samskrna : 19 vapax : 2014metnet.imd.gov.in/pdfs/hindi_mausmanjusha19.pdf · भारत...

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    मौसम मंजूषा वष- 2014 अंक-19

       भारत मौसम व ान वभाग  1

    भारत सरकार भारत मौसम व ान वभाग

    अंक-19 वषः2014

    भारत मौसम व ान वभाग पृ वी व ान मंऽालय मौसम भवन, लोद रोड नई द ली-110003

    (आवरण पृ - 12 अ ू बर 2013 को उपमह से ूा Ô पेिलन Õ चबवात का िचऽ । ौीमती स रता जोशी , हंद अिधकार ारा डजाइन कया गया । )

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    मौसम मंजूषा वष- 2014 अंक-19

       भारत मौसम व ान वभाग  2

    मौसम मंजूषा भारत मौसम व ान वभाग क

    वभागीय हंद गहृ प ऽका

    ूमखु संर क डॉ. लआमण िसहं राठौड़

    मौसम व ान के महािनदेशक

    संर क ौी अशोक कुमार शमा

    मौसम व ान के उपमहािनदेशक (ूशासन एवं भडंार )

    संपादक सौुी रेवा शमा

    व र हंद अिधकार

    सह सपंादक ौीमती स रता जोशी

    हंद अिधकार

    टंकण सहयोग ौी उमाशंकर

    उ च ौणेी िल पक

    पऽ यवहार का पता सपंादक -'मौसम मंजषूा ', भारत मौसम व ान वभाग हंद अनुभाग, क स-ं 612 ,उपमह मौसम भवन

    लोद रोड, नई द ली-110003

    मुिक वभागीय मिुणालय, पुणे

    (मौसम मंजषूा म ूकािशत रचनाओं म य वचार एवं कोण रचनाकार के ह । भारत मौसम व ान वभाग का इनसे सहमत होना आवँयक नह ं है ।)

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    मौसम मंजूषा वष- 2014 अंक-19

       भारत मौसम व ान वभाग  3

     

    महािनदेशक भारत मौसम व ान वभाग

    मौसम भवन, लोद रोड नई द ली-110003

    महािनदेशक महोदय क कलम से

    एक बार फर मौसम क मंजषूा म आपके हाथ म स प रहा हँ। मौसम मंजषूा म ूजहाँ रचनाकार ारा ूः तुत संुदर लेख,क वताएँ हंद भाषा म उनक अिभ य त का मा यम बन रह ह वह ं विभ न वै ािनक एवं तकनीक वषय पर हंद म लेख िलखने का जो बम ूारंभ हआ है ु , वह ूशंसनीय है। हमार भाषा म हमार िम ट क सुगधं बसती है। भाषा हमार संः कृित क संवाहक, संचारक और संूेषक होती है। हमारे वभाग के अिधका रय और कमचा रय ने जस उ साह से हंद म लेखन काय कया है यह वाः तव म बहत ह गव क बात ुहै। मुझे खशुी इस बात क है क इसके मा यम से हंद म वै ािनक एवं तकनीक सा ह य हम उपल ध हो रहा है एवं संिचत भी हो रहा है। मुझे वँ वास है क आगे भी अिधक से अिधक लेखक हंद म लेखन काय से जड़ुगे । म मौसम- मंजषूा के सफल ूकाशन क कामना करता हूँ । शुभकामनाओ ंस हत

    (लआ मण िसंह राठौड़)

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    मौसम मंजूषा वष- 2014 अंक-19

       भारत मौसम व ान वभाग  4

    मौसम व ान के उपमहािनदेशक

    (ूशासन एवं भंडार) मौसम भवन, लोद रोड

    नई द ली-110003

    संदेश

    हंद दवस के सुअवसर पर मौसम मंजषूा का 19वाँ अकं आपके सम ूः तुत है। मुझे इस बात क खशुी है क वभाग म हंद म लेखन काय म काफ बढ़ो तर हई है। पूरे भारत म फैले मौसम वभाग के विभ नु कायालय म लोग हंद म लेखन काय कर रहे ह। वै ािनक और तकनीक लेख के साथ-साथ समाज के अ य पहलुओं पर भी िलख रहे ह। इससे यह पता चलता है क आपम राजभाषा हंद म िलखने और काय करने क मता है। सभी रचनाकार को म हा दक बधाई देता हँ जनके ूूयास से वभागीय हंद गहृ प ऽका मौसम-मंजषूा का नया अकं सामने आया है ।मेर कामना है क आप लोग इसी ूकार िलखते रह। यह दसर को भी ूो साू हन देने का काय करेगा। एक बार फर हा दक बधाई और शुभकामनाएँ ।

    (अशोक कुमार शमा)

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    मौसम मंजूषा वष- 2014 अंक-19

       भारत मौसम व ान वभाग  5

    सपंादक य

    मौसम मंजषूा के पछले अंक से लेकर इस अकं के दरिमयान भारत मौसम व ान वभाग के सम जो चुनौितयाँ आ उनक हम बात कर तो यह क िनस देह उनका सामना साहस के साथ कया गया, जो उपल धयाँ हई उ हु रां श को सम पत कया गया। ूकृित के साथ तालमेल बठा कर चलना कोई सहज काम तो है नह ं, सो पूर ताकत के साथ ूकृित के नरम गरम िमजाज़ को समझते हए आगे चलते रहे। ुआमतौर पर एक चबवात के बाद दसरे चबवात के आने के बीच कुछ अतंराल रहता ूहै। एक चबवात के तुरंत बाद वैसी ः थितयाँ नह ं बनती ह पर पेिलन चबवात के बाद तीन चार चबवात एक के बाद एक करके आए। वशेष प से तूफानी गित से आगे बढ़ते हए ूचंड चबवात ु पेिलन (चबवाती तूफान) क एक एक हरकत पर पैनी नज़र बनाए रखी,प रणामत:अ य ऐजेिसंय के साथ बेहतर सम वय हो पाया और बहमू यु जान क र ा हई। यह सब मौसम व ानी क पैनी नज़र और समय पर ुपहँचाई गई ः टु क जानकार क वजह से संभव हो पाया। शायद ऐसी ह कसी ः थित म पूव ूधान मंऽी ौी अटल बहार बाजपेयी जी का क व ॑दय पुकार उठा होगा, और संदेश दया होगा:-

    बाधाएं आती ह आएं,िघर ूलय क घोर घटाएं पाँव के नीचे य द वाला ,िनज हाथ म हंसते हंसते

    आग लगाकर चलना होगा, कदम िमलाकर चलना होगा । इनसैट 3 ड के ज रए भारत मौसम व ान वभाग ने इस दशा म एक कदम और आगे बढ़ाया। मौसम के पूवानुमान से संबंिधत तमाम मह वपूण जानका रयाँ और भी मुः तैद से अब िमलने लगी ह। वकास के पथ पर रां श को अमसर करता, अपने सभी दािय व का िनवाह भली भाँित करता हआ भारत मौसम व ान वभाग आगे ुबढ़ रहा है। फर बात चाहे रां श क भाषा क ह य न हो। भारत मौसम व ान वभाग के ः थापना दवस 2014 के अवसर पर िनबंध सागर के दसरे अंक का ूवमोचन माननीय मंऽी महोदय ौी जयपाल रे ड जी ारा कया गया।राजभाषा बुले टन नाम से हंद यूज लैटर का दसरा अकं भी तैयार कया गया। का यू

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    मौसम मंजूषा वष- 2014 अंक-19

