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त द् भ व वशेष तुवत : विकार शमशेर रमण वसहा

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Page 1: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

त द भ व

ववशष परसतवत

वितरकार शमशर

रमण वसनहा

2

szligजीवन की तरह कला भी परतीवत क लयातमक लीला को परसफटित करता हATHORN

szligकला अराजकता स पलायन हTHORN

शमशर क अवधकााश वितरो का रिना-काल सन 1935-52 का कालखाड हभारतीय

वितरकला क इवतहास म यह काल-खाड कई दवियो स महतवपणण ह वजस परकार भारत क

वववभनन भाषाओ क सावहतय म वह दौर सवछननदतावाद(रोमटिवसजम)और यथाथणवाद क

बीि साघषण का दौर था उसी परकार वितर-कला म भी बागाल सकल क राषटरवादी

पनरतथानवादी सौदयणशासतर और कलकतता समह (1942-43) एवा बमबई क परगवतशील

कलाकार समह (परोगरवसव आरटिसि गरप91947) वारारा घोवषत अातराषटरीयतावाद क बीि

भी यह साघषण का काल कहा जा सकता ह

बागाल सकल का समबनध ककसी कालखाड या कषतरीय गवतवववध स न होकर एक शली

ववशष स ह और इस शली की अवधकााश महतवपणण कवतयाा 1895-1947 क बीि रिी

गई1 अवनीदरनाथ ठाकर]अवसतकमार हालदार9समरनदरनाथ गपता9सारदािरण उकील

एवा नादलाल बस क वितर-महावर को यरोवपयन कला क परी-रफलाइि दौर स तलनीय

मानत हए सनील कमार भटटािायण न वलखा ह कक य सभी कलाकार तरल रवखक

लावलतय9राग क सपाि परवतपादन और रिना म ततवो क बलबिदार वितरण का सहारा

लत ह अवनीदरनाथ न तो अपन वितरो म परातन राग दन क वलए जापानी राग-कौशल

को आयात ककया वितर क ववषय मगल-इवतहास स लकर परािीन राजपत राजाओ क

दरबारी वभव9रामायण9 महाभारत और बदध क जातक-कथाओ स वलए गए हइन

कलाकारो को भारतीय कला का परगीत कवव कहा जा सकता ह कयोकक व रागो म

रोमटिक भावनाओ को परवतबबवबत करत ह9उनक रप (फामण) शलीकत ह वजस उनकी

लमबी उागवलयो9मगनयनो और सवाागपणण शारीटरक सारिनाओ क वनरपण म दखा जा

सकता ह 2

fp=dyk ds izpkjampizlkj oa caxky Ldwy dh ekUrkvksa ds fodkl ds fy

vouhUnzukFk Bkdqj ds fkksa us Hkkjr ds fofHkUu ks=ksa esa usampus Ldwy [kksysA

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वितरकला lh[kus ds fy lu~ 1935 esa nkf[kyk fलयाa3 os bl Ldwy esa nks

okksZa rd jgs ysfdu caxky Ldwy dh lt+ ^xhfrerk] ^Hkkoqdrk oa

3

^lkfgfRdrk dk vlj mudh dqN gh d`frksa esa yfkr fdk tk ldrk gSA

यह सि ह कक बागाल सकल क vfkdkak fp= पनरतथानवाद ls brus cksfgty ह fd

mlesa dykdkj dh futh laosnuk oa mनds vius le dh dksbZ खरोि dks

ltwiexcllt ikuk izk eqfdy gS लककन कया ^ukdampuDkamp2 frac1435frac12] ^HkDdw frac1448frac12]

^lqdsfkuhamp2 frac1448frac12] ^शरीमती साववतरी frac1448frac12s जस बागाल-सकल स परभाववत शमशर क

वितरो क बार म भी यही कहा जा सकता ह कया शमशर क इन वितरोक बार म भी

यह कहा जा सकता ह कक वह रवीदरनाथ ठाकर की रिनाओ का रपाकर परवतरप ह जसा

कक धजणटि परसाद मखजी न बागाल सकल की कवतयो क बार म कहा ह 4

यह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क एक भी वितर पौरावणक ववषयो पर

आधाटरत नही ह बागाल सकल स शमशर न जो सीखा वह ह रखााकन एवा जल रागो को

बरतन का कौशल अपन राषटरवादी उतसाह म बागाल सकल न तलय माधयम का बवहषकार

करत हए लघवितरो क तकनीक एवा जापानी bdquoवाश का पनरदधार ककया था5 अकारण

नही कक लघवितरो स परापत कोमल एवा सनमय रखाएा और वाश तकनीक बागाल सकल की

पहिान बन गई थीननदलाल वस न वलखा ह कक ^^अवनीनदरनाथ क वितरो म रखाएा

अजाता या मगल-फारसी वितरो की तरह सपाि (फलि) या लखााककत (कवलगरकफक ) नही

हउनक वितरो की डराईग बहत कछ ववलायती वितरो जसी परकततवादी(निरवलवसिक

)ह9सादशयमलक (रीपरजिशनल )नहीफलसवरप उनकी रखाएा मलत आकवत का गठन या

नमना (माडबलग) कदखलान क वलए ही ह ठीक मगल-वितरो की तरह6 यही बात

शमशर क रखााकन क बार म भी कमोबश कही जा सकती ह

आननद कमारासवामी न बागाल सकल को9वजस व कलकतता क भारतीय वितरकारो का

आधवनक सकल कहत ह9 राषटरीय पनजाणगरण का एक िरण माना हउनक अनसार जहाा

उननीसवी शती क आरवमभक सधारको का उददशय भारत को इागलड बनाना था वही बाद

क कतताण एक ऐस समाज की सथापना या पनसथाणपना करना िाहत थ वजसम भारतीय

सासकवत क अातरननवहत या अवभवयकत आदशण साास ल सक 7 सपि ही इसकी पटरणवत

^पनरतथानम ही होनी थी रवीनदरनाथ ठाकर(1861-1941) न इस खतर को समझत हए

बड़ी वतकत टिपपणी की ^^जब हम भारतीय कला क नाम पर वपछली पीढ़ी की आदतो

स उपजी कटटरता को बड़ी उदधत आकरामकता स पोसत ह तब हम दफ़न शतावददयो की

राख स वनकाली हई ववलकषणता तल अपनी आतमा का गला घोि रह होत हय जीवन क

पल - पल पटरवरनतत खल क परवत असावकदत ववकत मखाकवतयो वाल मखौिो की तरह

हrdquo8 बागाल सकल क पनरतथानवाद क कि आलोिक वसफण रवीनदरनाथ ही नही थ बवलक

दवदरनाथ ठाकर (1867-1938)] kfeuh jk(1887-1972) vkSj ve`rk ksjfxy (1913-

41)vius-अपन rjhds ls बागाल सकल की सीमाओ को उजागर कर रह थ ve`rk

4

ksjfxy न तो सपि कहा कक बागाल पनरतथान जसा कक नाम म ही वनवहत ह9भारतीय वितरकला म पनजाणगरण

ukdampuDk भकक शरीमती साववतरी

(टरनसाा) ल आन का दावा करता ह लककन समकालीन भारतीय वितरकला म जो आज

वनवषकरयता छाई हई ह उसका वजममवार वही हबागाल सकल की मानयताएा सजनातमक

ितना को का टठत एवा अपाग करन वाली सावबत हई ह9 अमता शरवगल की मतय क बाद

कलकतता क आठ कलाकारो(मरनतकार परदोष दासगपत9 कमला दासगपत एवा वितरकार

वनरोद मजमदार9शभो ठाकर9गोपाल घोष9 पटरतोष सन9रवथन मतरा9 पराण ककशन

पाल) न बागाल सकल क पनरतथानवादी सौदयण-शासतर को वछनन-वभनन करत हए वववधवत

घोषणा-पतर तयार ककया वजसम कहा गया कक9 ldquoकला को अातराषटरीय एवा अनयोनयावशरत

होना िावहए दसर शददो म9 हमलोग कभी भी परगवत नही कर सकत अगर हम हमशा

अपन परिीन गौरव को ही याद करत रह और ककसी भी मलय पर अपनी परमपरा स

विपक रहन को आवशयक समझसासार क उसताद-कलाकारो वारारा वनरनमत कला की

ववपल नयी दवनया जो अनात ववसतार एवा समवदध वलए हए ह9हम इशारा करती हहम

उन सभी का गमभीर अधययन करना होगा9उनकी परशासा करन की कला का ववकास

करना होगा और उसस हम हर वो िीज गरहण करनी होगी वजसस हम अपनी परमपरा

5

एवा आवशयकता क अनसार उवित साशलष कायम कर सक यह हमलोगो क वलए

भकक

6

इसवलए और भी आवशयक ह कयोकक हमारी कला अटठारहवी शती स ठहरी हई ह कला

की दवनया म भारत क बाहर वपछल दो सौ सालो म वशलप और तकनीक क कषतर म

यगाातकारी अववषकार हए ह अत हमलोगो क वलए यह परम आवशयक ह कक पविमी

अववषकारो स फायदा उठात हए अपन इस गवतरोध को दर करrdquo10 यह सोि वसफण

बागाल समह क कलाकारो की ही नही थी बवलक कहा जा सकता ह कक उस वकत की यह

सामानय सोि थी वजस भारतीय पनजाणगरण की ववशषताओ क रप म लवकषत ककया

गया ह कलकतता समह की बमबई म सन 44 एवा45 की परदशणनी स परटरत bdquoपरगवतशील

कलाकार समह‟ की पहली परदशणनी (1949) की वववरनणका म फाावसस नयिन सजा न

वलखा कक ldquoहम म ककसी सकल या कला आनदोलन को पन जागत करन की कोई भी

महतवाकााकषा नही हएक परबल रिनातमक साशलषण तक पहािन क वलए हम मरनतवशलप

और वितरकला की वववभनन शवलयो का अधययन कर िक हrdquo11 यह एक उललखनीय

तथय ह कक परगवतशील कलाकार समह क अवधकााश कलाकार(

सजा9आरा9रज़ा9हसन9गाड9बाकर) आरमभ म वामपाथी थ और शमशर इनही कदनो (45-

46)बमबई म कमयवनसि पािी क कमयन म रहत हए ^नया सावहतय का समपादन कर रह

थया तो शमशर क बमबई परवास म उनक वितर - कला-कमण क बार म कोई सिना नही

वमलती लककन कया इस महज़ सायोग कहा जाय कक जब कषणाजी हावलाजी आरा फलो

और सरो की अपनी जानी-पहिानी दवनया को छोड़ कर ^सनकी लोगो को विवतरत कर

रह थ Bhd blh le keksj ds fp=ampyksd esa ^ikxy dykdkj frac141940frac12]

^fofkIr dfo frac141949frac12] tSlh d`frksa dk izosk हो रहा था धwlj oa xgjs jaxksa

ls keksj us इन वितरो म dykdkj dh euksOFkk oa mlds varZU dks cM+h

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साकनदरन dkA pkjampdksy ds xgjs dkys jaxksa ds chp esa bu nksuksa jaxksa dks

laksftr dj keksj us d dfoampdykdkj ds vfLrRoxr ruko dks^पागलपन

एवा ^वववकषवपत क रप म9 cM+h dkk ls vfHkOaftr fdk gSA परगवतशील कलाकार

समह का मलययााकन करत हए कलास वमाण न ठीक ही कहा ह कक ^^समकालीन भारतीय

कला को पग की सबस महतवपणण दन यह ह कक उसम कला को राषटरीय दायर स बाहर

वनकाला और पािातय कला की तकनीक एवा अवभवयवकत क समानाातर कला को

अातराणषटरीयतावाद स पणणतया जोड़ कदयाrdquo12 ^कलकतता समह की जो अातराणषटरीयतावादी

आकााकषा थी वह पग यानी ^परगवतशील कलाकार समह म फलीभत हई कला म

अातराणषटरीयतावाद का अथण था परभाववाद9अवभवयाजनावाद9घनवाद9अमतणनवाद और

अवतयथाथणवाद स परभाव गरहण करना और इस दौर क सभी कलाकार अपन-अपन

7

पागल कलाकार ( 2-9-40 ) वववकषपत कवव ( 49-50)

वनजी महावरो की तलाश म पविमी अववषकारो स परवतशरत हो रह थयह ^परवतशरवत

भारतीय कला क ववकास म ककतनी सहायक या बाधक हई9यह एक अलग परशन ह लककन

यह सि ह कक शमशर भी अपन अनय समकालीन वितरकारो की तरह9 पविमी कला क

ककसी आनदोलन या परववतत ववशष स पणणतया एकाकार होन क बजाय ^पविमी

अववषकारोस अपन कला-कौशल को सावारन की कोवशश कर रह थ पविमी कला म

^परभाववाद कई अथो म इतालवी पनजाणगरण क बाद सवाणवधक महतवपणण अववषकार

थापरकवत की पल-पल पटरवरनतत लीला को रागीन परकाश और छाया क कषणभागर खल म

पकड़न का जो कौशल परभाववाकदयो न अरनजत ककए9 व अभतपवण थयह वववाद का मददा

हो सकता ह कक उनकी कवतयाा वजस राग-ववजञान पर आधाटरत ह व ककतनी सही ह या

गलत ह13 लककन इसम कोई दो राय नही कक व दखन की9 अवबोध की वभनन परकवत की

उपज थीपरभाववादी अवबोध को आनणलड हाउजर न जाजण मजसकी क हवाल स या

समझाया ह कक अगर ककसी वसत को सामन रख पद क छोि स छद स दख(जो छद

इतना बड़ा हो कक राग तो कदख लककन इतना भी बड़ा नही कक राग क साथ-साथ वसत स

उसक समबनध भी कदख जाय ) तो जो हम कदखाई दगा वह एक अवनवित9माडराता

8

आभास होगा और यह उस राग-परकवत स वबलकल वभनन होगा जो हम आदतन ककसी

वसत स जोड़कर दखत रह ह

झसी म गागा क ककनार एक तथय-फलक

और इस दवि स9 अवि का राग अपनी दीवपत9रशम का राग अपनी काावत और जल अपनी

पारदरनशता खो दता ह परभाववाकदयो क यहाा राग ककसी वसत का ठोस गण न होकर एक

अमतण9अशरीरी9अभौवतक घिना की तरह परकि होत ह मानो व सवया-म-राग हो14

शमशर क दो ऐस वितर वमलत ह वजसम इस परकार क परभाववादी तकनीक का बखबी

परयोग हआ ह--- ^ झसी म गागा क ककनार एक तथय-फलक frac141952amp1953) और ^आइन

म शमशर frac141950) म राग और परकाश का वही नतरपिलीय पटरणाम कदखाई पड़ता ह

वजस परभाववादी वितरकार अपना लकषय मानत थ

9

vkbus esa keksj frac141950)

वहसपानी वितरकार गोया(1746-1828) का कहना था कक ^^परकवत म रखा कहाा हमझ तो

कवल परकावशत व अपरकावशत आकार कदखाई दत ह----समतल जो वनकि ह और समतल

जो दर ह मझ रखाएा एवा बारीककयाा कदखाई नही दतीम वयवकत क वसर क बालो को

नही वगन सकता9न उसक कोि क बिनो कोमझ जो कदखाई नही दता वह दखन का मरी

किी को कोई अवधकार नहीrdquo15 शमशर क इन दोनो वितरो को दखकर एवारार

मान(1832-83) क उस कथन का याद आता ह जब ककसी वमतर न उनक वयवकतसमहो क

एक वितर को दखकर उनस पछा था कक इस वितर म आपन ककस वयवकत को सवाणवधक

महतव कदया ह तब उनका कहना था कक ^^ककसी भी वितर म सबस परमख वयवकत होता ह

परकाशrdquo16 परकाश की इसी कनदरीयता को रखााककत करत हए हबणि रीड न कहा ह कक

परभाववाद परकवत की परगीतातमकता या उसक रपराग की पणण अवभवयवकत ह9उस

10

सौनदयण क9 जो पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होत ह17 शमशर क इन

वितरो का सौनदयण पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होन वाला सौनदयण ह

लककन जहाा परभाववाकदयो क वपरज़म परकवत क सातो रागो की छिा और वभव स वनरनमत

कदखाई दता ह 9आइन म शमशर महज दो रागो क माधयम स परवतवबवमबत होत दख जा

सकत ह कया यह कम बड़ी उपलवदध ह पविमी कला का ववकास9 यरोपीय पनजाणगरण एवा

परभाववाद क बाद इस महतवकााकषा स हआ कक परकवत की अनकवत क बजाय उसकी

पनरणिना की जाय सजाा (1839-1906) क यहाा परकवत की पनरणिना हघनवाकदयो न

परकवत को ववचछद कर ववशलशन करन का काम ककया अवतयथाथणवाकदयो न परकवत क

बाहरी यथाथण को भदकर उसक आातटरक सतय को उद घाटित करन की कोवशश की

दादावादी सवपनो9कदवासवपनो और फा तावसयो की दवनया म नय मील क पतथर ढाढत

रहअमतणनवाकदयो न रप और रागो की अमतण बनावि क सहार परकवत की अपनी वनताात

वनजी वयाखया परसतत कीभववषयवाकदयो न वितर की सामानयत वसथर कला म दश और

काल को अवभवयकत करन का परयास ककया18

शमशर क अवभवयाजनावादी वितर

भारतीय कलाकारो का अवभवयाजनावाद स पटरिय जमणन अवभवयाजनावाकदयो वारारा

हआ19 भारतीय कलाकारो का पविमी कला स पटरिय आरमभ म मलकवतयो क

बजाय परवतकवतयो क माधयम स हआ लककन सनbdquo22 म कलकतता म जमणन

अवभवयाजनावाकदयो की एक परदशणनी आयोवजत हई थीयह भारत म यरोपीय कला क

11

शीषणकहीन

12

गर-अागरज़ उसतादो की मौवलक कलाकवतयो की पहली परदशणनी थी20 अगर

परभाववाकदयो का सासार उललास और आननद का सासार था तो अवभवयाजनावाकदयो की

दवनयाा भय9खौफ़ आताक और ववकवतयो स

भरी हई थीआियण नही कक कलकतता-समह और परगवतशील कलाकार समह क

कलाकारो न बड़ पमान पर अवभवयाजनावादी महावरो को हसतगत करन का परयास

ककया कयोकक य भी अपनी वसथवत9जहाा तक भाव-दशा और सामावजक अलगाव का परशन

ह डरसडन क डाय बरयक और मयवनक क डर दलौ रायिर क समान समझत थ 21

अवभवयाजनावाद कला की एक परववतत भी ह और यरोपीय कला क इवतहास का एक दौर

भीपरववतत क रप म यह आतमवनषठ कला ह जो भावातमक परभाव क वलए ववरपण और

अवतराजना का सहारा लती हयह आधवनक यरोपीय कला की वह परववतत ह जहाा

कलाकार अपनी आातटरक समवदना को अवभवयकत करन क वलए अपराकवतक तीख रागो

और ववरवपत रपाकारो का सहारा लत हयह परववतत वान गो(1853-90) स मानी जाती

रही ह और इस अथण म यह उननीसवी शती क परकतवाद क वखलाफ बगावत भी कही

गईसीवमत अथण म इस जमणन कला-आनदोलन ववशष क रप म भी विवननत ककया जा

सकता ह जो 1905 स लकर 1930 तक सककरय रहा22 शमशर इन वितरो म पराकवतक

रपाकारो को अपनी भावनाओ क अनरप ववरवपत करत कदखाई पड़त ह और

अवभवयाजनावाकदयो की तरह बहद तीख एवा आकरमक रागो क परयोग स भी नही

वहिकतनील9 काल एवा धसर रागो स शमशर यहाा ककसी वसतगत यथाथण को परसतत

नही करत और न ही उस पर आधाटरत कोई अमतण धारणा का वनरपण ही करत जान

पड़त ह बवलक उनका उददशय ह अपनी आतमगत समवदनाओ को अवभवयावजत करना

एडवाडण माख (1863-1944) क वितरो की तरह इनम कलाकार क अातमणन की आवाज ह

और वजसम वाहय रपाकार का कोई महतव नही आियण नही कक अवभवयाजनावाद न

अपना अगला क़दम अमतणन की दवनया म रखा था और इस ओर पहला कदम उठान

वालो म वावसली काबनदसकी (1866-1944) थ वजनहोन न वसफण अमतण अवभवयाजनावादी

कवतयाा रिी (उनकी कवतयाा सागीत की रपाकर समतलय मानी गई ह23)बवलक इसका एक

मकममल सौनदयणशासतर भी रिन का परयास ककया^dyk esa vkkfRedrk oa

^lery esa js[kk vkSj fcanq uked iqLrd esa काबनदसकी us izkd`frd oLrqvksa dks

l`tukRed Lora=rk ds fy ckkd वसदध करत हए यह मत परवतपाकदत ककया कक szlig

रागो व आकारो की ससागवत का आधार मानवीय आतमा स सोददशय समपकण ही हो

सकताहTHORN24

13

शमशर क अमतण वितर

शमशर भी कहत ह9 szlig अमतण का ववधान लन वाली कला खास तौर स हमार मन की

अादरनी सचचाइयो क वजतना वनकि होती ह 9उतना -- उस ढ़ग स-- मतण यानी साफ सीधी

सामन नजर आन वाली सचचाइ नही होती कयोकक हम अपनी भावनाओ म बहत कछ

अपन अनदर का ही जीवन जीत ह

szligसामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही बवलक

अपन अादर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर आन

वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण होता

szligइसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को हमार

सामन लाता ह---रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहावो और गवतयो म --- तो

वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल आता हहम खद अपनी वछपी हई ितनाओ स

अवधक पटरवित कराता हTHORN25

14

वितर साखया एक

keksj ds अवधकााश vमतण fp= vkd`frewydता क परतयकष वनषध स उतपनन ugha

हए gSaSa बवलक व fdlh oLrq- fLFkfr k भाव-n` क ^izR का साकषातकार जान

पड़त हgh otg gS fd muds fp=ksa esa jax vkSj js[kkvksa ds gkeZuh ls d

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बहमाजली इमारत]pkiexcln vkSj kkod frac1455frac12 tSlh d`frksa esa flQZ khkZd

15

वितर साखया दो

gh nkZd dks fdlh izkd`frd oLrq ds izR k vocksk ls tksM+ ldrk gS ugha

rks keksj ds vfkdkak sls fp= gSa ftlesa u dksbZ khkZd gS vkSj u igpkuus

ksX dksbZ izkd`frd oLrq dk vkHkklA कया यह अनमान लगाया जा सकता ह कक

वितर साखया एक का शीषणक ह ^शरोता और दशणक frac1450amp51frac12]और वितर साखया दो का

^शका तला क परी लोक म frac1448amp50frac12इस सनदभण म gcZVZ jhM dk g dFku धयान

दन योगय gS fd9 szligFkkFkZokn vfHkOfDr dk LohdkjkRed i gS ftlesa thou ds

=klnh rRo dks Lohdkj dk Hkko gS ysfdu vewrZu d sls OfDr dh

izfrfOslashk gS tks kwUrk dh ujd ls yM+ jgk gS] g rhoz OFkk dh slh

vfHkOfDr gS tks vkofod fl)kar ij vfookl djrh gS vkSj ekuo eu

dh l`tukRed Lora=rk dks Lohdkj djrh gSATHORN26

भारतीय कला म अवभवयाजनावादी अमतणन क साथ ही साथ

अवतयथाथणवादी दौर भी गजरा रवीनदरनाथ ठाकर क बाद कलकतता समह क हमात वमशर

16

एवा मदरास समह क कसीएस पवनकर तथा कसीपाईन यहाा अवतयथाथणवाद क अगआ

मान जा सकत ह ^अवतयथाथणवाद का आरमभ पटरस म 1924 म हआइसक परथम

घोषणा-पतर म आनदर बरतो न सवपन और यथाथण जस परतीयमानत परसपर-ववरोधी

अवसथाओ को भववषय म अवतयथाथण (सरटरयल) म एकरप हो जान की पटरकलपना की

थीउनक अनसार अवतयथाथणवाद एक परकार क शदध मानवसक सवया-िालन का नाम ह

वजसक माधयम स सोिन की वासतववक परणाली को --सौनदयणशासतरीय व नवतक तथा

बवदध क ककसी वनयातरण स पर वसफण सोि स सािावलत परणाली को अवभवयकत ककया जा

सकता ह 27यह यरोप म फायड क मनोववशलषण का उतथान काल था और कलाकार

यथाथण को अवतकरवमत कर सकन वाल अवितन की वबमब-वनमाणण कषमता स अवभभत

थआियण नही कक इसकी परथम परदशणनी की सिी म पादलो वपकासो9 पाल कली9 मनर9

जयाा आपण9 माकस अनसिण9डी वशटरको जस वितरकार शावमल हए और बाद म िलकर ईव

ताागवी9आनदर माससो9जान मायरो9सालवाडोर डाली जस कलाकारो न इस अपनायायह

यरोपीय कला म9हबणिण रीड क शददो म कह तो ववसमय क पनजीवन की सथापना थी28

शमशर क अवतयथाथणवादी वितर

17

अवतयथाथणवाकदयो न कला म ववसमय क ततव को दो तरह स अरनजत ककया ----- एक

यथाथण को अयथाथण ढ़ग स परसतत कर और दसर अयथाथण को यथाथणवादी अाकन कर

कजहाा पहल क उदाहरण क रप म मायरो9आनदर मााससो की रिनाएा रखी जा सकती ह

वजसम फलो को आाख ह और पड़ो को कान (^जोता हआ खत) ह वही दसरा ढ़ग डाली

एवा ताागवी का ह जहाा जलता हआ वजराफ ह(^जलता वजराफ)9सखन क वलए डाल गय

कपड़ की तरह लिकती हई घवड़याा ह (^समवत का आगरह)9 वववितर ककसम क ककरमतत

एवा जादई वनसपवततयाा ह जो काफकाई सासार क परवतवबमब जान पड़त ह वस अवधकााश

अवतयथाथणवादी कवतयो म इन दोनो शवलयो को वमवशरत ढ़ाग स बरता गया ह

भारतीय वितरकला म अवतयथाथणवाद का ववकास सन सततर क दशक म हआ ववशषकर

जसवात बसह9सलतान अली9अवनल करावजया9इशवर सागरा9जसवामीनाथन9गलाम

शख9गनश पाइन9जोगन िौधरी9 ववकास भटटािायण9एरामिनदरन9भपन खककर की

रिनाओ म लककन शमशर क अवधकााश सरटरयल वितरो की रिना सन अड़तालीस स

लकर िौवन क बीि हई हशमशर आरमभ स ही अवतयथाथणवाद स बहद परभाववत थ

उनहोन एक सथल पर सवया कहा ह szlig योरोप क जो वितरकार थ और जो आनदोलन

अवतयथाथणवाद का वहाा पर िला था 9उसन बहत गहराई स मझको परभाववत ककया

THORN29 एक दसरी जगह भी उनहोन सवीकार ककया ह कक szligयह जो सरटरयवलसि पिसण आत

ह हमार यहाा 9मर कदमाग पर छा जात ह वह हबणिण रीड का जो सरटरयवलसि सागरह ह

9उसम पचचासो जो पलटस ह 9व न मालम ककतनी बार कदमाग स गजरी होगी9घमी

होगी9बसी होगी कदमाग मTHORN30 आियण नही कक शमशर क कावयलोक एवा वितरलोक ---

दोनो म अवतयथाथण वबमबो की इतनी बहलता ह शमशर की रिनाओ म^d

lqfjZfyLV psgjk frac141951frac12] ^d Yacutese vkSj mlds pkjksa vksj frac141950frac12 ^fitM+s

ds vanj rksrk jkuh frac141950frac129 ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129^रकषक

और तोता frac141950frac12 जसी कछ रिनाओ को छोड़कर बाकी अवतयथाथणवादी वितर

शीषणकहीन ह इन वितरो म सीन स खलती हई वखड़ककयाा ह9गलाबी तोत का वबललीनमा

नीलमाहा रकषक ह9खनी बालो वाला भवड़यानमा जानवर ह 9नाक और आाख क

बीिोबीि गालो पर दाात की पावकतयाा ह9बनद गाढ़ गलाबी होठो म परवश को आतर

नागमवण ह और सवपन की कई वसथवतयाा ह वसतत शमशर क य वितर मानव अातमणन क

गहयानधकार क परतीक ह यहाा अगर ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129और

^रकषक और तोता frac141950frac12 पर वविार कर तो bu nksuksa fp=ksa esa ml Mordfkes की

परतीकातमक अवभवयाजना भी कदख सकती gS वजस ukjh ds vga frac14bxksfrac12 oa mldh

okLrfod fLFkfr क chp gksus okys varfoZjksk ls पराय mRiUu मान वलया जाता

हA fiatM+s esa can ikh vkSj mlds ikl [kM+h L=h ds chp dbZ Lrjksa ij हो रह

laokn का अनमान लगाया जा सकता gS jkd vkSj ikh nksuksa dh fufr मानो

18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

mlds ^vfLrRo ls vyx gS vkSj fLFkfr dh foMEcuk g gS9 जसा fd

नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

fuksk dj fnk Fkk blfy vc rks वितरकारो क सामन gh बिा Fkk fd OfDr

ds ckg~ रikdkjksa dk FkkFkZijd vuqdjk ds ctk mlds vkarfjd nqfuk

dks vfHkODr करA YacutekM ds vवpsru fl)kar dk lgkjk ysrs gq fouk esa

YacutekM ds ledkyhu dykdkjksa us ---- vkuZYM lksucxZ] fjpMZ xslZy] bxku

flys us Bhd gh dke fdk Fkk tc os वयवकत-वितर-dyk ds ^izLisfDVo QaDku

ij tksj ns jgs FksA34keksj dgrs gSa szligisafVax esa dqN ugha j[kk gSA eq[ ckr

gS fd tks phtsa vkidks izHkkfor djrh gSa mlds Hkko dks vki vius isafVax esa

ys vkiexcl amp js[kkvksa ds djsDVusl ij dksbZ tksj ughaA eq[ ckr gS Hkko dk

vkuk ml isafVax esaATHORN35 vkSj g Hkko vk dSls fp= esa keksj अपन

xYiamppfj= jkethou क माधयम स यह नसखा परसताववत करत ह szligns[kks g nqfuk

rqEgkjs igpkuus ds fy d vkbuk[kkuk gSA xkSj ls blesa gj rjQ ns[kks]

dampd djA ku tekdjA fgEer vkSj lcz vkSj [kqkh ysdjA ns[kks] bu

vkbuksa ds vanj rqEgkjk viuk i fdlampfdl kDy esa utj vkrk gSA

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rd Hkh tk ldrs gks] tkvks----ATHORN36 कया g Hkkjrh k izkP dykampn`fV gS

वजस wjksih dykampn`fV ls fcYdqy vyx माना गया gSA gSosy us fy[kk ह fd

wjksih dyk vdknfeksa esa Nk=ksas की vuqdjk kfDr fodflr djus ds fy

vkiexcl[k dh cM+h dVnkd izfkkk की वयवसथा gS tcfd izkP dykdkj अपनी

jpukRed kfDr ds vHkl kjk ही vuqdjk kerk vftZr dj लता gSA

20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

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2

szligजीवन की तरह कला भी परतीवत क लयातमक लीला को परसफटित करता हATHORN

szligकला अराजकता स पलायन हTHORN

शमशर क अवधकााश वितरो का रिना-काल सन 1935-52 का कालखाड हभारतीय

वितरकला क इवतहास म यह काल-खाड कई दवियो स महतवपणण ह वजस परकार भारत क

वववभनन भाषाओ क सावहतय म वह दौर सवछननदतावाद(रोमटिवसजम)और यथाथणवाद क

बीि साघषण का दौर था उसी परकार वितर-कला म भी बागाल सकल क राषटरवादी

पनरतथानवादी सौदयणशासतर और कलकतता समह (1942-43) एवा बमबई क परगवतशील

कलाकार समह (परोगरवसव आरटिसि गरप91947) वारारा घोवषत अातराषटरीयतावाद क बीि

भी यह साघषण का काल कहा जा सकता ह

बागाल सकल का समबनध ककसी कालखाड या कषतरीय गवतवववध स न होकर एक शली

ववशष स ह और इस शली की अवधकााश महतवपणण कवतयाा 1895-1947 क बीि रिी

गई1 अवनीदरनाथ ठाकर]अवसतकमार हालदार9समरनदरनाथ गपता9सारदािरण उकील

एवा नादलाल बस क वितर-महावर को यरोवपयन कला क परी-रफलाइि दौर स तलनीय

मानत हए सनील कमार भटटािायण न वलखा ह कक य सभी कलाकार तरल रवखक

लावलतय9राग क सपाि परवतपादन और रिना म ततवो क बलबिदार वितरण का सहारा

लत ह अवनीदरनाथ न तो अपन वितरो म परातन राग दन क वलए जापानी राग-कौशल

को आयात ककया वितर क ववषय मगल-इवतहास स लकर परािीन राजपत राजाओ क

दरबारी वभव9रामायण9 महाभारत और बदध क जातक-कथाओ स वलए गए हइन

कलाकारो को भारतीय कला का परगीत कवव कहा जा सकता ह कयोकक व रागो म

रोमटिक भावनाओ को परवतबबवबत करत ह9उनक रप (फामण) शलीकत ह वजस उनकी

लमबी उागवलयो9मगनयनो और सवाागपणण शारीटरक सारिनाओ क वनरपण म दखा जा

सकता ह 2

fp=dyk ds izpkjampizlkj oa caxky Ldwy dh ekUrkvksa ds fodkl ds fy

vouhUnzukFk Bkdqj ds fkksa us Hkkjr ds fofHkUu ks=ksa esa usampus Ldwy [kksysA

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वितरकला lh[kus ds fy lu~ 1935 esa nkf[kyk fलयाa3 os bl Ldwy esa nks

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3

^lkfgfRdrk dk vlj mudh dqN gh d`frksa esa yfkr fdk tk ldrk gSA

यह सि ह कक बागाल सकल क vfkdkak fp= पनरतथानवाद ls brus cksfgty ह fd

mlesa dykdkj dh futh laosnuk oa mनds vius le dh dksbZ खरोि dks

ltwiexcllt ikuk izk eqfdy gS लककन कया ^ukdampuDkamp2 frac1435frac12] ^HkDdw frac1448frac12]

^lqdsfkuhamp2 frac1448frac12] ^शरीमती साववतरी frac1448frac12s जस बागाल-सकल स परभाववत शमशर क

वितरो क बार म भी यही कहा जा सकता ह कया शमशर क इन वितरोक बार म भी

यह कहा जा सकता ह कक वह रवीदरनाथ ठाकर की रिनाओ का रपाकर परवतरप ह जसा

कक धजणटि परसाद मखजी न बागाल सकल की कवतयो क बार म कहा ह 4

यह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क एक भी वितर पौरावणक ववषयो पर

आधाटरत नही ह बागाल सकल स शमशर न जो सीखा वह ह रखााकन एवा जल रागो को

बरतन का कौशल अपन राषटरवादी उतसाह म बागाल सकल न तलय माधयम का बवहषकार

करत हए लघवितरो क तकनीक एवा जापानी bdquoवाश का पनरदधार ककया था5 अकारण

नही कक लघवितरो स परापत कोमल एवा सनमय रखाएा और वाश तकनीक बागाल सकल की

पहिान बन गई थीननदलाल वस न वलखा ह कक ^^अवनीनदरनाथ क वितरो म रखाएा

अजाता या मगल-फारसी वितरो की तरह सपाि (फलि) या लखााककत (कवलगरकफक ) नही

हउनक वितरो की डराईग बहत कछ ववलायती वितरो जसी परकततवादी(निरवलवसिक

)ह9सादशयमलक (रीपरजिशनल )नहीफलसवरप उनकी रखाएा मलत आकवत का गठन या

नमना (माडबलग) कदखलान क वलए ही ह ठीक मगल-वितरो की तरह6 यही बात

शमशर क रखााकन क बार म भी कमोबश कही जा सकती ह

आननद कमारासवामी न बागाल सकल को9वजस व कलकतता क भारतीय वितरकारो का

आधवनक सकल कहत ह9 राषटरीय पनजाणगरण का एक िरण माना हउनक अनसार जहाा

उननीसवी शती क आरवमभक सधारको का उददशय भारत को इागलड बनाना था वही बाद

क कतताण एक ऐस समाज की सथापना या पनसथाणपना करना िाहत थ वजसम भारतीय

सासकवत क अातरननवहत या अवभवयकत आदशण साास ल सक 7 सपि ही इसकी पटरणवत

^पनरतथानम ही होनी थी रवीनदरनाथ ठाकर(1861-1941) न इस खतर को समझत हए

बड़ी वतकत टिपपणी की ^^जब हम भारतीय कला क नाम पर वपछली पीढ़ी की आदतो

स उपजी कटटरता को बड़ी उदधत आकरामकता स पोसत ह तब हम दफ़न शतावददयो की

राख स वनकाली हई ववलकषणता तल अपनी आतमा का गला घोि रह होत हय जीवन क

पल - पल पटरवरनतत खल क परवत असावकदत ववकत मखाकवतयो वाल मखौिो की तरह

हrdquo8 बागाल सकल क पनरतथानवाद क कि आलोिक वसफण रवीनदरनाथ ही नही थ बवलक

दवदरनाथ ठाकर (1867-1938)] kfeuh jk(1887-1972) vkSj ve`rk ksjfxy (1913-

41)vius-अपन rjhds ls बागाल सकल की सीमाओ को उजागर कर रह थ ve`rk

4

ksjfxy न तो सपि कहा कक बागाल पनरतथान जसा कक नाम म ही वनवहत ह9भारतीय वितरकला म पनजाणगरण

ukdampuDk भकक शरीमती साववतरी

(टरनसाा) ल आन का दावा करता ह लककन समकालीन भारतीय वितरकला म जो आज

वनवषकरयता छाई हई ह उसका वजममवार वही हबागाल सकल की मानयताएा सजनातमक

ितना को का टठत एवा अपाग करन वाली सावबत हई ह9 अमता शरवगल की मतय क बाद

कलकतता क आठ कलाकारो(मरनतकार परदोष दासगपत9 कमला दासगपत एवा वितरकार

वनरोद मजमदार9शभो ठाकर9गोपाल घोष9 पटरतोष सन9रवथन मतरा9 पराण ककशन

पाल) न बागाल सकल क पनरतथानवादी सौदयण-शासतर को वछनन-वभनन करत हए वववधवत

घोषणा-पतर तयार ककया वजसम कहा गया कक9 ldquoकला को अातराषटरीय एवा अनयोनयावशरत

होना िावहए दसर शददो म9 हमलोग कभी भी परगवत नही कर सकत अगर हम हमशा

अपन परिीन गौरव को ही याद करत रह और ककसी भी मलय पर अपनी परमपरा स

विपक रहन को आवशयक समझसासार क उसताद-कलाकारो वारारा वनरनमत कला की

ववपल नयी दवनया जो अनात ववसतार एवा समवदध वलए हए ह9हम इशारा करती हहम

उन सभी का गमभीर अधययन करना होगा9उनकी परशासा करन की कला का ववकास

करना होगा और उसस हम हर वो िीज गरहण करनी होगी वजसस हम अपनी परमपरा

5

एवा आवशयकता क अनसार उवित साशलष कायम कर सक यह हमलोगो क वलए

भकक

6

इसवलए और भी आवशयक ह कयोकक हमारी कला अटठारहवी शती स ठहरी हई ह कला

की दवनया म भारत क बाहर वपछल दो सौ सालो म वशलप और तकनीक क कषतर म

यगाातकारी अववषकार हए ह अत हमलोगो क वलए यह परम आवशयक ह कक पविमी

अववषकारो स फायदा उठात हए अपन इस गवतरोध को दर करrdquo10 यह सोि वसफण

बागाल समह क कलाकारो की ही नही थी बवलक कहा जा सकता ह कक उस वकत की यह

सामानय सोि थी वजस भारतीय पनजाणगरण की ववशषताओ क रप म लवकषत ककया

गया ह कलकतता समह की बमबई म सन 44 एवा45 की परदशणनी स परटरत bdquoपरगवतशील

कलाकार समह‟ की पहली परदशणनी (1949) की वववरनणका म फाावसस नयिन सजा न

वलखा कक ldquoहम म ककसी सकल या कला आनदोलन को पन जागत करन की कोई भी

महतवाकााकषा नही हएक परबल रिनातमक साशलषण तक पहािन क वलए हम मरनतवशलप

और वितरकला की वववभनन शवलयो का अधययन कर िक हrdquo11 यह एक उललखनीय

तथय ह कक परगवतशील कलाकार समह क अवधकााश कलाकार(

सजा9आरा9रज़ा9हसन9गाड9बाकर) आरमभ म वामपाथी थ और शमशर इनही कदनो (45-

46)बमबई म कमयवनसि पािी क कमयन म रहत हए ^नया सावहतय का समपादन कर रह

थया तो शमशर क बमबई परवास म उनक वितर - कला-कमण क बार म कोई सिना नही

वमलती लककन कया इस महज़ सायोग कहा जाय कक जब कषणाजी हावलाजी आरा फलो

और सरो की अपनी जानी-पहिानी दवनया को छोड़ कर ^सनकी लोगो को विवतरत कर

रह थ Bhd blh le keksj ds fp=ampyksd esa ^ikxy dykdkj frac141940frac12]

^fofkIr dfo frac141949frac12] tSlh d`frksa dk izosk हो रहा था धwlj oa xgjs jaxksa

