क़ादिय़ान के आय्य और हम - islam ahmadiyya...प स तक...

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  • क़ादिय़ान के आय्यऔर हम

    लेखकहज़रत मिज़्ज़ा ग़ुल्ि अहिद क़्मदय्नी

    िसीह िौऊद व िहदी ि्हूद अलैमहससल्ि

    I

  • न्ि पुसतक : क़्मदय्न के आयज़ा और हिName of book : Qadian ke Arya aur Humलेखक : हज़रत मिज़्ज़ा ग़ुल्ि अहिद क़्मदय्नी िसीह िौऊद अलैमहससल्िWriter : Hazrat Mirza Ghulam Ahmad Qadiani Masih Mau'ud Alaihissalamअनवु्दक : डॉ अनस्र अहिद, पी एच. डी., आनसज़ा इन अरमिकTranslator : Dr Ansar Ahmad, Ph. D, Hons in Arabicट्ईमपंग, सैमटंग : न्मदय् परवेज़्Typing Setting : Nadiya Pervezaसंसकरण तथ् वरज़ा : प्रथि संसकरण (महनदी) 2018 ई०Edition. Year : 1st Edition (Hindi) 2018संखय्, Quantity : 1000प्रक्शक : नज़्रत नश्र-व-इश्अत, क़्मदय्न, 143516 मज़ल्-गुरद्सपुर (पंज्ि)Publisher : Nazarat Nashr-o-Isha'at, Qadian, 143516 Distt. Gurdaspur, (Punjab)िुद्रक : फ़ज़ले उिर मप्रंमटंग प्रेस, क़्मदय्न, 143516 मज़ल्-गुरद्सपुर, (पंज्ि)Printed at : Fazl-e-Umar Printing Press, Qadian, 143516 Distt. Gurdaspur (Punjab)

    II

  • पुस्तक पररचयहज़रत िसीह िौऊद अलैमहससल्तु वससल्ि ने यह पुसतक

    जनवरी 1907 ई. मलखी। इस पुसतक को मलखने क् क्रण यह थ् मक हुज़ूर ने मदसमिर 1906 ई. के जलस् स्ल्न् िें भ्रण देते हुए यह वणज़ान मकय् थ् मक क़्मदय्न के सिसत महनददू मवशेर तौर पर ल्ल् शरिपत और ल्ल् िल्व्िल िेरे िीमसयों मनश्नों के गव्ह हैं और िहुत सी भमवषयव्मणय्ं जो आज से पैंतीस वरज़ा पदूवज़ा उनके स्िने की गई थीं आज पदूरी हुई हैं।

    क़्मदय्न के आययों की ओर से एक अख़ि्र "शुभमचनतक" मनकल् करत् थ्। उसिें हिेश् ही इसल्ि और आंहज़रत सल्लल्ल्हु अलैमह वसल्लि के मवरुद्ध अतयनत अमशष्ट भ्र् प्रयोग की ज्ती थी। इस अख़ि्र िें ल्ल् शरिपत और ल्ल् िल्व्िल की ओर समिद्ध करके एक घोरण् प्रक्मशत की गई मक हि मिज़्ज़ा स्महि के मकसी भी मनश्न के गव्ह नहीं हैं।

    हुज़ूर अलैमहससल्ि ने इस पुसतक िें अपने िहुत से ऐसे मनश्नों क् मववरण वणज़ान मकय् है मजन क् संिंध कमथत दोनों आयज़ा सज्जनों से वयक्तिगत तौर पर थ् य् कि से कि वे उनके चशिदीद गव्ह थे। हुज़ूर अलैमहससल्ि ने ये मनश्न प्रसतुत करके मलख्-

    "िैं ख़ुद् की क़सि ख् कर कहत् हूं मक यह सि िय्न सही है और कई ि्र ल्ल् शरिपत सुन चुक् है और यमद िैंने झदूठ िोल् है तो ख़ुद् िुझ पर और िेरे लड़कों पर एक वरज़ा के अनदर उसक्

    III

  • दणड उत्रे। आिीन। झदूठों पर ख़ुद् की ल्नत। ऐस् ही शरिपत को च्महए मक िेरी इस क़सि के िुक़्िले पर क़सि ख्ए और यह कहे मक यमद िैंने इस क़सि िें झदूठ िोल् है तो ख़ुद् िुझ पर और िेरी सनत्न पर एक वरज़ा के अनदर उसक् दणड ड्ले। आिीन झदूठों पर ख़ुद् की ल्नत।

    (क़्मदय्न के आयज़ा और हि, रुह्नी ख़ज़्यन भ्ग 20 पृष्ठ-442)ऐसी ही ि्ंग हुज़ूर अलैमहससल्ि ने ल्ल् िल्व्िल से भी

    की है।(क़्मदय्न के आयज़ा और हि, रुह्नी ख़ज़्यन भ्ग 20 पृष्ठ-443)

    अनत िें हुज़ूर अलैमहससल्ि ने आययों के परिेश्वर और उसकी मवशेरत्ओं के संिंध िें आसथ्ओं पर मजरह की है और सि से अनत िें इसल्ि की सच््ई और आयज़ा धिज़ा के व्सतमवक मचत्र को अपनी एक नज़ि (कमवत्) िें प्रसतुत मकय् है।

    IV

  • क़ादिय़ान के आय्यआययों पर है सद हज़्र अफ़सोसमदल िें आत् है ि्र-ि्र अफ़सोस

    हो गए वह हक़ से सख़त न्फ़ि्ज़ानकर मदय् दीं को क़ौिों पर क़ुि्ज़ान

    वह मनश्ं मजन की रौशनी से जह्ँ हो के िेद्र हो गय् लज़्ां

    उन मनश्नों से हैं ये इनक्री पर कह्ं तक चलेगी तर्ज़ारी

    उन के ि्मतन िें इक अंधेर् हैकीनो नख़वत ने आके घेर् है

    लड़ रहे हैं ख़ुद्-ए-यति् सेि्ज़ आते नहीं हैं गोग् से

    क़ौि के ख़ौफ़ से वे िरते हैंसौ मनश्ं देखें कि वे डरते हैं

    िौत लेखदू िड़ी कर्ित हैपर सिझते नहीं यह श्ित है

    V

    पंमडत लेखर्ि

  • िेरे ि्मलक तदू इनको ख़ुद सिझ्आसि्ं से मिर इक मनश्ं मदखल्

    (अमीन)

    ्त़ाज़ा दनश़ान की भदिषयि़ाणीख़ुद् फ़रि्त् है मक िैं एक त्ज़् मनश्न प्रकट करूंग् मजसिें

    िह्न मवजय होगी और स्ि्नय संस्र के मलए एक मनश्न होग्, और ख़ुद् के ह्थों से तथ् आक्श से होग्। च्महए मक प्रतयेक आंख उसकी प्रतीक्षक रहे कयोंमक ख़ुद् शीघ्र ही उस को प्रकट करेग् त्मक वह यह गव्ही दे मक यह ख़्कस्र मजसे सभी क़ौिें ग्मलय्ं दे रही हैं उसकी ओर से है। िुि्रक वह जो इस से ल्भ प्र्प्त करे। आिीन

    दिज़्ापनि़ा्त़ा- दमज़ा्य ग़ुल़ाम अहमिअ मसीह मौऊि

    VI

  • 1

    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    बिस्मिल्लाबिर्रिमिलाबिर्रिीमि ििमिदुहू व िुसल्ी अलला रसूबलबिल करीमि

