mj-105 · भारतीय ²ान-िवान पर कई िकताब िलखé।...

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MJ-105 िवशेषीकृ त पýकाåरता एवं समाज अÅयाय पेज नंबर 1. िव²ान पýकाåरता जगत एवं मीिडया 4 2. धमª , आÅयाÂम और मीिडया 28 3. ÖवाÖÃय जगत और मीिडया 41 4. úामीण जगत और मीिडया 56 5. िविध पýकाåरता 68 6. र±ा जगत और मीिडया 80 7. आिथªक जगत और मीिडया 94 8. खेल जगत और मीिडया 111 9. िफÐम जगत और मीिडया 131 10. िवदेश म¤ पýकाåरता 146 11. भारतीय सामािजक पåरवेश 160 12. भारतीय समाज और मीिडया 171 13. मानवािधकार एवं मीिडया 182 14. मिहला जगत और मीिडया 199 15. सािहÂय, संÖकृ ित और मीिडया 213 16. िश±ा जगत और मीिडया 229 17. रोजगार और मीिडया 243 18. अपराध और मीिडया 255 19. बाजार, उपभोĉावाद और मीिडया 269

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  • MJ-105

    िवशेषीकृत प का रता एवं समाज

    अ याय पेज नंबर

    1. िव ान प का रता जगत एवं मीिडया 4

    2. धम, आ या म और मीिडया 28

    3. वा य जगत और मीिडया 41

    4. ामीण जगत और मीिडया 56

    5. िविध प का रता 68

    6. र ा जगत और मीिडया 80

    7. आिथक जगत और मीिडया 94

    8. खेल जगत और मीिडया 111

    9. िफ म जगत और मीिडया 131

    10. िवदेश म प का रता 146

    11. भारतीय सामािजक प रवेश 160

    12. भारतीय समाज और मीिडया 171

    13. मानवािधकार एवं मीिडया 182

    14. मिहला जगत और मीिडया 199

    15. सािह य, सं कृित और मीिडया 213

    16. िश ा जगत और मीिडया 229

    17. रोजगार और मीिडया 243

    18. अपराध और मीिडया 255

    19. बाजार, उपभो ावाद और मीिडया 269

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    NOTES

    ईकाई-एक

    व ान-पयावरण जगत एवं मी डया इकाई क परेखा

    1.1 तावना

    1.2 उ े य

    1.3 िव ान प का रता

    1.4 िह दी िव ान प का रता का िवकास

    1.5 िव ान रपोिटग

    1.6 िव ान प का रता: िविभ न िवधाएं

    1.7 पयावरण से जु ड़े मसले और मीिडया

    1.8 पयावरण प का रता क चुनौितया ं

    1.9 अ यास

    1.10 सारांश

    1.11 श दावली

    1.12 संदभ ंथ सूची

    1.13 उपयोगी पाठ्य साम ी

    1.14 िनबंधा मक

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    NOTES

    1.1 तावना िव ान प का रता से जुड़ी इस इकाई म इसके िविवध पहलुओ ं को रेखां िकत िकया गया है। इसम एक ओर िव ान प का रता के अथ, मह व और उ े य को रेखां िकत िकया गया है वह दू सरी ओर िह दी िव ान प का रता के प को भी उभारा गया है।

    तुत इकाई म यह भी बताया गया है िक िव ान के िवषय क रपोिटग िकस कार करनी चािहए और िव ान लेखन के िलए कौन-कौन सी बात यान रखने यो य ह। इसके अलावा िव ान प का रता के िलए िविभ न िवधाओ ं म लेखन िकस कार िकया जाता है, उसके बारे म भी िव तार से काश डाला गया है।

    1.2 उ े य तुत इकाई के अ ययन के बाद आप

    बता सकगे िक िव ान प का रता का िवकास कैसे हआ और अब तक िकतने सोपान तय िकए।

    समझा सकगे िक िविभ न िवधाओ ं म िव ान का लेखन िकस तरह िकया जाए िजससे लोग तक जानका रयां आसानी से पह ंच सक।

    बता सकगे िक पयावरण से जु ड़े मसले कौन-कौन से ह और उ ह मीिडया ारा कैसे उठाया जा सकता है।

    जानगे िक पयावरण प का रता क चुनौितयां या ह और उनसे कैसे िनपटगे।

    1.3 व ान प का रता अथ: प का रता एक ऐसी िवधा है िजसम प कार के काय और उ े य का िववेचन िकया जाता है। इस बारे म व र प कार जीएफ मोट ने कहा है िक प का रता िव क पांचव बड़ी शि है। प का रता केवल यवसाय ही नह ह,ै प का रता कला भी ह,ै वृि भी है और लोकसेवा का साधन भी है।

    दू सरी ओर िव ान प का रता का अथ काफ यापक है। डॉ ए जान नाइट के अनुसार-

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    NOTES

    ‘‘समाचार प पि काओ,ं आकाशवाणी, दू रदशन तथा अ य चार साधन के िलए वै ािनक समाचार , िवाचार एवं सूचनाओ ं क रपोिटग, लेखन, संपादन और तुतीकरण से संब काय करना, िव ान प का रता है। देखा जाए तो िव ान के े से जुड़ी जानकारी को ा करना, संशािधत करना और लोग के िलए तुत करना ही िव ान प का रता है।‘‘

    इसके अलावा वै ािनक अनुसंधान और खोज और आिव कार क सूचनाएं लोग तक पहंचाना ही िव ान प का रता नह है बि क िव ान के े म या गड़बिड़य और अिनयिमतताओ ं को भी सामने लाना िव ान प का रता का मूल कत य है। इसके अलावा लोग को वै ािनक ढंग से सलाह देना और उनका मागदशन करना भी िव ान प का रता का अहम काय है।

    उ े य: िव ान प का रता का उ े य मा िव ान क सूचनाएं देना ही नह रहा बि क स य का संधान कर उसे उ ािटत करना भी रहा है। मु य प से िव ान प का रता के चार उ े य उभरकर सामने आए ह-ै

    1. वै ािनक और खोजकताओं को मौिलक गहन अनुसंधान क जानका रयां उपल ध कराना िजससे नए उपयोगी अनुसंधान और खोज के काम म मदद िमल सके।

    2. छा -छा ाओ ं के अलावा पढ़-ेिलखे िकसान , कारीगर तथा सामा य िश ा ा जाग क पाठक को लोकि य सरल भाषा म यवहारोपयोगी सूचनाएं उपल ध कराना, िजससे लोग म िव ान के ित अिभ िच पैदा हो सके और उनके जीवन तर म बदलाव हो सके।

    3. सामा य प का रता के अलावा िव ान प का रता का भी अहम उ े य है िक िव ान के े म घिटत होने अिनयिमत घटनाओ ं क जानकारी काश म लाना, तािक उसके तर म अपेि त सुधार िकया जा सके।

    4. िव ान से संबं िधत िविभ न काय, अनुसंधान, प रयोजनाओ ं आिद पर िन प िवचार कट कर। यानी या होना चािहए और या नह होना चािहए, इसे लेकर एक सश सलाहकार क भू िमका िनभाई जाए। आम छा और कारीगर तथा िव ान के जानकार को यह पता होना चािहए िक वै ािनकता का उपयोग कैसे िकया जाए िजससे उ ह लाभ िमल सकता हो।

    मह व: िव ान प का रता का मह व अ यंत यापक है और इसक मताएं अनंत है। कभी-कभी प कार ारा िलखी और कही गई बात के आधार पर बड़े-बड़े िन कष िनकल आते है। कुछ उदाहरण देख-