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साकनदरन dkA pkjampdksy ds xgjs dkys jaxksa ds chp esa bu nksuksa jaxksa dks

laksftr dj keksj us d dfoampdykdkj ds vfLrRoxr ruko dks^पागलपन

एवा ^वववकषवपत क रप म9 cM+h dkk ls vfHkOaftr fdk gSA परगवतशील कलाकार

समह का मलययााकन करत हए कलास वमाण न ठीक ही कहा ह कक ^^समकालीन भारतीय

कला को पग की सबस महतवपणण दन यह ह कक उसम कला को राषटरीय दायर स बाहर

वनकाला और पािातय कला की तकनीक एवा अवभवयवकत क समानाातर कला को

अातराणषटरीयतावाद स पणणतया जोड़ कदयाrdquo12 ^कलकतता समह की जो अातराणषटरीयतावादी

आकााकषा थी वह पग यानी ^परगवतशील कलाकार समह म फलीभत हई कला म

अातराणषटरीयतावाद का अथण था परभाववाद9अवभवयाजनावाद9घनवाद9अमतणनवाद और

अवतयथाथणवाद स परभाव गरहण करना और इस दौर क सभी कलाकार अपन-अपन

7

पागल कलाकार ( 2-9-40 ) वववकषपत कवव ( 49-50)

वनजी महावरो की तलाश म पविमी अववषकारो स परवतशरत हो रह थयह ^परवतशरवत

भारतीय कला क ववकास म ककतनी सहायक या बाधक हई9यह एक अलग परशन ह लककन

यह सि ह कक शमशर भी अपन अनय समकालीन वितरकारो की तरह9 पविमी कला क

ककसी आनदोलन या परववतत ववशष स पणणतया एकाकार होन क बजाय ^पविमी

अववषकारोस अपन कला-कौशल को सावारन की कोवशश कर रह थ पविमी कला म

^परभाववाद कई अथो म इतालवी पनजाणगरण क बाद सवाणवधक महतवपणण अववषकार

थापरकवत की पल-पल पटरवरनतत लीला को रागीन परकाश और छाया क कषणभागर खल म

पकड़न का जो कौशल परभाववाकदयो न अरनजत ककए9 व अभतपवण थयह वववाद का मददा

हो सकता ह कक उनकी कवतयाा वजस राग-ववजञान पर आधाटरत ह व ककतनी सही ह या

गलत ह13 लककन इसम कोई दो राय नही कक व दखन की9 अवबोध की वभनन परकवत की

उपज थीपरभाववादी अवबोध को आनणलड हाउजर न जाजण मजसकी क हवाल स या

समझाया ह कक अगर ककसी वसत को सामन रख पद क छोि स छद स दख(जो छद

इतना बड़ा हो कक राग तो कदख लककन इतना भी बड़ा नही कक राग क साथ-साथ वसत स

उसक समबनध भी कदख जाय ) तो जो हम कदखाई दगा वह एक अवनवित9माडराता

8

आभास होगा और यह उस राग-परकवत स वबलकल वभनन होगा जो हम आदतन ककसी

वसत स जोड़कर दखत रह ह

झसी म गागा क ककनार एक तथय-फलक

और इस दवि स9 अवि का राग अपनी दीवपत9रशम का राग अपनी काावत और जल अपनी

पारदरनशता खो दता ह परभाववाकदयो क यहाा राग ककसी वसत का ठोस गण न होकर एक

अमतण9अशरीरी9अभौवतक घिना की तरह परकि होत ह मानो व सवया-म-राग हो14

शमशर क दो ऐस वितर वमलत ह वजसम इस परकार क परभाववादी तकनीक का बखबी

परयोग हआ ह--- ^ झसी म गागा क ककनार एक तथय-फलक frac141952amp1953) और ^आइन

म शमशर frac141950) म राग और परकाश का वही नतरपिलीय पटरणाम कदखाई पड़ता ह

वजस परभाववादी वितरकार अपना लकषय मानत थ

9

vkbus esa keksj frac141950)

वहसपानी वितरकार गोया(1746-1828) का कहना था कक ^^परकवत म रखा कहाा हमझ तो

कवल परकावशत व अपरकावशत आकार कदखाई दत ह----समतल जो वनकि ह और समतल

जो दर ह मझ रखाएा एवा बारीककयाा कदखाई नही दतीम वयवकत क वसर क बालो को

नही वगन सकता9न उसक कोि क बिनो कोमझ जो कदखाई नही दता वह दखन का मरी

किी को कोई अवधकार नहीrdquo15 शमशर क इन दोनो वितरो को दखकर एवारार

मान(1832-83) क उस कथन का याद आता ह जब ककसी वमतर न उनक वयवकतसमहो क

एक वितर को दखकर उनस पछा था कक इस वितर म आपन ककस वयवकत को सवाणवधक

महतव कदया ह तब उनका कहना था कक ^^ककसी भी वितर म सबस परमख वयवकत होता ह

परकाशrdquo16 परकाश की इसी कनदरीयता को रखााककत करत हए हबणि रीड न कहा ह कक

परभाववाद परकवत की परगीतातमकता या उसक रपराग की पणण अवभवयवकत ह9उस

10

सौनदयण क9 जो पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होत ह17 शमशर क इन

वितरो का सौनदयण पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होन वाला सौनदयण ह

लककन जहाा परभाववाकदयो क वपरज़म परकवत क सातो रागो की छिा और वभव स वनरनमत

कदखाई दता ह 9आइन म शमशर महज दो रागो क माधयम स परवतवबवमबत होत दख जा

सकत ह कया यह कम बड़ी उपलवदध ह पविमी कला का ववकास9 यरोपीय पनजाणगरण एवा

परभाववाद क बाद इस महतवकााकषा स हआ कक परकवत की अनकवत क बजाय उसकी

पनरणिना की जाय सजाा (1839-1906) क यहाा परकवत की पनरणिना हघनवाकदयो न

परकवत को ववचछद कर ववशलशन करन का काम ककया अवतयथाथणवाकदयो न परकवत क

बाहरी यथाथण को भदकर उसक आातटरक सतय को उद घाटित करन की कोवशश की

दादावादी सवपनो9कदवासवपनो और फा तावसयो की दवनया म नय मील क पतथर ढाढत

रहअमतणनवाकदयो न रप और रागो की अमतण बनावि क सहार परकवत की अपनी वनताात

वनजी वयाखया परसतत कीभववषयवाकदयो न वितर की सामानयत वसथर कला म दश और

काल को अवभवयकत करन का परयास ककया18

शमशर क अवभवयाजनावादी वितर

भारतीय कलाकारो का अवभवयाजनावाद स पटरिय जमणन अवभवयाजनावाकदयो वारारा

हआ19 भारतीय कलाकारो का पविमी कला स पटरिय आरमभ म मलकवतयो क

बजाय परवतकवतयो क माधयम स हआ लककन सनbdquo22 म कलकतता म जमणन

अवभवयाजनावाकदयो की एक परदशणनी आयोवजत हई थीयह भारत म यरोपीय कला क

11

शीषणकहीन

12

गर-अागरज़ उसतादो की मौवलक कलाकवतयो की पहली परदशणनी थी20 अगर

परभाववाकदयो का सासार उललास और आननद का सासार था तो अवभवयाजनावाकदयो की

दवनयाा भय9खौफ़ आताक और ववकवतयो स

भरी हई थीआियण नही कक कलकतता-समह और परगवतशील कलाकार समह क

कलाकारो न बड़ पमान पर अवभवयाजनावादी महावरो को हसतगत करन का परयास

ककया कयोकक य भी अपनी वसथवत9जहाा तक भाव-दशा और सामावजक अलगाव का परशन

ह डरसडन क डाय बरयक और मयवनक क डर दलौ रायिर क समान समझत थ 21

अवभवयाजनावाद कला की एक परववतत भी ह और यरोपीय कला क इवतहास का एक दौर

भीपरववतत क रप म यह आतमवनषठ कला ह जो भावातमक परभाव क वलए ववरपण और

अवतराजना का सहारा लती हयह आधवनक यरोपीय कला की वह परववतत ह जहाा

कलाकार अपनी आातटरक समवदना को अवभवयकत करन क वलए अपराकवतक तीख रागो

और ववरवपत रपाकारो का सहारा लत हयह परववतत वान गो(1853-90) स मानी जाती

रही ह और इस अथण म यह उननीसवी शती क परकतवाद क वखलाफ बगावत भी कही

गईसीवमत अथण म इस जमणन कला-आनदोलन ववशष क रप म भी विवननत ककया जा

सकता ह जो 1905 स लकर 1930 तक सककरय रहा22 शमशर इन वितरो म पराकवतक

रपाकारो को अपनी भावनाओ क अनरप ववरवपत करत कदखाई पड़त ह और

अवभवयाजनावाकदयो की तरह बहद तीख एवा आकरमक रागो क परयोग स भी नही

वहिकतनील9 काल एवा धसर रागो स शमशर यहाा ककसी वसतगत यथाथण को परसतत

नही करत और न ही उस पर आधाटरत कोई अमतण धारणा का वनरपण ही करत जान

पड़त ह बवलक उनका उददशय ह अपनी आतमगत समवदनाओ को अवभवयावजत करना

एडवाडण माख (1863-1944) क वितरो की तरह इनम कलाकार क अातमणन की आवाज ह

और वजसम वाहय रपाकार का कोई महतव नही आियण नही कक अवभवयाजनावाद न

अपना अगला क़दम अमतणन की दवनया म रखा था और इस ओर पहला कदम उठान

वालो म वावसली काबनदसकी (1866-1944) थ वजनहोन न वसफण अमतण अवभवयाजनावादी

कवतयाा रिी (उनकी कवतयाा सागीत की रपाकर समतलय मानी गई ह23)बवलक इसका एक

मकममल सौनदयणशासतर भी रिन का परयास ककया^dyk esa vkkfRedrk oa

^lery esa js[kk vkSj fcanq uked iqLrd esa काबनदसकी us izkd`frd oLrqvksa dks

l`tukRed Lora=rk ds fy ckkd वसदध करत हए यह मत परवतपाकदत ककया कक szlig

रागो व आकारो की ससागवत का आधार मानवीय आतमा स सोददशय समपकण ही हो

सकताहTHORN24

13

शमशर क अमतण वितर

शमशर भी कहत ह9 szlig अमतण का ववधान लन वाली कला खास तौर स हमार मन की

अादरनी सचचाइयो क वजतना वनकि होती ह 9उतना -- उस ढ़ग स-- मतण यानी साफ सीधी

सामन नजर आन वाली सचचाइ नही होती कयोकक हम अपनी भावनाओ म बहत कछ

अपन अनदर का ही जीवन जीत ह

szligसामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही बवलक

अपन अादर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर आन

वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण होता

szligइसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को हमार

सामन लाता ह---रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहावो और गवतयो म --- तो

वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल आता हहम खद अपनी वछपी हई ितनाओ स

अवधक पटरवित कराता हTHORN25

14

वितर साखया एक

keksj ds अवधकााश vमतण fp= vkd`frewydता क परतयकष वनषध स उतपनन ugha

हए gSaSa बवलक व fdlh oLrq- fLFkfr k भाव-n` क ^izR का साकषातकार जान

पड़त हgh otg gS fd muds fp=ksa esa jax vkSj js[kkvksa ds gkeZuh ls d

slk अवकाश mHkjrk fn[kkbZ nsrk gS tks Loa esa d lanHkZ gksrk gS] fdlh izkd`frd vkd`fr dk izfrikRed fp= ughaA ^iwtk dk d laHko

js[kkxfkrfrac141950frac12] ^d vkiexcllw की vxokuh esa frac141951frac12] ^dksaiy vkSj dfykiexcl ]

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बहमाजली इमारत]pkiexcln vkSj kkod frac1455frac12 tSlh d`frksa esa flQZ khkZd

15

वितर साखया दो

gh nkZd dks fdlh izkd`frd oLrq ds izR k vocksk ls tksM+ ldrk gS ugha

rks keksj ds vfkdkak sls fp= gSa ftlesa u dksbZ khkZd gS vkSj u igpkuus

ksX dksbZ izkd`frd oLrq dk vkHkklA कया यह अनमान लगाया जा सकता ह कक

वितर साखया एक का शीषणक ह ^शरोता और दशणक frac1450amp51frac12]और वितर साखया दो का

^शका तला क परी लोक म frac1448amp50frac12इस सनदभण म gcZVZ jhM dk g dFku धयान

दन योगय gS fd9 szligFkkFkZokn vfHkOfDr dk LohdkjkRed i gS ftlesa thou ds

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vfHkOfDr gS tks vkofod fl)kar ij vfookl djrh gS vkSj ekuo eu

dh l`tukRed Lora=rk dks Lohdkj djrh gSATHORN26

भारतीय कला म अवभवयाजनावादी अमतणन क साथ ही साथ

अवतयथाथणवादी दौर भी गजरा रवीनदरनाथ ठाकर क बाद कलकतता समह क हमात वमशर

16

एवा मदरास समह क कसीएस पवनकर तथा कसीपाईन यहाा अवतयथाथणवाद क अगआ

मान जा सकत ह ^अवतयथाथणवाद का आरमभ पटरस म 1924 म हआइसक परथम

घोषणा-पतर म आनदर बरतो न सवपन और यथाथण जस परतीयमानत परसपर-ववरोधी

अवसथाओ को भववषय म अवतयथाथण (सरटरयल) म एकरप हो जान की पटरकलपना की

थीउनक अनसार अवतयथाथणवाद एक परकार क शदध मानवसक सवया-िालन का नाम ह

वजसक माधयम स सोिन की वासतववक परणाली को --सौनदयणशासतरीय व नवतक तथा

बवदध क ककसी वनयातरण स पर वसफण सोि स सािावलत परणाली को अवभवयकत ककया जा

सकता ह 27यह यरोप म फायड क मनोववशलषण का उतथान काल था और कलाकार

यथाथण को अवतकरवमत कर सकन वाल अवितन की वबमब-वनमाणण कषमता स अवभभत

थआियण नही कक इसकी परथम परदशणनी की सिी म पादलो वपकासो9 पाल कली9 मनर9

जयाा आपण9 माकस अनसिण9डी वशटरको जस वितरकार शावमल हए और बाद म िलकर ईव

ताागवी9आनदर माससो9जान मायरो9सालवाडोर डाली जस कलाकारो न इस अपनायायह

यरोपीय कला म9हबणिण रीड क शददो म कह तो ववसमय क पनजीवन की सथापना थी28

शमशर क अवतयथाथणवादी वितर

17

अवतयथाथणवाकदयो न कला म ववसमय क ततव को दो तरह स अरनजत ककया ----- एक

यथाथण को अयथाथण ढ़ग स परसतत कर और दसर अयथाथण को यथाथणवादी अाकन कर

कजहाा पहल क उदाहरण क रप म मायरो9आनदर मााससो की रिनाएा रखी जा सकती ह

वजसम फलो को आाख ह और पड़ो को कान (^जोता हआ खत) ह वही दसरा ढ़ग डाली

एवा ताागवी का ह जहाा जलता हआ वजराफ ह(^जलता वजराफ)9सखन क वलए डाल गय

कपड़ की तरह लिकती हई घवड़याा ह (^समवत का आगरह)9 वववितर ककसम क ककरमतत

एवा जादई वनसपवततयाा ह जो काफकाई सासार क परवतवबमब जान पड़त ह वस अवधकााश

अवतयथाथणवादी कवतयो म इन दोनो शवलयो को वमवशरत ढ़ाग स बरता गया ह

भारतीय वितरकला म अवतयथाथणवाद का ववकास सन सततर क दशक म हआ ववशषकर

जसवात बसह9सलतान अली9अवनल करावजया9इशवर सागरा9जसवामीनाथन9गलाम

शख9गनश पाइन9जोगन िौधरी9 ववकास भटटािायण9एरामिनदरन9भपन खककर की

रिनाओ म लककन शमशर क अवधकााश सरटरयल वितरो की रिना सन अड़तालीस स

लकर िौवन क बीि हई हशमशर आरमभ स ही अवतयथाथणवाद स बहद परभाववत थ

उनहोन एक सथल पर सवया कहा ह szlig योरोप क जो वितरकार थ और जो आनदोलन

अवतयथाथणवाद का वहाा पर िला था 9उसन बहत गहराई स मझको परभाववत ककया

THORN29 एक दसरी जगह भी उनहोन सवीकार ककया ह कक szligयह जो सरटरयवलसि पिसण आत

ह हमार यहाा 9मर कदमाग पर छा जात ह वह हबणिण रीड का जो सरटरयवलसि सागरह ह

9उसम पचचासो जो पलटस ह 9व न मालम ककतनी बार कदमाग स गजरी होगी9घमी

होगी9बसी होगी कदमाग मTHORN30 आियण नही कक शमशर क कावयलोक एवा वितरलोक ---

दोनो म अवतयथाथण वबमबो की इतनी बहलता ह शमशर की रिनाओ म^d

lqfjZfyLV psgjk frac141951frac12] ^d Yacutese vkSj mlds pkjksa vksj frac141950frac12 ^fitM+s

ds vanj rksrk jkuh frac141950frac129 ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129^रकषक

और तोता frac141950frac12 जसी कछ रिनाओ को छोड़कर बाकी अवतयथाथणवादी वितर

शीषणकहीन ह इन वितरो म सीन स खलती हई वखड़ककयाा ह9गलाबी तोत का वबललीनमा

नीलमाहा रकषक ह9खनी बालो वाला भवड़यानमा जानवर ह 9नाक और आाख क

बीिोबीि गालो पर दाात की पावकतयाा ह9बनद गाढ़ गलाबी होठो म परवश को आतर

नागमवण ह और सवपन की कई वसथवतयाा ह वसतत शमशर क य वितर मानव अातमणन क

गहयानधकार क परतीक ह यहाा अगर ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129और

^रकषक और तोता frac141950frac12 पर वविार कर तो bu nksuksa fp=ksa esa ml Mordfkes की

परतीकातमक अवभवयाजना भी कदख सकती gS वजस ukjh ds vga frac14bxksfrac12 oa mldh

okLrfod fLFkfr क chp gksus okys varfoZjksk ls पराय mRiUu मान वलया जाता

हA fiatM+s esa can ikh vkSj mlds ikl [kM+h L=h ds chp dbZ Lrjksa ij हो रह

laokn का अनमान लगाया जा सकता gS jkd vkSj ikh nksuksa dh fufr मानो

18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

mlds ^vfLrRo ls vyx gS vkSj fLFkfr dh foMEcuk g gS9 जसा fd

नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

fuksk dj fnk Fkk blfy vc rks वितरकारो क सामन gh बिा Fkk fd OfDr

ds ckg~ रikdkjksa dk FkkFkZijd vuqdjk ds ctk mlds vkarfjd nqfuk

dks vfHkODr करA YacutekM ds vवpsru fl)kar dk lgkjk ysrs gq fouk esa

YacutekM ds ledkyhu dykdkjksa us ---- vkuZYM lksucxZ] fjpMZ xslZy] bxku

flys us Bhd gh dke fdk Fkk tc os वयवकत-वितर-dyk ds ^izLisfDVo QaDku

ij tksj ns jgs FksA34keksj dgrs gSa szligisafVax esa dqN ugha j[kk gSA eq[ ckr

gS fd tks phtsa vkidks izHkkfor djrh gSa mlds Hkko dks vki vius isafVax esa

ys vkiexcl amp js[kkvksa ds djsDVusl ij dksbZ tksj ughaA eq[ ckr gS Hkko dk

vkuk ml isafVax esaATHORN35 vkSj g Hkko vk dSls fp= esa keksj अपन

xYiamppfj= jkethou क माधयम स यह नसखा परसताववत करत ह szligns[kks g nqfuk

rqEgkjs igpkuus ds fy d vkbuk[kkuk gSA xkSj ls blesa gj rjQ ns[kks]

dampd djA ku tekdjA fgEer vkSj lcz vkSj [kqkh ysdjA ns[kks] bu

vkbuksa ds vanj rqEgkjk viuk i fdlampfdl kDy esa utj vkrk gSA

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वजस wjksih dykampn`fV ls fcYdqy vyx माना गया gSA gSosy us fy[kk ह fd

wjksih dyk vdknfeksa esa Nk=ksas की vuqdjk kfDr fodflr djus ds fy

vkiexcl[k dh cM+h dVnkd izfkkk की वयवसथा gS tcfd izkP dykdkj अपनी

jpukRed kfDr ds vHkl kjk ही vuqdjk kerk vftZr dj लता gSA

20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

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3

^lkfgfRdrk dk vlj mudh dqN gh d`frksa esa yfkr fdk tk ldrk gSA

यह सि ह कक बागाल सकल क vfkdkak fp= पनरतथानवाद ls brus cksfgty ह fd

mlesa dykdkj dh futh laosnuk oa mनds vius le dh dksbZ खरोि dks

ltwiexcllt ikuk izk eqfdy gS लककन कया ^ukdampuDkamp2 frac1435frac12] ^HkDdw frac1448frac12]

^lqdsfkuhamp2 frac1448frac12] ^शरीमती साववतरी frac1448frac12s जस बागाल-सकल स परभाववत शमशर क

वितरो क बार म भी यही कहा जा सकता ह कया शमशर क इन वितरोक बार म भी

यह कहा जा सकता ह कक वह रवीदरनाथ ठाकर की रिनाओ का रपाकर परवतरप ह जसा

कक धजणटि परसाद मखजी न बागाल सकल की कवतयो क बार म कहा ह 4

यह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क एक भी वितर पौरावणक ववषयो पर

आधाटरत नही ह बागाल सकल स शमशर न जो सीखा वह ह रखााकन एवा जल रागो को

बरतन का कौशल अपन राषटरवादी उतसाह म बागाल सकल न तलय माधयम का बवहषकार

करत हए लघवितरो क तकनीक एवा जापानी bdquoवाश का पनरदधार ककया था5 अकारण

नही कक लघवितरो स परापत कोमल एवा सनमय रखाएा और वाश तकनीक बागाल सकल की

पहिान बन गई थीननदलाल वस न वलखा ह कक ^^अवनीनदरनाथ क वितरो म रखाएा

अजाता या मगल-फारसी वितरो की तरह सपाि (फलि) या लखााककत (कवलगरकफक ) नही

हउनक वितरो की डराईग बहत कछ ववलायती वितरो जसी परकततवादी(निरवलवसिक

)ह9सादशयमलक (रीपरजिशनल )नहीफलसवरप उनकी रखाएा मलत आकवत का गठन या

नमना (माडबलग) कदखलान क वलए ही ह ठीक मगल-वितरो की तरह6 यही बात

शमशर क रखााकन क बार म भी कमोबश कही जा सकती ह

आननद कमारासवामी न बागाल सकल को9वजस व कलकतता क भारतीय वितरकारो का

आधवनक सकल कहत ह9 राषटरीय पनजाणगरण का एक िरण माना हउनक अनसार जहाा

उननीसवी शती क आरवमभक सधारको का उददशय भारत को इागलड बनाना था वही बाद

क कतताण एक ऐस समाज की सथापना या पनसथाणपना करना िाहत थ वजसम भारतीय

सासकवत क अातरननवहत या अवभवयकत आदशण साास ल सक 7 सपि ही इसकी पटरणवत

^पनरतथानम ही होनी थी रवीनदरनाथ ठाकर(1861-1941) न इस खतर को समझत हए

बड़ी वतकत टिपपणी की ^^जब हम भारतीय कला क नाम पर वपछली पीढ़ी की आदतो

स उपजी कटटरता को बड़ी उदधत आकरामकता स पोसत ह तब हम दफ़न शतावददयो की

राख स वनकाली हई ववलकषणता तल अपनी आतमा का गला घोि रह होत हय जीवन क

पल - पल पटरवरनतत खल क परवत असावकदत ववकत मखाकवतयो वाल मखौिो की तरह

हrdquo8 बागाल सकल क पनरतथानवाद क कि आलोिक वसफण रवीनदरनाथ ही नही थ बवलक

दवदरनाथ ठाकर (1867-1938)] kfeuh jk(1887-1972) vkSj ve`rk ksjfxy (1913-

41)vius-अपन rjhds ls बागाल सकल की सीमाओ को उजागर कर रह थ ve`rk

4

ksjfxy न तो सपि कहा कक बागाल पनरतथान जसा कक नाम म ही वनवहत ह9भारतीय वितरकला म पनजाणगरण

ukdampuDk भकक शरीमती साववतरी

(टरनसाा) ल आन का दावा करता ह लककन समकालीन भारतीय वितरकला म जो आज

वनवषकरयता छाई हई ह उसका वजममवार वही हबागाल सकल की मानयताएा सजनातमक

ितना को का टठत एवा अपाग करन वाली सावबत हई ह9 अमता शरवगल की मतय क बाद

कलकतता क आठ कलाकारो(मरनतकार परदोष दासगपत9 कमला दासगपत एवा वितरकार

वनरोद मजमदार9शभो ठाकर9गोपाल घोष9 पटरतोष सन9रवथन मतरा9 पराण ककशन

पाल) न बागाल सकल क पनरतथानवादी सौदयण-शासतर को वछनन-वभनन करत हए वववधवत

घोषणा-पतर तयार ककया वजसम कहा गया कक9 ldquoकला को अातराषटरीय एवा अनयोनयावशरत

होना िावहए दसर शददो म9 हमलोग कभी भी परगवत नही कर सकत अगर हम हमशा

अपन परिीन गौरव को ही याद करत रह और ककसी भी मलय पर अपनी परमपरा स

विपक रहन को आवशयक समझसासार क उसताद-कलाकारो वारारा वनरनमत कला की

ववपल नयी दवनया जो अनात ववसतार एवा समवदध वलए हए ह9हम इशारा करती हहम

उन सभी का गमभीर अधययन करना होगा9उनकी परशासा करन की कला का ववकास

करना होगा और उसस हम हर वो िीज गरहण करनी होगी वजसस हम अपनी परमपरा

5

एवा आवशयकता क अनसार उवित साशलष कायम कर सक यह हमलोगो क वलए

भकक

6

इसवलए और भी आवशयक ह कयोकक हमारी कला अटठारहवी शती स ठहरी हई ह कला

की दवनया म भारत क बाहर वपछल दो सौ सालो म वशलप और तकनीक क कषतर म

यगाातकारी अववषकार हए ह अत हमलोगो क वलए यह परम आवशयक ह कक पविमी

अववषकारो स फायदा उठात हए अपन इस गवतरोध को दर करrdquo10 यह सोि वसफण

बागाल समह क कलाकारो की ही नही थी बवलक कहा जा सकता ह कक उस वकत की यह

सामानय सोि थी वजस भारतीय पनजाणगरण की ववशषताओ क रप म लवकषत ककया

गया ह कलकतता समह की बमबई म सन 44 एवा45 की परदशणनी स परटरत bdquoपरगवतशील

कलाकार समह‟ की पहली परदशणनी (1949) की वववरनणका म फाावसस नयिन सजा न

वलखा कक ldquoहम म ककसी सकल या कला आनदोलन को पन जागत करन की कोई भी

महतवाकााकषा नही हएक परबल रिनातमक साशलषण तक पहािन क वलए हम मरनतवशलप

और वितरकला की वववभनन शवलयो का अधययन कर िक हrdquo11 यह एक उललखनीय

तथय ह कक परगवतशील कलाकार समह क अवधकााश कलाकार(

सजा9आरा9रज़ा9हसन9गाड9बाकर) आरमभ म वामपाथी थ और शमशर इनही कदनो (45-

46)बमबई म कमयवनसि पािी क कमयन म रहत हए ^नया सावहतय का समपादन कर रह

थया तो शमशर क बमबई परवास म उनक वितर - कला-कमण क बार म कोई सिना नही

वमलती लककन कया इस महज़ सायोग कहा जाय कक जब कषणाजी हावलाजी आरा फलो

और सरो की अपनी जानी-पहिानी दवनया को छोड़ कर ^सनकी लोगो को विवतरत कर

रह थ Bhd blh le keksj ds fp=ampyksd esa ^ikxy dykdkj frac141940frac12]

^fofkIr dfo frac141949frac12] tSlh d`frksa dk izosk हो रहा था धwlj oa xgjs jaxksa

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साकनदरन dkA pkjampdksy ds xgjs dkys jaxksa ds chp esa bu nksuksa jaxksa dks

laksftr dj keksj us d dfoampdykdkj ds vfLrRoxr ruko dks^पागलपन

एवा ^वववकषवपत क रप म9 cM+h dkk ls vfHkOaftr fdk gSA परगवतशील कलाकार

समह का मलययााकन करत हए कलास वमाण न ठीक ही कहा ह कक ^^समकालीन भारतीय

कला को पग की सबस महतवपणण दन यह ह कक उसम कला को राषटरीय दायर स बाहर

वनकाला और पािातय कला की तकनीक एवा अवभवयवकत क समानाातर कला को

अातराणषटरीयतावाद स पणणतया जोड़ कदयाrdquo12 ^कलकतता समह की जो अातराणषटरीयतावादी

आकााकषा थी वह पग यानी ^परगवतशील कलाकार समह म फलीभत हई कला म

अातराणषटरीयतावाद का अथण था परभाववाद9अवभवयाजनावाद9घनवाद9अमतणनवाद और

अवतयथाथणवाद स परभाव गरहण करना और इस दौर क सभी कलाकार अपन-अपन

7

पागल कलाकार ( 2-9-40 ) वववकषपत कवव ( 49-50)

वनजी महावरो की तलाश म पविमी अववषकारो स परवतशरत हो रह थयह ^परवतशरवत

भारतीय कला क ववकास म ककतनी सहायक या बाधक हई9यह एक अलग परशन ह लककन

यह सि ह कक शमशर भी अपन अनय समकालीन वितरकारो की तरह9 पविमी कला क

ककसी आनदोलन या परववतत ववशष स पणणतया एकाकार होन क बजाय ^पविमी

अववषकारोस अपन कला-कौशल को सावारन की कोवशश कर रह थ पविमी कला म

^परभाववाद कई अथो म इतालवी पनजाणगरण क बाद सवाणवधक महतवपणण अववषकार

थापरकवत की पल-पल पटरवरनतत लीला को रागीन परकाश और छाया क कषणभागर खल म

पकड़न का जो कौशल परभाववाकदयो न अरनजत ककए9 व अभतपवण थयह वववाद का मददा

हो सकता ह कक उनकी कवतयाा वजस राग-ववजञान पर आधाटरत ह व ककतनी सही ह या

गलत ह13 लककन इसम कोई दो राय नही कक व दखन की9 अवबोध की वभनन परकवत की

उपज थीपरभाववादी अवबोध को आनणलड हाउजर न जाजण मजसकी क हवाल स या

समझाया ह कक अगर ककसी वसत को सामन रख पद क छोि स छद स दख(जो छद

इतना बड़ा हो कक राग तो कदख लककन इतना भी बड़ा नही कक राग क साथ-साथ वसत स

उसक समबनध भी कदख जाय ) तो जो हम कदखाई दगा वह एक अवनवित9माडराता

8

आभास होगा और यह उस राग-परकवत स वबलकल वभनन होगा जो हम आदतन ककसी

वसत स जोड़कर दखत रह ह

झसी म गागा क ककनार एक तथय-फलक

और इस दवि स9 अवि का राग अपनी दीवपत9रशम का राग अपनी काावत और जल अपनी

पारदरनशता खो दता ह परभाववाकदयो क यहाा राग ककसी वसत का ठोस गण न होकर एक

अमतण9अशरीरी9अभौवतक घिना की तरह परकि होत ह मानो व सवया-म-राग हो14

शमशर क दो ऐस वितर वमलत ह वजसम इस परकार क परभाववादी तकनीक का बखबी

परयोग हआ ह--- ^ झसी म गागा क ककनार एक तथय-फलक frac141952amp1953) और ^आइन

म शमशर frac141950) म राग और परकाश का वही नतरपिलीय पटरणाम कदखाई पड़ता ह

वजस परभाववादी वितरकार अपना लकषय मानत थ

9

vkbus esa keksj frac141950)

वहसपानी वितरकार गोया(1746-1828) का कहना था कक ^^परकवत म रखा कहाा हमझ तो

कवल परकावशत व अपरकावशत आकार कदखाई दत ह----समतल जो वनकि ह और समतल

जो दर ह मझ रखाएा एवा बारीककयाा कदखाई नही दतीम वयवकत क वसर क बालो को

नही वगन सकता9न उसक कोि क बिनो कोमझ जो कदखाई नही दता वह दखन का मरी

किी को कोई अवधकार नहीrdquo15 शमशर क इन दोनो वितरो को दखकर एवारार

मान(1832-83) क उस कथन का याद आता ह जब ककसी वमतर न उनक वयवकतसमहो क

एक वितर को दखकर उनस पछा था कक इस वितर म आपन ककस वयवकत को सवाणवधक

महतव कदया ह तब उनका कहना था कक ^^ककसी भी वितर म सबस परमख वयवकत होता ह

परकाशrdquo16 परकाश की इसी कनदरीयता को रखााककत करत हए हबणि रीड न कहा ह कक

परभाववाद परकवत की परगीतातमकता या उसक रपराग की पणण अवभवयवकत ह9उस

10

सौनदयण क9 जो पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होत ह17 शमशर क इन

वितरो का सौनदयण पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होन वाला सौनदयण ह

लककन जहाा परभाववाकदयो क वपरज़म परकवत क सातो रागो की छिा और वभव स वनरनमत

कदखाई दता ह 9आइन म शमशर महज दो रागो क माधयम स परवतवबवमबत होत दख जा

सकत ह कया यह कम बड़ी उपलवदध ह पविमी कला का ववकास9 यरोपीय पनजाणगरण एवा

परभाववाद क बाद इस महतवकााकषा स हआ कक परकवत की अनकवत क बजाय उसकी

पनरणिना की जाय सजाा (1839-1906) क यहाा परकवत की पनरणिना हघनवाकदयो न

परकवत को ववचछद कर ववशलशन करन का काम ककया अवतयथाथणवाकदयो न परकवत क

बाहरी यथाथण को भदकर उसक आातटरक सतय को उद घाटित करन की कोवशश की

दादावादी सवपनो9कदवासवपनो और फा तावसयो की दवनया म नय मील क पतथर ढाढत

रहअमतणनवाकदयो न रप और रागो की अमतण बनावि क सहार परकवत की अपनी वनताात

वनजी वयाखया परसतत कीभववषयवाकदयो न वितर की सामानयत वसथर कला म दश और

काल को अवभवयकत करन का परयास ककया18

शमशर क अवभवयाजनावादी वितर

भारतीय कलाकारो का अवभवयाजनावाद स पटरिय जमणन अवभवयाजनावाकदयो वारारा

हआ19 भारतीय कलाकारो का पविमी कला स पटरिय आरमभ म मलकवतयो क

बजाय परवतकवतयो क माधयम स हआ लककन सनbdquo22 म कलकतता म जमणन

अवभवयाजनावाकदयो की एक परदशणनी आयोवजत हई थीयह भारत म यरोपीय कला क

11

शीषणकहीन

12

गर-अागरज़ उसतादो की मौवलक कलाकवतयो की पहली परदशणनी थी20 अगर

परभाववाकदयो का सासार उललास और आननद का सासार था तो अवभवयाजनावाकदयो की

दवनयाा भय9खौफ़ आताक और ववकवतयो स

भरी हई थीआियण नही कक कलकतता-समह और परगवतशील कलाकार समह क

कलाकारो न बड़ पमान पर अवभवयाजनावादी महावरो को हसतगत करन का परयास

ककया कयोकक य भी अपनी वसथवत9जहाा तक भाव-दशा और सामावजक अलगाव का परशन

ह डरसडन क डाय बरयक और मयवनक क डर दलौ रायिर क समान समझत थ 21

अवभवयाजनावाद कला की एक परववतत भी ह और यरोपीय कला क इवतहास का एक दौर

भीपरववतत क रप म यह आतमवनषठ कला ह जो भावातमक परभाव क वलए ववरपण और

अवतराजना का सहारा लती हयह आधवनक यरोपीय कला की वह परववतत ह जहाा

कलाकार अपनी आातटरक समवदना को अवभवयकत करन क वलए अपराकवतक तीख रागो

और ववरवपत रपाकारो का सहारा लत हयह परववतत वान गो(1853-90) स मानी जाती

रही ह और इस अथण म यह उननीसवी शती क परकतवाद क वखलाफ बगावत भी कही

गईसीवमत अथण म इस जमणन कला-आनदोलन ववशष क रप म भी विवननत ककया जा

सकता ह जो 1905 स लकर 1930 तक सककरय रहा22 शमशर इन वितरो म पराकवतक

रपाकारो को अपनी भावनाओ क अनरप ववरवपत करत कदखाई पड़त ह और

अवभवयाजनावाकदयो की तरह बहद तीख एवा आकरमक रागो क परयोग स भी नही

वहिकतनील9 काल एवा धसर रागो स शमशर यहाा ककसी वसतगत यथाथण को परसतत

नही करत और न ही उस पर आधाटरत कोई अमतण धारणा का वनरपण ही करत जान

पड़त ह बवलक उनका उददशय ह अपनी आतमगत समवदनाओ को अवभवयावजत करना

एडवाडण माख (1863-1944) क वितरो की तरह इनम कलाकार क अातमणन की आवाज ह

और वजसम वाहय रपाकार का कोई महतव नही आियण नही कक अवभवयाजनावाद न

अपना अगला क़दम अमतणन की दवनया म रखा था और इस ओर पहला कदम उठान

वालो म वावसली काबनदसकी (1866-1944) थ वजनहोन न वसफण अमतण अवभवयाजनावादी

कवतयाा रिी (उनकी कवतयाा सागीत की रपाकर समतलय मानी गई ह23)बवलक इसका एक

मकममल सौनदयणशासतर भी रिन का परयास ककया^dyk esa vkkfRedrk oa

^lery esa js[kk vkSj fcanq uked iqLrd esa काबनदसकी us izkd`frd oLrqvksa dks

l`tukRed Lora=rk ds fy ckkd वसदध करत हए यह मत परवतपाकदत ककया कक szlig

रागो व आकारो की ससागवत का आधार मानवीय आतमा स सोददशय समपकण ही हो

सकताहTHORN24

13

शमशर क अमतण वितर

शमशर भी कहत ह9 szlig अमतण का ववधान लन वाली कला खास तौर स हमार मन की

अादरनी सचचाइयो क वजतना वनकि होती ह 9उतना -- उस ढ़ग स-- मतण यानी साफ सीधी

सामन नजर आन वाली सचचाइ नही होती कयोकक हम अपनी भावनाओ म बहत कछ

अपन अनदर का ही जीवन जीत ह

szligसामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही बवलक

अपन अादर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर आन

वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण होता

szligइसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को हमार

सामन लाता ह---रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहावो और गवतयो म --- तो

वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल आता हहम खद अपनी वछपी हई ितनाओ स

अवधक पटरवित कराता हTHORN25

14

वितर साखया एक

keksj ds अवधकााश vमतण fp= vkd`frewydता क परतयकष वनषध स उतपनन ugha

हए gSaSa बवलक व fdlh oLrq- fLFkfr k भाव-n` क ^izR का साकषातकार जान

पड़त हgh otg gS fd muds fp=ksa esa jax vkSj js[kkvksa ds gkeZuh ls d

slk अवकाश mHkjrk fn[kkbZ nsrk gS tks Loa esa d lanHkZ gksrk gS] fdlh izkd`frd vkd`fr dk izfrikRed fp= ughaA ^iwtk dk d laHko

js[kkxfkrfrac141950frac12] ^d vkiexcllw की vxokuh esa frac141951frac12] ^dksaiy vkSj dfykiexcl ]

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बहमाजली इमारत]pkiexcln vkSj kkod frac1455frac12 tSlh d`frksa esa flQZ khkZd

15

वितर साखया दो

gh nkZd dks fdlh izkd`frd oLrq ds izR k vocksk ls tksM+ ldrk gS ugha

rks keksj ds vfkdkak sls fp= gSa ftlesa u dksbZ khkZd gS vkSj u igpkuus

ksX dksbZ izkd`frd oLrq dk vkHkklA कया यह अनमान लगाया जा सकता ह कक

वितर साखया एक का शीषणक ह ^शरोता और दशणक frac1450amp51frac12]और वितर साखया दो का

^शका तला क परी लोक म frac1448amp50frac12इस सनदभण म gcZVZ jhM dk g dFku धयान

दन योगय gS fd9 szligFkkFkZokn vfHkOfDr dk LohdkjkRed i gS ftlesa thou ds

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vfHkOfDr gS tks vkofod fl)kar ij vfookl djrh gS vkSj ekuo eu

dh l`tukRed Lora=rk dks Lohdkj djrh gSATHORN26

भारतीय कला म अवभवयाजनावादी अमतणन क साथ ही साथ

अवतयथाथणवादी दौर भी गजरा रवीनदरनाथ ठाकर क बाद कलकतता समह क हमात वमशर

16

एवा मदरास समह क कसीएस पवनकर तथा कसीपाईन यहाा अवतयथाथणवाद क अगआ

मान जा सकत ह ^अवतयथाथणवाद का आरमभ पटरस म 1924 म हआइसक परथम

घोषणा-पतर म आनदर बरतो न सवपन और यथाथण जस परतीयमानत परसपर-ववरोधी

अवसथाओ को भववषय म अवतयथाथण (सरटरयल) म एकरप हो जान की पटरकलपना की

थीउनक अनसार अवतयथाथणवाद एक परकार क शदध मानवसक सवया-िालन का नाम ह

वजसक माधयम स सोिन की वासतववक परणाली को --सौनदयणशासतरीय व नवतक तथा

बवदध क ककसी वनयातरण स पर वसफण सोि स सािावलत परणाली को अवभवयकत ककया जा

सकता ह 27यह यरोप म फायड क मनोववशलषण का उतथान काल था और कलाकार

यथाथण को अवतकरवमत कर सकन वाल अवितन की वबमब-वनमाणण कषमता स अवभभत

थआियण नही कक इसकी परथम परदशणनी की सिी म पादलो वपकासो9 पाल कली9 मनर9

जयाा आपण9 माकस अनसिण9डी वशटरको जस वितरकार शावमल हए और बाद म िलकर ईव

ताागवी9आनदर माससो9जान मायरो9सालवाडोर डाली जस कलाकारो न इस अपनायायह

यरोपीय कला म9हबणिण रीड क शददो म कह तो ववसमय क पनजीवन की सथापना थी28

शमशर क अवतयथाथणवादी वितर

17

अवतयथाथणवाकदयो न कला म ववसमय क ततव को दो तरह स अरनजत ककया ----- एक

यथाथण को अयथाथण ढ़ग स परसतत कर और दसर अयथाथण को यथाथणवादी अाकन कर

कजहाा पहल क उदाहरण क रप म मायरो9आनदर मााससो की रिनाएा रखी जा सकती ह

वजसम फलो को आाख ह और पड़ो को कान (^जोता हआ खत) ह वही दसरा ढ़ग डाली

एवा ताागवी का ह जहाा जलता हआ वजराफ ह(^जलता वजराफ)9सखन क वलए डाल गय

कपड़ की तरह लिकती हई घवड़याा ह (^समवत का आगरह)9 वववितर ककसम क ककरमतत

एवा जादई वनसपवततयाा ह जो काफकाई सासार क परवतवबमब जान पड़त ह वस अवधकााश

अवतयथाथणवादी कवतयो म इन दोनो शवलयो को वमवशरत ढ़ाग स बरता गया ह

भारतीय वितरकला म अवतयथाथणवाद का ववकास सन सततर क दशक म हआ ववशषकर

जसवात बसह9सलतान अली9अवनल करावजया9इशवर सागरा9जसवामीनाथन9गलाम

शख9गनश पाइन9जोगन िौधरी9 ववकास भटटािायण9एरामिनदरन9भपन खककर की

रिनाओ म लककन शमशर क अवधकााश सरटरयल वितरो की रिना सन अड़तालीस स

लकर िौवन क बीि हई हशमशर आरमभ स ही अवतयथाथणवाद स बहद परभाववत थ

उनहोन एक सथल पर सवया कहा ह szlig योरोप क जो वितरकार थ और जो आनदोलन

अवतयथाथणवाद का वहाा पर िला था 9उसन बहत गहराई स मझको परभाववत ककया

THORN29 एक दसरी जगह भी उनहोन सवीकार ककया ह कक szligयह जो सरटरयवलसि पिसण आत

ह हमार यहाा 9मर कदमाग पर छा जात ह वह हबणिण रीड का जो सरटरयवलसि सागरह ह

9उसम पचचासो जो पलटस ह 9व न मालम ककतनी बार कदमाग स गजरी होगी9घमी

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दोनो म अवतयथाथण वबमबो की इतनी बहलता ह शमशर की रिनाओ म^d

