मोदी-2.1 उपलब्धियां या चुनौतियांको किर...

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    twitter.com/outlookhindi facebook.com/outlookhindi RNI NO. DELHIN/2009/26981

    उपलब्धियां या चुनौतियां

    विशेष विविटल अंक

    मोदी-2.1

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    अंदर

    26मोदी 2.1 की इबारत

    33 अरुण कुमार: आर्थिक मोर्थि तब्ह

    38 प्रशांत भूषण: सुप्रीम कोर्ट के सव्ल

    40 भूपेंद्र यादव: कुशल नेतृतव से सुलझे मुद्े

    42 राजीव गौडा: जन्देश की अनदेखरी

    12 जममू-कशमीर: डोरमस्इल रनयम क् फंद्

    14 उत्तर प्रदेेश: रवपक्ष के न्म पर क्ंग्ेस हरी रेहर्

    15 िबहार: रुन्व से पहले नरीतरीश की मुश्कलें

    43 आि्थिक पैकेज: फौररी र्हत नहीं

    49 अश्विनी महाजन: आतमरनरथिर र्रत के म्यने

    51 के.सी.तयागी: कृरि सुध्र के केंद्र में हो रकस्न

    52 िदल्ी: दंग् परीऱितों को मुआवजे क् इंतज्र

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    35 इंटरवयूूः यशवंत रसनह्

    पहले स्ल में र्जप् के मूल एजेेंडे को पूूर् करने पर रह् फोकस, लेरकन सरीएए, आर्थिक बदह्लरी और मह्म्ररी ने बढ्ई मुश्कलें

    17 कमजोर हेल् रससरम स ेजोरखम बढ्19 इंटरवयू : डॉ. ररी.जैकब जॉन21 केरल मॉडल: कोरवड ल़ि्ई में बन् नजरीर23 इंटरवयूू: केरल की सव्स्थय मंत्री के.के.शैलज्

    कवर फोरोः िजतेंद्र गुप्ा

    कोविड -19

  • कितनी कितैषी िैं? अब सरिार िो झूठे वादों और दावों िो किनारे िर रोजगार िे अवसर पैदा िरने और सवास्थ्य सुकवधाओं िो चुसत िरने पर ध्यान देना चाकिए।

    जफर अहमद | मधेपुरा, कबिार

    पूरी पहुंचे मददआउटलुक िा कवशेष किकजटल अंि अच्ा लगा। सच िो समकपपित ऐसी पकरििाएं िम िैं, जो आपिी तरि कनषपक्ष आवाज उठा सिें। ‘बेगानेपन िी लाचारी और ददपि’ िी तसवीर ने कदल झिझोर कद्या। िेंद्र िा राित पैिेज अगर कबना बंदरबाट िे इन ति पहुंचे तो िी ्यि इन लोगों िे प्रकत सच्ी सिानुभूकत िोगी।

    देवेश त्रिपाठी | संत िबीर नगर, ्यूपी

    मजदूरों का दद्दआउटलुक िे 1 जून अंि में प्रिाकशत लेख ‘राित पहुंचाने िा सम्य’ पढ़ा। इसमें वतपिमान पररससथिकत्यों से उपजी समस्याओं िा सजीव कचरिण िै। अंत में समस्याओं िे समाधान िा खािा सरािनी्य िै। जो लोग नंगे पैर, भूख से रिसत अपने गांवों िी ओर लौट रिे िैं, उनिीं लोगों ने िमारी कवलाकसता िा सामान िमें मुिै्या िरा्या िै। उनिे कबना िमारे जीवन िे बहत से िाम ठिर जाएंगे। िम कजन मिलों में आराम फरमा रिे िैं, वि इनिीं लोगों िी देन िैं। ििीं ऐसा न िो, इनिीं पैदल चलने वाले लोगों में से एि कदन िोई माओ ्या मारसपि बन जाए और िमारे मिल भरभरािर कगर पड़ें।

    हेमंत कृष्णराव पाटीदार | खरगोन, मप्र

    झूठे दावे और वादेिोरोना मिामारी ने देश िी िई सच्ाइ्यों िो उजागर कि्या िै। इस वक्त देश िी अथिपिव्यवसथिा, सवास्थ्य सेवा, रोजगार आकद िी पोल खुल गई िै। कदल्ी पंजाब, मिाराष्ट्र से पैदल, साइकिल, ट्ेन से आती मजदूरों िी भीड़ बताती िै कि ्ये जिां रि रिे थिे, विां िी सरिारें मुसीबत में इन लोगों िे िाम निीं आईं। सवाल उठता िै कि सरिारें कविास िे खोखले दावे किस मुंि से िरती िैं? िोरोना संिट ने िेंद्र सरिार िे साथि राज्य सरिारों िो भी बेनिाब कि्या िै। इस ससथिकत ने बता कद्या िै कि वे आम जनता िी

    परि

    Îçÿæ‡æÑ ãñUÎÚUæÕæÎ ØæÎç»ÚUè Õé·¤ SÅUæòÜ, 040-66764498, çâ·¢¤ÎÚUæÕæÎ ©US×æÙ Õé·¤ SÅUæòÜ, 9912850566

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    कानूनी सुरक्ा भी हटी1 जून के अंक में ‘कानूनी सुरक्ा भी हटी’ लेख पढा। कहा जा रहा है कक भारत वृहद सतर पर प्रगकत कर रहा है, लेककन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और है। भारत को उस अवसर का लाभ उठाना चाकहए जो वैश्विक चीन कवरोधी भावनाओं ने प्रदान ककया है। इससे पहले कक कवयतनाम और इंडोनेकिया जैसे देि बाजार पर कबजा कर लें, भारत को और आक्ामक रूप से ऐसा करने की जरूरत है। लेककन कजस कहसाब से कुछ राजय सरकारों ने लेबर लॉ के प्रावधानों को बदला है उससे लगता नहीं कक कोई कवदेिी कंपनी यहां कनवेि करना चाहेगी। कयोंकक कुछ कंपकनयां एकिकल प्रैश्कटस भी चाहती हैं। कया सरकारें लोगों को किर से बंधुआ मजदूर बनाना चाहती हैं? उत्तर प्रदेि सरकार ने इसमें कुछ जयादा ही हड़बड़ी कदखाई है। इससे मजदूरों पर से कानूनी सुरक्ा भी हट गई है।

