचन की परविया को वसखाय और बचच की सहजात वजजञासा और

रचनातमकता को ोवषत कर

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 100

(घ) ऐतिहातसक िििा- यह माग करती ह वक विजञान- ाठयचयाथ म ऐवतहावसक बोि को जगह दी

जाय तावक विदयारी समझ सक वक विजञान की िारणाए समय क सार कस विकवसत हई ि सार

ही सार यह विदयारी को यह समझन म री मदद करगी वक विजञानएक सामावजक उदयम ह तरा

वकस परकार विजञान का विकास सामावजक कारको स पररावित होता ह

(ड़) पयायिरणीय िििा-यह माग करती ह वक विजञान को विदयारी क वया क ररिश (सरानीय

और िवशवक) क सिदरथ म रखकर वसखाया जाए तावक विदयारी विजञान परौदयोवगकी और समाज

क बीच क जविल सिबििो को समझ सक और रोज़गार की दवनया म विकन क वलय आिशयक

जञान तरा कौशल परापत कर सकन म सकषम हो सक

(च) नतिक िििा ndash यह माग करती ह वक ाठयचयाथ ईमानदारी िसतवनषठता सहयोग आवद मलयो

का समपिदधथन कर तरा रय िाथगरह एिि अििविशवास स मकत मानस तयार करन म सहायक हो

सार ही यह विदयारी म जीिन ि याथिरण क सिरकषण क परवत चतना दा कर

1521 तिजञान पाियचयाय क उददशय

एन सी एफ ndash 2005 क अनसार विजञान वशकषा क उददशय उ वलथवखत छह ििताओ ि क मा दिडो स जड़

हए ह यह माग करता ह वक विजञान वशकषा विदयारी को इस लायक बना द तावक िह-

अ न सिजञानातमक सतर क अनर विजञान क तथयो ि िारणाओ ि को समझन और इस परयकत

करन क कावबल हो जाए

उन तरीको और परवियाओ ि को समझ सक वजनस िजञावनक जञान का सजन वकया जा सक तरा

इसका ििीकरण री वकया जा सक

विजञान क एवतहावसक एिि विकास सिबििी ररपरकषयो को समझ सक और इस एक सामावजक

उदयम क र म दख सक

खद को सरानीय तरा िवशवक ररिश स जोड़ सक और विजञान परौदयोवगकी और समाज क बीच

अितःविया को एिि उनस समपबिवित मददो को समझ सक

रोज़गार की दवनया म र विकान क वलय आिशयक सदधािवतक और वयिहाररक कशलता

हावसल कर सक

अ नी सिाराविक वजजञासा सौनदयथबोि और रचनातमकता स विजञान ि परौदयोवगकी को

रररावषत कर सक

ईमानदारी सतयवनषठा सहयोग जीिन क परवत सरोकार तरा याथिरण सरकषा जस मलयो का

महति समझ सक

lsquoिजञावनक सिरािrsquo विकवसत करना सीख जाए वजसम शावमल हो- िसतवनषठता

आलोचनातमक सोच और रय एिि अििविशवास स मवकत

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 101

1522 तितभनन सिरो पर तिजञान की पाियचयाय

हमार दश म विजञान को दसिी ककषा तक एक अवनिायथ विषय क र म ढ़ाया जाता ह जयादातर

विदयारी दसिी ककषा क बाद विजञान या तकनीकी कषतरो म रोजगार नही करत इसवलय माधयवमक सतर

तक विजञान वशकषा का लकषय मखयतः विदयावरथयो को िजञावनक र स साकषर करना याथिरण ि सिासथय

समपबििी समसयाओ ि एिि विजञान-तकनीकी और समाज क अितसथमपबििो क परवत जागरक करना ह

एनसीएफ 2005 म विवरनन सकली सतरो र विजञान ाठयचयाथ क वलय विसतत सझाि वदए गए ह

वनमपनवलवखत तावलका म इन सझािो को सिवकषपत र म परसतत वकया गया ह-

सकली सिर तिषय का सिरप ि

तिषय-िसि

पाियचयाय सबिी सझाि

परारतमक सिर

(ककषा 1 स ककषा 5

तक)

याथिरण अधययन

(विजञान एिि सामावजक

विजञान का एकीकत र

वजसम सिासथय वशकषा

एक महतति णथ अियि )

बचच म ररिश क परवत वजजञासा उत नन करना

मलरत सिजञानातमक और मनःपररक कशलताय विकवसत करना

बचच क वलय महति णथ अरथ णथ और उसकी अवररवच की

विषय िसत हो

वशकषण मखयत गवतविवि रक- खोजी एिि हार स करन िाल

कायथकला करन को परररत करना

बचचो को अनिषण करन िनथ दखन वडज़ाइन ि वनमाथण

करन तलनाय करन और समपबििो क जाल को समझन क

अिसर दना

सफाई ईमानदारी सहयोग जीिन और ररिश क परवत गमपरीर

रख जस मलय विकवसत करना तरा याथिरण स जड़ मलयो क

परवत दावयतिबोि उत नन करना

ककषा 1 ि २ क वलय कोई ाठय सतक नही दन का परसताि

वकसी री परकार की औ चाररक सािवि जाच- रीकषा नही हो

सतत मलयािकन का परसताि

उचच परारतमक सिर

(ककषा 6 स ककषा 8

तक)

विजञान

(एक सिकाय क र म

विजञान और परौदयोवगकी

का मल)

िजञावनक अििारणाओ ि को मखयतः गवतविवियो ि परयोगो दवारा

समझाना परविया कौशलो र ज़ोर

बचचो का ररवचत अनरिो दवारा विजञान क वसदधाित सीखना

हारो स सरल तकनीकी इकाइया या मॉडल बनाना और

याथिरण ि सिासथय क बार म जानकारी हावसल करना

सामवहक वियाकला दोसतो ि अधया को क सार विमशथ

सिकषण आिकड़ो का वनयोजन और सकल तरा आस- ड़ोस क

कषतर म परदशथन आवद वशकषण परणाली क महति णथ अिग

सतत ि सािवि मलयािकन जो णथत आितररक हो वजसम परतयकष

गरडस की वयिसरा अ नाई जाय

माधयतमक सिर विजञान ाठयचयाथ म वसदधाित अििारणाएि तरा वनयम सीखन र बाल

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 102

(ककषा 9 तरा ककषा

10)

(एक सिकाय क र म

अविक मज़बत

ाठयचयाथ िजञावनक

वसदधाित अििारणाए एिि

वनयम शावमल)

हो रनत ाठयचयाथ क बोझ को कम वकया जाय

सदधािवनतक अििारणाओ ि को जािचन क वलय परयोग ाठयचयाथ

का अहम वहससा हो

सह- ाठयचयाथतमक कायथकला ो म रागीदारी को अवनिायथता

वजसम सरानीय सतर क मददो र ररयोजना कायथ शावमल हो

सदधािवतक वलवखत रीकषा म बोडथ रीकषा क सार सार कछ परशन

परयोग तकनीकी मॉडयल र आिाररत हो

उचच माधयतमक

सिर

(ककषा 11 तरा ककषा

12 )

जीि विजञान रौवतकी

और रसायन विजञान

(सिकाय रक ाठयचयाथ

वजसम उ यकत िजन ि

गहरायी हो )

दो विषयो अकादवमक और िोकशनल म विजञान को ढ़ाय

जान क मामल र नविथचार वकया जाय तावक विदयारी को

अ नी रवच क अनसार विषय चनन की सितितरता हो

परयोग तकनीकी ि खोज रक ररयोजनाओ ि र ज़यादा जोर दना

चावहय

विवरनन ाठय सहगामी गवतविविया ठन- ाठन का वहससा हो

जस- सरानीय मददो का विजञान ि परौदयोवगकी क माधयम स

समािान करना राषटरीय विजञान मलो म रागीदारी विजञान

तकनीकी और समाज स अितसथमपबिवित मददो र िाद-वििाद म

राग लना

आईसीिी का विजञान वशकषण म बड़ मान र उ योग हो

परयोग और परौदयोवगकी मौडयलस का लगातार आितररक

मलयािकन तरा वसदधाित आिाररत बोडथ रीकषा म री कछ परशन

परयोग तकनीकी आिाररत हो

अभयास परशन

4 एनसीएफ 2005 क अनसार विजञान ाठयचयाथ क ििता क मखय मा दिड कौन स ह

5 एनसीएफ 2005 क अनसार परसतावित विजञान ाठयचयाथ म परारवमक सतर तरा माधयवमक

सतर की विजञान विषयिसत म कया वरननता ह

16 पाठयचया ववकास म वशकषक की रवमका रारत म ाठयचयाथ का वनमाथण राषटरीय एिि राजय दोनो सतरो र होता ह अममन इस परविया म विदवानो

विषयिसत म दकष वयवकतयो तरा नामी वगरामी वशकषाविदो को ही शावमल वकया जाता ह इस ाठयचयाथ

को वफर सकलो र लाग कर वदया जाता ह वशकषको का कायथ किल सकलो म इस ाठयचयाथ क

वियानिन तक ही सीवमत रहता ह उनको ाठयचयाथ तरा विदयावरथयो क बीच एक ल की तरह कायथ

करना होता ह वशकषक अविकतर वनयत समय र वदय गय ाठयिम को रा करन तरा ाठय सतको को

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 103

रििान म लग रहत ह वशकषक परवकषकषण परविया म री ज़यादातर महति विवरनन वशकषण विवियो क

अभयास र वदया जाता ह ि ाठयचयाथ एिि वशकषण- अविगम क बीच का समपबिि ही नही समझ ात

इसक वलय यह आिशयक ह वक परवकषकषण क दौरान उनह ाठयचयाथ क विवरनन आयामो र तावकथ क

विचार विमशथ करन तरा उस विशलषटण करन क रर र अिसर वदय जाय

हालािवक आजकल यह वसरवत कछ बहतर हई ह परतयक सतर र यह समझा जा रहा ह वक

सकली वशकषको को ाठयचयाथ वनमाथण परविया म शावमल होन स बहतर वसरवत की अ कषा की जा सकती

ह ाठयचयाथ विकास समीवतयो म सकल वशकषको की सिीय रागीदारी होन स उनक ककषा समपबििी

परतयकष अनरिो को री धयान म रखा जान तरा ाठयचयाथ म की जान िाली वसफाररशो को ककषा की

िासतविकताओ ि क सिदरथ म परसतत वकय जान की समपरािना बढ़ी ह वशकषको क ककषा सिबििी अनरिो

और वचितन स ाठयचयाथ ाठयिम एिि ाठय सतको को सिारन म काफी मदद वमलती ह ाठयचयाथ

वनमाथण म वशकषको क सिलगन होन स परसतावित ाठयिम की बचचो क वलय उ यकतता एिि परासिवगकता

सवनवशचत करन म री आसानी होती ह एनसीएफ 2005 म इस मदद र काफी विचार वकया गया ह तरा

ाठयचयाथ वनमाथण म वशकषको की रागीदारी की रिी की ह ाठयचयाथ क विक िीकरण स यह और री

आसान हो जाता ह

17 सारााश इस इकाई म आ न ढ़ा वक ाठयचयाथ तरा ाठयिम एक दसर स कस वरनन होत ह आ न जाना वक

ाठयचयाथ की र रखा को सवनवशचत करन वक वलय मखय तीन सदधािवतक आिार कया होत ह हमन यह

री दखा वक वकस परकार राषटरीय सतर र परसतावित ाठयचयाथ म उ ागम एिि विषय आिाररत बदलािो

क सार सार विजञान- ाठयचयाथ म री परतयकष बदलाि आय ह इसक सार ही आ न एनसीएफ 2005

म विवरनन सकली सतरो र विजञान विषय क वलय विषय-िसत वशकषण विवियो तरा मलयािकन समपबनिी

वसफाररशो को री जाना अित म हमन यह री चचाथ की वक वशकषको क वलय ाठयचयाथ वनमाथण म शावमल

होन क कया लार ह

18 शब दाविी 1 अनबतिि अनतिया- पराचीन अनबििन म एक अनबिवित उददी क क परवत सीखी गयी

अनविया

2 सजञान- जानन क सार जड़ी सरी मानवसक परवियाए जस- परतयकषण करना वचितन करना और

याद करना इतयावद

3 परबलन- एक अनविया का अनसरण करती घिना जो अनविया क घवित होन की परिवतत को

शवकत दती ह

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4 िििा- वकसी मा क दवारा की गयी ररशदधता का दयोतक जो यहा बताता ह वक मा न

िासतविकता क वनकि ह

19 अभ यास परश नो क उत तर 1 एक ाठयचयाथ की र रखा क परमख क विक वनमपनवलवखत होत ह-

i वशकषा क लकषय

ii सतर विवशषट उददशय

iii विषयिसत क चयन एिि वयिसरा न क वसदधाित

iv अचछ तरीको क आिार

v अचछी सामगरी क आिार

vi मलयािकन का वसदधाित

2 ाठयचयाथ एक वया क योजना ह जो चवचिषट िचिक उददशयो को चियाचनवत करन क चलए

चिज़ाइन की जाती ह वजसम ाठयिम री एक महति णथ अियि क र म शावमल होता ह

जबवक ाठयिम वसफ़थ यह बताता ह वक विषयिसत क वहसाब स कया ढ़ाया जाय और सतर

विवशषट उददशयो क मददनज़र वकस तरह क जञान कौशल और अवरिवततयो को ख़ास बढ़ािा वमल

3 एनसीएफ 2005 क अनसार विजञान ाठयचयाथ क ििता क मखय मा दिड ह- सिजञानातमक

ििता विषय-िसत ििता परविया ििता ऐवतहावसक ििता याथिरणीय ििता तरा

नवतक ििता

वयिहारिादी उपागम आिाररि

पाियचयाय

रचनातमक उपागम आिाररि

पाियचयाय

ाठयचयाथ का

सिर

विषय- आिाररत बाल-क वित

जञान म िवदध विदयारी दवारा वनषटिीय र स जञान को गरहण

या सिचय करना

विदयारी दवारा जञान का वनमाथण या खोज

सिीय र स करना

अविगम का सिर विदयारी सचनाओ ि क सिकलन तरा अजथन

उनक अरथ सीखन एिि सही अनविया को

सीखन क अभयास स सीखता ह

विदयारी अ न परतयकष अनरिो स और

विवरनन शवकषक गवतविवियो म सविय

रागीदारी स सीखत ह

विदयारी क सिदरथ स

सरोकार

विदयावरथयो क वयवकतगत अनरिो

सिजञानातमक परिवततयो एिि उनक सिदरथ स कोई

सरोकार नही होता

विदयावरथयो क वयवकतगत अनरिो

सिजञानातमक परिवततयो एिि उनक सिदरथ क

अनसार शवकषक अनरिो का आयोजन

वकया जाता ह

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4 एनसीएफ 2005 क अनसार परारवमक सतर र विजञान को lsquo याथिरण अधययनrsquo क र म

ढ़ान की बात की गई ह वजसकी विषयिसत विजञान एिि सामावजक विजञान का एकीकत र

ह तरा सिासथय वशकषा री उसका एक महतति णथ अियि ह िही माधयवमक सतर र विजञान

को एक सिकाय क र म दखा गया ह वजसकी अविक मज़बत ाठयचयाथ होनी चावहय और

उसम िजञावनक वसदधाित अििारणाए एिि वनयम शावमल हो

110 सादरथ गरार सची 1 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा (2005) राषटरीय शवकषक अनसििान और परवशकषण ररषद नई

वदलली

2 ाठयचयाथ ाठयिम और ाठय सतक - राषटरीय फोकस समह का आिार तर (२००8) राषटरीय

शवकषक अनसििान और परवशकषण ररषद नई वदलली

3 विजञान वशकषण- राषटरीय फोकस समह का आिार तर (२००8) राषटरीय शवकषक अनसििान और

परवशकषण ररषद नई वदलली

4 मनोविजञान- ककषा 11 क वलय ाठय सतक (२००6) राषटरीय शवकषक अनसििान और परवशकषण

ररषद नई वदलली

5 दसिषीय सकल क वलए ाठयिम-एक र रखा (19७6) राषटरीय शवकषक अनसििान और

परवशकषण ररषद नई वदलली

6 विदयालयी वशकषा क वलए राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा (2005) राषटरीय शवकषक अनसििान

और परवशकषण ररषद नई वदलली

111 वनबाधात मक परशन 1 अ न राजय क सकलो म लाग ाठयचयाथ की र रखा की विसतत समीकषा कीवजए तरा उसक

अितगथत विवरनन सकली सतरो र विजञान ाठयचयाथ क परमख सरोकारो की चचाथ कीवजए

2 एनसीएफ2005 स हल ककषा 8 क वलय एनसीईआरिी दवारा वनवमथत विजञान की

ाठय सतक की तलना ितथमान ाठय सतक वनमपनवलवखत आिारो र कीवजए -

विषयिसत का सिर

गवतविविया एिि अभयास

3 एनसीएफ 2005 म चवचथत ििता क मा दिडो क परकाश म वकसी माधयवमक सतर की विजञान

ाठयचयाथ की आलोचना कीवजए

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इकाई 2- पाठयचया वशकषण रणनीवियो और भौविक विजञान क वनििथमान रझान

21 परसतािना

22 उददशय

23 एनसीईआरिी ाठयिम क वनितथमान रझान

24 ाठय सतक स वशकषण-अविगम सामगरी की तरफ गमन

25 वशकषक ाठयिम विकासकताथ क र

26 एनसी इआर िी ि उततराखिड क विजञान ाठयिम की समीकषा

27 विजञान ाठयिम म हए महति णथ ररितथन

28 सारािश

29 सनदरथ गरिर सची

210 वनबििातमक परशन

21 परसतावना विजञान ाठयिम समय क सार बदल गया ह और विजञान वशकषक का काम अब अविक चनौती णथ हो

गया ह व छल दशको म विजञान सीखना कछ सिभाित उचच परापतकताथओ ि तक सीवमत रा ककषा IX स

XII म विजञान रौवतकी रसायन विजञान और जीि विजञान क विषयो क र म ढ़ाया जाता ह हल

वकताब वनजी परकाशको दवारा परकावशत एिि एक लखक दवारा वलखी जाती री ाठय सतको म ाठयिम

की सामगरी म तयारी गण और उ योग शावमल वकय गय र विजञान का ाठयिम दवनक जीिन क

अनरि सअलग रा ाठयिम कसदयावनतक ि वयािहाररक कष सिबिवित नही र परयोगो गवतविवि

अिररत वशकषण विवियो की अल ता री वकि त अब छातरो क ास ह एनसीईआरिी दवारा परकावशत

गणितता लखको और लखको की एक िीम दवारा वलवखत ाठय सतक छातरो को छताछ क वलए जगह

परदान करत ह वियाए को ाठय सतको म परासिवगक सरानो र शावमल वकया गया हवशकषक किल

जानकारी का एक परदाता नही ह िरन छातर ककषा म अ न सियि क अनरिो और बहत सारी जानकारी

और परशनो क सार-सार अनय सरोतो जस इििरनि मीवडया सतको विजञान वतरकाओ ि और रक ठन

सामगरी की विवििता क सार आत ह करी-करी छातरो की वजजञासा को शाित करन क वलय वशकषक को

चनोती णथ वसरवत का सामना करना ड़ता ह एनसीईआरिी दवारा तयार वकए गए ाठयिम का रझान

वकस तरह बदला ह इसका विसतत विशलषण इस यवनि म की गया ह

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22 उददशय इस इकाई का अधययन करन क शचात आ -

1 एनसीईआरिी ाठयिम क वनितथमान रझान क विषय म जान सक ग

2 ाठय सतक स वशकषण-अविगम सामगरी की तरफ गमन क विषय म चचाथ कर सक ग

3 वशकषक को ाठयिम विकासकताथ क र म जान सक ग

4 एनसी इआरिी ि उततराखिड क विजञान ाठयिम की समीकषा कर सक ग

5 विजञान ाठयिम म हए महति णथ ररितथन को जान सक ग

23 एनसीईआरटी पाठयिम क वनवतथमान रझान 1988 2000 और 2005 म एनसीईआरिी दवारा तयार वकए गए ाठयिम का विशलषण बताता ह

वक ाठयिम विकास क मनोिजञावनकतकनीक ाठय विषय िसत परसततीकरण रर कषय क काफी

बदलाि ह ितथमान ाठयिम गवतविवि-आिाररत एकीकतवशकषारी-क वित ह 1988 क ाठयिम म

दकषता अििारणाओ ि और गवतविवियो को रखत हए उ यकत कवठनाई सतर को धयान म रखत हए

िासतविक जीिन स समपबिवित कछ परकरणो जस खादय और ोषण सिासथय जनसिखयाकवष और

याथिरण सिरकषण को ाठयिम का आिशयक घिक बनाया गया

उदारहण क वलय एनसीईआरिी दवारा विकवसत ककषा छठी क ाठयिम क एक यवनि का अधययन

करत ह वजसस बदलत ाठयिम का रझान ता चल सक

िातलका 21 - 1988 म तिकतसि ककषा 6 का तिजञान पाियिम

यतनट का नाम तिषयिसि

इकाई 6 गवत बल और मशीन गवतशील ि वसरर िसतएि विवरनन परकार की गवत-रवखक

यादवचछक रोिरी चिीय रर तर आिविक गवत बल बल लगान

र गवत वदशा और आकार म ररितथन विवरनन परकार क बल

चिबकीय शवकत इलकरोसिविक बल घषथण बल घषथण क फायद और

नकसान घषथण का कम होना बढ़ना विवरनन परकार की सािारण

मशीन-लीिर चरखी और वहया जविल मशीन ndash एिि सरल मशीनो

का सियोजन रखरखाि और मशीनो की दखराल

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िातलका 22 - 2000 म तिकतसि तिजञान पाियिम क ककषा 6 की एक इकाई का तििरण

यतनट सामगरी का नाम तिषयिसि

यवनि 9 बल और गवत 1-बल बल का परराि (आकार ि गवत म ररितथन) बल ि दबाब की

इकाई

तरल दारथ म दबाि

2-गवत ि गवत क परकार (रखीयितीय घणी आिविक दोलक)

3-समान गर-समान गवत सीिी रखा क रर कषय म िग का विचार

4-गवत गवत की इकाई

िातलका 23 - 2005 म तिकतसि की गई ककषा 6 तिजञान पाियिम की इकाई का तििरण

परशन किी अििारणाए ससािन सझाए गए तियाकलाप

यवनि 4 आरिवरक वदनो

म लोग एक सरान स

दसर सरान र कस जात

र उनको कस ता

चलता रा की वकतनी

दरी उनहोन तय कर ली

हमको कस ता चलगा

की कोइ िसत गवतमान

ह कस ता चलगा की

िह िसत वकतनी दर गवत

कर क चली गई

मा न की आिशयकता

(लिबाई) दरी वसरवत ि

समय क अनसार गवत म

ररितथन

दवनक जीिन क अनरि

अिलोकन विवरनन परकार

क मा न उ करण दरी स

समपबिवित विवरनन

कहावनया वजसस दरी स

समबािवित परकरण

विकवसत हो सक

( ीररयड -12)

लिबाई ि दरी का

मा नरवमहिाजलिआकाश

म गवतमान िसतओ का

अिलोकन विवरनन परकार की

गवतयो की हचान ि उनम

अितर विवरनन परकार की ऐसी

िसतओ का सहपरदशथन वजसम

एक स अविक परकार की गवत

हो जससि िखा लीसाईवकल

का वहयािरी आवद वदिार

घडीसरजचििमा ि परवरिी की

गवतओि का अिलोकन

उ रोकत तावलकाओ म िवणथत विषय िसतओ का अिलोकन करन र जञात होता ह की ककषा 6 क वलए

1988 क विजञान ाठयिम को एक सची क र म परसतत वकया गया ह इसम मखय उदशय छातरो को

विजञानि विषयिसत स ररवचत करिाना रा जबवक विजञानि क परविया कष र कम महति वदया गया ह

बहत स परकरण जस बल घषथण आकाशगिगा आवद कई विषयो को ाठयिम म शावमल वकया गया ह

जो की बाद की आठिी या नौिी ककषा म आ सकत ह

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इनक अिबोि हत अमतथ अििारणाओ ि को री समझना आिशयक ह ाठयिम म स षट गहराई नही

ह विषयो की सची म विवशषटता का आराि ह ाठयिम म िवणथत विषय िसत वकसी री परकरण म

गहराई तरा कल नाशीलता िािवछत वियाकला ोतक का आराि ह

2000 क ाठयिम म 1988 क ाठयिमानसार जानकारी को लोड वकया गया इसम री १९८८ क

ाठयिम की तरह गहराई और विसतार की कमी ि स सिता की कमी ह उचच परारवमक और माधयवमक

सतर र सामनयतया विजञान ाठयिम म विजञान तकनीकी ि सामावजक अििारणओ का उ योग

होता ह इसका उदशय छातरो को िजञावनक जञान दन क सार उनको तकनीकी परयोग म समिथ करना ह

रनत ाठयिम वनमाथण करत समय विषयगत दवषटकोण को ही महति वदया गया ह उसम वयािहाररक

दवषटकोण की कमी ह चयवनत विषय जसबरहमािड हमारा याथिरण दारथ मा न जीिन विशव ऊजाथ

ोषण और सिासथय और कवष आवद विषयो अविकािशता ऊ री परारवमक चरण स माधयवमक सतर तक

जारी रख गए ह इसम अििारणाओ ि को वयिवसरत करन का परयास ाठयिम म वकया गया रा इनह

ककषा VI स X तक िवमक र स रखा गया ह

एनसीएफ -2005 न जञान वनमाथण की परविया म वशकषारी की सविय रागीदारी की वसफाररश की ह

2005 म विजञान ाठयिम क विकास क दौरान यह वनणथय वलया गया रा विजञान को परौदयोवगकी क

सार जोड़ना ठीक नही ह ाठयिम म रखी गई सचनाओ क रार को कम करन ि उमरनसार उवचत

अििारणाओ ि को शावमल करन का फसला वलया गया रा

ाठयिम वनमाथण करत समय एनसीएफ -2005 की वसफाररशो ि रर ोिथ वबना बोझ क लवनिग को

महति वदया गया ह विषयगत दवषटकोण को अ नात हए विषय िसत को वयिवसरत करत हए अनतर-

अनशासनातमक तरीक को अ नाया गया ह ाठयिम म शावमल विषयिसत जस खादय दारथ सामगरी

द िलडथ ऑफ़ दी वलवििग हाउ वरिगस िकथ मवििग वरिगस लोग और विचार पराकवतक घिनाएि और

पराकवतक सिसािन आवद ह विषयिसत को उचचपरवथमक सतर स मादयवमक सतर तक इसी िम म रखा

गया ह 2005 का ाठयिम चार कोलम परशन कि जी अििारणाएि सिसािन सझाए गए वियाकला म

िगीकत वकया गया ह

ाठयिम परशनो क सार शर होता ह य ि महति णथ परशन हजो बचच को सोचन की परविया म मदद

करन िाल मखय वबिद ह गवतविवि कॉलम म परयोग क सार-सार ककषागत वशकषण अविगम परवकया

वजसम छातर राग लात ह को री िवणथत वकया गया ह ाठयिम म वदय गए आइिम परशन वकसी री

परकरण की सामगरी का खलासा करन का एक विचार दन म मददकरत ह अगर आ परशन और महति णथ

अििारणाओ ि क सार गवतविवि सतिर को ढ़त ह तो यह अिलोवकत होगा की ाठयसामगरी काफी

गहराई क सार ाठयिम विषय िसत वशकषण- रणनीवतयो क चयन म सहायक ह ाठयिम

ाठय सतक लखन ि वशकषण विवि क चयन म मदतकरी ह ाठयिम म वशकषावरथयो क वलए सरान

री ह उनको गवतविवियो परयोगो को करनसरानीय सिदरथ को वडसकस करन का सरान वदया गया ह

एनसीएफ -2005 म ाठय सतको को बहआयामी ि दवनक जीिन स सिबिवित करन का सझाि वदया

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 110

गया ह एनसीएफ - 2005 म विजञान वशकषण को हडस- ओ िन ि इनकिायरी बसड बनान की वसफाररश

की गई ह हालािवक इस वया क र विचार सतर र सिीकार वकया गया ह जबवक रारत म अभयास

अरी री चाक एिड िॉक म रड ही हािी ह छातरो की इवचछत वदशा म परगवत हत वशकषण अविगम

परवियाओ ि म अविक सविय सहरावगता को लना आिशयक ह

विजञान सीखन क हडस ओ िन तरीक म वशकषक वशकषण अविगम परविया का परारर छातरो क अनरिो ि

मतथ उदहारण स करत ह विषयकवनित उ ागम म वशकषक कॉनसपिस को दानिवमक तरीक स सजा कर

ड़ता हजबवक छातर कवनित उ ागम म वशकषक सिथपररम मतथ ररवसरवतको उत नन करता ह वफर अमतथ

कािसपि को समझता ह

उदहारणसिर इलवकरक करिि क कािसपि को समझान हत हम यहा दखना होगा की यह एक अमतथ

कािसपि ह वजसम छातर को चाजथ मिमि समझाना ह जो छातर को तरी समझ आयगा जबवक उसको चाजथ

का कािसपि ता हो यदव चाजथ का कािसपि अमतथ ह वफर री छातर आसानी स इसको समझ जात ह जब

ि इलवकरक सवकथ ि को जोडत ह अत इलवकरक करिि को कािसपि को उचच परारवमक शालाओ क

ाठयिम म रखा गया ह

23 पाठयपसतक स वशकषण-अवधगम सामगरी की तरफ गमन ाठय सतक वशकषण-अविगम सामगरी क एक राग सिर उ करण की तरह छातरो को अधयनरत रखती

ह वशकषक ककषागत ररवसरयो म विवरनन परकार क गवतविवियोमतथ अिीगम अनरिो वशकषण सामगरी

का उ योग ाठय सतको क सार परयोग करता ह

जब हम वशकषण-अविगम उ ागमो ि सीखन क दवषटकोण क बार म वनणथय लत ह तो अविगामारी की

आिशयकता का सबस अविक धयान रखत ह चकी अविगम की री परविया वशकषावरथयो क मवसतषटक म

चलती ह ि री तरह स वनरथर लारती ह की हल विदयवरथयो न कया सीखा ह इसवलए सामगरी दवषटकोण

और सामगरी का न वयाखया वयािहाररक फसल री तरह स वशकषक क हार म होत ह एक

ाठय सतक जररी नही वक एक िगथ क र ाठयिम को किर कर और यह र िषथ क वलए जररी हो

ऐसा री नही हो सकता ह कोई अचछी ाठय सतक

बचचो को याथिरण सावरयो और अनय क सार बातचीत करन क वलए तयार करती ह ना की लोगो को

आतमवनरथर बनान का कायथ करती ह एक ाठय सतक एक गाइड की तरह छातरोको सविय सहरावगता

क माधयम स समझ बनान क वलए मागथदशथन दती ह

लोगो को सरानाितररत जञान एक तयार उत ाद क र म दन क बजाय जञान को कािसच करात ह हाल ही

म एनसीईआरिी दवारा को एनसीएफ 2005 क अनसार बनाया गया ह ाठय िम परयास करन क

वलए -2005 क आिार र ाठयिम तयार करना ाठयिम हत वदलचस ाठय सतको क वनमाथण क

वलए दसतािज़ को एकतर

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 111

करना और तथयातमक जानकारी क सार वबना रार वदए बनाना एक चनौती णथ कायथ ह कल वमलाकर

विजञान को जञान क बढ़त शरीर क र म श वकया जाना चावहए न की एक तयार उत ाद क र म इस

तकथ क परकाश म यह कहा जा सकता ह की जररत वसफथ एक एकल ाठय सतक की ही नही ह बवलक

सीखन िाली सामगरी कज को वशकषण अविगम सामगरी क र छातरो को वियाशील बानाए रखन क

वलय इसतमाल वकया जा सकता ह

24 वशकषक पाठयिम ववकासकता क रप िथगामी चचाथ ाठयिम ररिदधथन की परविया का बोि कराती ह अगला परशन जो हम छना चाहत ह

िह ह कया ाठयिम विकास क इस अभयास म वशकषक की रवमका ह रारत म ाठयिम क ि या

राजय सतर र तयार वकया जाता ह और वशकषको दवारा इस बाहय र विकवसत इस ाठयिम का

कायाथनियन वकया जाता हपरी-सविथस वशकषक तयारी कायथिमो क दौरान अधया क वशकषा ाठयिम

और वशकषण सितितर र स अधयन वकया जाता ह और उनह अलग-अलग वनकायो की तरह माना जाता ह

परी-सविथस िीचर रवनिग का दौरान वशकषण विवियो कररकलम समपपरषण वियाओ र अविक धयान वदया

जाता ह जबवक परवशकष वशकषको को ाठयिम विकास परवियाओ ि म राग नही लन वदया जाता ह

उनको मौजदा ाठयिम का विशलषण करन क अिसर नही वदए जात ह इन-सविथस परवशकषण

कायथिमो क दौरान री फोकस अविकािशत वशकषण रणनीवतयो र होता ह उनको री ाठयिम

विकास म शावमल नही वकया जाता ह इस परकार वशकषको का कायथ महज ाठयिम और ाठय सतको

को समय स रा करना ह

इस परकार परी सविथस िीचर ि इनसविथस िीचर रवनिग क समय वशकषको म ाठयिम विकास की री

समझ विकवसत नही हो ाती ह वजसस उनक अधया न म कमी रह जाती ह ि ाठयिम ि वशकषण

अविगम रणनीवतयो म समपबनि सराव त नही कर ता ह ि वनरितर ारि ररक वयाखयान-सह-परदशथन विवि

का परयोग कर वशकषण अविगम परविया को सिचवलत करता ह जस इस अधयाय म हमन सीखा हवक

ाठयिम एक योजनाबदध अििारणा ह जो

वशकषण सीखन क दौरान अ वकषत अविगम की परावपत हत ाठय विषय िसत का चयन ि वियायो को

वनिाथररत करता ह जबवक वशकषण अविगम य वनिाथररत करता ह की वकस परकार स वदय गय ाठयिम

को सिपरवषत करग ाठयिम को एक साधय क र म जबवक वशकषण अविगम को एक सािन की तरह

समझा जा सकता ह इस परकार वशकषक की रवमका को एक वनयिवतरत िम म िथ वनिाथररत ाठयिम को

चयवनत वशकषण विवि का परयोग करत हए सिपरवषत करन िाल क र म दख सकत ह य रवमका छातरो

म रिन की आदत को ोवषत करती ह ि छातरो की सजनातमकता को कम करती ह वशकषक की य

रवमका उसक अिदर वनवहत निाचारी वियाओ को समापत करती ह यदव आजकल वशकषक सिसरानो म

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वशकषको ि ाठयिम योजनाकताथओ को ाठयिम कम िी म वशकषको की आिशयकता महसस हो रही

जयादातर उचच वशकषक सिसरानो म ि परशासन ि िररषठ वशकषको को य लगता ह की ाठयिम वनमाथण क

परवत वशकषको को उततरदायी वकया जाए वशकषको स य उमपमीद की जाती ह की ि ाठयिम ाठयचयाथ

ि िकसि बकस का आलोचनातमक तरीक स ररवय कर ि ि अ न ककषा गत अनरिो ि परवकिसस को

ाठयिम कम िी क समकष रख वशकषको क दवनक ककषा गत अनरिो को यवद ाठयिम म समावहत

वकया जाएगा तो वनवशचत तोर र ऐसा ाठयिम छातरो की आिशयकता अनर होगा ि वयािहाररक र

स ठनीय होगा

परसतावित ाठयिम क सार कस वयिहार वकया जाना चावहए य वशकषक की सविय सहरावगता स ही

सिरि ह यवद ाठयिम वनमाथण म वशकषक की सहरावगता को अ वकषत वकया गया तो ाठयिम की

रचनातमकता और अवरनि निाचार हतोतसावहत होग अत वशकषको को ाठयिम और ाठय सतको

की समीकषा करना चावहए ाठयिम सवमवतयो म समीकषातमक वशकषको को शावमल करन म सिार म

मदद वमलती ह ऐस वशकषक ाठयिम सवमवतयो को उनक ककषा गत अनरिो का परवतवबिब सवमवत क

सामन लात ह वजसस ाठयिम की परासिवगकता बढती ह वशकषक सकल म बचचो की समकष िथवनिाथररत

ाठयिमो का िथ मलयािकन करत हए छातरो की समसयाएि और सकलो की जररतो को परकश म ला

सकत ह वजसस ाठयिम वनमाथण करत समय उसम सिार सिरि हो सक इसपरकार ाठयिम वशकषको

को तरी ईमानदारी स मदत कर सकता ह यवद यह वशकषको क सार गहन साझदारी क माधयम स

विकवसत वकया गया

ाठयिम वनमाथण म वशकषको की रागीदारी उनकी वसरवत री अलग अलग रर कषय म दखी जा सकती

ह जस ाठयिम वनमाथण यवद क ि सतर र या राजय सतर र होता ह तो इसम वशकषको की रागीदारी

बहत कम होती ह या कछ नामी वशकषक ही कम िी सदसय होत ह जबवक वजल या विदयालय सतर र

अविकािश वशकषक ाठयिम वनमाथण म राग लात ह

25 एनसी ईआर टी व उततराखाड क ववजञान पाठयिम की समीकषा उ रोकत वबनदओ म हमन ाठयिम वनमाथण ाठयिम म वशकषक की रवमका ि राषटरीय ाठयिम ढािचा

वदशावनदशो की विसतत चचाथ की ह सार ही एन सीइआरिीदवारा परदत ाठयिम म आऐ बदलाि

को री इिवगत करन का परयास वकया ह उ रोकत चचाथ स वनषटकवषथत हआ की यवद वशकषक को ाठयिम

वनमाथण क बार म एक ठोस समझ ह तो वशकषा वशकषण-अविगम सीखन क दवषटकोण और मलयािकन क

वसदधाितो मानदिड वनमाथण तरा अचछी वशकषा-वशकषण सामगरी क अनपरयोग आवद म आसानी स हिच

बना लता ह सार ही समसत छातरो को ककषा गत ाररवसरत म समान अिसर परदान करत हए ककषा म

गवतविवियो परयोगो को सि नन करता ह

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समीकषातमक दवषटकोण स दखा जाए तो ाठयिम वनमाथण की राषटरीय ाठयचयाथ ढािच-2005 म वबना

बोझ सीखना (1993) ि रारतीय सविििान क िमथवनर कष समानतािादी और बहलिादी समाज को

मखय र स मागथदशथक की रवमका म रखा ह सामावजक नयाय और समानता क मलय क दवारा वशकषा क

वया क उददशय की परावपत ाठयिम क माधयम स की गई ह ाठयिम म सितितरता दसरो की परवत

सििदनशीलता रचनातमकता लोकतािवतरक परवियाओ ि आवरथक परवियाओ ि और सामावजक ररितथन को

शावमल वकया गया ह

इसक मागथदशथक वसदधाितो म इस तथय को परकि वकया गया ह वक वकस तरह वशकषा बोझ का सरोत बन गई

ह और बचचो र बढता तनाि शवकषक उददशयो म एक गहरी विर ण का परमाण ह इस विकवत को ठीक

करन क वलए ितथमान राषटरीय ाठयिम ढािचा 2005 न

ाठयिम क विकास क वलए ािच मागथदशथक वसदधाितो को अ नाया ह

i सकल स बाहर क जीिन को जञान स जोड़ना

ii यह सवनवशचत करना वक वसखान म रिन क तरीको स बदलाि आया ह

iii ाठय सतक क वित रहन की बजाय बचचो क समगर विकास क वलए ाठयिम को समदध

करना

iv रीकषाओ ि को अविक लचीला और ककषागत ररसरवतयो स एकीकत करना

v ककषा म लोकतािवतरक वयिसरा क अनर परजातावनतरक वशकषण विवियो का परयोग करना

राषटरीय ाठयिम ढािचा ाठयिम म छातरो को जञान का सजथन करन िाल की रवमका म रखता

हजबवक वशकषक स य उमपमीद की गई ह की िह छातरो क वयािहाररक ि ककषा क अनरिो को सिगवठत

करक बचच क सार सिगवत कर उनकी आिशयकता को धयान रखत हए उनह अविगम अिसर परदान

करगा बचचो क तनाि को कम करन हत एनसीएफ म विषय सीमाएि को नरम करन की वसफाररश की ह

तावक बचचो को एकीकत जञान और खशी का सिाद वमल सक

एनसीईआरिी ाठयिम क र म ऐस दसतािजो का वनमाथण करती ह जो विवरन विषयो की

सामगरी का बयोरा होता ह ि छातरो म उततम वयिहार और कौशल जञान और सकारातमक अवरिती का

वनमाथण करता ह रारत म एनसीईआरिी सकल वशकषा क सरी चरणो क वलए आदशथ उदाहरण

विकवसत करता ह इसी िम म राजय एनसीईआरिी ाठयिम को अ ना अनकवलत कर सकत ह

या सियि स विकास कर सकती ह

एनसीईआरिी दवारा वनवमथत ाठयिम म एनसी ऍफ़ 2005 क वजन मानको का परयोग वकया गया ह ि

इस परकार ह

i मनोिजञावनक दवषटकोण स बचचो क विकास क अनसार विषयो और विषयिसत की

उ यकततानसार चयन

ii एक सतर स अगल सतर तक विषय िसत म वनरितरता

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iii सचीबदध उ विषयो क बीच अितःविषय और विषयगत सिबिि ि

iv अलग-अलग सकल विषयो म सतत अनशासवनक समपबनि होन चावहए

v बचचो क रोजमराथ क अनरि और जञान स विवरनन विषयो म सकल जञान क बीच सिबिि छातरो

को याथिरण सिबििी जञान और वचिता का जञान सकल क सरी सतरो र और विषयो म एक

समगर र वदया जाए तावक छातर याथिरण क परवत समपिदिशलता विकवसत कर सक

vi लवगक समानता शािवत सिासथय और विशष जररत िाल बचचो क सार सििदनशीलता को

विकवसत करन का परयाश वकया जाए

vii सरी सतरो र परतयक विषय म कायथ सिबििी वयिहार और मलयो का एकीकरण

viii रारत क हर हल म वशल की विरासत का सम कन करक सौदयथ की सििदनशीलता और

मलयो का ोषण करना चावहए

ix ओिर लव िग स बचन क वलए सकल और कॉलज ाठयिम क बीच सिबिि

x शकषवणक तकनीक की कषमता का उ योग करना

xi बचचो दवारा जञान का वनमाथण कराया जाए ि जञान क सरी कषतरो म लचीला न और रचनातमकता

को परोतसावहत वकया जाए

26 ववजञान पाठयिम म हए महतवपणथ पवरवतथन तिजञान

विजञान वशकषण की राषा सामगरी परविया वशकषारी की उमर-सीमा और सिजञानातमक हिच क अनर

होना चावहए विजञान वशकषक को विजञानि वशकषण म उन तरीको और परवियाओ ि को परयोग करना चावहए

जो छातरो म वजजञासा रचनातमकता को उत नन कर सक याथिरण को हर विषय को दयाि म रखत हए

परोजकि ि विया आिाररत वशकषण की आिशयकता ह ितथमान वसरवत स वकसी री गणातमक ररितथन

क वलए विजञान वशकषा क परवतमानो म बदलाि आया ह जस रिन र कम बल दना छातरो को करक

सीखना उनम जािचना रखना कौशल राषा वडजाइनअिलोकन विशलषण सिशलषण की कषमता को

मजबत वकया जाना चावहए सकलो म ाठयचयाथ ि ाठय सहगामी वियाओ क समरथन र अविक

जोर दन र बल वदया ह छातरो की खोजी कषमता आविषटकारशीलता और रचनातमकता स सिबिवित

गवतविवियो को करिात समय वशकषक को विजञान परयोगातमक वकिो और परयोगशालाओ ि तक हिच

बनान की बात की ह राषटरीय सतर र एक बड़ मान र विजञान म ला (फीडर म लो क सार म कलसिर

वजला राजय सतर) सकलो और वशकषको को परोतसावहत करन क वलए आयोवजत करन र बल वदया गया

सिकष म ाठयचयाथ ाठयिम और ाठय सतको (माधयवमक सतर र) की समीकषा करन र जञात होता

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i जानकारी रार स बचन क वलए समझन र धयान द

ii विषय-विवशषट अधया न क वलए अितररकष म अितवनथवहत परदान कर सामगरी

iii सामगरी और सीखन क रीतर मलयािकन एकीकत कर

iv इििरवकिि होना चावहए

v ाठय सतक स र सीखन क वलए जगह परदान करता ह

vi विवरनन विषय कषतरो क बीच की सीमाएि नरम कर

vii हारो र अनरि कला क वलए याथपत सरान परदान कर और वशल स सिबिवित सामावजक

वचिताओ ि को शावमल करता ह

viii वलिग हावशए समह सिासथय और काम एनसीएफ - 2005 का अनिती और एनसीईआरिी

दवारा विकवसत नए ाठयिम क र म कछ राजयो न राजय क ाठयिम को विकवसत वकया ह

जबवक अनय सीि अ न ाठयिम और ाठय सतको म सिशोिन वकया ह

कछ राजयो अराथत वबहार करल छततीसगढ़ उड़ीसा और कनाथिक न अ ना राजय ाठयिम विकवसत

वकया ह उततराखिड न एनसीएफ-2005 क परकाश म अ न ाठयिम को सिशोवित वकया ह

सकल वशकषा क विवरनन चरणो क वलए एनसीईआरिी क ाठयिम और ाठय सतको िबल 1 राजयो

सिघ शावसत परदशो की वसरवत को अ नान या अनशासन सवहत सिशोिन र दशाथया गया ह

एनसीएफ -2005 क सार तावलकाओ ि म ाठयिम और ाठय सतक

1 कछ राजय क िशावसत परदश ह जो एनसीईआरिी क ाठयिम और ाठय सतको को अ नात ह

माधयवमक सतर र और री विजञान म वयािहाररक ह का दािा नही कर रह ह

याथपत र स याथपत की कमी क कारण िासति म वयािहाररक र स कायथ करन म सकषम

परयोगशालाओ ि और उ करणो शोिो न वदखाया ह वक हारो की कमी

विजञान म अनरि विजञान म गिरीरता स वशकषावरथयो क परदशथन

माधयवमक सतर र विजञान परवकिकल की शरआत क सार य

राजयो सिघ राजय कषतरो को सकषम मान र विजञान परयोगशाला की तरित खरीद की आिशयकता ह

परतयक माधयवमक विदयालय क वलए वकि और वशकषक परवशकषण क वलए कारथिाई आरिर करना

वशकषावरथयो को उवचत विजञान वशकषा परदान करन क वलए इस कषतर

2 तावलका 1 बताता ह वक कछ राजय सिघ राजय कषतरो जस वदलली गोिा

वहमाचल परदश झारखिड उततराखिड आवद शावमल ह

एनसीईआरिी की ाठय सतको को सरी चरणो क वलए अ नाया गया अनकवलत वकया

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ककषाओ ि की अविकतम सिखया अराथत छठी - बारहिी स इन ाठय सतको म विषय वशकषण क वलए

एनसीएफ -2005 क ितथमान नए दवषटकोण क अनर और अनय ाठयिम साइिो स सीखन क वलए

िकसि क रीतर अिसर परदान करत ह और अ न सियि क सिदरथ स जञान स सिबिवित ह इसवलए एक

आिशयकता ह वससिम स ता लगान क वलए वक वशकषक उररत हए समझत ह दवषटकोण और कया

दवषटकोण और बीच म तराचार ह वजस तरह स वशकषक माधयवमक सतर र इन ाठय सतको का सिचालन

करत ह

इसक अलािा इन राजयो सिघ शावसत परदशो को री राजय-विवशषट की जररत की समीकषा करन की

आिशयकता ह विवरनन चरणो म वशकषावरथयो की शवकषक आिशयकताएि और उनह लान की आिशयकता

री ह बाहर ाठयिम क वदशा-वनदश या ाठयिम ररन क वलए ाठय सतको का नया सि राजय-

विवशषट जररतो और ाठयिम और ाठय सतको क बीच अितराल विकवसत

राषटरीय सतर र वशकषक री विजञान सीखन क चरण विवशषट उददशयो को समझता ह कया लनदन करन की

सामगरी और इस कस वयिवसरत कर की एक अचछी समझ ाठयिम सामानय र म अितदथवषट परापत करन

क वलए वशकषक को री सवििा परदान करता ह

यह समझना महति णथ ह वक वशकषा एक परविया और अनरि ह इस परविया का एक महति णथ वहससा ह

जब तक वक वशकषारी उस नही ढढ सकता ककषा म दशाथए गए सिदरो क सिबिि म दवषटकोण अनरि और

उसक रोजमराथ क जीिन अनरिो स जञान स सिबिवित ह जञान मातर सचना क सतर तक कम हो जाता ह

इसवलए सरी ाठयिम क अनरिो को यह सवनवशचत करन क वलए वडज़ाइन वकया जाना चावहए वक

वशकषावरथयो क सार विवरनन आिशयकताओ ि को सीखन और वशकषण-सीखन की परवियाओ ि स सिबिवित

ह अधया क को लान क दवारा सरी ाठयिमो क वलए विजञान ाठयिम सलर बनाना चावहए बातचीत

क उ यकत वबिदओ ि र लचीला न

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इकाई 3 - विजञान वशकषण की विवधयाा और नीवियाा

31 परसतािना 32 उददशय

33 विजञान वशकषण की विविया और नीवतया

331 वयाखयान विवि

332 परदशथन विवि

333 आगमन-वनगमन विवि

334 विशलषण-सिशलषण विवि

335 परोजकि विवि

34 उ यकत वशकषण विवियो का चयन

35 सारािश

36 शब दािली 37 अभयास परशनो क उत तर

38 सिदरथ गरिर सची 39 वनबििात मक परशन

31 परसतावना वशकषण विविया वशकषक का मागथ दशथन करती ह वजस परकार स सही रासत की जानकारी क अराि म

कोई वयवकत अ न गितवय सरान तक नही हच सकता ह ठीक उसी परकार वशकषक एक उवचत वशकषण

विवि की जानकारी क अराि म अ न छातरो को विषय का सही जञान नही द सकता ह वशकषण विवियो

क दवारा ही वशकषक को यह जानकारी होती ह वक िह वकस परकार स अ न छातरो को वशकषा परदान कर वक

वशकषण क उददशय सफलता िथक परापत वकय जा सक इस इकाई म हम विजञान वशकषण की विवरनन

विवियो क विषय म तरा पररािशाली ककषा वशकषण हत इन विवियो को वकस परकार परयोग वकया जाना

चावहए इसक विषय म विसतार िथक चचाथ करग

32 उददशय इस इकाई क अधययन क शचात आ -

1 विजञान वशकषण की विवरनन विवियो क विषय म विसतार िथक िणथन कर सक ग

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 118

2 विजञान वशकषण को पररािशाली बनान क वलए परतयक वशकषण विवि को वकस परकार परयोग वकया जाना चावहए इसका िणथन कर सक ग

3 विजञान वशकषण की विवरनन विवियो क गण एिम दोषो क विषय म विसतार िथक िणथन कर सक ग 4 पररािशाली विजञान वशकषण हत उ यकत वशकषण विवियो का चयन एिम उ योग कर सक ग

33 ववजञान वशकषण की वववधया ा और नीवतया ा वशकषण विविया और वशकषण नीवतया दोनो शबदो क अ न अलग-अलग अरथ ह कछ लोग इन दोनो

शबदो को याथयिाची मान लत ह जबवक दोनो अलग- अलग ही ह Method शबद लविन राषा स

वलया गया ह वजसका अरथ ह Mode (माधयम) या (Way) रासता जबवक कॉवलन इिवगलश जम कोश

क अनसार नीवत का अरथ ह- यदध कला तरा यदध कौशल

ाठयिसत क परसततीकरण की शली को वशकषण विवि कहा जाता ह वशकषण विवि म ाठयिसत

महति णथ होती ह जसी ाठयिसत की परकवत होती ह उसी क अनर वशकषण विवि का चयन कर

वलया जाता ह जबवक वशकषण नीवत स तात यथ ऐसी कौशल णथ वयिसरा स ह वजनह ककषा वशकषण म

वशकषक अ न उददशयो को परापत करन क वलए तरा छातरो क वयिहार म िािवछत ररितथन लान क वलए

करता ह जब हम वकसी वशकषण विवि को वकसी विवशषट उददशय की परावपत क वलए परयोग करत ह तब

वशकषण विवि को ही वशकषण नीवत कहा जाता ह

सािारणतया वकसी री विषय क वशकषण स हल यह दखा जाता ह वक इस विषय को कयो ढाया जाय

इसी बात को धयान म रखत हए उस विषय क वशकषण उददशय वनिाथररत वकय जात ह वशकषण उददशय

वनिाथररत करन क शचात यह परशन उठता ह वक वकस परकार इस विषय को ढाया जाय अराथत वकन

वशकषण विवियो क माधयम स वशकषण वकया जाय वक वशकषण क उददशय परापत हो जाय विवरनन

अधययनो एिम रीकषणो दवारा यह वनवशचत कर वलया गया ह वक रौवतक विजञान क पररािशाली वशकषण

हत कौन-कौन सी वशकषण विविया उ यकत ह इन सरी वशकषण विवियो क विषय म हम आग

विसतार िथक चचाथ करग

अभयास परशन

1 ाठयिसत क परसततीकरण की शली को वशकषण नीवत कहा जाता ह (सतय असतय )

2 वशकषण विवि म ाठयिसत महति णथ होती ह जसी ाठयिसत की परकवत होती ह उसी क अनर

वशकषण विवि का चयन कर वलया जाता ह (सतय असतय )

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 119

331 वयाखयान तिति

वयाखयान का तात यथ वकसी री ाठ को राषण क र म ढ़ान स ह वयाखयान विवि विजञान वशकषण की

सबस सरल एिम ससती विवि ह हमार विदयालयो म परयोगशालाओ ि एिम उ यकत सहायक सामगरी क

अराि क कारण यह एक ऐसी विवि ह वजस विजञान वशकषको दवारा ककषा वशकषण हत अविकािशतः परयोग

वकया जाता ह यह एक वशकषक कवनित विवि ह इस विवि म वशकषक को ककषा म जो री परकरण

ढ़ाना होता ह उसक वलए हल स ही िह ाठय सतक या अनय वकसी सािन की सहायता स उस

परकरण र अ ना वयाखयान तयार कर लता ह और वफर ककषा म छातरो क समपमख अ ना वयाखयान परसतत

कर दता ह इस विवि म छातर वनवषटिय शरोता क र म वशकषक का राषण सनत रहत ह छातर वशकषण म

रवच ल रह ह या नही उनको कछ समझ आ रहा ह या नही इन सब बातो स वशकषक अविकतर

उदासीन ही रहता ह

इस तिति का उपयोग कस कर

इस विवि को ककषा वशकषण हत परयोग करना अतयित सरल ह हम हल ही अधययन कर चक ह वक इस

विवि को विजञान वशकषण हत परयोग करन क वलए वशकषक ककषा म ढाय जान िाल परकरण को

ाठय सतक या अनय वकसी सािन की सहायता स ढ़कर उस परकरण र अ ना वयाखयान तयार कर

लता ह और वफर ककषा म छातरो क समपमख अ ना वयाखयान परसतत कर दता ह उदाहरण क वलए वशकषक

छातरो को ldquoठोस िि ि गस की सिरचनाrdquo परकरण को समझाना चाहता ह तो इसक वलए वशकषक सिथपररम

ाठय सतक या अनय वकसी सािन की सहायता स इस परकरण को ढ़कर ldquoठोस िि ि गस की

सिरचनाrdquo र अ ना वयाखयान तयार कर लता ह और वफर ककषा म छातरो क समपमख अ ना वयाखयान

परसतत कर दता ह वशकषक यवद आिशयक समझता ह तो परकरण क स षटीकरण हत वयाखयान क बीच

बीच म दवनक जीिन स समपबिवित कछ उदाहरण री परसतत कर दता ह

गण ि दोष

गण

1 आवरथक िवषट स यह विवि उ योगी ह इस विवि दवारा वशकषण करन स समय एिम िन दोनो की

बचत होती ह

2 यह अतयित सरल विवि ह इस विवि क परयोग क वलए वशकषक को वकसी विशष तयारी की

आिशयकता नही होती ह

3 यह विवि उचच ककषा क छातरो क वलए उ योगी ह

दोष

1 यह अमनोिजञावनक विवि ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 120

2 इस विवि दवारा छातरो को विजञान जस परायोवगक विषय को समझन म कवठनाई होती ह वशकषण क

दौरान छातर ककषा म वनवषटिय शरोता क र म बठ रहत ह अतः छातरो को सियि करक सीखन क

अिसर नही परापत होत ह

3 इस विवि दवारा छातरो म िजञावनक िवषटकोण का विकास नही होता ह

4 यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

5 इस विवि दवारा सीखा गया जञान सरायी नही होता ह

अभयास परशन

3 यह एक वशकषक कवनित विवि ह (सतय असतय )

4 वयाखयान विवि क कोई दो दोष वलवखए

332 परदियन तिति

विजञान वशकषण क कषतर म परदशथन विवि एक अतयित महति णथ विवि ह इस विवि म वशकषक वकसी परकरण

क सदधािवतक कष को अविक स षट करन ि उसकी सतयता की जािच करन हत ककषा म छातरो क सार

परयोग परदशथन करता ह परयोग परदशथन क मधय म वशकषक छातरो स परशन करता रहता ह छातर री वशकषक

क सामन अ न परशन रखत जात ह और आिशयकता ड़न र वशकषक छातरो क परशनो का उततर दता रहता

ह अतः परदशथन विवि म वशकषण क समय वशकषक परयोग परदशथन करता जाता ह और छातर परयोग परदशथन

का वनरीकषण करत हए निीन जञान परापत करत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

इस विवि को विजञान वशकषण हत वकस परकार परयोग करना चावहय इसको हम एक उदाहरण की सहायता

स स षट कर सकत ह मान लीवजय वशकषक छातरो को यह वनयम बताना चाहता ह वक िात अमपल क सार

विया करक लिण बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह तो इस वनयम को

समझान क वलए वशकषक छातरो क समपमख सियि परयोग परदशथन करक छातरो दवारा परयोग को सियि दखकर

इस वनयम को समझन हत परोतसावहत करता ह सबस हल वशकषक छातरो स परशन करता ह - वजिक िात ह

या अिात छातर उततर दत ह ndashवजिक एक िात ह बताइय सलफ़यररक अमपल का रासायवनक सतर कया ह

छातर नः उततर दत ह - H2SO4 अब वशकषक छातरो स कहता ह- वक आइय एक परयोग करक दखत ह

वक जब वजिक कवणकाओ ि र िीर ndashिीर सलफ़यररक अमपल डाला जाता ह तो कया होता ह अब वशकषक

ककषा म परयोग परदशथन करता ह एिम छातर धयान िथक परयोग का वनरीकषण करत ह ककषा म वशकषक परयोग

क दौरान जब एक बीकर म वजिक कवणकाओ ि को लकर उन र िीर ndashिीर सलफ़यररक अमपल डालता ह

तो बीकर म बलबल वनकलन लगत ह छातर वशकषक को बतात ह वक बीकर स कछ बलबल वनकल रह

ह एक छातर वशकषक स छता ह- य बलबल वकस कारण वनकल रह ह वशकषक इन बलबलो क ास

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जलती हई मोमबतती ल जाता ह जस ही बलबलो क ास जलती हई मोमबतती हचती ह ॉ की

आिाज़ क सार बलबलो क र म वनकल रही हाइरोजन गस जलन लगती ह अब वशकषक छातरो को

बताता ह वक इस परयोग क दौरान बीकर म य बलबल हाइरोजन गस क बिनन क कारण वनकल रह ह

अित म वशकषक इस परयोग को समीकरण क र म शयाम टट र वलख दता ह-

Zn + H2SO4 rarr ZnSO4 + H2uarr

वजिक सलफ़यररक अमपल वजिक सलफि हाइरोजन गस

(िात ) (अमपल) (लिण)

इस परकार परदशथन विवि म छातर वशकषक दवारा वकय गय परयोग परदशथन को सियि दखकर सीखत ह छातरो

को वशकषक दवारा वकय गय परयोग स स षट हो जाता ह वक -िात अमपल क सार विया करक लिण बनाती

ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह

गण ि दोष

गण

i इस विवि म वशकषक तरा छातर दोनो सविय रहत ह

ii यह विवि छोिी ककषाओ ि क वलए अविक उ यकत ह

iii इस विवि म वशकषक दवारा वकय गय परयोग परदशथन को छातर सियि दखकर सीखत ह

iv इस विवि दवारा छातरो म वनरीकषणतकथ एिम वचितन शवकत का विकास होता ह

v इस विवि दवारा परापत जञान अविक सरायी होता ह

दोष

i यह विवि बड़ी ककषाओ ि क वलए उ यकत नही ह

ii इस विवि दवारा छातरो को सियि परयोग करक सीखन क अिसर परापत नही होत ह

iii इस विवि म परयोग परदशथन क दौरान सरी छातर ठीक परकार स परयोग का वनरीकषण नही करत ह

iv करी करी वशकषक दवारा यवद वकसी कारणिश परयोग सफल नही होता ह तो छातरो क मन म विषय क

परवत कई भािवतयाि दा हो जाती ह

अभयास परशन

5 परदशथन विवि क कोई दो गण वलवखए

6 परदशथन विवि क कोई दो दोष वलवखए

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333 आगमन-तनगमन तिति

आगमन तिति इस विवि म परतयकष अनरिो उदाहरणो तरा परयोगो दवारा छातरो स सामानय वनयमो

को वनकलिाया जाता ह दसर शबदो म हम कह सकत ह वक इस विवि म उदाहरणो को दकर वनयम का

स षटीकरण वकया जाता ह इस विवि का परयोग करत हए वशकषक छातरो क अनरि कषतर स ही उनह

विवरनन उदाहरणो को दकर उनस वनरीकषण रीकषण एिम सोच विचार कराकर सामानय वनयम या

वसदधानत को वनकलिाता ह इस विवि म विवशषट स सामानय की ओर सरल स सकषम की ओर ि परतयकष

स परमाण की ओर आवद वशकषण सतरो का परयोग वकया जाता ह इस विवि दवारा कयोवक सामानय वनयमो

की खोज की जा सकती ह अतः वशकषक दवारा परसतत वकय गय उदाहरण छातरो क मानवसक सतर क

अनकल होन चावहय

इस तिति का उपयोग कस कर

इस विवि को विजञान वशकषण हत वकस परकार परयोग करना चावहय इसको हम एक उदाहरण की सहायता

स स षट कर सकत ह मान लीवजय वशकषक छातरो को यह वनयम बताना चाहता ह वक िात अमपल क सार

विया करक लिण बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह तो इस वनयम को

समझान हत वशकषक छातरो को परयोगशाला म सियि रीकषण करक वनयम को सीखन क वलए परोतसावहत

करता ह सबस हल वशकषक छातरो स परशन करता ह -बताइय वजिक िात ह या अिात छातर उततर दत ह ndash

वजिक एक िात ह अब वशकषक छातरो स कहता ह- वक परयोग करक बताइय वक जब वजिक कवणकाओ ि र

िीर ndashिीर सलफ़यररक अमपल डाला जाता ह तो कया होता ह छातर परयोगशाला म सियि परयोग करत ह

और यह ात ह वक परयोग क दौरान जब एक बीकर म वजिक कवणकाओ ि को लकर उन र िीर ndashिीर

सलफ़यररक अमपल डाला जाता ह तो बीकर म बलबल वनकलन लगत ह छातर वशकषक को वदखात ह वक

यह परयोग करन र बीकर स कछ बलबल वनकल रह ह अब वशकषक छातरो को इन बलबलो क ास

जलती हई मोमबतती ल जान क वलए कहता ह जब छातर इन बलबलो क ास जलती हई मोमबतती ल

जात ह तो ॉ की आिाज़ क सार बलबलो क र म वनकल रही हाइरोजन गस जलन लगती ह

वशकषक छातरो स छता ह ndash बताइय इस परयोग क दौरान बीकर म य बलबल वकस गस क बिनन क कारण

वनकल रह ह छातर उततर दत ह - हाइरोजन गस अब अित म वशकषक इस परयोग को समीकरण क र म

शयाम टट र वलख दता ह-

Zn + H2SO4 rarr ZnSO4 + H2uarr

वजिक सलफ़यररक अमपल वजिक सलफि हाइरोजन गस

(िात ) (अमपल) (लिण)

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इस परकार आगमन विवि म छातर सियि परयोग करक सीखत ह छातरो को सियि क परयोग स स षट हो जाता

ह वक -िात अमपल क सार विया करक लिण बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती

गण ि दोष

गण

1 यह एक मनोिजञावनक विवि ह

2 यह छातर कवनित विवि ह

3 इस विवि दवारा छातरो को निीन जञान को खोजन का अिसर वमलता ह वजसस छातरो म

अनसनिान की परिवतत का विकास होता ह

4 यह विवि छातरो को सियि करक सीखन र बल दती ह

5 इस विवि दवारा सीखा गया जञान अविक सरायी होता ह कयोवक छातर इस विवि म सियि करक

सीखत ह

6 यह विवि छोिी ककषा क छातरो क वलए अविक उ योगी ह

7 यह विवि वयािहाररक जीिन क वलए अविक उ योगी ह

दोष

1 इस विवि दवारा सीखन म समय एिम शरम अविक लगता ह

2 इस विवि दवारा किल सामानय वनयमो की खोज की जा सकती ह

3 यह विवि हमार विददालयो की रमप रागत ककषाओ ि क अनकल नही ह कयोवक इस विवि म

वयवकतगत वशकषण र जोर दना ड़ता ह

तनगमन तिति

वनगमन विवि म हम वनयम स उदाहरण की ओर चलत ह इस विवि म छातरो को सियि करक सीखन क

अिसर नही वमलत ह यह विवि आगमन विवि क एकदम वि रीत ह इस विवि म वशकषक दवारा वकसी

सामानय वनयम या वसदधानत को छातरो क समकष परसतत कर वदया जाता ह और वफर वशकषक उस वनयम

की सतयता की जाच या वषट क वलए विवरनन उदाहरणो का परयोग करता ह वनगमन विवि म हम

सामानय स विवशषट की ओर सकषम स सरल की ओर ि परमाण स परतयकष की ओर आवद वशकषण सतरो का

परयोग करत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

मान लीवजय वशकषक छातरो को यह वनयम बताना चाहता ह वक िात अमपल क सार विया करक लिण

बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह तो वनगमन विवि म वशकषक इस वनयम को

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 124

छातरो क समकष सियि परसतत कर दता ह और वफर कछ उदाहरणो की सहायता स उस वनयम की सतयता

की जािच करता ह सबस हल वशकषक छातरो स परशन करता ह -बताइय वजिक िात ह या अिात छातर

उततर दत ह ndashवजिक एक िात ह अब वशकषक छातरो क समकष वनयम को सियि परसतत करता ह वक- िात

अमपल क सार विया करक लिण बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह इसको

हम एक उदाहरण की सहायता स स षट कर सकत ह जब वजिक कवणकाओ ि र िीर - िीर सलफ़यररक

अमपल डाला जाता ह तो लिण क र म हम वजिक सलफि परापत होता ह तरा सार ही इस अवरविया म

हाइरोजन गस वनकलती ह समीकरण क र म इस हम वनमपन परकार परदवशथत कर सकत ह -

Zn + H2SO4 rarr ZnSO4 + H2uarr

वजिक सलफ़यररक अमपल वजिक सलफि हाइरोजन गस

(िात ) (अमपल) (लिण)

अब इस वनयम को अविक स षट करन हत तरा इसकी सतयता की जािच हत वशकषक कछ अनय उदाहरण

छातरो क समकष परसतत करता ह ndashछातरो वजस परकार वजिक जो वक एक िात ह सलफ़यररक अमपल क सार

विया करक लिण बनाता ह एिम इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह ठीक इसी परकार

सोवडयम री जो वक एक िात ह काबोवनक अमपल क सार विया करक लिण बनाता ह तरा इस

अवरविया म री हाइरोजन गस वनकलती ह इस अवरविया को हम समीकरण क र म वनमपन परकार

परदवशथत कर सकत ह ndash

2 Na+ H2CO3 rarr Na2CO3 + H2uarr

सोवडयम काबोवनक अमपल सोवडयम काबोनि हाइरोजन गस

(िात ) (अमपल) (लिण)

गण ि दोष

गण

1 यह विवि उचच ककषा क छातरो वलए अविक उ योगी ह

2 इस विवि दवारा कम समय म अविक जञान परापत वकया जा सकता ह

दोष

1 यह विवि अमनोिजञावनक ह

2 यह वशकषक कवनित विवि ह

3 इस विवि म छातर ककषा म वनवषटिय शरोता क र म बठ रहत ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 125

4 यह विवि छातरो म िजञावनक िवषटकोण का विकास नही करती ह

5 यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

6 इस विवि म छातरो को सियि करक सीखन क अिसर नही वमलत ह अतः सीखा गया जञान

सरायी नही होता ह

स षट ह वक आगमन तरा वनगमन विविया दोनो ही एक दसर की रक ह छातरो को िासतविक जञान दन क

वलए जहा एक ओर आगमन विवि दवारा वनयमो को परवत ावदत करना आिशयक ह िही वनगमन विवि क

दवारा परवत ावदत वकय गय वनयम की सतयता की जािच री आिशयक ह अतः सफल विजञान वशकषण क

वलए विजञान वशकषक को दोनो विवियो का स षट जञान होना चावहए तरा दोनो विवियो को एक दसर की

रक विवि क र म यरा समय उवचत परयोग करना आना चावहए

अभयास परशन

7 आगमन तरा वनगमन विविया दोनो ही एक दसर की रक विविया ह (सतय असतय )

8 वनगमन विवि म हम उदाहरण स वनयम की ओर चलत ह (सतय असतय )

9 इस विवि म विवशषट स सामानय की ओर सरल स सकषम की ओर ि परतयकष स परमाण की ओर

आवद वशकषण सतरो का परयोग वकया जाता ह (सतय असतय )

10 आगमन विवि क कोई दो गण वलवखए

11 वनगमन विवि क कोई दो दोष वलवखए

334 तिशलषण-सशलषण तिति

तिशलषण तिति

विशलषण शबद का अरथ ह - वकसी णथ िसत को उसक छोि-छोि रागो म विरकत करना अराथत वकसी

समसया को हल करन क वलए उस ऐस छोि छोि खणडो म विरावजत करना वजनको नः सिगवठत करक

समसया का हल वकया जा सक यह एक ऐसी वशकषण विवि ह वजसम हम अजञात स जञात की ओर

वनषटकषथ स अनमान की ओर तरा णथ स अिश की ओर चलत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

उदाहरण क वलए वशकषक छातरो क सामन ldquoअमपल कषार एिम लिणrdquo क परतयय को परसतत करता ह

वशकषक छातरो क परशनो क उततर हा या नही म दता ह इस विवि म कयोवक हम णथ स अिश की ओर चलत

ह अतः वशकषक सबस हल छातरो को लिण क विषय म समझाता ह वक लिण वकस कहत ह यह वकस

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 126

परकार बनता ह इसक शचात िह अमपल एिम कषार क विषय म छातरो को समझाता ह वक अमपल और

कषार वकनह कहत ह

वशकषक छातरो क समपमख हमार घरो म खान म परयोग वकय जान िाला नमक परसतत करता ह अब िह

छातरो स छता ह वक आ क समपमख जो सफ़द रिग का दारथ परसतत वकया गया ह इसको चखकर

हचावनए की यह कया ह एक छातर नमक को चखकर बताता ह वक यह नमक ह वशकषक छातर क सही

उततर की वषट करता ह और कहता ह वक आ का जिाब सही ह यह नमक ही ह वजस हम अ न घरो म

खान की चीज़ो म नमकीन सिाद दन क वलए परयोग करत ह वशकषक छातरो स छता ह वक कया आ

जानत ह रसायन विजञान की राषा म नमक को कया कहा जाता ह इस परशन र छातर वनरततर हो जात ह

अब वशकषक छातरो को स षट करता ह की रसायन विजञान की राषा म नमक को लिण कहा जाता ह तरी

एक छातर परशन करता ह की लिण कया ह इस र वशकषक छातर क परशन का उततर दता ह और बताता ह वक

लिण िह यौवगक ह जो वकसी अमपल क एक या अविक हाइरोजन आयन को वकसी कषार क एक एक या

अविक िनायन स परवतसराव त करन र बनता ह

जस सोवडयम कलोराइड हाइरोकलोररक अमपल क हाइरोजन आयन को सोवडयम हाइरोकसाइड क

सोवडयम आयन दवारा परवतसराव त करन स बनता ह वशकषक वनमपन समीकरण को शयाम टट र वलख दता

ह -

NaOH + HCl rarr NaCl + H2O

सोवडयम हाइरोकसाइड हाइरोकलोररक अमपल सोवडयम कलोराइड

( कषार ) (अमपल ) (लिण) (जल)

अब इस उदाहरण को धयान म रखत हए वशकषक की उ वसरवत म छातर परयोगशाला म सियि रीकषण

करक दखत ह वक वकस परकार अमपल ि कषार की विया स लिण बनता ह ि परयोगशाला म समान

आयतन म सोवडयम हाइरोकसाइड तरा हाइरोकलोररक अमपल एक बीकर म लकर दोनो को एक सार

वमलाकर िीर-िीर गरम करत ह ऐसा करन र ि दखत ह वक कछ समय बाद जल क सार सफ़द

विसिल क र म एक दारथ परापत होता ह वशकषक इस दारथ को दखकर छातरो को बताता ह वक यह

सफ़द विसिलीय दारथ जो आ को परापत हआ ह यही सोवडयम कलोराइड ह जो वक एक लिण ह अब

वशकषक नः परशन करता ह वक कया आ जानत ह वक लिण वजनकी अवरविया क फलसिर बना ह

अराथत अमपल और कषार ि कया होत ह छातर नः वनरततर हो जात ह वशकषक अब स षट करत हए

बताता ह वक अमपल एक ऐसा दारथ ह जो हाइरोजन आयन दता ह जस- HCl H2SO4 आवद जबवक

कषार एक ऐसा दारथ ह जो हाइरोजन आयन लता हजस ndash NaOH KOH आवद सोवडयम कलोराइड

क वनमाथण हत आ न परयोगशाला म हाइरोकलोररक अमपल ि सोवडयम हाइरोकसाइड परयोग वकय जोवक

िमशः अमपल ि कषार ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 127

गण ि दोष

गण

1 यह एक मनोिजञावनक विवि ह

2 यह विवि खोज की एक विवि ह

3 यह विवि छातरो म मौवलक वचितन एिम विचार को परोतसावहत करती ह

4 यह विवि अरथ णथ सीखन को परोतसावहत करती ह

5 इस विवि दवारा छातर सविय रहत हए जञान परापत करत ह

6 यह विवि सियि करक सीखन र बल दती ह

7 इस विवि दवारा सीखा गया जञान अविक सरायी होता ह और यवद छातर कछ रल री जाय तो उस नः

आसानी स याद वकया जा सकता ह

8 इस विवि दवारा छातर म तकथ शवकत तरा सही ढिग स वनणथय लन की आदत का विकास होता ह

दोष

1 यह अविक लमपबी विवि ह इसम समय ि शरम अविक लगता ह

2 यह विवि सरी परकरणो क वलए उ यकत नही ह

3 परतयक वशकषक दवारा इस विवि का परयोग नही वकया जा सकता ह इसक परयोग हत उवचत परवशकषण

की आिशयकता ह

4 यह विवि सरी छातरो क वलए उ यकत नही ह औसत स वनमपन बवदध सतर िाल छातर इस विवि दवारा

सही स नही सीख ात

सशलषण तिति

सिशलषण विवि विशलषण विवि क वबलकल वि रीत ह सिशलषण का अरथ ह- वकसी िसत क छोि - छोि

खणडो को न एकवतरत कर दना वजनम वक उस करी विरकत वकया गया रा इस विवि म हम वकसी

समसया का हल करन क वलए उस समसया स सिबिवित िथ जञात सचनाओ ि को एक सार वमलाकर उस

समसया को हल करन का परयतन करत ह यह एक ऐसी वशकषण विवि ह वजसम हम जञात स अजञात की

ओर अनमान स वनषटकषथ की ओर तरा अिश स णथ की ओर चलत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

उदाहरण क वलए वशकषक छातरो क सामन ldquoअमपल कषार एिम लिणrdquo क परतयय को परसतत करता ह

वशकषक छातरो क परशनो क उततर हा या नही म दता ह इस विवि म कयोवक हम अिश स णथ की ओर चलत

ह अतः वशकषक सबस हल छातरो को अमपल एिम कषार क विषय म समझाता ह वक अमपल और कषार

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 128

वकनह कहत ह इसक शचात िह लिण क विषय म छातरो को समझाता ह वक लिण वकस कहत हऔर

यह वकस परकार बनता ह

वशकषक छातरो स छता ह वक आ न करी नीब का सिाद चखा ह यह कसा होता ह एक छातर उततर

दता ह हा नीब का सिाद खटटा होता ह वशकषक नः परशन करता ह कोलड वरिक का सिाद कसा होता ह

छातर उततर दत ह ndash रोड़ा कड़िा वशकषक छता ह ndashकया आ जानत ह नीब का सिाद खटटा और कोलड

वरिक का सिाद रोड़ा कड़िा वकस कारण होता ह एक छातर उततर दता ह नीब का सिाद अमपल की िजह

स खटटा होता ह और कोलड वरिक का सिाद कषार क कारण कड़िा होता ह वशकषक परशन करता ह की कया

आ जानत ह अमपल और कषार वकनह कहत ह छातर वनरततर हो जात ह तब वशकषक स षट करता ह वक

अमपल एक ऐसा दारथ ह जो हाइरोजन आयन दता ह जस- HCl H2SO4 आवद जबवक कषार एक ऐसा

दारथ ह जो हाइरोजन आयन लता हजस ndash NaOH KOH आवद अब वशकषक छातरो क समपमख

हमार घरो म खान म परयोग वकय जान िाला नमक परसतत करता ह अब िह छातरो स छता ह वक आ क

समपमख जो सफ़द रिग का दारथ परसतत वकया गया ह इसको चखकर हचावनए की यह कया ह एक छातर

नमक को चखकर बताता ह वक यह नमक ह वशकषक छातर क सही उततर की वषट करता ह और कहता ह

वक आ का जिाब सही ह यह नमक ही ह वजस हम अ न घरो म खान की चीज़ो म नमकीन सिाद दन

क वलए परयोग करत ह वशकषक छातरो स छता ह वक कया आ जानत ह रसायन विजञान की राषा म

नमक को कया कहा जाता ह इस परशन र छातर वनरततर हो जात ह अब वशकषक छातरो को स षट करता ह

की रसायन विजञान की राषा म नमक को लिण कहा जाता ह तरी एक छातर परशन करता ह की लिण

कया ह इस र वशकषक छातर क परशन का उततर दता ह और बताता ह वक लिण िह यौवगक ह जो वकसी

अमपल क एक या अविक हाइरोजन आयन को वकसी कषार क एक एक या अविक िनायन स परवतसराव त

करन र बनता ह

जस सोवडयम कलोराइड (लिण) हाइरोकलोररक अमपल (अमपल ) क हाइरोजन आयन को सोवडयम

हाइरोकसाइड ( कषार ) क सोवडयम आयन दवारा परवतसराव त करन स बनता ह वशकषक वनमपन समीकरण

को शयाम टट र वलख दता

ह -

NaOH + HCl rarr NaCl + H2O

सोवडयम हाइरोकसाइड हाइरोकलोररक अमपल सोवडयम कलोराइड

( कषार ) (अमपल ) (लिण) (जल)

गण ि दोष

गण

1 यह एक सिवकषपत विवि ह

2 यह एक तावकथ क विवि ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 129

3 इस विवि म समय एिम शरम की बचत होती ह

4 इस विवि म हल स खोज गय तथयो को वयिवसरत तरीक स परसतत वकया जाता ह

5 यह विवि अविकािश छातरो क वलए उ यकत ह

दोष

1 यह एक अमनोिजञावनक विवि ह

2 इस विवि म छातर ककषा म एक वनवषटिय शरोता क र म बठा रहता ह

3 इस विवि म छातरो को सियि करक सीखन क वलए कोई सरान नही वदया जाता ह

4 इस विवि दवारा सीखा गया जञान अविक सरायी नही होता ह अतः यवद छातर कछ रल जाय तो

उस याद कर ाना छातर क वलए सिरि नही ह

5 यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

6 इस विवि म खोज क वलए कोई सरान नही होता ह

उ रोकत दोनो विविया एक दसर की रक ह दोनो विवियो म अ न कछ गण ह तो कछ दोष री ह इन

दोनो विवियो को सियकत र म परयोग करक विजञान वशकषण को पररािशाली बनाया जा सकता ह

कयोवक ऐसा करन र एक विवि क गण दसरी विवि क दोषो को सियि दर कर दत ह अतः जो विजञान

वशकषक विशलषण विवि दवारा छातरो म वकसी समसया को हल करन की अितिथवषट दा कर सकता ह िही

वशकषक सिशलषण विवि का परयोग एक रक विवि की तरह करक सफल विजञान वशकषण कर सकता ह

अभयास परशन

12 विशलषण एिम ________ दोनो विविया एक दसर की_________ह

13 _______ विवि म हम अजञात स जञात की ओर वनषटकषथ स अनमान की ओर तरा णथ स अिश

की ओर चलत ह

14 __________हम जञात स अजञात की ओर अनमान स वनषटकषथ की ओर तरा अिश स णथ की

ओर चलत ह

15 विशलषण विवि क कोई दो दोष वलवखए

16 सिशलषण विवि क कोई दो गण वलवखए

335 परोिकट तिति

परोजकि विवि क जनमदाता जॉन डीिी क वशषटय डबल एच वकल वरक ह वकल वरक क अनसार ndash

ldquoपरोजकि िह कायथ ह वजस री लगन क सार सामावजक िातािरण म णथ वकया जाता ह rdquo इस विवि

म ढाई का क ि परोजकि ही होता ह परोजकि विवि म छातर वकसी समसया क समािान क वलए वकसी

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उवचत परोजकि का चयन करक ि योजनाबदध तरीक स कायथ करक परोजकि को रा करन का परयास

करत ह अतः हम कह सकत ह वक ldquoकरक सीखनाrdquo ही परोजकि विवि का सार ह परोजकि विवि स

वशकषण करन क वलए वशकषक तरा छातरो को वनमपन छह सो ानो का अनसरण करना ड़ता हndash

ररवसरवत उत नन करना

परोजकि का चयन करना

कायथिम बनाना

कायथिम क अनसार कायथ करना

कायथ का मलयािकन करना

समप णथ कायथ का ररकॉडथ रखना

i पररतसरति उतपनन करना - सबस हल वशकषक छातरो क सामन ऐसी ररसरवत उत नन करता ह

वक छातर क समपमख कोई समसया आय या िह वकसी आिशकता को सियि अनरि कर इस

समसया का समािान करना या आिशयकता की वतथ करना ही छातर को परोजकि चनन क वलए

परररत करता ह

ii परोिकट का चयन करना - दसर सो ान म छातर दवारा अ न वशकषक क सार ि ककषा क अनय

सावरयो क सार चचाथ ररचचाथ करक परोजकि का चयन कर वलया जाता ह तरा इस परोजकि क

उददशय री स षट कर वलए जात ह परोजकि को रा करन क वलए अराथत समसया का समािान

करन क वलए परतयक छातर को अ नी योजना परसतावित करन की णथ सितितरता होती ह

iii काययिम बनाना - तीसर सो ान म वशकषक की उवचत दख रख म परोजकि क मागथ म आन

िाली रशावनयो उ लबि सिसािनो वकय जान िाल विविि कायो आवद र चचाथ करक एक

कायथिम बना वलया जाता ह कायथिम ऐसा बनाया जाता ह वक ककषा का परतयक छातर उस णथ

करन म अ ना सहयोग कर सक

iv काययिम क अनसार कायय करना - सरी छातरो को उनकी योगयता एिम सामथयथ क अनसार

ही कायथ वदया जाता ह कायथिम बन जान क शचात सरी छातर अ न उततरदावयति को रली

परकार रा करत ह अ न कायथ को समप ावदत करन हत यवद छातरो को निीन जञान गरहण करन

की आिशयकता होती ह तो ऐस म वशकषक अ न अनरि क आिार र छातरो को निीन जञान

गरहण करन म सहायता करता ह

v कायय का मलयाकन करना - इस सो ान म समय समय र विचार गोषठी का आयोजन करक

कायथ का मलयाङकन वकया जाता ह सार ही कायथिम क विवरनन वियाकला ो र विचार

करक उनम आिशयकतानसार सिशोिन री वकया जाता ह परोजकि क रा हो जान र यह री

दखा जाता ह वक उददशयो की वतथ म कहा तक सफलता वमली ह

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vi समपणय कायय का ररकॉडय रखना - छातरो दवारा परोजकि क चनाि स लकर उसक रा हो जान

तक सार कायो का ररकॉडथ रखा जाता ह छातर अ न कायो क बार म रवजसिर म वलखत जात ह

परोजकि को रा करन म जो कवठनाइया सामन आयी जो कवमयाि उनक कायथ म रह गयी ि जो

री निीन जञान इस परोजकि क दौरान उनह परापत हआ उनह छातर नोि कर लत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

उदाहरण क वलए मान लीवजय कोई वशकषक अ न विददालय म विजञान सिगरहालय बनिाना चाहता ह ऐस

म िह छातरो को सीि कोई आदश ना दकर विजञान सिगरहालय की आिशयकता अनरि करान हत छातरो

को वकसी विजञान सिगरहालय क शवकषक भमण र ल जाता ह शवकषक भमण क दौरान छातरो को अनरि

होता ह वक उनक विददालय म री विजञान सिगरहालय जस विजञान क नमन मॉडल उ करण इतयावद होन

चावहए विजञान सिगरहालय स िाव स आन क शचात एक गोषठी का आयोजन वकया जाता ह जहा र

छातर अ न- अ न परसताि रखत ह विददालय म कोई छातर विददत घििी लान की बात कहता ह तो कोई

छातर रौवतक तला बनाकर लान की बात कहता ह अित म विचार विमशथ क बाद एक योजना सिीकार

कर ली जाती ह वक विददालय म ही छातरो दवारा एक विजञान सिगरहालय बनाया जायगा योजना को रा

करन क वलए विचार विमशथ करक एक कायथिम बनाया जाता ह सरी छातर अ नी अ नी रवच और

सामथयथ क अनसार विवरनन कायथ हार म ल लत ह और अ न-अ न कायथ को उतसाह क सार रा करन

म जि जात ह जस - कोई छातर वयय का वहसाब वकताब रखता ह कोई छातर विजञान क नमन खरीद कर

लान की वजमपमदारी लता ह कोई िजञावनक उ करणो को लान की वजमपमदारी लता ह तो कोई विजञान

का कोई मॉडल बना कर लान की वजमपमदारी लता ह कायथ को सफलता िथक समप ावदत करन क वलए

आिशयकता ड़न र वशकषक छातरो को उवचत रामशथ एिम सहायता री दता ह समय-समय र

वशकषक एिम छातर वमलकर कायथिम का मलयाङकन करत हतरा यह दखत ह की उददशय की परावपत कहा

तक हई ह यवद ि अनरि करत ह की कायथिम म कही कोई कमी रह गयी ह तो आिशयकतानसार

अ न कायथिम म सिशोिन री करत ह छातर अ न कायो क बार म रवजसिर म वलखत जात ह परोजकि

क चयन स लकर परोजकि रा होन तक परोजकि को रा करन म जो कवठनाइया सामन आयी जो

कवमयाि उनक कायथ म रह गयी ि जो री निीन जञान इस परोजकि क दौरान उनह परापत हआ उनह छातर नोि

कर लत ह

गण ि दोष

गण

1 यह एक मनोिजञावनक विवि ह

2 इस विवि म छातर सियि करक सीखत ह

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3 इस विवि दवारा परापत जञान अविक सरायी होता ह

4 इस विवि दवारा छातरो म िजञावनक िवषटकोण का विकास होता ह

5 इस विवि दवारा छातरो म उततरदावयति की रािना कतथवयवनषठासहयोग की रािना ियथ आवद

सामावजक गणो का विकास होता ह

दोष

1 इस विवि म अविक िन वयय होता ह तरा वकसी री परोजकि को रा करन क वलए अविक

समय की आिशयकता होती ह

2 इस विवि क परयोग हत परवशवकषत एिम योगय वशकषको की आिशयकता होती ह वजनका

वनतानत अराि ह

3 इस विवि दवारा जञान िमबदध तरीक स परापत नही होता ह

4 वनवशचत ाठयिम को इस विवि की सहायता स रा करना कवठन ह

अभयास परशन

17 परोजकि विवि क जनमदाता _______क वशषटय _______ह

18 ________ही परोजकि विवि का सार ह

19 परोजकि विवि स वशकषण करन क वलए वशकषक तरा छातरो को वजन सो ानो का अनसरण

करना ड़ता ह उन सरी सो ानो को वलवखए

34 उपयकत वशकषण वववधयो का चयन पररािशाली विजञान वशकषण हत विजञान वशकषण की विवरनन विवियो म स वकसका परयोग वकया जाय

वकसी परकरण विशष क वलए कौन सी वशकषण विवि सिोततम होगी इस परकार क बहत सार परशन वशकषक

क मन मवसतषटक म आत रहत ह परायःपरतयक विवि क अ न गण ि दोष होत ह इसवलय वकसी एक

विवि को अचछा और दसरी विवि को ख़राब कहना उवचत नही होगा िासति म विजञान वशकषण की

वकसी री एक ही विवि को सिोततम नही कहा जा सकता ह बवलक विजञान वशकषण हत एक स अविक

विवियो को रक क र म परयोग करक विजञान वशकषण को अविक पररािशाली बनाया जा सकता ह

विजञान वशकषण हत उ यकत वशकषण विवि का चयन मखय र स वनमपन बातो र वनरथर करता ह ndash

i वशकषक की योगयता विषय का जञान ि अनरि

ii परकरण को ढ़ान का उददशय कया ह

iii परकरण का सिर

iv छातरो की आय ि मानवसक सतर

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उ रोकत बातो को धयान म रखत हए वशकषक दवारा विजञान वशकषण हत चाह वकसी री वशकषण विवि का

चयन वकया जाय वकनत एक उ यकत वशकषण विवि िासति म िही ह -वजसक दवारा छातरो को विषय सही

स समझ म आ सक वजसम उनह सियि करक सीखन क अिसर वमल सक वजसम उनको अ न विचार

सितितरता िथक वयकत करन क अिसर वमल सक तरा अ नी समसयाओ ि का समािान करन क अिसर

वमल सक

अभयास परशन

20 विजञान वशकषण हत उ यकत वशकषण विवि का चयन मखय र स वकन बातो र वनरथर करता

ह वलवखए

35 सारााश वशकषण विविया वशकषक का मागथ दशथन करती ह वजस परकार स सही रासत की जानकारी क अराि म

कोई वयवकत अ न गितवय सरान तक नही हच सकता ह ठीक उसी परकार वशकषक एक उवचत वशकषण

विवि की जानकारी क अराि म अ न छातरो को विषय का सही जञान नही द सकता ह

सािारणतया वकसी री विषय क वशकषण स हल यह दखा जाता ह वक इस विषय को कयो ढाया जाय

इसी बात को धयान म रखत हए उस विषय क वशकषण उददशय वनिाथररत वकय जात ह वशकषण उददशय

वनिाथररत करन क शचात यह दखा जाता ह वक वकन वशकषण विवियो क माधयम स वशकषण कायथ वकया

जाय वजसस वक वशकषण क उददशय परापत हो जाय विवरनन अधययनो एिम रीकषणो दवारा यह वनवशचत कर

वलया गया ह वक रौवतक विजञान क पररािशाली वशकषण हत कौन-कौन सी वशकषण विविया उ यकत ह

इस इकाई म हमन विजञान वशकषण की विवरनन विवियो क विषय म तरा पररािशाली ककषा वशकषण हत

इन विवियो को वकस परकार परयोग वकया जाना चावहए इसक विषय म विसतार िथक चचाथ की ह

वशकषक दवारा विजञान वशकषण हत चाह वकसी री वशकषण विवि का चयन वकया जाय वकनत एक उ यकत

वशकषण विवि िासति म िही ह -वजसक दवारा छातरो को विषय सही स समझ म आ सक वजसम उनह सियि

करक सीखन क अिसर वमल सक वजसम उनको अ न विचार सितितरता िथक वयकत करन क अिसर

वमल सक तरा अ नी समसयाओ ि का समािान करन क अिसर वमल सक

36 शब दाविी 1 तिशलषण वकसी णथ िसत को उसक छोि-छोि रागो म विरकत करना अराथत वकसी समसया

को हल करन क वलए उस ऐस छोि छोि खणडो म विरावजत करना वजनको नः सिगवठत करक

समसया का हल वकया जा सक

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 134

2 सशलषणवकसी िसत क छोि - छोि खणडो को न एकवतरत कर दना वजनम वक उस करी

विरकत वकया गया रा

3 परोिकट परोजकि िह कायथ ह वजस री लगन क सार सामावजक िातािरण म णथ वकया

जाता ह

37 अभ यास परशनो क उत तर 1 असतय

2 सतय

3 सतय

4 इस विवि दवारा छातरो म िजञावनक िवषटकोण का विकास नही होता ह

यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

5 इस विवि म वशकषक तरा छातर दोनो सविय रहत ह

यह विवि छोिी ककषाओ ि क वलए अविक उ यकत ह

6 इस विवि दवारा छातरो को सियि परयोग करक सीखन क अिसर परापत नही होत ह

करी करी वशकषक दवारा यवद वकसी कारणिश परयोग सफल नही होता ह तो छातरो क मन म

विषय क परवत कई भािवतयाि दा हो जाती ह

7 सतय

8 असतय

9 सतय

10 यह एक मनोिजञावनक विवि ह

यह छातर कवनित विवि ह

11 यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

इस विवि म छातरो को सियि करक सीखन क अिसर नही वमलत ह अतः सीखा गया जञान

सरायी नही होता ह

12 सिशलषण रक

13 विशलषण

14 सिशलषण

15 यह अविक लमपबी विवि ह इसम समय ि शरम अविक लगता ह

यह विवि सरी परकरणो क वलए उ यकत नही ह

16 यह एक सिवकषपत विवि ह

यह एक तावकथ क विवि ह

17 जॉन डीिी डबल एच वकल वरक

18 ldquoकरक सीखनाrdquo

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 135

19 ररवसरवत उत नन करना

परोजकि का चयन करना

कायथिम बनाना

कायथिम क अनसार कायथ करना

कायथ का मलयािकन करना

समप णथ कायथ का ररकॉडथ रखना

20 विजञान वशकषण हत उ यकत वशकषण विवि का चयन मखय र स वनमपन बातो र वनरथर करता

ह-

i वशकषक की योगयता

ii विषय का जञान ि अनरि

iii परकरण को ढ़ान का उददशय कया ह

iv परकरण का सिर

v छातरो की आय ि मानवसक सतर

38 सदरथ गरार सची 1 रिनागर डॉ ए बी एिम रिनागर डॉ अनराग 2006 वफवजकल साइिस वशकषण आर लाल

वबलकशनस मरठ

2 नगी परो ज एस 2013 रौवतक विजञान वशकषण अगरिाल वबलकशनस आगरा

3 माहशवरी िी क एिम माहशवरी सिा 2005 विजञान वशकषण आर लाल वबलकशनस मरठ

4 httpwwwpreservearticlescom201105216947a-comparative-study-of-

analytic-and-synthetic-method-of-teaching-mathematicshtml

5 httpswwwcsunedusciencerefreasoningdeductive_reasoningdeductive-

chemistryhtml

39 वनबाधात मक परशन 1 विजञान वशकषण की कौन- कौन सी परमख विविया ह इनम स वकसी एक वशकषण विवि का

विसतार िथक िणथन कीवजय

2 आगमन वनगमन विवि कया ह इस विवि को विजञान वशकषण हत वकस परकार परयोग वकया जाता ह

इस विवि क गण -दोषो की री चचाथ कीवजय

Page 2: BED II- CPS 7 I Pedagogy of Physical Science (Part I)BED II- CPS 7 भ तक व# न क श(णश * (भ ग I) Pedagogy of Physical Science (Part I) श#क श# वभ ग, श

ISBN 13-978-93-85740-74-9

BED II- CPS 7 (BAR CODE)

BED II- CPS 7

भौितक िवान का िश(णशा (भाग I) Pedagogy of Physical Science (Part I)

िशक िशा िवभाग िशाशा िवाशाखा उराखampड म िव-िवालय हानी

अययन बोड( िवशषamp सिमित ोफसर एच० पी० शल (अय$- पदन) िनदशक िश(ाशा िवाशाखा

उराखampड म िव-िवालय

ोफसर मह$मद िमया (बा िवशष)- सदय) पव$ अिध(ाता िशा सकाय

जािमया िमिampलया इ)लािमया व पव- कलपित मौलाना आजाद रा+ीय उद0

िविव$ालय हदराबाद

ोफसर एन० एन० पाडय (बा िवशष)- सदय) िवभागाampय( िशा िवभाग

एम० ज० पी० हलखampड िविव+ालय बरली

ोफसर क० बी० बधोरी (बा िवशष)- सदय) पव( अिधाता िश0ा सकाय

एच० एन० बी० गढ़वाल िविव(ालय ीनगर उराख1ड

ोफसर ज० क० जोशी (िवशष आम)ी- सदय) िशाशा) िव+ाशाखा

उराखampड म िव-िवालय

ोफसर रभा जोशी (िवशष आम)ी- सदय) िशाशा) िव+ाशाखा उराख0ड

म िवampिवालय

डॉ० िदनश कमार (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0 िवाशाखा उ(राखड

म िवampिवालय

डॉ० भावना पलिड़या (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0 िव2ाशाखा

उराखampड म िव-िवालय

सी ममता कमारी (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0 िव2ाशाखा एव सह-

समवयक बी० एड० काय$म उ(राख+ड म िव1िव2ालय

डॉ० वीण कमार ितवारी (सदय एव सयोजक) सहायक -ोफसर िश3ाशा4

िवाशाखा एव सम+वयक बी० एड० काय$म उ(राख+ड म िव1िव2ालय

ोफसर एच० पी० शल (अय$- पदन) िनदशक िश(ाशा

िवाशाखा उ(राखड म िविवालय

ोफसर सी० बी० शमा$ (बा िवशषamp- सदय) अampय रा+ीय

म िवampालयी िशा सथान नोएडा

ोफसर पवन कमार शमा (बा िवशष)- सदय) अिध(ाता

िशा सकाय व सामािजक िवान सकाय अटल िबहारी बाजपयी िह7दी

िविव$ालय भोपाल

ोफसर ज० क० जोशी (िवशष आमी- सदय) िशाशा)

िवाशाखा उ(राखड म िविवालय

ोफसर रभा जोशी (िवशष आम)ी- सदय) िशाशा)

िवाशाखा उ(राखड म िविवालय

डॉ० िदनश कमार (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0

िवाशाखा उ(राखड म िविव$ालय

डॉ० भावना पलिड़या (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0

िवाशाखा उ(राखड म िविवालय

सी ममता कमारी (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0

िवाशाखा एव सह-समवयक बी० एड० काय$म उ(राख+ड म

िविव$ालय

डॉ० वीण कमार ितवारी (सदय एव सयोजक) सहायक -ोफसर

िशाशा िवाशाखा एव सम-वयक बी० एड० काय$म उ(राख+ड

म िवampिवालय

िदशाबोध (ोफसर ज० क० जोशी पव$ िनदशक िश+ाशा- िवाशाखा उ1राख3ड म7 िव8िवालय हlt=ानी काय$म सम(वयक डॉ० वीण कमार ितवारी समवयक िश)क िश)ा िवभाग िशाशा िवाशाखा

उराखampड म िव-िवालय हानी ननीताल उ+राखड

काय$म सह-समवयक सी ममता कमारी

सह-समवयक िश)क िश)ा िवभाग िशाशा िवाशाखा उ(राखड म िवampिवालय ह-ानी ननीताल

उराखampड

पाठयampम सम)वयक डॉ० कनक शमाamp

पोट डॉटोरल फलो आई० ए० एस० ई० जािमया िमिampलया इलािमया नई िद+ली

पाठयampम सह समवयक डॉ० अिखलश कमार

सहायक ampोफसर िशा िवampापीठ वधमान महावीर खला िविवालय

कोटा राजथान

धान सampपादक डॉ० वीण कमार ितवारी

समवयक िश)क िश)ा िवभाग िश)ाशा- िवाशाखा उराखampड म िव-िवालय ह23ानी ननीताल उराखampड

उप स$पादक डॉ० कनक शमाamp

पोट डॉटोरल फलो आई० ए० एस० ई० जािमया िमिampलया इ)लािमया नई िदampली

िवषयवत स)पादक भाषा सपादक ाप सampपादक फ़ सशोधक सी ममता कमारी

सहायक ampोफसर िश-ाशा िवाशाखा उ(राखड म

िविव$ालय

सी ममता कमारी सहायक ोफसर िश)ाशा+ िवाशाखा उ(राखड म

िविव$ालय

सी ममता कमारी सहायक ampोफसर िश-ाशा िवाशाखा उ(राखड म

िविव$ालय

सी ममता कमारी सहायक ampोफसर िश-ाशा िवाशाखा उ(राखड म

िविव$ालय साम$ी िनमा(ण

ोफसर एच० पी० शल िनदशक िशाशा) िव+ाशाखा उराख0ड म4 िव5िव+ालय

ोफसर आर० सी० िम िनदशक एम० पी० डी० डी० उराखampड म िव-िवालय

copy उराखampड म िवampिवालय 2017 ISBN-13 -978-93-85740-74-9 थम सampकरण 2017 (पाठयampम का नाम भौितक िवान का िश(णशा (भाग I) पाठयampम कोड- BED II- CPS 7) सवा$िधकार सरित इस पतक क िकसी भी अश को ान क िकसी भी मा+यम म- योग करन स पव5 उ7राख9ड मlt िव=िवgtालय स िलिखत अनमित लना आवयक ह इकाई लखन स सबिधत िकसी भी िववाद क िलए पण56पण लखक िज8मदार होगा िकसी भी िववाद का िनपटारा उराखampड उ(च यायालय ननीताल म2 होगा िनदशक िशाशा) िव+ाशाखा उराख0ड म4 िव5िव+ालय 8ारा िनदशक एम० पी० डी० डी० क मायम स उ)राखड म िव2िव3ालय क िलए मि6त व 8कािशत काशक उराखampड म िव-िवालय मक उराखampड म िव-िवालय

काय$म का नाम बी० एड० काय$म कोड BED- 17

पाठयampम का नाम भौितक िवान का िश(णशा (भाग I) पाठयampम कोड- BED II- CPS 7

इकाई लखक खड सया

इकाई सया

डॉ० सनीता सदरयाल सहायक ampोफसर िश-ा िवभाग हीरालाल यादव ग4स5 पी० जी० कॉलज लखनऊ

1 1

डॉ० कनक शमाamp पोट डॉटोरल फलो आई० ए० एस० ई० जािमया िमिampलया इ)लािमया नई िदली

1 2 2 3

डॉ ० आाशिamp राय सह ोफसर िविश+ िशा सकाय शक2तला िम6ा रा78ीय पनवाltस िव=िवgtालय लखनऊ

1 3 व 5

डॉ० जय काश िसह सहायक ampोफसर िश-ा िवभाग ग2 घासीदास िव6िव7ालय िबलासपर

1 4

डॉ० िदया शमा( सहायक ampोफसर ारिभक िश)ा िवभाग माता सदरी कॉलज फॉर िवमन नई िदली

2 1

डॉ० सनीता िसह सहायक ampोफसर िश-ा िवभाग राजीव गाधी दि+णी परसर बी० एच० य० बरकछा िमजा)पर

2 2

BED II- CPS 7 भौितक िवान का िश(णशा (भाग I) Pedagogy of Physical Science (Part I)

खड 1 इकाई स० इकाई का नाम प स०

1 िवान अथ( )कित एव 1 2-18

2 भौितक िवान एव समाज 19-36

3 िवान क मायम स ान और समझ िवान क िया कौशल का िवकास वािनक िकोण और वािनक मनोवि का िवकास िवान म िजासा रचनामकता और सदय बोध (मायिमक तर) िवकिसत करना भौितकamp और रसायन िवान म िजासा रचनामकता और सदय बोध िवकिसत करना (उचतर मायिमक तर) ान (भौितकamp रसायन िवान) िशा को पया$वरण (ाकितक पया$वरण कलाकितय( और लोग$) ौोिगक( और समाज स जोड़ना

37-53

4 भौितक िवान िश+ण क अिधगम उ34य 54-69

5 भौितक अिधगमकता) को समझना- याज़ और वायगो+सक क ि1 म3 अिधगमकता7 अिधगमकता) को +-रत करना शािमल करना वाता$ करना और मयथता अिधगम िवान िशक क) भिमका

70-86

खड 2 इकाई स० इकाई का नाम प स०

1 भारतीय कल म िवान पाठयचया 88-105

2 पाठयचया िशण रणनीितय( और भौितक िवान क िनवतमान (झान 106-116

3 िवान िशण क िविधया और नीितया 117-135

4 इकाई चार -

5 इकाई पाच -

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 1

खणड 1

Block 1

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 2

इकाई 1- विजञान अरथ परकवि एि कषतर

11 परसतािना 12 उददशय 13 विजञान अरथ

14 विजञान की परकवत

141 विजञान अनिषण का कायथकषतर ह

142 विजञान एक गतयातमक परविया ह 143 विजञान जञान का विसतारशील व िड ह 144 विजञान अविगम का अितविथषयक कषतर ह

145 विजञान एक अनतराषटरीय उदयम ह

146 विजञान जञान वनमाथण की परविया ह 15 सारािश 16 अभयास परशनो क उततर

17 सनदरथ गरनर सची

18 वनबििातमक परशन

11 परसतावना विजञान एक वया क अनशाशन ndash समचचय ह वकसी काल म इन विजञानो की विशषताओ ि को उस

समपपरयातमक तान बान स जञात वकया जा सकता ह वजसस ि वनवमथत होत ह विजञान क आिार वनरितर

ररिवतथत होत रह ह इस इकाई म विजञान क अरथ को समझन की चषटा करग तरा उसकी परकवत को री

जानन की कोवशश करग विजञान एक गतयातमक परविया क सार सार अनिषण री ह अनिषण की इस

परविया को गहराई स जानग इसक अवतररकत विजञान की अितविथषयक परकवत को री समझग यही नही य

री जानग वक विजञान एक विसतारशील व िड ह वजसक फलसिर इसका एक अनतराषटरीय उदयम होन क

कषतर री विसतत हो रह ह इस इकाई म विजञान का हमार जीिन म कया महतति एिि रवमका ह इस र री

चचाथ होगी

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 3

12 उददशय इस इकाई का अधययन करन क शचात आ -

1 विजञान क अरथ का सरलीकरण कर परसतत कर सक ग

2 विजञान की परकवत का वििरण द सक ग

3 विजञान की गतयातमक परकवत का अिबोि कर सक ग

4 अनिषण परविया को विसतार िथक समझ सक ग

5 जञान वनमाथण क परतयय का अरथ समझा सक ग

6 विजञान म जञान का वनवमथवतकरण बता सक ग

7 विजञान का अितविथषयक सिर की अििारणा कर बता सक ग

13 ववजञान अरथ हल हम य जानन की कोवशश करत ह वक विजञान आवखर ह कया सिवििान क अनछद ५१ (अ) क

अनसार विजञान एक ldquo िजञावनक मनोिवत मानिता तरा अनिषण की रािना एिि बदलाि का विकास हrdquo

विजञान शबद की उतत वतत ldquoसाइिसrdquo (science) शबद स हई जो एक लविन राषा ldquoसाइिवशयाrdquo (scientia)

स वलया गया ह इसका अरथ ह ldquoजाननाrdquo वहिदी म विजञान का सिवि विचछद ह वि + जञान = विवशषठ जञान

आइिसिीन क अनसार ldquoहमारी जञान अनरवतयो को असत-वयसत विवरननता को एक तकथ णथ

विचार परणाली वनवमथत करन क परयास को विजञान कहत हrdquo िवडत जिाहरलाल नहर री विजञान का

विसतार चाहत र उनका कहना रा वक ldquoविजञान का अरथ किल मातर रखनली तरा कछ बड़ा या छोिा

बनान क वलए इसको और उसको वमलाना ही नही ह अव त िजञावनक विवि क अनसार हमार मवसतषटक को

परवशकषण दना ही विजञान हrdquo

मानि जनम स ही वजजञास पराणी ह अत िह अ न आस ास की िसतओ ि एिि घिनाओ ि की

ररवसरवतयो तरा उनम बदलाि को महसस करता ह तरा उसक बार म जानना चाहता ह

तिया कलाप

आ एक विजञान वशकषक क नात अ न अविगमपकताथओ ि स छ वक ि अ न आस ास ऐसी कौन कौन

सी आशचयथजनक या आकवषथत करन िाली घिनाए या िसतएि दखत ह वजनक बार म आ जानना

चाहत ह ऐसी िसतओ ि ि घिनाओ ि की सची बनाय इस सची र बाद म आ चचाथ कर सकत ह

जस उस िसत या घिना म कया आशचयथचवकत लगा

इसको आ न कब दखा या महसस वकया

इसक बार म जानन क वलए आ न आग कया वकया आवद

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 4

मानि न अ न विकास क सार जञान का री एकतरीकरण कर वलया ह इस जञान रणडार को हचानना

समझना जािचना और वफर परसततीकरण क वलए िमबदध करना री आिशयक ह अत विजञान का अरथ ह

वकसी िासत अरिा घिना का िमबदध अधयन ह

अभयास परशन

1 आ क अनसार विजञान का कया अरथ ह

14 ववजञान की परकवत समय क सार सार विजञान म री बदलाि दखन को वमल रहा ह य री दखा गया ह वक विजञान क मायन

री बदलत जा रह ह हर विषय या अनशाशन की एक परकवत होती ह और जररी नही वक िो एक जसी

हो कई िजञावनको एिि वशकषाविदो न विजञान की परकवत को लकर अ न विचार परकि वकय ह परकवत को

लकर कई िाद वििाद ि चचाथ होती आई ह जस -

कछ लोगो का मानना ह की िह ldquoसिजञाrdquo ह तो कछ इस वयिहारगत र दकर ldquoवियाrdquo माना ह

तरा कछ इस दोनो मानत ह

कछ लोग इस िमबदध जािच ड़ताल मानत ह

कछ इस वनवशचत ि जञानवनियो क आिार र अनरि मानत ह

िही कछ लोग इस जञान का व िड मानत ह

कछ लोग इस एक घिनािसत क परवत िजञावनक दवषटकोण मानत ह

कछ लोग इस तावकथ क जञान की सिरचना वनमाथण री मानत ह

तिया कलाप

आ विजञान की वकस परकवत स सहमत ह या आ विजञान की कोई अनय परकवत समझती ह आ उस

परकवत र वचितन करन क वलए विजञान की सतक स कोई परकरण ल सकत ह आ अ न

अविगमकताथओ ि क सार उदाहरण की सहायता स चचाथ कर इस चचाथ क आिार र आ वनषटकषथ

वनकाल तरा उस आिार र विजञान की परकवत की जािच कर

जब आ विदयालय म विजञान विषय का अधयन करत र और आज जब एक विजञान वशकषक बन रह ह तो

दोनो ही म वसतवरयो म आ न बहत अितर महसस वकया होगा विजञान को लकर तबका दवषटकोण आज स

वबलकल वरनन होगा नए अविषटकारो खोजो जानकाररयो न विजञान का सिर ही बदल कर रख वदया ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 5

हल की तलना म आज विजञान वशकषण अलग विवि स वकया जा रहा ह अविगमकताथओ ि म परयोग

अनिषण आवद जस गणो का विकास कराया जा रहा ह ारि ररक तरीक को छोड़ कर नई विवियो दवारा

वशकषक को विजञान ढाना ि समझाना ह छातरो को तकथ करन चचाथ करन परशन करन सजथन करन आवद क

वलए सितितरता दनी होगी

तिया कलाप

विजञान वशकषण विविया जो आ क समय म री और आज वजन विवियो स वशकषण होता

ह उनक बीच म तलना कर य री समझ की उस समय की कौन सी विवि आज री लाग

कर सकत ह और वकनम बदलाि आिशयक ह सार ही य जानन की चषटा कर की

ितथमान समय म उ यकत होन िाली कौन सी विवि अन योगी ह

बरनर शिाब एिि वकि ग क अनसार विजञान की परकवत क तीन मखय सिरचनाएि ह ndash

i तिजञान की मौतलक सरचना ndash यह विजञान का सरायी कष क बराबर माना गया ह जस-

तथय वनयम वसदधाित आवद

ii तिजञान की सरचनातमक सरचना ndash यह विजञान क परविया अरिा गवतशील कष स समपबिवित

ह इसम जािच ड़ताल खोज आिकड़ एकतर करना वनषटकषथ वनकलना आवद आत ह

iii तिजञान का सामातिक पकष ndash समाज म समायोजन क वलए विजञान का सामावजक होना

आिशयक ह समाज क विकास क वलए वमरक अििविशवास करीवतयो आवद स छिकारा ान

क वलए विजञान म सामावजकता होनी चावहए विजञान की सहायता स आिवनकता क सार सार

सिसकार णथ ि सरी समाज बनाना ह

हम य कह सकत ह वक विजञान की परकवत का सही जञान वशकषको को अ नी कशलता बढ़ान म सहायक

होगी सार ही सिपरतयय ररितथनो को वियानियन करन म री सहायक होत तद राित अविगमकताथओ ि क

अविगम को अिबोि करन म सहायक होगा (मरवस १९९४)

ऊ र वदए गए तथयो क आिार र हम य वनषटकषथ वनकाल सकत ह वक विजञान की परकवत क मखय

वसदधाित ह-

विजञान एक अनिषण ह

विजञान एक गतयातमक परविया ह

विजञान जञान का विसतारशील व िड ह

विजञान अविगम का अितविथषयक कषतर ह

विजञान एक अनतराषटरीय उदयम ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 6

विजञान अकसर अवनवशचत होता ह

विजञान जञान वनमाथण की परविया ह

विजञान एक मानवसकता अरिा अवरिवत ह

ऊ र वदए गए सरी वसदधाितो र आिाररत विजञान क सिर को हम एक एक कर जानग ि समझग

141 तिजञान एक अनिषण का काययकषतर ह

जब हम अ न आस ास क िातािरण को दखत ह उसम उ वसरत िसतओ ि को होन िाली घिनाओ ि

आवद को अनरि करत ह तब हम उन अनरिो को एकतर करत ह इन अनरिो क सिकलन को िमबदध

करन क शचात उनकी जािच ड़ताल करत ह य सार चरण आिशयक नही ह की एक वयजञावनक क राती

ही वकय जाए अविगामकताथ अ न सतर र अ न अनरि एिि समझ स कर सकता ह जररी य ह की

छातरो म अनिषण करन की पररणा जागत हो इसक वलए विजञान वशकषक होन क नात आ को छोिी छोिी

वियाओ ि दवारा इस रािना का विकास कर सकत ह

तिया कलाप

आ छातरो स आस ास होन िाली दवनक परवियाओ ि की सची बनान को कह जस - रात कय होती

ह सरज गमथ कय ह इनििनष िषाथ क समय ही कय वदखता ह आवद

अविगमकताथओ ि को अ नी गयी सची म स कोई एक परविया का चयन करन को कहा ि अ नी

रवच क आिार र री परविया को चन सकत ह अब उनह उस परविया स समपबिवित समसत

जानकारी एकतर करन को कह इसक वलए ि अ न अवररािक राई-बहन वकसी बड़ अरिा

वशकषक की सहायता ल सकत ह अगर इनिरनि की सहायता री लना चाह तो िो री ल सकत ह

इस परविया स उनक अिदर उतसाह वजजञासा तत रता अितविया वचितन आवद जस गणो का विकास

होगा अनिषण छातरो म सितितर र स कायथ करन म सहायता परदान करता ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 7

िरथ एिि गरोललमन न इस र आिाररत एक मॉडल परसतत वकया रा जो इस परकार स ह

अनिषण अतिगम चि (िरय एि गरोललमन २००३)

य वचतर विजञान अनिषण परविया को स षट र स समझाता ह अविगमकताथ अ नअ न आस ास घवित

होन िाली वकसी परविया या िसत को दख आकवषथत या आशचयथचवकत होता ह य उसक वलए उददी न का

कायथ करता ह जो उस उस घिना या िसत क बार म जानन क वलए उतसक एिि तत र करता ह इसक वलए

िह परशन उठाता ह उततरो क सरोत खोजता ह तथय एकतर करता ह वफर जािच ड़ताल करता ह और

धयान दना चमतकार जािच

परवतविया परशन बढ़ाना

अिलोकन र कवनित परशन उठाना परशनो को स षट करना

अिलोकन क परवत अविक कवनित होना

वनयोजन खोज अिलोकन जािच- ड़ताल

निीन जािच- ड़ताल क वलए परयतन करना आिकड ि अनरिो एकतरीकरण

अनरिो को सिगवठत कर उनम सिबिि जािचना

सरी आिकड़ोविचारो को सिगवठत कर आकवत ि सबिि परवत ावदत कर

विचारो ि अनरिो को बािि

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 8

वनषटकषो र हचन की कोवशश करता ह वजसस िह िमबदद कर सकअ न दवारा एकतर जानकाररयो ि

वनषटकषो को अ न सावरयो अवररािको वशकषको आवद स आदान परदान करता ह अ नी इस परविया

स उस आतमबल ि सितवषट वमलती ह

142 तिजञान एक गतयातमक परतिया ह

विजञान गतयातमक इसवलए कहा जा सकता ह कयिवक हम अित म उत ाद तक एक परविया दवारा हचत ह

रनत विया यही समापत नही होती अव त उत ाद का परकषण कर परशन उररत ह परशन वफर एक िजञावनक

विवि को जनम दत ह अत कह सकत ह वक विजञान एक चविय परविया ह तरा िजञावनक जञान सदि

असरायी होता ह बीएससीएस(२००५) क अनसार परशन इन कसौवियो र छ जान चावहए ndash

परशन अ न आस ास की दवनया म उ वसरत िसत या घिनाओ ि र आिाररत होन चावहए

िजञावनक सिपरतय क आिार र विचारो स समपबिवित परशन होन चावहय

परशन परयोगो ि अिलोकन क आिार र होन चावहए

परयोगो अरिा अिलोकन स परापत साकषयो क आिार र परशन होन चावहय

विजञान हम अ न लकषय तक हिचता ह रनत वजस रासत स हम उस उददशय तक हचत ह िो अ न आ

म एक िजञावनक परविया ह अत हम य कह सकत ह वक विजञान एक परविया क सार उत ाद री ह

उतपाद (सरायी) इसक अितगथत वनमपनवलवखत शावमल ह-

मल तति

वनयम

वसदधाित

सामानयीकरण

परतयय अििारणाएि

परतिया (गतयातमक पकष) इसक अितगथत वनमपन शावमल ह-

(अ) िजञावनक अवरिवतत

(ब) िजञावनक मानवसकता

(स) िजञावनक विवि

(अ) िजञातनक अतभिति क अितगथत वनमपन आत ह-

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 9

(i) उदारता (ii) वजजञासा (iii) सतयता र विशवास (iv) िसतवनषठता (v) असफलता क परवत

सकारातमक अवरिवतत

(ब) िजञातनक मानतसकिा क अितगथत वनमपन आत ह-

(i) परशन उठाना (ii) ररकल ना बनाना (iii) यथिकषण (iv) िथ अनमान लगाना

(स) िजञातनक तिति - इसक अितगथत वनमपन आत ह ndash

(i) समसया (ii) ररकल ना (iii) अनपरयोग (iv) परकषण (v) वनषटकषथ

i समसया- यह एक तथय घिना िसत अरिा समसया री हो सकती ह इस समसया या घिना क

सा कष म परशन उठान चावहए परशन वकन कसोवियो क आिार र हो य हम बीएससीएस दवारा

वदए गए सझािो क आिार र चचाथ कर चक ह परवतवियाओ ि ि उततरो क आिार र कछ

सिरावित समािान द सकत ह वजनह हम ररकल ना कहत ह

ii पररकलपना- इन सिरावित समािान को एक एक कर ररकषण करत ह तरा जो सही उततर हो

उस सिीकार कर लत ह तरा जो ररकल ना खरी न उतर उस छोड़ दत ह हयर (२००६) क

अनसार ररकल ना का वनमाथण करत समय वनमपन बातो का धयान रखना चावहए-

एक ररकल ना को मौजद परकषण क अनर होना चावहए

ररकल ना परशन की जानकारी अरिा सिरावित उततर क नज़दीक होना चावहए

ररकल ना समसया का नावतज़ा एक तथय क र म परसतत कर

ररकल ना विवशषट सिर की होनी चावहए

ररकल ना ररकषण योगय होनी चावहए

ररकषण वकसी परयोग अरिा ररकषण स हल वनवमथत की जानी चावहए नाकी ररकषण क

शचात

iii अनपरयोग- जो ररकल ना बनायी गयी ह उनह जािचन क वलए कई परयोग एिि अनपरयोग की

सहायता लनी ड़ती ह इसम वशकषक अविगमकताथओ ि की सहायता कर सकत ह जािच ड़ताल

क वलए री अचछी तयारी ि वियानियन अिशयक ह परयोग हम कई चीज स षट कर दती ह तरा

सही वनषटकषथ अरिा समािान तक हच सकत ह

iv परकषण- जािच ड़ताल हम कई वनषटकषो की ओर ल जात ह इन परयोगो को साििावन िथक

दखना समझना आिशयक ह वजसकी सहायता स सही वनषटकषथ तक हिचा जा सक गलत

अिलोकन हम िजञावनक ररकषण स रिका सकता ह हल चरण स ही परकषण शर हो जाना

चावहए अविगमकताथ वशकषक या अनय अनरिी वयवकत की सहायता स जािच क वलए आिकड़

अरिा तथय एकवतरत कर सकता ह इन आिकड़ो को सही िम स सिगवठत करना आिशयक ह

वजसस वनषटकषथ तक हिचना आसन हो

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 10

v तनषकषय- अविगमकताथओ ि को अ न परकषण क आिार र वनषटकषथ वनकलना तरा उस

नयायसिगत वसदध करना री उतना ही आिशयक ह उसको स षटीकरण क सार परसतत करना री

जररी ह इसक आिार र ही ररकल ना सिीकत अरिा असिीकत होती ह

तिया कलाप

विजञान वशकषक क तौर र आ अविगमकताथओ ि म िजञावनक अवरिती विकवसत करन क वलए

िजञावनक विवि दवारा वियाएि करा सकत ह विजञान की ाठय सतक स कोई परकरण क कर या

उनकी रवच का कोई परकरण री ल सकत ह जस ौि की जड़ो म डाला गया ानी ऊ र तन

वततयो फलो ि फलो तक कस हचता ह

- अविगमकताथओ ि को य तथय समझन का अिसर द

- उनह परशन करन की सितितरता द

- अनरि एकतर करन को कह

- जािच ड़ताल करन को कह

- आिकड़ एकतर करन को कह

- इन सब क आिार र स षटीकरण दन का अिसर द

- वनषटकषथ वनकालन को कह

- खोजी गयी जानकाररयो को बािन को कह

इस परकार की विया स विजञान वशकषण अनिषणनातमक बनगा

143 तिजञान जञान का तिसिारिील तपड ह

जस हम हल ही चचाथ कर चक ह वक जब आ न विजञान ढ़ा होगा और जब आ एक विजञान वशकषक ह

तो दोनो ररवसरवतयो म बहत अितर आ गया ह विजञान का वनरितर विकास हो रहा ह हम यह री जान

चक ह वक विजञान की परकवत गतयातमक री होती ह अत उसम कई ररितथन आय ह हम यह री कह

सकत ह वक विजञान क जञान क व िड का विसतार हो रहा ह इस जञान क व िड म तथय मल तति सिपरतयय

वसदधाित वनयम आवद सवमपमवलत ह अगर आ विजञान की सतक क विवरनन परकरण दखग तो ाएिग की

कई परकरण जस क तस जस आ न ढ़ र िस ही आ ढ़ा रह ह िही दसरी और कई परकारो म बदलाि

आय ह कई वनयम वसदधाित आवद आज री अिल ह और कछ सिशोवित या असिीकार कर वदए गए ह

इस उदाहरणो दवारा समझग-

हल हम ढ़त र की नौ गरह होत ह रनत अब नौिा गरह पलिो को इस सची स हिा वदया गया

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 11

मड़लीि क दवारा दी गई आिवत सारणी म तो कई सिशोिन हए ह उस सारणी म कई नए तति

जड़त जा रह ह और आग और जड़न क आशा ह

हल परदषण क परकार म जल िाय धिवन आवद क बार म ढ़त र वफर नारकीय परदषण जड़ा

और आज हम इलकरॉवनक परदषण और यहा तक की सामावजक परदषण की री बात करत ह

दसरी और कछ ऐस उदाहरण ह जो आज री िस ही ढ़ जात ह जस नवतोन क गवत क वनयम

गरतिाकषथण E =mc2 (उजाथ ररितथन) आवद

अत जञान का व िड ररितथनशील ह कई तथय वनयम वसदधाित आवद िही ह र उनम क री कई

उ योग म बढ़ोतरी हई ह समय सभयता ि मािग एिि जररत क आिार र बदलत रहत ह

तिया कलाप

वकसी री विजञान की ाठय सतक (ककषा ७ या ८) क वकसी री परकरण को छाि कर य बताय की

उनम कया ररितथन आय ह इन ररितथनो को अ न अविगमकताथओ ि क सार बाि उनह समझाएि की य

ररितथन कय और कस आय ह इसक अवतररकत िो परकरण री ल जो मल तौर र तो िही ह र उनम

विसतार हआ ह जस- रमाण की जब खोज हई तो उसम उ वसरत परोिोन इलकरान वफर नयरॉन

खोजा गया र खोज यही नही रकी अब ॉवज़रान आ गया तो य विसतारीकरण अनय कई उदाहरणो

दवारा री समझाए जा सकत ह

यहा एक बात और समझनी होगी की विजञान न वसफथ अचछा जञान ही नही िरन कछ गलत उददश स री

परयोग वकय गए ह यदध म परयोग होन िाल हवरयार बारद वमसाइल आवद सब विजञान की द ह डर की

बात तो य ह वक इन म सिार हो रहा ह तरा हवरयार और खतरनाक हो रह ह हम य री कह सकत ह की

विजञान न अगर मानि का विकास वकया ह तो वदन दर नही जब य ही विजञान का जञान हमारा विनाश

करगा अत विशव को समझना होगा की विजञान को जीिन बहतर करन क वलए परयोग करना ही उवचत

होगा

144 तिजञान अतिगम का अितियषयक अिरानिाशनीय कषतर ह

एक विषय अनशाशन तब कहलाता ह जब उसम ससिकवतक विषय िासत हो तरा अ नी ही एक

तकनीक हो एिि मलयो का अवदवतया समह हो एक अनशाशन म वनमपन विशषताएि होती ह-

अ नी विशष विषय िासत

िो वकसी वयिसाय या सामावजक विया स जड़ा होता ह

उसक अधययन का अ ना ही तरीका होता ह

उसक अनसनिान का री अ ना ही विवशषठ कषतर होता ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 12

मलयो का विशष समह होता ह

सिचालन की अ नी ही सिवहता होती ह

रनत कई बार ऐसा ाया गया ह वक कछ विषय िसत परकरण कई अनशाशन का वहससा

बन जात ह ऐसा हमन कई िजञावनको की खोज ि अविषटकार म री ाया ह जस की रमाथमीिर

(ता मा ी) की अगर बात कर तो कई परयोगशालाओ ि विदयालयो वचवकतसा म परयोग होता ह

परशन य उठता ह की हम ता मा ी को वकस विषय म ढ़- रसायन रौवतकी वचवकतसय विजञान

आवद ऐस बहत स उदाहरण ह जो कई विषयो म ढ़ ि ढाय जा साकत ह इसका अरथ ह वक

जब हम दो या दो स अविक अनशाशन विषय की ारस ररक विया ि परराि दखत ह तो इस

अितविथषयक या अितरानशावशनक कषतर कहत ह

तिया कलाप

ककषा-८ अरिा ककषा-९ की विजञान की ाठय सतक म ऐस परकरण की सची बनाय जो हम अनय विषयो म री

ढ़त ह जस परदषण को हम रौवतकी रसायन अरथशासतर रगोल नवतक शासतर आवद म ढ़त ह इसक शचात

जान की ऐसी कौन सी विशषताएि वजनक कारण िो उस विषय म ढाया जाता ह या ढाया जा सकता ह

ऊ र वदए गए वििरण स ता चल गया होगा की विषय आ स म समपबिवित होत हविषय क बीच कोई

स षट सीमािकन नही होता ह आजकल एक नई दधवत सनन ि दखन को वमल रही ह ndash अितविथषयक

अरिा अितरानशाशनीय उ ागम य दधवत न किल अनसनिान अव त वशकषण कायथ म री परयकत हो रही

ह इसका सबस सही उदाहरण ह ldquoविजञानrdquo य वकसी न वकसी र म हर विषय म उ वसरत ह अत

विजञान एक अितविथषयक कषतर बन जाता ह

एक अनशाशन क दवारा िह जञान होता ह जो अनय विषयो म जगह ता ह इसका तात यथ यह ह वक

आज क यग म जब जञान का विसफोि हो रहा ह तो हर विषय क विशषजञ को वमलकर कई समसयाओ ि का

समािान करना होगा इसका एक बहत अचछा उदाहरण ह वक एक अवरयिता अ न कोसज क दौरान

वसफथ तकनीक स समपबिवित विषय ही नही ढता िरन रौवतकी रसायन गवणत आवद क सार सार

वयािसावयक मनोविजञान वयािसावयक सामावजक विजञान याथिण विजञान वयािसावयक मलय एिि

सदाचार का री अधयन करत ह इसस छातरो का समप णथ विकास होता ह यहा वशकषण का उददशय एक

इिवजवनयर बनान का नही ह अव त एक यथिारण जागरक सिसर सोच सामावजक अ कषाओ ि र खरा

उतरन िाल इिवजवनयर तयार करना ह जो अ न वयिसाय ि समाज म आग बढ़ सक तो अब हम य जान

चक ह की विजञान का अितविथषयक होना वकतना महति णथ ह

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हल विजञान को ldquoपराकवतक दशथनrdquo कहा जाता रा कयिवक य माना जाता रा वक विजञान चारो तरफ

विदयमान ह और विजञान ही इनकी खोज ि जािच ड़ताल करता ह जस- आकाशीय व िड गरह नकषतर

िाय जल ड़- ौि जीि-जित आवद रनत जञान विसफोि क सार ही य िारणा बदलन लगी विजञान का

कषतर इतना वया क हो गया ह वक उस एक शीषथक क अितगथत रखना मवशकल हो गया ह विजञान का

िगीकरण वकया गया वजसस उसक हर हल को समझन म सहायता वमल चवक विजञान का िगीकरण

वकया गया ह तो इसका अरथ य हआ ही हर िगथ एक अलग विषय बन गया ह रनत आ स म सह-

समपबनि बरक़रार ह इस हम अनिम चािथ दवारा समझग

अब हम कछ तिषयो को लकर दखग तक तिजञान का उनस कया समबनि ह

विजञान को हम एकाकी तौर र नही ढ़ सकत विजञान की हर शाखा एक दसर र वनरथर ह कई िजञावनक

परकरण विवरनन शाखाओ ि म वमलग जस

राषा क परकरण म गदय म ऐस ाठ हो सकत ह वजनम आविषटकारो िजञावनको की जीिनी आवद

हो सकत ह

इसी परकार स सामावजक विजञान म विजञान दखन को वमलगा समाज सामवजक सिसकवत

सामावजक सिगठन अििविशवास आवद को विजञान क तथयो दवारा ढाया जा सकत ह

पराकवतक दशथन

पराकवतक विजञान रौवतकी विजञान

आयविथजञान

िनस वत

विजञान

पराणी -

विजञान

रौवतकी

रासायवनक

खगोवलक

गवणत

रगावरथकी

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रगोल म मदा मौसम फसलो का रगोलीय वितरण र आिाररत बआई आवद विजञान की

सहायता स री ढाय जा सकत ह

इवतहास म थिी का उदय मानि का जनम उसक समय क सार बदलत विया कला

िजञावनक अविषटकार वजसन मानि जीिन को परोरावित वकया

कवषविजञान ि विजञान का तो बहत गहरा समपबनि ह

अत य जानना री आिशयक ह की सह-समपबनि सोच समझ कर समझाना चावहए अराथत

अितविथषयक सिर दकर ऐसा न हो वक आ अनय विषयो का अविक महतति द वशकषक को य

दखना होगा की विजञान को अनय विषयो क सार सिबवित कर वशकषण करना ह तरा क ि

ldquoविजञानrdquo ही रहगा अनय विषयो स समपबनि चीदा नही होन चावहए विषय िसत सरलतम सतर

र लाकर ही ढाई जानी चाहए

145 तिजञान एक अनिराषटरीीय उयमम ह

विजञान क विसतार न हमार जीिन म औदयोगीकरण अनतराषटरीयकरण तरा सािथरौवमकता को परचवलत

कर वदया ह जीिन क हर कषतर म चाह िो वचवकतसा हो अरिा सचना परोदयोवगकी तकवनकी हो अरिा

वशकषण खान- ान हो अरिा रहन-सहन आवद म वया क बदलाि आया ह आज विजञान और तकनीक

न र विशव को सिकवचत कर वदया ह हम अ न घर म बठ बठ ही अनय दशो की समसत जानकारी ल

सकत ह बहत स उदयोग वसफथ इनिरनि क दवारा चलाय जा रह ह य उदयोग री उससी रफ़तार स फल फल

रह ह जस घरल उदयोग इसक कई उदाहरण ह जस मोबाइल कि नी कि पयिर की कमप नीयाि जत सौदयथ

परसािन आवद

विदशी तकवनकी एिि उनकी कि वनयाि अरिा अनसनिान क सहयोग क वलए सरकार री उदारीकरण की

वनवत को अ ना रही ह विदशी उदयोग री रारतीय उदयोगो ि अनसनिान क वलए तत र ह ऐसी नीवतया

रारत का अनतराषटरीयकारण करन म सहायता परदान करता ह इन सब कायो म विततीय सहयोग अतयित

आिशयक ह अत हम अब अनतराषटरीय उदयम र कवनित होना होगा कयिवक घरल उदयोग स दश का

विकास िीमा हो जाता ह और हम अनय विकवसत दशो स व छड जायग अत हम विततीय तौर र सदड

होन क वलए अितराथषटरीय सतर र जाना होगा आज हम अमररका जा ान कोररया चीन मलवशया

वसिगा र दवकषण अफरीका ऑसरवलया आवद जस दशो क सार वमलकर कई उदयम म सहयोग कर रह ह

इस हम उदयम का अनतराषटरीयकारण कहत ह बहत साड़ी घरल कि वनयाि री विदशो म वनिश कर रह ह

जस ररलायिस िािा िीसीएस आवद अत विजञान एक अनतराषटरीय उदयम बन रहा ह रनत इस बढ़न क

वलए सरकार एिि बड़ी वनजी कि वनयो को आग आना होगा

146 तिजञान जञान तनमायण की परतिया

आज हम वयिहारिाद स वनवमथतिाद जञान की और ररिवतथत हो रह ह विजञान अ न आ म एक परविया

ह जो िजञावनक विवि का अनसरण कर आग बढती ह इस विया दवारा जञान का वनमाथण होता ह कोई री

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जञान तब ही विशष अरिा वनवशचत होता जब िह जञान इस परविया दवारा वनवमथत होता ह विजञान ही इस

नही मानत अव त अनय विषयो म री य िजञावनक परविया दवारा ही अधयन होता ह

वशकषक की रवमका री ररिवतथत हो चकी ह हल वशकषक एक परषक क र म रा अराथत िो जञान

अविगमकताथओ ि तक हचात र अब य वसरवत बदल रही ह विजञान वशकषक को अब विजञान वशकषण

विवरनन चरणो दवारा करना होता ह अब वशकषक अविगम का रासता सगम बनान की कोवशश करता ह

इसक वलए छातरो को परोतसावहत वकया जाए की अविगम िजञावनक विवि स कर ऐस जञान का वनमाथण

सराई होता ह जञान क वनमाथण क विवरनन चरण होत जस-

तथयपरवियाघिना का

अिलोकन

कई अनरि आिकड एकतर

होत ह

अनमान क आिार र जािच

ड़तालअनिषण करना

जािच क आिार र परतयय वनमाथण

करना

िजञावनक जञान का वनमाथण

जञान का िासतविक जीिन म

परयोग करना

अनरिो क आिार र िथ

अनमान लगाना

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तिया कलाप

छातरो को विजञान की सतक स कोई परकरण चनन को कह जो उनह समसया अरिा ऐसा तथय लगता ह वक

वजसकी जािच ड़ताल ि आसानी ि रवच णथ ढिग स कर सक उनको वदशा वनदश दद उनह सियि सब

जानकाररया एकतर करन द उनका समय समय र नबथलन द सही वदशा म कायथ करत दख उनह परोतसावहत कर

जञान का वनमाथण ि कस करत ह उनस स षटीकरण मािग तरा सावरयो क सार चचाथ करन को कह

अत अब िजञावनक विवि िजञावनक अनिषण दवारा जञान क वनमाथण की और ररिवतथत हो गया ह अब हम

य जानग की इस विवि क कया लार ह-

इस जञान वनमाथण की परविया दवारा अविगमकताथ lsquoकरक क सीखता ह वशकषक एक मागथदशथक की

रवमका वनराता ह वशकषक वकसी री परकार क हसतकष स बचत ह ि छातरो को अ न जञान दवारा

पररावित नही करत ह

अविगमकताथओ ि को सीखन क वलए सितितर एिि सिसर िातािरण वमलता ह

य छातरो म वजमपमदारी की रािना उत नन करता ह

उनम बौवदधक इमानदारी विकवसत होती ह

अविगमकताथओ ि म तथयो अरिा समसयाओ ि को हचानन म सहायता परदान करत ह

उनम तकथ सिगत वचितन म विकास क सहायक होत ह

कारण-परराि समपबनि को समझन म सकषम होत ह

अनरि का तावकथ क सिगठन करना सीखत ह

अविगमकताथओ ि एिि वशकषको म री नए जञान क वनमाथण की ओर अगरवसत करता ह

उनम खोजी वयिहार को जनम दती ह

अभयास परशन

2 विजञान ldquoसिजञाrdquo एिि ldquoवियाrdquo री ह सिवकषपत म इसका अरथ बताय

3 विजञान की परकवत क तीन वसदधाित बताएि

4 विजञान एक अनिषण परविया ह वकसी विजञान विषय क परकरण स समझाएि

5 विजञान की तीन सिरचनाय बताएि

6 विजञान अितविथषयक परकवत की ह सिवकषपत म बताएि

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15 सारााश इस इकाई म हमन जाना की विजञान का अरथ कया ह तरा उसकी परकवत कसी ह यह री समझा हा विजञान

की परकवत क विवरनन आयामो को री हमन जाना विजञान एक खोज तरा अनिषण का कषतर ह वजसक

विवरनन चरण ह वजनह हमन विसतार ि उदाहरण की सहायता स जाना विजञान ररितथनशील तो ह ही

रनत सार ही सार उसका विसतार री हो रहा ह य विसतार दश विदश सब जगह हो रहा ह इस विसतार

न विजञान को एक अनतराषटरीय उदयम क र म खड़ा कर वदया ह अत अगर य उदयम ह तो जञान का

वनमाथण री वनरितर स षट एिि बहतर होता जा रहा ह

16 अभयास परशनो क उततर 1 अ न शबदो म उततर

2 विजञान सिजञा इसवलए ह कयिवक उस उत ाद क र म दखा जाता ह िो सिजञा इसवलए ह कयिवक

विजञान को परविया माना जाता ह तरा िो ररितथनशील ह एिि उसका विसतार री होता

3 (i) विजञान एक गतयातमक परविया ह

(ii) विजञान एक अनिषण ह

(iii) विजञान जञान का विसतारशील व िड ह

4 अ न शबदो म वलख

5 तीन सिरचनाएि ह-

i विजञान की मौवलक सिरचना

ii विजञान की सिरचनातमक सिरचना

iii विजञान का सामावजक कष

6 अ न शबदो म

17 सनदरथ गरनर 1 कलशरषठएक कलशरषठएनक ldquoविजञान वशकषणrdquoआरलाल वबलकशनमरठ

2 िरथकगरोललमाननएस(२००३) िोमथस शडोज एिड वहलथ ल साइिस इन द अली चाइलडहड

कलासरम िावशिगिन डीसी नशनल एसोवसएशन फॉर एजकशन ऑफ़ यिग वचलरन

3 बीएससीएस(२००५) डइिग साइिस द परोसस ऑफ़ साइिविवफक इनकिायरी कोलोराडो

वसपरिगस एनआइएच वबलकशन

4 wwwncertnicin phy_sci

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5 रिनागरएबीरिनागरएसएस ldquoव डागोजी ऑफ़ सकल सबजकि साइिसrdquo

आरलाल वबलकशन मरठ

18 वनबाधातमक परशन 1 विजञान का कया अरथ ह विसतार स बताएि

2 विजञान एक उत ाद एिि परविया री ह वििचना कर

3 विजञान का िवकथ करण कस हआ

4 विजञान एक अनतराषटरीय उदयम ह उदाहरण की सहायता स समझाएि

5 विजञान जञान वनमाथण की परविया ह इस कस सावबत करग

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इकाई 2 - भौविक विजञान एिम समाज

21 परसतािना

22 उददशय

23 रौवतक विजञान एिम समाज

24 िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता क वलए रौवतक विजञान

25 सपरवसदध िजञावनक- आइजक नयिन जॉन डालिन जसी बोस अलबिथ आइनसिीन

शािवतसिर रिनागर नीलस बोहर सी िी रमन डी बरोगली वबमला बिी आवद

26 सारािश

27 अभ यास परश नो क उत तर

28 सिदरथ गरिर सची

29 वनबििात मक परश न

21 परसतावना रौवतक विजञान की वशकषा का उददशय वयवकत तरा उसक समाज को उसक परकवत तरा िातािरण क

सार समायोजन करन क योगय बनाना ह सार ही उन र वनयितरण रखकर उनह अ नी सवििा क अनसार

परयोग करन की कषमता उत नन करना ह मनषटय न अ न जीिन को आरामदायक एिम सखमय बनान क

वलए वनरितर परयास वकय ह िजञावनक खोजो एिम अविषटकारो की सहायता स ही मनषटय का जीिन आज

हल की तलना म बहत सरल हो गया ह आज वमनिो सक डो म हम दवनया क वकसी री कोन म जो

कछ री घवित हो रहा होता ह उसक विषय म िलीविज़न मोबाइल इनिरनि क माधयम स घर बठ ही

सब जान लत ह आज हमार वलए अनतररकष की यातरा िासतविकता बन गयी इतना ही नही हम

अितररकष म उ गरह सराव त करन म री सफल हए ह कछ िषथ िथ जो रोग असाधय र अब उनका वनदान

एिम पररािशाली उ चार सिरि ह यह सब विजञान क अविषटकार क कारण ही सिरि हो ाया ह इस

इकाई म हम रौवतक विजञान वकस परकार हमार समाज और सामावजक जीिन को पररावित कर रहा ह

िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता क वलए रौवतक विजञान का कया योगदान ह ि कछ सपरवसदध

िजञावनक- आइजक नयिन जॉन डालिन जसी बोस अलबिथ आइनसिीन शािवतसिर रिनागर नीलस

बोहर सी िी रमन डी बरोगली वबमला बिी आवद का रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत

एिम विकास म कया योगदान रहा ह क विषय म विसतार िथक चचाथ करग

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 20

22 उददशय इस इकाई क अधययन क शचात आ -

1 रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास हमार समाज और सामावजक जीिन

को वकस परकार पररावित कर रह ह इसका विसतार िथक िणथन कर सक ग

2 िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता क वलए रौवतक विजञान का कया योगदान ह इसका

विसतार िथक िणथन कर सक ग

3 रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास म वजन रारतीय तरा विदशी

िजञावनको का योगदान अतयित महति णथ रहा ह उनक विषय म जान सक ग

23 रौवतक ववजञान एवम समाज समाज म सखी जीिन वयतीत करन एिम समाज को वनरितर उननवत क र र ल जान म सदि रौवतक

विजञान की अतयित महति णथ रवमका रही ह रौवतक विजञान की वशकषा इस परकार दी जानी चावहए की