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और तोता frac141950frac12 जसी कछ रिनाओ को छोड़कर बाकी अवतयथाथणवादी वितर

शीषणकहीन ह इन वितरो म सीन स खलती हई वखड़ककयाा ह9गलाबी तोत का वबललीनमा

नीलमाहा रकषक ह9खनी बालो वाला भवड़यानमा जानवर ह 9नाक और आाख क

बीिोबीि गालो पर दाात की पावकतयाा ह9बनद गाढ़ गलाबी होठो म परवश को आतर

नागमवण ह और सवपन की कई वसथवतयाा ह वसतत शमशर क य वितर मानव अातमणन क

गहयानधकार क परतीक ह यहाा अगर ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129और

^रकषक और तोता frac141950frac12 पर वविार कर तो bu nksuksa fp=ksa esa ml Mordfkes की

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18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

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नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

fuksk dj fnk Fkk blfy vc rks वितरकारो क सामन gh बिा Fkk fd OfDr

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vkuk ml isafVax esaATHORN35 vkSj g Hkko vk dSls fp= esa keksj अपन

xYiamppfj= jkethou क माधयम स यह नसखा परसताववत करत ह szligns[kks g nqfuk

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20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 4: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

4

ksjfxy न तो सपि कहा कक बागाल पनरतथान जसा कक नाम म ही वनवहत ह9भारतीय वितरकला म पनजाणगरण

ukdampuDk भकक शरीमती साववतरी

(टरनसाा) ल आन का दावा करता ह लककन समकालीन भारतीय वितरकला म जो आज

वनवषकरयता छाई हई ह उसका वजममवार वही हबागाल सकल की मानयताएा सजनातमक

ितना को का टठत एवा अपाग करन वाली सावबत हई ह9 अमता शरवगल की मतय क बाद

कलकतता क आठ कलाकारो(मरनतकार परदोष दासगपत9 कमला दासगपत एवा वितरकार

वनरोद मजमदार9शभो ठाकर9गोपाल घोष9 पटरतोष सन9रवथन मतरा9 पराण ककशन

पाल) न बागाल सकल क पनरतथानवादी सौदयण-शासतर को वछनन-वभनन करत हए वववधवत

घोषणा-पतर तयार ककया वजसम कहा गया कक9 ldquoकला को अातराषटरीय एवा अनयोनयावशरत

होना िावहए दसर शददो म9 हमलोग कभी भी परगवत नही कर सकत अगर हम हमशा

अपन परिीन गौरव को ही याद करत रह और ककसी भी मलय पर अपनी परमपरा स

विपक रहन को आवशयक समझसासार क उसताद-कलाकारो वारारा वनरनमत कला की

ववपल नयी दवनया जो अनात ववसतार एवा समवदध वलए हए ह9हम इशारा करती हहम

उन सभी का गमभीर अधययन करना होगा9उनकी परशासा करन की कला का ववकास

करना होगा और उसस हम हर वो िीज गरहण करनी होगी वजसस हम अपनी परमपरा

5

एवा आवशयकता क अनसार उवित साशलष कायम कर सक यह हमलोगो क वलए

भकक

6

इसवलए और भी आवशयक ह कयोकक हमारी कला अटठारहवी शती स ठहरी हई ह कला

की दवनया म भारत क बाहर वपछल दो सौ सालो म वशलप और तकनीक क कषतर म

यगाातकारी अववषकार हए ह अत हमलोगो क वलए यह परम आवशयक ह कक पविमी

अववषकारो स फायदा उठात हए अपन इस गवतरोध को दर करrdquo10 यह सोि वसफण

बागाल समह क कलाकारो की ही नही थी बवलक कहा जा सकता ह कक उस वकत की यह

सामानय सोि थी वजस भारतीय पनजाणगरण की ववशषताओ क रप म लवकषत ककया

गया ह कलकतता समह की बमबई म सन 44 एवा45 की परदशणनी स परटरत bdquoपरगवतशील

कलाकार समह‟ की पहली परदशणनी (1949) की वववरनणका म फाावसस नयिन सजा न

वलखा कक ldquoहम म ककसी सकल या कला आनदोलन को पन जागत करन की कोई भी

महतवाकााकषा नही हएक परबल रिनातमक साशलषण तक पहािन क वलए हम मरनतवशलप

और वितरकला की वववभनन शवलयो का अधययन कर िक हrdquo11 यह एक उललखनीय

तथय ह कक परगवतशील कलाकार समह क अवधकााश कलाकार(

सजा9आरा9रज़ा9हसन9गाड9बाकर) आरमभ म वामपाथी थ और शमशर इनही कदनो (45-

46)बमबई म कमयवनसि पािी क कमयन म रहत हए ^नया सावहतय का समपादन कर रह

थया तो शमशर क बमबई परवास म उनक वितर - कला-कमण क बार म कोई सिना नही

वमलती लककन कया इस महज़ सायोग कहा जाय कक जब कषणाजी हावलाजी आरा फलो

और सरो की अपनी जानी-पहिानी दवनया को छोड़ कर ^सनकी लोगो को विवतरत कर

रह थ Bhd blh le keksj ds fp=ampyksd esa ^ikxy dykdkj frac141940frac12]

^fofkIr dfo frac141949frac12] tSlh d`frksa dk izosk हो रहा था धwlj oa xgjs jaxksa

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dk tks lakstu gS og vthcampस ruko dk vglkl djkrh gSA ihyk jax

viuh izd`fr esa gh foLrkj dks vfHkOaftr djus okyk jax gS tcfd uhyk

साकनदरन dkA pkjampdksy ds xgjs dkys jaxksa ds chp esa bu nksuksa jaxksa dks

laksftr dj keksj us d dfoampdykdkj ds vfLrRoxr ruko dks^पागलपन

एवा ^वववकषवपत क रप म9 cM+h dkk ls vfHkOaftr fdk gSA परगवतशील कलाकार

समह का मलययााकन करत हए कलास वमाण न ठीक ही कहा ह कक ^^समकालीन भारतीय

कला को पग की सबस महतवपणण दन यह ह कक उसम कला को राषटरीय दायर स बाहर

वनकाला और पािातय कला की तकनीक एवा अवभवयवकत क समानाातर कला को

अातराणषटरीयतावाद स पणणतया जोड़ कदयाrdquo12 ^कलकतता समह की जो अातराणषटरीयतावादी

आकााकषा थी वह पग यानी ^परगवतशील कलाकार समह म फलीभत हई कला म

अातराणषटरीयतावाद का अथण था परभाववाद9अवभवयाजनावाद9घनवाद9अमतणनवाद और

अवतयथाथणवाद स परभाव गरहण करना और इस दौर क सभी कलाकार अपन-अपन

7

पागल कलाकार ( 2-9-40 ) वववकषपत कवव ( 49-50)

वनजी महावरो की तलाश म पविमी अववषकारो स परवतशरत हो रह थयह ^परवतशरवत

भारतीय कला क ववकास म ककतनी सहायक या बाधक हई9यह एक अलग परशन ह लककन

यह सि ह कक शमशर भी अपन अनय समकालीन वितरकारो की तरह9 पविमी कला क

ककसी आनदोलन या परववतत ववशष स पणणतया एकाकार होन क बजाय ^पविमी

अववषकारोस अपन कला-कौशल को सावारन की कोवशश कर रह थ पविमी कला म

^परभाववाद कई अथो म इतालवी पनजाणगरण क बाद सवाणवधक महतवपणण अववषकार

थापरकवत की पल-पल पटरवरनतत लीला को रागीन परकाश और छाया क कषणभागर खल म

पकड़न का जो कौशल परभाववाकदयो न अरनजत ककए9 व अभतपवण थयह वववाद का मददा

हो सकता ह कक उनकी कवतयाा वजस राग-ववजञान पर आधाटरत ह व ककतनी सही ह या

गलत ह13 लककन इसम कोई दो राय नही कक व दखन की9 अवबोध की वभनन परकवत की

उपज थीपरभाववादी अवबोध को आनणलड हाउजर न जाजण मजसकी क हवाल स या

समझाया ह कक अगर ककसी वसत को सामन रख पद क छोि स छद स दख(जो छद

इतना बड़ा हो कक राग तो कदख लककन इतना भी बड़ा नही कक राग क साथ-साथ वसत स

उसक समबनध भी कदख जाय ) तो जो हम कदखाई दगा वह एक अवनवित9माडराता

8

आभास होगा और यह उस राग-परकवत स वबलकल वभनन होगा जो हम आदतन ककसी

वसत स जोड़कर दखत रह ह

झसी म गागा क ककनार एक तथय-फलक

और इस दवि स9 अवि का राग अपनी दीवपत9रशम का राग अपनी काावत और जल अपनी

पारदरनशता खो दता ह परभाववाकदयो क यहाा राग ककसी वसत का ठोस गण न होकर एक

अमतण9अशरीरी9अभौवतक घिना की तरह परकि होत ह मानो व सवया-म-राग हो14

शमशर क दो ऐस वितर वमलत ह वजसम इस परकार क परभाववादी तकनीक का बखबी

परयोग हआ ह--- ^ झसी म गागा क ककनार एक तथय-फलक frac141952amp1953) और ^आइन

म शमशर frac141950) म राग और परकाश का वही नतरपिलीय पटरणाम कदखाई पड़ता ह

वजस परभाववादी वितरकार अपना लकषय मानत थ

9

vkbus esa keksj frac141950)

वहसपानी वितरकार गोया(1746-1828) का कहना था कक ^^परकवत म रखा कहाा हमझ तो

कवल परकावशत व अपरकावशत आकार कदखाई दत ह----समतल जो वनकि ह और समतल

जो दर ह मझ रखाएा एवा बारीककयाा कदखाई नही दतीम वयवकत क वसर क बालो को

नही वगन सकता9न उसक कोि क बिनो कोमझ जो कदखाई नही दता वह दखन का मरी

किी को कोई अवधकार नहीrdquo15 शमशर क इन दोनो वितरो को दखकर एवारार

मान(1832-83) क उस कथन का याद आता ह जब ककसी वमतर न उनक वयवकतसमहो क

एक वितर को दखकर उनस पछा था कक इस वितर म आपन ककस वयवकत को सवाणवधक

महतव कदया ह तब उनका कहना था कक ^^ककसी भी वितर म सबस परमख वयवकत होता ह

परकाशrdquo16 परकाश की इसी कनदरीयता को रखााककत करत हए हबणि रीड न कहा ह कक

परभाववाद परकवत की परगीतातमकता या उसक रपराग की पणण अवभवयवकत ह9उस

10

सौनदयण क9 जो पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होत ह17 शमशर क इन

वितरो का सौनदयण पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होन वाला सौनदयण ह

लककन जहाा परभाववाकदयो क वपरज़म परकवत क सातो रागो की छिा और वभव स वनरनमत

कदखाई दता ह 9आइन म शमशर महज दो रागो क माधयम स परवतवबवमबत होत दख जा

सकत ह कया यह कम बड़ी उपलवदध ह पविमी कला का ववकास9 यरोपीय पनजाणगरण एवा

परभाववाद क बाद इस महतवकााकषा स हआ कक परकवत की अनकवत क बजाय उसकी

पनरणिना की जाय सजाा (1839-1906) क यहाा परकवत की पनरणिना हघनवाकदयो न

परकवत को ववचछद कर ववशलशन करन का काम ककया अवतयथाथणवाकदयो न परकवत क

बाहरी यथाथण को भदकर उसक आातटरक सतय को उद घाटित करन की कोवशश की

दादावादी सवपनो9कदवासवपनो और फा तावसयो की दवनया म नय मील क पतथर ढाढत

रहअमतणनवाकदयो न रप और रागो की अमतण बनावि क सहार परकवत की अपनी वनताात

वनजी वयाखया परसतत कीभववषयवाकदयो न वितर की सामानयत वसथर कला म दश और

काल को अवभवयकत करन का परयास ककया18

शमशर क अवभवयाजनावादी वितर

भारतीय कलाकारो का अवभवयाजनावाद स पटरिय जमणन अवभवयाजनावाकदयो वारारा

हआ19 भारतीय कलाकारो का पविमी कला स पटरिय आरमभ म मलकवतयो क

बजाय परवतकवतयो क माधयम स हआ लककन सनbdquo22 म कलकतता म जमणन

अवभवयाजनावाकदयो की एक परदशणनी आयोवजत हई थीयह भारत म यरोपीय कला क

11

शीषणकहीन

12

गर-अागरज़ उसतादो की मौवलक कलाकवतयो की पहली परदशणनी थी20 अगर

परभाववाकदयो का सासार उललास और आननद का सासार था तो अवभवयाजनावाकदयो की

दवनयाा भय9खौफ़ आताक और ववकवतयो स

भरी हई थीआियण नही कक कलकतता-समह और परगवतशील कलाकार समह क

कलाकारो न बड़ पमान पर अवभवयाजनावादी महावरो को हसतगत करन का परयास

ककया कयोकक य भी अपनी वसथवत9जहाा तक भाव-दशा और सामावजक अलगाव का परशन

ह डरसडन क डाय बरयक और मयवनक क डर दलौ रायिर क समान समझत थ 21

अवभवयाजनावाद कला की एक परववतत भी ह और यरोपीय कला क इवतहास का एक दौर

भीपरववतत क रप म यह आतमवनषठ कला ह जो भावातमक परभाव क वलए ववरपण और

अवतराजना का सहारा लती हयह आधवनक यरोपीय कला की वह परववतत ह जहाा

कलाकार अपनी आातटरक समवदना को अवभवयकत करन क वलए अपराकवतक तीख रागो

और ववरवपत रपाकारो का सहारा लत हयह परववतत वान गो(1853-90) स मानी जाती

रही ह और इस अथण म यह उननीसवी शती क परकतवाद क वखलाफ बगावत भी कही

गईसीवमत अथण म इस जमणन कला-आनदोलन ववशष क रप म भी विवननत ककया जा

सकता ह जो 1905 स लकर 1930 तक सककरय रहा22 शमशर इन वितरो म पराकवतक

रपाकारो को अपनी भावनाओ क अनरप ववरवपत करत कदखाई पड़त ह और

अवभवयाजनावाकदयो की तरह बहद तीख एवा आकरमक रागो क परयोग स भी नही

वहिकतनील9 काल एवा धसर रागो स शमशर यहाा ककसी वसतगत यथाथण को परसतत

नही करत और न ही उस पर आधाटरत कोई अमतण धारणा का वनरपण ही करत जान

पड़त ह बवलक उनका उददशय ह अपनी आतमगत समवदनाओ को अवभवयावजत करना

एडवाडण माख (1863-1944) क वितरो की तरह इनम कलाकार क अातमणन की आवाज ह

और वजसम वाहय रपाकार का कोई महतव नही आियण नही कक अवभवयाजनावाद न

अपना अगला क़दम अमतणन की दवनया म रखा था और इस ओर पहला कदम उठान

वालो म वावसली काबनदसकी (1866-1944) थ वजनहोन न वसफण अमतण अवभवयाजनावादी

कवतयाा रिी (उनकी कवतयाा सागीत की रपाकर समतलय मानी गई ह23)बवलक इसका एक

मकममल सौनदयणशासतर भी रिन का परयास ककया^dyk esa vkkfRedrk oa

^lery esa js[kk vkSj fcanq uked iqLrd esa काबनदसकी us izkd`frd oLrqvksa dks

l`tukRed Lora=rk ds fy ckkd वसदध करत हए यह मत परवतपाकदत ककया कक szlig

रागो व आकारो की ससागवत का आधार मानवीय आतमा स सोददशय समपकण ही हो

सकताहTHORN24

13

शमशर क अमतण वितर

शमशर भी कहत ह9 szlig अमतण का ववधान लन वाली कला खास तौर स हमार मन की

अादरनी सचचाइयो क वजतना वनकि होती ह 9उतना -- उस ढ़ग स-- मतण यानी साफ सीधी

सामन नजर आन वाली सचचाइ नही होती कयोकक हम अपनी भावनाओ म बहत कछ

अपन अनदर का ही जीवन जीत ह

szligसामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही बवलक

अपन अादर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर आन

वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण होता

szligइसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को हमार

सामन लाता ह---रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहावो और गवतयो म --- तो

वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल आता हहम खद अपनी वछपी हई ितनाओ स

अवधक पटरवित कराता हTHORN25

14

वितर साखया एक

keksj ds अवधकााश vमतण fp= vkd`frewydता क परतयकष वनषध स उतपनन ugha

हए gSaSa बवलक व fdlh oLrq- fLFkfr k भाव-n` क ^izR का साकषातकार जान

पड़त हgh otg gS fd muds fp=ksa esa jax vkSj js[kkvksa ds gkeZuh ls d

slk अवकाश mHkjrk fn[kkbZ nsrk gS tks Loa esa d lanHkZ gksrk gS] fdlh izkd`frd vkd`fr dk izfrikRed fp= ughaA ^iwtk dk d laHko

js[kkxfkrfrac141950frac12] ^d vkiexcllw की vxokuh esa frac141951frac12] ^dksaiy vkSj dfykiexcl ]

frac1450amp51frac12] ^xkskwfy dh csyk esa nwj nsgkr dk d jsyos LVsku]frac1448amp50frac12]

^pkiexcln dh vkiexcl[k vkSj jfDre vkj frac141952frac12] ^kdqUryk ds ijh yksd esa

frac1448amp50frac12] ^rirh pV~Vkuksa dks ckiexclkrh d dksey tyampkkjk frac141952frac12]^d

बहमाजली इमारत]pkiexcln vkSj kkod frac1455frac12 tSlh d`frksa esa flQZ khkZd

15

वितर साखया दो

gh nkZd dks fdlh izkd`frd oLrq ds izR k vocksk ls tksM+ ldrk gS ugha

rks keksj ds vfkdkak sls fp= gSa ftlesa u dksbZ khkZd gS vkSj u igpkuus

ksX dksbZ izkd`frd oLrq dk vkHkklA कया यह अनमान लगाया जा सकता ह कक

वितर साखया एक का शीषणक ह ^शरोता और दशणक frac1450amp51frac12]और वितर साखया दो का

^शका तला क परी लोक म frac1448amp50frac12इस सनदभण म gcZVZ jhM dk g dFku धयान

दन योगय gS fd9 szligFkkFkZokn vfHkOfDr dk LohdkjkRed i gS ftlesa thou ds

=klnh rRo dks Lohdkj dk Hkko gS ysfdu vewrZu d sls OfDr dh

izfrfOslashk gS tks kwUrk dh ujd ls yM+ jgk gS] g rhoz OFkk dh slh

vfHkOfDr gS tks vkofod fl)kar ij vfookl djrh gS vkSj ekuo eu

dh l`tukRed Lora=rk dks Lohdkj djrh gSATHORN26

भारतीय कला म अवभवयाजनावादी अमतणन क साथ ही साथ

अवतयथाथणवादी दौर भी गजरा रवीनदरनाथ ठाकर क बाद कलकतता समह क हमात वमशर

16

एवा मदरास समह क कसीएस पवनकर तथा कसीपाईन यहाा अवतयथाथणवाद क अगआ

मान जा सकत ह ^अवतयथाथणवाद का आरमभ पटरस म 1924 म हआइसक परथम

घोषणा-पतर म आनदर बरतो न सवपन और यथाथण जस परतीयमानत परसपर-ववरोधी

अवसथाओ को भववषय म अवतयथाथण (सरटरयल) म एकरप हो जान की पटरकलपना की

थीउनक अनसार अवतयथाथणवाद एक परकार क शदध मानवसक सवया-िालन का नाम ह

वजसक माधयम स सोिन की वासतववक परणाली को --सौनदयणशासतरीय व नवतक तथा

बवदध क ककसी वनयातरण स पर वसफण सोि स सािावलत परणाली को अवभवयकत ककया जा

सकता ह 27यह यरोप म फायड क मनोववशलषण का उतथान काल था और कलाकार

यथाथण को अवतकरवमत कर सकन वाल अवितन की वबमब-वनमाणण कषमता स अवभभत

थआियण नही कक इसकी परथम परदशणनी की सिी म पादलो वपकासो9 पाल कली9 मनर9

जयाा आपण9 माकस अनसिण9डी वशटरको जस वितरकार शावमल हए और बाद म िलकर ईव

ताागवी9आनदर माससो9जान मायरो9सालवाडोर डाली जस कलाकारो न इस अपनायायह

यरोपीय कला म9हबणिण रीड क शददो म कह तो ववसमय क पनजीवन की सथापना थी28

शमशर क अवतयथाथणवादी वितर

17

अवतयथाथणवाकदयो न कला म ववसमय क ततव को दो तरह स अरनजत ककया ----- एक

यथाथण को अयथाथण ढ़ग स परसतत कर और दसर अयथाथण को यथाथणवादी अाकन कर

कजहाा पहल क उदाहरण क रप म मायरो9आनदर मााससो की रिनाएा रखी जा सकती ह

वजसम फलो को आाख ह और पड़ो को कान (^जोता हआ खत) ह वही दसरा ढ़ग डाली

एवा ताागवी का ह जहाा जलता हआ वजराफ ह(^जलता वजराफ)9सखन क वलए डाल गय

कपड़ की तरह लिकती हई घवड़याा ह (^समवत का आगरह)9 वववितर ककसम क ककरमतत

एवा जादई वनसपवततयाा ह जो काफकाई सासार क परवतवबमब जान पड़त ह वस अवधकााश

अवतयथाथणवादी कवतयो म इन दोनो शवलयो को वमवशरत ढ़ाग स बरता गया ह

भारतीय वितरकला म अवतयथाथणवाद का ववकास सन सततर क दशक म हआ ववशषकर

जसवात बसह9सलतान अली9अवनल करावजया9इशवर सागरा9जसवामीनाथन9गलाम

शख9गनश पाइन9जोगन िौधरी9 ववकास भटटािायण9एरामिनदरन9भपन खककर की

रिनाओ म लककन शमशर क अवधकााश सरटरयल वितरो की रिना सन अड़तालीस स

लकर िौवन क बीि हई हशमशर आरमभ स ही अवतयथाथणवाद स बहद परभाववत थ

उनहोन एक सथल पर सवया कहा ह szlig योरोप क जो वितरकार थ और जो आनदोलन

अवतयथाथणवाद का वहाा पर िला था 9उसन बहत गहराई स मझको परभाववत ककया

THORN29 एक दसरी जगह भी उनहोन सवीकार ककया ह कक szligयह जो सरटरयवलसि पिसण आत

ह हमार यहाा 9मर कदमाग पर छा जात ह वह हबणिण रीड का जो सरटरयवलसि सागरह ह

9उसम पचचासो जो पलटस ह 9व न मालम ककतनी बार कदमाग स गजरी होगी9घमी

होगी9बसी होगी कदमाग मTHORN30 आियण नही कक शमशर क कावयलोक एवा वितरलोक ---

दोनो म अवतयथाथण वबमबो की इतनी बहलता ह शमशर की रिनाओ म^d

lqfjZfyLV psgjk frac141951frac12] ^d Yacutese vkSj mlds pkjksa vksj frac141950frac12 ^fitM+s

ds vanj rksrk jkuh frac141950frac129 ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129^रकषक

और तोता frac141950frac12 जसी कछ रिनाओ को छोड़कर बाकी अवतयथाथणवादी वितर

शीषणकहीन ह इन वितरो म सीन स खलती हई वखड़ककयाा ह9गलाबी तोत का वबललीनमा

नीलमाहा रकषक ह9खनी बालो वाला भवड़यानमा जानवर ह 9नाक और आाख क

बीिोबीि गालो पर दाात की पावकतयाा ह9बनद गाढ़ गलाबी होठो म परवश को आतर

नागमवण ह और सवपन की कई वसथवतयाा ह वसतत शमशर क य वितर मानव अातमणन क

गहयानधकार क परतीक ह यहाा अगर ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129और

^रकषक और तोता frac141950frac12 पर वविार कर तो bu nksuksa fp=ksa esa ml Mordfkes की

परतीकातमक अवभवयाजना भी कदख सकती gS वजस ukjh ds vga frac14bxksfrac12 oa mldh

okLrfod fLFkfr क chp gksus okys varfoZjksk ls पराय mRiUu मान वलया जाता

हA fiatM+s esa can ikh vkSj mlds ikl [kM+h L=h ds chp dbZ Lrjksa ij हो रह

laokn का अनमान लगाया जा सकता gS jkd vkSj ikh nksuksa dh fufr मानो

18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

mlds ^vfLrRo ls vyx gS vkSj fLFkfr dh foMEcuk g gS9 जसा fd

नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

fuksk dj fnk Fkk blfy vc rks वितरकारो क सामन gh बिा Fkk fd OfDr

ds ckg~ रikdkjksa dk FkkFkZijd vuqdjk ds ctk mlds vkarfjd nqfuk

dks vfHkODr करA YacutekM ds vवpsru fl)kar dk lgkjk ysrs gq fouk esa

YacutekM ds ledkyhu dykdkjksa us ---- vkuZYM lksucxZ] fjpMZ xslZy] bxku

flys us Bhd gh dke fdk Fkk tc os वयवकत-वितर-dyk ds ^izLisfDVo QaDku

ij tksj ns jgs FksA34keksj dgrs gSa szligisafVax esa dqN ugha j[kk gSA eq[ ckr

gS fd tks phtsa vkidks izHkkfor djrh gSa mlds Hkko dks vki vius isafVax esa

ys vkiexcl amp js[kkvksa ds djsDVusl ij dksbZ tksj ughaA eq[ ckr gS Hkko dk

vkuk ml isafVax esaATHORN35 vkSj g Hkko vk dSls fp= esa keksj अपन

xYiamppfj= jkethou क माधयम स यह नसखा परसताववत करत ह szligns[kks g nqfuk

rqEgkjs igpkuus ds fy d vkbuk[kkuk gSA xkSj ls blesa gj rjQ ns[kks]

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वजस wjksih dykampn`fV ls fcYdqy vyx माना गया gSA gSosy us fy[kk ह fd

wjksih dyk vdknfeksa esa Nk=ksas की vuqdjk kfDr fodflr djus ds fy

vkiexcl[k dh cM+h dVnkd izfkkk की वयवसथा gS tcfd izkP dykdkj अपनी

jpukRed kfDr ds vHkl kjk ही vuqdjk kerk vftZr dj लता gSA

20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

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18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 5: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

5

एवा आवशयकता क अनसार उवित साशलष कायम कर सक यह हमलोगो क वलए

भकक

6

इसवलए और भी आवशयक ह कयोकक हमारी कला अटठारहवी शती स ठहरी हई ह कला

की दवनया म भारत क बाहर वपछल दो सौ सालो म वशलप और तकनीक क कषतर म

यगाातकारी अववषकार हए ह अत हमलोगो क वलए यह परम आवशयक ह कक पविमी

अववषकारो स फायदा उठात हए अपन इस गवतरोध को दर करrdquo10 यह सोि वसफण

बागाल समह क कलाकारो की ही नही थी बवलक कहा जा सकता ह कक उस वकत की यह

सामानय सोि थी वजस भारतीय पनजाणगरण की ववशषताओ क रप म लवकषत ककया

गया ह कलकतता समह की बमबई म सन 44 एवा45 की परदशणनी स परटरत bdquoपरगवतशील

कलाकार समह‟ की पहली परदशणनी (1949) की वववरनणका म फाावसस नयिन सजा न

वलखा कक ldquoहम म ककसी सकल या कला आनदोलन को पन जागत करन की कोई भी

महतवाकााकषा नही हएक परबल रिनातमक साशलषण तक पहािन क वलए हम मरनतवशलप

और वितरकला की वववभनन शवलयो का अधययन कर िक हrdquo11 यह एक उललखनीय

तथय ह कक परगवतशील कलाकार समह क अवधकााश कलाकार(

सजा9आरा9रज़ा9हसन9गाड9बाकर) आरमभ म वामपाथी थ और शमशर इनही कदनो (45-

46)बमबई म कमयवनसि पािी क कमयन म रहत हए ^नया सावहतय का समपादन कर रह

थया तो शमशर क बमबई परवास म उनक वितर - कला-कमण क बार म कोई सिना नही

वमलती लककन कया इस महज़ सायोग कहा जाय कक जब कषणाजी हावलाजी आरा फलो

और सरो की अपनी जानी-पहिानी दवनया को छोड़ कर ^सनकी लोगो को विवतरत कर

रह थ Bhd blh le keksj ds fp=ampyksd esa ^ikxy dykdkj frac141940frac12]

^fofkIr dfo frac141949frac12] tSlh d`frksa dk izosk हो रहा था धwlj oa xgjs jaxksa

ls keksj us इन वितरो म dykdkj dh euksOFkk oa mlds varZU dks cM+h

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साकनदरन dkA pkjampdksy ds xgjs dkys jaxksa ds chp esa bu nksuksa jaxksa dks

laksftr dj keksj us d dfoampdykdkj ds vfLrRoxr ruko dks^पागलपन

एवा ^वववकषवपत क रप म9 cM+h dkk ls vfHkOaftr fdk gSA परगवतशील कलाकार

समह का मलययााकन करत हए कलास वमाण न ठीक ही कहा ह कक ^^समकालीन भारतीय

कला को पग की सबस महतवपणण दन यह ह कक उसम कला को राषटरीय दायर स बाहर

वनकाला और पािातय कला की तकनीक एवा अवभवयवकत क समानाातर कला को

अातराणषटरीयतावाद स पणणतया जोड़ कदयाrdquo12 ^कलकतता समह की जो अातराणषटरीयतावादी

आकााकषा थी वह पग यानी ^परगवतशील कलाकार समह म फलीभत हई कला म

अातराणषटरीयतावाद का अथण था परभाववाद9अवभवयाजनावाद9घनवाद9अमतणनवाद और

अवतयथाथणवाद स परभाव गरहण करना और इस दौर क सभी कलाकार अपन-अपन

7

पागल कलाकार ( 2-9-40 ) वववकषपत कवव ( 49-50)

वनजी महावरो की तलाश म पविमी अववषकारो स परवतशरत हो रह थयह ^परवतशरवत

भारतीय कला क ववकास म ककतनी सहायक या बाधक हई9यह एक अलग परशन ह लककन

यह सि ह कक शमशर भी अपन अनय समकालीन वितरकारो की तरह9 पविमी कला क

ककसी आनदोलन या परववतत ववशष स पणणतया एकाकार होन क बजाय ^पविमी

अववषकारोस अपन कला-कौशल को सावारन की कोवशश कर रह थ पविमी कला म

^परभाववाद कई अथो म इतालवी पनजाणगरण क बाद सवाणवधक महतवपणण अववषकार

थापरकवत की पल-पल पटरवरनतत लीला को रागीन परकाश और छाया क कषणभागर खल म

पकड़न का जो कौशल परभाववाकदयो न अरनजत ककए9 व अभतपवण थयह वववाद का मददा

हो सकता ह कक उनकी कवतयाा वजस राग-ववजञान पर आधाटरत ह व ककतनी सही ह या

गलत ह13 लककन इसम कोई दो राय नही कक व दखन की9 अवबोध की वभनन परकवत की

उपज थीपरभाववादी अवबोध को आनणलड हाउजर न जाजण मजसकी क हवाल स या

समझाया ह कक अगर ककसी वसत को सामन रख पद क छोि स छद स दख(जो छद

इतना बड़ा हो कक राग तो कदख लककन इतना भी बड़ा नही कक राग क साथ-साथ वसत स

उसक समबनध भी कदख जाय ) तो जो हम कदखाई दगा वह एक अवनवित9माडराता

8

आभास होगा और यह उस राग-परकवत स वबलकल वभनन होगा जो हम आदतन ककसी

वसत स जोड़कर दखत रह ह

झसी म गागा क ककनार एक तथय-फलक

और इस दवि स9 अवि का राग अपनी दीवपत9रशम का राग अपनी काावत और जल अपनी

पारदरनशता खो दता ह परभाववाकदयो क यहाा राग ककसी वसत का ठोस गण न होकर एक

अमतण9अशरीरी9अभौवतक घिना की तरह परकि होत ह मानो व सवया-म-राग हो14

शमशर क दो ऐस वितर वमलत ह वजसम इस परकार क परभाववादी तकनीक का बखबी

परयोग हआ ह--- ^ झसी म गागा क ककनार एक तथय-फलक frac141952amp1953) और ^आइन

म शमशर frac141950) म राग और परकाश का वही नतरपिलीय पटरणाम कदखाई पड़ता ह

वजस परभाववादी वितरकार अपना लकषय मानत थ

9

vkbus esa keksj frac141950)

वहसपानी वितरकार गोया(1746-1828) का कहना था कक ^^परकवत म रखा कहाा हमझ तो

कवल परकावशत व अपरकावशत आकार कदखाई दत ह----समतल जो वनकि ह और समतल

जो दर ह मझ रखाएा एवा बारीककयाा कदखाई नही दतीम वयवकत क वसर क बालो को

नही वगन सकता9न उसक कोि क बिनो कोमझ जो कदखाई नही दता वह दखन का मरी

किी को कोई अवधकार नहीrdquo15 शमशर क इन दोनो वितरो को दखकर एवारार

मान(1832-83) क उस कथन का याद आता ह जब ककसी वमतर न उनक वयवकतसमहो क

एक वितर को दखकर उनस पछा था कक इस वितर म आपन ककस वयवकत को सवाणवधक

महतव कदया ह तब उनका कहना था कक ^^ककसी भी वितर म सबस परमख वयवकत होता ह

परकाशrdquo16 परकाश की इसी कनदरीयता को रखााककत करत हए हबणि रीड न कहा ह कक

परभाववाद परकवत की परगीतातमकता या उसक रपराग की पणण अवभवयवकत ह9उस

10

सौनदयण क9 जो पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होत ह17 शमशर क इन

वितरो का सौनदयण पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होन वाला सौनदयण ह

लककन जहाा परभाववाकदयो क वपरज़म परकवत क सातो रागो की छिा और वभव स वनरनमत

कदखाई दता ह 9आइन म शमशर महज दो रागो क माधयम स परवतवबवमबत होत दख जा

सकत ह कया यह कम बड़ी उपलवदध ह पविमी कला का ववकास9 यरोपीय पनजाणगरण एवा

परभाववाद क बाद इस महतवकााकषा स हआ कक परकवत की अनकवत क बजाय उसकी

पनरणिना की जाय सजाा (1839-1906) क यहाा परकवत की पनरणिना हघनवाकदयो न

परकवत को ववचछद कर ववशलशन करन का काम ककया अवतयथाथणवाकदयो न परकवत क

बाहरी यथाथण को भदकर उसक आातटरक सतय को उद घाटित करन की कोवशश की

दादावादी सवपनो9कदवासवपनो और फा तावसयो की दवनया म नय मील क पतथर ढाढत

रहअमतणनवाकदयो न रप और रागो की अमतण बनावि क सहार परकवत की अपनी वनताात

वनजी वयाखया परसतत कीभववषयवाकदयो न वितर की सामानयत वसथर कला म दश और

काल को अवभवयकत करन का परयास ककया18

शमशर क अवभवयाजनावादी वितर

भारतीय कलाकारो का अवभवयाजनावाद स पटरिय जमणन अवभवयाजनावाकदयो वारारा

हआ19 भारतीय कलाकारो का पविमी कला स पटरिय आरमभ म मलकवतयो क

बजाय परवतकवतयो क माधयम स हआ लककन सनbdquo22 म कलकतता म जमणन

अवभवयाजनावाकदयो की एक परदशणनी आयोवजत हई थीयह भारत म यरोपीय कला क

11

शीषणकहीन

12

गर-अागरज़ उसतादो की मौवलक कलाकवतयो की पहली परदशणनी थी20 अगर

परभाववाकदयो का सासार उललास और आननद का सासार था तो अवभवयाजनावाकदयो की

दवनयाा भय9खौफ़ आताक और ववकवतयो स

भरी हई थीआियण नही कक कलकतता-समह और परगवतशील कलाकार समह क

कलाकारो न बड़ पमान पर अवभवयाजनावादी महावरो को हसतगत करन का परयास

ककया कयोकक य भी अपनी वसथवत9जहाा तक भाव-दशा और सामावजक अलगाव का परशन

ह डरसडन क डाय बरयक और मयवनक क डर दलौ रायिर क समान समझत थ 21

अवभवयाजनावाद कला की एक परववतत भी ह और यरोपीय कला क इवतहास का एक दौर

भीपरववतत क रप म यह आतमवनषठ कला ह जो भावातमक परभाव क वलए ववरपण और

अवतराजना का सहारा लती हयह आधवनक यरोपीय कला की वह परववतत ह जहाा

कलाकार अपनी आातटरक समवदना को अवभवयकत करन क वलए अपराकवतक तीख रागो

और ववरवपत रपाकारो का सहारा लत हयह परववतत वान गो(1853-90) स मानी जाती

रही ह और इस अथण म यह उननीसवी शती क परकतवाद क वखलाफ बगावत भी कही

गईसीवमत अथण म इस जमणन कला-आनदोलन ववशष क रप म भी विवननत ककया जा

सकता ह जो 1905 स लकर 1930 तक सककरय रहा22 शमशर इन वितरो म पराकवतक

रपाकारो को अपनी भावनाओ क अनरप ववरवपत करत कदखाई पड़त ह और

अवभवयाजनावाकदयो की तरह बहद तीख एवा आकरमक रागो क परयोग स भी नही

वहिकतनील9 काल एवा धसर रागो स शमशर यहाा ककसी वसतगत यथाथण को परसतत

नही करत और न ही उस पर आधाटरत कोई अमतण धारणा का वनरपण ही करत जान

पड़त ह बवलक उनका उददशय ह अपनी आतमगत समवदनाओ को अवभवयावजत करना

एडवाडण माख (1863-1944) क वितरो की तरह इनम कलाकार क अातमणन की आवाज ह

और वजसम वाहय रपाकार का कोई महतव नही आियण नही कक अवभवयाजनावाद न

अपना अगला क़दम अमतणन की दवनया म रखा था और इस ओर पहला कदम उठान

वालो म वावसली काबनदसकी (1866-1944) थ वजनहोन न वसफण अमतण अवभवयाजनावादी

कवतयाा रिी (उनकी कवतयाा सागीत की रपाकर समतलय मानी गई ह23)बवलक इसका एक

मकममल सौनदयणशासतर भी रिन का परयास ककया^dyk esa vkkfRedrk oa

^lery esa js[kk vkSj fcanq uked iqLrd esa काबनदसकी us izkd`frd oLrqvksa dks

l`tukRed Lora=rk ds fy ckkd वसदध करत हए यह मत परवतपाकदत ककया कक szlig

रागो व आकारो की ससागवत का आधार मानवीय आतमा स सोददशय समपकण ही हो

सकताहTHORN24

13

शमशर क अमतण वितर

शमशर भी कहत ह9 szlig अमतण का ववधान लन वाली कला खास तौर स हमार मन की

अादरनी सचचाइयो क वजतना वनकि होती ह 9उतना -- उस ढ़ग स-- मतण यानी साफ सीधी

सामन नजर आन वाली सचचाइ नही होती कयोकक हम अपनी भावनाओ म बहत कछ

अपन अनदर का ही जीवन जीत ह

szligसामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही बवलक

अपन अादर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर आन

वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण होता

szligइसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को हमार

सामन लाता ह---रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहावो और गवतयो म --- तो

वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल आता हहम खद अपनी वछपी हई ितनाओ स

अवधक पटरवित कराता हTHORN25

14

वितर साखया एक

keksj ds अवधकााश vमतण fp= vkd`frewydता क परतयकष वनषध स उतपनन ugha

हए gSaSa बवलक व fdlh oLrq- fLFkfr k भाव-n` क ^izR का साकषातकार जान

पड़त हgh otg gS fd muds fp=ksa esa jax vkSj js[kkvksa ds gkeZuh ls d

slk अवकाश mHkjrk fn[kkbZ nsrk gS tks Loa esa d lanHkZ gksrk gS] fdlh izkd`frd vkd`fr dk izfrikRed fp= ughaA ^iwtk dk d laHko

