प्रदत्तकार्य

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पपपपपपपपपपप पपपप:प- पपपपप पपपपपपपपपपपपपपप :

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Page 1: प्रदत्तकार्य

प्रदत्तकार्य�

विषर्य:ई-रि सॉसप्रस्तुतकत्ता�: 

विजीन्द्रा.सिस.रु्यवि�न्दी

क्रमसंख्र्या:17014361034इम्मानुल कॉलेज आफ वि&एड ट्रइविनङ

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विषर्य-सूचीभूमिमका......................1विषर्य-स्तु.................2उपसं�ा .....................3स�ार्यक गं्रथ................10

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प्रस्तानाई-सि3क्षा (ई-लर्निंन6ग) को सभी

प्रका के इलेक्ट्रॉविनक समर्थिथ6त सि3क्षा औ अध्र्यापन के रूप में परि भाविषत विकर्या जाता �,ै जो स्ाभाविक तौ प विक्रर्यात्मक �ोते �ैं औ जिजनका उदे्दश्र्य सि3क्षाथG के व्यसिIगत अनुभ, अभ्र्यास औ ज्ञान के सन्दभ� में ज्ञान के विनमा�ण को प्रभावित क ना �ै।सि3क्षण एक &हुमुखी प्रविक्रर्या �ै।इसे ोचक प्रभा3ाली एं उपर्योगी &नाने के सिलए विभिभन्न प्रका के साधनों का प्रर्योग विकर्या जाता �ै। आज विज्ञान का रु्यग �ै। &ीसीं रु्यग के प्रमुख साधन �ै संगणक। आज सि3क्षण देने औ सभी विकास की क्षेत्र में संगणक की स�ार्यता &हुत &ड़ा �ै।एविनमेषन, मसिलटीमीविडर्या, ब्लॉग आदिद ई-रि सॉस की स�ार्यता से हि�6दी भाषा औ सि3क्षण की विकास �ोता �ै।

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विषर्य-स्तुई-रि सॉस ई-संसाधनों इलेक्ट्रॉविनक पवित्रकाओं, ऑनलाइन डेटा&ेस औ इलेक्ट्रॉविनक पुस्तकों में 3ामिमल �ैं। ई-सि3क्षा ई-सि3क्षा अविनार्य� रूप से कौ3ल एं ज्ञान का कंप्रू्यट एं नेटक� समर्थिथ6त अंत ण �ै। ई-सि3क्षा इलेक्ट्रॉविनक अनुप्रर्योगों औ सीखने की प्रविक्रर्याओं के उपर्योग को संदर्भिभ6त क ता �ै। ई-सि3क्षा के अनुप्रर्योगों औ प्रविक्रर्याओं में े&-आधारि त सि3क्षा, कंप्र्यूट -आधारि त सि3क्षा, आभासी कक्षाए ंऔ विडजीटल स�र्योग 3ामिमल �ै। पाठ्य-सामविग्रर्यों का वित ण इंट नेट, इंट्रानेट/एक्स्ट्रानेट, ऑविडर्यो र्या ीविडर्यो टेप, उपग्र� टीी औ सीडी- ोम (CD-ROM) के माध्र्यम से विकर्या जाता �ै। लाभ•सं3ोमिधत प्रद3�न•र्धिध6त उपर्योग•सि3क्षार्थिथ6र्यों की सुविधा एं नम्र्यता ई -लर्निंन6ग दो प्रका के �ोते �ैं ऑनलाइन(तुल्र्यकासिलक) सि3क्षण औ ऑफ़लाइन (अतुल्र्यकासिलक)सि3क्षण। तो, तुल्र्यकासिलक ई-लर्निंन6ग &ातचीत में 3ामिमल सि3क्षक/कोच/ास्तविक समर्य में द3�कों के साथ टू्यट । अध्र्यापक , छात्रों की प्रवितविक्रर्या का आकलन उनकी जरू तों को समझने की क्षमता �ै , समू� के सिलए सुविधाजनक सालों का जा& देना, गवित लेने: उन्�ें जा& छात्र की प्रविक्रर्या में भागीदा ी औ समू� के सिलए" लौटने" र्यदिद आश्र्यक �ो तो विनग ानी।ज& , पाठ्यक्रम गुज पढ़ने औ सावि�त्र्य के सिलए अतुल्र्यकासिलक सीखने की जिजम्मेदा ी आदिद. पू ी त � से छात्रों के कंधों प दिटकी हुई �ै। अध्र्यापक/टे्रन /टू्यट �ै " प दे के पीछे", लेविकन, सि3क्षाथG स्रं्य पुस्तक सीखने का फार्यदा �ै एक सुविधाजनक समर्य के पाठ्यक्रम में औ मोड में जग� ले सकता �ै आ ामदार्यक जिजसमें उसे व्यसिIगत रूप से।