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    NOTES

    1. 1931 म दो युवा वै ािनक ने एपी के िव ान प कार हावड लेक ली, यूयाक टाइ स के िव ान लेखक िविलयम लारस और िव ान प कार गोिवंद िबहारी लाल को अपनी बात कहने के िलए आमं ि त िकया। ये वै ािनक थे डॉ अन ट ओ लारस और राबट ओपेनहाइमर। दोन ने बताया िक उ ह िव ुत आवेिशत कण को ती तर गित से उजा देने के िलए एक मशीन क ज रत ह,ै लेिकन उनके पास धन और उपकरण नह है। बाद म अखबार म जब यह समाचार कािशत हआ तो वह मशीन दोन शोध िव ािनय को मु त म िमल गई। यह केवल रपोिटग के ज रए ही संभव हो सका।

    2. इसी तरह मेिननजाइिटस से पीिड़त एक ब चे के इलाज के िलए अखबार म छपी खबर का सं ान लेकर पीिड़तजन संपादक के पास पहंचे। संपादक ने उ ह रपोटर से िमलवाया तथा बाद म पीिड़तजन ने डा टर से भटकर औषिध क जानकारी ली। इससे ब चे को बचाया जा सका। इस

    कार िव ान प का रता लोग क भलाई के िलए जहां काम कर सकती है वह लोग के जीवन म सकारा मक ि कोण भी पैदा करती है। ऐसे म िव ान प का रता व थ, िवकासशील, संतु िलत और सु यविथत समाज के िनमाण म असली भू िमका अदा कर सकती है।

    1.4 ह द व ान प का रता का वकास प का रता के इितहास पर नजर डालते ह तो ईसा के पांच शता दी पूव रोम म संवाद लेखक काय करते थे। ईसा पूव 60 म जू िलयस सीजर ने ‘ए टा डाना‘ नामक अखबार िनकाला। 1476 ई0 म इं लड म छापाखाना का िनमाण हआ। 1561 म छपे अखबार ‘ यूजआउट ऑफ कट‘ का माण सामने आया। िनयिमत प से 1620 म ए सटडम से पहला समाचार प कािशत हआ।

    भारत म प का रता क लहर 1557 म पहंची, जब गोवा म छापा खाना लगाया गया। इसके बाद 1780 म जे स आग टस िह क ने ‘कलक ा जनरल एडवरटाइजर‘ नामक प का काशन शु िकया। 1816 म गंगाधर भ ाचाय ने ‘बंगाल गजट‘ का अं ेजी म काशन शु िकया। 1818 म भारतीय भाषाओ ं म ‘िद दशन‘ मािसक प का सू पात हआ। 1821 म भारतीय प का रता के जनक राजा राममोहन राय ने ‘संवाद कौमुदी‘ नामक सा ािहक प का काशन िकया। इसके बाद कानपुर िनवासी पं युगल िकशोर शु ल ने 30 मई 1826 को कोलकाता से ही िह दी सा ािहक प ‘उदंत मातड‘ का काशन शु िकया।

    िव म िव ान प का रता: ईसा पूव 4000 क सुमेरी स यता क िच िलिप म अंकगिणत का समावेश िकया गया है। ईसा पूव 1700 क िम ी पर गिणतीय सारिणयां ह। ईसा पूव 500-600 के यूनानी अिभलेख म वै ािनक उपलि धय के माण ह। ईसा पूव पांचवी सदी म फारस के शाही

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    NOTES

    हक म डेमोसीड्स ने यूनानी भाषा म औषिध िव ान क पहली पु तक िलखी। िसकंदर क मौत के बाद िसकंद रया एकेडमी के गिणत यू ि लड (ईसा पूव 320-260) ने एलीम ी ऑफ यामे ी पर 13 भाग म पु तक िलखी। आकिमडीज ने ईसा पूव 287-212 म ीक भाषा म गोला और रंभ तथा वै ािनक अनुसंधान क प ित आिद कृितयां िलख । ईसा पूव 50 म हीर ने ‘ यूमेिटका‘ म पु तक िलखी, इसम भाप-चिलत उपकरण का वणन िकया गया था। ईसा पूव 400 म बेरो ने ऑन फॉिमग नामक कृिष पु तक तथा लीनी ने नेचुरल िह ी पर िकताब िलखी। यूनान के बाद अरब म तेजी से िव ान सािह य का िवकास हआ। लैिटन और सं कृत ंथ के अनुवाद िकए गए। सरिगयस ने पदाथ िव ान क यूनानी पु तक का अरबी अनुवाद िकया। 776 ई. म जािबर ने अनेक रसायन ंथ िलखे। नव सदी म अलिकंडी ने िव कोष बनाया। अर तू के बाद अलफराबी ने िव ान के मूल िस ांत िलखा। अलमसूरी ने अरबी म ‘द बुक ऑफ इंडीकेशन एंड रवीजन‘ म पेड़-पौध , खिनज और

    ािणय के बारे म िव तार से िलखा गया। फारस के वै ािनक अलब नी (973-1048 ई) ने भारतीय ान-िव ान पर कई िकताब िलख । इ नेिशना ने दस लाख श द का िव कोष कानून बनाया। चीन म ईसा पूव ‘मोिचंग‘ ं थ का पता चला िजसम कैमरे का उ लेख िमला। यूनान का िव ान अनिूदत होकर अरब पहंचा, जहां आधुिनक िव ान पनपा। पेन के िचिक सक आबू मखा हवन जहर ने िचिक साशा पर कई पु तक िलख ।

    12व शता दी म िससली के स ाट ै ि क ि तीय ने अर तू और इबनरशीर का सािह य अनूिदत करके पे रस िविव को भट िकया। उसने वयं प ीशा पर ंथ िलखा। भारतीय शू य अरब से अनू िदत होकर यूरोप पहंचा। 1316 म योित िव ान पर इं लड के जॉन होलीवुड ने िकताब िलखी। काड नल िनकोलस (1401-1464) ने भार व समय मापन के िलए तुला और जलघड़ी पर ंथ िलखा। 14व शता दी म ीक के वै ािनक ंथ का सीधे लैिटन म अनुवाद करने का बड़ा आंदोलन चला। 1476 म छापाखाना आने के बाद 15व शता दी म पि मी जगत आधुिनक िव ान और सािह य का के बन गया। 1540 म वानािशयो और िवरन-गु िशयो ने धातु शोधन पर

    ंथ िलखा। 1546 म जॉज अगरीकोला ने खिनज िव ान पर कइ ंथ िलखे। 1543 म बेसेिलयस ने ‘ऑन िद फैि क ऑफ ू मन बॉडी‘ नामक ंथ िलखा। 1600 म रानी एिलजाबेथ के िनजी िचिक सक िविलयम िग बट ने चुंबक य िस ांत पर लैिटन म पु तक िलखी जो इं लड क पहली िव ान पु तक बनी। 1632 म गैलीिलयो न े‘जगत क दो प ितय का संवाद‘ नामक पु तक तैयार क । गैलीिलयो ने 1610 म दू रवी ण पर 24 पृ क िकताब िलखी जो िव ान सािह य क सबसे छोटी पु तक है। आधुिनक वै ािनक ि कोण िवकिसत काने का ेय इं लैड के ां िसस बेकन (1561-1626) को जाता ह,ै िज ह ने रॉयल सोसायटी क थापना क और कई िकताब भी िलख । 1665 म दु िनया क पहली िव ान पि का ‘जनल दैस कैवान‘ मािसक को च एकेडमी ऑफ साइंसेज के ारा िनकाला गया। इसी समय इं लड क रायल सोसायटी ने भी िफलॉसिफकल

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    NOTES

    ां जे शन नामक िव ान पि का आरंभ क और तभी से पूरी दु िनया म िव ान क पि काएं िनकल रही ह।

    भारतीय िव ान प का रता: डॉ. ओम काश शमा के अनुसार चरक ारा रिचत चरक सं िहता को ही भारत का थम शु वै ािनक ंथ कह सकते ह। वाराहिमिहर ने 500 ई0 म वृह सं िहता िलखा। नागाजनु रिचत ‘रस र नाकर‘ 7-8व शता दी म िलखा गया है। इसम रासायिनक िविधय का वणन िमलता है। अि न पुराण ानकोश का एक वृहत ंथ है। आचाय फु लच राय के अनुसार ‘रसाणव‘ 12व शता दी म िलखा गया। हमारे वैिदक और पौरािणक थ म अनेक वै ािनक