    अमित शंकर | कदल्ी

    पुरस्कृत पत्र

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  • आजकल

    महामारी कोविड-19 ने देश के सामाविक और आव्थिक िीिन को पटरी से उतार वदया है। इसे विर से पटरी पर लाने की िो कोवशशें हो रही हैं, उनमें दीरथिकावलक और सपष्ट सोच की कमी झलक रही है। केंद्र और राजय सरकारें पुखता योिना लेकर नहीं चलेंगी, तो सस्वत को सुधारने में जयादा वदककतें खडी हो िाएंगी। असल में देश कई मोचचों पर पहले से ही लड रहा ्ा। मसलन, देश में सरकार के िैसलों के वखलाि आंदोलन चल रहे ्े, विश्वविद्ालयों में छात्ों के प्रदशथिनों का िैसे वसलवसला चल पडा ्ा। आव्थिक मोचचे पर दशकों की सबसे कमिोर विकास दर से देश िूझ रहा ्ा और बेरोिगारी भी कई दशकों के सिवोच्च सतर पर ्ी। इस तरह की प्रवतकूल पररसस्वतयों के बीच देश और दुवनया को महामारी ने रेर वलया। िनिरी में देश में पहला कोरोनािायरस संक्रवमत मरीि आया और 27 मई को भारत में संक्रवमत लोगों की संखया डेढ़ लाख पार कर गई। नए संक्रवमत लोगों की संखया के मामले में हम दुवनया के पहले चार देशों में पहुंच गए। यह संकेत है वक आने िाले वदन कािी चुनौतीपूरथि हैं। आम आदमी के वलए तो नतीिे भयािह हो सकते हैं।

    देश में 25 माचथि से लागू लॉकडाउन के चार चरर पूरे होने िा रहे हैं। इस दौरान कई तरह के िैसले हए और लॉकडाउन में ढील देने का दौर चल रहा है। िीिन और िीविका को पटरी पर लाने की किायद तेि हो गई है। कुछ विशेषज्ों का मत है वक हमने दुवनया का सबसे सखत लॉकडाउन लागू वकया, विसकी िरूरत नहीं ्ी। अलबत्ा, कुछ विशेषज्ों का मानना है वक सखत लॉकडाउन से देश में संक्रमर के बडे िैलाि को रोकने में मदद वमली। यह वििाद िारी रहेगा लेवकन कुछ तथय साि इशारा करते हैं वक हमने पुखता ररनीवत बनाने में कािी समय गंिाया। लॉकडाउन समेत तमाम िैसलों पर कई दूसरे सिाल भी उठे। मसलन, सरकार चला रहे नेताओं और नौकरशाहों ने इस बात का धयान नहीं रखा वक देश में करोडों गरीब लोगों का इस लॉकडाउन में कया होगा, अचानक बेरोिगार हो गए लोग अपने ररों से दूर कैसे रहेंगे।

    यह बात भी साि होती िा रही है वक महानगरों और शहरों में अचनाक कमाई और बेहतर सरकारी मदद के अभाि में मिदूरों को भारी कष्ट झेलना पडा। राजय सरकारों के शेलटर होम में रखे गए गरीब लोगों और उनके पररिारों को उस तरह की सुविधा नहीं वमली, विसकी दरकार ्ी। यही ििह है वक लॉकडाउन के बढ़ते चररों ने उनहें बेचैन कर वदया और िे पैदल या िो भी िाहन वमला, उसके िररए अपने गांि-ररों को वनकल पडे। इस दौरान बडी संखया में लोगों की िान गई। इस गलती को सुधारने के वलए सरकार ने श्रवमक सपेशल ट्ेनें चलाने का िैसला वकया। शुरू में इसके वकराये को लेकर तमाम गलतिहवमयां हईं और िमकर रािनीवत भी हई। उसके बाद ट्ेनों के संचालन को लेकर िो खावमयां सामने आई हैं, उनका ििाब रेल मंत्ी से भी देते नहीं बन रहा है। ट्ेनों के संचालन, उनके गलत गंतवय तक पहुंचने से लेकर ट्ेनों में खाने और पीने के पानी की अवयिस्ा की तसिीरें लोगों को विचवलत कर रही हैं।

    दूसरी ओर, राजयों और केंद्र के बीच आव्थिक मदद से लेकर कई दूसरे मसलों पर असहमवत लगातार सामने आ रही है। लॉकडाउन के तहत आव्थिक गवतविवधयां शुरू करने, पस्लक ट्ांसपोट्ट और हिाई यात्ा को शुरू करने के मसले पर कई तरह के विरोधाभास देखने को वमले। हालांवक इस बीच प्रधानमंत्ी के सा् राजयों के मुखयमंवत्यों की िीवडयो कॉनफ्ेंवसंग के िररए कई बैठकें हईं। कैवबनेट सवचि ने भी मुखय सवचिों के सा् बैठकें कीं और कई िैसले राजयों पर छोडे गए।

    केंद्र सरकार ने 20 लाख करोड रुपये का आव्थिक पैकेि भी रोवषत वकया। लेवकन इस पैकेि में आव्थिक मदद कम, नीवतयों में बदलाि और आव्थिक सुधारों पर जयादा िोकस है। इसके सा् ही इसमें आतमवनभथिरता अवभयान का नया मंत् िोड वदया गया है। हमें इस सच्चाई से मुंह नहीं मोडना चावहए वक इस समय देश की अ्थिवयिस्ा एक बडे संकट में है। ऐसे में, िब ररेलू और विदेशी दोनों सतरों पर भारी वनिेश की िरूरत है, अवयािहाररक नीवतयों पर जयादा िोकस नहीं होना चावहए। आव्थिक उदारीकरर की िैसश्वक अ्थिवयिस्ा के दौर में िरूरत से जयादा संरक्षरिादी नीवतयों से देश का भला होने िाला नहीं है।

    इसवलए मौिूदा पररसस्वत में एक सपष्ट ठोस योिना की दरकार है िो महामारी से लोगों के िीिन को सुरवक्षत रख सके और िीिन के सा् िीविका को भी पटरी पर ला सके। लॉकडाउन का चौ्ा चरर समावति के करीब है और अब ररनीवत एकदम सटीक होनी चावहए कयोंवक िहां कोरोना संक्रमर के मामले बढ़ते िा रहे हैं िहीं केंद्र-राजयों के बीच सपष्ट योिना का अभाि वदख रहा है। भारत एक संरीय ढांचे िाली लोकतांवत्क वयिस्ा है और महामारी के इस दौर में केंद्र और राजयों के सा् ही रािनीवतक सतर पर भी यह तालमेल वदखना चावहए, िो महामारी और आव्थिक संकट से देश को कामयाबी वदला सके।

    @harvirpanwar

    चाहिए पुख्ा योजना

    हरवीर सिंह

    महामारी और आर्थिक

    संकट के इस दौर में

    दूरदृरटि संपन्न ठोस

    और सपटि नीरियों

    और केंद्र-राजय के बीच

    बेहिर िालमेल से

    काम करने की दरकार

    है, जो कामयाबी रदला

    सकें

    ¥æ©UÅUÜé· vz ÁêÙ w®w®0 4

  • अंदरखाने

    परेशान मंत्री

    छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्ती भूपेश बघेल की अपने एक कैबबनेट मंत्ती से दूरि्यां चचाचा का बिष्य है। मुख्यमंत्ती इस नेता को अपने कैबबनेट में स्ान देना नहीं चाहते ्े, लेबकन एक ओबतीसती नेता के कहने पि उनहें मंत्ती तो बना बद्या, पि बदल नहीं बमल पा्या। नेता जती ने मंत्ती बनते हती अपना िंग बदखाना शुरू बक्या। मुख्यमंत्ती ने मंत्ती पि सतीधे काि्रिाई न कि उनके सम्चाकों को बनशाने पि लेना शुरू कि बद्या। अब सम्चाकों पि मुकदमा दजचा होते देख मंत्ती पिेशान हैं।

