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Page 1: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

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या ख़दा

हई ह मोह बत जब स

बनी मरी जान ह त

इ क़ स ही जाना म न

जान नही ख़दा ह त

तफा म भटक क ती का

सहारा- ए-दिरया ह त

मझधार डबत ितनक का

िकनारा-ए-निदया ह त

कतरा-ए-मय एक या ह त सराही-ए-शराब

बद-ए-शबनम एक या ह त गलशन-ए-शबाब

म ला कया या मौलवी कया सब ही को ह तरी लगन

िदल को िजस क तन छआ

ह तरी ही धन म मगन

- नारायण

०८०९०९

मर महबब

यह अदा यह िनगाह मःकराती मःतानी यह तरी चाल बलखाती ह िदल मरा ल चरा कर जाती चर कर िफर उस कयो लौटाती

घल गया ह ऐस यह समा आसमा एक ही तमहारी शखस म कस भला उठ पलक तो हो जाए उिजयारा िगर नकाब तो छा जाए अधरा

ककशा-ए-ठडक और गलाबी महक फसल-ए-बहार और शराबी बहक एक ही पल सभी म कर महसस पास स जो गजर मर महबब

‐नारायण

०२१४०९

म ह ना

कोसता कय ह बवजह

म ह िबलकल बक़सर

सोचता कय ह बअसर

की ह त कोई बड़ा हजर

ढ़ाओ ज म चाह िजतन

िगरगी न बद मरी आख स

खरात मोतीय की कस

की जाए ज लाद पर

म तो ह बादी खदाकी

और क़ािबल-ए-रहम उस की

कह वो म ह ना की

सतान स कभी ना डर

- नारायण

०४१७०९

ईःलाम

िधब करो िजब करो अलला का शब करो ख़द की ना िफब करो ईःलाम को मब करो

- नारायण

०९२७०९

शराफ़त

िमली नफरत तो ली

महबबत समझ कर क़यामत भी झल ली

इनायत समझ कर

बतो स िकया िकनारा हमन

भतो को िकया गवारा हमन

क़रीब-ओ-क़रीब कर ली हर आफ़त

अजीब-ओ-गरीब हमारी शराफ़त

िखदमदगार ख़दा क

अमन क राही हम

िफब नही िहफाज़त की

इबादत म मशगल हम

- नारायण

१०३००९

शराबी बशमार खा क मार फर भी ह म मगरर

बतहाशा तर तमना कर ी कक म बर

ह शकवा ा गला कछ भी मझ ज़मा स

स परवाा ख़शी म ल मल क शमा स

खवाहश सार ह गई घल इस पमा म खबर कस त ह गई पघल मर ह मय म

कौ म कौ त कया तमना खवाहश कसी

दल कक मर त छआ तब स ह य बदहवासी

- ारायण ०४०७१०

उ का तकाज़ा नजरअदाज हम न नह कया कछ भी फर भी जाल स ना जान कसी फसली मछली

दर दर क खा कर ठोकर भर भर क लाए धन क िपटार मर मार क कय जतन व सार पल भर म लटाए सभी अब ह हाथ खाली

रौब जमाया ताक़त का ज मनाया िहममत का ऐलान कया जत का मशगल इतन समझ ना पाए उ ढली

श ह ख़दा का अब तो आख खली खा क सौ चह िबलली अब हज चली

- नारायण ०४१३१०

सचच तम ह को म दख तम ह को म चह तम ह मर आरज तम ह मर जसतज खचन क खचाहह पीन क पचस जीन क तमननच डर मरन कच सब ह स बड़च सफर एक ह त पचर हो क ख़दच हो नच मत जदच रहो पचस सदच कहो नच अलदच सचर इस जहच म सचच एक ह त

- नचरचण ०५२०१०

उजाऱा

सऱघत सीन स धआॊ जो ननकऱ फद फ पऱाएॊ ददऱ म दफी नफ़रत ह इसकी वजह समझ यह ऱ

हई ना हानसऱ गर जो मोहबफत कर ना ददककत

रख यह हसरत कोई और गर करगा खरात

पॊ क द गससा जऱा द नफ़रत कर द खाऱी ऩरा ददऱ तरा दख दपर कस होगा उजाऱा ददऱ ही नहीॊ फलकक जहाॉ यह सारा

- नारायण

०७ ०७ ००

हमसफ़र

आना ही था मोहतरमा

तो तनहा तनहा कयय न आयी

लाना ही था साथ किसी िो

तो बहार ही िो कयय ल आयी

चनाच जाना ही था मोहतरमा

साथ उस भी कयय नह ल गयी

लगा वह आप िा साया थी

हमसाया हमारा िस बनती

कदल ि झरोि स किरण सी घसी

पलि िो पर खला कयय छोड़ आयी

आख म कितनी आवारागदी

िर रही ह सनहरी याद आप िी

सोन भी व नह दती हम

सपन िी आप ि तमनना रह गयी

मसिराहट नह आहट ही सही

कयय न हमार ललय छोड़ गयी

लनशानी अगर िछ द जाती

लजनदगी खशी स गजर जाती

गम मगर नह ह कयय कि

लजगर म ह आप समा गयी

- नारायण

०७२६१०

नजर-ए-बयाॊ

ऩसॊद अऩनी अऩनी खयाऱ अऩना अऩना नजर अऩनी अऩनी अॊदाज अऩना अऩना

ऱगाम ऱाऱ ऩर घोड़ी बढी जवाॊ हॉ म दखो अभी भी ऩसॊद अऩनी अऩनी

मनहस बरहम कसी य दननया जहाॊ य खबसरत अलऱाह का शकरिया खयाऱ अऩना अऩना

ककषा य चमचमाती बबखर खदा न मोती ऩतथर बशमार सतान क खबर ह ऱाए क़यामत की नजर अऩनी अऩनी

करिमकरिमाता नसतारा खा जाएगा अॊधरा सबर ह गर गॉवारा दर नहीॊ ह सॊवरा अॊदाज अऩना अऩना

- नारायण ११२०१०

पसरा

चरा ह वह जरान कयान-ए-शयीप कह ह फामफर उसक जजगय क कयीफ कय कयम वह बगवतगीता की फपकर नहीॊ जफ उस फकसी तोहया ऩय पकर

फकमा न कबी ऩववतर वद को परणाभ न मा कबी गर गरनथ-साफहफ को सराभ भान न फामफर का बी फहससा आधा कस फपय जान वह कयमा ह झद-अवसता

जान दो छोड़ो कय रो उस स फकनाया कबी घय स फाहय ना ननकरा फचाया जीसस तक बी जो ना ऩहॉच ऩामा क़माभत ऩय होगा उसका बी पसरा

- नायामण ०९१११०

(A priest in Gainesville Florida had threatened to burn Quran in protest of a

proposed building a mosque near the Ground Zero in New York the place of terrorist attacks on 0911 Politics as usual was behind the agitation all over the USA from both camps pro and against the proposal The above composition in Urdu was intended to appeal for non-violent and peaceful resolution of the dispute by all parties involved as well concerned)

कौन

रासत स अपन आप म मशगल म था चल रहा

सामन स यकायक ना जान वो कहाा स आया

बिना कछ कह उसन अचानक हमला िोल बदया

नजर भी न उठन दी दनादन मझ मार मार मारा

बहममत धर मबककल स खोली म न एक आाख या

बिगाड़ा कया म न इसका तीसमारखाा य कौन दखा

हडिड़ा उठा जो दखा कोई नही ह आजिाज

िड़ा अजीि शकसख ह हआ गायि एक लमह म कया

लडखडा कर उठन की कोशीश हई नाकाम

बगरा वही िहोश हो कर कही ना साया ना मकान

ऑ ाख खली तो दौडी लहर खशि की अनबगनत

उड़ होश बिर दखी जि खड़ी हसीना एक करीि

धोएा जखम बकया मलहम पटटी िााधी सर पर

धीर स दिाएा हाथ पर हौलस बिर मसकरा कर

अगल ही पल गयी वो बनकल छोड़ मझ मोड पर

थी कौन था वो गजरा जो इनायत या नफ़रत कर

-नारायण

०८०९११

जॊग

गर ह सारा जहाॉ भरा ससरफ़ खबसरती स फिर ह छिपी कोन कोन म बदसरती कस

माना जररय बशमार थ गरो को अपनान क रसऱ भी कहाॉ कम थ अपनो को बबदा करन क

फकय काम नक न िआ मय को कभी न होश खोएॊ फिर भी कयो गसस म आ कर कभी कबार बहोश हए

कोशीश की रह भाईचारा बढ़ मोहबबत समट नररत फिर भी चारो ओर ह रऱी जॊग नहीी फकस कोई मरववत

जब जब फकय सजद और हए रबर अलऱा स कहीॊ न कहीॊ समऱती रहीॊ नजर कायर शतान स

- नारायण १००९११

वाकिया

पाया न िभी हमन जो चाहा चाहा न िभी हमन जो पाया

चाहत म ही गजर गयी जजिदगी सारी मौत मगर चाही तो उसन भी ठिरा ददया

जीना जजतनी भी उमर यान पल पल ह मरना पल भर भी मौत िो पर कयो न जाय भलाया

एि चाह दसर िो चाह जजस तीसर िी ददया पयार न लौट िभी सददयो िा ह य वाकिया

- नारायण १२०३११

डर खदा स

बनाई जिसन कदरत ह वह एक ही माजिक अलिातािा खदा

हर एक चीि या शखस कदरत की ह उसी की ही बाादी या बादा

जिर कसा खिीफ़ा और जखिाित कसी सारा ही ह िसाद िा दा

कसा मलक मिहब रसम ररवाि कस सब ही ह एक गोरख धादा

बड़ी िरसत स माजिक न बनाई ह यह कदरत िननत सी

इसकी सारी ही सरिमी ह जहरासत हर एक जिनदा बाद की

इसी जिए कहाा ह यह अलिा न पगाबर मोहममद की कानो म

कर भिा नही बरा और डर मझस होगा िसिा क़यामत म

- नारायण

०१०८१२

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 2: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

या ख़दा

हई ह मोह बत जब स

बनी मरी जान ह त

इ क़ स ही जाना म न

जान नही ख़दा ह त

तफा म भटक क ती का

सहारा- ए-दिरया ह त

मझधार डबत ितनक का

िकनारा-ए-निदया ह त

कतरा-ए-मय एक या ह त सराही-ए-शराब

बद-ए-शबनम एक या ह त गलशन-ए-शबाब

म ला कया या मौलवी कया सब ही को ह तरी लगन

िदल को िजस क तन छआ

ह तरी ही धन म मगन

- नारायण

०८०९०९

मर महबब

यह अदा यह िनगाह मःकराती मःतानी यह तरी चाल बलखाती ह िदल मरा ल चरा कर जाती चर कर िफर उस कयो लौटाती

घल गया ह ऐस यह समा आसमा एक ही तमहारी शखस म कस भला उठ पलक तो हो जाए उिजयारा िगर नकाब तो छा जाए अधरा

ककशा-ए-ठडक और गलाबी महक फसल-ए-बहार और शराबी बहक एक ही पल सभी म कर महसस पास स जो गजर मर महबब

‐नारायण

०२१४०९

म ह ना

कोसता कय ह बवजह

म ह िबलकल बक़सर

सोचता कय ह बअसर

की ह त कोई बड़ा हजर

ढ़ाओ ज म चाह िजतन

िगरगी न बद मरी आख स

खरात मोतीय की कस

की जाए ज लाद पर

म तो ह बादी खदाकी

और क़ािबल-ए-रहम उस की

कह वो म ह ना की

सतान स कभी ना डर

- नारायण

०४१७०९

ईःलाम

िधब करो िजब करो अलला का शब करो ख़द की ना िफब करो ईःलाम को मब करो

- नारायण

०९२७०९

शराफ़त

िमली नफरत तो ली

महबबत समझ कर क़यामत भी झल ली

इनायत समझ कर

बतो स िकया िकनारा हमन

भतो को िकया गवारा हमन

क़रीब-ओ-क़रीब कर ली हर आफ़त

अजीब-ओ-गरीब हमारी शराफ़त

िखदमदगार ख़दा क

अमन क राही हम

िफब नही िहफाज़त की

इबादत म मशगल हम

- नारायण

१०३००९

शराबी बशमार खा क मार फर भी ह म मगरर

बतहाशा तर तमना कर ी कक म बर

ह शकवा ा गला कछ भी मझ ज़मा स

स परवाा ख़शी म ल मल क शमा स

खवाहश सार ह गई घल इस पमा म खबर कस त ह गई पघल मर ह मय म

कौ म कौ त कया तमना खवाहश कसी

दल कक मर त छआ तब स ह य बदहवासी

- ारायण ०४०७१०

उ का तकाज़ा नजरअदाज हम न नह कया कछ भी फर भी जाल स ना जान कसी फसली मछली

दर दर क खा कर ठोकर भर भर क लाए धन क िपटार मर मार क कय जतन व सार पल भर म लटाए सभी अब ह हाथ खाली

रौब जमाया ताक़त का ज मनाया िहममत का ऐलान कया जत का मशगल इतन समझ ना पाए उ ढली

श ह ख़दा का अब तो आख खली खा क सौ चह िबलली अब हज चली

- नारायण ०४१३१०

सचच तम ह को म दख तम ह को म चह तम ह मर आरज तम ह मर जसतज खचन क खचाहह पीन क पचस जीन क तमननच डर मरन कच सब ह स बड़च सफर एक ह त पचर हो क ख़दच हो नच मत जदच रहो पचस सदच कहो नच अलदच सचर इस जहच म सचच एक ह त

- नचरचण ०५२०१०

उजाऱा

सऱघत सीन स धआॊ जो ननकऱ फद फ पऱाएॊ ददऱ म दफी नफ़रत ह इसकी वजह समझ यह ऱ

हई ना हानसऱ गर जो मोहबफत कर ना ददककत

रख यह हसरत कोई और गर करगा खरात

पॊ क द गससा जऱा द नफ़रत कर द खाऱी ऩरा ददऱ तरा दख दपर कस होगा उजाऱा ददऱ ही नहीॊ फलकक जहाॉ यह सारा

- नारायण

०७ ०७ ००

हमसफ़र

आना ही था मोहतरमा

तो तनहा तनहा कयय न आयी

लाना ही था साथ किसी िो

तो बहार ही िो कयय ल आयी

चनाच जाना ही था मोहतरमा

साथ उस भी कयय नह ल गयी

लगा वह आप िा साया थी

हमसाया हमारा िस बनती

कदल ि झरोि स किरण सी घसी

पलि िो पर खला कयय छोड़ आयी

आख म कितनी आवारागदी

िर रही ह सनहरी याद आप िी

सोन भी व नह दती हम

सपन िी आप ि तमनना रह गयी

मसिराहट नह आहट ही सही

कयय न हमार ललय छोड़ गयी

लनशानी अगर िछ द जाती

लजनदगी खशी स गजर जाती

गम मगर नह ह कयय कि

लजगर म ह आप समा गयी

- नारायण

०७२६१०

नजर-ए-बयाॊ

ऩसॊद अऩनी अऩनी खयाऱ अऩना अऩना नजर अऩनी अऩनी अॊदाज अऩना अऩना

ऱगाम ऱाऱ ऩर घोड़ी बढी जवाॊ हॉ म दखो अभी भी ऩसॊद अऩनी अऩनी

मनहस बरहम कसी य दननया जहाॊ य खबसरत अलऱाह का शकरिया खयाऱ अऩना अऩना

ककषा य चमचमाती बबखर खदा न मोती ऩतथर बशमार सतान क खबर ह ऱाए क़यामत की नजर अऩनी अऩनी

करिमकरिमाता नसतारा खा जाएगा अॊधरा सबर ह गर गॉवारा दर नहीॊ ह सॊवरा अॊदाज अऩना अऩना

- नारायण ११२०१०

पसरा

चरा ह वह जरान कयान-ए-शयीप कह ह फामफर उसक जजगय क कयीफ कय कयम वह बगवतगीता की फपकर नहीॊ जफ उस फकसी तोहया ऩय पकर

फकमा न कबी ऩववतर वद को परणाभ न मा कबी गर गरनथ-साफहफ को सराभ भान न फामफर का बी फहससा आधा कस फपय जान वह कयमा ह झद-अवसता

जान दो छोड़ो कय रो उस स फकनाया कबी घय स फाहय ना ननकरा फचाया जीसस तक बी जो ना ऩहॉच ऩामा क़माभत ऩय होगा उसका बी पसरा

- नायामण ०९१११०

(A priest in Gainesville Florida had threatened to burn Quran in protest of a

proposed building a mosque near the Ground Zero in New York the place of terrorist attacks on 0911 Politics as usual was behind the agitation all over the USA from both camps pro and against the proposal The above composition in Urdu was intended to appeal for non-violent and peaceful resolution of the dispute by all parties involved as well concerned)

