ा और सदा बीज - anarvam · 2020. 7. 15. · ा और सदा बीज -रा...

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  • ईश्वरीय धर्म बीज-रक्षा प्राणऊजाम ~ बै्लक होल से बीज तक www.anarvam.com 1

    4 शब्दों का सोंकल्प, 3 शब्द ों की यदजना

    2 शब्द ों का समाधान

    जीवन में सफलता के ललए इस पुस्तक में से लसफफ दद शब्दों बीज-रक्षा कद छदड़कर

    कुछ भी याद रखने या करने की आवश्यकता नही ों है. लेलकन बीज-रक्षा का महत्व

    समझने के ललए यह पुस्तक पढ़ना आवश्यक है.

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  • ईश्वरीय धर्म बीज-रक्षा प्राणऊजाम ~ बै्लक होल से बीज तक www.anarvam.com 2

    ईश्वरीय धमफ बीज-रक्षा

    प्राणऊजाफ ~ बै्लक हदल से बीज तक लवषय-सूची

    1. एक अपील ............................................................................. 3

    2. र्हाकाल का संकल्प ................................................................. 4

    3. आओ हर् स्वर्म बनायें ............................................................... 5

    4. दुननया का सबसे बड़ा भ्रर् .......................................................... 9

    5. बै्लक होल नसंरु्लैररटी के चार प्राण-सत्व ...................................... 11

    6. अध्यात्म और निज्ञान ............................................................... 18

    7. से्पस-टाइर् िक्र फैनिक भ्रर् ..................................................... 24

    8. जीिन यात्रा का आरंभ ............................................................. 29

    9. भूतपूिम िह्माण्ड का जीिन ........................................................ 31

    10. िह्माण्ड का प्रलय ................................................................... 32

    11. बै्लक होल = ॐ ईश्वर = प्राणऊजाम ............................................. 40

    12. नबर् बैंर् ............................................................................... 43

    a. प्राणऊजाम या चैतन्यता : आनंद - आत्मा - र्न - ऊजाम ............... 46

    b. आनंद - नहग्ग्स फ़ील्ड ....................................................... 50

    c. आत्मा - एंटीरै्टर ............................................................. 52

    d. र्न - डाकम रै्टर .............................................................. 54

    e. ऊजाम - डाकम एनजी .......................................................... 55

    13. एटर् (रै्टर) का निकास .......................................................... 58

    14. एडर् (जीिन) का निकास ........................................................ 67

    15. बीज : दोस्त भी दुश्मन भी ........................................................ 91

    16. आध्यात्मत्मक कार् निज्ञान .......................................................... 98

    17. धर्म स्थापना = बीज-रक्षा ........................................................ 134

    18. नसंरु्लैररटी की सर्रूपता ...................................................... 139

    19. सूयम और बीज : अर्र अनिमर्् आकर्मण ..................................... 140

    20. आजीिन दो शब्द : बीज-रक्षा .................................................. 143

    एक अलाभकारी लदकदपकार

    ईमेल वेबसाइट

    [email protected] www.anarvam.com

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  • ईश्वरीय धर्म बीज-रक्षा प्राणऊजाम ~ बै्लक होल से बीज तक www.anarvam.com 3

    एक अपील

    लवश्व के सभी व्यक्ति,

    लशक्षालवद्, सेलललिटी, धमफगुरु, वैज्ञालनक, राजनीलतज्ञ, पूोंजीपलत

    दुलनया कद बचाएँ

    सबके नलए सहज सुलभ स्वास्थ्य और सम्पदा पाएँ

    आज सर्स्त निश्व को एकमात्र ईश्वरीय लनयम बीज-रक्षा

    को सर्झने और उसका पालन करने की आिश्यकता है

    लवश्व एक अपररहायफ युग पररवतफन की ओर बढ़ रहा है. इस र्हत्वपूणम सर्य र्ें िे व्यत्मि

    ही आरे् बढ़ पाएंरे्, जो एकमात्र ईश्वरीय लनयम बीज-रक्षा का पालन करें रे्.

    ईश्वरीय शत्मि नसफम बीज के र्ाध्यर् से ही फल देती है. बीज-रक्षा का पालन करने िालो ं

    को ही स्वास्थ्य और सम्पदा की सफलता का फल नर्लता है. जो व्यत्मि बीज-रक्षा का

    पालन नही ों करें रे्, उनकी बीमारी और गरीबी तेजी से बढ़ती जाएँर्ी और अंततः ईश्वरीय

    शत्मि उन्हें नष्ट कर देर्ी. ितमर्ान र्हार्ारी, तेजी से बदलती िैनश्वक सर्स्याएं और बढ़ती

    प्राकृनतक आपदाएं आनद इसका स्पष्ट संकेत दे रही हैं.

    व्यावहाररक कारण: बीज रनहत िृक्षो ंपर फल नही ंलर् सकते, नफर, ऐसे िृक्षो ंको उखाड़

    नदया जाता है. र्नुष्य भी कोई अपिाद नही ंहैं, इसनलए बीज रनहत र्नुष्यो ंको सफलता

    नही ंनर्ल सकती. नफर, ईश्वरीय शत्मि जो प्राणऊजाम के रूप र्ें है, ऐसे र्नुष्यो ंको नष्ट कर

    देती है.

    आध्याक्तिक कारण: 15,000 िर्म पूिम नलखे र्ए र्नु सृ्मनत (8.15) से…

    र्रा हुआ बीज र्ारने िाले का नाश करता है और

    रनक्षत हुआ बीज, रक्षा करने िाले की रक्षा करता है।

    इसनलए बीज को कभी नही ंर्ारना,

    इस डर से नक र्ारा हुआ बीज कभी हर्को न र्ार डाले॥

    वैज्ञालनक कारण: एटर् के नू्यटर ॉन पानटमकल को नष्ट करने पर, एटर् रेनडयो-सनक्रय होकर

    नष्ट हो जाता है. जीिन निकास र्ें नू्यटर ॉन से बीज का डीएनए बनता है.

    इसनलए बीज डीएनए को नष्ट करने पर, र्नुष्य भी परर्ाणु की तरह नष्ट हो जाता है.

    बीज का डीएनए जीिन का सॉफ्टिेयर है.

    भलवष्य में जद बीज-रक्षा का पालन करेगा, लसफफ उन्ी ों का जीवन आसान हदगा.

    अन्यथा मुक्तिलदों भरे जीवन के ललए तैयार रहें. िह्माण्ड की प्राणऊजाफ क्या है और

    बीज के माध्यम से यह कैसे काम करती है, इसे जानने के ललए यह पुस्तक पढ़ें.

    ईश्वरीय धमफ बीज-रक्षा : प्राणऊजाफ ~ बै्लक हदल से बीज तक

    अपने और भावी पीलढ़यद ों के सुनहरे भलवष्य के ललए ईश्वरीय लनयम

    बीज-रक्षा कद समझें, पालन करें और शेयर करें

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    महाकाल का सोंकल्प

    ॐ भूभुफवः स्वः तत्सलवतुवफरेण्यों भगो देवस्य धीमलह लधयद यद नः प्रचददयात्।

    धर्म र्ें यह जो निकृनत आ र्ई है, उसको ठीक करना ही हर्ारा उदे्दश्य है.

    हर् धर्म का िास्तनिक स्वरूप लोर्ो ंको सर्झाना चाहते हैं और सारे धर्ों को एकता के

    सूत्र र्ें बाँधकर धमों का अोंतराफष्ट्र ीयकरण करना चाहते हैं. हर्ारे जीिन का अब यह

    रु्ख्य उदे्दश्य रह र्या है. अब हर्ें अपनी सर्स्त शत्मियाँ इसी कायम र्ें लर्ानी हैं.