    कलाबदयलाि के आय्य और िमिआर्य लोगों का एक अख़बार जो कादिरान से दनकलता है

    और अब शारि जनवरी 1907 ई. से रहां से उसका अनत है। उसमें मेरे बारे में शरमपत दनवासी कादिरान का हवाला िेकर मुझ पर एक दवदित्र ग़लत आरोप लगारा गरा है। और वह रह दक जो दिसमबर 1906 ई. के जलसे में एक मज्लस से मैंने वर्यन दकरा था दक उन आकाशीर दनशानों के जो ख़ुिा ने मुझे प्रिान दकए हैं केवल मुसलमान ही गवाह नहीं हैं अदपतु इस कसबे के दहनिदू भी गवाह हैं। जैसा दक लाला शरमपत और लाला मलावामल आर्य भी जो कादिरान के दनवासी हैं उनको मेरे दनशानों की जानकारी है और इस जलसे में मैंने केवल इतना ही वर्यन नहीं दकरा था अदपतु मैंने समसत मुसलमानों के सामने जो हर ओर से तथा सुिदूर िेशों से िो हजार के लगभग एकत्र थे रह भी वर्यन दकरा दक कादिरान के मुसलमानों से नजर हटाते हुए इस कसबे के समसत दहनिदू भी मेरे दनशानों के गवाह हैं। करोंदक इस रुग पर पैंतीस वर्य के लगभग समर गुजर गरा जब मैंने एक भदवषरवारी प्रकादशत की थी दक ख़ुिा तआला फ़रमाता है -

    "दक रद्यदप अब तदू अकेला है और तेरे साथ कोई नहीं परनतु वह समर आता है दक हजारों इनसानों को तेरी ओर रुजदू िदूंगा और रद्यदप अब तुझ में कोई आदथ्यक शजति नहीं परनतु मैं बहुत से लोगों के हृिरों

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    में अपना इलहाम डालदूंगा दक अपने धन से तेरी सहारता करें। लोगों के समदूह आएंगे और माल िेंगे और इतने आएंगे दक करीब है दक तदू थक जाए। वे प्रतरेक माग्य से सफ़र करके कादिरान में आएंगे और उनके आने की अदधकता के कारर रासते गहरे हो जाएंगे और जब इस भदवषरवारी के लक्षर प्रकट होंगे तो शत्रु िाहेंगे दक रह भदवषरवारी प्रकट न हो और कोदशश करेंगे दक ऐसा न हो परनतु मैं उनको असफल रखदूंगा और अपना वािा पदूरा करूंगा।"और दफर इसके साथ रह भी फ़रमारा-

    "मैं तुझे बरकत पर बरकत िदूंगा रहां तक दक बािशाह तेरे कपड़ों से बरकत ढूंढेंगे।"रह ख़ुलासा है उस भदवषरवारी का जो आज से छबबीस वर्य

    पदूव्य बराहीन अहमदिरा में छप िुकी है और वासतव में उस समर से बहुत पहले की भदवषरवारी है दजसे कम से कम पैंतीस वर्य होते हैं। तो इस जलसे में मैंने इस भदवषरवारी की ििा्य की थी और इसके दलए रह अवसर आरा था दक जब हम अपनी जमाअत के साथ जो िो हजार के लगभग थी अपनी जादमअ मजसजि में नमाज में वरसत थे और मेरी जमाअत के प्रदतष्ठत लोग िदूर-िदूर से आए हुए थे दजनमें अंग्ेजी सरकार के भी बड़े-बड़े पिादधकारी सममाननीर रईस, जागीिार और नवाब भी मौजदूि थे तो ठीक इस हालत में दक जब हम अपनी जादमअ मजसजि में नमाज अिा कर रहे थे एक अपदवत्र प्रकृदत वाले आर्य ब्ाह्मर ने गादलरां िेनी आरंभ कीं और नऊज़ुदबल्ाह इन शबिों

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    में बार-बार गादलरां िेता था दक रे सब कूंजर इस जगह जमा हुए हैं करों बाहर जाकर नमाज नहीं पढ़ते और सव्यप्रथम मुझे ही रह गाली िी और बार-बार ऐसे गनिे शबिों से राि दकरा दक अचछा है दक हम इस पुसतक को उनके दववरर से पदवत्र रखें। हम लगभग िो घंटे तक नमाज पढ़ते रहे और वह आर्य कौम का ब्ाह्मर दनरनतर सख़त और गनिे शबिों के साथ गादलरां िेता रहा। उस समर कुछ िेहात के दसकख भी हमारी बड़ी संखरा में जमाअत को िेख रहे थे और आश्चर्य की दृजटि से िेखते थे दक ख़ुिा ने एक िुदनरा को जमा कर दिरा है और उन लोगों ने भी मना दकरा परनतु वह अपदवत्र प्रकृदत वाला आर्य गादलरां िेने से रुका नहीं और प्रदतजष्ठत मुसलमानों को कूंजर के गनिे शबि से बार-बार राि करता और उकसाता रहा।

    रह एक बड़ा िुख था जो ठीक नमाज की हालत में मुझे सहन करना पड़ा और रह भी भर था दक हमारी जमाअत में से दकसी को जोश पैिा हो परनतु ख़ुिा का धनरवाि है दक सब ने सब् दकरा आश्चर्य है दक करों उसने रह अपदवत्र और गनिा शबि इस जमाअत के दलए अपनारा। शारि उसे अपने धम्य का दनरोग राि आरा होगा1★ उस समर सरकारी कम्यिारी बटाला का एक दडपटी 1★िलाबियला :- दनरोग आर्य धम्य के अनुसार एक धादम्यक आिेश है दजसकी दृजटि से एक आर्य की पदतवृता सत्री पदत के जीदवत होने के बावजदूि दक उसे तलाक भी नहीं िी गई एक अनर आिमी से केवल सनतान लेने के उद्ेशर से समभोग कर सकती है और जब तक गरारह लड़के उस ग़ैर आिमी की वीर्य से पैिा हो जाएं इस कार्य में वरसत रह सकती है और ऐसी औरत धम्य की दृजटि से बड़ी पदवत्र कहलाती है और ऐसा लड़का मां और अपने कालपदनक बाप िोनों को नक्क से मुजति दिलाने वाला और मुजति िाता कहलाता है। इसी से

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    इनपेकटर भी मौजदूि था। दफर जब इस आर्य की गादलरां सीमा से बढ़ गईं तो प्रदतजष्ठत मुसलमानों के दिलों को बहुत कटि पहुंिा और रदि वह एक वहशी कौम होती तो कादिरान के समसत आरयों के दलए परा्यप्त थी। परनतु उनके आिरर प्रशंसनीर हैं दक एक नीि प्रकृदत आर्य ने इसके बावजदूि दक इतनी गनिी गादलरां िीं दफर भी उनहोंने ऐसे धैर्य से काम दलरा दक जैसे मुिदे है। दजनमें आवाज नहीं और उस दशक्षा को समरर रखा जो बार-बार िी जाती है दक अपने शत्रुओं के साथ सब् से काम लो।