    करण समािहत ह। 13व सदी म यशोधर ने ‘रस काश सुधाकर‘ िलखा। 14व सदी म ‘रसर नसमु चय‘ वा भ ने िलखा। ये दोन ंथ आचाय ुफ लचं राय ने बंगाल क एिशयािटक सोसायटी से छपाए। रसायन शा म इस अविध म अनेक ंथ िलखे गए इनम ‘रस कौमुदी‘ और ‘रस दीप‘ शािमल ह। उ र देश के भाविम ने ‘भाव काश‘ म िव तृत सूचनाएं द । 16व सदी म धातु ि या िलखा गया। इसी व िव फोटक पर आकाश भैरवक प िलखी गई।

    इसके बाद 1800 ई0 म बंगाल म ीरामपुर ेस िमशन ने अं ेजी, बंगला और िह दी म िव ान क पु तक क छपाई आरंभ क । 1817 म बंगाल म कूल बुक सोसायटी बनी िजसम िव ान क पु तक तैयार क गई ं । 1819 म फेनिल स ने बंगला म शरीर ि या िव ान पर पु तक िलख । 1823 म राजा राममोहन राय ने गवनर र मह ट को यरूोपीय िव ान भारतीय को उपल ध कराने को कहा। बंगाल म वै ािनक सािह य के िवकास म राजशेखर बोस का अ ितम योगदान रहा है। मराठी म पहली िव ान पु तक औषिध क पना अनुवाद कर 1815 म िलखी गई। 1834 म कलक ा क एिशयािटक सोसायटी ने सव थम वै ािनक पि का ‘‘एिशयािटक सोसायटी जनल‘‘ अं ेजी

    ैमािसक का काशन िकया।

    िह दी िव ान प का रता: वैसे तो िह दी िव ान लेखन क शु आत उन पुरा ंथ से मानी जा सकती ह,ै िजनम िचिक सा, रसायन, खगोल और गिणतीय करण का समावेश है। लेिकन आधुिनक िह दी िव ान प का रता क शु आत 19व शता दी से ही मानी जाती है। िह दी प का रता पर पु तक का काशन तो काफ बाद म हआ, लेिकन प -पि काओ ं म िव ान के लेख आलेख और समाचार पहले से ही कािशत होने लगे। वैसे यूं कहा जाए िक जैस-ेजैसे िह दी प का रता परवान चढ़ी वैस-ेवैसे िह दी िव ान प का रता क शु आत हई।

    अ ैल 1818 म ीरामपुर िजला हगली से बंगाल के बैपिट ट िमशन रय ने बंगला और अं ेजी म मािसक िद दशन शु िकया। इसके संपादक लाक माशमैन थे, बाद म इसका िह दी पांतर भी

    कािशत िकया जाने लगा। इसके पहले अंक म दो िव ानपरक लेख छपे। पहला, अमे रका क

  • 11

    NOTES

    खोज और दू सरा, बैलून ारा आकाश या ा। दू सरे अंक म दो और लेख छपे िजसम भारत म उगने वाले तथा इं लड म न उगने वाले वृ और दू सरा भाप क शि से चलने वाली नाव ( टीमबोट) के बारे म। उन िदन िकताब क कमी होने के कारण कलक ा कूल बुक सोसायटी ने िद दशन के बहत से अंक खरीदकर कूल म बंटवाए। य िक इनम िव ान से जुड़ी जानका रयां थ । इस कार िद दशन ही िह दी और बंगला म ऐसा अखबार था िजसम सबसे पहले िह दी िव ान प का रता का

    ादु भाव हआ। कुछ लोग उदंत मातड को िह दी प का रता का पहला अखबार मानते ह, लेिकन उसम िव ान करण के उ लेख नह िमलते।

    उ नीसव शता दी: आगरा क कूल बुक सोसायटी ने 1847 म ‘रसायन काश‘ ो र नामक पु तक का काशन िकया। 1860 म ‘सरल िव ान िवटप‘ पु तक कािशत हई। 1875 म याग से कंुज िबहारी लाल क ‘सुलभ बीजगिणत‘ कािशत हई। बनारस के पं ल मीशंकर िम ने 1885 म ‘गित िव ान‘ पर पु तक िलखी। 1883 म मुंशी नवल िकशोर ने एक लेख रसायन पर अपने ेस से छपवाया। 1896 म िवशंभरनाथ शमा ने ‘रसायन सं ह‘ नामक पु तक कलक ा से कािशत क । 1862 म अलीगढ़ म साइं िटिफक सोसायटी नामक सं था बनी िजसका काय यूरोपीय िव ान सािह य को यूरोपीय से िह दी, उदू और फारसी म अनुवाद करना था। 1898 म काशी क नागरी

    चा रणी सभा ने िव ान के िविवध िवषय पर वै ािनक श द िनमाण के िलए एक सिमित बनाई। इससे िव ान सािह य के सृजन म काफ मदद िमली। 1852 म आगरा से ‘बुि काश‘ नामक प शु हआ िजसम अ य िवषय के अलावा िव ान पर भी काफ रोचक साम ी कािशत होती थी। भारतदु ह र ं ने 1873 म ‘ह र ं मैगजीन‘ शु क िजसका नाम बाद म ‘ह र ं चं ि का‘ हो गया था। इसम भी तमाम वै ािनक जानका रयां िमलती थ । 1877 म याग से ‘िह दी दीप‘ िनकाला गया, िजसम भी िव ान से जु ड़े समाचार छपते थे। 1854 म कलक ा से कािशत ‘समाचार सुधावषण‘ को िह दी का थम दैिनक प होने का गौरव है। लेिकन 1885 म कालाकांकर, तापगढ़ यूपी के राजा रामपाल िसंह ने िह दी दैिनक ‘िह दो तान‘ को कािशत िकया था। इसका संपादन मालवीय जी ने िकया था। इसम िवशु िव ान तो नह छपता था, लेिकन

    ामीण, शारी रक उ नित और शैि क िवषय का समावेश था। 1879 म मेवाड़ से कािशत ‘स जनक ित सुधाकर‘ म पुरात व िवषय पर लेख छपते थे। 1871 म ‘अ मोड़ा अखबार‘ िनकाला गया िजसम वन बंध, बाल िश ा और म िनषेध पर खबर छपा करती थ । अलीगढ़ से 1877 म बाबू तोताराम ने सा ािहक ‘भारत बंध‘ु नामक प का काश आरंभ िकया, िजसम िव ान क भरपूर जानका रयां छपती थ । इसके मा टहेड म िलखा रहता था-ए वीकली जनल ऑफ िलटरेचर, साइंस यूज एंड पॉिलिट स। 1900 म सर वती पि का के काशन म बाबू यामसु दर दास फोटो ाफ पर एक लेख िलखा। इसी अंक म कई एक िव ान के लेख कािशत हए। 1866 म अलीगढ़ से ‘अलीगढ़ इं टीट्यूट गजट‘ नामक सा ािहक प शु िकया गया, िजसम कृिष िव ान

  • 12

    NOTES

    पर काफ साम ी छपती थी। 1882 म पं ल मीशंकर िम ने ‘काशी पि का‘ का काशन शु िकया। इसम भी िह दी िव ान के े काफ काय हआ। लेिकन सही मायन म संपूण िह दी िव ान पि का का व न बीसव सदी के आरंभ म 1915 म िव ान प रषद याग से शु क गई पि का ‘िव ान‘ के काशन से पूरा हो सका।

    वतं ता पूव बीसव शता दी: सबसे पहले 1900 म गु कुल कांगड़ी ने िह दी म िव ान लेखन को अपनाया। इसम गिणत, रसायन, भौितक और िचिक सा आिद िवधाओ ं पर लेखनी चलाई गई। वह काशी क नागरी चा रणी सभा ारा िव ान क कई पु तक िलखी गई ं । इसम महेश शरण ारा िलखी रसायन शा (1909), िव ुत शा (1912), गुणा मक िव ेषण (1919) और गोवधन ारा भौितक (1910) िलखी गई। 1910 म िह दी सािह य स मेलन ने िह दी िव ान सािह य म