    महाकाल का सोंकल्प है, अतः युर् पररितमन तो होकर ही रहेर्ा.

    – युगऋलष का अध्याि युगऋलष की वाणी में

    र्नोकार्ना पूणम करने के नलए जो आपने पूजा का स्वरूप बना रखा है, िह बहुत ही

    घनटया रूप है. इसको सर्झना चानहए. व्यक्ति कद अपने अन्तः करण में प्रवेश

    करना पड़ेगा. सर्स्याओ ं के हल बाहर नही,ं बत्मि भीतर तलाश करना पड़ेंरे्.

    रे्रे भीतर एक रूह कार् करती है. रे्रा एक तार (डीएनए) काम करता है.

    िही कार् कर रहा है, भार्ण िही दे रहा है, पुस्तकें उसी ने नलखी हैं, सर्ाज के निननर्ामण

    के ख़्वाब उसी ने देखे हैं.

    – पूज्यवर की अमृतवाणी (भाग एक)

    आध्याक्तिक काम लवज्ञान की जानकारी हर्ें सिमसाधारण तक पहँुचानी ही चानहए. सृनष्ट

    के इतने र्हत्वपूणम निर्य को नजसकी जानकारी प्रकृनत जीि-जंतुओ ंतक को करा देती है,

    उसे र्ोपनीय नही ंरखा जाना चानहए. खासतौर से तब जबनक इस र्हत्वपूणम निज्ञान का

    स्वरूप लर्भर् पूरी तरह से निकृत और उलटा हो र्या हो. जो र्ान्यतायें चल रही हैं, िे ही

    चलने दी जायें, सुलझे हुए सर्ाधान और सुरुनचपूणम प्रािधान यनद प्रसु्तत न नकए र्ये तो

    निकृनतयाँ ही बढ़ती, पनपती चली जायेंर्ी और उससे र्ानि-जानत एक र्हती शत्मि का

    दुरुपयोर् करके अपना सिमनाश ही करती रहेर्ी. समय आ गया लक काम-लवद्या के

    तत्व-ज्ञान का सोंयत और लवज्ञान सम्मत प्रलतपादन करने का साहस लकया जाये और

    सोंकदच का यह पदाफ उठा लदया जाये नक इस र्हान निद्या की नििेचना हर स्तर पर

    अश्लील ही र्ानी जायेर्ी, उसे हर त्मस्थनत र्ें र्ोपनीय ही रखा जाना चानहए.

    यह संकोच र्ानि-जानत को एक र्हान लाभ से िंनचत ही रखे रहेर्ा.

    – सालवत्री कुण्डललनी एवों तोंत्र

    पों. श्रीराम शमाफ आचायफ

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    ईश्वरीय धमफ बीज-रक्षा

    प्राणऊजाफ ~ बै्लक हदल से बीज तक

    ईश्वर की वैज्ञालनक व्याख्या

    ईश्वर = 1 = 0 = ∞ = मनुष्य

    बै्लक हदल > ॐ ईश्वर (प्राणऊजाफ) > लबग बैंग >

    प्राणऊजाफ या चैतन्यता (लसोंगुलैररटी) =

    + आनोंद (लहग्ग्स फ़ील्ड)

    + आिा (एों टीमैटर)

    + मन (डाकफ मैटर)

    + ऊजाफ (डाकफ एनजी)

    आिा + ॐ = एटम ATOM (मैटर) > आनोंद + ॐ = एडम ADAM (जीवन) >

    बीज > वनस्पलत ~ प्राणी ~ मनुष्य > फल ~ सफल

    आओ हम स्वगफ बनायें

    "ॐ शब् के द्वारा एक शून्य से अनोंत िह्माण्ड की उत्पलि हुई थी." सन् 1980 र्ें 17 िर्म

    की उम्र के दौरान यह कही ंपढ़ा था. यह िह प्रथर् आस्था थी, नजस पर अपनी नकशोरािस्था

    की भािनाओ ंर्ें निश्वास कर नलया था. उस सर्य यह सोचा भी नही ंथा नक 40 िर्म पश्चात सन्

    2020 र्ें एक िैनश्वक र्हार्ारी के दौरान इस निर्य पर एक पुस्तक नलखंूर्ा,

    नजसके द्वारा निज्ञान को अपनी स्थानपत र्ान्यताओ ंके बारे र्ें नफर से निचार करना होर्ा.

    स्वयं एक इंनजनीररंर् गै्रजुएट हँ, इसनलए निज्ञान के नसद्ांतो ंका पूणमतः सर्थमन करता हँ.

    लेनकन िह्माण्ड के रहस्यो ंको जानने के नलए आज हर्ें निज्ञान की स्थानपत र्ान्यताओ ंसे

    अलर् हटकर सर्झने की आिश्यकता है. इस पुस्तक का आधार सन् 2010 र्ें नलया र्या

    िह ननणमय था, नजसके द्वारा अपनी सर्स्त अिांछनीय कार्नाओ ंको आजीिन के नलए शून्य

    कर नदया था. इसी कारण, नपछले चार िर्ों के दौरान जीिन के सारे रहस्य आत्म-साक्षात्कार

    के रूप र्ें स्वतः ही खुलते चले र्ए. ऐसा लर्ता है नक परर् ईश्वर की नकसी पूिम ननयोनजत

    योजना के अनुसार ये कालानुक्रनर्क घटनाक्रर् चल रहे हैं. इस रहस्योद्ाटन का लाभ

    सभी तक पहंुचाने का संकल्प नलया है, तानक हर्ारी दुननया को स्वर्म बनाया जा सके.

    स्वास्थ्य (Health) और सम्पदा (Wealth) वतफमान में लवश्व की दद सबसे बड़ी समस्याएों

    हैं. यह सर्स्याएं अनधकांश र्नुष्यो ं द्वारा की जा रही एक भयंकर र्लती का नतीजा है.

    यह र्लती कुछ ऐसी है, र्ानो हर् कॉलेज की उच्च नशक्षा पढ़ने के बाद अल्फाबेट के

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    प्रथर् अक्षर ‘A’ को ही भूल जाएँ. नपछले चार अरब िर्ों र्ें प्रानणयो ंके क्रनर्क निकास के

    पश्चात् र्नुष्यो ंका ितमर्ान स्वरूप निकनसत हुआ है. र्ानि निकास की इस लंबी प्रनक्रया र्ें

    र्नुष्यो ंने प्रानणयो ंके एकर्ात्र रू्लभूत प्राकृनतक रु्ण को भुला नदया है. इस भयंकर र्लती

    के कारण ऐसा कुछ हो रहा है, र्ानो आज निश्व की र्नतनिनधयाँ नसफम ‘B ... Z’ ज्ञान के

    आधार पर ही चल रही हैं. उस ‘A’ ज्ञान की अज्ञानता के कारण ही ितमर्ान र्ें स्वास्थ्य और

    सम्पदा की सर्स्याएं उत्पन्न हो र्ई है.

    स्वास्थ्य और सम्पदा सर्स्याओ ंके कारण अन्य अनेको ंसर्स्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं.

    यनद निश्व की स्वास्थ्य और सम्पदा की सर्स्याएं हल कर दी जाएँ, तो अन्य सर्स्याएं स्वतः

    ही हल हो जाएँर्ी. स्वास्थ्य और सम्पदा समस्याओों का हल बहुत ही आसान है.

    इनके आसान हल के नलए हर्ें प्रानणयो ंऔर िनस्पनतयो ं के द्वारा पालन नकये जाने िाले

    एक अघोनर्त और अनलत्मखत नैसनर्मक ननयर् के र्हत्व को सर्झना होर्ा.