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बहमाजली इमारत]pkiexcln vkSj kkod frac1455frac12 tSlh d`frksa esa flQZ khkZd

15

वितर साखया दो

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rks keksj ds vfkdkak sls fp= gSa ftlesa u dksbZ khkZd gS vkSj u igpkuus

ksX dksbZ izkd`frd oLrq dk vkHkklA कया यह अनमान लगाया जा सकता ह कक

वितर साखया एक का शीषणक ह ^शरोता और दशणक frac1450amp51frac12]और वितर साखया दो का

^शका तला क परी लोक म frac1448amp50frac12इस सनदभण म gcZVZ jhM dk g dFku धयान

दन योगय gS fd9 szligFkkFkZokn vfHkOfDr dk LohdkjkRed i gS ftlesa thou ds

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izfrfOslashk gS tks kwUrk dh ujd ls yM+ jgk gS] g rhoz OFkk dh slh

vfHkOfDr gS tks vkofod fl)kar ij vfookl djrh gS vkSj ekuo eu

dh l`tukRed Lora=rk dks Lohdkj djrh gSATHORN26

भारतीय कला म अवभवयाजनावादी अमतणन क साथ ही साथ

अवतयथाथणवादी दौर भी गजरा रवीनदरनाथ ठाकर क बाद कलकतता समह क हमात वमशर

16

एवा मदरास समह क कसीएस पवनकर तथा कसीपाईन यहाा अवतयथाथणवाद क अगआ

मान जा सकत ह ^अवतयथाथणवाद का आरमभ पटरस म 1924 म हआइसक परथम

घोषणा-पतर म आनदर बरतो न सवपन और यथाथण जस परतीयमानत परसपर-ववरोधी

अवसथाओ को भववषय म अवतयथाथण (सरटरयल) म एकरप हो जान की पटरकलपना की

थीउनक अनसार अवतयथाथणवाद एक परकार क शदध मानवसक सवया-िालन का नाम ह

वजसक माधयम स सोिन की वासतववक परणाली को --सौनदयणशासतरीय व नवतक तथा

बवदध क ककसी वनयातरण स पर वसफण सोि स सािावलत परणाली को अवभवयकत ककया जा

सकता ह 27यह यरोप म फायड क मनोववशलषण का उतथान काल था और कलाकार

यथाथण को अवतकरवमत कर सकन वाल अवितन की वबमब-वनमाणण कषमता स अवभभत

थआियण नही कक इसकी परथम परदशणनी की सिी म पादलो वपकासो9 पाल कली9 मनर9

जयाा आपण9 माकस अनसिण9डी वशटरको जस वितरकार शावमल हए और बाद म िलकर ईव

ताागवी9आनदर माससो9जान मायरो9सालवाडोर डाली जस कलाकारो न इस अपनायायह

यरोपीय कला म9हबणिण रीड क शददो म कह तो ववसमय क पनजीवन की सथापना थी28

शमशर क अवतयथाथणवादी वितर

17

अवतयथाथणवाकदयो न कला म ववसमय क ततव को दो तरह स अरनजत ककया ----- एक

यथाथण को अयथाथण ढ़ग स परसतत कर और दसर अयथाथण को यथाथणवादी अाकन कर

कजहाा पहल क उदाहरण क रप म मायरो9आनदर मााससो की रिनाएा रखी जा सकती ह

वजसम फलो को आाख ह और पड़ो को कान (^जोता हआ खत) ह वही दसरा ढ़ग डाली

एवा ताागवी का ह जहाा जलता हआ वजराफ ह(^जलता वजराफ)9सखन क वलए डाल गय

कपड़ की तरह लिकती हई घवड़याा ह (^समवत का आगरह)9 वववितर ककसम क ककरमतत

एवा जादई वनसपवततयाा ह जो काफकाई सासार क परवतवबमब जान पड़त ह वस अवधकााश

अवतयथाथणवादी कवतयो म इन दोनो शवलयो को वमवशरत ढ़ाग स बरता गया ह

भारतीय वितरकला म अवतयथाथणवाद का ववकास सन सततर क दशक म हआ ववशषकर

जसवात बसह9सलतान अली9अवनल करावजया9इशवर सागरा9जसवामीनाथन9गलाम

शख9गनश पाइन9जोगन िौधरी9 ववकास भटटािायण9एरामिनदरन9भपन खककर की

रिनाओ म लककन शमशर क अवधकााश सरटरयल वितरो की रिना सन अड़तालीस स

लकर िौवन क बीि हई हशमशर आरमभ स ही अवतयथाथणवाद स बहद परभाववत थ

उनहोन एक सथल पर सवया कहा ह szlig योरोप क जो वितरकार थ और जो आनदोलन

अवतयथाथणवाद का वहाा पर िला था 9उसन बहत गहराई स मझको परभाववत ककया

THORN29 एक दसरी जगह भी उनहोन सवीकार ककया ह कक szligयह जो सरटरयवलसि पिसण आत

ह हमार यहाा 9मर कदमाग पर छा जात ह वह हबणिण रीड का जो सरटरयवलसि सागरह ह

9उसम पचचासो जो पलटस ह 9व न मालम ककतनी बार कदमाग स गजरी होगी9घमी

होगी9बसी होगी कदमाग मTHORN30 आियण नही कक शमशर क कावयलोक एवा वितरलोक ---

दोनो म अवतयथाथण वबमबो की इतनी बहलता ह शमशर की रिनाओ म^d

lqfjZfyLV psgjk frac141951frac12] ^d Yacutese vkSj mlds pkjksa vksj frac141950frac12 ^fitM+s

ds vanj rksrk jkuh frac141950frac129 ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129^रकषक

और तोता frac141950frac12 जसी कछ रिनाओ को छोड़कर बाकी अवतयथाथणवादी वितर

शीषणकहीन ह इन वितरो म सीन स खलती हई वखड़ककयाा ह9गलाबी तोत का वबललीनमा

नीलमाहा रकषक ह9खनी बालो वाला भवड़यानमा जानवर ह 9नाक और आाख क

बीिोबीि गालो पर दाात की पावकतयाा ह9बनद गाढ़ गलाबी होठो म परवश को आतर

नागमवण ह और सवपन की कई वसथवतयाा ह वसतत शमशर क य वितर मानव अातमणन क

गहयानधकार क परतीक ह यहाा अगर ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129और

^रकषक और तोता frac141950frac12 पर वविार कर तो bu nksuksa fp=ksa esa ml Mordfkes की

परतीकातमक अवभवयाजना भी कदख सकती gS वजस ukjh ds vga frac14bxksfrac12 oa mldh

okLrfod fLFkfr क chp gksus okys varfoZjksk ls पराय mRiUu मान वलया जाता

हA fiatM+s esa can ikh vkSj mlds ikl [kM+h L=h ds chp dbZ Lrjksa ij हो रह

laokn का अनमान लगाया जा सकता gS jkd vkSj ikh nksuksa dh fufr मानो

18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

mlds ^vfLrRo ls vyx gS vkSj fLFkfr dh foMEcuk g gS9 जसा fd

नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

fuksk dj fnk Fkk blfy vc rks वितरकारो क सामन gh बिा Fkk fd OfDr

ds ckg~ रikdkjksa dk FkkFkZijd vuqdjk ds ctk mlds vkarfjd nqfuk

dks vfHkODr करA YacutekM ds vवpsru fl)kar dk lgkjk ysrs gq fouk esa

YacutekM ds ledkyhu dykdkjksa us ---- vkuZYM lksucxZ] fjpMZ xslZy] bxku

flys us Bhd gh dke fdk Fkk tc os वयवकत-वितर-dyk ds ^izLisfDVo QaDku

ij tksj ns jgs FksA34keksj dgrs gSa szligisafVax esa dqN ugha j[kk gSA eq[ ckr

gS fd tks phtsa vkidks izHkkfor djrh gSa mlds Hkko dks vki vius isafVax esa

ys vkiexcl amp js[kkvksa ds djsDVusl ij dksbZ tksj ughaA eq[ ckr gS Hkko dk

vkuk ml isafVax esaATHORN35 vkSj g Hkko vk dSls fp= esa keksj अपन

xYiamppfj= jkethou क माधयम स यह नसखा परसताववत करत ह szligns[kks g nqfuk

rqEgkjs igpkuus ds fy d vkbuk[kkuk gSA xkSj ls blesa gj rjQ ns[kks]

dampd djA ku tekdjA fgEer vkSj lcz vkSj [kqkh ysdjA ns[kks] bu

vkbuksa ds vanj rqEgkjk viuk i fdlampfdl kDy esa utj vkrk gSA

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वजस wjksih dykampn`fV ls fcYdqy vyx माना गया gSA gSosy us fy[kk ह fd

wjksih dyk vdknfeksa esa Nk=ksas की vuqdjk kfDr fodflr djus ds fy

vkiexcl[k dh cM+h dVnkd izfkkk की वयवसथा gS tcfd izkP dykdkj अपनी

jpukRed kfDr ds vHkl kjk ही vuqdjk kerk vftZr dj लता gSA

20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 6: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

6

इसवलए और भी आवशयक ह कयोकक हमारी कला अटठारहवी शती स ठहरी हई ह कला

की दवनया म भारत क बाहर वपछल दो सौ सालो म वशलप और तकनीक क कषतर म

यगाातकारी अववषकार हए ह अत हमलोगो क वलए यह परम आवशयक ह कक पविमी

अववषकारो स फायदा उठात हए अपन इस गवतरोध को दर करrdquo10 यह सोि वसफण

बागाल समह क कलाकारो की ही नही थी बवलक कहा जा सकता ह कक उस वकत की यह

सामानय सोि थी वजस भारतीय पनजाणगरण की ववशषताओ क रप म लवकषत ककया

गया ह कलकतता समह की बमबई म सन 44 एवा45 की परदशणनी स परटरत bdquoपरगवतशील

कलाकार समह‟ की पहली परदशणनी (1949) की वववरनणका म फाावसस नयिन सजा न

वलखा कक ldquoहम म ककसी सकल या कला आनदोलन को पन जागत करन की कोई भी

महतवाकााकषा नही हएक परबल रिनातमक साशलषण तक पहािन क वलए हम मरनतवशलप

और वितरकला की वववभनन शवलयो का अधययन कर िक हrdquo11 यह एक उललखनीय

तथय ह कक परगवतशील कलाकार समह क अवधकााश कलाकार(

सजा9आरा9रज़ा9हसन9गाड9बाकर) आरमभ म वामपाथी थ और शमशर इनही कदनो (45-

46)बमबई म कमयवनसि पािी क कमयन म रहत हए ^नया सावहतय का समपादन कर रह

थया तो शमशर क बमबई परवास म उनक वितर - कला-कमण क बार म कोई सिना नही

वमलती लककन कया इस महज़ सायोग कहा जाय कक जब कषणाजी हावलाजी आरा फलो

और सरो की अपनी जानी-पहिानी दवनया को छोड़ कर ^सनकी लोगो को विवतरत कर

रह थ Bhd blh le keksj ds fp=ampyksd esa ^ikxy dykdkj frac141940frac12]

^fofkIr dfo frac141949frac12] tSlh d`frksa dk izosk हो रहा था धwlj oa xgjs jaxksa

ls keksj us इन वितरो म dykdkj dh euksOFkk oa mlds varZU dks cM+h

xgjh vuqHkwfr ls mHkkjk gSA pkjdksy ds chp esa uhys oa ihys jax dh js[kkvksa

dk tks lakstu gS og vthcampस ruko dk vglkl djkrh gSA ihyk jax

viuh izd`fr esa gh foLrkj dks vfHkOaftr djus okyk jax gS tcfd uhyk

साकनदरन dkA pkjampdksy ds xgjs dkys jaxksa ds chp esa bu nksuksa jaxksa dks

laksftr dj keksj us d dfoampdykdkj ds vfLrRoxr ruko dks^पागलपन

एवा ^वववकषवपत क रप म9 cM+h dkk ls vfHkOaftr fdk gSA परगवतशील कलाकार

समह का मलययााकन करत हए कलास वमाण न ठीक ही कहा ह कक ^^समकालीन भारतीय

कला को पग की सबस महतवपणण दन यह ह कक उसम कला को राषटरीय दायर स बाहर

वनकाला और पािातय कला की तकनीक एवा अवभवयवकत क समानाातर कला को

अातराणषटरीयतावाद स पणणतया जोड़ कदयाrdquo12 ^कलकतता समह की जो अातराणषटरीयतावादी

आकााकषा थी वह पग यानी ^परगवतशील कलाकार समह म फलीभत हई कला म

अातराणषटरीयतावाद का अथण था परभाववाद9अवभवयाजनावाद9घनवाद9अमतणनवाद और

अवतयथाथणवाद स परभाव गरहण करना और इस दौर क सभी कलाकार अपन-अपन

7

पागल कलाकार ( 2-9-40 ) वववकषपत कवव ( 49-50)

वनजी महावरो की तलाश म पविमी अववषकारो स परवतशरत हो रह थयह ^परवतशरवत

भारतीय कला क ववकास म ककतनी सहायक या बाधक हई9यह एक अलग परशन ह लककन

यह सि ह कक शमशर भी अपन अनय समकालीन वितरकारो की तरह9 पविमी कला क

ककसी आनदोलन या परववतत ववशष स पणणतया एकाकार होन क बजाय ^पविमी

अववषकारोस अपन कला-कौशल को सावारन की कोवशश कर रह थ पविमी कला म

^परभाववाद कई अथो म इतालवी पनजाणगरण क बाद सवाणवधक महतवपणण अववषकार

थापरकवत की पल-पल पटरवरनतत लीला को रागीन परकाश और छाया क कषणभागर खल म

पकड़न का जो कौशल परभाववाकदयो न अरनजत ककए9 व अभतपवण थयह वववाद का मददा

हो सकता ह कक उनकी कवतयाा वजस राग-ववजञान पर आधाटरत ह व ककतनी सही ह या

गलत ह13 लककन इसम कोई दो राय नही कक व दखन की9 अवबोध की वभनन परकवत की

उपज थीपरभाववादी अवबोध को आनणलड हाउजर न जाजण मजसकी क हवाल स या

समझाया ह कक अगर ककसी वसत को सामन रख पद क छोि स छद स दख(जो छद

इतना बड़ा हो कक राग तो कदख लककन इतना भी बड़ा नही कक राग क साथ-साथ वसत स

उसक समबनध भी कदख जाय ) तो जो हम कदखाई दगा वह एक अवनवित9माडराता

8

आभास होगा और यह उस राग-परकवत स वबलकल वभनन होगा जो हम आदतन ककसी

वसत स जोड़कर दखत रह ह

झसी म गागा क ककनार एक तथय-फलक

और इस दवि स9 अवि का राग अपनी दीवपत9रशम का राग अपनी काावत और जल अपनी

पारदरनशता खो दता ह परभाववाकदयो क यहाा राग ककसी वसत का ठोस गण न होकर एक

अमतण9अशरीरी9अभौवतक घिना की तरह परकि होत ह मानो व सवया-म-राग हो14

शमशर क दो ऐस वितर वमलत ह वजसम इस परकार क परभाववादी तकनीक का बखबी

परयोग हआ ह--- ^ झसी म गागा क ककनार एक तथय-फलक frac141952amp1953) और ^आइन

म शमशर frac141950) म राग और परकाश का वही नतरपिलीय पटरणाम कदखाई पड़ता ह

वजस परभाववादी वितरकार अपना लकषय मानत थ

9

vkbus esa keksj frac141950)

वहसपानी वितरकार गोया(1746-1828) का कहना था कक ^^परकवत म रखा कहाा हमझ तो

कवल परकावशत व अपरकावशत आकार कदखाई दत ह----समतल जो वनकि ह और समतल

जो दर ह मझ रखाएा एवा बारीककयाा कदखाई नही दतीम वयवकत क वसर क बालो को

नही वगन सकता9न उसक कोि क बिनो कोमझ जो कदखाई नही दता वह दखन का मरी

किी को कोई अवधकार नहीrdquo15 शमशर क इन दोनो वितरो को दखकर एवारार

मान(1832-83) क उस कथन का याद आता ह जब ककसी वमतर न उनक वयवकतसमहो क

एक वितर को दखकर उनस पछा था कक इस वितर म आपन ककस वयवकत को सवाणवधक

महतव कदया ह तब उनका कहना था कक ^^ककसी भी वितर म सबस परमख वयवकत होता ह

परकाशrdquo16 परकाश की इसी कनदरीयता को रखााककत करत हए हबणि रीड न कहा ह कक

परभाववाद परकवत की परगीतातमकता या उसक रपराग की पणण अवभवयवकत ह9उस

10

सौनदयण क9 जो पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होत ह17 शमशर क इन

वितरो का सौनदयण पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होन वाला सौनदयण ह

लककन जहाा परभाववाकदयो क वपरज़म परकवत क सातो रागो की छिा और वभव स वनरनमत

कदखाई दता ह 9आइन म शमशर महज दो रागो क माधयम स परवतवबवमबत होत दख जा

सकत ह कया यह कम बड़ी उपलवदध ह पविमी कला का ववकास9 यरोपीय पनजाणगरण एवा

परभाववाद क बाद इस महतवकााकषा स हआ कक परकवत की अनकवत क बजाय उसकी

पनरणिना की जाय सजाा (1839-1906) क यहाा परकवत की पनरणिना हघनवाकदयो न

परकवत को ववचछद कर ववशलशन करन का काम ककया अवतयथाथणवाकदयो न परकवत क

बाहरी यथाथण को भदकर उसक आातटरक सतय को उद घाटित करन की कोवशश की

दादावादी सवपनो9कदवासवपनो और फा तावसयो की दवनया म नय मील क पतथर ढाढत

रहअमतणनवाकदयो न रप और रागो की अमतण बनावि क सहार परकवत की अपनी वनताात

वनजी वयाखया परसतत कीभववषयवाकदयो न वितर की सामानयत वसथर कला म दश और

काल को अवभवयकत करन का परयास ककया18

शमशर क अवभवयाजनावादी वितर

भारतीय कलाकारो का अवभवयाजनावाद स पटरिय जमणन अवभवयाजनावाकदयो वारारा

हआ19 भारतीय कलाकारो का पविमी कला स पटरिय आरमभ म मलकवतयो क

बजाय परवतकवतयो क माधयम स हआ लककन सनbdquo22 म कलकतता म जमणन

अवभवयाजनावाकदयो की एक परदशणनी आयोवजत हई थीयह भारत म यरोपीय कला क

11

शीषणकहीन

12

गर-अागरज़ उसतादो की मौवलक कलाकवतयो की पहली परदशणनी थी20 अगर

परभाववाकदयो का सासार उललास और आननद का सासार था तो अवभवयाजनावाकदयो की

दवनयाा भय9खौफ़ आताक और ववकवतयो स

भरी हई थीआियण नही कक कलकतता-समह और परगवतशील कलाकार समह क

कलाकारो न बड़ पमान पर अवभवयाजनावादी महावरो को हसतगत करन का परयास

ककया कयोकक य भी अपनी वसथवत9जहाा तक भाव-दशा और सामावजक अलगाव का परशन

ह डरसडन क डाय बरयक और मयवनक क डर दलौ रायिर क समान समझत थ 21

अवभवयाजनावाद कला की एक परववतत भी ह और यरोपीय कला क इवतहास का एक दौर

भीपरववतत क रप म यह आतमवनषठ कला ह जो भावातमक परभाव क वलए ववरपण और

अवतराजना का सहारा लती हयह आधवनक यरोपीय कला की वह परववतत ह जहाा

कलाकार अपनी आातटरक समवदना को अवभवयकत करन क वलए अपराकवतक तीख रागो

और ववरवपत रपाकारो का सहारा लत हयह परववतत वान गो(1853-90) स मानी जाती

रही ह और इस अथण म यह उननीसवी शती क परकतवाद क वखलाफ बगावत भी कही

गईसीवमत अथण म इस जमणन कला-आनदोलन ववशष क रप म भी विवननत ककया जा

सकता ह जो 1905 स लकर 1930 तक सककरय रहा22 शमशर इन वितरो म पराकवतक

रपाकारो को अपनी भावनाओ क अनरप ववरवपत करत कदखाई पड़त ह और

अवभवयाजनावाकदयो की तरह बहद तीख एवा आकरमक रागो क परयोग स भी नही

वहिकतनील9 काल एवा धसर रागो स शमशर यहाा ककसी वसतगत यथाथण को परसतत

नही करत और न ही उस पर आधाटरत कोई अमतण धारणा का वनरपण ही करत जान

पड़त ह बवलक उनका उददशय ह अपनी आतमगत समवदनाओ को अवभवयावजत करना

एडवाडण माख (1863-1944) क वितरो की तरह इनम कलाकार क अातमणन की आवाज ह

और वजसम वाहय रपाकार का कोई महतव नही आियण नही कक अवभवयाजनावाद न

अपना अगला क़दम अमतणन की दवनया म रखा था और इस ओर पहला कदम उठान

वालो म वावसली काबनदसकी (1866-1944) थ वजनहोन न वसफण अमतण अवभवयाजनावादी

कवतयाा रिी (उनकी कवतयाा सागीत की रपाकर समतलय मानी गई ह23)बवलक इसका एक

मकममल सौनदयणशासतर भी रिन का परयास ककया^dyk esa vkkfRedrk oa

^lery esa js[kk vkSj fcanq uked iqLrd esa काबनदसकी us izkd`frd oLrqvksa dks

l`tukRed Lora=rk ds fy ckkd वसदध करत हए यह मत परवतपाकदत ककया कक szlig

रागो व आकारो की ससागवत का आधार मानवीय आतमा स सोददशय समपकण ही हो

सकताहTHORN24

13

शमशर क अमतण वितर

शमशर भी कहत ह9 szlig अमतण का ववधान लन वाली कला खास तौर स हमार मन की

अादरनी सचचाइयो क वजतना वनकि होती ह 9उतना -- उस ढ़ग स-- मतण यानी साफ सीधी

सामन नजर आन वाली सचचाइ नही होती कयोकक हम अपनी भावनाओ म बहत कछ

अपन अनदर का ही जीवन जीत ह

szligसामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही बवलक

अपन अादर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर आन

वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण होता

szligइसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को हमार

सामन लाता ह---रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहावो और गवतयो म --- तो

वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल आता हहम खद अपनी वछपी हई ितनाओ स

अवधक पटरवित कराता हTHORN25

14

वितर साखया एक

keksj ds अवधकााश vमतण fp= vkd`frewydता क परतयकष वनषध स उतपनन ugha

हए gSaSa बवलक व fdlh oLrq- fLFkfr k भाव-n` क ^izR का साकषातकार जान

पड़त हgh otg gS fd muds fp=ksa esa jax vkSj js[kkvksa ds gkeZuh ls d

slk अवकाश mHkjrk fn[kkbZ nsrk gS tks Loa esa d lanHkZ gksrk gS] fdlh izkd`frd vkd`fr dk izfrikRed fp= ughaA ^iwtk dk d laHko

js[kkxfkrfrac141950frac12] ^d vkiexcllw की vxokuh esa frac141951frac12] ^dksaiy vkSj dfykiexcl ]

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बहमाजली इमारत]pkiexcln vkSj kkod frac1455frac12 tSlh d`frksa esa flQZ khkZd

15

वितर साखया दो

gh nkZd dks fdlh izkd`frd oLrq ds izR k vocksk ls tksM+ ldrk gS ugha

rks keksj ds vfkdkak sls fp= gSa ftlesa u dksbZ khkZd gS vkSj u igpkuus

ksX dksbZ izkd`frd oLrq dk vkHkklA कया यह अनमान लगाया जा सकता ह कक

वितर साखया एक का शीषणक ह ^शरोता और दशणक frac1450amp51frac12]और वितर साखया दो का

^शका तला क परी लोक म frac1448amp50frac12इस सनदभण म gcZVZ jhM dk g dFku धयान

दन योगय gS fd9 szligFkkFkZokn vfHkOfDr dk LohdkjkRed i gS ftlesa thou ds

=klnh rRo dks Lohdkj dk Hkko gS ysfdu vewrZu d sls OfDr dh

izfrfOslashk gS tks kwUrk dh ujd ls yM+ jgk gS] g rhoz OFkk dh slh

vfHkOfDr gS tks vkofod fl)kar ij vfookl djrh gS vkSj ekuo eu

dh l`tukRed Lora=rk dks Lohdkj djrh gSATHORN26

भारतीय कला म अवभवयाजनावादी अमतणन क साथ ही साथ

अवतयथाथणवादी दौर भी गजरा रवीनदरनाथ ठाकर क बाद कलकतता समह क हमात वमशर

16

एवा मदरास समह क कसीएस पवनकर तथा कसीपाईन यहाा अवतयथाथणवाद क अगआ

मान जा सकत ह ^अवतयथाथणवाद का आरमभ पटरस म 1924 म हआइसक परथम

घोषणा-पतर म आनदर बरतो न सवपन और यथाथण जस परतीयमानत परसपर-ववरोधी

अवसथाओ को भववषय म अवतयथाथण (सरटरयल) म एकरप हो जान की पटरकलपना की

थीउनक अनसार अवतयथाथणवाद एक परकार क शदध मानवसक सवया-िालन का नाम ह

वजसक माधयम स सोिन की वासतववक परणाली को --सौनदयणशासतरीय व नवतक तथा

बवदध क ककसी वनयातरण स पर वसफण सोि स सािावलत परणाली को अवभवयकत ककया जा

सकता ह 27यह यरोप म फायड क मनोववशलषण का उतथान काल था और कलाकार

यथाथण को अवतकरवमत कर सकन वाल अवितन की वबमब-वनमाणण कषमता स अवभभत

थआियण नही कक इसकी परथम परदशणनी की सिी म पादलो वपकासो9 पाल कली9 मनर9

जयाा आपण9 माकस अनसिण9डी वशटरको जस वितरकार शावमल हए और बाद म िलकर ईव

ताागवी9आनदर माससो9जान मायरो9सालवाडोर डाली जस कलाकारो न इस अपनायायह

यरोपीय कला म9हबणिण रीड क शददो म कह तो ववसमय क पनजीवन की सथापना थी28

शमशर क अवतयथाथणवादी वितर

17

अवतयथाथणवाकदयो न कला म ववसमय क ततव को दो तरह स अरनजत ककया ----- एक

यथाथण को अयथाथण ढ़ग स परसतत कर और दसर अयथाथण को यथाथणवादी अाकन कर

कजहाा पहल क उदाहरण क रप म मायरो9आनदर मााससो की रिनाएा रखी जा सकती ह

वजसम फलो को आाख ह और पड़ो को कान (^जोता हआ खत) ह वही दसरा ढ़ग डाली

एवा ताागवी का ह जहाा जलता हआ वजराफ ह(^जलता वजराफ)9सखन क वलए डाल गय

कपड़ की तरह लिकती हई घवड़याा ह (^समवत का आगरह)9 वववितर ककसम क ककरमतत

एवा जादई वनसपवततयाा ह जो काफकाई सासार क परवतवबमब जान पड़त ह वस अवधकााश

अवतयथाथणवादी कवतयो म इन दोनो शवलयो को वमवशरत ढ़ाग स बरता गया ह

भारतीय वितरकला म अवतयथाथणवाद का ववकास सन सततर क दशक म हआ ववशषकर

जसवात बसह9सलतान अली9अवनल करावजया9इशवर सागरा9जसवामीनाथन9गलाम

शख9गनश पाइन9जोगन िौधरी9 ववकास भटटािायण9एरामिनदरन9भपन खककर की

रिनाओ म लककन शमशर क अवधकााश सरटरयल वितरो की रिना सन अड़तालीस स

लकर िौवन क बीि हई हशमशर आरमभ स ही अवतयथाथणवाद स बहद परभाववत थ

उनहोन एक सथल पर सवया कहा ह szlig योरोप क जो वितरकार थ और जो आनदोलन

अवतयथाथणवाद का वहाा पर िला था 9उसन बहत गहराई स मझको परभाववत ककया

THORN29 एक दसरी जगह भी उनहोन सवीकार ककया ह कक szligयह जो सरटरयवलसि पिसण आत

ह हमार यहाा 9मर कदमाग पर छा जात ह वह हबणिण रीड का जो सरटरयवलसि सागरह ह

9उसम पचचासो जो पलटस ह 9व न मालम ककतनी बार कदमाग स गजरी होगी9घमी

होगी9बसी होगी कदमाग मTHORN30 आियण नही कक शमशर क कावयलोक एवा वितरलोक ---

दोनो म अवतयथाथण वबमबो की इतनी बहलता ह शमशर की रिनाओ म^d

lqfjZfyLV psgjk frac141951frac12] ^d Yacutese vkSj mlds pkjksa vksj frac141950frac12 ^fitM+s

ds vanj rksrk jkuh frac141950frac129 ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129^रकषक

और तोता frac141950frac12 जसी कछ रिनाओ को छोड़कर बाकी अवतयथाथणवादी वितर

शीषणकहीन ह इन वितरो म सीन स खलती हई वखड़ककयाा ह9गलाबी तोत का वबललीनमा

नीलमाहा रकषक ह9खनी बालो वाला भवड़यानमा जानवर ह 9नाक और आाख क

बीिोबीि गालो पर दाात की पावकतयाा ह9बनद गाढ़ गलाबी होठो म परवश को आतर

नागमवण ह और सवपन की कई वसथवतयाा ह वसतत शमशर क य वितर मानव अातमणन क

गहयानधकार क परतीक ह यहाा अगर ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129और

^रकषक और तोता frac141950frac12 पर वविार कर तो bu nksuksa fp=ksa esa ml Mordfkes की

परतीकातमक अवभवयाजना भी कदख सकती gS वजस ukjh ds vga frac14bxksfrac12 oa mldh

okLrfod fLFkfr क chp gksus okys varfoZjksk ls पराय mRiUu मान वलया जाता

हA fiatM+s esa can ikh vkSj mlds ikl [kM+h L=h ds chp dbZ Lrjksa ij हो रह

laokn का अनमान लगाया जा सकता gS jkd vkSj ikh nksuksa dh fufr मानो

18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

mlds ^vfLrRo ls vyx gS vkSj fLFkfr dh foMEcuk g gS9 जसा fd

नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

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20

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vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 7: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

7

पागल कलाकार ( 2-9-40 ) वववकषपत कवव ( 49-50)

वनजी महावरो की तलाश म पविमी अववषकारो स परवतशरत हो रह थयह ^परवतशरवत

भारतीय कला क ववकास म ककतनी सहायक या बाधक हई9यह एक अलग परशन ह लककन

यह सि ह कक शमशर भी अपन अनय समकालीन वितरकारो की तरह9 पविमी कला क

ककसी आनदोलन या परववतत ववशष स पणणतया एकाकार होन क बजाय ^पविमी

अववषकारोस अपन कला-कौशल को सावारन की कोवशश कर रह थ पविमी कला म

^परभाववाद कई अथो म इतालवी पनजाणगरण क बाद सवाणवधक महतवपणण अववषकार

थापरकवत की पल-पल पटरवरनतत लीला को रागीन परकाश और छाया क कषणभागर खल म

पकड़न का जो कौशल परभाववाकदयो न अरनजत ककए9 व अभतपवण थयह वववाद का मददा

हो सकता ह कक उनकी कवतयाा वजस राग-ववजञान पर आधाटरत ह व ककतनी सही ह या

गलत ह13 लककन इसम कोई दो राय नही कक व दखन की9 अवबोध की वभनन परकवत की

उपज थीपरभाववादी अवबोध को आनणलड हाउजर न जाजण मजसकी क हवाल स या

समझाया ह कक अगर ककसी वसत को सामन रख पद क छोि स छद स दख(जो छद

इतना बड़ा हो कक राग तो कदख लककन इतना भी बड़ा नही कक राग क साथ-साथ वसत स

उसक समबनध भी कदख जाय ) तो जो हम कदखाई दगा वह एक अवनवित9माडराता

8

आभास होगा और यह उस राग-परकवत स वबलकल वभनन होगा जो हम आदतन ककसी

वसत स जोड़कर दखत रह ह

झसी म गागा क ककनार एक तथय-फलक

और इस दवि स9 अवि का राग अपनी दीवपत9रशम का राग अपनी काावत और जल अपनी

पारदरनशता खो दता ह परभाववाकदयो क यहाा राग ककसी वसत का ठोस गण न होकर एक

अमतण9अशरीरी9अभौवतक घिना की तरह परकि होत ह मानो व सवया-म-राग हो14

शमशर क दो ऐस वितर वमलत ह वजसम इस परकार क परभाववादी तकनीक का बखबी

परयोग हआ ह--- ^ झसी म गागा क ककनार एक तथय-फलक frac141952amp1953) और ^आइन

म शमशर frac141950) म राग और परकाश का वही नतरपिलीय पटरणाम कदखाई पड़ता ह

वजस परभाववादी वितरकार अपना लकषय मानत थ

9

vkbus esa keksj frac141950)

वहसपानी वितरकार गोया(1746-1828) का कहना था कक ^^परकवत म रखा कहाा हमझ तो

कवल परकावशत व अपरकावशत आकार कदखाई दत ह----समतल जो वनकि ह और समतल

जो दर ह मझ रखाएा एवा बारीककयाा कदखाई नही दतीम वयवकत क वसर क बालो को

नही वगन सकता9न उसक कोि क बिनो कोमझ जो कदखाई नही दता वह दखन का मरी

किी को कोई अवधकार नहीrdquo15 शमशर क इन दोनो वितरो को दखकर एवारार

मान(1832-83) क उस कथन का याद आता ह जब ककसी वमतर न उनक वयवकतसमहो क

एक वितर को दखकर उनस पछा था कक इस वितर म आपन ककस वयवकत को सवाणवधक

महतव कदया ह तब उनका कहना था कक ^^ककसी भी वितर म सबस परमख वयवकत होता ह

परकाशrdquo16 परकाश की इसी कनदरीयता को रखााककत करत हए हबणि रीड न कहा ह कक

परभाववाद परकवत की परगीतातमकता या उसक रपराग की पणण अवभवयवकत ह9उस

10

सौनदयण क9 जो पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होत ह17 शमशर क इन

वितरो का सौनदयण पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होन वाला सौनदयण ह

लककन जहाा परभाववाकदयो क वपरज़म परकवत क सातो रागो की छिा और वभव स वनरनमत

कदखाई दता ह 9आइन म शमशर महज दो रागो क माधयम स परवतवबवमबत होत दख जा

सकत ह कया यह कम बड़ी उपलवदध ह पविमी कला का ववकास9 यरोपीय पनजाणगरण एवा

परभाववाद क बाद इस महतवकााकषा स हआ कक परकवत की अनकवत क बजाय उसकी

पनरणिना की जाय सजाा (1839-1906) क यहाा परकवत की पनरणिना हघनवाकदयो न

परकवत को ववचछद कर ववशलशन करन का काम ककया अवतयथाथणवाकदयो न परकवत क

बाहरी यथाथण को भदकर उसक आातटरक सतय को उद घाटित करन की कोवशश की

दादावादी सवपनो9कदवासवपनो और फा तावसयो की दवनया म नय मील क पतथर ढाढत

रहअमतणनवाकदयो न रप और रागो की अमतण बनावि क सहार परकवत की अपनी वनताात

वनजी वयाखया परसतत कीभववषयवाकदयो न वितर की सामानयत वसथर कला म दश और

काल को अवभवयकत करन का परयास ककया18

शमशर क अवभवयाजनावादी वितर

भारतीय कलाकारो का अवभवयाजनावाद स पटरिय जमणन अवभवयाजनावाकदयो वारारा

हआ19 भारतीय कलाकारो का पविमी कला स पटरिय आरमभ म मलकवतयो क

बजाय परवतकवतयो क माधयम स हआ लककन सनbdquo22 म कलकतता म जमणन

अवभवयाजनावाकदयो की एक परदशणनी आयोवजत हई थीयह भारत म यरोपीय कला क

11

शीषणकहीन

12

गर-अागरज़ उसतादो की मौवलक कलाकवतयो की पहली परदशणनी थी20 अगर

परभाववाकदयो का सासार उललास और आननद का सासार था तो अवभवयाजनावाकदयो की

दवनयाा भय9खौफ़ आताक और ववकवतयो स

भरी हई थीआियण नही कक कलकतता-समह और परगवतशील कलाकार समह क

कलाकारो न बड़ पमान पर अवभवयाजनावादी महावरो को हसतगत करन का परयास

ककया कयोकक य भी अपनी वसथवत9जहाा तक भाव-दशा और सामावजक अलगाव का परशन

ह डरसडन क डाय बरयक और मयवनक क डर दलौ रायिर क समान समझत थ 21

अवभवयाजनावाद कला की एक परववतत भी ह और यरोपीय कला क इवतहास का एक दौर

भीपरववतत क रप म यह आतमवनषठ कला ह जो भावातमक परभाव क वलए ववरपण और

अवतराजना का सहारा लती हयह आधवनक यरोपीय कला की वह परववतत ह जहाा

कलाकार अपनी आातटरक समवदना को अवभवयकत करन क वलए अपराकवतक तीख रागो

और ववरवपत रपाकारो का सहारा लत हयह परववतत वान गो(1853-90) स मानी जाती

रही ह और इस अथण म यह उननीसवी शती क परकतवाद क वखलाफ बगावत भी कही

गईसीवमत अथण म इस जमणन कला-आनदोलन ववशष क रप म भी विवननत ककया जा

सकता ह जो 1905 स लकर 1930 तक सककरय रहा22 शमशर इन वितरो म पराकवतक

रपाकारो को अपनी भावनाओ क अनरप ववरवपत करत कदखाई पड़त ह और

अवभवयाजनावाकदयो की तरह बहद तीख एवा आकरमक रागो क परयोग स भी नही

वहिकतनील9 काल एवा धसर रागो स शमशर यहाा ककसी वसतगत यथाथण को परसतत

नही करत और न ही उस पर आधाटरत कोई अमतण धारणा का वनरपण ही करत जान

पड़त ह बवलक उनका उददशय ह अपनी आतमगत समवदनाओ को अवभवयावजत करना

एडवाडण माख (1863-1944) क वितरो की तरह इनम कलाकार क अातमणन की आवाज ह

और वजसम वाहय रपाकार का कोई महतव नही आियण नही कक अवभवयाजनावाद न

अपना अगला क़दम अमतणन की दवनया म रखा था और इस ओर पहला कदम उठान

वालो म वावसली काबनदसकी (1866-1944) थ वजनहोन न वसफण अमतण अवभवयाजनावादी

कवतयाा रिी (उनकी कवतयाा सागीत की रपाकर समतलय मानी गई ह23)बवलक इसका एक

मकममल सौनदयणशासतर भी रिन का परयास ककया^dyk esa vkkfRedrk oa

^lery esa js[kk vkSj fcanq uked iqLrd esa काबनदसकी us izkd`frd oLrqvksa dks

l`tukRed Lora=rk ds fy ckkd वसदध करत हए यह मत परवतपाकदत ककया कक szlig

रागो व आकारो की ससागवत का आधार मानवीय आतमा स सोददशय समपकण ही हो

सकताहTHORN24

13

शमशर क अमतण वितर

शमशर भी कहत ह9 szlig अमतण का ववधान लन वाली कला खास तौर स हमार मन की

अादरनी सचचाइयो क वजतना वनकि होती ह 9उतना -- उस ढ़ग स-- मतण यानी साफ सीधी

सामन नजर आन वाली सचचाइ नही होती कयोकक हम अपनी भावनाओ म बहत कछ

अपन अनदर का ही जीवन जीत ह

szligसामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही बवलक

अपन अादर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर आन

वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण होता

szligइसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को हमार

सामन लाता ह---रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहावो और गवतयो म --- तो

वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल आता हहम खद अपनी वछपी हई ितनाओ स

अवधक पटरवित कराता हTHORN25

14

वितर साखया एक

keksj ds अवधकााश vमतण fp= vkd`frewydता क परतयकष वनषध स उतपनन ugha

हए gSaSa बवलक व fdlh oLrq- fLFkfr k भाव-n` क ^izR का साकषातकार जान

पड़त हgh otg gS fd muds fp=ksa esa jax vkSj js[kkvksa ds gkeZuh ls d

slk अवकाश mHkjrk fn[kkbZ nsrk gS tks Loa esa d lanHkZ gksrk gS] fdlh izkd`frd vkd`fr dk izfrikRed fp= ughaA ^iwtk dk d laHko

js[kkxfkrfrac141950frac12] ^d vkiexcllw की vxokuh esa frac141951frac12] ^dksaiy vkSj dfykiexcl ]

frac1450amp51frac12] ^xkskwfy dh csyk esa nwj nsgkr dk d jsyos LVsku]frac1448amp50frac12]

^pkiexcln dh vkiexcl[k vkSj jfDre vkj frac141952frac12] ^kdqUryk ds ijh yksd esa

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बहमाजली इमारत]pkiexcln vkSj kkod frac1455frac12 tSlh d`frksa esa flQZ khkZd