कौन

रासत स अपन आप म मशगल म था चल रहा

सामन स यकायक ना जान वो कहाा स आया

बिना कछ कह उसन अचानक हमला िोल बदया

नजर भी न उठन दी दनादन मझ मार मार मारा

बहममत धर मबककल स खोली म न एक आाख या

बिगाड़ा कया म न इसका तीसमारखाा य कौन दखा

हडिड़ा उठा जो दखा कोई नही ह आजिाज

िड़ा अजीि शकसख ह हआ गायि एक लमह म कया

लडखडा कर उठन की कोशीश हई नाकाम

बगरा वही िहोश हो कर कही ना साया ना मकान

ऑ ाख खली तो दौडी लहर खशि की अनबगनत

उड़ होश बिर दखी जि खड़ी हसीना एक करीि

धोएा जखम बकया मलहम पटटी िााधी सर पर

धीर स दिाएा हाथ पर हौलस बिर मसकरा कर

अगल ही पल गयी वो बनकल छोड़ मझ मोड पर

थी कौन था वो गजरा जो इनायत या नफ़रत कर

-नारायण

०८०९११

जॊग

गर ह सारा जहाॉ भरा ससरफ़ खबसरती स फिर ह छिपी कोन कोन म बदसरती कस

माना जररय बशमार थ गरो को अपनान क रसऱ भी कहाॉ कम थ अपनो को बबदा करन क

फकय काम नक न िआ मय को कभी न होश खोएॊ फिर भी कयो गसस म आ कर कभी कबार बहोश हए

कोशीश की रह भाईचारा बढ़ मोहबबत समट नररत फिर भी चारो ओर ह रऱी जॊग नहीी फकस कोई मरववत

जब जब फकय सजद और हए रबर अलऱा स कहीॊ न कहीॊ समऱती रहीॊ नजर कायर शतान स

- नारायण १००९११

वाकिया

पाया न िभी हमन जो चाहा चाहा न िभी हमन जो पाया

चाहत म ही गजर गयी जजिदगी सारी मौत मगर चाही तो उसन भी ठिरा ददया

जीना जजतनी भी उमर यान पल पल ह मरना पल भर भी मौत िो पर कयो न जाय भलाया

एि चाह दसर िो चाह जजस तीसर िी ददया पयार न लौट िभी सददयो िा ह य वाकिया

- नारायण १२०३११

डर खदा स

बनाई जिसन कदरत ह वह एक ही माजिक अलिातािा खदा

हर एक चीि या शखस कदरत की ह उसी की ही बाादी या बादा

जिर कसा खिीफ़ा और जखिाित कसी सारा ही ह िसाद िा दा

कसा मलक मिहब रसम ररवाि कस सब ही ह एक गोरख धादा

बड़ी िरसत स माजिक न बनाई ह यह कदरत िननत सी

इसकी सारी ही सरिमी ह जहरासत हर एक जिनदा बाद की

इसी जिए कहाा ह यह अलिा न पगाबर मोहममद की कानो म

कर भिा नही बरा और डर मझस होगा िसिा क़यामत म

- नारायण

०१०८१२

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 3: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

मर महबब

यह अदा यह िनगाह मःकराती मःतानी यह तरी चाल बलखाती ह िदल मरा ल चरा कर जाती चर कर िफर उस कयो लौटाती

घल गया ह ऐस यह समा आसमा एक ही तमहारी शखस म कस भला उठ पलक तो हो जाए उिजयारा िगर नकाब तो छा जाए अधरा

ककशा-ए-ठडक और गलाबी महक फसल-ए-बहार और शराबी बहक एक ही पल सभी म कर महसस पास स जो गजर मर महबब

‐नारायण

०२१४०९

म ह ना

कोसता कय ह बवजह

म ह िबलकल बक़सर

सोचता कय ह बअसर

की ह त कोई बड़ा हजर

ढ़ाओ ज म चाह िजतन

िगरगी न बद मरी आख स

खरात मोतीय की कस

की जाए ज लाद पर

म तो ह बादी खदाकी

और क़ािबल-ए-रहम उस की

कह वो म ह ना की

सतान स कभी ना डर

- नारायण

०४१७०९

ईःलाम

िधब करो िजब करो अलला का शब करो ख़द की ना िफब करो ईःलाम को मब करो

- नारायण

०९२७०९

शराफ़त

िमली नफरत तो ली

महबबत समझ कर क़यामत भी झल ली

इनायत समझ कर

बतो स िकया िकनारा हमन

भतो को िकया गवारा हमन

क़रीब-ओ-क़रीब कर ली हर आफ़त

अजीब-ओ-गरीब हमारी शराफ़त

िखदमदगार ख़दा क

अमन क राही हम

िफब नही िहफाज़त की

इबादत म मशगल हम

- नारायण

१०३००९

शराबी बशमार खा क मार फर भी ह म मगरर

बतहाशा तर तमना कर ी कक म बर

ह शकवा ा गला कछ भी मझ ज़मा स

स परवाा ख़शी म ल मल क शमा स

खवाहश सार ह गई घल इस पमा म खबर कस त ह गई पघल मर ह मय म

कौ म कौ त कया तमना खवाहश कसी

दल कक मर त छआ तब स ह य बदहवासी

- ारायण ०४०७१०

उ का तकाज़ा नजरअदाज हम न नह कया कछ भी फर भी जाल स ना जान कसी फसली मछली

दर दर क खा कर ठोकर भर भर क लाए धन क िपटार मर मार क कय जतन व सार पल भर म लटाए सभी अब ह हाथ खाली

रौब जमाया ताक़त का ज मनाया िहममत का ऐलान कया जत का मशगल इतन समझ ना पाए उ ढली

श ह ख़दा का अब तो आख खली खा क सौ चह िबलली अब हज चली

- नारायण ०४१३१०

सचच तम ह को म दख तम ह को म चह तम ह मर आरज तम ह मर जसतज खचन क खचाहह पीन क पचस जीन क तमननच डर मरन कच सब ह स बड़च सफर एक ह त पचर हो क ख़दच हो नच मत जदच रहो पचस सदच कहो नच अलदच सचर इस जहच म सचच एक ह त

- नचरचण ०५२०१०

उजाऱा

सऱघत सीन स धआॊ जो ननकऱ फद फ पऱाएॊ ददऱ म दफी नफ़रत ह इसकी वजह समझ यह ऱ

हई ना हानसऱ गर जो मोहबफत कर ना ददककत

रख यह हसरत कोई और गर करगा खरात

पॊ क द गससा जऱा द नफ़रत कर द खाऱी ऩरा ददऱ तरा दख दपर कस होगा उजाऱा ददऱ ही नहीॊ फलकक जहाॉ यह सारा

- नारायण

०७ ०७ ००

हमसफ़र

आना ही था मोहतरमा

तो तनहा तनहा कयय न आयी

लाना ही था साथ किसी िो

तो बहार ही िो कयय ल आयी

चनाच जाना ही था मोहतरमा

साथ उस भी कयय नह ल गयी

लगा वह आप िा साया थी

हमसाया हमारा िस बनती

कदल ि झरोि स किरण सी घसी

पलि िो पर खला कयय छोड़ आयी

आख म कितनी आवारागदी

िर रही ह सनहरी याद आप िी

सोन भी व नह दती हम

सपन िी आप ि तमनना रह गयी

मसिराहट नह आहट ही सही

कयय न हमार ललय छोड़ गयी

लनशानी अगर िछ द जाती

लजनदगी खशी स गजर जाती

गम मगर नह ह कयय कि

लजगर म ह आप समा गयी

- नारायण

०७२६१०

नजर-ए-बयाॊ

ऩसॊद अऩनी अऩनी खयाऱ अऩना अऩना नजर अऩनी अऩनी अॊदाज अऩना अऩना

ऱगाम ऱाऱ ऩर घोड़ी बढी जवाॊ हॉ म दखो अभी भी ऩसॊद अऩनी अऩनी

मनहस बरहम कसी य दननया जहाॊ य खबसरत अलऱाह का शकरिया खयाऱ अऩना अऩना

ककषा य चमचमाती बबखर खदा न मोती ऩतथर बशमार सतान क खबर ह ऱाए क़यामत की नजर अऩनी अऩनी

करिमकरिमाता नसतारा खा जाएगा अॊधरा सबर ह गर गॉवारा दर नहीॊ ह सॊवरा अॊदाज अऩना अऩना

- नारायण ११२०१०

पसरा

चरा ह वह जरान कयान-ए-शयीप कह ह फामफर उसक जजगय क कयीफ कय कयम वह बगवतगीता की फपकर नहीॊ जफ उस फकसी तोहया ऩय पकर

फकमा न कबी ऩववतर वद को परणाभ न मा कबी गर गरनथ-साफहफ को सराभ भान न फामफर का बी फहससा आधा कस फपय जान वह कयमा ह झद-अवसता

जान दो छोड़ो कय रो उस स फकनाया कबी घय स फाहय ना ननकरा फचाया जीसस तक बी जो ना ऩहॉच ऩामा क़माभत ऩय होगा उसका बी पसरा

- नायामण ०९१११०

(A priest in Gainesville Florida had threatened to burn Quran in protest of a

proposed building a mosque near the Ground Zero in New York the place of terrorist attacks on 0911 Politics as usual was behind the agitation all over the USA from both camps pro and against the proposal The above composition in Urdu was intended to appeal for non-violent and peaceful resolution of the dispute by all parties involved as well concerned)

कौन

रासत स अपन आप म मशगल म था चल रहा

सामन स यकायक ना जान वो कहाा स आया

बिना कछ कह उसन अचानक हमला िोल बदया

नजर भी न उठन दी दनादन मझ मार मार मारा

बहममत धर मबककल स खोली म न एक आाख या

बिगाड़ा कया म न इसका तीसमारखाा य कौन दखा

हडिड़ा उठा जो दखा कोई नही ह आजिाज

िड़ा अजीि शकसख ह हआ गायि एक लमह म कया

लडखडा कर उठन की कोशीश हई नाकाम

बगरा वही िहोश हो कर कही ना साया ना मकान

ऑ ाख खली तो दौडी लहर खशि की अनबगनत

उड़ होश बिर दखी जि खड़ी हसीना एक करीि

धोएा जखम बकया मलहम पटटी िााधी सर पर

धीर स दिाएा हाथ पर हौलस बिर मसकरा कर

अगल ही पल गयी वो बनकल छोड़ मझ मोड पर

थी कौन था वो गजरा जो इनायत या नफ़रत कर

-नारायण

०८०९११

जॊग

गर ह सारा जहाॉ भरा ससरफ़ खबसरती स फिर ह छिपी कोन कोन म बदसरती कस

माना जररय बशमार थ गरो को अपनान क रसऱ भी कहाॉ कम थ अपनो को बबदा करन क

फकय काम नक न िआ मय को कभी न होश खोएॊ फिर भी कयो गसस म आ कर कभी कबार बहोश हए

कोशीश की रह भाईचारा बढ़ मोहबबत समट नररत फिर भी चारो ओर ह रऱी जॊग नहीी फकस कोई मरववत

जब जब फकय सजद और हए रबर अलऱा स कहीॊ न कहीॊ समऱती रहीॊ नजर कायर शतान स

- नारायण १००९११

वाकिया

पाया न िभी हमन जो चाहा चाहा न िभी हमन जो पाया

चाहत म ही गजर गयी जजिदगी सारी मौत मगर चाही तो उसन भी ठिरा ददया

जीना जजतनी भी उमर यान पल पल ह मरना पल भर भी मौत िो पर कयो न जाय भलाया

एि चाह दसर िो चाह जजस तीसर िी ददया पयार न लौट िभी सददयो िा ह य वाकिया

- नारायण १२०३११

डर खदा स

बनाई जिसन कदरत ह वह एक ही माजिक अलिातािा खदा

हर एक चीि या शखस कदरत की ह उसी की ही बाादी या बादा

जिर कसा खिीफ़ा और जखिाित कसी सारा ही ह िसाद िा दा

कसा मलक मिहब रसम ररवाि कस सब ही ह एक गोरख धादा

बड़ी िरसत स माजिक न बनाई ह यह कदरत िननत सी

इसकी सारी ही सरिमी ह जहरासत हर एक जिनदा बाद की

इसी जिए कहाा ह यह अलिा न पगाबर मोहममद की कानो म

कर भिा नही बरा और डर मझस होगा िसिा क़यामत म

- नारायण

०१०८१२

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 4: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

म ह ना

कोसता कय ह बवजह

म ह िबलकल बक़सर

सोचता कय ह बअसर

की ह त कोई बड़ा हजर

ढ़ाओ ज म चाह िजतन

िगरगी न बद मरी आख स

खरात मोतीय की कस

की जाए ज लाद पर

म तो ह बादी खदाकी

और क़ािबल-ए-रहम उस की

कह वो म ह ना की

सतान स कभी ना डर

- नारायण

०४१७०९

ईःलाम

िधब करो िजब करो अलला का शब करो ख़द की ना िफब करो ईःलाम को मब करो

- नारायण

०९२७०९

शराफ़त

िमली नफरत तो ली

महबबत समझ कर क़यामत भी झल ली

इनायत समझ कर

बतो स िकया िकनारा हमन

भतो को िकया गवारा हमन

क़रीब-ओ-क़रीब कर ली हर आफ़त

अजीब-ओ-गरीब हमारी शराफ़त

िखदमदगार ख़दा क

अमन क राही हम

िफब नही िहफाज़त की

इबादत म मशगल हम

- नारायण

१०३००९

शराबी बशमार खा क मार फर भी ह म मगरर

बतहाशा तर तमना कर ी कक म बर

ह शकवा ा गला कछ भी मझ ज़मा स

स परवाा ख़शी म ल मल क शमा स

खवाहश सार ह गई घल इस पमा म खबर कस त ह गई पघल मर ह मय म

कौ म कौ त कया तमना खवाहश कसी

दल कक मर त छआ तब स ह य बदहवासी

- ारायण ०४०७१०

उ का तकाज़ा नजरअदाज हम न नह कया कछ भी फर भी जाल स ना जान कसी फसली मछली

दर दर क खा कर ठोकर भर भर क लाए धन क िपटार मर मार क कय जतन व सार पल भर म लटाए सभी अब ह हाथ खाली

रौब जमाया ताक़त का ज मनाया िहममत का ऐलान कया जत का मशगल इतन समझ ना पाए उ ढली

श ह ख़दा का अब तो आख खली खा क सौ चह िबलली अब हज चली

- नारायण ०४१३१०

सचच तम ह को म दख तम ह को म चह तम ह मर आरज तम ह मर जसतज खचन क खचाहह पीन क पचस जीन क तमननच डर मरन कच सब ह स बड़च सफर एक ह त पचर हो क ख़दच हो नच मत जदच रहो पचस सदच कहो नच अलदच सचर इस जहच म सचच एक ह त

- नचरचण ०५२०१०

उजाऱा

सऱघत सीन स धआॊ जो ननकऱ फद फ पऱाएॊ ददऱ म दफी नफ़रत ह इसकी वजह समझ यह ऱ

हई ना हानसऱ गर जो मोहबफत कर ना ददककत

रख यह हसरत कोई और गर करगा खरात

पॊ क द गससा जऱा द नफ़रत कर द खाऱी ऩरा ददऱ तरा दख दपर कस होगा उजाऱा ददऱ ही नहीॊ फलकक जहाॉ यह सारा

- नारायण

०७ ०७ ००

हमसफ़र

आना ही था मोहतरमा

तो तनहा तनहा कयय न आयी

लाना ही था साथ किसी िो

तो बहार ही िो कयय ल आयी

चनाच जाना ही था मोहतरमा

साथ उस भी कयय नह ल गयी

लगा वह आप िा साया थी

हमसाया हमारा िस बनती

कदल ि झरोि स किरण सी घसी

पलि िो पर खला कयय छोड़ आयी

आख म कितनी आवारागदी

िर रही ह सनहरी याद आप िी

सोन भी व नह दती हम

सपन िी आप ि तमनना रह गयी

मसिराहट नह आहट ही सही

कयय न हमार ललय छोड़ गयी

लनशानी अगर िछ द जाती

लजनदगी खशी स गजर जाती

गम मगर नह ह कयय कि

लजगर म ह आप समा गयी

- नारायण

०७२६१०

नजर-ए-बयाॊ

ऩसॊद अऩनी अऩनी खयाऱ अऩना अऩना नजर अऩनी अऩनी अॊदाज अऩना अऩना

ऱगाम ऱाऱ ऩर घोड़ी बढी जवाॊ हॉ म दखो अभी भी ऩसॊद अऩनी अऩनी

मनहस बरहम कसी य दननया जहाॊ य खबसरत अलऱाह का शकरिया खयाऱ अऩना अऩना

ककषा य चमचमाती बबखर खदा न मोती ऩतथर बशमार सतान क खबर ह ऱाए क़यामत की नजर अऩनी अऩनी

करिमकरिमाता नसतारा खा जाएगा अॊधरा सबर ह गर गॉवारा दर नहीॊ ह सॊवरा अॊदाज अऩना अऩना

