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    ِإن اللَه َوَمَالِئَكَتُه ُيَصلوَن َعَلى النِبي . َيا َأيَها الِذيَن آَمُنوا َصلوا َعَلْيِه َوَسلُموا َتْسِليًما (سورة األحزاب 36)

    सफरे मद�ना मनु�वरा (िज़यारत मि�जदे नबवी

    व रौज़ए अक़दस स�ल�लाहु अलै�ह वस�लम)

    डा टर मौलाना मोह#मद नजीब क़ासमी

    www.najeebqasmi.com

  • 2

    All rights reserved सभी अ�धकार लेखक के �लये सुर��त ह�

    सफरे मद�ना मुन�वरा (िज़यारत मि�जदे नबवी

    व रौज़ए अक़दस स�ल�लाहु अलै�ह वस�लम) Journey to Madinah & Visiting the Masjid of

    the Prophet and His Holy Grave

    By

    डा टर मौलाना मोह#मद नजीब क़ासमी Dr. Mohammad Najeeb Qasmi

    http://www.najeebqasmi.com/ MNajeeb Qasmi - Facebook

    Najeeb Qasmi - YouTube Skype: najeebqasmi

    Whatsapp: 00966508237446

    पहला �हदं� सं�करण: माच, 2016

    Address for Gratis Distribution मु1त 2मलन ेका पताः Dr. Mohammad Mujeeb, Deepa Sarai, Sambhal, UP (2044302) India

    डा॰ मोह#मद मुजीब, द�पा सराय, सभंल, यूपी, इि9डया (244302)

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    :वषय-सचूी

    =. :वषय पेज नं

    1 ��तावना: मोह�मद नजीब क़ासमी संभल# 5

    2 मुखबंध: हज़रत मौलाना अबुल क़�सम नोमानी 8

    3 मुखबंध: मौलाना मोह�मद असरा(ल हक़ क़ासमी 9

    4 मुखबंध: �ोफेसर अखत(ल वासे साहब 10

    5 सफरे मद#ना मुन-वरा 11

    6 मद#ना तैयबा के फज़ाएल 11

    7 मि�जदे नबवी क1 िज़यारत के फज़ाएल 13

    8 क3े अतहर क1 िज़यारत के फज़ाएल 14

    9 सफरे मद#ना मुन-वरा 15

    10 मि�जदे नबवी म5 हािज़र# 16

    11 द(द व सलाम 16

    12 7रयाज़ुल ज8नत 17

    13 असहाबे सु:फ़ा का चबूतरा 18

    14 ज8नतुल बक़1 (बक़1उल गरक़द) 18

    15 जबले उहद (उहद का पहाड़) 19

    16 मि�जदे क़ुबा 19

    17 औरतE के खसूुसी मसाइल 21

    18 मद#ना से वापसी 21

    19 मद#ना मन-वरा के तार#खी मक़ामात 23

    20 मि�जदे नबवी 23

    21 हुजरा ए मुबारका 24

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    22 7रयाज़ुल ज8नह 25 23 असहाबे सु:फ़ा का चबूतरा 25 24 जबले उहद (उहद का पहाड़) 26 25 मि�जदे क़ुबा 27 26 मि�जदे जुमा 27 27 मि�जदे फतह (मि�जदे अहज़ाब) 28 28 मि�जदे Hक़बलतैन 28 29 मि�जद ओबय Jबन काब 29 30 लेखक का प7रचय 31

  • 5

    �ِ هللاِ �ِْ��ِ ْ َّ�ْ�� اِ َّ�ا ُ�ْ�َِ اَْ �ة َربِّ ِ�ّ َّ�

    َِْ��،َوا��َ اَْ-َِ�ْ��۔ َواَْ+َ���( آ( َوَ#"!ٰ اَْ'ِ�&� ا%َّ$ِ!ِّ َ#"َ! َوا�َّ�مُ اْ

    ?�तावना हुजूरे अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम न �सफM आखर# नबी ह�

    बिKक आप सKलKलाहु अलैLह वसKलम क1 7रसालत अतंरराOP#य

    भी है, यानी आप सKलKलाहु अलैLह वसKलम क़Jबला कुरैश या

    अरबE के �लए नह#ं बिKक पुर# दSुनया के �लए, इसी तरह �सफM उस

    ज़माना के �लए नह#ं िजसम5 आप सKलKलाहु अलैLह वसKलम पैदा

    हुए बिKक Hक़यामत तक आने वाले तमाम इंसान व िज8नात के

    �लए नबी व रसूल बना कर भेजे गए। क़ुरान व हद#स क1 रौशनी म5

    उ�मते मुि�लमा खास कर उलमा-ए-द#न क1 िज़�मेदार# है Hक हुज़ूर

    अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम क1 वफात के बाद द#ने इ�लाम

    क1 Lहफाज़त करके क़ुरान व हद#स के पैगाम को दSुनया के कोने

    कोने तक पहंुचाऐं। चनूांच ेउलमा-ए-कराम ने अपने अपने ज़माने म5

    मुXत�लफ़ तर#क़E से इस िज़�मेदार# को अजंाम Lदया। उलमा-ए-

    कराम क1 क़ुरान व हद#स क1 Yखदमात को भुलाया नह#ं जा सकता है

    और इंशा अKलाह उलमा-ए-कराम क1 इKमी Yखदमात से कल

    Hक़यामत तक इि�तफादा Hकया जाता रहेगा। अब नई टे\नोलॉजी

    (वेबसाइट, वाटस ऐप, मोबाइल ऐप, फेसबुक और यूटूयब वगैरह) को

    द#ने इ�लाम क1 Yखदमात के �लए उलमा-ए-कराम ने इ�तेमाल

    करना शु( तो कर Lदया है मगर इसम5 मज़ीद काम करने क1 स^त

    ज़(रत है।

    अलहमद ु �लKलाह बाज़ दो�तE क1 टेि\नकल समथMन और बाज़

    मुह�सनीन के माल# योगदान से हमने भी द#ने इ�लाम क1 Yखदमात

    के �लए नई टे\नोलॉजी के मैदान म5 घोड़ े दौड़ा Lदए ह� ताHक इस

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    अतं7र� (जगह) को एसी ताक़त5 पुर न कर द5 जो इ�लाम और

