शान्ति का स््देश - islam ahmadiyya...न प स - तक श न त...

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शानति का सदशऔर

एक चदतिावनी

लदखकहजरत हाफिज फिजाा नाफिर अहिद

खलीितल ििीह ततीयरह.

नाि पसतक - शानत का िददश और एक चदतावनी Name of Book : Shanti Ka Sandesh Aur Ek Chetavani

लदखक - हजरत फिजाा नाफिर अहिदरह.

जिाअत अहिफदया क ततीय खलीिाWritten By : Hazrat Mirza Nasir Ahmadrt

khalifatul Masih-IIIrd

अनवादक - अिार अहिद एि.ए. बी.एड. आनिा इन अरफबकTranslated By : Ansar Ahmad M.A. B. Ed. Hon’s in Arabic

परथि परकाशन वरा - िई 2017First Edition : May 2017

िखया - 1000Quantity : 1000

िदरक - िजलद उिर फपरफिग परदि, काफदयानPrinted at : Fazl-e-Umar Printing Press, Qadian, परकाशक - नजारत नशर व इशाअत, काफदयानPublisher : Nazarat Nashr-o-Ishaat, Qadian 143516 Distt. Gurdaspur (Punjab) INDIA

हजरत हाफिज फिजाा नाफिर अहिदरह. जिाअत अहिफदया क ततीय खलीिा क अगदजी भारण का फहदी अनवाद जो आपनद अपनद यरोप क िर क िधय फदनाक 28 जलाई 1967 ई. को वाडजवथा िाउन हाल लदन ि फदया था फजिि ििसत फवशव फवशदरतः यरोप क रहनद वालो क फलए एक िहतवपणा िददश ह।

फबनसिलाफहररहिाफनररहीिनहिदह व निली अला रिफलफहल करीि

अशहदो अला इलाहा इललाहो वहदह ला शरीक लह व अशहदो अना िहमिदन अबदह व रिलह

अमिा बअद िअऊजफबलाह फिनशशशताफनररजीिफबनसिलाफहररहिाफनररहीि

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अहि फदया जिाअत क इिाि होनद क नातद िझद एक आधयानिक पद पर आिीन होनद का िौभागय परापत ह। इि दनटि िद िझ पर कछ ऐिद दाफयव आ जातद ह फजनकी ि अनति िाि तक उपदका नही कर िकता। िदर इन दाफयवो का कदतर ििसत िानव जाफत तक फला हआ ह तथा इि भात व भावना की दनटि िद िझद परयदक िनषय िद परदि ह।

आदरणीय िजजनो ! िानवता इि ििय एक भयानक फवनाश क कगार पर खडी ह। इि िदभा ि ि आप क फलए तथा अपनद ििसत भाइयो क फलए एक महतवपरण सदश लाया ह। अविर की अनकलता की दनटि िद ि इिद िफकपत रप ि वणान करनद का परयाि करगा।

िदरा यह िददश िानवता क फलए शानत और िशतरी का िददश ह तथा ि आशा रखता ह फक आप िदरी इन िफकपत बातो को धयानपवाक

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िनगद, तथा फफर एक पकपातरफहत हदय एव िदफधि क िाथ उन पर फवचार करगद।

ि आपको बताना चाहता ह फक 1835 ई. िानव इफतहाि ि एक अयत िहतवपणा वरा था, कयोफक इि वरा उततरी भारत क एक अपरफिधि और अजात गाव काफदयान ि एक ऐिद वश ि जो एक ििय तक उि कदतर का राजिी वश रहनद क बावजद राजिी वशभव एव ऐशवया खो बशठा था, एक ऐिद बालक का जि हआ फजिक फलए िकददर (परारब‍ध) था फक वह न कवल आधयानिक जगत ि अफपत भौफतक जगत ि भी एक कानत को जि दद। उि बालक का नाि उिक िाता-फपता नद फिजाा गलाि अहिद रखा और बाद ि वह फिजाा गलाि अहिद काफदयानी क नाि तथा ििीह व िहदी की खदादाद उपाफ‍धयो िद परफिधि हआ (उि पर िलािती हो)। परत इि िद पवा फक ि उि आधयानिक तथा भौफतक िहान कानत पर परकाश डाल, ि आप क जीवन-चररतर को फनतात िफकपत शबदो ि परसतत करना चाहता ह।

ऐफतहाफिक छान-बीन िद जात होता ह फक आप का जि 13 िरवरी 1835 ई. को हआ तथा फजि यग ि आप का जि हआ वह यग अयत अजानता का यग था तथा लोगो का फशका की ओर बहत कि धयान था, यहा तक फक यफद फकिी क नाि कोई पतर आता तो उिको पढवानद क फलए उिद कफठन पररशरि तथा कटि िहन करना पडता और कई बार तो ऐिा भी होता फक एक लमबद ििय तक पतर पढनद वाला कोई न फिलता।

