dalit capitalism

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Octo. to Dec., 2013 ISSN 2278-3067 Sangharsh/Struggle : Vol. 02, Issue 04 e-Journal of Dalit Literary Studi Page 122 http://dalitsahitya.com/sangharsh/home http://sangharsh.open-journal.com दलित पूजीवाद : एक नया योग लवकास कुमार 1 तावना: 1991 के दौर म भारत ने जजस समय ऄपनी अजथिक नीजतय को पररवजतित जकया । ईसने भारत के अजथिक ढाचे को नए जसरे ‗ईदारीकरण, जनजीकरण तथा वैीकरण‘ संदभि (Liberalisation, Privatisation and Globalisation - L.P.G) के ऱप म ऄपनाकर जव की ऄथियवथा के सम खुले ार नीजत के तहत ऄजधक ईदारता का परचय देते हुए भारतीय लोकतं की जवकास की चाह को पू जीवादी देश के सम रखा । कहा जा सकता है जक कह न कह आस योग ने भारतीय राजनीजतक संकृजत तथा लोक-कयाणकारी राय की संकपना के तहत सामाजजक तथा अजथिक लोकतं को पररभाजषत जकया । ऄभी तक भारत का ऄजभजन तथा सपन वगि ने आस यवथा के ऄनुऱप बाजारमूलक ऄथियवथा के मायम से ऄपने जवकास को थाजपत जकया था । आस बीच नव-ईदारवाद की परपरा ने बाजारमूलक ऄथियवथा को थाजपत कर जदया था, तो लाजमी है दोगीकरण तथा पू जी जवतार का चलन बेगा । जो गरीब तथा जनन वगि की भूजमका पर भी जचह लगाएगा । साथ ही जवकास बनाम गरीबी की संरचना से परजचत करायेगा । जैसे-जैसे पू जीवादी जवकास याा अगे बी । ईसने कइ तरह के संशय पर से पदाि ईठाने का मौका दान जकया दर जजनम से एक मौका था साविजजनक तथा जनजी े म ईच समाज ारा ईपे जत समुदाय को लाभ तथा सपजि आकी करने से रोकने को लेकर । कहा जा सकता है जक ईदारीकरण तथा वैीकरण ने दजलत वगि के सशजिकरण को एक सकारामक जदशा दान की है । वही द सरी तरफ आसने दजलत के सम एक चुनौती भी दान की है दर वह है- संसाधनो का घोर ऄभाव, जाजत तथा ऄपृयता पर अधारत बाजार जवषयक भेदभाव, 2 तथा जनजी े म दजलत के जलए जकस कार अरण नीजत को लागू जकया जाये ताजक दोजगक जगत म ईच जाजतय के साथ कदमताल जमलाया जा सके दर बराबरी का ऄहसास जदलाया जा सके दर यह सपना साकार जहुअ, जजसने कइ पुरातन सवाल को रौद कर रख जदया दर आसकी शु रअत आंजडयन चबर ऑफ कॉमसि एंड आंडरी (जडकी- DICCI) जैसे दोजगक घराने की थापना के ऱप से देखने को जमली, जजसने दजलत पू जीपजतय की सूची को अगे बढाया । आस पर ऄरंधती रॉय का कहना है जक ‗ऄमेरका म ऄेत शजि का ईदय भारत म रैजडकल, गजतशील दजलत अंदोलन के जलए ेरणा का ोत था दर दजलत पथर जैसे संगठन लैक पथर जैसे संगठन की जतजबंबन थे । लेजकन दजलत शजि भी ठीक ईसी तरह नह, पर लगभग ईह तौर-तरीक से दजणपंथी जहंद संगठन दर फोडि फाईंडेशन की खुली मदद से जवभाजजत दर कमजोर कर दी गइ है । यह ऄब दजलत पू ंजीवाद के ऱप म बदलने की ओर ब रही है ।‘ 3 दर जजसका ऱप जदखाइ देने लगा है । दजलत पू जीवाद का जवचार भारत म अज से ही नही बजक आसकी शुरअत बाबा साहेब ऄबेडकर के समय से ही हो चुकी थी । लेजकन आस दौर म बी.अर.