    खासा काम िकया। 1913 म याग म िव ान प रषद क थापना हई। 1916-1932 म नगे नाथ बसु ने िह दी िव कोश कािशत िकया। 1925 म बनारस िह दू िविव ने वै ािनक श दकोश

    कािशत िकया। 1930-31 म याग क िव ान प रषद ने 4821 श द का िव ान कोश बनाया। 1939 म कृ णब लभ ि वेदी के संचालन म ान-िव ान को िह दी िव भारती नामक िव कोश बनाया गया। िह दी का यह पहला संदभ ंथ है। िह दी वै ािनक एवं तकनीक काशन िनदिशका 1966 के अनुसार वतं ता पूव बीसव शता दी म अनेक िव ान क पु तक िलखी गई ं । 1901 म हेमच िम क कृिष दशन कलक ा से छपी। 1921 म िह दी सािह य सभा राजपूताना ने यावहा रक िव ान कािशत क । िव ान क िविच कहानी 1941 म कलक ा से छपी। 1925 म

    सृि जीव िव ान, ी स यपाल ारा िलखी गई। वैसे राहल सां कृ यान ारा िलखी गई पु तक िव िव ान, िह दी म लोक िव ान क आरंिभक पु तक मानी जाती है।

    1928 म इं िडयन ेस इलाहाबाद से ाकृितक िव ान छपी। 1942 म महाजनी गिणत कलक ा से छपी। रवी नाथ ठाकुर क पु तक ‘िव प रचय‘ का िह दी अनुवाद डॉ. हजारी साद ि वेदी ने िकया, जो 1947 म इं िडयन ेस इलाहाबाद से कािशत िकया गया। इसके अलावा इं िडयन ेस इलाहाबाद ने कई िव ान क पु तक कािशत क । इनम 1934 म हो योपैिथक क मैटे रया मेिडका, 1944 म ीनाथ िसंह ारा िलिखत आिव कार क कथा छापी। 1919 म ह र ार से गुणा मक िव ेषण का काशन िकया गया। 1940 म कृ णकांत गु ा क जीव क कहानी वै ािनक सािह य मं िदर इलाहाबाद ने कािशत क । एलोपैिथक सार सं ह झांसी से कािशत हई। परमाणु बम 1947 म वाराणसी से छापा गया। िह दी सािह य स मेलन, नागरी चा रणी सभा, िह दु तान एकेडमी और िव ान प रषद याग, इन चार सं थाओ ं क आरंिभक िव ान सािह य के िनमाण म उ लेखनीय भू िमका रही।

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    NOTES

    1913 म अिखल भारतीय आयुवद महास मेलन ने िद ली से मािसक आयुवद महास मेलन पि का आरंभ क । इसे िह दी क थम िव ान पि का माना जाता है। पर पहली िव ान पि का होने का ेय ‘िव ान‘ को जाता है जो िव ान प रषद याग से 1915 म आरंभ क गई। इसके बाद 1924 म ध वंत र अलीगढ़ स,े 1946 म भोपाल से कृिष जगत, 1947 म इं िडयन िमनर स कािशत हई ं । 1942 म झांसी से कािशत दैिनक जागरण म भी िव ान लेख छपते थे। 1947 म कानपुर से पूणचं गु ने दैिनक जागरण का काशन िकया, िजसम िव ान लेख का समायोजन िकया जाता था। 1934 म बड़ौदा व इंदौर से कािशत िह दी िश ण पि का म िव ान लेख छपते थे। 1919 म नागपुर से उ म मािसक पि का िनकाली गई। िजसम चुर िव ान साम ी छपती थी। 1914 म िव ाथ पि का म िव ान लेख का समायोजन िकया जाता था। वतं ता पूव लगभग 250 िह दी िव ान क पु तक कािशत क गई ं । इससे पू रे देश म िह दी िव ान लेखन म एक नया वातावरण तैयार हो सका।

    वतं ता के बाद िव ान लेखन: वतं ता ाि के बाद िबहार रा भाषा प रषद, राजकमल काशन, राजपाल एंड संस, आ माराम एंड संस, त िशला काशन, िह दी चारक पु तकालय,

    िह दी सिमित उ , देहाती पु तक भंडार, िकताब महल, स ता सािह य मंडल, सव दय काशन, ामोदय काशन आिद ने इस िदशा म उ लेखनीय पहल क है। 1948 म इलाहाबाद से साइंस क

    कहानी और ारं िभक आकलन, आकाश से झांक : लेखक देवनाथ उपा याय तथा 1949 म इलाहाबाद से ही गृह न , इसी वष लखनऊ से ायोिगक रसायन तथा 1959 म नई िद ली से आिव कार कथा कािशत क है। 1948 म देहाती पु तक भंडार ने लोकोपयोगी िव ान और तकनीक पर पु तक शु क और रेिडयो सिविसंग पु तक भी छापी। सीएसआईआर क िह दी वै ािनक काशन िनदेिशका के अनुसार - वष 1966 तक िविवध िव ान िवषय पर 2,256 पु तक छप चुक थ । इसके अलावा ांतीय तर पर ंथ अकादिमय ने काफ िव ान सािह य रचा। 1960 म वै ािनक और तकनीक श दावली आयोग क थापना क गई, िजसने कई ामािणक श दाविलयां कािशत क । 1966 से 1980 के बीच िविभ न वै ािनक िवषय पर 2,870 िकताब िलख गई,ं तथा 474 िकताब का अनुवाद कराया गया। ऐसे म कुल 3,344 पु तक का काशन िकया गया। 1966 से पहले कािशत िकताब को जोड़कर कुल 5,600 िकताब को छापा गया।

    प -पि काओ ं का काशन: आजादी के बाद देश म कई एक िह दी पि काओ ं का काशन िकया गया। 1934 म ो फूलदेव सहाय वमा ने ‘गंगा‘ नामक पि का म िव ान का पू रा अंक िनकाला। 1948 म लखनऊ से ाकृितक जीवन पि का िनकली तो इसी साल पटना से ‘आयुवद‘ पि का भी सामने आई। होिमयोपैिथक संदेश 1948 म िद ली से छपी। 1948 म आईसीएआर ने खेती पि का आरंभ क । म य देश म कृिष िवभाग ने 1948 म िकसानी समाचार, 1950 म

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    NOTES

    लखनऊ से कृिष और पशुपालन, 1952 म िव तार िनदेशालय िद ली से उ नत कृिष, फाम सूचना एकक से गोसंव न आिद पि काएं िनकल ।

    1952 म वै ािनक एवं औ ोिगक अनुसंधान प रषद ने िव ान गित का ऐितहािसक काशन शु िकया। 1964 म इसका कायाक प करके इसे लोक िव ान पि का बना िदया गया। 1960 म िव ान सिमित उदयपुर ने डॉ. केएल कोठारी के संपादक व म ‘लोक िव ान‘ मािसक पि का िनकाली। इसके बाद 1961 म दो िव ान पि काएं िनकाली गई ं िजसम ‘िव ान लोक‘ के संपादक शंकर मेहरा (आगरा) बने और िव ान जगत िजसके संपादक आरडी िव ाथ (इलाहाबाद) रहे। दोन म खूब सारी िव ान साम ी छपती थी। ‘िव ान लोक‘ का काशन 15 साल तक चला। वष 1964 म सूरज कुमार पापा के संपादन म जयपुर से ‘वै ािनक बालक‘ पि का िनकाली। 1969 म भाभा परमाणु अनुसंधान के के वै ािनक ने िव ान सािह य प रषद का गठन िकया और ‘वै ािनक‘ नामक पि का िनकाली। 1971 म रा ीय अनुसंधान िवकास िनगम ने नई िद ली से ‘आिव कार‘ पि का िनकाली िजसके संपादक बदीउ ीन खां थे। 1975 म नैनीताल से ‘िव ान डाइजे ट‘ का मािसक