    सभी प्राणी आजीवन स्वस्थ (Health) रहते हैं और सभी वनस्पलत आजीवन फल

    सम्पदा (Wealth) पाते हैं. निज्ञान और अध्यात्म की कोई भी जानकारी नही ंहोने के बािजूद,

    सभी प्राणी और वनस्पलत एकमात्र ईश्वरीय लनयम “बीज-रक्षा” का आजीवन पालन

    करते हैं. सभी प्राणी संतान उत्पनि को छोड़कर कभी भी अकारण अपने बीजो ंको नष्ट नही ं

    करते हैं. सभी िनस्पनत भी फल के पकने तक अपने बीजो ं को नर्रने नही ं देते हैं.

    सभी प्रानणयो ंऔर िनस्पनतयो ं की तरह यनद र्नुष्य भी एकमात्र ईश्वरीय लनयम

    “बीज-रक्षा” का पालन करें , तो उन्हें भी प्राकृनतक रूप से आजीवन स्वास्थ्य (Health)

    और सम्पदा (Wealth) नर्लती है.

    धरती पर सभी वनस्पलत, प्राणी और मनुष्य का जन्म एक बीज से हदता है.

    यह एक नैसलगफक लसद्ाोंत है लक बीज से ही फल बनता है. बीज से फल प्रात्मि के संदभम

    र्ें र्नुष्य भी कोई अपिाद नही ंहैं. इस नैसनर्मक नसद्ांत के अनुसार र्नुष्यो ंको भी बीज से

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    ही फल यानी अच्छा स्वास्थ्य और भरपूर सम्पदा प्राि होती है. क्षनणक आनंद के नलए अपने

    बीजो ंको नष्ट करने के कारण ही अनधकांश र्नुष्यो ंको सहज-सुलभ सफलता नही ंनर्ल पाती

    है. इसके निपरीत कार्िासना र्ें बीजो ंको नष्ट करने की सारू्नहक प्रिृनि के कारण ही

    िैनश्वक सर्स्याओ ंऔर प्राकृनतक आपदाओ ंके रूप र्ें र्ानिता के नलए रं्भीर चुनौनतयाँ

    खड़ी हो रही हैं. इस पुस्तक में ‘आध्याक्तिक काम लवज्ञान’ का लवशे्लषण करते हुए,

    बीज और मक्तस्तष्क के समन्वय से प्रकृलत के काम करने का लसद्ाोंत बताया गया है.

    ‘आध्याक्तिक काम लवज्ञान’ में अनेकदों आध्याक्तिक तथ्दों के माध्यम से बीज के महत्व

    कद बताया गया है. लेलकन अध्याि के प्रलत लदगद ों का रुझान कम हदने और बीज के

    प्रलत नकारािक माहौल की प्रचुरता हदने से, वतफमान में ‘आध्याक्तिक काम लवज्ञान’

    का अलत महत्वपूणफ ज्ञान लसफफ ‘शारीररक काम लवज्ञान’ की सतही जानकारी मात्र

    बनकर रह गया है. बीज-रक्षा के पालन से प्रते्यक मनुष्य अपने ललए

    सहज-सुलभ स्वास्थ्य (Health) और सम्पदा (Wealth) प्राप्त कर सकता है.

    एकमात्र नैसलगफक लनयम बीज-रक्षा के पालन से लवश्व की अनेकदों समस्याओों का अोंत

    हद सकता है और हम धरती कद स्वगफ बना सकते हैं.

    वतफमान में अध्याि और लवज्ञान के तमाम ज्ञान हदने के बावजूद भी मनुष्यदों का जीवन

    दुष्कर हदता जा रहा है, क्यदोंलक अभी तक ज्ञानीजनद ों और वैज्ञालनकदों द्वारा मक्तस्तष्क की

    कायफप्रणाली में बीज डीएनए की भूलमका कद ठीक से नही ों समझा गया है. शरीर की

    समस्त कायफप्रणाली मक्तस्तष्क की सहायता से बीज डीएनए के द्वारा चलाई जाती है.

    लवश्व के लशक्षालवद्, सेलललिटी, धमफगुरु, वैज्ञालनक, राजनीलतज्ञ, पूोंजीपलत आलद

    सभी व्यक्ति अपनी-अपनी कदलशश करते हुए लवश्व कल्याण के ललए व्यक्तिगत

    समूहद ों के रूप में काम कर रहे हैं. लेलकन लवश्व की समस्याएों घटने के स्थान पर

    बढ़ती ही जा रही हैं. सामान्यतः व्यक्ति या समूह लजस के्षत्र के जानकर हदते हैं,

    उसी जानकारी के दृलष्ट्कदण से लकसी लवषय कद देखना-समझना पसोंद करते हैं.

    लकसी अन्य लवषय की जानकारी नही ों हदने के कारण, उन्ें वह लवषय अरुलचकर

    लगता है. ऐसी क्तस्थलत में लकसी सही तथ्दों-तकों की अनदेखी की जाती है या गलत

    समझा जाता है या अलवश्वास लकया जाता है . जैसे वैज्ञालनक कद अध्याि लवषय

    अरुलचकर लगता है या आध्याक्तिक गुरु कद कों पू्यटर लवषय अरुलचकर लगता है.

    बीज के काम करने की प्रलिया कद समझाने के ललए इस पुस्तक में िह्माण्ड, अध्याि, लवज्ञान, इोंजीलनयररोंग, मेलडकल, कृलष, कों पू्यटर आलद लवषयद ों से सोंबोंलधत

    तथ्दों का तकफ सोंगत लवशे्लषण लकया गया है. इस लवशे्लषण के आधार पर लवश्व की

    अलधकाोंश समस्याओों का कारण ‘बीज-क्षरण’ और उसका हल ‘बीज-रक्षा’ के रूप

    में सामने आया है. आप सबसे लवनम्र लनवेदन है लक लवश्व कल्याण के ललए, अन्य

    सभी लवषयद ों के प्रलत अपना खुला दृलष्ट्कदण रखते हुए बीज के महत्व के इस लवषय

    कद गोंभीरता से समझें. अज्ञानता और कामवासना की प्रचुरता के कारण इसकी

    सही जानकारी आम लदगद ों तक नही ों पहुोंच पा रही है. लजस प्रकार, आज समस्त लवश्व

    एकजुट हदकर वैलश्वक महामारी से लड़ने में लगा है. उसी प्रकार, आज समस्त लवश्व

    कद एकजुट हदकर, एकमात्र ईश्वरीय लनयम बीज-रक्षा की जानकारी लदगद ों कद बताना

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    हदगा. इसके लसवाए अन्य सभी लवकल्प कलठन, ख़चीले और क्षलणक उपाय वाले

    सालबत हद ोंगे. जबलक बीज-रक्षा की जागरूकता फैलाना एक सरल, सस्ता और

    स्थाई उपाय है. बीज-रक्षा लशक्षा के द्वारा हम लवश्व कद सदने की लचलड़या बना सकते हैं.

    धरती कद स्वगफ बनाने ललए हमें बीज-रक्षा लशक्षा का

    लवश्व स्तर पर प्रचार-प्रसार करना हदगा.

    िह्माण्ड और जीिन के बारे र्ें हर्ने बहुत सी जानकारी हानसल कर ली है, लेनकन नफर भी

    लर्ता है नक इसके बारे र्ें हर्ें बहुत कर् जानकारी है. परंपरार्त निज्ञान अपने चरर् पर

    पहँुच र्या है. अब पानटमकल नफनजक्स, क्ांटर् नफनजक्स जैसे निज्ञान के नए के्षत्र खुल रहे हैं.