15

वितर साखया दो

gh nkZd dks fdlh izkd`frd oLrq ds izR k vocksk ls tksM+ ldrk gS ugha

rks keksj ds vfkdkak sls fp= gSa ftlesa u dksbZ khkZd gS vkSj u igpkuus

ksX dksbZ izkd`frd oLrq dk vkHkklA कया यह अनमान लगाया जा सकता ह कक

वितर साखया एक का शीषणक ह ^शरोता और दशणक frac1450amp51frac12]और वितर साखया दो का

^शका तला क परी लोक म frac1448amp50frac12इस सनदभण म gcZVZ jhM dk g dFku धयान

दन योगय gS fd9 szligFkkFkZokn vfHkOfDr dk LohdkjkRed i gS ftlesa thou ds

=klnh rRo dks Lohdkj dk Hkko gS ysfdu vewrZu d sls OfDr dh

izfrfOslashk gS tks kwUrk dh ujd ls yM+ jgk gS] g rhoz OFkk dh slh

vfHkOfDr gS tks vkofod fl)kar ij vfookl djrh gS vkSj ekuo eu

dh l`tukRed Lora=rk dks Lohdkj djrh gSATHORN26

भारतीय कला म अवभवयाजनावादी अमतणन क साथ ही साथ

अवतयथाथणवादी दौर भी गजरा रवीनदरनाथ ठाकर क बाद कलकतता समह क हमात वमशर

16

एवा मदरास समह क कसीएस पवनकर तथा कसीपाईन यहाा अवतयथाथणवाद क अगआ

मान जा सकत ह ^अवतयथाथणवाद का आरमभ पटरस म 1924 म हआइसक परथम

घोषणा-पतर म आनदर बरतो न सवपन और यथाथण जस परतीयमानत परसपर-ववरोधी

अवसथाओ को भववषय म अवतयथाथण (सरटरयल) म एकरप हो जान की पटरकलपना की

थीउनक अनसार अवतयथाथणवाद एक परकार क शदध मानवसक सवया-िालन का नाम ह

वजसक माधयम स सोिन की वासतववक परणाली को --सौनदयणशासतरीय व नवतक तथा

बवदध क ककसी वनयातरण स पर वसफण सोि स सािावलत परणाली को अवभवयकत ककया जा

सकता ह 27यह यरोप म फायड क मनोववशलषण का उतथान काल था और कलाकार

यथाथण को अवतकरवमत कर सकन वाल अवितन की वबमब-वनमाणण कषमता स अवभभत

थआियण नही कक इसकी परथम परदशणनी की सिी म पादलो वपकासो9 पाल कली9 मनर9

जयाा आपण9 माकस अनसिण9डी वशटरको जस वितरकार शावमल हए और बाद म िलकर ईव

ताागवी9आनदर माससो9जान मायरो9सालवाडोर डाली जस कलाकारो न इस अपनायायह

यरोपीय कला म9हबणिण रीड क शददो म कह तो ववसमय क पनजीवन की सथापना थी28

शमशर क अवतयथाथणवादी वितर

17

अवतयथाथणवाकदयो न कला म ववसमय क ततव को दो तरह स अरनजत ककया ----- एक

यथाथण को अयथाथण ढ़ग स परसतत कर और दसर अयथाथण को यथाथणवादी अाकन कर

कजहाा पहल क उदाहरण क रप म मायरो9आनदर मााससो की रिनाएा रखी जा सकती ह

वजसम फलो को आाख ह और पड़ो को कान (^जोता हआ खत) ह वही दसरा ढ़ग डाली

एवा ताागवी का ह जहाा जलता हआ वजराफ ह(^जलता वजराफ)9सखन क वलए डाल गय

कपड़ की तरह लिकती हई घवड़याा ह (^समवत का आगरह)9 वववितर ककसम क ककरमतत

एवा जादई वनसपवततयाा ह जो काफकाई सासार क परवतवबमब जान पड़त ह वस अवधकााश

अवतयथाथणवादी कवतयो म इन दोनो शवलयो को वमवशरत ढ़ाग स बरता गया ह

भारतीय वितरकला म अवतयथाथणवाद का ववकास सन सततर क दशक म हआ ववशषकर

जसवात बसह9सलतान अली9अवनल करावजया9इशवर सागरा9जसवामीनाथन9गलाम

शख9गनश पाइन9जोगन िौधरी9 ववकास भटटािायण9एरामिनदरन9भपन खककर की

रिनाओ म लककन शमशर क अवधकााश सरटरयल वितरो की रिना सन अड़तालीस स

लकर िौवन क बीि हई हशमशर आरमभ स ही अवतयथाथणवाद स बहद परभाववत थ

उनहोन एक सथल पर सवया कहा ह szlig योरोप क जो वितरकार थ और जो आनदोलन

अवतयथाथणवाद का वहाा पर िला था 9उसन बहत गहराई स मझको परभाववत ककया

THORN29 एक दसरी जगह भी उनहोन सवीकार ककया ह कक szligयह जो सरटरयवलसि पिसण आत

ह हमार यहाा 9मर कदमाग पर छा जात ह वह हबणिण रीड का जो सरटरयवलसि सागरह ह

9उसम पचचासो जो पलटस ह 9व न मालम ककतनी बार कदमाग स गजरी होगी9घमी

होगी9बसी होगी कदमाग मTHORN30 आियण नही कक शमशर क कावयलोक एवा वितरलोक ---

दोनो म अवतयथाथण वबमबो की इतनी बहलता ह शमशर की रिनाओ म^d

lqfjZfyLV psgjk frac141951frac12] ^d Yacutese vkSj mlds pkjksa vksj frac141950frac12 ^fitM+s

ds vanj rksrk jkuh frac141950frac129 ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129^रकषक

और तोता frac141950frac12 जसी कछ रिनाओ को छोड़कर बाकी अवतयथाथणवादी वितर

शीषणकहीन ह इन वितरो म सीन स खलती हई वखड़ककयाा ह9गलाबी तोत का वबललीनमा

नीलमाहा रकषक ह9खनी बालो वाला भवड़यानमा जानवर ह 9नाक और आाख क

बीिोबीि गालो पर दाात की पावकतयाा ह9बनद गाढ़ गलाबी होठो म परवश को आतर

नागमवण ह और सवपन की कई वसथवतयाा ह वसतत शमशर क य वितर मानव अातमणन क

गहयानधकार क परतीक ह यहाा अगर ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129और

^रकषक और तोता frac141950frac12 पर वविार कर तो bu nksuksa fp=ksa esa ml Mordfkes की

परतीकातमक अवभवयाजना भी कदख सकती gS वजस ukjh ds vga frac14bxksfrac12 oa mldh

okLrfod fLFkfr क chp gksus okys varfoZjksk ls पराय mRiUu मान वलया जाता

हA fiatM+s esa can ikh vkSj mlds ikl [kM+h L=h ds chp dbZ Lrjksa ij हो रह

laokn का अनमान लगाया जा सकता gS jkd vkSj ikh nksuksa dh fufr मानो

18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

mlds ^vfLrRo ls vyx gS vkSj fLFkfr dh foMEcuk g gS9 जसा fd

नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

fuksk dj fnk Fkk blfy vc rks वितरकारो क सामन gh बिा Fkk fd OfDr

ds ckg~ रikdkjksa dk FkkFkZijd vuqdjk ds ctk mlds vkarfjd nqfuk

dks vfHkODr करA YacutekM ds vवpsru fl)kar dk lgkjk ysrs gq fouk esa

YacutekM ds ledkyhu dykdkjksa us ---- vkuZYM lksucxZ] fjpMZ xslZy] bxku

flys us Bhd gh dke fdk Fkk tc os वयवकत-वितर-dyk ds ^izLisfDVo QaDku

ij tksj ns jgs FksA34keksj dgrs gSa szligisafVax esa dqN ugha j[kk gSA eq[ ckr

gS fd tks phtsa vkidks izHkkfor djrh gSa mlds Hkko dks vki vius isafVax esa

ys vkiexcl amp js[kkvksa ds djsDVusl ij dksbZ tksj ughaA eq[ ckr gS Hkko dk

vkuk ml isafVax esaATHORN35 vkSj g Hkko vk dSls fp= esa keksj अपन

xYiamppfj= jkethou क माधयम स यह नसखा परसताववत करत ह szligns[kks g nqfuk

rqEgkjs igpkuus ds fy d vkbuk[kkuk gSA xkSj ls blesa gj rjQ ns[kks]

dampd djA ku tekdjA fgEer vkSj lcz vkSj [kqkh ysdjA ns[kks] bu

vkbuksa ds vanj rqEgkjk viuk i fdlampfdl kDy esa utj vkrk gSA

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वजस wjksih dykampn`fV ls fcYdqy vyx माना गया gSA gSosy us fy[kk ह fd

wjksih dyk vdknfeksa esa Nk=ksas की vuqdjk kfDr fodflr djus ds fy

vkiexcl[k dh cM+h dVnkd izfkkk की वयवसथा gS tcfd izkP dykdkj अपनी

jpukRed kfDr ds vHkl kjk ही vuqdjk kerk vftZr dj लता gSA

20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 8: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

8

आभास होगा और यह उस राग-परकवत स वबलकल वभनन होगा जो हम आदतन ककसी

वसत स जोड़कर दखत रह ह

झसी म गागा क ककनार एक तथय-फलक

और इस दवि स9 अवि का राग अपनी दीवपत9रशम का राग अपनी काावत और जल अपनी

पारदरनशता खो दता ह परभाववाकदयो क यहाा राग ककसी वसत का ठोस गण न होकर एक

अमतण9अशरीरी9अभौवतक घिना की तरह परकि होत ह मानो व सवया-म-राग हो14

शमशर क दो ऐस वितर वमलत ह वजसम इस परकार क परभाववादी तकनीक का बखबी

परयोग हआ ह--- ^ झसी म गागा क ककनार एक तथय-फलक frac141952amp1953) और ^आइन

म शमशर frac141950) म राग और परकाश का वही नतरपिलीय पटरणाम कदखाई पड़ता ह

वजस परभाववादी वितरकार अपना लकषय मानत थ

9

vkbus esa keksj frac141950)

वहसपानी वितरकार गोया(1746-1828) का कहना था कक ^^परकवत म रखा कहाा हमझ तो

कवल परकावशत व अपरकावशत आकार कदखाई दत ह----समतल जो वनकि ह और समतल

जो दर ह मझ रखाएा एवा बारीककयाा कदखाई नही दतीम वयवकत क वसर क बालो को

नही वगन सकता9न उसक कोि क बिनो कोमझ जो कदखाई नही दता वह दखन का मरी

किी को कोई अवधकार नहीrdquo15 शमशर क इन दोनो वितरो को दखकर एवारार

मान(1832-83) क उस कथन का याद आता ह जब ककसी वमतर न उनक वयवकतसमहो क

एक वितर को दखकर उनस पछा था कक इस वितर म आपन ककस वयवकत को सवाणवधक

महतव कदया ह तब उनका कहना था कक ^^ककसी भी वितर म सबस परमख वयवकत होता ह

परकाशrdquo16 परकाश की इसी कनदरीयता को रखााककत करत हए हबणि रीड न कहा ह कक

परभाववाद परकवत की परगीतातमकता या उसक रपराग की पणण अवभवयवकत ह9उस

10

सौनदयण क9 जो पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होत ह17 शमशर क इन

वितरो का सौनदयण पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होन वाला सौनदयण ह

लककन जहाा परभाववाकदयो क वपरज़म परकवत क सातो रागो की छिा और वभव स वनरनमत

कदखाई दता ह 9आइन म शमशर महज दो रागो क माधयम स परवतवबवमबत होत दख जा

सकत ह कया यह कम बड़ी उपलवदध ह पविमी कला का ववकास9 यरोपीय पनजाणगरण एवा

परभाववाद क बाद इस महतवकााकषा स हआ कक परकवत की अनकवत क बजाय उसकी

पनरणिना की जाय सजाा (1839-1906) क यहाा परकवत की पनरणिना हघनवाकदयो न

परकवत को ववचछद कर ववशलशन करन का काम ककया अवतयथाथणवाकदयो न परकवत क

बाहरी यथाथण को भदकर उसक आातटरक सतय को उद घाटित करन की कोवशश की

दादावादी सवपनो9कदवासवपनो और फा तावसयो की दवनया म नय मील क पतथर ढाढत

रहअमतणनवाकदयो न रप और रागो की अमतण बनावि क सहार परकवत की अपनी वनताात

वनजी वयाखया परसतत कीभववषयवाकदयो न वितर की सामानयत वसथर कला म दश और

काल को अवभवयकत करन का परयास ककया18

शमशर क अवभवयाजनावादी वितर

भारतीय कलाकारो का अवभवयाजनावाद स पटरिय जमणन अवभवयाजनावाकदयो वारारा

हआ19 भारतीय कलाकारो का पविमी कला स पटरिय आरमभ म मलकवतयो क

बजाय परवतकवतयो क माधयम स हआ लककन सनbdquo22 म कलकतता म जमणन

अवभवयाजनावाकदयो की एक परदशणनी आयोवजत हई थीयह भारत म यरोपीय कला क

11

शीषणकहीन

12

गर-अागरज़ उसतादो की मौवलक कलाकवतयो की पहली परदशणनी थी20 अगर

परभाववाकदयो का सासार उललास और आननद का सासार था तो अवभवयाजनावाकदयो की

दवनयाा भय9खौफ़ आताक और ववकवतयो स

भरी हई थीआियण नही कक कलकतता-समह और परगवतशील कलाकार समह क

कलाकारो न बड़ पमान पर अवभवयाजनावादी महावरो को हसतगत करन का परयास

ककया कयोकक य भी अपनी वसथवत9जहाा तक भाव-दशा और सामावजक अलगाव का परशन

ह डरसडन क डाय बरयक और मयवनक क डर दलौ रायिर क समान समझत थ 21

अवभवयाजनावाद कला की एक परववतत भी ह और यरोपीय कला क इवतहास का एक दौर

भीपरववतत क रप म यह आतमवनषठ कला ह जो भावातमक परभाव क वलए ववरपण और

अवतराजना का सहारा लती हयह आधवनक यरोपीय कला की वह परववतत ह जहाा

कलाकार अपनी आातटरक समवदना को अवभवयकत करन क वलए अपराकवतक तीख रागो

और ववरवपत रपाकारो का सहारा लत हयह परववतत वान गो(1853-90) स मानी जाती

रही ह और इस अथण म यह उननीसवी शती क परकतवाद क वखलाफ बगावत भी कही

गईसीवमत अथण म इस जमणन कला-आनदोलन ववशष क रप म भी विवननत ककया जा

सकता ह जो 1905 स लकर 1930 तक सककरय रहा22 शमशर इन वितरो म पराकवतक

रपाकारो को अपनी भावनाओ क अनरप ववरवपत करत कदखाई पड़त ह और

अवभवयाजनावाकदयो की तरह बहद तीख एवा आकरमक रागो क परयोग स भी नही

वहिकतनील9 काल एवा धसर रागो स शमशर यहाा ककसी वसतगत यथाथण को परसतत

नही करत और न ही उस पर आधाटरत कोई अमतण धारणा का वनरपण ही करत जान

पड़त ह बवलक उनका उददशय ह अपनी आतमगत समवदनाओ को अवभवयावजत करना

एडवाडण माख (1863-1944) क वितरो की तरह इनम कलाकार क अातमणन की आवाज ह

और वजसम वाहय रपाकार का कोई महतव नही आियण नही कक अवभवयाजनावाद न

अपना अगला क़दम अमतणन की दवनया म रखा था और इस ओर पहला कदम उठान

वालो म वावसली काबनदसकी (1866-1944) थ वजनहोन न वसफण अमतण अवभवयाजनावादी

कवतयाा रिी (उनकी कवतयाा सागीत की रपाकर समतलय मानी गई ह23)बवलक इसका एक

मकममल सौनदयणशासतर भी रिन का परयास ककया^dyk esa vkkfRedrk oa

^lery esa js[kk vkSj fcanq uked iqLrd esa काबनदसकी us izkd`frd oLrqvksa dks

l`tukRed Lora=rk ds fy ckkd वसदध करत हए यह मत परवतपाकदत ककया कक szlig

रागो व आकारो की ससागवत का आधार मानवीय आतमा स सोददशय समपकण ही हो

सकताहTHORN24

13

शमशर क अमतण वितर

शमशर भी कहत ह9 szlig अमतण का ववधान लन वाली कला खास तौर स हमार मन की

अादरनी सचचाइयो क वजतना वनकि होती ह 9उतना -- उस ढ़ग स-- मतण यानी साफ सीधी

सामन नजर आन वाली सचचाइ नही होती कयोकक हम अपनी भावनाओ म बहत कछ

अपन अनदर का ही जीवन जीत ह

szligसामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही बवलक

अपन अादर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर आन

वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण होता

szligइसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को हमार

सामन लाता ह---रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहावो और गवतयो म --- तो

वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल आता हहम खद अपनी वछपी हई ितनाओ स

अवधक पटरवित कराता हTHORN25

14

वितर साखया एक

keksj ds अवधकााश vमतण fp= vkd`frewydता क परतयकष वनषध स उतपनन ugha

हए gSaSa बवलक व fdlh oLrq- fLFkfr k भाव-n` क ^izR का साकषातकार जान

पड़त हgh otg gS fd muds fp=ksa esa jax vkSj js[kkvksa ds gkeZuh ls d

slk अवकाश mHkjrk fn[kkbZ nsrk gS tks Loa esa d lanHkZ gksrk gS] fdlh izkd`frd vkd`fr dk izfrikRed fp= ughaA ^iwtk dk d laHko

js[kkxfkrfrac141950frac12] ^d vkiexcllw की vxokuh esa frac141951frac12] ^dksaiy vkSj dfykiexcl ]

frac1450amp51frac12] ^xkskwfy dh csyk esa nwj nsgkr dk d jsyos LVsku]frac1448amp50frac12]

^pkiexcln dh vkiexcl[k vkSj jfDre vkj frac141952frac12] ^kdqUryk ds ijh yksd esa

frac1448amp50frac12] ^rirh pV~Vkuksa dks ckiexclkrh d dksey tyampkkjk frac141952frac12]^d

बहमाजली इमारत]pkiexcln vkSj kkod frac1455frac12 tSlh d`frksa esa flQZ khkZd

15

वितर साखया दो

gh nkZd dks fdlh izkd`frd oLrq ds izR k vocksk ls tksM+ ldrk gS ugha

rks keksj ds vfkdkak sls fp= gSa ftlesa u dksbZ khkZd gS vkSj u igpkuus

ksX dksbZ izkd`frd oLrq dk vkHkklA कया यह अनमान लगाया जा सकता ह कक

वितर साखया एक का शीषणक ह ^शरोता और दशणक frac1450amp51frac12]और वितर साखया दो का

^शका तला क परी लोक म frac1448amp50frac12इस सनदभण म gcZVZ jhM dk g dFku धयान

दन योगय gS fd9 szligFkkFkZokn vfHkOfDr dk LohdkjkRed i gS ftlesa thou ds

=klnh rRo dks Lohdkj dk Hkko gS ysfdu vewrZu d sls OfDr dh

izfrfOslashk gS tks kwUrk dh ujd ls yM+ jgk gS] g rhoz OFkk dh slh

vfHkOfDr gS tks vkofod fl)kar ij vfookl djrh gS vkSj ekuo eu

dh l`tukRed Lora=rk dks Lohdkj djrh gSATHORN26

भारतीय कला म अवभवयाजनावादी अमतणन क साथ ही साथ

अवतयथाथणवादी दौर भी गजरा रवीनदरनाथ ठाकर क बाद कलकतता समह क हमात वमशर

16

एवा मदरास समह क कसीएस पवनकर तथा कसीपाईन यहाा अवतयथाथणवाद क अगआ

मान जा सकत ह ^अवतयथाथणवाद का आरमभ पटरस म 1924 म हआइसक परथम

घोषणा-पतर म आनदर बरतो न सवपन और यथाथण जस परतीयमानत परसपर-ववरोधी

अवसथाओ को भववषय म अवतयथाथण (सरटरयल) म एकरप हो जान की पटरकलपना की

थीउनक अनसार अवतयथाथणवाद एक परकार क शदध मानवसक सवया-िालन का नाम ह

वजसक माधयम स सोिन की वासतववक परणाली को --सौनदयणशासतरीय व नवतक तथा

बवदध क ककसी वनयातरण स पर वसफण सोि स सािावलत परणाली को अवभवयकत ककया जा

सकता ह 27यह यरोप म फायड क मनोववशलषण का उतथान काल था और कलाकार

यथाथण को अवतकरवमत कर सकन वाल अवितन की वबमब-वनमाणण कषमता स अवभभत

थआियण नही कक इसकी परथम परदशणनी की सिी म पादलो वपकासो9 पाल कली9 मनर9

जयाा आपण9 माकस अनसिण9डी वशटरको जस वितरकार शावमल हए और बाद म िलकर ईव

ताागवी9आनदर माससो9जान मायरो9सालवाडोर डाली जस कलाकारो न इस अपनायायह

यरोपीय कला म9हबणिण रीड क शददो म कह तो ववसमय क पनजीवन की सथापना थी28

शमशर क अवतयथाथणवादी वितर

17

अवतयथाथणवाकदयो न कला म ववसमय क ततव को दो तरह स अरनजत ककया ----- एक

यथाथण को अयथाथण ढ़ग स परसतत कर और दसर अयथाथण को यथाथणवादी अाकन कर

कजहाा पहल क उदाहरण क रप म मायरो9आनदर मााससो की रिनाएा रखी जा सकती ह

वजसम फलो को आाख ह और पड़ो को कान (^जोता हआ खत) ह वही दसरा ढ़ग डाली

एवा ताागवी का ह जहाा जलता हआ वजराफ ह(^जलता वजराफ)9सखन क वलए डाल गय

कपड़ की तरह लिकती हई घवड़याा ह (^समवत का आगरह)9 वववितर ककसम क ककरमतत

एवा जादई वनसपवततयाा ह जो काफकाई सासार क परवतवबमब जान पड़त ह वस अवधकााश

अवतयथाथणवादी कवतयो म इन दोनो शवलयो को वमवशरत ढ़ाग स बरता गया ह

भारतीय वितरकला म अवतयथाथणवाद का ववकास सन सततर क दशक म हआ ववशषकर

जसवात बसह9सलतान अली9अवनल करावजया9इशवर सागरा9जसवामीनाथन9गलाम

शख9गनश पाइन9जोगन िौधरी9 ववकास भटटािायण9एरामिनदरन9भपन खककर की

रिनाओ म लककन शमशर क अवधकााश सरटरयल वितरो की रिना सन अड़तालीस स

लकर िौवन क बीि हई हशमशर आरमभ स ही अवतयथाथणवाद स बहद परभाववत थ

उनहोन एक सथल पर सवया कहा ह szlig योरोप क जो वितरकार थ और जो आनदोलन

अवतयथाथणवाद का वहाा पर िला था 9उसन बहत गहराई स मझको परभाववत ककया

THORN29 एक दसरी जगह भी उनहोन सवीकार ककया ह कक szligयह जो सरटरयवलसि पिसण आत

ह हमार यहाा 9मर कदमाग पर छा जात ह वह हबणिण रीड का जो सरटरयवलसि सागरह ह

9उसम पचचासो जो पलटस ह 9व न मालम ककतनी बार कदमाग स गजरी होगी9घमी

होगी9बसी होगी कदमाग मTHORN30 आियण नही कक शमशर क कावयलोक एवा वितरलोक ---

दोनो म अवतयथाथण वबमबो की इतनी बहलता ह शमशर की रिनाओ म^d

lqfjZfyLV psgjk frac141951frac12] ^d Yacutese vkSj mlds pkjksa vksj frac141950frac12 ^fitM+s

ds vanj rksrk jkuh frac141950frac129 ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129^रकषक

और तोता frac141950frac12 जसी कछ रिनाओ को छोड़कर बाकी अवतयथाथणवादी वितर

शीषणकहीन ह इन वितरो म सीन स खलती हई वखड़ककयाा ह9गलाबी तोत का वबललीनमा

नीलमाहा रकषक ह9खनी बालो वाला भवड़यानमा जानवर ह 9नाक और आाख क

बीिोबीि गालो पर दाात की पावकतयाा ह9बनद गाढ़ गलाबी होठो म परवश को आतर

नागमवण ह और सवपन की कई वसथवतयाा ह वसतत शमशर क य वितर मानव अातमणन क

गहयानधकार क परतीक ह यहाा अगर ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129और

^रकषक और तोता frac141950frac12 पर वविार कर तो bu nksuksa fp=ksa esa ml Mordfkes की

परतीकातमक अवभवयाजना भी कदख सकती gS वजस ukjh ds vga frac14bxksfrac12 oa mldh

okLrfod fLFkfr क chp gksus okys varfoZjksk ls पराय mRiUu मान वलया जाता

हA fiatM+s esa can ikh vkSj mlds ikl [kM+h L=h ds chp dbZ Lrjksa ij हो रह

laokn का अनमान लगाया जा सकता gS jkd vkSj ikh nksuksa dh fufr मानो

18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

mlds ^vfLrRo ls vyx gS vkSj fLFkfr dh foMEcuk g gS9 जसा fd

नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

fuksk dj fnk Fkk blfy vc rks वितरकारो क सामन gh बिा Fkk fd OfDr

ds ckg~ रikdkjksa dk FkkFkZijd vuqdjk ds ctk mlds vkarfjd nqfuk

dks vfHkODr करA YacutekM ds vवpsru fl)kar dk lgkjk ysrs gq fouk esa

YacutekM ds ledkyhu dykdkjksa us ---- vkuZYM lksucxZ] fjpMZ xslZy] bxku

flys us Bhd gh dke fdk Fkk tc os वयवकत-वितर-dyk ds ^izLisfDVo QaDku

ij tksj ns jgs FksA34keksj dgrs gSa szligisafVax esa dqN ugha j[kk gSA eq[ ckr

gS fd tks phtsa vkidks izHkkfor djrh gSa mlds Hkko dks vki vius isafVax esa

ys vkiexcl amp js[kkvksa ds djsDVusl ij dksbZ tksj ughaA eq[ ckr gS Hkko dk

vkuk ml isafVax esaATHORN35 vkSj g Hkko vk dSls fp= esa keksj अपन

xYiamppfj= jkethou क माधयम स यह नसखा परसताववत करत ह szligns[kks g nqfuk

rqEgkjs igpkuus ds fy d vkbuk[kkuk gSA xkSj ls blesa gj rjQ ns[kks]

dampd djA ku tekdjA fgEer vkSj lcz vkSj [kqkh ysdjA ns[kks] bu

vkbuksa ds vanj rqEgkjk viuk i fdlampfdl kDy esa utj vkrk gSA

DkampDk jax] DkampDk pkyampltky] DkampDk Nqikoampcuko] mBko] mHkkj vkSj

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vUnjampvUnj amp ogha Mwc tkdj xgjs] vkSj xgjs] vkSj xgjs--- nwj rd tgkiexcl

rd Hkh tk ldrs gks] tkvks----ATHORN36 कया g Hkkjrh k izkP dykampn`fV gS

वजस wjksih dykampn`fV ls fcYdqy vyx माना गया gSA gSosy us fy[kk ह fd

wjksih dyk vdknfeksa esa Nk=ksas की vuqdjk kfDr fodflr djus ds fy

vkiexcl[k dh cM+h dVnkd izfkkk की वयवसथा gS tcfd izkP dykdkj अपनी

jpukRed kfDr ds vHkl kjk ही vuqdjk kerk vftZr dj लता gSA

20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

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उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

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एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 9: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

9

vkbus esa keksj frac141950)

वहसपानी वितरकार गोया(1746-1828) का कहना था कक ^^परकवत म रखा कहाा हमझ तो

कवल परकावशत व अपरकावशत आकार कदखाई दत ह----समतल जो वनकि ह और समतल

जो दर ह मझ रखाएा एवा बारीककयाा कदखाई नही दतीम वयवकत क वसर क बालो को

नही वगन सकता9न उसक कोि क बिनो कोमझ जो कदखाई नही दता वह दखन का मरी

किी को कोई अवधकार नहीrdquo15 शमशर क इन दोनो वितरो को दखकर एवारार

मान(1832-83) क उस कथन का याद आता ह जब ककसी वमतर न उनक वयवकतसमहो क

एक वितर को दखकर उनस पछा था कक इस वितर म आपन ककस वयवकत को सवाणवधक

महतव कदया ह तब उनका कहना था कक ^^ककसी भी वितर म सबस परमख वयवकत होता ह

परकाशrdquo16 परकाश की इसी कनदरीयता को रखााककत करत हए हबणि रीड न कहा ह कक

परभाववाद परकवत की परगीतातमकता या उसक रपराग की पणण अवभवयवकत ह9उस

10

सौनदयण क9 जो पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होत ह17 शमशर क इन

वितरो का सौनदयण पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होन वाला सौनदयण ह

लककन जहाा परभाववाकदयो क वपरज़म परकवत क सातो रागो की छिा और वभव स वनरनमत

कदखाई दता ह 9आइन म शमशर महज दो रागो क माधयम स परवतवबवमबत होत दख जा

सकत ह कया यह कम बड़ी उपलवदध ह पविमी कला का ववकास9 यरोपीय पनजाणगरण एवा

परभाववाद क बाद इस महतवकााकषा स हआ कक परकवत की अनकवत क बजाय उसकी

पनरणिना की जाय सजाा (1839-1906) क यहाा परकवत की पनरणिना हघनवाकदयो न

परकवत को ववचछद कर ववशलशन करन का काम ककया अवतयथाथणवाकदयो न परकवत क

बाहरी यथाथण को भदकर उसक आातटरक सतय को उद घाटित करन की कोवशश की

दादावादी सवपनो9कदवासवपनो और फा तावसयो की दवनया म नय मील क पतथर ढाढत

रहअमतणनवाकदयो न रप और रागो की अमतण बनावि क सहार परकवत की अपनी वनताात

वनजी वयाखया परसतत कीभववषयवाकदयो न वितर की सामानयत वसथर कला म दश और

काल को अवभवयकत करन का परयास ककया18

शमशर क अवभवयाजनावादी वितर

भारतीय कलाकारो का अवभवयाजनावाद स पटरिय जमणन अवभवयाजनावाकदयो वारारा

हआ19 भारतीय कलाकारो का पविमी कला स पटरिय आरमभ म मलकवतयो क

बजाय परवतकवतयो क माधयम स हआ लककन सनbdquo22 म कलकतता म जमणन

अवभवयाजनावाकदयो की एक परदशणनी आयोवजत हई थीयह भारत म यरोपीय कला क

11

शीषणकहीन

12

गर-अागरज़ उसतादो की मौवलक कलाकवतयो की पहली परदशणनी थी20 अगर

परभाववाकदयो का सासार उललास और आननद का सासार था तो अवभवयाजनावाकदयो की

दवनयाा भय9खौफ़ आताक और ववकवतयो स

भरी हई थीआियण नही कक कलकतता-समह और परगवतशील कलाकार समह क

कलाकारो न बड़ पमान पर अवभवयाजनावादी महावरो को हसतगत करन का परयास

ककया कयोकक य भी अपनी वसथवत9जहाा तक भाव-दशा और सामावजक अलगाव का परशन

ह डरसडन क डाय बरयक और मयवनक क डर दलौ रायिर क समान समझत थ 21

अवभवयाजनावाद कला की एक परववतत भी ह और यरोपीय कला क इवतहास का एक दौर

भीपरववतत क रप म यह आतमवनषठ कला ह जो भावातमक परभाव क वलए ववरपण और

अवतराजना का सहारा लती हयह आधवनक यरोपीय कला की वह परववतत ह जहाा

कलाकार अपनी आातटरक समवदना को अवभवयकत करन क वलए अपराकवतक तीख रागो

और ववरवपत रपाकारो का सहारा लत हयह परववतत वान गो(1853-90) स मानी जाती

रही ह और इस अथण म यह उननीसवी शती क परकतवाद क वखलाफ बगावत भी कही

गईसीवमत अथण म इस जमणन कला-आनदोलन ववशष क रप म भी विवननत ककया जा

सकता ह जो 1905 स लकर 1930 तक सककरय रहा22 शमशर इन वितरो म पराकवतक

रपाकारो को अपनी भावनाओ क अनरप ववरवपत करत कदखाई पड़त ह और

अवभवयाजनावाकदयो की तरह बहद तीख एवा आकरमक रागो क परयोग स भी नही

वहिकतनील9 काल एवा धसर रागो स शमशर यहाा ककसी वसतगत यथाथण को परसतत

नही करत और न ही उस पर आधाटरत कोई अमतण धारणा का वनरपण ही करत जान

पड़त ह बवलक उनका उददशय ह अपनी आतमगत समवदनाओ को अवभवयावजत करना

एडवाडण माख (1863-1944) क वितरो की तरह इनम कलाकार क अातमणन की आवाज ह

और वजसम वाहय रपाकार का कोई महतव नही आियण नही कक अवभवयाजनावाद न

अपना अगला क़दम अमतणन की दवनया म रखा था और इस ओर पहला कदम उठान

वालो म वावसली काबनदसकी (1866-1944) थ वजनहोन न वसफण अमतण अवभवयाजनावादी

कवतयाा रिी (उनकी कवतयाा सागीत की रपाकर समतलय मानी गई ह23)बवलक इसका एक

मकममल सौनदयणशासतर भी रिन का परयास ककया^dyk esa vkkfRedrk oa

^lery esa js[kk vkSj fcanq uked iqLrd esa काबनदसकी us izkd`frd oLrqvksa dks

l`tukRed Lora=rk ds fy ckkd वसदध करत हए यह मत परवतपाकदत ककया कक szlig

रागो व आकारो की ससागवत का आधार मानवीय आतमा स सोददशय समपकण ही हो

सकताहTHORN24

13

शमशर क अमतण वितर

शमशर भी कहत ह9 szlig अमतण का ववधान लन वाली कला खास तौर स हमार मन की

अादरनी सचचाइयो क वजतना वनकि होती ह 9उतना -- उस ढ़ग स-- मतण यानी साफ सीधी

सामन नजर आन वाली सचचाइ नही होती कयोकक हम अपनी भावनाओ म बहत कछ

अपन अनदर का ही जीवन जीत ह

szligसामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही बवलक

अपन अादर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर आन

वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण होता

szligइसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को हमार

सामन लाता ह---रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहावो और गवतयो म --- तो

वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल आता हहम खद अपनी वछपी हई ितनाओ स

अवधक पटरवित कराता हTHORN25

14

वितर साखया एक

keksj ds अवधकााश vमतण fp= vkd`frewydता क परतयकष वनषध स उतपनन ugha

हए gSaSa बवलक व fdlh oLrq- fLFkfr k भाव-n` क ^izR का साकषातकार जान

पड़त हgh otg gS fd muds fp=ksa esa jax vkSj js[kkvksa ds gkeZuh ls d

slk अवकाश mHkjrk fn[kkbZ nsrk gS tks Loa esa d lanHkZ gksrk gS] fdlh izkd`frd vkd`fr dk izfrikRed fp= ughaA ^iwtk dk d laHko

js[kkxfkrfrac141950frac12] ^d vkiexcllw की vxokuh esa frac141951frac12] ^dksaiy vkSj dfykiexcl ]

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बहमाजली इमारत]pkiexcln vkSj kkod frac1455frac12 tSlh d`frksa esa flQZ khkZd

15

वितर साखया दो

gh nkZd dks fdlh izkd`frd oLrq ds izR k vocksk ls tksM+ ldrk gS ugha

rks keksj ds vfkdkak sls fp= gSa ftlesa u dksbZ khkZd gS vkSj u igpkuus

ksX dksbZ izkd`frd oLrq dk vkHkklA कया यह अनमान लगाया जा सकता ह कक

वितर साखया एक का शीषणक ह ^शरोता और दशणक frac1450amp51frac12]और वितर साखया दो का

^शका तला क परी लोक म frac1448amp50frac12इस सनदभण म gcZVZ jhM dk g dFku धयान

दन योगय gS fd9 szligFkkFkZokn vfHkOfDr dk LohdkjkRed i gS ftlesa thou ds

=klnh rRo dks Lohdkj dk Hkko gS ysfdu vewrZu d sls OfDr dh

izfrfOslashk gS tks kwUrk dh ujd ls yM+ jgk gS] g rhoz OFkk dh slh

vfHkOfDr gS tks vkofod fl)kar ij vfookl djrh gS vkSj ekuo eu

dh l`tukRed Lora=rk dks Lohdkj djrh gSATHORN26

भारतीय कला म अवभवयाजनावादी अमतणन क साथ ही साथ

अवतयथाथणवादी दौर भी गजरा रवीनदरनाथ ठाकर क बाद कलकतता समह क हमात वमशर

16

एवा मदरास समह क कसीएस पवनकर तथा कसीपाईन यहाा अवतयथाथणवाद क अगआ

मान जा सकत ह ^अवतयथाथणवाद का आरमभ पटरस म 1924 म हआइसक परथम

घोषणा-पतर म आनदर बरतो न सवपन और यथाथण जस परतीयमानत परसपर-ववरोधी

अवसथाओ को भववषय म अवतयथाथण (सरटरयल) म एकरप हो जान की पटरकलपना की

थीउनक अनसार अवतयथाथणवाद एक परकार क शदध मानवसक सवया-िालन का नाम ह

वजसक माधयम स सोिन की वासतववक परणाली को --सौनदयणशासतरीय व नवतक तथा

बवदध क ककसी वनयातरण स पर वसफण सोि स सािावलत परणाली को अवभवयकत ककया जा

सकता ह 27यह यरोप म फायड क मनोववशलषण का उतथान काल था और कलाकार

यथाथण को अवतकरवमत कर सकन वाल अवितन की वबमब-वनमाणण कषमता स अवभभत

थआियण नही कक इसकी परथम परदशणनी की सिी म पादलो वपकासो9 पाल कली9 मनर9

जयाा आपण9 माकस अनसिण9डी वशटरको जस वितरकार शावमल हए और बाद म िलकर ईव

ताागवी9आनदर माससो9जान मायरो9सालवाडोर डाली जस कलाकारो न इस अपनायायह

यरोपीय कला म9हबणिण रीड क शददो म कह तो ववसमय क पनजीवन की सथापना थी28

शमशर क अवतयथाथणवादी वितर

17

अवतयथाथणवाकदयो न कला म ववसमय क ततव को दो तरह स अरनजत ककया ----- एक

यथाथण को अयथाथण ढ़ग स परसतत कर और दसर अयथाथण को यथाथणवादी अाकन कर

कजहाा पहल क उदाहरण क रप म मायरो9आनदर मााससो की रिनाएा रखी जा सकती ह

वजसम फलो को आाख ह और पड़ो को कान (^जोता हआ खत) ह वही दसरा ढ़ग डाली

एवा ताागवी का ह जहाा जलता हआ वजराफ ह(^जलता वजराफ)9सखन क वलए डाल गय

कपड़ की तरह लिकती हई घवड़याा ह (^समवत का आगरह)9 वववितर ककसम क ककरमतत

एवा जादई वनसपवततयाा ह जो काफकाई सासार क परवतवबमब जान पड़त ह वस अवधकााश

अवतयथाथणवादी कवतयो म इन दोनो शवलयो को वमवशरत ढ़ाग स बरता गया ह

भारतीय वितरकला म अवतयथाथणवाद का ववकास सन सततर क दशक म हआ ववशषकर

जसवात बसह9सलतान अली9अवनल करावजया9इशवर सागरा9जसवामीनाथन9गलाम

शख9गनश पाइन9जोगन िौधरी9 ववकास भटटािायण9एरामिनदरन9भपन खककर की

रिनाओ म लककन शमशर क अवधकााश सरटरयल वितरो की रिना सन अड़तालीस स

लकर िौवन क बीि हई हशमशर आरमभ स ही अवतयथाथणवाद स बहद परभाववत थ

उनहोन एक सथल पर सवया कहा ह szlig योरोप क जो वितरकार थ और जो आनदोलन

अवतयथाथणवाद का वहाा पर िला था 9उसन बहत गहराई स मझको परभाववत ककया

THORN29 एक दसरी जगह भी उनहोन सवीकार ककया ह कक szligयह जो सरटरयवलसि पिसण आत

ह हमार यहाा 9मर कदमाग पर छा जात ह वह हबणिण रीड का जो सरटरयवलसि सागरह ह

9उसम पचचासो जो पलटस ह 9व न मालम ककतनी बार कदमाग स गजरी होगी9घमी

होगी9बसी होगी कदमाग मTHORN30 आियण नही कक शमशर क कावयलोक एवा वितरलोक ---

दोनो म अवतयथाथण वबमबो की इतनी बहलता ह शमशर की रिनाओ म^d

lqfjZfyLV psgjk frac141951frac12] ^d Yacutese vkSj mlds pkjksa vksj frac141950frac12 ^fitM+s

ds vanj rksrk jkuh frac141950frac129 ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129^रकषक

और तोता frac141950frac12 जसी कछ रिनाओ को छोड़कर बाकी अवतयथाथणवादी वितर

शीषणकहीन ह इन वितरो म सीन स खलती हई वखड़ककयाा ह9गलाबी तोत का वबललीनमा

नीलमाहा रकषक ह9खनी बालो वाला भवड़यानमा जानवर ह 9नाक और आाख क

बीिोबीि गालो पर दाात की पावकतयाा ह9बनद गाढ़ गलाबी होठो म परवश को आतर

नागमवण ह और सवपन की कई वसथवतयाा ह वसतत शमशर क य वितर मानव अातमणन क

गहयानधकार क परतीक ह यहाा अगर ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129और

^रकषक और तोता frac141950frac12 पर वविार कर तो bu nksuksa fp=ksa esa ml Mordfkes की

परतीकातमक अवभवयाजना भी कदख सकती gS वजस ukjh ds vga frac14bxksfrac12 oa mldh

okLrfod fLFkfr क chp gksus okys varfoZjksk ls पराय mRiUu मान वलया जाता

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18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

mlds ^vfLrRo ls vyx gS vkSj fLFkfr dh foMEcuk g gS9 जसा fd

नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

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20

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vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 10: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

10

सौनदयण क9 जो पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होत ह17 शमशर क इन