    डॉक्टर का दद्द

    कोबिड संकट में एक प्रमुख डॉकटि काफी पिेशान हैम। उनकी संक्ामक िोगों में बिशेषज्ञता हाबसल हैं। िह प्रधानमंत्ती का्याचाल्य को संक्मण िोकने के बलए क्या कदम उठाए जाने चाबहए, इसके बलए पत् भती बलख चुके हैं। लेबकन िहां भती उनहें कोई तिज्ों नहीं बमलती है। ऐसे में उनका ददचा बनकल हती ग्या। उनका कहना है बक दुबन्या में दो तिह के लोग होते हैं, िाइज (बुबधिमान) औि अदििाइज। इस सम्य सिकाि अदििाइज से सलाह ले िहती है।

    मुख्य सचिव की रेस

    पंजाब के मंबत््यों औि मुख्य सबचि के बतीच चल िहती तनातनती में कई अफसि अपना फा्यदा देख िहे हैं। इन अफसिों की 31 अगसत को मुख्य सबचि की खालती होने िालती कुससी पि नजि है। इसके बलए अफसिों ने लॉबबंग भती शुरू कि दती है। िे उन मंबत््यों की नजि में आने का प्र्यास कि िहे हैं, जो मुख्य सबचि से खासे नािाज हैं। उनकी कोबशश है बक बकसती तिह िे मुख्यमंत्ती की नजि में आ जाएं। हालांबक मौजूदा मुख्य सबचि मुख्यमंत्ती क ेखास माने जाते हैं, ऐसे में िह उन रिशतों का फा्यदा उठाकि रिटा्यिमेंट के बाद भती कोई अहम पद पा सकते हैं। इसके भती क्यास हैं।

    पा्टटी में ब्ययूरोक्रेसरी

    निेंद्र मोदती सिकाि ने अपने दूसि ेका्यचाकाल का पहला साल पूिा कि बल्या है। इसके बलए िह कोबिड-19 संकट में भती बडे पैमाने पि सिकाि की उपलब्ध्यों को बगना िहती है। लेबकन लगता है बक सत्ा में िहते-िहते पाटसी की का्यचाशैलती में ््यूिोक्ेसती का असि आने लगा है। इसबलए कई िरिष्ठ नेता सिकाि की उपलब्ध्यों को भती मतीबड्या में बताने की इचछा तो िखते हैं, लेबकन उनहें अनुमोदन की लंबती प्रबक््या से ऐसा किने का मौका नहीं बमल िहा है। एक िरिष्ठ नेता का तो ्यहां तक कहना है बक इससे अचछा शांत हती िहा जाए।

    मैं मतं्री हूं, इसलिए मझु ेछूट है क्योंलि मरेे ऊपर हर राज्य िो दवाएं

    पहूंचान ेिी लिममदेाररी हैडी.वी.सदानंद गौडा, केंद्ीय रसायन एवं उव्वरक मंत्ी

    (सरकार के ननददेशानुसार क्ारंटीन नहीं होने के सवाल पर)

    मंुह नहीं खोलने में भलाई

    िाजनेता कैसे िंग बदलते हैं, इसका नजािा मध्य प्रदेश में लोगों को देखने को बमल िहा है। कुछ महतीने पहले कांग्ेस के िाज में जो मंत्ती बकसान कजचा माफी ्योजना का गुण गाते नहीं ्कते ्े, िे हती अब भाजपा के बशििाज मंबत्मंडल के सदस्य बनने के बाद कजचा माफी पि बात किने को तै्याि नहीं हैं। सं्योग से कांग्ेस से दलबदल कि आए मंत्ती को हती कजचा माफी से संबंबधत बिभाग की बजममेदािती बशििाज कैबबनेट में बमल गई। कुछ पत्कािों ने मंत्ती जती से कजचा माफी से जुडे सिाल पूछे, तो उनहोंने साफ कह बद्या- कजचा माफी को छोडकि दूसिा सिाल पूछे। असल में बशििाज सिकाि कजचा माफ़ी के पक्ष में कतई नहीं है।

    मुख्यमंत्री करे दयूर-दश्दन

    कोिोना महामािती से खौफजदा कई बडती बस्यासती हबसत्यां इन बदनों अपने घिों में दुबकी हुई हैं। संकट की घडती में जनता से कटे इन नेताओं ने सोशल बडसटेंबसंग के नाम पि इस कदि दूिती बना लती है, बक उनहोंने अपने शहि को हती छोड बद्या है। पंजाब के मुख्यमंत्ती कैपटन अमरिंदि बसंह तो सिकािती आिास छोड बशिाबलक पहाबड्यों की तलहटती में बने अपने फामचाहाउस पि पहुंच गए हैं। दो-ततीन कितीबब्यों को छोड दें तो बाबक्यों को सतीएम के दूि के दशचान हो पाते हैं। ्याबन कैबबनेट की बैठक तक में सतीएम ितीबड्यो कांफ्रेंस के जरिए शाबमल होते हैं। सतीएम का एक रिशतेदाि त्य किता है बक बदन भि में िे बकन चाि-पांच लोगों से ितीबड्यो कॉल कि बात किेंगे। इन चाि पांच में कभती नंबि चतीफ सेक्र्ेटिती का आता है तो कभती डतीजतीपती का। इसके अलािा कभती-कभाि िाज्य के बकसती डाकटि,नसचा औि पुबलस कमसी से बात कि, उनहें कोिोना ्योधिा के तौि पि मुख्यमंत्ती उनकी हौसला हफजाई की किा्यद किते नजि आते हैं।

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  • लॉकडाउन के पहले हफ्े में, घर जाने को बे्ाब हजारों मजदूरों की भीड़ ददल्ी के आनंद दिहार बस स्टेशन पर जमा हो गई थी। लॉकडाउन के ठीक पहले, मुंबई से बाहर जाने के दलए ट्टेनें श्रदमकों से ठसाठस भरी हुई थीं। जब से इस समस्ा ने दिकराल रूप दल्ा है, श्रम दन्मों का नंगा सच सब के सामने आ ग्ा है।

    इस बीच, सरकारें श्रम कानूनों को खतम करने में व्स् रहीं। इसे देख कर ऐसा लग्ा

    है दक समाज की जो भी ससथद् हो, बस मुनाफे को दनचोड़ लेना है। जैसे ही लॉकडाउन खुल जाएगा, िैसे ही गुजरा्, मध् प्रदेश, हरर्ाणा, दहमाचल प्रदेश और पंजाब इन पांच राज्ों ने काम के घं्टे 8 से बढ़कर 12 घं्टे हो जाएंगे। गुजरा् चैंबर ऑफ कॉमस्स ने मजदूर संघ बनाने के अदिकार पर रोक लगाने की मांग की है। ्ूपी सरकार ने ्ीन साल के दलए 38 श्रम कानूनों में से 35 को खतम करने का फैसला दक्ा है।