    लेनकन निज्ञान के िृहद् निकास के बािजूद आज िैज्ञाननको ंके सार्ने अनुिररत प्रश्ो ंकी लंबी

    शं्रखला है. इन अनुिररत प्रश्ो ंर्ें सबसे प्ररु्ख प्रश् हैं 1) बै्लक होल क्या है? 2) एटर् पानटमकल

    का क्या रहस्य है? 3) जीिन का आरम्भ कैसे हुआ? 4) र्ानि र्त्मस्तष्क कैसे कार् करता है?

    5) ईश्वरीय चैतन्यता क्या है? 6) यनद ईश्वर है तो उसका क्या स्वरुप है? नपछली शताब्दी से

    कई प्रयोर्ो ंऔर भारी र्ात्रा र्ें धनरानश खचम करने के बािजूद, अभी तक सटीक जानकारी

    नही ंनर्ल पाई है. इस पुस्तक र्ें आध्यात्मत्मक तथ्ो ंके िैज्ञाननक निशे्लर्ण के द्वारा इन सभी

    प्रश्ो ंका उिर नदया जा रहा है. इस निशे्लर्ण के आधार पर र्नुष्यो ंके सफल जीिन के नलए

    एकर्ात्र ईश्वरीय धमफ बीज-रक्षा का र्हत्व बताया र्या है.

    एक=शून्य=अनोंत. िह्माण्ड के रहस्यो ंको जानने के नलए हर्ें इस निनचत्र फ़ॉरू्मले पर निश्वास

    करना होर्ा. इस पुस्तक र्ें यही सानबत करते हुए, िैज्ञाननक तथ्ो ंके आधार पर िह्माण्ड के

    रहस्यो ंका खुलासा नकया र्या है. अनंत का संकेत (∞) दो शून्य (00) नर्लाकर बनता है.

    हमारा िह्माण्ड एक अनोंत शून्य है, नजसका प्रते्यक शून्य स्थान अनंत ऊजाम से भरपूर है.

    बै्लक होल की अिस्था र्ें जब अनंत शून्य, शून्य अनंत से नर्लता है, तब सर्स्त िह्माण्ड एक

    शून्य पर एकाकार हो जाता है. नफर दो शून्य के नर्लन से एक अनंत िह्माण्ड का जन्म होता

    है. इसीनलए कहा जाता है नक इस िह्माण्ड की शुरुआत एक शून्य से हुई थी. इस शून्य कद

    लवज्ञान के सोंदभफ में बै्लक हदल लसोंगुलैररटी कहा जाता है और अध्याि के सोंदभफ में

    ईश्वरीय प्राणऊजाफ कहा जाता है. इसनलए हर् सब एक होते हुए भी अनंत क्षर्ताओ ंसे

    भरपूर हैं और जीिन पश्चात् सबको अंत र्ें शून्य हो जाना है. इस तरह सर्स्त िह्माण्ड र्ें हर्

    सब एक=शून्य=अनोंत हैं. ईश्वरीय प्राणऊजाफ की जीवन यात्रा बै्लक हदल से बीज तक

    आती है. हमारा बीज, बै्लक हदल की ही भौलतक प्रलतकृलत है. लजस प्रकार बै्लक हदल

    अनोंत िह्माण्ड का सृजन करता है, उसी तरह मनुष्य के बीज उसके ललए स्वास्थ्य और

    सम्पदा से भरपूर दुलनया का रचना करते हैं. हर्ें जीिन र्ें अपनी अनंत क्षर्ताओ ंका

    फायदा लेने के नलए लसफफ दद शब्दों के एकमात्र ईश्वरीय लनयम बीज-रक्षा का पालन करने

    की आिश्यकता है. बीज का हर्ारे जीिन र्ें क्या र्हत्व है, इसे जानने के नलए हमें िह्माण्ड

    में बै्लक हदल से बीज तक प्राणऊजाफ की जीवन यात्रा बारे में जानना हदगा.

    * * * * *

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    दुलनया का सबसे बड़ा भ्रम

    प्रकृलत में मनुष्य जीवन का लवकास इस प्रकार हुआ है लक मनुष्य अपने मन के द्वारा

    जद भी सपना देखता है, वह साकार हद जाता है. अनधकांश व्यत्मि इस बात पर निश्वास

    नही ंकरें रे् और यही कहेंरे् नक ऐसा तो नही ंहोता है, क्योनंक उनके र्न के देखे ज्यादातर

    सपने साकार नही ंहोते हैं. इसका कारण र्न के बारे र्ें उनकी ग़लतफ़हर्ी है.

    यह दुलनया का सबसे बड़ा भ्रम है लक मनुष्यदों ने अपने मक्तस्तष्क कद ही मन समझ ललया

    है, लेलकन यह धरती कद आसमान बताने जैसा एक झठू है. र्ोबाइल या कंपू्यटर का

    र्त्मस्तष्क उसका सीपीयू होता है और सीपीयू र्ें नसफम रे्र्ोरी नचप या हाडमनडस्क पर इनस्टॉल

    सॉफ्टिेयर को प्रोसेस नकया जाता है. ठीक उसी प्रकार र्नुष्य का र्त्मस्तष्क भी एक सीपीयू

    की तरह नसफम बीज के डीएनए पर नलखे सॉफ्टिेयर (जेनेनटक कोड) को प्रोसेस करता है.

    यह एक बड़ी निडम्बना है नक िैज्ञाननको ं ने अपने शरीर और र्त्मस्तष्क की

    प्राकृनतक कायमप्रणाली के अनुसार ही कंपू्यटर का आनिष्कार नकया है, लेनकन स्वयं अपने

    र्त्मस्तष्क की कायमप्रणाली के बारे र्ें ही सबसे बड़ा भ्रर् है. िैज्ञाननको ंने अभी तक र्त्मस्तष्क

    की कायमप्रणाली को ठीक से नही ंसर्झा है. इसी अज्ञानता के कारण हर्ने र्त्मस्तष्क को ही

    र्न सर्झ नलया है, जो नक पूणमतः झठूा तथ् है. यनद र्त्मस्तष्क र्न नही ंहै, तो नफर र्न क्या है

    और कहाँ होता है?

    हर् अपने अंदर जो सोच-निचार करते हैं िह र्न होता है, लेनकन यह सोच-निचार कौन

    करता है? यह जानने के नलए हर् अपने शरीर के छोटे रूप की कल्पना करें . हर्ारे सांसाररक

    शरीर का सबसे छोटा रूप, हर्ारे जन्म सर्य का होता है. जन्म सर्य के हर्ारे शरीर र्ें

    र्त्मस्तष्क अल्प निकनसत होता है और र्न सुि अिस्था र्ें होता है. जन्म से पहले र्ाँ के र्भम

    र्ें शरीर का निकास होता है. र्ाँ के र्भम र्ें हर्ारे शरीर का सबसे छोटा रूप र्ाता-नपता के

    बीज के रूप र्ें होता है. बीज के रूप र्ें हर्ारे शरीर की इस प्रथर् कोनशका को ज़ायर्ोट

    कहते हैं. यह ज़ायर्ोट ही हर्ारे शरीर का सबसे छोटा रूप होता है. ज़ायर्ोट रूपी बीज की

    अिस्था र्ें शरीर और र्त्मस्तष्क शून्य होता है, और र्न पूणमतः सुि अिस्था र्ें होता है.

    इस प्रकार ज़ायगदट रूपी बीज हमारा मन हदता है. हमारे शरीर के लवकलसत हदने पर

    हम बीज रूपी मन के द्वारा सदचते और सपने देखते हैं. लफर बीज के मन के

    सदच-लवचार के अनुसार उसके डीएनए में पररवतफन हदता है. लफर बीज डीएनए के

    जेनेलटक कदड कद हमारा मक्तस्तष्क प्रदसेस करता है और मन के लवचारद ों कद साकार

    करता है. जीिो ंके बीज र्ें एकनत्रत प्राणऊजाम अपने आनंद भाि के कारण कार्-ऊजाम के

    रूप र्ें प्रकट होती है. प्रायः कार्िासना के क्षनणक सुख के नलए बीजो ंको नष्ट कर नदया

    जाता है, इसनलए बीज रूपी र्न का सपना साकार नही ंहो पाता है.