छातरो म सामावजकता क गणो का विकास हो सक सार ही ि यह समझ सक की वकस परकार रहन स

और वकस परकार क कायथ करन स समाज को लार हिचगा अतः रौवतक विजञान का णथ जञान छातरो को

वदया जाना चावहए तावक ि सियि रौवतक विजञान क कषतर म आग बढकर समाज को उननवत क र र ल

जा सक सार ही विजञान क विनाशकारी कष स अिगत कराकर उनको यह री बता दना चावहए वक

विजञान का उ योग सदा मानि वहत एिम कलयाणकारी कायो क वलए ही वकया जाना चावहए रौवतक

विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास न समाज एिम सामावजक जीिन को वकस तरह स

पररावित वकया ह यहा र हम उसकी चचाथ करग-

1 समपरषण एिम पररिहन की आितनक सतििाओ की उपलबििा रौवतक विजञान क दवारा

विकवसत मोबाइल इििरनि की सवििा ईमलस फसबक िािस ए इतयावद न तो हमार समाज

और सामावजक जीिन को जस बदलकर रख वदया ह हल हम वकसी सनदश को डाक क माधयम स

वयवकत विशष तक हचान म कछ वदन का समय लगता रा लवकन आज हम वकसी री सनदश को

मोबाइल इििरनि की सवििा ईमलस फसबक िािस ए क दवारा कछ वमनिो या सक डो म ही

वयवकत विशष तक हिचा सकत ह सिसार क वकसी री कोन म चाह कछ री घवित हो रहा हो आज

इन सब सवििाओ ि का परयोग करक हम ल ल उसकी जानकारी रख सकत ह हमार समाज को

ररिहन एिम समपपरषण क कषतर म आिवनक सवििाय उ लबि करान का शरय री रौवतक विजञान

को ही जाता ह रौवतक विजञान क दवारा विकवसत यातायात क विवरनन सािनो जस - रल

िाययान जहाज कार बस इतयावद स यातरा करना आज अविक सवििाजनक हो गया ह जो यातरा

करी महीनो म री हआ करती री उसको कछ ही वदनो म और जो यातरा कछ वदनो म री हआ

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 21

करती री उसको कछ ही घििो म रा कर ाना आज रौवतक विजञान क दवारा परदतत यातायात क

विवरनन सािनो क कारण ही समपरि हो सका ह

2 खादद उतपादन म िति हि आितनक िकनीकी रौवतक विजञान क कषतर म होन िाल विकास न

आज खादद उत ादन क सतरोतो म काफी िािवत ला दी ह आज हमार ास कवष मतसय ालन

मिमकखी ालन ि श ालन इतयावद सरी कषतरो म अतयविक विकवसत तकनीकी उ लबि ह

75 वकसानो न उिथरको कीिनाशको ि कवष की आिवनक विवियो को अ नाया ह वजसक

फलसिर फसलो एिम फलो की वकसमो म सिार हआ ह इस समपबनि म रारतीय वशकषा आयोग

न री वलखा ह वक ldquo तिजञान पर आिाररि नयी कतष परौददोतगकी का तिकास सिायतिक

महतिपणय ह तपछल सौ िषो म तिशव क अनक भागो म कतष म िाति आई ह िस-

रासायतनक इतितनयररग िरा याततरकीकरण का तिकास िरा िि-िजञातनक सोच म िाति

आना मनषय क रहन क ढग क िजञातनक दरतिकोण स कतष परौददोतगकी म अतयि सिार हआ

हrdquo रौवतक विजञान ही ह वजसक महति णथ योगदान क कारण आज हम कवष क कषतर म

आतमवनरथर हो गय ह आजादी स हल जहा हमार दश की समप णथ जनता को अनाज उ लबि नही

हो ाता रा िही रौवतक विजञान क योगदान क कारण आज हमारा दश इस वसरती म ह वक दश क

सरी लोगो क वलए अनन की आ वतथ करन क बाद री हम आज अनन का वनयाथत करन की वसरती म

ह आज रवडयो एिम िलीविजन र परसाररत वकय जान िाल विवरनन कवष आिाररत कायिमो क

माधयम स वकसानो को कीि वनयितरण फसलो की दखराल और खाद क परयोग की उवचत जानकारी

परापत हो जाती ह फलसिर इन कायथिमो स वकसानो को फसलो को उननत बनान क वलए उवचत

जञान परापत होता ह नयी तकनीवकयो क परयोग की जानकारी न आज जहा एक ओर खादद उत ादन म

िवदध की ह िही दसरी ओर मानि शरम की जविलताओ ि को दर वकया ह इसक अवतररकत रौवतक

विजञान क जञान क कारण ही हम आज उत ावदत खादद सामगरी को लमपब समय तक सरवकषत रख सकत

ह तरा दवनया क हर कोन म इचछानसार उसकी उ लबिता को सिरि बना सकत ह

3 सिासय की दखभाल ि रोगो क उपचार हि निीन िकनीकी उपकरण एिम ससािनो की

उपलबििा रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास न ही आज हमार समाज को

अनक निीन तकनीकीयाि उ करण सिसािन एिम दिाइयाि उ लबि करायी ह आज करी

असाधय लगन िाल रोग िजञावनको दवारा खोजी गयी इन विवरनन दिाइयो उ करणो सिसािनो एिम

तकनीवकयो क परयोग स असाधय नही रह गय ह वचवकतसा क कषतर म रौवतक विजञान हमार

शारीररक सिासथय क सार सार मानवसक सिासथय को री बनाय रखन म महति णथ रवमका वनरा

रहा ह हल वजन रयािह रोगो क उ चार क वलए हम विदश जाना होता रा रौवतक विजञान क

विकास क कारण आज ऐस वकसी री बड़ स बड़ रोग क वनदान एिम उ चार की सवििा हमार

दश म ही उ लबि ह आज सिचार क विवरनन माधयमो जस अख़बार रवडयो िवलविज़न मोबाइल

ि इनिरनि क माधयम स सिासथय समपबनिी सचनाएि सदर गरामीण कषतर तक आसानी स हच रही ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 22

विजञान क दवारा ही विवरनन रोगो जस- हजा चचक र री तरह स तरा िीबी ोवलयो ि बचचो

क वदमागी बखार र काफी सीमा तक वनयितरण ा वलया गया ह

4 भिन तनमायण हि आितनक यतरो एिम उपकरणो की उपलबििा आज हमार ास रिन

वनमाथण हत विवरनन िातओ ि स वनवमथत यितर एिम उ करण ह रिन वनमाथण क कषतर म जो आिवनकता

वदखाई दती ह िह सब रौवतक विजञान म होन िाली परगवत एिम विकास का ही ररणाम ह रिन

वनमाथण हत जहा हमको करी छोि छोि घर बनान म अविक शरम एिम समय लगता रा िही आज

विजञान दवारा परदतत मशीनो एिम उ करणो का परयोग करक हम कम समय एिम शरम म बहमिवजला

इमारत बनान म सकषम हो गय ह

5 िल ससािन परबिन एिम ितिकरण हि यतरो की उपलबििा रौवतक विजञान की परगवत

एिम विकास न ही आिवनक समाज को जल सिसािन क सही परबििन एिम शवदधकरण क वलए

उननत ि विकवसत तकनीवकयाि परदान की ह आज बड़ बड़ बाििो का वनमाथण वकया गया ह

विकवसत जल परणाली क दवारा आज कवतरम वसिचाई क वलए ानी की उ लबिता हो ायी ह यह

सब रौवतक विजञान क जञान क कारण ही सिरि हो सका ह आज हम जल क शवदधकरण क वलए

अ न घर या दफतर म वजन यितरो का परयोग कर रह ह ि सब रौवतक विजञान क कारण ही हमको

उ लबि हो सक ह

6 िशवीकरण अनिः समबनि िरा अनिः तनभयरिा म िति आिवनक समाज म जो अनतः समपबनि

तरा अनतः वनरथरता दखन को वमलती ह िह रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम

विकास का ही ररणाम ह आज समप णथ विशव िशवीकरण की राह र ह आज जो कछ री एक

वयवकत समाज या राषटर दवारा वकया जाता ह उसका परराि जान अनजान सरी र ड़ता ह आज

विशव क एक कोन स दसर कोन र जाना अतयित सरल हो गया ह ररणामसिर वकसी वयवकत या

समदाय का दवनया क दसर वयवकत या समदाय स वमलना जलना आसान हो गया ह समपपरषण और

सिचार क सािनो की उ लबिता स ही आज सिसार क वकसी री कोन म जो कछ री घवित हो रहा

हो तरित िह सचना सिसार क दसर सरानो तरा वयवकतयो तक हच जाती ह आज सिसार क वकसी

एक दश म जो कछ उत ावदत हो रहा हो िह दसर दश म रह रह वयावकतयो क वलए उ रोग की

िसत क र म आसानी स उ लबि हो जाता ह िशवीकरण की परविया को इस र तक हचान

म रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली खोजो एिम अविषटकारो का ही महति णथ योगदान ह

7 शरम समय एिम िन की बचि हि तितभनन िकनीतकयो की उपलबििा रौवतक विजञान क

कषतर म हो रही परगवत एिम विकास न ही हमको ऐस उ करण एिम तकनीवकयाि परदान की ह वजनकी

सहायता स आज हम वकसी री कायथ को कम शरम कम समय ि कम लागत म रा कर ान म सकषम

हो गय ह चाह कवष का कषतर हो वचवकतसा का कषतर हो कोई उददोग हो दवनक जीिन क कायथ हो या

वशकषा का कषतर जीिन क लगरग हर कषतर क कायथ को रौवतक विजञान न सरल एिम सगमपय बना

वदया ह जहा घर की रसोई क कायथ को वमकसी माइिोिि ओिन जस उ करणो न अतयित सरल

कर वदया ह िही वकसी फकरी ऑवफस दकान या वयिसाय क वकसी री कायथ को कि पयिर

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मोबाइल ि इनिरनि न इतना सरल कर वदया ह वक आज हम चाह वकसी री सरान र हो हम

उसी सरान स अ न वकसी री कायथ को कम शरम समय एिम लागत म रा कर सकत ह

अभयास परशन

1 रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास न समाज एिम सामावजक जीिन को

पररावित वकया ह रौवतक विजञान की परगवत एिम विकास स होन िाल वकनही तीन लारो को

वलवखए

24 वातावरण सवासय शाावत और वनषपकषता क विए रौवतक ववजञान रौवतक विजञान म होन िाल परगवत और विकास स आिवनक समाज को हर परकार स लार ही हआ ह

यह कहना उवचत नही होगा रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत न जहा एक ओर आिवनक

समाज को सरलता िथक जीिन वयतीत करन क वलए अनको सािन उ लबि कराय ह िही कछ

हावनकारक ररणामो को री जनम वदया ह यहा र हम िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता क

वलए रौवतक विजञान का कया योगदान ह इसक विषय म चचाथ करग -

i िािािरण क तलए भौतिक तिजञान- विजञान ि तकनीकी क आिवनक यग को िातािरण को

दवषत करन िाल यग का नाम वदया जा सकता ह रौवतक विजञान न जहा एक ओर हमार

आिागमन को सरल बनान क वलए हम यातायात क विवरनन सािन उ लबि कराय ह िही

दसरी ओर इन िाहनो स वनकलन िाल िएि न हमार िातािरण को दवषत कर वदया ह कछ

वया ार तरा उददोगो न िजञावनक तकनीकी तरा विवियो दवारा अतयविक सफलता परापत की ह

इनम स परमख ह- उिथरक उददोग िकसिाइल उददोग इस ात उददोग इलकरोवनकस इतयावद

लवकन नयी तकनीकी एिम मशीनो स यकत इन विवरनन उददोगो स वनकलन िाल अिवशषट दारथ

और िएि न जल एिम िाय दोनो को दवषत कर वदया ह रौवतक विजञान न ही हमको रिन

वनमाथण क कषतर म नए यितर एिम उ करण उ लबि कराय ह आज रिन वनमाथण क कषतर म वजतनी

री कलाकवतयो को दखन क अिसर हमको वमलत ह ि सब रौवतक विजञान की ही दन ह

रनत रिन वनमाथण क वलए मनषटय दवारा तीवर गवत स जिगलो को कािा जा रहा ह वजसक कारण

हमारा परािवतक सितलन वबगड़ रहा ह परािवतक सितलन वबगड़न क कारण जीि जितओ ि एिम

िनस वतयो की अनक परजावतया लपत हो गयी ह विजञान क दवारा परदान की गयी सख सवििाओ ि

क अतयविक और गलत उ योग स ही आज हमार समपमख िवशवक त न एिम ओजोन रत की

कषीणता जसी गिरीर समसयाय उत नन हो गयी ह विवरनन उददोगो की वचमवनयो और िाहनो स

वनकलन िाल िएि म काबथन डाई ऑकसाइड गस अतयविक मातरा म उ वसरत होती ह िवशवक

त न बढ़त हररतगह परराि का ररणाम ह तरा वजसक वलए उततरदायी गसो म स परमख गस

काबथन डाई ऑकसाइड ही ह रौवतक विजञान न हम गमी स बचन क वलए सख सवििा क

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र म रवफरजरिर एयर कि डीशनर तरा अनय उ करण उ लबि कराय ह इन उ करणो म

कलिस क र म कलोरो फलोरो काबथन गस का परयोग वकया जाता ह वजसका गण यह ह वक

एक बार िायमिडल म चल जान र यह नषट नही होती ह और सीि िायमिडल की ओजोन रत

र हमला कर उस नषट कर दती ह अतः िातािरण म होन िाल ररितथन क कारण वनकि

रविषटय म उत नन होन िाली विवरनन समसयायो क परवत जनसािारण को सचत करन की

आिशयकता ह सिचार क विवरनन सािनो जस िलीविज़न रवडयो अख़बार इतयावद क माधयम

स यह कायथ सरलता िथक वकया जा सकता ह सार ही रोल कोयला जस ईिन का परयोग

कम करक अविक स अविक िकष लगाकर एिम कलोरो फलोरो काबथन गस परयोग करन िाल

सिसािनो क इसतमाल र रोक लगाकर हम अ न िातािरण को (िवशवक त न ि ओजोन रत

की कषीणता जसी गिरीर समसयाओ ि स ) सरवकषत रखन म सहयोग कर सकत ह

ii सिासय क तलए भौतिक तिजञान - सिासथय क कषतर म आज हम सिासथय रकषा क वलए

रौवतक विजञान एिम तकनीकी क नए नए सािन अ नान र बल द रह ह करी असाधय लगन

िाल रोग आज िजञावनको दवारा खोजी गयी दिाइयो क परयोग क कारण असाधय नही रह गय ह

क सर और एडस जसी बीमाररयो क वलए री डॉकिसथ और वचवकतसा विशषजञ परयासरत ह नई

नई कोवशकाओ ि क वनमाथण म सफलता परापत कर ली गयी ह रवडयोिवमथता यावन अलफा बीिा

गामा वकरणो क अनपरयोग स वचवकतसा क कषतर म काफी परगवत हई ह अब वचवकतसकीय

उ करणो को गामा वकरणो की सहायता स ही रोगाणमकत वकया जाता ह रौवतक विजञान क

कषतर म होन िाली िजञावनक खोजो क ररणामसिर ही हम आज अलरासाउिड िकनोलॉजी

जसी तकनीकी स लारावनित हो ा रह ह अलरासाउिड िकनोलॉजी की सहायता स आज हम

अ न शरीर क अनदर होन िाल वकसी री विकार की हचान करक उसका उवचत उ चार परापत

करन म सकषम हो गय ह आज वचवकतसक लज़र वकरणो का उ योग करक वबना चीर फाड़

वकय सजथरी कर रह ह रारत म परतयक िषथ चलाय जान िाल ोवलयो अवरयान स ोवलयो

जसी खतरनाक बीमारी लगरग खतम हो गयी ह गरामीण कषतरो म री लोग सिासथय क परवत

जागरक हो गय ह कयोवक अब विजञान क दवारा परदतत सिचार क सािनो जस िलीविज़न

रवडयो कि पयिर मोबाइल इनिरनि आवद क माधयम स सरी सचनाएि उन तक आसानी स

हच जाती ह

iii िाति क तलए भौतिक तिजञान- आज छातरो को ऐसी वशकषा वदए जान की आिशयकता ह

वजसस उनम आतिकिाद वहिसा जसी अिािछनीय घिनाओ ि क परवत नकारातमक िवषटकोण

विकवसत हो तरा रस र सौहादथ सहयोगराईचारा तरा सवहषटणता जस सकारातमक गण

विकवसत हो सक यह कायथ रौवतक विजञान की वशकषा क माधयम स रली रािवत सि नन वकया

जा सकता ह रोकि छोड़न की तकनीवकयो एिम थिी की ककषा म कवतरम उ गरह की

सरा ना आवद कायो म रौवतक विजञान म होन िाली खोजो न ही बहत महति णथ योगदान वदया

ह आज हमन धिवन की गवत स री तज़ चलन िाल िाययान विकवसत कर वलए ह रौवतक

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 25

विजञान की विवरनन नई तकनीकीयो एिम उ करणो की खोज क ररणामसिर ही आज हम

हमार दश क विरदध डोसी दशो दवारा की जान िाली आतिकिादी गवतविवियो र काफी हद

तक नज़र रख ान और उस रोक ान म सकषम हए ह रौवतक विजञान क कारण ही हमारी सनय

शवकत री मजबत हई ह आज हमार ास थिी आकाश वतरशल नाग एिम अवगन जसी

सफल वमसाइल ह जो वकसी री वि रीत ररवसरवत म हमार दश की सरकषा करन म सकषम ह

वसकक क दो हलओ ि की तरह रौवतक विजञान क इन अविषटकारो क लार री ह और नकसान

री ह एक तरफ रमाण ऊजाथ जहा वबजली बनान क काम म आती ह िही रमाण हवरयार

री रमाण ऊजाथ स ही बनाय जा सकत ह अतः विशव शािवत बनाय रखन क वलए यह अतयित

आिशयक ह वक परतयक राषटर इस बात को समझ सक की वक िह विजञान क दवारा परदान की

गयी सरी सरकषा सवििाओ ि को किल मानिवहत एिम कलयाणकारी कायो म ही परयोग करगा

iv तनषपकषिा क तलए भौतिक तिजञान- रौवतक विजञान की िजञावनक वचितन दधवत मानि म

सािथरौवमक िवषटकोण विकवसत करन म सहायक होती ह िमथ एिम सिसकवत की वचितन दधवत

िाल वयवकत का िवषटकोण कषतर विशष की सीमा स बििा होता ह जबवक विजञान क वनयम और

वयाखयाय वकसी कषतर या राषटर की सीमा म बिि नही होत ह िजञावनक वचितन दधवत िाला वयवकत

वकसी री राषटर दवारा विजञान क कषतर म वकय गय योगदान को दखकर वबना वकसी रदराि क

उस राषटर का समपमान करता ह उसका वचितन एिम िवषटकोण सिकवचत नही होता ह अव त

सािथरौवमक होता ह आज री हमार समाज म कछ रीवत-ररिाज एिम सामावजक रवड़या ह जो

ीड़ी डर ीड़ी चली आ रही ह हमार समाज म आज री यही माना जाता ह वक एक लड़की को

वशवकषत होन की कोई आिशयकता नही ह कयोवक उसको तो घर म ही काम करना ह जबवक

एक लड़क को वशवकषत होना चावहए कयोवक उसी को घर चलान क वलए वयिसाय या नौकरी

करक िन अवजथत करना ह इन सामावजक रवडयो क बािजद सािथरौवमक िवषटकोण क कारण ही

िजञावनक वचितन दधवत िाला वयवकत हमार समाज म वयापत वलिग रद क आिार र बालक ि

बावलका को वशवकषत करन क विषय म विचार नही करता ह आज बालक हो या बावलका हर

वकसी क वलए वनषट कष र स वशकषा उ लबि करान र जोर वदया जा रहा ह यह रौवतक

विजञान की िजञावनक वचितन दधवत का ही ररणाम ह रौवतक विजञान न आज अनक ऐस

उ करण ि कवतरम अिग विकवसत कर वलए ह वजनकी सहायता स आिवशक शरिणदोष स गरवसत

छातर ककषा म सामानय छातर की रािवत सन सकता ह तरा एक विकलािग छातर री सामानय छातर

की रािवत चल सकता ह उठ बठ सकता ह आज हम रौवतक विजञान क अविषटकार जस ndash

िलीविज़न रवडयो इनिरनि इतयावद र परसाररत होन िाल विवरनन शवकषक कायथिमो क

माधयम स ही दगथम एिम सदर गरामीण कषतरो म रहन िाल छातरो को वशवकषत करन म सफल हो

ा रह ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 26

अभयास परशन

2 शीत उ करणो म कलिस क र म कलोरो फलोरो काबथन गस का परयोग वकया जाता ह

(सतयअसतय)

3 िवशवक त न बढ़त हररतगह परराि का ररणाम ह तरा वजसक वलए उततरदायी गसो म स परमख

गस कलोरो फलोरो काबथन ही ह (सतयअसतय )

4 वचवकतसकीय उ करणो को गामा वकरणो की सहायता स ही रोगाणमकत वकया जाता ह (सतय

असतय)

5 िवशवक त न को कम करन हत कोई दो उ ाय वलवखए

25 सपरवसदध वजञावनक- आइजक नयटन जॉन डालटन जसी बोस अलबटथ आइनसटीन शाावतसवरप रटनागर नीलस बोहर सी वी रमन डी बरोगिी वबमिा बटी आवद सामनयतया कहा जाता ह वक ररितथन परकवत का वनयम ह रौवतक जगत म इस ररितथन को लान का

शरय विजञान को ही वदया जाता ह वजन महान लोगो क अनिरत परयास एिम खोजो क ररणामसिर

हमार रौवतक जगत म य ररितथन आत ह उनको हम िजञावनक की सिजञा दत ह ितथमान म हम सरी

वजन रौवतक सख सवििाओ ि का परयोग करक एक सरल एिम सगमपय जीिन वयतीत कर रह ह उन

सख सवििाओ ि की खोज करन का शरय री वनसिदह हमार िजञावनको को ही जाता ह िजञावनको की

महनत एिम अरक परयासो का ही ररणाम ह वक आज हम जीिन क हर कषतर म वनरितर परगवत एिम

विकास कर रह ह यहा र हम कछ सपरवसदध िजञावनको की पररणादायक खोजो एिम उनक योगदान क

विषय म चचाथ करग-

आइिक नयटन

महान िजञावनक आइजक नयिन वजनको आिवनक रौवतकी एिम गवणत का व तामह कहा जाता ह का

जनम 1642 म वलिकन शायर (इिगलड) म हआ रा ि बालयकाल स ही वशकषा क परवत गिरीर र विदयारी

जीिन स ही उनकी रवच यािवतरक एिम सरजनातमक कायो म ररलवकषत होन लगी री वशकषा क परवत

उनकी इस लगन परवतरा एिम योगयता को दखत हए ही उनको आग की वशकषा गरहण करन क वलए

कवमपबरज विशवविदयालय रज वदया गया जहा र अ नी विशवविददालीय वशकषा क दौरान ही उनकी गवणत

विषय म योगयता एिम रवच को दखत हए उनको मातर 27 िषथ की आय म गवणत विषय क परोफसर क

द र वनयकत कर वलया गया 30 िषथ की आय म उनहोन इसी विशवविदयालय म एक परयोगशाला की

सरा ना करक सितनतर र स अ ना अनसनिान कायथ परारिर कर वदया अ न अनसििान कायथ क

ररणामसिर उनहोन रौवतक विजञान क कषतर म वजन नयी उ लवबियो को अवजथत वकया ि वनमपन ह-

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 27

i नयिन न गरतिाकषथण क वनयम का परवत ादन वकया नयिन न बताया की सिसार की परतयक दो

िसतओ ि क बीच एक आकषथण बल काम करता ह यवद दो आकवषथत करन िाली िसतओ ि म

स एक थिी हो तो थिी वजस बल स वकसी िसत को अ न क ि की ओर आकवषथत करती ह

उस गरति बल कहत ह इसवलय जब कोई िसत ऊ र की ओर फ की जाती ह तो िह गरति

बल क कारण ही लौिकर थिी र िा स आती ह गरति बल क कारण ही हम थिी र खड़

रह सकत ह

ii नयिन न ही यह बताया वक बरहमाणड म वकनही दो व िडो क बीच कायथ करन िाल आकषथण बल

को गरतिाकषथण बल कहत ह इस बल क कारण ही थिी सयथ क चारो ओर घमती ह तरा

चििमा थिी क चारो ओर घमता ह िासति म यही बल सरी गरहो की गवत क वलए उततरदायी

iii नयिन क गरतिाकषथण वनयम क अनसार ldquo बरहमाणड का परतयक कण दसर कण को एक वनवशचत

बल स आकवषथत करता ह जो उन कणो क िवयमानो क गणनफल क अनिामान ाती तरा

उनक बीच की दरी क वयतिमान ाती होता हrdquo वजसको वनमपन समीकरण दवारा परदवशथत वकया

जा सकता ह ndash

119865 = 119866 11989811198982

1199032

iv नयिन न गवत विषयक तीन मति णथ वनयम परवत ावदत वकय नयिन क गवत क पररम वनयम क

अनसार ldquoयवद कोई िसत विरामािासरा म ह तो िह विरामािासरा म ही बनी रहगी और यवद

िह एक सरल रखा म एकसमान िग स चल रही ह तो िह उसी परकार चलती रहगी जब तक

वक उस र कोई िाहय बल ना लगाया जायrdquo उदाहरण क वलए यवद कोई सतक मज र राखी

ह तो िह तब तक उसी अिसरा म बनी रहगी जब तक वक उस र बाहर स बल लगाकर उस

िहाि स हिा न वदया जाय

नयिन क गवत क वदवतीय वनयम क अनसार ldquo वकसी िसत र बाहर स लगाया गया बल F उस

िसत क िवयमान m तरा िसत म बल की वदशा म उत नन तिरण a क गणनफल क

अनिमान ाती होता हrdquo

F = ma

नयिन क गवत क ततीय वनयमानसार जब कोई िसत वकसी दसरी िसत र बल लगाती ह तो

दसरी िसत री हली िसत र उतना ही बल वि रीत वदशा म लगाती ह उदाहरण क वलए

तरत समय तराक ानी को ीछ की ओर िकलता ह ररणामसिर ानी तराक को आग की

ओर िकलता ह अतः स षट ह वक तराक ानी को वजतनी तजी स ीछ की ओर िकलगा िह

उतना ही तज़ तरगा

v नयिन न ही यह जानकारी दी वक परकाश सात रिगो स वमलकर बना होता ह

vi नयिन न अ न परयोगो दवारा वसदध वकया वक परकाश सदि सीिी रखा म चलता ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 28

vii नयिन न गवणत की एक अतयित महति णथ शाखा कलकलस की खोज की

viii नयिन न एक महति णथ परमय की खोज की वजस बाईनोवमयल परमय कहा जाता ह

ix नयिन न परकाश क फोिोन वसदधानत को परवत ावदत वकया और यह बताया वक परकाश बहत ही

सकषम कणो क र म हम तक हचता ह वजनह फोिोन कहा जाता ह

x नयिन न सयथ स थिी तक की दरी को मा ा और अनय गरहो की थिी स दरी और उनक आकर

का अनमान लगाया

िॉन डालटन

वबरविश रसायनशासतरी जॉन डालिन का जनम 6 वसतमपबर 1766 को इगलसफीलड इिगलड म हआ रा

डालिन एिम उनक राई दोनो ही जनम स िणाथनि र डालिन अ न गाि कमपबरलड म एक किकर

विदयालय म वशकषा गरहण करन क बाद मातर 12 िषथ की आय म उसी विदयालय म वशकषक क र म कायथ

करन लग इनका जनम गरीब ररिार म हआ रा अतः 14 िषथ की आय म विदयालय क वशकषण कायथ को

छोडकर अ न ररिार का ररण ोषण करन हत खती म जि गय लवकन अविक समय तक उनका मन

खती म नही लगा तरा इसी एक िषथ क दौरान उनहोन िाव स वशकषण कायथ म लौिन का वनणथय वलया

ि नः कनडाल म एक किकर बोवडिग विदयालय म वशकषण कायथ करन लग तरा मातर चार िषथ क शचात

इसी विदयालय म वपरिवस ल क द र वनयकत हो गय ि इस विदयालय म 1793 तक रह इसक शचात

मनचसिर क नय कॉवलज म ियिर क र म कायथ करन लग जहा र उनहोन मनचसिर वलिररी एिम

वफलोसोवफकल सोसायिी की सदसयता ल ली इसी सोसायिी की सदसयता क ररणामसिर उनको

परयोगशाला की सवििाएि परापत हई और उनहोन अ ना अनसनिान कायथ परारमपर कर वदया परारमपर म उनहोन

मौसम विजञान म तरा इसक शचात जीि विजञान तरा रसायन शासतर म शोि करक वनमपन उ लवबियाि

अवजथत की

1 डालिन न अ न पररम शोि परोजकि म मौसम विजञान म रवच वदखाई री अतः ि मौसम

िाय की गवत एिम बरोमवरक दबाब र परवतवदन धयान रखत र जो की जीिन क अिवतम वदनो

तक उनकी आदत बना रहा डालिन की हली सतक ldquo वमविरओलोवजकल

फ़ाईनडीनगसrdquo(Meteorological Findings) म िायमिडलीय दबाब र उनक शोि ररणाम

परकावशत हए

जब दो या दो स अविक गस आ स म वमलायी जाती ह तो उनक कल दाब की गणना करन क

वलए ही जॉन डालिन न आिवशक दाब का वनयम वदया इस वनयम क अनसार ldquo वसरर ता ि

आयतन र उन दो या दो स अविक गसो (जो आ स म विया ना करती हो ) का कल दाब इन

गसो क आिवशक दाबो क योग क बराबर होता हrdquo

PT = P1 + P2 + P3 + ⋯

2 डालिन न ही बताया वक िणाथनिता आनिािवशक होती ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 29

3 रमाण की सिरचना क समपबनि म परयोगो क आिार र तथयातमक वसदधानत सबस हल जॉन

डालिन न ही वदया रा वजस डालिन का रमाणिाद क नाम स जाना जाता ह इस वसदधानत क

अनसार ldquo रमाण वकसी तति का िह छोि स छोिा अविराजय कण ह जो रासायवनक विया म

राग नही लता ह और उसम उस तति क सरी गण विददमान रहत हrdquo

िसीबोस

डॉकिर जसी बोस का जनम बिगाल क फरीद र वजल क वििम र नामक गािि म 30 निमपबर 1858 को

हआ रा ि बच न स ही एक मिािी छातर र 11 िषथ की आय म ि कलकतता आय जहा र उनह

अिगरजी राषा की वशकषा हत सि ज़वियर सकल म परिश वदलाया गया 16 िषथ की आय म इनहोन

छातरिवतत क सार मवरक ास वकया और उसक शचात कलकतता विवशवददालय म परिश ल वलया जहा स

जसी बोस न गवणत एिि विजञान म विशष योगयता क सार सनातक की रीकषा उततीणथ की 1896 म

लनदन यवनिवसथिी न उनह उनक शोि वबजली की लहरो की लमपबाई र डीएससी की वडगरी परदान की

ि 1920 म रॉयल सोसायिी क फलो चन गय 1927 म ि इिवडयन साइिस कािगरस क जनरल परसीडसी री

वनयकत हए 1912 म बोस जब अ न एक िजञावनक वमशन र रिाना हए तो उस समय उनकी इचछा री

वक रारत म री रॉयल इिसिीियि लनदन की तरह एक साइिस इिसिीियि सराव त वकया जाय उनक इसी

स न को साकार र दन क वलए उनहीन रारत म 30 निमपबर 1917 को बोस इिसिीियि की सरा ना की

आज रारत म इस एक परवसदद ररसचथ सनिर का दजाथ वमल चका ह विजञान क कषतर म इनकी परमख

उ लवबियाि वनमपन ह ndash

i जसी बोस न अ न एक परयोग दवारा यह परदवशथत वकया वक लघ विददत तरिगो दवारा सिकत परापत हो

सकत ह उनहोन अ ना हला परयोग परदशथन परसीडसी कॉलज म वकया तरा दसरा परयोग परदशथन

िाउन हॉल म वकया अ न इस परयोग क दवारा जसी बोस न बताया रा वक विददत चमपबकीय

तरिग वकसी सदर सरल तक किल अनतररकष की सहायता स हच सकती ह तरा य तरिग वकसी

विया का वकसी अनय सरान र वनयितरण री कर सकती ह िासति म यह ररमोि कणरोल

वससिम रा

ii जसी बोस हल ऐस वयवकत र वजनहोन एक ऐस सकषम यितर का वनमाथण वकया वजसकी सहायता

स सकषम तरिग दा की जा सकती री उनहोन दवनया को एक ऐसी वबलकल नयी तरह की रवडयो

तरिग वदखाई जो वक 1 समी स 5 वममी की री वजस आज माइिोिि या सकषम तरिग कहा

जाता ह

iii जसी बोस न ौिो म िीमी गवत स होन िाल विकास को मा न हत एक अतयित सििदी यनतर

बनाया जो िीमी गवत स हो रही इस िवदध को मा सकता रा इस यनतर को इनहोन िसकोगराफ

नाम वदया

iv इनक दवारा ौिो म िवदध की अवररचना ररकॉडथ की गयी जोवक आिवनक िजञावनक तरीको स

री वसदध होती ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 30

v जसी बोस न बताया वक ौिो म उददी न का परराि सफीती दबाब और कोवशकाओ ि क फलाि

स जड़ा होता ह

अलबटय आइनसटीन

महान िजञावनक अलबिथ आइनसिीन का जनम जमथनी क उलम नामक सरान र 1879 को हआ रा

आइनसिीन बच न स ही परवतराशाली विददारी र गवणत एिम विजञान विषय क अधययन म इनकी

विशष रवच री इनकी परवतरा को दखत हए ही इनक वशकषको दवारा इनह मातर 15 िषथ की आय म ही

विशवविदयालय सतर की वशकषा गरहण करन क योगय घोवषत कर वदया गया रा अ नी विददालयी वशकषा

गरहण करन क बाद इनहोन गवणत एिम विजञान का अधययन जारी रखा आइनसिीन की वशकषण कायथ म

बहत रवच री वकनत बहत परयास करन क बाद री य एक वशकषक क र म नौकरी नही परापत कर सक

और वफर मजबरीिश वसििजरलड क एक ऑवफस म कलकथ क द र कायथ करन लग इस नौकरी क

सार सार उनहोन अ ना अनसनिान कायथ जारी रखा आइनसिीन न 1905 ि 1906 म लगातार अ न

दो परवसदद वसदधानतो को दवनया क समपमख परसतत वकया इन दो महान खोजो क बाद इनकी परवसवदध बढ़

गयी तरा इनह 1911 म बवलथन विशवविदयालय म रौवतक शासतर क परोफसर द र वनयकत कर वदया गया

रौवतक विजञान क कषतर म इनकी परमख उ लवबियाि वनमपन ह ndash

i 1905 म इनहोन अ ना परवसदद वसदधानत जो दारथ क नषट होन क बाद उसक ऊजाथ म ररिवतथत

होन स समपबिवित ह को एक समीकरण 119864 = 1198981198882 क र म दवनया क समपमख परसतत

वकया उनकी यही खोज आग चलकर एिम बम क अविषटकार का आिार बनी

ii 1906 म इनहोन सरान तरा दरी स समपबिवित एक अनय खोज दवनया क समपमख परसतत की

वजसको विजञान जगत म ldquoसा वकषक वसदधानतrdquo क नाम स जाना जाता ह

iii बवलथन विशवविदयालय म परोफसर द र कायथ करत हए री इनहोन अ न शोि कायथ को जारी

रखा तरा एक अनय परमख वसदधानत की खोज की वजसको ldquoकरिचर ऑफ़ स स थयोरी rdquo क

नाम स जाना जाता ह आइनसिीन न 1919 म णथ सयथगरहण क समय इसकी सतयता की जािच

री करक वदखायी

iv आइनसिीन न ldquoपरकाश का किाििम वसदधानतrdquo परसतत वकया वजसक दवारा इनहोन यह समझान का

परयास वकया वक परकाश हमार ास तरिगो क किाििा क र म आता ह

अ नी इन सरी महति णथ खोजो क उ लकषय म इनको 1921 म रौवतकशासतर क नोबल रसकार स

समपमावनत वकया गया

िातिसिरप भटनागर

डॉ शािवत सिर रिनागर का जनम 21 फरिरी 1894 को िजाब क शाह र वजल म रडा नामक गराम म

हआ रा इनहोन 1911 म मवरक की रीकषा पररम शरणी म उततीणथ की तरा 1913 म लाहौर फोरमन

विशचन कॉवलज स एम एससी की रीकषा री पररम शरणी म उततीणथ की बाद म 1921 म लनदन

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 31

विशवविदयालय स डीएससी की वडगरी परापत की मगनिो कवमसरी क कषतर म वकय गय अनसनिान कायथ क

योगदान क वलए इनको विशष तौर र जाना जाता ह इसक अवतररकत इनहोन कोलोइड इमलशन ि

औददोवगक रसायनशासतर क कषतर म री काफी उ योगी अनसनिान कायथ वकय ह इनक समपमान म ही

िजञावनक एिम औददोवगक अनसनिान ररषद दवारा परवतिषथ िजञावनको स विजञान और तकनीकी कषतर म

उनक योगदान क सनदरथ उनको शािवतसिर रिनागर रसकार परदान वकया जाता ह

नीलस बोर

इस डवनस रौवतकशासतरी का जनम 1885 म डनमाकथ म हआ रा | इनक व ता विशचन बोर को नहगन

विशवविदयालय म वफवजओलोजी क परोफसर र अतः इनको बच न स ही अ न घर म ढन वलखन का

अचछा िातािरण वमला रा बोर अतयित होनहार विददारी र इनकी समप णथ वशकषा को नहगन

विशवविदयालय म ही सि नन हई मवरक की ढाई री करन क बाद 1903 म इनहोन को नहगन

विशवविदयालय म परिश वलया जहा स 1909 म रौवतक शासतर म मासिर वडगरी ि 1911 म ी एच डी

की उ ावि परापत की तरा 1916 म को नहगन विशवविदयालय म ही सदधािवतक रौवतकशासतर विराग म

इनकी परोफसर क द र वनयवकत री हो गयी जब ि मातर २२ िषथ क र तरी डवनस विजञान सोसायिी

न इनह ldquoसरफस िशनrdquo सिबििी इनक मौवलक अधययन हत एक सिणथ दक वदया रा विजञान क कषतर म

इनकी परमख उ लवबि इनक दवारा परसतत रमाण मॉडल ह वजस बोर का रमाण मॉडल क नाम स जाना

जाता ह उनक इसी योगदान क वलए सन 1922 म उनह रौवतकी क नोबल रसकार स री समपमावनत

वकया गया रदरफोडथ क दवारा परसतत नावरकीय मॉडल क दोषो की वयाखया करत हए पलक क किाििम

वसदधानत क आिार र इनहोन अ न रमाण मॉडल म बताया वक-

i रमाण म इलकरान नावरक क चारो ओर बिद िततीय ककषाओ ि म घमत रहत ह

ii नावरक क चारो ओर अनक िततीय ककषाएि होती ह रनत इलकरान किल उनही ककषाओ ि म

घमत ह वजनम उनका कोणीय सििग ℎ

2120587 का णथ गवणत होता ह

iii परतयक ककषा का एक वनवशचत ऊजाथ सतर होता ह इन ककषाओ ि म घमत हए इलकरानो की ऊजाथ

वसरर रहती ह वजसक कारण इन ककषाओ ि को सरायी ककषा री कहत ह

iv जब इलकरान ( एक सरायी ककषा स दसरी सरायी ककषा म) वनमपन ऊजाथ सतर स उचच ऊजाथ सतर

म कदता ह तो रमाण दवारा ऊजाथ अिशोवषत होती ह इसक वि रीत जब एक इलकरान उचच

ऊजाथ सतर स वनमपन ऊजाथ सतर म कदता ह तो रमाण क दवारा ऊजाथ विवकरण क र म उतसवजथत

होती ह तरा परापत उतसजथन म वनवशचत आिवतत की तरिग उत नन होती ह वजसम तीकषण रखाएि होती

ह इसी क आिार र हाइरोजन क स करम की सफल वयाखया की गयी

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 32

सी िी रमन

चनिशखर िकिरमन का जनम तवमलनाड क वतरचना लली नामक सरान र 7 निमपबर 1888 को हआ

रा इनक व ता गवणत एिम रौवतकशासतर क परिकता र य अ न विददालयी जीिन स ही एक

परवतराशाली छातर र 1902 म मातर 14 िषथ की आय म इनहोन परसीडसी कॉवलज मिास म परिश

वलया तरा 1904 म बी ए की वडगरी परापत की ि 1907 म यही स रौवतक विजञान म एम ए की वडगरी

परापत की 1907 म ही कलकतता म वितत मितरालय म एक परशासवनक द र इनकी वनयवकत हई विजञान क

परवत अ नी रवच को ना रोक ान क कारण इस द र कायथ करत हए री य अनसनिान कायथ करत रह

ि ldquoइिवडयन एशोवसएशन ऑफ़ कलिीिशन ऑफ़ साइिसrdquo की परयोगशाला म रात रात रर जाग जाग कर

शोि कायथ वकया करत र उनकी इसी महनत और लगन क ररणामसिर 1917 म ि कलकतता

विशवविदयालय म रौवतक शासतर म परोफसर क द र वनयकत हो गय कलकतता विशवविदयालय म 15 िषथ

तक कायथ करन क शचात य ldquo रारतीय विजञान सिसरान rdquo म परोफसर क द र वनयकत हए 1924 म

ऑवपिकस म इनक योगदान क कारण इनह रॉयल सोसाइिी का फलो चना गया 1930 म इनको

अितराषटरीय नोबल रसकार स समपमावनत वकया गया चनिशखर िकिरमन विजञान क कषतर म नोबल

रसकार परापत करन िाल हल रारतीय िजञावनक र यह रसकार इनक महति णथ खोज ldquoरमन पररािrdquo

क वलए वदया गया रा 1943 म इनहोन बिगलौर क ास रमन ररसचथ इिसिीियि की सरा ना की जहा र

य अ न जीिन क अिवतम वदनो तक कायथ करत रह रौवतक विजञान क कषतर म इनकी परमख उ लवबियाि

वनमपन ह ndash

i विजञान क कषतर म चनिशखर िकिरमन का परमख योगदान इनक दवारा की गयी एक खोज ह वजस

विजञान जगत म ldquoरमन परराि rdquo क नाम स जाना जाता ह इनहोन अ नी इस खोज म बताया वक

तरल दारो म परकाश का वबखराि बहत ही कम होता ह यवद परकाश तरल दारथ स होकर

गजरता ह तो उन परकाश वकरणो की तीवरता और लमपबाई म इस परकार की कमी आ जाती ह वक

ि री तरह स वरनन परकार की लहर बन जाती ह परकाश की लहरो की सिखया म यवद कोई कमी

या िवदध होती ह तो इसकी वनरथरता परकाश की लहरो र नही होती ह अव त उस दारथ र होती

ह वजसस परकाश की वकरण होकर गजरती ह अतः इनहोन अ नी इस खोज स यह स षट वकया

वक परकाश वकरणो की सिखया म ररितथन दारथ की सिरचना का ही ररणाम होता ह और ऐसा

ररितथन सामानय परकाश की लहरो स अविक लमपबी परकाश की लहरो क कषतर म वदखाई दता ह

इस परकार परापत लहरो को ldquoरमन रखाrdquo या ldquoरमन इफ़किrdquo कहा जाता ह

ii परकाश क परकीणथन की खोज का शरय इनही को जाता ह

iii बोड वसरिग का मकवनकल वसदधानत एिम एकस वकरणो का विशलषण इनही क दवारा परसतत वकय

गय

iv चनिशखर िकिरमन न तबल और मदिगम क सिनादी (हामोवनक) की परकवत की खोज की

री

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 33

v आख क रविना क काल राग को दखन क वलए ओ रलमोसको नामक यितर का अविषटकार

वकया वजसक दवारा आख क अिदर की सिरचना एिम परविया को बड़ी सरलता स दखा जा

सकता ह

डी बरोगली

इस परवसदद फर च रौवतकशासतरी का जनम 15 अगसत 1892 को फरािस म हआ रा इनहोन 1909 म हल

ररस विशवविदयालय स इवतहास विषय म सनातक वकया तरा बाद म 1913 म विजञान विषय म सनातक

की उ ावि परापत की 1924 म डी बरोगली न डॉकिरि की उ ावि हत अ ना शोिपरबिि परसतत वकया

वजसका शीषथक रा किाििम वसदधाित सिबििी गिषणाए य 1928 म पिाकर इिवसिियि म सदधािवतक

रौवतकी क परिानाधया क वनयकत हए इनही क परयास स यह सिसरा समकालीन रौवतक वसदधाितो क

अधययन क वलय एक क ि बन गई 1945 म फरािसीसी सरकार न रमाण ऊजाथ क उचच आयोग की

सरा ना की और बरॉगली को उसका तकनीकी रामशथदाता वनयकत वकया सावहवतयक कायथ क कारण

1945 म ही य फरािसीसी अकादमी क सदसय वनिाथवचत हए य फरािसीसी लखकसिघ क समपमावनत

सरा वत री रह और 1952 म इनह िजञावनक लखन की उतकषटता क वलय कवलिग परवतषठान दवारा परदतत

पररम रसकार वमला रौवतक विजञान क कषतर म इनका परमख योगदान ldquoडी बरोगली का दारो की दवती

परकवत का वसदधानतrdquo ह इस उतकषट कायथ हत 1929 म इनह नोबल रसकार स समपमावनत वकया गया

डी बरोगली न 1924 म अ न इस वसदधानत म बताया रा वक परकाश तरा अनय विददत चमपबकीय विवकरणो

की दवती परकवत की तरह दारथ री तरिग तरा कण दोनो ही परकार क गण परदवशथत करता ह वजस दवती

परकवत का वसदधानत कहा जाता ह

तबमला बटी

परोफसर वबमला बिी एक रारतीय रौवतकशासतरी ह य रौवतकशासतर विषय म इिवडयन नशनल साइिस

अकादमी की हली मवहला फलो ह इनका जनम 19 वसतमपबर 1933 को मलतान नामक सरान र हआ

रा वबमला बती न वदलली विशवविदयालय स बी एस सी (ओनसथ ) एिम एम एस सी की वडगरी परापत

की ह तरा 1962 म वशकागो विशवविदयालय स पलाजमा वफवजकस म डॉकिरि की उ ावि परापत की ह

रौवतक विजञान क कषतर म इनक योगदान क वलए इनह विवरनन रसकारो जस -1977 म वििम साराराई

अिाडथ फॉर पलानरी साइिस 1993 म जिाहरलाल नहर बरथ सनिरी लकचररवश अिाडथ ि 1994 म

इनसा-िण बा अिाडथ स समपमावनत वकया गया ह रौवतक विजञान क कषतर म इनक परमख उ लवबियाि

वनमपन ह ndash

i रारत म रमाण ऊजाथ विराग क अितगथत ldquoइिवसिियि ऑफ़ पलाजमा ररसचथrdquo सराव त करन का

शरय इनही को जाता ह

ii रारत म पलाजमा साइिस सोसाइिी को सराव त करन का शरय इनही को ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 34

iii इनहोन नासा क विवरनन सनिर जस गोडाडथ स स फलाइि एम डी एमस ररसचथ सनिर सीए

ि जि परो लशन लबोरिरी इतयावद म कायथ वकया ह

अभयास परशन

6 _________विजञान क कषतर म नोबल रसकार परापत करन िाल हल रारतीय िजञावनक र

7 नयिन न गवत विषयक_________महति णथ वनयम परवत ावदत वकय

8 ldquoपरकाश का किाििम वसदधानतrdquo _________दवारा परसतत वकया गया रा

9 रारत म पलाजमा साइिस सोसाइिी को सराव त करन का शरय_________को ह

10 अलबिथ आइिसिीन को आिवनक रौवतकी एिम गवणत का व तामह कहा जाता ह (सतय

असतय )

11 जॉन डालिन न बताया वक िणाथनिता आनििवशक होती ह (सतय असतय )

12 ौिो म िीमी गवत स होन िाल विकास को मा न हत िसकोगराफ नामक सििदी यितर का अविषटकार सी िीरमन न वकया रा (सतय असतय )

13 डी बरोगली न दवती परकवत का वसदधानत परसतत वकया रा (सतय असतय )

14 डालिन का आिवशक दाब का वनयम वलवखए

15 नयिन का गवत स समपबिवित वदवतीय वनयम वलवखए

26 सारााश समाज म सखी जीिन वयतीत करन एिम समाज को वनरितर उननवत क र र ल जान म सदि रौवतक

विजञान की अतयित महति णथ रवमका रही ह रौवतक विजञान की वशकषा दवारा ही छातरो म सामावजकता क

गणो का विकास वकया जा सकता ह सार ही उनम यह समझ री विकवसत की जा सकती ह वक वकस

परकार रहन स और वकस परकार क कायथ करन स समाज को लार हिचगा इस इकाई म हमन रौवतक

विजञान वकस परकार हमार समाज को पररावित कर रहा ह ि िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता

क वलए रौवतक विजञान का कया योगदान ह इसक विषय म विसतत अधययन वकया ह कछ सपरवसदध

िजञावनक- आइजक नयिन जॉन डालिन जसी बोस अलबिथ आइनसिीन शािवत सिर रिनागर नीलस

बोहर सी िी रमन डी बरोगली वबमला बिी आवद न रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत

एिम विकास म कया योगदान वकया ह इसक विषय म री इस इकाई म विसतार िथक चचाथ की गयी ह

रौवतक विजञान की वशकषा का उददशय वयवकत तरा उसक समाज को उसक परकवत तरा िातािरण क

सार समायोजन करन क योगय बनाना ह सार ही उन र वनयितरण रखकर उनह अ नी सवििा क अनसार

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 35

परयोग करन की कषमता उत नन करना ह अतः छातरो को रौवतक विजञान की वशकषा इस परकार दी जानी

चावहए वजसस उनम आतिकिाद वहिसा जसी अिािछनीय घिनाओ ि क परवत नकारातमक िवषटकोण

विकवसत हो तरा रस र सौहादथ सहयोगराईचारा तरा सवहषटणता जस सकारातमक गण विकवसत हो

सक

27 अभ यास परशनो क उत तर 1 रौवतक विजञान की परगवत एिि विकास स होन िाल तीन लार

i समपपरषण एिम ररिहन की आिवनक सवििाओ ि की उ लबिता

ii जल सिसािन परबििन एिम शवदधकरण हत यितरो की उ लबिता

iii खादद उत ादन म िवदध हत आिवनक तकनीकी

2 सतय

3 असतय

4 सतय

5 िवशवक त न को कम करन हत दो उ ाय

i रोल कोयला जस ईिन का परयोग कम करक

ii अविक स अविक िकष लगाकर

6 चनिशखर िकिरमन

7 तीन

8 आइनसिीन

9 वबमला बिी

10 असतय

11 सतय 12 असतय

13 सतय

14 डालिन क आिवशक दाब क वनयम क अनसार ldquo वसरर ता ि आयतन र उन दो या दो स

अविक गसो (जो आ स म विया ना करती हो ) का कल दाब इन गसो क आिवशक दाबो क

योग क बराबर होता हrdquo

PT = P1 + P2 + P3 + ⋯

15 नयिन क गवत क वदवतीय वनयम क अनसार ldquo वकसी िसत र बाहर स लगाया गया बल F उस

िसत क िवयमान m तरा िसत म बल की वदशा म उत नन तिरण a क गणनफल क

अनिमान ाती होता हrdquo F = ma

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28 सादरथ गरार सची 1 माहशवरी िी क एिम माहशवरी सिा 2005 विजञान वशकषण आर लाल वबलकशनस मरठ

2 नगी परो ज एस 2013 रौवतक विजञान वशकषण अगरिाल वबलकशनस आगरा

3 माहशवरी िी क 2005 आर लाल वबलकशनस मरठ

4 गोयल डॉ एम क 2012 याथिरण वशकषा अगरिाल वबलकशनस आगरा

5 बहादर डॉ ी 2006 बालाजी वबलकशनस मजफफरनगर

29 वनबाधात मक परशन 1 हमार समाज एिम सामावजक जीिन को रौवतक विजञान क कषतर म होन िाला परगवत एिम

विकास वकस परकार वकस परकार पररावित कर रहा ह विसतार िथक िणथन कीवजय

2 विशव क ि रारत क वकनही दो-दो िजञावनको क नाम बताइय और उनम स वकनही दो का

रौवतक विजञान क कषतर म कया योगदान रहा ह इसकी विसतत चचाथ कीवजय

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इकाई 3 -विजञान क माधयम स जञान और समझ विजञान की परविया कौशल का विकास िजञावनक दषटिकोण और िजञावनक

मनोिवि का विकास विजञान म वजजञासा रचनातमकिा और सौदयथ बोध (माधयवमक सिर) विकवसि करना भौविकी और रसायन

विजञान म वजजञासा रचनातमकिा और सौदयथ बोध विकवसि करना (उचचिर माधयवमक सिर)जञान (भौविकी रसायन विजञान) वशकषा

को पयािरण (पराकविक पयािरण कलाकवियो और लोगो) परौदयोवगकी और समाज स जोड़ना

Knowledge and understanding through science Nurturing process skills of science developing scientific attitude and scientific temper Nurturing curiosity creativity and aesthetic sense in science (Secondary Stage) Physics and Chemistry (Higher

Secondary stage)Relating Science (Physics Chemistry) education to environment (natural environment artifacts and

people) technology and society

31 परसतािना

32 उददशय

33 विजञान क माधयम स जञान और समझ

34 विजञान की परविया कौशल का विकास

35 िजञावनक दवषटकोण और िजञावनक मनोिवतत का विकास

36 विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोि (माधयवमक सतर) विकवसत करना

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361 रौवतकी और रसायन विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोि

विकवसत करना (उचचतर माधयवमक सतर)

37 विजञान (रौवतकी रसायन विजञान) वशकषा को याथिरण (पराकवतक याथिरण

कलाकवतयो और लोगो)

371 विजञान (रौवतकी रसायन विजञान) वशकषा को परौदयोवगकी और समाज स

जोड़ना

38 सारािश

39 अभयास परशनो क उततर

310 सिदरथ गरनर सची

311 सहायक उ योगी ाठय सामगरी

312 वनबनिातमक परशन

31 परसतावना विजञान िह वयिवसरत जञान या विदया ह जो विचार अिलोकन अधययन और परयोग स वमलती ह जो वक

वकसी अधययन क विषय की परकवत या वसदधानतो को जानन क वलय वकय जात ह विजञान जञान की ऐसी

शाखा ह जो तथय वसदधानत और तरीको को परयोग और ररकल ना स सराव त और वयिवसरत करती ह

आज हम विजञान एिि तकवनकी क यग म ह या कह सकत ह की यह यग विजञान एिि तकवनकी का ह

विजञान न आज सरी कषतरो जस ndash सिचार कवष वचवकतसा आिागमन क सािन उजाथ इतयावद म विजञान

न महारर विकवसत वकया ह विवरनन िजञावनक आविषटकारो न आज हमारी जीिन शली को पररावित

वकया तरा और सख ndash सवििा णथ बनाया ह विजञान न मानि को असीम शवकत और सामथयथ परदान

वकया ह और उस इस िरती का सबस ताकतिर बना वदया ह विजञान क दवारा ही मनषटय न परकवत क

विवरनन मखय रहसयो का अनािरण वकया तरा विजय परापत वकया विजञान मनषटय क वलए एक अचछ

लोक ndash सिक क र म कायथ कर रहा ह ितथमान म मनषटय न अितररकष क कषतर म चमतकाररक परगवत

वकया ह तरा पराकवतक आ दाओ ि का हल स ही ता लगान म हमार िजञावनक सकषम ह आज हमार

िजञावनको न चनिमा और मिगल गरह री अ न सिलाइि रज ह तरा अरी हाल ही म १५ फरिरी

२०१७ को इसरो न एक सार १०४ सिलाइि अितररकष म रज क एक नए मानक की सरा ना वकया

मनषटय क अनदर जो सीखन की लालसा ह िो हल जसी ही ह सीखन और जानन की कषमता तरा उसक

अनर अ न जीिन म ररितथन करन की वजतन सामरथ मनषटय और उसक समाज म रही उतनी थिी

वकसी म नही रही इसी गण क कारन मनषटय न परकवत क सामानाितर अ न सिसार की रचना की तरा

अ न को विकवसत वकया परकवत क रहसयो क अनािरण करन हत मनषटय न एक परविया का अनसरण

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वकया तरा सरी परशनो का उततर वदया इस परविया को ही ldquo विजञान की परवियाrdquo कहत ह इस परविया

को समझान क वलए इसक lsquoजञानrsquo और lsquoबोिrsquo को समझना जररी ह

32 उददशय 1 विजञान क माधयम स जञान और समझ क कौशल कस विकवसत होगा य बता सक ग

2 विजञान की परविया कौशल की वििचना कर सक ग

3 िजञावनक दवषटकोण और मनोिवतत क महति को बता सक ग

4 माधयवमक सतर र विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोि क महति को बता सक ग

5 उचचतर माधयवमक सतर र रौवतकी और रसायन विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ

बोि विकवसत करन की परविया का िणथन कर सक ग

6 विजञान (रौवतकी रसायन विजञान) वशकषा एिि याथिरण (पराकवतक याथिरण कलाकवतयो और

लोगो) क बीच समपबनि को जान सक ग

7 विजञान (रौवतकी रसायन विजञान) वशकषा को परौदयोवगकी और समाज स कस जोडा जा सकता

ह उसका विशलषण कर सक ग

33 ववजञान क माधयम स जञान और समझ विजञान वयवकत को विचार अिलोकन अधययन और परयोग का परवशकषण परदान करती ह यह तथयो

वसदधाितो और तरीको को परयोग और ररकल ना स सराव त और वयिवसरत करती ह विजञान एक

वयिवसरत ससिगवठत िमबदध एिि वयिहार का जञान ह अिलोकन क विवरनन आिारो एिि जञान क

विवरनन कषतरो म परयोग दोनो अरो को विजञान समावहत करता ह इसको जानन क वलए परकषण या

अिलोकन कशलता का होना अवनिायथ ह विजञान की परवियाओ ि का उददशय ह वकसी ररघिना को

समझना वकसी परशन का उततर खोजना वकसी वसदधानत का परवत ादन करना या वकसी री िसत क बार म

नई जानकारी खोजना एनसीएफ 2005 म वदए गए िणथन क अनसार िजञावनक दधवत आ स म

समपबवनित कई गवतविवियो को वमलाकर बनती ह जस वक वनरीकषण दख गए तथयो म समानताओ ि और

समर ी सिरचनाओ ि की खोज करना अििारणाए बनाना वसरवतयो क गणातमक और गवणतीय परार

गढ़ना तावकथ क ढिग स उनक वनषटकषथ वनकालना और परकषणो तरा वनयिवतरत परयोगो क दवारा वसदधानतो क

सच-झठ होन की वषट करना और इस तरह अन त म पराकवतक सिसार र लाग होन िाल वसदधानतो

िारणाओ ि तरा वनयमो र हचना विजञान क वनयम अचल शाशवत सतयो की तरह नही दख जान चावहए

यहा तक वक सिाथविक सराव त और सािथरौवमक िजञावनक वनयम री तातकावलक ही मान जान चावहए

जो नए परकषणो परयोगो और विशलषणो क माधयम स सिशोवित वकए जा सकत ह

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विजञान क lsquoजञान- रणडारrsquo क बजाय िजञावनक विवि विजञान की असली कसौिी ह िसतवनषठताऔर ििता

िजञावनक विवि की विशषताएि ह मनषटय न अ नी आिशयकताओ ि क वलए जो नए-नए आविषटकार वकए

ह ि सब विजञान की ही दन ह विजञान क अनवगनत आविषटकारो क कारण मनषटय का जीिन हल स

अविक आरामदायक हो गया ह जञान एक ररवचत जागरकता या इस तरह क तथयो सचनाओ ि वििरण

या कौशल क र म कछ ह जो यह मानता ह की खोज या सीखन क दवारा अनरि या वशकषा क माधयम

स समझ को हावसल वकया जा सकता ह विजञान क माधयम स ही मनषटय परकवत क वनयमो तरा सािनो

को उवचत ढिग स समझ सकता ह कयोवक इस विषय म जञान तरा समझ विकवसत करन का अ ना विशष

िम ह इस िम म वनरीकषण तथयो र आिाररत तकथ और वनषटकषथ उनका िम तरा तलनातमक महति र

जोर वदया जाता ह विजञान क माधयम स हमार सोचन और कायथ करन क तरीक म ररितथन आया ह

अतः मनषटय म जञान और समझ की णथता किल विजञान क माधयम स ही विकवसत की जा

सकती ह आज हम इककीसिी शताबदी क िातािरण म सािस ल रह ह िजञावनक परगवत आकाश छन

लगी ह और यह उसी का परवतफल ह वक सिचार कवष वचवकतसा आिागमन क सािन उजाथ इतयावद म

हम असीम परगवत की ह सचना तितर इतना विकवसत हआ ह वक हम विशव म कही री करी री वकसी स

समप कथ कर सकत ह और बात री कर सकत ह हमन परकवत क अनकानक रहसय जान वलय ह और सख

सवििाओ ि स जीिन को आसन कर वदया ह हम चििमा की सर कर आय और मिगल गरह र री हा हमन

यान रज वदया ह और १५ फरिरी २०१७ को इसरो न एक सार १०४ सिलाइि अितररकष म रज क एक

नए मानक की सरा ना वकया लवकन हम आज री जन सािारण को िजञावनक मानवसकता नही द ाय

उनह िजञावनक सिसकार नही द ाय उनकी सोच और उनकी परकवत म विजञान का वििक जागरत नही कर

ाय अतः जन सािारण म िजञावनक मनोिवतत विकवसत करना उनकी सिसर मानवसकता और परगवत क

वलय अवनिायथ ह

जनिरी २०१३ म lsquoइिवडयन साइिस कािगरस कोलकाता म उसक शताबदी समारोह क अितगथत

सौिा अवििशन आयोवजत वकया गया कयोवक यही स १९१४ म इसकी यातरा का शरारमपर हआ रा

इसी अिसर र विजञान की एक नई नीवत lsquolsquoविजञान परौदयोवगकी और निाचार (इननोिशन) - २०१३ की

उदघोषणा की गई वजसका मल लकषय ह समाज क हर अिग म िजञावनक मनोिवतत क परसार को बढ़ािा दना

यदयव िवडत जिाहरलाल नहर न १९४६ म अ नी सतक lsquoवडसकिरी ऑफ इिवडयाङक म िजञावनक

मनोिवतत का उललख वकया रा और उनका दढ़ विशवास रा वक विजञान और परौदयोवगकी क दवारा ही अ न

दश का विकास सिरि ह लोग िजञावनक दवषटकोण अ नाय इसक री िह कषिर र यह उनही की पररणा

री वक १९५८ म रारत सरकार न विजञान नीवत का परसताि सिीकत वकया वजसक अितगथत विजञान क

अनसििान और शोि कायो म तजी स विकास करना और परगवत को बनाय रखना सवमपमवलत रा कछ

विदवानो और बवदधजीवियो न विसतार स विचार-विमशथ क शचात िजञावनक मनोिवतत र एक िकतवय

परचाररत वकया वक रारतीय समाज क हर वयवकत म िजञावनक मनोिवतत का विकास करन की आिशयकता

ह तावक दश सामावजक और आवरथक बराइयो स मकत हो सक यही नही िरन विजञान क लोकवपरय बनान

क वलय राषटरीय विजञान एिि परौदयोवगकी सिचार ररषद विजञान परसार वि नि कलब राषटरीय विजञान

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सिगरहालय ररषद का दश क समसत राजयो म राजय विजञान एिि परौदयोवगकी ररषद और इनस जड़ वजला

विजञान कलब और राजय विजञान वशकषा सिसरान परयास रत ह

अभयास परशन

1 वशकषा क माधयम स समझ को हावसल करन की परविया_________कहा जा सकता ह

2 मानि को _________ न इस िरती का सबस ताकतिर बना वदया ह

3 परकवत क अनकानक रहसयो को जानन म _________हमारी सहायता करता ह

4 इिवडयन साइिस कािगरस का शताबदी समारोह क अितगथत सौिा अवििशन _________सरान र

आयोवजत वकया गया

5 नई नीवत lsquolsquoविजञान परौदयोवगकी और निाचारrdquoका मल लकषय _________ह

34 ववजञान की परविया कौशि का ववकास जब विदयावरथओ ि को परविया कौशल विवि स विजञान वशकषण वकया जाता ह तो उसम बहत सार कौशलो

का उ योग वकया जाता ह जस ndash विवरनन गामक कौशलो का उ योग करक वकसी मशीन क रजो को

जोड़ना वसखाना विवरनन यितरो का सियोजन तरा विवरनन िसतओ का अिलोकन क आिार र आकलन

करना सवमपमवलत ह

परविया कौशल की वयाखया मौवलक वसदधाित स वनकाली गई बौवदधक कौशल सामावजक और शारीररक

कषमताओ ि म छातरो की अितदथवषट क विकास क र म वयाखया की जा सकती ह

परविया कौशल विजञान वशकषण म कौशलो की उत वतत र जादा बल दता ह वजसक ररणाम सिर जञान

और ररमाण को सिचाररत वकया जाता हl इसम विदयावरयो को सवियता िथक अविगम को समप ावदत

करन हत परररत वकया जाता ह कम सवियता का अविगम बहत ही उबाऊ होता ह

फि क (1985) म परविया कौशल क वनरीकषण दवारा वनमपन बात कही ndash

i परविया कौशल दवारा विजञान क विदयावरथयो म िजञावनक परकवत का विकास होता ह तरा विदयारी

इस बात क वलय परररत वकय जात ह की ि जञान को गरहण कर सक तरा उतन ही अचछ तरीक स

विजञान क सिपरतययो एिि तथयो की री अचछी समझ विकवसत कर सक

ii परविया कौशल विजञान क विदयावरथयो को यह अिसर परदान वकया जाता ह की ि विजञान क

विषय क सार काम कर सक न की किल विजञान विषय क इवतहास को सनना और कहना

iii परविया उ ागम दवारा विदयारी विजञान विषय क कायथ क परविया और उत ाद क बार म जानकारी

परदान करत ह तरा यह अिसर परदान करता ह की विदयारी एक िजञावनक की तरह वयहार कर

सक

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जतोउन (1999) न परविया कौशल क कई लार बताय जो वनमपन ह ndash

i वशकषारी का रा धयान वशकषण अविगम परविया र रहता ह

ii यह कौशल मखय र स वशकषारी म बौवदधक कौशल और मानवसक परवियाओ ि को विकवसत

करन म रवच रखता ह

iii यह कौशल मखय र स विजञान वशकषण दवारा वशकषावरथयो म अिलोकन मा िगीकरण

वयाखया परयोग और अवनिषण क अलािा िजञावनक जािच और जािच क कौशल (विजञान

परवियाओ ि) को बढ़ािा दता ह

iv वशकषावरथयो म िजञावनक सोच को बढ़ािा दना

v वशकषावरथयो को जीिन यित सीखन और छातरो क बीच सीखन की पररणा र जोर दना इस परकार

वशकषण अविगम परविया एक अनित तक वसखन का परयास ह तरा सीखन का अनरि सकल

दीिारो स र चला जाता ह

उ रोकत वििरण क अनसार यह कहा जा सकता ह वक इस परविया कौशल क अनपरयोग दवारा वशकषावरथयो

क मानवसक-शारीररक और बौवदधक रागीदारी की अ कषा की जाती ह और इसका उ योग वशकषावरथयो

बौवदधक कौशल या छातरो क बार म सोच कषमताओ ि को विकवसत करन क वलए इसतमाल वकया जाता ह

इसक अलािा वशकषावरथयो म िजञावनक दवषटकोण और छातरो की खोज तथयो अििारणाओ ि और विजञान

या जञान क वसदधाितो को विकवसत करन की कषमता विकवसत करन म री वकया जाता ह विजञान वशकषण म

परविया उ ागम एक ऐसा िकवल क वशकषण मॉडल ह वजसम वशकषारी वयाहाररक तरा मानवसक

परवियायो दवारा शावमल रहता ह

फि क (1985) न बताया की परविया उ ागम को सामानय दो शरवणयो म िगीकत वकया जा सकता ह

बवनयादी परविया कौशल और

एकीकत कौशल

बवनयादी परविया उ ागम म अिलोकन िगीकरण मा सिचार रविषटयिाणी अनमान स सिबिवित

गवतविवियो म शावमल होती ह य वनमपन ह ndash

i अिलोकन- अिलोकन एक परारवमक सरोत स जानकारी अविगरहण का सविय परयास ह

मनषटय दवारा वकसी री िसत या पराकवतक घिना का अिलोकन दखकर छकर सिाद लकर

सिघकर तरा सनकर वकया जाता ह l विजञान म अिलोकन हत उ करणो का उ योग वकया जा

सकता ह तरा आकड़ परापत करन हत इनक माधयम स डिा की ररकॉवडिग री शावमल कर सकत

ह अिलोकन गणातमक हो सकता ह यवद इसम किल वकसी री गण क अराि या उ वसरवत

का उललख वकया जाय तरा यह मातरातमक री हो सकता ह यवद इसम वकसी री घिना को

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 43

सिखयातमक मलय दवारा मा ा जाय िजञावनक अिलोकन म कशलता इस बात की होती ह की

इसक दवारा वकसी री घिना की सही जानकारी परापत हो सक

ii िगीकरण - िसतओ ि घिनाओ ि की एक बड़ी सिखया ह और चारो ओर जीिन म सब कछ ह

और स अगर ककषाओ ि क विवरनन परकार का वनिाथरण करन क दवारा वकया सीखा ह हमार

जीिन म चारो ओर बहत सी िसतओ और घिनाओ की एक बरी सिखया ह और सरी को याद

रखना हमार वलय समपरि नही ह लवकन यवद विवरनन िगीकरण दवारा वनरिाररत करक सीखा या

याद वकया जाय तो अविक आसानी स याद वकया जा सकता ह य िगीकरण विशषताए और

समानता विवरननता और समपबनिो क समहीकरण और िसतओ ि क विवरनन परयोजनो क वलए

उ यकतता क आिार र वकय जा सकत ह

iii माप - मा एक विशष इकाई ह इस इस र म रररावषत वकया जा सकता ह की मा की

विशष इकाई दवारा इस वकस तरह रररावषत वकया गया ह या डिा परापत करन म उ करण का

उ योग करन क कौशल को एक मा कहा जा सकता ह

iv समपरषण - अ न विचारो क आदान परदान और समसयायो क समािान क वलय समपपरषण एक

एक मखय सािन ह मनषटय न अ न जीिन क सरआत म ही वसख वलया समपपरषण कौशल म

मौवखक सािकवतक तरा वलवखत सवमपमवलत होता ह समपपरषण की वयाखया इस परकार की जा

सकती ह वक इसम धिवन दशय या धिवन और दशय क र म तथयो अििारणाओ ि और विजञान

क वसदधाितो क अविगरहण वकया जाता ह जस -

v भतिषय करन - रविषटय करन लकषण क आिार र रविषटय म होन िाली घिना क बार म

अनमान लगान स ह हमार आस ास और िातािरण म ायी जान िाली वनरितरता क परवतमान

स हम यह ता चलता ह वक कौन सी घिना होन िाली ह रविषटय करन म रविषटय म होन

िाली घिनाओ की उसक तथयो अििारणाओ ि और जञान क वसदधाितो क बीच एक खास

परिवतत या ररशतो म अनमानो र आिाररत होन स उसकी रविषटयिाणी की जा सकती ह

vi अनमान - वकसी िसत या घिना क बार म हल स एकतर आिकड़ो या जानकारी क आिार र

एक शकषवणक अनमान लगाना ही अनमान कहलाता ह इस वकसी िसत या घिना क तथयो

अििारणाओ ि और वसदधाितो क आिार र उस िसत क बार म फसला करन क एक कौशल क

र म कहा जा सकता ह जस- वकसी वयवकत दवारा वसल का परयोग इस बात की ओर इशारा

करता ह की िह वलखत समय जादा गलती करता ह

vii एकीकि कौिल स सबतिि गतितितियाा - एकीकत कशल म मखतः- चरो र वनयितरण

कायाथतमक ररराषा ररकल ना का वनमाथण आकणो की वयाखया इतयावद

viii चरो पर तनयतरण- ररितथन को वनिाथररत करन िाल कारको की विशषताओ ि को हल स

जनना जस- िथ क अनरिो क आिार र वकसी री परयोग म ानी और परकाश की मातरा को

जानना

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ix कायायतमक पररभाषा- वकसी री परयोग म उस चर को कस मा ा जाय

x पररकलपना का तनमायण- वकसी री परयोग क सिरावित ररणाम क बार म बताना

xi आकणो की वयाखया- परयोग स परापत आकनो (डािा) क आिार र उस परयोग क वनशकषथ को

बताना

xii तनषकषय- परविया कौशल विजञान वशकषण म कौशलो की उत वतत र जादा बल दता ह वजसक

ररणाम सिर जञान और ररमाण को सिचाररत वकया जाता हl परविया कौशल म बवनयादी

कौशल तरा एकीकत कौशल स समपबिवित गवतविविया शावमल होती ह इसम विदयावरयो को

सवियता िथक अविगम को समप ावदत करन हत परररत वकया जाता ह कम सवियता का

अविगम बहत ही उबाऊ होता ह परविया कौशल दवारा विदयावरथयो म िजञावनक परकवत का

विकास होता ह तरा विदयारी इस बात क वलय परररत वकय जात ह की ि जञान को गरहण कर

सक परविया कौशल दवारा विदयारी विजञान विषय क कायथ क परविया और उत ाद क बार म

जानकारी परदान करत ह तरा यह अिसर परदान करता ह की विदयारी एक िजञावनक की तरह

वयहार कर सक परविया कौशल स वशकषावरथयो क अनदर िजञावनक दषटीकोण का विकास होता

अभयास परशन

6 परविया कौशल विजञान वशकषण म_________ की उत वतत र जयादा बल दता ह

7 _________ म वशकषारी का रा धयान वशकषण अविगम परविया र रहता ह

8 परविया उ ागम की_________ और _________दो सामानय िगीकरण वकया जा सकता ह

9 _________ एक परारवमक सरोत स जानकारी अविगरहण का सविय परयास ह

35 वजञावनक दषषटकोण और वजञावनक मनोववतत का ववकास िाकयािश बचच सिाराविक र स िजञावनक होत ह हमन अकसर सना ह ि अ न अनरिो वनषटकषथ

और वसदधाितो स ि विजञान क परवत आकवषथत होत ह छातरो क अनदर विजञान की वजजञासा और

रचनातमकता को िजञावनक धदवतयो दवारा ही विकवसत वकया जा सकता ह िजञावनक दवषटकोण हमार

अिदर अनिषण की परिवतत विकवसत करती ह तरा वििक णथ वनणथय लन म सहायता करती ह िजञावनक

दवषटकोण की शतथ ह वबना वकसी परमाण क वकसी री बात र विशवास न करना या उ वसरत परमाण क

अनसार ही वकसी बात र विशवास करना पराकवतक घिनाओ ि वियाओ ि और उनक ीछ क कारण ढढ़न

की मानिीय वजजञासा न एक सवयिवसरत विवि को जनम वदया वजस हम lsquoिजञावनक विविrsquo या lsquoिजञावनक

दधवतrsquo क नाम स जानत ह सरल शबदो म कह तो िजञावनक वजस विवि का उ योग विजञान स सिबिवित

कायो म करत ह उस िजञावनक विवि कहत ह िजञावनक विवि क परमख द या इकाईयाि ह वजजञासा

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अिलोकन परयोग गणातमक ि मातरातमक वििचन गवणतीय परवतर ण और िाथनमान विजञान क वकसी

री वसदधाित म इन दो या इकाईयो की उ वसरवत अवनिायथ ह विजञान का कोई री वसदधाित चाह िह आज

वकतना री सही लगता हो जब इन कसौवियो र खरा नही उतरता ह तो उस वसदधाित का ररतयाग कर

वदया जाता ह

िजञावनक दवषटकोण िाल वयवकत अ नी बात को वसदध करन क वलए िजञावनक विवि का सहारा लत ह

आ सोच रह होग वक इस िजञावनक विवि का उ योग किल विजञान स सिबिवित कायो म ही होता होगा

जसावक मन ऊ र रररावषत वकया ह रित ऐसा नही ह यह हमार जीिन क सरी कायो र लाग हो

सकती ह कयोवक इसकी उत वतत हम सबकी वजजञासा स होती ह इसवलए परतयक वयवकत चाह िह िजञावनक

हो अरिा न हो िजञावनक दवषटकोण िाला हो सकता ह दरअसल िजञावनक दवषटकोण दवनक जीिन की

परतयक घिना क बार म हमारी सामानय समझ विकवसत करती ह इस परिवतत को जीिन म अ नाकर

अििविशवासो एिि िाथगरहो स मवकत परापत की जा सकती ह अतः हम छातरो को िजञावनक तरीक की सोच

विकवसत विकवसत हत परररत करना चावहए

अभयास परशन

10 िजञावनक दवषटकोण छातरो क अिदर _________परिवतत विकवसत करती ह

11 पराकवतक घिनाओ ि वियाओ ि और उनक ीछ क कारण ढढ़न की मानिीय वजजञासा को

_________कहत ह

36 ववजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोध (माधयवमक सतर) ववकवसत करना वसिस मनोिजञावनक दाशथवनक और सिजञानातमक विकास अनसििान क कषतर म अगरणी डॉ जीन व याज

न वजजञासा को रररावषत वकया ह अपरतयावशत की वयाखया करन क वलए आगरहrdquo या एक अविक

सहज ररराषा बस अविक जानना का आगरह करना चाहत ह

सौदयथ बोि िजञावनक र स अविक सििदी या रािनातमक मलयो रािना और सिाद की करी करी

कहा जाता वनणथय क अधययन क र म रररावषत वकया गया ह अविक मोि तौर र सिसकवत क कषतर म

विदवानो न इस कला सिसकवत और परकवत र महति णथ परवतवबिब क र म सौदयथशासतर को रररावषत

वकया ह

रचनातमकता एक ऐसी घिना ह वजसस कछ नया और वकसी री तरह कोई मलयिान बना रह या बनाए

गए आइिम या रौवतक िसत (जस एक विचार एक िजञावनक वसदधाित एक सिगीत रचना) वकतनी अमतथ

हो सकती ह

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माधयवमक सतर र शरआत हल चरण म बनाया विजञान को एक विषय क र म सराव त करन क वलए

और आग वबना वकसी औ चाररक दढ़ता र जोर वदए वबना इसको मजबत वकया जाना चावहए विचारो

वसदधाितो और विजञान क वनयमो को अब उवचत र स ाठयिम म शावमल वकया जा सकता ह लवकन

जोर जादा स जादा समझ र होनी चावहए औ चाररक ररराषा र नही होना चावहए यह परयास वकया

जा रहा ह की विजञान और उसक विवरनन विषयिसतओ ि का सिगठन माधयवमक सतर र उवचत ढिग स

वकया जाय लवकन ाठयिम का रार काफी हद तक परौदयोवगकी और अनय ाठय सहगामी

गवतविवियो क अवतररकत ततिो क वलए जगह बनान क वलए कम वकया जाना चावहए माधयवमक

विदयालय सतर र िो अििारणाय जो वक वकसी री परतयकष अनरि स र ह विजञान क ाठयिम म एक

महति णथ सरान र सरान परापत कर सकती ह विजञान की सरी घिनाओ ि सीि परतयकष र स अनरि नही

कर सकत ह अतः विजञान को री वनषटकषथ और वयाखया र वनरथर रहना ड़ता ह उदाहरण क वलए हम

वनषटकषथ का उ योग विकास और रमाणओ ि क गण या विकास क तितर की सरा ना करन क वलए करत

ह लवकन इस समय तक छातरो म इस परकार का वििचनातमक कषमता विकवसत हो जाती ह वक ि अ न

सामन आय विजञान क सिपरतययो की जञानमीमािसा का मलयाकन कर सक

361 उचचिर माधयतमक सिर पर भौतिकी और रसायन तिजञान म तिजञासा रचनातमकिा और

सौदयय बोि तिकतसि करना

रौवतक विजञान विजञान म ऊजाथ क विवरनन सिर ो तरा िवय स उसकी अनयोनय वियाओ ि का अधययन

वकया जाता हरौवतकी परकवत विजञान की एक विशाल एिि महति णथ शाखा ह इसक दवारा पराकत जगत

और उसकी रीतरी वियाओ ि का अधययन वकया जाता ह सरान काल गवत िवय विदयत परकाश ऊषटमा

तरा धिवन इतयावद अनक विषय इसकी ररवि म आत ह यह विजञान का एक परमख विराग ह इसक

वसदधाित समच विजञान म मानय ह रौवतकी ही अवरयािवतरकी तरा वशल विजञान की जनमदातरी ह

रसायनशासतर विजञान म दारो क सिघिन सिरचना गणो और रासायवनक परवतविया क दौरान इनम हए

ररितथनो का अधययन वकया जाता ह इसम दारो क रमाणओ ि अणओ ि विसिलो और रासायवनक

परविया क दौरान मकत हए या परयकत हए ऊजाथ का अधययन वकया जाता ह सरी दारथ ततिो स बन हए

ह रारतीय विदवान दाशथवनको न उदघोवषत वकया वक दारथ की रचना िच महारतो यरा- आकाश िाय

जल तज तरा थिी स हई ह यह रसायनो क रहसयो को समझन की कला ह इसस यह जञात होता ह की

दारथ वकन-वकन चीजो स बना ह उनक कया-कया गण ह और उनम कया-कया ररितथन होत हरसायन

विजञान का कषतर बहत वया क ह तरा दसर विजञानो क समनिय स परवतवदन विसतत होता जा रहा ह समप णथ

बरहमािड रसायनो का विषद रणडार ह वजिर री हमारी दवषट जाती ह हम विविि आकार-परकार की िसतएि

नजर आती ह समचा सिसार ही रसायन विजञान की परयोगशाला ह यह विजञान अनको आशचयथचवकत

रसायनो स रर णथ ह बरहमािड म रासायवनक अवरवियाओ ि क दवारा ही तारो की उत वतत गरहो का परादराथि

तरा गरहो र जीिन सिरि हआ ह

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रसायन विजञान को जीिनो योगी विजञान की सिजञा री दी गई ह कयोवक हमार शरीर की आितररक

गवतविवियो म इस विजञान की रवमका महति णथ हहमार जीिन का कोई री कष रसायनो स अछता नही

उचचतर माधयवमक सतर र रौवतकी और रसायन विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोि

विकवसत करन हत वनमपनवलवखत वबनदओ ि को धयान म रखना चावहए-

विदयावरथयो म अिलोकन की कषमता बढानी चावहए

गहन वचन तन की कषमता को बढ़ाना

विदयावरथयो का विवरनन विषयो एिि घिनाओ ि क मधय अन तर समप बन ि को समझन म सहयोग

करना ह

विदयावरथयो को इस वचितन हत परररत करना की हमार चारो ओर घि रही सामानय घिनाओ ि क

ीछ विजञान छ ा ह विजञान की समझ हम उन कारणो को जानन का अिसर दती ह

विदयावरथयो को विया करक समझन क सबस अविक अिसर परदान करना चावहए ह इसी परकार

वकया गया कायथ और कायथ करन एिि परयोग करन हत परररत करता ह

विजञान िथ म वनवहत जञान ि जानकारी र परशन उठान की परिवत को बढ़ािा दना ह अराथत यह

सचना को जस क तस मान लन क बजाय उस र परशन करक णथ जानकारी परापत करन ि इसक

बाद सिीकार करन र बल दता ह

विजञान विवरनन कलाओ ि ि वशकषण परवियाओ ि की सहायता स जञान को ककषा ककष स बाहर लान

म सहयोग करना चावहए

विदयावरथयो को इस बात क वलए परवशवकषत करना की जञान ही काफी नही जञान वनमाथण एिि जञान

वनमाथण की परविया री उतनी ही आिशयक ह वजतना विषय की समझ

परदशथवनयो सिगोवषटयो लोकवपरय वयाखयानो विजञान वशविरो और अनय विविि कायथिमो क

आयोजन वकया जाना चावहए

वशकषण म सवियता को अविक महति वदया जाना चावहए करक सीखन क वलए विदयावरथयो को

परररत वकया जाना चावहएअत सविय विवि क अितगथत विविि विवियो को सवमपमवलत वकया

जाना चावहए जस जस- शोिविवि (हयररवसिक) योजना (परोजकि) विवि इतयावद

अभयास परशन

12 सिजञानातमक विकास की अििारणा __________न वदया रा

13 __________िजञावनक र स अविक सििदी या रािनातमक मलय ह

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14 कोई िासत वकतनी अमतथ हो सकती ह िह __________ र वनरथर करती ह

37 ववजञान (रौवतकी रसायन ववजञान) वशकषा को पयावरण (पराकवतक पयावरण किाकवतयो और िोगो) परौदयोवगकी और समाज स जोड़ना याथिरणीय विजञान याथिरण क रौवतकीय रासायवनक और जविक अियिो क बीच ारस ररक

वियाओ ि का अधययन ह याथिरणीय विजञान याथिरणीय वयिसरा क अधययन क वलए समवनित

ररमाणातमक और अनतरविषयक दवषटकोण उ लबि कराता ह याथिरणीय िजञावनक याथिरण की

गणितता की वनगरानी करत ह सरलीय और जलीय ाररवसरवतकी वयिसरा र मानिीय कतयो की

वयाखया िजञावनक करत ह तरा ाररसरवतकी वयिसरा की समवचत बहाली क वलए रणनीवतयाि री तयार

करत ह इसक अलािा याथिरणीय िजञावनक योजनाकारो की ऐस रिनो ररिहन कोररडोरो तरा

उ योवगताओ ि क विकास तरा वनमाथण म सहायता करत ह वजनस जल सिसािनो की रकषा हो सक जल

का सिगरहण वकया जा सक तरा रवम का सद योग हो सक विशलषण क विषयो क अितगथत याथिरण म

रासायवनक वनमपनीकरण रसायनो क बह-चरणीय ररिहन जस- लाकषक यकत वमशरण का िाय परदषक क

तौर र िाषट ीकरण तरा बायोिा र रासायवनक परराि आवद कषतर शावमल होत ह उदाहरणारथ अधययन

क तौर र एक ऐस लीक कर रह माल स रर िक क बार म विचार कर जो वक सिकिा नन परजावतयो क

जलीय कषतर म वमटटी क ढलान म परिश कर जाता ह ऐस म रौवतकीविद मदा परदषण क सतर को समझन

क वलए एक कमपपयिर मॉडल तयार वकय ह रसायन विजञानी वमटटी क परकार म उस सालिि की आणविक

वसरवत का मलयािकनकरत ह तरा जविक शासतरी वमटटी सवनि ाद ौिो तरा अनततः तालाब म परािारको

र ड़न िाल परराि का अधययन करत ह जो वक सिकिा नन परजावतयो का जलीय रोजन ह रविजञान

क अितगथत याथिरणीय रविजञान जलविजञान रौवतकी रगोल जलिाय विजञान तरा र-आकवतविजञान

शावमल ह इसम समि-विजञान तरा अनय सिबदध कषतर री सवमपमवलत हो सकत ह वमटटी किाि क अधययन

क उदाहरण क र म मदा िजञावनको दवारा रवम किाि का अधययन वकया जाएगा जल-विजञानी सरल

मागथ बहाि म तलछि ररिहन की जािच म सहायता करग रौवतकीविद ानी परापत होन म लाइि

रािसवमशन म ररितथनो क मलयािकन म योगदान करग जीि-विजञानी ानी म गिदगी बढ़न स उसका

िनस वत र होन िाल परराि की जािच करत ह याथिरण मलयािकन िह परविया ह वजसक जररए

याथिरण सरकषा और सतत विकास र विचार हो सकता ह याथिरणीय मलयािकन क अितगथत मखयतः

फीलड डािा एकतर करक इसका याथिरण और विकास स सिबिवित विवरनन शाखाओ ि क जररए रस र

सिबििो का मलयािकन करना ह याथिरणीय सकषमजीिविजञान याथिरण म सकषम जीिो क वमशरण तरा शरीर

विया विजञान का अधययन ह इस मामल म याथिरण स आशय वमटटी जल िाय और गरह र होन िाल

अिसाद ह और इनम इन कषतरो म रहन िाल श तरा ौि री शावमल वकए जा सकत ह याथिरणीय

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 49

सकषमजीिविजञान म बायो-ररएकिसथ जस कवतरम याथिरण म होन िाल माइिोआगवनजम का अधययन री

शावमल वकया जा सकता ह

विजञान और कला क बगर आिवनक जीिन की कल ना करना असिरि ह दोनो म रस र बहत ही

गहरा ह रनत विवरनन कलाओ म विजञान क योगदान को हम वकतना याद रखत ह शायद वबलकल री

नही िासति म विजञान एकवतरत जञान ह जबवक कला समसत उ लबि सिसािनो क आिार र मनषटय क

मनोरािो का वनर ण अराथत कोई िजञावनक कायथ चाह वकतना ही महान कयो न हो समय क सार उसक

िजञावनक जञान का समकालीन जञान म समािश हो जाता ह सच म वकसी िजञावनक का कायथ तरी

उ योगी होता ह जब उसक समककष िजञावनकाि क दवारा उस सिीकार वकया जाता ह रनत विडििना ह वक

शीधर ही उस कायथ को ीछ छोडकर नया कायथ परारिर कर वदया जाता ह विजञान म जञान की किल सम

सामवयक वसरवत ही महतव णथ होती ह कयो वक रत ितथमान म समा चका होता ह वलयोनादाथ दी वििची

की महान कवत मोनावलसा की अनकवतयाि सिसार रर क कला परवमयो दवारा आज री बड शौक स खरीदी

जाती ह आज री शकस यर की और कावलदास की कवतयाि ढी जाती ह वकनत नयिन क िजञावनक

गरिनर वपरवसिव या मरमविका और आइनसिाइन क मल विजञान शोि तरो को अब अविकािश लोग ढन की

आिशयकता नही समझत िासति म विजञान क वलय यह महति णथ री ह अतः माधयवमक सतर र

विजञान क उददशय कला एिि लोगो तक अ नी हच िाली होनी चावहए

अभयास परशन

15 _________ _________और जविक अियिो क बीच ारस ररक वियाओ ि का अधययन

याथिरणीय विजञान ह

371 तिजञान (भौतिकी रसायन तिजञान) तिकषा को परौयमोतगकी और समाि स िोड़ना

विजञान विजञान का अरथ ह विशष जञान मनषटय न अ नी आिशयकताओ ि क वलए जो नए-नए आविषटकार

वकए ह ि सब विजञान की ही दन ह आज का यग विजञान का यग ह विजञान क अनवगनत आविषटकारो क

कारण मनषटय का जीिन हल स अविक आरामदायक हो गया ह दवनया विजञान स ही विकवसत हई ह

मोबाइल इििरनि ईमलस मोबाइल र 3जी और इििरनि क माधयम स फसबक िविनिर न तो

िाकई मनषटय की वजिदगी को बदलकर ही रख वदया ह वजतनी जलदी िह सोच सकता ह लगरग उतनी ही

दर म वजस वयवकत को चाह मसज रज सकता ह उसस बात कर सकता ह चाह िह दवनया क वकसी री

कोन म कयो न हो

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 50

यातायात क सािनो स आज यातरा करना अविक सवििाजनक हो गया ह आज महीनो की यातरा वदनो म

तरा वदनो की यातरा चिद घििो म री हो जाती ह इतन ितगवत की रन हिाई जहाज यातायात क र म

काम म लाए जा रह ह वदन-ब-वदन इनकी गवत और उ लबिता म और सिार हो रहा ह

वचवकतसा क कषतर म री विजञान न हमार वलए बहत सवििाएि जिाई ह आज कई असाधय बीमाररयो

का इलाज मामली गोवलयो स हो जाता ह क सर और एडसस जस बीमाररयो क वलए डॉकिसथ और

वचवकतसाविशषजञ लगातार परयासरत ह नई-नई कोवशकाओ ि क वनमाथण म री सफलता परापत कर ली गई

वसकक क दो हलओ ि की ही रािवत इन आविषटकारो क लार-हावन दोनो ह एक ओर रमाण ऊजाथ

जहाि वबजली उत नन करन क काम म लाई जा सकती ह िही इसस बनन िाल रमाण हवरयार मानि क

वलए अतयित विनाशकारी ह हाल ही म जा ान म आए रकि क बाद िहाि क रमाण ररएकिसथ को कषवत

बहत बड़ी तरासदी रही

अत मनषटय को अ नी आिशयकता और सवििानसार मानिता की रलाई क वलए इनका लार उठाना

चावहए न वक दर योग कर इनक अविषटकारो र परशनवचहन लगाना चावहए

38 सारााश विजञान वयवकत को विचार अिलोकन अधययन और परयोग का परवशकषण परदान करती ह यह तथयो

वसदधाितो और तरीको को परयोग और ररकल ना स सराव त और वयिवसरत करती ह विजञान एक

वयिवसरत ससिगवठत िमबदध एिि वयिहार का जञान ह अिलोकन क विवरनन आिारो एिि जञान क

विवरनन कषतरो म परयोग दोनो अरो को विजञान समावहत करता ह

जब विदयावरथओ ि को परविया कौशल विवि स विजञान वशकषण वकया जाता ह तो उसम बहत सार

कौशलो का उ योग वकया जाता ह जस ndash विवरनन गामक कौशलो का उ योग करक वकसी मशीन क

रजो को जोड़ना वसखाना विवरनन यितरो का सियोजन तरा विवरनन िसतओ का अिलोकन क आिार र

आकलन करना सवमपमवलत ह

परविया कौशल की वयाखया मौवलक वसदधाित स वनकाली गई बौवदधक कौशल सामावजक और

शारीररक कषमताओ ि म छातरो की अितदथवषट क विकास क र म वयाखया की जा सकती ह

परविया कौशल विजञान वशकषण म कौशलो की उत वतत र जादा बल दता ह वजसक ररणाम सिर

जञान और ररमाण को सिचाररत वकया जाता हl इसम विदयावरयो को सवियता िथक अविगम को

समप ावदत करन हत परररत वकया जाता ह कम सवियता का अविगम बहत ही उबाऊ होता ह l

वसिस मनोिजञावनक दाशथवनक और सिजञानातमक विकास अनसििान क कषतर म अगरणी डॉ जीन व याज

न वजजञासा को रररावषत वकया ह अपरतयावशत की वयाखया करन क वलए आगरहrdquo या एक अविक

सहज ररराषा बस अविक जानना का आगरह करना चाहत ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 51

सौदयथ बोि िजञावनक र स अविक सििदी या रािनातमक मलयो रािना और सिाद की करी करी

कहा जाता वनणथय क अधययन क र म रररावषत वकया गया ह अविक मोि तौर र सिसकवत क कषतर म

विदवानो न इस कला सिसकवत और परकवत र महति णथ परवतवबिब क र म सौदयथशासतर को रररावषत

वकया ह

माधयवमक सतर र शरआत हल चरण म बनाया विजञान को एक विषय क र म सराव त करन क वलए

और आग वबना वकसी औ चाररक दढ़ता र जोर वदए वबना इसको मजबत वकया जाना चावहए विचारो

वसदधाितो और विजञान क वनयमो को अब उवचत र स ाठयिम म शावमल वकया जा सकता ह लवकन

जोर जादा स जादा समझ र होनी चावहए औ चाररक ररराषा र नही होना चावहए यह परयास वकया

जा रहा ह की विजञान और उसक विवरनन विषयिसतओ ि का सिगठन माधयवमक सतर र उवचत ढिग स

वकया जाय लवकन ाठयिम का रार काफी हद तक परौदयोवगकी और अनय ाठय सहगामी

गवतविवियो क अवतररकत ततिो क वलए जगह बनान क वलए कम वकया जाना चावहए

विदयावरथयो म अिलोकन की कषमता बढानी चावहए

गहन वचन तन की कषमता को बढ़ाना

विदयावरथयो का विवरनन विषयो एिि घिनाओ ि क मधय अन तर समप बन ि को समझन म सहयोग

करना ह

विदयावरथयो को इस वचितन हत परररत करना की हमार चारो ओर घि रही सामानय घिनाओ ि क

ीछ विजञान छ ा ह विजञान की समझ हम उन कारणो को जानन का अिसर दती ह

विदयावरथयो को विया करक समझन क सबस अविक अिसर परदान करना चावहए ह इसी परकार

वकया गया कायथ और कायथ करन एिि परयोग करन हत परररत करता ह

विजञान िथ म वनवहत जञान ि जानकारी र परशन उठान की परिवत को बढ़ािा दना ह अराथत यह

सचना को जस क तस मान लन क बजाय उस र परशन करक णथ जानकारी परापत करन ि इसक

बाद सिीकार करन र बल दता ह

विजञान विवरनन कलाओ ि ि वशकषण परवियाओ ि की सहायता स जञान को ककषा ककष स बाहर लान

म सहयोग करना चावहए

विदयावरथयो को इस बात क वलए परवशवकषत करना की जञान ही काफी नही जञान वनमाथण एिि जञान

वनमाथण की परविया री उतनी ही आिशयक ह वजतना विषय की समझ

परदशथवनयो सिगोवषटयो लोकवपरय वयाखयानो विजञान वशविरो और अनय विविि कायथिमो क

आयोजन वकया जाना चावहए

वशकषण म सवियता को अविक महति वदया जाना चावहए करक सीखन क वलए विदयावरथयो को

परररत वकया जाना चावहएअत सविय विवि क अितगथत विविि विवियो को सवमपमवलत वकया

जाना चावहए जस जस- शोिविवि (हयररवसिक) योजना (परोजकि) विवि इतयावद

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 52

39 अभयास परशनो क उततर 1 जञान

2 विजञान

3 विजञान

4 कोलकाता

5 िजञावनक मनोिवतत क परसार

6 कौशलो

7 परविया कौशल

8 बवनयादी परविया कौशल और एकीकत कौशल

9 अिलोकन

10 अनिषण

11 िजञावनक विवि

12 वजन व याज 13 सौदयथ बोि 14 रचनातमकता 15 रौवतकीय रासायवनक

310 सादरथ गरनर सची 1 Davar M (2012) Teaching of science New Delhi PHI Private Limited

2 Kalara RM amp Gupta V (2012) Teaching of Science A Modern

Approach New Delhi PHI Private Limited

3 Kulshreshtha AK amp Kulshreshtha NK (2014) Teaching of Science

Meerut R Lal Book Depot

4 Asia-Pacific Forum on Science Learning and Teaching Volume 3 Issue 1

Article 1(June 2002)

5 Fosnot C T (1996) Constructivist A psychological theory of learning In

C T Fosnot (Eds) Constructivism Theory Perspective and Practice (pp

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6 httpshiwikibooksorgwikiिजञावनक-मनोिवतत-का ndash विकास

7 httpshiwikipediaorgwiki याथिरणीय-विजञान

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 53

311 सहायक उपयोगी पाठय सामगरी 1 Buxton A C (2010) Teaching Science in Elementary and Middle School

New Delhi Sage Publications

2 Bybee R (2010b) The teaching of science 21st-century perspectives

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5 NCERT (1982) Teaching Science in secondary schools New Delhi

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8 Starin A amp Sund B (1983) Teaching science through discovery Ohio

Charles E Merril Publishing Company

9 Tripathi S (2004) Teaching of Physical Science Delhi Dominant

Publications

10 UNESCO (1966) Source Book for Science Teaching Paris UNESCO

312 वनबनधातमक परशन 1 विजञान क जञान स आ का कया अवरपराय ह

2 छातरो म िजञावनक समझ कस विकवसत वकया जा सकता ह

3 परविया कौशल स आ कया समझत ह

4 परविया कौशल दवारा आ छातरो म िजञावनक सोच कस विकवसत करग

5 छातरो म िजञावनक दषटीकोण विकवसत करन क वलए आ कया करग

6 छातरो म आ िजञावनक सौनदयथबोि कस विकवसत करग

7 माधयवमक सतर र विजञान को एक पररािशाली विषय क र म सराव त करन क आ कया

करग

8 रौवतक ितािरण क परवत आ छातरो को कस जागरक करग

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 54

इकाई 4 - भौविक विजञान वशकषण क अवधगम उददशय

41 परसतािना

42 उददशय

43 अविगम उददशय का अरथ

44 अविगम उददशय विकवसत करना

45 सविकवसत अविगम उददशयो की विशषताएि

46 एिडरसन एिि िथिोहल िगीकरण

47 अविगम उददशय वलखना

48 सारािश

49 शबदािली

410 अभयास परशनो क उततर

411 सनदरथ गरनर सची

412 वनबििातमक परशन

41 परसतावना रौवतक विजञान वशकषणशासतर क आिार स सिबिवित यह चौरी इकाई ह व छल इकाई म हम लोग रौवतक

विजञान वशकषण क विविि लकषयो स अिगत हो चक ह लकषय का कषतर वया क होता ह इनकी अिवि

दीघथ होती ह और इनम ही अविगम उददशय समावहत होत ह

अविगम उददशय आ का मागथदशथन करती ह और इनका सिबिि वकसी विशष परकरण स ही होता ह इनका

सरोत मखयतः मनोविजञान होता ह और इनम िसतवनषठता होती ह परसतत इकाई म विसतार स अविगम

उददशय की हचान और लखन परसतत ह

इस इकाई क अधययन क बाद आ रौवतक विजञान क विविि परकरणो क वलए अविगम उददशय विकवसत

कर सक ग

42 उददशय परसतत इकाई क अधययन क शचात आ -

1 अविगम उददशय का अरथ बता सक ग

2 अविगम उददशय क परमख विशषताओ ि की वयाखया कर सक ग

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 55

3 एिडरसन और िथिोल िगीकरण का िणथन कर सक ग

4 अविगम उददशय विकवसत कर सक ग

43 अवधगम उददशय का अरथ परतयक अविगमकताथ को अविगम अनरि और अिसर परदान करन की वजमपमदारी वशकषक को सौ ी गयी

गई तावक अविगमकताथ अ नी कषमतायोगयता क सिथशरषठ को सीख सक और अविगम क अ न णथ

कायथकषम को विकवसत कर सक ककषा म वकसी विशष परकरणइकाई को लाग करन क िथ कछ परतयकष

ररितथनो (समरण करन समझन लाग करन विशलषण करन इतयावद क र म) वजनह अविगमकताथ म

लान की आिशयकता ह की हचान करना एक वशकषक को इस वजमपमदारी क वनिाथह करन म सहायता

करता ह गोचर अनरि क र म वकसी विशष परकरणइकाई क वलए समरण करन समझन लाग करन

और विशलषण करन की य िािछनीय लडडी मोि तौर र lsquoअविगम उददशयrsquo जाना जाता ह य िािछनीयता

अविगमकताथओ ि क ितथमान जञान और षठरवम क ररपरकषय म दखा जाना चावहए न की वशकषको क

दसर शबदो म अविगम उददशय विवशषट और अिलोकनयोगय शबद म करन ह जो बताता ह वक

वशकषण-अविगम परविया म अविगमकताथ को सिलगन करन क ररणामसिर उसस कया उ लवबि हावसल

करन क अ कषा की जाती ह

व छली इकाई म हम रौवतक विजञान क अविगम लकषयो क विवरनन हलओ ि की चचाथ कर चक

ह इन लकषयो को परापत करना वशकषको का सतत परयास होना चावहए कया लकषय उददशयो स वरनन ह

आइय इस सारणी 41 म दखत ह

सारणी 41 भौतिक तिजञान अतिगम क लकषय और उददशयो की िलना

लकषय उददशय

1 लकषय का कषतर वया क होता ह 1 उददशयो का कषतर सीवमत होता ह

2 इनकी अिवि दीघथकालीन होती ह 2 इनकी अिवि अल कालीन होती ह

3 यह अस षट या अवनवशचत होत ह 3 य वनवशचत और स षट होत ह

4 इनकी परावपत म विदयालय समाज तरा

समप णथ राषटर वजमपमदार होता ह

4 इनकी परावपत की वजमपमदारी परायः वशकषक की ही होती ह

5 इनकी परावपत का मा न एिि मलयािकन सिरि

नही ह

5 इनका मा न एिि मलयािकन वकया जा सकता ह

6 इनका सिबिि वशकषा और रविषटय स होता ह

6 यह वशकषा म वनवहत होत ह तरा वशकषण स सिबिवित होत

ह इनका सिबिि वकसी विशष परकरण स ही होता ह

7 इनका सरोत समाजशासतर दशथनशासतर तरा 7 इनका सरोत मखयतः मनोविजञान होता ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 56

समप णथ वशकषाशासतर होता ह

8 इनम उददशय समावहत होत ह 8 य उददशय का ही एक राग होत ह

9 इनम वयवकतवनषठताहोती ह 9 इनम िसतवनषठता होती ह

10

य परतयक समाज और राषटर की

आिशयकता एिि आकािकषाओ ि क अनसार

ररितथनशील होत ह

10

य वनवशचत होत ह तरा परतयक परकरण क वलए वरनन-वरनन

होत ह

44 अवधगम उददशय ववकवसत करना रौवतक विजञान क अविगम उददशय रौवतक विजञान क लकषयो क सार-सार अविगमकताथओ ि की

सिजञानातमक कषमताओ ि क अनर री होन चावहए स षटतः विजञान क सरी िजञावनक तथय एिि वसदधाित

सरी अविगमकताथओ ि दवारा नही सीखा जा सकता ह और वकसी विशष अविगमकताथ क अविगम क

विवरनन हलओ ि म एक गणातमक दिम हो सकता ह उदहारण क वलए एक अविगमकताथ

परयोगातमक कौशल म बहत अचछा हो सकता ह लवकन सिखयातमक समसयाओ ि को हल करन म ऐसा

नही हो सकता आ को सामानय र म विजञान की परकवत को और विशष र म परकरण को

अविगमकताथ को बताय जान िाल परकरण क वया कताकषतर को परसिगसनदरथ वजसम अविगम हो रहा ह

और अविगमकताथ की आिशयकताओ ि कषमताओ ि एिि अविगम कवठनाईयाि को याद रखना चावहए

अविगम उददशयो को विकवसत करन की समझ आ को वशकषण-अविगम और आकलन

परवियाओ ि क वनमाथण तरा अविगम को सिरन म सहायता करगी आग उददशयो का िगीकरण करना

आ को विदयारी क जञान और सिजञानातमक परविया क आयाम म उनक अविगम कविवरनन हलओ ि र

कवनित होन म सहायता करगा वशकषण-अविगम परविया क तीन परमख घिको- उददशय आकलन एिि

वशकषण-अविगम वियाकला ो ndash दवारा सिरवखत वकया जाना चावहए तदनसार वशकषण-अविगम

वियाकला ो को उददशयो को समझन क वलए सिारा जाता ह इस परकार तीनो घिक एक-दसर क

ससिगत ह यवद तीनो घिक अनकल ह तो वशकषण-अविगम उददशय णथ ह

45 सववकवसत अवधगम उददशयो की ववशषताएा एक सवलवखत अविगम उददशय अविगमकताथओ ि क सार-सार वशकषको क दवारा री आसानी स समझा जा

सकता ह अविगमकताथ अनमान लगा सकत ह वक वशकषण-अविगम परविया क ररणामसिर उनस

कया अ कषा की जाती ह और इस सिबिि म वशकषक क सार बातचीत कर सकत ह अनय वशकषक आ क

सार चचाथ कर सकत ह और सझाि द सकत ह अविगम उददशय वलखन क वलए आ को कछ खास क ि

विनदओ ि को धयान म रखना चावहए जसा वक वचतर 41 म दशाथया गया ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 57

अविगम उददशय को दशाथना चावहए वक अविगमकताथ कया करगा न वक वशकषक कया करगा अविगम

परविया को इिवगत करन िाल वियाओ ि का उवचत उ योग वकसी अविगम उददशय को स षटता और उसकी

समझबोि परदान करत ह

अब सारणी 42 म वशकषक-कवनित और अविगमकताथ-कवनित अविगम उददशयो की जाच करत ह

सारणी 42 तिकषक-कतनदरि और अतिगमकिाय-कतनदरि अतिगम उददशय

1

किसी उततल लस दवारा किकमित

परकतकिमि िी वयाखया िरिा

i दशाथना वक वकसी उततल लस को कस आििथक लस की तरह

उ योग वकया जा सकता ह

ii वकसी दर की िसत क िासतविक परवतवबमपब को दखन क वलए

उततल लस का उ योग करना

iii िसत क विवरनन वसरवतयो क वलए कस परवतवबमपब की परकवत

और आकार ररिवतथत होता ह का िणथन करन क वलए

वियायाकला करना

2

किरचोफफ़ कियम िो समझिा

i वकसी विदयत तितर क परतयक शाखाउ खिड म विदयत िारा की

गणना करन क वलए वकचोफफ़ वनयम का उ योग करना

ii वकसी विदयत तितर का समककष परवतरोि वनिाथररत करना

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 58

अविगम उददशय क वकस सतमपर को आ अविगमकताथ-कवनित त ह स षटतः दसर सतमपर म जो वदया

ह िह अिलोकन करन योगय ह अविगम साकषय परदान कर सकता ह और हचाना जा सकता ह

अविगम उददशयो को स षट और बोिगमपय बनान क वलए वजस वसरवत म अविगम होगा और उनह

परापत करन क वलए कसौिी का री उललख करना चावहए आइय वनमपनवलवखत उदाहरण दखत ह

मानव नतर का रखा-चितर दन पर मानि नतर की सिरचना का नाम वलखना

रासायचनक ततवो क सकतो की सहायता स ततिो का नाम बताना

पवन िककी बनान क बाद इसक कायथचालन को दो अबचछदो म िणथन करना

उददशय वजतना ही स षट होता ह अविगम साकषय री उतना ही स षट होता ह तब इस समय सीमा म परापत

करन की समपरािना जयादा होती ह वकसी अविगम उददशय म वसरवत और कसौिी का उललख करना

अविगम अनरिो की योजना क वलए स षट दशय परदान करता ह अकिगम उददशय कििािररत िरि म

अकिगमितािओ िो सकिय रप स शाकमल किया जा सिता ह और उििी उपलकधि िी सीमा

िो उिि साथ तय किया जा सिता ह अकिगमितािओ िी आवशयिताओ ि आिार पर

अकिगम उददशय पररवकतित या सिार जा सित ह

यह समझना आिशयक ह वक ऊ र बताय गए तरीक स ही अविगम उददशय वलखना जररी नही ह करी-

करी अविगमकताथओ ि हत वचितन की अविक गिजाइस परदान करन क वलए वसरवत और कसौिी दोनो को

ही हिा वदया जाता ह उदहारण क वलए कछ अविगमकताथओ ि क वलए वकसी विशष वसरवत म एक

साधारण लोलक क समय अतराल को परभाचवत करन वाल चवचभनन कारको का अधययन करना वलखना

याथपत हो सकता ह

SMART मापदड कसौटी

सरी अविगम उददशयो को SMART मा दिड कसौिी रा करना चावहए

Specific (विवशषट)- परतयक अविगम उददशय का मातर एक मखय ररणाम हो

Measurable (मा न योगय)- परतयक अविगम उददशय ऐस वयिहार स सिबिवित हो वजस मा ा जा सक

Attainable (परापय परापत करन योगय)- परतयक अविगम उददशय उ लबि सिसािनो क मामल म यरारथिादी हो

Relevant (परासिवगक)- परतयक अविगम उददशय लकषयो क क ि म हो और विदयारी क उ लवबि म वरननता लाय

Timely (समयोवचत)- परतयक अविगम उददशय को समय सीमा क रीतर रा वकया जा सक

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 59

46 एाडरसन एवा िवोहल वगीकरण 1956 म बनजावमन एस बलम न शवकषक उददशयो क र म मानि अविगम क कषो को तीन रागो म

िगीकत वकयाmdash

i जञानातमक (जञान मवसतषटक स सिबिवित)

ii रािातमक (अनरवत हरदय स सिबिवित)

iii मनोशारीररक वियातमक (कायथ हार स सिबिवित)

जञानातमक पकष भािातमक पकष मनोिारीररक तियातमक पकष

िगय िगय िगय

1 जञान 1 आगरहण 1 अनवचछक वियाए

2 बोि 2 अनविया 2 मलरत वसदधाित

3 अनपरयोग 3 अनमलयन 3 अििारणातमक कषमताए

4 विशलषण 4 वयिसरा न 4 शारीररक कषमताए

5 सिशलषण 5 चररतर वनमाथण 5 कशल गवतविवि

6 मलयािकन 6 िाणी विहीन वयिहार

तराव कछ िषो बाद वशकषण-अविगम परवियाओ ि स सिबिवित नए विचारो और सझ का आविराथि

हआ ररिवतथत सझ एिि शोिो क ररणामो को परकि करन तरा 21िी शताबदी क अविगमकताथओ ि क

वलए वशकषण-अविगम ररदशय की आिशयकताओ ि को रा करन क वलए लोररन डबलय एडरसन बलम

का एक रत िथ छातर और डतिड आर ििोहल बलम की सतक का एक सह-लखक न बलम क

िगीकरण को सिशोवित करन हत विशषजञो क एक समह का नतति वकया 2001 म इस ररणाम को

एक सतक ndash ए टकसोिोमी फॉर लकििग टीकरचग एड असकसग ए ररकवजि ऑफ़ धलमस

टकसोिोमी ऑफ़ एजिशिल ओधजककटवस - क र म परकावशत वकया गया सिशोवित िगीकरण

सदश परतीत होता ह तो री सारथक ररितथन ह आइय अब इस र विचार-विमशथ करत ह

बलम िगीकरण म अविगम क छः सतर एक दानिवमक र म ह उदहारण क वलए यवद कोई

अविगमकताथ अ न जञान का अनपरयोग करता ह तो िह हल स अविगम की िथ दो सतरो (जञान और

बोि) को ार कर चका ह (वचतर 42 दख)

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 60

दानिम म मामली ररितथन स सिशोवित िगीकरण म री अविगम क छः सतर ह जो जयादा स षट ह

एक अनय सारथक ररितथन ह- सिशोवित बलम िगीकरण म जञानातमक आयाम (जञान का परकार वजस

वसखना ह) और सजञानातमक परतियस आयाम क र म दो आयाम ह जबवक बलम िगीकरण म मातर

एक आयाम

सिशोवित िगीकरण िीन तरह स वरनन ह-

(i) िबदािली यह ररितथन गौण ह तो री सारथक ह

यह एक सिजञा स विया शबदो म बदलाि ह

जञान शबद को वचितन की शरणी क र म अनवचत माना जाता रा और इस समरण करना स बदला

गया तचिन एक सतिय परतिया ह और जञान तचिन का पररणाम ह जञान को वचितन क

एक र म नही दखा जाता ह

बोध को समझना क र म सिशोवित वकया गया

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 61

मलयाकन करना सशलषण का सरान वलया और सजन करना मलयाकन का सरान वलया

सशलषण शबद अविगम वियाओ ि क सिबिि म वबलकल सििादशील नही रा इसवलए इस सजन

करना स बदला गया

(ii) सरचना बलम िगीकरण म विवरनन विषय कषतरो को तय करन क वलए आ को कछ तरीक ता

लगाना चावहए चिवक परतयक विषय की परकवत और विषयिसत वरनन होता ह उदहारण क वलए विजञान

और राषा का तथयातमक जञान वरनन ह इसी परकार परवियातमक जञान री वरनन ह सिजञानातमक

मनोविजञान क वसदधाित क आिार र एिडरसन और िथिोहल न जञान क चार आयाम बताए ह जञानातमक

आयाम और सिजञानातमक परविया आयाम का परवतचछदन 24 ककष उत नन करता ह जो िगीकरण सारणी

को वदवआयामी बनाता ह जसा की सारणी 43 म दशाथया गया ह

सारणी 43 एडरसन और ििोहल दवारा परिि तदवआयामी िगीकरण सारणी

जञानातमक

आयाम

सजञानातमक परतिया आयाम

समरण करना समझना अनपरयोग

करना

विशलषण

करना

मलयािकन

करना

सजन करना

तथयातमक

जञान

िचाररक जञान

परवियातमक

जञान

सिजञानातमक

क अलािा

जञान

सारणी 43 का उ योग करक हम उददशयो को जञानातमक आयाम और सिजञानातमक परविया आयाम क

सार वमलान कर सकत ह आइए उदाहरण की सहायता स दखत ह वक परवियातमक जञान को

सिजञानातमक परविया आयाम क सार कस वमलान वकया जा सकता ह (सारणी 44)

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 62

सारणी 44 परतियातमक जञान क सार सजञानातमक परतिया का तमलान

जञानातमक

आयाम

अतिगम उददशय

सजञानातमक

परतिया आयाम

परवियातमक

जञान

अ वकषत विदयत रर र आरख का परतयासमरण करक एक

सामानय िॉचथ बनाना

समरण करना

विदयत िारा क परिाह की वदशा दशाथत हए ldquoबलब कस चमकता

हrdquo की वयाखया करना

समझना

एक सिित विदयत रर र क सार िॉचथ क चमकन को सिबिवित

करना

अनपरयोग करना

यवद बलब नही चमकता ह तो विदयत रर र म समसया की

हचान करना

विशलषण करना

िॉचथ बनान क वलए वकसी वदए गए जमािड़ म स उनक विवनदश

जाच कर उवचत विदयत सल और बलब का चयन करना

मलयािकन करना

सािारण विदयत रर र का उ योग करक कोई उ करण बनाना सजन करना

इस परकार सिरचना वनमपनवलवखत तरीक स वरनन ह ndash

एक आयामी िगीकरण को वदवआयामी र म सिशोवित वकया गया

सिशलषण और मलयािकन क िम को अितविथवनमय वकया गया चवक िगीकरण को वचितन सतरो म

जविलता क बढ़त िम म दशाथता हआ माना जाता ह रचनातमक वचितन (सशलषण) गहन

वचितन (मलयाकन) की अ कषा वचितन का जयादा जविल र ह

बलम क िगीकरण म मलयािकन वचितन का सबस ऊ री सतर ह सिशोवित िगीकरण म सजन

करना दानिम क शीषथ र ह

(iii) महतति

1 सिशोवित िगीकरण ाठयिम योजना बनान वशकषण-अविगम क वलए सामगरी विकवसत करन

और आकलन परवियाओ ि क वलए जयादा विशवसनीय उ करण ह

2 बलम क िगीकरण को परारिवरक विदयालयी िषो क वलए सिोतम उ करण माना जाता रा

एिडरसन और िथिोहल िगीकरण को उचचतर सतरो क वलए री आसानी स उ योग वकया जा

सकता ह इस अरथ म यह उ योग म वया क ह

3 अविगम क उ -शरवणयो क िणथन र जयादा जोर ह वनमपनवलवखत सारणी (सारणी 45)

सिशोवित बलम िगीकरण क वया क वसिहािलोकन परसतत करता ह सिजञानातमक परविया की

उ -शरवणयाि वशकषण-अविगम परविया क ररणामसिर अविगम कायो का र और सिरि

अविगम ररणाम परदान करती ह

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सारणी 45 एडरसन और ििोहल क िगीकरण का वयापक अिलोकन

सजञानातमक परतिया

की शरणी

सजञानातमक परतिया की

उप-शरणी

अतिगम कायय

अतिगम साकषय परदान

करनिाल अतिगम

पररणाम

समरण करना

समवत स परासिवगक जञान

नःपरवतषठाव त करना

पहचानना

परतयासमरण करना

परापत करना

हचानना नःपरवतषठाव त

करना परापत करना

शरणीबदध करना नाम

बताना चयन करना

कहना रररावषत करना

िणथन करना वशनाखत

करना नाम वलखना

परतयासमरण करना सरान

का ता लगाना

ररराषा तथय कायथ- तरक

सची नाम परतयासमरण

समझना

वशकषण-अविगम

सामवगरयो और परवियाओ ि

स अरथ का वनमाथण करना

मौवखक वलवखत और

आरखी समपपरषण म

शावमल होना

तििचना करना

उदाहरण दना

िगीकि करना सतकषपत

करना

तनषकषय तनकलना

िलना करना

वयाखया करना

वयाखया करना वििचना

करना सिवकषपत करना

उदाहरण दना तलना

करना अनमान लगाना

िगीकत करना कवरत-

करन करना वनषटकषथ

वनकलना

वििरण वयाखया रर ोिथ

आरख लखावचतर

परशनोततरी सिगरह परदशथन

अनपरयोग करना

नई ररवसरवत म रणनीवत

अििारणा वसदधाित और

परवियाओ ि का उ योग

करना

तनषपातदि करना

कायायतनिि करना

कायाथवनित करना

वनषट ावदत करना हल

करना सिबदध करना

परदवशथत करना तयार

करना र ाितररत करना

दशाथना उ योग करना

अनपरयोग करना कशलता

स कायथ करना गणना

करना सवमपमवलत होना

परदशथन दषटानत

परसततीकरण साकषातकार

रीकषण ररकॉडथ वतरका

सिखयातमक समसयाओ ि का

समािान

तिशलषण करना

जञान को उसक अियिो म

तोडना और एक-दसर क

परक करना

सगतिि करना

आरोतपि करना

विशलषण करना तलना

करना तोड़ना रक

करना वनमाथण करना

आरख लखावचतर मॉडल

चािथ सि डिाबस रर ोिथ

जाचसची तातकावलक

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सार अियिो का सिबिि

वनिाथररत करना

एकीकत करना अलग

करना सिगवठत करना

अितर करना आरोव त

करना र -रखा लगाना

आरख बनाना वनषटकषथ

वनकालना

कामचलाऊ उ करण

परशनािली सपरडशीि

मलयाकन करना

मानक और कसौिी

विकवसत एिि अनपरयोग

करक विचारो सामवगरयो

और विवियो क मलय

महतति का वनणथय करना

िााच करना

तििचना करना

वनणथय करना जाच करना

वििचना करना मलयािकन

करना अवरकल ना

बनाना परयोग करना

रीकषण करना वनयितरण

करना आिकना नयायोवचत

ठहराना परवतिाद करना

समरथन करना िणथन करना

वयाखया करना समपबदध

करना वनशचय करना

मलयािकन विचार-विमशथ

तकथ -वितकथ साकषय

आिाररत वनषटकषथ रर ोिथ

जाच ड़ताल िाद वििाद

सिन करना

वकसी िासतविक विचार

को विकवसत करन य

ततिो क सियोजन क वलए

विचारो या अियिो को

एक सार रखना विचारो

और ररणामो को ससिगत

कायाथतमक समप णथ बनाना

सजनातमक वचितन म

सिलगन रहना

उतपनन करना

योिना ियार करना

उतपातदि करना

वडजाईन बनाना वनमाथण

करना नवनथमाथण करना

खोज करना उ करण

बनाना योजना तयार

करना उत ावदत करना

बनाना उत नन करना नः

सिगवठत करना रचना

करना र ाितररत करना

मॉडल परदशथन परोजकि

ोसिर चािथ विजञान

नािक परसततीकरण

िीडा परशनोततरी गीत

कविता मीवडया उत ाद

इस परकार हम दखत ह वक सिशोवित बलम क िगीकरण म सिजञातमक परवियाओ ि क कई उ -शरवणया ह

यह जयादा स षट ह और हम वशकषण-अविगम रणनीवतयो और परवियाओ ि क वनमाथण म सहायता हत एक

शवकतशाली उ करण परदान करता ह

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47 अवधगम उददशय विखना i समरण करना- अविगमकताथ अ नी समवत स तथयो ररराषाओ ि वनयमो वसदधाितो और जञान क

अनय िकड़ो का परतयासमरण और हचान करत ह यह अविगमकताथ को विजञान समझन म

सहायता करता ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

उततल और अितल लस को स शथ कर और उनक दवारा बन परवतवबमपबो का अिलोकन कर

क उनकी हचान करना

िासतविक और काल वनक परवतवबमपबो की ररराषा का परतयासमरण करना

एक वसरवत बताना जहा काल वनक परवतवबमपब बनता ह

परतयक उततल और अितल लस क दो उ योगो को सचीबदध करना

ii समझना - अविगमकताथ विवरनन वशकषण-अविगम ररवसरवतयो म अरथआशय का वनमाथण

करता ह यवद िह विवरनन अििारणाओ ि और जञान क िकड़ो म सह-सिबिि और सिबिि सराव त

करता ह तो िह समझता ह समझना तावकथ क और अमतथ वचितन को परोतसाहन दता ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

आसिन परविया का िणथन करना

आसिन म शावमल विवरनन चरणो को सिवकषपत करना

सािारण आसिन और आिवशक आसिन क बीच अितर करना

एक उदाहरण क दवारा आिवशक आसिन का दषटानत दना

iii अनपरयोग करना -अविगमकताथ तथयो अििारणाओ ि और वसदधाितो का उ योग तरा नई

ररवसरवतयो म समसयाओ ि का समािान कर सकत ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

कषारीय िात क कम-स-कम एक रासायवनक रीकषण परदवशथत करना

वदए गए नमन (स ल) म कषारीय िात की मौजदगी की रविषटयिाणी करना

जल म बनजोइक एवसड की घलनशीलता की वयाखय करन क वलए हाइरोजन बििन (बॉवनडिग)

की अििारणा का उ योग करना

वनमपनवलवखत अवरविया को सितवलत करना mdash

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Zn(s) + HNO3 Zn(NO3)2 + NH4NO3 + H2O

iv तिशलषण करना - अविगमकताथ परवतमान दख वनवहतारथ और अियिो को हचान सकत ह

विशलषण करन क सतर र अविगमकताथ तलना करन आरोव त करन सिगवठत करन जञान को

उसक घिको म तोड़न की वसरवत म होत ह अविगमकताथ वदए गए ररवसरवत का विशलषण कर

सकत ह िह वदए गए समसया क घिको क मधय अितर और उनक बीच सिबिि की हचान करन

की वसरवत म होता ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

सिकत दवारा वदखाना वक वनमपनवलवखत उदाहरणो म ऑकसीजन-यकत यौवगक ओकसीकारक

जबवक अनय अ चायक कारक ह

LiAlH4 KMnO4 K2Cr2O7 NaBH4 K2CrO4 CrO3

वनमपनवलवखत अवरविया म ओकसीकरण और अ चयन क दौरान सरानाितररत इलकरानो की

सिखया सिकत दवारा वदखाना

Zn + H2SO4 ZnSO4 + H2

एक विदयत चमपबक क वनमाथण को दशाथन क वलए एक ररनावलका एक लोह की छड बिरी

और एक कि जी को सिगवठत करना

रौवतकी और रसायन शासतर म विवरनन अििारणाओ ि स सिबिवित सिखयातमक समसयाओ ि को

हल करना

v मलयाकन करना -अविगमकताथ मलयािकन उत नन वििचना वनणथय िजञावनक अििारणाओ ि

हत अवरकल ना तयार और परयोगो हत योजना तयार कर सकत ह ि वकसी वनणथय का

औवचतय वसदध कर सकत ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

ldquo रडॉकस अवरविया ओकसीकारन और अ चयन का सवमपमशरण ह rdquo करन र विप णी करना

िि म चलन िाल िसतओ ि क सिीही (सरीमलाइन) आकार का औवचतय वसदध करना

माइिोसको और िवलसको म लसो क चयन स वलए कसौिी का मलयािकन करना

कारको की जाच करना वजस र एक विदयत चमपबक की शवकत वनरथर करती ह

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iv सिन करना- सजन करन का तात यथ ह एक वयवकत क सि-कल ना क माधयम स रचना करना

योजना तयार करना वलखना वनमाथण करना और उत ादन करना

अतिगम उददशय क उदाहरण

वनमपनवलवखत दो अिथ अवरवियाओ ि को वमलाकर रडॉकस अवरविया बनाना

Zn(s) Zn2+

+ 2endash

Pb2+

(aq) + 2endash Pb(s)

दवनक जीिन स उदाहरण लकर रडॉकस अवरवियाओ ि क महतति र परसततीकरण तयार करना

िन चककी का मॉडल बनाना

चमपबको का उ योग कर वखलौन बनाना

अभयास परशन

1 सिजञानातमक कष का िगीकरण ________ क दवारा वदया गया

a बलम bवसकनर c वसमप सन dकोहलर

2 सामगरी क अरथ को आतमसात करना ह ndash

aसमझना b समरण करना c अनपरयोग करना dसजन करना

3 वकसी सामगरी क मलय को जानना ह -

aविशलषण करना bसमरण करना cअनपरयोग करना dमलयािकन करना

4 बौवदधक कौशल __________ क दवारा परदवशथत वकया जाता ह

aसिजञातमक कष bमनोशारीररक कष cरािातमक कष dउ रोकत म

स कोई नही

5 शवकषक उददशयो को __________ कषो म विरावजत वकया गया ह

aतीन b छ cदो d ािच

6 शवकषक उददशयो का िगीकरण __________ म वदया गया

a1946 b 1956 c1966 d1976

नोट अतिगम उददशयो क उपरोकत उदाहरण मातर दिानिदियक ह न तक तनदिातमक या सियगराही

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48 सारााश अविगमकताथ और वशकषक दोनो क रर कषय स अविगम उददशय बहत महति णथ ह य वशकषक को वकसी

ककषा क वलए सिगवठत वकय जान िाल अविगम अनरिो को तयार करन तरा उनक आकलन क वलए

अरो ाय हत वदशा परदान करत ह विकवसत उददशय अविगमकताथ की आशयकताओ ि और वशकषण-

अविगम ररवसरवतयो क अनसार लचील होन चावहए इस वशकषण-अविगम परविया क वलए एक

मागथदशथक क र म कायथ करना चावहए

49 शबदाविी 1 अतिगम वयिहार म कोई री अ कषाकत सरायी ररितथन जो अभयास और अनरि क

ररणामसिर घवित होता ह

2 तिकषण-अतिगम परतिया जञान कौशल और अवरिवत परदान करन की िासतविक अनयोजन

अिवि

3 अतिगमकिाय कोई वयवकत जो वकसी कौशल या विषय को सीख रहा हो

410 अभयास परशनो क उततर 1 अ

2 अ

3 द

4 अ

5 ब

6 स

411 सादरथ गरार सची 1 बॉकसिन एसी (2010) िीवचिग साइिस इन एलीमरी एिड वमवडल सकल नय वदलली सज

वबलकशनस

2 बाईबी आर (2010) द िीवचिग ऑफ़ साइिस िििी फसिथ सचरी सथ वकिवस अवलिगिन

िीए एनएसिीए परस यएसए

3 फनशम ीज (1994) द कि िि ऑफ़ साइिस ए कि सरकविि एपरोच ि इिस िीवचिग एिड

लवनिग िावशिगिन डी सीर फालमर परस

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 69

4 गपता िी क (1995) िीवचिग एिड लवनिग ऑफ़ साइिस एिड िकनोलॉजी नय वदलली विकास

वबलवशिग हाउस पराइिि वलवमिड

5 जोशी एसआर (2005) िीवचिग ऑफ़ साइिस नय वदलली ए ीएच वबलवशिग कॉर ोरसन

6 लॉसन इए (2010) िीवचिग इनकिायरी साइिस इन वमवडल सकल नय वदलली सज

वबलकशनस

7 लयिन डी (1989) इनोिशनस इन साइिस एिड िकनोलॉजी एजकशन नय वदलली सिवलिग

वबलकशनस

8 मर एलज (1988) बवसक वसकलस- साइिस बोसिन जॉन मर

9 शमाथ आरसी (2005) मॉडनथ साइिस िीवचिग वदलली िन त राय amp सिस

10 वसददीकी एचएम (2007) िीवचिग साइिस नय वदलली बालाजी ऑफसि

11 वसददीकी एनएन amp वसददीकी एमएन (1994) िीवचिग ऑफ़ साइिस िड amp िमॉरो वदलली

डोएबा हाउस

12 सिररन ए amp सनड बी (1983) िीवचिग साइिस थर वडसकिरी ऑवहयो चालसथ इ मररथल

वबलवशिग कि नी

13 वतर ाठी एस (2004) िीवचिग ऑफ़ वफवजकल साइिस वदलली डोवमनि वबलकशनस

14 यनसको (1966) सोसथ बक फॉर साइिस िीवचिग ररस यनसको

15 िदय एन (2003) साइिस िीवचिग इन सकलस नय वदलली दी amp दी वबलशसथ

16 िनजा एम (2006) िीवचिग ऑफ़ वफवजकल साइिस हदराबाद नीलकमल वबलकशनस

17 गपता एसक (1983) िकनोलॉजी ऑफ़ साइिस एजकशन वदलली विकास वबलवशिग हाउस

पराइिि वलवमिड

18 गपता िीक (1995) रीवडिगस इन साइिस एिड मरमविकस एजकशन अमपबाला द एसोवसएिड

परस

19 राि िीक (2004) साइिस एजकशन नय वदलली ए ीएच वबलवशिग को ोरशन

412 वनबाधातमक परशन 1 अविगम उददशय स आ कया समझत ह एक सविकवसत अविगम उददशय की कया विशषताएि

होनी चावहए उदहारण दकर स षट कर

2 अविगम उददशय विकवसत करन की कया आिशयकता ह कछ उदाहरणो की सहायता स

वयाखया कर

3 यह जानन क वलए वक वशकषण-अविगम परविया म अविगम उददशय वलखना कस वकसी वशकषक

की सहायता करता ह एक परशनािली विकवसत कर

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 70

इकाई 5 अवधगमकिा को समझना- वपयाज और िाइगोतसकी की दषटि म अवधगमकिा अवधगमकिा को परवरि करना शावमल करना िािा करना और मधयसरिा

अवधगम विजञान वशकषक की भवमका Understanding Learners Piaget and Vyogotskian

Perspective Motivating and Involving learners Negotiating and Mediating Learning Role of Science Teacher

51 परसतािना

52 उददशय

53 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ

531 व याज की दवषट म अविगमकताथ

532 िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ

533 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अितर

54 अविगमकताथ को परररत करना शावमल करना एिि िाताथ करना

55 मधयसरता अविगम

56 विजञान वशकषक की रवमका

57 सारािश

5 9अभयास परशनो क उततर

5 10वनबनिनातमक परशन

5 11 सिदरथ गरनर सची

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 71

51 परसतावना वशकषण की ारि ररक विवि म विषय िसत क परतयकष अनदशन तथयो और परवियाओ ि क रिन र ज़ोर

दत हए रवढ़िादी तरीको का परयोग वकया जातारा ितथमान म वशकषण म विदयावरथयो की सविय

सहरावगता र ज़ोर दत हए उनह सियि जञान क सजन करन िाला माना गया दसर शबदो म कह तो

वशकषण और अविगम की वयािहारिादी दवषटकोण स सिरचनािादी दवषटकोण म सरानाितरण हआ ह

वयिहारिावदयो क अनसार सरी वयिहार बाहरी उततजनाओ ि को अविगमताथ की परवतवियाओ ि का

ररणाम ह अराथत बाहरी िातािरण सीखन क वलए योगदान करता ह इस तरह स विदयारी क अविगम

र बाहय ररवसरवतयो जस रसकार और दिड का परराि परबल होता ह यह िसतवनषठ अिलोवकत

वयिहार र मखय र स क वित ह और अविगम मानवसक गवतविवियो की रवमका को अविक महति

नही दता ह वयिहारिावदयो की मानयताओ ि क वि रीत सिरचनािादी अविगम को अरथ की खोज क र

दखत ह व याज और िाइगोतसकी िायगोसतकी रचनािादवनवमथततिाद क परमख समरथको म ह जो की

यह मानत ह की जञान का वनमाथण वशकषारी दवारा वकया जाता ह

ितथमान इकाई म हम वशकषण और अविगम की सिरचनािादी दवषटकोण िाल दो परमख मनोिजञावनक

व याज और िाइगोसतकी क रर कषय म अविगम कताथ की समीकषा करग अविगमकताथ को अविगम म

परररत करन और शावमल करन क महति को जानग मधयसरता अविगम क सिपरतयय एिि विजञान वशकषक

की रवमका का विसतार िथक अधययन करग

52 उददशय इस इकाई का अधययन करन क शचात आ -

1 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ की विशषताओ ि का विशलषण कर सक ग

2 व याज और िाइगोतसकी की सिजञानातमक विकास क वसदधाितो की वयाखया कर सक ग

3 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अितर कर सक ग

4 अविगमकताथ को अविगम म परररत करन और शावमल करन क महति की वयखया कर सक ग

5 मधयसरता अविगम क सिपरतयय को अ न शबदो म बयकत कर सक ग

6 विजञान वशकषक की रवमका का विशलषण कर सक ग

7 मधयसरता अविगम क सिपरतयय का अ न वशकषण कायथ म परयोग कर सक ग

53 वपयाज वाइगोतसकी की दषषट म अवधगमकता 531 व याज की दवषट म अविगमकताथ जीन व याज (1896-1980) वसििजरलड क मनोिजञावनक एिि

दाशथवनक क अनसार अविगमकताथ अ न िातािरण एिि ररिश क सार मानवसक शवकतयो का परयोग

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 72

करत हए सीखता ह और अविगम उस समय जयादा अरथ णथ होता ह जब िह विदयारी की रवच और

वजजञासा क अनर हो व याज क अनसार विकास की परविया म अविगमकताथ की बौवदधक सिरचना म

ररितथन होता ह और यह जीि की सिरचना और िातािरण की सिरचना क आ स म परवतविया क

फलसिर होता ह व याज क अनसार बचचा एक िजञावनक ह और यही बात व याज क वसदधाित का

आिारिाकय ह इनक अनसार अविगमकताथ का सिजञानातमक विकास िवमक ह जो वक िमबदध सतरो

र सियि म गणातमक ररितथनो को स षट करता ह यदयव अविगमकताथ की वन णता का विकास परतयक

सतर र उसक व छल सतर क आिार र ही वचवतरत होती ह अराथत विकास क व छला सतर ही नए सतर

का विकास की आिारवशला होती ह अराथत व छल सतर का विकास नई दकषता क वलए क वलए

आिारवशला का कायथ करती ह सार ही य विशषताय उन विशषताओ ि स वरनन होती ह जो वक बालक

क व छल सतर र परदवशथत और परामावणत की ह

अतः वशकषको को अ न विदयावरथयो क सिजञानातमक कषमताओ ि क विकास म अचानक अिकररत होन िाल

ररितथनो की अ कषा रखनी चावहए न वकि वनबाथि विकास की व याज क िवमक विकास की

अिसराओ ि म एक क शचात दसर सतर र अविगमकताथ जाता ह और इस परकार उसका सिजञानातमक

विकास होता ह कम उमर म बालक की िजञावनक खोज उसकी सिजञानातमक कषमताओ ि क कारण सीवमत

होती ह कयोवक उनम विकास अरी तक होना होता ह रनत हरक अिसरा म बचच सविय र स इस

सिसार को खोजन का परयास करत ह व याज न अ न वसदधाित म कछ सिकल नाए दी ह यहा चार

सिकल नाए िवणथत की जाएगी जो वक सिजञानातमक विकास की विवशषट परविया ह ि ह- अनकलन

(adaptation) आतमसातकरण (assimilation) समिजनसामिजसय (accomodation) और समतलयन

(equilibration)

अनकलन मनोिजञावनक सिरचनाओ ि को वयिवसरत करन क वलए अविगम कताथ अ न िातािरण क

अनसार मानवसक सिरचना को र ाितररत करन वक परिवत को अनकलन कहत ह अराथत अविगमकताथ

और उसक िातािरण क मधय चलन िाली यह रस र विया क दवारा परापत समतलयन को व याज न

अनकलन का नाम वदया ह अनकलन वक परविया म दो मल परवियाय -आतमसातकरण और

समिजनसामिजसय सवमपमवलत ह

आतमसातकरण आतमसातकरण तब होता ह जब अविगमकताथ अ नी मौजदा बौवदधक सिरचना का

परयोग सिसार बाहय जगत को समझन क वलए करता ह आतमसातकरण म िातािरण म उ वसरत वकसी

चीज को समझन का परयास िथ िाररत जञान क मल करन क आिार र वकया जाता ह

समिजन जब अविगम कताथ अ नी िथिाररत मानवसक दधवतसिरचनाओ ि को नए िातािरण क सार

सितलन सराव त करन क वलए ररिवतथत करता ह तब समिजन परारिर होता ह विदयारी दवारा अ नी

बौवदधक सिरचना म िातािरण की आिशयकता क अनसार समायोजन या ररितथन करना समिजन ह

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समतलयन समतलयन उस विया को कहत ह जो सितलन सराव त करन करन का परयास करती ह यह

आतमसातकरण और समिजन की परवियाओ ि म सितलन की सरा ना स समपबिवित ह व याज क अनसार

विदयारी क वचितन म िासतविक ररितथन समतलयन की परविया स होती ह

व याज क अनसार मानि वशश शरआत म सिजञानी जीि नही होता िह अ नी बोिात मक और

गत यात मक गवतविवियो क दवारा मनोिजञावनक ढािच अनरिो स सीखन क सिगवठत तरीक स खद को

अ न याथिरण क अनसार ढाल ाता ह इन ढािचो को विकवसत करत समय बच च बहत गहन र स

सविय रहत ह ि अनरिो क मौजदा ढािचो का उ योग करत हए उनका चनाि करत ह और अरथ

वनकालत ह तरा िास तविकता क और बारीक कषो को गरहण करन क वलए उन ढािचो म बदलाि करत ह

बच च सिसार म लगरग समस त जञान को अ नी गवतविवियो क दवारा खोजत या वनवमथत करत ह अत

व याज क अनसार सिजञानातमक विकास अनकरण की बजाय खोज र आिाररत ह अविगम कताथ

अ नी जञानवियो क परतयकष अनरि क आिार र अ नी समझ का वनमाथण करता ह इस परकार का

अविगम सविय अविगम होता ह इसक वयवकत अ न ररिश और िातािरण क सार सविय र स

अितविथ या करता ह इसम वकसी कायथ को करत हए वयवकत वकसी एक विचार म नए विचारो को शावमल

करता ह

व याज का मानना रा वक वशकषा का मखय उददशय बचचो को यह सीखना होना चावहए वक िो वकस परकार

सीख सकत ह और वशकषा को अविगम कताथ को सीखन की तरफ परररत करना चावहए न वक उनह रिन र

जोर दना चावहए कही बातो को ररना चावहए एक वशकषक को ककषा म कई परकार क विदयारी वमलत

ह एक विदयारी सियि म री अ न सिजञानातमक विकास और विषय जञान म बावक वशकषावरथयो स काफी

वरनन होता ह एक वशकषक क यह जानना चावहए वक ऐसा विदयावरथयो की वचितन योगयताओ ि की कमी

क कारण ह या वफर उस सामानय तथय ही नही ता ह इसक वलए वशकषक को अविगमकताथ र तब

धयान दना चावहए वक िह वकस परकार स समसया को समािावनत करन का परयास कर रह ह िह वकसी

एक हल र धयान द रह ह या वफर री समसया र वकस परकार की तावकथ कता का परयोग कर रह ह

व याज क अनसार अविगम कताथ सियि अ नी समझ का वनमाथण कर सीखना एक रचनातमक परविया ह

इसम किल रौवतक र स हर-फर कर क ही ना सीखाया जाए बवलक मानवसक हर-फर री वकया जाए

इसक सार ही विदयारी अ न वशकषक और ककषा क अनय विदयावरथयो स री वकसी समसया क समपबनि म

विचार-विमशथ कर कयोवक इसक दवारा उनक विचारो को चनौती दी जा सक और विचारो का मलयाङकन

हो सक

532 िाइगोतसकी की दति म अतिगमकिाय

वलि वसमनोविच िाइगोतसकी (1896-1934) न सिजञानातमक विकास का सामावजक दवषटकोण परसतत

वकया इनक अनसार बचच का सिजञानातमक विकास म उसक सािसकवतक सिबनि क बीच सििाद का

महतति णथ सरान ह िाइगोतसकी री सिरचनािादी र तरा यह मानत र वक बचच जञान का वनमाथण करत

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ह वकनत इनक अनसार सिजञानातमक विकास म राषा क सार-सार सामावजक-सािसकवतक सिदरथ री

महति णथ रवमका वनराता ह यह मानत ह वक राषा सिजञानातमक विकास का महतति णथ उ करण ह तरा

परारमपर स ही बचच अ न कायो क वनयोजन एिि समसया समािान म राषा परयोग करन लग जात ह

व याज क वसदधाित क वरनन िाइगोतसकी मानत ह की अविगम ि विकास सािसकवतक ि सामावजक

िातािरण की मधयसरता का परवतफल ह िाइगोतसकी न सिरावित विकास का कषतर का सिपरतयय वदया जो

की उस अितर को बताता ह जो की बचच क वबना वकसी सहायता क समप ावदत कायथ तरा वकसी बड़ या

अविक कशल सारी की सहायता स समप ावदत कायथ म होता ह सिवियातमक दो म रररावषत कर तो

यह एक ऐसा कषतर ह जो बचच क परदशथन क रीकषण क दो वसरवतयो म बीच अितर- सहायता क वबना या

