केन्द्र य वद्यालय संगठन, गुवाहाट ...t otal...

44
Total Pages =44 Page | 1 के�य �वयालय संगठन, ग वाहाट� संभाग �वशेष अययन सामी, - 2015-16 �वषय- �हंद(के िक), क�ा बारहवीं य संर�क ी संतोष मार मल, भा॰॰से॰ आय त, (के .�व.सं, नई �दल) संर�क ी सी. नीलाप उपाय त, (के .�व.सं, ग वाहाट� संभाग) सलाहकार ी जम ना साद (सहा.आय , के.�व.सं, ग वाहाट� संभाग) ी डी॰ पटले (सहा.आय , के.�व.सं, ग वाहाट� संभाग) डॉ. �सहरन बोस (सहा.आय , के.�व.सं, ग वाहाट� संभाग) संयोजक ी धीरे क मार झा ाचाय (के �य �वयालय, वाय सेना थल, बोरझार ) �नमाण स�म�त ी �साथ क मार पाडेय (नातकोतर �श�क-�हंद�, के.�व. नारंगी ) ी रणरंजय �संह (नातकोतर �श�क-�हंद�, के.�व., के.�र.प .बल, अमे�रगोग ) ीमती स नीता देवी (नातकोतर �श�का �हंद�, के.�व., वाय सेना थल, बोरझार ) क��य �वयालय संगठन, वाहाट� संभाग संभाग

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T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 1

कनदरय वदयालय सगठन गवाहाट सभाग

वशष अधययन सामगरी सतर- 2015-16

वषय- हद (किनदरक) का ndash बारहवी

मखय सरक

शरी सतोष कमार मलल भापरस आयकत (कवस नई दलल)

सरक

शरी सी नीलाप उपायकत (कवस गवाहाट सभाग)

सलाहकार

शरी जमना परसाद (सहाआयकत कवस गवाहाट सभाग)

शरी डी पटल (सहाआयकत कवस गवाहाट सभाग)

डॉ सहरन बोस (सहाआयकत कवस गवाहाट सभाग)

सयोजक

शरी धीरनदर कमार झा पराचायर (कनदरय वदयालय वायसना सथल बोरझार )

नमारण समत

शरी सदधाथर कमार पाणडय (सनातकोततर शक-हद कव नारगी ) शरी रणरजय सह (सनातकोततर शक-हद कव करपबल अमरगोग )

शरीमती सनीता दवी (सनातकोततर शका ndashहद कव वायसना सथल बोरझार )

क दरय वदयालय सगठन गवाहाट सभाग सभाग

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 2

सतरात परा 2015-16 हनद (आधार-अ पाठयकरम)

का-बारहवी बल परट

नधाररत समय-3 घट अधकतम अक-100

परशन-सखया

परशन क परकार

अक वभाजन

अपठत बोध

लखन साहतय वशष टपपणी

1 अत लघततरातमक

1x5=5 अपठत पदयाश

पठन भावबोध व लखन सबधी

2 अलउ एव लउ

2x7=14 +1=15

अपठत गदयाश

पठन भावबोध व लखन सबधी

3 नबधातमक 5 नबध लखन व अभवयिकत

4 पतर-लखन 5 पतर-लखन

5 अलउ 1X5 =5

जनसचार एव पतरकारता

लखन व अभवयिकत

6 नबधातमक 5 आलखपसतक समीा

लखन व अभवयिकत

7 नबधातमक 5 फचर लखन व अभवयिकत

8 लघ उततरातमक

2x4=8 कावय-अथर गरहण

अवबोध पठन एव लखन

9 लघ उततरातमक

2x3=6 कावय- सदयर-बोध

अवबोध पठन एव लखन

10 नबधातमक 3+3=6 कावय वषय-वसत

अवबोध पठन एव लखन

11 लघ उततरातमक

2X4=8 गदय -अथर गरहण

अवबोधन भावगरहण एव लखन

12 नबधातमक 3X4=12 गदय- वषय-वसत

अवबोधन भावगरहण एव लखन

13 लघ उततरातमक

5 परक- वषय वसत

मलय आधारत परशन

14 दघरउततरातमक 5+5=10 परक- वषय वसत

अवबोधन भावगरहण एव लखन

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 3

कछ सामानय सझाव 1- आप हद वषय क तयार हत एक समय सारणी तयार कर| 2- समय सारणी इस परकार होनी चाहए क आपका अधकाश समय नषट होन क बजाए

अधययन क लए समपरत हो| 3- आप अपनी सवधानसार हद वषय क परतयक अश क लए ताकर क ढग स समय

वभािजत कर | 4- कसी भी एक वषय को आवशयकता स अधक समय न द और साथ ह कसी वषय को

नज़रअदाज न कर| 5- हद वषय म आप अपन कमजोर प को रखाकत किजए एव शक स बात किजए| 6- अभयास क दवारा आप अपन कमज़ोर प को दर कर पाएग इसलए नरतर अभयास

किजए| 7- परा भवन म लखन आरभ करन स पहल मलन वाल 15 मनट क अतरकत समय म

पर परशन-पतर को धयान स पढ़|

8- परशन को हल करत समय उन परशन को पहल हल कर जो आपक लए आसान हो इसस समय क बचत भी होगी|

9- लखत समय यद आप कसी परशन या समसया पर अटक जात ह तो उसस आग बढ़कर अगल परशन को हल कर|

10- परशन को हल करत समय सतोषजनक उततर एव शबद-सीमा का धयान रखए- क- यद परशन 1 अक का हो तो उसका उतर एक या दो पिकतय म ह लखए| ख- यद परशन 2 अक का हो तो उसका उतर तीन या चार पिकतय म लखए| ग- यद परशन 3 अक का हो तो उसका उततर अधकतम छह या आठ पिकतय म लखए |

घ- नबध फचर आलख या पसतक समीा एक पषठ स अधक न लख|

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 4

खड-क

सझाव- परशन सखया एक एव दो अपठत गदयाश या कावयाश पर आधारत होगा अथारत यह अश आपक पाठयपसतक क हससा नह होगा| अत इसका उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा |

1- दए गए गदयाश या कावयाश को कम स दो बार पढ़कर उसक मलभाव या अथर को समझन क कोशश करनी चाहए

2- दसर बार गदयाश या कावयाश पढ़त समय परशन क उततर सकत जहा परापत होत हो उस पसल स अकत कर द|

3- गदयाश या कावयाश क पिकतय को जय का तय उतारन क बजाए उस अपन शबद म लखन का परयास कर|

4- एक अक क परशन को एक या दो पिकत म तथा दो अक क परशन को तीन या चार पिकत स अधक न लख|

5- गदयाश या कावयाश क मलभाव को शीषरक क रप म लखना चाहए|

परशन सखया-1

उदाहरण-1

इस ससार म कछ वयिकत भागयवाद होत ह और कछ कवल अपन परषाथर पर भरोसा रखत ह | पराय ऐसा दखा जाता ह क भागयवाद वयिकत ईशवरय इचछा को सवपर मानता ह और अपन परयतन को गौण मान बठत ह | व वधाता का ह दसरा नाम भागय को मान लत ह| भागयवाद कभी-कभी अकमरणयता क िसथत म भी आ जात ह| उनका कथन होता ह क कछ नह कर सकत सब कछ ईशवर क अधीन ह| हम उसी परकार परणाम भगतना पड़गा जसा भगवान चाहगा| भागयोदय शबद म भागय परधान ह | एक अनय शबद ह -सयदय| हम जानत ह क उदय सरज का नह होता सरज तो अपनी जगह पर रहता ह चलती घमती तो धरती ह ह| फर भी सयदय हम बहत शभ और साथरक मालम होता ह| भागय भी इसी परकार ह | हमारा मख सह भागय क तरफ हो जाए तो इस भागयोदय ह मानना चाहए| परषाथ वयिकत अपन परशरम क बल पर कायर सदध कर लना चाहता ह| परषाथर वह ह जो परष को

सपरयास रख| परष का अथर पश स भनन ह| बल-वकरम तो पश म अधक होता ह लकन परषाथर पश

चषटा क अथर स अधक भनन और शरषठ ह | वासना स पीड़त होकर पश म अधक पराकरम दखा जाता

ह कनत यह परष स ह सभव ह क वह आतमवसजरन म पराकरम दखाए|

परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह जबक अकमरणय वयिकत ह भागय क भरोस बठता ह| हम भागय

और परषाथर का मल साधना ह | यद सह दशा म बढ़ग तो सफलता अवशय हमार कदम चमगी|

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परशन- 1 कौन कसक इचछा को सवपर मानता ह और कय 2

उततर- 1 भागयवाद परष ईशवरय इचछा को सवपर मानत ह | कयक वह भागय क भरोस रहता ह और वह ऐसा मानता ह क सब कछ ईशवर क हाथ म ह|इस तरह वह अपन परयतन को गौण मान बठता ह और काम स दर भागन लगता ह| परशन-2 परषाथर स कया तातपयर ह 2

उततर- 2 परषाथर स तातपयर ह अपन इिचछत वसत को परापत करन क उतकट लालसा और उस हत परयास करना| परषाथ वयिकत कभी शरम स जी नह चराता ह वह कठन परशरम कर अपना लय परापत कर लता ह परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह | परशन- 3 कौनसी चीज परष को सपरयास रखता ह 2 उततर- 3 परषाथर परष को सपरयास रखता ह|धमरअथर काम और मो यह चार परषाथर ह िजनक परािपत हत मनषय कमररत रहता ह| मनषय क जीवन का परापय यह परषाथर ह उस जीवन म कमररत रखता ह| परशन- 4 भागयवाद होना या परषाथ होना आपक वचार स कया उचत ह 2

उततर- 4 छातर इसका उततर सवय क ववक स दग|

परशन-5 lsquoआतमवसजरन म पराकरमrsquo स कया तातपयर ह 2

उततर-5 वयिकत क अनदर यद पराकरम ह और वह उसका परयोग बना सोच समझ कर तो उसका यह गण कसी पश स अलग नह होगा| लकन यद वह अपन पराकरम का परयोग सोच समझ कर कर तो वह सचचा मनषय कहलाएगा| बल क साथ वनमरता का होना सवचच मनषयता क नशानी ह यद वह अपन स कमजोर को दखकर कर वह अपन पराकरम को तयाग द तो वह सचचा बलशाल होगा| परशन-6 सफलता कस हमार कदम चमगी 2

उततर-6 यद इसान सह समय पर ठक परकार स कमर को महतव दत हए परयास कर तो सफलता अवशय ह हमर कदम चमगी| लकन यद हम भागय क भरोस बठ गए तो हम नसदह सफलता स दर रहग| परशन- 7 lsquoसयदयrsquo का समास वगरह करत हए परयकत समास का नाम लखए| 1

उततर- 7 lsquoसयर का उदयrsquo ततपरष समास | परशन- 8 lsquo अकमरणयताrsquo शबद स उपसगर एव परतयय अलग किजए| 1

उततर- 8 उपसगर lsquoअrsquo एव परतयय lsquoताrsquo |

परशन- 9 उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए | 1

उततर- 9 भागय और परषाथर या इस भाव स समबधत कोई भी शीषरक |

अभयास कायर -2

ससकत तब तक गगी रहती हजब तक राषटर क अपनी वाणी नह होती|राजनीतक पराधीनता

क जजीर जरर कट हकनत अगरजी और अगरजीयत क रप म दासता क चहन आज भी मौजद ह|

भाषा परधान नह बिलक कसी राषटर क वयिकततव क दयोतक होती ह| हमार बहभाषी दश क सामान

ह दनया म बहत सी भाषाओ वाल दश ह| रस म 66 भाषाए बोल और लखी जाती ह लकन वहा क

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राषटर भाषा रसी ह|हमार ससकत क गोमख स नकल हई सब भारतीय भाषाए हमार अपनी ह| उनम

अपनी वयापकता आरमभ स ह जन-वदरोह तथा जनवाणी को दत रहन क कारण ह हद भाषा को

राषटरभाषा क रप म सवीकार कया गया ह| कवल सवधान म लख दन मातर स यह बात पर नह हो

जाती बिलक इस राषटर क जीवन म परतिषठत करना होगा अनयथा इस सवततरता का कया मलय ह वशव

चतना जगान स पहल अपन दश म राषटरभाषा चतना जगाए | राषटर भाषा क आवशयकता क अनक

आधार ह|राषटरभाषा का महततव अपरहायर ह|राषटरय धवज राषटरय गान राषटरय पश इतयाद राषटरय

सममान क जीवत परतीक होत ह|कसी शबद क भावातमक एकता भी तभी सभव ह जब समपणर राषटर म

भाव तथा वचार क आदान-परदान का माधयम एक भाषा हो|वदश म लगभग 6 करोड़ लोग हद बोलत

ह और समझत ह|मारशस म 65 गयाना म 65फजी म 15तथा दण अफरका म लगभग 32

जनता हदभाषी ह| सरनाम म लगभग 4 लाख लोग हद को भल परकार समझन क सामथयर रखत ह|

भारत म हद बोलन वालो क सखया सवारधक ह| अत इस राषटरभाषा का गौरव परदान कया गया ह|

परशन-

1- भारत एक बहभाषी दश ह समझाइए| 2

2- भाषा क महततव पर परकाश डालए | 2

3- भारत क अलावा अनय कन दश म हद बोल जाती ह| 2

4- परतयक राषटर क एक राषटरभाषा कय होनी चाहए|` 2

5- भारत क राषटरभाषा हद ह कय 2

6- राषटरभाषा कस परकार भावातमक एकता सथापत कर सकती ह| 2

7- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक दिजए| 1

8- धवज क दो समानाथ शबद लखए| 1

9- lsquoसवधानrsquo शबद स उपसगर और मलशबद को अलग किजए| 1

2-

सवधान सभा म डॉ अमबडकर न एक बार कहा था-lsquoसवधान सभा म कय आया कवल दलत

क हत क लए|rsquo सवधान क महतता पर परकाश डालत हए उनहन एक बार कहा था सवधान चाह

कतना ह अचछा हो यद उसको वयवहार म लान वाल लोग अचछ न हो तो सवधान नशचय ह बरा

साबत होगा| अचछ लोग क हाथ म बर सवधान क भी अचछा साबत होन क सभावना बनी रहती

ह|भारत क लोग इसक साथ कसा वयवहार करग यह कौन जान सकता हrsquo

डॉ अमबडकर न सवधान क वभनन धाराओ क अतगरत हमार समाज म वयापत सभी बराइय एव

करतय का अत कर दया| जाती पात क कारण अछत या दलत लोग को दकानधमरशालाओ कओ

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और सावरजनक नल का उपयोग करन क मनाह थी| डॉ अमबडकर नए भी सवधान क अनचछद 15 म

कसी परकार क भद भाव को समापत करन क बात कह ह|

इस परकार सवधान क अनचछद 19 क अतगरत डॉ अमबडकर न भारत क सभी नागरक को अपन

वचार वयकत करन क सवततरता द जबक इसस पवर मजदर को जमीदार क सामन नौकर को अपन

मालक क समक तथा िसतरय का परष क सामन बोलना भी अपराध माना जाता था| सवधान क

अनचछद 335 क अतगरत अनसचत जात व जनजात क लोग क लए सरकार सवाओ और पद म

आरण क वयवसथा करक सदय स दलत एव शोषत वगर का सबस बड़ा हत कया गया| जब तक

भारत म लोकततर रहगा और सवधान का पालन होता रहगा तब तक डॉ अमबडकर का नाम सवधान

नमारता क रप म जाना जाता रहगा|

परशन-

1-डॉ अमबडकर क सवधान सभा म आन क मखय उददशय पर परकाश डालए| 2

2- सवधान क सनदभर म डॉ अमबडकर क कया वचार थ 2

3- सवधान क अनचछद 335 म कया परावधान ह 2

4- सवधान क अनचछद 19 म कया वयवसथा क गयी ह 2

5- अनचछद 15 कस परकार स दलतोतथान म सहायक सदध हआ ह 2

6-लोकततर क सथापना म सवधान का वशष महततव ह सदध किजए| 2

7- करतय शबद स उपसगर और परतयय को अलग किजए| 1

8- धमरशाला पद का समास वगरह किजए | 1

9-उपरोकत गदयाश क लए उपयकत शीषरक दिजए| 1

3-

अपन लय क परािपत क लए हम उन वसतओ को छोड़ना पड़ता हजो हम परय तो ह लकन

सफलता क राह म रकावट ह| इनम स कछ ह आलसय लोभ मोह इतयाद| सफलता क लए वयिकत

क मन म परशरम और दढ नशचय क आवशयकता होती ह| मनषय मन क नबरलता उस सफलता स

दर ल जाती ह िजस पररणा दवारा समापत कया जाना चाहए| राजकमार सदधाथर क गौतम बदध बनन स

पहल क बात ह- सदधाथर गह तयाग कर ान परािपत क लए चल गए थ| कई वष तक भटकन क बाद

भी उनह ान क परािपत नह हई| आखरकार उनक हममत टटन लगी | उनक मन म बार बार वचार

उठन लगा क कय न राजमहल वापस चला जाए|

अत म अपन मन स हार कर वह कपलवसत क और लौटन लग | चलत चलत राह म उनह

पयास लगी| सामन ह एक झील थी| जब वह जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखा| वह बार-

बार पानी क पास जाती उसम अपनी पछ डबोती और बाहर नकल कर उस रत पर झटक दती| सदधाथर

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स न रहा गया| उनहन पछा- ननह गलहर यह कया कर रह हो गलहर न उततर दया -इस झील

नए मर परवार को डबोकर मार दया ह इसलए म झील को सखा रह ह| सदधाथर बोल यह काम तो

तमस कभी नह हो पाएगा| झील को सखाना तमहार बस क बात नह ह| गलहर नशचयातमक सवर म

बोल -आप चाह ऐसा मानत हो लकन म ऐसा नह मानती| म तो बस इतना जानती ह क मन न

िजस कायर को करन का नशचय कया उस पर अटल रहन स वह वह हो ह जाता ह| म तो अपना काम

करती रहगी| गलहर क यह बात सदधाथर क मन म बस गई | उनह अपन मन क दबरलता का एहसास

हो गया| व वापस लौट और ताप म सलगन हो गए|

परशन-

1- सफल वयिकत बनान क लए मनषय म कन गण का होना आवशयक ह 2

2- राजकमार सदधाथर न गलहर को कया करत दखा 2

3- राजकमार सदधाथर न कपलवसत लौटन का नणरय कय कया 2

4- गलहर झील कय सखाना चाहती थी 2

5- गलहर क कौन सी बात सदधाथर क मन म बस गयी 2

6- लय क परािपत क लए कन वसतओ को छोड़ना पड़ता ह 1

7- lsquoजब व जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखाrsquo सरल वाकय म बदलए| 1

8- राजमहल कौन सा समास ह 1

9- lsquoनबरलताrsquo का वपरताथरक शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक लखए| 1

4-

सबह क शात वातावरण म अकसर पाक स हसी क ऊची आवाज सनाई पड़ती ह|पहल लगता था क कछ परान मतर मलकर हसी मजाक कर रह ह पर कौतहलवश धयान स दखन पर जाना क व सब एक साथ एक ह तरह स ऐस हस रह हो जस कोई कलास चल रह हो| पछन पर पता चला क व सब हासय कलब क सदसय ह| यह कया अब हसन क लए कलब का सहारा लना पड़ता ह दरअसल आज क तनावपणर जीवन म आजकल लोग हसना भल गए ह| अतशय दबाव क कारण सवासथय सबधी समसयाए बढती जा रह ह| छोट बचच हो या बजगर दबाव क कारण व आतमहतया करन लग ह| इस िसथत म चतत डॉकटर मनोवशलषक क नसख म हसी को दवा क तौर पर सझाना शर कया दया ह|नतीजा यह ह क अब सजग लोग इस अपनान क होड़ म लग ह | रडयटवी पतरपतरकाए और फलम भी इस दशा म मदद कर रह ह| हसी क जररत सख़रय म होन कारण अब उस पर कताब लखी जा रह ह वकर शॉप हो रह ह| अब यह परमाणत हो गया ह क खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल होत ह व जयादा कमात हउनक मतर क सखया जयादा होती ह उनक शाद जयादा नभती ह

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व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|

परशन-

1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2

2- लोग हसना कय भल गए ह 2

3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2

4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2

5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2

6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2

7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1

8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1

9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1

4

यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|

परशन-

1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2

2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2

3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2

4- जीवन म नभरय होना कय जरर ह 2

5- गर तगबहादर जी क चतावनी का कया अभपराय ह 2

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 10

6- कस तयाग म सतोष होता ह 1

7- लखक दःख क िसथत कब मानता ह 1

8- जीवन कब अथरपणर तथा पणरतया माना जाता ह 1

9- lsquoजनमrsquo का वलोम शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए| 1

परशन सखया-2 उदाहरण- 1

कया तमन कभी सनी ह

सपन म चमकती कलहाड़य क भय स

पड़ क चीतकार

कलहाड़य क वार सहत

कसी पड़ क हलती टहनय म

दखाई पड़ ह तमह

मदद क लए पकारत हजार- हज़ार हाथ

कया होती ह तमहार भीतर धमस

कटकर गरता ह जब कोई पड़ धरती पर

परशन- 1 कौन कलहाड़य का वार सहता ह 1x 5=5

उततर- 1 पड़ कलहाड़य क वार सहता ह | परशन-2 कव कया सनन क बात कहता ह

उततर-2 सपन म पड़ क चीतकार | परशन-3 उपरोकत पिकतय म कसक वयथा दखाई गयी ह

उततर- पड़-पौध क कटन स उनक वयथा| परशन- 4 कव कसस सवाल पछता ह

उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए

उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|

अभयास हत परशन ndash 1

मन समपरततन समपरत

और यह जीवन समपरत

चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत

आय का ण-ण समपरत

चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |

तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|

गाव मर दवारघरआगन मा दो|

दश का जयगान अधर पर सजा ह

दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|

य समन लो य चमन लो

नीड़ का तण ndashतण समपरत|

चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |

1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5

2- मातभम का हम पर कया ऋण ह

3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय

4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह

5- कव कस-कस स मा मागता ह

3

एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा

बहन लगता ह

साहब हम छोड़कर जा रह ह

इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|

म बार-बार सामन जाती ह

रोती हगड़गड़ाती ह

करती ह वनती हर बार

साहब जी इधर भी दख लो एक बार|

पर साहब ह क

कभी मझ नीच पटक दत ह |

कभी पीछ सरका दत ह

और कभी-कभी तो

फाइल क ढर तल

दबा दत ह |

अधकार बार-बार

अदर झाक जाता ह

डरत डरत पछ जाता ह

साहब कहा गए

हसतार हो गए

दसर फ़ाइल न

उस पयार स समझाया

जीवन का नया फलसफा सखाया

बहन हम य ह रोत ह

बकार गड़गड़ात ह

लोग आत ह जात ह

हसतार कहा रकत ह

हो ह जात ह|

पर कछ बात ऐसी होती ह

जो दखाई नह दती

और कछ आवाज

सनाई नह दती

जस फल खलत ह

और अपनी महक छोड़ जात ह

वस ह कछ लोग

कागज़ पर नह

दल पर हसतार छोड़ जात ह|

1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5

2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह

3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया

4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह

5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |

4

तम नह चाहत थ कया ndash

फल खल

भौर गज

ततलया उड़

नह चाहत थ तम ndash

शरादाकाश

वसत क हवा

मजरय का महोतसव

कोकल क कह हरन क दौड़

तमह तो पसद थ भड़ए

भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी

समची हरयाल क धआ बनात वसफोट

तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा

आकाशगामी हो गए सब

कोलाहल म डब वाणी वहन

अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ

वड मनतर क धयाता

पहचानो अपनी धरती

अपना आकाश

1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5

2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात

3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|

भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह

5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|

5

जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन

िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |

गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान

िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|

माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह

हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|

मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत

िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत

मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह

हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|

ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार

उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|

1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5

2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह

3- मतय क उपरात मातभम का मानव क लए कया महततव ह

4- कव कसक ऊपर अपना सब कछ बलहार करन क बात कर रहा ह

5- पदयाश का उपयकत शीषरक लखए|

खड-ख परशन सखया -3

नबध लखन

सझाव परशन सखया 3 नबध लखन होगा | नबध लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय

का वसतार 3- नषकषर

3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|

4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|

उदाहरण-

जीवन म अनशासन का महततव

अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|

वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|

िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||

अभयास कायर-

1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका

परशन सखया-4

पतर-लखन

सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव

पता लखत ह|

3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय

(परषक का नाम)

( पता)

पतर का परारप

शकायती पतर

(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर

रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए

|)

सवा म

मखय अधकार

परदषण-नयतरण वभाग

वाराणसी उततर-परदश |

दनाक 26112013

वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|

महोदय

म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स

आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह

पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग

धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद

म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक

इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ

स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई

कायरवाह नह हई|

महोदय आपस वनमर नवदन ह क ऐस उदयोग ससथान को परदषण सबधी नोटस भजा

जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल

सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|

धनयवाद सहत|

भवदय

नीरज कमार

रामनगर कालोनी वाराणसी|

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 2

सतरात परा 2015-16 हनद (आधार-अ पाठयकरम)

का-बारहवी बल परट

नधाररत समय-3 घट अधकतम अक-100

परशन-सखया

परशन क परकार

अक वभाजन

अपठत बोध

लखन साहतय वशष टपपणी

1 अत लघततरातमक

1x5=5 अपठत पदयाश

पठन भावबोध व लखन सबधी

2 अलउ एव लउ

2x7=14 +1=15

अपठत गदयाश

पठन भावबोध व लखन सबधी

3 नबधातमक 5 नबध लखन व अभवयिकत

4 पतर-लखन 5 पतर-लखन

5 अलउ 1X5 =5

जनसचार एव पतरकारता

लखन व अभवयिकत

6 नबधातमक 5 आलखपसतक समीा

लखन व अभवयिकत

7 नबधातमक 5 फचर लखन व अभवयिकत

8 लघ उततरातमक

2x4=8 कावय-अथर गरहण

अवबोध पठन एव लखन

9 लघ उततरातमक

2x3=6 कावय- सदयर-बोध

अवबोध पठन एव लखन

10 नबधातमक 3+3=6 कावय वषय-वसत

अवबोध पठन एव लखन

11 लघ उततरातमक

2X4=8 गदय -अथर गरहण

अवबोधन भावगरहण एव लखन

12 नबधातमक 3X4=12 गदय- वषय-वसत

अवबोधन भावगरहण एव लखन

13 लघ उततरातमक

5 परक- वषय वसत

मलय आधारत परशन

14 दघरउततरातमक 5+5=10 परक- वषय वसत

अवबोधन भावगरहण एव लखन

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 3

कछ सामानय सझाव 1- आप हद वषय क तयार हत एक समय सारणी तयार कर| 2- समय सारणी इस परकार होनी चाहए क आपका अधकाश समय नषट होन क बजाए

अधययन क लए समपरत हो| 3- आप अपनी सवधानसार हद वषय क परतयक अश क लए ताकर क ढग स समय

वभािजत कर | 4- कसी भी एक वषय को आवशयकता स अधक समय न द और साथ ह कसी वषय को

नज़रअदाज न कर| 5- हद वषय म आप अपन कमजोर प को रखाकत किजए एव शक स बात किजए| 6- अभयास क दवारा आप अपन कमज़ोर प को दर कर पाएग इसलए नरतर अभयास

किजए| 7- परा भवन म लखन आरभ करन स पहल मलन वाल 15 मनट क अतरकत समय म

पर परशन-पतर को धयान स पढ़|

8- परशन को हल करत समय उन परशन को पहल हल कर जो आपक लए आसान हो इसस समय क बचत भी होगी|

9- लखत समय यद आप कसी परशन या समसया पर अटक जात ह तो उसस आग बढ़कर अगल परशन को हल कर|

10- परशन को हल करत समय सतोषजनक उततर एव शबद-सीमा का धयान रखए- क- यद परशन 1 अक का हो तो उसका उतर एक या दो पिकतय म ह लखए| ख- यद परशन 2 अक का हो तो उसका उतर तीन या चार पिकतय म लखए| ग- यद परशन 3 अक का हो तो उसका उततर अधकतम छह या आठ पिकतय म लखए |

घ- नबध फचर आलख या पसतक समीा एक पषठ स अधक न लख|

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खड-क

सझाव- परशन सखया एक एव दो अपठत गदयाश या कावयाश पर आधारत होगा अथारत यह अश आपक पाठयपसतक क हससा नह होगा| अत इसका उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा |

1- दए गए गदयाश या कावयाश को कम स दो बार पढ़कर उसक मलभाव या अथर को समझन क कोशश करनी चाहए

2- दसर बार गदयाश या कावयाश पढ़त समय परशन क उततर सकत जहा परापत होत हो उस पसल स अकत कर द|

3- गदयाश या कावयाश क पिकतय को जय का तय उतारन क बजाए उस अपन शबद म लखन का परयास कर|

4- एक अक क परशन को एक या दो पिकत म तथा दो अक क परशन को तीन या चार पिकत स अधक न लख|

