माी न ा ढूंढ़े कनारा naiya dhundhe kinar… · उठता।...

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1 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara मांझी नैया ढ़े कनारा कहानी / शरोवन हसरत नयां ेम अपनी राह बना कर उन पर चलने वाले जब वत आने पर अपना फै सला अचानक कसी दबाब आकर बदल लेते तो इसको इंसान मजब कह कर उसके यितव वह सबसे बड़ी कमजोर कहा जाता है िजसके सबब से के वल कसी सरे का ववास टता है , बिक साथ सजे सजाये सपन का ख़ाका बदल जाता है। ऐसी परथत आने पर मन का अपना जो भी होता है वह तो नयां देखती है , पर िजसक अपनी हसरत आथाओं अथीं देख कर ख़ाक होती , या उसके लये कोई सोच पाता है ? ममपश मसीह कथाओं

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  • 1 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    मांझी नैया ढंूढ़े �कनारा कहानी / शरोवन

    हसरत� क� द�ुनयां म� �ेम क� अपनी राह� बना कर

    उन पर चलने वाले जब व%त आन े पर अपना फैसला

    अचानक ह( �कसी दबाब म� आकर बदल लेत ेह) तो इसको

    इंसान क� मजबूर( न कह कर उसके +यि%त-व क� वह

    सबसे बड़ी कमजोर( कहा जाता है �क िजसके सबब से न

    केवल �कसी दसूरे का /व0वास ह( टूटता है, बि2क साथ म�

    सजे सजाये सपन� का ख़ाका ह( बदल जाता है। ऐसी

    प7र8थ�त आन ेपर मनु9य का अपना जो भी ह; होता है

    वह तो द�ुनयां देखती ह( है, पर िजसक� अपनी हसरत�

    आ8थाओं क� अथीं देख कर ख़ाक होती ह), %या उसके

    >लये कोई कुछ सोच पाता है? ममA8पशB मसीह( कथाओ ं

  • 2 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    के कहानीकार शरोवन क� लेखनी क� एक ऐसी देन �क

    िजसको आप बार बार पढ़ने पर /ववश हो सकत ेह)।

    ‘सवाल� से भर( िज़Fदगी कह(ं ठहर चकु�

    होती तब तो आरज़ू करने का कोई �0न ह( नह(ं

    उठता। राहे सफ़र म� यKद तुम कह(ं भी >मल( नह(ं

    होती तो �फर अपनी ख़ाल( झोल( फैला कर मांगन े

    क� बात ह( नह(ं होती। मनु9य के जीवन क�

    प7रभाषा %या है? शायद कोई भी ढंग से नह(ं बता

    सकेगा? �कतनी सहजता से मेरे जीवन क� नाव

    सागर क� डगर पर चल( जा रह( थी। कभी सोचा

    भी नह(ं था �क एक ह2क� सी लहर न े अचानक

    करवट ल( और पतवार हाथ से छूट गई। साथ म�

    बैठे हुये पPथक को �नमAम सागर क� लहर� ने दबोच

    >लया और अब म) अकेला। �नताFत थका हुआ।

    Qब2कुल ह( मायूस, �नराश और बाक� बच े हुये

    जीवन के उSे0य से बेमकसद और बेमतलब कहां

    चला जा रहा हंू। ये कठोर रा8ता न जाने कहां

    जाकर समाTत होगा? म) कब और कहां जाकर

    ठहUंगा? कुछ भी तो मालुम नह(ं। ऐसे म� जब

    Vयान आता है तो खदु व खदु तुWहार( त8वीर आंख�

    के पदX पर आकर 8थर हो जाती है। जानता हंू �क

    तुम जंहा से चल( थी, अभी भी वह(ं पर खड़ी हो,

  • 3 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    और म) तुWह� छोड़ कर आगे तो �नकल गया था,

    मगर तकद(र न े मुझ े �फर से तुWहारे पास लाकर

    खड़ा कर Kदया है। चाहो तो मुझ ेमॉफ कर सकती

    हो। संभाल भी सकती हो। एक बार �फर से उसी

    जीने के ढंग के मागA पर आकर साथ चल सकती हो

    �क, जहां पर से �कसी Kदन हम दोन� अलग हो गये

    थे।

    असाKहल‘

    मेरब न े ईमेल पढ़ा तो, पढ़त े ह( उसके

    मि8त9क के सारे सोये हुये तार इस �कार से झनक

    गये �क उFह� �फर खबू अZछ[ तरह से उलझते देर

    भी नह(ं लगी। तुरFत ह( वह दोन� हाथ� से अपना

    >सर पकड़ कर बैठ गई। �कतन े Kदन� के प0चात

    �कसी ने उसे आज �फर से छेड़ Kदया था। इस

    �कार �क उसे \]णक खीज तो हुई ह(, साथ ह(

    उसका बना बनाया सारा मंूड भी खराब हो गया।

    आज �फर असाKहल ने उससे वह( �घसी /पट( अपनी

    आरजू दोहराई थी, �क िजसे वह /पछले दो वष` से

    उसे याद Kदलाता आ रहा था। वह जानती है �क

    असाKहल क� इन >मFनत� म� उसके ��त सहानुभू�त

    थी। ददA था। एक आवाज़ थी, और साथ ह( अपनी

    क� हुई �कसी बड़ी भूल का एहसास भी था। मगर

    िजस 8थान पर वह उसे तFहा और अकेला छोड़़ कर

  • 4 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    चलता बना था, वहां पर वह तो माa बाइबल के