वितरो का सौनदयण पलवछन परकाश म अवतटरत और वतरोहीत होन वाला सौनदयण ह

लककन जहाा परभाववाकदयो क वपरज़म परकवत क सातो रागो की छिा और वभव स वनरनमत

कदखाई दता ह 9आइन म शमशर महज दो रागो क माधयम स परवतवबवमबत होत दख जा

सकत ह कया यह कम बड़ी उपलवदध ह पविमी कला का ववकास9 यरोपीय पनजाणगरण एवा

परभाववाद क बाद इस महतवकााकषा स हआ कक परकवत की अनकवत क बजाय उसकी

पनरणिना की जाय सजाा (1839-1906) क यहाा परकवत की पनरणिना हघनवाकदयो न

परकवत को ववचछद कर ववशलशन करन का काम ककया अवतयथाथणवाकदयो न परकवत क

बाहरी यथाथण को भदकर उसक आातटरक सतय को उद घाटित करन की कोवशश की

दादावादी सवपनो9कदवासवपनो और फा तावसयो की दवनया म नय मील क पतथर ढाढत

रहअमतणनवाकदयो न रप और रागो की अमतण बनावि क सहार परकवत की अपनी वनताात

वनजी वयाखया परसतत कीभववषयवाकदयो न वितर की सामानयत वसथर कला म दश और

काल को अवभवयकत करन का परयास ककया18

शमशर क अवभवयाजनावादी वितर

भारतीय कलाकारो का अवभवयाजनावाद स पटरिय जमणन अवभवयाजनावाकदयो वारारा

हआ19 भारतीय कलाकारो का पविमी कला स पटरिय आरमभ म मलकवतयो क

बजाय परवतकवतयो क माधयम स हआ लककन सनbdquo22 म कलकतता म जमणन

अवभवयाजनावाकदयो की एक परदशणनी आयोवजत हई थीयह भारत म यरोपीय कला क

11

शीषणकहीन

12

गर-अागरज़ उसतादो की मौवलक कलाकवतयो की पहली परदशणनी थी20 अगर

परभाववाकदयो का सासार उललास और आननद का सासार था तो अवभवयाजनावाकदयो की

दवनयाा भय9खौफ़ आताक और ववकवतयो स

भरी हई थीआियण नही कक कलकतता-समह और परगवतशील कलाकार समह क

कलाकारो न बड़ पमान पर अवभवयाजनावादी महावरो को हसतगत करन का परयास

ककया कयोकक य भी अपनी वसथवत9जहाा तक भाव-दशा और सामावजक अलगाव का परशन

ह डरसडन क डाय बरयक और मयवनक क डर दलौ रायिर क समान समझत थ 21

अवभवयाजनावाद कला की एक परववतत भी ह और यरोपीय कला क इवतहास का एक दौर

भीपरववतत क रप म यह आतमवनषठ कला ह जो भावातमक परभाव क वलए ववरपण और

अवतराजना का सहारा लती हयह आधवनक यरोपीय कला की वह परववतत ह जहाा

कलाकार अपनी आातटरक समवदना को अवभवयकत करन क वलए अपराकवतक तीख रागो

और ववरवपत रपाकारो का सहारा लत हयह परववतत वान गो(1853-90) स मानी जाती

रही ह और इस अथण म यह उननीसवी शती क परकतवाद क वखलाफ बगावत भी कही

गईसीवमत अथण म इस जमणन कला-आनदोलन ववशष क रप म भी विवननत ककया जा

सकता ह जो 1905 स लकर 1930 तक सककरय रहा22 शमशर इन वितरो म पराकवतक

रपाकारो को अपनी भावनाओ क अनरप ववरवपत करत कदखाई पड़त ह और

अवभवयाजनावाकदयो की तरह बहद तीख एवा आकरमक रागो क परयोग स भी नही

वहिकतनील9 काल एवा धसर रागो स शमशर यहाा ककसी वसतगत यथाथण को परसतत

नही करत और न ही उस पर आधाटरत कोई अमतण धारणा का वनरपण ही करत जान

पड़त ह बवलक उनका उददशय ह अपनी आतमगत समवदनाओ को अवभवयावजत करना

एडवाडण माख (1863-1944) क वितरो की तरह इनम कलाकार क अातमणन की आवाज ह

और वजसम वाहय रपाकार का कोई महतव नही आियण नही कक अवभवयाजनावाद न

अपना अगला क़दम अमतणन की दवनया म रखा था और इस ओर पहला कदम उठान

वालो म वावसली काबनदसकी (1866-1944) थ वजनहोन न वसफण अमतण अवभवयाजनावादी

कवतयाा रिी (उनकी कवतयाा सागीत की रपाकर समतलय मानी गई ह23)बवलक इसका एक

मकममल सौनदयणशासतर भी रिन का परयास ककया^dyk esa vkkfRedrk oa

^lery esa js[kk vkSj fcanq uked iqLrd esa काबनदसकी us izkd`frd oLrqvksa dks

l`tukRed Lora=rk ds fy ckkd वसदध करत हए यह मत परवतपाकदत ककया कक szlig

रागो व आकारो की ससागवत का आधार मानवीय आतमा स सोददशय समपकण ही हो

सकताहTHORN24

13

शमशर क अमतण वितर

शमशर भी कहत ह9 szlig अमतण का ववधान लन वाली कला खास तौर स हमार मन की

अादरनी सचचाइयो क वजतना वनकि होती ह 9उतना -- उस ढ़ग स-- मतण यानी साफ सीधी

सामन नजर आन वाली सचचाइ नही होती कयोकक हम अपनी भावनाओ म बहत कछ

अपन अनदर का ही जीवन जीत ह

szligसामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही बवलक

अपन अादर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर आन

वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण होता

szligइसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को हमार

सामन लाता ह---रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहावो और गवतयो म --- तो

वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल आता हहम खद अपनी वछपी हई ितनाओ स

अवधक पटरवित कराता हTHORN25

14

वितर साखया एक

keksj ds अवधकााश vमतण fp= vkd`frewydता क परतयकष वनषध स उतपनन ugha

हए gSaSa बवलक व fdlh oLrq- fLFkfr k भाव-n` क ^izR का साकषातकार जान

पड़त हgh otg gS fd muds fp=ksa esa jax vkSj js[kkvksa ds gkeZuh ls d

slk अवकाश mHkjrk fn[kkbZ nsrk gS tks Loa esa d lanHkZ gksrk gS] fdlh izkd`frd vkd`fr dk izfrikRed fp= ughaA ^iwtk dk d laHko

js[kkxfkrfrac141950frac12] ^d vkiexcllw की vxokuh esa frac141951frac12] ^dksaiy vkSj dfykiexcl ]

frac1450amp51frac12] ^xkskwfy dh csyk esa nwj nsgkr dk d jsyos LVsku]frac1448amp50frac12]

^pkiexcln dh vkiexcl[k vkSj jfDre vkj frac141952frac12] ^kdqUryk ds ijh yksd esa

frac1448amp50frac12] ^rirh pV~Vkuksa dks ckiexclkrh d dksey tyampkkjk frac141952frac12]^d

बहमाजली इमारत]pkiexcln vkSj kkod frac1455frac12 tSlh d`frksa esa flQZ khkZd

15

वितर साखया दो

gh nkZd dks fdlh izkd`frd oLrq ds izR k vocksk ls tksM+ ldrk gS ugha

rks keksj ds vfkdkak sls fp= gSa ftlesa u dksbZ khkZd gS vkSj u igpkuus

ksX dksbZ izkd`frd oLrq dk vkHkklA कया यह अनमान लगाया जा सकता ह कक

वितर साखया एक का शीषणक ह ^शरोता और दशणक frac1450amp51frac12]और वितर साखया दो का

^शका तला क परी लोक म frac1448amp50frac12इस सनदभण म gcZVZ jhM dk g dFku धयान

दन योगय gS fd9 szligFkkFkZokn vfHkOfDr dk LohdkjkRed i gS ftlesa thou ds

=klnh rRo dks Lohdkj dk Hkko gS ysfdu vewrZu d sls OfDr dh

izfrfOslashk gS tks kwUrk dh ujd ls yM+ jgk gS] g rhoz OFkk dh slh

vfHkOfDr gS tks vkofod fl)kar ij vfookl djrh gS vkSj ekuo eu

dh l`tukRed Lora=rk dks Lohdkj djrh gSATHORN26

भारतीय कला म अवभवयाजनावादी अमतणन क साथ ही साथ

अवतयथाथणवादी दौर भी गजरा रवीनदरनाथ ठाकर क बाद कलकतता समह क हमात वमशर

16

एवा मदरास समह क कसीएस पवनकर तथा कसीपाईन यहाा अवतयथाथणवाद क अगआ

मान जा सकत ह ^अवतयथाथणवाद का आरमभ पटरस म 1924 म हआइसक परथम

घोषणा-पतर म आनदर बरतो न सवपन और यथाथण जस परतीयमानत परसपर-ववरोधी

अवसथाओ को भववषय म अवतयथाथण (सरटरयल) म एकरप हो जान की पटरकलपना की

थीउनक अनसार अवतयथाथणवाद एक परकार क शदध मानवसक सवया-िालन का नाम ह

वजसक माधयम स सोिन की वासतववक परणाली को --सौनदयणशासतरीय व नवतक तथा

बवदध क ककसी वनयातरण स पर वसफण सोि स सािावलत परणाली को अवभवयकत ककया जा

सकता ह 27यह यरोप म फायड क मनोववशलषण का उतथान काल था और कलाकार

यथाथण को अवतकरवमत कर सकन वाल अवितन की वबमब-वनमाणण कषमता स अवभभत

थआियण नही कक इसकी परथम परदशणनी की सिी म पादलो वपकासो9 पाल कली9 मनर9

जयाा आपण9 माकस अनसिण9डी वशटरको जस वितरकार शावमल हए और बाद म िलकर ईव

ताागवी9आनदर माससो9जान मायरो9सालवाडोर डाली जस कलाकारो न इस अपनायायह

यरोपीय कला म9हबणिण रीड क शददो म कह तो ववसमय क पनजीवन की सथापना थी28

शमशर क अवतयथाथणवादी वितर

17

अवतयथाथणवाकदयो न कला म ववसमय क ततव को दो तरह स अरनजत ककया ----- एक

यथाथण को अयथाथण ढ़ग स परसतत कर और दसर अयथाथण को यथाथणवादी अाकन कर

कजहाा पहल क उदाहरण क रप म मायरो9आनदर मााससो की रिनाएा रखी जा सकती ह

वजसम फलो को आाख ह और पड़ो को कान (^जोता हआ खत) ह वही दसरा ढ़ग डाली

एवा ताागवी का ह जहाा जलता हआ वजराफ ह(^जलता वजराफ)9सखन क वलए डाल गय

कपड़ की तरह लिकती हई घवड़याा ह (^समवत का आगरह)9 वववितर ककसम क ककरमतत

एवा जादई वनसपवततयाा ह जो काफकाई सासार क परवतवबमब जान पड़त ह वस अवधकााश

अवतयथाथणवादी कवतयो म इन दोनो शवलयो को वमवशरत ढ़ाग स बरता गया ह

भारतीय वितरकला म अवतयथाथणवाद का ववकास सन सततर क दशक म हआ ववशषकर

जसवात बसह9सलतान अली9अवनल करावजया9इशवर सागरा9जसवामीनाथन9गलाम

शख9गनश पाइन9जोगन िौधरी9 ववकास भटटािायण9एरामिनदरन9भपन खककर की

रिनाओ म लककन शमशर क अवधकााश सरटरयल वितरो की रिना सन अड़तालीस स

लकर िौवन क बीि हई हशमशर आरमभ स ही अवतयथाथणवाद स बहद परभाववत थ

उनहोन एक सथल पर सवया कहा ह szlig योरोप क जो वितरकार थ और जो आनदोलन

अवतयथाथणवाद का वहाा पर िला था 9उसन बहत गहराई स मझको परभाववत ककया

THORN29 एक दसरी जगह भी उनहोन सवीकार ककया ह कक szligयह जो सरटरयवलसि पिसण आत

ह हमार यहाा 9मर कदमाग पर छा जात ह वह हबणिण रीड का जो सरटरयवलसि सागरह ह

9उसम पचचासो जो पलटस ह 9व न मालम ककतनी बार कदमाग स गजरी होगी9घमी

होगी9बसी होगी कदमाग मTHORN30 आियण नही कक शमशर क कावयलोक एवा वितरलोक ---

दोनो म अवतयथाथण वबमबो की इतनी बहलता ह शमशर की रिनाओ म^d

lqfjZfyLV psgjk frac141951frac12] ^d Yacutese vkSj mlds pkjksa vksj frac141950frac12 ^fitM+s

ds vanj rksrk jkuh frac141950frac129 ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129^रकषक

और तोता frac141950frac12 जसी कछ रिनाओ को छोड़कर बाकी अवतयथाथणवादी वितर

शीषणकहीन ह इन वितरो म सीन स खलती हई वखड़ककयाा ह9गलाबी तोत का वबललीनमा

नीलमाहा रकषक ह9खनी बालो वाला भवड़यानमा जानवर ह 9नाक और आाख क

बीिोबीि गालो पर दाात की पावकतयाा ह9बनद गाढ़ गलाबी होठो म परवश को आतर

नागमवण ह और सवपन की कई वसथवतयाा ह वसतत शमशर क य वितर मानव अातमणन क

गहयानधकार क परतीक ह यहाा अगर ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129और

^रकषक और तोता frac141950frac12 पर वविार कर तो bu nksuksa fp=ksa esa ml Mordfkes की

परतीकातमक अवभवयाजना भी कदख सकती gS वजस ukjh ds vga frac14bxksfrac12 oa mldh

okLrfod fLFkfr क chp gksus okys varfoZjksk ls पराय mRiUu मान वलया जाता

हA fiatM+s esa can ikh vkSj mlds ikl [kM+h L=h ds chp dbZ Lrjksa ij हो रह

laokn का अनमान लगाया जा सकता gS jkd vkSj ikh nksuksa dh fufr मानो

18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

mlds ^vfLrRo ls vyx gS vkSj fLFkfr dh foMEcuk g gS9 जसा fd

नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

fuksk dj fnk Fkk blfy vc rks वितरकारो क सामन gh बिा Fkk fd OfDr

ds ckg~ रikdkjksa dk FkkFkZijd vuqdjk ds ctk mlds vkarfjd nqfuk

dks vfHkODr करA YacutekM ds vवpsru fl)kar dk lgkjk ysrs gq fouk esa

YacutekM ds ledkyhu dykdkjksa us ---- vkuZYM lksucxZ] fjpMZ xslZy] bxku

flys us Bhd gh dke fdk Fkk tc os वयवकत-वितर-dyk ds ^izLisfDVo QaDku

ij tksj ns jgs FksA34keksj dgrs gSa szligisafVax esa dqN ugha j[kk gSA eq[ ckr

gS fd tks phtsa vkidks izHkkfor djrh gSa mlds Hkko dks vki vius isafVax esa

ys vkiexcl amp js[kkvksa ds djsDVusl ij dksbZ tksj ughaA eq[ ckr gS Hkko dk

vkuk ml isafVax esaATHORN35 vkSj g Hkko vk dSls fp= esa keksj अपन

xYiamppfj= jkethou क माधयम स यह नसखा परसताववत करत ह szligns[kks g nqfuk

rqEgkjs igpkuus ds fy d vkbuk[kkuk gSA xkSj ls blesa gj rjQ ns[kks]

dampd djA ku tekdjA fgEer vkSj lcz vkSj [kqkh ysdjA ns[kks] bu

vkbuksa ds vanj rqEgkjk viuk i fdlampfdl kDy esa utj vkrk gSA

DkampDk jax] DkampDk pkyampltky] DkampDk Nqikoampcuko] mBko] mHkkj vkSj

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vUnjampvUnj amp ogha Mwc tkdj xgjs] vkSj xgjs] vkSj xgjs--- nwj rd tgkiexcl

rd Hkh tk ldrs gks] tkvks----ATHORN36 कया g Hkkjrh k izkP dykampn`fV gS

वजस wjksih dykampn`fV ls fcYdqy vyx माना गया gSA gSosy us fy[kk ह fd

wjksih dyk vdknfeksa esa Nk=ksas की vuqdjk kfDr fodflr djus ds fy

vkiexcl[k dh cM+h dVnkd izfkkk की वयवसथा gS tcfd izkP dykdkj अपनी

jpukRed kfDr ds vHkl kjk ही vuqdjk kerk vftZr dj लता gSA

20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 11: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

11

शीषणकहीन

12

गर-अागरज़ उसतादो की मौवलक कलाकवतयो की पहली परदशणनी थी20 अगर

परभाववाकदयो का सासार उललास और आननद का सासार था तो अवभवयाजनावाकदयो की

दवनयाा भय9खौफ़ आताक और ववकवतयो स

भरी हई थीआियण नही कक कलकतता-समह और परगवतशील कलाकार समह क

कलाकारो न बड़ पमान पर अवभवयाजनावादी महावरो को हसतगत करन का परयास

ककया कयोकक य भी अपनी वसथवत9जहाा तक भाव-दशा और सामावजक अलगाव का परशन

ह डरसडन क डाय बरयक और मयवनक क डर दलौ रायिर क समान समझत थ 21

अवभवयाजनावाद कला की एक परववतत भी ह और यरोपीय कला क इवतहास का एक दौर

भीपरववतत क रप म यह आतमवनषठ कला ह जो भावातमक परभाव क वलए ववरपण और

अवतराजना का सहारा लती हयह आधवनक यरोपीय कला की वह परववतत ह जहाा

कलाकार अपनी आातटरक समवदना को अवभवयकत करन क वलए अपराकवतक तीख रागो

और ववरवपत रपाकारो का सहारा लत हयह परववतत वान गो(1853-90) स मानी जाती

रही ह और इस अथण म यह उननीसवी शती क परकतवाद क वखलाफ बगावत भी कही

गईसीवमत अथण म इस जमणन कला-आनदोलन ववशष क रप म भी विवननत ककया जा

सकता ह जो 1905 स लकर 1930 तक सककरय रहा22 शमशर इन वितरो म पराकवतक

रपाकारो को अपनी भावनाओ क अनरप ववरवपत करत कदखाई पड़त ह और

अवभवयाजनावाकदयो की तरह बहद तीख एवा आकरमक रागो क परयोग स भी नही

वहिकतनील9 काल एवा धसर रागो स शमशर यहाा ककसी वसतगत यथाथण को परसतत

नही करत और न ही उस पर आधाटरत कोई अमतण धारणा का वनरपण ही करत जान

पड़त ह बवलक उनका उददशय ह अपनी आतमगत समवदनाओ को अवभवयावजत करना

एडवाडण माख (1863-1944) क वितरो की तरह इनम कलाकार क अातमणन की आवाज ह

और वजसम वाहय रपाकार का कोई महतव नही आियण नही कक अवभवयाजनावाद न

अपना अगला क़दम अमतणन की दवनया म रखा था और इस ओर पहला कदम उठान

वालो म वावसली काबनदसकी (1866-1944) थ वजनहोन न वसफण अमतण अवभवयाजनावादी

कवतयाा रिी (उनकी कवतयाा सागीत की रपाकर समतलय मानी गई ह23)बवलक इसका एक

मकममल सौनदयणशासतर भी रिन का परयास ककया^dyk esa vkkfRedrk oa

^lery esa js[kk vkSj fcanq uked iqLrd esa काबनदसकी us izkd`frd oLrqvksa dks

l`tukRed Lora=rk ds fy ckkd वसदध करत हए यह मत परवतपाकदत ककया कक szlig

रागो व आकारो की ससागवत का आधार मानवीय आतमा स सोददशय समपकण ही हो

सकताहTHORN24

13

शमशर क अमतण वितर

शमशर भी कहत ह9 szlig अमतण का ववधान लन वाली कला खास तौर स हमार मन की

अादरनी सचचाइयो क वजतना वनकि होती ह 9उतना -- उस ढ़ग स-- मतण यानी साफ सीधी

सामन नजर आन वाली सचचाइ नही होती कयोकक हम अपनी भावनाओ म बहत कछ

अपन अनदर का ही जीवन जीत ह

szligसामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही बवलक

अपन अादर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर आन

वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण होता

szligइसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को हमार

सामन लाता ह---रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहावो और गवतयो म --- तो

वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल आता हहम खद अपनी वछपी हई ितनाओ स

अवधक पटरवित कराता हTHORN25

14

वितर साखया एक

keksj ds अवधकााश vमतण fp= vkd`frewydता क परतयकष वनषध स उतपनन ugha

हए gSaSa बवलक व fdlh oLrq- fLFkfr k भाव-n` क ^izR का साकषातकार जान

पड़त हgh otg gS fd muds fp=ksa esa jax vkSj js[kkvksa ds gkeZuh ls d

slk अवकाश mHkjrk fn[kkbZ nsrk gS tks Loa esa d lanHkZ gksrk gS] fdlh izkd`frd vkd`fr dk izfrikRed fp= ughaA ^iwtk dk d laHko

js[kkxfkrfrac141950frac12] ^d vkiexcllw की vxokuh esa frac141951frac12] ^dksaiy vkSj dfykiexcl ]

frac1450amp51frac12] ^xkskwfy dh csyk esa nwj nsgkr dk d jsyos LVsku]frac1448amp50frac12]

^pkiexcln dh vkiexcl[k vkSj jfDre vkj frac141952frac12] ^kdqUryk ds ijh yksd esa

frac1448amp50frac12] ^rirh pV~Vkuksa dks ckiexclkrh d dksey tyampkkjk frac141952frac12]^d

बहमाजली इमारत]pkiexcln vkSj kkod frac1455frac12 tSlh d`frksa esa flQZ khkZd

15

वितर साखया दो

gh nkZd dks fdlh izkd`frd oLrq ds izR k vocksk ls tksM+ ldrk gS ugha

rks keksj ds vfkdkak sls fp= gSa ftlesa u dksbZ khkZd gS vkSj u igpkuus

ksX dksbZ izkd`frd oLrq dk vkHkklA कया यह अनमान लगाया जा सकता ह कक

वितर साखया एक का शीषणक ह ^शरोता और दशणक frac1450amp51frac12]और वितर साखया दो का

^शका तला क परी लोक म frac1448amp50frac12इस सनदभण म gcZVZ jhM dk g dFku धयान

दन योगय gS fd9 szligFkkFkZokn vfHkOfDr dk LohdkjkRed i gS ftlesa thou ds

=klnh rRo dks Lohdkj dk Hkko gS ysfdu vewrZu d sls OfDr dh

izfrfOslashk gS tks kwUrk dh ujd ls yM+ jgk gS] g rhoz OFkk dh slh

vfHkOfDr gS tks vkofod fl)kar ij vfookl djrh gS vkSj ekuo eu

dh l`tukRed Lora=rk dks Lohdkj djrh gSATHORN26

भारतीय कला म अवभवयाजनावादी अमतणन क साथ ही साथ

अवतयथाथणवादी दौर भी गजरा रवीनदरनाथ ठाकर क बाद कलकतता समह क हमात वमशर

16

एवा मदरास समह क कसीएस पवनकर तथा कसीपाईन यहाा अवतयथाथणवाद क अगआ

मान जा सकत ह ^अवतयथाथणवाद का आरमभ पटरस म 1924 म हआइसक परथम

घोषणा-पतर म आनदर बरतो न सवपन और यथाथण जस परतीयमानत परसपर-ववरोधी

अवसथाओ को भववषय म अवतयथाथण (सरटरयल) म एकरप हो जान की पटरकलपना की

थीउनक अनसार अवतयथाथणवाद एक परकार क शदध मानवसक सवया-िालन का नाम ह

वजसक माधयम स सोिन की वासतववक परणाली को --सौनदयणशासतरीय व नवतक तथा

बवदध क ककसी वनयातरण स पर वसफण सोि स सािावलत परणाली को अवभवयकत ककया जा

सकता ह 27यह यरोप म फायड क मनोववशलषण का उतथान काल था और कलाकार

यथाथण को अवतकरवमत कर सकन वाल अवितन की वबमब-वनमाणण कषमता स अवभभत

थआियण नही कक इसकी परथम परदशणनी की सिी म पादलो वपकासो9 पाल कली9 मनर9

जयाा आपण9 माकस अनसिण9डी वशटरको जस वितरकार शावमल हए और बाद म िलकर ईव

ताागवी9आनदर माससो9जान मायरो9सालवाडोर डाली जस कलाकारो न इस अपनायायह

यरोपीय कला म9हबणिण रीड क शददो म कह तो ववसमय क पनजीवन की सथापना थी28

शमशर क अवतयथाथणवादी वितर

17

अवतयथाथणवाकदयो न कला म ववसमय क ततव को दो तरह स अरनजत ककया ----- एक

यथाथण को अयथाथण ढ़ग स परसतत कर और दसर अयथाथण को यथाथणवादी अाकन कर

कजहाा पहल क उदाहरण क रप म मायरो9आनदर मााससो की रिनाएा रखी जा सकती ह

वजसम फलो को आाख ह और पड़ो को कान (^जोता हआ खत) ह वही दसरा ढ़ग डाली

एवा ताागवी का ह जहाा जलता हआ वजराफ ह(^जलता वजराफ)9सखन क वलए डाल गय

कपड़ की तरह लिकती हई घवड़याा ह (^समवत का आगरह)9 वववितर ककसम क ककरमतत

एवा जादई वनसपवततयाा ह जो काफकाई सासार क परवतवबमब जान पड़त ह वस अवधकााश

अवतयथाथणवादी कवतयो म इन दोनो शवलयो को वमवशरत ढ़ाग स बरता गया ह

भारतीय वितरकला म अवतयथाथणवाद का ववकास सन सततर क दशक म हआ ववशषकर

जसवात बसह9सलतान अली9अवनल करावजया9इशवर सागरा9जसवामीनाथन9गलाम

शख9गनश पाइन9जोगन िौधरी9 ववकास भटटािायण9एरामिनदरन9भपन खककर की

रिनाओ म लककन शमशर क अवधकााश सरटरयल वितरो की रिना सन अड़तालीस स

लकर िौवन क बीि हई हशमशर आरमभ स ही अवतयथाथणवाद स बहद परभाववत थ

उनहोन एक सथल पर सवया कहा ह szlig योरोप क जो वितरकार थ और जो आनदोलन

अवतयथाथणवाद का वहाा पर िला था 9उसन बहत गहराई स मझको परभाववत ककया

THORN29 एक दसरी जगह भी उनहोन सवीकार ककया ह कक szligयह जो सरटरयवलसि पिसण आत

ह हमार यहाा 9मर कदमाग पर छा जात ह वह हबणिण रीड का जो सरटरयवलसि सागरह ह

9उसम पचचासो जो पलटस ह 9व न मालम ककतनी बार कदमाग स गजरी होगी9घमी

होगी9बसी होगी कदमाग मTHORN30 आियण नही कक शमशर क कावयलोक एवा वितरलोक ---

दोनो म अवतयथाथण वबमबो की इतनी बहलता ह शमशर की रिनाओ म^d

lqfjZfyLV psgjk frac141951frac12] ^d Yacutese vkSj mlds pkjksa vksj frac141950frac12 ^fitM+s

ds vanj rksrk jkuh frac141950frac129 ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129^रकषक

और तोता frac141950frac12 जसी कछ रिनाओ को छोड़कर बाकी अवतयथाथणवादी वितर

शीषणकहीन ह इन वितरो म सीन स खलती हई वखड़ककयाा ह9गलाबी तोत का वबललीनमा

नीलमाहा रकषक ह9खनी बालो वाला भवड़यानमा जानवर ह 9नाक और आाख क

बीिोबीि गालो पर दाात की पावकतयाा ह9बनद गाढ़ गलाबी होठो म परवश को आतर

नागमवण ह और सवपन की कई वसथवतयाा ह वसतत शमशर क य वितर मानव अातमणन क

गहयानधकार क परतीक ह यहाा अगर ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129और

^रकषक और तोता frac141950frac12 पर वविार कर तो bu nksuksa fp=ksa esa ml Mordfkes की

परतीकातमक अवभवयाजना भी कदख सकती gS वजस ukjh ds vga frac14bxksfrac12 oa mldh

okLrfod fLFkfr क chp gksus okys varfoZjksk ls पराय mRiUu मान वलया जाता

हA fiatM+s esa can ikh vkSj mlds ikl [kM+h L=h ds chp dbZ Lrjksa ij हो रह

laokn का अनमान लगाया जा सकता gS jkd vkSj ikh nksuksa dh fufr मानो

18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

mlds ^vfLrRo ls vyx gS vkSj fLFkfr dh foMEcuk g gS9 जसा fd

नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

fuksk dj fnk Fkk blfy vc rks वितरकारो क सामन gh बिा Fkk fd OfDr

ds ckg~ रikdkjksa dk FkkFkZijd vuqdjk ds ctk mlds vkarfjd nqfuk

dks vfHkODr करA YacutekM ds vवpsru fl)kar dk lgkjk ysrs gq fouk esa

YacutekM ds ledkyhu dykdkjksa us ---- vkuZYM lksucxZ] fjpMZ xslZy] bxku

flys us Bhd gh dke fdk Fkk tc os वयवकत-वितर-dyk ds ^izLisfDVo QaDku

ij tksj ns jgs FksA34keksj dgrs gSa szligisafVax esa dqN ugha j[kk gSA eq[ ckr

gS fd tks phtsa vkidks izHkkfor djrh gSa mlds Hkko dks vki vius isafVax esa

ys vkiexcl amp js[kkvksa ds djsDVusl ij dksbZ tksj ughaA eq[ ckr gS Hkko dk

vkuk ml isafVax esaATHORN35 vkSj g Hkko vk dSls fp= esa keksj अपन

xYiamppfj= jkethou क माधयम स यह नसखा परसताववत करत ह szligns[kks g nqfuk

rqEgkjs igpkuus ds fy d vkbuk[kkuk gSA xkSj ls blesa gj rjQ ns[kks]

dampd djA ku tekdjA fgEer vkSj lcz vkSj [kqkh ysdjA ns[kks] bu

vkbuksa ds vanj rqEgkjk viuk i fdlampfdl kDy esa utj vkrk gSA

DkampDk jax] DkampDk pkyampltky] DkampDk Nqikoampcuko] mBko] mHkkj vkSj

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rd Hkh tk ldrs gks] tkvks----ATHORN36 कया g Hkkjrh k izkP dykampn`fV gS

वजस wjksih dykampn`fV ls fcYdqy vyx माना गया gSA gSosy us fy[kk ह fd

wjksih dyk vdknfeksa esa Nk=ksas की vuqdjk kfDr fodflr djus ds fy

vkiexcl[k dh cM+h dVnkd izfkkk की वयवसथा gS tcfd izkP dykdkj अपनी

jpukRed kfDr ds vHkl kjk ही vuqdjk kerk vftZr dj लता gSA

20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

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12

गर-अागरज़ उसतादो की मौवलक कलाकवतयो की पहली परदशणनी थी20 अगर

परभाववाकदयो का सासार उललास और आननद का सासार था तो अवभवयाजनावाकदयो की

दवनयाा भय9खौफ़ आताक और ववकवतयो स

भरी हई थीआियण नही कक कलकतता-समह और परगवतशील कलाकार समह क

कलाकारो न बड़ पमान पर अवभवयाजनावादी महावरो को हसतगत करन का परयास

ककया कयोकक य भी अपनी वसथवत9जहाा तक भाव-दशा और सामावजक अलगाव का परशन

ह डरसडन क डाय बरयक और मयवनक क डर दलौ रायिर क समान समझत थ 21

अवभवयाजनावाद कला की एक परववतत भी ह और यरोपीय कला क इवतहास का एक दौर

भीपरववतत क रप म यह आतमवनषठ कला ह जो भावातमक परभाव क वलए ववरपण और

अवतराजना का सहारा लती हयह आधवनक यरोपीय कला की वह परववतत ह जहाा

कलाकार अपनी आातटरक समवदना को अवभवयकत करन क वलए अपराकवतक तीख रागो

और ववरवपत रपाकारो का सहारा लत हयह परववतत वान गो(1853-90) स मानी जाती

रही ह और इस अथण म यह उननीसवी शती क परकतवाद क वखलाफ बगावत भी कही

गईसीवमत अथण म इस जमणन कला-आनदोलन ववशष क रप म भी विवननत ककया जा

सकता ह जो 1905 स लकर 1930 तक सककरय रहा22 शमशर इन वितरो म पराकवतक

रपाकारो को अपनी भावनाओ क अनरप ववरवपत करत कदखाई पड़त ह और

अवभवयाजनावाकदयो की तरह बहद तीख एवा आकरमक रागो क परयोग स भी नही

वहिकतनील9 काल एवा धसर रागो स शमशर यहाा ककसी वसतगत यथाथण को परसतत

नही करत और न ही उस पर आधाटरत कोई अमतण धारणा का वनरपण ही करत जान

पड़त ह बवलक उनका उददशय ह अपनी आतमगत समवदनाओ को अवभवयावजत करना

एडवाडण माख (1863-1944) क वितरो की तरह इनम कलाकार क अातमणन की आवाज ह

और वजसम वाहय रपाकार का कोई महतव नही आियण नही कक अवभवयाजनावाद न

अपना अगला क़दम अमतणन की दवनया म रखा था और इस ओर पहला कदम उठान

वालो म वावसली काबनदसकी (1866-1944) थ वजनहोन न वसफण अमतण अवभवयाजनावादी

कवतयाा रिी (उनकी कवतयाा सागीत की रपाकर समतलय मानी गई ह23)बवलक इसका एक

मकममल सौनदयणशासतर भी रिन का परयास ककया^dyk esa vkkfRedrk oa

^lery esa js[kk vkSj fcanq uked iqLrd esa काबनदसकी us izkd`frd oLrqvksa dks

l`tukRed Lora=rk ds fy ckkd वसदध करत हए यह मत परवतपाकदत ककया कक szlig

रागो व आकारो की ससागवत का आधार मानवीय आतमा स सोददशय समपकण ही हो

सकताहTHORN24

13

शमशर क अमतण वितर

शमशर भी कहत ह9 szlig अमतण का ववधान लन वाली कला खास तौर स हमार मन की

अादरनी सचचाइयो क वजतना वनकि होती ह 9उतना -- उस ढ़ग स-- मतण यानी साफ सीधी

सामन नजर आन वाली सचचाइ नही होती कयोकक हम अपनी भावनाओ म बहत कछ

अपन अनदर का ही जीवन जीत ह

szligसामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही बवलक

अपन अादर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर आन

वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण होता

szligइसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को हमार

सामन लाता ह---रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहावो और गवतयो म --- तो

वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल आता हहम खद अपनी वछपी हई ितनाओ स

अवधक पटरवित कराता हTHORN25

14

वितर साखया एक

keksj ds अवधकााश vमतण fp= vkd`frewydता क परतयकष वनषध स उतपनन ugha

हए gSaSa बवलक व fdlh oLrq- fLFkfr k भाव-n` क ^izR का साकषातकार जान

पड़त हgh otg gS fd muds fp=ksa esa jax vkSj js[kkvksa ds gkeZuh ls d

slk अवकाश mHkjrk fn[kkbZ nsrk gS tks Loa esa d lanHkZ gksrk gS] fdlh izkd`frd vkd`fr dk izfrikRed fp= ughaA ^iwtk dk d laHko

js[kkxfkrfrac141950frac12] ^d vkiexcllw की vxokuh esa frac141951frac12] ^dksaiy vkSj dfykiexcl ]

frac1450amp51frac12] ^xkskwfy dh csyk esa nwj nsgkr dk d jsyos LVsku]frac1448amp50frac12]

^pkiexcln dh vkiexcl[k vkSj jfDre vkj frac141952frac12] ^kdqUryk ds ijh yksd esa

frac1448amp50frac12] ^rirh pV~Vkuksa dks ckiexclkrh d dksey tyampkkjk frac141952frac12]^d

बहमाजली इमारत]pkiexcln vkSj kkod frac1455frac12 tSlh d`frksa esa flQZ khkZd

15

वितर साखया दो

gh nkZd dks fdlh izkd`frd oLrq ds izR k vocksk ls tksM+ ldrk gS ugha

rks keksj ds vfkdkak sls fp= gSa ftlesa u dksbZ khkZd gS vkSj u igpkuus

ksX dksbZ izkd`frd oLrq dk vkHkklA कया यह अनमान लगाया जा सकता ह कक

वितर साखया एक का शीषणक ह ^शरोता और दशणक frac1450amp51frac12]और वितर साखया दो का

^शका तला क परी लोक म frac1448amp50frac12इस सनदभण म gcZVZ jhM dk g dFku धयान

दन योगय gS fd9 szligFkkFkZokn vfHkOfDr dk LohdkjkRed i gS ftlesa thou ds

=klnh rRo dks Lohdkj dk Hkko gS ysfdu vewrZu d sls OfDr dh

izfrfOslashk gS tks kwUrk dh ujd ls yM+ jgk gS] g rhoz OFkk dh slh

vfHkOfDr gS tks vkofod fl)kar ij vfookl djrh gS vkSj ekuo eu

dh l`tukRed Lora=rk dks Lohdkj djrh gSATHORN26

भारतीय कला म अवभवयाजनावादी अमतणन क साथ ही साथ

अवतयथाथणवादी दौर भी गजरा रवीनदरनाथ ठाकर क बाद कलकतता समह क हमात वमशर

16

एवा मदरास समह क कसीएस पवनकर तथा कसीपाईन यहाा अवतयथाथणवाद क अगआ

मान जा सकत ह ^अवतयथाथणवाद का आरमभ पटरस म 1924 म हआइसक परथम

घोषणा-पतर म आनदर बरतो न सवपन और यथाथण जस परतीयमानत परसपर-ववरोधी

अवसथाओ को भववषय म अवतयथाथण (सरटरयल) म एकरप हो जान की पटरकलपना की

थीउनक अनसार अवतयथाथणवाद एक परकार क शदध मानवसक सवया-िालन का नाम ह

वजसक माधयम स सोिन की वासतववक परणाली को --सौनदयणशासतरीय व नवतक तथा

बवदध क ककसी वनयातरण स पर वसफण सोि स सािावलत परणाली को अवभवयकत ककया जा

सकता ह 27यह यरोप म फायड क मनोववशलषण का उतथान काल था और कलाकार

यथाथण को अवतकरवमत कर सकन वाल अवितन की वबमब-वनमाणण कषमता स अवभभत

थआियण नही कक इसकी परथम परदशणनी की सिी म पादलो वपकासो9 पाल कली9 मनर9

जयाा आपण9 माकस अनसिण9डी वशटरको जस वितरकार शावमल हए और बाद म िलकर ईव

ताागवी9आनदर माससो9जान मायरो9सालवाडोर डाली जस कलाकारो न इस अपनायायह

यरोपीय कला म9हबणिण रीड क शददो म कह तो ववसमय क पनजीवन की सथापना थी28

शमशर क अवतयथाथणवादी वितर

17

अवतयथाथणवाकदयो न कला म ववसमय क ततव को दो तरह स अरनजत ककया ----- एक

यथाथण को अयथाथण ढ़ग स परसतत कर और दसर अयथाथण को यथाथणवादी अाकन कर

कजहाा पहल क उदाहरण क रप म मायरो9आनदर मााससो की रिनाएा रखी जा सकती ह

वजसम फलो को आाख ह और पड़ो को कान (^जोता हआ खत) ह वही दसरा ढ़ग डाली

एवा ताागवी का ह जहाा जलता हआ वजराफ ह(^जलता वजराफ)9सखन क वलए डाल गय

कपड़ की तरह लिकती हई घवड़याा ह (^समवत का आगरह)9 वववितर ककसम क ककरमतत

एवा जादई वनसपवततयाा ह जो काफकाई सासार क परवतवबमब जान पड़त ह वस अवधकााश

अवतयथाथणवादी कवतयो म इन दोनो शवलयो को वमवशरत ढ़ाग स बरता गया ह

भारतीय वितरकला म अवतयथाथणवाद का ववकास सन सततर क दशक म हआ ववशषकर

जसवात बसह9सलतान अली9अवनल करावजया9इशवर सागरा9जसवामीनाथन9गलाम

शख9गनश पाइन9जोगन िौधरी9 ववकास भटटािायण9एरामिनदरन9भपन खककर की

रिनाओ म लककन शमशर क अवधकााश सरटरयल वितरो की रिना सन अड़तालीस स

लकर िौवन क बीि हई हशमशर आरमभ स ही अवतयथाथणवाद स बहद परभाववत थ

उनहोन एक सथल पर सवया कहा ह szlig योरोप क जो वितरकार थ और जो आनदोलन

अवतयथाथणवाद का वहाा पर िला था 9उसन बहत गहराई स मझको परभाववत ककया

THORN29 एक दसरी जगह भी उनहोन सवीकार ककया ह कक szligयह जो सरटरयवलसि पिसण आत

ह हमार यहाा 9मर कदमाग पर छा जात ह वह हबणिण रीड का जो सरटरयवलसि सागरह ह

9उसम पचचासो जो पलटस ह 9व न मालम ककतनी बार कदमाग स गजरी होगी9घमी

होगी9बसी होगी कदमाग मTHORN30 आियण नही कक शमशर क कावयलोक एवा वितरलोक ---

दोनो म अवतयथाथण वबमबो की इतनी बहलता ह शमशर की रिनाओ म^d

lqfjZfyLV psgjk frac141951frac12] ^d Yacutese vkSj mlds pkjksa vksj frac141950frac12 ^fitM+s

ds vanj rksrk jkuh frac141950frac129 ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129^रकषक

और तोता frac141950frac12 जसी कछ रिनाओ को छोड़कर बाकी अवतयथाथणवादी वितर

शीषणकहीन ह इन वितरो म सीन स खलती हई वखड़ककयाा ह9गलाबी तोत का वबललीनमा

नीलमाहा रकषक ह9खनी बालो वाला भवड़यानमा जानवर ह 9नाक और आाख क

बीिोबीि गालो पर दाात की पावकतयाा ह9बनद गाढ़ गलाबी होठो म परवश को आतर

नागमवण ह और सवपन की कई वसथवतयाा ह वसतत शमशर क य वितर मानव अातमणन क

गहयानधकार क परतीक ह यहाा अगर ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129और

^रकषक और तोता frac141950frac12 पर वविार कर तो bu nksuksa fp=ksa esa ml Mordfkes की