5- गदयाश या कावयाश क मलभाव को शीषरक क रप म लखना चाहए|

परशन सखया-1

उदाहरण-1

इस ससार म कछ वयिकत भागयवाद होत ह और कछ कवल अपन परषाथर पर भरोसा रखत ह | पराय ऐसा दखा जाता ह क भागयवाद वयिकत ईशवरय इचछा को सवपर मानता ह और अपन परयतन को गौण मान बठत ह | व वधाता का ह दसरा नाम भागय को मान लत ह| भागयवाद कभी-कभी अकमरणयता क िसथत म भी आ जात ह| उनका कथन होता ह क कछ नह कर सकत सब कछ ईशवर क अधीन ह| हम उसी परकार परणाम भगतना पड़गा जसा भगवान चाहगा| भागयोदय शबद म भागय परधान ह | एक अनय शबद ह -सयदय| हम जानत ह क उदय सरज का नह होता सरज तो अपनी जगह पर रहता ह चलती घमती तो धरती ह ह| फर भी सयदय हम बहत शभ और साथरक मालम होता ह| भागय भी इसी परकार ह | हमारा मख सह भागय क तरफ हो जाए तो इस भागयोदय ह मानना चाहए| परषाथ वयिकत अपन परशरम क बल पर कायर सदध कर लना चाहता ह| परषाथर वह ह जो परष को

सपरयास रख| परष का अथर पश स भनन ह| बल-वकरम तो पश म अधक होता ह लकन परषाथर पश

चषटा क अथर स अधक भनन और शरषठ ह | वासना स पीड़त होकर पश म अधक पराकरम दखा जाता

ह कनत यह परष स ह सभव ह क वह आतमवसजरन म पराकरम दखाए|

परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह जबक अकमरणय वयिकत ह भागय क भरोस बठता ह| हम भागय

और परषाथर का मल साधना ह | यद सह दशा म बढ़ग तो सफलता अवशय हमार कदम चमगी|

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परशन- 1 कौन कसक इचछा को सवपर मानता ह और कय 2

उततर- 1 भागयवाद परष ईशवरय इचछा को सवपर मानत ह | कयक वह भागय क भरोस रहता ह और वह ऐसा मानता ह क सब कछ ईशवर क हाथ म ह|इस तरह वह अपन परयतन को गौण मान बठता ह और काम स दर भागन लगता ह| परशन-2 परषाथर स कया तातपयर ह 2

उततर- 2 परषाथर स तातपयर ह अपन इिचछत वसत को परापत करन क उतकट लालसा और उस हत परयास करना| परषाथ वयिकत कभी शरम स जी नह चराता ह वह कठन परशरम कर अपना लय परापत कर लता ह परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह | परशन- 3 कौनसी चीज परष को सपरयास रखता ह 2 उततर- 3 परषाथर परष को सपरयास रखता ह|धमरअथर काम और मो यह चार परषाथर ह िजनक परािपत हत मनषय कमररत रहता ह| मनषय क जीवन का परापय यह परषाथर ह उस जीवन म कमररत रखता ह| परशन- 4 भागयवाद होना या परषाथ होना आपक वचार स कया उचत ह 2

उततर- 4 छातर इसका उततर सवय क ववक स दग|

परशन-5 lsquoआतमवसजरन म पराकरमrsquo स कया तातपयर ह 2

उततर-5 वयिकत क अनदर यद पराकरम ह और वह उसका परयोग बना सोच समझ कर तो उसका यह गण कसी पश स अलग नह होगा| लकन यद वह अपन पराकरम का परयोग सोच समझ कर कर तो वह सचचा मनषय कहलाएगा| बल क साथ वनमरता का होना सवचच मनषयता क नशानी ह यद वह अपन स कमजोर को दखकर कर वह अपन पराकरम को तयाग द तो वह सचचा बलशाल होगा| परशन-6 सफलता कस हमार कदम चमगी 2

उततर-6 यद इसान सह समय पर ठक परकार स कमर को महतव दत हए परयास कर तो सफलता अवशय ह हमर कदम चमगी| लकन यद हम भागय क भरोस बठ गए तो हम नसदह सफलता स दर रहग| परशन- 7 lsquoसयदयrsquo का समास वगरह करत हए परयकत समास का नाम लखए| 1

उततर- 7 lsquoसयर का उदयrsquo ततपरष समास | परशन- 8 lsquo अकमरणयताrsquo शबद स उपसगर एव परतयय अलग किजए| 1

उततर- 8 उपसगर lsquoअrsquo एव परतयय lsquoताrsquo |

परशन- 9 उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए | 1

उततर- 9 भागय और परषाथर या इस भाव स समबधत कोई भी शीषरक |

अभयास कायर -2

ससकत तब तक गगी रहती हजब तक राषटर क अपनी वाणी नह होती|राजनीतक पराधीनता

क जजीर जरर कट हकनत अगरजी और अगरजीयत क रप म दासता क चहन आज भी मौजद ह|

भाषा परधान नह बिलक कसी राषटर क वयिकततव क दयोतक होती ह| हमार बहभाषी दश क सामान

ह दनया म बहत सी भाषाओ वाल दश ह| रस म 66 भाषाए बोल और लखी जाती ह लकन वहा क

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राषटर भाषा रसी ह|हमार ससकत क गोमख स नकल हई सब भारतीय भाषाए हमार अपनी ह| उनम

अपनी वयापकता आरमभ स ह जन-वदरोह तथा जनवाणी को दत रहन क कारण ह हद भाषा को

राषटरभाषा क रप म सवीकार कया गया ह| कवल सवधान म लख दन मातर स यह बात पर नह हो

जाती बिलक इस राषटर क जीवन म परतिषठत करना होगा अनयथा इस सवततरता का कया मलय ह वशव

चतना जगान स पहल अपन दश म राषटरभाषा चतना जगाए | राषटर भाषा क आवशयकता क अनक

आधार ह|राषटरभाषा का महततव अपरहायर ह|राषटरय धवज राषटरय गान राषटरय पश इतयाद राषटरय

सममान क जीवत परतीक होत ह|कसी शबद क भावातमक एकता भी तभी सभव ह जब समपणर राषटर म

भाव तथा वचार क आदान-परदान का माधयम एक भाषा हो|वदश म लगभग 6 करोड़ लोग हद बोलत

ह और समझत ह|मारशस म 65 गयाना म 65फजी म 15तथा दण अफरका म लगभग 32

जनता हदभाषी ह| सरनाम म लगभग 4 लाख लोग हद को भल परकार समझन क सामथयर रखत ह|

भारत म हद बोलन वालो क सखया सवारधक ह| अत इस राषटरभाषा का गौरव परदान कया गया ह|

परशन-

1- भारत एक बहभाषी दश ह समझाइए| 2

2- भाषा क महततव पर परकाश डालए | 2

3- भारत क अलावा अनय कन दश म हद बोल जाती ह| 2

4- परतयक राषटर क एक राषटरभाषा कय होनी चाहए|` 2

5- भारत क राषटरभाषा हद ह कय 2

6- राषटरभाषा कस परकार भावातमक एकता सथापत कर सकती ह| 2

7- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक दिजए| 1

8- धवज क दो समानाथ शबद लखए| 1

9- lsquoसवधानrsquo शबद स उपसगर और मलशबद को अलग किजए| 1

2-

सवधान सभा म डॉ अमबडकर न एक बार कहा था-lsquoसवधान सभा म कय आया कवल दलत

क हत क लए|rsquo सवधान क महतता पर परकाश डालत हए उनहन एक बार कहा था सवधान चाह

कतना ह अचछा हो यद उसको वयवहार म लान वाल लोग अचछ न हो तो सवधान नशचय ह बरा

साबत होगा| अचछ लोग क हाथ म बर सवधान क भी अचछा साबत होन क सभावना बनी रहती

ह|भारत क लोग इसक साथ कसा वयवहार करग यह कौन जान सकता हrsquo

डॉ अमबडकर न सवधान क वभनन धाराओ क अतगरत हमार समाज म वयापत सभी बराइय एव

करतय का अत कर दया| जाती पात क कारण अछत या दलत लोग को दकानधमरशालाओ कओ

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और सावरजनक नल का उपयोग करन क मनाह थी| डॉ अमबडकर नए भी सवधान क अनचछद 15 म

कसी परकार क भद भाव को समापत करन क बात कह ह|

इस परकार सवधान क अनचछद 19 क अतगरत डॉ अमबडकर न भारत क सभी नागरक को अपन

वचार वयकत करन क सवततरता द जबक इसस पवर मजदर को जमीदार क सामन नौकर को अपन

मालक क समक तथा िसतरय का परष क सामन बोलना भी अपराध माना जाता था| सवधान क

अनचछद 335 क अतगरत अनसचत जात व जनजात क लोग क लए सरकार सवाओ और पद म

आरण क वयवसथा करक सदय स दलत एव शोषत वगर का सबस बड़ा हत कया गया| जब तक

भारत म लोकततर रहगा और सवधान का पालन होता रहगा तब तक डॉ अमबडकर का नाम सवधान

नमारता क रप म जाना जाता रहगा|

परशन-

1-डॉ अमबडकर क सवधान सभा म आन क मखय उददशय पर परकाश डालए| 2

2- सवधान क सनदभर म डॉ अमबडकर क कया वचार थ 2

3- सवधान क अनचछद 335 म कया परावधान ह 2

4- सवधान क अनचछद 19 म कया वयवसथा क गयी ह 2

5- अनचछद 15 कस परकार स दलतोतथान म सहायक सदध हआ ह 2

6-लोकततर क सथापना म सवधान का वशष महततव ह सदध किजए| 2

7- करतय शबद स उपसगर और परतयय को अलग किजए| 1

8- धमरशाला पद का समास वगरह किजए | 1

9-उपरोकत गदयाश क लए उपयकत शीषरक दिजए| 1

3-

अपन लय क परािपत क लए हम उन वसतओ को छोड़ना पड़ता हजो हम परय तो ह लकन

सफलता क राह म रकावट ह| इनम स कछ ह आलसय लोभ मोह इतयाद| सफलता क लए वयिकत

क मन म परशरम और दढ नशचय क आवशयकता होती ह| मनषय मन क नबरलता उस सफलता स

दर ल जाती ह िजस पररणा दवारा समापत कया जाना चाहए| राजकमार सदधाथर क गौतम बदध बनन स

पहल क बात ह- सदधाथर गह तयाग कर ान परािपत क लए चल गए थ| कई वष तक भटकन क बाद

भी उनह ान क परािपत नह हई| आखरकार उनक हममत टटन लगी | उनक मन म बार बार वचार

उठन लगा क कय न राजमहल वापस चला जाए|

अत म अपन मन स हार कर वह कपलवसत क और लौटन लग | चलत चलत राह म उनह

पयास लगी| सामन ह एक झील थी| जब वह जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखा| वह बार-

बार पानी क पास जाती उसम अपनी पछ डबोती और बाहर नकल कर उस रत पर झटक दती| सदधाथर

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स न रहा गया| उनहन पछा- ननह गलहर यह कया कर रह हो गलहर न उततर दया -इस झील

नए मर परवार को डबोकर मार दया ह इसलए म झील को सखा रह ह| सदधाथर बोल यह काम तो

तमस कभी नह हो पाएगा| झील को सखाना तमहार बस क बात नह ह| गलहर नशचयातमक सवर म

बोल -आप चाह ऐसा मानत हो लकन म ऐसा नह मानती| म तो बस इतना जानती ह क मन न

िजस कायर को करन का नशचय कया उस पर अटल रहन स वह वह हो ह जाता ह| म तो अपना काम

करती रहगी| गलहर क यह बात सदधाथर क मन म बस गई | उनह अपन मन क दबरलता का एहसास

हो गया| व वापस लौट और ताप म सलगन हो गए|

परशन-

1- सफल वयिकत बनान क लए मनषय म कन गण का होना आवशयक ह 2

2- राजकमार सदधाथर न गलहर को कया करत दखा 2

3- राजकमार सदधाथर न कपलवसत लौटन का नणरय कय कया 2

4- गलहर झील कय सखाना चाहती थी 2

5- गलहर क कौन सी बात सदधाथर क मन म बस गयी 2

6- लय क परािपत क लए कन वसतओ को छोड़ना पड़ता ह 1

7- lsquoजब व जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखाrsquo सरल वाकय म बदलए| 1

8- राजमहल कौन सा समास ह 1

9- lsquoनबरलताrsquo का वपरताथरक शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक लखए| 1

4-

सबह क शात वातावरण म अकसर पाक स हसी क ऊची आवाज सनाई पड़ती ह|पहल लगता था क कछ परान मतर मलकर हसी मजाक कर रह ह पर कौतहलवश धयान स दखन पर जाना क व सब एक साथ एक ह तरह स ऐस हस रह हो जस कोई कलास चल रह हो| पछन पर पता चला क व सब हासय कलब क सदसय ह| यह कया अब हसन क लए कलब का सहारा लना पड़ता ह दरअसल आज क तनावपणर जीवन म आजकल लोग हसना भल गए ह| अतशय दबाव क कारण सवासथय सबधी समसयाए बढती जा रह ह| छोट बचच हो या बजगर दबाव क कारण व आतमहतया करन लग ह| इस िसथत म चतत डॉकटर मनोवशलषक क नसख म हसी को दवा क तौर पर सझाना शर कया दया ह|नतीजा यह ह क अब सजग लोग इस अपनान क होड़ म लग ह | रडयटवी पतरपतरकाए और फलम भी इस दशा म मदद कर रह ह| हसी क जररत सख़रय म होन कारण अब उस पर कताब लखी जा रह ह वकर शॉप हो रह ह| अब यह परमाणत हो गया ह क खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल होत ह व जयादा कमात हउनक मतर क सखया जयादा होती ह उनक शाद जयादा नभती ह

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व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|

परशन-

1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2

2- लोग हसना कय भल गए ह 2

3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2

4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2

5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2

6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2

7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1

8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1

9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1

4

यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|

परशन-

1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2

2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2

3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2

4- जीवन म नभरय होना कय जरर ह 2

5- गर तगबहादर जी क चतावनी का कया अभपराय ह 2

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6- कस तयाग म सतोष होता ह 1

7- लखक दःख क िसथत कब मानता ह 1

8- जीवन कब अथरपणर तथा पणरतया माना जाता ह 1

9- lsquoजनमrsquo का वलोम शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए| 1

परशन सखया-2 उदाहरण- 1

कया तमन कभी सनी ह

सपन म चमकती कलहाड़य क भय स

पड़ क चीतकार

कलहाड़य क वार सहत

कसी पड़ क हलती टहनय म

दखाई पड़ ह तमह

मदद क लए पकारत हजार- हज़ार हाथ

कया होती ह तमहार भीतर धमस

कटकर गरता ह जब कोई पड़ धरती पर

परशन- 1 कौन कलहाड़य का वार सहता ह 1x 5=5

उततर- 1 पड़ कलहाड़य क वार सहता ह | परशन-2 कव कया सनन क बात कहता ह

उततर-2 सपन म पड़ क चीतकार | परशन-3 उपरोकत पिकतय म कसक वयथा दखाई गयी ह

उततर- पड़-पौध क कटन स उनक वयथा| परशन- 4 कव कसस सवाल पछता ह

उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए

उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|

अभयास हत परशन ndash 1

मन समपरततन समपरत

और यह जीवन समपरत

चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत

आय का ण-ण समपरत

चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |

तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|

गाव मर दवारघरआगन मा दो|

दश का जयगान अधर पर सजा ह

दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|

य समन लो य चमन लो

नीड़ का तण ndashतण समपरत|

चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |

1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5

2- मातभम का हम पर कया ऋण ह

3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय

4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह

5- कव कस-कस स मा मागता ह

3

एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा

बहन लगता ह

साहब हम छोड़कर जा रह ह

इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|

म बार-बार सामन जाती ह

रोती हगड़गड़ाती ह

करती ह वनती हर बार

साहब जी इधर भी दख लो एक बार|

पर साहब ह क

कभी मझ नीच पटक दत ह |

कभी पीछ सरका दत ह

और कभी-कभी तो

फाइल क ढर तल

दबा दत ह |

अधकार बार-बार

अदर झाक जाता ह

डरत डरत पछ जाता ह

साहब कहा गए

हसतार हो गए

दसर फ़ाइल न

उस पयार स समझाया

जीवन का नया फलसफा सखाया

बहन हम य ह रोत ह

बकार गड़गड़ात ह

लोग आत ह जात ह

हसतार कहा रकत ह

हो ह जात ह|

पर कछ बात ऐसी होती ह

जो दखाई नह दती

और कछ आवाज

सनाई नह दती

जस फल खलत ह

और अपनी महक छोड़ जात ह

वस ह कछ लोग

कागज़ पर नह

दल पर हसतार छोड़ जात ह|

1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5

2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह

3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया

4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह

5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |

4

तम नह चाहत थ कया ndash

फल खल

भौर गज

ततलया उड़

नह चाहत थ तम ndash

शरादाकाश

वसत क हवा

मजरय का महोतसव

कोकल क कह हरन क दौड़

तमह तो पसद थ भड़ए

भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी

समची हरयाल क धआ बनात वसफोट

तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा

आकाशगामी हो गए सब

कोलाहल म डब वाणी वहन

अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ

वड मनतर क धयाता

पहचानो अपनी धरती

अपना आकाश

1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5

2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात

3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|

भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह

5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|

5

जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन

िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |

गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान

िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|

माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह

हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|

मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत

िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत

मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह

हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|

ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार

उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|

1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5

2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह

3- मतय क उपरात मातभम का मानव क लए कया महततव ह

4- कव कसक ऊपर अपना सब कछ बलहार करन क बात कर रहा ह

5- पदयाश का उपयकत शीषरक लखए|

खड-ख परशन सखया -3

नबध लखन

सझाव परशन सखया 3 नबध लखन होगा | नबध लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय

का वसतार 3- नषकषर

3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|

4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|

उदाहरण-

जीवन म अनशासन का महततव

अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|

वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|

िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||

अभयास कायर-

1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका

परशन सखया-4

पतर-लखन

सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव

पता लखत ह|

3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय

(परषक का नाम)

( पता)

पतर का परारप

शकायती पतर

(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर

रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए

|)

सवा म

मखय अधकार

परदषण-नयतरण वभाग

वाराणसी उततर-परदश |

दनाक 26112013

वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|

महोदय

म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स

आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह

पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग

धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद

म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक

इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ

स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई

कायरवाह नह हई|

महोदय आपस वनमर नवदन ह क ऐस उदयोग ससथान को परदषण सबधी नोटस भजा

जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल

सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|

धनयवाद सहत|

भवदय

नीरज कमार

रामनगर कालोनी वाराणसी|

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 3

कछ सामानय सझाव 1- आप हद वषय क तयार हत एक समय सारणी तयार कर| 2- समय सारणी इस परकार होनी चाहए क आपका अधकाश समय नषट होन क बजाए

अधययन क लए समपरत हो| 3- आप अपनी सवधानसार हद वषय क परतयक अश क लए ताकर क ढग स समय

वभािजत कर | 4- कसी भी एक वषय को आवशयकता स अधक समय न द और साथ ह कसी वषय को

नज़रअदाज न कर| 5- हद वषय म आप अपन कमजोर प को रखाकत किजए एव शक स बात किजए| 6- अभयास क दवारा आप अपन कमज़ोर प को दर कर पाएग इसलए नरतर अभयास

किजए| 7- परा भवन म लखन आरभ करन स पहल मलन वाल 15 मनट क अतरकत समय म

पर परशन-पतर को धयान स पढ़|

8- परशन को हल करत समय उन परशन को पहल हल कर जो आपक लए आसान हो इसस समय क बचत भी होगी|

9- लखत समय यद आप कसी परशन या समसया पर अटक जात ह तो उसस आग बढ़कर अगल परशन को हल कर|

10- परशन को हल करत समय सतोषजनक उततर एव शबद-सीमा का धयान रखए- क- यद परशन 1 अक का हो तो उसका उतर एक या दो पिकतय म ह लखए| ख- यद परशन 2 अक का हो तो उसका उतर तीन या चार पिकतय म लखए| ग- यद परशन 3 अक का हो तो उसका उततर अधकतम छह या आठ पिकतय म लखए |

घ- नबध फचर आलख या पसतक समीा एक पषठ स अधक न लख|

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 4

खड-क

सझाव- परशन सखया एक एव दो अपठत गदयाश या कावयाश पर आधारत होगा अथारत यह अश आपक पाठयपसतक क हससा नह होगा| अत इसका उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा |

1- दए गए गदयाश या कावयाश को कम स दो बार पढ़कर उसक मलभाव या अथर को समझन क कोशश करनी चाहए

2- दसर बार गदयाश या कावयाश पढ़त समय परशन क उततर सकत जहा परापत होत हो उस पसल स अकत कर द|

3- गदयाश या कावयाश क पिकतय को जय का तय उतारन क बजाए उस अपन शबद म लखन का परयास कर|

4- एक अक क परशन को एक या दो पिकत म तथा दो अक क परशन को तीन या चार पिकत स अधक न लख|

5- गदयाश या कावयाश क मलभाव को शीषरक क रप म लखना चाहए|

परशन सखया-1

उदाहरण-1

इस ससार म कछ वयिकत भागयवाद होत ह और कछ कवल अपन परषाथर पर भरोसा रखत ह | पराय ऐसा दखा जाता ह क भागयवाद वयिकत ईशवरय इचछा को सवपर मानता ह और अपन परयतन को गौण मान बठत ह | व वधाता का ह दसरा नाम भागय को मान लत ह| भागयवाद कभी-कभी अकमरणयता क िसथत म भी आ जात ह| उनका कथन होता ह क कछ नह कर सकत सब कछ ईशवर क अधीन ह| हम उसी परकार परणाम भगतना पड़गा जसा भगवान चाहगा| भागयोदय शबद म भागय परधान ह | एक अनय शबद ह -सयदय| हम जानत ह क उदय सरज का नह होता सरज तो अपनी जगह पर रहता ह चलती घमती तो धरती ह ह| फर भी सयदय हम बहत शभ और साथरक मालम होता ह| भागय भी इसी परकार ह | हमारा मख सह भागय क तरफ हो जाए तो इस भागयोदय ह मानना चाहए| परषाथ वयिकत अपन परशरम क बल पर कायर सदध कर लना चाहता ह| परषाथर वह ह जो परष को

सपरयास रख| परष का अथर पश स भनन ह| बल-वकरम तो पश म अधक होता ह लकन परषाथर पश

चषटा क अथर स अधक भनन और शरषठ ह | वासना स पीड़त होकर पश म अधक पराकरम दखा जाता

ह कनत यह परष स ह सभव ह क वह आतमवसजरन म पराकरम दखाए|

परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह जबक अकमरणय वयिकत ह भागय क भरोस बठता ह| हम भागय

और परषाथर का मल साधना ह | यद सह दशा म बढ़ग तो सफलता अवशय हमार कदम चमगी|

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 5

परशन- 1 कौन कसक इचछा को सवपर मानता ह और कय 2

उततर- 1 भागयवाद परष ईशवरय इचछा को सवपर मानत ह | कयक वह भागय क भरोस रहता ह और वह ऐसा मानता ह क सब कछ ईशवर क हाथ म ह|इस तरह वह अपन परयतन को गौण मान बठता ह और काम स दर भागन लगता ह| परशन-2 परषाथर स कया तातपयर ह 2

उततर- 2 परषाथर स तातपयर ह अपन इिचछत वसत को परापत करन क उतकट लालसा और उस हत परयास करना| परषाथ वयिकत कभी शरम स जी नह चराता ह वह कठन परशरम कर अपना लय परापत कर लता ह परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह | परशन- 3 कौनसी चीज परष को सपरयास रखता ह 2 उततर- 3 परषाथर परष को सपरयास रखता ह|धमरअथर काम और मो यह चार परषाथर ह िजनक परािपत हत मनषय कमररत रहता ह| मनषय क जीवन का परापय यह परषाथर ह उस जीवन म कमररत रखता ह| परशन- 4 भागयवाद होना या परषाथ होना आपक वचार स कया उचत ह 2

उततर- 4 छातर इसका उततर सवय क ववक स दग|

परशन-5 lsquoआतमवसजरन म पराकरमrsquo स कया तातपयर ह 2

उततर-5 वयिकत क अनदर यद पराकरम ह और वह उसका परयोग बना सोच समझ कर तो उसका यह गण कसी पश स अलग नह होगा| लकन यद वह अपन पराकरम का परयोग सोच समझ कर कर तो वह सचचा मनषय कहलाएगा| बल क साथ वनमरता का होना सवचच मनषयता क नशानी ह यद वह अपन स कमजोर को दखकर कर वह अपन पराकरम को तयाग द तो वह सचचा बलशाल होगा| परशन-6 सफलता कस हमार कदम चमगी 2

उततर-6 यद इसान सह समय पर ठक परकार स कमर को महतव दत हए परयास कर तो सफलता अवशय ह हमर कदम चमगी| लकन यद हम भागय क भरोस बठ गए तो हम नसदह सफलता स दर रहग| परशन- 7 lsquoसयदयrsquo का समास वगरह करत हए परयकत समास का नाम लखए| 1

उततर- 7 lsquoसयर का उदयrsquo ततपरष समास | परशन- 8 lsquo अकमरणयताrsquo शबद स उपसगर एव परतयय अलग किजए| 1

उततर- 8 उपसगर lsquoअrsquo एव परतयय lsquoताrsquo |

परशन- 9 उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए | 1

उततर- 9 भागय और परषाथर या इस भाव स समबधत कोई भी शीषरक |

अभयास कायर -2

ससकत तब तक गगी रहती हजब तक राषटर क अपनी वाणी नह होती|राजनीतक पराधीनता

क जजीर जरर कट हकनत अगरजी और अगरजीयत क रप म दासता क चहन आज भी मौजद ह|

भाषा परधान नह बिलक कसी राषटर क वयिकततव क दयोतक होती ह| हमार बहभाषी दश क सामान

ह दनया म बहत सी भाषाओ वाल दश ह| रस म 66 भाषाए बोल और लखी जाती ह लकन वहा क

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राषटर भाषा रसी ह|हमार ससकत क गोमख स नकल हई सब भारतीय भाषाए हमार अपनी ह| उनम

अपनी वयापकता आरमभ स ह जन-वदरोह तथा जनवाणी को दत रहन क कारण ह हद भाषा को

राषटरभाषा क रप म सवीकार कया गया ह| कवल सवधान म लख दन मातर स यह बात पर नह हो

जाती बिलक इस राषटर क जीवन म परतिषठत करना होगा अनयथा इस सवततरता का कया मलय ह वशव

चतना जगान स पहल अपन दश म राषटरभाषा चतना जगाए | राषटर भाषा क आवशयकता क अनक

आधार ह|राषटरभाषा का महततव अपरहायर ह|राषटरय धवज राषटरय गान राषटरय पश इतयाद राषटरय

सममान क जीवत परतीक होत ह|कसी शबद क भावातमक एकता भी तभी सभव ह जब समपणर राषटर म

भाव तथा वचार क आदान-परदान का माधयम एक भाषा हो|वदश म लगभग 6 करोड़ लोग हद बोलत

ह और समझत ह|मारशस म 65 गयाना म 65फजी म 15तथा दण अफरका म लगभग 32

जनता हदभाषी ह| सरनाम म लगभग 4 लाख लोग हद को भल परकार समझन क सामथयर रखत ह|

भारत म हद बोलन वालो क सखया सवारधक ह| अत इस राषटरभाषा का गौरव परदान कया गया ह|

परशन-

1- भारत एक बहभाषी दश ह समझाइए| 2

2- भाषा क महततव पर परकाश डालए | 2

3- भारत क अलावा अनय कन दश म हद बोल जाती ह| 2

4- परतयक राषटर क एक राषटरभाषा कय होनी चाहए|` 2

5- भारत क राषटरभाषा हद ह कय 2

6- राषटरभाषा कस परकार भावातमक एकता सथापत कर सकती ह| 2

7- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक दिजए| 1

8- धवज क दो समानाथ शबद लखए| 1

9- lsquoसवधानrsquo शबद स उपसगर और मलशबद को अलग किजए| 1

2-

सवधान सभा म डॉ अमबडकर न एक बार कहा था-lsquoसवधान सभा म कय आया कवल दलत

क हत क लए|rsquo सवधान क महतता पर परकाश डालत हए उनहन एक बार कहा था सवधान चाह

कतना ह अचछा हो यद उसको वयवहार म लान वाल लोग अचछ न हो तो सवधान नशचय ह बरा

साबत होगा| अचछ लोग क हाथ म बर सवधान क भी अचछा साबत होन क सभावना बनी रहती

ह|भारत क लोग इसक साथ कसा वयवहार करग यह कौन जान सकता हrsquo

डॉ अमबडकर न सवधान क वभनन धाराओ क अतगरत हमार समाज म वयापत सभी बराइय एव

करतय का अत कर दया| जाती पात क कारण अछत या दलत लोग को दकानधमरशालाओ कओ

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और सावरजनक नल का उपयोग करन क मनाह थी| डॉ अमबडकर नए भी सवधान क अनचछद 15 म