    जब नमाज हो िुकी तो मैंने िेखा दक इन गनिी गादलरों से बहुत से दिलों को बहुत कटि पहुंिा था। तब मैंने उनकी हमििदी के दलए उठकर रह भारर दिरा दक कटि जो पहुंिता है उसे दिलों से दनकाल िो। ख़ुिा तआला िेखता है वह अतरािारी को सवरं िणड िेगा। और उस समर मैंने रह भी कहा दक मैं जानता हं दक कादिरान के दहनिदू सबसे अदधक ख़ुिा के क्ोध के नीिे हैं करोंदक ख़ुिा के बड़े-बड़े दनशान िेखते हैं और दफर ऐसी गनिी गादलरां िेते और िुख पहुंिाते हैं। उनको मालदूम है दक ख़ुिा ने इस गांव में कुिरत का कैसा बड़ा दनशान दिखलारा है। वे इस बात से अनदभज्ञ नहीं हैं दक आज से छबबीस-सत्ाईस वर्य पदूव्य मैं कैसी गुमनामी में पड़ा हुआ था। करा कोई कह सकता है दक उस समर लोगों का रह रुजदू भी मेरी जमाअत में शादमल न था और न कोई मुझ से दमलने के दलए आता था और अपनी जारिाि की थोड़ी आर के अदतररति कोई आर भी न थी। दफर उसी रुग में अदपतु उस से भी पहले दजस को पैंतीस वर्य से भी कुछ अदधक समर गुजरता है ख़ुिा ने मुझे रह सदूिना िी दक

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    "हजारों लाखों लोग प्रतरेक माग्य से तेरे पास आएंगे, रहां तक दक सड़कें दघस जाएंगी और प्रतरेक माग्य से माल आएगा तथा प्रतरेक कौम के दवरोधी अपने उपारों से जोर लगाएंगे दक रह भदवषरवारी घदटत न हो परनतु वे अपनी कोदशशों में दवफल रहेंगे।" रह सदूिना उसी रुग में मेरी पुसतक बराहीन अहमदिरा में छप कर प्रतरेक िेश में प्रसाररत हो गई थी।

    दफर कुछ समर के पश्चात् इस भदवषरवारी का धीरे-धीरे प्रकटन आरंभ हुआ। अतः अब मेरी जमाअत में तीन लाख से अदधक लोग हैं2★ और आदथ्यक दवजरों का रह हाल है दक अब तक कई लाख रुपरा आ िुका है और लगभग पनद्रह सौ रुपरा और कभी िो हजार मादसक लंगर खाना पर वरर हो जाता है और मिरसः इतरादि की आर पृथक है। रह एक ऐसा दनशान है दक दजससे कादिरान के दहनिुओं को लाभ प्राप्त करना िादहए था करोंदक वे इस दनशान के पहले गवाह थे। उनहें मालदूम था दक मैं इस भदवषरवारी के समर में दकतना अज्ञात और गुप्त था।

    रह भारर था जो उस जलसे में मैंने दिरा था और भारर

    2★िलाबियला :- इस पुसतक के दलखने के समर दमस्र अथा्यत् इसकनिरररा से कल 22 जनवरी 1907ई. को एक पत्र डाक द्ारा मुझे दमला। दलखने वाला एक सममाननीर बुज़ुग्य और शहर का है अथा्यत् इसकनिरररा का, दजसका नाम अहमि ज़ुहरी बिरुउद्ीन है। पत्र सुरदक्षत है जो इस समर मेरे हाथ में है। वह दलखते हैं दक मैं आपको रह ख़ुशख़बरी िेता हं दक इस िेश में आप के अधीन और आप का अनुकरर करने वाले इतने बढ़ गए हैं दक जैसे दबराबान की रेत पर कूंकर। और दलखते हैं दक मेरे दविार में कोई ऐसा शेर नहीं जो आप का अनुरारी नहीं हो गरा। इसी से

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    के अनत में मैंने रह भी वर्यन दकरा था दक इस दनशान के सब आरयों से बढ़कर गवाह लाला शरमपत और लाला मलावामल दनवासी कादिरान है करोंदक उनके सामने पुसतक बराहीन अहमदिरा दजस में रह भदवषरवारी है प्रकादशत हुई है। अदपतु बराहीन अहमदिरा के प्रकादशत होने से पदूव्य उस समर में जबदक मेरे दपता जी का दनधन हुआ था रह भदवषरवारी इन हर िो आरयों को बताई गई थी, दजस का संदक्षप्त वर्यन रह है दक मेरे दपता जी के दनधन की सदूिना ख़ुिा तआला ने मुझे इन शबिों में िी थी दक اِرِق ــَمٓاِء َوالّطَ अथा्यत् َوالّسَकसम है आकाश की और कसम है उस िुघ्यटना की जो सदूर्य असत होने के बाि होगी और साथ ही समझारा गरा था दक इस भदवषरवारी का मतलब रह है दक तुमहारा दपता सदूर्य असत होने के साथ ही मृतरु पाएगा। रह इलहाम बतौर मातमपुसदी (मृतरोपरांत शोकाकुल पररवार से सहानुभदूदत प्रकट करना) के था जो अपने दवशेर बनिों से ख़ुिा की आित में सजममदलत है। और जब रह सुनकर संकोि और ग़म पैिा हुआ दक उनकी मृतरु के पश्चात् हमारी जीदवका के अदधकांश माधरम जो उनके अजसततव से समबद्ध हैं समाप्त हो जाएंगे। तब रह इलहाम हुआ-

    اَلَیَْس اہللُ ِبَکاٍف َعْبَدٗہ अथा्यत् करा ख़ुिा अपने बनिे के दलए परा्यप्त नहीं है? ख़ुिा

    की इस वह्ी में सपटि तौर पर सदूिना िी गरी थी दक समसत आवशरकताओं का ख़ुिा सवरं अदभभावक होगा। तो इस इलहाम के अनुसार सदूर्य असत होने के बाि मेरे दपता जी मृतरु पा गए और उनके माधरम से जो हमारी जीदवका के साधन थे, जैसे पेनशन और

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    इनाम इतरादि सब पर कबजा कर दलरा गरा। इनहीं दिनों में दजन पर पैंतीस वर्य का समर गुजर गरा है। मैंने इस इलहाम को अथा्यत् को महुर में ख़ुिवान ेके दलए कहा और लाला اَلَیَْس اہللُ ِبَکاٍف َعْبَدٗہमलावामल आर्य को उस महुर के खुिवान े के दलए अमतृसर में भजेा और केवल इसदलए भजेा तादक वह और लाला शरमपत उसका दमत्र िोनों इस भदवषरवारी के गवाह हो जाएं। अतः वह अमृतसर गरा और हकीम महुममि शरीफ़ कलानौरी के माधरम स े पािं रुपए मजिदूरी िे कर मुहर बनवा लारा दजस का नकशा ِبــَکاٍف َعْبــَدٗہ है اَلَیْــَس اہللُ जो अब तक मौजदूि है। रह इलहाम लगभग पैंतीस रा छत्ीस वर्य का है दजसके रे िोनों आर्य सज्जन गवाह हैं और उनको मालदूम है दक उस समर मेरी करा हैदसरत थी। दफर उस समर में जबदक बराहीन अहमदिरा दजस में उपरोति कदथत इलहाम िज्य हैं। अमृतसर में पािरी रजब अली के प्रेस में छप रही थी। इन िोनों आरयों को भली भांदत ज्ञात है दक मैं कैसे गुमनामी में जीवन वरतीत कर रहा था, रहां तक दक कई बार रे िोनों आर्य मेरे साथ अमृतसर जाते थे और एक सेवक के अदतररति िदूसरा आिमी नहीं होता था और कभी केवल लाला शरमपत ही साथ जाता था। रे लोग कसम खा कर कह सकते हैं दक उस रुग में मेरी गुमनामी की हालत दकस सतर तक थी? न कादिरान में मेरे पास कोई आता था और न दकसी शहर में मेरे जाने पर कोई मेरी परवाह करता था और मैं उनकी दृजटि में ऐसा था जैसा दक दकसी का न होना और होना समान होता है।

    अब वही कादिरान है दजसमें हजारों आिमी मेरे पास आते हैं और वही शहर अमृतसर और लाहौर इतरादि हैं जो मेरे वहां जाने की