    काशन आरंभ िकया। 1979 म यूपी के महोबा से िव ान प रषद ारा ‘ ान-िव ान‘ मािसक पि का का काशन मनोज कुमार पटै रया के संपादक व म आरंभ हो सका। 1978 म इलाहाबाद से शुकदेव साद ने िव ान भारती ैमािसक पि का का काशन शु िकया। 1979 म भारतीय िव ान सं थान ने ‘िव ान प रचय‘ नामक ैमािसक आरंभ क । 1981 म िव ानपुरी ैमािसक, ामिश प

    ैमािसक और जू िनयर साइंस डाइजे ट मािसक पि का िनकाली गई। िव ानपुरी के संपादक मनोज पटै रया बने और इस पि का ने िव ान के े म फैली गड़बिड़य पर भी कलम चलाई। कई िवधाओ ं म िव ान साम ी यह पि का परोसती थी। ाम िश प के संपादक देवे नाथ भटनागर बने। इसे रा ीय अनुसंधान िवकास िनगम ारा िनकाला गया। 1982 म बैरकपुर पं बंगाल से ‘िव ानदू त‘ पि का शु क गई। इस मािसक पि का के संपादक डॉ गोिवंद साद यादव थे।

    1983 म डॉ ओम काश शमा ने ‘िव ान वाह‘ नामक मािसक पि का आरंभ क , इसके संपादक लीलाधर काला थे। 1985 म यह पि का बंद भी हो गई। 1985 म डीएसटी के सहयोग से भोपाल क सं था एकल य ने ‘चकमक‘ नामक पि का िनकाली। इसम ब च के िलए काफ साम ी छापी गई। 1986 म ेमचं ीवा तव के संपादक व म ‘िव ान वीिथका‘ ैमािसक पि का इलाहाबाद से िनकाली गई। 1986 म मुंबई से ही बाल िव ान पि का ‘साइफन‘ िनकाली गई। 1985 म ि िटश दू तावास के सहयोग से ‘ि िटश वै ािनक एवं आिथक समी ा‘ पि का िनकाली गई। आईआईटी िद ली ने 1987 म अ वािषक पि का ‘िज ासा‘ आरंभ क । इसके संपादक ो वंश बहादु र ि पाठी है। बंगलौर से ‘ पेस इं िडया‘ का काशन भी इसी साल शु िकया गया। 1988 म ‘िव ान गंगा‘ का काशन भगवान दास पटै रया के सौज य से हआ। इसे के ीय सिचवालय िह दी प रषद ने िनकाला। 1988 म ही वै ािनक तथा तकनीक श दावली आयोग ने ‘िव ान ग रमा िसंध‘ु का

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    NOTES

    काशन िकया। इसके संपादक ेमानंद चंदोला ह। इस तरह समय-समय पर िह दी म िव ान पि काएं कािशत होती रह और अब भी िनकल रही ह िजससे लोग को िव ान क सूचनाएं और जानका रयां बराबर िमल रही ह।

    1.5 व ान रपो टग भारत म िव ान समाचार क रपोिटग क िविधवत् शु आत वष 1940 म शु हई। िदन िदन िव ान का िव तार जीवन िव ान, िचिक सा िव ान, संचार, इले ॉिनक , अंत र , परमाणु ऊजा आिद े के मा यम से हो रहा है। इसक जानकारी आम आदमी को मीिडया के मा यम से होती है। मसलन प कार इन े क खबर , समाचार और जानका रय को आलेखब करके उसे या तो अखबार/मैगजीन म कािशत करता ह,ै या िफर उसे टीवी/रेिडयो चैनल से सा रत कर आम जनमानस तक पहंचाता है। दरअसल, िवकास के प र े य म देश क जनता यह जानना चाहती है िक आिखर हमारे ारा टै स के प म िदए गए पैस का योग देश क सरकार िकस कार कर रही है और हमारे वै ािनक िवकास म उसका िकतना योगदान हो रहा है।

    िव ान रपोिटग: िव ान के े म येक गितिविध क जानकारी एक कर उस पर रपोट तैयार करना या रपोट पर आधा रत समाचार कथा तैयार करना िव ान रपोिटग के अंतगत आता है। हां एक खास बात और िक िव ान रपोिटग म उन पांच ककार ( या, कहा,ं कौन, कब, कैसे) क आव यकता नह होती है िजनक सामा य रपोिटग म मदद ली जाती है।

    िकसी भी तरह क प का रता के िलए ोत क ज रत होती है। िव ान रपोिटग के िलए ारं िभक सूचना का ोत प -पि काएं ही होती ह। अंतररा ीय िव ान पि काएं साइं िटिफक अमे रकन, साइंस, नेचर, व ड साइं िट ट, लैसट, यूसाइं िट ट, िड कवर आिद अनेक िव ान पि काएं काफ उपयोगी ह। साइं िटिफक अमे रकन का भारत सं करण भी ‘िव ान‘ के नाम से िनकलने लगा।

    वै ािनक सूचनाओ ं का दू सरा ोत संगो ी, या यान या प कार स मेलन हो सकता है। इसम िव ान से जुड़ी सूचनाओ ं क जानकारी के अलावा अ य ज री सूचनाएं भी मुहैया कराई जाती ह। इसके अलावा सेिमनार िकट या सेिमनार बैग म संगो ी से जुड़ी सारी साम ी मौजूद रहती है िजसके आधार पर रपोट तैयार करने म मदद िमलती है। ेस वाता म भी िवशेष से पूछकर उस पर रपोट बनाई जा सकती है। इसके अलावा वै ािनक से बातचीत पर आधा रत समाचार भी बनगे।

    िव ान सूचनाओ ं का तीसरा और मह वपूण साधन है वै ािनक सं थान का मण करना। यहां पर शोधकता अपना शोध काय कर रहे होते ह। िव ान प कार का दािय व है िक वह इन लोग से बातचीत कर खबर बना सकता है। कभी-कभी गोपनीयता क वजह से प कार को कोई भी

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    NOTES

    जानकारी नह िमल पाती, लेिकन सरलता और सहजता से वै ािनक सारी जानका रयां प कार से शेयर कर लेता है। इसके अलावा िव ान प कार को वै ािनक े से िनकलने वाली िनयिमत िनिवदाए,ं सूचनाए,ं ेस िव ि य और य आदेश तथा िव ापन आिद क जानकारी लेते रहना चािहए। इससे भी कई खबर िनकलकर सामने आ सकती ह। इसके अलावा वै ािनक सं थान ओर सरकारी िव ान िवषयक िवभाग क वािषक रपोट, चार सामा ी, पो टर, फो डर, चाट, पु ि तका, िववरिणका के अलावा रेिडयो और दू रदशन के िव ान काय म से भी मह वपूण सू हाथ लग सकते ह, िजससे आगे चलकर काफ भावी िव ान रपोिटग तैयार हो सकती है।

    उदाहरण: अमे रका म एक िव ान प कार ने सेना ारा जारी क गई दो िनिवदाएं पढ़ । उसने कुछ िदन बाद एक और िनिवदा पढ़ी जो पहली दोन िनिवदाओ ं से संपक खाती थी। पहली दो िनिवदाएं दो ऐसी गैस के िलए थ िजनके िमलने पर िव फोट हो सकता था। और तीसरी िनिवदा ऐसे आवरण क थी जो िव फोट को रोकने म सहायक थी। प कार ने तीन िनिवदाओ ं को िमलाकर एक जोरदार रपोट तैयार क िजसने पू रे िव समुदाय को चिकत कर िदया। इसी कार पािक तान के परमाणु