    लॉकडाउन के साथ, 10 करोड़ से अदिक प्रिासी कामगार एक सम् ्ालाबंदी में फंसे हुए थे। सैकड़ों की संख्ा में हजारों श्रदमक अपने गांि के घरों से दूर थे। इनमें से कई ऐसे थे दजनहें दो ्ा ्ीन महीने से पगार नहीं दमली थी। हजारों की संख्ा में श्रदमक घर जाने के दलए ह्ाश भ्क रहटे थे। िे दकसी भी सािन से घर पहुुंचना चाह्े थे, ्हां ्क दक सैकड़ों मील पैदल चलकर भी। हाइिे पर पुदलस की प्र्ाड़ना से ्ंग आकर िे रटेलिे लाइन के सहारटे चले। इनमें मालगाड़ी की चपे् में आने से 16 लोगों की मौ् हो गई, क्ोंदक उनहें आराम करने के दलए कोई जगह नहीं दमली। एक समूह दचलदचला्ी गममी में सीमें् दमकसर में ्ात्ा कर्े पकड़ा ग्ा। कई दशशुओं ने रास्ों पर ही जनम दल्ा और रास्े में ही उनकी मृत्ु हो गई। ्ालाबंदी के पहले चरण के दौरान, कई दिरोि प्रदश्सन हुए, दिशेष रूप से सूर् और मुंबई में। 3 मई को जब लॉकडाउन खुला ्ो सरकार ने नाराजगी कुछ कम करने के दलए ‘श्रदमक ट्टेनों’ की घोषणा की। ट्टेनें बहु् कम थीं, क्ोंदक पूंजीपद् िग्स को हमेशा श्रदमकों की कमी की दचं्ा ज्ादा रह्ी है, इसदलए भार्ी् उद्ोग पररसंघ (सीआइआइ) ने मांग की दक केंद्ी् दििानों का उप्ोग कर श्रदमकों को िापस काम करने का आदेश दद्ा जाए। रर्ल एस्टे् मादलकों के साथ एक बैठक के बाद कना्स्क में, सरकार ने ‘श्रदमक ट्टेनों’ को रद्द कर दद्ा। बाद में ्ह दनण्स् श्रदमकों के दिरोि के दूसरटे चरण और जन्ा के बीच शम्सनाक ससथद् से बचने के दलए िापस दल्ा ग्ा।

    लंबी विरासत8 मई की देर रा् एक आर्ीआइ के जिाब में केंद्ी् श्रम मंत्ी ने ्क्क दद्ा दक उनकी सरकार

    के पास प्रिासी मजदूरों की संख्ा का कोई डटे्ा नहीं है। देश की श्रम ससथद् पर ्ह एक द्पपणी थी। अथ्सव्िसथा चलाने िाले ज्ादा्र प्रिासी मजदूर शा्द ही कहीं दज्स हों। आदखरकार, िे भी दकसी दूसरटे सामान की ्रह ही हैं, दजसे इस्ेमाल कर ह्ा्ा जा सक्ा है। 1990 के दशक से अथ्सशासत्ी भार्ी् अथ्सव्िसथा के उच्च दिकास दर का जशन मना्े आ रहटे हैं। लेदकन भार् शा्द ही उन लाखों लोगों को ्ाद कर्ा है, दजनकी श्रमशसति फैसकट््ों, सेिाओं और ्ेजी से हो रहटे दनमा्सण को चला्ी है। िास्ि में, 1990 के दशक के बाद से, भार् की अथ्सव्िसथा ्ेजी से अनौपचाररक श्रम पर दनभ्सर हो गई है। अनौपचाररक श्रम, श्रदमकों को संददभ्स् कर्ा है दजसमें नौकरी और सामादजक सुरक्ा ्था कम मजदूरी शादमल है। आइएलओ के अनुसार, भार् में लगभग 81 फीसदी काम करने िाले अनौपचाररक क्ेत् में काम कर जीिन्ापन कर्े हैं। 2017-18 के दलए भार् सरकार के राष्टी् नमूना सिवेक्ण संगठन द्ारा दक्ा ग्ा आिदिक श्रम बल सिवेक्ण ब्ा्ा है दक करीब 415 दमदल्न अनौपचाररक श्रदमक हैं दजसमें से एक बड़ा अनुपा् प्रिासी श्रदमकों का है। औपचाररक क्ेत् में भी अनौपचाररक ्रीके से काम करना ्ेजी से आदश्स बन रहा है। प्रभु महापात् के अनुसार, 1980 के दशक में भार् में दिदनमा्सण क्ेत् में केिल सा् फीसदी श्रदमक संदिदा श्रदमक थे, जो 2012 ्क बढ़कर 35 फीसदी हो गए। िह ्ह भी नो् कर्े हैं दक कैसे संगदठ् दिदनमा्सण में मुनाफे का दहससा शुद्ध मुनाफे को जोड़कर ्ीन गुना से बढ़कर 20 फीसदी से 60 फीसदी हो ग्ा, जबदक 1980 के दशक के बाद से श्रम दहससेदारी दबलकुल उसी अनुपा् में दगर गई।

    एक औस् भार्ी् श्रदमक के दलए ससथद््ां कैसी हैं? ‘हाई-्टेक’ महानगर बेंगलुरू के पररिान उद्ोग को लें, ्ो ्हां हजारों मदहला कम्सचारी दसफ्क 6000 रुप्े के िे्न पर काम कर्ी हैं। खबर है दक ्हां दकराए, दबजली और पानी के नाम पर दन्ोतिाओं ने 2,000 रुप्े का् दलए। गुरुग्ाम ससथ् कपड़ा उद्ोग में, श्रदमक दस से बारह घं्टे काम कर्े हैं और मजदूरी अकसर देर से दमल्ी है। ्हां काम के िति होने िाली दुघ्स्नाएं असामान् नहीं हैं। फैकट्ी पररसर में साथी श्रदमकों की मौ् के बारटे में इसी ्रह की अफिाहों के आिार पर गुरुग्ाम के उद्ोग दिहार

    में 2015 में दो बड़टे दंगे हुए, जहां कई कारखानों में ्ोड़फोड़ की गई और कारों को जला दद्ा ग्ा। ्हां ्क दक राजिानी में भी इस िैसविक उद्ोग में मजदूर इसी ्रह की परटेशानी सह्े हैं।

    उदाहरण के दलए, सूर् में दपछले दो दशकों में ्ेजी से दिकदस् होने िाले शहरों में दनमा्सण क्ेत् में श्रम की अदिक्ा देखी गई है। एक ररपो््ट के अनुसार

    सूर् में लगभग दो द्हाई प्रिासी ट्टेन की प्रर्ों के दकनारटे, प्रमुख सड़कों जैसी खराब जगहों में रह्े हैं। दपछले 20 िषषों में पूरटे शहर में, कई अदिकदस् क्ेत्ों पर ्ें् ्ने हैं। द्रपाल से बने प्रिासी मजदूरों के ्े घर मौसम की मार झेल्े हैं, ्हां उनहें न शौचाल्