कसी परकार क भद भाव को समापत करन क बात कह ह|

इस परकार सवधान क अनचछद 19 क अतगरत डॉ अमबडकर न भारत क सभी नागरक को अपन

वचार वयकत करन क सवततरता द जबक इसस पवर मजदर को जमीदार क सामन नौकर को अपन

मालक क समक तथा िसतरय का परष क सामन बोलना भी अपराध माना जाता था| सवधान क

अनचछद 335 क अतगरत अनसचत जात व जनजात क लोग क लए सरकार सवाओ और पद म

आरण क वयवसथा करक सदय स दलत एव शोषत वगर का सबस बड़ा हत कया गया| जब तक

भारत म लोकततर रहगा और सवधान का पालन होता रहगा तब तक डॉ अमबडकर का नाम सवधान

नमारता क रप म जाना जाता रहगा|

परशन-

1-डॉ अमबडकर क सवधान सभा म आन क मखय उददशय पर परकाश डालए| 2

2- सवधान क सनदभर म डॉ अमबडकर क कया वचार थ 2

3- सवधान क अनचछद 335 म कया परावधान ह 2

4- सवधान क अनचछद 19 म कया वयवसथा क गयी ह 2

5- अनचछद 15 कस परकार स दलतोतथान म सहायक सदध हआ ह 2

6-लोकततर क सथापना म सवधान का वशष महततव ह सदध किजए| 2

7- करतय शबद स उपसगर और परतयय को अलग किजए| 1

8- धमरशाला पद का समास वगरह किजए | 1

9-उपरोकत गदयाश क लए उपयकत शीषरक दिजए| 1

3-

अपन लय क परािपत क लए हम उन वसतओ को छोड़ना पड़ता हजो हम परय तो ह लकन

सफलता क राह म रकावट ह| इनम स कछ ह आलसय लोभ मोह इतयाद| सफलता क लए वयिकत

क मन म परशरम और दढ नशचय क आवशयकता होती ह| मनषय मन क नबरलता उस सफलता स

दर ल जाती ह िजस पररणा दवारा समापत कया जाना चाहए| राजकमार सदधाथर क गौतम बदध बनन स

पहल क बात ह- सदधाथर गह तयाग कर ान परािपत क लए चल गए थ| कई वष तक भटकन क बाद

भी उनह ान क परािपत नह हई| आखरकार उनक हममत टटन लगी | उनक मन म बार बार वचार

उठन लगा क कय न राजमहल वापस चला जाए|

अत म अपन मन स हार कर वह कपलवसत क और लौटन लग | चलत चलत राह म उनह

पयास लगी| सामन ह एक झील थी| जब वह जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखा| वह बार-

बार पानी क पास जाती उसम अपनी पछ डबोती और बाहर नकल कर उस रत पर झटक दती| सदधाथर

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स न रहा गया| उनहन पछा- ननह गलहर यह कया कर रह हो गलहर न उततर दया -इस झील

नए मर परवार को डबोकर मार दया ह इसलए म झील को सखा रह ह| सदधाथर बोल यह काम तो

तमस कभी नह हो पाएगा| झील को सखाना तमहार बस क बात नह ह| गलहर नशचयातमक सवर म

बोल -आप चाह ऐसा मानत हो लकन म ऐसा नह मानती| म तो बस इतना जानती ह क मन न

िजस कायर को करन का नशचय कया उस पर अटल रहन स वह वह हो ह जाता ह| म तो अपना काम

करती रहगी| गलहर क यह बात सदधाथर क मन म बस गई | उनह अपन मन क दबरलता का एहसास

हो गया| व वापस लौट और ताप म सलगन हो गए|

परशन-

1- सफल वयिकत बनान क लए मनषय म कन गण का होना आवशयक ह 2

2- राजकमार सदधाथर न गलहर को कया करत दखा 2

3- राजकमार सदधाथर न कपलवसत लौटन का नणरय कय कया 2

4- गलहर झील कय सखाना चाहती थी 2

5- गलहर क कौन सी बात सदधाथर क मन म बस गयी 2

6- लय क परािपत क लए कन वसतओ को छोड़ना पड़ता ह 1

7- lsquoजब व जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखाrsquo सरल वाकय म बदलए| 1

8- राजमहल कौन सा समास ह 1

9- lsquoनबरलताrsquo का वपरताथरक शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक लखए| 1

4-

सबह क शात वातावरण म अकसर पाक स हसी क ऊची आवाज सनाई पड़ती ह|पहल लगता था क कछ परान मतर मलकर हसी मजाक कर रह ह पर कौतहलवश धयान स दखन पर जाना क व सब एक साथ एक ह तरह स ऐस हस रह हो जस कोई कलास चल रह हो| पछन पर पता चला क व सब हासय कलब क सदसय ह| यह कया अब हसन क लए कलब का सहारा लना पड़ता ह दरअसल आज क तनावपणर जीवन म आजकल लोग हसना भल गए ह| अतशय दबाव क कारण सवासथय सबधी समसयाए बढती जा रह ह| छोट बचच हो या बजगर दबाव क कारण व आतमहतया करन लग ह| इस िसथत म चतत डॉकटर मनोवशलषक क नसख म हसी को दवा क तौर पर सझाना शर कया दया ह|नतीजा यह ह क अब सजग लोग इस अपनान क होड़ म लग ह | रडयटवी पतरपतरकाए और फलम भी इस दशा म मदद कर रह ह| हसी क जररत सख़रय म होन कारण अब उस पर कताब लखी जा रह ह वकर शॉप हो रह ह| अब यह परमाणत हो गया ह क खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल होत ह व जयादा कमात हउनक मतर क सखया जयादा होती ह उनक शाद जयादा नभती ह

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व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|

परशन-

1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2

2- लोग हसना कय भल गए ह 2

3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2

4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2

5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2

6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2

7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1

8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1

9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1

4

यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|

परशन-

1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2

2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2

3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2

4- जीवन म नभरय होना कय जरर ह 2

5- गर तगबहादर जी क चतावनी का कया अभपराय ह 2

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6- कस तयाग म सतोष होता ह 1

7- लखक दःख क िसथत कब मानता ह 1

8- जीवन कब अथरपणर तथा पणरतया माना जाता ह 1

9- lsquoजनमrsquo का वलोम शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए| 1

परशन सखया-2 उदाहरण- 1

कया तमन कभी सनी ह

सपन म चमकती कलहाड़य क भय स

पड़ क चीतकार

कलहाड़य क वार सहत

कसी पड़ क हलती टहनय म

दखाई पड़ ह तमह

मदद क लए पकारत हजार- हज़ार हाथ

कया होती ह तमहार भीतर धमस

कटकर गरता ह जब कोई पड़ धरती पर

परशन- 1 कौन कलहाड़य का वार सहता ह 1x 5=5

उततर- 1 पड़ कलहाड़य क वार सहता ह | परशन-2 कव कया सनन क बात कहता ह

उततर-2 सपन म पड़ क चीतकार | परशन-3 उपरोकत पिकतय म कसक वयथा दखाई गयी ह

उततर- पड़-पौध क कटन स उनक वयथा| परशन- 4 कव कसस सवाल पछता ह

उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए

उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|

अभयास हत परशन ndash 1

मन समपरततन समपरत

और यह जीवन समपरत

चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत

आय का ण-ण समपरत

चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |

तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|

गाव मर दवारघरआगन मा दो|

दश का जयगान अधर पर सजा ह

दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|

य समन लो य चमन लो

नीड़ का तण ndashतण समपरत|

चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |

1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5

2- मातभम का हम पर कया ऋण ह

3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय

4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह

5- कव कस-कस स मा मागता ह

3

एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा

बहन लगता ह

साहब हम छोड़कर जा रह ह

इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|

म बार-बार सामन जाती ह

रोती हगड़गड़ाती ह

करती ह वनती हर बार

साहब जी इधर भी दख लो एक बार|

पर साहब ह क

कभी मझ नीच पटक दत ह |

कभी पीछ सरका दत ह

और कभी-कभी तो

फाइल क ढर तल

दबा दत ह |

अधकार बार-बार

अदर झाक जाता ह

डरत डरत पछ जाता ह

साहब कहा गए

हसतार हो गए

दसर फ़ाइल न

उस पयार स समझाया

जीवन का नया फलसफा सखाया

बहन हम य ह रोत ह

बकार गड़गड़ात ह

लोग आत ह जात ह

हसतार कहा रकत ह

हो ह जात ह|

पर कछ बात ऐसी होती ह

जो दखाई नह दती

और कछ आवाज

सनाई नह दती

जस फल खलत ह

और अपनी महक छोड़ जात ह

वस ह कछ लोग

कागज़ पर नह

दल पर हसतार छोड़ जात ह|

1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5

2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह

3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया

4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह

5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |

4

तम नह चाहत थ कया ndash

फल खल

भौर गज

ततलया उड़

नह चाहत थ तम ndash

शरादाकाश

वसत क हवा

मजरय का महोतसव

कोकल क कह हरन क दौड़

तमह तो पसद थ भड़ए

भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी

समची हरयाल क धआ बनात वसफोट

तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा

आकाशगामी हो गए सब

कोलाहल म डब वाणी वहन

अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ

वड मनतर क धयाता

पहचानो अपनी धरती

अपना आकाश

1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5

2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात

3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|

भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह

5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|

5

जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन

िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |

गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान

िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|

माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह

हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|

मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत

िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत

मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह

हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|

ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार

उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|

1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5

2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह

3- मतय क उपरात मातभम का मानव क लए कया महततव ह

4- कव कसक ऊपर अपना सब कछ बलहार करन क बात कर रहा ह

5- पदयाश का उपयकत शीषरक लखए|

खड-ख परशन सखया -3

नबध लखन

सझाव परशन सखया 3 नबध लखन होगा | नबध लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय

का वसतार 3- नषकषर

3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|

4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|

उदाहरण-

जीवन म अनशासन का महततव

अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|

वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|

िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||

अभयास कायर-

1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका

परशन सखया-4

पतर-लखन

सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव

पता लखत ह|

3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय

(परषक का नाम)

( पता)

पतर का परारप

शकायती पतर

(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर

रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए

|)

सवा म

मखय अधकार

परदषण-नयतरण वभाग

वाराणसी उततर-परदश |

दनाक 26112013

वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|

महोदय

म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स

आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह

पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग

धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद

म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक

इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ

स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई

कायरवाह नह हई|

महोदय आपस वनमर नवदन ह क ऐस उदयोग ससथान को परदषण सबधी नोटस भजा

जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल

सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|

धनयवाद सहत|

भवदय

नीरज कमार

रामनगर कालोनी वाराणसी|

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 4

खड-क

सझाव- परशन सखया एक एव दो अपठत गदयाश या कावयाश पर आधारत होगा अथारत यह अश आपक पाठयपसतक क हससा नह होगा| अत इसका उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा |

1- दए गए गदयाश या कावयाश को कम स दो बार पढ़कर उसक मलभाव या अथर को समझन क कोशश करनी चाहए

2- दसर बार गदयाश या कावयाश पढ़त समय परशन क उततर सकत जहा परापत होत हो उस पसल स अकत कर द|

3- गदयाश या कावयाश क पिकतय को जय का तय उतारन क बजाए उस अपन शबद म लखन का परयास कर|

4- एक अक क परशन को एक या दो पिकत म तथा दो अक क परशन को तीन या चार पिकत स अधक न लख|

5- गदयाश या कावयाश क मलभाव को शीषरक क रप म लखना चाहए|

परशन सखया-1

उदाहरण-1

इस ससार म कछ वयिकत भागयवाद होत ह और कछ कवल अपन परषाथर पर भरोसा रखत ह | पराय ऐसा दखा जाता ह क भागयवाद वयिकत ईशवरय इचछा को सवपर मानता ह और अपन परयतन को गौण मान बठत ह | व वधाता का ह दसरा नाम भागय को मान लत ह| भागयवाद कभी-कभी अकमरणयता क िसथत म भी आ जात ह| उनका कथन होता ह क कछ नह कर सकत सब कछ ईशवर क अधीन ह| हम उसी परकार परणाम भगतना पड़गा जसा भगवान चाहगा| भागयोदय शबद म भागय परधान ह | एक अनय शबद ह -सयदय| हम जानत ह क उदय सरज का नह होता सरज तो अपनी जगह पर रहता ह चलती घमती तो धरती ह ह| फर भी सयदय हम बहत शभ और साथरक मालम होता ह| भागय भी इसी परकार ह | हमारा मख सह भागय क तरफ हो जाए तो इस भागयोदय ह मानना चाहए| परषाथ वयिकत अपन परशरम क बल पर कायर सदध कर लना चाहता ह| परषाथर वह ह जो परष को

सपरयास रख| परष का अथर पश स भनन ह| बल-वकरम तो पश म अधक होता ह लकन परषाथर पश

चषटा क अथर स अधक भनन और शरषठ ह | वासना स पीड़त होकर पश म अधक पराकरम दखा जाता

ह कनत यह परष स ह सभव ह क वह आतमवसजरन म पराकरम दखाए|

परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह जबक अकमरणय वयिकत ह भागय क भरोस बठता ह| हम भागय

और परषाथर का मल साधना ह | यद सह दशा म बढ़ग तो सफलता अवशय हमार कदम चमगी|

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परशन- 1 कौन कसक इचछा को सवपर मानता ह और कय 2

उततर- 1 भागयवाद परष ईशवरय इचछा को सवपर मानत ह | कयक वह भागय क भरोस रहता ह और वह ऐसा मानता ह क सब कछ ईशवर क हाथ म ह|इस तरह वह अपन परयतन को गौण मान बठता ह और काम स दर भागन लगता ह| परशन-2 परषाथर स कया तातपयर ह 2

उततर- 2 परषाथर स तातपयर ह अपन इिचछत वसत को परापत करन क उतकट लालसा और उस हत परयास करना| परषाथ वयिकत कभी शरम स जी नह चराता ह वह कठन परशरम कर अपना लय परापत कर लता ह परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह | परशन- 3 कौनसी चीज परष को सपरयास रखता ह 2 उततर- 3 परषाथर परष को सपरयास रखता ह|धमरअथर काम और मो यह चार परषाथर ह िजनक परािपत हत मनषय कमररत रहता ह| मनषय क जीवन का परापय यह परषाथर ह उस जीवन म कमररत रखता ह| परशन- 4 भागयवाद होना या परषाथ होना आपक वचार स कया उचत ह 2

उततर- 4 छातर इसका उततर सवय क ववक स दग|

परशन-5 lsquoआतमवसजरन म पराकरमrsquo स कया तातपयर ह 2

उततर-5 वयिकत क अनदर यद पराकरम ह और वह उसका परयोग बना सोच समझ कर तो उसका यह गण कसी पश स अलग नह होगा| लकन यद वह अपन पराकरम का परयोग सोच समझ कर कर तो वह सचचा मनषय कहलाएगा| बल क साथ वनमरता का होना सवचच मनषयता क नशानी ह यद वह अपन स कमजोर को दखकर कर वह अपन पराकरम को तयाग द तो वह सचचा बलशाल होगा| परशन-6 सफलता कस हमार कदम चमगी 2

उततर-6 यद इसान सह समय पर ठक परकार स कमर को महतव दत हए परयास कर तो सफलता अवशय ह हमर कदम चमगी| लकन यद हम भागय क भरोस बठ गए तो हम नसदह सफलता स दर रहग| परशन- 7 lsquoसयदयrsquo का समास वगरह करत हए परयकत समास का नाम लखए| 1

उततर- 7 lsquoसयर का उदयrsquo ततपरष समास | परशन- 8 lsquo अकमरणयताrsquo शबद स उपसगर एव परतयय अलग किजए| 1

उततर- 8 उपसगर lsquoअrsquo एव परतयय lsquoताrsquo |

परशन- 9 उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए | 1

उततर- 9 भागय और परषाथर या इस भाव स समबधत कोई भी शीषरक |

अभयास कायर -2

ससकत तब तक गगी रहती हजब तक राषटर क अपनी वाणी नह होती|राजनीतक पराधीनता

क जजीर जरर कट हकनत अगरजी और अगरजीयत क रप म दासता क चहन आज भी मौजद ह|

भाषा परधान नह बिलक कसी राषटर क वयिकततव क दयोतक होती ह| हमार बहभाषी दश क सामान

ह दनया म बहत सी भाषाओ वाल दश ह| रस म 66 भाषाए बोल और लखी जाती ह लकन वहा क

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राषटर भाषा रसी ह|हमार ससकत क गोमख स नकल हई सब भारतीय भाषाए हमार अपनी ह| उनम

अपनी वयापकता आरमभ स ह जन-वदरोह तथा जनवाणी को दत रहन क कारण ह हद भाषा को

राषटरभाषा क रप म सवीकार कया गया ह| कवल सवधान म लख दन मातर स यह बात पर नह हो

जाती बिलक इस राषटर क जीवन म परतिषठत करना होगा अनयथा इस सवततरता का कया मलय ह वशव

चतना जगान स पहल अपन दश म राषटरभाषा चतना जगाए | राषटर भाषा क आवशयकता क अनक

आधार ह|राषटरभाषा का महततव अपरहायर ह|राषटरय धवज राषटरय गान राषटरय पश इतयाद राषटरय

सममान क जीवत परतीक होत ह|कसी शबद क भावातमक एकता भी तभी सभव ह जब समपणर राषटर म

भाव तथा वचार क आदान-परदान का माधयम एक भाषा हो|वदश म लगभग 6 करोड़ लोग हद बोलत

ह और समझत ह|मारशस म 65 गयाना म 65फजी म 15तथा दण अफरका म लगभग 32

जनता हदभाषी ह| सरनाम म लगभग 4 लाख लोग हद को भल परकार समझन क सामथयर रखत ह|

भारत म हद बोलन वालो क सखया सवारधक ह| अत इस राषटरभाषा का गौरव परदान कया गया ह|

परशन-

1- भारत एक बहभाषी दश ह समझाइए| 2

2- भाषा क महततव पर परकाश डालए | 2

3- भारत क अलावा अनय कन दश म हद बोल जाती ह| 2

4- परतयक राषटर क एक राषटरभाषा कय होनी चाहए|` 2

5- भारत क राषटरभाषा हद ह कय 2

6- राषटरभाषा कस परकार भावातमक एकता सथापत कर सकती ह| 2

7- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक दिजए| 1

8- धवज क दो समानाथ शबद लखए| 1

9- lsquoसवधानrsquo शबद स उपसगर और मलशबद को अलग किजए| 1

2-

सवधान सभा म डॉ अमबडकर न एक बार कहा था-lsquoसवधान सभा म कय आया कवल दलत

क हत क लए|rsquo सवधान क महतता पर परकाश डालत हए उनहन एक बार कहा था सवधान चाह

कतना ह अचछा हो यद उसको वयवहार म लान वाल लोग अचछ न हो तो सवधान नशचय ह बरा

साबत होगा| अचछ लोग क हाथ म बर सवधान क भी अचछा साबत होन क सभावना बनी रहती

ह|भारत क लोग इसक साथ कसा वयवहार करग यह कौन जान सकता हrsquo

डॉ अमबडकर न सवधान क वभनन धाराओ क अतगरत हमार समाज म वयापत सभी बराइय एव

करतय का अत कर दया| जाती पात क कारण अछत या दलत लोग को दकानधमरशालाओ कओ

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 7

और सावरजनक नल का उपयोग करन क मनाह थी| डॉ अमबडकर नए भी सवधान क अनचछद 15 म

कसी परकार क भद भाव को समापत करन क बात कह ह|

इस परकार सवधान क अनचछद 19 क अतगरत डॉ अमबडकर न भारत क सभी नागरक को अपन

वचार वयकत करन क सवततरता द जबक इसस पवर मजदर को जमीदार क सामन नौकर को अपन

मालक क समक तथा िसतरय का परष क सामन बोलना भी अपराध माना जाता था| सवधान क

अनचछद 335 क अतगरत अनसचत जात व जनजात क लोग क लए सरकार सवाओ और पद म

आरण क वयवसथा करक सदय स दलत एव शोषत वगर का सबस बड़ा हत कया गया| जब तक

भारत म लोकततर रहगा और सवधान का पालन होता रहगा तब तक डॉ अमबडकर का नाम सवधान

नमारता क रप म जाना जाता रहगा|

परशन-

1-डॉ अमबडकर क सवधान सभा म आन क मखय उददशय पर परकाश डालए| 2

2- सवधान क सनदभर म डॉ अमबडकर क कया वचार थ 2

3- सवधान क अनचछद 335 म कया परावधान ह 2

4- सवधान क अनचछद 19 म कया वयवसथा क गयी ह 2

5- अनचछद 15 कस परकार स दलतोतथान म सहायक सदध हआ ह 2

6-लोकततर क सथापना म सवधान का वशष महततव ह सदध किजए| 2

7- करतय शबद स उपसगर और परतयय को अलग किजए| 1

8- धमरशाला पद का समास वगरह किजए | 1

9-उपरोकत गदयाश क लए उपयकत शीषरक दिजए| 1

3-

अपन लय क परािपत क लए हम उन वसतओ को छोड़ना पड़ता हजो हम परय तो ह लकन

सफलता क राह म रकावट ह| इनम स कछ ह आलसय लोभ मोह इतयाद| सफलता क लए वयिकत

क मन म परशरम और दढ नशचय क आवशयकता होती ह| मनषय मन क नबरलता उस सफलता स

दर ल जाती ह िजस पररणा दवारा समापत कया जाना चाहए| राजकमार सदधाथर क गौतम बदध बनन स

पहल क बात ह- सदधाथर गह तयाग कर ान परािपत क लए चल गए थ| कई वष तक भटकन क बाद

भी उनह ान क परािपत नह हई| आखरकार उनक हममत टटन लगी | उनक मन म बार बार वचार

उठन लगा क कय न राजमहल वापस चला जाए|

अत म अपन मन स हार कर वह कपलवसत क और लौटन लग | चलत चलत राह म उनह

पयास लगी| सामन ह एक झील थी| जब वह जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखा| वह बार-

बार पानी क पास जाती उसम अपनी पछ डबोती और बाहर नकल कर उस रत पर झटक दती| सदधाथर

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 8

स न रहा गया| उनहन पछा- ननह गलहर यह कया कर रह हो गलहर न उततर दया -इस झील

नए मर परवार को डबोकर मार दया ह इसलए म झील को सखा रह ह| सदधाथर बोल यह काम तो

तमस कभी नह हो पाएगा| झील को सखाना तमहार बस क बात नह ह| गलहर नशचयातमक सवर म

बोल -आप चाह ऐसा मानत हो लकन म ऐसा नह मानती| म तो बस इतना जानती ह क मन न

िजस कायर को करन का नशचय कया उस पर अटल रहन स वह वह हो ह जाता ह| म तो अपना काम

करती रहगी| गलहर क यह बात सदधाथर क मन म बस गई | उनह अपन मन क दबरलता का एहसास

हो गया| व वापस लौट और ताप म सलगन हो गए|

परशन-

1- सफल वयिकत बनान क लए मनषय म कन गण का होना आवशयक ह 2

2- राजकमार सदधाथर न गलहर को कया करत दखा 2

3- राजकमार सदधाथर न कपलवसत लौटन का नणरय कय कया 2

4- गलहर झील कय सखाना चाहती थी 2

5- गलहर क कौन सी बात सदधाथर क मन म बस गयी 2

6- लय क परािपत क लए कन वसतओ को छोड़ना पड़ता ह 1

7- lsquoजब व जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखाrsquo सरल वाकय म बदलए| 1

8- राजमहल कौन सा समास ह 1

9- lsquoनबरलताrsquo का वपरताथरक शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक लखए| 1

4-

सबह क शात वातावरण म अकसर पाक स हसी क ऊची आवाज सनाई पड़ती ह|पहल लगता था क कछ परान मतर मलकर हसी मजाक कर रह ह पर कौतहलवश धयान स दखन पर जाना क व सब एक साथ एक ह तरह स ऐस हस रह हो जस कोई कलास चल रह हो| पछन पर पता चला क व सब हासय कलब क सदसय ह| यह कया अब हसन क लए कलब का सहारा लना पड़ता ह दरअसल आज क तनावपणर जीवन म आजकल लोग हसना भल गए ह| अतशय दबाव क कारण सवासथय सबधी समसयाए बढती जा रह ह| छोट बचच हो या बजगर दबाव क कारण व आतमहतया करन लग ह| इस िसथत म चतत डॉकटर मनोवशलषक क नसख म हसी को दवा क तौर पर सझाना शर कया दया ह|नतीजा यह ह क अब सजग लोग इस अपनान क होड़ म लग ह | रडयटवी पतरपतरकाए और फलम भी इस दशा म मदद कर रह ह| हसी क जररत सख़रय म होन कारण अब उस पर कताब लखी जा रह ह वकर शॉप हो रह ह| अब यह परमाणत हो गया ह क खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल होत ह व जयादा कमात हउनक मतर क सखया जयादा होती ह उनक शाद जयादा नभती ह

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 9

व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|

परशन-

1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2

2- लोग हसना कय भल गए ह 2

3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2

4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2

5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2

6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2

7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1

8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1

9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1

4

यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|

परशन-

1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2

2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2

3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2

4- जीवन म नभरय होना कय जरर ह 2

5- गर तगबहादर जी क चतावनी का कया अभपराय ह 2

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 10

6- कस तयाग म सतोष होता ह 1

7- लखक दःख क िसथत कब मानता ह 1

8- जीवन कब अथरपणर तथा पणरतया माना जाता ह 1

9- lsquoजनमrsquo का वलोम शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए| 1

परशन सखया-2 उदाहरण- 1

कया तमन कभी सनी ह

सपन म चमकती कलहाड़य क भय स

पड़ क चीतकार

कलहाड़य क वार सहत

कसी पड़ क हलती टहनय म

दखाई पड़ ह तमह

मदद क लए पकारत हजार- हज़ार हाथ

कया होती ह तमहार भीतर धमस

कटकर गरता ह जब कोई पड़ धरती पर

परशन- 1 कौन कलहाड़य का वार सहता ह 1x 5=5

उततर- 1 पड़ कलहाड़य क वार सहता ह | परशन-2 कव कया सनन क बात कहता ह

उततर-2 सपन म पड़ क चीतकार | परशन-3 उपरोकत पिकतय म कसक वयथा दखाई गयी ह

उततर- पड़-पौध क कटन स उनक वयथा| परशन- 4 कव कसस सवाल पछता ह

उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए

उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|

अभयास हत परशन ndash 1

मन समपरततन समपरत

और यह जीवन समपरत

चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत

आय का ण-ण समपरत

चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |

तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|

गाव मर दवारघरआगन मा दो|

दश का जयगान अधर पर सजा ह

दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|

य समन लो य चमन लो

नीड़ का तण ndashतण समपरत|

चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |

1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5

2- मातभम का हम पर कया ऋण ह

3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय

4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह

5- कव कस-कस स मा मागता ह

3

एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा

बहन लगता ह

साहब हम छोड़कर जा रह ह

इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|

म बार-बार सामन जाती ह

रोती हगड़गड़ाती ह

करती ह वनती हर बार

साहब जी इधर भी दख लो एक बार|

पर साहब ह क

कभी मझ नीच पटक दत ह |

कभी पीछ सरका दत ह

और कभी-कभी तो

फाइल क ढर तल

दबा दत ह |

अधकार बार-बार

अदर झाक जाता ह

डरत डरत पछ जाता ह

साहब कहा गए

हसतार हो गए

दसर फ़ाइल न

उस पयार स समझाया

जीवन का नया फलसफा सखाया

बहन हम य ह रोत ह

बकार गड़गड़ात ह

लोग आत ह जात ह

हसतार कहा रकत ह

हो ह जात ह|

पर कछ बात ऐसी होती ह

जो दखाई नह दती

और कछ आवाज

सनाई नह दती

जस फल खलत ह

और अपनी महक छोड़ जात ह

वस ह कछ लोग

कागज़ पर नह

दल पर हसतार छोड़ जात ह|

1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5

2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह

3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया

4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह

5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |

4

तम नह चाहत थ कया ndash

फल खल

भौर गज

ततलया उड़

नह चाहत थ तम ndash

शरादाकाश

वसत क हवा

मजरय का महोतसव

कोकल क कह हरन क दौड़

तमह तो पसद थ भड़ए

भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी

समची हरयाल क धआ बनात वसफोट

तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा

आकाशगामी हो गए सब

कोलाहल म डब वाणी वहन

अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ

वड मनतर क धयाता

पहचानो अपनी धरती

अपना आकाश

1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5

2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात

3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|

भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह

5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|

5

जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन

िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |

गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान

िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|

माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह

हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|

मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत

िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत

मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह

हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|

ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार

उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|

1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5

2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह

3- मतय क उपरात मातभम का मानव क लए कया महततव ह

4- कव कसक ऊपर अपना सब कछ बलहार करन क बात कर रहा ह

5- पदयाश का उपयकत शीषरक लखए|

खड-ख परशन सखया -3

नबध लखन

सझाव परशन सखया 3 नबध लखन होगा | नबध लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय

का वसतार 3- नषकषर

3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|

4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|

उदाहरण-

जीवन म अनशासन का महततव

अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|

वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|

िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||

अभयास कायर-

1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका

परशन सखया-4

पतर-लखन

सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव

पता लखत ह|

3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय

(परषक का नाम)

( पता)