    काय म क जानकारी उसके ारा खरीद िकए जाने वाले आडर से पता चली। दरअसल पाक सरकार ने एक िम धातु और एक वे सी क वटर क खरीद के िलए आडर िदया था। इसी से उसक मंशा लीक हो गई।

    लखनऊ म आईटीआरसी (औ ोिगक िवष िव ान अनुसंधान के ) म एक काय म के दौरान कुछ वै ािनक ने एक दू सरे से पूछा िक या वे कंुभ म जाना चाहते ह। िव ान प कार का माथा ठनका िक वे कंुभ म इलाहाबाद य जाना चाहते ह। बाद म पता चला िक आईटीआरसी के वै ािनक का दल कंुभ म हवा और पानी म गंदगी क जांच कर रहा है। साथ ही खा पदाथ म दू षण क जांच के िलए वै ािनक अपनी परी ण िकट सिहत मेला थल पर मौजूद ह। िह दु तान के िव ान प कार सुबोध कुमार ने यह खबर िनकाली जो कूप सािबत हई।

    िव ान रपोिटग क किठनाइयां और समाधान- िव ान क रपोिटग म कई कार क िद कत सामने आ सकती है।, लेिकन िव ान प कार को रपोिटग के व धैय रखना होगा और िन न िबंदु ओ ं पर यान देना होगा-

    1. िव ान प कार िकसी भी रपोट को ामक त य के आधार पर न कािशत करे। वना उसे आगे रपोिटग म अपना सू खो देना पड़ेगा और उसक िव सनीयता पर िच ह लग जाएगा।

    2. िव ान प कार क गलती से वै ािनक के कामकाज पर असर पड़ेगा और वह अपना काय उ मु ढंग से नह कर पाएगा।

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    NOTES

    3. ज दबाजी के च कर म अधकचरी िव ान रपोट को कािशत करना, लोग को बेवकूफ बनाने जैसा होगा और ऐसे अपराध क सजा बहत कड़ी होती है।

    4. वै ािनक के दाव के ित िव ान प कार को सचेत रहना होगा और जब तक वह उ ह पु ता न कर ले तब तक अपनी रपोट म न छापे।

    5. देश के मुख वै ािनक सं थान से ा रपोट को िबना िकसी अनुमित के कािशत कर देना प कार को ससरिशप के दायरे म खड़ा कर सकता है। ऐसे म िबना नीितगत पॉिलसी का अवलोकन िकए खबर छापने से बचना होगा।

    6. िव ान प कार को जाग क होकर वै ािनक सं थान के मुख से वाता कर खबर पर पकड़ बनानी चािहए। कभी-कभी उ ह अपेि त सूचना नह िमल पाती िलहाजा सं थान के सूचना एवं जनसंपक िवभाग से सम वय करना अपेि त होगा।

    7. अं ेजी म जो वै ािनक सूचनाएं दी जाती है उनके अनुवाद म िद कत आती ह, िलहाजा लोग तक समय से सूचना नह पहचं पाती है। ऐसे म जब तक िव ान का सािह य भरपूर मा ा म िह दी म नह उपल ध होगा तब तक िद कत होना वाभािवक है।

    िह दी म िव ान लेखन:

    इसके िलए चार मुख त व पर यान देना होगा-िह दी भाषा का ान, लेखन मता और वै ािनक जानकारी तथा िह दी म िव ान का चार- सार क ती अिभलाषा। अ छे लेखन के िलए कुछ

    मुख सू बताए गए ह-

    पहला, पाठक को के म रखकर लेखन काय िकया जाए । दू सरा, एक बात एक ही बार िलखी जाए, यानी रपीटीशन न िकया जाए। तीसरा, िलखने के बाद उसे पढ़ा जाए और गलितया ंसुधार दी जाएं । कुछ अ य िबंदु भी मह वपूण ह।

    1. िव ान लेखन िकसके िलए िकया जाना है और िकस िवधा के मा यम से यह लोग तक सहजता से पह ंच सकता है।

    2. िलिखत िव ान साम ी को परोसने का एक क चा खाका बनाना पड़ सकता ह,ै िजससे शीषक और उपशीषक प हो सक और लोग के समझ म जानका रयां आ सक।

    3. िव ान क साम ी को पढ़ना, देखना और समझना तथा उसे सु यवि थत ढंग से तुत करने से ही लेखन भावकारी हो सकेगा।

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    NOTES

    4. िव ान साम ी को बोिझल और नीरस न बनाएं बि क उसक जानका रय को िचकर तथा आसान ढंग से परोसा जाए िजससे लोग को भार न लगे। भाषा क जिटलता से बच तथा आंकड़ेबाजी के फेर म न पड़। अथपूण आंकड़ पर जोर रहना चािहए मसलन दु घटना या बाढ़ से मरने वाल क सं या लोग जानना चाहते ह ऐसे म उिचत सं या पर यादा जोर होना चािहए।

    5. िव ान लेखन म ामािणकता पर यादा जार होना चािहए। अ ामािणक और अपु लेखन म लोग को म तो होगा ही लेखक क ग रमा पर भी चोट लगेगी। सुनी-सुनाई बात को नजरअंदाज कर।

    6. नवां कुर या नए लेखक िव ान लेखन करते समय कुछ बात का यान रख जैस-े सं ेप म िलख, लेखक का औिच य प हो, लेखक क यो यता उपयु हो। रचना क सं ि परेखा प कर। इसके िलए साम ी और ोत कैसे जुटाएं गे, वह भी बताएं तथा रचना काय म िकतना समय लगेगा, इसे भी िलख।

    1.6 व ान प का रता : विभ न वधाएं िव ान प का रता के अंतगत िविभ न िवधाओ ं के तहत काय िकया जा सकता है। इसम िव ान समाचार के अलावा रपोताज और लेख, िव ान कथाए,ं उप यास और किवताएं शािमल ह। िव ान नाटक और पक, िव ान िच कथाए,ं यं य िच और हा य यं य के अलावा िह दी म वै ािनक समी ाएं शािमल ह। वै ािनक सा ा कार, भटवाता के अलावा प रचचाएं भी इसके तहत कवर क जाती ह।

    समाचार और िव ान: समाचार शी ता से िलखा जाने वाला इितहास है। जेजे िसंडलर के अनुसार पया सं या म मनु य िजसे जानना चाहे वह समाचार है। पर शत यह है िक वह सु िच तथा ित ा के िनयम का उ लंघन न करे। वह िव ान समाचार वह वै ािनक जानकारी है िजसके बारे म पाठक उसके पहले न जानते ह , िव ान संवाददाता को हमेशा यह यान रखना चािहए िक िव ान समाचार, िव ान व ो ौिगक क जानकारी देता है न िक वै ािनक क । वै ािनक के भाषण , व य व अ य काय म पर बहत से रपोताज िव ान के नाम पर छपते रहते ह वे वा तव म िव ान समाचार नह कहे जा सकते ह। नाथ, ई ट, वे ट व साउथ यानी चार िदशाओ ं से कह भी िव ान के िकसी

    े म जो घटना या दु घटना होती ह,ै वह िव ान समाचार है। िव ान के े म कोई भी खोज, अनुसंधान या आिव कार िव ान समाचार है। अनुसंधान क शु आत, गित और उसके प रणाम भी िव ान समाचार ह। अंत र के िलए तैयार िकए जाने वाले उप ह भी िव ान समाचार ह।

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    NOTES

    कई सामा य समाचार म भी वै ािनकता का पुट देकर उ ह भी िव ान समाचार बनाया जा सकता है। जैसे पुल का िनमाण और उससे जुड़ी िवशेष ि थितयां । िव ान समाचार ायः सं ि और गठे होने चािहए। ये िकसी मह वपूण वै ािनक घटना से आरंभ होते ह और बाद म घटना का सं ि वणन भी िदया जाता है। अगर पहले से कोई संगत जानकारी मौजूद है तो उसे भी िदया जाता है। िव ान समाचार म उपयु शीषक भी िदया जाता है। बड़े समाचार म तो उपशीषक भी िदया जाता है। वे टली ने शीषक क चार खू िबयां भी बताई ह-शीषक एकदम प व अथपूण हो। उपयु और जानदार सरल श द म िलखा जाए, समाचार के मुख त य पर आधा रत हो और समाचार का अ छे से अ छा सं ि सारांश दे। िव ान समाचार को भी सु िखय म थान िमलना चािहए, य िक राजनीितक और अपराध समाचार के बीच म िव ान समाचार दब जाते ह।