    लूत क� प-नी के समान केवल नमक का खभंा बन

    कर ह( रह गई थी। जीवन के इस कठोर और कड़वे

    स-य को वह शायद नह(ं समझ पा रहा था। उसक�

    कहानी लूत क� प-नी से �कतना कुछ >मलतीजुलती

    है। अFतर है तो केवल इतना ह( है �क, लूत क�

    प-नी न ेखदु गलती क� थी, और उसे सजा >मल(

    थी। मगर अपने बारे म� गलती लूत के 8थान पर

    असाKहल ने क� थी, और सजा वह खदु भुगत रह(

    थी। आज वह िजस 8थान पर है, जैसी भी है, और

    िजस हाल म� भी असाKहल ने उसे छोड़ कर �कनारा

    �कया था, वहां पर रह कर उसके मन क� सार(

    अ>भलाषाय�, /वचार और भावनाय� अपना दम तोड़

    चकु� ह)। आज जीने का उसका कोई भी मकसद

    बाक� नह(ं रह जाता है। आज तो उसे कुछ भी

    /पछला याद नह(ं रहा है। याद है तो वह केवल

    इतना ह( जानती है �क असाKहल के साथ साथ

    चलते हुये अचानक ह( एक दोहराहा आया और

    उसके साथ चलने वाले ने अपना मागA बदल >लया

    था। �फर जो कुछ भी हुआ उसम� उसके जीवन का

    तमाशा बना था। लोग� ने एक खेल देख कर अपना

    जैसे मनोरंजन �कया, और �फर सब कुछ ख-म हो

    गया। आज तो उसके मन के अदंर कभी ठहर( हुई

  • 5 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    Tयार क� खशुबू क� जल( हुई राख़ तक नह(ं बच

    सक� थी। आज तो वह लूत क� प-नी के समान

    नमक के 8थान पर जैसे प-थर का बेजान बुत बन

    कर जीने पर /ववश थी। /ववश इस>लये है �क

    जीवन समाTत करने का अ�घकार भी तो परमे0वर

    ने अपन ेपास ह( रख छोड़ा है। यKद ऐसा नह(ं होता

    तो वह न जाने कब क� आ-मह-या कर चकु� होती।

    .....सोचते सोचते मेरब क�

    आंख� के सामने उसके अतीत क� दखुभर( याद�

    �कसी कागज क� मह(न मह(न कतरन� के समान

    8वत ह( Qबखरने लगीं। उसके िजये हुये Kदन� क� ये

    वह 8म�ृतयां थीं �क िजनके हरेक टुकड़ ेम� उसक�

    मायूस, �नराश और जैसे िजFदगी से �नहायत छल(

    और थक� हुई लालसाओं का कड़वा और कसैला /वष

    भरा हुआ था।

    असाKहल ने उसके शां�त से भरे सामाFय

    जीवन म� कब �वेश �कया था? जहां तक उसे याद

    है उससे उसक� पहल( भ�ट अचानक ह( तब हो गई

    थी जब �क वह अपने /पता के >मa के लड़के के

    /ववाह क� बारात म� मVय �देश के एक बड़ ेशहर व

    िजले दगुA म� गई थी। अपने �नवास 8थान से दगुA

    तक का ए%स�ेस रेल का पूरे 12 घंट� का सफर

    fा◌ा। �फर वहां पर भी /ववाह क� तमाम र8म� पूणA

  • 6 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    होने के प0चात जब वह अFय बारा�तय� के साfा

    /ववाह क� पाटh म� बैठ[ हुई थी, �क तभी उसक�

    परखने वाल( नज़र� ने असाKहल के मन के इराद�

    को भांप >लया था। असाKहल दरू से ह( उसम� UPच

    ले रहा था। साथ ह( वह बारा�तय� व अFय /ववाह

    म� सिWम>लत हुये मेहमान� को खाने के +यंजन

    आKद /वत7रत करने म� सहायता तो कर ह( रहा था

    मगर �फर भी वह �कसी न �कसी बहाने से मेरब के

    आसपास ह( बना रहना चाह रहा था। तब मेरब ने

    असाKहल क� इस हरकत को \]णक भावुकता क�

    UPच समझते हुये कोई /वशषे मह-व नह(ं Kदया था।

    लड़के तो �ाय: ऐसा करते ह( ह), यह( सोच कर वह

    सामाFय हो गई थी। परFतु /ववाह के मुjय भोज

    के समय पर जब असाKहल मेरब का आव0यकता से

    अ�घक Vयान रखने लगा तो उसको दाल म� कुछ

    काला नज़र आने लगा। उस समय असाKहल न े

    अपनी तरफ से मेरब को खाने क� हरेक व8त ु

    अZछ[ से अZछ[ देने क� को>शश तो क� ह(, साथ

    ह( वह उससे बात करने का अवसर भी ढंूढ़ने लगा

    था। परFत ु /ववाह क� अPधक भीड़ भाड़ और

    +य8तता के दौरान वह ऐसा करने म� सफल नह(ं हो

    सका था। �फर /ववाह के भोज का कायAmम भी

    समाTत हो गया। रात म� मनोरंजन का थोड़ा बहुत

  • 7 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    कायAmम बारा�तय� के >लये रखा गया था, मगर