पतर का परारप

शकायती पतर

(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर

रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए

|)

सवा म

मखय अधकार

परदषण-नयतरण वभाग

वाराणसी उततर-परदश |

दनाक 26112013

वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|

महोदय

म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स

आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह

पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग

धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद

म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक

इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ

स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई

कायरवाह नह हई|

महोदय आपस वनमर नवदन ह क ऐस उदयोग ससथान को परदषण सबधी नोटस भजा

जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल

सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|

धनयवाद सहत|

भवदय

नीरज कमार

रामनगर कालोनी वाराणसी|

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

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परशन- 1 कौन कसक इचछा को सवपर मानता ह और कय 2

उततर- 1 भागयवाद परष ईशवरय इचछा को सवपर मानत ह | कयक वह भागय क भरोस रहता ह और वह ऐसा मानता ह क सब कछ ईशवर क हाथ म ह|इस तरह वह अपन परयतन को गौण मान बठता ह और काम स दर भागन लगता ह| परशन-2 परषाथर स कया तातपयर ह 2

उततर- 2 परषाथर स तातपयर ह अपन इिचछत वसत को परापत करन क उतकट लालसा और उस हत परयास करना| परषाथ वयिकत कभी शरम स जी नह चराता ह वह कठन परशरम कर अपना लय परापत कर लता ह परषाथर वयिकत को करयाशील रखता ह | परशन- 3 कौनसी चीज परष को सपरयास रखता ह 2 उततर- 3 परषाथर परष को सपरयास रखता ह|धमरअथर काम और मो यह चार परषाथर ह िजनक परािपत हत मनषय कमररत रहता ह| मनषय क जीवन का परापय यह परषाथर ह उस जीवन म कमररत रखता ह| परशन- 4 भागयवाद होना या परषाथ होना आपक वचार स कया उचत ह 2

उततर- 4 छातर इसका उततर सवय क ववक स दग|

परशन-5 lsquoआतमवसजरन म पराकरमrsquo स कया तातपयर ह 2

उततर-5 वयिकत क अनदर यद पराकरम ह और वह उसका परयोग बना सोच समझ कर तो उसका यह गण कसी पश स अलग नह होगा| लकन यद वह अपन पराकरम का परयोग सोच समझ कर कर तो वह सचचा मनषय कहलाएगा| बल क साथ वनमरता का होना सवचच मनषयता क नशानी ह यद वह अपन स कमजोर को दखकर कर वह अपन पराकरम को तयाग द तो वह सचचा बलशाल होगा| परशन-6 सफलता कस हमार कदम चमगी 2

उततर-6 यद इसान सह समय पर ठक परकार स कमर को महतव दत हए परयास कर तो सफलता अवशय ह हमर कदम चमगी| लकन यद हम भागय क भरोस बठ गए तो हम नसदह सफलता स दर रहग| परशन- 7 lsquoसयदयrsquo का समास वगरह करत हए परयकत समास का नाम लखए| 1

उततर- 7 lsquoसयर का उदयrsquo ततपरष समास | परशन- 8 lsquo अकमरणयताrsquo शबद स उपसगर एव परतयय अलग किजए| 1

उततर- 8 उपसगर lsquoअrsquo एव परतयय lsquoताrsquo |

परशन- 9 उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए | 1

उततर- 9 भागय और परषाथर या इस भाव स समबधत कोई भी शीषरक |

अभयास कायर -2

ससकत तब तक गगी रहती हजब तक राषटर क अपनी वाणी नह होती|राजनीतक पराधीनता

क जजीर जरर कट हकनत अगरजी और अगरजीयत क रप म दासता क चहन आज भी मौजद ह|

भाषा परधान नह बिलक कसी राषटर क वयिकततव क दयोतक होती ह| हमार बहभाषी दश क सामान

ह दनया म बहत सी भाषाओ वाल दश ह| रस म 66 भाषाए बोल और लखी जाती ह लकन वहा क

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राषटर भाषा रसी ह|हमार ससकत क गोमख स नकल हई सब भारतीय भाषाए हमार अपनी ह| उनम

अपनी वयापकता आरमभ स ह जन-वदरोह तथा जनवाणी को दत रहन क कारण ह हद भाषा को

राषटरभाषा क रप म सवीकार कया गया ह| कवल सवधान म लख दन मातर स यह बात पर नह हो

जाती बिलक इस राषटर क जीवन म परतिषठत करना होगा अनयथा इस सवततरता का कया मलय ह वशव

चतना जगान स पहल अपन दश म राषटरभाषा चतना जगाए | राषटर भाषा क आवशयकता क अनक

आधार ह|राषटरभाषा का महततव अपरहायर ह|राषटरय धवज राषटरय गान राषटरय पश इतयाद राषटरय

सममान क जीवत परतीक होत ह|कसी शबद क भावातमक एकता भी तभी सभव ह जब समपणर राषटर म

भाव तथा वचार क आदान-परदान का माधयम एक भाषा हो|वदश म लगभग 6 करोड़ लोग हद बोलत

ह और समझत ह|मारशस म 65 गयाना म 65फजी म 15तथा दण अफरका म लगभग 32

जनता हदभाषी ह| सरनाम म लगभग 4 लाख लोग हद को भल परकार समझन क सामथयर रखत ह|

भारत म हद बोलन वालो क सखया सवारधक ह| अत इस राषटरभाषा का गौरव परदान कया गया ह|

परशन-

1- भारत एक बहभाषी दश ह समझाइए| 2

2- भाषा क महततव पर परकाश डालए | 2

3- भारत क अलावा अनय कन दश म हद बोल जाती ह| 2

4- परतयक राषटर क एक राषटरभाषा कय होनी चाहए|` 2

5- भारत क राषटरभाषा हद ह कय 2

6- राषटरभाषा कस परकार भावातमक एकता सथापत कर सकती ह| 2

7- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक दिजए| 1

8- धवज क दो समानाथ शबद लखए| 1

9- lsquoसवधानrsquo शबद स उपसगर और मलशबद को अलग किजए| 1

2-

सवधान सभा म डॉ अमबडकर न एक बार कहा था-lsquoसवधान सभा म कय आया कवल दलत

क हत क लए|rsquo सवधान क महतता पर परकाश डालत हए उनहन एक बार कहा था सवधान चाह

कतना ह अचछा हो यद उसको वयवहार म लान वाल लोग अचछ न हो तो सवधान नशचय ह बरा

साबत होगा| अचछ लोग क हाथ म बर सवधान क भी अचछा साबत होन क सभावना बनी रहती

ह|भारत क लोग इसक साथ कसा वयवहार करग यह कौन जान सकता हrsquo

डॉ अमबडकर न सवधान क वभनन धाराओ क अतगरत हमार समाज म वयापत सभी बराइय एव

करतय का अत कर दया| जाती पात क कारण अछत या दलत लोग को दकानधमरशालाओ कओ

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और सावरजनक नल का उपयोग करन क मनाह थी| डॉ अमबडकर नए भी सवधान क अनचछद 15 म

कसी परकार क भद भाव को समापत करन क बात कह ह|

इस परकार सवधान क अनचछद 19 क अतगरत डॉ अमबडकर न भारत क सभी नागरक को अपन

वचार वयकत करन क सवततरता द जबक इसस पवर मजदर को जमीदार क सामन नौकर को अपन

मालक क समक तथा िसतरय का परष क सामन बोलना भी अपराध माना जाता था| सवधान क

अनचछद 335 क अतगरत अनसचत जात व जनजात क लोग क लए सरकार सवाओ और पद म

आरण क वयवसथा करक सदय स दलत एव शोषत वगर का सबस बड़ा हत कया गया| जब तक

भारत म लोकततर रहगा और सवधान का पालन होता रहगा तब तक डॉ अमबडकर का नाम सवधान

नमारता क रप म जाना जाता रहगा|

परशन-

1-डॉ अमबडकर क सवधान सभा म आन क मखय उददशय पर परकाश डालए| 2

2- सवधान क सनदभर म डॉ अमबडकर क कया वचार थ 2

3- सवधान क अनचछद 335 म कया परावधान ह 2

4- सवधान क अनचछद 19 म कया वयवसथा क गयी ह 2

5- अनचछद 15 कस परकार स दलतोतथान म सहायक सदध हआ ह 2

6-लोकततर क सथापना म सवधान का वशष महततव ह सदध किजए| 2

7- करतय शबद स उपसगर और परतयय को अलग किजए| 1

8- धमरशाला पद का समास वगरह किजए | 1

9-उपरोकत गदयाश क लए उपयकत शीषरक दिजए| 1

3-

अपन लय क परािपत क लए हम उन वसतओ को छोड़ना पड़ता हजो हम परय तो ह लकन

सफलता क राह म रकावट ह| इनम स कछ ह आलसय लोभ मोह इतयाद| सफलता क लए वयिकत

क मन म परशरम और दढ नशचय क आवशयकता होती ह| मनषय मन क नबरलता उस सफलता स

दर ल जाती ह िजस पररणा दवारा समापत कया जाना चाहए| राजकमार सदधाथर क गौतम बदध बनन स

पहल क बात ह- सदधाथर गह तयाग कर ान परािपत क लए चल गए थ| कई वष तक भटकन क बाद

भी उनह ान क परािपत नह हई| आखरकार उनक हममत टटन लगी | उनक मन म बार बार वचार

उठन लगा क कय न राजमहल वापस चला जाए|

अत म अपन मन स हार कर वह कपलवसत क और लौटन लग | चलत चलत राह म उनह

पयास लगी| सामन ह एक झील थी| जब वह जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखा| वह बार-

बार पानी क पास जाती उसम अपनी पछ डबोती और बाहर नकल कर उस रत पर झटक दती| सदधाथर

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स न रहा गया| उनहन पछा- ननह गलहर यह कया कर रह हो गलहर न उततर दया -इस झील

नए मर परवार को डबोकर मार दया ह इसलए म झील को सखा रह ह| सदधाथर बोल यह काम तो

तमस कभी नह हो पाएगा| झील को सखाना तमहार बस क बात नह ह| गलहर नशचयातमक सवर म

बोल -आप चाह ऐसा मानत हो लकन म ऐसा नह मानती| म तो बस इतना जानती ह क मन न

िजस कायर को करन का नशचय कया उस पर अटल रहन स वह वह हो ह जाता ह| म तो अपना काम

करती रहगी| गलहर क यह बात सदधाथर क मन म बस गई | उनह अपन मन क दबरलता का एहसास

हो गया| व वापस लौट और ताप म सलगन हो गए|

परशन-

1- सफल वयिकत बनान क लए मनषय म कन गण का होना आवशयक ह 2

2- राजकमार सदधाथर न गलहर को कया करत दखा 2

3- राजकमार सदधाथर न कपलवसत लौटन का नणरय कय कया 2

4- गलहर झील कय सखाना चाहती थी 2

5- गलहर क कौन सी बात सदधाथर क मन म बस गयी 2

6- लय क परािपत क लए कन वसतओ को छोड़ना पड़ता ह 1

7- lsquoजब व जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखाrsquo सरल वाकय म बदलए| 1

8- राजमहल कौन सा समास ह 1

9- lsquoनबरलताrsquo का वपरताथरक शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक लखए| 1

4-

सबह क शात वातावरण म अकसर पाक स हसी क ऊची आवाज सनाई पड़ती ह|पहल लगता था क कछ परान मतर मलकर हसी मजाक कर रह ह पर कौतहलवश धयान स दखन पर जाना क व सब एक साथ एक ह तरह स ऐस हस रह हो जस कोई कलास चल रह हो| पछन पर पता चला क व सब हासय कलब क सदसय ह| यह कया अब हसन क लए कलब का सहारा लना पड़ता ह दरअसल आज क तनावपणर जीवन म आजकल लोग हसना भल गए ह| अतशय दबाव क कारण सवासथय सबधी समसयाए बढती जा रह ह| छोट बचच हो या बजगर दबाव क कारण व आतमहतया करन लग ह| इस िसथत म चतत डॉकटर मनोवशलषक क नसख म हसी को दवा क तौर पर सझाना शर कया दया ह|नतीजा यह ह क अब सजग लोग इस अपनान क होड़ म लग ह | रडयटवी पतरपतरकाए और फलम भी इस दशा म मदद कर रह ह| हसी क जररत सख़रय म होन कारण अब उस पर कताब लखी जा रह ह वकर शॉप हो रह ह| अब यह परमाणत हो गया ह क खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल होत ह व जयादा कमात हउनक मतर क सखया जयादा होती ह उनक शाद जयादा नभती ह

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व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|

परशन-

1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2

2- लोग हसना कय भल गए ह 2

3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2

4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2

5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2

6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2

7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1

8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1

9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1

4

यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|

परशन-

1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2

2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2

3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2

4- जीवन म नभरय होना कय जरर ह 2

5- गर तगबहादर जी क चतावनी का कया अभपराय ह 2

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6- कस तयाग म सतोष होता ह 1

7- लखक दःख क िसथत कब मानता ह 1

8- जीवन कब अथरपणर तथा पणरतया माना जाता ह 1

9- lsquoजनमrsquo का वलोम शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए| 1

परशन सखया-2 उदाहरण- 1

कया तमन कभी सनी ह

सपन म चमकती कलहाड़य क भय स

पड़ क चीतकार

कलहाड़य क वार सहत

कसी पड़ क हलती टहनय म

दखाई पड़ ह तमह

मदद क लए पकारत हजार- हज़ार हाथ

कया होती ह तमहार भीतर धमस

कटकर गरता ह जब कोई पड़ धरती पर

परशन- 1 कौन कलहाड़य का वार सहता ह 1x 5=5

उततर- 1 पड़ कलहाड़य क वार सहता ह | परशन-2 कव कया सनन क बात कहता ह

उततर-2 सपन म पड़ क चीतकार | परशन-3 उपरोकत पिकतय म कसक वयथा दखाई गयी ह

उततर- पड़-पौध क कटन स उनक वयथा| परशन- 4 कव कसस सवाल पछता ह

उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए

उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|

अभयास हत परशन ndash 1

मन समपरततन समपरत

और यह जीवन समपरत

चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत

आय का ण-ण समपरत

चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |

तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|

गाव मर दवारघरआगन मा दो|

दश का जयगान अधर पर सजा ह

दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|

य समन लो य चमन लो

नीड़ का तण ndashतण समपरत|

चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |

1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5

2- मातभम का हम पर कया ऋण ह

3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय

4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह

5- कव कस-कस स मा मागता ह

3

एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा

बहन लगता ह

साहब हम छोड़कर जा रह ह

इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|

म बार-बार सामन जाती ह

रोती हगड़गड़ाती ह

करती ह वनती हर बार

साहब जी इधर भी दख लो एक बार|

पर साहब ह क

कभी मझ नीच पटक दत ह |

कभी पीछ सरका दत ह

और कभी-कभी तो

फाइल क ढर तल

दबा दत ह |

अधकार बार-बार

अदर झाक जाता ह

डरत डरत पछ जाता ह

साहब कहा गए

हसतार हो गए

दसर फ़ाइल न

उस पयार स समझाया

जीवन का नया फलसफा सखाया

बहन हम य ह रोत ह

बकार गड़गड़ात ह

लोग आत ह जात ह

हसतार कहा रकत ह

हो ह जात ह|

पर कछ बात ऐसी होती ह

जो दखाई नह दती

और कछ आवाज

सनाई नह दती

जस फल खलत ह

और अपनी महक छोड़ जात ह

वस ह कछ लोग

कागज़ पर नह

दल पर हसतार छोड़ जात ह|

1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5

2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह

3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया

4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह

5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |

4

तम नह चाहत थ कया ndash

फल खल

भौर गज

ततलया उड़

नह चाहत थ तम ndash

शरादाकाश

वसत क हवा

मजरय का महोतसव

कोकल क कह हरन क दौड़

तमह तो पसद थ भड़ए

भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी

समची हरयाल क धआ बनात वसफोट

तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा

आकाशगामी हो गए सब

कोलाहल म डब वाणी वहन

अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ

वड मनतर क धयाता

पहचानो अपनी धरती

अपना आकाश

1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5

2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात

3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|

भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह

5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|

5

जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन

िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |

गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान

िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|

माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह

हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|

मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत

िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत

मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह

हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|

ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार

उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|

1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5

2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह

3- मतय क उपरात मातभम का मानव क लए कया महततव ह

4- कव कसक ऊपर अपना सब कछ बलहार करन क बात कर रहा ह

5- पदयाश का उपयकत शीषरक लखए|

खड-ख परशन सखया -3

नबध लखन

सझाव परशन सखया 3 नबध लखन होगा | नबध लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय

का वसतार 3- नषकषर

3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|

4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|

उदाहरण-

जीवन म अनशासन का महततव

अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|

वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|

िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||

अभयास कायर-

1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका

परशन सखया-4

पतर-लखन

सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव

पता लखत ह|

3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय

(परषक का नाम)

( पता)

पतर का परारप

शकायती पतर

(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर

रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए

|)

सवा म

मखय अधकार

परदषण-नयतरण वभाग

वाराणसी उततर-परदश |

दनाक 26112013

वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|

महोदय

म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स

आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह

पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग

धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद

म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक

इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ

स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई

कायरवाह नह हई|

महोदय आपस वनमर नवदन ह क ऐस उदयोग ससथान को परदषण सबधी नोटस भजा

जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल

सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|

धनयवाद सहत|

भवदय

नीरज कमार

रामनगर कालोनी वाराणसी|

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 6

राषटर भाषा रसी ह|हमार ससकत क गोमख स नकल हई सब भारतीय भाषाए हमार अपनी ह| उनम

अपनी वयापकता आरमभ स ह जन-वदरोह तथा जनवाणी को दत रहन क कारण ह हद भाषा को

राषटरभाषा क रप म सवीकार कया गया ह| कवल सवधान म लख दन मातर स यह बात पर नह हो

जाती बिलक इस राषटर क जीवन म परतिषठत करना होगा अनयथा इस सवततरता का कया मलय ह वशव

चतना जगान स पहल अपन दश म राषटरभाषा चतना जगाए | राषटर भाषा क आवशयकता क अनक

आधार ह|राषटरभाषा का महततव अपरहायर ह|राषटरय धवज राषटरय गान राषटरय पश इतयाद राषटरय

सममान क जीवत परतीक होत ह|कसी शबद क भावातमक एकता भी तभी सभव ह जब समपणर राषटर म

भाव तथा वचार क आदान-परदान का माधयम एक भाषा हो|वदश म लगभग 6 करोड़ लोग हद बोलत

ह और समझत ह|मारशस म 65 गयाना म 65फजी म 15तथा दण अफरका म लगभग 32

जनता हदभाषी ह| सरनाम म लगभग 4 लाख लोग हद को भल परकार समझन क सामथयर रखत ह|

भारत म हद बोलन वालो क सखया सवारधक ह| अत इस राषटरभाषा का गौरव परदान कया गया ह|

परशन-

1- भारत एक बहभाषी दश ह समझाइए| 2

2- भाषा क महततव पर परकाश डालए | 2

3- भारत क अलावा अनय कन दश म हद बोल जाती ह| 2

4- परतयक राषटर क एक राषटरभाषा कय होनी चाहए|` 2

5- भारत क राषटरभाषा हद ह कय 2

6- राषटरभाषा कस परकार भावातमक एकता सथापत कर सकती ह| 2

7- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक दिजए| 1

8- धवज क दो समानाथ शबद लखए| 1

9- lsquoसवधानrsquo शबद स उपसगर और मलशबद को अलग किजए| 1

2-

सवधान सभा म डॉ अमबडकर न एक बार कहा था-lsquoसवधान सभा म कय आया कवल दलत

क हत क लए|rsquo सवधान क महतता पर परकाश डालत हए उनहन एक बार कहा था सवधान चाह

कतना ह अचछा हो यद उसको वयवहार म लान वाल लोग अचछ न हो तो सवधान नशचय ह बरा

साबत होगा| अचछ लोग क हाथ म बर सवधान क भी अचछा साबत होन क सभावना बनी रहती

ह|भारत क लोग इसक साथ कसा वयवहार करग यह कौन जान सकता हrsquo

डॉ अमबडकर न सवधान क वभनन धाराओ क अतगरत हमार समाज म वयापत सभी बराइय एव

करतय का अत कर दया| जाती पात क कारण अछत या दलत लोग को दकानधमरशालाओ कओ

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 7

और सावरजनक नल का उपयोग करन क मनाह थी| डॉ अमबडकर नए भी सवधान क अनचछद 15 म

कसी परकार क भद भाव को समापत करन क बात कह ह|

इस परकार सवधान क अनचछद 19 क अतगरत डॉ अमबडकर न भारत क सभी नागरक को अपन

वचार वयकत करन क सवततरता द जबक इसस पवर मजदर को जमीदार क सामन नौकर को अपन

मालक क समक तथा िसतरय का परष क सामन बोलना भी अपराध माना जाता था| सवधान क

अनचछद 335 क अतगरत अनसचत जात व जनजात क लोग क लए सरकार सवाओ और पद म

आरण क वयवसथा करक सदय स दलत एव शोषत वगर का सबस बड़ा हत कया गया| जब तक

भारत म लोकततर रहगा और सवधान का पालन होता रहगा तब तक डॉ अमबडकर का नाम सवधान

नमारता क रप म जाना जाता रहगा|

परशन-

1-डॉ अमबडकर क सवधान सभा म आन क मखय उददशय पर परकाश डालए| 2

2- सवधान क सनदभर म डॉ अमबडकर क कया वचार थ 2

3- सवधान क अनचछद 335 म कया परावधान ह 2

4- सवधान क अनचछद 19 म कया वयवसथा क गयी ह 2

5- अनचछद 15 कस परकार स दलतोतथान म सहायक सदध हआ ह 2

6-लोकततर क सथापना म सवधान का वशष महततव ह सदध किजए| 2

7- करतय शबद स उपसगर और परतयय को अलग किजए| 1

8- धमरशाला पद का समास वगरह किजए | 1

9-उपरोकत गदयाश क लए उपयकत शीषरक दिजए| 1

3-

अपन लय क परािपत क लए हम उन वसतओ को छोड़ना पड़ता हजो हम परय तो ह लकन

सफलता क राह म रकावट ह| इनम स कछ ह आलसय लोभ मोह इतयाद| सफलता क लए वयिकत

क मन म परशरम और दढ नशचय क आवशयकता होती ह| मनषय मन क नबरलता उस सफलता स

दर ल जाती ह िजस पररणा दवारा समापत कया जाना चाहए| राजकमार सदधाथर क गौतम बदध बनन स

पहल क बात ह- सदधाथर गह तयाग कर ान परािपत क लए चल गए थ| कई वष तक भटकन क बाद

भी उनह ान क परािपत नह हई| आखरकार उनक हममत टटन लगी | उनक मन म बार बार वचार

उठन लगा क कय न राजमहल वापस चला जाए|

अत म अपन मन स हार कर वह कपलवसत क और लौटन लग | चलत चलत राह म उनह

पयास लगी| सामन ह एक झील थी| जब वह जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखा| वह बार-

बार पानी क पास जाती उसम अपनी पछ डबोती और बाहर नकल कर उस रत पर झटक दती| सदधाथर

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 8

स न रहा गया| उनहन पछा- ननह गलहर यह कया कर रह हो गलहर न उततर दया -इस झील

नए मर परवार को डबोकर मार दया ह इसलए म झील को सखा रह ह| सदधाथर बोल यह काम तो

तमस कभी नह हो पाएगा| झील को सखाना तमहार बस क बात नह ह| गलहर नशचयातमक सवर म

बोल -आप चाह ऐसा मानत हो लकन म ऐसा नह मानती| म तो बस इतना जानती ह क मन न

िजस कायर को करन का नशचय कया उस पर अटल रहन स वह वह हो ह जाता ह| म तो अपना काम

करती रहगी| गलहर क यह बात सदधाथर क मन म बस गई | उनह अपन मन क दबरलता का एहसास

हो गया| व वापस लौट और ताप म सलगन हो गए|

परशन-

1- सफल वयिकत बनान क लए मनषय म कन गण का होना आवशयक ह 2

2- राजकमार सदधाथर न गलहर को कया करत दखा 2

3- राजकमार सदधाथर न कपलवसत लौटन का नणरय कय कया 2

4- गलहर झील कय सखाना चाहती थी 2

5- गलहर क कौन सी बात सदधाथर क मन म बस गयी 2

6- लय क परािपत क लए कन वसतओ को छोड़ना पड़ता ह 1

7- lsquoजब व जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखाrsquo सरल वाकय म बदलए| 1

8- राजमहल कौन सा समास ह 1

9- lsquoनबरलताrsquo का वपरताथरक शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक लखए| 1

4-

सबह क शात वातावरण म अकसर पाक स हसी क ऊची आवाज सनाई पड़ती ह|पहल लगता था क कछ परान मतर मलकर हसी मजाक कर रह ह पर कौतहलवश धयान स दखन पर जाना क व सब एक साथ एक ह तरह स ऐस हस रह हो जस कोई कलास चल रह हो| पछन पर पता चला क व सब हासय कलब क सदसय ह| यह कया अब हसन क लए कलब का सहारा लना पड़ता ह दरअसल आज क तनावपणर जीवन म आजकल लोग हसना भल गए ह| अतशय दबाव क कारण सवासथय सबधी समसयाए बढती जा रह ह| छोट बचच हो या बजगर दबाव क कारण व आतमहतया करन लग ह| इस िसथत म चतत डॉकटर मनोवशलषक क नसख म हसी को दवा क तौर पर सझाना शर कया दया ह|नतीजा यह ह क अब सजग लोग इस अपनान क होड़ म लग ह | रडयटवी पतरपतरकाए और फलम भी इस दशा म मदद कर रह ह| हसी क जररत सख़रय म होन कारण अब उस पर कताब लखी जा रह ह वकर शॉप हो रह ह| अब यह परमाणत हो गया ह क खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल होत ह व जयादा कमात हउनक मतर क सखया जयादा होती ह उनक शाद जयादा नभती ह

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 9

व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|

परशन-

1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2

2- लोग हसना कय भल गए ह 2

3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2

4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2

5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2

6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2

7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1

8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1

9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1

4

यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|

परशन-

1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2

2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2

3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2

4- जीवन म नभरय होना कय जरर ह 2

5- गर तगबहादर जी क चतावनी का कया अभपराय ह 2

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 10

6- कस तयाग म सतोष होता ह 1

7- लखक दःख क िसथत कब मानता ह 1

8- जीवन कब अथरपणर तथा पणरतया माना जाता ह 1

9- lsquoजनमrsquo का वलोम शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए| 1

परशन सखया-2 उदाहरण- 1

कया तमन कभी सनी ह

सपन म चमकती कलहाड़य क भय स

पड़ क चीतकार

कलहाड़य क वार सहत

कसी पड़ क हलती टहनय म

दखाई पड़ ह तमह

मदद क लए पकारत हजार- हज़ार हाथ

कया होती ह तमहार भीतर धमस

कटकर गरता ह जब कोई पड़ धरती पर

परशन- 1 कौन कलहाड़य का वार सहता ह 1x 5=5

उततर- 1 पड़ कलहाड़य क वार सहता ह | परशन-2 कव कया सनन क बात कहता ह

उततर-2 सपन म पड़ क चीतकार | परशन-3 उपरोकत पिकतय म कसक वयथा दखाई गयी ह

उततर- पड़-पौध क कटन स उनक वयथा| परशन- 4 कव कसस सवाल पछता ह

उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए

उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|

अभयास हत परशन ndash 1

मन समपरततन समपरत

और यह जीवन समपरत

चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत

आय का ण-ण समपरत

चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |

तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|

गाव मर दवारघरआगन मा दो|

दश का जयगान अधर पर सजा ह

दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|

य समन लो य चमन लो

नीड़ का तण ndashतण समपरत|

चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |

1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5

2- मातभम का हम पर कया ऋण ह

3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय

4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह

5- कव कस-कस स मा मागता ह

3

एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा

बहन लगता ह

साहब हम छोड़कर जा रह ह

इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|

म बार-बार सामन जाती ह

रोती हगड़गड़ाती ह

करती ह वनती हर बार

साहब जी इधर भी दख लो एक बार|

पर साहब ह क

कभी मझ नीच पटक दत ह |

कभी पीछ सरका दत ह

और कभी-कभी तो

फाइल क ढर तल

दबा दत ह |

अधकार बार-बार

अदर झाक जाता ह

डरत डरत पछ जाता ह

साहब कहा गए

हसतार हो गए

दसर फ़ाइल न

उस पयार स समझाया

जीवन का नया फलसफा सखाया

बहन हम य ह रोत ह

बकार गड़गड़ात ह

लोग आत ह जात ह

हसतार कहा रकत ह

हो ह जात ह|

पर कछ बात ऐसी होती ह

जो दखाई नह दती

और कछ आवाज

सनाई नह दती

जस फल खलत ह

और अपनी महक छोड़ जात ह

वस ह कछ लोग

कागज़ पर नह

दल पर हसतार छोड़ जात ह|

1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5

2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह

3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया

4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह

5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |

4

तम नह चाहत थ कया ndash

फल खल

भौर गज

ततलया उड़

नह चाहत थ तम ndash

शरादाकाश

वसत क हवा

मजरय का महोतसव

कोकल क कह हरन क दौड़

तमह तो पसद थ भड़ए

भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी

समची हरयाल क धआ बनात वसफोट

तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा

आकाशगामी हो गए सब

कोलाहल म डब वाणी वहन

अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ

वड मनतर क धयाता

पहचानो अपनी धरती

अपना आकाश

1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5

2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात

3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|

भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह

5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|

5

जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन

िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |

गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान

िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|

माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह

हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|

मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत

िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत

मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह

हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|

ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार

उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|

1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5

2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह

3- मतय क उपरात मातभम का मानव क लए कया महततव ह

4- कव कसक ऊपर अपना सब कछ बलहार करन क बात कर रहा ह

5- पदयाश का उपयकत शीषरक लखए|

खड-ख परशन सखया -3

नबध लखन

सझाव परशन सखया 3 नबध लखन होगा | नबध लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय

का वसतार 3- नषकषर

3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|

4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|

उदाहरण-

जीवन म अनशासन का महततव

अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|

वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|

िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||

अभयास कायर-

1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका

परशन सखया-4

पतर-लखन

सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव

पता लखत ह|

3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय

(परषक का नाम)

( पता)

पतर का परारप

शकायती पतर

(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर

रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए

|)

सवा म

मखय अधकार

परदषण-नयतरण वभाग

वाराणसी उततर-परदश |

दनाक 26112013

वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|

महोदय

म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स

आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह

पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग

धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद

म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक

इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ

स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई

कायरवाह नह हई|

महोदय आपस वनमर नवदन ह क ऐस उदयोग ससथान को परदषण सबधी नोटस भजा

जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल

सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|

धनयवाद सहत|

भवदय

नीरज कमार

रामनगर कालोनी वाराणसी|

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

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और सावरजनक नल का उपयोग करन क मनाह थी| डॉ अमबडकर नए भी सवधान क अनचछद 15 म

कसी परकार क भद भाव को समापत करन क बात कह ह|

इस परकार सवधान क अनचछद 19 क अतगरत डॉ अमबडकर न भारत क सभी नागरक को अपन

वचार वयकत करन क सवततरता द जबक इसस पवर मजदर को जमीदार क सामन नौकर को अपन

मालक क समक तथा िसतरय का परष क सामन बोलना भी अपराध माना जाता था| सवधान क

अनचछद 335 क अतगरत अनसचत जात व जनजात क लोग क लए सरकार सवाओ और पद म

आरण क वयवसथा करक सदय स दलत एव शोषत वगर का सबस बड़ा हत कया गया| जब तक

भारत म लोकततर रहगा और सवधान का पालन होता रहगा तब तक डॉ अमबडकर का नाम सवधान

नमारता क रप म जाना जाता रहगा|

परशन-

1-डॉ अमबडकर क सवधान सभा म आन क मखय उददशय पर परकाश डालए| 2

2- सवधान क सनदभर म डॉ अमबडकर क कया वचार थ 2

3- सवधान क अनचछद 335 म कया परावधान ह 2

4- सवधान क अनचछद 19 म कया वयवसथा क गयी ह 2

5- अनचछद 15 कस परकार स दलतोतथान म सहायक सदध हआ ह 2

6-लोकततर क सथापना म सवधान का वशष महततव ह सदध किजए| 2

7- करतय शबद स उपसगर और परतयय को अलग किजए| 1

8- धमरशाला पद का समास वगरह किजए | 1

9-उपरोकत गदयाश क लए उपयकत शीषरक दिजए| 1

3-

अपन लय क परािपत क लए हम उन वसतओ को छोड़ना पड़ता हजो हम परय तो ह लकन

सफलता क राह म रकावट ह| इनम स कछ ह आलसय लोभ मोह इतयाद| सफलता क लए वयिकत

क मन म परशरम और दढ नशचय क आवशयकता होती ह| मनषय मन क नबरलता उस सफलता स

दर ल जाती ह िजस पररणा दवारा समापत कया जाना चाहए| राजकमार सदधाथर क गौतम बदध बनन स

पहल क बात ह- सदधाथर गह तयाग कर ान परािपत क लए चल गए थ| कई वष तक भटकन क बाद

भी उनह ान क परािपत नह हई| आखरकार उनक हममत टटन लगी | उनक मन म बार बार वचार

उठन लगा क कय न राजमहल वापस चला जाए|

अत म अपन मन स हार कर वह कपलवसत क और लौटन लग | चलत चलत राह म उनह

पयास लगी| सामन ह एक झील थी| जब वह जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखा| वह बार-

बार पानी क पास जाती उसम अपनी पछ डबोती और बाहर नकल कर उस रत पर झटक दती| सदधाथर

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स न रहा गया| उनहन पछा- ननह गलहर यह कया कर रह हो गलहर न उततर दया -इस झील

नए मर परवार को डबोकर मार दया ह इसलए म झील को सखा रह ह| सदधाथर बोल यह काम तो

तमस कभी नह हो पाएगा| झील को सखाना तमहार बस क बात नह ह| गलहर नशचयातमक सवर म

बोल -आप चाह ऐसा मानत हो लकन म ऐसा नह मानती| म तो बस इतना जानती ह क मन न

िजस कायर को करन का नशचय कया उस पर अटल रहन स वह वह हो ह जाता ह| म तो अपना काम

करती रहगी| गलहर क यह बात सदधाथर क मन म बस गई | उनह अपन मन क दबरलता का एहसास

हो गया| व वापस लौट और ताप म सलगन हो गए|

परशन-

1- सफल वयिकत बनान क लए मनषय म कन गण का होना आवशयक ह 2

2- राजकमार सदधाथर न गलहर को कया करत दखा 2

3- राजकमार सदधाथर न कपलवसत लौटन का नणरय कय कया 2

4- गलहर झील कय सखाना चाहती थी 2

5- गलहर क कौन सी बात सदधाथर क मन म बस गयी 2

6- लय क परािपत क लए कन वसतओ को छोड़ना पड़ता ह 1

7- lsquoजब व जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखाrsquo सरल वाकय म बदलए| 1

8- राजमहल कौन सा समास ह 1

9- lsquoनबरलताrsquo का वपरताथरक शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक लखए| 1

4-

सबह क शात वातावरण म अकसर पाक स हसी क ऊची आवाज सनाई पड़ती ह|पहल लगता था क कछ परान मतर मलकर हसी मजाक कर रह ह पर कौतहलवश धयान स दखन पर जाना क व सब एक साथ एक ह तरह स ऐस हस रह हो जस कोई कलास चल रह हो| पछन पर पता चला क व सब हासय कलब क सदसय ह| यह कया अब हसन क लए कलब का सहारा लना पड़ता ह दरअसल आज क तनावपणर जीवन म आजकल लोग हसना भल गए ह| अतशय दबाव क कारण सवासथय सबधी समसयाए बढती जा रह ह| छोट बचच हो या बजगर दबाव क कारण व आतमहतया करन लग ह| इस िसथत म चतत डॉकटर मनोवशलषक क नसख म हसी को दवा क तौर पर सझाना शर कया दया ह|नतीजा यह ह क अब सजग लोग इस अपनान क होड़ म लग ह | रडयटवी पतरपतरकाए और फलम भी इस दशा म मदद कर रह ह| हसी क जररत सख़रय म होन कारण अब उस पर कताब लखी जा रह ह वकर शॉप हो रह ह| अब यह परमाणत हो गया ह क खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल होत ह व जयादा कमात हउनक मतर क सखया जयादा होती ह उनक शाद जयादा नभती ह

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व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|

परशन-

1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2

2- लोग हसना कय भल गए ह 2

3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2

4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2

5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2

6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2

7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1

8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1

9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1

4

यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|

परशन-

1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2

2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2

3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2

4- जीवन म नभरय होना कय जरर ह 2

5- गर तगबहादर जी क चतावनी का कया अभपराय ह 2

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6- कस तयाग म सतोष होता ह 1

7- लखक दःख क िसथत कब मानता ह 1

8- जीवन कब अथरपणर तथा पणरतया माना जाता ह 1

9- lsquoजनमrsquo का वलोम शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए| 1

परशन सखया-2 उदाहरण- 1

कया तमन कभी सनी ह

सपन म चमकती कलहाड़य क भय स

पड़ क चीतकार

कलहाड़य क वार सहत

कसी पड़ क हलती टहनय म

दखाई पड़ ह तमह

मदद क लए पकारत हजार- हज़ार हाथ

कया होती ह तमहार भीतर धमस

कटकर गरता ह जब कोई पड़ धरती पर

परशन- 1 कौन कलहाड़य का वार सहता ह 1x 5=5

उततर- 1 पड़ कलहाड़य क वार सहता ह | परशन-2 कव कया सनन क बात कहता ह

उततर-2 सपन म पड़ क चीतकार | परशन-3 उपरोकत पिकतय म कसक वयथा दखाई गयी ह

उततर- पड़-पौध क कटन स उनक वयथा| परशन- 4 कव कसस सवाल पछता ह

उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए

उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|

अभयास हत परशन ndash 1

मन समपरततन समपरत

और यह जीवन समपरत

चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत

आय का ण-ण समपरत

चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |

तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|

गाव मर दवारघरआगन मा दो|

दश का जयगान अधर पर सजा ह

दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|

य समन लो य चमन लो

नीड़ का तण ndashतण समपरत|

चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |

1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5

2- मातभम का हम पर कया ऋण ह

3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय

4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह

5- कव कस-कस स मा मागता ह

3

एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा

बहन लगता ह

साहब हम छोड़कर जा रह ह

इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|

म बार-बार सामन जाती ह

रोती हगड़गड़ाती ह

करती ह वनती हर बार

साहब जी इधर भी दख लो एक बार|

पर साहब ह क

कभी मझ नीच पटक दत ह |

कभी पीछ सरका दत ह

और कभी-कभी तो

फाइल क ढर तल

दबा दत ह |

अधकार बार-बार

अदर झाक जाता ह

डरत डरत पछ जाता ह

साहब कहा गए

हसतार हो गए

दसर फ़ाइल न

उस पयार स समझाया

जीवन का नया फलसफा सखाया

बहन हम य ह रोत ह

बकार गड़गड़ात ह

लोग आत ह जात ह

हसतार कहा रकत ह

हो ह जात ह|

पर कछ बात ऐसी होती ह

जो दखाई नह दती

और कछ आवाज

सनाई नह दती

जस फल खलत ह

और अपनी महक छोड़ जात ह

वस ह कछ लोग

कागज़ पर नह

दल पर हसतार छोड़ जात ह|

1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5

2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह

3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया

4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह

5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |

4

तम नह चाहत थ कया ndash

फल खल

भौर गज

ततलया उड़

नह चाहत थ तम ndash

शरादाकाश

वसत क हवा

मजरय का महोतसव

कोकल क कह हरन क दौड़

तमह तो पसद थ भड़ए

भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी

समची हरयाल क धआ बनात वसफोट

तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा

आकाशगामी हो गए सब

कोलाहल म डब वाणी वहन

अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ

वड मनतर क धयाता

पहचानो अपनी धरती

अपना आकाश

1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5

2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात

3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|

भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह

5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|

5

जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन

िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |

गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान

िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|

माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह

हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|

मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत

िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत

मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह

हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|

ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार

उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|

1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5

2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह

3- मतय क उपरात मातभम का मानव क लए कया महततव ह

4- कव कसक ऊपर अपना सब कछ बलहार करन क बात कर रहा ह

5- पदयाश का उपयकत शीषरक लखए|

खड-ख परशन सखया -3

नबध लखन

सझाव परशन सखया 3 नबध लखन होगा | नबध लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय

का वसतार 3- नषकषर

3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|

4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|

उदाहरण-

जीवन म अनशासन का महततव

अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|

वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|

िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||

अभयास कायर-

1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका

परशन सखया-4

पतर-लखन

सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव

पता लखत ह|

3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय

(परषक का नाम)

( पता)

पतर का परारप

शकायती पतर

(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर

रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए

|)

सवा म

मखय अधकार

परदषण-नयतरण वभाग

वाराणसी उततर-परदश |

दनाक 26112013

वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|

महोदय

म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स

आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह

पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग

धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद

म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक

इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ

स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई

कायरवाह नह हई|

महोदय आपस वनमर नवदन ह क ऐस उदयोग ससथान को परदषण सबधी नोटस भजा

जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल

सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|

धनयवाद सहत|

भवदय

नीरज कमार

रामनगर कालोनी वाराणसी|

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

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स न रहा गया| उनहन पछा- ननह गलहर यह कया कर रह हो गलहर न उततर दया -इस झील

नए मर परवार को डबोकर मार दया ह इसलए म झील को सखा रह ह| सदधाथर बोल यह काम तो

तमस कभी नह हो पाएगा| झील को सखाना तमहार बस क बात नह ह| गलहर नशचयातमक सवर म

बोल -आप चाह ऐसा मानत हो लकन म ऐसा नह मानती| म तो बस इतना जानती ह क मन न

िजस कायर को करन का नशचय कया उस पर अटल रहन स वह वह हो ह जाता ह| म तो अपना काम

करती रहगी| गलहर क यह बात सदधाथर क मन म बस गई | उनह अपन मन क दबरलता का एहसास

हो गया| व वापस लौट और ताप म सलगन हो गए|

परशन-

1- सफल वयिकत बनान क लए मनषय म कन गण का होना आवशयक ह 2

2- राजकमार सदधाथर न गलहर को कया करत दखा 2

3- राजकमार सदधाथर न कपलवसत लौटन का नणरय कय कया 2

4- गलहर झील कय सखाना चाहती थी 2

5- गलहर क कौन सी बात सदधाथर क मन म बस गयी 2

6- लय क परािपत क लए कन वसतओ को छोड़ना पड़ता ह 1

7- lsquoजब व जल पी रह थ तब उनहन एक गलहर को दखाrsquo सरल वाकय म बदलए| 1

8- राजमहल कौन सा समास ह 1

9- lsquoनबरलताrsquo का वपरताथरक शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश क लए शीषरक लखए| 1

4-

सबह क शात वातावरण म अकसर पाक स हसी क ऊची आवाज सनाई पड़ती ह|पहल लगता था क कछ परान मतर मलकर हसी मजाक कर रह ह पर कौतहलवश धयान स दखन पर जाना क व सब एक साथ एक ह तरह स ऐस हस रह हो जस कोई कलास चल रह हो| पछन पर पता चला क व सब हासय कलब क सदसय ह| यह कया अब हसन क लए कलब का सहारा लना पड़ता ह दरअसल आज क तनावपणर जीवन म आजकल लोग हसना भल गए ह| अतशय दबाव क कारण सवासथय सबधी समसयाए बढती जा रह ह| छोट बचच हो या बजगर दबाव क कारण व आतमहतया करन लग ह| इस िसथत म चतत डॉकटर मनोवशलषक क नसख म हसी को दवा क तौर पर सझाना शर कया दया ह|नतीजा यह ह क अब सजग लोग इस अपनान क होड़ म लग ह | रडयटवी पतरपतरकाए और फलम भी इस दशा म मदद कर रह ह| हसी क जररत सख़रय म होन कारण अब उस पर कताब लखी जा रह ह वकर शॉप हो रह ह| अब यह परमाणत हो गया ह क खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल होत ह व जयादा कमात हउनक मतर क सखया जयादा होती ह उनक शाद जयादा नभती ह

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व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|

परशन-

1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2

2- लोग हसना कय भल गए ह 2

3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2

4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2

5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2

6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2

7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1

8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1

9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1

4

यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|

परशन-

1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2

2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2

3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2

4- जीवन म नभरय होना कय जरर ह 2

5- गर तगबहादर जी क चतावनी का कया अभपराय ह 2

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6- कस तयाग म सतोष होता ह 1

7- लखक दःख क िसथत कब मानता ह 1

8- जीवन कब अथरपणर तथा पणरतया माना जाता ह 1

9- lsquoजनमrsquo का वलोम शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए| 1

परशन सखया-2 उदाहरण- 1

कया तमन कभी सनी ह

सपन म चमकती कलहाड़य क भय स

पड़ क चीतकार

कलहाड़य क वार सहत

कसी पड़ क हलती टहनय म

दखाई पड़ ह तमह

मदद क लए पकारत हजार- हज़ार हाथ

कया होती ह तमहार भीतर धमस

कटकर गरता ह जब कोई पड़ धरती पर

परशन- 1 कौन कलहाड़य का वार सहता ह 1x 5=5

उततर- 1 पड़ कलहाड़य क वार सहता ह | परशन-2 कव कया सनन क बात कहता ह

उततर-2 सपन म पड़ क चीतकार | परशन-3 उपरोकत पिकतय म कसक वयथा दखाई गयी ह

उततर- पड़-पौध क कटन स उनक वयथा| परशन- 4 कव कसस सवाल पछता ह

उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए

उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|

अभयास हत परशन ndash 1

मन समपरततन समपरत

और यह जीवन समपरत

चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत

आय का ण-ण समपरत

चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |

तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|

गाव मर दवारघरआगन मा दो|

दश का जयगान अधर पर सजा ह

दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|

य समन लो य चमन लो

नीड़ का तण ndashतण समपरत|

चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |

1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5

2- मातभम का हम पर कया ऋण ह

3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय

4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह

5- कव कस-कस स मा मागता ह

3

एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा

बहन लगता ह

साहब हम छोड़कर जा रह ह

इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|

म बार-बार सामन जाती ह

रोती हगड़गड़ाती ह

करती ह वनती हर बार

साहब जी इधर भी दख लो एक बार|

पर साहब ह क

कभी मझ नीच पटक दत ह |

कभी पीछ सरका दत ह

और कभी-कभी तो

फाइल क ढर तल

दबा दत ह |

अधकार बार-बार

अदर झाक जाता ह

डरत डरत पछ जाता ह

साहब कहा गए

हसतार हो गए

दसर फ़ाइल न

उस पयार स समझाया

जीवन का नया फलसफा सखाया

बहन हम य ह रोत ह

बकार गड़गड़ात ह

लोग आत ह जात ह

हसतार कहा रकत ह

हो ह जात ह|

पर कछ बात ऐसी होती ह

जो दखाई नह दती

और कछ आवाज

सनाई नह दती

जस फल खलत ह

और अपनी महक छोड़ जात ह

वस ह कछ लोग

कागज़ पर नह

दल पर हसतार छोड़ जात ह|

1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5

2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह

3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया

4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह

5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |

4

तम नह चाहत थ कया ndash

फल खल

भौर गज

ततलया उड़

नह चाहत थ तम ndash

शरादाकाश

वसत क हवा

मजरय का महोतसव

कोकल क कह हरन क दौड़

तमह तो पसद थ भड़ए

भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी

समची हरयाल क धआ बनात वसफोट

तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा

आकाशगामी हो गए सब

कोलाहल म डब वाणी वहन

अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ

वड मनतर क धयाता

पहचानो अपनी धरती

अपना आकाश

1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5

2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात

3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|

भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह

5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|

5

जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन

िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |

गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान

िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|

माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह

हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|

मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत

िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत

मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह

हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|

ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार

उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|

1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5

2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह

3- मतय क उपरात मातभम का मानव क लए कया महततव ह

4- कव कसक ऊपर अपना सब कछ बलहार करन क बात कर रहा ह

5- पदयाश का उपयकत शीषरक लखए|

खड-ख परशन सखया -3

नबध लखन

सझाव परशन सखया 3 नबध लखन होगा | नबध लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय

का वसतार 3- नषकषर

3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|

4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|

उदाहरण-

जीवन म अनशासन का महततव

अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|

वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|

िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||

अभयास कायर-

1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका

परशन सखया-4

पतर-लखन

सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव

पता लखत ह|

3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय

(परषक का नाम)

( पता)

पतर का परारप

शकायती पतर

(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर

रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए

|)

सवा म

मखय अधकार

परदषण-नयतरण वभाग

वाराणसी उततर-परदश |

दनाक 26112013

वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|

महोदय

म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स

आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह

पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग

धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद

म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक

इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ

स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई

कायरवाह नह हई|

महोदय आपस वनमर नवदन ह क ऐस उदयोग ससथान को परदषण सबधी नोटस भजा

जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल

सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|

धनयवाद सहत|

भवदय

नीरज कमार

रामनगर कालोनी वाराणसी|

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 9

व सवसथ रहत ह और सवभावक ह क अधक लमबी उमर जीत ह| अत जो सब पान क लए इसान भागदौड़ करता ह हसी उस दशा म दवा का काम करती ह|

परशन-

1- हसी का जीवन म कया महततव ह 2

2- लोग हसना कय भल गए ह 2

3- हसी क जररत कय महसस क जा रह ह 2

4- हसी दवा क रप म कस परकार काम करती ह 2

5- लमबी आय क लए मनषय को कया करना चाहए 2

6- खशमजाज लोग जीवन म अधक सफल कय होत ह 2

7- हमार तनाव का मखय कारण कया ह 1

8- तनावपणर का समास वगरह कर समास का नाम लखए| 1

9- उपरोकत गदयाश का शीषरक दिजए| 1

4

यदयप यह शाशवत सतय ह फर भी मतय स सबको भय लगता ह| वासतव म भय कसी वसत स अलग हो जान का ह|जो छटता ह उसम भय ह| धन छट जान का भय परवार छट जान का भय | तयाग म भय ह| कस तयाग म भय ह िजन वसतओ को परवारजन को हम उपयोगी समझत ह उनक तयाग म भय ह| वहा भय नह होता जहा तयाग अपनी इचछा स कया जाए| जस कपड़ा पराना हो जाए तो हम उस अपनी इचछा स तयाग दत ह| ऐस तयाग म सतोष ह| दःख वहा होता ह जहा कोई वसत छन या छट जाती ह|हम धन या कपड़ा दसर को द सकत ह परनत एक वसत ह lsquoपराणrsquo जो हम नह द सकत ह शरर स पराण नकल जाए तो हम कहत ह मतय हो गयी| इसम दःख होता ह कयक पराण को इचछा स नह छोड़त| पचभत स बना यह शरर पहल वकास को परापत होता ह और फर हरास क ओर उनमख होता ह| पच महाभत क साथ आतमा का जड़ जाना जनम ह| पच महाभत स आतमा का अलग हो जाना मतय ह| हमार मनीषी बतात ह क जो लोग मतय स नभरय होकर जीवन को पणरता क साथ और अथरपणर जीत ह व ह अपना जीवन आतमवशवास स जी पात ह| परनत हमम स अधकतर जीवन क परवतरन और उलटफर म इतन तटसथ और उदासीन रहत ह क मतय क बार म अानी स बन रहत ह | मतय अपन शकार पर बाज पी क तरह अचानक आकरमण कर दती ह| गर तगबहादर चतावनी दत ह परय मतर मतय सवचछद ह वह कभी भी अपन शकार क भण को झपट सकती ह| वह चपचाप ह आकरमण कर दती हअत आनद और परम क साथ जीओ|

परशन-

1- भय का कारण लखक कया मानता ह 2

2- इचछा कस परकार भय उतपनन कराती ह 2

3- जनम तथा मतय को गदयाश म कस परका परभाषत कया गया ह 2

4- जीवन म नभरय होना कय जरर ह 2

5- गर तगबहादर जी क चतावनी का कया अभपराय ह 2

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 10

6- कस तयाग म सतोष होता ह 1

7- लखक दःख क िसथत कब मानता ह 1

8- जीवन कब अथरपणर तथा पणरतया माना जाता ह 1

9- lsquoजनमrsquo का वलोम शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए| 1

परशन सखया-2 उदाहरण- 1

कया तमन कभी सनी ह

सपन म चमकती कलहाड़य क भय स

पड़ क चीतकार

कलहाड़य क वार सहत

कसी पड़ क हलती टहनय म

दखाई पड़ ह तमह

मदद क लए पकारत हजार- हज़ार हाथ

कया होती ह तमहार भीतर धमस

कटकर गरता ह जब कोई पड़ धरती पर

परशन- 1 कौन कलहाड़य का वार सहता ह 1x 5=5

उततर- 1 पड़ कलहाड़य क वार सहता ह | परशन-2 कव कया सनन क बात कहता ह

उततर-2 सपन म पड़ क चीतकार | परशन-3 उपरोकत पिकतय म कसक वयथा दखाई गयी ह

उततर- पड़-पौध क कटन स उनक वयथा| परशन- 4 कव कसस सवाल पछता ह

उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए

उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|

अभयास हत परशन ndash 1

मन समपरततन समपरत

और यह जीवन समपरत

चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत

आय का ण-ण समपरत

चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |

तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|

गाव मर दवारघरआगन मा दो|

दश का जयगान अधर पर सजा ह

दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|

य समन लो य चमन लो

नीड़ का तण ndashतण समपरत|

चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |

1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5

2- मातभम का हम पर कया ऋण ह

3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय

4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह

5- कव कस-कस स मा मागता ह

3

एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा

बहन लगता ह

साहब हम छोड़कर जा रह ह

इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|

म बार-बार सामन जाती ह

रोती हगड़गड़ाती ह

करती ह वनती हर बार

साहब जी इधर भी दख लो एक बार|

पर साहब ह क

कभी मझ नीच पटक दत ह |

कभी पीछ सरका दत ह

और कभी-कभी तो

फाइल क ढर तल

दबा दत ह |

अधकार बार-बार

अदर झाक जाता ह

डरत डरत पछ जाता ह

साहब कहा गए

हसतार हो गए

दसर फ़ाइल न

उस पयार स समझाया

जीवन का नया फलसफा सखाया

बहन हम य ह रोत ह

बकार गड़गड़ात ह

लोग आत ह जात ह

हसतार कहा रकत ह

हो ह जात ह|

पर कछ बात ऐसी होती ह

जो दखाई नह दती

और कछ आवाज

सनाई नह दती

जस फल खलत ह

और अपनी महक छोड़ जात ह

वस ह कछ लोग

कागज़ पर नह

दल पर हसतार छोड़ जात ह|

1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5

2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह

3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया

4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह

5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |

4

तम नह चाहत थ कया ndash

फल खल

भौर गज

ततलया उड़

नह चाहत थ तम ndash

शरादाकाश

वसत क हवा

मजरय का महोतसव

कोकल क कह हरन क दौड़

तमह तो पसद थ भड़ए

भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी

समची हरयाल क धआ बनात वसफोट

तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा

आकाशगामी हो गए सब

कोलाहल म डब वाणी वहन

अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ

वड मनतर क धयाता

पहचानो अपनी धरती

अपना आकाश

1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5

2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात

3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|

भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह

5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|

5

जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन

िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |

गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान

िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|

माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह

हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|

मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत

िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत

मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह

हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|

ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार

उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|

1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5

2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह

3- मतय क उपरात मातभम का मानव क लए कया महततव ह

4- कव कसक ऊपर अपना सब कछ बलहार करन क बात कर रहा ह

5- पदयाश का उपयकत शीषरक लखए|

खड-ख परशन सखया -3

नबध लखन

सझाव परशन सखया 3 नबध लखन होगा | नबध लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय

का वसतार 3- नषकषर

3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|

4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|

उदाहरण-

जीवन म अनशासन का महततव

अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|

वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|

िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||

अभयास कायर-

1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका

परशन सखया-4

पतर-लखन

सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव

पता लखत ह|

3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय

(परषक का नाम)

( पता)

पतर का परारप

शकायती पतर

(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर

रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए

|)