अजानता क उि यग ि आप क फपता जी नद कछ िा‍धारण पढ-

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फलखद फशकक आप की फशका क फलए फनयकत फकए फजहोनद आपको पफवतर कआान पढना फिखाया। परत वद इि योगय न थद फक कआान क जानो तथा आधयानिक रहसयो की परारफभक फशका भी आप को दद िकतद। इिक अफतररकत इन फशकको नद आपको अरबी और फारिी की परारफभक फशका दी फजिका पररणाि यह हआ फक आप को अरबी और फारिी पढनी आ गई। इििद अफ‍धक आप नद फशकको िद कोई फशका परापत नही की, फिवाए औरफ‍ध फवजान की कछ पसतको क जो आप नद अपनद फपता जी िद पढी जो उि यग ि एक परफिधि वशदय थद।

यह थी वह िमपणा फशका जो आपनद पढकर परापत की। इि ि िददह नही फक आप को अधययन की बहत रफच थी तथा आप अपनद फपता जी की लायबदरी ि अधययन करनद ि बहत वयसत रहतद थद फकत चफक उि यग ि फवदया का फवशदर िहतव न था तथा आप क फपता जी की इचछा थी फक वह िािाररक काययो ि उनका िाथ द तथा िािाररक ििफधि परापत करनद ि और ििार ि िमिानपवाक रहनद का ढग िीख। इिफलए आप क फपता जी आप को पसतको का अधययन करनद िद हिदशा रोकतद रहतद थद और कहतद थद फक अफ‍धक पढनद िद तमहार सवास‍थय पर बरा परभाव पडगा।

सपटि ह फक इतनी िा‍धारण फशका का सवािी वह िहान काया कदाफप नही कर िकता था जो अलाह तआला आप िद लदना चाहता था। इिफलए खदा सवय आप का फशकक और अधयापक बना और उिनद सवय आप को कआान क जान तथा आधयानिक रहसयो एव िािाररक फवदयाओ क आ‍धारभत फिधिात फिखाए तथा उिक िनसतषक को अपनद परकाश िद परकाफशत फकया तथा उिद कलि का िामाजय

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एव वणान का िौदया तथा िा‍धया परदान फकया और उिक हाथ िद अनदको अफवितीय पसतको की रचना कराई तथा बीफियो ि‍धर भारण कराए जो जान एव अधयाि जान क खजानो िद भरपर ह।

1835 ई. का वरा इतना िहतवपणा तथा इि वरा जि लदनद वाला बालक इतना िहान था फक पवाकालीन गथो ि उि क जि की िचना दी गई थी। इि बार ि ि कवल एक भफवषयवाणी बताना चाहता ह और वह भफवषयवाणी हजरत खातिल अफबया िहमिद रिललाह िललाहो अलशफह विलि की ह जो आपि. नद उि बालक क िब‍ध ि लगभग 1300 वरा पवा की थी और वह यह ह, आपनद िरिाया ः-مر

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(दार-ए-कतनी भाग-परथि, पषठ-188, लदखक - हजरत अली फबन उिर फबन अहिद अददार कतनी अिारी परदि िद परकाफशत)

िहमिद रिललाह िललाहो अलशफह विलि नद यह भफवषयवाणी की थी फक इसलाि ‍धिा ि बहत िद झठ दावददार खड होगद जो यह दावा करगद फक वद िहमिद रिललाह िललाहो अलशफह विलि की भफवषयवाणी क अनिार िहदी ह हालाफक वद िहदी न होगद। िहदी होनद का िचा दावददार वह होगा फजिकी िचाई क परिाण क फलए आकाश दो फनशान परकि करगा अथाात चदरिा एव िया उिकी िचाई पर िाकी ठहरगद इि परकार फक रिजान क िहीनद ि चदर-गहण की रातो ि िद परथि रात को अथाात तदरहवी फतफथ को चदर गहण होगा तथा

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उिी रिजान ि िया-गहण क फदनो ि िद िधय वालद फदन अथाात 28 रिजान को िया गहण होगा। िहीनो ि िद रिजान क िहीनद का फन‍धाारण करना तथा चदर गहण क फलए परथि रात का फन‍धाारण करना एव िया क फलए िधय फदन को फन‍धााररत करना एक अिा‍धारण फन‍धाारण ह जो िानव-शनकत, जान एव बो‍ध िद ऊपर ह।

अतः जब ििय आया तो एक दावददार का वासतव ि परादभााव हआ तथा घोरणा की फक ि िहदी ह और उि घोरणा क परिाण क तौर पर दोनो फनशान अथाात चदर तथा िया-गहण फजि परकार फक भफवषयवाणी ि बताए गए थद परकि हए। अतः यह एक अिा‍धारण एव चिकारपणा भफवषयवाणी थी जो नबी करीि िललाहो अलशफह विलि नद अपनद िहदी क फलए की थी और जशिा फक घिनाओ नद फिधि फकया फक यह भफवषयवाणी घफित होनद िद लगभग 1300 वरा पवा की गई थी, यह भफवषयवाणी िानव-बफधि, अनिान तथा जान िद ऊपर ह।