       भारत मौसम व ान वभाग  6

    वशेषांक मौसमी बयार िनकाला। वभाग म राजभाषा के ूचार ूसार का सबसे बड़ा उदाहरण मौसम मंजषूा का है। उ तर, द ण, पूव प ँ चम चार दशाओ ं से इस मौसम क मंजषूा को सजाने वाले रचनाकार के हाथ लेखनी िलए हंद म तरह-तरह के लेख रच रहे ह। भूकंपीय मानिचऽ का सूआ म वग करण एवं उपयोिगता, उं णक टबंधीय चबवात जसेै वै ािनक एवं तकनीक लेख तो शािमल ह ह साथ ह पानी से ज ोजहद करते हएु , मानव क बेबस ः थित बताते हए भ वं यु म आने वाले खतरे से आगाह कया गया है। इस बार पाठक के िलए एक नया ः तंभ हमार सा ह यक धरोहर भी आरंभ कया गया है जसम हंद सा ह य के कलम के िसपाह मंुशी ूेमचंद क कहानी ूः तुत क गई है। संः मरण पग-पग आगे चलता रहा है तो नाटक भी शािमल कया गया है। क वता तो मौसम क शान रह ह है हमेशा। मौसम क मंजषूा है तो इसम झंझावात भी ह गे, बजली के साथ साथ बा रश भी रहेगी; साथ म ह गे याद के यापार । साथ ह साथ जसैलमेर के मौसम से ब कराती क वता भी है। वभाग के िलए यह गौरव क बात है क अब हमारे वभाग के लोग क यूटर पर हंद म काय करने लगे ह। काफ लोग ने तो अपनी रचनाएं यूिनकोड फाँट म ः वयं टाइप करके इस प ऽका के िलए उपल ध कराई ह। फोने टक क -बोड के ज रए बहत ह आसानी से अिधकारु , कमचार काम करने लगे ह। यह बहत बड़ ुउपल ध है। इसी वषय से जड़ुा स रता जोशी का लेख क यूटर और हंद -सु वधाएँ व उपयोग और लोग को भी क यूटर पर हंद म काय करने के िलए ूो सा हत करेगा। इ छाश त क ह आवँ यकता है संभावनाएं असीिमत है। भारत वष को ः वतंऽ कराने म जन लोग ने संघष कया अपने ूाण योछावर कए वे लोग भले ह देश के िभ न िभ न ूात से थे कंतु भारत वष क वाणी, भारत वष क भाषा हंद को ह उ ह ने सर माथे पर बठाया। आज जस ः वतंऽ भारत म हम सांस ले रहे ह, इसके िलए इस भाव को दलो दमाग म रखते हएु , उ ह शत शतनमन करते हएु , देश क भाषा हंद क शान को बनाए रखना,उसे म हमामं डत करना अब हमारा कत य है।मौसम मंजषूा इसी दशा म एक छोटा सा कदम है। नए ूयोग म साथ मौसम मंजषूा का यह अकं आपके सम है। मौसम क इस मंजूषा म भाँित- भाँित के फूल क खशुबू आपको महकाएगी, इसी आशा के साथ ।

    हा दक शुभकामनाएँ

    (रेवा शमा)

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    मौसम मंजूषा वष- 2014 अंक-19

       भारत मौसम व ान वभाग  7

    अनुबम णका • वै ािनक व तकनीक बौछार

    भूक पीय मानिचऽ 11  अती ि कुमार शु ल 

    नेनो व ान व तकनीक 17 पोषण लाल दवेागँन

    उंणक टबंधीय चबवात 20 राम ह र शमा

    ई र य कण : ह ज बोसोन 30 अशोक कुमार कँयप

    रेडार बनाम ःटे थ रमेश सोहन लाल चौ रशी 34

    • मुलाकात डॉ. वाई. ई. ए. राज से सवंाद 37

    रेवा शमा, स रता जोशी • सा ह यक बहार

    सुहाग क साड़ 44  मुंशी ूेमचंद 

    • याद के झरोखे से  कैसे बदलते ह मौसम 52

    आर. के. द ता मौसम वभाग- बहउ ेशीय संःथाु 55

    वबम सेन • का य फुहार 

    बजली, मगृतृं णा,बेमौसम क बा रश, 58 मौसम, कणधार,बा रश, व .......  

    ओमूकाश िसंह  याद का यापार 64  

    देवि ूधान  जैसलमेर का मौसम 65

    कालूराम शमा कुछ तो गड़बड़झाला है.. 67

    आन द कुमार शमा संभल जा 68

    सुषमा िसंह नानी क कहानी 70

    वजय घई

    हम कहाँ आ गए 72 आिसया आिसफ भ ट

    या नह ं हँ म ू 73 तुलसी राम काक

    अ छा है मौन रहूँ 75 जगा कौल

    जीवन म िनरंतरता 76 सुनंदा गाबा

    'मौसम मंजूषाÕ को स मान 78 • भाषायी बयार

    आइए हंद श दकोश देख 79 क पना ौीवाःतव

    क यूटर और हंद   83  स रता जोशी 

    • सामा य लेख  पानी क ज ोजहद 89

    संजय ओनील शॉ म हला सश करण 92

    एम. आर. कालवे वकास या वनाश 97

    पूनम िसंह दहेज - ज मेदार कौन ? 99 

    दनेश कुशवाहा • संःमरण 

    पग-पग आगे चलता रहा 101 वबम सेन

    • रअःय रोमाँच   ईः टर प 104

    रेवा शमा • नाटक

    यमलोक म जन-आंदोलन 107 जुगे ि िसंह

    हंद पखवाड़ा -2013 क रपोट 113 ह द वै ािनक संगो ी- रपोट 137 खास खबर 139 आपक पाती िमली 145

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    मौसम मंजूषा वष- 2014 अंक-19

       भारत मौसम व ान वभाग  8

    भारत मौसम व ान वभाग का 139वाँ ः थापना दवस समारोह-  

    महािनदेशक महोदय के भाषण से िलए गए मु य अंश  

    139व ः थापना दवस पर आपका हा दक ः वागत,अिभन दन एवं शुभकामनाएं  

    वष 2013 क भारत मौसम व ान वभाग क उ लेखनीय उपल धय क बात करते हए म यह कहना चाहँगा क एक सोच वकिसत हई हैु ू ु , न केवल मौसम वभाग म, ब क सभी सःं थान म जो अतंर वभागीय, तालमेल है उस म बहत जबरदः तु इज़ाफा हआ है । जो बेहतर सु वधाएं हम दे पाए और बेहतर ूो साु हन हम िमला, उसी क प रणित है क पूवानुमान और सेवाओ ंम गणुा मक सधुार हआ । ु   मा यवर! म वभाग ारा द जा रह सेवाओं के बारे म भी थोड़ा सा वः तार से कहना चाहँगाू ; क न केवल पूवानुमान के ेऽ म ब क सचूनाओं के आदान-ूदान का वः तारण कया गया । जो अ य वभाग सेवा देते ह, उनके साथ िमलकर हमने सेवाओं म भी गणुा मक सधुार कया है । अभी हम 205 नगर के िलए ता कािलक अनुमान दे रहे ह । 200 नगर के िलए पाँच दन का पूवानुमान और 87 पयटन ः थल के िलए अलग से ऐसी सचूना द जाती है ता क पयटक उसका लाभ उठा सक । सेना और अ सिैनक बल के विभ न ूक प के िलए हम उिचत समय पर उनको जानकार देते रहते ह ।   म उ लेख करना चाहँगा क ज मूू कँ मीर म होने वाली ौी अमरनाथ जी याऽा का जो बहत ुक ठन याऽा है । ज म ूकँ मीर सरकार के सहयोग से हम बहत सट क जानकार देते ह ब कु हमने पूर यवः था ः था पत क है, जसम उनको वाः त वक समय के आधार पर सचूना द जाती है ता क कसी ूकार क जान-माल क ित न हो । गत वष हमने चार धाम क याऽा और कंुभ मेले के िलए भी इस तरह का पूवानुमान देना शु कया ।