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    हालत में सैकड़ों आिमी सवागत के दलए रेल पर पहंुिते है बजलक कई बार हजारों लोगों तक संखरा पहुुँिती है। तो सन् 1903 ई. में जब मैंने जेहलम की ओर सफर दकरा तो सब को मालदूम है दक लगभग गरारह हजार आिमी सवागत के दलए आए थे। ऐसा ही कादिरान में सैकड़ों मेहमानों के आने का एक दसलदसला जो अब जारी है उस रुग में इस का नामोदनशान न था और कादिरान के समसत दहनिुओं को दवशेर तौर पर लाला शरमपत और मलावामल को (जो अब कौम के िबाव के नीिे आकर ख़ुिा के दनशानों से इनकारी होते हैं3।★बहुत अचछी तरह मालदूम है उन दिनों में हमारा मिा्यना मकान केवल वीराना और खाली था और कोई हमारे पास नहीं आता था। हां रेे लोग दिन में िो तीन बार रा कम अथवा अदधक आ जाते थे। रे सब बातें वे कसम खाकर वर्यन कर सकते हैं।

    तो जलसे के दिन मेरे भारर का रही ख़ुलासा था दक कादिरान के आरयों पर ख़ुिा तआला का समझाने का अजनतम प्ररास पदूर्य हो िुका है। दवशेर तौर पर इन िोनों आरयों पर तो अचछी तरह हुज्जत पदूरी हो िुकी है जो बहुत से दनशानों के िशमिीि गवाह हैं। परनतु वे लोग उस जबरिसत शजतिरों वाले ख़ुिा से नहीं डरते जो एक पल में दमटा सकता है। और जैसा दक मैं अभी दलख िुका हं इस भदवषरवारी 3★िलाबियला :- मुझे दनजश्चत तौर पर ज्ञात नहीं दक वासतव में लाला शरमपत और मलावामल सिमुि उन समसत दनशानों से इनकारी हो गए हैं दजनहें वे िेख िुके हैं केवल आर्य अखबार के सनिभ्य से दलखता हं और मैं आशा नहीं रखता दक कोई मनुषर ख़ुिा तआला से ऐसा दनडर हो जाए दक अपनी िशिीि गवादहरों से इनकारी हो जाए। प्रतरेक वरजति का अनततः ख़ुिा तआला से मामला है। इसी से

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    के साथ रह भदवषरवारी भी पदूरी हो गई दक जो उसी पुसतक बराहीन अहमदिरा में िज्य थी और उसी रुग में दजसको लगभग छबबीस वर्य गुजर िुके हैं समसत पंजाब और दहनिुसतान में प्रकादशत हो िुकी थी। अथा्यत् रह दक शत्रु बहुत जोर लगाएंगे तादक रह उतथान और रह दनशान और रह लोगों का रुजदू प्रकटन में न आए और लोग आदथ्यक सहारता न करें। परनतु दफर भी ख़ुिा तआला अपनी भदवषरवारी को पदूर्य करेगा और वे सब असफल रहेंगे। और रह भदवषरवादररां न केवल अरबी में हैं अदपतु अरबी, उिदू्य, अंग्ेजी, फारसी और इब्ानी भारा में बराहीन अहमदिरा में मौजदूि हैं।

    दफर जब कुछ वरयों के पश्चात् इन भदवषरवादररों के लक्षर आरंभ होेने लगे तो दवरोदधरों में रोकने के दलए जोश पैिा हुआ। कादिरान में लाला मलावामल ने लाला शरमपत के मशवरे से दवज्ञापन दिरा दजस को लगभग िस वर्य गुजर गए। इस दवज्ञापन में मेरे बारे में दलखा दक रह वरजति केवल मककार और धोखेबाज है और केवल िुकानिार है। लोग इस का धोखा न खाएं, आदथ्यक सहारता न करें अनरथा अपना रुपरा वरथ्य करेंगे। इस दवज्ञापन से इन आरयों का उद्ेशर रह था तादक लोग रुजदू से रुक जाएं। और आदथ्यक सहारता से मुंह फेर लें। परनतु संसार जानता है दक उस दवज्ञापन के रुग में मेरी जमाअत साठ रा सत्र आिमी से अदधक न थी। रह बात सरकारी रदजसटरों में भी भली भांदत मालदूम हो सकती है दक उस रुग में अदधक से अदधक तीस रा िालीस रुपरा मादसक आर थी परनतु उस दवज्ञापन के बाि जैसे आदथ्यक सहारता का एक िरररा जारी हो गरा और आज तक कई लाख लोग बैअत में िादखल हुए और

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    अब तक हर महीने में पांि सौ के लगभग लोग बैअत में िादखल हो जाते हैं। इस से दसद्ध होता है दक मनुषर ख़ुिा का मुकाबला नहीं कर सकता। मेरा रह बरान सबदूत के दबना नहीं। मलावामल का दवज्ञापन अब तक मेरे पास मौजदूि है जो लाला शरमपत के मशवरे से दलखा गरा था। सरकारी अदतदथ गरना तो हमारे दसलदसले के दलए दनधा्यररत ही है। इस दवज्ञापन से पहले दकतने मेहमान आते थे, दकतना रुपरा आरा था और बाि में ख़िुा की दकतनी सहारता सजममदलत हो गरी। रह बात मनी आड्डर के रदजसटरों तथा अदतदथ गरना के पेपस्य से प्रकट हो सकती है दक उस रुग में जबदक मलावामल ने दवज्ञापन प्रकादशत दकरा मेरी जमाअत दकतनी थी। उन पेपस्य से जो पुदलस के द्ारा सरकार में पहुंिते हैं भली भांदत दनर्यर हो सकता है और सफ़ाई के साथ प्रकट हो सकता है दक उस रुग मेें जबदक मलावामल ने लोगों को रोकने के दलए दवज्ञापन दिरा मेरी जमाअत दकतनी थी और दकतना रुपरा आता था। और दफर बाि में दकतनी उन्नदत हुई। मैं सि-सि कहता हं दक इतनी उन्नदत हुई दक जैसे एक बदूंि से िरररा बन जाता है और रह उन्नदत दबलकुल असाधारर और िमतकार पदूर्य थी। हालांदक न केवल मलावामल ने अदपतु प्रतरेक शत्रु ने इस उन्नदत को रोकने के दलए पदूरा जोर लगारा और िाहा दक ख़ुिा तआला की भदवषरवारी झदूठी दसद्ध हो। अनत में पररराम रह हुआ दक एक िदूसरी भदवषरवारी पदूरी हो गई। अथा्यत् जैसा दक ख़ुिा तआला ने पहले से फ़रमारा था शत्रु लोगों के रुजदू को रोक न सक।े

    रदि मनुषर अपने अनिर लज्जा और शम्य का कुछ तत्व रखता हो तो रह समझ सकता है दक रह गहरे से गहरी ग़ैब की बातें जो

