सट जेिवयस महािवालय,हापसा-गोवा...सट ज...

24

Upload: others

Post on 06-Mar-2020

0 views

Category:

Documents


0 download

TRANSCRIPT

  • स�ट जेिवयस� महािव�ालय,�हापसा-गोवा

    �हदंी िवभाग

    डॉ. रिमता गुरव (िवभागा�य�ा)

    �ा. मै�डलीन िडसूजा

    �ा. �ुित गाड

    �ा. आशा नाईक

  • �ाचाय � डॉ. फादर जेरोनीमो �ड�स�वा

    यह मेरे �लए अपार हष � क� बात है �क �हदं� �वभाग ̀ बढ़त ेकदम' का

    चौथा अकं �का�शत कर रहा है ,िजसे गणतं� �दवस के अवसर पर

    �का�शत �कया जाएगा।

    यह अकं �वभागीय ग�त�व�धय�, काय�� म�, �व�या�थय� � क� �ल�खत

    साम�ी का समावेश करेगा।�व�या�थय� � क� लेखक�य ��तभा को एक

    नवीन फ़लक �दान करेगा और सजना�मकता एवं अ�भ�यि�त को ृ

    नया आयाम देगा।

    म � संपण � �हदं� �वभाग,संपादक�य मंडल एवं �व�या�थय� � के इस ू

    सराहनीय कदम के �लए हा�द�क ध�यवाद �ा�पत करता हँ।ू

  • संपादक मंडल

    �ुित गाड आशा नाईक

    अिदित कुडालकर �िणता रेडकर

  • संपादक�य – ��त गाडु

    �हदं� �वभाग के ‘बढ़त ेकदम’का चौथा अकं ��तत करत ेहए मझ ेबहत ु ुु ु

    खशी अनभव हो रह� है।इस अकं म� �हदं� �वभाग के वष � भर क� ु ु

    ग�त�व�धय�,उपलि�धय�,काय�� म� और �व�या�थय� � क� रचनाएँ

    शा�मल ह�।�हदं� �वभाग सदा ह� �व�या�थय� � को सा�हि�यक

    ग�त�व�धय�,�पधा�ओ ं एवं काय�� म� म� भाग लेने के �लए �ो�सा�हत

    करता रहा है।यह हमारे �वभाग क� उ�जवल परंपरा है और इसका भाग

    बनने का अवसर �मला यह मेरे �लए परम सौभा�य क� बात

    है।�व�या�थय� � म� सजना�मकता के बीज बोने म� ‘बढ़त ेकदम’अव�य ृ

    ह� लाभदायी �स�ध हआ है और आगे भी होगा।आगामी वष� म� भी यह ु

    संदर परंपरा अखं�डत �प से बनी रहे इस �व�वास के साथ,म � सहयोग ु

    हेत �वभाग के सद�य� एवं �व�या�थय� � को ध�यवाद �ा�पत करती हँ।ु ू

  • �वभागा�य�ा डॉ.र�मता गरवु�हदं� �वभाग क� ओर से 'बढ़त ेकदम' का

    चौथा अकं आपके सामने आ रहा है िजसम�

    �वभाग क� ग�त�व�धय� क� जानकार� द� गई

    है। �हदं� �वभाग क� हमेशा यह को�शश रह� है

    �क �व�या�थय� � को पढ़ाई के साथ-साथ

    सा�हि�यक एवं सां�क�तक �े� म� भी आगे ृ

    बढ़ने के �लए �े�रत करे। ��त गाड और आशा ु

    नाईक के संपादन म� तयैार यह अकं , हमारे

    �व�या�थय� � के जीवन म� आगे बढ़त ेकदम� का �च� आपके सामने

    ��तत करता है ।ु

    �ा. म�ै डल�न �डसजाूमझ ेइस बात क� खशी हो रह� है �क �हदं� ु ु

    �वभाग 'बढत ेकदम' का

    चौथा अकं �का�शत कर रहा है। यह प��का

