राजभाषा - irtpms · सरकार के कायार्लय के बीच...

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339 राजभाषा

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  • 339

    राजभाषा

  • 340

    अनुक्रमिणका

    क्र .सं . िवषय पषृ ् ठ सं .

    1 राजभाषा संबंधी सांिवधािनक उपबंध 340-343 2 राजभाषा संबंधी सांिवधािनक तथा

    िविधक उपबंध

    344-356

    3 राजभाषा नीित संबंधी आदेश 357-374 4 मानक िहदंी वणर्माला तथा अंक 375-393 5 सरकारी कामकाज म मूल प से िहदंी

    का प्रयोग करने पर नकद पुरस ् कार

    और प्रोत ् साहन

    394-403

    6 राजभाषा प्र नावली 404-409

  • 341

    रर◌ा◌ाजजभभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा सस◌ं◌बंब◌ं◌धंध◌ी◌ी सस◌ा◌ा◌ं◌वंवि◌ि◌धध◌ा◌ाननि◌ि◌कक उउपपबब◌ं◌धंध सस◌ं◌घंघ कक◌ी◌ी रर◌ा◌ाजजभभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा नन◌ी◌ीतति◌ि◌

    भभ◌ा◌ाररतत कक◌ा◌ा सस◌ं◌ंववि◌ि◌धध◌ा◌ानन-- भभ◌ा◌ागग--55((112200)),, भभ◌ा◌ागग--66((221100)) औऔरर भभ◌ा◌ागग--1177((334433 सस◌े◌े 335511)) भभ◌ा◌ागग--55

    अअनन◌ु◌चुच◌्◌छ्छ◌े◌ेदद--112200 :: सस◌ं◌संसदद मम◌े◌◌ें◌ं पप◌्◌्ररयय◌ु◌कुक◌्◌त्त हह◌ो◌ोनन◌े◌े वव◌ा◌ालल◌ी◌ी भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा.. भभ◌ा◌ागग--66

    अअनन◌ु◌चुच◌्◌छ्छ◌े◌ेदद--221100 :: ववि◌ि◌धध◌ा◌ानन--मम◌ं◌ंडडलल मम◌े◌◌ें◌ं पप◌्◌्ररयय◌ु◌कुक◌्◌त्त हह◌ो◌ोनन◌े◌े वव◌ा◌ालल◌ी◌ी भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा ..

    भभ◌ा◌ागग--1177 अअनन◌ु◌ुचच◌्◌्छछ◌े◌ेदद--334433 :: सस◌ं◌ंघघ कक◌ी◌ी रर◌ा◌ाजजभभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा--

    ((11)) सस◌ं◌घंघ कक◌ी◌ी रर◌ा◌ाजजभभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी औऔरर ललि◌ि◌पपि◌ि◌ दद◌े◌वेवनन◌ा◌ागगरर◌ी◌ी हह◌ो◌ोगग◌ी◌ी ।। सस◌ं◌घंघ कक◌े◌े शश◌ा◌ाससकक◌ी◌ीयय पप◌्◌्ररयय◌ो◌ोजजनन◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌े◌े ललि◌ि◌एए पप◌्◌्ररयय◌ो◌ोगग हह◌ो◌ोनन◌े◌े वव◌ा◌ालल◌े◌े अअ◌ं◌कंक◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌ा◌ा रर◌ु◌पुप भभ◌ा◌ाररतत◌ी◌ीयय अअ◌ं◌कंक◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌ा◌ा अअ◌ं◌तंतरर◌्◌्रर◌ा◌ाषष◌्◌्टट◌्◌्रर◌ी◌ीयय रर◌ु◌पुप हह◌ो◌ोगग◌ा◌ा ।।

    ((22)) सस◌ं◌वंवि◌ि◌धध◌ा◌ानन लल◌ा◌ागग◌ू◌ू हह◌ो◌ोनन◌े◌े सस◌े◌े ((2266 जजननववरर◌ी◌ी,, 11995500)) 1155 ववरर◌्◌ष्ष ((2266 जजननववरर◌ी◌ी,, 11996655)) ततकक अअ◌ं◌गंग◌्◌्रर◌े◌जेज◌ी◌ी भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा ससररकक◌ा◌ारर◌ी◌ी कक◌ा◌ारर◌्◌य्य◌ो◌ो◌ं◌ं मम◌े◌◌ें◌ं पप◌ू◌ूरर◌्◌व्वववतत◌्◌् चचललतत◌ी◌ी ररहह◌े◌गेग◌ी◌ी ।।

    ((33)) सस◌ं◌संसदद 2266 जजननववरर◌ी◌ी,, 11996655 अअरर◌्◌थ्थ◌ा◌ातत 1155 सस◌ा◌ालल कक◌े◌े बब◌ा◌ादद भभ◌ी◌ी अअ◌ं◌गंग◌्◌्रर◌े◌जेज◌ी◌ी भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा यय◌ा◌ा दद◌े◌वेवनन◌ा◌ागगरर◌ी◌ी अअ◌ं◌कंक◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌े◌े

  • 342

    पप◌्◌्ररयय◌ो◌ोगग कक◌ो◌ो ववि◌ि◌धधि◌ि◌ दद◌्◌व्व◌ा◌ारर◌ा◌ा ववि◌ि◌ननि◌ि◌रर◌्◌्ददि◌ि◌षष◌्◌्टट पप◌्◌्ररयय◌ो◌ोजजनन◌ो◌ो◌ं◌ं मम◌े◌◌ें◌ं जज◌ा◌ारर◌ी◌ी ररखख ससकक◌े◌गेग◌ी◌ी ।।

    अअनन◌ु◌चुच◌्◌छ्छ◌े◌ेदद--334444:: रर◌ा◌ाजजभभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा कक◌े◌े ललि◌ि◌एए आआयय◌ो◌ोगग औऔरर सस◌ं◌संसदद कक◌ी◌ी ससममि◌ि◌तति◌ि◌ ।। अअनन◌ु◌चुच◌्◌छ्छ◌े◌ेदद--334455:: रर◌ा◌ाजज◌्◌य्य कक◌ी◌ी रर◌ा◌ाजजभभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा यय◌ा◌ा रर◌ा◌ाजजभभ◌ा◌ाषष◌ा◌ाएए◌ं◌ं ।। अअनन◌ु◌चुच◌्◌छ्छ◌े◌ेदद--334466:: एएकक रर◌ा◌ाजज◌्◌य्य औऔरर दद◌ू◌सूसरर◌े◌े कक◌े◌े बब◌ी◌ीचच मम◌े◌◌ें◌ं

    अअथथवव◌ा◌ा रर◌ा◌ाजज◌्◌य्य औऔरर सस◌ं◌घंघ कक◌े◌े बब◌ी◌ीचच मम◌े◌◌ें◌ं सस◌ं◌चंच◌ा◌ारर कक◌े◌े ललि◌ि◌एए रर◌ा◌ाजजभभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा।।

    अअनन◌ु◌चुच◌्◌छ्छ◌े◌ेदद--334477:: ककि◌ि◌सस◌ी◌ी रर◌ा◌ाजज◌्◌य्य कक◌े◌े जजननससमम◌ु◌ुदद◌ा◌ायय कक◌े◌े

    ककि◌ि◌सस◌ी◌ी भभ◌ा◌ागग दद◌्◌व्व◌ा◌ारर◌ा◌ा बब◌ो◌ोलल◌ी◌ी जज◌ा◌ानन◌े◌े वव◌ा◌ालल◌ी◌ी भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा कक◌े◌े सस◌ं◌बंब◌ं◌धंध मम◌े◌◌ें◌ं ववि◌ि◌शश◌े◌षेष उउपपबब◌ं◌धंध।।

  • 343

    अअनन◌ु◌चुच◌्◌छ्छ◌े◌ेदद--334488:: उउचच◌्◌च्चततमम नन◌्◌य्य◌ा◌ायय◌ा◌ाललयय औऔरर उउचच◌्◌च्च नन◌्◌य्य◌ा◌ायय◌ा◌ाललयय◌ो◌ो◌ं◌ं मम◌े◌◌ें◌ं ततथथ◌ा◌ा अअधधि◌ि◌ननि◌ि◌ययमम◌ो◌ो◌ं◌ं,, ववि◌ि◌धध◌े◌येयकक◌ो◌ो◌ं◌ं आआददि◌ि◌ मम◌े◌◌ें◌ं पप◌्◌्ररयय◌ो◌ोगग कक◌ी◌ी जज◌ा◌ानन◌े◌े वव◌ा◌ालल◌ी◌ी भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा ।।

    अअनन◌ु◌चुच◌्◌छ्छ◌े◌ेदद--334499:: भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा सस◌ं◌बंब◌ं◌धंध◌ी◌ी कक◌ु◌छुछ ववि◌ि◌धधि◌ि◌यय◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌ो◌ो

    अअधधि◌ि◌ननि◌ि◌ययममि◌ि◌तत ककररनन◌े◌े कक◌े◌े ललि◌ि◌एए ववि◌ि◌शश◌े◌षेष पप◌्◌्ररकक◌्◌्ररि◌ि◌यय◌ा◌ा ।।

    अअनन◌ु◌चुच◌्◌छ्छ◌े◌ेदद--335500:: ककि◌ि◌सस◌ी◌ी वव◌्◌य्यथथ◌ा◌ा कक◌े◌े ननि◌ि◌वव◌ा◌ाररणण कक◌े◌े ललि◌ि◌एए