सहायता क वबना को रररावषत करता ह उनक अनसार बचच क विकास को सामावजक एिि सािसकवतक

गवतविवियो स अलग नही वकया जा सकता उसका परतयक कषतर का विकास इन गवतविवियो म

अनतवनथवहत होता ह इस परकार िाइगोतसकी का वसदधाित सामावजक वनवमथवतिाद ह वयवकत म सरी

मानवसक या बौवदधक वियाए हल बाहरी समाज म घवित होती ह और बचच समावजक एिि सािसकवतक

अनत वियाओ ि दवारा बचच अ नी सिसकवत म सोचन और वयिहार करना सीखत ह अत बचच क समप णथ

विकास म सामावजक िातािरण क विवरनन अिगो जस- ररिार समदाय दोसत तरा विदयालय की

रवमका महति णथ ह िायगोतसकी न उचच कषतर सतर को परापत करन क वलए मचान ढािचा वनमाथण

(scaffolding) का परयोग वकया मचान ढािचा वनमाथण (scaffolding) स तात यथ ह वक अविगम कताथ

को ियसक या अविक सकषम सारी दवारा परदान की गई सहायता ढािचा वनमाथण की परविया उररती हई

और विकासशील (जो की अरी तक रर कि नही हई) कषमताओ ि को लकर आती ह और इस तरह

इसस अविगम कताथ की वछ ी हई कषमताओ ि का ता चलता ह सिरचनातमक कषतर म वशकषक बचचो क

सार जो िाताथला करता ह उस ही ढािचा वनमाथणमचान कहा जाता ह िाइगोतसकी क अनसार मानि

की विशषता एक परारवमक मतरी वमलनशीलता ह वयवकत आनििवशक र स सामावजक ह उसस अलग

होक उसका विकास सिरि नही ह वशकषण परविया का योगदान यह ह वक िह अविगम कताथ को

शवकतशाली उ करण अराथत राषा परदान करता ह विकास परविया क दौरान यह उ करण वयवकत की

आितररक सिरचना (आितररक राषा क विकास क सार) का एक अवरनन अिग बन जाता ह उ करण (जस

राषा) जो की एक सामावजक उत वतत ह सोच वचितन जस अनय मानवसक वियातमकता क सार

अितविया करना परारमपर करता ह िाइगोतसकी दवारा परदान की गई मनोिजञावनक उ करणो क उदाहरणो म

राषाराि रिवगमा वचतर नकश आवद शावमल ह राषण लखन और राषा क माधयम स मधयसरता

सामावजक िातािरण को अित करण म समािवशतकरन क वलए वशकषावरथयो की सहायता करता ह इन

मधयसरता उ करणो की सहायता स अविगम कताथ का उचच सोच की कषमता बढ़ती ह सविय

अविगम म बचच जञान का वनमाथण करत ह वशकषण परविया किल बचचो और ियसको की गवतविवियो क

माधयम स जञान क वनमाथण की परविया ह अत अविगम वशकषण परविया ह एक सामावजक सहयोग ह

सहयोग क दौरान ियसक राषा का ररचय दता ह जो सिचार और सि कथ क वलए एक उ करण क र म

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कायथ करता ह सामावजक सिबििो क एक सािन क र म राषा बचच क आितररक मानवसक सिगठन क

एक सािन म ररिवतथत हो जाता ह

533 तपयाि और िाइगोतसकी की दति म अिर

व याज और िाइगोतसकी दोनो मनोिजञावनको न उन वसदधाितो को विकवसत वकया जो बचचो और वकशोरो

म सिजञानातमक विकास और सीखन स समपबिवित ह दोनो क वसदधाितो क बीच समानताएि यह ह की दोनो

ही सिरचनािादी ह और मानत ह की अविगमकताथ जञान का सजन सियि करत ह रनत इन दोनो क

वसदधाितो म अितर री ह और य अितर शकषवणक सवििग म वसदधाितो क समझ और अनपरयोग क वलए

महति णथ ह दोनो क क वसदधाितो म परमख अितर वनमपनित ह

व याज क अनसार विकास अविगम की िाथिसरा ह न वक इसका ररणाम जबवक इगोतसकी

का मत इसस वबलकल वरनन ह िो मानत ह की विकास स िथ सामावजक अविगम आता ह

इस दो वसदधाितो क बीच मखय अितर माना जा सकता ह

व याज मानत ह की सिजञानातमक विकास विवरनन चरणो म होता ह और िो चरण सािथरौवमक

ह जबवक िाइगोतसकी इसस अलग दवषटकोण रखत ह और मानत ह की विकास को आकार

दन क सािनो क र म सिसकवत और सामावजक सिबििो का सरान सबस अविक महति णथ ह

दो वसदधाितो क बीच एक और अितर सामावजक कारको को वदए गए महति स उत नन होता ह

व याज का मानना ह वक अविगम अविकतर एक सितितर अनिषण ह जबवक िाइगोतसकी विशष

र स सिरावित विकास का कषतर क माधयम स एक सहयोग णथ वशकषण र म इस और अविक

दखत ह कयोवक एक बचच को अ नी कषमताओ ि को विकवसत करन म सहायता परदान की जा

रही ह

पयाज़ क अनसार अविगम क वलए सिथपररम एक वनवशचत विकास सतर र हिचना आिशयक ह

िाइगोतसकी का वसदधाित सामावजक-सािसकवतक वसदधानत क नाम स जाना जाता ह इस वसदधानत

क अनसार सामावजक अनतःविया ही अविगमकताथ की सोच ि वयिहार म वनरनतर ररितथन

लाता ह जो की एक सिसकवत स दसर म वरनन हो सकता ह

अभयास परशन

1 व याज क अनसार विकास की परविया म अविगमकताथ की बौवदधक सिरचना म ररितथन होता ह

(सतय असतय)

2 व याज क अनसार अविगमकताथ का सिजञानातमक विकास िवमक ह जो वक िमबदध सतरो र

सियि म मातरातमक ररितथनो को स षट करता ह (सतय असतय)

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3 व याज क सिजञानातमक विकास की चार सिकल नाओ ि क नाम वलवखए

4 व याज और िाइगोतसकी वयिहार िादी र

5 ढािचा वनमाथण (scaffolding) स कया तात यथ ह

6 िाइगोतसकी न सिरावित विकास का कषतर कया बताता ह

54 अवधगमकता को परवरत करना शावमि करना एवा वाता करना इसक वि रीत सिरचनािादी अविगम को अरथ की खोज क र दखत ह ितथमान वशकषा वयिसरा

सिरचना िादी दवषटकोण स अविक परररत ह और यह मानता ह की अविगमकताथ को यवद परररत वकया

जाए वशकषण अविगम परविया म शावमल वकया जाए तो िो जञान का सजन सियि करत ह छातरो को

सीखन क वलए परररत करना एक चनौती णथ कायथ ह कयोवक आज क छातरो क सामन बहत सर विकल ह

जो उनक धयान आकवषथत करती ह रनत विदयारी को सीखन क वलए परररत करना बहत आिशयक ह

कयोवक परररत विदयारी वसखन एिि वशकषण अविगम

परविया म अ नी रागीदारी अविक उतसकता स

वनरात ह एक विदयारी सियि म री अ न

सिजञानातमक विकास और विषय जञान म बावक

वशकषावरथयो स काफी वरनन होता ह एक वशकषक

क यह जानना चावहए वक ऐसा विदयावरथयो की

वचितन योगयताओ ि की कमी क कारण ह या वफर

उस सामानय तथय ही नही ता ह इसक वलए

वशकषक को अविगमकताथ र तब धयान दना

चावहए वक िह वकस परकार स समसया को समािावनत करन का परयास कर रह ह िह वकसी एक हल

र धयान द रह ह या वफर री समसया र वकस परकार की तावकथ कता का परयोग कर रह ह

परररत अविगम कताथ सियि अ नी समझ का वनमाथण सियि करता ह सीखना एक रचनातमक परविया ह

इसम किल रौवतक र स हर-फर कर क ही ना सीखाया जाए बवलक मानवसक हर-फर री वकया जाए

इसक सार ही विदयारी अ न वशकषक और ककषा क अनय विदयावरथयो स री वकसी समसया क समपबनि म

विचार-विमशथ उनह ककषा की गवतविवियो म शावमल वकया जाना चावहए उनक विचारो को चनौती दनी

चावहए वजसस की उनक विचारो का मलयाङकन हो सकता ह और इस परकार िह एक षठ ोषण परापत

कर सकत ह का उ योग बचचो को सीखन म बहत उ योगी ह जो री हम सीखत ह उसम अनकरण

का बहत बड़ा योगदान होता ह और मवषटतषटक क विकास म री खल की महति णथ रवमका होती ह ऐस म

खल हर एक आय म अनकरण की ओर परररत करता ह इस हत हर एक आय म उनकी मानवसक योगयता

क अनसार खल की परकवत होनी चावहए एनसीएफ (2005 ) न यह स षट कर वदया रा वक विदयावरथयो

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की सीखन की विया म उनकी रागीदारी सीखन सिबििी सिोततम ररणाम ान की कि जी ह और

विदयावरथयो को वनमपनवलवखत अिसर वमलना चावहए

सीखत समय विचारो का योगदान दन का

अ न विचारो और अनरिो क बार म बोलन और चचाथ करन का

विदयालय म उनहोन जो सीखा उस अ न रोजमराथ क जीिन स जोड़न का

विदयावरथयो स बातचीत क दौरान वशकषक क र म रवमका यह ह की विषय-वबिद क ररचय का परबििन

करना (इसम वकनही री ररचयातमक परशनो को री शावमल वकया जा सकता ह) समहो का गठन करना

और उनकी वनगरानी करना तरा विदयावरथयो क विचारो को सारािश र दना सवमपमवलत वकया जा जा

सकता ह वशकषक की परकषक की रवमका सक उस विदयावरथयो की समझ और वचितन परविया की

जानकारी दन म सहायक होती ह रनत करी-करी हसतकष करना और विदयावरथयो को परररत करना री

आिशयक ह बात-बात म अवतररकत परशन छन स विदयावरथयो को बहतर ढिग स अ न विचारो को स षट

करन अ नी बात को विसतार दन और अ न तको को समझान म सहायक होती ह वकसी परकरण क

बार म वनमपनवलवखत परकार क पररक परशन विदयावरथयो को अविक वया क ढिग स और अविक गहराई स

सोचन क वलए षठरवम तयार करत ह और विदयावरथयो की वसखन म सहायता करत ह जस hellip स

तमपहारा कया तात यथ ह कया तम hellip क बार म विसतार स बता सकत हो कया तम िणथन कर सकत हो

वक तम hellip स सहमत कयो नही हो क बार म विसतार िथक बताओ इतयावदवशकषक की रवमका

का एक राग यह री ह वक अ न विदयावरथयो क सीखन का ऐसा िातािरण बनान की वदशा म कायथ कर

जहाि विदयारी नए तरीक आजमान तरा नए कौशल विकवसत करन क वलए परोतसावहत हो परररत छातरो स

ररी हई एक कलास को ढ़ाना एक वशकषक क वलए आनिददायक अनरि होता ह सार ही सार इस

कलासरम का माहौल छातरो को आकवषथत करता ह विदयावरथयो क सार बात चीतका तरीका ऐसा होना

चावहए की सार छातर का इितज़ार कर

विदयावरथयो को परररत करन शावमल करन एिि िाताथ करन हत कछ सझाि

विदयावरथयो क सतर क अनर चनौती रख और उनको समसया समािान करन हत सकारातमक

परवतस िाथ का अिसर द

विदयावरथयो को खद करक सीखन हत परररत कर

विदयावरथयो को विशवास वदलाएि वक आ उनकी रिाह करत ह और रदराि की रािना स र

विदयावरथयो को उनक जञान और समझ को उनक सरानीय ररिश क सार जोड़न का अिसर

परदान कर

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अ न वशकषण कायथ का परारमपर जिाब क सार नही कर कयवक सिालो का जिाब रिना बोररयत

ररा होता ह ऐसा करक आ विदयावरथयो की सीखन म रवच को बनाय रख सकत ह

विदयावरथयो को उनकी रवच स मल खात असाइनमि द वजसस की िो उसम रवच ल सक

विदयावरथयो को उनकी परगवत क समपबनि म बयवकतगत परवत वषट री द

वशकषण अविगम परविया म बचचो की रागीदारी सवनवशचत करन िाली रणनीवत अ नाएि और

विदयावरथयो को सिाल छन क वलए परोतसावहत कर

वकसी विषय की गहराई म उतरना विदयावरथयो म एक रवच का वनमाथण करता ह जो जयादा सरायी

होती ह इसस छातर आग री सीखन क वलए तत र रहग

विदयावरथयो म सिसर परवतयोवगता की रािना का विकास कर वजसस की िो अविक जञान का

अजथन करन क वलए परररत हो सक

विदयावरथयोको सामदावयक कायो म वहससा लन क वलए परररत कर वजसस की उनम

सामदावयक रािना और सामावजक गणो का विकास वकया जा सक

ाठयसामगरी को रोचक बनाकर वििावरथयो को वशकषा क परवत अवरपरररत वकया जा सकता ह

अत ाठय सामगरी या ाठय विषय िसत रोचक तरा विदयावरथयो की मानवसक योगयता एिि

मनोिवतत क अनकल होनी चावहए

ाठयसहगामी वियाओ ि को उवचत सरान वदया जाना चावहए ाठयसहगामी वियाए न किल

विदयावरथयोम ढ़ाइथ की रकान को कम करती ह बवलक उनम ढ़ाइथ म री वनषठा क सार

सिलगनता क वलए उतसाह री दा करती ह

सकल म वशकषा का सिसर िातािरण विदयावरथयोक वलए शवकषक अवरपररणा का कायथ करता ह

विजञान विषय की ढ़ाइथ ऐस ककष म हो वजसम विजञान विषय स ही सिबिवित सतक ि उ करण

आवद हो इसी परकार अनय विषयो क सार री होना चावहए

अभयास परशन

7 वशकषण की ारि ररक विवि अविक विदयारी कवनित री (सतय असतय)

8 एनसीएफ (2005 ) क अनसार विदयावरथयो की सीखन की विया म उनकी रागीदारी बढ़ान क

कौन कौन अिसर वमलन चावहए

55 मधयसरता अवधगम बचच क जनम स ही उसक सीखन की परवियाओ ि म ियसको क हसतकष होता ह ियसको क हसतकष

माधयम स ही िो मागथदशथन परापत कर अ न वयवकतति को आकार द ाता ह जो की निजात क जीिन म

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महति णथ ह बचच क विकास म य महति णथ लोग मधयसर क र म जाना जाता हबचच क जीिन क

वलए जो उ यकत होता ह िो उस चनकर वयिवसरत कर क जो उददी न परसतत करत ह ि वशश क

सिजञानातमक सामावजक और रािनातमक विकास म सहायक होता ह इन मधयसरो शरआती माता-

व ता र लवकन बाद म वशकषको हल परयासो म राग लत ह बचचो को उददी नो र परवतविया दनी

डती हि बचच की परवतविया को परररत करत ह और बतात ह वक परवतउततर या परवतविया कयो दसरो की

तलना म अविक उ योगी और पररािी ह इस तरह स यह स षट ह वक इन सारथक अित विया ियसको

और बचच क बीच होन िाली बातचीत बाद म िीर-िीर बचच क सिसार को आकार दन और उसक

रीतर अ नी जगह विसतत विविि सिदरो म समझन म सहयोग दती हसबस हल वशश न वसफथ अ न

माता-व ता राई-बहन और ररशतदारो क सार सीिा सि कथ म आता ह लवकन बाद म उनका सिदरथ

शवकषक िातािरण समदाय और ड़ोस सावरयो और दोसतो मीवडया और सिसकवत म विसताररत और

समदध होता ह यह िह जगह ह जहाि बचच अ न ररिार क अनरिो क बीच समपबनि सराव त करना

शर कर दत ह

मधयसरता अविगम वशकषक और वशकषारी क बीच सकषम सामावजक सि कथ ह जो विदयारी क सीखन क

अनरि म सिििथन करता ह इसका तात यथ ह की िातािरण म अनरि वकय हए उददी नो को मधयसरता

करन िाल वयवकत आमतौर र माता-व ता वशकषक राई या अनय वयवकत दवारा वकस परकार स समझाया

जाता हउस मधयसरता करन िाला वयवकत अ नी और वशकषारी की सिसकवत और रािनातमक वनिश

दवारा वनदवशत िातािरण का आयोजन करता ह वजस वशकषारी क उननत और पररािी कायथ क वलए एक

स षट इरादा और लकषयो क अनसार वयिवसरत हो मधयसर उददशयो क अनसार उददी नो का चयन करता ह

और वफर उनको फरम और वफलिर कर उसकी और अनसवचयाि बनाता ह और स षट लकषयो क अनसार

अविगम कताथ क परदशथन क वलए उनकी उ वसरवत या अन वसरवत होन की वयिसरा करता ह इस

परविया क माधयम स अविगम कताथ वयिहार िनथ जागरकता और रणनीवतयो को परापत करता ह

मधयसरता अविगम एक महति णथ घिक ह जो विरदक सिजञानातमक विकास को वनिाथररत करता ह और

सिरचनातमक सिजञानातमक र ानतरण को सवनवशचत करता ह मधयसरता मानि सि कथ क माधयम स होती ह

न वक मशीन या वकसी अनय वनजीि िसत जस सतक कि पयिर आवद स यह अविगम कताथ और उसक

िातािरण क बीच बातचीत की गणितता का परवतवनविति करता ह यह अित विया परतयक ीढ़ी क वलए

सिसकवत क अतीत ितथमान और रविषटय क आयामो को लगातार परवषत करक ीवढ़यो क वयिहार को

उवचत आकार दन क वलए सािसकवतक र स वनिाथररत आिशयकता दवारा वचवहनत वकया जाता ह

मधयसरता अविगम अनरि तब होता ह जब बचचो को ldquoकस वसखा जाएrdquo (मिाकोवगनशन) सीखन क

वलए वनदवशत वकया जाता ह वकसी अविक अनरि और जञान िाल वयवकत क दवारा यह विरवदत वनदश

क समान ह तरा िाइगोतसकी क समी सरसिरावित विकास क कषतर क वसदधाित र आिाररत ह

मधयसरता अविगम अनरि क महति णथ तति

सरी आय समहो क वलए परयोग होता ह

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बाहरी वसरवतयोकारको की बजाय वशकषारी क वयवकतगत वसरवत र वनरथर करती ह

सिजञानातमक विकास और सिरचनातमक सिजञानातमक ररितथनीयतार ाितरण क परवत सििदनशील

सिरवचत वशकषण जो वशकषावरथयो को िसतओ ि ररवसरवतयो और घिनाओ ि की परतयकष और मतथ

उ वसरवत म सोचन की अनमवत दता ह

मधयसरता अविगम अनरि क मा दणड मधयसरता अविगम अनरि क कछ मा दणड ह वजनम स कछ

सािथरौवमक ह और कछ वसरवतजनय ह मा दिडो का वििरण वनमपनवलवखत ह

यवनिसथल रामीिरसािथरौवमक मा दणड

i इििशनवलिी आशय ारस ररकता ारस ररकता सरी मा दिडो म सबस अविक

आिशयक होती ह यह बचच और मधयसर (अविक कशल वयवकत) क बीच एक उततरदायी

सिबिि की सरा ना ह इसक वलए बचच और मधयसर अ न सिसकवतयो मलयो विचारो

रािनाओ ि और अ कषाओ ि को एकीकत करक साझा करत ह

ii उतकषटता यह एक विशष गवतविवि म बचच कया सीख रह ह उसस र समझन का विसतार

ह उतकषटता क माधयम स बचचो अ नी खद की सीखन की रणनीवत बनान म सविय हो

जात ह कस सीख की परविया र अविक ज़ोर रहता ह बजाय अविगम क उत ाद र

कमजोर वदया जाता ह उतकषटता एक वसरवत स दसर म जञान और रणनीवतयो को वबरवजिग या

सरानाितररत करन का एक र ह जस बचचो को कस और कयो ि चीज (सीखन की परविया

र धयान क वित) करग क बार म छ उनह बताए नही

iii अरथ की मधयसरता यह सीखन क अनरि की वयवकतगत परासिवगकता ह मधयसर सवनवशचत

करता ह वक बचचो को गवतविवियो क अरथ (रवच महति और उ योवगता) क विकास म

वहससा ल रह ह ह जस सीखन की गवतविवियो म वयवकतगत रवच महति और खशी साझा

करना अ न विशवासो मलयो सिदो ना सिवदयो और दवनया क बार म अ न विचार साझा

करना और यह सवनवशचत करना वक आ बचच क विचारो को सनत ह बचचो की जररतो

और रवचयो स वमलान करन क वलए गवतविवियो की कवठनाई को समायोवजत करनाइतयावद

वसरवतजनय या नबवलत मा दणड

a कषमता की रािना का मधयसरता

b विवनयमन और वयिहार क वनयितरण का मधयसरता

c वयिहार साझा करन का मधयसरता

d वयवकतगत और मनोिजञावनक वरननता का मधयसरता

e लकषय की मािग गोल सवििग लकषय को परापत करन और लकषय वनगरानी वयिहार की

मधयसरता

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f चनौती का मधयसरता - निीनता और जविलता की खोज

g एक बदलती हई सिसरा क र म इिसान की जागरकता का मधयसरता

h आशािादी विकल ो क वलए खोज का मधयसरता

i सिबिवित की रािना का मधयसरता

अभयास परशन

9 मधयसरता अविगम स आ कया समझत ह

10 मधयसरता अविगम अनरि क सािथरौवमक मा दणड क नाम वलवखए

56 ववजञान वशकषक की रवमका विजञान अ न आस ास क सिसार को जानन और समझन क परयास की एक शली ह वििा ह जो की

विचार अिलोकन अधययन और परयोग को माधयम बनती ह विजञान जञान की िह शाखा ह जो तथय

वसदधानत और परयोग और ररकल ना स सराव त और वयिवसरत होती ह यह एक उ िम ह वजसम जञान

सामानय सतर स कवठन की ओर ि सकषम स सरल की ओर चलता ह पररािी विजञान वशकषण वलए जररी

ह वक इस मनषटय क दवनक जीिन स ि सार ही उसक चारो ओर क याथिरण स जोड़ा कर बताया जाए

विजञान वशकषक क वलए आिशयक ह की िो विजञान की विवरनन परवियाओ ि को बतान बच चो म रवच

जागत करन ि इस बनाए रखन क वलए विजञान को वशकषारी क दवनक जीिन स जोड़ विदयावरथयो म

खोज की परिवत विकवसत करन ि उनक अविगम परविया म बनाय रखन क वलए यह आिशयक ह

विजञान वशकषक की यह वजमपमदारी ह की परतयक बचच को अ न रोज क अनरिो को जािचन और उनका

विशलषण करन म सकषम बनाएि विजञान वशकषक का दावयति ह की िह वशकषावरथयो गहन वचन तन

िजञावनक रझान सिकल ना और तथय सियि जाच कर एिि वफर विशवास कर की कषमता का विकास कर एिि

विषय एिि वयािहाररक जञान क मधय अन तर को कम करन एिि सोच ि अनरि को जोड़न हत परयास

करविजञान क विवरनन िजञावनक विषय-वबिदओ ि म कछ अविक सििदनशील विषय-वबिद री शावमल ह

परायः विदयावरथयो स वशकषक की अ कषा रहती ह वक ि िजञावनक विचारो और परमाणो को सिीकार कर ल

रनत उनह इस बात र विचार करन का अिसर की आिशयकता होती ह की यह सतय ह या नही सतय ह

तो वकस परकार स सतय ह ककषा म चचाथ एिि परयोगो का उ योग करत हए विदयारी स सिबिवित परमाणो र

विचार करन की आिशयकता होती ह उनह अ न विचारो को रखत हए अ न दवषटकोण का औवचतय वसदध

करन का याथपत अिसर परदान करना वशकषक की महती वजमपमदारी ह ऐसा करन स उनह अ ना िसतवनषठ

वचितन कौशल विकवसत करन म अिसर परापत होता ह मानि समाज क सिािग विकास क सिदरथ म यवद

वशकषक की रवमका का विशलषण कर तो वशकषण कोई वसरर वयिसाय नही ह बवलक यह गतयातमक

परविया ह वजसम परौदयोवगकी िवशवक अरथशासतर क दबािो और सामावजक दबािो स पररावित होकर

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बदलता रहता ह इन ररितथनो को सिबोवित करन क वलए अधया न क तरीको और कौशलो का लगातार

अदयतन और विकास आिशयक ह वशकषको का बदलाि की कषमता स यकत होना अवनिाथय ह आज क

वशकषा यग म विदयारी अ न जञान का सजन सियि कर इस अििारणा को बल वदया जा रहा ह अधया क

की रवमका एक सगमकताथ क र म बदलत हए वदख रही ह और विदयारी जञान को अ न तरीक स गढ़न

लग ह सीखन-वसखान की परविया म वनरन तरता सजन करन क मौक समसया आन र वनदानातमक

कदम ि कछ उ चारातमक विविया वनवहत ह परतयक विदयारी म कछ न कछ विशष गण अिशय होत ह

आिशयकता होती ह की एक कशल वशकषक उनको हचान और विकवसत कर वजसस की विदयावरथयो म

जञानातमक रािातमक मनोगतयातमक और वियातमक कष आवद वमलकर विदयावरथयो क समप णथ

वयवकतति को उजागर कर विजञान वशकषक क कछ परमख दावयति वनमपनित ह

वशकषक को इस बात का सदि धयान रखना चावहए की परतयक अविगम कताथ अ न आ म

अ िथ और अवदवतीय ह और सरी बचच सीख सकत ह और बचचो म बहत साडी

विवििताएि होती ह तरा इन विवििताओ ि को सिीकार करन क सार ही समपमान री वकया

जाना चावहए

वशकषक को सदि िाथगरहो स बचना चावहए इसम बचचो क बार म िाथगरहो का सिाल री

सामन आता ह अगर हम बचच विशष बार म कोई राय बना लत ह तो ऐसी सोच का असर

हमार वशकषण गणितता को पररावित करता ह वशकषक म वकसी री बचच को िसा ही

सिीकार करन की कषमता होनी चावहए तब ही िह उसक उननयन और सिििथन क वलए कायथ

कर सकता ह

एक वशकषक बचचो क ठन कौशन समझ वनमाथण ि जीिन क परवत एक वया क दवषटकोण म

वनमाथण म महती रवमका का वनिथहन करता ह इसक वलए आिशयक ह की वशकषक री

वनरितर अधियनशील रह लोगो स सििाद सराव त कर वशकषा कषतर म होन िाल रािी

बदलाि को समझन रख तावक िह समय क सार क़दम स कदम वमला कर रािी नागररको

क वनमाथण का काम जयादा वजमपमदारी और सवियता क सार कर सक

विदयावरथयो म अिलोकन की कषमता एिि गहन वचन तन की कषमता को बढ़ान क अिसर

सवजत करना

विदयावरथयो का विवरनन विषयो एिि घिनाओ ि क मधय अन तर समप बन ि को समझन म सहयोग

करना ह तरा विषय िसत को उसकी षठरवम क सार परसतत करना

विदयावरथयो को उनक चारो ओर घि रही सामानय घिनाओ ि क ीछ विजञान छ विजञान क

परवत वचितन हत परररत करना और परररत करना विजञान की समझ हम कारणो को जानन का

अिसर दती ह

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विदयावरथयो को विया करक समझन क सबस अविक अिसर परदान करना वजसस की ि

कायथ करन एिि परयोग करन हत परररत हो सक

विजञान िथ म वनवहत जञान ि जानकारी र परशन उठान की परिवत को बढ़ािा दता ह अराथत

विदयारी सचनाओ ि को जस क तस मान लन क बजाय उस र परशन करक णथ जानकारी परापत

करन ि इसक बाद सिीकार कर

विदयावरथयो को इस बात क वलए परवशवकषत करना की जञान ही काफी नही जञान वनमाथण एिि

जञान वनमाथण की परविया री उतनी ही आिशयक ह वजतना विषय की समझ

परदशथवनयो सिगोवषटयो लोकवपरय वयाखयानो विजञान वशविरो और अनय विविि कायथिमो क

आयोजन करना

वशकषण म सवियता को अविक महति वदया जाना चावहए करक सीखन क वलए विदयावरथयो

को परररत करना अत सविय विवि क अितगथत विविि विवियो को सवमपमवलत वकया जाना

चावहए जस जस- शोिविवि (हयररवसिक) योजना (परोजकि) विवि इतयावद

सीखन की सहयोगातमक परविया जहा वशकषक अनय वशकषको क सार वमलकर तलना

करक अभयास को साझा और योजनाएि विकवसत करक सीखत ह का उ योग वकया जाना

चावहए

वशकषक का कायथ मातर ाठय- सतक या ाठयिम म वदए गए तथयो को विदयारी तक हचाना

नही ह बवलक वशकषक का दावयति ह की िो विदयावरथयो म विवरनन गणो की हचान करना ि

इनकी िवदध हत काम करना कयवक सरी बच चो म कोई न कोई विवशषट गण मौजद होता ह यवद

वशकषक सतक म वदए गए तथयो तक सीवमत रहगा तो विदयावरथयो म वछ विवरनन कौशलो की

परगवत नही हो ाएगी रनत यवद एक वशकषक सतक म वदए तथयो क ीछ क कारण ि

उ योवगता को खोजन की लालसा विदयावरथयो म विकवसत करता ह तो यह जञान क सजन ि

िवदध की ओर एक परमख ि महति णथ चरण होगा यही अनिरत परयास सामानय जानकारी स

कही आग बढ़कर सोचन की पररणा म तबदील होत ह

अभयास परशन

11 विजञान अ न आस ास क सिसार को जानन और समझन क परयास की एक शली ह

(सतयअसतय)

12 वशकषक का कायथ ाठय- सतक या ाठयिम म वदए गए तथयो को विदयारी तक हचाना नही ह

(सतयअसतय)

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57 सारााश इस इकाई क परारमपर म हमन व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ को जाना व याज क

अनसार विकास की परविया म अविगमकताथ की बौवदधक सिरचना म ररितथन होता ह और यह जीि की

सिरचना और िातािरण की सिरचना क आ स म परवतविया क फलसिर होता ह िाइगोतसकी क

अनसार बचच का सिजञानातमक विकास म उसक सािसकवतक सिबनि क बीच सििाद का महतति णथ सरान

ह िाइगोतसकी री सिरचनािादी र तरा यह मानत र वक बचच जञान का वनमाथण करत ह वकनत इनक

अनसार सिजञानातमक विकास म राषा क सार-सार सामावजक-सािसकवतक सिदरथ री महति णथ रवमका

वनराता ह यह मानत ह वक राषा सिजञानातमक विकास का महतति णथ उ करण ह तरा परारमपर स ही

बचच अ न कायो क वनयोजन एिि समसया समािान म राषा परयोग करन लग जात ह व याज क

वसदधाित क वरनन िाइगोतसकी मानत ह की अविगम ि विकास सािसकवतक ि सामावजक िातािरण की

मधयसरता का परवतफल ह

ारि ररक वशकषा परणाली म विषय िसत क तथयो और परवियाओ ि क रिन र ज़ोर दत हए रवढ़िादी

तरीको का परयोग वकया जाता रा वजसम वशकषावरथयो की वशकषण-अविगम परविया म सहरावगता नही क

बराबर री रनत ितथमान विदयारी कवनित वशकषा म विदयारी को यह अिसर वमलना चावहए की िह अ न

वशकषक और ककषा क अनय विदयावरथयो स री वकसी समसया क समपबनि म विचार-विमशथ उनह ककषा की

गवतविवियो म शावमल वकया जाना चावहए उनक विचारो को चनौती द

मधयसरता अविगम वशकषक और वशकषारी क बीच सकषम सामावजक सि कथ ह जो विदयारी

क सीखन क अनरि म सिििथन करता ह इसका तात यथ ह की िातािरण म अनरि वकय हए उददी नो

को मधयसरता करन िाल वयवकत आमतौर र माता-व ता वशकषक राई या अनय वयवकत दवारा वकस

परकार स समझाया जाता हउस मधयसरता करन िाला वयवकत अ नी और वशकषारी की सिसकवत और

रािनातमक वनिश दवारा वनदवशत िातािरण का आयोजन करता ह वजस वशकषारी क उननत और पररािी

कायथ क वलए एक स षट इरादा और लकषयो क अनसार वयिवसरत हो

विजञान वशकषक का दावयति ह की िह वशकषावरथयो गहन वचन तन िजञावनक रझान सिकल ना और तथय

सियि जाच कर एिि वफर विशवास कर की कषमता का विकास कर एिि विषय एिि वयािहाररक जञान क मधय

अन तर को कम करन एिि सोच ि अनरि को जोड़न हत परयास करविजञान क विवरनन िजञावनक विषय-

वबिदओ ि म कछ अविक सििदनशील विषय-वबिद री शावमल ह सीखन-वसखान की परविया म

वनरन तरता सजन करन क मौक समसया आन र वनदानातमक कदम ि कछ उ चारातमक विविया वनवहत

ह परतयक विदयारी म कछ न कछ विशष गण अिशय होत ह आिशयकता होती ह की एक कशल वशकषक

उनको हचान और विकवसत कर वजसस की विदयावरथयो म जञानातमक रािातमक मनोगतयातमक और

वियातमक कष आवद वमलकर विदयावरथयो क समप णथ वयवकतति को उजागर कर

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 85

5 9 अभयास परशनो क उततर 1 सतय

2 असतय

3 व याज क सिजञानातमक विकास की चार सिकल नाएि ह- अनकलन (adaptation)

आतमसातकरण (assimilation) समिजनसामिजसय (accomodation) और समतलयन

(equilibration)

4 असतय

5 मचान ढािचा वनमाथण (scaffolding) स तात यथ ह वक अविगम कताथ को ियसक या

अविक सकषम सारी दवारा परदान की गई सहायता

6 विकास का कषतर उस अितर को बताता ह जो की बचच क वबना वकसी सहायता क समप ावदत

कायथ तरा वकसी बड़ या अविक कशल सारी की सहायता स समप ावदत कायथ म होता ह

7 असतय

8 एनसीएफ (2005 ) क अनसार विदयावरथयो की सीखन की विया म उनकी रागीदारी सीखन

सिबििी सिोततम ररणाम ान हत विदयावरथयो को वनमपनवलवखत अिसर वमलना चावहए

सीखत समय विचारो का योगदान दन का

अ न विचारो और अनरिो क बार म बोलन और चचाथ करन का

विदयालय म उनहोन जो सीखा उस अ न रोजमराथ क जीिन स जोड़न का

9 मधयसरता अविगम वशकषक और वशकषारी क बीच सकषम सामावजक सि कथ ह जो विदयारी क

सीखन क अनरि म सिििथन करता ह इसका तात यथ ह की िातािरण म अनरि वकय हए

उददी नो को मधयसरता करन िाल वयवकत आमतौर र माता-व ता वशकषक राई या अनय

वयवकत दवारा वकस परकार स समझाया जाता ह

10 मधयसरता अविगम अनरि क सािथरौवमक मा दणड क नाम ह - इििशनवलिी

ारस ररकता उतकषटता और अरथ की मधयसरता

11 सतय

12 असतय

5 10 वनबनधनातमक परशन 1 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ का विशलषण कीवजए

2 व याज और िाइगोतसकी की सिजञानातमक विकास क वसदधाितो की वयाखया कीवजए

3 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अितर बताइए

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 86

4 अविगमकताथ को अविगम म परररत करन और शावमल करन क महति का िणथन कीवजए

5 मधयसरता अविगम क सिपरतयय को अ न शबदो म बयकत कीवजए

6 विजञान वशकषक की रवमका का विशलषण कीवजए

7 मधयसरता अविगम क सिपरतयय का अ न वशकषण कायथ म अनपरयोग की चचाथ कीवजए

5 11 सादरथ गरनर सची 1 ाणडय कल लता amp शरीिासति एस एस (2007) वशकषा मनोविजञान रारतीय और ाशचातय

दवषट नयी वदलली िािा मकगरा-वहल वबलवशिग कि नी वलवमिड

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 87

खणड 2

Block 2

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 88

इकाई 1 - भारिीय सकलो म विजञान - पाठयचया

11 परस तािना

12 उददश य

13 ाठयचयाथ और ाठयिम

131 ाठयचयाथ की र रखा

132 ाठयिम

14 ाठयचयाथ वनमाथण उ ागम म आय बदलाि

141 वयिहारिादी उ ागम

142 रचनातमक उ ागम

15 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा म विजञान - ाठयचयाथ

151 विवरनन ाठयचयाथ की र रखाओि म विजञान - ाठयचयाथ का सार

152 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा 2005 की वसफाररश

1521 विजञान ाठयचयाथ क उददशय

1522 विवरनन सतरो र विजञान की ाठयचयाथ

16 ाठयचयाथ विकास म वशकषक की रवमका

17 सारािश

18 शब दािली

19 अभ यास परश नो क उत तर

110 सिदरथ गरिर सची 111 वनबििात मक परशन

11 परस तावना व छली इकाईयो म आ न विजञान विषय की परकवत क बार म ढ़ा और जाना वक िजञावनक जञान ि

िजञावनक दधवत का अरथ कया ह आ न जाना वक विजञान क वनयमो को करी री अिवतम सच क र म

सिीकार नही वकया जाता और नय अनरिो तरा परयोगो क फलसिर िजञावनक जञान की सिरचना म

बदलाि आत रहत ह यह री समझा वक विजञान एक सामावजक ररघिना ह तो वफर हमार सकलो म

विजञान विषय को कयो इसक वि रीत एक सरायी जञान क र म रोसा जाता ह जो वक एक अिवतम सतय

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की तरह माना जाय सही मायनो म तो विजञान का ठन- ाठन विजञान की परकवत क अनर ही होना

चावहय हमार दश म सकली सतर र सकली ाठयचयाथ की र रखा को राषटरीय सतर र तयार वकया जाता

ह सिथपररम 1975म आयी ाठयचयाथ की र रखा स लकर 2005 की ाठयचयाथ तक क तीस सालो क

सफ़र म काफ़ी बदलाि आय ह इस इकाई म आ ढ़ग वक रारत म अब तक की राषटरीय सतर र

ाठयचयाथ की र रखाओ ि म कया परमख सरोकार रह ह और उनम विजञान ाठयचयाथ क सिदरथ म कया-कया

परसतावित वकया गया आ जानग वक ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा क अनसार विजञान

ाठयचयाथ क मखय तति कया ह और इसम विजञान वशकषण को लकर कया वसफ़ाररश की ह

12 उददश य इस इकाई क अधययन क शचात आ -

1 ldquo ाठयचयाथrdquo क अरथ को रररावषत कर सक ग

2 ाठयचयाथ एिि ाठयिम म अितर स षट कर सक ग

3 ाठयचयाथ की र रखा क आिाररत ततिो का िणथन कर सक ग

4 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखाओ ि क वनमाथण म आय विवरनन बदलािो की वयाखया कर सक ग

5 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखाओ ि म विजञान ाठयचयाथ क सिदरथ म की गयी वसफररशो का

विशलषण कर सक ग

6 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा 2005 क अनसार विवरनन सकली सतरो र विजञान ाठयचयाथ की

विशषताओ ि का िणथन कर सक ग

7 ाठयचयाथ विकास म वशकषक की रवमका र विचार कर सक ग

13 पाठयचया और पाठयिम कछ लोग मानत ह वक ाठयचयाथ का अरथ ह एक ककषा क बाहर और रीतर हीन िाली अनक

गवतविविया वजसम विदयारी कछ न कछ अनरि परापत करत ह वकनत दसरी ओर कछ जगहो र इसको

किल ककषा म ढाय जान िाल विषयो की सची क र म ही दखा जाता ह अकसर लोग ाठयिम

और ाठयचयाथ को याथयिाची शबदो की तरह इसतमाल करत ह जबवक ाठयचयाथ एक वया क योजना

ह वजसम ाठयिम री एक महति णथ अियि क र म शावमल होता ह 1975 की ाठयचयाथ

सवमवत न ाठयचयाथ शबद का अरथ वदया रा वक ldquoसोच समझ र म शवकषक अनरिो क वनयोवजत

समचचयो का समप णथ योग ाठयचयाथ ह जो बचचो को विदयालय दवारा वदए जात हrdquo इस तरह

ाठयचयाथ का समपबनि वनमपनवलवखत ततिो स अिशय होता ह-

ककषा म वशकषा क सामानय उददशयो स

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विषय आिाररत वनदशातमक उददशय एिि विषयिसत स

अधययन क कोसथ एिि समय वनिाथरण स

वशकषण - अविगम अनरिो स

वनदशातमक सािनो तरा सामवगरयो स

अविगम आगमो क मलयािकन तरा विदयावरथयो वशकषको और अवररािको की परवत वषट स

हालािवक ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा म ाठयचयाथ को वजस परकार रररावषत वकया गया ह

िह ह -

पाठयियाा चनयोचजत गचतचवचधयो का समह हो सकती ह जो चवचिषट िचिक उददशयो को चियाचनवत करन

क चलए चिज़ाइन की गयी ह चजसम महतवपणा अवयव जस चवषयवसत क सनदभा म कया पढ़ाया जाय और

कसा जञान किलताए वयवहार चदए जाए यह सब िाचमल ह

तो यह स षट ह वक ाठयचयाथ एक परकार की योजना ह जो सकली वशकषा सिबििी वनणथय लन क वलए

सिकल नातमक र स सिरवचत की जाती ह और इस परकार इस ाठयिम या ाठय सतको तक सीवमत

नही वकया जा सकता आइय दख वक राषटरीय शवकषक अनसििान और परवशकषण ररषद क दवारा

ाठयचयाथ की र रखा को कस समझाया गया ह

131 पाियचयाय की रपरखा

ाठयचयाथ की र रखा एक ऐसी योजना ह जो वयवकत और समाज दोनो क वलए शवकषक लकषयो की

वयाखया कर वजसस यह समझ बन वक सकलो म बचचो को वकस परकार क अविगम क अनरि वदए जाएि

(राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा 2005) नीच वदखाए गए वचतर म ाठयचयाथ की र रखा क गराफीय

वनर ण स ाठयचयाथ ाठयिम ाठय सतको तरा अनय सामगरी और ककषायी दधवतयो क रस र

समपबनि को समझा जा सकता ह (सिदरथ ाठयचयाथ ाठयिम ाठय सतक - राषटरीय फोकस समह षठ

18)

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ऊ र वदए गए रखावचतर म ाठयचयाथ की र रखा क तीन सतर स षट ह-

1 ाठयचयाथ की नीि

2 ाठयचयाथ कवनिक

3 ाठयचयाथ का वििरण

जवहर ह वक इसक हल सतर र विवरनन ररपरकषयो को रखा गया ह जो वक ाठयचयाथ की नीि होत ह

इन दाशथवनक सामावजक एिि मनोिजञावनक ररपरकषयो क आिार र वशकषा क लकषय और अनय वसदधानत

वनिाथररत वकय जात ह वजनह ाठयचयाथ क कवनिक िाल सतर र वदखाया गया ह तीसर सतर र

ाठयचयाथ का वििरण आता ह वजसम ाठयिम ाठय सतक शवकषक गवतविवियाि और मलयािकन की

योजना शावमल ह

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राषटरीीय पाियचयाय की रपरखा (एन सी एफ)- 2005 क अनसार एक ाठयचयाथ की र रखा ऐसी

हो जो-

सकलो को अविक सिायततता दन की िकालत करती ह

वशकषको को मननशील कायथकताथ बनन म मदद करती ह जो अ न अनरिो स सीख सक

समझ क सीखन एिि अविगम क वलय सीखन र बल दती ह

बचचो को रोज़मराथ की वज़िदगी क अनरिो क आिार र अ नी समझ विकवसत करन म

सहायता करती ह

विदयालय एिम वशकषको दवारा विदयालयी वयिसरा को एक सवचत वनणथय लन क वलय इसतमाल

करन र ज़ोर दती ह

इनही विचारो का अनसरण करत हय रारत की ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ क मागथदशथक वसदधाित

वनमपनवलवखत ह-

जञान को सकल क बाहर क जीिन स जोड़ना

यह सवनवशचत करना वक ढ़ाई रिित परणाली स मकत हो

ाठयचयाथ का इस परकार सिििथन करना वक िह बचचो को चहमखी विकास क अिसर उ लबि

कराय ना वक ाठय सतक ndash क वित बन कर रह जाय

रीकषा को अ कषाकत अविक लचीला बनाना और ककषा की गवतविवियो स जोड़ना

एक ऐसी अविरािी हचान विकवसत करना वजसम परजातािवतरक राजय- वयिसरा क अितगथत

राषटरीय वचिताय समावहत हो

उ यथकत वसदधाितो र आिाररत एन सी एफ 2005 न रारतीय सकलो की ाठयचयाथ क वलय एक ढािचा

तयार वकया ह और दश रर क सकलो को इनही का अनसरण करना अवनिायथ ह सकलो को यह

अविकार ह वक ि इस र रखा क अनसार अ नी ाठयचयाथ तयार कर कयोवक एन सी एफ किल

वदशा वनिाथररत करता ह वजनक अनसरण करत हए सकलो को अ ना विसतत ाठयिम सियम ही

वनिाथररत करना होता ह आन िाल खिडो म आ यह री ढ़ग वक एन सी एफ 2005 म विजञान की

ाठयचयाथ क वलय कया वनदश वदय ह

132 पाियिम

राषटरीीय पाियचयाय की रपरखा- 2005 क अनसार ाठयिम यह बताता ह वक विषयिसत क वहसाब

स कया ढ़ाया जाय और सतर विवशषट उददशयो क मददनज़र वकस तरह क जञान कौशल और अवरिवततयो

को ख़ास बढ़ािा वमल विदयालयी ाठयचयाथ को ज़यादातर विवरनन विषयो म वयिवसरत वकया जाता ह

वजसका मखय आिार ारमप ररक विषयी जञान ह इनक अलािा राषटर क सामानय शवकषक उददशयो

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सामावजक एिम सािसकवतक ररवसरवतयो तरा राषटरीय सतर र उररती चनौवतयो तरा ज़ररतो को री

धयान म रखा जाता ह

हमार दश म सकली वशकषा क विवरनन सतरो र ढाय जान िाल विषयो क वलए आदशथ ाठयिम राषटरीय

शवकषक अनसििान और परवशकषण ररषद (एन सी ई आर िी) क दवारा तयार वकया जाता ह इसक

अलािा राजय री अ न सतर र राषटरीय ाठयचयाथ क आिार र ाठयिम तयार करत ह या वफर यवद

चाह तो एन सी ई आर िी क ाठयिम को ही लाग कर सकत ह सन 2005 म एन सी ई आर िी

दवारा तयार वकय गय सकली ाठयिम क आिार वनमपनवलवखत ह-

उददशयो स सहमवत एिि लकषयो का वनदशन

अविगम की राषटरीय अ कषाओ ि स सहमवत

विषय की परकवत को समझन म जञान मीमािसीय परारवमकता

परतययातमक समपबदधता ndash परारवमकता िम

जािच ड़ताल की कायथपरणाली एिि परामावणकता की परवियाएि- विषय कषतर का ाठन एिि सिगठन

जीिन स समपबनिो और विषयो क बीच अितसथमपबिि

मनोिजञावनक उ यकतता

आग क अविगम म उ योगी ndash वया क सिबिि

सरानीय जीिन एिि बाकी सनसार स जड़ाि

कल ना क विकास म समपरि योगदान

इन उ यथकत शतो क आिार र तयार ाठयिम ितथमान सकली ाठयचयाथ क विवरनन आयामो को सितषट

करती ह राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा क अनसार विषयिसत क चयन की कसौविया राषटरीय सतर र

रररावषत होनी चावहय सिरचना राजय वजला सतर र और वयवकतगत िसत का चयन वजला विदयालय

ककषा क सतर र होना चावहय

अभयास परशन

1 एक ाठयचयाथ की र रखा क क विक कया-कया होत ह

2 ाठयिम और ाठयचयाथ म कया मखय अनतर होता ह

14 पाठयचया वनमाण उपागम म आए बदिाव जसा वक हमन हल री कहा रा वक हमार दश म राषटरीय सतर र ाठयचयाथ का विकास करन का कायथ

राषटरीीय ितकषक अनसिान और परतिकषण पररषद ( एन सी ई आर िी ) दवारा वकया जाता ह

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सिथपररम सन 1975 म राषटरीय ाठयचयाथ परसतावित की गयी री जो वक 1968 की वशकषा नीवत की

वसफाररशो र आिाररत री रारत की वशकषा नीवत म बदलाि आए तो उसक शचात आयी ाठयचयाथओ ि

क मखय सरोकारो म री कछ ना कछ बदलाि आत रह रारत म अरी तक वजतनी राषटरीय ाठयचयाथ

की र रखाओ ि (एन सी एफ) का वनमाथण हआ ह उनक मखय सरोकार वनमपनवलवखत तावलका म वदय

गय ह-

एनसीएफ आिार मखय सरोकार

एन सी एफ ndash

1975

1968 की वशकषा

नीवत र आिाररत

राषटरीय विकास की आिशयकताओ ि क अनर

वशकषा र बल वशकषा को राषटर क जीिन

आिशयकताओ ि और आकािकषाओ ि स समपबदध

करना

एन सी एफ ndash

1988

1986 की वशकषा

नीवत र आिाररत

सकली ाठयचयाथ क मल म एक सिथमानय तति

(कॉमन कोर) की वसफाररश वशकषा को राषटरीय

एकता का माधयम बनाना परासिवगकता

लचील न और गणितता क ततिो र ज़ोर

एन सी एफ ndash

2000

एन सी एफ ndash 1988

का सिशोवित र

गणितता णथ वशकषा र बल ाठयिम क बोझ

को कम करना नयनतम अविगम सतरो (एम

एल एल) को दकषताओ ि क र म रररावषत

करना मलय वशकषा सचना एिि सिचार परोदयोवगकी

क इसतमाल की वसफाररश

एन सी एफ ndash

2005

एन सी एफ ndash2000

का सिशोवित र

बाल क वित वशकषा र बल जञान को सकल क

बाहर क जीिन स जोड़ना समािशी माहौल

सवनवशचत करना वििचनातमक वशकषा र बल

जञान सजन क वलय अधया न रीकषा को

लचीला बनाना

तावलका स यह तो स षट ह वक ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ 1988 की राषटरीय वशकषा नीवत तरा 199२ क

परोगराम ऑफ एकशन र आिाररत एनसीएफ का ही सिशोवित र ह एनसीएफ 1988 स 2005 तक

क सफर म सबस ज़यादा बदलाि आया ह ाठयचयाथ विकास क उ ागम म 2005 स हल की सकली

ाठयचयाथ अविगम क वयिहारिादी दवषटकोण र आिाररत री जबवक एनसी एफ 2005 न अविगम

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क रचनातमक दवषटकोण को ाठयचयाथ का आिार बनाया ह और बाल-क वित वशकषा र बल वदया ह

आइय दखत ह वक वयिहारिादी तरा रचनातमक उ ागम आिाररत ाठयचयाथ म कया अनतर ह

141 वयिहारिादी उपागम

वयिहारिादी दवषटकोण क अनसार lsquoअविगमrsquo को वयिहार म ररितथन होना समझा जाता ह आ न

वयिहारिादी मनोिजञावनको क बार म तो अिशय ढ़ा होगा जस वसकनर ािलि आवद उनक दवारा

परवत ावदत अविगम का वयिहारिादी उ ागम कछ मखय सिकल नाओ ि र आिाररत ह जस वक-

अविगम सदि अविगमकताथ क वयिहार म ररितथन लाता ह जो उसक वकय गय कायो म

ररलवकषत होता ह

लगातार अभयास स असली योगयता को हावसल वकया जा सकता ह कयोवक अभयास क दवारा

उददी न ि अनविया क बीच का समपबिि और सदढ़ होता जाता ह

इसक तहत एक विशष परकार क उददी क स सितः ही एक विवशषट अनविया उत नन होती ह

वजस अनबिवित अनविया कहा जाता ह

उवचत परवत वषटपरबलन क दवारा अविगम को पररावित वकया जा सकता ह और अनबिवित

अनविया को सवनवशचत वकया जा सकता ह जबवक परबलन क अराि म अनविया समय क

सार विलो री हो सकती ह

जविल स जविल कायथ को छोि छोि सरल चरणो म तोड़ा जा सकता ह तरा एक चरण स दसर

चरण तक अभयास क दवारा हच कर उस जविल कायथ म दकषता ायी जा सकती ह अतः

अविगमकताथ क दवारा वकसी जविल कायथ क दौरान गरहण की गयी कशलता उस कायथ क अितगथत

विवरनन चरणो म हावसल वकय गय अ वकषत अविगम ररणामो का कल योग होती ह

अविगम क वयिहारिादी वसदधाितो क अनर वशकषण म विदयावरथयो को यह बताया जाता ह वक उनको

कया सीखना ह और उसक वलय उ यकत अभयास दशाए परदान की जाती ह जञान को एक बन-बनाए

वलिद क र म दखा जाता ह वजस विदयावरथयो को अविगम क दवारा गरहण करना होता ह और इसक

फलसिर उनक वयिहार म कछ ररितथनो का आना अ वकषत होता ह वयहिारिादी ाठयचयाथ का

वनमाथण करन िाल और उसक वियानियन करन िाल वशकषको क दवारा शवकषक उददशय री वयिहाररक

ररितथनो क र म वनिाथररत वकय जात ह विदयावरथयो दवारा सचनाओ ि क सिकलन तरा अजथन उनक

अरथ सीखन एिि सही अनविया को सीखन म सविय रागीदारी सवनवशचत की जाती ह ककषा म विदयावरथयो

को खब अभयास कराया जाता ह तावक ि ठन सामगरी को दकषता स गरहण कर सक

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रारत म री िथ राषटरीय ाठयचयाथ एन सी एफ 2005 एक lsquoयोगयता-आिाररत ाठयचयाथrsquo

(competency-based curriculum) ही री जो इसी वयहिारिादी उ ागम र आिाररत री इसी क

चलत एन सी एफ 2005 म नयनतम अविगम सतरो (Minimum Levels of Learning) की बात की

गयी री वजसक तहत सरी विषयो क ाठयिम को विदयावरथयो दवारा हावसल वकय जान िाल कछ नयनतम

अविगम सतरो क र म रररावषत वकया वकया गया रा अविक जानकारी क वलय आ एमएलएल

(MLL) दसतािज ढ़ सकत ह

एक वयिहारिादी ाठयचयाथ म विदयावरथयो क वयवकतगत अनरिो सिजञानातमक परिवततयो एिि उनक सिदरथ

स कोई सरोकार नही होता ना तो वशकषको को ाठयचयाथ र परशन करनका हक़ होता ह और ना ही

विदयारी ककषा म कोई सिाल कर सकता ह सरी को ाठयिम और ाठय सतको क अिीन होना डता

ह और विदयावरथयो स वसफ़थ यही अ कषा की जाती ह वक ि अ न ाठो को मक होकर रित रह यहा

विदयारी तो वबलकल वनषटिीय होता ह और उसका अ ना कोई िजद नही होता ारमप ररक ककषाओ ि म य

नज़ारा आ न अकसर दखा होगा इस वसरवत की काफी अिहलना होन क फलसिर आज हमारी

राषटरीय ाठयचयाथ वयिहारिादी उ ागम स रचनातमक उ ागम की ओर बढ़ी ह

142 रचनातमक उपागम

अविगम का रचनातमक उ ागम बाल- क वित ह जो वक अविगमकताथ क समप णथ विकास र बल दता ह

यह काफी हद तक सिजञानातमक मनोिजञावनको क दवारा परवत ावदत अविगम वसदधाितो र आिाररत ह

वजनम व याज और िायगोतसकी परमख ह रचनातमक उ ागम आिाररत ाठयचयाथ कछ परमख

अििारणाओ ि र आवशरत ह जस वक-

अविगम िसततः अविगमकताथ क वयवकतगत अनरिो दवारा की गयी सिसार क बार म वयवकतगत

वयाखया ह

अविगम अरथ- वनमाथण की एक सिीय परविया ह जो वक अनरिो र आिाररत होती ह

जञान एक सनयकत सािसकवतक वनवमथवत ह जो वयसको एिि बचचो की अनतःविया क फलसिर

अदभत होता ह

अविगमकताथ अ न िथ अनरिो तरा नय जञान क आिार र लगातार अ न सिजञानातमक ढाच

को वनवमथत एिि नवयथिवसरत करता रहता ह इसी परकार उसक सिजञानातमक सिरिचना म िवदध होती

समपपरतय वनमाथण मतथ स अमतथ की तरफ अगरसर होता ह

अविगमकताथओ ि क अविगम क तरीक ि जररत वरनन-वरनन होत ह इसवलय वशकषण विविया

उनक अनर होन चावहय

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 97

अतः रचनातमक ाठयचयाथ म यह विशवास वकया जाता ह वक अविगमकताथ दवारा जञान का वनमाथण या खोज

सिीय र स वकया जाता ह ना वक वनषटिीय र स जञान को गरहण या सिचय करना होता ह विदयारी

ाठय सतको स नही अव त अ न परतयकष अनरिो स और विवरनन शवकषक गवतविवियो म सविय

रागीदारी स सीखत ह यहा सकलो की ाठयचयाथ को विदयावरथयो क अनर होन की वसफाररश की जाती

ह वशकषको स री यही अ कषा की जाती ह वक ि बचचो को ाठ रििान क बजाय उनक वलय उततजक ि

परासिवगक अविगम िातािरण तयार कर अतः बाल-क वित ाठयचयाथ म अविगम को रचनातमक

दवषटकोण स दखा जाता ह जहा विदयारी को जञान वनमाथण क वकय सकषम समझा जाता ह और यह अ कषा

की जाती ह ि अ न याथिरण स अितःविया करक खद उसका अरथ समझग तरा अ न जञान की रचना

सियि ही करग

अभयास परशन

3 अविगम क वयिहारिादी एिि रचनातमक उ ागम र आिाररत ाठयचयाथओ ि म कोई ३ मखय

अितर स षट कीवजए

15 राषरीय पाठयचया की रपरखा म ववजञान पाठयचया ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा (एन सी एफ ndash 2005) म विजञान ाठयचयाथ का सिर विजञान

वशकषा क कषतर म कई सालो स हो रह शोि क ररणामो र आिाररत ह इनम कछ सिवचछक सिगिठनो की

परयासो क अनरि री शावमल ह अब तक की राषटरीय ाठयचयाथ की र रखाओ ि की तलना कर तो यह

बात स षट हो जायगी वक रारत म शरआत स विजञान ाठयचयाथ क सरोकार एक स नही र आइय दखत

ह वक 1975 स 2005 तक क सफर म विजञान ाठयचयाथ न कया-कया सिर बदला ह

151 तितभनन पाियचयाय की रपरखाओ म तिजञान पाियचयाय का सार

यह तो आ जानत ही ह वक गत िषो म परसतावित राषटरीय ाठयचयाथओ ि म वयहिारिादी दवषटकोण स

रचनातमक दवषटकोण की तरफ बदलाि आय ह इसी क चलत इतन समय म विजञान की ाठयचयाथ न

विषय-िसत क सतर र री काफी र बदल ह इसका सार नीच दी गयी तावलका म वदया गया ह-

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 98

एनसीएफ परारतमक सिर

(ककषा 1 स ककषा 5

िक)

उचच परारतमक

सिर

(ककषा 6 स ककषा

8 िक)

माधयतमक सिर

(ककषा 9 िरा

ककषा 10)

उचच माधयतमक

सिर

(ककषा 11 िरा

ककषा 12 )

एन सी एफ ndash

1975

विजञान और

सामावजक विजञान को

एक ही विषय

lsquoपयाावरण अधययनrsquo

क तहत ढ़ाया जाय

विजञान को

समवकत दवषटकोण

म अ नाया जाए

विजञान को सिगवठत

र म ही ढ़ाया

जाय न वक तीन

रागो (जीि

रौवतक ि रसायन)

म विरावजत वकया

जाय

विजञान क सिकाय

जवनत रख अ नान

र जोर वदया गया

एन सी एफ ndash

1988

विजञान को पयाावरण

अधययन क तहत ही

ढ़ाया जाय वजसकी

दो ईकाइया हो-

विजञान और

सामावजक विजञान

विजञान को

समवकत एकीकत

र म ढ़ाया जाए

विजञान को सिगवठत

र म ढ़ाया जाय

विजञान क सिकाय

जवनत र म ढ़ाया

जाय

एन सी एफ ndash

2000

पयाावरण अधययन को

एक ही समाकवलत

विषय क र म

ढ़ाया जाय (विजञान

और सामावजक

विजञान म ना बािा

जाय)

विजञान क समवकत

र को lsquoचवजञान

और परौदयोचगकीrsquo

क र म

ढ़ाया जाए

lsquoचवजञान और

परौदयोचगकीrsquo क र

ढ़ाया जाय

विजञान क सिकाय

जवनत र म ढ़ाया

जाय (रौवतकी

रसायन ि जीि

विजञान क र म)

एन सी एफ ndash

2005

विजञान और

सामावजक विजञान को

पयाावरण अधययन क

र म ही ढ़ाया जाय

वजसम सिासथय री

एक महतति णथ अिग हो

विजञान एक सियकत

विषय क र म

ढ़ाया जाए

विजञान एक सियकत

विषय क र म

ढ़ाया जाय वजसम

परारवमक सतर स

अविक उननत

तकनीकी वशकषा

शावमल हो

विजञान क सिकाय

जवनत र म ढ़ाया

जाय

इस तावलका स जावहर ह वक जहा 1975 की ाठयचयाथ म परारवमक सतर र विजञान एिि सामावजक

विजञान को सिथपररम पयाावरण अधययन की एकाईयो क र म ढ़ान को कहा गया िही 2005 म

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 99

याथिरण अधययन को एक समाकवलत विषय का र द वदया गया इसी तरह उचच परारवमक सतर र

हल विजञान को एकीकत र म ढ़ान का परसताि रखा गया और बाद म 2005 की ाठयचयाथ म विजञान

तरा परौदयोवगकी को एक सार रखकर ढ़ाय जान की बात हई माधयवमक सतर र री विजञान की

ाठयचयाथ म ऐस ही बदलाि सामन आय हालािवक उचच माधयवमक सतर र विजञान को सिकाय-जवनत

र म जारी रखा गया आइय विसतार स जानत ह वक ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ म विजञान ाठयचयाथ को

वकस र म दखा गया ह

152 राषटरीीय पाियचयाय की रपरखा 2005 की तसफाररि

हम जानत ह वक एनसीएफ 2005 बाल क वित और अनरि आिाररत उ ागम क कष म ह

एनसीएफ 2005 म विजञान वशकषा को बहतर बनान क वलय उन सरी मददो को मददनज़र रखा गया जो

विजञान को सीखन-वसखान की परविया म मौजद होत ह खासकर तीन मखय समसयाओ ि की ओर धयान

वदया गया-

i सकलो म ढ़ाई जान िाली विषय-िसत का बहत अविक होना

ii विषय-िसत और बचच की समझ क सतर क बीच काफी फासला

iii ककषा म ढ़ाए जान क तरीको म खावमया

ारमप ररक विजञान वशकषण म अविकतर रिन र ही जोर वदया जाता ह और अिलोकन विशलषण ि

परवियाजवनत कशलता की तरफ कोई खास धयान नही वदया जाता जयादातर धयान विदयारी को रीकषा म

अचछ अिक लान क वलय तयार करन र ही वदया जाता ह एनसीएफ 2005 म न वक वसफथ विजञान

ाठयचयाथ म विषय-िसत क बोझ को कम वकया गया अव त विजञान सीखन-वसखान क तरीको म री

ररितथन र जोर वदया गया ह इसम विजञान की ककषाओ ि म उ योग होन िाल मलयािकन क तरीको म री

सिार र धयान वदया गया ह

एनसीएफ 2005 कहता ह वक एक अचछी विजञान वशकषा विदयारी क परवत जीिन क परवत एिम

विजञान क परवत ईमानदार होती ह इसी दवषटकोण स विजञान की ाठयचयाथ को ििता परदान करन िाल

कछ मलरत मा दिड री वदय ह यह मा दिड इस परकार ह-

(अ) सजञानातमक िििा ndash यह माग करती ह वक ाठयचयाथ की विषयिसत परविया राषा और

वशकषण- कायथकला उमर दज़ क उ यकत हो और बचच की समझ स बाहर की चीज़ न हो

(ख) तिषय-िसि िििा ndash यह माग करती ह वक ाठयचयाथ उ यकत ि िजञावनक सतर र सही

विषय-िसत को परसतत कर यहा यह धयान रखन की ज़ररत ह वक विषय-िसत को सहज और

सरल बनान की परविया म िह कही अरथहीन ि विरव त हो कर न रह जाय

(ग) परतिया िििा- यह माग करती ह वक ाठयचयाथ विदयारी को िजञावनक जञान परापत करन क

तरीको और उन तक हचन की परविया को वसखाय और बचच की सहजात वजजञासा और

रचनातमकता को ोवषत कर

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 100

(घ) ऐतिहातसक िििा- यह माग करती ह वक विजञान- ाठयचयाथ म ऐवतहावसक बोि को जगह दी

जाय तावक विदयारी समझ सक वक विजञान की िारणाए समय क सार कस विकवसत हई ि सार

ही सार यह विदयारी को यह समझन म री मदद करगी वक विजञानएक सामावजक उदयम ह तरा

वकस परकार विजञान का विकास सामावजक कारको स पररावित होता ह

(ड़) पयायिरणीय िििा-यह माग करती ह वक विजञान को विदयारी क वया क ररिश (सरानीय

और िवशवक) क सिदरथ म रखकर वसखाया जाए तावक विदयारी विजञान परौदयोवगकी और समाज

क बीच क जविल सिबििो को समझ सक और रोज़गार की दवनया म विकन क वलय आिशयक

जञान तरा कौशल परापत कर सकन म सकषम हो सक

(च) नतिक िििा ndash यह माग करती ह वक ाठयचयाथ ईमानदारी िसतवनषठता सहयोग आवद मलयो

का समपिदधथन कर तरा रय िाथगरह एिि अििविशवास स मकत मानस तयार करन म सहायक हो

सार ही यह विदयारी म जीिन ि याथिरण क सिरकषण क परवत चतना दा कर

1521 तिजञान पाियचयाय क उददशय

एन सी एफ ndash 2005 क अनसार विजञान वशकषा क उददशय उ वलथवखत छह ििताओ ि क मा दिडो स जड़

हए ह यह माग करता ह वक विजञान वशकषा विदयारी को इस लायक बना द तावक िह-

अ न सिजञानातमक सतर क अनर विजञान क तथयो ि िारणाओ ि को समझन और इस परयकत

करन क कावबल हो जाए

उन तरीको और परवियाओ ि को समझ सक वजनस िजञावनक जञान का सजन वकया जा सक तरा

इसका ििीकरण री वकया जा सक

विजञान क एवतहावसक एिि विकास सिबििी ररपरकषयो को समझ सक और इस एक सामावजक

उदयम क र म दख सक

खद को सरानीय तरा िवशवक ररिश स जोड़ सक और विजञान परौदयोवगकी और समाज क बीच

अितःविया को एिि उनस समपबिवित मददो को समझ सक

रोज़गार की दवनया म र विकान क वलय आिशयक सदधािवतक और वयिहाररक कशलता

हावसल कर सक

अ नी सिाराविक वजजञासा सौनदयथबोि और रचनातमकता स विजञान ि परौदयोवगकी को

रररावषत कर सक

ईमानदारी सतयवनषठा सहयोग जीिन क परवत सरोकार तरा याथिरण सरकषा जस मलयो का

महति समझ सक

lsquoिजञावनक सिरािrsquo विकवसत करना सीख जाए वजसम शावमल हो- िसतवनषठता

आलोचनातमक सोच और रय एिि अििविशवास स मवकत

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 101

1522 तितभनन सिरो पर तिजञान की पाियचयाय

हमार दश म विजञान को दसिी ककषा तक एक अवनिायथ विषय क र म ढ़ाया जाता ह जयादातर

विदयारी दसिी ककषा क बाद विजञान या तकनीकी कषतरो म रोजगार नही करत इसवलय माधयवमक सतर

तक विजञान वशकषा का लकषय मखयतः विदयावरथयो को िजञावनक र स साकषर करना याथिरण ि सिासथय

समपबििी समसयाओ ि एिि विजञान-तकनीकी और समाज क अितसथमपबििो क परवत जागरक करना ह

एनसीएफ 2005 म विवरनन सकली सतरो र विजञान ाठयचयाथ क वलय विसतत सझाि वदए गए ह

वनमपनवलवखत तावलका म इन सझािो को सिवकषपत र म परसतत वकया गया ह-

सकली सिर तिषय का सिरप ि

तिषय-िसि

पाियचयाय सबिी सझाि

परारतमक सिर

(ककषा 1 स ककषा 5

तक)

याथिरण अधययन

(विजञान एिि सामावजक

विजञान का एकीकत र

वजसम सिासथय वशकषा

एक महतति णथ अियि )

बचच म ररिश क परवत वजजञासा उत नन करना

मलरत सिजञानातमक और मनःपररक कशलताय विकवसत करना

बचच क वलय महति णथ अरथ णथ और उसकी अवररवच की

विषय िसत हो

वशकषण मखयत गवतविवि रक- खोजी एिि हार स करन िाल

कायथकला करन को परररत करना

बचचो को अनिषण करन िनथ दखन वडज़ाइन ि वनमाथण

करन तलनाय करन और समपबििो क जाल को समझन क

अिसर दना

सफाई ईमानदारी सहयोग जीिन और ररिश क परवत गमपरीर

रख जस मलय विकवसत करना तरा याथिरण स जड़ मलयो क

परवत दावयतिबोि उत नन करना

ककषा 1 ि २ क वलय कोई ाठय सतक नही दन का परसताि

वकसी री परकार की औ चाररक सािवि जाच- रीकषा नही हो

सतत मलयािकन का परसताि

उचच परारतमक सिर

(ककषा 6 स ककषा 8

तक)

विजञान

(एक सिकाय क र म

विजञान और परौदयोवगकी

का मल)

िजञावनक अििारणाओ ि को मखयतः गवतविवियो ि परयोगो दवारा

समझाना परविया कौशलो र ज़ोर

बचचो का ररवचत अनरिो दवारा विजञान क वसदधाित सीखना

हारो स सरल तकनीकी इकाइया या मॉडल बनाना और

याथिरण ि सिासथय क बार म जानकारी हावसल करना

सामवहक वियाकला दोसतो ि अधया को क सार विमशथ

सिकषण आिकड़ो का वनयोजन और सकल तरा आस- ड़ोस क

कषतर म परदशथन आवद वशकषण परणाली क महति णथ अिग

सतत ि सािवि मलयािकन जो णथत आितररक हो वजसम परतयकष

गरडस की वयिसरा अ नाई जाय

माधयतमक सिर विजञान ाठयचयाथ म वसदधाित अििारणाएि तरा वनयम सीखन र बाल

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 102

(ककषा 9 तरा ककषा

10)

(एक सिकाय क र म

अविक मज़बत

ाठयचयाथ िजञावनक

वसदधाित अििारणाए एिि

वनयम शावमल)

हो रनत ाठयचयाथ क बोझ को कम वकया जाय

सदधािवनतक अििारणाओ ि को जािचन क वलय परयोग ाठयचयाथ

का अहम वहससा हो

सह- ाठयचयाथतमक कायथकला ो म रागीदारी को अवनिायथता

वजसम सरानीय सतर क मददो र ररयोजना कायथ शावमल हो

सदधािवतक वलवखत रीकषा म बोडथ रीकषा क सार सार कछ परशन

परयोग तकनीकी मॉडयल र आिाररत हो

उचच माधयतमक

सिर

(ककषा 11 तरा ककषा

12 )

जीि विजञान रौवतकी

और रसायन विजञान

(सिकाय रक ाठयचयाथ

वजसम उ यकत िजन ि

गहरायी हो )

दो विषयो अकादवमक और िोकशनल म विजञान को ढ़ाय

जान क मामल र नविथचार वकया जाय तावक विदयारी को

अ नी रवच क अनसार विषय चनन की सितितरता हो

परयोग तकनीकी ि खोज रक ररयोजनाओ ि र ज़यादा जोर दना

चावहय

विवरनन ाठय सहगामी गवतविविया ठन- ाठन का वहससा हो

जस- सरानीय मददो का विजञान ि परौदयोवगकी क माधयम स

समािान करना राषटरीय विजञान मलो म रागीदारी विजञान

तकनीकी और समाज स अितसथमपबिवित मददो र िाद-वििाद म

राग लना

आईसीिी का विजञान वशकषण म बड़ मान र उ योग हो

परयोग और परौदयोवगकी मौडयलस का लगातार आितररक

मलयािकन तरा वसदधाित आिाररत बोडथ रीकषा म री कछ परशन

परयोग तकनीकी आिाररत हो

अभयास परशन

4 एनसीएफ 2005 क अनसार विजञान ाठयचयाथ क ििता क मखय मा दिड कौन स ह

5 एनसीएफ 2005 क अनसार परसतावित विजञान ाठयचयाथ म परारवमक सतर तरा माधयवमक

सतर की विजञान विषयिसत म कया वरननता ह

16 पाठयचया ववकास म वशकषक की रवमका रारत म ाठयचयाथ का वनमाथण राषटरीय एिि राजय दोनो सतरो र होता ह अममन इस परविया म विदवानो

विषयिसत म दकष वयवकतयो तरा नामी वगरामी वशकषाविदो को ही शावमल वकया जाता ह इस ाठयचयाथ

को वफर सकलो र लाग कर वदया जाता ह वशकषको का कायथ किल सकलो म इस ाठयचयाथ क

वियानिन तक ही सीवमत रहता ह उनको ाठयचयाथ तरा विदयावरथयो क बीच एक ल की तरह कायथ

करना होता ह वशकषक अविकतर वनयत समय र वदय गय ाठयिम को रा करन तरा ाठय सतको को

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 103

रििान म लग रहत ह वशकषक परवकषकषण परविया म री ज़यादातर महति विवरनन वशकषण विवियो क

अभयास र वदया जाता ह ि ाठयचयाथ एिि वशकषण- अविगम क बीच का समपबिि ही नही समझ ात

इसक वलय यह आिशयक ह वक परवकषकषण क दौरान उनह ाठयचयाथ क विवरनन आयामो र तावकथ क

विचार विमशथ करन तरा उस विशलषटण करन क रर र अिसर वदय जाय

हालािवक आजकल यह वसरवत कछ बहतर हई ह परतयक सतर र यह समझा जा रहा ह वक

सकली वशकषको को ाठयचयाथ वनमाथण परविया म शावमल होन स बहतर वसरवत की अ कषा की जा सकती

ह ाठयचयाथ विकास समीवतयो म सकल वशकषको की सिीय रागीदारी होन स उनक ककषा समपबििी

परतयकष अनरिो को री धयान म रखा जान तरा ाठयचयाथ म की जान िाली वसफाररशो को ककषा की

िासतविकताओ ि क सिदरथ म परसतत वकय जान की समपरािना बढ़ी ह वशकषको क ककषा सिबििी अनरिो

और वचितन स ाठयचयाथ ाठयिम एिि ाठय सतको को सिारन म काफी मदद वमलती ह ाठयचयाथ

वनमाथण म वशकषको क सिलगन होन स परसतावित ाठयिम की बचचो क वलय उ यकतता एिि परासिवगकता

सवनवशचत करन म री आसानी होती ह एनसीएफ 2005 म इस मदद र काफी विचार वकया गया ह तरा

ाठयचयाथ वनमाथण म वशकषको की रागीदारी की रिी की ह ाठयचयाथ क विक िीकरण स यह और री

आसान हो जाता ह

17 सारााश इस इकाई म आ न ढ़ा वक ाठयचयाथ तरा ाठयिम एक दसर स कस वरनन होत ह आ न जाना वक

ाठयचयाथ की र रखा को सवनवशचत करन वक वलय मखय तीन सदधािवतक आिार कया होत ह हमन यह

री दखा वक वकस परकार राषटरीय सतर र परसतावित ाठयचयाथ म उ ागम एिि विषय आिाररत बदलािो

क सार सार विजञान- ाठयचयाथ म री परतयकष बदलाि आय ह इसक सार ही आ न एनसीएफ 2005

म विवरनन सकली सतरो र विजञान विषय क वलय विषय-िसत वशकषण विवियो तरा मलयािकन समपबनिी

वसफाररशो को री जाना अित म हमन यह री चचाथ की वक वशकषको क वलय ाठयचयाथ वनमाथण म शावमल

होन क कया लार ह

18 शब दाविी 1 अनबतिि अनतिया- पराचीन अनबििन म एक अनबिवित उददी क क परवत सीखी गयी

अनविया

2 सजञान- जानन क सार जड़ी सरी मानवसक परवियाए जस- परतयकषण करना वचितन करना और

याद करना इतयावद

3 परबलन- एक अनविया का अनसरण करती घिना जो अनविया क घवित होन की परिवतत को

शवकत दती ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 104

4 िििा- वकसी मा क दवारा की गयी ररशदधता का दयोतक जो यहा बताता ह वक मा न

िासतविकता क वनकि ह

19 अभ यास परश नो क उत तर 1 एक ाठयचयाथ की र रखा क परमख क विक वनमपनवलवखत होत ह-

i वशकषा क लकषय

ii सतर विवशषट उददशय

iii विषयिसत क चयन एिि वयिसरा न क वसदधाित

iv अचछ तरीको क आिार

v अचछी सामगरी क आिार

vi मलयािकन का वसदधाित

2 ाठयचयाथ एक वया क योजना ह जो चवचिषट िचिक उददशयो को चियाचनवत करन क चलए

चिज़ाइन की जाती ह वजसम ाठयिम री एक महति णथ अियि क र म शावमल होता ह

जबवक ाठयिम वसफ़थ यह बताता ह वक विषयिसत क वहसाब स कया ढ़ाया जाय और सतर

विवशषट उददशयो क मददनज़र वकस तरह क जञान कौशल और अवरिवततयो को ख़ास बढ़ािा वमल

3 एनसीएफ 2005 क अनसार विजञान ाठयचयाथ क ििता क मखय मा दिड ह- सिजञानातमक

ििता विषय-िसत ििता परविया ििता ऐवतहावसक ििता याथिरणीय ििता तरा

नवतक ििता

वयिहारिादी उपागम आिाररि

पाियचयाय

रचनातमक उपागम आिाररि

पाियचयाय

ाठयचयाथ का

सिर

विषय- आिाररत बाल-क वित

जञान म िवदध विदयारी दवारा वनषटिीय र स जञान को गरहण

या सिचय करना

विदयारी दवारा जञान का वनमाथण या खोज

सिीय र स करना

अविगम का सिर विदयारी सचनाओ ि क सिकलन तरा अजथन

उनक अरथ सीखन एिि सही अनविया को

सीखन क अभयास स सीखता ह

विदयारी अ न परतयकष अनरिो स और

विवरनन शवकषक गवतविवियो म सविय

रागीदारी स सीखत ह

विदयारी क सिदरथ स

सरोकार

विदयावरथयो क वयवकतगत अनरिो

सिजञानातमक परिवततयो एिि उनक सिदरथ स कोई

सरोकार नही होता

विदयावरथयो क वयवकतगत अनरिो

सिजञानातमक परिवततयो एिि उनक सिदरथ क

अनसार शवकषक अनरिो का आयोजन

वकया जाता ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 105

4 एनसीएफ 2005 क अनसार परारवमक सतर र विजञान को lsquo याथिरण अधययनrsquo क र म

ढ़ान की बात की गई ह वजसकी विषयिसत विजञान एिि सामावजक विजञान का एकीकत र

ह तरा सिासथय वशकषा री उसका एक महतति णथ अियि ह िही माधयवमक सतर र विजञान

को एक सिकाय क र म दखा गया ह वजसकी अविक मज़बत ाठयचयाथ होनी चावहय और

उसम िजञावनक वसदधाित अििारणाए एिि वनयम शावमल हो

110 सादरथ गरार सची 1 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा (2005) राषटरीय शवकषक अनसििान और परवशकषण ररषद नई

वदलली

2 ाठयचयाथ ाठयिम और ाठय सतक - राषटरीय फोकस समह का आिार तर (२००8) राषटरीय

शवकषक अनसििान और परवशकषण ररषद नई वदलली

3 विजञान वशकषण- राषटरीय फोकस समह का आिार तर (२००8) राषटरीय शवकषक अनसििान और

परवशकषण ररषद नई वदलली

4 मनोविजञान- ककषा 11 क वलय ाठय सतक (२००6) राषटरीय शवकषक अनसििान और परवशकषण

ररषद नई वदलली

5 दसिषीय सकल क वलए ाठयिम-एक र रखा (19७6) राषटरीय शवकषक अनसििान और

परवशकषण ररषद नई वदलली

6 विदयालयी वशकषा क वलए राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा (2005) राषटरीय शवकषक अनसििान

और परवशकषण ररषद नई वदलली

111 वनबाधात मक परशन 1 अ न राजय क सकलो म लाग ाठयचयाथ की र रखा की विसतत समीकषा कीवजए तरा उसक

अितगथत विवरनन सकली सतरो र विजञान ाठयचयाथ क परमख सरोकारो की चचाथ कीवजए

2 एनसीएफ2005 स हल ककषा 8 क वलय एनसीईआरिी दवारा वनवमथत विजञान की

ाठय सतक की तलना ितथमान ाठय सतक वनमपनवलवखत आिारो र कीवजए -

विषयिसत का सिर

गवतविविया एिि अभयास

3 एनसीएफ 2005 म चवचथत ििता क मा दिडो क परकाश म वकसी माधयवमक सतर की विजञान

ाठयचयाथ की आलोचना कीवजए

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 106

इकाई 2- पाठयचया वशकषण रणनीवियो और भौविक विजञान क वनििथमान रझान

21 परसतािना

22 उददशय

23 एनसीईआरिी ाठयिम क वनितथमान रझान

24 ाठय सतक स वशकषण-अविगम सामगरी की तरफ गमन

25 वशकषक ाठयिम विकासकताथ क र

26 एनसी इआर िी ि उततराखिड क विजञान ाठयिम की समीकषा

27 विजञान ाठयिम म हए महति णथ ररितथन

28 सारािश

29 सनदरथ गरिर सची

210 वनबििातमक परशन

21 परसतावना विजञान ाठयिम समय क सार बदल गया ह और विजञान वशकषक का काम अब अविक चनौती णथ हो

गया ह व छल दशको म विजञान सीखना कछ सिभाित उचच परापतकताथओ ि तक सीवमत रा ककषा IX स

XII म विजञान रौवतकी रसायन विजञान और जीि विजञान क विषयो क र म ढ़ाया जाता ह हल

वकताब वनजी परकाशको दवारा परकावशत एिि एक लखक दवारा वलखी जाती री ाठय सतको म ाठयिम

की सामगरी म तयारी गण और उ योग शावमल वकय गय र विजञान का ाठयिम दवनक जीिन क

अनरि सअलग रा ाठयिम कसदयावनतक ि वयािहाररक कष सिबिवित नही र परयोगो गवतविवि

अिररत वशकषण विवियो की अल ता री वकि त अब छातरो क ास ह एनसीईआरिी दवारा परकावशत

गणितता लखको और लखको की एक िीम दवारा वलवखत ाठय सतक छातरो को छताछ क वलए जगह

परदान करत ह वियाए को ाठय सतको म परासिवगक सरानो र शावमल वकया गया हवशकषक किल

जानकारी का एक परदाता नही ह िरन छातर ककषा म अ न सियि क अनरिो और बहत सारी जानकारी

और परशनो क सार-सार अनय सरोतो जस इििरनि मीवडया सतको विजञान वतरकाओ ि और रक ठन

सामगरी की विवििता क सार आत ह करी-करी छातरो की वजजञासा को शाित करन क वलय वशकषक को

चनोती णथ वसरवत का सामना करना ड़ता ह एनसीईआरिी दवारा तयार वकए गए ाठयिम का रझान

वकस तरह बदला ह इसका विसतत विशलषण इस यवनि म की गया ह

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22 उददशय इस इकाई का अधययन करन क शचात आ -

1 एनसीईआरिी ाठयिम क वनितथमान रझान क विषय म जान सक ग

2 ाठय सतक स वशकषण-अविगम सामगरी की तरफ गमन क विषय म चचाथ कर सक ग

3 वशकषक को ाठयिम विकासकताथ क र म जान सक ग

4 एनसी इआरिी ि उततराखिड क विजञान ाठयिम की समीकषा कर सक ग

5 विजञान ाठयिम म हए महति णथ ररितथन को जान सक ग

23 एनसीईआरटी पाठयिम क वनवतथमान रझान 1988 2000 और 2005 म एनसीईआरिी दवारा तयार वकए गए ाठयिम का विशलषण बताता ह

वक ाठयिम विकास क मनोिजञावनकतकनीक ाठय विषय िसत परसततीकरण रर कषय क काफी

बदलाि ह ितथमान ाठयिम गवतविवि-आिाररत एकीकतवशकषारी-क वित ह 1988 क ाठयिम म

दकषता अििारणाओ ि और गवतविवियो को रखत हए उ यकत कवठनाई सतर को धयान म रखत हए

िासतविक जीिन स समपबिवित कछ परकरणो जस खादय और ोषण सिासथय जनसिखयाकवष और

याथिरण सिरकषण को ाठयिम का आिशयक घिक बनाया गया

उदारहण क वलय एनसीईआरिी दवारा विकवसत ककषा छठी क ाठयिम क एक यवनि का अधययन

करत ह वजसस बदलत ाठयिम का रझान ता चल सक

िातलका 21 - 1988 म तिकतसि ककषा 6 का तिजञान पाियिम

यतनट का नाम तिषयिसि

इकाई 6 गवत बल और मशीन गवतशील ि वसरर िसतएि विवरनन परकार की गवत-रवखक

यादवचछक रोिरी चिीय रर तर आिविक गवत बल बल लगान

र गवत वदशा और आकार म ररितथन विवरनन परकार क बल

चिबकीय शवकत इलकरोसिविक बल घषथण बल घषथण क फायद और

नकसान घषथण का कम होना बढ़ना विवरनन परकार की सािारण

मशीन-लीिर चरखी और वहया जविल मशीन ndash एिि सरल मशीनो

का सियोजन रखरखाि और मशीनो की दखराल

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िातलका 22 - 2000 म तिकतसि तिजञान पाियिम क ककषा 6 की एक इकाई का तििरण

यतनट सामगरी का नाम तिषयिसि

यवनि 9 बल और गवत 1-बल बल का परराि (आकार ि गवत म ररितथन) बल ि दबाब की

इकाई

तरल दारथ म दबाि

2-गवत ि गवत क परकार (रखीयितीय घणी आिविक दोलक)

3-समान गर-समान गवत सीिी रखा क रर कषय म िग का विचार

4-गवत गवत की इकाई

िातलका 23 - 2005 म तिकतसि की गई ककषा 6 तिजञान पाियिम की इकाई का तििरण

परशन किी अििारणाए ससािन सझाए गए तियाकलाप

यवनि 4 आरिवरक वदनो

म लोग एक सरान स

दसर सरान र कस जात

र उनको कस ता

चलता रा की वकतनी

दरी उनहोन तय कर ली

हमको कस ता चलगा

की कोइ िसत गवतमान

ह कस ता चलगा की

िह िसत वकतनी दर गवत

कर क चली गई

मा न की आिशयकता

(लिबाई) दरी वसरवत ि

समय क अनसार गवत म

ररितथन

दवनक जीिन क अनरि

अिलोकन विवरनन परकार

क मा न उ करण दरी स

समपबिवित विवरनन

कहावनया वजसस दरी स

समबािवित परकरण

विकवसत हो सक

( ीररयड -12)

लिबाई ि दरी का

मा नरवमहिाजलिआकाश

म गवतमान िसतओ का

अिलोकन विवरनन परकार की

गवतयो की हचान ि उनम

अितर विवरनन परकार की ऐसी

िसतओ का सहपरदशथन वजसम

एक स अविक परकार की गवत

हो जससि िखा लीसाईवकल

का वहयािरी आवद वदिार

घडीसरजचििमा ि परवरिी की

गवतओि का अिलोकन

उ रोकत तावलकाओ म िवणथत विषय िसतओ का अिलोकन करन र जञात होता ह की ककषा 6 क वलए

1988 क विजञान ाठयिम को एक सची क र म परसतत वकया गया ह इसम मखय उदशय छातरो को

विजञानि विषयिसत स ररवचत करिाना रा जबवक विजञानि क परविया कष र कम महति वदया गया ह

बहत स परकरण जस बल घषथण आकाशगिगा आवद कई विषयो को ाठयिम म शावमल वकया गया ह

जो की बाद की आठिी या नौिी ककषा म आ सकत ह

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इनक अिबोि हत अमतथ अििारणाओ ि को री समझना आिशयक ह ाठयिम म स षट गहराई नही

ह विषयो की सची म विवशषटता का आराि ह ाठयिम म िवणथत विषय िसत वकसी री परकरण म

गहराई तरा कल नाशीलता िािवछत वियाकला ोतक का आराि ह

2000 क ाठयिम म 1988 क ाठयिमानसार जानकारी को लोड वकया गया इसम री १९८८ क

ाठयिम की तरह गहराई और विसतार की कमी ि स सिता की कमी ह उचच परारवमक और माधयवमक

सतर र सामनयतया विजञान ाठयिम म विजञान तकनीकी ि सामावजक अििारणओ का उ योग

होता ह इसका उदशय छातरो को िजञावनक जञान दन क सार उनको तकनीकी परयोग म समिथ करना ह

रनत ाठयिम वनमाथण करत समय विषयगत दवषटकोण को ही महति वदया गया ह उसम वयािहाररक

दवषटकोण की कमी ह चयवनत विषय जसबरहमािड हमारा याथिरण दारथ मा न जीिन विशव ऊजाथ

ोषण और सिासथय और कवष आवद विषयो अविकािशता ऊ री परारवमक चरण स माधयवमक सतर तक

जारी रख गए ह इसम अििारणाओ ि को वयिवसरत करन का परयास ाठयिम म वकया गया रा इनह

ककषा VI स X तक िवमक र स रखा गया ह

एनसीएफ -2005 न जञान वनमाथण की परविया म वशकषारी की सविय रागीदारी की वसफाररश की ह

2005 म विजञान ाठयिम क विकास क दौरान यह वनणथय वलया गया रा विजञान को परौदयोवगकी क

सार जोड़ना ठीक नही ह ाठयिम म रखी गई सचनाओ क रार को कम करन ि उमरनसार उवचत

अििारणाओ ि को शावमल करन का फसला वलया गया रा

ाठयिम वनमाथण करत समय एनसीएफ -2005 की वसफाररशो ि रर ोिथ वबना बोझ क लवनिग को

महति वदया गया ह विषयगत दवषटकोण को अ नात हए विषय िसत को वयिवसरत करत हए अनतर-

अनशासनातमक तरीक को अ नाया गया ह ाठयिम म शावमल विषयिसत जस खादय दारथ सामगरी

द िलडथ ऑफ़ दी वलवििग हाउ वरिगस िकथ मवििग वरिगस लोग और विचार पराकवतक घिनाएि और

पराकवतक सिसािन आवद ह विषयिसत को उचचपरवथमक सतर स मादयवमक सतर तक इसी िम म रखा

गया ह 2005 का ाठयिम चार कोलम परशन कि जी अििारणाएि सिसािन सझाए गए वियाकला म

िगीकत वकया गया ह

ाठयिम परशनो क सार शर होता ह य ि महति णथ परशन हजो बचच को सोचन की परविया म मदद

करन िाल मखय वबिद ह गवतविवि कॉलम म परयोग क सार-सार ककषागत वशकषण अविगम परवकया

वजसम छातर राग लात ह को री िवणथत वकया गया ह ाठयिम म वदय गए आइिम परशन वकसी री

परकरण की सामगरी का खलासा करन का एक विचार दन म मददकरत ह अगर आ परशन और महति णथ

अििारणाओ ि क सार गवतविवि सतिर को ढ़त ह तो यह अिलोवकत होगा की ाठयसामगरी काफी

गहराई क सार ाठयिम विषय िसत वशकषण- रणनीवतयो क चयन म सहायक ह ाठयिम

ाठय सतक लखन ि वशकषण विवि क चयन म मदतकरी ह ाठयिम म वशकषावरथयो क वलए सरान

री ह उनको गवतविवियो परयोगो को करनसरानीय सिदरथ को वडसकस करन का सरान वदया गया ह

एनसीएफ -2005 म ाठय सतको को बहआयामी ि दवनक जीिन स सिबिवित करन का सझाि वदया

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गया ह एनसीएफ - 2005 म विजञान वशकषण को हडस- ओ िन ि इनकिायरी बसड बनान की वसफाररश

की गई ह हालािवक इस वया क र विचार सतर र सिीकार वकया गया ह जबवक रारत म अभयास

अरी री चाक एिड िॉक म रड ही हािी ह छातरो की इवचछत वदशा म परगवत हत वशकषण अविगम

परवियाओ ि म अविक सविय सहरावगता को लना आिशयक ह

विजञान सीखन क हडस ओ िन तरीक म वशकषक वशकषण अविगम परविया का परारर छातरो क अनरिो ि

मतथ उदहारण स करत ह विषयकवनित उ ागम म वशकषक कॉनसपिस को दानिवमक तरीक स सजा कर

ड़ता हजबवक छातर कवनित उ ागम म वशकषक सिथपररम मतथ ररवसरवतको उत नन करता ह वफर अमतथ

कािसपि को समझता ह

उदहारणसिर इलवकरक करिि क कािसपि को समझान हत हम यहा दखना होगा की यह एक अमतथ

कािसपि ह वजसम छातर को चाजथ मिमि समझाना ह जो छातर को तरी समझ आयगा जबवक उसको चाजथ

का कािसपि ता हो यदव चाजथ का कािसपि अमतथ ह वफर री छातर आसानी स इसको समझ जात ह जब

ि इलवकरक सवकथ ि को जोडत ह अत इलवकरक करिि को कािसपि को उचच परारवमक शालाओ क

ाठयिम म रखा गया ह

23 पाठयपसतक स वशकषण-अवधगम सामगरी की तरफ गमन ाठय सतक वशकषण-अविगम सामगरी क एक राग सिर उ करण की तरह छातरो को अधयनरत रखती

ह वशकषक ककषागत ररवसरयो म विवरनन परकार क गवतविवियोमतथ अिीगम अनरिो वशकषण सामगरी

का उ योग ाठय सतको क सार परयोग करता ह

जब हम वशकषण-अविगम उ ागमो ि सीखन क दवषटकोण क बार म वनणथय लत ह तो अविगामारी की

आिशयकता का सबस अविक धयान रखत ह चकी अविगम की री परविया वशकषावरथयो क मवसतषटक म

चलती ह ि री तरह स वनरथर लारती ह की हल विदयवरथयो न कया सीखा ह इसवलए सामगरी दवषटकोण

और सामगरी का न वयाखया वयािहाररक फसल री तरह स वशकषक क हार म होत ह एक

ाठय सतक जररी नही वक एक िगथ क र ाठयिम को किर कर और यह र िषथ क वलए जररी हो

ऐसा री नही हो सकता ह कोई अचछी ाठय सतक

बचचो को याथिरण सावरयो और अनय क सार बातचीत करन क वलए तयार करती ह ना की लोगो को

आतमवनरथर बनान का कायथ करती ह एक ाठय सतक एक गाइड की तरह छातरोको सविय सहरावगता

क माधयम स समझ बनान क वलए मागथदशथन दती ह

लोगो को सरानाितररत जञान एक तयार उत ाद क र म दन क बजाय जञान को कािसच करात ह हाल ही

म एनसीईआरिी दवारा को एनसीएफ 2005 क अनसार बनाया गया ह ाठय िम परयास करन क

वलए -2005 क आिार र ाठयिम तयार करना ाठयिम हत वदलचस ाठय सतको क वनमाथण क

वलए दसतािज़ को एकतर

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 111

करना और तथयातमक जानकारी क सार वबना रार वदए बनाना एक चनौती णथ कायथ ह कल वमलाकर

विजञान को जञान क बढ़त शरीर क र म श वकया जाना चावहए न की एक तयार उत ाद क र म इस

तकथ क परकाश म यह कहा जा सकता ह की जररत वसफथ एक एकल ाठय सतक की ही नही ह बवलक

सीखन िाली सामगरी कज को वशकषण अविगम सामगरी क र छातरो को वियाशील बानाए रखन क

वलय इसतमाल वकया जा सकता ह

24 वशकषक पाठयिम ववकासकता क रप िथगामी चचाथ ाठयिम ररिदधथन की परविया का बोि कराती ह अगला परशन जो हम छना चाहत ह

िह ह कया ाठयिम विकास क इस अभयास म वशकषक की रवमका ह रारत म ाठयिम क ि या

राजय सतर र तयार वकया जाता ह और वशकषको दवारा इस बाहय र विकवसत इस ाठयिम का

कायाथनियन वकया जाता हपरी-सविथस वशकषक तयारी कायथिमो क दौरान अधया क वशकषा ाठयिम

और वशकषण सितितर र स अधयन वकया जाता ह और उनह अलग-अलग वनकायो की तरह माना जाता ह

परी-सविथस िीचर रवनिग का दौरान वशकषण विवियो कररकलम समपपरषण वियाओ र अविक धयान वदया

जाता ह जबवक परवशकष वशकषको को ाठयिम विकास परवियाओ ि म राग नही लन वदया जाता ह

उनको मौजदा ाठयिम का विशलषण करन क अिसर नही वदए जात ह इन-सविथस परवशकषण

कायथिमो क दौरान री फोकस अविकािशत वशकषण रणनीवतयो र होता ह उनको री ाठयिम

विकास म शावमल नही वकया जाता ह इस परकार वशकषको का कायथ महज ाठयिम और ाठय सतको

को समय स रा करना ह

इस परकार परी सविथस िीचर ि इनसविथस िीचर रवनिग क समय वशकषको म ाठयिम विकास की री

समझ विकवसत नही हो ाती ह वजसस उनक अधया न म कमी रह जाती ह ि ाठयिम ि वशकषण

अविगम रणनीवतयो म समपबनि सराव त नही कर ता ह ि वनरितर ारि ररक वयाखयान-सह-परदशथन विवि

का परयोग कर वशकषण अविगम परविया को सिचवलत करता ह जस इस अधयाय म हमन सीखा हवक

ाठयिम एक योजनाबदध अििारणा ह जो

वशकषण सीखन क दौरान अ वकषत अविगम की परावपत हत ाठय विषय िसत का चयन ि वियायो को

वनिाथररत करता ह जबवक वशकषण अविगम य वनिाथररत करता ह की वकस परकार स वदय गय ाठयिम

को सिपरवषत करग ाठयिम को एक साधय क र म जबवक वशकषण अविगम को एक सािन की तरह

समझा जा सकता ह इस परकार वशकषक की रवमका को एक वनयिवतरत िम म िथ वनिाथररत ाठयिम को

चयवनत वशकषण विवि का परयोग करत हए सिपरवषत करन िाल क र म दख सकत ह य रवमका छातरो

म रिन की आदत को ोवषत करती ह ि छातरो की सजनातमकता को कम करती ह वशकषक की य

रवमका उसक अिदर वनवहत निाचारी वियाओ को समापत करती ह यदव आजकल वशकषक सिसरानो म

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 112

वशकषको ि ाठयिम योजनाकताथओ को ाठयिम कम िी म वशकषको की आिशयकता महसस हो रही

जयादातर उचच वशकषक सिसरानो म ि परशासन ि िररषठ वशकषको को य लगता ह की ाठयिम वनमाथण क

परवत वशकषको को उततरदायी वकया जाए वशकषको स य उमपमीद की जाती ह की ि ाठयिम ाठयचयाथ

ि िकसि बकस का आलोचनातमक तरीक स ररवय कर ि ि अ न ककषा गत अनरिो ि परवकिसस को

ाठयिम कम िी क समकष रख वशकषको क दवनक ककषा गत अनरिो को यवद ाठयिम म समावहत

वकया जाएगा तो वनवशचत तोर र ऐसा ाठयिम छातरो की आिशयकता अनर होगा ि वयािहाररक र

स ठनीय होगा

परसतावित ाठयिम क सार कस वयिहार वकया जाना चावहए य वशकषक की सविय सहरावगता स ही

सिरि ह यवद ाठयिम वनमाथण म वशकषक की सहरावगता को अ वकषत वकया गया तो ाठयिम की

रचनातमकता और अवरनि निाचार हतोतसावहत होग अत वशकषको को ाठयिम और ाठय सतको

की समीकषा करना चावहए ाठयिम सवमवतयो म समीकषातमक वशकषको को शावमल करन म सिार म

मदद वमलती ह ऐस वशकषक ाठयिम सवमवतयो को उनक ककषा गत अनरिो का परवतवबिब सवमवत क

सामन लात ह वजसस ाठयिम की परासिवगकता बढती ह वशकषक सकल म बचचो की समकष िथवनिाथररत

ाठयिमो का िथ मलयािकन करत हए छातरो की समसयाएि और सकलो की जररतो को परकश म ला

सकत ह वजसस ाठयिम वनमाथण करत समय उसम सिार सिरि हो सक इसपरकार ाठयिम वशकषको

को तरी ईमानदारी स मदत कर सकता ह यवद यह वशकषको क सार गहन साझदारी क माधयम स

विकवसत वकया गया

ाठयिम वनमाथण म वशकषको की रागीदारी उनकी वसरवत री अलग अलग रर कषय म दखी जा सकती

ह जस ाठयिम वनमाथण यवद क ि सतर र या राजय सतर र होता ह तो इसम वशकषको की रागीदारी

बहत कम होती ह या कछ नामी वशकषक ही कम िी सदसय होत ह जबवक वजल या विदयालय सतर र

अविकािश वशकषक ाठयिम वनमाथण म राग लात ह

25 एनसी ईआर टी व उततराखाड क ववजञान पाठयिम की समीकषा उ रोकत वबनदओ म हमन ाठयिम वनमाथण ाठयिम म वशकषक की रवमका ि राषटरीय ाठयिम ढािचा

वदशावनदशो की विसतत चचाथ की ह सार ही एन सीइआरिीदवारा परदत ाठयिम म आऐ बदलाि

को री इिवगत करन का परयास वकया ह उ रोकत चचाथ स वनषटकवषथत हआ की यवद वशकषक को ाठयिम

वनमाथण क बार म एक ठोस समझ ह तो वशकषा वशकषण-अविगम सीखन क दवषटकोण और मलयािकन क

वसदधाितो मानदिड वनमाथण तरा अचछी वशकषा-वशकषण सामगरी क अनपरयोग आवद म आसानी स हिच

बना लता ह सार ही समसत छातरो को ककषा गत ाररवसरत म समान अिसर परदान करत हए ककषा म

गवतविवियो परयोगो को सि नन करता ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 113

समीकषातमक दवषटकोण स दखा जाए तो ाठयिम वनमाथण की राषटरीय ाठयचयाथ ढािच-2005 म वबना

बोझ सीखना (1993) ि रारतीय सविििान क िमथवनर कष समानतािादी और बहलिादी समाज को

मखय र स मागथदशथक की रवमका म रखा ह सामावजक नयाय और समानता क मलय क दवारा वशकषा क

वया क उददशय की परावपत ाठयिम क माधयम स की गई ह ाठयिम म सितितरता दसरो की परवत

सििदनशीलता रचनातमकता लोकतािवतरक परवियाओ ि आवरथक परवियाओ ि और सामावजक ररितथन को

शावमल वकया गया ह

इसक मागथदशथक वसदधाितो म इस तथय को परकि वकया गया ह वक वकस तरह वशकषा बोझ का सरोत बन गई

ह और बचचो र बढता तनाि शवकषक उददशयो म एक गहरी विर ण का परमाण ह इस विकवत को ठीक

करन क वलए ितथमान राषटरीय ाठयिम ढािचा 2005 न

ाठयिम क विकास क वलए ािच मागथदशथक वसदधाितो को अ नाया ह

i सकल स बाहर क जीिन को जञान स जोड़ना

ii यह सवनवशचत करना वक वसखान म रिन क तरीको स बदलाि आया ह

iii ाठय सतक क वित रहन की बजाय बचचो क समगर विकास क वलए ाठयिम को समदध

करना

iv रीकषाओ ि को अविक लचीला और ककषागत ररसरवतयो स एकीकत करना

v ककषा म लोकतािवतरक वयिसरा क अनर परजातावनतरक वशकषण विवियो का परयोग करना

राषटरीय ाठयिम ढािचा ाठयिम म छातरो को जञान का सजथन करन िाल की रवमका म रखता

हजबवक वशकषक स य उमपमीद की गई ह की िह छातरो क वयािहाररक ि ककषा क अनरिो को सिगवठत

करक बचच क सार सिगवत कर उनकी आिशयकता को धयान रखत हए उनह अविगम अिसर परदान

करगा बचचो क तनाि को कम करन हत एनसीएफ म विषय सीमाएि को नरम करन की वसफाररश की ह

तावक बचचो को एकीकत जञान और खशी का सिाद वमल सक

एनसीईआरिी ाठयिम क र म ऐस दसतािजो का वनमाथण करती ह जो विवरन विषयो की

सामगरी का बयोरा होता ह ि छातरो म उततम वयिहार और कौशल जञान और सकारातमक अवरिती का

वनमाथण करता ह रारत म एनसीईआरिी सकल वशकषा क सरी चरणो क वलए आदशथ उदाहरण

विकवसत करता ह इसी िम म राजय एनसीईआरिी ाठयिम को अ ना अनकवलत कर सकत ह

या सियि स विकास कर सकती ह

एनसीईआरिी दवारा वनवमथत ाठयिम म एनसी ऍफ़ 2005 क वजन मानको का परयोग वकया गया ह ि

इस परकार ह

i मनोिजञावनक दवषटकोण स बचचो क विकास क अनसार विषयो और विषयिसत की

उ यकततानसार चयन

ii एक सतर स अगल सतर तक विषय िसत म वनरितरता

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 114

iii सचीबदध उ विषयो क बीच अितःविषय और विषयगत सिबिि ि

iv अलग-अलग सकल विषयो म सतत अनशासवनक समपबनि होन चावहए

v बचचो क रोजमराथ क अनरि और जञान स विवरनन विषयो म सकल जञान क बीच सिबिि छातरो

को याथिरण सिबििी जञान और वचिता का जञान सकल क सरी सतरो र और विषयो म एक

समगर र वदया जाए तावक छातर याथिरण क परवत समपिदिशलता विकवसत कर सक

vi लवगक समानता शािवत सिासथय और विशष जररत िाल बचचो क सार सििदनशीलता को

विकवसत करन का परयाश वकया जाए

vii सरी सतरो र परतयक विषय म कायथ सिबििी वयिहार और मलयो का एकीकरण

viii रारत क हर हल म वशल की विरासत का सम कन करक सौदयथ की सििदनशीलता और

मलयो का ोषण करना चावहए

ix ओिर लव िग स बचन क वलए सकल और कॉलज ाठयिम क बीच सिबिि

x शकषवणक तकनीक की कषमता का उ योग करना

xi बचचो दवारा जञान का वनमाथण कराया जाए ि जञान क सरी कषतरो म लचीला न और रचनातमकता

को परोतसावहत वकया जाए

26 ववजञान पाठयिम म हए महतवपणथ पवरवतथन तिजञान

विजञान वशकषण की राषा सामगरी परविया वशकषारी की उमर-सीमा और सिजञानातमक हिच क अनर

होना चावहए विजञान वशकषक को विजञानि वशकषण म उन तरीको और परवियाओ ि को परयोग करना चावहए

जो छातरो म वजजञासा रचनातमकता को उत नन कर सक याथिरण को हर विषय को दयाि म रखत हए

परोजकि ि विया आिाररत वशकषण की आिशयकता ह ितथमान वसरवत स वकसी री गणातमक ररितथन

क वलए विजञान वशकषा क परवतमानो म बदलाि आया ह जस रिन र कम बल दना छातरो को करक

सीखना उनम जािचना रखना कौशल राषा वडजाइनअिलोकन विशलषण सिशलषण की कषमता को

मजबत वकया जाना चावहए सकलो म ाठयचयाथ ि ाठय सहगामी वियाओ क समरथन र अविक

जोर दन र बल वदया ह छातरो की खोजी कषमता आविषटकारशीलता और रचनातमकता स सिबिवित

गवतविवियो को करिात समय वशकषक को विजञान परयोगातमक वकिो और परयोगशालाओ ि तक हिच

बनान की बात की ह राषटरीय सतर र एक बड़ मान र विजञान म ला (फीडर म लो क सार म कलसिर

वजला राजय सतर) सकलो और वशकषको को परोतसावहत करन क वलए आयोवजत करन र बल वदया गया

सिकष म ाठयचयाथ ाठयिम और ाठय सतको (माधयवमक सतर र) की समीकषा करन र जञात होता

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 115

i जानकारी रार स बचन क वलए समझन र धयान द

ii विषय-विवशषट अधया न क वलए अितररकष म अितवनथवहत परदान कर सामगरी

iii सामगरी और सीखन क रीतर मलयािकन एकीकत कर

iv इििरवकिि होना चावहए

v ाठय सतक स र सीखन क वलए जगह परदान करता ह

vi विवरनन विषय कषतरो क बीच की सीमाएि नरम कर

vii हारो र अनरि कला क वलए याथपत सरान परदान कर और वशल स सिबिवित सामावजक

वचिताओ ि को शावमल करता ह

viii वलिग हावशए समह सिासथय और काम एनसीएफ - 2005 का अनिती और एनसीईआरिी

दवारा विकवसत नए ाठयिम क र म कछ राजयो न राजय क ाठयिम को विकवसत वकया ह

जबवक अनय सीि अ न ाठयिम और ाठय सतको म सिशोिन वकया ह

कछ राजयो अराथत वबहार करल छततीसगढ़ उड़ीसा और कनाथिक न अ ना राजय ाठयिम विकवसत

वकया ह उततराखिड न एनसीएफ-2005 क परकाश म अ न ाठयिम को सिशोवित वकया ह

सकल वशकषा क विवरनन चरणो क वलए एनसीईआरिी क ाठयिम और ाठय सतको िबल 1 राजयो

सिघ शावसत परदशो की वसरवत को अ नान या अनशासन सवहत सिशोिन र दशाथया गया ह

एनसीएफ -2005 क सार तावलकाओ ि म ाठयिम और ाठय सतक

1 कछ राजय क िशावसत परदश ह जो एनसीईआरिी क ाठयिम और ाठय सतको को अ नात ह

माधयवमक सतर र और री विजञान म वयािहाररक ह का दािा नही कर रह ह

याथपत र स याथपत की कमी क कारण िासति म वयािहाररक र स कायथ करन म सकषम

परयोगशालाओ ि और उ करणो शोिो न वदखाया ह वक हारो की कमी

विजञान म अनरि विजञान म गिरीरता स वशकषावरथयो क परदशथन

माधयवमक सतर र विजञान परवकिकल की शरआत क सार य

राजयो सिघ राजय कषतरो को सकषम मान र विजञान परयोगशाला की तरित खरीद की आिशयकता ह

परतयक माधयवमक विदयालय क वलए वकि और वशकषक परवशकषण क वलए कारथिाई आरिर करना

वशकषावरथयो को उवचत विजञान वशकषा परदान करन क वलए इस कषतर

2 तावलका 1 बताता ह वक कछ राजय सिघ राजय कषतरो जस वदलली गोिा

वहमाचल परदश झारखिड उततराखिड आवद शावमल ह

एनसीईआरिी की ाठय सतको को सरी चरणो क वलए अ नाया गया अनकवलत वकया

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 116

ककषाओ ि की अविकतम सिखया अराथत छठी - बारहिी स इन ाठय सतको म विषय वशकषण क वलए

एनसीएफ -2005 क ितथमान नए दवषटकोण क अनर और अनय ाठयिम साइिो स सीखन क वलए

िकसि क रीतर अिसर परदान करत ह और अ न सियि क सिदरथ स जञान स सिबिवित ह इसवलए एक

आिशयकता ह वससिम स ता लगान क वलए वक वशकषक उररत हए समझत ह दवषटकोण और कया

दवषटकोण और बीच म तराचार ह वजस तरह स वशकषक माधयवमक सतर र इन ाठय सतको का सिचालन

करत ह

इसक अलािा इन राजयो सिघ शावसत परदशो को री राजय-विवशषट की जररत की समीकषा करन की

आिशयकता ह विवरनन चरणो म वशकषावरथयो की शवकषक आिशयकताएि और उनह लान की आिशयकता

री ह बाहर ाठयिम क वदशा-वनदश या ाठयिम ररन क वलए ाठय सतको का नया सि राजय-

विवशषट जररतो और ाठयिम और ाठय सतको क बीच अितराल विकवसत

राषटरीय सतर र वशकषक री विजञान सीखन क चरण विवशषट उददशयो को समझता ह कया लनदन करन की

सामगरी और इस कस वयिवसरत कर की एक अचछी समझ ाठयिम सामानय र म अितदथवषट परापत करन

क वलए वशकषक को री सवििा परदान करता ह

यह समझना महति णथ ह वक वशकषा एक परविया और अनरि ह इस परविया का एक महति णथ वहससा ह

जब तक वक वशकषारी उस नही ढढ सकता ककषा म दशाथए गए सिदरो क सिबिि म दवषटकोण अनरि और

उसक रोजमराथ क जीिन अनरिो स जञान स सिबिवित ह जञान मातर सचना क सतर तक कम हो जाता ह

इसवलए सरी ाठयिम क अनरिो को यह सवनवशचत करन क वलए वडज़ाइन वकया जाना चावहए वक

वशकषावरथयो क सार विवरनन आिशयकताओ ि को सीखन और वशकषण-सीखन की परवियाओ ि स सिबिवित

ह अधया क को लान क दवारा सरी ाठयिमो क वलए विजञान ाठयिम सलर बनाना चावहए बातचीत

क उ यकत वबिदओ ि र लचीला न

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 117

इकाई 3 - विजञान वशकषण की विवधयाा और नीवियाा

31 परसतािना 32 उददशय

33 विजञान वशकषण की विविया और नीवतया

331 वयाखयान विवि

332 परदशथन विवि

333 आगमन-वनगमन विवि

334 विशलषण-सिशलषण विवि

335 परोजकि विवि

34 उ यकत वशकषण विवियो का चयन

35 सारािश

36 शब दािली 37 अभयास परशनो क उत तर

38 सिदरथ गरिर सची 39 वनबििात मक परशन

31 परसतावना वशकषण विविया वशकषक का मागथ दशथन करती ह वजस परकार स सही रासत की जानकारी क अराि म

कोई वयवकत अ न गितवय सरान तक नही हच सकता ह ठीक उसी परकार वशकषक एक उवचत वशकषण

विवि की जानकारी क अराि म अ न छातरो को विषय का सही जञान नही द सकता ह वशकषण विवियो

क दवारा ही वशकषक को यह जानकारी होती ह वक िह वकस परकार स अ न छातरो को वशकषा परदान कर वक

वशकषण क उददशय सफलता िथक परापत वकय जा सक इस इकाई म हम विजञान वशकषण की विवरनन

विवियो क विषय म तरा पररािशाली ककषा वशकषण हत इन विवियो को वकस परकार परयोग वकया जाना

चावहए इसक विषय म विसतार िथक चचाथ करग

32 उददशय इस इकाई क अधययन क शचात आ -

1 विजञान वशकषण की विवरनन विवियो क विषय म विसतार िथक िणथन कर सक ग

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 118

2 विजञान वशकषण को पररािशाली बनान क वलए परतयक वशकषण विवि को वकस परकार परयोग वकया जाना चावहए इसका िणथन कर सक ग

3 विजञान वशकषण की विवरनन विवियो क गण एिम दोषो क विषय म विसतार िथक िणथन कर सक ग 4 पररािशाली विजञान वशकषण हत उ यकत वशकषण विवियो का चयन एिम उ योग कर सक ग

33 ववजञान वशकषण की वववधया ा और नीवतया ा वशकषण विविया और वशकषण नीवतया दोनो शबदो क अ न अलग-अलग अरथ ह कछ लोग इन दोनो

शबदो को याथयिाची मान लत ह जबवक दोनो अलग- अलग ही ह Method शबद लविन राषा स

वलया गया ह वजसका अरथ ह Mode (माधयम) या (Way) रासता जबवक कॉवलन इिवगलश जम कोश

क अनसार नीवत का अरथ ह- यदध कला तरा यदध कौशल

ाठयिसत क परसततीकरण की शली को वशकषण विवि कहा जाता ह वशकषण विवि म ाठयिसत

महति णथ होती ह जसी ाठयिसत की परकवत होती ह उसी क अनर वशकषण विवि का चयन कर

वलया जाता ह जबवक वशकषण नीवत स तात यथ ऐसी कौशल णथ वयिसरा स ह वजनह ककषा वशकषण म

वशकषक अ न उददशयो को परापत करन क वलए तरा छातरो क वयिहार म िािवछत ररितथन लान क वलए

करता ह जब हम वकसी वशकषण विवि को वकसी विवशषट उददशय की परावपत क वलए परयोग करत ह तब

वशकषण विवि को ही वशकषण नीवत कहा जाता ह

सािारणतया वकसी री विषय क वशकषण स हल यह दखा जाता ह वक इस विषय को कयो ढाया जाय

इसी बात को धयान म रखत हए उस विषय क वशकषण उददशय वनिाथररत वकय जात ह वशकषण उददशय

वनिाथररत करन क शचात यह परशन उठता ह वक वकस परकार इस विषय को ढाया जाय अराथत वकन

वशकषण विवियो क माधयम स वशकषण वकया जाय वक वशकषण क उददशय परापत हो जाय विवरनन

अधययनो एिम रीकषणो दवारा यह वनवशचत कर वलया गया ह वक रौवतक विजञान क पररािशाली वशकषण

हत कौन-कौन सी वशकषण विविया उ यकत ह इन सरी वशकषण विवियो क विषय म हम आग

विसतार िथक चचाथ करग

अभयास परशन

1 ाठयिसत क परसततीकरण की शली को वशकषण नीवत कहा जाता ह (सतय असतय )

2 वशकषण विवि म ाठयिसत महति णथ होती ह जसी ाठयिसत की परकवत होती ह उसी क अनर

वशकषण विवि का चयन कर वलया जाता ह (सतय असतय )

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 119

331 वयाखयान तिति

वयाखयान का तात यथ वकसी री ाठ को राषण क र म ढ़ान स ह वयाखयान विवि विजञान वशकषण की

सबस सरल एिम ससती विवि ह हमार विदयालयो म परयोगशालाओ ि एिम उ यकत सहायक सामगरी क

अराि क कारण यह एक ऐसी विवि ह वजस विजञान वशकषको दवारा ककषा वशकषण हत अविकािशतः परयोग

वकया जाता ह यह एक वशकषक कवनित विवि ह इस विवि म वशकषक को ककषा म जो री परकरण

ढ़ाना होता ह उसक वलए हल स ही िह ाठय सतक या अनय वकसी सािन की सहायता स उस

परकरण र अ ना वयाखयान तयार कर लता ह और वफर ककषा म छातरो क समपमख अ ना वयाखयान परसतत

कर दता ह इस विवि म छातर वनवषटिय शरोता क र म वशकषक का राषण सनत रहत ह छातर वशकषण म

रवच ल रह ह या नही उनको कछ समझ आ रहा ह या नही इन सब बातो स वशकषक अविकतर

उदासीन ही रहता ह

इस तिति का उपयोग कस कर

इस विवि को ककषा वशकषण हत परयोग करना अतयित सरल ह हम हल ही अधययन कर चक ह वक इस

विवि को विजञान वशकषण हत परयोग करन क वलए वशकषक ककषा म ढाय जान िाल परकरण को

ाठय सतक या अनय वकसी सािन की सहायता स ढ़कर उस परकरण र अ ना वयाखयान तयार कर

लता ह और वफर ककषा म छातरो क समपमख अ ना वयाखयान परसतत कर दता ह उदाहरण क वलए वशकषक

छातरो को ldquoठोस िि ि गस की सिरचनाrdquo परकरण को समझाना चाहता ह तो इसक वलए वशकषक सिथपररम

ाठय सतक या अनय वकसी सािन की सहायता स इस परकरण को ढ़कर ldquoठोस िि ि गस की

सिरचनाrdquo र अ ना वयाखयान तयार कर लता ह और वफर ककषा म छातरो क समपमख अ ना वयाखयान

परसतत कर दता ह वशकषक यवद आिशयक समझता ह तो परकरण क स षटीकरण हत वयाखयान क बीच

बीच म दवनक जीिन स समपबिवित कछ उदाहरण री परसतत कर दता ह

गण ि दोष

गण

1 आवरथक िवषट स यह विवि उ योगी ह इस विवि दवारा वशकषण करन स समय एिम िन दोनो की

बचत होती ह

2 यह अतयित सरल विवि ह इस विवि क परयोग क वलए वशकषक को वकसी विशष तयारी की

आिशयकता नही होती ह

3 यह विवि उचच ककषा क छातरो क वलए उ योगी ह

दोष

1 यह अमनोिजञावनक विवि ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 120

2 इस विवि दवारा छातरो को विजञान जस परायोवगक विषय को समझन म कवठनाई होती ह वशकषण क

दौरान छातर ककषा म वनवषटिय शरोता क र म बठ रहत ह अतः छातरो को सियि करक सीखन क

अिसर नही परापत होत ह

3 इस विवि दवारा छातरो म िजञावनक िवषटकोण का विकास नही होता ह

4 यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

5 इस विवि दवारा सीखा गया जञान सरायी नही होता ह

अभयास परशन

3 यह एक वशकषक कवनित विवि ह (सतय असतय )

4 वयाखयान विवि क कोई दो दोष वलवखए

332 परदियन तिति

विजञान वशकषण क कषतर म परदशथन विवि एक अतयित महति णथ विवि ह इस विवि म वशकषक वकसी परकरण

क सदधािवतक कष को अविक स षट करन ि उसकी सतयता की जािच करन हत ककषा म छातरो क सार

परयोग परदशथन करता ह परयोग परदशथन क मधय म वशकषक छातरो स परशन करता रहता ह छातर री वशकषक

क सामन अ न परशन रखत जात ह और आिशयकता ड़न र वशकषक छातरो क परशनो का उततर दता रहता

ह अतः परदशथन विवि म वशकषण क समय वशकषक परयोग परदशथन करता जाता ह और छातर परयोग परदशथन

का वनरीकषण करत हए निीन जञान परापत करत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

इस विवि को विजञान वशकषण हत वकस परकार परयोग करना चावहय इसको हम एक उदाहरण की सहायता

स स षट कर सकत ह मान लीवजय वशकषक छातरो को यह वनयम बताना चाहता ह वक िात अमपल क सार

विया करक लिण बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह तो इस वनयम को

समझान क वलए वशकषक छातरो क समपमख सियि परयोग परदशथन करक छातरो दवारा परयोग को सियि दखकर

इस वनयम को समझन हत परोतसावहत करता ह सबस हल वशकषक छातरो स परशन करता ह - वजिक िात ह

या अिात छातर उततर दत ह ndashवजिक एक िात ह बताइय सलफ़यररक अमपल का रासायवनक सतर कया ह

छातर नः उततर दत ह - H2SO4 अब वशकषक छातरो स कहता ह- वक आइय एक परयोग करक दखत ह

वक जब वजिक कवणकाओ ि र िीर ndashिीर सलफ़यररक अमपल डाला जाता ह तो कया होता ह अब वशकषक

ककषा म परयोग परदशथन करता ह एिम छातर धयान िथक परयोग का वनरीकषण करत ह ककषा म वशकषक परयोग

क दौरान जब एक बीकर म वजिक कवणकाओ ि को लकर उन र िीर ndashिीर सलफ़यररक अमपल डालता ह

तो बीकर म बलबल वनकलन लगत ह छातर वशकषक को बतात ह वक बीकर स कछ बलबल वनकल रह

ह एक छातर वशकषक स छता ह- य बलबल वकस कारण वनकल रह ह वशकषक इन बलबलो क ास

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 121

जलती हई मोमबतती ल जाता ह जस ही बलबलो क ास जलती हई मोमबतती हचती ह ॉ की

आिाज़ क सार बलबलो क र म वनकल रही हाइरोजन गस जलन लगती ह अब वशकषक छातरो को

बताता ह वक इस परयोग क दौरान बीकर म य बलबल हाइरोजन गस क बिनन क कारण वनकल रह ह

अित म वशकषक इस परयोग को समीकरण क र म शयाम टट र वलख दता ह-

Zn + H2SO4 rarr ZnSO4 + H2uarr

वजिक सलफ़यररक अमपल वजिक सलफि हाइरोजन गस

(िात ) (अमपल) (लिण)

इस परकार परदशथन विवि म छातर वशकषक दवारा वकय गय परयोग परदशथन को सियि दखकर सीखत ह छातरो

को वशकषक दवारा वकय गय परयोग स स षट हो जाता ह वक -िात अमपल क सार विया करक लिण बनाती

ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह

गण ि दोष

गण

i इस विवि म वशकषक तरा छातर दोनो सविय रहत ह

ii यह विवि छोिी ककषाओ ि क वलए अविक उ यकत ह

iii इस विवि म वशकषक दवारा वकय गय परयोग परदशथन को छातर सियि दखकर सीखत ह

iv इस विवि दवारा छातरो म वनरीकषणतकथ एिम वचितन शवकत का विकास होता ह

v इस विवि दवारा परापत जञान अविक सरायी होता ह

दोष

i यह विवि बड़ी ककषाओ ि क वलए उ यकत नही ह

ii इस विवि दवारा छातरो को सियि परयोग करक सीखन क अिसर परापत नही होत ह

iii इस विवि म परयोग परदशथन क दौरान सरी छातर ठीक परकार स परयोग का वनरीकषण नही करत ह

iv करी करी वशकषक दवारा यवद वकसी कारणिश परयोग सफल नही होता ह तो छातरो क मन म विषय क

परवत कई भािवतयाि दा हो जाती ह

अभयास परशन

5 परदशथन विवि क कोई दो गण वलवखए

6 परदशथन विवि क कोई दो दोष वलवखए

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 122

333 आगमन-तनगमन तिति

आगमन तिति इस विवि म परतयकष अनरिो उदाहरणो तरा परयोगो दवारा छातरो स सामानय वनयमो

को वनकलिाया जाता ह दसर शबदो म हम कह सकत ह वक इस विवि म उदाहरणो को दकर वनयम का

स षटीकरण वकया जाता ह इस विवि का परयोग करत हए वशकषक छातरो क अनरि कषतर स ही उनह

विवरनन उदाहरणो को दकर उनस वनरीकषण रीकषण एिम सोच विचार कराकर सामानय वनयम या

वसदधानत को वनकलिाता ह इस विवि म विवशषट स सामानय की ओर सरल स सकषम की ओर ि परतयकष

स परमाण की ओर आवद वशकषण सतरो का परयोग वकया जाता ह इस विवि दवारा कयोवक सामानय वनयमो

की खोज की जा सकती ह अतः वशकषक दवारा परसतत वकय गय उदाहरण छातरो क मानवसक सतर क

अनकल होन चावहय

इस तिति का उपयोग कस कर

इस विवि को विजञान वशकषण हत वकस परकार परयोग करना चावहय इसको हम एक उदाहरण की सहायता

स स षट कर सकत ह मान लीवजय वशकषक छातरो को यह वनयम बताना चाहता ह वक िात अमपल क सार

विया करक लिण बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह तो इस वनयम को

समझान हत वशकषक छातरो को परयोगशाला म सियि रीकषण करक वनयम को सीखन क वलए परोतसावहत

करता ह सबस हल वशकषक छातरो स परशन करता ह -बताइय वजिक िात ह या अिात छातर उततर दत ह ndash

वजिक एक िात ह अब वशकषक छातरो स कहता ह- वक परयोग करक बताइय वक जब वजिक कवणकाओ ि र

िीर ndashिीर सलफ़यररक अमपल डाला जाता ह तो कया होता ह छातर परयोगशाला म सियि परयोग करत ह

और यह ात ह वक परयोग क दौरान जब एक बीकर म वजिक कवणकाओ ि को लकर उन र िीर ndashिीर

सलफ़यररक अमपल डाला जाता ह तो बीकर म बलबल वनकलन लगत ह छातर वशकषक को वदखात ह वक

यह परयोग करन र बीकर स कछ बलबल वनकल रह ह अब वशकषक छातरो को इन बलबलो क ास

जलती हई मोमबतती ल जान क वलए कहता ह जब छातर इन बलबलो क ास जलती हई मोमबतती ल

जात ह तो ॉ की आिाज़ क सार बलबलो क र म वनकल रही हाइरोजन गस जलन लगती ह

वशकषक छातरो स छता ह ndash बताइय इस परयोग क दौरान बीकर म य बलबल वकस गस क बिनन क कारण

वनकल रह ह छातर उततर दत ह - हाइरोजन गस अब अित म वशकषक इस परयोग को समीकरण क र म

शयाम टट र वलख दता ह-

Zn + H2SO4 rarr ZnSO4 + H2uarr

वजिक सलफ़यररक अमपल वजिक सलफि हाइरोजन गस

(िात ) (अमपल) (लिण)

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 123

इस परकार आगमन विवि म छातर सियि परयोग करक सीखत ह छातरो को सियि क परयोग स स षट हो जाता

ह वक -िात अमपल क सार विया करक लिण बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती

गण ि दोष

गण

1 यह एक मनोिजञावनक विवि ह

2 यह छातर कवनित विवि ह

3 इस विवि दवारा छातरो को निीन जञान को खोजन का अिसर वमलता ह वजसस छातरो म

अनसनिान की परिवतत का विकास होता ह

4 यह विवि छातरो को सियि करक सीखन र बल दती ह

5 इस विवि दवारा सीखा गया जञान अविक सरायी होता ह कयोवक छातर इस विवि म सियि करक

सीखत ह

6 यह विवि छोिी ककषा क छातरो क वलए अविक उ योगी ह

7 यह विवि वयािहाररक जीिन क वलए अविक उ योगी ह

दोष

1 इस विवि दवारा सीखन म समय एिम शरम अविक लगता ह

2 इस विवि दवारा किल सामानय वनयमो की खोज की जा सकती ह

3 यह विवि हमार विददालयो की रमप रागत ककषाओ ि क अनकल नही ह कयोवक इस विवि म

वयवकतगत वशकषण र जोर दना ड़ता ह

तनगमन तिति

वनगमन विवि म हम वनयम स उदाहरण की ओर चलत ह इस विवि म छातरो को सियि करक सीखन क

अिसर नही वमलत ह यह विवि आगमन विवि क एकदम वि रीत ह इस विवि म वशकषक दवारा वकसी

सामानय वनयम या वसदधानत को छातरो क समकष परसतत कर वदया जाता ह और वफर वशकषक उस वनयम

की सतयता की जाच या वषट क वलए विवरनन उदाहरणो का परयोग करता ह वनगमन विवि म हम

सामानय स विवशषट की ओर सकषम स सरल की ओर ि परमाण स परतयकष की ओर आवद वशकषण सतरो का

परयोग करत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

मान लीवजय वशकषक छातरो को यह वनयम बताना चाहता ह वक िात अमपल क सार विया करक लिण

बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह तो वनगमन विवि म वशकषक इस वनयम को

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 124

छातरो क समकष सियि परसतत कर दता ह और वफर कछ उदाहरणो की सहायता स उस वनयम की सतयता

की जािच करता ह सबस हल वशकषक छातरो स परशन करता ह -बताइय वजिक िात ह या अिात छातर

उततर दत ह ndashवजिक एक िात ह अब वशकषक छातरो क समकष वनयम को सियि परसतत करता ह वक- िात

अमपल क सार विया करक लिण बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह इसको

हम एक उदाहरण की सहायता स स षट कर सकत ह जब वजिक कवणकाओ ि र िीर - िीर सलफ़यररक

अमपल डाला जाता ह तो लिण क र म हम वजिक सलफि परापत होता ह तरा सार ही इस अवरविया म

हाइरोजन गस वनकलती ह समीकरण क र म इस हम वनमपन परकार परदवशथत कर सकत ह -

Zn + H2SO4 rarr ZnSO4 + H2uarr

वजिक सलफ़यररक अमपल वजिक सलफि हाइरोजन गस

(िात ) (अमपल) (लिण)

अब इस वनयम को अविक स षट करन हत तरा इसकी सतयता की जािच हत वशकषक कछ अनय उदाहरण

छातरो क समकष परसतत करता ह ndashछातरो वजस परकार वजिक जो वक एक िात ह सलफ़यररक अमपल क सार

विया करक लिण बनाता ह एिम इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह ठीक इसी परकार

सोवडयम री जो वक एक िात ह काबोवनक अमपल क सार विया करक लिण बनाता ह तरा इस

अवरविया म री हाइरोजन गस वनकलती ह इस अवरविया को हम समीकरण क र म वनमपन परकार

परदवशथत कर सकत ह ndash

2 Na+ H2CO3 rarr Na2CO3 + H2uarr

सोवडयम काबोवनक अमपल सोवडयम काबोनि हाइरोजन गस

(िात ) (अमपल) (लिण)

गण ि दोष

गण

1 यह विवि उचच ककषा क छातरो वलए अविक उ योगी ह

2 इस विवि दवारा कम समय म अविक जञान परापत वकया जा सकता ह

दोष

1 यह विवि अमनोिजञावनक ह

2 यह वशकषक कवनित विवि ह

3 इस विवि म छातर ककषा म वनवषटिय शरोता क र म बठ रहत ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 125

4 यह विवि छातरो म िजञावनक िवषटकोण का विकास नही करती ह

5 यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

6 इस विवि म छातरो को सियि करक सीखन क अिसर नही वमलत ह अतः सीखा गया जञान

सरायी नही होता ह

स षट ह वक आगमन तरा वनगमन विविया दोनो ही एक दसर की रक ह छातरो को िासतविक जञान दन क

वलए जहा एक ओर आगमन विवि दवारा वनयमो को परवत ावदत करना आिशयक ह िही वनगमन विवि क

दवारा परवत ावदत वकय गय वनयम की सतयता की जािच री आिशयक ह अतः सफल विजञान वशकषण क

वलए विजञान वशकषक को दोनो विवियो का स षट जञान होना चावहए तरा दोनो विवियो को एक दसर की

रक विवि क र म यरा समय उवचत परयोग करना आना चावहए

अभयास परशन

7 आगमन तरा वनगमन विविया दोनो ही एक दसर की रक विविया ह (सतय असतय )

8 वनगमन विवि म हम उदाहरण स वनयम की ओर चलत ह (सतय असतय )

9 इस विवि म विवशषट स सामानय की ओर सरल स सकषम की ओर ि परतयकष स परमाण की ओर

आवद वशकषण सतरो का परयोग वकया जाता ह (सतय असतय )

10 आगमन विवि क कोई दो गण वलवखए

11 वनगमन विवि क कोई दो दोष वलवखए

334 तिशलषण-सशलषण तिति

तिशलषण तिति

विशलषण शबद का अरथ ह - वकसी णथ िसत को उसक छोि-छोि रागो म विरकत करना अराथत वकसी

समसया को हल करन क वलए उस ऐस छोि छोि खणडो म विरावजत करना वजनको नः सिगवठत करक

समसया का हल वकया जा सक यह एक ऐसी वशकषण विवि ह वजसम हम अजञात स जञात की ओर

वनषटकषथ स अनमान की ओर तरा णथ स अिश की ओर चलत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

उदाहरण क वलए वशकषक छातरो क सामन ldquoअमपल कषार एिम लिणrdquo क परतयय को परसतत करता ह

वशकषक छातरो क परशनो क उततर हा या नही म दता ह इस विवि म कयोवक हम णथ स अिश की ओर चलत

ह अतः वशकषक सबस हल छातरो को लिण क विषय म समझाता ह वक लिण वकस कहत ह यह वकस

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 126

परकार बनता ह इसक शचात िह अमपल एिम कषार क विषय म छातरो को समझाता ह वक अमपल और

कषार वकनह कहत ह

वशकषक छातरो क समपमख हमार घरो म खान म परयोग वकय जान िाला नमक परसतत करता ह अब िह

छातरो स छता ह वक आ क समपमख जो सफ़द रिग का दारथ परसतत वकया गया ह इसको चखकर

हचावनए की यह कया ह एक छातर नमक को चखकर बताता ह वक यह नमक ह वशकषक छातर क सही

उततर की वषट करता ह और कहता ह वक आ का जिाब सही ह यह नमक ही ह वजस हम अ न घरो म

खान की चीज़ो म नमकीन सिाद दन क वलए परयोग करत ह वशकषक छातरो स छता ह वक कया आ

जानत ह रसायन विजञान की राषा म नमक को कया कहा जाता ह इस परशन र छातर वनरततर हो जात ह

अब वशकषक छातरो को स षट करता ह की रसायन विजञान की राषा म नमक को लिण कहा जाता ह तरी

एक छातर परशन करता ह की लिण कया ह इस र वशकषक छातर क परशन का उततर दता ह और बताता ह वक

लिण िह यौवगक ह जो वकसी अमपल क एक या अविक हाइरोजन आयन को वकसी कषार क एक एक या

अविक िनायन स परवतसराव त करन र बनता ह

जस सोवडयम कलोराइड हाइरोकलोररक अमपल क हाइरोजन आयन को सोवडयम हाइरोकसाइड क

सोवडयम आयन दवारा परवतसराव त करन स बनता ह वशकषक वनमपन समीकरण को शयाम टट र वलख दता

ह -

NaOH + HCl rarr NaCl + H2O

सोवडयम हाइरोकसाइड हाइरोकलोररक अमपल सोवडयम कलोराइड

( कषार ) (अमपल ) (लिण) (जल)

अब इस उदाहरण को धयान म रखत हए वशकषक की उ वसरवत म छातर परयोगशाला म सियि रीकषण

करक दखत ह वक वकस परकार अमपल ि कषार की विया स लिण बनता ह ि परयोगशाला म समान

आयतन म सोवडयम हाइरोकसाइड तरा हाइरोकलोररक अमपल एक बीकर म लकर दोनो को एक सार

वमलाकर िीर-िीर गरम करत ह ऐसा करन र ि दखत ह वक कछ समय बाद जल क सार सफ़द

विसिल क र म एक दारथ परापत होता ह वशकषक इस दारथ को दखकर छातरो को बताता ह वक यह

सफ़द विसिलीय दारथ जो आ को परापत हआ ह यही सोवडयम कलोराइड ह जो वक एक लिण ह अब

वशकषक नः परशन करता ह वक कया आ जानत ह वक लिण वजनकी अवरविया क फलसिर बना ह

अराथत अमपल और कषार ि कया होत ह छातर नः वनरततर हो जात ह वशकषक अब स षट करत हए

बताता ह वक अमपल एक ऐसा दारथ ह जो हाइरोजन आयन दता ह जस- HCl H2SO4 आवद जबवक

कषार एक ऐसा दारथ ह जो हाइरोजन आयन लता हजस ndash NaOH KOH आवद सोवडयम कलोराइड

क वनमाथण हत आ न परयोगशाला म हाइरोकलोररक अमपल ि सोवडयम हाइरोकसाइड परयोग वकय जोवक

िमशः अमपल ि कषार ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 127

गण ि दोष

गण

1 यह एक मनोिजञावनक विवि ह

2 यह विवि खोज की एक विवि ह

3 यह विवि छातरो म मौवलक वचितन एिम विचार को परोतसावहत करती ह

4 यह विवि अरथ णथ सीखन को परोतसावहत करती ह

5 इस विवि दवारा छातर सविय रहत हए जञान परापत करत ह

6 यह विवि सियि करक सीखन र बल दती ह

7 इस विवि दवारा सीखा गया जञान अविक सरायी होता ह और यवद छातर कछ रल री जाय तो उस नः

आसानी स याद वकया जा सकता ह

8 इस विवि दवारा छातर म तकथ शवकत तरा सही ढिग स वनणथय लन की आदत का विकास होता ह

दोष

1 यह अविक लमपबी विवि ह इसम समय ि शरम अविक लगता ह

2 यह विवि सरी परकरणो क वलए उ यकत नही ह

3 परतयक वशकषक दवारा इस विवि का परयोग नही वकया जा सकता ह इसक परयोग हत उवचत परवशकषण

की आिशयकता ह

4 यह विवि सरी छातरो क वलए उ यकत नही ह औसत स वनमपन बवदध सतर िाल छातर इस विवि दवारा

सही स नही सीख ात

सशलषण तिति

सिशलषण विवि विशलषण विवि क वबलकल वि रीत ह सिशलषण का अरथ ह- वकसी िसत क छोि - छोि

खणडो को न एकवतरत कर दना वजनम वक उस करी विरकत वकया गया रा इस विवि म हम वकसी

समसया का हल करन क वलए उस समसया स सिबिवित िथ जञात सचनाओ ि को एक सार वमलाकर उस

समसया को हल करन का परयतन करत ह यह एक ऐसी वशकषण विवि ह वजसम हम जञात स अजञात की

ओर अनमान स वनषटकषथ की ओर तरा अिश स णथ की ओर चलत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

उदाहरण क वलए वशकषक छातरो क सामन ldquoअमपल कषार एिम लिणrdquo क परतयय को परसतत करता ह

वशकषक छातरो क परशनो क उततर हा या नही म दता ह इस विवि म कयोवक हम अिश स णथ की ओर चलत

ह अतः वशकषक सबस हल छातरो को अमपल एिम कषार क विषय म समझाता ह वक अमपल और कषार

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 128

वकनह कहत ह इसक शचात िह लिण क विषय म छातरो को समझाता ह वक लिण वकस कहत हऔर

यह वकस परकार बनता ह

वशकषक छातरो स छता ह वक आ न करी नीब का सिाद चखा ह यह कसा होता ह एक छातर उततर

दता ह हा नीब का सिाद खटटा होता ह वशकषक नः परशन करता ह कोलड वरिक का सिाद कसा होता ह

छातर उततर दत ह ndash रोड़ा कड़िा वशकषक छता ह ndashकया आ जानत ह नीब का सिाद खटटा और कोलड

वरिक का सिाद रोड़ा कड़िा वकस कारण होता ह एक छातर उततर दता ह नीब का सिाद अमपल की िजह

स खटटा होता ह और कोलड वरिक का सिाद कषार क कारण कड़िा होता ह वशकषक परशन करता ह की कया

आ जानत ह अमपल और कषार वकनह कहत ह छातर वनरततर हो जात ह तब वशकषक स षट करता ह वक

अमपल एक ऐसा दारथ ह जो हाइरोजन आयन दता ह जस- HCl H2SO4 आवद जबवक कषार एक ऐसा

दारथ ह जो हाइरोजन आयन लता हजस ndash NaOH KOH आवद अब वशकषक छातरो क समपमख

हमार घरो म खान म परयोग वकय जान िाला नमक परसतत करता ह अब िह छातरो स छता ह वक आ क

समपमख जो सफ़द रिग का दारथ परसतत वकया गया ह इसको चखकर हचावनए की यह कया ह एक छातर

नमक को चखकर बताता ह वक यह नमक ह वशकषक छातर क सही उततर की वषट करता ह और कहता ह

वक आ का जिाब सही ह यह नमक ही ह वजस हम अ न घरो म खान की चीज़ो म नमकीन सिाद दन

क वलए परयोग करत ह वशकषक छातरो स छता ह वक कया आ जानत ह रसायन विजञान की राषा म

नमक को कया कहा जाता ह इस परशन र छातर वनरततर हो जात ह अब वशकषक छातरो को स षट करता ह

की रसायन विजञान की राषा म नमक को लिण कहा जाता ह तरी एक छातर परशन करता ह की लिण

कया ह इस र वशकषक छातर क परशन का उततर दता ह और बताता ह वक लिण िह यौवगक ह जो वकसी

अमपल क एक या अविक हाइरोजन आयन को वकसी कषार क एक एक या अविक िनायन स परवतसराव त

करन र बनता ह

जस सोवडयम कलोराइड (लिण) हाइरोकलोररक अमपल (अमपल ) क हाइरोजन आयन को सोवडयम

हाइरोकसाइड ( कषार ) क सोवडयम आयन दवारा परवतसराव त करन स बनता ह वशकषक वनमपन समीकरण

को शयाम टट र वलख दता

ह -

NaOH + HCl rarr NaCl + H2O

सोवडयम हाइरोकसाइड हाइरोकलोररक अमपल सोवडयम कलोराइड

( कषार ) (अमपल ) (लिण) (जल)