    मु�लमानE के �लए नुक़सानदेह साJबत हE। चनूांच े2013 म5 वेबसाइट

    (www.najeebqasmi.com) लांच क1 गई, 2015 म5 तीन ज़बानE म5

    दSुनया क1 पहल# मोबाइल ऐप (Deen-e-Islam) और Hफर दो�तE के

    तक़ाजा पर हािजयE के �लए तीन ज़बानE म5 खसूुसी ऐप (Hajj-e-

    Mabroor) लांच क1 गई। Lहदं�ुतान और पाHक�तान के बहुत से

    उलमा ने दोनE ऐपस के �लए �शंसापn �लख कर अवाम व ^वास से

    दोनE ऐपस से इि�तफादा करने क1 दरखा�त क1। यह �शंसापn दोनE

    ऐपस का Lह�सा ह�। ज़माने क1 रoतार से चलते हुए क़ुरान व हद#स

    क1 रौशनी म5 मु^तसर द#नी पैगाम खबुसूरत इमेज क1 शकल म5

    मु^त�लफ सूnE से हज़ारE दो�तE को पहंुच रहे ह� जो अवाम व ^वास

    म5 काफ1 मक़बू�लयत हा�सल Hकए हुए ह�।

    इन दोनE ऐपस (द#ने इ�लाम और हpजे म3ूर) को तीन ज़बानE म5

    लांच करने के �लये मेरे तक़र#बन 200 मज़ामीन का अqेंज़ी और

    Lह8द# म5 तजुMमा करवाया गया। तजुMमा के साथ ज़बान के माLहर#न

    से एrडLटगं भी कराई गई। Lह8द# के तजुMमा म5 इस बात का ^याल

    रखा गया Hक तजुMमा आसान ज़बान म5 हो ताHक हर आम व खास के

    �लए इि�तफादा करना आसान हो।

    इस Hकताब (सफरे मद#ना मुन-वरा, िज़यारत मि�जदे नबवी व रौज़ए

    अक़दस सKलKलाहु अलैLह वसKलम) म5 फज़ाईले मद#ना मुन-वरा,

    मि�जदे नबवी और क़3े अतहर क1 tयारत के फज़ाएल, मि�जदे

    नबवी म5 हािज़र हो कर द(द व सलाम पढ़ने के तर#के को िज़v

    Hकया गया है। नीज़ मद#ना मुन-वरा के तार#खी मक़ामात (मि�जदे

    नबवी, हुजरा-ए-मुबारका, 7रयाज़ुल ज8नत, असहाबे सुoफा का

    चबूतरा, ज8नतुल बक़1, उहद का पहाड़, मि�जदे क़ुबा और मि�जदे

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    Hक़बलतैन) का िज़v भी Hकया गया है। अKलाह के फज़ल व करम और उसक1 तौफ1क़ से अब तमाम

    मज़ामीन के अqेंज़ी और Lह8द# अनुवाद को wवषय के एतेबार से

    Hकताबी शकल म5 तरतीब दे Lदया गया है ताHक इि�तफादा आम

    Hकया जा सके, िजसके ज़7रया 14 Hकताब5 अqेंज़ी म5 और 14 Hकताब5

    Lह8द# म5 तyयार हो गई ह�। उदूM म5 �का�शत 7 HकताबE के अलावा

    10 नई Hकताब5 छपने के �लए तyयार कर द# गई ह�।

    अKलाह तआला से दआु करता हंू Hक इन सार# Yखदमात को

    क़ुबू�लयत व मक़बू�लयत से नवाज़ कर मुझ,े ऐपस क1 तायीद म5

    लेटर �लखने वाले उलमा-ए-कराम, टेि\नकल सपोटM करने वाले

    अहबाब, माल# योगदान पेश करने वाले मुह�सनीन, मुतिजMमीन,

    एrडLटगं करने वाले हज़रात खास कर जनाब अदनान महमूद

    उसमानी साहब, rडज़ाइनर और Hकसी भी Hक़सम से तआवुन पेश

    करने वाले हज़रात को दोनE जहां क1 कामयाबी व कामरानी अता

    फरमाये। आYखर म5 दा(ल उलूम देवब8द के मुहत�मम हज़रत

    मौलाना मुoती अबुल क़ा�सम नुमानी साहब, मौलाना मोह�मद

    असरा(ल हक़ क़ासमी साहब (म5बर ऑफ़ पा�लMयाम5ट) और �ोफेसर

    अखत(ल वासे साहब (लेसाSनयात के क�मशनर, मंnालय अक़�लयती

    बहबूद) का शुv गुज़ार हंू Hक उ8हEने अपनी मस(Hफयात के बावजूद

    ��तावना �लखा। डॉ\टर शफाअतुKलाह खान साहब का भी मशकूर हंू

    िजनक1 मेहनतE से यह �ोजे\ट मुक�मल हूआ।

    मोह�मद नजीब क़ासमी संभल# (7रयाज़)

    14 माचM, 2016 ई॰

  • Reflections & Testimonials

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  • Reflections & Testimonials

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  • Reflections & Testimonials

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    सफरे मद�ना मुन�वरा

    (िज़यारत मि�जदे नबवी व रौज़ए अक़दस स�ल�लाहु अलै�ह वस�लम)

    मद�ना तैयबा के फज़ाएल मद#ना मुन-वरा के फज़ाएल व मनाHक़ब बेशुमार ह�, अKलाह और

    उसके रसूल के नजद#क इसका बुलंद मकाम व मरतबा है। मद#ना

    क1 फज़ीलत के �लए यह# काफ1 है Hक वह तमाम नJबयE के सरदार

    हज़रत मोह�मद मु�तफा सKलKलाहु अलैLह वसKलम का दा(ल

    हुजरा और मसकन व मदफन है। इसी पाक व मुबारक सर जमीन से

    द#न इ�लाम कोने कोने तक फैला। इस शहर को तैबा और ताबा

    (यानी पाHकजगी का मरकज़) भी कहते ह�। इस म5 आमाल का सवाब

    कई गुना बढ़ जाता है। हुजूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम क1

    ज़बाने मुबारक से मद#ना के चदं फज़ाएल पेश ेYखदमत ह�।

    1) हज़रत आइशा रिज़यKलाहु अ8हा से 7रवायत है Hक रसूलुKलाह

    सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने दआु करते हुए फरमाय ऐ अKलाह!

    मद#ना क1 मोहबत हमारे LदलE म5 म\का क1 मोहबत से भी बढ़ा

    दे। (सह# बुखार#)

    2) हज़रत अनस रिज़यKलाहु अ8हु से 7रवायत है Hक नबी अकरम

    सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने इरशाद फरमाया या अKलाह! म\का

    को तूने िजतनी बरकत अता फरमाई है मद#ना को इससे दगुुनी

    बरकत अता फरमा। (सह# बुखार#)

    3) हज़रत अदKुलाह Jबन उमर रिज़यKलाहु अ8हु फरमाते ह� Hक म�न े

    रसूले अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम को इरशाद फरमाते हुए

    सुना िजसने (मद#ना के क़याम के दौरान आने वाल#) मु�शकलात व

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    मसाएब पर स3 Hकया, क़यामत के रोज उसक1 �शफ7रश क(ंगा या

    फरमाया म� उसक1 गवाह# दूंगा। (सह# मुि�लम)