    सस◌ं◌घंघ यय◌ा◌ा रर◌ा◌ाजज◌्◌य्य कक◌े◌े ककि◌ि◌सस◌ी◌ी पपदद◌ा◌ाधधि◌ि◌कक◌ा◌ारर◌ी◌ी यय◌ा◌ा पप◌्◌्रर◌ा◌ाधधि◌ि◌कक◌ा◌ारर◌ी◌ी कक◌ो◌ो ययथथ◌ा◌ासस◌्◌थ्थि◌ि◌तति◌ि◌,, सस◌ं◌घंघ मम◌े◌◌ें◌ं यय◌ा◌ा रर◌ा◌ाजज◌्◌य्य मम◌े◌◌ें◌ं पप◌्◌्ररयय◌ो◌ोगग हह◌ो◌ोनन◌े◌े वव◌ा◌ालल◌ी◌ी ककि◌ि◌सस◌ी◌ी भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा मम◌े◌◌ें◌ं अअभभ◌्◌य्य◌ा◌ावव◌े◌ेददनन दद◌े◌नेन◌े◌े कक◌ा◌ा पप◌्◌्ररतत◌्◌य्य◌े◌केक कक◌ो◌ो हहकक हह◌ो◌ोगग◌ा◌ा ।।

    अअनन◌ु◌चुच◌्◌छ्छ◌े◌ेदद--335511:: हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा कक◌े◌े ववि◌ि◌कक◌ा◌ासस कक◌े◌े ललि◌ि◌एए

    ननि◌ि◌दद◌े◌शेश-- सस◌ं◌घंघ कक◌ा◌ा ययहह ककरर◌्◌त्तवव◌्◌य्य हह◌ो◌ोगग◌ा◌ा ककि◌ि◌ ववहह हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा कक◌ा◌ा पप◌्◌्ररसस◌ा◌ारर बबढ़ढ़◌ा◌ाएए उउससकक◌ा◌ा ववि◌ि◌कक◌ा◌ासस

  • 344

    ककरर◌े◌े तत◌ा◌ाककि◌ि◌ ववहह भभ◌ा◌ाररतत कक◌ी◌ी सस◌ा◌ामम◌ा◌ाससि◌ि◌कक सस◌ं◌संस◌्◌क्क◌ृ◌तृति◌ि◌ कक◌े◌े ससभभ◌ी◌ी तततत◌्◌व्व◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌ी◌ी अअभभि◌ि◌वव◌्◌य्यकक◌्◌त्ति◌ि◌ कक◌ा◌ा मम◌ा◌ाधध◌्◌य्यमम बबनन ससकक◌े◌े औऔरर उउससकक◌ी◌ी पप◌्◌्ररकक◌ृ◌तृति◌ि◌ मम◌े◌◌ें◌ं हहसस◌्◌त्तकक◌्◌ष्ष◌े◌पेप ककि◌ि◌एए बबि◌ि◌नन◌ा◌ा हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ु◌सुस◌्◌त्त◌ा◌ानन◌ी◌ी कक◌े◌े औऔरर आआठठवव◌ी◌ी◌ं◌ं अअनन◌ु◌सुस◌ू◌चूच◌ी◌ी मम◌े◌◌ें◌ं ववि◌ि◌ननि◌ि◌रर◌्◌्ददि◌ि◌षष◌्◌्टट भभ◌ा◌ाररतत कक◌ी◌ी अअनन◌्◌य्य भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ाओओ◌ं◌ं कक◌े◌े पप◌्◌्ररयय◌ु◌कुक◌्◌त्त रर◌ु◌पुप,, शश◌ै◌लैल◌ी◌ी औऔरर पपदद◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌ो◌ो आआतत◌्◌म्मसस◌ा◌ातत ककररतत◌े◌े हह◌ु◌एुए औऔरर जजहह◌ा◌ा◌ं◌ं आआववशश◌्◌य्यकक यय◌ा◌ा वव◌ा◌ा◌ं◌छंछनन◌ी◌ीयय हह◌ो◌ो ववहह◌ा◌ा◌ं◌ं उउससकक◌े◌े शशबब◌्◌्दद--भभ◌ं◌ंडड◌ा◌ारर कक◌े◌े ललि◌ि◌एए मम◌ु◌खुख◌्◌य्यतत◌ः◌ः सस◌ं◌संस◌्◌क्क◌ृ◌तृत सस◌े◌े औऔरर गग◌ौ◌ौणणतत◌ः◌ः अअनन◌्◌य्य भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ाओओ◌ं◌ं सस◌े◌े शशबब◌्◌्दद गग◌्◌्ररहहणण ककररतत◌े◌े हह◌ु◌एुए उउससकक◌ी◌ी ससमम◌ृ◌ृदद◌्◌ध्धि◌ि◌ सस◌ु◌नुनि◌ि◌शश◌्◌च्चि◌ि◌तत ककरर◌े◌े ।।

    सस◌ं◌ंववि◌ि◌धध◌ा◌ानन कक◌ी◌ी आआठठवव◌ी◌ी◌ं◌ं अअनन◌ु◌ुसस◌ू◌ूचच◌ी◌ी मम◌े◌े◌ं◌ं ससमम◌्◌्ममि◌ि◌ललि◌ि◌तत भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ाएए◌ं◌ं-- 1. असिमय◌ा 2. उिड़या 3. उदूर् 4. क नड़ 5. क मीरी 6. गजुराती 7. तिमल 8. तेलगु ु 9. पंजाबी 10. बंगला 11. मराठी 12. मलयालम 13. सं कृत 14. िसधंी 15. िहदंी 16. मिणपुरी 17. नेपाली 18. क कणी 19. मिैथली 20. बोडो 21. सथंाली 22. डोगरी

  • 345

    रर◌ा◌ाजजभभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा सस◌ं◌बंब◌ं◌धंध◌ी◌ी सस◌ा◌ा◌ं◌वंवि◌ि◌धध◌ा◌ाननि◌ि◌कक ततथथ◌ा◌ा ववि◌ि◌धधि◌ि◌कक उउपपबब◌ं◌धंध सस◌ा◌ामम◌ा◌ानन◌्◌य्य-- सस◌ं◌घंघ कक◌ी◌ी रर◌ा◌ाजजभभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा दद◌े◌वेवनन◌ा◌ागगरर◌ी◌ी ललि◌ि◌पपि◌ि◌ मम◌े◌◌ें◌ं

    हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी हह◌ै◌ै।। पपरर◌ं◌तंत◌ु◌ु हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी कक◌े◌े अअतति◌ि◌ररि◌ि◌कक◌्◌त्त अअ◌ं◌गंग◌्◌्रर◌े◌जेज◌ी◌ी भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा कक◌ा◌ा पप◌्◌्ररयय◌ो◌ोगग भभ◌ी◌ी ससररकक◌ा◌ारर◌ी◌ी कक◌ा◌ाममकक◌ा◌ाजज मम◌े◌◌ें◌ं ककि◌ि◌यय◌ा◌ा जज◌ा◌ा ससककतत◌ा◌ा हह◌ै◌ै।। ((सस◌ं◌वंवि◌ि◌धध◌ा◌ानन अअनन◌ु◌चुच◌्◌छ्छ◌े◌ेदद 334433 ((11)) ततथथ◌ा◌ा रर◌ा◌ाजजभभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा अअधधि◌ि◌ननि◌ि◌ययमम कक◌ी◌ी धध◌ा◌ारर◌ा◌ा 33)) 11..11 सस◌ं◌ंससदद मम◌े◌े◌ं◌ं पप◌्◌्ररयय◌ु◌ुकक◌्◌्तत हह◌ो◌ोनन◌े◌े वव◌ा◌ालल◌ी◌ी भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा ::

    सस◌ं◌वंवि◌ि◌धध◌ा◌ानन कक◌े◌े अअनन◌ु◌चुच◌्◌छ्छ◌े◌ेदद 334488 कक◌े◌े उउपपबब◌ं◌धंध◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌े◌े अअधध◌ी◌ीनन ररहहतत◌े◌े हह◌ु◌एुए सस◌ं◌संसदद मम◌े◌◌ें◌ं कक◌ा◌ारर◌्◌य्य हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी मम◌े◌◌ें◌ं यय◌ा◌ा अअ◌ं◌गंग◌्◌्रर◌े◌जेज◌ी◌ी मम◌े◌◌ें◌ं ककि◌ि◌यय◌ा◌ा जज◌ा◌ा ससककतत◌ा◌ा हह◌ै◌ै।। पपरर◌ं◌तंत◌ु◌ु रर◌ा◌ाजज◌्◌य्य ससभभ◌ा◌ा कक◌ा◌ा ससभभ◌ा◌ापपतति◌ि◌ यय◌ा◌ा लल◌ो◌ोकक ससभभ◌ा◌ा कक◌ा◌ा अअधध◌्◌य्यकक◌्◌ष्ष अअथथवव◌ा◌ा ऐऐसस◌े◌े रर◌ु◌पुप मम◌े◌◌ें◌ं कक◌ा◌ारर◌्◌य्य ककररनन◌े◌े वव◌ा◌ालल◌ा◌ा वव◌्◌य्यकक◌्◌त्ति◌ि◌ ससददनन कक◌े◌े ककि◌ि◌सस◌ी◌ी ससददसस◌्◌य्य कक◌ो◌ो अअपपनन◌ी◌ी मम◌ा◌ातत◌ृ◌भृभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा मम◌े◌◌ें◌ं ससददनन कक◌ो◌ो सस◌ं◌बंब◌ो◌ोधधि◌ि◌तत ककररनन◌े◌े कक◌ी◌ी अअनन◌ु◌मुमतति◌ि◌ दद◌े◌े ससककतत◌ा◌ा हह◌ै◌ै।।