- नारायण ११२०१०

पसरा

चरा ह वह जरान कयान-ए-शयीप कह ह फामफर उसक जजगय क कयीफ कय कयम वह बगवतगीता की फपकर नहीॊ जफ उस फकसी तोहया ऩय पकर

फकमा न कबी ऩववतर वद को परणाभ न मा कबी गर गरनथ-साफहफ को सराभ भान न फामफर का बी फहससा आधा कस फपय जान वह कयमा ह झद-अवसता

जान दो छोड़ो कय रो उस स फकनाया कबी घय स फाहय ना ननकरा फचाया जीसस तक बी जो ना ऩहॉच ऩामा क़माभत ऩय होगा उसका बी पसरा

- नायामण ०९१११०

(A priest in Gainesville Florida had threatened to burn Quran in protest of a

proposed building a mosque near the Ground Zero in New York the place of terrorist attacks on 0911 Politics as usual was behind the agitation all over the USA from both camps pro and against the proposal The above composition in Urdu was intended to appeal for non-violent and peaceful resolution of the dispute by all parties involved as well concerned)

कौन

रासत स अपन आप म मशगल म था चल रहा

सामन स यकायक ना जान वो कहाा स आया

बिना कछ कह उसन अचानक हमला िोल बदया

नजर भी न उठन दी दनादन मझ मार मार मारा

बहममत धर मबककल स खोली म न एक आाख या

बिगाड़ा कया म न इसका तीसमारखाा य कौन दखा

हडिड़ा उठा जो दखा कोई नही ह आजिाज

िड़ा अजीि शकसख ह हआ गायि एक लमह म कया

लडखडा कर उठन की कोशीश हई नाकाम

बगरा वही िहोश हो कर कही ना साया ना मकान

ऑ ाख खली तो दौडी लहर खशि की अनबगनत

उड़ होश बिर दखी जि खड़ी हसीना एक करीि

धोएा जखम बकया मलहम पटटी िााधी सर पर

धीर स दिाएा हाथ पर हौलस बिर मसकरा कर

अगल ही पल गयी वो बनकल छोड़ मझ मोड पर

थी कौन था वो गजरा जो इनायत या नफ़रत कर

-नारायण

०८०९११

जॊग

गर ह सारा जहाॉ भरा ससरफ़ खबसरती स फिर ह छिपी कोन कोन म बदसरती कस

माना जररय बशमार थ गरो को अपनान क रसऱ भी कहाॉ कम थ अपनो को बबदा करन क

फकय काम नक न िआ मय को कभी न होश खोएॊ फिर भी कयो गसस म आ कर कभी कबार बहोश हए

कोशीश की रह भाईचारा बढ़ मोहबबत समट नररत फिर भी चारो ओर ह रऱी जॊग नहीी फकस कोई मरववत

जब जब फकय सजद और हए रबर अलऱा स कहीॊ न कहीॊ समऱती रहीॊ नजर कायर शतान स

- नारायण १००९११

वाकिया

पाया न िभी हमन जो चाहा चाहा न िभी हमन जो पाया

चाहत म ही गजर गयी जजिदगी सारी मौत मगर चाही तो उसन भी ठिरा ददया

जीना जजतनी भी उमर यान पल पल ह मरना पल भर भी मौत िो पर कयो न जाय भलाया

एि चाह दसर िो चाह जजस तीसर िी ददया पयार न लौट िभी सददयो िा ह य वाकिया

- नारायण १२०३११

डर खदा स

बनाई जिसन कदरत ह वह एक ही माजिक अलिातािा खदा

हर एक चीि या शखस कदरत की ह उसी की ही बाादी या बादा

जिर कसा खिीफ़ा और जखिाित कसी सारा ही ह िसाद िा दा

कसा मलक मिहब रसम ररवाि कस सब ही ह एक गोरख धादा

बड़ी िरसत स माजिक न बनाई ह यह कदरत िननत सी

इसकी सारी ही सरिमी ह जहरासत हर एक जिनदा बाद की

इसी जिए कहाा ह यह अलिा न पगाबर मोहममद की कानो म

कर भिा नही बरा और डर मझस होगा िसिा क़यामत म

- नारायण

०१०८१२

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 5: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

ईःलाम

िधब करो िजब करो अलला का शब करो ख़द की ना िफब करो ईःलाम को मब करो

- नारायण

०९२७०९

शराफ़त

िमली नफरत तो ली

महबबत समझ कर क़यामत भी झल ली

इनायत समझ कर

बतो स िकया िकनारा हमन

भतो को िकया गवारा हमन

क़रीब-ओ-क़रीब कर ली हर आफ़त

अजीब-ओ-गरीब हमारी शराफ़त

िखदमदगार ख़दा क

अमन क राही हम

िफब नही िहफाज़त की

इबादत म मशगल हम

- नारायण

१०३००९

शराबी बशमार खा क मार फर भी ह म मगरर

बतहाशा तर तमना कर ी कक म बर

ह शकवा ा गला कछ भी मझ ज़मा स

स परवाा ख़शी म ल मल क शमा स

खवाहश सार ह गई घल इस पमा म खबर कस त ह गई पघल मर ह मय म

कौ म कौ त कया तमना खवाहश कसी

दल कक मर त छआ तब स ह य बदहवासी

- ारायण ०४०७१०

उ का तकाज़ा नजरअदाज हम न नह कया कछ भी फर भी जाल स ना जान कसी फसली मछली

दर दर क खा कर ठोकर भर भर क लाए धन क िपटार मर मार क कय जतन व सार पल भर म लटाए सभी अब ह हाथ खाली

रौब जमाया ताक़त का ज मनाया िहममत का ऐलान कया जत का मशगल इतन समझ ना पाए उ ढली

श ह ख़दा का अब तो आख खली खा क सौ चह िबलली अब हज चली

- नारायण ०४१३१०

सचच तम ह को म दख तम ह को म चह तम ह मर आरज तम ह मर जसतज खचन क खचाहह पीन क पचस जीन क तमननच डर मरन कच सब ह स बड़च सफर एक ह त पचर हो क ख़दच हो नच मत जदच रहो पचस सदच कहो नच अलदच सचर इस जहच म सचच एक ह त

- नचरचण ०५२०१०

उजाऱा

सऱघत सीन स धआॊ जो ननकऱ फद फ पऱाएॊ ददऱ म दफी नफ़रत ह इसकी वजह समझ यह ऱ

हई ना हानसऱ गर जो मोहबफत कर ना ददककत

रख यह हसरत कोई और गर करगा खरात

पॊ क द गससा जऱा द नफ़रत कर द खाऱी ऩरा ददऱ तरा दख दपर कस होगा उजाऱा ददऱ ही नहीॊ फलकक जहाॉ यह सारा

- नारायण

०७ ०७ ००

हमसफ़र

आना ही था मोहतरमा

तो तनहा तनहा कयय न आयी

लाना ही था साथ किसी िो

तो बहार ही िो कयय ल आयी

चनाच जाना ही था मोहतरमा

साथ उस भी कयय नह ल गयी

लगा वह आप िा साया थी

हमसाया हमारा िस बनती

कदल ि झरोि स किरण सी घसी

पलि िो पर खला कयय छोड़ आयी

आख म कितनी आवारागदी

िर रही ह सनहरी याद आप िी

सोन भी व नह दती हम

सपन िी आप ि तमनना रह गयी

मसिराहट नह आहट ही सही

कयय न हमार ललय छोड़ गयी

लनशानी अगर िछ द जाती

लजनदगी खशी स गजर जाती

गम मगर नह ह कयय कि

लजगर म ह आप समा गयी

- नारायण

०७२६१०

नजर-ए-बयाॊ

ऩसॊद अऩनी अऩनी खयाऱ अऩना अऩना नजर अऩनी अऩनी अॊदाज अऩना अऩना

ऱगाम ऱाऱ ऩर घोड़ी बढी जवाॊ हॉ म दखो अभी भी ऩसॊद अऩनी अऩनी

मनहस बरहम कसी य दननया जहाॊ य खबसरत अलऱाह का शकरिया खयाऱ अऩना अऩना

ककषा य चमचमाती बबखर खदा न मोती ऩतथर बशमार सतान क खबर ह ऱाए क़यामत की नजर अऩनी अऩनी

करिमकरिमाता नसतारा खा जाएगा अॊधरा सबर ह गर गॉवारा दर नहीॊ ह सॊवरा अॊदाज अऩना अऩना

- नारायण ११२०१०

पसरा

चरा ह वह जरान कयान-ए-शयीप कह ह फामफर उसक जजगय क कयीफ कय कयम वह बगवतगीता की फपकर नहीॊ जफ उस फकसी तोहया ऩय पकर

फकमा न कबी ऩववतर वद को परणाभ न मा कबी गर गरनथ-साफहफ को सराभ भान न फामफर का बी फहससा आधा कस फपय जान वह कयमा ह झद-अवसता

जान दो छोड़ो कय रो उस स फकनाया कबी घय स फाहय ना ननकरा फचाया जीसस तक बी जो ना ऩहॉच ऩामा क़माभत ऩय होगा उसका बी पसरा

- नायामण ०९१११०

(A priest in Gainesville Florida had threatened to burn Quran in protest of a

proposed building a mosque near the Ground Zero in New York the place of terrorist attacks on 0911 Politics as usual was behind the agitation all over the USA from both camps pro and against the proposal The above composition in Urdu was intended to appeal for non-violent and peaceful resolution of the dispute by all parties involved as well concerned)

कौन

रासत स अपन आप म मशगल म था चल रहा

सामन स यकायक ना जान वो कहाा स आया

बिना कछ कह उसन अचानक हमला िोल बदया

नजर भी न उठन दी दनादन मझ मार मार मारा

बहममत धर मबककल स खोली म न एक आाख या

बिगाड़ा कया म न इसका तीसमारखाा य कौन दखा

हडिड़ा उठा जो दखा कोई नही ह आजिाज

िड़ा अजीि शकसख ह हआ गायि एक लमह म कया

लडखडा कर उठन की कोशीश हई नाकाम

बगरा वही िहोश हो कर कही ना साया ना मकान

ऑ ाख खली तो दौडी लहर खशि की अनबगनत

उड़ होश बिर दखी जि खड़ी हसीना एक करीि

धोएा जखम बकया मलहम पटटी िााधी सर पर

धीर स दिाएा हाथ पर हौलस बिर मसकरा कर

अगल ही पल गयी वो बनकल छोड़ मझ मोड पर

थी कौन था वो गजरा जो इनायत या नफ़रत कर

-नारायण

०८०९११

जॊग

गर ह सारा जहाॉ भरा ससरफ़ खबसरती स फिर ह छिपी कोन कोन म बदसरती कस

माना जररय बशमार थ गरो को अपनान क रसऱ भी कहाॉ कम थ अपनो को बबदा करन क

फकय काम नक न िआ मय को कभी न होश खोएॊ फिर भी कयो गसस म आ कर कभी कबार बहोश हए

कोशीश की रह भाईचारा बढ़ मोहबबत समट नररत फिर भी चारो ओर ह रऱी जॊग नहीी फकस कोई मरववत

जब जब फकय सजद और हए रबर अलऱा स कहीॊ न कहीॊ समऱती रहीॊ नजर कायर शतान स

- नारायण १००९११

वाकिया

पाया न िभी हमन जो चाहा चाहा न िभी हमन जो पाया

चाहत म ही गजर गयी जजिदगी सारी मौत मगर चाही तो उसन भी ठिरा ददया

जीना जजतनी भी उमर यान पल पल ह मरना पल भर भी मौत िो पर कयो न जाय भलाया

एि चाह दसर िो चाह जजस तीसर िी ददया पयार न लौट िभी सददयो िा ह य वाकिया

- नारायण १२०३११

डर खदा स

बनाई जिसन कदरत ह वह एक ही माजिक अलिातािा खदा

हर एक चीि या शखस कदरत की ह उसी की ही बाादी या बादा

जिर कसा खिीफ़ा और जखिाित कसी सारा ही ह िसाद िा दा

कसा मलक मिहब रसम ररवाि कस सब ही ह एक गोरख धादा

बड़ी िरसत स माजिक न बनाई ह यह कदरत िननत सी

इसकी सारी ही सरिमी ह जहरासत हर एक जिनदा बाद की

इसी जिए कहाा ह यह अलिा न पगाबर मोहममद की कानो म

कर भिा नही बरा और डर मझस होगा िसिा क़यामत म

- नारायण

०१०८१२

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 6: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

शराफ़त

िमली नफरत तो ली

महबबत समझ कर क़यामत भी झल ली

इनायत समझ कर

बतो स िकया िकनारा हमन

भतो को िकया गवारा हमन

क़रीब-ओ-क़रीब कर ली हर आफ़त

अजीब-ओ-गरीब हमारी शराफ़त

िखदमदगार ख़दा क

अमन क राही हम

िफब नही िहफाज़त की

इबादत म मशगल हम

- नारायण

१०३००९

शराबी बशमार खा क मार फर भी ह म मगरर

बतहाशा तर तमना कर ी कक म बर

ह शकवा ा गला कछ भी मझ ज़मा स

स परवाा ख़शी म ल मल क शमा स

खवाहश सार ह गई घल इस पमा म खबर कस त ह गई पघल मर ह मय म

कौ म कौ त कया तमना खवाहश कसी

दल कक मर त छआ तब स ह य बदहवासी

- ारायण ०४०७१०

उ का तकाज़ा नजरअदाज हम न नह कया कछ भी फर भी जाल स ना जान कसी फसली मछली

दर दर क खा कर ठोकर भर भर क लाए धन क िपटार मर मार क कय जतन व सार पल भर म लटाए सभी अब ह हाथ खाली

रौब जमाया ताक़त का ज मनाया िहममत का ऐलान कया जत का मशगल इतन समझ ना पाए उ ढली

श ह ख़दा का अब तो आख खली खा क सौ चह िबलली अब हज चली

- नारायण ०४१३१०

सचच तम ह को म दख तम ह को म चह तम ह मर आरज तम ह मर जसतज खचन क खचाहह पीन क पचस जीन क तमननच डर मरन कच सब ह स बड़च सफर एक ह त पचर हो क ख़दच हो नच मत जदच रहो पचस सदच कहो नच अलदच सचर इस जहच म सचच एक ह त

- नचरचण ०५२०१०

उजाऱा

सऱघत सीन स धआॊ जो ननकऱ फद फ पऱाएॊ ददऱ म दफी नफ़रत ह इसकी वजह समझ यह ऱ

हई ना हानसऱ गर जो मोहबफत कर ना ददककत

रख यह हसरत कोई और गर करगा खरात

पॊ क द गससा जऱा द नफ़रत कर द खाऱी ऩरा ददऱ तरा दख दपर कस होगा उजाऱा ददऱ ही नहीॊ फलकक जहाॉ यह सारा

- नारायण

०७ ०७ ००

हमसफ़र

आना ही था मोहतरमा

तो तनहा तनहा कयय न आयी

लाना ही था साथ किसी िो

तो बहार ही िो कयय ल आयी

चनाच जाना ही था मोहतरमा

साथ उस भी कयय नह ल गयी

लगा वह आप िा साया थी

हमसाया हमारा िस बनती

कदल ि झरोि स किरण सी घसी

पलि िो पर खला कयय छोड़ आयी

आख म कितनी आवारागदी

िर रही ह सनहरी याद आप िी

सोन भी व नह दती हम

सपन िी आप ि तमनना रह गयी

मसिराहट नह आहट ही सही

कयय न हमार ललय छोड़ गयी

लनशानी अगर िछ द जाती

लजनदगी खशी स गजर जाती

गम मगर नह ह कयय कि

लजगर म ह आप समा गयी

- नारायण

०७२६१०

नजर-ए-बयाॊ

ऩसॊद अऩनी अऩनी खयाऱ अऩना अऩना नजर अऩनी अऩनी अॊदाज अऩना अऩना

ऱगाम ऱाऱ ऩर घोड़ी बढी जवाॊ हॉ म दखो अभी भी ऩसॊद अऩनी अऩनी

मनहस बरहम कसी य दननया जहाॊ य खबसरत अलऱाह का शकरिया खयाऱ अऩना अऩना

ककषा य चमचमाती बबखर खदा न मोती ऩतथर बशमार सतान क खबर ह ऱाए क़यामत की नजर अऩनी अऩनी

करिमकरिमाता नसतारा खा जाएगा अॊधरा सबर ह गर गॉवारा दर नहीॊ ह सॊवरा अॊदाज अऩना अऩना

- नारायण ११२०१०

पसरा

चरा ह वह जरान कयान-ए-शयीप कह ह फामफर उसक जजगय क कयीफ कय कयम वह बगवतगीता की फपकर नहीॊ जफ उस फकसी तोहया ऩय पकर

फकमा न कबी ऩववतर वद को परणाभ न मा कबी गर गरनथ-साफहफ को सराभ भान न फामफर का बी फहससा आधा कस फपय जान वह कयमा ह झद-अवसता

जान दो छोड़ो कय रो उस स फकनाया कबी घय स फाहय ना ननकरा फचाया जीसस तक बी जो ना ऩहॉच ऩामा क़माभत ऩय होगा उसका बी पसरा