    छा�� म� एक उ�मीद जगाती है और साथ ह�

    सजन� ा�मकता क� �वाला भी जलाती है। म.ै

    संपादक मंडल और �वभागा�य�ा डाॉ. र�मता

    गरव को �ेय देती हँ िजनक� लगन एवं मेहनत ु ू

    से हमारे सामने आया है।

  • िवभागीय

    गितिविधयाँ

  • �ेमचंद जयंती

    �दनांक १ अग�त २०१८ को स�ट झेिवयस� महािव�ालय के सभागृह म� �हदंी के महान सािह�यकार उप�यास स�ाट मुंशी �ेमचंद क� जयंती मनायी गयी।�हदंी िवभाग क� अ�य� डॉ.रिमता गुरव ने �ेमचंद और उनके जीवन,सािह�य तथा िवशेषता� के संबंिधत व�� ��तुत �कया। इस अवसर पर िव�ा�थ�य� के िलए िभि�प� �ितयोिगता का आयोजन �कया गया।इस �ितयोिगता म� तृतीय वष� कला क� �ांजली तलकर और नीितशा कोरगाँवकर ने �थम �थान अ�ज�त �कया।ि�तीय पुर�कार तृतीय वष� कला के छा� हष�ल गाँवकर को तथा तृतीय पुर�कार ि�तीय वष� कला क� आफ़रीन शेख और झा�कया म�लुर को �ा� �आ।ि�तीय एवं तृतीय वष� कला के छा�� ने मुंशी �ेमचंद क� �िस� कहािनय� ‘सवा सेर गे�’ँ,`बड़ ेघर क� बेटी’के ना� �पांतरण ��तुत �कये।इस काय��म के िलए अ�य िवभाग� के िश�कगण एवं िव�ाथ� भारी मा�ा म� उपि�थत थे।

    एक समय म� एक काम करो ,और ऐसा करते समय अपनी पूरी आ�मा उसम�

    ड़ाल दो और बाक� सब कुछ भूल जाओ।---�वामी िववेकानंद

  • िहंदी िदवस समारोह

    �दनांक २६ िसतंबर २०१८ को स�ट झेिवयस� महािव�ालय म� �हदंी �दवस का पव� मनाया

    गया।काय��म के उदघाटन स� म� �हदंी राजभाषा पर द�ृय-�� ��तुतीकरण �कया गया।

    �ा.रंजीत ितवारी ने राजभाषा �हदंी के मह�व पर व�� ��तुत �कया।उदघाटन स� का

    सू�संचालन �ा.आशा नाईक ने �कया। इस अवसर पर �हदंी िवभाग �ारा िविभ�

    �ितयोिगता� का आयोजन �कया गया।िव�ा�थ�य� ने इन �ितयोिगता� म� बड़ ेउ�साह से

    भाग लेकर �हदंी भाषा के �ित अपना �ेम अिभ�� �कया। इन �ितयोिगता� का परी�ण

    �ा.�दलीप धारगलकर, �ा.रंजीत ितवारी और �ा.िस�वे�टर वाज ने �कया।

    िन�िलिखत िव�ा�थ�य� ने िविवध �ितयोिगता� म� पुर�कार �ा� �कए।

    १. ��ो�री �पधा�

    �थम पुर�कार – ��फला सनादी और योिगता सांगोडकर(तृतीय वष� कला)

    २. व�ृ�व �पधा�

    �थम पुर�कार – ि�ितजा पेडनेकर (तृतीय वष� कला)

    ि�तीय पुर�कार – भावना चौहान (�थम वष� कला)

    तृतीय पुर�कार – संदीप ए�ा (ि�तीय वष� कला)

    ३. एकालाप �पधा� �थम पुर�कार – िवशा�त सावंत (तृतीय वष� कला) ि�तीय पुर�कार – अिखल आजगाँवकर (�थम वष� कला)

    ४. का� ��तुतीकरण �थम पुर�कार – तृतीय वष� कला ि�तीय पुर�कार – ि�तीय वष� कला तृतीय पुर�कार – गौरी राव