    11..22 ककि◌ि◌नन पप◌्◌्ररयय◌ो◌ोजजनन◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌े◌े ललि◌ि◌एए कक◌े◌वेवलल हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी कक◌ा◌ा पप◌्◌्ररयय◌ो◌ोगग ककि◌ि◌यय◌ा◌ा जज◌ा◌ानन◌ा◌ा हह◌ै◌ै,, ककि◌ि◌ननकक◌े◌े ललि◌ि◌एए हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी औऔरर अअ◌ं◌गंग◌्◌्रर◌े◌जेज◌ी◌ी दद◌ो◌ोनन◌ो◌ो◌ं◌ं

  • 346

    भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ाओओ◌ं◌ं कक◌ा◌ा पप◌्◌्ररयय◌ो◌ोगग आआववशश◌्◌य्यकक हह◌ै◌ै,, ककि◌ि◌ननकक◌े◌े ललि◌ि◌एए अअ◌ं◌गंग◌्◌्रर◌े◌जेज◌ी◌ी भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा कक◌ा◌ा पप◌्◌्ररयय◌ो◌ोगग ककि◌ि◌यय◌ा◌ा जज◌ा◌ानन◌ा◌ा हह◌ै◌ै औऔरर ककि◌ि◌नन कक◌ा◌ारर◌्◌य्य◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌े◌े ललि◌ि◌एए हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी यय◌ा◌ा अअ◌ं◌गंग◌्◌्रर◌े◌जेज◌ी◌ी दद◌ो◌ोनन◌ो◌ो◌ं◌ं भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ाओओ◌ं◌ं कक◌ा◌ा पप◌्◌्ररयय◌ो◌ोगग ककि◌ि◌यय◌ा◌ा जज◌ा◌ा ससककतत◌ा◌ा हह◌ै◌ै ययहह रर◌ा◌ाजजभभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा ननि◌ि◌ययमम 11996633,, रर◌ा◌ाजजभभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा ननि◌ि◌ययमम 11997766 औऔरर उउननकक◌े◌े अअ◌ं◌तंतरर◌्◌ग्गतत ससममयय--ससममयय पपरर रर◌ा◌ाजजभभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा ववि◌ि◌भभ◌ा◌ागग,, गग◌ृ◌ृहह मम◌ं◌तंत◌्◌्ररललयय कक◌ी◌ी ओओरर सस◌े◌े जज◌ा◌ारर◌ी◌ी ककि◌ि◌एए गगएए ननि◌ि◌दद◌े◌शेश◌ो◌ो◌ं◌ं दद◌्◌व्व◌ा◌ारर◌ा◌ा ननि◌ि◌रर◌्◌ध्ध◌ा◌ाररि◌ि◌तत ककि◌ि◌यय◌ा◌ा गगयय◌ा◌ा हह◌ै◌ै।। 11..33 रर◌ा◌ाजज◌्◌्यय◌ो◌ो◌ं◌ं आआददि◌ि◌ औऔरर कक◌े◌े◌ं◌ंदद◌्◌्गग◌ी◌ीयय ससररकक◌ा◌ारर कक◌े◌े कक◌ा◌ारर◌्◌्यय◌ा◌ाललयय◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌ो◌ो छछ◌ो◌ोड़ड़ककरर दद◌ू◌ूससरर◌े◌े कक◌ा◌ारर◌्◌्यय◌ा◌ाललयय◌ो◌ो◌ं◌ं यय◌ा◌ा वव◌्◌्ययकक◌्◌्तति◌ि◌यय◌ो◌ो◌ं◌ं सस◌े◌े पपतत◌्◌्रर वव◌्◌्ययववहह◌ा◌ारर::

    क गीय सरकार के कायार्लय से क्षेत्र क म िकसी रा य या सघं रा य क्षेत्र के कायार्लय को या ऐसे रा य या सघं रा य क्षेत्र म क गीय सरकार के कायार्लय को छोड़कर िकसी अ य कायार्लय या यिक्त को पत्र आिद अस◌ाधारण दशाओं को छोड़कर िहदंी म भेजे जाएं। यिद उनम से िकसी को कोई पत्र आिद अगें्रजी म भेजा जाता है तो उसके साथ उसका िहदंी अनुवाद भी भेजा जाए।

    ((रर◌ा◌ाजजभभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा ननि◌ि◌ययमम 33 ((11)) 1.4 क गीय सरकार के कायार्लय से क्षेत्र ख म िकसी रा य या सघं रा य क्षेत्र के

    कारय्ालय को या ऐसे रा य या सघं रा य क्षेत्र म ि थत क गीय सरकार के कायार्लय को छोड़कर िकसी अ य कायार्लय को या यिक्त को पत्र आिद

  • 347

    सामा यतया िहदंी म भेजे जाएं । यिद उनम से िकसी को पत्र आिद अगें्रजी म भेजे जाते ह तो उनके साथ उनका िहदंी अनुवाद भ◌ी भेजा जाए।

    (राजभाषा िनयम 3 (2) 1.5 क गीय सरकार के कायार्लय से क्षेत्र ग म िकसी रा य या सघं रा य क्षेत्र को,

    या ऐसे रा य म क गीय सरकार के कायार्लय को छोड़कर िकसी अ य कायार्लय या यिक्त को पत्र आिद अगें्रजी म भेजे जाएं।

    (िनयम 3 (3)) 1.6 क्षेत्र ग म क गीय सरकार के कायार्लय से क्षेत्र क या ख म ि थत िकसी रा य

    या सघं रा य क्षेत्र के कायार्लय को या क गीय सरकार कायार्लय के क्षेत्र को छोड़कर ऐसे रा य म ि थत अ य कायार्लय या यिक्त को पत्र आिद िहदंी या अगें्रजी म भेजे जा सकते ह◌ै◌ं। राजभाषा िवभाग वारा प्रितवषर् वािषर्क कायर्क्रम म िनधार्िरत िकया जाता है िक पत्र आिद म िहदंी का प्रयोग िकस अनुपात से िकया जाए।

    (िनयम 3 (4)) 11..77 कक◌े◌े◌ं◌ंदद◌्◌्गग◌ी◌ीयय ससररकक◌ा◌ारर कक◌े◌े कक◌ा◌ारर◌्◌्यय◌ा◌ाललयय◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌े◌े बब◌ी◌ीचच पपतत◌्◌्रर वव◌्◌्ययववहह◌ा◌ारर

    क गीय सरकार के िकसी एक मतं्रालय या िवभाग और िकसी दसूरे मतं्रालय या िवभाग के बीच पत्र आिद िहदंी या अगें्रजी म हो सकते ह।

    ((ननि◌ि◌ययमम 44 ((कक)) 1.8 क गीय सरकार के एक मतं्रालय या िवभाग और क्षेत्र क म ि थत सबंद्ध या

    अधीन थ कायार्लय के बीच पत्र आिद िहदंी म या उस अनुपात से भेजे जाने ह, जो राजभाषा िवभाग प्र येक वषर् वािषर्क कायर्क्रम म िनधार्िरत करता है।

    (िनयम 4 (ख)) 1.9 क गीय सरकार के मतं्रालय या िवभाग को छोड़कर क्षेत्र क म ि थत क गीय

    सरकार के कायार्लय के बीच पत्र आिद िहदंी म भेजे जाएं।

    ((ननि◌ि◌ययमम 44 ((गग)))) 1.10 क्षेत्र ख और क्षेत्र ग म सि्थत कायार्लय का आपस म, और क्षेत्र क म ि थत

    क गीय सरकार के कायार्लय के साथ, पत्र यवहार िहदंी या अगें्रजी म हो सकता है। यह पत्र यवहार िकस अनुपात म िकया जाए, यह राजभाषा िवभाग वारा हर वषर् जारी िकए गए वािषर्क कायर्क्रम म िनधार्िरत िकया जाता है।

    (िनयम 4 (घ) व (ड़))

  • 348

    1.11 क्षेत्र क या क्षेत्र ख म ि थत िकसी क गीय सरकार के कायार्लय को सबंोिधत पत्र आिद का दसूरी भाषा म अनुवाद भेजने की आव यकता नहीं। इसका दसूरी भाषा म अनुवाद, पत्र आिद प्रा त करने के थान पर िकया जाएगा।

    (िनयम 4 का परंतुक (1)) 1.12 क्षेत्र ग म ि थत क गीय सरकार के िकसी कायार्लय को यिद कोई पत्र िहदंी म

    भेजा जाता है और ग क्षेत्र म ि थत यह कायार्लय राजभाषा िनयम 10 (4) के अधीन अिधसिूचत है तब उसे अगें्रजी के अनुवाद भेजने की आव यकता नहीं। क्षेत्र ग म ि थत क गीय सरकार के दसूरे कायार्लय को यिद पत्र िहदंी म भेजा जाता है तो उसका अगें्रजी भाषा म अनुवाद उसके साथ भेजा जाए।

    (िनयम 4 परंतुक (।।) 11..1133 हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी मम◌े◌े◌ं◌ं पप◌्◌्रर◌ा◌ापप◌्◌्तत पपतत◌्◌्रर◌ा◌ाददि◌ि◌ कक◌ा◌ा उउतत◌्◌्ततरर

    िहदंी म पत्र आिद का उ तर चाहे वे िकसी भी क्षेत्र से प्रा त ह और िकसी भी रा य सरकार, यिक्त या क गीय सरकार के कायार्लय से प्रा त ह , क गीय सरकार के कायार्लय से िहदंी म िदया जाए।

    (िनयम 5) 11..1144 आआवव◌े◌ेददनन,, अअभभ◌्◌्यय◌ा◌ावव◌े◌ेददनन आआददि◌ि◌ कक◌ा◌ा उउतत◌्◌्ततरर