- नायामण ०९१११०

(A priest in Gainesville Florida had threatened to burn Quran in protest of a

proposed building a mosque near the Ground Zero in New York the place of terrorist attacks on 0911 Politics as usual was behind the agitation all over the USA from both camps pro and against the proposal The above composition in Urdu was intended to appeal for non-violent and peaceful resolution of the dispute by all parties involved as well concerned)

कौन

रासत स अपन आप म मशगल म था चल रहा

सामन स यकायक ना जान वो कहाा स आया

बिना कछ कह उसन अचानक हमला िोल बदया

नजर भी न उठन दी दनादन मझ मार मार मारा

बहममत धर मबककल स खोली म न एक आाख या

बिगाड़ा कया म न इसका तीसमारखाा य कौन दखा

हडिड़ा उठा जो दखा कोई नही ह आजिाज

िड़ा अजीि शकसख ह हआ गायि एक लमह म कया

लडखडा कर उठन की कोशीश हई नाकाम

बगरा वही िहोश हो कर कही ना साया ना मकान

ऑ ाख खली तो दौडी लहर खशि की अनबगनत

उड़ होश बिर दखी जि खड़ी हसीना एक करीि

धोएा जखम बकया मलहम पटटी िााधी सर पर

धीर स दिाएा हाथ पर हौलस बिर मसकरा कर

अगल ही पल गयी वो बनकल छोड़ मझ मोड पर

थी कौन था वो गजरा जो इनायत या नफ़रत कर

-नारायण

०८०९११

जॊग

गर ह सारा जहाॉ भरा ससरफ़ खबसरती स फिर ह छिपी कोन कोन म बदसरती कस

माना जररय बशमार थ गरो को अपनान क रसऱ भी कहाॉ कम थ अपनो को बबदा करन क

फकय काम नक न िआ मय को कभी न होश खोएॊ फिर भी कयो गसस म आ कर कभी कबार बहोश हए

कोशीश की रह भाईचारा बढ़ मोहबबत समट नररत फिर भी चारो ओर ह रऱी जॊग नहीी फकस कोई मरववत

जब जब फकय सजद और हए रबर अलऱा स कहीॊ न कहीॊ समऱती रहीॊ नजर कायर शतान स

- नारायण १००९११

वाकिया

पाया न िभी हमन जो चाहा चाहा न िभी हमन जो पाया

चाहत म ही गजर गयी जजिदगी सारी मौत मगर चाही तो उसन भी ठिरा ददया

जीना जजतनी भी उमर यान पल पल ह मरना पल भर भी मौत िो पर कयो न जाय भलाया

एि चाह दसर िो चाह जजस तीसर िी ददया पयार न लौट िभी सददयो िा ह य वाकिया

- नारायण १२०३११

डर खदा स

बनाई जिसन कदरत ह वह एक ही माजिक अलिातािा खदा

हर एक चीि या शखस कदरत की ह उसी की ही बाादी या बादा

जिर कसा खिीफ़ा और जखिाित कसी सारा ही ह िसाद िा दा

कसा मलक मिहब रसम ररवाि कस सब ही ह एक गोरख धादा

बड़ी िरसत स माजिक न बनाई ह यह कदरत िननत सी

इसकी सारी ही सरिमी ह जहरासत हर एक जिनदा बाद की

इसी जिए कहाा ह यह अलिा न पगाबर मोहममद की कानो म

कर भिा नही बरा और डर मझस होगा िसिा क़यामत म

- नारायण

०१०८१२

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 7: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

शराबी बशमार खा क मार फर भी ह म मगरर

बतहाशा तर तमना कर ी कक म बर

ह शकवा ा गला कछ भी मझ ज़मा स

स परवाा ख़शी म ल मल क शमा स

खवाहश सार ह गई घल इस पमा म खबर कस त ह गई पघल मर ह मय म

कौ म कौ त कया तमना खवाहश कसी

दल कक मर त छआ तब स ह य बदहवासी

- ारायण ०४०७१०

उ का तकाज़ा नजरअदाज हम न नह कया कछ भी फर भी जाल स ना जान कसी फसली मछली

दर दर क खा कर ठोकर भर भर क लाए धन क िपटार मर मार क कय जतन व सार पल भर म लटाए सभी अब ह हाथ खाली

रौब जमाया ताक़त का ज मनाया िहममत का ऐलान कया जत का मशगल इतन समझ ना पाए उ ढली

श ह ख़दा का अब तो आख खली खा क सौ चह िबलली अब हज चली

- नारायण ०४१३१०

सचच तम ह को म दख तम ह को म चह तम ह मर आरज तम ह मर जसतज खचन क खचाहह पीन क पचस जीन क तमननच डर मरन कच सब ह स बड़च सफर एक ह त पचर हो क ख़दच हो नच मत जदच रहो पचस सदच कहो नच अलदच सचर इस जहच म सचच एक ह त

- नचरचण ०५२०१०

उजाऱा

सऱघत सीन स धआॊ जो ननकऱ फद फ पऱाएॊ ददऱ म दफी नफ़रत ह इसकी वजह समझ यह ऱ

हई ना हानसऱ गर जो मोहबफत कर ना ददककत

रख यह हसरत कोई और गर करगा खरात

पॊ क द गससा जऱा द नफ़रत कर द खाऱी ऩरा ददऱ तरा दख दपर कस होगा उजाऱा ददऱ ही नहीॊ फलकक जहाॉ यह सारा

- नारायण

०७ ०७ ००

हमसफ़र

आना ही था मोहतरमा

तो तनहा तनहा कयय न आयी

लाना ही था साथ किसी िो

तो बहार ही िो कयय ल आयी

चनाच जाना ही था मोहतरमा

साथ उस भी कयय नह ल गयी

लगा वह आप िा साया थी

हमसाया हमारा िस बनती

कदल ि झरोि स किरण सी घसी

पलि िो पर खला कयय छोड़ आयी

आख म कितनी आवारागदी

िर रही ह सनहरी याद आप िी

सोन भी व नह दती हम

सपन िी आप ि तमनना रह गयी

मसिराहट नह आहट ही सही

कयय न हमार ललय छोड़ गयी

लनशानी अगर िछ द जाती

लजनदगी खशी स गजर जाती

गम मगर नह ह कयय कि

लजगर म ह आप समा गयी

- नारायण

०७२६१०

नजर-ए-बयाॊ

ऩसॊद अऩनी अऩनी खयाऱ अऩना अऩना नजर अऩनी अऩनी अॊदाज अऩना अऩना

ऱगाम ऱाऱ ऩर घोड़ी बढी जवाॊ हॉ म दखो अभी भी ऩसॊद अऩनी अऩनी

मनहस बरहम कसी य दननया जहाॊ य खबसरत अलऱाह का शकरिया खयाऱ अऩना अऩना

ककषा य चमचमाती बबखर खदा न मोती ऩतथर बशमार सतान क खबर ह ऱाए क़यामत की नजर अऩनी अऩनी

करिमकरिमाता नसतारा खा जाएगा अॊधरा सबर ह गर गॉवारा दर नहीॊ ह सॊवरा अॊदाज अऩना अऩना

- नारायण ११२०१०

पसरा

चरा ह वह जरान कयान-ए-शयीप कह ह फामफर उसक जजगय क कयीफ कय कयम वह बगवतगीता की फपकर नहीॊ जफ उस फकसी तोहया ऩय पकर

फकमा न कबी ऩववतर वद को परणाभ न मा कबी गर गरनथ-साफहफ को सराभ भान न फामफर का बी फहससा आधा कस फपय जान वह कयमा ह झद-अवसता

जान दो छोड़ो कय रो उस स फकनाया कबी घय स फाहय ना ननकरा फचाया जीसस तक बी जो ना ऩहॉच ऩामा क़माभत ऩय होगा उसका बी पसरा

- नायामण ०९१११०

(A priest in Gainesville Florida had threatened to burn Quran in protest of a

proposed building a mosque near the Ground Zero in New York the place of terrorist attacks on 0911 Politics as usual was behind the agitation all over the USA from both camps pro and against the proposal The above composition in Urdu was intended to appeal for non-violent and peaceful resolution of the dispute by all parties involved as well concerned)

कौन

रासत स अपन आप म मशगल म था चल रहा

सामन स यकायक ना जान वो कहाा स आया

बिना कछ कह उसन अचानक हमला िोल बदया

नजर भी न उठन दी दनादन मझ मार मार मारा

बहममत धर मबककल स खोली म न एक आाख या

बिगाड़ा कया म न इसका तीसमारखाा य कौन दखा

हडिड़ा उठा जो दखा कोई नही ह आजिाज

िड़ा अजीि शकसख ह हआ गायि एक लमह म कया

लडखडा कर उठन की कोशीश हई नाकाम

बगरा वही िहोश हो कर कही ना साया ना मकान

ऑ ाख खली तो दौडी लहर खशि की अनबगनत

उड़ होश बिर दखी जि खड़ी हसीना एक करीि

धोएा जखम बकया मलहम पटटी िााधी सर पर

धीर स दिाएा हाथ पर हौलस बिर मसकरा कर

अगल ही पल गयी वो बनकल छोड़ मझ मोड पर

थी कौन था वो गजरा जो इनायत या नफ़रत कर

-नारायण

०८०९११

जॊग

गर ह सारा जहाॉ भरा ससरफ़ खबसरती स फिर ह छिपी कोन कोन म बदसरती कस

माना जररय बशमार थ गरो को अपनान क रसऱ भी कहाॉ कम थ अपनो को बबदा करन क

फकय काम नक न िआ मय को कभी न होश खोएॊ फिर भी कयो गसस म आ कर कभी कबार बहोश हए

कोशीश की रह भाईचारा बढ़ मोहबबत समट नररत फिर भी चारो ओर ह रऱी जॊग नहीी फकस कोई मरववत

जब जब फकय सजद और हए रबर अलऱा स कहीॊ न कहीॊ समऱती रहीॊ नजर कायर शतान स

- नारायण १००९११

वाकिया

पाया न िभी हमन जो चाहा चाहा न िभी हमन जो पाया

चाहत म ही गजर गयी जजिदगी सारी मौत मगर चाही तो उसन भी ठिरा ददया

जीना जजतनी भी उमर यान पल पल ह मरना पल भर भी मौत िो पर कयो न जाय भलाया

एि चाह दसर िो चाह जजस तीसर िी ददया पयार न लौट िभी सददयो िा ह य वाकिया

- नारायण १२०३११

डर खदा स

बनाई जिसन कदरत ह वह एक ही माजिक अलिातािा खदा

हर एक चीि या शखस कदरत की ह उसी की ही बाादी या बादा

जिर कसा खिीफ़ा और जखिाित कसी सारा ही ह िसाद िा दा

कसा मलक मिहब रसम ररवाि कस सब ही ह एक गोरख धादा

बड़ी िरसत स माजिक न बनाई ह यह कदरत िननत सी

इसकी सारी ही सरिमी ह जहरासत हर एक जिनदा बाद की

इसी जिए कहाा ह यह अलिा न पगाबर मोहममद की कानो म

कर भिा नही बरा और डर मझस होगा िसिा क़यामत म

- नारायण

०१०८१२

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 8: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

उ का तकाज़ा नजरअदाज हम न नह कया कछ भी फर भी जाल स ना जान कसी फसली मछली

दर दर क खा कर ठोकर भर भर क लाए धन क िपटार मर मार क कय जतन व सार पल भर म लटाए सभी अब ह हाथ खाली

रौब जमाया ताक़त का ज मनाया िहममत का ऐलान कया जत का मशगल इतन समझ ना पाए उ ढली

श ह ख़दा का अब तो आख खली खा क सौ चह िबलली अब हज चली

- नारायण ०४१३१०

सचच तम ह को म दख तम ह को म चह तम ह मर आरज तम ह मर जसतज खचन क खचाहह पीन क पचस जीन क तमननच डर मरन कच सब ह स बड़च सफर एक ह त पचर हो क ख़दच हो नच मत जदच रहो पचस सदच कहो नच अलदच सचर इस जहच म सचच एक ह त

- नचरचण ०५२०१०

उजाऱा

सऱघत सीन स धआॊ जो ननकऱ फद फ पऱाएॊ ददऱ म दफी नफ़रत ह इसकी वजह समझ यह ऱ

हई ना हानसऱ गर जो मोहबफत कर ना ददककत

रख यह हसरत कोई और गर करगा खरात

पॊ क द गससा जऱा द नफ़रत कर द खाऱी ऩरा ददऱ तरा दख दपर कस होगा उजाऱा ददऱ ही नहीॊ फलकक जहाॉ यह सारा

- नारायण

०७ ०७ ००

हमसफ़र

आना ही था मोहतरमा

तो तनहा तनहा कयय न आयी

लाना ही था साथ किसी िो

तो बहार ही िो कयय ल आयी

चनाच जाना ही था मोहतरमा

साथ उस भी कयय नह ल गयी

लगा वह आप िा साया थी

हमसाया हमारा िस बनती

कदल ि झरोि स किरण सी घसी

पलि िो पर खला कयय छोड़ आयी

आख म कितनी आवारागदी

िर रही ह सनहरी याद आप िी

सोन भी व नह दती हम

सपन िी आप ि तमनना रह गयी

मसिराहट नह आहट ही सही

कयय न हमार ललय छोड़ गयी

लनशानी अगर िछ द जाती

लजनदगी खशी स गजर जाती

गम मगर नह ह कयय कि

लजगर म ह आप समा गयी

- नारायण

०७२६१०

नजर-ए-बयाॊ

ऩसॊद अऩनी अऩनी खयाऱ अऩना अऩना नजर अऩनी अऩनी अॊदाज अऩना अऩना

ऱगाम ऱाऱ ऩर घोड़ी बढी जवाॊ हॉ म दखो अभी भी ऩसॊद अऩनी अऩनी

मनहस बरहम कसी य दननया जहाॊ य खबसरत अलऱाह का शकरिया खयाऱ अऩना अऩना

ककषा य चमचमाती बबखर खदा न मोती ऩतथर बशमार सतान क खबर ह ऱाए क़यामत की नजर अऩनी अऩनी

करिमकरिमाता नसतारा खा जाएगा अॊधरा सबर ह गर गॉवारा दर नहीॊ ह सॊवरा अॊदाज अऩना अऩना

- नारायण ११२०१०

पसरा

चरा ह वह जरान कयान-ए-शयीप कह ह फामफर उसक जजगय क कयीफ कय कयम वह बगवतगीता की फपकर नहीॊ जफ उस फकसी तोहया ऩय पकर

फकमा न कबी ऩववतर वद को परणाभ न मा कबी गर गरनथ-साफहफ को सराभ भान न फामफर का बी फहससा आधा कस फपय जान वह कयमा ह झद-अवसता

जान दो छोड़ो कय रो उस स फकनाया कबी घय स फाहय ना ननकरा फचाया जीसस तक बी जो ना ऩहॉच ऩामा क़माभत ऩय होगा उसका बी पसरा

- नायामण ०९१११०

(A priest in Gainesville Florida had threatened to burn Quran in protest of a

proposed building a mosque near the Ground Zero in New York the place of terrorist attacks on 0911 Politics as usual was behind the agitation all over the USA from both camps pro and against the proposal The above composition in Urdu was intended to appeal for non-violent and peaceful resolution of the dispute by all parties involved as well concerned)

कौन

रासत स अपन आप म मशगल म था चल रहा

सामन स यकायक ना जान वो कहाा स आया

बिना कछ कह उसन अचानक हमला िोल बदया

नजर भी न उठन दी दनादन मझ मार मार मारा

बहममत धर मबककल स खोली म न एक आाख या

बिगाड़ा कया म न इसका तीसमारखाा य कौन दखा

हडिड़ा उठा जो दखा कोई नही ह आजिाज

िड़ा अजीि शकसख ह हआ गायि एक लमह म कया

लडखडा कर उठन की कोशीश हई नाकाम

बगरा वही िहोश हो कर कही ना साया ना मकान

ऑ ाख खली तो दौडी लहर खशि की अनबगनत

उड़ होश बिर दखी जि खड़ी हसीना एक करीि

धोएा जखम बकया मलहम पटटी िााधी सर पर

धीर स दिाएा हाथ पर हौलस बिर मसकरा कर

अगल ही पल गयी वो बनकल छोड़ मझ मोड पर

थी कौन था वो गजरा जो इनायत या नफ़रत कर

-नारायण

०८०९११

जॊग

गर ह सारा जहाॉ भरा ससरफ़ खबसरती स फिर ह छिपी कोन कोन म बदसरती कस

माना जररय बशमार थ गरो को अपनान क रसऱ भी कहाॉ कम थ अपनो को बबदा करन क

फकय काम नक न िआ मय को कभी न होश खोएॊ फिर भी कयो गसस म आ कर कभी कबार बहोश हए

कोशीश की रह भाईचारा बढ़ मोहबबत समट नररत फिर भी चारो ओर ह रऱी जॊग नहीी फकस कोई मरववत