    ५. गीत गायन �थम पुर�कार – मेघा पड़क� (तृतीय वष� कला) ि�तीय पुर�कार – सबीर कुमार (ि�तीय वष� कला) तृतीय पुर�कार – साइली मां�केर

  • ६. िभि�प� �थम पुर�कार – तृतीय वष� कला ि�तीय पुर�कार – �थम वष� कला तृतीय पुर�कार – ि�तीय वष� कला

    कुल �पधा�� का नतीजा दखेते �ए तृतीय वष� कला शाखा को िवजेता घोिषत �कया गया।�हदंी �दवस के उपल�य को �यान म� रखते �ए महािव�ालय के �ाचाय� डॉ. फादर जेरोनीमो िडिस�वा ने �हदंी भाषा म� अपना मनोगत �� �कया और िव�ा�थ�य� को �हदंी म� आचार-�वहार करने के िलए �ो�सािहत �कया।उ�ह�ने �हदंी िवभाग को काय��म के सफल आयोजन के िलए बधाई दी।उनके अनुसार ऐसी �ितयोिगताएँ िव�ा�थ�य� के �ि��व को िनखारने का काय� करती ह ैइसीिलए आव�यक ह ै�क िव�ाथ� पूरे उ�साह से इनम� सहभाग ले।

    िबना साहस के आप इस दिुनया म� कोई काम नह� कर सकते ह।� साहस ही

    �दमाग क� महानतम िवशेषता ह।ै---अर�तु

    कभी-कभी खुद को सािबत करने के िलए असंभव को संभव बनाना पड़ता ह।ै

    सफलता को बरकरार रखने के िलए �वहारकुशल और धैय�वान होना

    ज�री ह।ै

    जहां तुम हो वही से शु� करो ,जो कुछ भी तु�हारे पास ह ैउसका उपयोग

    करो और वह करो जो तुम कर सकते हो।

  • मधुशाला : िवशेष �ा�ान

    �दनांक २२ िसतंबर,२०१८ को ि�तीय वष� कला के िव�ा�थ�य� के िलए `ब�न क� मधुशाला’इस िवषय पर �ा. रंजीत ितवारी �ारा िवशेष �ा�यान का आयोजन �कया गया।यह आयोजन िव�ा�थ�य� के िलए �ानवध�क सािबत �आ ।मधुशाला �हदंी के ब�त �िस� किव और लेखक ह�रवंशराय ब�न का अनुपम का� ह।ैमधुशाला बीसव� सदी क� शु�आत के �हदंी सािह�य क� मह�वपूण� रचना ह।ैमधुशाला क� रचना के कारण ब�न जी को ‘हालावाद का पुरोधा’कहा जाता ह।ै �ा. रंजीत ने अपने �ा�यान म� ‘मधुशाला’के िविभ� प�र�े�य� का िव�ेषण करते �ए अपने िवचार �कट �कये।�ा.मै�डलीन िडसूजा ने �वागतपर भाषण एवं आभार�दश�न �कया।

    मधुशाला के कुछ प�

    मृद ुभाव� के अंगूर� क� आज बना लाया हाला,

    ि�यतम, अपने ही हाथ� से आज िपलाऊंगा �याला,

    पहले भोग लगा लूँ तेरा �फर �साद जग पाएगा,

    सबसे पहले तेरा �वागत करती मेरी मधुशाला ।।१।।

    सपन� देखो,सपन� िवचारो ंम� बदलते ह�, और िवचार ि�या म�।---अ�ुल

    कलाम

  • केदारनाथ िसंह की किवताओ ंपर �ा�ान

    �हदंी िवभाग क� अ�यािपका �ा. मे�डिलन िडसूजा के �यास से‘केदारनाथ �संह क� किवता� पर’िवशेष �ा�यान का आयोजन �कया गया,िजसम� डॉ. वैभव �संह,बाबासाहबे आंबेडकर िव�िव�ालय,नई �द�ली और डॉ. िशवानी जी का सहभाग रहा।डॉ.वैभव �संह ने केदारनाथ �संह क� किवता� के िविभ� आयाम� पर चचा� क� एवं िव�ा�थ�य� को अ�छा सािह�य पढ़ने के िलए �ो�सािहत �कया।डॉ. िशवानी ने भी केदारनाथ �संह क� किवता� पर अपने िवचार ��तुत �कए।इसके उपरांत संवादा�मक स� म� िव�ा�थ�य� क� किवता� से जुड़ी शंका� का िनरसन �कया गया।इस प�रचचा� म� ि�तीय एवं तृतीय कला वष� के िव�ा�थ�य� ने सहभाग िलया।