    वै ािनक रपोताज: वै ािनक समाचार पक और रपोताज म कोई िवशेष अंतर नह जान पड़ता। पक म िवषय के िविभ न प का िव तृत िव ेषण िकया जाता है जो िक रपोताज म संभव नह

    है। रपोताज पूण प से समाचार धान होता है और समाचार उ म के इद-िगद घूमता रहता है। इस तरह से समाचार का िव तृत तु ितकरण ही रपोताज कहलाता है। वै ािनक रपोताज ायः िव ान संगो ी, पुर कार, उ ाटन, िवमोचन समारोह या िकसी वै ािनक घटना पर तैयार िकए जा सकते ह। रपोताज के िलए कोई िनधा रत फामूला नह ह,ै लेिकन लेखक को इसके सभी पहलुओ ं पर नजर रखनी होगी। रपोताज के िलए उपयु िवषय पर िवशेष से वातालाप कर जानकारी दी जाती है। यव थागत समालोचना भी रपोताज म क जाती है। काय म के दौरान घिटत झलिकयां भी रपोताज म कवर क जाती ह, िजससे उसम रोचकता बढ़ जाती है। समाचार और रपोताज म गहराई से देखने पर ही अंतर पता चलता है िक रपोताज समाचार के अलावा भी बहत कुछ है जबिक समाचार केवल समाचार होता है। सरस िव ान प का रता के िलए रपोताज एक व थ परंपरा है और पाठक इसे काफ पसंद करगे।

    वै ािनक लेख: िव ान के िकसी पहलू पर गहराई से जानकारी देने वाले ग लेख को िव ान लेख क परंपरा म शािमल कर सकते ह। मोटे तौर पर इ ह दो ेिणय म बां टा जा सकता है-शोध लेख व समी ा लेख और लोकि य लेख। वै ािनक ारा िकए गए अनुसंधान काय का योरा देने वाला लेख शोध लेख या शोध प कहलाता है। इसे तकनीक प भी कहा जाता है। इसके लेखक वे यि होते ह जो अनुसंधान काय म सहभागी होते ह। इसके अलावा समी ा लेख ( र यू

    आिटिकल) िकसी अनुसधंान काय क वै ािनक समी ा होती है और उस पर अ य काय क ओर भी सं केत होते ह। ये लेख ायः िवशेष ारा िलखे जाते ह। शोध लेख सीधे और सपाट िलखे जाते ह। इनम नाटक यता भरे शीषक नह िलखे जाते ह।

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    NOTES

    शोध प क शु आत म ही सारांश िदया जाता है। इसके अलावा इसम तावना, योग क कृित, साम ी और िस ांत, ा प रणाम, िववेचना, उपसंहार, कृत ता ापन, संदभ सू , उदाहरण, फुटनोट, सारणी, रेखािच और फोटो ाफ आिद शािमल िकए जाते ह। लोकि य िव ान लेख जो साधारण पढे-़िलखे पाठक , िव ािथय , कारीगर तथा आम जनता के िलए िलखे जाते ह, जबिक शोध लेख या समी ा लेख वै ािनक या अनुसंधानकताओ ं के योग के िलए होते ह और इसीिलए वे गूढ़ वै ािनक भाषा म िलखे होते ह। जबिक लोकि य लेख, सरल और आम बोलचाल क भाषा म होते ह। इनका उ े य िव ान क जिटलताओ ं को सरल बनाकर जनसामा य के िलए रोचक तरीके से पेश करना ह।

    िवषयपरक लेख: ऐसे लेख जो िकसी यावहारोपयोगी वै ािनक अनुसंधान या आिव कार के वणन के प म िलखे जाते ह। इनका िवषय िव ान ओर ौ ोिगक क िकसी भी शाखा के तकनीक प से संबं िधत हो सकता है। इनका िवषय जन िच का कोई पुराना या नया िवषय हो सकता है। जैस-े बायोटे नोलॉजी, उप ह, प रवहन, काबन, शीतन, प रवहन तं आिद। ऐसे लेख म पाठक को िकसी नए िव ान समाचार से अवगत कराना ह,ै तािक पाठक उसके बारे म और अिधक जानना चाह। यह भी बताना ज री है िक लेख म विणत िव ान लोग को िकस तरह से

    भािवत करेगा। उसके सकारा मक और नकारा मक भाव या ह गे, इसक भी चचा आगे क जाती है। िवशेष जानकारी वाले लेख को बा स म देते ह और उनम ाफ तथा िच का योग भी िकया जाता है। वै ािनक उपकरण , िविधय , काय आिद पर िलखे जाने वाले लेख भी इसी ेणी म आते ह। िव ान लेखन क इस सश िवधा का योग आज काफ हो रहा है।

    िवचारपूण लेख: ऐसे लेख िव ान के तकनीक प पर कम उसके सहयोगी प पर यादा आधा रत होते ह। इनम वै ािनक या यान , व य , िट पिणय का समावेश होता है। जैस-ेवन सं र ण क ज रत, िव ान िश ा क िदशा, ितभा पलायन, िव ान का भाव, वै ािनक अिभ िच आिद। इनम योजनाओ ं का योरा होता है जबिक िव ान गौण होता है।

    खोजपूण लेख - खोजी िव ान प कार का काय है िक वह िव ान के उन े म हाथ डाले जहां ढेर गड़बिड़यां ह जैस-ेवै ािनक क आ मह या, ितभा दमन, ितभा पलायन, उपकरण का पैसा न िमलना, अनुसंधान प रयोजना का लंबा िखंचना, िनयु ि य और पदो नितय म धांधली, वै ािनक को ताड़ना, अ िचकर काय स पना, िवदेश या ाओ ं और पुर कार म गड़बड़ी, बेदम अनुसंधान प रयोजनाएं आिद। िव ान के े म भला-बुरा जो भी हो रहा ह,ै उसे केवल िव ान प कार ही खोजकर सामने ला सकता है।

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    NOTES

    जीवनी- िकसी वै ािनक क जीवनी म केवल उसके जन ्म, मरण, िश ा, प रवार या यवसाय का िववरण देना ही काफ नह बि क उसके उन पहलुओ ं पर खास कर फोकस िकया जाना चािहए िज ह पढ़कर पाठक आ मसात कर सके। िव ान के े म वह वै ािनक कैसे आगे आया और िकस तरीके से आगे बढ़ा इसका वणन ज री है।

    संपादक य, अ लेख व िट पिणया-ं कुछ लोग अ लेख को प -पि का का थम लेख मानते ह तो कुछ मुख लेख को ही अ लेख कहते ह। कुछ लोग पाठक का िनयिमत िदशा िनदशन करने वाले लेख को ही अ लेख कहते ह। अ लेख संपादक या संपादक य किमय ारा िलखा जाता है। लगभग सभी समाचार प िकसी घटना िवशेष पर संपादक य िलखते ह। संपादक य िट पणी प -पि का क नीित-रीित प ट करती है। इसम म पैदा करने वाली बात न िलखी जाएं । बहत मह वपूण और लोकिहत का िवषय ही संपादक य म उठाना चािहए। िट पिणय को सं ि पत िलखा जाए और उनका िनरथक िव तार न िकया जाए।

    िवशेष लेख-इसे आवरण लेख भी कहा जाता है। इसम िकसी वै ािनक िवषय या घटना को लेकर उसके िविवध पहलुओ ं का िव लेषण िकया जाता है। ये लेख तीन से दस पृ ठ के होते ह। इनके िवषय िव तार या िवशेषता के कारण इसे फ चर लेख भी कहा जाता है। पू रे लेख म कई तरह के लघु लेख समािहत िकए जाते ह। लेख क कृित बहआयामी होती है।