    ज़ायगदट बीज का डीएनए एक लसोंगुलररटी के रूप में हमारा आनोंद-आिा-मन-ऊजाफ

    सभी हदता है, लजसके आिा के द्वारा हम आनोंद का अनुभव करते हैं, मन के द्वारा

    सदच-लवचार करते हैं और ऊजाफ के द्वारा काम करते हैं. बीज हमारा मन है

    और मक्तस्तष्क हमारे मन के लवचारद ों कद प्रदसेस करने वाला सीपीयू है.

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    बीज मक्तस्तष्क कद बनाता है. मक्तस्तष्क से बीज नही ों बनते हैं. मनुष्य बीज अपने मन के

    द्वारा सदचता है और अपना फल स्वयों लनधाफररत करता है. लफर बीज, मक्तस्तष्क की

    सहायता से फल कद वास्तलवकता में बदल देता है. यलद बीज-रक्षा की जाये, मनुष्य के

    बीज मन के लवचार और सपने साकार हद जाते हैं.

    िह्माण्ड में जीवन का लवकास इस प्रकार हुआ है लक सभी प्राणी अपने बीज के द्वारा

    प्राणऊजाफ कद स्वतः ही कैच करते हैं. प्राणी का बीज िह्माण्ड की प्राणऊजाफ कद एक

    बायद लसमकाडफ की तरह कैच करता है. आगे हम देखेंगे लक प्राणऊजाफ की यह जीवन

    यात्रा बै्लक हदल से बीज तक आती है. सैद्ाोंलतक रूप से प्रालणयद ों का बीज, बै्लक हदल

    का ही सूक्ष्म रूप है. बै्लक हदल में िह्माण्ड की समस्त प्राणऊजाफ एकलत्रत हदती है,

    लजसके द्वारा अनोंत िह्माण्ड का लनमाफण हदता है. उसी प्रकार सभी वनस्पलत, प्राणी

    और मनुष्यदों की प्राणऊजाफ उनके बीज में एकलत्रत हदती है, लजसके द्वारा प्राणी अपने

    ललए अनोंत सोंसार का लनमाफण कर सकता है.

    र्त्मस्तष्क र्ें बीज डीएनए की प्रोसेस प्रनक्रया को सर्झने के नलए हर्ें बै्लक होल के द्वारा

    िह्माण्ड र्ें रै्टर और जीिन के निकास को निस्तार से सर्झना होर्ा.

    * * * * *

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    बै्लक हदल लसोंगुलैररटी के चार प्राण-सत्व

    यह तो निज्ञान का एक स्वीकायम तथ् है नक िह्माण्ड की उत्पनि एक बै्लक होल नसंरु्लैररटी

    से हुई थी. यानी िह्माण्ड र्ें हर् जो कुछ भी देख रहे हैं, िह अदृश्य नसंरु्लैररटी का ही भौनतक

    स्वरूप है. अध्यात्म र्ें भी यही बताया र्या है नक सर्स्त िह्माण्ड और जीिन एक ननराकार

    ईश्वर ने बनाया है और नदखाई देने िाला यह संसार एक र्ाया है. अध्याि द्वारा वलणफत ईश्वर

    और लवज्ञान द्वारा वलणफत बै्लक हदल एक ही है. अब समय आ गया है लक

    मानवता की भलाई और दुलनया के सुनहरे भलवष्य के ललए अध्याि और लवज्ञान के

    इन तथ्दों और तकों कद एक साथ समझा जाये.

    बै्लक होल, नहग्ग्स फ़ील्ड एंटीरै्टर, डाकम रै्टर, और डाकम एनजी को लेकर निश्व के सभी

    अंतररक्ष-भौनतक िैज्ञाननक लर्भर् एक शताब्दी से असरं्जस की त्मस्थनत र्ें हैं. जहाँ एक ओर

    बै्लक होल पर निज्ञान का कोई ननयर् कार् नही ंकरता है, िही ं दूसरी ओर िैज्ञाननको ंके

    अथक प्रयासो ंके बािजूद डाकम रै्टर और डाकम एनजी का कोई सुरार् नही ं नर्ल रहा है.

    आज निज्ञान का निकास अपनी चरर् अिस्था र्ें है. 21िी ंशताब्दी र्ें िैज्ञाननको ंके पास र्ोस्ट

    एडिांस टेक्नोलॉजी और नॉलेज है. यनद डाकम रै्टर और डाकम एनजी कोई रै्टर जैसी िसु्त

    होती, तो हर् बहुत पहले ही उसकी खोज कर चुके होते. लेनकन दशको ंके अथक प्रयासो ं

    के बािजूद अभी तक इनके बारे र्ें कोई स्पष्ट जानकारी नही ंनर्ल पाई है.

    आध्यात्मत्मक र्ान्यताओ ंके अनुसार ॐ शब्द के द्वारा एक शून्य से िह्माण्ड की उत्पनि हुई

    थी. निज्ञान भी अब इस तथ् पर पूणम रूप से सहर्त है नक िह्माण्ड की उत्पनि एक

    कृष्ण नििर या बै्लक होल के शून्य र्ें नबर् बैंर् के निस्फोट से हुई थी. आक्तखर बै्लक हदल

    के शून्य में क्या हदता है? लजससे इस अनोंत िह्माण्ड की उत्पलि हदती है और जीवन

    का लवकास हदता है. इसे सर्झने के नलए हर्ें आध्यात्मत्मक तथ्ो ंको िैज्ञाननक तकों के

    आधार पर सर्झना होर्ा. इस पुस्तक / िीनडयो के र्ाध्यर् से बै्लक होल, डाकम रै्टर, डाकम

    एनजी, िह्माण्ड र्ें रै्टर और जीिन की उत्पनि के अनेक रहस्यो ंका खुलासा नकया जा रहा

    है.

    िैज्ञाननको ंने अपनी खोजो ंके द्वारा यह सानबत नकया है नक नबर् बैंर् निस्फोट की शुरुआत र्ें

    बै्लक होल र्ें इन्फ्लेशन यानी फैलाि हुआ. इस फैलाि के बाद एटर् के प्राथनर्क पानटमकल

    जैसे गू्लऑन, फ़ोटॉन, क्ाकम , लेप्टॉन आनद बने थे. नफर नबर् बैंर् से लर्भर् 4,00,000 िर्ों

    के दौरान, इन प्राथनर्क पानटमकल से एटर् के रू्ल पानटमकल बोसॉन, नू्यटर ॉन, प्रोटॉन इलेक्ट्र ॉन

    बने थे. नफर इन एटर् के द्वारा िह्माण्ड का रै्टर बना, जो रै्लेक्सी, तारो-ंग्रहो ंके रूप र्ें

    िह्माण्ड र्ें फैलता जा रहा है. लबग बैंग की इन िमागत घटनाओों से यही सालबत हदता है

    लक एटम के प्राथलमक पालटफकल, मूल पालटफकल और िह्माण्ड का मैटर, आलद सब बै्लक

    हदल में इन्फ्लेशन के बाद ही बने थे. इससे यही सालबत हदता है लक इन्फ्लेशन से पहले

    बै्लक हदल के अोंदर कदई मैटर नही ों था. चँूलक लवज्ञान की समस्त खदजदों का आधार

    मैटर ही हदता है और बै्लक हदल के अोंदर कदई भी मैटर नही ों हदता है, इसी कारण से

    बै्लक हदल पर लवज्ञान का कदई लनयम लागू नही ों हदता है. अब यह सदचने वाली बात है

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    लक जहाँ पर लवज्ञान का कदई भी लनयम काम नही ों करता है, उसे वैज्ञालनक आधार पर

    कैसे खदजा जा सकता है? जहाँ पर कदई मैटर ही नही ों है, उसे मैटर के उपकरणदों के

    द्वारा कैसे खदजा जा सकता है? इसी कारण वैज्ञालनकदों के ललए बै्लक हदल एक अनबुझ

    पहेली बन गया है.