    जीवन लंबा होने के बजाय महान होना चािहए।---अंबेडकर

  • वंदना राग से संवाद...

    �दनांक १५ जनवरी २०१९ को �िस� िह�दी कथाकार वंदना राग से संवाद �ा.मे�डलीन िडसूजा एवं डॉ.रिमता गुरव के सतत �यास के कारण संभव हो पाया।इस प�रचचा� म� भारतीय भाषा संकाय के सम�त अ�यापक� एवं ि�तीय,तृतीय कला वष� के छा�� ने भाग िलया।�ारंभ म� �ाचाय� डॉ. फादर जेरोनीमो िडिस�वा ने पु�पगु�छ दकेर वंदना जी का �वागत �कया एवं अपने मनोगत म� कहा �क एक रचनाकार क� हमारे बीच मौजूदगी ब�त ही गौरवपूण� एवं �ेरणादायी बात ह ै।उसके उपरांत तृतीय वष� कला क� छा�ा ि�ितजा पेडनेकर ने वंदना जी का सं�ेप म� प�रचय �दया।वंदना जी का ज�म म�य �दशे के इंदौर शहर म� �आ था।इनक� कहािनयाँ िह�दी क� �मुख प�-पि�का� म� �कािशत होती रही ह।� `यूटोिपया’इनका पहला कहानी सं�ह ह।ैउनक� अ�य �कताब� `िहजरत से पहले और‘�यालनामा ह।ैउ�ह�ने ए�रक हा�सबाम क� िव�िव�यात �कताब ‘द एज ऑफ कैिपटल’का िह�दी अनुवाद भी �कया, जो ‘पूंजी का युग’शीष�क से �कािशत �ई ह।ै

    वंदना जी ने अपने व�� म� अपनी रचना�मक या�ा का िव�तृत �प ��तुत �कया।उनका हमारे म�य होना ब�त बड़ी उपलि�ध थी।उ�ह�ने रचना-���या से जुड़ी कुछ मौिलक बात� बताई जैसे �क �कस �कार सारे ̀ िडिस��लंज' म� आवाजाही होती ह,ैरचना�मक �वृि� को िवकिसत करने के िलए आसपास के समाज को पैनी नजर से दखेना आव�यक ह ैएवं त�य और क�पना के मेल से एक रचना ज�म लेती ह।ैउनका यह संवाद उदीयमान रचनाकार� के िलए उिचत माग�दश�न िस�द �आ।