फफर यह भफवषयवाणी इि परकार परी हई फक वह िहान बालक जो 1835 ई. ि पशदा हआ था, उिनद खदा तआला िद जान पाकर िन 1891 ई. ि ििार ि यह घोरणा की फक वह वही िौऊद िहदी ह फजिका वादा फकया गया था तथा अपनद दावद की िचाई क परिाण हत हजारो बौफधिक एव शासतरीय तकक तथा आकाशीय ििथान और अपनी भफवषयवाफणया, फजन ि बहत िी उि क यग ि पणा हो चकी थी तथा बहत थी फजनक पणा होनद का ििय भी भफवषय ि आनद वाला था, ििार क ििक परसतत की फकत तकालीन फवविानो नद उिक दावद को झठला फदया तथा इकार का एक कारण यह भी

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वणान फकया फक िहदी क फलए तो आहजरत िललाहो अलशफह विलि नद रिजान की फन‍धााररत फतफथयो ि चदर तथा िया गहण फनशान क तौर पर वणान फकया था, कयोफक उि भफवषयवाणी क अनिार चदर तथा िया को गहण नही लगा। इि िद फिधि हआ फक आप अपनद दावद ि िचद नही। फकत वह शनकतिान खदा जो अपनद वादद का िचा तथा अपनद फनषकपि बदो क िाथ वफादारी एव परदि का वयवहार करनद वाला ह उिनद ठीक अपनद वादद तथा हजरत िहमिद िसतिा िललाहो अलशफह विलि की भफवषयवाणी क अनिार िन 1894 ई. क रिजान क िहीनद ि फन‍धााररत फतफथयो ि चदर और िया को गहण की अवसथा ि करक ििार पर यह फिधि कर फदया फक िहमिद रिललाह िललाहो अलशफह विलि का खदा और दोनो लोको का परफतपालक बडी शरदषठता, परताप एव शनकतयो वाला ह। न कवल एक बार अफपत यही फनशान रिजान ही क िहीनद ि तथा ठीक उही फन‍धााररत फतफथयो ि 1895 ई. ि दिर गोलाधिा को फदखाया ताफक पवा और पनचिि त था परानी और नयी दफनया क बिनद वालद अलाह तआला की शरदषठता, शनकत एव हजरत िहमिद िसतिा

िललाहो अलशफह विलि तथा आपक आधयानिक पतर हजरत फिजाा गलाि अहिद िाफहब की िचाई क िाकी ठहर। अतः िहान ह िहमिद (ि.अ.व.) फजिनद अपनद खदा िद जान पाकर यह चिकारपणा भफवषयवाणी की तथा िहान ह आप का वह आधयानिक पतर फजिक पक ि वह परी हई।

हजरत िहमिद िसतिा िललाहो अलशफह विलि क पचिात हजरत फिजाा गलाि अहिद िाफहब क यग तक यदयफप कई लोग पशदा

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हए फजहोनद िहदी होनद का दावा फकया फकत उनि िद हजरत फिजाा गलाि अहिद िाफहब क अफतररकत कोई भी ऐिा नही था फजिक िहदी होनद की िचाई पर चदर और िया िाकी बनद हो। यह एक बात ही इि बात क फलए पयाापत ह फक आप शात हदय तथा गभीर फचतन िद इि दावददार क दावद पर फवचार कर फजनका िददश ि आज आप तक पहचा रहा ह तथा फजिकी शरदषठता एव िचाई क परिाण सवरप चदर एव िया िाकी बन कर खड ह।

िया तथा चदरिा की िाकय तो ि वणान कर चका। अब आइए प‍थवी की पकार िन, वह कया कहती ह। हजरत फिजाा गलाि अहिद ििीह िौऊद व िहदी अलशफहसिलाि क परादभााव क कारण तथा आप की िचाई क परिाण ि प‍थवी पर एक आचियाजनक तथा िानव बफधि को चफकत कर ददनद वाली भौफतक एव आधया निक कानत का आना फननचित था।

वासतव ि ििसत कानतया तथा ििसत ऐफतहाफिक पररवतान इिी एक कानत की शरखला की फवफभन कफडया ह जो आपक ििार ि परादभााव होनद क िाथ आरभ हई थी तथा जो आपकी िचाई क परिाण क तौर पर िाकी ह। इिक अफतररकत यह ििसत कानतया तथा िानव-इफतहाि क िभी िहतवपणा िोड हजरत िहमिद िसतिा िललाहो अलशफह विलि और हजरत ििीह िौऊद की भफवषयवाफणयो क अनिार ह।

आप क दावद क ििय िभय एव फवजदता पनचििी शनकतयो क ििक फकिी पववी शनकत का कोई अनसतव न था फकत िन 1904 ई. ि आपनद ििार को यह बताया फक फनकि भफवषय ि िभय एव

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फवजदता पनचििी शनकतयो क फवरो‍धी क रप ि ििार क फकफतज पर ऐिी पववी शनकतया उभरनद वाली ह फजनकी शनकत का लोहा पनचििी शनकतयो को भी सवीकार करना पडगा। अतः शीघर ही उिक पचिात रि एव जापान क यधि ि जापान नद फवजय परापत की और वह एक पववी शनकत क रप ि ििार क फकफतज पर परकि हआ।