    कोई कमर्चारी आवेदन, अपील या अ यावेदन िहदंी या अगें्रजी म कर सकता है। यिद कोई कमर्चारी अपना आवेदन, अपील या अ यावेदन िहदंी म करता है या उस पर िहदंी म ह ताक्षर करता है तो उसका उ तर िहदंी म िदया जाए। (िनयम 7 (1,2)

    11..1155 सस◌े◌ेवव◌ा◌ा सस◌ं◌ंबब◌ं◌ंधध◌ी◌ी आआदद◌े◌ेशश यय◌ा◌ा सस◌ू◌ूचचनन◌ा◌ा यिद कोई कमर्चारी यह चाहता है िक सेव◌ा सबंंधी िवषय (िजसके अतंगर्त अनुशासिनक कायर्वाही भी है) से सबंंिधत कोई आदेश या सचूना, िजसको कमर्चारी पर तामील िकया जाना अपेिक्षत है, िहदंी या अगें्रजी म होना चािहए, तो वह उसे िकसी िवलबं के िबना उसी भाषा म िदया जाए।

    (िनयम 7 (3) 11..1166 ददसस◌्◌्तत◌ा◌ावव◌े◌ेजज आआददि◌ि◌ जज◌ो◌ो दद◌्◌्ववि◌ि◌भभ◌ा◌ाषष◌ी◌ी हह◌ो◌ोनन◌े◌े चच◌ा◌ाहहि◌ि◌एए

    िन निलिखत द तावेज आिद िहदंी और अगें्रजी दोन भाषाओं म जारी िकए जाएं- (1) सकं प , साधारण आदेश, िनयम अिधसचूनाएं, प्रशासिनक या अ य प्रितवेदन या

    पे्रस िवज्ञि त।

  • 349

    (2) ससंद के िकसी सदन या सदन के समक्ष रखे गए प्रशासिनक तथा अ य प्रितवेदन और राजक◌ीय कागज पत्र ्।

    (3) सिंवदाओं और करार का िन पादन लाइसस, परिमट और टडर के िलए नोिटस और प्र प।

    (अिधिनयम की धारा 3 (3) 1.17 मैनुअल,संिहताएं,प्रिक्रया संबंधी अ य सािह य,लेखन सामग्री आिद (क) सभी मनैुअल, सिंहता और प्रिक्रया सबंंधी अ य सािह य िहदंी और अगें्रजी म

    िवभाषी प म मु िगत या साइक्लो टाइल िकया जाए और प्रकािशत िकया जाए। (ख) क गीय सरकार के िकसी कायार्लय म प्रयोग िकए जाने वाले रिज टर के प्र प और शीषर्क िहदंी और अगें्रजी दोन भाषाओं म ह । (ग) क गीय सरकार के िकसी कारय्ालय म प्रयोग के िलए सभी नाम पट्ट , सचूना पट्ट , पत्र शीषर् और िलफाफ पर उ कीणर् लेख तथा लेखन सामग्री की अ य मद िहदंी और अगें्रजी दोन भाषाओं म िलखी जाएं व मु िगत या उ कीणर् की जाएं। यिद क गीय सरकार ऐसा करना आव यक समझती है तो वह साधारण या िवशेष आदेश वारा क गीय सरकार के िकसी कायार्लय को इस िनयम के सभी या िक हीं उपबंध से छूट दे सकती है।

    (िनयम 11) इस परंतुक के अधीन छूट के िलए कोई प्र ताव उसका पूरा औिच य िदखाते हुए राजभाषा िवभाग को भेजा जाए ।

    11..1188 ((कक)) कक◌ा◌ारर◌्◌्ययसस◌ा◌ाधधकक जज◌्◌्ञञ◌ा◌ानन यह समझा जाएगा िक िकसी कमर्चारी को िहदंी का कायर्साधक ज्ञान प्रा त है, यिद उसने (1) मिैट्रक परीक्षा या उसके समतु य या ऊंची परीक्षा िहदंी िवषय के साथ उ तीणर्

    कर ली है, या (2) क गीय सरकार के िहदंी िशक्षण योजना के अतंगर्त आयोिजत प्राज्ञ परीक्षा

    उ तीणर् कर ली है, या यिद क गीय सरकार वारा िकसी िविश ट पद के सबंंध म उस योजना के अतंगर्त कोई िन नतर परीक्षा िविनिदर् ट है तो वह परीक्षा उ तीणर् कर ली है, या

    (3) क गीय सरकार वारा इस बारे म िविनिदर् ट कोई अ य परीक्षा उ तीणर् कर ली है, या.

  • 350

    (4) वह राजभाषा िनयम के सलंग्न पर् प म यह घोषणा करता है िक उसने िहदंी का कायर्साधक ज्ञान प्रा त कर िलया है।

    (िनयम 10) 11..1188 ((खख)) पप◌्◌्ररवव◌ी◌ीणणतत◌ा◌ा

    िकसी कमर्चारी के बारे म यह समझ जाएगा िक उसने िहदंी म प्रवीणता प्रा त कर ली है, यिद उसने- (1) मिैट्रक परीक्षा या उसके समतु य या उससे ऊंची कोई परीक्षा िहदंी के मा यम से

    उ तीणर् कर ली है, या (2) नातक परीक्षा म अथवा नातक परीक्षा के बराबर या उससे ऊँची िकसी परीक्षा म

    िहदंी को एक वैकि पक िवषय के प म िलया है, या. (3) वह राजभाषा िनयम म सलंग्न प्र प म यह घोषणा करता है िक उसे िहदंी म प्रवीणता

    प्र ◌ा त है। (िनयम 9)

    11..1188 ((गग)) कक◌े◌ेनन◌्◌्दद◌्◌्रर◌ी◌ीयय ससररकक◌ा◌ारर कक◌े◌े कक◌ा◌ारर◌्◌्यय◌ा◌ाललयय◌ो◌ो◌ं◌ं मम◌े◌े◌ं◌ं टटि◌ि◌पप◌्◌्पपणण आआददि◌ि◌ क गीय सरकार ऐसे कायार्लय को िजनम कायर् करने वाले कमर्चािरय म से 80

    प्रितशत ने िहदंी का कायर्साधक ज्ञान प्रा त कर िलया है और जो राजभाषा िनयम 10 (4) के अधीन अिधसिूचत िकए ज◌ा चुके ह, िविनिदर् ट कर सकती है िक उनम ऐसे कमर्चािरय वारा िज ह िहदंी म प्रवीणता प्रा त है, िट पण , प्रा पण और ऐसे अ य शासकीय प्रयोजन के िलए, जो आदेश म िविनिदर् ट िकए जाएं केवल िहदंी का प्रयोग िकया जाएगा।

    (िनयम 8(4), 10 (2) और 10(4) 1.19 उपयुर्क्त को छोड़कर कोई कमर्चारी िकसी फाइल पर िट पणी या कायर्वृ त िहदंी या

    अगें्रजी म िलख सकता है और उससे यह अपेक्षा नहीं की जाएगी िक वह उसका अनुवाद दसूरी भाषा म प्र तुत करे ।

    (िनयम 8(1) 11..2200 ककरर◌्◌्ममचच◌ा◌ारर◌ी◌ी दद◌्◌्वव◌ा◌ारर◌ा◌ा अअ◌ं◌ंगग◌्◌्रर◌े◌ेजज◌ी◌ी अअनन◌ु◌ुवव◌ा◌ादद कक◌ी◌ी मम◌ा◌ा◌ं◌ंगग

    क गीय सरकार का कोई भी कमर्चारी , जो िहदंी का कायर्साधक ज्ञान रखता है, िहदंी म िकसी द तावेज के अगें्रजी अनुवाद की मांग तभी कर सकता है जब वह द तावेज िविधक या तकनीकी प्रकृित के ह , अ यथा नहीं । यिद यह प्र न उठता है िक कोई द तावेज िविधक या तकनीकी प्रकृि त का है या नहीं, तो िवभाग या कायार्लय का प्रधान उसका िनणर्य करेगा।

    (िनयम 8(2), और (3)

  • 351

    11..2211 अअनन◌ु◌ुपप◌ा◌ाललनन कक◌ा◌ा उउतत◌्◌्ततररदद◌ा◌ाययि◌ि◌तत◌्◌्वव

    पैरा 1.16 म िदए गए द तावेज पर ह ताक्षर करने वाले यिक्त का यह उ तरदािय व है िक वह यह सिुनि चत कर ले िक ये द तावेज िहदंी और अगें्रज ◌ी दोन ही म तैयार िकए जाते ह ,िन पा िदत िकए जाते ह और जारी िकए जाते ह ।

    (िनयम 6) 1.22 क गीय सरकार के प्र येक कायार्लय के प्रशासिनक प्रधान का यह उ तरदािय व है िक वह यह सिुनि चत करे िक राजभाषा अिधिनयम और राजभाषा िनयम के उपबंध का समिुचत प से अनुपालन हो रहा है और इस प्रयोजन के िलए उपयुक्त और प्रभावकारी जांच के उपाय कर।

    (िनयम 12 (1) ) 1.23 क गीय सरकार (राजभाषा िवभाग) वारा राजभाषा अिधिनयम और राजभाषा िनयम के उपबंध के पूरी तरह अनुपालन के िलए अपने कमर्चािरय और कायार्लय को समय-समय पर आव यक िनदेश जारी िकए जाते ह। कायार्लय के प्रशासिनक प्रधान का यह भी उ तरदािय व है िक वह इन िनदेश का पालन सिुनि चत करे।

    (िनयम 12(1), व (2) ) 11..2244 अअ◌ं◌ंकक

    सघं के शासकीय प्रयोजन के िलए भारतीय अकं का अतंरार् ट्रीय प (1,2,3,4,5,6,7,8,9,0) प्रयोग म◌े◌ं लाया जाए।