  • रा�ीय प�रसंवाद म� सहभाग�

    �दनांक २७ िसतंबर २०१८ को �शासक�य महािव�ालय,खंडोला म� ‘केदारनाथ �संह क�

    �ितिनिध किवताएँ: एक प�रचचा�’इस िवषय पर एक �दवसीय रा�ीय प�रसंवाद का

    आयोजन �कया गया।तृतीय वष� कला के छा� �थमेश पास�कर,�वाित गावड़,ेज�त

    तलीकु�ी,सुि�मता हरेेकर और सािव�ी �संह ने इस प�रसंवाद म� भाग िलया।केदारनाथ

    �संह �हदंी के सु�िस� किव और सािह�यकार थे।वे अ�ेय �ारा संपा�दत तीसरा स�क के

    किव रह।ेउनक� �मुख का�-कृितयाँ ‘ ज़मीन पक रही ह’ै , ` यहाँ से दखेो’ , ` उ�र

    कबीर’,`ताल�टोय और साइ�कल’और 'बाघ' ह।� उनक� �मुख ग� कृितयाँ –‘क�पना और

    छायावाद’,`आधुिनक �हदंी किवता म� �बंबिवधान’और ̀ मेरे समय के श�द’ह।�

    अगर तुम सूरज की तरह चमकना चाहते हो तो पहले सूरज की तरह जलो।---अ�ुल कलाम

  • आज ही आई �ँ म�

    नई ह ैयह दिुनया,

    नये ह ैयह चेहरे – हसँते,खेलते,गुनगुनाते।

    ह�गे नये सपने,

    बन�गे नये �र�ते,�य��क,

    आज ही तो आई � ँम�।

    हसँती � ँकभी-कभी,

    रोती भी � ँम�।

    जीवन क� क�ठनाइय� के सामने लड़खड़ाती � ँम�,

    डरती भी,कभी हसँती भी म�,ले�कन

    रा�ता पार करने से पीछे हटती नह� म�,�य��क

    आज ही तो आई � ँम�।

    �ेम के �र�त� से बनी �,ँ

    माता-िपता क� छाँव म� खड़ी � ँम�।

    आशीवा�द ह ैउनका मुझ पर,

    उ�ह� क� उ�मीद� पर पली � ँम�,

    ड�ँगी नह� म� अभी,�य��क

    आज ही तो आई � ँम�।

    --अ�दित कुडालकर

    �थम वष� कला

  • कुछ मुक�रयाँ आपके िलए

    जो बोले िबना समझ आती है

    जो �ेम से बोलो तो सबको भाती ह।ै

    जो �ेमी को जगाए सारी रात

    �य� सखी साजन? नह� सखी बात।

    िबना खाद के उगते ह�

    ह � हमारे ही शरीर का िह�सा।

    िबना औज़ार कर सकते ह � खून

    �य� सखी ननंद? नह� सखी नाखून।

    िसर चढ़कर बोले

    �दल के बंद दरवाजे खोले।

    कुछ अलग ही ह ैिजसक� भाषा

    �य� सखी साजन? नह� सखी नशा।

    िबन दसूर� क� सेवा

    िमलता नह� इसको चैन

    �य� सखी जननी? नह� सखी पेन।

    गुमसुम सी �दखती है

    शीतलता उसका आभूषण ह।ै

    काले उसके दांत

    �य� सखी चुड़लै? ना सखी रात।

    – �िणता रेडकर

    ि�तीय वष� कला

  • उपल��याँ

  • िहंदी सृजनो�व २०१८ म� िवजयी िव�ाथ�

    �हदंी सृजनो�सव २०१८ म� स�ट झेिवयस� महािव�ालय िवजेता के �प म� उभरकर आया।

    िन�िलिखत िव�ा�थ�य� ने िविवध �ितयोिगता� म� पुर�कार �ा� �कए।

    �ांजल मराठे – एकालाप – �थम पुर�कार

    ि�ितजा पेडनेकर – वकृ�व – �थम पुर�कार

    गो�वंद मोपकर – किवता वाचन – �थम पुर�कार

    ��फला सनादी – कहानी लेखन – ि�तीय पुर�कार

    योिगता सांगोड़कर – संवाद लेखन – तृतीय पुर�कार

    १०

  • �वशषे �ेणी

    तृतीय वष� का परी�ा फल २०१७-२०१८

    ११

    �थम �ेणी : अ�दित परब, �दपा बोरकर, पूजा गु�ा, संपदा खोरजुवेकर,

    �ेहा मां�केर, अपूवा� शेट ,�दपा नाईक,उव�शी नाईक

    अपूवा� गावस वीणा केरकर प�लवी गोलतकर

  • िह�ी िवभाग को गव���त करने वाले

    �हदंी िवभाग क� मेधावी िव�ा�थ�नी ममता वेल�कर ने नेट-सेट परी�ा म� सफलता �ा�

    क� और िजनक� िनयुि� उ� िश�ण संचालनालय क� ओर से सहायक �ा�यापक के पद

    पर हो चुक� ह।ै

    �हदंी िवभाग क� िव�ा�थ�नी साईली मोरजकर ने सेट परी�ा म� सफलता �ा� करके

    िवभाग को गौरवाि�वत �कया।

    १२

  • िहंदी के महान सािह�कार को ��ांजली

    गोपालदास स�सेना `नीरज’