    मेरब सफर क� थकान के कारण अपने कमरे म�

    जहां पर अFय बारा�तय� को ठहराया गया था आकर

    ज2द( ह( सो गई थी।

    �फर दसूरे Kदन जब /वदा क� र8म आई तब

    भी उसको असाKहल वहां पर Kदखाई Kदया। वह

    लड़क� वाल� क� ओर से सारे बारा�तय� को /वदा क�

    र8म पूर( करवाने म� मदद कर रहा था। ले�कन �फर

    भी बारा�तय� के जाने से पहले वह साहस जुटा कर

    मेरब के पास आया और उससे बोला था �क,

    ‘दो Kदन आप यहां रह(ं, बड़ा ह( अZछा लगा। आपस े

    ये दो Kदन क� मुलाकात मेरे >लये तो बहुत ह(

    अPधक अ/व8मरणीय रहेगी। अब �फर कब भ�ट हो

    सकेगी आपसे?’

    ‘अब क� बार आप अपनी शाद( क�िजये और

    �नमंaण द(िजये, तो जUर ह( म) आऊंगी।’ ये कहती

    हुई मेरब बारात क� सजी हुई उस बस म� जो उFह�

    8टेशन तक ले जा रह( थी, जाकर बैठ गई थी। घर

    आकर मेरब ने सोचा था �क असाKहल क� बात और

    उसके साथ के गुज़ारे हुये कुछेक पल� क� याद ठ[क

    वैसे ह( समाTत हो गई है, जैसे �क भरे सागर क�

    परेशान लहर� �कनारे आकर भी �कनारा न पाकर

    पुन वापस लौट जाया करती ह)।

  • 8 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    समय बीतता चला गया। बात आई गई हो

    गई। समय ने करवट ल(। मेरब अपनी कालेज क�

    पढ़ाई म� +य8त हो गई। वषA क� मुjय पर(\ाय� हुp

    और वह 8नातको-तर क� पर(\ा पास करके नौकर(

    क� तलाश म� +य8त हो गई। अपनी +य8तता म� वह

    Qब2कुल ह( भूल गई �क कब वह दगुA �कसी के

    /ववाह म� गई थी। असाKहल से वह कहां >मल( थी?

    वह कौन था? और उसने %या कहा था? ऐसा होना

    भी बहुत 8वभा/वक था, %य��क उसके मन म� ऐसी

    कोई बात ह( नह(ं थी �क िजसके कारण वह ये सब

    कुछ याद रख सकती। असाKहल उसके जीवन म�

    कभी \ण दो \ण के >लये आया था और बड़ी ह(

    सहजता से चला भी गया था। ऐसी दशा म� उसे

    नाहक याद करने का कोई �0न ह( नह(ं उठता था।

    मेरब के Kदन नौकर( क� तलाश और जीवन क�

    +य8तता म� लगातार बीतत ेजा रहे थे। अभी तक

    उसे नौकर( भी नह(ं >मल( थी। कई एक 8थान� पर

    उसने �ाथAना पa भर Kदये थे। दो तीन जगह� स े

    उसे सा\ा-कार के >लये बुलाया भी गया था, मगर

    अभी तक कह(ं से भी उसको सFतोषपूणA उ-तर

    �ाTत नह(ं हो सका था। आरंभ क� सम8त

    औपचा7रकताय� पूर( करने के बाद भी उसे कह(ं से

    भी नौकर( का बुलावा नह(ं >मला था। नौकर( >मलन े

  • 9 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    क� आस म� वह ��तKदन ह( अपनी डाक आने का

    इंतजार करने लगी थी।

    �फर एक Kदन जब वह ऐसे ह( अपनी डाक

    म� आये हुये पa� और >लफाफ� को देख रह( थी �क,

    तभी उसे एक बड़ा ह( Tयारा और आकषAक >लफाफा

    �ाTत हुआ। उसने िजqासा म� शीr ह( खोल Kदया।

    �फर जब खोल कर देखा तो उसके अदंर असाKहल

    का पa था, िजसे उसने बहुत ह( अZछे ढंग से मेरब

    के >लये >लखा था। मेरब ये बात उसक� >लखाई को

    देख कर ह( समझ गई थी। तब मेरब ने पa को

    पढ़ा तो उसम� >लखा था �क,

    ‘मेरब,

    हो सकता है �क इतन े अरसे म� तुम मुझ े

    Qब2कुल ह( भूल गई हो? मगर म) कहां तुWह� भूलने

    वाला हंू। अभी तक तुम जैसी मानवी क� सुFदर

    छ/व को अपने मन म� बसाये हुये तुWहारे कर(ब

    आने क� दरू( को हर पल कम करने क� को>शश

    करता आ रहा हंू। याद है �क एक Kदन दगुA से

    वापस जाते समय म)ने तुमसे अगल( भ�ट के >लये

    पूछा था। उसके उ-तर म� तुमने कहा था �क अगर

    म) अपनी शाद( के �नमंaण म� तुWह� बुलाऊंगा तो

    तुम जUर आओगी। सो अब म) अपना /ववाह कर

    रहा हंू। िजस लड़क� से म) /ववाह कर रहा हंू, उसका

  • 10 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    नाम ‘मेरब‘ है। िजस Kदन तुम आओगी, उसी Kदन