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    ख़ुिाई क़ुिरतों से भरी हैं मानवीर शजतिरों से श्ेष्ठतर हैं, और सोि सकता है दक रदि रह कारोबार मनुषर का होता तो मनुषरों की दवरोधपदूर्य कोदशशें अवशर सफल हो जातीं। इन दवज्ञापनों का रदि कुछ पररराम हुआ तो रह हुआ दक वह भदवषरवारी पदूरी हुई जो ख़ुिा तआला ने पहले से फ़रमारा था दक शत्रु जान तोड़ जोर लगाएंगे दक उतथान और ख़ुिाई सहारता तथा लोगों के रुजदू करने की भदवषरवारी पदूरी न हो परनतु वह पदूरी हो जाएगी। और दवदित्र बात रह है दक केवल मलावामल ने ही जोर नहीं लगारा अदपतु आर्य लोगों का वह पंदडत दजसके प्रार को ख़ुिा की भदवषरवारी ने ले दलरा अथा्यत् लेखराम वह भी अपनी तुचछ आरु का भाग इनहीं लेखों में खो गरा तादक बराहीन अहमदिरा में लाखों लोगों के रुजदू और लाखों रुपए की आर के बारे में प्रकादशत हो िुकी थी। अनततः पररराम रह हुआ दक जैसा दक ख़ुिा तआला ने मुझे पांि वर्य पदूव्य सदूिना िी थी दक वह अपनी गादलरों के बिले में छः वर्य की मीआि में कतल दकरा जाएगा। वह अभागा उस भदवषरवारी को पदूरा करके राख का ढेर हो गरा।

    ऐसा ही ईसाइरों ने भी इस भदवषरवारी को रोकने के दलए बहुत जोर लगारा और उनके दवज्ञापन भी अब तक मेरे पास मौजदूि हैं। दफर मुसलमान दजन का अदधकार था और दजन का गव्य था दक मुझे सवीकार करते उनहोंने भी इस भदवषरवारी को रोकने के दलए जो बराहीन अहमदिरा में मेरी भावी उन्नदत, प्रदतष्ठा तथा लोगों के रुजदू के बारे में छबबीस वर्य से िज्य थी और लगभग पैंतीस वर्य से मौदखक तौर पर प्रसाररत हो िुकी थी......... नाख़ूनों तक जोर लगारा

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    रहां तक दक मैं सोिता हं दक एक लाख से अदधक प्रदतरां उनकी ओर से ऐसी दनकली होंगी दजसमें इस बात पर जोर दिरा गरा दक रह वरजति कादफ़र है, िज्जाल है, बेईमान है कोई इस की ओर मुख न करे और कोई इसकी सहारता न करे अदपतु कोई हाथ न दमलाए और अससलामो अलैकुम न करे और जब मर जाए तो मुसलमानों के कदब्सतान में िफ़न न दकरा जाए। परनतु उन दवज्ञापनों का कैसा दवपरीत प्रभाव हुआ दजस से ख़ुिा तआला की क़ुिरत दिखाई िेती है। इनके बाि कई लाख आिदमरों ने मेरी बैअत कर ली और कई लाख रुपरा आरा और िदूसरे असंखर उपहार हर ओर से आए और ख़ुिा के सवादभमान और क़ुिरत ने उनके मुंह पर वे तमांिे मारे दक प्रतरेक मैिान में उनको पराजर प्राप्त हुई और प्रतरेक मुबाहलः में मौत रा अपमान उन के भाग में आरा। रे समसत दवज्ञापन जो आरयों की ओर से दनकले और ईसाइरों तथा मुसलमानों की ओर से प्रकादशत हुए मेरे कुछ सनिदूकों में मौजदूि हैं दजन में हजारों गादलरों के साथ जो िदूहड़ों, िमारों की गादलरों से बढ़कर हैं। मुझे मककार, धोखेबाजी, ठग, िज्जाल, नाजसतक और बेईमान करके राि दकरा गरा और इसदलए जमा रखे गए तादक दकसी को इनकार न हो सके।

    जब मैं एक ओर बराहीन अहमदिरा में ख़ुिा तआला की रह भदवषरवारी िेखता हं दक रद्यदप तदू अब अकेला है तेरे साथ कोई भी नहीं परनतु वह समर आता है बजलक नजिीक है दक लाखों इनसान तेरे साथ हो जाएंगे और अपने दप्रर मालों से तेरी सहारता करेंगे और हर एक कौम के शत्रु जोर लगाएंगे दक रह भदवषरवारी पदूरी न हो परनतु मैं उनहें असफल रखदूंगा और मैं तुझे हर एक तबाही से बिाउंगा

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    रद्यदप कोई बिाने वाला न हो और िदूसरी ओर इस भदवषरवारी के अनुसार प्रतरेक कौम के शत्रुओं की भदवषरवारी को रोकने के दलए पदूरी कोदशश को िेखता हं। और दफर िेखता हं दक शत्रुओं के कठोर हसतक्षेप के बावजदूि वह भदवषरवारी ऐसी पदूरी हो गरी दक रदि आज वे समसत बैअत करने वाले एक दवशाल मैिान में एकत्र दकए जाएं तो एक बड़े बािशाह की सेना से भी अदधक होंगेे। तो उस अवसर पर मुझे आतम दवसमृदत से रोना आता है दक हमारा ख़ुिा कैसा शजतिमान ख़ुिा है दक दजसके मुंह की बात कभी टल नहीं सकती रद्यदप समपदूर्य संसार शत्रु हो जाए और उस बात को रोकना िाहे।

    रह वह वर्यन था जो उस जलसे में मैंने दकरा था। अब मैं पदूछता हं दक करा कादिरान के दहनिुओं को इस भदवषरवारी और इसके पदूरे होने की कुछ ख़बर नहीं? करा लाला शरमपत और लाला मलावामल इस भदवषरवारी से अनदभज्ञ हैं? और करा "आर्य सादहबान अपने धम्य में इस का कोई प्रमादरत उिाहरर बता सकते हैं और करा" वे इस से इनकार कर सकते हैं दक दजस रुग में भदवषरवारी प्रकादशत की गई थी उस रुग में मेरी ओर दकसी का रुजदू न था। लानती है वह वरजति जो झदूठ बोले और मुिा्यर है वह कमीना जो सि को छुपाए ऐसे इनसान रद्यदप जीभ से कहें दक ख़ुिा है परनतु वासतव में वे ख़ुिा के इनकारी ही होते हैं। दकनतु ख़ुिा अपनी शजतिरों से प्रकट करता है दक मैं मौजदूि हं। मैं आज से नहीं अदपतु हमेशा से जानता हं दक सामानरतरा कादिरान के दहनिदू इसलाम के कट्टर शत्रु और अंधकार से प्रेम करते हैं। वे प्रकाश को िेखकर और भी अंधकार की ओर िौड़ते हैं। मनो उनके नजिीक ख़ुिा नहीं और ख़ुिा ने उन को लेखराम

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    का बड़ा दनशान दिखारा था परनतु उनहोंने उस से कोई सीख प्राप्त नहीं की। और रह दकतना साफ दनशान था दजसमें रह ख़बर िी गई थी दक लेखराम सवाभादवक मृतरु से नहीं मरेगा अदपतु वह छः वर्य के अनिर कतल दकरा जाएगा और ईि के दिन के बाि जो दिन होगा उसमें रह घटना होगी। अतः ऐसा ही प्रकटन में आरा। और इस भदवषरवारी का कारर केवल रह था दक वह इसलाम धम्य को झदूठा समझता था और बहुत गादलरां िेता था। तो ख़ुिा ने मुझे सदूिना िी दक वह तो मांस अथा्यत् जीभ की छुरी इसलाम पर िला रहा है परनतु ख़ुिा तआला लोहे की छुरी से उसका अनत करेगा। अतः ऐसा ही घदटत हुआ। मैंने दवज्ञापन दिरा था दक हे आरयो! रदि तुमहारे परमेश्वर में कुछ शजति है तो उसके पास िुआ करो और प्राथ्यना करके लेखराम को बिा लो। परनतु तुमहारा परमेश्वर उसे बिा न सका और उसने मेरे बारे में रह भदवषरवारी की थी दक रह वरजति तीन वर्य तक मर जाएगा। ख़ुिा ने उसकी भदवषरवारी झदूठी दसद्ध की और हमारा ख़ुिा दवजरी रहा। दफर उसने अपनी पुसतक ख़बत-ए-अहमदिरा में मेरे साथ मुबाहलः दकरा अथा्यत् िुआ की दक हम िोनों में से दजसका धम्य झदूठा है वह मर जाए। अनततः वह िुआ के बाि सवरं ही मर गरा और इस बात पर मुहर लगा गरा दक आर्य धम्य सच्ा नहीं है और इसलाम सच्ा है। उसने अपने मरने से मेरे बारे में रह भी गवाही िे िी दक मैं ख़ुिा की ओर से हं।