सवा म

मखय अधकार

परदषण-नयतरण वभाग

वाराणसी उततर-परदश |

दनाक 26112013

वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|

महोदय

म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स

आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह

पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग

धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद

म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक

इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ

स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई

कायरवाह नह हई|

महोदय आपस वनमर नवदन ह क ऐस उदयोग ससथान को परदषण सबधी नोटस भजा

जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल

सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|

धनयवाद सहत|

भवदय

नीरज कमार

रामनगर कालोनी वाराणसी|

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

T o t a l P a g e s = 4 4 P a g e | 10

6- कस तयाग म सतोष होता ह 1

7- लखक दःख क िसथत कब मानता ह 1

8- जीवन कब अथरपणर तथा पणरतया माना जाता ह 1

9- lsquoजनमrsquo का वलोम शबद लखए| 1

10- उपरोकत गदयाश का शीषरक लखए| 1

परशन सखया-2 उदाहरण- 1

कया तमन कभी सनी ह

सपन म चमकती कलहाड़य क भय स

पड़ क चीतकार

कलहाड़य क वार सहत

कसी पड़ क हलती टहनय म

दखाई पड़ ह तमह

मदद क लए पकारत हजार- हज़ार हाथ

कया होती ह तमहार भीतर धमस

कटकर गरता ह जब कोई पड़ धरती पर

परशन- 1 कौन कलहाड़य का वार सहता ह 1x 5=5

उततर- 1 पड़ कलहाड़य क वार सहता ह | परशन-2 कव कया सनन क बात कहता ह

उततर-2 सपन म पड़ क चीतकार | परशन-3 उपरोकत पिकतय म कसक वयथा दखाई गयी ह

उततर- पड़-पौध क कटन स उनक वयथा| परशन- 4 कव कसस सवाल पछता ह

उततर-4 कव सभय समाज स सवाल पछता ह| परशन-5 हम पड़ क परत कसा रवया अपनाना चाहए

उततर-5 हम पड़ क परत सवदनशील रवया अपनाना चाहए एव उनह काटन स रोकना चाहए|

अभयास हत परशन ndash 1

मन समपरततन समपरत

और यह जीवन समपरत

चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत

आय का ण-ण समपरत

चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |

तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|

गाव मर दवारघरआगन मा दो|

दश का जयगान अधर पर सजा ह

दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|

य समन लो य चमन लो

नीड़ का तण ndashतण समपरत|

चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |

1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5

2- मातभम का हम पर कया ऋण ह

3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय

4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह

5- कव कस-कस स मा मागता ह

3

एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा

बहन लगता ह

साहब हम छोड़कर जा रह ह

इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|

म बार-बार सामन जाती ह

रोती हगड़गड़ाती ह

करती ह वनती हर बार

साहब जी इधर भी दख लो एक बार|

पर साहब ह क

कभी मझ नीच पटक दत ह |

कभी पीछ सरका दत ह

और कभी-कभी तो

फाइल क ढर तल

दबा दत ह |

अधकार बार-बार

अदर झाक जाता ह

डरत डरत पछ जाता ह

साहब कहा गए

हसतार हो गए

दसर फ़ाइल न

उस पयार स समझाया

जीवन का नया फलसफा सखाया

बहन हम य ह रोत ह

बकार गड़गड़ात ह

लोग आत ह जात ह

हसतार कहा रकत ह

हो ह जात ह|

पर कछ बात ऐसी होती ह

जो दखाई नह दती

और कछ आवाज

सनाई नह दती

जस फल खलत ह

और अपनी महक छोड़ जात ह

वस ह कछ लोग

कागज़ पर नह

दल पर हसतार छोड़ जात ह|

1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5

2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह

3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया

4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह

5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |

4

तम नह चाहत थ कया ndash

फल खल

भौर गज

ततलया उड़

नह चाहत थ तम ndash

शरादाकाश

वसत क हवा

मजरय का महोतसव

कोकल क कह हरन क दौड़

तमह तो पसद थ भड़ए

भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी

समची हरयाल क धआ बनात वसफोट

तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा

आकाशगामी हो गए सब

कोलाहल म डब वाणी वहन

अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ

वड मनतर क धयाता

पहचानो अपनी धरती

अपना आकाश

1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5

2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात

3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|

भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह

5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|

5

जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन

िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |

गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान

िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|

माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह

हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|

मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत

िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत

मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह

हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|

ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार

उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|

1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5

2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह

3- मतय क उपरात मातभम का मानव क लए कया महततव ह

4- कव कसक ऊपर अपना सब कछ बलहार करन क बात कर रहा ह

5- पदयाश का उपयकत शीषरक लखए|

खड-ख परशन सखया -3

नबध लखन

सझाव परशन सखया 3 नबध लखन होगा | नबध लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय

का वसतार 3- नषकषर

3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|

4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|

उदाहरण-

जीवन म अनशासन का महततव

अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|

वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|

िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||

अभयास कायर-

1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका

परशन सखया-4

पतर-लखन

सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव

पता लखत ह|

3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय

(परषक का नाम)

( पता)

पतर का परारप

शकायती पतर

(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर

रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए

|)

सवा म

मखय अधकार

परदषण-नयतरण वभाग

वाराणसी उततर-परदश |

दनाक 26112013

वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|

महोदय

म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स

आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह

पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग

धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद

म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक

इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ

स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई

कायरवाह नह हई|

महोदय आपस वनमर नवदन ह क ऐस उदयोग ससथान को परदषण सबधी नोटस भजा

जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल

सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|

धनयवाद सहत|

भवदय

नीरज कमार

रामनगर कालोनी वाराणसी|

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

अभयास हत परशन ndash 1

मन समपरततन समपरत

और यह जीवन समपरत

चाहता हदश क धरती तझ कछ और द| मा तमहारा ऋण बहत हम अकचन कनत इतना कर रहा फर भी नवदन| थाल म लाऊ सजाकर भाल जब भी कर दया सवीकार लना वह समपरण | गान अपरतपराण अपरत रकत का कण-कण समपरत | चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द| कर रहा आराधना म आज तर एक वनती तो करो सवीकार मर| भाल पर मॉल डॉ चरण क धल थोड़ी शीश पर आशीष क छाया घनर| सवपन अपरत परशन अपरत

आय का ण-ण समपरत

चाहता ह दश क धरतीतझ कछ और भी द |

तोड़ता ह मोह का बधनमा दो|

गाव मर दवारघरआगन मा दो|

दश का जयगान अधर पर सजा ह

दश का धवज हाथ म कवल थमा डॉ|

य समन लो य चमन लो

नीड़ का तण ndashतण समपरत|

चाहता ह दश क धरती तझ कछ और द |

1- कव दश क धरती को कया-कया समपरत करना चाहता ह 1x5=5

2- मातभम का हम पर कया ऋण ह

3- कव दश क आराधना म कया नवदन करता ह तथा कय

4- दश क परत आय का ण-ण समपरत करन क बाद भी कव क सतिषट कय नह ह

5- कव कस-कस स मा मागता ह

3

एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा

बहन लगता ह

साहब हम छोड़कर जा रह ह

इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|

म बार-बार सामन जाती ह

रोती हगड़गड़ाती ह

करती ह वनती हर बार

साहब जी इधर भी दख लो एक बार|

पर साहब ह क

कभी मझ नीच पटक दत ह |

कभी पीछ सरका दत ह

और कभी-कभी तो

फाइल क ढर तल

दबा दत ह |

अधकार बार-बार

अदर झाक जाता ह

डरत डरत पछ जाता ह

साहब कहा गए

हसतार हो गए

दसर फ़ाइल न

उस पयार स समझाया

जीवन का नया फलसफा सखाया

बहन हम य ह रोत ह

बकार गड़गड़ात ह

लोग आत ह जात ह

हसतार कहा रकत ह

हो ह जात ह|

पर कछ बात ऐसी होती ह

जो दखाई नह दती

और कछ आवाज

सनाई नह दती

जस फल खलत ह

और अपनी महक छोड़ जात ह

वस ह कछ लोग

कागज़ पर नह

दल पर हसतार छोड़ जात ह|

1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5

2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह

3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया

4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह

5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |

4

तम नह चाहत थ कया ndash

फल खल

भौर गज

ततलया उड़

नह चाहत थ तम ndash

शरादाकाश

वसत क हवा

मजरय का महोतसव

कोकल क कह हरन क दौड़

तमह तो पसद थ भड़ए

भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी

समची हरयाल क धआ बनात वसफोट

तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा

आकाशगामी हो गए सब

कोलाहल म डब वाणी वहन

अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ

वड मनतर क धयाता

पहचानो अपनी धरती

अपना आकाश

1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5

2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात

3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|

भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह

5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|

5

जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन

िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |

गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान

िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|

माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह

हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|

मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत

िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत

मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह

हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|

ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार

उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|

1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5

2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह

3- मतय क उपरात मातभम का मानव क लए कया महततव ह

4- कव कसक ऊपर अपना सब कछ बलहार करन क बात कर रहा ह

5- पदयाश का उपयकत शीषरक लखए|

खड-ख परशन सखया -3

नबध लखन

सझाव परशन सखया 3 नबध लखन होगा | नबध लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय

का वसतार 3- नषकषर

3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|

4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|

उदाहरण-

जीवन म अनशासन का महततव

अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|

वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|

िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||

अभयास कायर-

1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका

परशन सखया-4

पतर-लखन

सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव

पता लखत ह|

3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय

(परषक का नाम)

( पता)

पतर का परारप

शकायती पतर

(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर

रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए

|)

सवा म

मखय अधकार

परदषण-नयतरण वभाग

वाराणसी उततर-परदश |

दनाक 26112013

वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|

महोदय

म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स

आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह

पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग

धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद

म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक

इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ

स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई

कायरवाह नह हई|

महोदय आपस वनमर नवदन ह क ऐस उदयोग ससथान को परदषण सबधी नोटस भजा

जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल

सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|

धनयवाद सहत|

भवदय

नीरज कमार

रामनगर कालोनी वाराणसी|

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

3

एक फ़ाइल न दसर फ़ाइल स कहा

बहन लगता ह

साहब हम छोड़कर जा रह ह

इसीलए तो सारा काम जलद-जलद नपटा रह ह|

म बार-बार सामन जाती ह

रोती हगड़गड़ाती ह

करती ह वनती हर बार

साहब जी इधर भी दख लो एक बार|

पर साहब ह क

कभी मझ नीच पटक दत ह |

कभी पीछ सरका दत ह

और कभी-कभी तो

फाइल क ढर तल

दबा दत ह |

अधकार बार-बार

अदर झाक जाता ह

डरत डरत पछ जाता ह

साहब कहा गए

हसतार हो गए

दसर फ़ाइल न

उस पयार स समझाया

जीवन का नया फलसफा सखाया

बहन हम य ह रोत ह

बकार गड़गड़ात ह

लोग आत ह जात ह

हसतार कहा रकत ह

हो ह जात ह|

पर कछ बात ऐसी होती ह

जो दखाई नह दती

और कछ आवाज

सनाई नह दती

जस फल खलत ह

और अपनी महक छोड़ जात ह

वस ह कछ लोग

कागज़ पर नह

दल पर हसतार छोड़ जात ह|

1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5

2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह

3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया

4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह

5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |

4

तम नह चाहत थ कया ndash

फल खल

भौर गज

ततलया उड़

नह चाहत थ तम ndash

शरादाकाश

वसत क हवा

मजरय का महोतसव

कोकल क कह हरन क दौड़

तमह तो पसद थ भड़ए

भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी

समची हरयाल क धआ बनात वसफोट

तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा

आकाशगामी हो गए सब

कोलाहल म डब वाणी वहन

अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ

वड मनतर क धयाता

पहचानो अपनी धरती

अपना आकाश

1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5

2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात

3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|

भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह

5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|

5

जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन

िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |

गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान

िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|

माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह

हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|

मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत

िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत

मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह

हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|

ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार

उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|

1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5

2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह

3- मतय क उपरात मातभम का मानव क लए कया महततव ह

4- कव कसक ऊपर अपना सब कछ बलहार करन क बात कर रहा ह

5- पदयाश का उपयकत शीषरक लखए|

खड-ख परशन सखया -3

नबध लखन

सझाव परशन सखया 3 नबध लखन होगा | नबध लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय

का वसतार 3- नषकषर

3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|

4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|

उदाहरण-

जीवन म अनशासन का महततव

अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|

वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|

िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||

अभयास कायर-

1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका

परशन सखया-4

पतर-लखन

सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव

पता लखत ह|

3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय

(परषक का नाम)

( पता)

पतर का परारप

शकायती पतर

(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर

रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए

|)

सवा म

मखय अधकार

परदषण-नयतरण वभाग

वाराणसी उततर-परदश |

दनाक 26112013

वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|

महोदय

म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स

आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह

पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग

धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद

म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक

इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ

स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई

कायरवाह नह हई|

महोदय आपस वनमर नवदन ह क ऐस उदयोग ससथान को परदषण सबधी नोटस भजा

जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल

सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|

धनयवाद सहत|

भवदय

नीरज कमार

रामनगर कालोनी वाराणसी|

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

जस फल खलत ह

और अपनी महक छोड़ जात ह

वस ह कछ लोग

कागज़ पर नह

दल पर हसतार छोड़ जात ह|

1- साहब जलद-जलद काम कय नपटा रह ह 1x5=5

2- फ़ाइल क वनती पर साहब क कया परतकरया होती ह

3- दसर फ़ाइल न पहल फ़ाइल को कया समझाया

4- फल क कया वशषता उपरोकत पिकतय म बताई गयी ह

5- इस कावयाश का भाव सपषट कर |

4

तम नह चाहत थ कया ndash

फल खल

भौर गज

ततलया उड़

नह चाहत थ तम ndash

शरादाकाश

वसत क हवा

मजरय का महोतसव

कोकल क कह हरन क दौड़

तमह तो पसद थ भड़ए

भड़ए स धीर धीर जनगालात आदमी

समची हरयाल क धआ बनात वसफोट

तमन ह बना दया ह सबको अधा बहरा

आकाशगामी हो गए सब

कोलाहल म डब वाणी वहन

अब भी समय हखड़ हो जाओ अधर क खलाफ

वड मनतर क धयाता

पहचानो अपनी धरती

अपना आकाश

1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5

2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात

3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|

भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह

5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|

5

जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन

िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |

गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान

िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|

माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह

हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|

मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत

िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत

मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह

हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|

ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार

उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|

1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5

2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह

3- मतय क उपरात मातभम का मानव क लए कया महततव ह

4- कव कसक ऊपर अपना सब कछ बलहार करन क बात कर रहा ह

5- पदयाश का उपयकत शीषरक लखए|

खड-ख परशन सखया -3

नबध लखन

सझाव परशन सखया 3 नबध लखन होगा | नबध लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय

का वसतार 3- नषकषर

3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|

4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|

उदाहरण-

जीवन म अनशासन का महततव

अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|

वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|

िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||

अभयास कायर-

1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका

परशन सखया-4

पतर-लखन

सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव

पता लखत ह|

3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय

(परषक का नाम)

( पता)

पतर का परारप

शकायती पतर

(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर

रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए

|)

सवा म

मखय अधकार

परदषण-नयतरण वभाग

वाराणसी उततर-परदश |

दनाक 26112013

वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|

महोदय

म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स

आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह

पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग

धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद

म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक

इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ

स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई

कायरवाह नह हई|

महोदय आपस वनमर नवदन ह क ऐस उदयोग ससथान को परदषण सबधी नोटस भजा

जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल

सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|

धनयवाद सहत|

भवदय

नीरज कमार

रामनगर कालोनी वाराणसी|

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

1- कव कसक तरफ सकत कर रहा ह 1x5=5

2- आतक क रासत पर चलन वाल लोग को कौन-कौन स रप नह सहात

3- आशय सपषट किजए- तमह पसद थ भड़ए|

भड़य स धीर-धीर जगलात आदमी| 4- lsquoअब भी समय हrsquo कहकर कव कया अपा करता ह

5- वसत ऋत क सौनदयर का अपन शबद म वणरन किजए|

5

जनम दया माता सा िजसन कया सदा लालन-पालन

िजसक मटटी जल स ह ह रचा गया हम सब का तन |

गरवर नत रा करत हउचच उठा क शरग-महान

िजसक लता दरमादक करत हम सबको अपनी छाया दान|

माता कवल बाल काल म नज अक म धरती ह

हम अशकत जब तलक तभी तक पालन पोषण कराती ह|

मातभम करती ह सबका लालन सदा मतय पयरनत

िजसक दया परवाहो का होता न कभी सपन म अत

मर जान पर कण दह क इसम ह मल जात ह

हनद जलातयवन ईसाई शरण इसी म पात ह|

ऐसी मातभम मर ह सवणरलोक स भी पयार

उसक चरण-कमल पर मरा तन मन धन सब बलहार|

1- गरवर लता आद का हमार जीवन म कया महततव ह 1x 5=5

2- माता क अपा मातभम का हमार पालन-पोषण म अधक महततव कय ह

3- मतय क उपरात मातभम का मानव क लए कया महततव ह

4- कव कसक ऊपर अपना सब कछ बलहार करन क बात कर रहा ह

5- पदयाश का उपयकत शीषरक लखए|

खड-ख परशन सखया -3

नबध लखन

सझाव परशन सखया 3 नबध लखन होगा | नबध लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय

का वसतार 3- नषकषर

3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|

4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|

उदाहरण-

जीवन म अनशासन का महततव

अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|

वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|

िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||

अभयास कायर-

1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका

परशन सखया-4

पतर-लखन

सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव

पता लखत ह|

3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय

(परषक का नाम)

( पता)

पतर का परारप

शकायती पतर

(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर

रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए

|)

सवा म

मखय अधकार

परदषण-नयतरण वभाग

वाराणसी उततर-परदश |

दनाक 26112013

वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|

महोदय

म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स

आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह

पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग

धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद

म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक

इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ

स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई

कायरवाह नह हई|

महोदय आपस वनमर नवदन ह क ऐस उदयोग ससथान को परदषण सबधी नोटस भजा

जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल

सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|

धनयवाद सहत|

भवदय

नीरज कमार

रामनगर कालोनी वाराणसी|

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

खड-ख परशन सखया -3

नबध लखन

सझाव परशन सखया 3 नबध लखन होगा | नबध लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- दए गए वकलप म िजस वषय क आपको समचत जानकार हो उस ह चन | 2- आप नबध क हसस को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- वषय का परचय 2- वषय

का वसतार 3- नषकषर

3- वषय वसत को रोचक बनान क लए आवशयकतानसार महापरष लखक क कथन या सामानय जीवन क अनभव को उदाहरण क रप म परसतत कर सकत ह|

4- शबद सीमा का धयान रख एव अनावशयक बात लखन स बच|

उदाहरण-

जीवन म अनशासन का महततव

अनशासन का अथर ह lsquoशासन क पीछ चलनाrsquo| अथारत सामािजकराजनीतक तथा धामरक सभी परकार क आदश और नयम का पालन करना| अनशासन का पालन पालन करना उन सब वयिकतय क लए अनवायर होता ह िजनक लए व बनाए गए ह|

वयवहारक जीवन म अनशासन का होना नतात आवशयक ह| यद हम घर म घर क नयम का उललघन करग बाज़ार म बाज़ार क नयम का उललघन करगसकल म सकल क नयम का उललघन करग तो सभी हमार वयवहार स असतषट हो जाएग हम अशषट समझ लया जाएगा| कसी भी समाज क वयवसथा तभी ठक रह सकती ह जब उस समाज क सभी सदसय अनशासत तथा नयमत ह| यद समाज म अनशासनहनता आ जाए तो सारा समाज दषत हो जाता ह|

िजस दश म अनशासन नह वहा शासक और शासत दोन परशान रहत ह| राषटर का वातावरण अशात रहता ह और वकास क मागर म बाधा उतपनन हो जाती ह अनशासनहनता क िसथत म सनय शिकत दबरल हो जाती ह| अनशासन सना का पराण ह | बना अनशासन क एकता सगठन चसती और शिकत सब कछ छनन भनन हो जात ह| िजस दश क सना म अनशासन क कमी हो वह दश पतन क गतर म गरता ह| अनशासन जीवन क परतयक तर म आवशयक ह| परशन यह उठता ह क अनशासन क भावना जगाई कस जाए| अनशासन सखती स उतपनन करन क वसत नह ह| यह वातावरण और अभयास पर नभरर करती ह| जनम लत ह बचच को ऐसा वातावरण मल िजसम सब कायर नयमत और अनशासत ह जहा सब लोग अनशासन का पालन करत ह तो उस बचच क आय बढ़न क साथ-साथ उस अनशासन का महततव हो जाता ह||

अभयास कायर-

1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका

परशन सखया-4

पतर-लखन

सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव

पता लखत ह|

3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय

(परषक का नाम)

( पता)

पतर का परारप

शकायती पतर

(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर

रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए

|)

सवा म

मखय अधकार

परदषण-नयतरण वभाग

वाराणसी उततर-परदश |

दनाक 26112013

वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|

महोदय

म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स

आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह

पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग

धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद

म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक

इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ

स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई

कायरवाह नह हई|

महोदय आपस वनमर नवदन ह क ऐस उदयोग ससथान को परदषण सबधी नोटस भजा

जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल

सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|

धनयवाद सहत|

भवदय

नीरज कमार

रामनगर कालोनी वाराणसी|

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

अभयास कायर-

1 व लगाओ जीवन बचाओ 2 बदलत जीवन मलय 3 नई सद नया समाज 4 कामकाजी महलाओ क समसयाए दश क परगत म महलाओ का योगदान 5 राषटर-नमारण म यवा पीढ़ का योगदान 6 इटरनट सकारातमक और नकारातमक परभाव 7 महानगरय जीवन क चनौतया 8 लोकततर म मीडया क भमका

परशन सखया-4

पतर-लखन

सझाव परशन सखया 4 पतर लखन होगा | पतर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पतर का आरमभ बायी ओर स कर एव पतर लखन क परारप का वशष धयान रख| 2- सवरपरथम lsquo सवा मrsquo लखत ह उसक बाद पतर परापत करन वाल का नाम(पदनाम) वभाग का नाम एव

पता लखत ह|

3- ततपशचात दनाक लखत ह | तदपरात पतर क वषय को लखत ह| 4- समबोधन क रप मानयवर या महोदय लखत हए पतर का आरमभ करत ह | अत म भवदय लखन क बाद परषक का नाम लखत ह| यथा- सवा म ( अधकार का पदनाम) ( कायारलय का नाम) ( पता ) ( दनाक) वषय महोदय | भवदय

(परषक का नाम)

( पता)

पतर का परारप

शकायती पतर

(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर

रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए

|)

सवा म

मखय अधकार

परदषण-नयतरण वभाग

वाराणसी उततर-परदश |

दनाक 26112013

वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|

महोदय

म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स

आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह

पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग

धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद

म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक

इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ

स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई

कायरवाह नह हई|

महोदय आपस वनमर नवदन ह क ऐस उदयोग ससथान को परदषण सबधी नोटस भजा

जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल

सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|

धनयवाद सहत|

भवदय

नीरज कमार

रामनगर कालोनी वाराणसी|

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

पतर का परारप

शकायती पतर

(आपक तर म िसथत एक औदयोगक ससथान का गदा पानी आपक नगर क नद को दषत कर

रहा ह | परदषण नयतरण वभाग क मखय अधकार को पतर दवारा इस समसया स अवगत कराइए

|)

सवा म

मखय अधकार

परदषण-नयतरण वभाग

वाराणसी उततर-परदश |

दनाक 26112013

वषय- औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण को नयतरत करन क सदभर म|

महोदय

म नीरज कमार रामनगर कालोनी वाराणसी का रहन वाला ह |म इस पतर क माधयम स

आपका धयान औदयोगक ससथान क गद पानी दवारा फल रह परदषण वशषकर दषत हो रह

पवतर नद गगा क तरफ आकषरत कराना चाहता ह| वदत हो क इस शहर म अनक उदगयोग

धध ह| वसतर-नमारण एव रसायन स सबधत कारखान सनकलन वाला दषत जल सीध गगा नद

म जाता ह| यह जल इतना दषत ह क इस पश तक भी पीना पसद नह करत यह नह बिलक

इसक परभाव स नद क मछलया भी मरन लगी ह| वदत हो क गगा नद लोग क भावनाओ

स जड़ी ह| सथानीय अधकारय स इस बार म अनक बार शकायत भी क जा चक ह पर कोई

कायरवाह नह हई|

महोदय आपस वनमर नवदन ह क ऐस उदयोग ससथान को परदषण सबधी नोटस भजा

जाए और आवशयक हो तो कठोर कायरवाह भी क जाए िजसस परदषण क समसया स नजात मल

सक | आशा ह क आप इस समसया क गभीरता को समझग तथा आवशयक कदम उठाएग|

धनयवाद सहत|

भवदय

नीरज कमार

रामनगर कालोनी वाराणसी|

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

अभयास कायर-

1-अनयमत डाक-वतरण क शकायत करत हए पोसटमासटर को पतर लखए 2-अपन तर म बजल-सकट स उतपनन कठनाइय का वणरन करत हए अधशासी अभयनता वदयत-

बोडर को पतर लखए 3-हड़ताल क कारण जनजीवन पर पड़न वाल परभाव पर वचार वयकत करत हए कसी समाचार पतर क

समपादक को पतर लखए| 4-सड़क क ददरशा पर खद परकट करत हए नगरपालका क मखय अधकार को पतर लखए | 5- कसी सामाचार पतर क समपादक को एक पतर लखए िजसम चनाव परचार को नयतरत करन का

सझाव दया गया हो

परशन सखया-5

जनसचार

सझाव परशन सखया 5 जनसचार पर आधारत अतलघउततरय परशन होगा | इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- पछ गए परशन का उततर एक या दो पिकत म लख| 2- यह अश हमार दनक जीवन स सबधत स सबधत ह िजस हम नरतर दखत रहत ह लखत

समय समसया आन पर तथय को समरण करन का परयास कर पन लख |

परशन-1 सचार कस कहत ह

उततर- लखत मौखक और साकतक रप स सचना को एक जगह स दसर जगह तक पहचाना सचार कहलाता ह| परशन-2 जनसचार कस कहत ह

उततर- सचना को कसी यतर क सहायता स एक सथान स दसर सथान तक पहचाना जनसचार कहलाता ह| परशन-3 जनसचार क महतवपणर कायर कया ह

उततर- जनसचार क महतवपणर कायर नमनलखत ह- 1- सचना दना

2- शत करना

3- मनोरजन करना

4- नगरानी करना

5- एजडा तयार करना

6- वचार-वमशर करना

परशन-4 जनसचार को कतन माधयम म वभािजत कया गया ह

उततर- जनसचार क दो महतवपणर माधयम ह-

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

1- परट(मदरण) माधयम ( समाचार पतर पतरकाए) 2- इलकटरानक माधयम ( रडय टलवजन इटरनट फकस सनमा मोबाइल )

परशन-5 मदरत माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण 1- समाचार को सहजकर रख सकत ह 2- समाचार को बार-बार पढ़ सकत ह| कमी- 1- एक साथ एक ह आदमी उसको पढ़ सकता ह 2- नरर आदमी समाचार नह पा सकता ह| परशन-6 इलकटरानक माधयम क दो गण एव दो कमया बताइए

उततर- गण-1- एक साथ अधक स अधक लोग समाचार गरहण कर सकत ह|2- नरर भी समाचार पा सकत ह| कमी-1- इस सहजकर नह रख सकत ह|2- बार-बार समाचार नह सन सकत |

परशन-7 समाचार क ( पतरकारता क ) भाषा शल कसी होनो चाहए

उततर- भाषा अतयत सरल होनी चाहए| वाकय छोटसीधसरल एव सपषट होन चाहए|अपरचलत भाषा भरामक भाषा आद क परयोग स बचना चाहए| परशन-8 उलटा परामड शल कया ह

उततर- उलटा परामड शल समाचार लखन क एक शल ह| इसक अतगरत समाचार क महतवपणर भाग को सबस पहल लखत ह तथा बाद म कम महततव क बात लखी जाती ह| परशन-9 पतरकार कतन परकार क होत ह | उततर- पतरकार तीन परकार क होत ह-

1- अशकालक पतरकार

2- पणरकालक पतरकार

3- सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार)

परशन- 10 अशकालक पतरकार कस कहत ह-

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन म कछ समय क लए काम करता ह वह अशकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-11 पणरकालक पतरकार कस कहत ह

उततर- जो पतरकार कसी समाचार सगठन सथायी रप स काम करता ह वह पणरकालक पतरकार

कहलाता ह|

परशन-12 सवततर पतरकार ( फरलासर पतरकार) कस कहत ह

उततर- जो पतरकार सवततर रप स पतरकारता करता ह अथारत वह कसी समाचार सगठन क लए कायर

नह करता ह वह (फरलासर पतरकार)सवततर पतरकार कहलाता ह|

परशन-13 समाचार लखन क कतन ककार होत ह|

उततर- समाचार लखन क छः ककार होत ह- कया कौन कब कहा कस कय|

परशन-14 समाचार म lsquoकलाईमकसrsquo कया होता ह

उततर- समाचार क अतगरत कसी घटना का नवीनतम एव महतवपणर प lsquoकलाईमकसrsquo कहलाता ह|

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

परशन-15 फलश या बरकग नयज स कया आशय ह

उततर- जब कोई वशष समाचार सबस पहल दशरक तक पहचाया जाता ह तो उस फलश या बरकग नयज

कहत ह|

परशन- 16 डराई एकर कया होता ह

उततर- डराई एकर वह होता ह जो समाचार क दशय नज़र नह आन तक दशरक को रपोटरर स मल

जानकार क आधार पर समाचार स सबधत सचना दता ह|

परशन-17 फोन-इन स कया तातपयर ह

उततर- एकर का घटना सथल स उपिसथत रपोटरर स फोन क माधयम स घटत घटनाओ क जानकार

दशरक तक पहचाना फोन-इन कहलाता ह|

परशन-15 lsquoलाइवrsquo स कया तातपयर ह|

उततर- कसी समाचार का घटनासथल स दरदशरन पर सीधा परसारण lsquoलाइवrsquo कहलाता ह|

परशन-16 इटरनट कया ह

उततर- इटरनट एक अतर करयातमक माधयम ह िजसम परट मीडयारडय टलवजन पसतक सनमा

एव पसतकालय क सभी गण वदयमान ह| इसक दवारा वशववयापी जाल स कोई भी सामगरी खोजी जा

सकती ह|

परशन- 17 भारत म इटरनट का आरमभ कब हआ था

उततर- भारत म इटरनट का आरमभ स 1993 म था|

परशन- 18 भारत म वबसाइट पर पतरकारता शर करन का शरय कस जाता ह

उततर- lsquoतहलका डॉट कामrsquo को |

परशन-20 वचारपरक लखन म कया-कया आता ह

उततर- वचारपरक लखन क अतगरत लख टपपणया समपादकय तथा सतभ लखन आद आता ह|

परशन-21 फचर कस कहत ह

उततर- कसी सवयविसथत सजनातमक और आतमनषठ लखन को फचर कहत ह िजसक अतगरत

सचनाओ क साथ-साथ मनोरजन पर भी धयान दया जाता ह|

परशन-22 lsquoसपादकयrsquo कस कहत ह

उततर- वह लख िजसम कसी मदद क परत समाचार पतर क अपनी राय परकट होती ह समपादकय

कहलाता ह|

परशन-23 पतरकारता का मल ततव कया ह

उततर- lsquoलोग क िजासाrsquo ह पतरकारता का मल ततव ह|

परशन-24 lsquoबीटrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoबीटrsquo का अथर ह समाचार का तर वशष | जस- खल वान कष मनोरजन फलम राजनीत