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    मौसम मंजूषा वष- 2014 अंक-19

       भारत मौसम व ान वभाग  9

    तीन वशेष सेवाएं नाग रक उ डयन, कृ ष मौसम और जल मौसम के ेऽ म हमने बहत ुसधुार कया । खास तौर पर नए उ पाद िलए । कृ ष मौसम व ान के ेऽ म इसरो और ः पेस एपिलकेशन सटर के सहयोग से बहत नए उ पाु द बनाए । ूौ ोिगक फसल उ पाद पूवानुमान कए एवं कृ ष वभाग को उपल ध कराए जस पर आगे कारवाई होती है । जल मौसम व ान (हाइसोमी ट रयोलॉजी) म सब- रवर बेिसन पर दामोदर, सतलजु, यास इ या द न दय के िलए हमने माऽा मक वषण पूवानुमान ( वां टटे टव ूिस पटेशन फोरकाः ट) देना शु कया । मा यवर! आपने नोट कया होगा क नाग रक उ डयन के ेऽ म फलहाल हम 74 हवाई अ ड के िलए अपनी सेवाएं देते ह । गत वष कोहरे के बावजदू सट क ूे ण और सट क पूवानुमान सेवा क वजह से दए गए पूवानुमान के कारण कोहरे क वजह से हवाई जहाज के राः ते कम से कम बदले गए यािन कम से कम डायवज़न हए । पयावरणीय मू यांु कन ूभाव (एनवॉयरमटल एसेसमट इ पै ट) बहत बड़ गित विध है । इसके अतंगत थमल पॉु वर, इंड ः शयल, कोल माइिनंग और बाक माइिनंग आ द के िलए 1700 ूोजे ट का आकलन कया गया । वायु गणुव ता िनगरानी पूवानुमान (एयर वािलट मॉनीट रंग फोरकाः ट) सेवा भी ूदान क जाती है । अभी हम द ली और पुणे के िलए यह सेवा दे रहे ह । इस सेवा म हम और भी सधुार करगे । जहाँ तक मलूभतू ूणाली वकास (इ ृ ाः श चर िसः टम डेवलपमट) का सवाल है हमने अपने ऑबज़ वग िसः टम अथात ूे णीय ूणाली को चुः त द ः तु कया ।अभी माननीय मऽंी महोदय ने 3 ड पर आधा रत, इनसटै 3 ड मौसम व ािनक आँकड़ा ूसःं करण ूणाली (मी टयोरोलॉ जकल डाटा रसी वंग ूोसेिसगं िसः टम) को देश को सम पत कया । इनसटै 3 ड के लाँच के पँ चात इस ूणाली को ूचालन म लाया गया । म यहाँ पर अतं र वभाग और इसरो के सभी इंजीनीयस और वै ािनक को ध यवाद देना चाहँगा जनके साथ हमने कंधे से कंधा िमलाकर काम कया और बहत ह कम समय म इसे ू ुऑपरेशनलाइज़ कर दया । इसके अलावा हमने 16 जी पी एस आधा रत उप रतन वायु ूणाली ः था पत क । इस समय हमारे 16 डापलर रेडार काम कर ह रहे ह । भोपाल म डॉपलर रेडार ः था पत कर दया है । बाक 03 रेडार कराईकल, पाराद प और गोवा म लगाने का काम तेजी से चल रहा है । मा यवर! गणुव ता और वािलट कंशोल बेहतर रखने के िलए पछले वष 05 अनुभाग का I S O स ट फकेशन कया गया । बाक अनुभाग को करने का काय जार है । सचंार यवः था हमार र ढ़ है और उसको चुः त द ः तु करने के िलए पुणे म VIS कपलेट िसः टम, जो द ली म लगे िसः टम का ह िमरर इमेज है, उसे ः था पत कया । भकू प व ान म हमने भकंूपीय आपदा (िस ः मक हैज़ड),सआू मवग करण मानिचऽ

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    मौसम मंजूषा वष- 2014 अंक-19

       भारत मौसम व ान वभाग  10

    (माइबोज़ोनेशन मपै), द ली और राजधानी प रसर म 1:10.000 ः केल पर काय पूरा कया । एक कृत रां श य भकंूपीय एवं जी पी एस सजंाल आँकड़ा कि (इंट मेटेड नैशनल िस ः मक एडं जी पी एस नेटवक डाटा सटर) क ः थापना क । खास तौर पर म यह कहना चाहँगा क भारत मौसम व ाू न वभाग, मौसम सेवा तो ूदान करता ह है ले कन ूचालना मक शोध (ऑपरेशनल रसच) पर भी उसका पूरा यान रहता है । मझेु यह कहते हए बहत खुशी हो रह है क गत वष ु ु 108 शोध पऽ िलखे गए । हमारे वै ािनक के ये शोध पऽ रां श य और अतंररां श य जनल म ूकािशत हए । साथ ह दजन वै ािनक रपोटु , मोनोमाफ, पुः तक िलखीं गई जसम से कुछ का वमोचन माननीय मऽंी जी से अभी कराएंगे । गत वष हमारे िलए एक अतंररां श य ः तर पर अपनी पहचान बनाने का वष रहा जसम खास तौर पर WMO क विभ न कमे टय म और रजनल एसोिसएशन म भी हमारे 14 मौसम व ािनय को अ य , कोऑ डनेटर, ए सपट मबर के प म चुना गया । थोड़ा सा ूकाश म भ वं य क योजनाओं पर भी डालना चाहँगा । जसैा क व दत है क इस ूबार कर ब 12 सौ करोड़ पए क पृ वी व ान मऽंालय ने समे कत योजना बनाई है जसम हम अपनी ूे ण ूणाली को और चुः त दरः तु बनाएंगे । खास तौर पर हम पहाड़ ेऽ के िलए काय कर रहे ह । पवतीय मौसम और जलवायु िनगरानी और पूवानुमान के िलए एक कृत हमालयी मौसम व ान कायबम (इंट मेटेड हमालयन मीट योरोलॉजी ूोमाम) बनाया गया ।पहाड़ ेऽ म नेटवक कमजोर था । अत: पहाड़ ेऽ म ूे ण ूणाली (ऑबज़र वग िसः टम) को चुः त द ः तु कया जा रहा है । वशेष प से पूव तर रा य के िलए अलग से काम कया जा रहा है जो ूगित पर है । कृ ष मौसम सेवा पर नए िसरे से काय कर रहे ह । मामीण कृ ष मौसम सेवा को लॉक ः तर पर ले जा रहे ह । अभी तक जला ः तर पर सेवा दे रहे ह । नए िसरे से इसे लॉक लेवल पर पूवानुमान देने के िलए तैयार कर रहे है । उसके िलए हमने तैयार कर ली है ।कुल िमलाकर हमारा यह लआ य है क यादा ूयास मौसम पूवानुमान के वकास म ह करना है । हम म यम अविध पूवानुमान को तो बेहतर करना ह है साथ ह वः ता रत पूवानुमान (ए सटडड रज फोरकाः ट) को और यव ः थत करके ऋतु पूवानुमान (सीजनल फोरकाः ट) को यु मत पूवानुमान ूणाली गितक य िनदश (कप ड फोरकाः ट िसः टम डायनिमकल मॉडल) के मा यम से पूरा करने क योजना भी है । मझेु आशा ह नह ं पणू व ास है क आपके िनदश म और सिचव महोदय के मागदशन म हम यह काय पूरा कर पाएंगे ।

    जय हंद

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    मौसम मंजूषा वष- 2014 अंक-19