    4) हज़रत अबू हुरैरा रिज़यKलाहु अ8हु से 7रवायत है Hक रसूले

    अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने इरशाद फरमाया मेर# उ�मत

    का जो भी श^स मद#ना म5 स^ती व भूक पर और वहां क1 तकल#फ

    व मश\कत पर स3 करेगा म� क़यामत के Lदन उसक1 �शफाअत

    क(ंगा। (सह# मुि�लम)

    5) हज़रत अबू हुरैरा रिज़यKलाहु अ8हु से 7रवायत है Hक रसूले

    अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने इरशाद फरमाया मद#ना के

    रा�तE पर फ7रत ेमुक़रMर ह� इसम5 न कभी ताऊन फैल सकता है न

    दpजाल दाYखल हो सकता है। (सह# बुखार#)

    6) हज़रत अदKुलाह Jबन उमर रिज़यKलाहु अ8हु फरमाते ह� Hक

    रसूले अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने इरशाद फरमाया जो

    श^स मद#ना म5 मर सकता है (यानी यहां आा कर मौत तक क़याम

    कर सकता है) उसे ज(र मद#ना म5 मरना चाLहए \यEHक म� उस

    श^स के �लए �सफा7रश क(ंगा जो मद#ना म5 मरेगा। (Sतमजी)

    7) हज़रत अबू हुरैरा रिज़यKलाहु अ8हु से 7रवायत है Hक रसूले

    अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने इरशाद फरमाया ईमान (कुब

    क़यामत) मद#ना म5 �समट कर इस तरह वापस आ जाएगा िजस

    तरह सांप घूम Hफर कर अपने Jबल म5 वापस आ जाता है। (सह#

    बुखार#)

    8) हज़रत साद रिज़यKलाहु अ8हु से 7रवायत है Hक रसूले अकरम

    सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने इरशाद फरमाया जो भी मद#ना के

    रहने के साथ मकर करेगा वह ऐसा घुल जाएगा जैसा Hक पानी

    नमक म5 घुल जाता है (यानी उसका वजूद बाक1 न रहेगा) (सह#

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    बुखार# व मुि�लम)

    9) हज़रत जैद Jबन साJबत रिज़यKलाहु अ8हु से 7रवायत है Hक एक

    मौका पर रसूले अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने इरशाद

    फरमाया मद#ना बुरे लोगE को यूं अलग कर देता है िजस तरह आग

    चांद# के मैल कुचलै को दरू कर देती है। (सह# बुखार#)

    मि�जदे नबवी कN िज़यारत के फज़ाएल 1) हज़रत अबू हुरैरा रिज़यKलाहु अ8हु से 7रवायत है Hक रसूले

    अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने इरशाद फरमाया तीन

    मसािजद के अलावा Hकसी दसूर# मि�जद का सफर इि^तयार न

    Hकया जाए मि�जदे नबवी, मि�जदे हराम और मि�जदे असा ।

    (सह# बुखार#)

    2) हज़रत अदKुलाह Jबन उमर रिज़यKलाहु अ8हु से 7रवायत है Hक

    रसूले अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने इरशाद फरमाया मेर#

    इस मि�जद म5 नमाज का सवाब दसूरे मसािजद के मुकाबले म5

    हजार गुना pयादा है �सवाए मि�जदे हराम के। (सह# मुि�लम) इबने

    माजा क1 7रवायत म5 पचास हजार नमाजE के सवाब का िज़v है।

    िजस खलूुस के साथ वहां नमाज पढ़# जाएगी उसी मुताJबक अजर व

    सवाब �मलेगा इंशाअKलाह।

    3) हज़रत अनस रिज़यKलाहु अ8हु से 7रवायत है Hक रसूलुKलाह

    सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने इरशाद फरमाया िजस श^स न ेमेर#

    इस मि�जद (यानी मि�जदे नबवी) म5 फौत Hकए बगैर (मुसलसल)

    चाल#स नमाज5 अदा क1ं उसके �लए आग से छुटकारा, अज़ाब से

    Sनजात और Sनफाक़ से छुटकारा �लखी गई। (Sतमजी Sतबरानी,

    मसनद अहमद) बाज़ उलमा ने इस हद#स को ज़ईफ कहा है लेHकन

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    मुहेसीन व उलमा ने सह# कहा है �लहाजा मद#ना के क़याम के

    दौरान तमाम नमाज5 मि�जदे नबवी ह# म5 पढ़ने क1 को�शश कर5

    \यEHक एक नमाज का सवाब हजार गुना या इबने माजा क1 7रवायत

    के मुताJबक पचास हजार गुना pयादा है, नीज़ हद#स म5 यह मज़कूर

    फजीलत भी हा�सल हो जाएगी। (इंशाअKलाह)

    (वज़ाहत) हुजुर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम क1 मि�जद क1

    िज़यारत और आप क1 क3े अतहर पर जा कर द(द व सलाम पढ़ना

    न हज के वािजबात म5 से है न मु�तहब म5 से है, बिKक मि�जदे

    नबवी क1 िज़यारत और वहां पहंुच कर नबी अकरम सKलKलाहु

    अलैLह वसKलम क1 क3े अतहर पर द(रद व सलाम पढ़ना हर व\त

    मु�तहब है और बड़ी खशु नसीबी है बिKक बाज़ उलमा ने अहले

    वुसअत के �लए वािजब के कर#ब �लखा है।

    कOे अतहर कN िज़यारत के फज़ाएल 1) हज़रत अबू हुरैरा रिज़यKलाहु अ8हु से 7रवायत है Hक रसूले

    अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने इरशाद फरमाया जो श^स

    मेर# क3 के पास खड़ ेहो कर मुझ पर द(द व सलाम पढ़ता है म�

    उसको खुद सुनता हँू और जो Hकसी जगह द(द पढ़ता है तो उसक1

    दSुनया व आYखरत क1 ज(रत5 पूर# क1 जाती ह� और क़यामत के

    Lदन उसका गवाह और उसका �सफा7रशी हँूगा। (बैहक़1)

    2) हज़रत अबू हुरैरा रिज़यKलाहु अ8हु से 7रवायत है Hक रसूले

    अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने इरशाद फरमाया जो श^स

    मेर# क3 के पास आ कर मुझ पर सलाम पढ़े तो अKलाह तआला

    मुझ तक पहंुचा देते ह�, म� उसके सलाम का जवाब देता हंू। (मसनद

    अहमद, अबूदाउद)

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    3) हज़रत अदKुलाह Jबन उमर रिज़यKलाहु अ8हु से 7रवायत है Hक

    रसूलुKलाह सKलKलहु अलैLह वसKलम ने इरशाद फरमाया िजस

    श^स ने मेर# क3 क1 िज़यारत क1 उसके �लए मेर# �शफाअत वािजब

    हो गई। (दारे कुतनी, बpजाज)

    4) हज़रत अदKुलाह Jबन उमर रिज़यKलाहु अ8हु से 7रवायत है Hक

    रसूलुKलाह सKलKलहु अलैLह वसKलम ने इरशाद फरमाया जो मेर#

    िज़यारत को आए और उसके �सवा कोई और Sनयत उसक1 न हो तो

    मुझ पर हक हो गया Hक म� उसक1 �शफाअत क(ँ। (तबरानी)

    5) हज़रत अनस रिज़यKलाहु अ8हु फरमाते ह� Hक नबी अकरम

    सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने इरशाद फरमाया िजसने मद#ना आ

    कर सवाब क1 Sनयत से मेर# (क3 क1) िज़यारत क1 वह मेरे पड़ोस

    म5 होगा और क़यामत के Lदन म� उसका �शफारशी हँूगा। (बैहक़1)

    6) हज़रत अबू हुरैरा रिज़यKलाहु अ8हु से 7रवायत है Hक हुजूर

    अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने इरशाद फरमाया या अKलाह!