    प्रवासी मजदूरों का संकट

    केंद्र सरकार के पास

    प्रवासी मजदूरों का कोई

    आंकडा नहीं है, देश की

    श्रम स्थिति बिाने के

    तिए यह ्वीकारोसति

    ही काफी है। मेहनिकश

    कहीं भी दज्ज नहीं हैं

    िािाबंदी में मजदूरों की सुध िेने वािा कोई नहीं, सरकारें मदद की बजाय श्रम कानून खतम करने में वय्ि

    प्रेरणा अग्रवाल

    प्वासी मजदूर/नजररया

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  • की सुविधा विलती है न पानी की। वनजता की बात तो भूल ही जाइए। अंधेरे िें िे खुले िें अपना खाना पकाने को िजबूर रहते हैं। भारत के शहरों की गरीबी उसके ग्ािीण इलाकों के स्ायी कृवि संकट का प्रवतवबंब है। आधे ग्ािीण पररिार भूविहीन हैं और अनौपचाररक श्रि पर जीवित रहने के वलए िजबूर हैं, वजनके अिसर बहुत कि हैं। सिाजशासती जन ब्ेिन, वजनहोंने दशकों से दवषिणी गुजरात की अ््थवयिस्ा का अधययन वकया है, बताते हैं वक ग्ािीण संकट लोगों को स्ान बदलने के विवभन्न संकटों िें धकेलता है। इनिें सबसे पहले िो बडी संखया शाविल है जो ग्ािीण षिेतों के भीतर ही होती है। प्रिावसयों के वलए यह आसान और वकफायती है।

    ब्ेिन भारतीय शहरी अ््थवयिस्ा के प्रिास को ‘फुटलूज’ (कहीं भी जाने िाले) के रूप िें दशा्थते हैं। कि सिय के वलए आने िाले िजदूर जो ईंट भट्ों, वनिा्थण स्लों, निक बनने िाली जगहों िें िौसिी रोजगार क ेवलए आते हैं। लेवकन उद्ोगों िें काि करने िाले ‘लंबी अिवध’ िाले िजदूर भी गांि की अपनी जडों से जुडे रहते हैं। ऐसे श्रविक गांि के घर-जिार को बचाए रखते हैं, जो उनहें ्ोडी सुरषिा, भोजन और श्रि से अिकाश का िौका देता है। शहरी षिेतों िें बसने िाले प्रिासी कािगारों के विपरीत श्रि की िृत्ाकार गवत अनौपचाररक अ््थवयिस्ा के सा् हा् िें हा् डाले चलती है, जहां िे अपना नया घर बनाते हैं। भारतीय शहरों िें लाखों श्रविक केिल अपने अलप िेतन पर ही जीवित रहते हैं। ऐसे िें लॉकडाउन ने उनकी नाजुक अ््थवयिस्ा को तबाह कर वदया।

    कामगारों का विरोधवफर भी उनहोंने हफतों तक अपने िावलकों और सरकारों से वकसी तरह की िदद का इंतजार वकया। इसके बाद ही 2-4 िई के बीच इस सौतेले वयिहार के वखलाफ, देश भर के कई औद्ोवगक वजलों िें श्रविकों का गुससा फूट पडा। इसिें सबसे जयादा गुससा गुजरात िें ्ा। दवषिण गुजरात के सूरत िें हजारों श्रविक यह िांग करने िें जुट गए वक उनहें िापस घर भेजा जाए और उनहें काि करने के वलए िजबूर न वकया जाए। उनहोंने अपने वनयोक्ा की संपन्नता की प्रतीक एक वनिा्थणाधीन डायिंड एकसचेंज की वखडवकयों और कारों को तोड वदया। 2 िई को पूरे चेन्ननै िें कई विरोध प्रदश्थन हुए। वनिा्थण श्रविकों ने अपनी िापसी के वलए राजय से वयिस्ा की िांग की। राजस्ान िें एक सीिेंट फैकट्ी िें 2,500 िजदूरों ने पुवलस पर प्राि वकया और इसी िांग को लेकर फैकट्ी की संपवत् को नष्ट कर वदया। विरोध प्रदश्थन बेंगलूरू, हैदराबाद, िधय प्रदेश, वदल्ी-एनसीआर िें भी हुए। जमिू के चेनाब टेकसटाइल फैकट्ी िें, श्रविकों ने िांग की वक लॉकडाउन की अिवध िें उनहें उनकी पूरी िजदूरी का भुगतान वकया जाए। अनौपचाररक श्रविकों के ये विरोध, जो ट्ेड यूवनयनों िें शायद ही आयोवजत वकए जाते हों, दशकों िें िजदूरों के विरोध प्रदश्थनों िें सबसे बडे और सबसे वयापक हैं।

    गांि िापसी िई िें लॉकडाउन खुलने के बाद, लाखों लोगों ने यूपी, वबहार, बंगाल, ओवडशा और िधय प्रदेश अपने घर

    जाना शुरू कर वदया। लेवकन घर पहुंचने पर कई लोगों ने खराब सस्वतयों िें खुद को क्ारेंटीन सेंटरों िें बंद पाया। इतना ही नहीं कुछ को चािल और विच्थ खाते हुए अपने िीवडयो बनाने के वलए िजबूर वकया जाता है। ऐसे क्ारेंटीन केंद्ों के बािजूद, कोविड-19 िािलों की संखया यूपी और वबहार िें नाटकीय रूप से बढी, जो बताती है वक सिास्थय सुविधाएं सबसे वनचले सतर पर हैं। इन सबसे ऊपर, सीएिआइई (सेंटर फॉर िॉवनटररंग इंवडयन इकोनॉिी) के अनुसार, वबहार और झारखंड जनैसे राजयों िें श्रविकों

    को बेरोजगारी दर के रूप िें, जीविकोपाज्थन के सिाल का सािना करना पडेगा। और यह वसफ्फ भारतीय अ््थवयिस्ा िें नहीं है। जब तक यह लेख प्रेस िें जाएगा, तब तक गुरुग्ाि/िानेसर के ऑटो और ऑटो पारस्थ फैसकट्यों िें सनैकडों लोगों की नौकरी (स्ायी श्रविकों सवहत) जाने की खबरें धीरे-धीरे सािने आने लगेंगी। (लेखिका लंदन सककूल ऑफ इकोनॉखिक्स एेंड पॉखलखिकल ्साइं्स िें, इकोनॉखिक खिसट्री खिभाग िें पोसिडॉकिाेरल फेलो

    रि चुकी िैं। उनिोंने खकंग्स कॉलेज लंदन िें औपखनिेखिक कलकत्ा िें लेबर पॉखलखिक्स और डॉकिक्क्स्स ्से ्संबंखित

    डॉकिोरल काि खकया िै)