गण ि दोष

गण

1 यह एक सिवकषपत विवि ह

2 यह एक तावकथ क विवि ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 129

3 इस विवि म समय एिम शरम की बचत होती ह

4 इस विवि म हल स खोज गय तथयो को वयिवसरत तरीक स परसतत वकया जाता ह

5 यह विवि अविकािश छातरो क वलए उ यकत ह

दोष

1 यह एक अमनोिजञावनक विवि ह

2 इस विवि म छातर ककषा म एक वनवषटिय शरोता क र म बठा रहता ह

3 इस विवि म छातरो को सियि करक सीखन क वलए कोई सरान नही वदया जाता ह

4 इस विवि दवारा सीखा गया जञान अविक सरायी नही होता ह अतः यवद छातर कछ रल जाय तो

उस याद कर ाना छातर क वलए सिरि नही ह

5 यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

6 इस विवि म खोज क वलए कोई सरान नही होता ह

उ रोकत दोनो विविया एक दसर की रक ह दोनो विवियो म अ न कछ गण ह तो कछ दोष री ह इन

दोनो विवियो को सियकत र म परयोग करक विजञान वशकषण को पररािशाली बनाया जा सकता ह

कयोवक ऐसा करन र एक विवि क गण दसरी विवि क दोषो को सियि दर कर दत ह अतः जो विजञान

वशकषक विशलषण विवि दवारा छातरो म वकसी समसया को हल करन की अितिथवषट दा कर सकता ह िही

वशकषक सिशलषण विवि का परयोग एक रक विवि की तरह करक सफल विजञान वशकषण कर सकता ह

अभयास परशन

12 विशलषण एिम ________ दोनो विविया एक दसर की_________ह

13 _______ विवि म हम अजञात स जञात की ओर वनषटकषथ स अनमान की ओर तरा णथ स अिश

की ओर चलत ह

14 __________हम जञात स अजञात की ओर अनमान स वनषटकषथ की ओर तरा अिश स णथ की

ओर चलत ह

15 विशलषण विवि क कोई दो दोष वलवखए

16 सिशलषण विवि क कोई दो गण वलवखए

335 परोिकट तिति

परोजकि विवि क जनमदाता जॉन डीिी क वशषटय डबल एच वकल वरक ह वकल वरक क अनसार ndash

ldquoपरोजकि िह कायथ ह वजस री लगन क सार सामावजक िातािरण म णथ वकया जाता ह rdquo इस विवि

म ढाई का क ि परोजकि ही होता ह परोजकि विवि म छातर वकसी समसया क समािान क वलए वकसी

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 130

उवचत परोजकि का चयन करक ि योजनाबदध तरीक स कायथ करक परोजकि को रा करन का परयास

करत ह अतः हम कह सकत ह वक ldquoकरक सीखनाrdquo ही परोजकि विवि का सार ह परोजकि विवि स

वशकषण करन क वलए वशकषक तरा छातरो को वनमपन छह सो ानो का अनसरण करना ड़ता हndash

ररवसरवत उत नन करना

परोजकि का चयन करना

कायथिम बनाना

कायथिम क अनसार कायथ करना

कायथ का मलयािकन करना

समप णथ कायथ का ररकॉडथ रखना

i पररतसरति उतपनन करना - सबस हल वशकषक छातरो क सामन ऐसी ररसरवत उत नन करता ह

वक छातर क समपमख कोई समसया आय या िह वकसी आिशकता को सियि अनरि कर इस

समसया का समािान करना या आिशयकता की वतथ करना ही छातर को परोजकि चनन क वलए

परररत करता ह

ii परोिकट का चयन करना - दसर सो ान म छातर दवारा अ न वशकषक क सार ि ककषा क अनय

सावरयो क सार चचाथ ररचचाथ करक परोजकि का चयन कर वलया जाता ह तरा इस परोजकि क

उददशय री स षट कर वलए जात ह परोजकि को रा करन क वलए अराथत समसया का समािान

करन क वलए परतयक छातर को अ नी योजना परसतावित करन की णथ सितितरता होती ह

iii काययिम बनाना - तीसर सो ान म वशकषक की उवचत दख रख म परोजकि क मागथ म आन

िाली रशावनयो उ लबि सिसािनो वकय जान िाल विविि कायो आवद र चचाथ करक एक

कायथिम बना वलया जाता ह कायथिम ऐसा बनाया जाता ह वक ककषा का परतयक छातर उस णथ

करन म अ ना सहयोग कर सक

iv काययिम क अनसार कायय करना - सरी छातरो को उनकी योगयता एिम सामथयथ क अनसार

ही कायथ वदया जाता ह कायथिम बन जान क शचात सरी छातर अ न उततरदावयति को रली

परकार रा करत ह अ न कायथ को समप ावदत करन हत यवद छातरो को निीन जञान गरहण करन

की आिशयकता होती ह तो ऐस म वशकषक अ न अनरि क आिार र छातरो को निीन जञान

गरहण करन म सहायता करता ह

v कायय का मलयाकन करना - इस सो ान म समय समय र विचार गोषठी का आयोजन करक

कायथ का मलयाङकन वकया जाता ह सार ही कायथिम क विवरनन वियाकला ो र विचार

करक उनम आिशयकतानसार सिशोिन री वकया जाता ह परोजकि क रा हो जान र यह री

दखा जाता ह वक उददशयो की वतथ म कहा तक सफलता वमली ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 131

vi समपणय कायय का ररकॉडय रखना - छातरो दवारा परोजकि क चनाि स लकर उसक रा हो जान

तक सार कायो का ररकॉडथ रखा जाता ह छातर अ न कायो क बार म रवजसिर म वलखत जात ह

परोजकि को रा करन म जो कवठनाइया सामन आयी जो कवमयाि उनक कायथ म रह गयी ि जो

री निीन जञान इस परोजकि क दौरान उनह परापत हआ उनह छातर नोि कर लत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

उदाहरण क वलए मान लीवजय कोई वशकषक अ न विददालय म विजञान सिगरहालय बनिाना चाहता ह ऐस

म िह छातरो को सीि कोई आदश ना दकर विजञान सिगरहालय की आिशयकता अनरि करान हत छातरो

को वकसी विजञान सिगरहालय क शवकषक भमण र ल जाता ह शवकषक भमण क दौरान छातरो को अनरि

होता ह वक उनक विददालय म री विजञान सिगरहालय जस विजञान क नमन मॉडल उ करण इतयावद होन

चावहए विजञान सिगरहालय स िाव स आन क शचात एक गोषठी का आयोजन वकया जाता ह जहा र

छातर अ न- अ न परसताि रखत ह विददालय म कोई छातर विददत घििी लान की बात कहता ह तो कोई

छातर रौवतक तला बनाकर लान की बात कहता ह अित म विचार विमशथ क बाद एक योजना सिीकार

कर ली जाती ह वक विददालय म ही छातरो दवारा एक विजञान सिगरहालय बनाया जायगा योजना को रा

करन क वलए विचार विमशथ करक एक कायथिम बनाया जाता ह सरी छातर अ नी अ नी रवच और

सामथयथ क अनसार विवरनन कायथ हार म ल लत ह और अ न-अ न कायथ को उतसाह क सार रा करन

म जि जात ह जस - कोई छातर वयय का वहसाब वकताब रखता ह कोई छातर विजञान क नमन खरीद कर

लान की वजमपमदारी लता ह कोई िजञावनक उ करणो को लान की वजमपमदारी लता ह तो कोई विजञान

का कोई मॉडल बना कर लान की वजमपमदारी लता ह कायथ को सफलता िथक समप ावदत करन क वलए

आिशयकता ड़न र वशकषक छातरो को उवचत रामशथ एिम सहायता री दता ह समय-समय र

वशकषक एिम छातर वमलकर कायथिम का मलयाङकन करत हतरा यह दखत ह की उददशय की परावपत कहा

तक हई ह यवद ि अनरि करत ह की कायथिम म कही कोई कमी रह गयी ह तो आिशयकतानसार

अ न कायथिम म सिशोिन री करत ह छातर अ न कायो क बार म रवजसिर म वलखत जात ह परोजकि

क चयन स लकर परोजकि रा होन तक परोजकि को रा करन म जो कवठनाइया सामन आयी जो

कवमयाि उनक कायथ म रह गयी ि जो री निीन जञान इस परोजकि क दौरान उनह परापत हआ उनह छातर नोि

कर लत ह

गण ि दोष

गण

1 यह एक मनोिजञावनक विवि ह

2 इस विवि म छातर सियि करक सीखत ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 132

3 इस विवि दवारा परापत जञान अविक सरायी होता ह

4 इस विवि दवारा छातरो म िजञावनक िवषटकोण का विकास होता ह

5 इस विवि दवारा छातरो म उततरदावयति की रािना कतथवयवनषठासहयोग की रािना ियथ आवद

सामावजक गणो का विकास होता ह

दोष

1 इस विवि म अविक िन वयय होता ह तरा वकसी री परोजकि को रा करन क वलए अविक

समय की आिशयकता होती ह

2 इस विवि क परयोग हत परवशवकषत एिम योगय वशकषको की आिशयकता होती ह वजनका

वनतानत अराि ह

3 इस विवि दवारा जञान िमबदध तरीक स परापत नही होता ह

4 वनवशचत ाठयिम को इस विवि की सहायता स रा करना कवठन ह

अभयास परशन

17 परोजकि विवि क जनमदाता _______क वशषटय _______ह

18 ________ही परोजकि विवि का सार ह

19 परोजकि विवि स वशकषण करन क वलए वशकषक तरा छातरो को वजन सो ानो का अनसरण

करना ड़ता ह उन सरी सो ानो को वलवखए

34 उपयकत वशकषण वववधयो का चयन पररािशाली विजञान वशकषण हत विजञान वशकषण की विवरनन विवियो म स वकसका परयोग वकया जाय

वकसी परकरण विशष क वलए कौन सी वशकषण विवि सिोततम होगी इस परकार क बहत सार परशन वशकषक

क मन मवसतषटक म आत रहत ह परायःपरतयक विवि क अ न गण ि दोष होत ह इसवलय वकसी एक

विवि को अचछा और दसरी विवि को ख़राब कहना उवचत नही होगा िासति म विजञान वशकषण की

वकसी री एक ही विवि को सिोततम नही कहा जा सकता ह बवलक विजञान वशकषण हत एक स अविक

विवियो को रक क र म परयोग करक विजञान वशकषण को अविक पररािशाली बनाया जा सकता ह

विजञान वशकषण हत उ यकत वशकषण विवि का चयन मखय र स वनमपन बातो र वनरथर करता ह ndash

i वशकषक की योगयता विषय का जञान ि अनरि

ii परकरण को ढ़ान का उददशय कया ह

iii परकरण का सिर

iv छातरो की आय ि मानवसक सतर

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 133

उ रोकत बातो को धयान म रखत हए वशकषक दवारा विजञान वशकषण हत चाह वकसी री वशकषण विवि का

चयन वकया जाय वकनत एक उ यकत वशकषण विवि िासति म िही ह -वजसक दवारा छातरो को विषय सही

स समझ म आ सक वजसम उनह सियि करक सीखन क अिसर वमल सक वजसम उनको अ न विचार

सितितरता िथक वयकत करन क अिसर वमल सक तरा अ नी समसयाओ ि का समािान करन क अिसर

वमल सक

अभयास परशन

20 विजञान वशकषण हत उ यकत वशकषण विवि का चयन मखय र स वकन बातो र वनरथर करता

ह वलवखए

35 सारााश वशकषण विविया वशकषक का मागथ दशथन करती ह वजस परकार स सही रासत की जानकारी क अराि म

कोई वयवकत अ न गितवय सरान तक नही हच सकता ह ठीक उसी परकार वशकषक एक उवचत वशकषण

विवि की जानकारी क अराि म अ न छातरो को विषय का सही जञान नही द सकता ह

सािारणतया वकसी री विषय क वशकषण स हल यह दखा जाता ह वक इस विषय को कयो ढाया जाय

इसी बात को धयान म रखत हए उस विषय क वशकषण उददशय वनिाथररत वकय जात ह वशकषण उददशय

वनिाथररत करन क शचात यह दखा जाता ह वक वकन वशकषण विवियो क माधयम स वशकषण कायथ वकया

जाय वजसस वक वशकषण क उददशय परापत हो जाय विवरनन अधययनो एिम रीकषणो दवारा यह वनवशचत कर

वलया गया ह वक रौवतक विजञान क पररािशाली वशकषण हत कौन-कौन सी वशकषण विविया उ यकत ह

इस इकाई म हमन विजञान वशकषण की विवरनन विवियो क विषय म तरा पररािशाली ककषा वशकषण हत

इन विवियो को वकस परकार परयोग वकया जाना चावहए इसक विषय म विसतार िथक चचाथ की ह

वशकषक दवारा विजञान वशकषण हत चाह वकसी री वशकषण विवि का चयन वकया जाय वकनत एक उ यकत

वशकषण विवि िासति म िही ह -वजसक दवारा छातरो को विषय सही स समझ म आ सक वजसम उनह सियि

करक सीखन क अिसर वमल सक वजसम उनको अ न विचार सितितरता िथक वयकत करन क अिसर

वमल सक तरा अ नी समसयाओ ि का समािान करन क अिसर वमल सक

36 शब दाविी 1 तिशलषण वकसी णथ िसत को उसक छोि-छोि रागो म विरकत करना अराथत वकसी समसया

को हल करन क वलए उस ऐस छोि छोि खणडो म विरावजत करना वजनको नः सिगवठत करक

समसया का हल वकया जा सक

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 134

2 सशलषणवकसी िसत क छोि - छोि खणडो को न एकवतरत कर दना वजनम वक उस करी

विरकत वकया गया रा

3 परोिकट परोजकि िह कायथ ह वजस री लगन क सार सामावजक िातािरण म णथ वकया

जाता ह

37 अभ यास परशनो क उत तर 1 असतय

2 सतय

3 सतय

4 इस विवि दवारा छातरो म िजञावनक िवषटकोण का विकास नही होता ह

यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

5 इस विवि म वशकषक तरा छातर दोनो सविय रहत ह

यह विवि छोिी ककषाओ ि क वलए अविक उ यकत ह

6 इस विवि दवारा छातरो को सियि परयोग करक सीखन क अिसर परापत नही होत ह

करी करी वशकषक दवारा यवद वकसी कारणिश परयोग सफल नही होता ह तो छातरो क मन म

विषय क परवत कई भािवतयाि दा हो जाती ह

7 सतय

8 असतय

9 सतय

10 यह एक मनोिजञावनक विवि ह

यह छातर कवनित विवि ह

11 यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

इस विवि म छातरो को सियि करक सीखन क अिसर नही वमलत ह अतः सीखा गया जञान

सरायी नही होता ह

12 सिशलषण रक

13 विशलषण

14 सिशलषण

15 यह अविक लमपबी विवि ह इसम समय ि शरम अविक लगता ह

यह विवि सरी परकरणो क वलए उ यकत नही ह

16 यह एक सिवकषपत विवि ह

यह एक तावकथ क विवि ह

17 जॉन डीिी डबल एच वकल वरक

18 ldquoकरक सीखनाrdquo

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 135

19 ररवसरवत उत नन करना

परोजकि का चयन करना

कायथिम बनाना

कायथिम क अनसार कायथ करना

कायथ का मलयािकन करना

समप णथ कायथ का ररकॉडथ रखना

20 विजञान वशकषण हत उ यकत वशकषण विवि का चयन मखय र स वनमपन बातो र वनरथर करता

ह-

i वशकषक की योगयता

ii विषय का जञान ि अनरि

iii परकरण को ढ़ान का उददशय कया ह

iv परकरण का सिर

v छातरो की आय ि मानवसक सतर

38 सदरथ गरार सची 1 रिनागर डॉ ए बी एिम रिनागर डॉ अनराग 2006 वफवजकल साइिस वशकषण आर लाल

वबलकशनस मरठ

2 नगी परो ज एस 2013 रौवतक विजञान वशकषण अगरिाल वबलकशनस आगरा

3 माहशवरी िी क एिम माहशवरी सिा 2005 विजञान वशकषण आर लाल वबलकशनस मरठ

4 httpwwwpreservearticlescom201105216947a-comparative-study-of-

analytic-and-synthetic-method-of-teaching-mathematicshtml

5 httpswwwcsunedusciencerefreasoningdeductive_reasoningdeductive-

chemistryhtml

39 वनबाधात मक परशन 1 विजञान वशकषण की कौन- कौन सी परमख विविया ह इनम स वकसी एक वशकषण विवि का

विसतार िथक िणथन कीवजय

2 आगमन वनगमन विवि कया ह इस विवि को विजञान वशकषण हत वकस परकार परयोग वकया जाता ह

इस विवि क गण -दोषो की री चचाथ कीवजय

Page 3: BED II- CPS 7 I Pedagogy of Physical Science (Part I)BED II- CPS 7 भ तक व# न क श(णश * (भ ग I) Pedagogy of Physical Science (Part I) श#क श# वभ ग, श

BED II- CPS 7

भौितक िवान का िश(णशा (भाग I) Pedagogy of Physical Science (Part I)

िशक िशा िवभाग िशाशा िवाशाखा उराखampड म िव-िवालय हानी

अययन बोड( िवशषamp सिमित ोफसर एच० पी० शल (अय$- पदन) िनदशक िश(ाशा िवाशाखा

उराखampड म िव-िवालय

ोफसर मह$मद िमया (बा िवशष)- सदय) पव$ अिध(ाता िशा सकाय

जािमया िमिampलया इ)लािमया व पव- कलपित मौलाना आजाद रा+ीय उद0

िविव$ालय हदराबाद

ोफसर एन० एन० पाडय (बा िवशष)- सदय) िवभागाampय( िशा िवभाग

एम० ज० पी० हलखampड िविव+ालय बरली

ोफसर क० बी० बधोरी (बा िवशष)- सदय) पव( अिधाता िश0ा सकाय

एच० एन० बी० गढ़वाल िविव(ालय ीनगर उराख1ड

ोफसर ज० क० जोशी (िवशष आम)ी- सदय) िशाशा) िव+ाशाखा

उराखampड म िव-िवालय

ोफसर रभा जोशी (िवशष आम)ी- सदय) िशाशा) िव+ाशाखा उराख0ड

म िवampिवालय

डॉ० िदनश कमार (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0 िवाशाखा उ(राखड

म िवampिवालय

डॉ० भावना पलिड़या (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0 िव2ाशाखा

उराखampड म िव-िवालय

सी ममता कमारी (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0 िव2ाशाखा एव सह-

समवयक बी० एड० काय$म उ(राख+ड म िव1िव2ालय

डॉ० वीण कमार ितवारी (सदय एव सयोजक) सहायक -ोफसर िश3ाशा4

िवाशाखा एव सम+वयक बी० एड० काय$म उ(राख+ड म िव1िव2ालय

ोफसर एच० पी० शल (अय$- पदन) िनदशक िश(ाशा

िवाशाखा उ(राखड म िविवालय

ोफसर सी० बी० शमा$ (बा िवशषamp- सदय) अampय रा+ीय

म िवampालयी िशा सथान नोएडा

ोफसर पवन कमार शमा (बा िवशष)- सदय) अिध(ाता

िशा सकाय व सामािजक िवान सकाय अटल िबहारी बाजपयी िह7दी

िविव$ालय भोपाल

ोफसर ज० क० जोशी (िवशष आमी- सदय) िशाशा)

िवाशाखा उ(राखड म िविवालय

ोफसर रभा जोशी (िवशष आम)ी- सदय) िशाशा)

िवाशाखा उ(राखड म िविवालय

डॉ० िदनश कमार (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0

िवाशाखा उ(राखड म िविव$ालय

डॉ० भावना पलिड़या (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0

िवाशाखा उ(राखड म िविवालय

सी ममता कमारी (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0

िवाशाखा एव सह-समवयक बी० एड० काय$म उ(राख+ड म

िविव$ालय

डॉ० वीण कमार ितवारी (सदय एव सयोजक) सहायक -ोफसर

िशाशा िवाशाखा एव सम-वयक बी० एड० काय$म उ(राख+ड

म िवampिवालय

िदशाबोध (ोफसर ज० क० जोशी पव$ िनदशक िश+ाशा- िवाशाखा उ1राख3ड म7 िव8िवालय हlt=ानी काय$म सम(वयक डॉ० वीण कमार ितवारी समवयक िश)क िश)ा िवभाग िशाशा िवाशाखा

उराखampड म िव-िवालय हानी ननीताल उ+राखड

काय$म सह-समवयक सी ममता कमारी

सह-समवयक िश)क िश)ा िवभाग िशाशा िवाशाखा उ(राखड म िवampिवालय ह-ानी ननीताल

उराखampड

पाठयampम सम)वयक डॉ० कनक शमाamp

पोट डॉटोरल फलो आई० ए० एस० ई० जािमया िमिampलया इलािमया नई िद+ली

पाठयampम सह समवयक डॉ० अिखलश कमार

सहायक ampोफसर िशा िवampापीठ वधमान महावीर खला िविवालय

कोटा राजथान

धान सampपादक डॉ० वीण कमार ितवारी

समवयक िश)क िश)ा िवभाग िश)ाशा- िवाशाखा उराखampड म िव-िवालय ह23ानी ननीताल उराखampड

उप स$पादक डॉ० कनक शमाamp

पोट डॉटोरल फलो आई० ए० एस० ई० जािमया िमिampलया इ)लािमया नई िदampली

िवषयवत स)पादक भाषा सपादक ाप सampपादक फ़ सशोधक सी ममता कमारी

सहायक ampोफसर िश-ाशा िवाशाखा उ(राखड म

िविव$ालय

सी ममता कमारी सहायक ोफसर िश)ाशा+ िवाशाखा उ(राखड म

िविव$ालय

सी ममता कमारी सहायक ampोफसर िश-ाशा िवाशाखा उ(राखड म

िविव$ालय

सी ममता कमारी सहायक ampोफसर िश-ाशा िवाशाखा उ(राखड म

िविव$ालय साम$ी िनमा(ण

ोफसर एच० पी० शल िनदशक िशाशा) िव+ाशाखा उराख0ड म4 िव5िव+ालय

ोफसर आर० सी० िम िनदशक एम० पी० डी० डी० उराखampड म िव-िवालय

copy उराखampड म िवampिवालय 2017 ISBN-13 -978-93-85740-74-9 थम सampकरण 2017 (पाठयampम का नाम भौितक िवान का िश(णशा (भाग I) पाठयampम कोड- BED II- CPS 7) सवा$िधकार सरित इस पतक क िकसी भी अश को ान क िकसी भी मा+यम म- योग करन स पव5 उ7राख9ड मlt िव=िवgtालय स िलिखत अनमित लना आवयक ह इकाई लखन स सबिधत िकसी भी िववाद क िलए पण56पण लखक िज8मदार होगा िकसी भी िववाद का िनपटारा उराखampड उ(च यायालय ननीताल म2 होगा िनदशक िशाशा) िव+ाशाखा उराख0ड म4 िव5िव+ालय 8ारा िनदशक एम० पी० डी० डी० क मायम स उ)राखड म िव2िव3ालय क िलए मि6त व 8कािशत काशक उराखampड म िव-िवालय मक उराखampड म िव-िवालय

काय$म का नाम बी० एड० काय$म कोड BED- 17

पाठयampम का नाम भौितक िवान का िश(णशा (भाग I) पाठयampम कोड- BED II- CPS 7

इकाई लखक खड सया

इकाई सया

डॉ० सनीता सदरयाल सहायक ampोफसर िश-ा िवभाग हीरालाल यादव ग4स5 पी० जी० कॉलज लखनऊ

1 1

डॉ० कनक शमाamp पोट डॉटोरल फलो आई० ए० एस० ई० जािमया िमिampलया इ)लािमया नई िदली

1 2 2 3

डॉ ० आाशिamp राय सह ोफसर िविश+ िशा सकाय शक2तला िम6ा रा78ीय पनवाltस िव=िवgtालय लखनऊ

1 3 व 5

डॉ० जय काश िसह सहायक ampोफसर िश-ा िवभाग ग2 घासीदास िव6िव7ालय िबलासपर

1 4

डॉ० िदया शमा( सहायक ampोफसर ारिभक िश)ा िवभाग माता सदरी कॉलज फॉर िवमन नई िदली

2 1

डॉ० सनीता िसह सहायक ampोफसर िश-ा िवभाग राजीव गाधी दि+णी परसर बी० एच० य० बरकछा िमजा)पर

2 2

BED II- CPS 7 भौितक िवान का िश(णशा (भाग I) Pedagogy of Physical Science (Part I)

खड 1 इकाई स० इकाई का नाम प स०

1 िवान अथ( )कित एव 1 2-18

2 भौितक िवान एव समाज 19-36

3 िवान क मायम स ान और समझ िवान क िया कौशल का िवकास वािनक िकोण और वािनक मनोवि का िवकास िवान म िजासा रचनामकता और सदय बोध (मायिमक तर) िवकिसत करना भौितकamp और रसायन िवान म िजासा रचनामकता और सदय बोध िवकिसत करना (उचतर मायिमक तर) ान (भौितकamp रसायन िवान) िशा को पया$वरण (ाकितक पया$वरण कलाकितय( और लोग$) ौोिगक( और समाज स जोड़ना

37-53

4 भौितक िवान िश+ण क अिधगम उ34य 54-69

5 भौितक अिधगमकता) को समझना- याज़ और वायगो+सक क ि1 म3 अिधगमकता7 अिधगमकता) को +-रत करना शािमल करना वाता$ करना और मयथता अिधगम िवान िशक क) भिमका

70-86

खड 2 इकाई स० इकाई का नाम प स०

1 भारतीय कल म िवान पाठयचया 88-105

2 पाठयचया िशण रणनीितय( और भौितक िवान क िनवतमान (झान 106-116

3 िवान िशण क िविधया और नीितया 117-135

4 इकाई चार -

5 इकाई पाच -

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 1

खणड 1

Block 1

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 2

इकाई 1- विजञान अरथ परकवि एि कषतर

11 परसतािना 12 उददशय 13 विजञान अरथ

14 विजञान की परकवत

141 विजञान अनिषण का कायथकषतर ह

142 विजञान एक गतयातमक परविया ह 143 विजञान जञान का विसतारशील व िड ह 144 विजञान अविगम का अितविथषयक कषतर ह

145 विजञान एक अनतराषटरीय उदयम ह

146 विजञान जञान वनमाथण की परविया ह 15 सारािश 16 अभयास परशनो क उततर

17 सनदरथ गरनर सची

18 वनबििातमक परशन

11 परसतावना विजञान एक वया क अनशाशन ndash समचचय ह वकसी काल म इन विजञानो की विशषताओ ि को उस

समपपरयातमक तान बान स जञात वकया जा सकता ह वजसस ि वनवमथत होत ह विजञान क आिार वनरितर

ररिवतथत होत रह ह इस इकाई म विजञान क अरथ को समझन की चषटा करग तरा उसकी परकवत को री

जानन की कोवशश करग विजञान एक गतयातमक परविया क सार सार अनिषण री ह अनिषण की इस

परविया को गहराई स जानग इसक अवतररकत विजञान की अितविथषयक परकवत को री समझग यही नही य

री जानग वक विजञान एक विसतारशील व िड ह वजसक फलसिर इसका एक अनतराषटरीय उदयम होन क

कषतर री विसतत हो रह ह इस इकाई म विजञान का हमार जीिन म कया महतति एिि रवमका ह इस र री

चचाथ होगी

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 3

12 उददशय इस इकाई का अधययन करन क शचात आ -

1 विजञान क अरथ का सरलीकरण कर परसतत कर सक ग

2 विजञान की परकवत का वििरण द सक ग

3 विजञान की गतयातमक परकवत का अिबोि कर सक ग

4 अनिषण परविया को विसतार िथक समझ सक ग

5 जञान वनमाथण क परतयय का अरथ समझा सक ग

6 विजञान म जञान का वनवमथवतकरण बता सक ग

7 विजञान का अितविथषयक सिर की अििारणा कर बता सक ग

13 ववजञान अरथ हल हम य जानन की कोवशश करत ह वक विजञान आवखर ह कया सिवििान क अनछद ५१ (अ) क

अनसार विजञान एक ldquo िजञावनक मनोिवत मानिता तरा अनिषण की रािना एिि बदलाि का विकास हrdquo

विजञान शबद की उतत वतत ldquoसाइिसrdquo (science) शबद स हई जो एक लविन राषा ldquoसाइिवशयाrdquo (scientia)

स वलया गया ह इसका अरथ ह ldquoजाननाrdquo वहिदी म विजञान का सिवि विचछद ह वि + जञान = विवशषठ जञान

आइिसिीन क अनसार ldquoहमारी जञान अनरवतयो को असत-वयसत विवरननता को एक तकथ णथ

विचार परणाली वनवमथत करन क परयास को विजञान कहत हrdquo िवडत जिाहरलाल नहर री विजञान का

विसतार चाहत र उनका कहना रा वक ldquoविजञान का अरथ किल मातर रखनली तरा कछ बड़ा या छोिा

बनान क वलए इसको और उसको वमलाना ही नही ह अव त िजञावनक विवि क अनसार हमार मवसतषटक को

परवशकषण दना ही विजञान हrdquo

मानि जनम स ही वजजञास पराणी ह अत िह अ न आस ास की िसतओ ि एिि घिनाओ ि की

ररवसरवतयो तरा उनम बदलाि को महसस करता ह तरा उसक बार म जानना चाहता ह

तिया कलाप

आ एक विजञान वशकषक क नात अ न अविगमपकताथओ ि स छ वक ि अ न आस ास ऐसी कौन कौन

सी आशचयथजनक या आकवषथत करन िाली घिनाए या िसतएि दखत ह वजनक बार म आ जानना

चाहत ह ऐसी िसतओ ि ि घिनाओ ि की सची बनाय इस सची र बाद म आ चचाथ कर सकत ह

जस उस िसत या घिना म कया आशचयथचवकत लगा

इसको आ न कब दखा या महसस वकया

इसक बार म जानन क वलए आ न आग कया वकया आवद

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 4

मानि न अ न विकास क सार जञान का री एकतरीकरण कर वलया ह इस जञान रणडार को हचानना

समझना जािचना और वफर परसततीकरण क वलए िमबदध करना री आिशयक ह अत विजञान का अरथ ह

वकसी िासत अरिा घिना का िमबदध अधयन ह

अभयास परशन

1 आ क अनसार विजञान का कया अरथ ह

14 ववजञान की परकवत समय क सार सार विजञान म री बदलाि दखन को वमल रहा ह य री दखा गया ह वक विजञान क मायन

री बदलत जा रह ह हर विषय या अनशाशन की एक परकवत होती ह और जररी नही वक िो एक जसी

हो कई िजञावनको एिि वशकषाविदो न विजञान की परकवत को लकर अ न विचार परकि वकय ह परकवत को

लकर कई िाद वििाद ि चचाथ होती आई ह जस -

कछ लोगो का मानना ह की िह ldquoसिजञाrdquo ह तो कछ इस वयिहारगत र दकर ldquoवियाrdquo माना ह

तरा कछ इस दोनो मानत ह

कछ लोग इस िमबदध जािच ड़ताल मानत ह

कछ इस वनवशचत ि जञानवनियो क आिार र अनरि मानत ह

िही कछ लोग इस जञान का व िड मानत ह

कछ लोग इस एक घिनािसत क परवत िजञावनक दवषटकोण मानत ह

कछ लोग इस तावकथ क जञान की सिरचना वनमाथण री मानत ह

तिया कलाप

आ विजञान की वकस परकवत स सहमत ह या आ विजञान की कोई अनय परकवत समझती ह आ उस

परकवत र वचितन करन क वलए विजञान की सतक स कोई परकरण ल सकत ह आ अ न

अविगमकताथओ ि क सार उदाहरण की सहायता स चचाथ कर इस चचाथ क आिार र आ वनषटकषथ

वनकाल तरा उस आिार र विजञान की परकवत की जािच कर

जब आ विदयालय म विजञान विषय का अधयन करत र और आज जब एक विजञान वशकषक बन रह ह तो

दोनो ही म वसतवरयो म आ न बहत अितर महसस वकया होगा विजञान को लकर तबका दवषटकोण आज स

वबलकल वरनन होगा नए अविषटकारो खोजो जानकाररयो न विजञान का सिर ही बदल कर रख वदया ह

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हल की तलना म आज विजञान वशकषण अलग विवि स वकया जा रहा ह अविगमकताथओ ि म परयोग

अनिषण आवद जस गणो का विकास कराया जा रहा ह ारि ररक तरीक को छोड़ कर नई विवियो दवारा

वशकषक को विजञान ढाना ि समझाना ह छातरो को तकथ करन चचाथ करन परशन करन सजथन करन आवद क

वलए सितितरता दनी होगी

तिया कलाप

विजञान वशकषण विविया जो आ क समय म री और आज वजन विवियो स वशकषण होता

ह उनक बीच म तलना कर य री समझ की उस समय की कौन सी विवि आज री लाग

कर सकत ह और वकनम बदलाि आिशयक ह सार ही य जानन की चषटा कर की

ितथमान समय म उ यकत होन िाली कौन सी विवि अन योगी ह

बरनर शिाब एिि वकि ग क अनसार विजञान की परकवत क तीन मखय सिरचनाएि ह ndash

i तिजञान की मौतलक सरचना ndash यह विजञान का सरायी कष क बराबर माना गया ह जस-

तथय वनयम वसदधाित आवद

ii तिजञान की सरचनातमक सरचना ndash यह विजञान क परविया अरिा गवतशील कष स समपबिवित

ह इसम जािच ड़ताल खोज आिकड़ एकतर करना वनषटकषथ वनकलना आवद आत ह

iii तिजञान का सामातिक पकष ndash समाज म समायोजन क वलए विजञान का सामावजक होना

आिशयक ह समाज क विकास क वलए वमरक अििविशवास करीवतयो आवद स छिकारा ान

क वलए विजञान म सामावजकता होनी चावहए विजञान की सहायता स आिवनकता क सार सार

सिसकार णथ ि सरी समाज बनाना ह

हम य कह सकत ह वक विजञान की परकवत का सही जञान वशकषको को अ नी कशलता बढ़ान म सहायक

होगी सार ही सिपरतयय ररितथनो को वियानियन करन म री सहायक होत तद राित अविगमकताथओ ि क

अविगम को अिबोि करन म सहायक होगा (मरवस १९९४)

ऊ र वदए गए तथयो क आिार र हम य वनषटकषथ वनकाल सकत ह वक विजञान की परकवत क मखय

वसदधाित ह-

विजञान एक अनिषण ह

विजञान एक गतयातमक परविया ह

विजञान जञान का विसतारशील व िड ह

विजञान अविगम का अितविथषयक कषतर ह

विजञान एक अनतराषटरीय उदयम ह

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विजञान अकसर अवनवशचत होता ह

विजञान जञान वनमाथण की परविया ह

विजञान एक मानवसकता अरिा अवरिवत ह

ऊ र वदए गए सरी वसदधाितो र आिाररत विजञान क सिर को हम एक एक कर जानग ि समझग

141 तिजञान एक अनिषण का काययकषतर ह

जब हम अ न आस ास क िातािरण को दखत ह उसम उ वसरत िसतओ ि को होन िाली घिनाओ ि

आवद को अनरि करत ह तब हम उन अनरिो को एकतर करत ह इन अनरिो क सिकलन को िमबदध

करन क शचात उनकी जािच ड़ताल करत ह य सार चरण आिशयक नही ह की एक वयजञावनक क राती

ही वकय जाए अविगामकताथ अ न सतर र अ न अनरि एिि समझ स कर सकता ह जररी य ह की

छातरो म अनिषण करन की पररणा जागत हो इसक वलए विजञान वशकषक होन क नात आ को छोिी छोिी

वियाओ ि दवारा इस रािना का विकास कर सकत ह

तिया कलाप

आ छातरो स आस ास होन िाली दवनक परवियाओ ि की सची बनान को कह जस - रात कय होती

ह सरज गमथ कय ह इनििनष िषाथ क समय ही कय वदखता ह आवद

अविगमकताथओ ि को अ नी गयी सची म स कोई एक परविया का चयन करन को कहा ि अ नी

रवच क आिार र री परविया को चन सकत ह अब उनह उस परविया स समपबिवित समसत

जानकारी एकतर करन को कह इसक वलए ि अ न अवररािक राई-बहन वकसी बड़ अरिा

वशकषक की सहायता ल सकत ह अगर इनिरनि की सहायता री लना चाह तो िो री ल सकत ह

इस परविया स उनक अिदर उतसाह वजजञासा तत रता अितविया वचितन आवद जस गणो का विकास

होगा अनिषण छातरो म सितितर र स कायथ करन म सहायता परदान करता ह

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िरथ एिि गरोललमन न इस र आिाररत एक मॉडल परसतत वकया रा जो इस परकार स ह

अनिषण अतिगम चि (िरय एि गरोललमन २००३)

य वचतर विजञान अनिषण परविया को स षट र स समझाता ह अविगमकताथ अ नअ न आस ास घवित

होन िाली वकसी परविया या िसत को दख आकवषथत या आशचयथचवकत होता ह य उसक वलए उददी न का

कायथ करता ह जो उस उस घिना या िसत क बार म जानन क वलए उतसक एिि तत र करता ह इसक वलए

िह परशन उठाता ह उततरो क सरोत खोजता ह तथय एकतर करता ह वफर जािच ड़ताल करता ह और

धयान दना चमतकार जािच

परवतविया परशन बढ़ाना

अिलोकन र कवनित परशन उठाना परशनो को स षट करना

अिलोकन क परवत अविक कवनित होना

वनयोजन खोज अिलोकन जािच- ड़ताल

निीन जािच- ड़ताल क वलए परयतन करना आिकड ि अनरिो एकतरीकरण

अनरिो को सिगवठत कर उनम सिबिि जािचना

सरी आिकड़ोविचारो को सिगवठत कर आकवत ि सबिि परवत ावदत कर

विचारो ि अनरिो को बािि

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वनषटकषो र हचन की कोवशश करता ह वजसस िह िमबदद कर सकअ न दवारा एकतर जानकाररयो ि

वनषटकषो को अ न सावरयो अवररािको वशकषको आवद स आदान परदान करता ह अ नी इस परविया

स उस आतमबल ि सितवषट वमलती ह

142 तिजञान एक गतयातमक परतिया ह

विजञान गतयातमक इसवलए कहा जा सकता ह कयिवक हम अित म उत ाद तक एक परविया दवारा हचत ह

रनत विया यही समापत नही होती अव त उत ाद का परकषण कर परशन उररत ह परशन वफर एक िजञावनक

विवि को जनम दत ह अत कह सकत ह वक विजञान एक चविय परविया ह तरा िजञावनक जञान सदि

असरायी होता ह बीएससीएस(२००५) क अनसार परशन इन कसौवियो र छ जान चावहए ndash

परशन अ न आस ास की दवनया म उ वसरत िसत या घिनाओ ि र आिाररत होन चावहए

िजञावनक सिपरतय क आिार र विचारो स समपबिवित परशन होन चावहय

परशन परयोगो ि अिलोकन क आिार र होन चावहए

परयोगो अरिा अिलोकन स परापत साकषयो क आिार र परशन होन चावहय

विजञान हम अ न लकषय तक हिचता ह रनत वजस रासत स हम उस उददशय तक हचत ह िो अ न आ

म एक िजञावनक परविया ह अत हम य कह सकत ह वक विजञान एक परविया क सार उत ाद री ह

उतपाद (सरायी) इसक अितगथत वनमपनवलवखत शावमल ह-

मल तति

वनयम

वसदधाित

सामानयीकरण

परतयय अििारणाएि

परतिया (गतयातमक पकष) इसक अितगथत वनमपन शावमल ह-

(अ) िजञावनक अवरिवतत

(ब) िजञावनक मानवसकता

(स) िजञावनक विवि

(अ) िजञातनक अतभिति क अितगथत वनमपन आत ह-

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(i) उदारता (ii) वजजञासा (iii) सतयता र विशवास (iv) िसतवनषठता (v) असफलता क परवत

सकारातमक अवरिवतत

(ब) िजञातनक मानतसकिा क अितगथत वनमपन आत ह-

(i) परशन उठाना (ii) ररकल ना बनाना (iii) यथिकषण (iv) िथ अनमान लगाना

(स) िजञातनक तिति - इसक अितगथत वनमपन आत ह ndash

(i) समसया (ii) ररकल ना (iii) अनपरयोग (iv) परकषण (v) वनषटकषथ

i समसया- यह एक तथय घिना िसत अरिा समसया री हो सकती ह इस समसया या घिना क

सा कष म परशन उठान चावहए परशन वकन कसोवियो क आिार र हो य हम बीएससीएस दवारा

वदए गए सझािो क आिार र चचाथ कर चक ह परवतवियाओ ि ि उततरो क आिार र कछ

सिरावित समािान द सकत ह वजनह हम ररकल ना कहत ह

ii पररकलपना- इन सिरावित समािान को एक एक कर ररकषण करत ह तरा जो सही उततर हो

उस सिीकार कर लत ह तरा जो ररकल ना खरी न उतर उस छोड़ दत ह हयर (२००६) क

अनसार ररकल ना का वनमाथण करत समय वनमपन बातो का धयान रखना चावहए-

एक ररकल ना को मौजद परकषण क अनर होना चावहए

ररकल ना परशन की जानकारी अरिा सिरावित उततर क नज़दीक होना चावहए

ररकल ना समसया का नावतज़ा एक तथय क र म परसतत कर

ररकल ना विवशषट सिर की होनी चावहए

ररकल ना ररकषण योगय होनी चावहए

ररकषण वकसी परयोग अरिा ररकषण स हल वनवमथत की जानी चावहए नाकी ररकषण क

शचात

iii अनपरयोग- जो ररकल ना बनायी गयी ह उनह जािचन क वलए कई परयोग एिि अनपरयोग की

सहायता लनी ड़ती ह इसम वशकषक अविगमकताथओ ि की सहायता कर सकत ह जािच ड़ताल

क वलए री अचछी तयारी ि वियानियन अिशयक ह परयोग हम कई चीज स षट कर दती ह तरा

सही वनषटकषथ अरिा समािान तक हच सकत ह

iv परकषण- जािच ड़ताल हम कई वनषटकषो की ओर ल जात ह इन परयोगो को साििावन िथक

दखना समझना आिशयक ह वजसकी सहायता स सही वनषटकषथ तक हिचा जा सक गलत

अिलोकन हम िजञावनक ररकषण स रिका सकता ह हल चरण स ही परकषण शर हो जाना

चावहए अविगमकताथ वशकषक या अनय अनरिी वयवकत की सहायता स जािच क वलए आिकड़

अरिा तथय एकवतरत कर सकता ह इन आिकड़ो को सही िम स सिगवठत करना आिशयक ह

वजसस वनषटकषथ तक हिचना आसन हो

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v तनषकषय- अविगमकताथओ ि को अ न परकषण क आिार र वनषटकषथ वनकलना तरा उस

नयायसिगत वसदध करना री उतना ही आिशयक ह उसको स षटीकरण क सार परसतत करना री

जररी ह इसक आिार र ही ररकल ना सिीकत अरिा असिीकत होती ह

तिया कलाप

विजञान वशकषक क तौर र आ अविगमकताथओ ि म िजञावनक अवरिती विकवसत करन क वलए

िजञावनक विवि दवारा वियाएि करा सकत ह विजञान की ाठय सतक स कोई परकरण क कर या

उनकी रवच का कोई परकरण री ल सकत ह जस ौि की जड़ो म डाला गया ानी ऊ र तन

वततयो फलो ि फलो तक कस हचता ह

- अविगमकताथओ ि को य तथय समझन का अिसर द

- उनह परशन करन की सितितरता द

- अनरि एकतर करन को कह

- जािच ड़ताल करन को कह

- आिकड़ एकतर करन को कह

- इन सब क आिार र स षटीकरण दन का अिसर द

- वनषटकषथ वनकालन को कह

- खोजी गयी जानकाररयो को बािन को कह

इस परकार की विया स विजञान वशकषण अनिषणनातमक बनगा

143 तिजञान जञान का तिसिारिील तपड ह

जस हम हल ही चचाथ कर चक ह वक जब आ न विजञान ढ़ा होगा और जब आ एक विजञान वशकषक ह

तो दोनो ररवसरवतयो म बहत अितर आ गया ह विजञान का वनरितर विकास हो रहा ह हम यह री जान

चक ह वक विजञान की परकवत गतयातमक री होती ह अत उसम कई ररितथन आय ह हम यह री कह

सकत ह वक विजञान क जञान क व िड का विसतार हो रहा ह इस जञान क व िड म तथय मल तति सिपरतयय

वसदधाित वनयम आवद सवमपमवलत ह अगर आ विजञान की सतक क विवरनन परकरण दखग तो ाएिग की

कई परकरण जस क तस जस आ न ढ़ र िस ही आ ढ़ा रह ह िही दसरी और कई परकारो म बदलाि

आय ह कई वनयम वसदधाित आवद आज री अिल ह और कछ सिशोवित या असिीकार कर वदए गए ह

इस उदाहरणो दवारा समझग-

हल हम ढ़त र की नौ गरह होत ह रनत अब नौिा गरह पलिो को इस सची स हिा वदया गया

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मड़लीि क दवारा दी गई आिवत सारणी म तो कई सिशोिन हए ह उस सारणी म कई नए तति

जड़त जा रह ह और आग और जड़न क आशा ह

हल परदषण क परकार म जल िाय धिवन आवद क बार म ढ़त र वफर नारकीय परदषण जड़ा

और आज हम इलकरॉवनक परदषण और यहा तक की सामावजक परदषण की री बात करत ह

दसरी और कछ ऐस उदाहरण ह जो आज री िस ही ढ़ जात ह जस नवतोन क गवत क वनयम

गरतिाकषथण E =mc2 (उजाथ ररितथन) आवद

अत जञान का व िड ररितथनशील ह कई तथय वनयम वसदधाित आवद िही ह र उनम क री कई

उ योग म बढ़ोतरी हई ह समय सभयता ि मािग एिि जररत क आिार र बदलत रहत ह

तिया कलाप

वकसी री विजञान की ाठय सतक (ककषा ७ या ८) क वकसी री परकरण को छाि कर य बताय की

उनम कया ररितथन आय ह इन ररितथनो को अ न अविगमकताथओ ि क सार बाि उनह समझाएि की य

ररितथन कय और कस आय ह इसक अवतररकत िो परकरण री ल जो मल तौर र तो िही ह र उनम

विसतार हआ ह जस- रमाण की जब खोज हई तो उसम उ वसरत परोिोन इलकरान वफर नयरॉन

खोजा गया र खोज यही नही रकी अब ॉवज़रान आ गया तो य विसतारीकरण अनय कई उदाहरणो

दवारा री समझाए जा सकत ह

यहा एक बात और समझनी होगी की विजञान न वसफथ अचछा जञान ही नही िरन कछ गलत उददश स री

परयोग वकय गए ह यदध म परयोग होन िाल हवरयार बारद वमसाइल आवद सब विजञान की द ह डर की

बात तो य ह वक इन म सिार हो रहा ह तरा हवरयार और खतरनाक हो रह ह हम य री कह सकत ह की

विजञान न अगर मानि का विकास वकया ह तो वदन दर नही जब य ही विजञान का जञान हमारा विनाश

करगा अत विशव को समझना होगा की विजञान को जीिन बहतर करन क वलए परयोग करना ही उवचत

होगा

144 तिजञान अतिगम का अितियषयक अिरानिाशनीय कषतर ह

एक विषय अनशाशन तब कहलाता ह जब उसम ससिकवतक विषय िासत हो तरा अ नी ही एक

तकनीक हो एिि मलयो का अवदवतया समह हो एक अनशाशन म वनमपन विशषताएि होती ह-

अ नी विशष विषय िासत

िो वकसी वयिसाय या सामावजक विया स जड़ा होता ह

उसक अधययन का अ ना ही तरीका होता ह

उसक अनसनिान का री अ ना ही विवशषठ कषतर होता ह

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मलयो का विशष समह होता ह

सिचालन की अ नी ही सिवहता होती ह

रनत कई बार ऐसा ाया गया ह वक कछ विषय िसत परकरण कई अनशाशन का वहससा

बन जात ह ऐसा हमन कई िजञावनको की खोज ि अविषटकार म री ाया ह जस की रमाथमीिर

(ता मा ी) की अगर बात कर तो कई परयोगशालाओ ि विदयालयो वचवकतसा म परयोग होता ह

परशन य उठता ह की हम ता मा ी को वकस विषय म ढ़- रसायन रौवतकी वचवकतसय विजञान

आवद ऐस बहत स उदाहरण ह जो कई विषयो म ढ़ ि ढाय जा साकत ह इसका अरथ ह वक

जब हम दो या दो स अविक अनशाशन विषय की ारस ररक विया ि परराि दखत ह तो इस

अितविथषयक या अितरानशावशनक कषतर कहत ह

तिया कलाप

ककषा-८ अरिा ककषा-९ की विजञान की ाठय सतक म ऐस परकरण की सची बनाय जो हम अनय विषयो म री

ढ़त ह जस परदषण को हम रौवतकी रसायन अरथशासतर रगोल नवतक शासतर आवद म ढ़त ह इसक शचात

जान की ऐसी कौन सी विशषताएि वजनक कारण िो उस विषय म ढाया जाता ह या ढाया जा सकता ह

ऊ र वदए गए वििरण स ता चल गया होगा की विषय आ स म समपबिवित होत हविषय क बीच कोई

स षट सीमािकन नही होता ह आजकल एक नई दधवत सनन ि दखन को वमल रही ह ndash अितविथषयक

अरिा अितरानशाशनीय उ ागम य दधवत न किल अनसनिान अव त वशकषण कायथ म री परयकत हो रही

ह इसका सबस सही उदाहरण ह ldquoविजञानrdquo य वकसी न वकसी र म हर विषय म उ वसरत ह अत

विजञान एक अितविथषयक कषतर बन जाता ह

एक अनशाशन क दवारा िह जञान होता ह जो अनय विषयो म जगह ता ह इसका तात यथ यह ह वक

आज क यग म जब जञान का विसफोि हो रहा ह तो हर विषय क विशषजञ को वमलकर कई समसयाओ ि का

समािान करना होगा इसका एक बहत अचछा उदाहरण ह वक एक अवरयिता अ न कोसज क दौरान

वसफथ तकनीक स समपबिवित विषय ही नही ढता िरन रौवतकी रसायन गवणत आवद क सार सार

वयािसावयक मनोविजञान वयािसावयक सामावजक विजञान याथिण विजञान वयािसावयक मलय एिि

सदाचार का री अधयन करत ह इसस छातरो का समप णथ विकास होता ह यहा वशकषण का उददशय एक

इिवजवनयर बनान का नही ह अव त एक यथिारण जागरक सिसर सोच सामावजक अ कषाओ ि र खरा

उतरन िाल इिवजवनयर तयार करना ह जो अ न वयिसाय ि समाज म आग बढ़ सक तो अब हम य जान

चक ह की विजञान का अितविथषयक होना वकतना महति णथ ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 13

हल विजञान को ldquoपराकवतक दशथनrdquo कहा जाता रा कयिवक य माना जाता रा वक विजञान चारो तरफ

विदयमान ह और विजञान ही इनकी खोज ि जािच ड़ताल करता ह जस- आकाशीय व िड गरह नकषतर

िाय जल ड़- ौि जीि-जित आवद रनत जञान विसफोि क सार ही य िारणा बदलन लगी विजञान का

कषतर इतना वया क हो गया ह वक उस एक शीषथक क अितगथत रखना मवशकल हो गया ह विजञान का

िगीकरण वकया गया वजसस उसक हर हल को समझन म सहायता वमल चवक विजञान का िगीकरण

वकया गया ह तो इसका अरथ य हआ ही हर िगथ एक अलग विषय बन गया ह रनत आ स म सह-

समपबनि बरक़रार ह इस हम अनिम चािथ दवारा समझग

अब हम कछ तिषयो को लकर दखग तक तिजञान का उनस कया समबनि ह

विजञान को हम एकाकी तौर र नही ढ़ सकत विजञान की हर शाखा एक दसर र वनरथर ह कई िजञावनक

परकरण विवरनन शाखाओ ि म वमलग जस

राषा क परकरण म गदय म ऐस ाठ हो सकत ह वजनम आविषटकारो िजञावनको की जीिनी आवद

हो सकत ह

इसी परकार स सामावजक विजञान म विजञान दखन को वमलगा समाज सामवजक सिसकवत

सामावजक सिगठन अििविशवास आवद को विजञान क तथयो दवारा ढाया जा सकत ह

पराकवतक दशथन

पराकवतक विजञान रौवतकी विजञान

आयविथजञान

िनस वत

विजञान

पराणी -

विजञान

रौवतकी

रासायवनक

खगोवलक

गवणत

रगावरथकी

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रगोल म मदा मौसम फसलो का रगोलीय वितरण र आिाररत बआई आवद विजञान की

सहायता स री ढाय जा सकत ह

इवतहास म थिी का उदय मानि का जनम उसक समय क सार बदलत विया कला

िजञावनक अविषटकार वजसन मानि जीिन को परोरावित वकया

कवषविजञान ि विजञान का तो बहत गहरा समपबनि ह

अत य जानना री आिशयक ह की सह-समपबनि सोच समझ कर समझाना चावहए अराथत

अितविथषयक सिर दकर ऐसा न हो वक आ अनय विषयो का अविक महतति द वशकषक को य

दखना होगा की विजञान को अनय विषयो क सार सिबवित कर वशकषण करना ह तरा क ि

ldquoविजञानrdquo ही रहगा अनय विषयो स समपबनि चीदा नही होन चावहए विषय िसत सरलतम सतर

र लाकर ही ढाई जानी चाहए

145 तिजञान एक अनिराषटरीीय उयमम ह

विजञान क विसतार न हमार जीिन म औदयोगीकरण अनतराषटरीयकरण तरा सािथरौवमकता को परचवलत

कर वदया ह जीिन क हर कषतर म चाह िो वचवकतसा हो अरिा सचना परोदयोवगकी तकवनकी हो अरिा

वशकषण खान- ान हो अरिा रहन-सहन आवद म वया क बदलाि आया ह आज विजञान और तकनीक

न र विशव को सिकवचत कर वदया ह हम अ न घर म बठ बठ ही अनय दशो की समसत जानकारी ल

सकत ह बहत स उदयोग वसफथ इनिरनि क दवारा चलाय जा रह ह य उदयोग री उससी रफ़तार स फल फल

रह ह जस घरल उदयोग इसक कई उदाहरण ह जस मोबाइल कि नी कि पयिर की कमप नीयाि जत सौदयथ

परसािन आवद

विदशी तकवनकी एिि उनकी कि वनयाि अरिा अनसनिान क सहयोग क वलए सरकार री उदारीकरण की

वनवत को अ ना रही ह विदशी उदयोग री रारतीय उदयोगो ि अनसनिान क वलए तत र ह ऐसी नीवतया

रारत का अनतराषटरीयकारण करन म सहायता परदान करता ह इन सब कायो म विततीय सहयोग अतयित

आिशयक ह अत हम अब अनतराषटरीय उदयम र कवनित होना होगा कयिवक घरल उदयोग स दश का

विकास िीमा हो जाता ह और हम अनय विकवसत दशो स व छड जायग अत हम विततीय तौर र सदड

होन क वलए अितराथषटरीय सतर र जाना होगा आज हम अमररका जा ान कोररया चीन मलवशया

वसिगा र दवकषण अफरीका ऑसरवलया आवद जस दशो क सार वमलकर कई उदयम म सहयोग कर रह ह

इस हम उदयम का अनतराषटरीयकारण कहत ह बहत साड़ी घरल कि वनयाि री विदशो म वनिश कर रह ह

जस ररलायिस िािा िीसीएस आवद अत विजञान एक अनतराषटरीय उदयम बन रहा ह रनत इस बढ़न क

वलए सरकार एिि बड़ी वनजी कि वनयो को आग आना होगा

146 तिजञान जञान तनमायण की परतिया

आज हम वयिहारिाद स वनवमथतिाद जञान की और ररिवतथत हो रह ह विजञान अ न आ म एक परविया

ह जो िजञावनक विवि का अनसरण कर आग बढती ह इस विया दवारा जञान का वनमाथण होता ह कोई री

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जञान तब ही विशष अरिा वनवशचत होता जब िह जञान इस परविया दवारा वनवमथत होता ह विजञान ही इस

नही मानत अव त अनय विषयो म री य िजञावनक परविया दवारा ही अधयन होता ह

वशकषक की रवमका री ररिवतथत हो चकी ह हल वशकषक एक परषक क र म रा अराथत िो जञान

अविगमकताथओ ि तक हचात र अब य वसरवत बदल रही ह विजञान वशकषक को अब विजञान वशकषण

विवरनन चरणो दवारा करना होता ह अब वशकषक अविगम का रासता सगम बनान की कोवशश करता ह

इसक वलए छातरो को परोतसावहत वकया जाए की अविगम िजञावनक विवि स कर ऐस जञान का वनमाथण

सराई होता ह जञान क वनमाथण क विवरनन चरण होत जस-

तथयपरवियाघिना का

अिलोकन

कई अनरि आिकड एकतर

होत ह

अनमान क आिार र जािच

ड़तालअनिषण करना

जािच क आिार र परतयय वनमाथण

करना

िजञावनक जञान का वनमाथण

जञान का िासतविक जीिन म

परयोग करना

अनरिो क आिार र िथ

अनमान लगाना

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तिया कलाप

छातरो को विजञान की सतक स कोई परकरण चनन को कह जो उनह समसया अरिा ऐसा तथय लगता ह वक

वजसकी जािच ड़ताल ि आसानी ि रवच णथ ढिग स कर सक उनको वदशा वनदश दद उनह सियि सब

जानकाररया एकतर करन द उनका समय समय र नबथलन द सही वदशा म कायथ करत दख उनह परोतसावहत कर

जञान का वनमाथण ि कस करत ह उनस स षटीकरण मािग तरा सावरयो क सार चचाथ करन को कह

अत अब िजञावनक विवि िजञावनक अनिषण दवारा जञान क वनमाथण की और ररिवतथत हो गया ह अब हम

य जानग की इस विवि क कया लार ह-

इस जञान वनमाथण की परविया दवारा अविगमकताथ lsquoकरक क सीखता ह वशकषक एक मागथदशथक की

रवमका वनराता ह वशकषक वकसी री परकार क हसतकष स बचत ह ि छातरो को अ न जञान दवारा

पररावित नही करत ह

अविगमकताथओ ि को सीखन क वलए सितितर एिि सिसर िातािरण वमलता ह

य छातरो म वजमपमदारी की रािना उत नन करता ह

उनम बौवदधक इमानदारी विकवसत होती ह

अविगमकताथओ ि म तथयो अरिा समसयाओ ि को हचानन म सहायता परदान करत ह

उनम तकथ सिगत वचितन म विकास क सहायक होत ह

कारण-परराि समपबनि को समझन म सकषम होत ह

अनरि का तावकथ क सिगठन करना सीखत ह

अविगमकताथओ ि एिि वशकषको म री नए जञान क वनमाथण की ओर अगरवसत करता ह

उनम खोजी वयिहार को जनम दती ह

अभयास परशन

2 विजञान ldquoसिजञाrdquo एिि ldquoवियाrdquo री ह सिवकषपत म इसका अरथ बताय

3 विजञान की परकवत क तीन वसदधाित बताएि

4 विजञान एक अनिषण परविया ह वकसी विजञान विषय क परकरण स समझाएि

5 विजञान की तीन सिरचनाय बताएि

6 विजञान अितविथषयक परकवत की ह सिवकषपत म बताएि

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15 सारााश इस इकाई म हमन जाना की विजञान का अरथ कया ह तरा उसकी परकवत कसी ह यह री समझा हा विजञान

की परकवत क विवरनन आयामो को री हमन जाना विजञान एक खोज तरा अनिषण का कषतर ह वजसक

विवरनन चरण ह वजनह हमन विसतार ि उदाहरण की सहायता स जाना विजञान ररितथनशील तो ह ही

रनत सार ही सार उसका विसतार री हो रहा ह य विसतार दश विदश सब जगह हो रहा ह इस विसतार

न विजञान को एक अनतराषटरीय उदयम क र म खड़ा कर वदया ह अत अगर य उदयम ह तो जञान का

वनमाथण री वनरितर स षट एिि बहतर होता जा रहा ह

16 अभयास परशनो क उततर 1 अ न शबदो म उततर

2 विजञान सिजञा इसवलए ह कयिवक उस उत ाद क र म दखा जाता ह िो सिजञा इसवलए ह कयिवक

विजञान को परविया माना जाता ह तरा िो ररितथनशील ह एिि उसका विसतार री होता

3 (i) विजञान एक गतयातमक परविया ह

(ii) विजञान एक अनिषण ह

(iii) विजञान जञान का विसतारशील व िड ह

4 अ न शबदो म वलख

5 तीन सिरचनाएि ह-

i विजञान की मौवलक सिरचना

ii विजञान की सिरचनातमक सिरचना

iii विजञान का सामावजक कष

6 अ न शबदो म

17 सनदरथ गरनर 1 कलशरषठएक कलशरषठएनक ldquoविजञान वशकषणrdquoआरलाल वबलकशनमरठ

2 िरथकगरोललमाननएस(२००३) िोमथस शडोज एिड वहलथ ल साइिस इन द अली चाइलडहड

कलासरम िावशिगिन डीसी नशनल एसोवसएशन फॉर एजकशन ऑफ़ यिग वचलरन

3 बीएससीएस(२००५) डइिग साइिस द परोसस ऑफ़ साइिविवफक इनकिायरी कोलोराडो

वसपरिगस एनआइएच वबलकशन

4 wwwncertnicin phy_sci

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5 रिनागरएबीरिनागरएसएस ldquoव डागोजी ऑफ़ सकल सबजकि साइिसrdquo

आरलाल वबलकशन मरठ

18 वनबाधातमक परशन 1 विजञान का कया अरथ ह विसतार स बताएि

2 विजञान एक उत ाद एिि परविया री ह वििचना कर

3 विजञान का िवकथ करण कस हआ

4 विजञान एक अनतराषटरीय उदयम ह उदाहरण की सहायता स समझाएि

5 विजञान जञान वनमाथण की परविया ह इस कस सावबत करग

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इकाई 2 - भौविक विजञान एिम समाज

21 परसतािना

22 उददशय

23 रौवतक विजञान एिम समाज

24 िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता क वलए रौवतक विजञान

25 सपरवसदध िजञावनक- आइजक नयिन जॉन डालिन जसी बोस अलबिथ आइनसिीन

शािवतसिर रिनागर नीलस बोहर सी िी रमन डी बरोगली वबमला बिी आवद

26 सारािश

27 अभ यास परश नो क उत तर

28 सिदरथ गरिर सची

29 वनबििात मक परश न

21 परसतावना रौवतक विजञान की वशकषा का उददशय वयवकत तरा उसक समाज को उसक परकवत तरा िातािरण क

सार समायोजन करन क योगय बनाना ह सार ही उन र वनयितरण रखकर उनह अ नी सवििा क अनसार

परयोग करन की कषमता उत नन करना ह मनषटय न अ न जीिन को आरामदायक एिम सखमय बनान क

वलए वनरितर परयास वकय ह िजञावनक खोजो एिम अविषटकारो की सहायता स ही मनषटय का जीिन आज

हल की तलना म बहत सरल हो गया ह आज वमनिो सक डो म हम दवनया क वकसी री कोन म जो

कछ री घवित हो रहा होता ह उसक विषय म िलीविज़न मोबाइल इनिरनि क माधयम स घर बठ ही

सब जान लत ह आज हमार वलए अनतररकष की यातरा िासतविकता बन गयी इतना ही नही हम

अितररकष म उ गरह सराव त करन म री सफल हए ह कछ िषथ िथ जो रोग असाधय र अब उनका वनदान

एिम पररािशाली उ चार सिरि ह यह सब विजञान क अविषटकार क कारण ही सिरि हो ाया ह इस

इकाई म हम रौवतक विजञान वकस परकार हमार समाज और सामावजक जीिन को पररावित कर रहा ह

िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता क वलए रौवतक विजञान का कया योगदान ह ि कछ सपरवसदध

िजञावनक- आइजक नयिन जॉन डालिन जसी बोस अलबिथ आइनसिीन शािवतसिर रिनागर नीलस

बोहर सी िी रमन डी बरोगली वबमला बिी आवद का रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत

एिम विकास म कया योगदान रहा ह क विषय म विसतार िथक चचाथ करग

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22 उददशय इस इकाई क अधययन क शचात आ -

1 रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास हमार समाज और सामावजक जीिन

को वकस परकार पररावित कर रह ह इसका विसतार िथक िणथन कर सक ग

2 िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता क वलए रौवतक विजञान का कया योगदान ह इसका

विसतार िथक िणथन कर सक ग

3 रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास म वजन रारतीय तरा विदशी

िजञावनको का योगदान अतयित महति णथ रहा ह उनक विषय म जान सक ग

23 रौवतक ववजञान एवम समाज समाज म सखी जीिन वयतीत करन एिम समाज को वनरितर उननवत क र र ल जान म सदि रौवतक

विजञान की अतयित महति णथ रवमका रही ह रौवतक विजञान की वशकषा इस परकार दी जानी चावहए की

छातरो म सामावजकता क गणो का विकास हो सक सार ही ि यह समझ सक की वकस परकार रहन स

और वकस परकार क कायथ करन स समाज को लार हिचगा अतः रौवतक विजञान का णथ जञान छातरो को

वदया जाना चावहए तावक ि सियि रौवतक विजञान क कषतर म आग बढकर समाज को उननवत क र र ल

जा सक सार ही विजञान क विनाशकारी कष स अिगत कराकर उनको यह री बता दना चावहए वक

विजञान का उ योग सदा मानि वहत एिम कलयाणकारी कायो क वलए ही वकया जाना चावहए रौवतक

विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास न समाज एिम सामावजक जीिन को वकस तरह स

पररावित वकया ह यहा र हम उसकी चचाथ करग-

1 समपरषण एिम पररिहन की आितनक सतििाओ की उपलबििा रौवतक विजञान क दवारा

विकवसत मोबाइल इििरनि की सवििा ईमलस फसबक िािस ए इतयावद न तो हमार समाज

और सामावजक जीिन को जस बदलकर रख वदया ह हल हम वकसी सनदश को डाक क माधयम स

वयवकत विशष तक हचान म कछ वदन का समय लगता रा लवकन आज हम वकसी री सनदश को

मोबाइल इििरनि की सवििा ईमलस फसबक िािस ए क दवारा कछ वमनिो या सक डो म ही

वयवकत विशष तक हिचा सकत ह सिसार क वकसी री कोन म चाह कछ री घवित हो रहा हो आज

इन सब सवििाओ ि का परयोग करक हम ल ल उसकी जानकारी रख सकत ह हमार समाज को

ररिहन एिम समपपरषण क कषतर म आिवनक सवििाय उ लबि करान का शरय री रौवतक विजञान

को ही जाता ह रौवतक विजञान क दवारा विकवसत यातायात क विवरनन सािनो जस - रल

िाययान जहाज कार बस इतयावद स यातरा करना आज अविक सवििाजनक हो गया ह जो यातरा

करी महीनो म री हआ करती री उसको कछ ही वदनो म और जो यातरा कछ वदनो म री हआ

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 21

करती री उसको कछ ही घििो म रा कर ाना आज रौवतक विजञान क दवारा परदतत यातायात क

विवरनन सािनो क कारण ही समपरि हो सका ह

2 खादद उतपादन म िति हि आितनक िकनीकी रौवतक विजञान क कषतर म होन िाल विकास न

आज खादद उत ादन क सतरोतो म काफी िािवत ला दी ह आज हमार ास कवष मतसय ालन

मिमकखी ालन ि श ालन इतयावद सरी कषतरो म अतयविक विकवसत तकनीकी उ लबि ह

75 वकसानो न उिथरको कीिनाशको ि कवष की आिवनक विवियो को अ नाया ह वजसक

फलसिर फसलो एिम फलो की वकसमो म सिार हआ ह इस समपबनि म रारतीय वशकषा आयोग

न री वलखा ह वक ldquo तिजञान पर आिाररि नयी कतष परौददोतगकी का तिकास सिायतिक

महतिपणय ह तपछल सौ िषो म तिशव क अनक भागो म कतष म िाति आई ह िस-

रासायतनक इतितनयररग िरा याततरकीकरण का तिकास िरा िि-िजञातनक सोच म िाति

आना मनषय क रहन क ढग क िजञातनक दरतिकोण स कतष परौददोतगकी म अतयि सिार हआ

हrdquo रौवतक विजञान ही ह वजसक महति णथ योगदान क कारण आज हम कवष क कषतर म

आतमवनरथर हो गय ह आजादी स हल जहा हमार दश की समप णथ जनता को अनाज उ लबि नही

हो ाता रा िही रौवतक विजञान क योगदान क कारण आज हमारा दश इस वसरती म ह वक दश क

सरी लोगो क वलए अनन की आ वतथ करन क बाद री हम आज अनन का वनयाथत करन की वसरती म

ह आज रवडयो एिम िलीविजन र परसाररत वकय जान िाल विवरनन कवष आिाररत कायिमो क

माधयम स वकसानो को कीि वनयितरण फसलो की दखराल और खाद क परयोग की उवचत जानकारी

परापत हो जाती ह फलसिर इन कायथिमो स वकसानो को फसलो को उननत बनान क वलए उवचत

जञान परापत होता ह नयी तकनीवकयो क परयोग की जानकारी न आज जहा एक ओर खादद उत ादन म

िवदध की ह िही दसरी ओर मानि शरम की जविलताओ ि को दर वकया ह इसक अवतररकत रौवतक

विजञान क जञान क कारण ही हम आज उत ावदत खादद सामगरी को लमपब समय तक सरवकषत रख सकत

ह तरा दवनया क हर कोन म इचछानसार उसकी उ लबिता को सिरि बना सकत ह

3 सिासय की दखभाल ि रोगो क उपचार हि निीन िकनीकी उपकरण एिम ससािनो की

उपलबििा रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास न ही आज हमार समाज को

अनक निीन तकनीकीयाि उ करण सिसािन एिम दिाइयाि उ लबि करायी ह आज करी

असाधय लगन िाल रोग िजञावनको दवारा खोजी गयी इन विवरनन दिाइयो उ करणो सिसािनो एिम

तकनीवकयो क परयोग स असाधय नही रह गय ह वचवकतसा क कषतर म रौवतक विजञान हमार

शारीररक सिासथय क सार सार मानवसक सिासथय को री बनाय रखन म महति णथ रवमका वनरा

रहा ह हल वजन रयािह रोगो क उ चार क वलए हम विदश जाना होता रा रौवतक विजञान क

विकास क कारण आज ऐस वकसी री बड़ स बड़ रोग क वनदान एिम उ चार की सवििा हमार

दश म ही उ लबि ह आज सिचार क विवरनन माधयमो जस अख़बार रवडयो िवलविज़न मोबाइल

ि इनिरनि क माधयम स सिासथय समपबनिी सचनाएि सदर गरामीण कषतर तक आसानी स हच रही ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 22

विजञान क दवारा ही विवरनन रोगो जस- हजा चचक र री तरह स तरा िीबी ोवलयो ि बचचो

क वदमागी बखार र काफी सीमा तक वनयितरण ा वलया गया ह

4 भिन तनमायण हि आितनक यतरो एिम उपकरणो की उपलबििा आज हमार ास रिन

वनमाथण हत विवरनन िातओ ि स वनवमथत यितर एिम उ करण ह रिन वनमाथण क कषतर म जो आिवनकता

वदखाई दती ह िह सब रौवतक विजञान म होन िाली परगवत एिम विकास का ही ररणाम ह रिन

वनमाथण हत जहा हमको करी छोि छोि घर बनान म अविक शरम एिम समय लगता रा िही आज

विजञान दवारा परदतत मशीनो एिम उ करणो का परयोग करक हम कम समय एिम शरम म बहमिवजला

इमारत बनान म सकषम हो गय ह

5 िल ससािन परबिन एिम ितिकरण हि यतरो की उपलबििा रौवतक विजञान की परगवत

एिम विकास न ही आिवनक समाज को जल सिसािन क सही परबििन एिम शवदधकरण क वलए

उननत ि विकवसत तकनीवकयाि परदान की ह आज बड़ बड़ बाििो का वनमाथण वकया गया ह

विकवसत जल परणाली क दवारा आज कवतरम वसिचाई क वलए ानी की उ लबिता हो ायी ह यह

सब रौवतक विजञान क जञान क कारण ही सिरि हो सका ह आज हम जल क शवदधकरण क वलए

अ न घर या दफतर म वजन यितरो का परयोग कर रह ह ि सब रौवतक विजञान क कारण ही हमको

उ लबि हो सक ह

6 िशवीकरण अनिः समबनि िरा अनिः तनभयरिा म िति आिवनक समाज म जो अनतः समपबनि

तरा अनतः वनरथरता दखन को वमलती ह िह रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम

विकास का ही ररणाम ह आज समप णथ विशव िशवीकरण की राह र ह आज जो कछ री एक

वयवकत समाज या राषटर दवारा वकया जाता ह उसका परराि जान अनजान सरी र ड़ता ह आज

विशव क एक कोन स दसर कोन र जाना अतयित सरल हो गया ह ररणामसिर वकसी वयवकत या

समदाय का दवनया क दसर वयवकत या समदाय स वमलना जलना आसान हो गया ह समपपरषण और

सिचार क सािनो की उ लबिता स ही आज सिसार क वकसी री कोन म जो कछ री घवित हो रहा

हो तरित िह सचना सिसार क दसर सरानो तरा वयवकतयो तक हच जाती ह आज सिसार क वकसी

एक दश म जो कछ उत ावदत हो रहा हो िह दसर दश म रह रह वयावकतयो क वलए उ रोग की

िसत क र म आसानी स उ लबि हो जाता ह िशवीकरण की परविया को इस र तक हचान

म रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली खोजो एिम अविषटकारो का ही महति णथ योगदान ह

7 शरम समय एिम िन की बचि हि तितभनन िकनीतकयो की उपलबििा रौवतक विजञान क

कषतर म हो रही परगवत एिम विकास न ही हमको ऐस उ करण एिम तकनीवकयाि परदान की ह वजनकी

सहायता स आज हम वकसी री कायथ को कम शरम कम समय ि कम लागत म रा कर ान म सकषम

हो गय ह चाह कवष का कषतर हो वचवकतसा का कषतर हो कोई उददोग हो दवनक जीिन क कायथ हो या

वशकषा का कषतर जीिन क लगरग हर कषतर क कायथ को रौवतक विजञान न सरल एिम सगमपय बना

वदया ह जहा घर की रसोई क कायथ को वमकसी माइिोिि ओिन जस उ करणो न अतयित सरल

कर वदया ह िही वकसी फकरी ऑवफस दकान या वयिसाय क वकसी री कायथ को कि पयिर

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मोबाइल ि इनिरनि न इतना सरल कर वदया ह वक आज हम चाह वकसी री सरान र हो हम

उसी सरान स अ न वकसी री कायथ को कम शरम समय एिम लागत म रा कर सकत ह

अभयास परशन

1 रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास न समाज एिम सामावजक जीिन को

पररावित वकया ह रौवतक विजञान की परगवत एिम विकास स होन िाल वकनही तीन लारो को

वलवखए

24 वातावरण सवासय शाावत और वनषपकषता क विए रौवतक ववजञान रौवतक विजञान म होन िाल परगवत और विकास स आिवनक समाज को हर परकार स लार ही हआ ह

यह कहना उवचत नही होगा रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत न जहा एक ओर आिवनक

समाज को सरलता िथक जीिन वयतीत करन क वलए अनको सािन उ लबि कराय ह िही कछ

हावनकारक ररणामो को री जनम वदया ह यहा र हम िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता क

वलए रौवतक विजञान का कया योगदान ह इसक विषय म चचाथ करग -

i िािािरण क तलए भौतिक तिजञान- विजञान ि तकनीकी क आिवनक यग को िातािरण को

दवषत करन िाल यग का नाम वदया जा सकता ह रौवतक विजञान न जहा एक ओर हमार

आिागमन को सरल बनान क वलए हम यातायात क विवरनन सािन उ लबि कराय ह िही

दसरी ओर इन िाहनो स वनकलन िाल िएि न हमार िातािरण को दवषत कर वदया ह कछ

वया ार तरा उददोगो न िजञावनक तकनीकी तरा विवियो दवारा अतयविक सफलता परापत की ह

इनम स परमख ह- उिथरक उददोग िकसिाइल उददोग इस ात उददोग इलकरोवनकस इतयावद

लवकन नयी तकनीकी एिम मशीनो स यकत इन विवरनन उददोगो स वनकलन िाल अिवशषट दारथ

और िएि न जल एिम िाय दोनो को दवषत कर वदया ह रौवतक विजञान न ही हमको रिन

वनमाथण क कषतर म नए यितर एिम उ करण उ लबि कराय ह आज रिन वनमाथण क कषतर म वजतनी

री कलाकवतयो को दखन क अिसर हमको वमलत ह ि सब रौवतक विजञान की ही दन ह

रनत रिन वनमाथण क वलए मनषटय दवारा तीवर गवत स जिगलो को कािा जा रहा ह वजसक कारण

हमारा परािवतक सितलन वबगड़ रहा ह परािवतक सितलन वबगड़न क कारण जीि जितओ ि एिम

िनस वतयो की अनक परजावतया लपत हो गयी ह विजञान क दवारा परदान की गयी सख सवििाओ ि

क अतयविक और गलत उ योग स ही आज हमार समपमख िवशवक त न एिम ओजोन रत की

कषीणता जसी गिरीर समसयाय उत नन हो गयी ह विवरनन उददोगो की वचमवनयो और िाहनो स

वनकलन िाल िएि म काबथन डाई ऑकसाइड गस अतयविक मातरा म उ वसरत होती ह िवशवक

त न बढ़त हररतगह परराि का ररणाम ह तरा वजसक वलए उततरदायी गसो म स परमख गस

काबथन डाई ऑकसाइड ही ह रौवतक विजञान न हम गमी स बचन क वलए सख सवििा क

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र म रवफरजरिर एयर कि डीशनर तरा अनय उ करण उ लबि कराय ह इन उ करणो म

कलिस क र म कलोरो फलोरो काबथन गस का परयोग वकया जाता ह वजसका गण यह ह वक

एक बार िायमिडल म चल जान र यह नषट नही होती ह और सीि िायमिडल की ओजोन रत

र हमला कर उस नषट कर दती ह अतः िातािरण म होन िाल ररितथन क कारण वनकि

रविषटय म उत नन होन िाली विवरनन समसयायो क परवत जनसािारण को सचत करन की

आिशयकता ह सिचार क विवरनन सािनो जस िलीविज़न रवडयो अख़बार इतयावद क माधयम

स यह कायथ सरलता िथक वकया जा सकता ह सार ही रोल कोयला जस ईिन का परयोग

कम करक अविक स अविक िकष लगाकर एिम कलोरो फलोरो काबथन गस परयोग करन िाल

सिसािनो क इसतमाल र रोक लगाकर हम अ न िातािरण को (िवशवक त न ि ओजोन रत

की कषीणता जसी गिरीर समसयाओ ि स ) सरवकषत रखन म सहयोग कर सकत ह

ii सिासय क तलए भौतिक तिजञान - सिासथय क कषतर म आज हम सिासथय रकषा क वलए

रौवतक विजञान एिम तकनीकी क नए नए सािन अ नान र बल द रह ह करी असाधय लगन

िाल रोग आज िजञावनको दवारा खोजी गयी दिाइयो क परयोग क कारण असाधय नही रह गय ह

क सर और एडस जसी बीमाररयो क वलए री डॉकिसथ और वचवकतसा विशषजञ परयासरत ह नई

नई कोवशकाओ ि क वनमाथण म सफलता परापत कर ली गयी ह रवडयोिवमथता यावन अलफा बीिा

गामा वकरणो क अनपरयोग स वचवकतसा क कषतर म काफी परगवत हई ह अब वचवकतसकीय

उ करणो को गामा वकरणो की सहायता स ही रोगाणमकत वकया जाता ह रौवतक विजञान क

कषतर म होन िाली िजञावनक खोजो क ररणामसिर ही हम आज अलरासाउिड िकनोलॉजी

जसी तकनीकी स लारावनित हो ा रह ह अलरासाउिड िकनोलॉजी की सहायता स आज हम

अ न शरीर क अनदर होन िाल वकसी री विकार की हचान करक उसका उवचत उ चार परापत

करन म सकषम हो गय ह आज वचवकतसक लज़र वकरणो का उ योग करक वबना चीर फाड़

वकय सजथरी कर रह ह रारत म परतयक िषथ चलाय जान िाल ोवलयो अवरयान स ोवलयो

जसी खतरनाक बीमारी लगरग खतम हो गयी ह गरामीण कषतरो म री लोग सिासथय क परवत

जागरक हो गय ह कयोवक अब विजञान क दवारा परदतत सिचार क सािनो जस िलीविज़न

रवडयो कि पयिर मोबाइल इनिरनि आवद क माधयम स सरी सचनाएि उन तक आसानी स

हच जाती ह

iii िाति क तलए भौतिक तिजञान- आज छातरो को ऐसी वशकषा वदए जान की आिशयकता ह

वजसस उनम आतिकिाद वहिसा जसी अिािछनीय घिनाओ ि क परवत नकारातमक िवषटकोण

विकवसत हो तरा रस र सौहादथ सहयोगराईचारा तरा सवहषटणता जस सकारातमक गण

विकवसत हो सक यह कायथ रौवतक विजञान की वशकषा क माधयम स रली रािवत सि नन वकया

जा सकता ह रोकि छोड़न की तकनीवकयो एिम थिी की ककषा म कवतरम उ गरह की

सरा ना आवद कायो म रौवतक विजञान म होन िाली खोजो न ही बहत महति णथ योगदान वदया

ह आज हमन धिवन की गवत स री तज़ चलन िाल िाययान विकवसत कर वलए ह रौवतक

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विजञान की विवरनन नई तकनीकीयो एिम उ करणो की खोज क ररणामसिर ही आज हम

हमार दश क विरदध डोसी दशो दवारा की जान िाली आतिकिादी गवतविवियो र काफी हद

तक नज़र रख ान और उस रोक ान म सकषम हए ह रौवतक विजञान क कारण ही हमारी सनय

शवकत री मजबत हई ह आज हमार ास थिी आकाश वतरशल नाग एिम अवगन जसी

सफल वमसाइल ह जो वकसी री वि रीत ररवसरवत म हमार दश की सरकषा करन म सकषम ह

वसकक क दो हलओ ि की तरह रौवतक विजञान क इन अविषटकारो क लार री ह और नकसान

री ह एक तरफ रमाण ऊजाथ जहा वबजली बनान क काम म आती ह िही रमाण हवरयार

री रमाण ऊजाथ स ही बनाय जा सकत ह अतः विशव शािवत बनाय रखन क वलए यह अतयित

आिशयक ह वक परतयक राषटर इस बात को समझ सक की वक िह विजञान क दवारा परदान की

गयी सरी सरकषा सवििाओ ि को किल मानिवहत एिम कलयाणकारी कायो म ही परयोग करगा

iv तनषपकषिा क तलए भौतिक तिजञान- रौवतक विजञान की िजञावनक वचितन दधवत मानि म

सािथरौवमक िवषटकोण विकवसत करन म सहायक होती ह िमथ एिम सिसकवत की वचितन दधवत

िाल वयवकत का िवषटकोण कषतर विशष की सीमा स बििा होता ह जबवक विजञान क वनयम और

वयाखयाय वकसी कषतर या राषटर की सीमा म बिि नही होत ह िजञावनक वचितन दधवत िाला वयवकत

वकसी री राषटर दवारा विजञान क कषतर म वकय गय योगदान को दखकर वबना वकसी रदराि क

उस राषटर का समपमान करता ह उसका वचितन एिम िवषटकोण सिकवचत नही होता ह अव त

सािथरौवमक होता ह आज री हमार समाज म कछ रीवत-ररिाज एिम सामावजक रवड़या ह जो

ीड़ी डर ीड़ी चली आ रही ह हमार समाज म आज री यही माना जाता ह वक एक लड़की को

वशवकषत होन की कोई आिशयकता नही ह कयोवक उसको तो घर म ही काम करना ह जबवक

एक लड़क को वशवकषत होना चावहए कयोवक उसी को घर चलान क वलए वयिसाय या नौकरी

करक िन अवजथत करना ह इन सामावजक रवडयो क बािजद सािथरौवमक िवषटकोण क कारण ही

िजञावनक वचितन दधवत िाला वयवकत हमार समाज म वयापत वलिग रद क आिार र बालक ि

बावलका को वशवकषत करन क विषय म विचार नही करता ह आज बालक हो या बावलका हर

वकसी क वलए वनषट कष र स वशकषा उ लबि करान र जोर वदया जा रहा ह यह रौवतक

विजञान की िजञावनक वचितन दधवत का ही ररणाम ह रौवतक विजञान न आज अनक ऐस

उ करण ि कवतरम अिग विकवसत कर वलए ह वजनकी सहायता स आिवशक शरिणदोष स गरवसत

छातर ककषा म सामानय छातर की रािवत सन सकता ह तरा एक विकलािग छातर री सामानय छातर

की रािवत चल सकता ह उठ बठ सकता ह आज हम रौवतक विजञान क अविषटकार जस ndash

िलीविज़न रवडयो इनिरनि इतयावद र परसाररत होन िाल विवरनन शवकषक कायथिमो क

माधयम स ही दगथम एिम सदर गरामीण कषतरो म रहन िाल छातरो को वशवकषत करन म सफल हो

ा रह ह

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अभयास परशन

2 शीत उ करणो म कलिस क र म कलोरो फलोरो काबथन गस का परयोग वकया जाता ह

(सतयअसतय)

3 िवशवक त न बढ़त हररतगह परराि का ररणाम ह तरा वजसक वलए उततरदायी गसो म स परमख

गस कलोरो फलोरो काबथन ही ह (सतयअसतय )

4 वचवकतसकीय उ करणो को गामा वकरणो की सहायता स ही रोगाणमकत वकया जाता ह (सतय

असतय)

5 िवशवक त न को कम करन हत कोई दो उ ाय वलवखए

25 सपरवसदध वजञावनक- आइजक नयटन जॉन डालटन जसी बोस अलबटथ आइनसटीन शाावतसवरप रटनागर नीलस बोहर सी वी रमन डी बरोगिी वबमिा बटी आवद सामनयतया कहा जाता ह वक ररितथन परकवत का वनयम ह रौवतक जगत म इस ररितथन को लान का

शरय विजञान को ही वदया जाता ह वजन महान लोगो क अनिरत परयास एिम खोजो क ररणामसिर

हमार रौवतक जगत म य ररितथन आत ह उनको हम िजञावनक की सिजञा दत ह ितथमान म हम सरी

वजन रौवतक सख सवििाओ ि का परयोग करक एक सरल एिम सगमपय जीिन वयतीत कर रह ह उन

सख सवििाओ ि की खोज करन का शरय री वनसिदह हमार िजञावनको को ही जाता ह िजञावनको की

महनत एिम अरक परयासो का ही ररणाम ह वक आज हम जीिन क हर कषतर म वनरितर परगवत एिम

विकास कर रह ह यहा र हम कछ सपरवसदध िजञावनको की पररणादायक खोजो एिम उनक योगदान क

विषय म चचाथ करग-

आइिक नयटन

महान िजञावनक आइजक नयिन वजनको आिवनक रौवतकी एिम गवणत का व तामह कहा जाता ह का

जनम 1642 म वलिकन शायर (इिगलड) म हआ रा ि बालयकाल स ही वशकषा क परवत गिरीर र विदयारी

जीिन स ही उनकी रवच यािवतरक एिम सरजनातमक कायो म ररलवकषत होन लगी री वशकषा क परवत

उनकी इस लगन परवतरा एिम योगयता को दखत हए ही उनको आग की वशकषा गरहण करन क वलए

कवमपबरज विशवविदयालय रज वदया गया जहा र अ नी विशवविददालीय वशकषा क दौरान ही उनकी गवणत

विषय म योगयता एिम रवच को दखत हए उनको मातर 27 िषथ की आय म गवणत विषय क परोफसर क

द र वनयकत कर वलया गया 30 िषथ की आय म उनहोन इसी विशवविदयालय म एक परयोगशाला की

सरा ना करक सितनतर र स अ ना अनसनिान कायथ परारिर कर वदया अ न अनसििान कायथ क

ररणामसिर उनहोन रौवतक विजञान क कषतर म वजन नयी उ लवबियो को अवजथत वकया ि वनमपन ह-

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i नयिन न गरतिाकषथण क वनयम का परवत ादन वकया नयिन न बताया की सिसार की परतयक दो

िसतओ ि क बीच एक आकषथण बल काम करता ह यवद दो आकवषथत करन िाली िसतओ ि म

स एक थिी हो तो थिी वजस बल स वकसी िसत को अ न क ि की ओर आकवषथत करती ह

उस गरति बल कहत ह इसवलय जब कोई िसत ऊ र की ओर फ की जाती ह तो िह गरति

बल क कारण ही लौिकर थिी र िा स आती ह गरति बल क कारण ही हम थिी र खड़

रह सकत ह

ii नयिन न ही यह बताया वक बरहमाणड म वकनही दो व िडो क बीच कायथ करन िाल आकषथण बल

को गरतिाकषथण बल कहत ह इस बल क कारण ही थिी सयथ क चारो ओर घमती ह तरा

चििमा थिी क चारो ओर घमता ह िासति म यही बल सरी गरहो की गवत क वलए उततरदायी

iii नयिन क गरतिाकषथण वनयम क अनसार ldquo बरहमाणड का परतयक कण दसर कण को एक वनवशचत

बल स आकवषथत करता ह जो उन कणो क िवयमानो क गणनफल क अनिामान ाती तरा

उनक बीच की दरी क वयतिमान ाती होता हrdquo वजसको वनमपन समीकरण दवारा परदवशथत वकया

जा सकता ह ndash

119865 = 119866 11989811198982

1199032

iv नयिन न गवत विषयक तीन मति णथ वनयम परवत ावदत वकय नयिन क गवत क पररम वनयम क

अनसार ldquoयवद कोई िसत विरामािासरा म ह तो िह विरामािासरा म ही बनी रहगी और यवद

िह एक सरल रखा म एकसमान िग स चल रही ह तो िह उसी परकार चलती रहगी जब तक

वक उस र कोई िाहय बल ना लगाया जायrdquo उदाहरण क वलए यवद कोई सतक मज र राखी

ह तो िह तब तक उसी अिसरा म बनी रहगी जब तक वक उस र बाहर स बल लगाकर उस

िहाि स हिा न वदया जाय

नयिन क गवत क वदवतीय वनयम क अनसार ldquo वकसी िसत र बाहर स लगाया गया बल F उस

िसत क िवयमान m तरा िसत म बल की वदशा म उत नन तिरण a क गणनफल क

अनिमान ाती होता हrdquo

F = ma

नयिन क गवत क ततीय वनयमानसार जब कोई िसत वकसी दसरी िसत र बल लगाती ह तो

दसरी िसत री हली िसत र उतना ही बल वि रीत वदशा म लगाती ह उदाहरण क वलए

तरत समय तराक ानी को ीछ की ओर िकलता ह ररणामसिर ानी तराक को आग की

ओर िकलता ह अतः स षट ह वक तराक ानी को वजतनी तजी स ीछ की ओर िकलगा िह

उतना ही तज़ तरगा

v नयिन न ही यह जानकारी दी वक परकाश सात रिगो स वमलकर बना होता ह

vi नयिन न अ न परयोगो दवारा वसदध वकया वक परकाश सदि सीिी रखा म चलता ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 28

vii नयिन न गवणत की एक अतयित महति णथ शाखा कलकलस की खोज की

viii नयिन न एक महति णथ परमय की खोज की वजस बाईनोवमयल परमय कहा जाता ह

ix नयिन न परकाश क फोिोन वसदधानत को परवत ावदत वकया और यह बताया वक परकाश बहत ही

सकषम कणो क र म हम तक हचता ह वजनह फोिोन कहा जाता ह

x नयिन न सयथ स थिी तक की दरी को मा ा और अनय गरहो की थिी स दरी और उनक आकर

का अनमान लगाया

िॉन डालटन

वबरविश रसायनशासतरी जॉन डालिन का जनम 6 वसतमपबर 1766 को इगलसफीलड इिगलड म हआ रा

डालिन एिम उनक राई दोनो ही जनम स िणाथनि र डालिन अ न गाि कमपबरलड म एक किकर

विदयालय म वशकषा गरहण करन क बाद मातर 12 िषथ की आय म उसी विदयालय म वशकषक क र म कायथ

करन लग इनका जनम गरीब ररिार म हआ रा अतः 14 िषथ की आय म विदयालय क वशकषण कायथ को

छोडकर अ न ररिार का ररण ोषण करन हत खती म जि गय लवकन अविक समय तक उनका मन

खती म नही लगा तरा इसी एक िषथ क दौरान उनहोन िाव स वशकषण कायथ म लौिन का वनणथय वलया

ि नः कनडाल म एक किकर बोवडिग विदयालय म वशकषण कायथ करन लग तरा मातर चार िषथ क शचात

इसी विदयालय म वपरिवस ल क द र वनयकत हो गय ि इस विदयालय म 1793 तक रह इसक शचात

मनचसिर क नय कॉवलज म ियिर क र म कायथ करन लग जहा र उनहोन मनचसिर वलिररी एिम

वफलोसोवफकल सोसायिी की सदसयता ल ली इसी सोसायिी की सदसयता क ररणामसिर उनको

परयोगशाला की सवििाएि परापत हई और उनहोन अ ना अनसनिान कायथ परारमपर कर वदया परारमपर म उनहोन

मौसम विजञान म तरा इसक शचात जीि विजञान तरा रसायन शासतर म शोि करक वनमपन उ लवबियाि

अवजथत की

1 डालिन न अ न पररम शोि परोजकि म मौसम विजञान म रवच वदखाई री अतः ि मौसम

िाय की गवत एिम बरोमवरक दबाब र परवतवदन धयान रखत र जो की जीिन क अिवतम वदनो

तक उनकी आदत बना रहा डालिन की हली सतक ldquo वमविरओलोवजकल

फ़ाईनडीनगसrdquo(Meteorological Findings) म िायमिडलीय दबाब र उनक शोि ररणाम

परकावशत हए

जब दो या दो स अविक गस आ स म वमलायी जाती ह तो उनक कल दाब की गणना करन क

वलए ही जॉन डालिन न आिवशक दाब का वनयम वदया इस वनयम क अनसार ldquo वसरर ता ि

आयतन र उन दो या दो स अविक गसो (जो आ स म विया ना करती हो ) का कल दाब इन

गसो क आिवशक दाबो क योग क बराबर होता हrdquo

PT = P1 + P2 + P3 + ⋯

2 डालिन न ही बताया वक िणाथनिता आनिािवशक होती ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 29

3 रमाण की सिरचना क समपबनि म परयोगो क आिार र तथयातमक वसदधानत सबस हल जॉन

डालिन न ही वदया रा वजस डालिन का रमाणिाद क नाम स जाना जाता ह इस वसदधानत क

अनसार ldquo रमाण वकसी तति का िह छोि स छोिा अविराजय कण ह जो रासायवनक विया म

राग नही लता ह और उसम उस तति क सरी गण विददमान रहत हrdquo

िसीबोस

डॉकिर जसी बोस का जनम बिगाल क फरीद र वजल क वििम र नामक गािि म 30 निमपबर 1858 को

हआ रा ि बच न स ही एक मिािी छातर र 11 िषथ की आय म ि कलकतता आय जहा र उनह

अिगरजी राषा की वशकषा हत सि ज़वियर सकल म परिश वदलाया गया 16 िषथ की आय म इनहोन

छातरिवतत क सार मवरक ास वकया और उसक शचात कलकतता विवशवददालय म परिश ल वलया जहा स

जसी बोस न गवणत एिि विजञान म विशष योगयता क सार सनातक की रीकषा उततीणथ की 1896 म

लनदन यवनिवसथिी न उनह उनक शोि वबजली की लहरो की लमपबाई र डीएससी की वडगरी परदान की

ि 1920 म रॉयल सोसायिी क फलो चन गय 1927 म ि इिवडयन साइिस कािगरस क जनरल परसीडसी री

वनयकत हए 1912 म बोस जब अ न एक िजञावनक वमशन र रिाना हए तो उस समय उनकी इचछा री

वक रारत म री रॉयल इिसिीियि लनदन की तरह एक साइिस इिसिीियि सराव त वकया जाय उनक इसी

स न को साकार र दन क वलए उनहीन रारत म 30 निमपबर 1917 को बोस इिसिीियि की सरा ना की

आज रारत म इस एक परवसदद ररसचथ सनिर का दजाथ वमल चका ह विजञान क कषतर म इनकी परमख

उ लवबियाि वनमपन ह ndash

i जसी बोस न अ न एक परयोग दवारा यह परदवशथत वकया वक लघ विददत तरिगो दवारा सिकत परापत हो

सकत ह उनहोन अ ना हला परयोग परदशथन परसीडसी कॉलज म वकया तरा दसरा परयोग परदशथन

िाउन हॉल म वकया अ न इस परयोग क दवारा जसी बोस न बताया रा वक विददत चमपबकीय

तरिग वकसी सदर सरल तक किल अनतररकष की सहायता स हच सकती ह तरा य तरिग वकसी

विया का वकसी अनय सरान र वनयितरण री कर सकती ह िासति म यह ररमोि कणरोल

वससिम रा

ii जसी बोस हल ऐस वयवकत र वजनहोन एक ऐस सकषम यितर का वनमाथण वकया वजसकी सहायता

स सकषम तरिग दा की जा सकती री उनहोन दवनया को एक ऐसी वबलकल नयी तरह की रवडयो

तरिग वदखाई जो वक 1 समी स 5 वममी की री वजस आज माइिोिि या सकषम तरिग कहा

जाता ह

iii जसी बोस न ौिो म िीमी गवत स होन िाल विकास को मा न हत एक अतयित सििदी यनतर

बनाया जो िीमी गवत स हो रही इस िवदध को मा सकता रा इस यनतर को इनहोन िसकोगराफ

नाम वदया

iv इनक दवारा ौिो म िवदध की अवररचना ररकॉडथ की गयी जोवक आिवनक िजञावनक तरीको स

री वसदध होती ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 30

v जसी बोस न बताया वक ौिो म उददी न का परराि सफीती दबाब और कोवशकाओ ि क फलाि

स जड़ा होता ह

अलबटय आइनसटीन

महान िजञावनक अलबिथ आइनसिीन का जनम जमथनी क उलम नामक सरान र 1879 को हआ रा

आइनसिीन बच न स ही परवतराशाली विददारी र गवणत एिम विजञान विषय क अधययन म इनकी

विशष रवच री इनकी परवतरा को दखत हए ही इनक वशकषको दवारा इनह मातर 15 िषथ की आय म ही

विशवविदयालय सतर की वशकषा गरहण करन क योगय घोवषत कर वदया गया रा अ नी विददालयी वशकषा

गरहण करन क बाद इनहोन गवणत एिम विजञान का अधययन जारी रखा आइनसिीन की वशकषण कायथ म

बहत रवच री वकनत बहत परयास करन क बाद री य एक वशकषक क र म नौकरी नही परापत कर सक

और वफर मजबरीिश वसििजरलड क एक ऑवफस म कलकथ क द र कायथ करन लग इस नौकरी क

सार सार उनहोन अ ना अनसनिान कायथ जारी रखा आइनसिीन न 1905 ि 1906 म लगातार अ न

दो परवसदद वसदधानतो को दवनया क समपमख परसतत वकया इन दो महान खोजो क बाद इनकी परवसवदध बढ़

गयी तरा इनह 1911 म बवलथन विशवविदयालय म रौवतक शासतर क परोफसर द र वनयकत कर वदया गया

रौवतक विजञान क कषतर म इनकी परमख उ लवबियाि वनमपन ह ndash

i 1905 म इनहोन अ ना परवसदद वसदधानत जो दारथ क नषट होन क बाद उसक ऊजाथ म ररिवतथत

होन स समपबिवित ह को एक समीकरण 119864 = 1198981198882 क र म दवनया क समपमख परसतत

वकया उनकी यही खोज आग चलकर एिम बम क अविषटकार का आिार बनी

ii 1906 म इनहोन सरान तरा दरी स समपबिवित एक अनय खोज दवनया क समपमख परसतत की

वजसको विजञान जगत म ldquoसा वकषक वसदधानतrdquo क नाम स जाना जाता ह

iii बवलथन विशवविदयालय म परोफसर द र कायथ करत हए री इनहोन अ न शोि कायथ को जारी

रखा तरा एक अनय परमख वसदधानत की खोज की वजसको ldquoकरिचर ऑफ़ स स थयोरी rdquo क

नाम स जाना जाता ह आइनसिीन न 1919 म णथ सयथगरहण क समय इसकी सतयता की जािच

री करक वदखायी

iv आइनसिीन न ldquoपरकाश का किाििम वसदधानतrdquo परसतत वकया वजसक दवारा इनहोन यह समझान का

परयास वकया वक परकाश हमार ास तरिगो क किाििा क र म आता ह

अ नी इन सरी महति णथ खोजो क उ लकषय म इनको 1921 म रौवतकशासतर क नोबल रसकार स

समपमावनत वकया गया

िातिसिरप भटनागर

डॉ शािवत सिर रिनागर का जनम 21 फरिरी 1894 को िजाब क शाह र वजल म रडा नामक गराम म

हआ रा इनहोन 1911 म मवरक की रीकषा पररम शरणी म उततीणथ की तरा 1913 म लाहौर फोरमन

विशचन कॉवलज स एम एससी की रीकषा री पररम शरणी म उततीणथ की बाद म 1921 म लनदन

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 31

विशवविदयालय स डीएससी की वडगरी परापत की मगनिो कवमसरी क कषतर म वकय गय अनसनिान कायथ क

योगदान क वलए इनको विशष तौर र जाना जाता ह इसक अवतररकत इनहोन कोलोइड इमलशन ि

औददोवगक रसायनशासतर क कषतर म री काफी उ योगी अनसनिान कायथ वकय ह इनक समपमान म ही

िजञावनक एिम औददोवगक अनसनिान ररषद दवारा परवतिषथ िजञावनको स विजञान और तकनीकी कषतर म

उनक योगदान क सनदरथ उनको शािवतसिर रिनागर रसकार परदान वकया जाता ह

नीलस बोर

इस डवनस रौवतकशासतरी का जनम 1885 म डनमाकथ म हआ रा | इनक व ता विशचन बोर को नहगन

विशवविदयालय म वफवजओलोजी क परोफसर र अतः इनको बच न स ही अ न घर म ढन वलखन का

अचछा िातािरण वमला रा बोर अतयित होनहार विददारी र इनकी समप णथ वशकषा को नहगन

विशवविदयालय म ही सि नन हई मवरक की ढाई री करन क बाद 1903 म इनहोन को नहगन

विशवविदयालय म परिश वलया जहा स 1909 म रौवतक शासतर म मासिर वडगरी ि 1911 म ी एच डी

की उ ावि परापत की तरा 1916 म को नहगन विशवविदयालय म ही सदधािवतक रौवतकशासतर विराग म

इनकी परोफसर क द र वनयवकत री हो गयी जब ि मातर २२ िषथ क र तरी डवनस विजञान सोसायिी

न इनह ldquoसरफस िशनrdquo सिबििी इनक मौवलक अधययन हत एक सिणथ दक वदया रा विजञान क कषतर म

इनकी परमख उ लवबि इनक दवारा परसतत रमाण मॉडल ह वजस बोर का रमाण मॉडल क नाम स जाना

जाता ह उनक इसी योगदान क वलए सन 1922 म उनह रौवतकी क नोबल रसकार स री समपमावनत

वकया गया रदरफोडथ क दवारा परसतत नावरकीय मॉडल क दोषो की वयाखया करत हए पलक क किाििम

वसदधानत क आिार र इनहोन अ न रमाण मॉडल म बताया वक-

i रमाण म इलकरान नावरक क चारो ओर बिद िततीय ककषाओ ि म घमत रहत ह

ii नावरक क चारो ओर अनक िततीय ककषाएि होती ह रनत इलकरान किल उनही ककषाओ ि म

घमत ह वजनम उनका कोणीय सििग ℎ

2120587 का णथ गवणत होता ह

iii परतयक ककषा का एक वनवशचत ऊजाथ सतर होता ह इन ककषाओ ि म घमत हए इलकरानो की ऊजाथ

वसरर रहती ह वजसक कारण इन ककषाओ ि को सरायी ककषा री कहत ह

iv जब इलकरान ( एक सरायी ककषा स दसरी सरायी ककषा म) वनमपन ऊजाथ सतर स उचच ऊजाथ सतर

म कदता ह तो रमाण दवारा ऊजाथ अिशोवषत होती ह इसक वि रीत जब एक इलकरान उचच

ऊजाथ सतर स वनमपन ऊजाथ सतर म कदता ह तो रमाण क दवारा ऊजाथ विवकरण क र म उतसवजथत

होती ह तरा परापत उतसजथन म वनवशचत आिवतत की तरिग उत नन होती ह वजसम तीकषण रखाएि होती

ह इसी क आिार र हाइरोजन क स करम की सफल वयाखया की गयी

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 32

सी िी रमन

चनिशखर िकिरमन का जनम तवमलनाड क वतरचना लली नामक सरान र 7 निमपबर 1888 को हआ

रा इनक व ता गवणत एिम रौवतकशासतर क परिकता र य अ न विददालयी जीिन स ही एक

परवतराशाली छातर र 1902 म मातर 14 िषथ की आय म इनहोन परसीडसी कॉवलज मिास म परिश

वलया तरा 1904 म बी ए की वडगरी परापत की ि 1907 म यही स रौवतक विजञान म एम ए की वडगरी

परापत की 1907 म ही कलकतता म वितत मितरालय म एक परशासवनक द र इनकी वनयवकत हई विजञान क

परवत अ नी रवच को ना रोक ान क कारण इस द र कायथ करत हए री य अनसनिान कायथ करत रह

ि ldquoइिवडयन एशोवसएशन ऑफ़ कलिीिशन ऑफ़ साइिसrdquo की परयोगशाला म रात रात रर जाग जाग कर

शोि कायथ वकया करत र उनकी इसी महनत और लगन क ररणामसिर 1917 म ि कलकतता

विशवविदयालय म रौवतक शासतर म परोफसर क द र वनयकत हो गय कलकतता विशवविदयालय म 15 िषथ

तक कायथ करन क शचात य ldquo रारतीय विजञान सिसरान rdquo म परोफसर क द र वनयकत हए 1924 म

ऑवपिकस म इनक योगदान क कारण इनह रॉयल सोसाइिी का फलो चना गया 1930 म इनको

अितराषटरीय नोबल रसकार स समपमावनत वकया गया चनिशखर िकिरमन विजञान क कषतर म नोबल

रसकार परापत करन िाल हल रारतीय िजञावनक र यह रसकार इनक महति णथ खोज ldquoरमन पररािrdquo

क वलए वदया गया रा 1943 म इनहोन बिगलौर क ास रमन ररसचथ इिसिीियि की सरा ना की जहा र

य अ न जीिन क अिवतम वदनो तक कायथ करत रह रौवतक विजञान क कषतर म इनकी परमख उ लवबियाि

वनमपन ह ndash

i विजञान क कषतर म चनिशखर िकिरमन का परमख योगदान इनक दवारा की गयी एक खोज ह वजस

विजञान जगत म ldquoरमन परराि rdquo क नाम स जाना जाता ह इनहोन अ नी इस खोज म बताया वक

तरल दारो म परकाश का वबखराि बहत ही कम होता ह यवद परकाश तरल दारथ स होकर

गजरता ह तो उन परकाश वकरणो की तीवरता और लमपबाई म इस परकार की कमी आ जाती ह वक

ि री तरह स वरनन परकार की लहर बन जाती ह परकाश की लहरो की सिखया म यवद कोई कमी

या िवदध होती ह तो इसकी वनरथरता परकाश की लहरो र नही होती ह अव त उस दारथ र होती

ह वजसस परकाश की वकरण होकर गजरती ह अतः इनहोन अ नी इस खोज स यह स षट वकया

वक परकाश वकरणो की सिखया म ररितथन दारथ की सिरचना का ही ररणाम होता ह और ऐसा

ररितथन सामानय परकाश की लहरो स अविक लमपबी परकाश की लहरो क कषतर म वदखाई दता ह

इस परकार परापत लहरो को ldquoरमन रखाrdquo या ldquoरमन इफ़किrdquo कहा जाता ह

ii परकाश क परकीणथन की खोज का शरय इनही को जाता ह

iii बोड वसरिग का मकवनकल वसदधानत एिम एकस वकरणो का विशलषण इनही क दवारा परसतत वकय

गय

iv चनिशखर िकिरमन न तबल और मदिगम क सिनादी (हामोवनक) की परकवत की खोज की

री

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 33

v आख क रविना क काल राग को दखन क वलए ओ रलमोसको नामक यितर का अविषटकार

वकया वजसक दवारा आख क अिदर की सिरचना एिम परविया को बड़ी सरलता स दखा जा

सकता ह

डी बरोगली

इस परवसदद फर च रौवतकशासतरी का जनम 15 अगसत 1892 को फरािस म हआ रा इनहोन 1909 म हल

ररस विशवविदयालय स इवतहास विषय म सनातक वकया तरा बाद म 1913 म विजञान विषय म सनातक

की उ ावि परापत की 1924 म डी बरोगली न डॉकिरि की उ ावि हत अ ना शोिपरबिि परसतत वकया

वजसका शीषथक रा किाििम वसदधाित सिबििी गिषणाए य 1928 म पिाकर इिवसिियि म सदधािवतक

रौवतकी क परिानाधया क वनयकत हए इनही क परयास स यह सिसरा समकालीन रौवतक वसदधाितो क

अधययन क वलय एक क ि बन गई 1945 म फरािसीसी सरकार न रमाण ऊजाथ क उचच आयोग की

सरा ना की और बरॉगली को उसका तकनीकी रामशथदाता वनयकत वकया सावहवतयक कायथ क कारण

1945 म ही य फरािसीसी अकादमी क सदसय वनिाथवचत हए य फरािसीसी लखकसिघ क समपमावनत

सरा वत री रह और 1952 म इनह िजञावनक लखन की उतकषटता क वलय कवलिग परवतषठान दवारा परदतत

पररम रसकार वमला रौवतक विजञान क कषतर म इनका परमख योगदान ldquoडी बरोगली का दारो की दवती

परकवत का वसदधानतrdquo ह इस उतकषट कायथ हत 1929 म इनह नोबल रसकार स समपमावनत वकया गया

डी बरोगली न 1924 म अ न इस वसदधानत म बताया रा वक परकाश तरा अनय विददत चमपबकीय विवकरणो

की दवती परकवत की तरह दारथ री तरिग तरा कण दोनो ही परकार क गण परदवशथत करता ह वजस दवती

परकवत का वसदधानत कहा जाता ह

तबमला बटी

परोफसर वबमला बिी एक रारतीय रौवतकशासतरी ह य रौवतकशासतर विषय म इिवडयन नशनल साइिस

अकादमी की हली मवहला फलो ह इनका जनम 19 वसतमपबर 1933 को मलतान नामक सरान र हआ

रा वबमला बती न वदलली विशवविदयालय स बी एस सी (ओनसथ ) एिम एम एस सी की वडगरी परापत

की ह तरा 1962 म वशकागो विशवविदयालय स पलाजमा वफवजकस म डॉकिरि की उ ावि परापत की ह

रौवतक विजञान क कषतर म इनक योगदान क वलए इनह विवरनन रसकारो जस -1977 म वििम साराराई

अिाडथ फॉर पलानरी साइिस 1993 म जिाहरलाल नहर बरथ सनिरी लकचररवश अिाडथ ि 1994 म

इनसा-िण बा अिाडथ स समपमावनत वकया गया ह रौवतक विजञान क कषतर म इनक परमख उ लवबियाि

वनमपन ह ndash

i रारत म रमाण ऊजाथ विराग क अितगथत ldquoइिवसिियि ऑफ़ पलाजमा ररसचथrdquo सराव त करन का

शरय इनही को जाता ह

ii रारत म पलाजमा साइिस सोसाइिी को सराव त करन का शरय इनही को ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 34

iii इनहोन नासा क विवरनन सनिर जस गोडाडथ स स फलाइि एम डी एमस ररसचथ सनिर सीए

ि जि परो लशन लबोरिरी इतयावद म कायथ वकया ह

अभयास परशन

6 _________विजञान क कषतर म नोबल रसकार परापत करन िाल हल रारतीय िजञावनक र

7 नयिन न गवत विषयक_________महति णथ वनयम परवत ावदत वकय

8 ldquoपरकाश का किाििम वसदधानतrdquo _________दवारा परसतत वकया गया रा

9 रारत म पलाजमा साइिस सोसाइिी को सराव त करन का शरय_________को ह

10 अलबिथ आइिसिीन को आिवनक रौवतकी एिम गवणत का व तामह कहा जाता ह (सतय

असतय )

11 जॉन डालिन न बताया वक िणाथनिता आनििवशक होती ह (सतय असतय )

12 ौिो म िीमी गवत स होन िाल विकास को मा न हत िसकोगराफ नामक सििदी यितर का अविषटकार सी िीरमन न वकया रा (सतय असतय )

13 डी बरोगली न दवती परकवत का वसदधानत परसतत वकया रा (सतय असतय )

14 डालिन का आिवशक दाब का वनयम वलवखए

15 नयिन का गवत स समपबिवित वदवतीय वनयम वलवखए

26 सारााश समाज म सखी जीिन वयतीत करन एिम समाज को वनरितर उननवत क र र ल जान म सदि रौवतक

विजञान की अतयित महति णथ रवमका रही ह रौवतक विजञान की वशकषा दवारा ही छातरो म सामावजकता क

गणो का विकास वकया जा सकता ह सार ही उनम यह समझ री विकवसत की जा सकती ह वक वकस

परकार रहन स और वकस परकार क कायथ करन स समाज को लार हिचगा इस इकाई म हमन रौवतक

विजञान वकस परकार हमार समाज को पररावित कर रहा ह ि िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता

क वलए रौवतक विजञान का कया योगदान ह इसक विषय म विसतत अधययन वकया ह कछ सपरवसदध

िजञावनक- आइजक नयिन जॉन डालिन जसी बोस अलबिथ आइनसिीन शािवत सिर रिनागर नीलस

बोहर सी िी रमन डी बरोगली वबमला बिी आवद न रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत

एिम विकास म कया योगदान वकया ह इसक विषय म री इस इकाई म विसतार िथक चचाथ की गयी ह

रौवतक विजञान की वशकषा का उददशय वयवकत तरा उसक समाज को उसक परकवत तरा िातािरण क

सार समायोजन करन क योगय बनाना ह सार ही उन र वनयितरण रखकर उनह अ नी सवििा क अनसार

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 35

परयोग करन की कषमता उत नन करना ह अतः छातरो को रौवतक विजञान की वशकषा इस परकार दी जानी

चावहए वजसस उनम आतिकिाद वहिसा जसी अिािछनीय घिनाओ ि क परवत नकारातमक िवषटकोण

विकवसत हो तरा रस र सौहादथ सहयोगराईचारा तरा सवहषटणता जस सकारातमक गण विकवसत हो

सक

27 अभ यास परशनो क उत तर 1 रौवतक विजञान की परगवत एिि विकास स होन िाल तीन लार

i समपपरषण एिम ररिहन की आिवनक सवििाओ ि की उ लबिता

ii जल सिसािन परबििन एिम शवदधकरण हत यितरो की उ लबिता

iii खादद उत ादन म िवदध हत आिवनक तकनीकी

2 सतय

3 असतय

4 सतय

5 िवशवक त न को कम करन हत दो उ ाय

i रोल कोयला जस ईिन का परयोग कम करक

ii अविक स अविक िकष लगाकर

6 चनिशखर िकिरमन

7 तीन

8 आइनसिीन

9 वबमला बिी

10 असतय

11 सतय 12 असतय

13 सतय

14 डालिन क आिवशक दाब क वनयम क अनसार ldquo वसरर ता ि आयतन र उन दो या दो स

अविक गसो (जो आ स म विया ना करती हो ) का कल दाब इन गसो क आिवशक दाबो क

योग क बराबर होता हrdquo

PT = P1 + P2 + P3 + ⋯

15 नयिन क गवत क वदवतीय वनयम क अनसार ldquo वकसी िसत र बाहर स लगाया गया बल F उस

िसत क िवयमान m तरा िसत म बल की वदशा म उत नन तिरण a क गणनफल क

अनिमान ाती होता हrdquo F = ma

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 36

28 सादरथ गरार सची 1 माहशवरी िी क एिम माहशवरी सिा 2005 विजञान वशकषण आर लाल वबलकशनस मरठ

2 नगी परो ज एस 2013 रौवतक विजञान वशकषण अगरिाल वबलकशनस आगरा

3 माहशवरी िी क 2005 आर लाल वबलकशनस मरठ

4 गोयल डॉ एम क 2012 याथिरण वशकषा अगरिाल वबलकशनस आगरा

5 बहादर डॉ ी 2006 बालाजी वबलकशनस मजफफरनगर

29 वनबाधात मक परशन 1 हमार समाज एिम सामावजक जीिन को रौवतक विजञान क कषतर म होन िाला परगवत एिम

विकास वकस परकार वकस परकार पररावित कर रहा ह विसतार िथक िणथन कीवजय

2 विशव क ि रारत क वकनही दो-दो िजञावनको क नाम बताइय और उनम स वकनही दो का

रौवतक विजञान क कषतर म कया योगदान रहा ह इसकी विसतत चचाथ कीवजय

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 37

इकाई 3 -विजञान क माधयम स जञान और समझ विजञान की परविया कौशल का विकास िजञावनक दषटिकोण और िजञावनक

मनोिवि का विकास विजञान म वजजञासा रचनातमकिा और सौदयथ बोध (माधयवमक सिर) विकवसि करना भौविकी और रसायन

विजञान म वजजञासा रचनातमकिा और सौदयथ बोध विकवसि करना (उचचिर माधयवमक सिर)जञान (भौविकी रसायन विजञान) वशकषा

को पयािरण (पराकविक पयािरण कलाकवियो और लोगो) परौदयोवगकी और समाज स जोड़ना

Knowledge and understanding through science Nurturing process skills of science developing scientific attitude and scientific temper Nurturing curiosity creativity and aesthetic sense in science (Secondary Stage) Physics and Chemistry (Higher

Secondary stage)Relating Science (Physics Chemistry) education to environment (natural environment artifacts and

people) technology and society

31 परसतािना

32 उददशय

33 विजञान क माधयम स जञान और समझ

34 विजञान की परविया कौशल का विकास

35 िजञावनक दवषटकोण और िजञावनक मनोिवतत का विकास

36 विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोि (माधयवमक सतर) विकवसत करना

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 38

361 रौवतकी और रसायन विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोि

विकवसत करना (उचचतर माधयवमक सतर)

37 विजञान (रौवतकी रसायन विजञान) वशकषा को याथिरण (पराकवतक याथिरण

कलाकवतयो और लोगो)

371 विजञान (रौवतकी रसायन विजञान) वशकषा को परौदयोवगकी और समाज स

जोड़ना

38 सारािश

39 अभयास परशनो क उततर

310 सिदरथ गरनर सची

311 सहायक उ योगी ाठय सामगरी

312 वनबनिातमक परशन

31 परसतावना विजञान िह वयिवसरत जञान या विदया ह जो विचार अिलोकन अधययन और परयोग स वमलती ह जो वक

वकसी अधययन क विषय की परकवत या वसदधानतो को जानन क वलय वकय जात ह विजञान जञान की ऐसी

शाखा ह जो तथय वसदधानत और तरीको को परयोग और ररकल ना स सराव त और वयिवसरत करती ह

आज हम विजञान एिि तकवनकी क यग म ह या कह सकत ह की यह यग विजञान एिि तकवनकी का ह

विजञान न आज सरी कषतरो जस ndash सिचार कवष वचवकतसा आिागमन क सािन उजाथ इतयावद म विजञान

न महारर विकवसत वकया ह विवरनन िजञावनक आविषटकारो न आज हमारी जीिन शली को पररावित

वकया तरा और सख ndash सवििा णथ बनाया ह विजञान न मानि को असीम शवकत और सामथयथ परदान

वकया ह और उस इस िरती का सबस ताकतिर बना वदया ह विजञान क दवारा ही मनषटय न परकवत क

विवरनन मखय रहसयो का अनािरण वकया तरा विजय परापत वकया विजञान मनषटय क वलए एक अचछ

लोक ndash सिक क र म कायथ कर रहा ह ितथमान म मनषटय न अितररकष क कषतर म चमतकाररक परगवत

वकया ह तरा पराकवतक आ दाओ ि का हल स ही ता लगान म हमार िजञावनक सकषम ह आज हमार

िजञावनको न चनिमा और मिगल गरह री अ न सिलाइि रज ह तरा अरी हाल ही म १५ फरिरी

२०१७ को इसरो न एक सार १०४ सिलाइि अितररकष म रज क एक नए मानक की सरा ना वकया

मनषटय क अनदर जो सीखन की लालसा ह िो हल जसी ही ह सीखन और जानन की कषमता तरा उसक

अनर अ न जीिन म ररितथन करन की वजतन सामरथ मनषटय और उसक समाज म रही उतनी थिी

वकसी म नही रही इसी गण क कारन मनषटय न परकवत क सामानाितर अ न सिसार की रचना की तरा

अ न को विकवसत वकया परकवत क रहसयो क अनािरण करन हत मनषटय न एक परविया का अनसरण

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 39

वकया तरा सरी परशनो का उततर वदया इस परविया को ही ldquo विजञान की परवियाrdquo कहत ह इस परविया

को समझान क वलए इसक lsquoजञानrsquo और lsquoबोिrsquo को समझना जररी ह

32 उददशय 1 विजञान क माधयम स जञान और समझ क कौशल कस विकवसत होगा य बता सक ग

2 विजञान की परविया कौशल की वििचना कर सक ग

3 िजञावनक दवषटकोण और मनोिवतत क महति को बता सक ग

4 माधयवमक सतर र विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोि क महति को बता सक ग

5 उचचतर माधयवमक सतर र रौवतकी और रसायन विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ

बोि विकवसत करन की परविया का िणथन कर सक ग

6 विजञान (रौवतकी रसायन विजञान) वशकषा एिि याथिरण (पराकवतक याथिरण कलाकवतयो और

लोगो) क बीच समपबनि को जान सक ग

7 विजञान (रौवतकी रसायन विजञान) वशकषा को परौदयोवगकी और समाज स कस जोडा जा सकता

ह उसका विशलषण कर सक ग

33 ववजञान क माधयम स जञान और समझ विजञान वयवकत को विचार अिलोकन अधययन और परयोग का परवशकषण परदान करती ह यह तथयो

वसदधाितो और तरीको को परयोग और ररकल ना स सराव त और वयिवसरत करती ह विजञान एक

वयिवसरत ससिगवठत िमबदध एिि वयिहार का जञान ह अिलोकन क विवरनन आिारो एिि जञान क

विवरनन कषतरो म परयोग दोनो अरो को विजञान समावहत करता ह इसको जानन क वलए परकषण या

अिलोकन कशलता का होना अवनिायथ ह विजञान की परवियाओ ि का उददशय ह वकसी ररघिना को

समझना वकसी परशन का उततर खोजना वकसी वसदधानत का परवत ादन करना या वकसी री िसत क बार म

नई जानकारी खोजना एनसीएफ 2005 म वदए गए िणथन क अनसार िजञावनक दधवत आ स म

समपबवनित कई गवतविवियो को वमलाकर बनती ह जस वक वनरीकषण दख गए तथयो म समानताओ ि और

समर ी सिरचनाओ ि की खोज करना अििारणाए बनाना वसरवतयो क गणातमक और गवणतीय परार

गढ़ना तावकथ क ढिग स उनक वनषटकषथ वनकालना और परकषणो तरा वनयिवतरत परयोगो क दवारा वसदधानतो क

सच-झठ होन की वषट करना और इस तरह अन त म पराकवतक सिसार र लाग होन िाल वसदधानतो

िारणाओ ि तरा वनयमो र हचना विजञान क वनयम अचल शाशवत सतयो की तरह नही दख जान चावहए

यहा तक वक सिाथविक सराव त और सािथरौवमक िजञावनक वनयम री तातकावलक ही मान जान चावहए

जो नए परकषणो परयोगो और विशलषणो क माधयम स सिशोवित वकए जा सकत ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 40

विजञान क lsquoजञान- रणडारrsquo क बजाय िजञावनक विवि विजञान की असली कसौिी ह िसतवनषठताऔर ििता

िजञावनक विवि की विशषताएि ह मनषटय न अ नी आिशयकताओ ि क वलए जो नए-नए आविषटकार वकए

ह ि सब विजञान की ही दन ह विजञान क अनवगनत आविषटकारो क कारण मनषटय का जीिन हल स

अविक आरामदायक हो गया ह जञान एक ररवचत जागरकता या इस तरह क तथयो सचनाओ ि वििरण

या कौशल क र म कछ ह जो यह मानता ह की खोज या सीखन क दवारा अनरि या वशकषा क माधयम

स समझ को हावसल वकया जा सकता ह विजञान क माधयम स ही मनषटय परकवत क वनयमो तरा सािनो

को उवचत ढिग स समझ सकता ह कयोवक इस विषय म जञान तरा समझ विकवसत करन का अ ना विशष

िम ह इस िम म वनरीकषण तथयो र आिाररत तकथ और वनषटकषथ उनका िम तरा तलनातमक महति र

जोर वदया जाता ह विजञान क माधयम स हमार सोचन और कायथ करन क तरीक म ररितथन आया ह

अतः मनषटय म जञान और समझ की णथता किल विजञान क माधयम स ही विकवसत की जा

सकती ह आज हम इककीसिी शताबदी क िातािरण म सािस ल रह ह िजञावनक परगवत आकाश छन

लगी ह और यह उसी का परवतफल ह वक सिचार कवष वचवकतसा आिागमन क सािन उजाथ इतयावद म

हम असीम परगवत की ह सचना तितर इतना विकवसत हआ ह वक हम विशव म कही री करी री वकसी स

समप कथ कर सकत ह और बात री कर सकत ह हमन परकवत क अनकानक रहसय जान वलय ह और सख

सवििाओ ि स जीिन को आसन कर वदया ह हम चििमा की सर कर आय और मिगल गरह र री हा हमन

यान रज वदया ह और १५ फरिरी २०१७ को इसरो न एक सार १०४ सिलाइि अितररकष म रज क एक

नए मानक की सरा ना वकया लवकन हम आज री जन सािारण को िजञावनक मानवसकता नही द ाय

उनह िजञावनक सिसकार नही द ाय उनकी सोच और उनकी परकवत म विजञान का वििक जागरत नही कर

ाय अतः जन सािारण म िजञावनक मनोिवतत विकवसत करना उनकी सिसर मानवसकता और परगवत क

वलय अवनिायथ ह

जनिरी २०१३ म lsquoइिवडयन साइिस कािगरस कोलकाता म उसक शताबदी समारोह क अितगथत

सौिा अवििशन आयोवजत वकया गया कयोवक यही स १९१४ म इसकी यातरा का शरारमपर हआ रा

इसी अिसर र विजञान की एक नई नीवत lsquolsquoविजञान परौदयोवगकी और निाचार (इननोिशन) - २०१३ की

उदघोषणा की गई वजसका मल लकषय ह समाज क हर अिग म िजञावनक मनोिवतत क परसार को बढ़ािा दना

यदयव िवडत जिाहरलाल नहर न १९४६ म अ नी सतक lsquoवडसकिरी ऑफ इिवडयाङक म िजञावनक

मनोिवतत का उललख वकया रा और उनका दढ़ विशवास रा वक विजञान और परौदयोवगकी क दवारा ही अ न

दश का विकास सिरि ह लोग िजञावनक दवषटकोण अ नाय इसक री िह कषिर र यह उनही की पररणा

री वक १९५८ म रारत सरकार न विजञान नीवत का परसताि सिीकत वकया वजसक अितगथत विजञान क

अनसििान और शोि कायो म तजी स विकास करना और परगवत को बनाय रखना सवमपमवलत रा कछ

विदवानो और बवदधजीवियो न विसतार स विचार-विमशथ क शचात िजञावनक मनोिवतत र एक िकतवय

परचाररत वकया वक रारतीय समाज क हर वयवकत म िजञावनक मनोिवतत का विकास करन की आिशयकता

ह तावक दश सामावजक और आवरथक बराइयो स मकत हो सक यही नही िरन विजञान क लोकवपरय बनान

क वलय राषटरीय विजञान एिि परौदयोवगकी सिचार ररषद विजञान परसार वि नि कलब राषटरीय विजञान

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सिगरहालय ररषद का दश क समसत राजयो म राजय विजञान एिि परौदयोवगकी ररषद और इनस जड़ वजला

विजञान कलब और राजय विजञान वशकषा सिसरान परयास रत ह

अभयास परशन

1 वशकषा क माधयम स समझ को हावसल करन की परविया_________कहा जा सकता ह

2 मानि को _________ न इस िरती का सबस ताकतिर बना वदया ह

3 परकवत क अनकानक रहसयो को जानन म _________हमारी सहायता करता ह

4 इिवडयन साइिस कािगरस का शताबदी समारोह क अितगथत सौिा अवििशन _________सरान र

आयोवजत वकया गया

5 नई नीवत lsquolsquoविजञान परौदयोवगकी और निाचारrdquoका मल लकषय _________ह

34 ववजञान की परविया कौशि का ववकास जब विदयावरथओ ि को परविया कौशल विवि स विजञान वशकषण वकया जाता ह तो उसम बहत सार कौशलो

का उ योग वकया जाता ह जस ndash विवरनन गामक कौशलो का उ योग करक वकसी मशीन क रजो को

जोड़ना वसखाना विवरनन यितरो का सियोजन तरा विवरनन िसतओ का अिलोकन क आिार र आकलन

करना सवमपमवलत ह

परविया कौशल की वयाखया मौवलक वसदधाित स वनकाली गई बौवदधक कौशल सामावजक और शारीररक

कषमताओ ि म छातरो की अितदथवषट क विकास क र म वयाखया की जा सकती ह

परविया कौशल विजञान वशकषण म कौशलो की उत वतत र जादा बल दता ह वजसक ररणाम सिर जञान

और ररमाण को सिचाररत वकया जाता हl इसम विदयावरयो को सवियता िथक अविगम को समप ावदत

करन हत परररत वकया जाता ह कम सवियता का अविगम बहत ही उबाऊ होता ह

फि क (1985) म परविया कौशल क वनरीकषण दवारा वनमपन बात कही ndash

i परविया कौशल दवारा विजञान क विदयावरथयो म िजञावनक परकवत का विकास होता ह तरा विदयारी

इस बात क वलय परररत वकय जात ह की ि जञान को गरहण कर सक तरा उतन ही अचछ तरीक स

विजञान क सिपरतययो एिि तथयो की री अचछी समझ विकवसत कर सक

ii परविया कौशल विजञान क विदयावरथयो को यह अिसर परदान वकया जाता ह की ि विजञान क

विषय क सार काम कर सक न की किल विजञान विषय क इवतहास को सनना और कहना

iii परविया उ ागम दवारा विदयारी विजञान विषय क कायथ क परविया और उत ाद क बार म जानकारी

परदान करत ह तरा यह अिसर परदान करता ह की विदयारी एक िजञावनक की तरह वयहार कर

सक

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जतोउन (1999) न परविया कौशल क कई लार बताय जो वनमपन ह ndash

i वशकषारी का रा धयान वशकषण अविगम परविया र रहता ह

ii यह कौशल मखय र स वशकषारी म बौवदधक कौशल और मानवसक परवियाओ ि को विकवसत

करन म रवच रखता ह

iii यह कौशल मखय र स विजञान वशकषण दवारा वशकषावरथयो म अिलोकन मा िगीकरण

वयाखया परयोग और अवनिषण क अलािा िजञावनक जािच और जािच क कौशल (विजञान

परवियाओ ि) को बढ़ािा दता ह

iv वशकषावरथयो म िजञावनक सोच को बढ़ािा दना

v वशकषावरथयो को जीिन यित सीखन और छातरो क बीच सीखन की पररणा र जोर दना इस परकार

वशकषण अविगम परविया एक अनित तक वसखन का परयास ह तरा सीखन का अनरि सकल

दीिारो स र चला जाता ह

उ रोकत वििरण क अनसार यह कहा जा सकता ह वक इस परविया कौशल क अनपरयोग दवारा वशकषावरथयो

क मानवसक-शारीररक और बौवदधक रागीदारी की अ कषा की जाती ह और इसका उ योग वशकषावरथयो

बौवदधक कौशल या छातरो क बार म सोच कषमताओ ि को विकवसत करन क वलए इसतमाल वकया जाता ह

इसक अलािा वशकषावरथयो म िजञावनक दवषटकोण और छातरो की खोज तथयो अििारणाओ ि और विजञान

या जञान क वसदधाितो को विकवसत करन की कषमता विकवसत करन म री वकया जाता ह विजञान वशकषण म

परविया उ ागम एक ऐसा िकवल क वशकषण मॉडल ह वजसम वशकषारी वयाहाररक तरा मानवसक

परवियायो दवारा शावमल रहता ह

फि क (1985) न बताया की परविया उ ागम को सामानय दो शरवणयो म िगीकत वकया जा सकता ह

बवनयादी परविया कौशल और

एकीकत कौशल

बवनयादी परविया उ ागम म अिलोकन िगीकरण मा सिचार रविषटयिाणी अनमान स सिबिवित

गवतविवियो म शावमल होती ह य वनमपन ह ndash

i अिलोकन- अिलोकन एक परारवमक सरोत स जानकारी अविगरहण का सविय परयास ह

मनषटय दवारा वकसी री िसत या पराकवतक घिना का अिलोकन दखकर छकर सिाद लकर

सिघकर तरा सनकर वकया जाता ह l विजञान म अिलोकन हत उ करणो का उ योग वकया जा

सकता ह तरा आकड़ परापत करन हत इनक माधयम स डिा की ररकॉवडिग री शावमल कर सकत

ह अिलोकन गणातमक हो सकता ह यवद इसम किल वकसी री गण क अराि या उ वसरवत

का उललख वकया जाय तरा यह मातरातमक री हो सकता ह यवद इसम वकसी री घिना को

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 43

सिखयातमक मलय दवारा मा ा जाय िजञावनक अिलोकन म कशलता इस बात की होती ह की

इसक दवारा वकसी री घिना की सही जानकारी परापत हो सक

ii िगीकरण - िसतओ ि घिनाओ ि की एक बड़ी सिखया ह और चारो ओर जीिन म सब कछ ह

और स अगर ककषाओ ि क विवरनन परकार का वनिाथरण करन क दवारा वकया सीखा ह हमार

जीिन म चारो ओर बहत सी िसतओ और घिनाओ की एक बरी सिखया ह और सरी को याद

रखना हमार वलय समपरि नही ह लवकन यवद विवरनन िगीकरण दवारा वनरिाररत करक सीखा या

याद वकया जाय तो अविक आसानी स याद वकया जा सकता ह य िगीकरण विशषताए और

समानता विवरननता और समपबनिो क समहीकरण और िसतओ ि क विवरनन परयोजनो क वलए

उ यकतता क आिार र वकय जा सकत ह

iii माप - मा एक विशष इकाई ह इस इस र म रररावषत वकया जा सकता ह की मा की

विशष इकाई दवारा इस वकस तरह रररावषत वकया गया ह या डिा परापत करन म उ करण का

उ योग करन क कौशल को एक मा कहा जा सकता ह

iv समपरषण - अ न विचारो क आदान परदान और समसयायो क समािान क वलय समपपरषण एक

एक मखय सािन ह मनषटय न अ न जीिन क सरआत म ही वसख वलया समपपरषण कौशल म

मौवखक सािकवतक तरा वलवखत सवमपमवलत होता ह समपपरषण की वयाखया इस परकार की जा

सकती ह वक इसम धिवन दशय या धिवन और दशय क र म तथयो अििारणाओ ि और विजञान

क वसदधाितो क अविगरहण वकया जाता ह जस -

v भतिषय करन - रविषटय करन लकषण क आिार र रविषटय म होन िाली घिना क बार म

अनमान लगान स ह हमार आस ास और िातािरण म ायी जान िाली वनरितरता क परवतमान

स हम यह ता चलता ह वक कौन सी घिना होन िाली ह रविषटय करन म रविषटय म होन

िाली घिनाओ की उसक तथयो अििारणाओ ि और जञान क वसदधाितो क बीच एक खास

परिवतत या ररशतो म अनमानो र आिाररत होन स उसकी रविषटयिाणी की जा सकती ह

vi अनमान - वकसी िसत या घिना क बार म हल स एकतर आिकड़ो या जानकारी क आिार र

एक शकषवणक अनमान लगाना ही अनमान कहलाता ह इस वकसी िसत या घिना क तथयो

अििारणाओ ि और वसदधाितो क आिार र उस िसत क बार म फसला करन क एक कौशल क

र म कहा जा सकता ह जस- वकसी वयवकत दवारा वसल का परयोग इस बात की ओर इशारा

करता ह की िह वलखत समय जादा गलती करता ह

vii एकीकि कौिल स सबतिि गतितितियाा - एकीकत कशल म मखतः- चरो र वनयितरण

कायाथतमक ररराषा ररकल ना का वनमाथण आकणो की वयाखया इतयावद

viii चरो पर तनयतरण- ररितथन को वनिाथररत करन िाल कारको की विशषताओ ि को हल स

जनना जस- िथ क अनरिो क आिार र वकसी री परयोग म ानी और परकाश की मातरा को

जानना

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 44

ix कायायतमक पररभाषा- वकसी री परयोग म उस चर को कस मा ा जाय

x पररकलपना का तनमायण- वकसी री परयोग क सिरावित ररणाम क बार म बताना

xi आकणो की वयाखया- परयोग स परापत आकनो (डािा) क आिार र उस परयोग क वनशकषथ को

बताना

xii तनषकषय- परविया कौशल विजञान वशकषण म कौशलो की उत वतत र जादा बल दता ह वजसक

ररणाम सिर जञान और ररमाण को सिचाररत वकया जाता हl परविया कौशल म बवनयादी

कौशल तरा एकीकत कौशल स समपबिवित गवतविविया शावमल होती ह इसम विदयावरयो को

सवियता िथक अविगम को समप ावदत करन हत परररत वकया जाता ह कम सवियता का

अविगम बहत ही उबाऊ होता ह परविया कौशल दवारा विदयावरथयो म िजञावनक परकवत का

विकास होता ह तरा विदयारी इस बात क वलय परररत वकय जात ह की ि जञान को गरहण कर

सक परविया कौशल दवारा विदयारी विजञान विषय क कायथ क परविया और उत ाद क बार म

जानकारी परदान करत ह तरा यह अिसर परदान करता ह की विदयारी एक िजञावनक की तरह

वयहार कर सक परविया कौशल स वशकषावरथयो क अनदर िजञावनक दषटीकोण का विकास होता

अभयास परशन

6 परविया कौशल विजञान वशकषण म_________ की उत वतत र जयादा बल दता ह

7 _________ म वशकषारी का रा धयान वशकषण अविगम परविया र रहता ह

8 परविया उ ागम की_________ और _________दो सामानय िगीकरण वकया जा सकता ह

9 _________ एक परारवमक सरोत स जानकारी अविगरहण का सविय परयास ह

35 वजञावनक दषषटकोण और वजञावनक मनोववतत का ववकास िाकयािश बचच सिाराविक र स िजञावनक होत ह हमन अकसर सना ह ि अ न अनरिो वनषटकषथ

और वसदधाितो स ि विजञान क परवत आकवषथत होत ह छातरो क अनदर विजञान की वजजञासा और

रचनातमकता को िजञावनक धदवतयो दवारा ही विकवसत वकया जा सकता ह िजञावनक दवषटकोण हमार

अिदर अनिषण की परिवतत विकवसत करती ह तरा वििक णथ वनणथय लन म सहायता करती ह िजञावनक

दवषटकोण की शतथ ह वबना वकसी परमाण क वकसी री बात र विशवास न करना या उ वसरत परमाण क

अनसार ही वकसी बात र विशवास करना पराकवतक घिनाओ ि वियाओ ि और उनक ीछ क कारण ढढ़न

की मानिीय वजजञासा न एक सवयिवसरत विवि को जनम वदया वजस हम lsquoिजञावनक विविrsquo या lsquoिजञावनक

दधवतrsquo क नाम स जानत ह सरल शबदो म कह तो िजञावनक वजस विवि का उ योग विजञान स सिबिवित

कायो म करत ह उस िजञावनक विवि कहत ह िजञावनक विवि क परमख द या इकाईयाि ह वजजञासा

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 45

अिलोकन परयोग गणातमक ि मातरातमक वििचन गवणतीय परवतर ण और िाथनमान विजञान क वकसी

री वसदधाित म इन दो या इकाईयो की उ वसरवत अवनिायथ ह विजञान का कोई री वसदधाित चाह िह आज

वकतना री सही लगता हो जब इन कसौवियो र खरा नही उतरता ह तो उस वसदधाित का ररतयाग कर

वदया जाता ह

िजञावनक दवषटकोण िाल वयवकत अ नी बात को वसदध करन क वलए िजञावनक विवि का सहारा लत ह

आ सोच रह होग वक इस िजञावनक विवि का उ योग किल विजञान स सिबिवित कायो म ही होता होगा

जसावक मन ऊ र रररावषत वकया ह रित ऐसा नही ह यह हमार जीिन क सरी कायो र लाग हो

सकती ह कयोवक इसकी उत वतत हम सबकी वजजञासा स होती ह इसवलए परतयक वयवकत चाह िह िजञावनक

हो अरिा न हो िजञावनक दवषटकोण िाला हो सकता ह दरअसल िजञावनक दवषटकोण दवनक जीिन की

परतयक घिना क बार म हमारी सामानय समझ विकवसत करती ह इस परिवतत को जीिन म अ नाकर

अििविशवासो एिि िाथगरहो स मवकत परापत की जा सकती ह अतः हम छातरो को िजञावनक तरीक की सोच

विकवसत विकवसत हत परररत करना चावहए

अभयास परशन

10 िजञावनक दवषटकोण छातरो क अिदर _________परिवतत विकवसत करती ह

11 पराकवतक घिनाओ ि वियाओ ि और उनक ीछ क कारण ढढ़न की मानिीय वजजञासा को

_________कहत ह

36 ववजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोध (माधयवमक सतर) ववकवसत करना वसिस मनोिजञावनक दाशथवनक और सिजञानातमक विकास अनसििान क कषतर म अगरणी डॉ जीन व याज

न वजजञासा को रररावषत वकया ह अपरतयावशत की वयाखया करन क वलए आगरहrdquo या एक अविक

सहज ररराषा बस अविक जानना का आगरह करना चाहत ह

सौदयथ बोि िजञावनक र स अविक सििदी या रािनातमक मलयो रािना और सिाद की करी करी

कहा जाता वनणथय क अधययन क र म रररावषत वकया गया ह अविक मोि तौर र सिसकवत क कषतर म

विदवानो न इस कला सिसकवत और परकवत र महति णथ परवतवबिब क र म सौदयथशासतर को रररावषत

वकया ह

रचनातमकता एक ऐसी घिना ह वजसस कछ नया और वकसी री तरह कोई मलयिान बना रह या बनाए

गए आइिम या रौवतक िसत (जस एक विचार एक िजञावनक वसदधाित एक सिगीत रचना) वकतनी अमतथ

हो सकती ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 46

माधयवमक सतर र शरआत हल चरण म बनाया विजञान को एक विषय क र म सराव त करन क वलए

और आग वबना वकसी औ चाररक दढ़ता र जोर वदए वबना इसको मजबत वकया जाना चावहए विचारो

वसदधाितो और विजञान क वनयमो को अब उवचत र स ाठयिम म शावमल वकया जा सकता ह लवकन

जोर जादा स जादा समझ र होनी चावहए औ चाररक ररराषा र नही होना चावहए यह परयास वकया

जा रहा ह की विजञान और उसक विवरनन विषयिसतओ ि का सिगठन माधयवमक सतर र उवचत ढिग स

वकया जाय लवकन ाठयिम का रार काफी हद तक परौदयोवगकी और अनय ाठय सहगामी

गवतविवियो क अवतररकत ततिो क वलए जगह बनान क वलए कम वकया जाना चावहए माधयवमक

विदयालय सतर र िो अििारणाय जो वक वकसी री परतयकष अनरि स र ह विजञान क ाठयिम म एक

महति णथ सरान र सरान परापत कर सकती ह विजञान की सरी घिनाओ ि सीि परतयकष र स अनरि नही

कर सकत ह अतः विजञान को री वनषटकषथ और वयाखया र वनरथर रहना ड़ता ह उदाहरण क वलए हम

वनषटकषथ का उ योग विकास और रमाणओ ि क गण या विकास क तितर की सरा ना करन क वलए करत

ह लवकन इस समय तक छातरो म इस परकार का वििचनातमक कषमता विकवसत हो जाती ह वक ि अ न

सामन आय विजञान क सिपरतययो की जञानमीमािसा का मलयाकन कर सक

361 उचचिर माधयतमक सिर पर भौतिकी और रसायन तिजञान म तिजञासा रचनातमकिा और

सौदयय बोि तिकतसि करना

रौवतक विजञान विजञान म ऊजाथ क विवरनन सिर ो तरा िवय स उसकी अनयोनय वियाओ ि का अधययन

वकया जाता हरौवतकी परकवत विजञान की एक विशाल एिि महति णथ शाखा ह इसक दवारा पराकत जगत