    मेर# क3 को बुत न बनाना। अKलाह तआला ने उन लोगE पर लानत

    फरमाई है िज8हEने अि�बया क1 क3E को इबादतगाह बना �लया।

    (मुसनद अहमद)

    सफरे मद�ना मनु�वरा मद#ना मुन-वरा के पूरे सफर के दौरान कसरत से द(द शर#फ पढ़5।

    अKलाह तआला फरमाता है बेशक अKलाह तआला और उसके फ7रत े

    नबी पर रहमत भेजते ह�। ऐ ईमान वालE! तुम भी द(द भेजा करो

    और खबू सलाम भेजा करो। (सूरह अलअहजाब 56) अKलाह के रसूल

    ने इरशाद फरमाया जो श^स मुझ पर एक मरतबा द(द भेजता है

    अKलाह तआला उसके बदले उस पर दस रहमत5 नािजल फरमाता है

  • 16

    और उसके �लए दस नेHकयां �लख देता है। (Sतमजी)

    मि�जदे नबवी मP हािज़र� शहर म5 दाYखल होने के बाद सामान वगैरह अपनी 7रहाईश गाह म5

    रख कर गूसल या वजू करके मि�जदे नबवी क1 तरफ साफ सुथरा

    �लबास पहन कर अदब व एहतेराम के साथ रवाना हE। दायां कदम

    अदंर रख कर दखलेू मि�जद क1 दआु पढ़ते हुए मि�जदे नबवी म5

    दाYखल हो जाऐं। मि�जदे नबवी म5 दाYखल हो कर सबसे पहले उस

    Lह�सा म5 आऐं जो हुजरा-ए-मुबारका और �म�बर के दरमयान है,

    िजसके मुअSतKलक खदु हुजूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने

    इरशाद फरमया ‘‘यह Lह�सा ज8नत क1 Hकया7रयE म5 से एक Hकयार#

    है‘‘ और दो 7रकात तहयतुल मि�जद पढ़5। अगर उस Lह�सा म5 जगह

    न �मल सके तो िजस जगह चाह5 दो 7रकात पढ़ ल5। अगर फजM

    नमाज शु( हो गई है तो Hफर जमाअत म5 शर#क हो जाएं।

    दQद व सलाम दो 7रकात तहयतुल मि�जद पढ़ कर बड़ ेअदब व एहतेराम के साथ

    हुजरा-ए-मुबारका (जहां हुजूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम

    मदफून ह�) क1 तरफ चल5। जब आप दसूर# जाल# के सामने पहंुच

    जाऐं तो आप को तीन सूराख नजर आऐंगे, पहले और बड़ ेगोलाई

    वाले सूराख के सामने आने का मतलब है Hक हुजूर अकरम

    सKलKलाहु अलैLह वसKलम क1 क3े अतहर के सामने है, �लहाजा

    जा�लयE क1 तरफ (ख करके अदब से खड़ ेहो जाऐं, नजरे नीच ेरख5

    और आप सKलKलाहु अलैLह वसKलम क1 अजमत व जलाल का

  • 17

    �लहाज करते हुए सलाम पढ़5।

    नमाज म5 जो द(द शर#फ पढ़ा जाता है वह भी पढ़ सकते ह�। उसके

    बाद जा�लयE म5 दसूरा सूराख है उसके सामने खड़े हो कर हज़रत अबू

    बकर �सीक रिज़यKलाहु अ8हु क1 Yखदमत म5 इस तरह सलाम अजM

    कर5।

    Hफर उसके बाद तीसरे गोल सूराख के सामने खड़ े हो कर हज़रत

    उमर फा(क रिज़यKलाहु अ8हु को इस तरह सलाम अज़M कर5।

    (वजाहत) बस इसी को सलाम कहते ह� जब भी सलाम अज़M करना हो

    इसी तरह अज़M Hकया कर5।

    (अहम Lहदायत) बाज़ औकात भीड़ क1 वजह से हुजरा-ए-मुबारका के

    सामने एक �मनट भी खड़ ेहोने का मौका नह#ं �मलता। सलाम पेश

    करने वालE को बस हुजरा-ए-मुबारका के सामने से गुजार Lदया जाता

    है। �लहाजा जब ऐसी सूरत हो और आप लाइन म5 खड़ े हE तो

    इंSतहाई सुकून और इत�मनान के साथ द(द शर#फ पढ़ते रह5 और

    हुजरा-ए-मुबारका के सामने पहंुच कर दसूर# जाल# म5 बड़ ेसूराख के

    सामने नबी अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम क1 Yखदमत म5

    चलते चलते मु^तसर द(द व सलाम पढ़5, Hफर तीसरे सूराखE के

    सामने हज़रत अबू बकर �सीक और हज़रत उमर फा(क रिज़यKलाहु

    अ8हुमा क1 Yखदमत म5 चलते चलते सलाम अज़M कर5।

    Rरयाज़ुल जSनत क़द#म मि�जदे नबवी म5 �म�बर और रोज़ाये अक़दस के दरमयान

    जो जगह है वह 7रयाजुल ज8नत कहलाती है. हुज़ूर अकरम

    सKलKलाहु अलैLह वसKलम का इरशाद है �म�बर और रोज़ाये

    अक़दस के दरमयान क1 जगह ज8नत क1 Hकया7रयE म5 से एक

  • 18

    Hकयार# है. 7रयाजुल ज8नत क1 पहचान के �लए यहाँ सफेद पथर के

    सतून ह� इन सतनूE को इि�तवाना कहते ह�, इस सुतूनो पर इनके

    नाम भी �लखे हुए ह�, 7रयाजुल ज8नत के पुरे Lह�से म5 जहाँ सफेद

    और हर# काल#नE का फशM है नमाज़5 अदा करना tयादा सवाब का

    बाईस है, Sनज कोबू�लयते दआु के �लए भी खास मकाम है-

    असहाबे स1ुफ़ा का चबतूरा मि�जदे नबवी म5 हुजरा के पीछे एक चबूतरा बना हुआ है यह वह

    जगह है जहाँ वह �म�क1न व गर#ब सहाबा Hकराम Hक़याम फरमाते

    थे िजनका न घर था न दर और जो Lदन व रात िज़v व Sतलावत

    करते और हुज़ूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम क1 सुहबत से

    फायदा उठाते थे- हज़रत अबू हुरैरा रिज़यKलाहु अ8हु इसी दरसगाह

    के मुमताज़ शा�गE म5 ह�। असहाबे सुoफा क1 तादाद कम और

    pयादा होती रहती थीं- कभी कभी उनक1 तादाद 80 तक पहंुच जाती

    थी- सूरह असकहफ कप आयत नं॰ 128 उ8ह#ं असहाबे सुoफा के

    हक म5 नािज़ल हुई िजसम5 अKलाह तआला ने नबी अकरम

    सKलKलाहु अलैLह वसKलम को उनके साथ बैठने का हूकुम Lदया।

    जSनतुल बक़N (बक़Nउल गरक़द) यह मद#ना मुन-वरा का कJबM�तान है जो मि�जदे नबवी से बहुत