परतीकातमक अवभवयाजना भी कदख सकती gS वजस ukjh ds vga frac14bxksfrac12 oa mldh

okLrfod fLFkfr क chp gksus okys varfoZjksk ls पराय mRiUu मान वलया जाता

हA fiatM+s esa can ikh vkSj mlds ikl [kM+h L=h ds chp dbZ Lrjksa ij हो रह

laokn का अनमान लगाया जा सकता gS jkd vkSj ikh nksuksa dh fufr मानो

18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

mlds ^vfLrRo ls vyx gS vkSj fLFkfr dh foMEcuk g gS9 जसा fd

नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

fuksk dj fnk Fkk blfy vc rks वितरकारो क सामन gh बिा Fkk fd OfDr

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YacutekM ds ledkyhu dykdkjksa us ---- vkuZYM lksucxZ] fjpMZ xslZy] bxku

flys us Bhd gh dke fdk Fkk tc os वयवकत-वितर-dyk ds ^izLisfDVo QaDku

ij tksj ns jgs FksA34keksj dgrs gSa szligisafVax esa dqN ugha j[kk gSA eq[ ckr

gS fd tks phtsa vkidks izHkkfor djrh gSa mlds Hkko dks vki vius isafVax esa

ys vkiexcl amp js[kkvksa ds djsDVusl ij dksbZ tksj ughaA eq[ ckr gS Hkko dk

vkuk ml isafVax esaATHORN35 vkSj g Hkko vk dSls fp= esa keksj अपन

xYiamppfj= jkethou क माधयम स यह नसखा परसताववत करत ह szligns[kks g nqfuk

rqEgkjs igpkuus ds fy d vkbuk[kkuk gSA xkSj ls blesa gj rjQ ns[kks]

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vkbuksa ds vanj rqEgkjk viuk i fdlampfdl kDy esa utj vkrk gSA

DkampDk jax] DkampDk pkyampltky] DkampDk Nqikoampcuko] mBko] mHkkj vkSj

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vUnjampvUnj amp ogha Mwc tkdj xgjs] vkSj xgjs] vkSj xgjs--- nwj rd tgkiexcl

rd Hkh tk ldrs gks] tkvks----ATHORN36 कया g Hkkjrh k izkP dykampn`fV gS

वजस wjksih dykampn`fV ls fcYdqy vyx माना गया gSA gSosy us fy[kk ह fd

wjksih dyk vdknfeksa esa Nk=ksas की vuqdjk kfDr fodflr djus ds fy

vkiexcl[k dh cM+h dVnkd izfkkk की वयवसथा gS tcfd izkP dykdkj अपनी

jpukRed kfDr ds vHkl kjk ही vuqdjk kerk vftZr dj लता gSA

20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 13: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

13

शमशर क अमतण वितर

शमशर भी कहत ह9 szlig अमतण का ववधान लन वाली कला खास तौर स हमार मन की

अादरनी सचचाइयो क वजतना वनकि होती ह 9उतना -- उस ढ़ग स-- मतण यानी साफ सीधी

सामन नजर आन वाली सचचाइ नही होती कयोकक हम अपनी भावनाओ म बहत कछ

अपन अनदर का ही जीवन जीत ह

szligसामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही बवलक

अपन अादर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर आन

वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण होता

szligइसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को हमार

सामन लाता ह---रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहावो और गवतयो म --- तो

वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल आता हहम खद अपनी वछपी हई ितनाओ स

अवधक पटरवित कराता हTHORN25

14

वितर साखया एक

keksj ds अवधकााश vमतण fp= vkd`frewydता क परतयकष वनषध स उतपनन ugha

हए gSaSa बवलक व fdlh oLrq- fLFkfr k भाव-n` क ^izR का साकषातकार जान

पड़त हgh otg gS fd muds fp=ksa esa jax vkSj js[kkvksa ds gkeZuh ls d

slk अवकाश mHkjrk fn[kkbZ nsrk gS tks Loa esa d lanHkZ gksrk gS] fdlh izkd`frd vkd`fr dk izfrikRed fp= ughaA ^iwtk dk d laHko

js[kkxfkrfrac141950frac12] ^d vkiexcllw की vxokuh esa frac141951frac12] ^dksaiy vkSj dfykiexcl ]

frac1450amp51frac12] ^xkskwfy dh csyk esa nwj nsgkr dk d jsyos LVsku]frac1448amp50frac12]

^pkiexcln dh vkiexcl[k vkSj jfDre vkj frac141952frac12] ^kdqUryk ds ijh yksd esa

frac1448amp50frac12] ^rirh pV~Vkuksa dks ckiexclkrh d dksey tyampkkjk frac141952frac12]^d

बहमाजली इमारत]pkiexcln vkSj kkod frac1455frac12 tSlh d`frksa esa flQZ khkZd

15

वितर साखया दो

gh nkZd dks fdlh izkd`frd oLrq ds izR k vocksk ls tksM+ ldrk gS ugha

rks keksj ds vfkdkak sls fp= gSa ftlesa u dksbZ khkZd gS vkSj u igpkuus

ksX dksbZ izkd`frd oLrq dk vkHkklA कया यह अनमान लगाया जा सकता ह कक

वितर साखया एक का शीषणक ह ^शरोता और दशणक frac1450amp51frac12]और वितर साखया दो का

^शका तला क परी लोक म frac1448amp50frac12इस सनदभण म gcZVZ jhM dk g dFku धयान

दन योगय gS fd9 szligFkkFkZokn vfHkOfDr dk LohdkjkRed i gS ftlesa thou ds

=klnh rRo dks Lohdkj dk Hkko gS ysfdu vewrZu d sls OfDr dh

izfrfOslashk gS tks kwUrk dh ujd ls yM+ jgk gS] g rhoz OFkk dh slh

vfHkOfDr gS tks vkofod fl)kar ij vfookl djrh gS vkSj ekuo eu

dh l`tukRed Lora=rk dks Lohdkj djrh gSATHORN26

भारतीय कला म अवभवयाजनावादी अमतणन क साथ ही साथ

अवतयथाथणवादी दौर भी गजरा रवीनदरनाथ ठाकर क बाद कलकतता समह क हमात वमशर

16

एवा मदरास समह क कसीएस पवनकर तथा कसीपाईन यहाा अवतयथाथणवाद क अगआ

मान जा सकत ह ^अवतयथाथणवाद का आरमभ पटरस म 1924 म हआइसक परथम

घोषणा-पतर म आनदर बरतो न सवपन और यथाथण जस परतीयमानत परसपर-ववरोधी

अवसथाओ को भववषय म अवतयथाथण (सरटरयल) म एकरप हो जान की पटरकलपना की

थीउनक अनसार अवतयथाथणवाद एक परकार क शदध मानवसक सवया-िालन का नाम ह

वजसक माधयम स सोिन की वासतववक परणाली को --सौनदयणशासतरीय व नवतक तथा

बवदध क ककसी वनयातरण स पर वसफण सोि स सािावलत परणाली को अवभवयकत ककया जा

सकता ह 27यह यरोप म फायड क मनोववशलषण का उतथान काल था और कलाकार

यथाथण को अवतकरवमत कर सकन वाल अवितन की वबमब-वनमाणण कषमता स अवभभत

थआियण नही कक इसकी परथम परदशणनी की सिी म पादलो वपकासो9 पाल कली9 मनर9

जयाा आपण9 माकस अनसिण9डी वशटरको जस वितरकार शावमल हए और बाद म िलकर ईव

ताागवी9आनदर माससो9जान मायरो9सालवाडोर डाली जस कलाकारो न इस अपनायायह

यरोपीय कला म9हबणिण रीड क शददो म कह तो ववसमय क पनजीवन की सथापना थी28

शमशर क अवतयथाथणवादी वितर

17

अवतयथाथणवाकदयो न कला म ववसमय क ततव को दो तरह स अरनजत ककया ----- एक

यथाथण को अयथाथण ढ़ग स परसतत कर और दसर अयथाथण को यथाथणवादी अाकन कर

कजहाा पहल क उदाहरण क रप म मायरो9आनदर मााससो की रिनाएा रखी जा सकती ह

वजसम फलो को आाख ह और पड़ो को कान (^जोता हआ खत) ह वही दसरा ढ़ग डाली

एवा ताागवी का ह जहाा जलता हआ वजराफ ह(^जलता वजराफ)9सखन क वलए डाल गय

कपड़ की तरह लिकती हई घवड़याा ह (^समवत का आगरह)9 वववितर ककसम क ककरमतत

एवा जादई वनसपवततयाा ह जो काफकाई सासार क परवतवबमब जान पड़त ह वस अवधकााश

अवतयथाथणवादी कवतयो म इन दोनो शवलयो को वमवशरत ढ़ाग स बरता गया ह

भारतीय वितरकला म अवतयथाथणवाद का ववकास सन सततर क दशक म हआ ववशषकर

जसवात बसह9सलतान अली9अवनल करावजया9इशवर सागरा9जसवामीनाथन9गलाम

शख9गनश पाइन9जोगन िौधरी9 ववकास भटटािायण9एरामिनदरन9भपन खककर की

रिनाओ म लककन शमशर क अवधकााश सरटरयल वितरो की रिना सन अड़तालीस स

लकर िौवन क बीि हई हशमशर आरमभ स ही अवतयथाथणवाद स बहद परभाववत थ

उनहोन एक सथल पर सवया कहा ह szlig योरोप क जो वितरकार थ और जो आनदोलन

अवतयथाथणवाद का वहाा पर िला था 9उसन बहत गहराई स मझको परभाववत ककया

THORN29 एक दसरी जगह भी उनहोन सवीकार ककया ह कक szligयह जो सरटरयवलसि पिसण आत

ह हमार यहाा 9मर कदमाग पर छा जात ह वह हबणिण रीड का जो सरटरयवलसि सागरह ह

9उसम पचचासो जो पलटस ह 9व न मालम ककतनी बार कदमाग स गजरी होगी9घमी

होगी9बसी होगी कदमाग मTHORN30 आियण नही कक शमशर क कावयलोक एवा वितरलोक ---

दोनो म अवतयथाथण वबमबो की इतनी बहलता ह शमशर की रिनाओ म^d

lqfjZfyLV psgjk frac141951frac12] ^d Yacutese vkSj mlds pkjksa vksj frac141950frac12 ^fitM+s

ds vanj rksrk jkuh frac141950frac129 ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129^रकषक

और तोता frac141950frac12 जसी कछ रिनाओ को छोड़कर बाकी अवतयथाथणवादी वितर

शीषणकहीन ह इन वितरो म सीन स खलती हई वखड़ककयाा ह9गलाबी तोत का वबललीनमा

नीलमाहा रकषक ह9खनी बालो वाला भवड़यानमा जानवर ह 9नाक और आाख क

बीिोबीि गालो पर दाात की पावकतयाा ह9बनद गाढ़ गलाबी होठो म परवश को आतर

नागमवण ह और सवपन की कई वसथवतयाा ह वसतत शमशर क य वितर मानव अातमणन क

गहयानधकार क परतीक ह यहाा अगर ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129और

^रकषक और तोता frac141950frac12 पर वविार कर तो bu nksuksa fp=ksa esa ml Mordfkes की

परतीकातमक अवभवयाजना भी कदख सकती gS वजस ukjh ds vga frac14bxksfrac12 oa mldh

okLrfod fLFkfr क chp gksus okys varfoZjksk ls पराय mRiUu मान वलया जाता

हA fiatM+s esa can ikh vkSj mlds ikl [kM+h L=h ds chp dbZ Lrjksa ij हो रह

laokn का अनमान लगाया जा सकता gS jkd vkSj ikh nksuksa dh fufr मानो

18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

mlds ^vfLrRo ls vyx gS vkSj fLFkfr dh foMEcuk g gS9 जसा fd

नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

fuksk dj fnk Fkk blfy vc rks वितरकारो क सामन gh बिा Fkk fd OfDr

ds ckg~ रikdkjksa dk FkkFkZijd vuqdjk ds ctk mlds vkarfjd nqfuk

dks vfHkODr करA YacutekM ds vवpsru fl)kar dk lgkjk ysrs gq fouk esa

YacutekM ds ledkyhu dykdkjksa us ---- vkuZYM lksucxZ] fjpMZ xslZy] bxku

flys us Bhd gh dke fdk Fkk tc os वयवकत-वितर-dyk ds ^izLisfDVo QaDku

ij tksj ns jgs FksA34keksj dgrs gSa szligisafVax esa dqN ugha j[kk gSA eq[ ckr

gS fd tks phtsa vkidks izHkkfor djrh gSa mlds Hkko dks vki vius isafVax esa

ys vkiexcl amp js[kkvksa ds djsDVusl ij dksbZ tksj ughaA eq[ ckr gS Hkko dk

vkuk ml isafVax esaATHORN35 vkSj g Hkko vk dSls fp= esa keksj अपन

xYiamppfj= jkethou क माधयम स यह नसखा परसताववत करत ह szligns[kks g nqfuk

rqEgkjs igpkuus ds fy d vkbuk[kkuk gSA xkSj ls blesa gj rjQ ns[kks]

dampd djA ku tekdjA fgEer vkSj lcz vkSj [kqkh ysdjA ns[kks] bu

vkbuksa ds vanj rqEgkjk viuk i fdlampfdl kDy esa utj vkrk gSA

DkampDk jax] DkampDk pkyampltky] DkampDk Nqikoampcuko] mBko] mHkkj vkSj

xgjko] mlds gjampgj vankt gSaA---- vkSj fQj vkiexcl[ksa cUn dj yksA Hkoksa ds

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vUnjampvUnj amp ogha Mwc tkdj xgjs] vkSj xgjs] vkSj xgjs--- nwj rd tgkiexcl

rd Hkh tk ldrs gks] tkvks----ATHORN36 कया g Hkkjrh k izkP dykampn`fV gS

वजस wjksih dykampn`fV ls fcYdqy vyx माना गया gSA gSosy us fy[kk ह fd

wjksih dyk vdknfeksa esa Nk=ksas की vuqdjk kfDr fodflr djus ds fy

vkiexcl[k dh cM+h dVnkd izfkkk की वयवसथा gS tcfd izkP dykdkj अपनी

jpukRed kfDr ds vHkl kjk ही vuqdjk kerk vftZr dj लता gSA

20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

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उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

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एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 14: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

14

वितर साखया एक

keksj ds अवधकााश vमतण fp= vkd`frewydता क परतयकष वनषध स उतपनन ugha

हए gSaSa बवलक व fdlh oLrq- fLFkfr k भाव-n` क ^izR का साकषातकार जान

पड़त हgh otg gS fd muds fp=ksa esa jax vkSj js[kkvksa ds gkeZuh ls d

slk अवकाश mHkjrk fn[kkbZ nsrk gS tks Loa esa d lanHkZ gksrk gS] fdlh izkd`frd vkd`fr dk izfrikRed fp= ughaA ^iwtk dk d laHko

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बहमाजली इमारत]pkiexcln vkSj kkod frac1455frac12 tSlh d`frksa esa flQZ khkZd

15

वितर साखया दो

gh nkZd dks fdlh izkd`frd oLrq ds izR k vocksk ls tksM+ ldrk gS ugha

rks keksj ds vfkdkak sls fp= gSa ftlesa u dksbZ khkZd gS vkSj u igpkuus

ksX dksbZ izkd`frd oLrq dk vkHkklA कया यह अनमान लगाया जा सकता ह कक

वितर साखया एक का शीषणक ह ^शरोता और दशणक frac1450amp51frac12]और वितर साखया दो का

^शका तला क परी लोक म frac1448amp50frac12इस सनदभण म gcZVZ jhM dk g dFku धयान

दन योगय gS fd9 szligFkkFkZokn vfHkOfDr dk LohdkjkRed i gS ftlesa thou ds

=klnh rRo dks Lohdkj dk Hkko gS ysfdu vewrZu d sls OfDr dh

izfrfOslashk gS tks kwUrk dh ujd ls yM+ jgk gS] g rhoz OFkk dh slh

vfHkOfDr gS tks vkofod fl)kar ij vfookl djrh gS vkSj ekuo eu

dh l`tukRed Lora=rk dks Lohdkj djrh gSATHORN26

भारतीय कला म अवभवयाजनावादी अमतणन क साथ ही साथ

अवतयथाथणवादी दौर भी गजरा रवीनदरनाथ ठाकर क बाद कलकतता समह क हमात वमशर

16

एवा मदरास समह क कसीएस पवनकर तथा कसीपाईन यहाा अवतयथाथणवाद क अगआ

मान जा सकत ह ^अवतयथाथणवाद का आरमभ पटरस म 1924 म हआइसक परथम

घोषणा-पतर म आनदर बरतो न सवपन और यथाथण जस परतीयमानत परसपर-ववरोधी

अवसथाओ को भववषय म अवतयथाथण (सरटरयल) म एकरप हो जान की पटरकलपना की

थीउनक अनसार अवतयथाथणवाद एक परकार क शदध मानवसक सवया-िालन का नाम ह

वजसक माधयम स सोिन की वासतववक परणाली को --सौनदयणशासतरीय व नवतक तथा

बवदध क ककसी वनयातरण स पर वसफण सोि स सािावलत परणाली को अवभवयकत ककया जा

सकता ह 27यह यरोप म फायड क मनोववशलषण का उतथान काल था और कलाकार

यथाथण को अवतकरवमत कर सकन वाल अवितन की वबमब-वनमाणण कषमता स अवभभत

थआियण नही कक इसकी परथम परदशणनी की सिी म पादलो वपकासो9 पाल कली9 मनर9

जयाा आपण9 माकस अनसिण9डी वशटरको जस वितरकार शावमल हए और बाद म िलकर ईव

ताागवी9आनदर माससो9जान मायरो9सालवाडोर डाली जस कलाकारो न इस अपनायायह

यरोपीय कला म9हबणिण रीड क शददो म कह तो ववसमय क पनजीवन की सथापना थी28

शमशर क अवतयथाथणवादी वितर

17

अवतयथाथणवाकदयो न कला म ववसमय क ततव को दो तरह स अरनजत ककया ----- एक

यथाथण को अयथाथण ढ़ग स परसतत कर और दसर अयथाथण को यथाथणवादी अाकन कर

कजहाा पहल क उदाहरण क रप म मायरो9आनदर मााससो की रिनाएा रखी जा सकती ह

वजसम फलो को आाख ह और पड़ो को कान (^जोता हआ खत) ह वही दसरा ढ़ग डाली

एवा ताागवी का ह जहाा जलता हआ वजराफ ह(^जलता वजराफ)9सखन क वलए डाल गय

कपड़ की तरह लिकती हई घवड़याा ह (^समवत का आगरह)9 वववितर ककसम क ककरमतत

एवा जादई वनसपवततयाा ह जो काफकाई सासार क परवतवबमब जान पड़त ह वस अवधकााश

अवतयथाथणवादी कवतयो म इन दोनो शवलयो को वमवशरत ढ़ाग स बरता गया ह

भारतीय वितरकला म अवतयथाथणवाद का ववकास सन सततर क दशक म हआ ववशषकर

जसवात बसह9सलतान अली9अवनल करावजया9इशवर सागरा9जसवामीनाथन9गलाम

शख9गनश पाइन9जोगन िौधरी9 ववकास भटटािायण9एरामिनदरन9भपन खककर की

रिनाओ म लककन शमशर क अवधकााश सरटरयल वितरो की रिना सन अड़तालीस स

लकर िौवन क बीि हई हशमशर आरमभ स ही अवतयथाथणवाद स बहद परभाववत थ

उनहोन एक सथल पर सवया कहा ह szlig योरोप क जो वितरकार थ और जो आनदोलन

अवतयथाथणवाद का वहाा पर िला था 9उसन बहत गहराई स मझको परभाववत ककया

THORN29 एक दसरी जगह भी उनहोन सवीकार ककया ह कक szligयह जो सरटरयवलसि पिसण आत

ह हमार यहाा 9मर कदमाग पर छा जात ह वह हबणिण रीड का जो सरटरयवलसि सागरह ह

9उसम पचचासो जो पलटस ह 9व न मालम ककतनी बार कदमाग स गजरी होगी9घमी

होगी9बसी होगी कदमाग मTHORN30 आियण नही कक शमशर क कावयलोक एवा वितरलोक ---

दोनो म अवतयथाथण वबमबो की इतनी बहलता ह शमशर की रिनाओ म^d

lqfjZfyLV psgjk frac141951frac12] ^d Yacutese vkSj mlds pkjksa vksj frac141950frac12 ^fitM+s

ds vanj rksrk jkuh frac141950frac129 ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129^रकषक

और तोता frac141950frac12 जसी कछ रिनाओ को छोड़कर बाकी अवतयथाथणवादी वितर

शीषणकहीन ह इन वितरो म सीन स खलती हई वखड़ककयाा ह9गलाबी तोत का वबललीनमा

नीलमाहा रकषक ह9खनी बालो वाला भवड़यानमा जानवर ह 9नाक और आाख क

बीिोबीि गालो पर दाात की पावकतयाा ह9बनद गाढ़ गलाबी होठो म परवश को आतर

नागमवण ह और सवपन की कई वसथवतयाा ह वसतत शमशर क य वितर मानव अातमणन क

गहयानधकार क परतीक ह यहाा अगर ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129और

^रकषक और तोता frac141950frac12 पर वविार कर तो bu nksuksa fp=ksa esa ml Mordfkes की

परतीकातमक अवभवयाजना भी कदख सकती gS वजस ukjh ds vga frac14bxksfrac12 oa mldh

okLrfod fLFkfr क chp gksus okys varfoZjksk ls पराय mRiUu मान वलया जाता

हA fiatM+s esa can ikh vkSj mlds ikl [kM+h L=h ds chp dbZ Lrjksa ij हो रह

laokn का अनमान लगाया जा सकता gS jkd vkSj ikh nksuksa dh fufr मानो

18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

mlds ^vfLrRo ls vyx gS vkSj fLFkfr dh foMEcuk g gS9 जसा fd

नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

fuksk dj fnk Fkk blfy vc rks वितरकारो क सामन gh बिा Fkk fd OfDr

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YacutekM ds ledkyhu dykdkjksa us ---- vkuZYM lksucxZ] fjpMZ xslZy] bxku

flys us Bhd gh dke fdk Fkk tc os वयवकत-वितर-dyk ds ^izLisfDVo QaDku

ij tksj ns jgs FksA34keksj dgrs gSa szligisafVax esa dqN ugha j[kk gSA eq[ ckr

gS fd tks phtsa vkidks izHkkfor djrh gSa mlds Hkko dks vki vius isafVax esa

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vkuk ml isafVax esaATHORN35 vkSj g Hkko vk dSls fp= esa keksj अपन

xYiamppfj= jkethou क माधयम स यह नसखा परसताववत करत ह szligns[kks g nqfuk

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vkiexcl[k dh cM+h dVnkd izfkkk की वयवसथा gS tcfd izkP dykdkj अपनी

jpukRed kfDr ds vHkl kjk ही vuqdjk kerk vftZr dj लता gSA

20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

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सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 15: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

15

वितर साखया दो

gh nkZd dks fdlh izkd`frd oLrq ds izR k vocksk ls tksM+ ldrk gS ugha

rks keksj ds vfkdkak sls fp= gSa ftlesa u dksbZ khkZd gS vkSj u igpkuus

ksX dksbZ izkd`frd oLrq dk vkHkklA कया यह अनमान लगाया जा सकता ह कक

वितर साखया एक का शीषणक ह ^शरोता और दशणक frac1450amp51frac12]और वितर साखया दो का

^शका तला क परी लोक म frac1448amp50frac12इस सनदभण म gcZVZ jhM dk g dFku धयान

दन योगय gS fd9 szligFkkFkZokn vfHkOfDr dk LohdkjkRed i gS ftlesa thou ds

=klnh rRo dks Lohdkj dk Hkko gS ysfdu vewrZu d sls OfDr dh

izfrfOslashk gS tks kwUrk dh ujd ls yM+ jgk gS] g rhoz OFkk dh slh

vfHkOfDr gS tks vkofod fl)kar ij vfookl djrh gS vkSj ekuo eu

dh l`tukRed Lora=rk dks Lohdkj djrh gSATHORN26

भारतीय कला म अवभवयाजनावादी अमतणन क साथ ही साथ

अवतयथाथणवादी दौर भी गजरा रवीनदरनाथ ठाकर क बाद कलकतता समह क हमात वमशर

16

एवा मदरास समह क कसीएस पवनकर तथा कसीपाईन यहाा अवतयथाथणवाद क अगआ

मान जा सकत ह ^अवतयथाथणवाद का आरमभ पटरस म 1924 म हआइसक परथम

घोषणा-पतर म आनदर बरतो न सवपन और यथाथण जस परतीयमानत परसपर-ववरोधी

अवसथाओ को भववषय म अवतयथाथण (सरटरयल) म एकरप हो जान की पटरकलपना की

थीउनक अनसार अवतयथाथणवाद एक परकार क शदध मानवसक सवया-िालन का नाम ह

वजसक माधयम स सोिन की वासतववक परणाली को --सौनदयणशासतरीय व नवतक तथा

बवदध क ककसी वनयातरण स पर वसफण सोि स सािावलत परणाली को अवभवयकत ककया जा

सकता ह 27यह यरोप म फायड क मनोववशलषण का उतथान काल था और कलाकार

यथाथण को अवतकरवमत कर सकन वाल अवितन की वबमब-वनमाणण कषमता स अवभभत

थआियण नही कक इसकी परथम परदशणनी की सिी म पादलो वपकासो9 पाल कली9 मनर9

जयाा आपण9 माकस अनसिण9डी वशटरको जस वितरकार शावमल हए और बाद म िलकर ईव

ताागवी9आनदर माससो9जान मायरो9सालवाडोर डाली जस कलाकारो न इस अपनायायह

यरोपीय कला म9हबणिण रीड क शददो म कह तो ववसमय क पनजीवन की सथापना थी28

शमशर क अवतयथाथणवादी वितर

17

अवतयथाथणवाकदयो न कला म ववसमय क ततव को दो तरह स अरनजत ककया ----- एक

यथाथण को अयथाथण ढ़ग स परसतत कर और दसर अयथाथण को यथाथणवादी अाकन कर

कजहाा पहल क उदाहरण क रप म मायरो9आनदर मााससो की रिनाएा रखी जा सकती ह

वजसम फलो को आाख ह और पड़ो को कान (^जोता हआ खत) ह वही दसरा ढ़ग डाली

एवा ताागवी का ह जहाा जलता हआ वजराफ ह(^जलता वजराफ)9सखन क वलए डाल गय

कपड़ की तरह लिकती हई घवड़याा ह (^समवत का आगरह)9 वववितर ककसम क ककरमतत

एवा जादई वनसपवततयाा ह जो काफकाई सासार क परवतवबमब जान पड़त ह वस अवधकााश

अवतयथाथणवादी कवतयो म इन दोनो शवलयो को वमवशरत ढ़ाग स बरता गया ह

भारतीय वितरकला म अवतयथाथणवाद का ववकास सन सततर क दशक म हआ ववशषकर

जसवात बसह9सलतान अली9अवनल करावजया9इशवर सागरा9जसवामीनाथन9गलाम

शख9गनश पाइन9जोगन िौधरी9 ववकास भटटािायण9एरामिनदरन9भपन खककर की

रिनाओ म लककन शमशर क अवधकााश सरटरयल वितरो की रिना सन अड़तालीस स

लकर िौवन क बीि हई हशमशर आरमभ स ही अवतयथाथणवाद स बहद परभाववत थ

उनहोन एक सथल पर सवया कहा ह szlig योरोप क जो वितरकार थ और जो आनदोलन

अवतयथाथणवाद का वहाा पर िला था 9उसन बहत गहराई स मझको परभाववत ककया

THORN29 एक दसरी जगह भी उनहोन सवीकार ककया ह कक szligयह जो सरटरयवलसि पिसण आत

ह हमार यहाा 9मर कदमाग पर छा जात ह वह हबणिण रीड का जो सरटरयवलसि सागरह ह

9उसम पचचासो जो पलटस ह 9व न मालम ककतनी बार कदमाग स गजरी होगी9घमी

होगी9बसी होगी कदमाग मTHORN30 आियण नही कक शमशर क कावयलोक एवा वितरलोक ---

दोनो म अवतयथाथण वबमबो की इतनी बहलता ह शमशर की रिनाओ म^d

lqfjZfyLV psgjk frac141951frac12] ^d Yacutese vkSj mlds pkjksa vksj frac141950frac12 ^fitM+s

ds vanj rksrk jkuh frac141950frac129 ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129^रकषक

और तोता frac141950frac12 जसी कछ रिनाओ को छोड़कर बाकी अवतयथाथणवादी वितर

शीषणकहीन ह इन वितरो म सीन स खलती हई वखड़ककयाा ह9गलाबी तोत का वबललीनमा

नीलमाहा रकषक ह9खनी बालो वाला भवड़यानमा जानवर ह 9नाक और आाख क

बीिोबीि गालो पर दाात की पावकतयाा ह9बनद गाढ़ गलाबी होठो म परवश को आतर

नागमवण ह और सवपन की कई वसथवतयाा ह वसतत शमशर क य वितर मानव अातमणन क

गहयानधकार क परतीक ह यहाा अगर ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129और

^रकषक और तोता frac141950frac12 पर वविार कर तो bu nksuksa fp=ksa esa ml Mordfkes की

परतीकातमक अवभवयाजना भी कदख सकती gS वजस ukjh ds vga frac14bxksfrac12 oa mldh

okLrfod fLFkfr क chp gksus okys varfoZjksk ls पराय mRiUu मान वलया जाता

हA fiatM+s esa can ikh vkSj mlds ikl [kM+h L=h ds chp dbZ Lrjksa ij हो रह

laokn का अनमान लगाया जा सकता gS jkd vkSj ikh nksuksa dh fufr मानो

18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

mlds ^vfLrRo ls vyx gS vkSj fLFkfr dh foMEcuk g gS9 जसा fd

नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

fuksk dj fnk Fkk blfy vc rks वितरकारो क सामन gh बिा Fkk fd OfDr

ds ckg~ रikdkjksa dk FkkFkZijd vuqdjk ds ctk mlds vkarfjd nqfuk

dks vfHkODr करA YacutekM ds vवpsru fl)kar dk lgkjk ysrs gq fouk esa

YacutekM ds ledkyhu dykdkjksa us ---- vkuZYM lksucxZ] fjpMZ xslZy] bxku

flys us Bhd gh dke fdk Fkk tc os वयवकत-वितर-dyk ds ^izLisfDVo QaDku

ij tksj ns jgs FksA34keksj dgrs gSa szligisafVax esa dqN ugha j[kk gSA eq[ ckr

gS fd tks phtsa vkidks izHkkfor djrh gSa mlds Hkko dks vki vius isafVax esa

ys vkiexcl amp js[kkvksa ds djsDVusl ij dksbZ tksj ughaA eq[ ckr gS Hkko dk

vkuk ml isafVax esaATHORN35 vkSj g Hkko vk dSls fp= esa keksj अपन

xYiamppfj= jkethou क माधयम स यह नसखा परसताववत करत ह szligns[kks g nqfuk

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vkiexcl[k dh cM+h dVnkd izfkkk की वयवसथा gS tcfd izkP dykdkj अपनी

jpukRed kfDr ds vHkl kjk ही vuqdjk kerk vftZr dj लता gSA

20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

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सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 16: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

16

एवा मदरास समह क कसीएस पवनकर तथा कसीपाईन यहाा अवतयथाथणवाद क अगआ

मान जा सकत ह ^अवतयथाथणवाद का आरमभ पटरस म 1924 म हआइसक परथम

घोषणा-पतर म आनदर बरतो न सवपन और यथाथण जस परतीयमानत परसपर-ववरोधी

अवसथाओ को भववषय म अवतयथाथण (सरटरयल) म एकरप हो जान की पटरकलपना की

थीउनक अनसार अवतयथाथणवाद एक परकार क शदध मानवसक सवया-िालन का नाम ह

वजसक माधयम स सोिन की वासतववक परणाली को --सौनदयणशासतरीय व नवतक तथा

बवदध क ककसी वनयातरण स पर वसफण सोि स सािावलत परणाली को अवभवयकत ककया जा

सकता ह 27यह यरोप म फायड क मनोववशलषण का उतथान काल था और कलाकार

यथाथण को अवतकरवमत कर सकन वाल अवितन की वबमब-वनमाणण कषमता स अवभभत

थआियण नही कक इसकी परथम परदशणनी की सिी म पादलो वपकासो9 पाल कली9 मनर9

जयाा आपण9 माकस अनसिण9डी वशटरको जस वितरकार शावमल हए और बाद म िलकर ईव

ताागवी9आनदर माससो9जान मायरो9सालवाडोर डाली जस कलाकारो न इस अपनायायह

यरोपीय कला म9हबणिण रीड क शददो म कह तो ववसमय क पनजीवन की सथापना थी28

शमशर क अवतयथाथणवादी वितर

17

अवतयथाथणवाकदयो न कला म ववसमय क ततव को दो तरह स अरनजत ककया ----- एक

यथाथण को अयथाथण ढ़ग स परसतत कर और दसर अयथाथण को यथाथणवादी अाकन कर

कजहाा पहल क उदाहरण क रप म मायरो9आनदर मााससो की रिनाएा रखी जा सकती ह

वजसम फलो को आाख ह और पड़ो को कान (^जोता हआ खत) ह वही दसरा ढ़ग डाली

एवा ताागवी का ह जहाा जलता हआ वजराफ ह(^जलता वजराफ)9सखन क वलए डाल गय

कपड़ की तरह लिकती हई घवड़याा ह (^समवत का आगरह)9 वववितर ककसम क ककरमतत

एवा जादई वनसपवततयाा ह जो काफकाई सासार क परवतवबमब जान पड़त ह वस अवधकााश

अवतयथाथणवादी कवतयो म इन दोनो शवलयो को वमवशरत ढ़ाग स बरता गया ह

भारतीय वितरकला म अवतयथाथणवाद का ववकास सन सततर क दशक म हआ ववशषकर

जसवात बसह9सलतान अली9अवनल करावजया9इशवर सागरा9जसवामीनाथन9गलाम

शख9गनश पाइन9जोगन िौधरी9 ववकास भटटािायण9एरामिनदरन9भपन खककर की

रिनाओ म लककन शमशर क अवधकााश सरटरयल वितरो की रिना सन अड़तालीस स

लकर िौवन क बीि हई हशमशर आरमभ स ही अवतयथाथणवाद स बहद परभाववत थ

उनहोन एक सथल पर सवया कहा ह szlig योरोप क जो वितरकार थ और जो आनदोलन

अवतयथाथणवाद का वहाा पर िला था 9उसन बहत गहराई स मझको परभाववत ककया

THORN29 एक दसरी जगह भी उनहोन सवीकार ककया ह कक szligयह जो सरटरयवलसि पिसण आत

ह हमार यहाा 9मर कदमाग पर छा जात ह वह हबणिण रीड का जो सरटरयवलसि सागरह ह

9उसम पचचासो जो पलटस ह 9व न मालम ककतनी बार कदमाग स गजरी होगी9घमी

होगी9बसी होगी कदमाग मTHORN30 आियण नही कक शमशर क कावयलोक एवा वितरलोक ---

दोनो म अवतयथाथण वबमबो की इतनी बहलता ह शमशर की रिनाओ म^d

lqfjZfyLV psgjk frac141951frac12] ^d Yacutese vkSj mlds pkjksa vksj frac141950frac12 ^fitM+s

ds vanj rksrk jkuh frac141950frac129 ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129^रकषक

और तोता frac141950frac12 जसी कछ रिनाओ को छोड़कर बाकी अवतयथाथणवादी वितर

शीषणकहीन ह इन वितरो म सीन स खलती हई वखड़ककयाा ह9गलाबी तोत का वबललीनमा

नीलमाहा रकषक ह9खनी बालो वाला भवड़यानमा जानवर ह 9नाक और आाख क

बीिोबीि गालो पर दाात की पावकतयाा ह9बनद गाढ़ गलाबी होठो म परवश को आतर

नागमवण ह और सवपन की कई वसथवतयाा ह वसतत शमशर क य वितर मानव अातमणन क

गहयानधकार क परतीक ह यहाा अगर ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129और

^रकषक और तोता frac141950frac12 पर वविार कर तो bu nksuksa fp=ksa esa ml Mordfkes की

परतीकातमक अवभवयाजना भी कदख सकती gS वजस ukjh ds vga frac14bxksfrac12 oa mldh

okLrfod fLFkfr क chp gksus okys varfoZjksk ls पराय mRiUu मान वलया जाता

हA fiatM+s esa can ikh vkSj mlds ikl [kM+h L=h ds chp dbZ Lrjksa ij हो रह

laokn का अनमान लगाया जा सकता gS jkd vkSj ikh nksuksa dh fufr मानो

18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

mlds ^vfLrRo ls vyx gS vkSj fLFkfr dh foMEcuk g gS9 जसा fd

नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

fuksk dj fnk Fkk blfy vc rks वितरकारो क सामन gh बिा Fkk fd OfDr

ds ckg~ रikdkjksa dk FkkFkZijd vuqdjk ds ctk mlds vkarfjd nqfuk

dks vfHkODr करA YacutekM ds vवpsru fl)kar dk lgkjk ysrs gq fouk esa

YacutekM ds ledkyhu dykdkjksa us ---- vkuZYM lksucxZ] fjpMZ xslZy] bxku

flys us Bhd gh dke fdk Fkk tc os वयवकत-वितर-dyk ds ^izLisfDVo QaDku

ij tksj ns jgs FksA34keksj dgrs gSa szligisafVax esa dqN ugha j[kk gSA eq[ ckr

gS fd tks phtsa vkidks izHkkfor djrh gSa mlds Hkko dks vki vius isafVax esa

ys vkiexcl amp js[kkvksa ds djsDVusl ij dksbZ tksj ughaA eq[ ckr gS Hkko dk

vkuk ml isafVax esaATHORN35 vkSj g Hkko vk dSls fp= esa keksj अपन

xYiamppfj= jkethou क माधयम स यह नसखा परसताववत करत ह szligns[kks g nqfuk

rqEgkjs igpkuus ds fy d vkbuk[kkuk gSA xkSj ls blesa gj rjQ ns[kks]

dampd djA ku tekdjA fgEer vkSj lcz vkSj [kqkh ysdjA ns[kks] bu

vkbuksa ds vanj rqEgkjk viuk i fdlampfdl kDy esa utj vkrk gSA

DkampDk jax] DkampDk pkyampltky] DkampDk Nqikoampcuko] mBko] mHkkj vkSj

xgjko] mlds gjampgj vankt gSaA---- vkSj fQj vkiexcl[ksa cUn dj yksA Hkoksa ds

chp esa fuxkg dk d fcUnq cukdj] mlds lkFk viuh fuxkg ds lkFk

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rd Hkh tk ldrs gks] tkvks----ATHORN36 कया g Hkkjrh k izkP dykampn`fV gS

वजस wjksih dykampn`fV ls fcYdqy vyx माना गया gSA gSosy us fy[kk ह fd

wjksih dyk vdknfeksa esa Nk=ksas की vuqdjk kfDr fodflr djus ds fy

vkiexcl[k dh cM+h dVnkd izfkkk की वयवसथा gS tcfd izkP dykdkj अपनी

jpukRed kfDr ds vHkl kjk ही vuqdjk kerk vftZr dj लता gSA

20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

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40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 17: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

17

अवतयथाथणवाकदयो न कला म ववसमय क ततव को दो तरह स अरनजत ककया ----- एक

यथाथण को अयथाथण ढ़ग स परसतत कर और दसर अयथाथण को यथाथणवादी अाकन कर

कजहाा पहल क उदाहरण क रप म मायरो9आनदर मााससो की रिनाएा रखी जा सकती ह

वजसम फलो को आाख ह और पड़ो को कान (^जोता हआ खत) ह वही दसरा ढ़ग डाली

एवा ताागवी का ह जहाा जलता हआ वजराफ ह(^जलता वजराफ)9सखन क वलए डाल गय

कपड़ की तरह लिकती हई घवड़याा ह (^समवत का आगरह)9 वववितर ककसम क ककरमतत

एवा जादई वनसपवततयाा ह जो काफकाई सासार क परवतवबमब जान पड़त ह वस अवधकााश

अवतयथाथणवादी कवतयो म इन दोनो शवलयो को वमवशरत ढ़ाग स बरता गया ह

भारतीय वितरकला म अवतयथाथणवाद का ववकास सन सततर क दशक म हआ ववशषकर

जसवात बसह9सलतान अली9अवनल करावजया9इशवर सागरा9जसवामीनाथन9गलाम

शख9गनश पाइन9जोगन िौधरी9 ववकास भटटािायण9एरामिनदरन9भपन खककर की

रिनाओ म लककन शमशर क अवधकााश सरटरयल वितरो की रिना सन अड़तालीस स

लकर िौवन क बीि हई हशमशर आरमभ स ही अवतयथाथणवाद स बहद परभाववत थ

उनहोन एक सथल पर सवया कहा ह szlig योरोप क जो वितरकार थ और जो आनदोलन

अवतयथाथणवाद का वहाा पर िला था 9उसन बहत गहराई स मझको परभाववत ककया

THORN29 एक दसरी जगह भी उनहोन सवीकार ककया ह कक szligयह जो सरटरयवलसि पिसण आत

ह हमार यहाा 9मर कदमाग पर छा जात ह वह हबणिण रीड का जो सरटरयवलसि सागरह ह

9उसम पचचासो जो पलटस ह 9व न मालम ककतनी बार कदमाग स गजरी होगी9घमी

होगी9बसी होगी कदमाग मTHORN30 आियण नही कक शमशर क कावयलोक एवा वितरलोक ---

दोनो म अवतयथाथण वबमबो की इतनी बहलता ह शमशर की रिनाओ म^d

lqfjZfyLV psgjk frac141951frac12] ^d Yacutese vkSj mlds pkjksa vksj frac141950frac12 ^fitM+s

ds vanj rksrk jkuh frac141950frac129 ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129^रकषक