    आधे ग्रामीण परिवराि

    भूममहीन हैं औि

    अनौपचरारिक श्रम पि

    जीमवत िहने के मिए

    मजबूि हैं, इनके परास

    शहिों में भी बहुत कम

    अवसि हैं

    बेसहारा-बेहालः काम बंद होने पर कई लोग पैदल गांव चल ददए

    प्रवासी मजदूर/नजररया

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  • संदर्भ में री देखना होगा। सीमा वििाद के मूल में दोनों देशों की सीमा का विराजन करती महाकाली नदी है। 1816 के सुगौली समझौते के अनुसार, इस नदी, वजसे नेपाल में काली के नाम से री जाना जाता है, के उद्गम स्थल, के पूि्भ का वहससा नेपाल और पश्चिम का वहससा रारत की सीमा में है। लेवकन दोनों पक्ों के बीच महाकाली नदी के उद्गम स्थल को लेकर मतरेद है। नेपाल दािा करता है वक यह नदी वलंवपयाधुरा से वनकलती है, इसवलए वलपू लेख पास महाकाली के पूि्भ का पूरा वहससा उसका है। लेवकन रारत का तक्क है वक इस नदी का उद्गम इस स्थान पर नहीं है, इसवलए वलपू लेख उसके राजय उत्तराखंड में आता है।

    वलपू लेख पास और इस क्ेत्र की रणनीवतक

    अहवमयत इस िजह से बढ़ जाती है वक इस रासते से न वसर्क चीन के वतबबत सिायत्त क्ेत्र में आने िाले कैलाश मानसरोिर की यात्रा का माग्भ कारी छोटा है, बश््क रारत चीन के सा्थ लाइन ऑर एक्ुअल कंट्ोल (एलएसी) के वनकट पीपु्स वलबरेशन आममी के सैवनकों की गवतविवधयों पर नजर रख सकता है।

    गौरतलब है वक वपछले 10 अप्ैल को प्धानमंत्री नरेंद्र मोदी और नेपाली पीएम कृषण प्साद शमा्भ ओली के बीच टेलीरोन पर हुई बातचीत में यह मुद्ा वबलकुल नहीं उठा। दोनों नेताओं का रुख कारी दोसताना रहा और सौहाद्भपूण्भ माहौल में बातचीत हुई। इस िाता्भ का रोकस इस क्ेत्र में गंरीर संकट बनकर उररे कोविड-19 और इसके कारण आव्थ्भक

    और अनय गवतविवधयों में आ रही वदककतों से वनपटने पर ्था।

    दोनों प्धानमंवत्रयों के बीच सहमवत बनी वक सीमा पार आिशयक िसतुओं की सपलाई सुगम रहनी चावहए। उनके बीच रारत-नेपाल सीमा पर रटक रहे लोगों को ज्द से ज्द घर पहुुंचाने के वलए वयिस्था पर री चचा्भ हुई।

    इस बात का तवनक री आरास नहीं ्था वक ज्दी ही दोनों पडोसी देशों के बीच सीमा के मुद्े पर मतरेद इतने बढ़ जाएंगे वक चंद हफतों में यह दूसरे सरी मुद्ों पर हािी हो जाएगा। रारत-नेपाल के ररशतों में ऐसा कया हुआ वजसके कारण ऐवतहावसक संबंध टूटने के कगार पर पहुुंच गए।

    पय्भिेक्कों के अनुसार, रारत-नेपाल संबंधों में हाल का तनाि नेपाली पीएम की उस योजना का वहससा है जो उनहोंने अपना पद बचाने के वलए बनाई है। अपने पद पर आए संकट के वलए िे रारत को वजममेदार मानते हैं। सीमा वििाद पर मतरेद िासतविक कारण नहीं है। सत्ताधारी कमयुवनसट पाटमी के रीतर वपछले कई महीनों से ओली विरोधी िररष्ठ नेताओं में असंतोष बढ़ रहा है। प्धानमंत्री के वनरुंकुश रिैए, सरकार के खराब प्दश्भन और पाटमी नेताओं को दरवकनार करने की कोवशशों के चलते नौ सदसयों िाले पाटमी हाई कमान यानी सेक्ेटेररएट में अवधकांश सदसय उनसे नाराज हैं।

    वपछले महीने जब िह दूसरी वकडनी ट्ांसपलांट सज्भरी के बाद िापस आए, तो उनहें लगा वक उनहें हटाने के प्यास वकए जा रहे हैं। उनहोंने अपनी

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    वपछले कुछ हफतों में रारत-नेपाल के ररशतों में तनाि पैदा करने िाली और वविपक्ीय संबंधों में खटास लाने िाली घटनाओं के केंद्र में रहा सीमा वििाद कोई नया मुद्ा नहीं है। पहले री यह मुद्ा कई बार दोनों देशों के बीच ररशतों के वलए चुनौती बना, लेवकन करी री इतना गंरीर नहीं हुआ वक हमारे ऐवतहावसक ररशतों पर रारी पडे। इसी िजह से अटकलें लग रही हैं वक यह वबलकुल अलग मामला हो सकता है। इस मुद्े को नेपाल में लगातार प्राि बढ़ा रहे चीन के

    लिपू िेख दर्रे पर् नेपाि के हाि के रुख पर् चीन की सपष्ट छाप, भार्त

    को पडोसी देश के साथ ऐलतहालसक रर्शते बचाने को प्रयास कर्ने होंगे

    प्रणय शर्मा

    रिश्ते बचानते की दिकाि

    भ्रत-नेप्ल संबंध

    विि्द की जड़ः चीन की शह पर सडक क् विि्द ररशतों पर ह्िी

  • कुर्सी र्ुरक्षित रखने के क्िए दो अध्यादेश पयाररत क्कए। पहिे अध्यादेश के अनुर्यार, छोटी पयाक्टटि्ों के दि-बदि को प्ोतर्याहन देने वयािे और अपनी खुद की पयाटसी नेपयाि कम्ुक्नसट पयाटसी को टूटने र्े बचयाने के क्िए कयानून में र्ंशोधन क्क्या ग्या। दूर्रे अध्यादेश के अनुर्यार, नेतया क्वपषि के क्बनया भी र्ंर्द कया कयामकयाज र्ुक्नश्चित हो र्कतया है।

    अक्धकयांश प््यवेषिकों ने नए कयानून को तरयाई षिेत्र में प्भयावशयािी भयारती् मूि की मधेर्ी पयाक्टटि्ों को तोड़ने के ओिी र्रकयार के प््यार् के तौर पर देखया। ्े पयाक्टटि्यां उनहें उर् र्म् आवश्क र्मर्यन दे र्कती रीं, जब वे अपनी ही र्रकयार और पयाटसी में अलपमत में होते। नए कयानून के मुतयाक्बक, क्कर्ी पयाटसी कया तभी क्वभयाजन हो र्कतया है, अगर उर्की केंद्ी् कमेटी ्या र्ंर्दी् पयाटसी के 40 फीर्दी र्दस् ऐर्े प्सतयाव को र्मर्यन दें। पहिे क्कर्ी पयाटसी में तभी क्वभयाजन र्ंभव रया, अगर केंद्ी् कमेटी और पयाक्ि्य्यामेंट्ी पयाटसी दोनों के 40 फीर्दी र्दस् इर्कया र्मर्यन करें।