       भारत मौसम व ान वभाग  11

    भूक पीय मानिचऽ का सआू म वग करण एव ंउपयोिगता  -डॉ अती ि कुमार शु ल                                          वै ािनक “एफ” (सेवािनवृ )  

    ूमुख-भूकंप व ान कि/ रेवा शमा,व रं ठ हंद अिधकार

     भारतीय भभूाग विभ न ूकार क ूाकृितक आपदाओं के ूित सवेंदनशील है। उन आपदाओं

    म चबवात, बाढ़, सखूा, एवं भकू प मु य ूाकृितक आपदाएं ह। कर ब 59 ूितशत भभूाग भूकंप, 8 ूितशत भभूाग चबवात एवं 5 ूितशत भभूाग बाढ़ जसैी ूाकृितक आपदाओं के ूित सवेंदनशील है। इस समय उपल ध आकड़ के अनुसार इन सभी आपदाओं म भकंूप ारा जान-माल का नुकसान सबसे यादा हआ है। ु 1993 म लातूर (महारां श) म आए भकंूप से कर ब 10,000 लोग मारे गए तथा 1997 म जबलपुर (म य ूदेश) म आए भकंूप से 39 लोग मारे गए तथा कर ब 8267 भवन को नुकसान हआ। इसी ूकार जनवर ु 2001 म भजु (गजुरात) म आए भकंूप से कर ब 13805 लोग मारे गए तथा कर ब 1205,198 भवन को ित पहँची।ु   भकंूप क ं ट से परूा हमालय ेऽ 8.0 प रमाण (Magnitude)  के भकंूप के ूित सवेंदनशील माना जाता है। पछली सद म इस भभूाग म पाँच भकंूप 8.0 से यादा प रमाप के आए ह। पछले कुछ दशक क अगर बात कर तो भारत एवं उसके आस पास के भभूाग म तो, 6 भकंूप 6.0 प रमाप या उससे यादा के भकंूप म भारतीय भभूाग को जान माल का काफ नुकसान हआ। इन भकंूप क वजह से इन ेऽ म रहने वाले लोग हमेशा भय म रहते ूतीत होते ह जससे ुहमारे देश क ूगित भी ूभा वत होती है।  य प भकू पीय घटना लगातार नह होती ह, क तु अचानक आए भूकंप से काफ माऽा म ऊजा उ स जत होने क वजह से कुछ ह ण म जान माल का काफ नुकसान हो जाता है। भकंूप से उ स जत ऊजा भकू पीय तरंग के मा यम से चार तरफ ूवा हत होती है, जो भभूाग को वरण गित एवं वः थापन ूदान करने म स म होती है। भभूाग के इस ूकार से गितमान होने क वजह से धरातल पर ः थत भवन म भी वरण गित एवं वः थापन होता है और अगर भवन इस वरण गित एवं वः थापन को सहने म स म नह ं हए तो उनके वु ः त होने क सभंावना बनती है, तथा उन भवन म रहने वाले लोग क ित एवं मृ यु होने क आशंका हो जाती है। इस ूकार यह कहा जा सकता है, भकंूप से कोई जान का नुकसान नह होता है ब क भकंूप के ूभाव से भवन को होने वाली ित तथा उनके वः त हो जाने से नुकसान होता है। यह भी व दत ह है क अभी तक

    वै ािनक व तकनीक बौछार

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       भारत मौसम व ान वभाग  12

    ऐसी कोई वधा ात नह हो सक है, जससे भकंूप क सट क भ वं यवाणी एवं पूवानुमान सचूना ूणाली वकिसत क जा सके। अत: ः पं ट है क अगर हमारे भवन इस भकंूप के ूभाव को सहने म स म हो सक, तो लोग क जान का नुकसान काफ हद तक रोका जा सकता है।  अत: इन बताई गई बात को यान म रखते हएु , भकंूप मानिचऽ के िनमाण का ूादभाव ुहआ और उनके अनुसार भवन िनमाण हेत ुकारक तय कए गए। इन मानिचऽ म पहले आए भकंूप ुऔर विभ न ेऽ म इनका ूभाव, विभ न भ-ूभाग म उप ः थत भकंूप पैदा करने म स म अूभशं, एवं भौगोिलक प र ः थित आ द का यान रखते हए भारतीय ु भभूाग को विभ न प र ेऽ या अचंल म बाँटा जाता है। विभ न प र ेऽ म भकंूप के सभंा वत ूभाव को यान म रखते हए ुहर प र ेऽ के िलए एक प र ेऽ फै टर िनधा रत कया जाता है, जसका भवन बनाते समय उपयोग कया जाता है। इस प र ेऽ फै टर को यान म रख कर बनाए गए भवन भकंूप-रोधी भवन क ौणेी म आते है, तथा उ मीद क जाती है क ऐसे भवन भकंूप के आने पर उसके ूभाव या झटक को सहने म स म ह गे और कम से कम उ ह इतना नुकसान नह होगा क वे वः त ह एवं इन भवन म रहने वाल क जान को नुकसान हो।   हमारे देश म ऐसा पहला भकू पीय मानिचऽ 1935 म भारतीय भसूव ण वभाग के ारा बनाया गया था। इस मानिचऽ के अनुसार भारतीय भ-ूभाग को सवेंदनशीलता के आधार पर तीन भाग म बाँटा गया था। जसैा क ऊपर पहले भी उ लेख कया गया है क ऐसे मानिचऽ, पहले आए भकंूप,उनके ारा हई ित तथा ात अूभशं के आधार पर बनाए जाते ह। अतु : जब भी कोई बड़े प रमाप का भूकंप आता है, एवं अ य कोई नयी जानकार जैसे नए अूभशं ात होते ह, इन मानिचऽ क पुन: समी ा क जाती है तथा नए मानिचऽ का ूादभाव होता है। वतमान म यह ुकाय भारतीय मानक यूरो ारा विभ न वभाग से ूा त आँकड़ जसेै क भारत मौसम व ान वभाग ारा ूद त भकू पीय आकड़े,भ ूसव ण वभाग ारा ूद त अूभशं एवं पहले आए भकंूप ारा हए नकुसान इ याु द से सबंंिधत आँकड़ को सगं ठत करके कया जाता है। विभ न वभाग के सहयोग से ऐसा मानिचऽ बनाने का एवं इससे भवन िनमाण हेतु कोड़ के प म वकिसत करने का सवूथम ूयास 1962 म भारतीय मानक यूरो ारा कया गया जसे भकंूप डजाइन कोड 131893: 1962 म ूकािशत कया गया। इस मानिचऽ क पुन: 1966, 1970, 1984 एवं 2002 म समी ा क गई, जसके फलःव प वतमान म भारतीय मानक यूरो ारा ूकािशत मानिचऽ IS 1093 (भाग-1): 2002 जसे िचऽ-। म दखाया गया है,ूचलन म है। इस मानिचऽ के अनुसार भारतीय भभूाग को चार प र ेऽ (प र ेऽ ।।, ।।।,।v एवं v) म इनक भकू पीय सवेंदना के आधार पर बाँटा गया है।                         