    /ववाह क� तार(ख भी प%क� हो जायेगी। ये तो तुम

    अZछ[ तरह से जानती होगी �क यKद तुम नह(ं आp

    तो मेरा /ववाह कभी भी नह(ं हो सकेगा। आशा है

    �क तुम मेरे इस �नमंaण को मना नह(ं करोगी।

    और सब ठ[क है। मेर( पढ़ाई ख-म हो चकु� है, और

    अब म) यह(ं पर 8कूल इं8पे%टर के पद पर कायA

    कर रहा हंू।

    असाKहल।‘

    मेरब के >लये असाKहल का ये वह पहला पa

    था �क, िजसे पढ़ने के बाद उसके Kदल और Kदमाग

    के सारे सोये हुये तार� म� एक झनकार सी मच गई

    थी। साफ जाKहर था �क इतन े वष` के लWबे

    अतंराल के प0चात भी असाKहल ने उसे भुलाया नह(ं

    था। दगुA म� हुई केवल एक दो Kदन के बीच छोट(

    सी मुलाकात के दौरान Qबताये हुये लWह� को वह

    अपने जीवन क� मह-वपूणA राह बना कर उस पर

    चलता आ रहा है। और आज आ]खरकार उसन े

    अपने मन म� �छपी हुई बात उससे कह ह( द( थी।

    यह( सोच सोच कर मेरब तब कई Kदन� तक काफ�

    परेशान सी बनी रह( थी। परेशान इस कारण थी �क

    असाKहल ने उससे कुछ कहा था, और इस कहे हुये

    का उसे एक ठोस �नणAय लेकर उ-तर देना था। �फर

  • 11 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    �नणAय भी कोई गुsड ेऔर गुtड़या का खेल नह(ं था।

    उसक� पूर( िज़Fदगी का �0नPचFह उसक� नज़र� के

    सामने ि8थर

    हो गया था। ये एक ऐसा सवाल था िजसे वह

    आसानी से बगैर कुछ भी कहे सुन ेऔर �नणAय >लये

    हुये नकार नह(ं सकती थी। �फर जो इंसान चदं

    लWह� क� मुलाकात को अपनी िज़Fदगी का सबस े

    मुjय आधार बनाकर उसके जीवन म� �वेश करन े

    क� योजना बना बैठा हो, वह भी इतनी आसानी स े

    दरू हटने वाला नह(ं है। ये तuय भी वह भल(भां�त

    समझ चकु� थी। यKद उसने असाKहल को कोई

    उ-तर नह(ं Kदया और उसे बीच म� ह( लटकाये रह(,

    तब वह उसके पीछे आने से Uकने वाला भी नह(ं

    था। तब मेरब ने अपनी इस परेशानी क� बात

    असाKहल के पa को अपनी उस सहेल( को Kदखा

    कर कह( जो कभी उसके साथ दगुA गई थी। तब

    उसक� सहेल( न ेभी उसको यह( उ-तर Kदया �क,

    ‘सोच ले, तेरे >लये ऑफर है। कोई ज2दबाजी मत

    कर बैठना। सोच ले �क वह पा8टर का लड़का है।‘

    उसक� सहेल( ने भी एक �कार से बात सह(

    कह( थी। असाKहल म� चाहे सार( अZछाइयां %य� न

    ह�, पर उन दोन� के /वचार� से उसम� जो सबसे बड़ी

    कमी थी, वह केवल यह( �क वह पा8टर का लड़का

  • 12 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    था, %य��क आज तक मेरब ने कभी भी �कसी भी

    पा8टर के लड़के क� तार(फ �कसी से भी नह(ं सुनी

    थी। तब मेरब कोई �नणAय ले पाती इसी बीच उसको

    एक 8थान से नौकर( का �नमंaण आया तो वह

    अwया/पका बन कर झांसी के एक 8कूल म� पढ़ाने

    चल( गई। चल( गई तो नई नौकर( और नये 8थान

    म� समायोिजत होने क� को>शश म� वह �फर एक

    बार असाKहल के बारे म� भूल गई। ले�कन एक Kदन

    असाKहल उसे आमन ेसामने तब अचानक से >मल

    गया था, जब �क वह 8थानीय 8कूल� क� एक

    स>म�त म� अपने 8कूल क� तरफ से मुjय ��त�नPध

    बन कर गई थी। चू�ंक असाKहल 8कूल इं8पे%टर था

    और उस समय वह उसी \ेa म� कायA कर रहा था,

    सो वह भी वहां पर स>म�त म� आया हुआ था। तब

    मेरब असाKहल को देख कर जहां खशु हुई थी वह(ं

    वह उसको देख कर घबरा भी गई थी। खशुी उसे

    इस>लये हुई थी �क कम से कम एक गैर मसीह(

    \ेa म� उसे कोई तो अपना मसीह( +यि%त नज़र

    आया था, और घबरा वह इस>लये गई थी, %य��क

    वह एक �कार से असाKहल क� मुज़7रम थी, और

    आज रंगे हाथ� जैसे पकड़ ल( गई थी। वह जानती

    थी �क असाKहल उसे पसFद करता है, और उससे

    /ववाह भी करना चाहता है, मगर उसक� बात का

  • 13 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    उसने आज तक कोई ठोस उ-तर नह(ं Kदया था।