फफर फवितीय फवशव यधि ि जब जापान को पराजय का िख ददखना पडा तो चीन एक पववी शनकत क रप ि ििार क फकफतज पर अपनद िमपणा पववी अनसतव एव शनकत क िाथ परकि हआ तथा िानव-इफतहाि ि इन दो शनकतयो क उद‍भव एव फवकाि क िाथ एक नया िोड आया फजनक परभाव िानव-इफतहाि ि इतनद वयापक तथा िहतवपणा ह फक कोई वयनकत इनका इकार नही कर िकता। यह जो कछ हआ खदा तआला की इचछा तथा हजरत फिजाा गलाि अहिद िाफहब

अलशफहसिलाि की भफवषयवाणी क फबलकल अनकल हआ।हिार यग की दिरी िहतवपणा घिना फजििद लगभग िमपणा

ििार फकिी न फकिी रप ि परभाफवत हआ ह। रि क जार तथा िामाजयवाद का पणातया फवनाश एव बरबादी तथा िामयवाद का फवजयी होकर ितता‍धारी बनना ह। रिी कानत की िहान घिना फजिनद फवशव-इफतहाि को एक फवशदर फदशा की ओर िोड फदया ह, भी िवाथा आपकी भफवषयवाणी क अनिार घफित हई। आप नद िन 1905 ई. ि रि क जार तथा राजिी खानदान तथा िामाजयवाद का पणातया फवनाश तथा ददाशा की िचना दी थी। यह आचियाजनक ियोग ह फक उिी वरा भफवषयवाणी क कछ ही िाह पचिात वह राजनशफतक पािवी अनसतव ि आई जो लगभग बारह-तदरह वरा क पचिात राजिी

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खानदान तथा िामाजयवाद क फवनाश का कारण बनी। तपचिात िामयवाद नद परथि रि ि और फफर फवशव क अय ददशो ि अपना परभव सथाफपत कर फलया। यह एक ऐिी सपटि बात ह फजिक वणान करनद की आवशयकता नही।

रि क “जार” का फवनाश तथा िामयवाद की फवजय िानव-इफतहाि की फनतात दखद एव िहतवपणा घिना ह फजिक पढनद िद यदयफप हदय ि पीडा तो पशदा होती ह फकत उिकी उपदका नही की जा िकती। ििार ि कोई राषटर भी आपक राषटर िफहत उिक परभाव िद बच नही िका। फकत हिार फलए इन पररवतानो पर आचिया करनद या गहरी फचता करनद का कोई कारण नही कयोफक इन पररवतानो की फदशा, गफत तथा तीवरता क फवरय ि हि ििीह िौऊद अलशफहसिलाि नद पहलद ही िचनाए दद दी थी तथा भफवषय ि अपनद ििय पर यह बात सपटि हो जाएगी फक यद पररवतान फकि परकार खदा की इचछा-पफता ि िहायक फिधि हए। हि बताया गया था फक ििीह िौऊद तथा िहदी िाहद क यग ि दो शनकतया ऐिी उभरगी फक फवशव उन ि फवभाफजत हो जाएगा तथा कोई अय शनकत उनका िकाबला न कर िकगी। पनः वद शनकतया एक दिर क फवरधि अपनद फवनाश क िा‍धन सवय पशदा करगी।

फकत कवल इि एक यधि क फवरय ि ही भफवषयवाणी नही थी अफपत अहिफदया जिाअत क परवताक नद पाच अतरााषटरीय फवनाशो की िचना दी ह।

परथि फवशवयधि क फवरय ि आप नद कहा था फक फवशव अयत वयाकल हो उठगा, याफतरयो क फलए वह ििय अयत कटिदायक

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होगा, नफदया रकत िद लाल हो जाएगी, यह आपदा िहिा और अचानक आएगी, इि आघात िद जवान बढ हो जाएगद, पवातो को उनक सथान िद उडा फदया जाएगा, बहत िद लोग इि फवनाशलीला की फवभीफरका क कारण पागल हो जाएगद। यही ििय रि क जार क फवनाश का होगा। उि ििय फवशव ि िामयवाद का बीजारोपण होगा, यधि क बदड तशयार रखद जाएगद तथा भयकर ििदरी यधि फकए जाएगद, िरकारो का तखता उलि फदया जाएगा, शहर शिशान ि पररवफतात हो जाएगद।

इि फवनाश क पचिात एक और फवशववयापी फवनाश आएगा जो इि िद अफ‍धक फवशाल होगा तथा इििद अफ‍धक भयानक पररणािो का कारण बनदगा। वह फवशव का रप एक बार पनः बदल ददगा तथा कौिो क भागय को नया रप ददगा, िामयवाद अयफ‍धक शनकतशाली हो जाएगा तथा उिि अपनी इचछा सवीकार करानद की शनकत पशदा हो जाएगी और वह ििार क फवशाल कदतर ि छा जाएगा।