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    िचऽ‐1: भकू पीय जोिनंग मानिचऽ (IS 1093 (भाग-1): 2002) प र ेऽ v म आने वाले भभूाग सबसे यादा सवेंदनशील ह, जहाँ भकू प क आवृ त एवं स भा वत भकू प का प रमाप यादा होता है। इसी ूकार प र ेऽ-।। के भकू प क आवृ त एवं सभंा वत भकंूप का प रमाप सबसे कम होता है। विभ न प र ेऽ म आने वाले मु य भ-ूभाग िन निल खत है। प र ेऽ-v: इस प र ेऽ म भारत का कर ब 12 ूितशत भभूाग जससे ज म ू एवं कँ मीर, हमाचल ूदेश,उ तराखडं, बहार, गजुरात के क छ आ द के कुछ भाग एवं पूरा उ तर-पूव भाग, अ डमान िनकोबार कि शािसत ेऽ आते ह। इस प र ेऽ के िलए प र ेऽ फै टर 0.36 दया गया है, जसे इस ेऽ म भकू प रोधी भवन को बनाते समय भकंूप ारा सभंा वत बल क गणना के िनधारण म कया जाता है। प र ेऽ-।v:इस प र ेऽ म भारत का कर ब 18% भभूाग, जसम ज म ूकँ मीर, हमाचल ूदेश, बहार,िस कम,प ँ चम बंगाल, गजुरात, उ तर ूदेश के कुछ भाग एवं रां श य राजधानी प र ेऽ का ेऽ आता है। इस प र ेऽ का प र ेऽ फै टर 0.24 दया गया है, जसे इस ेऽ म भकंूप रोधी भवन को बनाते समय भकंूप ारा सभंा वत बल क गणना के िनधारण म कया जाता है।  प र ेऽ-।।।: इस प र ेऽ म भारत का कर ब 27 ूितशत भभूाग जसम कँ मीर, प ँ चमी हमालय के कुछ भाग स मिलत ह। इस प र ेऽ का प र ेऽ फै टर 0.16 िनधा रत कया गया है, जसका उपयोग इस ेऽ म भूकंप रोधी भवन के बनाते समय भकंूप ारा सभंा वत बल क गणना के िनधारण म कया जाता है।  प र ेऽ-।।: इस प र ेऽ म भारत का कर ब 43 ूितशत बाक का भूभाग आता है। इस प र ेऽ के िलए 0.10 प र ेऽ फै टर िनधा रत कया गया है, जसका उपयोग इस ेऽ म भकू परोधी भवन के िनमाण म भकंूप ारा सभंा वत बल क गणना म कया जाता है। 

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    इस समय जो ूचिलत भकू पीय मानिचऽ ह उनक अपनी कुछ सीमाएं है। जैसे वतमान मानिचऽ इसक जानकार नह ं देता है क कसी भभूाग म भूकंप के आने या उसम ूभा वत बल क भ वं य म या सभंा यता (probability) है। पहले आए भकू प म ऐसा देखा गया है क जस िम ट क सतह पर भवन िनमाण कया गया है उसक ूकृित का बहत याु दा ूभाव भवन पर पड़ता है। भकंूप से आने वाली तरंगे जब इस िम ट क सतह से गजुरती ह तो ऐसा देखा गया ह क इनका प रमाप बढ़ जाता है, जससे कुछ तरंग अिधक ूभावशाली हो जाती है। जसैा क 2001 म आए भकंूप जसका कि ब द ुक छ ेऽ म था क तु इसका ूभाव कर ब 150-200 क.मी. दर ूअहमदाबाद शहर म देखा गया, जहाँ कुछ खास जगह पर बने भवन वः त हो गए जब क क छ से अहमदाबाद के बीच म कुछ जगह पर कोई ूभाव नह ं पड़ा। अहमदाबाद शहर म कसी एक ेऽ म भी कुछ भवन इमारत आ द को नुकसान नह ं पहँचा जब क उसी तकनीक ू बया से बनाए गए ुपास के भवन वः त हो गए। ऐसा ह ूभाव 1997 म आए जबलपुर के भकंूप एवं वँ व म आए अ य भकंूप म देखा गया है । अत: भवन के बल का िनधारण करते व त यह आवँ यक है क भवन के नीचे क िम ट खासकर कर ब 30-40 मीटर क सतह पर यान रखा जाए। चूँ क वतमान म ूचिलत मानिचऽ  र जनल ः केल म बना है एवं काफ बड़े भभूाग को माऽ कुछ भाग म ह बाँटता है। अत: यह मानिचऽ ः थानीय िम ट क सतह का ूभाव सीधे तौर पर समा हत करने म स म नह है। य प कुछ सामा य उपाय इसके ूभाव को समा हत करने हेत,ु िनधा रत वतमान कोड म दए गए ह।  वतमान मानिचऽ क पहली सीमा को दर करने के िलए संू भा वत स भा यता (probability) के आधार पर र जनल ः केल पर मानिचऽ बनाने का ूयास जार है। ः थानीय िम ट के सतह क ूकृित जो विभ न ः थान पर अलग-अलग तरह क होती है, जसेै क अगर उदाहरण के तौर पर द ली के भभूाग क बात कर तो कह ं पर पथर ली सतह प रल त होती है और कह ं पर िम ट क सतह कर ब 300 मीटर से भी यादा देखी जा सकती है। अगर इसका और सआू म वँ लेषण कया जाए तो, रां शपित भवन जो पथर ली सतह पर िनिमत है, क तु कुछेक क.मी. क दर पर ः थू त इं डया गेट 100 मीटर से यादा िम ट क सतह पर ः थत है। अत: इन दोन ः थान पर बने भवन पर भकंूप का ूभाव अलग होगा। इन उदाहरण को देखने से यह ः पं ट हो जाता है क ऐसे मानिचऽ बनाए जाएं जो इस ूकार क िम ट क सतह के प रवतन को समा हत कर सके। ऐसा भकंूप मानिचऽ के सआू म वग करण से सभंव हो सकता है। हमारे देश म इस काय क अभी शु आत ह हई है। भकंूपीय मानिचऽ के सआू मु वग करण जो कसी आबाद वाले ेऽ, शहर के िलए बनाए जाते है, वतमान म ूचिलत भकंूपीय मानिचऽ क सीमाओं का दर करने ू

    म स म ह गे। इस ूकार के मानिचऽ विभ न ूकार क सभंा वत स भा यता

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    (probability)एवं ः थानीय िम ट क सतह के विभ न गणु का अ ययन करके बनाए जाते है। सभंा वत स भा यता (probability)के अ ययन हेतु कई सौ वष म आए भकंूप के आँकड़े, उस शहर को ूभा वत करने वाले भकंूपीय अूभशं उनक ूकृित आ द को यान म रखकर साँ यक य गणना के आधार पर कया जाता है।   ः थानीय िम ट क सतह क ूकृित के अ ययन हेत,ु काफ पास-पास विभ न ूकार के जयोटे नकल, जयो फ ज़कल, िसः मोलॉ जकल जाँच करके आँकड़े इक ठे कए जाते ह, जनके आधार पर ः थानीय िम ट क सतह क बनावट, ूकृित, इ या द का अ ययन कर हर ः थानीय जगह का एक ः थानीय सतह िम ट का ग णतीय मॉडल तैयार कया जाता है। इस माडल के आधार पर ग णतीय विध ारा इसम से गजुरने वाली भकंूपीय तरंग कैसे ूभा वत ह गी, का अ ययन कर यह पता लगाया जाता है क जब ये तरंग सतह पर पहँच कर भवन से स पु क करने क ः थित म होगी तो इनक ऊजा, कसी खास आविृत म कतनी बढ़ गयी होगी। इसके अलावा हर िम ट क सतह क अपनी ूद त आवृ त होती है, इसी ूकार भवन क भी अपनी आवृ त होती है। िम ट क सतह क आवृ त एवं उसम ः थत भवन क आवृ त एक होने पर अनुनाद क ः थित पैदा हो जाती है, जससे तरंग का प रमाण और यादा बढ़ जाता है। सआू म वग करण इस ूकृित का भी ान कराता है। इस अनुनाद क ः थित को भी भवन िनमाण करते समय यान म रखना आवँ यक है। ऐसी ः थित भी हो सकती है क कसी ः थान पर एक मं जल भवन म अनुनाद क ः थित स भव हो जसक वजह से इस विशं ट ः थान पर एक मं जला भवन बनाना सरु त नह ं होगा, कंतु अगर इसी ः थान पर बह मं जल भवन बनाया जाए तो वह याु दा सरु त होगा। इसके अलावा भी कई ऐसे अवयव ह जो सआू म वग करण मानिचऽ म ूद त कए जाते ह, जनका उपयोग कर इ जीिनयस, वाः तु वद, एक अ छा भकंूप रोधी भवन िनमाण कर सकते है।   इन सआू म वग करण मानिचऽ का उपयोग भिूम के उपयोग के पूव िनधारण म भी कया जाता है। जैसे अित विशं ट ूयोग म लाए जाने वाले भवन जसेै क ः कूल, िच क सालय, इ या द के भवन के बनाए जाने क जगह पूव िनधा रत क जा सकती है। इन मानिचऽ का उपयोग वतमान म बनी इमारत पर भ वं य म आने वाले भकंूप का या ूभाव होगा, क गणना करने और अगर ये भवन मानद ड पर सह नह उतरते तो उनम सधुार करके उपयोग कया जा सकता है।  भारत मौसम व ान वभाग इस काय म पछले कई वष ,खास कर वष 2004 म भकंूप जो खम मू यांकन कि क ः थापना के बाद से सलं न है। साथ ह रां श य राजधानी ेऽ द ली का भकंूप सआू म वग करण मानिचऽ, विभ न वभाग के पास उपल ध आँकड़े एवं सहयोग से 1:50000 ः केल म 2005 म पूरा कया जा चुका है, जनका अनावरण त कालीन माननीय व ान एवं ूौ ोिगक