और उसकी रीतरी वियाओ ि का अधययन वकया जाता ह सरान काल गवत िवय विदयत परकाश ऊषटमा

तरा धिवन इतयावद अनक विषय इसकी ररवि म आत ह यह विजञान का एक परमख विराग ह इसक

वसदधाित समच विजञान म मानय ह रौवतकी ही अवरयािवतरकी तरा वशल विजञान की जनमदातरी ह

रसायनशासतर विजञान म दारो क सिघिन सिरचना गणो और रासायवनक परवतविया क दौरान इनम हए

ररितथनो का अधययन वकया जाता ह इसम दारो क रमाणओ ि अणओ ि विसिलो और रासायवनक

परविया क दौरान मकत हए या परयकत हए ऊजाथ का अधययन वकया जाता ह सरी दारथ ततिो स बन हए

ह रारतीय विदवान दाशथवनको न उदघोवषत वकया वक दारथ की रचना िच महारतो यरा- आकाश िाय

जल तज तरा थिी स हई ह यह रसायनो क रहसयो को समझन की कला ह इसस यह जञात होता ह की

दारथ वकन-वकन चीजो स बना ह उनक कया-कया गण ह और उनम कया-कया ररितथन होत हरसायन

विजञान का कषतर बहत वया क ह तरा दसर विजञानो क समनिय स परवतवदन विसतत होता जा रहा ह समप णथ

बरहमािड रसायनो का विषद रणडार ह वजिर री हमारी दवषट जाती ह हम विविि आकार-परकार की िसतएि

नजर आती ह समचा सिसार ही रसायन विजञान की परयोगशाला ह यह विजञान अनको आशचयथचवकत

रसायनो स रर णथ ह बरहमािड म रासायवनक अवरवियाओ ि क दवारा ही तारो की उत वतत गरहो का परादराथि

तरा गरहो र जीिन सिरि हआ ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 47

रसायन विजञान को जीिनो योगी विजञान की सिजञा री दी गई ह कयोवक हमार शरीर की आितररक

गवतविवियो म इस विजञान की रवमका महति णथ हहमार जीिन का कोई री कष रसायनो स अछता नही

उचचतर माधयवमक सतर र रौवतकी और रसायन विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोि

विकवसत करन हत वनमपनवलवखत वबनदओ ि को धयान म रखना चावहए-

विदयावरथयो म अिलोकन की कषमता बढानी चावहए

गहन वचन तन की कषमता को बढ़ाना

विदयावरथयो का विवरनन विषयो एिि घिनाओ ि क मधय अन तर समप बन ि को समझन म सहयोग

करना ह

विदयावरथयो को इस वचितन हत परररत करना की हमार चारो ओर घि रही सामानय घिनाओ ि क

ीछ विजञान छ ा ह विजञान की समझ हम उन कारणो को जानन का अिसर दती ह

विदयावरथयो को विया करक समझन क सबस अविक अिसर परदान करना चावहए ह इसी परकार

वकया गया कायथ और कायथ करन एिि परयोग करन हत परररत करता ह

विजञान िथ म वनवहत जञान ि जानकारी र परशन उठान की परिवत को बढ़ािा दना ह अराथत यह

सचना को जस क तस मान लन क बजाय उस र परशन करक णथ जानकारी परापत करन ि इसक

बाद सिीकार करन र बल दता ह

विजञान विवरनन कलाओ ि ि वशकषण परवियाओ ि की सहायता स जञान को ककषा ककष स बाहर लान

म सहयोग करना चावहए

विदयावरथयो को इस बात क वलए परवशवकषत करना की जञान ही काफी नही जञान वनमाथण एिि जञान

वनमाथण की परविया री उतनी ही आिशयक ह वजतना विषय की समझ

परदशथवनयो सिगोवषटयो लोकवपरय वयाखयानो विजञान वशविरो और अनय विविि कायथिमो क

आयोजन वकया जाना चावहए

वशकषण म सवियता को अविक महति वदया जाना चावहए करक सीखन क वलए विदयावरथयो को

परररत वकया जाना चावहएअत सविय विवि क अितगथत विविि विवियो को सवमपमवलत वकया

जाना चावहए जस जस- शोिविवि (हयररवसिक) योजना (परोजकि) विवि इतयावद

अभयास परशन

12 सिजञानातमक विकास की अििारणा __________न वदया रा

13 __________िजञावनक र स अविक सििदी या रािनातमक मलय ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 48

14 कोई िासत वकतनी अमतथ हो सकती ह िह __________ र वनरथर करती ह

37 ववजञान (रौवतकी रसायन ववजञान) वशकषा को पयावरण (पराकवतक पयावरण किाकवतयो और िोगो) परौदयोवगकी और समाज स जोड़ना याथिरणीय विजञान याथिरण क रौवतकीय रासायवनक और जविक अियिो क बीच ारस ररक

वियाओ ि का अधययन ह याथिरणीय विजञान याथिरणीय वयिसरा क अधययन क वलए समवनित

ररमाणातमक और अनतरविषयक दवषटकोण उ लबि कराता ह याथिरणीय िजञावनक याथिरण की

गणितता की वनगरानी करत ह सरलीय और जलीय ाररवसरवतकी वयिसरा र मानिीय कतयो की

वयाखया िजञावनक करत ह तरा ाररसरवतकी वयिसरा की समवचत बहाली क वलए रणनीवतयाि री तयार

करत ह इसक अलािा याथिरणीय िजञावनक योजनाकारो की ऐस रिनो ररिहन कोररडोरो तरा

उ योवगताओ ि क विकास तरा वनमाथण म सहायता करत ह वजनस जल सिसािनो की रकषा हो सक जल

का सिगरहण वकया जा सक तरा रवम का सद योग हो सक विशलषण क विषयो क अितगथत याथिरण म

रासायवनक वनमपनीकरण रसायनो क बह-चरणीय ररिहन जस- लाकषक यकत वमशरण का िाय परदषक क

तौर र िाषट ीकरण तरा बायोिा र रासायवनक परराि आवद कषतर शावमल होत ह उदाहरणारथ अधययन

क तौर र एक ऐस लीक कर रह माल स रर िक क बार म विचार कर जो वक सिकिा नन परजावतयो क

जलीय कषतर म वमटटी क ढलान म परिश कर जाता ह ऐस म रौवतकीविद मदा परदषण क सतर को समझन

क वलए एक कमपपयिर मॉडल तयार वकय ह रसायन विजञानी वमटटी क परकार म उस सालिि की आणविक

वसरवत का मलयािकनकरत ह तरा जविक शासतरी वमटटी सवनि ाद ौिो तरा अनततः तालाब म परािारको

र ड़न िाल परराि का अधययन करत ह जो वक सिकिा नन परजावतयो का जलीय रोजन ह रविजञान

क अितगथत याथिरणीय रविजञान जलविजञान रौवतकी रगोल जलिाय विजञान तरा र-आकवतविजञान

शावमल ह इसम समि-विजञान तरा अनय सिबदध कषतर री सवमपमवलत हो सकत ह वमटटी किाि क अधययन

क उदाहरण क र म मदा िजञावनको दवारा रवम किाि का अधययन वकया जाएगा जल-विजञानी सरल

मागथ बहाि म तलछि ररिहन की जािच म सहायता करग रौवतकीविद ानी परापत होन म लाइि

रािसवमशन म ररितथनो क मलयािकन म योगदान करग जीि-विजञानी ानी म गिदगी बढ़न स उसका

िनस वत र होन िाल परराि की जािच करत ह याथिरण मलयािकन िह परविया ह वजसक जररए

याथिरण सरकषा और सतत विकास र विचार हो सकता ह याथिरणीय मलयािकन क अितगथत मखयतः

फीलड डािा एकतर करक इसका याथिरण और विकास स सिबिवित विवरनन शाखाओ ि क जररए रस र

सिबििो का मलयािकन करना ह याथिरणीय सकषमजीिविजञान याथिरण म सकषम जीिो क वमशरण तरा शरीर

विया विजञान का अधययन ह इस मामल म याथिरण स आशय वमटटी जल िाय और गरह र होन िाल

अिसाद ह और इनम इन कषतरो म रहन िाल श तरा ौि री शावमल वकए जा सकत ह याथिरणीय

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 49

सकषमजीिविजञान म बायो-ररएकिसथ जस कवतरम याथिरण म होन िाल माइिोआगवनजम का अधययन री

शावमल वकया जा सकता ह

विजञान और कला क बगर आिवनक जीिन की कल ना करना असिरि ह दोनो म रस र बहत ही

गहरा ह रनत विवरनन कलाओ म विजञान क योगदान को हम वकतना याद रखत ह शायद वबलकल री

नही िासति म विजञान एकवतरत जञान ह जबवक कला समसत उ लबि सिसािनो क आिार र मनषटय क

मनोरािो का वनर ण अराथत कोई िजञावनक कायथ चाह वकतना ही महान कयो न हो समय क सार उसक

िजञावनक जञान का समकालीन जञान म समािश हो जाता ह सच म वकसी िजञावनक का कायथ तरी

उ योगी होता ह जब उसक समककष िजञावनकाि क दवारा उस सिीकार वकया जाता ह रनत विडििना ह वक

शीधर ही उस कायथ को ीछ छोडकर नया कायथ परारिर कर वदया जाता ह विजञान म जञान की किल सम

सामवयक वसरवत ही महतव णथ होती ह कयो वक रत ितथमान म समा चका होता ह वलयोनादाथ दी वििची

की महान कवत मोनावलसा की अनकवतयाि सिसार रर क कला परवमयो दवारा आज री बड शौक स खरीदी

जाती ह आज री शकस यर की और कावलदास की कवतयाि ढी जाती ह वकनत नयिन क िजञावनक

गरिनर वपरवसिव या मरमविका और आइनसिाइन क मल विजञान शोि तरो को अब अविकािश लोग ढन की

आिशयकता नही समझत िासति म विजञान क वलय यह महति णथ री ह अतः माधयवमक सतर र

विजञान क उददशय कला एिि लोगो तक अ नी हच िाली होनी चावहए

अभयास परशन

15 _________ _________और जविक अियिो क बीच ारस ररक वियाओ ि का अधययन

याथिरणीय विजञान ह

371 तिजञान (भौतिकी रसायन तिजञान) तिकषा को परौयमोतगकी और समाि स िोड़ना

विजञान विजञान का अरथ ह विशष जञान मनषटय न अ नी आिशयकताओ ि क वलए जो नए-नए आविषटकार

वकए ह ि सब विजञान की ही दन ह आज का यग विजञान का यग ह विजञान क अनवगनत आविषटकारो क

कारण मनषटय का जीिन हल स अविक आरामदायक हो गया ह दवनया विजञान स ही विकवसत हई ह

मोबाइल इििरनि ईमलस मोबाइल र 3जी और इििरनि क माधयम स फसबक िविनिर न तो

िाकई मनषटय की वजिदगी को बदलकर ही रख वदया ह वजतनी जलदी िह सोच सकता ह लगरग उतनी ही

दर म वजस वयवकत को चाह मसज रज सकता ह उसस बात कर सकता ह चाह िह दवनया क वकसी री

कोन म कयो न हो

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 50

यातायात क सािनो स आज यातरा करना अविक सवििाजनक हो गया ह आज महीनो की यातरा वदनो म

तरा वदनो की यातरा चिद घििो म री हो जाती ह इतन ितगवत की रन हिाई जहाज यातायात क र म

काम म लाए जा रह ह वदन-ब-वदन इनकी गवत और उ लबिता म और सिार हो रहा ह

वचवकतसा क कषतर म री विजञान न हमार वलए बहत सवििाएि जिाई ह आज कई असाधय बीमाररयो

का इलाज मामली गोवलयो स हो जाता ह क सर और एडसस जस बीमाररयो क वलए डॉकिसथ और

वचवकतसाविशषजञ लगातार परयासरत ह नई-नई कोवशकाओ ि क वनमाथण म री सफलता परापत कर ली गई

वसकक क दो हलओ ि की ही रािवत इन आविषटकारो क लार-हावन दोनो ह एक ओर रमाण ऊजाथ

जहाि वबजली उत नन करन क काम म लाई जा सकती ह िही इसस बनन िाल रमाण हवरयार मानि क

वलए अतयित विनाशकारी ह हाल ही म जा ान म आए रकि क बाद िहाि क रमाण ररएकिसथ को कषवत

बहत बड़ी तरासदी रही

अत मनषटय को अ नी आिशयकता और सवििानसार मानिता की रलाई क वलए इनका लार उठाना

चावहए न वक दर योग कर इनक अविषटकारो र परशनवचहन लगाना चावहए

38 सारााश विजञान वयवकत को विचार अिलोकन अधययन और परयोग का परवशकषण परदान करती ह यह तथयो

वसदधाितो और तरीको को परयोग और ररकल ना स सराव त और वयिवसरत करती ह विजञान एक

वयिवसरत ससिगवठत िमबदध एिि वयिहार का जञान ह अिलोकन क विवरनन आिारो एिि जञान क

विवरनन कषतरो म परयोग दोनो अरो को विजञान समावहत करता ह

जब विदयावरथओ ि को परविया कौशल विवि स विजञान वशकषण वकया जाता ह तो उसम बहत सार

कौशलो का उ योग वकया जाता ह जस ndash विवरनन गामक कौशलो का उ योग करक वकसी मशीन क

रजो को जोड़ना वसखाना विवरनन यितरो का सियोजन तरा विवरनन िसतओ का अिलोकन क आिार र

आकलन करना सवमपमवलत ह

परविया कौशल की वयाखया मौवलक वसदधाित स वनकाली गई बौवदधक कौशल सामावजक और

शारीररक कषमताओ ि म छातरो की अितदथवषट क विकास क र म वयाखया की जा सकती ह

परविया कौशल विजञान वशकषण म कौशलो की उत वतत र जादा बल दता ह वजसक ररणाम सिर

जञान और ररमाण को सिचाररत वकया जाता हl इसम विदयावरयो को सवियता िथक अविगम को

समप ावदत करन हत परररत वकया जाता ह कम सवियता का अविगम बहत ही उबाऊ होता ह l

वसिस मनोिजञावनक दाशथवनक और सिजञानातमक विकास अनसििान क कषतर म अगरणी डॉ जीन व याज

न वजजञासा को रररावषत वकया ह अपरतयावशत की वयाखया करन क वलए आगरहrdquo या एक अविक

सहज ररराषा बस अविक जानना का आगरह करना चाहत ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 51

सौदयथ बोि िजञावनक र स अविक सििदी या रािनातमक मलयो रािना और सिाद की करी करी

कहा जाता वनणथय क अधययन क र म रररावषत वकया गया ह अविक मोि तौर र सिसकवत क कषतर म

विदवानो न इस कला सिसकवत और परकवत र महति णथ परवतवबिब क र म सौदयथशासतर को रररावषत

वकया ह

माधयवमक सतर र शरआत हल चरण म बनाया विजञान को एक विषय क र म सराव त करन क वलए

और आग वबना वकसी औ चाररक दढ़ता र जोर वदए वबना इसको मजबत वकया जाना चावहए विचारो

वसदधाितो और विजञान क वनयमो को अब उवचत र स ाठयिम म शावमल वकया जा सकता ह लवकन

जोर जादा स जादा समझ र होनी चावहए औ चाररक ररराषा र नही होना चावहए यह परयास वकया

जा रहा ह की विजञान और उसक विवरनन विषयिसतओ ि का सिगठन माधयवमक सतर र उवचत ढिग स

वकया जाय लवकन ाठयिम का रार काफी हद तक परौदयोवगकी और अनय ाठय सहगामी

गवतविवियो क अवतररकत ततिो क वलए जगह बनान क वलए कम वकया जाना चावहए

विदयावरथयो म अिलोकन की कषमता बढानी चावहए

गहन वचन तन की कषमता को बढ़ाना

विदयावरथयो का विवरनन विषयो एिि घिनाओ ि क मधय अन तर समप बन ि को समझन म सहयोग

करना ह

विदयावरथयो को इस वचितन हत परररत करना की हमार चारो ओर घि रही सामानय घिनाओ ि क

ीछ विजञान छ ा ह विजञान की समझ हम उन कारणो को जानन का अिसर दती ह

विदयावरथयो को विया करक समझन क सबस अविक अिसर परदान करना चावहए ह इसी परकार

वकया गया कायथ और कायथ करन एिि परयोग करन हत परररत करता ह

विजञान िथ म वनवहत जञान ि जानकारी र परशन उठान की परिवत को बढ़ािा दना ह अराथत यह

सचना को जस क तस मान लन क बजाय उस र परशन करक णथ जानकारी परापत करन ि इसक

बाद सिीकार करन र बल दता ह

विजञान विवरनन कलाओ ि ि वशकषण परवियाओ ि की सहायता स जञान को ककषा ककष स बाहर लान

म सहयोग करना चावहए

विदयावरथयो को इस बात क वलए परवशवकषत करना की जञान ही काफी नही जञान वनमाथण एिि जञान

वनमाथण की परविया री उतनी ही आिशयक ह वजतना विषय की समझ

परदशथवनयो सिगोवषटयो लोकवपरय वयाखयानो विजञान वशविरो और अनय विविि कायथिमो क

आयोजन वकया जाना चावहए

वशकषण म सवियता को अविक महति वदया जाना चावहए करक सीखन क वलए विदयावरथयो को

परररत वकया जाना चावहएअत सविय विवि क अितगथत विविि विवियो को सवमपमवलत वकया

जाना चावहए जस जस- शोिविवि (हयररवसिक) योजना (परोजकि) विवि इतयावद

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 52

39 अभयास परशनो क उततर 1 जञान

2 विजञान

3 विजञान

4 कोलकाता

5 िजञावनक मनोिवतत क परसार

6 कौशलो

7 परविया कौशल

8 बवनयादी परविया कौशल और एकीकत कौशल

9 अिलोकन

10 अनिषण

11 िजञावनक विवि

12 वजन व याज 13 सौदयथ बोि 14 रचनातमकता 15 रौवतकीय रासायवनक

310 सादरथ गरनर सची 1 Davar M (2012) Teaching of science New Delhi PHI Private Limited

2 Kalara RM amp Gupta V (2012) Teaching of Science A Modern

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3 Kulshreshtha AK amp Kulshreshtha NK (2014) Teaching of Science

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7 httpshiwikipediaorgwiki याथिरणीय-विजञान

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10 UNESCO (1966) Source Book for Science Teaching Paris UNESCO

312 वनबनधातमक परशन 1 विजञान क जञान स आ का कया अवरपराय ह

2 छातरो म िजञावनक समझ कस विकवसत वकया जा सकता ह

3 परविया कौशल स आ कया समझत ह

4 परविया कौशल दवारा आ छातरो म िजञावनक सोच कस विकवसत करग

5 छातरो म िजञावनक दषटीकोण विकवसत करन क वलए आ कया करग

6 छातरो म आ िजञावनक सौनदयथबोि कस विकवसत करग

7 माधयवमक सतर र विजञान को एक पररािशाली विषय क र म सराव त करन क आ कया

करग

8 रौवतक ितािरण क परवत आ छातरो को कस जागरक करग

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 54

इकाई 4 - भौविक विजञान वशकषण क अवधगम उददशय

41 परसतािना

42 उददशय

43 अविगम उददशय का अरथ

44 अविगम उददशय विकवसत करना

45 सविकवसत अविगम उददशयो की विशषताएि

46 एिडरसन एिि िथिोहल िगीकरण

47 अविगम उददशय वलखना

48 सारािश

49 शबदािली

410 अभयास परशनो क उततर

411 सनदरथ गरनर सची

412 वनबििातमक परशन

41 परसतावना रौवतक विजञान वशकषणशासतर क आिार स सिबिवित यह चौरी इकाई ह व छल इकाई म हम लोग रौवतक

विजञान वशकषण क विविि लकषयो स अिगत हो चक ह लकषय का कषतर वया क होता ह इनकी अिवि

दीघथ होती ह और इनम ही अविगम उददशय समावहत होत ह

अविगम उददशय आ का मागथदशथन करती ह और इनका सिबिि वकसी विशष परकरण स ही होता ह इनका

सरोत मखयतः मनोविजञान होता ह और इनम िसतवनषठता होती ह परसतत इकाई म विसतार स अविगम

उददशय की हचान और लखन परसतत ह

इस इकाई क अधययन क बाद आ रौवतक विजञान क विविि परकरणो क वलए अविगम उददशय विकवसत

कर सक ग

42 उददशय परसतत इकाई क अधययन क शचात आ -

1 अविगम उददशय का अरथ बता सक ग

2 अविगम उददशय क परमख विशषताओ ि की वयाखया कर सक ग

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 55

3 एिडरसन और िथिोल िगीकरण का िणथन कर सक ग

4 अविगम उददशय विकवसत कर सक ग

43 अवधगम उददशय का अरथ परतयक अविगमकताथ को अविगम अनरि और अिसर परदान करन की वजमपमदारी वशकषक को सौ ी गयी

गई तावक अविगमकताथ अ नी कषमतायोगयता क सिथशरषठ को सीख सक और अविगम क अ न णथ

कायथकषम को विकवसत कर सक ककषा म वकसी विशष परकरणइकाई को लाग करन क िथ कछ परतयकष

ररितथनो (समरण करन समझन लाग करन विशलषण करन इतयावद क र म) वजनह अविगमकताथ म

लान की आिशयकता ह की हचान करना एक वशकषक को इस वजमपमदारी क वनिाथह करन म सहायता

करता ह गोचर अनरि क र म वकसी विशष परकरणइकाई क वलए समरण करन समझन लाग करन

और विशलषण करन की य िािछनीय लडडी मोि तौर र lsquoअविगम उददशयrsquo जाना जाता ह य िािछनीयता

अविगमकताथओ ि क ितथमान जञान और षठरवम क ररपरकषय म दखा जाना चावहए न की वशकषको क

दसर शबदो म अविगम उददशय विवशषट और अिलोकनयोगय शबद म करन ह जो बताता ह वक

वशकषण-अविगम परविया म अविगमकताथ को सिलगन करन क ररणामसिर उसस कया उ लवबि हावसल

करन क अ कषा की जाती ह

व छली इकाई म हम रौवतक विजञान क अविगम लकषयो क विवरनन हलओ ि की चचाथ कर चक

ह इन लकषयो को परापत करना वशकषको का सतत परयास होना चावहए कया लकषय उददशयो स वरनन ह

आइय इस सारणी 41 म दखत ह

सारणी 41 भौतिक तिजञान अतिगम क लकषय और उददशयो की िलना

लकषय उददशय

1 लकषय का कषतर वया क होता ह 1 उददशयो का कषतर सीवमत होता ह

2 इनकी अिवि दीघथकालीन होती ह 2 इनकी अिवि अल कालीन होती ह

3 यह अस षट या अवनवशचत होत ह 3 य वनवशचत और स षट होत ह

4 इनकी परावपत म विदयालय समाज तरा

समप णथ राषटर वजमपमदार होता ह

4 इनकी परावपत की वजमपमदारी परायः वशकषक की ही होती ह

5 इनकी परावपत का मा न एिि मलयािकन सिरि

नही ह

5 इनका मा न एिि मलयािकन वकया जा सकता ह

6 इनका सिबिि वशकषा और रविषटय स होता ह

6 यह वशकषा म वनवहत होत ह तरा वशकषण स सिबिवित होत

ह इनका सिबिि वकसी विशष परकरण स ही होता ह

7 इनका सरोत समाजशासतर दशथनशासतर तरा 7 इनका सरोत मखयतः मनोविजञान होता ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 56

समप णथ वशकषाशासतर होता ह

8 इनम उददशय समावहत होत ह 8 य उददशय का ही एक राग होत ह

9 इनम वयवकतवनषठताहोती ह 9 इनम िसतवनषठता होती ह

10

य परतयक समाज और राषटर की

आिशयकता एिि आकािकषाओ ि क अनसार

ररितथनशील होत ह

10

य वनवशचत होत ह तरा परतयक परकरण क वलए वरनन-वरनन

होत ह

44 अवधगम उददशय ववकवसत करना रौवतक विजञान क अविगम उददशय रौवतक विजञान क लकषयो क सार-सार अविगमकताथओ ि की

सिजञानातमक कषमताओ ि क अनर री होन चावहए स षटतः विजञान क सरी िजञावनक तथय एिि वसदधाित

सरी अविगमकताथओ ि दवारा नही सीखा जा सकता ह और वकसी विशष अविगमकताथ क अविगम क

विवरनन हलओ ि म एक गणातमक दिम हो सकता ह उदहारण क वलए एक अविगमकताथ

परयोगातमक कौशल म बहत अचछा हो सकता ह लवकन सिखयातमक समसयाओ ि को हल करन म ऐसा

नही हो सकता आ को सामानय र म विजञान की परकवत को और विशष र म परकरण को

अविगमकताथ को बताय जान िाल परकरण क वया कताकषतर को परसिगसनदरथ वजसम अविगम हो रहा ह

और अविगमकताथ की आिशयकताओ ि कषमताओ ि एिि अविगम कवठनाईयाि को याद रखना चावहए

अविगम उददशयो को विकवसत करन की समझ आ को वशकषण-अविगम और आकलन

परवियाओ ि क वनमाथण तरा अविगम को सिरन म सहायता करगी आग उददशयो का िगीकरण करना

आ को विदयारी क जञान और सिजञानातमक परविया क आयाम म उनक अविगम कविवरनन हलओ ि र

कवनित होन म सहायता करगा वशकषण-अविगम परविया क तीन परमख घिको- उददशय आकलन एिि

वशकषण-अविगम वियाकला ो ndash दवारा सिरवखत वकया जाना चावहए तदनसार वशकषण-अविगम

वियाकला ो को उददशयो को समझन क वलए सिारा जाता ह इस परकार तीनो घिक एक-दसर क

ससिगत ह यवद तीनो घिक अनकल ह तो वशकषण-अविगम उददशय णथ ह

45 सववकवसत अवधगम उददशयो की ववशषताएा एक सवलवखत अविगम उददशय अविगमकताथओ ि क सार-सार वशकषको क दवारा री आसानी स समझा जा

सकता ह अविगमकताथ अनमान लगा सकत ह वक वशकषण-अविगम परविया क ररणामसिर उनस

कया अ कषा की जाती ह और इस सिबिि म वशकषक क सार बातचीत कर सकत ह अनय वशकषक आ क

सार चचाथ कर सकत ह और सझाि द सकत ह अविगम उददशय वलखन क वलए आ को कछ खास क ि

विनदओ ि को धयान म रखना चावहए जसा वक वचतर 41 म दशाथया गया ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 57

अविगम उददशय को दशाथना चावहए वक अविगमकताथ कया करगा न वक वशकषक कया करगा अविगम

परविया को इिवगत करन िाल वियाओ ि का उवचत उ योग वकसी अविगम उददशय को स षटता और उसकी

समझबोि परदान करत ह

अब सारणी 42 म वशकषक-कवनित और अविगमकताथ-कवनित अविगम उददशयो की जाच करत ह

सारणी 42 तिकषक-कतनदरि और अतिगमकिाय-कतनदरि अतिगम उददशय

1

किसी उततल लस दवारा किकमित

परकतकिमि िी वयाखया िरिा

i दशाथना वक वकसी उततल लस को कस आििथक लस की तरह

उ योग वकया जा सकता ह

ii वकसी दर की िसत क िासतविक परवतवबमपब को दखन क वलए

उततल लस का उ योग करना

iii िसत क विवरनन वसरवतयो क वलए कस परवतवबमपब की परकवत

और आकार ररिवतथत होता ह का िणथन करन क वलए

वियायाकला करना

2

किरचोफफ़ कियम िो समझिा

i वकसी विदयत तितर क परतयक शाखाउ खिड म विदयत िारा की

गणना करन क वलए वकचोफफ़ वनयम का उ योग करना

ii वकसी विदयत तितर का समककष परवतरोि वनिाथररत करना

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अविगम उददशय क वकस सतमपर को आ अविगमकताथ-कवनित त ह स षटतः दसर सतमपर म जो वदया

ह िह अिलोकन करन योगय ह अविगम साकषय परदान कर सकता ह और हचाना जा सकता ह

अविगम उददशयो को स षट और बोिगमपय बनान क वलए वजस वसरवत म अविगम होगा और उनह

परापत करन क वलए कसौिी का री उललख करना चावहए आइय वनमपनवलवखत उदाहरण दखत ह

मानव नतर का रखा-चितर दन पर मानि नतर की सिरचना का नाम वलखना

रासायचनक ततवो क सकतो की सहायता स ततिो का नाम बताना

पवन िककी बनान क बाद इसक कायथचालन को दो अबचछदो म िणथन करना

उददशय वजतना ही स षट होता ह अविगम साकषय री उतना ही स षट होता ह तब इस समय सीमा म परापत

करन की समपरािना जयादा होती ह वकसी अविगम उददशय म वसरवत और कसौिी का उललख करना

अविगम अनरिो की योजना क वलए स षट दशय परदान करता ह अकिगम उददशय कििािररत िरि म

अकिगमितािओ िो सकिय रप स शाकमल किया जा सिता ह और उििी उपलकधि िी सीमा

िो उिि साथ तय किया जा सिता ह अकिगमितािओ िी आवशयिताओ ि आिार पर

अकिगम उददशय पररवकतित या सिार जा सित ह

यह समझना आिशयक ह वक ऊ र बताय गए तरीक स ही अविगम उददशय वलखना जररी नही ह करी-

करी अविगमकताथओ ि हत वचितन की अविक गिजाइस परदान करन क वलए वसरवत और कसौिी दोनो को

ही हिा वदया जाता ह उदहारण क वलए कछ अविगमकताथओ ि क वलए वकसी विशष वसरवत म एक

साधारण लोलक क समय अतराल को परभाचवत करन वाल चवचभनन कारको का अधययन करना वलखना

याथपत हो सकता ह

SMART मापदड कसौटी

सरी अविगम उददशयो को SMART मा दिड कसौिी रा करना चावहए

Specific (विवशषट)- परतयक अविगम उददशय का मातर एक मखय ररणाम हो

Measurable (मा न योगय)- परतयक अविगम उददशय ऐस वयिहार स सिबिवित हो वजस मा ा जा सक

Attainable (परापय परापत करन योगय)- परतयक अविगम उददशय उ लबि सिसािनो क मामल म यरारथिादी हो

Relevant (परासिवगक)- परतयक अविगम उददशय लकषयो क क ि म हो और विदयारी क उ लवबि म वरननता लाय

Timely (समयोवचत)- परतयक अविगम उददशय को समय सीमा क रीतर रा वकया जा सक

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46 एाडरसन एवा िवोहल वगीकरण 1956 म बनजावमन एस बलम न शवकषक उददशयो क र म मानि अविगम क कषो को तीन रागो म

िगीकत वकयाmdash

i जञानातमक (जञान मवसतषटक स सिबिवित)

ii रािातमक (अनरवत हरदय स सिबिवित)

iii मनोशारीररक वियातमक (कायथ हार स सिबिवित)

जञानातमक पकष भािातमक पकष मनोिारीररक तियातमक पकष

िगय िगय िगय

1 जञान 1 आगरहण 1 अनवचछक वियाए

2 बोि 2 अनविया 2 मलरत वसदधाित

3 अनपरयोग 3 अनमलयन 3 अििारणातमक कषमताए

4 विशलषण 4 वयिसरा न 4 शारीररक कषमताए

5 सिशलषण 5 चररतर वनमाथण 5 कशल गवतविवि

6 मलयािकन 6 िाणी विहीन वयिहार

तराव कछ िषो बाद वशकषण-अविगम परवियाओ ि स सिबिवित नए विचारो और सझ का आविराथि

हआ ररिवतथत सझ एिि शोिो क ररणामो को परकि करन तरा 21िी शताबदी क अविगमकताथओ ि क

वलए वशकषण-अविगम ररदशय की आिशयकताओ ि को रा करन क वलए लोररन डबलय एडरसन बलम

का एक रत िथ छातर और डतिड आर ििोहल बलम की सतक का एक सह-लखक न बलम क

िगीकरण को सिशोवित करन हत विशषजञो क एक समह का नतति वकया 2001 म इस ररणाम को

एक सतक ndash ए टकसोिोमी फॉर लकििग टीकरचग एड असकसग ए ररकवजि ऑफ़ धलमस

टकसोिोमी ऑफ़ एजिशिल ओधजककटवस - क र म परकावशत वकया गया सिशोवित िगीकरण

सदश परतीत होता ह तो री सारथक ररितथन ह आइय अब इस र विचार-विमशथ करत ह

बलम िगीकरण म अविगम क छः सतर एक दानिवमक र म ह उदहारण क वलए यवद कोई

अविगमकताथ अ न जञान का अनपरयोग करता ह तो िह हल स अविगम की िथ दो सतरो (जञान और

बोि) को ार कर चका ह (वचतर 42 दख)

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दानिम म मामली ररितथन स सिशोवित िगीकरण म री अविगम क छः सतर ह जो जयादा स षट ह

एक अनय सारथक ररितथन ह- सिशोवित बलम िगीकरण म जञानातमक आयाम (जञान का परकार वजस

वसखना ह) और सजञानातमक परतियस आयाम क र म दो आयाम ह जबवक बलम िगीकरण म मातर

एक आयाम

सिशोवित िगीकरण िीन तरह स वरनन ह-

(i) िबदािली यह ररितथन गौण ह तो री सारथक ह

यह एक सिजञा स विया शबदो म बदलाि ह

जञान शबद को वचितन की शरणी क र म अनवचत माना जाता रा और इस समरण करना स बदला

गया तचिन एक सतिय परतिया ह और जञान तचिन का पररणाम ह जञान को वचितन क

एक र म नही दखा जाता ह

बोध को समझना क र म सिशोवित वकया गया

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 61

मलयाकन करना सशलषण का सरान वलया और सजन करना मलयाकन का सरान वलया

सशलषण शबद अविगम वियाओ ि क सिबिि म वबलकल सििादशील नही रा इसवलए इस सजन

करना स बदला गया

(ii) सरचना बलम िगीकरण म विवरनन विषय कषतरो को तय करन क वलए आ को कछ तरीक ता

लगाना चावहए चिवक परतयक विषय की परकवत और विषयिसत वरनन होता ह उदहारण क वलए विजञान

और राषा का तथयातमक जञान वरनन ह इसी परकार परवियातमक जञान री वरनन ह सिजञानातमक

मनोविजञान क वसदधाित क आिार र एिडरसन और िथिोहल न जञान क चार आयाम बताए ह जञानातमक

आयाम और सिजञानातमक परविया आयाम का परवतचछदन 24 ककष उत नन करता ह जो िगीकरण सारणी

को वदवआयामी बनाता ह जसा की सारणी 43 म दशाथया गया ह

सारणी 43 एडरसन और ििोहल दवारा परिि तदवआयामी िगीकरण सारणी

जञानातमक

आयाम

सजञानातमक परतिया आयाम

समरण करना समझना अनपरयोग

करना

विशलषण

करना

मलयािकन

करना

सजन करना

तथयातमक

जञान

िचाररक जञान

परवियातमक

जञान

सिजञानातमक

क अलािा

जञान

सारणी 43 का उ योग करक हम उददशयो को जञानातमक आयाम और सिजञानातमक परविया आयाम क

सार वमलान कर सकत ह आइए उदाहरण की सहायता स दखत ह वक परवियातमक जञान को

सिजञानातमक परविया आयाम क सार कस वमलान वकया जा सकता ह (सारणी 44)

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सारणी 44 परतियातमक जञान क सार सजञानातमक परतिया का तमलान

जञानातमक

आयाम

अतिगम उददशय

सजञानातमक

परतिया आयाम

परवियातमक

जञान

अ वकषत विदयत रर र आरख का परतयासमरण करक एक

सामानय िॉचथ बनाना

समरण करना

विदयत िारा क परिाह की वदशा दशाथत हए ldquoबलब कस चमकता

हrdquo की वयाखया करना

समझना

एक सिित विदयत रर र क सार िॉचथ क चमकन को सिबिवित

करना

अनपरयोग करना

यवद बलब नही चमकता ह तो विदयत रर र म समसया की

हचान करना

विशलषण करना

िॉचथ बनान क वलए वकसी वदए गए जमािड़ म स उनक विवनदश

जाच कर उवचत विदयत सल और बलब का चयन करना

मलयािकन करना

सािारण विदयत रर र का उ योग करक कोई उ करण बनाना सजन करना

इस परकार सिरचना वनमपनवलवखत तरीक स वरनन ह ndash

एक आयामी िगीकरण को वदवआयामी र म सिशोवित वकया गया

सिशलषण और मलयािकन क िम को अितविथवनमय वकया गया चवक िगीकरण को वचितन सतरो म

जविलता क बढ़त िम म दशाथता हआ माना जाता ह रचनातमक वचितन (सशलषण) गहन

वचितन (मलयाकन) की अ कषा वचितन का जयादा जविल र ह

बलम क िगीकरण म मलयािकन वचितन का सबस ऊ री सतर ह सिशोवित िगीकरण म सजन

करना दानिम क शीषथ र ह

(iii) महतति

1 सिशोवित िगीकरण ाठयिम योजना बनान वशकषण-अविगम क वलए सामगरी विकवसत करन

और आकलन परवियाओ ि क वलए जयादा विशवसनीय उ करण ह

2 बलम क िगीकरण को परारिवरक विदयालयी िषो क वलए सिोतम उ करण माना जाता रा

एिडरसन और िथिोहल िगीकरण को उचचतर सतरो क वलए री आसानी स उ योग वकया जा

सकता ह इस अरथ म यह उ योग म वया क ह

3 अविगम क उ -शरवणयो क िणथन र जयादा जोर ह वनमपनवलवखत सारणी (सारणी 45)

सिशोवित बलम िगीकरण क वया क वसिहािलोकन परसतत करता ह सिजञानातमक परविया की

उ -शरवणयाि वशकषण-अविगम परविया क ररणामसिर अविगम कायो का र और सिरि

अविगम ररणाम परदान करती ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 63

सारणी 45 एडरसन और ििोहल क िगीकरण का वयापक अिलोकन

सजञानातमक परतिया

की शरणी

सजञानातमक परतिया की

उप-शरणी

अतिगम कायय

अतिगम साकषय परदान

करनिाल अतिगम

पररणाम

समरण करना

समवत स परासिवगक जञान

नःपरवतषठाव त करना

पहचानना

परतयासमरण करना

परापत करना

हचानना नःपरवतषठाव त

करना परापत करना

शरणीबदध करना नाम

बताना चयन करना

कहना रररावषत करना

िणथन करना वशनाखत

करना नाम वलखना

परतयासमरण करना सरान

का ता लगाना

ररराषा तथय कायथ- तरक

सची नाम परतयासमरण

समझना

वशकषण-अविगम

सामवगरयो और परवियाओ ि

स अरथ का वनमाथण करना

मौवखक वलवखत और

आरखी समपपरषण म

शावमल होना

तििचना करना

उदाहरण दना

िगीकि करना सतकषपत

करना

तनषकषय तनकलना

िलना करना

वयाखया करना

वयाखया करना वििचना

करना सिवकषपत करना

उदाहरण दना तलना

करना अनमान लगाना

िगीकत करना कवरत-

करन करना वनषटकषथ

वनकलना

वििरण वयाखया रर ोिथ

आरख लखावचतर

परशनोततरी सिगरह परदशथन

अनपरयोग करना

नई ररवसरवत म रणनीवत

अििारणा वसदधाित और

परवियाओ ि का उ योग

करना

तनषपातदि करना

कायायतनिि करना

कायाथवनित करना

वनषट ावदत करना हल

करना सिबदध करना

परदवशथत करना तयार

करना र ाितररत करना

दशाथना उ योग करना

अनपरयोग करना कशलता

स कायथ करना गणना

करना सवमपमवलत होना

परदशथन दषटानत

परसततीकरण साकषातकार

रीकषण ररकॉडथ वतरका

सिखयातमक समसयाओ ि का

समािान

तिशलषण करना

जञान को उसक अियिो म

तोडना और एक-दसर क

परक करना

सगतिि करना

आरोतपि करना

विशलषण करना तलना

करना तोड़ना रक

करना वनमाथण करना

आरख लखावचतर मॉडल

चािथ सि डिाबस रर ोिथ

जाचसची तातकावलक

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 64

सार अियिो का सिबिि

वनिाथररत करना

एकीकत करना अलग

करना सिगवठत करना

अितर करना आरोव त

करना र -रखा लगाना

आरख बनाना वनषटकषथ

वनकालना

कामचलाऊ उ करण

परशनािली सपरडशीि

मलयाकन करना

मानक और कसौिी

विकवसत एिि अनपरयोग

करक विचारो सामवगरयो

और विवियो क मलय

महतति का वनणथय करना

िााच करना

तििचना करना

वनणथय करना जाच करना

वििचना करना मलयािकन

करना अवरकल ना

बनाना परयोग करना

रीकषण करना वनयितरण

करना आिकना नयायोवचत

ठहराना परवतिाद करना

समरथन करना िणथन करना

वयाखया करना समपबदध

करना वनशचय करना

मलयािकन विचार-विमशथ

तकथ -वितकथ साकषय

आिाररत वनषटकषथ रर ोिथ

जाच ड़ताल िाद वििाद

सिन करना

वकसी िासतविक विचार

को विकवसत करन य

ततिो क सियोजन क वलए

विचारो या अियिो को

एक सार रखना विचारो

और ररणामो को ससिगत

कायाथतमक समप णथ बनाना

सजनातमक वचितन म

सिलगन रहना

उतपनन करना

योिना ियार करना

उतपातदि करना

वडजाईन बनाना वनमाथण

करना नवनथमाथण करना

खोज करना उ करण

बनाना योजना तयार

करना उत ावदत करना

बनाना उत नन करना नः

सिगवठत करना रचना

करना र ाितररत करना

मॉडल परदशथन परोजकि

ोसिर चािथ विजञान

नािक परसततीकरण

िीडा परशनोततरी गीत

कविता मीवडया उत ाद

इस परकार हम दखत ह वक सिशोवित बलम क िगीकरण म सिजञातमक परवियाओ ि क कई उ -शरवणया ह

यह जयादा स षट ह और हम वशकषण-अविगम रणनीवतयो और परवियाओ ि क वनमाथण म सहायता हत एक

शवकतशाली उ करण परदान करता ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 65

47 अवधगम उददशय विखना i समरण करना- अविगमकताथ अ नी समवत स तथयो ररराषाओ ि वनयमो वसदधाितो और जञान क

अनय िकड़ो का परतयासमरण और हचान करत ह यह अविगमकताथ को विजञान समझन म

सहायता करता ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

उततल और अितल लस को स शथ कर और उनक दवारा बन परवतवबमपबो का अिलोकन कर

क उनकी हचान करना

िासतविक और काल वनक परवतवबमपबो की ररराषा का परतयासमरण करना

एक वसरवत बताना जहा काल वनक परवतवबमपब बनता ह

परतयक उततल और अितल लस क दो उ योगो को सचीबदध करना

ii समझना - अविगमकताथ विवरनन वशकषण-अविगम ररवसरवतयो म अरथआशय का वनमाथण

करता ह यवद िह विवरनन अििारणाओ ि और जञान क िकड़ो म सह-सिबिि और सिबिि सराव त

करता ह तो िह समझता ह समझना तावकथ क और अमतथ वचितन को परोतसाहन दता ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

आसिन परविया का िणथन करना

आसिन म शावमल विवरनन चरणो को सिवकषपत करना

सािारण आसिन और आिवशक आसिन क बीच अितर करना

एक उदाहरण क दवारा आिवशक आसिन का दषटानत दना

iii अनपरयोग करना -अविगमकताथ तथयो अििारणाओ ि और वसदधाितो का उ योग तरा नई

ररवसरवतयो म समसयाओ ि का समािान कर सकत ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

कषारीय िात क कम-स-कम एक रासायवनक रीकषण परदवशथत करना

वदए गए नमन (स ल) म कषारीय िात की मौजदगी की रविषटयिाणी करना

जल म बनजोइक एवसड की घलनशीलता की वयाखय करन क वलए हाइरोजन बििन (बॉवनडिग)

की अििारणा का उ योग करना

वनमपनवलवखत अवरविया को सितवलत करना mdash

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Zn(s) + HNO3 Zn(NO3)2 + NH4NO3 + H2O

iv तिशलषण करना - अविगमकताथ परवतमान दख वनवहतारथ और अियिो को हचान सकत ह

विशलषण करन क सतर र अविगमकताथ तलना करन आरोव त करन सिगवठत करन जञान को

उसक घिको म तोड़न की वसरवत म होत ह अविगमकताथ वदए गए ररवसरवत का विशलषण कर

सकत ह िह वदए गए समसया क घिको क मधय अितर और उनक बीच सिबिि की हचान करन

की वसरवत म होता ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

सिकत दवारा वदखाना वक वनमपनवलवखत उदाहरणो म ऑकसीजन-यकत यौवगक ओकसीकारक

जबवक अनय अ चायक कारक ह

LiAlH4 KMnO4 K2Cr2O7 NaBH4 K2CrO4 CrO3

वनमपनवलवखत अवरविया म ओकसीकरण और अ चयन क दौरान सरानाितररत इलकरानो की

सिखया सिकत दवारा वदखाना

Zn + H2SO4 ZnSO4 + H2

एक विदयत चमपबक क वनमाथण को दशाथन क वलए एक ररनावलका एक लोह की छड बिरी

और एक कि जी को सिगवठत करना

रौवतकी और रसायन शासतर म विवरनन अििारणाओ ि स सिबिवित सिखयातमक समसयाओ ि को

हल करना

v मलयाकन करना -अविगमकताथ मलयािकन उत नन वििचना वनणथय िजञावनक अििारणाओ ि

हत अवरकल ना तयार और परयोगो हत योजना तयार कर सकत ह ि वकसी वनणथय का

औवचतय वसदध कर सकत ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

ldquo रडॉकस अवरविया ओकसीकारन और अ चयन का सवमपमशरण ह rdquo करन र विप णी करना

िि म चलन िाल िसतओ ि क सिीही (सरीमलाइन) आकार का औवचतय वसदध करना

माइिोसको और िवलसको म लसो क चयन स वलए कसौिी का मलयािकन करना

कारको की जाच करना वजस र एक विदयत चमपबक की शवकत वनरथर करती ह

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iv सिन करना- सजन करन का तात यथ ह एक वयवकत क सि-कल ना क माधयम स रचना करना

योजना तयार करना वलखना वनमाथण करना और उत ादन करना

अतिगम उददशय क उदाहरण

वनमपनवलवखत दो अिथ अवरवियाओ ि को वमलाकर रडॉकस अवरविया बनाना

Zn(s) Zn2+

+ 2endash

Pb2+

(aq) + 2endash Pb(s)

दवनक जीिन स उदाहरण लकर रडॉकस अवरवियाओ ि क महतति र परसततीकरण तयार करना

िन चककी का मॉडल बनाना

चमपबको का उ योग कर वखलौन बनाना

अभयास परशन

1 सिजञानातमक कष का िगीकरण ________ क दवारा वदया गया

a बलम bवसकनर c वसमप सन dकोहलर

2 सामगरी क अरथ को आतमसात करना ह ndash

aसमझना b समरण करना c अनपरयोग करना dसजन करना

3 वकसी सामगरी क मलय को जानना ह -

aविशलषण करना bसमरण करना cअनपरयोग करना dमलयािकन करना

4 बौवदधक कौशल __________ क दवारा परदवशथत वकया जाता ह

aसिजञातमक कष bमनोशारीररक कष cरािातमक कष dउ रोकत म

स कोई नही

5 शवकषक उददशयो को __________ कषो म विरावजत वकया गया ह

aतीन b छ cदो d ािच

6 शवकषक उददशयो का िगीकरण __________ म वदया गया

a1946 b 1956 c1966 d1976

नोट अतिगम उददशयो क उपरोकत उदाहरण मातर दिानिदियक ह न तक तनदिातमक या सियगराही

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48 सारााश अविगमकताथ और वशकषक दोनो क रर कषय स अविगम उददशय बहत महति णथ ह य वशकषक को वकसी

ककषा क वलए सिगवठत वकय जान िाल अविगम अनरिो को तयार करन तरा उनक आकलन क वलए

अरो ाय हत वदशा परदान करत ह विकवसत उददशय अविगमकताथ की आशयकताओ ि और वशकषण-

अविगम ररवसरवतयो क अनसार लचील होन चावहए इस वशकषण-अविगम परविया क वलए एक

मागथदशथक क र म कायथ करना चावहए

49 शबदाविी 1 अतिगम वयिहार म कोई री अ कषाकत सरायी ररितथन जो अभयास और अनरि क

ररणामसिर घवित होता ह

2 तिकषण-अतिगम परतिया जञान कौशल और अवरिवत परदान करन की िासतविक अनयोजन

अिवि

3 अतिगमकिाय कोई वयवकत जो वकसी कौशल या विषय को सीख रहा हो

410 अभयास परशनो क उततर 1 अ

2 अ

3 द

4 अ

5 ब

6 स

411 सादरथ गरार सची 1 बॉकसिन एसी (2010) िीवचिग साइिस इन एलीमरी एिड वमवडल सकल नय वदलली सज

वबलकशनस

2 बाईबी आर (2010) द िीवचिग ऑफ़ साइिस िििी फसिथ सचरी सथ वकिवस अवलिगिन

िीए एनएसिीए परस यएसए

3 फनशम ीज (1994) द कि िि ऑफ़ साइिस ए कि सरकविि एपरोच ि इिस िीवचिग एिड

लवनिग िावशिगिन डी सीर फालमर परस

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4 गपता िी क (1995) िीवचिग एिड लवनिग ऑफ़ साइिस एिड िकनोलॉजी नय वदलली विकास

वबलवशिग हाउस पराइिि वलवमिड

5 जोशी एसआर (2005) िीवचिग ऑफ़ साइिस नय वदलली ए ीएच वबलवशिग कॉर ोरसन

6 लॉसन इए (2010) िीवचिग इनकिायरी साइिस इन वमवडल सकल नय वदलली सज

वबलकशनस

7 लयिन डी (1989) इनोिशनस इन साइिस एिड िकनोलॉजी एजकशन नय वदलली सिवलिग

वबलकशनस

8 मर एलज (1988) बवसक वसकलस- साइिस बोसिन जॉन मर

9 शमाथ आरसी (2005) मॉडनथ साइिस िीवचिग वदलली िन त राय amp सिस

10 वसददीकी एचएम (2007) िीवचिग साइिस नय वदलली बालाजी ऑफसि

11 वसददीकी एनएन amp वसददीकी एमएन (1994) िीवचिग ऑफ़ साइिस िड amp िमॉरो वदलली

डोएबा हाउस

12 सिररन ए amp सनड बी (1983) िीवचिग साइिस थर वडसकिरी ऑवहयो चालसथ इ मररथल

वबलवशिग कि नी

13 वतर ाठी एस (2004) िीवचिग ऑफ़ वफवजकल साइिस वदलली डोवमनि वबलकशनस

14 यनसको (1966) सोसथ बक फॉर साइिस िीवचिग ररस यनसको

15 िदय एन (2003) साइिस िीवचिग इन सकलस नय वदलली दी amp दी वबलशसथ

16 िनजा एम (2006) िीवचिग ऑफ़ वफवजकल साइिस हदराबाद नीलकमल वबलकशनस

17 गपता एसक (1983) िकनोलॉजी ऑफ़ साइिस एजकशन वदलली विकास वबलवशिग हाउस

पराइिि वलवमिड

18 गपता िीक (1995) रीवडिगस इन साइिस एिड मरमविकस एजकशन अमपबाला द एसोवसएिड

परस

19 राि िीक (2004) साइिस एजकशन नय वदलली ए ीएच वबलवशिग को ोरशन

412 वनबाधातमक परशन 1 अविगम उददशय स आ कया समझत ह एक सविकवसत अविगम उददशय की कया विशषताएि

होनी चावहए उदहारण दकर स षट कर

2 अविगम उददशय विकवसत करन की कया आिशयकता ह कछ उदाहरणो की सहायता स

वयाखया कर

3 यह जानन क वलए वक वशकषण-अविगम परविया म अविगम उददशय वलखना कस वकसी वशकषक

की सहायता करता ह एक परशनािली विकवसत कर

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इकाई 5 अवधगमकिा को समझना- वपयाज और िाइगोतसकी की दषटि म अवधगमकिा अवधगमकिा को परवरि करना शावमल करना िािा करना और मधयसरिा

अवधगम विजञान वशकषक की भवमका Understanding Learners Piaget and Vyogotskian

Perspective Motivating and Involving learners Negotiating and Mediating Learning Role of Science Teacher

51 परसतािना

52 उददशय

53 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ

531 व याज की दवषट म अविगमकताथ

532 िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ

533 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अितर

54 अविगमकताथ को परररत करना शावमल करना एिि िाताथ करना

55 मधयसरता अविगम

56 विजञान वशकषक की रवमका

57 सारािश

5 9अभयास परशनो क उततर

5 10वनबनिनातमक परशन

5 11 सिदरथ गरनर सची

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51 परसतावना वशकषण की ारि ररक विवि म विषय िसत क परतयकष अनदशन तथयो और परवियाओ ि क रिन र ज़ोर

दत हए रवढ़िादी तरीको का परयोग वकया जातारा ितथमान म वशकषण म विदयावरथयो की सविय

सहरावगता र ज़ोर दत हए उनह सियि जञान क सजन करन िाला माना गया दसर शबदो म कह तो

वशकषण और अविगम की वयािहारिादी दवषटकोण स सिरचनािादी दवषटकोण म सरानाितरण हआ ह

वयिहारिावदयो क अनसार सरी वयिहार बाहरी उततजनाओ ि को अविगमताथ की परवतवियाओ ि का

ररणाम ह अराथत बाहरी िातािरण सीखन क वलए योगदान करता ह इस तरह स विदयारी क अविगम

र बाहय ररवसरवतयो जस रसकार और दिड का परराि परबल होता ह यह िसतवनषठ अिलोवकत

वयिहार र मखय र स क वित ह और अविगम मानवसक गवतविवियो की रवमका को अविक महति

नही दता ह वयिहारिावदयो की मानयताओ ि क वि रीत सिरचनािादी अविगम को अरथ की खोज क र

दखत ह व याज और िाइगोतसकी िायगोसतकी रचनािादवनवमथततिाद क परमख समरथको म ह जो की

यह मानत ह की जञान का वनमाथण वशकषारी दवारा वकया जाता ह

ितथमान इकाई म हम वशकषण और अविगम की सिरचनािादी दवषटकोण िाल दो परमख मनोिजञावनक

व याज और िाइगोसतकी क रर कषय म अविगम कताथ की समीकषा करग अविगमकताथ को अविगम म

परररत करन और शावमल करन क महति को जानग मधयसरता अविगम क सिपरतयय एिि विजञान वशकषक

की रवमका का विसतार िथक अधययन करग

52 उददशय इस इकाई का अधययन करन क शचात आ -

1 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ की विशषताओ ि का विशलषण कर सक ग

2 व याज और िाइगोतसकी की सिजञानातमक विकास क वसदधाितो की वयाखया कर सक ग

3 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अितर कर सक ग

4 अविगमकताथ को अविगम म परररत करन और शावमल करन क महति की वयखया कर सक ग

5 मधयसरता अविगम क सिपरतयय को अ न शबदो म बयकत कर सक ग

6 विजञान वशकषक की रवमका का विशलषण कर सक ग

7 मधयसरता अविगम क सिपरतयय का अ न वशकषण कायथ म परयोग कर सक ग

53 वपयाज वाइगोतसकी की दषषट म अवधगमकता 531 व याज की दवषट म अविगमकताथ जीन व याज (1896-1980) वसििजरलड क मनोिजञावनक एिि

दाशथवनक क अनसार अविगमकताथ अ न िातािरण एिि ररिश क सार मानवसक शवकतयो का परयोग

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 72

करत हए सीखता ह और अविगम उस समय जयादा अरथ णथ होता ह जब िह विदयारी की रवच और

वजजञासा क अनर हो व याज क अनसार विकास की परविया म अविगमकताथ की बौवदधक सिरचना म

ररितथन होता ह और यह जीि की सिरचना और िातािरण की सिरचना क आ स म परवतविया क

फलसिर होता ह व याज क अनसार बचचा एक िजञावनक ह और यही बात व याज क वसदधाित का

आिारिाकय ह इनक अनसार अविगमकताथ का सिजञानातमक विकास िवमक ह जो वक िमबदध सतरो

र सियि म गणातमक ररितथनो को स षट करता ह यदयव अविगमकताथ की वन णता का विकास परतयक

सतर र उसक व छल सतर क आिार र ही वचवतरत होती ह अराथत विकास क व छला सतर ही नए सतर

का विकास की आिारवशला होती ह अराथत व छल सतर का विकास नई दकषता क वलए क वलए

आिारवशला का कायथ करती ह सार ही य विशषताय उन विशषताओ ि स वरनन होती ह जो वक बालक

क व छल सतर र परदवशथत और परामावणत की ह

अतः वशकषको को अ न विदयावरथयो क सिजञानातमक कषमताओ ि क विकास म अचानक अिकररत होन िाल

ररितथनो की अ कषा रखनी चावहए न वकि वनबाथि विकास की व याज क िवमक विकास की

अिसराओ ि म एक क शचात दसर सतर र अविगमकताथ जाता ह और इस परकार उसका सिजञानातमक

विकास होता ह कम उमर म बालक की िजञावनक खोज उसकी सिजञानातमक कषमताओ ि क कारण सीवमत

होती ह कयोवक उनम विकास अरी तक होना होता ह रनत हरक अिसरा म बचच सविय र स इस

सिसार को खोजन का परयास करत ह व याज न अ न वसदधाित म कछ सिकल नाए दी ह यहा चार

सिकल नाए िवणथत की जाएगी जो वक सिजञानातमक विकास की विवशषट परविया ह ि ह- अनकलन

(adaptation) आतमसातकरण (assimilation) समिजनसामिजसय (accomodation) और समतलयन

(equilibration)

अनकलन मनोिजञावनक सिरचनाओ ि को वयिवसरत करन क वलए अविगम कताथ अ न िातािरण क

अनसार मानवसक सिरचना को र ाितररत करन वक परिवत को अनकलन कहत ह अराथत अविगमकताथ

और उसक िातािरण क मधय चलन िाली यह रस र विया क दवारा परापत समतलयन को व याज न

अनकलन का नाम वदया ह अनकलन वक परविया म दो मल परवियाय -आतमसातकरण और

समिजनसामिजसय सवमपमवलत ह

आतमसातकरण आतमसातकरण तब होता ह जब अविगमकताथ अ नी मौजदा बौवदधक सिरचना का

परयोग सिसार बाहय जगत को समझन क वलए करता ह आतमसातकरण म िातािरण म उ वसरत वकसी

चीज को समझन का परयास िथ िाररत जञान क मल करन क आिार र वकया जाता ह

समिजन जब अविगम कताथ अ नी िथिाररत मानवसक दधवतसिरचनाओ ि को नए िातािरण क सार

सितलन सराव त करन क वलए ररिवतथत करता ह तब समिजन परारिर होता ह विदयारी दवारा अ नी

बौवदधक सिरचना म िातािरण की आिशयकता क अनसार समायोजन या ररितथन करना समिजन ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 73

समतलयन समतलयन उस विया को कहत ह जो सितलन सराव त करन करन का परयास करती ह यह

आतमसातकरण और समिजन की परवियाओ ि म सितलन की सरा ना स समपबिवित ह व याज क अनसार

विदयारी क वचितन म िासतविक ररितथन समतलयन की परविया स होती ह

व याज क अनसार मानि वशश शरआत म सिजञानी जीि नही होता िह अ नी बोिात मक और

गत यात मक गवतविवियो क दवारा मनोिजञावनक ढािच अनरिो स सीखन क सिगवठत तरीक स खद को

अ न याथिरण क अनसार ढाल ाता ह इन ढािचो को विकवसत करत समय बच च बहत गहन र स

सविय रहत ह ि अनरिो क मौजदा ढािचो का उ योग करत हए उनका चनाि करत ह और अरथ

वनकालत ह तरा िास तविकता क और बारीक कषो को गरहण करन क वलए उन ढािचो म बदलाि करत ह

बच च सिसार म लगरग समस त जञान को अ नी गवतविवियो क दवारा खोजत या वनवमथत करत ह अत

व याज क अनसार सिजञानातमक विकास अनकरण की बजाय खोज र आिाररत ह अविगम कताथ

अ नी जञानवियो क परतयकष अनरि क आिार र अ नी समझ का वनमाथण करता ह इस परकार का

अविगम सविय अविगम होता ह इसक वयवकत अ न ररिश और िातािरण क सार सविय र स

अितविथ या करता ह इसम वकसी कायथ को करत हए वयवकत वकसी एक विचार म नए विचारो को शावमल

करता ह

व याज का मानना रा वक वशकषा का मखय उददशय बचचो को यह सीखना होना चावहए वक िो वकस परकार

सीख सकत ह और वशकषा को अविगम कताथ को सीखन की तरफ परररत करना चावहए न वक उनह रिन र

जोर दना चावहए कही बातो को ररना चावहए एक वशकषक को ककषा म कई परकार क विदयारी वमलत

ह एक विदयारी सियि म री अ न सिजञानातमक विकास और विषय जञान म बावक वशकषावरथयो स काफी

वरनन होता ह एक वशकषक क यह जानना चावहए वक ऐसा विदयावरथयो की वचितन योगयताओ ि की कमी

क कारण ह या वफर उस सामानय तथय ही नही ता ह इसक वलए वशकषक को अविगमकताथ र तब

धयान दना चावहए वक िह वकस परकार स समसया को समािावनत करन का परयास कर रह ह िह वकसी

एक हल र धयान द रह ह या वफर री समसया र वकस परकार की तावकथ कता का परयोग कर रह ह

व याज क अनसार अविगम कताथ सियि अ नी समझ का वनमाथण कर सीखना एक रचनातमक परविया ह

इसम किल रौवतक र स हर-फर कर क ही ना सीखाया जाए बवलक मानवसक हर-फर री वकया जाए

इसक सार ही विदयारी अ न वशकषक और ककषा क अनय विदयावरथयो स री वकसी समसया क समपबनि म

विचार-विमशथ कर कयोवक इसक दवारा उनक विचारो को चनौती दी जा सक और विचारो का मलयाङकन

हो सक

532 िाइगोतसकी की दति म अतिगमकिाय

वलि वसमनोविच िाइगोतसकी (1896-1934) न सिजञानातमक विकास का सामावजक दवषटकोण परसतत

वकया इनक अनसार बचच का सिजञानातमक विकास म उसक सािसकवतक सिबनि क बीच सििाद का

महतति णथ सरान ह िाइगोतसकी री सिरचनािादी र तरा यह मानत र वक बचच जञान का वनमाथण करत

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 74

ह वकनत इनक अनसार सिजञानातमक विकास म राषा क सार-सार सामावजक-सािसकवतक सिदरथ री

महति णथ रवमका वनराता ह यह मानत ह वक राषा सिजञानातमक विकास का महतति णथ उ करण ह तरा

परारमपर स ही बचच अ न कायो क वनयोजन एिि समसया समािान म राषा परयोग करन लग जात ह

व याज क वसदधाित क वरनन िाइगोतसकी मानत ह की अविगम ि विकास सािसकवतक ि सामावजक

िातािरण की मधयसरता का परवतफल ह िाइगोतसकी न सिरावित विकास का कषतर का सिपरतयय वदया जो

की उस अितर को बताता ह जो की बचच क वबना वकसी सहायता क समप ावदत कायथ तरा वकसी बड़ या

अविक कशल सारी की सहायता स समप ावदत कायथ म होता ह सिवियातमक दो म रररावषत कर तो

यह एक ऐसा कषतर ह जो बचच क परदशथन क रीकषण क दो वसरवतयो म बीच अितर- सहायता क वबना या

सहायता क वबना को रररावषत करता ह उनक अनसार बचच क विकास को सामावजक एिि सािसकवतक

गवतविवियो स अलग नही वकया जा सकता उसका परतयक कषतर का विकास इन गवतविवियो म

अनतवनथवहत होता ह इस परकार िाइगोतसकी का वसदधाित सामावजक वनवमथवतिाद ह वयवकत म सरी

मानवसक या बौवदधक वियाए हल बाहरी समाज म घवित होती ह और बचच समावजक एिि सािसकवतक

अनत वियाओ ि दवारा बचच अ नी सिसकवत म सोचन और वयिहार करना सीखत ह अत बचच क समप णथ

विकास म सामावजक िातािरण क विवरनन अिगो जस- ररिार समदाय दोसत तरा विदयालय की

रवमका महति णथ ह िायगोतसकी न उचच कषतर सतर को परापत करन क वलए मचान ढािचा वनमाथण

(scaffolding) का परयोग वकया मचान ढािचा वनमाथण (scaffolding) स तात यथ ह वक अविगम कताथ

को ियसक या अविक सकषम सारी दवारा परदान की गई सहायता ढािचा वनमाथण की परविया उररती हई

और विकासशील (जो की अरी तक रर कि नही हई) कषमताओ ि को लकर आती ह और इस तरह

इसस अविगम कताथ की वछ ी हई कषमताओ ि का ता चलता ह सिरचनातमक कषतर म वशकषक बचचो क

सार जो िाताथला करता ह उस ही ढािचा वनमाथणमचान कहा जाता ह िाइगोतसकी क अनसार मानि

की विशषता एक परारवमक मतरी वमलनशीलता ह वयवकत आनििवशक र स सामावजक ह उसस अलग

होक उसका विकास सिरि नही ह वशकषण परविया का योगदान यह ह वक िह अविगम कताथ को

शवकतशाली उ करण अराथत राषा परदान करता ह विकास परविया क दौरान यह उ करण वयवकत की

आितररक सिरचना (आितररक राषा क विकास क सार) का एक अवरनन अिग बन जाता ह उ करण (जस

राषा) जो की एक सामावजक उत वतत ह सोच वचितन जस अनय मानवसक वियातमकता क सार

अितविया करना परारमपर करता ह िाइगोतसकी दवारा परदान की गई मनोिजञावनक उ करणो क उदाहरणो म

राषाराि रिवगमा वचतर नकश आवद शावमल ह राषण लखन और राषा क माधयम स मधयसरता

सामावजक िातािरण को अित करण म समािवशतकरन क वलए वशकषावरथयो की सहायता करता ह इन

मधयसरता उ करणो की सहायता स अविगम कताथ का उचच सोच की कषमता बढ़ती ह सविय

अविगम म बचच जञान का वनमाथण करत ह वशकषण परविया किल बचचो और ियसको की गवतविवियो क

माधयम स जञान क वनमाथण की परविया ह अत अविगम वशकषण परविया ह एक सामावजक सहयोग ह

सहयोग क दौरान ियसक राषा का ररचय दता ह जो सिचार और सि कथ क वलए एक उ करण क र म

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कायथ करता ह सामावजक सिबििो क एक सािन क र म राषा बचच क आितररक मानवसक सिगठन क

एक सािन म ररिवतथत हो जाता ह

533 तपयाि और िाइगोतसकी की दति म अिर

व याज और िाइगोतसकी दोनो मनोिजञावनको न उन वसदधाितो को विकवसत वकया जो बचचो और वकशोरो

म सिजञानातमक विकास और सीखन स समपबिवित ह दोनो क वसदधाितो क बीच समानताएि यह ह की दोनो

ही सिरचनािादी ह और मानत ह की अविगमकताथ जञान का सजन सियि करत ह रनत इन दोनो क

वसदधाितो म अितर री ह और य अितर शकषवणक सवििग म वसदधाितो क समझ और अनपरयोग क वलए

महति णथ ह दोनो क क वसदधाितो म परमख अितर वनमपनित ह

व याज क अनसार विकास अविगम की िाथिसरा ह न वक इसका ररणाम जबवक इगोतसकी

का मत इसस वबलकल वरनन ह िो मानत ह की विकास स िथ सामावजक अविगम आता ह

इस दो वसदधाितो क बीच मखय अितर माना जा सकता ह

व याज मानत ह की सिजञानातमक विकास विवरनन चरणो म होता ह और िो चरण सािथरौवमक

ह जबवक िाइगोतसकी इसस अलग दवषटकोण रखत ह और मानत ह की विकास को आकार

दन क सािनो क र म सिसकवत और सामावजक सिबििो का सरान सबस अविक महति णथ ह

दो वसदधाितो क बीच एक और अितर सामावजक कारको को वदए गए महति स उत नन होता ह

व याज का मानना ह वक अविगम अविकतर एक सितितर अनिषण ह जबवक िाइगोतसकी विशष

र स सिरावित विकास का कषतर क माधयम स एक सहयोग णथ वशकषण र म इस और अविक

दखत ह कयोवक एक बचच को अ नी कषमताओ ि को विकवसत करन म सहायता परदान की जा

रही ह

पयाज़ क अनसार अविगम क वलए सिथपररम एक वनवशचत विकास सतर र हिचना आिशयक ह

िाइगोतसकी का वसदधाित सामावजक-सािसकवतक वसदधानत क नाम स जाना जाता ह इस वसदधानत

क अनसार सामावजक अनतःविया ही अविगमकताथ की सोच ि वयिहार म वनरनतर ररितथन

लाता ह जो की एक सिसकवत स दसर म वरनन हो सकता ह

अभयास परशन

1 व याज क अनसार विकास की परविया म अविगमकताथ की बौवदधक सिरचना म ररितथन होता ह

(सतय असतय)

2 व याज क अनसार अविगमकताथ का सिजञानातमक विकास िवमक ह जो वक िमबदध सतरो र

सियि म मातरातमक ररितथनो को स षट करता ह (सतय असतय)

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3 व याज क सिजञानातमक विकास की चार सिकल नाओ ि क नाम वलवखए

4 व याज और िाइगोतसकी वयिहार िादी र

5 ढािचा वनमाथण (scaffolding) स कया तात यथ ह

6 िाइगोतसकी न सिरावित विकास का कषतर कया बताता ह

54 अवधगमकता को परवरत करना शावमि करना एवा वाता करना इसक वि रीत सिरचनािादी अविगम को अरथ की खोज क र दखत ह ितथमान वशकषा वयिसरा

सिरचना िादी दवषटकोण स अविक परररत ह और यह मानता ह की अविगमकताथ को यवद परररत वकया

जाए वशकषण अविगम परविया म शावमल वकया जाए तो िो जञान का सजन सियि करत ह छातरो को

सीखन क वलए परररत करना एक चनौती णथ कायथ ह कयोवक आज क छातरो क सामन बहत सर विकल ह

जो उनक धयान आकवषथत करती ह रनत विदयारी को सीखन क वलए परररत करना बहत आिशयक ह

कयोवक परररत विदयारी वसखन एिि वशकषण अविगम

परविया म अ नी रागीदारी अविक उतसकता स

वनरात ह एक विदयारी सियि म री अ न

सिजञानातमक विकास और विषय जञान म बावक

वशकषावरथयो स काफी वरनन होता ह एक वशकषक

क यह जानना चावहए वक ऐसा विदयावरथयो की

वचितन योगयताओ ि की कमी क कारण ह या वफर

उस सामानय तथय ही नही ता ह इसक वलए

वशकषक को अविगमकताथ र तब धयान दना

चावहए वक िह वकस परकार स समसया को समािावनत करन का परयास कर रह ह िह वकसी एक हल

र धयान द रह ह या वफर री समसया र वकस परकार की तावकथ कता का परयोग कर रह ह

परररत अविगम कताथ सियि अ नी समझ का वनमाथण सियि करता ह सीखना एक रचनातमक परविया ह

इसम किल रौवतक र स हर-फर कर क ही ना सीखाया जाए बवलक मानवसक हर-फर री वकया जाए

इसक सार ही विदयारी अ न वशकषक और ककषा क अनय विदयावरथयो स री वकसी समसया क समपबनि म

विचार-विमशथ उनह ककषा की गवतविवियो म शावमल वकया जाना चावहए उनक विचारो को चनौती दनी

चावहए वजसस की उनक विचारो का मलयाङकन हो सकता ह और इस परकार िह एक षठ ोषण परापत

कर सकत ह का उ योग बचचो को सीखन म बहत उ योगी ह जो री हम सीखत ह उसम अनकरण

का बहत बड़ा योगदान होता ह और मवषटतषटक क विकास म री खल की महति णथ रवमका होती ह ऐस म

खल हर एक आय म अनकरण की ओर परररत करता ह इस हत हर एक आय म उनकी मानवसक योगयता

क अनसार खल की परकवत होनी चावहए एनसीएफ (2005 ) न यह स षट कर वदया रा वक विदयावरथयो

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की सीखन की विया म उनकी रागीदारी सीखन सिबििी सिोततम ररणाम ान की कि जी ह और

विदयावरथयो को वनमपनवलवखत अिसर वमलना चावहए

सीखत समय विचारो का योगदान दन का

अ न विचारो और अनरिो क बार म बोलन और चचाथ करन का

विदयालय म उनहोन जो सीखा उस अ न रोजमराथ क जीिन स जोड़न का

विदयावरथयो स बातचीत क दौरान वशकषक क र म रवमका यह ह की विषय-वबिद क ररचय का परबििन

करना (इसम वकनही री ररचयातमक परशनो को री शावमल वकया जा सकता ह) समहो का गठन करना

और उनकी वनगरानी करना तरा विदयावरथयो क विचारो को सारािश र दना सवमपमवलत वकया जा जा

सकता ह वशकषक की परकषक की रवमका सक उस विदयावरथयो की समझ और वचितन परविया की

जानकारी दन म सहायक होती ह रनत करी-करी हसतकष करना और विदयावरथयो को परररत करना री

आिशयक ह बात-बात म अवतररकत परशन छन स विदयावरथयो को बहतर ढिग स अ न विचारो को स षट

करन अ नी बात को विसतार दन और अ न तको को समझान म सहायक होती ह वकसी परकरण क

बार म वनमपनवलवखत परकार क पररक परशन विदयावरथयो को अविक वया क ढिग स और अविक गहराई स

सोचन क वलए षठरवम तयार करत ह और विदयावरथयो की वसखन म सहायता करत ह जस hellip स

तमपहारा कया तात यथ ह कया तम hellip क बार म विसतार स बता सकत हो कया तम िणथन कर सकत हो

वक तम hellip स सहमत कयो नही हो क बार म विसतार िथक बताओ इतयावदवशकषक की रवमका

का एक राग यह री ह वक अ न विदयावरथयो क सीखन का ऐसा िातािरण बनान की वदशा म कायथ कर

जहाि विदयारी नए तरीक आजमान तरा नए कौशल विकवसत करन क वलए परोतसावहत हो परररत छातरो स

ररी हई एक कलास को ढ़ाना एक वशकषक क वलए आनिददायक अनरि होता ह सार ही सार इस

कलासरम का माहौल छातरो को आकवषथत करता ह विदयावरथयो क सार बात चीतका तरीका ऐसा होना

चावहए की सार छातर का इितज़ार कर

विदयावरथयो को परररत करन शावमल करन एिि िाताथ करन हत कछ सझाि

विदयावरथयो क सतर क अनर चनौती रख और उनको समसया समािान करन हत सकारातमक

परवतस िाथ का अिसर द

विदयावरथयो को खद करक सीखन हत परररत कर

विदयावरथयो को विशवास वदलाएि वक आ उनकी रिाह करत ह और रदराि की रािना स र

विदयावरथयो को उनक जञान और समझ को उनक सरानीय ररिश क सार जोड़न का अिसर

परदान कर

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अ न वशकषण कायथ का परारमपर जिाब क सार नही कर कयवक सिालो का जिाब रिना बोररयत

ररा होता ह ऐसा करक आ विदयावरथयो की सीखन म रवच को बनाय रख सकत ह

विदयावरथयो को उनकी रवच स मल खात असाइनमि द वजसस की िो उसम रवच ल सक

विदयावरथयो को उनकी परगवत क समपबनि म बयवकतगत परवत वषट री द

वशकषण अविगम परविया म बचचो की रागीदारी सवनवशचत करन िाली रणनीवत अ नाएि और

विदयावरथयो को सिाल छन क वलए परोतसावहत कर

वकसी विषय की गहराई म उतरना विदयावरथयो म एक रवच का वनमाथण करता ह जो जयादा सरायी

होती ह इसस छातर आग री सीखन क वलए तत र रहग

विदयावरथयो म सिसर परवतयोवगता की रािना का विकास कर वजसस की िो अविक जञान का

अजथन करन क वलए परररत हो सक

विदयावरथयोको सामदावयक कायो म वहससा लन क वलए परररत कर वजसस की उनम

सामदावयक रािना और सामावजक गणो का विकास वकया जा सक

ाठयसामगरी को रोचक बनाकर वििावरथयो को वशकषा क परवत अवरपरररत वकया जा सकता ह

अत ाठय सामगरी या ाठय विषय िसत रोचक तरा विदयावरथयो की मानवसक योगयता एिि

मनोिवतत क अनकल होनी चावहए

ाठयसहगामी वियाओ ि को उवचत सरान वदया जाना चावहए ाठयसहगामी वियाए न किल

विदयावरथयोम ढ़ाइथ की रकान को कम करती ह बवलक उनम ढ़ाइथ म री वनषठा क सार

सिलगनता क वलए उतसाह री दा करती ह

सकल म वशकषा का सिसर िातािरण विदयावरथयोक वलए शवकषक अवरपररणा का कायथ करता ह

विजञान विषय की ढ़ाइथ ऐस ककष म हो वजसम विजञान विषय स ही सिबिवित सतक ि उ करण

आवद हो इसी परकार अनय विषयो क सार री होना चावहए

अभयास परशन

7 वशकषण की ारि ररक विवि अविक विदयारी कवनित री (सतय असतय)

8 एनसीएफ (2005 ) क अनसार विदयावरथयो की सीखन की विया म उनकी रागीदारी बढ़ान क

कौन कौन अिसर वमलन चावहए

55 मधयसरता अवधगम बचच क जनम स ही उसक सीखन की परवियाओ ि म ियसको क हसतकष होता ह ियसको क हसतकष

माधयम स ही िो मागथदशथन परापत कर अ न वयवकतति को आकार द ाता ह जो की निजात क जीिन म

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महति णथ ह बचच क विकास म य महति णथ लोग मधयसर क र म जाना जाता हबचच क जीिन क

वलए जो उ यकत होता ह िो उस चनकर वयिवसरत कर क जो उददी न परसतत करत ह ि वशश क

सिजञानातमक सामावजक और रािनातमक विकास म सहायक होता ह इन मधयसरो शरआती माता-

व ता र लवकन बाद म वशकषको हल परयासो म राग लत ह बचचो को उददी नो र परवतविया दनी

डती हि बचच की परवतविया को परररत करत ह और बतात ह वक परवतउततर या परवतविया कयो दसरो की

तलना म अविक उ योगी और पररािी ह इस तरह स यह स षट ह वक इन सारथक अित विया ियसको

और बचच क बीच होन िाली बातचीत बाद म िीर-िीर बचच क सिसार को आकार दन और उसक

रीतर अ नी जगह विसतत विविि सिदरो म समझन म सहयोग दती हसबस हल वशश न वसफथ अ न

माता-व ता राई-बहन और ररशतदारो क सार सीिा सि कथ म आता ह लवकन बाद म उनका सिदरथ

शवकषक िातािरण समदाय और ड़ोस सावरयो और दोसतो मीवडया और सिसकवत म विसताररत और

समदध होता ह यह िह जगह ह जहाि बचच अ न ररिार क अनरिो क बीच समपबनि सराव त करना

शर कर दत ह

मधयसरता अविगम वशकषक और वशकषारी क बीच सकषम सामावजक सि कथ ह जो विदयारी क सीखन क

अनरि म सिििथन करता ह इसका तात यथ ह की िातािरण म अनरि वकय हए उददी नो को मधयसरता

करन िाल वयवकत आमतौर र माता-व ता वशकषक राई या अनय वयवकत दवारा वकस परकार स समझाया

जाता हउस मधयसरता करन िाला वयवकत अ नी और वशकषारी की सिसकवत और रािनातमक वनिश

दवारा वनदवशत िातािरण का आयोजन करता ह वजस वशकषारी क उननत और पररािी कायथ क वलए एक

स षट इरादा और लकषयो क अनसार वयिवसरत हो मधयसर उददशयो क अनसार उददी नो का चयन करता ह

और वफर उनको फरम और वफलिर कर उसकी और अनसवचयाि बनाता ह और स षट लकषयो क अनसार

अविगम कताथ क परदशथन क वलए उनकी उ वसरवत या अन वसरवत होन की वयिसरा करता ह इस

परविया क माधयम स अविगम कताथ वयिहार िनथ जागरकता और रणनीवतयो को परापत करता ह

मधयसरता अविगम एक महति णथ घिक ह जो विरदक सिजञानातमक विकास को वनिाथररत करता ह और

सिरचनातमक सिजञानातमक र ानतरण को सवनवशचत करता ह मधयसरता मानि सि कथ क माधयम स होती ह

न वक मशीन या वकसी अनय वनजीि िसत जस सतक कि पयिर आवद स यह अविगम कताथ और उसक

िातािरण क बीच बातचीत की गणितता का परवतवनविति करता ह यह अित विया परतयक ीढ़ी क वलए

सिसकवत क अतीत ितथमान और रविषटय क आयामो को लगातार परवषत करक ीवढ़यो क वयिहार को

उवचत आकार दन क वलए सािसकवतक र स वनिाथररत आिशयकता दवारा वचवहनत वकया जाता ह

मधयसरता अविगम अनरि तब होता ह जब बचचो को ldquoकस वसखा जाएrdquo (मिाकोवगनशन) सीखन क

वलए वनदवशत वकया जाता ह वकसी अविक अनरि और जञान िाल वयवकत क दवारा यह विरवदत वनदश

क समान ह तरा िाइगोतसकी क समी सरसिरावित विकास क कषतर क वसदधाित र आिाररत ह

मधयसरता अविगम अनरि क महति णथ तति

सरी आय समहो क वलए परयोग होता ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 80

बाहरी वसरवतयोकारको की बजाय वशकषारी क वयवकतगत वसरवत र वनरथर करती ह

सिजञानातमक विकास और सिरचनातमक सिजञानातमक ररितथनीयतार ाितरण क परवत सििदनशील

सिरवचत वशकषण जो वशकषावरथयो को िसतओ ि ररवसरवतयो और घिनाओ ि की परतयकष और मतथ

उ वसरवत म सोचन की अनमवत दता ह

मधयसरता अविगम अनरि क मा दणड मधयसरता अविगम अनरि क कछ मा दणड ह वजनम स कछ

सािथरौवमक ह और कछ वसरवतजनय ह मा दिडो का वििरण वनमपनवलवखत ह

यवनिसथल रामीिरसािथरौवमक मा दणड

i इििशनवलिी आशय ारस ररकता ारस ररकता सरी मा दिडो म सबस अविक

आिशयक होती ह यह बचच और मधयसर (अविक कशल वयवकत) क बीच एक उततरदायी

सिबिि की सरा ना ह इसक वलए बचच और मधयसर अ न सिसकवतयो मलयो विचारो

रािनाओ ि और अ कषाओ ि को एकीकत करक साझा करत ह

ii उतकषटता यह एक विशष गवतविवि म बचच कया सीख रह ह उसस र समझन का विसतार

ह उतकषटता क माधयम स बचचो अ नी खद की सीखन की रणनीवत बनान म सविय हो

जात ह कस सीख की परविया र अविक ज़ोर रहता ह बजाय अविगम क उत ाद र

कमजोर वदया जाता ह उतकषटता एक वसरवत स दसर म जञान और रणनीवतयो को वबरवजिग या

सरानाितररत करन का एक र ह जस बचचो को कस और कयो ि चीज (सीखन की परविया

र धयान क वित) करग क बार म छ उनह बताए नही

iii अरथ की मधयसरता यह सीखन क अनरि की वयवकतगत परासिवगकता ह मधयसर सवनवशचत

करता ह वक बचचो को गवतविवियो क अरथ (रवच महति और उ योवगता) क विकास म

वहससा ल रह ह ह जस सीखन की गवतविवियो म वयवकतगत रवच महति और खशी साझा

करना अ न विशवासो मलयो सिदो ना सिवदयो और दवनया क बार म अ न विचार साझा

करना और यह सवनवशचत करना वक आ बचच क विचारो को सनत ह बचचो की जररतो

और रवचयो स वमलान करन क वलए गवतविवियो की कवठनाई को समायोवजत करनाइतयावद

वसरवतजनय या नबवलत मा दणड

a कषमता की रािना का मधयसरता

b विवनयमन और वयिहार क वनयितरण का मधयसरता

c वयिहार साझा करन का मधयसरता

d वयवकतगत और मनोिजञावनक वरननता का मधयसरता

e लकषय की मािग गोल सवििग लकषय को परापत करन और लकषय वनगरानी वयिहार की

मधयसरता

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 81

f चनौती का मधयसरता - निीनता और जविलता की खोज

g एक बदलती हई सिसरा क र म इिसान की जागरकता का मधयसरता

h आशािादी विकल ो क वलए खोज का मधयसरता

i सिबिवित की रािना का मधयसरता

अभयास परशन

9 मधयसरता अविगम स आ कया समझत ह

10 मधयसरता अविगम अनरि क सािथरौवमक मा दणड क नाम वलवखए

56 ववजञान वशकषक की रवमका विजञान अ न आस ास क सिसार को जानन और समझन क परयास की एक शली ह वििा ह जो की

विचार अिलोकन अधययन और परयोग को माधयम बनती ह विजञान जञान की िह शाखा ह जो तथय

वसदधानत और परयोग और ररकल ना स सराव त और वयिवसरत होती ह यह एक उ िम ह वजसम जञान

सामानय सतर स कवठन की ओर ि सकषम स सरल की ओर चलता ह पररािी विजञान वशकषण वलए जररी

ह वक इस मनषटय क दवनक जीिन स ि सार ही उसक चारो ओर क याथिरण स जोड़ा कर बताया जाए

विजञान वशकषक क वलए आिशयक ह की िो विजञान की विवरनन परवियाओ ि को बतान बच चो म रवच

जागत करन ि इस बनाए रखन क वलए विजञान को वशकषारी क दवनक जीिन स जोड़ विदयावरथयो म

खोज की परिवत विकवसत करन ि उनक अविगम परविया म बनाय रखन क वलए यह आिशयक ह

विजञान वशकषक की यह वजमपमदारी ह की परतयक बचच को अ न रोज क अनरिो को जािचन और उनका

विशलषण करन म सकषम बनाएि विजञान वशकषक का दावयति ह की िह वशकषावरथयो गहन वचन तन

िजञावनक रझान सिकल ना और तथय सियि जाच कर एिि वफर विशवास कर की कषमता का विकास कर एिि

विषय एिि वयािहाररक जञान क मधय अन तर को कम करन एिि सोच ि अनरि को जोड़न हत परयास

करविजञान क विवरनन िजञावनक विषय-वबिदओ ि म कछ अविक सििदनशील विषय-वबिद री शावमल ह

परायः विदयावरथयो स वशकषक की अ कषा रहती ह वक ि िजञावनक विचारो और परमाणो को सिीकार कर ल

रनत उनह इस बात र विचार करन का अिसर की आिशयकता होती ह की यह सतय ह या नही सतय ह

तो वकस परकार स सतय ह ककषा म चचाथ एिि परयोगो का उ योग करत हए विदयारी स सिबिवित परमाणो र

विचार करन की आिशयकता होती ह उनह अ न विचारो को रखत हए अ न दवषटकोण का औवचतय वसदध

करन का याथपत अिसर परदान करना वशकषक की महती वजमपमदारी ह ऐसा करन स उनह अ ना िसतवनषठ

वचितन कौशल विकवसत करन म अिसर परापत होता ह मानि समाज क सिािग विकास क सिदरथ म यवद

वशकषक की रवमका का विशलषण कर तो वशकषण कोई वसरर वयिसाय नही ह बवलक यह गतयातमक

परविया ह वजसम परौदयोवगकी िवशवक अरथशासतर क दबािो और सामावजक दबािो स पररावित होकर

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बदलता रहता ह इन ररितथनो को सिबोवित करन क वलए अधया न क तरीको और कौशलो का लगातार

अदयतन और विकास आिशयक ह वशकषको का बदलाि की कषमता स यकत होना अवनिाथय ह आज क

वशकषा यग म विदयारी अ न जञान का सजन सियि कर इस अििारणा को बल वदया जा रहा ह अधया क

की रवमका एक सगमकताथ क र म बदलत हए वदख रही ह और विदयारी जञान को अ न तरीक स गढ़न

लग ह सीखन-वसखान की परविया म वनरन तरता सजन करन क मौक समसया आन र वनदानातमक

कदम ि कछ उ चारातमक विविया वनवहत ह परतयक विदयारी म कछ न कछ विशष गण अिशय होत ह

आिशयकता होती ह की एक कशल वशकषक उनको हचान और विकवसत कर वजसस की विदयावरथयो म

जञानातमक रािातमक मनोगतयातमक और वियातमक कष आवद वमलकर विदयावरथयो क समप णथ

वयवकतति को उजागर कर विजञान वशकषक क कछ परमख दावयति वनमपनित ह

वशकषक को इस बात का सदि धयान रखना चावहए की परतयक अविगम कताथ अ न आ म

अ िथ और अवदवतीय ह और सरी बचच सीख सकत ह और बचचो म बहत साडी

विवििताएि होती ह तरा इन विवििताओ ि को सिीकार करन क सार ही समपमान री वकया

जाना चावहए

वशकषक को सदि िाथगरहो स बचना चावहए इसम बचचो क बार म िाथगरहो का सिाल री

सामन आता ह अगर हम बचच विशष बार म कोई राय बना लत ह तो ऐसी सोच का असर

हमार वशकषण गणितता को पररावित करता ह वशकषक म वकसी री बचच को िसा ही

सिीकार करन की कषमता होनी चावहए तब ही िह उसक उननयन और सिििथन क वलए कायथ

कर सकता ह

एक वशकषक बचचो क ठन कौशन समझ वनमाथण ि जीिन क परवत एक वया क दवषटकोण म

वनमाथण म महती रवमका का वनिथहन करता ह इसक वलए आिशयक ह की वशकषक री

वनरितर अधियनशील रह लोगो स सििाद सराव त कर वशकषा कषतर म होन िाल रािी

बदलाि को समझन रख तावक िह समय क सार क़दम स कदम वमला कर रािी नागररको

क वनमाथण का काम जयादा वजमपमदारी और सवियता क सार कर सक

विदयावरथयो म अिलोकन की कषमता एिि गहन वचन तन की कषमता को बढ़ान क अिसर

सवजत करना

विदयावरथयो का विवरनन विषयो एिि घिनाओ ि क मधय अन तर समप बन ि को समझन म सहयोग

करना ह तरा विषय िसत को उसकी षठरवम क सार परसतत करना

विदयावरथयो को उनक चारो ओर घि रही सामानय घिनाओ ि क ीछ विजञान छ विजञान क

परवत वचितन हत परररत करना और परररत करना विजञान की समझ हम कारणो को जानन का

अिसर दती ह

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विदयावरथयो को विया करक समझन क सबस अविक अिसर परदान करना वजसस की ि

कायथ करन एिि परयोग करन हत परररत हो सक

विजञान िथ म वनवहत जञान ि जानकारी र परशन उठान की परिवत को बढ़ािा दता ह अराथत

विदयारी सचनाओ ि को जस क तस मान लन क बजाय उस र परशन करक णथ जानकारी परापत

करन ि इसक बाद सिीकार कर

विदयावरथयो को इस बात क वलए परवशवकषत करना की जञान ही काफी नही जञान वनमाथण एिि

जञान वनमाथण की परविया री उतनी ही आिशयक ह वजतना विषय की समझ

परदशथवनयो सिगोवषटयो लोकवपरय वयाखयानो विजञान वशविरो और अनय विविि कायथिमो क

आयोजन करना

वशकषण म सवियता को अविक महति वदया जाना चावहए करक सीखन क वलए विदयावरथयो

को परररत करना अत सविय विवि क अितगथत विविि विवियो को सवमपमवलत वकया जाना

चावहए जस जस- शोिविवि (हयररवसिक) योजना (परोजकि) विवि इतयावद

सीखन की सहयोगातमक परविया जहा वशकषक अनय वशकषको क सार वमलकर तलना

करक अभयास को साझा और योजनाएि विकवसत करक सीखत ह का उ योग वकया जाना

चावहए

वशकषक का कायथ मातर ाठय- सतक या ाठयिम म वदए गए तथयो को विदयारी तक हचाना

नही ह बवलक वशकषक का दावयति ह की िो विदयावरथयो म विवरनन गणो की हचान करना ि

इनकी िवदध हत काम करना कयवक सरी बच चो म कोई न कोई विवशषट गण मौजद होता ह यवद

वशकषक सतक म वदए गए तथयो तक सीवमत रहगा तो विदयावरथयो म वछ विवरनन कौशलो की

परगवत नही हो ाएगी रनत यवद एक वशकषक सतक म वदए तथयो क ीछ क कारण ि

उ योवगता को खोजन की लालसा विदयावरथयो म विकवसत करता ह तो यह जञान क सजन ि

िवदध की ओर एक परमख ि महति णथ चरण होगा यही अनिरत परयास सामानय जानकारी स

कही आग बढ़कर सोचन की पररणा म तबदील होत ह

अभयास परशन

11 विजञान अ न आस ास क सिसार को जानन और समझन क परयास की एक शली ह

(सतयअसतय)

12 वशकषक का कायथ ाठय- सतक या ाठयिम म वदए गए तथयो को विदयारी तक हचाना नही ह

(सतयअसतय)

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57 सारााश इस इकाई क परारमपर म हमन व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ को जाना व याज क

अनसार विकास की परविया म अविगमकताथ की बौवदधक सिरचना म ररितथन होता ह और यह जीि की

सिरचना और िातािरण की सिरचना क आ स म परवतविया क फलसिर होता ह िाइगोतसकी क

अनसार बचच का सिजञानातमक विकास म उसक सािसकवतक सिबनि क बीच सििाद का महतति णथ सरान

ह िाइगोतसकी री सिरचनािादी र तरा यह मानत र वक बचच जञान का वनमाथण करत ह वकनत इनक

अनसार सिजञानातमक विकास म राषा क सार-सार सामावजक-सािसकवतक सिदरथ री महति णथ रवमका

वनराता ह यह मानत ह वक राषा सिजञानातमक विकास का महतति णथ उ करण ह तरा परारमपर स ही

बचच अ न कायो क वनयोजन एिि समसया समािान म राषा परयोग करन लग जात ह व याज क

वसदधाित क वरनन िाइगोतसकी मानत ह की अविगम ि विकास सािसकवतक ि सामावजक िातािरण की

मधयसरता का परवतफल ह

ारि ररक वशकषा परणाली म विषय िसत क तथयो और परवियाओ ि क रिन र ज़ोर दत हए रवढ़िादी

तरीको का परयोग वकया जाता रा वजसम वशकषावरथयो की वशकषण-अविगम परविया म सहरावगता नही क

बराबर री रनत ितथमान विदयारी कवनित वशकषा म विदयारी को यह अिसर वमलना चावहए की िह अ न

वशकषक और ककषा क अनय विदयावरथयो स री वकसी समसया क समपबनि म विचार-विमशथ उनह ककषा की

गवतविवियो म शावमल वकया जाना चावहए उनक विचारो को चनौती द

मधयसरता अविगम वशकषक और वशकषारी क बीच सकषम सामावजक सि कथ ह जो विदयारी

क सीखन क अनरि म सिििथन करता ह इसका तात यथ ह की िातािरण म अनरि वकय हए उददी नो

को मधयसरता करन िाल वयवकत आमतौर र माता-व ता वशकषक राई या अनय वयवकत दवारा वकस

परकार स समझाया जाता हउस मधयसरता करन िाला वयवकत अ नी और वशकषारी की सिसकवत और

रािनातमक वनिश दवारा वनदवशत िातािरण का आयोजन करता ह वजस वशकषारी क उननत और पररािी

कायथ क वलए एक स षट इरादा और लकषयो क अनसार वयिवसरत हो

विजञान वशकषक का दावयति ह की िह वशकषावरथयो गहन वचन तन िजञावनक रझान सिकल ना और तथय

सियि जाच कर एिि वफर विशवास कर की कषमता का विकास कर एिि विषय एिि वयािहाररक जञान क मधय

अन तर को कम करन एिि सोच ि अनरि को जोड़न हत परयास करविजञान क विवरनन िजञावनक विषय-

वबिदओ ि म कछ अविक सििदनशील विषय-वबिद री शावमल ह सीखन-वसखान की परविया म

वनरन तरता सजन करन क मौक समसया आन र वनदानातमक कदम ि कछ उ चारातमक विविया वनवहत

ह परतयक विदयारी म कछ न कछ विशष गण अिशय होत ह आिशयकता होती ह की एक कशल वशकषक

उनको हचान और विकवसत कर वजसस की विदयावरथयो म जञानातमक रािातमक मनोगतयातमक और

वियातमक कष आवद वमलकर विदयावरथयो क समप णथ वयवकतति को उजागर कर

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5 9 अभयास परशनो क उततर 1 सतय

2 असतय

3 व याज क सिजञानातमक विकास की चार सिकल नाएि ह- अनकलन (adaptation)

आतमसातकरण (assimilation) समिजनसामिजसय (accomodation) और समतलयन

(equilibration)

4 असतय

5 मचान ढािचा वनमाथण (scaffolding) स तात यथ ह वक अविगम कताथ को ियसक या

अविक सकषम सारी दवारा परदान की गई सहायता

6 विकास का कषतर उस अितर को बताता ह जो की बचच क वबना वकसी सहायता क समप ावदत

कायथ तरा वकसी बड़ या अविक कशल सारी की सहायता स समप ावदत कायथ म होता ह

7 असतय

8 एनसीएफ (2005 ) क अनसार विदयावरथयो की सीखन की विया म उनकी रागीदारी सीखन

सिबििी सिोततम ररणाम ान हत विदयावरथयो को वनमपनवलवखत अिसर वमलना चावहए

सीखत समय विचारो का योगदान दन का

अ न विचारो और अनरिो क बार म बोलन और चचाथ करन का

विदयालय म उनहोन जो सीखा उस अ न रोजमराथ क जीिन स जोड़न का

9 मधयसरता अविगम वशकषक और वशकषारी क बीच सकषम सामावजक सि कथ ह जो विदयारी क

सीखन क अनरि म सिििथन करता ह इसका तात यथ ह की िातािरण म अनरि वकय हए

उददी नो को मधयसरता करन िाल वयवकत आमतौर र माता-व ता वशकषक राई या अनय

वयवकत दवारा वकस परकार स समझाया जाता ह

10 मधयसरता अविगम अनरि क सािथरौवमक मा दणड क नाम ह - इििशनवलिी

ारस ररकता उतकषटता और अरथ की मधयसरता

11 सतय

12 असतय

5 10 वनबनधनातमक परशन 1 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ का विशलषण कीवजए

2 व याज और िाइगोतसकी की सिजञानातमक विकास क वसदधाितो की वयाखया कीवजए

3 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अितर बताइए

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4 अविगमकताथ को अविगम म परररत करन और शावमल करन क महति का िणथन कीवजए

5 मधयसरता अविगम क सिपरतयय को अ न शबदो म बयकत कीवजए

6 विजञान वशकषक की रवमका का विशलषण कीवजए

7 मधयसरता अविगम क सिपरतयय का अ न वशकषण कायथ म अनपरयोग की चचाथ कीवजए

5 11 सादरथ गरनर सची 1 ाणडय कल लता amp शरीिासति एस एस (2007) वशकषा मनोविजञान रारतीय और ाशचातय

दवषट नयी वदलली िािा मकगरा-वहल वबलवशिग कि नी वलवमिड

2 वसिह अरण कमार (2006) वशकषा मनोविजञान िना रारती रिन वबलकशन amp

वडसरीबयशन

3 Davar M (2012)Teaching of science New Delhi PHI Private Limited

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खणड 2

Block 2

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इकाई 1 - भारिीय सकलो म विजञान - पाठयचया

11 परस तािना

12 उददश य

13 ाठयचयाथ और ाठयिम

131 ाठयचयाथ की र रखा

132 ाठयिम

14 ाठयचयाथ वनमाथण उ ागम म आय बदलाि

141 वयिहारिादी उ ागम

142 रचनातमक उ ागम

15 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा म विजञान - ाठयचयाथ

151 विवरनन ाठयचयाथ की र रखाओि म विजञान - ाठयचयाथ का सार

152 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा 2005 की वसफाररश

1521 विजञान ाठयचयाथ क उददशय

1522 विवरनन सतरो र विजञान की ाठयचयाथ

16 ाठयचयाथ विकास म वशकषक की रवमका

17 सारािश

18 शब दािली

19 अभ यास परश नो क उत तर

110 सिदरथ गरिर सची 111 वनबििात मक परशन

11 परस तावना व छली इकाईयो म आ न विजञान विषय की परकवत क बार म ढ़ा और जाना वक िजञावनक जञान ि

िजञावनक दधवत का अरथ कया ह आ न जाना वक विजञान क वनयमो को करी री अिवतम सच क र म

सिीकार नही वकया जाता और नय अनरिो तरा परयोगो क फलसिर िजञावनक जञान की सिरचना म

बदलाि आत रहत ह यह री समझा वक विजञान एक सामावजक ररघिना ह तो वफर हमार सकलो म

विजञान विषय को कयो इसक वि रीत एक सरायी जञान क र म रोसा जाता ह जो वक एक अिवतम सतय

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की तरह माना जाय सही मायनो म तो विजञान का ठन- ाठन विजञान की परकवत क अनर ही होना

चावहय हमार दश म सकली सतर र सकली ाठयचयाथ की र रखा को राषटरीय सतर र तयार वकया जाता

ह सिथपररम 1975म आयी ाठयचयाथ की र रखा स लकर 2005 की ाठयचयाथ तक क तीस सालो क

सफ़र म काफ़ी बदलाि आय ह इस इकाई म आ ढ़ग वक रारत म अब तक की राषटरीय सतर र

ाठयचयाथ की र रखाओ ि म कया परमख सरोकार रह ह और उनम विजञान ाठयचयाथ क सिदरथ म कया-कया

परसतावित वकया गया आ जानग वक ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा क अनसार विजञान

ाठयचयाथ क मखय तति कया ह और इसम विजञान वशकषण को लकर कया वसफ़ाररश की ह

12 उददश य इस इकाई क अधययन क शचात आ -

1 ldquo ाठयचयाथrdquo क अरथ को रररावषत कर सक ग

2 ाठयचयाथ एिि ाठयिम म अितर स षट कर सक ग

3 ाठयचयाथ की र रखा क आिाररत ततिो का िणथन कर सक ग

4 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखाओ ि क वनमाथण म आय विवरनन बदलािो की वयाखया कर सक ग

5 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखाओ ि म विजञान ाठयचयाथ क सिदरथ म की गयी वसफररशो का

विशलषण कर सक ग

6 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा 2005 क अनसार विवरनन सकली सतरो र विजञान ाठयचयाथ की

विशषताओ ि का िणथन कर सक ग

7 ाठयचयाथ विकास म वशकषक की रवमका र विचार कर सक ग

13 पाठयचया और पाठयिम कछ लोग मानत ह वक ाठयचयाथ का अरथ ह एक ककषा क बाहर और रीतर हीन िाली अनक

गवतविविया वजसम विदयारी कछ न कछ अनरि परापत करत ह वकनत दसरी ओर कछ जगहो र इसको

किल ककषा म ढाय जान िाल विषयो की सची क र म ही दखा जाता ह अकसर लोग ाठयिम

और ाठयचयाथ को याथयिाची शबदो की तरह इसतमाल करत ह जबवक ाठयचयाथ एक वया क योजना

ह वजसम ाठयिम री एक महति णथ अियि क र म शावमल होता ह 1975 की ाठयचयाथ

सवमवत न ाठयचयाथ शबद का अरथ वदया रा वक ldquoसोच समझ र म शवकषक अनरिो क वनयोवजत

समचचयो का समप णथ योग ाठयचयाथ ह जो बचचो को विदयालय दवारा वदए जात हrdquo इस तरह

ाठयचयाथ का समपबनि वनमपनवलवखत ततिो स अिशय होता ह-

ककषा म वशकषा क सामानय उददशयो स

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विषय आिाररत वनदशातमक उददशय एिि विषयिसत स

अधययन क कोसथ एिि समय वनिाथरण स

वशकषण - अविगम अनरिो स

वनदशातमक सािनो तरा सामवगरयो स

अविगम आगमो क मलयािकन तरा विदयावरथयो वशकषको और अवररािको की परवत वषट स

हालािवक ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा म ाठयचयाथ को वजस परकार रररावषत वकया गया ह

िह ह -

पाठयियाा चनयोचजत गचतचवचधयो का समह हो सकती ह जो चवचिषट िचिक उददशयो को चियाचनवत करन

क चलए चिज़ाइन की गयी ह चजसम महतवपणा अवयव जस चवषयवसत क सनदभा म कया पढ़ाया जाय और

कसा जञान किलताए वयवहार चदए जाए यह सब िाचमल ह

तो यह स षट ह वक ाठयचयाथ एक परकार की योजना ह जो सकली वशकषा सिबििी वनणथय लन क वलए

सिकल नातमक र स सिरवचत की जाती ह और इस परकार इस ाठयिम या ाठय सतको तक सीवमत

नही वकया जा सकता आइय दख वक राषटरीय शवकषक अनसििान और परवशकषण ररषद क दवारा

ाठयचयाथ की र रखा को कस समझाया गया ह

131 पाियचयाय की रपरखा

ाठयचयाथ की र रखा एक ऐसी योजना ह जो वयवकत और समाज दोनो क वलए शवकषक लकषयो की

वयाखया कर वजसस यह समझ बन वक सकलो म बचचो को वकस परकार क अविगम क अनरि वदए जाएि

(राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा 2005) नीच वदखाए गए वचतर म ाठयचयाथ की र रखा क गराफीय

वनर ण स ाठयचयाथ ाठयिम ाठय सतको तरा अनय सामगरी और ककषायी दधवतयो क रस र

समपबनि को समझा जा सकता ह (सिदरथ ाठयचयाथ ाठयिम ाठय सतक - राषटरीय फोकस समह षठ

18)

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ऊ र वदए गए रखावचतर म ाठयचयाथ की र रखा क तीन सतर स षट ह-

1 ाठयचयाथ की नीि

2 ाठयचयाथ कवनिक

3 ाठयचयाथ का वििरण

जवहर ह वक इसक हल सतर र विवरनन ररपरकषयो को रखा गया ह जो वक ाठयचयाथ की नीि होत ह

इन दाशथवनक सामावजक एिि मनोिजञावनक ररपरकषयो क आिार र वशकषा क लकषय और अनय वसदधानत

वनिाथररत वकय जात ह वजनह ाठयचयाथ क कवनिक िाल सतर र वदखाया गया ह तीसर सतर र

ाठयचयाथ का वििरण आता ह वजसम ाठयिम ाठय सतक शवकषक गवतविवियाि और मलयािकन की

योजना शावमल ह

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राषटरीीय पाियचयाय की रपरखा (एन सी एफ)- 2005 क अनसार एक ाठयचयाथ की र रखा ऐसी

हो जो-

सकलो को अविक सिायततता दन की िकालत करती ह

वशकषको को मननशील कायथकताथ बनन म मदद करती ह जो अ न अनरिो स सीख सक

समझ क सीखन एिि अविगम क वलय सीखन र बल दती ह

बचचो को रोज़मराथ की वज़िदगी क अनरिो क आिार र अ नी समझ विकवसत करन म

सहायता करती ह

विदयालय एिम वशकषको दवारा विदयालयी वयिसरा को एक सवचत वनणथय लन क वलय इसतमाल

करन र ज़ोर दती ह

इनही विचारो का अनसरण करत हय रारत की ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ क मागथदशथक वसदधाित

वनमपनवलवखत ह-

जञान को सकल क बाहर क जीिन स जोड़ना

यह सवनवशचत करना वक ढ़ाई रिित परणाली स मकत हो

ाठयचयाथ का इस परकार सिििथन करना वक िह बचचो को चहमखी विकास क अिसर उ लबि

कराय ना वक ाठय सतक ndash क वित बन कर रह जाय

रीकषा को अ कषाकत अविक लचीला बनाना और ककषा की गवतविवियो स जोड़ना

एक ऐसी अविरािी हचान विकवसत करना वजसम परजातािवतरक राजय- वयिसरा क अितगथत

राषटरीय वचिताय समावहत हो

उ यथकत वसदधाितो र आिाररत एन सी एफ 2005 न रारतीय सकलो की ाठयचयाथ क वलय एक ढािचा

तयार वकया ह और दश रर क सकलो को इनही का अनसरण करना अवनिायथ ह सकलो को यह

अविकार ह वक ि इस र रखा क अनसार अ नी ाठयचयाथ तयार कर कयोवक एन सी एफ किल

वदशा वनिाथररत करता ह वजनक अनसरण करत हए सकलो को अ ना विसतत ाठयिम सियम ही

वनिाथररत करना होता ह आन िाल खिडो म आ यह री ढ़ग वक एन सी एफ 2005 म विजञान की

ाठयचयाथ क वलय कया वनदश वदय ह

132 पाियिम

राषटरीीय पाियचयाय की रपरखा- 2005 क अनसार ाठयिम यह बताता ह वक विषयिसत क वहसाब

स कया ढ़ाया जाय और सतर विवशषट उददशयो क मददनज़र वकस तरह क जञान कौशल और अवरिवततयो

को ख़ास बढ़ािा वमल विदयालयी ाठयचयाथ को ज़यादातर विवरनन विषयो म वयिवसरत वकया जाता ह

वजसका मखय आिार ारमप ररक विषयी जञान ह इनक अलािा राषटर क सामानय शवकषक उददशयो

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 93

सामावजक एिम सािसकवतक ररवसरवतयो तरा राषटरीय सतर र उररती चनौवतयो तरा ज़ररतो को री

धयान म रखा जाता ह

हमार दश म सकली वशकषा क विवरनन सतरो र ढाय जान िाल विषयो क वलए आदशथ ाठयिम राषटरीय

शवकषक अनसििान और परवशकषण ररषद (एन सी ई आर िी) क दवारा तयार वकया जाता ह इसक

अलािा राजय री अ न सतर र राषटरीय ाठयचयाथ क आिार र ाठयिम तयार करत ह या वफर यवद

चाह तो एन सी ई आर िी क ाठयिम को ही लाग कर सकत ह सन 2005 म एन सी ई आर िी

दवारा तयार वकय गय सकली ाठयिम क आिार वनमपनवलवखत ह-

उददशयो स सहमवत एिि लकषयो का वनदशन

अविगम की राषटरीय अ कषाओ ि स सहमवत

विषय की परकवत को समझन म जञान मीमािसीय परारवमकता

परतययातमक समपबदधता ndash परारवमकता िम

जािच ड़ताल की कायथपरणाली एिि परामावणकता की परवियाएि- विषय कषतर का ाठन एिि सिगठन

जीिन स समपबनिो और विषयो क बीच अितसथमपबिि

मनोिजञावनक उ यकतता

आग क अविगम म उ योगी ndash वया क सिबिि

सरानीय जीिन एिि बाकी सनसार स जड़ाि

कल ना क विकास म समपरि योगदान

इन उ यथकत शतो क आिार र तयार ाठयिम ितथमान सकली ाठयचयाथ क विवरनन आयामो को सितषट

करती ह राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा क अनसार विषयिसत क चयन की कसौविया राषटरीय सतर र

रररावषत होनी चावहय सिरचना राजय वजला सतर र और वयवकतगत िसत का चयन वजला विदयालय

ककषा क सतर र होना चावहय

अभयास परशन

1 एक ाठयचयाथ की र रखा क क विक कया-कया होत ह

2 ाठयिम और ाठयचयाथ म कया मखय अनतर होता ह

14 पाठयचया वनमाण उपागम म आए बदिाव जसा वक हमन हल री कहा रा वक हमार दश म राषटरीय सतर र ाठयचयाथ का विकास करन का कायथ

राषटरीीय ितकषक अनसिान और परतिकषण पररषद ( एन सी ई आर िी ) दवारा वकया जाता ह

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सिथपररम सन 1975 म राषटरीय ाठयचयाथ परसतावित की गयी री जो वक 1968 की वशकषा नीवत की

वसफाररशो र आिाररत री रारत की वशकषा नीवत म बदलाि आए तो उसक शचात आयी ाठयचयाथओ ि

क मखय सरोकारो म री कछ ना कछ बदलाि आत रह रारत म अरी तक वजतनी राषटरीय ाठयचयाथ

की र रखाओ ि (एन सी एफ) का वनमाथण हआ ह उनक मखय सरोकार वनमपनवलवखत तावलका म वदय

गय ह-

एनसीएफ आिार मखय सरोकार

एन सी एफ ndash

1975

1968 की वशकषा

नीवत र आिाररत

राषटरीय विकास की आिशयकताओ ि क अनर

वशकषा र बल वशकषा को राषटर क जीिन

आिशयकताओ ि और आकािकषाओ ि स समपबदध

करना

एन सी एफ ndash

1988

1986 की वशकषा

नीवत र आिाररत

सकली ाठयचयाथ क मल म एक सिथमानय तति

(कॉमन कोर) की वसफाररश वशकषा को राषटरीय

एकता का माधयम बनाना परासिवगकता

लचील न और गणितता क ततिो र ज़ोर

एन सी एफ ndash

2000

एन सी एफ ndash 1988

का सिशोवित र

गणितता णथ वशकषा र बल ाठयिम क बोझ

को कम करना नयनतम अविगम सतरो (एम

एल एल) को दकषताओ ि क र म रररावषत

करना मलय वशकषा सचना एिि सिचार परोदयोवगकी

क इसतमाल की वसफाररश

एन सी एफ ndash

2005

एन सी एफ ndash2000

का सिशोवित र

बाल क वित वशकषा र बल जञान को सकल क

बाहर क जीिन स जोड़ना समािशी माहौल

सवनवशचत करना वििचनातमक वशकषा र बल

जञान सजन क वलय अधया न रीकषा को

लचीला बनाना

तावलका स यह तो स षट ह वक ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ 1988 की राषटरीय वशकषा नीवत तरा 199२ क

परोगराम ऑफ एकशन र आिाररत एनसीएफ का ही सिशोवित र ह एनसीएफ 1988 स 2005 तक

क सफर म सबस ज़यादा बदलाि आया ह ाठयचयाथ विकास क उ ागम म 2005 स हल की सकली

ाठयचयाथ अविगम क वयिहारिादी दवषटकोण र आिाररत री जबवक एनसी एफ 2005 न अविगम

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क रचनातमक दवषटकोण को ाठयचयाथ का आिार बनाया ह और बाल-क वित वशकषा र बल वदया ह

आइय दखत ह वक वयिहारिादी तरा रचनातमक उ ागम आिाररत ाठयचयाथ म कया अनतर ह

141 वयिहारिादी उपागम

वयिहारिादी दवषटकोण क अनसार lsquoअविगमrsquo को वयिहार म ररितथन होना समझा जाता ह आ न

वयिहारिादी मनोिजञावनको क बार म तो अिशय ढ़ा होगा जस वसकनर ािलि आवद उनक दवारा

परवत ावदत अविगम का वयिहारिादी उ ागम कछ मखय सिकल नाओ ि र आिाररत ह जस वक-

अविगम सदि अविगमकताथ क वयिहार म ररितथन लाता ह जो उसक वकय गय कायो म

ररलवकषत होता ह

लगातार अभयास स असली योगयता को हावसल वकया जा सकता ह कयोवक अभयास क दवारा

उददी न ि अनविया क बीच का समपबिि और सदढ़ होता जाता ह

इसक तहत एक विशष परकार क उददी क स सितः ही एक विवशषट अनविया उत नन होती ह

वजस अनबिवित अनविया कहा जाता ह

उवचत परवत वषटपरबलन क दवारा अविगम को पररावित वकया जा सकता ह और अनबिवित

अनविया को सवनवशचत वकया जा सकता ह जबवक परबलन क अराि म अनविया समय क

सार विलो री हो सकती ह

जविल स जविल कायथ को छोि छोि सरल चरणो म तोड़ा जा सकता ह तरा एक चरण स दसर

चरण तक अभयास क दवारा हच कर उस जविल कायथ म दकषता ायी जा सकती ह अतः

अविगमकताथ क दवारा वकसी जविल कायथ क दौरान गरहण की गयी कशलता उस कायथ क अितगथत

विवरनन चरणो म हावसल वकय गय अ वकषत अविगम ररणामो का कल योग होती ह

अविगम क वयिहारिादी वसदधाितो क अनर वशकषण म विदयावरथयो को यह बताया जाता ह वक उनको

कया सीखना ह और उसक वलय उ यकत अभयास दशाए परदान की जाती ह जञान को एक बन-बनाए

वलिद क र म दखा जाता ह वजस विदयावरथयो को अविगम क दवारा गरहण करना होता ह और इसक

फलसिर उनक वयिहार म कछ ररितथनो का आना अ वकषत होता ह वयहिारिादी ाठयचयाथ का

वनमाथण करन िाल और उसक वियानियन करन िाल वशकषको क दवारा शवकषक उददशय री वयिहाररक

ररितथनो क र म वनिाथररत वकय जात ह विदयावरथयो दवारा सचनाओ ि क सिकलन तरा अजथन उनक

अरथ सीखन एिि सही अनविया को सीखन म सविय रागीदारी सवनवशचत की जाती ह ककषा म विदयावरथयो

को खब अभयास कराया जाता ह तावक ि ठन सामगरी को दकषता स गरहण कर सक

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रारत म री िथ राषटरीय ाठयचयाथ एन सी एफ 2005 एक lsquoयोगयता-आिाररत ाठयचयाथrsquo

(competency-based curriculum) ही री जो इसी वयहिारिादी उ ागम र आिाररत री इसी क

चलत एन सी एफ 2005 म नयनतम अविगम सतरो (Minimum Levels of Learning) की बात की

गयी री वजसक तहत सरी विषयो क ाठयिम को विदयावरथयो दवारा हावसल वकय जान िाल कछ नयनतम

अविगम सतरो क र म रररावषत वकया वकया गया रा अविक जानकारी क वलय आ एमएलएल

(MLL) दसतािज ढ़ सकत ह

एक वयिहारिादी ाठयचयाथ म विदयावरथयो क वयवकतगत अनरिो सिजञानातमक परिवततयो एिि उनक सिदरथ

स कोई सरोकार नही होता ना तो वशकषको को ाठयचयाथ र परशन करनका हक़ होता ह और ना ही

विदयारी ककषा म कोई सिाल कर सकता ह सरी को ाठयिम और ाठय सतको क अिीन होना डता

ह और विदयावरथयो स वसफ़थ यही अ कषा की जाती ह वक ि अ न ाठो को मक होकर रित रह यहा

विदयारी तो वबलकल वनषटिीय होता ह और उसका अ ना कोई िजद नही होता ारमप ररक ककषाओ ि म य

नज़ारा आ न अकसर दखा होगा इस वसरवत की काफी अिहलना होन क फलसिर आज हमारी

राषटरीय ाठयचयाथ वयिहारिादी उ ागम स रचनातमक उ ागम की ओर बढ़ी ह

142 रचनातमक उपागम

अविगम का रचनातमक उ ागम बाल- क वित ह जो वक अविगमकताथ क समप णथ विकास र बल दता ह

यह काफी हद तक सिजञानातमक मनोिजञावनको क दवारा परवत ावदत अविगम वसदधाितो र आिाररत ह

वजनम व याज और िायगोतसकी परमख ह रचनातमक उ ागम आिाररत ाठयचयाथ कछ परमख

अििारणाओ ि र आवशरत ह जस वक-

अविगम िसततः अविगमकताथ क वयवकतगत अनरिो दवारा की गयी सिसार क बार म वयवकतगत

वयाखया ह

अविगम अरथ- वनमाथण की एक सिीय परविया ह जो वक अनरिो र आिाररत होती ह

जञान एक सनयकत सािसकवतक वनवमथवत ह जो वयसको एिि बचचो की अनतःविया क फलसिर

अदभत होता ह

अविगमकताथ अ न िथ अनरिो तरा नय जञान क आिार र लगातार अ न सिजञानातमक ढाच

को वनवमथत एिि नवयथिवसरत करता रहता ह इसी परकार उसक सिजञानातमक सिरिचना म िवदध होती

समपपरतय वनमाथण मतथ स अमतथ की तरफ अगरसर होता ह

अविगमकताथओ ि क अविगम क तरीक ि जररत वरनन-वरनन होत ह इसवलय वशकषण विविया

उनक अनर होन चावहय

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 97

अतः रचनातमक ाठयचयाथ म यह विशवास वकया जाता ह वक अविगमकताथ दवारा जञान का वनमाथण या खोज

सिीय र स वकया जाता ह ना वक वनषटिीय र स जञान को गरहण या सिचय करना होता ह विदयारी

ाठय सतको स नही अव त अ न परतयकष अनरिो स और विवरनन शवकषक गवतविवियो म सविय

रागीदारी स सीखत ह यहा सकलो की ाठयचयाथ को विदयावरथयो क अनर होन की वसफाररश की जाती

ह वशकषको स री यही अ कषा की जाती ह वक ि बचचो को ाठ रििान क बजाय उनक वलय उततजक ि

परासिवगक अविगम िातािरण तयार कर अतः बाल-क वित ाठयचयाथ म अविगम को रचनातमक

दवषटकोण स दखा जाता ह जहा विदयारी को जञान वनमाथण क वकय सकषम समझा जाता ह और यह अ कषा

की जाती ह ि अ न याथिरण स अितःविया करक खद उसका अरथ समझग तरा अ न जञान की रचना

सियि ही करग

अभयास परशन

3 अविगम क वयिहारिादी एिि रचनातमक उ ागम र आिाररत ाठयचयाथओ ि म कोई ३ मखय

अितर स षट कीवजए

15 राषरीय पाठयचया की रपरखा म ववजञान पाठयचया ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा (एन सी एफ ndash 2005) म विजञान ाठयचयाथ का सिर विजञान

वशकषा क कषतर म कई सालो स हो रह शोि क ररणामो र आिाररत ह इनम कछ सिवचछक सिगिठनो की

परयासो क अनरि री शावमल ह अब तक की राषटरीय ाठयचयाथ की र रखाओ ि की तलना कर तो यह

बात स षट हो जायगी वक रारत म शरआत स विजञान ाठयचयाथ क सरोकार एक स नही र आइय दखत

ह वक 1975 स 2005 तक क सफर म विजञान ाठयचयाथ न कया-कया सिर बदला ह

151 तितभनन पाियचयाय की रपरखाओ म तिजञान पाियचयाय का सार

यह तो आ जानत ही ह वक गत िषो म परसतावित राषटरीय ाठयचयाथओ ि म वयहिारिादी दवषटकोण स

रचनातमक दवषटकोण की तरफ बदलाि आय ह इसी क चलत इतन समय म विजञान की ाठयचयाथ न

विषय-िसत क सतर र री काफी र बदल ह इसका सार नीच दी गयी तावलका म वदया गया ह-

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 98

एनसीएफ परारतमक सिर

(ककषा 1 स ककषा 5

िक)

उचच परारतमक

सिर

(ककषा 6 स ककषा

8 िक)

माधयतमक सिर

(ककषा 9 िरा

ककषा 10)

उचच माधयतमक

सिर

(ककषा 11 िरा

ककषा 12 )

एन सी एफ ndash

1975

विजञान और

सामावजक विजञान को

एक ही विषय

lsquoपयाावरण अधययनrsquo

क तहत ढ़ाया जाय

विजञान को

समवकत दवषटकोण

म अ नाया जाए

विजञान को सिगवठत

र म ही ढ़ाया

जाय न वक तीन

रागो (जीि

रौवतक ि रसायन)

म विरावजत वकया

जाय

विजञान क सिकाय

जवनत रख अ नान

र जोर वदया गया

एन सी एफ ndash

1988

विजञान को पयाावरण

अधययन क तहत ही

ढ़ाया जाय वजसकी

दो ईकाइया हो-

विजञान और

सामावजक विजञान

विजञान को

समवकत एकीकत

र म ढ़ाया जाए

विजञान को सिगवठत

र म ढ़ाया जाय

विजञान क सिकाय

जवनत र म ढ़ाया

जाय

एन सी एफ ndash

2000

पयाावरण अधययन को

एक ही समाकवलत

विषय क र म

ढ़ाया जाय (विजञान

और सामावजक

विजञान म ना बािा

जाय)

विजञान क समवकत

र को lsquoचवजञान

और परौदयोचगकीrsquo

क र म

ढ़ाया जाए

lsquoचवजञान और

परौदयोचगकीrsquo क र

ढ़ाया जाय

विजञान क सिकाय

जवनत र म ढ़ाया

जाय (रौवतकी

रसायन ि जीि

विजञान क र म)

एन सी एफ ndash

2005

विजञान और

सामावजक विजञान को

पयाावरण अधययन क

र म ही ढ़ाया जाय

वजसम सिासथय री

एक महतति णथ अिग हो

विजञान एक सियकत

विषय क र म

ढ़ाया जाए

विजञान एक सियकत

विषय क र म

ढ़ाया जाय वजसम

परारवमक सतर स

अविक उननत

तकनीकी वशकषा

शावमल हो

विजञान क सिकाय

जवनत र म ढ़ाया

जाय

इस तावलका स जावहर ह वक जहा 1975 की ाठयचयाथ म परारवमक सतर र विजञान एिि सामावजक

विजञान को सिथपररम पयाावरण अधययन की एकाईयो क र म ढ़ान को कहा गया िही 2005 म

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 99

याथिरण अधययन को एक समाकवलत विषय का र द वदया गया इसी तरह उचच परारवमक सतर र

हल विजञान को एकीकत र म ढ़ान का परसताि रखा गया और बाद म 2005 की ाठयचयाथ म विजञान

तरा परौदयोवगकी को एक सार रखकर ढ़ाय जान की बात हई माधयवमक सतर र री विजञान की

ाठयचयाथ म ऐस ही बदलाि सामन आय हालािवक उचच माधयवमक सतर र विजञान को सिकाय-जवनत

र म जारी रखा गया आइय विसतार स जानत ह वक ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ म विजञान ाठयचयाथ को

वकस र म दखा गया ह

152 राषटरीीय पाियचयाय की रपरखा 2005 की तसफाररि

हम जानत ह वक एनसीएफ 2005 बाल क वित और अनरि आिाररत उ ागम क कष म ह

एनसीएफ 2005 म विजञान वशकषा को बहतर बनान क वलय उन सरी मददो को मददनज़र रखा गया जो

विजञान को सीखन-वसखान की परविया म मौजद होत ह खासकर तीन मखय समसयाओ ि की ओर धयान

वदया गया-

i सकलो म ढ़ाई जान िाली विषय-िसत का बहत अविक होना

ii विषय-िसत और बचच की समझ क सतर क बीच काफी फासला

iii ककषा म ढ़ाए जान क तरीको म खावमया

ारमप ररक विजञान वशकषण म अविकतर रिन र ही जोर वदया जाता ह और अिलोकन विशलषण ि

परवियाजवनत कशलता की तरफ कोई खास धयान नही वदया जाता जयादातर धयान विदयारी को रीकषा म

अचछ अिक लान क वलय तयार करन र ही वदया जाता ह एनसीएफ 2005 म न वक वसफथ विजञान

ाठयचयाथ म विषय-िसत क बोझ को कम वकया गया अव त विजञान सीखन-वसखान क तरीको म री

ररितथन र जोर वदया गया ह इसम विजञान की ककषाओ ि म उ योग होन िाल मलयािकन क तरीको म री

सिार र धयान वदया गया ह

एनसीएफ 2005 कहता ह वक एक अचछी विजञान वशकषा विदयारी क परवत जीिन क परवत एिम

विजञान क परवत ईमानदार होती ह इसी दवषटकोण स विजञान की ाठयचयाथ को ििता परदान करन िाल

कछ मलरत मा दिड री वदय ह यह मा दिड इस परकार ह-

(अ) सजञानातमक िििा ndash यह माग करती ह वक ाठयचयाथ की विषयिसत परविया राषा और

वशकषण- कायथकला उमर दज़ क उ यकत हो और बचच की समझ स बाहर की चीज़ न हो

(ख) तिषय-िसि िििा ndash यह माग करती ह वक ाठयचयाथ उ यकत ि िजञावनक सतर र सही

विषय-िसत को परसतत कर यहा यह धयान रखन की ज़ररत ह वक विषय-िसत को सहज और

सरल बनान की परविया म िह कही अरथहीन ि विरव त हो कर न रह जाय

(ग) परतिया िििा- यह माग करती ह वक ाठयचयाथ विदयारी को िजञावनक जञान परापत करन क

तरीको और उन तक हचन की परविया को वसखाय और बचच की सहजात वजजञासा और

रचनातमकता को ोवषत कर

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 100

(घ) ऐतिहातसक िििा- यह माग करती ह वक विजञान- ाठयचयाथ म ऐवतहावसक बोि को जगह दी

जाय तावक विदयारी समझ सक वक विजञान की िारणाए समय क सार कस विकवसत हई ि सार

ही सार यह विदयारी को यह समझन म री मदद करगी वक विजञानएक सामावजक उदयम ह तरा

वकस परकार विजञान का विकास सामावजक कारको स पररावित होता ह

(ड़) पयायिरणीय िििा-यह माग करती ह वक विजञान को विदयारी क वया क ररिश (सरानीय

और िवशवक) क सिदरथ म रखकर वसखाया जाए तावक विदयारी विजञान परौदयोवगकी और समाज

क बीच क जविल सिबििो को समझ सक और रोज़गार की दवनया म विकन क वलय आिशयक

जञान तरा कौशल परापत कर सकन म सकषम हो सक

(च) नतिक िििा ndash यह माग करती ह वक ाठयचयाथ ईमानदारी िसतवनषठता सहयोग आवद मलयो

का समपिदधथन कर तरा रय िाथगरह एिि अििविशवास स मकत मानस तयार करन म सहायक हो

सार ही यह विदयारी म जीिन ि याथिरण क सिरकषण क परवत चतना दा कर

1521 तिजञान पाियचयाय क उददशय

एन सी एफ ndash 2005 क अनसार विजञान वशकषा क उददशय उ वलथवखत छह ििताओ ि क मा दिडो स जड़

हए ह यह माग करता ह वक विजञान वशकषा विदयारी को इस लायक बना द तावक िह-

अ न सिजञानातमक सतर क अनर विजञान क तथयो ि िारणाओ ि को समझन और इस परयकत

करन क कावबल हो जाए

उन तरीको और परवियाओ ि को समझ सक वजनस िजञावनक जञान का सजन वकया जा सक तरा

इसका ििीकरण री वकया जा सक

विजञान क एवतहावसक एिि विकास सिबििी ररपरकषयो को समझ सक और इस एक सामावजक

उदयम क र म दख सक

खद को सरानीय तरा िवशवक ररिश स जोड़ सक और विजञान परौदयोवगकी और समाज क बीच

अितःविया को एिि उनस समपबिवित मददो को समझ सक

रोज़गार की दवनया म र विकान क वलय आिशयक सदधािवतक और वयिहाररक कशलता

हावसल कर सक

अ नी सिाराविक वजजञासा सौनदयथबोि और रचनातमकता स विजञान ि परौदयोवगकी को

रररावषत कर सक

ईमानदारी सतयवनषठा सहयोग जीिन क परवत सरोकार तरा याथिरण सरकषा जस मलयो का

महति समझ सक

lsquoिजञावनक सिरािrsquo विकवसत करना सीख जाए वजसम शावमल हो- िसतवनषठता

आलोचनातमक सोच और रय एिि अििविशवास स मवकत

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 101

1522 तितभनन सिरो पर तिजञान की पाियचयाय

हमार दश म विजञान को दसिी ककषा तक एक अवनिायथ विषय क र म ढ़ाया जाता ह जयादातर

विदयारी दसिी ककषा क बाद विजञान या तकनीकी कषतरो म रोजगार नही करत इसवलय माधयवमक सतर

तक विजञान वशकषा का लकषय मखयतः विदयावरथयो को िजञावनक र स साकषर करना याथिरण ि सिासथय

समपबििी समसयाओ ि एिि विजञान-तकनीकी और समाज क अितसथमपबििो क परवत जागरक करना ह

एनसीएफ 2005 म विवरनन सकली सतरो र विजञान ाठयचयाथ क वलय विसतत सझाि वदए गए ह

वनमपनवलवखत तावलका म इन सझािो को सिवकषपत र म परसतत वकया गया ह-

सकली सिर तिषय का सिरप ि

तिषय-िसि

पाियचयाय सबिी सझाि

परारतमक सिर

(ककषा 1 स ककषा 5

तक)

याथिरण अधययन

(विजञान एिि सामावजक

विजञान का एकीकत र

वजसम सिासथय वशकषा

एक महतति णथ अियि )

बचच म ररिश क परवत वजजञासा उत नन करना

मलरत सिजञानातमक और मनःपररक कशलताय विकवसत करना

बचच क वलय महति णथ अरथ णथ और उसकी अवररवच की

विषय िसत हो

वशकषण मखयत गवतविवि रक- खोजी एिि हार स करन िाल

कायथकला करन को परररत करना

बचचो को अनिषण करन िनथ दखन वडज़ाइन ि वनमाथण

करन तलनाय करन और समपबििो क जाल को समझन क

अिसर दना

सफाई ईमानदारी सहयोग जीिन और ररिश क परवत गमपरीर

रख जस मलय विकवसत करना तरा याथिरण स जड़ मलयो क

परवत दावयतिबोि उत नन करना

ककषा 1 ि २ क वलय कोई ाठय सतक नही दन का परसताि

वकसी री परकार की औ चाररक सािवि जाच- रीकषा नही हो

सतत मलयािकन का परसताि

उचच परारतमक सिर

(ककषा 6 स ककषा 8

तक)

विजञान

(एक सिकाय क र म

विजञान और परौदयोवगकी

का मल)

िजञावनक अििारणाओ ि को मखयतः गवतविवियो ि परयोगो दवारा

समझाना परविया कौशलो र ज़ोर

बचचो का ररवचत अनरिो दवारा विजञान क वसदधाित सीखना

हारो स सरल तकनीकी इकाइया या मॉडल बनाना और

याथिरण ि सिासथय क बार म जानकारी हावसल करना

सामवहक वियाकला दोसतो ि अधया को क सार विमशथ

सिकषण आिकड़ो का वनयोजन और सकल तरा आस- ड़ोस क

कषतर म परदशथन आवद वशकषण परणाली क महति णथ अिग

सतत ि सािवि मलयािकन जो णथत आितररक हो वजसम परतयकष

गरडस की वयिसरा अ नाई जाय

माधयतमक सिर विजञान ाठयचयाथ म वसदधाित अििारणाएि तरा वनयम सीखन र बाल

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(ककषा 9 तरा ककषा

10)

(एक सिकाय क र म

अविक मज़बत

ाठयचयाथ िजञावनक

वसदधाित अििारणाए एिि

वनयम शावमल)

हो रनत ाठयचयाथ क बोझ को कम वकया जाय

सदधािवनतक अििारणाओ ि को जािचन क वलय परयोग ाठयचयाथ

का अहम वहससा हो

सह- ाठयचयाथतमक कायथकला ो म रागीदारी को अवनिायथता

वजसम सरानीय सतर क मददो र ररयोजना कायथ शावमल हो

सदधािवतक वलवखत रीकषा म बोडथ रीकषा क सार सार कछ परशन

परयोग तकनीकी मॉडयल र आिाररत हो

उचच माधयतमक

सिर

(ककषा 11 तरा ककषा

12 )

जीि विजञान रौवतकी

और रसायन विजञान

(सिकाय रक ाठयचयाथ

वजसम उ यकत िजन ि

गहरायी हो )

दो विषयो अकादवमक और िोकशनल म विजञान को ढ़ाय

जान क मामल र नविथचार वकया जाय तावक विदयारी को

अ नी रवच क अनसार विषय चनन की सितितरता हो

परयोग तकनीकी ि खोज रक ररयोजनाओ ि र ज़यादा जोर दना

चावहय

विवरनन ाठय सहगामी गवतविविया ठन- ाठन का वहससा हो

जस- सरानीय मददो का विजञान ि परौदयोवगकी क माधयम स

समािान करना राषटरीय विजञान मलो म रागीदारी विजञान

तकनीकी और समाज स अितसथमपबिवित मददो र िाद-वििाद म

राग लना

आईसीिी का विजञान वशकषण म बड़ मान र उ योग हो

परयोग और परौदयोवगकी मौडयलस का लगातार आितररक

मलयािकन तरा वसदधाित आिाररत बोडथ रीकषा म री कछ परशन

परयोग तकनीकी आिाररत हो

अभयास परशन

4 एनसीएफ 2005 क अनसार विजञान ाठयचयाथ क ििता क मखय मा दिड कौन स ह

5 एनसीएफ 2005 क अनसार परसतावित विजञान ाठयचयाथ म परारवमक सतर तरा माधयवमक

सतर की विजञान विषयिसत म कया वरननता ह

16 पाठयचया ववकास म वशकषक की रवमका रारत म ाठयचयाथ का वनमाथण राषटरीय एिि राजय दोनो सतरो र होता ह अममन इस परविया म विदवानो

विषयिसत म दकष वयवकतयो तरा नामी वगरामी वशकषाविदो को ही शावमल वकया जाता ह इस ाठयचयाथ

को वफर सकलो र लाग कर वदया जाता ह वशकषको का कायथ किल सकलो म इस ाठयचयाथ क

वियानिन तक ही सीवमत रहता ह उनको ाठयचयाथ तरा विदयावरथयो क बीच एक ल की तरह कायथ

करना होता ह वशकषक अविकतर वनयत समय र वदय गय ाठयिम को रा करन तरा ाठय सतको को

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रििान म लग रहत ह वशकषक परवकषकषण परविया म री ज़यादातर महति विवरनन वशकषण विवियो क

अभयास र वदया जाता ह ि ाठयचयाथ एिि वशकषण- अविगम क बीच का समपबिि ही नही समझ ात

इसक वलय यह आिशयक ह वक परवकषकषण क दौरान उनह ाठयचयाथ क विवरनन आयामो र तावकथ क

विचार विमशथ करन तरा उस विशलषटण करन क रर र अिसर वदय जाय

हालािवक आजकल यह वसरवत कछ बहतर हई ह परतयक सतर र यह समझा जा रहा ह वक

सकली वशकषको को ाठयचयाथ वनमाथण परविया म शावमल होन स बहतर वसरवत की अ कषा की जा सकती

ह ाठयचयाथ विकास समीवतयो म सकल वशकषको की सिीय रागीदारी होन स उनक ककषा समपबििी

परतयकष अनरिो को री धयान म रखा जान तरा ाठयचयाथ म की जान िाली वसफाररशो को ककषा की

िासतविकताओ ि क सिदरथ म परसतत वकय जान की समपरािना बढ़ी ह वशकषको क ककषा सिबििी अनरिो

और वचितन स ाठयचयाथ ाठयिम एिि ाठय सतको को सिारन म काफी मदद वमलती ह ाठयचयाथ

वनमाथण म वशकषको क सिलगन होन स परसतावित ाठयिम की बचचो क वलय उ यकतता एिि परासिवगकता

सवनवशचत करन म री आसानी होती ह एनसीएफ 2005 म इस मदद र काफी विचार वकया गया ह तरा

ाठयचयाथ वनमाथण म वशकषको की रागीदारी की रिी की ह ाठयचयाथ क विक िीकरण स यह और री

आसान हो जाता ह

17 सारााश इस इकाई म आ न ढ़ा वक ाठयचयाथ तरा ाठयिम एक दसर स कस वरनन होत ह आ न जाना वक

ाठयचयाथ की र रखा को सवनवशचत करन वक वलय मखय तीन सदधािवतक आिार कया होत ह हमन यह

री दखा वक वकस परकार राषटरीय सतर र परसतावित ाठयचयाथ म उ ागम एिि विषय आिाररत बदलािो

क सार सार विजञान- ाठयचयाथ म री परतयकष बदलाि आय ह इसक सार ही आ न एनसीएफ 2005

म विवरनन सकली सतरो र विजञान विषय क वलय विषय-िसत वशकषण विवियो तरा मलयािकन समपबनिी

वसफाररशो को री जाना अित म हमन यह री चचाथ की वक वशकषको क वलय ाठयचयाथ वनमाथण म शावमल

होन क कया लार ह

18 शब दाविी 1 अनबतिि अनतिया- पराचीन अनबििन म एक अनबिवित उददी क क परवत सीखी गयी

अनविया

2 सजञान- जानन क सार जड़ी सरी मानवसक परवियाए जस- परतयकषण करना वचितन करना और

याद करना इतयावद

3 परबलन- एक अनविया का अनसरण करती घिना जो अनविया क घवित होन की परिवतत को

शवकत दती ह

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4 िििा- वकसी मा क दवारा की गयी ररशदधता का दयोतक जो यहा बताता ह वक मा न

िासतविकता क वनकि ह

19 अभ यास परश नो क उत तर 1 एक ाठयचयाथ की र रखा क परमख क विक वनमपनवलवखत होत ह-

i वशकषा क लकषय

ii सतर विवशषट उददशय

iii विषयिसत क चयन एिि वयिसरा न क वसदधाित

iv अचछ तरीको क आिार

v अचछी सामगरी क आिार

vi मलयािकन का वसदधाित

2 ाठयचयाथ एक वया क योजना ह जो चवचिषट िचिक उददशयो को चियाचनवत करन क चलए

चिज़ाइन की जाती ह वजसम ाठयिम री एक महति णथ अियि क र म शावमल होता ह

जबवक ाठयिम वसफ़थ यह बताता ह वक विषयिसत क वहसाब स कया ढ़ाया जाय और सतर

विवशषट उददशयो क मददनज़र वकस तरह क जञान कौशल और अवरिवततयो को ख़ास बढ़ािा वमल

3 एनसीएफ 2005 क अनसार विजञान ाठयचयाथ क ििता क मखय मा दिड ह- सिजञानातमक

ििता विषय-िसत ििता परविया ििता ऐवतहावसक ििता याथिरणीय ििता तरा

नवतक ििता

वयिहारिादी उपागम आिाररि

पाियचयाय

रचनातमक उपागम आिाररि

पाियचयाय

ाठयचयाथ का

सिर

विषय- आिाररत बाल-क वित

जञान म िवदध विदयारी दवारा वनषटिीय र स जञान को गरहण

या सिचय करना

विदयारी दवारा जञान का वनमाथण या खोज

सिीय र स करना

अविगम का सिर विदयारी सचनाओ ि क सिकलन तरा अजथन

उनक अरथ सीखन एिि सही अनविया को

सीखन क अभयास स सीखता ह

विदयारी अ न परतयकष अनरिो स और

विवरनन शवकषक गवतविवियो म सविय

रागीदारी स सीखत ह

विदयारी क सिदरथ स

सरोकार

विदयावरथयो क वयवकतगत अनरिो

सिजञानातमक परिवततयो एिि उनक सिदरथ स कोई

सरोकार नही होता

विदयावरथयो क वयवकतगत अनरिो

सिजञानातमक परिवततयो एिि उनक सिदरथ क

अनसार शवकषक अनरिो का आयोजन

वकया जाता ह

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4 एनसीएफ 2005 क अनसार परारवमक सतर र विजञान को lsquo याथिरण अधययनrsquo क र म

ढ़ान की बात की गई ह वजसकी विषयिसत विजञान एिि सामावजक विजञान का एकीकत र

ह तरा सिासथय वशकषा री उसका एक महतति णथ अियि ह िही माधयवमक सतर र विजञान

को एक सिकाय क र म दखा गया ह वजसकी अविक मज़बत ाठयचयाथ होनी चावहय और

उसम िजञावनक वसदधाित अििारणाए एिि वनयम शावमल हो

110 सादरथ गरार सची 1 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा (2005) राषटरीय शवकषक अनसििान और परवशकषण ररषद नई

वदलली

2 ाठयचयाथ ाठयिम और ाठय सतक - राषटरीय फोकस समह का आिार तर (२००8) राषटरीय

शवकषक अनसििान और परवशकषण ररषद नई वदलली

3 विजञान वशकषण- राषटरीय फोकस समह का आिार तर (२००8) राषटरीय शवकषक अनसििान और

परवशकषण ररषद नई वदलली

4 मनोविजञान- ककषा 11 क वलय ाठय सतक (२००6) राषटरीय शवकषक अनसििान और परवशकषण

ररषद नई वदलली

5 दसिषीय सकल क वलए ाठयिम-एक र रखा (19७6) राषटरीय शवकषक अनसििान और

परवशकषण ररषद नई वदलली

6 विदयालयी वशकषा क वलए राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा (2005) राषटरीय शवकषक अनसििान

और परवशकषण ररषद नई वदलली

111 वनबाधात मक परशन 1 अ न राजय क सकलो म लाग ाठयचयाथ की र रखा की विसतत समीकषा कीवजए तरा उसक