    थोड़ ेफासले पर है, इसम5 बेशुमार सहाबा (तकर#बन 10 हज़ार) और

    अव�लया अKलाह मदफून ह�। तीसरे खल#फा हज़रत उसमान गनी

    रज़ी अKलाहु अ8हु हुजूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम क1 चार

    साहब जाLदयां हुजूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम क1 अजवाज

  • 19

    मुतहLहरात आप के चाचा हज़रत अबास रिज़यKलाहु अ8हु भी इसी

    कJ3�तान म5 मदफून ह�।

    जबले उहद (उहद का पहाड़) मि�जदे नबवी से तकर#बन 4 या 5 Hकलो मीटर के दरू# पर यह

    मुकस पहाड़ है। िजसके मुतअिKलक हुजूर अकरम सKलKलाहु

    अलैLह वसKलम ने इरशाद फरमाया (उहद का पहाड़ हम से मोहबत

    रखता है और हम उहद से मोहबत रखते ह�) इसी पहाड़ के दामन म5

    3 Lहजर# म5 जंगे उहद हुई िजसम5 आप सKलKलाहु अलैLह वसKलम

    स^त ज^मी हुए और तकर#बन 70 सहाबा शह#द हुए थे। यह सब

    शुहदा इसी जगह मदफून ह� िजसका इहाता कर Lदया गया है। इसी

    इहाता के बीच म5 हुजूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम के चचा

    हज़रत हमज़ा रिज़यKलाहु अ8हु मदफून ह� आप सKलKलाहु अलैLह

    वसKलम क1 क3 के बराबर म5 हज़रत अदKुलाह Jबन जहश

    रिज़यKलाहु अ8हु और हज़रत मुसअब Jबन उमैर रिज़यKलाहु अ8हु

    मदफून ह�। हुजूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम खास इहSतमाम

    से यहां तशर#फ लाते थे और शुहदा को सलाम व दआु से नवाजते

    थे।

    मि�जदे क़ुबा मि�जदे कुबा मि�जदे नबवी से तकर#बन चार Hकलो मीटर क1 दरू#

    पर है। मुसलमानE क1 यह सबसे पहल# मि�जद है, हुजूर अकरम

    सKलKलाहु अलैLह वसKलम म\का से Lहजरत करके जब मद#ना

    तशर#फ लाए तो कबीला Jबन औफ के पास क़याम फरमाया और

  • 20

    आप सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने सहाबा Hकराम के साथ खदु

    अपने द�ते मुबारक से इस मि�जद क1 बुSनयाद रखी। इस मि�जद

    के मुतअिKलक अKलाह तआला फरमाता है (यानी वह मि�जद

    िजसक1 बुSनयाद इखलास व तकवा पर रखी गई है) मि�जदे हरामए

    मि�जदे नबवी और मि�जदे अकसा, दSुनया भर क1 तमाम मसािजद

    म5 सबसे अफजल है। हुजूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम कभी

    सवार हो कर तो कभी पैदल चल कर मि�जदे कुबा तशर#फ लाया

    करते थे। आप सKलKलाहु अलैLह वसKलम का इरशाद है जो श^स

    (अपने घर से) Sनकले और मि�जदे कुबा म5 आकर (दो 7रकात)

    नमाज पढ़े तो उसे उमरह के बराबर सवाब �मलेगा।

    मद#ना तैयीबा के क़याम के दौरान \या कर5?

    जब तक मद#ना म5 क़याम रहे उसको बहुत ह# गनीमत जान5 और

    जहां तक हो सके अपने औकात को इबादत म5 लगाने क1 को�शश

    कर5। pयादा व\त मि�जदे नबवी म5 गुजार5 \यEHक मालूम नह#ं Hक

    यह मौका दबूारा मुय�सर हो या न हो। पांचE व\त क1 नमाज5

    जमाअत के साथ मि�जदे नबवी म5 अदा कर5 \यEHक मि�जदे नबवी

    म5 एक नमाज का सवाब दसूरे मसािजद के मुकाबले म5 एक हजार

    या पचास हजार गुना pयादा है। हुजूर अकरम सKलKलाहु अलैLह

    वसKलम क1 क3े अतहर पर हािजर होकर कसरत से सलाम पढ़5।

    7रयाजुल ज8नत (ज8नत का बा�गचा) म5 िजतना मौका �मले

    नवाHफल पढ़ते रह5 और दआुऐं करते रह5। मेहराबुन नबी सKलKलाहु

    अलैLह वसKलम और खास खास सतूनE के पास भी नफल नमाज

    और दआुओं का �सल�सला रख5। फजर या असर क1 नमाज से

    फरागत के बाद ज8नतुल बक1 चले जाया कर5। कभी कभी ह�बे

    सहूलत मि�जदे कुबा जा कर दो 7रकात नमाज पढ़ आया कर5। हुजूर

  • 21

    अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKKम क1 तमाम सु8नतE पर अमल

    करने क1 हर मुमHकन को�शश कर5। तमाम गुनाहE से खसूुसन फजूल

    बात5 और लड़ाई झगड़ ेसे JबKकुल बच5। खर#द व खरो^त म5 अपना

    pयादा व\त बरबाद न कर5 \यEHक मालूम नह#ं Hक नबी अकरम

    सKलKलाहु अलैLह वसKलम के इस पाक शहर म5 दोबारह आने क1

    सआदत िज8दगी म5 कभी �मले या नह#ं।

    औरतY के खुससूी मसाइल मद#ना के �लए Hकसी तरह का कोई एहराम नह#ं बांधा जाता है, इस

    �लए औरतE मुक�मल पदाM के साथ रह5 यानी चहेरे पर भी नकाब

    डाल5। अगर Hकसी औरत को माहवार# आ रह# हो तो वह सलाम अज़M

    करने के �लए मि�जद नबवी म5 दाYखल न हE, अलबता मि�जद के

    बाहर बाबे िजबरईल या बाबुन Sनसा या बाबुल बक1 के पास खड़ ेहो

    कर सलाम अज़M करना चाह5 तो कर सकती ह� और जब पाक हो जाएं

    तो क3े अतहर के सामने सलाम अज़M करने के �लए चल# जाएं।

    मि�जदे नबवी म5 औरतE को मदM के Lह�सा म5 और मदM को औरतE

    के Lह�सा म5 जाने क1 इजाजत नह#ं है इस �लए बाहर Sनकलने का

    व\त और �मलने क1 जगह पहले मुतअयैन कर ल5।

    मद�ना से वापसी नबी अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम के शहर (मद#ना मुन-वरा)