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    मऽंी ौी क पल िस बल ारा अ तूबर 2005 म कया गया। तदपरांत एक बहत ह द ह काय भारत ु ुुवष म पहली बार इसी ेऽ का 1:10000 ः केल म बनाने का काय शु कया गया जो अब पूरा होने जा रहा है। इस काय के िलए इस ः केल पर बेस मपै एव ंभगूभ य मपै बमश: सव ण वभाग एवं भगूभ य सव ण के सहयोग से बनाये गए है। तदपरांत भगूभ य ः थु ित को यान म रखते हए ुकर ब 500 ः थान पर विभ न ूकार के पर ण कए गए ह, जनम 449 ः थान पर कम से कम 30 मीटर क गहराई तक 1.5 मीटर के अ तराल म िम ट के नमनेू एकऽ करके उन क ूकृित का ूयोगशाला म अ ययन करना शािमल ह। इन सभी पर ण के आधार रां श य राजधानी ेऽ हेतु कर ब 40 ूकार के मानिचऽ बनाए गए ह। इन मानिचऽ का उपयोग,इस ेऽ के िलए नए भवन कोड बनाने, वतमान म ः थत भवन के भ वं य म सभंा वत भकंूप का ूभाव एवं उनम सधुार करने तथा भिूम का विभ न काय हेतु सचुा प से िनधारण काय के िलए कया जाएगा।  भारत मौसम व ान वभाग के अलावा भकंूपीय मानिचऽ का सआू मीकरण का काय भारतीय भगूभ य सव ण वभाग तथा विभ न ूौ ोिगक सःं थान जसेै आई आई ट खड़गपरु, ड़क , इं डयन इः श यूट ऑफ साइंस बगलु के ारा भी कया जा रहा है। भारत मौसम व ान वभाग का भकंूप जो खम मू यांकन कि उन ः थान ारा कए जा रहे सआू मीकरण के काय म भी सहयोग ूदान कर रहा है। अभी तक, जबलपुर, गवुाहाट , बंगलु िस कम आ द के भकंूपीय मानिचऽ के सआू मीकरण का काय पूरा कया जा चुका है। पृ वी व ान मऽंालय ने कर ब 30 शहर के भकंूपीय मानिचऽ के सआू मीकरण का काय करना शु कया है, जसे बारहवीं पचंवष य योजना के अदंर पूरा कया जाना है।  कुल िमलाकर देख तो ऊपर बताई गई सभी बात का, कए जा रहे सभी महत काय का ्तमाम अनुसधंान का, नए नए माइबोज़ोनेशन मानिचऽ को तैयार करने का उ ेँ य यह है क ूकृित के इस भकंूपीय ूकोप से, इस कहर से, मानव माऽ को बचाया जा सके। उसके जीवन क र ा क जा सके। जानमाल क हािन को कस ूकार कम से कम कया जा सके। ूाकृितक आपदाएं तो आती रह ह और आगे भी आएंगी ह , कंतु एक ऐसी ढाल को तैयार करने का काय भी साथ-साथ चल रहा है जससे मानव अपनी र ा कर सके। भकंूपरोधी सरु त इमारत, घर का िनमाण इस दशा म कए जा रहे कारगर उपाय है। व वंस है, तो िनमाण का नीड़ भी मनुं य अपने अद य साहस से तैयार करता है। बना हार माने अपने शोध काय म लगातार ूयासरत है। कसी शायर ने सह कहा है:-   हादस क ज़द पे है तो या मुः कुराना छोड़ द  जलजल के खौफ से या घर बनाना छोड़ द।  

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    नेनो व ान व तकनीक -पोषण लाल देवाँगन

    सहायक मौसम व ानी मौसम कि - रायपुर

    एक अनुमान के अनुसार समय क ूगित के साथ वः तुओं क गणुव ता वतमान वः तुओं क गुणव ता का लगभग हजार गनुा से भी अिधक हो सकती है। कहना न होगा क भ वंय म ऐसी यु यां, मशीन, औजार या उपकरण आ द दैिनक उपयोग म ूयु त ह गी जसक उपयोिगता जानकर आप दंग रह जाएँगे। जसेै क पतले धागे क मोटाई वाले त तुओं से रेलगाड़ के ड बे को उठाया जाना,1 या 2 िम.मी. मोटाई वाली प टय पर आधा रत पुल का िनमाण कया जाना, मोटर साइकल के आकार के इंजन से पूर रेलगाड़ का ूचालन, वँ व के शहर के म य आवागमन िमनट म सीिमत हो जाना, कागज के तु य मोटाई वाली द वार से बांध बनाया जाना आ द। ऐसे वँ व क क पना माऽ ह रोमांचकार है तब ू य प म इ ह देखने म न जाने कैसा आन द ूा त होगा। वतमान म उपयोग म आ रहे पदाथ जसेै ः ट ल, पॉलीथीन, चमक वाले वः ऽ आ द भी कुछ हद तक इ ह ं उ पाद के ूा प है। नए युग म इस चम कार व जादई लआय ूाि को स भव करने क ुमता रखने वाली प ित का नाम है नेनो Ðतकनीक।

    नेनो का मीक म अथ है “बौना” 1 एक मीटर के एक अरबव भाग (10-9) को एक नेनोमीटर कहा जाता है जो मानव बाल क मोटाई का लगभग एक सौ हजारव भाग के तु य होता है या अनुमानत: य द कांच क गोली को एक नेनोमीटर आकार का मान िलया जाए तो एक मीटर का आकार स पूण पृ वी के बराबर होगा। व ान म 1 से 100 नेनोमीटर परास क कण को नेनो ः केल म माना जाता है। नेनो तकनीक का अथ है अण,ु परमाण ुया सपुर परमा वक ः केल पर पदाथ का िन पण। अतएव नेनो ः केल के अ यंत सआूम कण के अ ययन व अनुू योग को नेनो व ान व नेनो तकनीक कहा जाता है तथा इसी अवधारणा का उपयोग व ान क अ य शाखाओं म भी कया जाता है। नेनोमीटर के आकार को इस ूकार भी समझा जा सकता है- 1. एक इंच म 25,400,000 नेनोमीटर तथा 2. समाचार पऽ क मोटाई लगभग 1,00,000 नेनोमीटर होती है।