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इंट एक्टिक्ट सफेद &ोडiइंट एक्टिक्ट सफेद &ोडi पाठ्य-स्तु को प्रदर्थि36त क ने के सिलए इस्तेमाल इस्तमाल क नेाला एक सीखने संसाधन �ै।स्क्रीन में सिचत्रों को &ड़ा क के दिदखा सकते �ैं।लाभ•छात्र में अन्त विक्रर्या3ीलता &ढता �ै।•आ ाम से उपर्योग क सकते �ैं। •विभिभन्न सि3क्षण 3ैसिलर्यों का समथ�न क सकते �ैं। ब्लॉग े&-लॉग 3ब्द का संभिक्षप्त रूप �ी ब्लॉग क�ा जाने लगा �ै। र्य� 3ब्द १९९७ में अमेरि का में प्रथम &ा इंट नेट के सन्दभ� में आर्या था। ब्लॉग का मतल& पस�नल डार्य ी र्या ऑनलाइन डार्य ी �ी समझा जाता �ै, ज�ाँ आप कुछ भी सिलख सकते �ैं। र्यदिद आप कुछ &ातें 3ेअ क ना चा�ते �ैं तो � भी क सकते �ैं।अपन े व्यसिIगत विचा ों को क�ने के साथ �ी साथ आप दूस ों से समथ�न भी पा सकते �ैं। अपनी कवितार्यें, क�ाविनर्यां,  ाजनीवितक विचा विकसी भी &ा े में सिलखें।ब्लॉग कैसे 3ुरु क ें•इंट नेट एक्सप्लो में खोलाना।•पता पट्टी में www.blogger.com टाइप क के स्क्रॉल क ना।•‘create your blog now’ में क्टिक्लक क ें।•आपके ब्लॉग के सिलए ब्लॉग 3ीष�क औ ब्लॉग पत्ता टाइप क के ज़ा ी �ना &टन क्टिक्लक क ें।•आपके ब्लॉग के सिलए एक टेम्पलेट चुनें औ जा ी खने &टन प क्टिक्लक क ें।•अ& अपका ब्लॉग &न गर्या �ै। पॉडकास्ट पॉडकास्ट से तात्पर्य� एक मीविडर्या  संसिचका से �ै जो विक इंट नेट प    फीड के द्वा ा प्रसारि त की जाती �ै जिजसे विक कंप्रू्यट तथा पोटu&ल मीविडर्या प्लेर्य ों जैसे आईपॉड तथा स्माट�फोन आदिद द्वा ा चलार्या जा सकता �ै। इस प्रविक्रर्या को पॉडकास्टिस्ट6ग क�ा जाता �ै। पॉडकास्ट &नाने तथा प्रसारि त क ने ाले को पॉडकास्ट  क�ा जाता �ै।ब्लॉग के संदभ� में इसका सामान्र्य सा अथ� �ै विक अपने ब्लॉग प विकसी पोस्ट में कोई मीविडर्या   संसिचका (ऑविडर्यो/ीविडर्यो) आदिद डालना जिजसे पाठक ब्लॉग प

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आक अथा आ एसएस फीड द्वा ा देख/सुन सकें । सामान्र्य तौ प ब्लॉग के मामले में सिचट्ठाका �ी पॉडकास्ट �ोगा।कैसे एक पॉडकास्ट &नाने के सिलए1. रि कॉर्निंड6ग इसके सिलए आपको एक माइक्रोफोन औ ऑविडर्यो रि कॉर्निंड6ग