    (सिंवधान का अनु छेद 343 (1)) 1.25 रा ट्रपित , सघं के शासकीय प्रयोजन म से िकसी प्रयोजन के िलए भारतीय अकं के अतंरार् ट्रीय प के अितिरक्त देवनागरी प (१,२,३,४,५,६,७,८,९,०) का प्रयोग प्रािधकृत कर सकते ह। इसके अधीन रा य के रा यपाल◌ो◌ं, उ चतम यायालय के यायाधीश और उ च यायालय के यायाधीश की िनयुिक्त के अिधपत्र के िलए भारतीय अकं के अतंरार् ट्रीय व प के अितिरक्त अकं के देवनागरी व प का प्रयोग करने की अनुमित दी गई है।

    (सिंवधान का अनु छेद 343 (2) और िविध मतं्राल य की अिधसचूना स.ं एस.आर.ओ.938ए िदनांक 27 मई, 1952)(सकंलन क्रम 2)

    1.26 उपयुर्क्त पैरा 1.25 को छोड़कर क गीय सरकार के कामकाज म जहां कहीं भी अकं का प्रयोग करना हो वहां केवल भारतीय अकं के अतंरार् ट्रीय प का ही प्रयोग िकया जाए।

    (गहृ मतं्रालय , राजभाष◌ा िवभाग का.ज्ञा .स.ं1/14034/382.रा.भा. (ख-1) )

  • 352

    (िदनांक 6.9.1982 सकंलन क्रम 10)

    11..2277 सस◌ं◌ंससदद कक◌े◌े कक◌ा◌ारर◌्◌्यय ससंद म कायर् के िलए िहदंी या अगें्रजी कोई भी भाषा प्रयोग म लाई जा सकती है।

    ((सस◌ं◌वंवि◌ि◌धध◌ा◌ानन अअनन◌ु◌चुच◌्◌छ्छ◌े◌ेदद 112200 औऔरर अअधधि◌ि◌ननि◌ि◌ययमम 33 ((11खख)) )) 1.28 (1) ससंद के िकसी सदन या सदनो◌ं के समक्ष रखे गए प्रशासिनक तथा अ य

    प्रितवेदन और राजकीय कागज पत्र िहदंी और अगें्रजी दोन भाषाओं म होने अिनवायर् ह।

    ((अअधधि◌ि◌ननि◌ि◌ययमम 33 ((33))।।।।)) (2) उपयुर्क्त प्रावधान के अतंगर्त मिंत्रय वारा िलिखत वक्त य जसेै िक यानाकषर्ण प्र ताव के उ तर म थगन प्र ताव के उ तर म, अपने आप िदए जाने वाले वक्त य आिद सदन म िवभाषी प म ही पिरचािलत िकए जाएं।

    (गहृ मतं्री का.आ.शा.पत्र स.ं 12021/3/87-रा.भा. (ख-1))

    ददि◌ि◌नन◌ा◌ा◌ं◌कंक 1188 ददि◌ि◌सस◌ं◌बंबरर,, 11998877))

    1.29 िवधेयक ,अिधिनयम आिद का प्रािधकृत पाठ )1 ( संसद के प्रत ् येक सदन या िकसी राज ् य िवधान मंडल के सदन या प्रत ् येक सदन म पुर :स ्थािपत िकए जाने

    वाले िकसी िवधेयक या प्रस ् तािवत िकए जाने वाले िकसी संशोधन का ,

    )2( संसद या िकसी राज ् य के िवधान मंडल वारा पािरत िकसी अिधिनयम और राष ् ट्रपित या िकसी

    राज ् यपाल वारा प्रख ् यािपत िकसी अध ् य◌ादेश का ,और

    )3( संिवधान के अधीन अथवा संसद या िकसी राज ् य के िवधान मंडल वारा बनाई गयी िकसी िविध

    के अधीन जारी िकए गए िकसी आदेश ,िनयम ,िविनयम और उपिविध का प्रािधकृत पाठ अगें्रजी

    भाषा म माना जाता है। संिवधान अनु छेद 348 (1ख )

    1.30 क गीय अिधिनयम आिद का प्रािधकृत िहदंी पाठ

  • 353

    शश◌ा◌ाससकक◌ी◌ीयय रर◌ा◌ाजजपपतत◌्◌्रर मम◌े◌◌ें◌ं रर◌ा◌ाषष◌्◌्टट◌्◌्ररपपतति◌ि◌ कक◌े◌े पप◌्◌्रर◌ा◌ाधधि◌ि◌कक◌ा◌ारर सस◌े◌े पप◌्◌्ररकक◌ा◌ाशशि◌ि◌तत पप◌्◌्रर◌ा◌ाधधि◌ि◌कक◌ृ◌तृत पप◌ा◌ाठठ-- (()) ककि◌ि◌सस◌ी◌ी कक◌े◌◌ें◌ंदद◌्◌ग्ग◌ी◌ीयय अअधधि◌ि◌ननि◌ि◌ययमम कक◌ा◌ा यय◌ा◌ा रर◌ा◌ाषष◌्◌्टट◌्◌्ररपपतति◌ि◌ दद◌्◌व्व◌ा◌ारर◌ा◌ा पप◌्◌्ररखख◌्◌य्य◌ा◌ापपि◌ि◌तत ककि◌ि◌सस◌ी◌ी अअधध◌्◌य्य◌ा◌ादद◌े◌शेश कक◌ा◌ा,, अअथथवव◌ा◌ा

    (ख) स◌ंिवधान के अधीन या िकसी क गीय अिधिनयम के अधीन िनकाले गए िकसी आदेश, िनयम, िविनमय या िकसी उपिविध का शासकीय राजपत्र म रा ट्रपित के प्रािधकार से प्रकािशत िहदंी म अनुवाद, उसका िहदंी म प्रािधकृत पाठ माना जाता है।

    ((अअधधि◌ि◌ननि◌ि◌ययमम धध◌ा◌ारर◌ा◌ा 55 ((11)) ((गग )) सस◌ं◌संस दद कक◌े◌े ककि◌ि◌सस◌ी◌ी भभ ◌ी◌ी ससददनन मम◌े◌◌ें◌ं पप ◌ु◌ुरर ::सस◌्◌् थथ ◌ा◌ापप ि◌ि◌तत ककि◌ि◌एए जज◌ा◌ानन◌े◌े वव ◌ा◌ालल ◌े◌े

    वव ि◌ि◌धध ◌े◌येयकक◌ो◌ो◌ं◌ं , ,सस◌ं◌शंश ◌ो◌ोधध नन◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌े◌े अअ◌ं◌गंग◌्◌्रर ◌े◌जेज ◌ी◌ी भभ ◌ा◌ाषष ◌ा◌ा मम◌े◌◌ें◌ं पप ◌्◌्रर ◌ा◌ाधध ि◌ि◌कक◌ृ◌तृत पप ◌ा◌ाठठ कक◌ा◌ा

    हह ि◌ि◌◌ं◌ंदद ◌ी◌ी मम◌े◌◌ें◌ं अअनन◌ु◌वुव ◌ा◌ादद सस रर कक◌ा◌ारर ◌ी◌ी वव ि◌ि◌धध ◌े◌येयकक यय◌ा◌ा ककि◌ि◌सस◌ी◌ी वव ि◌ि◌धध ◌े◌येयकक कक◌े◌े

    सस◌ं◌बंब ◌ं◌धंध मम◌े◌◌ें◌ं सस रर कक◌ा◌ारर दद ◌्◌व्व ◌ा◌ारर ◌ा◌ा पप ◌्◌्रर सस◌्◌् तत◌ा◌ावव ि◌ि◌तत सस◌ं◌शंश ◌ो◌ोधध नन हह ◌ो◌ोनन◌े◌े पप रर ,,

    सस◌ं◌बंब ◌ं◌धंध ि◌ि◌तत मम◌ं◌तंत◌्◌्रर ◌ी◌ी दद ◌्◌व्व ◌ा◌ारर ◌ा◌ा औऔरर पप ◌्◌्रर ◌ा◌ाइइ वव ◌े◌ेटट ससददसस◌्◌् यय कक◌े◌े वव ि◌ि◌धध ◌े◌येयकक यय◌ा◌ा

    पप ◌्◌्रर ◌ा◌ाइइ वव ◌े◌ेटट ससददसस◌्◌् यय दद ◌्◌व्व ◌ा◌ारर ◌ा◌ा पप ◌्◌्रर रर ◌ू◌तूत◌ा◌ावव ि◌ि◌तत सस◌ं◌शंश ◌ो◌ोधध नन दद ◌्◌व्व ◌ा◌ारर ◌ा◌ा हह ◌ो◌ोनन◌े◌े पप रर

    रर ◌ा◌ाजज◌्◌् ययससभभ ◌ा◌ा//लल ◌ो◌ोककससभभ ◌ा◌ा कक◌े◌े ससचच ि◌ि◌वव ◌ा◌ालल यय कक◌े◌े पप ◌्◌्रर ◌ा◌ाधध ि◌ि◌कक◌ृ◌तृत अअधध ि◌ि◌कक◌ा◌ारर ◌ी◌ी

    कक◌े◌े हह सस◌्◌् तत◌ा◌ाकक◌्◌ष्ष रर ◌ो◌ो◌ं◌ं सस◌े◌े पप ◌्◌्रर ◌ा◌ाधध ि◌ि◌कक◌ृ◌तृत ककि◌ि◌यय◌ा◌ा जज◌ा◌ातत◌ा◌ा हह ◌ै◌ै।।

  • 354

    ((अअधध ि◌ि◌नन ि◌ि◌ययमम 55((22)) ततथथ ◌ा◌ा रर ◌ा◌ाजजभभ ◌ा◌ाषष ◌ा◌ा अअधध ि◌ि◌सस◌ू◌चूच नन◌ा◌ा सस◌ं◌ं