जब जब फकय सजद और हए रबर अलऱा स कहीॊ न कहीॊ समऱती रहीॊ नजर कायर शतान स

- नारायण १००९११

वाकिया

पाया न िभी हमन जो चाहा चाहा न िभी हमन जो पाया

चाहत म ही गजर गयी जजिदगी सारी मौत मगर चाही तो उसन भी ठिरा ददया

जीना जजतनी भी उमर यान पल पल ह मरना पल भर भी मौत िो पर कयो न जाय भलाया

एि चाह दसर िो चाह जजस तीसर िी ददया पयार न लौट िभी सददयो िा ह य वाकिया

- नारायण १२०३११

डर खदा स

बनाई जिसन कदरत ह वह एक ही माजिक अलिातािा खदा

हर एक चीि या शखस कदरत की ह उसी की ही बाादी या बादा

जिर कसा खिीफ़ा और जखिाित कसी सारा ही ह िसाद िा दा

कसा मलक मिहब रसम ररवाि कस सब ही ह एक गोरख धादा

बड़ी िरसत स माजिक न बनाई ह यह कदरत िननत सी

इसकी सारी ही सरिमी ह जहरासत हर एक जिनदा बाद की

इसी जिए कहाा ह यह अलिा न पगाबर मोहममद की कानो म

कर भिा नही बरा और डर मझस होगा िसिा क़यामत म

- नारायण

०१०८१२

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 9: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

सचच तम ह को म दख तम ह को म चह तम ह मर आरज तम ह मर जसतज खचन क खचाहह पीन क पचस जीन क तमननच डर मरन कच सब ह स बड़च सफर एक ह त पचर हो क ख़दच हो नच मत जदच रहो पचस सदच कहो नच अलदच सचर इस जहच म सचच एक ह त

- नचरचण ०५२०१०

उजाऱा

सऱघत सीन स धआॊ जो ननकऱ फद फ पऱाएॊ ददऱ म दफी नफ़रत ह इसकी वजह समझ यह ऱ

हई ना हानसऱ गर जो मोहबफत कर ना ददककत

रख यह हसरत कोई और गर करगा खरात

पॊ क द गससा जऱा द नफ़रत कर द खाऱी ऩरा ददऱ तरा दख दपर कस होगा उजाऱा ददऱ ही नहीॊ फलकक जहाॉ यह सारा

- नारायण

०७ ०७ ००

हमसफ़र

आना ही था मोहतरमा

तो तनहा तनहा कयय न आयी

लाना ही था साथ किसी िो

तो बहार ही िो कयय ल आयी

चनाच जाना ही था मोहतरमा

साथ उस भी कयय नह ल गयी

लगा वह आप िा साया थी

हमसाया हमारा िस बनती

कदल ि झरोि स किरण सी घसी

पलि िो पर खला कयय छोड़ आयी

आख म कितनी आवारागदी

िर रही ह सनहरी याद आप िी

सोन भी व नह दती हम

सपन िी आप ि तमनना रह गयी

मसिराहट नह आहट ही सही

कयय न हमार ललय छोड़ गयी

लनशानी अगर िछ द जाती

लजनदगी खशी स गजर जाती

गम मगर नह ह कयय कि

लजगर म ह आप समा गयी

- नारायण

०७२६१०

नजर-ए-बयाॊ

ऩसॊद अऩनी अऩनी खयाऱ अऩना अऩना नजर अऩनी अऩनी अॊदाज अऩना अऩना

ऱगाम ऱाऱ ऩर घोड़ी बढी जवाॊ हॉ म दखो अभी भी ऩसॊद अऩनी अऩनी

मनहस बरहम कसी य दननया जहाॊ य खबसरत अलऱाह का शकरिया खयाऱ अऩना अऩना

ककषा य चमचमाती बबखर खदा न मोती ऩतथर बशमार सतान क खबर ह ऱाए क़यामत की नजर अऩनी अऩनी

करिमकरिमाता नसतारा खा जाएगा अॊधरा सबर ह गर गॉवारा दर नहीॊ ह सॊवरा अॊदाज अऩना अऩना

- नारायण ११२०१०

पसरा

चरा ह वह जरान कयान-ए-शयीप कह ह फामफर उसक जजगय क कयीफ कय कयम वह बगवतगीता की फपकर नहीॊ जफ उस फकसी तोहया ऩय पकर

फकमा न कबी ऩववतर वद को परणाभ न मा कबी गर गरनथ-साफहफ को सराभ भान न फामफर का बी फहससा आधा कस फपय जान वह कयमा ह झद-अवसता

जान दो छोड़ो कय रो उस स फकनाया कबी घय स फाहय ना ननकरा फचाया जीसस तक बी जो ना ऩहॉच ऩामा क़माभत ऩय होगा उसका बी पसरा

- नायामण ०९१११०

(A priest in Gainesville Florida had threatened to burn Quran in protest of a

proposed building a mosque near the Ground Zero in New York the place of terrorist attacks on 0911 Politics as usual was behind the agitation all over the USA from both camps pro and against the proposal The above composition in Urdu was intended to appeal for non-violent and peaceful resolution of the dispute by all parties involved as well concerned)

कौन

रासत स अपन आप म मशगल म था चल रहा

सामन स यकायक ना जान वो कहाा स आया

बिना कछ कह उसन अचानक हमला िोल बदया

नजर भी न उठन दी दनादन मझ मार मार मारा

बहममत धर मबककल स खोली म न एक आाख या

बिगाड़ा कया म न इसका तीसमारखाा य कौन दखा

हडिड़ा उठा जो दखा कोई नही ह आजिाज

िड़ा अजीि शकसख ह हआ गायि एक लमह म कया

लडखडा कर उठन की कोशीश हई नाकाम

बगरा वही िहोश हो कर कही ना साया ना मकान

ऑ ाख खली तो दौडी लहर खशि की अनबगनत

उड़ होश बिर दखी जि खड़ी हसीना एक करीि

धोएा जखम बकया मलहम पटटी िााधी सर पर

धीर स दिाएा हाथ पर हौलस बिर मसकरा कर

अगल ही पल गयी वो बनकल छोड़ मझ मोड पर

थी कौन था वो गजरा जो इनायत या नफ़रत कर

-नारायण

०८०९११

जॊग

गर ह सारा जहाॉ भरा ससरफ़ खबसरती स फिर ह छिपी कोन कोन म बदसरती कस

माना जररय बशमार थ गरो को अपनान क रसऱ भी कहाॉ कम थ अपनो को बबदा करन क

फकय काम नक न िआ मय को कभी न होश खोएॊ फिर भी कयो गसस म आ कर कभी कबार बहोश हए

कोशीश की रह भाईचारा बढ़ मोहबबत समट नररत फिर भी चारो ओर ह रऱी जॊग नहीी फकस कोई मरववत

जब जब फकय सजद और हए रबर अलऱा स कहीॊ न कहीॊ समऱती रहीॊ नजर कायर शतान स

- नारायण १००९११

वाकिया

पाया न िभी हमन जो चाहा चाहा न िभी हमन जो पाया

चाहत म ही गजर गयी जजिदगी सारी मौत मगर चाही तो उसन भी ठिरा ददया

जीना जजतनी भी उमर यान पल पल ह मरना पल भर भी मौत िो पर कयो न जाय भलाया

एि चाह दसर िो चाह जजस तीसर िी ददया पयार न लौट िभी सददयो िा ह य वाकिया

- नारायण १२०३११

डर खदा स

बनाई जिसन कदरत ह वह एक ही माजिक अलिातािा खदा

हर एक चीि या शखस कदरत की ह उसी की ही बाादी या बादा

जिर कसा खिीफ़ा और जखिाित कसी सारा ही ह िसाद िा दा

कसा मलक मिहब रसम ररवाि कस सब ही ह एक गोरख धादा

बड़ी िरसत स माजिक न बनाई ह यह कदरत िननत सी

इसकी सारी ही सरिमी ह जहरासत हर एक जिनदा बाद की

इसी जिए कहाा ह यह अलिा न पगाबर मोहममद की कानो म

कर भिा नही बरा और डर मझस होगा िसिा क़यामत म

- नारायण

०१०८१२

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 10: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

उजाऱा

सऱघत सीन स धआॊ जो ननकऱ फद फ पऱाएॊ ददऱ म दफी नफ़रत ह इसकी वजह समझ यह ऱ

हई ना हानसऱ गर जो मोहबफत कर ना ददककत

रख यह हसरत कोई और गर करगा खरात

पॊ क द गससा जऱा द नफ़रत कर द खाऱी ऩरा ददऱ तरा दख दपर कस होगा उजाऱा ददऱ ही नहीॊ फलकक जहाॉ यह सारा

- नारायण

०७ ०७ ००

हमसफ़र

आना ही था मोहतरमा

तो तनहा तनहा कयय न आयी

लाना ही था साथ किसी िो

तो बहार ही िो कयय ल आयी

चनाच जाना ही था मोहतरमा

साथ उस भी कयय नह ल गयी

लगा वह आप िा साया थी

हमसाया हमारा िस बनती

कदल ि झरोि स किरण सी घसी

पलि िो पर खला कयय छोड़ आयी

आख म कितनी आवारागदी

िर रही ह सनहरी याद आप िी

सोन भी व नह दती हम

सपन िी आप ि तमनना रह गयी

मसिराहट नह आहट ही सही

कयय न हमार ललय छोड़ गयी

लनशानी अगर िछ द जाती

लजनदगी खशी स गजर जाती

गम मगर नह ह कयय कि

लजगर म ह आप समा गयी

- नारायण

०७२६१०

नजर-ए-बयाॊ

ऩसॊद अऩनी अऩनी खयाऱ अऩना अऩना नजर अऩनी अऩनी अॊदाज अऩना अऩना

ऱगाम ऱाऱ ऩर घोड़ी बढी जवाॊ हॉ म दखो अभी भी ऩसॊद अऩनी अऩनी

मनहस बरहम कसी य दननया जहाॊ य खबसरत अलऱाह का शकरिया खयाऱ अऩना अऩना

ककषा य चमचमाती बबखर खदा न मोती ऩतथर बशमार सतान क खबर ह ऱाए क़यामत की नजर अऩनी अऩनी

करिमकरिमाता नसतारा खा जाएगा अॊधरा सबर ह गर गॉवारा दर नहीॊ ह सॊवरा अॊदाज अऩना अऩना

- नारायण ११२०१०

पसरा

चरा ह वह जरान कयान-ए-शयीप कह ह फामफर उसक जजगय क कयीफ कय कयम वह बगवतगीता की फपकर नहीॊ जफ उस फकसी तोहया ऩय पकर

फकमा न कबी ऩववतर वद को परणाभ न मा कबी गर गरनथ-साफहफ को सराभ भान न फामफर का बी फहससा आधा कस फपय जान वह कयमा ह झद-अवसता

जान दो छोड़ो कय रो उस स फकनाया कबी घय स फाहय ना ननकरा फचाया जीसस तक बी जो ना ऩहॉच ऩामा क़माभत ऩय होगा उसका बी पसरा

- नायामण ०९१११०

(A priest in Gainesville Florida had threatened to burn Quran in protest of a

proposed building a mosque near the Ground Zero in New York the place of terrorist attacks on 0911 Politics as usual was behind the agitation all over the USA from both camps pro and against the proposal The above composition in Urdu was intended to appeal for non-violent and peaceful resolution of the dispute by all parties involved as well concerned)

कौन

रासत स अपन आप म मशगल म था चल रहा

सामन स यकायक ना जान वो कहाा स आया

बिना कछ कह उसन अचानक हमला िोल बदया

नजर भी न उठन दी दनादन मझ मार मार मारा

बहममत धर मबककल स खोली म न एक आाख या

बिगाड़ा कया म न इसका तीसमारखाा य कौन दखा

हडिड़ा उठा जो दखा कोई नही ह आजिाज

िड़ा अजीि शकसख ह हआ गायि एक लमह म कया

लडखडा कर उठन की कोशीश हई नाकाम

बगरा वही िहोश हो कर कही ना साया ना मकान

ऑ ाख खली तो दौडी लहर खशि की अनबगनत

उड़ होश बिर दखी जि खड़ी हसीना एक करीि

धोएा जखम बकया मलहम पटटी िााधी सर पर

धीर स दिाएा हाथ पर हौलस बिर मसकरा कर

अगल ही पल गयी वो बनकल छोड़ मझ मोड पर

थी कौन था वो गजरा जो इनायत या नफ़रत कर

-नारायण

०८०९११

जॊग

गर ह सारा जहाॉ भरा ससरफ़ खबसरती स फिर ह छिपी कोन कोन म बदसरती कस

माना जररय बशमार थ गरो को अपनान क रसऱ भी कहाॉ कम थ अपनो को बबदा करन क

फकय काम नक न िआ मय को कभी न होश खोएॊ फिर भी कयो गसस म आ कर कभी कबार बहोश हए

कोशीश की रह भाईचारा बढ़ मोहबबत समट नररत फिर भी चारो ओर ह रऱी जॊग नहीी फकस कोई मरववत

जब जब फकय सजद और हए रबर अलऱा स कहीॊ न कहीॊ समऱती रहीॊ नजर कायर शतान स

- नारायण १००९११

वाकिया

पाया न िभी हमन जो चाहा चाहा न िभी हमन जो पाया

चाहत म ही गजर गयी जजिदगी सारी मौत मगर चाही तो उसन भी ठिरा ददया

जीना जजतनी भी उमर यान पल पल ह मरना पल भर भी मौत िो पर कयो न जाय भलाया

एि चाह दसर िो चाह जजस तीसर िी ददया पयार न लौट िभी सददयो िा ह य वाकिया

- नारायण १२०३११

डर खदा स

बनाई जिसन कदरत ह वह एक ही माजिक अलिातािा खदा

हर एक चीि या शखस कदरत की ह उसी की ही बाादी या बादा

जिर कसा खिीफ़ा और जखिाित कसी सारा ही ह िसाद िा दा

कसा मलक मिहब रसम ररवाि कस सब ही ह एक गोरख धादा

बड़ी िरसत स माजिक न बनाई ह यह कदरत िननत सी

इसकी सारी ही सरिमी ह जहरासत हर एक जिनदा बाद की

इसी जिए कहाा ह यह अलिा न पगाबर मोहममद की कानो म

कर भिा नही बरा और डर मझस होगा िसिा क़यामत म

- नारायण

०१०८१२

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 11: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

हमसफ़र

आना ही था मोहतरमा

तो तनहा तनहा कयय न आयी

लाना ही था साथ किसी िो

तो बहार ही िो कयय ल आयी

चनाच जाना ही था मोहतरमा

साथ उस भी कयय नह ल गयी

लगा वह आप िा साया थी

हमसाया हमारा िस बनती

कदल ि झरोि स किरण सी घसी

पलि िो पर खला कयय छोड़ आयी

आख म कितनी आवारागदी

िर रही ह सनहरी याद आप िी

सोन भी व नह दती हम

सपन िी आप ि तमनना रह गयी

मसिराहट नह आहट ही सही

कयय न हमार ललय छोड़ गयी

लनशानी अगर िछ द जाती

लजनदगी खशी स गजर जाती

गम मगर नह ह कयय कि

लजगर म ह आप समा गयी

- नारायण

०७२६१०

नजर-ए-बयाॊ

ऩसॊद अऩनी अऩनी खयाऱ अऩना अऩना नजर अऩनी अऩनी अॊदाज अऩना अऩना

ऱगाम ऱाऱ ऩर घोड़ी बढी जवाॊ हॉ म दखो अभी भी ऩसॊद अऩनी अऩनी

मनहस बरहम कसी य दननया जहाॊ य खबसरत अलऱाह का शकरिया खयाऱ अऩना अऩना

ककषा य चमचमाती बबखर खदा न मोती ऩतथर बशमार सतान क खबर ह ऱाए क़यामत की नजर अऩनी अऩनी

करिमकरिमाता नसतारा खा जाएगा अॊधरा सबर ह गर गॉवारा दर नहीॊ ह सॊवरा अॊदाज अऩना अऩना

- नारायण ११२०१०

पसरा

चरा ह वह जरान कयान-ए-शयीप कह ह फामफर उसक जजगय क कयीफ कय कयम वह बगवतगीता की फपकर नहीॊ जफ उस फकसी तोहया ऩय पकर

फकमा न कबी ऩववतर वद को परणाभ न मा कबी गर गरनथ-साफहफ को सराभ भान न फामफर का बी फहससा आधा कस फपय जान वह कयमा ह झद-अवसता

जान दो छोड़ो कय रो उस स फकनाया कबी घय स फाहय ना ननकरा फचाया जीसस तक बी जो ना ऩहॉच ऩामा क़माभत ऩय होगा उसका बी पसरा

- नायामण ०९१११०

(A priest in Gainesville Florida had threatened to burn Quran in protest of a

proposed building a mosque near the Ground Zero in New York the place of terrorist attacks on 0911 Politics as usual was behind the agitation all over the USA from both camps pro and against the proposal The above composition in Urdu was intended to appeal for non-violent and peaceful resolution of the dispute by all parties involved as well concerned)