    से वापसी पर यक1नन आपका Lदल गमगीन और आंख5 अकबार

    हEगी मगर Lदल गमगीन को तसKल# द5 Hक िज�मानी दरू# के

    बावजूद हजारE मील से भी हमारा द(द अKलाह के फ7रतE के

  • 22

    ज़7रया हुजूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम को पहंुचा करेगा।

    इस मुबारक सफर से वापसी पर इस बात का इरादा कर5 Hक िज8दगी

    के िजतने Lदन बाक1 ह� इसम5 अKलाह तआला के अहकाम क1

    Yखलाफवरज़ी नह#ं कर5गे बिKक अपने मौला को राज़ी और खशु रख5गे

    नीज़ हुजूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम के तर#के के मुताJबक

    ह# अपनी िज़8दगी के बाक1 Lदन गुज़ार5गे और अKलाह के द#न को

    अKलाह के ब8दE तक पहंुचाने क1 हर मुमHकन को�शश कर5गे।

  • 23

    मद�ना मन�वरा के तार�खी मक़ामात

    मि�जदे नबवी जब हुज़ूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम म\का से Lहजरत

    करके मद#ना तशर#फ़ लाए तो आप सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने

    अहजर# म5 मि�जदे क़ुबा क1 तामीर के बाद सहाबा-ए-Hकराम के साथ

    मि�जदे नबवी क1 तामीर फ़रमाई, उस वत मि�जदे नबवी 150

    Hफट ल�बी और 90 Hफट चौड़ी थी- Lहजरत के सातवीं साल फहे

    खबैर के बाद नबी अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने मि�जदे

    नबवी क1 तौसी फ़रमाई- इस तौसी के बाद मि�जदे नबवी क1

    ल�बाई और चौड़ाई 150 Hफट हो गई- हज़रत उमर फा(क

    (रिज़यKलाहु अ8हु) के अहदे Yखलाफत म5 मुसलमानो क1 तादाद म5

    जब गैर मामूल# इज़ाफ़ा हो गया और मि�जद नाकाफ1 साJबत हुई

    तो 17 Lहजर# म5 मि�जदे नबवी क1 तौसी क1 गई- 29 Lहजर# म5

    हज़रत उ�मान गनी (रिज़यKलाहु अ8हु) के ज़माने म5 मि�जदे नबवी

    क1 तौसी क1 गई- उमवी खल#फा वल#द Jबन अदलु मा�लक ने 88

    Lहजर# से 91 Lहजर# म5 मि�जद नबवी क1 गैर मामूल# तौसी क1-

    हज़रत उमर Jबन अदलु अज़ीज़ (रहमतुKलाह अलैह) उस वत

    मद#ना के गवनMर थे- उमवी और अबासी दौर म5 मि�जद नबवी क1

    बहुत सी तौ�सयात हु- तुक ने मि�जदे नबवी क1 नए �सरे से

    तामीर क1, उसमे सुखM पथर का इ�तेमाल Hकया गया, मज़बूती और

    खबूसूरती के एतबार से तुक क1 अक1दतमंद# क1 नाक़ाJबले फरामोश

    यादगार आज भी बरक़रार है- हज और उमरह करने वालE और

    ज़ायर#न क1 कसरत क1 वजह से जब यह तौ�सयात भी नाकाफ1 रह#ं

  • 24

    तो मौजूदा सऊद# हुकूमत ने क़ुबM व जवार क1 इमारतE को खर#द कर

    और उ8ह5 मु8हLदम करके अज़ीमुशान तौसी क1 जो अब तक सब से

    बड़ी तौसी मानी जाती है- हुज़ूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम

    ने इरशाद फ़रमाया तीन मसिजद के अलावा Hकसी दसूर# मि�जद का

    सफर इिXतयार न Hकया जाये मि�जदे नबवी, मि�जदे हराम और

    मि�जदे अक़सा- हुज़ूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने इरशाद

    फ़रमाया मेर# इस मि�जद म5 नमाज़ का सवाब दसूर# मसिजद के

    मुकाबले म5 हज़ार गुना tयादा है �सवाए मि�जदे हराम के- दसूर#

    7रवायत म5 पचास हज़ार नमाज़E के सवाब का िज़v है- िजस ख़ुलूस

    के साथ वहां नमाज़ पढ़# जाएगी उसी के मुताJबक़ अजर व सवाब

    �मलेगा इंशाअKलाह-

    हुजरा ए मबुारका हुज़ूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने अपनी िज़8दगी के

    आखर# दस यारह साल मद#ना म5 गुज़ारे- 8 Lहजर# म5 फहे म\का

    के बाद भी आप सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने इसी मुबारक शहर

    को अपना म�कन बनाया- आप सKलKलाहु अलैLह वसKलम के

    इंSतक़ाल के बाद हुज़ूर क1 ताल#मात के मुताJबक़ हज़रत आईशा

    (रिज़यKलाहु अ8हा) के हुजरे म5 ह# आप सKलKलाहु अलैLह वसKलम

    को दफ़न कर Lदया गया, इसी हुजरे म5 आप सKलKलाहु अलैLह

    वसKलम का इंSतक़ाल भी हुआ था- हज़रत अबु बकर और हज़रत

    उमर (रिज़यKलाहु अ8हुमा) भी इसी हुजरे म5 मदफ़ून ह�- इसी हुजरा

    ए मुबारका के पास खड़ े हो कर सलाम पढ़ा जाता है- हुजरा ए

    मुबारका के Hक़बला ख तीन जा�लयां ह� िजसम5 दसूर# जाल# म5 तीन

    सुराख़ ह�, पहले और बड़ े गोलाई वाले सुराख़ के सामने आन े का

  • 25

    मतलब है Hक हुज़ूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKKम क1 क़3े

    अतहर सामने है- दसूरे सुराख़ के सामने आने का मतलब है Hक

    हज़रत अबु बकर (रिज़यKलाहु अ8हु) क1 क़3 सामने है और तीसरे

    सुराख़ के सामने आने का मतलब है Hक हज़रत उमर (रिज़यKलाहु

    अ8हु) क1 क़3 सामने है-

    Rरयाज़ुल जSनह क़द#म मि�जदे नबवी म5 �म�बर और रोज़ए अक़दस के दरमयान जो

    जगह है वह 7रयाज़ुल ज8नह कहलाती है- हुज़ूर अकरम सKलKलाहु

    अलैLह वसKलम का इरशाद है "�म�बर और रोज़ए अक़दस के

    दरमयान क1 जगह ज8नत क1 Hकया7रयE म5 से एक Hकयार# है-"