    1111001111//22//7722 रर ◌ा◌ा.. भभ ◌ा◌ा.. ((कक --11))

    ददि◌ि◌नन◌ा◌ा◌ं◌कंक 11 जजननववरर◌ी◌ी,, 11997766)) 11..3311 रर◌ा◌ाजज◌्◌्यय◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌े◌े अअधधि◌ि◌ननि◌ि◌ययमम◌ो◌ो◌ं◌ं,, अअधध◌्◌्यय◌ा◌ादद◌े◌ेशश◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌े◌े पप◌्◌्रर◌ा◌ाधधि◌ि◌कक◌ृ◌ृतत हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी पप◌ा◌ाठठ

    जहां िकसी रा य के िवधान मडंल ने उस रा य के िवधान मडंल वारा पािरत अिधिनयम म अथवा उस रा य के रा यपाल वारा प्रख्यािपत अ यादेश म प्रयोग के िलए िहदंी से िभ न कोई भाषा िनधार्िरत की है, वहां उस रा य के रा यपाल के प्रािधकार से उस रा य के शासकीय राजपत्र म उस अिधिनयम या अ यादेश का िहदंी म प्रकािशत अनुवाद िहदंी भाषा म उसका प्रािधकृत पाठ समझा जाता है।

    ((अअधधि◌ि◌ननि◌ि◌ययमम कक◌ी◌ी धध◌ा◌ारर◌ा◌ा 66)) 11..3322 उउचच◌्◌्चचततमम//उउचच◌्◌्चच नन◌्◌्यय◌ा◌ायय◌ा◌ाललयय कक◌ी◌ी भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा

    उ चतम यायालय और प्र येक उ च यायालय म सभी कारय्वािहयां अगें्रजी भाषा म की जानी अपेिक्षत है ।

    सस◌ं◌वंवि◌ि◌धध◌ा◌ानन अअनन◌ु◌चुच◌्◌छ्छ◌े◌ेदद 334488 ((11)) ((कक)))) परंतु िकसी रा य का रा यपाल , रा ट्रपित की पूवर् सहमित से उस उ च यायालय िजसका मखु्य थान उस रा य म है, की कायर्वािहय म (उ च यायालय वारा िदए गए िनणर्य , िडक्र ◌ी, या आदेश को छोड़कर) िहदंी भाषा का या उस रा य के शासकीय प्रयोजन के िलए प्रयोग म आने वाली िकसी अ य भाषा का प्रयोग प्रािधकृत कर सकता है।

    ((सस◌ं◌वंवि◌ि◌धध◌ा◌ानन अअनन◌ु◌चुच◌्◌छ्छ◌े◌ेदद 334488 ((22)) इइसस पप◌्◌्रर◌ा◌ाववधध◌ा◌ानन कक◌े◌े अअधध◌ी◌ीनन उउतत◌्◌त्तरर पप◌्◌्ररदद◌े◌शेश,, ममधध◌्◌य्य पप◌्◌्ररदद◌े◌शेश,, बबि◌ि◌हह◌ा◌ारर औऔरर रर◌ा◌ाजजसस◌्◌थ्थ◌ा◌ानन मम◌े◌◌ें◌ं सस◌्◌थ्थि◌ि◌तत इइलल◌ा◌ाहह◌ा◌ाबब◌ा◌ादद,,

  • 355

    जजबबललपप◌ु◌ुरर,, पपटटनन◌ा◌ा औऔरर जज◌ो◌ोधधपप◌ु◌ुरर उउचच◌्◌च्च नन◌्◌य्य◌ा◌ायय◌ा◌ाललयय◌ो◌ो◌ं◌ं मम◌े◌◌ें◌ं हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी कक◌ा◌ा पप◌्◌्ररयय◌ो◌ोगग पप◌्◌्रर◌ा◌ाधधि◌ि◌कक◌ृ◌तृत ककि◌ि◌यय◌ा◌ा गगयय◌ा◌ा हह◌ै◌ै।। 11..3333 उउ चच ◌्◌्चच नन ◌्◌्यय ◌ा◌ायय ◌ा◌ालल यय कक ◌े◌े नन ि◌ि◌रर ◌्◌्णणयय◌ो◌ो◌ं◌ं आआदद ि◌ि◌ मम ◌े◌े◌ं◌ं हह ि◌ि◌◌ं◌ंदद ◌ी◌ी यय◌ा◌ा अअनन ◌्◌्यय रर ◌ा◌ाजजभभ ◌ा◌ाषष ◌ा◌ा कक◌ा◌ा वव ◌ै◌ैककलल ◌्◌्पप ि◌ि◌कक

    पप ◌्◌्रर यय ◌ो◌ोगग )1 ( िकसी राज ् य का राज ् यपाल ,राष ् ट्रपित की पूवर् सहमित से अगें्रजी भाषा के अितिरक् त ,िहं दी या उस

    राज ् य की राजभाषा का प्रयोग उस राज ् य के उच ् च न ्यायालय वारा पािरत या िदए गए िकसी िनणर्य ,

    िडक्री या आदेश के प्रयोजन के िलए भी प्रािधकृत कर सकता है ,पर ऐसी ि थित म उसके साथ साथ उच ् च

    न ्यायालय के अिधकार से िनकाले गए अगें्रजी भाषा म उसका अनु वाद भी साथ लगया जाएगा।

    अिधिनयम की धारा 7( )

    इइसस पप◌्◌्रर◌ा◌ाववधध◌ा◌ानन कक◌े◌े अअधध◌ी◌ीनन उउतत◌्◌त्तरर पप◌्◌्ररदद◌े◌शेश,, ममधध◌्◌य्य पप◌्◌्ररदद◌े◌शेश,, बबि◌ि◌हह◌ा◌ारर औऔरर रर◌ा◌ाजजसस◌्◌थ्थ◌ा◌ानन मम◌े◌◌ें◌ं सस◌्◌थ्थि◌ि◌तत इइलल◌ा◌ाहह◌ा◌ाबब◌ा◌ादद,, जजबबललपप◌ु◌ुरर,, पपटटनन◌ा◌ा औऔरर जज◌ो◌ोधधपप◌ु◌ुरर उउचच◌्◌च्च नन◌्◌य्य◌ा◌ायय◌ा◌ाललयय मम◌े◌◌ें◌ं ननि◌ि◌रर◌्◌ण्णयय,, डडि◌ि◌कक◌्◌्रर◌ी◌ी यय◌ा◌ा आआदद◌े◌शेश कक◌े◌े ललि◌ि◌एए हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी कक◌ा◌ा पप◌्◌्ररयय◌ो◌ोगग पप◌्◌्रर◌ा◌ाधधि◌ि◌कक◌ृ◌तृत ककि◌ि◌यय◌ा◌ा गगयय◌ा◌ा हह◌ै◌ै।। (2) इन उ च यायालय वारा िहदंी म िदए गए िनणर्य , िडक्री या आदेश को प्रािधकृत और अिधप्रमािणत माना जाएगा। यह अपेक्षा िक ऐसे िनणर्य के साथ उ च यायालय के प्रािधकार से नि◌काले गए अगें्रजी भाषा म अनुवाद भी सि मिलत िकया जाए, एक अितिरक्त सांिविधक अपेक्षा है, इससे िहदंी म िदए गए िनणर्य का अिधप्रमािणत या प्रािधकृत व प समा त नहीं होता।

    (राजभाषा िवभाग कायार्लय ज्ञापन स.ं1/21011/12/76-रा.भा. (क-1) िदनांक 6.4.1976, सकंलन क्रम स.ं11)

  • 356

    1.34 संसदीय राजभाषा सिमित राजभाषा अिधिनयम की धारा 4 के अधीन ससंदीय राजभाषा सिमित गिठत की गई है। इस सिमित म 30 सद य ह, िजनम से 20 लोकसभा तथा 10 रा य सभा के सद य ह, जो क्रमश : लोक सभा के सद य तथा रा य सभा के सद य वारा अनुपाितक प्रितिनिध व प्रणाली के अनुसार एकल सकं्रमणीय मत वारा िनवार्िचत िकए गए ह । इस सिमित का कतर् य है िक वह सघं के राजकीय प्रयोजन के िलए िहदंी के प्रयोग म की गई प्रगित का पुनिवर्लोकन करे और उस पर िसफािरश करते हुए रा ट्रपित को प्रितवेदन करे । र◌ा ट्रपित उस प्रितवेदन को ससंद के हर सदन के समक्ष रखवाएंगे और सभी रा य सरकार को िभजवाएंगे। रा ट्रपित इस प्रितवेदन पर और उस पर रा य सरकार ने यिद कोई मत यक्त िकए ह तो उन पर, िवचार करने के प चात उस प्रितवेदन के या उसके िकसी भाग के अनुसार िनदेश िनक◌ाल सकगे, पर इस प्रकार िनकाले गए िनदेश राजभाषा अिधिनयम की धारा 3 के उपबंध से असगंत नहीं ह गे।

    (अिधिनयम की धारा 4) 11..3355 हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी कक◌ा◌ा पप◌्◌्ररसस◌ा◌ारर औऔरर ववि◌ि◌कक◌ा◌ासस क गीय सरकार का यह कतर् य है िक वह िहदंी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका िवकास करे तािक वह भारत की सामािसक सं कृित के सभी त व की अिभ यिक्त का मा यम बन सके और िहदंी भाषा की प्रकृि त म ह तक्षेप िकए िबना िहदंु तानी के और सिंवधान की आठवीं अनुसचूी म िविनिदर् ट भारत की अ य भाषाओं के प्रयुक्त प, शैली और पद को आ मसात करते हुए और जहां आव यक या वांछनीय हो उसके श द भडंार के िलए मखु्यत : सं कृत से और गौणत: अ य भाषाओं से श द ग्रहण करते हुए उसकी समिृद्ध सिुनि चत करे ।