अतः ऐिा ही हआ। पववी यरोप क अफ‍धकाश भाग िामयवादी हो गए तथा चीन क िततर करोड नागररक भी इिी िागा पर चल पड। एफशया तथा अफीका की उभरती हई कौिो ि िामयवाद (Communism) का परभाव अफ‍धक बढ गया। फवशव दो फवरो‍धी गिो ि फवभाफजत हो गया, फजनि िद परयदक आ‍धफनकति हफथयारो िद ििनजजत होकर इि बात क फलए तशयार ह फक िानवता को फवनाश की भडकती हई नकाानगन ि ‍धकल दद।

पनः हजरत ििीह िौऊद अलशफहसिलाि नद एक ततीय िहायधि की भी िचना दी ह जो पहलद दोनो िहायधिो िद अफ‍धक फवनाशकारी

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होगा। दोनो फवरो‍धी गि इि परकार िहिा िकराएगद फक परयदक वयनकत हतपरभ रह जाएगा, आकाश िद िय और फवनाश की वराा होगी तथा भयकर शोलद प‍थवी को अपनी लपदि ि लद लगद, नवीन िभयता का िहान दगा प‍थवी पर आ फगरगा। दोनो फवरो‍धी गि अथाात रि त था उिक िहयोगी, अिरीका और उिक िहयोगी दोनो गि तबाह हो जाएगद, उनकी शनकत िकड-िकड हो जाएगी, उनकी िभयता एव िसककफत तथा उनकी वयवसथा असत-वयसत हो जाएगी, शदर रह जानद वालद लोग चफकत होकर हतपरभ रह जाएगद।

रि क फनवािी अपदकाककत इि फवनाश िद शीघर िनकत पाएगद। यह भफवषयवाणी अयत सपटि रप िद की गई ह फक इि ददश की जनिखया पनः शीघर ही बढ जाएगी और वह अपनद सरटिा की ओर धयान ददगी और उनि बडी तीवर गफत िद इसलाि फलदगा और वह कौि जो प‍थवी िद खदा का नाि तथा आकाश िद उिका अनसतव फििानद की शदफखया बघार रही ह, उिी जाफत को अपनी पथभटिता का जान हो जाएगा तथा वह इसलाि सवीकार करक खदा तआला क एकशवरवाद पर दढता िद सथाफपत हो जाएगी।

शायद आप इिद एक िनघडत बात ििझ, फकत जो इि ततीय फवशव यधि िद बच फनकलगद तथा जीफवत रहगद वद ददखगद फक यह खदा की बात ह तथा िवाशनकतिान खदा की बात िदशव परी होकर रहती ह और कोई शनकत उह रोक नही िकती।

अतः ततीय फवशवयधि का अत इसलाि क अतरााषटरीय परभव का परारभ होगा। तपचिात बडी तीवरता क िाथ इसलाि िमपणा फवशव ि फलना आरभ हो जाएगा तथा लोग बडी िखया ि इसलाि सवीकार

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कर लगद और उह जात हो जाएगा फक कवल इसलाि ही एक िचा ‍धिा ह तथा यह फक िनषय की िनकत कवल िहमिद रिललाह क िददश विारा ही परापत हो िकती ह।

अब सपटि ह फक पहलद जापान और चीन का भफवषयवाणी क अनिार पववी शनकत क रप ि फकफतज पर उदय होना, रि क राजवश तथा ितता का अत, उिक सथान पर िामयवाद की सथापना तथा राजनशफतक ितता फफर िमपणा फवशव ि उिका परभाव बढ जाना, परथि फवशव यधि फजिनद फवशव का नकशा पररवफतात कर फदया और फफर फवितीय फवशव यधि फजिनद दोबारा फवशव का नकशा पररवफतात कर फदया, ऐिी िहतवपणा घिनाए ह जो िानव इफतहाि ि िील क पथर का सथान रखती ह। यह िभी घिनाए उिी परकार घफित हई फजि परकार उनकी पहलद िद िचना दी गई थी।

सिरण रखना चाफहए फक हजरत ििीह िौऊद अलशफहसिलाि अपनद उदददशय को पणा करक 26, िई 1908 ई. को अपनद खदा क ििक उपनसथत हो गए। इन ििसत भफवषयवाफणयो का इि िद पवा ही उच सतर पर परकाशन हो चका था। अतएव यह बात फननचित ह फक इसलाि की फवशववयापी फवजय एव परभ व क फवरय ि जो भफवषयवाफणया की गई ह वद अपनद ििय पर अवशय परी होगी, कयोफक यद भफवषयवाफणया एक ही शरखला की फवफभन कफडया ह।

यह भी सिरण रह फक इसलाि की फवजय तथा इसलािी परभात क उदय होनद क लकण परकि हो रह ह यदयफप अभी ‍ध‍धलद ह परत अब भी उनको ददखा जा िकता ह। इसलाि का िया अपनी पणा आभा एव चिक क िाथ उदय होगा तथा फवशव को परकाफशत करगा, फकत