    तंभ-पाठक क िचयां िभ न होती ह, िजसके चलते वे अपनी िच क साम ी को अखबार या पि का म एक िनधा रत थान पर पढ़ना चाहते ह । कुछ प -पि काएं एक िनि त शीषक के साथ िनयिमत तभं का काशन करती ह। इनम काफ रोचक साम ी होती है। िह दी अखबार म िव ान, कृिष और वा य िवषय पर अनेक तभं कािशत िकए जाते ह। तभं म कािशत होने वाली साम ी यादातर बाहर के लेखक ारा ा त होती है। अगर बाहर से साम ी नह िमली तो उसे संपादक य िवभागखुद तैयार करेगा। यिक िनयिमत तभं न छपने से पाठक को बेचैनी हो जाती है। इससे अखबार या प -पि का क साख भी खतरे म पड़ जाती है। ऐसे म प -पि का के कताधताओ ंको सोच सम कर ही कदम उठाने चािहए।

    िव ान कथा, उप यास और किवताए-ं िव ान कथाएं समाज म न केवल िव ान के चार- सार के िलए बि क सामािजक प रवतन और भिव य क त वीर उतारने म भी उपयोगी ह। केवल िव ान जानने वाले ही इन कथाओ ं क ओर आकिषत नह हो रहे ह, िव ान न जानने वाले भी इसका मजा ले रहे ह । िव ान कथाओ ं का सामािजक उ े य यापक एवं उ तरदािय वपूण ह,ै य िक इनम भिव य का दशन िकया जा सकता है। िव ान कथा लेखन म पृ ठभू िम और पा के चा रि क िवकास को लेकर िद कत बन रहती ह।

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    NOTES

    िह दी वै ािनक उप यास क शु आत वष 1888 से मानी जाती ह,ै जब देवक नंदन ख ी ने “चं कांता” िलखा। आधुिनक िव ान उप यास क शु आत वष 1935 से हई जब डॉ संपूणानंद ने “पृ वी से स तिष मंडल” नामक लघु उप यास िलखा। 1956 म िव ान प कार डॉ ओम काश शमा ने मंगल या ा नामक उप यास िलखा। िन सदंेह यह िह दी का पहला वै ािनक उप यास है।

    काफ समय पहले मौसम के पूवानुमान को लेकर किव भड्डरी ने कई किवताएं िलख । इ ह िह दी म वै ािनक किवता क शु आत करने वाला मान सकते ह। बाद म 1966 म वै ािनक एवं औ ोिगक अनुसंधान प रषद ने ब च के िलए िव ान िवनोद पु तक माला का काशन िकया। इसम कई िवषय क कुल 13 पु तक का काशन िकया गया। इनम जल का चम कार, वायुयान क कथा, टीवी क कथा आिद शािमल ह। किवता के मा यम से ब च और नवसा र म िव ान का चार-

    सार आसानी से िकया जाता है। अनेक प -पि काएं जैसे िव ान गित, चकमक, पराग, िव ानपुरी म काफ िव ान किवताएं छपती रहती ह। िव ान किवताओ ं के रचनाकार म अिखलेश कुमार िसंह, रमेश द त शमा, िनशीत अि नहो ी व नरिवजय िसंह मुख ह। लखनउ िनवासी रसायन शा म पीजी कर चुके िनशीत ने वष 2005 म “िव ान चालीसा” िलखी जो िव ान गित म

    कािशत हई। इसके बाद वष 2007 म उ ह ने “िव ान िश ारंजन” नामक किवता संकलन िलखा, िजसम हाई कूल तर के भौितक िव ान के पाठ शािमल ह जैस-ेकाय, बल, उजा, साम य, वरण, उ लावन बल आिद। डॉ सुबोध कुमार के संपादन म छपी इस िकताब का पेटट भी हो चुका है।

    िव ान नाटक और पक-िव ान नाटक दरअसल िव ान कथा का ही बदला प है। िव ान कथा म जहां पा , घटना म और देशकाल कथा क िनरंतर भाषा का िह सा होते ह वह नाटक म देशकाल, घटना म और अ य प रि थितय का वणन को ठक के अंदर करके बातचीत सीधे कथोपकथन ारा दशाई जाती है। जबिक पक दोन ही कारक के हो सकते ह, िनरंतर भाषाई तथा नाटक य कथोपकथन। वैसे नाटक या कथा जहां क पना आधा रत होते ह वह पक िकसी भी वा तिवक सच के रोचक उ ाटन के िलए होता है।

    िव ान िच कथाए,ं यं य िच और हा य यं य – िव ान िच कथा अं ेजी के कॉिमक श द का िह दी पा तर है। इसका उ े य लोग को िवशेषकर ब च को मनोरंजक ढंग से िव ान क जानकारी देना तथा उनम वै ािनक अिभ िच िवकिसत करना। वतमान म ये िच कथाएं काफ लोकि य ह। हंसाने और कटा करने वाले रेखािच काटून कहलाते ह । एक व ्यं य िच हजार श द के बराबर होता है। काटून म िव ान नामक यं य िच िव ान गित म 1977 म छापे गए थे। हालां िक यह िवधा िव ान म अभी तक पूरी तरह िवकिसत नह हो पाई है।

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    NOTES

    हा य यं य का िव ान प का रता म खास मह व है। हालां िक इसका चार- सार कम होने से शायद िव ान लेखन आज भी उबाउ और नीरस बना हआ है। वै ािनक पु तक समी ा से भी पाठक को अमुक िकताब के बारे म काफ कुछ रोचक जानका रयां िमल जाती ह। इसके अलावा आकाशवाणी से भी िव ान क कृित क समी ा समय-समय पर सा रत होती रहती है।

    वै ािनक सा ा कार या भटवाता और प रचचा-समाज के िलए हई बड़ी खोज या िकसी आपदा- दु घटना के व त वै ािनक िवषय पर िवशेष िट पणी या नई जानका रय क ज रत होती है। यह काय िव ान प कार ारा िकया जाता है। भाषा क बड़ी भिूमका अहम होती है और िव ान प कार वै ािनक से अं ेजी म बात करके सभी ज री सूचनाएं इक ा करके उ ह बाद म िह दी म िलखकर पाठक तक पहंचाता है। प कार को सा ा कार के िलए पूरी तैयारी करके जाना चािहए, िजससे कोई िबंदु छूट न जाए। प रचचा म िकसी िवषय िवशेष पर कई िवशेष ारा चचा क जाती है। इस िवधा म वलंत िवषय पर ही िवशेष के िवचार सुनने को िमलते ह। वैसे िवशष के आपस म िवचार िभ न हो सकते ह।

    1.7 पयावरण से जुड़े मसले और मी डया मनु य एक सामािजक ाणी है। पृ वी पर जीव और वन पितय के बीच म हमेशा से ही एक सामंज य बना रहा है। अगर कभी हमारे चार ओर के वातावरण म मौजूद ाकृितक चीज म असंतुलन पैदा हो जाए तो मनु य का दािय व है िक वह उ ह दू र करने का यास करे। पृ वी पर जब हम संपूण पयावरण क बात करते ह तो इसम जल, जंगल, पहाड़, निदया,ं मैदान, जीव, पश-ुप ी, हवा ही नह शािमल होते ह बि क देश से जु ड़े सामािजक, आिथक , सां कृितक और राजनीितक सरोकार को भी समािहत िकया जाता है। वा तव म पयावरण म शािमल िकसी भी घटक का अपने अनुपात से बढ़ जाना ही दू षण को ज म देता है। आजकल वायु दू षण, जल दू षण, मृदा दू षण, विन दू षण, रेिडयोधम दू षण क िचंता सता रही है।

    आग लगने से, मोटर-कार के धुएं से या वातावरण म काबन डाइ आ साइड