    बै्लक होल की िैज्ञाननक व्याख्या करते सर्य अक्सर यह कहा जाता है नक बै्लक होल र्ें

    इिेंट होराइजन के बाद से्पस-टाइर् रु्ड़ जाता है और रै्टर का घनत्व अनंत हो जाता है,

    नजससे उसर्ें से प्रकाश भी बाहर नही ंआ पाता है. पहले तो से्पस-टाइर् िक्र होने की कल्पना

    नसफम सैद्ांनतक अिधारणा है, नजसकी कल्पना िैज्ञाननक नसद्ांतो ंकी व्याख्या के नलए की

    जाती है. िास्तनिकता र्ें से्पस और टाइर् के रु्ड़ने जैसा कुछ भी संभि नही ंहै. बै्लक होल

    की िैज्ञाननक व्याख्या र्ें इिेंट (सर्य), प्रकाश, घनत्व, रै्टर आनद ऐसे शब्द हैं, नजनका संदभम

    रै्टर का अत्मस्तत्व होने पर ही संभि है. बै्लक होल के अंदर अनंत घनत्व िाला काल्पननक

    रै्टर भी नही ंहोता है, क्योनंक बै्लक होल र्ें इन्फ्लेशन के बाद ही रै्टर बनता है.

    जब बै्लक हदल के इन्फ्लेशन से पहले कदई पालटफकल या मैटर ही नही ों था, तद इन शब्दों

    से बै्लक हदल कद पररभालषत नही ों लकया जा सकता है. चूोंलक वतफमान में लवज्ञान के पास

    बै्लक हदल कद पररभालषत करने के ललए कदई अन्य शब्ावली नही ों है, इसललए मैटर

    पर आधाररत इस तरह की काल्पलनक व्याख्या की जाती है.

    निज्ञान की सीर्ाओ ंऔर उपरोि निसंर्नत के कारण, बै्लक होल के रू्ल तत्वो ंको सर्झने

    के नलए हर्ें अलर् तरह से सोचने की आिश्यकता है. यनद हर् नसफम रै्टर निज्ञान के आधार

    पर बै्लक होल के बारे र्ें जानने की कोनशश करें रे् तो बै्लक होल के रहस्य कभी नही ंजान

    पायेंरे्, क्योनंक उसर्ें कोई भी रै्टर नही ंहोता है और उस पर निज्ञान का कोई ननयर् लारू्

    नही ंहोता है. यह तद लवज्ञान के द्वारा स्वीकायफ तथ् है लक बै्लक हदल एक लसोंगुलैररटी है.

    इसी बै्लक हदल लसोंगुलैररटी में लबग बैंग लवस्फदट हुआ और समस्त िह्माण्ड में मैटर

    और जीवन का लवकास हुआ. इसीललए वही लसोंगुलैररटी िह्माण्ड के सभी मैटर और

    सभी जीवद ों में व्याप्त है. यह तो एक सिमनिनदत तथ् है नक रै्टर जड़ है और जीिन चेतन

    है. चँूनक रै्टर र्ें जीिन नही ंहोता है और रै्टर स्वयं हर्ें कुछ भी नही ंबता सकता, इसीनलए

    नसफम रै्टर की खोजो ंके आधार पर हर्ें बै्लक होल नसंरु्लैररटी के बारे र्ें पूरी जानकारी

    कभी नही ं नर्ल सकती है. यनद नसफम रै्टर को आधार र्ानकर बै्लक होल की खोज की

    जाएर्ी, तो नफर हर्ें जीिन के निकास के बारे र्ें कैसे जानकारी नर्लेर्ी? रै्टर निज्ञान के

    आधार पर यनद बै्लक होल की कुछ जानकारी नर्ल भी जाए, तो भी जीिन की उत्पनि के

    रहस्य अनसुलझे ही रह जायेंरे्. आत्मखर जीिन का अत्मस्तत्व भी तो िह्माण्ड की उसी

    नसंरु्लैररटी का ही नहस्सा है. नननश्चत ही िह्माण्ड ननर्ामता ने नसफम जड़ रै्टर बनाने के नलए

    िह्माण्ड का ननर्ामण नही ंनकया, बत्मि चेतन जीिन ही उनका रु्ख्य अनभप्राय है. इसनलए

    िह्माण्ड र्ें जीिन का अत्मस्तत्व ही सबसे प्ररु्ख निर्य है. बै्लक हदल लसोंगुलैररटी िह्माण्ड

    में हर जगह व्याप्त है, यानी वही लसोंगुलैररटी सभी मैटर, सभी जीवद ों और सभी मनुष्यदों

    में भी है. सब-एटॉलमक पालटफकल्स पर कई दशकदों के आधुलनक प्रयदगद ों और खदजदों के

    बाद भी वैज्ञालनकदों कद डाकफ मैटर और डाकफ एनजी का कदई भी सुराग नही ों लमल पा

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    रहा है. इसका कारण यही है लक लजस बै्लक हदल लसोंगुलैररटी में मैटर ही नही ों हदता है,

    उसका सुराग मैटर के प्रयदगद ों से प्राप्त नही ों लकया जा सकता है.

    वैज्ञालनक खदजद ों के आधार पर यही लसद् हुआ है लक लबग बैंग के बाद ही सब एटॉलमक

    पालटफकल, एटम, मैटर आलद बने थे. इस प्रकार यह स्वयों लसद् हदता है लक लबग बैंग से

    पहले बै्लक हदल के अोंदर केवल नॉन-मैटर और अदृश्य तत्व हदते हैं. लनजीव मैटर में

    उन नॉन-मैटर और अदृश्य तत्वदों की पहचान मुक्तिल हद सकती है, लेलकन लकसी जीव

    के अोंदर वे नॉन-मैटर और अदृश्य तत्व लनलित ही आसानी से पहचाने जा सकते हैं.

    इसललए बै्लक हदल लसोंगुलैररटी कद जानने का सबसे आसान तरीका यही है लक

    हम अपने ही जीवन के बारे में सदचें, क्यदोंलक उसी बै्लक हदल लसोंगुलैररटी के नॉन-मैटर और अदृश्य तत्व हमारे अोंदर भी लवद्यमान है. इसललए अब हम अपने स्वयों के जीवन

    के द्वारा बै्लक हदल लसोंगुलैररटी के उन नॉन-मैटर और अदृश्य मूल प्राण-सत्व की तलाश करते हैं. उन प्राण-सत्व तलाश के ललए हम एक उदाहरण कद समझें.

    इस बॉक्स के कुछ शब् बै्लक हदल के रहस्य उजागर कर रहे हैं ...

    र्ान लो हर्ें जोरो ंसे प्यास लर्ी है और हर्ारे सार्ने पानी से भरा एक नर्लास

    रखा है. पानी पीने से हर्ारी प्यास बुझती है और हर्ें एक आनंद नर्लता है.

    इसी प्रकार प्रते्यक जीि अपने जीिन र्ें अलर्-अलर् प्रकार से भौनतक और

    भािनात्मक आनंद पाना चाहता है. यह आनोंद का भाव एक नॉन-मैटर

    अदृश्य प्राण-सत्व है, लजसके ललए लकसी से्पस की आवश्यकता नही ों हदती

    है. जीवन के प्रलत यह “आनोंद” का भाव बै्लक हदल लसोंगुलैररटी का पहला

    नॉन-मैटर अदृश्य प्राण-सत्व है.