अितगथत विवरनन सकली सतरो र विजञान ाठयचयाथ क परमख सरोकारो की चचाथ कीवजए

2 एनसीएफ2005 स हल ककषा 8 क वलय एनसीईआरिी दवारा वनवमथत विजञान की

ाठय सतक की तलना ितथमान ाठय सतक वनमपनवलवखत आिारो र कीवजए -

विषयिसत का सिर

गवतविविया एिि अभयास

3 एनसीएफ 2005 म चवचथत ििता क मा दिडो क परकाश म वकसी माधयवमक सतर की विजञान

ाठयचयाथ की आलोचना कीवजए

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 106

इकाई 2- पाठयचया वशकषण रणनीवियो और भौविक विजञान क वनििथमान रझान

21 परसतािना

22 उददशय

23 एनसीईआरिी ाठयिम क वनितथमान रझान

24 ाठय सतक स वशकषण-अविगम सामगरी की तरफ गमन

25 वशकषक ाठयिम विकासकताथ क र

26 एनसी इआर िी ि उततराखिड क विजञान ाठयिम की समीकषा

27 विजञान ाठयिम म हए महति णथ ररितथन

28 सारािश

29 सनदरथ गरिर सची

210 वनबििातमक परशन

21 परसतावना विजञान ाठयिम समय क सार बदल गया ह और विजञान वशकषक का काम अब अविक चनौती णथ हो

गया ह व छल दशको म विजञान सीखना कछ सिभाित उचच परापतकताथओ ि तक सीवमत रा ककषा IX स

XII म विजञान रौवतकी रसायन विजञान और जीि विजञान क विषयो क र म ढ़ाया जाता ह हल

वकताब वनजी परकाशको दवारा परकावशत एिि एक लखक दवारा वलखी जाती री ाठय सतको म ाठयिम

की सामगरी म तयारी गण और उ योग शावमल वकय गय र विजञान का ाठयिम दवनक जीिन क

अनरि सअलग रा ाठयिम कसदयावनतक ि वयािहाररक कष सिबिवित नही र परयोगो गवतविवि

अिररत वशकषण विवियो की अल ता री वकि त अब छातरो क ास ह एनसीईआरिी दवारा परकावशत

गणितता लखको और लखको की एक िीम दवारा वलवखत ाठय सतक छातरो को छताछ क वलए जगह

परदान करत ह वियाए को ाठय सतको म परासिवगक सरानो र शावमल वकया गया हवशकषक किल

जानकारी का एक परदाता नही ह िरन छातर ककषा म अ न सियि क अनरिो और बहत सारी जानकारी

और परशनो क सार-सार अनय सरोतो जस इििरनि मीवडया सतको विजञान वतरकाओ ि और रक ठन

सामगरी की विवििता क सार आत ह करी-करी छातरो की वजजञासा को शाित करन क वलय वशकषक को

चनोती णथ वसरवत का सामना करना ड़ता ह एनसीईआरिी दवारा तयार वकए गए ाठयिम का रझान

वकस तरह बदला ह इसका विसतत विशलषण इस यवनि म की गया ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 107

22 उददशय इस इकाई का अधययन करन क शचात आ -

1 एनसीईआरिी ाठयिम क वनितथमान रझान क विषय म जान सक ग

2 ाठय सतक स वशकषण-अविगम सामगरी की तरफ गमन क विषय म चचाथ कर सक ग

3 वशकषक को ाठयिम विकासकताथ क र म जान सक ग

4 एनसी इआरिी ि उततराखिड क विजञान ाठयिम की समीकषा कर सक ग

5 विजञान ाठयिम म हए महति णथ ररितथन को जान सक ग

23 एनसीईआरटी पाठयिम क वनवतथमान रझान 1988 2000 और 2005 म एनसीईआरिी दवारा तयार वकए गए ाठयिम का विशलषण बताता ह

वक ाठयिम विकास क मनोिजञावनकतकनीक ाठय विषय िसत परसततीकरण रर कषय क काफी

बदलाि ह ितथमान ाठयिम गवतविवि-आिाररत एकीकतवशकषारी-क वित ह 1988 क ाठयिम म

दकषता अििारणाओ ि और गवतविवियो को रखत हए उ यकत कवठनाई सतर को धयान म रखत हए

िासतविक जीिन स समपबिवित कछ परकरणो जस खादय और ोषण सिासथय जनसिखयाकवष और

याथिरण सिरकषण को ाठयिम का आिशयक घिक बनाया गया

उदारहण क वलय एनसीईआरिी दवारा विकवसत ककषा छठी क ाठयिम क एक यवनि का अधययन

करत ह वजसस बदलत ाठयिम का रझान ता चल सक

िातलका 21 - 1988 म तिकतसि ककषा 6 का तिजञान पाियिम

यतनट का नाम तिषयिसि

इकाई 6 गवत बल और मशीन गवतशील ि वसरर िसतएि विवरनन परकार की गवत-रवखक

यादवचछक रोिरी चिीय रर तर आिविक गवत बल बल लगान

र गवत वदशा और आकार म ररितथन विवरनन परकार क बल

चिबकीय शवकत इलकरोसिविक बल घषथण बल घषथण क फायद और

नकसान घषथण का कम होना बढ़ना विवरनन परकार की सािारण

मशीन-लीिर चरखी और वहया जविल मशीन ndash एिि सरल मशीनो

का सियोजन रखरखाि और मशीनो की दखराल

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 108

िातलका 22 - 2000 म तिकतसि तिजञान पाियिम क ककषा 6 की एक इकाई का तििरण

यतनट सामगरी का नाम तिषयिसि

यवनि 9 बल और गवत 1-बल बल का परराि (आकार ि गवत म ररितथन) बल ि दबाब की

इकाई

तरल दारथ म दबाि

2-गवत ि गवत क परकार (रखीयितीय घणी आिविक दोलक)

3-समान गर-समान गवत सीिी रखा क रर कषय म िग का विचार

4-गवत गवत की इकाई

िातलका 23 - 2005 म तिकतसि की गई ककषा 6 तिजञान पाियिम की इकाई का तििरण

परशन किी अििारणाए ससािन सझाए गए तियाकलाप

यवनि 4 आरिवरक वदनो

म लोग एक सरान स

दसर सरान र कस जात

र उनको कस ता

चलता रा की वकतनी

दरी उनहोन तय कर ली

हमको कस ता चलगा

की कोइ िसत गवतमान

ह कस ता चलगा की

िह िसत वकतनी दर गवत

कर क चली गई

मा न की आिशयकता

(लिबाई) दरी वसरवत ि

समय क अनसार गवत म

ररितथन

दवनक जीिन क अनरि

अिलोकन विवरनन परकार

क मा न उ करण दरी स

समपबिवित विवरनन

कहावनया वजसस दरी स

समबािवित परकरण

विकवसत हो सक

( ीररयड -12)

लिबाई ि दरी का

मा नरवमहिाजलिआकाश

म गवतमान िसतओ का

अिलोकन विवरनन परकार की

गवतयो की हचान ि उनम

अितर विवरनन परकार की ऐसी

िसतओ का सहपरदशथन वजसम

एक स अविक परकार की गवत

हो जससि िखा लीसाईवकल

का वहयािरी आवद वदिार

घडीसरजचििमा ि परवरिी की

गवतओि का अिलोकन

उ रोकत तावलकाओ म िवणथत विषय िसतओ का अिलोकन करन र जञात होता ह की ककषा 6 क वलए

1988 क विजञान ाठयिम को एक सची क र म परसतत वकया गया ह इसम मखय उदशय छातरो को

विजञानि विषयिसत स ररवचत करिाना रा जबवक विजञानि क परविया कष र कम महति वदया गया ह

बहत स परकरण जस बल घषथण आकाशगिगा आवद कई विषयो को ाठयिम म शावमल वकया गया ह

जो की बाद की आठिी या नौिी ककषा म आ सकत ह

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इनक अिबोि हत अमतथ अििारणाओ ि को री समझना आिशयक ह ाठयिम म स षट गहराई नही

ह विषयो की सची म विवशषटता का आराि ह ाठयिम म िवणथत विषय िसत वकसी री परकरण म

गहराई तरा कल नाशीलता िािवछत वियाकला ोतक का आराि ह

2000 क ाठयिम म 1988 क ाठयिमानसार जानकारी को लोड वकया गया इसम री १९८८ क

ाठयिम की तरह गहराई और विसतार की कमी ि स सिता की कमी ह उचच परारवमक और माधयवमक

सतर र सामनयतया विजञान ाठयिम म विजञान तकनीकी ि सामावजक अििारणओ का उ योग

होता ह इसका उदशय छातरो को िजञावनक जञान दन क सार उनको तकनीकी परयोग म समिथ करना ह

रनत ाठयिम वनमाथण करत समय विषयगत दवषटकोण को ही महति वदया गया ह उसम वयािहाररक

दवषटकोण की कमी ह चयवनत विषय जसबरहमािड हमारा याथिरण दारथ मा न जीिन विशव ऊजाथ

ोषण और सिासथय और कवष आवद विषयो अविकािशता ऊ री परारवमक चरण स माधयवमक सतर तक

जारी रख गए ह इसम अििारणाओ ि को वयिवसरत करन का परयास ाठयिम म वकया गया रा इनह

ककषा VI स X तक िवमक र स रखा गया ह

एनसीएफ -2005 न जञान वनमाथण की परविया म वशकषारी की सविय रागीदारी की वसफाररश की ह

2005 म विजञान ाठयिम क विकास क दौरान यह वनणथय वलया गया रा विजञान को परौदयोवगकी क

सार जोड़ना ठीक नही ह ाठयिम म रखी गई सचनाओ क रार को कम करन ि उमरनसार उवचत

अििारणाओ ि को शावमल करन का फसला वलया गया रा

ाठयिम वनमाथण करत समय एनसीएफ -2005 की वसफाररशो ि रर ोिथ वबना बोझ क लवनिग को

महति वदया गया ह विषयगत दवषटकोण को अ नात हए विषय िसत को वयिवसरत करत हए अनतर-

अनशासनातमक तरीक को अ नाया गया ह ाठयिम म शावमल विषयिसत जस खादय दारथ सामगरी

द िलडथ ऑफ़ दी वलवििग हाउ वरिगस िकथ मवििग वरिगस लोग और विचार पराकवतक घिनाएि और

पराकवतक सिसािन आवद ह विषयिसत को उचचपरवथमक सतर स मादयवमक सतर तक इसी िम म रखा

गया ह 2005 का ाठयिम चार कोलम परशन कि जी अििारणाएि सिसािन सझाए गए वियाकला म

िगीकत वकया गया ह

ाठयिम परशनो क सार शर होता ह य ि महति णथ परशन हजो बचच को सोचन की परविया म मदद

करन िाल मखय वबिद ह गवतविवि कॉलम म परयोग क सार-सार ककषागत वशकषण अविगम परवकया

वजसम छातर राग लात ह को री िवणथत वकया गया ह ाठयिम म वदय गए आइिम परशन वकसी री

परकरण की सामगरी का खलासा करन का एक विचार दन म मददकरत ह अगर आ परशन और महति णथ

अििारणाओ ि क सार गवतविवि सतिर को ढ़त ह तो यह अिलोवकत होगा की ाठयसामगरी काफी

गहराई क सार ाठयिम विषय िसत वशकषण- रणनीवतयो क चयन म सहायक ह ाठयिम

ाठय सतक लखन ि वशकषण विवि क चयन म मदतकरी ह ाठयिम म वशकषावरथयो क वलए सरान

री ह उनको गवतविवियो परयोगो को करनसरानीय सिदरथ को वडसकस करन का सरान वदया गया ह

एनसीएफ -2005 म ाठय सतको को बहआयामी ि दवनक जीिन स सिबिवित करन का सझाि वदया

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गया ह एनसीएफ - 2005 म विजञान वशकषण को हडस- ओ िन ि इनकिायरी बसड बनान की वसफाररश

की गई ह हालािवक इस वया क र विचार सतर र सिीकार वकया गया ह जबवक रारत म अभयास

अरी री चाक एिड िॉक म रड ही हािी ह छातरो की इवचछत वदशा म परगवत हत वशकषण अविगम

परवियाओ ि म अविक सविय सहरावगता को लना आिशयक ह

विजञान सीखन क हडस ओ िन तरीक म वशकषक वशकषण अविगम परविया का परारर छातरो क अनरिो ि

मतथ उदहारण स करत ह विषयकवनित उ ागम म वशकषक कॉनसपिस को दानिवमक तरीक स सजा कर

ड़ता हजबवक छातर कवनित उ ागम म वशकषक सिथपररम मतथ ररवसरवतको उत नन करता ह वफर अमतथ

कािसपि को समझता ह

उदहारणसिर इलवकरक करिि क कािसपि को समझान हत हम यहा दखना होगा की यह एक अमतथ

कािसपि ह वजसम छातर को चाजथ मिमि समझाना ह जो छातर को तरी समझ आयगा जबवक उसको चाजथ

का कािसपि ता हो यदव चाजथ का कािसपि अमतथ ह वफर री छातर आसानी स इसको समझ जात ह जब

ि इलवकरक सवकथ ि को जोडत ह अत इलवकरक करिि को कािसपि को उचच परारवमक शालाओ क

ाठयिम म रखा गया ह

23 पाठयपसतक स वशकषण-अवधगम सामगरी की तरफ गमन ाठय सतक वशकषण-अविगम सामगरी क एक राग सिर उ करण की तरह छातरो को अधयनरत रखती

ह वशकषक ककषागत ररवसरयो म विवरनन परकार क गवतविवियोमतथ अिीगम अनरिो वशकषण सामगरी

का उ योग ाठय सतको क सार परयोग करता ह

जब हम वशकषण-अविगम उ ागमो ि सीखन क दवषटकोण क बार म वनणथय लत ह तो अविगामारी की

आिशयकता का सबस अविक धयान रखत ह चकी अविगम की री परविया वशकषावरथयो क मवसतषटक म

चलती ह ि री तरह स वनरथर लारती ह की हल विदयवरथयो न कया सीखा ह इसवलए सामगरी दवषटकोण

और सामगरी का न वयाखया वयािहाररक फसल री तरह स वशकषक क हार म होत ह एक

ाठय सतक जररी नही वक एक िगथ क र ाठयिम को किर कर और यह र िषथ क वलए जररी हो

ऐसा री नही हो सकता ह कोई अचछी ाठय सतक

बचचो को याथिरण सावरयो और अनय क सार बातचीत करन क वलए तयार करती ह ना की लोगो को

आतमवनरथर बनान का कायथ करती ह एक ाठय सतक एक गाइड की तरह छातरोको सविय सहरावगता

क माधयम स समझ बनान क वलए मागथदशथन दती ह

लोगो को सरानाितररत जञान एक तयार उत ाद क र म दन क बजाय जञान को कािसच करात ह हाल ही

म एनसीईआरिी दवारा को एनसीएफ 2005 क अनसार बनाया गया ह ाठय िम परयास करन क

वलए -2005 क आिार र ाठयिम तयार करना ाठयिम हत वदलचस ाठय सतको क वनमाथण क

वलए दसतािज़ को एकतर

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करना और तथयातमक जानकारी क सार वबना रार वदए बनाना एक चनौती णथ कायथ ह कल वमलाकर

विजञान को जञान क बढ़त शरीर क र म श वकया जाना चावहए न की एक तयार उत ाद क र म इस

तकथ क परकाश म यह कहा जा सकता ह की जररत वसफथ एक एकल ाठय सतक की ही नही ह बवलक

सीखन िाली सामगरी कज को वशकषण अविगम सामगरी क र छातरो को वियाशील बानाए रखन क

वलय इसतमाल वकया जा सकता ह

24 वशकषक पाठयिम ववकासकता क रप िथगामी चचाथ ाठयिम ररिदधथन की परविया का बोि कराती ह अगला परशन जो हम छना चाहत ह

िह ह कया ाठयिम विकास क इस अभयास म वशकषक की रवमका ह रारत म ाठयिम क ि या

राजय सतर र तयार वकया जाता ह और वशकषको दवारा इस बाहय र विकवसत इस ाठयिम का

कायाथनियन वकया जाता हपरी-सविथस वशकषक तयारी कायथिमो क दौरान अधया क वशकषा ाठयिम

और वशकषण सितितर र स अधयन वकया जाता ह और उनह अलग-अलग वनकायो की तरह माना जाता ह

परी-सविथस िीचर रवनिग का दौरान वशकषण विवियो कररकलम समपपरषण वियाओ र अविक धयान वदया

जाता ह जबवक परवशकष वशकषको को ाठयिम विकास परवियाओ ि म राग नही लन वदया जाता ह

उनको मौजदा ाठयिम का विशलषण करन क अिसर नही वदए जात ह इन-सविथस परवशकषण

कायथिमो क दौरान री फोकस अविकािशत वशकषण रणनीवतयो र होता ह उनको री ाठयिम

विकास म शावमल नही वकया जाता ह इस परकार वशकषको का कायथ महज ाठयिम और ाठय सतको

को समय स रा करना ह

इस परकार परी सविथस िीचर ि इनसविथस िीचर रवनिग क समय वशकषको म ाठयिम विकास की री

समझ विकवसत नही हो ाती ह वजसस उनक अधया न म कमी रह जाती ह ि ाठयिम ि वशकषण

अविगम रणनीवतयो म समपबनि सराव त नही कर ता ह ि वनरितर ारि ररक वयाखयान-सह-परदशथन विवि

का परयोग कर वशकषण अविगम परविया को सिचवलत करता ह जस इस अधयाय म हमन सीखा हवक

ाठयिम एक योजनाबदध अििारणा ह जो

वशकषण सीखन क दौरान अ वकषत अविगम की परावपत हत ाठय विषय िसत का चयन ि वियायो को

वनिाथररत करता ह जबवक वशकषण अविगम य वनिाथररत करता ह की वकस परकार स वदय गय ाठयिम

को सिपरवषत करग ाठयिम को एक साधय क र म जबवक वशकषण अविगम को एक सािन की तरह

समझा जा सकता ह इस परकार वशकषक की रवमका को एक वनयिवतरत िम म िथ वनिाथररत ाठयिम को

चयवनत वशकषण विवि का परयोग करत हए सिपरवषत करन िाल क र म दख सकत ह य रवमका छातरो

म रिन की आदत को ोवषत करती ह ि छातरो की सजनातमकता को कम करती ह वशकषक की य

रवमका उसक अिदर वनवहत निाचारी वियाओ को समापत करती ह यदव आजकल वशकषक सिसरानो म

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वशकषको ि ाठयिम योजनाकताथओ को ाठयिम कम िी म वशकषको की आिशयकता महसस हो रही

जयादातर उचच वशकषक सिसरानो म ि परशासन ि िररषठ वशकषको को य लगता ह की ाठयिम वनमाथण क

परवत वशकषको को उततरदायी वकया जाए वशकषको स य उमपमीद की जाती ह की ि ाठयिम ाठयचयाथ

ि िकसि बकस का आलोचनातमक तरीक स ररवय कर ि ि अ न ककषा गत अनरिो ि परवकिसस को

ाठयिम कम िी क समकष रख वशकषको क दवनक ककषा गत अनरिो को यवद ाठयिम म समावहत

वकया जाएगा तो वनवशचत तोर र ऐसा ाठयिम छातरो की आिशयकता अनर होगा ि वयािहाररक र

स ठनीय होगा

परसतावित ाठयिम क सार कस वयिहार वकया जाना चावहए य वशकषक की सविय सहरावगता स ही

सिरि ह यवद ाठयिम वनमाथण म वशकषक की सहरावगता को अ वकषत वकया गया तो ाठयिम की

रचनातमकता और अवरनि निाचार हतोतसावहत होग अत वशकषको को ाठयिम और ाठय सतको

की समीकषा करना चावहए ाठयिम सवमवतयो म समीकषातमक वशकषको को शावमल करन म सिार म

मदद वमलती ह ऐस वशकषक ाठयिम सवमवतयो को उनक ककषा गत अनरिो का परवतवबिब सवमवत क

सामन लात ह वजसस ाठयिम की परासिवगकता बढती ह वशकषक सकल म बचचो की समकष िथवनिाथररत

ाठयिमो का िथ मलयािकन करत हए छातरो की समसयाएि और सकलो की जररतो को परकश म ला

सकत ह वजसस ाठयिम वनमाथण करत समय उसम सिार सिरि हो सक इसपरकार ाठयिम वशकषको

को तरी ईमानदारी स मदत कर सकता ह यवद यह वशकषको क सार गहन साझदारी क माधयम स

विकवसत वकया गया

ाठयिम वनमाथण म वशकषको की रागीदारी उनकी वसरवत री अलग अलग रर कषय म दखी जा सकती

ह जस ाठयिम वनमाथण यवद क ि सतर र या राजय सतर र होता ह तो इसम वशकषको की रागीदारी

बहत कम होती ह या कछ नामी वशकषक ही कम िी सदसय होत ह जबवक वजल या विदयालय सतर र

अविकािश वशकषक ाठयिम वनमाथण म राग लात ह

25 एनसी ईआर टी व उततराखाड क ववजञान पाठयिम की समीकषा उ रोकत वबनदओ म हमन ाठयिम वनमाथण ाठयिम म वशकषक की रवमका ि राषटरीय ाठयिम ढािचा

वदशावनदशो की विसतत चचाथ की ह सार ही एन सीइआरिीदवारा परदत ाठयिम म आऐ बदलाि

को री इिवगत करन का परयास वकया ह उ रोकत चचाथ स वनषटकवषथत हआ की यवद वशकषक को ाठयिम

वनमाथण क बार म एक ठोस समझ ह तो वशकषा वशकषण-अविगम सीखन क दवषटकोण और मलयािकन क

वसदधाितो मानदिड वनमाथण तरा अचछी वशकषा-वशकषण सामगरी क अनपरयोग आवद म आसानी स हिच

बना लता ह सार ही समसत छातरो को ककषा गत ाररवसरत म समान अिसर परदान करत हए ककषा म

गवतविवियो परयोगो को सि नन करता ह

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समीकषातमक दवषटकोण स दखा जाए तो ाठयिम वनमाथण की राषटरीय ाठयचयाथ ढािच-2005 म वबना

बोझ सीखना (1993) ि रारतीय सविििान क िमथवनर कष समानतािादी और बहलिादी समाज को

मखय र स मागथदशथक की रवमका म रखा ह सामावजक नयाय और समानता क मलय क दवारा वशकषा क

वया क उददशय की परावपत ाठयिम क माधयम स की गई ह ाठयिम म सितितरता दसरो की परवत

सििदनशीलता रचनातमकता लोकतािवतरक परवियाओ ि आवरथक परवियाओ ि और सामावजक ररितथन को

शावमल वकया गया ह

इसक मागथदशथक वसदधाितो म इस तथय को परकि वकया गया ह वक वकस तरह वशकषा बोझ का सरोत बन गई

ह और बचचो र बढता तनाि शवकषक उददशयो म एक गहरी विर ण का परमाण ह इस विकवत को ठीक

करन क वलए ितथमान राषटरीय ाठयिम ढािचा 2005 न

ाठयिम क विकास क वलए ािच मागथदशथक वसदधाितो को अ नाया ह

i सकल स बाहर क जीिन को जञान स जोड़ना

ii यह सवनवशचत करना वक वसखान म रिन क तरीको स बदलाि आया ह

iii ाठय सतक क वित रहन की बजाय बचचो क समगर विकास क वलए ाठयिम को समदध

करना

iv रीकषाओ ि को अविक लचीला और ककषागत ररसरवतयो स एकीकत करना

v ककषा म लोकतािवतरक वयिसरा क अनर परजातावनतरक वशकषण विवियो का परयोग करना

राषटरीय ाठयिम ढािचा ाठयिम म छातरो को जञान का सजथन करन िाल की रवमका म रखता

हजबवक वशकषक स य उमपमीद की गई ह की िह छातरो क वयािहाररक ि ककषा क अनरिो को सिगवठत

करक बचच क सार सिगवत कर उनकी आिशयकता को धयान रखत हए उनह अविगम अिसर परदान

करगा बचचो क तनाि को कम करन हत एनसीएफ म विषय सीमाएि को नरम करन की वसफाररश की ह

तावक बचचो को एकीकत जञान और खशी का सिाद वमल सक

एनसीईआरिी ाठयिम क र म ऐस दसतािजो का वनमाथण करती ह जो विवरन विषयो की

सामगरी का बयोरा होता ह ि छातरो म उततम वयिहार और कौशल जञान और सकारातमक अवरिती का

वनमाथण करता ह रारत म एनसीईआरिी सकल वशकषा क सरी चरणो क वलए आदशथ उदाहरण

विकवसत करता ह इसी िम म राजय एनसीईआरिी ाठयिम को अ ना अनकवलत कर सकत ह

या सियि स विकास कर सकती ह

एनसीईआरिी दवारा वनवमथत ाठयिम म एनसी ऍफ़ 2005 क वजन मानको का परयोग वकया गया ह ि

इस परकार ह

i मनोिजञावनक दवषटकोण स बचचो क विकास क अनसार विषयो और विषयिसत की

उ यकततानसार चयन

ii एक सतर स अगल सतर तक विषय िसत म वनरितरता

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 114

iii सचीबदध उ विषयो क बीच अितःविषय और विषयगत सिबिि ि

iv अलग-अलग सकल विषयो म सतत अनशासवनक समपबनि होन चावहए

v बचचो क रोजमराथ क अनरि और जञान स विवरनन विषयो म सकल जञान क बीच सिबिि छातरो

को याथिरण सिबििी जञान और वचिता का जञान सकल क सरी सतरो र और विषयो म एक

समगर र वदया जाए तावक छातर याथिरण क परवत समपिदिशलता विकवसत कर सक

vi लवगक समानता शािवत सिासथय और विशष जररत िाल बचचो क सार सििदनशीलता को

विकवसत करन का परयाश वकया जाए

vii सरी सतरो र परतयक विषय म कायथ सिबििी वयिहार और मलयो का एकीकरण

viii रारत क हर हल म वशल की विरासत का सम कन करक सौदयथ की सििदनशीलता और

मलयो का ोषण करना चावहए

ix ओिर लव िग स बचन क वलए सकल और कॉलज ाठयिम क बीच सिबिि

x शकषवणक तकनीक की कषमता का उ योग करना

xi बचचो दवारा जञान का वनमाथण कराया जाए ि जञान क सरी कषतरो म लचीला न और रचनातमकता

को परोतसावहत वकया जाए

26 ववजञान पाठयिम म हए महतवपणथ पवरवतथन तिजञान

विजञान वशकषण की राषा सामगरी परविया वशकषारी की उमर-सीमा और सिजञानातमक हिच क अनर

होना चावहए विजञान वशकषक को विजञानि वशकषण म उन तरीको और परवियाओ ि को परयोग करना चावहए

जो छातरो म वजजञासा रचनातमकता को उत नन कर सक याथिरण को हर विषय को दयाि म रखत हए

परोजकि ि विया आिाररत वशकषण की आिशयकता ह ितथमान वसरवत स वकसी री गणातमक ररितथन

क वलए विजञान वशकषा क परवतमानो म बदलाि आया ह जस रिन र कम बल दना छातरो को करक

सीखना उनम जािचना रखना कौशल राषा वडजाइनअिलोकन विशलषण सिशलषण की कषमता को

मजबत वकया जाना चावहए सकलो म ाठयचयाथ ि ाठय सहगामी वियाओ क समरथन र अविक

जोर दन र बल वदया ह छातरो की खोजी कषमता आविषटकारशीलता और रचनातमकता स सिबिवित

गवतविवियो को करिात समय वशकषक को विजञान परयोगातमक वकिो और परयोगशालाओ ि तक हिच

बनान की बात की ह राषटरीय सतर र एक बड़ मान र विजञान म ला (फीडर म लो क सार म कलसिर

वजला राजय सतर) सकलो और वशकषको को परोतसावहत करन क वलए आयोवजत करन र बल वदया गया

सिकष म ाठयचयाथ ाठयिम और ाठय सतको (माधयवमक सतर र) की समीकषा करन र जञात होता

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 115

i जानकारी रार स बचन क वलए समझन र धयान द

ii विषय-विवशषट अधया न क वलए अितररकष म अितवनथवहत परदान कर सामगरी

iii सामगरी और सीखन क रीतर मलयािकन एकीकत कर

iv इििरवकिि होना चावहए

v ाठय सतक स र सीखन क वलए जगह परदान करता ह

vi विवरनन विषय कषतरो क बीच की सीमाएि नरम कर

vii हारो र अनरि कला क वलए याथपत सरान परदान कर और वशल स सिबिवित सामावजक

वचिताओ ि को शावमल करता ह

viii वलिग हावशए समह सिासथय और काम एनसीएफ - 2005 का अनिती और एनसीईआरिी

दवारा विकवसत नए ाठयिम क र म कछ राजयो न राजय क ाठयिम को विकवसत वकया ह

जबवक अनय सीि अ न ाठयिम और ाठय सतको म सिशोिन वकया ह

कछ राजयो अराथत वबहार करल छततीसगढ़ उड़ीसा और कनाथिक न अ ना राजय ाठयिम विकवसत

वकया ह उततराखिड न एनसीएफ-2005 क परकाश म अ न ाठयिम को सिशोवित वकया ह

सकल वशकषा क विवरनन चरणो क वलए एनसीईआरिी क ाठयिम और ाठय सतको िबल 1 राजयो

सिघ शावसत परदशो की वसरवत को अ नान या अनशासन सवहत सिशोिन र दशाथया गया ह

एनसीएफ -2005 क सार तावलकाओ ि म ाठयिम और ाठय सतक

1 कछ राजय क िशावसत परदश ह जो एनसीईआरिी क ाठयिम और ाठय सतको को अ नात ह

माधयवमक सतर र और री विजञान म वयािहाररक ह का दािा नही कर रह ह

याथपत र स याथपत की कमी क कारण िासति म वयािहाररक र स कायथ करन म सकषम

परयोगशालाओ ि और उ करणो शोिो न वदखाया ह वक हारो की कमी

विजञान म अनरि विजञान म गिरीरता स वशकषावरथयो क परदशथन

माधयवमक सतर र विजञान परवकिकल की शरआत क सार य

राजयो सिघ राजय कषतरो को सकषम मान र विजञान परयोगशाला की तरित खरीद की आिशयकता ह

परतयक माधयवमक विदयालय क वलए वकि और वशकषक परवशकषण क वलए कारथिाई आरिर करना

वशकषावरथयो को उवचत विजञान वशकषा परदान करन क वलए इस कषतर

2 तावलका 1 बताता ह वक कछ राजय सिघ राजय कषतरो जस वदलली गोिा

वहमाचल परदश झारखिड उततराखिड आवद शावमल ह

एनसीईआरिी की ाठय सतको को सरी चरणो क वलए अ नाया गया अनकवलत वकया

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ककषाओ ि की अविकतम सिखया अराथत छठी - बारहिी स इन ाठय सतको म विषय वशकषण क वलए

एनसीएफ -2005 क ितथमान नए दवषटकोण क अनर और अनय ाठयिम साइिो स सीखन क वलए

िकसि क रीतर अिसर परदान करत ह और अ न सियि क सिदरथ स जञान स सिबिवित ह इसवलए एक

आिशयकता ह वससिम स ता लगान क वलए वक वशकषक उररत हए समझत ह दवषटकोण और कया

दवषटकोण और बीच म तराचार ह वजस तरह स वशकषक माधयवमक सतर र इन ाठय सतको का सिचालन

करत ह

इसक अलािा इन राजयो सिघ शावसत परदशो को री राजय-विवशषट की जररत की समीकषा करन की

आिशयकता ह विवरनन चरणो म वशकषावरथयो की शवकषक आिशयकताएि और उनह लान की आिशयकता

री ह बाहर ाठयिम क वदशा-वनदश या ाठयिम ररन क वलए ाठय सतको का नया सि राजय-

विवशषट जररतो और ाठयिम और ाठय सतको क बीच अितराल विकवसत

राषटरीय सतर र वशकषक री विजञान सीखन क चरण विवशषट उददशयो को समझता ह कया लनदन करन की

सामगरी और इस कस वयिवसरत कर की एक अचछी समझ ाठयिम सामानय र म अितदथवषट परापत करन

क वलए वशकषक को री सवििा परदान करता ह

यह समझना महति णथ ह वक वशकषा एक परविया और अनरि ह इस परविया का एक महति णथ वहससा ह

जब तक वक वशकषारी उस नही ढढ सकता ककषा म दशाथए गए सिदरो क सिबिि म दवषटकोण अनरि और

उसक रोजमराथ क जीिन अनरिो स जञान स सिबिवित ह जञान मातर सचना क सतर तक कम हो जाता ह

इसवलए सरी ाठयिम क अनरिो को यह सवनवशचत करन क वलए वडज़ाइन वकया जाना चावहए वक

वशकषावरथयो क सार विवरनन आिशयकताओ ि को सीखन और वशकषण-सीखन की परवियाओ ि स सिबिवित

ह अधया क को लान क दवारा सरी ाठयिमो क वलए विजञान ाठयिम सलर बनाना चावहए बातचीत

क उ यकत वबिदओ ि र लचीला न

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इकाई 3 - विजञान वशकषण की विवधयाा और नीवियाा

31 परसतािना 32 उददशय

33 विजञान वशकषण की विविया और नीवतया

331 वयाखयान विवि

332 परदशथन विवि

333 आगमन-वनगमन विवि

334 विशलषण-सिशलषण विवि

335 परोजकि विवि

34 उ यकत वशकषण विवियो का चयन

35 सारािश

36 शब दािली 37 अभयास परशनो क उत तर

38 सिदरथ गरिर सची 39 वनबििात मक परशन

31 परसतावना वशकषण विविया वशकषक का मागथ दशथन करती ह वजस परकार स सही रासत की जानकारी क अराि म

कोई वयवकत अ न गितवय सरान तक नही हच सकता ह ठीक उसी परकार वशकषक एक उवचत वशकषण

विवि की जानकारी क अराि म अ न छातरो को विषय का सही जञान नही द सकता ह वशकषण विवियो

क दवारा ही वशकषक को यह जानकारी होती ह वक िह वकस परकार स अ न छातरो को वशकषा परदान कर वक

वशकषण क उददशय सफलता िथक परापत वकय जा सक इस इकाई म हम विजञान वशकषण की विवरनन

विवियो क विषय म तरा पररािशाली ककषा वशकषण हत इन विवियो को वकस परकार परयोग वकया जाना

चावहए इसक विषय म विसतार िथक चचाथ करग

32 उददशय इस इकाई क अधययन क शचात आ -

1 विजञान वशकषण की विवरनन विवियो क विषय म विसतार िथक िणथन कर सक ग

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2 विजञान वशकषण को पररािशाली बनान क वलए परतयक वशकषण विवि को वकस परकार परयोग वकया जाना चावहए इसका िणथन कर सक ग

3 विजञान वशकषण की विवरनन विवियो क गण एिम दोषो क विषय म विसतार िथक िणथन कर सक ग 4 पररािशाली विजञान वशकषण हत उ यकत वशकषण विवियो का चयन एिम उ योग कर सक ग

33 ववजञान वशकषण की वववधया ा और नीवतया ा वशकषण विविया और वशकषण नीवतया दोनो शबदो क अ न अलग-अलग अरथ ह कछ लोग इन दोनो

शबदो को याथयिाची मान लत ह जबवक दोनो अलग- अलग ही ह Method शबद लविन राषा स

वलया गया ह वजसका अरथ ह Mode (माधयम) या (Way) रासता जबवक कॉवलन इिवगलश जम कोश

क अनसार नीवत का अरथ ह- यदध कला तरा यदध कौशल

ाठयिसत क परसततीकरण की शली को वशकषण विवि कहा जाता ह वशकषण विवि म ाठयिसत

महति णथ होती ह जसी ाठयिसत की परकवत होती ह उसी क अनर वशकषण विवि का चयन कर

वलया जाता ह जबवक वशकषण नीवत स तात यथ ऐसी कौशल णथ वयिसरा स ह वजनह ककषा वशकषण म

वशकषक अ न उददशयो को परापत करन क वलए तरा छातरो क वयिहार म िािवछत ररितथन लान क वलए

करता ह जब हम वकसी वशकषण विवि को वकसी विवशषट उददशय की परावपत क वलए परयोग करत ह तब

वशकषण विवि को ही वशकषण नीवत कहा जाता ह

सािारणतया वकसी री विषय क वशकषण स हल यह दखा जाता ह वक इस विषय को कयो ढाया जाय

इसी बात को धयान म रखत हए उस विषय क वशकषण उददशय वनिाथररत वकय जात ह वशकषण उददशय

वनिाथररत करन क शचात यह परशन उठता ह वक वकस परकार इस विषय को ढाया जाय अराथत वकन

वशकषण विवियो क माधयम स वशकषण वकया जाय वक वशकषण क उददशय परापत हो जाय विवरनन

अधययनो एिम रीकषणो दवारा यह वनवशचत कर वलया गया ह वक रौवतक विजञान क पररािशाली वशकषण

हत कौन-कौन सी वशकषण विविया उ यकत ह इन सरी वशकषण विवियो क विषय म हम आग

विसतार िथक चचाथ करग

अभयास परशन

1 ाठयिसत क परसततीकरण की शली को वशकषण नीवत कहा जाता ह (सतय असतय )

2 वशकषण विवि म ाठयिसत महति णथ होती ह जसी ाठयिसत की परकवत होती ह उसी क अनर

वशकषण विवि का चयन कर वलया जाता ह (सतय असतय )

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331 वयाखयान तिति

वयाखयान का तात यथ वकसी री ाठ को राषण क र म ढ़ान स ह वयाखयान विवि विजञान वशकषण की

सबस सरल एिम ससती विवि ह हमार विदयालयो म परयोगशालाओ ि एिम उ यकत सहायक सामगरी क

अराि क कारण यह एक ऐसी विवि ह वजस विजञान वशकषको दवारा ककषा वशकषण हत अविकािशतः परयोग

वकया जाता ह यह एक वशकषक कवनित विवि ह इस विवि म वशकषक को ककषा म जो री परकरण

ढ़ाना होता ह उसक वलए हल स ही िह ाठय सतक या अनय वकसी सािन की सहायता स उस

परकरण र अ ना वयाखयान तयार कर लता ह और वफर ककषा म छातरो क समपमख अ ना वयाखयान परसतत

कर दता ह इस विवि म छातर वनवषटिय शरोता क र म वशकषक का राषण सनत रहत ह छातर वशकषण म

रवच ल रह ह या नही उनको कछ समझ आ रहा ह या नही इन सब बातो स वशकषक अविकतर

उदासीन ही रहता ह

इस तिति का उपयोग कस कर

इस विवि को ककषा वशकषण हत परयोग करना अतयित सरल ह हम हल ही अधययन कर चक ह वक इस

विवि को विजञान वशकषण हत परयोग करन क वलए वशकषक ककषा म ढाय जान िाल परकरण को

ाठय सतक या अनय वकसी सािन की सहायता स ढ़कर उस परकरण र अ ना वयाखयान तयार कर

लता ह और वफर ककषा म छातरो क समपमख अ ना वयाखयान परसतत कर दता ह उदाहरण क वलए वशकषक

छातरो को ldquoठोस िि ि गस की सिरचनाrdquo परकरण को समझाना चाहता ह तो इसक वलए वशकषक सिथपररम

ाठय सतक या अनय वकसी सािन की सहायता स इस परकरण को ढ़कर ldquoठोस िि ि गस की

सिरचनाrdquo र अ ना वयाखयान तयार कर लता ह और वफर ककषा म छातरो क समपमख अ ना वयाखयान

परसतत कर दता ह वशकषक यवद आिशयक समझता ह तो परकरण क स षटीकरण हत वयाखयान क बीच

बीच म दवनक जीिन स समपबिवित कछ उदाहरण री परसतत कर दता ह

गण ि दोष

गण

1 आवरथक िवषट स यह विवि उ योगी ह इस विवि दवारा वशकषण करन स समय एिम िन दोनो की

बचत होती ह

2 यह अतयित सरल विवि ह इस विवि क परयोग क वलए वशकषक को वकसी विशष तयारी की

आिशयकता नही होती ह

3 यह विवि उचच ककषा क छातरो क वलए उ योगी ह

दोष

1 यह अमनोिजञावनक विवि ह

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2 इस विवि दवारा छातरो को विजञान जस परायोवगक विषय को समझन म कवठनाई होती ह वशकषण क

दौरान छातर ककषा म वनवषटिय शरोता क र म बठ रहत ह अतः छातरो को सियि करक सीखन क

अिसर नही परापत होत ह

3 इस विवि दवारा छातरो म िजञावनक िवषटकोण का विकास नही होता ह

4 यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

5 इस विवि दवारा सीखा गया जञान सरायी नही होता ह

अभयास परशन

3 यह एक वशकषक कवनित विवि ह (सतय असतय )

4 वयाखयान विवि क कोई दो दोष वलवखए

332 परदियन तिति

विजञान वशकषण क कषतर म परदशथन विवि एक अतयित महति णथ विवि ह इस विवि म वशकषक वकसी परकरण

क सदधािवतक कष को अविक स षट करन ि उसकी सतयता की जािच करन हत ककषा म छातरो क सार

परयोग परदशथन करता ह परयोग परदशथन क मधय म वशकषक छातरो स परशन करता रहता ह छातर री वशकषक

क सामन अ न परशन रखत जात ह और आिशयकता ड़न र वशकषक छातरो क परशनो का उततर दता रहता

ह अतः परदशथन विवि म वशकषण क समय वशकषक परयोग परदशथन करता जाता ह और छातर परयोग परदशथन

का वनरीकषण करत हए निीन जञान परापत करत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

इस विवि को विजञान वशकषण हत वकस परकार परयोग करना चावहय इसको हम एक उदाहरण की सहायता

स स षट कर सकत ह मान लीवजय वशकषक छातरो को यह वनयम बताना चाहता ह वक िात अमपल क सार

विया करक लिण बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह तो इस वनयम को

समझान क वलए वशकषक छातरो क समपमख सियि परयोग परदशथन करक छातरो दवारा परयोग को सियि दखकर

इस वनयम को समझन हत परोतसावहत करता ह सबस हल वशकषक छातरो स परशन करता ह - वजिक िात ह

या अिात छातर उततर दत ह ndashवजिक एक िात ह बताइय सलफ़यररक अमपल का रासायवनक सतर कया ह

छातर नः उततर दत ह - H2SO4 अब वशकषक छातरो स कहता ह- वक आइय एक परयोग करक दखत ह

वक जब वजिक कवणकाओ ि र िीर ndashिीर सलफ़यररक अमपल डाला जाता ह तो कया होता ह अब वशकषक

ककषा म परयोग परदशथन करता ह एिम छातर धयान िथक परयोग का वनरीकषण करत ह ककषा म वशकषक परयोग

क दौरान जब एक बीकर म वजिक कवणकाओ ि को लकर उन र िीर ndashिीर सलफ़यररक अमपल डालता ह

तो बीकर म बलबल वनकलन लगत ह छातर वशकषक को बतात ह वक बीकर स कछ बलबल वनकल रह

ह एक छातर वशकषक स छता ह- य बलबल वकस कारण वनकल रह ह वशकषक इन बलबलो क ास

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 121

जलती हई मोमबतती ल जाता ह जस ही बलबलो क ास जलती हई मोमबतती हचती ह ॉ की

आिाज़ क सार बलबलो क र म वनकल रही हाइरोजन गस जलन लगती ह अब वशकषक छातरो को

बताता ह वक इस परयोग क दौरान बीकर म य बलबल हाइरोजन गस क बिनन क कारण वनकल रह ह

अित म वशकषक इस परयोग को समीकरण क र म शयाम टट र वलख दता ह-

Zn + H2SO4 rarr ZnSO4 + H2uarr

वजिक सलफ़यररक अमपल वजिक सलफि हाइरोजन गस

(िात ) (अमपल) (लिण)

इस परकार परदशथन विवि म छातर वशकषक दवारा वकय गय परयोग परदशथन को सियि दखकर सीखत ह छातरो

को वशकषक दवारा वकय गय परयोग स स षट हो जाता ह वक -िात अमपल क सार विया करक लिण बनाती

ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह

गण ि दोष

गण

i इस विवि म वशकषक तरा छातर दोनो सविय रहत ह

ii यह विवि छोिी ककषाओ ि क वलए अविक उ यकत ह

iii इस विवि म वशकषक दवारा वकय गय परयोग परदशथन को छातर सियि दखकर सीखत ह

iv इस विवि दवारा छातरो म वनरीकषणतकथ एिम वचितन शवकत का विकास होता ह

v इस विवि दवारा परापत जञान अविक सरायी होता ह

दोष

i यह विवि बड़ी ककषाओ ि क वलए उ यकत नही ह

ii इस विवि दवारा छातरो को सियि परयोग करक सीखन क अिसर परापत नही होत ह

iii इस विवि म परयोग परदशथन क दौरान सरी छातर ठीक परकार स परयोग का वनरीकषण नही करत ह

iv करी करी वशकषक दवारा यवद वकसी कारणिश परयोग सफल नही होता ह तो छातरो क मन म विषय क

परवत कई भािवतयाि दा हो जाती ह

अभयास परशन

5 परदशथन विवि क कोई दो गण वलवखए

6 परदशथन विवि क कोई दो दोष वलवखए

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 122

333 आगमन-तनगमन तिति

आगमन तिति इस विवि म परतयकष अनरिो उदाहरणो तरा परयोगो दवारा छातरो स सामानय वनयमो

को वनकलिाया जाता ह दसर शबदो म हम कह सकत ह वक इस विवि म उदाहरणो को दकर वनयम का

स षटीकरण वकया जाता ह इस विवि का परयोग करत हए वशकषक छातरो क अनरि कषतर स ही उनह

विवरनन उदाहरणो को दकर उनस वनरीकषण रीकषण एिम सोच विचार कराकर सामानय वनयम या

वसदधानत को वनकलिाता ह इस विवि म विवशषट स सामानय की ओर सरल स सकषम की ओर ि परतयकष

स परमाण की ओर आवद वशकषण सतरो का परयोग वकया जाता ह इस विवि दवारा कयोवक सामानय वनयमो

की खोज की जा सकती ह अतः वशकषक दवारा परसतत वकय गय उदाहरण छातरो क मानवसक सतर क

अनकल होन चावहय

इस तिति का उपयोग कस कर

इस विवि को विजञान वशकषण हत वकस परकार परयोग करना चावहय इसको हम एक उदाहरण की सहायता

स स षट कर सकत ह मान लीवजय वशकषक छातरो को यह वनयम बताना चाहता ह वक िात अमपल क सार

विया करक लिण बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह तो इस वनयम को

समझान हत वशकषक छातरो को परयोगशाला म सियि रीकषण करक वनयम को सीखन क वलए परोतसावहत

करता ह सबस हल वशकषक छातरो स परशन करता ह -बताइय वजिक िात ह या अिात छातर उततर दत ह ndash

वजिक एक िात ह अब वशकषक छातरो स कहता ह- वक परयोग करक बताइय वक जब वजिक कवणकाओ ि र

िीर ndashिीर सलफ़यररक अमपल डाला जाता ह तो कया होता ह छातर परयोगशाला म सियि परयोग करत ह

और यह ात ह वक परयोग क दौरान जब एक बीकर म वजिक कवणकाओ ि को लकर उन र िीर ndashिीर

सलफ़यररक अमपल डाला जाता ह तो बीकर म बलबल वनकलन लगत ह छातर वशकषक को वदखात ह वक

यह परयोग करन र बीकर स कछ बलबल वनकल रह ह अब वशकषक छातरो को इन बलबलो क ास

जलती हई मोमबतती ल जान क वलए कहता ह जब छातर इन बलबलो क ास जलती हई मोमबतती ल

जात ह तो ॉ की आिाज़ क सार बलबलो क र म वनकल रही हाइरोजन गस जलन लगती ह

वशकषक छातरो स छता ह ndash बताइय इस परयोग क दौरान बीकर म य बलबल वकस गस क बिनन क कारण

वनकल रह ह छातर उततर दत ह - हाइरोजन गस अब अित म वशकषक इस परयोग को समीकरण क र म

शयाम टट र वलख दता ह-

Zn + H2SO4 rarr ZnSO4 + H2uarr

वजिक सलफ़यररक अमपल वजिक सलफि हाइरोजन गस

(िात ) (अमपल) (लिण)

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 123

इस परकार आगमन विवि म छातर सियि परयोग करक सीखत ह छातरो को सियि क परयोग स स षट हो जाता

ह वक -िात अमपल क सार विया करक लिण बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती

गण ि दोष

गण

1 यह एक मनोिजञावनक विवि ह

2 यह छातर कवनित विवि ह

3 इस विवि दवारा छातरो को निीन जञान को खोजन का अिसर वमलता ह वजसस छातरो म

अनसनिान की परिवतत का विकास होता ह

4 यह विवि छातरो को सियि करक सीखन र बल दती ह

5 इस विवि दवारा सीखा गया जञान अविक सरायी होता ह कयोवक छातर इस विवि म सियि करक

सीखत ह

6 यह विवि छोिी ककषा क छातरो क वलए अविक उ योगी ह

7 यह विवि वयािहाररक जीिन क वलए अविक उ योगी ह

दोष

1 इस विवि दवारा सीखन म समय एिम शरम अविक लगता ह

2 इस विवि दवारा किल सामानय वनयमो की खोज की जा सकती ह

3 यह विवि हमार विददालयो की रमप रागत ककषाओ ि क अनकल नही ह कयोवक इस विवि म

वयवकतगत वशकषण र जोर दना ड़ता ह

तनगमन तिति

वनगमन विवि म हम वनयम स उदाहरण की ओर चलत ह इस विवि म छातरो को सियि करक सीखन क

अिसर नही वमलत ह यह विवि आगमन विवि क एकदम वि रीत ह इस विवि म वशकषक दवारा वकसी

सामानय वनयम या वसदधानत को छातरो क समकष परसतत कर वदया जाता ह और वफर वशकषक उस वनयम

की सतयता की जाच या वषट क वलए विवरनन उदाहरणो का परयोग करता ह वनगमन विवि म हम

सामानय स विवशषट की ओर सकषम स सरल की ओर ि परमाण स परतयकष की ओर आवद वशकषण सतरो का

परयोग करत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

मान लीवजय वशकषक छातरो को यह वनयम बताना चाहता ह वक िात अमपल क सार विया करक लिण

बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह तो वनगमन विवि म वशकषक इस वनयम को

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 124

छातरो क समकष सियि परसतत कर दता ह और वफर कछ उदाहरणो की सहायता स उस वनयम की सतयता

की जािच करता ह सबस हल वशकषक छातरो स परशन करता ह -बताइय वजिक िात ह या अिात छातर

उततर दत ह ndashवजिक एक िात ह अब वशकषक छातरो क समकष वनयम को सियि परसतत करता ह वक- िात

अमपल क सार विया करक लिण बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह इसको

हम एक उदाहरण की सहायता स स षट कर सकत ह जब वजिक कवणकाओ ि र िीर - िीर सलफ़यररक

अमपल डाला जाता ह तो लिण क र म हम वजिक सलफि परापत होता ह तरा सार ही इस अवरविया म

हाइरोजन गस वनकलती ह समीकरण क र म इस हम वनमपन परकार परदवशथत कर सकत ह -

Zn + H2SO4 rarr ZnSO4 + H2uarr

वजिक सलफ़यररक अमपल वजिक सलफि हाइरोजन गस

(िात ) (अमपल) (लिण)

अब इस वनयम को अविक स षट करन हत तरा इसकी सतयता की जािच हत वशकषक कछ अनय उदाहरण

छातरो क समकष परसतत करता ह ndashछातरो वजस परकार वजिक जो वक एक िात ह सलफ़यररक अमपल क सार

विया करक लिण बनाता ह एिम इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह ठीक इसी परकार

सोवडयम री जो वक एक िात ह काबोवनक अमपल क सार विया करक लिण बनाता ह तरा इस

अवरविया म री हाइरोजन गस वनकलती ह इस अवरविया को हम समीकरण क र म वनमपन परकार

परदवशथत कर सकत ह ndash

2 Na+ H2CO3 rarr Na2CO3 + H2uarr

सोवडयम काबोवनक अमपल सोवडयम काबोनि हाइरोजन गस

(िात ) (अमपल) (लिण)

गण ि दोष

गण

1 यह विवि उचच ककषा क छातरो वलए अविक उ योगी ह

2 इस विवि दवारा कम समय म अविक जञान परापत वकया जा सकता ह

दोष

1 यह विवि अमनोिजञावनक ह

2 यह वशकषक कवनित विवि ह

3 इस विवि म छातर ककषा म वनवषटिय शरोता क र म बठ रहत ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 125

4 यह विवि छातरो म िजञावनक िवषटकोण का विकास नही करती ह

5 यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

6 इस विवि म छातरो को सियि करक सीखन क अिसर नही वमलत ह अतः सीखा गया जञान

सरायी नही होता ह

स षट ह वक आगमन तरा वनगमन विविया दोनो ही एक दसर की रक ह छातरो को िासतविक जञान दन क

वलए जहा एक ओर आगमन विवि दवारा वनयमो को परवत ावदत करना आिशयक ह िही वनगमन विवि क

दवारा परवत ावदत वकय गय वनयम की सतयता की जािच री आिशयक ह अतः सफल विजञान वशकषण क

वलए विजञान वशकषक को दोनो विवियो का स षट जञान होना चावहए तरा दोनो विवियो को एक दसर की

रक विवि क र म यरा समय उवचत परयोग करना आना चावहए

अभयास परशन

7 आगमन तरा वनगमन विविया दोनो ही एक दसर की रक विविया ह (सतय असतय )

8 वनगमन विवि म हम उदाहरण स वनयम की ओर चलत ह (सतय असतय )

9 इस विवि म विवशषट स सामानय की ओर सरल स सकषम की ओर ि परतयकष स परमाण की ओर

आवद वशकषण सतरो का परयोग वकया जाता ह (सतय असतय )

10 आगमन विवि क कोई दो गण वलवखए

11 वनगमन विवि क कोई दो दोष वलवखए

334 तिशलषण-सशलषण तिति

तिशलषण तिति

विशलषण शबद का अरथ ह - वकसी णथ िसत को उसक छोि-छोि रागो म विरकत करना अराथत वकसी

समसया को हल करन क वलए उस ऐस छोि छोि खणडो म विरावजत करना वजनको नः सिगवठत करक

समसया का हल वकया जा सक यह एक ऐसी वशकषण विवि ह वजसम हम अजञात स जञात की ओर

वनषटकषथ स अनमान की ओर तरा णथ स अिश की ओर चलत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

उदाहरण क वलए वशकषक छातरो क सामन ldquoअमपल कषार एिम लिणrdquo क परतयय को परसतत करता ह

वशकषक छातरो क परशनो क उततर हा या नही म दता ह इस विवि म कयोवक हम णथ स अिश की ओर चलत

ह अतः वशकषक सबस हल छातरो को लिण क विषय म समझाता ह वक लिण वकस कहत ह यह वकस

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परकार बनता ह इसक शचात िह अमपल एिम कषार क विषय म छातरो को समझाता ह वक अमपल और

कषार वकनह कहत ह

वशकषक छातरो क समपमख हमार घरो म खान म परयोग वकय जान िाला नमक परसतत करता ह अब िह

छातरो स छता ह वक आ क समपमख जो सफ़द रिग का दारथ परसतत वकया गया ह इसको चखकर

हचावनए की यह कया ह एक छातर नमक को चखकर बताता ह वक यह नमक ह वशकषक छातर क सही

उततर की वषट करता ह और कहता ह वक आ का जिाब सही ह यह नमक ही ह वजस हम अ न घरो म

खान की चीज़ो म नमकीन सिाद दन क वलए परयोग करत ह वशकषक छातरो स छता ह वक कया आ

जानत ह रसायन विजञान की राषा म नमक को कया कहा जाता ह इस परशन र छातर वनरततर हो जात ह

अब वशकषक छातरो को स षट करता ह की रसायन विजञान की राषा म नमक को लिण कहा जाता ह तरी

एक छातर परशन करता ह की लिण कया ह इस र वशकषक छातर क परशन का उततर दता ह और बताता ह वक

लिण िह यौवगक ह जो वकसी अमपल क एक या अविक हाइरोजन आयन को वकसी कषार क एक एक या

अविक िनायन स परवतसराव त करन र बनता ह

जस सोवडयम कलोराइड हाइरोकलोररक अमपल क हाइरोजन आयन को सोवडयम हाइरोकसाइड क

सोवडयम आयन दवारा परवतसराव त करन स बनता ह वशकषक वनमपन समीकरण को शयाम टट र वलख दता

ह -

NaOH + HCl rarr NaCl + H2O

सोवडयम हाइरोकसाइड हाइरोकलोररक अमपल सोवडयम कलोराइड

( कषार ) (अमपल ) (लिण) (जल)

अब इस उदाहरण को धयान म रखत हए वशकषक की उ वसरवत म छातर परयोगशाला म सियि रीकषण

करक दखत ह वक वकस परकार अमपल ि कषार की विया स लिण बनता ह ि परयोगशाला म समान

आयतन म सोवडयम हाइरोकसाइड तरा हाइरोकलोररक अमपल एक बीकर म लकर दोनो को एक सार

वमलाकर िीर-िीर गरम करत ह ऐसा करन र ि दखत ह वक कछ समय बाद जल क सार सफ़द

विसिल क र म एक दारथ परापत होता ह वशकषक इस दारथ को दखकर छातरो को बताता ह वक यह

सफ़द विसिलीय दारथ जो आ को परापत हआ ह यही सोवडयम कलोराइड ह जो वक एक लिण ह अब

वशकषक नः परशन करता ह वक कया आ जानत ह वक लिण वजनकी अवरविया क फलसिर बना ह

अराथत अमपल और कषार ि कया होत ह छातर नः वनरततर हो जात ह वशकषक अब स षट करत हए

बताता ह वक अमपल एक ऐसा दारथ ह जो हाइरोजन आयन दता ह जस- HCl H2SO4 आवद जबवक

कषार एक ऐसा दारथ ह जो हाइरोजन आयन लता हजस ndash NaOH KOH आवद सोवडयम कलोराइड

क वनमाथण हत आ न परयोगशाला म हाइरोकलोररक अमपल ि सोवडयम हाइरोकसाइड परयोग वकय जोवक

िमशः अमपल ि कषार ह

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गण ि दोष

गण

1 यह एक मनोिजञावनक विवि ह

2 यह विवि खोज की एक विवि ह

3 यह विवि छातरो म मौवलक वचितन एिम विचार को परोतसावहत करती ह

4 यह विवि अरथ णथ सीखन को परोतसावहत करती ह

5 इस विवि दवारा छातर सविय रहत हए जञान परापत करत ह

6 यह विवि सियि करक सीखन र बल दती ह

7 इस विवि दवारा सीखा गया जञान अविक सरायी होता ह और यवद छातर कछ रल री जाय तो उस नः

आसानी स याद वकया जा सकता ह

8 इस विवि दवारा छातर म तकथ शवकत तरा सही ढिग स वनणथय लन की आदत का विकास होता ह

दोष

1 यह अविक लमपबी विवि ह इसम समय ि शरम अविक लगता ह

2 यह विवि सरी परकरणो क वलए उ यकत नही ह

3 परतयक वशकषक दवारा इस विवि का परयोग नही वकया जा सकता ह इसक परयोग हत उवचत परवशकषण

की आिशयकता ह

4 यह विवि सरी छातरो क वलए उ यकत नही ह औसत स वनमपन बवदध सतर िाल छातर इस विवि दवारा

सही स नही सीख ात

सशलषण तिति

सिशलषण विवि विशलषण विवि क वबलकल वि रीत ह सिशलषण का अरथ ह- वकसी िसत क छोि - छोि

खणडो को न एकवतरत कर दना वजनम वक उस करी विरकत वकया गया रा इस विवि म हम वकसी

समसया का हल करन क वलए उस समसया स सिबिवित िथ जञात सचनाओ ि को एक सार वमलाकर उस

समसया को हल करन का परयतन करत ह यह एक ऐसी वशकषण विवि ह वजसम हम जञात स अजञात की

ओर अनमान स वनषटकषथ की ओर तरा अिश स णथ की ओर चलत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

उदाहरण क वलए वशकषक छातरो क सामन ldquoअमपल कषार एिम लिणrdquo क परतयय को परसतत करता ह

वशकषक छातरो क परशनो क उततर हा या नही म दता ह इस विवि म कयोवक हम अिश स णथ की ओर चलत

ह अतः वशकषक सबस हल छातरो को अमपल एिम कषार क विषय म समझाता ह वक अमपल और कषार

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वकनह कहत ह इसक शचात िह लिण क विषय म छातरो को समझाता ह वक लिण वकस कहत हऔर

यह वकस परकार बनता ह

वशकषक छातरो स छता ह वक आ न करी नीब का सिाद चखा ह यह कसा होता ह एक छातर उततर

दता ह हा नीब का सिाद खटटा होता ह वशकषक नः परशन करता ह कोलड वरिक का सिाद कसा होता ह

छातर उततर दत ह ndash रोड़ा कड़िा वशकषक छता ह ndashकया आ जानत ह नीब का सिाद खटटा और कोलड

वरिक का सिाद रोड़ा कड़िा वकस कारण होता ह एक छातर उततर दता ह नीब का सिाद अमपल की िजह

स खटटा होता ह और कोलड वरिक का सिाद कषार क कारण कड़िा होता ह वशकषक परशन करता ह की कया

आ जानत ह अमपल और कषार वकनह कहत ह छातर वनरततर हो जात ह तब वशकषक स षट करता ह वक

अमपल एक ऐसा दारथ ह जो हाइरोजन आयन दता ह जस- HCl H2SO4 आवद जबवक कषार एक ऐसा

दारथ ह जो हाइरोजन आयन लता हजस ndash NaOH KOH आवद अब वशकषक छातरो क समपमख

हमार घरो म खान म परयोग वकय जान िाला नमक परसतत करता ह अब िह छातरो स छता ह वक आ क

समपमख जो सफ़द रिग का दारथ परसतत वकया गया ह इसको चखकर हचावनए की यह कया ह एक छातर

नमक को चखकर बताता ह वक यह नमक ह वशकषक छातर क सही उततर की वषट करता ह और कहता ह

वक आ का जिाब सही ह यह नमक ही ह वजस हम अ न घरो म खान की चीज़ो म नमकीन सिाद दन

क वलए परयोग करत ह वशकषक छातरो स छता ह वक कया आ जानत ह रसायन विजञान की राषा म

नमक को कया कहा जाता ह इस परशन र छातर वनरततर हो जात ह अब वशकषक छातरो को स षट करता ह

की रसायन विजञान की राषा म नमक को लिण कहा जाता ह तरी एक छातर परशन करता ह की लिण

कया ह इस र वशकषक छातर क परशन का उततर दता ह और बताता ह वक लिण िह यौवगक ह जो वकसी

अमपल क एक या अविक हाइरोजन आयन को वकसी कषार क एक एक या अविक िनायन स परवतसराव त

करन र बनता ह

जस सोवडयम कलोराइड (लिण) हाइरोकलोररक अमपल (अमपल ) क हाइरोजन आयन को सोवडयम

हाइरोकसाइड ( कषार ) क सोवडयम आयन दवारा परवतसराव त करन स बनता ह वशकषक वनमपन समीकरण

को शयाम टट र वलख दता

ह -

NaOH + HCl rarr NaCl + H2O

सोवडयम हाइरोकसाइड हाइरोकलोररक अमपल सोवडयम कलोराइड

( कषार ) (अमपल ) (लिण) (जल)

गण ि दोष

गण

1 यह एक सिवकषपत विवि ह

2 यह एक तावकथ क विवि ह

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3 इस विवि म समय एिम शरम की बचत होती ह

4 इस विवि म हल स खोज गय तथयो को वयिवसरत तरीक स परसतत वकया जाता ह

5 यह विवि अविकािश छातरो क वलए उ यकत ह

दोष

1 यह एक अमनोिजञावनक विवि ह

2 इस विवि म छातर ककषा म एक वनवषटिय शरोता क र म बठा रहता ह

3 इस विवि म छातरो को सियि करक सीखन क वलए कोई सरान नही वदया जाता ह

4 इस विवि दवारा सीखा गया जञान अविक सरायी नही होता ह अतः यवद छातर कछ रल जाय तो

उस याद कर ाना छातर क वलए सिरि नही ह

5 यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

6 इस विवि म खोज क वलए कोई सरान नही होता ह

उ रोकत दोनो विविया एक दसर की रक ह दोनो विवियो म अ न कछ गण ह तो कछ दोष री ह इन

दोनो विवियो को सियकत र म परयोग करक विजञान वशकषण को पररािशाली बनाया जा सकता ह

कयोवक ऐसा करन र एक विवि क गण दसरी विवि क दोषो को सियि दर कर दत ह अतः जो विजञान

वशकषक विशलषण विवि दवारा छातरो म वकसी समसया को हल करन की अितिथवषट दा कर सकता ह िही

वशकषक सिशलषण विवि का परयोग एक रक विवि की तरह करक सफल विजञान वशकषण कर सकता ह

अभयास परशन

12 विशलषण एिम ________ दोनो विविया एक दसर की_________ह

13 _______ विवि म हम अजञात स जञात की ओर वनषटकषथ स अनमान की ओर तरा णथ स अिश

की ओर चलत ह

14 __________हम जञात स अजञात की ओर अनमान स वनषटकषथ की ओर तरा अिश स णथ की

ओर चलत ह

15 विशलषण विवि क कोई दो दोष वलवखए

16 सिशलषण विवि क कोई दो गण वलवखए

335 परोिकट तिति

परोजकि विवि क जनमदाता जॉन डीिी क वशषटय डबल एच वकल वरक ह वकल वरक क अनसार ndash

ldquoपरोजकि िह कायथ ह वजस री लगन क सार सामावजक िातािरण म णथ वकया जाता ह rdquo इस विवि

म ढाई का क ि परोजकि ही होता ह परोजकि विवि म छातर वकसी समसया क समािान क वलए वकसी

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उवचत परोजकि का चयन करक ि योजनाबदध तरीक स कायथ करक परोजकि को रा करन का परयास

करत ह अतः हम कह सकत ह वक ldquoकरक सीखनाrdquo ही परोजकि विवि का सार ह परोजकि विवि स

वशकषण करन क वलए वशकषक तरा छातरो को वनमपन छह सो ानो का अनसरण करना ड़ता हndash

ररवसरवत उत नन करना

परोजकि का चयन करना

कायथिम बनाना

कायथिम क अनसार कायथ करना

कायथ का मलयािकन करना

समप णथ कायथ का ररकॉडथ रखना

i पररतसरति उतपनन करना - सबस हल वशकषक छातरो क सामन ऐसी ररसरवत उत नन करता ह

वक छातर क समपमख कोई समसया आय या िह वकसी आिशकता को सियि अनरि कर इस

समसया का समािान करना या आिशयकता की वतथ करना ही छातर को परोजकि चनन क वलए

परररत करता ह

ii परोिकट का चयन करना - दसर सो ान म छातर दवारा अ न वशकषक क सार ि ककषा क अनय

सावरयो क सार चचाथ ररचचाथ करक परोजकि का चयन कर वलया जाता ह तरा इस परोजकि क

उददशय री स षट कर वलए जात ह परोजकि को रा करन क वलए अराथत समसया का समािान

करन क वलए परतयक छातर को अ नी योजना परसतावित करन की णथ सितितरता होती ह

iii काययिम बनाना - तीसर सो ान म वशकषक की उवचत दख रख म परोजकि क मागथ म आन

िाली रशावनयो उ लबि सिसािनो वकय जान िाल विविि कायो आवद र चचाथ करक एक

कायथिम बना वलया जाता ह कायथिम ऐसा बनाया जाता ह वक ककषा का परतयक छातर उस णथ

करन म अ ना सहयोग कर सक

iv काययिम क अनसार कायय करना - सरी छातरो को उनकी योगयता एिम सामथयथ क अनसार

ही कायथ वदया जाता ह कायथिम बन जान क शचात सरी छातर अ न उततरदावयति को रली

परकार रा करत ह अ न कायथ को समप ावदत करन हत यवद छातरो को निीन जञान गरहण करन

की आिशयकता होती ह तो ऐस म वशकषक अ न अनरि क आिार र छातरो को निीन जञान

गरहण करन म सहायता करता ह

v कायय का मलयाकन करना - इस सो ान म समय समय र विचार गोषठी का आयोजन करक

कायथ का मलयाङकन वकया जाता ह सार ही कायथिम क विवरनन वियाकला ो र विचार

करक उनम आिशयकतानसार सिशोिन री वकया जाता ह परोजकि क रा हो जान र यह री

दखा जाता ह वक उददशयो की वतथ म कहा तक सफलता वमली ह

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vi समपणय कायय का ररकॉडय रखना - छातरो दवारा परोजकि क चनाि स लकर उसक रा हो जान

तक सार कायो का ररकॉडथ रखा जाता ह छातर अ न कायो क बार म रवजसिर म वलखत जात ह

परोजकि को रा करन म जो कवठनाइया सामन आयी जो कवमयाि उनक कायथ म रह गयी ि जो

री निीन जञान इस परोजकि क दौरान उनह परापत हआ उनह छातर नोि कर लत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

उदाहरण क वलए मान लीवजय कोई वशकषक अ न विददालय म विजञान सिगरहालय बनिाना चाहता ह ऐस

म िह छातरो को सीि कोई आदश ना दकर विजञान सिगरहालय की आिशयकता अनरि करान हत छातरो

को वकसी विजञान सिगरहालय क शवकषक भमण र ल जाता ह शवकषक भमण क दौरान छातरो को अनरि

होता ह वक उनक विददालय म री विजञान सिगरहालय जस विजञान क नमन मॉडल उ करण इतयावद होन

चावहए विजञान सिगरहालय स िाव स आन क शचात एक गोषठी का आयोजन वकया जाता ह जहा र

छातर अ न- अ न परसताि रखत ह विददालय म कोई छातर विददत घििी लान की बात कहता ह तो कोई

छातर रौवतक तला बनाकर लान की बात कहता ह अित म विचार विमशथ क बाद एक योजना सिीकार

कर ली जाती ह वक विददालय म ही छातरो दवारा एक विजञान सिगरहालय बनाया जायगा योजना को रा

करन क वलए विचार विमशथ करक एक कायथिम बनाया जाता ह सरी छातर अ नी अ नी रवच और

सामथयथ क अनसार विवरनन कायथ हार म ल लत ह और अ न-अ न कायथ को उतसाह क सार रा करन

म जि जात ह जस - कोई छातर वयय का वहसाब वकताब रखता ह कोई छातर विजञान क नमन खरीद कर

लान की वजमपमदारी लता ह कोई िजञावनक उ करणो को लान की वजमपमदारी लता ह तो कोई विजञान

का कोई मॉडल बना कर लान की वजमपमदारी लता ह कायथ को सफलता िथक समप ावदत करन क वलए

आिशयकता ड़न र वशकषक छातरो को उवचत रामशथ एिम सहायता री दता ह समय-समय र

वशकषक एिम छातर वमलकर कायथिम का मलयाङकन करत हतरा यह दखत ह की उददशय की परावपत कहा

तक हई ह यवद ि अनरि करत ह की कायथिम म कही कोई कमी रह गयी ह तो आिशयकतानसार

अ न कायथिम म सिशोिन री करत ह छातर अ न कायो क बार म रवजसिर म वलखत जात ह परोजकि

क चयन स लकर परोजकि रा होन तक परोजकि को रा करन म जो कवठनाइया सामन आयी जो

कवमयाि उनक कायथ म रह गयी ि जो री निीन जञान इस परोजकि क दौरान उनह परापत हआ उनह छातर नोि

कर लत ह

गण ि दोष

गण

1 यह एक मनोिजञावनक विवि ह

2 इस विवि म छातर सियि करक सीखत ह

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3 इस विवि दवारा परापत जञान अविक सरायी होता ह

4 इस विवि दवारा छातरो म िजञावनक िवषटकोण का विकास होता ह

5 इस विवि दवारा छातरो म उततरदावयति की रािना कतथवयवनषठासहयोग की रािना ियथ आवद

सामावजक गणो का विकास होता ह

दोष

1 इस विवि म अविक िन वयय होता ह तरा वकसी री परोजकि को रा करन क वलए अविक

समय की आिशयकता होती ह

2 इस विवि क परयोग हत परवशवकषत एिम योगय वशकषको की आिशयकता होती ह वजनका

वनतानत अराि ह

3 इस विवि दवारा जञान िमबदध तरीक स परापत नही होता ह

4 वनवशचत ाठयिम को इस विवि की सहायता स रा करना कवठन ह

अभयास परशन

17 परोजकि विवि क जनमदाता _______क वशषटय _______ह

18 ________ही परोजकि विवि का सार ह

19 परोजकि विवि स वशकषण करन क वलए वशकषक तरा छातरो को वजन सो ानो का अनसरण

करना ड़ता ह उन सरी सो ानो को वलवखए

34 उपयकत वशकषण वववधयो का चयन पररािशाली विजञान वशकषण हत विजञान वशकषण की विवरनन विवियो म स वकसका परयोग वकया जाय

वकसी परकरण विशष क वलए कौन सी वशकषण विवि सिोततम होगी इस परकार क बहत सार परशन वशकषक

क मन मवसतषटक म आत रहत ह परायःपरतयक विवि क अ न गण ि दोष होत ह इसवलय वकसी एक

विवि को अचछा और दसरी विवि को ख़राब कहना उवचत नही होगा िासति म विजञान वशकषण की

वकसी री एक ही विवि को सिोततम नही कहा जा सकता ह बवलक विजञान वशकषण हत एक स अविक

विवियो को रक क र म परयोग करक विजञान वशकषण को अविक पररािशाली बनाया जा सकता ह

विजञान वशकषण हत उ यकत वशकषण विवि का चयन मखय र स वनमपन बातो र वनरथर करता ह ndash

i वशकषक की योगयता विषय का जञान ि अनरि

ii परकरण को ढ़ान का उददशय कया ह

iii परकरण का सिर

iv छातरो की आय ि मानवसक सतर

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 133

उ रोकत बातो को धयान म रखत हए वशकषक दवारा विजञान वशकषण हत चाह वकसी री वशकषण विवि का

चयन वकया जाय वकनत एक उ यकत वशकषण विवि िासति म िही ह -वजसक दवारा छातरो को विषय सही

स समझ म आ सक वजसम उनह सियि करक सीखन क अिसर वमल सक वजसम उनको अ न विचार

सितितरता िथक वयकत करन क अिसर वमल सक तरा अ नी समसयाओ ि का समािान करन क अिसर

वमल सक

अभयास परशन

20 विजञान वशकषण हत उ यकत वशकषण विवि का चयन मखय र स वकन बातो र वनरथर करता

ह वलवखए

35 सारााश वशकषण विविया वशकषक का मागथ दशथन करती ह वजस परकार स सही रासत की जानकारी क अराि म

कोई वयवकत अ न गितवय सरान तक नही हच सकता ह ठीक उसी परकार वशकषक एक उवचत वशकषण

विवि की जानकारी क अराि म अ न छातरो को विषय का सही जञान नही द सकता ह

सािारणतया वकसी री विषय क वशकषण स हल यह दखा जाता ह वक इस विषय को कयो ढाया जाय

इसी बात को धयान म रखत हए उस विषय क वशकषण उददशय वनिाथररत वकय जात ह वशकषण उददशय

वनिाथररत करन क शचात यह दखा जाता ह वक वकन वशकषण विवियो क माधयम स वशकषण कायथ वकया

जाय वजसस वक वशकषण क उददशय परापत हो जाय विवरनन अधययनो एिम रीकषणो दवारा यह वनवशचत कर

वलया गया ह वक रौवतक विजञान क पररािशाली वशकषण हत कौन-कौन सी वशकषण विविया उ यकत ह

इस इकाई म हमन विजञान वशकषण की विवरनन विवियो क विषय म तरा पररािशाली ककषा वशकषण हत

इन विवियो को वकस परकार परयोग वकया जाना चावहए इसक विषय म विसतार िथक चचाथ की ह

वशकषक दवारा विजञान वशकषण हत चाह वकसी री वशकषण विवि का चयन वकया जाय वकनत एक उ यकत

वशकषण विवि िासति म िही ह -वजसक दवारा छातरो को विषय सही स समझ म आ सक वजसम उनह सियि

करक सीखन क अिसर वमल सक वजसम उनको अ न विचार सितितरता िथक वयकत करन क अिसर

वमल सक तरा अ नी समसयाओ ि का समािान करन क अिसर वमल सक

36 शब दाविी 1 तिशलषण वकसी णथ िसत को उसक छोि-छोि रागो म विरकत करना अराथत वकसी समसया

को हल करन क वलए उस ऐस छोि छोि खणडो म विरावजत करना वजनको नः सिगवठत करक

समसया का हल वकया जा सक

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 134

2 सशलषणवकसी िसत क छोि - छोि खणडो को न एकवतरत कर दना वजनम वक उस करी

विरकत वकया गया रा

3 परोिकट परोजकि िह कायथ ह वजस री लगन क सार सामावजक िातािरण म णथ वकया

जाता ह

37 अभ यास परशनो क उत तर 1 असतय

2 सतय

3 सतय

4 इस विवि दवारा छातरो म िजञावनक िवषटकोण का विकास नही होता ह

यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

5 इस विवि म वशकषक तरा छातर दोनो सविय रहत ह

यह विवि छोिी ककषाओ ि क वलए अविक उ यकत ह

6 इस विवि दवारा छातरो को सियि परयोग करक सीखन क अिसर परापत नही होत ह

करी करी वशकषक दवारा यवद वकसी कारणिश परयोग सफल नही होता ह तो छातरो क मन म

विषय क परवत कई भािवतयाि दा हो जाती ह

7 सतय

8 असतय

9 सतय

10 यह एक मनोिजञावनक विवि ह

यह छातर कवनित विवि ह

11 यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

इस विवि म छातरो को सियि करक सीखन क अिसर नही वमलत ह अतः सीखा गया जञान

सरायी नही होता ह

12 सिशलषण रक

13 विशलषण

14 सिशलषण

15 यह अविक लमपबी विवि ह इसम समय ि शरम अविक लगता ह

यह विवि सरी परकरणो क वलए उ यकत नही ह

16 यह एक सिवकषपत विवि ह

यह एक तावकथ क विवि ह

17 जॉन डीिी डबल एच वकल वरक

18 ldquoकरक सीखनाrdquo

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 135

19 ररवसरवत उत नन करना

परोजकि का चयन करना

कायथिम बनाना

कायथिम क अनसार कायथ करना

कायथ का मलयािकन करना

समप णथ कायथ का ररकॉडथ रखना

20 विजञान वशकषण हत उ यकत वशकषण विवि का चयन मखय र स वनमपन बातो र वनरथर करता

ह-

i वशकषक की योगयता

ii विषय का जञान ि अनरि

iii परकरण को ढ़ान का उददशय कया ह

iv परकरण का सिर

v छातरो की आय ि मानवसक सतर

38 सदरथ गरार सची 1 रिनागर डॉ ए बी एिम रिनागर डॉ अनराग 2006 वफवजकल साइिस वशकषण आर लाल

वबलकशनस मरठ

2 नगी परो ज एस 2013 रौवतक विजञान वशकषण अगरिाल वबलकशनस आगरा

3 माहशवरी िी क एिम माहशवरी सिा 2005 विजञान वशकषण आर लाल वबलकशनस मरठ

4 httpwwwpreservearticlescom201105216947a-comparative-study-of-

analytic-and-synthetic-method-of-teaching-mathematicshtml

5 httpswwwcsunedusciencerefreasoningdeductive_reasoningdeductive-

chemistryhtml

39 वनबाधात मक परशन 1 विजञान वशकषण की कौन- कौन सी परमख विविया ह इनम स वकसी एक वशकषण विवि का

विसतार िथक िणथन कीवजय

2 आगमन वनगमन विवि कया ह इस विवि को विजञान वशकषण हत वकस परकार परयोग वकया जाता ह

इस विवि क गण -दोषो की री चचाथ कीवजय

Page 4: BED II- CPS 7 I Pedagogy of Physical Science (Part I)BED II- CPS 7 भ तक व# न क श(णश * (भ ग I) Pedagogy of Physical Science (Part I) श#क श# वभ ग, श

अययन बोड( िवशषamp सिमित ोफसर एच० पी० शल (अय$- पदन) िनदशक िश(ाशा िवाशाखा

उराखampड म िव-िवालय

ोफसर मह$मद िमया (बा िवशष)- सदय) पव$ अिध(ाता िशा सकाय

जािमया िमिampलया इ)लािमया व पव- कलपित मौलाना आजाद रा+ीय उद0

िविव$ालय हदराबाद

ोफसर एन० एन० पाडय (बा िवशष)- सदय) िवभागाampय( िशा िवभाग

एम० ज० पी० हलखampड िविव+ालय बरली

ोफसर क० बी० बधोरी (बा िवशष)- सदय) पव( अिधाता िश0ा सकाय

एच० एन० बी० गढ़वाल िविव(ालय ीनगर उराख1ड

ोफसर ज० क० जोशी (िवशष आम)ी- सदय) िशाशा) िव+ाशाखा

उराखampड म िव-िवालय

ोफसर रभा जोशी (िवशष आम)ी- सदय) िशाशा) िव+ाशाखा उराख0ड

म िवampिवालय

डॉ० िदनश कमार (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0 िवाशाखा उ(राखड

म िवampिवालय

डॉ० भावना पलिड़या (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0 िव2ाशाखा

उराखampड म िव-िवालय

सी ममता कमारी (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0 िव2ाशाखा एव सह-

समवयक बी० एड० काय$म उ(राख+ड म िव1िव2ालय

डॉ० वीण कमार ितवारी (सदय एव सयोजक) सहायक -ोफसर िश3ाशा4

िवाशाखा एव सम+वयक बी० एड० काय$म उ(राख+ड म िव1िव2ालय

ोफसर एच० पी० शल (अय$- पदन) िनदशक िश(ाशा

िवाशाखा उ(राखड म िविवालय

ोफसर सी० बी० शमा$ (बा िवशषamp- सदय) अampय रा+ीय

म िवampालयी िशा सथान नोएडा

ोफसर पवन कमार शमा (बा िवशष)- सदय) अिध(ाता

िशा सकाय व सामािजक िवान सकाय अटल िबहारी बाजपयी िह7दी

िविव$ालय भोपाल

ोफसर ज० क० जोशी (िवशष आमी- सदय) िशाशा)

िवाशाखा उ(राखड म िविवालय

ोफसर रभा जोशी (िवशष आम)ी- सदय) िशाशा)

िवाशाखा उ(राखड म िविवालय

डॉ० िदनश कमार (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0

िवाशाखा उ(राखड म िविव$ालय

डॉ० भावना पलिड़या (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0

िवाशाखा उ(राखड म िविवालय

सी ममता कमारी (सदय) सहायक (ोफसर िशाशा0

िवाशाखा एव सह-समवयक बी० एड० काय$म उ(राख+ड म

िविव$ालय

डॉ० वीण कमार ितवारी (सदय एव सयोजक) सहायक -ोफसर

िशाशा िवाशाखा एव सम-वयक बी० एड० काय$म उ(राख+ड

म िवampिवालय

िदशाबोध (ोफसर ज० क० जोशी पव$ िनदशक िश+ाशा- िवाशाखा उ1राख3ड म7 िव8िवालय हlt=ानी काय$म सम(वयक डॉ० वीण कमार ितवारी समवयक िश)क िश)ा िवभाग िशाशा िवाशाखा

उराखampड म िव-िवालय हानी ननीताल उ+राखड

काय$म सह-समवयक सी ममता कमारी

सह-समवयक िश)क िश)ा िवभाग िशाशा िवाशाखा उ(राखड म िवampिवालय ह-ानी ननीताल

उराखampड

पाठयampम सम)वयक डॉ० कनक शमाamp

पोट डॉटोरल फलो आई० ए० एस० ई० जािमया िमिampलया इलािमया नई िद+ली

पाठयampम सह समवयक डॉ० अिखलश कमार

सहायक ampोफसर िशा िवampापीठ वधमान महावीर खला िविवालय

कोटा राजथान

धान सampपादक डॉ० वीण कमार ितवारी

समवयक िश)क िश)ा िवभाग िश)ाशा- िवाशाखा उराखampड म िव-िवालय ह23ानी ननीताल उराखampड

उप स$पादक डॉ० कनक शमाamp

पोट डॉटोरल फलो आई० ए० एस० ई० जािमया िमिampलया इ)लािमया नई िदampली

िवषयवत स)पादक भाषा सपादक ाप सampपादक फ़ सशोधक सी ममता कमारी

सहायक ampोफसर िश-ाशा िवाशाखा उ(राखड म

िविव$ालय

सी ममता कमारी सहायक ोफसर िश)ाशा+ िवाशाखा उ(राखड म

िविव$ालय

सी ममता कमारी सहायक ampोफसर िश-ाशा िवाशाखा उ(राखड म

िविव$ालय

सी ममता कमारी सहायक ampोफसर िश-ाशा िवाशाखा उ(राखड म

िविव$ालय साम$ी िनमा(ण

ोफसर एच० पी० शल िनदशक िशाशा) िव+ाशाखा उराख0ड म4 िव5िव+ालय

ोफसर आर० सी० िम िनदशक एम० पी० डी० डी० उराखampड म िव-िवालय

copy उराखampड म िवampिवालय 2017 ISBN-13 -978-93-85740-74-9 थम सampकरण 2017 (पाठयampम का नाम भौितक िवान का िश(णशा (भाग I) पाठयampम कोड- BED II- CPS 7) सवा$िधकार सरित इस पतक क िकसी भी अश को ान क िकसी भी मा+यम म- योग करन स पव5 उ7राख9ड मlt िव=िवgtालय स िलिखत अनमित लना आवयक ह इकाई लखन स सबिधत िकसी भी िववाद क िलए पण56पण लखक िज8मदार होगा िकसी भी िववाद का िनपटारा उराखampड उ(च यायालय ननीताल म2 होगा िनदशक िशाशा) िव+ाशाखा उराख0ड म4 िव5िव+ालय 8ारा िनदशक एम० पी० डी० डी० क मायम स उ)राखड म िव2िव3ालय क िलए मि6त व 8कािशत काशक उराखampड म िव-िवालय मक उराखampड म िव-िवालय

काय$म का नाम बी० एड० काय$म कोड BED- 17

पाठयampम का नाम भौितक िवान का िश(णशा (भाग I) पाठयampम कोड- BED II- CPS 7

इकाई लखक खड सया

इकाई सया

डॉ० सनीता सदरयाल सहायक ampोफसर िश-ा िवभाग हीरालाल यादव ग4स5 पी० जी० कॉलज लखनऊ

1 1

डॉ० कनक शमाamp पोट डॉटोरल फलो आई० ए० एस० ई० जािमया िमिampलया इ)लािमया नई िदली

1 2 2 3

डॉ ० आाशिamp राय सह ोफसर िविश+ िशा सकाय शक2तला िम6ा रा78ीय पनवाltस िव=िवgtालय लखनऊ

1 3 व 5

डॉ० जय काश िसह सहायक ampोफसर िश-ा िवभाग ग2 घासीदास िव6िव7ालय िबलासपर

1 4

डॉ० िदया शमा( सहायक ampोफसर ारिभक िश)ा िवभाग माता सदरी कॉलज फॉर िवमन नई िदली

2 1

डॉ० सनीता िसह सहायक ampोफसर िश-ा िवभाग राजीव गाधी दि+णी परसर बी० एच० य० बरकछा िमजा)पर

2 2

BED II- CPS 7 भौितक िवान का िश(णशा (भाग I) Pedagogy of Physical Science (Part I)

खड 1 इकाई स० इकाई का नाम प स०

1 िवान अथ( )कित एव 1 2-18

2 भौितक िवान एव समाज 19-36

3 िवान क मायम स ान और समझ िवान क िया कौशल का िवकास वािनक िकोण और वािनक मनोवि का िवकास िवान म िजासा रचनामकता और सदय बोध (मायिमक तर) िवकिसत करना भौितकamp और रसायन िवान म िजासा रचनामकता और सदय बोध िवकिसत करना (उचतर मायिमक तर) ान (भौितकamp रसायन िवान) िशा को पया$वरण (ाकितक पया$वरण कलाकितय( और लोग$) ौोिगक( और समाज स जोड़ना

37-53

4 भौितक िवान िश+ण क अिधगम उ34य 54-69

5 भौितक अिधगमकता) को समझना- याज़ और वायगो+सक क ि1 म3 अिधगमकता7 अिधगमकता) को +-रत करना शािमल करना वाता$ करना और मयथता अिधगम िवान िशक क) भिमका

70-86

खड 2 इकाई स० इकाई का नाम प स०

1 भारतीय कल म िवान पाठयचया 88-105

2 पाठयचया िशण रणनीितय( और भौितक िवान क िनवतमान (झान 106-116

3 िवान िशण क िविधया और नीितया 117-135

4 इकाई चार -

5 इकाई पाच -

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 1

खणड 1

Block 1

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 2

इकाई 1- विजञान अरथ परकवि एि कषतर

11 परसतािना 12 उददशय 13 विजञान अरथ

14 विजञान की परकवत

141 विजञान अनिषण का कायथकषतर ह

142 विजञान एक गतयातमक परविया ह 143 विजञान जञान का विसतारशील व िड ह 144 विजञान अविगम का अितविथषयक कषतर ह

145 विजञान एक अनतराषटरीय उदयम ह

146 विजञान जञान वनमाथण की परविया ह 15 सारािश 16 अभयास परशनो क उततर

17 सनदरथ गरनर सची

18 वनबििातमक परशन

11 परसतावना विजञान एक वया क अनशाशन ndash समचचय ह वकसी काल म इन विजञानो की विशषताओ ि को उस

समपपरयातमक तान बान स जञात वकया जा सकता ह वजसस ि वनवमथत होत ह विजञान क आिार वनरितर

ररिवतथत होत रह ह इस इकाई म विजञान क अरथ को समझन की चषटा करग तरा उसकी परकवत को री

जानन की कोवशश करग विजञान एक गतयातमक परविया क सार सार अनिषण री ह अनिषण की इस

परविया को गहराई स जानग इसक अवतररकत विजञान की अितविथषयक परकवत को री समझग यही नही य

री जानग वक विजञान एक विसतारशील व िड ह वजसक फलसिर इसका एक अनतराषटरीय उदयम होन क

कषतर री विसतत हो रह ह इस इकाई म विजञान का हमार जीिन म कया महतति एिि रवमका ह इस र री

चचाथ होगी

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 3

12 उददशय इस इकाई का अधययन करन क शचात आ -

1 विजञान क अरथ का सरलीकरण कर परसतत कर सक ग

2 विजञान की परकवत का वििरण द सक ग

3 विजञान की गतयातमक परकवत का अिबोि कर सक ग

4 अनिषण परविया को विसतार िथक समझ सक ग

5 जञान वनमाथण क परतयय का अरथ समझा सक ग

6 विजञान म जञान का वनवमथवतकरण बता सक ग

7 विजञान का अितविथषयक सिर की अििारणा कर बता सक ग

13 ववजञान अरथ हल हम य जानन की कोवशश करत ह वक विजञान आवखर ह कया सिवििान क अनछद ५१ (अ) क

अनसार विजञान एक ldquo िजञावनक मनोिवत मानिता तरा अनिषण की रािना एिि बदलाि का विकास हrdquo

विजञान शबद की उतत वतत ldquoसाइिसrdquo (science) शबद स हई जो एक लविन राषा ldquoसाइिवशयाrdquo (scientia)

स वलया गया ह इसका अरथ ह ldquoजाननाrdquo वहिदी म विजञान का सिवि विचछद ह वि + जञान = विवशषठ जञान

आइिसिीन क अनसार ldquoहमारी जञान अनरवतयो को असत-वयसत विवरननता को एक तकथ णथ

विचार परणाली वनवमथत करन क परयास को विजञान कहत हrdquo िवडत जिाहरलाल नहर री विजञान का

विसतार चाहत र उनका कहना रा वक ldquoविजञान का अरथ किल मातर रखनली तरा कछ बड़ा या छोिा

बनान क वलए इसको और उसको वमलाना ही नही ह अव त िजञावनक विवि क अनसार हमार मवसतषटक को

परवशकषण दना ही विजञान हrdquo

मानि जनम स ही वजजञास पराणी ह अत िह अ न आस ास की िसतओ ि एिि घिनाओ ि की

ररवसरवतयो तरा उनम बदलाि को महसस करता ह तरा उसक बार म जानना चाहता ह

तिया कलाप

आ एक विजञान वशकषक क नात अ न अविगमपकताथओ ि स छ वक ि अ न आस ास ऐसी कौन कौन

सी आशचयथजनक या आकवषथत करन िाली घिनाए या िसतएि दखत ह वजनक बार म आ जानना

चाहत ह ऐसी िसतओ ि ि घिनाओ ि की सची बनाय इस सची र बाद म आ चचाथ कर सकत ह

जस उस िसत या घिना म कया आशचयथचवकत लगा

इसको आ न कब दखा या महसस वकया

इसक बार म जानन क वलए आ न आग कया वकया आवद

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 4

मानि न अ न विकास क सार जञान का री एकतरीकरण कर वलया ह इस जञान रणडार को हचानना

समझना जािचना और वफर परसततीकरण क वलए िमबदध करना री आिशयक ह अत विजञान का अरथ ह

वकसी िासत अरिा घिना का िमबदध अधयन ह

अभयास परशन

1 आ क अनसार विजञान का कया अरथ ह

14 ववजञान की परकवत समय क सार सार विजञान म री बदलाि दखन को वमल रहा ह य री दखा गया ह वक विजञान क मायन

री बदलत जा रह ह हर विषय या अनशाशन की एक परकवत होती ह और जररी नही वक िो एक जसी

हो कई िजञावनको एिि वशकषाविदो न विजञान की परकवत को लकर अ न विचार परकि वकय ह परकवत को

लकर कई िाद वििाद ि चचाथ होती आई ह जस -

कछ लोगो का मानना ह की िह ldquoसिजञाrdquo ह तो कछ इस वयिहारगत र दकर ldquoवियाrdquo माना ह

तरा कछ इस दोनो मानत ह

कछ लोग इस िमबदध जािच ड़ताल मानत ह

कछ इस वनवशचत ि जञानवनियो क आिार र अनरि मानत ह

िही कछ लोग इस जञान का व िड मानत ह

कछ लोग इस एक घिनािसत क परवत िजञावनक दवषटकोण मानत ह

कछ लोग इस तावकथ क जञान की सिरचना वनमाथण री मानत ह

तिया कलाप

आ विजञान की वकस परकवत स सहमत ह या आ विजञान की कोई अनय परकवत समझती ह आ उस

परकवत र वचितन करन क वलए विजञान की सतक स कोई परकरण ल सकत ह आ अ न

अविगमकताथओ ि क सार उदाहरण की सहायता स चचाथ कर इस चचाथ क आिार र आ वनषटकषथ

वनकाल तरा उस आिार र विजञान की परकवत की जािच कर

जब आ विदयालय म विजञान विषय का अधयन करत र और आज जब एक विजञान वशकषक बन रह ह तो

दोनो ही म वसतवरयो म आ न बहत अितर महसस वकया होगा विजञान को लकर तबका दवषटकोण आज स

वबलकल वरनन होगा नए अविषटकारो खोजो जानकाररयो न विजञान का सिर ही बदल कर रख वदया ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 5

हल की तलना म आज विजञान वशकषण अलग विवि स वकया जा रहा ह अविगमकताथओ ि म परयोग

अनिषण आवद जस गणो का विकास कराया जा रहा ह ारि ररक तरीक को छोड़ कर नई विवियो दवारा

वशकषक को विजञान ढाना ि समझाना ह छातरो को तकथ करन चचाथ करन परशन करन सजथन करन आवद क

वलए सितितरता दनी होगी

तिया कलाप

विजञान वशकषण विविया जो आ क समय म री और आज वजन विवियो स वशकषण होता

ह उनक बीच म तलना कर य री समझ की उस समय की कौन सी विवि आज री लाग

कर सकत ह और वकनम बदलाि आिशयक ह सार ही य जानन की चषटा कर की

ितथमान समय म उ यकत होन िाली कौन सी विवि अन योगी ह

बरनर शिाब एिि वकि ग क अनसार विजञान की परकवत क तीन मखय सिरचनाएि ह ndash

i तिजञान की मौतलक सरचना ndash यह विजञान का सरायी कष क बराबर माना गया ह जस-

तथय वनयम वसदधाित आवद

ii तिजञान की सरचनातमक सरचना ndash यह विजञान क परविया अरिा गवतशील कष स समपबिवित

ह इसम जािच ड़ताल खोज आिकड़ एकतर करना वनषटकषथ वनकलना आवद आत ह

iii तिजञान का सामातिक पकष ndash समाज म समायोजन क वलए विजञान का सामावजक होना

आिशयक ह समाज क विकास क वलए वमरक अििविशवास करीवतयो आवद स छिकारा ान

क वलए विजञान म सामावजकता होनी चावहए विजञान की सहायता स आिवनकता क सार सार

सिसकार णथ ि सरी समाज बनाना ह

हम य कह सकत ह वक विजञान की परकवत का सही जञान वशकषको को अ नी कशलता बढ़ान म सहायक

होगी सार ही सिपरतयय ररितथनो को वियानियन करन म री सहायक होत तद राित अविगमकताथओ ि क

अविगम को अिबोि करन म सहायक होगा (मरवस १९९४)

ऊ र वदए गए तथयो क आिार र हम य वनषटकषथ वनकाल सकत ह वक विजञान की परकवत क मखय

वसदधाित ह-

विजञान एक अनिषण ह

विजञान एक गतयातमक परविया ह

विजञान जञान का विसतारशील व िड ह

विजञान अविगम का अितविथषयक कषतर ह

विजञान एक अनतराषटरीय उदयम ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 6

विजञान अकसर अवनवशचत होता ह

विजञान जञान वनमाथण की परविया ह

विजञान एक मानवसकता अरिा अवरिवत ह

ऊ र वदए गए सरी वसदधाितो र आिाररत विजञान क सिर को हम एक एक कर जानग ि समझग

141 तिजञान एक अनिषण का काययकषतर ह

जब हम अ न आस ास क िातािरण को दखत ह उसम उ वसरत िसतओ ि को होन िाली घिनाओ ि

आवद को अनरि करत ह तब हम उन अनरिो को एकतर करत ह इन अनरिो क सिकलन को िमबदध

करन क शचात उनकी जािच ड़ताल करत ह य सार चरण आिशयक नही ह की एक वयजञावनक क राती

ही वकय जाए अविगामकताथ अ न सतर र अ न अनरि एिि समझ स कर सकता ह जररी य ह की

छातरो म अनिषण करन की पररणा जागत हो इसक वलए विजञान वशकषक होन क नात आ को छोिी छोिी

वियाओ ि दवारा इस रािना का विकास कर सकत ह

तिया कलाप

आ छातरो स आस ास होन िाली दवनक परवियाओ ि की सची बनान को कह जस - रात कय होती

ह सरज गमथ कय ह इनििनष िषाथ क समय ही कय वदखता ह आवद

अविगमकताथओ ि को अ नी गयी सची म स कोई एक परविया का चयन करन को कहा ि अ नी

रवच क आिार र री परविया को चन सकत ह अब उनह उस परविया स समपबिवित समसत

जानकारी एकतर करन को कह इसक वलए ि अ न अवररािक राई-बहन वकसी बड़ अरिा

वशकषक की सहायता ल सकत ह अगर इनिरनि की सहायता री लना चाह तो िो री ल सकत ह

इस परविया स उनक अिदर उतसाह वजजञासा तत रता अितविया वचितन आवद जस गणो का विकास

होगा अनिषण छातरो म सितितर र स कायथ करन म सहायता परदान करता ह

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िरथ एिि गरोललमन न इस र आिाररत एक मॉडल परसतत वकया रा जो इस परकार स ह

अनिषण अतिगम चि (िरय एि गरोललमन २००३)

य वचतर विजञान अनिषण परविया को स षट र स समझाता ह अविगमकताथ अ नअ न आस ास घवित

होन िाली वकसी परविया या िसत को दख आकवषथत या आशचयथचवकत होता ह य उसक वलए उददी न का

कायथ करता ह जो उस उस घिना या िसत क बार म जानन क वलए उतसक एिि तत र करता ह इसक वलए

िह परशन उठाता ह उततरो क सरोत खोजता ह तथय एकतर करता ह वफर जािच ड़ताल करता ह और

धयान दना चमतकार जािच

परवतविया परशन बढ़ाना

अिलोकन र कवनित परशन उठाना परशनो को स षट करना

अिलोकन क परवत अविक कवनित होना

वनयोजन खोज अिलोकन जािच- ड़ताल

निीन जािच- ड़ताल क वलए परयतन करना आिकड ि अनरिो एकतरीकरण

अनरिो को सिगवठत कर उनम सिबिि जािचना

सरी आिकड़ोविचारो को सिगवठत कर आकवत ि सबिि परवत ावदत कर

विचारो ि अनरिो को बािि

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वनषटकषो र हचन की कोवशश करता ह वजसस िह िमबदद कर सकअ न दवारा एकतर जानकाररयो ि

वनषटकषो को अ न सावरयो अवररािको वशकषको आवद स आदान परदान करता ह अ नी इस परविया

स उस आतमबल ि सितवषट वमलती ह

142 तिजञान एक गतयातमक परतिया ह

विजञान गतयातमक इसवलए कहा जा सकता ह कयिवक हम अित म उत ाद तक एक परविया दवारा हचत ह

रनत विया यही समापत नही होती अव त उत ाद का परकषण कर परशन उररत ह परशन वफर एक िजञावनक

विवि को जनम दत ह अत कह सकत ह वक विजञान एक चविय परविया ह तरा िजञावनक जञान सदि

असरायी होता ह बीएससीएस(२००५) क अनसार परशन इन कसौवियो र छ जान चावहए ndash

परशन अ न आस ास की दवनया म उ वसरत िसत या घिनाओ ि र आिाररत होन चावहए

िजञावनक सिपरतय क आिार र विचारो स समपबिवित परशन होन चावहय

परशन परयोगो ि अिलोकन क आिार र होन चावहए

परयोगो अरिा अिलोकन स परापत साकषयो क आिार र परशन होन चावहय

विजञान हम अ न लकषय तक हिचता ह रनत वजस रासत स हम उस उददशय तक हचत ह िो अ न आ

म एक िजञावनक परविया ह अत हम य कह सकत ह वक विजञान एक परविया क सार उत ाद री ह

उतपाद (सरायी) इसक अितगथत वनमपनवलवखत शावमल ह-

मल तति

वनयम

वसदधाित

सामानयीकरण

परतयय अििारणाएि

परतिया (गतयातमक पकष) इसक अितगथत वनमपन शावमल ह-

(अ) िजञावनक अवरिवतत

(ब) िजञावनक मानवसकता

(स) िजञावनक विवि

(अ) िजञातनक अतभिति क अितगथत वनमपन आत ह-

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(i) उदारता (ii) वजजञासा (iii) सतयता र विशवास (iv) िसतवनषठता (v) असफलता क परवत

सकारातमक अवरिवतत

(ब) िजञातनक मानतसकिा क अितगथत वनमपन आत ह-

(i) परशन उठाना (ii) ररकल ना बनाना (iii) यथिकषण (iv) िथ अनमान लगाना

(स) िजञातनक तिति - इसक अितगथत वनमपन आत ह ndash

(i) समसया (ii) ररकल ना (iii) अनपरयोग (iv) परकषण (v) वनषटकषथ

i समसया- यह एक तथय घिना िसत अरिा समसया री हो सकती ह इस समसया या घिना क

सा कष म परशन उठान चावहए परशन वकन कसोवियो क आिार र हो य हम बीएससीएस दवारा

वदए गए सझािो क आिार र चचाथ कर चक ह परवतवियाओ ि ि उततरो क आिार र कछ

सिरावित समािान द सकत ह वजनह हम ररकल ना कहत ह

ii पररकलपना- इन सिरावित समािान को एक एक कर ररकषण करत ह तरा जो सही उततर हो

उस सिीकार कर लत ह तरा जो ररकल ना खरी न उतर उस छोड़ दत ह हयर (२००६) क

अनसार ररकल ना का वनमाथण करत समय वनमपन बातो का धयान रखना चावहए-

एक ररकल ना को मौजद परकषण क अनर होना चावहए

ररकल ना परशन की जानकारी अरिा सिरावित उततर क नज़दीक होना चावहए

ररकल ना समसया का नावतज़ा एक तथय क र म परसतत कर

ररकल ना विवशषट सिर की होनी चावहए

ररकल ना ररकषण योगय होनी चावहए

ररकषण वकसी परयोग अरिा ररकषण स हल वनवमथत की जानी चावहए नाकी ररकषण क

शचात

iii अनपरयोग- जो ररकल ना बनायी गयी ह उनह जािचन क वलए कई परयोग एिि अनपरयोग की

सहायता लनी ड़ती ह इसम वशकषक अविगमकताथओ ि की सहायता कर सकत ह जािच ड़ताल

क वलए री अचछी तयारी ि वियानियन अिशयक ह परयोग हम कई चीज स षट कर दती ह तरा

सही वनषटकषथ अरिा समािान तक हच सकत ह

iv परकषण- जािच ड़ताल हम कई वनषटकषो की ओर ल जात ह इन परयोगो को साििावन िथक

दखना समझना आिशयक ह वजसकी सहायता स सही वनषटकषथ तक हिचा जा सक गलत

अिलोकन हम िजञावनक ररकषण स रिका सकता ह हल चरण स ही परकषण शर हो जाना

चावहए अविगमकताथ वशकषक या अनय अनरिी वयवकत की सहायता स जािच क वलए आिकड़

अरिा तथय एकवतरत कर सकता ह इन आिकड़ो को सही िम स सिगवठत करना आिशयक ह

वजसस वनषटकषथ तक हिचना आसन हो

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v तनषकषय- अविगमकताथओ ि को अ न परकषण क आिार र वनषटकषथ वनकलना तरा उस

नयायसिगत वसदध करना री उतना ही आिशयक ह उसको स षटीकरण क सार परसतत करना री

जररी ह इसक आिार र ही ररकल ना सिीकत अरिा असिीकत होती ह

तिया कलाप

विजञान वशकषक क तौर र आ अविगमकताथओ ि म िजञावनक अवरिती विकवसत करन क वलए

िजञावनक विवि दवारा वियाएि करा सकत ह विजञान की ाठय सतक स कोई परकरण क कर या

उनकी रवच का कोई परकरण री ल सकत ह जस ौि की जड़ो म डाला गया ानी ऊ र तन

वततयो फलो ि फलो तक कस हचता ह

- अविगमकताथओ ि को य तथय समझन का अिसर द

- उनह परशन करन की सितितरता द

- अनरि एकतर करन को कह

- जािच ड़ताल करन को कह

- आिकड़ एकतर करन को कह

- इन सब क आिार र स षटीकरण दन का अिसर द

- वनषटकषथ वनकालन को कह

- खोजी गयी जानकाररयो को बािन को कह

इस परकार की विया स विजञान वशकषण अनिषणनातमक बनगा

143 तिजञान जञान का तिसिारिील तपड ह

जस हम हल ही चचाथ कर चक ह वक जब आ न विजञान ढ़ा होगा और जब आ एक विजञान वशकषक ह

तो दोनो ररवसरवतयो म बहत अितर आ गया ह विजञान का वनरितर विकास हो रहा ह हम यह री जान

चक ह वक विजञान की परकवत गतयातमक री होती ह अत उसम कई ररितथन आय ह हम यह री कह

सकत ह वक विजञान क जञान क व िड का विसतार हो रहा ह इस जञान क व िड म तथय मल तति सिपरतयय

वसदधाित वनयम आवद सवमपमवलत ह अगर आ विजञान की सतक क विवरनन परकरण दखग तो ाएिग की

कई परकरण जस क तस जस आ न ढ़ र िस ही आ ढ़ा रह ह िही दसरी और कई परकारो म बदलाि

आय ह कई वनयम वसदधाित आवद आज री अिल ह और कछ सिशोवित या असिीकार कर वदए गए ह

इस उदाहरणो दवारा समझग-

हल हम ढ़त र की नौ गरह होत ह रनत अब नौिा गरह पलिो को इस सची स हिा वदया गया

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मड़लीि क दवारा दी गई आिवत सारणी म तो कई सिशोिन हए ह उस सारणी म कई नए तति

जड़त जा रह ह और आग और जड़न क आशा ह

हल परदषण क परकार म जल िाय धिवन आवद क बार म ढ़त र वफर नारकीय परदषण जड़ा

और आज हम इलकरॉवनक परदषण और यहा तक की सामावजक परदषण की री बात करत ह

दसरी और कछ ऐस उदाहरण ह जो आज री िस ही ढ़ जात ह जस नवतोन क गवत क वनयम

गरतिाकषथण E =mc2 (उजाथ ररितथन) आवद

अत जञान का व िड ररितथनशील ह कई तथय वनयम वसदधाित आवद िही ह र उनम क री कई

उ योग म बढ़ोतरी हई ह समय सभयता ि मािग एिि जररत क आिार र बदलत रहत ह

तिया कलाप

वकसी री विजञान की ाठय सतक (ककषा ७ या ८) क वकसी री परकरण को छाि कर य बताय की

उनम कया ररितथन आय ह इन ररितथनो को अ न अविगमकताथओ ि क सार बाि उनह समझाएि की य

ररितथन कय और कस आय ह इसक अवतररकत िो परकरण री ल जो मल तौर र तो िही ह र उनम

विसतार हआ ह जस- रमाण की जब खोज हई तो उसम उ वसरत परोिोन इलकरान वफर नयरॉन

खोजा गया र खोज यही नही रकी अब ॉवज़रान आ गया तो य विसतारीकरण अनय कई उदाहरणो

दवारा री समझाए जा सकत ह

यहा एक बात और समझनी होगी की विजञान न वसफथ अचछा जञान ही नही िरन कछ गलत उददश स री

परयोग वकय गए ह यदध म परयोग होन िाल हवरयार बारद वमसाइल आवद सब विजञान की द ह डर की

बात तो य ह वक इन म सिार हो रहा ह तरा हवरयार और खतरनाक हो रह ह हम य री कह सकत ह की

विजञान न अगर मानि का विकास वकया ह तो वदन दर नही जब य ही विजञान का जञान हमारा विनाश

करगा अत विशव को समझना होगा की विजञान को जीिन बहतर करन क वलए परयोग करना ही उवचत

होगा

144 तिजञान अतिगम का अितियषयक अिरानिाशनीय कषतर ह

एक विषय अनशाशन तब कहलाता ह जब उसम ससिकवतक विषय िासत हो तरा अ नी ही एक

तकनीक हो एिि मलयो का अवदवतया समह हो एक अनशाशन म वनमपन विशषताएि होती ह-

अ नी विशष विषय िासत

िो वकसी वयिसाय या सामावजक विया स जड़ा होता ह

उसक अधययन का अ ना ही तरीका होता ह

उसक अनसनिान का री अ ना ही विवशषठ कषतर होता ह

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मलयो का विशष समह होता ह

सिचालन की अ नी ही सिवहता होती ह

रनत कई बार ऐसा ाया गया ह वक कछ विषय िसत परकरण कई अनशाशन का वहससा

बन जात ह ऐसा हमन कई िजञावनको की खोज ि अविषटकार म री ाया ह जस की रमाथमीिर

(ता मा ी) की अगर बात कर तो कई परयोगशालाओ ि विदयालयो वचवकतसा म परयोग होता ह

परशन य उठता ह की हम ता मा ी को वकस विषय म ढ़- रसायन रौवतकी वचवकतसय विजञान

आवद ऐस बहत स उदाहरण ह जो कई विषयो म ढ़ ि ढाय जा साकत ह इसका अरथ ह वक

जब हम दो या दो स अविक अनशाशन विषय की ारस ररक विया ि परराि दखत ह तो इस

अितविथषयक या अितरानशावशनक कषतर कहत ह

तिया कलाप

ककषा-८ अरिा ककषा-९ की विजञान की ाठय सतक म ऐस परकरण की सची बनाय जो हम अनय विषयो म री

ढ़त ह जस परदषण को हम रौवतकी रसायन अरथशासतर रगोल नवतक शासतर आवद म ढ़त ह इसक शचात

जान की ऐसी कौन सी विशषताएि वजनक कारण िो उस विषय म ढाया जाता ह या ढाया जा सकता ह

ऊ र वदए गए वििरण स ता चल गया होगा की विषय आ स म समपबिवित होत हविषय क बीच कोई

स षट सीमािकन नही होता ह आजकल एक नई दधवत सनन ि दखन को वमल रही ह ndash अितविथषयक

अरिा अितरानशाशनीय उ ागम य दधवत न किल अनसनिान अव त वशकषण कायथ म री परयकत हो रही

ह इसका सबस सही उदाहरण ह ldquoविजञानrdquo य वकसी न वकसी र म हर विषय म उ वसरत ह अत

विजञान एक अितविथषयक कषतर बन जाता ह

एक अनशाशन क दवारा िह जञान होता ह जो अनय विषयो म जगह ता ह इसका तात यथ यह ह वक

आज क यग म जब जञान का विसफोि हो रहा ह तो हर विषय क विशषजञ को वमलकर कई समसयाओ ि का

समािान करना होगा इसका एक बहत अचछा उदाहरण ह वक एक अवरयिता अ न कोसज क दौरान

वसफथ तकनीक स समपबिवित विषय ही नही ढता िरन रौवतकी रसायन गवणत आवद क सार सार

वयािसावयक मनोविजञान वयािसावयक सामावजक विजञान याथिण विजञान वयािसावयक मलय एिि

सदाचार का री अधयन करत ह इसस छातरो का समप णथ विकास होता ह यहा वशकषण का उददशय एक

इिवजवनयर बनान का नही ह अव त एक यथिारण जागरक सिसर सोच सामावजक अ कषाओ ि र खरा

उतरन िाल इिवजवनयर तयार करना ह जो अ न वयिसाय ि समाज म आग बढ़ सक तो अब हम य जान

चक ह की विजञान का अितविथषयक होना वकतना महति णथ ह

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हल विजञान को ldquoपराकवतक दशथनrdquo कहा जाता रा कयिवक य माना जाता रा वक विजञान चारो तरफ

विदयमान ह और विजञान ही इनकी खोज ि जािच ड़ताल करता ह जस- आकाशीय व िड गरह नकषतर

िाय जल ड़- ौि जीि-जित आवद रनत जञान विसफोि क सार ही य िारणा बदलन लगी विजञान का

कषतर इतना वया क हो गया ह वक उस एक शीषथक क अितगथत रखना मवशकल हो गया ह विजञान का

िगीकरण वकया गया वजसस उसक हर हल को समझन म सहायता वमल चवक विजञान का िगीकरण

वकया गया ह तो इसका अरथ य हआ ही हर िगथ एक अलग विषय बन गया ह रनत आ स म सह-

समपबनि बरक़रार ह इस हम अनिम चािथ दवारा समझग

अब हम कछ तिषयो को लकर दखग तक तिजञान का उनस कया समबनि ह

विजञान को हम एकाकी तौर र नही ढ़ सकत विजञान की हर शाखा एक दसर र वनरथर ह कई िजञावनक

परकरण विवरनन शाखाओ ि म वमलग जस

राषा क परकरण म गदय म ऐस ाठ हो सकत ह वजनम आविषटकारो िजञावनको की जीिनी आवद

हो सकत ह

इसी परकार स सामावजक विजञान म विजञान दखन को वमलगा समाज सामवजक सिसकवत

सामावजक सिगठन अििविशवास आवद को विजञान क तथयो दवारा ढाया जा सकत ह

पराकवतक दशथन

पराकवतक विजञान रौवतकी विजञान

आयविथजञान

िनस वत

विजञान

पराणी -

विजञान

रौवतकी

रासायवनक

खगोवलक

गवणत

रगावरथकी

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 14

रगोल म मदा मौसम फसलो का रगोलीय वितरण र आिाररत बआई आवद विजञान की

सहायता स री ढाय जा सकत ह

इवतहास म थिी का उदय मानि का जनम उसक समय क सार बदलत विया कला

िजञावनक अविषटकार वजसन मानि जीिन को परोरावित वकया

कवषविजञान ि विजञान का तो बहत गहरा समपबनि ह

अत य जानना री आिशयक ह की सह-समपबनि सोच समझ कर समझाना चावहए अराथत

अितविथषयक सिर दकर ऐसा न हो वक आ अनय विषयो का अविक महतति द वशकषक को य

दखना होगा की विजञान को अनय विषयो क सार सिबवित कर वशकषण करना ह तरा क ि

ldquoविजञानrdquo ही रहगा अनय विषयो स समपबनि चीदा नही होन चावहए विषय िसत सरलतम सतर

र लाकर ही ढाई जानी चाहए

145 तिजञान एक अनिराषटरीीय उयमम ह

विजञान क विसतार न हमार जीिन म औदयोगीकरण अनतराषटरीयकरण तरा सािथरौवमकता को परचवलत

कर वदया ह जीिन क हर कषतर म चाह िो वचवकतसा हो अरिा सचना परोदयोवगकी तकवनकी हो अरिा

वशकषण खान- ान हो अरिा रहन-सहन आवद म वया क बदलाि आया ह आज विजञान और तकनीक

न र विशव को सिकवचत कर वदया ह हम अ न घर म बठ बठ ही अनय दशो की समसत जानकारी ल

सकत ह बहत स उदयोग वसफथ इनिरनि क दवारा चलाय जा रह ह य उदयोग री उससी रफ़तार स फल फल

रह ह जस घरल उदयोग इसक कई उदाहरण ह जस मोबाइल कि नी कि पयिर की कमप नीयाि जत सौदयथ

परसािन आवद

विदशी तकवनकी एिि उनकी कि वनयाि अरिा अनसनिान क सहयोग क वलए सरकार री उदारीकरण की

वनवत को अ ना रही ह विदशी उदयोग री रारतीय उदयोगो ि अनसनिान क वलए तत र ह ऐसी नीवतया

रारत का अनतराषटरीयकारण करन म सहायता परदान करता ह इन सब कायो म विततीय सहयोग अतयित

आिशयक ह अत हम अब अनतराषटरीय उदयम र कवनित होना होगा कयिवक घरल उदयोग स दश का

विकास िीमा हो जाता ह और हम अनय विकवसत दशो स व छड जायग अत हम विततीय तौर र सदड

होन क वलए अितराथषटरीय सतर र जाना होगा आज हम अमररका जा ान कोररया चीन मलवशया

वसिगा र दवकषण अफरीका ऑसरवलया आवद जस दशो क सार वमलकर कई उदयम म सहयोग कर रह ह

इस हम उदयम का अनतराषटरीयकारण कहत ह बहत साड़ी घरल कि वनयाि री विदशो म वनिश कर रह ह

जस ररलायिस िािा िीसीएस आवद अत विजञान एक अनतराषटरीय उदयम बन रहा ह रनत इस बढ़न क

वलए सरकार एिि बड़ी वनजी कि वनयो को आग आना होगा

146 तिजञान जञान तनमायण की परतिया

आज हम वयिहारिाद स वनवमथतिाद जञान की और ररिवतथत हो रह ह विजञान अ न आ म एक परविया

ह जो िजञावनक विवि का अनसरण कर आग बढती ह इस विया दवारा जञान का वनमाथण होता ह कोई री

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 15

जञान तब ही विशष अरिा वनवशचत होता जब िह जञान इस परविया दवारा वनवमथत होता ह विजञान ही इस

नही मानत अव त अनय विषयो म री य िजञावनक परविया दवारा ही अधयन होता ह

वशकषक की रवमका री ररिवतथत हो चकी ह हल वशकषक एक परषक क र म रा अराथत िो जञान

अविगमकताथओ ि तक हचात र अब य वसरवत बदल रही ह विजञान वशकषक को अब विजञान वशकषण

विवरनन चरणो दवारा करना होता ह अब वशकषक अविगम का रासता सगम बनान की कोवशश करता ह

इसक वलए छातरो को परोतसावहत वकया जाए की अविगम िजञावनक विवि स कर ऐस जञान का वनमाथण

सराई होता ह जञान क वनमाथण क विवरनन चरण होत जस-

तथयपरवियाघिना का

अिलोकन

कई अनरि आिकड एकतर

होत ह

अनमान क आिार र जािच

ड़तालअनिषण करना

जािच क आिार र परतयय वनमाथण

करना

िजञावनक जञान का वनमाथण

जञान का िासतविक जीिन म

परयोग करना

अनरिो क आिार र िथ

अनमान लगाना

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 16

तिया कलाप

छातरो को विजञान की सतक स कोई परकरण चनन को कह जो उनह समसया अरिा ऐसा तथय लगता ह वक

वजसकी जािच ड़ताल ि आसानी ि रवच णथ ढिग स कर सक उनको वदशा वनदश दद उनह सियि सब

जानकाररया एकतर करन द उनका समय समय र नबथलन द सही वदशा म कायथ करत दख उनह परोतसावहत कर

जञान का वनमाथण ि कस करत ह उनस स षटीकरण मािग तरा सावरयो क सार चचाथ करन को कह

अत अब िजञावनक विवि िजञावनक अनिषण दवारा जञान क वनमाथण की और ररिवतथत हो गया ह अब हम

य जानग की इस विवि क कया लार ह-

इस जञान वनमाथण की परविया दवारा अविगमकताथ lsquoकरक क सीखता ह वशकषक एक मागथदशथक की

रवमका वनराता ह वशकषक वकसी री परकार क हसतकष स बचत ह ि छातरो को अ न जञान दवारा

पररावित नही करत ह

अविगमकताथओ ि को सीखन क वलए सितितर एिि सिसर िातािरण वमलता ह

य छातरो म वजमपमदारी की रािना उत नन करता ह

उनम बौवदधक इमानदारी विकवसत होती ह

अविगमकताथओ ि म तथयो अरिा समसयाओ ि को हचानन म सहायता परदान करत ह

उनम तकथ सिगत वचितन म विकास क सहायक होत ह

कारण-परराि समपबनि को समझन म सकषम होत ह

अनरि का तावकथ क सिगठन करना सीखत ह

अविगमकताथओ ि एिि वशकषको म री नए जञान क वनमाथण की ओर अगरवसत करता ह

उनम खोजी वयिहार को जनम दती ह

अभयास परशन

2 विजञान ldquoसिजञाrdquo एिि ldquoवियाrdquo री ह सिवकषपत म इसका अरथ बताय

3 विजञान की परकवत क तीन वसदधाित बताएि

4 विजञान एक अनिषण परविया ह वकसी विजञान विषय क परकरण स समझाएि

5 विजञान की तीन सिरचनाय बताएि

6 विजञान अितविथषयक परकवत की ह सिवकषपत म बताएि

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 17

15 सारााश इस इकाई म हमन जाना की विजञान का अरथ कया ह तरा उसकी परकवत कसी ह यह री समझा हा विजञान

की परकवत क विवरनन आयामो को री हमन जाना विजञान एक खोज तरा अनिषण का कषतर ह वजसक

विवरनन चरण ह वजनह हमन विसतार ि उदाहरण की सहायता स जाना विजञान ररितथनशील तो ह ही

रनत सार ही सार उसका विसतार री हो रहा ह य विसतार दश विदश सब जगह हो रहा ह इस विसतार

न विजञान को एक अनतराषटरीय उदयम क र म खड़ा कर वदया ह अत अगर य उदयम ह तो जञान का

वनमाथण री वनरितर स षट एिि बहतर होता जा रहा ह

16 अभयास परशनो क उततर 1 अ न शबदो म उततर

2 विजञान सिजञा इसवलए ह कयिवक उस उत ाद क र म दखा जाता ह िो सिजञा इसवलए ह कयिवक

विजञान को परविया माना जाता ह तरा िो ररितथनशील ह एिि उसका विसतार री होता

3 (i) विजञान एक गतयातमक परविया ह

(ii) विजञान एक अनिषण ह

(iii) विजञान जञान का विसतारशील व िड ह

4 अ न शबदो म वलख

5 तीन सिरचनाएि ह-

i विजञान की मौवलक सिरचना

ii विजञान की सिरचनातमक सिरचना

iii विजञान का सामावजक कष

6 अ न शबदो म

17 सनदरथ गरनर 1 कलशरषठएक कलशरषठएनक ldquoविजञान वशकषणrdquoआरलाल वबलकशनमरठ

2 िरथकगरोललमाननएस(२००३) िोमथस शडोज एिड वहलथ ल साइिस इन द अली चाइलडहड

कलासरम िावशिगिन डीसी नशनल एसोवसएशन फॉर एजकशन ऑफ़ यिग वचलरन

3 बीएससीएस(२००५) डइिग साइिस द परोसस ऑफ़ साइिविवफक इनकिायरी कोलोराडो

वसपरिगस एनआइएच वबलकशन

4 wwwncertnicin phy_sci

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5 रिनागरएबीरिनागरएसएस ldquoव डागोजी ऑफ़ सकल सबजकि साइिसrdquo

आरलाल वबलकशन मरठ

18 वनबाधातमक परशन 1 विजञान का कया अरथ ह विसतार स बताएि

2 विजञान एक उत ाद एिि परविया री ह वििचना कर

3 विजञान का िवकथ करण कस हआ

4 विजञान एक अनतराषटरीय उदयम ह उदाहरण की सहायता स समझाएि

5 विजञान जञान वनमाथण की परविया ह इस कस सावबत करग

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इकाई 2 - भौविक विजञान एिम समाज

21 परसतािना

22 उददशय

23 रौवतक विजञान एिम समाज

24 िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता क वलए रौवतक विजञान

25 सपरवसदध िजञावनक- आइजक नयिन जॉन डालिन जसी बोस अलबिथ आइनसिीन

शािवतसिर रिनागर नीलस बोहर सी िी रमन डी बरोगली वबमला बिी आवद

26 सारािश

27 अभ यास परश नो क उत तर

28 सिदरथ गरिर सची

29 वनबििात मक परश न

21 परसतावना रौवतक विजञान की वशकषा का उददशय वयवकत तरा उसक समाज को उसक परकवत तरा िातािरण क

सार समायोजन करन क योगय बनाना ह सार ही उन र वनयितरण रखकर उनह अ नी सवििा क अनसार

परयोग करन की कषमता उत नन करना ह मनषटय न अ न जीिन को आरामदायक एिम सखमय बनान क

वलए वनरितर परयास वकय ह िजञावनक खोजो एिम अविषटकारो की सहायता स ही मनषटय का जीिन आज

हल की तलना म बहत सरल हो गया ह आज वमनिो सक डो म हम दवनया क वकसी री कोन म जो

कछ री घवित हो रहा होता ह उसक विषय म िलीविज़न मोबाइल इनिरनि क माधयम स घर बठ ही

सब जान लत ह आज हमार वलए अनतररकष की यातरा िासतविकता बन गयी इतना ही नही हम

अितररकष म उ गरह सराव त करन म री सफल हए ह कछ िषथ िथ जो रोग असाधय र अब उनका वनदान

एिम पररािशाली उ चार सिरि ह यह सब विजञान क अविषटकार क कारण ही सिरि हो ाया ह इस

इकाई म हम रौवतक विजञान वकस परकार हमार समाज और सामावजक जीिन को पररावित कर रहा ह

िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता क वलए रौवतक विजञान का कया योगदान ह ि कछ सपरवसदध

िजञावनक- आइजक नयिन जॉन डालिन जसी बोस अलबिथ आइनसिीन शािवतसिर रिनागर नीलस

बोहर सी िी रमन डी बरोगली वबमला बिी आवद का रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत

एिम विकास म कया योगदान रहा ह क विषय म विसतार िथक चचाथ करग

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22 उददशय इस इकाई क अधययन क शचात आ -

1 रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास हमार समाज और सामावजक जीिन

को वकस परकार पररावित कर रह ह इसका विसतार िथक िणथन कर सक ग

2 िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता क वलए रौवतक विजञान का कया योगदान ह इसका

विसतार िथक िणथन कर सक ग

3 रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास म वजन रारतीय तरा विदशी

िजञावनको का योगदान अतयित महति णथ रहा ह उनक विषय म जान सक ग

23 रौवतक ववजञान एवम समाज समाज म सखी जीिन वयतीत करन एिम समाज को वनरितर उननवत क र र ल जान म सदि रौवतक

विजञान की अतयित महति णथ रवमका रही ह रौवतक विजञान की वशकषा इस परकार दी जानी चावहए की

छातरो म सामावजकता क गणो का विकास हो सक सार ही ि यह समझ सक की वकस परकार रहन स

और वकस परकार क कायथ करन स समाज को लार हिचगा अतः रौवतक विजञान का णथ जञान छातरो को

वदया जाना चावहए तावक ि सियि रौवतक विजञान क कषतर म आग बढकर समाज को उननवत क र र ल

जा सक सार ही विजञान क विनाशकारी कष स अिगत कराकर उनको यह री बता दना चावहए वक

विजञान का उ योग सदा मानि वहत एिम कलयाणकारी कायो क वलए ही वकया जाना चावहए रौवतक

विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास न समाज एिम सामावजक जीिन को वकस तरह स

पररावित वकया ह यहा र हम उसकी चचाथ करग-

1 समपरषण एिम पररिहन की आितनक सतििाओ की उपलबििा रौवतक विजञान क दवारा

विकवसत मोबाइल इििरनि की सवििा ईमलस फसबक िािस ए इतयावद न तो हमार समाज

और सामावजक जीिन को जस बदलकर रख वदया ह हल हम वकसी सनदश को डाक क माधयम स

वयवकत विशष तक हचान म कछ वदन का समय लगता रा लवकन आज हम वकसी री सनदश को

मोबाइल इििरनि की सवििा ईमलस फसबक िािस ए क दवारा कछ वमनिो या सक डो म ही

वयवकत विशष तक हिचा सकत ह सिसार क वकसी री कोन म चाह कछ री घवित हो रहा हो आज

इन सब सवििाओ ि का परयोग करक हम ल ल उसकी जानकारी रख सकत ह हमार समाज को

ररिहन एिम समपपरषण क कषतर म आिवनक सवििाय उ लबि करान का शरय री रौवतक विजञान

को ही जाता ह रौवतक विजञान क दवारा विकवसत यातायात क विवरनन सािनो जस - रल

िाययान जहाज कार बस इतयावद स यातरा करना आज अविक सवििाजनक हो गया ह जो यातरा

करी महीनो म री हआ करती री उसको कछ ही वदनो म और जो यातरा कछ वदनो म री हआ

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करती री उसको कछ ही घििो म रा कर ाना आज रौवतक विजञान क दवारा परदतत यातायात क

विवरनन सािनो क कारण ही समपरि हो सका ह

2 खादद उतपादन म िति हि आितनक िकनीकी रौवतक विजञान क कषतर म होन िाल विकास न

आज खादद उत ादन क सतरोतो म काफी िािवत ला दी ह आज हमार ास कवष मतसय ालन

मिमकखी ालन ि श ालन इतयावद सरी कषतरो म अतयविक विकवसत तकनीकी उ लबि ह

75 वकसानो न उिथरको कीिनाशको ि कवष की आिवनक विवियो को अ नाया ह वजसक

फलसिर फसलो एिम फलो की वकसमो म सिार हआ ह इस समपबनि म रारतीय वशकषा आयोग

न री वलखा ह वक ldquo तिजञान पर आिाररि नयी कतष परौददोतगकी का तिकास सिायतिक

महतिपणय ह तपछल सौ िषो म तिशव क अनक भागो म कतष म िाति आई ह िस-

रासायतनक इतितनयररग िरा याततरकीकरण का तिकास िरा िि-िजञातनक सोच म िाति

आना मनषय क रहन क ढग क िजञातनक दरतिकोण स कतष परौददोतगकी म अतयि सिार हआ

हrdquo रौवतक विजञान ही ह वजसक महति णथ योगदान क कारण आज हम कवष क कषतर म

आतमवनरथर हो गय ह आजादी स हल जहा हमार दश की समप णथ जनता को अनाज उ लबि नही

हो ाता रा िही रौवतक विजञान क योगदान क कारण आज हमारा दश इस वसरती म ह वक दश क

सरी लोगो क वलए अनन की आ वतथ करन क बाद री हम आज अनन का वनयाथत करन की वसरती म

ह आज रवडयो एिम िलीविजन र परसाररत वकय जान िाल विवरनन कवष आिाररत कायिमो क

माधयम स वकसानो को कीि वनयितरण फसलो की दखराल और खाद क परयोग की उवचत जानकारी

परापत हो जाती ह फलसिर इन कायथिमो स वकसानो को फसलो को उननत बनान क वलए उवचत

जञान परापत होता ह नयी तकनीवकयो क परयोग की जानकारी न आज जहा एक ओर खादद उत ादन म

िवदध की ह िही दसरी ओर मानि शरम की जविलताओ ि को दर वकया ह इसक अवतररकत रौवतक

विजञान क जञान क कारण ही हम आज उत ावदत खादद सामगरी को लमपब समय तक सरवकषत रख सकत

ह तरा दवनया क हर कोन म इचछानसार उसकी उ लबिता को सिरि बना सकत ह

3 सिासय की दखभाल ि रोगो क उपचार हि निीन िकनीकी उपकरण एिम ससािनो की

उपलबििा रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास न ही आज हमार समाज को

अनक निीन तकनीकीयाि उ करण सिसािन एिम दिाइयाि उ लबि करायी ह आज करी

असाधय लगन िाल रोग िजञावनको दवारा खोजी गयी इन विवरनन दिाइयो उ करणो सिसािनो एिम

तकनीवकयो क परयोग स असाधय नही रह गय ह वचवकतसा क कषतर म रौवतक विजञान हमार

शारीररक सिासथय क सार सार मानवसक सिासथय को री बनाय रखन म महति णथ रवमका वनरा

रहा ह हल वजन रयािह रोगो क उ चार क वलए हम विदश जाना होता रा रौवतक विजञान क

विकास क कारण आज ऐस वकसी री बड़ स बड़ रोग क वनदान एिम उ चार की सवििा हमार

दश म ही उ लबि ह आज सिचार क विवरनन माधयमो जस अख़बार रवडयो िवलविज़न मोबाइल

ि इनिरनि क माधयम स सिासथय समपबनिी सचनाएि सदर गरामीण कषतर तक आसानी स हच रही ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 22

विजञान क दवारा ही विवरनन रोगो जस- हजा चचक र री तरह स तरा िीबी ोवलयो ि बचचो

क वदमागी बखार र काफी सीमा तक वनयितरण ा वलया गया ह

4 भिन तनमायण हि आितनक यतरो एिम उपकरणो की उपलबििा आज हमार ास रिन

वनमाथण हत विवरनन िातओ ि स वनवमथत यितर एिम उ करण ह रिन वनमाथण क कषतर म जो आिवनकता

वदखाई दती ह िह सब रौवतक विजञान म होन िाली परगवत एिम विकास का ही ररणाम ह रिन

वनमाथण हत जहा हमको करी छोि छोि घर बनान म अविक शरम एिम समय लगता रा िही आज

विजञान दवारा परदतत मशीनो एिम उ करणो का परयोग करक हम कम समय एिम शरम म बहमिवजला

इमारत बनान म सकषम हो गय ह

5 िल ससािन परबिन एिम ितिकरण हि यतरो की उपलबििा रौवतक विजञान की परगवत

एिम विकास न ही आिवनक समाज को जल सिसािन क सही परबििन एिम शवदधकरण क वलए

उननत ि विकवसत तकनीवकयाि परदान की ह आज बड़ बड़ बाििो का वनमाथण वकया गया ह

विकवसत जल परणाली क दवारा आज कवतरम वसिचाई क वलए ानी की उ लबिता हो ायी ह यह

सब रौवतक विजञान क जञान क कारण ही सिरि हो सका ह आज हम जल क शवदधकरण क वलए

अ न घर या दफतर म वजन यितरो का परयोग कर रह ह ि सब रौवतक विजञान क कारण ही हमको

उ लबि हो सक ह

6 िशवीकरण अनिः समबनि िरा अनिः तनभयरिा म िति आिवनक समाज म जो अनतः समपबनि

तरा अनतः वनरथरता दखन को वमलती ह िह रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम

विकास का ही ररणाम ह आज समप णथ विशव िशवीकरण की राह र ह आज जो कछ री एक

वयवकत समाज या राषटर दवारा वकया जाता ह उसका परराि जान अनजान सरी र ड़ता ह आज

विशव क एक कोन स दसर कोन र जाना अतयित सरल हो गया ह ररणामसिर वकसी वयवकत या

समदाय का दवनया क दसर वयवकत या समदाय स वमलना जलना आसान हो गया ह समपपरषण और

सिचार क सािनो की उ लबिता स ही आज सिसार क वकसी री कोन म जो कछ री घवित हो रहा

हो तरित िह सचना सिसार क दसर सरानो तरा वयवकतयो तक हच जाती ह आज सिसार क वकसी

एक दश म जो कछ उत ावदत हो रहा हो िह दसर दश म रह रह वयावकतयो क वलए उ रोग की

िसत क र म आसानी स उ लबि हो जाता ह िशवीकरण की परविया को इस र तक हचान

म रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली खोजो एिम अविषटकारो का ही महति णथ योगदान ह

7 शरम समय एिम िन की बचि हि तितभनन िकनीतकयो की उपलबििा रौवतक विजञान क

कषतर म हो रही परगवत एिम विकास न ही हमको ऐस उ करण एिम तकनीवकयाि परदान की ह वजनकी

सहायता स आज हम वकसी री कायथ को कम शरम कम समय ि कम लागत म रा कर ान म सकषम

हो गय ह चाह कवष का कषतर हो वचवकतसा का कषतर हो कोई उददोग हो दवनक जीिन क कायथ हो या

वशकषा का कषतर जीिन क लगरग हर कषतर क कायथ को रौवतक विजञान न सरल एिम सगमपय बना

वदया ह जहा घर की रसोई क कायथ को वमकसी माइिोिि ओिन जस उ करणो न अतयित सरल

कर वदया ह िही वकसी फकरी ऑवफस दकान या वयिसाय क वकसी री कायथ को कि पयिर

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 23

मोबाइल ि इनिरनि न इतना सरल कर वदया ह वक आज हम चाह वकसी री सरान र हो हम

उसी सरान स अ न वकसी री कायथ को कम शरम समय एिम लागत म रा कर सकत ह

अभयास परशन

1 रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत एिम विकास न समाज एिम सामावजक जीिन को

पररावित वकया ह रौवतक विजञान की परगवत एिम विकास स होन िाल वकनही तीन लारो को

वलवखए

24 वातावरण सवासय शाावत और वनषपकषता क विए रौवतक ववजञान रौवतक विजञान म होन िाल परगवत और विकास स आिवनक समाज को हर परकार स लार ही हआ ह

यह कहना उवचत नही होगा रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत न जहा एक ओर आिवनक

समाज को सरलता िथक जीिन वयतीत करन क वलए अनको सािन उ लबि कराय ह िही कछ

हावनकारक ररणामो को री जनम वदया ह यहा र हम िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता क

वलए रौवतक विजञान का कया योगदान ह इसक विषय म चचाथ करग -

i िािािरण क तलए भौतिक तिजञान- विजञान ि तकनीकी क आिवनक यग को िातािरण को

दवषत करन िाल यग का नाम वदया जा सकता ह रौवतक विजञान न जहा एक ओर हमार

आिागमन को सरल बनान क वलए हम यातायात क विवरनन सािन उ लबि कराय ह िही

दसरी ओर इन िाहनो स वनकलन िाल िएि न हमार िातािरण को दवषत कर वदया ह कछ

वया ार तरा उददोगो न िजञावनक तकनीकी तरा विवियो दवारा अतयविक सफलता परापत की ह

इनम स परमख ह- उिथरक उददोग िकसिाइल उददोग इस ात उददोग इलकरोवनकस इतयावद

लवकन नयी तकनीकी एिम मशीनो स यकत इन विवरनन उददोगो स वनकलन िाल अिवशषट दारथ

और िएि न जल एिम िाय दोनो को दवषत कर वदया ह रौवतक विजञान न ही हमको रिन

वनमाथण क कषतर म नए यितर एिम उ करण उ लबि कराय ह आज रिन वनमाथण क कषतर म वजतनी

री कलाकवतयो को दखन क अिसर हमको वमलत ह ि सब रौवतक विजञान की ही दन ह

रनत रिन वनमाथण क वलए मनषटय दवारा तीवर गवत स जिगलो को कािा जा रहा ह वजसक कारण

हमारा परािवतक सितलन वबगड़ रहा ह परािवतक सितलन वबगड़न क कारण जीि जितओ ि एिम

िनस वतयो की अनक परजावतया लपत हो गयी ह विजञान क दवारा परदान की गयी सख सवििाओ ि

क अतयविक और गलत उ योग स ही आज हमार समपमख िवशवक त न एिम ओजोन रत की

कषीणता जसी गिरीर समसयाय उत नन हो गयी ह विवरनन उददोगो की वचमवनयो और िाहनो स

वनकलन िाल िएि म काबथन डाई ऑकसाइड गस अतयविक मातरा म उ वसरत होती ह िवशवक

त न बढ़त हररतगह परराि का ररणाम ह तरा वजसक वलए उततरदायी गसो म स परमख गस

काबथन डाई ऑकसाइड ही ह रौवतक विजञान न हम गमी स बचन क वलए सख सवििा क

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 24

र म रवफरजरिर एयर कि डीशनर तरा अनय उ करण उ लबि कराय ह इन उ करणो म

कलिस क र म कलोरो फलोरो काबथन गस का परयोग वकया जाता ह वजसका गण यह ह वक

एक बार िायमिडल म चल जान र यह नषट नही होती ह और सीि िायमिडल की ओजोन रत

र हमला कर उस नषट कर दती ह अतः िातािरण म होन िाल ररितथन क कारण वनकि

रविषटय म उत नन होन िाली विवरनन समसयायो क परवत जनसािारण को सचत करन की

आिशयकता ह सिचार क विवरनन सािनो जस िलीविज़न रवडयो अख़बार इतयावद क माधयम

स यह कायथ सरलता िथक वकया जा सकता ह सार ही रोल कोयला जस ईिन का परयोग

कम करक अविक स अविक िकष लगाकर एिम कलोरो फलोरो काबथन गस परयोग करन िाल

सिसािनो क इसतमाल र रोक लगाकर हम अ न िातािरण को (िवशवक त न ि ओजोन रत

की कषीणता जसी गिरीर समसयाओ ि स ) सरवकषत रखन म सहयोग कर सकत ह

ii सिासय क तलए भौतिक तिजञान - सिासथय क कषतर म आज हम सिासथय रकषा क वलए

रौवतक विजञान एिम तकनीकी क नए नए सािन अ नान र बल द रह ह करी असाधय लगन

िाल रोग आज िजञावनको दवारा खोजी गयी दिाइयो क परयोग क कारण असाधय नही रह गय ह

क सर और एडस जसी बीमाररयो क वलए री डॉकिसथ और वचवकतसा विशषजञ परयासरत ह नई

नई कोवशकाओ ि क वनमाथण म सफलता परापत कर ली गयी ह रवडयोिवमथता यावन अलफा बीिा

गामा वकरणो क अनपरयोग स वचवकतसा क कषतर म काफी परगवत हई ह अब वचवकतसकीय

उ करणो को गामा वकरणो की सहायता स ही रोगाणमकत वकया जाता ह रौवतक विजञान क

कषतर म होन िाली िजञावनक खोजो क ररणामसिर ही हम आज अलरासाउिड िकनोलॉजी

जसी तकनीकी स लारावनित हो ा रह ह अलरासाउिड िकनोलॉजी की सहायता स आज हम

अ न शरीर क अनदर होन िाल वकसी री विकार की हचान करक उसका उवचत उ चार परापत

करन म सकषम हो गय ह आज वचवकतसक लज़र वकरणो का उ योग करक वबना चीर फाड़

वकय सजथरी कर रह ह रारत म परतयक िषथ चलाय जान िाल ोवलयो अवरयान स ोवलयो

जसी खतरनाक बीमारी लगरग खतम हो गयी ह गरामीण कषतरो म री लोग सिासथय क परवत

जागरक हो गय ह कयोवक अब विजञान क दवारा परदतत सिचार क सािनो जस िलीविज़न

रवडयो कि पयिर मोबाइल इनिरनि आवद क माधयम स सरी सचनाएि उन तक आसानी स

हच जाती ह

iii िाति क तलए भौतिक तिजञान- आज छातरो को ऐसी वशकषा वदए जान की आिशयकता ह

वजसस उनम आतिकिाद वहिसा जसी अिािछनीय घिनाओ ि क परवत नकारातमक िवषटकोण

विकवसत हो तरा रस र सौहादथ सहयोगराईचारा तरा सवहषटणता जस सकारातमक गण

विकवसत हो सक यह कायथ रौवतक विजञान की वशकषा क माधयम स रली रािवत सि नन वकया

जा सकता ह रोकि छोड़न की तकनीवकयो एिम थिी की ककषा म कवतरम उ गरह की

सरा ना आवद कायो म रौवतक विजञान म होन िाली खोजो न ही बहत महति णथ योगदान वदया

ह आज हमन धिवन की गवत स री तज़ चलन िाल िाययान विकवसत कर वलए ह रौवतक

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 25

विजञान की विवरनन नई तकनीकीयो एिम उ करणो की खोज क ररणामसिर ही आज हम

हमार दश क विरदध डोसी दशो दवारा की जान िाली आतिकिादी गवतविवियो र काफी हद

तक नज़र रख ान और उस रोक ान म सकषम हए ह रौवतक विजञान क कारण ही हमारी सनय

शवकत री मजबत हई ह आज हमार ास थिी आकाश वतरशल नाग एिम अवगन जसी

सफल वमसाइल ह जो वकसी री वि रीत ररवसरवत म हमार दश की सरकषा करन म सकषम ह

वसकक क दो हलओ ि की तरह रौवतक विजञान क इन अविषटकारो क लार री ह और नकसान

री ह एक तरफ रमाण ऊजाथ जहा वबजली बनान क काम म आती ह िही रमाण हवरयार

री रमाण ऊजाथ स ही बनाय जा सकत ह अतः विशव शािवत बनाय रखन क वलए यह अतयित

आिशयक ह वक परतयक राषटर इस बात को समझ सक की वक िह विजञान क दवारा परदान की

गयी सरी सरकषा सवििाओ ि को किल मानिवहत एिम कलयाणकारी कायो म ही परयोग करगा

iv तनषपकषिा क तलए भौतिक तिजञान- रौवतक विजञान की िजञावनक वचितन दधवत मानि म

सािथरौवमक िवषटकोण विकवसत करन म सहायक होती ह िमथ एिम सिसकवत की वचितन दधवत

िाल वयवकत का िवषटकोण कषतर विशष की सीमा स बििा होता ह जबवक विजञान क वनयम और

वयाखयाय वकसी कषतर या राषटर की सीमा म बिि नही होत ह िजञावनक वचितन दधवत िाला वयवकत

वकसी री राषटर दवारा विजञान क कषतर म वकय गय योगदान को दखकर वबना वकसी रदराि क

उस राषटर का समपमान करता ह उसका वचितन एिम िवषटकोण सिकवचत नही होता ह अव त

सािथरौवमक होता ह आज री हमार समाज म कछ रीवत-ररिाज एिम सामावजक रवड़या ह जो

ीड़ी डर ीड़ी चली आ रही ह हमार समाज म आज री यही माना जाता ह वक एक लड़की को

वशवकषत होन की कोई आिशयकता नही ह कयोवक उसको तो घर म ही काम करना ह जबवक

एक लड़क को वशवकषत होना चावहए कयोवक उसी को घर चलान क वलए वयिसाय या नौकरी

करक िन अवजथत करना ह इन सामावजक रवडयो क बािजद सािथरौवमक िवषटकोण क कारण ही

िजञावनक वचितन दधवत िाला वयवकत हमार समाज म वयापत वलिग रद क आिार र बालक ि

बावलका को वशवकषत करन क विषय म विचार नही करता ह आज बालक हो या बावलका हर

वकसी क वलए वनषट कष र स वशकषा उ लबि करान र जोर वदया जा रहा ह यह रौवतक

विजञान की िजञावनक वचितन दधवत का ही ररणाम ह रौवतक विजञान न आज अनक ऐस

उ करण ि कवतरम अिग विकवसत कर वलए ह वजनकी सहायता स आिवशक शरिणदोष स गरवसत

छातर ककषा म सामानय छातर की रािवत सन सकता ह तरा एक विकलािग छातर री सामानय छातर

की रािवत चल सकता ह उठ बठ सकता ह आज हम रौवतक विजञान क अविषटकार जस ndash

िलीविज़न रवडयो इनिरनि इतयावद र परसाररत होन िाल विवरनन शवकषक कायथिमो क

माधयम स ही दगथम एिम सदर गरामीण कषतरो म रहन िाल छातरो को वशवकषत करन म सफल हो

ा रह ह

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अभयास परशन

2 शीत उ करणो म कलिस क र म कलोरो फलोरो काबथन गस का परयोग वकया जाता ह

(सतयअसतय)