    तब असाKहल से हुई इस अचानक भ�ट के समय

    मेरब ने सोचा था �क अब असाKहल उससे खबू ह(

    >शकवे और >शकायत� करेगा। मगर उसक� धारणा

    के अनुसार ऐसा कुछ भी नह(ं हुआ था। असाKहल

    उसके साथ बहुत ह( नxता और >मaभाव के साथ

    पेश आया था। उसने एक बार भी अपनी तरफ से

    ये जाKहर नह(ं होने Kदया �क कभी उसने उसे कोई

    पa भी >लखा था। बजाय इसके �क वह उससे कोई

    >शकायत आKद करता उसने मेरब क� अपनी ओर से

    अ�त7र%त सहायता ह( क�। साथ ह( उसने ये भी

    बताया �क वह आजकल yवा>लयर म� �नयु%त है

    और झांसी का \ेa उसके कायA\ेa म� आता है।

    उसके अ�त7र%त जब असाKहल न ेउसे एक छोट( सी

    चाय साथ म� पीने का �नमंaण Kदया तो वह भी

    मना नह(ं कर सक� थी। इस बीच वह उससे तमाम

    तरह क� बात� करता रहा था। मगर अपने मन क�

    बात वह उससे आमने सामने �फर भी नह(ं कह

    सका था ।बाद म� जब सारा काम समाTत हो गया

    था तो वह वापस चल( आई थी।

    उसके बाद जब असाKहल को उसका पता

    और Kठकाना qात हो गया तो वह अ%सर ह( उसको

    पa >लखने लगा। �ाय ह( मेरब को डाक म� उसके

  • 14 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    पa >मलने लगे। अपने इन पa� के zवारा कभी वह

    परो\ Uप म� अपनी बात को दोहराता तो कभी

    KहFद( �फ2म� के चनुे हुये गीत� क� लाइन� ह( >लख

    कर भेज Kदया करता था। ऐसे गीत� क� पंि%तय�

    म�, ‘ ऐसी कोई डोर नह(, िजसका कोई छोर नह(ं,

    ऐसी कोई मौज़ नह(ं, िजसका कोई शोर नह(ं। मांझी

    नैया ढंूढ़े �कनारा ‘ /वशषे हुआ करती थीं। �फर जब

    ऐसा �ाय ह( होने लगा तो एक Kदन मेरब ने

    असाKहल क� पसFद को मह-व देते हुये अपन े

    हPथयार डाल Kदये। उसने उसक� बात मान ल(, और

    भ/व9य म� असाKहल को अपने जीवन का प�त

    बनाने का �नणAय कर >लया। वह जानती थी �क

    असाKहल उसक� हां सुन कर बहुत ह( खशु होगा।

    और �फर हुआ भी ऐसा ह(। असाKहल भ/व9य के

    सजाये हुये सपन� को साकार होत े देख ख>ुशय� स े

    फूला नह(ं समाया। वह जैसे िज़Fदगी क� सम8त

    बहार� सामने आत ेदेख झूमने लगा था। तब मेरब न े

    जब अपने घर पर असाKहल के बारे म� बताया तो

    उसके मां बाप ने भी उससे यह( कहा था �क, इधर

    उधर साथ साथ घूमने �फरने से बेहतर है �क

    िजतनी ज2द( हो सके वह अपना /ववाह कर ले। सो

    अपने माता और /पता क� बात को wयान म� रख

    कर वह अपने /ववाह के सपने सजोने लगी थी।

  • 15 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    �फर इतना सब कुछ होने के प0चात असाKहल

    लगभग हर दसूरे ह{त ेमेरब से >मलने जाने लगा।

    अ%सर ह( वह अपनी �कसी न �कसी छु|ी म� मेरब

    के पास पहंुच जाता था। �फर दोन� एक साथ घूमते,

    साथ आत ेजाते, �कसी भी रे8तंरा म� बैठ कर चाय

    पीते, कुछ भी न खर(दना होता तब भी बाजार म�

    घूमा करत े और कभी कभी शाम का खाना या

    दोपहर का लंच भी कह(ं भी साथ ह( खा >लया

    करते। असाKहल जब भी झांसी मेरब के पास आन े

    को होता तो वह उसे पहले ह( से फोन करके सूPचत

    भी कर Kदया करता। तब इस �कार दोन� क� भ�ट

    पहले ह( से �नधाA7रत �कसी भी 8थान पर हो जाती

    थी।

    दोन� का >सल>सला इसी तरह से चल ह(

    रहा था। मेरब अब तक पूर( तरह से असाKहल के

    ��त आस%त हो चकु� थी। असाKहल म� ह( अब वह

    अपने जीवन का �कनारा ढंूढ़ चकु� थी। इतना

    अPधक वह उस पर /व0वास कर उठ[ थी �क

    असाKहल के अ�त7र%त अब �कसी अFय दआु या

    बFदगी के >लये उसके हाथ उठते ह( नह(ं थे। जीवन

    के सारे सपन ेऔर सपन� का पूरा महल वह केवल

    असाKहल के नाम क� नींव पर रख कर अभी बना

    ह( रह( थी �क अचानक से उसके जीवन म� कोई

  • 16 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    सैलाब सा आया और \ण भर म� ह( उसक�

    िज़Fदगी के सारे संजोये हुये सपने बहा कर साथ ले

    गया। असाKहल न ेअचानक ह( झांसी आना बंद कर

    Kदया। आना बंद तो �कया ह(, साथ ह( उसने मेरब

    को फोन भी करना बंद कर Kदया। �फर जब मेरब

    ने उसके �नवास 8थान पर फोन �कया तो आरंभ म�

    वह उसे पहले तो कभी >मला ह( नह(ं, �फर बाद म�

    पता चला �क उसका 8थानाFतरण yवा>लयर से कह(ं

    अFयa हो गया है। तब मेरब को असाKहल के

    8थानाFतरण से इतनी

    अPधक PचFता नह(ं हुई िजतना �क उसक� चTुपी

    और गुमशुद( को देख कर वह हैरान हो गई। �फर

    जब वह उसे कह(ं भी नह(ं >मल सका तो 8वत ह(

    उसे दाल म� कह(ं काला नज़र आने लगा। उसे ये

    जान कर और भी आ0चयA हुआ �क इतने वष} स े

    Tयार के पुल खड़ े करने वाला अपने सफ़र क�

    मंिजल को सामने पाकर अचानक ह( चपुचाप से

    गुम %य� हो गया है? उसका तबादला हुआ या �फर

    कोई और बात हो गई? मगर उसे �कसी भी तरह स े

    बता तो देना चाKहये था? जो लड़क� कभी आसानी

    से �ेम क� डगर पर अपने कदम नह(ं रख सक� थी,

    उसी को उ2फत� और हसरत� क� खशुबुओं म� भीगे

    jवाब Kदखा कर वह बीच रा8ते म� अकेला %य� छोड़

  • 17 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    गया? अकेल(, �नराश और बेसहारा सी मेरब के

    सामने ये ऐसे �0न थे �क िजनका उ-तर वह तब

    तक नह(ं �ाTत कर सकती थी, जब तक �क वह

    असाKहल से आमने सामने ढंग से बात नह(ं कर

    लेती। ये तो वह जानती थी �क बगैर कुछ भी जान े

    सोचे वह �कसी को भी दोष नह(ं दे सकती थी।

    मेरब के इसी उहापोह म� कुछेक Kदन और

    गुज़र गये। वह �ती\ा करती रह(, असाKहल क�

    कोई भी सूचना >मलने क�। मगर उसका इंतजार

    करना एक �कार से बेकार ह( साQबत हुआ।

    असाKहल ने न तो अपनी ह( कोई खबर द( और ना

    ह( मेरब उसके बारे म� कुछ भी पता लगा सक�। इस

    �कार एक ओर असाKहल क� गुमशुद( और दसूर(

    तरफ मेरब के अपने सजाये हुये सपन� के खंडर

    होत ेहुये महल, इन सबका प7रणाम ये हुआ �क वह

    धीरे धीरे अदंर ह( अदंर बुझने लगी। Kदल म� सजाई

    हुई हसरत� नाकाम और बेमुर~बत Tयार के वाद� क�

    मज़ार सजते देख कर हर पल तड़पन ेलगीं। हर रात

    वह मन ह( मन >ससक उठ[। Kदल के अदंर कह(ं

    दरू तक कसक उसक� साPथन बन कर अपना डरेा

    डाल बैठ[। वह बुझी नह(ं, बि2क सुलगने लगी। वह

    टूट( तो नह(ं, पर कमजोर हो गई। वह सोचने लगी

    �क जो लड़क� कभी आसानी से अपने Tयार का

  • 18 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    इज़हार नह(ं कर सक� थी, उसी का /व0वास इतना

    शीr टूटने कैसे लगा। िजस असाKहल ने उसक�

    जीवननैया को पार लगाने के कभी तार(फ� और

    /व0वास� के ढेर सारे बंडल बांध Kदये थे, वह( एन

    व%त पर उसे सागर क� मझाधार� म� अकेला और

    तFहा छोड़ कर चलता %य� बना? अब तो वह उसके

    बारे म� कुछ भी तब तक नह(ं मालुम कर सकती थी

    जब तक �क़ वह उसे खदु न >मले। इतना

    अPधक वह उस पर /व0वास कर बैठ[ थी �क उसने

    तो उसके मूल �नवास 8थान का पता तक नह(ं

    लगाया। वह तो उसके बारे म� केवल इतना ह( भर

    जानती है �क वह दगुA म� उससे पहल( बार >मल(

    थी, मगर दगुA म� भी वह कहां का रहन ेवाला है? ये

    भी उसे नह(ं मालुम था। ऐसे म� जब कभी भी वह

    अपने बारे म� सोचती तो यह( सोच कर रह जाती

    �क उसक� �क8मत भी �कतनी अजीब है, सार(

    द�ुनयां म� यह( एक असाKहल रह गया था, उस े

    �ी�त के स~ज बाग Kदखाने के >लये। शायद वह ये

    भूल गई थी �क िजस इंसान का नाम ह( ‘असाKहल‘

    हो वह �कसी क� िज़Fदगी क� नाव को %या �कनारा

    दे सकता है। िजस आदमी के जीवन के �कनारे ह(

    सदा डूबे रहे ह�, वह कभी भी %या �कनारे आ

    सकेगा। �कतना भला होता �क यKद उसने असाKहल

  • 19 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    क� बात नह(ं मानी होती। वह उसके च%कर म� नह(ं

    पड़ती। उस पर /व0वास नह(ं करती। यKद उसन े

    असाKहल पर /व0वास नह(ं �कया होता तो शायद

    आज उसको ये मनहूस Kदन तो नह(ं देखना पड़ता।

    अब तो अZछा होगा �क वह उसको Qब2कुल ह( भूल

    जाये और कभी भी भूले से उसके बारे म� न सोच।े

    पुUष� न े यू ं भी कब �कसी नार( क� कोमल

    भावनाओं क� क क� है। यKद क� होती तो ना7रय�

    के सुलगने, टूटने और /पसने क� दा8तॉने %य�

    सुनने म� आई होतीं ? %य� कहानीकार ‘शरोवन‘ को

    Tयार क� दखुभर( कहा�नयां >लखने पर /ववश होना

    पड़ता?