    िेक्कन हयाि की कुछ और रयाजनीक्तक घटनयाओं र्े ओिी अिग-रिग पड़ गए। र्मयाजवयादी पयाटसी और रयाष्टी् जनतया पयाटसी नेपयाि टूटने के बजया् आपर् में क्मि गईं, क्जर्र्े उनके र्दस्ों की र्ंख्या नेपयाि के क्नचिे र्दन में बढ़कर 33 हो गई।

    2017 में, जब ओिी ने अपनी कम्ुक्नसट पयाटसी कया क्वि् पुषप कमि दहि प्चंड की पयाटसी के र्यार क्क्या रया, तब वह र्ीक्न्र पयाटटिनर बन गए रे। िेक्कन अब वे जूक्न्र पयाटटिनर बन गए हैं और पयाटसी की र्ेक्ेटेररएट र्ेंट्ि कमेटी और सटैंक्डंग कमेटी में उनके क्वरोक्ध्ों कया दबदबया बढ़ ग्या है और वे उनर्े इसतीफया मयांग रहे हैं। ओिी ने भयारत पर आरोप िगया्या क्क वह उनके सरयान पर प्चंड को प्धयानमंत्री बनयाने के क्िए पयाटसी के र्दस्ों को प्ोतर्याक्हत कर रहया है।

    हयाियांक्क ओिी को अध्यादेश वयापर् िेने को बयाध् कर क्द्या ग्या। उनहोंने ्े अध्यादेश रयाष्टपक्त क्बद्या देवी भंडयारी की मदद र्े र्ंर्द र्े पयाररत करवया क्िए रे। िेक्कन उनहें र्ंकट र्े उबयारने को चीन र्यामने आ ग्या। उर्ने प्चंड और पयाटसी के अन् नेतयाओं को र्मझया्या क्क पयाटसी कया एकजुट चेहरया र्यामने आनया चयाक्हए और ओिी को कम र्े कम तब तक र्मर्यन क्द्या जयानया चयाक्हए, जब तक उनकया उप्ुक्त उत्तरयाक्धकयारी नहीं क्मि जयातया है।

    अब अहम तथ् ्ह है क्क ओिी बच गए और इर्के पीछे चीन के प््यार् ही हैं। पयाटसी में क्वभयाजन टयािने और ओिी की कुर्सी बचयाने के क्िए चीन के नेपयाि में रयाजदूत होऊ ्यांगनी की नेपयाि कम्ुक्नसट

    पयाटसी के प्मुख र्दस्ों के र्यार कई दौर की वयातया्यएं हुई रीं। िेक्कन तेजी र्े हुए रयाजनीक्तक ड्यामे के बीच भयारत में धयारचूिया र्े क्िपू िेख पयार् को जोड़ने वयािे महतवपूर्य मयाग्य के उद्याटन करने के भयारती् रषिया मंत्री रयाजनयार क्र्ंह के फैर्िे ने मुद्े को और गरमया क्द्या, जो एिएर्ी के क्नकट भयारत-चीन-नेपयाि के ट्याईजंकशन तक जोड़तया है।

    अप्रैि में पूर्य हुए 80 क्किोमीटर िंबे ररनीक्तक रूप र्े महतवपूर्य इर् मयाग्य र्े न क्र्फ्फ भयारती् तीर्य्याक्त्र्ों को मदद क्मिेगी, बश्लक भयारती् र्ेनया

    भी भयारत-चीन र्ीमया तक जलदी पहुंच र्केगी।ऐर्े षिेत्र में र्ड़क बनयाने के भयारत के एकतरफया

    फैर्िे र्े नेपयाि में अर्ंतोष बनया हुआ रया, क्जर्े वह अपनया षिेत्र बतयातया है। िेक्कन भयारती् र्ेनया प्मुख जनरि मनोज मुकुंद नरवयारे ने मयामिया और भड़कया क्द्या, जब उनहोंने कहया क्क नेपयाि ने ्ह मुद्या चीन की खयाक्तर उठया्या है। उनहोंने हयाि के एक वेक्बनयार में कहया, “मुझे इर्में कोई क्वरोधयाभयार् नहीं क्दखतया है। नेपयािी रयाजदूत ने कहया क्क नदी के पूव्य कया षिेत्र उनकया है जबक्क र्ड़क उर्के पश्चिम में बनयाई गई है। इर्क्िए मैं र्मझ नहीं पया रहया हं क्क उनहें क्या परेशयानी हो र्कती है। हयां, ट्याईजंकशन के पयार् मतभेद हो र्कते हैं।” जनरि कया इशयारया रया क्क

    नेपयाि क्कर्ी और की तरफ र्े ्ह मुद्या उठया रहया है। उनकया र्ंकेत रया क्क नेपयाि ने कदम चीन की खयाक्तर उठया्या है। कई िोग मयानते हैं क्क भयारती् र्ेनया प्मुख ने भयारत-नेपयाि ररशते और क्बगयाड़ क्दए हैं जो क्ववयाक्दत षिेत्र में भयारत द्यारया र्ड़क बनयाए जयाने के कयारर पहिे ही तनयावपूर्य रे।

    अभी इर्कया आकिन नहीं हुआ है क्क भयारती् र्ेनया प्मुख की क्टपपरी ने नेपयािी नेतृतव के रुख पर क्कतनया अर्र डयािया है। िेक्कन उनके ब्यान को नेपयाि में क्पछिे कुछ हफतों के दौरयान हुई रयाजनीक्तक

    घटनयाओं के र्ंदभ्य में भी देखया जया रहया है।

    ्द्क्प इर्के र्बूत नहीं हैं क्क नेपयाि के रुख को चीन ने क्कतनया प्भयाक्वत क्क्या है, िेक्कन भयारत के क्खियाफ पीएम ओिी कया कठोर रुख उनकी खुद की रयाजनीक्तक ररनीक्त कया क्हसर्या हो र्कतया है क्ोंक्क वे पद बचयाने के क्िए चीन के प्क्त आभयार जतया रहे हैं। भयारत के क्खियाफ रयाजनीक्तक ब्यानबयाजी तेज करके और रयाष्टवयाद के कयाडटि कया इसतेमयाि करके ओिी अपनी आिोचनया कया रुख बदिने की भरर्क कोक्शश कर रहे हैं। िेक्कन उनके आिोचक र्रकयार के खरयाब प्दश्यन और वररष्ठ नेतयाओं

    के र्यार र्रकयारी कयामकयाज में र्ह्ोग करने में नयाकयामी र्े नयारयाज हैं।

    अक्धकयांश प््यवेषिक मयानते हैं क्क चीन के प््यार्ों के बयावजूद नयारयाज नेतया िंबे र्म् तक प्धयानमंत्री ओिी कया र्यार नहीं देंगे। केंद्ी् कमेटी की ओर र्े उनकया उत्तरयाक्धकयारी तियाशने के क्िए एक और प््यार् हो र्कतया है। उर् श्सरक्त में प्धयानमंत्री आपयातकयािीन प्यावधयानों के जरर्े र्त्तया में बने रहने के क्िए रयाष्टपक्त र्े मदद मयांग र्कते हैं और अपनी र्त्तया बचयाने के क्िए कोक्वड-19 कया र्हयारया िे र्कते हैं।