ऄबेडकर ने जो योग जकया था वह सफल नही हो पाया था । यह योग या था - आसका वणिन जरर जकया जायेगा । लेजकन एक बात पष है जक दजलत पू जीवाद का जवचार हाल ही के जदन म यादा चजलत होता जदखाइ देने लगा है । आस सबंध म जो बात गौर करने लायक है । वह यह जकअज जो दजलत ईमी ईभर कर सामने अ रहे है, ईसने अरण यवथा के जबना ही ऄपनी जतजथ को दोजगक जगत म एक सफल ईमी के ऱप म दजि की है । नतीजन अज ―दजलत बन रहे पू जीपजत‖ के वर ऄकादजमक, जमजडया तथा राजनीजतक गजलयार म सुनने को जमल जाते है । लेजकन ऄभी यह जवचार ऄपनी पूणि सपूणिता म नही अया है । ऄजपतु ऄगर यह कहा जाए तो आसम कोइ संदेह नही होना चाजहए जक अज दजलत का ऄपना अजथिक सशजिकरण के साथ-साथ वैजक ऄथियवथा के गजलयारे म झाकने के ऄजधकारी बन चुके है यहा हम आसी बात का ऄययन करने की कोजशश करगे जक जकस कार अज एक नए जवचार के ऱप म ―दजलत पू जीवाद‖ रारीय तर ऄपने पैर जमाने म कामयाब हो रहा है । हालाजक समाज के जवजभन गजलयार म ऄलग-ऄलग कार के जवचार रखने वाले लोग पू जीवादी जिया को ऄपने तरीके से परभाजषत करते है, कोइ आसे जवकास के जलये बाधा मानता है तो कोइ आसे कमजोर वगो को समाज के ईन पू जीवादी तपको के बीच मुयधारा म अने के जलये आसे जऱरी मानता है । दर शायद आसी कारणवश भारत का वह ईपेजत वगि जजसे जहद वैजदक काल से लेकर अधुजनक काल तक भी सपजि ऄजजित करने, ईसे बढाने तथा ऄपने मनपसंद के यवसाय चुनने का ऄजधकार तक काफी जदोजेहद के बाद नसीब होता था । लेजकन अजतजथ बदली है । दजलत वगि पू जीवादी साधन को ऄपनाने लगा है, यवसाय करने लगा है, अजथिक संगठन बनाने लगा है, द सर को नौकरी तक देने के काजबल हो रहा है तथा ऄपनी अवाज को बुलंद करने के जलए ईन सभी साधन का योग करने लगा है जो ईनकी मजबूती तथा सशजिकरण को समाज के सामने रखता हो । आस बात को बया करने हेतु ही हम अगे भारत म बते ―दजलत पू जीवाद‖ के जवचार का वणिन तथा आसे जवेजषत करने हेतु कदम बाएंगे ताजक आस नये योग पर काश डाला जा सके । दलित पूजीवाद: एक उदयीमान लवचार दजलत पू जीवाद का जवचार कोइ पुराना जवचार नही है । दरऄसल यह एक अदोलन के ऱप म है जो ऄभी-ऄभी जमा है तथा कइ बार सुनने को जमलता है जक दजलत पू जीवाजदय की ेणी म ऄपना नाम दजि कराने हेतु ईसुक तथा तपर है । नतीजन कइ ओोजगक घरानो से आसके तालुकात बनते नजर अये है । ऄत: अज दजलत ऄपने पारपरक यवसाय तथा सरकारी नौकरी म न जाने के बजाय ईोगपजत बनने के सपने देखने लगे है । दर धरातल पर यह सपना दजलत का पूरा भी हो रहा है । जजसमे हम जमजलंद काबले तथा कपना सरोज जैसे जदगज पू ंजीपजतयो को देख सकते है । 1 लवकास कु मार शोधाथी, दजण एजशयन ऄययन केर, जवाहरलाल नेहर जवजवालय, नइ जदली-110067 मो. +91-9811790262, इ.मेल- [email protected] 2 सुखदेव थोरात (2008),‗जनजी े म अरण नीजत‘, आजतहासबोध काशन: जदली, पृ स- 5 3 देख भारत भूषण ारा ऄरंधती रॉय का अईटलुक म छपा मूल ऄंेजी लेख ‗कै जपटजलम: ए घोट टोरी‖‖ का जहदी- ऄनुवाद ‗पू ंजीवाद एक ेत कथा- भाग तीन‘ समयांतर, मइ- 2012 http://www.samayantar.com/capitalism-a-ghost-story-part-three/

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