    हमेें रह अफ़सोस कभी नहीं भदूलेगा दक लेखराम की इस मौत का असल कारर कादिरान के दहनिदू ही हैं। वह केवल अज्ञान था। और जब वह कादिरान में आरा तो कादिरान के दहनिुओं ने मेरे

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    बारे में उसे रह कहा दक रह झदूठा और धोखेबाज है। इन बातों को सुनकर वह बहुत दिलेर हो गरा और बहुत दबगड़ गरा और अपनी जीभ को गादलरों में छुरी बना दलरा। तो वही छुरी उस का काम कर गई। ख़ुिा के िुने हुए और पदवत्र नबी को गादलरां िेना और सच्े को झदूठा कहना अनत में इनसान को िणरनीर कर िेता है। रदि लेखराम4★ नमदी और दवनम्रता ग्हर करता तो बिारा जाता। करोंदक

    4★िलाबियला :- रहां रह क़ुिरत की घटना समरर रखने रोगर है दक दडपटी अबिुल्ाह आथम के बारे में रह भदवषरवारी थी दक रदि वह सि की ओर रुजदू नहीं करेगा तो पनद्रह महीने में मर जएगा और लेखराम के बारे में रह भदवषरवारी थी दक वह छः वर्य के अनिर कतल दकरा जाएगा। दफर िदूंदक अबिुल्ाह आथम भदवषरवारी के दिनों में बहुत रोता रहा और उसके हृिर पर सि की श्ेष्ठता दवजरी हो गई थी और उसने इस अवदध में कोई बुरा शबि मुख से न कहा। इसदलए ख़ुिा ने जो कृपालु और िरालु है उसकी मीआि को बढ़ा दिरा और वह कुछ और थोड़ी अवदध तक जीदवत रह कर मर गरा। परनतु लेखराम भदवषरवारी सुनने के पश्चात् गादलरां िेना आरंभ कीं जैसा दक नीिे दहनिुओं की आित है इसदलए उसकी असल मीआि भी पदूरी न होने पाई और अभी मीआि में एक वर्य शेर था दक भदवषरवारी के अनुसार कतल दकरा गरा ऐसा ही अहमि बेग की भदवषरवारी पदूरी होने के बाि अथा्यत् मरने के बाि उसके वाररसों ने बहुत ग़म और भर वरति दकरा, इसदलए ख़ुिा ने अपने वािे के अनुसार उसके िामाि की मृतरु में दवलमब डाल दिरा, करोंदक समसत नदबरों के मुख से ख़ुिा तआला का रह वािा है दक जब दकसी दवपिा के उतरने की दकसी के बारे में कोई भदवषरवारी हो और वे लोग डर जाएं उनका हृिर भर से भर जाए तथा ख़ुिा से िुआ िान-पुणर इतरादि से िरा िाहें तो ख़ुिा तआला िरा करता है और इसी दनरम के अनुसार प्रतरेक कौम के लोग दकसी दवपिा के समर िान-पुणर दकरा करते हैं। इसी से

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    ख़ुिा कृपालु और िरालु है और िणड िेने में धीमा है। परनतु इन लोगों ने उसे बड़ा धोखा दिरा। मैं जानता हं दक उस की मौत का गुनाह कादिरान के दहनिुओं की गि्यन पर है और मुझे अफ़सोस है दक इन लोगों ने उस से बहुत ही बुरा वरवहार दकरा। रे लोग मुंह से तो कहते हैं दक परमेश्वर है परनतु मैं नहीं मानता दक उनके हृिर भी परमेश्वर पर ईमान लाते हैं। उन का दवदित्र धम्य है दक पृथवी पर दजतने पैग़मबर गुजरे हैं सब को गनिी गादलरां िेते हैं और झदूठा जानते हैं। जैसे केवल छोटा सा िेश आर्यवत्य का ख़ुिा के तख़त का सथान रहा है और िदूसरे िेशों से ख़ुिा ने कुछ संबंध नहीं रखा रा उन से अज्ञात रहा है परनतु ख़ुिा ने पदवत्र क़ुआ्यन में रह फ़रमारा है दक प्रतरेक िेश में उसके पाग़मबर आते रहे हैं। इस प्रकार दहनिुसतान में भी ख़ुिा के पदवत्र पैगमबर और उसका कलाम पाने वाले गुजरे हैं और ऐसा ही िादहए था करोंदक ख़ुिा समसत िेशों का है न केवल एक िेश का। न मालदूम दकस शैतान ने इन लोगों के हृिरों में रह फूूंक दिरा है दक वेि के अदतररति ख़ुिा की समसत दकताबें झदूठी हैं और नऊज़ुदबल्ाह ख़ुिा का नबी मदूसा अलैदहससलाम और ख़ुिा का दप्रर ईसा अलैदहससलाम और ख़ुिा का िुना हुआ हजरत मुहममि मुसतफ़ा सल्ल्ाहु अलैदह वसल्म सब झदूठे और मककार गुजरे हैं। हमारी शरीअत इन को सुलह का सनिेश िेती है और इनकी अपदवत्र आसथाएं रुद्ध की प्रेररा िेकर हमारी ओर तीर िला रहे हैं। हम कहते हैं दक दहनिुओं के बुज़ुगयों को मककार और झदूठा मत कहो परनतु रह कहो दक हजारों वरयों के गुजरने के बाि रे लोग असल धम्य को भदूल गए। परनतु हमारे मुकाबले पर रे अपदवत्र प्रकृदत वाले लोग हमारे िुने हुए

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    नदबरों को गनिी गादलरां िेते हैं और उनहें झदूठ गढ़ने वाला तथा झदूठा समझते हैं। करा कोई आशा कर सकता है दक ऐसे दहनिुओं से सुलह हो सके। इन लोगों से अचछे सनतान धम्य के अदधकतर लोग सिािारी हैं जो हर एक नबी को सममान की दृजटि से िेखते और दवनरपदूव्यक सर झुकाते हैं। मेरी समझ में रदि जंगलों के िररनिे और भेदड़ए हम से सुलह कर लें और बुराई छोड़ िें तो रह संभव है परनतु रह सोिना दक ऐसी आसथा वाले लोग कभी हादि्यक शुद्धता से मुसलमानों से सच्ी सुलह कर लेंगे सव्यथा ग़लत है। अदपतु उन का इन आसथाओं के साथ मुसलमानों से सच्ी सुलह कर लेंगे सव्यथा ग़लत है। अदपतु उन का इन आसथाओं के साथ मुलमानों से सच्ी सुलह करना हजारों असंभव बातों से अदधक असंभव है। करा कोई सच्ा मुसलमान सहन कर सकता है जो अपने पदवत्र और बुज़ुग्य नदबरों के बारे में इन गादलरों को सुने और दफर सुलह कर ले! किादप नहीं।