    7रयाज़ुल ज8नह क1 पहचान के �लए यहाँ सफेद पथर के सुतून ह�-

    इन सुतूनE को इि�तवाना कहते ह�, इन सुतूनो पर इनके नाम भी

    �लखे हुए ह�- 7रयाज़ुल ज8नह के पूरे Lह�से म5 जहाँ सफेद और हर#

    काल#नE का फशM है नमाज़ अदा करना tयादा सवाब का बाइस है,

    नीज़ क़ुबू�लयते दआु के �लए भी खास मकाम है-

    असहाबे स1ुफ़ा का चबतूरा मि�जदे नबवी म5 हुजरा के पीछे एक चबूतरा बना हुआ है- यह वह

    जगह है जहाँ वह �म�क1न व गर#ब सहाबा Hकराम क़याम फरमाते थे

    िजनका न घर था न दर, और जो Lदन व रात िजv व Sतलावत

    करते, और हुज़ूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम क1 सुहबत से

    फायदा उठाते थे- हज़रत अबु हुरैरा (रिज़यKलाहु अ8हु) इसी दरसगाह

    के मुमताज़ शा�गE म5 ह�। असहाबे सुoफा क1 तादाद कम और

  • 26

    pयादा होती रहती थीं, कभी कभी उनक1 तादाद 80 तक पहंुच जाती

    थी, सूरह कहफ आयत नं॰ (128) उ8ह#ं असहाबे सुoफा के हक म5

    नािज़ल हुई, िजसम5 अKलाह तआला न े नबी अकरम सKलKलाहु

    अलैLह वसKलम को उनके साथ बैठने का हुकुम Lदया।

    जSनतुल बक़N (बक़Nउल गरक़द) यह मद#ना मन-वरा का कJबM�तान है जो मि�जदे नबवी से बहुत

    थोड़ ेफासले पर है, इसम5 बेशुमार सहाबा (तकर#बन 10 हज़ार) और

    औ�लया अKलाह मदफून ह�। तीसरे खल#फा हजरत उसमान गनी

    रिज़यKलाहु अ8हु, हुजूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम क1 चार

    साहब जाLदयां, हुजूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम क1

    अज़वाज मुतहहरात, आप के चचा हजरत अबास रिज़यKलाहु अ8हु

    भी इसी कJ3�तान म5 मदफून ह�।

    जबले उहद (उहद का पहाड़) मि�जदे नबवी से तकर#बन 4 या 5 Hकलो मीटर के दरू# पर यह

    मुकस पहाड़ है। िजसके मुतअिKलक हुजूर अकरम सKलKलाहु

    अलैLह वसKलम ने इरशाद फरमाया ‘‘उहद का पहाड़ हम से मोहबत

    रखता है और हम उहद से मोहबत रखते ह�‘‘ इसी पहाड़ के दामन

    म5 3 Lहजर# म5 जंगे उहद हुई िजसम5 आप सKलKलाहु अलैLह

    वसKलम स^त ज^मी हुए और तकर#बन 70 सहाबा शह#द हुए थे।

    यह सब शुहदा इसी जगह मदफून ह� िजसका इहाता कर Lदया गया

    है। इसी इहाता के बीच म5 हुजूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम

    के चचा हजरत हमज़ा रिज़यKलाहु अ8हु मदफून ह�, आप सKलKलाहु

  • 27

    अलैLह वसKलम क1 क3 के बराबर म5 हजरत अदKुलाह Jबन जहश

    रिज़यKलाहु अ8हु और हजरत मुसअब Jबन उमैर रिज़यKलाहु अ8हु

    मदफून ह�। हुजूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम खास इहSतमाम

    से यहां तशर#फ लाते थे और शुहदा को सलाम व दआु से नवाजते

    थे।

    मि�जदे क़ुबा मि�जदे क़ुबा मि�जदे नबवी से तकर#बन चार Hकलो मीटर क1 दरू#

    पर है। मु�लमानE क1 यह सबसे पहल# मि�जद है, हुजूर अकरम

    सKलKलाहु अलैLह वसKलम म\का से Lहजरत करके जब मद#ना

    तशर#फ लाए तो कबीला Jबन औफ के पास Hकयाम फरमाया और

    आप सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने सहाबा Hकराम के साथ खदु

    अपने द�ते मुबारक से इस मि�जद क1 बुSनयाद रखी। इस मि�जद

    के मुतअिKलक अKलाह तआला फरमाता है ‘‘यानी वह मि�जद

    िजसक1 बुSनयाद इखलास व तकवा पर रखी गई है‘‘ मि�जदे हराम,

    मि�जदे नबवी और मि�जदे अकसा, दSुनया भर क1 तमाम मसािजद

    म5 सबसे अफजल है। हुजूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम कभी

    सवार हो कर तो कभी पैदल चल कर मि�जदे क़ुबा तशर#फ लाया

    करते थे। आप सKलKलाहु अलैLह वसKलम का इरशाद है जो श^स

    (अपने घर से) Sनकले और मि�जदे क़ुबा म5 आ कर (दो 7रकात)

    नमाज पढ़े तो उसे उमरह के बराबर सवाब �मलेगा।

    मि�जदे जुमा हुजूर अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने सबसे पहले इसी