    नेनो व ान व नेनो तकनीक क अवधारणा का आरंभ सुू िस भौितक व रचड फैनमेन ारा दस बर 1959 म अमे रकन भौितक सिमित ारा कैिलफोिनया तकनीक सःं थान म आयो जत सेमीनार म “देयर इज ले ट आफ म एट बॉटम” वषय पर व त य म हआ था। इसम रचड ु

    वै ािनक व तकनीक बौछार

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    फैनमेन ने वै ािनक को परमाण ुव अणओुं को प रवितत व िनयं ऽत करने म स मता क विध का वणन कया था। इसके लगभग एक दशक बाद ूोफेसर नो रयो तेनीगचुी ारा वष 1981 म नेनो-तकनीक नामक श द क ूःतुित क गई। त पँ चात अ यंत सआूम कण को देखे व परखे जा सकने यो य ः कैिनंग टनिलगं सआूमदश व एटिमक फोस सआूमदश के अनुसधंान (वष 1981) के साथ ह नेनो तकनीक आरंभ कया गया। इस सआूमदश ने वशेष परमाण ुएवं ब धन को देख सकने क मता ूदान क जसका उपयोग वष 1989 म वशेष परमाणओुं को िन पत करने म सफलतापूवक कया गया। इस सआूमदश के अनुसधंानकता आई.बी.एम. जरु ख रसच लेबोरेटर के गेड बिनंग और हेनर च रोरेर को वष 1986 म नोबेल पुरः कार से स मािनत कया गया। इसी वष बिनंग यूट और गेरबर ारा एनालॉगस एटिमक फोस सआूमदश का भी आ वंकार कया गया।

    नेनो-तकनीक का आधुिनकतम वः ता रत ता पय है क पदाथ के अणु व परमाणुओं के िन पण से उ नत गणुव ता व िन न लागत से कुछ बडे़ आकार के उ पाद का िनमाण कया जाना। इसे परमा वक नेनो-तकनीक कहा जाएगा। इस स ब ध म नेशनल नेनोटे नालॉजी इनीिशए टव नामक सःं था ारा सामा य ववरण ूः तुत कया गया है जसम नेनो-ः केल अथात 1 से 100 नेनोमीटर आकार के पदाथ कण के िन पण क कला को नेनो-तकनीक प रभा षत कया गया है। इसक प रभाषा से प रल त होता है क वा टम दायरे म वा टम मशीनी ूभाव अिधक ूभावशाली होगा। अतएव यह प रभाषा िन त आकार सीमा म पाए जाने वाले पदाथ के वशेष गणु का वँ लेषण करने वाले सभी ूकार के अनुसधंान एवं तकनीक अनुसधंान समहू के एक वशेष तकनीक उ ेँ य म ः थानांत रत होती है। नेनो तकनीक जो पदाथ के अ यंत सआूम आकार से प रभा षत है यह ूाकृितक प से अ यंत वः ततृ है, जसम सतह व ान, काबिनक रसायन, परमा वक ज तु व ान, सेमी क ड टर भौितक , माइबो फेॄीकेशन आ द भी समा हत ह गे। इससे स ब धत अनुसधंान एव ंअनुूयोग भी उतना ह वः ता रत होगा जो पार प रक उपकरण भौितक से लेकर परमा वक से फ एसे बली पर आधा रत एकदम नई अवधारणा तथा नेनो आकार पर नए पदाथ के कण के वकास से परमाण ुआकार पर पदाथ के सीधे ह िनयंऽण तक ूसा रत होगा।

    वतमान नेनो व ान व नेनो तकनीक एकदम नई है, क तु नेनोः केल के कण का उपयोग स दय से अनजाने ह कया जा रहा है। जसेै सकैड साल से पुरातन िग रजाघर म खड़क के कांच को सोने व चांद के वैक पक आकार के कण से विभ न रंग ूदान कया जाता रहा है, जसम नेनो तकनीक का उपयोग होता रहा है। क तु वतमान म वै ािनक व इंजीिनयर ारा विभ न पदाथ के नेन ः केल के उ नत गणु का उपयोग कर उ नत श , भारवहन मता, ूकाश ः पे शम म िनयऽंण तथा अिधक रसायिनक अिभ बयाशीलता आ द ूा त कए जा रहे ह।

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    मौसम मंजूषा वष- 2014 अंक-19

       भारत मौसम व ान वभाग  19

    वै ािनक ारा नेनो-तकनीक के अनुूयोग पर अनेक सभंावनाएँ य त क जा रह है। इस तकनीक ारा अनेकानेक उपयोगी नए पदाथ, यंऽ-उपकरण, औषिध, इले शॉिनक वः तुएँ, जवै-पदाथ, ऊजा-उ पादन आ द िनिमत कए जा सकते ह। नेनो ः केल तकनीक के उ पाद के यावसायीकरण का वकास अब पुरजोर ूगित पर है। इन उ पाद का ूचलन नेनो पदाथ के यापा रक माऽा म उ पादन पर आधा रत है जो पदाथ के परमा वक िनयंऽण पर सीिमत नह ं है। उदाहरण के तौर पर ए ट बै ट रयल एजे ट के िनमाण म िस वर नेनो पा टक स के उपयोग के िलए िसलवर नेनो- लेटफॉम, नेनो पा टकल आधा रत पारदश सनः ब न, दाग ूितरोधी वः ऽ िनमाण के िलए काबन नेनो यू स आ द। नेनो-तकनीक को नेनो आकार पर उ पाद िनधारण के साथ वकास ूदान करने के िलए विभ न देश म शासक य ः तर पर अनुसधंान कोष (सवूथम अमे रका म नेशनल नेनो टे नालॉजी इिनिशये टव) क भी ः थापना क गई है।

    वै ािनक के अनुसार इस तकनीक के द पयोग से अनेक हािनकारक उ पाु द भी सभंा वत ह जो सावभौिमक वायुमडंलीय व आिथक जगत पर दं ूु भाव डाल सकता है तथा ूलयंकार दघटनाओं ुका कारण बन सकता है। अतएव इस तकनीक का उपयोग वँ वः तर य बंधनकार िनयमन के तहत कया जाना आवँ यक होगा। इस स ब ध म 2000 के म य के आसपास से नेनो तकनीक पर नए िसरे से यान दया जाने लगा। इसके तहत नेनो-तकनीक म पदाथ के परमा वक िन पण को वतमान व आगामी मता, लआय और अनुूयोग के िलए उपयु त रखे जाने सबं धी मसौद पर वचार वमश कया जा रहा है। इस स ब ध म नेनो तकनीक का मानव ः वाः य व सरु ा के हताथ अिधक कड़ िनयमावली व विध- वधान सिुनिचत करने हेतु ूः ताव आमं ऽत व वाता आयो जत कए जा रहे ह। नेनो तकनीक के अनुूयोग स ब धी िनयमावली व अनुपालन के िलए एक अतंररा ीय सगंठन भी सिुन त कया जाना है।

    समाज म नेनो तकनीक के अनुूयोग सबं धी अ ययन से यह बात सामने आई है क जन समदुाय िभ न Ðिभ न ेऽ म इस तकनीक का उपयोग अलगÐअलग अनुपात म करने म सहमत है, मसलन नेनो तकनीक का उपयोग ऊजा उ पादन म ः वाः य क अपे ा अिधक सकारा मक है। आइए हम भी इस नेनो तकनीक के ूभाव-कुूभाव क यथाश जानकार हािसल कर इनके उ पाद क उपयोिगता पर अपनी राय य त करने का ूयास कर।

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    मौसम मंजूषा वष- 2014 अंक-19