अथरवयवसथा |

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

परशन-25 समाचार लखन क लए सचनाए परापत करन का सरोत कौन-कौन स ह

उततर- परस-कानफ स परस-विपत साातकार सव जाच आद|

परशन-26 पयारवरण स सबधत पतरकाए कौन कौन सी ह

उततर- पयारवरण एबसटरकट डाउन ट अथर नशनल जयागरफ आद|

परशन-27 भारत म पहला छापाखाना कहा और कब खला

उततर- भारत म पहला छापाखाना गोवा म सन 1556 म खला|

परशन- 28वतरमान छापखान क आवषकार का शरय कसको ह

उततर- जमरनी क गटनबगर को|

परशन- 29 मदरण का आरभ कहा माना जाता ह

उततर- मदरण का आरमभ चीन म हआ |

परशन-30 डडलाइन कया होती ह

उततर- समाचार को परकाशत या परसारत होन क लए परस या सटडय म पहचन क आखर समय

सीमा डडलाइन कहलाती ह|

परशन- 31 नयजपग कया होता ह

उततर- िजस वषय पर लखा जा रहा हो और उसी वषय स सबधत कोई नई ताजा खबर िजसक

कारण वह वषय चचार म आ गया हो नयजपग कहलाता ह| जस IPL पर लखा जा रहा हो और सपॉट

फिकसग क खबर आ जाए तो वह नयजपग कहलाता ह|

परशन-32 पीत पतरकारता कया ह

उततर- पीत पतरकारता क अतगरत पाठक को लभान और सनसनी फलान क लए झठ अफवाह

वयिकतगत आरोप-परतयारोप भडाफोड़ स सबधत सचनाओ को परकाशत कया जाता ह|

परशन-33 पज थरी पतरकारता स कया आशय ह

उततर- पज थरी पतरकारता स आशय ऐसी पतरकारता स ह िजसम फ़शन अमीर क पाटरय

नामचीन हिसतय क नजी जीवन एव गतवधय स सबधत समाचार परकाशत होत ह|

परशन- 34 एडवोकसी पतरकारता कया ह

उततर- एडवोकसी पतरकारता स तातपयर ऐसी पतरकारता स ह जो कसी ख़ास वचारधारा या उददशय को

लकर एक जनमत बनान का कायर करता ह|

परशन- 35 lsquoवॉचडॉगrsquo पतरकारता कया ह

उततर- वह पतरकारता जो सरकार क कामकाज पर नगाह रखती ह तथा कमय और घोटाल का

पदारफ़ाश करती ह वॉचडॉग पतरकारता कहलाती ह|

परशन-36 समाचार क कोई चार ततव बताइए|

उततर- 1- नवीनता 2- नकटता 3- परभाव 4- जनरच |

परशन-37 lsquoऑप-एडrsquo कया होता ह

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

उततर- समपादकय पषठ क सामन वाल पनन म वशलषण फचर सतभ एव साातकार आद परकाशत

होत ह यह ऑप-एड होता ह|

परशन-38 lsquoडसकrsquo कस कहत ह

उततर- मीडया म lsquoडसकrsquoस तातपयर समपादन स ह|डसक पर समाचार का समपादन करक उनह छपन

योगय बनाया जाता ह|

परशन-39 समाचार क समपादन म कस बात का धयान रखा जाता ह

उततर- समाचार क समपादन म तथयपरकता वसतपरकता नषपता और सतलन जस सदधात का

धयान रखना पड़ता ह|

परशन-40 lsquoपतरकार दघारrsquo कया ह

उततर- वह सथान जो पतरकार को बठन क लए सरत रहता ह पतरकार दघार कहलाता ह|

परशन- 41 सपादन स कया तातपयर ह

उततर- समपादन स तातपयर ह- कसी सामगरी स उसक अशदधय को को दर करक उस पठनीय बनाना|

परशन-41 खोजी पतरकारता कया ह

उततर- खोजी पतरकारता क अतगरत पतरकार खोजबीन क जरए ऐसी सचना लोग तक लाता ह जो पहल

लोग को मालम नह थी|

परशन-42 lsquoइन डपथ रपोटरrsquo कया होती ह

उततर- इसक अतगरत सावरजनक तौर पर उपलबध सचनाओ आकड़ और तथय क छानबीन करक

कसी घटना समसया या मदद स जड़ पहलओ को सामन लाया जाता ह|

परशन- 43 lsquoएकर बाइटrsquo का कया अथर ह

उततर- कसी घटना को परसारत करत समय उसस जड़ दशय कथन या बातचीत को दशरक क सामन

परसतत कर उस घटना क परमाणकता को पषट करना lsquoएकर बाइटrsquo कहलाता ह|

परशन- 44 lsquoसतभ लखनrsquo स कया तातपयर ह

उततर- महतवपणर लखक क नयमत लखन करम को सतभ लखन कहा जाता ह|

परशन-45 lsquoइटरोrsquo स आप कया समझत ह

उततर- इटरो समाचार क परारमभ का हससा ह| इसम दो-तीन पिकतयम समाचार क मखय बात बताई

जाती ह|

परशन-46 इटरनट पतरकारता को अनय कन नाम स जाना जाता ह

उततर- ऑन लाइन पतरकारता साइबर पतरकारता वब पतरकारता |

परशन- 47 lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo स कया तातपयर ह

उततर- lsquoसमपादक क नाम पतरrsquo म पाठक वभनन वषय पर अपनी राय वयकत करत ह|

परशन- 48 पतरकारय लखन म पतरकार को कन बात का धयान रखना चाहए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

उततर- पतरकारय लखन म कभी भी पतरकार को लमब-लमब वाकय नह लखन चाहए एव अनावशयक

उपमाओ और वशषण क परयोग स बचना चाहए |

परशन-49 नयी वब भाषा को कया कहत ह

उततर- नयी वब भाषा को lsquoएचटएम एलrsquo अथारत हाइपर टकसट माकडरअप लगवज कहत ह|

परशन-50 lsquoऑडएसrsquo कस कहत ह|

उततर- यह दशरक शरोताओ और पाठक क लए परयकत होन वाला शबद ह|

परशन सखया- 6

सझाव परशन सखया 6 आलख या इसक वकलप क रप म पसतक समीा होगी| इस परशन का उततर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- आलख लखत समय वषय को तीन भाग म वभािजत कर ल| 1- परचय 2- तथय एव

आकड़ का तकर पणर वशलषण 3- नषकषर | 2- आलख क भाषा सरल सहज एव रोचक होनी चाहए| 3- आलख लखत समय भरामक एव सदगध जानकारय का उललख नह करना चाहए|

1

lsquo गोदाम म सड़ता अनाज और भख स तड़पत लोगrsquo

भारत वशाल जनसखया वाला दश ह िजसम दन-दन बढ़ोततर होती जा रह ह| वयापार वगर अपनी

मनमानी म लगा हआ ह| वह जब चाह बाजार का गराफ ऊपर-नीच कर द और उसका परणाम आम

जनता को भगतना पड़ता ह| ऐसा नह ह क उतपादन म आज जयादा कमी आई ह बिलक यह वयवसथा

का ह खल ह क सरकार गोदाम म अनाज भरा पडा ह और उस वतरत करन क पयारपत वयवसथा

नह ह फलत अनाज सड़ रहा ह या खल आकाश क नीच पड़ा-पड़ा बारश का इनतजार कर रहा ह|

लाख बोरया पड़-पड़ सड़ रह ह या चह क धापत र का साधन बन रह ह और इधर लोग भख स

बहाल एक-एक दान को तरस रह ह| सरकार अनाज को सभाल रखन म असमथर हो रह ह|

दश क बहत बड़ी आबाद भखमर का शकार ह| करोड़ो लोग अनन क अभाव म मरणासनन हो

राज ह| वशव सवासथय सगठन क अनसार आज २० करोड़ लोग को भरपट अनन नह मलता| 99

आदवासय को कवल दन म एक बार ह भोजन मल पाटा ह| वशव म लगभग 7000 लोग रोज और

25 लाख लोग सालाना भख स मर जात ह और सबस बड़ी वडमबना यह ह क आज भी भख स पीड़त

लोग म एक तहाई लोग भारत म रहत ह|

भारत क एक वसगत यह भी ह क जो कसान दन-रात परशरम कर अनन उगाता ह वह भख या

अधखाया रह जाता ह | सरकार-ततर को अनाज को गोदाम म सदाना जयादा नीतयकत लगता ह बजाय

इसक क भख क भख मट| यहा क कषमतरी यह गवारा नह करत क सड़ रहा अनाज भख लोग म

बाट दया जाए| यह भारत का दभारगय ह कहा जा सकता ह|

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

अभयास कायर-

1- समाज म बढ़त अपराध

2- महलाओ क परत बढ़त अपराध

3- वाहन क बढ़ती सखया

4- बाल मजदर एक बड़ी समसया

5- चननई म हई वषार स नकसान

6- भारतीय कसान क समसया

अथवा

सझाव परशन सखया 6 आलख क वकलप म पसतक समीा होगी| पसतक समीा लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash

1- पसतक क लखक क बार म जानकर एकतर कर ल | 2- आपन जो हाल म पसतक पढ़ हो उसक मलभाव को साराश रप म लख ल | 3- इस बात को अवशय बताए क पाठक यह पसतक कय पढ़ | 4- पसतक का मलय परकाशक का पता पता एव उपलबध होन क सथान क बार म भी

अवशय बताए|

1 पसतक समीा पसतक सतय क साथ परयोग

लखक महातमा गाधी महातमा गाधी 20 वी सद क एक ऐस महापरष ह िजनहन दनया को सतय और अहसा क रासत पर ल चलत हए मानवता का पाठ पढ़ाया| गाधी जी जस महापरष क वषय म जानन क उतसकता मर अनदर बहत दन स थी और यह पर हई मर पछल जनमदन पर जब मर एक मतर न उनक आतमकथा lsquo सतय क साथ परयोगrsquorsquo पसतक उपहार सवरप द | इस पसतक को पढ़न क बाद यह परमाणत हो जाता ह क इसान जात स धमर स या कल स महान नह बनता बिलक वह अपन वचार और कम स महान बनाता ह| गाधी जी न अपनी इस आतम कथा म बड़ ह ईमानदार स जीवन क सभी प को रखा ह| जस बचपन क गलतया पारवारक दायतव वकालत पढ़न क लए इगलड जाना पन दण अफरका जाकर नौकर करना एव वहा शोषत पीड़त भारतीय क हक़ क लड़ाई लड़ना| महातमा गाधी क यह आतमकथा भारतीय सवततरता आनदोलन और भारतीय क सामािजक राजनीतक धामरक आथरक िसथत को बड़ मामरक रप म परसतत करती ह| यह पसतक हम गाधी जी क वयिकततव और कततव क अनक पहलओ स परचय कराती ह| गाधी जी सतय एव अहसा क रासत पर चलत हए कभी भी हार न मानन वाल वयिकत थ| इस पसतक म गाधीजी न भारत क लोग को सवासथय शा और सवचछता क लए भी पररत कया साथ ह मलजलकर रहन क पररणा द|

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

इस पसतक क सबस महतवपणर वशषता ह इसक भाषा-शल | वस तो यह हद भाषा म अनवाद क गयी पसतक ह फर भी इसका इसम सरल सहज एव परभाशाल शबद का परयोग कया गया ह जो पाठक को पढ़न क लए बहत आकषरत करता ह| अत म म आपस यह कहना चाहगा क वशव क इस महान परष क वषय म जानना हो तो आप इस पसतक को अवशय पढ़| नवजीवन परकाशन दवारा परकाशत यह पसतक आजकल सभी बक सटाल पर उपलबध ह|

2 पसतक समीा

पसतक गोदान

लखक परमचद

पसतक ान का भडार होती ह| सचचा ान वह ह जो हम अपन आस-पास क परत सवदनशील बनाता ह | पछल दन मझ अपन वदयालय क पसतकालय म परमचद का क महान कत lsquorsquoगोदानrsquorsquo पसतक पढ़न का सौभागय मला िजसन मर मन को गहराई तक परभावत कया और अपन दश क कसान क हालत क बार म सोचन क लए मजबर कर दया| 20 वी सद क चौथ दशक म लखा गया यह उपानयास भारतीय कसान क अनक सतर पर कए गए जीवन सघषर क कहानी ह | इस उपनयास का परधान नायक होर ह िजसक इदर-गदर पर कहानी घमती ह| उपनयास क अनय चरतर क माधयम स भी परमचद न समाज क अनय आयाम को परतबबत कया ह| कजर एव सद महाजन सभयता एव जात-परथा जसी वषम चनौतय स जझता कसान कस तरह जीवन गजारता ह इस उपानयास का परमख क दर बद ह| आज हम 21 वी सद म जी रह ह जहा 1 अरब स अधक जनता का पट दश का कसान कड़ी महनत करक पालता ह फर भी हमार दश क कसान क हालत बहद चतनीय ह| यह पसतक हम कसान क जीवन क तरासद स परचत कराकर एक सवदना जागत करती ह|

इस उपानयास का सबस महतवपणर आकषरण ह इसक भाषा शल| परमचद न बहद सरल सहज और भावपणर भाषा क परयोग दवारा जनता क एक बड़ वगर को सवदनशील बनान म सफलता परापत क ह| महावर लोकोिकतय और वयवहारक सतरवाकय का परभावशाल परयोग इस उपानयास को जनता क करब ल जाता ह| आज यह पसतक लगभग सभी बक सटाल पर उपलबध ह| म आपस नवदन करगा क इस एक बार अवशय पढ़|

परशन सखया- 7

सझाव परशन सखया 7 फचर लखन ह (वासतव म फचर कसीवसत घटना सथान या वयिकत वशष क वशषताओ को उदघाटत करन वाला वशषट लख ह िजसम कालपनकता सजरनातमकता तथय घटनाए एव भावनाए एक ह साथ उपिसथत होत ह) |फचर लखत समय नमन सझाव आपक लए कारगर होगा ndash 1- फचर का आरमभ आकषरक होना चाहए िजसस पाठक पढ़न क लए उतसाहत हो जाए | 2- फचर म पाठक क उतसकता िजासा तथा भावनाओ को जागत करन क शिकत होनी

चाहए| 3- फचर को आकषरक बनान हत महावरलोकोिकतय और वयिकतगत जीवन अनभव क चचार

क जा सकती ह| 4- सवाद शल का परयोग कर आप फचर को रोचक बना सकत ह|

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

फचर

चनावी सभा म नताजी क वायद

भारतीय लोकततर वशव क सवततम शासन परणालय म स एक ह| इसम जनता दवारा चन गए परतनध जनता क इचछाओ को परा करन क लए जनता दवारा ह शासन चलात ह| जन परतनधय को चनन क यह परणाल चनाव कहलाती ह | आजकल भारत म चनाव कसी बड़ यदध स कम नह ह| इन जनयदध म चयनत परतनधय को सीध मतदान परणाल स चना जाता ह| इस अवसर पर हर नता

जनता क सामन हाथ जोड़कर उनह रझान क लए नए- नए वायद करता ह | ऐसी िसथत म हर नता

को अपन कद एव परसदध का पता लोग क परतकरयाओ स ह चलता ह|

इस बार क वधान सभा चनाव म मझ एक नता क जन सभा दखन का अवसर परापत हआ| यह जन

सभा नगर क एक राजकय वदयालय म आयोिजत क गयी थी | इस अवसर पर वदयालय क लमब

चौड़ मदान म एक बड़ा पडाल लगा था| िजसम हजार लोग को एक साथ बठन क वयवसथा क गयी

थी| जब पडाल म भीड़ जट गयी तब मच पर नताओ का आना शर हआ | पहल मच पर सथानीय

नताओ न रग ज़माना शर कया फर राषटरय सतर क नताओ न लचछदार भाषण दकर लोग का

सबोधत कया| इन नताओ न वपी पाट क नता को जमकर कोसा एव अपन नता को िजतान क

लए जनता स वोट मागत हए वापस चल दए साथ ह जनता भी अपन घर को लौट गयी| वदयालय

क मदान म बचा रह गया तो कवल ढर सी गनदगी एव कड़ा-करकट | चनाव म नता जीत या नह

जीत पर यह सभा मर हरदय पर नताओ क वचतर आचरण क एक छाप छोड़ गयी|

अभयास कायर-

1- बसत का बढ़ता बोझ गम होता बचपन 2- गाव स पलायन करत लोग 3- मोबाइल क सख दःख 4- महगाई क बोझ तल मजदर 5- वाहन क बढ़ती सखया 6- वरषठ नागरक क परत हमारा नजरया 7- कसान का एक दन

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

खड- ग परशन-8

सझाव परशन सखया 8 पाठय पसतक तज क कावयाश पर आधारत होगा | इस परशन को हल करत समय नमनलखत सझाव आपक लए कारगर हो सकता

1- दए गए कावयाश को धयानपवरक दो बार पढ़ एव उसक मल अथर को समझन का परयास कर |

2- दसर बार कावयाश को पढ़न स पवर परशन को भी पढ़ ल ततपशचात पसल स उततर सकत अकत कर|

3- परशन का उतर दत समय सतोष जनक उततर एव शबद सीमा का धयान रख| 4- पछ गए परशन क उततर अपन शबद म लखन का परयास कर|

उदाहरण -1

ldquoआखरकार वह हआ िजसका मझ डर था 2+2+2+2=8 ज़ोर ज़बरदसती स बात क चड़ी मर गई और वह भाषा म बकार घमन लगी हार कर मन उस कल क तरह ठक दया ऊपर स ठकठाक पर अदर स न तो उसम कसाव था न ताकत बात न जो एक शरारती बचच क तरह मझस खल रह थी मझ पसीना पछत दखकर पछा ndash कया तमन भाषा को सहलयत स बरतना कभी नह सीखा

परशन-क -बात क चड़ी कब मर जाती ह उसका कया परणाम होता ह परशन-ख -कल क तरह ठकन ndash का कया आशय ह परशन-ग बात क तलना शरारती बचच स कय क गई ह परशन-घ भाषा को सहलयत स बरतन का कया आशय ह

उततर ndash नमना

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

क भाषा क साथ जोर-जबरदसती करन और तोड़न-मरोड़न स उसक चड़ी मर जाती ह

परणामसवरप उसका परभाव नषट हो जाता ह

ख सीधी-सरल बात को बड़-बड़ शबद म उलझाकर छोड़ दना

ग जस बचचा शरारती अनयतरत होता ह वस ह कई बार बात ठक ढग स समझ म नह

आती ह

घ भाषा को अनावशयक ढग स रस छद अलकार म बाधन क बजाय सहज सरल और

सवाभावक ढग स परयोग म लाना

उदाहरण -2

ldquoतरती ह समीर-सागर पर 2+2+2+2=8

अिसथर सख पर दःख क छाया ndash जग क दगध हदय पर नदरय वपलव क पलावत माया- यह तर रण-तर भर आकााओ स घन भर ndashगजरन स सजग सपत अकर उर म पथवी क आशाओ स नवजीवन क ऊचा कर सर ताक रह ह ऐ वपलव क बादल फर ndashफर बार ndashबार गजरन वषरण ह मसलधार हदय थाम लता ससार सन- सन घोर वजर हकार | अशन पात स शायत शत-शत वीर त ndashवत हत अचल शरर गगन- सपश सपदधार धीर |rdquo परशन1 - कवता म बादल कस का परतीक हऔर कय परशन 2 -कव न lsquoजग क दगध हदयrsquondash का परयोग कस अथर म कया ह परशन3 -वपलवी बादल क यदध रपी नौका क कया- कया वशषताए ह परशन4 -बादल क बरसन का गरब एव धनी वगर स कया सबध जोड़ा गया ह उततर 1-बादलराग करात का परतीक ह इन दोन क आगमन क उपरात वशव हरा- भरा समदध और सवसथ हो जाता ह

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

2- कव न शोषण स पीड़त लोग को lsquoजग क दगध हदयrsquoकहा ह कयक व लोग अभाव और शोषण क कारण पीड़त ह व करणा का जल चाहत ह इसक लए बादल रपी करात स बरतन क परारथना क गई ह 3- -बादल क अदर आम आदमी क इचछाए भर हई हिजस तरह स यध नौका म यदध क सामगरी भर होती हयदध क तरह बादल क आगमन पर रणभर बजती ह सामानयजन क आशाओ क अकर एक साथ फट पड़त ह 4- बादल क बरसन स गरब वगर आशा स भर जाता ह एव धनी वगर अपन वनाश क आशका स भयभीत हो उठता ह

उदाहरण-- 3

सत बत नार भवन परवारा होह जाह जग बारह बारा अस बचार िजय जागह ताता मलइ न जगत सहोदर भराता जथा पख बन खग अत दना मन बन फन करबर कर हना अस मम िजवन बध बन तोह ज जड़ दव िजआव मोह जहउ अवध कवन मह लाई नार हत परय भाइ गवाई बर अपजस सहतउ जग माह नार हान बसष छत नाह परशन-1 राम क अनसार कौन सी वसतओ क हान बड़ी हान नह ह और कय परशन-2 पख क बना पी और सड क बना हाथी क कया दशा होती ह कावय परसग म इनका उललख कय कया गया ह परशन-3 जहउ अवध कवन मह लाईndash कथन क पीछ नहत भाव को सपषट किजए परशन-4 राम न नार क वषयम जो टपपणी क ह ndash उस पर वचार किजए उततर- 1 - उततर -राम क अनसार धन पतर एव नार क हान बड़ी हान नह ह कयक य सब खो जान पर पन परापत कय जा सकत ह पर एक बार सग भाई क खो जान पर उस पन परापत नह कया जा सकता | 2- राम वलाप करत हए अपनी भावी िसथत का वणरन कर रह ह क जस पख क बना पी और सड क बना हाथी पीड़त हो जाता हउनका अिसततव नगणय हो जाता ह वसा ह असहनीय कषट राम को लमण क न होन स होगा |

3 लमण अपन भाई को बहत पयार करत ह भाई राम क सवा क लए राजमहल तयाग दया अब उनह क मिचछरत होन पर राम को अतयत गलान हो रह ह

4- राम न नार क वषय म टपपणी क ह- lsquoनार हान वसष छत नाहrsquo यह टपपणी वासतव म परलापवश क ह यह अतयत दखी हदय क चीतकार मातर ह इसम भरात-शोक वयकत हआ ह इसम नार वषयक नीत-वचन खोजना वयथर ह

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

अभयास हत परशन

1 ldquoनौरस गच पखड़य क नाज़क गरह खोल ह या उड़ जान को रगो-ब गलशन म पर तौल ह |rdquo तार आख झपकाव ह जरार-जरार सोय ह तम भी सनो ह यार शब म सननाट कछ बोल ह

परशन1 - lsquoनौरसrsquo वशषण दवारा कव कस अथर क वयजना करना चाहता ह परशन2 - पखड़य क नाज़क गरह खोलन का कया अभपराय ह परशन3 - lsquoरगो- ब गलशन म पर तौल हrsquo ndash का अथर सपषट किजए| परशन4- lsquoजरार-जरार सोय हrsquondash का कया आशय ह

2

ldquoिज़दगी म जो कछ भी ह सहषर सवीकारा ह इसलए क जो कछ भी मरा ह वह तमह पयारा ह| गरबील गरबी यह य गभीर अनभव सबयह वभव वचार सब दढ़ता यहभीतर क सरता यह अभनव सब मौलक ह मौलक ह इसलए क पल-पल म जो कछ भी जागरत ह अपलक ह- सवदन तमहारा हrdquo

परशन 1- कव और कवता का नाम लखए| परशन2- गरबील गरबीभीतर क सरता आद परयोग का अथर सपषट किजए | परशन 3 - कव अपन परय को कस बात का शरय द रहा ह परशन 4 ndash कव को गरबी कसी लगती ह और कय

3

ldquoम जग-जीवन का भार लए फरता ह फर भी जीवन म पयार लए फरता ह कर दया कसी न झकत िजनको छकर म सास क दो तार लए फरता ह म सनह-सरा का पान कया करता ह म कभी न जग का धयान कया करता हrdquo

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

परशन १-कव अपन हदय म कया - कया लए फरता ह परशन २- कव का जग स कसा रशता ह परशन३- परवश का वयिकत स कया सबध हम सास क दो तार लए फरता हrsquo - क माधयमस कव कया कहना चाहता ह परशन4- कव जग का धयान कय नह कया करता ह

परशन-9

परशन सखया 9 क अतगरत पठत कवता स 2 अको क 3 परशन सौनदयरबोध आधारत पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह

1- पवरान (अलकाररसछद भाषा एव बब आद स सबधत) क पनरावितत कर ल | 2- कवता क पिकतय परयकत शबद को उदधत करत हए परशन का उततर द|

सदयर-बोध सबधी परशन

उदाहरण - 1

lsquolsquoजनम स ह लात ह अपन साथ कपासrsquo- lsquoदशाओ को मदग क बजात हएrsquo lsquoऔर भी नडर हो कर सनहल सरज क सामन आत हrsquo lsquoछत को और भी नरम बनात हएrsquo lsquoजब व पग भरत हए चल आत ह डाल क तरह लचील वग स अकसरlsquo छत क खतरनाक कनार तक उस समय गरन स बचाता ह उनह सफर उनक ह रोमाचत शारर का सगीतrsquorsquo |

क परसतत कावयाश क भाषा सबधी दो वशषताए बताइए

ख बमब सदयर सपषट किजए

ग शलप-सौदयर सपषट किजए

उततर-

क साहितयक खड़ी बोल क साथ-साथ ततसम और उदर शबद क परमखता ह

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

ख दशाओ को मदग क तरह बजाना डाल क तरह लचील वग स पग भरत हए इतयाद बमब

नवीन और दशरनीय ह

ग बचच क उतसाह क लए पग भरना लचील वग बचन पर का परयोग दशरनीय ह उपमाओ का

सम एव मनोरम परयोग दषटवय ह शल म रोचकता ह

2

ldquoपरात नभ था बहत नीला शख जस भोर का नभ राख स लपा चौका (अभी गीला पड़ा ह ) बहत काल सल ज़रा स लाल कसर स क जस धल गई हो सलट पर या लाल खड़या चाक मल द हो कसी न नील जल म या कसी क गौर झलमल दह जस हल रह हो | और जाद टटता ह इस उषा का अब सयदय हो रहा ह|rdquo परशन 1- कवता क भाषा एव अभवयिकत सबधी वशषताए लखए

परशन 2- कवता म आए दो अलकार को छॉटकर लखए

परशन 3- कावयाश म परयकत बब योजना सपषट किजए

उततर 1- भाषा सहज और ससकतनषठ हद ह बमबातमकता क साथ लघ शबदावलयकत मकत छद

का सदर परयोग हआ ह

2- उपमा अलकार- भोर का नभ राख स लपा चौका

उतपरा अलकार-ldquoबहत काल सल जरा स लाल कसर स क जस धल गई हो

lsquoनील जल म या कसी कगौर झलमल दह जस हल रह होrsquo

मानवीकरण अलकार का परयोग

3- नवीन और गरामीण उपमान का सदर परयोग हआ ह गतशील दशय बमब क सदर छटा दशरनीय ह

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

3

ldquoकसबी कसान-कल बनक भखार भाट चाकर चपल नट चोर चार चटक| पटको पढतगन गढ़त चढ़त गर अटत गहन ndashगन अहन अखटक| ऊच ndashनीच करम धरम ndashअधरम कर पट ह को पचत बचत बटा ndashबटक | lsquoतलसीrsquo बझाई एक राम घनसयाम ह त आग बड़वागत बड़ी ह आग पटक|rdquo परशन१- कवतावल कस भाषा म लखी गई ह

परशन२- कवतावल म परयकत छद एव रस को सपषट किजए |

परशन३- कवतत म परयकत अलकार को छाट कर लखए |

उततर 1- उततर - चलती हई बरज भाषा का सदर परयोग

2- इस पद म 31 31 वण का चार चरण वाला समवणरक कवतत छद ह िजसम 16 एव 15 वण

पर वराम होता ह करण रस क अभवयिकत

3- क- अनपरास अलकारndash

कसबी कसान-कल बनक भखार भाट

चाकर चपल नट चोर चार चटक|

ख रपक अलकारndash रामndash घनशयाम

ग अतशयोिकत अलकारndash आग बड़वागत बड़ ह आग पट क

अभयास हत परशन 1

ldquoनहला क छलक-छलक नमरल जल स उलझ हए गसओ म कघी करक कस पयार स दखता ह बचचा मह को जब घटनय म लक ह पनहाती कपड़rdquo|