    (सिंवधान का अनु छेद 351) 11..3366 कक◌े◌े◌ं◌ंदद◌्◌्गग◌ी◌ीयय ससररकक◌ा◌ारर कक◌े◌े कक◌ा◌ारर◌्◌्यय◌ा◌ाललयय◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌ी◌ी पपररि◌ि◌भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा

    राजभाषा िनयम 2 (ख) के अनुसार क गीय सरकार के कायार्लय के अ◌ंतगर्त िन निलिखत भी शािमल ह- (1) क गीय सरकार का कोई मतं्रालय या िवभाग या कायार्लय

  • 357

    (2) क गीय सरकार वारा िनयुक्त िकसी आयोग सिमित या अिधकरण का कोई कायार्लय और

    (3) क गीय सरकार के वािम व म या िनयंत्रण के अधीन िकसी िनगम या कंपनी का कोई कायार्लय।

    इसिलए राजभाषा अिधिनयम राजभाषा िनयम सरकारी उपक्रम और भारतीय िरजवर् बक, रा ट्रीयकृत बक और ग्रामीण िवकास बक, भारतीय औ योिगक िवकास बक सिहत सभी रा ट्रीयकृत बक पर उसी तरह लाग ूहोते ह िजस प्रकार क गीय सरकार के अ य कायार्लय पर लाग ूहोते ह। सघं की राजभाषा नीित उन पर भी लाग ूहोती है।

    (राजभाषा िवभाग का कायार्लय ज्ञापन स.ं 1/14013/35/85-राभा (क-1). िदनांक 6.6.1985-सकंलन क्रम स.ं13)

    (का.ज्ञा .स.ं12027/77/86 रा.भा. (ख-2), िदनांक 6.8.1987) 1.37 क,ख तथा ग के्षत्र क क्षेत्र –इसके अ तगर्त िबहार,हिरयाण◌ा,िहमाचल प्रदेश,म य प्रदेश छ तीसगढ,झारखंड, उ तराखंड,राज थान और उ तर प्रदेश रा य तथा अडंमान िनकोबार वीप समहू, िद ली सघं रा य क्षेत्र शािमल ह । ख क्षेत्र –इसके अ तगर्त गजुरात,महारा ट्र और पंजाब रा य तथा चंडीगढ,दमन दीव तथा दादरा नगर हवेली सघं रा य क्षेत्र शािमल ह । ग क्षेत्र – इसके अ तगर्त क तथा ख क्षेत्र म शािमल रा य और सघं रा य क्षेत्र के अलावा रा य तथा सघं रा य क्षेत्र शािमल ह ।

    (राजभाषा िनयम 2 (च) (छ) (ज)

    (1) 1.38 संघ शािसत के्षत्र म राजभाषा नीित का कायार्न ् वयन संघ रा य क्षेत्र िदल ् ली और अण ् डमान िनकोबार वीप समूह म कन ् द्रीय सरकार की राजभाषा नीित को

    लागू करने की उसी प्रकार व ् यवस ् था की जाए िजस प्रकार कन ् द्रीय सरकार के मंत्रालय / िवभाग तथा

    अन ् य कायार्लय आिद के बारे म की गई है।

    फाइल सं 1714034 /12/88 रा . भा . (क-1) िदनांक 4/7/1987

  • 358

    (2) दादरा व नगर हवेली प्रशासन , लक्ष वीप प्रशासन और दमण व वीप प्रशासन म राजभाषा नीित के अनुपालन की यव था उसी प्रकार की जाए िजस प◌्रकार क गीय सरकार के मतं्रालय / िवभाग तथा अन ् य कायार्लय आिद के बारे म की गई है।

    (फाइल स.ं 20034:80/91-राभा (अ.िव) िद. 16.10.1991)

    -------------------

    राजभाषा नीित संबंधी आदेश 22..11 सस◌ा◌ामम◌ा◌ानन◌्◌्यय आआदद◌े◌ेशश कक◌ी◌ी पपररि◌ि◌भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ा थायी प्रकार के सभी आदेश, िनणर्य , अनुदेश पिरपत्र जो िवभागीय प्रयोग के िलए ह तथा ऐसे सभी आदेश, अनुदेश पत्र ्, ज्ञापन , नोिटस, पिरपत्र आिद जो सरकारी

  • 359

    कमर्चािरय के समहू अथवा समहू के सबंंध म या उनके िलए ह , राजभाषा अिधिनयम की धारा 3(3) के अधीन सामा य आदेश कहलाते ह।

    (का.ज्ञा .स.ं1/14013/2/78-राभा (क-1)िद. 19.5.98 क्रम स.ं 14) 22..22 सस◌ा◌ा◌ं◌ंववि◌ि◌धधि◌ि◌कक ननि◌ि◌ययमम◌ो◌ो◌ं◌ं आआददि◌ि◌ कक◌ा◌ा हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी औऔरर अअ◌ं◌ंगग◌्◌्रर◌े◌ेजज◌ी◌ी मम◌े◌े◌ं◌ं भभ◌ा◌ाररतत कक◌े◌े रर◌ा◌ाजजपपतत◌्◌्रर मम◌े◌े◌ं◌ं पप◌्◌्ररकक◌ा◌ाशशनन राजभाषा अिधिनयम 1963 की धारा 3(3) के अनुसरण म ससंद म प्र तुत िकए जाने वाले सांिविधक िनयम , आदेश आिद का िहदंी पांतर िविध मतं्रालय का िवधायी िवभाग (राजभाषा खंड) तैयार करता है। सबंंिधत मतं्रालय िवभाग को चािहए िक उि लिखत प्रलेख (द तावेज ) की दो प्रितयाँ तैयार करके एक प्रित िवधायी िवभाग को और दसूरी उसके राजभाषा खंड को उसी पृ ठांकन और उसी तारीख और क्रम सखं्या के अतंगर्त भेज। िवधायी िवभाग िनयम, आदेश, अिधसचूना के अगें्रजी प को अिंतम प देगा और जांच तथा कानूनी समीक्षा के बाद सबंंिधत िवभाग को लौटाएगा। िजस प म िवधायी िवभाग ने िनयम, आदेश अिधसचूना आिद को अिंतम प िदया है उसका िहदंी पांतर राजभाषा खंड वारा करके सबंंिधत िवभाग को लौटा िदया जाएगा। सबंंिधत मतं्रालय /िवभाग दोन प पर िविधवत ह ताक्षर करके राजपत्र म प्रकाशनाथर् मु गणालय को एक साथ एक ही तारीख म भेजना सिुन चत करे।

    (आदेश स.ं 2/18/68- राभा िद. 20.3.70 क्रम स.ं 15)

    22..33 कक◌े◌े◌ं◌ंदद◌्◌्गग◌ी◌ीयय अअधधि◌ि◌ननि◌ि◌ययमम◌ो◌ो◌ं◌ं,, ननि◌ि◌ययमम◌ो◌ो◌ं◌ं,, ववि◌ि◌ननि◌ि◌ययमम◌ो◌ो◌ं◌ं आआददि◌ि◌ कक◌ा◌ा पप◌्◌्रर◌ा◌ाधधि◌ि◌कक◌ृ◌ृतत हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी अअनन◌ु◌ुवव◌ा◌ादद क गीय अिधिनयम , िनयम और िविनयम का प्रािधकृत िहदंी अनुवाद िविध मतं्रालय (िवधायी िवभाग) के राजभाषा खंड वारा िकया जाता है। कभी-कभी प्रािधकृत िहदंी पाठ की 3 या 4 प्रितयां छपवाने की मांग की जाती है। पिरशर्म तो लगता ही है, खचर् भी होता है। इसिलए प्रािधकृत िहदंी अनुवाद को छपवाए जाने की प्रितय की सखं्या की सचूना जनता वारा मांगी जाने वाली और कायार्लय म प्रयोग की जाने वाली सखं्या को यान म रखकर ही िविध िवभाग के राजभाषा खंड को भेजी जाए।

    (का.ज्ञा .स.ं1/14011/2/81-रा.भा. (क-1) िद.21.11.81 क्रम स.ं 16) 22..44 भभ◌ा◌ाररतत मम◌े◌े◌ं◌ं हहसस◌्◌्तत◌ा◌ाकक◌्◌्षषरर ककि◌ि◌एए जज◌ा◌ानन◌े◌े वव◌ा◌ालल◌े◌े अअ◌ं◌ंततरर◌्◌्रर◌ा◌ाषष◌्◌्टट◌्◌्रर◌ी◌ीयय ककरर◌ा◌ारर◌ो◌ो◌ं◌ं औऔरर सस◌ं◌ंधधि◌ि◌यय◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌ा◌ा हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी--अअ◌ं◌ंगग◌्◌्रर◌े◌ेजज◌ी◌ी दद◌ो◌ोनन◌ो◌ो◌ं◌ं भभ◌ा◌ाषष◌ा◌ाओओ◌ं◌ं मम◌े◌े◌ं◌ं तत◌ै◌ैयय◌ा◌ारर ककि◌ि◌यय◌ा◌ा जज◌ा◌ानन◌ा◌ा

  • 360

    (1) मंत्रालय /िवभाग संिधय और करार के अंगे्रजी पाठ का िहदंी अनुवाद तैयार कर और िवदेश मंत्रालय के िविध और संिध प्रभाग म जांच कराएं। भारत म ह ताक्षर की जाने वाली सभी अंतरार् ट्रीय संिधय और करार के िलए अंगे्रजी के अितिरक्त िहदंी का प्रयोग िकया जाए िकंतु िन निलिखत को िहदंी म िन पािदत न करने की छूट है:-