और तोता frac141950frac12 जसी कछ रिनाओ को छोड़कर बाकी अवतयथाथणवादी वितर

शीषणकहीन ह इन वितरो म सीन स खलती हई वखड़ककयाा ह9गलाबी तोत का वबललीनमा

नीलमाहा रकषक ह9खनी बालो वाला भवड़यानमा जानवर ह 9नाक और आाख क

बीिोबीि गालो पर दाात की पावकतयाा ह9बनद गाढ़ गलाबी होठो म परवश को आतर

नागमवण ह और सवपन की कई वसथवतयाा ह वसतत शमशर क य वितर मानव अातमणन क

गहयानधकार क परतीक ह यहाा अगर ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok frac141950frac129और

^रकषक और तोता frac141950frac12 पर वविार कर तो bu nksuksa fp=ksa esa ml Mordfkes की

परतीकातमक अवभवयाजना भी कदख सकती gS वजस ukjh ds vga frac14bxksfrac12 oa mldh

okLrfod fLFkfr क chp gksus okys varfoZjksk ls पराय mRiUu मान वलया जाता

हA fiatM+s esa can ikh vkSj mlds ikl [kM+h L=h ds chp dbZ Lrjksa ij हो रह

laokn का अनमान लगाया जा सकता gS jkd vkSj ikh nksuksa dh fufr मानो

18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

mlds ^vfLrRo ls vyx gS vkSj fLFkfr dh foMEcuk g gS9 जसा fd

नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

fuksk dj fnk Fkk blfy vc rks वितरकारो क सामन gh बिा Fkk fd OfDr

ds ckg~ रikdkjksa dk FkkFkZijd vuqdjk ds ctk mlds vkarfjd nqfuk

dks vfHkODr करA YacutekM ds vवpsru fl)kar dk lgkjk ysrs gq fouk esa

YacutekM ds ledkyhu dykdkjksa us ---- vkuZYM lksucxZ] fjpMZ xslZy] bxku

flys us Bhd gh dke fdk Fkk tc os वयवकत-वितर-dyk ds ^izLisfDVo QaDku

ij tksj ns jgs FksA34keksj dgrs gSa szligisafVax esa dqN ugha j[kk gSA eq[ ckr

gS fd tks phtsa vkidks izHkkfor djrh gSa mlds Hkko dks vki vius isafVax esa

ys vkiexcl amp js[kkvksa ds djsDVusl ij dksbZ tksj ughaA eq[ ckr gS Hkko dk

vkuk ml isafVax esaATHORN35 vkSj g Hkko vk dSls fp= esa keksj अपन

xYiamppfj= jkethou क माधयम स यह नसखा परसताववत करत ह szligns[kks g nqfuk

rqEgkjs igpkuus ds fy d vkbuk[kkuk gSA xkSj ls blesa gj rjQ ns[kks]

dampd djA ku tekdjA fgEer vkSj lcz vkSj [kqkh ysdjA ns[kks] bu

vkbuksa ds vanj rqEgkjk viuk i fdlampfdl kDy esa utj vkrk gSA

DkampDk jax] DkampDk pkyampltky] DkampDk Nqikoampcuko] mBko] mHkkj vkSj

xgjko] mlds gjampgj vankt gSaA---- vkSj fQj vkiexcl[ksa cUn dj yksA Hkoksa ds

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vUnjampvUnj amp ogha Mwc tkdj xgjs] vkSj xgjs] vkSj xgjs--- nwj rd tgkiexcl

rd Hkh tk ldrs gks] tkvks----ATHORN36 कया g Hkkjrh k izkP dykampn`fV gS

वजस wjksih dykampn`fV ls fcYdqy vyx माना गया gSA gSosy us fy[kk ह fd

wjksih dyk vdknfeksa esa Nk=ksas की vuqdjk kfDr fodflr djus ds fy

vkiexcl[k dh cM+h dVnkd izfkkk की वयवसथा gS tcfd izkP dykdkj अपनी

jpukRed kfDr ds vHkl kjk ही vuqdjk kerk vftZr dj लता gSA

20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

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18

रकषक और तोता बनदीगह म एक जोड़ा गोर वकष

mlds ^vfLrRo ls vyx gS vkSj fLFkfr dh foMEcuk g gS9 जसा fd

नारीवाद क वसदधाातकार बतात ह ijrU=rk dks Lohdkj djds ही जस सवतातरता

हावसल की जा सकती ह31 fiatM+s esa dSn ikh dh nqfuk L=h dh vanuh nqfuk

gS vkSj ^canh x`g esa d tksM+k xksjs ok ftldh kkjhfjd vfHkOfDr gSA यह

बादीगह वजतना बाहरी ह उतना ही अनदरनी भी9वजतना रागीन ह उतना शायद आकषणक

भी9 वजतना ितन ह उसस अवधक अवितन ह fir`ra=kRed lekt esa ukjh dh

fufr को अवभवयकत करन का यह keksj का वनताात सरटरयल महावरा ह

शमशर क लगभग तीन सौ वितर एवा रखााकन ह वजसम सतहततर माउाि ककए हए ह एवा

एक सौ पचचास साद कागज पर वबना माउाि एवा फम क ह इसक अलाव डायरी की दो

कावपयो म पचचास क आसपास वितर एवा रखााकन ह32 इन वितरो को मखयत तीन

आधारो पर वगीकत ककया जा सकता ह---- ववषय-वसत क आधार पर9 शली क आधार

पर और माधयम क आधार पर ववषय-वसत क आधार पर मानव-मख-वितर9 वयवकत-

वितर(पोटरि)9आतम-वितर(सलफ-पोटरि)9वनिल-वितर(वसिल-लाइफ़)9वनवणसन-

वितर(नयडस)9भ-दषय-वितर (लडसकपस)एवा अमतण-वितर शली क आधार पर

यथाथणवादी9अवतयथाथणवादी9अवभवयाजनावादी तथा माधयम क आधार पर जल-राग व

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

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xYiamppfj= jkethou क माधयम स यह नसखा परसताववत करत ह szligns[kks g nqfuk

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20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 19: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

19

सयाही स बन वितर9पसिल - ककरयोन स बन वितर तथा पवसल व पन स बन रखावितर क

रप म वगीकत करक शमशर क वितरलोक को समझा जा सकता ह

वलयोनादो द बवसी न कहा ह कक एक अचछ कलाकार का उददशय दो िीजो का वनरपण

करना होता ह ----- एक मनषय और दसर उसकी आतमा क अवभपराय 33 शमशर क

अवधकााश वितर मनषय-कवनदरत ह और मनषय की आतमा क अवभपरायो को व शरीर की

भाव-भावगमाओ क बजाय मखााकन (फस-मबपग) क सहार पकड़न की कोवशश करत ह

मखााकन क कलाकार क सामन सबस बड़ी समसया यह होती ह कक व वाहय- सादषयता

पर जोर द या िटरतर की आातटरक परकवत को अवभवयावजत करन का परयतन कर कहा

जाता ह कक dSejs ds vfodkj us वस भी वयवकत-वितर ds ^jsटरLisfDVo QaDku dks

fuksk dj fnk Fkk blfy vc rks वितरकारो क सामन gh बिा Fkk fd OfDr

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20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

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उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

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39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 20: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

20

ekWMy dks ns[kdj fp= cukus ds ctk og eu dh vkiexcl[k स fp= cukus dh

vknr Mkyrk gSA37

मानव-मख-वितर

शमशर क मखााकनो को तीन कोटियो म बाािा जा सकता ह--- मानव-मख-वितर9वयवकत-

मख-वितर और आतम-मख-वितर वजस परकार सावहतय म उपनयास9जीवनी और आतम-

जीवनी की ववधा ह जहाा यथाथण व कलपना की परकवत का अलग-अलग अनपात और

वमशरण वनयत होता ह वितरकला की इन उपकोटियो म भी आतम-वनषठता और वसत-

वनषठता9 यथाथण व कलपना9अवभवयाजना और समपरषण का एक ही अनपात नही

होतामानव-मख-वितर और उपनयास का ववषय सामानय वयवकत ह9वयवकत-वितर और

जीवनी क कनदर म वयवकत-ववशष होता ह 9वही आतम-जीवनी और आतम-वितर का आधार

सवया सजणक ह सपि ही मानव-मख -वितर की तलना म वयवकत-वितर और आतम-वितर म

ववषय की9वाहय-यथाथण की सादशयता वाल पकष की कम अनदखी की जा सकती हअगर

वयवकत-वितरो म ^vd frac1450frac129 ^jktsoj izlkn flag frac14ekkamplEikndfrac12 frac1451frac12] ^ujsk esgrk frac1449frac12] ^fljksgh lkgc frac1449frac12] ^fuxefrac1449frac12] ^HkSjo izlkn xqIr

frac1450frac12]^परमलता वमाण (51)9 ^नागाजणन (82 )9 ^jatuk अरगड़frac1484frac12] ds js[kkfp=ksa की

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 21: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

21

मडम हयर ड

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 22: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

22

तलना9नावयका9 ^भकक9^मडम हयर ड9^रप-लिरा9^नाक-नक़श9^गायक9 ^साावल नाक-

नक़श एक सौनदयण जस मानव-मख-वितरो स कर तो यह सपि हो जाता ह कक वितरकार

क वलए वयवकत-ववशष या सामानय वयवकत( मनषय-मातर )दोनो करमश वववशि या

सामानय-दपणण की तरह ह जहाा ^आतमा क अवभपरायो को अलग-अलग तरीक स बलौस

होत दखा जा रहा ह

वयवकत-वितर

वयवकत- वितर म जहाा ववशष स सामानय की ओर जान का परयतन ह9वही मानव-वितरो म9

सामानय म ववशष की तलाश ह वसतत इन वितरो म सभी िहर वितरकार की

भावनाओ म आलोककत एक वयवकततव वलए हए ह वयवकत-वितर-कला म वयवकत को9 एक

ववषय को9 वसत म बदलना होता ह और सभी कलाकार इस अपन-अपन ढ़ग स करत

हअगर हनरी मवतस(1869-1954) ववषय क परवत कलाकार क पणण तादातमय की मााग

करत हए यह कहत ह कक ककसी रिना की अवनवायण अवभवयाजना आवयववक शदधता क

बजाय इस बात पर वनभणर करती ह कक कलाकार की ववषय क परवत भावनाएा परकषवपत

हो पायी ह या नही38 तो दसरी ओर सजाा क बार म कहा जाता ह कक उसन वयवकत-वितरो

और आतम-वितरो दोनो म वयवकतवनषठता(सदजवकिवविी) क बजाय ववषय को वसत क रप म

दखा --- उसन अपन सर को भी एक खोपड़ी या एक सव की तरह बरता ह39 कया इन

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 23: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

23

दोनो क बीि का भी कोई रासता हो सकता

नरश महता

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 24: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

24

आदशण वयवकत-वितर-कला की पारमपटरक धारणा पर वविार करत हए

आननदकमारासवामी न वलखा ह कक भारत म दो वभनन परकार की वयवकत-वितर-कला रही

ह--- एक म अलौककक9याजकीय और आदशण वयवकत विवतरत हआ ह तो दसरी म

साासाटरक और भावपरवण40

आतम ndashवितर

शमशर क िटरतर साासाटरक और भाव-परवण ह लककन व अपनी परी सहानभवत परदान

करन क बावजद िटरतर क आातटरक सि को उजागर होन स नही रोकत ---- अशक

आतमसथ होन क बावजद अपनी दवनयादारी कहाा छपा पा रह ह न परमलता वमाण अपनी

आशाकाएानरश महता बितनगरसत ह तो राजना अरगड़ दयादर जान पड़ती हशमशर

िटरतर क वयवकततव9भाव एवा परववतत क सहार वयवकतवनषठता को उजागर करना िाहत

हयह एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क सभी वयवकत-वितर सावहतय स जड़ लोगो क

ह और आतम-वितर तो खर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क ह ही

एफआरलीववस न वववलयम दलक क बार म कहा ह कक ldquo म सवया यह ववशवास नही

करता कक दलक क पास दन क वलए कोई ससमबदध मागणदशणक परजञा थी9लककन यह उनकी

परवतभा क कारण ह कक व समपणण अनासवकत की अवसथा और पटरणामतसमपणण

ईमानदारी(बससयटरिी) हावसल करन म सफल होत हउनम एक ववरल ककसम की

अकषतता(इािगटरटि) ह और उतना ही ववरल ह जीवन क कनदरववनद क रप म दावयतव-

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 25: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

25

बोधउनक अनभव वसफण उनक ह तो वसफण इसवलए नही कयोकक आतमवनषठ अवबोध म

ही अनभव समभव ह बवलक दखन और समझन की उनकी कोवशश ककसी भी परकार की

आतम-वितर

अहामनयता (ईगोटिज़म) या आतम-वबमब को बिान की पररणा स रवहत ह rdquo 41 यह बात

शमशर क बार म भी उतनी ही सि जान पड़ती ह---- ववशषकर उनक आतम-वितर

परमाण ह कक यहाा कलाकार9 इस माधयम को9 अपन अहा या आतम-बबब को िमकान का

ज़टरया नही मानता शमशर अपनी एक कववता म कहत ह ldquoमएक गमशदगी को पयार

करता हाहमशा पयार करता रहा हाrdquo(मोहन राकश स एक तिसथ बातिीत) व इस

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 26: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

26

bdquoगमशदगी‟ को ही अपन आतम-वितरो म मानो पकड़ना िाहत ह लककन ऐसा वह

bdquoअनय‟क मधय सवया को गम होता हआ कदखाकर नही बवलक अनय की उपवसथवत को ही

नकार कर करत ह अकारण नही कक उनक आतम-वितरो म वसवा उनक िहर क और कछ

नही--न परकवत9न वसत9न पटरपरकषय

आतम-वितर

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 27: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

27

शमशर क आतम-वितर एक अनोख कवव9गदयकार एवा वशलपी क सलफ-पोटरि ह शमशर

इन वितरो म दशणको को बधक दखन क बजाय उनम खद को दखत जान पड़त ह ------

उनकी डबी हई-सी9 बाहर क बजाय अातमणखी9सोिती हई- सी उदास आाख दशणको को दर

तक उवारवलत करती ह और सबस बड़ी बात तो यह ह कक इस उवारलन का कारण िहर

की ^भावमयता नही बवलक िहर की रखाओ म उपवसथत आसपास का वह ^पयाणवरण

(एयर)ह वजस रोलाा बाथण न अपनी अावतम पसतक ldquoकमरा लवसडाrdquo म ककसी वयवकत-वितर

क महतता की सबस बड़ी कसौिी माना हव कहत ह कक अगर वितर ववषय क आसपास

क ^पयाणवरण को नही पकड़ पाता तो वह एक मखौिा क अलावा और कछ नही42अगर

शमशर क आतम-वितरो को गौर स दख तो िहर क साथ साथ वह वातावरण भी कदखन

लगता ह वजसम वह साास लता ह िहर की रखाएा जो उदासी का वातावरण बनती ह

वह साकषात-साकवतत न होकर मानो अपन उस अविवतरत उतस का साकत करती ह9वजसक

बार म शमशर क िटरत-नायक न कहा ह ldquo खश हा कक अकला हा9 कोई पास नही ह ---

बजज़ एक सराही क9बजज़ एक ििाई क9बजज़ एक ज़रा-स आकाश क9 जो मरा

पड़ोसी ह मरी छत पर (बजज़ उसक9जोतम होती--- मगर हो कफर भी यही कही अजब

तौर स )rdquo (आओ)

बसवथया फीलड क अनसार वयवकत-वितर पराय िार तरीको स बनाय जात रह ह----शदध

सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान क सहार या

वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक43 शमशर शदध सादशय क बजाय

वयवकततव क ककसी अनोखपन को या वजस ^सव का अदषय कोना‟ कहा गया ह9उसको

उजागर करना िाहत ह इस अथण म व ितन स अवधक अवितन क कलाकार क रप म

सामन आत ह यहाा यह याद करना उपयोगी हो सकता ह कक योरप म नोवल और

पोटरि का उदभव लगभग एक साथ ही हआ और दोनो कला-रपो का ववकास मलत

िटरतरो को करमशसतह स गहराई(दह स मन9ितन स अवितन )म पकड़न की यातरा

रही ह44

शमशर क आतम-वितर सभी एक ही काल क ह सन पिास स तीरपन क बीि9 इसवलए

उनम रमबराा क आतम-वितरो जसी करवमक भाव-यातरा एवा कला-यातरा ढाढना बकार होगा

वस भी जो कलाकार यह मानता हो कक ldquoपता नही कहाा-कहाा जोड़ ह भभणव सव क

अपर पर राग ndashववराग कआकद अात आकद कrdquo(वपकोसाई कला) उसक वलए वतवथ का

कया अथण हो सकता ह शमशर अपनी कववता और वितर---दोनो म वतथााककत होन स

बिन की कोवशश करत ह

कला - इवतहास म दो िशमी क बजाय एकिशमी वयवकत-वितर(परोफाइल) जयादा पसाद

ककय जात रह ह इसका कारण यह माना जाता ह कक एकिशमी वयवकत-वितर सादशयता

को जयादा शदधता स अाककत करन की कषमता रखता ह शमशर क एक भी आतम- वितर

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 28: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

28

एकिशमी नही ह वस भी व कला म कभी bdquoसादशयता‟ क पकषधर नही रहव कहत भी

ह कक ldquo सामन नजर आन वाली िीज को दखत हए हम दरअसल उसको दखत नही

बवलक अपन अनदर की साजञा या ितना स पकड़त ह और वजस रप म हम सामन नजर

आन वाली िीज को पकड़त ह वह रप हमार मन और मवसतषक क वलए जयादा अथणपणण

होता ह इसीवलए जब कलाकार उस सामन नजर न आन वाली अनदर की छाप को

हमार सामन लाता ह --- रागो क ताल-मल रखाओ की तरागो और बहाओ और गवतयो

म--- तो वह हम िीजो क जयादा नजदीक ल जाता ह rdquo 45 और अगर सामन नजर आन

वाली िीज सवया कलाकार का bdquoसव‟ हो तो अनदर की छाप को सामन लान का कोई

पारमपटरक तरीका नही हो सकता

अनावतत वितर

आधवनक पविमी कला म अनावत- वितर(नयडस) बनान की एक परमपरा रही ह और

वहाा नकड (नि) और नयड(अनावत) म फकण ककया जाता रहा हकनथ कलाकण नयड पर

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 29: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

29

अनावत वितर अपन ववखयात अधययन म कहत ह9 szligनि(नकड)होन का अथण ह वववसतर होना और इस

शदद म वह शमण भी शावमल ह वजस उस वसथवत ववशष म हम सब महसस करत ह

जबकक दसरी ओर अनावत(नयड) शदद क पटरषकत महावर म ऐसी कोई असववधा हम

महसस नही करत--- हमार मन म इसस जो एक धाधला वबमब उभरता ह वह ककसी

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 30: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

30

वनरीह दह क गठठर का नही होता बवलक एक सनतवलत9समदध एवा आशवसत करन वाल

दह का9 एक पनगणटठत दह का होता हTHORN46 दह का पनगणठन (द बाडी री-फोमडण ) ही

अनावत वितर क मल म ह और भारत जस दश म जहाा नि माडल को दखकर अनावत

वितर बनान की कोई परमपरा न हो यह जमला और भी मानीखज़ हो जाता ह

शमशर क अनावत- वितर भी ह और रखााकन भी सतरी क भी ह और परष क भी

शमशर क ^का आरा बदनशराखला क परष- शरीर पारमपटरक यनानी दह की उजाण और

करणा क बजाय भारतीय दह की परामावणक सभदयता और लोि को दशाणत ह

अनावतत-रखााकन

लककन सतरी- दह पविमी उसतादो क अलबम स वनकल जान पड़त ह9उनकी दह-भाषा और

आकवत परायी सी लगती ह--- ^वह लड़की की दह-भाषा ही नही बवलक मखाकवत

तक पविमी ह और ^उघारपन का शरीर दह का वितर न होकर9 ऐसा लगता ह कक दह

क बार म हयह भी एक उललखनीय तथय ह कक शमशर क अवधकााश अनावत वितर

वसरववहीन ह और वजनक सर ह भी उनकी आाख नही ह और वजनकी आाख ह भी(^वह

लड़की9 ^उघारपन या ^सकवशनी-दो क) व मानो दखनवालो को दखन क बजाय ककसी

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 31: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

31

भी समभाववत दशणक की समभावना को ही इाकार करती जान पड़ती हसाकषप म कह तो व

महज सवतातर जववक दह नही ह

अनावत- रखााकनdqiexclvkjk cnu frac1452amp53frac12

^का आरा बदन शराखला क वितरो को दखन पर शमशर की ^मकई स व लाल गहएा तलव

कववता की य पावकतयाा कौध जाती ह szligसखी भरी झावड़यो म वयसतिलती-कफरती

बपडवलयाा (मोिी डाल9जााघो स न अड़)THORN कहाा मावतस क रससी या खमबा पकड़ या

सीकढ़यो पर खड़ अनावत बलशाली एकशन हीरो47 और कहाा शमशर क वितर-नायको का

szligयह वन वशव का सथान शाात जयोवत म लय ह धयाननभ-गागा की शवकत सदा

बरसती यहााTHORN (मकई स व लाल गहएा तलव) शमशर की वनवणसनाएा वजतनी

आयावतत लगती ह परष बदन उतना ही परामावणक और पराणवान--- रखाएा मानो बदन

को छ रही हो

वयवकत-वितर की ^पषठभवम जब ^अगरभवम बन गई तब पविम म वनिल-जीवन(वसिल-

लाइफ) का उदय हआ48 वजन मज9 करनसयो9वितरो9फल की िोकटरयो9ककताबो9फल-

पवततयो9खादय-अखादय सामवगरयो (सव9 नाशपाती9मरी हई बततख9मवछनलयाा आकद-आकद)

क बीि मनषय बठता था उस वसा ही छोड़कर वह िपिाप कही िला गया था ---अब

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 32: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

32

कनदर म मनषय नही बवलक जड़ सासार था वितरो की दवनयाा म इसका आकषणण

परवतरपातमक वितरण क कारण नही बवलक नय नय आशयो(मोटिफ) और नय रप की

अवभवयाजना क कारण थाइएि गोवमबरक का कहना सही ह कक szligसव का कोई भी

पवसल रखााकन वासतववक सव की तरह नही कदखता और न ही पवसल क धसर राग को

हम उदासी की अवभवयाजना मानत हदसर शददो म9माधयम की अातशवकत का जञान भी

उतना ही महतवपणण ह वजतना कक आशय का जञानवसिल-लाइफ का कभी भी जनम नही

हआ होता अगर वितर को दखत हए आरवमभक सागरहकतताणओ न वशलप की अपवकषत

सीमाओ को नज़रअादाज कर ववषय की सारिना को मन म नही वबठाया होता दवि-भरम

क कषतर स वनकलकर कला की दवनया म ककसी रवसक को तभी परवश वमलता ह जब वह

कलाकार क कौशल म साझीदारी कर पाता हTHORN49

वनिल-जीवन (वसिल-लाइफ़)

शमशर क दो वसिल लाइफ का ताललक इलाहाबाद क एलनगाजवाल उनक मकान क कमरा

स ह ---एक वितर म कमर क बनद कपाि क अनदर लकड़ी क मज पर िाय की कतली9एक

बड़ा सा कप9 गलास और िीनी का एक छोिा सा वडदबा ह ककनार ककसी िीज पर रखा एक

अधखला बकसा कदख रहा हदसर वितर म वही कमरा ह वही मज9वही कसी लककन अब मज

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 33: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

33

स िीज हिा ली गई ह और कसी को मज क पीछ स हिाकर आग कर ली गई ह और वजसक

पीठ पर अब तौवलया पड़ा ह दषय की सारिना अपकषाकत वाइड ऐगल स होन क कारण

वनिल-जीवन

पहल जहाा एक ही बनद कपाि कदख रहा था अब दोनो कदख रहा ह और इसवलए अब

ककनार वबसतर का थोड़ा सा ककनारा भी कदखन लगा ह दोनो ही वितरो म एक सनापन ह

मानो ककसी क आन की उतकि परतीकषा और तदनसार बिनी हय दोनो ही वितर सन

उनिास क ह और उसी वषण की उनकी वलखी एक कववता ^आओ की कछ पावकतयाा ह तम

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

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50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

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54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 34: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

34

आओ9गर आना ह मर दीदो की वीरानी बसाओश‟र म ही तमको समाना ह अगर

वजनदगी म आओ9मजवससमबहरतौर िली आओ तम आओ9तो खद घर मरा आ

जाएगाइस कोनो-मकाा म9तम वजसकी हवा हो9लय हो मानो इन पावकतयो की ही

दशयातमक परसतवत हो य वितरएक अनय वनिल जीवन क वितर म बोतल म रखा फल ह और

दसर म फल और सदजी की एक िोकरी ह या तो वसिल-लाइफ की परी परमपरा ही पविमी

ह और भारत क वलए आयावतत ही कही जायगी और समभवत इसीवलए

आननदकमारासवामी जस कला-आलोिक इस परमपरा की बतरह आलोिना भी करत ह50

लककन यहाा गोया क सलायसस9दलाकरा क लोबसिर9सजाा क सव और नाशपावतयाा9कब क

अनार9वपकासो क बरड की जगह भारतीय पयाज9 कला9सव9तरबज9दशहरी आम9मली आकद

कदखाए गए ह

भदशय

शमशर क भदशय भी ख़ावलस भारतीय शहरी मधयवगीय जीवन स वाबसता ह --- इनम

इलाहाबाद और सरनदरनगर क उनक टरहाइशी घर ह(या मकान ह) 9आागन ह 9 कछ पड़

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

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19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

47लवजल बोसटरोम एाड मारनलन मवलक9री-वयइाग द नयड9आिण जनणल9वोलयम 589नमबर

19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

Page 35: त द भ व - Hindisamay.comथा।प्रक £वत की पल-पल पटरवर्नतत लला क रंगन प्रकाश और छाया क

35

ह9 आागन म सखत हए कपड़ ह9 दआर पर खड़ी एक िारपाई ह9हाता और वबजली क

खमभ और तार ह और पड़ का एक ठाठ ह--- कमर क अनदर जीवन अगर उदास और

भदशय

वनिल था तो बाहर भी बहार नही आई हई ह इिवलयन टरनसाा मासिसण क लडसकप म

जो भवयता9कववतव9उदाततता व ऐशवयण की ििाण होती ह52 उसका यहाा दर-दर तक नामो-

36

वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

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कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

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37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

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40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

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44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

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51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

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वनशान नही हसि तो यह ह कक योरप म लडसकप पटिग अवनवायणत एक रोमटिक

कला क रप म ववकवसत हआ53 जबकक इन वितरो का आकषणण इसका सवतातर सौनदयण न

होकर इसम वजय जान वाल जीवन का सौनदयण ह कवव की ही पावकतयाा ह szligमकानात ह

मदानककस क़दर उबड़-खाबड़ मगरएक दटरयाऔर हवाएामर सीन म गाज रही

हTHORN(एक नीला दटरया बरस रहा)

शमशर क अवधकााश वितर सामानय कागज पर बनाय गय हछोि भाई तज बहादर बसह

क उपनयास क बि हए कवर क पीठ पर कछ वितर बनाय गय ह जावहर ह वितरकार को

उपयकत कगज भी अभाव था कनवस पर उनक एक भी वितर नही ह जो दो तल-वितर ह

भी व भी उसी उपनयास क कवर क पीठ पर बनाय गय ह राग क वलए

िारकोलककरयोन सख पसिल जल-राग एवा सयाही काम म लाय गय

हपसिल9ककरयोन9िारकोल क राग को बरकरार रखन क वलए ववशष साज- साभार की

जररत होती ह कयोकक वितर म एक बार धल पड़ जान पर बग़र उस कषवत पहािाय

हिाया नही जा सकता और ककसी क साथ सिन पर इसक राग भी विपक जात ह

इसवलए उस ततकाल शीश क अनदर इस परकार बाधाया जाता ह कक वह शीश स भी न

सि जल-राग क वलए लाइनन रग-पपर को उपयकत माना जाता ह और वातावरण की

नमी स बिान क वलए शीश म इस बाधान की जररत होती ह54 लककन जहाा सामानय

कागज भी उपलदध न हो और वितर उषणकटिबनधीय वातावरण म वषो बगर ककसी

साजोसाभार क या ही पड़ रह हो यह अनमान लगाना मवशकल नही कक समय और

वातावरण न इसक साथ कया सलक ककया होगा और कफर वितर-कला क उपकरण महज

साधन नही होत ----- कववता आप पवसल स वलख या सयाही कलम स कोई फकण नही

पड़ता लककन यही बात वितर-कला क बार म नही कही जा सकतीउलि अब तो कहा यह

जा रहा ह कक szlig वितरकला म आज मददा मतण बनाम अमतण9 जयावमवतक बनाम आवयववक

का नही रह गया ह बवलक आज वितर-कला को नय ढाग स पटरभावषत करन का एक

नया-यग का आरमभ हो रहा ह यहाा तक कक सपस का मददा जो वितर-कला का अनात-

काल स शाशवत मददा रहा ह 9कनदर स हि िका ह अब वितर-कला की नयी अवभवयाजना

का सरोत वितरकला क उपकरण और उसका हसतकौशल हTHORN55 ऐस म शमशर की वितर-

कला क उपकरणो की सीमाएा सवतवसदध ह और समभवत इस समझकर ही वितरकार न

रखााकन को अपना मखय असतर बनाया होगायह सि ह कक एक वितरकार क रप म

शमशर अपन रागो क वलए नही बवलक रखाओ क वलए ही जान जायग लककन उनक

रखााकन पारमपटरक अवधारणा क अनसार वितर-कला क पवण-राग नही ह बवलक अपन म

पणण ह Aहबणिण रीड न एक बार रवसकन क हवाल स इतालवी उसतादो क रखााकनो पर

वविार करत हए बहत सही टिपपणी की थी कक वजस परकार शािणहड को लखन कला की

उपयोगी तयारी क रप म नही दखा जा सकता उसी परकार रखााकन को भी वितर-कला

37

सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

का आरा बदन शराखला की रखाएा दख तो व िवननदा रखाओ क सहार ही दह की लय को

पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

सधाव हवो उस कमजोर तो नही सावबत करताTHORN57 सातलन और सधाव क अलाव

शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

सपितमTHORN(वपकासोई कला) यहाा दरहतम9 सपितम का ववलोम नही ह बवलक उसका

ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

परयास को ही व कला मानत रह हशमशर की वितर-रिनाएा उकत समीकरण का साधान

कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

38

सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

1जया अपपासामी9अववननदरनाथ िगोर एाड द आिण आफ वहज िाइमस9लवलत कला अकादमी9नय डलही

फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

परकाशन9बोमब919889प726 पर उदधत 5वववान सनदरम9द टरवडशन आफ द मोडनण 9 इन जोसफ जमस (एवडिड) आिण एाड लाइफ इन इावडया9

आइआइएएसवशमला एाड बीआर पवदलबशग कोपोरशन9डलही9 फसिण पवदलशड9 1989प71 6ननदलाल वसदवि और सवि9ववशवभारती गराथन ववभाग9कलकतता9परकाश भादर 1398 बागादद9प129-

30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

डलही9सक ड एवडसन919949प116

8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

39

20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

(इगो)---ह आलवज रगाडस द सलफ एज द एशवसयल---एाड द कमपलसास आफ वसिएसन इन वहहि

सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

इनीशवसयल आदजकि बाय फलली एकसबपिग इि (पज653) सीमोन द बआ9द सक ड सकस9पीकाडोर कलवसक पम बकस9 1988 32 य सभी वितर परोराजना अरगड़ क पास ह लककन शमशर जी की जीवन-वसथवतयो को दखत हए

कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

रखावितरो का एक अलबम ह जो उनक वववाह क अवसर पर शमशर जी न उनह भिसवरप कदय थ 33आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलालपवदलशसण परायवि

वलवमिड9कदलली919949प60 पर उदधत 34 एवलज़ाबथ डायिोर(सा)9लककग इाि पटिग9फबर एाड फबर9लाडन919899प121 35परसतत पावकतयो क लखक स एक अपरकावशत साकषातकार स उधत 36 keksj cgknqj flag] IykWV dk ekspkZ] Uw fyVjspj] bykgkckn] izFke laLdjk] 1951] i-73

37आरदएलफताणदो9थरी पिसण9धमीमल रामिनद9नय डलही919609प10 पर उदधत

38जकलन9मावतस पोटरटस9यल यवनवरनसिी परस9नय नवन920019प23

39 एसपलाजमन9इाटरडकशन ि सजाा द सलफ पोटरटस9यवनवरनसिी आफ कवलफोरननया

परस9बकणल920019प10-11

40आननद कमारासवामी9ककरवियन एाड ओटरयािल कफलोसोफी आफ आिण9मशीराम मनोहरलाल

पवदलशसण परायवि वलवमिड9दलही919949प118

41 डनीस थोमपसन(स)9द लीववसस टरकलकशन एाड एमपरशन9कवमबरज यवनवरनसिी परस919849पज177

42 रोलाा बाथण9कमरा लवसडारफलकशास आन फोिोगराफी9फरर9सटरास एाड वगरोकश9नय योकण 9प65

43 बसवथया फीलड क अनसार कोई वयवकत-वितर ववषय को िार तरीको म ककसी भी एक तरीक स

अवभवयावजत कर सकता ह--- शदध सादशय क सहार9उपवसथवत क साकषय क सहार9वयवकततव क आनवान

क सहार या वयवकततव क ककसी अनोखपन को उजागर करक दख9बसवथया फीलड9पोटरटस इन पटिग

एाड फोिोगराफी9कफलोसोकफकल सिडीज920079प100

40

44 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9वही9प43-46 45 राजना अरगड़(स)9शमशर की कछ और गदय-रिनाएा9अमतण कला9प166

46कनथ कलाकण 9द नयडअ सिडी इन आइवडयल फोमण9बपरसिन यवनवरनसिी परस9बपरसिन919849

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19बसपरग919999प43

48दख9िालसण सिरललग9वसिल-लाइफ पटिग फाम एाटिकयटि ि द परज़ि िाइम9इागवलस एवडसन9वपयर

वतसन9पटरस91959

49इएिगोवमबरक9मवडिशास आन ए हाबी होसण9फायदन परस9लाडन919639पजन99

50 दख9आननद कमारासवामी9वही9प126-127

51 इएिगोवमबरक9वसमबावलक इमज़ज सिडीज इन द आिण आफ द टरनसाा9 फायदन

परस9लाडन919729पजन129-30

52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

41

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सीखन की तययारी क रप म नही दखा जा सकता 56शमशर क यहाा भी रखााकन एक

सवतातर कला क रप म उभरती कदखाई दती ह रखााकन अपनी परकवत म ही अपकषाकत

वमतवययी कला ह और यह शमशर की ^बात बोलगीपरकवत क अनकल हअगर आप

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पकड़ लत ह लककन इसस रखा-वितर की सारिना स उनका धयान हि-सा जाता ह

अवधकााश रखााकनो म व सीधी रखाओ क बजाय वकर रखाओ का सहारा लत ह भारत

क परािीन वितरकारो न ऐसी ही गनगनाती हई रखाओ स सागीत की अवसथा को परापत

कर वलया थायहाा शमशर क रखााकनो पर ववख़यात वितरकार मकबल कफदा हसन की

एक टिपपणी याद की जा सकती ह9उनका कहना था9 ldquoवजस आदमी न य रखाएा बनाई ह

और एक ही बार की उठी हई कलम स बनाई ह -- और रखाओ म जो सातलन और

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शमशर क रखााकन की एक और बड़ी ववशषता ह उसकी सवतसफतणता रखाएा न वसफण

बड़ी उजणसवी ह बवलक व कही भी अनमय नही ह और इनम ^दवि का वह सकनदरनभी

कदखाई पड़ता ह जो ककसी भी परामावणक रखााकन की वववशिता मानी जाती ह 58

वपकासो क एक एलबम को दर तक दखत रहन क बाद शमशर न एक

कववता म वपकासोई कला को कछ या पटरभावषत ककया ह ldquoजीवन की तला म पराणो

का सायमनसहजतम एक अदभत वयापारसरलता का हमारी ही तरह कसा दरहतम

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ववशषण ह या दोनो ही सरलता क ववशषण ह जो सहजतम का पयाणय ह कववता क इस

अाश म सहजता9 सरलता9 दरहता9 सपिता का जो समीकरण इावगत ककया गया ह वह

सवया शमशर की कला क वलए कामय रहा ह और वजस परापत करन क वलए ककय गय

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कर रह उदयम की पटरणवतयाा ही कही जा सकती ह अकारण नही कक व अपनी एक

कववता म जोर दकर कहत हszligकला परयास9परयास कवल परयास परयास परयास हTHORN

(माडल और आरटिसि) कया शमशर की वितर-कला कवल परयास ह या इस एक साथणक

परयास कहा जा सकता ह

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सनदभण एवा टिपपणी मलक राज आननद9पिर रवीनदरनाथ िगोर9अवभनव पवदलकशास9डलही919859पज 19 पर उधत हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929पज 42-43

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फसिण एवडसन1968प1-2 2सनील कमार भटटािायण9टरडस इन मोडनण इावडयन आिण 9 एमडीपवदलकशन परायवि वलवमिड9नय

डलही 9फसिण पवदलशड 19949प15

3rdquo1935 म पतनी की मतय क बाद म कदलली िला आया और यही पर शारदा उकील कालज bdquoजवाइन‟ कर वलया बागाल सकल की नीव शारदा िनदर उकील ही न डाली थीकालज म वही मखय वितरकार थ

वह हदय स भकत कलाकार थउस समय उनहोन महाभारत परसाग पि ककएbdquoकणण-तपसया‟ शीषणक स एक

पटिग बनाईलकषमी नारायण मवनदर भी उनहोन पि ककया ldquoशमशर9आजकल919939प 18 4ववनायक परोवहत9आटसण आफ टराावजसनल इावडया9वोलयम ि9बोमब पोपलर

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30 7आननद कमारासवामी9आिण एाड सवदशी9माशीराम मनोहरलाल पवदलशसण परायवि वलवमिड9नय

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8पराण नाथ मागो9का िमपोररी आिण इन इावडया9नशनल बक टरसि9इावडया9फसिण एवडशन 20019प60 पर

उदधत 9वही प 10वही प63-64

11समकालीन कला9नवमबर‟84 मई‟859साखया 3-49प13 पर कलाश वमाण का आलख परोगरवसव

आरटिसि गरप एक मलयााकन9 12वही9प16 13हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प75

14आरनोलड हाउजर9द सोसल वहसटरी आफ आिण9वोलयम फोर9रतलज एाड कगान पाल9लनदन मलबोनण

एाड हल919629प163 15रववसाखलकर9आधवनक वितरकला का इवतहास9राजसथान वहनदी गराथ अकादमी9जयपर9परथम

सासकरण919719प59 पर उदधत 16वही 17 हबणिण रीड9द मीबनग आफ आिण9 रपा एाड कमपनी9कलकतता919929प194

18पराण नाथ मागो9वही9प 9

19 वही9प81

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20शाखो िौधरी9इन रटरोसपकि9जोसफ जमस(एवडिड)9वही9प139 21ववनायक परोवहत9वही 9प732 22इयान वसलवसण9वडकशनरी आफ आिण एाड आरटिसटस9ओयपीफोथण एवडशन92009प210 23 हबणिण रीड9वही9प229-230 24रववसाखलकर9वही9प224 पर उधत 25राजना अरगड़ (सा)9शमशर बहादर बसह की कछ और गदय रिनाएा9राधाकषण परकाशन9कदललीपरथम

सासकरण 19929प166 26हबणिण रीड9द फीलासफी आफ मोडनण आिण9प93 27 वावसवलकी कोलोकोतरोनी9जन गोलडमन9ओलगा ताकसीदय (सा)9माडरननजम एन एाथोलोजी आफ

सोसस एाड डाकयमटस9एवडनबरा यवनवरनसिी परस919989म आनदर बरतो9सरटरयवलजम9प308-309 28 हबणिण रीड9वही9प141 29शमशर9म9मरा समय और रिना-परककरया9सापकष9अाक 309 पइककीस बाइस9 30नवमिनदर जन और मलयज स शमशर की बातिीत9अशोक वाजपयी9(सा)9पवणगरह9जनवरी-अपरल

19769प19

31द डरामा आफ वमन लाइज इन दीस का वफलकि वबटवीन द फा डामिल एसपरसन आफ एवरी सबजकि

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सी इज द इनइशवसयल (पज29) सी िजज ि कदजायर हर इासलवमि सो आडिली दि इि ववल

सीम ि हर द एकसपरशन आफ हर वलबिीसी ववल टराय ि राईज एबव हर गिएशन एज

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कही और भी कछ वितरो की मौजदगी स इाकार नही ककया जा सकताशरी नरनदर शमाण क पास भी

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40

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55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

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41

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52 हबणिण रीड9वही9पज163 53 दख9 राफल दोकतोर9पटिग िकिकस9 पनाणसस9वोलयम 109 न 7 9प28-32

54सााती शाबवसकी9 एबाउि द फीवजकल इन पटिग9वलयोनादो9वोलयम 29न29प127

55 हबणिण रीड9वही9पज131

56 वतरलोिन कहत हशमशर की एक ककताब कछ कववताएा जगत शाखधर न जब छापीतो ऐस ही

सामन बठ थ एमएफ हसन तो वो ककताब उलित उलित उनकी रखाएा ही कवल दीख गई उनहऔर

रखाओ क बनाव पर इतन मगध हए कक उनहोन पछा इस ककताब का दाम कया ह वतरलोिन स

रामकमार कषक की बातिीत9कल क वलए9शमशर समवत अाक9मािण 949प66 57 हबणिण रीड9वही9पज132

इस लख म परयकत शमशर जी क सभी वितर परोराजना अरगड़ क सौजनय स परापत हए ह9म उनका आभार वयकत करता हाA

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