    मेरब ने तब उपरो%त Uप से ऐसा ह( कुछ

    सोच कर अपने आपको �कसी तरह से मन मार कर

    समझा >लया था। अपने घर पर भी उसने सार( बात

    अपनी मां को भी बता द( थी। �फर धीरे धीरे वह

    सामाFय Uप से अपने जीवन को +य8त रखने क�

    को>शश करने लगी। इस तरह से होत ेहोत ेलगभग

    दो वषA और बीत गये। इतन े अरसे म� उसन े

    असाKहल के बारे म� सोचा तो बहुत परFत ु उस े

    अपने Kदल और Kदमाग पर कभी भी हॉवी नह(ं होन े

    Kदया। केवल असाKहल के साथ गुजारे हुये सुनहले

    पल� को अपने जीवन का सबसे कड़वा /वषय समझ

  • 20 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    कर सदा के >लये बंद कर Kदया। इतना अPधक �क

    पुUष� क� ओर देखने का भी उसका मन नह(ं करता

    था। हरेक मनु9य क� नज़र� म� उसे असाKहल के

    समान खोट नज़र आन ेलगी। अब वह केवल अपन े

    काम से काम रखती। अपने �नवास से पढ़ाने जाती

    और 8कूल समाTत होत ेह( सीधे वापस आती। बस

    इतनी ह( उसक� KदनचयाA रह गई थी, और साथ ह(

    उसके बच ेहुये जीवन का मकसद भी यह( �क उस े

    केवल जीना था। वह भी इस>लये %य��क वह िजFदा

    थी। जब �क सZचाई ये थी �क असाKहल क�

    �न9ठुरता ने तो उसे इस लायक भी नह(ं छोड़ा था

    �क वह �कसी के साथ पल दो पल के >लये मु8करा

    भी सके। सो मेरब के Kदन इसी तरह से +यतीत

    होत ेजा रहे थे। अब तक असाKहल से न >मले हुये

    लग भग तीन वषA समाTत होने जा रहे थे। और

    अब तक उसके Kदल म� जो आशा क� �करण शषे

    रह गई थी, वह भी समाTत हो चकु� थी। मगर एक

    Kदन अचानक से उसे जब अपने 8कूल के पत ेपर

    असाKहल का पa >मला तो वह चक गई। असाKहल

    ने अपना ये पa उसे पंजीकृत डाक से भेजा था। इस

    पa म� उसने अपनी इतने Kदन� क� गुमशुद( और

    अचानक से मेरब के सामने से गायब हो जाने क�

    /ववशता तथा अपने साथ हुई हरेक दखुद घटना का

  • 21 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    वणAन �कया था। उसने बताया था �क यकायक ह(

    उसे अपने घर पर बुलाया गया तो पता चला �क

    उसक� मां क� तQबयत एक दम से खराब हो गई

    थी, और मरने से पूवA उसक� मां न ेउससे ये वादा

    करा >लया था �क वह अपना /ववाह उनक� अतंरंग

    >मa क� लड़क� 7रम]झम से करे, %य��क उसक� मां

    क� यह( /वशषे इZछा थी। सो इस �कार उसे अपनी

    मां के कहने के अनुसार करना पड़ा था। 7रम]झम

    से उसका /ववाह हो गया था, मगर उसक� तकद(र

    को शायद ये सब गवारा नह(ं हुआ, और /ववाह के

    ठ[क बारह मह(न� के बाद ह( उसक� प-नी 7रम]झम

    उसके पहले बZच े के जFम के समय पर ह( चल

    बसी, और साथ म� उसके बZच े को भी ले गई।

    अपने बZच ेऔर प-नी क� म-ृयु के प0चात वह कैस े

    रहा। ये तो वह( जानता है। असाKहल ने अपने बारे

    म� इतना सब कुछ बताने के साथ साथ मेरब से

    अपने �कये पर \मा भी मांगी थी।

    तब मेरब असाKहल के इस पa को पढ़ कर

    जैसे Qब2कुल ह( शलथ हो गई थी। वह तब तुरFत

    ह( ये नह(ं समझ पाई थी �क असाKहल क� ओर स े

    ये कैसा पa और �कस �कार क� सूचना थी, और

    उसक� ओर से ये सब बताने का अब कौन सा

    7र0ता उन दोन� के मVय बाक� रह गया था? उसक�

  • 22 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    िज़Fदगी के कमजोर और ठंड े पड़ े हुये Tयार के