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इििद पवा फक यह िब कछ घफित हो आवशयक ह फक फवशव एक ऐिद फवशववयापी फवनाश िद गजर, एक ऐिा रकतरफजत फवनाश जो िानव जाफत को झझोड कर रख ददगा। परत यह नही भलना चाफहए फक यह एक भयावह भफवषयवाणी ह। भयावह भफवषयवाणी परायनचित तथा किायाचना करनद िद सथफगत भी की जा िकती ह अफपत िल भी िकती ह। यफद िनषय अपनद परफतपालक की ओर झक, परायनचित कर तथा अपनद आचरण ठीक कर लद तो वह अब भी खदा क परकोप िद बच िकता ह। यफद वह ‍धन-िमपफतत और शनकत और शरदषठता क झठ खदाओ की उपािना को याग दद और अपनद परफतपालक िद िचा िब‍ध सथाफपत कर, दराचारो िद पथक हो जाए, वह खदा तथा िनषयो क परफत कततावयो एव अफ‍धकारो को परा कर तथा िानव जाफत का वासतफवक फहतशरी बन जाए, फकत उिकी फनभारता तो उन जाफतयो पर ह जो इि ििय शनकत, ‍धन तथा जातीय शरदषठता क नशद ि िसत ह फक कया वद इि िसती को याग कर आधया निक आनद तथा हरा क अफभलारी ह अथवा नही ? यफद ििार नद िािाररक िनसतया तथा अशील बात न यागी तो फफर यह भयावह भफवषयवाफणया अवशय परी होगी तथा ििार की कोई शनकत और कोई ककफतरि खदा ििार को कफथत भयकर फवनाश िद बचा न िकगा।

अतः सवय पर तथा अपनी ितानो पर दया कर तथा ककपाल और दयाल खदा की पकार को िन। अलाह तआला आप पर दया कर और िचाई को सवीकार करनद तथा उििद लाभानवत होनद का िाि‍थया परदान कर।

अब ि िफकपत तौर पर उि आधयानिक का फत का वणान करता

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ह जो िहमिद रिललाह िललाहो अलशफह विलि क िहान आधयानिक पतर क विारा ििार ि परकि होनी थी।

फकत यह नही भलना चाफहए फक आप क परादभााव क यग ि इसलाि अयत फववशता तथा अवनफत की अवसथा ि था। ििलिानो क पाि फवदया न थी, ‍धन िद वद वफचत थद, उदयोग एव वयविाय ि उनका कोई सथान न था, वयापार उन क हाथ िद फनकल चका था, राजनशफतक ितता वद खो चक थद तथा वासतफवक अथयो ि तो ििार क फकिी भाग ि वद ितता‍धारी अफ‍धकारी न रह थद, आचरण बहत फगर चक थद तथा पराफजत िानफिकता उन ि उपन हो चकी थी और पनः उठनद तथा िजीव जाफतयो की पनकत ि खड होनद की कोई उिग उनि शदर न रही थी, इसलाि क फवरो‍ध की यह अवसथा थी फक फवशव की िमपणा श नकतया इसलाि पर आकिणकारी हो रही थी तथा इसलाि को फिर फछपानद क फलए कही सथान न फिल रहा था। इि फवरो‍ध ि ईिाई ‍धिा िब िद अगिर था तथा यह ‍धिा इसलाि का िब िद बडा शतर था। ईिाई परचारक परचर िखया ि ििार ि फल गए थद। ईिाई जगत का ‍धन तथा ितता इन परचारको की िहायता क फलए हर ििय तशयार थी। उनका परथि तथा भरपर आकिण इसलाि क फवरधि था उिद अपनी फवजय का इतना फवशवाि था फक एक ििय ऐिा भी आया फक ििार ि घोरणा की गई फक ः

(1) अफीका िहाविीप ईिाइयत की जदब ि ह।(2) फहदसतान ि ििलिान ददखनद को भी न फिलदगा।(3) ििय आ गया ह फक िकका पर ईिाइयत का झणडा

लहराएगा।

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हजरत फिजाा गलाि अहिद अलशफहसिलाि की अपनी दशा यह थी फक अभी फगनती क कछ फन‍धान ििलिान आप क पाि एकतर हए थद, कोई गि, कोई ‍धन, कोई राजनशफतक शनकत आप क पाि न थी फकत वह फजिक अफ‍धकार ि परयदक ह आप क िाथ था तथा उिी खदा नद आप िद यह कहा फक ििार ि यह घोरणा कर दो फक इसलाि क फलनद-फलनद क फदन आ गए ह तथा वद फदन दर नही जब इसलाि फवशव क ििसत ‍धियो पर अपनद तकयो तथा अपनद आधयानिक परभावो की दनटि िद फवजयी होगा।