कौन

रासत स अपन आप म मशगल म था चल रहा

सामन स यकायक ना जान वो कहाा स आया

बिना कछ कह उसन अचानक हमला िोल बदया

नजर भी न उठन दी दनादन मझ मार मार मारा

बहममत धर मबककल स खोली म न एक आाख या

बिगाड़ा कया म न इसका तीसमारखाा य कौन दखा

हडिड़ा उठा जो दखा कोई नही ह आजिाज

िड़ा अजीि शकसख ह हआ गायि एक लमह म कया

लडखडा कर उठन की कोशीश हई नाकाम

बगरा वही िहोश हो कर कही ना साया ना मकान

ऑ ाख खली तो दौडी लहर खशि की अनबगनत

उड़ होश बिर दखी जि खड़ी हसीना एक करीि

धोएा जखम बकया मलहम पटटी िााधी सर पर

धीर स दिाएा हाथ पर हौलस बिर मसकरा कर

अगल ही पल गयी वो बनकल छोड़ मझ मोड पर

थी कौन था वो गजरा जो इनायत या नफ़रत कर

-नारायण

०८०९११

जॊग

गर ह सारा जहाॉ भरा ससरफ़ खबसरती स फिर ह छिपी कोन कोन म बदसरती कस

माना जररय बशमार थ गरो को अपनान क रसऱ भी कहाॉ कम थ अपनो को बबदा करन क

फकय काम नक न िआ मय को कभी न होश खोएॊ फिर भी कयो गसस म आ कर कभी कबार बहोश हए

कोशीश की रह भाईचारा बढ़ मोहबबत समट नररत फिर भी चारो ओर ह रऱी जॊग नहीी फकस कोई मरववत

जब जब फकय सजद और हए रबर अलऱा स कहीॊ न कहीॊ समऱती रहीॊ नजर कायर शतान स

- नारायण १००९११

वाकिया

पाया न िभी हमन जो चाहा चाहा न िभी हमन जो पाया

चाहत म ही गजर गयी जजिदगी सारी मौत मगर चाही तो उसन भी ठिरा ददया

जीना जजतनी भी उमर यान पल पल ह मरना पल भर भी मौत िो पर कयो न जाय भलाया

एि चाह दसर िो चाह जजस तीसर िी ददया पयार न लौट िभी सददयो िा ह य वाकिया

- नारायण १२०३११

डर खदा स

बनाई जिसन कदरत ह वह एक ही माजिक अलिातािा खदा

हर एक चीि या शखस कदरत की ह उसी की ही बाादी या बादा

जिर कसा खिीफ़ा और जखिाित कसी सारा ही ह िसाद िा दा

कसा मलक मिहब रसम ररवाि कस सब ही ह एक गोरख धादा

बड़ी िरसत स माजिक न बनाई ह यह कदरत िननत सी

इसकी सारी ही सरिमी ह जहरासत हर एक जिनदा बाद की

इसी जिए कहाा ह यह अलिा न पगाबर मोहममद की कानो म

कर भिा नही बरा और डर मझस होगा िसिा क़यामत म

- नारायण

०१०८१२

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 12: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

नजर-ए-बयाॊ

ऩसॊद अऩनी अऩनी खयाऱ अऩना अऩना नजर अऩनी अऩनी अॊदाज अऩना अऩना

ऱगाम ऱाऱ ऩर घोड़ी बढी जवाॊ हॉ म दखो अभी भी ऩसॊद अऩनी अऩनी

मनहस बरहम कसी य दननया जहाॊ य खबसरत अलऱाह का शकरिया खयाऱ अऩना अऩना

ककषा य चमचमाती बबखर खदा न मोती ऩतथर बशमार सतान क खबर ह ऱाए क़यामत की नजर अऩनी अऩनी

करिमकरिमाता नसतारा खा जाएगा अॊधरा सबर ह गर गॉवारा दर नहीॊ ह सॊवरा अॊदाज अऩना अऩना

- नारायण ११२०१०

पसरा

चरा ह वह जरान कयान-ए-शयीप कह ह फामफर उसक जजगय क कयीफ कय कयम वह बगवतगीता की फपकर नहीॊ जफ उस फकसी तोहया ऩय पकर

फकमा न कबी ऩववतर वद को परणाभ न मा कबी गर गरनथ-साफहफ को सराभ भान न फामफर का बी फहससा आधा कस फपय जान वह कयमा ह झद-अवसता

जान दो छोड़ो कय रो उस स फकनाया कबी घय स फाहय ना ननकरा फचाया जीसस तक बी जो ना ऩहॉच ऩामा क़माभत ऩय होगा उसका बी पसरा

- नायामण ०९१११०

(A priest in Gainesville Florida had threatened to burn Quran in protest of a

proposed building a mosque near the Ground Zero in New York the place of terrorist attacks on 0911 Politics as usual was behind the agitation all over the USA from both camps pro and against the proposal The above composition in Urdu was intended to appeal for non-violent and peaceful resolution of the dispute by all parties involved as well concerned)

कौन

रासत स अपन आप म मशगल म था चल रहा

सामन स यकायक ना जान वो कहाा स आया

बिना कछ कह उसन अचानक हमला िोल बदया

नजर भी न उठन दी दनादन मझ मार मार मारा

बहममत धर मबककल स खोली म न एक आाख या

बिगाड़ा कया म न इसका तीसमारखाा य कौन दखा

हडिड़ा उठा जो दखा कोई नही ह आजिाज

िड़ा अजीि शकसख ह हआ गायि एक लमह म कया

लडखडा कर उठन की कोशीश हई नाकाम

बगरा वही िहोश हो कर कही ना साया ना मकान

ऑ ाख खली तो दौडी लहर खशि की अनबगनत

उड़ होश बिर दखी जि खड़ी हसीना एक करीि

धोएा जखम बकया मलहम पटटी िााधी सर पर

धीर स दिाएा हाथ पर हौलस बिर मसकरा कर

अगल ही पल गयी वो बनकल छोड़ मझ मोड पर

थी कौन था वो गजरा जो इनायत या नफ़रत कर

-नारायण

०८०९११

जॊग

गर ह सारा जहाॉ भरा ससरफ़ खबसरती स फिर ह छिपी कोन कोन म बदसरती कस

माना जररय बशमार थ गरो को अपनान क रसऱ भी कहाॉ कम थ अपनो को बबदा करन क

फकय काम नक न िआ मय को कभी न होश खोएॊ फिर भी कयो गसस म आ कर कभी कबार बहोश हए

कोशीश की रह भाईचारा बढ़ मोहबबत समट नररत फिर भी चारो ओर ह रऱी जॊग नहीी फकस कोई मरववत

जब जब फकय सजद और हए रबर अलऱा स कहीॊ न कहीॊ समऱती रहीॊ नजर कायर शतान स

- नारायण १००९११

वाकिया

पाया न िभी हमन जो चाहा चाहा न िभी हमन जो पाया

चाहत म ही गजर गयी जजिदगी सारी मौत मगर चाही तो उसन भी ठिरा ददया

जीना जजतनी भी उमर यान पल पल ह मरना पल भर भी मौत िो पर कयो न जाय भलाया

एि चाह दसर िो चाह जजस तीसर िी ददया पयार न लौट िभी सददयो िा ह य वाकिया

- नारायण १२०३११

डर खदा स

बनाई जिसन कदरत ह वह एक ही माजिक अलिातािा खदा

हर एक चीि या शखस कदरत की ह उसी की ही बाादी या बादा

जिर कसा खिीफ़ा और जखिाित कसी सारा ही ह िसाद िा दा

कसा मलक मिहब रसम ररवाि कस सब ही ह एक गोरख धादा

बड़ी िरसत स माजिक न बनाई ह यह कदरत िननत सी

इसकी सारी ही सरिमी ह जहरासत हर एक जिनदा बाद की

इसी जिए कहाा ह यह अलिा न पगाबर मोहममद की कानो म

कर भिा नही बरा और डर मझस होगा िसिा क़यामत म

- नारायण

०१०८१२

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 13: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

पसरा

चरा ह वह जरान कयान-ए-शयीप कह ह फामफर उसक जजगय क कयीफ कय कयम वह बगवतगीता की फपकर नहीॊ जफ उस फकसी तोहया ऩय पकर

फकमा न कबी ऩववतर वद को परणाभ न मा कबी गर गरनथ-साफहफ को सराभ भान न फामफर का बी फहससा आधा कस फपय जान वह कयमा ह झद-अवसता

जान दो छोड़ो कय रो उस स फकनाया कबी घय स फाहय ना ननकरा फचाया जीसस तक बी जो ना ऩहॉच ऩामा क़माभत ऩय होगा उसका बी पसरा

- नायामण ०९१११०

(A priest in Gainesville Florida had threatened to burn Quran in protest of a

proposed building a mosque near the Ground Zero in New York the place of terrorist attacks on 0911 Politics as usual was behind the agitation all over the USA from both camps pro and against the proposal The above composition in Urdu was intended to appeal for non-violent and peaceful resolution of the dispute by all parties involved as well concerned)

कौन

रासत स अपन आप म मशगल म था चल रहा

सामन स यकायक ना जान वो कहाा स आया

बिना कछ कह उसन अचानक हमला िोल बदया

नजर भी न उठन दी दनादन मझ मार मार मारा

बहममत धर मबककल स खोली म न एक आाख या

बिगाड़ा कया म न इसका तीसमारखाा य कौन दखा

हडिड़ा उठा जो दखा कोई नही ह आजिाज

िड़ा अजीि शकसख ह हआ गायि एक लमह म कया

लडखडा कर उठन की कोशीश हई नाकाम

बगरा वही िहोश हो कर कही ना साया ना मकान

ऑ ाख खली तो दौडी लहर खशि की अनबगनत

उड़ होश बिर दखी जि खड़ी हसीना एक करीि

धोएा जखम बकया मलहम पटटी िााधी सर पर

धीर स दिाएा हाथ पर हौलस बिर मसकरा कर

अगल ही पल गयी वो बनकल छोड़ मझ मोड पर

थी कौन था वो गजरा जो इनायत या नफ़रत कर

-नारायण

०८०९११

जॊग

गर ह सारा जहाॉ भरा ससरफ़ खबसरती स फिर ह छिपी कोन कोन म बदसरती कस

माना जररय बशमार थ गरो को अपनान क रसऱ भी कहाॉ कम थ अपनो को बबदा करन क

फकय काम नक न िआ मय को कभी न होश खोएॊ फिर भी कयो गसस म आ कर कभी कबार बहोश हए

कोशीश की रह भाईचारा बढ़ मोहबबत समट नररत फिर भी चारो ओर ह रऱी जॊग नहीी फकस कोई मरववत

जब जब फकय सजद और हए रबर अलऱा स कहीॊ न कहीॊ समऱती रहीॊ नजर कायर शतान स

- नारायण १००९११

वाकिया

पाया न िभी हमन जो चाहा चाहा न िभी हमन जो पाया

चाहत म ही गजर गयी जजिदगी सारी मौत मगर चाही तो उसन भी ठिरा ददया

जीना जजतनी भी उमर यान पल पल ह मरना पल भर भी मौत िो पर कयो न जाय भलाया

एि चाह दसर िो चाह जजस तीसर िी ददया पयार न लौट िभी सददयो िा ह य वाकिया

- नारायण १२०३११

डर खदा स

बनाई जिसन कदरत ह वह एक ही माजिक अलिातािा खदा

हर एक चीि या शखस कदरत की ह उसी की ही बाादी या बादा

जिर कसा खिीफ़ा और जखिाित कसी सारा ही ह िसाद िा दा

कसा मलक मिहब रसम ररवाि कस सब ही ह एक गोरख धादा

बड़ी िरसत स माजिक न बनाई ह यह कदरत िननत सी

इसकी सारी ही सरिमी ह जहरासत हर एक जिनदा बाद की

इसी जिए कहाा ह यह अलिा न पगाबर मोहममद की कानो म

कर भिा नही बरा और डर मझस होगा िसिा क़यामत म

- नारायण

०१०८१२

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 14: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

कौन

रासत स अपन आप म मशगल म था चल रहा

सामन स यकायक ना जान वो कहाा स आया

बिना कछ कह उसन अचानक हमला िोल बदया

नजर भी न उठन दी दनादन मझ मार मार मारा

बहममत धर मबककल स खोली म न एक आाख या

बिगाड़ा कया म न इसका तीसमारखाा य कौन दखा

हडिड़ा उठा जो दखा कोई नही ह आजिाज

िड़ा अजीि शकसख ह हआ गायि एक लमह म कया

लडखडा कर उठन की कोशीश हई नाकाम

बगरा वही िहोश हो कर कही ना साया ना मकान

ऑ ाख खली तो दौडी लहर खशि की अनबगनत

उड़ होश बिर दखी जि खड़ी हसीना एक करीि

धोएा जखम बकया मलहम पटटी िााधी सर पर

धीर स दिाएा हाथ पर हौलस बिर मसकरा कर

अगल ही पल गयी वो बनकल छोड़ मझ मोड पर

थी कौन था वो गजरा जो इनायत या नफ़रत कर

-नारायण

०८०९११

जॊग

गर ह सारा जहाॉ भरा ससरफ़ खबसरती स फिर ह छिपी कोन कोन म बदसरती कस

माना जररय बशमार थ गरो को अपनान क रसऱ भी कहाॉ कम थ अपनो को बबदा करन क

फकय काम नक न िआ मय को कभी न होश खोएॊ फिर भी कयो गसस म आ कर कभी कबार बहोश हए

कोशीश की रह भाईचारा बढ़ मोहबबत समट नररत फिर भी चारो ओर ह रऱी जॊग नहीी फकस कोई मरववत

जब जब फकय सजद और हए रबर अलऱा स कहीॊ न कहीॊ समऱती रहीॊ नजर कायर शतान स

- नारायण १००९११

वाकिया

पाया न िभी हमन जो चाहा चाहा न िभी हमन जो पाया

चाहत म ही गजर गयी जजिदगी सारी मौत मगर चाही तो उसन भी ठिरा ददया

जीना जजतनी भी उमर यान पल पल ह मरना पल भर भी मौत िो पर कयो न जाय भलाया

एि चाह दसर िो चाह जजस तीसर िी ददया पयार न लौट िभी सददयो िा ह य वाकिया

- नारायण १२०३११

डर खदा स

बनाई जिसन कदरत ह वह एक ही माजिक अलिातािा खदा

हर एक चीि या शखस कदरत की ह उसी की ही बाादी या बादा

जिर कसा खिीफ़ा और जखिाित कसी सारा ही ह िसाद िा दा

कसा मलक मिहब रसम ररवाि कस सब ही ह एक गोरख धादा

बड़ी िरसत स माजिक न बनाई ह यह कदरत िननत सी

इसकी सारी ही सरिमी ह जहरासत हर एक जिनदा बाद की

इसी जिए कहाा ह यह अलिा न पगाबर मोहममद की कानो म

कर भिा नही बरा और डर मझस होगा िसिा क़यामत म

- नारायण

०१०८१२

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 15: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

जॊग

गर ह सारा जहाॉ भरा ससरफ़ खबसरती स फिर ह छिपी कोन कोन म बदसरती कस

माना जररय बशमार थ गरो को अपनान क रसऱ भी कहाॉ कम थ अपनो को बबदा करन क

फकय काम नक न िआ मय को कभी न होश खोएॊ फिर भी कयो गसस म आ कर कभी कबार बहोश हए

कोशीश की रह भाईचारा बढ़ मोहबबत समट नररत फिर भी चारो ओर ह रऱी जॊग नहीी फकस कोई मरववत

जब जब फकय सजद और हए रबर अलऱा स कहीॊ न कहीॊ समऱती रहीॊ नजर कायर शतान स

- नारायण १००९११

वाकिया

पाया न िभी हमन जो चाहा चाहा न िभी हमन जो पाया

चाहत म ही गजर गयी जजिदगी सारी मौत मगर चाही तो उसन भी ठिरा ददया

जीना जजतनी भी उमर यान पल पल ह मरना पल भर भी मौत िो पर कयो न जाय भलाया

एि चाह दसर िो चाह जजस तीसर िी ददया पयार न लौट िभी सददयो िा ह य वाकिया

- नारायण १२०३११

डर खदा स

बनाई जिसन कदरत ह वह एक ही माजिक अलिातािा खदा

हर एक चीि या शखस कदरत की ह उसी की ही बाादी या बादा

जिर कसा खिीफ़ा और जखिाित कसी सारा ही ह िसाद िा दा

कसा मलक मिहब रसम ररवाि कस सब ही ह एक गोरख धादा

बड़ी िरसत स माजिक न बनाई ह यह कदरत िननत सी

इसकी सारी ही सरिमी ह जहरासत हर एक जिनदा बाद की

इसी जिए कहाा ह यह अलिा न पगाबर मोहममद की कानो म

कर भिा नही बरा और डर मझस होगा िसिा क़यामत म

- नारायण

०१०८१२

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 16: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