    गीत� के >लये ये असाKहल क� तरफ से कैसा सFदेश

    था �क िजसे जान कर मेरब न तो खशु हो सक�

    और ना ह( ढंग से रो सक�। बजाय इसके �क उसे

    असाKहल से सहानुभू�त होती, उसे उस पर कोई

    तरस या रहम आता, वह उसके बारे म� �फर कुछ

    सोचती, उसके मि8त9क म� यह( त8वीर बनी �क

    िजस तरह से एक Kदन ठोकर लगन े पर उसन े

    अपना �नणAय परमे0वर के हाथ� म� छोड़ Kदया था,

    उसी का जबाब आज परमे0वर ने असाKहल को दे

    Kदया है। वह अब कौन होती है, उसके इस �नणAय

    के बीच म� आने वाल(? िजस �कार से एक Kदन

    उसने चFद लWह� क� ‘7रम]झम‘ क� फुहार म� अपने

    जीवन क� नाव खेने क� असफल च9ेटा क� थी, और

    जो उसने �कया था, उसक� इन सब बात� का

    प7रणाम कुछ कुछ ऐसा ह( होना था। इसम� कोई भी

    आ0चयA करने जैसी %या बात हो सकती है। पa को

    पढ़ कर मेरब आरंभ म� कुछ देर को /वच>लत तो

    हुई, मगर बाद म� उसने इसे सामाFय सी बात

    समझते हुये अपने Kदमाग से �नकाल भी Kदया।

    सोच >लया �क अब इन बात� से सरोकार ह( %या

    रहा। कहानी ख-म नह(ं हुई तो %या हुआ, >लखने

    के >लये प9ृठ तो समाTत हो ह( चकेु ह)।

  • 23 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    उसके प0चात असाKहल के कई और भी पa

    मेरब के पास आये। दो बार वह उससे +यि%तगत

    Uप से >मला भी। मेरब समझ गई �क असाKहल क�

    ओर से इन सार( को>शश� का एक ह( मतलब था

    �क वह �फर से लौट कर उसके पास आ जाये,

    %य��क वहां अब �कसी अFय �करायेदार के ठहरन े

    जैसी बात �फर से थी? मेरब %य� उ-तर देती। %य�

    वह उसम� Kदलच8पी लेती? लेती भी तो %य� और

    �कस आधार पर? पहले जो कुछ हुआ, वह %या

    तमाशा बनने के >लये कम रहा था? �फर यKद

    7रम]झम इस द�ुनयां से नह(ं गई होती तो %या

    असाKहल कभी भी लौटने वाला था? इस �कार स े

    सोचते हुये मेरब न ेये अपने आप ठोस �नणAय कर

    >लया �क अब यKद असाKहल का कोई पa आया या

    वह( उससे �फर से >मला तो वह उसको अपना

    अ�ंतम �नणAय सुना कर इस समय न9ट करने वाले

    नाटक का 0य सदा के >लये बंद कर देगी।

    ….सोचते सोचते मेरब का >सर जैसे

    भार( हो गया। मन और शर(र दोन� ह( म� कह(ं जैसे

    खलबल( सी मच गई थी। उसने >सर उठा कर देखा

    तो कमTयूटर के मॉनीटर का 8m�न काला होकर

    जैसे अदंर ह( अदंर >ससकने लगा था। उसे होश

    आया तो पता चला �क इतनी सी देर म� वह अपन े

  • 24 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    अतीत क� न जाने �कतनी ह( बात� को mम से

    दोहरा गई थी। वह जानती है �क उसके अपने इस

    अतीत म�, उसके खदु के दखु थे। अफसाने थे। मन

    के �कसी कोने म� पतA पतA कर के रखे हुये �कसी के

    ��त टूटे हुये /व0वास के वे टुकड़ ेथे �क िजFह� आज

    उसे �फर से छूते हुये भी डर लगता था। असाKहल

    के साथ जो कुछ भी हुआ है, उसका दखु तो मेरब

    को हो सकता है, परFतु जो कुछ 8वयं मेरब न े

    झलेा है, उसके ��त �कसने कभी सोचा है? �फर वह

    अब कौन होती है, �कसी के भी जीवन क� नाव को

    पार लगान े वाल(? जो मांझी �कसी पतवार के

    वा8त/वक मह-व को ह( न समझ सका हो उसे तो

    वह %या, कोई दसूरा भी �कनारा नह(ं Kदला सकेगा।

    उसक� तो सार( �कि0तयां पहले ह( से जल चकु� ह),

    और वह आज तक संसार के सागर क� मझाधार� म�

    भटकती �फर रह( है। डूबते हुये �कनार� को देख कर

    कौन पार जाने क� क2पना कर सकता है? शायद

    कोई भी तो नह(ं? इस>लये बेहतर है �क अपनी

    िज़Fदगी क� इस न भूलने वाल( दा8तान को व%त

    का कोई काला प9ृठ समझ कर सदा के >लये बंद

    कर Kदया जाये तो ह( भला होगा। साथ चलने वाला

    हरेक पPथक सदा के >लये हमसफर नह(ं बन सकता

    है, जीवन क� इस सZचाई का ममA सब ह( को जान

  • 25 maaMJaI naOyaa ZUMZo, iknaara

    लेना चाKहये। �फर जीवन का �कतना बड़ा और

    सZचा तuय है �क, जब इंसान को इंसान से Tयार

    न >मल सके तो उसे कम से कम एक बार परमे0वर

    क� झोल( म� भी हाथ डाल कर देख

    लेना चाKहये। �