    अतः इन लोगों के साथ सुलह करना ऐसा ही हादनकारक है जैसा दक काटने वाले दवरैले सांप को अपनी आसतीन में रख लेना। रह कौम बहुत दनि्यरी कौम है जो समसत पैग़मबरों को जो संसार में बड़े-बड़े सुधार कर गए मुफ़तरी और झदूठा समझते हैं न हजरत मदूसा अलैदहससलाम उन की जीभ से बि सके न हजरत ईसा अलैदहससलाम और न हमारे सयरि-व-मौला जनाब ख़ातमुल अंदबरा सल्ल्ाहु अलैदह वसल्म दजनहोंने संसार में सब से अदधक सुधार दकरा, दजन के जीदवत दकए मुिदे अब तक जीदवत हैं।

    ख़ुिा जो ग़ारब (अदृशर) है उस के अजसततव का सबदूत केवल एक गवाही से करोंकर दमल सकता है? इदसलए ख़ुिा ने संसार में

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    प्रतरेक कौम में प्रतरेक िेश में हजारों नबी पैिा दकए और वे ऐसे समरों में आए दक जब पृथवी लोगों के पापों से अपदवत्र हो िुकी थी उनहोंने बड़े दनशानों के साथ ख़ुिा तआला के अजसततव का सबदूत दिरा और उसकी श्ेष्ठता हृिरों में दबठाई और पृथवी को नए दसरे से जीदवत दकरा। परनतु रे लोग कहते हैं दक वेि के अदतररति कोई दकताब ख़ुिा तआला की ओर से नहीं उतरी और समसत नबी झदूठे थे और उन का समपदूर्य काल छल और धोखे का काल था। हालांदक वेि अब तक आर्यवत्य को दशक्क (ख़ुिा का भागीिार बनाना), मदूदत्य पदूजा, तथा अजगन-पदूजा से साफ़ नहीं कर सका।

    अतः रे लोग उन नदबरों को झुठलाने में दजनकी सच्ाई सदूर्य के समान िमकती है सीमा से बढ़ गए है। ख़ुिा जो अपने बनिों के दलए सवादभमानी है इस का अवशर फैसला करेगा। वह अवशर अपने परारे नदबरों के दलए कोई हाथ दिखाएगा। हम इन लोगों पर कोई अतरािार नहीं करते, वे हम पर अतरािार करते हैं। हम उनको िुआ िेते हैं, वे हमें तीर मारते हैं। और महा तेजसवी ख़ुिा की कसम है दक रदि रे लोग तलवार के जख़म से हमें जखमी करते तो हमें ऐसा अदप्रर न लगता जैसा दक उनकी उन गादलरों से जो हमारे िुने हुए नदबरों को िेते हैं। हमारे हृिर टुकड़े-टुकड़े हो गए। हम रे गादलरां सुन कर उन अपदवत्र प्रकृदत वाले िुदनरा के कीड़ों के समान िापलदूसी नहीं कर सकते जो कहते हैं दक हम इन समसत लोगों को प्रेम की दृजटि से िेखते हैं। रदि इन के दपताओं को गादलरां िी जातीं तो ऐसा किादप न कहते। ख़ुिा इन का और हमारा फैसला करे। रह दवदित्र धम्य है। करा इस कौम से दकसी भलाई की आशा हो सकती है? किादप नहीं।

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    रे लोग इसलाम अदपतु समसत नदबरों के ख़तरनाक शत्रु हैं। इन की गादलरों से भरपदूर पुसतकें हमारे पास मौजदूि हैं।

    अब हम अपने मदूल उद्ेशर की ओर लौट कर कहते हैं दक कादिरान के आर्य अखबारों में जो लाला शरमपत दबरािर लाला दवशमबरिास के हवाले से दलखा गरा है दक हमने कोई आसमानी दनशान इस लेखक का नहीं िेखा रह इस प्रकार का झदूठ है दक रदि कोई इनसान गनिी से गनिी गनिगी खा ले तो ऐसी गनिगी खाना भी उस झदूठ से बहुत कम है। इन बातों को सुनकर दवश्वास होता है दक इतना झदूठ बोलने वाले को अपने परमेश्वर पर ईमान नहीं और वह किादप नहीं डरता दक झदूठ का कोई िुषपररराम हो सकता है। िदूंदक मैंने कई पुसतकों में लाला शरमपत और लाला मलावामल दनवासी कादिरान के बारे में दलख दिरा है दक इनहोंने अमुक-अमुक मेरे आसमानी दनशान िेखे हैं अदपतु बीदसरों दनशान िेखे हैं और वे पुसतकें आज तक करोड़ों लोगों में प्रकादशत हो िुकी हैं। तो रदि इनहोंने मुझ से आसमानी दनशान नहीं िेेखे तो इस जसथदत में िुदनरा में मुझ से अदधक झदूठा कौन होगा और मुझ जैसा कौन अपदवत्र प्रकृदत और झदूठ गढ़ने वाला होगा दजसने केवल इदफ़तरा और झदूठ के तौर पर इन को अपने दनशानों का साक्षी ठहरा दिरा। और रदि मैं अपने िावे में सच्ा हं तो प्रतरेक बुदद्धमान समझ सकता है दक इस से अदधक मेरा और करा अपमान होगा दक इन लोगों ने अखबारों तथा दवज्ञापनों के द्ारा मुझे झदूठा और इदफ़तरा करने वाला ठहरा दिरा। िदूर के लोग करा जानते हैं दक वासतदवकता करा है अदपतु इस शत्रुता के कारर दक अदधकतर लोगों को मेरे साथ हैं इन लोगों को सच्ा समझेंगे

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    और घर की गवाही समझेंगे। इस प्रकार से और भी अपनी आदख़रत ख़राब करेंगे। िदूंदक मैं इस अपमान को सहन नहीं कर सकता तथा इस से ख़ुिा के सथादपत दकए हुए दसलदसले पर अतरनत बुरा प्रभाव है इदसलए प्रथम तो लाला शरमपत और मलावामल को समबोदधत करता हं दक वे ख़ुिा की कसम के साथ मुझ से फ़ैसला कर लें िाहे मुकाबले पर और िाहे दलख कर। इस प्रकार से ख़ुिा की कसम खाएं दक अमुक-अमुक दनशान जो नीिे दलखे गए हैं हमने नहीं िेखे और रदि हम झदूठ बोलते हैं तो ख़ुिा हम पर और हमारी सनतान पर इस झदूठ का िणड उतारे। और वे आसमानी दनशान बुहत से हैं जो बराहीन अहमदिरा में दलखे गए हैं। परनतु इस कसम के दलए सब दनशानों के दलखने की आवशरकता नहीं।

    (1) लाला शरमपत के दलए रह परा्यप्त है दक प्रथम तो उसने मेरा वह रुग िेखा जबदक वह मेरे साथ अकेला कई बार अमृतसर गरा और बराहीन अहमदिरा के छपने के समर वह मेरे साथ ही पािरी रजब अली के मकान पर कई बार गरा। वह अचछी तरह जानता है दक उस समर मैं एक गुमनाम आिमी था। मेरे साथ दकसी का संबंध न था और उसे खदूब मालदूम है दक बराहीन अहमदिरा के छपने के रुग में अथा्यत् जब दक रह भदवषरवारी एक संसार के रुजदू करने के बारे में बराहीन अहमदिरा में िज्य हो िुकी थी। मैं केवल अकेला था। तो अब कसम खाए दक करा रह भदवषरवारी उसने पदूरी होती िेख ली रा नहीं? और कसम खा कर कहे दक करा उसके नजिीक रह काम मनुषर से हो सकता है दक अपनी िररद्रता और गुमनामी के रुग में िुदनरा के सामने अटल और दनजश्चत तौर