3 िवशवक त न बढ़त हररतगह परराि का ररणाम ह तरा वजसक वलए उततरदायी गसो म स परमख

गस कलोरो फलोरो काबथन ही ह (सतयअसतय )

4 वचवकतसकीय उ करणो को गामा वकरणो की सहायता स ही रोगाणमकत वकया जाता ह (सतय

असतय)

5 िवशवक त न को कम करन हत कोई दो उ ाय वलवखए

25 सपरवसदध वजञावनक- आइजक नयटन जॉन डालटन जसी बोस अलबटथ आइनसटीन शाावतसवरप रटनागर नीलस बोहर सी वी रमन डी बरोगिी वबमिा बटी आवद सामनयतया कहा जाता ह वक ररितथन परकवत का वनयम ह रौवतक जगत म इस ररितथन को लान का

शरय विजञान को ही वदया जाता ह वजन महान लोगो क अनिरत परयास एिम खोजो क ररणामसिर

हमार रौवतक जगत म य ररितथन आत ह उनको हम िजञावनक की सिजञा दत ह ितथमान म हम सरी

वजन रौवतक सख सवििाओ ि का परयोग करक एक सरल एिम सगमपय जीिन वयतीत कर रह ह उन

सख सवििाओ ि की खोज करन का शरय री वनसिदह हमार िजञावनको को ही जाता ह िजञावनको की

महनत एिम अरक परयासो का ही ररणाम ह वक आज हम जीिन क हर कषतर म वनरितर परगवत एिम

विकास कर रह ह यहा र हम कछ सपरवसदध िजञावनको की पररणादायक खोजो एिम उनक योगदान क

विषय म चचाथ करग-

आइिक नयटन

महान िजञावनक आइजक नयिन वजनको आिवनक रौवतकी एिम गवणत का व तामह कहा जाता ह का

जनम 1642 म वलिकन शायर (इिगलड) म हआ रा ि बालयकाल स ही वशकषा क परवत गिरीर र विदयारी

जीिन स ही उनकी रवच यािवतरक एिम सरजनातमक कायो म ररलवकषत होन लगी री वशकषा क परवत

उनकी इस लगन परवतरा एिम योगयता को दखत हए ही उनको आग की वशकषा गरहण करन क वलए

कवमपबरज विशवविदयालय रज वदया गया जहा र अ नी विशवविददालीय वशकषा क दौरान ही उनकी गवणत

विषय म योगयता एिम रवच को दखत हए उनको मातर 27 िषथ की आय म गवणत विषय क परोफसर क

द र वनयकत कर वलया गया 30 िषथ की आय म उनहोन इसी विशवविदयालय म एक परयोगशाला की

सरा ना करक सितनतर र स अ ना अनसनिान कायथ परारिर कर वदया अ न अनसििान कायथ क

ररणामसिर उनहोन रौवतक विजञान क कषतर म वजन नयी उ लवबियो को अवजथत वकया ि वनमपन ह-

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i नयिन न गरतिाकषथण क वनयम का परवत ादन वकया नयिन न बताया की सिसार की परतयक दो

िसतओ ि क बीच एक आकषथण बल काम करता ह यवद दो आकवषथत करन िाली िसतओ ि म

स एक थिी हो तो थिी वजस बल स वकसी िसत को अ न क ि की ओर आकवषथत करती ह

उस गरति बल कहत ह इसवलय जब कोई िसत ऊ र की ओर फ की जाती ह तो िह गरति

बल क कारण ही लौिकर थिी र िा स आती ह गरति बल क कारण ही हम थिी र खड़

रह सकत ह

ii नयिन न ही यह बताया वक बरहमाणड म वकनही दो व िडो क बीच कायथ करन िाल आकषथण बल

को गरतिाकषथण बल कहत ह इस बल क कारण ही थिी सयथ क चारो ओर घमती ह तरा

चििमा थिी क चारो ओर घमता ह िासति म यही बल सरी गरहो की गवत क वलए उततरदायी

iii नयिन क गरतिाकषथण वनयम क अनसार ldquo बरहमाणड का परतयक कण दसर कण को एक वनवशचत

बल स आकवषथत करता ह जो उन कणो क िवयमानो क गणनफल क अनिामान ाती तरा

उनक बीच की दरी क वयतिमान ाती होता हrdquo वजसको वनमपन समीकरण दवारा परदवशथत वकया

जा सकता ह ndash

119865 = 119866 11989811198982

1199032

iv नयिन न गवत विषयक तीन मति णथ वनयम परवत ावदत वकय नयिन क गवत क पररम वनयम क

अनसार ldquoयवद कोई िसत विरामािासरा म ह तो िह विरामािासरा म ही बनी रहगी और यवद

िह एक सरल रखा म एकसमान िग स चल रही ह तो िह उसी परकार चलती रहगी जब तक

वक उस र कोई िाहय बल ना लगाया जायrdquo उदाहरण क वलए यवद कोई सतक मज र राखी

ह तो िह तब तक उसी अिसरा म बनी रहगी जब तक वक उस र बाहर स बल लगाकर उस

िहाि स हिा न वदया जाय

नयिन क गवत क वदवतीय वनयम क अनसार ldquo वकसी िसत र बाहर स लगाया गया बल F उस

िसत क िवयमान m तरा िसत म बल की वदशा म उत नन तिरण a क गणनफल क

अनिमान ाती होता हrdquo

F = ma

नयिन क गवत क ततीय वनयमानसार जब कोई िसत वकसी दसरी िसत र बल लगाती ह तो

दसरी िसत री हली िसत र उतना ही बल वि रीत वदशा म लगाती ह उदाहरण क वलए

तरत समय तराक ानी को ीछ की ओर िकलता ह ररणामसिर ानी तराक को आग की

ओर िकलता ह अतः स षट ह वक तराक ानी को वजतनी तजी स ीछ की ओर िकलगा िह

उतना ही तज़ तरगा

v नयिन न ही यह जानकारी दी वक परकाश सात रिगो स वमलकर बना होता ह

vi नयिन न अ न परयोगो दवारा वसदध वकया वक परकाश सदि सीिी रखा म चलता ह

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vii नयिन न गवणत की एक अतयित महति णथ शाखा कलकलस की खोज की

viii नयिन न एक महति णथ परमय की खोज की वजस बाईनोवमयल परमय कहा जाता ह

ix नयिन न परकाश क फोिोन वसदधानत को परवत ावदत वकया और यह बताया वक परकाश बहत ही

सकषम कणो क र म हम तक हचता ह वजनह फोिोन कहा जाता ह

x नयिन न सयथ स थिी तक की दरी को मा ा और अनय गरहो की थिी स दरी और उनक आकर

का अनमान लगाया

िॉन डालटन

वबरविश रसायनशासतरी जॉन डालिन का जनम 6 वसतमपबर 1766 को इगलसफीलड इिगलड म हआ रा

डालिन एिम उनक राई दोनो ही जनम स िणाथनि र डालिन अ न गाि कमपबरलड म एक किकर

विदयालय म वशकषा गरहण करन क बाद मातर 12 िषथ की आय म उसी विदयालय म वशकषक क र म कायथ

करन लग इनका जनम गरीब ररिार म हआ रा अतः 14 िषथ की आय म विदयालय क वशकषण कायथ को

छोडकर अ न ररिार का ररण ोषण करन हत खती म जि गय लवकन अविक समय तक उनका मन

खती म नही लगा तरा इसी एक िषथ क दौरान उनहोन िाव स वशकषण कायथ म लौिन का वनणथय वलया

ि नः कनडाल म एक किकर बोवडिग विदयालय म वशकषण कायथ करन लग तरा मातर चार िषथ क शचात

इसी विदयालय म वपरिवस ल क द र वनयकत हो गय ि इस विदयालय म 1793 तक रह इसक शचात

मनचसिर क नय कॉवलज म ियिर क र म कायथ करन लग जहा र उनहोन मनचसिर वलिररी एिम

वफलोसोवफकल सोसायिी की सदसयता ल ली इसी सोसायिी की सदसयता क ररणामसिर उनको

परयोगशाला की सवििाएि परापत हई और उनहोन अ ना अनसनिान कायथ परारमपर कर वदया परारमपर म उनहोन

मौसम विजञान म तरा इसक शचात जीि विजञान तरा रसायन शासतर म शोि करक वनमपन उ लवबियाि

अवजथत की

1 डालिन न अ न पररम शोि परोजकि म मौसम विजञान म रवच वदखाई री अतः ि मौसम

िाय की गवत एिम बरोमवरक दबाब र परवतवदन धयान रखत र जो की जीिन क अिवतम वदनो

तक उनकी आदत बना रहा डालिन की हली सतक ldquo वमविरओलोवजकल

फ़ाईनडीनगसrdquo(Meteorological Findings) म िायमिडलीय दबाब र उनक शोि ररणाम

परकावशत हए

जब दो या दो स अविक गस आ स म वमलायी जाती ह तो उनक कल दाब की गणना करन क

वलए ही जॉन डालिन न आिवशक दाब का वनयम वदया इस वनयम क अनसार ldquo वसरर ता ि

आयतन र उन दो या दो स अविक गसो (जो आ स म विया ना करती हो ) का कल दाब इन

गसो क आिवशक दाबो क योग क बराबर होता हrdquo

PT = P1 + P2 + P3 + ⋯

2 डालिन न ही बताया वक िणाथनिता आनिािवशक होती ह

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3 रमाण की सिरचना क समपबनि म परयोगो क आिार र तथयातमक वसदधानत सबस हल जॉन

डालिन न ही वदया रा वजस डालिन का रमाणिाद क नाम स जाना जाता ह इस वसदधानत क

अनसार ldquo रमाण वकसी तति का िह छोि स छोिा अविराजय कण ह जो रासायवनक विया म

राग नही लता ह और उसम उस तति क सरी गण विददमान रहत हrdquo

िसीबोस

डॉकिर जसी बोस का जनम बिगाल क फरीद र वजल क वििम र नामक गािि म 30 निमपबर 1858 को

हआ रा ि बच न स ही एक मिािी छातर र 11 िषथ की आय म ि कलकतता आय जहा र उनह

अिगरजी राषा की वशकषा हत सि ज़वियर सकल म परिश वदलाया गया 16 िषथ की आय म इनहोन

छातरिवतत क सार मवरक ास वकया और उसक शचात कलकतता विवशवददालय म परिश ल वलया जहा स

जसी बोस न गवणत एिि विजञान म विशष योगयता क सार सनातक की रीकषा उततीणथ की 1896 म

लनदन यवनिवसथिी न उनह उनक शोि वबजली की लहरो की लमपबाई र डीएससी की वडगरी परदान की

ि 1920 म रॉयल सोसायिी क फलो चन गय 1927 म ि इिवडयन साइिस कािगरस क जनरल परसीडसी री

वनयकत हए 1912 म बोस जब अ न एक िजञावनक वमशन र रिाना हए तो उस समय उनकी इचछा री

वक रारत म री रॉयल इिसिीियि लनदन की तरह एक साइिस इिसिीियि सराव त वकया जाय उनक इसी

स न को साकार र दन क वलए उनहीन रारत म 30 निमपबर 1917 को बोस इिसिीियि की सरा ना की

आज रारत म इस एक परवसदद ररसचथ सनिर का दजाथ वमल चका ह विजञान क कषतर म इनकी परमख

उ लवबियाि वनमपन ह ndash

i जसी बोस न अ न एक परयोग दवारा यह परदवशथत वकया वक लघ विददत तरिगो दवारा सिकत परापत हो

सकत ह उनहोन अ ना हला परयोग परदशथन परसीडसी कॉलज म वकया तरा दसरा परयोग परदशथन

िाउन हॉल म वकया अ न इस परयोग क दवारा जसी बोस न बताया रा वक विददत चमपबकीय

तरिग वकसी सदर सरल तक किल अनतररकष की सहायता स हच सकती ह तरा य तरिग वकसी

विया का वकसी अनय सरान र वनयितरण री कर सकती ह िासति म यह ररमोि कणरोल

वससिम रा

ii जसी बोस हल ऐस वयवकत र वजनहोन एक ऐस सकषम यितर का वनमाथण वकया वजसकी सहायता

स सकषम तरिग दा की जा सकती री उनहोन दवनया को एक ऐसी वबलकल नयी तरह की रवडयो

तरिग वदखाई जो वक 1 समी स 5 वममी की री वजस आज माइिोिि या सकषम तरिग कहा

जाता ह

iii जसी बोस न ौिो म िीमी गवत स होन िाल विकास को मा न हत एक अतयित सििदी यनतर

बनाया जो िीमी गवत स हो रही इस िवदध को मा सकता रा इस यनतर को इनहोन िसकोगराफ

नाम वदया

iv इनक दवारा ौिो म िवदध की अवररचना ररकॉडथ की गयी जोवक आिवनक िजञावनक तरीको स

री वसदध होती ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 30

v जसी बोस न बताया वक ौिो म उददी न का परराि सफीती दबाब और कोवशकाओ ि क फलाि

स जड़ा होता ह

अलबटय आइनसटीन

महान िजञावनक अलबिथ आइनसिीन का जनम जमथनी क उलम नामक सरान र 1879 को हआ रा

आइनसिीन बच न स ही परवतराशाली विददारी र गवणत एिम विजञान विषय क अधययन म इनकी

विशष रवच री इनकी परवतरा को दखत हए ही इनक वशकषको दवारा इनह मातर 15 िषथ की आय म ही

विशवविदयालय सतर की वशकषा गरहण करन क योगय घोवषत कर वदया गया रा अ नी विददालयी वशकषा

गरहण करन क बाद इनहोन गवणत एिम विजञान का अधययन जारी रखा आइनसिीन की वशकषण कायथ म

बहत रवच री वकनत बहत परयास करन क बाद री य एक वशकषक क र म नौकरी नही परापत कर सक

और वफर मजबरीिश वसििजरलड क एक ऑवफस म कलकथ क द र कायथ करन लग इस नौकरी क

सार सार उनहोन अ ना अनसनिान कायथ जारी रखा आइनसिीन न 1905 ि 1906 म लगातार अ न

दो परवसदद वसदधानतो को दवनया क समपमख परसतत वकया इन दो महान खोजो क बाद इनकी परवसवदध बढ़

गयी तरा इनह 1911 म बवलथन विशवविदयालय म रौवतक शासतर क परोफसर द र वनयकत कर वदया गया

रौवतक विजञान क कषतर म इनकी परमख उ लवबियाि वनमपन ह ndash

i 1905 म इनहोन अ ना परवसदद वसदधानत जो दारथ क नषट होन क बाद उसक ऊजाथ म ररिवतथत

होन स समपबिवित ह को एक समीकरण 119864 = 1198981198882 क र म दवनया क समपमख परसतत

वकया उनकी यही खोज आग चलकर एिम बम क अविषटकार का आिार बनी

ii 1906 म इनहोन सरान तरा दरी स समपबिवित एक अनय खोज दवनया क समपमख परसतत की

वजसको विजञान जगत म ldquoसा वकषक वसदधानतrdquo क नाम स जाना जाता ह

iii बवलथन विशवविदयालय म परोफसर द र कायथ करत हए री इनहोन अ न शोि कायथ को जारी

रखा तरा एक अनय परमख वसदधानत की खोज की वजसको ldquoकरिचर ऑफ़ स स थयोरी rdquo क

नाम स जाना जाता ह आइनसिीन न 1919 म णथ सयथगरहण क समय इसकी सतयता की जािच

री करक वदखायी

iv आइनसिीन न ldquoपरकाश का किाििम वसदधानतrdquo परसतत वकया वजसक दवारा इनहोन यह समझान का

परयास वकया वक परकाश हमार ास तरिगो क किाििा क र म आता ह

अ नी इन सरी महति णथ खोजो क उ लकषय म इनको 1921 म रौवतकशासतर क नोबल रसकार स

समपमावनत वकया गया

िातिसिरप भटनागर

डॉ शािवत सिर रिनागर का जनम 21 फरिरी 1894 को िजाब क शाह र वजल म रडा नामक गराम म

हआ रा इनहोन 1911 म मवरक की रीकषा पररम शरणी म उततीणथ की तरा 1913 म लाहौर फोरमन

विशचन कॉवलज स एम एससी की रीकषा री पररम शरणी म उततीणथ की बाद म 1921 म लनदन

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 31

विशवविदयालय स डीएससी की वडगरी परापत की मगनिो कवमसरी क कषतर म वकय गय अनसनिान कायथ क

योगदान क वलए इनको विशष तौर र जाना जाता ह इसक अवतररकत इनहोन कोलोइड इमलशन ि

औददोवगक रसायनशासतर क कषतर म री काफी उ योगी अनसनिान कायथ वकय ह इनक समपमान म ही

िजञावनक एिम औददोवगक अनसनिान ररषद दवारा परवतिषथ िजञावनको स विजञान और तकनीकी कषतर म

उनक योगदान क सनदरथ उनको शािवतसिर रिनागर रसकार परदान वकया जाता ह

नीलस बोर

इस डवनस रौवतकशासतरी का जनम 1885 म डनमाकथ म हआ रा | इनक व ता विशचन बोर को नहगन

विशवविदयालय म वफवजओलोजी क परोफसर र अतः इनको बच न स ही अ न घर म ढन वलखन का

अचछा िातािरण वमला रा बोर अतयित होनहार विददारी र इनकी समप णथ वशकषा को नहगन

विशवविदयालय म ही सि नन हई मवरक की ढाई री करन क बाद 1903 म इनहोन को नहगन

विशवविदयालय म परिश वलया जहा स 1909 म रौवतक शासतर म मासिर वडगरी ि 1911 म ी एच डी

की उ ावि परापत की तरा 1916 म को नहगन विशवविदयालय म ही सदधािवतक रौवतकशासतर विराग म

इनकी परोफसर क द र वनयवकत री हो गयी जब ि मातर २२ िषथ क र तरी डवनस विजञान सोसायिी

न इनह ldquoसरफस िशनrdquo सिबििी इनक मौवलक अधययन हत एक सिणथ दक वदया रा विजञान क कषतर म

इनकी परमख उ लवबि इनक दवारा परसतत रमाण मॉडल ह वजस बोर का रमाण मॉडल क नाम स जाना

जाता ह उनक इसी योगदान क वलए सन 1922 म उनह रौवतकी क नोबल रसकार स री समपमावनत

वकया गया रदरफोडथ क दवारा परसतत नावरकीय मॉडल क दोषो की वयाखया करत हए पलक क किाििम

वसदधानत क आिार र इनहोन अ न रमाण मॉडल म बताया वक-

i रमाण म इलकरान नावरक क चारो ओर बिद िततीय ककषाओ ि म घमत रहत ह

ii नावरक क चारो ओर अनक िततीय ककषाएि होती ह रनत इलकरान किल उनही ककषाओ ि म

घमत ह वजनम उनका कोणीय सििग ℎ

2120587 का णथ गवणत होता ह

iii परतयक ककषा का एक वनवशचत ऊजाथ सतर होता ह इन ककषाओ ि म घमत हए इलकरानो की ऊजाथ

वसरर रहती ह वजसक कारण इन ककषाओ ि को सरायी ककषा री कहत ह

iv जब इलकरान ( एक सरायी ककषा स दसरी सरायी ककषा म) वनमपन ऊजाथ सतर स उचच ऊजाथ सतर

म कदता ह तो रमाण दवारा ऊजाथ अिशोवषत होती ह इसक वि रीत जब एक इलकरान उचच

ऊजाथ सतर स वनमपन ऊजाथ सतर म कदता ह तो रमाण क दवारा ऊजाथ विवकरण क र म उतसवजथत

होती ह तरा परापत उतसजथन म वनवशचत आिवतत की तरिग उत नन होती ह वजसम तीकषण रखाएि होती

ह इसी क आिार र हाइरोजन क स करम की सफल वयाखया की गयी

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 32

सी िी रमन

चनिशखर िकिरमन का जनम तवमलनाड क वतरचना लली नामक सरान र 7 निमपबर 1888 को हआ

रा इनक व ता गवणत एिम रौवतकशासतर क परिकता र य अ न विददालयी जीिन स ही एक

परवतराशाली छातर र 1902 म मातर 14 िषथ की आय म इनहोन परसीडसी कॉवलज मिास म परिश

वलया तरा 1904 म बी ए की वडगरी परापत की ि 1907 म यही स रौवतक विजञान म एम ए की वडगरी

परापत की 1907 म ही कलकतता म वितत मितरालय म एक परशासवनक द र इनकी वनयवकत हई विजञान क

परवत अ नी रवच को ना रोक ान क कारण इस द र कायथ करत हए री य अनसनिान कायथ करत रह

ि ldquoइिवडयन एशोवसएशन ऑफ़ कलिीिशन ऑफ़ साइिसrdquo की परयोगशाला म रात रात रर जाग जाग कर

शोि कायथ वकया करत र उनकी इसी महनत और लगन क ररणामसिर 1917 म ि कलकतता

विशवविदयालय म रौवतक शासतर म परोफसर क द र वनयकत हो गय कलकतता विशवविदयालय म 15 िषथ

तक कायथ करन क शचात य ldquo रारतीय विजञान सिसरान rdquo म परोफसर क द र वनयकत हए 1924 म

ऑवपिकस म इनक योगदान क कारण इनह रॉयल सोसाइिी का फलो चना गया 1930 म इनको

अितराषटरीय नोबल रसकार स समपमावनत वकया गया चनिशखर िकिरमन विजञान क कषतर म नोबल

रसकार परापत करन िाल हल रारतीय िजञावनक र यह रसकार इनक महति णथ खोज ldquoरमन पररािrdquo

क वलए वदया गया रा 1943 म इनहोन बिगलौर क ास रमन ररसचथ इिसिीियि की सरा ना की जहा र

य अ न जीिन क अिवतम वदनो तक कायथ करत रह रौवतक विजञान क कषतर म इनकी परमख उ लवबियाि

वनमपन ह ndash

i विजञान क कषतर म चनिशखर िकिरमन का परमख योगदान इनक दवारा की गयी एक खोज ह वजस

विजञान जगत म ldquoरमन परराि rdquo क नाम स जाना जाता ह इनहोन अ नी इस खोज म बताया वक

तरल दारो म परकाश का वबखराि बहत ही कम होता ह यवद परकाश तरल दारथ स होकर

गजरता ह तो उन परकाश वकरणो की तीवरता और लमपबाई म इस परकार की कमी आ जाती ह वक

ि री तरह स वरनन परकार की लहर बन जाती ह परकाश की लहरो की सिखया म यवद कोई कमी

या िवदध होती ह तो इसकी वनरथरता परकाश की लहरो र नही होती ह अव त उस दारथ र होती

ह वजसस परकाश की वकरण होकर गजरती ह अतः इनहोन अ नी इस खोज स यह स षट वकया

वक परकाश वकरणो की सिखया म ररितथन दारथ की सिरचना का ही ररणाम होता ह और ऐसा

ररितथन सामानय परकाश की लहरो स अविक लमपबी परकाश की लहरो क कषतर म वदखाई दता ह

इस परकार परापत लहरो को ldquoरमन रखाrdquo या ldquoरमन इफ़किrdquo कहा जाता ह

ii परकाश क परकीणथन की खोज का शरय इनही को जाता ह

iii बोड वसरिग का मकवनकल वसदधानत एिम एकस वकरणो का विशलषण इनही क दवारा परसतत वकय

गय

iv चनिशखर िकिरमन न तबल और मदिगम क सिनादी (हामोवनक) की परकवत की खोज की

री

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 33

v आख क रविना क काल राग को दखन क वलए ओ रलमोसको नामक यितर का अविषटकार

वकया वजसक दवारा आख क अिदर की सिरचना एिम परविया को बड़ी सरलता स दखा जा

सकता ह

डी बरोगली

इस परवसदद फर च रौवतकशासतरी का जनम 15 अगसत 1892 को फरािस म हआ रा इनहोन 1909 म हल

ररस विशवविदयालय स इवतहास विषय म सनातक वकया तरा बाद म 1913 म विजञान विषय म सनातक

की उ ावि परापत की 1924 म डी बरोगली न डॉकिरि की उ ावि हत अ ना शोिपरबिि परसतत वकया

वजसका शीषथक रा किाििम वसदधाित सिबििी गिषणाए य 1928 म पिाकर इिवसिियि म सदधािवतक

रौवतकी क परिानाधया क वनयकत हए इनही क परयास स यह सिसरा समकालीन रौवतक वसदधाितो क

अधययन क वलय एक क ि बन गई 1945 म फरािसीसी सरकार न रमाण ऊजाथ क उचच आयोग की

सरा ना की और बरॉगली को उसका तकनीकी रामशथदाता वनयकत वकया सावहवतयक कायथ क कारण

1945 म ही य फरािसीसी अकादमी क सदसय वनिाथवचत हए य फरािसीसी लखकसिघ क समपमावनत

सरा वत री रह और 1952 म इनह िजञावनक लखन की उतकषटता क वलय कवलिग परवतषठान दवारा परदतत

पररम रसकार वमला रौवतक विजञान क कषतर म इनका परमख योगदान ldquoडी बरोगली का दारो की दवती

परकवत का वसदधानतrdquo ह इस उतकषट कायथ हत 1929 म इनह नोबल रसकार स समपमावनत वकया गया

डी बरोगली न 1924 म अ न इस वसदधानत म बताया रा वक परकाश तरा अनय विददत चमपबकीय विवकरणो

की दवती परकवत की तरह दारथ री तरिग तरा कण दोनो ही परकार क गण परदवशथत करता ह वजस दवती

परकवत का वसदधानत कहा जाता ह

तबमला बटी

परोफसर वबमला बिी एक रारतीय रौवतकशासतरी ह य रौवतकशासतर विषय म इिवडयन नशनल साइिस

अकादमी की हली मवहला फलो ह इनका जनम 19 वसतमपबर 1933 को मलतान नामक सरान र हआ

रा वबमला बती न वदलली विशवविदयालय स बी एस सी (ओनसथ ) एिम एम एस सी की वडगरी परापत

की ह तरा 1962 म वशकागो विशवविदयालय स पलाजमा वफवजकस म डॉकिरि की उ ावि परापत की ह

रौवतक विजञान क कषतर म इनक योगदान क वलए इनह विवरनन रसकारो जस -1977 म वििम साराराई

अिाडथ फॉर पलानरी साइिस 1993 म जिाहरलाल नहर बरथ सनिरी लकचररवश अिाडथ ि 1994 म

इनसा-िण बा अिाडथ स समपमावनत वकया गया ह रौवतक विजञान क कषतर म इनक परमख उ लवबियाि

वनमपन ह ndash

i रारत म रमाण ऊजाथ विराग क अितगथत ldquoइिवसिियि ऑफ़ पलाजमा ररसचथrdquo सराव त करन का

शरय इनही को जाता ह

ii रारत म पलाजमा साइिस सोसाइिी को सराव त करन का शरय इनही को ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 34

iii इनहोन नासा क विवरनन सनिर जस गोडाडथ स स फलाइि एम डी एमस ररसचथ सनिर सीए

ि जि परो लशन लबोरिरी इतयावद म कायथ वकया ह

अभयास परशन

6 _________विजञान क कषतर म नोबल रसकार परापत करन िाल हल रारतीय िजञावनक र

7 नयिन न गवत विषयक_________महति णथ वनयम परवत ावदत वकय

8 ldquoपरकाश का किाििम वसदधानतrdquo _________दवारा परसतत वकया गया रा

9 रारत म पलाजमा साइिस सोसाइिी को सराव त करन का शरय_________को ह

10 अलबिथ आइिसिीन को आिवनक रौवतकी एिम गवणत का व तामह कहा जाता ह (सतय

असतय )

11 जॉन डालिन न बताया वक िणाथनिता आनििवशक होती ह (सतय असतय )

12 ौिो म िीमी गवत स होन िाल विकास को मा न हत िसकोगराफ नामक सििदी यितर का अविषटकार सी िीरमन न वकया रा (सतय असतय )

13 डी बरोगली न दवती परकवत का वसदधानत परसतत वकया रा (सतय असतय )

14 डालिन का आिवशक दाब का वनयम वलवखए

15 नयिन का गवत स समपबिवित वदवतीय वनयम वलवखए

26 सारााश समाज म सखी जीिन वयतीत करन एिम समाज को वनरितर उननवत क र र ल जान म सदि रौवतक

विजञान की अतयित महति णथ रवमका रही ह रौवतक विजञान की वशकषा दवारा ही छातरो म सामावजकता क

गणो का विकास वकया जा सकता ह सार ही उनम यह समझ री विकवसत की जा सकती ह वक वकस

परकार रहन स और वकस परकार क कायथ करन स समाज को लार हिचगा इस इकाई म हमन रौवतक

विजञान वकस परकार हमार समाज को पररावित कर रहा ह ि िातािरण सिासथय शािवत और वनषट कषता

क वलए रौवतक विजञान का कया योगदान ह इसक विषय म विसतत अधययन वकया ह कछ सपरवसदध

िजञावनक- आइजक नयिन जॉन डालिन जसी बोस अलबिथ आइनसिीन शािवत सिर रिनागर नीलस

बोहर सी िी रमन डी बरोगली वबमला बिी आवद न रौवतक विजञान क कषतर म होन िाली परगवत

एिम विकास म कया योगदान वकया ह इसक विषय म री इस इकाई म विसतार िथक चचाथ की गयी ह

रौवतक विजञान की वशकषा का उददशय वयवकत तरा उसक समाज को उसक परकवत तरा िातािरण क

सार समायोजन करन क योगय बनाना ह सार ही उन र वनयितरण रखकर उनह अ नी सवििा क अनसार

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 35

परयोग करन की कषमता उत नन करना ह अतः छातरो को रौवतक विजञान की वशकषा इस परकार दी जानी

चावहए वजसस उनम आतिकिाद वहिसा जसी अिािछनीय घिनाओ ि क परवत नकारातमक िवषटकोण

विकवसत हो तरा रस र सौहादथ सहयोगराईचारा तरा सवहषटणता जस सकारातमक गण विकवसत हो

सक

27 अभ यास परशनो क उत तर 1 रौवतक विजञान की परगवत एिि विकास स होन िाल तीन लार

i समपपरषण एिम ररिहन की आिवनक सवििाओ ि की उ लबिता

ii जल सिसािन परबििन एिम शवदधकरण हत यितरो की उ लबिता

iii खादद उत ादन म िवदध हत आिवनक तकनीकी

2 सतय

3 असतय

4 सतय

5 िवशवक त न को कम करन हत दो उ ाय

i रोल कोयला जस ईिन का परयोग कम करक

ii अविक स अविक िकष लगाकर

6 चनिशखर िकिरमन

7 तीन

8 आइनसिीन

9 वबमला बिी

10 असतय

11 सतय 12 असतय

13 सतय

14 डालिन क आिवशक दाब क वनयम क अनसार ldquo वसरर ता ि आयतन र उन दो या दो स

अविक गसो (जो आ स म विया ना करती हो ) का कल दाब इन गसो क आिवशक दाबो क

योग क बराबर होता हrdquo

PT = P1 + P2 + P3 + ⋯

15 नयिन क गवत क वदवतीय वनयम क अनसार ldquo वकसी िसत र बाहर स लगाया गया बल F उस

िसत क िवयमान m तरा िसत म बल की वदशा म उत नन तिरण a क गणनफल क

अनिमान ाती होता हrdquo F = ma

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28 सादरथ गरार सची 1 माहशवरी िी क एिम माहशवरी सिा 2005 विजञान वशकषण आर लाल वबलकशनस मरठ

2 नगी परो ज एस 2013 रौवतक विजञान वशकषण अगरिाल वबलकशनस आगरा

3 माहशवरी िी क 2005 आर लाल वबलकशनस मरठ

4 गोयल डॉ एम क 2012 याथिरण वशकषा अगरिाल वबलकशनस आगरा

5 बहादर डॉ ी 2006 बालाजी वबलकशनस मजफफरनगर

29 वनबाधात मक परशन 1 हमार समाज एिम सामावजक जीिन को रौवतक विजञान क कषतर म होन िाला परगवत एिम

विकास वकस परकार वकस परकार पररावित कर रहा ह विसतार िथक िणथन कीवजय

2 विशव क ि रारत क वकनही दो-दो िजञावनको क नाम बताइय और उनम स वकनही दो का

रौवतक विजञान क कषतर म कया योगदान रहा ह इसकी विसतत चचाथ कीवजय

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इकाई 3 -विजञान क माधयम स जञान और समझ विजञान की परविया कौशल का विकास िजञावनक दषटिकोण और िजञावनक

मनोिवि का विकास विजञान म वजजञासा रचनातमकिा और सौदयथ बोध (माधयवमक सिर) विकवसि करना भौविकी और रसायन

विजञान म वजजञासा रचनातमकिा और सौदयथ बोध विकवसि करना (उचचिर माधयवमक सिर)जञान (भौविकी रसायन विजञान) वशकषा

को पयािरण (पराकविक पयािरण कलाकवियो और लोगो) परौदयोवगकी और समाज स जोड़ना

Knowledge and understanding through science Nurturing process skills of science developing scientific attitude and scientific temper Nurturing curiosity creativity and aesthetic sense in science (Secondary Stage) Physics and Chemistry (Higher

Secondary stage)Relating Science (Physics Chemistry) education to environment (natural environment artifacts and

people) technology and society

31 परसतािना

32 उददशय

33 विजञान क माधयम स जञान और समझ

34 विजञान की परविया कौशल का विकास

35 िजञावनक दवषटकोण और िजञावनक मनोिवतत का विकास

36 विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोि (माधयवमक सतर) विकवसत करना

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 38

361 रौवतकी और रसायन विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोि

विकवसत करना (उचचतर माधयवमक सतर)

37 विजञान (रौवतकी रसायन विजञान) वशकषा को याथिरण (पराकवतक याथिरण

कलाकवतयो और लोगो)

371 विजञान (रौवतकी रसायन विजञान) वशकषा को परौदयोवगकी और समाज स

जोड़ना

38 सारािश

39 अभयास परशनो क उततर

310 सिदरथ गरनर सची

311 सहायक उ योगी ाठय सामगरी

312 वनबनिातमक परशन

31 परसतावना विजञान िह वयिवसरत जञान या विदया ह जो विचार अिलोकन अधययन और परयोग स वमलती ह जो वक

वकसी अधययन क विषय की परकवत या वसदधानतो को जानन क वलय वकय जात ह विजञान जञान की ऐसी

शाखा ह जो तथय वसदधानत और तरीको को परयोग और ररकल ना स सराव त और वयिवसरत करती ह

आज हम विजञान एिि तकवनकी क यग म ह या कह सकत ह की यह यग विजञान एिि तकवनकी का ह

विजञान न आज सरी कषतरो जस ndash सिचार कवष वचवकतसा आिागमन क सािन उजाथ इतयावद म विजञान

न महारर विकवसत वकया ह विवरनन िजञावनक आविषटकारो न आज हमारी जीिन शली को पररावित

वकया तरा और सख ndash सवििा णथ बनाया ह विजञान न मानि को असीम शवकत और सामथयथ परदान

वकया ह और उस इस िरती का सबस ताकतिर बना वदया ह विजञान क दवारा ही मनषटय न परकवत क

विवरनन मखय रहसयो का अनािरण वकया तरा विजय परापत वकया विजञान मनषटय क वलए एक अचछ

लोक ndash सिक क र म कायथ कर रहा ह ितथमान म मनषटय न अितररकष क कषतर म चमतकाररक परगवत

वकया ह तरा पराकवतक आ दाओ ि का हल स ही ता लगान म हमार िजञावनक सकषम ह आज हमार

िजञावनको न चनिमा और मिगल गरह री अ न सिलाइि रज ह तरा अरी हाल ही म १५ फरिरी

२०१७ को इसरो न एक सार १०४ सिलाइि अितररकष म रज क एक नए मानक की सरा ना वकया

मनषटय क अनदर जो सीखन की लालसा ह िो हल जसी ही ह सीखन और जानन की कषमता तरा उसक

अनर अ न जीिन म ररितथन करन की वजतन सामरथ मनषटय और उसक समाज म रही उतनी थिी

वकसी म नही रही इसी गण क कारन मनषटय न परकवत क सामानाितर अ न सिसार की रचना की तरा

अ न को विकवसत वकया परकवत क रहसयो क अनािरण करन हत मनषटय न एक परविया का अनसरण

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 39

वकया तरा सरी परशनो का उततर वदया इस परविया को ही ldquo विजञान की परवियाrdquo कहत ह इस परविया

को समझान क वलए इसक lsquoजञानrsquo और lsquoबोिrsquo को समझना जररी ह

32 उददशय 1 विजञान क माधयम स जञान और समझ क कौशल कस विकवसत होगा य बता सक ग

2 विजञान की परविया कौशल की वििचना कर सक ग

3 िजञावनक दवषटकोण और मनोिवतत क महति को बता सक ग

4 माधयवमक सतर र विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोि क महति को बता सक ग

5 उचचतर माधयवमक सतर र रौवतकी और रसायन विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ

बोि विकवसत करन की परविया का िणथन कर सक ग

6 विजञान (रौवतकी रसायन विजञान) वशकषा एिि याथिरण (पराकवतक याथिरण कलाकवतयो और

लोगो) क बीच समपबनि को जान सक ग

7 विजञान (रौवतकी रसायन विजञान) वशकषा को परौदयोवगकी और समाज स कस जोडा जा सकता

ह उसका विशलषण कर सक ग

33 ववजञान क माधयम स जञान और समझ विजञान वयवकत को विचार अिलोकन अधययन और परयोग का परवशकषण परदान करती ह यह तथयो

वसदधाितो और तरीको को परयोग और ररकल ना स सराव त और वयिवसरत करती ह विजञान एक

वयिवसरत ससिगवठत िमबदध एिि वयिहार का जञान ह अिलोकन क विवरनन आिारो एिि जञान क

विवरनन कषतरो म परयोग दोनो अरो को विजञान समावहत करता ह इसको जानन क वलए परकषण या

अिलोकन कशलता का होना अवनिायथ ह विजञान की परवियाओ ि का उददशय ह वकसी ररघिना को

समझना वकसी परशन का उततर खोजना वकसी वसदधानत का परवत ादन करना या वकसी री िसत क बार म

नई जानकारी खोजना एनसीएफ 2005 म वदए गए िणथन क अनसार िजञावनक दधवत आ स म

समपबवनित कई गवतविवियो को वमलाकर बनती ह जस वक वनरीकषण दख गए तथयो म समानताओ ि और

समर ी सिरचनाओ ि की खोज करना अििारणाए बनाना वसरवतयो क गणातमक और गवणतीय परार

गढ़ना तावकथ क ढिग स उनक वनषटकषथ वनकालना और परकषणो तरा वनयिवतरत परयोगो क दवारा वसदधानतो क

सच-झठ होन की वषट करना और इस तरह अन त म पराकवतक सिसार र लाग होन िाल वसदधानतो

िारणाओ ि तरा वनयमो र हचना विजञान क वनयम अचल शाशवत सतयो की तरह नही दख जान चावहए

यहा तक वक सिाथविक सराव त और सािथरौवमक िजञावनक वनयम री तातकावलक ही मान जान चावहए

जो नए परकषणो परयोगो और विशलषणो क माधयम स सिशोवित वकए जा सकत ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 40

विजञान क lsquoजञान- रणडारrsquo क बजाय िजञावनक विवि विजञान की असली कसौिी ह िसतवनषठताऔर ििता

िजञावनक विवि की विशषताएि ह मनषटय न अ नी आिशयकताओ ि क वलए जो नए-नए आविषटकार वकए

ह ि सब विजञान की ही दन ह विजञान क अनवगनत आविषटकारो क कारण मनषटय का जीिन हल स

अविक आरामदायक हो गया ह जञान एक ररवचत जागरकता या इस तरह क तथयो सचनाओ ि वििरण

या कौशल क र म कछ ह जो यह मानता ह की खोज या सीखन क दवारा अनरि या वशकषा क माधयम

स समझ को हावसल वकया जा सकता ह विजञान क माधयम स ही मनषटय परकवत क वनयमो तरा सािनो

को उवचत ढिग स समझ सकता ह कयोवक इस विषय म जञान तरा समझ विकवसत करन का अ ना विशष

िम ह इस िम म वनरीकषण तथयो र आिाररत तकथ और वनषटकषथ उनका िम तरा तलनातमक महति र

जोर वदया जाता ह विजञान क माधयम स हमार सोचन और कायथ करन क तरीक म ररितथन आया ह

अतः मनषटय म जञान और समझ की णथता किल विजञान क माधयम स ही विकवसत की जा

सकती ह आज हम इककीसिी शताबदी क िातािरण म सािस ल रह ह िजञावनक परगवत आकाश छन

लगी ह और यह उसी का परवतफल ह वक सिचार कवष वचवकतसा आिागमन क सािन उजाथ इतयावद म

हम असीम परगवत की ह सचना तितर इतना विकवसत हआ ह वक हम विशव म कही री करी री वकसी स

समप कथ कर सकत ह और बात री कर सकत ह हमन परकवत क अनकानक रहसय जान वलय ह और सख

सवििाओ ि स जीिन को आसन कर वदया ह हम चििमा की सर कर आय और मिगल गरह र री हा हमन

यान रज वदया ह और १५ फरिरी २०१७ को इसरो न एक सार १०४ सिलाइि अितररकष म रज क एक

नए मानक की सरा ना वकया लवकन हम आज री जन सािारण को िजञावनक मानवसकता नही द ाय

उनह िजञावनक सिसकार नही द ाय उनकी सोच और उनकी परकवत म विजञान का वििक जागरत नही कर

ाय अतः जन सािारण म िजञावनक मनोिवतत विकवसत करना उनकी सिसर मानवसकता और परगवत क

वलय अवनिायथ ह

जनिरी २०१३ म lsquoइिवडयन साइिस कािगरस कोलकाता म उसक शताबदी समारोह क अितगथत

सौिा अवििशन आयोवजत वकया गया कयोवक यही स १९१४ म इसकी यातरा का शरारमपर हआ रा

इसी अिसर र विजञान की एक नई नीवत lsquolsquoविजञान परौदयोवगकी और निाचार (इननोिशन) - २०१३ की

उदघोषणा की गई वजसका मल लकषय ह समाज क हर अिग म िजञावनक मनोिवतत क परसार को बढ़ािा दना

यदयव िवडत जिाहरलाल नहर न १९४६ म अ नी सतक lsquoवडसकिरी ऑफ इिवडयाङक म िजञावनक

मनोिवतत का उललख वकया रा और उनका दढ़ विशवास रा वक विजञान और परौदयोवगकी क दवारा ही अ न

दश का विकास सिरि ह लोग िजञावनक दवषटकोण अ नाय इसक री िह कषिर र यह उनही की पररणा

री वक १९५८ म रारत सरकार न विजञान नीवत का परसताि सिीकत वकया वजसक अितगथत विजञान क

अनसििान और शोि कायो म तजी स विकास करना और परगवत को बनाय रखना सवमपमवलत रा कछ

विदवानो और बवदधजीवियो न विसतार स विचार-विमशथ क शचात िजञावनक मनोिवतत र एक िकतवय

परचाररत वकया वक रारतीय समाज क हर वयवकत म िजञावनक मनोिवतत का विकास करन की आिशयकता

ह तावक दश सामावजक और आवरथक बराइयो स मकत हो सक यही नही िरन विजञान क लोकवपरय बनान

क वलय राषटरीय विजञान एिि परौदयोवगकी सिचार ररषद विजञान परसार वि नि कलब राषटरीय विजञान

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 41

सिगरहालय ररषद का दश क समसत राजयो म राजय विजञान एिि परौदयोवगकी ररषद और इनस जड़ वजला

विजञान कलब और राजय विजञान वशकषा सिसरान परयास रत ह

अभयास परशन

1 वशकषा क माधयम स समझ को हावसल करन की परविया_________कहा जा सकता ह

2 मानि को _________ न इस िरती का सबस ताकतिर बना वदया ह

3 परकवत क अनकानक रहसयो को जानन म _________हमारी सहायता करता ह

4 इिवडयन साइिस कािगरस का शताबदी समारोह क अितगथत सौिा अवििशन _________सरान र

आयोवजत वकया गया

5 नई नीवत lsquolsquoविजञान परौदयोवगकी और निाचारrdquoका मल लकषय _________ह

34 ववजञान की परविया कौशि का ववकास जब विदयावरथओ ि को परविया कौशल विवि स विजञान वशकषण वकया जाता ह तो उसम बहत सार कौशलो

का उ योग वकया जाता ह जस ndash विवरनन गामक कौशलो का उ योग करक वकसी मशीन क रजो को

जोड़ना वसखाना विवरनन यितरो का सियोजन तरा विवरनन िसतओ का अिलोकन क आिार र आकलन

करना सवमपमवलत ह

परविया कौशल की वयाखया मौवलक वसदधाित स वनकाली गई बौवदधक कौशल सामावजक और शारीररक

कषमताओ ि म छातरो की अितदथवषट क विकास क र म वयाखया की जा सकती ह

परविया कौशल विजञान वशकषण म कौशलो की उत वतत र जादा बल दता ह वजसक ररणाम सिर जञान

और ररमाण को सिचाररत वकया जाता हl इसम विदयावरयो को सवियता िथक अविगम को समप ावदत

करन हत परररत वकया जाता ह कम सवियता का अविगम बहत ही उबाऊ होता ह

फि क (1985) म परविया कौशल क वनरीकषण दवारा वनमपन बात कही ndash

i परविया कौशल दवारा विजञान क विदयावरथयो म िजञावनक परकवत का विकास होता ह तरा विदयारी

इस बात क वलय परररत वकय जात ह की ि जञान को गरहण कर सक तरा उतन ही अचछ तरीक स

विजञान क सिपरतययो एिि तथयो की री अचछी समझ विकवसत कर सक

ii परविया कौशल विजञान क विदयावरथयो को यह अिसर परदान वकया जाता ह की ि विजञान क

विषय क सार काम कर सक न की किल विजञान विषय क इवतहास को सनना और कहना

iii परविया उ ागम दवारा विदयारी विजञान विषय क कायथ क परविया और उत ाद क बार म जानकारी

परदान करत ह तरा यह अिसर परदान करता ह की विदयारी एक िजञावनक की तरह वयहार कर

सक

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जतोउन (1999) न परविया कौशल क कई लार बताय जो वनमपन ह ndash

i वशकषारी का रा धयान वशकषण अविगम परविया र रहता ह

ii यह कौशल मखय र स वशकषारी म बौवदधक कौशल और मानवसक परवियाओ ि को विकवसत

करन म रवच रखता ह

iii यह कौशल मखय र स विजञान वशकषण दवारा वशकषावरथयो म अिलोकन मा िगीकरण

वयाखया परयोग और अवनिषण क अलािा िजञावनक जािच और जािच क कौशल (विजञान

परवियाओ ि) को बढ़ािा दता ह

iv वशकषावरथयो म िजञावनक सोच को बढ़ािा दना

v वशकषावरथयो को जीिन यित सीखन और छातरो क बीच सीखन की पररणा र जोर दना इस परकार

वशकषण अविगम परविया एक अनित तक वसखन का परयास ह तरा सीखन का अनरि सकल

दीिारो स र चला जाता ह

उ रोकत वििरण क अनसार यह कहा जा सकता ह वक इस परविया कौशल क अनपरयोग दवारा वशकषावरथयो

क मानवसक-शारीररक और बौवदधक रागीदारी की अ कषा की जाती ह और इसका उ योग वशकषावरथयो

बौवदधक कौशल या छातरो क बार म सोच कषमताओ ि को विकवसत करन क वलए इसतमाल वकया जाता ह

इसक अलािा वशकषावरथयो म िजञावनक दवषटकोण और छातरो की खोज तथयो अििारणाओ ि और विजञान

या जञान क वसदधाितो को विकवसत करन की कषमता विकवसत करन म री वकया जाता ह विजञान वशकषण म

परविया उ ागम एक ऐसा िकवल क वशकषण मॉडल ह वजसम वशकषारी वयाहाररक तरा मानवसक

परवियायो दवारा शावमल रहता ह

फि क (1985) न बताया की परविया उ ागम को सामानय दो शरवणयो म िगीकत वकया जा सकता ह

बवनयादी परविया कौशल और

एकीकत कौशल

बवनयादी परविया उ ागम म अिलोकन िगीकरण मा सिचार रविषटयिाणी अनमान स सिबिवित

गवतविवियो म शावमल होती ह य वनमपन ह ndash

i अिलोकन- अिलोकन एक परारवमक सरोत स जानकारी अविगरहण का सविय परयास ह

मनषटय दवारा वकसी री िसत या पराकवतक घिना का अिलोकन दखकर छकर सिाद लकर

सिघकर तरा सनकर वकया जाता ह l विजञान म अिलोकन हत उ करणो का उ योग वकया जा

सकता ह तरा आकड़ परापत करन हत इनक माधयम स डिा की ररकॉवडिग री शावमल कर सकत

ह अिलोकन गणातमक हो सकता ह यवद इसम किल वकसी री गण क अराि या उ वसरवत

का उललख वकया जाय तरा यह मातरातमक री हो सकता ह यवद इसम वकसी री घिना को

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सिखयातमक मलय दवारा मा ा जाय िजञावनक अिलोकन म कशलता इस बात की होती ह की

इसक दवारा वकसी री घिना की सही जानकारी परापत हो सक

ii िगीकरण - िसतओ ि घिनाओ ि की एक बड़ी सिखया ह और चारो ओर जीिन म सब कछ ह

और स अगर ककषाओ ि क विवरनन परकार का वनिाथरण करन क दवारा वकया सीखा ह हमार

जीिन म चारो ओर बहत सी िसतओ और घिनाओ की एक बरी सिखया ह और सरी को याद

रखना हमार वलय समपरि नही ह लवकन यवद विवरनन िगीकरण दवारा वनरिाररत करक सीखा या

याद वकया जाय तो अविक आसानी स याद वकया जा सकता ह य िगीकरण विशषताए और

समानता विवरननता और समपबनिो क समहीकरण और िसतओ ि क विवरनन परयोजनो क वलए

उ यकतता क आिार र वकय जा सकत ह

iii माप - मा एक विशष इकाई ह इस इस र म रररावषत वकया जा सकता ह की मा की

विशष इकाई दवारा इस वकस तरह रररावषत वकया गया ह या डिा परापत करन म उ करण का

उ योग करन क कौशल को एक मा कहा जा सकता ह

iv समपरषण - अ न विचारो क आदान परदान और समसयायो क समािान क वलय समपपरषण एक

एक मखय सािन ह मनषटय न अ न जीिन क सरआत म ही वसख वलया समपपरषण कौशल म

मौवखक सािकवतक तरा वलवखत सवमपमवलत होता ह समपपरषण की वयाखया इस परकार की जा

सकती ह वक इसम धिवन दशय या धिवन और दशय क र म तथयो अििारणाओ ि और विजञान

क वसदधाितो क अविगरहण वकया जाता ह जस -

v भतिषय करन - रविषटय करन लकषण क आिार र रविषटय म होन िाली घिना क बार म

अनमान लगान स ह हमार आस ास और िातािरण म ायी जान िाली वनरितरता क परवतमान

स हम यह ता चलता ह वक कौन सी घिना होन िाली ह रविषटय करन म रविषटय म होन

िाली घिनाओ की उसक तथयो अििारणाओ ि और जञान क वसदधाितो क बीच एक खास

परिवतत या ररशतो म अनमानो र आिाररत होन स उसकी रविषटयिाणी की जा सकती ह

vi अनमान - वकसी िसत या घिना क बार म हल स एकतर आिकड़ो या जानकारी क आिार र

एक शकषवणक अनमान लगाना ही अनमान कहलाता ह इस वकसी िसत या घिना क तथयो

अििारणाओ ि और वसदधाितो क आिार र उस िसत क बार म फसला करन क एक कौशल क

र म कहा जा सकता ह जस- वकसी वयवकत दवारा वसल का परयोग इस बात की ओर इशारा

करता ह की िह वलखत समय जादा गलती करता ह

vii एकीकि कौिल स सबतिि गतितितियाा - एकीकत कशल म मखतः- चरो र वनयितरण

कायाथतमक ररराषा ररकल ना का वनमाथण आकणो की वयाखया इतयावद

viii चरो पर तनयतरण- ररितथन को वनिाथररत करन िाल कारको की विशषताओ ि को हल स

जनना जस- िथ क अनरिो क आिार र वकसी री परयोग म ानी और परकाश की मातरा को

जानना

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ix कायायतमक पररभाषा- वकसी री परयोग म उस चर को कस मा ा जाय

x पररकलपना का तनमायण- वकसी री परयोग क सिरावित ररणाम क बार म बताना

xi आकणो की वयाखया- परयोग स परापत आकनो (डािा) क आिार र उस परयोग क वनशकषथ को

बताना

xii तनषकषय- परविया कौशल विजञान वशकषण म कौशलो की उत वतत र जादा बल दता ह वजसक

ररणाम सिर जञान और ररमाण को सिचाररत वकया जाता हl परविया कौशल म बवनयादी

कौशल तरा एकीकत कौशल स समपबिवित गवतविविया शावमल होती ह इसम विदयावरयो को

सवियता िथक अविगम को समप ावदत करन हत परररत वकया जाता ह कम सवियता का

अविगम बहत ही उबाऊ होता ह परविया कौशल दवारा विदयावरथयो म िजञावनक परकवत का

विकास होता ह तरा विदयारी इस बात क वलय परररत वकय जात ह की ि जञान को गरहण कर

सक परविया कौशल दवारा विदयारी विजञान विषय क कायथ क परविया और उत ाद क बार म

जानकारी परदान करत ह तरा यह अिसर परदान करता ह की विदयारी एक िजञावनक की तरह

वयहार कर सक परविया कौशल स वशकषावरथयो क अनदर िजञावनक दषटीकोण का विकास होता

अभयास परशन

6 परविया कौशल विजञान वशकषण म_________ की उत वतत र जयादा बल दता ह

7 _________ म वशकषारी का रा धयान वशकषण अविगम परविया र रहता ह

8 परविया उ ागम की_________ और _________दो सामानय िगीकरण वकया जा सकता ह

9 _________ एक परारवमक सरोत स जानकारी अविगरहण का सविय परयास ह

35 वजञावनक दषषटकोण और वजञावनक मनोववतत का ववकास िाकयािश बचच सिाराविक र स िजञावनक होत ह हमन अकसर सना ह ि अ न अनरिो वनषटकषथ

और वसदधाितो स ि विजञान क परवत आकवषथत होत ह छातरो क अनदर विजञान की वजजञासा और

रचनातमकता को िजञावनक धदवतयो दवारा ही विकवसत वकया जा सकता ह िजञावनक दवषटकोण हमार

अिदर अनिषण की परिवतत विकवसत करती ह तरा वििक णथ वनणथय लन म सहायता करती ह िजञावनक

दवषटकोण की शतथ ह वबना वकसी परमाण क वकसी री बात र विशवास न करना या उ वसरत परमाण क

अनसार ही वकसी बात र विशवास करना पराकवतक घिनाओ ि वियाओ ि और उनक ीछ क कारण ढढ़न

की मानिीय वजजञासा न एक सवयिवसरत विवि को जनम वदया वजस हम lsquoिजञावनक विविrsquo या lsquoिजञावनक

दधवतrsquo क नाम स जानत ह सरल शबदो म कह तो िजञावनक वजस विवि का उ योग विजञान स सिबिवित

कायो म करत ह उस िजञावनक विवि कहत ह िजञावनक विवि क परमख द या इकाईयाि ह वजजञासा

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अिलोकन परयोग गणातमक ि मातरातमक वििचन गवणतीय परवतर ण और िाथनमान विजञान क वकसी

री वसदधाित म इन दो या इकाईयो की उ वसरवत अवनिायथ ह विजञान का कोई री वसदधाित चाह िह आज

वकतना री सही लगता हो जब इन कसौवियो र खरा नही उतरता ह तो उस वसदधाित का ररतयाग कर

वदया जाता ह

िजञावनक दवषटकोण िाल वयवकत अ नी बात को वसदध करन क वलए िजञावनक विवि का सहारा लत ह

आ सोच रह होग वक इस िजञावनक विवि का उ योग किल विजञान स सिबिवित कायो म ही होता होगा

जसावक मन ऊ र रररावषत वकया ह रित ऐसा नही ह यह हमार जीिन क सरी कायो र लाग हो

सकती ह कयोवक इसकी उत वतत हम सबकी वजजञासा स होती ह इसवलए परतयक वयवकत चाह िह िजञावनक

हो अरिा न हो िजञावनक दवषटकोण िाला हो सकता ह दरअसल िजञावनक दवषटकोण दवनक जीिन की

परतयक घिना क बार म हमारी सामानय समझ विकवसत करती ह इस परिवतत को जीिन म अ नाकर

अििविशवासो एिि िाथगरहो स मवकत परापत की जा सकती ह अतः हम छातरो को िजञावनक तरीक की सोच

विकवसत विकवसत हत परररत करना चावहए

अभयास परशन

10 िजञावनक दवषटकोण छातरो क अिदर _________परिवतत विकवसत करती ह

11 पराकवतक घिनाओ ि वियाओ ि और उनक ीछ क कारण ढढ़न की मानिीय वजजञासा को

_________कहत ह

36 ववजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोध (माधयवमक सतर) ववकवसत करना वसिस मनोिजञावनक दाशथवनक और सिजञानातमक विकास अनसििान क कषतर म अगरणी डॉ जीन व याज

न वजजञासा को रररावषत वकया ह अपरतयावशत की वयाखया करन क वलए आगरहrdquo या एक अविक

सहज ररराषा बस अविक जानना का आगरह करना चाहत ह

सौदयथ बोि िजञावनक र स अविक सििदी या रािनातमक मलयो रािना और सिाद की करी करी

कहा जाता वनणथय क अधययन क र म रररावषत वकया गया ह अविक मोि तौर र सिसकवत क कषतर म

विदवानो न इस कला सिसकवत और परकवत र महति णथ परवतवबिब क र म सौदयथशासतर को रररावषत

वकया ह

रचनातमकता एक ऐसी घिना ह वजसस कछ नया और वकसी री तरह कोई मलयिान बना रह या बनाए

गए आइिम या रौवतक िसत (जस एक विचार एक िजञावनक वसदधाित एक सिगीत रचना) वकतनी अमतथ

हो सकती ह

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माधयवमक सतर र शरआत हल चरण म बनाया विजञान को एक विषय क र म सराव त करन क वलए

और आग वबना वकसी औ चाररक दढ़ता र जोर वदए वबना इसको मजबत वकया जाना चावहए विचारो

वसदधाितो और विजञान क वनयमो को अब उवचत र स ाठयिम म शावमल वकया जा सकता ह लवकन

जोर जादा स जादा समझ र होनी चावहए औ चाररक ररराषा र नही होना चावहए यह परयास वकया

जा रहा ह की विजञान और उसक विवरनन विषयिसतओ ि का सिगठन माधयवमक सतर र उवचत ढिग स

वकया जाय लवकन ाठयिम का रार काफी हद तक परौदयोवगकी और अनय ाठय सहगामी

गवतविवियो क अवतररकत ततिो क वलए जगह बनान क वलए कम वकया जाना चावहए माधयवमक

विदयालय सतर र िो अििारणाय जो वक वकसी री परतयकष अनरि स र ह विजञान क ाठयिम म एक

महति णथ सरान र सरान परापत कर सकती ह विजञान की सरी घिनाओ ि सीि परतयकष र स अनरि नही

कर सकत ह अतः विजञान को री वनषटकषथ और वयाखया र वनरथर रहना ड़ता ह उदाहरण क वलए हम

वनषटकषथ का उ योग विकास और रमाणओ ि क गण या विकास क तितर की सरा ना करन क वलए करत

ह लवकन इस समय तक छातरो म इस परकार का वििचनातमक कषमता विकवसत हो जाती ह वक ि अ न

सामन आय विजञान क सिपरतययो की जञानमीमािसा का मलयाकन कर सक

361 उचचिर माधयतमक सिर पर भौतिकी और रसायन तिजञान म तिजञासा रचनातमकिा और

सौदयय बोि तिकतसि करना

रौवतक विजञान विजञान म ऊजाथ क विवरनन सिर ो तरा िवय स उसकी अनयोनय वियाओ ि का अधययन

वकया जाता हरौवतकी परकवत विजञान की एक विशाल एिि महति णथ शाखा ह इसक दवारा पराकत जगत

और उसकी रीतरी वियाओ ि का अधययन वकया जाता ह सरान काल गवत िवय विदयत परकाश ऊषटमा

तरा धिवन इतयावद अनक विषय इसकी ररवि म आत ह यह विजञान का एक परमख विराग ह इसक

वसदधाित समच विजञान म मानय ह रौवतकी ही अवरयािवतरकी तरा वशल विजञान की जनमदातरी ह

रसायनशासतर विजञान म दारो क सिघिन सिरचना गणो और रासायवनक परवतविया क दौरान इनम हए

ररितथनो का अधययन वकया जाता ह इसम दारो क रमाणओ ि अणओ ि विसिलो और रासायवनक

परविया क दौरान मकत हए या परयकत हए ऊजाथ का अधययन वकया जाता ह सरी दारथ ततिो स बन हए

ह रारतीय विदवान दाशथवनको न उदघोवषत वकया वक दारथ की रचना िच महारतो यरा- आकाश िाय

जल तज तरा थिी स हई ह यह रसायनो क रहसयो को समझन की कला ह इसस यह जञात होता ह की

दारथ वकन-वकन चीजो स बना ह उनक कया-कया गण ह और उनम कया-कया ररितथन होत हरसायन

विजञान का कषतर बहत वया क ह तरा दसर विजञानो क समनिय स परवतवदन विसतत होता जा रहा ह समप णथ

बरहमािड रसायनो का विषद रणडार ह वजिर री हमारी दवषट जाती ह हम विविि आकार-परकार की िसतएि

नजर आती ह समचा सिसार ही रसायन विजञान की परयोगशाला ह यह विजञान अनको आशचयथचवकत

रसायनो स रर णथ ह बरहमािड म रासायवनक अवरवियाओ ि क दवारा ही तारो की उत वतत गरहो का परादराथि

तरा गरहो र जीिन सिरि हआ ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 47

रसायन विजञान को जीिनो योगी विजञान की सिजञा री दी गई ह कयोवक हमार शरीर की आितररक

गवतविवियो म इस विजञान की रवमका महति णथ हहमार जीिन का कोई री कष रसायनो स अछता नही

उचचतर माधयवमक सतर र रौवतकी और रसायन विजञान म वजजञासा रचनातमकता और सौदयथ बोि

विकवसत करन हत वनमपनवलवखत वबनदओ ि को धयान म रखना चावहए-

विदयावरथयो म अिलोकन की कषमता बढानी चावहए

गहन वचन तन की कषमता को बढ़ाना

विदयावरथयो का विवरनन विषयो एिि घिनाओ ि क मधय अन तर समप बन ि को समझन म सहयोग

करना ह

विदयावरथयो को इस वचितन हत परररत करना की हमार चारो ओर घि रही सामानय घिनाओ ि क

ीछ विजञान छ ा ह विजञान की समझ हम उन कारणो को जानन का अिसर दती ह

विदयावरथयो को विया करक समझन क सबस अविक अिसर परदान करना चावहए ह इसी परकार

वकया गया कायथ और कायथ करन एिि परयोग करन हत परररत करता ह

विजञान िथ म वनवहत जञान ि जानकारी र परशन उठान की परिवत को बढ़ािा दना ह अराथत यह

सचना को जस क तस मान लन क बजाय उस र परशन करक णथ जानकारी परापत करन ि इसक

बाद सिीकार करन र बल दता ह

विजञान विवरनन कलाओ ि ि वशकषण परवियाओ ि की सहायता स जञान को ककषा ककष स बाहर लान

म सहयोग करना चावहए

विदयावरथयो को इस बात क वलए परवशवकषत करना की जञान ही काफी नही जञान वनमाथण एिि जञान

वनमाथण की परविया री उतनी ही आिशयक ह वजतना विषय की समझ

परदशथवनयो सिगोवषटयो लोकवपरय वयाखयानो विजञान वशविरो और अनय विविि कायथिमो क

आयोजन वकया जाना चावहए

वशकषण म सवियता को अविक महति वदया जाना चावहए करक सीखन क वलए विदयावरथयो को

परररत वकया जाना चावहएअत सविय विवि क अितगथत विविि विवियो को सवमपमवलत वकया

जाना चावहए जस जस- शोिविवि (हयररवसिक) योजना (परोजकि) विवि इतयावद

अभयास परशन

12 सिजञानातमक विकास की अििारणा __________न वदया रा

13 __________िजञावनक र स अविक सििदी या रािनातमक मलय ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 48

14 कोई िासत वकतनी अमतथ हो सकती ह िह __________ र वनरथर करती ह

37 ववजञान (रौवतकी रसायन ववजञान) वशकषा को पयावरण (पराकवतक पयावरण किाकवतयो और िोगो) परौदयोवगकी और समाज स जोड़ना याथिरणीय विजञान याथिरण क रौवतकीय रासायवनक और जविक अियिो क बीच ारस ररक

वियाओ ि का अधययन ह याथिरणीय विजञान याथिरणीय वयिसरा क अधययन क वलए समवनित

ररमाणातमक और अनतरविषयक दवषटकोण उ लबि कराता ह याथिरणीय िजञावनक याथिरण की

गणितता की वनगरानी करत ह सरलीय और जलीय ाररवसरवतकी वयिसरा र मानिीय कतयो की

वयाखया िजञावनक करत ह तरा ाररसरवतकी वयिसरा की समवचत बहाली क वलए रणनीवतयाि री तयार

करत ह इसक अलािा याथिरणीय िजञावनक योजनाकारो की ऐस रिनो ररिहन कोररडोरो तरा

उ योवगताओ ि क विकास तरा वनमाथण म सहायता करत ह वजनस जल सिसािनो की रकषा हो सक जल

का सिगरहण वकया जा सक तरा रवम का सद योग हो सक विशलषण क विषयो क अितगथत याथिरण म

रासायवनक वनमपनीकरण रसायनो क बह-चरणीय ररिहन जस- लाकषक यकत वमशरण का िाय परदषक क

तौर र िाषट ीकरण तरा बायोिा र रासायवनक परराि आवद कषतर शावमल होत ह उदाहरणारथ अधययन

क तौर र एक ऐस लीक कर रह माल स रर िक क बार म विचार कर जो वक सिकिा नन परजावतयो क

जलीय कषतर म वमटटी क ढलान म परिश कर जाता ह ऐस म रौवतकीविद मदा परदषण क सतर को समझन

क वलए एक कमपपयिर मॉडल तयार वकय ह रसायन विजञानी वमटटी क परकार म उस सालिि की आणविक

वसरवत का मलयािकनकरत ह तरा जविक शासतरी वमटटी सवनि ाद ौिो तरा अनततः तालाब म परािारको

र ड़न िाल परराि का अधययन करत ह जो वक सिकिा नन परजावतयो का जलीय रोजन ह रविजञान

क अितगथत याथिरणीय रविजञान जलविजञान रौवतकी रगोल जलिाय विजञान तरा र-आकवतविजञान

शावमल ह इसम समि-विजञान तरा अनय सिबदध कषतर री सवमपमवलत हो सकत ह वमटटी किाि क अधययन

क उदाहरण क र म मदा िजञावनको दवारा रवम किाि का अधययन वकया जाएगा जल-विजञानी सरल

मागथ बहाि म तलछि ररिहन की जािच म सहायता करग रौवतकीविद ानी परापत होन म लाइि

रािसवमशन म ररितथनो क मलयािकन म योगदान करग जीि-विजञानी ानी म गिदगी बढ़न स उसका

िनस वत र होन िाल परराि की जािच करत ह याथिरण मलयािकन िह परविया ह वजसक जररए

याथिरण सरकषा और सतत विकास र विचार हो सकता ह याथिरणीय मलयािकन क अितगथत मखयतः

फीलड डािा एकतर करक इसका याथिरण और विकास स सिबिवित विवरनन शाखाओ ि क जररए रस र

सिबििो का मलयािकन करना ह याथिरणीय सकषमजीिविजञान याथिरण म सकषम जीिो क वमशरण तरा शरीर

विया विजञान का अधययन ह इस मामल म याथिरण स आशय वमटटी जल िाय और गरह र होन िाल

अिसाद ह और इनम इन कषतरो म रहन िाल श तरा ौि री शावमल वकए जा सकत ह याथिरणीय

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 49

सकषमजीिविजञान म बायो-ररएकिसथ जस कवतरम याथिरण म होन िाल माइिोआगवनजम का अधययन री

शावमल वकया जा सकता ह

विजञान और कला क बगर आिवनक जीिन की कल ना करना असिरि ह दोनो म रस र बहत ही

गहरा ह रनत विवरनन कलाओ म विजञान क योगदान को हम वकतना याद रखत ह शायद वबलकल री

नही िासति म विजञान एकवतरत जञान ह जबवक कला समसत उ लबि सिसािनो क आिार र मनषटय क

मनोरािो का वनर ण अराथत कोई िजञावनक कायथ चाह वकतना ही महान कयो न हो समय क सार उसक

िजञावनक जञान का समकालीन जञान म समािश हो जाता ह सच म वकसी िजञावनक का कायथ तरी

उ योगी होता ह जब उसक समककष िजञावनकाि क दवारा उस सिीकार वकया जाता ह रनत विडििना ह वक

शीधर ही उस कायथ को ीछ छोडकर नया कायथ परारिर कर वदया जाता ह विजञान म जञान की किल सम

सामवयक वसरवत ही महतव णथ होती ह कयो वक रत ितथमान म समा चका होता ह वलयोनादाथ दी वििची

की महान कवत मोनावलसा की अनकवतयाि सिसार रर क कला परवमयो दवारा आज री बड शौक स खरीदी

जाती ह आज री शकस यर की और कावलदास की कवतयाि ढी जाती ह वकनत नयिन क िजञावनक

गरिनर वपरवसिव या मरमविका और आइनसिाइन क मल विजञान शोि तरो को अब अविकािश लोग ढन की

आिशयकता नही समझत िासति म विजञान क वलय यह महति णथ री ह अतः माधयवमक सतर र

विजञान क उददशय कला एिि लोगो तक अ नी हच िाली होनी चावहए

अभयास परशन

15 _________ _________और जविक अियिो क बीच ारस ररक वियाओ ि का अधययन

याथिरणीय विजञान ह

371 तिजञान (भौतिकी रसायन तिजञान) तिकषा को परौयमोतगकी और समाि स िोड़ना

विजञान विजञान का अरथ ह विशष जञान मनषटय न अ नी आिशयकताओ ि क वलए जो नए-नए आविषटकार

वकए ह ि सब विजञान की ही दन ह आज का यग विजञान का यग ह विजञान क अनवगनत आविषटकारो क

कारण मनषटय का जीिन हल स अविक आरामदायक हो गया ह दवनया विजञान स ही विकवसत हई ह

मोबाइल इििरनि ईमलस मोबाइल र 3जी और इििरनि क माधयम स फसबक िविनिर न तो

िाकई मनषटय की वजिदगी को बदलकर ही रख वदया ह वजतनी जलदी िह सोच सकता ह लगरग उतनी ही

दर म वजस वयवकत को चाह मसज रज सकता ह उसस बात कर सकता ह चाह िह दवनया क वकसी री

कोन म कयो न हो

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 50

यातायात क सािनो स आज यातरा करना अविक सवििाजनक हो गया ह आज महीनो की यातरा वदनो म

तरा वदनो की यातरा चिद घििो म री हो जाती ह इतन ितगवत की रन हिाई जहाज यातायात क र म

काम म लाए जा रह ह वदन-ब-वदन इनकी गवत और उ लबिता म और सिार हो रहा ह

वचवकतसा क कषतर म री विजञान न हमार वलए बहत सवििाएि जिाई ह आज कई असाधय बीमाररयो

का इलाज मामली गोवलयो स हो जाता ह क सर और एडसस जस बीमाररयो क वलए डॉकिसथ और

वचवकतसाविशषजञ लगातार परयासरत ह नई-नई कोवशकाओ ि क वनमाथण म री सफलता परापत कर ली गई

वसकक क दो हलओ ि की ही रािवत इन आविषटकारो क लार-हावन दोनो ह एक ओर रमाण ऊजाथ

जहाि वबजली उत नन करन क काम म लाई जा सकती ह िही इसस बनन िाल रमाण हवरयार मानि क

वलए अतयित विनाशकारी ह हाल ही म जा ान म आए रकि क बाद िहाि क रमाण ररएकिसथ को कषवत

बहत बड़ी तरासदी रही

अत मनषटय को अ नी आिशयकता और सवििानसार मानिता की रलाई क वलए इनका लार उठाना

चावहए न वक दर योग कर इनक अविषटकारो र परशनवचहन लगाना चावहए

38 सारााश विजञान वयवकत को विचार अिलोकन अधययन और परयोग का परवशकषण परदान करती ह यह तथयो

वसदधाितो और तरीको को परयोग और ररकल ना स सराव त और वयिवसरत करती ह विजञान एक

वयिवसरत ससिगवठत िमबदध एिि वयिहार का जञान ह अिलोकन क विवरनन आिारो एिि जञान क

विवरनन कषतरो म परयोग दोनो अरो को विजञान समावहत करता ह

जब विदयावरथओ ि को परविया कौशल विवि स विजञान वशकषण वकया जाता ह तो उसम बहत सार

कौशलो का उ योग वकया जाता ह जस ndash विवरनन गामक कौशलो का उ योग करक वकसी मशीन क

रजो को जोड़ना वसखाना विवरनन यितरो का सियोजन तरा विवरनन िसतओ का अिलोकन क आिार र

आकलन करना सवमपमवलत ह

परविया कौशल की वयाखया मौवलक वसदधाित स वनकाली गई बौवदधक कौशल सामावजक और

शारीररक कषमताओ ि म छातरो की अितदथवषट क विकास क र म वयाखया की जा सकती ह

परविया कौशल विजञान वशकषण म कौशलो की उत वतत र जादा बल दता ह वजसक ररणाम सिर

जञान और ररमाण को सिचाररत वकया जाता हl इसम विदयावरयो को सवियता िथक अविगम को

समप ावदत करन हत परररत वकया जाता ह कम सवियता का अविगम बहत ही उबाऊ होता ह l

वसिस मनोिजञावनक दाशथवनक और सिजञानातमक विकास अनसििान क कषतर म अगरणी डॉ जीन व याज

न वजजञासा को रररावषत वकया ह अपरतयावशत की वयाखया करन क वलए आगरहrdquo या एक अविक

सहज ररराषा बस अविक जानना का आगरह करना चाहत ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 51

सौदयथ बोि िजञावनक र स अविक सििदी या रािनातमक मलयो रािना और सिाद की करी करी

कहा जाता वनणथय क अधययन क र म रररावषत वकया गया ह अविक मोि तौर र सिसकवत क कषतर म

विदवानो न इस कला सिसकवत और परकवत र महति णथ परवतवबिब क र म सौदयथशासतर को रररावषत

वकया ह

माधयवमक सतर र शरआत हल चरण म बनाया विजञान को एक विषय क र म सराव त करन क वलए

और आग वबना वकसी औ चाररक दढ़ता र जोर वदए वबना इसको मजबत वकया जाना चावहए विचारो

वसदधाितो और विजञान क वनयमो को अब उवचत र स ाठयिम म शावमल वकया जा सकता ह लवकन

जोर जादा स जादा समझ र होनी चावहए औ चाररक ररराषा र नही होना चावहए यह परयास वकया

जा रहा ह की विजञान और उसक विवरनन विषयिसतओ ि का सिगठन माधयवमक सतर र उवचत ढिग स

वकया जाय लवकन ाठयिम का रार काफी हद तक परौदयोवगकी और अनय ाठय सहगामी

गवतविवियो क अवतररकत ततिो क वलए जगह बनान क वलए कम वकया जाना चावहए

विदयावरथयो म अिलोकन की कषमता बढानी चावहए

गहन वचन तन की कषमता को बढ़ाना

विदयावरथयो का विवरनन विषयो एिि घिनाओ ि क मधय अन तर समप बन ि को समझन म सहयोग

करना ह

विदयावरथयो को इस वचितन हत परररत करना की हमार चारो ओर घि रही सामानय घिनाओ ि क

ीछ विजञान छ ा ह विजञान की समझ हम उन कारणो को जानन का अिसर दती ह

विदयावरथयो को विया करक समझन क सबस अविक अिसर परदान करना चावहए ह इसी परकार

वकया गया कायथ और कायथ करन एिि परयोग करन हत परररत करता ह

विजञान िथ म वनवहत जञान ि जानकारी र परशन उठान की परिवत को बढ़ािा दना ह अराथत यह

सचना को जस क तस मान लन क बजाय उस र परशन करक णथ जानकारी परापत करन ि इसक

बाद सिीकार करन र बल दता ह

विजञान विवरनन कलाओ ि ि वशकषण परवियाओ ि की सहायता स जञान को ककषा ककष स बाहर लान

म सहयोग करना चावहए

विदयावरथयो को इस बात क वलए परवशवकषत करना की जञान ही काफी नही जञान वनमाथण एिि जञान

वनमाथण की परविया री उतनी ही आिशयक ह वजतना विषय की समझ

परदशथवनयो सिगोवषटयो लोकवपरय वयाखयानो विजञान वशविरो और अनय विविि कायथिमो क

आयोजन वकया जाना चावहए

वशकषण म सवियता को अविक महति वदया जाना चावहए करक सीखन क वलए विदयावरथयो को

परररत वकया जाना चावहएअत सविय विवि क अितगथत विविि विवियो को सवमपमवलत वकया

जाना चावहए जस जस- शोिविवि (हयररवसिक) योजना (परोजकि) विवि इतयावद

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 52

39 अभयास परशनो क उततर 1 जञान

2 विजञान

3 विजञान

4 कोलकाता

5 िजञावनक मनोिवतत क परसार

6 कौशलो

7 परविया कौशल

8 बवनयादी परविया कौशल और एकीकत कौशल

9 अिलोकन

10 अनिषण

11 िजञावनक विवि

12 वजन व याज 13 सौदयथ बोि 14 रचनातमकता 15 रौवतकीय रासायवनक

310 सादरथ गरनर सची 1 Davar M (2012) Teaching of science New Delhi PHI Private Limited

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10 UNESCO (1966) Source Book for Science Teaching Paris UNESCO

312 वनबनधातमक परशन 1 विजञान क जञान स आ का कया अवरपराय ह

2 छातरो म िजञावनक समझ कस विकवसत वकया जा सकता ह

3 परविया कौशल स आ कया समझत ह

4 परविया कौशल दवारा आ छातरो म िजञावनक सोच कस विकवसत करग

5 छातरो म िजञावनक दषटीकोण विकवसत करन क वलए आ कया करग

6 छातरो म आ िजञावनक सौनदयथबोि कस विकवसत करग

7 माधयवमक सतर र विजञान को एक पररािशाली विषय क र म सराव त करन क आ कया

करग

8 रौवतक ितािरण क परवत आ छातरो को कस जागरक करग

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 54

इकाई 4 - भौविक विजञान वशकषण क अवधगम उददशय

41 परसतािना

42 उददशय

43 अविगम उददशय का अरथ

44 अविगम उददशय विकवसत करना

45 सविकवसत अविगम उददशयो की विशषताएि

46 एिडरसन एिि िथिोहल िगीकरण

47 अविगम उददशय वलखना

48 सारािश

49 शबदािली

410 अभयास परशनो क उततर

411 सनदरथ गरनर सची

412 वनबििातमक परशन

41 परसतावना रौवतक विजञान वशकषणशासतर क आिार स सिबिवित यह चौरी इकाई ह व छल इकाई म हम लोग रौवतक

विजञान वशकषण क विविि लकषयो स अिगत हो चक ह लकषय का कषतर वया क होता ह इनकी अिवि

दीघथ होती ह और इनम ही अविगम उददशय समावहत होत ह

अविगम उददशय आ का मागथदशथन करती ह और इनका सिबिि वकसी विशष परकरण स ही होता ह इनका

सरोत मखयतः मनोविजञान होता ह और इनम िसतवनषठता होती ह परसतत इकाई म विसतार स अविगम

उददशय की हचान और लखन परसतत ह

इस इकाई क अधययन क बाद आ रौवतक विजञान क विविि परकरणो क वलए अविगम उददशय विकवसत

कर सक ग

42 उददशय परसतत इकाई क अधययन क शचात आ -

1 अविगम उददशय का अरथ बता सक ग

2 अविगम उददशय क परमख विशषताओ ि की वयाखया कर सक ग

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 55

3 एिडरसन और िथिोल िगीकरण का िणथन कर सक ग

4 अविगम उददशय विकवसत कर सक ग

43 अवधगम उददशय का अरथ परतयक अविगमकताथ को अविगम अनरि और अिसर परदान करन की वजमपमदारी वशकषक को सौ ी गयी

गई तावक अविगमकताथ अ नी कषमतायोगयता क सिथशरषठ को सीख सक और अविगम क अ न णथ

कायथकषम को विकवसत कर सक ककषा म वकसी विशष परकरणइकाई को लाग करन क िथ कछ परतयकष

ररितथनो (समरण करन समझन लाग करन विशलषण करन इतयावद क र म) वजनह अविगमकताथ म

लान की आिशयकता ह की हचान करना एक वशकषक को इस वजमपमदारी क वनिाथह करन म सहायता

करता ह गोचर अनरि क र म वकसी विशष परकरणइकाई क वलए समरण करन समझन लाग करन

और विशलषण करन की य िािछनीय लडडी मोि तौर र lsquoअविगम उददशयrsquo जाना जाता ह य िािछनीयता

अविगमकताथओ ि क ितथमान जञान और षठरवम क ररपरकषय म दखा जाना चावहए न की वशकषको क

दसर शबदो म अविगम उददशय विवशषट और अिलोकनयोगय शबद म करन ह जो बताता ह वक

वशकषण-अविगम परविया म अविगमकताथ को सिलगन करन क ररणामसिर उसस कया उ लवबि हावसल

करन क अ कषा की जाती ह

व छली इकाई म हम रौवतक विजञान क अविगम लकषयो क विवरनन हलओ ि की चचाथ कर चक

ह इन लकषयो को परापत करना वशकषको का सतत परयास होना चावहए कया लकषय उददशयो स वरनन ह

आइय इस सारणी 41 म दखत ह

सारणी 41 भौतिक तिजञान अतिगम क लकषय और उददशयो की िलना

लकषय उददशय

1 लकषय का कषतर वया क होता ह 1 उददशयो का कषतर सीवमत होता ह

2 इनकी अिवि दीघथकालीन होती ह 2 इनकी अिवि अल कालीन होती ह

3 यह अस षट या अवनवशचत होत ह 3 य वनवशचत और स षट होत ह

4 इनकी परावपत म विदयालय समाज तरा

समप णथ राषटर वजमपमदार होता ह

4 इनकी परावपत की वजमपमदारी परायः वशकषक की ही होती ह

5 इनकी परावपत का मा न एिि मलयािकन सिरि

नही ह

5 इनका मा न एिि मलयािकन वकया जा सकता ह

6 इनका सिबिि वशकषा और रविषटय स होता ह

6 यह वशकषा म वनवहत होत ह तरा वशकषण स सिबिवित होत

ह इनका सिबिि वकसी विशष परकरण स ही होता ह

7 इनका सरोत समाजशासतर दशथनशासतर तरा 7 इनका सरोत मखयतः मनोविजञान होता ह

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 56

समप णथ वशकषाशासतर होता ह

8 इनम उददशय समावहत होत ह 8 य उददशय का ही एक राग होत ह

9 इनम वयवकतवनषठताहोती ह 9 इनम िसतवनषठता होती ह

10

य परतयक समाज और राषटर की

आिशयकता एिि आकािकषाओ ि क अनसार

ररितथनशील होत ह

10

य वनवशचत होत ह तरा परतयक परकरण क वलए वरनन-वरनन

होत ह

44 अवधगम उददशय ववकवसत करना रौवतक विजञान क अविगम उददशय रौवतक विजञान क लकषयो क सार-सार अविगमकताथओ ि की

सिजञानातमक कषमताओ ि क अनर री होन चावहए स षटतः विजञान क सरी िजञावनक तथय एिि वसदधाित

सरी अविगमकताथओ ि दवारा नही सीखा जा सकता ह और वकसी विशष अविगमकताथ क अविगम क

विवरनन हलओ ि म एक गणातमक दिम हो सकता ह उदहारण क वलए एक अविगमकताथ

परयोगातमक कौशल म बहत अचछा हो सकता ह लवकन सिखयातमक समसयाओ ि को हल करन म ऐसा

नही हो सकता आ को सामानय र म विजञान की परकवत को और विशष र म परकरण को

अविगमकताथ को बताय जान िाल परकरण क वया कताकषतर को परसिगसनदरथ वजसम अविगम हो रहा ह

और अविगमकताथ की आिशयकताओ ि कषमताओ ि एिि अविगम कवठनाईयाि को याद रखना चावहए

अविगम उददशयो को विकवसत करन की समझ आ को वशकषण-अविगम और आकलन

परवियाओ ि क वनमाथण तरा अविगम को सिरन म सहायता करगी आग उददशयो का िगीकरण करना

आ को विदयारी क जञान और सिजञानातमक परविया क आयाम म उनक अविगम कविवरनन हलओ ि र

कवनित होन म सहायता करगा वशकषण-अविगम परविया क तीन परमख घिको- उददशय आकलन एिि

वशकषण-अविगम वियाकला ो ndash दवारा सिरवखत वकया जाना चावहए तदनसार वशकषण-अविगम

वियाकला ो को उददशयो को समझन क वलए सिारा जाता ह इस परकार तीनो घिक एक-दसर क

ससिगत ह यवद तीनो घिक अनकल ह तो वशकषण-अविगम उददशय णथ ह

45 सववकवसत अवधगम उददशयो की ववशषताएा एक सवलवखत अविगम उददशय अविगमकताथओ ि क सार-सार वशकषको क दवारा री आसानी स समझा जा

सकता ह अविगमकताथ अनमान लगा सकत ह वक वशकषण-अविगम परविया क ररणामसिर उनस

कया अ कषा की जाती ह और इस सिबिि म वशकषक क सार बातचीत कर सकत ह अनय वशकषक आ क

सार चचाथ कर सकत ह और सझाि द सकत ह अविगम उददशय वलखन क वलए आ को कछ खास क ि

विनदओ ि को धयान म रखना चावहए जसा वक वचतर 41 म दशाथया गया ह

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अविगम उददशय को दशाथना चावहए वक अविगमकताथ कया करगा न वक वशकषक कया करगा अविगम

परविया को इिवगत करन िाल वियाओ ि का उवचत उ योग वकसी अविगम उददशय को स षटता और उसकी

समझबोि परदान करत ह

अब सारणी 42 म वशकषक-कवनित और अविगमकताथ-कवनित अविगम उददशयो की जाच करत ह

सारणी 42 तिकषक-कतनदरि और अतिगमकिाय-कतनदरि अतिगम उददशय

1

किसी उततल लस दवारा किकमित

परकतकिमि िी वयाखया िरिा

i दशाथना वक वकसी उततल लस को कस आििथक लस की तरह

उ योग वकया जा सकता ह

ii वकसी दर की िसत क िासतविक परवतवबमपब को दखन क वलए

उततल लस का उ योग करना

iii िसत क विवरनन वसरवतयो क वलए कस परवतवबमपब की परकवत

और आकार ररिवतथत होता ह का िणथन करन क वलए

वियायाकला करना

2

किरचोफफ़ कियम िो समझिा

i वकसी विदयत तितर क परतयक शाखाउ खिड म विदयत िारा की

गणना करन क वलए वकचोफफ़ वनयम का उ योग करना

ii वकसी विदयत तितर का समककष परवतरोि वनिाथररत करना

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अविगम उददशय क वकस सतमपर को आ अविगमकताथ-कवनित त ह स षटतः दसर सतमपर म जो वदया

ह िह अिलोकन करन योगय ह अविगम साकषय परदान कर सकता ह और हचाना जा सकता ह

अविगम उददशयो को स षट और बोिगमपय बनान क वलए वजस वसरवत म अविगम होगा और उनह

परापत करन क वलए कसौिी का री उललख करना चावहए आइय वनमपनवलवखत उदाहरण दखत ह

मानव नतर का रखा-चितर दन पर मानि नतर की सिरचना का नाम वलखना

रासायचनक ततवो क सकतो की सहायता स ततिो का नाम बताना

पवन िककी बनान क बाद इसक कायथचालन को दो अबचछदो म िणथन करना

उददशय वजतना ही स षट होता ह अविगम साकषय री उतना ही स षट होता ह तब इस समय सीमा म परापत

करन की समपरािना जयादा होती ह वकसी अविगम उददशय म वसरवत और कसौिी का उललख करना

अविगम अनरिो की योजना क वलए स षट दशय परदान करता ह अकिगम उददशय कििािररत िरि म

अकिगमितािओ िो सकिय रप स शाकमल किया जा सिता ह और उििी उपलकधि िी सीमा

िो उिि साथ तय किया जा सिता ह अकिगमितािओ िी आवशयिताओ ि आिार पर

अकिगम उददशय पररवकतित या सिार जा सित ह

यह समझना आिशयक ह वक ऊ र बताय गए तरीक स ही अविगम उददशय वलखना जररी नही ह करी-

करी अविगमकताथओ ि हत वचितन की अविक गिजाइस परदान करन क वलए वसरवत और कसौिी दोनो को

ही हिा वदया जाता ह उदहारण क वलए कछ अविगमकताथओ ि क वलए वकसी विशष वसरवत म एक

साधारण लोलक क समय अतराल को परभाचवत करन वाल चवचभनन कारको का अधययन करना वलखना

याथपत हो सकता ह

SMART मापदड कसौटी

सरी अविगम उददशयो को SMART मा दिड कसौिी रा करना चावहए

Specific (विवशषट)- परतयक अविगम उददशय का मातर एक मखय ररणाम हो

Measurable (मा न योगय)- परतयक अविगम उददशय ऐस वयिहार स सिबिवित हो वजस मा ा जा सक

Attainable (परापय परापत करन योगय)- परतयक अविगम उददशय उ लबि सिसािनो क मामल म यरारथिादी हो

Relevant (परासिवगक)- परतयक अविगम उददशय लकषयो क क ि म हो और विदयारी क उ लवबि म वरननता लाय

Timely (समयोवचत)- परतयक अविगम उददशय को समय सीमा क रीतर रा वकया जा सक

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46 एाडरसन एवा िवोहल वगीकरण 1956 म बनजावमन एस बलम न शवकषक उददशयो क र म मानि अविगम क कषो को तीन रागो म

िगीकत वकयाmdash

i जञानातमक (जञान मवसतषटक स सिबिवित)

ii रािातमक (अनरवत हरदय स सिबिवित)

iii मनोशारीररक वियातमक (कायथ हार स सिबिवित)

जञानातमक पकष भािातमक पकष मनोिारीररक तियातमक पकष

िगय िगय िगय

1 जञान 1 आगरहण 1 अनवचछक वियाए

2 बोि 2 अनविया 2 मलरत वसदधाित

3 अनपरयोग 3 अनमलयन 3 अििारणातमक कषमताए

4 विशलषण 4 वयिसरा न 4 शारीररक कषमताए

5 सिशलषण 5 चररतर वनमाथण 5 कशल गवतविवि

6 मलयािकन 6 िाणी विहीन वयिहार

तराव कछ िषो बाद वशकषण-अविगम परवियाओ ि स सिबिवित नए विचारो और सझ का आविराथि

हआ ररिवतथत सझ एिि शोिो क ररणामो को परकि करन तरा 21िी शताबदी क अविगमकताथओ ि क

वलए वशकषण-अविगम ररदशय की आिशयकताओ ि को रा करन क वलए लोररन डबलय एडरसन बलम

का एक रत िथ छातर और डतिड आर ििोहल बलम की सतक का एक सह-लखक न बलम क

िगीकरण को सिशोवित करन हत विशषजञो क एक समह का नतति वकया 2001 म इस ररणाम को

एक सतक ndash ए टकसोिोमी फॉर लकििग टीकरचग एड असकसग ए ररकवजि ऑफ़ धलमस

टकसोिोमी ऑफ़ एजिशिल ओधजककटवस - क र म परकावशत वकया गया सिशोवित िगीकरण

सदश परतीत होता ह तो री सारथक ररितथन ह आइय अब इस र विचार-विमशथ करत ह

बलम िगीकरण म अविगम क छः सतर एक दानिवमक र म ह उदहारण क वलए यवद कोई

अविगमकताथ अ न जञान का अनपरयोग करता ह तो िह हल स अविगम की िथ दो सतरो (जञान और

बोि) को ार कर चका ह (वचतर 42 दख)

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दानिम म मामली ररितथन स सिशोवित िगीकरण म री अविगम क छः सतर ह जो जयादा स षट ह

एक अनय सारथक ररितथन ह- सिशोवित बलम िगीकरण म जञानातमक आयाम (जञान का परकार वजस

वसखना ह) और सजञानातमक परतियस आयाम क र म दो आयाम ह जबवक बलम िगीकरण म मातर

एक आयाम

सिशोवित िगीकरण िीन तरह स वरनन ह-

(i) िबदािली यह ररितथन गौण ह तो री सारथक ह

यह एक सिजञा स विया शबदो म बदलाि ह

जञान शबद को वचितन की शरणी क र म अनवचत माना जाता रा और इस समरण करना स बदला

गया तचिन एक सतिय परतिया ह और जञान तचिन का पररणाम ह जञान को वचितन क

एक र म नही दखा जाता ह

बोध को समझना क र म सिशोवित वकया गया

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मलयाकन करना सशलषण का सरान वलया और सजन करना मलयाकन का सरान वलया

सशलषण शबद अविगम वियाओ ि क सिबिि म वबलकल सििादशील नही रा इसवलए इस सजन

करना स बदला गया

(ii) सरचना बलम िगीकरण म विवरनन विषय कषतरो को तय करन क वलए आ को कछ तरीक ता

लगाना चावहए चिवक परतयक विषय की परकवत और विषयिसत वरनन होता ह उदहारण क वलए विजञान

और राषा का तथयातमक जञान वरनन ह इसी परकार परवियातमक जञान री वरनन ह सिजञानातमक

मनोविजञान क वसदधाित क आिार र एिडरसन और िथिोहल न जञान क चार आयाम बताए ह जञानातमक

आयाम और सिजञानातमक परविया आयाम का परवतचछदन 24 ककष उत नन करता ह जो िगीकरण सारणी

को वदवआयामी बनाता ह जसा की सारणी 43 म दशाथया गया ह

सारणी 43 एडरसन और ििोहल दवारा परिि तदवआयामी िगीकरण सारणी

जञानातमक

आयाम

सजञानातमक परतिया आयाम

समरण करना समझना अनपरयोग

करना

विशलषण

करना

मलयािकन

करना

सजन करना

तथयातमक

जञान

िचाररक जञान

परवियातमक

जञान

सिजञानातमक

क अलािा

जञान

सारणी 43 का उ योग करक हम उददशयो को जञानातमक आयाम और सिजञानातमक परविया आयाम क

सार वमलान कर सकत ह आइए उदाहरण की सहायता स दखत ह वक परवियातमक जञान को

सिजञानातमक परविया आयाम क सार कस वमलान वकया जा सकता ह (सारणी 44)

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सारणी 44 परतियातमक जञान क सार सजञानातमक परतिया का तमलान

जञानातमक

आयाम

अतिगम उददशय

सजञानातमक

परतिया आयाम

परवियातमक

जञान

अ वकषत विदयत रर र आरख का परतयासमरण करक एक

सामानय िॉचथ बनाना

समरण करना

विदयत िारा क परिाह की वदशा दशाथत हए ldquoबलब कस चमकता

हrdquo की वयाखया करना

समझना

एक सिित विदयत रर र क सार िॉचथ क चमकन को सिबिवित

करना

अनपरयोग करना

यवद बलब नही चमकता ह तो विदयत रर र म समसया की

हचान करना

विशलषण करना

िॉचथ बनान क वलए वकसी वदए गए जमािड़ म स उनक विवनदश

जाच कर उवचत विदयत सल और बलब का चयन करना

मलयािकन करना

सािारण विदयत रर र का उ योग करक कोई उ करण बनाना सजन करना

इस परकार सिरचना वनमपनवलवखत तरीक स वरनन ह ndash

एक आयामी िगीकरण को वदवआयामी र म सिशोवित वकया गया

सिशलषण और मलयािकन क िम को अितविथवनमय वकया गया चवक िगीकरण को वचितन सतरो म

जविलता क बढ़त िम म दशाथता हआ माना जाता ह रचनातमक वचितन (सशलषण) गहन

वचितन (मलयाकन) की अ कषा वचितन का जयादा जविल र ह

बलम क िगीकरण म मलयािकन वचितन का सबस ऊ री सतर ह सिशोवित िगीकरण म सजन

करना दानिम क शीषथ र ह

(iii) महतति

1 सिशोवित िगीकरण ाठयिम योजना बनान वशकषण-अविगम क वलए सामगरी विकवसत करन

और आकलन परवियाओ ि क वलए जयादा विशवसनीय उ करण ह

2 बलम क िगीकरण को परारिवरक विदयालयी िषो क वलए सिोतम उ करण माना जाता रा

एिडरसन और िथिोहल िगीकरण को उचचतर सतरो क वलए री आसानी स उ योग वकया जा

सकता ह इस अरथ म यह उ योग म वया क ह

3 अविगम क उ -शरवणयो क िणथन र जयादा जोर ह वनमपनवलवखत सारणी (सारणी 45)

सिशोवित बलम िगीकरण क वया क वसिहािलोकन परसतत करता ह सिजञानातमक परविया की

उ -शरवणयाि वशकषण-अविगम परविया क ररणामसिर अविगम कायो का र और सिरि

अविगम ररणाम परदान करती ह

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सारणी 45 एडरसन और ििोहल क िगीकरण का वयापक अिलोकन

सजञानातमक परतिया

की शरणी

सजञानातमक परतिया की

उप-शरणी

अतिगम कायय

अतिगम साकषय परदान

करनिाल अतिगम

पररणाम

समरण करना

समवत स परासिवगक जञान

नःपरवतषठाव त करना

पहचानना

परतयासमरण करना

परापत करना

हचानना नःपरवतषठाव त

करना परापत करना

शरणीबदध करना नाम

बताना चयन करना

कहना रररावषत करना

िणथन करना वशनाखत

करना नाम वलखना

परतयासमरण करना सरान

का ता लगाना

ररराषा तथय कायथ- तरक

सची नाम परतयासमरण

समझना

वशकषण-अविगम

सामवगरयो और परवियाओ ि

स अरथ का वनमाथण करना

मौवखक वलवखत और

आरखी समपपरषण म

शावमल होना

तििचना करना

उदाहरण दना

िगीकि करना सतकषपत

करना

तनषकषय तनकलना

िलना करना

वयाखया करना

वयाखया करना वििचना

करना सिवकषपत करना

उदाहरण दना तलना

करना अनमान लगाना

िगीकत करना कवरत-

करन करना वनषटकषथ

वनकलना

वििरण वयाखया रर ोिथ

आरख लखावचतर

परशनोततरी सिगरह परदशथन

अनपरयोग करना

नई ररवसरवत म रणनीवत

अििारणा वसदधाित और

परवियाओ ि का उ योग

करना

तनषपातदि करना

कायायतनिि करना

कायाथवनित करना

वनषट ावदत करना हल

करना सिबदध करना

परदवशथत करना तयार

करना र ाितररत करना

दशाथना उ योग करना

अनपरयोग करना कशलता

स कायथ करना गणना

करना सवमपमवलत होना

परदशथन दषटानत

परसततीकरण साकषातकार

रीकषण ररकॉडथ वतरका

सिखयातमक समसयाओ ि का

समािान

तिशलषण करना

जञान को उसक अियिो म

तोडना और एक-दसर क

परक करना

सगतिि करना

आरोतपि करना

विशलषण करना तलना

करना तोड़ना रक

करना वनमाथण करना

आरख लखावचतर मॉडल

चािथ सि डिाबस रर ोिथ

जाचसची तातकावलक

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 64

सार अियिो का सिबिि

वनिाथररत करना

एकीकत करना अलग

करना सिगवठत करना

अितर करना आरोव त

करना र -रखा लगाना

आरख बनाना वनषटकषथ

वनकालना

कामचलाऊ उ करण

परशनािली सपरडशीि

मलयाकन करना

मानक और कसौिी

विकवसत एिि अनपरयोग

करक विचारो सामवगरयो

और विवियो क मलय

महतति का वनणथय करना

िााच करना

तििचना करना

वनणथय करना जाच करना

वििचना करना मलयािकन

करना अवरकल ना

बनाना परयोग करना

रीकषण करना वनयितरण

करना आिकना नयायोवचत

ठहराना परवतिाद करना

समरथन करना िणथन करना

वयाखया करना समपबदध

करना वनशचय करना

मलयािकन विचार-विमशथ

तकथ -वितकथ साकषय

आिाररत वनषटकषथ रर ोिथ

जाच ड़ताल िाद वििाद

सिन करना

वकसी िासतविक विचार

को विकवसत करन य

ततिो क सियोजन क वलए

विचारो या अियिो को

एक सार रखना विचारो

और ररणामो को ससिगत

कायाथतमक समप णथ बनाना

सजनातमक वचितन म

सिलगन रहना

उतपनन करना

योिना ियार करना

उतपातदि करना

वडजाईन बनाना वनमाथण

करना नवनथमाथण करना

खोज करना उ करण

बनाना योजना तयार

करना उत ावदत करना

बनाना उत नन करना नः

सिगवठत करना रचना

करना र ाितररत करना

मॉडल परदशथन परोजकि

ोसिर चािथ विजञान

नािक परसततीकरण

िीडा परशनोततरी गीत

कविता मीवडया उत ाद

इस परकार हम दखत ह वक सिशोवित बलम क िगीकरण म सिजञातमक परवियाओ ि क कई उ -शरवणया ह

यह जयादा स षट ह और हम वशकषण-अविगम रणनीवतयो और परवियाओ ि क वनमाथण म सहायता हत एक

शवकतशाली उ करण परदान करता ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 65

47 अवधगम उददशय विखना i समरण करना- अविगमकताथ अ नी समवत स तथयो ररराषाओ ि वनयमो वसदधाितो और जञान क

अनय िकड़ो का परतयासमरण और हचान करत ह यह अविगमकताथ को विजञान समझन म

सहायता करता ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

उततल और अितल लस को स शथ कर और उनक दवारा बन परवतवबमपबो का अिलोकन कर

क उनकी हचान करना

िासतविक और काल वनक परवतवबमपबो की ररराषा का परतयासमरण करना

एक वसरवत बताना जहा काल वनक परवतवबमपब बनता ह

परतयक उततल और अितल लस क दो उ योगो को सचीबदध करना

ii समझना - अविगमकताथ विवरनन वशकषण-अविगम ररवसरवतयो म अरथआशय का वनमाथण

करता ह यवद िह विवरनन अििारणाओ ि और जञान क िकड़ो म सह-सिबिि और सिबिि सराव त

करता ह तो िह समझता ह समझना तावकथ क और अमतथ वचितन को परोतसाहन दता ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

आसिन परविया का िणथन करना

आसिन म शावमल विवरनन चरणो को सिवकषपत करना

सािारण आसिन और आिवशक आसिन क बीच अितर करना

एक उदाहरण क दवारा आिवशक आसिन का दषटानत दना

iii अनपरयोग करना -अविगमकताथ तथयो अििारणाओ ि और वसदधाितो का उ योग तरा नई

ररवसरवतयो म समसयाओ ि का समािान कर सकत ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

कषारीय िात क कम-स-कम एक रासायवनक रीकषण परदवशथत करना

वदए गए नमन (स ल) म कषारीय िात की मौजदगी की रविषटयिाणी करना

जल म बनजोइक एवसड की घलनशीलता की वयाखय करन क वलए हाइरोजन बििन (बॉवनडिग)

की अििारणा का उ योग करना

वनमपनवलवखत अवरविया को सितवलत करना mdash

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 66

Zn(s) + HNO3 Zn(NO3)2 + NH4NO3 + H2O

iv तिशलषण करना - अविगमकताथ परवतमान दख वनवहतारथ और अियिो को हचान सकत ह

विशलषण करन क सतर र अविगमकताथ तलना करन आरोव त करन सिगवठत करन जञान को

उसक घिको म तोड़न की वसरवत म होत ह अविगमकताथ वदए गए ररवसरवत का विशलषण कर

सकत ह िह वदए गए समसया क घिको क मधय अितर और उनक बीच सिबिि की हचान करन

की वसरवत म होता ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

सिकत दवारा वदखाना वक वनमपनवलवखत उदाहरणो म ऑकसीजन-यकत यौवगक ओकसीकारक

जबवक अनय अ चायक कारक ह

LiAlH4 KMnO4 K2Cr2O7 NaBH4 K2CrO4 CrO3

वनमपनवलवखत अवरविया म ओकसीकरण और अ चयन क दौरान सरानाितररत इलकरानो की

सिखया सिकत दवारा वदखाना

Zn + H2SO4 ZnSO4 + H2

एक विदयत चमपबक क वनमाथण को दशाथन क वलए एक ररनावलका एक लोह की छड बिरी

और एक कि जी को सिगवठत करना

रौवतकी और रसायन शासतर म विवरनन अििारणाओ ि स सिबिवित सिखयातमक समसयाओ ि को

हल करना

v मलयाकन करना -अविगमकताथ मलयािकन उत नन वििचना वनणथय िजञावनक अििारणाओ ि

हत अवरकल ना तयार और परयोगो हत योजना तयार कर सकत ह ि वकसी वनणथय का

औवचतय वसदध कर सकत ह

अतिगम उददशय क उदाहरण

ldquo रडॉकस अवरविया ओकसीकारन और अ चयन का सवमपमशरण ह rdquo करन र विप णी करना

िि म चलन िाल िसतओ ि क सिीही (सरीमलाइन) आकार का औवचतय वसदध करना

माइिोसको और िवलसको म लसो क चयन स वलए कसौिी का मलयािकन करना

कारको की जाच करना वजस र एक विदयत चमपबक की शवकत वनरथर करती ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 67

iv सिन करना- सजन करन का तात यथ ह एक वयवकत क सि-कल ना क माधयम स रचना करना

योजना तयार करना वलखना वनमाथण करना और उत ादन करना

अतिगम उददशय क उदाहरण

वनमपनवलवखत दो अिथ अवरवियाओ ि को वमलाकर रडॉकस अवरविया बनाना

Zn(s) Zn2+

+ 2endash

Pb2+

(aq) + 2endash Pb(s)

दवनक जीिन स उदाहरण लकर रडॉकस अवरवियाओ ि क महतति र परसततीकरण तयार करना

िन चककी का मॉडल बनाना

चमपबको का उ योग कर वखलौन बनाना

अभयास परशन

1 सिजञानातमक कष का िगीकरण ________ क दवारा वदया गया

a बलम bवसकनर c वसमप सन dकोहलर

2 सामगरी क अरथ को आतमसात करना ह ndash

aसमझना b समरण करना c अनपरयोग करना dसजन करना

3 वकसी सामगरी क मलय को जानना ह -

aविशलषण करना bसमरण करना cअनपरयोग करना dमलयािकन करना

4 बौवदधक कौशल __________ क दवारा परदवशथत वकया जाता ह

aसिजञातमक कष bमनोशारीररक कष cरािातमक कष dउ रोकत म

स कोई नही

5 शवकषक उददशयो को __________ कषो म विरावजत वकया गया ह

aतीन b छ cदो d ािच

6 शवकषक उददशयो का िगीकरण __________ म वदया गया

a1946 b 1956 c1966 d1976

नोट अतिगम उददशयो क उपरोकत उदाहरण मातर दिानिदियक ह न तक तनदिातमक या सियगराही

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 68

48 सारााश अविगमकताथ और वशकषक दोनो क रर कषय स अविगम उददशय बहत महति णथ ह य वशकषक को वकसी

ककषा क वलए सिगवठत वकय जान िाल अविगम अनरिो को तयार करन तरा उनक आकलन क वलए

अरो ाय हत वदशा परदान करत ह विकवसत उददशय अविगमकताथ की आशयकताओ ि और वशकषण-

अविगम ररवसरवतयो क अनसार लचील होन चावहए इस वशकषण-अविगम परविया क वलए एक

मागथदशथक क र म कायथ करना चावहए

49 शबदाविी 1 अतिगम वयिहार म कोई री अ कषाकत सरायी ररितथन जो अभयास और अनरि क

ररणामसिर घवित होता ह

2 तिकषण-अतिगम परतिया जञान कौशल और अवरिवत परदान करन की िासतविक अनयोजन

अिवि

3 अतिगमकिाय कोई वयवकत जो वकसी कौशल या विषय को सीख रहा हो

410 अभयास परशनो क उततर 1 अ

2 अ

3 द

4 अ

5 ब

6 स

411 सादरथ गरार सची 1 बॉकसिन एसी (2010) िीवचिग साइिस इन एलीमरी एिड वमवडल सकल नय वदलली सज

वबलकशनस

2 बाईबी आर (2010) द िीवचिग ऑफ़ साइिस िििी फसिथ सचरी सथ वकिवस अवलिगिन

िीए एनएसिीए परस यएसए

3 फनशम ीज (1994) द कि िि ऑफ़ साइिस ए कि सरकविि एपरोच ि इिस िीवचिग एिड

लवनिग िावशिगिन डी सीर फालमर परस

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 69

4 गपता िी क (1995) िीवचिग एिड लवनिग ऑफ़ साइिस एिड िकनोलॉजी नय वदलली विकास

वबलवशिग हाउस पराइिि वलवमिड

5 जोशी एसआर (2005) िीवचिग ऑफ़ साइिस नय वदलली ए ीएच वबलवशिग कॉर ोरसन

6 लॉसन इए (2010) िीवचिग इनकिायरी साइिस इन वमवडल सकल नय वदलली सज

वबलकशनस

7 लयिन डी (1989) इनोिशनस इन साइिस एिड िकनोलॉजी एजकशन नय वदलली सिवलिग

वबलकशनस

8 मर एलज (1988) बवसक वसकलस- साइिस बोसिन जॉन मर

9 शमाथ आरसी (2005) मॉडनथ साइिस िीवचिग वदलली िन त राय amp सिस

10 वसददीकी एचएम (2007) िीवचिग साइिस नय वदलली बालाजी ऑफसि

11 वसददीकी एनएन amp वसददीकी एमएन (1994) िीवचिग ऑफ़ साइिस िड amp िमॉरो वदलली

डोएबा हाउस

12 सिररन ए amp सनड बी (1983) िीवचिग साइिस थर वडसकिरी ऑवहयो चालसथ इ मररथल

वबलवशिग कि नी

13 वतर ाठी एस (2004) िीवचिग ऑफ़ वफवजकल साइिस वदलली डोवमनि वबलकशनस

14 यनसको (1966) सोसथ बक फॉर साइिस िीवचिग ररस यनसको

15 िदय एन (2003) साइिस िीवचिग इन सकलस नय वदलली दी amp दी वबलशसथ

16 िनजा एम (2006) िीवचिग ऑफ़ वफवजकल साइिस हदराबाद नीलकमल वबलकशनस

17 गपता एसक (1983) िकनोलॉजी ऑफ़ साइिस एजकशन वदलली विकास वबलवशिग हाउस

पराइिि वलवमिड

18 गपता िीक (1995) रीवडिगस इन साइिस एिड मरमविकस एजकशन अमपबाला द एसोवसएिड

परस

19 राि िीक (2004) साइिस एजकशन नय वदलली ए ीएच वबलवशिग को ोरशन

412 वनबाधातमक परशन 1 अविगम उददशय स आ कया समझत ह एक सविकवसत अविगम उददशय की कया विशषताएि

होनी चावहए उदहारण दकर स षट कर

2 अविगम उददशय विकवसत करन की कया आिशयकता ह कछ उदाहरणो की सहायता स

वयाखया कर

3 यह जानन क वलए वक वशकषण-अविगम परविया म अविगम उददशय वलखना कस वकसी वशकषक

की सहायता करता ह एक परशनािली विकवसत कर

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 70

इकाई 5 अवधगमकिा को समझना- वपयाज और िाइगोतसकी की दषटि म अवधगमकिा अवधगमकिा को परवरि करना शावमल करना िािा करना और मधयसरिा

अवधगम विजञान वशकषक की भवमका Understanding Learners Piaget and Vyogotskian

Perspective Motivating and Involving learners Negotiating and Mediating Learning Role of Science Teacher

51 परसतािना

52 उददशय

53 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ

531 व याज की दवषट म अविगमकताथ

532 िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ

533 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अितर

54 अविगमकताथ को परररत करना शावमल करना एिि िाताथ करना

55 मधयसरता अविगम

56 विजञान वशकषक की रवमका

57 सारािश

5 9अभयास परशनो क उततर

5 10वनबनिनातमक परशन

5 11 सिदरथ गरनर सची

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 71

51 परसतावना वशकषण की ारि ररक विवि म विषय िसत क परतयकष अनदशन तथयो और परवियाओ ि क रिन र ज़ोर

दत हए रवढ़िादी तरीको का परयोग वकया जातारा ितथमान म वशकषण म विदयावरथयो की सविय

सहरावगता र ज़ोर दत हए उनह सियि जञान क सजन करन िाला माना गया दसर शबदो म कह तो

वशकषण और अविगम की वयािहारिादी दवषटकोण स सिरचनािादी दवषटकोण म सरानाितरण हआ ह

वयिहारिावदयो क अनसार सरी वयिहार बाहरी उततजनाओ ि को अविगमताथ की परवतवियाओ ि का

ररणाम ह अराथत बाहरी िातािरण सीखन क वलए योगदान करता ह इस तरह स विदयारी क अविगम

र बाहय ररवसरवतयो जस रसकार और दिड का परराि परबल होता ह यह िसतवनषठ अिलोवकत

वयिहार र मखय र स क वित ह और अविगम मानवसक गवतविवियो की रवमका को अविक महति

नही दता ह वयिहारिावदयो की मानयताओ ि क वि रीत सिरचनािादी अविगम को अरथ की खोज क र

दखत ह व याज और िाइगोतसकी िायगोसतकी रचनािादवनवमथततिाद क परमख समरथको म ह जो की

यह मानत ह की जञान का वनमाथण वशकषारी दवारा वकया जाता ह

ितथमान इकाई म हम वशकषण और अविगम की सिरचनािादी दवषटकोण िाल दो परमख मनोिजञावनक

व याज और िाइगोसतकी क रर कषय म अविगम कताथ की समीकषा करग अविगमकताथ को अविगम म

परररत करन और शावमल करन क महति को जानग मधयसरता अविगम क सिपरतयय एिि विजञान वशकषक

की रवमका का विसतार िथक अधययन करग

52 उददशय इस इकाई का अधययन करन क शचात आ -

1 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ की विशषताओ ि का विशलषण कर सक ग

2 व याज और िाइगोतसकी की सिजञानातमक विकास क वसदधाितो की वयाखया कर सक ग

3 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अितर कर सक ग

4 अविगमकताथ को अविगम म परररत करन और शावमल करन क महति की वयखया कर सक ग

5 मधयसरता अविगम क सिपरतयय को अ न शबदो म बयकत कर सक ग

6 विजञान वशकषक की रवमका का विशलषण कर सक ग

7 मधयसरता अविगम क सिपरतयय का अ न वशकषण कायथ म परयोग कर सक ग

53 वपयाज वाइगोतसकी की दषषट म अवधगमकता 531 व याज की दवषट म अविगमकताथ जीन व याज (1896-1980) वसििजरलड क मनोिजञावनक एिि

दाशथवनक क अनसार अविगमकताथ अ न िातािरण एिि ररिश क सार मानवसक शवकतयो का परयोग

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 72

करत हए सीखता ह और अविगम उस समय जयादा अरथ णथ होता ह जब िह विदयारी की रवच और

वजजञासा क अनर हो व याज क अनसार विकास की परविया म अविगमकताथ की बौवदधक सिरचना म

ररितथन होता ह और यह जीि की सिरचना और िातािरण की सिरचना क आ स म परवतविया क

फलसिर होता ह व याज क अनसार बचचा एक िजञावनक ह और यही बात व याज क वसदधाित का

आिारिाकय ह इनक अनसार अविगमकताथ का सिजञानातमक विकास िवमक ह जो वक िमबदध सतरो

र सियि म गणातमक ररितथनो को स षट करता ह यदयव अविगमकताथ की वन णता का विकास परतयक

सतर र उसक व छल सतर क आिार र ही वचवतरत होती ह अराथत विकास क व छला सतर ही नए सतर

का विकास की आिारवशला होती ह अराथत व छल सतर का विकास नई दकषता क वलए क वलए

आिारवशला का कायथ करती ह सार ही य विशषताय उन विशषताओ ि स वरनन होती ह जो वक बालक

क व छल सतर र परदवशथत और परामावणत की ह

अतः वशकषको को अ न विदयावरथयो क सिजञानातमक कषमताओ ि क विकास म अचानक अिकररत होन िाल

ररितथनो की अ कषा रखनी चावहए न वकि वनबाथि विकास की व याज क िवमक विकास की

अिसराओ ि म एक क शचात दसर सतर र अविगमकताथ जाता ह और इस परकार उसका सिजञानातमक

विकास होता ह कम उमर म बालक की िजञावनक खोज उसकी सिजञानातमक कषमताओ ि क कारण सीवमत

होती ह कयोवक उनम विकास अरी तक होना होता ह रनत हरक अिसरा म बचच सविय र स इस

सिसार को खोजन का परयास करत ह व याज न अ न वसदधाित म कछ सिकल नाए दी ह यहा चार

सिकल नाए िवणथत की जाएगी जो वक सिजञानातमक विकास की विवशषट परविया ह ि ह- अनकलन

(adaptation) आतमसातकरण (assimilation) समिजनसामिजसय (accomodation) और समतलयन

(equilibration)

अनकलन मनोिजञावनक सिरचनाओ ि को वयिवसरत करन क वलए अविगम कताथ अ न िातािरण क

अनसार मानवसक सिरचना को र ाितररत करन वक परिवत को अनकलन कहत ह अराथत अविगमकताथ

और उसक िातािरण क मधय चलन िाली यह रस र विया क दवारा परापत समतलयन को व याज न

अनकलन का नाम वदया ह अनकलन वक परविया म दो मल परवियाय -आतमसातकरण और

समिजनसामिजसय सवमपमवलत ह

आतमसातकरण आतमसातकरण तब होता ह जब अविगमकताथ अ नी मौजदा बौवदधक सिरचना का

परयोग सिसार बाहय जगत को समझन क वलए करता ह आतमसातकरण म िातािरण म उ वसरत वकसी

चीज को समझन का परयास िथ िाररत जञान क मल करन क आिार र वकया जाता ह

समिजन जब अविगम कताथ अ नी िथिाररत मानवसक दधवतसिरचनाओ ि को नए िातािरण क सार

सितलन सराव त करन क वलए ररिवतथत करता ह तब समिजन परारिर होता ह विदयारी दवारा अ नी

बौवदधक सिरचना म िातािरण की आिशयकता क अनसार समायोजन या ररितथन करना समिजन ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 73

समतलयन समतलयन उस विया को कहत ह जो सितलन सराव त करन करन का परयास करती ह यह

आतमसातकरण और समिजन की परवियाओ ि म सितलन की सरा ना स समपबिवित ह व याज क अनसार

विदयारी क वचितन म िासतविक ररितथन समतलयन की परविया स होती ह

व याज क अनसार मानि वशश शरआत म सिजञानी जीि नही होता िह अ नी बोिात मक और

गत यात मक गवतविवियो क दवारा मनोिजञावनक ढािच अनरिो स सीखन क सिगवठत तरीक स खद को

अ न याथिरण क अनसार ढाल ाता ह इन ढािचो को विकवसत करत समय बच च बहत गहन र स

सविय रहत ह ि अनरिो क मौजदा ढािचो का उ योग करत हए उनका चनाि करत ह और अरथ

वनकालत ह तरा िास तविकता क और बारीक कषो को गरहण करन क वलए उन ढािचो म बदलाि करत ह

बच च सिसार म लगरग समस त जञान को अ नी गवतविवियो क दवारा खोजत या वनवमथत करत ह अत

व याज क अनसार सिजञानातमक विकास अनकरण की बजाय खोज र आिाररत ह अविगम कताथ

अ नी जञानवियो क परतयकष अनरि क आिार र अ नी समझ का वनमाथण करता ह इस परकार का

अविगम सविय अविगम होता ह इसक वयवकत अ न ररिश और िातािरण क सार सविय र स

अितविथ या करता ह इसम वकसी कायथ को करत हए वयवकत वकसी एक विचार म नए विचारो को शावमल

करता ह

व याज का मानना रा वक वशकषा का मखय उददशय बचचो को यह सीखना होना चावहए वक िो वकस परकार

सीख सकत ह और वशकषा को अविगम कताथ को सीखन की तरफ परररत करना चावहए न वक उनह रिन र

जोर दना चावहए कही बातो को ररना चावहए एक वशकषक को ककषा म कई परकार क विदयारी वमलत

ह एक विदयारी सियि म री अ न सिजञानातमक विकास और विषय जञान म बावक वशकषावरथयो स काफी

वरनन होता ह एक वशकषक क यह जानना चावहए वक ऐसा विदयावरथयो की वचितन योगयताओ ि की कमी

क कारण ह या वफर उस सामानय तथय ही नही ता ह इसक वलए वशकषक को अविगमकताथ र तब

धयान दना चावहए वक िह वकस परकार स समसया को समािावनत करन का परयास कर रह ह िह वकसी

एक हल र धयान द रह ह या वफर री समसया र वकस परकार की तावकथ कता का परयोग कर रह ह

व याज क अनसार अविगम कताथ सियि अ नी समझ का वनमाथण कर सीखना एक रचनातमक परविया ह

इसम किल रौवतक र स हर-फर कर क ही ना सीखाया जाए बवलक मानवसक हर-फर री वकया जाए

इसक सार ही विदयारी अ न वशकषक और ककषा क अनय विदयावरथयो स री वकसी समसया क समपबनि म

विचार-विमशथ कर कयोवक इसक दवारा उनक विचारो को चनौती दी जा सक और विचारो का मलयाङकन

हो सक

532 िाइगोतसकी की दति म अतिगमकिाय

वलि वसमनोविच िाइगोतसकी (1896-1934) न सिजञानातमक विकास का सामावजक दवषटकोण परसतत

वकया इनक अनसार बचच का सिजञानातमक विकास म उसक सािसकवतक सिबनि क बीच सििाद का

महतति णथ सरान ह िाइगोतसकी री सिरचनािादी र तरा यह मानत र वक बचच जञान का वनमाथण करत

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 74

ह वकनत इनक अनसार सिजञानातमक विकास म राषा क सार-सार सामावजक-सािसकवतक सिदरथ री

महति णथ रवमका वनराता ह यह मानत ह वक राषा सिजञानातमक विकास का महतति णथ उ करण ह तरा

परारमपर स ही बचच अ न कायो क वनयोजन एिि समसया समािान म राषा परयोग करन लग जात ह

व याज क वसदधाित क वरनन िाइगोतसकी मानत ह की अविगम ि विकास सािसकवतक ि सामावजक

िातािरण की मधयसरता का परवतफल ह िाइगोतसकी न सिरावित विकास का कषतर का सिपरतयय वदया जो

की उस अितर को बताता ह जो की बचच क वबना वकसी सहायता क समप ावदत कायथ तरा वकसी बड़ या

अविक कशल सारी की सहायता स समप ावदत कायथ म होता ह सिवियातमक दो म रररावषत कर तो

यह एक ऐसा कषतर ह जो बचच क परदशथन क रीकषण क दो वसरवतयो म बीच अितर- सहायता क वबना या

सहायता क वबना को रररावषत करता ह उनक अनसार बचच क विकास को सामावजक एिि सािसकवतक

गवतविवियो स अलग नही वकया जा सकता उसका परतयक कषतर का विकास इन गवतविवियो म

अनतवनथवहत होता ह इस परकार िाइगोतसकी का वसदधाित सामावजक वनवमथवतिाद ह वयवकत म सरी

मानवसक या बौवदधक वियाए हल बाहरी समाज म घवित होती ह और बचच समावजक एिि सािसकवतक

अनत वियाओ ि दवारा बचच अ नी सिसकवत म सोचन और वयिहार करना सीखत ह अत बचच क समप णथ

विकास म सामावजक िातािरण क विवरनन अिगो जस- ररिार समदाय दोसत तरा विदयालय की

रवमका महति णथ ह िायगोतसकी न उचच कषतर सतर को परापत करन क वलए मचान ढािचा वनमाथण

(scaffolding) का परयोग वकया मचान ढािचा वनमाथण (scaffolding) स तात यथ ह वक अविगम कताथ

को ियसक या अविक सकषम सारी दवारा परदान की गई सहायता ढािचा वनमाथण की परविया उररती हई

और विकासशील (जो की अरी तक रर कि नही हई) कषमताओ ि को लकर आती ह और इस तरह

इसस अविगम कताथ की वछ ी हई कषमताओ ि का ता चलता ह सिरचनातमक कषतर म वशकषक बचचो क

सार जो िाताथला करता ह उस ही ढािचा वनमाथणमचान कहा जाता ह िाइगोतसकी क अनसार मानि

की विशषता एक परारवमक मतरी वमलनशीलता ह वयवकत आनििवशक र स सामावजक ह उसस अलग

होक उसका विकास सिरि नही ह वशकषण परविया का योगदान यह ह वक िह अविगम कताथ को

शवकतशाली उ करण अराथत राषा परदान करता ह विकास परविया क दौरान यह उ करण वयवकत की

आितररक सिरचना (आितररक राषा क विकास क सार) का एक अवरनन अिग बन जाता ह उ करण (जस

राषा) जो की एक सामावजक उत वतत ह सोच वचितन जस अनय मानवसक वियातमकता क सार

अितविया करना परारमपर करता ह िाइगोतसकी दवारा परदान की गई मनोिजञावनक उ करणो क उदाहरणो म

राषाराि रिवगमा वचतर नकश आवद शावमल ह राषण लखन और राषा क माधयम स मधयसरता

सामावजक िातािरण को अित करण म समािवशतकरन क वलए वशकषावरथयो की सहायता करता ह इन

मधयसरता उ करणो की सहायता स अविगम कताथ का उचच सोच की कषमता बढ़ती ह सविय

अविगम म बचच जञान का वनमाथण करत ह वशकषण परविया किल बचचो और ियसको की गवतविवियो क

माधयम स जञान क वनमाथण की परविया ह अत अविगम वशकषण परविया ह एक सामावजक सहयोग ह

सहयोग क दौरान ियसक राषा का ररचय दता ह जो सिचार और सि कथ क वलए एक उ करण क र म

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 75

कायथ करता ह सामावजक सिबििो क एक सािन क र म राषा बचच क आितररक मानवसक सिगठन क

एक सािन म ररिवतथत हो जाता ह

533 तपयाि और िाइगोतसकी की दति म अिर

व याज और िाइगोतसकी दोनो मनोिजञावनको न उन वसदधाितो को विकवसत वकया जो बचचो और वकशोरो

म सिजञानातमक विकास और सीखन स समपबिवित ह दोनो क वसदधाितो क बीच समानताएि यह ह की दोनो

ही सिरचनािादी ह और मानत ह की अविगमकताथ जञान का सजन सियि करत ह रनत इन दोनो क

वसदधाितो म अितर री ह और य अितर शकषवणक सवििग म वसदधाितो क समझ और अनपरयोग क वलए

महति णथ ह दोनो क क वसदधाितो म परमख अितर वनमपनित ह

व याज क अनसार विकास अविगम की िाथिसरा ह न वक इसका ररणाम जबवक इगोतसकी

का मत इसस वबलकल वरनन ह िो मानत ह की विकास स िथ सामावजक अविगम आता ह

इस दो वसदधाितो क बीच मखय अितर माना जा सकता ह

व याज मानत ह की सिजञानातमक विकास विवरनन चरणो म होता ह और िो चरण सािथरौवमक

ह जबवक िाइगोतसकी इसस अलग दवषटकोण रखत ह और मानत ह की विकास को आकार

दन क सािनो क र म सिसकवत और सामावजक सिबििो का सरान सबस अविक महति णथ ह

दो वसदधाितो क बीच एक और अितर सामावजक कारको को वदए गए महति स उत नन होता ह

व याज का मानना ह वक अविगम अविकतर एक सितितर अनिषण ह जबवक िाइगोतसकी विशष

र स सिरावित विकास का कषतर क माधयम स एक सहयोग णथ वशकषण र म इस और अविक

दखत ह कयोवक एक बचच को अ नी कषमताओ ि को विकवसत करन म सहायता परदान की जा

रही ह

पयाज़ क अनसार अविगम क वलए सिथपररम एक वनवशचत विकास सतर र हिचना आिशयक ह

िाइगोतसकी का वसदधाित सामावजक-सािसकवतक वसदधानत क नाम स जाना जाता ह इस वसदधानत

क अनसार सामावजक अनतःविया ही अविगमकताथ की सोच ि वयिहार म वनरनतर ररितथन

लाता ह जो की एक सिसकवत स दसर म वरनन हो सकता ह

अभयास परशन

1 व याज क अनसार विकास की परविया म अविगमकताथ की बौवदधक सिरचना म ररितथन होता ह

(सतय असतय)

2 व याज क अनसार अविगमकताथ का सिजञानातमक विकास िवमक ह जो वक िमबदध सतरो र

सियि म मातरातमक ररितथनो को स षट करता ह (सतय असतय)

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 76

3 व याज क सिजञानातमक विकास की चार सिकल नाओ ि क नाम वलवखए

4 व याज और िाइगोतसकी वयिहार िादी र

5 ढािचा वनमाथण (scaffolding) स कया तात यथ ह

6 िाइगोतसकी न सिरावित विकास का कषतर कया बताता ह

54 अवधगमकता को परवरत करना शावमि करना एवा वाता करना इसक वि रीत सिरचनािादी अविगम को अरथ की खोज क र दखत ह ितथमान वशकषा वयिसरा

सिरचना िादी दवषटकोण स अविक परररत ह और यह मानता ह की अविगमकताथ को यवद परररत वकया

जाए वशकषण अविगम परविया म शावमल वकया जाए तो िो जञान का सजन सियि करत ह छातरो को

सीखन क वलए परररत करना एक चनौती णथ कायथ ह कयोवक आज क छातरो क सामन बहत सर विकल ह

जो उनक धयान आकवषथत करती ह रनत विदयारी को सीखन क वलए परररत करना बहत आिशयक ह

कयोवक परररत विदयारी वसखन एिि वशकषण अविगम

परविया म अ नी रागीदारी अविक उतसकता स

वनरात ह एक विदयारी सियि म री अ न

सिजञानातमक विकास और विषय जञान म बावक

वशकषावरथयो स काफी वरनन होता ह एक वशकषक

क यह जानना चावहए वक ऐसा विदयावरथयो की

वचितन योगयताओ ि की कमी क कारण ह या वफर

उस सामानय तथय ही नही ता ह इसक वलए

वशकषक को अविगमकताथ र तब धयान दना

चावहए वक िह वकस परकार स समसया को समािावनत करन का परयास कर रह ह िह वकसी एक हल

र धयान द रह ह या वफर री समसया र वकस परकार की तावकथ कता का परयोग कर रह ह

परररत अविगम कताथ सियि अ नी समझ का वनमाथण सियि करता ह सीखना एक रचनातमक परविया ह

इसम किल रौवतक र स हर-फर कर क ही ना सीखाया जाए बवलक मानवसक हर-फर री वकया जाए

इसक सार ही विदयारी अ न वशकषक और ककषा क अनय विदयावरथयो स री वकसी समसया क समपबनि म

विचार-विमशथ उनह ककषा की गवतविवियो म शावमल वकया जाना चावहए उनक विचारो को चनौती दनी

चावहए वजसस की उनक विचारो का मलयाङकन हो सकता ह और इस परकार िह एक षठ ोषण परापत

कर सकत ह का उ योग बचचो को सीखन म बहत उ योगी ह जो री हम सीखत ह उसम अनकरण

का बहत बड़ा योगदान होता ह और मवषटतषटक क विकास म री खल की महति णथ रवमका होती ह ऐस म

खल हर एक आय म अनकरण की ओर परररत करता ह इस हत हर एक आय म उनकी मानवसक योगयता

क अनसार खल की परकवत होनी चावहए एनसीएफ (2005 ) न यह स षट कर वदया रा वक विदयावरथयो

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की सीखन की विया म उनकी रागीदारी सीखन सिबििी सिोततम ररणाम ान की कि जी ह और

विदयावरथयो को वनमपनवलवखत अिसर वमलना चावहए

सीखत समय विचारो का योगदान दन का

अ न विचारो और अनरिो क बार म बोलन और चचाथ करन का

विदयालय म उनहोन जो सीखा उस अ न रोजमराथ क जीिन स जोड़न का

विदयावरथयो स बातचीत क दौरान वशकषक क र म रवमका यह ह की विषय-वबिद क ररचय का परबििन

करना (इसम वकनही री ररचयातमक परशनो को री शावमल वकया जा सकता ह) समहो का गठन करना

और उनकी वनगरानी करना तरा विदयावरथयो क विचारो को सारािश र दना सवमपमवलत वकया जा जा

सकता ह वशकषक की परकषक की रवमका सक उस विदयावरथयो की समझ और वचितन परविया की

जानकारी दन म सहायक होती ह रनत करी-करी हसतकष करना और विदयावरथयो को परररत करना री

आिशयक ह बात-बात म अवतररकत परशन छन स विदयावरथयो को बहतर ढिग स अ न विचारो को स षट

करन अ नी बात को विसतार दन और अ न तको को समझान म सहायक होती ह वकसी परकरण क

बार म वनमपनवलवखत परकार क पररक परशन विदयावरथयो को अविक वया क ढिग स और अविक गहराई स

सोचन क वलए षठरवम तयार करत ह और विदयावरथयो की वसखन म सहायता करत ह जस hellip स

तमपहारा कया तात यथ ह कया तम hellip क बार म विसतार स बता सकत हो कया तम िणथन कर सकत हो

वक तम hellip स सहमत कयो नही हो क बार म विसतार िथक बताओ इतयावदवशकषक की रवमका

का एक राग यह री ह वक अ न विदयावरथयो क सीखन का ऐसा िातािरण बनान की वदशा म कायथ कर

जहाि विदयारी नए तरीक आजमान तरा नए कौशल विकवसत करन क वलए परोतसावहत हो परररत छातरो स

ररी हई एक कलास को ढ़ाना एक वशकषक क वलए आनिददायक अनरि होता ह सार ही सार इस

कलासरम का माहौल छातरो को आकवषथत करता ह विदयावरथयो क सार बात चीतका तरीका ऐसा होना

चावहए की सार छातर का इितज़ार कर

विदयावरथयो को परररत करन शावमल करन एिि िाताथ करन हत कछ सझाि

विदयावरथयो क सतर क अनर चनौती रख और उनको समसया समािान करन हत सकारातमक

परवतस िाथ का अिसर द

विदयावरथयो को खद करक सीखन हत परररत कर

विदयावरथयो को विशवास वदलाएि वक आ उनकी रिाह करत ह और रदराि की रािना स र

विदयावरथयो को उनक जञान और समझ को उनक सरानीय ररिश क सार जोड़न का अिसर

परदान कर

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अ न वशकषण कायथ का परारमपर जिाब क सार नही कर कयवक सिालो का जिाब रिना बोररयत

ररा होता ह ऐसा करक आ विदयावरथयो की सीखन म रवच को बनाय रख सकत ह

विदयावरथयो को उनकी रवच स मल खात असाइनमि द वजसस की िो उसम रवच ल सक

विदयावरथयो को उनकी परगवत क समपबनि म बयवकतगत परवत वषट री द

वशकषण अविगम परविया म बचचो की रागीदारी सवनवशचत करन िाली रणनीवत अ नाएि और

विदयावरथयो को सिाल छन क वलए परोतसावहत कर

वकसी विषय की गहराई म उतरना विदयावरथयो म एक रवच का वनमाथण करता ह जो जयादा सरायी

होती ह इसस छातर आग री सीखन क वलए तत र रहग

विदयावरथयो म सिसर परवतयोवगता की रािना का विकास कर वजसस की िो अविक जञान का

अजथन करन क वलए परररत हो सक

विदयावरथयोको सामदावयक कायो म वहससा लन क वलए परररत कर वजसस की उनम

सामदावयक रािना और सामावजक गणो का विकास वकया जा सक

ाठयसामगरी को रोचक बनाकर वििावरथयो को वशकषा क परवत अवरपरररत वकया जा सकता ह

अत ाठय सामगरी या ाठय विषय िसत रोचक तरा विदयावरथयो की मानवसक योगयता एिि

मनोिवतत क अनकल होनी चावहए

ाठयसहगामी वियाओ ि को उवचत सरान वदया जाना चावहए ाठयसहगामी वियाए न किल

विदयावरथयोम ढ़ाइथ की रकान को कम करती ह बवलक उनम ढ़ाइथ म री वनषठा क सार

सिलगनता क वलए उतसाह री दा करती ह

सकल म वशकषा का सिसर िातािरण विदयावरथयोक वलए शवकषक अवरपररणा का कायथ करता ह

विजञान विषय की ढ़ाइथ ऐस ककष म हो वजसम विजञान विषय स ही सिबिवित सतक ि उ करण

आवद हो इसी परकार अनय विषयो क सार री होना चावहए

अभयास परशन

7 वशकषण की ारि ररक विवि अविक विदयारी कवनित री (सतय असतय)

8 एनसीएफ (2005 ) क अनसार विदयावरथयो की सीखन की विया म उनकी रागीदारी बढ़ान क

कौन कौन अिसर वमलन चावहए

55 मधयसरता अवधगम बचच क जनम स ही उसक सीखन की परवियाओ ि म ियसको क हसतकष होता ह ियसको क हसतकष

माधयम स ही िो मागथदशथन परापत कर अ न वयवकतति को आकार द ाता ह जो की निजात क जीिन म

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महति णथ ह बचच क विकास म य महति णथ लोग मधयसर क र म जाना जाता हबचच क जीिन क

वलए जो उ यकत होता ह िो उस चनकर वयिवसरत कर क जो उददी न परसतत करत ह ि वशश क

सिजञानातमक सामावजक और रािनातमक विकास म सहायक होता ह इन मधयसरो शरआती माता-

व ता र लवकन बाद म वशकषको हल परयासो म राग लत ह बचचो को उददी नो र परवतविया दनी

डती हि बचच की परवतविया को परररत करत ह और बतात ह वक परवतउततर या परवतविया कयो दसरो की

तलना म अविक उ योगी और पररािी ह इस तरह स यह स षट ह वक इन सारथक अित विया ियसको

और बचच क बीच होन िाली बातचीत बाद म िीर-िीर बचच क सिसार को आकार दन और उसक

रीतर अ नी जगह विसतत विविि सिदरो म समझन म सहयोग दती हसबस हल वशश न वसफथ अ न

माता-व ता राई-बहन और ररशतदारो क सार सीिा सि कथ म आता ह लवकन बाद म उनका सिदरथ

शवकषक िातािरण समदाय और ड़ोस सावरयो और दोसतो मीवडया और सिसकवत म विसताररत और

समदध होता ह यह िह जगह ह जहाि बचच अ न ररिार क अनरिो क बीच समपबनि सराव त करना

शर कर दत ह

मधयसरता अविगम वशकषक और वशकषारी क बीच सकषम सामावजक सि कथ ह जो विदयारी क सीखन क

अनरि म सिििथन करता ह इसका तात यथ ह की िातािरण म अनरि वकय हए उददी नो को मधयसरता

करन िाल वयवकत आमतौर र माता-व ता वशकषक राई या अनय वयवकत दवारा वकस परकार स समझाया

जाता हउस मधयसरता करन िाला वयवकत अ नी और वशकषारी की सिसकवत और रािनातमक वनिश

दवारा वनदवशत िातािरण का आयोजन करता ह वजस वशकषारी क उननत और पररािी कायथ क वलए एक

स षट इरादा और लकषयो क अनसार वयिवसरत हो मधयसर उददशयो क अनसार उददी नो का चयन करता ह

और वफर उनको फरम और वफलिर कर उसकी और अनसवचयाि बनाता ह और स षट लकषयो क अनसार

अविगम कताथ क परदशथन क वलए उनकी उ वसरवत या अन वसरवत होन की वयिसरा करता ह इस

परविया क माधयम स अविगम कताथ वयिहार िनथ जागरकता और रणनीवतयो को परापत करता ह

मधयसरता अविगम एक महति णथ घिक ह जो विरदक सिजञानातमक विकास को वनिाथररत करता ह और

सिरचनातमक सिजञानातमक र ानतरण को सवनवशचत करता ह मधयसरता मानि सि कथ क माधयम स होती ह

न वक मशीन या वकसी अनय वनजीि िसत जस सतक कि पयिर आवद स यह अविगम कताथ और उसक

िातािरण क बीच बातचीत की गणितता का परवतवनविति करता ह यह अित विया परतयक ीढ़ी क वलए

सिसकवत क अतीत ितथमान और रविषटय क आयामो को लगातार परवषत करक ीवढ़यो क वयिहार को

उवचत आकार दन क वलए सािसकवतक र स वनिाथररत आिशयकता दवारा वचवहनत वकया जाता ह

मधयसरता अविगम अनरि तब होता ह जब बचचो को ldquoकस वसखा जाएrdquo (मिाकोवगनशन) सीखन क