सॉफ्टेर्य की आश्र्यकता �ोगी।2. अपने पॉडकास्ट का प ीक्षण �मे3ा आप अपने पॉडकास्ट को सुनना औ आप उसे पसंद न�ीं

क ते तो उसे सधा ना।3. अपने पॉडकास्ट प्रकासि3त क ें

आप अपने पॉडकास्ट प्रकासि3त क ने के सिलए ऑनलाइन प्लेटफॉम� का उपर्योग क सकते �ैं। आप ब्लॉग के द्वा ा भी प्रकासि3त क सकते �ैं ।

पॉडकास्ट कई 3ैभिक्षक उदे्दश्र्यों के सिलए इस्तेमाल विकर्या जा सकता �ै। उनमें से कुछ र्य�ां �ैं:

• छात्रों को अपने सिलए एक अपना पॉडकास्ट &ना सकते �ैं जो छात्रों को एक दूस े के साथ औ अन्र्य स्कूलों के छात्रों के साथ उनके सीखने के अनुभों को &ाँटने के सिलए स�ार्यक �ैं।

• सि3क्षक ऑविडर्यो रि कॉड� पॉडकास्ट क सकता �ै।• पॉडकास्ट श्रण सि3क्षार्थिथ6र्यों को लाभ �ोगा औ सीखने में उनकी मदद की जा

सकती �ै।• पॉडकास्ट उपर्योग क ने से छात्रों के 3ोध, लेखन, समर्य के प्र&ंधन में ध्र्यान

औ उनकी 3ब्दाली में सुधा की समस्र्याओं को सुलझाने के रूप में कई म�त्पूण� कौ3ल विकसिसत क ने के सिलए स�ार्यक �ैं।

समाचा समू� एक समाचा समू� विकसी भी विषर्य प दुविनर्या में क�ीं भी लोगों के साथ चचा� क ने के सिलए उपर्योगकता�ओं की अनुमवित देता �ै जो इंट नेट में चचा� समू� की एक प्रणाली �ै। समाचा समू� के ई-मेल से विकसिसत क �े �ैं। समू� प पोस्ट विकए गए एक लेख समू� के विकसी सदस्र्य द्वा ा पढ़ा जा सकता �ै।लाभ•समाचा लेख ई-मेल इन&ॉक्स में न�ीं भ ेगा।

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•इंट नेट के सिलए एक तेजी से सं&ंध का आश्र्यकता न�ीं �ै।•कीड� के द्वा ा  समाचा समू� का खोजा विकर्या जा सकता �ै।•नर्या समाचा विकसी भी समर्य पढ़ सकता �ै। अग �म समाचा न�ीं पढ़ा तो � पु ाने लेख को स्रं्य �टाता �ै।मिमभिश्रत सीखने सम्मिम्मश्रण सीखने कई सीखने घटकों के संर्योजन औ एक साथ�क सीखने &नाने के सिलए घटनाओं सीख �ा �ै। सीख �ा �ै सम्मिम्मश्रण का सामना क ने ाली चे� ा सीखने के साथ ऑनलाइन जोड़ती �ै। सीखने सम्मिम्मश्रण के लक्ष्र्य के वित ण के तौ त ीकों के संर्योजन के द्वा ा स&से प्रभाी सि3क्षा अनुभ प्रदान क ने के सिलए �ै।लाभ•3ा ीरि क कक्षा समर्य में कमी।•स्तंत्र सीखने को &ढ़ाा देता �ै।•कई त ीके से पाठ्यक्रम के उदे्दश्र्यों को पू ा क ने के सिलए स�ार्यक �ै।•छात्रों के &ीच संपक� &ढ़ाने की अस देती �ै।इलेक्ट्रॉविनक पवित्रका इलेक्ट्रॉविनक पवित्रका का संभिक्षप्त रूप �ै ई- पवित्रका। । एक ई-पवित्रका आम तौ प अकादमिमक �लकों में पार्या जाता �ै।लाभ •हिप्र6ट संस्क ण से प�ले नए लेख की प्रका3न जल्दी क सकता �ै।•फोटोकॉपी की तुलना में अमिधक व्यIता �ोता �ै।• विकसी भी समर्य, क�ीं से भी �म र्य� पढ़ सकता �ै।रू्यटू्य& र्य� एक   साझा े&साइट �ै ज�ाँ उपर्योगकता� े&साइट प ीविडर्यो देख सकता �ै ीविडर्यो अपलॊड क सकता �ै औ    ीविडर्यो क्टिक्लप साझा क सकता �ै ।लाभ •कक्षा में ीविडर्यो छात्रों को सीखने के सिलए उल्सुकता प्रदान क ती �ै।•पाठ्य-स्तु ग� ाई से समझने के सिलए ीविडर्यो स�ार्यक �ै।•अमिधगम सामग्री रूप में ीविडर्यो स�ार्यक �ै।•परि र्योजनाओं के सिलए छात्र ीविडर्यो का उत्पादन क ते �ैं।