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    पर रह भदवषरवारी प्रसतुत करे दक ख़ुिा ने मुझे फ़रमारा है दक तुझ पर एक ऐसा समर आने वाला है दक तदू गुमनाम नहीं रहेगा, लाखों इनसान तेरी ओर रुजदू करेंगे और कई लाख रुपरा तुझे आएगा और लगभग समसत संसार में सममान के साथ तदू प्रदसद्ध दकरा जाएगा। और दफर इस भदवषरवारी को ख़ुिा पदूरा कर िे। हालांदक वह जानता है दक उसने मुझ पर इदफ़तरा दकरा है और झदूठ बोला है और झदूठ की गनिगी खाई है। और ख़ुिा अपनी भदवषरवादररों के अनुसार प्रतरेक रुकावट डालने वाले को असफल रखे। और लाला शरमपत कसम खाकर कहे दक करा उसने रह भदवषरवारी पदूरी होती िेख ली रा नहीं? और करा उसके पास ऐसा उिाहरर है दक दकसी झदूठे ने ख़ुिा का नाम लेकर ऐसी भुदवषरवारी की हो और वह पदूरी हो गई हो। िादहए दक उसका उिाहरर प्रसतुत करे।

    (2) िदूसरी कसम खाकर रह बता िे दक करा रह सि नहीं दक उसका कोई भाई दवशमबरिास, खुशहाल ब्ाह्मर के साथ दकसी फौजिारी मुकद्मः में िणड पाकर िोनों कैि हो गए थे। तो उस समर उसने मुझ से िुआ का दनवेिन दकरा था और मैंने ख़ुिा तआला से ज्ञान पाकर उसे रह बतारा था दक मेरी िुआ से आधी कैि दवशमबरिास की कम की गई। और उसे मैंने कशफ़ी अवसथा में िेखा है दक मैं उस िफतर में पहंुिा हं जहां उसके िणड का रदजसटर है और मैंने अपनी कलम से आधा िणड काट दिरा है परनतु खुशहाल ब्ाह्मर का िणड नहीं काटा अदपतु िणड पदूरा रखा करोंदक उसने मुझ से िुआ का दनवेिन नहीं दकरा था और करा रह सि नहीं दक मैंने इस भदवषरवारी के बताने के समर रह भी कहा

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    था दक ख़ुिा ने मुझे अपनी वह्ी से ज्ञान दिरा है दक िीफ़ कोट्ड से दमसल वापस आएगी और दवशमबरिास। की आधी कैि कम की जाएगी परनतु बरी नहीं होगा और खुशहाल ब्ाह्मर पदूरी कैि भुगत कर जेल से बाहर आएगा और रह उस समर कहा था दक िीफ़ कोट्ड में दवशमबरिास और खुशहाल ब्ाह्मर की अपील अभी िारर ही की गई थी और दकसी को ख़बर नहीं थी दक अंजाम करा होगा अदपतु सवरं िीफ़ कोट्ड के जजों को भी ख़बर नहीं होगी दक दकस आिेश की ओर हमारा कलम िलेगा। उस समर मैंने बतारा था दक वह शजतिमान ख़ुिा दजसने क़ुआ्यन उतारा है वह मुझे कहता है दक मैंने तेरी िुआ सवीकार की और ऐसा होगा दक िीफ कोट्ड से दमसल वापस आएगी और दवशमबरिास की आधी कैि िुआ के कारर माफ़ की जाएगी परनतु बरी नहीं होगा। और खुशहाल ब्ाह्मर न बरी होगा और न उसकी कैि कम की गई तादक िुआ सवीकार होने के दलए एक दनशान रहे। और अनत में ऐसा ही हुआ और दमसल कुछ सप्ताहों के बाि दजला में वापस आई और दवशमबरिास की आधी कैि कम की गई। परनतु खुशहाल ब्ाह्मर का कैि में से एक दिन भी कम न दकरा गरा और िोनों बरी होने से वंदित रहे। शरमपत कसम खाकर रह भी बता िे दक करा रह सि नहीं दक जब इस प्रकार से अनत में मेरी भदवषरवारी के अनुसार फैसला हुआ तो लाला शरमपत ने मेरी ओर एक पिदी दलखी दक आप के सौभागर के कारर ख़ुिा ने रे ग़ैब की बातें आप पर खोल िीं और िुआ सवीकार की।

    लाला शरमपत कसम खाकर रह भी बता िे दक करा रह सि

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    नहीं दक एक अवदध तक वह मेरे पास रही झदूठ बोलता रहा दक मेरा भाई दवशमबरिास बरी हो गरा है और दफर जब हादफ़ज दहिारत अली जो उन दिनों में बटाला का तहसीलिार था संरोग से कादिरान में आरा और लगभग िस बजे का समर था तब दवशमबरिास मेरे मिा्यना मकान के नीिे उसे दमला और उसने दवशमबरिास को समबोदधत करके कहा दक हम प्रसन्न हुए दक तुम कैि से मुजति पा गए परनतु अफ़सोस दक तुम बरी न हुए। तब मैंने शरमपत को कहा दक तुम इतने समर तक मुझ से झदूठ बोलते रहे दक मेरा भाई दवशमबरिास बरी हो गरा है तो शरमपत ने रह उत्र दिरा दक हम ने असल सच्ाई को इसदलए छुपारा दक सच्ाई प्रकट करने से एक िाग़ रह जाता था और भदवषर में ररशतों नातों में एक रुकावट पैिा हो जाती थी और भर था दक दबरािरी के लोग हमारे खानिान को िुषकमदी समझें। और करा रह सि नहीं दक जब दवशमबरिास की कैि के बारे में िीफ़ कोट्ड में अपील िारर की थी तो इशा की नमाज के समर जब मैं अपनी बड़ी मजसजि में था अली मुहममि नामक एक मुल्ा दनवासी कादिरान ने जो अब तक जीदवत और हमारी जमाअत का दवरोधी है मेरे पास आकर वर्यन दकरा दक अपील सवीकार हो गई और दवशमबरिास बरी हो गरा और कहा दक बाजार में इस खुशी का एक जोश फैला हुआ है। तब इस ग़म से मुझ पर वह हालत गुजरी दजसे ख़ुिा जानता है। इस ग़म से मैं महसदूस नहीं कर सकता था दक मैं जीदवत हं रा मर गरा। तब इसी हालत में नमाज आरंभ की गरी जब मैं स्िे में गरा तब मुझे रह इलहाम हुआ ْعــٰی َ

    ْال اَنـْـَت ِانـَّـَک تَْحــَزْن अथा्यत् ग़म न कर तुझ َل

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    क़ादिय़ान के आय्य और हम

    को ही दवजर होगी। तब मैंने शरमपत को इस बात की सदूिना िी और वासतदवकता रह खुली दक अपील केवल ली गरी है रह नहीं दक दवशमबरिास बरी दकरा गरा है।

    अतः शरमपत कसम खाकर बता िे दक करा रह घटना नहीं हुई? और िदूसरी ओर महुममि अली मुल्ा भी कसम के दलए बुलारा जाएगा जो एक दवरोधी अदपतु एक पापी दवरोधी का भाई है।

    (3) और करा रह सि नहीं है दक एक बार एक िनिा दसंह नामक दसकख पर वृक्षों के बारे में बटाला तहसील में हमारी ओर से नादलश िज्य की गई थी दक उसने हमारी इजाजत के दबना अपने खेत से वृक्ष काट दलए हैं। तब ख़ुिा ने मेरी िुआ करने के समर मेरी िुआ को सवीकार करके मुझ पर रह प्रकट दकरा था दक दडग्ी हो गई। और मैंने रह भदवषरवारी शरमपत को बता िी थी दफर ऐसा संरोग हुआ दक आिेश के समर हमारी ओर से अिालत में कोई उपजसथत न था और �