       भारत मौसम व ान वभाग  20

    उंणक टबंधीय चबवात -राम ह र शमा

    वै ािनक सहायक मौसम व ान के महािनदेशक का कायालय

    हम उंणक टबंधीय तूफान का सामना काफ समय से करते चले आ रहे ह । हर बार, जब भी तूफान

    का बनना शु होता है, उसक शु आती अवःथा से ह , हम इस तूफान से बचने क तैयार करने लग जाते ह । फर भी हम बहतु कुछ खो देते ह । ू येक वष, कई तूफान आते ह चाहे वह बंगाल क खाड़ म आए या अरब सागर म आए, यह तूफान जस- जस ःथान से गजुरता है वहाँ पर मानवीय वनाश, पशुओं का वनाश, वनःपित का वनाश, फसल का वनाश, जन सु वधाओं के िलए बनाया गया सजंाल जैसे बजली के ख बे, तार, शांसफॉमर, टेलीफोन के ख बे पेड़ - पौधे आ द का वनाश करता चला जाता है ।

    नवीनतम उपकरण के साथ अब हम इसका सामना करने के िलए स म हो गए ह। नवीनतम

    ू े पत भारतीय उपमह 3 ड जो पूणतः मौसम पूवानुमान के िलये अतं र व ान सगंठन ारा देश को सम पत कया गया है जो इस समय ूचालन म है और भारत मौसम व ान वभाग ने इस भारतीय उपमह से पूवानुमान के िलए उ पाद (िचऽ लेना) बनाना शु कर दया है। इस उपमह क सहायता से पूवानुमान म शत ूितशत सट कता आएगी जससे जान माल क हािन को रोकने म मदद िमलेगी। ड . ड य.ू आर. रेडार तथा भारतीय उपमह 3 ड पूवानुमान के िलये मील के प थर सा बत हो रहे ह । भारतीय उपमह 3 Ôड ' ड . ड य.ू आर. रेडार

    वै ािनक व तकनीक बौछार

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    मौसम मंजूषा वष- 2014 अंक-19

       भारत मौसम व ान वभाग  21

    उंणक टबंधीय तूफान का पूवानुमान करने के िलए भारत मौसम व ान वभाग ने अब नई नई तकनीक सःंथा पत कर ली ह। ड . डब य.ू आर. रेडार उंणक टबंधीय तूफान सभंा वत ेऽ म सःंथा पत कये ह। जसेै ह समिु म हलचल पैदा होती है यह रेडार के नेटवक म आने लग जाता है। इसके प रणामःव प इसका व ेषण शु हो जाता है और कोिशश क जाती है क इसके ू येक पहल ूपर व ेषण हो ता क कसी भी ूकार का नुकसान ना हो। इसके साथ ह फ़र उपमह क सहायता ली जाती है। इससे ूा िचऽ के आधार पर चबवात क पूर ःथित पर नजर रखी जाती है तथा इसका व ेषण कया जाता है। ड . डब य.ू आर. रेडार तथा उपमह से ूा िचऽ से इसक दशा, तीोता, हवाओं क गित, इसके ारा घेरा गया ेऽफल, वषा क माऽा, जमीन पर पहँचने का ुसमय आ द का पता लगाने क पूर कोिशश क जाती है। ले कन इसके बारे म यह जानना ज र है क यह कहाँ कहाँ बनता है इसके बनने के या या कारण ह? यह कस परत तक बनता है? यह कन कन अ ांश पर बनते ह? इसके बनने के िलए समिु के जल का तापमान कम से कम कतना होना आवँयक है? इसका जीवन चब कैसा होता है?

    वनाशकार उंणक टबंधीय चबवात को समझने के िलए हम थोड़ा गहरे म उतरना होगा। उंणक टबंधीय चबवात एक ूचंड िन न दाब िनकाय है, जसम वायु क गित सतह पर 33 ना स से अिधक होती है। य द वायु क गित सतह पर 34 से 47 ना स के बीच होती है तो हम उसे चबवाती तूफान कहते ह। जब वायु क गित सतह पर बढ़ती चली जाती है और यह 48 से 63 नॉ स के बीच होती है तो वह अित ूचंड दाब बनता चला जाता है तो उसे ूचंड चबवातीय तूफान कहते ह। य द यह वाय ुक गित 64 नॉ स से अिधक हो जाती है तब इसे अित तीो ूचंड चबवातीय तूफान कहते ह।

    उंणक टबंधीय ेऽ म ये मौसम बहत ह वनाशकार िनकाय ह। ये उंणक टबंधीय चबवातु अटलॉ टक, ूशांत (पेिस फक) और हंद महासागर म बन सकते ह। जो चबवातीय तूफान उ र एव ंद णी हंद महासगर म बनते ह वे उंणक टबंधीय चबवात कहलाते ह जो ूशांत (पेिस फक) महासागर म बनते ह वे टाईफू स कहलाते ह और जो अटलाँ टक महासागर म बनते ह वली- वली कहलाते ह।

    1999 म उड़ सा म आए महाचबवात का उपमह से िलया गया िचऽ

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    मौसम मंजूषा वष- 2014 अंक-19

       भारत मौसम व ान वभाग  22

    विभ न नाम से पहचाने जाने वाले चबवात के बनने का समय नीचे सारणी म दया गया है ।

    बम सं या तूफ़ान क ःथित बनने का समय

    1. उंणक टबंधीय उ र अटलॉ टक महासागर जून से नव बर तक

    2. पूव उ र पेिस फक जून से अ ू बर तक

    3. प मी उ र पेिस फक मई से नव बर तक

    4. बंगाल क खाड़ और अरब सागर माच से जून तथा अ ू बर से दस बर तक

    5. द णी पेिस फक (प म से 140 प म द णी गोला )

    दस बर से अूैल तक

    6. द णी हंद महासागर नव बर से अूैल तक

    इन चबवातीय तूफान के बनने का ेऽ मु यतः वषुवत रेखा है। ले कन ये चबवात वषुवत रेखा के 5 डमी तक उ र गोला म तथा 5 डमी तक द णी गोला म कभी भी नह बनते ह य क यहाँ पर को रयोिलस बल लगभग नग य होता है। ये मु यतः उ र गोला म 5 डमी वषुवत रेखा से 25 डमी तक एवं द णी गोला म 5 डमी वषुवत से 25 डमी तक बनते ह ।

    उंणक टबंधीय चबवात के बनने के मु य कारक ह :- महासागर म हलचल जसेै शफ और िन नदाब के ेऽ ह डूेशन, ड प डूेशन तथा उंणक टबंधीय तूफान बन जाता है। इसके बनने के िलए पहले से ह समिु म कुछ हलचल का होना ज र है, वे ह:-

    समिु क सतह का तापमान लगभग 26.5 डमी से सयस या इससे अिधक होना चा हए जससे क वायुमडंल म ूितबंधी अ ःथरता रहे। समिु म उठ हई हवाु वायुमडंल म ऊ वाधर 14 कलोमीटर तक गम होनी चा हए जससे बड़ा सी. बी बादल बन सके।

    इन अ ांश पर िन नतम को रयोिलस बल अिनवाय है ता क उठ हई हवाु को मजबूती से घुमा सके। यह को रयोिलस फोस उ र गोला म तथा द णी गोला म 5 डमी से ऊपर होता है। इसिलए वषुवत रेखा से 5 डमी तक उ र गोला म तथा 5 डमी तक द णी गोला म चबवातीय तूफान नह ं बनते ह।

    उंणक टबधंीय चबवात बनने के िलए वायुमडंल म उस ेऽ के ऊपर 950 है टापाःकल से 200 है टापाःकल ःतर तक िन न उ वाधर पवन अप पण आवँयक है। यह कारण है क बादल के बनने से जब शु आती तंऽ बन रहा होता है तब भार माऽा म सवंहन क गु

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