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फेस&ुक फेस&ुक इंट नेट प क्टि�त एक विनः3ुल्क सामाजिजक नेटर्निंक6ग सेा �ै, जिजसके माध्र्यम से इसके सदस्र्य अपने मिमत्रों, परि ा औ परि सिचतों के साथ संपक� ख सकते �ैं। र्य� फेस&ुक इंकॉ. नामक विनजी कंपनी द्वा ा संचासिलत �ै।लाभ•एक कक्षा के छात्रों को फेस&ुक प उनके एक समू� रूविपत क सकता �ै। र्य� छात्रों के &ीच के संपक� &ढ़ाता �ै।•कक्षा के कार्य�क्रम फेस&ुक में डाल सकता �ै।•अग एक छात्र चुट्ठी सिलर्या तो उसे इस फेस&ुक से कक्षा में उस दिदन क्र्या-क्र्या पढ़ार्या इसका जानका ी मिमलेगा।•ीविडर्यो, सिचत्र,क्टिक्लप आदिद &ाँट सकता �ै।•कक्षा के नोट आपलोड क सकता �ै।•फेस&ुक में छात्र अपना सगा�त्मकता प्रदर्थि36त क सकता �ै।ट्विट ट्विट ा सिचर्वि6 एक मुI सामाजिजक संजाल सूक्ष्म सिचट्ठाका ी सेा �ै जो अपने उपर्योगकता�ओं को अपनी अद्यतन जानकारि र्या,ं जिजन्�ें ट्ीट्स ा सिचर्वि6 ाक्र्य क�ते �ैं, एक दूस े को भेजने औ पढ़ने की सुविधा देता �ै।  र्य� सेा विनः3ुल्क �ै, लवेिकन एस.एम.एस के उपर्योग के सिलए फोन सेा प्रदाता को 3ुल्क देना पड़ सकता �ै। ट्विट सेा इंट नेट प  2006 में आ ंभ की गई थी ।लाभ•इससे छात्रों को आपस में संदे3 भेज सकता �ै।•इससे छात्रों को अपना सृमि�र्याँ पोस्ट क सकता �ै।

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उपसं�ा सि3क्षा में तकनीकी उपक णों के प्रभाी इस्तेमाल �ोता �ै। एक अधा णा के रूप में, र्य� उनके प्रभाी आेदन के सिलए सैद्धांवितक दृमि�कोण अंतर्विन6वि�त प विचा के साथ �ी इस त � के मीविडर्या, म3ीनों औ नेटर्निंक6ग �ाड�ेर्य , के रूप में उपक ण की एक स णी का साल �ै। विभिभन्न   3ैक्षभिणक दृमि�कोण र्या  सीखने सिसध्दांतों विडजाइन औ 3ैभिक्षक प्रौद्योविगकी के साथ &ातचीत में माना जा सकता �ै।–लर्निंन6ग सिसध्दांत इन त ीकों प ख �ोती �ै। :रे्य सैद्धांवितक दृमि�कोण तीन मुख्र्य सैद्धांवितक स्कूलों र्या दा3�विनक चौखटे में &ांटा जाता �ै व्य�ा ाद , ज्ञानविनर्धिम6तीाद औ     चनााद ।

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