आगद चलनद िद पवा एक बात को सपटि कर द फक इसलाि हि यह फिखाता ह और हि ििसत ििलिानो की यह आसथा ह फक ििीह नाफिरी अलशफहसिलाि खदा क एक चनद हए नबी थद तथा उनकी िाता भी िदाचार ि एक पफवतर आदशा थी। पफवतर कआान नद उन दोनो का वणान िमिानपवाक फकया ह। हजरत िरयि को तो पफवतर कआान नद पफवतरता क उदाहरण क तौर पर परसतत फकया ह तथा पफवतर कआान ि आप की चचाा इजील की अपदका अफ‍धक िमिान क िाथ की गई ह, परत पफवतर कआान इन दोनो को उपासय सवीकार करनद की कलदफियाई आसथा का कठोरता िद खणडन करता ह। यह बात तथा ईिाई चचा का हजरत िहमिद िसतिा िललाहो अलशफह विलि की िचाई िद इकार दो ऐिी बात ह जो इसलाि और ईिाइयत क िधय आ‍धारभत एव िशधिानतक तौर पर ितभदद रखती ह।

हजरत ििीह िौऊद अलशफहसिलाि का कथन ह ः“ि परफतकण इिी फचता ि ह फक हिारा और ईिाई ‍धिा का

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फकिी परकार िद फनणाय हो जाए। िदरा फदल िदाा परसती क उपदरव िद आहत होता जाता ह और िदर पराण बड फवफचतर िकि ि ह। इि िद बढकर और कौन िी हाफदाक पीडा का सथान होगा फक एक अिहाय िनषय को खदा बना फलया गया तथा किजोर िनषय को ििसत बहाणड का परफतपालक ििझा गया। ि इि शोक िद कभी का ििापत हो जाता यफद िदरा सवािी तथा िदरा िवाशनकतिान खदा िझद िावना न ददता फक अततः फवजय एकशवरवाद की ह। खदा क अफतररकत उपासय िरगद तथा फि‍थया खदा अपनद खदा होनद क अनसतव िद पथक फकए जाएगद। िरयि क उपासयिय जीवन पर िय आएगी तथा उिका पतर अब अवशय िरगा। िवाशनकतिान खदा का कथन ह फक यफद ि चाह तो िरयि और उिक पतर ईिा तथा िमपणा भिणडल फनवाफियो को नषि कर द। अतः अब उिनद यही इचछा की ह फक इन दोनो क फि‍थया उपासयिय जीवन को िय का सवाद चखाए। इिफलए अब दोनो पर िय आएगी कोई उह बचा नही िकता और उन ििसत दफरत परवफततयो पर भी िय आएगी जो झठ खदाओ को सवीकार कर लदती थी। नई प‍थवी होगी तथा नया आकाश होगा अब वद फदन फनकि आतद ह फक िचाई का िया पनचिि की ओर िद चढगा और यरोप को िचद खदा का पता लगदगा। तपचिात तौबा का विार बद होगा कयोफक परवदश करनद वालद बडी तीवरता िद परवदश कर जाएगद तथा वही शदर रह जाएगद फजनक फदल क विार सवाभाफवक तौर पर बद ह। वद परकाश िद नही अफपत अ‍धकार िद परदि रखतद ह। फनकि ह फक इसलाि क अफतररकत िभी फिलत नटि हो जाएगी। ििसत शसतर िि जाएगद परत इसलाि का आकाशीय शसतर न ििगा न िद

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होगा जब तक ‘दजजाफलयत’ को िकड-िकड न कर दद। वह ििय फनकि ह फक खदा का िचा एकशवरवाद फजि को जगलो क रहनद वालद तथा ििसत फवदयाओ िद अनफभज भी अतःकरण ि िहिि करतद ह ददशो ि फलदगा। उि फदन न कोई बनाविी ‘कफिारा’ शदर रहगा और न कोई बनाविी खदा। खदा का एक ही हाथ कफर की ििसत योजनाओ को धवसत कर ददगा फकत न फकिी तलवार िद तथा न फकिी बदक िद अफपत तपर आिाओ को परकाश परदान करनद िद तथा पफवतर फदलो पर एक परकाश उतारनद िद। तब यद बात जो ि कहता ह ििझ ि आ जाएगी।”

(तबलीग-ए-ररिालत, फजलद-6, पषठ - 8,9)इन जबरदसत भफवषयवाफणयो क पचिात तो ििार का रप ही

पररवफतात हो गया। अफीका का फवशाल िहाविीप ईिाइयत क झणड क नीचद एकतर होनद क सथान पर इसलाि की शीतल तथा आनददायक छतर-छाया ि एकतर हो रहा ह। फहदसतान ि यह नसथफत ह फक अहिदी यवाओ िद वाताालाप करतद हए भी बड-बड पादरी घबरातद ह तथा िकका पर ईिाइयत का झणडा लहरानद का सवपन परा न हआ और न कभी होगा। इशाअलाह।

इसलाि क परभव क फवरय ि जो शभ िददश फदए गए थद, उनक परा होनद क लकण परकि हो रह ह, फकत जशिा फक ि पहलद बता चका ह एक तीिर फवशववयापी फवनाश की भी िचना दी गई ह फजिक पचिात इसलाि परी परफतषठा एव वशभव क िाथ ििार पर फवजयी होगा, परत िाथ ही यह शभ िचना भी दी गई ह फक परायनचित तथा इसलाि क फनफदाटि िागा अपना लदनद िद यह फवनाश