वाकिया

पाया न िभी हमन जो चाहा चाहा न िभी हमन जो पाया

चाहत म ही गजर गयी जजिदगी सारी मौत मगर चाही तो उसन भी ठिरा ददया

जीना जजतनी भी उमर यान पल पल ह मरना पल भर भी मौत िो पर कयो न जाय भलाया

एि चाह दसर िो चाह जजस तीसर िी ददया पयार न लौट िभी सददयो िा ह य वाकिया

- नारायण १२०३११

डर खदा स

बनाई जिसन कदरत ह वह एक ही माजिक अलिातािा खदा

हर एक चीि या शखस कदरत की ह उसी की ही बाादी या बादा

जिर कसा खिीफ़ा और जखिाित कसी सारा ही ह िसाद िा दा

कसा मलक मिहब रसम ररवाि कस सब ही ह एक गोरख धादा

बड़ी िरसत स माजिक न बनाई ह यह कदरत िननत सी

इसकी सारी ही सरिमी ह जहरासत हर एक जिनदा बाद की

इसी जिए कहाा ह यह अलिा न पगाबर मोहममद की कानो म

कर भिा नही बरा और डर मझस होगा िसिा क़यामत म

- नारायण

०१०८१२

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 17: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

डर खदा स

बनाई जिसन कदरत ह वह एक ही माजिक अलिातािा खदा

हर एक चीि या शखस कदरत की ह उसी की ही बाादी या बादा

जिर कसा खिीफ़ा और जखिाित कसी सारा ही ह िसाद िा दा

कसा मलक मिहब रसम ररवाि कस सब ही ह एक गोरख धादा

बड़ी िरसत स माजिक न बनाई ह यह कदरत िननत सी

इसकी सारी ही सरिमी ह जहरासत हर एक जिनदा बाद की

इसी जिए कहाा ह यह अलिा न पगाबर मोहममद की कानो म

कर भिा नही बरा और डर मझस होगा िसिा क़यामत म

- नारायण

०१०८१२

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 18: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

शतान

कौन ह वो जो झोक क धल आखो म मरी दिखाए भलभलया कौन य जो फसफसाए कानो म चगल म मन ह तझ फसाया

कौन ह वो जो थाम क पयाला मझ पिलाय जाए जाम िर जाम कौन ह वो जो जाए फलाए ब घमासान समा म हर सबह शयाम

कौन ह गायब हवा क झोक जसा छ क मरा जजसम मलायम कौन ह वो जो सामन आए बबना जाए ककय करवाए ससतम

- नारायण ०११११२

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 19: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

सियाही

फ़ली ह चारो ओर घनी रात की सियाही हए ना कम म दिल का दिया जलाऊ जजतना भी

िमा म घमािान िभी लड़ रह ह लड़ाइयाा िनगा कौन चीख मरी िलह की यहाा

पहचान इनिान को नही कोई इनिान की बिली कबरसतान म ह शान गसलसताा की

घम रह ह भत यहाा लालच हवि क रह भटकती ह िभी पीछ लाशो क

कौन य हम दहलाएा जि कठपतसलयाा बबना खखल जा रही ह मरझाई कसलयाा

- नारायण ०११६१२

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 20: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

हारन-अल-रशीद

हजारो हसरत हाससल करोडो खवाहहश काबिल मखातति एक ना मशककल खररअत खदा की भी शासमल

खशनसीि पदा हए हम खशसमजाज रहत ह हरदम झल ना कभी रज-ओ-गम अलला क ह अनगगनत रहम

फिर हम एक ही कयो ऐस काश होत सार हम जस गर ह इनसान एकसररख कयो हम खलीफ़ा िाकी िद

- नारायण ०२०७१२

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 21: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

दासाा मरवव न रोका हाा कहन स महबब न टोका ना कहन स

हडबड़ा क उठी आप को गल लगान लडखडा गगरी आप क कदमो म

चाह यह रही खशी आप की बन ा राह मर ही गम स कस पाऊ

तलममला उठी ह मरी रह ऐस झिलममलाए िील फा म जस

खतम होगी द ररयाा कब हमार बीच की दासाा गाएगी दतनया कब हमार इशक की

- नारायण ०३१७१२

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 22: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

रखस

मिजल बहद दर और लबा दलबर का खफर इसममाम ख इखीलए कया इशक कक रखस

ढलस अशकक कक मिशकल ख भरा गलाबदानी म थकड़ी ह खह कहा बझा लना पयाख अअनी राह म

हाथ म उनक दया थमा कलजा खीन ख नकाल मल ना मल रगससा म ाना उउह कभीकबार

आफसाब क कड़ी धअ ख बचान कक उनका खर कफ़न बनाया म न अअनी ाल उाड कर

कौन नह य जानसा मौस ख बदसर जदाई शक ह मर कर भी म रहगी उनक अाख ह

- नारायण ०५०११२

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 23: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

अछत ढगदार बिदसी गाडी को य ही छ न म जा ही रहा था कक लगा ददया कान क नीच सठ न एक जोरदार लाफा

कयो ि साल िाप का तर माल ह य त समझा कया दफना दगा यही वरना चल हो जा यहा स दफा

नौ दो गयारा तरत होना चाहता था जी घिरा कर सौ सौ मनो का िोझ पड़ा पर जस परो म आ कर

ख़द ही गसस म घस गए सठ गाडी म दरवजजा ओढ़ भरर चली गई गाडी और म रहा वही शरममदा खड़

अगल ददन मासटर जी न सकल म थमाया अख़िार पहल ही पनन पर दखी उस गाडी की तसवीर चार

िड़ पमान क लफ़जो म मलखा था हआ जो हादसा मौत सठ की हई गाडी म जाच हो रही ह मौजदा

छह छह बिदसी अि ह मरी गाडडया एक स िढ़ कर एक खोलता दरवाज़ा ह शोफ़र पर छता नही ह म अभी भी एक

- नारायण ०५२४१२

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 24: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

खदगज़र ख़दा न बकश हम सरहशी हश न खदगसरश हम बाट ल बना एक टकड़ा हस एक नान बना एक नददोसा एक ईसान

एक एक ो ख़ाासस स ह रीग झगड़ बाप बटा राए भाई दशहन क ीग

व ऐय ाश कसम नाा नीगा पशस कस कसम ाद दीगा

भ ल गए ब दखसा ख़दा छ ट न कदई द अहशस ा बीदा

- नासा ण ०६०४१२

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 25: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

मझिल

काटना ह फासला कदम कदम एक एक करना ह फसला हर दम नया और नक

चलना ह रात ददन आख खली रख क डख मार न साप कही अनजानी राहो म

ननगाहबानी करना ह खद ही अपन आप की आए वकत तो नही ह दोसती यारी काम की

गजर गर गललसता स या फफर रगगसतान स कारवा म हो या तनहा मझिल रखना सामन

- नारायण ०७०८१२

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 26: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

उममीद

इस जिसम की परशानी सनाए तो भला कस इस ददल की तनहाई ममटाए तो भला कस

चाहत थ जिनह सनत थ व हमारी मशकायत उठक व चल ददए तब स आयी ह कयामत

आखो की रोशनी थ व थ चमक रह की हए बबदा तो ददककत आयी दखन िीन की

शीष का ददल था उनका हआ कस पतथर का रासता व कस भल गए हमारी डगर का

जिएग िाए िान फिर भी इस उममीद स लौटग व ना लग बबदा अपनी ही महबबत स

- नारायण ०७१११२

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 27: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

सग

खीच भौए चलाए तीर नज़रो क ऐस

भन भन क कलजा छोड़ा खीम जस

आए चप क आहिसता गए हिल को चरा क

लाए माली जस अधहखला फल चमन स

बबस इतन कयो िोत ि िम तमिार सामन

जस िार िो िम और ि पाई फति तमन

अभी शर भी लड़ाई निी तो ि िर जग

जोर-ए-बाज समझोग गर चलोग सग

- नारायण

०७१९१२

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 28: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

जीना मरना

जी कर दना ह जजनदगी को अजाम

मर कर करना ह जीन का भी नाम

सोच लो समझो कया ह जजनदगी जीना

अलफ़ाजो म ही तो ह मतलब जिपा

ना जी होता ह गर लबज जलख उलटा

जीना जीना नही जी हाा वो तो ह मरना

पल पल हम जीत ह दम घट घट कर

और जिर कहत ह जीना मरन स दशवर

जीना मरना तो ह बस रब ही की मरजी पर

कया करना ना करना य ह अपनी मरजी पर

- नारायण

०८१३१२

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 29: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

बखबर

गददारो क बड़ इस कबील म

कस ह रहता एक बदा नक

चहर प छाई ह मासममयत

होटो प हसी एक मदलफक

सलख बरा ना कभी सामियो स

चाहत नही कोई हजर स

मशगल रह अपन काम म

कर मशकायत ना कोई मकसीस

सोच सािी मदख न य तो खबरी

कर य तो सब की तरफदारी

सोच हजर ह तो य ना फकीर

मदख कस मफर य बमफमकर

शको स सभी क वो ह बखबर

मजए मजनदगी अलला स डर कर

- नारायण

०९०४१२

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 30: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

सपन

कह ईसा मसीह कर बदा जो पयार करम

आसमान का वालिद कर उस पर रहम

होनी को न टाि कोई कि हो कया न जान कोई

इलतजा हम दन वो भज फररशतो को लफर भी

फसफसात ह फररशत बात हमार कानो म

ऐसी अजीब जब होत ह सोत हम रातो म

बन जाती ह भिी बरी बात कछ उनम स

डरावन या सहान दखत हम ह जो सपन

हक़ीक़त म ह जब कभी सपन व आत उतर

परवरलदगार क ह होत बद सभी शकरगजार

- नारायण

०९१०१२

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 31: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

भरो पयाल

दखत ह हम जब सपन सनहर

पपघल जात ह नीद टटन स पहल

लपिन आत ह खवाब जब भी डरावन

छोडत पीछा ना व जाए टट नीद भल

बोल हिीमसाब खवाब खात न सचाई स मल

बनात भनात तम ही हो पदमागी य सार खल

पजनदगी ही ह एि सपना िछ भी नही ह सचचा

बोल बरागी बाबा य समझोग ना तम हो बचचा

पलल हमार पड़ती नही ह य सारी बात

पयाल भरो और सािी सब ही िो ह भलात

- नारायण

०९२८१२

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 32: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

पहचान

दखत तो सब ह लकिन उनि दखन म वो मजा िहाा

कमलता ह जो दखत हम जब आाखो म तमहारी सारा जहाा

दखत हो तम हम कजस तरह फकर महसस होता ह

िाापत लब और बद जबाा स कजकर-ए-महबबत होता ह

सब ही िो कदख तमहारी आाखो म हया बतहाशा

हम ही ह जो दख पात चमचमाती उनम ििषा

मसत मीठी आवाज िी तमहारी ह दीवानी दकनया सारी

कसरफ़ हम ह पहचानत उसिी नजाित और ख़मारी

शखस हर एि ह िायल हसन िा तमहार नरानी

जानत ह हम अिल बाज उस हसन िी रहानी

- नारायण

१००३१२

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 33: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

तफावत

जो हमन चाहा वही तमन किया

जो किया हमन वही तमन पाया

भला अब हम ह य िसी कििायत

कयो नही तब ही िी तमन बगावत

िर स ही हमन कियी थी नसीहत

फ़जज ह तमहारा हमारी ही इबाित

माकलि ह हम ह हमारी िोहरत

तम हो कसफ़ज िरन िो कहफ़ाजत

अब तम गय हो तो आयी ह आफत

छाया ह सननाटा गयी िान िौित

हम िोनो म हमन िी जो तफावत

वही थी मसीबत जो लायी क़यामत

-नारायण

११२६१२

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 34: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

परी या सरी

घस गए घसलखान म

जिसम को अपन धलान गीला रह को जकया तमन

धआधार अपन इशक म

िब हम बाहर जनकल पड़

दखन नज़ार समाा आसमाा क

धादला जदया आखो को तमन

हसन की अपन चकाचौध स

उमड़ पड़ िब िकड़न को

कस कर तमह अपनी बाहो म

पकड गए खद हम तमहार

बबस हो कर जििाई जदल म

कौन हो तम िननत की परी

या जिर हो कतलखान की सरी

- नारायण

०११२१३

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 35: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

सितारा

जलती आग पर हडबडा कर चलत थ हम नग पााव

मलहम क तौर आिओ ि लपटा तमन हमारा हर घाव

तपत रसगसतान म लडखडा कर सगर पड़ हम भख पयाि

हर िी आयी तम आाचल फल बचान हम कड़ आफताब ि

छ न सितारो को चढ़ रह थ पहाड़ो पर िर पर बाध कफ़न

सफिल पर सगरन ि पहल िमहाला तम ही न फररशता बन

कौन हो तम भला इनिान हर फररशता या कदरती कररशमा

या सफर खदा न खा क तरि सकया बहाल हम सितारा-ए-आसमा

- नारायण

०७२६१३

HAPPY BIRTHDAY to SAU

जग जग सजयो

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 36: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

शर-ए-दिल

तबाही को ही तम अगर मानोग बहार

जानोग की सख स भी उछलगी फहार

िररया गम का ह करना गर तमह पार

होगा दसखना अगारो प चलना बार बार

जजीर बाहो म और बदियाा एदियो म

खाजर दजगर म और जा ढोएा गिदन प

दनकाली तमहारी सवारी या पी क नगर म

छोिो ना आस तोिो ना साास दबना उनह िख

मगर ऐसा होना ह तो चादहय सीन म शर-ए-दिल पहाि

दहल ना जो रात आएा तफ़ाा या दगर दबजली दिन िहाड़

- नारायण

०९१४१३

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 37: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

ख़वाजा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

राह मझको दिखला जा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तर िर प आया

खाली हाथ नही गया

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

डका तर नाम का

सन रहा ह सारा जहाा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

गरीबो की तमनना

या अमीरो की हवस

काम तरा परी करना

मााग सब की हस हस

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

जो भी तन दजस दिया

दजममा हो जाएा उसी का

रख खोएा खर कर

भरगा जस करगा

ख़वाजा ख़वाजा मर ख़वाजा

- नारायण

०९१६१३

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 38: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

चारा

पदा होना पलना बढ़ना

नाम इसका ह जिनदगी

सौदा करना खौफ़ खाना

नाम इसका ह गनदगी

फसला तमह ही ह करना

करो अललाताला की बदगी

चनो चाहो तो तम ही वरना

करना सतान स भी जदललगी

मरो मोहबबत म पल पल

या नफ़रत म जिओ िल िल

भाईचार म गिारो सफ़र

चारा दसरा नही ह बहतर

- नारायण

१११६१३

आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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आधा या परा

पडघम की नही ह य ह धड़कन की आवाज

चिलला चिलला क जो ह रही तमह ही पकार

िल आओ हजर जलदी करो मर सरताज

वरना तमह दख चिना मरना भी दशवार

टट शीशा पर टट ना कभी छिी अदरनी

ररशता टट पर टट ना मोहबित भावभीनी

डाली ना िाह िाहो म गल चमल ना हम कभी

िातो म नजरो म िन हम चदल स करीिी

दरी चजसम की दररयाा नही करती कभी पदा

रह रह स हो रिर तो हो मचशकल भी सादा

गर हो पयार सचिा तो कया नकसान कया फ़ायदा

होता ह परा आधा जीना भी और मरना भी आधा

रचगसतान की हो धल या हो िाद जमजम की

दखा म उसम सनम झलक अपन पयार की

- नारायण

१११९१३

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 40: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

फरिशता

तोड़ दिए म न साि रिशत

जोड़ जो नए तमहाि वासत

चल पडी म तमहाि िासत

चाह तमह ही जागत सोत

मजबत तमहािी बाहो म

लत हो जब जकड़ मझ

लाग न कयो वही िम घट

िरिया न दफि कभी लौट

भली ह म अपन आप को

िख दिन िहाड़ ख़वाब को

थाम रह मिी घमत हो

इनसान तम या फरिशता हो

- नािायण

०४०६१४

गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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गिरावट

चाहा था हमन तोड़ तार लाएि

समझ सक ना खद टट जाएि

गकसी एक भी तार को छ ना पाए

धमाकस धरती प हम आ गिर

गसरफ़ गदल क ही नही बगकक रह क

अनगिनत हए टकड़ और गबखर

गमलो तक फल व दररया गकनार

तौबा इन म गफर य चमक कस

न जान कस िजी आवाज तमहारी

दया ना दख यहा ऐस मोती कभी

चाह रह इनह उमर भर दखती

ढक ना सक ि इनह तो बादल भी

- नारायण

०५३०१४

औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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औरत