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

परशन1- कावयाश म परयकत रस और छद को सपषट किजए

2- भाषा सदयर सपषट किजए

3- बमब और अलकार सपषट किजए

2

ldquoछोटा मरा खत चौकोना कागज़ का एक पनना कोई अधड़ कह स आया ण का बीज वहा बोया गया| कलपना क रसायन को पी बीज गल गया नशष शबद क अकर फट पललव ndashपषप स नमत हआ वशष |rdquo परशन 1- कावयाश क भाषक सदयर को सपषट किजए 2- कावयाश म परयकत अलकार खोजकर लखए 3- lsquoबीज गल गया नःशषrsquo क सौदयर सपषट किजए

3

ldquoजान कया रशता ह जान कया नाता ह िजतना भी उडलता ह भर ndashभर फर आता ह दल म कया झरना ह मीठ पानी का सोता ह भीतर वह ऊपर तम मसकाता चाद जय धरती पर रात- भर मझ पर तय तमहारा ह खलता वह चहरा ह |rdquo परशन1 - कवता क भाषा सबधी दो वशषताए लखए | परशन-2 - कावयाश म परयकत अलकार खोजकर बताइए परशन-3 कावयाश म परयकत उपमान का अथर बताइए

परशन- सखया 10 इसक अतगरत पठत कवताओ क वषय-वसत पर आधारत परशन 3 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन सझाव पर धयान द|

1- पाठय-पसतक तज म द गयी कवताओ क मलभाव अथर को बार बार अधययन कर समझन का परयास कर |

2- पछ गए परशन को कम स कम दो बार पढ़ एव ताकर क ढग स उततर लख |

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

परशन 10- कवताओ क वषय-वसत स सबधत दो लघततरातमक परशन पछ जाएग 3+3 =6 इन परशन क उततर क लए सभी कवताओ क साराशसार जानना आवशयक होता ह नमना 1- कमर म अपाहजrsquo करणा क मखौट म छपी कररता क कवता ह वचार किजए

उततर- यह कवता मानवीय करणा को तो वयकत करती ह ह साथ ह इस कवता म ऐस लोग क

बनावट करणा का भी वणरन मलता ह जो दख-ददर बचकर परसदध एव आथरक लाभ परापत करना चाहत

ह एक अपाहज क करणा को पस क लए टलवीजन पर दशारना वासतव म कररता क चरम सीमा ह

कसी क करणा अभाव हनता कषट को बचकर अपना हत साधना नतात करराता क शरणी म आता

ह कवता म इसी परकार क कररता वयकत हई ह

2- lsquoसहषर सवीकारा हrsquo कवता म कव को अपन अनभव वशषट एव मौलक लगत ह कय सपषट

किजए

उततर-कव को अपनी सवाभमानयकत गरबी जीवन क गमभीर अनभव वचार का वभव वयिकततव

क दढ़ता मन क भावनाओ क नद यह सब नए रप म मौलक लगत ह कय क उसक जीवन म जो

कछ भी घटता ह वह जागरत ह वशव उपयोगी ह अत उसक उपलिबध ह और वह उसक परया क

पररणा स ह सभव हआ ह उसक जीवन का परतयक अभाव ऊजार बनकर जीवन म नई दशा ह दता रहा

ह |

परशन3- कवता क कन उपमान को दख कर कहा जा सकता ह क उषा गाव क सबह का गतशील

शबद चतर ह

उततर -कवता म नील नभ को राख स लप गील चौक क समान बताया गया ह | दसर बब म उसक

तलना काल सल स क गई ह| तीसर म सलट पर लाल खड़या चाक का उपमान ह|लपा हआ आगन

काल सल या सलट गाव क परवश स ह लए गए ह |परात कालन सदयर करमश वकसत होता ह

सवरपरथम राख स लपा चौका जो गील राख क कारण गहर सलट रग का अहसास दता ह और पौ

फटन क समय आकाश क गहर सलट रग स मल खाता हउसक पशचात तनक लालमा क मशरण स

काल सल का जरा स लाल कसर स धलना सटक उपमान ह तथा सयर क लालमा क रात क काल

सयाह म घल जान का सदर बब परसतत करता ह| धीर ndashधीर लालमा भी समापत हो जाती ह और सबह

का नीला आकाश नील जल का आभास दता ह व सयर क सवणरम आभा गौरवण दह क नील जल म

नहा कर नकलन क उपमा को साथरक सदध करती ह |

परशन 4- lsquoअशन-पात स शापत उननत शत-शत वीरrsquo पिकत म कसक ओर सकतकया गया ह

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

उततर- इस पिकत म कव न करात क वरोधी पजीपत-सामती वगर क ओर सकत कया ह िजस परकार बादल क गजरना क साथ बजल गरन स बड़ ndashबड़ व जल कर राख हो जात ह | उसी परकार करात क आधी आन स शोषक धनी वगर क सतता समापत हो जाती ह और व खतम हो जात ह | परशन 5- छोट चौकोन खत को कागज का पनना कहन म कया अथर नहत ह पाठ क आधार पर सपषट किजए उततर- कागज का पनना िजस पर रचना शबदबदध होती ह कव को एक चौकोर खतलगता ह इस खत

म कसी अधड़ (आशय भावनातमक आधी स होगा) क परभाव स कसी ण एक बीज बोया जाता ह यह

बीज-रचना वचार और अभवयिकत का हो सकता ह यह मल रप कलपना का सहारा लकर वकसत

होता ह और परकरया म सवय वगलत हो जाता ह इसीपरकार बीज भी खाद पानी सयर क रोशनीहवा

आद लकर वकसत होता ह | कावयndashरचना स शबद क अकर नकलत ह और अततः कत एक पणर

सवरप गरहण करती ह जो कष-कमर क लहाज स पललवतndashपिषपत और फलत होन क िसथत ह

अभयास हत परशन-

1- जहा दाना रहत ह वह नादान भी रहत ह कव न ऐसा कय कहा ह पाठ क आधार पर उततर

दिजए

2- कव क जीवन म ऐसा कया-कया ह िजस उसन सवीकार कया ह और कय

3- अिसथर सख पर दख क छाया ndash पिकत म दख क छया कस कहा गया ह और कय

4- शोक-गरसत माहौल म हनमान क अवतरण को करण रस क बीच वीर रस का आवभारव कय कहा

गया ह पाठ क आधार पर सपषट किजए

5- खद का परदा खोलन स कव का कया आशय ह पठत पाठ क आधार पर लखए

6- lsquoरस का अय-पातरrsquo स कव न रचना-कमर क कन वशषताओ को इगत गया ह छोटा मरा

खत- पाठ क आधार पर सपषट किजए

परशन-11

इसक अतगरत पठत गदयाश दया जाएगा िजस पर 2 अक क 4 परशन पछ जाएग| इस परशन का उततर दत समय नमन सझाव आपक लए लाभदायक हो सकता ह|

1- दए गए गदयाश को धयान स दो बार धयान स पढ़| 2- दसर बार गदयाश को पढ़न स पवर परशन को पढ़ एव गदयाश म उततर सकत मलन पर पसल

स अकत कर| 3- परशन क उततर दत समय गदयाश क पिकतय को जय का तय लखन स बच| |

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

उदाहरण-1

बाजार म एक जाद ह वह जाद आख क तरह काम करता ह वह रप का जाद ह पर जस चबक का जाद लोह पर ह चलता ह वस ह इस जाद क भी मयारदा ह जब भर हो और मन खाल हो ऐसी हालत म जाद का असर खब होता ह जब खाल पर मन भरा न हो तो भी जाद चल जाएगा मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण उस तक पहच जाएगा कह उस वकत जब भर तब तो फर वह मन कसक मानन वाला ह मालम होता ह यह भी ल वह भी ल सभी सामान जरर और आराम को बढ़ान वाला मालम होता ह पर यह सब जाद का असर ह जाद क सवार उतर क पता चलता ह क फ सी-चीज क बहतायत आराम म मदद नह दती बिलक खलल ह डालती ह थोड़ी दर को सवाभमान को जरर सक मल जाता ह पर इसस अभमान को गलट क खराक ह मलती ह जकड़ रशमी डोर क हो तो रशम क सपशर क मलायम क कारण कया वह कम जकड़ दगी

पर उस जाद क जकड़ स बचन का एक सीधा उपाय ह वह यह क बाजार जाओ तो खाल मन न हो मन खाल हो तब बाजार न जाओ कहत ह ल म जाना हो तो पानी पीकर जाना चाहए पानी भीतर हो ल का लपन वयथर हो जाता ह मन लय स भरा हो तो बाजार फला का फला ह रह जाएगा तब वह घाव बलकल नह द सकगा बिलक कछ आनद ह दगा तब बाजार तमस कताथर होगा कयक तम कछ न कछ सचचा लाभ उस दोग बाजार क असल कताथरता ह आवशयकता क समय काम आना

2+2+2+2=8

परशन-1 बाजार का जाद हम कस परभावत करता ह

उततर- बाजार क रप का जाद आख क राह स काम करता हआ हम आकषरत करता ह बाजार का जाद ऐस चलता ह जस लोह क ऊपर चबक का जाद चलता ह चमचमाती रोशनी म सजी फ सी चीज गराहक को अपनी ओर आकषरत करती ह| इसी चमबकय शिकत क कारण वयिकत फजल सामान को भी खरद लता ह |

परशन-2 बाजारक जाद का असर कब होता ह

उततर- जब भर हो और मन खाल हो तो हमार ऊपर बाजार का जाद खब असर करता ह मन खाल ह तो बाजार क अनकानक चीज का नमतरण मन तक पहच जाता ह और उस समय यद जब भर हो तो मन हमार नयतरण म नह रहता

परशन-3 फ सी चीज क बहतायत का कया परणाम होता ह

उततर- फ सी चीज आराम क जगह आराम म वयवधान ह डालती ह थोड़ी दर को अभमान को जरर सक मल जाती ह पर दखाव क परवितत म वदध होती ह

परशन-4लखक न जाद क जकड़ स बचन का कया उपाय बतायाह

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

उततर- जाद क जकड़ स बचन क लए एक ह उपाय ह वह यह ह क बाजार जाओ तो मन खाल न हो मन खाल हो तो बाजार मत जाओ

उदाहरण- 2

अधर रात चपचाप आस बहा रह थी | नसतबधता करण ससकय और आह को अपन हदय म ह

बल पवरक दबान क चषटा कर रह थी | आकाश म तार चमक रह थ | पथवी पर कह परकाश का नाम

नह| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत

रासत म ह शष हो जाती थी | अनय तार उसक भावकता अथवा असफलता पर खलखलाकर हस पड़त

थ | सयार का करदन और पचक क डरावनी आवाज रात क नसतबधता को भग करती थी | गाव क

झोपडय स कराहन और क करन क आवाज हर राम ह भगवान क टर सनाई पड़ती थी| बचच भी

नबरल कठ स मा ndashमा पकारकर रो पड़त थ |

परशन - 2+2+2+2=8

1 इस गदयाश क लखक और पाठ का नाम लखए

2- अधर रात को आस बहात हए कय परतीत हो रह ह

3- तार क माधयम स लखक कया कहना चाहता ह 4- झोपड़य स कराहनक आवाज कयआ रह ह

उततर- 1- फणीशवर नाथ रण ndash पहलवान क ढोलक

2- गाव म हजा और मलरया फला हआ था | महामार क चपट म आकार लोग मर रह थ|चार ओर

मौत का सनाटा छाया था इसलए अधर रात भी चपचाप आस बहाती सी परतीत हो रह थी|

3- तार क माधयम स लखक कहना चाहता ह क अकाल और महामार स तरसत गाव वाल क पीड़ा को दर करन वाला कोई नह था | परकत भी गाव वाल क दःख स दखी थी| आकाश स टट कर यद कोई भावक तारा पथवी पर आना भी चाहता तो उसक जयोत और शिकत रासत म ह शष हो जाती थी | 4- झोपड़य स रोगय क कराहन क करन और रोन क आवाज आ रह ह कयक गाव क लोग मलरया और हज स पीड़त थ | अकाल क कारण अनन क कमी हो गयी थी| औषध और पथय न मलन क कारण लोग क हालत इतनी बर थी क कोई भगवान को पकार लगाता था तो कोई दबरल कठ स माndashमा पकारता था |

उदाहरण- 3 अब तक सफया का गससा उतर चका था भावना क सथान पर बदध धीर-धीर उस सथान पर हावी हो

रह थी नमक क पड़या तो ल जानी ह पर कस अचछा अगर इस हाथ म ल ल और कसटम वाल क

सामन सबस पहल इसी को रख दलकन अगर कसटमवाल न न जान दया तो मजबर ह छोड़ दग

लकन फर उस वायद का कया होगा जो हमन अपनी मा स कया थाहम अपन को सयद कहत ह

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

फर वायदा करक झठलान क कया मायन जान दकर भी वायदा परा करना होगा मगर कसअचछा

अगर इस कनओ क टोकर म सबस नीच रख लया जाए तो इतन कनओ क ढर म भला कौन इस

दखगा और अगर दख लया नह जीफल क टोकरया तो आत वकत भी कसी क नह दखी जा रह

थी इधर स कल इधर स कन सब ह ला रह थ ल जा रह थ यह ठक हफर दखा जाएगा

परशन- 2+2+2+2=8

(क) सफया का गससा कय उतर गया था

(ख) सफया क कया भावना थी और वह उसक बदध क सामन कस परकार परासत हो गई

(ग) सफया क उधड़बन का कया कारण ह

(घ) सफया न कस वायद को परा करन क बात क हउस उसन कस परकार परा कया

उततर- 1 उसक भाई स नमक ल जान क सबध म वाद-ववाद हो गया था

2- सफया चाहती थी क नमक खल-आम ल जाए लकन उस अब डर सतान लगा था क अगर न ल

जान दया जाएगा तो कया होगा

3- वह नमक ल जाना चाहती थी लकन कस ल जाए वह छपा कर ल जाए या दखाकर वह इसी

उधड़बन म पड़ी थी

4 ndashसफया नमक ल जान का वादा परा करना चाहती थी उसन नमक क पड़या को कनओ क टोकर

म रख लया और सोचा क कनओ क साथ नमक भी चला जाएगा और कसी को कोई शक भी नह

होगा

अभयास हत परशन-1

चाल क अधकाश फलम भाषा का इसतमाल नह करती इसलए उनह जयादा स जयादा मानवीय होना

पडासवाक चतरपट पर कई बड-बड कॉमडयन हए ह लकन व चिपलन क सावरभौमकता तक कय नह

पहच पाए इसक पड़ताल अभी होन को ह चाल का चर-यवा होना या बचच जसा दखना एक वशषता

तो ह हसबस बड़ी वशषता शायद यह ह क व कसी भी ससकत को वदशी नह लगत यानी उनक

आसपास जो भी चीजअड़ग खलनायक दषट औरत आद रहत ह व एक सतत lsquoवदशrsquo या lsquoपरदशrsquo बन

जात ह और चिपलन lsquoहमrsquo बन जात ह चाल क सार सकट म हम यह भी लगता ह क यह lsquoमrsquo भी हो

सकता ह लकन lsquoमrsquo स जयादा चाल हम lsquoहमrsquo लगतह यह सभव ह क कछ अथ म lsquoबसटर कटनrsquo

चाल चिपलन स बड़ी हासय-परतभा हो लकन कटन हासय का काफका ह जबक चिपलन परमचद क

जयादा नजदक ह

क -चाल क अधकाश फलम म भाषा का इसतमाल कय नह होता था ख-चाल चिपलन क सावरभौमकता का कया कारण ह ग- चाल क फलम क वशषता कया ह घ- चाल क कारनाम हम lsquoमrsquo न लगकर lsquoहमrsquo कय लगत ह

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

अभयास हत परशन-2 अवधत क मख स ह ससार क सबस सरस रचनाए नकल ह कबीर बहत कछ इस शरष क समान ह थ मसत और ब परवा पर सरस और मादक कालदास भी ज़रर अनासकत योगी रह हग शरष क फल फककड़ाना मसती स ह उपज सकत ह और lsquoमघदतrsquoका कावय उसी परकार क अनासकत अनावल उनमकत हदय म उमड़ सकता ह जो कव अनासकत नह रह सका तो फककड़ नह बन सका जो कए-कराए का लखा-जोखा मलान म उलझ गया वह भी कया कव ह

क ससार क सबस सरस रचनाए कौन सी ह ख लखक न शरष क तलना कसस क ह और कय ग कालदास को अनासकत योगी कय कहा गया ह घ इस गदयाश का लखक कौन ह सचचा कव कस कहा गया ह

परशन सखया -12 इसक अतगरत पठत पाठय-पसतक क गदय भाग क वषय वसत पर आधारत 3 अक क 4 बोधातमक परशन पछ जाएग| इसका उततर दत समय नमन सझाव आपक लए कारगर हो सकता ह-

1- परशन को धयान स पढ़| 2- हल करत समय शबद सीमा का धयान रखत हए परशन को ताकर क ढग स लखए |

उदाहरण- 1 1भिकतन पाठ क आधार पर सदध किजए क गरामीण समाज म लड़क-लड़कय म भद-भाव कया जाता था

2-लखक न बाजार का जाद कस कहा ह बाद म इसका कया परभाव पड़ता ह 3- आशय सपषट किजएndash lsquoचिपलन न सफर फलमकला को ह लोकतातरक नह बनाया बिलक दशरक क वगर तथा वणर-वयवसथा को भी तोड़ाrsquo 4 - भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ कय उततर- 1 - लड़क को सोन का सकका जबक लड़क को खोटा सकका माना जाता था लड़क खलत-कदत लड़क गोबर पाथती थीइसी परकार खान-पीन म भी भदभाव कया जाता था भिकतन कवल बटय क मा थी और उसक सास एव दोन जठानया बट क मा थी इसीलए भिकतन को परवार म उपा और घणा क दिषट स दखा जाता था जबक िजठानया सारा दन इधर-उधर क बात करती गपप लड़ाती दध-भात खाती थी

2- बाजार क चमक-दमक क चबकय आकषरण को बाजार का जाद कहा गया ह यह जाद आख क राह कायर करता ह बाजार क इसी आकषरण क कारण गराहक सजी-धजी चीज को आवशयकता न होन पर भी खरदन को ववश हो जात ह उस सभी वसतए अनवायर और आराम बढ़ान वाल मालम होती

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

ह यह फ सी चीज बाजार क जाद क उतरन क बाद उसक आराम म मदद नह बिलक खलल ह डालती ह 3- लोकतातरक बनान का अथर ह क कसी क साथ भदभाव न करना बिलक सभी क लए लोकपरय बनाना चिपलन क फलम को हर वगर क लोग पसद करत थ एक मजदर स लकर वानक तक सभी लोग को उनक फ़लम पसद थी वगर और वणर वयवसथा को तोड़न का अथर ह क चाल क अभनय को परतयक वगर परतयक जात का वयिकत पसद करता और सराहता ह हर वयिकत चाल म अपनी छव दखता ह म इस बात स पर तरह स सहमत ह क चाल न अपन अभनय स मनोरजन क दनया का हर अतर मटा दया ह 4 जात-परथा रच पर आधारत नह मता और सतर का धयान नह रखा गया ह जीवन भर एक वयवसाय म बाध दती ह वपरत परिसथतय म भी पशा बदलन क अनमत नह वयिकत क जनम स पहल ह शरम-वभाजन होना अनचत ह

अभयास हत परशन 1- डॉ० भीमराव अबडकर जातपरथा को शरम-वभाजन का ह एक रप मानत थ व इसका वरोध

करत थ कय

2- लखक न शरष को कालजयी अवधत क तरह कय माना ह पाठ क आधार पर सपषट किजए 3- lsquoनमक ल जान क बार म सफया क मन म उठ दवदव क आधार पर सफया क चारतरक

वशषताए बताइए | 4- चाल चिपलन क फलम म नहत तरासदकरणाहासय का सामजसय भारतीय कला और

सदयरशासतर क परध म कय नह आता 5- गाव म महामार फलन और अपन बट क दहात क बावजद लटटन पहलवान ढोल कय बजाता

रहा

6- जीजी न इदर सना पर पानी फ क जान को कस तरह सह ठहराया

7- बाजारपन स कया तातपयर ह कस परकार क वयिकत बाजार को साथरकता परदान करत ह अथवा

बाजार क साथरकता कसम ह

8- भिकतन अचछ ह ndash यह कहना कठन होगा कयक उसम दगरण का अभाव नह हलखका न

ऐसा कय कहा होगा

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

परशन-सखया 13 वतान(परक पाठय-पसतक) भाग-2

इसक अतगरत परक पसतक वतान स 5 अक का एक मलय आधारत परशन पछा जाएगा| इस परशन का उततर दत समय आप नमन बात का धयान रख|

1- परक पसतक म दए गए पाठ क मलभाव को अचछ परकार समझ ल| 2- परशन को धयान स पढ़कर पछ गए नहत मलय को समझन का परयास कर एव उचत

उततर द|

परशन 13 पाठ क वषय-वसत पर आधारत एक मलयपरक परशन पछा जाएगा - 5 अक

1 सनध सभयता स जड़ इतहासकार का मानना ह क यह सभयता वशव म पहल ात ससकत

ह जो कए खोदकर भ-जल तक पहची अकल मअनजो-दड़ नगर म सात सौ कए ह यहा का

महाकड लगभग चालस फट लमबा ओर पचचीस फट चौड़ा ह| इस परकार मअनजो-दड़ म पानी क

वयवसथा सभय समाज क पहचान ह

परशनndashमअनजो-दड़ो म पानी क उततम वयवसथा थी कया पानी क उततम वयवसथा को सभय समाज

क पहचान माना जा सकता ह तकर सहत उततर दिजए

उततर- मअनजो-दड़ो म पानी क सरोत क अचछ वयवसथा थी साथ ह पानी क नकासी क भी

उततम वयवसथा थी जल ह जीवन ह सवचछ पय-जल सब को परापत हो ऐसा सभी का मानना ह

आज भी बहत सार सरकार चनाव क घोषणा पतर म सवचछ जल महया करान का वादा करती ह

उनह मालम ह क पानी हमार जीवन का अभनन अग ह आजकल बोतल बद पानी धड़लल स

खरदा और बचा जा रहा ह सभी लोग सवचछ जल क परत जागरक हो चक ह सवचछ जल क

आपत र स न कवल पयास बझती ह अपत सवासथय भी ठक रहता ह अतः कहा जा सकता ह क

उचत जल का परबध करना सभय समाज क पहचान ह

2 lsquoपरकत-परदतत जनन-शिकत क उपयोग का अधकार बचच पदा कर या न कर अथवा कतन

बचच पदा कर- इसक सवततरता सतरी स छन कर हमार वशव वयवसथा न न सफर सतरी क

वयिकततव- वकास क अनक अवसर स वचत कया ह बिलक जनाधकय क समसया भी पदा क ह

पठत अश क आधार पर ऐन फर क क वचार स आप कहा तक सहमत ह सोचकर उततर दिजए

उततर- ऐन यह मानती ह क परष अपनी शाररक मता क कारण नारय पर शासन करत ह वह

यह भी मानती ह क वशव म नारय को उचत अधकार और सममान नह मल रहा ह उसका

मानना ह क नार बचच को जनम दत समय जो पीड़ा या कषट सहती ह वह कसी भी यदध म लड न

वाल सनक स कम नह ह औरत न अपनी बवकफ क कारण कषट उपा व असममान को सहन

कया ह औरत को उनक हसस का सममान मलना चाहए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

ऐन का यह मानना बलकल उचत ह क औरत को बचचा जनना बद नह करना चाहए बिलक

बचचा जनन म उसक इचछा और रजमद जरर होनी चाहए आज िसथत बदल ह िसतरया

जागरक हई ह व अपन अधकार और कतरवय क परत सजग हई ह मरा मानना ह क िसतरय क

सबध म ऐन क वचार पर तरह आधनक और उचत ह

परशन-अभयास

1 आप अगर भषण क जगह होत तो अपन पता जी का सलवर वडग कस मनात सोचकर

लखए

2 कवता क परत लगाव क बाद lsquoजझrsquo कहानी क लखक को अकलापन अचछा लगन लगा आपको

अकलापन कब अचछा लगता ह सोचकर लखए

3 आनदा क अधयापक न उसका आतमवशवास बढ़ान क लए सदव परयास कया का म बचच

क आतमवशवास को कस परकार बढ़ाया जा सकता ह वचार किजए

4 कया आप मानत ह क ऐन फरक न मजबर म डायर लखन कया आप उसक जगह होतहोती

तो कया करतकरती

परशन सखया -14 इसक अतगरत परक पसतक क पाठ क वषय वसत पर आधारत 5 अक क 2 परशन पछ जाएग| इन परशन का उततर दत समय नमन बात का धयान द|

1- परतयक अधयाय को धयानपवरक पढ़कर उसक मलभाव को समझ ल| 2- परशन का उततर ताकर क ढग स समझात हए वसतार स लख | 3- शबद सीमा एव समय का धयान रख|

उदाहरण-1

परशन-1 lsquoसध सभयता साधन सपनन थी पर उसम भवयता का आडबर नह थाrsquo|परसतत कथन स आप कहा तक सहमत ह

परशन-2 lsquoऐन फर क क डायर यहदय पर हए जलम का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर यहदय पर हए अतयाचार का ववरण द

उततर 1-सासकतक धरातल पर यह तथय सामन आता ह क सध सभयता म एक सनयोिजत नगर वयवसथा थी पानी क उततम वयवसथा और आवा-गमन क लए बलगाड़ी थी कास क बरतनचाक पर बन मद-भाड उन पर बन चतर चौपड़ क गोटया ताब का दपरण कघी मनकका हार सोन क गहन उनक समपननता क सचक ह उनक समाज म एक रपता थी कला म सरच थी य मत रया बनान म द थ यह कलासदध ससकत थी

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

आगामी AISSCE-16 परा क लए अशष शभकामनाए

सपननता क बाद भी इस सभयता म भवयता क आडमबर का अभाव था यहा न भवय परासाद ह न भवय मदर यहा राजाओ या महत क बड़ी समाधया भी परापत नह हई ह छोट नाव छोट औज़ार छोट घर यहा तक क नरश का मकट भी छोटा ह मकान क कमर भी बहत छोट छोट ह खान-पीन रहन बड़ कोठार क बावज़द भवयता का आडबर नह दखाई दता ह

उततर-2 डायर लखक जब अपनी डायर लखता ह तो उसम अपन आस-पास का वणरन भी सवाभावकरप स आ जाता ह ऐन न जब डायरलखी तो उस समय दवतीय वशव यदध चला रहा था जमरनी न हालड पर अधकार कर लया था यहदय पर भयकर अतयाचार हो रह थ िजसक कारण ऐन का जीवन भी अतशय कषटमय हो गया था हटलर क नाजी सना न यहदय को कद कर यातना शवर म डालकर यातनाए द उनह गस चबर म डालकर मौत क घाट उतार दया जाता था कई यहद भयगरसत होकर अातवास मचल गए जहा उनह अमानवीय परिसथतय म जीना पड़ा| यदधक समय बजल राशन-पानी का अभाव था अातवास म उनह सनधमार स भी नबटना पड़ा उनक यहद ससकत को भी कचल डाला गया

परशन अभयास

परशन 1 यशोधर बाब क पतनी समय क साथ ढल सकन म सफल होती ह लकन यशोधर बाब असफल रहत ह ऐसा कय

2- lsquoजझrsquo-शीषरक क औचतय पर वचार करत हए सपषट किजए क कया यह शीषरक कथा नायक क कसी क दरय चारतरक वषषता को उजागर करता ह 3-lsquoजझrsquo-कहानी परतकल परिसथतय स सघषर क पररक कथा ह पाठ क आधार पर कथा नायक क वयिकततव को उजागर किजए 4- शरी सदलगकर जी क अधयापन क उन वशषताओ को रखाकत कर िजनहन कवताओ क परत लखक क मन म रच जगाई 5-कथा नायक आनदा क जीवन को सबस अधक उनक मराठ अधयापक न परभावत कया कया आप इस कथन स सहमत ह पाठ क आधारपर सपषट किजए

6- ldquoसध सभयता क खबी उसका सदयर ह जो राज-पोषत या धमर-पोषत न होकर समाज पोषत थाrdquo लखक को ऐसा कय लगता ह

7 ndash काश कोई तो ऐसा होता जो मर भावनाओ को गभीरता स समझ पाता अफ़सोस ऐसा वयिकत मझ अब तक नह मलाrsquo कया आपको लगता ह क ऐन क इस कथन म उसक डायरलखन का कारण छपा ह

8-ऐन फर क न डायर lsquoकटटीrsquo(एक नजव गड़या) को समबोधत करक लखा ह इस लखन क पीछ कया कारण रहा होगा डायर क पनन ndashपाठ क आधार पर सपषट किजए 9ndash ऐन क डायर उसक नजी जीवन क भावनातमक उथल-पथल क साथ उस दौर का जीवत दसतावज हrsquo पाठ क आधार पर इस कथन क ववचना किजए

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