    इस आनंद को पाने के नलए हर्ारे अंदर सॉफ्टिेयर प्रोग्रार् के सर्ान एक ज्ञान

    शत्मि कार् करती है, जो हर्ें उपलब्ध जानकारी के आधार पर कोई भी कार्

    करने का तरीका बताती है. इसे आत्मा कहते हैं. आत्मा हर्ें यह बताती है नक

    पानी कहाँ रखा है, उसे कब, कैसे और नकतना पीना है, आनद-आनद. यह आिा

    (सॉफ्टवेयर प्रदग्राम) भी एक नॉन-मैटर अदृश्य प्राण-सत्व है, लजसके ललए

    लकसी से्पस की आवश्यकता नही ों हदती है. यह “आिा” बै्लक हदल

    लसोंगुलैररटी का दूसरा नॉन-मैटर अदृश्य प्राण-सत्व है.

    जानकारी प्राि करने के बाद हर्ें कार् करने की आिश्यकता होती है, इसनलए

    पानी पीने के नलए आत्मा र्न को कार् करने का ननदेश देती है. हर् र्न के द्वारा

    लर्ातार सोचने-निचार करने और शरीर को नक्रयाशील रखने का कार् करते

    रहते हैं. र्न पानी पीने के कार् को करने के नलए अननर्नत निकल्प दे सकता

    है, लेनकन आत्मा उसर्ें से नकसी एक निकल्प के नलए अंनतर् ननणमय करती है.

    नफर र्न उस अंनतर् ननणमय के अनुसार शरीर के द्वारा कार् करता है.

    यह मन (सदच-लवचार) भी एक नॉन-मैटर अदृश्य प्राण-सत्व है, लजसके

    ललए लकसी से्पस की आवश्यकता नही ों हदती है. यह “मन” बै्लक हदल

    लसोंगुलैररटी का तीसरा नॉन-मैटर अदृश्य प्राण-सत्व है.

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    नफर हर् नर्लास उठाते है और पानी पी लेते हैं, नजससे हर्ारी प्यास शांत होती है

    और हर्ें आनंद नर्लता है. हर्ारा शरीर, नर्लास और पानी तीनो ं ही

    निनभन्न प्रकार के रै्टर हैं, जो अननर्नत अणु-परर्ाणु से बने होते हैं.

    रै्टर के सभी अणु-परर्ाणु अंततः ऊजाम से ही बने होते हैं, जो उनके एटर् र्ें

    प्राथनर्क और रू्ल पानटमकल के रूप र्ें निनभन्न प्रकार से नक्रयाशील रहती है.

    यह ऊजाफ भी एक नॉन-मैटर अदृश्य प्राण-सत्व है, लजसके ललए लकसी से्पस

    की आवश्यकता नही ों हदती है. यह “ऊजाफ” बै्लक हदल लसोंगुलैररटी का चौथा

    नॉन-मैटर अदृश्य प्राण-सत्व है. (यहाँ ऊजाफ का अलभप्राय शुद् ऊजाफ से है,

    लजसके बारे में आगे लवस्तार से बताया गया है.)

    इस प्रकार आनोंद+आिा+मन+ऊजाफ, यही वे चार मूल नॉन-मैटर अदृश्य प्राण-सत्व

    हैं, जद बै्लक हदल लसोंगुलैररटी के अोंदर हदते हैं. प्राण-सत्व, आनोंद+आिा+मन+ऊजाफ,

    िह्माोंड की नॉन-मैटर अदृश्य लसोंगुलैररटी इकाईयाों हैं, जद अपने आप में मैटर और

    जीवन का लवकास करती हैं. आध्याक्तिक सोंदभफ में लसोंगुलैररटी के इन चारद ों

    प्राण-सत्व कद सोंयुि रूप से प्राणऊजाफ कहा जाता है. इस प्राणऊजाफ कद ही

    लनराकार ईश्वर के रूप में माना जाता है.

    बै्लक हदल (कृष्ण लववर) के चार प्राण-सत्व = आनोंद + आिा + मन + ऊजाफ =

    प्राणऊजाफ

    (आऊमआ) ॐ ईश्वर = प्राणऊजाफ = बै्लक हदल

    इसमें आनोंद कद पाने के ललए आिा प्रदग्राम बनाकर मन कद काम करने का लनदेश

    देती है, लफर मन ऊजाफ के द्वारा काम करता है. एक तरह से आनोंद एक माललक है,

    आिा मैनेजर है, मन वकफ र है और ऊजाफ सोंसाधन है. इसे इस तरह से समझ सकते

    हैं, आनोंद बताता है लक क्यदों काम करना है, आिा बताती है लक क्या और कैसे काम

    करना है. अोंततः मन आिा के लनदेशद ों के अनुसार ऊजाफ के द्वारा काम करता है,

    लजससे जीव कद आनोंद लमलता है.

    आध्याक्तिक सोंदभफ में प्राणऊजाफ कद ही ईश्वर माना जाता है. चँूलक इस प्राणऊजाफ कद

    प्रते्यक प्राणी और मनुष्य अपने ही अोंदर महसूस करते हैं, इसीललए कहा जाता है लक

    प्राणी और मनुष्य स्वयों ईश्वर का ही रूप है. बै्लक हदल लसोंगुलैररटी के अोंदर क्तस्थत

    प्राणऊजाफ के रूप में चार प्राण-सत्व (आनोंद, आिा, मन, ऊजाफ) कद लवज्ञान के लनयमद ों

    से पररभालषत नही ों लकया जा सकता है, क्यदोंलक ये केवल प्राणी के द्वारा अनुभव लकये

    जाने वाले प्राण-सत्व हैं. इसीललए बै्लक हदल पर लवज्ञान का कदई लनयम लागू नही ों

    हदता है.

    इन चारो ं प्राण-सत्व के प्रथर् तीन तत्व आनंद, आत्मा और र्न जीि के अंदर अदृश्य

    प्राण-सत्व होते हैं, नजन्हें आतंररक स्तर पर ही र्हसूस नकया जा सकता है. इनर्ें से चौथा

    प्राण-सत्व ऊजाम ही नक्रयाशील तत्व होता है, नजसे बाह्य स्तर पर र्हसूस नकया जाता है. इस

    िह्मांड के रै्टर और जीिन र्ें इलेक्ट्र दमैगे्नलटक, केलमकल, बायद-केलमकल, भावनािक

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    आनद ऊजाम के रूप नदखते हैं, िे सब शुद् ऊजाम के ही निनभन्न रूप हैं. इस ऊजाम को

    बैकग्राउंड र्ें र्न, आत्मा और आनंद के द्वारा ननयंनत्रत नकया जाता है. रै्टर के अंदर शुद्

    ऊजाम E=mc2 के पररर्ाण र्ें रहती है, लेनकन इस शुद् ऊजाम का उपयोर् नही ंनकया जा

    सकता है. िास्ति र्ें आनंद, आत्मा, र्न के द्वारा शुद् ऊजाम से िह्माण्ड का रै्टर बनाया

    जाता है और नफर रै्टर के द्वारा कायम करने से पुनः शुद् ऊजाम ननकलती है. सैद्ांनतक रूप

    से शुद् ऊजाम नकसी शून्य स्थान पर अनंत सीर्ा तक एकनत्रत हो सकती है. प्राणऊजाम के

    चार प्राण-सत्व जब एक शून्य स्थान पर नसंरु्लैररटी के रूप र्ें एकत्र हो जाते हैं, तब बै्लक