    िेक्कन भयारत को नेपयाि में उतपन्न श्सरक्त र्े क्नपटने के क्िए क्या करनया चयाक्हए। र्ुझयाव क्द्या जया रहया है क्क र्रकयार को ततकयाि रयाजनक््क मयाध्म अपनयाने चयाक्हए और भयारत-नेपयाि र्ंबंधों में तनयाव घटयाने और उनहें और क्बगड़ने र्े बचयाने के क्िए नेपयाि के नेतृतव के र्यार क्ववयादयासपद और िंक्बत र्ीमया मुद्ों पर ततकयाि बयातचीत शुरू करनी चयाक्हए।

    नेपयाि में रयाजनीक्त क्जर् तरह र्े बदि रही है, हो र्कतया है आने वयािे र्म् में वहयां के रयाजनीक्तक र्मीकरर भयारत के क्न्ंत्रर में न रहें। िेक्कन भयारत र्रकयार को नेपयाि के नेतयाओं और वहयां की जनतया के बीच क्मिने वयािी अहक्म्त आगे भी बनयाए रखने के क्िए भरपूर प््यार् करने चयाक्हए। आक्खर नेपयाि के र्यार हमयारे ऐक्तहयाक्र्क ररशते हैं।

    भारत-नेपाल संबंध

    धारचूला से ललपू लेख पास

    को जोड़ने वाली नई सड़क का

    उद्ाटन करने के रक्ा मंत्ी के

    फैसले से मुद्ा गरमाया, लफर

    थल सेना प्रमुख के बयान से

    और भड़का

    चीन

    नेपाल

    उत्तराखंड

    उत्तर प्रदेश

    देहरादून

    शिमला

    हिमाचल प्रदेश

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  • मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत जममू-कशमीर में चौंका देने वाले कई फैसलों को लागू करके की थी। इस कडी में सबसे पहले 5 और 6 अगसत 2019 को, राष्ट्रपतत रामनाथ कोतवंद ने भारतीर संतवधान के अनुच्ेद 370 के तहत जममू-कशमीर को तमले तवशेष दजजे को हटाने के तलए दो आदेश जारी तकए। उसके तीन तदन बाद, संसद में जममू-कशमीर पुनग्यठन अतधतनरम पाररत तकरा

    गरा, तजसमें राजर को तवभातजत कर, उसे दो केंद्रशातसत प्रदेशों में बदल तदरा गरा।

    जब 5 अगसत को राष्ट्रपतत कोतवंद ने अपना पहला आदेश जारी तकरा, उसी तदन हजारों राजनैततक नेताओं, वकीलों, पत्रकारों और रहां तक तक नाबातलगों को भी तहरासत में ले तलरा गरा, तातक कहीं तवरोध न हो। मुखरधारा के लगभग सभी राजनैततक नेताओं को तगरफतार कर तलरा गरा। इनमें तीन पूव्य मुखरमंत्री- महबूबा मुफती, फारूक और उमर अबदुल्ा भी शातमल थे। राजर में ससथतत को तनरंतत्रत करने के तलए 40 हजार से अतधक अततररक्त सैतनकों को भेजा गरा था। पूरे राजर में कफरू्य लगा तदरा गरा। फोन और इंटरनेट सतहत सभी संचार सेवाएं तनलंतबत कर दी गईं। इन फैसलों पर कशमीर और जममू के मुससलम बहुल तजलों के साथ-साथ लद्ाख के करतगल में ततकाल तवरोध के रूप में प्रतततरिरा सामने आई। लोग गुससे और सदमे में थे। उनकी इस नाराजगी को एक वाकर में रही कहा जा सकता है, “सरकार ने हमें अपमातनत तकरा है।”

    ऐसे समर में जब राजर में सभाएं करने पर प्रततबंध था, तो लोगों ने अपना तवरोध जताने के तलए घाटी में दुकानों, अख़बारों, सककूलों और तवश्वतवद्ालरों का बतहषकार कर तदरा। रह शटडाउन करीब दो महीने चला, इसकी वजह से रोजमरा्य की वसतुओं की तकल्त भी शुरू हो गई, तजसका उपभोक्ता और उतपादकों दोनों को नुकसान उठाना पडा। जब घाटी पूरी तरह से बंद थी, देश के दूसरे तहससों से तवपक्ी दलों के नेताओं, मानवातधकार कार्यकता्यओं को जममू-कशमीर में जाने से प्रततबंतधत कर तदरा गरा। इसकी वजह से अनेक लोगों को नरारालर का दरवाजा खटखटाना पडा। इन लोगों ने मोदी सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। कई महीने की तशतथलता के बाद इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई। लेतकन मोदी प्रशासन को इस बात की अनुमतत

    तमल गई तक वह राजर में सुरक्ा का हवाला देकर तलए गए फैसले पर अपना पक् रख सके (जबतक सरकार के अपने आंकडे कहते हैं तक राजर में तहंसा की घटनाओं में तेजी से कमी आई है। 2001 में जहां 4,500 घटनाएं हुई थीं, वहीं 2019 में रह कम होकर 500 से भी नीचे आ गईं। ऐसे में सरकार का रह फैसला काफी दुतवधा में डालने वाला था)। अंत में, जनवरी 2020 में, सुप्रीम कोट्ट ने अपने 130 पेज के फैसले में राजर सरकार से कहा तक वह इंटरनेट प्रततबंध के फैसले की समीक्ा करे। इस पर नरारालर ने अपने फैसले की शुरुआत “ए टेल ऑफ टू तसटीज” के उद्धरण से की थी। अपने फैसले में नरारालर ने राजर में रथाससथतत को बरकरार रखा।

    जममू-कशमीर से अनुच्ेद 370 राजर की सहमतत के तबना हटारा जा सकता है रा नहीं? राष्ट्रपतत अपने आदेश से राजर का संतवधान तनरसत कर सकते हैं रा नहीं? इन संवैधातनक मसलों पर भी सुनवाई सुप्रीम कोट्ट में चल रही है। आज की अवतध तक इस मसले पर दो रातचकाओं पर प्रारंतभक सतर तक ही सुनवाई पहुंच पाई है। नरारालर में राहत के तलए इस तरह की दलीलें भी पेश की गईं, तजनमें कहा गरा तक राष्ट्रपतत के आदेश और राजर पुनग्यठन अतधतनरम को तब तक वापस ले तलरा जाए, जब तक नरारालर कोई फैसला नहीं करता है। हालांतक इस पर नरारालर का कहना था तक रातचका को सवीकार कर तलरा गरा, तो रह समर को पी्े ले जाने जैसा होगा, करा ऐसा करना संभव हो सकता है?

    सुप्रीम कोट्ट में लंतबत रातचकाओं के बावजूद, मोदी प्रशासन जमीन पर तथरों को सथातपत करने के तलए काफी तेजी से काम कर रहा था। अगसत में फैसला लागू होने के महीने भर के भीतर, दो नए केंद्रशातसत प्रदेशों के बीच संपततिरों का बं