जान कस नर-ए-हसन ह य या खाली तमाशा

रह को जो द उजाला या कर जजसम को पयासा

कहलाए औरत जो जिदमत का िजाना

जसरफ़ इशारो स ही वो कर गलाम जमाना

हाथ उसक मलायम परवररश म बचचो की

जहचजकचात नही काटत गदफ़न दशमनो की

बोल मीठ बात तीिी रहम जदल म जहर भी

औरत म हई तौबा कस इकटठी य चीज सारी

एक पल लग ऐस औरत ह हर जननत की

अगल पल लग जस ह वो काली काजिरो की

- नारायण

०६२०१४

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 43: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

अलग साथ

म कहता ह तम हो जिनदा

तम कहती हो म ह मदाा

तरी मरी समझ ह िदा

मरा बलावा तरा अलजवदा

पयार य कसा इसक बाविद

गर ह इतन अलग विद

मज़हब िस खदा का सबत

लगाव हमार पयार का सबत

अलग हो तम अलग ह म भी

सफ़र सहाना हमारा जिर भी

कटार लोह की मयान चमड़ी की

साथ दोनो का नही अिनबी

- नारायण

०८०४१४

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 44: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

अजीब जाद

निगाह बचाि को पलक निटाती हो

निगाह चलाि को पलक उठाती हो

गर कोई िग़रर नदल चाह िजदीनकयाा

निगाह कटार बिाि की त जाि खनबयाा

चाह तो दर स भी करती हो कतल-ए-आि

निगाहो स तीर चलािा बस इतिा ही काि

बड़ बड़ दख ह तीरदाज ऐस हिि

लमह ि िार नगराएा निकार जो आए सािि

िगर ह तमहारा नकतिा अिोखा अदाज

नबिा दख िार तीर नसरफ़ सि क आवाज़

इतिा ही िही कसा ह य तमहारा जाद अजीब

भाग ि घायल निकार चाह आिा तर करीब

- िारायण

०८१०१४

जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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जीत मरी परीत की जीत ह य सजनी दौड चल आए व पास मर ही ध ग जत फिरत भवरा बाग म कललया खिलन क इतजार म भल और भी ह उस क झ ड म ह ग लशन म लािो ि ल भी दौड चल आए व पास मर ही १ कहो ना य मरी ख बस रती ह

जान ना त मरी जसी फकतनी ह मोम स तो हर शमा जलती ह

परवाना पर च न एक कसी दौड चल आए व पास मर ही २

- नारायण

०४२५१५

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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Page 46: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

मकाबला

लडकी ह बाईस की तईस चौबीस का एक चाहहय लडका

मरता हो गर मझ पर वो तो पवाा नही तगडा ह या कडका

पगली हो कया हिखता नही कया था अभी कौन सामन खडा

हबलकल वसा िख क तरा हसन जो ह नीच हगर पडा

उई मा कौन हो तम तम ही तो कर रह थ मरा पीछा

सामन आए कब बोल हगर पड हिर कस आई मरचछाा

सनो सनो ह कोई यहा कया मिि करो खिा का वासता

हवास ह खो बठा कोई ह म अकली सनसान रासता

घबराना ना जरा सोचो ना तम ना अकली म भी ह ना

हमल कर िोनो साथ हए तो हारग हम कभी भी ना

अर य कया ह सच कया खड हो या हगर पड बहोश या होश म

खसर िसर म नही समझती मकाबला या मलाकात म

- नारायण

०६१११५

जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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जनाजा

तमहारा म ह य

म ह तो नही ह

कटोरा भरा य

झ ठ बातो का ह

जबान तमहारी

जबान नही ह

आसतीन म छिपा

जहरीला साप ह

नजर तमहारी

दगाबाज कौए

कीडो सी मरोड

तमहारी दो भौए

छजसम इनसान का

साया शतान का

जमीर तमहारा

जनाजा रहम का

- नारायण

०७१३१५

जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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जमी

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

बढाए न कयो हम इसका और भी खमार

ककय ह टकड हम न इस क दस कबदस म

आय ह लडत सकदयो स उनह पान क कलय

कसरफ एक को ही ह अपना वतन मानत

पर पान को दसरा ह हम मरन को भी तयार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

होती ही नही परी हवस हमारी जमी की

खोजी सारी दकनया तो कसतारो प चढाई

भल क य क दकनया भी ह ककतनी अनछ यी

बनाए कयो न जननत हम अपन ही इस पार

बकषी ह क दरत न हम जमी य बशमार

- नारायण

०९०११५

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

  • urdukavyasangraha
    • salam
    • jodi
    • yakhuda
    • julm
    • tasveer
    • jannat
    • shikasta
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    • mainhoona
    • islam
    • sharafat
    • sharabi
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    • najrebayan
    • faisla
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    • dastan
    • rukhsat
    • achhut
    • khudgarj
      • jeenamarna
Page 49: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

गससा झड रह ह अगार कयो तमहारी नजरो स

उड रही ह बौछार गालियो की कयो मह स

काप रहा ह लिसम उछि उछि कर

सख रहा ह गिा लिलिा लिलिा कर

हो सकती ह िायज विह तमहार गसस की

िलकन ह नािायज यह आदत गसस की

समहािो होश जरा खामोश रह कर

सोिो कर कस काब मलककि पर

ििो न य आग म गसस की अपन ही

फको उखाड उसकी विह िड स ही

- नारायण

०९१८१५

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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    • achhut
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      • jeenamarna
Page 50: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

समझो

कहो ना क कहाा म ससरफ एक कतरा गहर दररया का

और कहाा जो रला अराट आसमाा तक बहद दररया

समझो सकतन अनसगनत ब ादो स ही बना ह दररया

और हर एक उनही ब ादो म भी ह वो समाया

बशमार मगर चसनादा ब ाद आफताब ल जाता ह उपर

आसमाा म बादलो को व बनाती ह अपना घर

लसकन आता ह जब त रान सघर कर

सगर कर व आती ह सरर जमी पर

बझाती पयास उगाती फसल नहलाती समाा जाती ह घसल

नसदयो म कयो सक वापस दररया को उनह जाना ह समल

माय स ना होना कतई इस सलए

छोटा ना बडा कोई खदा क सलए

- नारायण

१०१०१५

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

  • urdukavyasangraha
    • salam
    • jodi
    • yakhuda
    • julm
    • tasveer
    • jannat
    • shikasta
    • meremehboob
    • mainhoona
    • islam
    • sharafat
    • sharabi
    • sachcha
    • ujala
    • humsafar
    • najrebayan
    • faisla
    • kaun
    • jung
    • vakiya
    • darkhudase
    • shaitan
    • siyahi
    • harunalra
    • dastan
    • rukhsat
    • achhut
    • khudgarj
      • jeenamarna
Page 51: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

अलला महरबान

अलला बबबममलला उररहमान

बोलो सनो गाओ य ही गान

अलला बबबममलला उररहमान

सब प ह अलला महरबान

आदमी औरत या बरखदारर

सब ही को ह उसका दीदार

अलला को भी ह सब स पयार

रहता ह बन बनगाहबान

अलला बबबममलला उररहमान

सार जह ॉ का माबलक वो

बिर भी बलख बहसाब वो

हर एक भला बरा कर जो

हो काबिर या मसलमान

अलला बबबममलला उररहमान

- नारायण

०१२३१६

शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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शादी

बढी जो इतनी हमारी चाह

तरनत हमन किया कनिाह

तब स ना िभी भरी आह

िर ह जमाना वाह वाह

बढती उमर ि साथ साथ

हए दबल य भारी हाथ

किर भी न छोडी उममीद

हो ि ही रह हम आबाद

आग म सोना जल िर

आता ह और भी कनखर

वस गमो स हो ि मखर

खश होत ह हम जयादातर

(Happy 43rd Anniversary)

- नारायण

०२२४१६

मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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मजबर बगम

तरी राह तकत मरी ऑख सकत

लमह दो चार फकत ददखा जा सरत

लत न खबर आत न सबर

रकन का न नाम जान को बताब

डायन ह सौतन जान ना सजन

समझाए कौन कर कसा जतन

सनो मर सया य ह भलभलया

वो चाह जवर म कर जान दनछावर

- नारायण

०५०९१६

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

  • urdukavyasangraha
    • salam
    • jodi
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    • julm
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    • dastan
    • rukhsat
    • achhut
    • khudgarj
      • jeenamarna
Page 54: ;rr§7 · चरा है वह जराने कुयान-ए-शयीप ... ख़ुदा ने बक्श हम े सरहशी हश ने खुदगसरश

फरजी जिहाद

बदब आती ह लह स तमहार नफरत की

तम कया िानो कया होती ह खशब मोहबबत की

इतना काला भददा दाग हो तम इसलाम क नाम प

जमटगा न वह बहत खन स फरजी जिहादी काम प

कयामत म करगा अलला फसला काजफरो का भी

बदा उसका कहलान क हो ना तम तो काजबल भी

हक य तम को जकस न जदया कतल-ए-आम करन का

काजफरो को ही नही नक बदो को भी मार डाल न का

बनोग ना शहीद ना जमलगी हर चार ना िननत

खदकशी करन वालो की अलला कर ना परी मननत

- नारायण

०८०६१५

वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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वादा

नाममकिन था हम िरना इशक िा इजहार

जब ति न दखा हम न आप िी नजरो म पयार

उमड पडी तात हमार कदल-ओ-जान म

दखी जब महबबत हम न आप िी आखो म

कबना किए परवाह रसम-ओ-ररवाज िी

दौड आए हम पिडी आप िी अगली

छडान िी उस झठी िोकिि म िी आप न तौबा

बोल हम कनभाएगी साथ कजदगी भर िीकजए वादा

- नारायण

०८२५१६

अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

  • urdukavyasangraha
    • salam
    • jodi
    • yakhuda
    • julm
    • tasveer
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      • jeenamarna
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अनदखा साथी

जहाा जहाा जाता ह ा म साथ हो लत हो

चलत चलत हाथ म हाथ थाम दत हो

लडखडाऊा गर तो समहल लत हो

हडबडाऊा गर तो हौसला बढात हो

डगर कठिन या गठलयाा सनसान हो

लगात ठिकान गर राह अनजान हो

सोत जागत हमशा खयाल मरा रखत हो

ठकतनी करा कोठशश कही नही ठदखत हो

- नारायण

११२६१६

बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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बखबर

ईद का चााद ह

मीत का साथ ह

मननत की रात ह

महबबत की बात ह

खदा की इनायत ह

सदा ही खररयत ह

खशहाल तबीयत ह

मालामाल दौलत ह

इराद बलद ह

मराद पाबद ह

हसन नजरबद ह

इशक बररार ह

जीना सदाबहार ह

मौत स बखबर ह

- नारायण

०११७१७

नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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नही

छटा तीर कमान स रोका नही जाता

टटा दिल दजगर स जोडा नही जाता

दनकला जो लफज म ह स पकडा नही जाता

उछला जो लह दजसम स जकडा नही जाता

उठाई ह इमारत वो दगराई नही जाती

पाई ह जो शोहरत वो गवाई नही जाती

दिल स बनाई तसवीर दमटाई नही जाती

दिली कली परो तल क चली नही जाती

द िगी ह ि िा की वो उजाडी नही जाती

गिगी ह बि की वो उडाई नही जाती

- नारायण

०३०२१७

नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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नही जानत

भर पाएग य जखम या नही

हम नही जानत

मर जाएग या जजएग भी

हम नही जानत

डर नही गम का ना बहत हए लह का

पर रज ह जितमगर तो ह हमारा अपना

िर आखो प जजि जबठाया जजगर म बिाया

अब हाल पछन भी आएगा या नही

हम नही जानत

दशमन को भी हम करत ह दफन

भल क दशमनी

करत ह िपदद-ए-खाक हम

मर काजिर को भी

मगर उठगा हमारा जनाजा या नही

हम नही जानत

- नारायण

०३०८१७

महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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महरबानी

महरबानी मर आका

दिन-ब-दिन जलम ढाया

उसी स म समझ सका

इनतजार इनायत का

महरबानी मर महबब

पयार की जो की ह बाररश

उसी स य हआ महसस

दजनिादिली कया होती ह चीज

महरबानी मर खिा

रखी दनगाह लमहा लमहा

कर कस शदिया अिा

तरी इबाित जीना मरा

- नारायण

०२०११८

कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

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कठपतलिय ा

चि थ कह ा और कह ा आ गए हम

चि त थ कोई बस चित थ हम

उिझन हमश की परश नी हर दम

च हत ह कय कय नफरत न ज न हम

घबर हट खशी स कय होगी खतम

आहट गमो की कय ढ एगी जलम

कि क दशमन बन आज दोसत

अपन ही दग हम कि लशकसत

बद ह हम य ह कठपतलिय ा

नच ए हम कौन ि क त लिय ा

- न र यण

०३०३१८

अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

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अचछ दिन

ऑसओ स तमहार बझगी ना य आग दिल की

बढती रही ह कब स य नही आज कल की

गसओ म तमहार छपा ना सक गा य चहरा

खोिा गया ह बीच हमार खडडा एक गहरा

खशब स तमहार दमटगी ना य मरी बिब

बढती बीमारी हटगी य कस कर आरज

बहतर होगा गर दमलग ना हम कभी भी

याि करग अचछ दिन चाहग दमलना जब भी

- नारायण

०५०६१८

फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

- नारायण

११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

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फकर

जो हम ना कर सक

वो तम कया करोग

ऐसी बातो स

हम ना डरग

न तम प शक ह

न हम प नाज ह

अपन बाजओ प

हम तो फकर ह

लढग जरर हम

फतह ममल न ममल

मकय प अपन हम

न कभी पछताएग

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११२४१८

सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

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आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

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पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

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खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

- नारायण

०२०९२१

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सोचो ना

जी चाह िजस वो िमलता नही िमलता ह तो भी जी भरता नही भाग पीछ तो हाथ आता नही हाथ आए तो साथ रहता नही

आसमा स ज़मी तक जो फ़ासला मिशकल ह जीत जी पार करना जहा स जननत तक उड़ान भरना मौत स िफर कस ह आसान होता

अदाज लगाओ या महसस करो लग आसान मौत िज़दगी स यारो िमलगी दोनो भी ना दोबारा चाहो तो इसिलए सोचो ना बस जीओ या मरो

- नारायण

०५१७१९

आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

बढ़ापा जो आया िछनता ही रहा िज़दगी क ख़िशया उममीद ख़वािहश

- नारायण

०९२६१९

बारी

िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

- नारायण

०५१४२०

अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

- नारायण

१११०२०

दोहरा

िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

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आज़ाद िज़दगी

घाव िकतन भी सह सर सलामत ह चोट िकतनी भी खाई िदल मज़बत ह

ज़हर िकतना भी घल रगो म ख़न दौड़ता ह चाह िजतना घोट दो गला सासो म दम फलता ह

नफ़रत करो ज़लम ढाओ चाह तो क़तल भी करो न हम झक ग न क ग ग़र हमारा मगर ह

आए गए सलतान िकतन सलतनत िमटाई न गई मार गए दफ़नाए गए शख़स मगर ह तो िज़दा ह

िहमत ह तो ताकद ह ताकद ह तो आज़ादी ह आज़ादी ह तो आबादी ह आबादी ह तो िज़दगी ह

- नारायण

०६२४१९

पाक महबबत

आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

-नारायण

०९२३१९

खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

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जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

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अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

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िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

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आओ आए हो तो बठो बठ तो बात दो करो बात करो तो समझो समझो तो पयार करो

पयार नही लन दन पयार ह खो दना चन पयार म होना क़बारन मतलब य समझ लो

मतलब जब बनगा महबबत तो आएगा िदल म बसन ख़दा महबबत पाक रखो

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खल िनराला

य तक़दीर का खल ह िनराला कौन ह िखलवाता लान क िलए

जनम मा न िदया पाल क बड़ा िकया उसको जाना पड़ा व क पहल

हसीना न बलाया बला क बहलाया बहला क छोड़ िदया तड़पन क िलए

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जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

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कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

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िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

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पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

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कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

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अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

अलला का म जो बदा इशक़ स कय ह डरा

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िदख बाहर जो वो ह अलग अदर नीच ह कबर तो ताजमहल ऊपर

ज़मान का रवाज सिदयो स दोहरा िदखावा मज़बत अदर स खोखला

भीख माग पडत बठ मरख तख़त पर रईस रह चपपी बाध चोर मचाए शोर

कदरत क भी अदा ह कसी अजनबी गहरा पानी दरया म पीन को बद नही

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िदल खोल कर हम न बलाया पधारए मह मोड़ कर आख फर आप चल गए

जात जात अनजान आप याद छोड़ गए जीत जीत हम उनह ख़शी स सजात रह

ढलती रही उमर सालो साल गजर गए अचानक सामन आज आप उभर आए

पहचान नही सक हम दख भी न पाए बारी अब हमारी ह सारी याद छोड़ चल

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अधरा

कसा ह य माजरा लग ह म अधरा

जो त ना द सहारा लग ह म बचारा

अममी का म दलारा अबब का बड़ा पयारा यारो को ह गवारा त न िकया आवारा

शराब को न छआ फ़ज़र को ना ठकराया

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