गाँधीवाद की मृत्यु (गाँधी-जयंती...

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1 | Page Gandhi-Jayanti-2013 http://positivephilosophy.webs.com गाधीवाद की मृयु (गाधी-जयंती वशेष)-डॉ देशराज सरसवाऱ अटूबर को गॉधी -जयॊती बड़ी धूमधम से मनयी जती है और सरकर जनत के ऩैसे खूब दुऱऩयोग कय जत है सबसे बड़ी दुाय की बत है की एक गॉधीवदवतामन रतीय समज की समयओॊ के समधन के लऱए यसरत नहीॊ है , यूॊकवतामन की यदतर समयएॉ उनके ही गुर रजनीलत समज को उऩहर के ऱऩ दी गयी गॉधीजी को रत ही नहीॊ शॊलतदूत की तरह मन जत है। ऱेककन कु छ समय से गॉधीजी की ऱोकवयत कमी आई है जो की एक सॊके त है की गॉधीवद अब उतन ऱुवन नहीॊ रह जतन की गॊधीवकदय और सरकर ने जनत के समने रख थ। अगर गॉधी जी के सही यविको समझन है तो उनके समकऱीन वचरको के वचर को ऩढन उतन ही जऱरी हो जत है जतन गॉधी जी को ऩढन। आज की सही जथलत यह है की गॉधी को आदशा मनने वऱी सरकर ही उनके वचर को वो जगह नहीॊ दे ऩई जससे की जनत की आॉख गॉधी की वो इजत बने जसकी हम गॉधी जयॊती के समय बत करते ह। आदशा ऩुरष वह होत है जसके वचर और यवहर समनत हो। गॉधी जी सही वेण करने के लऱए हमे लननलऱजखत वबदुओॊ को यन रखन होग :

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२ अक्टूबर को गाँधी -जयंती बड़ी धूमधाम से मनायी जाती है और सरकार द्वारा जनता के पैसे का खूब दुरूपयोग किया जाता है । सबसे बड़ी दुर्भाग्य की बात है की एक भी गाँधीवादी वर्तमान में भारतीय समाज की समस्याओं के समाधान के लिए प्रयासरत नहीं है, क्यूंकि वर्तमान की ज्यादातर समस्याएँ उनके ही गुरु भाई राजनीतिज्ञों द्वारा समाज को उपहार के रूप में दी गयी हैं । गाँधीजी को भारत में ही नहीं विश्व में शांतिदूत की तरह माना जाता है। लेकिन कुछ समय से गाँधीजी की लोकप्रियता में कमी आई है जो की एक संकेत है की गाँधीवाद अब उतना लुभावना नहीं रहा जितना की गांधीवादियों और सरकार ने जनता के सामने रखा था।

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