  • 28

    मि�जद म5 जुमा अदा फरमाया था, यह मि�जदे क़ुबा के कर#ब ह#

    बनी है।

    मि�जदे फतह (मि�जदे अहज़ाब) यह मि�जद जबले �सला के गरबी Hकनारे पर ऊचाई पर बनी हुई

    थी। गज़वए खंदक (अहजाब) म5 जब तमाम कुoफार मद#ना पर

    मुजतमा हो कर चढ़ आए थे और खदंक खोद# गई थीं, रसूले अकरम

    सKलKलाहु अलैLह वसKलम ने इस जगह दआु फरमाई थी, चनुांचे

    आप क1 दआु कबूल हुई और मु�लमानE को फतह हुई। इस मि�जद

    के कर#ब कई छोट# छोट# मि�जदे बनी हुई थीं जो मि�जदे सलमान

    फारसी, मि�जदे अबु बकर, मि�जदे उमर और मि�जदे अल# के नाम

    से मशहूर ह�। दरअसल गज़वए खदंक के मौका पर यह उन हजरात

    के ठहरने क1 जगह थे िजनको महफूज और मुतअयन करने के �लए

    गा�लबन सबसे पहले हजरत उमर Jबन अदलु अजीज ने मसिजद

    क1 शकल द#। यह मकाम मसािजदे खमसा के नाम से मशहूर है।

    अब सउद# हुकूमत ने इस जगह पर एक बड़ी आल#शान मि�जद

    (मि�जदे खंदक) के नाम से तामीर क1 है।

    मि�जदे [क़बलतैन तहवील Hकबला का हुकुम असर क1 नमाज म5 हुआ, एक सहाबी ने

    असर क1 नमाज नबी अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम के साथ

    पढ़#, Hफर असंार क1 जमाअत पर उनका गुजर हुआ वह असंार

    सहाबा (मि�जदे Hकबलतैन) म5 बैतुल मुकस क1 जाSनब नमाज अदा

    कर रहे थे, उन सहाबी ने असंार सहाबा को खबर द# Hक अKलाह

  • 29

    तआला ने बैतुKलाह को दोबारह Hकबला बना Lदया है, इस खबर को

    सुनते ह# सहाबा ए Hकराम ने नमाज ह# क1 हालत म5 खाना काबा क1

    तरफ (ख कर �लया। \यEHक इस मि�जद (Hकबलतैन) म5 एक

    नमाज दो HकबलE क1 तरफ अदा क1 गई इस �लए इसे मि�जदे

    Hकबलतैन कहत े ह�। बाज़ 7रवायात म5 है Hक तहवीले Hकबला क1

    आयत इसी मि�जद म5 नमाज पढ़ते व\त नािज़ल हुई थी।

    मि�जद ओबय ]बन काब यह मि�जद ज8नतुल बक1 के मुत�सल है, इस जगह जमाना

    नबूवत के मशहुर कार# हजरत ओबय Jबन काब रजी अKलाहु अ8हु

    का मकान था। रसूल अकरम सKलKलाहु अलैLह वसKलम यहां

    अ\सर तशर#फ लाते और नमाज पढ़ते थे, नीज़ हजरत ओबय Jबन

    काब से कुरान सुनते और सुनाते थे।

  • 30

    लेखक का पRरचय मौलाना डा\टर मोह�मद नजीब क़ासमी का तअKलुक़ स�भल (यूपी)

    के इKमी घराने से है, उनके दादा मशहूर मुहLस, मुक़7रMर और

    �वतंnता सेनानी मौलाना मोह�मद इसमाईल स�भल# (रह) थे

    िज8हEने मु^त�लफ मदरसE म5 तक़र#बन 17 साल बुखार# शर#फ का

    दसM Lदया, जबHक उनके नाना मुoती मुशरMफ हुसैन स�भल# (रह) थे

    िज8हEने मु^त�लफ मदरसE म5 इफता क1 िज़�मेदार# Sनभाने के साथ

    साथ बुखार# व हद#स क1 दसूर# Hकताब5 भी पढ़ा।

    डा\टर नजीब क़ासमी ने इितदाई ताल#म स�भल म5 ह# हा�सल क1,

    चनुांच े �मrडल �कूल पास करने के बाद अरबी ताल#म का आगाज़

    Hकया। इसी बीच 1986 म5 यूपी बोडM से हाई �कूल भी पास Hकया।

    1989 म5 दाल उलूम देवब8द म5 दाYखला �लया। दाल उलूम

    देवब8द के क़याम के दौरान यूपी बोडM से इ8टरमीrडएट का इमSतहान

    पास Hकया। 1994 म5 दाल उलूम देवब8द से फरागत हा�सल

    क1। दाल उलूम देवब8द से फरागत के बाद जा�मया �मिKलया

    इ�ला�मया, LदKल# से B.A (Arabic) और तरजुमे के दो कोसM Hकए,

    उसके बाद LदKल# यूSनवा�सMट# से M.A. (Arabic) Hकया।

    जा�मया �मिKलया इ�ला�मया, LदKल# के अरबी wवभाग क1 जाSनब से

    मौलाना डा\टर मोह�मद नजीब क़ासमी को “अल जवाSनबुल

    अदJबया वल बला�गया वल जमा�लया Hफल हद#�सन नबवी” यानी

    हद#स के अदबी व बलागी व जमाल# पहलू पर Lदस�बर 2014 म5

    डा\टरेट क1 rडqी से स�माSनत Hकया गया। डा\टर मोह�मद नजीब

    क़ासमी ने �ोफेसर डा\टर शफ1क अहमद खां नदवी भूतपूवM सदर

    अरबी wवभाग और �ोफेसर रफ1उल इमाद फायनान क1 अतंगMत म5

    अरबी ज़बान म5 480 पOृठE पर मुशत�मल अपना तहक़1क़1 मक़ाला

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    पेश Hकया। डा\टर मोह�मद नजीब क़ासमी ने बहुत सी Hकताब5 उदूM,

    Lह8द# और अqेंजी जबानE म5 तहर#र क1 है। 1999 से 7रयाज़ (सऊद#

    अरब) म5 बरसरे रोज़गार ह�। कई सालE से 7रयाज़ शहर म5 हज

    तरJबयती कै�प भी मुनअHक़द कर रहे ह�। उनके मज़ामीन उदूM

    अख़बारE म5 �का�शत होते रहते ह�।

    मौलाना डा\टर मोह�मद नजीब क़ासमी क1 वेब

    साइट (www.najeebqasmi.com) को काफ1 मक़बू�लयत हा�सल हुई

    है िजसक1 मोबाइल ऐप (Deen-e-Islam) तीन जबानE (उदूM, Lह8द#

    और अqेंजी) म5 है िजसम5 मु^त�लफ इ�लामी मौज़ूआत पर मज़ामीन

    के साथ उनक1 Hकताब5 और बयानात ह�।

    हज व उमरह से मुतअिKलक़ खसूुसी ऐप (Hajj-e-Mabroor) भी

    तीन ज़बानE (उदूM, Lह8द# और अqेंजी) म5 है, िजन से सफर के दौरान

    हताHक म\का, �मना, मुज़दKफा और अरफात म5 भी इि�तफादा

    Hकया जा सकता है।

    Lहदं�ुतान और पाHक�तान के महूर उलमा, द#नी इदारE और

    मु^त�लफ मदरसE ने दोनE Apps (द8ुया क1 पहल# मोबाइल ऐपस)

    क1 ताईद म5 खतुूत तहर#र फरमा कर अवाम व खवास से दोनE

    Apps से फायदा उठाने क1 अपील क1 है। http://www.najeebqasmi.com/ [email protected] MNajeeb Qasmi - Facebook Najeeb Qasmi - YouTube Whatsapp: 00966508237446 First Islamic Mobile Apps on the world in 3 languages:

    Deen-e-Islam & Hajj-e-Mabroor