    होल बनता है. नफर उस बै्लक होल र्ें नबर् बैंर् का निस्फोट होता है और यही चार प्राण-सत्व

    नसंरु्लैररटी प्राणऊजाम के रूप र्ें अनंत िह्माण्ड र्ें फैल जाते हैं. िह्माण्ड में

    प्राणऊजाफ के अदृश्य चार प्राण-सत्व आनोंद, आिा, मन, ऊजाफ ही वैज्ञालनकदों द्वारा

    िमशः लहग्ग्स फ़ील्ड, एों टीमैटर, डाकफ मैटर, डाकफ एनजी के रूप में महसूस लकये जा

    रहे हैं. ये चारद ों प्राण-सत्व अदृश्य हदते हैं, लजनके द्वारा प्रकृलत के चार मुलभुत फ़दसफ

    बनते हैं. लफर इन चार मुलभुत फ़दसफ के द्वारा एटम के प्राथलमक और मूल पालटफकल

    बनाये जाते हैं. लफर उन पालटफकल से एटम बनते हैं. लफर एटम से मैटर का लवकास

    हदता है. लफर एटम में प्राणऊजाफ के सोंचार से एडम (आदम) या जीवन बीज बनते हैं.

    लफर एडम से जीवन का लवकास हदता है. इन सभी प्रलियाओों में बाह्य स्तर पर

    लियाशील ऊजाफ प्राण-सत्व कद आतोंररक स्तर पर लियाशील आनोंद, आिा और मन

    प्राण-सत्व द्वारा लवलभन्न प्रकार से लनयोंलत्रत लकया जाता है.

    िह्माण्ड र्ें बै्लक होल नसंरु्लैररटी की प्राणऊजाम का ननम्नानुसार निनभन्न रूपो ं र्ें क्रर्शः

    निकास होता है, नजसके बारे र्ें हर् आरे् निस्तार से सर्झेंरे्:

    ॐ ईश्वर /

    प्राणऊजाफ

    आनोंद आिा मन ऊजाफ

    प्राणऊजाफ > िह्माण्ड नहग्ग्स फ़ील्ड एंटीरै्टर डाकम रै्टर डाकम एनजी

    िह्माण्ड > फ़दसफ स्टर ांर्

    नू्यत्मियर

    इलेक्ट्र ोरै्गे्ननटक िीक

    नू्यत्मियर

    गे्रनिटेशनल

    फ़दसफ > पालटफकल गू्लऑन फ़ोटॉन क्ाकम लेप्टॉन

    पालटफकल > एटम बोसॉन नू्यटर ॉन प्रोटॉन इलेक्ट्र ॉन

    एटम > एनजी भािनात्मक बायोकैनर्कल केनर्कल इलेक्ट्र ोरै्गे्ननटक

    एनजी > एडम बीज डीएनए आरएनए अर्ीनो एनसड

    एडम > जीवन

    (मनुष्य)

    आनोंद आिा मन ऊजाफ

    मनुष्य > कों पू्यटर कारण सॉफ्टिेयर रैर् नेटिकम

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  • ईश्वरीय धर्म बीज-रक्षा प्राणऊजाम ~ बै्लक होल से बीज तक www.anarvam.com 16

    यहाँ पर यह ध्यान देने यदग्य तथ् है लक िह्माण्ड में लजन लसद्ाोंतद ों के आधार पर मैटर

    और जीवन का लवकास और पालन-पदषण हदता है, उन्ी ों लसद्ाोंतद ों के आधार पर ही

    वैज्ञालनकदों ने कों पू्यटर का आलवष्कार लकया है. इसमें िह्माण्ड की

    प्राणऊजाफ के प्राण-सत्व आनोंद-आिा-मन-ऊजाफ आधुलनक कों पू्यटर के िमशः

    कारण-सॉफ्टवेयर-रैम-नेटवकफ की तरह है, लजसमें कों पू्यटर कारण या प्रयदजन के ललए

    सॉफ्टवेयर प्रदग्राम, रैम के द्वारा नेटवकफ से सोंपकफ करता है. लजस प्रकार इोंटरनेट

    नेटवकफ के लकसी भी स्थान-समय पर हम अपनी इच्छानुसार कदई भी काम कर सकते

    हैं, उसी प्रकार समस्त िह्माण्ड में फैले अदृश्य आनोंद (लहग्ग्स फ़ील्ड),

    आिा (एों टीमैटर), मन (डाकफ मैटर) और ऊजाफ (डाकफ एनजी) के अपार भोंडार से मनुष्य

    अपने आनोंद के ललए लकसी भी स्थान-समय पर कदई भी सोंसाधन प्राप्त कर सकता है.

    िह्माण्ड के इस अपार ऊजाफ भोंडार तक पहँुचने का एक ही गेटवे माध्यम है. वह गेटवे

    माध्यम स्वयों मनुष्य का अपना बीज है. इस बारे में आगे लवस्तार से बताया गया है.

    अभी हर्ने अपने ही जीिन के द्वारा यह सर्झा नक ये चारो ंप्राण-सत्व, जीिन से संबंनधत हैं

    और यही चार प्राण-सत्व नसंरु्लैररटी र्ें नबर् बैंर् निस्फोट से सर्स्त िह्माण्ड र्ें फैल र्ए हैं.

    इसनलए हर् यह सर्झ सकते हैं नक हर्ारा िह्माण्ड ननजीि नही,ं बत्मि अन्य जीिो ंऔर

    र्नुष्य की तरह सजीि है. ननजीि रै्टर के प्रते्यक एटर् र्ें नजस प्रकार बोसॉन, नू्यटर ॉन,

    प्रोटॉन, इलेक्ट्र ॉन प्रचंड िेर् से चलायर्ान रहते हैं, िह इन्ही ंप्राण-सत्व के द्वारा ही संभि होता

    है. आध्यात्मत्मक संदभम र्ें कहा जाता है नक कण-कण र्ें ईश्वर होते हैं और जहाँ ईश्वर होते हैं,

    िह ननजीि नही ंबत्मि सजीि होता है. लजस प्रकार हम मनुष्य सदच लवचार करके काम

    करते हुए आनोंद पाते हैं, ठीक उसी प्रकार यह िह्माण्ड भी सदच लवचार करके काम

    करते हुए आनोंद पाता है. िह्माण्ड वही सदचता है जद हम मनुष्य सामूलहक रूप से

    सदचते हैं. इसे ही आध्याक्तिक सोंदभफ में सामूलहक चैतन्यता कहा जाता है. लजस प्रकार

    एक बच्चा जवान हदने पर अपने आनोंद या सपनद ों के ललए अलधक लियाशील हद जाता

    है, उसी प्रकार समय के साथ साथ जैसे-जैसे िह्माण्ड की आयु बढ़ रही है, वैसे-वैसे

    िह्माण्ड अपने आनोंद के ललए अलधक लियाशील हद रहा है. िह्माण्ड की यह

    लियाशीलता इन चारद ों प्राण-सत्व के अलधक प्रवाह के कारण बढ़ रही है, जद बै्लक हदल

    से आज भी प्रवालहत हद रहे हैं.

    इस प्राणऊजाम का संघनीत रूप ही बै्लक होल के रूप र्ें आभानसत होता है. यह प्राणऊजाम

    ही बै्लक होल के रूप र्ें ननराकार ॐ या परर्ात्मा या पररे्श्वर है, जो अपने चार प्राण-सत्व

    आनंद, आत्मा, र्न, ऊजाम के द्वारा पहले िह्माण्ड र्ें रै्टर और जीिन की रचना करता है.

    नफर सभी जीिो ंका सृजन, पालन और संहार करता है. िास्तनिकता र्ें, यह ननराकार ॐ

    ईश्वर ही अपने आनंद �