    िह�दी सािह�य िव� के महानतम किव, प��ी एवं प�भूषण �ी गोपालदास स�सेना `नीरज’का िनधन १९ जुलाई,२०१८ को �आ।उ�ह � ��ांजिल दनेे के उ�े�य से िह�दी िवभाग �ारा २३ जुलाई,२०१८ को एक का�-पाठ काय��म आयोिजत �कया गया था।�ारंभ म� �हदंी िवभाग क� िवभागा�य�ा डॉ.रिमता गुरव ने अपने �ा�तािवकपरक भाषण म� किव नीरज के जीवन पर �काश डाला।भारतीय भाषा संकाय के सम�त िश�कगण तथा िव�ा�थ�य� ने इस का�-पाठ म� भाग िलया।इस काय��म म� डॉ. वृंदा केलकर, �ा.अपूवा� बेतकेकर, �ा.चैताली कोली (मराठी िवभाग) �ा. मै�डलीन िडसूजा,डॉ.रिमता गुरव,�ा.आशा नाईक(�हदंी िवभाग) �ा.िस�वे�टर वाज,�ा. फादर लुईस गो�स(क�कणी िवभाग) �ारा नीरज क� कुछ किवता� का पाठ �आ।तृतीय वष� कला के छा�� �ेमलता मेधा,��फला सनादी और योिगता सांगोडकर ने नीरज क� किवताएँ ��तुत क�।अंत म� डॉ. रिमता गुरव ने आभार �दश�न �कया।

    नीरज जी �हदंी सािह�यकार ,िश�क एवं किव स�मेलन� के मंच� पर का� वाचक एवं �फ�म� के गीत लेखक थे। �फ�म� म� सव��े� गीत लेखन के िलए उ�ह � लगातार तीन बार �फ�म फेयर पुर�कार भी िमला।उनके �कािशत का� सं�ह ह � --- संघष�,अंत�व�िन,िवभावरी,�ाणगीत,दद � �दया ह,ैबादर बरस गयो,मु�क�,दो गीत,नीरज क� पाती,गीत भी अगीत भी,आसावरी,नदी �कनारे,लहर पुकारे,कारवाँ गुज़र गया,�फर दीप जलेगा,तु�हारे िलये,नीरज क� गीितकाएँ।नीरज जी के जाने से िह�दी सािहि�यक जगत को ब�त �ित प�चँी।

    १३

  • अपने बारे म� नीरज का यह शेर आज भी मुशायर� म� फरमाइश के साथ सुना जाता ह ै-

    इतने बदनाम �ए हम तो इस जमाने म�,लग�गी आपको स�दयाँ हम� भुलाने म�।

    न पीने का सलीका न िपलाने का शऊर,ऐसे भी लोग चले आये ह � मयखाने म�।

    १४

    ई�र ने हमे ज�म �दया ह ैता�क हम संसार म� अ�छे काम कर� और बुराई को

    दरू कर�।---गु� गोिब�द �संह

    पोथी प�ढ़-प�ढ़ जग मुआ,पंिडत भया न कोय

    ढाई आखर �ेम का,पढ़े सो पंिडत होय।

    --- कबीर

    रात गंवाई सोय के ,�दवस गंवाया खाय।

    हीरा ज�म अमोल सा ,कोडी बदले जाय।

    ---कबीर

  • ि�तीय वष� एवं तृतीय वष� (�हदंी) के िव�ा�थ�यो के िलए

    २४ जनवरी २०१९ को गोवा िच�ा, राशोल सेिमनारी,

    ओ�ड गोवा म� अ�ययन �मण।

  • Page 1Page 2Page 3Page 4Page 5Page 6Page 7Page 8Page 9Page 10Page 11Page 12Page 13Page 14Page 15Page 16Page 17Page 18Page 19Page 20Page 21Page 22Page 23Page 24