    (क) िवदेश म क◌ी गई संिधयाँ और करार, (ख) त काल प्रकार की संिधयां और करार िजनका समयाभाव के कारण िहदंी अनुवाद तैयार करना संभव नहीं। (ग) बहुपक्षीय अिभसमय और (घ) रक्षा मंत्रालय की संिधयां और करार

    िकंतु (क), (ख), (ग) म उि लिखत कागज का िहदंी अनुवाद अिभलेख म रखने के लि◌ए करवाया जाएगा।

    (2) राजभाषा अिधिनयम 1963 के अधीन सब करार और संिधय म अंगे्रजी के अलावा िहदंी का प्रयोग आव यक है। िफर भी, िनवर्चन के संबंध म कोई मतभेद न हो, इसके िलए केवल मात्र िकसी एक पाठ को प्रमािणक समझना वांछनीय होगा। इसिलए अंगे्रजी से िभ न भाषा-भाषी देश के साथ उनकी अपनी भाषा, अंगे्रजी और िहदंी म िकए जाने वाले करार और संिधय म यह यव था करना उिचत होगा िक िववाद की ि थित म अंगे्रजी पाठ प्रामािणक होगा। अंगे्रजी भाषी देश के साथ िकए जाने वाले करार और संिधय म िहदंी और अंगे्रजी दोन◌ो◌ं ही भाषाओं का प्रयोग कराने और दोन पाठ को प्रमािणक बनवाने के प्रय न िकए जाएं। हां, यिद दसूरा पक्ष इस बात पर आग्रह करे िक केवल अंगे्रजी के पाठ को प्रामािणक माना जाए तो उसे िफलहाल वीकार कर िलया जाए।

    (का.ज्ञा .सं.16/21/70 राभा. िद. 31.12.70 क्रम सं.17) (का.ज्ञा .सं.16/21/70 राभा. िद. 24.2.72 क्रम सं.18)

    22..55 कक कक◌्◌्षष◌े◌ेतत◌्◌्रर मम◌े◌े◌ं◌ं चच◌ै◌ैकक // डड◌्◌्रर◌ा◌ाफफ◌्◌्टट हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी मम◌े◌े◌ं◌ं तत◌ै◌ैयय◌ा◌ारर ककि◌ि◌यय◌ा◌ा जज◌ा◌ानन◌ा◌ा क क्षेत्र म ि थत क गीय सरकार के कायार्लय वारा सभी चैक यथासभंव िहदंी म तैयार िकए जाएं। क क्षेत्र म ि थत सरकारी बक वारा क क्षेत्र के िलए तैयार िकए गए चैक और ड्रा ट यथासभंव िहदंी म जारी िकए जाएं।

    (का.ज्ञा .स.ं1/14011/3/79- राभा.(क-1) िद. 7.2.1981 क्रम स.ं21)

  • 361

    22..66 ललि◌ि◌फफ◌ा◌ाफफ◌ो◌ो◌ं◌ं पपरर पपतत◌े◌े हहि◌ि◌◌ं◌ंदद◌ी◌ी मम◌े◌े◌ं◌ं ललि◌ि◌खखनन◌ा◌ा औऔरर पपतत◌ा◌ा ललि◌ि◌खखनन◌े◌े,, बबि◌ि◌लल बबनन◌ा◌ानन◌े◌े आआददि◌ि◌ मम◌े◌े◌ं◌ं ममशश◌ी◌ीनन◌ो◌ो◌ं◌ं कक◌ा◌ा पप◌्◌्ररयय◌ो◌ोगग

    िद ली म ि थत थानीय कायार्लय और यिक्तय तथा अ य िहदंी भाषी क्षेत्र को भेजे जाने वाले पत्र पर पते िहदंी म िलखे जाएं। गजुरात, महारा ट्र तथा पंजाब रा य म ि थत क गीय कायार्लय को भेजे जाने वाले पत्र के पते भी िहदंी म िलखे जाएं।

    (1) क तथा ख क्षेत्र म ि थत कायार्लय म पता लेखी- मशीन के साथ देवनागरी ए बोिसगं मशीन लगाई जाएं और चूंिक ग क्षेत्र म ि थत कायार्लय म भी कई बड़-ेबड़ ेकायार्लय ऐसे ह िजनम काफी पत्र - यवहार क तथा ख क्षेत्र के कायार्लय से होता है । अत: ग क्षेत्र म ि थत कायार् लय म भी िवभाषी पतालेखी मशीन का प्रावधान िकया जाए।

    (2) इन मशीन पर कायर्रत कमर्चािरय के िलए िहदंी तथा अगें्रजी दोन भाषाओं म प्रिशक्षण देने की यव था की जाए। पतालेखी मशीन पर कायर्रत कमर्चािरय को िहदंी भाषा का ज्ञान होना चािहए। अत: ऐसे करम्चािरय को, पतालेखी मशीन पर िहदंी भाषा म काम करने के िलए आव यक प्रिशक्षण देने के िलए पतालेखी मशीन कंपिनय से अनुरोध िकया जाए।

    (का.ज्ञा .स.ं15/50/62- राभा. िद. 30.7.62 क्रम स.ं22) (का.ज्ञा .स.ं6/50/69- राभा. िद. 24.11.69 क्रम स.ं23)

    (का.ज्ञा .स.ं11015/51/72 राभा. (ख) िद. 27.6.73 क्रम स.ं24) (का.ज्ञा .स.ं12015/9/76 राभा. (ख) िद. 16.11.76 क्रम स.ं86)

    (का.ज्ञा .स.ं12024/4/90/राभा. (ख-2) िद. 16.5.90) 22..77 नन◌ा◌ामम पपटट◌्◌्टट,, ररबबड़ड़ कक◌ी◌ी मम◌ो◌ोहहरर◌े◌े◌ं◌ं,, कक◌ा◌ारर◌्◌्यय◌ा◌ाललयय कक◌ी◌ी मम◌ु◌ुदद◌्◌्गग◌ा◌ाएए◌ं◌ं,, पपतत◌्◌्रर शश◌ी◌ीरर◌्◌्षष औऔरर लल◌ो◌ोगग◌ो◌ो ((पप◌्◌्ररतत◌ी◌ीकक))

    (1) भारत सरकार के सभी मतं्र ◌ालय/िवभाग तथा अ य कायार्लय म प्रयोग म आने वाली सभी रबड़ की मोहर और कायार्लय की मु गाएं िवभािषक प म िहदंी के श द ऊपर रखते हुए प्रयोग की जाएं।

    (2) पदनाम, कायार्लय का नाम, पता आिद के बारे म जो मोहर वतर्मान आदेश के अनुसार िवभाषी प मे◌ं बनाई जाती ह, वे इस प्रकार बनाई जाएं िक उनम एक पंिक्त िहदंी की और िफर एक पंिक्त अगें्रजी की हो या एक ही पंिक्त म िहदंी और उसके बाद अगें्रजी म िलखा हो। ये िनदेश नई बनाई जाने वाली मोहर पर लाग ूिकए जाएं।

  • 362

    (3) बक के चैक पर यिद िवभाषी मोहर लगान◌े के िलए पयार् त थान उपल ध न हो तो क और ख क्षेत्र के कायार्लय आिद म चैक पर मोहर केवल िहदंी म और ग क्षेत्र के कायार्लय म केवल िहदंी या अगें्रजी म लगा दी जाएं।

    (4) जो मोहर िट पणी आिद की जगह पर बनाई जाती ह वे या तो िवभाषी बनाई जाएं य◌ा क और ख क्षेत्र के कायार्लय आिद म केवल िहदंी म और ग क्षेत्र के कायार्लय म केवल िहदंी या अगें्रजी म बनवा ली जाएं।

    (5) रबड़ की मोहर तैयार करते समय सभी भाषाओं के अक्षर समान आकार के होने चािहए।

    (6) क और ख क्षेत्र म ि थत कायार्लय म नाम पट्ट , रबड़ की मोहर, पत्र शीषर् , लोगो (प्रतीक ) आिद िवभाषी प म बनवाए जाएं।

    (7) ग क्षेत्र म ि थत कायार्लय म नाम पट्ट , रबड़ की मोहर, पत्र शीषर् , लोगो (प्रतीक ) आिद ित्रभाषी प म बनवाए जाएं।

    (का.ज्ञा .स.ं559/68-रा.भा.(क-1) िदनांक. 17.10.1968 क्रम स.ं27) (का.ज्ञा .स.ं1/14013/18/85-रा.भा.(क-1) िदनांक.14.1.1985 क्रम स.ं31)

    (का.ज्ञा .स.ं1/14034/1/87-रा.भा.(क-1) िदनांक. 30.12.1987 अनुपूरक सकंलन क्रम स.ं188) (का.ज्ञा .स.ं12024/2/92-रा.भा.(ख-2) िदनांक. 21.7.1992)

    22..88 नन◌ा◌ामम पपटट◌्◌्टट◌ो◌ो◌ं◌ं,, ररबबड़ड़ कक◌ी◌ी मम◌ो◌ोहहरर◌ो◌ो◌ं◌ं आआददि◌ि◌ पपरर दद◌े◌ेववनन◌ा◌ागगरर◌ी◌ी रर◌ु◌ुपप मम◌े◌े◌ं◌ं नन◌ा◌ामम ललि◌ि◌खखनन◌े◌े कक◌ी◌ी ववि◌ि◌धधि◌ि◌

    देवनागरी के नाम पट्ट , मोहर आिद पर पूरा नाम तो एक रीित से िलखा जा सकता है, परंतु सिंक्ष त नाम िलखने के िलए अनेक पद्धितयां प्रचिलत ह। उदाहरण के िलए, यिद िकसी यिक्त का न