वलए वनदवशत वकया जाता ह वकसी अविक अनरि और जञान िाल वयवकत क दवारा यह विरवदत वनदश

क समान ह तरा िाइगोतसकी क समी सरसिरावित विकास क कषतर क वसदधाित र आिाररत ह

मधयसरता अविगम अनरि क महति णथ तति

सरी आय समहो क वलए परयोग होता ह

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बाहरी वसरवतयोकारको की बजाय वशकषारी क वयवकतगत वसरवत र वनरथर करती ह

सिजञानातमक विकास और सिरचनातमक सिजञानातमक ररितथनीयतार ाितरण क परवत सििदनशील

सिरवचत वशकषण जो वशकषावरथयो को िसतओ ि ररवसरवतयो और घिनाओ ि की परतयकष और मतथ

उ वसरवत म सोचन की अनमवत दता ह

मधयसरता अविगम अनरि क मा दणड मधयसरता अविगम अनरि क कछ मा दणड ह वजनम स कछ

सािथरौवमक ह और कछ वसरवतजनय ह मा दिडो का वििरण वनमपनवलवखत ह

यवनिसथल रामीिरसािथरौवमक मा दणड

i इििशनवलिी आशय ारस ररकता ारस ररकता सरी मा दिडो म सबस अविक

आिशयक होती ह यह बचच और मधयसर (अविक कशल वयवकत) क बीच एक उततरदायी

सिबिि की सरा ना ह इसक वलए बचच और मधयसर अ न सिसकवतयो मलयो विचारो

रािनाओ ि और अ कषाओ ि को एकीकत करक साझा करत ह

ii उतकषटता यह एक विशष गवतविवि म बचच कया सीख रह ह उसस र समझन का विसतार

ह उतकषटता क माधयम स बचचो अ नी खद की सीखन की रणनीवत बनान म सविय हो

जात ह कस सीख की परविया र अविक ज़ोर रहता ह बजाय अविगम क उत ाद र

कमजोर वदया जाता ह उतकषटता एक वसरवत स दसर म जञान और रणनीवतयो को वबरवजिग या

सरानाितररत करन का एक र ह जस बचचो को कस और कयो ि चीज (सीखन की परविया

र धयान क वित) करग क बार म छ उनह बताए नही

iii अरथ की मधयसरता यह सीखन क अनरि की वयवकतगत परासिवगकता ह मधयसर सवनवशचत

करता ह वक बचचो को गवतविवियो क अरथ (रवच महति और उ योवगता) क विकास म

वहससा ल रह ह ह जस सीखन की गवतविवियो म वयवकतगत रवच महति और खशी साझा

करना अ न विशवासो मलयो सिदो ना सिवदयो और दवनया क बार म अ न विचार साझा

करना और यह सवनवशचत करना वक आ बचच क विचारो को सनत ह बचचो की जररतो

और रवचयो स वमलान करन क वलए गवतविवियो की कवठनाई को समायोवजत करनाइतयावद

वसरवतजनय या नबवलत मा दणड

a कषमता की रािना का मधयसरता

b विवनयमन और वयिहार क वनयितरण का मधयसरता

c वयिहार साझा करन का मधयसरता

d वयवकतगत और मनोिजञावनक वरननता का मधयसरता

e लकषय की मािग गोल सवििग लकषय को परापत करन और लकषय वनगरानी वयिहार की

मधयसरता

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f चनौती का मधयसरता - निीनता और जविलता की खोज

g एक बदलती हई सिसरा क र म इिसान की जागरकता का मधयसरता

h आशािादी विकल ो क वलए खोज का मधयसरता

i सिबिवित की रािना का मधयसरता

अभयास परशन

9 मधयसरता अविगम स आ कया समझत ह

10 मधयसरता अविगम अनरि क सािथरौवमक मा दणड क नाम वलवखए

56 ववजञान वशकषक की रवमका विजञान अ न आस ास क सिसार को जानन और समझन क परयास की एक शली ह वििा ह जो की

विचार अिलोकन अधययन और परयोग को माधयम बनती ह विजञान जञान की िह शाखा ह जो तथय

वसदधानत और परयोग और ररकल ना स सराव त और वयिवसरत होती ह यह एक उ िम ह वजसम जञान

सामानय सतर स कवठन की ओर ि सकषम स सरल की ओर चलता ह पररािी विजञान वशकषण वलए जररी

ह वक इस मनषटय क दवनक जीिन स ि सार ही उसक चारो ओर क याथिरण स जोड़ा कर बताया जाए

विजञान वशकषक क वलए आिशयक ह की िो विजञान की विवरनन परवियाओ ि को बतान बच चो म रवच

जागत करन ि इस बनाए रखन क वलए विजञान को वशकषारी क दवनक जीिन स जोड़ विदयावरथयो म

खोज की परिवत विकवसत करन ि उनक अविगम परविया म बनाय रखन क वलए यह आिशयक ह

विजञान वशकषक की यह वजमपमदारी ह की परतयक बचच को अ न रोज क अनरिो को जािचन और उनका

विशलषण करन म सकषम बनाएि विजञान वशकषक का दावयति ह की िह वशकषावरथयो गहन वचन तन

िजञावनक रझान सिकल ना और तथय सियि जाच कर एिि वफर विशवास कर की कषमता का विकास कर एिि

विषय एिि वयािहाररक जञान क मधय अन तर को कम करन एिि सोच ि अनरि को जोड़न हत परयास

करविजञान क विवरनन िजञावनक विषय-वबिदओ ि म कछ अविक सििदनशील विषय-वबिद री शावमल ह

परायः विदयावरथयो स वशकषक की अ कषा रहती ह वक ि िजञावनक विचारो और परमाणो को सिीकार कर ल

रनत उनह इस बात र विचार करन का अिसर की आिशयकता होती ह की यह सतय ह या नही सतय ह

तो वकस परकार स सतय ह ककषा म चचाथ एिि परयोगो का उ योग करत हए विदयारी स सिबिवित परमाणो र

विचार करन की आिशयकता होती ह उनह अ न विचारो को रखत हए अ न दवषटकोण का औवचतय वसदध

करन का याथपत अिसर परदान करना वशकषक की महती वजमपमदारी ह ऐसा करन स उनह अ ना िसतवनषठ

वचितन कौशल विकवसत करन म अिसर परापत होता ह मानि समाज क सिािग विकास क सिदरथ म यवद

वशकषक की रवमका का विशलषण कर तो वशकषण कोई वसरर वयिसाय नही ह बवलक यह गतयातमक

परविया ह वजसम परौदयोवगकी िवशवक अरथशासतर क दबािो और सामावजक दबािो स पररावित होकर

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बदलता रहता ह इन ररितथनो को सिबोवित करन क वलए अधया न क तरीको और कौशलो का लगातार

अदयतन और विकास आिशयक ह वशकषको का बदलाि की कषमता स यकत होना अवनिाथय ह आज क

वशकषा यग म विदयारी अ न जञान का सजन सियि कर इस अििारणा को बल वदया जा रहा ह अधया क

की रवमका एक सगमकताथ क र म बदलत हए वदख रही ह और विदयारी जञान को अ न तरीक स गढ़न

लग ह सीखन-वसखान की परविया म वनरन तरता सजन करन क मौक समसया आन र वनदानातमक

कदम ि कछ उ चारातमक विविया वनवहत ह परतयक विदयारी म कछ न कछ विशष गण अिशय होत ह

आिशयकता होती ह की एक कशल वशकषक उनको हचान और विकवसत कर वजसस की विदयावरथयो म

जञानातमक रािातमक मनोगतयातमक और वियातमक कष आवद वमलकर विदयावरथयो क समप णथ

वयवकतति को उजागर कर विजञान वशकषक क कछ परमख दावयति वनमपनित ह

वशकषक को इस बात का सदि धयान रखना चावहए की परतयक अविगम कताथ अ न आ म

अ िथ और अवदवतीय ह और सरी बचच सीख सकत ह और बचचो म बहत साडी

विवििताएि होती ह तरा इन विवििताओ ि को सिीकार करन क सार ही समपमान री वकया

जाना चावहए

वशकषक को सदि िाथगरहो स बचना चावहए इसम बचचो क बार म िाथगरहो का सिाल री

सामन आता ह अगर हम बचच विशष बार म कोई राय बना लत ह तो ऐसी सोच का असर

हमार वशकषण गणितता को पररावित करता ह वशकषक म वकसी री बचच को िसा ही

सिीकार करन की कषमता होनी चावहए तब ही िह उसक उननयन और सिििथन क वलए कायथ

कर सकता ह

एक वशकषक बचचो क ठन कौशन समझ वनमाथण ि जीिन क परवत एक वया क दवषटकोण म

वनमाथण म महती रवमका का वनिथहन करता ह इसक वलए आिशयक ह की वशकषक री

वनरितर अधियनशील रह लोगो स सििाद सराव त कर वशकषा कषतर म होन िाल रािी

बदलाि को समझन रख तावक िह समय क सार क़दम स कदम वमला कर रािी नागररको

क वनमाथण का काम जयादा वजमपमदारी और सवियता क सार कर सक

विदयावरथयो म अिलोकन की कषमता एिि गहन वचन तन की कषमता को बढ़ान क अिसर

सवजत करना

विदयावरथयो का विवरनन विषयो एिि घिनाओ ि क मधय अन तर समप बन ि को समझन म सहयोग

करना ह तरा विषय िसत को उसकी षठरवम क सार परसतत करना

विदयावरथयो को उनक चारो ओर घि रही सामानय घिनाओ ि क ीछ विजञान छ विजञान क

परवत वचितन हत परररत करना और परररत करना विजञान की समझ हम कारणो को जानन का

अिसर दती ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 83

विदयावरथयो को विया करक समझन क सबस अविक अिसर परदान करना वजसस की ि

कायथ करन एिि परयोग करन हत परररत हो सक

विजञान िथ म वनवहत जञान ि जानकारी र परशन उठान की परिवत को बढ़ािा दता ह अराथत

विदयारी सचनाओ ि को जस क तस मान लन क बजाय उस र परशन करक णथ जानकारी परापत

करन ि इसक बाद सिीकार कर

विदयावरथयो को इस बात क वलए परवशवकषत करना की जञान ही काफी नही जञान वनमाथण एिि

जञान वनमाथण की परविया री उतनी ही आिशयक ह वजतना विषय की समझ

परदशथवनयो सिगोवषटयो लोकवपरय वयाखयानो विजञान वशविरो और अनय विविि कायथिमो क

आयोजन करना

वशकषण म सवियता को अविक महति वदया जाना चावहए करक सीखन क वलए विदयावरथयो

को परररत करना अत सविय विवि क अितगथत विविि विवियो को सवमपमवलत वकया जाना

चावहए जस जस- शोिविवि (हयररवसिक) योजना (परोजकि) विवि इतयावद

सीखन की सहयोगातमक परविया जहा वशकषक अनय वशकषको क सार वमलकर तलना

करक अभयास को साझा और योजनाएि विकवसत करक सीखत ह का उ योग वकया जाना

चावहए

वशकषक का कायथ मातर ाठय- सतक या ाठयिम म वदए गए तथयो को विदयारी तक हचाना

नही ह बवलक वशकषक का दावयति ह की िो विदयावरथयो म विवरनन गणो की हचान करना ि

इनकी िवदध हत काम करना कयवक सरी बच चो म कोई न कोई विवशषट गण मौजद होता ह यवद

वशकषक सतक म वदए गए तथयो तक सीवमत रहगा तो विदयावरथयो म वछ विवरनन कौशलो की

परगवत नही हो ाएगी रनत यवद एक वशकषक सतक म वदए तथयो क ीछ क कारण ि

उ योवगता को खोजन की लालसा विदयावरथयो म विकवसत करता ह तो यह जञान क सजन ि

िवदध की ओर एक परमख ि महति णथ चरण होगा यही अनिरत परयास सामानय जानकारी स

कही आग बढ़कर सोचन की पररणा म तबदील होत ह

अभयास परशन

11 विजञान अ न आस ास क सिसार को जानन और समझन क परयास की एक शली ह

(सतयअसतय)

12 वशकषक का कायथ ाठय- सतक या ाठयिम म वदए गए तथयो को विदयारी तक हचाना नही ह

(सतयअसतय)

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 84

57 सारााश इस इकाई क परारमपर म हमन व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ को जाना व याज क

अनसार विकास की परविया म अविगमकताथ की बौवदधक सिरचना म ररितथन होता ह और यह जीि की

सिरचना और िातािरण की सिरचना क आ स म परवतविया क फलसिर होता ह िाइगोतसकी क

अनसार बचच का सिजञानातमक विकास म उसक सािसकवतक सिबनि क बीच सििाद का महतति णथ सरान

ह िाइगोतसकी री सिरचनािादी र तरा यह मानत र वक बचच जञान का वनमाथण करत ह वकनत इनक

अनसार सिजञानातमक विकास म राषा क सार-सार सामावजक-सािसकवतक सिदरथ री महति णथ रवमका

वनराता ह यह मानत ह वक राषा सिजञानातमक विकास का महतति णथ उ करण ह तरा परारमपर स ही

बचच अ न कायो क वनयोजन एिि समसया समािान म राषा परयोग करन लग जात ह व याज क

वसदधाित क वरनन िाइगोतसकी मानत ह की अविगम ि विकास सािसकवतक ि सामावजक िातािरण की

मधयसरता का परवतफल ह

ारि ररक वशकषा परणाली म विषय िसत क तथयो और परवियाओ ि क रिन र ज़ोर दत हए रवढ़िादी

तरीको का परयोग वकया जाता रा वजसम वशकषावरथयो की वशकषण-अविगम परविया म सहरावगता नही क

बराबर री रनत ितथमान विदयारी कवनित वशकषा म विदयारी को यह अिसर वमलना चावहए की िह अ न

वशकषक और ककषा क अनय विदयावरथयो स री वकसी समसया क समपबनि म विचार-विमशथ उनह ककषा की

गवतविवियो म शावमल वकया जाना चावहए उनक विचारो को चनौती द

मधयसरता अविगम वशकषक और वशकषारी क बीच सकषम सामावजक सि कथ ह जो विदयारी

क सीखन क अनरि म सिििथन करता ह इसका तात यथ ह की िातािरण म अनरि वकय हए उददी नो

को मधयसरता करन िाल वयवकत आमतौर र माता-व ता वशकषक राई या अनय वयवकत दवारा वकस

परकार स समझाया जाता हउस मधयसरता करन िाला वयवकत अ नी और वशकषारी की सिसकवत और

रािनातमक वनिश दवारा वनदवशत िातािरण का आयोजन करता ह वजस वशकषारी क उननत और पररािी

कायथ क वलए एक स षट इरादा और लकषयो क अनसार वयिवसरत हो

विजञान वशकषक का दावयति ह की िह वशकषावरथयो गहन वचन तन िजञावनक रझान सिकल ना और तथय

सियि जाच कर एिि वफर विशवास कर की कषमता का विकास कर एिि विषय एिि वयािहाररक जञान क मधय

अन तर को कम करन एिि सोच ि अनरि को जोड़न हत परयास करविजञान क विवरनन िजञावनक विषय-

वबिदओ ि म कछ अविक सििदनशील विषय-वबिद री शावमल ह सीखन-वसखान की परविया म

वनरन तरता सजन करन क मौक समसया आन र वनदानातमक कदम ि कछ उ चारातमक विविया वनवहत

ह परतयक विदयारी म कछ न कछ विशष गण अिशय होत ह आिशयकता होती ह की एक कशल वशकषक

उनको हचान और विकवसत कर वजसस की विदयावरथयो म जञानातमक रािातमक मनोगतयातमक और

वियातमक कष आवद वमलकर विदयावरथयो क समप णथ वयवकतति को उजागर कर

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 85

5 9 अभयास परशनो क उततर 1 सतय

2 असतय

3 व याज क सिजञानातमक विकास की चार सिकल नाएि ह- अनकलन (adaptation)

आतमसातकरण (assimilation) समिजनसामिजसय (accomodation) और समतलयन

(equilibration)

4 असतय

5 मचान ढािचा वनमाथण (scaffolding) स तात यथ ह वक अविगम कताथ को ियसक या

अविक सकषम सारी दवारा परदान की गई सहायता

6 विकास का कषतर उस अितर को बताता ह जो की बचच क वबना वकसी सहायता क समप ावदत

कायथ तरा वकसी बड़ या अविक कशल सारी की सहायता स समप ावदत कायथ म होता ह

7 असतय

8 एनसीएफ (2005 ) क अनसार विदयावरथयो की सीखन की विया म उनकी रागीदारी सीखन

सिबििी सिोततम ररणाम ान हत विदयावरथयो को वनमपनवलवखत अिसर वमलना चावहए

सीखत समय विचारो का योगदान दन का

अ न विचारो और अनरिो क बार म बोलन और चचाथ करन का

विदयालय म उनहोन जो सीखा उस अ न रोजमराथ क जीिन स जोड़न का

9 मधयसरता अविगम वशकषक और वशकषारी क बीच सकषम सामावजक सि कथ ह जो विदयारी क

सीखन क अनरि म सिििथन करता ह इसका तात यथ ह की िातािरण म अनरि वकय हए

उददी नो को मधयसरता करन िाल वयवकत आमतौर र माता-व ता वशकषक राई या अनय

वयवकत दवारा वकस परकार स समझाया जाता ह

10 मधयसरता अविगम अनरि क सािथरौवमक मा दणड क नाम ह - इििशनवलिी

ारस ररकता उतकषटता और अरथ की मधयसरता

11 सतय

12 असतय

5 10 वनबनधनातमक परशन 1 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अविगमकताथ का विशलषण कीवजए

2 व याज और िाइगोतसकी की सिजञानातमक विकास क वसदधाितो की वयाखया कीवजए

3 व याज और िाइगोतसकी की दवषट म अितर बताइए

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4 अविगमकताथ को अविगम म परररत करन और शावमल करन क महति का िणथन कीवजए

5 मधयसरता अविगम क सिपरतयय को अ न शबदो म बयकत कीवजए

6 विजञान वशकषक की रवमका का विशलषण कीवजए

7 मधयसरता अविगम क सिपरतयय का अ न वशकषण कायथ म अनपरयोग की चचाथ कीवजए

5 11 सादरथ गरनर सची 1 ाणडय कल लता amp शरीिासति एस एस (2007) वशकषा मनोविजञान रारतीय और ाशचातय

दवषट नयी वदलली िािा मकगरा-वहल वबलवशिग कि नी वलवमिड

2 वसिह अरण कमार (2006) वशकषा मनोविजञान िना रारती रिन वबलकशन amp

वडसरीबयशन

3 Davar M (2012)Teaching of science New Delhi PHI Private Limited

4 Kalara RM amp Gupta V (2012)Teaching of Science A Modern Approach

New Delhi PHI Private Limited

5 Kulshreshtha AK ampKulshreshtha NK (2014)Teaching of Science

Meerut R Lal Book Dipo

6 Buxton A C (2010) Teaching Science in Elementary and Middle

SchoolNewDelhi Sage Publications

7 Bybee R (2010b) The teaching of science 21st-century perspectives

Arlington VA NSTA PressUSA

8 Joshi S R (2005) Teaching of ScienceNew Delhi APH Publishing

Corporation

9 Sharma R C (2005) Modern Science teaching Delhi DhanpatRaiamp Sons

10 Siddiqui H M (2007) Teaching science New Delhi Balaji offset

11 Sternberg RJ amp Williams MW (2002)Educational Psychology Bostan

Allyn amp Bacon

12 Tripathi S (2004) Teaching of Physical Science Delhi Dominant

Publications

13 UNESCO (1966) Source Book for Science Teaching Paris UNESCO

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खणड 2

Block 2

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इकाई 1 - भारिीय सकलो म विजञान - पाठयचया

11 परस तािना

12 उददश य

13 ाठयचयाथ और ाठयिम

131 ाठयचयाथ की र रखा

132 ाठयिम

14 ाठयचयाथ वनमाथण उ ागम म आय बदलाि

141 वयिहारिादी उ ागम

142 रचनातमक उ ागम

15 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा म विजञान - ाठयचयाथ

151 विवरनन ाठयचयाथ की र रखाओि म विजञान - ाठयचयाथ का सार

152 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा 2005 की वसफाररश

1521 विजञान ाठयचयाथ क उददशय

1522 विवरनन सतरो र विजञान की ाठयचयाथ

16 ाठयचयाथ विकास म वशकषक की रवमका

17 सारािश

18 शब दािली

19 अभ यास परश नो क उत तर

110 सिदरथ गरिर सची 111 वनबििात मक परशन

11 परस तावना व छली इकाईयो म आ न विजञान विषय की परकवत क बार म ढ़ा और जाना वक िजञावनक जञान ि

िजञावनक दधवत का अरथ कया ह आ न जाना वक विजञान क वनयमो को करी री अिवतम सच क र म

सिीकार नही वकया जाता और नय अनरिो तरा परयोगो क फलसिर िजञावनक जञान की सिरचना म

बदलाि आत रहत ह यह री समझा वक विजञान एक सामावजक ररघिना ह तो वफर हमार सकलो म

विजञान विषय को कयो इसक वि रीत एक सरायी जञान क र म रोसा जाता ह जो वक एक अिवतम सतय

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की तरह माना जाय सही मायनो म तो विजञान का ठन- ाठन विजञान की परकवत क अनर ही होना

चावहय हमार दश म सकली सतर र सकली ाठयचयाथ की र रखा को राषटरीय सतर र तयार वकया जाता

ह सिथपररम 1975म आयी ाठयचयाथ की र रखा स लकर 2005 की ाठयचयाथ तक क तीस सालो क

सफ़र म काफ़ी बदलाि आय ह इस इकाई म आ ढ़ग वक रारत म अब तक की राषटरीय सतर र

ाठयचयाथ की र रखाओ ि म कया परमख सरोकार रह ह और उनम विजञान ाठयचयाथ क सिदरथ म कया-कया

परसतावित वकया गया आ जानग वक ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा क अनसार विजञान

ाठयचयाथ क मखय तति कया ह और इसम विजञान वशकषण को लकर कया वसफ़ाररश की ह

12 उददश य इस इकाई क अधययन क शचात आ -

1 ldquo ाठयचयाथrdquo क अरथ को रररावषत कर सक ग

2 ाठयचयाथ एिि ाठयिम म अितर स षट कर सक ग

3 ाठयचयाथ की र रखा क आिाररत ततिो का िणथन कर सक ग

4 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखाओ ि क वनमाथण म आय विवरनन बदलािो की वयाखया कर सक ग

5 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखाओ ि म विजञान ाठयचयाथ क सिदरथ म की गयी वसफररशो का

विशलषण कर सक ग

6 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा 2005 क अनसार विवरनन सकली सतरो र विजञान ाठयचयाथ की

विशषताओ ि का िणथन कर सक ग

7 ाठयचयाथ विकास म वशकषक की रवमका र विचार कर सक ग

13 पाठयचया और पाठयिम कछ लोग मानत ह वक ाठयचयाथ का अरथ ह एक ककषा क बाहर और रीतर हीन िाली अनक

गवतविविया वजसम विदयारी कछ न कछ अनरि परापत करत ह वकनत दसरी ओर कछ जगहो र इसको

किल ककषा म ढाय जान िाल विषयो की सची क र म ही दखा जाता ह अकसर लोग ाठयिम

और ाठयचयाथ को याथयिाची शबदो की तरह इसतमाल करत ह जबवक ाठयचयाथ एक वया क योजना

ह वजसम ाठयिम री एक महति णथ अियि क र म शावमल होता ह 1975 की ाठयचयाथ

सवमवत न ाठयचयाथ शबद का अरथ वदया रा वक ldquoसोच समझ र म शवकषक अनरिो क वनयोवजत

समचचयो का समप णथ योग ाठयचयाथ ह जो बचचो को विदयालय दवारा वदए जात हrdquo इस तरह

ाठयचयाथ का समपबनि वनमपनवलवखत ततिो स अिशय होता ह-

ककषा म वशकषा क सामानय उददशयो स

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विषय आिाररत वनदशातमक उददशय एिि विषयिसत स

अधययन क कोसथ एिि समय वनिाथरण स

वशकषण - अविगम अनरिो स

वनदशातमक सािनो तरा सामवगरयो स

अविगम आगमो क मलयािकन तरा विदयावरथयो वशकषको और अवररािको की परवत वषट स

हालािवक ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा म ाठयचयाथ को वजस परकार रररावषत वकया गया ह

िह ह -

पाठयियाा चनयोचजत गचतचवचधयो का समह हो सकती ह जो चवचिषट िचिक उददशयो को चियाचनवत करन

क चलए चिज़ाइन की गयी ह चजसम महतवपणा अवयव जस चवषयवसत क सनदभा म कया पढ़ाया जाय और

कसा जञान किलताए वयवहार चदए जाए यह सब िाचमल ह

तो यह स षट ह वक ाठयचयाथ एक परकार की योजना ह जो सकली वशकषा सिबििी वनणथय लन क वलए

सिकल नातमक र स सिरवचत की जाती ह और इस परकार इस ाठयिम या ाठय सतको तक सीवमत

नही वकया जा सकता आइय दख वक राषटरीय शवकषक अनसििान और परवशकषण ररषद क दवारा

ाठयचयाथ की र रखा को कस समझाया गया ह

131 पाियचयाय की रपरखा

ाठयचयाथ की र रखा एक ऐसी योजना ह जो वयवकत और समाज दोनो क वलए शवकषक लकषयो की

वयाखया कर वजसस यह समझ बन वक सकलो म बचचो को वकस परकार क अविगम क अनरि वदए जाएि

(राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा 2005) नीच वदखाए गए वचतर म ाठयचयाथ की र रखा क गराफीय

वनर ण स ाठयचयाथ ाठयिम ाठय सतको तरा अनय सामगरी और ककषायी दधवतयो क रस र

समपबनि को समझा जा सकता ह (सिदरथ ाठयचयाथ ाठयिम ाठय सतक - राषटरीय फोकस समह षठ

18)

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ऊ र वदए गए रखावचतर म ाठयचयाथ की र रखा क तीन सतर स षट ह-

1 ाठयचयाथ की नीि

2 ाठयचयाथ कवनिक

3 ाठयचयाथ का वििरण

जवहर ह वक इसक हल सतर र विवरनन ररपरकषयो को रखा गया ह जो वक ाठयचयाथ की नीि होत ह

इन दाशथवनक सामावजक एिि मनोिजञावनक ररपरकषयो क आिार र वशकषा क लकषय और अनय वसदधानत

वनिाथररत वकय जात ह वजनह ाठयचयाथ क कवनिक िाल सतर र वदखाया गया ह तीसर सतर र

ाठयचयाथ का वििरण आता ह वजसम ाठयिम ाठय सतक शवकषक गवतविवियाि और मलयािकन की

योजना शावमल ह

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राषटरीीय पाियचयाय की रपरखा (एन सी एफ)- 2005 क अनसार एक ाठयचयाथ की र रखा ऐसी

हो जो-

सकलो को अविक सिायततता दन की िकालत करती ह

वशकषको को मननशील कायथकताथ बनन म मदद करती ह जो अ न अनरिो स सीख सक

समझ क सीखन एिि अविगम क वलय सीखन र बल दती ह

बचचो को रोज़मराथ की वज़िदगी क अनरिो क आिार र अ नी समझ विकवसत करन म

सहायता करती ह

विदयालय एिम वशकषको दवारा विदयालयी वयिसरा को एक सवचत वनणथय लन क वलय इसतमाल

करन र ज़ोर दती ह

इनही विचारो का अनसरण करत हय रारत की ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ क मागथदशथक वसदधाित

वनमपनवलवखत ह-

जञान को सकल क बाहर क जीिन स जोड़ना

यह सवनवशचत करना वक ढ़ाई रिित परणाली स मकत हो

ाठयचयाथ का इस परकार सिििथन करना वक िह बचचो को चहमखी विकास क अिसर उ लबि

कराय ना वक ाठय सतक ndash क वित बन कर रह जाय

रीकषा को अ कषाकत अविक लचीला बनाना और ककषा की गवतविवियो स जोड़ना

एक ऐसी अविरािी हचान विकवसत करना वजसम परजातािवतरक राजय- वयिसरा क अितगथत

राषटरीय वचिताय समावहत हो

उ यथकत वसदधाितो र आिाररत एन सी एफ 2005 न रारतीय सकलो की ाठयचयाथ क वलय एक ढािचा

तयार वकया ह और दश रर क सकलो को इनही का अनसरण करना अवनिायथ ह सकलो को यह

अविकार ह वक ि इस र रखा क अनसार अ नी ाठयचयाथ तयार कर कयोवक एन सी एफ किल

वदशा वनिाथररत करता ह वजनक अनसरण करत हए सकलो को अ ना विसतत ाठयिम सियम ही

वनिाथररत करना होता ह आन िाल खिडो म आ यह री ढ़ग वक एन सी एफ 2005 म विजञान की

ाठयचयाथ क वलय कया वनदश वदय ह

132 पाियिम

राषटरीीय पाियचयाय की रपरखा- 2005 क अनसार ाठयिम यह बताता ह वक विषयिसत क वहसाब

स कया ढ़ाया जाय और सतर विवशषट उददशयो क मददनज़र वकस तरह क जञान कौशल और अवरिवततयो

को ख़ास बढ़ािा वमल विदयालयी ाठयचयाथ को ज़यादातर विवरनन विषयो म वयिवसरत वकया जाता ह

वजसका मखय आिार ारमप ररक विषयी जञान ह इनक अलािा राषटर क सामानय शवकषक उददशयो

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सामावजक एिम सािसकवतक ररवसरवतयो तरा राषटरीय सतर र उररती चनौवतयो तरा ज़ररतो को री

धयान म रखा जाता ह

हमार दश म सकली वशकषा क विवरनन सतरो र ढाय जान िाल विषयो क वलए आदशथ ाठयिम राषटरीय

शवकषक अनसििान और परवशकषण ररषद (एन सी ई आर िी) क दवारा तयार वकया जाता ह इसक

अलािा राजय री अ न सतर र राषटरीय ाठयचयाथ क आिार र ाठयिम तयार करत ह या वफर यवद

चाह तो एन सी ई आर िी क ाठयिम को ही लाग कर सकत ह सन 2005 म एन सी ई आर िी

दवारा तयार वकय गय सकली ाठयिम क आिार वनमपनवलवखत ह-

उददशयो स सहमवत एिि लकषयो का वनदशन

अविगम की राषटरीय अ कषाओ ि स सहमवत

विषय की परकवत को समझन म जञान मीमािसीय परारवमकता

परतययातमक समपबदधता ndash परारवमकता िम

जािच ड़ताल की कायथपरणाली एिि परामावणकता की परवियाएि- विषय कषतर का ाठन एिि सिगठन

जीिन स समपबनिो और विषयो क बीच अितसथमपबिि

मनोिजञावनक उ यकतता

आग क अविगम म उ योगी ndash वया क सिबिि

सरानीय जीिन एिि बाकी सनसार स जड़ाि

कल ना क विकास म समपरि योगदान

इन उ यथकत शतो क आिार र तयार ाठयिम ितथमान सकली ाठयचयाथ क विवरनन आयामो को सितषट

करती ह राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा क अनसार विषयिसत क चयन की कसौविया राषटरीय सतर र

रररावषत होनी चावहय सिरचना राजय वजला सतर र और वयवकतगत िसत का चयन वजला विदयालय

ककषा क सतर र होना चावहय

अभयास परशन

1 एक ाठयचयाथ की र रखा क क विक कया-कया होत ह

2 ाठयिम और ाठयचयाथ म कया मखय अनतर होता ह

14 पाठयचया वनमाण उपागम म आए बदिाव जसा वक हमन हल री कहा रा वक हमार दश म राषटरीय सतर र ाठयचयाथ का विकास करन का कायथ

राषटरीीय ितकषक अनसिान और परतिकषण पररषद ( एन सी ई आर िी ) दवारा वकया जाता ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 94

सिथपररम सन 1975 म राषटरीय ाठयचयाथ परसतावित की गयी री जो वक 1968 की वशकषा नीवत की

वसफाररशो र आिाररत री रारत की वशकषा नीवत म बदलाि आए तो उसक शचात आयी ाठयचयाथओ ि

क मखय सरोकारो म री कछ ना कछ बदलाि आत रह रारत म अरी तक वजतनी राषटरीय ाठयचयाथ

की र रखाओ ि (एन सी एफ) का वनमाथण हआ ह उनक मखय सरोकार वनमपनवलवखत तावलका म वदय

गय ह-

एनसीएफ आिार मखय सरोकार

एन सी एफ ndash

1975

1968 की वशकषा

नीवत र आिाररत

राषटरीय विकास की आिशयकताओ ि क अनर

वशकषा र बल वशकषा को राषटर क जीिन

आिशयकताओ ि और आकािकषाओ ि स समपबदध

करना

एन सी एफ ndash

1988

1986 की वशकषा

नीवत र आिाररत

सकली ाठयचयाथ क मल म एक सिथमानय तति

(कॉमन कोर) की वसफाररश वशकषा को राषटरीय

एकता का माधयम बनाना परासिवगकता

लचील न और गणितता क ततिो र ज़ोर

एन सी एफ ndash

2000

एन सी एफ ndash 1988

का सिशोवित र

गणितता णथ वशकषा र बल ाठयिम क बोझ

को कम करना नयनतम अविगम सतरो (एम

एल एल) को दकषताओ ि क र म रररावषत

करना मलय वशकषा सचना एिि सिचार परोदयोवगकी

क इसतमाल की वसफाररश

एन सी एफ ndash

2005

एन सी एफ ndash2000

का सिशोवित र

बाल क वित वशकषा र बल जञान को सकल क

बाहर क जीिन स जोड़ना समािशी माहौल

सवनवशचत करना वििचनातमक वशकषा र बल

जञान सजन क वलय अधया न रीकषा को

लचीला बनाना

तावलका स यह तो स षट ह वक ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ 1988 की राषटरीय वशकषा नीवत तरा 199२ क

परोगराम ऑफ एकशन र आिाररत एनसीएफ का ही सिशोवित र ह एनसीएफ 1988 स 2005 तक

क सफर म सबस ज़यादा बदलाि आया ह ाठयचयाथ विकास क उ ागम म 2005 स हल की सकली

ाठयचयाथ अविगम क वयिहारिादी दवषटकोण र आिाररत री जबवक एनसी एफ 2005 न अविगम

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क रचनातमक दवषटकोण को ाठयचयाथ का आिार बनाया ह और बाल-क वित वशकषा र बल वदया ह

आइय दखत ह वक वयिहारिादी तरा रचनातमक उ ागम आिाररत ाठयचयाथ म कया अनतर ह

141 वयिहारिादी उपागम

वयिहारिादी दवषटकोण क अनसार lsquoअविगमrsquo को वयिहार म ररितथन होना समझा जाता ह आ न

वयिहारिादी मनोिजञावनको क बार म तो अिशय ढ़ा होगा जस वसकनर ािलि आवद उनक दवारा

परवत ावदत अविगम का वयिहारिादी उ ागम कछ मखय सिकल नाओ ि र आिाररत ह जस वक-

अविगम सदि अविगमकताथ क वयिहार म ररितथन लाता ह जो उसक वकय गय कायो म

ररलवकषत होता ह

लगातार अभयास स असली योगयता को हावसल वकया जा सकता ह कयोवक अभयास क दवारा

उददी न ि अनविया क बीच का समपबिि और सदढ़ होता जाता ह

इसक तहत एक विशष परकार क उददी क स सितः ही एक विवशषट अनविया उत नन होती ह

वजस अनबिवित अनविया कहा जाता ह

उवचत परवत वषटपरबलन क दवारा अविगम को पररावित वकया जा सकता ह और अनबिवित

अनविया को सवनवशचत वकया जा सकता ह जबवक परबलन क अराि म अनविया समय क

सार विलो री हो सकती ह

जविल स जविल कायथ को छोि छोि सरल चरणो म तोड़ा जा सकता ह तरा एक चरण स दसर

चरण तक अभयास क दवारा हच कर उस जविल कायथ म दकषता ायी जा सकती ह अतः

अविगमकताथ क दवारा वकसी जविल कायथ क दौरान गरहण की गयी कशलता उस कायथ क अितगथत

विवरनन चरणो म हावसल वकय गय अ वकषत अविगम ररणामो का कल योग होती ह

अविगम क वयिहारिादी वसदधाितो क अनर वशकषण म विदयावरथयो को यह बताया जाता ह वक उनको

कया सीखना ह और उसक वलय उ यकत अभयास दशाए परदान की जाती ह जञान को एक बन-बनाए

वलिद क र म दखा जाता ह वजस विदयावरथयो को अविगम क दवारा गरहण करना होता ह और इसक

फलसिर उनक वयिहार म कछ ररितथनो का आना अ वकषत होता ह वयहिारिादी ाठयचयाथ का

वनमाथण करन िाल और उसक वियानियन करन िाल वशकषको क दवारा शवकषक उददशय री वयिहाररक

ररितथनो क र म वनिाथररत वकय जात ह विदयावरथयो दवारा सचनाओ ि क सिकलन तरा अजथन उनक

अरथ सीखन एिि सही अनविया को सीखन म सविय रागीदारी सवनवशचत की जाती ह ककषा म विदयावरथयो

को खब अभयास कराया जाता ह तावक ि ठन सामगरी को दकषता स गरहण कर सक

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रारत म री िथ राषटरीय ाठयचयाथ एन सी एफ 2005 एक lsquoयोगयता-आिाररत ाठयचयाथrsquo

(competency-based curriculum) ही री जो इसी वयहिारिादी उ ागम र आिाररत री इसी क

चलत एन सी एफ 2005 म नयनतम अविगम सतरो (Minimum Levels of Learning) की बात की

गयी री वजसक तहत सरी विषयो क ाठयिम को विदयावरथयो दवारा हावसल वकय जान िाल कछ नयनतम

अविगम सतरो क र म रररावषत वकया वकया गया रा अविक जानकारी क वलय आ एमएलएल

(MLL) दसतािज ढ़ सकत ह

एक वयिहारिादी ाठयचयाथ म विदयावरथयो क वयवकतगत अनरिो सिजञानातमक परिवततयो एिि उनक सिदरथ

स कोई सरोकार नही होता ना तो वशकषको को ाठयचयाथ र परशन करनका हक़ होता ह और ना ही

विदयारी ककषा म कोई सिाल कर सकता ह सरी को ाठयिम और ाठय सतको क अिीन होना डता

ह और विदयावरथयो स वसफ़थ यही अ कषा की जाती ह वक ि अ न ाठो को मक होकर रित रह यहा

विदयारी तो वबलकल वनषटिीय होता ह और उसका अ ना कोई िजद नही होता ारमप ररक ककषाओ ि म य

नज़ारा आ न अकसर दखा होगा इस वसरवत की काफी अिहलना होन क फलसिर आज हमारी

राषटरीय ाठयचयाथ वयिहारिादी उ ागम स रचनातमक उ ागम की ओर बढ़ी ह

142 रचनातमक उपागम

अविगम का रचनातमक उ ागम बाल- क वित ह जो वक अविगमकताथ क समप णथ विकास र बल दता ह

यह काफी हद तक सिजञानातमक मनोिजञावनको क दवारा परवत ावदत अविगम वसदधाितो र आिाररत ह

वजनम व याज और िायगोतसकी परमख ह रचनातमक उ ागम आिाररत ाठयचयाथ कछ परमख

अििारणाओ ि र आवशरत ह जस वक-

अविगम िसततः अविगमकताथ क वयवकतगत अनरिो दवारा की गयी सिसार क बार म वयवकतगत

वयाखया ह

अविगम अरथ- वनमाथण की एक सिीय परविया ह जो वक अनरिो र आिाररत होती ह

जञान एक सनयकत सािसकवतक वनवमथवत ह जो वयसको एिि बचचो की अनतःविया क फलसिर

अदभत होता ह

अविगमकताथ अ न िथ अनरिो तरा नय जञान क आिार र लगातार अ न सिजञानातमक ढाच

को वनवमथत एिि नवयथिवसरत करता रहता ह इसी परकार उसक सिजञानातमक सिरिचना म िवदध होती

समपपरतय वनमाथण मतथ स अमतथ की तरफ अगरसर होता ह

अविगमकताथओ ि क अविगम क तरीक ि जररत वरनन-वरनन होत ह इसवलय वशकषण विविया

उनक अनर होन चावहय

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अतः रचनातमक ाठयचयाथ म यह विशवास वकया जाता ह वक अविगमकताथ दवारा जञान का वनमाथण या खोज

सिीय र स वकया जाता ह ना वक वनषटिीय र स जञान को गरहण या सिचय करना होता ह विदयारी

ाठय सतको स नही अव त अ न परतयकष अनरिो स और विवरनन शवकषक गवतविवियो म सविय

रागीदारी स सीखत ह यहा सकलो की ाठयचयाथ को विदयावरथयो क अनर होन की वसफाररश की जाती

ह वशकषको स री यही अ कषा की जाती ह वक ि बचचो को ाठ रििान क बजाय उनक वलय उततजक ि

परासिवगक अविगम िातािरण तयार कर अतः बाल-क वित ाठयचयाथ म अविगम को रचनातमक

दवषटकोण स दखा जाता ह जहा विदयारी को जञान वनमाथण क वकय सकषम समझा जाता ह और यह अ कषा

की जाती ह ि अ न याथिरण स अितःविया करक खद उसका अरथ समझग तरा अ न जञान की रचना

सियि ही करग

अभयास परशन

3 अविगम क वयिहारिादी एिि रचनातमक उ ागम र आिाररत ाठयचयाथओ ि म कोई ३ मखय

अितर स षट कीवजए

15 राषरीय पाठयचया की रपरखा म ववजञान पाठयचया ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा (एन सी एफ ndash 2005) म विजञान ाठयचयाथ का सिर विजञान

वशकषा क कषतर म कई सालो स हो रह शोि क ररणामो र आिाररत ह इनम कछ सिवचछक सिगिठनो की

परयासो क अनरि री शावमल ह अब तक की राषटरीय ाठयचयाथ की र रखाओ ि की तलना कर तो यह

बात स षट हो जायगी वक रारत म शरआत स विजञान ाठयचयाथ क सरोकार एक स नही र आइय दखत

ह वक 1975 स 2005 तक क सफर म विजञान ाठयचयाथ न कया-कया सिर बदला ह

151 तितभनन पाियचयाय की रपरखाओ म तिजञान पाियचयाय का सार

यह तो आ जानत ही ह वक गत िषो म परसतावित राषटरीय ाठयचयाथओ ि म वयहिारिादी दवषटकोण स

रचनातमक दवषटकोण की तरफ बदलाि आय ह इसी क चलत इतन समय म विजञान की ाठयचयाथ न

विषय-िसत क सतर र री काफी र बदल ह इसका सार नीच दी गयी तावलका म वदया गया ह-

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एनसीएफ परारतमक सिर

(ककषा 1 स ककषा 5

िक)

उचच परारतमक

सिर

(ककषा 6 स ककषा

8 िक)

माधयतमक सिर

(ककषा 9 िरा

ककषा 10)

उचच माधयतमक

सिर

(ककषा 11 िरा

ककषा 12 )

एन सी एफ ndash

1975

विजञान और

सामावजक विजञान को

एक ही विषय

lsquoपयाावरण अधययनrsquo

क तहत ढ़ाया जाय

विजञान को

समवकत दवषटकोण

म अ नाया जाए

विजञान को सिगवठत

र म ही ढ़ाया

जाय न वक तीन

रागो (जीि

रौवतक ि रसायन)

म विरावजत वकया

जाय

विजञान क सिकाय

जवनत रख अ नान

र जोर वदया गया

एन सी एफ ndash

1988

विजञान को पयाावरण

अधययन क तहत ही

ढ़ाया जाय वजसकी

दो ईकाइया हो-

विजञान और

सामावजक विजञान

विजञान को

समवकत एकीकत

र म ढ़ाया जाए

विजञान को सिगवठत

र म ढ़ाया जाय

विजञान क सिकाय

जवनत र म ढ़ाया

जाय

एन सी एफ ndash

2000

पयाावरण अधययन को

एक ही समाकवलत

विषय क र म

ढ़ाया जाय (विजञान

और सामावजक

विजञान म ना बािा

जाय)

विजञान क समवकत

र को lsquoचवजञान

और परौदयोचगकीrsquo

क र म

ढ़ाया जाए

lsquoचवजञान और

परौदयोचगकीrsquo क र

ढ़ाया जाय

विजञान क सिकाय

जवनत र म ढ़ाया

जाय (रौवतकी

रसायन ि जीि

विजञान क र म)

एन सी एफ ndash

2005

विजञान और

सामावजक विजञान को

पयाावरण अधययन क

र म ही ढ़ाया जाय

वजसम सिासथय री

एक महतति णथ अिग हो

विजञान एक सियकत

विषय क र म

ढ़ाया जाए

विजञान एक सियकत

विषय क र म

ढ़ाया जाय वजसम

परारवमक सतर स

अविक उननत

तकनीकी वशकषा

शावमल हो

विजञान क सिकाय

जवनत र म ढ़ाया

जाय

इस तावलका स जावहर ह वक जहा 1975 की ाठयचयाथ म परारवमक सतर र विजञान एिि सामावजक

विजञान को सिथपररम पयाावरण अधययन की एकाईयो क र म ढ़ान को कहा गया िही 2005 म

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याथिरण अधययन को एक समाकवलत विषय का र द वदया गया इसी तरह उचच परारवमक सतर र

हल विजञान को एकीकत र म ढ़ान का परसताि रखा गया और बाद म 2005 की ाठयचयाथ म विजञान

तरा परौदयोवगकी को एक सार रखकर ढ़ाय जान की बात हई माधयवमक सतर र री विजञान की

ाठयचयाथ म ऐस ही बदलाि सामन आय हालािवक उचच माधयवमक सतर र विजञान को सिकाय-जवनत

र म जारी रखा गया आइय विसतार स जानत ह वक ितथमान राषटरीय ाठयचयाथ म विजञान ाठयचयाथ को

वकस र म दखा गया ह

152 राषटरीीय पाियचयाय की रपरखा 2005 की तसफाररि

हम जानत ह वक एनसीएफ 2005 बाल क वित और अनरि आिाररत उ ागम क कष म ह

एनसीएफ 2005 म विजञान वशकषा को बहतर बनान क वलय उन सरी मददो को मददनज़र रखा गया जो

विजञान को सीखन-वसखान की परविया म मौजद होत ह खासकर तीन मखय समसयाओ ि की ओर धयान

वदया गया-

i सकलो म ढ़ाई जान िाली विषय-िसत का बहत अविक होना

ii विषय-िसत और बचच की समझ क सतर क बीच काफी फासला

iii ककषा म ढ़ाए जान क तरीको म खावमया

ारमप ररक विजञान वशकषण म अविकतर रिन र ही जोर वदया जाता ह और अिलोकन विशलषण ि

परवियाजवनत कशलता की तरफ कोई खास धयान नही वदया जाता जयादातर धयान विदयारी को रीकषा म

अचछ अिक लान क वलय तयार करन र ही वदया जाता ह एनसीएफ 2005 म न वक वसफथ विजञान

ाठयचयाथ म विषय-िसत क बोझ को कम वकया गया अव त विजञान सीखन-वसखान क तरीको म री

ररितथन र जोर वदया गया ह इसम विजञान की ककषाओ ि म उ योग होन िाल मलयािकन क तरीको म री

सिार र धयान वदया गया ह

एनसीएफ 2005 कहता ह वक एक अचछी विजञान वशकषा विदयारी क परवत जीिन क परवत एिम

विजञान क परवत ईमानदार होती ह इसी दवषटकोण स विजञान की ाठयचयाथ को ििता परदान करन िाल

कछ मलरत मा दिड री वदय ह यह मा दिड इस परकार ह-

(अ) सजञानातमक िििा ndash यह माग करती ह वक ाठयचयाथ की विषयिसत परविया राषा और

वशकषण- कायथकला उमर दज़ क उ यकत हो और बचच की समझ स बाहर की चीज़ न हो

(ख) तिषय-िसि िििा ndash यह माग करती ह वक ाठयचयाथ उ यकत ि िजञावनक सतर र सही

विषय-िसत को परसतत कर यहा यह धयान रखन की ज़ररत ह वक विषय-िसत को सहज और

सरल बनान की परविया म िह कही अरथहीन ि विरव त हो कर न रह जाय

(ग) परतिया िििा- यह माग करती ह वक ाठयचयाथ विदयारी को िजञावनक जञान परापत करन क

तरीको और उन तक हचन की परविया को वसखाय और बचच की सहजात वजजञासा और

रचनातमकता को ोवषत कर

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(घ) ऐतिहातसक िििा- यह माग करती ह वक विजञान- ाठयचयाथ म ऐवतहावसक बोि को जगह दी

जाय तावक विदयारी समझ सक वक विजञान की िारणाए समय क सार कस विकवसत हई ि सार

ही सार यह विदयारी को यह समझन म री मदद करगी वक विजञानएक सामावजक उदयम ह तरा

वकस परकार विजञान का विकास सामावजक कारको स पररावित होता ह

(ड़) पयायिरणीय िििा-यह माग करती ह वक विजञान को विदयारी क वया क ररिश (सरानीय

और िवशवक) क सिदरथ म रखकर वसखाया जाए तावक विदयारी विजञान परौदयोवगकी और समाज

क बीच क जविल सिबििो को समझ सक और रोज़गार की दवनया म विकन क वलय आिशयक

जञान तरा कौशल परापत कर सकन म सकषम हो सक

(च) नतिक िििा ndash यह माग करती ह वक ाठयचयाथ ईमानदारी िसतवनषठता सहयोग आवद मलयो

का समपिदधथन कर तरा रय िाथगरह एिि अििविशवास स मकत मानस तयार करन म सहायक हो

सार ही यह विदयारी म जीिन ि याथिरण क सिरकषण क परवत चतना दा कर

1521 तिजञान पाियचयाय क उददशय

एन सी एफ ndash 2005 क अनसार विजञान वशकषा क उददशय उ वलथवखत छह ििताओ ि क मा दिडो स जड़

हए ह यह माग करता ह वक विजञान वशकषा विदयारी को इस लायक बना द तावक िह-

अ न सिजञानातमक सतर क अनर विजञान क तथयो ि िारणाओ ि को समझन और इस परयकत

करन क कावबल हो जाए

उन तरीको और परवियाओ ि को समझ सक वजनस िजञावनक जञान का सजन वकया जा सक तरा

इसका ििीकरण री वकया जा सक

विजञान क एवतहावसक एिि विकास सिबििी ररपरकषयो को समझ सक और इस एक सामावजक

उदयम क र म दख सक

खद को सरानीय तरा िवशवक ररिश स जोड़ सक और विजञान परौदयोवगकी और समाज क बीच

अितःविया को एिि उनस समपबिवित मददो को समझ सक

रोज़गार की दवनया म र विकान क वलय आिशयक सदधािवतक और वयिहाररक कशलता

हावसल कर सक

अ नी सिाराविक वजजञासा सौनदयथबोि और रचनातमकता स विजञान ि परौदयोवगकी को

रररावषत कर सक

ईमानदारी सतयवनषठा सहयोग जीिन क परवत सरोकार तरा याथिरण सरकषा जस मलयो का

महति समझ सक

lsquoिजञावनक सिरािrsquo विकवसत करना सीख जाए वजसम शावमल हो- िसतवनषठता

आलोचनातमक सोच और रय एिि अििविशवास स मवकत

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 101

1522 तितभनन सिरो पर तिजञान की पाियचयाय

हमार दश म विजञान को दसिी ककषा तक एक अवनिायथ विषय क र म ढ़ाया जाता ह जयादातर

विदयारी दसिी ककषा क बाद विजञान या तकनीकी कषतरो म रोजगार नही करत इसवलय माधयवमक सतर

तक विजञान वशकषा का लकषय मखयतः विदयावरथयो को िजञावनक र स साकषर करना याथिरण ि सिासथय

समपबििी समसयाओ ि एिि विजञान-तकनीकी और समाज क अितसथमपबििो क परवत जागरक करना ह

एनसीएफ 2005 म विवरनन सकली सतरो र विजञान ाठयचयाथ क वलय विसतत सझाि वदए गए ह

वनमपनवलवखत तावलका म इन सझािो को सिवकषपत र म परसतत वकया गया ह-

सकली सिर तिषय का सिरप ि

तिषय-िसि

पाियचयाय सबिी सझाि

परारतमक सिर

(ककषा 1 स ककषा 5

तक)

याथिरण अधययन

(विजञान एिि सामावजक

विजञान का एकीकत र

वजसम सिासथय वशकषा

एक महतति णथ अियि )

बचच म ररिश क परवत वजजञासा उत नन करना

मलरत सिजञानातमक और मनःपररक कशलताय विकवसत करना

बचच क वलय महति णथ अरथ णथ और उसकी अवररवच की

विषय िसत हो

वशकषण मखयत गवतविवि रक- खोजी एिि हार स करन िाल

कायथकला करन को परररत करना

बचचो को अनिषण करन िनथ दखन वडज़ाइन ि वनमाथण

करन तलनाय करन और समपबििो क जाल को समझन क

अिसर दना

सफाई ईमानदारी सहयोग जीिन और ररिश क परवत गमपरीर

रख जस मलय विकवसत करना तरा याथिरण स जड़ मलयो क

परवत दावयतिबोि उत नन करना

ककषा 1 ि २ क वलय कोई ाठय सतक नही दन का परसताि

वकसी री परकार की औ चाररक सािवि जाच- रीकषा नही हो

सतत मलयािकन का परसताि

उचच परारतमक सिर

(ककषा 6 स ककषा 8

तक)

विजञान

(एक सिकाय क र म

विजञान और परौदयोवगकी

का मल)

िजञावनक अििारणाओ ि को मखयतः गवतविवियो ि परयोगो दवारा

समझाना परविया कौशलो र ज़ोर

बचचो का ररवचत अनरिो दवारा विजञान क वसदधाित सीखना

हारो स सरल तकनीकी इकाइया या मॉडल बनाना और

याथिरण ि सिासथय क बार म जानकारी हावसल करना

सामवहक वियाकला दोसतो ि अधया को क सार विमशथ

सिकषण आिकड़ो का वनयोजन और सकल तरा आस- ड़ोस क

कषतर म परदशथन आवद वशकषण परणाली क महति णथ अिग

सतत ि सािवि मलयािकन जो णथत आितररक हो वजसम परतयकष

गरडस की वयिसरा अ नाई जाय

माधयतमक सिर विजञान ाठयचयाथ म वसदधाित अििारणाएि तरा वनयम सीखन र बाल

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 102

(ककषा 9 तरा ककषा

10)

(एक सिकाय क र म

अविक मज़बत

ाठयचयाथ िजञावनक

वसदधाित अििारणाए एिि

वनयम शावमल)

हो रनत ाठयचयाथ क बोझ को कम वकया जाय

सदधािवनतक अििारणाओ ि को जािचन क वलय परयोग ाठयचयाथ

का अहम वहससा हो

सह- ाठयचयाथतमक कायथकला ो म रागीदारी को अवनिायथता

वजसम सरानीय सतर क मददो र ररयोजना कायथ शावमल हो

सदधािवतक वलवखत रीकषा म बोडथ रीकषा क सार सार कछ परशन

परयोग तकनीकी मॉडयल र आिाररत हो

उचच माधयतमक

सिर

(ककषा 11 तरा ककषा

12 )

जीि विजञान रौवतकी

और रसायन विजञान

(सिकाय रक ाठयचयाथ

वजसम उ यकत िजन ि

गहरायी हो )

दो विषयो अकादवमक और िोकशनल म विजञान को ढ़ाय

जान क मामल र नविथचार वकया जाय तावक विदयारी को

अ नी रवच क अनसार विषय चनन की सितितरता हो

परयोग तकनीकी ि खोज रक ररयोजनाओ ि र ज़यादा जोर दना

चावहय

विवरनन ाठय सहगामी गवतविविया ठन- ाठन का वहससा हो

जस- सरानीय मददो का विजञान ि परौदयोवगकी क माधयम स

समािान करना राषटरीय विजञान मलो म रागीदारी विजञान

तकनीकी और समाज स अितसथमपबिवित मददो र िाद-वििाद म

राग लना

आईसीिी का विजञान वशकषण म बड़ मान र उ योग हो

परयोग और परौदयोवगकी मौडयलस का लगातार आितररक

मलयािकन तरा वसदधाित आिाररत बोडथ रीकषा म री कछ परशन

परयोग तकनीकी आिाररत हो

अभयास परशन

4 एनसीएफ 2005 क अनसार विजञान ाठयचयाथ क ििता क मखय मा दिड कौन स ह

5 एनसीएफ 2005 क अनसार परसतावित विजञान ाठयचयाथ म परारवमक सतर तरा माधयवमक

सतर की विजञान विषयिसत म कया वरननता ह

16 पाठयचया ववकास म वशकषक की रवमका रारत म ाठयचयाथ का वनमाथण राषटरीय एिि राजय दोनो सतरो र होता ह अममन इस परविया म विदवानो

विषयिसत म दकष वयवकतयो तरा नामी वगरामी वशकषाविदो को ही शावमल वकया जाता ह इस ाठयचयाथ

को वफर सकलो र लाग कर वदया जाता ह वशकषको का कायथ किल सकलो म इस ाठयचयाथ क

वियानिन तक ही सीवमत रहता ह उनको ाठयचयाथ तरा विदयावरथयो क बीच एक ल की तरह कायथ

करना होता ह वशकषक अविकतर वनयत समय र वदय गय ाठयिम को रा करन तरा ाठय सतको को

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रििान म लग रहत ह वशकषक परवकषकषण परविया म री ज़यादातर महति विवरनन वशकषण विवियो क

अभयास र वदया जाता ह ि ाठयचयाथ एिि वशकषण- अविगम क बीच का समपबिि ही नही समझ ात

इसक वलय यह आिशयक ह वक परवकषकषण क दौरान उनह ाठयचयाथ क विवरनन आयामो र तावकथ क

विचार विमशथ करन तरा उस विशलषटण करन क रर र अिसर वदय जाय

हालािवक आजकल यह वसरवत कछ बहतर हई ह परतयक सतर र यह समझा जा रहा ह वक

सकली वशकषको को ाठयचयाथ वनमाथण परविया म शावमल होन स बहतर वसरवत की अ कषा की जा सकती

ह ाठयचयाथ विकास समीवतयो म सकल वशकषको की सिीय रागीदारी होन स उनक ककषा समपबििी

परतयकष अनरिो को री धयान म रखा जान तरा ाठयचयाथ म की जान िाली वसफाररशो को ककषा की

िासतविकताओ ि क सिदरथ म परसतत वकय जान की समपरािना बढ़ी ह वशकषको क ककषा सिबििी अनरिो

और वचितन स ाठयचयाथ ाठयिम एिि ाठय सतको को सिारन म काफी मदद वमलती ह ाठयचयाथ

वनमाथण म वशकषको क सिलगन होन स परसतावित ाठयिम की बचचो क वलय उ यकतता एिि परासिवगकता

सवनवशचत करन म री आसानी होती ह एनसीएफ 2005 म इस मदद र काफी विचार वकया गया ह तरा

ाठयचयाथ वनमाथण म वशकषको की रागीदारी की रिी की ह ाठयचयाथ क विक िीकरण स यह और री

आसान हो जाता ह

17 सारााश इस इकाई म आ न ढ़ा वक ाठयचयाथ तरा ाठयिम एक दसर स कस वरनन होत ह आ न जाना वक

ाठयचयाथ की र रखा को सवनवशचत करन वक वलय मखय तीन सदधािवतक आिार कया होत ह हमन यह

री दखा वक वकस परकार राषटरीय सतर र परसतावित ाठयचयाथ म उ ागम एिि विषय आिाररत बदलािो

क सार सार विजञान- ाठयचयाथ म री परतयकष बदलाि आय ह इसक सार ही आ न एनसीएफ 2005

म विवरनन सकली सतरो र विजञान विषय क वलय विषय-िसत वशकषण विवियो तरा मलयािकन समपबनिी

वसफाररशो को री जाना अित म हमन यह री चचाथ की वक वशकषको क वलय ाठयचयाथ वनमाथण म शावमल

होन क कया लार ह

18 शब दाविी 1 अनबतिि अनतिया- पराचीन अनबििन म एक अनबिवित उददी क क परवत सीखी गयी

अनविया

2 सजञान- जानन क सार जड़ी सरी मानवसक परवियाए जस- परतयकषण करना वचितन करना और

याद करना इतयावद

3 परबलन- एक अनविया का अनसरण करती घिना जो अनविया क घवित होन की परिवतत को

शवकत दती ह

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4 िििा- वकसी मा क दवारा की गयी ररशदधता का दयोतक जो यहा बताता ह वक मा न

िासतविकता क वनकि ह

19 अभ यास परश नो क उत तर 1 एक ाठयचयाथ की र रखा क परमख क विक वनमपनवलवखत होत ह-

i वशकषा क लकषय

ii सतर विवशषट उददशय

iii विषयिसत क चयन एिि वयिसरा न क वसदधाित

iv अचछ तरीको क आिार

v अचछी सामगरी क आिार

vi मलयािकन का वसदधाित

2 ाठयचयाथ एक वया क योजना ह जो चवचिषट िचिक उददशयो को चियाचनवत करन क चलए

चिज़ाइन की जाती ह वजसम ाठयिम री एक महति णथ अियि क र म शावमल होता ह

जबवक ाठयिम वसफ़थ यह बताता ह वक विषयिसत क वहसाब स कया ढ़ाया जाय और सतर

विवशषट उददशयो क मददनज़र वकस तरह क जञान कौशल और अवरिवततयो को ख़ास बढ़ािा वमल

3 एनसीएफ 2005 क अनसार विजञान ाठयचयाथ क ििता क मखय मा दिड ह- सिजञानातमक

ििता विषय-िसत ििता परविया ििता ऐवतहावसक ििता याथिरणीय ििता तरा

नवतक ििता

वयिहारिादी उपागम आिाररि

पाियचयाय

रचनातमक उपागम आिाररि

पाियचयाय

ाठयचयाथ का

सिर

विषय- आिाररत बाल-क वित

जञान म िवदध विदयारी दवारा वनषटिीय र स जञान को गरहण

या सिचय करना

विदयारी दवारा जञान का वनमाथण या खोज

सिीय र स करना

अविगम का सिर विदयारी सचनाओ ि क सिकलन तरा अजथन

उनक अरथ सीखन एिि सही अनविया को

सीखन क अभयास स सीखता ह

विदयारी अ न परतयकष अनरिो स और

विवरनन शवकषक गवतविवियो म सविय

रागीदारी स सीखत ह

विदयारी क सिदरथ स

सरोकार

विदयावरथयो क वयवकतगत अनरिो

सिजञानातमक परिवततयो एिि उनक सिदरथ स कोई

सरोकार नही होता

विदयावरथयो क वयवकतगत अनरिो

सिजञानातमक परिवततयो एिि उनक सिदरथ क

अनसार शवकषक अनरिो का आयोजन

वकया जाता ह

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4 एनसीएफ 2005 क अनसार परारवमक सतर र विजञान को lsquo याथिरण अधययनrsquo क र म

ढ़ान की बात की गई ह वजसकी विषयिसत विजञान एिि सामावजक विजञान का एकीकत र

ह तरा सिासथय वशकषा री उसका एक महतति णथ अियि ह िही माधयवमक सतर र विजञान

को एक सिकाय क र म दखा गया ह वजसकी अविक मज़बत ाठयचयाथ होनी चावहय और

उसम िजञावनक वसदधाित अििारणाए एिि वनयम शावमल हो

110 सादरथ गरार सची 1 राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा (2005) राषटरीय शवकषक अनसििान और परवशकषण ररषद नई

वदलली

2 ाठयचयाथ ाठयिम और ाठय सतक - राषटरीय फोकस समह का आिार तर (२००8) राषटरीय

शवकषक अनसििान और परवशकषण ररषद नई वदलली

3 विजञान वशकषण- राषटरीय फोकस समह का आिार तर (२००8) राषटरीय शवकषक अनसििान और

परवशकषण ररषद नई वदलली

4 मनोविजञान- ककषा 11 क वलय ाठय सतक (२००6) राषटरीय शवकषक अनसििान और परवशकषण

ररषद नई वदलली

5 दसिषीय सकल क वलए ाठयिम-एक र रखा (19७6) राषटरीय शवकषक अनसििान और

परवशकषण ररषद नई वदलली

6 विदयालयी वशकषा क वलए राषटरीय ाठयचयाथ की र रखा (2005) राषटरीय शवकषक अनसििान

और परवशकषण ररषद नई वदलली

111 वनबाधात मक परशन 1 अ न राजय क सकलो म लाग ाठयचयाथ की र रखा की विसतत समीकषा कीवजए तरा उसक

अितगथत विवरनन सकली सतरो र विजञान ाठयचयाथ क परमख सरोकारो की चचाथ कीवजए

2 एनसीएफ2005 स हल ककषा 8 क वलय एनसीईआरिी दवारा वनवमथत विजञान की

ाठय सतक की तलना ितथमान ाठय सतक वनमपनवलवखत आिारो र कीवजए -

विषयिसत का सिर

गवतविविया एिि अभयास

3 एनसीएफ 2005 म चवचथत ििता क मा दिडो क परकाश म वकसी माधयवमक सतर की विजञान

ाठयचयाथ की आलोचना कीवजए

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इकाई 2- पाठयचया वशकषण रणनीवियो और भौविक विजञान क वनििथमान रझान

21 परसतािना

22 उददशय

23 एनसीईआरिी ाठयिम क वनितथमान रझान

24 ाठय सतक स वशकषण-अविगम सामगरी की तरफ गमन

25 वशकषक ाठयिम विकासकताथ क र

26 एनसी इआर िी ि उततराखिड क विजञान ाठयिम की समीकषा

27 विजञान ाठयिम म हए महति णथ ररितथन

28 सारािश

29 सनदरथ गरिर सची

210 वनबििातमक परशन

21 परसतावना विजञान ाठयिम समय क सार बदल गया ह और विजञान वशकषक का काम अब अविक चनौती णथ हो

गया ह व छल दशको म विजञान सीखना कछ सिभाित उचच परापतकताथओ ि तक सीवमत रा ककषा IX स

XII म विजञान रौवतकी रसायन विजञान और जीि विजञान क विषयो क र म ढ़ाया जाता ह हल

वकताब वनजी परकाशको दवारा परकावशत एिि एक लखक दवारा वलखी जाती री ाठय सतको म ाठयिम

की सामगरी म तयारी गण और उ योग शावमल वकय गय र विजञान का ाठयिम दवनक जीिन क

अनरि सअलग रा ाठयिम कसदयावनतक ि वयािहाररक कष सिबिवित नही र परयोगो गवतविवि

अिररत वशकषण विवियो की अल ता री वकि त अब छातरो क ास ह एनसीईआरिी दवारा परकावशत

गणितता लखको और लखको की एक िीम दवारा वलवखत ाठय सतक छातरो को छताछ क वलए जगह

परदान करत ह वियाए को ाठय सतको म परासिवगक सरानो र शावमल वकया गया हवशकषक किल

जानकारी का एक परदाता नही ह िरन छातर ककषा म अ न सियि क अनरिो और बहत सारी जानकारी

और परशनो क सार-सार अनय सरोतो जस इििरनि मीवडया सतको विजञान वतरकाओ ि और रक ठन

सामगरी की विवििता क सार आत ह करी-करी छातरो की वजजञासा को शाित करन क वलय वशकषक को

चनोती णथ वसरवत का सामना करना ड़ता ह एनसीईआरिी दवारा तयार वकए गए ाठयिम का रझान

वकस तरह बदला ह इसका विसतत विशलषण इस यवनि म की गया ह

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22 उददशय इस इकाई का अधययन करन क शचात आ -

1 एनसीईआरिी ाठयिम क वनितथमान रझान क विषय म जान सक ग

2 ाठय सतक स वशकषण-अविगम सामगरी की तरफ गमन क विषय म चचाथ कर सक ग

3 वशकषक को ाठयिम विकासकताथ क र म जान सक ग

4 एनसी इआरिी ि उततराखिड क विजञान ाठयिम की समीकषा कर सक ग

5 विजञान ाठयिम म हए महति णथ ररितथन को जान सक ग

23 एनसीईआरटी पाठयिम क वनवतथमान रझान 1988 2000 और 2005 म एनसीईआरिी दवारा तयार वकए गए ाठयिम का विशलषण बताता ह

वक ाठयिम विकास क मनोिजञावनकतकनीक ाठय विषय िसत परसततीकरण रर कषय क काफी

बदलाि ह ितथमान ाठयिम गवतविवि-आिाररत एकीकतवशकषारी-क वित ह 1988 क ाठयिम म

दकषता अििारणाओ ि और गवतविवियो को रखत हए उ यकत कवठनाई सतर को धयान म रखत हए

िासतविक जीिन स समपबिवित कछ परकरणो जस खादय और ोषण सिासथय जनसिखयाकवष और

याथिरण सिरकषण को ाठयिम का आिशयक घिक बनाया गया

उदारहण क वलय एनसीईआरिी दवारा विकवसत ककषा छठी क ाठयिम क एक यवनि का अधययन

करत ह वजसस बदलत ाठयिम का रझान ता चल सक

िातलका 21 - 1988 म तिकतसि ककषा 6 का तिजञान पाियिम

यतनट का नाम तिषयिसि

इकाई 6 गवत बल और मशीन गवतशील ि वसरर िसतएि विवरनन परकार की गवत-रवखक

यादवचछक रोिरी चिीय रर तर आिविक गवत बल बल लगान

र गवत वदशा और आकार म ररितथन विवरनन परकार क बल

चिबकीय शवकत इलकरोसिविक बल घषथण बल घषथण क फायद और

नकसान घषथण का कम होना बढ़ना विवरनन परकार की सािारण

मशीन-लीिर चरखी और वहया जविल मशीन ndash एिि सरल मशीनो

का सियोजन रखरखाि और मशीनो की दखराल

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िातलका 22 - 2000 म तिकतसि तिजञान पाियिम क ककषा 6 की एक इकाई का तििरण

यतनट सामगरी का नाम तिषयिसि

यवनि 9 बल और गवत 1-बल बल का परराि (आकार ि गवत म ररितथन) बल ि दबाब की

इकाई

तरल दारथ म दबाि

2-गवत ि गवत क परकार (रखीयितीय घणी आिविक दोलक)

3-समान गर-समान गवत सीिी रखा क रर कषय म िग का विचार

4-गवत गवत की इकाई

िातलका 23 - 2005 म तिकतसि की गई ककषा 6 तिजञान पाियिम की इकाई का तििरण

परशन किी अििारणाए ससािन सझाए गए तियाकलाप

यवनि 4 आरिवरक वदनो

म लोग एक सरान स

दसर सरान र कस जात

र उनको कस ता

चलता रा की वकतनी

दरी उनहोन तय कर ली

हमको कस ता चलगा

की कोइ िसत गवतमान

ह कस ता चलगा की

िह िसत वकतनी दर गवत

कर क चली गई

मा न की आिशयकता

(लिबाई) दरी वसरवत ि

समय क अनसार गवत म

ररितथन

दवनक जीिन क अनरि

अिलोकन विवरनन परकार

क मा न उ करण दरी स

समपबिवित विवरनन

कहावनया वजसस दरी स

समबािवित परकरण

विकवसत हो सक

( ीररयड -12)

लिबाई ि दरी का

मा नरवमहिाजलिआकाश

म गवतमान िसतओ का

अिलोकन विवरनन परकार की

गवतयो की हचान ि उनम

अितर विवरनन परकार की ऐसी

िसतओ का सहपरदशथन वजसम

एक स अविक परकार की गवत

हो जससि िखा लीसाईवकल

का वहयािरी आवद वदिार

घडीसरजचििमा ि परवरिी की

गवतओि का अिलोकन

उ रोकत तावलकाओ म िवणथत विषय िसतओ का अिलोकन करन र जञात होता ह की ककषा 6 क वलए

1988 क विजञान ाठयिम को एक सची क र म परसतत वकया गया ह इसम मखय उदशय छातरो को

विजञानि विषयिसत स ररवचत करिाना रा जबवक विजञानि क परविया कष र कम महति वदया गया ह

बहत स परकरण जस बल घषथण आकाशगिगा आवद कई विषयो को ाठयिम म शावमल वकया गया ह

जो की बाद की आठिी या नौिी ककषा म आ सकत ह

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इनक अिबोि हत अमतथ अििारणाओ ि को री समझना आिशयक ह ाठयिम म स षट गहराई नही

ह विषयो की सची म विवशषटता का आराि ह ाठयिम म िवणथत विषय िसत वकसी री परकरण म

गहराई तरा कल नाशीलता िािवछत वियाकला ोतक का आराि ह

2000 क ाठयिम म 1988 क ाठयिमानसार जानकारी को लोड वकया गया इसम री १९८८ क

ाठयिम की तरह गहराई और विसतार की कमी ि स सिता की कमी ह उचच परारवमक और माधयवमक

सतर र सामनयतया विजञान ाठयिम म विजञान तकनीकी ि सामावजक अििारणओ का उ योग

होता ह इसका उदशय छातरो को िजञावनक जञान दन क सार उनको तकनीकी परयोग म समिथ करना ह

रनत ाठयिम वनमाथण करत समय विषयगत दवषटकोण को ही महति वदया गया ह उसम वयािहाररक

दवषटकोण की कमी ह चयवनत विषय जसबरहमािड हमारा याथिरण दारथ मा न जीिन विशव ऊजाथ

ोषण और सिासथय और कवष आवद विषयो अविकािशता ऊ री परारवमक चरण स माधयवमक सतर तक

जारी रख गए ह इसम अििारणाओ ि को वयिवसरत करन का परयास ाठयिम म वकया गया रा इनह

ककषा VI स X तक िवमक र स रखा गया ह

एनसीएफ -2005 न जञान वनमाथण की परविया म वशकषारी की सविय रागीदारी की वसफाररश की ह

2005 म विजञान ाठयिम क विकास क दौरान यह वनणथय वलया गया रा विजञान को परौदयोवगकी क

सार जोड़ना ठीक नही ह ाठयिम म रखी गई सचनाओ क रार को कम करन ि उमरनसार उवचत

अििारणाओ ि को शावमल करन का फसला वलया गया रा

ाठयिम वनमाथण करत समय एनसीएफ -2005 की वसफाररशो ि रर ोिथ वबना बोझ क लवनिग को

महति वदया गया ह विषयगत दवषटकोण को अ नात हए विषय िसत को वयिवसरत करत हए अनतर-

अनशासनातमक तरीक को अ नाया गया ह ाठयिम म शावमल विषयिसत जस खादय दारथ सामगरी

द िलडथ ऑफ़ दी वलवििग हाउ वरिगस िकथ मवििग वरिगस लोग और विचार पराकवतक घिनाएि और

पराकवतक सिसािन आवद ह विषयिसत को उचचपरवथमक सतर स मादयवमक सतर तक इसी िम म रखा

गया ह 2005 का ाठयिम चार कोलम परशन कि जी अििारणाएि सिसािन सझाए गए वियाकला म

िगीकत वकया गया ह

ाठयिम परशनो क सार शर होता ह य ि महति णथ परशन हजो बचच को सोचन की परविया म मदद

करन िाल मखय वबिद ह गवतविवि कॉलम म परयोग क सार-सार ककषागत वशकषण अविगम परवकया

वजसम छातर राग लात ह को री िवणथत वकया गया ह ाठयिम म वदय गए आइिम परशन वकसी री

परकरण की सामगरी का खलासा करन का एक विचार दन म मददकरत ह अगर आ परशन और महति णथ

अििारणाओ ि क सार गवतविवि सतिर को ढ़त ह तो यह अिलोवकत होगा की ाठयसामगरी काफी

गहराई क सार ाठयिम विषय िसत वशकषण- रणनीवतयो क चयन म सहायक ह ाठयिम

ाठय सतक लखन ि वशकषण विवि क चयन म मदतकरी ह ाठयिम म वशकषावरथयो क वलए सरान

री ह उनको गवतविवियो परयोगो को करनसरानीय सिदरथ को वडसकस करन का सरान वदया गया ह

एनसीएफ -2005 म ाठय सतको को बहआयामी ि दवनक जीिन स सिबिवित करन का सझाि वदया

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 110

गया ह एनसीएफ - 2005 म विजञान वशकषण को हडस- ओ िन ि इनकिायरी बसड बनान की वसफाररश

की गई ह हालािवक इस वया क र विचार सतर र सिीकार वकया गया ह जबवक रारत म अभयास

अरी री चाक एिड िॉक म रड ही हािी ह छातरो की इवचछत वदशा म परगवत हत वशकषण अविगम

परवियाओ ि म अविक सविय सहरावगता को लना आिशयक ह

विजञान सीखन क हडस ओ िन तरीक म वशकषक वशकषण अविगम परविया का परारर छातरो क अनरिो ि

मतथ उदहारण स करत ह विषयकवनित उ ागम म वशकषक कॉनसपिस को दानिवमक तरीक स सजा कर

ड़ता हजबवक छातर कवनित उ ागम म वशकषक सिथपररम मतथ ररवसरवतको उत नन करता ह वफर अमतथ

कािसपि को समझता ह

उदहारणसिर इलवकरक करिि क कािसपि को समझान हत हम यहा दखना होगा की यह एक अमतथ

कािसपि ह वजसम छातर को चाजथ मिमि समझाना ह जो छातर को तरी समझ आयगा जबवक उसको चाजथ

का कािसपि ता हो यदव चाजथ का कािसपि अमतथ ह वफर री छातर आसानी स इसको समझ जात ह जब

ि इलवकरक सवकथ ि को जोडत ह अत इलवकरक करिि को कािसपि को उचच परारवमक शालाओ क

ाठयिम म रखा गया ह

23 पाठयपसतक स वशकषण-अवधगम सामगरी की तरफ गमन ाठय सतक वशकषण-अविगम सामगरी क एक राग सिर उ करण की तरह छातरो को अधयनरत रखती

ह वशकषक ककषागत ररवसरयो म विवरनन परकार क गवतविवियोमतथ अिीगम अनरिो वशकषण सामगरी

का उ योग ाठय सतको क सार परयोग करता ह

जब हम वशकषण-अविगम उ ागमो ि सीखन क दवषटकोण क बार म वनणथय लत ह तो अविगामारी की

आिशयकता का सबस अविक धयान रखत ह चकी अविगम की री परविया वशकषावरथयो क मवसतषटक म

चलती ह ि री तरह स वनरथर लारती ह की हल विदयवरथयो न कया सीखा ह इसवलए सामगरी दवषटकोण

और सामगरी का न वयाखया वयािहाररक फसल री तरह स वशकषक क हार म होत ह एक

ाठय सतक जररी नही वक एक िगथ क र ाठयिम को किर कर और यह र िषथ क वलए जररी हो

ऐसा री नही हो सकता ह कोई अचछी ाठय सतक

बचचो को याथिरण सावरयो और अनय क सार बातचीत करन क वलए तयार करती ह ना की लोगो को

आतमवनरथर बनान का कायथ करती ह एक ाठय सतक एक गाइड की तरह छातरोको सविय सहरावगता

क माधयम स समझ बनान क वलए मागथदशथन दती ह

लोगो को सरानाितररत जञान एक तयार उत ाद क र म दन क बजाय जञान को कािसच करात ह हाल ही

म एनसीईआरिी दवारा को एनसीएफ 2005 क अनसार बनाया गया ह ाठय िम परयास करन क

वलए -2005 क आिार र ाठयिम तयार करना ाठयिम हत वदलचस ाठय सतको क वनमाथण क

वलए दसतािज़ को एकतर

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करना और तथयातमक जानकारी क सार वबना रार वदए बनाना एक चनौती णथ कायथ ह कल वमलाकर

विजञान को जञान क बढ़त शरीर क र म श वकया जाना चावहए न की एक तयार उत ाद क र म इस

तकथ क परकाश म यह कहा जा सकता ह की जररत वसफथ एक एकल ाठय सतक की ही नही ह बवलक

सीखन िाली सामगरी कज को वशकषण अविगम सामगरी क र छातरो को वियाशील बानाए रखन क

वलय इसतमाल वकया जा सकता ह

24 वशकषक पाठयिम ववकासकता क रप िथगामी चचाथ ाठयिम ररिदधथन की परविया का बोि कराती ह अगला परशन जो हम छना चाहत ह

िह ह कया ाठयिम विकास क इस अभयास म वशकषक की रवमका ह रारत म ाठयिम क ि या

राजय सतर र तयार वकया जाता ह और वशकषको दवारा इस बाहय र विकवसत इस ाठयिम का

कायाथनियन वकया जाता हपरी-सविथस वशकषक तयारी कायथिमो क दौरान अधया क वशकषा ाठयिम

और वशकषण सितितर र स अधयन वकया जाता ह और उनह अलग-अलग वनकायो की तरह माना जाता ह

परी-सविथस िीचर रवनिग का दौरान वशकषण विवियो कररकलम समपपरषण वियाओ र अविक धयान वदया

जाता ह जबवक परवशकष वशकषको को ाठयिम विकास परवियाओ ि म राग नही लन वदया जाता ह

उनको मौजदा ाठयिम का विशलषण करन क अिसर नही वदए जात ह इन-सविथस परवशकषण

कायथिमो क दौरान री फोकस अविकािशत वशकषण रणनीवतयो र होता ह उनको री ाठयिम

विकास म शावमल नही वकया जाता ह इस परकार वशकषको का कायथ महज ाठयिम और ाठय सतको

को समय स रा करना ह

इस परकार परी सविथस िीचर ि इनसविथस िीचर रवनिग क समय वशकषको म ाठयिम विकास की री

समझ विकवसत नही हो ाती ह वजसस उनक अधया न म कमी रह जाती ह ि ाठयिम ि वशकषण

अविगम रणनीवतयो म समपबनि सराव त नही कर ता ह ि वनरितर ारि ररक वयाखयान-सह-परदशथन विवि

का परयोग कर वशकषण अविगम परविया को सिचवलत करता ह जस इस अधयाय म हमन सीखा हवक

ाठयिम एक योजनाबदध अििारणा ह जो

वशकषण सीखन क दौरान अ वकषत अविगम की परावपत हत ाठय विषय िसत का चयन ि वियायो को

वनिाथररत करता ह जबवक वशकषण अविगम य वनिाथररत करता ह की वकस परकार स वदय गय ाठयिम

को सिपरवषत करग ाठयिम को एक साधय क र म जबवक वशकषण अविगम को एक सािन की तरह

समझा जा सकता ह इस परकार वशकषक की रवमका को एक वनयिवतरत िम म िथ वनिाथररत ाठयिम को

चयवनत वशकषण विवि का परयोग करत हए सिपरवषत करन िाल क र म दख सकत ह य रवमका छातरो

म रिन की आदत को ोवषत करती ह ि छातरो की सजनातमकता को कम करती ह वशकषक की य

रवमका उसक अिदर वनवहत निाचारी वियाओ को समापत करती ह यदव आजकल वशकषक सिसरानो म

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वशकषको ि ाठयिम योजनाकताथओ को ाठयिम कम िी म वशकषको की आिशयकता महसस हो रही

जयादातर उचच वशकषक सिसरानो म ि परशासन ि िररषठ वशकषको को य लगता ह की ाठयिम वनमाथण क

परवत वशकषको को उततरदायी वकया जाए वशकषको स य उमपमीद की जाती ह की ि ाठयिम ाठयचयाथ

ि िकसि बकस का आलोचनातमक तरीक स ररवय कर ि ि अ न ककषा गत अनरिो ि परवकिसस को

ाठयिम कम िी क समकष रख वशकषको क दवनक ककषा गत अनरिो को यवद ाठयिम म समावहत

वकया जाएगा तो वनवशचत तोर र ऐसा ाठयिम छातरो की आिशयकता अनर होगा ि वयािहाररक र

स ठनीय होगा

परसतावित ाठयिम क सार कस वयिहार वकया जाना चावहए य वशकषक की सविय सहरावगता स ही

सिरि ह यवद ाठयिम वनमाथण म वशकषक की सहरावगता को अ वकषत वकया गया तो ाठयिम की

रचनातमकता और अवरनि निाचार हतोतसावहत होग अत वशकषको को ाठयिम और ाठय सतको

की समीकषा करना चावहए ाठयिम सवमवतयो म समीकषातमक वशकषको को शावमल करन म सिार म

मदद वमलती ह ऐस वशकषक ाठयिम सवमवतयो को उनक ककषा गत अनरिो का परवतवबिब सवमवत क

सामन लात ह वजसस ाठयिम की परासिवगकता बढती ह वशकषक सकल म बचचो की समकष िथवनिाथररत

ाठयिमो का िथ मलयािकन करत हए छातरो की समसयाएि और सकलो की जररतो को परकश म ला

सकत ह वजसस ाठयिम वनमाथण करत समय उसम सिार सिरि हो सक इसपरकार ाठयिम वशकषको

को तरी ईमानदारी स मदत कर सकता ह यवद यह वशकषको क सार गहन साझदारी क माधयम स

विकवसत वकया गया

ाठयिम वनमाथण म वशकषको की रागीदारी उनकी वसरवत री अलग अलग रर कषय म दखी जा सकती

ह जस ाठयिम वनमाथण यवद क ि सतर र या राजय सतर र होता ह तो इसम वशकषको की रागीदारी

बहत कम होती ह या कछ नामी वशकषक ही कम िी सदसय होत ह जबवक वजल या विदयालय सतर र

अविकािश वशकषक ाठयिम वनमाथण म राग लात ह

25 एनसी ईआर टी व उततराखाड क ववजञान पाठयिम की समीकषा उ रोकत वबनदओ म हमन ाठयिम वनमाथण ाठयिम म वशकषक की रवमका ि राषटरीय ाठयिम ढािचा

वदशावनदशो की विसतत चचाथ की ह सार ही एन सीइआरिीदवारा परदत ाठयिम म आऐ बदलाि

को री इिवगत करन का परयास वकया ह उ रोकत चचाथ स वनषटकवषथत हआ की यवद वशकषक को ाठयिम

वनमाथण क बार म एक ठोस समझ ह तो वशकषा वशकषण-अविगम सीखन क दवषटकोण और मलयािकन क

वसदधाितो मानदिड वनमाथण तरा अचछी वशकषा-वशकषण सामगरी क अनपरयोग आवद म आसानी स हिच

बना लता ह सार ही समसत छातरो को ककषा गत ाररवसरत म समान अिसर परदान करत हए ककषा म

गवतविवियो परयोगो को सि नन करता ह

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समीकषातमक दवषटकोण स दखा जाए तो ाठयिम वनमाथण की राषटरीय ाठयचयाथ ढािच-2005 म वबना

बोझ सीखना (1993) ि रारतीय सविििान क िमथवनर कष समानतािादी और बहलिादी समाज को

मखय र स मागथदशथक की रवमका म रखा ह सामावजक नयाय और समानता क मलय क दवारा वशकषा क

वया क उददशय की परावपत ाठयिम क माधयम स की गई ह ाठयिम म सितितरता दसरो की परवत

सििदनशीलता रचनातमकता लोकतािवतरक परवियाओ ि आवरथक परवियाओ ि और सामावजक ररितथन को

शावमल वकया गया ह

इसक मागथदशथक वसदधाितो म इस तथय को परकि वकया गया ह वक वकस तरह वशकषा बोझ का सरोत बन गई

ह और बचचो र बढता तनाि शवकषक उददशयो म एक गहरी विर ण का परमाण ह इस विकवत को ठीक

करन क वलए ितथमान राषटरीय ाठयिम ढािचा 2005 न

ाठयिम क विकास क वलए ािच मागथदशथक वसदधाितो को अ नाया ह

i सकल स बाहर क जीिन को जञान स जोड़ना

ii यह सवनवशचत करना वक वसखान म रिन क तरीको स बदलाि आया ह

iii ाठय सतक क वित रहन की बजाय बचचो क समगर विकास क वलए ाठयिम को समदध

करना

iv रीकषाओ ि को अविक लचीला और ककषागत ररसरवतयो स एकीकत करना

v ककषा म लोकतािवतरक वयिसरा क अनर परजातावनतरक वशकषण विवियो का परयोग करना

राषटरीय ाठयिम ढािचा ाठयिम म छातरो को जञान का सजथन करन िाल की रवमका म रखता

हजबवक वशकषक स य उमपमीद की गई ह की िह छातरो क वयािहाररक ि ककषा क अनरिो को सिगवठत

करक बचच क सार सिगवत कर उनकी आिशयकता को धयान रखत हए उनह अविगम अिसर परदान

करगा बचचो क तनाि को कम करन हत एनसीएफ म विषय सीमाएि को नरम करन की वसफाररश की ह

तावक बचचो को एकीकत जञान और खशी का सिाद वमल सक

एनसीईआरिी ाठयिम क र म ऐस दसतािजो का वनमाथण करती ह जो विवरन विषयो की

सामगरी का बयोरा होता ह ि छातरो म उततम वयिहार और कौशल जञान और सकारातमक अवरिती का

वनमाथण करता ह रारत म एनसीईआरिी सकल वशकषा क सरी चरणो क वलए आदशथ उदाहरण

विकवसत करता ह इसी िम म राजय एनसीईआरिी ाठयिम को अ ना अनकवलत कर सकत ह

या सियि स विकास कर सकती ह

एनसीईआरिी दवारा वनवमथत ाठयिम म एनसी ऍफ़ 2005 क वजन मानको का परयोग वकया गया ह ि

इस परकार ह

i मनोिजञावनक दवषटकोण स बचचो क विकास क अनसार विषयो और विषयिसत की

उ यकततानसार चयन

ii एक सतर स अगल सतर तक विषय िसत म वनरितरता

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iii सचीबदध उ विषयो क बीच अितःविषय और विषयगत सिबिि ि

iv अलग-अलग सकल विषयो म सतत अनशासवनक समपबनि होन चावहए

v बचचो क रोजमराथ क अनरि और जञान स विवरनन विषयो म सकल जञान क बीच सिबिि छातरो

को याथिरण सिबििी जञान और वचिता का जञान सकल क सरी सतरो र और विषयो म एक

समगर र वदया जाए तावक छातर याथिरण क परवत समपिदिशलता विकवसत कर सक

vi लवगक समानता शािवत सिासथय और विशष जररत िाल बचचो क सार सििदनशीलता को

विकवसत करन का परयाश वकया जाए

vii सरी सतरो र परतयक विषय म कायथ सिबििी वयिहार और मलयो का एकीकरण

viii रारत क हर हल म वशल की विरासत का सम कन करक सौदयथ की सििदनशीलता और

मलयो का ोषण करना चावहए

ix ओिर लव िग स बचन क वलए सकल और कॉलज ाठयिम क बीच सिबिि

x शकषवणक तकनीक की कषमता का उ योग करना

xi बचचो दवारा जञान का वनमाथण कराया जाए ि जञान क सरी कषतरो म लचीला न और रचनातमकता

को परोतसावहत वकया जाए

26 ववजञान पाठयिम म हए महतवपणथ पवरवतथन तिजञान

विजञान वशकषण की राषा सामगरी परविया वशकषारी की उमर-सीमा और सिजञानातमक हिच क अनर

होना चावहए विजञान वशकषक को विजञानि वशकषण म उन तरीको और परवियाओ ि को परयोग करना चावहए

जो छातरो म वजजञासा रचनातमकता को उत नन कर सक याथिरण को हर विषय को दयाि म रखत हए

परोजकि ि विया आिाररत वशकषण की आिशयकता ह ितथमान वसरवत स वकसी री गणातमक ररितथन

क वलए विजञान वशकषा क परवतमानो म बदलाि आया ह जस रिन र कम बल दना छातरो को करक

सीखना उनम जािचना रखना कौशल राषा वडजाइनअिलोकन विशलषण सिशलषण की कषमता को

मजबत वकया जाना चावहए सकलो म ाठयचयाथ ि ाठय सहगामी वियाओ क समरथन र अविक

जोर दन र बल वदया ह छातरो की खोजी कषमता आविषटकारशीलता और रचनातमकता स सिबिवित

गवतविवियो को करिात समय वशकषक को विजञान परयोगातमक वकिो और परयोगशालाओ ि तक हिच

बनान की बात की ह राषटरीय सतर र एक बड़ मान र विजञान म ला (फीडर म लो क सार म कलसिर

वजला राजय सतर) सकलो और वशकषको को परोतसावहत करन क वलए आयोवजत करन र बल वदया गया

सिकष म ाठयचयाथ ाठयिम और ाठय सतको (माधयवमक सतर र) की समीकषा करन र जञात होता

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i जानकारी रार स बचन क वलए समझन र धयान द

ii विषय-विवशषट अधया न क वलए अितररकष म अितवनथवहत परदान कर सामगरी

iii सामगरी और सीखन क रीतर मलयािकन एकीकत कर

iv इििरवकिि होना चावहए

v ाठय सतक स र सीखन क वलए जगह परदान करता ह

vi विवरनन विषय कषतरो क बीच की सीमाएि नरम कर

vii हारो र अनरि कला क वलए याथपत सरान परदान कर और वशल स सिबिवित सामावजक

वचिताओ ि को शावमल करता ह

viii वलिग हावशए समह सिासथय और काम एनसीएफ - 2005 का अनिती और एनसीईआरिी

दवारा विकवसत नए ाठयिम क र म कछ राजयो न राजय क ाठयिम को विकवसत वकया ह

जबवक अनय सीि अ न ाठयिम और ाठय सतको म सिशोिन वकया ह

कछ राजयो अराथत वबहार करल छततीसगढ़ उड़ीसा और कनाथिक न अ ना राजय ाठयिम विकवसत

वकया ह उततराखिड न एनसीएफ-2005 क परकाश म अ न ाठयिम को सिशोवित वकया ह

सकल वशकषा क विवरनन चरणो क वलए एनसीईआरिी क ाठयिम और ाठय सतको िबल 1 राजयो

सिघ शावसत परदशो की वसरवत को अ नान या अनशासन सवहत सिशोिन र दशाथया गया ह

एनसीएफ -2005 क सार तावलकाओ ि म ाठयिम और ाठय सतक

1 कछ राजय क िशावसत परदश ह जो एनसीईआरिी क ाठयिम और ाठय सतको को अ नात ह

माधयवमक सतर र और री विजञान म वयािहाररक ह का दािा नही कर रह ह

याथपत र स याथपत की कमी क कारण िासति म वयािहाररक र स कायथ करन म सकषम

परयोगशालाओ ि और उ करणो शोिो न वदखाया ह वक हारो की कमी

विजञान म अनरि विजञान म गिरीरता स वशकषावरथयो क परदशथन

माधयवमक सतर र विजञान परवकिकल की शरआत क सार य

राजयो सिघ राजय कषतरो को सकषम मान र विजञान परयोगशाला की तरित खरीद की आिशयकता ह

परतयक माधयवमक विदयालय क वलए वकि और वशकषक परवशकषण क वलए कारथिाई आरिर करना

वशकषावरथयो को उवचत विजञान वशकषा परदान करन क वलए इस कषतर

2 तावलका 1 बताता ह वक कछ राजय सिघ राजय कषतरो जस वदलली गोिा

वहमाचल परदश झारखिड उततराखिड आवद शावमल ह

एनसीईआरिी की ाठय सतको को सरी चरणो क वलए अ नाया गया अनकवलत वकया

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ककषाओ ि की अविकतम सिखया अराथत छठी - बारहिी स इन ाठय सतको म विषय वशकषण क वलए

एनसीएफ -2005 क ितथमान नए दवषटकोण क अनर और अनय ाठयिम साइिो स सीखन क वलए

िकसि क रीतर अिसर परदान करत ह और अ न सियि क सिदरथ स जञान स सिबिवित ह इसवलए एक

आिशयकता ह वससिम स ता लगान क वलए वक वशकषक उररत हए समझत ह दवषटकोण और कया

दवषटकोण और बीच म तराचार ह वजस तरह स वशकषक माधयवमक सतर र इन ाठय सतको का सिचालन

करत ह

इसक अलािा इन राजयो सिघ शावसत परदशो को री राजय-विवशषट की जररत की समीकषा करन की

आिशयकता ह विवरनन चरणो म वशकषावरथयो की शवकषक आिशयकताएि और उनह लान की आिशयकता

री ह बाहर ाठयिम क वदशा-वनदश या ाठयिम ररन क वलए ाठय सतको का नया सि राजय-

विवशषट जररतो और ाठयिम और ाठय सतको क बीच अितराल विकवसत

राषटरीय सतर र वशकषक री विजञान सीखन क चरण विवशषट उददशयो को समझता ह कया लनदन करन की

सामगरी और इस कस वयिवसरत कर की एक अचछी समझ ाठयिम सामानय र म अितदथवषट परापत करन

क वलए वशकषक को री सवििा परदान करता ह

यह समझना महति णथ ह वक वशकषा एक परविया और अनरि ह इस परविया का एक महति णथ वहससा ह

जब तक वक वशकषारी उस नही ढढ सकता ककषा म दशाथए गए सिदरो क सिबिि म दवषटकोण अनरि और

उसक रोजमराथ क जीिन अनरिो स जञान स सिबिवित ह जञान मातर सचना क सतर तक कम हो जाता ह

इसवलए सरी ाठयिम क अनरिो को यह सवनवशचत करन क वलए वडज़ाइन वकया जाना चावहए वक

वशकषावरथयो क सार विवरनन आिशयकताओ ि को सीखन और वशकषण-सीखन की परवियाओ ि स सिबिवित

ह अधया क को लान क दवारा सरी ाठयिमो क वलए विजञान ाठयिम सलर बनाना चावहए बातचीत

क उ यकत वबिदओ ि र लचीला न

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इकाई 3 - विजञान वशकषण की विवधयाा और नीवियाा

31 परसतािना 32 उददशय

33 विजञान वशकषण की विविया और नीवतया

331 वयाखयान विवि

332 परदशथन विवि

333 आगमन-वनगमन विवि

334 विशलषण-सिशलषण विवि

335 परोजकि विवि

34 उ यकत वशकषण विवियो का चयन

35 सारािश

36 शब दािली 37 अभयास परशनो क उत तर

38 सिदरथ गरिर सची 39 वनबििात मक परशन

31 परसतावना वशकषण विविया वशकषक का मागथ दशथन करती ह वजस परकार स सही रासत की जानकारी क अराि म

कोई वयवकत अ न गितवय सरान तक नही हच सकता ह ठीक उसी परकार वशकषक एक उवचत वशकषण

विवि की जानकारी क अराि म अ न छातरो को विषय का सही जञान नही द सकता ह वशकषण विवियो

क दवारा ही वशकषक को यह जानकारी होती ह वक िह वकस परकार स अ न छातरो को वशकषा परदान कर वक

वशकषण क उददशय सफलता िथक परापत वकय जा सक इस इकाई म हम विजञान वशकषण की विवरनन

विवियो क विषय म तरा पररािशाली ककषा वशकषण हत इन विवियो को वकस परकार परयोग वकया जाना

चावहए इसक विषय म विसतार िथक चचाथ करग

32 उददशय इस इकाई क अधययन क शचात आ -

1 विजञान वशकषण की विवरनन विवियो क विषय म विसतार िथक िणथन कर सक ग

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2 विजञान वशकषण को पररािशाली बनान क वलए परतयक वशकषण विवि को वकस परकार परयोग वकया जाना चावहए इसका िणथन कर सक ग

3 विजञान वशकषण की विवरनन विवियो क गण एिम दोषो क विषय म विसतार िथक िणथन कर सक ग 4 पररािशाली विजञान वशकषण हत उ यकत वशकषण विवियो का चयन एिम उ योग कर सक ग

33 ववजञान वशकषण की वववधया ा और नीवतया ा वशकषण विविया और वशकषण नीवतया दोनो शबदो क अ न अलग-अलग अरथ ह कछ लोग इन दोनो

शबदो को याथयिाची मान लत ह जबवक दोनो अलग- अलग ही ह Method शबद लविन राषा स

वलया गया ह वजसका अरथ ह Mode (माधयम) या (Way) रासता जबवक कॉवलन इिवगलश जम कोश

क अनसार नीवत का अरथ ह- यदध कला तरा यदध कौशल

ाठयिसत क परसततीकरण की शली को वशकषण विवि कहा जाता ह वशकषण विवि म ाठयिसत

महति णथ होती ह जसी ाठयिसत की परकवत होती ह उसी क अनर वशकषण विवि का चयन कर

वलया जाता ह जबवक वशकषण नीवत स तात यथ ऐसी कौशल णथ वयिसरा स ह वजनह ककषा वशकषण म

वशकषक अ न उददशयो को परापत करन क वलए तरा छातरो क वयिहार म िािवछत ररितथन लान क वलए

करता ह जब हम वकसी वशकषण विवि को वकसी विवशषट उददशय की परावपत क वलए परयोग करत ह तब

वशकषण विवि को ही वशकषण नीवत कहा जाता ह

सािारणतया वकसी री विषय क वशकषण स हल यह दखा जाता ह वक इस विषय को कयो ढाया जाय

इसी बात को धयान म रखत हए उस विषय क वशकषण उददशय वनिाथररत वकय जात ह वशकषण उददशय

वनिाथररत करन क शचात यह परशन उठता ह वक वकस परकार इस विषय को ढाया जाय अराथत वकन

वशकषण विवियो क माधयम स वशकषण वकया जाय वक वशकषण क उददशय परापत हो जाय विवरनन

अधययनो एिम रीकषणो दवारा यह वनवशचत कर वलया गया ह वक रौवतक विजञान क पररािशाली वशकषण

हत कौन-कौन सी वशकषण विविया उ यकत ह इन सरी वशकषण विवियो क विषय म हम आग

विसतार िथक चचाथ करग

अभयास परशन

1 ाठयिसत क परसततीकरण की शली को वशकषण नीवत कहा जाता ह (सतय असतय )

2 वशकषण विवि म ाठयिसत महति णथ होती ह जसी ाठयिसत की परकवत होती ह उसी क अनर

वशकषण विवि का चयन कर वलया जाता ह (सतय असतय )

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331 वयाखयान तिति

वयाखयान का तात यथ वकसी री ाठ को राषण क र म ढ़ान स ह वयाखयान विवि विजञान वशकषण की

सबस सरल एिम ससती विवि ह हमार विदयालयो म परयोगशालाओ ि एिम उ यकत सहायक सामगरी क

अराि क कारण यह एक ऐसी विवि ह वजस विजञान वशकषको दवारा ककषा वशकषण हत अविकािशतः परयोग

वकया जाता ह यह एक वशकषक कवनित विवि ह इस विवि म वशकषक को ककषा म जो री परकरण

ढ़ाना होता ह उसक वलए हल स ही िह ाठय सतक या अनय वकसी सािन की सहायता स उस

परकरण र अ ना वयाखयान तयार कर लता ह और वफर ककषा म छातरो क समपमख अ ना वयाखयान परसतत

कर दता ह इस विवि म छातर वनवषटिय शरोता क र म वशकषक का राषण सनत रहत ह छातर वशकषण म

रवच ल रह ह या नही उनको कछ समझ आ रहा ह या नही इन सब बातो स वशकषक अविकतर

उदासीन ही रहता ह

इस तिति का उपयोग कस कर

इस विवि को ककषा वशकषण हत परयोग करना अतयित सरल ह हम हल ही अधययन कर चक ह वक इस

विवि को विजञान वशकषण हत परयोग करन क वलए वशकषक ककषा म ढाय जान िाल परकरण को

ाठय सतक या अनय वकसी सािन की सहायता स ढ़कर उस परकरण र अ ना वयाखयान तयार कर

लता ह और वफर ककषा म छातरो क समपमख अ ना वयाखयान परसतत कर दता ह उदाहरण क वलए वशकषक

छातरो को ldquoठोस िि ि गस की सिरचनाrdquo परकरण को समझाना चाहता ह तो इसक वलए वशकषक सिथपररम

ाठय सतक या अनय वकसी सािन की सहायता स इस परकरण को ढ़कर ldquoठोस िि ि गस की

सिरचनाrdquo र अ ना वयाखयान तयार कर लता ह और वफर ककषा म छातरो क समपमख अ ना वयाखयान

परसतत कर दता ह वशकषक यवद आिशयक समझता ह तो परकरण क स षटीकरण हत वयाखयान क बीच

बीच म दवनक जीिन स समपबिवित कछ उदाहरण री परसतत कर दता ह

गण ि दोष

गण

1 आवरथक िवषट स यह विवि उ योगी ह इस विवि दवारा वशकषण करन स समय एिम िन दोनो की

बचत होती ह

2 यह अतयित सरल विवि ह इस विवि क परयोग क वलए वशकषक को वकसी विशष तयारी की

आिशयकता नही होती ह

3 यह विवि उचच ककषा क छातरो क वलए उ योगी ह

दोष

1 यह अमनोिजञावनक विवि ह

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2 इस विवि दवारा छातरो को विजञान जस परायोवगक विषय को समझन म कवठनाई होती ह वशकषण क

दौरान छातर ककषा म वनवषटिय शरोता क र म बठ रहत ह अतः छातरो को सियि करक सीखन क

अिसर नही परापत होत ह

3 इस विवि दवारा छातरो म िजञावनक िवषटकोण का विकास नही होता ह

4 यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

5 इस विवि दवारा सीखा गया जञान सरायी नही होता ह

अभयास परशन

3 यह एक वशकषक कवनित विवि ह (सतय असतय )

4 वयाखयान विवि क कोई दो दोष वलवखए

332 परदियन तिति

विजञान वशकषण क कषतर म परदशथन विवि एक अतयित महति णथ विवि ह इस विवि म वशकषक वकसी परकरण

क सदधािवतक कष को अविक स षट करन ि उसकी सतयता की जािच करन हत ककषा म छातरो क सार

परयोग परदशथन करता ह परयोग परदशथन क मधय म वशकषक छातरो स परशन करता रहता ह छातर री वशकषक

क सामन अ न परशन रखत जात ह और आिशयकता ड़न र वशकषक छातरो क परशनो का उततर दता रहता

ह अतः परदशथन विवि म वशकषण क समय वशकषक परयोग परदशथन करता जाता ह और छातर परयोग परदशथन

का वनरीकषण करत हए निीन जञान परापत करत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

इस विवि को विजञान वशकषण हत वकस परकार परयोग करना चावहय इसको हम एक उदाहरण की सहायता

स स षट कर सकत ह मान लीवजय वशकषक छातरो को यह वनयम बताना चाहता ह वक िात अमपल क सार

विया करक लिण बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह तो इस वनयम को

समझान क वलए वशकषक छातरो क समपमख सियि परयोग परदशथन करक छातरो दवारा परयोग को सियि दखकर

इस वनयम को समझन हत परोतसावहत करता ह सबस हल वशकषक छातरो स परशन करता ह - वजिक िात ह

या अिात छातर उततर दत ह ndashवजिक एक िात ह बताइय सलफ़यररक अमपल का रासायवनक सतर कया ह

छातर नः उततर दत ह - H2SO4 अब वशकषक छातरो स कहता ह- वक आइय एक परयोग करक दखत ह

वक जब वजिक कवणकाओ ि र िीर ndashिीर सलफ़यररक अमपल डाला जाता ह तो कया होता ह अब वशकषक

ककषा म परयोग परदशथन करता ह एिम छातर धयान िथक परयोग का वनरीकषण करत ह ककषा म वशकषक परयोग

क दौरान जब एक बीकर म वजिक कवणकाओ ि को लकर उन र िीर ndashिीर सलफ़यररक अमपल डालता ह

तो बीकर म बलबल वनकलन लगत ह छातर वशकषक को बतात ह वक बीकर स कछ बलबल वनकल रह

ह एक छातर वशकषक स छता ह- य बलबल वकस कारण वनकल रह ह वशकषक इन बलबलो क ास

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जलती हई मोमबतती ल जाता ह जस ही बलबलो क ास जलती हई मोमबतती हचती ह ॉ की

आिाज़ क सार बलबलो क र म वनकल रही हाइरोजन गस जलन लगती ह अब वशकषक छातरो को

बताता ह वक इस परयोग क दौरान बीकर म य बलबल हाइरोजन गस क बिनन क कारण वनकल रह ह

अित म वशकषक इस परयोग को समीकरण क र म शयाम टट र वलख दता ह-

Zn + H2SO4 rarr ZnSO4 + H2uarr

वजिक सलफ़यररक अमपल वजिक सलफि हाइरोजन गस

(िात ) (अमपल) (लिण)

इस परकार परदशथन विवि म छातर वशकषक दवारा वकय गय परयोग परदशथन को सियि दखकर सीखत ह छातरो

को वशकषक दवारा वकय गय परयोग स स षट हो जाता ह वक -िात अमपल क सार विया करक लिण बनाती

ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह

गण ि दोष

गण

i इस विवि म वशकषक तरा छातर दोनो सविय रहत ह

ii यह विवि छोिी ककषाओ ि क वलए अविक उ यकत ह

iii इस विवि म वशकषक दवारा वकय गय परयोग परदशथन को छातर सियि दखकर सीखत ह

iv इस विवि दवारा छातरो म वनरीकषणतकथ एिम वचितन शवकत का विकास होता ह

v इस विवि दवारा परापत जञान अविक सरायी होता ह

दोष

i यह विवि बड़ी ककषाओ ि क वलए उ यकत नही ह

ii इस विवि दवारा छातरो को सियि परयोग करक सीखन क अिसर परापत नही होत ह

iii इस विवि म परयोग परदशथन क दौरान सरी छातर ठीक परकार स परयोग का वनरीकषण नही करत ह

iv करी करी वशकषक दवारा यवद वकसी कारणिश परयोग सफल नही होता ह तो छातरो क मन म विषय क

परवत कई भािवतयाि दा हो जाती ह

अभयास परशन

5 परदशथन विवि क कोई दो गण वलवखए

6 परदशथन विवि क कोई दो दोष वलवखए

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333 आगमन-तनगमन तिति

आगमन तिति इस विवि म परतयकष अनरिो उदाहरणो तरा परयोगो दवारा छातरो स सामानय वनयमो

को वनकलिाया जाता ह दसर शबदो म हम कह सकत ह वक इस विवि म उदाहरणो को दकर वनयम का

स षटीकरण वकया जाता ह इस विवि का परयोग करत हए वशकषक छातरो क अनरि कषतर स ही उनह

विवरनन उदाहरणो को दकर उनस वनरीकषण रीकषण एिम सोच विचार कराकर सामानय वनयम या

वसदधानत को वनकलिाता ह इस विवि म विवशषट स सामानय की ओर सरल स सकषम की ओर ि परतयकष

स परमाण की ओर आवद वशकषण सतरो का परयोग वकया जाता ह इस विवि दवारा कयोवक सामानय वनयमो

की खोज की जा सकती ह अतः वशकषक दवारा परसतत वकय गय उदाहरण छातरो क मानवसक सतर क

अनकल होन चावहय

इस तिति का उपयोग कस कर

इस विवि को विजञान वशकषण हत वकस परकार परयोग करना चावहय इसको हम एक उदाहरण की सहायता

स स षट कर सकत ह मान लीवजय वशकषक छातरो को यह वनयम बताना चाहता ह वक िात अमपल क सार

विया करक लिण बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह तो इस वनयम को

समझान हत वशकषक छातरो को परयोगशाला म सियि रीकषण करक वनयम को सीखन क वलए परोतसावहत

करता ह सबस हल वशकषक छातरो स परशन करता ह -बताइय वजिक िात ह या अिात छातर उततर दत ह ndash

वजिक एक िात ह अब वशकषक छातरो स कहता ह- वक परयोग करक बताइय वक जब वजिक कवणकाओ ि र

िीर ndashिीर सलफ़यररक अमपल डाला जाता ह तो कया होता ह छातर परयोगशाला म सियि परयोग करत ह

और यह ात ह वक परयोग क दौरान जब एक बीकर म वजिक कवणकाओ ि को लकर उन र िीर ndashिीर

सलफ़यररक अमपल डाला जाता ह तो बीकर म बलबल वनकलन लगत ह छातर वशकषक को वदखात ह वक

यह परयोग करन र बीकर स कछ बलबल वनकल रह ह अब वशकषक छातरो को इन बलबलो क ास

जलती हई मोमबतती ल जान क वलए कहता ह जब छातर इन बलबलो क ास जलती हई मोमबतती ल

जात ह तो ॉ की आिाज़ क सार बलबलो क र म वनकल रही हाइरोजन गस जलन लगती ह

वशकषक छातरो स छता ह ndash बताइय इस परयोग क दौरान बीकर म य बलबल वकस गस क बिनन क कारण

वनकल रह ह छातर उततर दत ह - हाइरोजन गस अब अित म वशकषक इस परयोग को समीकरण क र म

शयाम टट र वलख दता ह-

Zn + H2SO4 rarr ZnSO4 + H2uarr

वजिक सलफ़यररक अमपल वजिक सलफि हाइरोजन गस

(िात ) (अमपल) (लिण)

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इस परकार आगमन विवि म छातर सियि परयोग करक सीखत ह छातरो को सियि क परयोग स स षट हो जाता

ह वक -िात अमपल क सार विया करक लिण बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती

गण ि दोष

गण

1 यह एक मनोिजञावनक विवि ह

2 यह छातर कवनित विवि ह

3 इस विवि दवारा छातरो को निीन जञान को खोजन का अिसर वमलता ह वजसस छातरो म

अनसनिान की परिवतत का विकास होता ह

4 यह विवि छातरो को सियि करक सीखन र बल दती ह

5 इस विवि दवारा सीखा गया जञान अविक सरायी होता ह कयोवक छातर इस विवि म सियि करक

सीखत ह

6 यह विवि छोिी ककषा क छातरो क वलए अविक उ योगी ह

7 यह विवि वयािहाररक जीिन क वलए अविक उ योगी ह

दोष

1 इस विवि दवारा सीखन म समय एिम शरम अविक लगता ह

2 इस विवि दवारा किल सामानय वनयमो की खोज की जा सकती ह

3 यह विवि हमार विददालयो की रमप रागत ककषाओ ि क अनकल नही ह कयोवक इस विवि म

वयवकतगत वशकषण र जोर दना ड़ता ह

तनगमन तिति

वनगमन विवि म हम वनयम स उदाहरण की ओर चलत ह इस विवि म छातरो को सियि करक सीखन क

अिसर नही वमलत ह यह विवि आगमन विवि क एकदम वि रीत ह इस विवि म वशकषक दवारा वकसी

सामानय वनयम या वसदधानत को छातरो क समकष परसतत कर वदया जाता ह और वफर वशकषक उस वनयम

की सतयता की जाच या वषट क वलए विवरनन उदाहरणो का परयोग करता ह वनगमन विवि म हम

सामानय स विवशषट की ओर सकषम स सरल की ओर ि परमाण स परतयकष की ओर आवद वशकषण सतरो का

परयोग करत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

मान लीवजय वशकषक छातरो को यह वनयम बताना चाहता ह वक िात अमपल क सार विया करक लिण

बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह तो वनगमन विवि म वशकषक इस वनयम को

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 124

छातरो क समकष सियि परसतत कर दता ह और वफर कछ उदाहरणो की सहायता स उस वनयम की सतयता

की जािच करता ह सबस हल वशकषक छातरो स परशन करता ह -बताइय वजिक िात ह या अिात छातर

उततर दत ह ndashवजिक एक िात ह अब वशकषक छातरो क समकष वनयम को सियि परसतत करता ह वक- िात

अमपल क सार विया करक लिण बनाती ह तरा इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह इसको

हम एक उदाहरण की सहायता स स षट कर सकत ह जब वजिक कवणकाओ ि र िीर - िीर सलफ़यररक

अमपल डाला जाता ह तो लिण क र म हम वजिक सलफि परापत होता ह तरा सार ही इस अवरविया म

हाइरोजन गस वनकलती ह समीकरण क र म इस हम वनमपन परकार परदवशथत कर सकत ह -

Zn + H2SO4 rarr ZnSO4 + H2uarr

वजिक सलफ़यररक अमपल वजिक सलफि हाइरोजन गस

(िात ) (अमपल) (लिण)

अब इस वनयम को अविक स षट करन हत तरा इसकी सतयता की जािच हत वशकषक कछ अनय उदाहरण

छातरो क समकष परसतत करता ह ndashछातरो वजस परकार वजिक जो वक एक िात ह सलफ़यररक अमपल क सार

विया करक लिण बनाता ह एिम इस अवरविया म हाइरोजन गस वनकलती ह ठीक इसी परकार

सोवडयम री जो वक एक िात ह काबोवनक अमपल क सार विया करक लिण बनाता ह तरा इस

अवरविया म री हाइरोजन गस वनकलती ह इस अवरविया को हम समीकरण क र म वनमपन परकार

परदवशथत कर सकत ह ndash

2 Na+ H2CO3 rarr Na2CO3 + H2uarr

सोवडयम काबोवनक अमपल सोवडयम काबोनि हाइरोजन गस

(िात ) (अमपल) (लिण)

गण ि दोष

गण

1 यह विवि उचच ककषा क छातरो वलए अविक उ योगी ह

2 इस विवि दवारा कम समय म अविक जञान परापत वकया जा सकता ह

दोष

1 यह विवि अमनोिजञावनक ह

2 यह वशकषक कवनित विवि ह

3 इस विवि म छातर ककषा म वनवषटिय शरोता क र म बठ रहत ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 125

4 यह विवि छातरो म िजञावनक िवषटकोण का विकास नही करती ह

5 यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

6 इस विवि म छातरो को सियि करक सीखन क अिसर नही वमलत ह अतः सीखा गया जञान

सरायी नही होता ह

स षट ह वक आगमन तरा वनगमन विविया दोनो ही एक दसर की रक ह छातरो को िासतविक जञान दन क

वलए जहा एक ओर आगमन विवि दवारा वनयमो को परवत ावदत करना आिशयक ह िही वनगमन विवि क

दवारा परवत ावदत वकय गय वनयम की सतयता की जािच री आिशयक ह अतः सफल विजञान वशकषण क

वलए विजञान वशकषक को दोनो विवियो का स षट जञान होना चावहए तरा दोनो विवियो को एक दसर की

रक विवि क र म यरा समय उवचत परयोग करना आना चावहए

अभयास परशन

7 आगमन तरा वनगमन विविया दोनो ही एक दसर की रक विविया ह (सतय असतय )

8 वनगमन विवि म हम उदाहरण स वनयम की ओर चलत ह (सतय असतय )

9 इस विवि म विवशषट स सामानय की ओर सरल स सकषम की ओर ि परतयकष स परमाण की ओर

आवद वशकषण सतरो का परयोग वकया जाता ह (सतय असतय )

10 आगमन विवि क कोई दो गण वलवखए

11 वनगमन विवि क कोई दो दोष वलवखए

334 तिशलषण-सशलषण तिति

तिशलषण तिति

विशलषण शबद का अरथ ह - वकसी णथ िसत को उसक छोि-छोि रागो म विरकत करना अराथत वकसी

समसया को हल करन क वलए उस ऐस छोि छोि खणडो म विरावजत करना वजनको नः सिगवठत करक

समसया का हल वकया जा सक यह एक ऐसी वशकषण विवि ह वजसम हम अजञात स जञात की ओर

वनषटकषथ स अनमान की ओर तरा णथ स अिश की ओर चलत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

उदाहरण क वलए वशकषक छातरो क सामन ldquoअमपल कषार एिम लिणrdquo क परतयय को परसतत करता ह

वशकषक छातरो क परशनो क उततर हा या नही म दता ह इस विवि म कयोवक हम णथ स अिश की ओर चलत

ह अतः वशकषक सबस हल छातरो को लिण क विषय म समझाता ह वक लिण वकस कहत ह यह वकस

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 126

परकार बनता ह इसक शचात िह अमपल एिम कषार क विषय म छातरो को समझाता ह वक अमपल और

कषार वकनह कहत ह

वशकषक छातरो क समपमख हमार घरो म खान म परयोग वकय जान िाला नमक परसतत करता ह अब िह

छातरो स छता ह वक आ क समपमख जो सफ़द रिग का दारथ परसतत वकया गया ह इसको चखकर

हचावनए की यह कया ह एक छातर नमक को चखकर बताता ह वक यह नमक ह वशकषक छातर क सही

उततर की वषट करता ह और कहता ह वक आ का जिाब सही ह यह नमक ही ह वजस हम अ न घरो म

खान की चीज़ो म नमकीन सिाद दन क वलए परयोग करत ह वशकषक छातरो स छता ह वक कया आ

जानत ह रसायन विजञान की राषा म नमक को कया कहा जाता ह इस परशन र छातर वनरततर हो जात ह

अब वशकषक छातरो को स षट करता ह की रसायन विजञान की राषा म नमक को लिण कहा जाता ह तरी

एक छातर परशन करता ह की लिण कया ह इस र वशकषक छातर क परशन का उततर दता ह और बताता ह वक

लिण िह यौवगक ह जो वकसी अमपल क एक या अविक हाइरोजन आयन को वकसी कषार क एक एक या

अविक िनायन स परवतसराव त करन र बनता ह

जस सोवडयम कलोराइड हाइरोकलोररक अमपल क हाइरोजन आयन को सोवडयम हाइरोकसाइड क

सोवडयम आयन दवारा परवतसराव त करन स बनता ह वशकषक वनमपन समीकरण को शयाम टट र वलख दता

ह -

NaOH + HCl rarr NaCl + H2O

सोवडयम हाइरोकसाइड हाइरोकलोररक अमपल सोवडयम कलोराइड

( कषार ) (अमपल ) (लिण) (जल)

अब इस उदाहरण को धयान म रखत हए वशकषक की उ वसरवत म छातर परयोगशाला म सियि रीकषण

करक दखत ह वक वकस परकार अमपल ि कषार की विया स लिण बनता ह ि परयोगशाला म समान

आयतन म सोवडयम हाइरोकसाइड तरा हाइरोकलोररक अमपल एक बीकर म लकर दोनो को एक सार

वमलाकर िीर-िीर गरम करत ह ऐसा करन र ि दखत ह वक कछ समय बाद जल क सार सफ़द

विसिल क र म एक दारथ परापत होता ह वशकषक इस दारथ को दखकर छातरो को बताता ह वक यह

सफ़द विसिलीय दारथ जो आ को परापत हआ ह यही सोवडयम कलोराइड ह जो वक एक लिण ह अब

वशकषक नः परशन करता ह वक कया आ जानत ह वक लिण वजनकी अवरविया क फलसिर बना ह

अराथत अमपल और कषार ि कया होत ह छातर नः वनरततर हो जात ह वशकषक अब स षट करत हए

बताता ह वक अमपल एक ऐसा दारथ ह जो हाइरोजन आयन दता ह जस- HCl H2SO4 आवद जबवक

कषार एक ऐसा दारथ ह जो हाइरोजन आयन लता हजस ndash NaOH KOH आवद सोवडयम कलोराइड

क वनमाथण हत आ न परयोगशाला म हाइरोकलोररक अमपल ि सोवडयम हाइरोकसाइड परयोग वकय जोवक

िमशः अमपल ि कषार ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 127

गण ि दोष

गण

1 यह एक मनोिजञावनक विवि ह

2 यह विवि खोज की एक विवि ह

3 यह विवि छातरो म मौवलक वचितन एिम विचार को परोतसावहत करती ह

4 यह विवि अरथ णथ सीखन को परोतसावहत करती ह

5 इस विवि दवारा छातर सविय रहत हए जञान परापत करत ह

6 यह विवि सियि करक सीखन र बल दती ह

7 इस विवि दवारा सीखा गया जञान अविक सरायी होता ह और यवद छातर कछ रल री जाय तो उस नः

आसानी स याद वकया जा सकता ह

8 इस विवि दवारा छातर म तकथ शवकत तरा सही ढिग स वनणथय लन की आदत का विकास होता ह

दोष

1 यह अविक लमपबी विवि ह इसम समय ि शरम अविक लगता ह

2 यह विवि सरी परकरणो क वलए उ यकत नही ह

3 परतयक वशकषक दवारा इस विवि का परयोग नही वकया जा सकता ह इसक परयोग हत उवचत परवशकषण

की आिशयकता ह

4 यह विवि सरी छातरो क वलए उ यकत नही ह औसत स वनमपन बवदध सतर िाल छातर इस विवि दवारा

सही स नही सीख ात

सशलषण तिति

सिशलषण विवि विशलषण विवि क वबलकल वि रीत ह सिशलषण का अरथ ह- वकसी िसत क छोि - छोि

खणडो को न एकवतरत कर दना वजनम वक उस करी विरकत वकया गया रा इस विवि म हम वकसी

समसया का हल करन क वलए उस समसया स सिबिवित िथ जञात सचनाओ ि को एक सार वमलाकर उस

समसया को हल करन का परयतन करत ह यह एक ऐसी वशकषण विवि ह वजसम हम जञात स अजञात की

ओर अनमान स वनषटकषथ की ओर तरा अिश स णथ की ओर चलत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

उदाहरण क वलए वशकषक छातरो क सामन ldquoअमपल कषार एिम लिणrdquo क परतयय को परसतत करता ह

वशकषक छातरो क परशनो क उततर हा या नही म दता ह इस विवि म कयोवक हम अिश स णथ की ओर चलत

ह अतः वशकषक सबस हल छातरो को अमपल एिम कषार क विषय म समझाता ह वक अमपल और कषार

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 128

वकनह कहत ह इसक शचात िह लिण क विषय म छातरो को समझाता ह वक लिण वकस कहत हऔर

यह वकस परकार बनता ह

वशकषक छातरो स छता ह वक आ न करी नीब का सिाद चखा ह यह कसा होता ह एक छातर उततर

दता ह हा नीब का सिाद खटटा होता ह वशकषक नः परशन करता ह कोलड वरिक का सिाद कसा होता ह

छातर उततर दत ह ndash रोड़ा कड़िा वशकषक छता ह ndashकया आ जानत ह नीब का सिाद खटटा और कोलड

वरिक का सिाद रोड़ा कड़िा वकस कारण होता ह एक छातर उततर दता ह नीब का सिाद अमपल की िजह

स खटटा होता ह और कोलड वरिक का सिाद कषार क कारण कड़िा होता ह वशकषक परशन करता ह की कया

आ जानत ह अमपल और कषार वकनह कहत ह छातर वनरततर हो जात ह तब वशकषक स षट करता ह वक

अमपल एक ऐसा दारथ ह जो हाइरोजन आयन दता ह जस- HCl H2SO4 आवद जबवक कषार एक ऐसा

दारथ ह जो हाइरोजन आयन लता हजस ndash NaOH KOH आवद अब वशकषक छातरो क समपमख

हमार घरो म खान म परयोग वकय जान िाला नमक परसतत करता ह अब िह छातरो स छता ह वक आ क

समपमख जो सफ़द रिग का दारथ परसतत वकया गया ह इसको चखकर हचावनए की यह कया ह एक छातर

नमक को चखकर बताता ह वक यह नमक ह वशकषक छातर क सही उततर की वषट करता ह और कहता ह

वक आ का जिाब सही ह यह नमक ही ह वजस हम अ न घरो म खान की चीज़ो म नमकीन सिाद दन

क वलए परयोग करत ह वशकषक छातरो स छता ह वक कया आ जानत ह रसायन विजञान की राषा म

नमक को कया कहा जाता ह इस परशन र छातर वनरततर हो जात ह अब वशकषक छातरो को स षट करता ह

की रसायन विजञान की राषा म नमक को लिण कहा जाता ह तरी एक छातर परशन करता ह की लिण

कया ह इस र वशकषक छातर क परशन का उततर दता ह और बताता ह वक लिण िह यौवगक ह जो वकसी

अमपल क एक या अविक हाइरोजन आयन को वकसी कषार क एक एक या अविक िनायन स परवतसराव त

करन र बनता ह

जस सोवडयम कलोराइड (लिण) हाइरोकलोररक अमपल (अमपल ) क हाइरोजन आयन को सोवडयम

हाइरोकसाइड ( कषार ) क सोवडयम आयन दवारा परवतसराव त करन स बनता ह वशकषक वनमपन समीकरण

को शयाम टट र वलख दता

ह -

NaOH + HCl rarr NaCl + H2O

सोवडयम हाइरोकसाइड हाइरोकलोररक अमपल सोवडयम कलोराइड

( कषार ) (अमपल ) (लिण) (जल)

गण ि दोष

गण

1 यह एक सिवकषपत विवि ह

2 यह एक तावकथ क विवि ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 129

3 इस विवि म समय एिम शरम की बचत होती ह

4 इस विवि म हल स खोज गय तथयो को वयिवसरत तरीक स परसतत वकया जाता ह

5 यह विवि अविकािश छातरो क वलए उ यकत ह

दोष

1 यह एक अमनोिजञावनक विवि ह

2 इस विवि म छातर ककषा म एक वनवषटिय शरोता क र म बठा रहता ह

3 इस विवि म छातरो को सियि करक सीखन क वलए कोई सरान नही वदया जाता ह

4 इस विवि दवारा सीखा गया जञान अविक सरायी नही होता ह अतः यवद छातर कछ रल जाय तो

उस याद कर ाना छातर क वलए सिरि नही ह

5 यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

6 इस विवि म खोज क वलए कोई सरान नही होता ह

उ रोकत दोनो विविया एक दसर की रक ह दोनो विवियो म अ न कछ गण ह तो कछ दोष री ह इन

दोनो विवियो को सियकत र म परयोग करक विजञान वशकषण को पररािशाली बनाया जा सकता ह

कयोवक ऐसा करन र एक विवि क गण दसरी विवि क दोषो को सियि दर कर दत ह अतः जो विजञान

वशकषक विशलषण विवि दवारा छातरो म वकसी समसया को हल करन की अितिथवषट दा कर सकता ह िही

वशकषक सिशलषण विवि का परयोग एक रक विवि की तरह करक सफल विजञान वशकषण कर सकता ह

अभयास परशन

12 विशलषण एिम ________ दोनो विविया एक दसर की_________ह

13 _______ विवि म हम अजञात स जञात की ओर वनषटकषथ स अनमान की ओर तरा णथ स अिश

की ओर चलत ह

14 __________हम जञात स अजञात की ओर अनमान स वनषटकषथ की ओर तरा अिश स णथ की

ओर चलत ह

15 विशलषण विवि क कोई दो दोष वलवखए

16 सिशलषण विवि क कोई दो गण वलवखए

335 परोिकट तिति

परोजकि विवि क जनमदाता जॉन डीिी क वशषटय डबल एच वकल वरक ह वकल वरक क अनसार ndash

ldquoपरोजकि िह कायथ ह वजस री लगन क सार सामावजक िातािरण म णथ वकया जाता ह rdquo इस विवि

म ढाई का क ि परोजकि ही होता ह परोजकि विवि म छातर वकसी समसया क समािान क वलए वकसी

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 130

उवचत परोजकि का चयन करक ि योजनाबदध तरीक स कायथ करक परोजकि को रा करन का परयास

करत ह अतः हम कह सकत ह वक ldquoकरक सीखनाrdquo ही परोजकि विवि का सार ह परोजकि विवि स

वशकषण करन क वलए वशकषक तरा छातरो को वनमपन छह सो ानो का अनसरण करना ड़ता हndash

ररवसरवत उत नन करना

परोजकि का चयन करना

कायथिम बनाना

कायथिम क अनसार कायथ करना

कायथ का मलयािकन करना

समप णथ कायथ का ररकॉडथ रखना

i पररतसरति उतपनन करना - सबस हल वशकषक छातरो क सामन ऐसी ररसरवत उत नन करता ह

वक छातर क समपमख कोई समसया आय या िह वकसी आिशकता को सियि अनरि कर इस

समसया का समािान करना या आिशयकता की वतथ करना ही छातर को परोजकि चनन क वलए

परररत करता ह

ii परोिकट का चयन करना - दसर सो ान म छातर दवारा अ न वशकषक क सार ि ककषा क अनय

सावरयो क सार चचाथ ररचचाथ करक परोजकि का चयन कर वलया जाता ह तरा इस परोजकि क

उददशय री स षट कर वलए जात ह परोजकि को रा करन क वलए अराथत समसया का समािान

करन क वलए परतयक छातर को अ नी योजना परसतावित करन की णथ सितितरता होती ह

iii काययिम बनाना - तीसर सो ान म वशकषक की उवचत दख रख म परोजकि क मागथ म आन

िाली रशावनयो उ लबि सिसािनो वकय जान िाल विविि कायो आवद र चचाथ करक एक

कायथिम बना वलया जाता ह कायथिम ऐसा बनाया जाता ह वक ककषा का परतयक छातर उस णथ

करन म अ ना सहयोग कर सक

iv काययिम क अनसार कायय करना - सरी छातरो को उनकी योगयता एिम सामथयथ क अनसार

ही कायथ वदया जाता ह कायथिम बन जान क शचात सरी छातर अ न उततरदावयति को रली

परकार रा करत ह अ न कायथ को समप ावदत करन हत यवद छातरो को निीन जञान गरहण करन

की आिशयकता होती ह तो ऐस म वशकषक अ न अनरि क आिार र छातरो को निीन जञान

गरहण करन म सहायता करता ह

v कायय का मलयाकन करना - इस सो ान म समय समय र विचार गोषठी का आयोजन करक

कायथ का मलयाङकन वकया जाता ह सार ही कायथिम क विवरनन वियाकला ो र विचार

करक उनम आिशयकतानसार सिशोिन री वकया जाता ह परोजकि क रा हो जान र यह री

दखा जाता ह वक उददशयो की वतथ म कहा तक सफलता वमली ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 131

vi समपणय कायय का ररकॉडय रखना - छातरो दवारा परोजकि क चनाि स लकर उसक रा हो जान

तक सार कायो का ररकॉडथ रखा जाता ह छातर अ न कायो क बार म रवजसिर म वलखत जात ह

परोजकि को रा करन म जो कवठनाइया सामन आयी जो कवमयाि उनक कायथ म रह गयी ि जो

री निीन जञान इस परोजकि क दौरान उनह परापत हआ उनह छातर नोि कर लत ह

इस तिति का उपयोग कस कर

उदाहरण क वलए मान लीवजय कोई वशकषक अ न विददालय म विजञान सिगरहालय बनिाना चाहता ह ऐस

म िह छातरो को सीि कोई आदश ना दकर विजञान सिगरहालय की आिशयकता अनरि करान हत छातरो

को वकसी विजञान सिगरहालय क शवकषक भमण र ल जाता ह शवकषक भमण क दौरान छातरो को अनरि

होता ह वक उनक विददालय म री विजञान सिगरहालय जस विजञान क नमन मॉडल उ करण इतयावद होन

चावहए विजञान सिगरहालय स िाव स आन क शचात एक गोषठी का आयोजन वकया जाता ह जहा र

छातर अ न- अ न परसताि रखत ह विददालय म कोई छातर विददत घििी लान की बात कहता ह तो कोई

छातर रौवतक तला बनाकर लान की बात कहता ह अित म विचार विमशथ क बाद एक योजना सिीकार

कर ली जाती ह वक विददालय म ही छातरो दवारा एक विजञान सिगरहालय बनाया जायगा योजना को रा

करन क वलए विचार विमशथ करक एक कायथिम बनाया जाता ह सरी छातर अ नी अ नी रवच और

सामथयथ क अनसार विवरनन कायथ हार म ल लत ह और अ न-अ न कायथ को उतसाह क सार रा करन

म जि जात ह जस - कोई छातर वयय का वहसाब वकताब रखता ह कोई छातर विजञान क नमन खरीद कर

लान की वजमपमदारी लता ह कोई िजञावनक उ करणो को लान की वजमपमदारी लता ह तो कोई विजञान

का कोई मॉडल बना कर लान की वजमपमदारी लता ह कायथ को सफलता िथक समप ावदत करन क वलए

आिशयकता ड़न र वशकषक छातरो को उवचत रामशथ एिम सहायता री दता ह समय-समय र

वशकषक एिम छातर वमलकर कायथिम का मलयाङकन करत हतरा यह दखत ह की उददशय की परावपत कहा

तक हई ह यवद ि अनरि करत ह की कायथिम म कही कोई कमी रह गयी ह तो आिशयकतानसार

अ न कायथिम म सिशोिन री करत ह छातर अ न कायो क बार म रवजसिर म वलखत जात ह परोजकि

क चयन स लकर परोजकि रा होन तक परोजकि को रा करन म जो कवठनाइया सामन आयी जो

कवमयाि उनक कायथ म रह गयी ि जो री निीन जञान इस परोजकि क दौरान उनह परापत हआ उनह छातर नोि

कर लत ह

गण ि दोष

गण

1 यह एक मनोिजञावनक विवि ह

2 इस विवि म छातर सियि करक सीखत ह

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उततराखणड मकत विशवविदयालय 132

3 इस विवि दवारा परापत जञान अविक सरायी होता ह

4 इस विवि दवारा छातरो म िजञावनक िवषटकोण का विकास होता ह

5 इस विवि दवारा छातरो म उततरदावयति की रािना कतथवयवनषठासहयोग की रािना ियथ आवद

सामावजक गणो का विकास होता ह

दोष

1 इस विवि म अविक िन वयय होता ह तरा वकसी री परोजकि को रा करन क वलए अविक

समय की आिशयकता होती ह

2 इस विवि क परयोग हत परवशवकषत एिम योगय वशकषको की आिशयकता होती ह वजनका

वनतानत अराि ह

3 इस विवि दवारा जञान िमबदध तरीक स परापत नही होता ह

4 वनवशचत ाठयिम को इस विवि की सहायता स रा करना कवठन ह

अभयास परशन

17 परोजकि विवि क जनमदाता _______क वशषटय _______ह

18 ________ही परोजकि विवि का सार ह

19 परोजकि विवि स वशकषण करन क वलए वशकषक तरा छातरो को वजन सो ानो का अनसरण

करना ड़ता ह उन सरी सो ानो को वलवखए

34 उपयकत वशकषण वववधयो का चयन पररािशाली विजञान वशकषण हत विजञान वशकषण की विवरनन विवियो म स वकसका परयोग वकया जाय

वकसी परकरण विशष क वलए कौन सी वशकषण विवि सिोततम होगी इस परकार क बहत सार परशन वशकषक

क मन मवसतषटक म आत रहत ह परायःपरतयक विवि क अ न गण ि दोष होत ह इसवलय वकसी एक

विवि को अचछा और दसरी विवि को ख़राब कहना उवचत नही होगा िासति म विजञान वशकषण की

वकसी री एक ही विवि को सिोततम नही कहा जा सकता ह बवलक विजञान वशकषण हत एक स अविक

विवियो को रक क र म परयोग करक विजञान वशकषण को अविक पररािशाली बनाया जा सकता ह

विजञान वशकषण हत उ यकत वशकषण विवि का चयन मखय र स वनमपन बातो र वनरथर करता ह ndash

i वशकषक की योगयता विषय का जञान ि अनरि

ii परकरण को ढ़ान का उददशय कया ह

iii परकरण का सिर

iv छातरो की आय ि मानवसक सतर

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 133

उ रोकत बातो को धयान म रखत हए वशकषक दवारा विजञान वशकषण हत चाह वकसी री वशकषण विवि का

चयन वकया जाय वकनत एक उ यकत वशकषण विवि िासति म िही ह -वजसक दवारा छातरो को विषय सही

स समझ म आ सक वजसम उनह सियि करक सीखन क अिसर वमल सक वजसम उनको अ न विचार

सितितरता िथक वयकत करन क अिसर वमल सक तरा अ नी समसयाओ ि का समािान करन क अिसर

वमल सक

अभयास परशन

20 विजञान वशकषण हत उ यकत वशकषण विवि का चयन मखय र स वकन बातो र वनरथर करता

ह वलवखए

35 सारााश वशकषण विविया वशकषक का मागथ दशथन करती ह वजस परकार स सही रासत की जानकारी क अराि म

कोई वयवकत अ न गितवय सरान तक नही हच सकता ह ठीक उसी परकार वशकषक एक उवचत वशकषण

विवि की जानकारी क अराि म अ न छातरो को विषय का सही जञान नही द सकता ह

सािारणतया वकसी री विषय क वशकषण स हल यह दखा जाता ह वक इस विषय को कयो ढाया जाय

इसी बात को धयान म रखत हए उस विषय क वशकषण उददशय वनिाथररत वकय जात ह वशकषण उददशय

वनिाथररत करन क शचात यह दखा जाता ह वक वकन वशकषण विवियो क माधयम स वशकषण कायथ वकया

जाय वजसस वक वशकषण क उददशय परापत हो जाय विवरनन अधययनो एिम रीकषणो दवारा यह वनवशचत कर

वलया गया ह वक रौवतक विजञान क पररािशाली वशकषण हत कौन-कौन सी वशकषण विविया उ यकत ह

इस इकाई म हमन विजञान वशकषण की विवरनन विवियो क विषय म तरा पररािशाली ककषा वशकषण हत

इन विवियो को वकस परकार परयोग वकया जाना चावहए इसक विषय म विसतार िथक चचाथ की ह

वशकषक दवारा विजञान वशकषण हत चाह वकसी री वशकषण विवि का चयन वकया जाय वकनत एक उ यकत

वशकषण विवि िासति म िही ह -वजसक दवारा छातरो को विषय सही स समझ म आ सक वजसम उनह सियि

करक सीखन क अिसर वमल सक वजसम उनको अ न विचार सितितरता िथक वयकत करन क अिसर

वमल सक तरा अ नी समसयाओ ि का समािान करन क अिसर वमल सक

36 शब दाविी 1 तिशलषण वकसी णथ िसत को उसक छोि-छोि रागो म विरकत करना अराथत वकसी समसया

को हल करन क वलए उस ऐस छोि छोि खणडो म विरावजत करना वजनको नः सिगवठत करक

समसया का हल वकया जा सक

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 134

2 सशलषणवकसी िसत क छोि - छोि खणडो को न एकवतरत कर दना वजनम वक उस करी

विरकत वकया गया रा

3 परोिकट परोजकि िह कायथ ह वजस री लगन क सार सामावजक िातािरण म णथ वकया

जाता ह

37 अभ यास परशनो क उत तर 1 असतय

2 सतय

3 सतय

4 इस विवि दवारा छातरो म िजञावनक िवषटकोण का विकास नही होता ह

यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

5 इस विवि म वशकषक तरा छातर दोनो सविय रहत ह

यह विवि छोिी ककषाओ ि क वलए अविक उ यकत ह

6 इस विवि दवारा छातरो को सियि परयोग करक सीखन क अिसर परापत नही होत ह

करी करी वशकषक दवारा यवद वकसी कारणिश परयोग सफल नही होता ह तो छातरो क मन म

विषय क परवत कई भािवतयाि दा हो जाती ह

7 सतय

8 असतय

9 सतय

10 यह एक मनोिजञावनक विवि ह

यह छातर कवनित विवि ह

11 यह विवि रिन की परिवतत को बढ़ािा दती ह

इस विवि म छातरो को सियि करक सीखन क अिसर नही वमलत ह अतः सीखा गया जञान

सरायी नही होता ह

12 सिशलषण रक

13 विशलषण

14 सिशलषण

15 यह अविक लमपबी विवि ह इसम समय ि शरम अविक लगता ह

यह विवि सरी परकरणो क वलए उ यकत नही ह

16 यह एक सिवकषपत विवि ह

यह एक तावकथ क विवि ह

17 जॉन डीिी डबल एच वकल वरक

18 ldquoकरक सीखनाrdquo

भौतिक तिजञान का तिकषणिासतर (भाग I) CPS 7

उततराखणड मकत विशवविदयालय 135

19 ररवसरवत उत नन करना

परोजकि का चयन करना

कायथिम बनाना

कायथिम क अनसार कायथ करना

कायथ का मलयािकन करना

समप णथ कायथ का ररकॉडथ रखना

20 विजञान वशकषण हत उ यकत वशकषण विवि का चयन मखय र स वनमपन बातो र वनरथर करता

ह-

i वशकषक की योगयता

ii विषय का जञान ि अनरि

iii परकरण को ढ़ान का उददशय कया ह

iv परकरण का सिर

v छातरो की आय ि मानवसक सतर

38 सदरथ गरार सची 1 रिनागर डॉ ए बी एिम रिनागर डॉ अनराग 2006 वफवजकल साइिस वशकषण आर लाल

वबलकशनस मरठ

2 नगी परो ज एस 2013 रौवतक विजञान वशकषण अगरिाल वबलकशनस आगरा

3 माहशवरी िी क एिम माहशवरी सिा 2005 विजञान वशकषण आर लाल वबलकशनस मरठ

4 httpwwwpreservearticlescom201105216947a-comparative-study-of-

analytic-and-synthetic-method-of-teaching-mathematicshtml

5 httpswwwcsunedusciencerefreasoningdeductive_reasoningdeductive-

chemistryhtml

39 वनबाधात मक परशन 1 विजञान वशकषण की कौन- कौन सी परमख विविया ह इनम स वकसी एक वशकषण विवि का

विसतार िथक िणथन कीवजय

2 आगमन वनगमन विवि कया ह इस विवि को विजञान वशकषण हत वकस परकार परयोग वकया जाता ह

इस विवि क गण -दोषो की री चचाथ कीवजय

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