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िल भी िकता ह। अब यह आपक अफ‍धकार ि ह फक अपनद खदा की पहचान तथा उिक िाथ िचा िमब‍ध पशदा करक सवय को और अपनी ितानो को उि फवनाश िद बचा ल या उि िद दरी का िागा अपनाकर सवय को तथा अपनी ितानो को फवनाश ि डाल। डरानद वालद िहान परर नद खदा और हजरत िहमिद िललाहो अलशफह विलि क नाि पर (फनमनफलफखत शबदो ि) आपको डराया ह और अपना कततावय परा कर फदया ह। िदरी यह दआ ह फक खदा तआला आप को अपना कततावय परा करनद का िाि‍थया परदान कर। ि अपना भारण उि िहान वयनकत क अपनद शबदो पर ििापत करता ह ः-

“सिरण रह फक खदा नद िझद िािाय तौर पर भकमपो की िचना दी ह। अतः फनःिददह ििझो फक जशिा फक भफवषयवाणी क अनिार अिरीका ि भकमप आए, ऐिद ही यरोप ि भी आए और इिक अफतररकत एफशया ि फवफभन सथानो पर आएगद और कछ उनि िद परलय का रप होगद तथा इतनी अफ‍धक िातरा ि िौत होगी फक रकत की नहर चलगी। इि िय िद पश-पकी भी बाहर नही होगद। प‍थवी पर इि परकार भयानक फवनाश आएगा फक उि फदन िद फजि फदन िनषय का इि प‍थवी पर जि हआ ऐिा फवनाश कभी नही आया होगा। अफ‍धकाश सथान उथल-पथल हो जाएगद फक िानो उनि कभी आबादी न थी। उिक िाथ अय फवपफततया भी प‍थवी और आकाश ि बहत भयकर रप ि जि लगी, यहा तक फक परयदक बफधििान की दनटि ि वद बात अिा‍धारण हो जाएगी तथा खगोलशासतर एव दशानशासतर की पसतको क फकिी पनद ि उनका पता नही फिलदगा। तब िनषयो ि वयाकलता उपन होगी फक यह कया होनद

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वाला ह। बहत िद लोग िनकत पाएगद तथा बहत िद फवनाश का फशकार हो जाएगद। वद फदन फनकि ह अफपत ि ददखता ह फक विार पर ह फक फवशव एक परलय का दशय ददखदगा और न कवल भकमप अफपत और भी भयभीत करनद वाली फवपफततया परकि होगी। कछ आकाश िद और कछ प‍थवी िद। यह इिफलए फक िानवजाफत नद अपनद खदा की उपािना को याग फदया ह तथा पणा हदय, पणा िाहि और पणा फवचारो िद ििार पर ही फगर गए ह। यफद ि न आया होता तो इन फवपफततयो ि कछ फवलमब हो जाता, परत िदर आनद क िाथ खदा क परकोप क वद गपत इरादद जो एक लमबद ििय िद गपत थद परकि हो गए। जशिा फक खदा तआला का कथन ह ः-

رسول

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ی ن بین حت

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और परायनचित करनद वालद शानत पाएगद और वद जो फवपफतत क आनद िद पहलद डरतद ह उन पर दया की जाएगी। कया ति यह फवचार करतद हो फक ति इन भकमपो िद िरफकत रहोगद या ति अपनी चदटिाओ िद सवय को बचा रख िकतद हो ? कदाफप नही। िानव काययो का उि फदन अत होगा। यह ित फवचार करो फक अिरीका इयाफद ि भयानक भकमप आए और तमहारा ददश उन िद िरफकत ह। ि तो ददखता ह फक शायद उनिद कही अफ‍धक िकिो का िह ददखोगद। ह यरोप ! त भी अिन ि नही और ह एफशया ! त भी िरफकत नही, ह विीपो क फनवाफियो ! कोई बनाविी खदा तमहारी िहायता नही करगा। ि शहरो को फगरतद ददखता ह और आबाफदयो को वीरान (फनजान) पाता ह। वह अफवितीय खदा एक ििय तक िौन रहा तथा उिकी आखो क िािनद घफणत काया फकए गए और वह चप रहा, फकत अब वह

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परताप क िाथ अपना चदहरा फदखाएगा। फजिक कान िननद क हो िनद फक वह ििय दर नही। िनद परयन फकया फक खदा की िरका क नीचद िब को एकतर कर परत अवशय था फक भागय क फलखद पर होतद। ि िच-िच कहता ह फक इि ददश की बारी भी फनकि आती जाती ह। नह का यग तमहारी आखो क िािनद आ जाएगा और लत की ‍धरती की घिना ति अपनी आखो िद सवय ददख लोगद, परत खदा परकोप ि ‍धीिा ह। परायनचित करो ताफक ति पर दया की जाए। जो खदा को याग ददता ह वह एक कीडा ह न फक िनषय, तथा जो उि िद नही डरता वह िदाा ह न फक फजदा।”

(हकीकतल वही पषठ - 256-257)مین

خر دعونا ان الحمد ہلل رب العل

وا